आरवी ने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने सपनों को पूरा करने में गुज़ार दी थी। सात साल की कड़ी मेहनत के बाद, वह आखिरकार एक सफल डॉक्टर बन गई थी। उसकी ज़िंदगी एकदम सही चल रही थी करियर में ऊँचाइयाँ छू रही थी और लव लाइफ भी परफेक्ट थी। सात साल के लंबे रिश्ते के बाद,... आरवी ने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने सपनों को पूरा करने में गुज़ार दी थी। सात साल की कड़ी मेहनत के बाद, वह आखिरकार एक सफल डॉक्टर बन गई थी। उसकी ज़िंदगी एकदम सही चल रही थी करियर में ऊँचाइयाँ छू रही थी और लव लाइफ भी परफेक्ट थी। सात साल के लंबे रिश्ते के बाद, उसने अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने का फैसला किया, यह सोचते हुए कि अब उसकी ज़िंदगी और भी खूबसूरत हो जाएगी। लेकिन एक दिन उसे पता चलता है कि उसका बॉयफ्रेंड उसे धोखा दे रहा है, और वो भी उसकी अपनी बहन जैसी दोस्त के साथ। जब सारी सच्चाई आरवी को पता चली, तो उन दोनों ने मिलकर आरवी को मौत की नींद सुला दिया। इसी बीच एक इंसान ऐसा भी था जिसे आरवी से प्यार था। जो पागलों की तरह उसे पाना चाहता था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। आरवी एक नए नाम, एक नई पहचान के साथ फिर से लौटती है। क्या आरवी अपनी खोई हुई खुशियाँ वापस पा सकेगी? या फिर उसकी नई जिंदगी में एक और तूफान आने वाला है, जो उसे फिर से बिखेर देगा? इस नए सफर में आरवी के सामने कौन सी चुनौतियाँ आएंगी, और क्या वह अपने विश्वासघातियों से बदला ले पाएगी?
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Let's begin… आरवी ने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने सपनों को पूरा करने में गुज़ार दी थी। सात साल की करी मेहनत के बाद, वो आखिरकार एक सक्सेसफुल डॉक्टर बन गई थी। उसकी लाईफ एकदम सही चल रही थी।—करियर में ऊँचाइयाँ छू रही थी और love life में भी सब कुछ परफेक्ट था। सात साल के long relationship के बाद, उसने अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने का फैसला किया, ये सोचते हुए कि अब उसकी ज़िंदगी और भी खूबसूरत हो जाएगी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उसे ये नहीं पता था कि उसके बॉयफ्रेंड के दिल में प्यार की जगह धोखा पल रहा था, और ये कि उसकी अपनी बहन ही इस विश्वासघात की mastermind थी। आरवी की सारी मेहनत, उसका सटर्गल और उसकी जिंदगी की खुशियाँ पल भर में बिखर गईं जब उसने अपने बॉयफ्रेंड को उसकी जान लेते हुए देखा, और उसकी बहन को उसके सारे सपनों को चुराते हुए। आरवी को लगा जैसे उसकी ज़िंदगी की सारी मेहनत बेकार चली गई, और उसकी सारी खुशियाँ एक झूठ साबित हो गईं। दर्द और निराशा से भरे उस क्षण में उसने सोचा कि अब उसकी ज़िंदगी में कभी भी खुशी नहीं लौटेगी। लेकिन फिर, अचानक उसकी मौत हो जाती है और वो एक नए पहचान के साथ वापस आती हैं। एक अंधेरा कमरा जिसमे मैं एक किंग साइज, राउंड शेप बिसतर था। जिस पर एक लड़की बेहोशी की हालत में लेती हुई थी। उस लड़की के चेहरे पर उसके बालो की लेट बिखरी हुई थी। वो दिखने मैं बेहद खूबसूरत जैसे कोई अप्सरा सी लग रही थी। वो बहुत रोई थी जिस वजह से उसके चेहरे पर आंसू के निशान बने हुए है जैसे वो बोहोत ज्यादा रोई हो । पर फिर भी इस हालत मैं भी वो लड़की बोहोत खूबसूरत लग रही थी । जिसे एक बार कोई देखे तो बस उसका दीवाना हो जाये। तभी उस रुम का दरवाजा खुलता है और एक बेहद हैंडसम सा लड़का आता है। उसके रुम में आते ही रुम का माहौल एकदम कोल्ड हो गया। उसका खतरनाक ओरा उसे और dangerous बना रहा था। अंदर आते ही उसकी नज़र बिस्तर पर लेटी उस लड़की पर परती है। वो धीरे धीरे बेड़ी के करीब आटा है। उस लड़की को देखता है और उसके चेहरे से उसके बालों को हटाते हुए एक सनक भरी आवाज में कहता है "तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि तुम मुझसे अलग हो सकती हो, बोहोत शोंक है ना तुम्हे मुझसे दूर जाने का। अब मैं तुम्हे बतायुगा की ये शीधांश वालिया आख़िर चीज क्या है और मेरी बात ना मानने की क्या सजा मिलती है"। (जी हां आपने सही पहचाना ये लड़का और कोई नहीं आरवी के ऑब्सेस्ड लवर शीधांश वालिया है और जो वो लड़की बिस्तर पर है लेटी है। वो हमारी हीरोइन आरवी है।) शीधांश आरवी को एक नज़र देखता है एक सनकी तरह हँसने लगता है। वो सर से पाओ तक आरवी को निहारता है। और उसके होठों की तरफ धीरे धीरे झुकने लगता है और आरवी को पागलों की तरह किश करने लगता है। तुम्हे अपना बनाने का जुनून सर पे है, कब से है मुझे आदत बना लो इक बुरी कहना ये तुमसे है शीधांश आरवी को बोहोत बेरहमी से किश कर रहा था और साथ ही बाईट भी कर रहा था। वही बेचारी आरवी को बेहोशी में भी तकलीफ होने लगती थी। तुम्हे अपना बनाने का जुनून सर पे है, कब से है सर पे है, कब से है जिस्म के समंदर में इक लेहर जो ठहरी है उसमे थोड़ी हरक़त होने दो शीधांश लगभग बीस मिनट तक आरवी को किश करता ही रहता है तब तक जब तक खुद शीधांश को सांस लेने मैं तकलीफ नही होती । फर वो आरवी की गर्दन पर आ जाता है और neck पर भी किस करने लगता है। शायरी सुनाती इन, दो नशीली आँखों को मुझको पास आके पढ़ने दो इश्क़ की ख्वाहिशों में भीग लो बारीशों में आओ ना तुम्हे पाकर ना खोने का जुनून सर पे है, कब से है आरवी बेचारी तो होश मैं भी नही थी की वो खुद को बचा सके। उसे तो ये भी नही पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है। मुझे नज़रों में रख लो तुम कहीं कहना ये तुमसे है तुम्हे अपना बनाने का जुनून सर पे है, कब से है सर पे है, कब से है. किश करते करते शीधांश आरवी का दुपटे भी उसके उपर से हटा देता है। वो इससे आगे बढ़ पाता उससे पेले ही उसका फ़ोन बजने लगता है। वो फ़ोन को एक नज़र देखता है और उसे इग्नोर कर देता है । पर बार बार फ़ोन बजने लगता है। शीधांश गुस्से मैं फ़ोन की तरफ देखता है तो पता है कि फ़ोन उसके सेक्रेटरी आयुष्मान का है। शीधांश कॉल उठता है " हा बोलो क्यों कॉल कर रहे हो, किस चीज की इतनी बेसब्री है तुममे "। आयुष्मान अपने बॉस की इतनी खतरनाक आवाज़ सुन के बहुत डर जाता है और डर के मारे उसका फ़ोन ही उसके हाथ से छूटने वाला होता है। तो शीधांश फिर से आयुष्मान से कहता है "अब बोलोगे भी क्या बोलना है।" आयुष्मान घबरते हुऐ शीधांश को कंपनी मैं क्रिएट हुए प्रॉब्लम के बारे मे बताता है। जो उसके बिज़नेस राइवल अमर खुराना की वजह से क्रिएट हुई थी। सब कुछ सुन के बाद शीधांश की पकड़ उसके फ़ोन पे कसती जाती है वो बेहद डेंजरस आवाज़ मैं कहता है कि "मैं बस आ रहा हु तुम सब कुछ ready रखो।" फिर वो फ़ोन काट देता है और वापिस आरवी के पास आता है और आरवी के होठों को छूता है जो अब एक दम लाल हो चुके थे और कहता है कि "अभी नही जान, but में जल्दी आऊंगा तुम्हारे पास ओर इस बार तुम्हे खुद से दूर बिल्कुल भी जाने नही दूंगा। चाहे उसके लिये मुजे सब से लड़ना ही क्यों ना पड़े प्यार नही हो तुम मेरा ! मैं कभी प्यार करूँगा तुमसे! ज़िद हो तुम मेरी। ये सब कह कर वो एक सनकी की तरह ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है। और फिर दरवाजा को बंद कर के अपने बॉडी गार्ड्स को वहां छोड़ के अपनी कार मैं बैठ कर चला जाता है। शिधांश की कार बोहोत फ़ास्ट चल रही थी। ड्राइवर भी डर के मारे बोत फ़ास्ट कार चला रहा था। अपने boss को गुस्से मैं देख कर उसके भी पसीने छूट रहे थे। छुटे भी क्यों ना आखिर उसका boss था ही इतना खडूस ओर सनकी। क्या पता कब क्या कैसे ओर किसे करदे कोई नही जानता । ड्राइवर कार चलाते हुए एक नज़र शिधांश को देखता है और घबरा जाता है क्योंकि शिधांश उसे ही घूर कर देख रहा था। वो मन मैं सोचता है कि है "भगवान आज इस शैतान से बचालो पता नहीं आज किसकी मोत आयी है जो आज ये इतने गुस्से मैं है।" कुछ ही देर मैं कार एक बहुत आलीशान इमारत के आगे आके रुक जाती है। और उस कार मैं से एक बेहद हैंडसम प्लस एरोगेंट इंसान निकलता है obviously ये हमारे शीधांश जी के इलावा और कोन हो सकता है। वालिया इंडस्ट्री ये है हमारे शीधांश जी की आन बान ओर शान इंडिया के top 5 company मैं से एक। शिधांश अपने प्राइवेट लिफ्ट मैं एंटर करता है और अपने केबिन मैं आता है जहाँ पहले से ही आयुष्मान उसका इंतेज़ार कर रहा होता है। इस वक़्त शिधांश बहुत खतदनक लग रहा होता है और आयुष्मान वो तो अपने इस शैतान बॉस को देख कर थर थर कापने लगता है। @ आज के लिए इतना ही … Follow up and comment 🤗
पीछले भाग में आपने पढ़ा… ये है हमारे शीधांश जी की आन बान ओर शान इंडिया के top 5 company मैं से एक। शिधांश अपने प्राइवेट लिफ्ट मैं एंटर करता है और अपने केबिन मैं आता है जहाँ पहले से ही आयुष्मान उसका इंतेज़ार कर रहा होता है। इस वक़्त शिधांश बहुत खतदनक लग रहा होता है और आयुष्मान वो तो अपने इस शैतान बॉस को देख कर थर थर कापने लगता है अब आगे शीधांश उस से पूछता है काम हुआ। आयुष्मान कुछ नही बोल पता वो सिर्फ अपना सिर हिला देता है। शिधांश फिर अपने फ़ोन से किसी को कॉल करता है और कहता है उसे वहा ले आओ हमारे base पर। सामने वाला इंसान yess बॉस कहके कॉल कट कर देता है। शीधांश के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है। वही आयुष्मान उसकी स्माइल देख कर मन मे कहता है "भगवान अब ये राक्षस पता नही किसकी लंका लगाने वाला है।" फिर शीधांश आयुष्मान से कहते चलो अपने base पर आयुष्मान तुरंत शीधांश के साथ चल पड़ता है। शीधांश की कार एक जंगल मे एंटर करती है। घने जंगल मे एक साइड बोहोत सारे पेड़ होते है वो एक बटन प्रेस करता है और पेड़ हट जाते है। शीधांश सीधा अंदर आता है। वो अंदर आके एक किंग साइज चेयर पर बैठ जाता है आयुष्मान भी उसके बगल मैं खड़ा हो जाता है। शीधांश अपने आदमियों को कुछ इशारा करता है, तो वो लोग एक आदमी को लेट है और उसके पैरों पर गिरा देते है उस आदमी की हालत बोहोत बुरी थी। शिधांश उस आदमी को देखता है और कहता है "कैसा लग रहा अमर खुराना खातिरदारी तो ठीक से हुई न आपकी?" फिर जोर जोर से हँसने लगता है। अमर शीधांश से कहता है कि वो लोग उसे जाने दे पर शीधांश कहता है "अरे इतनी आसानी से नही अभी तो ओर shopping करवानी है आपको फिर वो ताली बजाते है।" अचानक से लाइट्स चेंज हो जाती है और . एक बेहद खूबसूरत सी लड़की आती है और सेंटर मैं आके नाचना शुरू करती है. पाताली कमर मटका के हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय नागिन सी बलखा के हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय नैन से नैन लड़ा के हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय धानी चुनार साराका के हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय हाय पाताली कमर मटका के नागिन सी बालाखाके नैन से नैन लड़ा के धानी चूनर सरका के हो ऊऊ हो ऊऊ हो ऊऊ हो ऊऊ दिलवालों के दिल का करार लूटने मैं आई हूं यू.पी. बिहार लूटने वो लड़की अमर की तरफ आती है वो उसे अपनी ओर आता देख के हैरान रह जाता है। दिलवालों के दिल का करार लूटने तू आयी है यू.पी. बिहार लूटने x.2 ना पैसों का खजाना ना सोने की तिजोरी ना बरछी गड़ासा कतर लूट ने हाय हाय हाय हाय हाय दिलवालों के दिल का करार लूटने तू आयी है यू.पी. बिहार लूटने x.2 हो ऊऊ हो ऊऊ हो ऊऊ हो ऊऊ फिर वो शीधांश के पास आती है वो उसे देख कर एक डेविल स्माइल करता है। मेरी उमर अभी है सत्रह चाहु तो हिला दू छपारा मुझको न समझाना जुम्मा ना दूंगी तुझको चुम्मा कान में झुमका लगा के चाल में ठुमका लगा के गजरे का जुदा बना के होय ओये इतर जरा महका के हाय कान में झुमका सजा के ऐ हा चाल में ठुमका लगा के ऐ हा गजरे का जुदा बना के ऐ हा इतर जरा महका के क्या जवानी की सारी बहार लूटने वाली है मैं आई हूं यू.पी. बिहार लूटने दिलवालों के दिल का करार लूटने तू आई हूं यू.पी. बिहार लूटने हो ऊ हो ऊ हो ऊ हो ऊ हो ऊ ओ छोरा ! वो लड़की शीधांश के गले मे अपनी बाहें दाल के अमर की तरफ एक डेविल स्माइल करके आगे गति है। क्या कलकत्ता क्या मुंबई माई सबकी नजर में जाम गाई पंजाब हो या हरियाणा मुश्किल मुझसे बच पाना सबका जिया तड़पा के चिंगारी भड़का के हाए मुहं में पान दबा के हाथ में मेहंदी लगा के ईईई सबका जिया तड़पा के ऐ हा चिगारी भड़का के ऐ हा मुँह में पान दबा के ऐ हा हाथ में मेहदी रचाया के सबकी आँखों से छुप के खुमार लूटने मैं आई हूं यू.पी. बिहार लूटने दिलवालों के दिल का करार लूटने तू आई है यू.पी. बिहार लूटने ना पैसों का खजाना ना सोने की तिजोरी ना बरछी गड़ासा कतर लूट ने हाये हाये हाये हाये मैं आई हूं यू.पी. बिहार लूटने मैं आई हूं यू.पी. बिहार लूटने हो ऊऊ हो ऊऊ हो ऊऊ हो ऊऊ हाय हाय हाय हाय हाय! अमर अपनी दर्द भरी आंखों से उस लड़की को देखता है और कहता है "सोना यह सब क्या है?" सोना उसकी बात का जवाब नही देती ओर शीधांश के सामने आकर अपना सर झुका कर कहती है "मेरा काम पूरा हुआ boss।" शिधांश अमर की तरफ देख कर कहता है "तो केसी लगी shopping ओर ये जिसे देख कर तुम हैरान हो रहे हो। अरे ये तो सोना है मेरी भेजी जासूस जिसने तुझे अपने प्यार के जाल में फसाया। तुझे क्या लगा कि तू शिधांश वालिया की लाइफ मैं प्रॉब्लम करेगा और वो चुप चाप बैठेगा। मैने ही सोना को भेजा था ताकि मैं तुझे ओर तेरे घमंड को . " शीधांश इतना बोल के अपनी कमर से गन निकलता है और अमर के सर के बीचों बीच गोली मार देता है। शिधांश आयुष्मान से कहता है कि इसकी लाश उठाओ ओर जंगली जानवरों के सामने दाल दो ओर किसी को भी इसके बारे में पता न चले समझे । To be continued. Follow up and comment 🤗
पीछले भाग में आपने पढ़ा. सोना उसकी बात का जवाब नही देती ओर शीधांश के सामने आकर अपना सर झुका कर कहती है "मेरा काम पूरा हुआ boss।" शिधांश अमर की तरफ देख कर कहता है "तो केसी लगी shopping ओर ये जिसे देख कर तुम हैरान हो रहे हो। अरे ये तो सोना है मेरी भेजी जासूस जिसने तुझे अपने प्यार के जाल में फसाया। तुझे क्या लगा कि तू शिधांश वालिया की लाइफ मैं प्रॉब्लम करेगा और वो चुप चाप बैठेगा। मैने ही सोना को भेजा था ताकि मैं तुझे ओर तेरे घमंड को . " शीधांश इतना बोल के अपनी कमर से गन निकलता है और अमर के सर के बीचों बीच गोली मार देता है। शिधांश आयुष्मान से कहता है कि इसकी लाश उठाओ ओर जंगली जानवरों के सामने दाल दो ओर किसी को भी इसके बारे में पता न चले समझे । अब आगे फिर वो सोना की तरफ देखके के कहते है "इसको भी खत्म करदो" सोना शीधांश की बात सुन के घबरा जाती है और कहती है "boss आपने तो कहा था मैंने अच्छा काम किया है फिर आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते है।" तो शिधांश कहता है "ऐसा ही हु मैं सोना, तुम्हें पैसे चहिए थे और मुझे इसे बर्बाद करना था। बस मैने तुमारा थोड़ा सा इसतेमाल किया और अब मेरी जरूरत खत्म तो अब तुम भी खत्म।" फिर वो अपने आदमी को ईशार करता है और वो सोना को अपने साथ ले जाता है। सोना सिर्फ चीखती चिलाती रह जाती है। और शिधांश वहां से अपने ऑफिस पहुंचता है । अपने office में जाके प्राइवेट लिफ्ट से अपने केबिन मैं जा कर अपना काम करने लग जाता है। तभी दरवाजा खुलता है कोई शीधांश कैबिन में अचानक से अंदर आता है। शिधांश उसकी तरफ देखता है और गुस्से से उसकी आंखें लाल हो जाती है। ये और कोई नहीं शीधांश का दोस्त मृत्युंजय होता है। ये और शीधांश बचपन के दोस्त है शीधांश ने उसके साथ स्कूलिंग की और आगे बिजनेस भी दोनों साथ ही कर रहे हैं। वैसे तो शीधांश मृत्युंजय से बहुत प्यार करता है। लेकिन आज उसे देखकर उसकी आंखें लाल हो जाती है क्योंकि कहीं ना कहीं वो जानता था कि वो आज यहां क्यों आया है। मृत्युंजय सीधा शीधांश के पास आता है और उसे कॉलर पकड़ कर ऊपर उठाता है। शीधांश अपनी लाल आँखों से उसे घूरने लगता है मृत्युंजय की आंखें बहुत लाल होती है। वो शीधांश से कहता है कि "तेरी हिम्मत कैसे हुई आरवी के साथ ये सब करने की उसे उसके घर से उठाने की?" शीधांश बहुत गुस्से में आ जाता है वो मृत्युंजय को जोर से धक्का मारता है और कहता है "तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा कॉलर पकड़ने की तू बचपन का दोस्त है प्यार करता हूं तुझसे इसलिए तुझे छोड़ रहा हूं अगर किसी और ने ऐसी हरकत की होती तो अब तक उसकी लाश पड़ी होती।" इतना बोल कर शीधांश गुस्से में कांपने लगता है एक बार तो मृत्युंजय खुद भी शीधांश को देख कर डर जाता है आखिर उसका औरा ही इतना खतरनाक था। मृयुंजय शीधांश को इतने गुस्से में देख कर उससे कहता है "मेरे भाई मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं बचपन से हूं तेरे साथ इसलिए तुझे समझा रहा हूं जो तू कर रहा है वो बिलकुल भी ठीक नहीं है। मत कर ऐसा मेरे भाई आरवी बहुत मासूम है क्यों उसे अपनी सनक की वजह से सजा दे रहा है। मत कर ऐसा मेरे भाई किसी लड़की को उसकी मर्जी के बिना इस तरह अपने पास रखना गलत है अगर वो तुझसे प्यार करती तो मैं खुशी-खुशी तुझे ये सब करने देता कभी ना रोकता।" शीधांश गुस्से में मृत्युंजय से कहता है "देख तू मेरे बचपन का दोस्त है इसलिए तुझे आखरी बार समझा रहा हूँ मेरी पर्सनल लाइफ में इंटरफेयर मत कर मेरे भाई। इसके बाद दोबारा तूने कुछ भी आरवी के बारे में बोला तो मैं भूल जाऊंगा कि तु मेरा दोस्त है। आरवी को खुद से दूर कभी नहीं जाने दूंगा हां वो सनक है मेरी। मैं हमेशा उसे अपने पास रख लूंगा चाहे मर्जी से चाहे बिना मर्जी से। कोई भी उसे मुझसे दूर नहीं कर सकता।" शीधांश की बातें सुनकर मृत्युंजय की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वो कहता है "ठीक है मेरे भाई अब अगर तू यही चाहता है तो यही सही पर मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि कभी ना कभी तुझे अपनी इस गलती का एहसास हो।" इतना कहकर अपनी आंखों में आंसू लिए मृत्युंजय शिधांश के केबिन से बाहर चला जाता है। शीधांश उसे केबिन से बाहर जाते देखता है और एक बार सोचता है कि कहीं वो कुछ गलत तोह नहीं कर रहा पर फिर अचानक से आरवी का ख्याल उसके दिमाग मे आता है वो एक डेविल स्माइल के साथ कहता है "तुम सिर्फ मेरी हो सिर्फ मेरी मैं प्यार नही करता तुमसे ओबसेशन हो तुम मेरा कभी नही जाने ढंग तुम्हे खुद से दूर चाहे तुम चाहो चाहे न चाहो चाहे तुमारी मर्जी हो चाहे न हो।" फिर वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता ओर फिर दोबारा अपना सिर झुका कर अपने काम में लग जाता है। फिर आयुषमान उसके केबिन में आता है और कहता है "बॉस आरवी मैम को होश आ गया है." शिधांश आयुष्मान की तरफ देखता है और जल्दी से उसको कार रेडी रखने के लिए बोलता है फिर अपने केबिन से निकल जाता है। शीधांश सीधा कार में आकर बैठता है उसे देखकर ड्राइवर गाड़ी चलाने स्टार्ट कर देता है। शीधांश की गाड़ी ट्रैफिक सिग्नल पर आकर रुकती है। अचानक से वो अपने पुराने ख्यालों में खो जाता है। उसे अपनी और आरवी की पहली मुलाकात याद आती है। बरसात का वक्त और बहुत तेज बारिश हो रही थी। शीधांश इसी तरह अपनी गाड़ी में जा रहा था। अचानक उसके गाड़ी रूकती है वो ड्राइवर से गुस्से में पूछता है कि "आखिर क्या हुआ तुम्हे ड्राइव करना नही आता ऐसे कोन ब्रेक लगाता है।" (आखिर ऐसा क्या हुआ कि शीधांश जैसा इंसान जो लड़कियों से बेहद नफरत करता था। अचानक एक लड़की के पीछे इस कदर पागल हो गया कि वो उसकी सनक बन गयी ।) कैसे शीधांश ओर हमारी आरवी एक दूसरे से मिले? कैसे शीधांश ने आरवी को कैद कर लिया? To be continued… Follow up and comment 🤗
पीछले भाग में आपने पढ़ा.… शीधांश सीधा कार में आकर बैठता है उसे देखकर ड्राइवर गाड़ी चलाने स्टार्ट कर देता है। शीधांश की गाड़ी ट्रैफिक सिग्नल पर आकर रुकती है। अचानक से वो अपने पुराने ख्यालों में खो जाता है। उसे अपनी और आरवी की पहली मुलाकात याद आती है। बरसात का वक्त और बहुत तेज बारिश हो रही थी। शीधांश इसी तरह अपनी गाड़ी में जा रहा था। अचानक उसके गाड़ी रूकती है वो ड्राइवर से गुस्से में पूछता है कि "आखिर क्या हुआ तुम्हे ड्राइव करना नही आता ऐसे कोन ब्रेक लगाता है।" अब आगे ड्राइवर अपने बॉस कितने गुस्से से भरी आवाज सुनकर घबरा जाता है और मन ही मन कांपने लगता है फिर वो अपने आप को संभाल कर उससे कहता है कि "बॉस में अभी देखता हूं आखिर क्या हुआ?" वो जैसे ही कार से बाहर निकलता है एक छोटी सी बच्ची उसके कार के आगे आती है और लड़की उसको कवर करके खड़ी थी। ड्राईवर उसके पास जाता है और पूछता है "क्या हुआ आपको चोट तो नहीं लगी?" ड्राइवर जैसे ही उसे कुछ और बोलता है "लड़की बहुत गुस्से में उसकी तरफ देखने लगती है।" वो लड़की ड्राइवर से कहती है ड्राईवर दादा कार चलानी नहीं आती है तो क्यों चलाते हो? आपकी वजह से इस बच्ची को कुछ हो जाता तो क्या होता? इतनी भी क्या जल्दी कि इंसान को इंसान ही ना समझो? सब को कुचल दोगे क्या?" अमीर लोगों की नजरों में गरीब की तो कोई कीमत ही नहीं होती सब को तो कुचलते फिरते हो। लाज शर्म तो तुम लोगों ने बेच खाई होती है। वही कार में इतनी देर से शिधांश ड्राइवर के आने का वेट कर रहा होता है और आखिर में गुस्से में ड्राइवर को आवाज लगाता है। शीधांश बहुत गुस्से में ड्राइवर को आवाज लगा रहा था। लेकिन ड्राइवर उसकी बात का जवाब नहीं दे रहा था। फिर गुस्से में शीधांश अपनी कार से बाहर निकलता है। और ड्राइवर की तरफ जाता है। शिधांश गुस्से में ड्राइवर का कॉलर पकड़कर कहता है "क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रहे हो?" ड्राइवर शीधांश को देखकर कहता है कि "सर ये मैडम मेरी बात नहीं मान रही है मैं कब से इन से माफी मांग रहा हूं?" ड्राइवर का इशारा पाकर वो उस लड़की की तरफ देखता है ओर देखता ही रह जाता है। वो लड़की थी ही इतनी खूबसूरत की कोई भी उसको देखे तो उसका दीवाना हो जाये। शीधांश एकटक उस लड़की को देख रहा होता है ड्राइवर जो उसे कुछ बोल रहा होता है पर शीधांश उस लड़की में इतना खो गया था कि उसे कुछ सुनाई नही देता । शीधांश को एकटक अपनी तरफ देखता देख कर वो लड़की बहुत असहज हो जाती है क्योंकि उसे कही न कही शीधांश की नज़रों मैं अपने लिए लस्ट नज़र आ रही होती है। जब उससे और बर्दाश्त नही होता तो वो शीधांश को कस के थप्पड़ मार देती है। थप्पड़ लगने से शिधांश का चेहरा एक साइड झुक जाता है। जिन आँखों मे कुछ देर पहले उस लड़की को लस्ट नज़र आ रही होती है अब उसमे उसे बेहद गुस्सा नज़र आ रहा होता है। शीधांश को इस तरह देख कर एक पल के लिए वो भी घबरा जाती है। पर फिर वो अपने आप को नार्मल करती है और शीधांश को देखनी लगती है। शीधांश गुस्से मैं उस लड़की को मारने के लिए अपना हाथ उठता है की अचानक उसका हाथ उस लड़की के चेहरे के पास आके रुक जाता है। वो लड़की बिल्कुल निडर हो कर शिधांश के सामने खड़ी रहती है एक बार को तो शीधांश भी उसकी निडरता ओर उसकी निडर आँखों को देख कर हैरान हो जाता है। आखिर ऐसा हुआ भी तो पहली बार था। जब शिधांश वालिया से किसी को डर नहीं लगा था। ये बहुत बड़ी बात है उसके लिए। वो एक टक उस लड़की की तरफ देखता ही रह जाता है। शीधांश अपना हाथ नीचे कर लेता है और फिर उस लड़की की तरफ देखते ही रहता है। जाने क्या था उस लड़की की आंखों में कि शीधांश के हाथ रुक गए थे? वो उस लड़की की तरफ देख ही रहा होता है कि पीछे से आवाज आती है आरवी डॉक्टर आरवी चलिए भी हॉस्पिटल के देर हो रही है। जी हां आपने सही पहचाना यह लड़की और कोई नहीं हमारी नोबल की हीरोइन आरवी ही है। शिधांश जब आरवी का नाम सुनता है तो एकदम उसके मुंह से निकलता है। ओह तो इस लड़की का नाम आरवी है। अपना नाम सुनकर आरवी जब पीछे पलटती है तो उसे अपने पीछे उसकी दोस्त मिशा खड़ी होती है। आरवी उसकी तरफ पलटती है और कहती है "चलो चलो हम आ रहे हैं।" फिर वो एक नजर शीधांश को देखती है और उस लड़की को अपने साथ लेकर चले जाती है। और शीधांश अभी भी उसी दिशा में देख रहा होता है जिस दिशा में आरवी गई थी। शीधांश अपने होश गवा के अभी भी उधर ही देख रहा था कि अचानक ड्राइवर उसे कहता है कि "सर चलें।" वो ड्राइवर की बात सुनकर उसे गाड़ी की तरफ मिलने का इशारा करता है। और गाड़ी में बैठकर निकल जाता है। In the car शीधांश कार मैं अपने secretary आयुष्मान को कॉल करता है और उसे एक फोटो सेंड करते हुए कहता है "जल्द से जल्द मुजे इस लड़की की सारी इनफार्मेशन चाहिए।" दरअसल शीधांश की कार मैं फ्रंट ओर बैक पर कैमरा लगा हुआ था । जिसकी वजह से आरवी की फ़ोटो कैप्चर हो जाती है ओर शीधांश ने वही फ़ोटो आयुषमान को भेजा है। और उसे एक घंटे का टाइम दीया कि इस एक घंटे मैं तुम्हे इस लड़की की इनफार्मेशन निकालनी है वरना काल से आफिस मत आना। आयुषमान शीधांश की बात सुन के घबरा जाता है वो कुछ कहने वाला होता है कि शीधांश कॉल disconnect कर देता है। वही आयुषमान हैरानी से फ़ोन की तरफ देखता है उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि ये वही बॉस है जो कुछ टाइम पहले तक तो लड़कियों से दूर भगत था। और आज एक लड़की की इनफार्मेशन निकलने को कह रहा था। आयुषमान को लगता है कि शायद उसने कुछ गलत सुन लिया। इसलिए वो बार बार रिकॉर्डिंग सुनता है। कई बार रिकॉर्डिंग सुनने के बाद फिर से हैरान हो जाता है। फिर अपना सर हिलाता है और अपने काम पर लग जाता है। अब आगे क्या होगा जब पहली मुलाकात में ही तकरार हो गई? To be continued… Follow up and comment 🤗
पीछले भाग में आपने पढ़ा.… आयुषमान शीधांश की बात सुन के घबरा जाता है वो कुछ कहने वाला होता है कि शीधांश कॉल disconnect कर देता है। वही आयुषमान हैरानी से फ़ोन की तरफ देखता है उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि ये वही बॉस है जो कुछ टाइम पहले तक तो लड़कियों से दूर भगत था। और आज एक लड़की की इनफार्मेशन निकलने को कह रहा था। आयुषमान को लगता है कि शायद उसने कुछ गलत सुन लिया। इसलिए वो बार बार रिकॉर्डिंग सुनता है। कई बार रिकॉर्डिंग सुनने के बाद फिर से हैरान हो जाता है। फिर अपना सर हिलाता है और अपने काम पर लग जाता है। अब आगे. प्रेजेंट टाइम अचानक से कार रुकती है और शीधांश अपने ख्यालों से बाहर आता है और ड्राइवर की तरफ देखता है। ड्राइवर कहता है "सिर हम पहुंच गए। शीधांश सीधा गाड़ी से बाहर निकलता है और घर के अंदर जाते हैं। जैसे ही वो room का दरवाजा खोलता है। उस अंधेरे कमरे में एक साइड पर एक लड़की अपना मुंह छुपाए बैठी होती है। वो लड़की और कोई नहीं आरवी ही थी। शीधांश चल के आरवी के पास पहुंचता है। जब आरवी को किसी के आने की आहट महसूस होती है तो वो अपना सिर उठाकर उसे देखती है। शीधांश झुकते उसके गालों पर हाथ रखता है। अचानक डरी सहमी आरवी की आंखें गुस्से से तमतमा जाती हैं। और वो शीधांश के हाथों को झटक देती है। और उठकर शीधांश के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ देती है। उसके ऐसा करने से शीधांश का चेहरा एक जगह झुक जाता है। अब शीधांश की आंखें गुस्से से लाल हो गई थी। आरवी के कंधों को पकड़ता है और उसे दीवार से सटा देता है। वो उसे forcefully kiss करने लगता है उसकी इस किश मैं प्यार तो बिल्कुल नही था, था तो सिर्फ एक सनक, पागलपन , एक बेरहमी। शीधांश बड़ी ही बेरहमी से आरवी के होठों को चूमें जा रहा था और बीच बीच मैं उसके लिप्स पर बाइट भी कर रहा था। आरवी उससे छूटने की कोशिश करती है पर छूट नही पाती शीधांश तकरीबन बीस मिनट तक लगातार उसे किश करता रहता है। जिससे अब आरवी सांस भी नही ले पा रही थी। आखिर मैं वो बेहोश होने लगती है। लेकिन शीधांश को उसकी कोई खबर ही थी और वो बेहोश हो भी जाती है। शिधांश को जब महसूस होता है कि आरवी ने कोशिश करना बंद कर दिया है तो वो उसकी तरफ देखता है। आरवी की आंखें बंद हो चुकी थी और वो अब पुरी तरह से बेहोश हो चुकी थी। वो आरवी को बिस्तर पर लिटाता है और उसके पास ही बैठ जाता है. तुझे हासिल करूँगा ये ज़िद्द है, चाहे कुछ भी करे ये जहां मैं लिखूँगा, ये तक़दीर तेरी चाहे कुछ भी लिखे आसमान, तुझे हासिल करूँगा ये ज़िद्द है, चाहे कुछ भी करे ये जहां मैं लिखूँगा, ये तकदीर तेरी नाते तल भी लिरते सात्ययान शीधांश आरवी के चेहरे को छूता है और बल सहलाता है, तेरे हसने पे तेरे रोने पे तेरे होने पे ना होने पे हक़ है मेरा, अब तेरे बिन जीने से भी हर्ज है. दर्द है. ये जो दर्द है ये दर्द ही मेरा इश्क है मेरा इश्क है दर्द है. ये जो दर्द हैये दर्द ही मेरा इश्क है मेरा इसक है. अचानक कुछ याद करके उसके हाथ आरवी के चेहरे पर केस जाते. चाहे नहीं रूबरू पर मेरी नज़र में है तू, जब तक ना पा लूँ तुझे ना आएगा मुझको सुकून, चाहे नहीं रूबरू पर मेरी नज़र में है तू, जब तक ना पा लूँ तुझे ना आएगा मुझको सुकून, फिर वो आरवी को देख कर एक सनकी की तरह मस्कराने लगता है। बर्बादियों के रास्ते मैने चुन लिए तेरे वास्ते रब जाने क्यूँ पिघलता नहीं दिल तेरा ख़ुदगर्ज है, ओर झुक कर फिर से उसके चेहरे पर किस करता है और उसे हग कर लेता है दर्द है. ये जो दर्द है ये दर्द ही मेरा इश्क़ है मेरा इश्क़ है दर्द है. ये जो दर्द है ये दर्द ही मेरा इश्क़ है मेरा इश्क़ है. तुम मेरी सनक हो आरवी ओबसेशन हो प्यार नही करता मैं तुमसे पर तुम्हे खुद से दूर जाने नही दूंगा बोहोत प्यार करती हो न उससे वो भी तुम्हे मुझसे दूर नही कर पायेगा। जो चीज़ मुझे पसंद आती है उसे मैं छीन लेता हूं जैसा तुम्हे छीन लिया। फिर वो पागलों की तरह हँसने लगता हैं। इस वक्त शीधांश बहुत खतरनाक लग रहा था। अगर कोई भी उसे देखता तो डर के मारे मर ही जाता। फिर वो एक female servant को इंटरकॉम करके अंदर बुलाता है। और उससे कहता है "इसे उठने के बाद कुछ खिला पिला देना। आज से इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है अगर इसे कुछ भी हुआ तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा।" इतना बोलकर शीधांश एक नजर आरवी की तरफ देखता है और घर से बाहर निकल जाता है। शीधांश वहां से निकल कर कार मैं बैठ जाता है और ड्राइवर को कार स्टार्ट करने के लिए बोलता है। ओर ड्राइवर कार घर की तरफ मोड़ देता है। कार अपने स्पीड से चल रही थी और शीधांश फिर से अपने पुराने ख्यालों में खो जाता है। अचानक उसके दिमाग में वही बातें घूमने लगती हैं और एक आवाज़ आती है। "तू कभी खुश नहीं रह सकता तुझे कुछ भी नहीं मिलेगा तू चाहे जो मर्जी कर ले। हमेशा तड़पता रहेगा हमेशा तड़पेगा तुझे तेरी जिंदगी में कुछ नसीब नहीं होगा। तू है ही नहीं इस लायक। सबसे बेस्ट चीज हमेशा मेरी होगी। तुझे तुझे हमेशा घटिया चीज मिलेगी। किसी के जोर जोर से हंसने की आवाज आने लगती है। शीधांश इस बात को सुनकर इतना ज्यादा परेशान हो जाता है कि वो अपने कानों पर हाथ लगाकर। जोर-जोर से बोलने लगता है कि चुप कर चुप चुप कर चुप चुप कर। वो इतनी जोर से बोल रहा था कि ड्राइवर एकदम से घबरा गया और उसने गाड़ी की ब्रेक लगा दी। उसमें पीछे मुड़कर शीधांश की तरफ देखा जिसका चेहरा पूरा पसीने से भर गया था। कौन है ये सकस जिसकी याद से ही शीधांश इतना घबरा गया? To be continued… Follow up and comment
पीछले भाग में आपने पढ़ा.… कार अपने स्पीड से चल रही थी और शीधांश फिर से अपने पुराने ख्यालों में खो जाता है। अचानक उसके दिमाग में वही बातें घूमने लगती हैं और एक आवाज़ आती है। "तू कभी खुश नहीं रह सकता तुझे कुछ भी नहीं मिलेगा तू चाहे जो मर्जी कर ले। हमेशा तड़पता रहेगा हमेशा तड़पेगा तुझे तेरी जिंदगी में कुछ नसीब नहीं होगा। तू है ही नहीं इस लायक। सबसे बेस्ट चीज हमेशा मेरी होगी। तुझे तुझे हमेशा घटिया चीज मिलेगी। किसी के जोर जोर से हंसने की आवाज आने लगती है। शीधांश इस बात को सुनकर इतना ज्यादा परेशान हो जाता है कि वो अपने कानों पर हाथ लगाकर। जोर-जोर से बोलने लगता है कि चुप कर चुप चुप कर चुप चुप कर। वो इतनी जोर से बोल रहा था कि ड्राइवर एकदम से घबरा गया और उसने गाड़ी की ब्रेक लगा दी। उसमें पीछे मुड़कर शीधांश की तरफ देखा जिसका चेहरा पूरा पसीने से भर गया था अब आगे…… ड्राइवर ये देखकर एकदम से घबरा जाता है और गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर निकलता है। शीधांश की साइड का दरवाजा खोल कर उसकी तरफ देखता है शीधांश का चेहरा पूरा पसीने से भर गया था। उसकी सांस भी बहुत तेज चल रही थी। ड्राइवर समझ गया कि शिधांश को फिर से पैनिक अटैक आया है। ड्राइवर को कुछ समझ नहीं आता है कि वो क्या करें उसी वक्त उसे मृत्युंजय की याद आती है। ड्राइवर फटाफट मृत्युंजय को फोन मिलाता है और उससे सारी सिचुएशन के बारे में बताता है। मृत्युंजय ड्राइवर की बातें सुनकर घबरा जाता है और ड्राइवर को शीधांश को सिटी हॉस्पिटल लेकर आने के लिए बोलता है। ड्राइवर फटाफट गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी को सिटी हॉस्पिटल की तरफ ले चलता है। ड्राइवर शीधांश को सिटी हॉस्पिटल लेकर पहुंचता है और मृत्युंजय भी वहां पहले से ही मौजूद होता है। ड्राइवर और मृत्युंजय शीधांश को स्ट्रक्चर पर डालकर अंदर लेकर जाते हैं। शीधांश अभी भी बहुत पैनिक कर रहा होता है उसका पूरा शरीर लाल हो गया होता है। मृत्युंजय फटाफट से अंदर लेकर जाता है और एकदम से डॉक्टर अवस्थी को आवाज लगाता है। भगवान की कृपा से डॉक्टर अवस्थी भी हॉस्पिटल में मौजूद थे। मैं तुरंत मृत्युंजय की आवाज सुनकर वो अपने कैबिनेट से बाहर निकल आए। मृत्युंजय ने उनसे कहा डॉक्टर… डॉक्टर… देखिए शीधांश को क्या हो गया? डॉक्टर अवस्थी ने शीधांश को चेक किया और एकदम से घबरा कर बोले इन्हें जल्दी अंदर लेकर जाना पड़ेगा इन्हे पैनिक अटैक आया है। डॉक्टर अवस्थी वार्डबॉय को शीधांश को अंदर ले कर जाने का इशारा करते हैं और मृत्युंजय से कहते हैं कि आप यही रुक कर इंतजार कीजिए। मैं अभी mr. शीधांश को ठीक से चेक करके आता हूं। इतना बोल कर डॉक्टर अवस्थी रूम के अंदर चले जाते हैं। मृत्युंजय बाहर खड़े होकर उनका इंतजार करने लगता है। थोड़ी देर तक इंतज़ार करने के बाद डॉक्टर अवस्थी बाहर आते हैं और मृत्युंजय उनकी तरफ देख कर पूछता है कि "डॉक्टर क्या वो अब ठीक है?" तो डॉक्टर अवस्थी उसे कहते हैं कि "हां मृत्युंजय वो पहले से बेहतर है लेकिन इस बार जो पैनिक अटैक आया था वो ठीक नहीं था ये उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता था।" डॉक्टर अवस्थी आगे बोलते हैं कि मृत्युंजय अगर दोबारा उसे इस तरह का अटैक आया तो शायद वो डिप्रेशन में भी जा सकता है या फिर सीधा ही उसका दिमाग काम करना बंद कर सकता है या इससे भी बुरा वो कोमा में जा सकता है। मृत्युंजय डॉक्टर की बातें सुनकर घबरा जाता है और वो खुद को संभाल के डॉक्टर से कहता है "डॉक्टर में आगे से ध्यान रखूंगा कि दोबारा उसे ऐसे कोई भी अटैक ना आए । अब अगर वो होश में आ चुका है तो क्या मैं उससे मिल सकता हूं?" डॉक्टर मृत्युंजय से कहते हैं "मृत्युंजय तुम उस से मिल सकते हो पर ध्यान रखना कि उससे कोई भी ऐसी बात मत करना जिसकी वजह से वो फिर से पहने हो जाए।" मृत्युंजय अपने आप को ठीक कर के खुद को संभाल के अंदर जाता है और शीधांश की तरफ देखता है। जो एक तक सीलिंग की तरफ देख रहा होता है। मृत्युंजय अंदर जाकर कहता है "ओए साले क्या हो गया तुझे? मेरी इतनी टेंशन ले ली कि पैनिक हो गया, नहीं होता यार मैं तुझे छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा मर गया तो भूतों की तरह तुझे ही चीमर जाऊंगा।" शीधांश बिना एक्सप्रेशन कि उसकी तरफ देखता है और उससे पूछता है कि "तुमने मां को तो नहीं फोन किया ना?" मृत्युंजय ना में सिर हिलाता है और आगे कुछ बोलने ही वाला होता है कि डॉक्टर अंदर आ जाते हैं। शीधांश डॉक्टर को देखकर पूछता है कि "डॉक्टर क्या मैं अब घर जा सकता हूं?" डॉक्टर कहते हैं "हां जरूर बस अपना ख्याल रखना!" डॉक्टर की इतनी बात सुनकर शीधांश ने हा में सर हिलाया और मृत्युंजय को कुछ इशारा किया, जिसे समझ कर मृत्युंजय वार्ड से बाहर निकल जाता है और रिसेप्शन से डिस्चार्ज पेपर रेडी कर के दोनो घर के लिए निकल जाते है। पूरे रास्ते मृत्युंजय शीधांश की तरफ ही देखता रहता है। गहरी सांस लेकर मन में सोचता है "हे भगवान शीधांश के साथ अब कुछ बुरा ना हो। पहले ही उसने बहुत कुछ झेला है। जिस चीज ने उसे एक शैतान बना कर रख दिया है। अब बस उसके साथ और कुछ ना हो। बस अब शीधांश को सद्बुद्धि दो कि वो आरवी के साथ इससे ज्यादा बुरा ना करें। उसे अपनी गलती का एहसास हो।" मृत्युंजय और शीधांश घर आ जाते है। वो जैसे ही घर में कदम रखते है एक ज़ोर दार आवाज़ आती है "जहां हो वही रुक जाओ!" ये आवाज़ सुन कर मृत्युंजय की टो फट कर चार हो जाती है पर शीधांश वो चुप रहता है। शीधांश ओर मृत्युंजय पीछे मुड़ कर देखते है तो पीछे एक middle aged औरत अपनी जलती आँखों से उन्हें ही देख रही होती है। और फिर धीरे धीरे चलते हुए उनके पास आती है और कहती है "तुम दोनों कहाँ थे? ज़रा बताने का कष्ट करोगे!" शीधांश कहता है "माँ मैं तो अपना काम कर रहा था। ये खुद मेरे पास आए और मुझे अपने साथ लेकर डिस्को चला गया। मैंने तो कहा भी की मुझे बहुत सारा काम है, मैं नहीं जाऊंगा। पर इसने मेरी एक न मानी और जबरदस्ती मुझे अपने साथ ले गया"। फिर शीधांश अपना मासूम सा चेहरा बना कर "मां आप ही बताइए इसमें मेरी क्या गलती है" मृत्युंजय उसकी तरफ अपना मुंह खोल कर देखता ही रह जाता है। उसे समझ ही नहीं आता कि अभी अभी हुआ क्या? क्या दिक्कत थी शीधांश को क्यों उसे ये पैनिक अटैक आया? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा…… मृत्युंजय और शीधांश घर आ जाते है। वो जैसे ही घर में कदम रखते है एक ज़ोर दार आवाज़ आती है "जहां हो वही रुक जाओ!" ये आवाज़ सुन कर मृत्युंजय की टो फट कर चार हो जाती है पर शीधांश वो चुप रहता है। शीधांश ओर मृत्युंजय पीछे मुड़ कर देखते है तो पीछे एक middle aged औरत अपनी जलती आँखों से उन्हें ही देख रही होती है। और फिर धीरे धीरे चलते हुए उनके पास आती है और कहती है "तुम दोनों कहाँ थे? ज़रा बताने का कष्ट करोगे!" शीधांश कहता है "माँ मैं तो अपना काम कर रहा था। ये खुद मेरे पास आए और मुझे अपने साथ लेकर डिस्को चला गया। मैंने तो कहा भी की मुझे बहुत सारा काम है, मैं नहीं जाऊंगा। पर इसने मेरी एक न मानी और जबरदस्ती मुझे अपने साथ ले गया"। फिर शीधांश अपना मासूम सा चेहरा बना कर "मां आप ही बताइए इसमें मेरी क्या गलती है" मृत्युंजय उसकी तरफ अपना मुंह खोल कर देखता ही रह जाता है। उसे समझ ही नहीं आता कि अभी अभी हुआ क्या? अब आगे अचानक उसे अपने कान पर बहुत तेज दर्द होता है। क्योंकि किसी ने बहुत जोर से मृत्युंजय के कान खींचे होते हैं। मृत्युंजय के कान किसी और ने नहीं शीधांश की मां राधिका वालिया ने ही खींचे थे। वो बिचारा कभी शीधांश की तरफ देखता है तो कभी उसकी मां की तरफ। शीधांश मृत्युंजय को आंख मारता है। तो वही मृत्युंजय की आंखें हैंरानी से बड़ी हो जाती है। उसे समझ नहीं आता वो आगे से क्या बोले ? वो बस वो में… वो में… करने लगता है। शीधांश की मां गुस्से से बोलती है "ये क्या वो में… वो में… लगा रखा है। बकरी हो क्या?" आखिर में वो सॉरी कहता है और कहता है "आंटी मुझसे गलती हो गई आगे से ऐसा नहीं होगा और अब मैं यहां से जा रहा हूं"। इतना कहकर वो बिना पीछे मुड़े ही सीधा घर से बाहर निकल जाता है और अपनी गाड़ी में बैठ कर अपने ऑफिस चला जाता है। मृत्युंजय के जाने के बाद शीधांश अपना मासूम चेहरा बनाकर अपने मां की देखने लगता है और अपनी मां से कहता है "देखो मां ये मुझे ऐसे ही सताता रहता है "और शीधांश की मां भी उसकी बात सुनकर उसे कहती है "कोई बात नहीं बेटा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है तुम कभी कुछ गलत कर ही नहीं सकते"। इतना कहकर शीधांश की मां वहां से चली जाती है और उनके जाने के बाद शीधांश के चेहरे पर जो मासूमियत थी वो खत्म हो जाती है और उसकी जगह डेविल स्माइल जन्म लेती है। शीधांश फिर अपने कमरे में आ जाता है और फ्रेश होने के लिए चला जाता है। फिर वो फ्रेश होकर कमरे से बाहर आता है और तभी उसका फोन बचने लगता है। वो अपना फोन उठाता है कि तभी जोर से कोई बोलता है "साले क* तेरी वजह से आज फिर मेरी वाट लगने वाली थी। साले तुझे तो किसी ड्रामा कंपनी में होना चाहिए था। अपनी मां के आगे तो इतना अच्छा बनता है असल में तू क्या है ये मेरे अलावा तो कोई जानता भी नहीं है"। उसकी बात सुनकर शीधांश शांत लहज़े में कहता है "मृत्युंजय बस भी कर मेरा दिमाग पहले ही बहुत खराब है अब और खराब मत कर" इतना कहकर वो फोन काट देता है। शीधांश अपना फोन टेबल पर रखने वाला होता है कि फिर उसका फोन बजने लगता है फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देखकर वो एकदम से फोन उठाता है। तभी सामने से आवाज आती है "स…सर मैम भाग गई।" अपने बॉडीगार्ड की ये बात सुनकर शीधांश gusse मैं तमतमाने लगता है और कहता है "तुम्हें मैंने किस लिए रखा है। वो कैसे भाग गई ढूंढो उसे?" इतना कहकर फोन काट देता है। वो सोचने लगता है कि आखिर आरवी कहां गई होगी। तभी उसे कुछ याद आता है और उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है। फिर वो कहता है " ohh My dear aaru! कहां तक बचकर जाओगी तुम मुझसे?" अपनी कार की चाबी उठाता है और घर से बाहर निकल जाता है गाड़ी के पास खड़े ड्राइवर से कहता है कि "तुम यही रुको ड्राइव मैं करके जाऊंगा।" ड्राइवर से इतना कहकर वो अपनी कार चला के वहा से चला जाता है। इधर आरवी की हालत बहुत खराब होती है और वो बहुत तेज तेज भागते हुए एक घर के पास पहुंचने वाली होती है। घर की तरफ देखकर आरवी के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है। वो जैसे ही घर की डोर बेल बजाने ही वाली होती है तभी कोई उसका हाथ पकड़ लेता है। फिर वो जैसे ही पीछे मुड़कर देखती है उसका चेहरा डर से और पसीने से भर जाता है, घबराहट से भर जाता है। दरसल वहाँ और कोई नहीं शीधांश ही होता है वो आरवी का हाथ पकड़ता है और उसे जबरदस्ती अपनी गाड़ी के पास ले आता है। फिर वो उसके दोनों कंधों को झंझोड़ कर कहता है "बहुत हिम्मत आ गयी है ना तुममे अब में बताता हूं तुम्हे!" इतना कह कर वो उसे जबरदस्ती कार मैं धकेल देता है ओर खुद भी अंदर आ जाता है। फिर कार को अंदर से लॉक कर देता है। और कार के शीशो को ब्लैक में कन्वर्ट कर देता है। ताकि किसी को पता न चले अन्दर क्या हो रहा है। फिर वो आरवी के करीब आता है और उसे जबरदस्ती किश करने लगता है। वही आरवी उसे खुद से दूर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। पर शीधांश के आगे उसका बस नही चलता। और शीधांश उसे किश के साथ साथ बाईट भी करता है जिससे आरवी को बोहत तकलीफ होती है और उसकी आँखों में आँसू आने लगते है। शीधांश आरवी के साथ बहुत वाईल्ड बिहेव था जिससे आरवी को अब दर्द होने लगा था। थोडी देर बाद वो आरवी की कॉलर बोन को भी बाईट करने लगता है। ये सिलसिला पूरा आधा घंटे तक चलता है। तो वहीं शीधांश आरवी पर अपना गुस्सा निकलता रहता है। की तभी अचानक से आरवी बेहोश हो जाती है। अब क्या करेगा शीधांश आरवी के साथ? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा… वो आरवी का हाथ पकड़ता है और उसे जबरदस्ती अपनी गाड़ी के पास ले आता है। फिर वो उसके दोनों कंधों को झंझोड़ कर कहता है "बहुत हिम्मत आ गयी है ना तुममे अब में बताता हूं तुम्हे!" इतना कह कर वो उसे जबरदस्ती कार मैं धकेल देता है ओर खुद भी अंदर आ जाता है। फिर कार को अंदर से लॉक कर देता है। और कार के शीशो को ब्लैक में कन्वर्ट कर देता है। ताकि किसी को पता न चले अन्दर क्या हो रहा है। फिर वो आरवी के करीब आता है और उसे जबरदस्ती किश करने लगता है। वही आरवी उसे खुद से दूर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। पर शीधांश के आगे उसका बस नही चलता। और शीधांश उसे किश के साथ साथ बाईट भी करता है जिससे आरवी को बोहत तकलीफ होती है और उसकी आँखों में आँसू आने लगते है। शीधांश आरवी के साथ बहुत वाईल्ड बिहेव था जिससे आरवी को अब दर्द होने लगा था। थोडी देर बाद वो आरवी की कॉलर बोन को भी बाईट करने लगता है। ये सिलसिला पूरा आधा घंटे तक चलता है। तो वहीं शीधांश आरवी पर अपना गुस्सा निकलता रहता है। की तभी अचानक से आरवी बेहोश हो जाती है। अब आगे जब शीधांश देखता है कि आरवी कुछ भी रिएक्ट नही कर रही तो वो घबरा जाता है। वो आरवी का चेहरा देखने लगता है। आरवी के गालों को थपथपाता है। उसे कहता "hey wakeup… क्या हुआ तुम्हे?" पर आरवी कुछ नही बोलती जिससे शीधांश घबरा जाता है और कहता है "कही ये मर वर तो नही गयी?" फिर वो उसकी सांस चेक करता है आरवी की सांस बोहोत धीरे धीरे चल रही थी। शीधांश एक गहरी सांस लेता है। फिर वो अपने कपड़े ठीक करता है। और कार को अपने प्राइवेट विला की तरफ मोड़ देता है और कुछ ही देर मैं शीधांश की कार उसके प्राइवेट विला के सामने रुकती है। शीधांश के इस विला के बारे मे किसी को नही पता था। सिवाय मृत्युंजय के। शीधांश जब भी बेचैन या फिर परेशान होता तो यही आता था। शीधांश आरवी अपनी बाहों में उठा कर विला के अंदर ले कर आता है। फिर वो सीढियों से ऊपर जाकर उसे अपने मास्टर बेडरूम में बेड के ऊपर लेटा देता है। फिर शीधांश भी आरवी के पास बैठ जाता है। कुछ देर में आरवी के चेहरे को निहारता रहता है और फिर बेड के पास रखें कॉफी टेबल पर पड़े एक पानी के गिलास उठता है और पानी अपने हाथ मे लेकर आरवी के चेहरे पर पानी के छीटें मारता है। धीरे-धीरे आरवी की आंखें खोलने लगती है और वो धीरे-धीरे होश में आने लगती है। वो जैसे ही पूरी तरह होश में आती है वो अपने आप को एक अनजान कमरे में पाती है। आरवी पूरे कमरे को घूर घूर के देखने लगती है। अभी तक उसकी नजर शीधांश पर नहीं गई होती। आरवी को इस तरह पूरे कमरे को घूरते देख शीधांश एकदम से कहता है "ऐसे क्या घूर रही हो?" शीधांश इतना बोलता है तब जाकर आरवी की नजर उस पर पड़ती है और कुछ देर पहले उस के साथ जो हुआ वो सब उसे याद आने लगता है और वो एकदम से घबराने लगती है। फिर कुछ सोच कर उसका चेहरा गुस्से से तमतमा ने लगता है। वो शीधांश को धका देकर खुद से दूर करती है और एकदम से बिस्तर से उठ जाती है और भागकर दरवाजे की तरफ जाती है। उसे ऐसे भागता देखकर शीधांश अपने मोबाइल मे कुछ करता है और दरवाजा ऑटोमेटिकली लॉक हो जाता है? वो जोर जोर से दरवाजा पीटने लगती है। पर दरवाजा नहीं खुलता है। वो और जोर से चिल्लाती है "प्लीज हेल्प मी कोई है प्लीज……" उसका चिल्लाना सुन के शीधांश कहता है "थोड़ा और चिल्लाओ, जितना हो सके उतना चिल्ला कोई भी तुम्हारी मदद करने के लिए नहीं आएगा। क्योंकि ये रूम साउंडप्रूफ है तुम्हारी आवाज भी बाहर नहीं जाएगी।" आरवी फिर भी जोरो से दरवाजा पीटते रहती है और अंत में थक हार कर खुद ही रुक जाती है और फिर अपने घुटनों के बल बैठकर रोने लगती है। शीधांश धीरे धीरे चल कर उसके पास जाता है। और आरवी के बालों को सहलाने लगता है। आरवी अपना सर उठाकर शीधांश की तरफ देखती है तो कहती है "क्यों आखिर क्यों आप ये सब कुछ कर रहे हैं मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? कितनी खुश थी मैं अपनी जिंदगी में सिर्फ एक थप्पड़ की वजह से आप मुझसे बदल लें रहे हैं।" शीधांश एकटक आरवी के चेहरे की तरफ देखता है। फिर अचानक से जोर-जोर से हंसने लगता है। आरू आरू मेरी आरू यार कितनी मासूम हो तुम! तुम्हे सीरियसली लगता है कि मैं सिर्फ तुम्हारे थप्पड़ की वजह से ये सब कर रहा हु? नो बेबी नो बिल्कुल भी नही… इतना कह कर वो झटके से आरवी को उठता है और लगभग घसीटते हुए उसे कमरे से बाहर लेकर आता है। उसे सीढ़ियों से उतारकर एक कमरे की तरफ ले कर आता है। उस कमरे को ताला लगा हुआ था फिर वो अपनी जेब से चाबी निकालता है और उस कमरे का दरवाजा खोलता है। कमरे में बहुत ज्यादा अंधेरा था। शीधांश कमरे की लाइट ऑन करता है। आरवी जब उस कमरे की चीजों को देखती है तो बहुत ज्यादा हैरान हो जाती है क्योंकि उस कमरे में जगह-जगह पर पिंजरे पड़े हुए थे कहीं ग्लास की छोटे-छोटे बॉक्स थे। उन पिंजरो के अंदर बहुत खूबसूरत परिंदे ओर जानवर थे। सब ज़िंदा थे और भी बोहोत सारी खूबसूरत चीजें वहां पर थी आरवी सब कुछ देख कर बहुत ज्यादा हैरान हो जाती है। तभी शीधांश बोलता है "देखो है ना सब कुछ कितना खूबसूरत यही वजह है कि तुम भी यहां पर हो। आरवी अपनी दर्द भरी आंखों से शीधांश की तरह दिखने लगती है। हाँ बेबी ओर नही तो क्या तुम यहाँ सिर्फ अपनी खूबसूरती की वजह से ही तो हो क्योंकि मैं शीधांश वालिया हूँ और मुझे हर खूबसूरत चीज़ को अपना बनाने का शोख है तभी तो देखो यहां पे हर खूबसूरत से खूबसूरत नायाब से नायाब चीज़ है। फिर शीधांश आरवी को उसी कमरे में लगे खूबसूरत से आयने के सामने लेकर आता है और उसे आयने मैं देखने के लिए मजबूर करता है। जब आरवी खुद से नही देखती तो शीधांश को गुस्सा आने लगता है ओर वो कसके आरवी के चेहरे को पकड़ता है और आयने की तरफ करता है आरवी खुद को देख कर रोने लगती है। शीधांश आरवी के कंधे से उसके बल हटाता है और उसके गले को किस करते हुए कहता है "जब तुम्हे पहली बार देखा था तभी तुम्हे यहाँ लेकर आने का मन करने लगा था मेरा पर तुम तो तयार ही नही थी देखो न ये सब कितना खूबसूरत है अब तुम भी यही रहोगी हमेशा।" ये सब कहते हुए शीधांश बिल्कुल एक साइको की तरह लग रहा था आरवी उसकी बातें सुन कर डर जाती है और बोहत ज़्यादा रोने लगती है। फिर शीधांश आरवी को वापिस वहाँ से लेकर अपने कमरे में आ जाता है। क्या आरवी हो पाएगी शीधांश की कैद से आज़ाद? To be continued …
पीछले भाग में आपने पढ़ा… शीधांश आरवी के कंधे से उसके बल हटाता है और उसके गले को किस करते हुए कहता है "जब तुम्हे पहली बार देखा था तभी तुम्हे यहाँ लेकर आने का मन करने लगा था मेरा पर तुम तो तयार ही नही थी देखो न ये सब कितना खूबसूरत है अब तुम भी यही रहोगी हमेशा।" ये सब कहते हुए शीधांश बिल्कुल एक साइको की तरह लग रहा था आरवी उसकी बातें सुन कर डर जाती है और बोहत ज़्यादा रोने लगती है। फिर शीधांश आरवी को वापिस वहाँ से लेकर अपने कमरे में आ जाता है। अब आगे शीधांश उसे कमरे मे ला कर बिस्तर पर लिटा देता है फिर खड़ा हो कर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगता है। आरवी उसे ऐसा करते देख बोहोत ज्यादा डर जाती है और डर से कंपने लगती है और बेहद डर कर बोहोत मुश्किल से वो कहती है "ये… ये… तू… तुम क्या कर रहे हो…?" शीधांश उसे देख कर डेविल स्माइल करते हुए कहता है "वही जो हमे करना चाहिए जान…।" आरवी उसकी बात सुन कर और भी ज्यादा घबरा जाती है और अपने हाथ जोड़ते हुए कहती है "प्लीज मेरे साथ ऐसा कुछ मत करना प्लीज मैं हाथ जोड़ती हु तुम्हारे…" इतना कह कर वो बिस्तर पर पीछे की तरफ खिसकने लगती है। शीधांश बिना उसकी बात पर ध्यान दिए बिना उसकी तरफ देखे वो अपनी शर्ट उतारता है और धीरे धीरे आरवी के करीब आने लगता है। आरवी और भी ज्यादा डरने लगती है। शीधांश उसके पैरों को पकड़ता है और एक झटके के साथ उसे अपने करीब खीच लेता है। शीधांश उसे कस के कमर से पकड़ लेता है जिससे आरवी अब हिल भी नही पा रही थी। फिर आरवी के गालों को सहलाते हुए बोलता है "क्या जान… क्यों डरती हो मुझसे इतना हम्म… मेरे छूने से इतना क्यों डरती हो हम्म…" फिर उसके कान के पास आ कर कहता है " तुम्हारा वो विशाल उसके छूने पर भी ऐसे ही डरती थी क्या?" शीधांश के मुँह से विशाल का नाम सुन के आरवी बोहोत ज़्यादा घबरा जाती है। वो हकलाते हुए पूछती है "त… तू… तुम्हे के… कैसे पता? त… तू… तुम के…कैसे ज जानते हो वि… विशाल के बारे मे…?" आरवी की बात सुन के शिधांश का चेहरा एक दम कठोर हो जाता है और वो दांत पिस्टे हुए बोलता है "तुम्हारे बारे मे मैं सब कुछ जानता हूं स्वीट हार्ट" ओर फिर उसके मुँह को कस के पकड़ते हुये कहता है "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर से भाग कर उस विशाल के घर जाने की! तो अब गलती की ही है तो सजा भी तो मिलेगी न जान…।" इतना बोल कर वो आरवी को किश करने लगता है। ये किस बहुत ही रूड थी। वो बहुत ज़्यादा बेरहमी से आरवी के होठों को चूम रहा था। ये किस वैसी किस बिल्कुल नही थी जिसमे प्यार या फिर शिदत होती है। इस किस मैं एक ज़िद थी एक सनक थी। शीधांश उसे किस के साथ साथ बाईट भी कर रहा था। जिससे आरवी को बहुत दर्द हो रहा था। पर वो चाह कर भी उसे खुद से दूर नही कर पा रही थी। लगातार 15 मिनट शीधांश आरवी को इसी तरह किस करता रहता है फिर वो आरवी के होठों को छोड़ कर उसकी कॉलर बोन को चूमने लगता है और बाईट भी करता है और साथ ही मैं उसके गले को भी चूमता है और बाईट करता है। आरवी खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते करते थक जाती है और ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है। पर शीधांश को तो जैसे कोई फर्क ही नही पढ़ रहा था। अचानक किस करते करते शीधांश का हाथ आरवी के चेहरे पर आता है और उसे कुछ गीला गीला महसूस होता है। जिसे महसूस कर के वो रुक जाता है और आरवी के चेहरे को देखता है। आरवी बिल्कुल बेजान सी गुड़िया की तरह लेती हुई थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उसमे अब जान ही ना हो। उसे ऐसे देख कर पता नही शीधांश को क्या होता है वो उसके ऊपर से उठ जाता है ओर बाथरूम मैं चला जाता है। उसके जाते ही आरवी ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है। वो बिस्तर से उतर कर ज़मीन के ऊपर अपने पैरो को गले से लगाकर बैठ जाती है। ( Background music )… किसे पूछूँ है ऐसा क्यूँ? बेज़ुबाँ सा ये जहाँ है खुशी के पल कहाँ ढूँढूँ? बेनिशाँ सा वक्त भी यहाँ है शीधांश बाथरूम मैं जाकर शावर के नीचे खड़ा हो जाता है जाने कितने लबों पे गिले हैं ज़िंदगी से कई फ़ासले हैं पसीजते हैं सपने क्यूँ आँखों में लकीरें जब छूटे इन हाथों से यूँ बेवजह जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई कि आ गई है लौट के सदा… जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई कि आ गई है लौट के सदा…… दूसरी तरफ आरवी रोते हुए अपनी हथेलियों को देखती है और कहती है "आखिर मैने क्या किया है क्यों मेरी किस्मत मैं कोई खुशी नही मिलती, क्यों मेरी ज़िंदगी मे सिर्फ तड़पना ही लिखा है…।" साँसों ने कहाँ रुख़ मोड़ लिया? कोई राह नज़र में ना आए धड़कन ने कहाँ दिल छोड़ दिया कहाँ छोड़े इन जिस्मों ने साए वही दूसरी तरफ शीधांश खुद से कहता है "क्या हो गया था मुझे क्यों मैं रुक गया क्यों मैं उसके आँसू नही देख पाया क्यों आखिर क्यों उसका वो चेहरा बार बार मुझे याद आ रहा…।" यही बार-बार सोचता हूँ तनहा मैं यहाँ मेरे साथ-साथ चल रहा है यादों का धुआँ जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई कि आ गई है लौट के सदा… जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमाँ से यूँ टकरा गई कि आ गई है लौट के सदा…… आज एक अलग सी कशमकश थी दोनों के अंदर। उस पल मे एक तरफ अपनी किस्मत को कोसती एक रूह थी और दूसरी तरफ अपनी ही फीलिंग्स को कोई समझ नही पा रहा था। आखिर क्या था उस पल आज कुछ अनसुलझे जज़्बात कायम हो रहे थे क्या ये आगाज़ था मोहोबत का या फिर आने वाले एक तूफान का…। आगे क्या नया मोड़ लेगी दोनों की ज़िंदगी? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा… आज एक अलग सी कशमकश थी उस पल मे एक तरफ अपनी किस्मत को कोसती एक रूह थी और दूसरी तरफ अपनी ही फीलिंग्स को कोई समझ नही पा रहा था आखिर क्या था उस पल आज कुछ अनसुलझे जज़्बात कायम हो रहे थे क्या यह आगाज़ था मोहोबत का या फिर आने वाले एक तूफान का…। अब आगे आरवी बहुत ज़्यादा रो रही थी। उसे रह रह अपनी पिछली ज़िन्दगी ओर उस शख्स की याद आ रही थी जिसे शायद अपने बाबा के बाद वो ज़िन्दगी मैं सबसे प्यार करती थी। जिसके बिना जीने के बारे मे वो कभी सोच भी नही सकती थी। वो इंसान था विशाल भारद्वाज उसके बचपन का दोस्त और हमेशा का साथी। आरवी रोते रोते वही ज़मीन पर सो जाती है। अचानक जब आरवी की आंख खुलती है वो अपने आप को एक खूबसूरत जगह पर पाती है जहां बेहद खूबसूरत वादियां थी ठंडी हवाएं चल रही थी। आरवी ने एक खूबसूरत वाइट कलर की साढ़ी पहनी थी। उसके बाल खुले थे और कमर तक लहरा रहे थे। तभी उसे अपनी कमर मैं किसी का हाथ महसूस होता है वो मुस्कुरा उठती है। गाती है. आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके हम्म्म हम्म्म्म हम्म्म हम्म्म्म वो उस हाथ पर अपना हाथ रख देती है . आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके मेरे दिल में यूही रहना है मेरे दिल में यूही रहना तुम प्यार प्यार बनके आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके फिर पीछे मुड़ कर उस इंसान के चहरे को अपने दोनों हाथों मैं लेके आगे गाती है. आँखों में तुम बसे हो सपने हज़ार बनके आँखों में तुम बसे हो सपने हज़ार बनके मेरे दिल में यूही रहना है हाए… मेरे दिल में यूही रहना तुम प्यार प्यार बनके आए हो मेरी जिन्दगी में तुम बहार बनके फिर वो उसका हाथ पकड़ कर आगे चलती है ओर वो दोनों एक नदी के किनारे बैठ जाते है। आरवी उसके कंधे पर सर रख के उसका हाथ अपने हाथों मैं लेके गाती है. मेरे साथी मेरे साजन मेरे साथ युही चलना मेरे साथी मेरे साजन मेरे साथ युही चलना बदलेगा रंग ज़माना पर तुम नहीं बदलना फिर उन्हें नदी के किनारे एक जोड़ा नज़र आता है जो नदी मैं एक दिया विसर्जित करते है और फिर वो आदमी अपनी बीवी की मांग मैं सिंदूर भरता है। आरवी उनकी तरफ इशारा करती है और आगे गाती है. मेरी माँग युही भरना तारे हज़ार बन के मेरी माँग युही भरना तारे हज़ार बन के मेरे दिल में युही रहना हाए… मेरे दिल में युही रहना तुम प्यार प्यार बनके आए हो मेरी जिन्दगी में तुम बहार बनके मेरे दिल में युही रहना तुम प्यार प्यार बनके फिर आरवी उस लड़के से झूठ मुठ का रुठ जाती है और आगे गति है. अगर में जो रूठ जाओ तो तुम मुझे मनाना थामा है हाथ मेरा फिर उम्र भर निभाना फिर अपनी आँखों में आँसू भर कर उसे कहती है. मुझे छोड़ के ना जाना वादे हज़ार करके मुझे छोड़ के ना जाना वादे हज़ार करके मेरे दिल में युही रहना मेरे दिल में युही रहना तुम प्यार प्यार बनके फिर वो इंसान आरवी की आँखों मे पट्टी बांध देता है ओर आरवी के आगे पीछे भागने लगता है। आरवी उसे ढूंढते हुए आगे गाती है. आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके मेरे दिल में युही रहना है मेरे दिल में युही रहना तुम प्यार प्यार बनके आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके आरवी उसे ढूंढती ही रहती है आखिर थक कर वो अपनी आँखों से पट्टी उतार देती है फिर उसे ढूंढने लगती है। लेकिन वहा कोई भी नही होता तो वो घबरा जाती है ओर ज़ोर से चिल्लाती है "विशाल…" तभी आरवी की आंख खुल जाती है। उसका चेहरा पसीने से तर बर्ट हो जाता है। उसकी सांस बोहोत तेज़ चल रही थी। फिर वो अपने आस पास देखती है तब उसे पता चलता है कि वो ज़मीन पर ही बैठे बैठे सो गई थी। फिर वो खुद को नार्मल करती है और खुद से कहती है" नो आरू तू ऐसे हार बिलकुल नही सकती तू एक फाइटर है एक डॉक्टर है तू इतनी जल्दी हार नही मान सकती तुझे हिम्मत दिखानी होगी अपने बाबा के लिए ओर ओर विशाल के लिए" फिर हिम्मत जुटा कर खड़ी होती है और कहती है "तुझे भागना होगा आरू तुझे यहां से भागना होगा ।" फिर वो पूरा कमरा चेक करती है। उसे कहीं भी शीधांश नजर नहीं आता फिर वो सोचती है की कहीं बाथरूम में ना हो तो फिर बाथरूम में जाकर चेक करती है वहां भी शीधांश नहीं होता। (दरअसल शीधांश नहा कर जब बाहर आया था, तो उसे एक फोन कॉल आया था। वो फोन पर बात करने के बाद सीधा कपड़े पहन कर एक नजर आरवी को देख कर वहां से चला गया था। ) फिर वो कमरे से निकल कर हॉल मैं आ कर देखती है वहां भी उसे शीधांश नज़र नही आता। पूरी छान बीन करने के बाद आरवी को जब ये तशल्ली हो जाती है कि शीधांश घर पर नही है तो वो चैन की सांस लेती है ओर वहा से भागने की प्लानिंग करने लगती है। तभी उसके दिमाग मे एक प्लान आता है जिससे उसकी आँखें चमक जाती है। वो आस पास देखती है और टेबल पर पड़े वास को ज़ोर से नीचे गिरा देती है। कुछ टूटने की आवाज़ सुन के गार्ड घर के अंदर आ जाते है और आरवी से पूछते है क्या हुआ मैडम तो आरवी डरने का नाटक करती है और कहती है 'वो… वो… वो… एक आदमी घुस आया है ये देखो मैन उसे पकड़ने की कोशिश की ओर उसने मुझे धका दिया और फिर वास की तरफ इशारा करती है ओर ये… ये…' गार्ड उसकी बात सुन कर दूसरी तरफ जा कर उस आदमी को ढूंढने लगते है पर फिर भी एक गार्ड आरवी के पास खड़ा रहता है। तभी आरवी को टेबल पर एक पेपर वेट नज़र आता है वो गार्ड की नज़र से बच कर उसे दूसरी तरफ फेंक देती है। गार्ड आवाज़ सुन कर उस तरफ भागता है इसी मोके का फायदा उठा कर आरवी घर से बाहर निकल जाती है ओर दूसरी तरफ काफी देर ढूंढने के बाद भी जब गार्ड्स को कोई नज़र नही आता तो वो… बाहर हॉल में आते है और देखते है की आरवी तो वहाँ है ही नहीं। फिर हेड गार्ड दूसरे गार्ड को इशारा करता है दूसरे गार्ड आरवी को पूरे घर मे ढूंढते है पर वो उन्हें कहीं नजर नहीं आती। वो समझ जाते है कि ये सब आरवी की साजिश थी वहाँ से भाग जाने की। फिर वो सब बिना देर किए उसे ढूंढने के लिए घर से बाहर भागते है। क्या इस बार आरवी शीधांश के कैद से भागने में कामयाब हो पायेगी? या फिर से शीधांश आरवी को पकर लेगा? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा… तभी आरवी को टेबल पर एक पेपर वेट नज़र आता है वो गार्ड की नज़र से बच कर उसे दूसरी तरफ फेंक देती है। गार्ड आवाज़ सुन कर उस तरफ भागता है इसी मोके का फायदा उठा कर आरवी घर से बाहर निकल जाती है ओर दूसरी तरफ काफी देर ढूंढने के बाद भी जब गार्ड्स को कोई नज़र नही आता तो वो… बाहर हॉल में आते है और देखते है की आरवी तो वहाँ है ही नहीं। फिर हेड गार्ड दूसरे गार्ड को इशारा करता है दूसरे गार्ड आरवी को पूरे घर मे ढूंढते है पर वो उन्हें कहीं नजर नहीं आती। वो समझ जाते है कि ये सब आरवी की साजिश थी वहाँ से भाग जाने की। फिर वो सब बिना देर किए उसे ढूंढने के लिए घर से बाहर भागते है। अब आगे. कल रात से कुछ ना खाने की वजह से आरवी बहुत कमजोर फील कर रही थी इसलिए वो ज्यादा तेज नहीं भाग पा रही थी। वो एक जगह खड़े होकर इधर-उधर देखती है तो उसे कुछ कार्स दिखाई देती हैं जो कि वहां पर पार्क थी। वो एक एक करके सभी कार्स की डिक्की खोलने की कोशिश करने लगती है पर कोई भी कार की डिक्की नहीं खुलटी और फिर वो एक कार की तरफ गई आरवी की किस्मत से उस कार की डिक्की खुल गई फिर वो वहां जाकर डिक्की में बैठ गई ओर उसने डिक्की को बंद कर दिया। इस बार आरवी अंदर से बहुत डरी हुई थी क्योंकि वो इस बार शीधांश के हाथ नहीं लगना चाहती थी क्योंकि उसे डर था कि अगर इस बार वो शीधांश के हाथ लग गई तो न जाने वो उसके साथ क्या करेगा? क्यों कि इस बार शीधांश ने उसे साफ तौर पर कहा था। अगर उसने भागने की कोशिश की तो वो या तो उसे मार देगा या फिर उसकी टांगे तोड़ देगा। आरवी को अपने साथ साथ इस बात का भी डर था कि कहीं शीधांश उसके बाबा को भी कुछ ना कर दे। वो भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि वो सही सलामत यहां से निकल जाए और शीधांश भी उस तक ना पहुंच पाए। तभी आरवी को महसूस होता है की कोई कार में आकर बैठ गया है और कार चलने लगती है। आरवी एक चैन की सांस लेती है और थोड़ा सा ऊपर उठकर शीशे से बाहर की तरफ देखती है तो उसे शीधांश का घर दूर जाते हुए दिखता है। कार उस जगह से बाहर निकल जाती है और रोड पर चलने लगती है। आरवी अपना सर नीचे करके उस कार की डिक्की में लेती रहती है थोड़ी देर बाद कार रुक जाती है। तभी आरवी को महसूस होता है कि वो शख्स कार से बाहर निकल गया है। तो आरवी मौके का फायदा उठाती है शीशे से बाहर देखती है गाड़ी एक मॉल के पास ही आकर रुकी थी। वो मौके का फायदा उठाकर कर कार की डिक्की में से बाहर निकलती है। अपने कपड़े झाड़ती है और इधर उधर देखने लगती है। उस जगह को ध्यान से देखने पर उसे याद आता है कि ये जगह विशाल के घर के बहुत पास है। विशाल ओर आरवी काफी समय से एक दूसरे के साथ थे इसलिए उसे विशाल के घर का रास्ता काफी अच्छी तरह से पता था। वहां से आरवी विशाल के घर की तरफ चल पड़ती है और थोड़ी देर में उसके घर के बाहर आ आकर रुक जाती है। आरवी घर का दरवाजा खटखटाती है लेकिन कोई दरवाजा नहीं खोलता उसे समझ आता है कि घर लॉक है। क्यों कि आरवी विशाल को बहुत अच्छी तरह से जानती थी इसलिए उसे पता था कि दरवाजे के पास बिछे कारपेट के नीचे विशाल एक एक्स्ट्रा चाबी जरूर रखता है। इसलिए वो नीचे झुकती है और वहां से एक्स्ट्रा चाबी लेकर घर का लॉक खोल देती है। आरवी घर के अंदर आती है और उसे बहुत ज्यादा थकान हो रही थी इसलिए वो सीधा किचन में जाती है और फ्रिज खोल कर वहां से पानी ले के पीने लगती है। आरवी पानी पी ही रही थी की तभी आरवी को कुछ गिरने की आवाज आती है वो गिलास को वही स्लैब कर रखती है और किचन से बाहर आती है। ये आवाज ऊपर से आ रही थी। आरवी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर की तरफ जाने लगती है वो जैसे-जैसे ऊपर चल रही थी। उसे किसी की सिसकियों की बहुत तेज आवाज आ रही थी। सीढ़ियां चढ़कर आरवी उस कमरे के बाहर आती है और जैसे ही दरवाजा खोलती है तो अंदर का नजारा देखकर उसकी आंखें ही बाहर आने को हो जाती हैं। अंदर का नजारा देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है। उस कमरे के अंदर बिस्तर पर विशाल एक लड़की के साथ इंटीमेट हो रहा था। आरवी को ये सब देख कर बहुत बड़ा झटका लगता है। उसे अपने दिल में कुछ टूटता हुआ सा महसूस होता है। विशाल उस लड़की के ऊपर था इसलिए उससे विशाल का चेहरा तो अच्छे से नजर आ रहा था लेकिन लड़की का चेहरा बालों से ढका होने की वजह से उसे लड़की का चेहरा ठीक से दिखाई नही दे पा रही था। तभी आरवी के मुँह से अचानक से बहुत तेज चीख निकल जाती है जिसे सुन विशाल रुक जाता है और दरवाजे की तरफ देखता है। आरवी को वहां देख कर विशाल घबरा जाता है। और बिस्तर से उठ कर अपने कपड़े पहनने लगता है फिर आरवी की तरफ बढ़ता है। आरवी उसे हाथ का इशारा करके कहती है "दू… दूर रहना मुझसे मेरे करीब आने की कोशिश मत करना! कितना बड़ा धोखा दिया है तुमने मुझे ! " अचानक से विशाल को पता नहीं क्या होता है वो आरवी को देख कर एक डेविल स्माइल पास करता है और बहुत जोर जोर से बिलकुल बेशर्मों की तरह हंसने लगता है। आरवी को कुछ समझ नहीं आता की अचानक विशाल को क्या हुआ वो ऐसे क्यों हस रहा हैं। वो तो उसे शोक से देखने लगती है। वो समझ ही नहीं पाती कि आखिर यहां हो क्या रहा है। तभी विशाल कहता है " ohh My dear darlo… आखिर तुम्हें सब पता चल ही गया। यार… थक गया था मैं ये नाटक करते करते तुमसे प्यार का। सच कहूं तो जब तुम्हें पहली बार देखा था तो सच में तुमसे बहुत प्यार हो गया था। लेकिन जब भी तुम्हारे करीब आने की कोशिश करता हूं हमेशा मुझसे दूर चली जाती ओर कहती पहले शादी कर लो पहले शादी कर लो… what is this yaar…।" फिर उसके अगले बगल चक्र लगते हुए आगे बोलता है "पहले तो मैं ये सब कुछ सहता रहा लेकिन फिर मुझे गुस्सा आने लगा। जब तुमने अचानक से मेरे आगे शर्त रखदी कि तुम पहले अच्छी डॉक्टर बनोगी उसके बाद तुम मुझसे शादी करोगी।" आरवी हैरानी से उसका चेहरा देखने लगती है फिर विशाल आगे कहता है "देखो कितना हैरान हो रही हो जैसे कुछ समझती नहीं हो बच्ची तो नहीं हो के समझ न पायो की आखिर एक आदमी की भी कुछ जरूरतें होती हैं ।" क्या हो रहा हैं आरवी के साथ? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा… वो समझ ही नहीं पाती कि आखिर यहां हो क्या रहा है। तभी विशाल कहता है " ohh My dear darlo… आखिर तुम्हें सब पता चल ही गया। यार… थक गया था मैं ये नाटक करते करते तुमसे प्यार का। सच कहूं तो जब तुम्हें पहली बार देखा था तो सच में तुमसे बहुत प्यार हो गया था। लेकिन जब भी तुम्हारे करीब आने की कोशिश करता हूं हमेशा मुझसे दूर चली जाती ओर कहती पहले शादी कर लो पहले शादी कर लो… what is this yaar…।" फिर उसके अगले बगल चक्र लगते हुए आगे बोलता है "पहले तो मैं ये सब कुछ सहता रहा लेकिन फिर मुझे गुस्सा आने लगा। जब तुमने अचानक से मेरे आगे शर्त रखदी कि तुम पहले अच्छी डॉक्टर बनोगी उसके बाद तुम मुझसे शादी करोगी।" आरवी हैरानी से उसका चेहरा देखने लगती है फिर विशाल आगे कहता है "देखो कितना हैरान हो रही हो जैसे कुछ समझती नहीं हो बच्ची तो नहीं हो के समझ न पायो की आखिर एक आदमी की भी कुछ जरूरतें होती हैं ।" अब आगे तभी विशाल के पीछे से आवाज़ आती है "ooowww बेबी तुम्हारी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए मैं हु न… " तभी वो लड़की विशाल को पीछे से गले लगा लेती है। आरवी जब उस लड़की का चेहरा देखती है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है और उसके मुंह से निकलता है "तुम…" वो लड़की विशाल के पीछे से आगे आती है और आरवी के सामने आ के खड़ी हो जाती है और कहती है "हाँ मैं…!" आरवी तो अभी एक शॉक से निकली भी नही थी की एक और शॉक मिल गया वो आगे कहती है " तु…तुम… तुम ऐसा कैसे कर सकती हो मैने तुम्हे अपनासब कुछ माना था। अपनी बहन की तरह समझा था। तुम्हारी हर ख्वाहिश को खुद से आगे समझा था। तुम्ही ने ये किया मेरे साथ इतना इतना बड़ा धोका क्यों आखिर क्यों तुमने ऐसा किया मिशा क्यों"। जी हां वो लड़की जिसके साथ विशाल इंटिमेट हो रहा था वो लड़की और कोई नही आरवी की बेस्ट फ्रेंड निशा थी। जिसे वो अपनी दोस्त से ज़्यादा बहन मानती थी। मिशा आरवी के सामने खड़ी थी और एटीट्यूड के साथ मुस्कुरा रही थी और आरवी उसे अपनी आँखों में आँसू लिए देख रही थी। आरवी उसे देखते हुए कहती है" ooowww मेरी प्यारी आरू ये क्या इमोशनल ड्रामा लगा रखा है यार बात सिर्फ इतनी है कि जब तुमने पहली बार विशाल को मुझसे मिलवाया था तो मैं तो बस उसे देखती ही रह गयी थी। उसी दिन मैंने सोचा लिया था कि मैं विशाल को में अपना बना के रहूगी"। फिर मिशा विशाल को आरवी के सामने ही किश करने लगती है। आरवी ये देख नही पाती और दूसरी तरफ मुह फेर लेती है। फिर मिशा आगे बोलती है "पहले तो ये भी मुझे नही देखता था पर उस दिन जब तुम दोनो मैं लड़ाई हुई तो मुझे मौका मिल गया" फिर विशाल ओर मिशा एक दूसरे को देख कर हँसने लगते है। आरवी ये सब बिलकुल बर्दाश्त नही कर पा रही थी और वहां से मूढ़ कर जाने लगती है वो जैसे ही नीचे उतर कर दरवाजे के पास पोहोंचती है तो दरवाजा खुलता है सामने एक शख्स अंदर आता है। जिसे देख कर आरवी की आँखों से बेतहासा आँसू निकलने लगते है ओर जैसे ही वो उस इंसान के गले लगने लगती है। वो उसे झटक देता है और आरवी इस झटके के लिए तैयार नही थी तो वो ज़मीन पर गिर जाती है तभी वो हैरानी से उस शख्स की तरफ देखती है और उसके मुंह से एक ही शब्द निकलता है "बाबा…" जी ये शख्स ओर कोई नही आरवी की दुनिया उसके बाबा ही थे। पर वो ये नही समझ पा रही की उसके बाबा जो उससे इतना प्यार करते थे। आखिर वो उसके साथ ऐसे पेश क्यों आ रहे थे। आज आरवी को अपने बाबा की आँखों मे प्यार नहीं बल्कि नफरत नज़र आ रही थी। तभी मिशा ओर विशाल सीढ़ियों से उतर कर नीचे आते है और मिशा भाग कर आती है और उनके गले लग जाती है और कहती "पापा आप आ गए"। मिशा के मुंह से अपने बाबा के लिए पापा शब्द सुन के आरवी हैरान रह जाती है। आरवी के बाबा मिशा को बढ़े प्यार से गले लगाते है और आरवी की तरफ इशारा करके कहते है "बेटा ये लड़की यहां क्या कर रही है इसे तो हमने उस बिज़नेस मैन वो क्या नाम था उसका हाँ शीधांश वालिया उसको सौंप दिया था। तो ये यहाँ क्या कर रही है…?" आरवी जो अभी ज़मीन से उठने की कोशिश कर रही थी वो उनकी बात सुन कर फिर से धम से ज़मीन पर बैठ जाती है वो एक टक अपने बाबा की तरफ देख रही थी। उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था की जो उसने सुना वो सच है । तभी आरवी के बाबा उसके पास आते है और बड़ी ही बेरहमी से उसे बाजू से पकड़ कर खड़ा करते है ओर दांत पिस्ते हुए कहते है "तू यहां क्या कर रही है"?" आरवी कुछ नही कह पाती बस बाबा ही बोलती है। तभी उसे एक जोरदार थप्पड़ पड़ता है जो उसे उसके बाबा ने ही मारा था। वो आगे बोलते है "नही हु मैं तेरा बाबा तू सिर्फ मेरी एक गलती है और कुछ नही जैसे तेरी मां भी एक गलती थी। मैं तेरी मां से शादी नही करना चाहता था। मैं मिशा की माँ से प्यार करता था तेरी मां से तो मैंने उसकी अमीरी की वजह से शादी की थी। एक रात शराब के नशे मे मुझसे गलती हो गयी जिसकी वजसे वो प्रेग्नेंट हो गयी मैने सोचा की मैं उसका अबॉर्शन करवा दूंगा लेकिन तभी मुजे तेरे नाना की वसीयत के बारे मे पता चला जिस मैं लिखा था कि उन्होंने ने अपनी सारी जायदाद अपनी बेटी के होने वाले बचे के नाम करदी है। इसीलिए मैने तुझे कुछ नही किया पर तुझे जन्म देते तेरी मां चल बसी तुझसे बोहोत नफरत करता था मैं पर तेरे नाना की वजह से तुझसे प्यार का नाटक करना पड़ता था। तुझे डॉक्टर भी तेरे उस नाना की ज़िद पर ही बनाया था। तेरी वजह से मुझे अपनी बेटी मिशा से दूर रहना पड़ा फिर दो महीने पहले जब वो बुद्धा मरा तब जा कर मुझे चैन मिला फिर मैं तुझसे प्रॉपर्टी हासिल करने के तरीके खोजने लगा। उस दिन जब मैंने तुझसे उस टैक्स पेपर पर साइन कराए थे और तूने भी बिना पढ़े मुझ पर भरोसा करके साइन कर दिए थे वो टैक्स पेपर नहीं थे वो प्रॉपर्टी पेपर थे। जिस मैं लिखा था कि तू अपनी प्रोपेर्टी मेरे नाम कर रही है। तुझसे प्रॉपर्टी लेने के बाद हमने तुझसे पीछा छुड़ाने का प्लान बनाया था तब मिशा ने मुझे उस बिज़नेस मैन के बारे मे बताया तो हमने उसे अपने प्लान मैं शामिल कर लिए उसे तू चाहिए थी और हमे तुझसे छुटकारा तोह बस" इतना कह कर वो सब हँसने लगते है। आरवी अपने बाबा का ऐसा रूप देख कर बुरी तरह टूट जाती है आज उसे ज़िन्दगी के सबसे बड़े धोखे मिले वो दो इंसान जो उसकी जिंदगी थे। उन दोनों ने उसे बोहोत बढ़ा धोखा दे दिया था। अब आरवी ये सब जानने के बाद क्या करेगी? अब ना तो उसके पास उसका प्यार है और ना ही उसके बाबा? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा… तभी आरवी के बाबा उसके पास आते है और बड़ी ही बेरहमी से उसे बाजू से पकड़ कर खड़ा करते है ओर दांत पिस्ते हुए कहते है "तू यहां क्या कर रही है"?" आरवी कुछ नही कह पाती बस बाबा ही बोलती है। तभी उसे एक जोरदार थप्पड़ पड़ता है जो उसे उसके बाबा ने ही मारा था। वो आगे बोलते है "नही हु मैं तेरा बाबा तू सिर्फ मेरी एक गलती है और कुछ नही जैसे तेरी मां भी एक गलती थी। मैं तेरी मां से शादी नही करना चाहता था। मैं मिशा की माँ से प्यार करता था तेरी मां से तो मैंने उसकी अमीरी की वजह से शादी की थी। एक रात शराब के नशे मे मुझसे गलती हो गयी जिसकी वजसे वो प्रेग्नेंट हो गयी मैने सोचा की मैं उसका अबॉर्शन करवा दूंगा लेकिन तभी मुजे तेरे नाना की वसीयत के बारे मे पता चला जिस मैं लिखा था कि उन्होंने ने अपनी सारी जायदाद अपनी बेटी के होने वाले बचे के नाम करदी है। इसीलिए मैने तुझे कुछ नही किया पर तुझे जन्म देते तेरी मां चल बसी तुझसे बोहोत नफरत करता था मैं पर तेरे नाना की वजह से तुझसे प्यार का नाटक करना पड़ता था। तुझे डॉक्टर भी तेरे उस नाना की ज़िद पर ही बनाया था। तेरी वजह से मुझे अपनी बेटी मिशा से दूर रहना पड़ा फिर दो महीने पहले जब वो बुद्धा मरा तब जा कर मुझे चैन मिला फिर मैं तुझसे प्रॉपर्टी हासिल करने के तरीके खोजने लगा। उस दिन जब मैंने तुझसे उस टैक्स पेपर पर साइन कराए थे और तूने भी बिना पढ़े मुझ पर भरोसा करके साइन कर दिए थे वो टैक्स पेपर नहीं थे वो प्रॉपर्टी पेपर थे। जिस मैं लिखा था कि तू अपनी प्रोपेर्टी मेरे नाम कर रही है। तुझसे प्रॉपर्टी लेने के बाद हमने तुझसे पीछा छुड़ाने का प्लान बनाया था तब मिशा ने मुझे उस बिज़नेस मैन के बारे मे बताया तो हमने उसे अपने प्लान मैं शामिल कर लिए उसे तू चाहिए थी और हमे तुझसे छुटकारा तोह बस" इतना कह कर वो सब हँसने लगते है। आरवी अपने बाबा का ऐसा रूप देख कर बुरी तरह टूट जाती है आज उसे ज़िन्दगी के सबसे बड़े धोखे मिले वो दो इंसान जो उसकी जिंदगी थे। उन दोनों ने उसे बोहोत बढ़ा धोखा दे दिया था। अब आगे आरवी ने टूटे दिल के साथ दर्द भरी आँखों से विशाल की ओर देखा, "अगर आज मैंने ये सब नहीं देखा होता, तो क्या तुम मुझे हमेशा इसी तरह धोखा देते रहते?" उसकी आवाज़ में गहरा दर्द झलक रहा था, पर विशाल ने उसे रोकने की कोशिश की, "अरे…आरवी, मेरी बात तो सुनो." लेकिन आरवी हंसने लगीं उसकी हंसी में सिर्फ नफ़रत और अपने आप पर गुस्सा था, "कैसे मैं इतनी बड़ी बेवकूफ हो सकती हूँ कि तुम्हें अपनी बहन समझ लिया!" फिर उसकी नज़र विशाल पर पड़ी। "तुम. तुम कम से कम उन सात सालों के बारे में तो सोच सकते थे, जो हमने साथ बिताए थे, मुझे धोखा देने से पहले एक बार भी नही सोचा। ये एक दिन की बात नहीं थी, विशाल पूरे सात साल हम साथ थे। तुम ऐसा कैसे कर सकते हो?" आरवी की आँखों से आँसू बह निकले, उसका दिल पूरी तरह टूट चुका था। विशाल ने उसकी ओर बढ़ते हुए कहा, "आरवी. देखो, हम इसे अनदेखा कर सकते हैं। हम दोनों अब भी शादी कर सकते हैं, जैसे तुम हमेशा चाहती थीं। तुम बस घर पर रहो, बाकी सब में संभाल लूंगा। हम तीनों खुश रह सकते हैं," उसने धीरे से उसका हाथ छूने की कोशिश की, पर आरवी ने उसका हाथ झटकते हुए चिल्लाया, "ह. कैसे मैं ये कभी नहीं समझ पाई कि तुम लोग सिर्फ मेरी प्रॉपर्टी के पीछे थे!" इससे पहले कि विशाल कुछ कह पाता, मिशा ने बिस्तर की चादर को कसकर पकड़ते हुए कहा, "आरवी, तुम इस बात को इतनी बड़ी बात क्यों बना रही हो? हम दोनों बहन जैसे हैं। ये बस एक पल की ग़लती थी. तुम्हें इतना इमोशनल ड्रामा करने की जरूरत नहीं है।" आरवी ने गुस्से से मिशा को देखते हुए ज़ोर से एक थप्पड़ जड़ा। मिशा की आँखें चौड़ी हो गईं, विशाल ने हैरान होकर मिशा की ओर देखा और चिल्लाया, "मिशा…!" मिशा ने आरवी की ओर गुस्से से देखते हुए कहा, "तुमने मुझे थप्पड़ मारा?! तुम … तुम पर हाथ उठाने वाली होती कौन हो?! तुम बस एक useless peace हो, जो अपने बॉयफ्रेंड को भी संभाल नहीं पाई। तो अब क्या हुआ अगर मैंने उसे बहकाया? अब वो मेरा है।" और अगले ही पल, उसने बिस्तर के पास रखे कांच के टेबल लैंप से आरवी पर वार कर दिया। ये सब इतनी जल्दी में हुआ की आरवी समझ नही पाई। वो तो इस वार के लिए तैयार ही नहीं थी। खून की बूँदें उसके सर से धीरे-धीरे ज़मीन पर टपकने लगा। उसने धीमी आवाज़ में कहा, "क्यों." और फिर उसका शरीर अब धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ने लगा जिससे वो जमीन पर गिरने लगी, उसकी सांसें धीमी होती जा रही थीं। विशाल की आँखें ये देख चौड़ी हो गईं, "मिशा, तुमने ये क्या कर दिया?!" मिशा अब जाकर होश में आई और उसने घबराते हुए कहा, "मु… मुझे माफ़ कर दो विशाल! पर अब क्या करें?" "उसे हॉस्पिटल ले चलते है चलों?" मिशा ने डरते हुए पूछा। लेकीन विशाल ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, "रुको. ऐसा मत करो। ये अब वैसे भी मर जाएगी.हम इसकी मौत के बाद इसकी प्रॉपर्टी और सब कुछ आसानी से ले सकते हैं।" मिशा ने घबराहट भरी हंसी में कहा, "ह. हां, तुम सही कह रहे हो." वही आरवी की आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे। उसके मन में कहा, "मैं मरना नहीं चाहती. क्या मैंने इतनी मेहनत इसलिए की है, ताकि मेरी मौत इस तरह न हो." और उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं। मन ही मन उसने गुस्से उनकी तरफ देखते हुए कहा, "में नफरत करती हूं इन दोनों से." *********** क्या……? ये असल ज़िंदगी में भी हो सकता है। आपको पता है, इसलिए सिंगल रहो या फिर कोई ऐसा ढूँढो जो तुमसे सच्चा प्यार करे और तुम्हारे लिए लॉयल हो। क्योंकि तुम्हें दूसरा मौका नहीं मिलेगा जैसा उसे मिला। To be continued
पीछले भाग में आपने पढ़ा… विशाल की आँखें ये देख चौड़ी हो गईं, "मिशा, तुमने ये क्या कर दिया?!" मिशा अब जाकर होश में आई और उसने घबराते हुए कहा, "म… मुझे माफ़ कर दो विशाल! पर अब क्या करें?" "उसे हॉस्पिटल ले चलते है चलों?" मिशा ने डरते हुए पूछा। लेकीन विशाल ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, "रुको. ऐसा मत करो। ये अब वैसे भी मर जाएगी.हम इसकी मौत के बाद इसकी प्रॉपर्टी और सब कुछ आसानी से ले सकते हैं।" मिशा ने घबराहट भरी हंसी में कहा, "ह. हां, तुम सही कह रहे हो." वही आरवी की आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे। उसके मन में कहा, "मैं मरना नहीं चाहती. क्या मैंने इतनी मेहनत इसलिए की है, ताकि मेरी मौत इस तरह हो." और उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं। मन ही मन उसने गुस्से उनकी तरफ देखते हुए कहा, "में नफरत करती हूं इन दोनों से." अब आगे मुझे इतनी घुटन क्यों हो रही है। म. म… मैं सांस क्यों नहीं ले पा रही हूँ। य… ये… दर्द. क्यो हो रहा है। ये बहुत दर्दनाक है। क्या मर जानें पर ऐसा ही लगता है? लेकीन मैं अभी मरना नहीं चाहती. मुझे जीना है। क्या मुझे थोड़ा सा भी प्यार पाने का हक नहीं है? ये घुटन और ये दर्द मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है। Please. कोई मेरी मदद करो। SOME BODY HELP ME …… क्या यही मेरा अंत है?……ऐसा लग रहा है जैसे मैं गहरे समंदर में डूब रही हूँ.… अचानक किसी ने मुझे अपनी बाहों से पकड़ा हो। लेकीन ये कैसे हो सकता है? मुक्ति ने जोर से सांस ली और अपनी आँखें एक झटके से खोलीं। तो सामने एक आदमी उसे गुस्से से घूर रहा था, उसकी आँखों में अजीब सी गहराई थी। उस आदमी को देख कर मुक्ति अपने मन मे सोचती है, "ये आदमी कौन है? और मैं कहाँ हूँ? क्या मैं मर नहीं गई थी?" उसने खुद से सवाल किया, और सब कुछ समझने की कोशिश कर रही थी। ये वही आदमी था जिसने उसे शायद बचाया था, और अब उसके सामने खड़ा था। वो पूरी तरह से भीगी हुई थी, और वो आदमी भी। वे दोनों पूल के पास बैठे थे, लेकिन आदमी की आँखों में ठंडक भरी नाराज़गी थी, जो मुक्ति ने पहले कभी महसूस नहीं की थी। विशाल के लिए भी नही। अचानक उस आदमी ने मुक्ति की ठुड्डी को जोर से पकड़ा और हल्के से उसके बालों को मुट्ठी में जकड़ लिया, हालांकि इससे मुक्ति को दर्द नहीं हुआ। मुक्ति की आँखें उस आदमी की आँखों से जा टकराईं। और फिर, बिना किसी वार्निग के, उसने मुक्ति को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। मुक्ति ने उसे पीछे धकेलने की बहुत कोशिश की, पर उस आदमी ने उसके हाथों को कसकर पकड़ लिए और अपने होंठों से उसके होंठों की हर एक सीमा को महसूस किया। उसकी जीभ मुक्ति के मुंह की गहराइयों में उतर गई, और मुक्ति ने खुद को उसके सामने हारते हुए महसूस किया। उस आदमी ने तब तक उसके होंठ नहीं छोड़े जब तक कि वे पूरी तरह से सूज नहीं गए। मुक्ति इससे बहुत हैरान थी।. क्या उसे ये अच्छा लग रहा था? अब उसे शक होने लगा क्योंकि शायद उसे असली किस क्या होती है। उसके बारे में पता ही नहीं था, क्योंकि जो विशाल करता था वो ये तो बिलकुल नही था, अब जो हुआ ये कुछ अलग था। मुक्ति का शरीर हल्का सा कांपने लगा उसे ठंड लग रही थी। वो आदमी जिसने अभी-अभी उसे किस किया था। अचानक उसे अपनी कोट में लपेट कर अपनी गोद में उठाकर कार में ले गया। वही मुक्ति ने चारों ओर देखा और कहा, "ये. होटल है?" वो आदमी गुस्से से उसकी ओर देखकर बोला, "क्या तुम फिर से भागने की सोच रही हो?" उसकी आवाज़ में ठंडक और बेहद गुस्सा था। मुक्ति को एहसास हुआ कि वो अब प्रॉब्लम में है। "क्या मैं प्रॉब्लम में हूँ?" उसने दर्द भरी मुस्कान के साथ सोचा। मुक्ति ने हिम्मत जुटाते हुए पूछा, "आप कौन हैं, मिस्टर? और ये जगह कौन सी है?" उसके ये पूछने से वो आदमी अचानक चलते चलते ये सुन ठिठक गया, और उसकी आवाज़ एकदम सर्द हो गई, "क्या… क्या कहा तुमने?" उस आदमी ने कुछ मिनटों तक मुक्ति की ओर घूरा, फिर तेजी से चलकर उसे कार में बैठाया और गुस्से से दरवाजा बंद कर किया और खुद दुसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ गया। उसकी आँखों में सर्द गुस्सा साफ़ झलक रहा था। उस आदमी ने कार चलाते हुएकिसी को कॉल किया। फोन रिसीव होने पर उसने तेजी से कहा, "मुझे तुम्हारे काम से कोई मतलब नहीं है! पाँच मिनट में मेरी मेंशन पर पहुँचो!" इतना बोल कर उसने गुस्से में फोन काट दिया, उसकी आवाज़ और ठंडक भरी हो गई थी। मुक्ति उसे क्यूरियोसिटी से देख रही थी, फिर मन ही मन सोचते हुए, "ये आखिर है कौन? मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा।" उस आदमी ने अचानक ठंडे और गहरे लहजे में कहा, "मुक्ति, मुझे उम्मीद है कि तुम सच बोल रही हो और मुझे बेवकूफ बनाने के लिए कोई और चाल नहीं चल रही हो!" मुक्ति उसकी बात सुनकर हक्की-बक्की रह गई, उसने पुछा "तुमने क्या कहा अभी?" तो उस आदमी ने उसे तीखी नज़रों से घूरा, जिससे मुक्ति ने डर के मारे हल्का सा कांपने लगीं और सोचा, "मुक्ति… इसने मुझे मुक्ति क्यों कहा?" फिर उसके दिमाग में कुछ flash किया, "मुक्ति? वो तो उस passionate dark romance drama की फीमेल लीड है। और अगर उसने मुझे इस नाम से बुलाया है, तो क्या इसका मतलब ये है कि.ये. ये सिद्धांत राठौड़ है?" उसने धीरे से बुदबुदाया। सिद्धांत ने सामने के शीशे से उसे घूरते हुए सोचा, "क्या ये उसकी कोई नई चाल है, ताकि वो उस कमीने के पास भाग सके?" उसकी नज़रों में अविश्वास और गुस्सा था, ये सब याद आते ही उसने अपने दाँत भींच लिए। "मैं तुम्हें कभी जाने नहीं दूँगा, मुक्ति। पहले तुम ही मेरे पास आई थीं," उसने मन ही मन कसम खाई। मुक्ति ने अपने पर्स और जेबें टटोलीं, लेकिन उसे कोई फोन नहीं मिला। अब उसे सिचुएशन पूरी तरह से समझ आ गई थी। "ये वही विलेन है जिसने फीमेल लीड यानी मुक्ति को उसकी शादी के दिन किडनैप किया था और अपने मेंशन में बंद कर दिया था," आरवी ने सोचा। " मुक्ति उसे लेकर हमेशा डरी रहती है और उसकी दीवानगी से डर कर भागने की कोशिश करती है, ताकि अपने मंगेतर के पास लौट सके," आरवी के दिमाग में पुरानी कहानी ताज़ा हो गई। "लेकिन कहानी का अंत तो तब हो गया था, जब मुक्ति को किडनैप किया गया था और उसके मंगेतर ने उसे इस जुनूनी विलेन से बचाया था," उसने खुद से सवाल किया। "क्या इसका मतलब है कि अब मैं मुक्ति बन गई हूँ? और मुझे भी मुक्ति के मंगेतर का इंतजार करना होगा, जो मुझे आके बचाए?" आरवी सोच में डूबी हुई थी। सिद्धांत ने जब उसे यूं खोए हुए देखा तो और झुंझलाहट से चटकते हुए कार रोक दी। उसने मुक्ति का जबड़ा पकड़ लिया और सर्द लहजे में कहा, "सुनो! मेरी बात ध्यान से सुनो!" मुक्ति ने मुंह बनाते हुए मन ही मन सोचा, "आह, ये फिर से अपने ओवरथिंकिंग में लग गया। मैंने तो कुछ कहा भी नहीं, और ये." सिद्धांत ने उसकी आँखों में गहराई से देखते हुए धीरे से उसके कान में फुसफुसाया, "अगर तुम अपने मंगेतर का इंतजार कर रही हो, तो भूल जाओ, क्योंकि. वो मर चुका है।" उसकी ये बात सुनकर मुक्ति की आँखें चौड़ी हो गईं, "क्या?!" ************ मुक्ति के टाईम में तो उसके मंगेतर ने उसे बचा लिया था। लेकीन अब आरवी को कौन बचाएगा क्योंकि सिद्धांत ने कहा कि उसका मंगेतर मर चूका है। क्या सच मे वो मर चुका है ? अब कौन बचाएगा उसे? To be continued…
पीछले भाग में आपने पढ़ा… लेकिन कहानी का अंत तो तब हो गया था, जब मुक्ति को किडनैप किया गया था और उसके मंगेतर ने उसे इस जुनूनी विलेन से बचाया था। उसने खुद से सवाल किया। "क्या इसका मतलब है कि अब मैं मुक्ति बन गई हूँ? और मुझे भी मुक्ति के मंगेतर का इंतजार करना होगा, जो मुझे आके बचाए?" आरवी सोच में डूबी हुई थी। सिद्धांत ने जब उसे यूं खोए हुए देखा तो और झुंझलाहट से चटकते हुए कार रोक दी। उसने मुक्ति का जबड़ा पकड़ लिया और सर्द लहजे में कहा, "सुनो! मेरी बात ध्यान से सुनो!" मुक्ति ने मुंह बनाते हुए मन ही मन सोचा, "आह, ये फिर से अपने ओवरथिंकिंग में लग गया। मैंने तो कुछ कहा भी नहीं, और ये." सिद्धांत ने उसकी आँखों में गहराई से देखते हुए धीरे से उसके कान में फुसफुसाया, "अगर तुम अपने मंगेतर का इंतजार कर रही हो, तो भूल जाओ, क्योंकि. वो मर चुका है।" उसकी ये बात सुनकर मुक्ति की आँखें चौड़ी हो गईं, "क्या?!" अब आगे सिद्धांत की बात सुनकर मानो मुक्ति को एक झटका सा लगा। क्या उसने सही सुना? क्या उसने सच में कहा कि उसने मेल लीड को मार डाला? "ये. ये सच नहीं हो सकता," मुक्ति ने हक्की-बक्की होकर हकलाते हुए कहा। सिद्धांत ने उसकी बात सुनी, फिर एक हल्की सी दरवानी हंसी के साथ कार से बाहर निकल गया। सिद्धांत देख रहा था कि मुक्ति कुछ अजीब बिहेव कर रही थी। शायद वो अपनी याददाश्त खोने का नाटक कर रही है। अगर उसे सच में याद नहीं होता तो वो इस तरह से रेक्शन नहीं देती। सिद्धांत एक जुनूनी भरे लहज़े में खुद से कहता है "लेकिन चाहे जो भी हो, मैं उसे कभी जाने नहीं दूँगा। भले ही मुझे उसे अपने साथ तब तक बंद रखना पड़े जब तक हम मर न जाएँ। वो मेरी है! में उसके किसी और का नही होने दूंगा। " ये बोलते बोलते सिद्धांत की आवाज़ में एक सनक झलक रही थी। फिर सिद्धांत ने उसका हाथ पकड़कर उसे कार से बाहर निकाला। मुक्ति अचानक होश में आई और खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाते हुए, "र. रुको, तुम पगल आदमी हाथ छोड़ो मेरा। मैं खुद चल सकती हूँ। छोड़ो मुझे…" सिद्धांत ने उसे ठंडी नजरों से घूरा, "लगता है मैंने तुम्हें बहुत ज्यादा आज़ादी दे दी है, इतनी कि तुमने याददाश्त तक खोने का नाटक करने की हिम्मत कर ली।" "क्या ये सब उसी कमीने के लिए है?" उसने गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए कहा। "चाहे वो जिंदा भी हो, वो तुम्हें मुझसे कभी नहीं बचा सकेगा।" उसकी आवाज़ में गुस्सा और ठंडक एक साथ घुली हुई थी। आरवी सोचने लगी, "मैं कैसे भूल सकती हूँ कि मुक्ति उससे बात करने से भी डरती थी। लेकिन अब मैं मुक्ति नहीं हूँ। में तो आरवी हूँ।" वही सिद्धांत उसका हाथ पकड़े हुए आगे बढ़ रहा था, और मुक्ति ने सामने खड़ी मेंशन की ओर देखा। " यहां इतनी सारी गाड़ियाँ क्यों हैं?" उसने उलझन में सोचा।अचानक एक लड़की वहाँ आई और झुकते हुए बोली, "welcome sir।" सिद्धांत ने ठंडी आवाज़ में सिर हिलाया, "situation क्या है?" सोना ने जवाब दिया, "सभी लोग मीटिंग रुम में आपके इंतजार कर रहे हैं।" सिद्धांत ने सिर हिलाया, "इसका ध्यान रखो और इसे इसके कमरे में वापस ले जाओ। कुछ ही मिनटों में डॉक्टर डॉक्टर यहाँ आएंगे, नजर करना।" उसकी आवाज़ में वही ठंडक बरकरार थी। सोना ने सिर हिलाते हुए कहा, "okay sir।" सिद्धांत उसके पास से गुजरते हुए चला गया, और सोना उसे जाते हुए देख रही। मुक्ति को अचानक से छींक आई, और इससे सोना झुंझलाते हुए बोली, "तुम वापस क्यों आई हो?" उसकी आवाज़ में गुस्सा था। मुक्ति कन्फ्यूजन में पड़ गई और खुद में सोचा, "वो क्या कह रही है?" तभी सोना ने गुस्से में कहा, "क्या मैंने तुम्हें नहीं बताया था कि तुम्हारा मंगेतर होटल में तुम्हारा इंतजार कर रहा है, ताकि तुम्हें वापस ले जा सके? तुम उसके साथ क्यों नहीं गईं?" उसकी आवाज़ में झुंझलाहट थी। मुक्ति हैरान थी, "तुम किस बारे में बात कर रही हो?" सोना ने उसे चिढ़ते हुए कहा, "तुम इन सब से आज़ाद होकर अपने मंगेतर के पास वापस जाने के लिए मर रही थीं, तो अब तुम यहाँ क्या कर रही हो?" उसकी बातों से पहले उलझी हुई मुक्ति अब समझ गई कि यहाँ आख़िर चल क्या रहा था। लेकीन उसे सोना की टोन बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। मुक्ति ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ उसे उकसाते हुए कहा, "तो क्या हुआ अगर मैं अब यही रहना चाहती हूँ? वो मुझे वैसे भी कही जाने नहीं देगा, तो क्यों न मैं खुद अपनी मर्जी से यहीं रहूँ?" "तुम्हें तो अपने बॉस के लिए खुश होना चाहिए, है ना? या तुम्हारे मन में उनके लिए कुछ और ही चल रहा है?" सोना ये सुनकर जम सी गई, "ये. ये कब से इतनी बोलने लगी? पहले तो एक शब्द भी नहीं कहती थी!" सोना बहुत घबरा गई थी। "मैं. मैं तो बस तुम्हारी मदद कर रही थी, मुक्ति। तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो?" उसकी आवाज़ में दर्द था। मुक्ति उसकी तरफ देखते हुए मजाकिया मुस्कान के साथ कहा, "ओह, शायद मैंने ही गलत समझ लिया। खैर, मदद करने के लिए शुक्रिया, लेकिन मुझे कुछ भी याद नहीं है, और मुझे याद भी नहीं आ रहा कि मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत क्यों थी।" सोना की आँखें ये सुनकर चौड़ी हो गईं, "क्या? मु. मुक्ति, झूठ मत बोलो. तुम ऐसे नहीं भूल सकती।"(अगर तुम भूल गई तो मैं तुम्हें यहाँ से कैसे निकालूँगी?) सोना की आवाज़ में घबराहट साफ झलक रही थी। उसे उम्मीद थी कि मुक्ति अब भी वही कमजोर और डरपोक लड़की होगी, जो पहले हर बात में कांप उठती थी। लेकिन अब मुक्ति के चेहरे पर कोई डर नहीं था, बल्कि self-confidence की चमक थी। सोना ने कुछ पल के लिए उसे घूरा, फिर अपनी घबराहट को छिपाते हुए बोली, "तुम. तुम मुझसे ऐसे बातें क्यों कर रही हो?" मुक्ति ने हल्की हंसी के साथ कहा, "हां, शायद बदल गई हूँ। जब कोई इंसान मौत को बहुत करीब से देखता है, तो वो या तो टूट जाता है या फिर और मजबूत हो जाता है। और मैं. मैं अब और टूटने वाली नहीं हूँ।" सोना के चेहरे पर हल्की नाराजगी और चिंता दोनों ही दिखाई दे रही थी। उसे लगा कि मुक्ति अब उसकी पकड़ से बाहर हो रही है, और अगर ये ऐसे रहा, तो उसकी प्लैनिंग धरी की धरी रह जाएगी। वो ये साब सोच रही थी और तभी मुक्ति ने सोना को नज़रअंदाज़ करते हुए मेंशन के अंदर कदम रखा। अंदर की luxurious सजावट देखकर वो ठिठक गई। उसे पूरा यकीन था कि इस मेंशन का हर एक कोना लाखों की कीमत का होगा। *********** क्या मुक्ति का बदलता रवैया सिद्धांत को किसी बड़े खतरे की ओर ले जा रहा है? क्या सोना का डर और घबराहट सिद्धांत के सामने उसकी सच्चाई को उजागर कर देगा? क्या सिद्धांत कभी समझ पाएगा कि मुक्ति अब पहले वाली नहीं रही? 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पीछले भाग में आपने पढ़ा… मुक्ति ने हल्की हंसी के साथ कहा, "हां, शायद बदल गई हूँ। जब कोई इंसान मौत को बहुत करीब से देखता है, तो वो या तो टूट जाता है या फिर और मजबूत हो जाता है। और मैं. मैं अब और टूटने वाली नहीं हूँ।" सोना के चेहरे पर हल्की नाराजगी और चिंता दोनों ही दिखाई दे रही थी। उसे लगा कि मुक्ति अब उसकी पकड़ से बाहर हो रही है, और अगर ये ऐसे रहा, तो उसकी प्लैनिंग धरी की धरी रह जाएगी। वो ये साब सोच रही थी और तभी मुक्ति ने सोना को नज़रअंदाज़ करते हुए मेंशन के अंदर कदम रखा। अंदर की luxurious सजावट देखकर वो ठिठक गई। उसे पूरा यकीन था कि इस मेंशन का हर एक कोना लाखों की कीमत का होगा। अब आगे अचानक एक जोरदार गोली की आवाज़ पूरे मैंशन में गूंज उठी। मुक्ति उस आवाज़ की दिशा में दौड़ी, लेकिन वहां पहुँचकर उसे अपने फैसले पर तुरंत पछतावा भी हुआ।वो वही खड़ी होकर सामने देखती रह गई। वही सिद्धांत उसकी ओर गहरी नज़रों से देख रहा था। " तुम यहाँ क्यों आईं, मुक्ति?" उसकी आवाज़ ठंडी और गहरी थी। उसकी आवाज़ से मुक्ति थोड़ा सहम सी गई। वो मन कहती है (मैं यहाँ क्यों आई? ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अंदर की असली मुक्ति ने मुझे यहाँ आने के लिए मजबूर कर दिया हो, ठीक उसी तरह जैसे असली मुक्ति ने ये सब देखा था और फिर सिद्धांत से नफरत करने लगी थी।) वो कुछ कहने वाली थी, लेकिन जमीन पर फैला खून और वहा परी dead body को देखकर उसके मुंह से एक शब्द नही निकला। उसकी नज़र अचानक ही सिद्धांत के चेहरे पर पड़ी। फिर मुक्ति धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ी। सिद्धांत उसकी हर हरकत को ध्यान से देख रहा था। मुक्ति को अपनी तरफ आता देख उसके मन में ख्याल आता है। (क्या वो मुझे फिर से थप्पड़ मारेगी, जैसा कि वो हमेशा करती थी? वैसे भी इससे physically मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकीन…) लेकिन मुक्ति ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया और धीरे से उसके चेहरे को छुआ और कहा " तुम्हारे होंठ से खून निकल रहा है।" उसने सिद्धांत के होठों को छूते हुए कहा। सिद्धांत उसकी इस हरकत से हैरान हो गया। क्योंकि ये पहली बार था जब मुक्ति ने उससे इतने नर्म लहज़े में बात की वो भी उसकी फिक्र करते हुए और अपनी मर्जी से उसे छूते हुए? "तुम तो खून खराबे से नफरत करती हो," सिद्धांत ने ठंडी आवाज़ में कहा, जबकि मुक्ति उसके होंठों से खून साफ़ कर रही थी। मुक्ति ने उसकी सिगरेट उसके हाथ से छीनी, जिसे वो कुछ देर पहले पी रहा था, और उसके करीब आकर उसकी धड़कनों को बढ़ाते हुए। " हां, मुझे खून खराबे से नफरत है, लेकिन उससे भी ज्यादा मुझे इस सिगरेट की बदबू और तुम्हारा चोट लगा चेहरा नापसंद है," उसने धीमी आवाज़ में कहा। सिद्धांत उसकी आँखों में गहराई से देखते हुए बोला, " और वो क्यों.?" उसकी आवाज़ में एक अजीब सी बेचैनी थी। मुक्ति ने प्यार से मुस्कुराते हुए कहा, "क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा इतना हैंडसम चेहरा खराब करना इस चेहरे के साथ नाइंसाफी है?" उसने चिढ़ाते हुए कहा और फिर पीछे हट गई। " मैं उम्मीद करती हूँ कि तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलोगे, क्योंकि इस वक्त मैं बस तुम्हें ही जानते हूं।" उसने ये कहते हुए कमरे से बाहर कदम रखा। वहीं कोने में खड़ा सिद्धांत का असिस्टेंट आकाश ये सब देख हैरान रह गया। उसकी आँखें और मुँह दोनों खुले रह गए। "भाई, ये कौन थी? क्या सच में इस दुनिया में कोई ऐसा भी है जो आपसे इस तरह बात कर सकता है और फिर भी जिंदा बचकर चला जाए?" सिद्धांत चुप रहा, पर आकाश और ज्यादा घबरा गया जब उसने देखा कि उसके बॉस के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान फैल गई है। सिद्धांत ने धीरे से मुस्कुराते हुए सोचा, (अगर वो ऐसे ही रहने वाली है, तो मैं दुआ करता हूँ कि उसकी याददाश्त कभी वापस न आए।) उसने dead body की ओर देखा और आकाश से कहा, "इस कमरे को साफ करवा लो। " और फिर वहा से उठ कर चला गया। आकाश झुंझलाते हुए बोला, "क्या वो फिर से मुक्ति के पास जा रहा है? वो बेवकूफ औरत. उसे तो boss से प्यार भी नहीं है, और वो उस आदमी के लिए दिन-रात रोती रहती है। जो शायद अब तक किसी और से शादी कर चुका होगा।" आकाश ने एक गहरी सांस ली, " आज जो औरत आई थी, वो तो बहुत कूल और बोल्ड थी। बॉस के लिए वो एकदम perfect partner है।" वही सिद्धांत के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान थी, जो धीरे-धीरे एक खतरनाक intention की ओर इशारा कर रही थी। वो अब पूरी तरह से मुक्ति के बदलते रवैये से अट्रैक्ट हो चुका था, और शायद उसकी यही अजीब सी ताकत उसे मुक्ति के प्रति और ज्यादा जुनूनी बना रही थी। आकाश अब तक उस कमरे की सफाई के लिए अपने आदमियों को बुला चुका था। सिद्धांत उस कांच के दरवाजे के पास खड़ा हो गया, जहाँ से मुक्ति अभी-अभी बाहर निकली थी। उसकी नज़रें अब भी उसी ओर टिकी थीं। उसके मन में ख्याल आया, "क्या सच में ये वही मुक्ति है? क्या उसकी याददाश्त सचमे चली गईं, या फिर ये उसकी कोई नई चाल है?" उधर मुक्ति बाहर लॉबी में कदम रखते ही खुद से बड़बड़ाने लगी, " ये सब मैंने क्यों किया? मैं सिद्धांत की फिक्र क्यों कर रही थी? मुझे इस इंसान से जीतना हो सके उतना दूर रहना चाहिए. लेकिन जब मैंने उसके होंठों से खून बहते देखा, तो.… " वो खुद की उलझनों में खो गई। तभी अचानक उसे पीछे से किसी के पैरों की आहट सुनाई दी। उसने पलटकर देखा तो वहां आकाश खड़ा था। उसकी आँखों में एक अजीब सा शक था, मानो वो कुछ जानना चाहता हो, लेकिन कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो। "तुम क्या देख रहे हो? कुछ पूछना चाहते हो तो पूछ सकते हो।" मुक्ति ने ठंडे स्वर में पूछा। आकाश ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, " तुम. तुमने जो कुछ किया, वो मैंने देखा। तुम. तुम सच में बदल गई हो, या ये बस तुम्हारा कोई नया खेल है? कही तुम फिर से यहां से भागने का तो नही सोच रही ना?" मुक्ति ने आकाश की ओर देखा, उसकी आँखों में सवाल ही सवाल थे। कुछ देर चुप रहने के बाद उसने धीरे से कहा, " मैंने खुद को बदलने का फैसला किया है। मैं अब वो पुरानी मुक्ति नहीं रही। और जहां तक खेल की बात है। तो शायद इस खेल में जीतने के लिए मुझे बदलना ही होगा।" आकाश ने उसकी बात सुनकर सिर हिलाया, लेकिन उसके मन में अभी भी शक था। क्या ये बदलाव असली था, या मुक्ति भी सिद्धांत को किसी जाल में फँसाने की तैयारी कर रही थी? मुक्ति ने उसकी ओर बिना देखे कहा, " अगर तुम्हें कुछ और नही पूछना तो में जा रही हूं।" इतना कहकर वह वहाँ से आगे बढ़ गई। आकाश उसे जाते हुए देख रहा था और सोचने लगा, " मुक्ति अब पहले जैसी नहीं है। लेकिन क्या वो इतनी आसानी से बदल सकती है, या इसके पीछे कुछ और है? मुझे उसपर नजर रखनी होगी।" @#@#@#@#@#@#@ मुक्ति किस 'खेल' की बात कर रही है, और इसमें किसकी हार होगी—सिद्धांत या मुक्ति? 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पीछले भाग में आपने पढ़ा… मुक्ति ने आकाश की ओर देखा, उसकी आँखों में सवाल ही सवाल थे। कुछ देर चुप रहने के बाद उसने धीरे से कहा, " मैंने खुद को बदलने का फैसला किया है। मैं अब वो पुरानी मुक्ति नहीं रही। और जहां तक खेल की बात है। तो शायद इस खेल में जीतने के लिए मुझे बदलना ही होगा।" आकाश ने उसकी बात सुनकर सिर हिलाया, लेकिन उसके मन में अभी भी शक था। क्या ये बदलाव असली था, या मुक्ति भी सिद्धांत को किसी जाल में फँसाने की तैयारी कर रही थी? मुक्ति ने उसकी ओर बिना देखे कहा, " अगर तुम्हें कुछ और नही पूछना तो में जा रही हूं।" इतना कहकर वह वहाँ से आगे बढ़ गई। आकाश उसे जाते हुए देख रहा था और सोचने लगा, " मुक्ति अब पहले जैसी नहीं है। लेकिन क्या वो इतनी आसानी से बदल सकती है, या इसके पीछे कुछ और है? मुझे उसपर नजर रखनी होगी।" अब आगे एक सुंदर और आलीशान कमरे में, जिसकी दीवारें सफेद और गुलाबी रंग से सजी थीं, हल्के और खूबसूरत सजावटी सामानों ने कमरे को बेहद Critical और elegant बना दिया था। वही मुक्ति बिस्तर पर लेटी हुई थी और डॉक्टर उसका checkup कर रहे थे। Dr. Desai ने एक लंबी सांस ली और कहा "मैडम, क्या आपको अपना नाम या आप कौन है, कुछ याद है?" मुक्ति ने अपना सिर हिलाया और सिद्धांत की ओर इशारा किया, " इसने मुझे मुक्ति बुलाया, इसके अलावा मुझे कुछ याद नहीं." Dr. Desai ने थोड़ी देर रुककर पूछा, "तो क्या आपको कुछ भी याद नहीं है? " मुक्ति ने फिर से अपना सिर हिलाया और हल्की मुस्कान के साथ कहा, " आखिरी चीज़ जो मुझे याद है, वो ये है कि मैं गहरे पानी में डूब रही थी और मरने ही वाली थी. की… " सिद्धांत चुपचाप एक कोने में खड़ा होकर सबकुछ सुन रहा था। उसने मुक्ति के हर हावभाव पर नज़र रखी, ये जानने के लिए कि वो झूठ बोल रही थी या सच। मुक्ति के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। (मैं इसे कैसे बताऊँ कि मैं असली मुक्ति नहीं हूँ, जब ये आदमी उसके लिए इतना ज़्यादा पागल है? अगर उसे पता चला कि मैं वो नहीं हूँ, तो क्या पता ये मुझे मार ही ना डाले!) वो अपने मन में थोड़ी घबराई हुई थी। ( मुझे फिर से मरना नहीं है।) ये सोच कर उसकी मुट्ठियाँ गुस्से से कस गईं। (मुझे अपना बदला लेना था लेकीन अब… शायद अब वो भी मुमकिन नहीं है.) उसकी नज़रें उदासी से खिड़की के बाहर टिक गईं। Dr. Desai ने उसे उदास होता देखा तो मुस्कुराते हुए कहा, " मैडम, आपको उदास होने की जरूरत नहीं है। यादें दोबारा भी बनाई जा सकती हैं।" ये कहकर वो कमरे से बाहर चला गया। मुक्ति थोड़ी सी सोक सी रह गई। "फिर से?" उसने बुदबुदाया। तभी सिद्धांत उसके पास आया और अपनी ठंडी आवाज़ में बोला, " तो तुम झूठ नहीं बोल रही थी।" मुक्ति चौंक गई और उसकी तरफ देखकर बोली, " नही… बिलकुल नहीं।" उसने थोड़ी झिझक के बाद पूछा, "अब क्या तुम मुझे बता सकते हो कि ये जगह कौन सी है?" (मुझे पहले से ही कई बातें पता हैं, क्योंकि मैंने ये ड्रामा देखा है, लेकिन मैं खुद को इतनी जल्दी expose नहीं कर सकती। इस तरह मैं उसकी सनक की हद भी जान सकती हूँ।) सिद्धांत की आवाज़ और ठंडी हो गई। "अगर तुम्हें कुछ याद नहीं है, तो जानने की जरूरत भी नहीं है। बस एक बात याद रखो।" ये बोलते वक्त उसकी आवाज़ खतरनाक रूप से ठंडी और dark हो गई थी। "ये जगह अब तुम्हारा घर है, और तुम इसे कभी नहीं छोड़ सकती।" मुक्ति के शरीर में कंपकंपी दौड़ गई और उसने सिर हिला दिया। उसने मन ही मन सोचा, (मुझे धीरे-धीरे इस ice mountain को पिघलाना होगा और यहां से निकलने का कोई रास्ता ढूंढना होगा।) (मैं अब और controlled life नहीं जीना चाहती।) मुक्ति सिद्धांत को इतनी गहराई से देख रही थी कि वो उसकी नजरों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सका। सिद्धांत सख्त आवाज़ में बोला, " अब क्या हुआ?" मुक्ति ने डरते हुए कहा, " मुझे अकेले सोने से बहुत डर लगता है. क्या तुम आज रात यहाँ सो सकते हो?" उसने मासूमियत से puppy eyes से उसकी ओर देखा। सिद्धांत एक पल के लिए रुका और उसकी ओर घूरते हुए बोला, " ओह? अगर में यहां सोऊंगा तो तुम कहाँ सोओगी?" मुक्ति ने तुरंत जवाब दिया, "म… में… मैं फर्श पर सो जाऊँगी! लेकीन प्लीज़. तुम मत जाओ…" सिद्धांत के चेहरे पर गहरी शिकन आई और उसकी आँखें और काली हो गईं। "उसकी कोई जरूरत नहीं है। अगर तुम चाहती हो कि मैं यहाँ रुकूं, तो हम यहां एक साथ बेड शेयर कर सकते है।" उसने शैतानी मुस्कान के साथ कहा। (अब देखता हूँ कि क्या करती हो। क्योंकि जिस मुक्ति को में जानता हुं वो कभी नही मानेगी।) मुक्ति ने तुरंत हाँ कर दी, "मैंने सोचा था कि तुम्हें ये पसंद नहीं आएगा, लेकिन ये तो अच्छा हुआ कि तुम मान ग। Good night…" उसने बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद कर लीं। सिद्धांत अब भी वही खड़ा हैरान सा रह गया। मुक्ति के बदलते बर्ताव ने उसकी समझ को झकझोर दिया था। (वो ऐसा बर्ताव क्यों कर रही है? पहले तो वो मुझे अपने पास भी नहीं आने देती थी। क्या ये वही मुक्ति है जो मुझसे नफरत करती थी, जो मुझे कभी अपने पास नहीं आने देती थी. आखिर अब ऐसा क्या बदल गया? ) उसके मन में सवालों का सैलाब उमड़ रहा था, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को छिपाने की कोशिश की। मुक्ति ने आँखें बंद कर रखी थीं, लेकिन उसके दिल की धड़कनें तेज़ थीं। ( ये सही था कि मैंने उसे अपने पास रुकने की इजाजत दे दी, या मैंने खुद को और खतरे में डाल दिया? ) उसने गहरी सांस ली और मन में सोचा, ( अगर मुझे यहाँ से निकलना है, तो मुझे सिद्धांत को पूरी तरह से अपनी बातों में उलझाना होगा।) सिद्धांत ने थोड़ी देर तक उसे देखा और फिर धीरे से कमरे की लाइट बंद कर दी। बिस्तर के पास पहुँचकर, उसने अपने जूते उतारे और धीरे से बिस्तर पर लेट गया। दोनों के बीच की दूरी अब भी बनी हुई थी, लेकिन हवा में एक अनकहा तनाव महसूस हो रहा था। मुक्ति ने हल्के से करवट ली और धीरे से कहा, "तुम्हारी साँसें बहुत तेज़ हैं. क्या तुम नर्वस हो?" सिद्धांत ने उसकी बात पर चौंककर उसे देखा। उसने कभी भी खुद को किसी के सामने इतना खुला महसूस नहीं किया था। उसने अपने आप को संभालते हुए कोल्ड आवाज़ में कहा, " तुम्हें फिक्र करने की जरूरत नहीं है। तुम बस सोने की कोशिश करो।" मुक्ति ने धीमे से मुस्कुराते हुए सोचा, (अगर उसे मेरी याददाश्त जाने का यकीन हो गया है, तो मैं इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती हूँ। मुझे देखना होगा कि इस आदमी की कमजोरियाँ क्या हैं।) उसकी नज़रें सिद्धांत की तरफ मुड़ गईं, जो अब भी आँखें बंद किए हुए था, लेकिन उसकी शरीर की हलचल ने बता दिया कि वो भी पूरी तरह से शांत नहीं था। @#@#@#@#@#@#@#@ अब देखना ये होगा की अगले दिन का सूरज इनके के लिए कौन सा नया सवेरा लता है। Are ek baat batana me bhul hi Male lead → Character information: Siddhanth Rathore - Age: 28 - Role: Mafia leader, CEO - Personality: Cold, ruthless, and feared. Obsessive and possessive about his lover, willing to cross any line to protect her. - Appearance: Tall, muscular, sharp features, dark eyes, always in black. - Background: Raised in a powerful mafia family, trained to be ruthless after witnessing violence from a young age. - Strengths: Highly intelligent, strategic, and skilled in combat. - Weaknesses: His obsession and fear of losing his lover make him emotionally vulnerable. Female Lead (Reborn) Mukti Sharma - Age: 25 (after rebirth) - Role: Reborn woman seeking revenge - Personality: Cold, fearless, and calculating; driven by vengeance. - Appearance: Strikingly beautiful, with a commanding presence and sharp eyes. - Background: Betrayed and killed by her boyfriend and best friend; reborn with a new identity and determined to destroy them. - Strengths: Smart, strategic, skilled in manipulation, and strong-willed. - Weaknesses: Revenge-driven, often clouding her judgment; trust issues. Please follow up and comment 🤗
पीछले भाग में आपने पढ़ा… सिद्धांत ने उसकी बात पर चौंककर उसे देखा। उसने कभी भी खुद को किसी के सामने इतना खुला महसूस नहीं किया था। उसने अपने आप को संभालते हुए कोल्ड आवाज़ में कहा, " तुम्हें फिक्र करने की जरूरत नहीं है। तुम बस सोने की कोशिश करो।" मुक्ति ने धीमे से मुस्कुराते हुए सोचा, (अगर उसे मेरी याददाश्त जाने का यकीन हो गया है, तो मैं इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती हूँ। मुझे देखना होगा कि इस आदमी की कमजोरियाँ क्या हैं।) उसकी नज़रें सिद्धांत की तरफ मुड़ गईं, जो अब भी आँखें बंद किए हुए था, लेकिन उसकी शरीर की हलचल ने बता दिया कि वो भी पूरी तरह से शांत नहीं था। अब आगे मुक्ति सो चुकी थी, लेकिन सिद्धांत को नींद नहीं आ रही थी। जैसे मानो उसे अब नींद आना बंद हो गया हो। मुक्ति का अचानक बदल जाना उसे अंदर से डरा रहा था। पहले, वो उसे आसानी से डरा सकता था, उसे धमकी दे सकता था। उसके मंगेतर का नाम लेकर उसे काबू में रख सकता था। लेकिन अब, उसे तो अब कुछ याद भी नहीं है। हालांकि ये सिद्धांत के लिए अच्छा था, लेकिन इसका मतलब ये भी था कि अब उसके पास मुक्ति की कोई कमजोरी नहीं थी। जिसे वो इस्तेमाल कर सके, और उसे अपने पास रख सके। सिद्धांत मुक्ति को डरा भी नहीं सकता था, क्योंकि जब वो उन मरे हुए लाशों के बीच बैठा था, तो मुक्ति को खून और बंदूक देखकर भी डर नहीं लगा। वो बिना किसी डर के उसकी आँखों में challenge and confidence से भरी नज़रें गड़ाए हुए थी, जो उसने पहले कभी नहीं देखी थी। सिद्धांत ने खुद से बुदबुदाया, " और अब वो मेरे साथ बिना किसी नफ़रत के सो रही है। बिलकुल बेफिक्र सी ." उसकी आँखों में उलझन थी। सिद्धांत उसके चेहरे की ओर देखते हुए सोच रहा था, "क्या मुझे फिर से उम्मीद करनी चाहिए कि तुम मेरे साथ खुशी-खुशी रह सकती हो? बिना मुझसे नफ़रत किए?" उसकी आँखें मुक्ति के चेहरे पर जमी रहीं। तभी अचानक मुक्ति नींद में कुछ बुदबुदाई, " मम. शादी।" सिद्धांत चौंक गया और हल्के से उसकी गालों को सहलाया, " क्या शादी…?" मुक्ति अचानक पलटी और सिद्धांत के उपर आ गई, जिससे सिद्धांत का दिल मानो रुक सा गया हो। अब वो उसके ऊपर थी, और उसका सिर सिद्धांत के सीने पर था। सिद्धांत डर के मारे साँस भी नहीं ले पा रहा था, की अगर उसने ऐसा किया तो मुक्ति की नींद खुल जायेगी। मुक्ति फिर नींद में बुदबुदाई, " ख. खाना। " सिद्धांत उसे कुछ अजीब नज़रों से देख रहा था, जैसे वो कोई दुनिया का अजूबा हो। कोई खाने का सपना कैसे देख सकता है और उससे शादी भी करना चाहता है? सिद्धांत को अचानक से कुछ याद आया, " क्या वो भूखी है?" (उसे होटल से आने के बाद से कुछ भी खाने को नहीं मिला!) सिद्धांत ने सोचा, "मैंने अपनी मुक्ति को भूखा कैसे छोड़ दिया?" वो उसके मुँह से बहता लार पोंछते हुए सोच रहा था, " मुझे इसे छोड़कर जाना अच्छा नहीं लग रहा, और वो भी तब जब वो इतनी प्यारी लग रही है जैसे कोई छोटा बच्चा। लेकिन उसे भूख लगी है।" सिद्धांत ने धीरे से उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और कुछ खाने के लाने बाहर चला गया। कुछ मिनटों बाद, सिद्धांत वापस कमरे में आया। उसने मुक्ति को जगाने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन फिर बिच में ही रुक गया। और धीरे से बोला, "मुक्ति, उठ जाओ।" लेकीन मुक्ति उठी नही और करवट बदल ली और बोली, " नही ना मुझे सोने दो।" सिद्धांत ने फिर सख्ती से बोला, " नहीं! तुमने कुछ खाया नहीं है, इसलिए तुम्हें उठकर कुछ खाना होगा। उसके बाद तुम फिर से सो सकती हो।" मुक्ति ने अपनी आँखें खोलीं और सुस्त नज़रों से बोली, " खाना?" उसकी नज़रें सिद्धांत पर पड़ीं, जो एक ट्रे पकड़े हुए था जिसमें सैंडविच, ऑमलेट थीं। उसे देखते हुए मुक्ति अचानक से गहरी सोच में पड़ गई। ( विशाल तो कभी मेरे लिए इस तरह खाना नहीं लाता था, भले ही मैं काम से लौटने के बाद भूखी पेट ही क्यों ना सो जाऊं. उसने कभी मेरा इंतज़ार भी नहीं किया।) मुक्ति के मन में सवाल उठा, (क्या ये मेरा अंधा प्यार था जिसने मुझे उसकी असलियत से अनजान रखा?) सिद्धांत ने उसे खोया हुआ देख कर पूछा, "क्या बात है? खाना नहीं चाहती?" मुक्ति ने उसकी तरफ देखा और धीमी आवाज़ में कहा, " नहीं।" सिद्धांत ने गुस्से भरी आवाज़ में कहा, " नही खाना ना ठीक है, फिर मैं इसे फेंक देता हूँ!" इतना बोल वो पीछे मुड़ने लगा। मुक्ति ने जल्दी से उसकी शर्ट पकड़ ली, "अरे…" उसने रुकने का इशारा किया। सिद्धांत रुका और बिना कुछ बोले उसकी ओर देखने लगा। मुक्ति ने मासूमियत से कहा, " मुझे दे दो! मुझे सच में भूख लगी है।" उसने मुँह फुलाते हुए कहा। उसकी इस मासूमियत को देख सिद्धांत अपनी मुस्कान छुपाते हुए प्लेट उसकी तरफ बढ़ाता है। तो मुक्ति ने जल्दी-जल्दी प्लेट लेकर खाना शुरू कर देती है, और सिद्धांत उसे देखता रहता हैं। मुक्ति ने खुशी से खाते-खाते पुछा, "ये बहुत टेस्टी है! किसने बनाया है?" सिद्धांत ने उसकी तरफ न देखते हुए जवाब दिया, "शेफ ने बनाया।" ये बोले हुए उसके गाल अचानक से लाल हो गए। तभी मुक्ति खाना खाते-खाते अचानक रुक गई और सोचने लगी, (ये किसे बेवकूफ बना रहा है? कौन सा शेफ आधी रात को जागकर खाना बनाएगा?) उसने हल्की हंसी के साथ कहा, "सच में? मैं उस शेफ के हाथ चूमना चाहती हूँ, जिसने इतना अच्छा खाना बनाया है।" सिद्धांत अचानक सख्त होकर बोला, "तुम ऐसा नहीं कर सकती!" तभी मुक्ति ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा, "वो क्यों भला? " फिर वो उसके करीब आई और धीरे से फुसफुसाई, "क्या तुम डरते हो कि मैं सच में उसके हाथ चूम लूंगी, क्योंकि वो बहुत हैंडसम है?" सिद्धांत का चेहरा हैरानी और शर्म से लाल हो गया। उसके मन में खा ( इसका मतलब उसे पता है। ये किसने बनाया।) मुक्ति को अपने इतने पास देखकर, सिद्धांत अनायास उसके करीब जाने लगा, लेकिन तभी. मुक्ति ने एक टुकड़ा ऑमलेट का उसके मुँह में डाल दिया। "लो, तुम भी खाओ! तुम्हें भी तो भूख लगी होगी ना।" उसकी इस हरकत से सिद्धांत की आँखें चौड़ी हो गईं। उसने कहा (ये वही चम्मच है जिससे वो खुद खा रही थी!) @#@#@#@#@#@#@#@ सिद्धांत और मुक्ति के बीच की ये नज़दीकियाँ क्या उनके बीच एक नए रिश्ते की शुरुआत करेंगी, या ये सिर्फ एक खेल बनकर रह जाएगा? सिद्धांत को जब मुक्ति की सच्चाई का पता चलेगा, तो क्या वो उसे स्वीकार करेगा या फिर वो सब कुछ बर्बाद कर देगा? To be continued… Please follow up and comment 🤗
पीछले भाग में आपने पढ़ा… सिद्धांत अचानक सख्त होकर बोला, "तुम ऐसा नहीं कर सकती!" तभी मुक्ति ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा, "वो क्यों भला? " फिर वो उसके करीब आई और धीरे से फुसफुसाई, "क्या तुम डरते हो कि मैं सच में उसके हाथ चूम लूंगी, क्योंकि वो बहुत हैंडसम है?" सिद्धांत का चेहरा हैरानी और शर्म से लाल हो गया। उसके मन में खा ( इसका मतलब उसे पता है। ये किसने बनाया।) मुक्ति को अपने इतने पास देखकर, सिद्धांत अनायास उसके करीब जाने लगा, लेकिन तभी. मुक्ति ने एक टुकड़ा ऑमलेट का उसके मुँह में डाल दिया। "लो, तुम भी खाओ! तुम्हें भी तो भूख लगी होगी ना।" उसकी इस हरकत से सिद्धांत की आँखें चौड़ी हो गईं। उसने कहा (ये वही चम्मच है जिससे वो खुद खा रही थी!) अब आगे मुक्ति चुपचाप खाना खाते हुए सिद्धांत को भी खिला रही थी, क्योंकि वो जानती थी कि उसने भी अब तक कुछ नहीं खाया था। पूरा वक्त वो उसके साथ ही था, तो वो उसे कैसे नज़रअंदाज़ कर सकती थी? खाना खत्म करने के बाद दोनों बिस्तर पर बैठ गए, क्योंकि अब उन्हें नींद नहीं आ रही थी। मुक्ति ने चुपचाप उसकी ओर देखा। जिसपर सिद्धांत ने ठंडे स्वर में पूछा, " क्या कुछ पूछना चाहती हो?" मुक्ति ने भौंहें सिकोड़ते हुए कहा, "तुम मुझसे ऐसे क्यों बात कर रहे हो?" "कैसे?" सिद्धांत ने उसी ठंडे लहजे में जवाब दिया। मुक्ति ने गुस्से में कहा, " मेरा साथ ये रूड बिहेव करना बंद करो, वरना मैं भी तुम्हारे साथ अच्छा बिहेव नहीं करूँगी समझे।" उसकी आँखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। सिद्धांत ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, " ठीक है." मुक्ति ने curiosity से पूछा, "वैसे ये जगह कौन सी है? वो क्या है ना मुझे कुछ भी याद नहीं, क्या तुम मुझे बता सकते हो कि हम कहाँ हैं?" सिद्धांत ने भौंहें चढ़ाते हुए पूछा, "तुम्हें ये जगह या शहर का भी नाम याद नहीं है?" मुक्ति ने मासूमियत से पलके झपकाते हुए कहा, " नाम तो याद हैं, पर मुझे नहीं पता ये जगहें कहाँ हैं।" ( क्योंकि मैं कभी वहाँ गई ही नहीं.) सिद्धांत को उस पर थोड़ा शक हुआ, तो उसने कहा, "अच्छा, ये राठौड़ परिवार का एरिया है। हम राजस्थान में हैं, जो हमारे देश का सबसे बड़ा शहर है।" मुक्ति ने हल्की आवाज़ में कहा, "ओह. और तुम मुझसे इतने रूड बिहेव क्यों कर रहे हो? हमारा रिश्ता क्या है?" (हालांकि मुझे सब पता है, मुझे याददाश्त खोने का नाटक फिर भी करना होगा, नहीं तो ये मुझे मार डालेगा, मुक्ति की जगह लेने के लिए।) मुक्ति की बात सुनकर सिद्धांत के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन फिर उसकी आँखों में नफरत सी झलक उठी। " हमारा रिश्ता?" उसने बड़ी अजीब सी हसीं हस्ते हुए सोचा, "सही है. आखिर हमारा रिश्ता क्या हैं?" मुक्ति ने धीरे से उसके कन्धे पर हाथ रखते हुए पूछा, "क्या हुआ?" सिद्धांत ने तुरंत उसका हाथ झटकते हुए कहा, "कुछ नहीं। बहुत देर हो गई है। तुम्हें सो जाना चाहिए।" ये बोल वो कमरे से बाहर चला गया। मुक्ति दरवाज़े को देखते हुए कहा, " अजीब है उसने जवाब नहीं दिया." फिर वो खुद से बुदबुदाई, "में भी पागल हूं! वो जवाब कैसे दे सकता है? अगर मैं उसकी जगह होती, तो मैं भी यही करती।" मुक्ति ने खुद को समझाते हुए कहा, "उसका इकलौता प्यार उससे नफ़रत करता था, जबकि उसने जो भी किया, वो उसे बचाने के लिए ही किया। जब की सब कुछ सिर्फ एक गलतफहमी थी।" उसने उदासी से सिर झुका लिया। फिर वो ड्रेसिंग रूम में चली गई और आईने में अपनी परछाई को देखते हुए बोली, "तुम कितनी बेवकूफ हो, मुक्ति। मेरी तरह नहीं, तुम एक खुशहाल ज़िन्दगी जी सकती थी, अगर तुमने थोड़ा दिमाग लगाया होता तो ये सब नही होता।" "तुम अपने प्यार के लिए मर गई, जिसने तुमसे कभी प्यार किया ही नहीं, और मैं अपने प्यार के वजह से मरी, जिसने मुझे धोखा दिया और मुझे मरता छोड़ दिया।" उसने उदासी भरी हंसी के साथ कहा। आईने में खुद को देखते हुए उसने धीरे से कहा, "हम दोनों ही कितनी बेवकूफ हैं, है न?" तभी उसने आईने में किसी को खड़े देखा। वो कोई और नहीं, सिद्धांत था, जो दरवाज़े के पास खड़ा होकर चुपचाप उसे घूर रहा था। मुक्ति ने बिना पीछे मुड़े, आईने से उसकी ओर देखते हुए मुस्कराते हुए कहा, "तुम क्या सोच रहे हो?" सिद्धांत की आंखें उसकी नज़रों से टकराया। वो बिना एक भी शब्द कहे उसके पास आया और उसे आईने की तरफ जोर से धक्केल दिया, जिससे मुक्ति का चेहरा आईने पर टिका दिया, और सिद्धांत गुस्से से उसे घूरने लगा। लेकिन मुक्ति की आँखें झुकने का नाम नहीं ले रही थीं, जैसे वो उसकी किसी भी हरकत से डरने वाली नहीं थी। सिद्धांत ने कोल्ड वॉइस में पूछा, "मेरी मुक्ति कहाँ है?" मुक्ति के होंठों की सी हंसी आई, "मुझे लगता है की वो मर चुकी है।" सिद्धांत ने गुस्से से उसकी गर्दन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाते हुए कहा, "मैंने तुमसे कुछ पूछा है, और मुझे जवाब चाहिए।" मुक्ति ने उसके बोलने के बावजूद हंसते हुए कहा, "मैंने तो जवाब दे दिया है ना।" सिद्धांत ने उसकी गर्दन पर अपनी पकड़ और कश दी, जिससे मुक्ति की आँखें दर्द से बंद हो गई, लेकिन वो फिर भी अपनी हंसी को बरकरार रखते हुए बोली, "क्या करोगे? मुझे मार डालोगे? तो मार डालो !" कुछ पल के लिए सिद्धांत ने उसे गुस्से घूरा, फिर अचानक उसकी गर्दन छोड़ दी। मुक्ति ने तुरंत अपने हाथ से अपनी गर्दन को छुआ और फिर हस्ते हुए आईने में देखा, "ये लो. मेरी गर्दन पर तो निशान पड़ गए हैं।" उसने लगभग खाँसते हुए खुद को संभाला। सिद्धांत खुद में बड़बड़ाया, "मरी गई.?" मुक्ति चुपचाप उसकी ओर देखती रही। वही सिद्धांत ने मुड़कर जाने की कोशिश की, तभी मुक्ति ने उसे रोकने के लिए आवाज़ लगाई, "रुको !" जिससे सिद्धांत बिना पीछे देखे वहीं रुक गया। मुक्ति ने अपने गले को सहलाते हुए कहा, "अब जब तुम्हें पता चल ही गया है कि मैं वो नहीं हूँ. और हमारे बीच कुछ भी नहीं है, तो क्या अब मैं जा सकती हूँ।" सिद्धांत ने ठंडी नज़र से उसे घूरते हुए अपनी जेब से बंदूक निकाली। लेकीन मुक्ति उसकी ओर बिना डरे देखती रही। सिद्धांत ने गहरे और ठंडे स्वर में कहा, "कोई भी यहाँ से नहीं जाएगा जब तक मैं इजाज़त न दूँ। तुम इस कमरे से भी बाहर नहीं जा सकती।" मुक्ति ने गुस्से में चीखते हुए, " ये क्या बकवास है! हम एक-दूसरे को जानते तक नहीं हैं।" वो गुस्से में उसे घूरने लगी। सिद्धांत ने बिना सोचे-समझे उसके पैर के पास गोली चला दी। जिससे मुक्ति थोड़ा घबराई, " ये पागल आदमी." सिद्धांत ने ठंडे स्वर में कहा, " तुम्हें ये तय करने का हक नहीं है।" और फिर वो कमरे से बाहर चला गया। मुक्ति उसके पीछे जाने ही वाली थी, तभी आकाश ने उसके सामने आकर हाथ हिलाते हुए कहा, "अरे, beautiful lady! कहाँ जा रही हो?" मुक्ति ने उसे घूरते हुए कहा, "हटो मेरे रास्ते से।" आकाश ने मुस्कराते हुए कहा, "अभी नहीं, beautiful lady।" मुक्ति ने चिढ़ते हुए दरवाज़ा उसके मुंह पर बंद कर दिया, " चल हट हलकट!" आकाश ने मासूमियत से आँखें झपकाई, "क्या मैं हैंडसम नहीं हूँ?" @#@#@#@#@#@#@ अब क्या करेगा सिद्धांत? क्या सिद्धांत मुक्ति को जाने देगा या कैद कर लेगा उसे अपनी दुनिया में? 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पीछले भाग में आपने पढ़ा… सिद्धांत ने ठंडी नज़र से उसे घूरते हुए अपनी जेब से बंदूक निकाली। लेकीन मुक्ति उसकी ओर बिना डरे देखती रही। सिद्धांत ने गहरे और ठंडे स्वर में कहा, "कोई भी यहाँ से नहीं जाएगा जब तक मैं इजाज़त न दूँ। तुम इस कमरे से भी बाहर नहीं जा सकती।" मुक्ति ने गुस्से में चीखते हुए, " ये क्या बकवास है! हम एक-दूसरे को जानते तक नहीं हैं।" वो गुस्से में उसे घूरने लगी। सिद्धांत ने बिना सोचे-समझे उसके पैर के पास गोली चला दी। जिससे मुक्ति थोड़ा घबराई, " ये पागल आदमी." सिद्धांत ने ठंडे स्वर में कहा, " तुम्हें ये तय करने का हक नहीं है।" और फिर वो कमरे से बाहर चला गया। मुक्ति उसके पीछे जाने ही वाली थी, तभी आकाश ने उसके सामने आकर हाथ हिलाते हुए कहा, "अरे, beautiful lady! कहाँ जा रही हो?" मुक्ति ने उसे घूरते हुए कहा, "हटो मेरे रास्ते से।" आकाश ने मुस्कराते हुए कहा, "अभी नहीं, beautiful lady।" मुक्ति ने चिढ़ते हुए दरवाज़ा उसके मुंह पर बंद कर दिया, " चल हट हलकट!" आकाश ने मासूमियत से आँखें झपकाई, "क्या मैं हैंडसम नहीं हूँ?" अब आगे उस दिन के बाद, सिद्धांत दो दिन तक मुक्ति से मिलने नहीं आया, जिससे वो इन दो दिनों में बहुत बेहद बेचैन हो गई थी। मुक्ति ने तकिए में अपना चेहरा छिपाए हुए खुद में बड़बड़ाई, " उस दिन के बाद वो दिखाई ही नहीं दिया, और वो लाल बत्ती हमेशा मुझे परेशान करता है जब भी मैं कमरे से बाहर निकलने की कोशिश करती हूँ।" उसके मन में एक सवाल बार-बार गूंज रहा था, "क्या वो मुझे मारने वाला है क्योंकि मैं उसकी मुक्ति नहीं हूँ? लेकिन मैं किसी और के रूप में जी नहीं सकती, मैने दूसरों के लिए बहुत जी ली अब मैं थक गई हूँ। मुझे अब खुद के लिए जीना है, भले ही इसका मतलब मर जाना हो।" उसने गहरी सांस ली और खुद से कहा, "मुझे यहाँ से भाग जाना चाहिए, वैसे भी मेरे लिए ये पॉसिबल है।" उसने खिड़की की ओर देखा, जहां मैंशन के चारों ओर गन लिए हट्टे कट्टे बॉडीगॉर्ड का कड़ा पहरा था और हर जगह टाईट सिक्योरिटी के साथ साथ कैमरे भी लगे थे। खिड़की से बाहर देखते हुए उसने देखा कि कुछ गार्ड्स एक आदमी को ज़मीन पर दबोचे हुए थे, शायद वो आदमी सिद्धांत का कोई दुश्मन था। सिद्धांत ने कमरे की तरफ घूमते हुए अपने माथे पर हाथ फेरा। बंदूक वाला आदमी अब भी उसे देख रहा था, मानो उसके मन की कश्मकश भांप गया हो। सिद्धांत की उंगलियां पलभर को बंदूक की नली की तरफ बढ़ी, लेकिन फिर रुक गईं। उसके मन में कुछ और चल रहा था, जैसे वो किसी माया में फंस गया हो। तभी अचानक वहा गोली चलने की तेज़ आवाज़ गूंजी। मुक्ति ठंडी निगाहों से बाहर देख रही थी और खुद से बड़बड़ाई, "मैं इस सब की addicted कैसे होती जा रही हूँ?" उसने उस आदमी की तरफ देखा जो बंदूक पकड़े हुए था और गुस्से में कहा, "huh…, मुझसे तो मिलने नहीं आता, लेकिन मारने और सिगरेट पीने का पुरा टाईम है जनाब के पास।" तभी सिद्धांत की नज़र अचानक से खिड़की की ओर गई। उसकी निगाहें मुक्ति से टकराईं, लेकिन उसने तुरंत अपनी नज़रें उससे फेर लीं। उसने सोचा, "ये वाकई में मेरी मुक्ति नहीं है. लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?" अपने मन में खोया हुआ सा वो बड़बड़ाया, "अगर ये वो नहीं है, तो क्या इसका मतलब है कि मैं उसे लास्ट उसे बचाने में नाकाम रहा?" मुक्ति ने उसे खिड़की से देखते हुए अपनी जीभ बाहर निकाल दी, जैसे उसे चिढ़ा रही हो। सिद्धांत ने ये देख कर अपने होठों को भींचा और मुस्कराने से खुद को रोकते हुए सोचा, "अब इसके साथ मैं क्या करूँ?" " जब मुझे पता है कि ये मुक्ति नहीं है, तो फिर मैंने इसे अब भी यहां क्यों रखा है? क्या मुझे इसे जाने देना चाहिए?" उसने खोए खोए खुद से सवाल किय। मुक्ति की तस्वीर उसके दिमाग में बार-बार चमकने लगी— उसकी वो हंसी, वो आंखें, वो बातें। लेकिन ये लड़की? ये अजीब इशारे कर रही थी, उसकी हरकतें मुक्ति से बिल्कुल उलट थीं। फिर भी, उसकी मुस्कान ने सिद्धांत के मन में उथल पुथल मची हुई थी। "तू क्या सोच रहा है, सिद्धांत? तेरा काम बस खत्म करना है। ये तेरी मुक्ति नहीं है, तू खुद ही कह चुका है।" सिद्धांत ने फिर खिड़की की तरफ देखा। कमरे में खड़ी मुक्ति—या जो भी वो थी—अभी भी अपनी हरकतों में मस्त थी, जैसे कि उसे कोई परवाह ही नहीं थी कि क्या हो रहा है। उसकी जीभ एक बार फिर से बाहर आई, मानो उसे चिढ़ा रही हो। सिद्धांत ने धीरे से कहा, "क्या मैं वाकई उसे जाने दे सकता हूँ?" सिद्धांत का दिल जोरों से धड़कने लगा। वो मुक्ति नहीं थी, लेकिन फिर भी उसकी मौजूदगी में कुछ ऐसा था, जिसने सिद्धांत को रोक रखा था। क्या ये उसकी मोहब्बत थी? या फिर कुछ और वो खुद अपने ही सवालों में उलझा हुआ था? तभी आकाश बाहर आते हुए जोर से बोला, "बॉस…!" उसकी तेज़ आवाज़ से सिद्धांत चौंककर बोला, "क्या हुआ? ऐसे पागलों की तरह क्यों चिल्ला रहे हो?" आकाश ने शिकायती लहजे में कहा, "बॉस, आप मेरी बात सुन ही नहीं रहे थे तो में क्या करूं।" सिद्धांत ने फिर से खिड़की की ओर देखा, लेकिन इस बार मुक्ति ने खिड़की बंद कर दी थी। सिद्धांत ने झुंझलाते हुए पूछा, " अब तुम्हें क्या तकलीफ है?" आकाश ने शिकायत करते हुए कहा, "बॉस, आपकी वो औरत रुम के अंदर से लगातार चिल्लाती रहती है। अब मैं उसका गार्ड नहीं बनना चाहता!" सिद्धांत ने ठंडी आवाज़ में कहा, "कोई बात नहीं, अब तुम्हें उसकी देखभाल नहीं करनी पड़ेगी। मैं खुद इसे संभाल लूँगा।" इतना बोल वो सीधे अंदर चला गया। @#@#@#@#@#@#@# तो अब क्या लगता है सिद्धांत मुक्ति को जाने देगा या नहीं? To be continued..... Please follow up and comment 🤗