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अधूरी मोहब्बत या धोखा (ए शार्ट स्टोरी)

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जमान और रुमा एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं लेकिन रूमा का दिल उस दिन टूट जाता है जब वह शॉपिंग के दौरान एक लड़की नरगिस से मिलती है और उसे वहीं पर पता चलता है कि वह लड़की नरगिस जमान की होने वाली मंगेतर है……💓

Total Chapters (1)

Page 1 of 1

  • 1. अधूरी मोहब्बत या धोखा (ए शार्ट स्टोरी) - Chapter 1

    Words: 5931

    Estimated Reading Time: 36 min

    रूमा ने जैसे ही उस खूबसूरत से लॉकेट पर अपना हाथ रखा और उसे उठाने ही वाली थी कि एक और दूसरी लड़कीं ने सडनली लॉकेट उसके हाथ से जैसे छीन ही लिया और बड़े शौक से उस लॉकेट को देखने लगी। रूमा ने नजरे उठाकर लड़की की तरफ देखा जो लॉकेट को चूमती बेहद खुश लग रही थी लड़की ने रूमा की तरफ देखते हुए बहुत ही क्यूट स्माइल से कहा... वाव ईट्स सो ब्यूटीफुल, है ना क्या इसे मैं ले लूँ प्लीज्...प्लीज आप अपने लिए कोई दूसरा लॉकेट च्यूस कर लीजिए ना? रूमा ने उसके हाथ से वह लॉकेट वापस ले लिया और आहिस्ता से मुस्कुराकर बोली.... जी नही सॉरी, पर इस पर पहले मेरा हाथ पड़ा थाअब ये मेरा है, आप चाहे तो आप दूसरा ले सकती है रूमा के इंकार पर उस लड़की ने मुंह बनाते हुए सेल्समैन की तरफ देखा जैसे उससे कह रही हो कि इसी लॉकेट का सेम पीसउसे भी चाहिए पर सेल्समैन ने अपने हाथ ऊपर हवा में उठाकर नहीं में सर हिला दिया!! सॉरी मैंम ये लास्ट पीस ही बचा था अब आप दोनो आपस मे समझ लीजिये कि,ये किस को चाहिए? सेल्समैन के जवाब पर अब उस लड़की ने वापस मासूमियत सेरूमा की तरफ देखा और बोली... एक्चुअली कल मेरी मंगनी है और ये मैं मेरे मंगेतर को गिफ्ट करना चाहती हूं आई हॉप आप समझ सकती है,लव फीलिंग को प्लीज् मना मत कीजिए, लॉकेट मुझे दे दीजिए ना लड़की की रिक्वेस्ट पर अब रुमा इस बार थोड़ा इरिटेशन में पर बनावटी और जबर्दस्ती सा मुस्कुराकर बोली.... सॉरी पर मैं भी ये मेरे किसी बहुत ही खास इंसान केलिए ले रही हूं और प्यार मुझसे ज्यादा और कौन समझेगा भला, मै खुद भी किसी से बहुत प्यार करती हूं?रूमा के होठों पर बेइख़्तियार मुस्कुराहट आ गई थी और उसने खास इंसान लफ्ज को जरा लम्बा खींचा था!! सॉरी पर ये मेरा तोहफा है मेरे किसी अपने केलिये जिससे मै प्यार करती हूँ और यह म अब आपको हरगिज़ नहीं दे सकती... सो सॉरी। रूमा के साफ इनकार कर देने पर अब उस लड़की ने किसी छोटे बच्चों की तरह रुठेपन से कहा.... गॉड लेकिन इसका सेम लॉकेट अब यहां दूसरा है भी तो नहीं मुझे यही लॉकेट चाहिए था प्लीज आप दूसरा कोई लॉकेट खरीद लीजिए ना आप चाहे तो मै आपको उसके पैसे भी दे सकती हूं। एक्सक्यूज मी मुझे आपके पैसों की जरूरत नहीं है उस लड़की की बात पर रूमा का जैसे मुड़ ऑफ़ हो गया था  मैं अपनी पसन्द किसी को नही देती फिर यह लॉकेट तो मैं जिस बन्दे के लिए ले रही हूं उसके लिए तो मैं वैसे भी कभी कंप्रोमाइज नहीं करती, नेवर? रूमा छिटककर अब जैसे चिढ़न से उस लड़की से बोली थी। उस लड़की ने अब जल्दी जल्दी नही में सर हिलाते हुए कहा.... अरे नही, नही मैं आपको कंप्रोमाइज करने को नहीं बोल रही हूं ओके आप ये अपने किसी खास केलिये ले रही है पर बाई गॉड ये लॉकेट मेरे वाले पे ना मस्त जमेगा मेरा मंगेतर ना बहुत ही ज्यादा हैंडसम एन स्मार्ट है... कसम से यार मेरा मंगेतर बहुत कूल है, यह लॉकेट आप मुझे देदो प्लीज्। लड़कीं चहक उठी थी पर रूमा पर उसकी उस हंसी का फर्क नही पड़ना था और ना ही फर्क पड़ा। कॉम्प्रोमाइज ही तो होगा ना ये लॉकेट मैंने उसके लिए लियाहै जो मेरी रूह में बसता है और उसके लिए तो यह रूमा हर चीज को सोच समझकर ही करती है। रूमा ने पैसे काउंटर पर रखे और लॉकेट पैक करवाने को बोल दिया, वह लड़की दो पल रुमा को देखती रही। रूमा ने लॉकेट पैक करवाया और पेमेंट कर वहां से जाने ही वाली थी जब उसकी नजर उस लड़की के पीछे से चलकर आ रहे ज़मान पर पड़ी, ज़मान की उसकी तरफ पीठ थी पर रूमा उसे लाखो करोड़ो की भीड़ में भी पहचान सकती थीजो उसकी जान था उसका प्यार और उसकी बेपनाह वाली एकलौती पाक मुहब्बत। ज़मान को देखकर रूमा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आ गई, रूमा अब सब कुछ भुलाए ज़मान की तरफ बढ़ने ही वाली थी जब जमान ने आकर उस लड़की को धीरे से पुकारा जो अभी कुछ देर पहले तक रूमा से लॉकेट के लिए भिड़ी हुई थी। लिसेन नरगिस तुम्हारी शॉपिंग हो गई क्या,घर चले अब हम? ज़मान ने उस लड़की को पीछे से पुकारते हुए कहा और वह लड़की अब उसकी तरफ पलट कर देखने लगी थी। तो उस लड़की का नाम नरगिस था यह अभी अभी रूमा को पता चला लेकिन नरगिस के सामने जमान का इस तरह फ्री अंदाज देखकर रूमा के दिल को जलन महसूस हुई थी और वह अपनी जगह से ही खड़ी खड़ी नागवार नजरो से नरगिस और जमान को देखती रह जैसे उसे अभी सबकुछ समझ नहीं आया था। ज़मान को अपने पास देखते ही नरगिस ने फौरन उस का हाथ थाम लिया और रूमा की तरइशारा करते हुए बोली.... अच्छा हुआ तुम आ गएज़मान देखो ना मैंने तुम्हारे लिए एक लॉकेट पसंद किया था लेकिन ये लड़की मुझे वह नहीं दे रही मुझे वही लॉकेट चाहिए तुम्हारे लिए ज़मान प्लीज तुम इनसे बोलो ना वह लॉकेट मुझे देदे यह कुछ और भी तो खरीद सकती है ना अपने बॉयफ्रेंड केलिए? नरगिस छोटे बच्चे की तरह ज़मान से ज़िद कर रही थी और ज़मान ने नजर उठाकर अब सामने देखा जहाँ रूमा सर्द निगाहों से ज़मान के उस हाथ को देख रही थी जो हाथ जमान का नरगिस की बाहों में गिरफ्त था। ज़मान के होश उड़ गए थे उसने जो रूमा को देखा तो बस फटी फटी आंखों से शॉक्ड देखता ही रह गया उसे कहाँ पता था रूमा उसे यहां ऐसे मिल जायेगी जो उसकी मुहब्बत उसका प्यार थी जबकि खुद रूमा भी पलके झपकाना भूल गई थी जमान को देखकर वहीं, इन दोनों से अनजान नरगिस ने ज़मान का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए रुमा की तरफ लेकर आ गई और अपनी उसी बेकरारी से रूमा को एक नजर देखते हुए ज़मान से शिकायत करने के अंदाज में बोली.... देखो ना ज़मान प्लीज् तुम इनसे बोलो ना ये वह लॉकेट मुझे दे दे यह तुम पर बहुत प्यारा लगेगा ज़मान मैं उसे तुम्हारे लिएलेना चाहती हूँ  नरगिस ज़मान से बोल रही थी जबकि ज़मान तो जैसे वहां होकर भी नहीं था वह सुन्न खड़ा था। नरगिस ने अब रूमा की तरफ देखते हुए कहा....  देखो यह है मेरे मंगेतर आई मीन होने वाले मंगेतर...एक्चुली कल हमारी मंगनी है। नरगिस की खुशी उसकी बातो से साफ झलक रही थी जैसे वह पुरसुकून थी अपने प्यार को हासिल कर लेने का सुकून और बेइंतहा खुशी उसके चेहरे पर दमक रही थी और वह ज़मान का हाथ पकड़े ख़ुशी से चहक रहीं थी। रूमा तुम, तुम यहाँ!  अब बेइख़्तियार ही ज़मान के मुंह से हल्की थर्राई आवाज में रुमा का नाम धीरे से निकला था जैसे वह अपने आपको रोक ना पाया हो। अरे जमान तुम इसे जानते हो क्या?  नरगिस ने ज़मान की बात पूरी होने से पहले ही हैरत से पूछा और इससे पहले जमान नरगिस को कोई जवाब देता कि,ज़मान से पहले ही रूमा बिना वक्त गवाएं फौरन नरगिस से बोल उठी.... अरे नहीं, नहीं मिस नरगिस ऐसा कुछ नहीं है यह मुझे कैसे जानते होंगे जब मैं इनको नहीं जानती तो, ये मुझे हरगिज़ नही जान सकते ? रूमा ने ज़मान को एक सरसरी नजर देखी और पूरी तरह से उसे नजरअंदाज करते हुए अपनी मायूस तकलीफ से चूर मुस्कुराहट से नरगिस की तरफ देखते हुए बोल रही थी पर उसका दिल इस वक्त खाली खाली सा बेचैन और जैसे रोता हुआ जाने कितने अफसोस में डूबा हुआ सा महसूस हुआ था। मिस नरगिस आपको यह लॉकेट चाहिए था न, यह लीजिए, मुझे नहीं चाहिए!  रूमा ने लॉकेट का बॉक्स नरगिस के हाथों में थमा दिया नरगिस को हैरत हुई थी कि जिस लॉकेट के लिए रूमा अभी कुछ देर पहले इस तरह अड़ी हुई थी सडनली ऐसा क्या हो गया जो वह इसे इतनी आसानी से खुद से दूर कर रही थी। नरगिस ने अंजान सेअंदाज में रूमा की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा.... क्या हुआ आप इतनी आसानी से कैसे मान गई अभी तो आप कह रहीं थी कि यह लॉकेट आप अपने किसी बहुत ही खास केलिए ले रही है जो मुझे नहीं दे सकती और अभी आप....!! नरगिस की बात पूरी होने से पहले ही उसे बीच मे काटते हुए रूमा फौरन बोली.... एक्चुअली वो क्या है ना कि मुझे गलतफहमी हो गई थी मुझे लगा था कोई शख्स मेरा है जो सिर्फ और सिर्फ मेरा है, पर मैं गलत थी? रूमा ने यह बात जमान की तरफ बिना देखे उसे सुनाते हुए बेहद बेरुखी से कही थीलेकिन जमान को अच्छे से एहसास जरूर हुई थी। मतलब... मैं कुछ समझी नहीं?  नरगिस अब भी अंजान थी रूमा की बातो से और ज़मान के उखड़े जज्बातों से भी जो पागल-पागल सा खामोश खड़ा रूमा को अफसोस से देख रहा था जो उससे नजरे चुराये हुए थी। "अरे कोई बात नही, आप कुछ समझी नहीं है मिस नरगिस क्योकि आपको कुछ पता ही नहीं है लेकिन मैं तो सब कुछ जानबूझकर, सोच-समझकर देखने के बाद भी अब तक नासमझी में जीती रही  गलती तो मैने की है बहुत सारी गलती? रूमा ने जबर्दस्ती नम आंखों से मुस्कुराकर कहा और ज़मान का हाथ देखने लगी जिसे अभी भी नरगिस अपने दोनों हाथो में पकड़कर खड़ी थी, दोनो एक साथ वाकई कपल ही लग रहे थे जो रूमा को दर्द दे गया ज़मान ने रूमा को नज़रो का पीछा किया और तुंरत नरगिस की बाहों से अपना हाथ पिछे खींच लिया। रूमा ने ज़मान को नजरंदाज किया और मुस्कुराते हुए नरगिस से बोली.... यह लॉकेट आप अपने मंगेतर केलिए ले सकती हैं वाकई ये आपके मंगेतर पर बहुत सूट करेगा मेरा तो बस भृम था जो टूट गया अब मुझे इसकी कोई जरूरत नही। रूमा ने अपना एक-एक लफ्ज काफी ठहर ठहर कर ज़मान को जताते हुए कहा और बिना वक्त गवाये वहां से जल्दी जल्दीचली गई, डर था कि कहीं उसकी आंखों में भरे आंसू अब पलकों से छनकर बाहर ही ना आ जाए और वह रोना नही चाहती थी। अरे इसे क्या हुआ यह लड़की ऐसे क्यों चली गई जमान?  नरगिस ने नासमझी से पहले रूमा की तरफ देखा जो दौड़ते हुए वहां से जा रही थी फिर जमान से बोली जो खुद भी मायूस चुपचाप खड़ा रूमा कोदेख रहा था, इस वक्त उसके पास कोई भी लफ्ज नहीं था जो वह नरगिस को समझा सकता?  ●●●●●●●●●● रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी लेकिन रूमा की आंखों में नींद का कहीं कोई नामोनिशान तक नहीं था हां उसकी आंखें ओझल जरूर हुई थी लेकिन नींद से नही बल्कि आंसुओं से जो पूरी तरह से भरी भरी अब सुर्ख लाल हो चुकी थी, वह बेड पर लेटी कमरे की लाइट ऑफ किए करवटें बदल रही थी जबकि उसके पास ही बेड पर पड़ा उसका मोबाइल बार-बार बजे जा रहा था और कॉल्स ज़मान की थी जिसे रूमा ने जानबूझकर नजरअंदाज कर रखा था। सुबह जब से ज़मान और रूमा की मुलाकात हुई थी और उसने जमान को नरगिस के साथ देखा था उसने दुबारा एक बार भी ज़मान की तरफ पलटकर नही देखा ना ही उससे कोई बात ही की जबकि, ज़मान उसे कॉल पर कॉल और मैसेजेस पर मैसेजेस किये जा रहा था लेकिन रूमा ने एक बार भी रिप्लाई नहीं दिया, जब काफी देर तक वैसे ही रात बढ़े तक ऐसे ही ज़मान की कॉल से उसका मोबाइल जलता बुझता रहा तो उसने गुस्से में आकर चिढ़न से अपना मोबाइल वही जोर से कमरे की फर्श पर फेंक दिया जो टूटकर कई टुकड़ों में हो गया था और वह बेड पे बैठी पिलो में सर छुपाकर अब फफक फफककर रोने लगी।। इधर दूसरी तरफ.... छत पर खड़ा जमान जो अभी भी लगातार बिना दम लिए रूमा को कॉल किये जा रहा था साथ ही मैसेज जब उधर से रूमा के कॉल ना उठाने पर इरिटेट हो गया तो गुस्से में कॉल कट करते हुए झल्लाहट से अपने ही दोनो हाथो से अपने ही बाल खींच डाले, उसे रूमा से बात करने की जिद लगी थी जो आज पूरी नही होनी थी। जमान जैसे ही वहां से जाने केलिए पलटा सामने ही उसकी दोस्त शायला खड़ी दिखाईदी जो अपने पीछे पीठ पर हाथ बांधे खड़ी है एकटक ज़मान और उसकी इरिटेशन को ही देख रही थी वह भी एकदम खामोशी से। ज़मान गुस्से में जो शायद चल चलकर इस वक्त पूरी छत को अपने कदमों से नाप चुका था रूमा को कॉल करता हुआ वह बेख्याली में जो था। ज़मान उससे नजरे चुरता हुआ अटकते और टूटे-फूटे अंदाज में पूछा.... क्या हुआ शायला तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो मैं पागल लग रहा हूं क्या तुमको...मैं... मेरा...मतलब है तुम इतनी रात को यहां... यहां क्या कर रही हो मेरे घर मे... तुम गई नही अब तक, जाओ ना? शायला अब आहिस्ता आहिस्ता छोटे छोटे कदम बढ़ाती उसकी तरफ बढ़ने लगी... ज़मान तुम्हारा पहला वाला सवाल ज्यादा बैटर था कि मैं तुम्हें ऐसे क्यों देख रही हूं... मैं तुम्हें इसलिए देख रही हूं कि तुम क्या कर रहे हो... आई मीन अपने आपको क्यो जला रहे हो ज़मान तुम खुद की हालत तो देखो जरा क्या से क्या बन गए हो तुम? शायला के कहने पर ज़मान ने उससे नजरे मिलाने के बजाय सर झुका लिया और दिखावे के बनावटी से बेपरवाह अंदाज में बोला.... मैंने क्या किया है खुश तो हूं कल मंगनी है मेरी और एक महीने बाद ही शादी बताया नहीं क्या तुम्हें मेरी निखत अप्पी ने? हाँ बताया तुम्हारी अप्पी ने ही तो बुलाया है मुझे तुम्हारी दोस्त हूँ तो तुम्हारी मंगनी पर मुझे यहां होना चाहिए इसलिए तुम्हारी अप्पी ने मुझे इनवाइट किया है!  शायला ने सर हां में हिलाते हुए जवाब दिया था। ज़मान मैं जबसे यहां आई हूं तब से तुम्हें देख रही हूं तुम... तुम शायद इस मंगनी से खुश नहीं हो जमान, राइट? शायला ने हल्का सा झुककर ज़मान की झुकी हुई आंखों में आंखें डालते हुए पूछा था और ज़मान की आंखों में भरे आंसूओ के सैलाब अब उसके सब्र का बांध तोड़कर बाहर निकल आये ज़मान का दर्द शायला को जैसे अपने दिल मे कांटो की तरह महसूस हुआ था क्योकि ज़मान उसका सबसे अच्छा ओर अज़ीज़ दोस्त जो था जिसे वह किसी तकलीफ में नहीं देख सकती थी? ज़मान तुम, तुम रो रहे हो क्या सिरियसली मैने क्या कोई मुश्किल सवाल पूछ लिया क्या, आई एम सॉरी नो, नो शायला यार मैं क्या करूं शायला तुम ही बताओ क्या करूं मैं... मैं बहुत परेशान हूं रूमा को लेकर...वह लड़की पागल सी मेरा फोन तक नहीं उठा रही है?  ज़मान की बेचैनी से मुठ्ठिया मिच गईं थी वह इरिटेट हो रहा था।… शायला तुम्हें पता है उसने मुझसे बात तक नहीं की उस वक्त से...कम से कम मुझे कुछ एक्सप्लेन करने का मौका तो मिलना चाहिए ना... आई नो उसे बुरा लगा है पर....!! पर क्या ज़मान? शायला ने जमान को बीच मे टोक ही दिया था। तो पर यह कि शायला रूमा कम से कम मुझसे बात तो करे पूछे तो मुझसे कि आखिर मै ऐसा क्यो कर रहा हूँ?  ज़मान ने सर्द लहजे में अफसोस से कहा तो अब शायला को जैसे उस पर गुस्सा आ गया पर वह ज़मान की हालत समझ रही थी इसलिए बिना किसी रियेक्ट के नॉर्मली पर तंजिया पूछा.... अच्छा तो यू मीन यहाँ भी गलती रूमा की है तुम्हारी गलती नही, राइट ज़मान तुम्हारी गलती नही क्योकि तुम गलत नही हो सकते तुम तो लड़के हो न? ज़मान ने उसे हल्के से टोका.... शायला प्लीज् अब तुम तो ताना मत दो! शायला ने चिढ़कर ताना मारते हुए अब और भी तंजिया अंदाज में कहा.... हां तो और क्या कहूँ मै जमान, गलती तो है ना रूमा की तुम्हे किसी और के साथ देखकर उसे तो खुश हो जाना चाहिए था खासकर और ज़्यादा खुश जब तुम उस वक्त उसके सामने किसी गैर लड़कीं को  नही बल्कि अपनी ही मंगेतर का हाथ थाम कर खड़े थे यानी कि तुम किसी और लड़की के साथ होकर रूमा के दिल को चोटिल कर रहे थे और तुम्हें इसे देखकर रूमा को खुश हो जाना चाहिए था है ना जमान, तुम यह कहना चाहते हो बेचारी गलती ही तो है रूमा की उसे तो सब एक्सेप्ट कर लेना चाहिए था और तुमसे प्यार से बात करना चाहिए था क्योकि तुम बहुत अच्छा सुलूक कर रहें हो ना उसके साथ... गॉड ज़मान हद है! शायला ने दांत पीसते हुए ज़मान को झाड़ दिया था और वह चुप रह गया। सोचो ज़मान उस वक्त तुम रूमा की जगह होते तो तुम क्या करते...कम से कम तुम्हे उससे पहले से कुछ बात करनी चाहिए थी उसे पहले से कुछ बताते ज़मान शायद वह तब तुम्हे समझती पर अब यू सडनली तुम उसके सामने अपनी मंगेतर को ले गए तो कैसे रियेक्ट करेंगी वह तुम बताओ मुझे अब तुम बताओ कि तुम्हें तुम्हारी मंगेतर के साथ देख कर रूमा कैसे बर्दाश्त करती? ज़मान अब चुप्पी साधे सब सुनता रहा और शायला को दोषियों की तरह खड़ा देखे जा रहा था जो एक के बाद एक बरबस उसे गुस्से में जैसे सुनाइए ही जा रही थी। तो क्या करूं मैं अब शायला मैं मजबूर हूं नहीं तो नरगिस से यह मंगनी मैं कभी नहीं करता? ज़मान ने अफसोस से कहा था जिसे शायला से झटक दिया.... सॉरी ज़मान पर सबसे पहली बात तो अगर तुम्हारा तुम्हारी ही लाइफ पर ही अधिकार नहीं था तो तुम्हें मुहब्बत करने का गुनाह भी नहीं करना चाहिए था तुम्हारी वजह से एक हस्ती खेलती लड़की आज मायूस है ज़मान और अब दूसरी बात यह कि...मर्द मजबूर नहीं हुआ करते ज़मान वह बस अपनी मजबूरी का बहाना बनाते है और ऐसे ही दामन बचाकर निकल जाते हैं जैसे वह इनोसेंट है पर वह इनोसेंट नही होते वह जलिम होते हैं ज़मान जैसे की तुम? शायला की बातों में कठोरता थी और ज़मान एकटक आंखे फाड़े उसे देखता रह गया था!! अरे शायला यह तुम क्या बोल रही हो तुम मेरी दोस्त हो ना और तुम यह अच्छे से जानती हो कि  मैं कोई बहाना नही कर रहा मैं रूमा से दामन नही छुड़ा रहा यार प्यार करता हूँ मै उससे? ज़मान अफसोस से बोला और शायला उसकी तरफ से चेहरा मोड़ते हुए कहीं दूर निगाह किए हुए अफसोस से मुस्कुराकर रह गई। क्या हुआ शायला तुमने मुझसे नज़रें क्यों फेर ली और तुम यह हंस क्यों रही हो क्या तुम मेरा मजाक बना रही हो क्या? ज़मान ने सवालिया हैरत पूछा तो अब सायला ने बिना जमान की तरफ देखें उसी अंदाज में तंजिया मुस्कुराते हुए कहा.... अरे नही, नहीं मैं तुम्हारा मजाक नहीं बना रही दोस्त हूं मैं तुम्हारी जमान इसीलिए तो अफसोस है मुझे क्योकि तुम्हें और रूमा को मैंने ही मिलवा था ना, तुमने बोला था कि तुम उससे प्यार करते हो और मैं पागल तुम्हारी बातों में आ गई, गुनाह कर बैठी मैं जो रूमा के दिल मे तुम्हरी मुहब्बत को जगाया मैने मैं ही तो जरिया थी ना तुम दोनो को मिलवाने का काश कि मैंने ऐसा ना किया होता तुमने जब मुझसे कहा था कि तुम रूमा से प्यार करते हो तो मैं तुम्हारी बात मानती ही नहीं और मैं रूमा से तुम्हारे लिए बात ही नहीं करती तुम दोनों एक नहीं होते तो आज इस तरह से रूमा बेचारी दर्द में नहीं होती ज़मान क्योंकि तुम शायद उससे मोहब्बत के काबिल ही नहीं थे? शायला सर झुकाए धीरे धीरे गिल्ट और अफ़सोस से बोल रही थी जैसे उसे रूमा के लिए सबसे ज्यादा बुरा लगा था। ज़मान तुम अपनी मुहब्बत को पाने केलिए लड़ नहीं सकते हो तो तुम्हें मुहब्बत करने का कोई हक नहीं था। ज़मान अब जोर से लगभग चीख ही उठा.... ओह यार स्टोपिड, प्लीज् शायला अगर कोई मशवरा नहीं दे सकती हो तो बात को और उलझाओ तो मत मुझे रूमा से आज भी मुहब्बत है अच्छे से जानती हो तुम ये कि नरगिस से मेरी मंगनी किस विरते पर हो रही है? हां तो जमान तुम, तुम अपने जीजू से बोल सकते हो ना कि तुम्हें उनकी बहन से शादी नहीं करनी है क्या हुआ जो उन्होंने तुम्हारी परवरिश की है, जरूरी तो नहीं कि तुम उनके एहसान का बदला इस तरह चुकाओ कि उनकी बहन को तुमसे प्यार है तो तुम उसका हाथ थाम लो बिना उफ्फ किये जबकि तुम्हारे दिल में नरगिस के लिए कोई जगह ही नहीं तुम रूमा को चाहते हो? शायला ने जल्दी जल्दी सब एक सांस में कह दिया था और ज़मान सोच में पड़ गया। एनीवे देखो जमान मैं दोस्त हूं तुम्हारी मेरा काम था तुम्हें समझाना आगे तुम खुद समझदार हो ज़मान अपने लिए बेहतर च्यूस करो जो तुम्हारे हक में सही हो!  शायला ने एक ही सांस में कहा और वहां से पैर पटकती दनदनाते हुए चली गई बिना ज़मान की कोई बात सुने जबकि,ज़मान वही सर पकड़कर घुटनों के बल जमीन पर बैठगया था उसका मन जोर जोर से चिल्लाने को हो रहा था चीखना चाहता था वह पर इस वक्त वह कुछ भी नहीं कर पा रहा था शिवाय खामोश रहने के।। ●●●●●●●●● रूमा आज काफी दिनों बाद कॉलेज आई थी और वह अभी-अभी कॉलेज ऑफ होने के बाद अपने कॉलेज ग्रुप में हंसते बोलते हुए कॉलेज से बाहर निकल ही रही थी कि अचानक से एक तेज रफ्तार गाड़ी आकर उनके सामने रुकी जिससे रूमा और उसकी बाकी सारी दोस्त चौक गई थी। इससे पहले रूमा या उसकी कोई दोस्त कुछ समझ पाती गाड़ी का गेट खोलकर जमान गाड़ी से बाहर आया था और बिना किसी की तरफ तवज्जों दिए वह सीधा रूमा की तरफ चला आया। ज़मान को रूमान ने आज कई दिनों बाद देखा था अब तक तो शायद उसकी नरगिस से मंगनी भी हो गई हो रूमा आओ गाड़ी में बैठो कुछ बात करना है मुझे तुमसे! ज़मान ने बिना किसी की तरफ मुड़कर देखे बेझिझक पुरे हक से रूमा की आंखों में आंखें डालते हुए कहा था और रूमा ने झिझकते हुए पहले अपने चारों तरफ इधर उधर देखने लगी जैसे उसे समझ नहीं आ रहा था कि अभी अभी क्या हुआ है? ज़मान ने एक बार फिर से सख्त लहजे में कहा.... रुमा मैं तुम से बोल रहा हूं यहां वहां क्या देख रही हो, चलो मेरे साथ मुझे तुमसे बात करनी है अकेले में? और तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, क्या मैं तुम्हें जानती हूं? रूमा ने सामने खड़े ज़मान को घूरती नजरों से देखा और दबी आवाज में बोलते हुए दो कदम पीछे हट गई। देखो रूमा में कोई बहस नहीं चाहता हूं अगर तुम सीधी तरह गाड़ी में नहीं बैठी तो मुझे और भी तरीके आते हैं?  जमान बड़े आराम से बोला। मतलब तुम कहना क्या चाहते हो जमान? रूमा ने अपने चारों तरह खड़ी लड़कियों को देखा और दांत पीसते हुए बोली....प्लीज् ज़मान चले जाओ यहाँ से सब देख रहे हैं। अगर तुम मेरे साथ नही आई तो या फिर मैं तुम्हें जबरदस्ती उठाकर ले जाऊंगा और या फिर....!! ज़मान अभी बोल ही रहा था जब उसकी बात बीच मे काटते हुए रूमा ने गुस्से में कहा.... जमान तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कॉलेज आने की और मेरे दोस्तोंके सामने मुझसे ऐसे बात करने की? हां बात ही तो करनी है मुझे तुमसे रूमा लेकिन अकेले में। लेकिन मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी चले जाओ तुम यहां से देखो अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारे कॉलेज में तुम्हारे दोस्तों के सामने कोई तमाशा ना हो तो फिर चुपचाप मेरे साथ चलो वरना मैं...!! ज़मान ने कहा और जैसे ही रूमा का हाथ पकड़ने के लिए उसने उसकी तरफ कदम बढ़ाए रूमा जल्दी से दौड़ते हुए बिना सांस लिए फटाफट उसकी गाड़ी का गेट खोलकर अंदर बैठ गई। रूमा ने ये सब इतनी जल्दी-जल्दी में गेट खोला और बंद किया था कि नाचाहते हुए भी ज़मान के होठों पर बेइख़्तियार हल्की सी मुस्कुराहट आ ही गई। ऐसे ही तो थी रूमाझल्ली सी पागल, शरारती जिस पर ज़मान कोदिल से प्यार आता था,उफ्फ जमान ये लड़कीं तो तुझे पागल कर देगी  यार,, ज़मान ने अपने आपसे कहा और आंखों पर गॉगल्स लगाते हुए आकर गाड़ी की स्टेरिंग संभालता हुआ गाड़ी आगे बढ़ा ले गया। रास्ते पर दोनों के बीच कोई भी बात नहीं हुई थी जमान ने गाड़ी लाकर इस सुनसान रोड के पास रोक दी थी रूमा ने उसकी तरफ देखा और गाड़ी का गेट खोलकर बाहर जाने लगी जब ज़मान ने उसका हाथ थामकर उसे उसकी ही सीट पर वापस बिठा दिया। क्या है हां बहुत ज्यादा नखरे दिखा रही हो देख रहा हूँ तो दिखाती ही रहोगी क्या रूमा तुम? छोड़ो मेरा हाथ ज़मान डोंट टच मी अगेन!  रुमा जोर से चीख उठी थी और गाड़ी में पूरी तरह सन्नाटा छा गया क्योकि ज़मान ने जो अबतक उस पर सर्द नज़रे गड़ाए उसे देखते हुए उसकी कलाई कसकर पकड़ रखी थी अब आहिस्ता से उसे छोड़ दी थी और चुपचाप अपनी जगह पर जम गया, वही रुमा भी अपनी जगह पर खामोश बैठी रही इस वक्त दोनों ही एकदूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे। गाड़ी में माहौल एकदम सादा सा हो गया था शांत, काफी वक्त बीत गया जब बहुत देर बाद ज़मान ने सर झुकाए हुए ही झुकी-झुकी पलकों से होंठ हिलाए... आई एम सॉरी रूमा!! ज़मान की सॉरी सुनकर रूमा के आंखों में भरे आंसू उसने सख्ती से अपनी हथेलियो की पुश्त से रगड़ लिए और उसकी तरफ बेभाव अंदाज में देखते हुए पूछा.... सॉरी पर क्यों? रूमा का इत्मीनान से नॉर्मल लहजा था और अब ज़मान भी उसकी तरफ पलटकर देखने लगा.... देखो रूमा मैं जानता हूं तुम मुझसे नाराज हो लेकिन प्लीज अगर तुम नाराज हो तो गुस्सा करो मुझे डांट लो चाहे तो मार लो लेकिन इस तरह चुप तो मत रहो यार कुछ बोलो, कभी कुछ तो बोलो रूमा प्लीज्? ज़मान अब चुप नही रही पाया था और बिना सांस लिए बोलता रहा..... रूमा तुम्हें पता है कितने दिन हो गए हैं तुमने मुझसे बात करना तो दूर मेरी तरफ देखा तक नहीं है... मेरी कॉल नही उठाती मेरे मैसेजेस का रिप्लाई नहीं देती हो आखिर ये.....! बस करो ज़मान!  ज़मान अभी आगे और भी कुछ बोल पाता की रूमा ने उसे अपने हाथ का इशारा दिखा कर सख्ती से चुप करा दिया।.... अब प्लीज् बस करो ज़मान तुम किस विरते पर मुझसे यह सब बोल रहे हो कि मैं तुमसे बात करूं हक क्या है तुम्हारा मुझ पे गुस्सा करने का? रूमा की आंखें भर आई थी और उसने एक बार फिर से अपनी हथेलियों से अपने आंसू साफ किये और चुपचाप खामोश होकर बैठ गई उसकी नजर अब बस ज़मान के हाथ की अंगुली में पड़ी नरगिस की पहनाई मंगनी की अंगूठी पर टिकी हुई थी और वह अब तड़पकर बरबस ही रो दी कि जमान को उसने अब खो दिया है जिसे वह हर कीमत पर पाना चाहती थी। ज़मान भी खामोश था जब रूमा की नजरों का पीछा करते हुए उसने अपनी अंगुली की वह इंगेजमेंट रिंग देखी तो जैसे शर्मिंदगी से भर गया दो दिन हो गए थे नरगिस से उसकी मंगनी को। रूमा मैं जानता हूं तुम बहुत नाराज हो मुझसे लेकिन यह सब इतनी जल्दी जल्दी में हुआ कि मुझे तुमसे बात करने का टाइम ही नहीं मिल पाया मैं तुम्हें बताना चाहता था लेकिन मेरे लफ्ज लड़खड़ा जाते मैं तुम्हें कैसे बताता कि मैं....!! ज़मान बोलते हुए एकदम से बेचैन सा जैसे शांत होकर रह गया था। कांग्रेचुलेशन जमान,, रूमा ने बेइख़्तियार भरी भरी आंखों से मुस्कुराते हुए गमगीन आवाज में कहा था और आगे बोली....ये तुम्हारी अपनी लाइफ है जमान तो डिसीजन भी सारे तुम्हारे ही होंगे किसे तुम तुम्हारी लाइफ मे सामिल करोगे किसे दफा करोगे यह तुम्हारा हक है.... मेरा क्या है ज़मान चली जाऊंगी मै नही,नही रूमा मै भला तुम्हे दफा कैसे कर सकता हूँ  यार?  ज़मान ने हल्के से कहा था पर उसे इग्नोर किये रूमा वैसे ही बोलती रही। तुम्हे पहले बताना चाहिए था ज़मान कि तुम्हें मेरी जरूरत नहीं है मैं यूं ही तुम्हारे रास्ते से हट जाती यूं इस तरह मुझे हर्ट करने की क्या जरूरत थी जमान अगर उस दिन मॉल में हमारी मुलाकात नहीं हुई होती तो आज तक मुझे पता ही नहीं चलता कि तुम मेरे नहीं हो? रूमा ने तकलीफ से कहा था तो जमान ने बेचैनी से उसकी तरफ देखा.... नही ऐसा मत बोलो रूमा भला मैं तुम्हारे लिए ही तो हूं। नही जमान नेवर तुम मेरे नही थे और अब मुझे मेरे घर ड्रॉप कर दो प्लीज मुझे जाना है!  रूमा जानबूझकर बेभाव सी बोल रही थी पर उसे ही पता था या फिर उसके दिल को कि इस वक्त जमान की आंखों में आंसू देख कर उसे कितनी तकलीफ हो रही थी जिस जमान को वह कभी दर्द में देखना ही नही चाहती थी आज उसका हर एक आंसू रूमा केलिए जानलेवा सा था प्लीज् रूमा मुझे माफ कर दो देखो मैं... मैं खुद नही समझ पा रहा क्या करूँ मैं रूमा कोई रास्ता नही दिख रहा मुझे इस वक्त?  ज़मान ने झल्लाहट से अपने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ कर बेकरारी से रूमा की आंखों में झांका था पर रुमा ने बेमुरव्वती से उसकी तरफ से निगाहे फ़ेर ली। जमान को बेहद दुख हुआ था रूमा की नजरों में अपने लिए बेरहमी देखकर,  रूमा जानता हूं मैं कि मैंने गलती की है मेरी सबसे बड़ी गलती तो यही है कि मैंने तुम्हें इस बारे में बताया नहीं तुम्हें कहीं और से मालूम हुआ लेकिन मैं अपने जीजू को इनकार नहीं कर सकता यार यू क्नो रूमा मै दो साल का था जब मेरे मम्मी पापा इस दुनिया से रुखसत हो गए तब मुझे मेरे जीजू ने ही पनाह दी मैं उनके एहसानों को भूल नहीं सकता और अपनी बहन के लिए मुझे चुनने का डिशिजन उनका है जिसके बारे में मुझे खुद पहले कुछ नही पता था मुझे भी जस्ट लास्ट मोमेंट पर पता चला कि नरगिस मुझे चाहती है और उसने यह अपने भाई को बताया तो उसके भाई यानि मेरे जीजू ने मेरे साथ उसकी शादी फिक्स कर दी। रूमा ट्रस्ट मी मै तो बस नर्गिस को अपनी एक अच्छी दोस्त ही समझता था क्योकि प्यार तो मेरा तुम हो रूमा और अगर नरगिस ने पहले मुझसे कुछ कहा होता तो मे उसे साफ मना ही कर देता पर उसने मेरे बजाय डायरेक्ट अपने भाई को बोल दिया और अब मै उन्हें तो इनकार नहीं कर सकता रूमा... प्लीज् रुमा मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है मुझे समझने की कोशिश करो यार प्लीज्, मैं बेवफा नहीं हूं? तो मतलब तुम्हें एहसास तो है जमान कि तुमने सबसे बड़ी गलती यहीं की है कि तुमने मुझे अंधेरे में रखा एटलीस्ट तुम पहले कुछ मुझसे बात तो करते लेकिन तुमने मुझ पर यकीन ही नहीं किया शायद जमान कि मैं तुम्हें समझूंगी? ज़मान की भरी भरी आंखों में सच्चाई झलक रही थी और जिस पर रूमा को भी रोना आ गया लेकिन वह जानबूझकर बेमुरव्वत ही बनी रही और अपना एक-एक लफ्ज गुस्से में बोलती हुई जमान को डांट रही थी। जमान तुमने मुझे तब कुछ नहीं बताया जब मुझे सब जानने की जरूरत थी तो फिर अब क्यों बता रहे हो जबकि अब  तो मुझे कुछ जानना ही नही है । रूमा के कहते ही अब जमान जल्दी से बिना सांस लिए सफाई पेश करने के अंदाज में बोला... मैं तब भी तुमसे बात करना चाहता था रूमा तुमसे मिला भी कई बार लेकिन मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता था सो हर बार मै बस चुप होकर रह जाता रूमा आई स्वैर देखो जमान मैं तुमसे सफाई नहीं मांग रही हूं तुम बस मुझे यह बताओ तुम मुझे यहां क्यों लेकर आए हो मुझे घर जाना है? क्या बार बार घर जाने की रट लगा रखी है मैं कोई तुम्हें अगवा करके ले जा रहा हूं क्या? इस बार जमान जो पहले से ही टूटा हुआ सा था वह और भी ज्यादा ही इरिटेट हो गया और उसने जैसे रूमा को तेज आवाज में डांट ही दिया था लेकिन,रुमा पर उसका कोई असर नहीं हुआ वह बेभाव अंदाज में बोली.... किडनैप हां, तुम ये भी कर सकते हो जमान मुझे अब तुम पर जरा भी यकीन नहीं रहा तुम कुछ भी कर सकते हो। क्या, क्या बोला तुमने रूमा ? जमान इस बार रूमा के अंदाज पर जैसे चौक गया था और उसने रूमा की आंखों में झांकते हुए हैरत के सवाल किया था जैसे रूमा को उसकी बात का एहसास दिला रहा हो पर रूमा उसी तरह कठोर बनी रही। हां मुझे तुम पर यकीन नहीं है जमान अब तो बिलकुल नही! ओह अच्छा यानि इतना बुरा हूं मैं... तो अब तो तुम मुझे कभी याद भी नहीं करती होगी तुम, राइट? ज़मान ने आहिस्ता से मायूस लहजे में सवाल किया था और अपने हक के जवाब की उम्मीद में रुमा को देखता रहा थाजब रूमा ने नहीं में सर हिला दिया। नही ज़मान जिस दिन से मैंने तुम्हें तुम्हारी मंगेतर के साथ देखा है मुझे तुम्हारी याद नहीं आती जमान क्योंकि मैं तुम्हें यादनहीं करना चाहती अगर मैं तुम्हें याद करूंगी तो मेरे दिल को तकलीफ होगी और मेरे दिल को तकलीफ होगी तो वह बद्दुआ बनकर तुम्हारा सुकून बर्बाद कर सकती है क्योकि किसी के दिल को दुखाना अच्छी बात नहीं है जो तुमने किया। रूमा काफी अफसोस में सर झुकाए बैठे धीरे-धीरे बोल रही थी और उसका हर एक लफ्ज ज़मान के दिल को छूता जा रहा था अगर मैं गलत थी जमान तो तुम मुझे छोड़ देते लेकिन इस तरह तोड़ देने की क्या जरूरत थी इसलिए जानबूझकर तुमसे दूर रहना चाहती हूं तुम्हारे बारे में सोचूंगी तो मुझे तकलीफ होगी और मेरी हर तकलीफ में तुम गुनाहगार होते जाओगे ज़मान एक इंसान का दिल दुखाना किसी इंसान के लिए उतना ही बड़ागुनाह है जैसे आपने खुदा को नाराज करना। यानि तुम मुझे माफ नहीं करोगी, है ना तो अब मेरे लिए तुम बद्दुआए भी करती होंगी फिर तो? जमान ने एक बार फिर से उसी मायूस लहजे में पूछा और रूमा ने नहीं में सर हिला दिया। जमान तुम्हारे लिए बद्दुआए करना यह इस रूमा से हो ही नहीं सकता लेकिन हां मैं तुम्हारे लिए अब दुआये भी नहीं करती ?  रूमा जवाब देने के साथ ही गाड़ी का दरवाजा खोलकर झट से बाहर आ गई थी। खुदा हाफिज जमान,ऑलवेज गुड बाय,, ज़मान ने भी अपनी साइड का दरवाजा खोला और जल्दी से दौड़ते हुए रूमा के सामने आकर खड़ा हो गया... रूमा देखो प्लीज मेरी बात तो सुनो यार कहाँ जा रही हो मैं....!!