क्या होगा जब कोई जिंदगी में आप की कोई कीमती चीज चुराने के मकसद से आया हो और बदले में चुरा ले आपका दिल? ऐसा ही कुछ हुआ माफिया किंग अंशुमन राणा के साथ जिसे माफिया अंडरवर्ल्ड का किंग और बिजनेस में सब जगह पर राणा साहब के नाम से जाना जाता था। एक रात नाइट... क्या होगा जब कोई जिंदगी में आप की कोई कीमती चीज चुराने के मकसद से आया हो और बदले में चुरा ले आपका दिल? ऐसा ही कुछ हुआ माफिया किंग अंशुमन राणा के साथ जिसे माफिया अंडरवर्ल्ड का किंग और बिजनेस में सब जगह पर राणा साहब के नाम से जाना जाता था। एक रात नाइट क्लब में वह मिला एक खूबसूरत हसीना से जो एक खास मकसद से आई थी उसके करीब और अपना मकसद पूरा करके वह चुपचाप उस क्लब से और अंशुमन राणा की जिंदगी से भी निकल जाना चाहती थी लेकिन हमारे माफिया किंग के होते हुए ऐसा कहां हो सकता है? हमारे राणा साहब का दिल चोरी करके ले जाने वाली लड़की को राणा साहब ले आए अपने घर उसी रात और फिर जो हुआ वह जानने के लिए पढ़िए "Mafia's Heart Stealer"
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1 Starlit Crown Bar, शहर का एक लग्जरी और आलीशान नाइट क्लब, जिसे रात 10:00 के बाद केवल चुनिंदा वीआईपी क्लाइंट्स के लिए खोला जाता था। वहां चारों तरफ चमचमाती एलईडी लाइट्स बार-बार रंग बदल रही थी। फ़र्श पर घूमती हुई लाइटें, चारों तरफ़ महंगे परफ्यूम की हल्की खुशबू और डीजे पर बजते म्यूज़िक की हल्की धुन माहौल को और भी शानदार बना रही थीं। उसी क्लब के बीचों-बीच बना बार काउंटर मेटल और लकड़ी से डिजाइन किया गया था, जिस पर रखे कांच के गिलास चमक रहे थे। पिंक कलर की शिमरी वन पीस पहने हुए, एक बहुत ही खूबसूरत लड़की उस नाइट क्लब के दरवाजे से अंदर आई। उसके हाई हील्स की आवाज़ उसे म्यूजिक के बीच भी वहां पर साफ सुनाई दे रही थी। उसने चारों तरफ एक नज़र डाली, जैसे उसकी निगाहें किसी को खोज रही हो। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसकी गहरी कत्थई आँखों में कोई और ही कहानी छिपी थी। ऐसा लग रहा था, जैसे वह यहाँ मज़े करने नहीं, बल्कि किसी खास मकसद से आई हो। आगे आकर बार काउंटर के पास रुकते हुए उसने अपनी पतली उँगलियों से बालों को पीछे किया, और फिर धीमे कदमों से वह उसे अट्रैक्टिव दिखने वाले आदमी की तरफ बढ़ने लगी। वह आदमी जिसने हाथ में बहुत ही महंगी घड़ी पहनी हुई थी और डार्क ब्राउन कलर का टक्सीडो सूट पहने हुए वह आदमी अपने हाथ में एक व्हिस्की का गिलास पड़े हुए था। उस लड़की को अभी उस आदमी की पीठ ही नजर आ रही थी और एक साइड लेकिन फिर भी वह काफी ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहा था उसके गर्दन तक आते हुए डार्क ब्राउन कलर के बाल थे जो कि पीछे की तरफ किए हुए थे और वह सूट भी उसकी वेल बिल्ड बॉडी पर एकदम कसा हुआ था और वह काफी स्टाइल से बैठा हुआ था। वैसे तो वहां पर बहुत कम ही लोग थे लेकिन फिर भी उन सब के बीच वह लड़की सिर्फ उस आदमी की तरफ अट्रैक्ट हुई इसलिए बिना देर किया वह सीधा उसके एकदम नजदीक पहुंच गई। लड़की जब उसके नजदीक पहुंची तब उसे सुनाई दिया कि वह आदमी कॉल पर किसी से बात कर रहा था, कान में लगे हुए ब्लूटूथ से और बहुत ही धीमी आवाज में उसने कुछ कहा जो कि एकदम साइड में खड़ी उस लड़की को भी सुनाई नहीं दिया। उस आदमी के साइड वाली चेयर पर इशारा करते हुए उस लड़की ने पूछा, "Hey Handsome! Can I sit here?" लड़की की आवाज कान में पड़ते ही उस आदमी ने पीछे मुड़कर देखा तो उसके सामने एक बहुत ही खूबसूरत प्यारी सी दिखने वाली लड़की खड़ी थी जिसने अपनी ही तरह बहुत खूबसूरत पिंक कलर की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी और वह सवालिया नज़रों से जवाब के इंतजार में उसकी तरफ देख रही थी। चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल के साथ उस हैंडसम आदमी ने जवाब दिया, "Yes, Yes Plz, You can sit anywhere you want!" उस आदमी की स्माइल देखकर तो लड़की जैसे सब कुछ भूल गए और उसकी बोलती भी बंद हो गई वह आदमी बहुत ही ज्यादा हैंडसम था उसकी हल्की सेट बियर्ड, लॉन्ग ब्राउन हेयर और लाइट ब्राउन कलर की आंखें थी जिससे वह उस लड़की की तरफ ही देख रहा था और दोनों की नजरे मिली तो दोनों ही कुछ पलों के लिए अपनी पलकें झपकाना तक भूल गए थे। लड़की अभी भी खड़ी हुई थी तो उस आदमी ने कहा, "आपको पूछने की जरूरत नहीं थी आप बैठ सकती हैं?" उस आदमी का इतना कहना था कि वह लड़की एकदम ही आगे आकर उस आदमी की गोद में बैठ गई और उस लड़की का ऐसा बोल्ड मूव देखकर वह आदमी जो ड्रिंक पी रहा था उसके गले में अटक गई और उसे खांसी आने लगी। लड़के ने माफी मांगते हुए कहा, "ओह आई एम सॉरी बट वह मैंने ऐसा कुछ नहीं सोचा था!" उस लड़की ने बहुत ही सिडक्टिव तरीके से अपने निचले होठों को बाइट करते हुए और आंख मारते हुए कहा, "वो आपने कहा ना, जहां चाहूं मैं वहां बैठ सकती हूं तो बस मुझे शायद यहां पर ही बैठना था, बट आपको कोई प्रॉब्लम है तो मैं उठ जाती हूं।" इतना बोलकर उस लड़की ने बस उठने का नाटक किया लेकिन वह अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिली और उस लड़के ने भी लड़की का हाथ पकड़ते हुए कहा, "नहीं, मुझे क्या प्रॉब्लम होगी इतनी खूबसूरत लड़की अगर मेरे इतना नज़दीक रहे तो.." इतना बोलते हुए उस आदमी ने अपनी एक उंगली उस लड़की के चेहरे पर फिराई और लड़की ने तुरंत ही उसका वह हाथ पकड़ लिया। वह लड़की अभी भी आदमी की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी और तभी आदमी ने उसके नजदीक आने की कोशिश की लड़की ने मुस्कुरा कर हल्का सा अपना चेहरा पीछे कर लिया लेकिन उस लड़के को खुद से दूर नहीं किया। लड़की ने अपने मन में कहा, "इतना जल्दी कैसे मूड बन गया इसका, अभी तो मैंने कुछ बोला भी नहीं और यह सिधा किस करने आ रहा है हे भगवान क्या करूं मैं? बचा ले रे देवा!" लड़की के चेहरे पर एक फेक स्माइल थी और वह मन ही मन यह सब बोल रही थी और उस लड़के का एक हाथ लड़की की कमर पर पहुंच चुका था और उस आदमी का दूसरा हाथ उस लड़की ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। उन दोनों के हर लिप्स बस टच होने ही वाले थे कि तभी पीछे से किसी की आवाज आई, "बाॅस टाइम हो चुका है!" वह दोनों ही एक दूसरे के काफी नजदीक आ चुके थे और लड़की भी उस आदमी को नहीं रोक रही थी और दोनों के लिप्स जैसे ही टच हुए वह आवाज सुनते ही लड़की एकदम से पीछे हो गई और आदमी को भी ना चाहते हुए पीछे होना पड़ा उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहां पर ब्लैक सूट पहने हुए एक लंबा चौड़ा सा आदमी खड़ा था जिसके चेहरे पर एकदम सीरियस एक्सप्रेशन थे। उस आदमी ने चिढ़कर कहा, "Can't you wait for 2 minutes! You can see I am busy!" सामने खड़े आदमी ने नजर झुका कर जवाब दिया, "सॉरी बॉस! लेकिन क्लाइंट 1 घंटे से आपका वेट कर रहे हैं। क्या मैं उन्हें मना कर दूं?" वह उस आदमी का बॉडीगार्ड लग रहा था और अपने बॉडीगार्ड की बात सुनते ही उस आदमी ने बेबी भरी नजरों से उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा, "सॉरी मिस बट एक इंपॉर्टेंट काम है मैं बस वह निपटाकर आता हूं। मुझे उम्मीद है हम दोबारा ज़रूर मिलेंगे। और वह भी बहुत जल्द..." उस आदमी ने लड़की की तरफ देख कर आंख मारी तो लड़की उसकी बात का मतलब समझते हुए हल्का सा मुस्कुराई और उसने धीरे से अपना सिर हिला दिया लेकिन जैसे ही लड़का आगे बढ़ा वह अपनी जगह पर रुक गया क्योंकि लड़की ने अभी भी उसका हाथ पकड़ा हुआ था। लड़के ने रख कर अपने हाथ की तरफ इशारा किया तो लड़की ने जल्दी से उसका हाथ छोड़ते हुए कहा, "ओह सॉरी, my bad.. Bye!" इतना बोलकर वह मुस्कुराई और उसने अपने हाथ की मुट्ठी एकदम कस कर बांध ली लड़का अपने बॉडीगार्ड के साथ वहां से चला गया जाने से पहले उसने एक बार फिर से मुड़कर उस लड़की की तरफ देखा जो अभी भी वहां पर खड़ी उसकी तरफ देखकर अपना हाथ हिला रही थी। वह आदमी साइड में बने एक वी आई पी रूम के अंदर चला गया और उसके पीछे ही उसका बॉडीगार्ड भी उसे रूम के अंदर गया और उन दोनों के अंदर जाते ही कमरे का दरवाजा बंद हो गया। उस लड़की ने हंसते हुए कहा, "दोबारा फिर से मिलेंगे? हा हा इन योर ड्रीम्स बेबी! मेरा काम तो हो गया, अब ढूंढते रहना शरण्या को!" इतना बोलकर उस लड़की ने अपने हाथ की मुट्ठी खोली जिसमें वही चमचमाती हुई डायमंड रिंग थी जो कुछ देर पहले तक उस आदमी की उंगली में थी। लड़की ने तुरंत ही उस रिंग को अपने वॉलेट में रखा और तुरंत ही वहां से बाहर निकल गई। कुछ देर के बाद, रात के लगभग 12:00 का वक्त, सुनसान सड़क पर ब्लैक हूडी जैकेट और ब्लैक जींस पहने हुए एक लड़की अपनी हूडी की पॉकेट में हाथ डाले हुए सीधे चलती चली जा रही थी। वो लड़की और कोई नहीं शरण्या थी। शरण्या ने खुश होकर अपने आप से बात करते हुए कहा, "आज तो मजा आ गया, कैसे कैसे बेवकूफ लोग होते हैं सुंदर लड़की देखी नहीं कि बस फिर चेहरे के अलावा और कहीं नज़र ही नहीं जाती।" उस लड़की की आवाज़ धीमी थी लेकिन फिर भी उसकी बात के जवाब में एक तेज आवाज उस सन्नाटे में गूंजी, "किंग को बेवकूफ बनाना इतना भी आसान नहीं है और तुम्हें क्या लगा मेरी इतनी कीमती चीज चोरी करने के बाद मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने दूंगा।" वह आवाज अपने पीछे से आई हुई सुनकर लड़की के कदम अपनी जगह पर जैसे एकदम जम गए और वह एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाई। वह लड़की कुछ भी सोच या कर पाती उससे पहले ही उसे अपने दोनों साइड पर कुछ कारें आकर रुकती हुई नज़र आई तो लड़की ने अपने मन में कहा, "लगता है गलत आदमी पर हाथ डाल दिया इस बार, मैं तो बुरा फंस गई। क्या करूं अब?" वह आदमी एकदम स्टाइल से चलता हुआ जाकर शरण्या के सामने खड़ा हो गया और उसने कहा, "तुम्हें क्या लगा था किंग की मर्जी के बिना उसके नज़दीक आओगी और फिर अपनी मर्जी से ही दूर भी चली जाओगी, इतना आसान है क्या?" शरण्या को कुछ और समझ नहीं आया तो उसने तुरंत ही अपनी पॉकेट से वह अंगूठी निकाल कर उस आदमी के सामने करते हुए कहा, "sorry! यह लो अपनी रिंग वापस, मैंने और कुछ नहीं लिया था। अब मुझे यह भी नहीं चाहिए और मुझे जाने दो बस..." अंगूठी को अपने हाथ में लेकर देखते हुए उस आदमी ने कहा, "यह तो बहुत ही मामूली सी चीज़ है!" इतना बोलकर उस आदमी ने हाथ में पकड़ी हुई उस अंगूठी को वहीं सड़क पर कहीं फेंक दिया। इतनी कीमती अंगूठी को इस तरह फेंक देने पर शरण्या ने दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ते हुए तेज आवाज में चिल्लाया, "यह क्या किया तुमने? तुम पागल हो क्या? तुम्हें अंगूठी नहीं चाहिए तो फिर मेरे पीछे क्यों आए? मुझे ही दे देते थे वह... शिट!" उस आदमी ने शरण्या के नजदीक आते हुए कहा, "कोई कीमत नहीं है उस पत्थर की तुम्हारे सामने, जान... और वैसे भी मैं तो उस कीमती चीज की बात कर रहा हूं जो तुमने पहली नज़र में ही चुरा लिया था, मेरा दिल! उसका क्या, वह कैसे वापस करोगी तुम?" To Be Continued
2 शरण्या ने अपने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और उल्टा चलकर पीछे हटते हुए बोली, "क्या बकवास कर रहे हो और तुम जो भी हो, हटो मेरा रास्ता छोड़ो। मुझे यह दिल दुनिया की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है।" उस आदमी ने शरण्या का हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, "अरे ऐसे कैसे नहीं है अभी थोड़ी देर पहले तो इतनी दिलचस्पी दिखा रही थी और अब एकदम से ये बेरुखी, नहीं चलेगी!" उस आदमी ने शरण्या को अपनी बाहों में भर लिया था और शरण्या उसकी पकड़ से छूटने के लिए छटपटाने लगी। शरण्या ने छूटने की कोशिश में हिलते डुलते हुए कहा, "क्या कर रहे हो तुम छोड़ो मुझे? पागल साइको हो क्या तुम तुम्हें भी अच्छी तरह से पता है कि मैं उस टाइम वो सब क्यों कर रही थी मुझे तुममें नहीं तुम्हारी उस डायमंड रिंग में इंटरेस्ट था जो तुमने फेंक दी और पता नहीं क्या बकवास कर रहे हो?" उस हैंडसम आदमी ने अपने दिल पर हाथ रखते हुए कहा, "आउच, झूठ ही बोल देती मेरे दिल की खुशी के लिए और चलो मेरे साथ, अच्छी तरह से समझाता हूं।" इतना बोलकर उसने शरण्या को गोद में उठा लिया और उसे लेकर कार की तरफ बढ़ने लगा। शरण्या ने तेज आवाज़ में चिल्ला कर कहा, "मुझे कहीं नहीं जाना और मुझे कुछ नहीं समझना छोड़ो मुझे..." वह कार के सामने पहुंचा तो उसके बॉडीगार्ड ने दरवाजा खोल दिया और वह आदमी शरण्या को अपनी गोद में लेकर करके अंदर बैठ गया और उसके बैठे ही वह गाड़ी स्टार्ट हो गई कार के अंदर से अभी भी शरण्या के चलने की आवाज आ रही थी लेकिन उसके चिल्लाने से किसी को कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था। ******** एक बहुत ही बड़ी बिल्डिंग के दसवें फ्लोर पर बना हुआ बहुत ही खूबसूरत और लग्जरी पेंट हाउस जिसकी बालकनी की दीवारें ग्लास की बनी हुई थी और वहां से बाहर की पूरी सिटी और आसपास का पूरा एरिया नजर आ रहा था। रात के इस वक्त, आसपास की सारी बिल्डिंग लाइट्स से जगमगा रही थी और तभी एकदम से अपनी गोद में एक लड़की को लिए हुए बहुत ही हैंडसम लंबा चौड़ा सा आदमी उस कमरे के अंदर आया और कमरे की एकदम बीच में बने हुए राउंड शेप के बेड पर लगभग पटकते हुए उस आदमी ने शरण्या को रखा। उस आदमी के साथ आए उसके बॉडीगार्ड और बाकी सारे लोग पेंटहाउस के बाहर ही रुक गए थे और उस आदमी के इशारे पर उस लग्जरी पेंट हाउस का मेन दरवाजा भी बाहर से लॉक हो गया था। शरण्या ने तुरंत ही बेड से उठने की कोशिश की, "ये सब क्या कर रहे हो तुम, कौन हो तुम और क्यों लेकर आए हो मुझे यहां पर, तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है मैं इतनी देर से चिल्ला रही हूं और तुम.." शरण्या बोल ही रही थी कि तभी उसे अपने होठों पर उस आदमी के होंठ महसूस हुए तो वह एकदम से अपनी जगह पर जम गई और वह आदमी एकदम ही पैशनेट होकर उसे किस करने लगा शरण्या की आंखें हैरानी से एकदम बड़ी हो गई लेकिन वो कुछ भी रिएक्ट नहीं कर पाई। किस करते हुए उस आदमी ने शरण्या के दोनों हाथ को एकदम कसकर पकड़ लिया और उसके हाथों सीधा फैलाते हुए उसने शरण्या को पूरी तरह से बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया था। शरण्या को जब उसका भार अपने शरीर पर फील हुआ तब वह जैसे एकदम होश में आई और अपने होंठों को कसकर बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाई क्योंकि वह आदमी कुछ ज्यादा ही पावरफुल था और शरण्या उसके आगे कुछ भी नहीं कर पा रही थी। कुछ मिनट तक किस करने के बाद उसने खुद ही शरण्या किए होठों को छोड़ा और फिर थंब से अपने होठों को टच करके मुस्कुराते हुए कहा, "you taste so good!" उस आदमी के चेहरे की मुस्कुराहट देखकर शरण्या ने एकदम से कहा, "ओके, अगर तुम यही चाहते हो तो फिर यही सही..." इतना बोलकर शरण्या ने तुरंत ही एक झटके से उस आदमी को अपने नीचे कर दिया और खुद उसके ऊपर बैठ गई और झुक कर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी। उस आदमी को शरण्या की तरफ से ऐसे मूव की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसीलिए उसका मुंह हैरानी से खुल कर खुला रह गया और वह बहुत ही ज्यादा सरप्राइज्ड होकर उसकी तरफ देख रहा था। शरण्या ने एक झटके में उसकी शर्ट के सारे बटन खोल डालें और उसकी चेस्ट पर अपने हाथ फिराने लगी। शरण्या की नाज़ुक मुलायम पतली उंगलियों का टच जैसे ही उस आदमी को अपनी चेस्ट और बॉडी पर फील हुआ वह एकदम से बहुत ही ज़्यादा एक्साइटेड हो गया। उसका हाथ अपने आप ही शरण्या की कमर पर आ गया और उसने शरण्या को अपने एकदम नज़दीक खींचते हुए लगभग अपने ऊपर लेटा लिया और शरण्या ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "इतना हैरान होने की ज़रूरत नहीं है। यही चाहते हो ना तुम.. तो फिर ठीक है। लेकिन तुम जो कोई भी हो, तुम्हें मुझसे यह वादा करना होगा कि आज की रात मेरे साथ बिताने के बाद फिर से तुम मेरे पीछे नहीं आओगे और यह सिर्फ वन टाइम थिंग होगी।" शरण्या की यह बात सुनते ही उस आदमी के चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम ही चेंज हो गए और वह अब थोड़ा सा नाराज़ लग रहा था और उसने शरण्या के दोनों हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, "ध्यान से देखो मेरी आंखों में और फिर बताओ, मैं क्या चाहता हूं क्या नहीं? क्या सच में तुम्हें लगता है मैं सिर्फ़ यही चाहता हूं और कौन हूं मैं, तुम सच में मुझे नहीं जानती हो क्या?" उस आदमी के यह बात बोलते ही शरण्या की नज़रें ना चाहते हुए भी उसकी आंखों पर पड़ी और उसकी आंखों में शरण्या को कुछ अलग ही नजर आ रहा था। शरण्या इस बात को मनाना नहीं चाहती थी लेकिन इस वक्त उस आदमी की आंखों में शरण्या को अपने लिए लस्ट से काफी ज़्यादा कुछ नज़र आ रहा था। वो जो कुछ भी था, वह इसे प्यार का नाम तो बिल्कुल भी नहीं देना चाहती थी अपने दिमाग में किसी भी कोने में वह ऐसा नहीं सोचना चाहती थी लेकिन उसकी आंखों में देखते हुए फिर भी उसके दिमाग में यह सारे थॉट्स आ रहे थे। शरण्या ने तुरंत ही अपनी नज़रें फेर ली और चेहरा दूसरी तरफ करके इधर-उधर देखते हुए कहा, "तुम.. तुम कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है जबकि तुम भी बस वही चाहते हो जो सारे आदमी चाहते हैं और इसीलिए ही तो मुझे यहां अपने घर लेकर आए हो, जबरदस्ती बिना मेरी मर्जी के और फिर तुमने जबरदस्ती ही मुझे किस भी किया और अब इस तरह.. क्या मतलब हो सकता है इन सब बातों का..." शरण्या के चेहरे पर हाथ रखकर उसकी आंखों में देखते हुए उस आदमी ने कहा, "मैं जो चाहता हूं वह मैं तुम्हें पहले ही बता चुका हूं कि मेरा दिल चुरा चुकी हो तुम? अंशुमन राणा का दिल, कोई आज तक इस दिल के आसपास भी नहीं पहुंच पाया और तुम पहली नजर में ही सीधा दिल के अंदर... उफ्फ्! और मुझे नहीं जानती तो बस इतना जान लो कि आज से मैं सिर्फ तुम्हारा हूं और तुम सिर्फ़ मेरी!" अंशुमन का हाथ शरण्या के गालों पर था और शरण्या ना चाहते हुए भी उसकी आंखों में देखने पर मजबूर थी क्योंकि इस वक्त उन दोनों का चेहरा आमने-सामने था और वह दोनों बिस्तर पर एक साथ थे। शरण्या को पता नहीं क्यों उसकी बातों में कुछ ऐसा जादू सा महसूस हो रहा था कि वह उसकी बातों में खोती चली जा रही थी जबकि वह उसकी बातों में नहीं आना चाहती थी। वह बहुत ही स्ट्रांग माइंड की लड़की थी और उसके सारे थॉट्स बहुत ही क्लियर रहते थे लेकिन आज पहली बार ही उसे काफी अजीब सा महसूस हो रहा था। उसकी सांसे तेज हो गई थी लेकिन जैसे ही वह होश में आई उसने तुरंत ही अंशुमन की बात का जवाब देते हुए कहा, "अंशुमन राणा या कोई भी हो तुम? मुझे तुम्हारी बकवास बातों में कोई भी दिलचस्पी नहीं है और रही बात दिल और प्यार मोहब्बत की तो यह सब सिर्फ झूठ होता है सिर्फ एक फरेब! मुझे प्यार मोहब्बत में ज़रा भी विश्वास नहीं है इसलिए अगर तुम्हें मेरे साथ Sêxचाहिए तो मैं उसके लिए रेडी हूं। लेकिन बदले में तुम मुझे यहां से जाने दोगे और दोबारा कभी भी मेरे पीछे नहीं आओगे।" अंशुमन ने शरण्या के गालों पर हाथ फिराते हुए कहा, "सबसे पहली बात मुझे तुम्हारे साथ वन नाइट स्टैंड नहीं चाहिए।" उसकी यह बात सुनते ही शरण्या ने एक झटके से अपना चेहरा घुमाकर उसकी तरफ देखा तो अंशुमन ने तुरंत ही अपनी बात बदलते हुए कहा, "मेरा मतलब है सिर्फ Sêx नहीं चाहिए मुझे तुम चाहिए पूरी की पूरी, तुम्हारा दिल, तुम्हारी बॉडी, तुम्हारी सोल और तुम्हारा सब कुछ चाहिए मुझे!" इतना बोलते हुए अंशुमन ने शरण्या को अपने ऊपर एक झटके से खींचा और शरण्या उसके ऊपर लगभग लेट गई तो अंशुमन ने उसे कसकर पकड़ते हुए धीरे से अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए। शरण्या ने दोबारा उसकी पकड़ से छूटने की नाकाम कोशिश की लेकिन कोई भी फायदा नहीं हुआ और अंशुमन ने उसकी गर्दन पर किस करना शुरू किया और किस करते-करते वह उसकी स्किन को बाइट करने लगा और बाइट करते हुए अब वह उसकी नेक एरिया को सक कर रहा था। "आह्..." - शरण्या के मुंह से एक मीठी आह निकल गई क्योंकि अंशुमन ने अपने दांत उसकी गर्दन पर गड़ा दिए थे। शरण्या इसके लिए तैयार नहीं थी लेकिन पता नहीं क्यों वो इस बार अंशुमन को खुद से दूर भी नहीं कर पाई और उसकी बॉडी कुछ अलग ही रिएक्ट कर रही थी। अंशुमन की नज़दीकी उसे एक अलग ही एहसास दे रही थी एक ऐसा एहसास जो उसे आज तक कभी भी नहीं हुआ था और उसकी आंखें अपने आप ही बंद हो गई थी वह पूरी तरह से इस लम्हे को खुद में महसूस कर रही थी। शरण्या के हाथ अंशुमन की बाजुओं पर कस चुके थे और उसकी गर्दन पर अपनी छाप छोड़ने के बाद अंशुमन ने अपना चेहरा हल्का सा उठाया और वह पीछे हुआ फिर उसने शरण्या की गर्दन पर बने हुए लव बाइट के गहरे बैंगनी रंग के निशान को देखा और उसे देखकर वह बहुत ही प्राउडली मुस्कुराया। उसके दूर होते ही शरण्या ने भी धीरे से अपनी आंखें खोली और जैसे ही उसने अंशुमन को मुस्कुराते हुए देखा, उसने तुरंत उसकी चेस्ट पर हाथ रखकर एकदम से उसे पीछे पुश किया। शरण्या के ऐसा करने पर अंशुमन का सिर बेड के क्राउन से टकराया लेकिन उसे इतना कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। अंशुमन अभी भी पहले की तरह मुस्कुरा रहा था लेकिन शरण्या तुरंत ही पीछे होकर बेड पर बैठ गई। शरण्या को अपना चेहरा सामने लगे शीशे में नजर आया और अपनी गर्दन पर नजर पड़ते ही शरण्या ने तेज आवाज में कहा, "क्या किया तुमने ये, पागल हो क्या? जानवर कहीं के, इतनी तेज दर्द हो रहा है मुझे और तुम.. ऐसे इडियट की तरह स्माइल कर रहे हो अभी तुमने कहा था कि तुम्हें मेरी बॉडी से मतलब नहीं है, तुम्हें मेरे साथ Sêx नहीं करना और फिर यह... क्या है यह?" To Be Continued
3 शरण्या को अपना चेहरा सामने लगे शीशे में नजर आया और अपनी गर्दन पर नजर पड़ते ही शरण्या ने तेज आवाज में कहा, "क्या किया तुमने ये, पागल हो क्या? जानवर कहीं के, इतनी तेज दर्द हो रहा है मुझे और तुम.. ऐसे इडियट की तरह स्माइल कर रहे हो अभी तुमने कहा था कि तुम्हें मेरी बॉडी से मतलब नहीं है, तुम्हें मेरे साथ Sêx नहीं करना और फिर यह... क्या है यह?" शरण्या के इस तरह से चिल्लाने पर भी अंशुमन पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ा उल्टा उसने उसी तरह मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "ओह, ये.. यह तो मैंने बस तुम्हें अपने प्यार की निशानी दी है जिससे कि तुम्हें कोई भी देख ना तो उसे पहले ही पता चल जाए कि तुम मेरी हो! वैसे अब कोई हिम्मत नहीं करेगा तुम्हें नजर उठा कर देखने की। अंशुमन राणा की छाप जो पड़ गई है अब तुम पर.." शरण्या ने साइड होकर उठने की कोशिश करते हुए कहा, "पूरे पागल हो तुम, कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा और अगर तुम्हें मुझ में सच में कोई इंटरेस्ट नहीं है तो फिर जाने दो मुझे और यह निशान अभी 1 घंटे में चला जाएगा।" वह बेड पर उठकर बैठी और उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया, ऊपर हाथ करके वह अपने बिखरे हुए बालों को समेट ही रही थी तभी उसे अपनी कमर पर दो मज़बूत हाथों की पकड़ महसूस हुई। शरण्या की कमर को पीछे से कसकर पकड़ते हुए अंशुमन ने उसके कान में कहा, "तुम अभी मुझे जानती नहीं हो ना, जान! लेकिन इतना जान लो कि तुम पहली लड़की हो जिसे अंशुमन राणा अपने बेडरूम तक खुद लाया है इसलिए अब मुझसे दूर जाने के बारे में सोचना भी छोड़ दो और यह निशान भी इतनी आसानी से नहीं जाने वाला क्योंकि यह मेरे प्यार की निशानी जो है।" इतना बोलते हुए अंशुमन ने एकदम से शरण्या के कान पर हल्के से किस कर दिया तो शरण्या एकदम अंदर तक सिहर उठी और उसे अपनी बॉडी में कब-कब्र सी महसूस हुई अनजाने ही उसका हाथ अंशुमन के हाथ पर चला गया और अंशुमन फिर से मुस्करा उठा। शरण्या ने किलसकर कहा, "प्यार मोहब्बत कुछ नहीं होता सब बकवास और खाने की बातें होती हैं इसलिए मुझे तुमसे कभी भी प्यार नहीं होने वाला और तुम भी यह झूठ बोलना बंद करो, मुझे भी और खुद से भी!" उसकी आंखों में एक अनजाना दर्द साफ झलक रहा था और एक खालीपन था उसके चेहरे पर... शरण्या का चेहरा अपनी तरफ घूमते हुए अंशुमन ने कहा, "मैं कोई झूठ नहीं बोल रहा, जान! मेरी आंखों में देखो तुम्हें खुद ही अपने लिए प्यार नजर आएगा और वैसे भी तुम खुद से मेरे नजदीक आई हो मेरी जिंदगी में और जब इतने करीब आकर तुमने मेरे दिल चुरा लिया है तो कैसे मैं तुम्हें खुद से दूर जाने दे सकता हूं आप तो तुम इस माफिया किंग की क्वीन बनोगी!" शरण्या ने हंसकर उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, "मुझे यकीन नहीं है और क्या कहा तुमने माफिया किंग? बहुत अच्छा मजाक कर लेते हो तुम! कोई माफिया किंग इतना भी वेल्ला नहीं होगा तुम्हारी तरह, कि ऐसे एक लड़की के पीछे आए।" अंशुमन ने मुंह बनाते हुए कहा, "अच्छा तो किस बात पर भरोसा करोगी, जान! तुम्हें तो मेरी किसी भी बात पर भरोसा नहीं है बताओ कैसे यकीन करोगी तुम मुझ पर? क्या करूं मैं अपना प्यार साबित करने के लिए क्योंकि और कुछ मुझे साबित करने की ज़रूरत नहीं है! तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा बस मेरे साथ रहो कुछ दिन.." शरण्या ने उसकी कमर से अपना हाथ हटाते हुए कहा, "क्यों रहूं मैं तुम्हारे साथ? मुझे नहीं रहना एक तो तुम मुझे जबरदस्ती यहां पर लेकर आए हो और इस तरह जबरदस्ती मेरे पीछे पड़े हो! यह प्यार नहीं होता, मुझे जाने दो अगर मुझे सच में प्यार करते हो तो अपने प्यार पर भरोसा रखो।" शरण्या बस किसी भी तरह वहां से निकलना चाहती थी इसलिए उसने उसे अपनी बातों में फंसाने की कोशिश करते हुए यह सब कुछ कहा और फिर जब आपका इंतजार में उसके चेहरे की तरफदेखने लगी। अंशुमन ने भी उठकर शरण्या के सामने खड़े होते हुए एकदम सीरियस होकर कहा, "नहीं, इतनी आसानी से तो मैं तुम्हें नहीं जाने देने वाला मुझे पता है तुम जानबूझकर मुझे उकसाने के लिए यह सारी बातें कर रही हो!" इस वक्त अंशुमन की आंखों में कुछ अलग ही जुनून नजर आ रहा था तो शरण्या ने इरिटेट होते हुए चिल्ला कर कहा, "तो क्या चाहते हो तुम मैंने पहले ही तुम्हारे इरादे समझते हुए वन नाइट स्टैंड का ऑफर दिया था, तुम्हें जो करना है कर लो लेकिन उसके बाद बस मुझे यहां से जाने दो और बंद करो यह प्यार की झूठी बातें..." अंशुमन ने शरण्या की तरफ कदम बढ़ाते हुए कहा, "ठीक है, फिर अब मैं वही करूंगा जो मैं चाहता हूं।" शरण्या घबराकर अपनी जगह से पीछे हटने लगी क्योंकि अब उसे अंशुमन की आंखें एकदम डार्क होती नज़र आ रही थी और उसका औरा एकदम से चेंज हो गया था। वह इस वक्त, किसी खतरनाक माफिया की तरह लग रहा था, शरण्या इतनी देर से उसके साथ थी लेकिन अब तक उसने अंशुमन का यह रूप नहीं देखा था इसीलिए वह डरकर पीछे हट रही थी लेकिन उसके पीछे दीवार होने की वजह से वह और ज्यादा पीछे नहीं हो पाई और एकदम दीवार से लगकर खड़ी हो गई और अंशुमन ने अपने दोनों हाथ शरण्या के दोनों तरफ रखें और उसकी आंखों में देखने लगा लेकिन शरण्या ने डर की वजह से अपनी आंखें कसकर बंद कर ले और चेहरा भी नीचे झुका लिया। दीवार पर दोनों तरफ अपने हाथ रखते हुए अंशुमन ने इस वक्त उसे अपनी बाहों के बीच कैद कर लिया था और बहुत ही इंटेंशन नज़रों से वह शरण्या की तरफ देख रहा था। अंशुमन शरण्या के एकदम करीब आया और शरण्या की आंखें बंद थी और वह इस वक्त बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी डरी हुई थी उसने अपने हाथों की मुट्ठी एकदम कस कर बंधी हुई थी उसे नहीं पता था अगले पल में उसके साथ क्या होने वाला था लेकिन तभी एकदम से उसे अपनी बॉडी पर, हैवी प्रेशर फील हुआ क्योंकि सामने खड़ा अंशुमन अब एकदम नजदीक आ चुका था और उन दोनों की बॉडी के बीच हवा पास होने की भी जगह नहीं थी। अंशुमन ने पूरी तरह से उसे अपनी बाहों में जकड़ रखा था और शरण्या के पास हिलने की भी जगह नहीं थी। शरण्या ने अपने मन में कहा, "ये आखिर करना क्या चाहता है? कहीं सच में यह माफिया किंग तो नहीं है और मैं इतने बड़े आदमी से पंगा ले लिया।" अपने मन में यह सोचते हुए उसने धीरे-धीरे से अपनी आंखें खोली और जैसे ही उसने अपनी आंखें खोली उसे एकदम सामने अंशुमन का मुस्कुराता हुआ चेहरा नजर आया उसके बाल माथे पर बिखरे हुए थे और चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ वह इस वक्त बहुत ही ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहा था। शरण्या की नज़र उसके चेहरे पर पड़ी तो वह एक पल के लिए जैसे खुद को भी भूल गई और बिना पलकें झपकाए एकटक उसके चेहरे को निहारती रही। अंशुमन ने शरण्या की आंखों में देखते हुए कहा, "प्लीज बिलीव मी! मुझे तुमसे प्यार हो गया है पहली नजर का सच्चा प्यार और मैं आज तक तुम्हारे जितनी कमाल की लड़की नहीं देखी, आज तक कोई मेरा दिल नहीं चुरा पाया सिर्फ तुम ही इकलौती ऐसी हो इस पूरी दुनिया में, जिसे यह अंशुमन राणा अपने दिल में बसाने को तैयार हो गया है।" शरण्या ने अंशुमन की ऐसी बातें सुनी तो एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे वह एकदम सच बोल रहा हो क्योंकि शरण्या को उसकी आंखों में सिर्फ सच्चाई नजर आ रही थी। शरण्या ने धीरे से एक बार अपनी आंखें बंद करके दोबारा से खोली और तभी उसे एकदम से कुछ याद आया और वह बुरी तरह घबरा गई और घबराते हुए उसकी काफी डर लगने लगा था उसका पूरा शरीर का अपने लगा उसने दोनों हाथों को अपने कंधों पर रखते हुए खुद को एकदम कसकर पकड़ लिया। शरण्या ने एकदम किसी पागल की तरह चिल्लाते हुए कहा, "नहीं.... नहीं.. तुम.. तुम झूठ बोल रहे हो! मैं.. मैं तुम्हारी बातों में नहीं आऊंगी यह प्यार व्यार कुछ नहीं होता! मैंने कहा ना तुमसे मैं... मैं नहीं बनी हूं इन सबके लिए और मुझे कभी तुमसे प्यार नहीं हो सकता, कभी भी नहीं, किसी से नहीं।" उसे ऐसे चिल्लाते देखकर अंशुमन को भी थोड़ा सा अजीब लगा क्योंकि उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया था ना ही ऐसा कुछ कहा था तो वह थोड़ा सा पीछे हुआ लेकिन ज्यादा दूर नहीं गया। उसने शरण्या को एकदम कसकर पकड़ लिया और उसे झकझोरते हुए कहा, "क्या हुआ तुम्हें? इधर मेरी आंखों में देखो, क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों रिएक्ट कर रही हो मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया! तुम खुद ही तैयार थी ना, मेरे करीब आने के लिए और मेरे साथ रात बिताने के लिए। लेकिन मैं.. मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा तुम्हारे साथ! तुम डरो मत, रिलैक्स हो जाओ। मुझे पहले तुम्हारा दिल जीतना है पूरी तरह से तुम्हें जीतना है और फिर उसके बाद ही हम.." अंशुमन की बातें जैसे ही शरण्या के कानों में पड़ी वह तुरंत ही तेज आवाज में चिल्लाते हुए बोली, "तुम और मैं, हम कभी नहीं हो सकते। कभी भी नहीं, समझ गए तुम और बहुत आसान होता है ना तुम लड़कों के लिए झूठ बोलना लेकिन मैं तुम्हारी इन झूठी बातों में नहीं आने वाली।" शरण्या काफी देर से अंशुमन पर चिल्ला रही थी तो अब अंशुमन से भी बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने गुस्से में शरण्या की दोनों बाजू एकदम कसकर पकड़ ली और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "ठीक है, अगर तुम्हें लगता है कि मैं झूठ बोल रहा हूं तो फिर झूठ ही सही लेकिन तुम्हें तो अब इस झूठ पर भी यकीन करना होगा क्योंकि मुझे पता है तुम्हें भी मुझसे प्यार है और अगर नहीं है तो बहुत जल्द हो जाएगा।" अंशुमन के दोनों हाथों की पकड़ शरण्या की बाजू पर कश्ती जा रही थी और शरण्या को अब दर्द महसूस हो रहा था। अंशुमन की आंखों में एक अलग ही जुनून नजर आ रहा था और शरण्या भी गुस्से में थी। शरण्या ने खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, "मुझे कभी तुमसे प्यार नहीं हो सकता, कभी भी नहीं क्योंकि मुझे प्यार जैसी फालतू चीजों पर विश्वास नहीं है। प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती दुनिया में, प्यार के नाम पर सिर्फ धोखा देते हैं लोग दिलों को तोड़ते हैं और इंसान को भी।" शरण्या के हिलने डुलने का अंशुमन पर कोई भी असर नहीं हुआ और उसने एक झटके से शरण्या को दीवार से लगाकर उसकी आंखों में देखते हुए पूछा, "क्यों भरोसा नहीं है, बताओ ऐसा क्या हुआ है क्या किसी ने तुम्हारे साथ कुछ..." शरण्या ने अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए कहा, "वो मेरी पर्सनल लाइफ है तुम्हें इससे कोई भी मतलब नहीं होना चाहिए।" वह अंशुमन से नज़रें नहीं मिला पा रही थी उसे खुद भी नहीं पता था कि क्यों वह उस नज़रें चुरा रही थी। To Be Continued
4 अंशुमन ने मजबूती से पूरा हक जताते हुए कहा, "जो तुम्हारी लाइफ से जुड़ा हुआ है, अब वह मेरा भी है और अब तुम भी मेरी लाइफ से पूरी तरह जुड़ चुकी हो तुम चाहो या ना चाहो!" शरण्या दांत पीसते हुए बोली, "अजीब जबरदस्ती है!" अंशुमन अपना चेहरा उसके चेहरे की एकदम सामने और नजदीक ले जाकर उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "हां है तो क्या कर लोगी और अगर तुम्हें खुद पर इतना ही भरोसा है कि तुम्हें कभी मुझसे प्यार नहीं होगा तो बस एक महीना मेरे साथ बिताओ, तुम्हें भी मुझसे प्यार हो जाएगा, मैं शर्त लगा सकता हूं। You will fall for me baby!" शरण्या ने भी पूरे कॉन्फिडेंस से कहा, "ऐसा कभी नहीं होने वाला।" शरण्या का कॉन्फिडेंस देखकर अंशुमन भी जोश में आते हुए बोला, "ओके, मैं चैलेंज करता हूं एक महीने में तुम खुद आकर मुझे अपने प्यार का इजहार करोगी और तुम्हें अभी प्यार पर भले ही भरोसा ना हो लेकिन मुझ पर खुद से भी ज्यादा भरोसा हो जाएगा।" शरण्या ने गुस्से वाला मुंह बनाते हुए कहा, "ऐसा कभी नहीं होगा। कभी भी नहीं, ऐसा कुछ नहीं होने वाला.. मुझे किसी पर भरोसा नहीं होगा और तुम पर तो बिल्कुल नहीं..." शरण्या ने उंगली दिखाकर अंशुमन की तरफ पॉइंट करते हुए कहा तो अंशुमन ने उसके हाथ की उंगली में अपनी उंगली को फंसा लिया और उसका हाथ अपने नजदीक खींच कर उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "ठीक है, अगर इतना ही यकीन है खुद पर तो अपनी लाइफ के 30 दिन तो मुझे दे ही सकती हो ना?" शरण्या ने सवाल किया, "और अगर फिर भी मुझे तुमसे प्यार नहीं हुआ तो.." अंशुमन ने एकदम एटीट्यूड में कहा, "हुंह! ऐसा तो हो ही नहीं सकता है कि तुम मेरे प्यार में ना पड़ो क्योंकि तुम तो अभी से मुझे पसंद करती हो तुम्हारी आंखों में दिख रहा है।" शरण्या ने इरिटेट होते हुए कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है। तुम बताओ अगर फिर भी मुझे तुमसे प्यार नहीं हुआ तो फिर तुम मेरा पीछा छोड़ दोगे? वादा करो!" इतना बोलकर शरण्या ने अपना हाथ आगे कर दिया और अंशुमन की तरफ ही देखने लगी। अंशुमन ने भी उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "ok प्रॉमिस! अगर 1 महीने में भी तुम्हें मुझसे प्यार नहीं हुआ तो फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा और दोबारा कभी तुम्हारे पीछे नहीं आऊंगा। क्योंकि तब तुम खुद ही मेरे पीछे आओगी।" अंशुमन का हाथ छोड़कर उसे पीछे धकेलते हुए शरण्या साइड से निकलकर आगे जाते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं होने वाला, नींद से जाग जाओ मिस्टर अंशुमन राणा क्योंकि खुली आंखों से सपने देखना अच्छी बात नहीं होती।" शरण्या की इस बात पर अंशुमन हंसने लगा और उसने कहा, "ठीक है, चैलेंज एक्सेप्टेड और तुम्हें पता है अंशुमन राणा आज तक किसी भी चैलेंज में नहीं हारा।" शरण्या अपनी जगह पर रुक गई और पीछे मुड़कर मुस्कुराते हुए अंशुमन की तरफ देखकर बोली, "कोई बात नहीं, बहुत सारी चीज़ें लाइफ में पहली बार होती है तुम भी एक्सपीरियंस कर लेना जैसे पहली बार आज मैं पकड़ी गई नहीं तो आज तक शरण्या को भी कोई पकड़ नहीं पाया।" अंशुमन ने कुछ कदम आगे आते हुए पूछा, "क्यों करती हो यह काम? शौक है या फिर मजबूरी?" शरण्या ने तुनक कर जवाब दिया, "मेरी मर्जी है, मैं जो चाहे करूं? तुम कौन होते हो पूछने वाले.. और वैसे भी अकेली लड़कियों के लिए यह दुनिया इतनी अच्छी भी नहीं होती।" आखिरी बात बोलते हुए शरण्या काफी ज्यादा इमोशनल हो गई और उसकी आंखों में जो दर्द और खालीपन था, वो अंशुमन को भी एकदम साफ नज़र आ रहा था। अंशुमन को पता था वह अगर सीधे पूछेगा तो शरण्या उसे कुछ भी नहीं बताएगी इसलिए उसने जानबूझ कर बात बदलते हुए मस्ती में कहा, "मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूं ना, और अभी के लिए तो इतने सही काम चलाओ लेकिन बहुत ही जल्दी हस्बैंड भी बन जाऊंगा।" शरण्या ने आइस रोल करते हुए कहा,"ओनली इन योर ड्रीम्स!" अंशुमन ने शरण्या का हाथ पकड़ कर उसे अपने नजदीक खींच और उसके गाल पर किस कर लिया। शरण्या की कमर पर हाथ रखकर उसे नजदीक करते हुए अंशुमन ने कहा, "सपनों को हकीकत बनाना भी बहुत अच्छे से आता है मुझे और हां, देखो इस 1 महीने में तुम चोरी नहीं करोगी और पूरा टाइम मेरे साथ रहोगी।" शरण्या ने तुरंत ही मना करते हुए कहा, "नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला मुझे तुम्हारी ऐसी कोई भी शर्त मंजूर नहीं है और अगर मैं यह काम नहीं करूंगी तो फिर क्या करूंगी मेरे पास और कोई काम नहीं है।" अंशुमन ने आंख मारते हुए कहा, "मेरे होते हुए तुम्हें कोई भी काम करने की क्या जरूरत है, माफिया किंग की गर्लफ्रेंड हो थोड़ा तो फायदा उठाओ और वैसे भी अब मेरा सब कुछ तुम्हारा है ना?" अंशुमन का इतना ज्यादा फ्लर्टी और बेबाक अंदाज देखकर शरण्या पता नहीं क्यों सब कुछ एक्सेप्ट नहीं कर पा रही थी और उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि अंशुमन बस एक दिल फेक लड़का है जो हर किसी के साथ ही ऐसा बर्ताव करता होगा और वह खुद को बिल्कुल भी स्पेशल नहीं मनाना चाहती थी। शरण्या ने एकदम से कहा, "ऐसे ही इतनी जल्दी सब लड़कियों को अपनी लाइफ का हिस्सा और गर्लफ्रेंड बना लेते हो क्या?" चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल के साथ अंशुमन ने कहा, "नहीं, तुम पहली हो और स्पेशल भी!" उसे शरण्या की बातों का बुरा लग रहा था लेकिन बस वह अभी इस बात को अपने चेहरे पर नहीं दिखाना चाहता था क्योंकि वह शरण्या को दुःख तकलीफ में नहीं देख सकता था। अपना हाथ छुड़ाकर फिर से उसे जो दूर जाते हुए शरण्या ने कहा, "तुम और तुम्हारी ये झूठी फरेब भरी बातें.." अंशुमन ने एकदम से शरण्या को पीछे धकेला और उसे बेड पर गिरते हुए उसके नजदीक जाकर कहा, "बस बहुत हो गया तुम्हारा हां, ऐसा क्या झूठ बोला मैंने तुमसे और क्या धोखा दिया है तुम्हें जो मुझे इतनी देर से सुना रही हो किसी और की वजह से?" अंशुमन फिर से इस तरह एकदम गहरी निगाहों से उसकी आंखों में देख रहा था और अंशुमन के इस तरह से देखने का शरण्या पर कुछ अलग ही असर हो रहा था, उसके निगाहों की तपिश से शरण्या को अपना गला सूखता हुआ सा महसूस हो रहा था इसलिए वह दोबारा उस नज़रें चुराने लगी। शरण्या ने अपने गले में अटका हुआ थूक निगल कर गाल गीला करते हुए कहा, "ठीक है, 1 महीने जब तक मैं तुम्हारे साथ हूं सिर्फ तब तक मैं चोरी नहीं करूंगी। लेकिन मैं यहां तुम्हारे साथ नहीं रह सकती क्योंकि अगर तुम्हें खुद को और अपने प्यार को साबित करना है तो अच्छे से करो। अगर मैं यहां पर रहूंगी तो यह तुम्हारे लिए फायदा होगा और मेरे लिए नुकसान।" अंशुमन ने बहुत ही डिसएप्वाइंट होकर कहा, "अभी से फायदा नुकसान देखना शुरू कर दिया, प्यार है ये कोई व्यापार नहीं!" शरण्या ने बात बदलते हुए कहा, "मुझे यह सब नहीं पता लेकिन जिस दिन मैं अपनी मर्जी से यहां पर आऊंगी उस दिन से जरूर यहां पर रुकूंगी लेकिन आज तुम मुझे जबरदस्ती लेकर आई थी इसलिए मुझे आज यहां से जाना है और तुम मुझे रोक नहीं सकते तभी मैं एक महीने की शर्त के लिए मानूंगी।" शरण्या की इस बात को सुनकर अंशुमन थोड़ा सोच में पड़ गया लेकिन फिलहाल उसके पास और कोई रास्ता नहीं था तो उसने शरण्या की यह शर्त मान ली। शरण्या की इस बात को सुनकर अंशुमन सच में पड़ गया लेकिन फिर उसने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा, "अच्छा ठीक है तुम जा सकती हो लेकिन सिर्फ अभी के लिए और दोबारा बहुत जल्द तुम यहां पर आओगी। वह भी अपनी मर्जी से मुझे पूरा यकीन है खुद पर और अपने प्यार पर..." अंशुमन ने शरण्या को छोड़ दिया और वह दोबारा उसे थोड़ा दूर जाकर खड़ी हो गई। शरण्या काफी ध्यान से कुछ तो सोच रही थी उसके मन में बहुत कुछ चल रहा था और उसने अपनी आंखें हौले से बंद कर ली थी। "मुझसे दूर नहीं जा पाओगी अब, पहले तुमने मेरा दिल चुराया है ना तो अब मेरी बारी है।" - इतना बोलते हुए उसने अपने गले से एक गोल्ड चेन निकाली, जिसमें एक छोटा सा लॉकेट था वह निकाल कर वह आगे आया और शरण्या के एकदम नजदीक जाने लगा। शरण्या ने नजर उठाकर उसकी तरफ देखा और तुरंत ही पीछे हट गई। अंशुमन का इस तरह से अपने गले से चैन निकाल कर शरण्या को पहनाना उसे बहुत अजीब लगा, इसलिए शरण्या ने अंशुमन का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा, "यह क्या कर रहे हो तुम?" अंशुमन ने बड़े ही आराम से अपना हाथ छुड़ा लिया और शरण्या की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा, "यह मेरे लिए बहुत स्पेशल है, मैं इसे कभी खुद से दूर नहीं करता लेकिन आज मैं चाहता हूं यह तुम्हारे पास रहे जब तक तुम मुझसे दूर हो तब तक.. मैं चाहता हूं तुम्हारे पास मेरे होने का एहसास रहे हमेशा।" अंशुमन की कहीं एक-एक बातें सीधे शरण्या के दिल पर असर कर रही थी और दिमाग पर भी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि कोई इतनी अच्छी बातें भी कर सकता था। अंशुमन ने आगे जाकर शरण्या के गले में वह चेन पहना दी और शरण्या उसे मना नहीं कर पाई। अंशुमन शरण्या के गले में चेन पहना कर दूर हुआ और उसने तसल्ली से शरण्या की तरफ देखा शरण्या ने धीरे से चेन के लॉकेट पर टच किया और फिर उसने नज़र उठा कर अंशुमन की तरफ देखा। वह कुछ बोल नहीं पाई तो अंशुमन ने ही उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने नजदीकी और अपनी बाहों में भरते हुए कहा, "तुम्हारी हालत देखकर तो लगता है कि 1 महीने तो बहुत ही ज्यादा टाइम मांग लिया। तुम तो कुछ दिनों में ही मुझे भी ज्यादा प्यार करने लगोगी मुझसे!" शरण्या ने आपने एक आईब्रो ऊपर उठाते हुए कहा, "इतना ओवर कॉन्फिडेंस भी अच्छा नहीं होता, राणा साहब!" To Be Continued क्या इस 1 महीने में होगा शरण्या को अंशुमन से प्यार और क्यों नहीं है शरण्या को प्यार पर विश्वास क्या लगता है आप लोगों को इसके पीछे का क्या रीजन हो सकता है और क्यों करती है वह चोरी का काम क्या इस बारे में वह बताएगी अंशुमन को और क्या अंशुमन पता लग पाएगा शरण्या के बारे में सब कुछ?
5 अंशुमन शरण्या के गले में चेन पहना कर दूर हुआ और उसने तसल्ली से शरण्या की तरफ देखा शरण्या ने धीरे से चेन के लॉकेट पर टच किया और फिर उसने नज़र उठा कर अंशुमन की तरफ देखा। वह कुछ बोल नहीं पाई तो अंशुमन ने ही उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने नजदीकी और अपनी बाहों में भरते हुए कहा, "तुम्हारी हालत देखकर तो लगता है कि 1 महीने तो बहुत ही ज्यादा टाइम मांग लिया। तुम तो कुछ दिनों में ही मुझे भी ज्यादा प्यार करने लगोगी मुझसे!" शरण्या ने आपने एक आईब्रो ऊपर उठाते हुए कहा, "इतना ओवर कॉन्फिडेंस भी अच्छा नहीं होता, राणा साहब!" शरण्या का हाथ पकड़ कर उसे अपने नजदीक खींचते हुए अंशुमन ने उसके चेहरे पर आए बालों को अपने हाथ की उंगलियों से पीछे करते हुए कहा, "यह तो मुझे सब बुलाते हैं, जान! तुम मुझे मेरा नाम लेकर बुलाओ ना? या फिर कुछ और कोई स्पेशल नाम प्यार से.." शरण्या ने दूर जाने की कोशिश करते हुए कहा, "मुझे तुम्हें कुछ भी कह कर नहीं बुलाना है मैंने तुम्हारी शर्त मान ली और तुम्हारा दिया हुआ यह लॉकेट भी पहन लिया तो अब मुझे यहां से जाने दो।" अंशुमन दोबारा उसके नजदीक जाते हुए बोला, "बिल्कुल भी नहीं, जान! टाइम देखा है तुमने रात के 2:00 बज रहे हैं। तुम्हें लगता है इस वक्त मैं तुम्हें यहां से कहीं भी जाने दूंगा।" शरण्या ने बच्चों की तरह मुंह फुला कर कहा, "लेकिन तुमने अभी-अभी प्रॉमिस किया था, ऐसे कैसे तुम अपनी बात से पीछे हट सकते हो?" अंशुमन ने झुक कर धीरे से उसके गाल को चूमते हुए कहा, "मैं अपनी बात से पीछे नहीं हट रहा मुझे बस तुम्हारी फिक्र है, जान! मैं इतनी रात को नहीं जाने दे सकता अपनी इतनी ब्यूटीफुल गर्लफ्रेंड को कहीं भी और खुद से दूर तो बिल्कुल भी नहीं।" शरण्या ने तुरंत ही अपने गाल से उसकी किस को अपने हाथ से पोंछते हुए कहा, "Ewww यह क्या कर रहे हो तुम और मुझे कोई डर वर नहीं लगता रात दिन से, मैं अपने घर जा सकती हूं?" अंशुमन ने नाराज़ होते हुए कहा, "Ouch! That's so rude! तुमने मेरा किस कैसे साफ किया मैं दोबारा से तुम्हें किस करूंगा।" शरण्या के दूसरे गाल पर फिर से किस करते हुए अंशुमन ने उसे अपने करीब खींचा और कहा, "कहां है तुम्हारा घर, यहां बैठो आराम से बताओ मुझे, मैं खुद तुम्हें कल सुबह छोड़ने चलूंगा।" शरण्या ने नहीं में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, बिल्कुल भी नहीं तुम मेरे साथ नहीं आओगे और मैं तुम्हें अपना एड्रेस तो बिल्कुल नहीं बताने वाली। नहीं तो तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है तुम वहां पर कभी भी आ जाओगे खुद से।" अंशुमन ने हक जताते हुए कहा, "वो तो मैं ऐसे भी आ जाऊंगा आखिर मेरी गर्लफ्रेंड का घर है मुझे कौन रोकेगा भला?" शरण्या ने चिढ़कर कहा, "मैंने तुम्हारा कोई प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं किया है, मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं हूं इसलिए बंद करो अपना यह गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड का राग अलापना।" अंशुमन ने सोचते हुए कहा, "अच्छा तो फिर क्या कहूं मैं तुम्हें? जान ठीक है ना तुम मेरी जान और तुम मुझे प्यार से क्या कहकर बुलाओगी!" उसके बार-बार एक ही सवाल पूछने से शरण्या अब तक इरिटेट हो गई थी इसलिए उसने एकदम ही गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "पागल आदमी, साइको! इडियट... इरिटेटिंग..." अंशुमन ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "अरे बस.. बस मुझे नहीं जानना तुम मुझे जो भी कहो अपने मन में कहो। इतने अच्छे नाम सुनने की आदत नहीं है मुझे और वैसे भी कोई मुझे ऐसा कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करता है और तुम हो कि मेरे मुंह पर ही मुझे यह सब बोल रही हो।" शरण्या ने झटक कर उसका हाथ अपने मुंह पर से हटा दिया और कहा, "हां, तो वह सब डरते होंगे तुमसे मैं नहीं डरती और वैसे भी तुम कोई माफिया नहीं लगता मुझे शक्ल से?" अंशुमन ने अपना चेहरा शरण्या के करीब ले जाते हुए पूछा, "अच्छा तो फिर माफिया कैसे होते हैं तुम्हारे हिसाब से बताओ ज़रा मुझे?" शरण्या ने आईज़ रोल करते हुए कहा, "कैसे भी होते हो, तुम्हारी तरह बेवकूफ तो नहीं होते होंगे कि इस तरह किसी भी लड़की को देखकर उसके पीछे पड़ जाए।" शरण्या की यह बात अंशुमन को थोड़ी बुरी लग गई और वह नाराजगी जाहिर करते हुए बोला, "तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे मैं हर किसी के पीछे पड़ जाता हूं। मैंने अभी तुम्हें बताया कि तुम पहली हो जिसे मैं यहां अपने बेडरूम तक लेकर आया हूं और फिर भी..." अंशुमन की बात बीच में ही काटते हुए शरण्या ने एकदम लापरवाही से कहा, "तुम क्यों बार-बार इस बात को हाईलाइट कर रहे हो और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुम आज से पहले कितनी लड़कियों के साथ सोए हो, और कितनों के साथ तुम..." शरण्या अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही अंशुमन ने अपने होठों को उसके होठों पर रखकर उसकी बोलती बंद कर दी क्योंकि वह अब उसकी बातें और नहीं सुन सकता था और शरण्या को किस करते हुए अंशुमन ने उसे वहीं बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। उसके इस तरह से अचानक होठों पर अटैक करने की वजह से शरण्या पहले तो एकदम हक्का-बक्का सी रह गई लेकिन फिर कुछ देर में उसे काफी अच्छा महसूस हुआ तो वह भी अंशुमन को किस करने लगी और धीरे से उसका हाथ अंशुमन के कंधे पर आ गया। शरण्या को किस करते हुए अंशुमन अपने होश होता जा रहा था और एक्साइटमेंट में उसने एकदम ही शरण्या के निचले होठों को अपने दांतों से काटा और सक करने लगा। अंशुमन के इस तरह लिप बाइट करने पर शरण्या को हल्का सा दर्द महसूस हुआ और एकदम ही उसने अपने नाखून अंशुमन की पीठ और कंधे पर गड़ा दिए तो अंशुमन को भी थोड़ा सा दर्द फील हुआ क्योंकि शरण्या के नेल्स काफी बड़े थे। अंशुमन ने शरण्या के हाथ में अपने हाथों की उंगलियों को फंसाते हुए उसके दोनों हाथ को पकड़ लिया और एकदम कसकर पकड़ते हुए उसने शरण्या के दोनों हाथों को उसके सिर से ऊपर करते हुए बेड के क्राउन से टिका दिया और पूरी तरह से उसके ऊपर आ गया और अब अंशुमन एक का हाथ शरण्या की ड्रेस के अंदर था और पहले ही उसने शरण्या की ड्रेस की स्ट्रैप उसके कंधे से हटा दी थी। शरण्या ने वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी जो कि सिर्फ घुटनों तक आई हुई थी तो अंशुमन के लिए काफी आसान था, नीचे से उसकी ड्रेस में हाथ डालना और अंशुमन के हाथ अब शरण्या के बदन पर हरकत कर रहे थे और उसने धीरे से शरण्या के होठों को अपने होठों की गिरफ्त से आज़ाद किया और फिर एक नज़र उसके होठों पर देखा तो उसे वहां खून की कुछ बूंदें नजर आए जिसे देखकर अंशुमन और भी ज्यादा एक्साइटेड फील करने लगा। अंशुमन खुद को रोक नहीं पाया और शरण्या कुछ भी रिएक्ट कर पाती उससे पहले ही अंशुमन ने उसके लिप्स पर लगे हुए ब्लड को लिक कर लिया। अंशुमन के ऐसा करने पर शरण्या की आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई और वो बहुत ही ज्यादा शॉक्ड होकर अंशुमन की तरफ देखने लगी। अंशुमन ने अपने माथे पर आए बालों को एक हाथ से पीछे करते हुए चेहरा थोड़ा ऊपर किया और जैसे ही उसने शरण्या को इस तरह खुद को देखते हुए पाया तो उसने धीरे से उसके गाल पर अपना हाथ फिराते हुए कहा, "ऐसे क्या देख रही हो जान? मैंने तो पहले ही कहा था कि you taste so good, और उससे भी ज्यादा टेस्टी है तुम्हारे यह सॉफ्ट पिंक लिप्स, आउट ऑफ़ कंट्रोल हो जाता हूं मैं तुम्हें किस करते टाइम और तुम भी मुझे नहीं रोकती।" शरण्या उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दे पाई क्योंकि शरण्या के पास उसकी बातों का कोई जवाब था ही नहीं? उसने बस अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया तो फिर मुस्कुराते हुए अंशुमन भी एक साइड पर लेट गया लेकिन वो शरण्या से ज्यादा दूर नहीं हुआ और उसने शरण्या को अपनी बाहों में भरते हुए अपने एकदम नजदीक खींच लियाऔर उसने धीरे से कहा, "मुझे पता है तुम्हारे लिए यह सब इतना आसान नहीं है मेरी बातों और मेरे प्यार पर भरोसा करना इसलिए मैं इंतजार करूंगा तुम्हारी मर्जी का और तुम्हारी तरफ से पहला होने का जब तक मैं इतने में ही खुश हूं।" शरण्या दूसरी तरफ चेहरा करके लेटी हुई थी और अंशुमन ने उसे बैक हग किया हुआ था शरण्या को अंशुमन की सारी बातें सुनाई दी लेकिन फिर भी उसने कोई रिएक्ट नहीं किया और ना ही उसकी इस बात का कोई भी जवाब दिया क्योंकि वह अपनी ही सोच में डूबी हुई थी। उसके मन में हजारों सवाल चल रहे थे जिनमें से एक का जवाब भी इस वक्त उसके पास नहीं था। अंशुमन की बातें सुनने के बाद शरण्या ने अपने मन में खुद से कहा, "क्यों कर रहा है यह आदमी यह सब अगर इसे sêx नहीं चाहिए तो फिर इतना नाटक क्यों कर रहा है यह? क्या यह सच बोल रहा है कहीं इसे सच में मुझसे प्यार..." शरण्या के मन में जैसे ही यह ख्याल आया उसने तुरंत ही अपने दिमाग से किया ख्याल झटकते हुए कहा, "नहीं, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता... ऐसे कैसे इसे मुझसे प्यार हो सकता है प्यार कोई खेल नहीं होता जो चलते-फिरते किसी से भी हो जाए। मुझे पता है यह झूठ बोल रहा है और मैं इसकी बातों में नहीं आऊंगी।" शरण्या खुद को समझ रही थी कि तभी उसके कानों में अंशुमन की आवाज पड़ी, "इतना मत सोचो और मेरी बातों में तुम पहले ही आ चुकी हो इसीलिए अभी मेरी बाहों में हो इसलिए अब ज्यादा परेशान मत करो खुद को और सो जाओ, गुड नाइट जान!" शरण्या यह सारी बातें अपने मन में सोच रही थी लेकिन फिर भी अंशुमन ने एकदम ही उसकी बातों का जवाब दे दिया तो वह हैरान रह गई और उसने धीमी आवाज में कहा, "क्या इसे मेरे मन की बातें सुनाई दे रही हैं, ऐसा कैसे हो सकता है?" गुड नाइट बोलकर अंशुमन ने धीरे से शरण्या की गर्दन पर किस किया तो शरण्या को अपनी पूरी बॉडी में गूसबंप्स फील हुए और उसने अपने हाथ की मुट्ठी एकदम कसकर बांध ली, क्योंकि अपनी बॉडी में इस तरह की हलचल आज वह पहली बार ही किसी आदमी की नज़दीकी से महसूस कर रही थी। शरण्या ने भी अपनी आंखें बंद करके सोने की कोशिश की जबकि अंशुमन उसके गले लगे हुए पहले ही सो चुका था और उसके चेहरे पर एक तसल्ली भरी मुस्कराहट थी वही शरण्या की नींद उड़ चुकी थी। To Be Continued क्या शरण्या को होगा अंशुमन की बातों पर भरोसा और क्यों हो उसके साथ वहां पर रुकी है? क्या शरण्या भी करने लगी है उसे पसंद और अंशुमन सच बोल रहा है या फिर झूठ क्या लगता है आप लोगों को जरूर बताइएगा कमेंट में
6 अंशुमन को जल्दी नींद नहीं आती थी वह अपने कामों और बाकी सारी चीजों को लेकर बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में रहता था और सोने के लिए अक्सर उसे दवाइयां लेना पड़ती थी लेकिन कल रात पहली बार ही उसे इतनी आसानी से और इतनी अच्छी सुकून भरी नींद आई थी इसीलिए वह टाइम पर उठ गया और बेड पर आंख खोलते हुए उसने अंगड़ाई ली। अंगड़ाई लेते उसने अपने दोनों हाथ बेड पर फैलाई तो उसे आसपास कोई भी महसूस नहीं हुआ तो वह समझ गया कि वह बेड पर एकदम अकेला है और इतना तो उसे याद था कि कल रात को वह अकेला नहीं सोया था यह ध्यान आते ही उसने तुरंत एक झटके से अपनी आंख खोल लिया और इधर-उधर देखते हुए कहा, "जान कहां हो तुम, चली गई क्या? शिट!" अंशुमन ने पूरे कमरे में चारों तरफ नज़र घुमा कर चारों तरफ देखा और उसे शरण्या कहीं भी नहीं देखी तो वह तुरंत ही बैठ से उठ गया उसने सबसे पहले बाथरूम और बालकनी में चेक किया लेकिन वह वहां पर भी नहीं थी। अंशुमन ने अपने हिसाब से कमरे में हर जगह देख लिया था लेकिन उसे वहां पर शरण्या कहीं भी नजर नहीं आई तो फ्रस्ट्रेटेशन में उसने साइड टेबल पर जोर से लात मारी और फिर अपने बालों में हाथ डालते हुए सारे बालों को पीछे किया। वो तुरंत ही बेडरूम से बाहर निकला इस उम्मीद में की बेडरूम में ना सही लेकिन लिविंग एरिया में या किचन में कमरे के बाहर कहीं पर तो उसे शरण्या नज़र आ जाएगी। बाकी सारे रूम लॉक थे इसलिए अंशुमन ने वहां पर चेक नहीं किया उसे पता था कि शरण्या किसी और रूम में नहीं जा सकती क्योंकि अगर उसे मौका मिलेगा तो वह सीधा यहां से बाहर जाएगी। अंशुमन ने अपने मन में कहा, "ऐसे कैसे मेरे उठने से पहले चली गई वह मैं इतनी गहरी नींद में कैसे सो सकता हूं? मुझे तो जल्दी नींद भी नहीं आती थी और जागता रहता था मैं तो फिर कल रात कैसे?" अंशुमन ने अपना सिर को पकड़कर अफसोस करते हुए कहा, "कल रात नाम तक नहीं पूछा था मैंने उसका? लेकिन कोई बात नहीं नाम से लेकर काम तक, घर फैमिली एड्रेस फ्रेंड्स सब कुछ पता कर लूंगा मैं, डॉन'टी वरी जान! मेरी नज़र में आ चुकी हो तुम और मेरी लाइफ में भी इसलिए तुम अब मुझसे बचकर भाग नहीं सकती।" अंशुमन अभी भी मुस्कुराते हुए शरण्या के बारे में ही सोच रहा था और उसे एकदम से कुछ याद आया तो वो तुरंत ही घर के दरवाजे की तरफ भागा और उसने देखा कि में दरवाजा बाहर से लॉक था इसका मतलब की शरण्या अंदर से लॉक खोलने में कामयाब हो गई थी, उसने तुरंत ही दरवाजे के साइड में लगी हुई स्क्रीन पर टच किया और कैमरे में जो कुछ भी रिकॉर्ड हुआ था वह उसमें साफ नज़र आने लगा। वीडियो में दिख रहा था कि शरण्या ने अपने बालों से हेयर पिन निकाला और कुछ देर की कोशिश के बाद उसने वो दरवाजे का लॉक आराम से खोल लिया था, उसे ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई और दरवाजा खुलते ही वह चुपके से वहां से निकलकर भाग गई थी। कैमरा में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ और यह स्क्रीन पर एकदम साफ नज़र आ रहा था उसकी तरफ देखते हुए अंशुमन के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट आ गई और उसने धीरे से कहा, "हम्म्! टैलेंट तो है लेकिन इस तरह से भागना नहीं चाहिए था तुम्हें, बिना मुझे बताएं अब अपनी इस गुस्ताखी की कीमत चुकाने के लिए तैयार हो जाओ, जान मैं आ रहा हूं। इतना बोलकर अंशुमन ने डोर के साइड में लगी वो स्क्रीन वापस से क्लोज की और तुरंत ही वहां से वापस अपने रूम में चला गया। वहीं दूसरी तरफ, शहर के दूसरे किसी कोने में एक काफी बड़ी सी बिल्डिंग अपार्टमेंट और उसके आठवीं फ्लोर पर बना एक वन बीएचके काफी छोटा सा फ्लैट और उस फ्लैट के वॉशरूम में शरण्या शावर के नीचे खड़ी हुई थी काफी देर से। उसे खुद भी नहीं पता कितनी देर से वह इस तरह शावर के नीचे खड़ी हुई थी, शावर ऑन था और उसमें से निकलता हुआ ठंडा पानी लगातार उस पर गिर रहा था उसकी आंखें बंद थी और वह पूरी गीली हो चुकी थी,उसे ठंड भी लग रही थी लेकिन फिर भी वह शावर के नीचे से हटने का नाम नहीं ले रही थी। वो सोच में डूबी हुई थी, कल शाम से लेकर रात तक उसके साथ जो कुछ भी हुआ वह सब उसकी आंखों के सामने किसी फिल्म की तरह घूम रहा था और वो चाह कर भी उन सारी बातों को भूल नहीं पा रही थी उसके ज़हन में सिर्फ वहीं चल रहा था अंशुमन और उसकी बातें.. शरण्या ने एक झटके से अपनी आंखें खोली और खुद को जैसे याद दिलाते हुए कहा, "यह क्या सोच रही हूं मैं और क्यों सोच रही हूं उस आदमी के बारे में इतना, वो झूठ बोल रहा था जरूर उसका कोई और मकसद होगा।" शरण्या ने अपने चेहरे पर आए हुए गीले बालों को अपने हाथों से पीछे किया और नज़र उठाकर सामने देखा तो उसकी नजर सामने की दीवार पर लगे हुए मिरर पर पड़ी। सामने लगे मिरर में शरण्या की नजर अपने गले पर बनी हुई उसे लव बाइट के गहरे निशान पर पड़ी और अनजाने ही उसका हाथ उस पर चला गया। शरण्या ने अपनी गर्दन पर बने उस निशान को अपनी उंगलियों से छूते हुए कहा, "यह अब तक इतना गहरा कैसे है? क्या किया था उसने?" शरण्या को एक पल में ऐसा महसूस हुआ जैसे कि अभी भी वह अंशुमन के एकदम नज़दीक खड़ी हुई है और उसकी बाहों में वह उसकी गर्दन पर उसी तरह से किस कर रहा हो, उसने अपनी आंखें बंद कर ली और यह सब ध्यान आते ही उसे ऐसा लगा जैसे कि उसकी रोंगटे खड़े हो गए हो और वह पूरी तरह से कांप गई। शरण्या ने तुरंत ही अपनी आंखें खोलते हुए कहा, "इतना इफेक्ट तो आज तक किसी का नहीं हुआ मुझ पर तो यह इसका इतना ज्यादा असर कैसे हो रहा है? क्या किया है इस आदमी ने.." अंशुमन के ख्याल को अपने दिमाग से झटकते हुए शरण्या ने फटाफट साइड में रखी हुई टॉवल उठाकर लपेट ली और जल्दी से वह वॉशरूम से बाहर निकल आई। कुछ ही देर में वह रेडी हुई, वहां पर सिर्फ एक बेडरूम था और उसके उस अपार्टमेंट में कोई बहुत ज़्यादा सामान नहीं था क्योंकि वह वहां पर अकेली रहती थी और वह उसका अपना अपार्टमेंट नहीं था बल्कि वह वहां पर रेंट पर रहती थी। शरण्या ने एकदम नॉर्मल कपड़े पहने, जींस और शर्ट पहनी और मोबाइल फोन अपने बैग में रखते हुए वह वहां से निकल गई और उसने बाहर निकाल कर अपने फ्लैट का दरवाजा लॉक कर दिया और सीधा लिफ्ट की तरफ ही जाने लगी। शरण्या लिफ्ट से नीचे आई और जैसे ही वह बिल्डिंग से बाहर निकली तो उसने देखा कि एकदम से उसके सामने एक ब्लैक कलर की मर्सिडीज़ कार आकर रुकी और शरण्या घबराकर पीछे हट गई, उसे ऐसा लगा जैसे कि वह उस कार से टकराने वाली थी। शरण्या ने एकदम तेज आवाज में चिल्लाया, "अंधे हो क्या? गाड़ी चलानी नहीं आती और पार्किंग एरिया दूसरी साइड है यहां तक कार क्यों लेकर आए?" कार वहीं पर उसके सामने रुकी हुई थी और कर का दरवाजा खुलते ही शरण्या के कानों में एकदम जानी पहचानी से आवाज पड़ी। "हां ऐसा ही समझ लीजिए आपके आगे कुछ और नजर जो नहीं आता अब हमें, क्या करें लगता है दिल के साथ-साथ हमारी निगाहें भी चुरा ली है आपने!" वह आवाज दुनिया की आखिरी आवाज थी जो इस वक्त शरण्या सुनना चाहती थी इसलिए वह आवाज सुनते ही शरण्या अपनी जगह पर एकदम ही जम गई और उसने नज़र उठा कर देखने की भी हिम्मत नहीं की क्योंकि वह पहले ही समझ चुकी थी वह और कोई नहीं बल्कि अंशुमन था। उसकी इतनी गहरी और दमदार आवाज कोई भी अगर एक बार सुन ले तो आसानी से तो नहीं भूल सकता और शरण्या ने तो कल रात कितनी देर तक उससे बातें की थी या फिर यह कह लो की जबरदस्ती ही उसकी बातें सुनी थी। शरण्या ने घबराते हुए धीमी आवाज में कहा, "शिट, यह यहां पर क्या कर रहा है? इसे मेरा एड्रेस कैसे पता चल गया। ये सच में माफिया है क्या? कहां फंस गई मैं?" अपने चेहरे पर हाथ रखते हुए शरण्या तुरंत ही वहां से दूसरी साइड पर तेज़ी से जाने लगी क्योंकि वह रख कर उस की बात का जवाब नहीं देना चाहती थी लेकिन अगर अंशुमन वहां तक आया था तो फिर उससे बचना इतना भी आसान नहीं हो सकता था। अंशुमन भी मुस्कुराते हुए तुरंत शरण्या के पीछे भागा। To Be Continued कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड और क्या चल रहा है अंशुमन के मन में, वह उसे कहां लेकर जाएगा डेट पर और क्या शरण्या चुपचाप उसके साथ जाएगी और क्या वह अंशुमन के कहने पर चोरी का काम छोड़ेगी और क्यों करती है वह चोरी का काम क्या है उसकी लाइफ के सीक्रेट सब पता चलेगा आपको आने वाले एपिसोड में लेकिन जब तक स्टोरी को पढ़कर सपोर्ट करिए और कमेंट भी ज़रूर करिए।
7 अंशुमन के साथ दो लोग और वहां पर खड़े हुए थे और अंशुमन के आगे जाते ही वह लोग भी उसके पीछे आने लगा तो अंशुमन ने तुरंत ही पीछे मुड़कर उन दोनों की तरफ़ देखते हुए कहा, "विद्युत! तुम दोनों यहां पर ही रुको और मेरे पीछे आने की ज़रूरत नहीं है। जब तक मैं ना बोलूं।" उसके पीछे खड़े बॉडीगार्ड ने अपना सिर हिला कर कहा, "ओके बाॅस!" अंशुमन ने शरण्या के पीछे आते हुए कहा, "कहां भाग रही हो जान? तुम्हें पता है ना तुम मुझसे दूर नहीं भाग सकती। तुमने कल खुद ही इस बात पर हामी भरी थी कैसे अपनी बात से पीछे हट सकती हो तुम?" अंशुमन काफी तेज़ कदमों से चलते हुए एकदम शरण्या के आगे उसके रास्ते में आकर खड़ा हो गया था तो ना चाहते हुए भी शरण्या को रुकना पड़ा। शरण्या ने अपने दोनों हाथ सामने की तरफ बनते हुए गुस्से में कहा, "क्या चाहते हो तुम आखिर? बता दो मुझे, क्यों पीछे पड़े हो और यहां तक आ गए कैसे तुम्हें मेरा एड्रेस पता चला?" लेकिन गुस्से से ज्यादा उसके चेहरे पर इरिटेशन नजर आ रही थी और उसे ऐसे इरिटेट होता देखकर अंशुमन को जैसे मजा आ रही थी इसलिए उसने स्माइल करते हुए कहा, "तुम्हे चाहता हूं मैं और क्या चाहूंगा और वैसे भी आज हमारी पहली डेट है देखो तभी तो मैं इतना रेडी होकर आया हूं और तुम भी रेडी हो तो बताओ फिर कहां चलना है?" अंशुमन ने अपना हाथ आगे बढ़कर शरण्या का हाथ अपने हाथों में पकड़ लिया और उसे लगभग अपनी तरफ खींच लिया। वह आसपास वैसे तो ज्यादा लोग नहीं थे लेकिन जो भी एक दो लोग निकल रहे थे आते जाते हुए मुड़कर उन दोनों की तरफ देख जरूर रहे थे इसलिए शरण्या ने अपने दांत पीसते हुए कहा, "क्या कर रहे हो तुम, यहां सड़क पर तमाशा मत करो!" अंशुमन ने जैसे शिकायत करते हुए कहा, "हां तो तुम इस तरह से पैदल और अकेले भागती हुई कहां जा रही हो जब मैं कार लेकर आया हूं और तुमने मुझे देख लिया था तो चुपचाप तुम्हें मेरे साथ आकर बैठना चाहिए ना, बताओ तमाशा किसने शुरू किया?" शरण्या ने नहीं में अपना सिर हिलाया और कहा, "डेट? ऐसा कुछ भी डिसाइड नहीं हुआ था हमारे बीच तो फिर अचानक से कैसे तुम डेट पर जाने के लिए आ सकते हो वैसे भी मैं कहीं और जा रही थी अभी मैं बहुत बिजी हूं।" अंशुमन ने तुरंत ही जवाब दिया,"अच्छा तो तुम्हें लगता है कि मैं फ्री हूं और मेरे पास कोई काम नहीं है।" शरण्या ने बहुत ही एटीट्यूड में कहा, "हां तो अगर बिजी हो तो जाओ ना जाकर अपना काम करो ऐसे यहां पर मेरे पीछे क्यों आए हो तुम?" अंशुमन ने उसके नज़दीक आते हुए कहा, "क्योंकि तुम मेरे लिए उन सारे कामों से ज्यादा इंपॉर्टेंट हो इसलिए और मैं चाहता हूं कि मैं भी तुम्हारे लिए इतना ही इंपॉर्टेंट बनूं तुम्हारी लाइफ में" शरण्या ने उसकी चेस्ट पर हाथ रखकर उसे रोकते हुए कहा, "ऐसा कभी नहीं होने वाला, इसलिए पीछे हटो जाओ और यहां से फिर कभी चलेंगे डेट पर.." अंशुमन ने उसका हाथ पकड़ कर उसे लगभग अपने साथ खींचते हुए कहा,"नहीं, मुझे तो आज ही चलना है और तुम मेरे साथ आ रही हो जो भी काम है उसे पोस्टपोन कर दो और वैसे भी तुमने बोला था तुम अब यह सब काम नहीं करोगी तो फिर कहां जा रही थी तुम बताओ।" अंशुमन ने इनडायरेक्ट ही उसे कर कहा तो शरण्या को थोड़ा बुरा लगा लेकिन यह उसके लाइफ की सच्चाई भी थी आखिर थी तो वह एक कार ही लेकिन अभी वह चोरी करने नहीं बल्कि अपने दूसरे काम पर जा रही थी क्योंकि दिन में वह एक मॉल में काम करती थी। लेकिन वह चुप रही उसने यह बात अंशुमन को नहीं बताई क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि अंशुमन उसके बारे में ज्यादा जाने और उसे पता था अब वह उसकी पकड़ से छूट भी नहीं सकती इसलिए बिना कुछ कहे वह चुपचाप उसके साथ जाकर कार में बैठ गई। अंशुमन ने बहुत ही प्यार से उसकी तरफ देखते हुए पूछा, "अच्छा बताओ फिर कहां चलना है आज हम तुम्हारी फेवरेट जगह पर चलेंगे?" शरण्या ने चिढ़कर जवाब दिया, "जहन्नम में चलो तुम्हारे साथ और कहीं नहीं जाना मुझे।" अंशुमन ने उसका हाथ अपने हाथ में थमते हुए कहा, "तुम्हारे लिए तो जहन्नम को भी जन्नत बना दूंगा मैं, जान! बस तुम्हारा साथ हो।" शरण्या ने एक झटके से अंशुमन की आंखों में देखा जो उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था और उसकी यह मुस्कुराहट पता नहीं शरण्या के दिल पर क्या असर कर रही थी कि वह खुद को रोक नहीं पा रही थी और इसी बात को लेकर को इरिटेट हो रही थी कैसे वह किसी और का इतना असर खुद पर होने दे रही थी आज तक हमेशा वह खुद को काफी अच्छे से कंट्रोल कर लेती थी लेकिन आज पहली बार उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह खुद अपने ही कंट्रोल में नहीं थी। ना चाहते हुए भी वह एक तक अंशुमन के चेहरे की तरफ देखने लगी और इस वक्त वह सच में बहुत ही ज्यादा हैंडसम और अट्रैक्टिव लग रहा था। शरण्या ने अंशुमन की तरफ देखा तो वह इस वक्त इतना ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहा था कि वो जैसे अपनी पलकें झपकाना ही भूल गई और एकटक उसकी तरफ देखती रही। अंशुमन ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा, "किस करना चाहती हो तो कर सकती हो, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।" अंशुमन की आवाज़ कानों में पड़ते ही शरण्या एकदम से हड़बड़ा कर इधर-उधर देखने लगी। अंशुमन ने शिकायत करते हुए कहा, "अरे अब उधर क्या देख रही हो? मैं तो यहां तुम्हारे सामने बैठा हूं और बस किस करने को ही बोला? उसमें क्या इतना घबरा रही हो, कल रात को तो दो या तीन, कितनी बार किस किया था हमने?" अपने कानों पर हाथ रखकर शरण्या ने थोड़ी तेज आवाज में कहा, "Shut up for god's sake! कितने बेशर्म में इंसान हो और वैसे भी मैंने तुम्हें किस नहीं किया था तुमने ही मुझे जबरदस्ती किस किया था और अभी भी जबरदस्ती ही मुझे अपने साथ ले जा रहे हो।" इतना बोलकर शरण्या ने मुंह फुला लिया और नाराज होने का नाटक करने लगी। अंशुमन ने उसकी तरफ देखकर शरारत से मुस्कुराते हुए कहा, "जबरदस्ती करने की तो ज़रूरत ही नहीं पड़ी मुझे, तुम तो खुद ही तैयार थी मेरे साथ कल की रात बिताने के लिए लेकिन मैंने मना किया था, और खुद को कंट्रोल भी किया था तुम्हें नहीं पता, जान! कितना डिफिकल्ट था मेरे लिए.." अंशुमन ने अपना हाथ शरण्या के चेहरे की तरफ बढ़ाया और वह उसके गाल पर टच करने ही वाला था कि तभी शरण्या ने उसके हाथ पर हल्के से मारा और फिर घूरते हुए उसकी तरफ देखने लगी। शरण्या ने उसे लगभग डांटते हुए कहा, "बकवास बंद करो अपनी, पूरा दिन नहीं है मेरे पास। तुम्हारी इन फालतू की बातों और चीजों के लिए इसलिए जहां चलना है चलो अब, अभी बोल रहे थे ना डेट पर जाना है।" अंशुमन ने खुश होते हुए कहा, " क्या बात है जान! तुम भी एक्साइटेड हो ना मेरी तरह, हमारी फर्स्ट डेट पर जाने के लिए, लेकिन तुम बस दिखाओगी नहीं।" शरण्या ने इरिटेट होते हुए कहा, "पता नहीं क्या देखना चाहते हो तुम और क्या देख लिया तुमने ऐसा मुझ में, जो मेरे पीछे पड़े हो। देखो अभी तो मैं कल रात के जैसी ग्लैमरस भी नहीं लग रही हूं और मैं ऐसी ही हूं। फिर भी तुम पता नहीं क्यों मेरे पीछे पड़े हो? तुम्हें तो जाने कितनी सुंदर लड़कियां मिल जाएंगे इतने हैंडसम जो हो।" अंशुमन ने एकदम से उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने एकदम नजदीक खींचकर आंखों में देखते हुए कहा, "मेरी नज़र से देखो तो तुमसे सुंदर कोई भी नहीं जान, और अगर है भी ना तो मुझे नहीं चाहिए क्योंकि सुंदर तो चाहे जितनी भी हो कोई लड़की तुम्हारी जितनी कमाल की तो नहीं हो सकती जो पहली नज़र में मेरा दिल चुरा ले, सिर्फ तुम यह कारनामा कर पाई हो इसलिए मैं तो पूरी तरह से तुम्हारा हो गया हूं अब तुम चाहो या ना चाहो लेकिन मैं तो वही रहूंगा, जहां मेरा दिल है और वह अब तुम्हारे पास है।" शरण्या की दिल की तरफ इशारा करते हुए अंशुमन ने बहुत ही प्यार से उसकी तरफ देखा। शरण्या ने आज अपनी जिंदगी में पहली बार ऐसी बातें सुनी थी और उसे काफी अजीब सा लग रहा था ऐसा लग रहा था जैसे कि उसके पेट में गुदगुदी सी हो रही थी। उसने लस्ट भरी निगाहें तो खुद के ऊपर बहुत फील थी लेकिन इस वक्त अंशुमन जिस तरह उसे देख रहा था ऐसे शायद ही उसे किसी ने देखा हो। अंशुमन की ये इंटेंस नजरे उसके दिल और दिमाग पर गहरा असर छोड़ रही थी और उसकी बातें भी! शरण्या एक बार फिर से अंशुमन में जैसे खो गई थी तभी उसके मन से एक आवाज आई, "नहीं, नहीं, शरण्या यह मत भूल कि यह भी एक आदमी है और अगर आज यह बहुत अच्छी बातें कर रहा है तो जरूर इसका कोई मतलब होगा और बिना अपने किसी फायदे के, आदमी कभी इतने अच्छे नहीं होते आदमी सिर्फ औरतों का फायदा उठाना जानते हैं और कुछ नहीं इसलिए तुझे इसकी बातों में नहीं आना है।" To be continued
8 शरण्या एक बार फिर से अंशुमन में जैसे खो गई थी तभी उसके मन से एक आवाज आई, "नहीं, नहीं, शरण्या यह मत भूल कि यह भी एक आदमी है और अगर आज यह बहुत अच्छी बातें कर रहा है तो जरूर इसका कोई मतलब होगा और बिना अपने किसी फायदे के, आदमी कभी इतने अच्छे नहीं होते आदमी सिर्फ औरतों का फायदा उठाना जानते हैं और कुछ नहीं इसलिए तुझे इसकी बातों में नहीं आना है।" शरण्या को जैसे ही अपने मन की यह आवाज सुनाई दी उसने एकदम से अपनी आंखें बंद करके सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं नहीं मुझे.. मुझे भरोसा नहीं है तुम्हारी बातों पर, तुम यह सब झूठ बोल रहे हो तुम दूर रहो मुझसे और चलो जहां भी चलना है।" शरण्या के इस तरह से बोलने पर अंशुमन को काफी बुरा लगा और उसने एकदम ही कार की स्टेरिंग पर से अपना हाथ हटा लिया क्योंकि वह कार बस स्टार्ट ही करने वाला था। उसे ऐसे कार से हाथ हटाते देख कर शरण्या ने कहा, "क्या है अब? मैंने चलने को कहा तो तुमने कार की स्टेरिंग से ही हाथ हटा लिया नहीं चलना है तो फिर मुझे जाने दो।" इतना बोलते हुए शरण्या अपनी साइड का कार डोर खोलना ही वाली थी कि तुरंत अंशुमन ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर उसे ऐसा करने से रोक लिया। अंशुमन के हाथ जैसे ही शरण्या के हाथों में टच हुए उसे एकदम से अपनी पूरी बॉडी में करंट सा महसूस हुआ और एक झटके से अपना सिर उठा कर उसने साइड में देखा तो अंशुमन का चेहरा उसके चेहरे के एकदम सामने था। शरण्या के और भी नजदीक जाते हुए अंशुमन ने कहा, "कहीं नहीं जा रही हो तुम और हम अपनी डेट पर भी चलेंगे लेकिन ऐसे नहीं, तुमने कल रात को प्रॉमिस किया था ना कि तुम एक मंथ मुझे दे रही हो, तो एक मंथ तक तुम्हें मेरी गर्लफ्रेंड बनाकर ही मेरे साथ रहना होगा और मेरी गर्लफ्रेंड की तरह ही एक्ट करना होगा। एकदम प्यारी और स्वीट वाली गर्लफ्रेंड की तरह, ये ऐसे बार-बार ऐसे रूड होने वाली गर्लफ्रेंड नहीं पसंद है मुझे और तुम हमेशा मुझे इंसल्ट करती हो बेवजह ही, ऐसा क्या गलत किया मैंने बताओ, और क्यों भरोसा नहीं है तुम्हें मुझ पर?" अंशुमन की आवाज में गुस्सा, नाराज़गी और हक तीनों ही साफ झलक रहा था जिसे कि शरण्या महसूस भी कर पा रही थी। अंशुमन का चेहरा इतना ज़्यादा नज़दीक होने की वजह से शरण्या को ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी भी पल अपना कंट्रोल को देगी और अंशुमन के इतने नजदीक चली जाएगी जितना उसे नहीं होना चाहिए इसीलिए उसने घबराकर अंशुमन की चेस्ट पर हाथ रखा और उसे पीछे पुश करते हुए कहा, "हटो.. हटो तुम दूर.. दूर रहकर बात करो। इस तरह इतने करीब आने की ज़रूरत नहीं है और यह सब क्या बोल रहे हो तो मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं हूं तुमने बोला था कि मुझे 1 महीने में तुमसे प्यार.." शरण्या अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही अंशुमन ने उसके होठों पर अपनी उंगली रखी और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "हां तो 1 महीने तक तो मेरी सारी बातें मानेगी और जो मैं कहूंगा वह करोगी क्योंकि भले ही तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है लेकिन मुझे तो तुमसे प्यार हो गया है ना और मेरी तरफ से तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो इसलिए मेरे साथ तुम वैसा ही बिहेव करोगी सबके सामने भी।" शरण्या ने नहीं में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "ओह गॉड! क्या पागल आदमी हो तुम? क्या मिल रहा है तुम्हें यह सब करके, अगर मैं झूठा नाटक करूंगी तो कौन सा मुझे तुमसे सच्चा प्यार हो जाएगा?" अंशुमन ने एकदम गहरी आवाज में उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "पागल नहीं जान, तुम्हारे प्यार में पागल हूं और अगर तुम ऐसे ही बेरुखी दिखती रही ना तो और भी ज़्यादा पागल हो जाऊंगा और फिर शायद मेरे पागलपन की कोई हद भी ना रहे।" इतनी देर में पहली बार ही शरण्या को अंशुमन की आवाज में इतनी ज्यादा ठंडक और गहराई महसूस हुई तो वह सहमकर अपनी सीट पर बैठ गई और उसने बस धीरे से अपना सिर हिला दिया। शरण्या ने कुछ नहीं कहा लेकिन फिर भी अंशुमन तसल्ली से मुस्कुराया क्योंकि इस वक्त शायद वह कुछ ऐसा ही रिएक्शन चाहता था और चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट के साथ तुरंत ही उसने कार स्टार्ट कर दी। शरण्या उसकी साइड वाली पैसेंजर सीट पर बैठी तो हुई थी लेकिन ज्यादातर वह खिड़की से बाहर देख रही थी अंशुमन को इग्नोर करने के लिए.. वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थी कि वह भी अंशुमन की तरफ अट्रैक्टेड थी कल रात से ही.. कार चलते हुए अंशुमन ने एकदम ही पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है जान?" शरण्या ने एक झटके से अपनी गर्दन मोड़कर हैरानी से उसकी तरफ देखा तो अंशुमन ने कहा, "अरे इतना शॉक्ड होने की ज़रूरत नहीं है, मुझे तुम्हारा नाम पता चल गया है एड्रेस के साथ ही, लेकिन मैं बस तुम्हारे मुंह से जानना चाहता हूं तुमने अब तक मुझे खुद के बारे में कुछ भी नहीं बताया है तो चलो नाम से शुरू करते हैं।" शरण्या ने अपनी आईज़ रोल करते हुए कहा, "जब तुम्हें पता है तो फिर क्यों नाटक कर रहे हो और तुम्हारे लिए कौन सी बड़ी बातें माफिया होना तुम तो सब कुछ पता कर लो और शरण्या नाम है मेरा और अब से यही बुलाना 'जान पहचान' यह सब मुझे पसंद नहीं है।" शरण्या की गुस्से भरी बातों को पूरी तरह से इग्नोर करते हुए अंशुमन ने आगे आते हुए कहा, "बहुत खूबसूरत नाम है तुम्हारा और यूनिक भी लेकिन मैं तो तुम्हें जान ही कह कर बुलाऊंगा क्योंकि तुम मेरी जान हो।" शरण्या ने गुस्से से अपनी नजर दूसरी तरफ करते हुए कहा, "भाड़ में जाओ, जो बुलाना है बुलाओ मुझे तुमसे मतलब नहीं है बस यह बता दुकान कहां चल रहे हैं और जहां भी जा रहे हैं आज की तारीख में पहुंचे तो जाएंगे ना?" अंशुमन ने हंसते हुए कहा, "हां हां इतना डेसपरेट होने की ज़रूरत नहीं है हम पहुंच जाएंगे वैसे अभी तो मुझे भी पता नहीं है कि कहां जा रहे हैं लेकिन कहीं तो चलेंगे ही पक्का!" अंशुमन बार-बार शरण्या की तरफ देखतेहुए अपनी बात बोल ही रहा था लेकिन शरण्या सामने की तरफ देख रही थी और एकदम से उस ने तेज आवाज में चिल्लाया, "सामने देखो, उस तरफ वो.." इतनी तेज आवाज में चिल्लाते हुए शरण्या ने एकदम ही अपने चेहरे पर हाथ रख लिया क्योंकि सामने से एक कार बहुत ही स्पीड में उनकी कार की तरफ आ रही थी और अंशुमन का ध्यान भी उस तरफ नहीं था लेकिन शरण्या के चिल्लाने पर उसने तुरंत ही सामने देखा और एकदम से गाड़ी के ब्रेक लगा दिया और वह गाड़ी भी उसकी कार के एकदम सामने कुछ इंच की दूरी पर ही रुक गई थी। अंशुमन ने तुरंत ही शरण्या को अपने करीब करके उसके सिर पर हाथ रखते हुए बहुत ही प्यार से फिक्र करते हुए पूछा, "तुम ठीक हो ना? कहीं लगी तो नहीं सॉरी मेरा ध्यान..." शरण्या ने उसकी बात का कोई जवाब तो नहीं दिया लेकिन बस धीरे से अपना सिर हिला दिया। अंशुमन ने खिड़की से गर्दन बाहर निकाल कर गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "लगता है जान प्यारी नहीं है तुझे, अपनी इसीलिए मेरी कार के सामने आया!" जवाब में एक दूसरी तेज आवाज आई, "जान तो तुझे प्यारी नहीं है राणा, आज बहुत दिन के बाद फंसा है जाल में!" अंशुमन को ना चाहते हुए भी कार वहां पर बीच सड़क में ही रोकनी पड़ी थी क्योंकि उसे चारों तरफ से 7 - 8 ब्लैक कलर की कारों ने घेर लिया था जिसमें से एक आदमी बाहर निकाला और उसने ही तेज़ आवाज में यह बात कही थी एकदम से इस तरह चारों तरफ से कारों से घिर जाने की वजह से शरण्या काफी ज्यादा घबरा गई थी उसके माथे पर पसीना नजर आ रहा था। अंशुमन उसकी तरफ देखते ही समझ गया कि वह घबरा गई थी अंशुमन ने एकदम कसकर उसका हाथ अपने हाथों में थामा और धीरे से उसके माथे पर चूमते हुए कहा, "तुम्हें कुछ नहीं होगा जान, रिलैक्स में जब तक जिंदा हूं ना तुम पर एक खरोंच भी नहीं आने दूंगा।" उसकी बातें सुनकर पता नहीं क्यों लेकिन शरण्या को बहुत ही अच्छा फील हुआ और उसे ऐसा लगा जैसे कि सच में वह इस वक्त अंशुमन के साथ, उसके बाहों में बहुत ही ज्यादा महफूज थी और कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अंशुमन की कार के चारों तरफ खड़ी उन सारी कारों से अब ब्लैक सूट पहने लोग और बॉडीगार्ड निकलकर आगे आ रहे थे और आगे आते हुए उन्होंने चारों तरफ से अंशुमन की कार को लगभग घेर लिया था, लेकिन अंशुमन के माथे पर एक शिकन तक नज़र नहीं आ रही थी। वो बहुत ही ज्यादा रिलैक्स लग रहा था शरण्या को भी अंशुमन पर कहीं ना कहीं भरोसा हो गया था लेकिन फिर भी मन ही मन हो थोड़ा सा घबरा रही थी यह सोचकर के आगे क्या होने वाला था? To Be Continued आप लोग ठीक से स्टोरी नहीं पढ़ रहे हो अभी भी दो सॉलिड तक कंप्लीट नहीं हुए हैं और पांच पार्ट डाल चुके हैं कम से कम 5 मिनट तो हो जानी चाहिए बस इसलिए लिखा हुआ पार्ट डालने का मन नहीं कर रहा अगर आप लोग ऐसे पढ़ोगे तो कोई फायदा नहीं होगा कोई भी स्टोरी लिखने का इसलिए हम पॉकेट पर स्टोरी स्टार्ट नहीं कर रहे थे लेकिन आप लोगों के बोलने पर हमने स्टार्ट किया और अब आप लोगों का ऐसा रिस्पांस आ रहा है बताइए हम क्या करें? जो लोग पढ़कर कमेंट कर रहे हैं उन्हें दिल से थैंक्स 🥰 लेकिन अगर आप लोग स्टोरी को कहीं भी शेयर कर सकते हैं तो प्लीज जरुर करिए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह कहानी पहुंचे।
9 इतनी सारी गाड़ियों और लोगों से अपनी कार को घिरा हुआ देखकर अंशुमन समझ गया कि उसे बाहर निकलकर सामना करना ही होगा। अंशुमन अपनी साइड का कार का डोर ओपन करके, कार से बाहर निकाला और बाहर निकलने से पहले उसने शरण्या की तरफ देखकर कहा, "तुम अंदर ही रहना प्लीज, मैं नहीं चाहता किसी की भी नज़र तुम पर पड़े और तुम पर कोई खतरा आए।" शरण्या भी काफी ज्यादा घबराई हुई थी इसलिए अंशुमन की बात मानकर उसने चुपचाप अपना सिर हिला दिया और कोई भी बहस नहीं की। अंशुमन जैसे ही बाहर निकला एकदम से दो लोगों ने आकर उसके हाथ पकड़ लिए कसकर और एक अधेड़ उम्र का आदमी सामने वाली कार से निकलकर चलता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया। उस आदमी के चेहरे पर जग जीतने वाली मुस्कुराहट थी क्योंकि इस वक्त अंशुमन को उसके दो आदमियों ने पकड़ रखा था इसलिए वह बहुत ही अकड़ में चलता हुआ अंशुमन के सामने आकर खड़ा हो गया। अपनी गन निकाल कर अंशुमन के गर्दन पर टिकाते हुए उस आदमी ने कहा, "राणा साहब, इतनी आसानी से मेरे जाल में फंस गए? यकीन नहीं हो रहा वैसे इतनी बेवकूफी की मुझे आपसे तो उम्मीद नहीं थी। अकेले घूम रहे हैं अपनी रखैल के साथ..." उस आदमी ने जैसे ही यह बात बोली अंशुमन ने एक झटके से अपना हाथ एक आदमी से छुड़ा लिया और एक तेज पंच उस सामने खड़े आदमी के मुंह पर जड़ दिया और गुस्से से दांत पीसते हुए बोला, "जबान संभाल कर बात करना आइंदा से, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" अंशुमन का पंच इतनी तेज था कि उस आदमी के होंठ के किनारे से खून निकलने लगा और उसकी आंखों में गुस्सा ठहर गया उसने अपने आदमियों को घूर कर देखा तो फिर दो और आदमियों ने जल्दी से आगे आकर एक साथ अंशुमन का हाथ पकड़ लिया। सामने खड़े उसे अधेड़ उम्र के आदमी को भी काफी गुस्सा चढ़ गया था इसलिए उसने गन के पिछले हिस्से से अंशुमन के सिर पर वार किया और उसके जबड़े को अपने हाथों से कसकर दबाते हुए कहा, "तुम इस वक्त मेरे कब्जे में हो मेरे आदमी यहां पर चारों तरफ है और फिर भी इतनी अकड़ और ऐसा क्या गलत बोला, वह तेरी पत्नी तो नहीं है ना और कभी हो भी नहीं सकती है, उस जैसी लड़कियां सिर्फ बिस्तर पर ही अच्छी लगती हैं।" रंजीत ने गुस्से में घूरते हुए अंशुमन की तरफ देखा तो अंशुमन ने भी उसी तरह आंखों में आंखें डाल कर कहा, "वह कोई भी हो, तुझे उससे क्या मतलब? तू अपने बारे में बात कर ना जो भी हमारे बीच है या फिर हिम्मत नहीं है जो इस तरह अपने साथ 50 लोगों को लेकर आया है।" रंजीत ने एक झटके से उसका जबड़ा छोड़ते हुए कहा, "मैं फिर से तेरी बातों में नहीं आने वाला राणा! 50 क्या 500 भी लेकर आऊंगा। तुझे रास्ते से हटना ही मेरा मकसद है क्योंकि जब तक तू जिंदा है मैं कभी माफिया किंग की गद्दी नहीं पा सकता।" अंशुमन ने जैसे उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "वह तो तू कभी भी नहीं पा सकता क्योंकि तू उसके लायक नहीं है रंजीत और तू अब तक जिंदा है तो सिर्फ मेरे रहम पर.." रंजीत ने अपने आदमियों को ऑर्डर देते हुए कहा, "रहम की भीख तो अब तू मांगेगा। मारो सब इसे, और इतना मारो कि मरने से पहले मुझे इसकी आंखों में मौत का खौफ नज़र आना चाहिए मुझे?" कार के अंदर बैठी हुई शरण्या यह सब देख रही थी और उसका मन कर रहा था कि वह यहां से भाग जाए लेकिन उसे पता था अगर वह कार से बाहर निकली तो उन लोगों का ध्यान उस पर ज़रूर जाएगा और वह पकड़ी गई तो फिर अंशुमन को उसे बचाने में और परेशानी हो सकती थी। बस यही सब सो कर शरण्या चुपचाप वहीं कार के अंदर बैठी रही। रंजीत की बात सुनकर उन लोगों के बीच खड़े अंशुमन के चेहरे पर गुस्से की लकीरें उभर आईं। उसके माथे से खून बह रहा था, लेकिन वह दर्द को नजरअंदाज करते हुए पूरी ताकत से अपने दुश्मनों पर टूट पड़ा। जैसे ही एक आदमी उसके पास आया, अंशुमन ने बिजली जैसी तेजी से उसकी गर्दन पकड़कर उसे घुटने से पेट में जोरदार वार किया। वह व्यक्ति दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर गया। पीछे से हमला करने आए दो लोगों को अंशुमन ने पलटकर एक को कोहनी मारी, जिससे उसकी नाक से खून बहने लगा, और दूसरे के सीने पर जोरदार मुक्का जड़ दिया। एक और आदमी ने अंशुमन पर लोहे की रॉड से वार करने की कोशिश की, लेकिन अंशुमन ने झुककर वार को चकमा दिया और अपनी टांग से घुमाकर उस आदमी के पैरों पर वार किया, जिससे वह लड़खड़ाता हुआ गिर गया। फिर उसने रॉड उठाकर उसी आदमी के कंधे पर दे मारी। धीरे-धीरे भीड़ और ज्यादा उग्र हो गई। अब 10-12 लोग एक साथ अंशुमन पर झपटे। अंशुमन ने अपने अंदर छुपे जंगली जानवर को जगाते हुए पूरी ताकत से एक के पेट में मुक्का मारा, दूसरे को पकड़कर हवा में घुमाकर बाकी पर फेंक दिया। उसकी तेज़ी और ताकत देखकर बाकी लोग सहमने लगे, लेकिन पीछे हटने की बजाय उन सब ने मिलकर एक बार फिर से हमला करने की कोशिश की। इस बार, अंशुमन ने अपने पैर से तेजी से किक मारी, जिससे दो लोग दूर जा गिरे। तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन अंशुमन ने अपनी कोहनी से उसकी पसलियों पर जोरदार वार किया और उसे पीछे धकेल दिया। अंशुमन उन लोगों से लड़ाई कर रहा था और तभी रंजीत ने अपने दो आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहा, "उस लड़की को निकाल कर यहां लेकर आओ।" अंशुमन ने जैसे ही यह बात सुनी वह बाकी लोगों को छोड़कर उन दो आदमियों के पीछे गया और उन्हें रोकने की कोशिश में उसने एक के पैरों पर जोर से वार किया जिससे वह वहीं गिर गया लेकिन दूसरा आदमी अब तक आगे बढ़ चुका था और अंशुमन उसे पकड़ने के लिए जाता तब तक रंजीत उसके पीछे आ गया था। शरण्या ने कार का डोर अंदर से लॉक करने की कोशिश की लेकिन वह शायद ऑटोमेटिक रिमोट से लॉक होने वाली कार थी इसलिए वह ऐसा कर नहीं पाई, अंशुमन को ऐसे हाल में देखकर भी शरण्या को उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन फिलहाल वह कुछ भी नहीं कर पा रही थी। रंजीत के साथ आए तीन आदमियों ने एक साथ अंशुमन को कसकर पकड़ लिया और अंशुमन अब तक काफी ज्यादा घायल हो चुका था, लेकिन फिर भी वह उनकी पकड़ से छूटने की पूरी कोशिश कर रहा था और तभी थोड़ी दूर पर एकदम से कार का दरवाजा खुला और उन लोगों ने शरण्या का हाथ पकड़ कर उसे लगभग खींचते हुए बाहर निकाल लिया। शरण्या ने चिल्लाया, "आह्! छोड़ो मुझे.." उसकी पुकार सुनते ही अंशुमन भी तेज आवाज में चिल्लाया, "नहीं!! छोड़ दो उसे, उसने तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा है। छोड़ दो उसे, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और तुम में से कोई नहीं बचेगा।" अंशुमन की आंखें एकदम गहरी हो गई और उस ने धमकी देते हुए यह सब कुछ बोला लेकिन रंजीत उसकी बात सुनकर हंसने लगा। शरण्या के नज़दीक आकर उसने हंसते हुए कहा, "क्यों इतनी मस्त है क्या ये, कोई बात नहीं तेरे बाद मैं इसे अपनी रखैल बना.." रंजीत अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही उसके चेहरे पर एक जोरदार चांटा पड़ा, जो कि सामने खड़ी शरण्या ने उसे मारा था और शरण्या उसे गुस्से में खा जाने वाली नजरों से घूर कर देख रही थी। शरण्या ने रंजीत के पैर पर जोर से किक करते हुए कहा, "अगली बार मेरे बारे में कुछ भी बोलने से पहले 10 बार सोचना नहीं तो तेरी यह जो भद्दी सी शक्ल है, इसे और बिगाड़ दूंगी।" शरण्या ने एकदम अपना गुस्सा निकालते हुए उस पर वार किया था इसलिए रंजीत एकदम से लड़खड़ा गया लेकिन उसके आदमियों ने उसे पकड़ लिया। अंशुमन शरण्या का यह रूप देखकर एक पल के लिए एकदम हैरान रह गया और वह बिल्कुल भी डरी हुई नहीं लग रही थी जैसे कि थोड़ी देर पहले थी। रंजीत गुस्से में आग बबूला हो गया और आगे आकर उसने एकदम ही शरण्या के बालों को कसकर पकड़कर खींचा तो शरण्या ने कोहनी उसके पेट में दे मारी और दोबारा उसे खुद से दूर कर दिया। रंजीत खिसिया गया और वहां से आगे बढ़ा लेकिन तभी एक-एक कर उसके सारे लोग जमीन पर गिरने लगे और दूर से गोलियां चलने की आवाज आ रही थी अंशुमन के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई क्योंकि वह समझ चुका था उसके बॉडीगार्ड वहां पर आ गए थे। आगे आते हुए, अंशुमन के हेड बॉडीगार्ड विद्युत ने एक नजर उस की तरफ देखा तो अंशुमन ने उसे कुछ इशारा किया और विद्युत दो लोगों के साथ रंजीत की कार का पीछा करने के लिए वहां से कार की तरफ चला गया और बाकी के लोग अंशुमन और शरण्या को घेर कर उनके चारों तरफ खड़े हुए थे। To be continued कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड पिछले एपिसोड को अब तक भी बहुत कम लोगों ने पढ़ा है और सिर्फ तीन कमेंट है लास्ट एपिसोड पर इसलिए ही अगला पार्ट देने में इतना टाइम लग गया अगर आप को जल्दी-जल्दी पढ़ कर ज्यादा कमेंट करोगे और अच्छा रिस्पांस दोगे तो हम एपिसोड भी डेली टाइम पर जल्दी-जल्दी अपलोड करेंगे बट शायद आप लोगों को स्टोरी पसंद नहीं आ रही है जरूर बताइएगा कमेंट में..
10 उसके ज्यादातर लोग मर गए लेकिन फिर भी तीन-चार लोग रंजीत को बचाकर अपने साथ वहां से लेकर निकल गए और रंजीत ने गुस्से में उन दोनों की तरफ़ देखकर कहा, "छोड़ूंगा नहीं मैं तुम दोनों को, देख लूंगा!" शरण्या ने भी तेज आवाज में चिल्ला कर कहा, "हां तो भाग कहां रहा है, चूहे! इधर आ ना अभी के अभी देख ले।" रंजीत की कार तेरा तेज रफ्तार में वहां से निकल गए और शरण्या गुस्से में उसके पीछे भागे और सड़क पर पड़ा हुआ पत्थर उठाकर उसने उसकी कार पर दे मारा। अंशुमन तुरंत ही शरण्या के नजदीक आया और उसके हाथ से पत्थर छुड़ाकर नीचे फेंकते हुए बोला, "क्या कर रही हो तुम? यह सब कोई मजाक नहीं है और तुम क्यों उससे पंगे ले रही थी तुम्हें पता भी है वह कौन है?" शरण्या ने अपने हाथ झाड़ते हुए एकदम एटीट्यूड में जवाब दिया, "मुझे फर्क नहीं पड़ता कोई भी हो जैसा बोलेगा वैसा सुनेगा और अगर करीब आएगा तो मार भी खाएगा।" शरण्या काफी गुस्से में थी, और अंशुमन भी अब तक तो गुस्से में था लेकिन अब उसके लोग वहां पर आ चुके थे और सारी सिचुएशन उसके अंदर कंट्रोल थी इस वजह से वह थोड़ा शांत था लेकिन शरण्या को इस बात का भी बुरा लग रहा था उन लोगों ने जैसा सलूक अंशुमन के साथ किया। अंशुमन के माथे से खून निकल रहा था उसकी बॉडी पर और भी जगह कुछ चोटों के हल्के निशान थे जिसे देखकर शरण्या को उसकी फिक्र हो रही थी लेकिन वह पूरी तरह से अपनी फिक्र दिखा भी नहीं पा रही थी। अंशुमन ने खुद पर जरा भी ध्यान नहीं दिया और शरण्या के दोनों गालों पर हाथ रखकर उसे समझाते हुए कहा, "मैं नहीं चाहता था कि तुम इन सब में पड़ो या किसी की भी नज़र में आओ और मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि आज ऐसा कुछ होने वाला है नहीं तो मैं तुम्हें साथ लेकर नहीं आता, आज मेरी वजह से तुम्हें..." अंशुमन की आंखों में पछतावा साफ नजर आ रहा था लेकिन शरण्या का ध्यान उसके हाथ पर था जहां से खून निकल रहा था। शरण्या ने तुरंत ही अंशुमन के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "यह तुम्हें इतनी ज्यादा चोट लगी है और तुम मुझे समझा रहे हो, मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ मैं ठीक हूं और तुम्हारी गलती नहीं थी वह ज़रूर कोई पागल आदमी होगा।" ठंडी सांस छोड़ते हुए अंशुमन ने कहा, "अब क्या बताऊं मैं तुम्हें, तो मेरी बातों पर भरोसा होता नहीं है मैंने तुम्हें बताया था ना मैं माफिया हूं तो मेरे दुश्मन भी हजार हैं यह बस उनमें से ही एक था जो काफी टाइम से मेरे पीछे पड़ा है और आज शायद उसे मौका मिल गया।" शरण्या ने अंशुमन को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, "हां लेकिन मुझे नहीं पता था तुम इतने अच्छे फाइटर हो मिस्टर माफिया, इंप्रेसिव हां!" अंशुमन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई, "चलो कुछ तो फायदा हुआ इतने लोगों से लड़ने का तुम इंप्रेस तो हुई मुझसे मेरी फाइटिंग स्किल से ही सही वैसे अभी और बहुत सारी स्किल हैं साथ रहोगी तो धीरे-धीरे सब पता चल जाएगा!" शरण्या तुरंत ही अपनी जगह से पीछे हटते हुए बोली, "मैं... मैं क्यों तुम्हारे साथ रहूंगी? कुछ भी बकवास करते हो तुम और वैसे भी अब मैं जा रही हूं बहुत हो गया आज के लिए एक्शन ड्रामा सब.." अंशुमन ने एकदम इंटेंस निगाहों से उसकी तरफ देखते हुए गहरी आवाज में कहां, "नहीं, कहीं नहीं जाओगी तुम? यह सब एक मज़ाक नहीं है तुम्हें नहीं पता वो लोग कितने खतरनाक थे और अब तुम उनकी नज़र में आ चुकी हो तो अब तुम अकेले नहीं रह सकती तुम्हें मेरे साथ ही रहना होगा, तभी मैं तुम्हें प्रोटेक्ट कर पाऊंगा।" शरण्या ने इरिटेट होते हुए कहा, "क्यों तुम्हारे पास और कोई काम नहीं है क्या मेरे पीछे आने के अलावा और अब बैठकर मुझे प्रोटेक्ट भी करोगे? तुम्हारे खुद इतने बॉडीगार्ड हैं और खुद मेरे बॉडीगार्ड बनकर बैठोगे क्या?" अंशुमन ने शरण्या का हाथ पकड़ते हुए कहा, "हां, बॉडीगार्ड या सिक्योरिटी गार्ड, जो भी बनना पड़े तुम्हारे लिए मैं कुछ भी बन सकता हूं बस तुम ज़िद मत किया करो हर बात पर और चुपचाप मेरे साथ चलो क्योंकि मुझे तुम्हें प्रोटेक्ट करना है और मैं तुम्हारी जान खतरे में नहीं डाल सकता अपनी वजह से तो बिल्कुल भी नहीं।" शरण्या ने झटक कर अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, "मैं खुद को प्रोटेक्ट कर सकती हूं अभी देखा ना तुमने मैंने क्या हाल किया उस आदमी का और मुझे इससे भी ज्यादा कई सारी फाइटिंग स्किल्स आती हैं इसलिए तुम मेरी फिक्र मत करो। यह तुम्हारी ज़िम्मेदारी नहीं है कि मेरे साथ क्या होता है क्या नहीं?" लेकिन शरण्या के पूरा जोर लगाने का अभी अंशुमन की पकड़ पर कोई फर्क नहीं पड़ा और अभी भी वह उसका हाथ इस तरह पड़े हुए था और उसने शरण्या की आंखों में देखते हुए पूछा, "तो फिर किसकी है?" शरण्या ने खुद को किसी तरह संभालते हुए कहा, "किसी की नहीं, मेरी खुद की मैं खुद को संभाल सकती हूं और तुम क्यों यह सब कर रहे हो, क्यों मेरे पीछे आ रहे हो? क्यों मेरी लाइफ को और मुश्किल बना रहे हो तुम?" शरण्या काफी ज्यादा इमोशनल हो गई थी उसकी आंखों में चमकते हुए आंसू एकदम साफ नज़र आ रहे थे उसकी ऐसी बातें अंशुमन को काफी ट्रिगर कर रही थी क्योंकि वह इतनी बार बोल चुका था लेकिन शरण्या को अभी भी उस पर विश्वास नहीं हो रहा था। अंशुमन ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूं। Damn it! कितनी बार कहूं आई लव यू , आई लव यू सो मच और ऐसे कैसे मैं अपने प्यार को तकलीफ में देख सकता हूं? तुम बताओ मुझे क्या प्रॉब्लम है तुम्हें तुम्हारी लाइफ में मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।" अंशुमन ने उसकी आंखों में देखते हुए यह बात कही तो शरण्या एक पल के लिए उसकी आंखों में नजर आ रही सच्चाई में जैसे खो गई और कुछ बोल नहीं पाई। अंशुमन ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूं। Damn it! कितनी बार कहूं I love you, I love you so much और ऐसे कैसे मैं अपने प्यार को खतरे में रहने दे सकता हूं? तुम बताओ मुझे क्या प्रॉब्लम है तुम्हें तुम्हारी लाइफ में, मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।" अंशुमन ने भले ही बहुत ही प्यार और अपने पद से उसे यह सारे सवाल पूछे थे लेकिन फिर भी शरण्या को उस की आंखों में एक जुनून नज़र आ रहा था और इस जुनून भरी नज़रों से वह शरण्या की आंखों में देख रहा था उसने शरण्या की दोनों बड़ों को एकदम कसकर अपने हाथों से पकड़ा हुआ था। शरण्या ने उसके हाथों को अपने बाजू से हटाते हुए अंशुमन से भी और तेज़ आवाज में कहा, "लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूं और ना ही कभी करूंगी चाहे तुम जितना भी मेरे पीछे पड़े रहो। मेरा फैसला नहीं बदलने वाला है, मेरा जवाब हमेशा 'नहीं' होगा सुना तुमने।" इतना बोलकर शरण्या वहां से जाने लगी तो अंशुमन ने एक पल के लिए अपने माथे पर हाथ रखकर अपनी आंखें बंद की और शरण्या बस कुछ कदम ही आगे जा पाई थी कि तभी अंशुमन पीछे से आया और उसने एकदम से शरण्या को उठा लिया और उसे अपने कंधे पर रख लिया। शरण्या अपने हाथ पैर हिला कर उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए चिल्लाई, "छोड़ो मुझे छोड़ो, इडियट! क्या कर रहे हो तुम, नीचे उतरो मुझे.. मैं तुम्हारे साथ नहीं जाने वाली आज कहीं भी, तुम बार-बार मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते।" शरण्या बहुत ही ज्यादा हिल डुल रही थी ऐसे में अंशुमन ने उसे और भी ज्यादा मजबूती से पकड़ा और वह थोड़ा सा आगे पहुंचा तो उसने अपने एक बॉडीगार्ड को इशारा किया और उसने अपने हाथ में रुमाल लेकर उससे शरण्या की नाक और मुंह बंद कर दिए उसमें क्लोरोफॉर्म था जिसकी वजह से वह बेहोश हो गई और फिर अंशुमन ने उसे आराम से कार की बैक सीट पर लेटा दिया और खुद भी उसके साथ ही बैठ गया। शरण्या बेहोश हो चुकी थी अब वह बिल्कुल भी हिल डुल नहीं रही थी अंशुमन ने बड़े ही आराम से उसके सिर को अपनी गोद में रखा और ड्राइवर से कार स्टार्ट करने को कहा जैसे ही ड्राइवर ने कार स्टार्ट की। अंशुमन ने उसे ऑर्डर देते हुए कहा, "सीधा बंग्लो पर चलो।" ड्राइवर ने उसकी बात सुन ली और उस तरफ ही ड्राइव करने लगा और बॉडीगार्ड की दो गाड़ियां भी अंशुमन की गाड़ी के आगे और पीछे चल रही थी पूरी तरह से उसकी कार को प्रोटेक्ट करते हुए... लगभग 20 मिनट बाद, वो कार शहरी इलाकों और भीड़भाड़ वाली सड़कों को छोड़कर अब हाईवे पर आ चुकी थी! अंशुमन की नज़रें शरण्या के चेहरे पर ही ठहरी हुई थी और उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था जिस तरह उसे शरण्या को बेहोश करना पड़ा लेकिन फिलहाल वह वहां पर ज्यादा देर रुक कर शरण्या से बहस नहीं कर सकता था क्योंकि उसे पता था वहां पर अभी भी खतरा हो सकता था इसीलिए उसे ऐसा करना पड़ा। To be continued क्या आपको कहानी पसंद आ रही है, अगर हां तो कमेंट ज़रूर करिए।
11 अंशुमन ने बहुत ही धीरे से शरण्या के चेहरे को अपनी उंगलियों से छूटे हुए धीमी आवाज में कहा, "मुझे माफ कर दो जान! मैं तुम्हारे साथ ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था लेकिन तुमने ही मुझे मजबूर कर दिया। और क्यों तुम बार-बार एक ही बात बोलकर मुझे तकलीफ देती हो, बताओ ऐसा क्या किया है मैंने जो तुम्हें मुझ पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है और ना ही मेरे प्यार पर? क्या तुम्हें मेरी आंखों में अपने लिए प्यार नज़र नहीं आता? तुम पहली लड़की हो जिसे मैं प्यार करता हूं और तुम हो कि..." अंशुमन यह सारी बातें इस तरह से बोल रहा था जैसे कि शरण्या उसकी बात सुन रही है और सुनकर उसे वह कोई ना कोई जवाब देगी लेकिन वह बेहोश थी और उसकी कोई भी बात नहीं सुन पाई इसलिए अंशुमन ने एक गहरी सांस ली और धीरे से शरण्या के माथे पर हाथ फेरते हुए उसने अपनी आंखें बंद कर ली और कार की सीट से अपना सिर टिका कर बैठ गया। कुछ 20 25 मिनट की ड्राइव के बाद किर एक सुनसान इलाके में रुकी, जहां पर सिर्फ एक ही बंगला बना हुआ नज़र आ रहा था वह भी चारों तरफ से ऊंचे ऊंचे पेड़ों के बीच में घिरा हुआ, इस तरह से छिपा था कि दूर से तो बड़ी मुश्किल से ही नज़र आ रहा था, उस बंगले का मेन गेट वहां पर रोड के राइट हैंड के साइड में था जहां पर कार खड़ी हुई थी। कार रुकते ही अंशुमन ने एकदम से अपनी आंखें खोली और चारों तरफ देखा तभी उसके कानों में एक बॉडीगार्ड की आवाज पड़ी, "बॉस! हम पहुंच गए हैं।" अंशुमन ने खिड़की से बाहर देखा तो एक बॉडीगार्ड वहां पर खड़ा हुआ था, उसकी बात पर अंशुमन ने धीरे से अपना सिर हिला दिया और बॉडीगार्ड ने उसे साइड का डोर खोल दिया तो अंशुमन उसी साइड से बाहर निकाला और उसने शरण्या को अपनी गोद में उठाया हुआ था। वहां गेट पर भी एक सिक्योरिटी गार्ड था जो कि अंदर की तरफ बैठा हुआ था लेकिन में गेट के सामने कार रुकते देख कर वह तुरंत ही उठकर गेट पर आ गया और उसने मेन गेट खोल दिया। अंशुमन, अकेला ही शरण्या को गोद में लेकर वहां से चलते हुए अंदर आया और किर उसने वहां पर ही बाहर रोकने को बोला था। अंशुमन के पीछे ही कुछ बॉडीगार्ड भी अंदर आने लगे तो अंशुमन ने पीछे मुड़कर उन सब की तरफ देखा और कहा, "तुम सब वापस जाओ और जब विद्युत वापस आ जाए तो कल सुबह तक सिर्फ उसे ही यहां पर भेज देना बाकी और कोई नहीं चाहिए मुझे यहां पर.." उस बॉडीगार्ड ने अंशुमन की बात का जवाब देते हुए कहा, "Boss! हम आपको अकेला नहीं छोड़ सकते हैं यहां पर और कोई भी नहीं है अगर फिर से किसी ने अटैक किया तो? आपके अकेले रहने में रिस्क है।" अंशुमन ने उसकी बात का जवाब देकर उसे समझाते हुए कहा, "तुम्हें अच्छी तरह से पता है यह हमारा खुफिया अड्डा है और किसी को भी इस जगह के बारे में पता नहीं है इसलिए यहां पर अटैक होने के चांसेस बहुत ही कम है, कुछ नहीं होगा और कुछ हुआ तो भी मैं देख लूंगा लेकिन अगर तुम लोग यहां पर रहे तो किसी की नज़र में आने के ज्यादा चांसेस हैं यहां पर जितने कम लोग होंगे उतना बेहतर है।" उस बॉडीगार्ड ने अपना सिर नीचे झुका कर कहा, "Sorry boss! लेकिन विद्युत सर का ऑर्डर है उन्होंने ही बोला था कि हम आपको अकेला ना छोड़े।" अंशुमन ने एकदम डार्क वॉइस में गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, "विद्युत सर के लिए काम करते हो या फिर मेरे लिए? मैं तुम्हारे विद्युत सर का भी बाॅस हूं इसलिए चुपचाप अभी के अभी सब निकलो यहां से, that's my order!" अंशुमन के इस तरह गुस्से में चिल्लाने पर अब उसे बॉडीगार्ड के पास ही बोलने के लिए और कुछ नहीं बचा था उसने बस धीरे से अपना सिर हिलाया और सॉरी बोलकर वहां से वापस अपनी गाड़ी की तरफ आ गया और कुछ ही देर में वह एक एक करके सारी गाड़ियां वहां से निकल गई क्योंकि अंशुमन ने ही बोला था कि वहां पर बाहर कोई भी कार नहीं होनी चाहिए जिससे कि किसी को भी ये पता चले कि वहां पर कोई आया था। अंशुमन शरण्या को लेकर घर के अंदर आया और वहां पर एक बूढ़ी केयरटेकर थी, उन्होंने ही दरवाजा खोला। उन्हें देखते ही अंशुमन काफी ज्यादा खुश होते हुए बोला, "राधा काकी! कैसी हैं आप?" राधा काकी ने अंशुमन की बात का जवाब देते हुए कहा, "हां, बस बचे हुए दिन गिन रही हूं, बेटा! तुम बताओ आज इतने दिनों बाद कैसे इस तरफ आना हुआ।" उनकी बात पर अंशुमन ने मुंह बनाते हुए कहा, "अरे कई ऐसा क्यों बोल रही है आपको तो अभी मेरे सारे बच्चों की भी देखभाल करनी है और उन्हें खिलाना पिलाना है, देखिए आपकी होने वाली बहू तो मैंने ढूंढ ली है।" वह बंगला अंदर से बहुत ही बड़ा और एकदम साफ सुथरा था वहां पर सामान काफी कम था लेकिन सब कुछ एकदम तरीके से रखा हुआ था और वहां का इंटीरियर काफी एक्सपेंसिव लग रहा था और बीच में जो सोफा पड़ा हुआ था वह भी काफी बड़ा, मुलायम और गद्देदार था। अंशुमन ने शरण्या को धीरे से उनमें से एक बड़े वाले सोफे पर लेटा दिया। अंशुमन की बात सुनते ही राधा काकी तुरंत उसके पास आते हुए गौर से शरण्या का चेहरा देखने लगी और उन्होंने अंशुमन से पूछा, "यह कौन है बेटा और कहां से मिली तुम्हें, क्या हुआ है इसे यह ठीक तो है ना ज़रूर तुमने ही डरा दिया होगा बेचारी बच्ची को, हाय कितनी सुंदर है देखो तो.. ऐसा लग रहा है जैसे सो रही है।" अंशुमन ने काकी बात का जवाब देते हुए कहा, "अरे काकी बताया तो आपकी होने वाली बहू है और मैंने कुछ नहीं किया। वह बस दवा की वजह से बेहोश है अभी थोड़ी देर में जाग जाएगी, आप यह बताइए मेरा कमरा तो साफ है ना मैं इसे वहां पर ही लेकर जाता हूं।" काकी को अंशुमन के माफिया होने के बारे में पता था लेकिन साथ ही उसे यह भी पता था कि वह कुछ भी गलत काम नहीं करता था और अंशुमन काकी को बहुत मानता था और उन्हें बिल्कुल अपनी मां की तरह ट्रीट करता था। लेकिन फिर भी अभी वह शरण्या के बारे में पूरी बात उन्हें नहीं बता सकता था उसे नहीं पता था कि का की कैसा रिएक्ट करेंगे और कहीं उनकी नज़र में यह गलत काम हो तो यह सोचकर वह थोड़ा सा दुविधा में था। काकी ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "हां तुम तो कभी बताकर नहीं आते हो इसलिए मैं हमेशा ही सब कुछ तैयार रखती हूं तुम जाओ कमरे में, अगर किसी भी और चीज़ ज़रूरत हो तो मुझे बता देना।" काकी को पता था अंशुमन उसे उन्हें बहुत मानता है लेकिन फिर भी उन्हें पता था कि वह बस उसके यहां पर काम करने वाली ही थी, भले ही सालों से काम करती है इसलिए वह उन्हें मां का दर्जा देता था लेकिन फिर भी काकी ज्यादातर अपने काम से किम रखती थी। अंशुमन ने शरण्या को दोबारा से अपनी गोद में उठाया बहुत ही प्यार और एहतियात से काकी ने यह देखकर हल्के से मुस्कुराया और जिस तरह अंशुमन शरण्या की तरफ देख रहा था उन्हें समझ आ रहा था कि अंशुमन उसे पसंद करता था। अंशुमन सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगा क्योंकि उसकी कमरा पहली मंजिल पर था लेकिन ऊपर जाने से पहले उसने पीछे मुड़कर काकी तरफ देखते हुए कहा, "काकी, कुछ खाने को बना दो ना अच्छा सा आपके हाथ का, काफी दिनों से कुछ नहीं खाया और यह नींद से जागेगी तो इसे भी भूख लगेगी।" काकी ने अंशुमन की बात पर कहा, "हां, ठीक है मैं बनाकर भिजवाती हूं।" काकी के अलावा वहां पर एक नौकर, मंगल और था जो कि बाहर से सामान लाना और वहां की साफ सफाई जैसे छोटे-मोटे काम करता था लेकिन उसे घर के अंदर रहने की इजाज़त नहीं थी वह घर के पीछे बने सर्वेंट क्वार्टर में रहता था। अंशुमन, शरण्या को लेकर अपने कमरे में आ गया और उसका कमरा पूरा ब्लैक और ग्रे कलर का था और उस बंगले के रंग-बिरंगे खूबसूरत इंटीरियर से एकदम अलग लग रहा था। कमरे के अंदर का माहौल काफी मिस्टीरियस और डार्क था जब अंशुमन ने लाइट जलाई तब कमरे में थोड़ी सी रोशनी हुई लेकिन अंशुमन को तो ऐसी जगह पर रहने की आदत थी और उसे ज्यादातर अंधेरी जगह पर ही छुपना पड़ता था इसलिए उसके लिए यह अच्छा था। अंशुमन ने धीरे से शरण्या को बिस्तर पर लेटा दिया और वह उसे लेट कर सीधा होने लगा तो एकदम उसकी नज़र शरण्या के होठों पर पड़ी और वह अभी उसके ऊपर आधा झुका हुआ सा था और उसका हाथ भी शरण्या के कंधों और पीठ के नीचे दबा हुआ था। अंशुमन ने बहुत ही धीरे से उसके होठों पर टच करते हुए कहा, "देखो जान, अब इस तरह सोते हुए भी तुम मुझे किस करने के लिए इनवाइट कर रही हो और फिर मुझे ही बोलोगी। बताओ इसमें मेरी क्या गलती है तुम इतनी ज्यादा सुंदर और अट्रैक्टिव हो कि मैं खुद को रोक ही नहीं पाता।" अंशुमन की ठंडी उंगलियों का टच अपने होठों पर महसूस करते हुए शरण्या नींद में हल्का सा कसमसाई लेकिन उसकी आंखें नहीं खुली तो फिर अंशुमन ने भी हल्के से झुक कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा। To be continued
12 शरण्या नींद में थी लेकिन फिर भी वह किस करने में उसका साथ देने लगी और अंशुमन को थोड़ा सा अजीब लगा उसने तुरंत ही पीछे होकर शरण्या के चेहरे को गौर से देखा तो इस वक्त शरण्या के चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी सी मुस्कुराहट थी। शरण्या के चेहरे की वह प्यारी सी मुस्कुराहट देखकर अंशुमन ने भी खुश होते हुए कहा, "पसंद तो तुम भी मुझे करती हो जान, लेकिन पता नहीं क्यों बस एक्सेप्ट नहीं करती हो। इस के पीछे जो भी वजह है, वो मैं पता लगा कर रहूंगा वह भी बहुत जल्द, अब तो वैसे भी तुम यहां पर हो मेरी बाहों में, मेरे करीब अब तुम यहां से कहीं नहीं जा पाओगी ना ही मुझसे दूर जा पाओगी।" इतना बोलते हुए अंशुमन ने एक बार फिर से झुक कर धीरे से शरण्या के होठों को किस किया और हल्के से उसके माथे पर भी चूम लिया और फिर सीधा होकर वो एकदम ही वहां से उठ गया और फ्रेश होने के लिए वॉशरूम में चला गया। कुछ देर बाद शरण्या की आंख खुली, और उसने खुद को एकदम अनजान जगह पर पाया। वह एकदम से चौंककर बिस्तर पर उठकर बैठ गई। उस बिस्तर का गद्दा बहुत ही मुलायम था और बेड एकदम शानदार बना हुआ था। इतना खूबसूरत और महंगा इंटीरियर उसने अपनी लाइफ में कभी नहीं देखा था। वह चारों तरफ नज़र घुमाकर देख रही थी। तभी उसे अचानक याद आया कि जब वह होश में थी, तब उसके साथ क्या हुआ था। उसे एकदम से सब कुछ याद आ गया कि किस तरह उसे बेहोश किया गया था और सब याद आते ही उसने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "इसका मतलब मैं फिर से उसके घर पर हूं। जरूर वही मुझे यहां पर लेकर आया है।" उसने सोचा कि शायद वह माफिया के ही घर के किसी और कमरे में थी, या फिर कहीं और.. इतना सोचते हुए वह बाहर देखने की उम्मीद में बेड से उठकर साइड की तरफ भागी, लेकिन उस कमरे में कोई भी खिड़की नहीं थी। वह इधर-उधर देख रही थी। कमरे में सिर्फ एक बालकनी का रास्ता था, लेकिन बालकनी तक जाने का दरवाजा भी अंदर से लॉक था। शरण्या ने उस दरवाजे को हिला कर खोलने की कोशिश की लेकिन जब वह दरवाजा नहीं खोल पाई, तो वह वापस आकर बिस्तर पर ही बैठ गई क्योंकि उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। कमरे का दरवाजा भी अंदर से लॉक था। शरण्या ने अपने आप से कहा, "लगता है मैंने इस माफिया को थोड़ा हल्के में ले लिया। यह तो बहुत ही शातिर निकला और मुझे यहां पर बंद करके रखा है। खुद पता नहीं कहां चला गया। वापस आएगा भी या नहीं।" यह सब सोचकर वह परेशान हो रही थी। अचानक से उस कमरे के वॉशरूम का दरवाजा खुला और अंशुमन वहां से बाहर निकला। उसने अपनी वेस्ट के चारों तरफ सिर्फ एक सफेद टॉवल लपेट रखा था, और उसके गीले बालों से पानी टपक रहा था। वो एकदम आराम से वॉशरूम से बाहर निकाला क्योंकि उसे कोई अंदाजा नहीं था कि शरण्या जाग चुकी होगी। वह अपने कपड़े ले जाना भूल गया था, इसलिए वह बेझिझक ऐसे ही टॉवल में बाहर आ गया। जैसे ही शरण्या ने दरवाजा खुलने की आवाज सुनी, उसने तुरंत उस तरफ देखा। अंशुमन को ऐसे टॉवल में और उसके बालों से टपकती पानी की बूंदों को देखकर शरण्या का मुंह एकदम खुला रह गया। उसकी वेलबिल्ट बॉडी, ऐट-पैक ऐब्स और मजबूत बाइसेप्स किसी मॉडल से भी बेहतर लग रहे थे। उसकी पूरी पर्सनालिटी किसी बॉडीबिल्डर की तरह दमदार थी। वह इस वक्त बेहद अट्रैक्टिव और हैंडसम लग रहा था। अंशुमन को इस तरह अपनी ही मौज में चल कर आते देख कर शरण्या तो जैसे अपनी पलकें झपकाना भी भूल गई और बिना किसी झिझक के उसे घूरती रही। उसका मुंह खुला हुआ था, और वह अंशुमन को इस तरह देख रही थी जैसे उसके सामने कोई बहुत टेस्टी चीज आ रही हो और वह उस पर झपट पड़ने का मौका ढूंढ रही हो। वहीं, अंशुमन अपने बालों में हाथ डालकर बड़े आराम से चलते हुए कमरे में आ रहा था। पर जैसे ही उसने शरण्या को उसे घूरते हुए देखा, वह अपनी जगह पर रुक गया। वह रख कर गौर से शरण्या की तरफ देखने लगा, जब उसने शरण्या को खुद में खोए हुए देखा, तो उसे एक शरारत सूझी। वह धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ने लगा। शरण्या अभी भी अपने होश में नहीं थी। अंशुमन जब उसके बिल्कुल नज़दीक आ गया, तो उसने जानबूझकर अपने सिर को दाएं बाएं हिलाते हुए जोर से झटका, जिससे उसके बालों से निकलती हुई ठंडे पानी की बूंदें शरण्या के चेहरे पर गिरीं। चेहरे पर पानी पड़ते ही शरण्या एक झटके से पीछे हटी और बोली, "तुम... तुम यहां क्या कर रहे हो? यहां मेरे इतने पास कब... कैसे आ गए तुम?" अंशुमन को अपने सामने देखकर वह थोड़ा हड़बड़ा गई और उठने की कोशिश करने लगी। अंशुमन ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उसे रोक लिया। उसके और करीब आते हुए उसने कहा, "देखो, तुम्हारी चोरी पकड़ी गई है। अब तुम मुझसे बच नहीं पाओगी।" उसकी ऐसी बातों का मतलब शरण्या को अच्छे से समझ आ रहा था। लेकिन वह अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली, "मेरी चोरी तो तुम पहले ही पकड़ चुके हो और चोरी का सामान भी तुमने वापस ले लिया था। अब मुझे नहीं पता कि तुम किस बारे में बात कर रहे हो। हाथ छोड़ो मेरा.." अंशुमन ने हंसते हुए कहा, "अभी तो ऐसे घूर-घूर कर देख रही थी, जैसे मौका मिला तो बस मुझ पर टूट ही पड़ोगी, और अब देखो कितनी मासूम बनने का नाटक कर रही हो? सब पता है मुझे तुम्हारे इरादों के बारे में।" इतना कहते हुए अंशुमन उसके और करीब आया और अपनी नाक को हल्के से शरण्या की नाक से टकराया। शरण्या ने झट से अपना चेहरा पीछे करते हुए कहा, "तुम... तुम खुद मेरे नज़दीक आ रहे हो, और इस तरह बिना कपड़ों के मेरे सामने कमरे में घूम रहे हो। मुझे तो आदत नहीं है ऐसे आदमियों को बिना कपड़ों के देखने की। मेरे लिए तो यह नई बात है। तो बस थोड़ा सरप्राइज्ड हूं, और कुछ नहीं।" शरण्या किसी तरह अपनी बात को कवर अप करने की कोशिश कर रही थी, और अंशुमन के चेहरे की मुस्कुराहट बढ़ती ही जा रही थी। उसने धीरे से आगे आकर शरण्या के होंठों पर अपने होंठ रखे तो शरण्या ने थोड़ा सा पीछे होने की कोशिश की, लेकिन अंशुमन ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए उसे ऐसा करने से रोका और एकदम से उसके होठों पर किस करने लगा। अंशुमन के होंठों का टच अपने होठों पर महसूस होते ही शरण्या की आंखें धीरे-धीरे बंद हो गईं, और वह भी उसे किस करने लगी। किस करते हुए दोनों एक-दूसरे में इतना ज्यादा खो गए थे कि उन्हें कोई एहसास भी नहीं हुआ कि कब से वो दोनों एक दूसरे के होठों को चूम रहे थे। अंशुमन उसी तरह टॉवल में शरण्या के ऊपर झुका हुआ था। शरण्या के हाथ अंशुमन के कंधों पर थे, और वह अपने नाखून उसके कंधे पर गड़ाने लगी थी। उसका एक हाथ अंशुमन की चेस्ट पर था, जो ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था। अंशुमन का एक हाथ शरण्या की कमर पर था और दूसरे हाथ से उसने शरण्या की गर्दन को पकड़कर अपने एकदम नज़दीक किया हुआ था। वह अब भी उसे एकदम पैशनेट होकर किस कर रहा था। उसके दोनों लिप्स को अपने लिप्स से शिद्दत से चूमते हुए वह ऐसे लग रहा था जैसे कि कभी भी उसे नहीं छोड़ेगा। शरण्या भी अब पीछे हटने की बजाय पूरी तरह से अंशुमन की नजदीकी को पूरी तरह से एक्सेप्ट कर चुकी थी। उसी वक्त साइड में रखा अंशुमन का मोबाइल फोन रिंग हुआ। अंशुमन ने तो ध्यान भी नहीं दिया, लेकिन शरण्या ने इसी बीच सांस लेने की कोशिश की, क्योंकि अब उसे सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी। उसने अंशुमन के कंधे को पीछे की तरफ धक्का देते हुए किसी तरह उसे खुद से दूर किया और जैसे ही अंशुमन ने उसके होठों को छोड़ा वह एकदम से गहरी-गहरी सांसें लेने लगी। अंशुमन ने उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "तुम तो शायद मुझसे भी ज्यादा प्यार करती हो। तुम्हारे एक्शन हमेशा कुछ और ही कहानी कहते हैं तुम्हारी जुबान से।" इतना बोलते हुए अंशुमन ने अपने होंठों को लिक किया, इस तरह से जैसे कि वह अभी भी शरण्या के होठों का टेस्ट लेना चाह रहा हो। शरण्या उसकी इस बात और हरकत पर एकदम से शर्म से लाल हो गई और उधर दूसरी तरफ चेहरा कर लिया। उसके पास अंशुमन की इस बात का कोई जवाब नहीं था। तभी दोबारा से मोबाइल फोन रिंग हुआ। इस बार अंशुमन का ध्यान फोन की तरफ गया और उसने गुस्से में दांत पीसते हुए मोबाइल स्क्रीन की तरफ देखकर कहा, "आह्! कौन है इस वक्त?" इतना बोलते हुए उसने जैसे ही मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर देखा, तो बिना कुछ बोले चुपचाप कॉल रिसीव कर ली और वहां से साइड में चला गया। जब वो वहां से जा रहा था, तो शरण्या ने देखा कि उसके नाखूनों के निशान अंशुमन की गर्दन पर थे। शरण्या ने खुद को शीशे में देखा, तो उसके होठों पर अंशुमन के किस के निशान साफ नजर आ रहे थे। उसके होंठ कुछ सूजे हुए लग रहे थे। To be continued
13 दोबारा से मोबाइल फोन रिंग हुआ। इस बार अंशुमन का ध्यान फोन की तरफ गया और उसने गुस्से में दांत पीसते हुए मोबाइल स्क्रीन की तरफ देखकर कहा, "आह्! कौन है इस वक्त?" इतना बोलते हुए उसने जैसे ही मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर देखा, तो बिना कुछ बोले चुपचाप कॉल रिसीव कर ली और वहां से साइड में चला गया। जब वो वहां से जा रहा था, तो शरण्या ने देखा कि उसके नाखूनों के निशान अंशुमन की गर्दन पर थे। शरण्या ने खुद को शीशे में देखा, तो उसके होठों पर अंशुमन के किस के निशान साफ नजर आ रहे थे। उसके होंठ कुछ सूजे हुए लग रहे थे। उसने धीरे से अपने होठों को छुआ और खुद से कहा, "यह... यह... यह क्या था? मैंने उसे इस तरह से किस क्यों करने दिया? और मैंने खुद भी उसे किस किया... ऐसा क्यों हो रहा है मेरे साथ? क्यों मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रही? क्या सच में मैं उसे पसंद करती हूं? उससे प्यार...? नहीं... नहीं... यह नहीं हो सकता। मैं किसी से प्यार नहीं कर सकती, और इससे तो बिल्कुल भी नहीं। इसने जबरदस्ती मुझे यहां पर लाकर बंद करके रखा हुआ है। पता नहीं यह कौन सी जगह है। मुझे यहां से निकलना होगा!" इतना सोचते हुए शरण्या एकदम से वहां से उठकर खड़ी हो गई। अंशुमन कमरे के साइड में अलमारी की तरफ चला गया था। वह अलमारी नहीं, बल्कि एक बड़े से वॉडरोब में ही बने हुए चेंजिंग रूम जैसा था। अंशुमन वहां जाकर वह अपने कपड़े निकाल रहा था। उसने फोन साइड में रख दिया था, और शरण्या इधर-उधर नजर घुमाकर किसी तरह कमरे से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश कर रही थी। ना चाहते हुए भी बार-बार उसकी नजर अंशुमन की तरफ चली जाती थी। अंशुमन ने एक ब्लैक कलर की शर्ट निकाली। वह ज्यादातर डार्क कलर के कपड़े पहनता था। ब्लैक शर्ट उस पर बहुत ही अच्छी लग रही थी। जैसे ही उसने शर्ट के बटन बंद करने शुरू किया ना चाहते हुए भी शरण्या की नज़र उस पर ही टिक गई। अंशुमन ने पैंट पहनी और टॉवेल निकालकर साइड में फेंक दिया। जैसे ही उसने नजर शरण्या की तरफ घुमाई, वह अब भी पहले की तरह ही उसे देख रही थी। यह देखकर अंशुमन मुस्कुराते हुए बोला, "तुम्हें अगर मैं बिना कपड़ों के ही पसंद हूं, जान! तो बोल दो ना फिर मैं कुछ भी नहीं पहनता हूं।" इतना सुनकर शरण्या ने तुरंत इधर-उधर देखने की कोशिश की और बोली, "ऐसा... ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं बस यह देख रही थी कि तुम्हारे कपड़े... यहां पर... यह कौन सी जगह है? यह तुम्हारा घर है? वो पहले वाली जगह तो नहीं है, जहां तुम मुझे उस रात लेकर गए थे? हम कहां पर हैं? प्लीज, मुझे कुछ तो बताओ।" शरण्या ने एक ही बार में इतने सारे सवाल पूछ लिए तो अंशुमन ने धीरे से उसके गाल पर हाथ रखते हुए कहा, "तुम यहां हो, मेरे पास, मेरी दुनिया में, मेरी बाहों में। और अब तुम बस यहीं रहोगी, जान। इससे ज्यादा कुछ जानने की तुम्हें ज़रूरत नहीं है, क्योंकि जितना ज़्यादा तुम्हें पता चलेगा, उतना ज्यादा खतरा तुम पर बढ़ेगा। इसलिए तुम यह सब जानने की कोशिश ना ही करो, तो ही बेहतर है।" अंशुमन ने अपनी तरफ से उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन शरण्या मानने वालों में से नहीं थी। उसने एकदम मुंह बनाते हुए कहा, "नहीं! ऐसा नहीं है। मुझे बताओ। मैं... मैं कुछ पूछ रही हूं, ना? और तुम क्यों मुझे यहां लेकर आए हो? तुम्हें क्या लगता है, इस तरह जबरदस्ती बंद करके एक कमरे में मुझे अपने साथ रखोगे, तो मुझे तुमसे प्यार हो जाएगा? तो मैं तुम्हें पहले ही बता दूं, ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। उल्टा मुझे तुमसे नफरत..." शरण्या अपनी बात पूरी कर पाती, इससे पहले ही अंशुमन ने उसे इंटेंस नजरों से घूरकर देखा। उसके इस तरह देखने भर से ही शरण्या की बोली बंद हो गई और बाकी के शब्द जैसे उसके मुंह में ही रह गए। वह आगे कुछ बोल नहीं पाई। अंशुमन धीरे-धीरे एक-एक कदम करके उसके नजदीक आने लगा। शरण्या ने पीछे हटते हुए कहा, "क्या चाहते हो तुम? बताओ। तुम मुझे बहुत कंफ्यूज कर रहे हो।" शरण्या यह सब सवाल कर रही थी, लेकिन उसने एक बार भी अंशुमन की आंखों में नहीं देखा। अंशुमन ने उसका चेहरा अपने हाथों से पकड़ा और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "कोई भी कंफ्यूजन नहीं है, जान। मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम मुझसे। इसलिए अगर नफरत जैसा कोई शब्द भी कभी तुम्हारी जुबान पर आया ना, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। तुम मुझसे नफरत कैसे कर सकती हो? अभी तो तुमने मुझे कितने प्यार से किस किया था। मैं वह भूल भी नहीं पाया हूं। लेकिन अगर तुम भूल गई हो, तो तुम्हें फिर से याद दिला सकता हूं।" इतना बोलते हुए अंशुमन अपना चेहरा शरण्या के चेहरे के एकदम नज़दीक लाने लगा। शरण्या ने धीरे से अपनी आंखें बंद कर लीं, जैसे कि वह उसे मंजूरी दे रही हो। अंशुमन ने उसके चेहरे को देखकर हल्के से मुस्कुराया और फिर धीरे से उसके होठों को चूम लिया। अंशुमन ने मुस्कुराते हुए कहा, "sorry to disappoint you love! तुम तो हमेशा इसी तरह मेरे नज़दीक आने और मेरे साथ रोमांटिक होने के लिए तैयार रहती हो। लेकिन मुझे अभी थोड़ा जरूरी काम है, सॉरी जान। पहले मैं वो काम निपटा कर आता हूं। तब तक तुम भी फ्रेश हो जाओ। फिर साथ में डिनर करेंगे।" इतना कहकर अंशुमन पीछे हट गया। शरण्या हैरानी से उसकी तरफ देखती रही, अपनी बड़ी-बड़ी खूबसूरत कत्थई आंखों में सवाल लिए... अंशुमन ने कमरे से बाहर जाने से पहले शरण्या की तरफ देखकर कहा, "चाहे तो फ्रेश हो सकती हो और चेंज करना हो तो मेरे कपड़ों से पूरी अलमारी भरी हुई है, कोई तो तुम्हें पसंद आ ही जाएंगे।" इतना बोलकर उसने शरण्या की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए दूर से ही कि करने का इशारा किया और वहां से बाहर निकल गया। शरण्या को जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही अंशुमन बाहर निकला वह तुरंत ही भागते हुए दरवाजे तक आए लेकिन जाते वक्त उसने दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया था इसलिए शरण्या ने गुस्से में दरवाजे पर अपना हाथ मारा और अपना सिर पकड़ते हुए कहा, "ओह गॉड! क्या जादू कर रहा है यह आदमी मुझे पर और हो क्या जाता है मुझे इसके नजदीक जाते ही, कुछ और जैसे समझ ही नहीं आता अभी इतना अच्छा मौका था इसके साथ बाहर जाने का लेकिन पता नहीं क्यों मैं अपनी जगह पर जम गई थी और इसकी हरकतें.." अंशुमन अभी थोड़ी देर पहले उसके साथ जैसे पेश आ रहा था वह सब याद करके शरण्या के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट तैर गई और वह चाह कर भी खुद को इस तरह मुस्कुराने से रोक नहीं पाए और सिर्फ मुस्कुराना ही नहीं इस वक्त वह अंशुमन को याद करके ब्लश कर रही थी। उसकी नज़र जैसे ही सामने लगे बड़े से ड्रेसिंग मिरर पर पड़ी उसमें उसे अपना खूबसूरत गुलाबी चेहरा नज़र आया जो की शर्म और खुशी से और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। To be continued कैसा लग रहा है आपको आज का एपिसोड और आप सिर्फ तीन लोग ही कमेंट करते हो यार ऐसा नहीं चलेगा बट थैंक यू सो मच "दर्शना जी, दामिनी जी और राज जी" आप तीनों शुरू से लेकर अब तक रेगुलर कमेंट कर रहे हैं और "दामिनी जी" हम आपके सवालों के जवाब देना चाहते हैं – हम आपसे बस यही कहना चाहेंगे कि अभी स्टोरी बस शुरू हुई है सिर्फ आठ भाग हुए थे अब तक और यह नया भाग है इतनी जल्दी कैसे सब कुछ ठीक हो सकता है दोनों के बीच आखिर वह दोनों अनजान है ना एक दूसरे के लिए और वैसे भी हमारी हीरोइन पसंद करती है बस एक्सेप्ट नहीं कर रही और क्यों नहीं कर रही वह भी बहुत जल्द पता चलेगा आप सबके साथ अंशुमन को भी बस थोड़ा सा सब्र रखिए यही कोई 20 एपिसोड तक का उम्मीद है यहां तक तो साथ बनाए रखेंगे आप सब मेरा और जो कमेंट नहीं कर रहे हैं प्लीज यार कमेंट कर दो। इसके अलावा जिसे भी स्टोरी कंप्लीट पढ़नी है वह मेरा व्हाट्सएप चैनल जरूर ज्वाइन कर ले क्योंकि यहां पर पॉकेट वालों का कोई भरोसा नहीं है कब कौन सी स्टोरी उठाकर डिलीट कर दिया फिर कब रिजेक्ट कर दे तो फिर स्टोरी आगे लिखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है इसीलिए हम चाहते हैं आप लोग अंत तक मेरे साथ कनेक्ट रहो क्योंकि हम यह स्टोरी बहुत ही मन से लिख रहे हैं। नीचे व्हाट्सएप चैनल लिंक दे रहे हैं उस पर टच करके आप सब हमारा व्हाट्सएप चैनल जरूर फॉलो कर लीजिएगा। अंशुमन के बाहर निकल जाने के बाद शरण्या वहां पर कमरे में अकेली थी पहले तो वह इरिटेट होकर दरवाजे के पास खड़ी हुई थी और दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन फिर उसे समझ आ गया कि दरवाजे में ऑटोमेटिक लॉक है जो किसी भी तरह से नहीं खुलने वाला तो फिर वह वापस बेड पर आकर बैठ गई थी। To be continued
14 बेड के सामने लगे उसे बड़े से ड्रेसिंग मिरर में उसे अपना वजूद नजर आया तो उसने देखा उसके बाल बिखरे हुए थे और कपड़े भी थोड़े से गंदे हो गए थे तो उसके दिमाग में एकदम से अंशुमन की बात आई। "जो मन करे वह पहन लेना मेरे वार्डरोब में से..." यह बात याद आते ही शरण्या के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आ गई क्योंकि पता नहीं क्यों उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि बिना किसी रिश्ते के भी अंशुमन उसे रिश्ते का हक देकर गया था। शरण्या धीरे से अपनी जगह से उठी और सीधे वार्डरोब की तरफ ही बढ़ गई वह वार्डरोब बहुत ही बड़ा था और उसमें अंदर ही चेंज करने की भी जगह बनी हुई थी। उसके अंदर आने पर शरण्या को समझ में आया कि वह कोई अलमारी या वार्डरोब नहीं बल्कि वॉक-इन क्लॉसेट था जो कि बहुत ही ज्यादा बड़ा और खूबसूरत बना हुआ था उसमें चारों तरफ काफी सारे कपड़े जूते और बहुत सारा सामान रखा हुआ था। लेकिन सारा सामान आदमियों के उसे का ही था उसमें लड़कियों का एक भी सामान नहीं था और उसमें से ज्यादातर सामान एकदम नया और ब्रांड न्यू लग रहा था जिनमें कुछ तो ऐसा था जिसे शायद एक बार भी पहना ना गया हो लेकिन शरण्या वहां अंदर क्लॉजेट रूम आकर काफी ज्यादा हैरान थी और नज़र घुमा कर चारों तरफ देख रही थी उसे ऐसा लग रहा था एक बार में तो वह सब कुछ देख भी नहीं पाएगी। वह सब नजारा देखकर शरण्या का मुंह हैरानी से खुला रह गया और वह अपने मुंह पर हाथ रखकर खड़ी हुई थी। शरण्या ने अपने आप से कहा, "यह क्या बला है इतनी बड़ी अलमारी इसके अंदर तो कितने सारे लोग आ जाएं इतनी बड़ी अलमारी कौन बनवाता है मेरा तो अपार्टमेंट भी इतना बड़ा नहीं है! ये माफिया तो शायद कुछ ज्यादा ही अमीर है।" शरण्या की आंखों में एक हल्की सी चमक आ गई और फिर उसने साइड में रखे हुए कपड़ों में से कुछ उठा लिया और फिर एक नई टॉवल लेकर वह वॉशरूम के अंदर चली गई। वॉशरूम में जाकर शॉवर लेने के बाद जब वह कपड़े पहने लगी तो उसे वह कपड़े बहुत ही बड़े आ रहे थे क्योंकि अंशुमन का साइज उससे कहीं ज्यादा था हाइट में भी और चौड़ाई में भी, शरण्या ने सिर्फ उसकी हूडी पहनी वही उसके घुटनों तक आ रही थी वह ब्लैक कलर की हूडी साइज में काफी ज्यादा बड़ी थी शरण्या को एकदम ओवर साइज थी। उस हूडी में ही शरण्या आधी से ज्यादा कवर हो गई थी, इसलिए अपने साथ लाई हुई लोअर उसने पहनने के बारे में सोचा भी नहीं क्योंकि अगर वह पहनती तो वह उसे बिल्कुल भी फिट नहीं आती ऐसे ही उसकी कमर से उतर जाती इसलिए वह सिर्फ हूडी पहन कर गिले खुले बालों में ही कमरे से बाहर आ गई। वहां ड्रेसिंग टेबल के साइड में बनी छोटी सी क्लोज सेट में ब्लो ड्रायर, हेयर कॉम्ब और मेन परफ्यूम जैसे कुछ थोड़े बहुत सामान ही रखे हुए थे शरण्या ने ब्लो ड्रायर निकाला और उससे अपने बाल सुखाने लगी। फिलहाल वह सारी चीज़ें शरण्या काफी ज्यादा इंजॉय कर रही थी और तभी एकदम से दरवाजा खुलने की आवाज हुई तो शरण्या ने उस तरफ मुड़ कर देखा। अंशुमन वहां दरवाजे से टेक लगा कर खड़ा हुआ मुस्कुराकर उसकी तरफ देख रहा था और जैसे ही शरण्या ने वहां पर अंशुमन को देखा वह तुरंत ही ब्लो ड्रायर ड्रेसिंग टेबल पर रखकर तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और सीधे अंशुमन की तरफ आते हुए शरण्या ने कहा, "क्यों मुझे यहां पर बंद करके गए थे, मुझे ऐसे नहीं रहना है क्या चाहते हो तुम? मुझे यहां से जाने दो, प्लीज!" इतना बोलते हुए वह थोड़ी सी मायूस लग रही थी तो अंशुमन ने उसे खींचकर गले से लगा लिया और कहा, "आई एम सॉरी जान! मैं भी तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता और ना ही बंद करना चाहता हूं लेकिन यह सब तुम्हारी सेफ्टी के लिए है, प्लीज इस बात को समझो।" इतना बोलते हुए अंशुमन ने धीरे से उसके माथे पर चूम लिया तो शरण्या एकदम ही हैरान रह गई उसे अंशुमन की तरफ से ऐसे जेस्चर की उम्मीद नहीं थी। उसके इस किस में वह अपने लिए प्यार और फिक्र दोनों ही महसूस कर सकती थी और शरण्या को भी बहुत अच्छा महसूस हुआ था वह ऐसा फील नहीं करना चाहती थी अंशुमन के लिए तो बिल्कुल भी नहीं... इसलिए शरण्या ने तुरंत ही अंशुमन को पीछे धक्का देते हुए खुद उससे दूर हुई और नजर उठाकर उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोली, "नहीं समझना मुझे कुछ भी, तुम मेरी बातें समझ रहे हो क्या जो मैं तुम्हारी बात समझूं? जाने दो मुझे यहां से, अगर कोई मुझे जान से मार देता है तो वह भी इस कैद में रहने से तो बेहतर होगा।" शरण्या ने ये बात एकदम ही गुस्से में बोली तो उसके ही बात सुनकर अंशुमन को थोड़ा सा दुःख हुआ और उसने अपना चेहरा नीचे कर लिया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि शरण्या ऐसा कुछ महसूस करें वह उसे सच में कैद करके या बंद करके रखना तो नहीं चाहता था। वह बस उसकी सेफ्टी के लिए ही उसे अपने साथ यहां पर लेकर आया था, क्योंकि उसके साथ शरण्या भी अब उसके दुश्मनों की नज़र में आ चुकी थी और उसके दुश्मन इस बात का फायदा उठाना भी बहुत अच्छी तरह से जानते थे। इसीलिए अंशुमन ने इस वक्त शरण्या को यहां पर अपने साथ और अपने ही कमरे में लॉक करके रखा हुआ था क्योंकि उसे पता था अगर वह शरण्या को खुला छोड़ेगा तो वह बहुत ही शातिर थी, जिस तरह से उसने अंशुमन के पिछले घर का दरवाजा आसानी से खोल लिया था अंशुमन को पता था कि इस बार भी अगर वह उसे बंद करके नहीं रखेगा तो वो आराम से यहां से निकलकर भाग जाएगी। अंशुमन नहीं चाहता था कि शरण्या उसकी नजरों से एक पल के लिए भी दूर जाए। शरण्या ने दोबारा से अंशुमन के कंधे पर टच करते हुए कहा, "क्या सोच रहे हो अब बोलो ना मैं पूछ रही हूं कब जाने दोगे मुझे यहां से मुझे अपने घर जाना है। शरण्या को गुस्से में देख कर अब अंशुमन को भी थोड़ा गुस्सा आ गया और उसने शरण्या के दोनों कंधे अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसे साइड की दीवार से लगा दिया और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "अब यही तुम्हारा घर है और इस बात को तुम जितनी जल्दी एक्सेप्ट कर लोगी उतना तुम्हारे लिए बेहतर होगा।" अंशुमन की यह बात सुनकर शरण्या एकदम ही शॉक्ड रह गई अंशुमन जिस तरह इंटेंस नजरों से उसकी तरफ देख रहा था, शरण्या से तो वह बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए वह खुद को छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली, "नहीं नहीं.. यह मेरा घर नहीं है! मुझे तो पता भी नहीं है मैं कहां पर हूं और इतनी देर से तुमने मुझे यहां पर एक ही कमरे में बंद करके रखा हुआ है, मुझे बेहोश करके जबरदस्ती यहां पर लेकर आए थे। मैं ऐसे नहीं रह सकती मेरा दम घुटता है।" यह बात बोलते हुए शरण्या काफी ज्यादा चिल्लाने लगी तो अंशुमन ने उसके दोनों गालों पर अपने दोनों हाथ रखे और उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए उसकी आंखों में देखकर कहा, "अच्छा ठीक है तुम मुझसे प्रॉमिस करो कि तुम यहां से कहीं भी नहीं जाओगी, और भागने की कोशिश भी नहीं करोगी तो फिर मैं तुम्हें यहां पूरे घर में कहीं भी आने-जाने दूंगा लेकिन अगर तुमने जाने की कोशिश की तो फिर..." अंशुमन की यह बात सुनते ही शरण्या ने तुरंत सवाल किया, "लेकिन कब तक?" अंशुमन ने कन्फ्यूजन से उसकी तरफ देखा तो शरण्या ने कहा, "हां बताओ कब तक तुम मुझे ऐसे यहां पर रखोगे? बताओ ना कितने दिनों तक मुझे यहां रहना है और कब तक मुझ पर खतरा है कब तुम मुझे यहां से जाने दोगे?" उसकी बात सुनकर अंशुमन ने तुरंत ही कहा, "हमेशा.. हमेशा के लिए! मैं तुम्हें कभी भी अपने पास से दूर नहीं जाने दे सकता इसलिए ये तो तुम भूल जाओ कि मैं तुम्हें कभी भी खुद से दूर या कहीं भी और जाने दूंगा! अब तुम मेरी हो सिर्फ मेरी!" अंशुमन की यह बात सुनते ही शरण्या का एकदम रोने जैसा मुंह बन गया और उसने कहा, "लेकिन मैं ऐसे नहीं रह सकती तुम्हें यह समझ में क्यों नहीं आता है? क्यों मेरे साथ यह सब..." वह अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही उसे अपनी कमर पर अंशुमन का हाथ महसूस हुआ और शरण्या की बाकी बातें उसके मुंह में ही रह गई और अंशुमन अपना चेहरा उसके चेहरे के एकदम नजदीक लाते हुए धीरे से उसके कान में बोला, "बहुत सेक्सी लग रही हो, जान! और मेरे कपड़े तुम्हें इतने सूट करेंगे ये तो मैं तो सोचा भी नहीं था।" To be continued थैंक्स टू ऑल ऑफ़ यू आप सबने इतना सपोर्ट किया और कहानी के अगले पार्ट का इतना वेट भी क्या वह क्या है ना मेरी तबीयत ठीक नहीं है कुछ दिनों से सिर में काफी दर्द है तो हम उसकी दवा लेने गए थे आज पूरा दिन उसमें निकल गया और कल सिर दर्द काफी था इस वजह से लिख नहीं पाए तो पूरा एक दिन का गैप हो गया लेकिन इसका कवर अप करने के लिए हम एक साथ दो एपिसोड दे रहे हैं। उम्मीद है आप लोगों को कहानी पसंद आएगी और कमेंट करते रहिए जो लोग भी कमेंट करते हैं हमें कमेंट पढ़ कर बहुत मोटिवेशन मिलती है थैंक यू सो मच! 🥰💙💙
15 वह अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही उसे अपनी कमर पर अंशुमन का हाथ महसूस हुआ और शरण्या की बाकी बातें उसके मुंह में ही रह गई और अंशुमन अपना चेहरा उसके चेहरे के एकदम नजदीक लाते हुए धीरे से उसके कान में बोला, "बहुत सेक्सी लग रही हो, जान! और मेरे कपड़े तुम्हें इतने सूट करेंगे ये तो मैं तो सोचा भी नहीं था।" अंशुमन ने जैसे ही उसके कान में के बाद बोली शरण्या को एकदम से एहसास हुआ कि उसने सिर्फ हूडी पहनी हुई है और नीचे उसकी लंबी पतली गोरी और सेक्सी टांगें एकदम विजिबल थी। उसने जल्दी से झुकते हुए अपने हाथों से पैर को छुपाने की नाकाम कोशिश की और फिर उसे कुछ समझ नहीं आया तो वह हूडी को और भी ज़्यादा नीचे खींचने लगी। उसे ऐसा करते देखा अंशुमन ने हंसते हुए कहा, "अब कुछ भी छुपाने का क्या फायदा है जान! मैंने तो वैसे भी देख लिया है और सच कहूं तो पहले मैं तुम्हें नीचे डिनर के लिए ले जाने वाला था लेकिन तुम इतनी ज्यादा हॉट एंड सेक्सी लग रही हो कि मैं तो ऐसे तुम्हें किसी की भी नजरों के सामने भी आने नहीं दे सकता इसलिए अब हम खाना भी यहां पर ही खाएंगे।" शरण्या ने इधर-उधर देखते हुए कहा, "अब.. अब इसमें.. इसमें मेरी क्या गलती है यहां पर मेरे कपड़े नहीं थे और तुम ने ही बोला था कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं तुम्हारे कपड़ों में से मुझे कुछ भी फिट नहीं आ रहा तो मैं क्या करूं?" उसकी बात सुनकर अंशुमन ने मुस्कुराते हुए उसकी कमर पर अपनी पकड़ को और ज्यादा कसी करते हुए कहा, "कोई बात नहीं, रुको मैं अभी साइज नाप लेता हूं और फिर तुम्हारे कपड़े भी मंगवा दूंगा।" अपने दोनों हाथों को उसकी कमर के इर्द-गिर्द लपेटकर ऐसा करते हुए उसने शरण्या को अपने और भी ज्यादा नजदीक खींच लिया था और शरण्या नज़र उठाकर उससे नजरे भी नहीं मिला पा रही थी। वह नीचे की तरफ देख रही थी कि तभी अंशुमन ने धीरे से उसका चेहरा ऊपर किया और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "मेरी आंखों में क्यों नहीं देखती हो तुम? कौन से जज्बात छुपा रही हो? वैसे तुम्हें कुछ भी छुपाने की ज़रूरत नहीं है। मुझे साफ पता चल जाता है तुम्हारी यह दिल की धड़कनें जो इतनी तेज़ हो जाती है मेरे करीब आते ही।" शरण्या ने अटकते हुए कहा, "ऐसा... ऐसा ऐसा कुछ कुछ भी नहीं है तुम.. तुम कुछ भी बोलते हो और मैं बस..." अंशुमन ने अपने होठों को लगभग उसके कान पैर रखते हुए कहा, "तुम बस खुद से झूठ बोलती रहती हो जान और कुछ नहीं, और एक बार मेरी तरफ देखो मेरी आंखों में? क्या सच में तुम्हें अपने लिए प्यार नहीं नजर आता, तुम्हें नहीं पता लेकिन तुम मेरे लिए बहुत स्पेशल हो! तुम्हारे अलावा मुझे आज तक किसी भी लड़की से प्यार तो दूर मुझे कोई पसंद भी नहीं आई! पता नहीं तुम में ऐसा क्या है जो बार-बार मुझे तुम्हारी तरफ खींचना रहता है और तुम हो कि मुझे खुद से दूर करती रहती हो, ऐसा कब तक चलेगा।" अंशुमन की गर्म सांसे शरण्या को अपने कान पर और गालों पर महसूस हो रही थी इसलिए उसकी आंखें होने से बंद हो गई और वह पूरी तरह से अंशुमन की नज़दीकी को फील कर रही थी। शरण्या ने धीरे से अपना चेहरा दूसरी तरफ किया और वह बात बदलते हुए बोली, "मुझे.. मुझे भूख लगी है अभी!" अंशुमन ने उसी तरह सिडक्टिव अंदाज में उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "भूख तो मुझे भी लगी है जान! लेकिन चलो पहले खाना खा लेते हैं बाद में कुछ और..." इतना बोलते हुए अंशुमन ने एकदम से शरण्या के गाल पर किस कर लिया तो शरण्या ने झटके से अपना चेहरा मोड़ कर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखा और अंशुमन के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कराहट थी। शरण्या उससे कुछ भी पूछ पाती उससे पहले ही अंशुमन ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा, "मेरा मतलब है मीठा! खाने के बाद ही खाया जाता है ना, तुम्हें मीठे में क्या पसंद है बताओ मैं मंगवा दूंगा।" शरण्या ने उसे खुद से दूर धकेलते हुए साइड में आकर कहा, "कुछ भी नहीं,, आई हेट स्वीट्स मुझे सिर्फ तीखा खाना ही पसंद है स्पाइसी और मसालेदार!" अंशुमन ने मुस्कुरा कर कहा, "तीखी मिर्ची को तो तीखा ही पसंद होगा, और अब तो मुझे भी तीखा ही पसंद आता है क्या करूं?" अंशुमन की बात सुनकर ना चाहते हुए भी शरण्या हल्का सा मुस्कुराई लेकिन उसका चेहरा दूसरी तरफ था तो अंशुमन उसके चेहरे की वह प्यारी सी मुस्कुराहट नोटिस नहीं कर पाया। अंशुमन भी दरवाजा बंद करके शरण्या के पीछे आया जो की बेड पर एक कोने में बैठी थी और उसने ब्लैंकेट खींचकर उससे अपने पैरों को ढक लिया था उसे ऐसा करते देखकर अंशुमन मुस्कुराया और उसके सामने आकर बैठ गया। अंशुमन को अपने सामने आकर बैठते हुए देख कर कहा, "अब खाना कहां है, मैं तुम्हें खाऊं क्या जो इस तरह मेरे सामने आकर बैठ गए हो?" अंशुमन ने कुछ ज्यादा ही मुस्कुराते हुए कहा, "I don't mind if you want to you can.." अंशुमन की इस बात का मतलब समझते हुए शरण्या के गल एकदम गुलाबी हो गए और उस ने बेबसी से अपना सिर और फिर इधर-उधर देखने लगी, क्योंकि वह जानती थी अंशुमन यह सब कुछ जानबूझकर बोल रहा था और वह फिलहाल उन दोनों के बीच की सिचुएशन बिल्कुल भी ऑकवर्ड नहीं होने देना चाहती थी। शरण्या दूसरी बाकी चीजों के बारे में सोते हुए इधर-उधर दिमाग लगा रही थी तभी उसके अपने मोबाइल फोन के बारे में याद आया और उसने अंशुमन से कहा, "मेरा मोबाइल फोन, हां मेरा मोबाइल फोन कहां है और मेरा पर्स, मेरा बाकी सामान कुछ भी यहां पर नहीं है।" शरण्या के पूछने पर अंशुमन को एकदम से याद आया तो उसने कहा, "अरे वो तुम्हारा पर्स और फोन शायद कार में ही रह गया था। मैं सिर्फ तुम्हें उठा कर लाया था, मैंने बाकी चीज़ों पर ध्यान नहीं दिया था उस वक्त लेकिन कोई बात नहीं, मैं तुम्हारे लिए नया फोन मंगवा दूंगा।" शरण्या ने थोड़ी ज़िद करते हुए कहा, "नहीं, मुझे मेरा ही फोन चाहिए। उसमें कांटेक्ट और बाकी सारी चीज़ें हैं वह सब मेरे लिए ज़रूरी है। प्लीज अपने ड्राइवर को बोलो ना कि वह फोन दे जाए। मुझे मेरा फोन अभी चाहिए।" अंशुमन ने काफी आराम से कहा, "ठीक है, मैं बोल दूंगा ड्राइवर को लेकिन तुम जब तक यहां पर हो तब तक मैं तुम्हें तुम्हारा फोन नहीं दे सकता, यहां तक मैं भी अपना फोन लॉक करके रखता हूं। सिक्योरिटी रीजन की वजह से.." इस बात को सुनकर शरण्या ने कोई बहस नहीं की, फिर वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया उसने बेड के साइड में लगे हुए लैंडलाइन फोन को उठाया और उसमें एक नंबर डायल करते हुए उसे नदी में आवाज में कहा, "खाना रूम में ही लेकर आ जाओ।" वह सब एकदम किसी बड़े होटल की रूम सर्विस तरह था, शरण्या काफी ध्यान से उसकी तरफ देख रही थी और अगले 5 मिनट में ही उनका खाना दरवाजे तक आ गया अंशुमन ने ही आगे जाकर खाना लिया जो कि इस तरह एक बड़ी सी फूड ट्रॉली में आया हुआ था और शरण्या चुपचाप बेड पर बैठी हुई वह सब देख रही थी और फिर अंशुमन वह ट्रॉली बेड के नजदीक लेकर आ गया। शरण्या काफी ध्यान से वह सब देख रही थी उसके लिए यह सारी चीज एकदम नहीं थी और इतनी सारी खान की चीज देख कर तो वह हैरान थी लगभग चार से पांच अलग-अलग तरह की डिशेज बनी हुई थी। वह सारा खाना देख कर शरण्या ने एकदम से कहा, "यह इतना सारा खाना कौन खाएगा? हम तो दो लोग ही हैं यहां पर?" अंशुमन ने मुस्कुराते हुए धीरे से अपना सिर हिला कर कहा, "हां मुझे भी पता है हम दो लोग ही हैं यहां पर और यह इतने सारे तो ज्यादा खाना नहीं है यह सब तो ऑप्शन है तुम्हें जो पसंद हो वो खाओ! बाकी सब खत्म करने की ज़रूरत नहीं है।" उसकी बात सुनकर फिर शरण्या ने कुछ नहीं बोला और एक-एक करके वह सारी चीज देखने लगी। उसे सच में काफी ज्यादा भूख लग रही थी तो इस वक्त अपने सामने खाना देखकर वह काफी खुश हो रही थी और शरण्या को खुश होता देखकर अंशुमन को खुशी मिल रही थी। To be continued थैंक्स टू ऑल ऑफ़ यू आप सबने इतना सपोर्ट किया और कहानी के अगले पार्ट का इतना वेट भी क्या वह क्या है ना मेरी तबीयत ठीक नहीं है कुछ दिनों से सिर में काफी दर्द है तो हम उसकी दवा लेने गए थे आज पूरा दिन उसमें निकल गया और कल सिर दर्द काफी था इस वजह से लिख नहीं पाए तो पूरा एक दिन का गैप हो गया लेकिन इसका कवर अप करने के लिए हम एक साथ दो एपिसोड दे रहे हैं। उम्मीद है आप लोगों को कहानी पसंद आएगी और कमेंट करते रहिए जो लोग भी कमेंट करते हैं हमें कमेंट पढ़ कर बहुत मोटिवेशन मिलती है थैंक यू सो मच! 🥰💙💙
16 अंशुमन और शरण्या, दोनों ने साथ में खाना खाया और इस बीच शरण्या ने एक बार भी नज़र उठा कर अंशुमन की तरफ नहीं देखा क्योंकि वह उसके सामने ही बैठा हुआ था और शरण्या उससे नज़रें नहीं मिलना चाहती थी। खाना खाने के बाद शरण्या बेड पर अकेली बैठी हुई बोर हो रही थी क्योंकि अंशुमन साइड में खड़ा होकर किसी से कॉल पर बात कर रहा था और शरण्या उसकी बातें सुनने की कोशिश तो कर रही थी लेकिन वह काफी धीमी आवाज में बोल रहा था तो उसे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। शरण्या ने बेड से उठकर आगे आते हुए अपने मन में कहा, "किस से बात कर रहा है यह इतनी देर से और इतनी धीमी आवाज में बात करने की क्या जरूरत है ऐसी भी क्या बात हो सकती है? कहीं कोई और लड़की तो नहीं है इसकी लाइफ में?" शरण्या के दिमाग में जैसे ही यह किसी और लड़की वाली बात आई उसने तुरंत ही अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और अपने सिर पर हल्के से मारते हुए कहा, "लेकिन मुझे क्यों फर्क पड़ रहा है वह किसी से भी बात करें और वैसे भी माफिया है तो हो सकता है काम को लेकर ही बात कर रहा होगा और उसे आदत होगी ऐसे धीमी आवाज में बात करने की।" शरण्या जैसे तैसे खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी वही साइड में खड़ा हुआ अंशुमन कॉल पर बात ज़रूर कर रहा था लेकिन उसकी नज़रें शरण्या पर ही टिकी हुई थी और उसे बार-बार ऐसे अपनी तरफ देखते हुए पाकर वह मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। शरण्या धीरे-धीरे चलते हुए उसकी तरफ आई और वह इधर-उधर देख रही थी और इस तरह देखने की कोशिश कर रही थी जैसे कि वह बस ऐसे ही बोरियत की वजह से चल रही हो और अंशुमन के पास आकर उसकी बातें सुनने में उसकी कोई भी दिलचस्पी नहीं थी। अंशुमन ने जैसे ही शरण्या को अपने नजदीक आते देखा उसने जानबूझकर कॉल पर कहा, "ओके, मैं बाद में बात करता हूं तुमसे!" इतना बोलकर उसने ब्लूटूथ से ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया क्योंकि मोबाइल फोन तो वैसे भी उसके पॉकेट में रखा हुआ था। जैसे ही उसने यह बात थोड़ी तेज आवाज में कहीं और शरण्या को यह बात सुनाई दे गई तो वह तुरंत ही तुनककर बोली, "क्यों बाद में क्यों, अभी बात कर लो ना जितनी भी बात करनी है! वैसे किस से बात कर रहे थे तुम जो मुझे देखकर तुमने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।" अंशुमन ने अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहा, "अपनी एक्स गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था, अब नेक्स्ट के सामने एक्स से भला कैसे बात कर सकता हूं मैं?" अंशुमन की बात सुनते ही शरण्या एकदम से भड़कते हुए बोली, "कौन... कौन एक्स गर्लफ्रेंड? तुमने तो मुझसे कहा था कि तुम्हारी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं थी और तुम्हें कभी किसी से प्यार नहीं हुआ तो फिर यह एक्स गर्लफ्रेंड कहां से आ गई? तुमने मुझसे झूठ बोला था ना, मुझे पता है तुमने मुझे सब कुछ झूठ ही बोला होगा और अभी भी तुम झूठ ही..." उसे ऐसे भड़कते हुए देख कर अंशुमन को तो एक पल के लिए बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरह से वह हक जताते हुए उस सवाल कर रहे थे लेकिन जैसे ही उसने अंशुमन को झूठ बोलना शुरू किया अंशुमन थोड़ा सा गुस्से में आओगे और उसने एकदम ही शरण्या की कमर पकड़ कर उसे अपने नजदीक खींचा और उसके होठों पर अपने होंठ रखते हुए उसे अचानक से किस करते हुए एकदम चुप करा दिया। अंशुमन के ऐसे एकदम से उसे किस करते हुए चुप कर देने पर शरण्या कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन अपनी बड़ी-बड़ी आंखें करके वह उसकी तरफ ही देख रही थी और कुछ सेकेंड तक उसे किस करने के बाद थोड़ा सा पीछे होते हुए अंशुमन ने कहा, "झूठ हां, तुम्हें मेरी सारी बातें झूठ लगती हैं तो फिर तुमने इस बात पर कैसे एक बार में ही यकीन कर लिया कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था और अगर मेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड होती तो सोचो मैं यहां पर तुम्हारे साथ होता क्या?" अंशुमन ने जैसे ही यह सवाल किया तो शरण्या ने जल्दी-जल्दी अपनी पलकें झपकाईं और उसे रियलाइज हुआ कि एकदम से उसने कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर दिया था तो फिर उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए कहा, "वह.. वह मैं बस ऐसे ही बोल रही थी, मुझे क्या करना तुम्हारी चाहे जितनी भी गर्लफ्रेंड हो चाहे कोई भी.." शरण्या अटकते हुए यह बात बोल रही थी तो अंशुमन ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें सच में कुछ नहीं करना, जो करना है मुझे ही करना है। और वैसे भी हमारे बीच हुई डील याद है ना तुम्हें तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और तुमने मुझे एक महीने का टाइम दिया है और वह आज से ही शुरू होता है।" शरण्या ने तुरंत ही उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "हां तो तुम कर तो रहे हो, जो तुम्हें करना है और यहां मुझे लेकर भी आए हो जबरदस्ती अब उसमें क्या टाइम शुरू होना है तुम्हारे आगे कौन सा मैं कभी भी जीत पाऊंगी। तुम तो अपनी मनमर्जी चला ही रहे हो।" शरण्या ने अपनी आइस रोल करते हुए इस तरह से कहा जैसे कि वह बहुत ही इरिटेट फील कर रही हो। अंशुमन ने शरण्या का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वह बेड की तरफ बढ़ा उसने शरण्या को बैठने का इशारा किया तो शरण्या चुपचाप बिना कोई बहस किए बैठ गई। अंशुमन ने धीरे से उसके गाल पर एक हाथ से टच करते हुए कहा, "मैं तो चाहता हूं तुम भी अपनी मर्जी चलाओ मुझ पर लेकिन तुम हमेशा ही उल्टी बातें करती हो और ऐसा मुझे फील कराती हो जैसे मैं तुम्हें जबरदस्ती अपने साथ रखें हूं बांधकर और तुम बिल्कुल भी मेरा चेहरा तक नहीं देखना चाहती, बताओ क्या यह सच है इतना बुरा हूं क्या मैं?" अंशुमन की आंखों में शरण्या को बहुत ही ज्यादा सच्चाई और इमोशंस नजर आ रहे थे तो वह कुछ भी ऐसा नहीं बोल पाई जिससे कि अंशुमन को बुरा लगे। कुछ भी बोलने से पहले शरण्या ने अपने गले में फंसा हुआ थूक निगला और फिर नज़र उठाकर उसने अंशुमन की तरफ देखते हुए कहा, "अच्छा? बुरा? मुझे नहीं पता! मैं तो तुम्हें जानती भी नहीं तो ऐसे कैसे तुम्हारी अच्छा या बुराई बता सकती हूं।" शरण्या ने जैसे ही यह बात बोली अंशुमन के मन में एक छोटी सी उम्मीद जागी यह सोचकर कि शरण्या ने डायरेक्ट उसे बुरा नहीं कहा और कुछ भी उल्टा सीधा नहीं सुनाया। उसने शरण्या के दोनों हाथों को अपने हाथों में एकदम कसकर पकड़ लिया और थोड़ा सा आगे जाकर उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कहा, "यही तो मैं चाहता हूं कि तुम मुझे जानो, बहुत अच्छी तरह से जो भी तुम जानना चाहती हो पूछो मैं तुम्हें सब कुछ बताने के लिए तैयार हूं तुम्हारे साथ अपनी सारी चीज बांटने के लिए और आने वाली जिंदगी भी मैं सिर्फ तुम्हारे साथ ही जीना चाहता हूं मैं तुम्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा मान चुका हूं और पूरी तरह से तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं।" उसकी बात सुनकर शरण्या भी काफी ज्यादा इमोशनल होती जा रही थी उसने किसी तरह खुद को कंट्रोल करते हुए एकदम इमोशनलेस ठंडी आवाज में कहा, "लेकिन मुझे प्यार जैसी चीजों पर विश्वास नहीं है और मैं तुम्हें कोई झूठी उम्मीद नहीं देना चाहती।" अंशुमन ने दोनों हाथों को उसके दोनों गालों पर रखकर उसके चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए कहा, "क्या मैं इसके पीछे की वजह जान सकता हूं? ऐसा क्यों है जान! क्या किसी ने तुम्हें धोखा दिया तुम्हारा दिल तोड़ा और तुम्हारी फैमिली में कौन-कौन है? तुम क्या करती हो, तुम्हें क्या पसंद है और तुम क्या चाहती हो अपनी लाइफ में, क्या तुम मुझे यह सब बताओगी अपनी जिंदगी में शामिल करने का पहला कदम..." अंशुमन के यह सारे सवाल सुनकर शरण्या ने फिर से उसी तरह ठंडी आवाज में कहा, "तुमने ये सब कुछ पता कर लिया होगा तो फिर मुझसे पूछने का नाटक क्यों कर रहे हो? तुम्हें पता है ना मैं अकेली रहती हूं और तुम्हें मेरा एड्रेस भी पता है तो फिर..." अंशुमन ने भी एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "हां मुझे उतना पता है जितना तुम्हारी लाइफ में अभी चल रहा है लेकिन उससे पहले का क्या जब मैं तुम्हारी लाइफ में नहीं था और हम एक दूसरे से नहीं मिले थे। तब का तो मुझे कुछ भी नहीं पता, वैसे चाहूं तो पता कर सकता हूं लेकिन बेहतर होगा अगर तुम खुद मुझे बताओ।" शरण्या ने अपनी नज़र नीचे झुकाते हुए कहा, "सॉरी! लेकिन मुझे अभी थोड़ा टाइम चाहिए मुझे नहीं लगता कि मैं इतनी बड़ी बात तुम्हारे साथ शेयर करने के लिए तैयार हूं मैं अपनी लाइफ में यह बात आज तक किसी को भी नहीं बताई है और तुम वह पहले इंसान हो जिसने मुझे मेरे बारे में कुछ भी पूछा है और मैं शेयर करना चाहती हूं लेकिन मैं.." वह काफी ज्यादा इमोशनल हो गई थी उसकी आंखों में आंसू भर आए थे शायद उसकी वह मेमोरी इतनी ज्यादा दर्दनाक थी कि वह उसे याद भी नहीं करना चाहती थी और इस बात को बोलते हुए उसकी आवाज में भी दर्द साफ सुनाई दे रहा था जिससे कि अंशुमन सुन सकता था। To be continued
17 अंशुमन ने खींचकर शरण्या को अपने सीने से लगा लिया और उसकी पीठ और कमर पर हाथ रखकर उसे अपने और करीब करते हुए कहा, "ठीक है कोई बात नहीं मैं.. मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता तुम जब कंफर्टेबल होना तब बता देना और वह जो कुछ भी हुआ हो मुझे नहीं पता और अगर तुम नहीं बताओगी तो मुझे भी नहीं जानना लेकिन मैं इतना ज़रुर जानता हूं कि मेरे प्यार पर तुम्हें पूरा भरोसा हो जाएगा।" आखिरी लाइन अंशुमन ने बहुत ही कॉन्फिडेंस से कहीं तो शरण्या ने एक नज़र उठाकर उसकी तरफ देखा और फिर धीरे से उसने भी अंशुमन की कमर के इर्द-गिर्द चारों तरफ अपने हाथ लपेटे हुए दोबारा अपना सर उसके सीने से टिका लिया और हौले से अपनी आंखें बंद कर ली। अंशुमन ने उसके माथे पर किस किया और शरण्या को उसकी इस किस में बहुत ही ज्यादा प्यार महसूस हुआ इसके अलावा उसे बहुत राहत मिली वह इस वक्त अंशुमन की बाहों में बहुत ही सेफ फील कर रही थी और उससे दूर नहीं होना चाहती थी। अंशुमन ने भी उसे खुद से दूर नहीं किया और कुछ देर बाद वह उसे उसी तरह बाहों में लेकर वहीं बेड पर लेट गया और शरण्या भी इस वक्त अंशुमन के इस तरह से गले लगी हुई थी जैसे कि वही उसके लिए सब कुछ था। सब कुछ ना सही लेकिन वह अब उसकी लाइफ में कुछ तो बन चुका था और इस बात को शरण्या भी कहीं ना कहीं एक्सेप्ट कर चुकी थी और अंशुमन को भी बहुत अच्छा लग रहा था शरण्या का यह इमोशनल रूप देखकर इसलिए उसने कुछ नहीं पूछा और वह दोनों इस तरह एक दूसरे के गले लगे हुए सो गए। अगली सुबह, उस कमरे के मुलायम आरामदायक बिस्तर पर शरण्या की आंख खुली तो उसने खुद को अंशुमन की बाहों में पाया और एक पल के लिए वह उसे देखते ही रह गई इस वक्त वो जितना हैंडसम लग रहा था सोया हुआ, जागते हुए भी नहीं लगता था या शायद जागते हुए शरण्या ने कभी उसका चेहरा इतनी नजदीक से और ध्यान से नहीं देखा था। शरण्या ने धीरे से अपना हाथ आगे बढ़कर उसके माथे पर बिखरे हुए बालों को किनारे किया और अंशुमन अभी भी सो रहा था तो शरण्या धीरे से अपना चेहरा आगे लेकर आई और एकदम से उसके मन में पता नहीं क्या आया कि उसने हल्के से अंशुमन के होठों पर अपने होंठ रख दिए। अंशुमन उसे बहुत ही ज्यादा अपनी तरफ अट्रेक्ट कर रहा था, इतने सालों में वह कभी किसी लड़के के इतने नज़दीक तो नहीं गई थी इसलिए आज शुभ अंशुमन की बाहों में जागने की वजह से उसे बहुत कुछ अलग महसूस हो रहा था। जैसे ही उसने अंशुमन के होठों पर अपने होंठ रखे, शरण्या को एकदम से कुछ रियलाइज हुआ और वह उसके होठों को हल्के से छूकर तुरंत ही पीछे हट गई। शरण्या ने अपने आप को डांटते हुए कहा, "what the hell? यह क्या कर रही थी मैं..." शरण्या की आवाज़ धीमी थी और वह खुद से ही बात कर रही थी लेकिन तभी एकदम से उसे एकदम गहरी और भारी आवाज में जवाब मिला, "जो भी कर रही थी बहुत अच्छा कर रही थी लेकिन ऐसे अचानक से रुक क्यों गई? I want more..." वो आवाज सुनते ही शरण्या ने चौंक कर सामने देखा तो उसे अब अंशुमन नींद से जाग चुका था और उसकी आंखें आधी खुली हुई थी। अंशुमन को इस तरह से जागा हुआ देखकर शरण्या को बहुत ही ज्यादा एम्बैरेस्मेंट फील हुई और उसने एक हाथ अपने चेहरे पर रखते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ करने की कोशिश की, क्योंकि वह उस नज़रें नहीं मिला पा रही थी लेकिन तभी अंशुमन ने उसे कमर से पकड़ कर अपने और नजदीक खींच लिया। अंशुमन के मजबूत हाथों का टच अपनी पीठ और कमर पर महसूस होते ही शरण्या ने एकदम धीमी आवाज़ में कहा, "ओह शिट!" अंशुमन अपना चेहरा अब तक उसके चेहरे के एकदम नज़दीक लेकर आ चुका था, शरण्या का चेहरा भले ही दूसरी तरफ था लेकिन अंशुमन ने पीछे से अपने चेहरे को उस के चेहरे से एकदम टिकाया हुआ था इसलिए उसे उसकी यह बात सुनाई दी गई और उसने जैसे शिकायत करते हुए कहा, "अरे जान! अब इसमें इतना शर्माने वाली क्या बात है? मैं तो पूरा का पूरा तुम्हारा हूं जो चाहे करो लेकिन बस एक बात की शिकायत है यह इतनी छोटी सी किस कौन करता है, थोड़ा ठीक से तो करती, मैं ठीक से इंजॉय भी नहीं कर पाया।" शरण्या कुछ भी बोल नहीं पा रही थी तभी अंशुमन ने अपनी नोज़ उसकी गर्दन में टच करते हुए धीरे से उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और अंशुमन के होठों का टच अपनी नेक पर फील करते ही शरण्या ने अपनी आंखें बंद करते हुए बेड की चादर को एकदम कसकर पकड़ते हुए अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया। अंशुमन भी अपनी आंखें बंद करके अपने दोनों हाथ शरण्या की कमर में डाले हुए बहुत ही प्यार से उसकी गर्दन और बैक पर किस कर रहा था पूरी तरह से शरण्या को अपनी बाहों में फील करते हुए और शरण्या भी उसके हर एक टच और किसी को महसूस कर सकती थी। वह बिल्कुल भी अनकंफरटेबल नहीं थी लेकिन उसे अपने पेट में तितलियां उड़ती सी महसूस हो रही थी इसलिए एक हाथ उसने अंशुमन के हाथ पर रखा और धीमी आवाज में कहा, "आह् प्लीज... स्टॉप इट!" इतना बोलते हुए उसकी आवाज काफी बुरी तरह से कांप रही थी और उसके आगे भी कसकर बंद थी लेकिन उसकी आवाज सुनते ही अंशुमन रुक गया, उसने अपना चेहरा थोड़ा पीछे कर लिया। शरण्या को जैसे ही उसका टच और उसकी गर्माहट महसूस नहीं हुई, तो उसे बहुत ही डिसएप्वॉइंटेड फील हुआ, उसने तुरंत ही एक झटके से अपनी आंखें खोल ली और गर्दन मोड़ कर पीछे की तरफ देखने लगी तो उसने पाया कि अंशुमन उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था। अंशुमन ने उसी तरह शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा, "क्या हुआ अब ऐसे क्या देख रही हो, जैसे मैंने कुछ गलत कर दिया! तुम ने ही तो रुकने को बोला था ना बस रुक गया मैं, या फिर नहीं रुकना था।" अंशुमन ने उसे छेड़ते हुए कहा तो ना चाहते हुए भी शरण्या के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आकर उसने अपने दोनों हाथ अंशुमन की चेस्ट पर रखकर उसे पीछे धकेलते हुए कहा, "You... It's nothing like that, Just Go away Mr. Mafia!" शरण्या ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे धक्का दिया लेकिन अंशुमन ने ज़रा भी जोर नहीं लगाया तो वह बेड पर एकदम पीछे खिसक गया और एकदम किनारे पर लगभग गिरने ही वाला था। वह एकदम से लड़खड़ा गया और तभी शरण्या ने जल्दी से आगे जाकर उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "क्या कर रहे हो तुम?" उसने शरण्या का हाथ पकड़ा और उसे भी अपने साथ खींच लिया और वह दोनों इस वक्त जमीन पर गिर गए थे लेकिन उनके नीचे ब्लैंकेट था तो दोनों में से किसी को भी चोट नहीं लगी थी शरण्या के सारे बाल उसके चेहरे पर बिखर आए थे। अंशुमन ने अपने हाथ आगे बढ़कर उसके बालों को चेहरे से हटाते हुए कहा, "तुम्हारी कहीं सारी बातें मान रहा हूं बस, जो भी तुम बोल रही हो वही करूंगा अब तो, और तुमने कहा ना दूर जाऊं तुमसे तो बस.." उसकी ऐसी बातें सुनकर शरण्या ने काफी डिसएप्वॉइंटेड सा चेहरा बनाते हुए कहा, "You are such an idiot! तुम्हें माफिया किसने बनाया!" अंशुमन ने अभी भी उसका एक हाथ पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ शरण्या की कमर पर था और वह पूरी तरह से उसके ऊपर थी। शरण्या को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ वह तुरंत ही एक झटके से उठकर खड़ी हो गई और उसने कहा, "उम्म् ! मुझे.. मुझे नहाने जाना है!" इतना बोलकर वह तुरंत ही वॉशरूम की तरफ भाग गई तो अंशुमन उसे देख कर हंसने लगा क्योंकि उसे अपना असर शरण्या पर साफ नज़र आता था और वह खुद से ही भागती रहती थी। उसके जाने के बाद अंशुमन भी ज़मीन से उठा और अपने बालों में हाथ डालकर बालों को पीछे किया और उसने खुश होते हुए कहा, "हो गई आज अपनी तो मॉर्निंग गुड!" यह बात बोलते हुए वह बहुत ही ज़्यादा खुश लग रहा था और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की खुशी की चमक नज़र आ रही थी। कुछ देर के बाद शरण्या, बाथरोब में ही वॉशरूम से बाहर निकली लेकिन अंशुमन वहां पर नहीं था तो उसने थोड़ी राहत की सांस ली और आगे आते हुए दोबारा से अंशुमन की वॉक इन क्लोजेट की तरफ ही बढ़ गई। उसे फिर से कुछ समझ नहीं आया तो उसने दोबारा से अंशुमन की एक व्हाइट शर्ट निकाली और उसे ही पहने लगी उसे लगा था कि वहां पर कोई भी नहीं है इसलिए वह वहां पर क्लोजेट में ही चेंज करने लगी और शर्ट के बटन बंद करते हुए जैसे ही वह पीछे मुड़ी सामने अंशुमन को खड़ा देखकर उसके मुंह से एकदम ही चीख निकल गई। "आह्! त्...तुम?" अंशुमन धीरे कदमों से चलता हुआ से चलता हुआ उसके नज़दीक आते हुए बोला, "हां, मैं नहीं तो और कोई होगा क्या यहां पर, तुम्हें ऐसे देखने के लिए. . . वैसे सच कहूं तो तुम्हारी बैक बहुत ही सेक्सी है।" To be continued
18 अंशुमन ने एकदम सीरियस आवाज में शरण्या को ऊपर से नीचे तक देखते हुए यह बात कही तो शरण्या की आंखें हैरानी से बहुत ही ज्यादा चौड़ी हो गई और उसने तुरंत ही अंशुमन की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा, "how dare you? तुम.. तुम मुझे चेंज करते हुए देख रहे थे, सीरियसली..." अंशुमन ने धीरे से अपने हाथ को शरण्या के चेहरे पर रखा और अपने अंगूठे से उसके गालों को रब करते हुए उसकी आंखों में देखकर कहा, "मेरा ऐसा कोई इरादा तो नहीं था लेकिन अब जब सामने ऐसा नज़ारा मिल रहा है तो कौन बेवकूफ़ ही अपनी नजर हटाएगा।" शरण्या ने जैसे ही उसकी तरफ देखा तो अंशुमन ने उसे आंख मेरी और शरण्या तुरंत ही उसके साइड से निकलकर क्लोजेट से बाहर आने लगी तो अंशुमन ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और कहा, "वैसे तो मेरी शर्ट में बहुत अच्छी लग रही हो तुम, एकदम सेक्सी लेकिन मैंने तुम्हारे लिए भी कपड़े मंगवा दिए हैं। तुम चाहो तो चेंज कर सकती हो लेकिन मैं तो नहीं चाहता कि तुम चेंज करो।" शरण्या भी जैसे अपनी सांस रोककर उसकी तरफ देखते हुए उसकी बात सुन रही थी लेकिन जैसे ही उसने कपड़ों वाली बात कही तो शरण्या तुरंत ही नजर घुमा कर इधर-उधर चारों तरफ देखने लगी और उसे बेड के सामने वाली टेबल पर तीन चार बड़े से शॉपिंग बैग रखे हुए नजर आए तो वह समझ गई की अंशुमन जरूर उसके कपड़े लेने के लिए यहां से गया होगा। अंशुमन से अपना हाथ छुड़ाने हुए शरण्या ने कॉन्फिडेंस से कहा, "अब तो मैं ज़रूर चेंज करूंगी और वैसे भी मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हारे कपड़े पहनने का वह तो बस मुझे मजबूरी में ही पहनने पड़े थे क्योंकि मेरे पास और कुछ नहीं था।" अंशुमन बस उसकी तरफ देख कर मुस्कुराता रहा और शरण्या आगे आकर बहुत ही एक्साइटेड होती हुई एक-एक कर वह सारे बैग खोलकर देखने लगी। उसमें ज्यादातर कपड़े वेस्टर्न स्टाइल के ही थे क्योंकि अंशुमन ने अब तक शरण्या को उस तरह के कपड़ों में ही देखा था इसलिए उसने हर तरह के वन पीस ड्रेस, जींस टॉप टी-शर्ट मंगवा दिए थी, जो भी उसे समझ आया था और एक नाइट सूट भी था। शरण्या ने जींस का साइज़ चेक किया तो वह एकदम उसके साइज की थी और उसे जींस को अपने हाथ में पड़कर अंशुमन की तरफ देखते हुए शरण्या अपने आप में ही बुदबुदाई, "लगता है कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस है इसे लड़कियों का साइज मेज़र करने में मुझे लगा ऐसे ही बोल रहा होगा लेकिन मुझसे पूछे बिना ही एकदम सही साइज के कपड़े मंगवा दिए इसने तो..." अंशुमन का ध्यान अभी उसकी तरफ़ नहीं था वह अपनी क्लोजेट के अंदर ही कुछ ढूंढ रहा था। इसलिए अंशुमन शरण्या को उसकी तरफ देखकर यह सब सोचते हुए नोटिस नहीं कर पाया और शरण्या उसमें से एक जोड़ी कपड़े लेकर चेंज करने चली गई। वॉशरूम के अंदर जाकर शरण्या शीशे के सामने खड़ी हुई और उसने खुद को अंशुमन की उस ओवर साइज व्हाइट शर्ट में देखा तो वह भी एक पल के लिए खुद को देखती ही रह गई सच में वह अंशुमन के उन कपड़ों में कुछ ज्यादा ही अट्रैक्टिव लग रही थी। शरण्या ने शीशे में खुद को देखा और शर्ट को कॉलर से पकड़ कर बंद करते हुए खुद को देखकर मुस्कुराई और तभी उसे अंशुमन की बात याद आ गई। "सच में, मेरे कपड़ों में कुछ ज्यादा ही अच्छी लगती हो तुम?" यह बात याद आते ही शरण्या ने एकदम से कहा, "सच ही तो बोल रहा था वह, सूट तो कर रहे हैं मुझ पर उसके कपड़े..." उनके बात बोलते हुए वह खुद को अंशुमन के साथ इमेजिंग करने लगे और जिस तरह से सुबह खुद से उसने अंशुमन के होठों पर उसे किस किया था वह सब एकदम शरण्या की आंखों के सामने आ गया और पता नहीं क्यों उसे फिर एक अलग सा एहसास हुआ। यह सारे ख्याल मन में आते ही उसने जल्दी-जल्दी अपना सिर नहीं में हिलाते हुए कहा, "नहीं नहीं... ये सब क्या सोच रही हूं मैं? पागल कर देगा यह आदमी मुझे सच में, मैं चेंज करने आई थी और यह सब... पता नहीं क्या-क्या दिमाग में भर दिया है उसने?" उसके बाद शरण्या वह जींस और ब्लैक कलर का ऑफ शोल्डर क्रॉप टॉप पहनकर बाहर निकली। अंशुमन फिर से वहां पर कमरे में कहीं भी नहीं था तो शरण्या का मुंह बन गया और उसने अपने आप से कहा, "बार-बार कहां गायब हो जाता है यह आदमी? ऐसे मुझे अकेला छोड़कर कोई और है भी नहीं यहां पर उसके अलावा.." शरण्या शीशे के सामने आकर खड़ी हुई और अपने बाल संवारने लगी और फिर उसने वहां साइड में रखा हुआ परफ्यूम उठाया और उसे चेक करने लगी क्योंकि उसे पता था वह सारे मेल परफ्यूम ही होंगे लेकिन फिर भी जिसकी फ्रेगरेंस उसे अच्छी लगी शरण्या ने वह परफ्यूम लगा लिया। तभी उसे अपने पेट में गुड़गुड़ होती महसूस हुई क्योंकि नाश्ते का टाइम तो निकल चुका था और उसे अब भूख लग रही थी। शरण्या ने एकदम अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा, "इतनी ज़ोर की भूख लगी है, क्या मुझे अभी भी कमरे से बाहर जाने नहीं देगा ये? तो कम से कम खाना ही मंगवा दे तो कल रात की तरह, अभी तक इसने नाश्ते के बारे में पूछा भी नहीं क्या करूं मैं? सामने आएगा ना तो इसे ही खा जाऊंगी इतनी तेज़ भूख लगी है।" शरण्या उन कपड़ों में बहुत ही प्यारी लग रही थी और उसने बहुत ही क्यूट सी हेयर स्टाइल भी बनाई थी वहां पर मेकअप का कोई सामान था नहीं और उसे शायद ज़रूरत भी नहीं थी वह ऐसे ही इतनी प्यारी लगती थी इसलिए तैयार होने के बाद पेट पर हाथ रखकर वह इधर से उधर टहल रही थी क्योंकि उसे सच में काफी भूख लगी थी और तभी दरवाज़ा खुला... दरवाजा खुलते ही शरण्या एकदम से उस तरफ भागी और उसने चिल्लाते हुए कहा, "कहां चले जाते हो तुम, मुझे इतनी तेज भूख लगी है मुझे और यहां पर कुछ खाने को नहीं है मैं ना तुम्हें ही खा जाऊंगी।" एकदम ही गुस्से में शरण्या यह सब कुछ बोल गई लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे पर खड़े शक सके नजर उठा कर देखा उसकी बोलनी एकदम बंद हो गई क्योंकि वहां पर खड़ा आदमी अंशुमन नहीं बल्कि कोई और ही था और उसे देखकर शरण्या की बोलती एकदम ही बंद हो गई और वह अपना मुंह बंद करके चुपचाप खड़ी उसकी तरफ देखती हुई उसके कुछ बोलने का इंतजार करने लगी क्योंकि वह तो पहले ही कुछ ज्यादा ही बोल चुकी थी। उस आदमी ने शरण्या की तरफ देखते हुए कहा, "सॉरी मैम बट सर ने आपको नीचे बुलाया है नाश्ते के लिए... और मैं वही बोलने के लिए आया था।" अपनी बात कह कर उस आदमी ने बहुत सी रिस्पेक्टफुली अपना सिर नीचे झुका लिया। शरण्या ने उसकी तरफ गौर से देखा वह उसे पहचानने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कौन था और उसे ऐसा लग रहा था कि उसने उसे पहले भी एक बार शायद देखा था। शरण्या ने आखिर अपने मन में चल रहे सवाल करना शुरू कर दिया, "तुम कौन हो और उसे सर क्यों बोल रहे हो? और तुमने मुझे देखा है मतलब पहले से जानते हो क्या मुझे क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा है मैंने तुम्हें कहीं तो देखा है।" उस आदमी ने विनम्रता से अपना सिर झुका कर कहा, "मैम! मैं राणा सर का बॉडीगार्ड हूं और बस अभी थोड़ी देर पहले मैं यहां पर आया इसीलिए आपने मुझे उनके साथ देखा होगा पहले भी जब आप उनसे मिली थी मैं दोनों बार उनके साथ ही था।" उसे आदमी ने खुद को इंट्रोड्यूस करते हुए कहा तो शरण्या ने धीरे से हमें अपना सिर हिला कर कहा, "हम्म्! शायद तभी देखा होगा..." इतना बोलते हुए वह दरवाजे से बाहर निकाल कर आई और इतनी देर में वह अब पहली बार ही बाहर निकली थी उस कमरे में शायद दो दिन हो चुका था उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे कई जन्म से वह उसी कमरे में बंद थी। इसलिए मौका मिलते ही वह तुरंत वहां से बाहर निकल गए और तभी बॉडीगार्ड ने भी उसके पीछे आते हुए कहा, "मैडम इस साइड रुकिए मैं आपको गाइड करता हूं।" कमरे से बाहर आते ही शरण्या नजर घूमर चारों तरफ देख रही थी वह घर बहुत ही ज्यादा बड़ा था और वहां से उतरने के लिए भी दो तरफ से सीढ़ियां बनी थी तो वह एक तरफ बढ़ने लगी थी लेकिन तभी बॉडीगार्ड ने दूसरी तरफ चलने का इशारा किया तो वह उसे तरफ आ गई और वह इस वक्त घर के फर्स्ट फ्लोर पर थी जहां पर वह कमरा था और उसके साथ ही और भी कई सारे कमरे बने थे शरण्या जितना नजर घुमा कर देख रही थी सब कुछ तो वह एक बार में देख भी नहीं पा रही थी वह गरीब इतना बड़ा और शानदार बना हुआ था। बाहर से दिखने में तो वह घर बस पेड़ों से घिरा हुआ एकदम किसी फार्म हाउस की तरह लेकिन अंदर से बंगले की तरह लग रहा था। To be continued
19 शरण्या ने अपने आप से कहा, 'यह इतना बड़ा घर इसका है या इसने मुझे किसी और के घर में लाकर रखा है? अरे नहीं किसी और के घर में इसकी चीज थोड़ी ना होगी यह तो कुछ ज्यादा ही अमीर है और मुझे तो इसके अंगूठी से ही समझ जाना चाहिए था वह अंगूठी एक दो करोड़ की होगी जो मैंने चुराई थी लेकिन हाथ नहीं लगी ऊपर से यह पीछे लग गया।' शरण्या यह सब बातें कर दिए हुए उस बॉडीगार्ड के पीछे-पीछे चलती हुई नीचे आ गई! वहां पर नीचे उतरकर आने के बाद भी शरण्या चारों तरफ नजर घूमर उसे घर को देखने और समझने की कोशिश कर रही थी साथ ही नीचे भी इतने सारे कमरे और इतना बड़ा सा हॉल एरिया था उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ना ही उसे वहां पर कहीं अंशुमन नजर आ रहा था। शरण्या नीचे उतरकर आते ही रुक गया और उसने पीछे मुड़कर बॉडीगार्ड की तरफ देखते हुए पूछा, कहां है तुम्हारे सर? "Mam! This way..." बॉडीगार्ड ने सामने की तरफ इशारा करते हुए कहा और खुद वहीं पर रुक गया शरण्या अकेले ही वहां पर गई और थोड़ा आगे आते हुए उसे एक बड़ा सा डाइनिंग है यह नजर आया जहां पर इतनी बड़ी सी टेबल लगी हुई थी जितनी बड़ी टेबल की शायद वहां पर जरूरत भी नहीं थी। शरण्या ने गिनती तो नहीं लगाई लेकिन फिर भी उसे टेबल पर काम से कम 24 कुर्सियां लगी होगी और वह देखकर शरण्या की आंखें जैसे और ज्यादा हैरानी से चौड़ी होती जा रही थी और उनमें से एक कुर्सी पर हाथ में कॉफी कप कप लेकर अंशुमन बैठा हुआ था और दूसरा हाथ में पकड़े हुए आईपैड में वह कुछ देख रहा था। शरण्या वहां पर आगे आई और उसी तरह हैरान होकर इधर-उधर देख रही थी क्योंकि उसे कुछ समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही अंशुमन की नजर उस पर पड़ी, उसने अपने साइड वाली कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा, "आओ बैठो साथ में ब्रेकफास्ट करते हैं तो मैं भूख लगी होगी ना?" अंशुमन की यह बात सुनते ही शरण्या ने जल्दी-जल्दी हां मैं अपना सिर हिलाया और तुरंत ही उसके साइड वाली कुर्सी पर बैठ गई अंशुमन उसे ऐसे बच्चों की तरह मुंह बना कर सिर हिलाते हुए देखा हल्का सा मुस्कुरा दिया और फिर उसने आवाज लगाई तो राधा काकी वहां पर अपने हाथ में कुछ सामान लेकर आई। वह दिखने में काफी बूढ़ी थी और धीरे-धीरे चल रही थी तो उन्हें देखते ही शरण्या तुरंत अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हुई और उसने आगे जाते हुए तुरंत उनके हाथ से वह कटोरा ले लिया और अंशुमन की तरफ देखते हुए कहा, "क्या है ये, तुमने दादी मां को काम पर क्यों रखा हुआ है? इनकी कोई उम्र है क्या काम करने की और तुम इसे नाश्ता बनवा रहे हो और लेकर आने को भी बोल रहे हो।" शरण्या को इस तरह राधा काकी की फिक्र करते देखा अंशुमन हल्का सा मुस्कुरा दिया लेकिन उसने जवाब में कुछ नहीं कहा क्योंकि उसे पता था राधा का की खुद ही इस बात का अच्छे से शरण्या को जवाब दे देगी। शरण्या की बात सुनकर और अपने लिए उसकी फिक्र देखकर राधा काकी को भी काफी अच्छा लगा लेकिन वो अंशुमन के खिलाफ तो कुछ भी नहीं सुन सकती थी इसलिए उन्होंने तुरंत ही अंशुमन की तरफदारी करते हुए कहा, "अरे नहीं बेटा मैं तो बहुत दिनों से यहां पर काम करती हूं वह तो साहब की अच्छाई है कि मेरे इतने बूढ़े होने के बाद भी इन्होंने मुझे काम से नहीं निकाला और मैं कोई ज्यादा काम नहीं करती हूं अब, बस मुझे अपने बच्चों के लिए खाना बनाना अच्छा लगता है।" इतना बोलते हुए उन्होंने धीरे से शरण्या के गालों पर अपना हाथ रखा और फिर उसके सिर पर शरण्या को काफी अच्छा लगा और उसने कहा, "लेकिन आप लेकर क्यों आई आपने बना दिया ना इतना बहुत है मैं खुद से ले लूंगी बताइए और क्या लेकर आना है!" उनके हाथ से वह बोल लेकर शरण्या ने टेबल पर रख दिया और उनसे पूछते हुए इधर-उधर देखने लगी तो उन्होंने कहा, "नहीं, तुम बैठो मैं नौकर को बोल दूंगी।" इतना बोलकर वह वापस किचन में चली गई और शरण्या सोचती रह गई वह उनके पीछे किचन में जाए या फिर नहीं लेकिन फिर वह बैठ गई थोड़ा ऑकवर्ड होते हुए उसने अंशुमन की तरफ देखा तो अंशु मिल के साथ मुस्कुरा रहा था तभी शरण्या ने पूछा, अब तुम्हारे क्यों दांत निकल रहे हैं ऐसा क्या किया मैंने? अंशुमन ने मजाक में कहा, "कौन से दांत? कुछ ज्यादा ही गौर से देखती हो तुम मेरी तरफ" टेबल पर फ्रूट्स, ब्रेड बटर, जूस यह सब तो पहले से ही रखा हुआ था लेकिन राधा काकी जो बाउल देकर गई थी उसमें से बहुत ही टेस्टी सब्जी की महक आ रही थी और शरण्या का मन कर रहा था तुरंत ही उसे खो जाए लेकिन कुछ देर बाद नौकर पूरियां और बाकी सारे नाश्ते की चीज भी लेकर आया और एक-एक करके उसने सब कुछ टेबल पर रख दिया और फिर वहां से चला गया। शरण्या बहुत ही लालच भरी निगाहों से वह सारा खाना देखने लगी क्योंकि उसे सच में बहुत भूख लगी थी लेकिन अंशुमन अभी भी अपने आईपैड में देख रहा था उसने खाना शुरू नहीं किया था इसलिए शरण्या भी थोड़ा सा झिझक कर रही थी कि वह खाए या फिर नहीं? उसने एक नज़र उठाकर अंशुमन की तरफ देखा तो अंशुमन ने कहा, "देखो मुझे खाना हो तो वो सब रूम में.. अभी फिलहाल इतना सारा कुछ और रखा है खाने के लिए उनमें से कुछ खा लो।" "शट अप! कुछ भी बकवास मत करो। इतने टेस्टी खाने के आगे तो मैं किसी और चीज के बारे में सोचूं भी नहीं, बट तुम क्यों नहीं खा रहे हो तुमने ब्रेकफास्ट कर लिया क्या?" अंशुमन ने उसकी बात का जवाब दिया, "नहीं, मैंने अभी बस कॉफी पी थी, तुम शुरू करो मैं भी खाऊंगा अभी! या फिर तुम मेरे साथ ही खाना चाहती हो एक प्लेट से..." पहली बार उसने उसकी बात का सीधी तरह जवाब दिया तो शरण्या को थोड़ा अच्छा लगा लेकिन आखिरी में फिर से उसने छेड़खानी करते हुए बोला शरण्या ने अब तक अपनी प्लेट उठा ली थी और वह उसमें अपने लिए खाना निकालने लगी थी। अंशुमन उसकी तरफ देख रहा था उसने अभी भी अपनी प्लेट नहीं उठाई थी और धीरे से उसने अपनी कुर्सी शरण्या की तरफ खिसकाई और एकदम उसके बगल में बैठ गया शरण्या ने कुछ नहीं कहा उसका कंसंट्रेशन पूरा खाने की तरफ़ था काफी खुश होकर उसने खाना खाना शुरू किया और तभी उसके सामने एक हाथ आया अंशुमन ने भी उसकी प्लेट से ही खाना उठकर खाना शुरू कर दिया। अंशुमन के ऐसा करने पर शरण्या एक पल के लिए रुक गई और उसने साइड में नजर घूमर उसके चेहरे की तरफ देखा तो अंशुमन ने पूछा, "क्या हुआ, कोई प्रॉब्लम है क्या?" शरण्या ने धीरे से बस नहीं में अपना सिर हिला दिया तो अंशुमन ने मुस्कुराते हुए उसके हाथ को पकड़ा और जॉनी वाला बनाकर शरण्या अपने मुंह में डालने वाली थी वह अंशुमन ने खुद ही खा लिया और खाते हुए कहा, "वाओ! आज तो कुछ ज़्यादा ही टेस्टी खाना बनाया है राधा काकी ने, है ना?" शरण्या को उसके ऐसा करने की उम्मीद नहीं थी इसलिए एक पल के लिए तो वह अपनी जगह पर जम गई लेकिन फिर अंशुमन देने वाला खाने के बाद धीरे से उसके हाथ की उंगलियों को भी लिक किया तो शरण्या को अपनी बॉडी में एक करंट जैसा महसूस हुआ उसने तुरंत ही अपना हाथ पीछे लेते हुए कहा, "खुद... खुद से खाओ ना, तुम्हें हाथ नहीं दिए भगवान ने.." थोड़ा सा घबराई हुई लग रही थी तो अंशुमन ने इस तरह मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "अपने हाथ से खाऊंगा तो इतना टेस्टी थोड़ी ना लगेगा।" शरण्या ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा, "हां तो कम टेस्टी खा लो, लेकिन अपने हाथों से खाओ और मुझे खाने दो चुपचाप।" इतना बोलकर उसने अपनी प्लेट पकड़ कर साइड में कर लिया और दूसरी तरफ मुंह करके खाना खाने लगी अंशुमन ऐसा करते देख कर मुस्कुराया और फिर आकर उसने भी अपनी प्लेट में खाना निकाल और चुपचाप नाश्ता करने लगा क्योंकि वह तो उसे भी लगी थी लेकिन वह बस थोड़ा सा शरण्या को परेशान करना चाहता था। किचन से राधा काकी और डायनिंग एरिया से थोड़ा दूर खड़ा हुआ अंशुमन का बॉडीगार्ड, विद्युत उन दोनों को ऐसे साथ बैठकर खाते और लड़ाई झगड़ा करते देखकर मुस्कुरा रहा था। काफी अच्छे से नाश्ता करने के बाद अब शरण्या का पेट भर चुका था और अंशुमन का पेट तो शरण्या को देख देख कर ही भरता जा रहा था। अंशुमन शरण्या को खाते हुए खुश देख कर काफी खुश था और इसलिए वह अपना नाश्ता तो जैसे करना ही भूल गया था। बस नाश्ते की प्लेट उसके सामने रखी थी और वह एक दो बाइट ही खा पाया था अब तक, लेकिन शरण्या ने खाने की तारीफ़ करते हुए कहा, "अब समझ आ रहा है मुझे, क्यों तुमने दादी मां को अब तक काम से नहीं निकाला! इतना ज्यादा टेस्टी खाना जो बनाती है वो! मज़ा आ गया... मैंने कभी इतना टेस्टी नहीं खाना नहीं खाया।" To be continued
20 काफी अच्छे से नाश्ता करने के बाद अब शरण्या का पेट भर चुका था और अंशुमन का पेट तो शरण्या को देख देख कर ही भरता जा रहा था। अंशुमन शरण्या को खाते हुए खुश देख कर काफी खुश था और इसलिए वह अपना नाश्ता तो जैसे करना ही भूल गया था। बस नाश्ते की प्लेट उसके सामने रखी थी और वह एक दो बाइट ही खा पाया था अब तक, लेकिन शरण्या ने खाने की तारीफ़ करते हुए कहा, "अब समझ आ रहा है मुझे, क्यों तुमने दादी मां को अब तक काम से नहीं निकाला! इतना ज्यादा टेस्टी खाना जो बनाती है वो! मज़ा आ गया... मैंने कभी इतना टेस्टी नहीं खाना नहीं खाया।" अंशुमन ने हंसते हुए कहा, "वह मेरी दादी नहीं काकी हैं, राधा काकी! तुम भी चाहो तो उन्हें काकी बुला सकती हो क्योंकि उन्होंने तो तुम्हें अपनी बहू मान लिया है।" अंशुमन की इस बात पर शरण्या के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गई इसलिए वह तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया क्योंकि वह अंशुमन के सामने अपने चेहरे की स्माइल नहीं दिखाना चाहती थी। अंशुमन ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन शरण्या ने उस पर गुस्सा नहीं किया और ना ही कोई उल्टा जवाब दिया इस बात को लेकर तो अंशुमन समझ गया कि कहीं ना कहीं वह भी उसे पसंद करती थी और इस बात का अंशुमन को अंदाजा पहले दिन से ही था। शरण्या, डायनिंग एरिया से निकाल कर बाहर लिविंग एरिया तक आई और फिर इधर-उधर देखने लगी। विद्युत की नज़र अंशुमन के कहने पर शरण्या पर ही जमी हुई थी और वह उस पर दूर से ही नजर रखे था क्योंकि अंशुमन ने उसे बता दिया था कि शरण्या बहुत ही जल्दी इरिटेट हो जाती है इसीलिए उसे ज्यादा परेशान ना करें। शरण्या वहां से बाहर जाने वाले गेट की तरफ बड़ी और उसने दरवाजे पर हाथ रख तो वह दरवाजा भी लॉक था वह काफी इरिटेट हो गए और उसने गुस्से में पैर पटकते हुए कहा, "घर है या फिर जेल? नहीं नहीं यह तो जेल से भी बदतर है। इससे ज्यादा आजादी तो जेल में होती होगी इंसान को और फिर मैंने तो ऐसा कुछ किया भी नहीं, क्यों बंद किया है तुमने यहां मुझे, मिस्टर माफिया!" वह अभी भी दरवाज़े के पास खड़ी थी और चिल्लाते हुए यह सब कुछ बोल रही थी उसे गुस्से में देखकर विद्युत वहां पर आया लेकिन वह कुछ बोल पाता उससे पहले ही शरण्या ने उसे ऑर्डर देते हुए कहा, "खोलो इसे, मुझे बाहर जाना है।" शरण्या अपने दोनों हाथ सामने बांधकर खड़ी हुई थी और उसने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा तो विद्युत ने पीछे मुड़कर देखा अंशुमन भी वहां पर आ रहा था। विद्युत ने अपना सिर झुका कर धीमी आवाज में कहा, "सॉरी मैम! लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता आप यहां से बाहर नहीं जा सकती सर का ऑर्डर है और सिक्योरिटी रीजंस के लिए भी।" इतना बोलकर विद्युत अपनी जगह से पीछे हो गया और उसे वहां से जाते हुए देखा कर शरण्या ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "भाग नहीं रही हूं मैं! खाना खाया है बस यहां गार्डन तक वॉक करने के लिए ही जाऊंगी और कहीं नहीं जाऊंगी चाहे तो मेन गेट लॉक कर लेना।" अंशुमन अब तक वहां पर आ गया था और शरण्या की इस बात पर विद्युत कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अंशुमन ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "तुम जाओ विद्युत! मैं संभालता हूं तुम्हारी मैडम को!" इतना बोलते हुए उसने एक नजर उठा कर शरण्या की तरफ देखा तो शरण्या ने इस बात को एक चैलेंज की तरह लेते हुए कहा, "क्या संभालोगे तुम मुझे और कैसे संभालोगे? बताओ ज़रा.. और मुझे बाहर जाना है तो जाना है। अगर तुम मुझे रोकोगे ना तो फिर मैं... हां मैं तुमसे बात नहीं करूंगी।" उस दरवाजे पर ऑटोमेटिक न्यूमेरिक लॉक था नहीं तो अगर कोई भी ताला होता तो शरण्या उसे आराम से खुद ही खोल सकती थी। हाई सिक्योरिटी न्यूमैरिक लॉक को बिना पासवर्ड के ओपन करना इतना आसान नहीं होता और यह बात शरण्या को भी बहुत अच्छी तरह से पता थी बस इसीलिए उसने ट्राई नहीं किया और वह चिल्ला कर बस दरवाजा खोलने के लिए ही कह सकती थी। उन दोनों का ड्रामा देख कर विद्युत काफी एंजॉय कर रहा था लेकिन फिर भी अंशुमन ने उसे जाने को बोला इसलिए वह अपना सिर हिला कर तुरंत ही वहां से चला गया। शरण्या ने उसे जाते हुए देखा वह वहां लिविंग एरिया से और ज्यादा साइड में जाकर एक रूम के अंदर चला गया और अब वह उन दोनों में से किसी को भी नज़र नहीं आ रहा था। विद्युत के चले जाने के बाद अंशुमन एकदम से नजदीक आया और उसने शरण्या का हाथ पकड़ते हुए उसके पीछे करके उसके हाथ को हल्का सा मोड और फिर उसकी कमर से लगाते हुए अंशुमन ने शरण्या को खींचकर अपने करीब कर लिया। अंशुमन ने बहुत ही ज्यादा इंटेंस नज़रों से उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "हां और क्या मैं ही संभाल लूंगा अब तुम्हें हमेशा। तुम्हें भी और तुम्हारा यह गुस्सा भी जो हमेशा तुम्हारी नाक पर रहता है। " अंशुमन ने धीरे से शरण्या की नाक पर टच किया तो शरण्या ने चौंक कर अपनी बड़ी-बड़ी खूबसूरत आंखों से उसकी तरफ देखा और अंशुमन के चेहरे पर वही शरारत भरी मुस्कराहट थी। शरण्या अब उतनी ज्यादा इरिटेट नहीं बस थोड़ी सी शॉक्ड लग रही थी इसके अलावा उसने एक बार भी अंशुमन की पकड़ से छूटने की कोशिश नहीं की थी। इसी बीच अंशुमन ने धीरे से अपना हाथ दरवाजे की तरफ बढ़ाया और दरवाजे पर लगी हुई स्क्रीन में उसने पासवर्ड डाल दिया। शरण्या का ध्यान अंशुमन के चेहरे की तरफ था इसलिए वो उसे पासवर्ड डालते हुए नहीं देख पाई और दरवाजा एकदम से खुल गया। एकदम से दरवाजा खुलने की वजह से शरण्या का ध्यान उसे तरफ हुआ उसने पहले खुले हुए दरवाजे की तरफ देखा जहां से बाहर का गार्डन आसमान और बाकी सारा एरिया नजर आ रहा था। शरण्या ने तुरंत ही गार्डन मोड़़कर अंशुमन के चेहरे की तरफ देखा और वह इस तरह से रिएक्ट कर रही थी जैसे कि उसे यकीन ना हो रहा हो कि अंशुमन ने सच में दरवाजा खोल दिया हो और उसे ऐसा लग रहा था कि दरवाजा शायद अपने आप खुला है या बाहर से किसी ने खोला होगा। शरण्या ने हैरानी से सवाल किया,"यह दरवाजा अपने आप कैसे खुल गया? बाहर भी कोई नहीं है किसने खोला? यह कहीं और से भी खुल जाता है क्या तुम्हारे बॉडीगार्ड ने खोला?" शरण्या अभी भी अंशुमन के नज़दीक खड़ी हुई थी और अंशुमन का हाथ उसकी कमर पर था अंशुमन ने उसका हाथ छोड़ दिया था लेकिन शरण्या को उसने अभी भी खुद से दूर नहीं जाने दिया था। शरण्या के इन सवालों का जवाब अंशुमन ने हंसते हुए दिया और कहा, "हां हां ऐसा ही कुछ समझ लो। चलो अब.. तुम्हें बाहर गार्डन में जाना था ना? मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं।" अंशुमन ने उसकी कमर को छोड़ते हुए धीरे से उसका हाथ पकड़ा और उसके हाथ की उंगलियों को अपने हाथ की उंगलियों में फंसाते हुए अंशुमन ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसके साथ दरवाजे से बाहर निकलने लगा। अंशुमन का यह स्वीट जेस्चर शरण्या को बहुत ही अच्छा लगा और उसे ऐसा लगा जैसे कि उसके पेट में तितलियां उड़ रही हो उसने हल्के से मुस्कुरा कर अंशुमन की तरफ देखा और फिर दूसरे हाथ से धीरे से अपने चेहरे पर आए हुए बालों को कान के पीछे किया। शरण्या को अच्छा लग रहा था अंशुमन का इस तरह उसके साथ आना, उस पर हक जताना और हर जगह उसके पीछे-पीछे रहना, वह भी अब कहीं ना कहीं अंशुमन की कंपनी को इंजॉय कर रही थी लेकिन बस एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी। वह दोनों वहां से बाहर गार्डन एरिया में आ गए शरण्या ने चारों तरफ नजर घुमा कर देखा वहां पर काफी सारे पेड़ पौधे थे और जंगली झाड़ भी उग आई थी जिनमें जंगली खूबसूरत पौधे थे इसके अलावा बहुत सारे फूलों के पौधों को क्यारी में लगाया गया था जो की गार्डन को एक बहुत ही अच्छी सी डिजाइन दे रहे थे गेट के आगे भी दोनों तरफ सजावटी पौधे उगे हुए थे जिनके अच्छे से डिजाइन बनाकर कटाई छटाई भी की गई थी। घर के अंदर आते वक्त तो उसने यह सब कुछ भी नहीं देखा था क्योंकि जब वह बेहोश थी अंशुमन उसे अपनी गोद में उठाकर लाया था इसलिए वह यह सब कुछ मिस कर गई थी लेकिन अभी वह एक-एक चीज को काफी ध्यान से देख रही थी। उसे ऐसे चारों तरफ क्यूरियस होकर देखते हुए नोटिस करके अंशुमन ने अपने मन में कहा, "इतना क्या अच्छा लग रहा है इसे गार्डन में? यहां सब नॉर्मल पेड़ पौधे ही तो है, इन लड़कियों को तो कुछ भी पसंद आ जाता है।" शरण्या को ऐसे खुश होते देखकर अंशुमन ने अपने मन में कहा और फिर से शरण्या की तरफ ही देखने लगा क्योंकि उसे बाकी चीज देखने में कोई भी इंटरेस्ट नहीं था उसे सिर्फ और सिर्फ शरण्या में ही इंटरेस्ट था। To be continued