मिष्टी , 21 साल की एक प्यारी सी खुश रहने वाली, खूबसूरत गोल चेहरे और कत्थई आंखों वाली बंगाली लड़की जो कोलकाता शहर से कोटा आई थी, अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने और वह फाइनल ईयर में थी। अपने मम्मी पापा का सपना पूरा करने के लिए डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन... मिष्टी , 21 साल की एक प्यारी सी खुश रहने वाली, खूबसूरत गोल चेहरे और कत्थई आंखों वाली बंगाली लड़की जो कोलकाता शहर से कोटा आई थी, अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने और वह फाइनल ईयर में थी। अपने मम्मी पापा का सपना पूरा करने के लिए डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन उसे नहीं पता था कि एक दिन अपने बेस्ट फ्रेंड विहान की मदद करना उसे इतना महंगा पड़ जाएगा कि एक रात में बदल जाएगी उसकी पूरी जिंदगी और उसे अचानक ही करनी पड़ेगी शहर के सबसे रईस आदमी युग चौहान से शादी वह भी बिना उसकी मर्जी के? तो ऐसा क्या हुआ जो बन गई मिष्टी, बिलेनियर युग चौहान की वाइफ और क्यों युग कर रहा है उससे जबरदस्ती शादी? किस बात का बदला ले रहा है वह उससे? क्या वजह है इन सब के पीछे? जानने के लिए पढ़िए Billionaire Forced Bride सिर्फ pocket novel पर..
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1 राजस्थान, जयपुर, एक बहुत ही बड़ा खूबसूरत महल जैसा दिखने वाला बंग्ला जिसके चारों तरफ रोशनी जगमगा रही थी। इस बंगले के बड़े से लिविंग हॉल में शादी का मंडप राजसी शान से सजा हुआ था। चारों ओर रंग-बिरंगे फूलों की महक और जगमगाती लाइट्स की चमक बिक्री हुई थी। लेकिन उस धूमधाम के बीच, सबके उतरे हुए चेहरे भी नजर आ रहे थे और उन में एक लड़की का दिल पूरी तरह से टूट कर बिखर रहा था। वह एकदम खोई हुई सी सीढ़ियां उतर रही थी। उसे लड़की का नाम था, मिष्टी उपाध्याय, 21 साल की खूबसूरत है कत्थई आंखों वाली लड़की जिसने इस वक्त लाल रंग का खूबसूरत लहंगा पहना हुआ था, अपनी आँखों में आंसू लिए खड़ी थी। उसके चेहरे पर न कोई भारी मेकअप था और न ही कोई गहने, उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वह लहंगा भी उसे जबरदस्ती ही पहनाया गया हो। एक लड़की ने आगे आते हुए लहंगे के दुपट्टे से उसका घूंघट कर दिया, दिखने में वह लड़की बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी बिना मेकअप के भी आज बस उसकी सादगी और सुंदरता ही उसके साथ थीं। पर आज, वह अपनी सुंदरता महसूस करने के काबिल नहीं थी। मिष्टी बस बुरी तरह से घबराई हुई थी, क्योंकि युग चौहान, चौहान परिवार का बड़ा बेटा जो एक घमंडी गुस्सैल और जिद्दी इंसान था, इतने में वह बहुत ही ज्यादा हैंडसम था, 6 फीट हाइट और एकदम कसी हुई बाॅडी, इस वक्त उसने वेलवेट की ब्लैक कलर की शेरवानी पहनी हुई थी जिस पर गोल्डन वर्क था और बहुत ही महंगा डायमंड का ब्रोक उसकी शेरवानी पर लगा हुआ था और उसकी डार्क ब्राउन आंखें इस वक्त गुस्से से लाल हो रखी थी हमेशा की तरह गुस्सा उसकी नाक पर नजर आ रहा था। जिस तरह से वह मिष्टी की तरफ देख रहा था साफ पता चल रहा था कि वह सारा गुस्सा सिर्फ और सिर्फ मिष्टी के लिए ही था। वो आगे आया और उसके आगे आते ही वह लड़की जो मिष्टी का घूंघट ठीक कर रही थी, तुरंत ही किनारे हट गई और युग ने मिष्टी की तरफ देखकर कहा, "अब यहां क्यों खड़ी हो चलो शादी की सारी तैयाकियारा ं हो गई है मुझे अब तुम्हारा कोई भी नाटक नहीं चाहिए।" मिष्टी के कानों में युग की आवाज पड़ी लेकिन फिर भी वह अपनी जगह से 1 इंच भी नहीं मिली युग अब तक काफी ज्यादा किला चुका था वह पहले ही गुस्से में लग रहा था इसलिए वह उसका हाथ पकड़कर उसे जबरदस्ती मंडप की ओर खींचकर ले जाने लगा। युग के कदम तेज और उसकी पकड़ मिष्टी के हाथों पर मजबूत थी। युग के इस तरह से खींचने पर मिष्टी को जैसे झटका लगा और वह होश में आई तो उसने युग के हाथ पर मारते हुए कहा, "छोड़ो मुझे, कहां लेकर जा रहे हो? मुझे ये शादी नहीं करनी!" मिष्टी की तरफ देखे बिना ही युग ने उसकी बात का जवाब दिया, "यह शादी तो आज होकर रहेगी, इसी मंडप में तुम चाहो या ना चाहो।" उसने ठंडे लहजे में कहा, उसकी आँखों में क्रोध की चिंगारी थी। मिष्टी ने कांपती हुई आवाज़ में कहा, "लेकिन, युग… मैं.. मैं यह शादी नहीं कर सकती प्लीज मुझे छोड़ दो, जाने दो।" मिष्टी की आंखों से लगातार आंसू निकल रहे थे और उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की, पर युग ने उसे और कसकर पकड़ लिया। युग ने गुस्से में कहा, "तुम्हें पहले यह सोचना चाहिए था कि अपने दोस्त की मदद करके तुम किसके खिलाफ जा रही हो लेकिन तब तुमने नहीं सोचा तो अब तुम्हें अंजाम भुगतना होगा, "तुम्हारी गलती की सज़ा यही है।" मिष्टी ने युग की आंखों में देखा, और उसे वह कोल्ड हार्टेड, गुस्सैल इंसान नजर आया जिसे वह कभी अच्छा इंसान समझती थी। लेकिन आज वह एक शैतान के रूप में दिख रहा था। वह अंदर से काँप उठी, और उसका दिल खौफ से भर गया। मिष्टी ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा, "नहीं प्लीज मैं तुम्हारे खिलाफ या किसी के भी खिलाफ नहीं जाना चाहती थी मैं सिर्फ अपने दोस्त, विहान की मदद कर रही थी। मुझे बिल्कुल भी नहीं पता था कि तुम्हारी शादी कियारा से होने वाली थी नहीं तो मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं करती!" मिष्टी ने अपनी तरफ से सफाई देने की पूरी कोशिश की लेकिन युग ने उसकी एक न सुनी। वहां पर हो रही शादी का माहौल इस वक्त बिलकुल ही बदल चुका था जो लोग अब तक खुशियां मना रहे थे अब वहां पर हो रही उसे जबरदस्ती की शादी को उत्सुकता भरी नजरों से देख रहे थे और इस बात को लेकर उत्सुक थे कि अगले ही पल आप वहां क्या होने वाला था। युग की आंखों में जुनून और गुस्सा साफ नजर आ रहा था लेकिन मिष्टी की आँखों में केवल डर और आंसू थे। युग उसे जबरदस्ती खींचते हुए मंडप तक ले आया, जहाँ अब मिष्टी उसकी दुल्हन की जगह खड़ी थी। युग ने गुस्से में लगभग उसे धमकी देते हुए कहा, "तुम्हारे पास कोई और रास्ता नहीं है, बहुत हो गया तुम्हारा नाटक अब चुपचाप मुझसे शादी करो नहीं तो जितनी बदनामी मेरी और मेरे परिवार की होगी उतना ही बुरा तुम्हारे लिए होगा।" वहां पर मौजूद सारे लोग जो चारों तरफ एक भीड़ बनकर खड़े थे उनमें से कुछ उनकी बातें सुन रहे थे, पर किसी ने युग खिलाफ जाकर उससे कुछ भी पूछने की हिम्मत नहीं की। मिष्टी ने फिर से अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन युग की पकड़ और मजबूत हो गई। उसने मिष्टी को मंडप में बैठा दिया और खुद उसके बगल में बैठकर पंडित की तरफ देखते हुए कहा, "शादी की रस्में शुरू करिए ज्यादा वक्त नहीं है हमारे पास इन सब के लिए..." युग का आदेश सुनते ही पंडित ने शादी की रस्में शुरू कर दीं। मिष्टी ने आंसू भरी आंखों के साथ उसकी तरफ देखकर एक आखरी बार कहा, "युग, मैं ये सब नहीं चाहती! प्लीज रुक जाओ।" युग ने एकदम भारी आवाज में कहा, "तुम्हारी चाहत मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती, यहां पर बस वही होता है जो युग चौहान चाहता है और अब तुम्हारे मुंह से एक शब्द भी ना निकले नहीं तो मुझे भी नहीं पता मैं क्या करूंगा।" युग को इतने गुस्से में देखकर मिष्टी एकदम चुप हो गई और पंडित ने मंत्र पढ़ने शुरू किए, युग ने मिष्टी का हाथ पकड़ लिया और उसे अपने पास खींच लिया। उसने धीरे से मिष्टी के हाथों को अपने में समेटा, लेकिन मिष्टी ने बेमन से उसका हाथ थाम लिया। कुछ देर के बाद पंडित ने उन दोनों की तरफ देखते हुए कहा, "अब आप दोनों फेरे के लिए खड़े हो जाइए।" पंडित की बात सुनते ही युग तुरंत अपनी जगह पर उठकर खड़ा हो गया लेकिन मिष्टी अभी भी वैसे ही एक मूर्ति की तरह अपनी जगह पर बैठी रही और जरा सा भी नहीं हिली तो युग ने गुस्से में अपने दांत पीसते हुए उसकी तरफ एक नजर देखा और थोड़ा सा झुकते हुए कहा, "बिना कोई नाटक किए चुपचाप से फेरों के लिए खड़ी हो जाओ या फिर अब सुनाई भी नहीं दे रहा है तुम्हें बहरी हो गई हो।" युग के इस तरह गुस्से में बोलने का भी मिष्टी पर कोई असर नहीं हुआ वह जैसे एकदम बेजान सी हो गई थी और उसे शब्द सुने तो दे रहे थे लेकिन जैसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था तो युग ने खुद ही उसकी बांह एकदम कसकर पकड़ी और उसे खींचकर अपने साथ सीधा खड़ा कर लिया। मिष्टी एकदम ढीली सी किसी बेजान लाश की तरह उठकर तो खड़ी हो गई लेकिन अभी भी वह अपने कदम आगे नहीं बढ़ा रही थी तो युग ने उसका हाथ अपने हाथों में एकदम कसकर पकड़ और उसे साथ लेकर फेरे लेने लगा। जैसे ही फेरे शुरू हुए, मिष्टी के दिल में डर और घबराहट होने लगीं। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, खुद को इस सिचुएशन से निकालने की पूरी कोशिश की, लेकिन युग चौहान के सामने उसकी हर कोशिश नाकाम साबित हो गई थी। मिष्टी ने युग की तरफ देखते हुए कहा, "तुम यह सब कुछ करके क्या हासिल कर लोगे? यह सिर्फ एक जबरदस्ती की शादी रहेगी और जबरदस्ती का रिश्ता क्या मिलेगा तुम्हें मुझे अपनी जबरदस्ती की बीवी बनाकर मैं कभी तुम्हें नहीं अपनाऊंगी।" युग ने बहुत ही कड़वाहट से जवाब दिया, "जबरदस्ती की बीवी बनना, यही तुम्हारी किस्मत है और तुम्हें अब इस पहचान के साथ ही रहना होगा और मैं भी कभी तुम्हें पूरे दिल से नहीं अपने वाला जो भी तुमने मेरे साथ किया उसके बाद तो बिल्कुल भी नहीं यह शादी नहीं तुम्हारे लिए एक सजा की शुरुआत होगी।" बात करते हुए उन दोनों ने सारे फेयर खत्म किया और जब उन्होंने अंतिम फेरा लिया, मिष्टी की आँखों में आंसू थे, लेकिन युग के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं था उसका गुस्सा भी अब गायब हो चुका था या फिर शायद उसके उसे एक्सप्रेशंस फेस के नीचे कहीं छिपा हुआ था। To Be Continued धमाकेदार शुरुआत है ना कहानी की? सिर्फ यह पहला भाग पढ़ कर आप सब को कितना समझ में आया और कितना नहीं, जरूर बताओ कि आखिर कहानी में क्या चल रहा है ये बस पहला भाग है लेकिन काफी ज्यादा सस्पेंस है, शुरुआत तो ऐसी ही होने वाली थी इस कहानी की बस अब आप लोगों को अच्छी लगेगी इतना हम गारंटी दे सकते हैं आगे भी!
2 अंतिम फेरा लेने के बाद, उस मंडप में एक गहरी खामोशी छा गई। मिष्टी के आँसू उसके गालों पर ढलक रहे थे, और उसकी आँखों में अनगिनत सवाल और दर्द साफ दिखाई दे रहे थे। उसकी पूरी दुनिया जैसे एक पल बदल गई थी। वह अपने मन में जितना भी समेटे हुए थी, सब कुछ उसके आंसुओं में बह रहा था। पंडित ने युग को थाल में रखा सिंदूर उठाने का इशारा किया। युग ने बिना कुछ बोले अपनी उँगलियों में सिंदूर उठाया और मिष्टी की ओर देखा। मिष्टी ने अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे उस पल को महसूस करने से भी डर रही हो। उसकी साँसे तेज़ हो गईं और गालों पर बहती हुई आँसुओं की धार और भी गहरी हो गई। युग ने कुछ जताए बिना, ठंडी आँखों से मिष्टी के माथे के बीच में सिंदूर लगाया। मिष्टी का दिल एक बार फिर से बुरी तरह धड़कने लगा। उसके चेहरे पर झुके हुए युग की उँगलियों का स्पर्श उसके दिल की धड़कनें बढ़ा रहा था, परंतु युग के चेहरे पर गुस्से की एक हल्की झलक अब भी दिखाई दे रही थी। इसके बाद, पंडित ने युग को मंगलसूत्र पहनाने का को कहा। युग ने मंगलसूत्र उठाया और धीरे से मिष्टी के गले में पहना दिया। मिष्टी ने अपनी आँखें खोलीं, और अपनी धुंधली नज़र से युग की ओर देखा। उसके दिल में उठ रहे इमोशन का तूफान उन आँसुओं के साथ बह रहा था, लेकिन युग का चेहरा बिल्कुल शांत था, जैसे यह सब उसके लिए सिर्फ एक फॉर्मेलिटी हो। उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था, न खुशी, न प्यार, और न ही किसी तरह का अपनापन, उनके बीच भी नहीं था सिवाय इल्ज़ाम और नफ़रत के... मिष्टी तो ये शादी करना ही नहीं चाहती थी लेकिन फिर भी उस ने खुद को संभालते हुए यह सब सहा। वह नहीं जानती थी कि उसकी जिंदगी का यह पल कैसा होना चाहिए था, लेकिन युग की जबरदस्ती और जिद ने उसकी उम्मीदों और सपनों को चूर-चूर कर दिया। हर रस्म के साथ, वह एक नया दर्द महसूस कर रही थी, लेकिन युग की आँखों में उसे अब भी वह गुस्सा नजर आ रहा था, जिसने उसे इस हद तक ला दिया था। सारी रस्में पूरी हो चुकी थीं, लेकिन दोनों के दिलों में जैसे अब भी एक खालीपन था। मिष्टी की आँखों में आँसुओं का सैलाब था, जबकि युग के चेहरे पर एक ठंडापन और उसकी वो गुस्से भरी आँखें। युग और मिष्टी के बीच टेंशन का माहौल था। शादी की सारी रस्में खत्म होते ही युग ने मिष्टी का हाथ कसकर पकड़ा और उसे बिना कुछ कहे खींचते हुए अपने कमरे की तरफ ले गया। मिष्टी अभी भी रो रही थी, उसकी आँखों में आँसू बह रहे थे, और उसकी मनोदशा एकदम हारी हुई लग रही थी। वह जानती थी कि युग किसी भी हाल में उसकी नहीं सुनेगा। "छोड़ो मुझे... मेरा हाथ छोड़िए..." – मिष्टी युग के हाथ की पकड़ से खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, लेकिन युग उसे अपने साथ सीधा सीढ़ियों से ऊपर ले जा रहा था, जैसे कोई कैदी को उसकी सजा की जगह पर ले जा रहा हो। उसके घर के लोग और बाकी मेहमान भी इस नाटक को देख रहे थे, लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कि वह युग के खिलाफ बोले। मिष्टी ने रोते हुए कहा, "युग, प्लीज़... मुझे छोड़ दो। मैं यह सब नहीं चाहती थी, मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं बस विहान की मदद कर रही थी, कसम से, मेरा तुम्हारी शादी तोड़ने का कोई इरादा नहीं था।" युग ने उसकी एक नहीं सुनी। उसकी आँखों में एक सख्ती थी। वह उसकी कोई भी सफाई सुनने को तैयार नहीं था। वह अब अपने गुस्से में इतना डूब चुका था कि उसे कुछ भी और नहीं दिखाई दे रहा था। उसकी पकड़ मिष्टी के हाथ पर और मजबूत हो गई, और वह उसे खींचते हुए सीधा अपने कमरे के दरवाजे के सामने ले आया। युग ने कमरे का दरवाजा एक झटके में खोला, और मिष्टी को अंदर धकेल दिया। मिष्टी संतुलन खोकर सीधे जमीन पर गिर पड़ी। उसका सिर थोड़ा दीवार से टकराया, और उसकी आँखों से आँसू और तेजी से बहने लगे। उसकी हालत ऐसी थी जैसे वह पूरी तरह से टूटी और हारी हुई हो, क्योंकि वह खुद को इस सिचुएशन से निकलने के लिए कुछ कर नहीं पा रही थी। युग ने ज़ोर से पटककर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और पलटकर तेज कदमों से उसकी तरफ़ बढ़ा। युग को इस तरह से अपनी तरफ आते देख मिष्टी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, वह बुरी तरह से घबरा गई। उसकी साँसें तेज हो गईं, और वो उल्टा चलते हुए पीछे जाने लगी, पीछे जाते हुए उसने खुद को दीवार से एकदम सटा लिया। युग की आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट, जैसे वह मिष्टी को डराने के लिए ही करीब आ रहा हो। मिष्टी ने कांपती हुई आवाज में कहा, "रुक जाओ, वहीं रुक जाओ। द.. दूर.. दूर रहो मुझसे.. प्लीज स्टाॅप!!" उसकी आवाज में डर और बेबसी थी। युग ने कोई जवाब नहीं दिया, वह बस उसके करीब और करीब आता गया। मिष्टी ने डर के मारे अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, और अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांध ली, उसके दिल में डर और घबराहट थी कि युग उसके साथ अपनी मनमानी करने वाला है। मिष्टी के मन में यह ख्याल आते ही जैसे उसकी साँसें रुक-सी गई थीं, और वह अपने दिल की धड़कनों को तेज़ी से महसूस कर रही थी, उसने अपने दिल पर हाथ रख लिया और अपनी घबराहट को छुपाते हुए चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। युग ने उसके करीब आकर उसकी ठोड़ी को अपने हाथों से ऊपर उठाया, और उसकी आँखों में गुस्से से देखते हुए बोला, "क्यों रहूं मैं तुमसे दूर? क्यों रुक जाऊं? अब तो हम पति-पत्नी हैं और आज है हमारी शादी की पहली रात.. आज तो नजदीक आना बनता है आखिर पूरा हक है मेरा अब तो, तुम पर.." युग की आवाज सुनकर मिष्टी ने धीरे से अपनी आंखें खोलकर उसकी तरफ देखते हुए कहा, "प्लीज़, मुझे माफ कर दो! आई एम सॉरी.. मुझसे गलती हो गई। मैं नहीं जानती थी कि कियारा तुम्हारी मंगेतर थी! कुछ भी नहीं पता था मुझे इस बारे में, मुझसे अनजाने में वो सब हो गया।" रुद्र ने एकदम भारी गहरी आवाज़ में कहा, तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें माफ कर दूँगा? इतनी आसानी से नहीं, मिष्टी। तुमने जो किया है, उसके लिए तुम्हें हर पल इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।" मिष्टी ने डर की वजह से दोबारा अपनी आंखें बंद कर ली क्योंकि युग की आवाज में गुस्सा और भारीपन था, जैसे वह उसे अपनी पावर का एहसास करना चाहता हो कि मिष्टी अब कुछ नहीं कर सकती उसके सामने... मिष्टी ने अपनी आँखें अभी भी बंद रखीं, लेकिन युग के शब्दों ने उसे और ज्यादा डर का एहसास करा दिया। मिष्टी ने धीरे से कहा, "मैंने जानबूझकर तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं किया, युग। यह सब सिर्फ एक गलतफहमी थी। प्लीज, मुझ पर भरोसा करो, मेरी बात सुनो, मुझे कम से कम एक मौका तो दो अपनी बात रखो ।" युग ने उसकी ठोड़ी को और कसकर पकड़ लिया और ठंडी हँसी हंसते हुए कहा, "भरोसा? तुमने जो किया, उसके बाद मुझसे यह उम्मीद कर रही हो कि मैं तुम पर भरोसा करूँ? तुम्हारी इस मासूमियत का कोई असर नहीं होने वाला मुझ पर, मिष्टी। अब तुम मेरी पत्नी हो, और मैं तुम्हें कभी भी इस बंधन से आज़ाद नहीं करूँगा।" मिष्टी ने एक झटके से अपनी आँखें खोल दीं और युग की आँखों में देखा। उसके अंदर का गुस्सा और चिढ़ उसे साफ उसकी आंखों में दिख रहा था। मिष्टी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे युग को समझा पाएगी, या फिर वो कैसे इन हालातों को सुधारेगी। To Be Continued कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड और क्या अपने गुस्से में अंधा युग में कुछ और देख पाएगा क्या वह मिष्टी को अपनी बात रखने का एक मौका देगा और क्या करेगी अब मिष्टी? युग सच में सिर्फ उसको डरा रहा है या फिर गुस्से में हूं हद से आगे बढ़ने वाला है क्या लगता है आप लोगों को जानने के लिए अगले एपिसोड का इंतजार करें और इस एपिसोड पर कमेंट जरुर करके जाइए।
3 युग ने उसे और करीब खींच लिया, उसका चेहरा उसके बहुत पास आ गया था। मिष्टी ने तुरंत अपने हाथों से उसे पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन उसकी ताकत के आगे वह नाकाम रही। उसकी आँखों में आँसू और अधिक तेज हो गए, और उसने कांपते हुए कहा, "युग, प्लीज... ऐसा मत करो।" लेकिन युग की आँखों में सिर्फ गुस्सा और बदला लेने की भावना थी। उसने उसे अपने पास खींचा, और उसके दुपट्टा को थोड़ा खींचते हुए बोला, "अब मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि जब मैं कोई चीज़ चाहता हूँ, तो उसे हासिल करने से मुझे कोई रोक नहीं सकता।" मिष्टी का दिल अब और ज्यादा जोर से धड़कने लगा, और उसने अपनी आँखें फिर से कसकर बंद कर लीं, खुद को जितना हो सके बचाने की कोशिश करने लगी। उसने काँपते हुए अपने दोनों हाथ सामने रखे, जैसे वह खुद को बचाने की आखिरी कोशिश कर रही हो। मिष्टी ने अपनी आँखें खोल दीं और युग के चेहरे पर एक नया बदलाव देखा। उसकी आँखों में अब भी गुस्सा था। युग का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। उसने मिष्टी की ओर इशारा करते हुए गुस्से से कहा, "तुमने मेरे परिवार की इज्जत मिट्टी में मिलाने की कोशिश की? मेरे परिवार और युग चौहान के खिलाफ जाने की हिम्मत की? अब तुम्हें पता चलेगा इतने बड़े खानदान की इज्जत के साथ खेलने का अंजाम क्या होता है।" मिष्टी ने सिर झुकाए हुए आंसू भरी आँखों से उसकी बात सुनी। उसके होंठ कांप रहे थे, लेकिन शब्द निकलने से पहले ही उसकी हिम्मत जवाब दे गई। युग का क्रोध इतना विकराल था कि मिष्टी की आवाज़ हलक में फंस कर रह गई। उसने केवल "माफ कर दो" जैसे बुदबुदाया, पर युग के कानों तक ये शब्द नहीं पहुंचे। युग ने गुस्से में आकर मिष्टी का दुपट्टा झटके से खींचते हुए उतार दिया। मिष्टी का शरीर एकदम डर के मारे कांपने लगा। उसकी आँखों से आंसू और तेजी से बहने लगे, लेकिन युग की आंखों में केवल बदला था, एक ऐसी नफरत जो उसे अंधा कर रही थी। युग ने उसकी ओर झुकते हुए उसकी गर्दन को अपने होंठों से छुआ। मिष्टी की सांसें थम गईं, जैसे उसकी पूरी दुनिया अचानक थम गई हो। उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, जैसे किसी डरावने सपने से जागने की कोशिश कर रही हो। उसकी हर नस में डर दौड़ रहा था, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे, और उसका शरीर खुद को रोकने के बावजूद कांप रहा था। युग के हाथ धीरे-धीरे उसकी कमर तक आ पहुंचे। उसने मिष्टी की कमर को इतनी कसकर पकड़ा कि उसे दर्द महसूस हुआ। उसके होंठ मिष्टी की गर्दन पर और भी गहरे से किस करने लगे। उसकी सांसें गर्म थीं, और मिष्टी को जैसे अपनी जान निकलती सी महसूस हो रही थी। मिष्टी ने एक बार फिर, अपने आप को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दे गई थी। वह पूरी तरह युग के गुस्से और उसकी पकड़ के बीच कैद हो गई थी। उसकी आंखें अब भी कसकर बंद थीं, और उसके दिल की धड़कनें उसे डरा रही थीं। युग की हर हरकत ने मिष्टी को और अधिक डरा कर दिया, लेकिन उसने फिर भी कुछ नहीं कहा। सिर्फ एक ही शब्द उसके दिमाग में घूम रहा था - "मुझे माफ कर दो, प्लीज जाने दो।" उसके होंठ कांपते हुए, आखिरकार धीरे से बोले, "आई एम सॉरी प्लीज... - उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि शायद खुद उसे भी सुनाई नहीं दी। युग ने उसकी माफी को नज़रअंदाज़ कर दिया। उसकी पकड़ और कड़ी होती गई, और उसने फिर से मिष्टी की गर्दन पर गहरी किस की। मिष्टी की आँखों से बहते आंसू उसके गालों से टपक रहे थे। उसकी सांसों में डर और दर्द दोनों घुल चुके थे, लेकिन युग का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। उसने एक बार फिर से मिष्टी की तरफ देखा, उसकी आँखों में वही आग थी। "तुम्हें लगता है कि माफी मांगने से सब ठीक हो जाएगा? इतनी आसानी से नहीं, मिष्टी। तुमने जो किया है, उसका अंजाम भुगतना ही पड़ेगा।" इतना बोलते हुए वह मिष्टी के एकदम नजदीक आ गया और उसके होंठों से अपने होठों को जोड़कर उसे एकदम रफली किस करने लगा। उसने अपने दोनों हाथ मिष्टी के दोनों साइड की दीवार पर रखे हुए थे और मिष्टी की आंखें कसकर बंद थी उसने अपने होठों को भी कस कर बंद किया हुआ था लेकिन युग के होठों का टच अपने होठों पर महसूस होते ही मिष्टी का पूरा बदन कांप गया और उसे अपनी बॉडी में एक अजीब से हलचल महसूस हुई एकदम से उसके दोनों होंठ अलग हो गए और युग को भी जैसा मौका मिल गया अपना पूरा गुस्सा उतारने का... मिष्टी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह युग का किस करने में साथ तो नहीं दे रही थी लेकिन उसे खुद से दूर धकेलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही थी। अभी मिष्टी ने एकदम से अपनी आंखें खोल और युग की चेस्ट पर अपना हाथ रखते हुए एकदम से उसे पीछे की तरफ धकेलने की कोशिश करने लगी लेकिन युग तुरंत ही समझ गया और उसने अपने दोनों हाथों से मिष्टी के दोनों हाथों को एकदम कसकर पड़कर पीछे दीवार पर ही लगा दिया और उसके निचले होठों को हल्के से बाइट करने के बाद उसके होठों को छोड़ दिया और उसके चेहरे की तरफ देखा हुआ बोला, "कुछ नहीं होने वाला है तुम्हारे इन नाजुक हाथों से तुम अब कहीं नहीं जा सकती मुझसे बचकर और ना ही मुझे खुद से दूर कर सकती हो अब यही तुम्हारा नसीब है तुम्हें यही रहना है मेरे साथ और इसी तरह मुझे झेलना है मैं हमेशा अपनी मनमानी करूंगा और तुम कुछ नहीं कर सकती।" मिष्टी को पूरी तरह तसल्ली से किस कर लेने के बाद युग ने अपने होठों को पूछते हुए उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और यह मुस्कुराहट बिल्कुल भी खुशी की मुस्कुराहट नहीं बल्कि अपनी जीत की मुस्कुराहट थी। युग की ऐसी बातें सुनकर मिष्टी एकदम अंदर तक कहां पर गई लेकिन जैसे तैसे उसने खुद को संभाला और सिर उठाकर ऊपर सामने की तरफ देखते हुए कहा, "इससे तो अच्छा है तो मुझे मार डालो।" युग ने चेहरे पर उसी तरह की तिरछी मुस्कुराहट के साथ कहा, "नहीं, बिल्कुल नहीं मैं तुम्हें सजा देना चाहता हूं कोई तोहफा नहीं! जो तुम्हें मार दूंगा और वैसे भी तुम्हारे मरने से कोई फायदा नहीं है मेरा और तुम्हें भी तो कोई सबक नहीं मिलेगा मुझे तो तुम्हें अच्छा सबक सिखाना है जिससे दोबारा कोई भी चौहान परिवार के खिलाफ जाने की हिम्मत ना कर सके।" मिष्टी की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और उसने उसी तरह रोते हुए कहा, "मैं.. मैं किसके खिलाफ नहीं जाना चाहती थी प्लीज़ प्लीज़ इस बात को समझो मैं... मैं बस" युग ने एकदम गुस्से भरी लाल आंखों से उसकी तरफ देखते हुए कहा, "कुछ नहीं समझना है मुझे, तुमने जो शुरू किया है उसे मैं खत्म करूंगा अपने तरीके से इसलिए भूल जाओ कि तुम अब यहां से निकल सकती हो और तुम्हारी कोई भी दलील नहीं सुननी मुझे, क्योंकि अब तुम यहां आ चुकी हो मेरी दुनिया में और अब मैं तुम्हारी जिंदगी नरक बना दूंगा तुम्हें भी पता चलेगा जीते जी नर्क में रहना कैसा होता है, welcome to the hell, मिसेज मिष्टी युग चौहान।" युग की ऐसी बातें सुनकर मिष्टी के दिल की धड़कनें बढ़ चुकी थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि युग अब आगे उसके साथ और क्या करने वाला है लेकिन तभी युग में एकदम से उसके दोनों हाथों को छोड़ दिया और पीछे हट गया। जैसे ही पीछे हुआ मिष्टी रोते हुए दीवार से लग कर सरकती हुई वहीं नीचे जमीन पर बैठ गई, उसका दुपट्टा कब का सर उतर कर नीचे जमीन पर गिर चुका था, अभी उसकी हालत बहुत ही खराब थी वह लगातार रोती जा रही थी युग ने एक नजर उसकी तरफ देखा लेकिन वह उसके इन आंसुओं को देखकर पिघलने नहीं चाहता था इसलिए उसने तुरंत ही अपनी नजर फिर ली और फिर एकदम ही दरवाजे से बाहर निकल गया और बाहर जाते हुए उसने दरवाजा भी पटक कर बंद कर दिया था। मिष्टी अपनी जगह से हिले डुले बिना वहीं पर बैठकर रोती रही और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और कैसे इस सिचुएशन से बाहर निकलें क्योंकि उसे कोई भी रास्ता नजर नहीं आ रहा था। To Be Continued आज का एपिसोड कहां गया है युग और क्या इसी तरह वह निकालता रहेगा मिष्टी पर अपना गुस्सा? और क्या वह कभी सुनेगा उसकी बात और एक मौका देगा उसे और ऐसा क्या किया है मिष्टी ने? क्या सच में उसने ऐसा कुछ किया भी है या फिर युग को कोई गलतफहमी है? क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में
4 युग के वहां से जाते ही मिष्टी एकदम से वही फर्श पर बैठ गई और वहां ज़मीन पर गिरते ही वो फूट-फूट कर रोने लगी। एक ही दिन में उसकी पूरी दुनिया बिखर चुकी थी। वह पूरी तरह से टूट चुकी थी, और उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें, कहां जाए किस से मदद मांगे कैसे इस सिचुएशन से निकले उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वहीं जमीन पर बैठी हुई मिष्टी की आँखों के सामने वो दिन बार-बार घूम रहा था, जब यह सब शुरू हुआ था। मिष्टी ने दोनों हाथों से अपना सिर सर पकड़ते हुए कहा, "दोस्ती की इतनी बड़ी कीमत कभी किसी ने भी नहीं चुकाई होगी जो आज मुझे चुकानी पड़ रही है मैं बस यही उम्मीद करती हूं कि विहान और कियारा इस राक्षस को कभी ना मिले, वो दोनों जहां पर भी हो बस एक साथ सेफ हों। भले ही मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई लेकिन वह दोनों एक साथ खुश रहे।" यह सब कुछ बोलते हुए मिष्टी की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और उसने खुद ही अपने हाथों से अपने गालों पर बहते हुए उन आंसुओं को पूछा और वह सब याद करने लगी जब से ये सब शुरू हुआ था। (फ्लैशबैक स्टार्ट) लगभग 2 महीने पहले, रात का वक्त और ब्लैक ट्रैक सूट और ब्लैक हूडी जैकेट पहने हुए एक लड़की बेतहाशा सड़क पर भाग रही थी। उसके पीछे कुछ गुंडे लगे थे। वो कुछ देर पहले तक तो सिर्फ उसकी हरकतों पर नजर रखे हुए थे लेकिन जैसे ही उस लड़की को इस बात का एहसास हुआ कि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे हैं वह तेजी से भागने लगी और अब वह गुंडे भी उसके पीछे उसे पकड़ने के लिए तेजी से दौड़ रहे थे। उस लड़की का दिल तेजी से धड़क रहा था, और उसकी साँसें भारी हो रही थीं। वह जानती थी कि अगर वह पकड़ी गई, तो उसकी ज़िंदगी खत्म हो जाएगी। उसके दिल में बस एक ही ख्याल था—उसे किसी भी कीमत पर भागना होगा, अपने लिए अपनी आने वाली लाइफ और खुशियों के लिए। सुनसान सड़कों पर दौड़ते हुए, उसने देखा कि गुंडों का एक पूरा ग्रुप उसके पीछे आ रहा था। वह काफी देर से भाग रही थी इसलिए उसके पैर अब थकने लगे थे, लेकिन उसका इरादा मजबूत था। वह किसी भी कीमत पर अपनी आज़ादी खोना नहीं चाहती थी। लेकिन अचानक, वो लड़की एक सुनसान गली में घुस गई और उसे लगा कि अब उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था, क्योंकि वह गुंडे भी उसी गली में आने वाले थे। मन ही मन भगवान को याद करते हुए उस लड़की ने अपनी आंखें कसकर बंद करी और ठीक उसी वक्त, एक मजबूत हाथ ने उसे अचानक अपनी ओर खींच लिया। उस लड़की ने अपनी आँखें खोलीं, और उसने देखा कि सामने लगभग उसी की उम्र का एक हैंडसम दिखने वाला लंबा चौड़ा सा खड़ा था। उसकी हाइट लड़की से बहुत ज्यादा नहीं थी लेकिन फिर भी वह उसे कुछ इंच लंबा रहा होगा और उसने लड़की को अपने करीब खींचा और साइड में खड़ी एक कार के पीछे छुपा लिया था और वह समझ गया था कि लोग उसके पीछे लगे हुए हैं इसीलिए उस लड़की की मदद करने के लिए उसने ऐसा किया। और उन गुंडो को जब वह लड़की नज़र नहीं आई तो वह सारे गुंडे वहां से आगे बढ़ गए उस लड़की को ढूंढते हुए और उन्हें वहां से आगे जाते देखकर उस लड़की ने राहत की सांस ली और फिर जैसे ही उस लड़की की तरफ देखा और उन दोनों की नजर मिली तो लड़की को लगा जैसे कि उसकी दुनिया थम गई हो और दूसरी तरफ लड़के काफी यही हाल था वह लड़की के खूबसूरत चेहरे और उसके आंखों में एकदम खो गया था उसकी वह लाइट ब्राउन कलर की आंखें जिसमें कुछ पीलापन भी था बहुत खूबसूरत लग रही थी और इस वक्त चमक रही थी। अगले कुछ पलों तक वह दोनों बिना अपनी पलकें झपकाएं एकटक एक दूसरे की आंखों में देखते रहे जैसे कि पता नहीं क्या ढूंढने की कोशिश कर रहे हो। तभी दोबारा उस तरफ से करीब आती हुई किसी के कदमों की आहट सुनाई थी तो लड़के ने दोबारा से उसे अपने करीब खींचकर सीने में छुपा लिया और उसके ऊपर एकदम प्रोटेक्टिव होकर हाथ रख लिया जिससे कि वह किसी को भी नजर ना आए रात का अंधेरा और उन दोनों के डार्क कलर के कपड़े उन्हें उसे ब्लैक कलर की कार के पीछे जरा सी जगह में छुपाने में काफी मदद कर रहे थे जिसकी वजह से वह दोनों किसी को नजर नहीं आ रहे थे। डर की वजह से उस लड़की की तो हिम्मत भी नहीं हुई नजर उठा कर देखने की, कि वहां उस तरफ से कौन उनके करीब आ रहा था लेकिन फिर लड़के ने थोड़ा सा आगे झांक कर देखा तो जो भी लोग थे वह दोबारा वहां से निकलकर पीछे की तरफ जा चुके थे। उसने राहत की सांस ली और धीमी आवाज में कहा, "थैंक गॉड! चले गए वह लोग लेकिन कौन थे वह लोग और कौन हो तुम? और क्या हुआ है वह लोग तुम्हारे पीछे क्यों लगे थे?" उस लड़की को भी समझ आ गया कि अब खतरा शायद टल चुका है तो वह भी उस लड़के से थोड़ी सी दूर हुई और उसकी तरफ देखते हुए उसकी बात का जवाब देती हुई बोली, "थैंक्स फॉर योर हेल्प, और वह सब चौहान परिवार के लिए काम करने वाले लोग हैं और वह सब मेरे पीछे लगे हुए हैं क्योंकि चौहान परिवार का इकलौता बेटा मुझसे शादी करना चाहता है क्योंकि चौहान और मैं उससे शादी नहीं करना चाहती मुझे शादी करके अपने लिए वह सोने का पिंजरा नहीं चाहिए मैं खुली हवा में उड़ना चाहती हूं एक आजाद पंछी की तरह और वह मुझे बंद करके रखना चाहता है अब मुझे वो आदमी जरा भी पसंद नहीं है बस इसीलिए मैं अपने घर से भाग आई हूं लेकिन शायद उसे पता चल गया इसीलिए उसने अपने लोगों को मेरे पीछे भेजा यह लोग कब से मुझ पर नजर रखे थे।" उस लड़के ने बिना किसी वजह के उसके मदद की थी इसीलिए उस लड़की ने भी उसे पर भरोसा करके एक ही बार में उसे पूरी बात बता दी और वह लड़का मुंह खोले काफी हैरानी से उसकी पूरी बातें सुन रहा था ओ साथी यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी कुछ होता है। उस लड़के ने बहुत ही प्रोटेक्टिव होकर लड़की का हाथ थामते हुए कहा, "कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी मदद करूंगा। लेकिन तुम अपने घर से क्यों भाग आई तुम्हें अपने घर वालों को बताना चाहिए था कि तुम यह शादी नहीं करना चाहती और ऐसे कैसे कोई तुम्हारी मर्जी के बिना जबरदस्ती तुमसे शादी कर सकता है।" (फ़्लैश बैक एंड) प्रेजेंट टाइम, चौहान भवन, युग का कमरा, पिछली बातें याद करके मिष्टी की आंखें अब बुरी तरह से जलने लगी थी क्योंकि उसके आंसू बंद नहीं हो रहे थे, और वह लाइन याद आते ही मिष्टी ने एकदम से कहा, "कर सकता है कोई अगर बहुत ही पैसे वाला और ताकतवर हो तो सामने वाले की मर्ज़ी कुछ मायने नहीं रखती और वह अपने पैसे ताकत के बल पर कुछ भी कर सकता है और वही उसने आज किया, मेरे साथ जबरदस्ती शादी करके और आज मुझे पता चला कि क्यों भाग रही थी कियारा इस आदमी से, यह इंसान नहीं शैतान है कोई भी इसके साथ नहीं रह सकता लेकिन पता नहीं क्यों मेरी किस्मत में ऐसा कुछ लिखा था मैं अब यहां पर फंस चुकी हूं वह भी इतनी बुरी तरह से.. पता नहीं अब आगे और क्या करेगा वह मेरे साथ?" मिष्टी की आँखों में आँसू थे, और वह जमीन पर घुटनों के बल बैठी थी। कमरे के अंदर की खामोशी अब और भी भारी हो चुकी थी। युग के शब्द उसकी यादों में गूंज रहे थे—"मैं तुम्हारी ज़िंदगी को नरक बना दूंगा।" मिष्टी ने अपने आँसुओं को पोंछा, लेकिन उसका दिल अब भी टूटा हुआ था। उसने खुद से कहा, "कियारा की हेल्प करके उसे तो बचा दिया लेकिन मैं कब और कैसे इस नरक से बाहर निकल पाऊंगी? कभी निकल भी पाऊंगी या नहीं? नहीं नहीं मैं ऐसा क्यों सोच रही हूं यह मेरी किस्मत नहीं हो सकती। मैं यहां पर हमेशा नहीं रह सकती, मुझे कोई रास्ता ढूंढना होगा।" इतना कहते हुए मिष्टी ने अपने आंसू पहुंचे क्योंकि उसके मन में अभी भी कहीं ना कहीं थोड़ी बहुत उम्मीद बची थी और वह लड़ने के लिए भी तैयार थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि आगे उसका सामना और किससे होगा युग के नाम, और वह बहुत अमीर पावरफुल इंसान है एक अमीर परिवार से इसके अलावा वह उसके बारे में भी ज्यादा कुछ नहीं जानती थी। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को कौन है वह लड़का और लड़की और मिष्टी क्यों सोच रही है उन सब चीजों के बारे में? ऐसी क्या गलती की है मिष्टी ने जिसकी वजह से वह यहां पर फंस गई वैसे कुछ हिंट तो हमने दिए हैं अब तक आप लोगों को कितना पता चला बताइए कमेंट में और अगला एपिसोड हम रात तक अपलोड करेंगे नहीं तो फिर आप लोग डायरेक्ट लास्ट वाला एपिसोड पढ़ लेते हो और यह वाला स्किप कर दोगे!
5 चौहान भवन, मिष्टी और युग की शादी के बाद की, वो रात और गहराती जा रही थी, उस अंधेरे और शांत कमरे में हल्की सी चांदनी खिड़की से छनकर आ रही थी। कमरे में सिर्फ घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी, और मिष्टी अब जमीन से उठकर बिस्तर पर बैठी हुई थी। उसके दिमाग में युग के साथ हुई शादी के पल बार-बार घूम रहे थे। उसकी आँखों में आँसू थे, और दिल भारी हो रहा था। शादी की हर रस्म उसे किसी सजा की तरह लग रही थी, जो बिना किसी कसूर के ही उसे सुना दी गई थी। मिष्टी ने खुद से सवाल करते हुए कहा, "कैसे हुआ ये सब? क्यों हुआ क्यों यह सब शुरू हुआ और मेरे साथ ही क्यों होना था ये सब और अब कैसे ये सब मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया? क्या कसूर था मेरा जो मुझे यह सब सहना पड़ रहा है?" अपने आप से यह सब बोलते हुए उसकी आँखें बंद हुईं और दिमाग पिछले कुछ दिनों पहले की यादों की तरफ चला गया। उसे याद आया कि कुछ महीने पहले तक उसकी जिंदगी कितनी सामान्य थी। तभी एक दिन अचानक, जैसे उसकी पूरी जिंदगी ही बदल गई। --- फ्लैशबैक स्टार्ट, मिष्टी, अपने उस छोटे से अपार्टमेंट में आज अकेली थी क्योंकि उसकी दोस्त और रूम पार्टनर सृष्टि दो दिन पहले ही अपने होमटाउन चली गई थी किसी जरूरी काम से। मिष्टी के कॉलेज का फाइनल ईयर था, वह अपने आने वाले फ्यूचर और करियर को लेकर काफी ज्यादा सीरियस और एक्साइटेड थी। उस दिन रात के लगभग 10:00 का वक्त था। शाम की कॉफी के साथ मिष्टी हर रोज की तरह आज भी एकदम सीरियस होकर अपनी स्टडीज में लगी हुई थी कि उसके अपार्टमेंट के दरवाजे पर अचानक तेज़ खटखटाहट हुई। दरवाजा खटखटाना की आवाज सुनते ही मिष्टी ने अपने आप से बात करते हुए कहा, "कौन हो सकता है इतनी रात में? सृष्टि वापस आ गई क्या लेकिन वह तो 3 दिन बाद आने वाली थी और तो कोई आने नहीं वाला था और जो भी है वह डोर बेल प्रेस नहीं कर रहा इतनी तेज दरवाजा क्यों पीट रहा है?" उसने अपने मन में यह सब सोचा और दरवाजे की ओर बढ़ी। मिष्टी ने पहले थोड़ा सा ही दरवाजा खोला और दरवाजे की चैन लगी रहने दी क्योंकि वह इस वक्त घर में अकेली थी और थोड़ा सा दरवाज़ा खोलते ही उसने देखा कि सामने दरवाजे उसका सबसे अच्छा दोस्त विहान खड़ा था। विहान दरवाजे पर काफी घबराया हुआ सा खड़ा था और इधर-उधर देख रहा था मिष्टी ने थोड़ा सा दरवाजा खोला तो वह इरिटेट होते हुए बोला, "क्या कर रही है यार? पूरा दरवाजा खोल, मुझे अंदर आने दे!" मिष्टी और विहान कॉलेज के फर्स्ट ईयर से बहुत ही अच्छे दोस्त थे और मिष्टी उसे काफी अच्छी तरह से जानती थी अभी हां भी अक्सर यहां पर आता रहता था बिना किसी इनविटेशन के और बिना बताए ही इसीलिए मिष्टी उसे वहां अपने अपार्टमेंट के दरवाजे पर देखकर तो ज्यादा नहीं चौंकी लेकिन उसकी हालत देखकर मिष्टी चौंक गई थी। वह बहुत घबराया हुआ और हांफता हुआ लग रहा था। उसकी सांसें इतनी तेज़ चल रही थीं, जैसे किसी ने उसका पीछा किया हो और वह भागता हुआ यहां पर आया हो। उसके माथे पर पसीना था और चेहरा डर से सफेद पड़ गया था। मिष्टी ने तुरंत ही चेन हटाकर पूरा दरवाजा खोलते हुए पूछा, "विहान! क्या हुआ? तुम ठीक तो हो? क्या हुआ है और ये कैसी हालत बना रखी है?" विहान ने हांफते हुए, घबराहट से कहा, "मिष्टी हटो सामने से ... पहले मुझे अंदर तो आने दो। फिर बताता हूं सब!" मिष्टी ने बिना कोई सवाल की है सीधा ही उसे अंदर बुला लिया। मिष्टी ने परेशान होकर दोबारा पूछा, "क्या हुआ, विहान? कुछ बताओगे कि तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?" विहान ने मिष्टी की बात का कोई भी जवाब देने से पहले अपने पीछे मुड़कर देखा और उसके पीछे ही कोई और भी दरवाजे से अंदर आ गया। मिष्टी ने चौंक कर उस की ओर देखा। वहाँ पर एक लड़की खड़ी थी, जो पूरी तरह से काले कपड़े पहने हुए थी। उसने ब्लैक हूडी पहना हुआ था, और उसकी हालत भी विहान जैसी ही लग रही थी —थकी हुई, हैरान-परेशान। मिष्टी ने अब थोड़ा सा डरते हुए पूछा, "विहान... ये कौन है?" विहान ने उस लड़की को भी अपने साथ अपार्टमेंट के अंदर आने का इशारा किया, और वो लड़की भी अंदर आ गई। उसके चेहरे पर भी डर और घबराहट की झलक थी। उन दोनों के अंदर आते ही पीछे से मिष्टी ने अपार्टमेंट का दरवाजा बंद कर दिया और फिर विहान और उस लड़की के पीछे आते हुए बोली, "क्या चल रहा है विहान, कौन है यह लड़की तुम्हारे साथ और तुम इराक के इस वक्त यहां पर क्या कर रहे हो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।" विहान ने धीमी आवाज़ में, मिष्टी की ओर देखकर कहा , "मिष्टी , ये कियारा है। कुछ लोग इसके पीछे पड़े हुए हैं इसे ढूंढ रहे हैं मैं इसे उन लोगों से बचाने में हेल्प की। और अब वो लोग मेरे पीछे भी पड़े हैं।" मिष्टी ने हैरान होकर कहा, "क्या? कौन लोग? और तुम इसे यहाँ क्यों लाए हो? वो मेरे भी पीछे पड़ गए तो मैं क्या करूंगी कहां जाऊंगी मेरी तो फैमिली भी यहां पर नहीं है और मैं इन सब में नहीं पड़ना चाहती, प्लीज़!" विहान ने बेचैनी से, इधर-उधर देखते हुए कहा , "मिष्टी , प्लीज मेरी बात सुनो हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं है और अगर हमने अभी कियारा की हेल्प नहीं की तो वह लोग इसे ले जाएंगे और फिर इसकी जबरदस्ती शादी कर देंगे। इसके पापा के बॉस के साथ जो इसके पीछे पड़ा हुआ है।" विहान की यह सारी बातें सुनते ही मिष्टी का दिल धड़कने लगा। उसने आज पहली बार ही किसी के लिए विहान की आँखों में डर देखा, जो उसने पहले कभी नहीं देखा था। मिष्टी ने कनफ्यूज होकर पूछा, "विहान, मैं यह सब समझ रही हूं लेकिन तुम इसे यहाँ क्यों लाए हो? तुम जानते हो कि ये जगह इतनी भी सेफ नहीं है और कौन है वह लोग अगर ज्यादा खतरनाक है तो मेरे लिए भी प्रॉब्लम हो सकती है मेरे एग्जाम आने वाले हैं मैं किसी मुसीबत में नहीं पड़ना चाहती, प्लीज।" विहान ने मिष्टी का हाथ पकड़ते हुए, गहरी साँस लेकर कहा , "मिष्टी , आई एम सॉरी, लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैं इसे अपने घर नहीं ले जा सकता था। वहाँ मेरे पेरेंट्स और भाई बहन हैं, उन्हें समझाना मुश्किल होगा और फिर अगर उन लोगों ने वहाँ हमला किया तो...? मैं इसे कुछ दिनों के लिए यहाँ छिपाना चाहता हूँ। बस कुछ दिन... कियारा को यहां पर रहने दो प्लीज़, क्या तुम अपने बेस्ट फ्रेंड की इतनी सी हेल्प नहीं कर सकती।" मिष्टी का दिल विहान की रिक्वेस्ट पर पिघल गया। उसे विहान की बात समझ आ रही थी लेकिन फिर भी वह अनजान लड़की पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करना चाहती थी वह सोच रही थी कि पूरे सिचुएशन आखिर क्या होगी और वह ठीक से पूछ भी नहीं पा रही थी। मिष्टी ने सोचते हुए अपने मन में कहा, "क्या मुझे यह करना चाहिए? अगर वो लोग यहाँ आ गए, तो क्या मैं भी खतरे में पड़ जाऊंगी?" परंतु विहान के चेहरे पर उम्मीद और डर साफ झलक रहे थे। उसने कुछ भी सोचने से पहले ही हाँ में सिर हिलाया। मिष्टी ने धीमी आवाज़ में कहा, "ठीक है, विहान। लेकिन सिर्फ कुछ दिनों के लिए सृष्टि के वापस आने के बाद इसे यहां से जाना होगा फिर चाहे तुम जहां भी लेकर जाओ तब तक इंतजाम कर लो क्योंकि मैं सृष्टि को क्या बताऊंगी जब मुझे ही कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या चल रहा है यह सब?" To Be Continued क्या पूरी बात पता चलेगी मिष्टी को, और क्या इसी दिन के बाद से बदल गए उसकी जिंदगी क्या उसका यह फैसला गलत था क्या लगता है आप लोगों को उसे अपने दोस्त की मदद नहीं करनी चाहिए थी? और अगर उसने ऐसा किया तो क्या अब वह पछताते हुए इन सब चीजों के बारे में सोच रही है? सॉरी लेकिन अगला पार्ट भी फ्लैशबैक होगा हमने सोचा कि पिछली स्टोरी थोड़ी क्लियर हो जाएगी तो आप लोगों को आपकी स्टोरी पढ़ने में भी अच्छा लगेगा। इसलिए कमेंट करके जरूर बताइए कि कैसा लग रहा है आप लोगों को यह भाग और अब तक की स्टोरी?
6 विहान ने मिष्टी की तरफ ध्यान से देखते हुए कहा, "हां, मुझ पर भरोसा रखो मैं सब संभाल लूंगा। मुझे बस कुछ दिन का समय चाहिए। अगर हमने कियारा की मदद नहीं की, तो इसके साथ कुछ बहुत बुरा हो सकता है। और मैं ये होने नहीं दे सकता क्योंकि यह अपने घर से भी भाग आई है और वापस अपने घर भी नहीं जा सकती।" मिष्टी ने उस लड़की —"कियारा" — की ओर देखा, जो अब सोफे पर बैठी थी। वो क्यूरियोसिटी से नजर घूमर चारों तरफ देख रही थी , लेकिन उसने खुद अब तक कुछ भी नहीं बोला था वह पूरी तरह से चुप थी और चुपचाप विहान और मिष्टी की बातें सुन रही थी। मिष्टी ने कियारा के सामने आकर खड़े होते हुए कहा, "तुम्हें कुछ कहना है? तुम कौन हो? और ये सब क्या है? क्या तुम मुझे पूरी बात बताओगी कुछ ऐसा जिससे कि मैं तुम पर भरोसा कर पाऊं।" कियारा ने अपनी निगाहें ऊपर उठाईं, लेकिन कुछ नहीं कहा। और मिष्टी की बात सुनने के बाद वह विहान की तरफ देखने लगी। विहान ने उन दोनों लड़कियों के बीच आकर खड़े होते हुए कहा, "मिष्टी तुम उससे क्या पूछ रही हो तुम उसे नहीं जानती तो वह भी तो तुम्हें नहीं जानती है ना और तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम कियारा पर भी भरोसा कर सकती हो, उससे तुम्हें कोई खतरा नहीं होगा उसे खुद मदद की जरूरत है।" मिष्टी ने अपनी एक आईब्रो ऊपर उठकर विहान की तरफ देखते हुए थोड़ी सख्ती से कहा, "हां लेकिन मैं बस पूरी बात जानना चाहती हूं और तुम हटो सामने से मुझे बात करने दो उससे तुम तो उसे ऐसे प्रोटेक्ट कर रहे हो जैसे वह तुम्हारी गर्लफ्रेंड हो।" कियारा और विहान दोनों एक दूसरे की तरफ ही देख रहे थे मिष्टी की यह बात सुनते ही उन दोनों के गाल एकदम लाल हो गए और दोनों इधर-उधर देखते हुए नज़रे चुराने लगे मिष्टी ने यह बात नोटिस की और कहा, "लगता है इतना भी सच नहीं बोलना चाहिए था मुझे वैसे बताओ तुम क्यों पीछे पड़े हैं वह लोग तुम्हारे?" मिष्टी के तीसरी बार पूछने पर आखिर कियारा ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "मुझे नहीं पता क्यों वह आदमी मेरे पीछे पड़ा हुआ है उसने मेरे पापा से कहा कि वह मुझसे शादी करना चाहता है मेरे पापा उसकी कंपनी में काम करते हैं तो वह मना नहीं कर पाए क्योंकि वह उनका बस है और बहुत ही अमीर पावरफुल आदमी है इस शहर का सबसे अमीर आदमी तुमने उसका नाम भी सुना होगा शायद युग चौहान!" मिष्टी को यह नाम थोड़ा सुना हुआ लग रहा था लेकिन फिर भी उसे याद नहीं आया तो उसने बस धीरे से अपना सिर हिला दिया और कियारा ने आगे कहा, "मुझे नहीं पता उसने मुझे कब और कहां देखा लेकिन वह मेरे पीछे पड़ा हुआ है और मेरे घर वाले बिल्कुल हेल्प लेस हैं मैंने कहा कि मुझे यह शादी नहीं करनी मैं एक आर्टिस्ट हूं और अपना करियर बनाना चाहती हूं लेकिन घर वालों ने कहा कि वह मना करेंगे तो उनके लिए बहुत ही बुरा होगा इसलिए मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था मैं अपने घर से भाग आई लेकिन शायद उसे युग चौहान को पता चल गया होगा इसलिए उसने अपने लोगों को मेरे पीछे भेजा मुझे पकाने के लिए और किसी तरह मैं उनसे बचती हुई भाग रही थी और वह लोग मुझे पकड़ने ही वाले थे कि तभी विहान ने रास्ते में मेरी मदद की और मुझे उन लोगों की नजरों से बचा लिया और फिर वह मुझे अपने साथ यहां पर लेकर आया अब अगर तुम भी मेरी हेल्प नहीं करोगी तो कोई बात नहीं मैं यहां से कहीं और चली जाऊंगी क्योंकि मैं भी नहीं चाहती कि मेरी वजह से किसी और पर मुसीबत आए।" कियारा की ऐसी बातें सुनकर मिष्टी थोड़ा सा इमोशनल हो गई उसे कियारा के लिए काफी बुरा लगा और अब उससे थोड़ी हमदर्दी भी हो रही थी इसलिए वह अपने मन में सोचने लगी, "मुझे नहीं पता था ऐसे सनकी, पागल टाइप के लोग भी होते हैं दुनिया में जो बिना सामने वाले की मर्जी जाने दूसरे के पीछे पड़ जाए जब की यार शादी नहीं करना चाहती तो क्या उसे युग को समझ नहीं आ रहा पागल वागल है क्या वो?" यह सब कुछ मन में सोचते हुए मिष्टी ने धीरे-धीरे सिर हिलाया और अपने रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा, "ठीक है, सृष्टि का रूम खाली है तो वहां पर रुक सकती हो, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है और मैं भी तुम्हारी हेल्प करना चाहती हूं बस उन लोगों को यहां का एड्रेस पता ना चले नहीं तो फिर शायद तुम दोनों के साथ मुझे भी यहां से भागना पड़ेगा।" मिष्टी की बात सुनते ही विहान ने कसकर उसे गले लगाते हुए कहा, "थैंक यू, थैंक यू सो मच मिष्टी । मुझे नहीं पता था और कहाँ जाऊं। You are such an angel to me always, I love you!" इतना बोलते हुए विहान ने एक्साइटमेंट में मिष्टी के गाल पर किस कर लिया तो मिष्टी ने उसे तुरंत ही खुद से दूर धकेलते हुए कहा, "दूर रहो तुम मुझसे, सिर्फ काम के टाइम ही तुम्हे मैं याद आती हूं और तब ही यह तुम्हारे मुंह से आई लव यू भी निकलता है मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा यह झूठा प्यार चलो जाओ यहां से वैसे तुम भी रुक सकते हो आज, इतनी रात हो गई है सुबह वापस चले जाना।" कियारा सामने खड़ी उन दोनों की तरफ देख रही थी और मिष्टी विहान का इतना ज्यादा क्लोज होकर खड़े होना उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी वह यह बात समझ रही थी कि वह दोनों बेस्ट फ्रेंड है और बेस्ट फ्रेंड के बीच तो यह सब नॉर्मल होता है, उसने मन ही मन खुद को समझाया लेकिन फिर भी वह दूसरी तरफ देखने लगी थी। मिष्टी ने गहरी साँस ली और सिर हिलाते हुए अपने कमरे के अंदर चली गई और उसके जाने के बाद भी हारने की यार की तरफ देखा और दोनों बिना कुछ बोले चुपचाप एक दूसरे की तरफ देखते रहे। फ्लैशबैक एंड --- आज लगभग आधी रात बीत चुकी थी और मिष्टी अभी भी वहां पर उस कमरे में बैठी, उस रात की उन बातों को याद कर रही थी। जिस रात विहान और कियारा की उसके अपार्टमेंट में एंट्री ने, उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया था। उसी पल से उसकी ज़िन्दगी में जो तूफान आए थे, उसी की सजा वह अब तक भुगत रही थी और आज उसे सबसे बड़ी सजा मिली थी सिर्फ और सिर्फ अपने दोस्त की मदद करने की सजा। यह सब कुछ याद आने के बाद उसकी आंखों से लगातार आंसू दोबारा से बहने लगे और उसने किसी तरह खुद को शांत किया और अपने आप से कहा,"शायद मुझे उसे दिन भी पता था कि अगर मैं उनकी मदद करूंगी तो कहीं ना कहीं बाद में मुझे ही प्रॉब्लम होगी लेकिन फिर भी मैं विहान को मना नहीं कर सकती थी उसकी जगह कोई और भी होता था शायद फिर भी मैं उनकी मदद करती।" वह यह सब कुछ सोच ही रही थी कि तभी एकदम से उसके कमरे का दरवाजा खुला और कोई दरवाजे से अंदर की तरफ आया, लाइट बंद होने की वजह से दरवाजे से अंदर आता हुआ वह इंसान किसी काले साए की तरह लग रहा था। दरवाजा खुलने की आवाज होते ही मिष्टी ने चौंक कर दरवाजे की ओर देखा और दरवाजे से अंदर आते हुए उसे शख्स को देखकर उसकी धड़कन तेज हो गई, क्योंकि कमरे के अंदर आता हुआ वह काला साया उसे कुछ डरावना सा लग रहा था मिस्टर एकदम घबरा गए और तुरंत ही चिहुंक कर वो बिस्तर से उठकर एक कोने में दीवार से चिपक कर खड़ी हो गई। To Be Continued कौन आया है कमरे के अंदर क्या दोबारा से युग वापस आया है मिष्टी पर अपना गुस्सा निकालने और उसे सबक सिखाने के लिए या फिर कोई और है जो वहां पर आया है और अगर वह कोई और है तो वह कौन हो सकता है और क्या हो सकता है उसका मकसद क्या लगता है आप लोगों को बताइए वैसे युग के परिवार में से तो अभी किसी का इंट्रोडक्शन भी नहीं हुआ है ना तो हो सकता है यह कोई पहल मेंबर हो उसकी फैमिली का, कौन है यह शख्स पता चलेगा अगले एपिसोड में, जब तक के पढ़कर कमेंट करते रहिए।
7 कमरे का दरवाजा एक धीमे से क्रीक के साथ खुला। मिष्टी ने सिहरते हुए उस ओर देखा, वह पहले ही डरी हुई थी और इस तरह बाहर की तरफ से दरवाजा खुलने की वजह से उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। दरवाजे पर खड़ा वो शख्स धुंधली रोशनी में किसी काले साए जैसा लग रहा था। मिष्टी के साथ आज जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से वो घबराई हुई थी, वो तुरंत ही बिस्तर से उठकर खड़ी हो तो और कमरे के एक कोने में जाकर दीवार से लग गई, उसकी सांसें गले में अटक सी गई थीं। जैसे ही वह छाया धीरे-धीरे कमरे के अंदर आई, वह अब मिष्टी को साफ दिखने लगी। वो एक लड़की थी, जिसने अभी भी पार्टी वियर मंहगे कपड़े पहने हुए थे, चेहरा मेकअप से सजा हुआ और बाल संवारकर पीछे खुले हुए थे। वह लड़की, जिसे मिष्टी ने पहले कभी नहीं देखा था, इस वक्त वो बेहद सुंदर लग रही थी। उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल दिख रही थी। "मिष्टी?" उस लड़की ने धीमी और नर्म आवाज़ में पूछा। मिष्टी ने अपना सिर धीरे से उठाकर सामने की तरफ देखा, वो खुद को अपनी पलके झपकाने से रोक रही थी जैसे कि अपना डर छिपाने की कोशिश कर रही हो। उसके मन में डर के साथ-साथ क्यूरियोसिटी भी थी इसलिए उसने सामने खड़ी उसे लड़की से आखिर पूछ ही लिया, "तुम कौन हो?" उसने फुसफुसाते हुए पूछा। उस लड़की ने तुरंत ही मिष्टी की बात का जवाब देते हुए कहा, "मेरा नाम अनाया है और मैं... फिलहाल तुम बस मेरा नाम ही जान लो इतना बहुत है और मैं जानती हूं कि तुम यहां से बाहर निकलना चाहती हो, युग से दूर जाना चाहती हो, क्योंकि युग ने तुमसे जबरदस्ती शादी की है।" अनाया ने एक ठहरी हुई आवाज में कहा, "मुझे तुम्हारी मदद करनी है और इसलिए मैं यहां पर आई हूं।" मिष्टी ने उसकी ओर शक भरी नज़रों से देखा, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि एक अनजान औरत क्यों उसकी मदद करना चाहेगी, वो बिना किसी वजह के। इसीलिए मिष्टी ने उस लड़की से पूछा, "तुम मेरी मदद क्यों करना चाहती हो? मुझे नहीं पता तुम कौन हो और युग के लोग तुमसे भी सवाल करेंगे अगर उन्होंने तुम्हें मेरे साथ देखा तो, और इसमें तो बहुत खतरा है तुम क्यों युग और उसके परिवार के खिलाफ जा रही हो आखिर तुम कौन हो क्या रिश्ता है तुम्हारा उन लोगों से।" अनाया ने मिष्टी की आंखों में देखा और धीमे स्वर में बोली, "इन सब बातों और सवालों का वक्त नहीं है, और मैं भी एक लड़की हूं, मिष्टी। तुम्हारी तरह ही मैं भी उस दर्द को समझ सकती हूं, जो तुम झेल रही हो। मुझे नहीं पता कि मैं यहां कितनी देर रह पाऊंगी, इसलिए तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है। इस वक्त युग अपने पापा के कमरे में है, यह तुम्हारे लिए एक मौका है। अगर तुम इसी वक्त निकल जाओ, तो शायद तुम उसे हमेशा के लिए उससे दूर जा पाओ।" मिष्टी को उस लड़की पर भरोसा करने का दिल हुआ, लेकिन शक के काले बादल अब भी उसके मन पर छाए हुए थे। अनाया ने अपनी आवाज में एक आत्मीयता भरते हुए कहा, "देखो, मैं बस तुम्हारी मदद करना चाहती हूं, मिष्टी। युग एक बहुत पावरफुल आदमी है, पर अगर तुम मुझ पर भरोसा करो, तो मैं तुम्हें सेफली यहां से बाहर निकाल सकती हूं। मेरे पास एक रास्ता है।" अनाया की बातें सुनकर कुछ पलों तक मिष्टी सोचती रही, पर उसने महसूस किया कि यह उसके पास आखिरी मौका हो सकता है, और भले ही उसे लड़की के इरादे कुछ भी हो लेकिन अगर वह उसकी यहां से निकलने में मदद कर सकती है तो एक बार तो उसे भी उसे पर भरोसा करके कोशिश करनी चाहिए इसमें कोई भी बुराई नहीं थी। मिष्टी ने अपने मन में कहा, "मैं तो पहले ही इतनी बड़ी मुसीबत में फंसी हूं अब इससे ज्यादा बुरा और क्या भी होगा अगर यह लड़की झूठ बोल रही हो कि तो फिर क्या करेगी ज्यादा से ज्यादा मेरे साथ वैसे भी लड़की है और हमदर्दी तो जता रही है क्या पता सच में इसे बुरा लग रहा हूं मेरे लिए अच्छे लोग भी तो होते हैं दुनिया में, इसलिए चली जाती हूं हो सकता है यह आखिरी मौका हो मेरे लिए।" अपने मन में यह सारी बातें सोचने के बाद मिष्टी ने सिर हिलाकर अनाया की तरफ देखते हुए कहा, "ठीक है, अगर तुम मुझे यहां से निकल सकती हो तो मैं तुम्हारा बहुत अहसान मानूंगी। मुझे यहां नहीं रहना और मैं कभी यह शादी नहीं करना चाहती थी।" मिष्टी की बात सुनते ही अनाया ने तुरंत उसे इशारा किया, "चलो, मेरे साथ।" दोनों चुपचाप उस कमरे से बाहर निकलीं। अनाया ने उसे अपने साथ नीचे लेकर आई और फिलहाल इस वक्त वहां पर कोई भी नहीं था, अनाया को शायद यह बात पता थी इसीलिए वह दोनों उसे रास्ते से आई और फिर हवेली के पीछे की तरफ पहुंच गई और वहां पर अनाया ने मिष्टी को एक दरवाजे से बाहर निकाला, जो हवेली के पिछले हिस्से में था। अनाया ने मिष्टी को आखिरी बार एक गहरी नजर से देखा और धीरे से कहा, "हो सके तो यहां से इतनी दूर चली जाना कि युग की नज़रों में कभी न आओ।" मिष्टी ने उसकी बात पर सिर हिलाया और धीरे-धीरे दौड़ने लगी। उसके भारी लंहगे में भागने में मुश्किल कर रहे थे, लेकिन उसे पता था कि अगर उसने रुकने की कोशिश की, तो उसकी ज़िन्दगी इससे भी ज्यादा बुरी हो जाएगी। जैसे-तैसे वह अपने कदम बढ़ा रही थी, उसके पैरों में दर्द हो रहा था, परंतु उस दर्द के सामने उसकी आजादी और वहां से बच निकलने की चाहत कहीं ज्यादा बड़ी थी। रास्ते में, सड़क पार करते हुए वह एक कार से टकराते-टकराते बची, लेकिन फिर भी बिना रुके दौड़ती रही। मिष्टी के पास पैसे नहीं थे इसलिए पैदल ही भागते हुए वह एक पुराने अपार्टमेंट के पास पहुंच गई, जहां वो एक बार विहान के साथ आई थी, विहान और उसके कुछ दोस्त वहां पर पहले रहा करते थे और जब भी वह कोटा से जयपुर अपने दोस्तों और भी हाल के साथ घूमने आती थी, वो सब वहां पर ही वह दोनों रुकते थे। वो चार-पांच बार जयपुर आ चुकी थी इसीलिए मिष्टी को रास्ता याद था और वह जगह भी ज्यादा दूर भी नहीं थी, लगभग आधे घंटे दौड़ने के बाद मिष्टी उस अपार्टमेंट के दरवाजे के सामने थी और उसे यह भी याद था विहान उसे अपार्टमेंट की चाबी कहां पर रखता था इसलिए उसने दरवाजे पर रखे गमले के नीचे छिपी हुई चाबी निकालकर उससे दरवाजा खोला और तेजी से अंदर चली गई। अपार्टमेंट के अंदर आते ही मिष्टी ने दरवाजा बंद कर लिया और उसने एक लंबी सांस ली, उसे लगा कि वह आखिरकार बच गई। मिष्टी ने खुद को यकीन दिलाने की कोशिश करते हुए कहा, "क्या सच में मैं वहां से निकाल कर यहां तक आ गई हूं मुझे तो यकीन नहीं हो रहा, मैं सच में उस आदमी से, उसके घर से, उसके कमरे से, उसकी जिंदगी से दूर आ चुकी हूं और यहां पर वह मुझे कभी नहीं ढूंढ सकता उसे तो इस जगह के बारे में पता भी नहीं होगा।" इतनी देर तक लगातार दौड़ने की वजह से मिष्टी की सांस ऊपर नीचे हो गई थी तो उसने किचन में जाकर एक गिलास निकाला और टैप से पानी लेकर पीने लगी। पानी पीकर मिष्टी खुद को थोड़ा शांत किया और वहां लिविंग एरिया में पड़े हुए सोफे पर बैठी ही थी कि अचानक से किसी ने ज़ोर से दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया। अभी उसे यहां पर आए हुए आधा घंटा भी नहीं हुआ था और इस तरह से कोई अपार्टमेंट का दरवाजा पीट रहा था और वह खटखटाना की आवाज सुनते ही उसके चेहरे का रंग एकदम उड़ गया, और मिष्टी की सांसें जैसे रुक गई और वो एकदम हैरान परेशान घबराई हुई दरवाजे की तरफ देखने लगी जो अब लगभग वाइब्रेट हो रहा था बाहर खड़े इंसान के तेजी से पीटने की वजह से..। To Be Continued कौन हो सकता है दरवाजे पर क्या कोई मस्ती पर नजर रखे हुए था या फिर यह सब अनाया और युग की चाल थी? क्या युग ने ही अनाया को भेजा था? और क्या युग पहुंच गया है यहां पर या फिर कोई और हो सकता है क्या विहान आया है उसकी मदद करने के लिए? क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में जो भी आप लोगों को लगता हो बाकी अगले एपिसोड में तो पता चल ही जाएगा और किस-किस को लगा था कि मिष्टी इस तरह इतनी आसानी से वहां से भागने में कामयाब हो जाएगी और कौन थी अनाया, कौन हो सकती है?
8 दरवाजे पर लगातार होती खटखटाहट ने मिष्टी को अंदर तक डरा दिया था। उसकी सांसें जैसे गले में ही अटक सी गई थीं, उसकी आँखें दरवाजे की ओर जमी थीं। डर से कांपती हुई वह अपने पैरों को हिला तक नहीं पा रही थी। हर खटखटाहट के साथ उसका दिल और तेज़ धड़कने लगा, उसके साथ फिर से कुछ बुरा होने का ख्याल भी उसे अंदर तक डरा रहा था। मिष्टी ने अपने आप से सवाल करते हुए कहा, "कौन आ गया यहां पर इस जगह के बारे में तो किसी को भी नहीं पता है मेरे और विहान के अलावा? तो क्या विहान है दरवाजे पर नहीं नहीं वह कैसे हो सकता है?" मिष्टी की सांसें जैसे गले में ही अटक सी गई थीं। दरवाजे पर होने वाली खटखटाहट ने उसके दिल को कंपा दिया था। उसकी आँखें दरवाजे की तरफ जमीं थीं, जैसे किसी पल दरवाजा टूटकर खुल जाएगा और कुछ गलत हो जाएगा। दरवाजे की हर खटखट के साथ उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा। उसने कमरे के किसी कोने में छुपने का सोचा, पर वो कहीं जाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी। उसका पूरा शरीर थर-थर कांप रहा था, और आँखों में डर की परछाईं साफ झलक रही थी। तभी, जैसे कोई जादू हुआ हो, दरवाजे की खटखटाहट एकदम से बंद हो गई। कमरे में अजीब सा सन्नाटा छा गया। अचानक दरवाजे पर बज रही खटखटाहट एकदम से बंद हो गई। कमरे में एक गहरा सन्नाटा छा गया। मिष्टी की आँखों में एक पल के लिए राहत की चमक आई, उसे लगा कि शायद वह खतरा टल गया है। उसने अपनी धड़कनों को काबू में करते हुए एक लंबी सांस ली और धीरे-धीरे दरवाजे से अपनी नजरें हटाईं। मिष्टी ने डरते-डरते दरवाजे से अपनी नजरें हटाई और गहरी सांस ली। मिष्टी ने दोबारा खुद से ही बात करते हुए कहा, "कौन था दरवाजे पर, क्या वह चला गया ऐसे अचानक ही? क्या कोई गलती से यहां पर आ गया था?" मिष्टी ने राहत की सांस ली लेकिन उसकी राहत कुछ ही पलों की थी, क्योंकि अचानक दरवाजा खुला और उसके सामने युग खड़ा था। उसकी आँखों में अजीब सी शांति झलक रही थी। लेकिन उसके चेहरे पर गुस्सा भी नजर आ रहा था। मिष्टी का दिल फिर से जोर से धड़कने लगा, उसके चेहरे का रंग एकदम फीका पड़ गया। युग ने दरवाजे को अंदर से बंद किया और उसकी तरफ धीमे कदमों से बढ़ने लगा। युग ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा, "तुम्हें क्या लगा था तुम मुझसे बच कर भाग पाओगी।" मिष्टी ने जैसे ही युग को अपनी तरफ बढ़ते देखा, उसकी बात कभी ना कोई जवाब दिए वह तुरंत ही एक कमरे की ओर भागी और कमरे के अंदर जाकर दरवाजे को बंद करने की कोशिश की। लेकिन युग ने अपनी ताकत से दरवाजे को झटके से खोल दिया और उसके पीछे कमरे के अंदर आ गया। मिष्टी का चेहरा एकदम से सफेद पड़ गया। उसे महसूस हुआ जैसे उसकी हड्डियां भी डर के मारे सिहर गई हैं। युग ने कमरे के भीतर कदम रखा और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। वह बिना कुछ बोले उसकी ओर बढ़ने लगा। युग ने मिष्टी की ओर देखते हुए एक तिरछी मुस्कान के साथ कहा, "तुम्हें क्या लगा, मिष्टी? तुम इतनी आसानी से मुझसे बच सकती हो? तुम अब कहीं भी छुप नहीं सकती तुम्हारा नाम और रिश्ता जुड़ गया है अब मेरे साथ इसलिए जहां तुम वहां मैं..." युग की आवाज इतनी सर्द थी कि उसकी ऐसी आवाज और बात सुनकर मिष्टी का शरीर भी बर्फ की तरह ठंडा हो गया। मिष्टी ने डर से काँपते हुए धीमे स्वर में कहा, “प... प्लीज, युग... मैं नहीं भागना चाहती थी। बस... मुझे छोड़ दो, प्लीज...” उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसकी आवाज में डर और बेबसी का संगम था, पर युग की आँखों में कोई रहम नहीं था। मिष्टी डर से कांपते हुए पीछे हट गई और पीछे दीवार थी मिष्टी की पीठ दीवार से लग गई। युग ने अपनी नज़र घुमाते हुए वहां चारों तरफ देखकर कहा, "तुम भागना नहीं चाहती थी लेकिन फिर भी भाग कर तुम यहां पर आ गई मुझसे इतनी दूर तो तुम्हें क्या लगा था तुम बच जाओगी और मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने दूंगा।" उसकी आवाज काँपती हुई निकली, "मैं... मैं नहीं भागना चाहती थी... मुझे छोड़ दो... प्लीज, युग... मुझे जाने दो... और मुझसे मुझसे दूर रहो तुम प्लीज वहीं रुक जाओ।" मिष्टी की आँखों से आँसू बहने लगे। लेकिन युग ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए एक कदम और आगे बढ़ाया। युग ने उसे घूरते हुए ठंडे स्वर में कहा, “आज हमारी सुहागरात है, मिष्टी। मैंने कहा था न तुमसे, बिना सुहागरात मनाए तुम कैसे जा सकती हो?” मिष्टी का दिल डूब सा गया। वह अपनी जगह पर खड़ी कांपती रही। उसने एक बार फिर युग से खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन वह उसके करीब आ गया। उसकी आँखों में एक खतरनाक जुनून था। मिष्टी के चेहरे पर डर और बेचैनी का मिला-जुला भाव था। उसने खुद को युग से दूर करने की कोशिश की, लेकिन युग उसके करीब आता गया। उसके हाथों से सिहरते हुए उसने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन युग के इरादों को देखते हुए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। युग ने दरवाजे को पूरी तरह बंद कर दिया और उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला, "अगर वहां नहीं, तो यहां ही सही। आज रात तो हमारी है.. हमें एक दूसरे के साथ होना है आखिर हमारी शादी की पहली रात है ऐसे कैसे इसे स्पेशल बनाएं बिना छोड़ दूंगा मैं।" मिष्टी ने खुद को युग से बचाने के लिए पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन युग ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया। मिष्टी की आँखों में आँसू उमड़ आए, वह घबराहट में काँपते हुए बोली, "प्लीज, युग... मुझे छोड़ दो... मैं इस सब के लिए तैयार नहीं हूँ... प्लीज..." मिष्टी ने अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी आंखें युग की आंखों में गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया। युग ने उसके करीब आकर उसके आँसुओं को अपने अंगूठे से पोंछा और एक गहरी मुस्कान के साथ बोला, “तुम्हारे ये आँसू मुझे रोक नहीं सकते, मिष्टी। तुम्हारा हर आँसू मेरे इरादों को और मजबूत कर रहा है।” मिष्टी। आज की रात सिर्फ तुम्हारी और मेरी है।" उसकी आवाज में एक अजीब सी रूडनेस थी, जिसने मिष्टी के दिल में और भी डर पैदा कर दिया। मिष्टी ने उसकी बातों से डरते सहमते हुए कहा, “प्लीज, युग... मुझे जाने दो... मैं तैयार नहीं हूँ... प्लीज... मैं तो तुम्हें जानती तक नहीं हूं तुम ऐसे कैसे मेरे नजदीक आ सकते हो तुमने मुझसे जबरदस्ती शादी की है।” उसकी आवाज में गहरी मिन्नतें थीं। वो हर तरह से रिक्वेस्ट करते हुए वह अपने दोनों हाथों से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन युग ने उसे कसकर पकड़ लिया। युग ने उसके चेहरे के और करीब आते हुए, धीरे से फुसफुसाया, “तुम मुझसे और भाग नहीं सकतीं। अब तुम मेरी पत्नी हो, मिष्टी, हमारी शादी हो चुकी है, यह एक सच है जो अब बदल नहीं सकता।” To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को अब क्या करने वाला है युग क्योंकि वह गुस्से से पागल हो चुका है तो क्या गुस्से में वह कुछ ऐसा करेगा जिससे होगी मिष्टी को तकलीफ और क्या मिष्टी उससे बच पाएगी और युग को कैसे पता चला होगा कि मिष्टी यहां पर आई क्या उसने ही अनाया को भेजा था क्या यह सब उसका प्लान था क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में और कैसी लग रही है आप अब तक की स्टोरी यह भी जरूर बताइए।
9 युग ने धीरे-धीरे मिष्टी के चेहरे की ओर झुकना शुरू किया और अपने होंठ उसके करीब लाने लगा। मिष्टी की आँखों से आँसू बहते रहे, उसकी सांसें रुक सी गई थीं। युग के होंठ जब उसके चेहरे के करीब आए और उसने हल्के से अपने होठों से मिष्टी के होठों को छुआ तो उसे उसके गाल पर बहते हुए आँसुओं की नमी महसूस हुई। मिष्टी ने अपने आप को छुड़ाने की हर कोशिश की, लेकिन युग ने उसे और कसकर अपनी ओर खींच लिया। उसकी सांसें तेज हो गईं और आँसू उसकी आँखों से लगातार बह रहे थे। युग ने उसके आँसुओं को अपनी उंगलियों से पोंछते हुए कहा, “आज से ये आँसू सिर्फ मेरे लिए बहेंगे। तुम्हारा हर दर्द, हर आंसू अब मेरा है।” मिष्टी ने अपने हाथों से युग को धक्का देने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी पकड़ से खुद को छुड़ा नहीं सकी। उसकी आवाज में बेबसी झलक रही थी, "प्लीज... मुझे छोड़ दो, युग। मेरे साथ ऐसा मत करो प्लीज़, मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं।" युग ने उसके कान के करीब जाकर धीरे से कहा, "क्या कर रहा हूं मैं जानेमन, अभी तो मैंने कुछ करना शुरू भी नहीं किया है और अभी से तुम्हारी यह हालत है थोड़ा स्ट्रांग बनाओ खुद को अगर युग चौहान की पत्नी बनी हो। ऐसे कैसे चलेगा?" इतना बोलकर युग उसके और भी ज्यादा नजदीक आया और अब उन दोनों का चेहरा एकदम सामने था फिर वह धीरे-धीरे उसकी तरफ और झुकता गया, उसकी आँखों में जुनून भरा हुआ था। मिष्टी की साँसें अटक सी गईं, उसकी रगों में डर दौड़ने लगा। युग ने उसके चेहरे के करीब अपने होंठ लाए और उसके होठों पर एकदम रफेली किस करने लगा, उसमें जरा भी प्यार और ठहराव नहीं था और ना ही उसे मिष्टी का साथ मिल रहा था लेकिन फिर भी उन दोनों के बीच का यह किस, और उन दोनों के होठों का यूं मिलना एक ऐसा एहसास था जो उसकी धड़कनों को और बढ़ा गया। कुछ पलों के बाद, युग ने उसे किस करना बंद किया और और युग जैसे ही उसे किस करने के बाद दूर हुआ उसमें अपनी आंखों को एकदम कसकर बंद कर लिया, मिष्टी को किस करने के बाद युग ने एक नजर उसके चेहरे की तरफ देखा और फिर उस के एकदम नजदीक जाकर अपने शरीर से उसके शरीर को एकदम सटा दिया और फिर उसके कंधे पर अपना चेहरा टिका कर इस तरह उसके नजदीक खड़ा रहा। अब कमरे की खामोशी में सिर्फ मिष्टी की सिसकियों की आवाज गूंज रही थी। युग के चेहरे पर एक जीत की मुस्कान थी, जो मिष्टी के चेहरे पर नजर आ रहे डर और दर्द को देखकर और भी गहरी होती जा रही थी। वहीं मिष्टी की आँखों से आँसुओं का सैलाब बहता रहा, लेकिन युग ने उसे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा और ना ही खुद को उससे दूर किया। उसकी आँखों में एक अजीब सी जुनूनी पागलपन था जो मिष्टी को और भी डरा रहा था। मिष्टी के अंदर भी अब इतनी जान नहीं बची थी कि वह उसे खुद से दूर धकेल पाए वह इसीलिए एकदम बेजान पत्थर की मूर्ति जैसी वही दीवार से लगकर खड़ी रही और अभी उन दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे बारे में सोचने लगी उसे नहीं पता था कि आगे और क्या होने वाला है युग आगे उसके साथ और क्या करने वाला है लेकिन उसे इतना पता था कि अब वह बच नहीं सकती और ना ही युग से दूर जा सकती है अब यही उसका नसीब है उसके साथ वही होगा जो युग चाहेगा। युग के इस तरह उसके नजदीक आने के बाद और उसे किस करने के बाद कहीं ना कहीं मिष्टी ने भी अपनी किस्मत और अपनी इस शादी को एक्सेप्ट कर लिया था। मिष्टी अभी भी उसी दीवार से सटी खड़ी थी, उसकी आंखों में आँसू बहते जा रहे थे, लेकिन अब उनमें पहले जैसा विरोध नहीं था। उसकी कमजोर और टूटी हुई हालत, जैसे उसने हार मान ली हो। उसे ऐसे हारा हुआ देखकर युग को अपने अंदर एक अजीब सा सेटिस्फेक्शन महसूस हो रहा था । उसकी इस बेबसी को देखकर, युग हल्का सा मुस्कुराया और धीरे-धीरे उसके और करीब आने लगा। उसने अपने हाथ उसके चेहरे पर रखे और मिष्टी की काँपती हुई साँसों को महसूस करते हुए उसकी आँखों में देखा। युग ने धीरे से कहा, "अब रोने का कोई फायदा नहीं है, मिष्टी। यह सब तुमने खुद ही अपने लिए चुना है। और अब, जो भी होगा, उसे तुम्हें एक्सेप्ट करना ही होगा।" उसकी आवाज में वही ठंडापन था, जिसे सुनकर मिष्टी और भी सहम गई। युग ने उसके गालों पर बहे आँसू पोंछते हुए कहा, "कोई फायदा नहीं है इस तरह आंसू बहाने का क्योंकि मैं इन आंसुओं से नहीं पिघलने वाला और अब से ये आँसू मेरे लिए बहेंगे। तुम्हारी हर मुस्कान, हर खुशी, हर गम हर आंसू सब कुछ मेरे हिसाब से होगा।" मिष्टी ने बिना कुछ बोले बस अपनी आँखे बंद कर लीं, मानो वह कुछ महसूस ही नहीं करना चाहती हो। पर युग ने उसे अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया, और बहुत ही गहराई उसे देखते हुए उसके चेहरे के करीब झुक गया। युग ने धीरे से अपने होंठ मिष्टी के गालों पर रख दिए और हौले से उसके गालों को चूमा और फिर उसके होंठ धीरे-धीरे मिष्टी के गालों से होते हुए उसकी गर्दन की ओर बढ़ने लगे। मिष्टी की सांसें फिर से तेज़ हो गईं, और उसने कसकर मुट्ठी में अपने ही लहंगे को पकड़ लिया, युग के होठों की छुअन अपनी गर्दन पर महसूस करके उसकी आँखों से एक और आँसू बह निकला, जो उसके चेहरे से होते हुए युग के हाथों पर गिरा। युग ने अपने होंठ पूरी तरह से उसकी गर्दन पर रख दिए और हल्के से उसे चूमते हुए एक गहरी साँस ली, जैसे वो मिष्टी को उसकी हार का एहसास दिला रहा हो। उसके लिए ये मिष्टी को तोड़ने और उसे अपने काबू में करने का एक तरीका था। वह धीरे-धीरे और पास आने लगा, और मिष्टी की सिसकियाँ और भी तेज हो गईं। उसकी नाजुक, टूटती हुई आवाज में उसने युग से आखिरी बार कहा, "प्लीज... मुझे छोड़ दो।" युग ने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसके और करीब आते हुए धीरे से कहा, "छोड़ दूँ? इतने करीब आकर अब तुम्हें छोड़ना मुमकिन नहीं है, मिष्टी। तुम्हारी हर सांस पर, तुम्हारे शरीर पर सिर्फ मेरा हक है और मैं जो चाहूंगा वो करूंगा तुम्हारे साथ।" युग की यह बात सुनकर मिष्टी की आंखों के वो आंसू जैसे नफरत में बदल गए और उसकी आंखें भी गुस्से से लाल हो गई थी। मिष्टी ने इस तरह नफरत और गुस्से से युग की तरफ देते हुए कहा, "मुझे नहीं पता था तुम इतने घटिया और गिरे हुए इंसान हो शायद इसीलिए कियारा तुमसे शादी नहीं करना चाहती थी अच्छा ही हुआ वह तुमसे दूर चली गई और तुम्हारे जैसे इंसान के साथ नहीं फंसी।" मिष्टी की बात सुनकर युग को गुस्सा आ गया और युग ने उसे और भी कसकर पकड़ लिया, मानो उसकी उन बातों का जवाब वह अपने एक्शन से देना चाहता हो। उस की उँगलियाँ मिष्टी की पीठ पर धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ रही थीं, और उसकी सांसे मिष्टी के कानों में सुनाई दे रही थीं, जो उसके डर को और भी गहरा कर रही थीं। मिष्टी के दोनों कंधों को एकदम कसकर पकड़कर दबाते हुए गुस्से में युग ने अपने दांत पीसते हुए कहा, "हां, बहुत बुरा और घटिया इंसान हूं ना, लेकिन अभी तुमने मेरे अंदर की बुराई देखी ही कहां है? रुको अभी एक एग्जांपल दिखाता हूं मैं.." इतना कहकर वह एकदम ही मिष्टी के चेहरे के नजदीक आया और उसने एकदम से मिष्टी के होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे एकदम रफली किस करने लगा, बिना किसी इमोशन के वो बस उसके होंठों को अपने दांतों से काट रहा था। युग के ऐसा करने पर मिष्टी को अपने होठों पर एक तेज दर्द महसूस हुआ और उसका दिल जैसे टूट सा गया था। उसकी आँखों में आँसू थे, पर अब उसने किसी कोई भी इमोशन नहीं दिखाया। वह जैसे एक बेजान गुड़िया बन गई थी, जो युग की हर मर्जी के आगे खुद को हेल्पलेस महसूस कर रही थी। To Be Continued क्या युग सही कर रहा है मिष्टी के साथ क्या उसका इस तरह से उससे बदला लेना सही है या फिर गलत क्या लगता है आप लोगों को? और क्या युग सच में कियारा से प्यार करता था क्या मिष्टी को पता है कहां पर है कियारा और विहान क्या लगता है आप लोगों को? बताइए कमेंट में 👇🥰
10 मिष्टी की इस हालत को देख कर युग की आँखों में और दिल में भरा हुआ गुस्सा धीरे-धीरे कन्फ्यूजन में बदलने लगा था। उसने धीरे-धीरे मिष्टी को अपने और करीब खींच लिया और उसके होठों पर कुछ देर किस करने के बाद बाइट कर लिया और फिर उसे छोड़ दिया और एक कदम पीछे होकर उसके चेहरे की तरफ देखने लगा। युग ने नोटिस किया कि मिष्टी की आँखों से आँसू लगातार बहते जा रहे थे, लेकिन उसने अब पूरी तरह से खुद को युग के हवाले कर दिया। उसके आँसू बहते रहे, और युग ने उसे एक बार फिर से अपने बाहों में कसकर पकड़ लिया। मिष्टी जैसे एकदम अंदर तक सहम गई और इस तरह एक नजर उठा कर उसने युग की तरफ़ देखा तो युग उसके इस तरह देखने का मतलब समझ गया। युग ने उसकी पीठ पर अपने हाथ फिराते हुए उसने मिष्टी के कान में धीरे से फुसफुसाया, "तुमने मुझे मेरे प्यार से दूर किया है और फिर भी मुझे ही बुरा बोल रही हो, क्यों आई थी तुम हम दोनों के बीच? क्यों तुमने मेरी कियारा को मुझसे दूर कर दिया अपने उस दोस्त के साथ मिलकर और बता भी नहीं रही हो कि कहां है वह देना अभी भी तुम्हारे पास एक मौका है अगर तुम मुझे बता दो कि कहां पर है वह दोनों? तो मैं और आगे नहीं बढूंगा।" उसकी आवाज में एक सख्त-सा जुनून था, जिसने मिष्टी के दिल को और भी सहमा दिया। मिष्टी ने बहुत ही हिम्मत करके नजर उठे और युग की तरफ देखते हुए कहा, "मैंने तुमसे पहले भी कहा था मुझे नहीं पता वह दोनों कहां है और जितनी बार भी मुझे पूछोगे तो मैं यही जवाब मिलेगा क्योंकि मुझे सच में नहीं पता है।" युग ने गुस्से में साइड की दीवार पर अपना हाथ मारते हुए कहा, "झूठ बोल रही हो तुम? सिर्फ झूठ.. तुम्हारे ही साथ थे वह दोनों गायब होने से पहले तो फिर तुम्हें कैसे नहीं पता?" मिष्टी ने भी इस बार तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "मुझे नहीं पता है, चाहे तुम जितनी भी बार पूछो, तुम्हें यही जवाब मिलेगा और तुम वैसे भी इतनी मनमानी कर चुके हो अब तक, तो अब क्यों अच्छा बनने का नाटक कर रहे हो वैसे भी अगर तुम्हें कियारा से प्यार होता तो तुम मुझसे शादी कभी नहीं करते।" वह भी अब तक तंग आ चुकी थी युग के ऐसे प्रताप से और इतनी देर से बर्दाश्त कर रही थी उसे और उसकी मनमानियों को इसलिए आखिर उसे भी गुस्सा आ ही गया और वो चिल्ला पड़ी। युग ने भी उसी तरह तेज आवाज में उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "शादी से पहले भी मैंने तुमसे यह पूछा था और तुम्हें एक मौका दिया था अगर तब ही तुम मुझे बता देती तो शायद मैं तुमसे शादी भी नहीं करता लेकिन कोई बात नहीं लगता है मैं तुम्हें पसंद आ गया हूं इसीलिए तुम नहीं चाहती कि कियारा वापस मेरी जिंदगी में आए। इसलिए ठीक है चलो कोई बात नहीं अब जब हमारी शादी हो गई है तो अपने रिश्ते को ही आगे बढ़ते हैं तुम्हें भी तो कोई ऐतराज नहीं है ना अब.." इतना कहते हुए युग ने एकदम से उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे लेकर बेड की तरफ बढ़ा! मिष्टी ने घबराकर एकदम से बोलना शुरू किया, "ऐसा... ऐसा कुछ भी नहीं है छोड़ो मुझे नीचे उतारो मैंने कब कहा कि तुम मुझे पसंद हो तुम्हारे जैसा इंसान कभी किसी को पसंद नहीं हो सकता है तुम पसंद आने के लायक..." इसके आगे मिष्टी कुछ भी बोल पाती युग ने उसे बेड पर पटक दिया एकदम से उसके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए उसकी बोलती बंद कर दी और शरारत भरी नजरों से उसकी तरफ देखते हुए कहा, "ओह वाइफी, इतनी तेज़ भी मत चिल्लाओ अभी से, अभी तो मैंने कुछ करना शुरू की नहीं किया है और वैसे भी मुझे नहीं पता यह अपार्टमेंट साउंड प्रूफ है भी या नहीं? पड़ोसियों ने आवाज सुन ली तो फिर कल सुबह बाहर कैसे निकलेंगे हम यहां से?" युग ने जैसे ही उसके होठों से अपनी उंगली हटाई मिष्टी ने एकदम से कहा, "इस कमरे से आवाज़ बाहर नहीं जाती वैसे भी.." युग इस वक्त मिष्टी के ऊपर था और उसके दोनों हाथ मिष्टी के दोनों तरफ रखे हुए थे यह सुनकर युग के चेहरे की मुस्कुराहट और भी ज्यादा बड़ी हो गई और मिष्टी एकदम से चुप होकर दूसरी तरफ देखने लगी क्योंकि उसे समझ आ गया था कि वो एकदम से क्या बोल गई। मिष्टी ने अपने मन में खुद को डांटते हुए कहा, "ये क्या बोल दिया मैंने? क्या ज़रूरत थी मुझे? अब इसे मौका मिल गया!" मिष्टी ने एकदम अचानक से ही यह बात बोल दी थी और अब उसे पछतावा हो रहा था वहीं दूसरी तरफ युग के चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम ही चेंज हो गया और उसने मिष्टी के गाल को अपने हाथ से एकदम कसकर दबाते हुए गुस्से में कहा, "अच्छा लेकिन तुम्हें यह बात कैसे पता? लगता है कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस है यहां पर इस कमरे में रहने का? ऐसा क्या किया है कहीं अपने उसे बेस्ट फ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ यहां पर रंगरलिया तो नहीं मनाई है?" युग का यह सवाल सुनते ही मिष्टी एक झटके से गर्दन घुमा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और कहा, "तुम्हारे जैसे घटिया इंसान से और क्या उम्मीद रख सकती हूं? सबको अपने जैसा ही तो सोचोगे जो तुमने किया है वही और वैसे भी मुझे बस इसलिए पता है क्योंकि एक बार मैं यहां पर लॉक हो गई थी और तब मेरी आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी लेकिन मैं क्यों तुम्हें बता रही हूं तुम्हें कौन सा मेरी बातों पर भरोसा..." मिष्टी की बात पूरी हो पाती उससे पहले ही युग ने बीच में बोलते हुए कहा, "क्यों करूं मैं तुम पर भरोसा? क्या एक भी वजह है मेरे पास तुम पर भरोसा करने की और वैसे भी तुम्हारी जैसी लड़की का क्या भरोसा जब तुम किसी और की होने वाली दुल्हन को भगा सकती हो, तो किसी और के साथ तुम्हारे फिजिकल रिलेशन होना कौन सी बड़ी बात है वैसे भी अपने घर से इतनी दूर अकेली रहती हो तो..." मिष्टी जो अब तक युग के सारे इल्जाम और सारे जुल्म सह रही थी अपने कैरेक्टर पर इल्जाम लगाते देखा वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और गुस्से भरी नजरों से घर कर उसकी तरफ देखने लगी और उसने एकदम से युग को धक्का देते हुए उसे अपने ऊपर से हटा दिया। युग भी थोड़ा सा ढीला हो गया था इसीलिए वह साइड में हो गया और मिष्टी तुरंत ही उठकर बैठ गई और उसने कहा, "इतनी ही कैरेक्टरलेस लगती हूं तो फिर शादी क्यों कि तुमने मुझसे क्या ज़रूरत थी ढूंढ लेते कोई अपने लिए सती सावित्री और जाने दो मुझे अभी भी टाइम है और क्या करोगे मेरी जैसी लड़की के साथ तुम?" युग ने मिष्टी का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए दोबारा से बेड पर लेटा दिया और इस बार उसके दोनों कंधों पर हाथ रखते हुए उसे एकदम कसकर बेड पर दबा दिया और उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "वही करूंगा जो बाकी सब ने किया है टाइम पास और मजे, इतनी आसानी से कैसे जाने तु जो कुछ भी तुमने किया है उसके बाद तुमसे तो वैसे भी मुझे बदला लेना है क्योंकि अगर आज मेरी शादी कियारा से होती तो मेरा प्यार मेरी कियारा होती मेरी बाहों में लेकिन अब तुम उसकी जगह लोगी और तुम्हें उस दर्द तकलीफ का एहसास दिलाऊंगा मैं जो मुझे हो रहा है।" मिष्टी को बहुत ही तेज दर्द हो रहा था लेकिन वह अपनी आंखों में दिखाना नहीं चाहती थी कि उसे भी तकलीफ हो रही है वह युग के सामने हारना नहीं चाहती थी लेकिन युग धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी पीठ की तरफ ले जाने लगा और उसके ब्लाउज की डोरी पर पहुंचते ही एकदम युग ने उसके ब्लाउज की डोरी खोल दी और उसकी आस्तीन को कंधे से नीचे उतारने लगा। उसके ऐसा करने पर मिष्टी की सांसे एकदम ही गले में अटक गई और वह कुछ भी नहीं कर पाई बहुत बेबस महसूस कर रही थी क्योंकि युग के एक हाथ की पकड़ भी उसके हाथ और कंधे पर इतनी मजबूती की वह हिल भी नहीं पा रही थी कुछ और करना तो दूर की बात थी। To Be Continued कैसा लगा आपको आज का एपिसोड और क्या युग पूरी कर लेगा अपनी मनमर्जी और मिष्टी उसे रोक नहीं पाएगी और क्या मिष्टी खुद पर लगे इल्जामों से बच पाएगी? इसके बाद क्या करेगा युग उसके साथ क्या वह उसे छोड़ देगा और कब तक बदला लेगा?
11 युग के हाथ इस वक्त मिष्टी की पीठ पर हरकत कर रहे थे, और मिष्टी आपको अपने पूरे बदन में एक कंपकंपी सी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसने अपने निचले होठों को दांतो तले कसकर दबा दिया और अपनी आंखें भी कस कर बंद कर ली। मिष्टी ने अपने हाथों से उसके हाथ को कसकर पकड़ते हुए रोका और कहा, "क्या कर रहे हो तुम? रुक जाओ, प्लीज़ ! तुम ऐसे मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते।" मिष्टी के इतना बोलने पर युग एकदम से रुक गया और उसके हाथ भी मिष्टी की बॉडी से दूर हो गए और कुछ पलों तक जब मिष्टी को युग का टच अपनी बॉडी पर फील नहीं हुआ तो मिष्टी ने अपनी आंखें खोल कर सामने की तरफ देखा। युग वहां उसके सामने बैठा हुआ दोनों हाथों से अपनी शर्ट की बटन खोल रहा था । जब ये मिष्टी ने देखा तो उसे कुछ ठीक नहीं लगा , मतलब उसे युग के इरादे कुछ ठीक नहीं लगे , और वह समझ गई कि युग उसके कहने से नहीं बल्कि इस वजह से रुका था। युग भी अब तक अपनी शर्ट की बटन खोलते हुए , उसके ऊपर आ चुका था , उसने अपनी शर्ट निकाल कर फेंक दी थी और मिष्टी का ब्लाउज भी बस नाम मात्र ही उसके शरीर पर बचा था इसलिए अब उन दोनों की बॉडी अब एक दूसरे से टच हो रही थी। फिर वो मिष्टी के करीब जाते हुए अपने होंठों पर evil smile लिए हुए बोला, " सुहागरात पर एक पति अपनी पत्नी के साथ क्या करता है, मिसेज चौहान? मैं भी बस वही रहा हूं।" युग के करीब आने पर और उसकी ऐसी बातें सुन अब मिष्टी को यकीन हो जाता है कि सच में युग के इरादे अब ठीक नहीं है , क्योंकि पहले तो वह बस उसे धमकी दे रहा था लेकिन अब वह सच में उसके साथ सब कुछ करने के लिए रेडी लग रहा था , इस डर से वो बेड पर उठने की कोशिश करने लगती है । पर तभी युग जो कि मिष्टी के करीब आ रहा था , उसने मिष्टी के पैरों को पकड़ा और उन्हें झटके से उसे अपने नजदीक खींच लिया । युग के ऐसा करने पर , बेड पर बैठी हुई मिष्टी , लेट सी गई , और मिष्टी के लेटते ही युग उसके ऊपर आ गया । इसके बाद युग ने मिष्टी के दोनों हाथों को अपने एक हाथ से कसकर पकड़ लिया और उसके पैरों पर अपने पैर रख दिए और उस को कुछ करने ही नहीं दिया , जो किया उसने खुद किया । मिष्टी की आँखों में आँसू तैर रहे थे, और उसके दिल में दर्द और डर एक साथ उमड़ रहे थे। वह अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी, पर उसकी आँखों से बहते आँसू उसकी बेबसी बयान कर रहे थे। युग पर उसके इन आंसुओं से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था , मिष्टी के लहंगे के दुपट्टे को अपनी मुट्ठी में भींचता है , और उसे बड़ी बुरी तरह मिष्टी के सीने से अलग कर देता है । फिर वो अपने हाथ को मिष्टी के बैक पर ले जा , उसके ब्लाउज के हुक को खोलने लगा , क्योंकि डोरी तो उसने पहले ही खोल दी थी और कुछ ही पल में उसने ब्लाउज को भी मिष्टी के बॉडी से अलग कर दिया , और उसे रूम में फेंक दिया । मिष्टी ने लगभग रोते हुए कहा, "नहीं प्लीज नहीं रुक जाओ! ऐसा मत करो।" रोते हुए मिष्टी एकदम अपने आप में ही सिकुड़ गई। युग ने उसकी एक बात नहीं सुनी और अपना चेहरा उसके चेहरे के एकदम नजदीक लाने लगा लेकिन मिष्टी की आंखों से बहते हुए आंसुओं को देखकर एक पल के लिए रुक गया और उसने धीरे से अपने हाथ की एक उंगली आगे बढ़कर उसके आंसुओं को टच किया और कहा, "यह आंसू तुमने अपने नसीब में खुद ही लिखे हैं और मैं नहीं पिघलने वाला तुम्हारे इन आंसुओं से इसलिए आंखें खोलो और मेरी तरफ देखो।" मिष्टी जिसने अपनी आंखें एकदम कसकर बंद कर रखी थी युग के इतना कहने पर उसने धीरे से अपनी पलके उठे और आंखें खोल कर युग का चेहरा देखा जो कि उसके चेहरे के एकदम नजदीक था और इतना नजदीक युग का चेहरा देखकर मिष्टी जल्दी-जल्दी अपनी पलके झपकाने लगी तो युग ने उसके गालों को अपने हाथ में एकदम कसकर पकड़ते हुए जैसे दबोच लिया और कहा, "क्यों इतने नजदीक से देख भी नहीं सकती हो क्या मुझे और वैसे भी अगर तुम सच में यह चाहती कि मैं रुक जाऊं तो मैं तुम्हें कई मौके दिए। तुम मुझे रोक सकती थी हमारी शादी से पहले मुझे यहां तक पहुंचने से पहले लेकिन नहीं तुम खुद ही यह चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ यह सब करूं तो फिर अब क्यों तुम्हें तकलीफ हो रही है अभी तो मैंने कुछ करना शुरू भी नहीं किया है।" युग की ऐसी बातें सुनकर मिष्टी के पास कोई भी जवाब नहीं था और उसने धीमी आवाज में कहा, "नहीं मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती तुम मेरे साथ सिर्फ जबरदस्ती कर रहे हो तुम इस तरह मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते।" मिष्टी की बात सुनकर युग की आंखों में गुस्सा उतर आया और उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गई लेकिन फिर भी उसने खुद को कंट्रोल किया और अपना एक हाथ मिष्टी की कमर से होते हुए ऊपर लेकर आते हुए बोला, "जबरदस्ती तो तब होती ना जब हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं होता और आप तो तुम मेरी पत्नी हम बाकायदा सारे रस्मो रिवाज के साथ पूरी दुनिया के सामने मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाया है तो फिर क्या मेरा अपनी पत्नी पर कोई भी हक नहीं है और वैसे भी मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हारे साथ यह सब करने का लेकिन तुमने मुझे मजबूर किया है क्यों मेरी कियारा को मुझसे दूर कर दिया।" जैसे ही क्यारा के बारे में बात की मिष्टी उसे ताना मारते हुए गुस्से में बोली, "कियारा, तुमसे प्यार नहीं करती थी। वह कभी भी अपनी खुशी और मर्जी से तुम्हारे जैसे शैतान के नजदीक नहीं आती और तुम मेरे साथ यह सब कर रहे हो अगर यही तुम उसके साथ करते तब तो अच्छा हुआ वह तुमसे दूर भाग गई कोई कैसे रह सकता है तुम्हारे जैसे जानवर के साथ..." मिष्टी अपने गुस्से में भूल चुकी थी कि उसने युग को बहुत ही ज्यादा उकसा दिया था वह पहले ही गुस्से में था और ऊपर से उसकी ऐसी बात युग का खून खौला रही थी। युग ने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा, "क्या कहा? तुमने मुझे जानवर कहा, ठीक है तो फिर अब जानवर बनकर ही दिखाता हूं मैं तुम्हें.." इस बात के साथ युग ने मिष्टी, के हाथों को ऊपर की तरफ करके दबाते हुए तुरंत ही उस की नेक पर अपने होंठ रख दिया और उसे किस करते हुए पहले तो उसकी स्किन को सक करने लगा लेकिन फिर एकदम भी उसने मिष्टी की गर्दन में अपने दांत गड़ा दिए और उस जगह दांतों से निशाना बनाने लगा। मिष्टी समझ नहीं पाई लेकिन एकदम अचानक से उसे अपनी गर्दन पर बहुत ही तेज दर्द महसूस हुआ और उसे ऐसा लगा जैसे कि उसके इस तरह से काटने पर उसकी गर्दन से खून नहीं निकलने लगेगा क्योंकि ने उसे बेहद दर्दनाक तरीके से बाइट किया था, जैसे कि वह सच में कोई खतरनाक जंगली जानवर बन गया हो जो कि अपने सामने पड़े हुए छोटे जानवर का शिकार कर रहा था। मिष्टी दर्द से चिल्ला उठी , "आह!" वहीं युग पर मिष्टी की उसे दर्द भारी चीज का कोई असर नहीं हुआ, वह और आगे बढ़ा , वो मिष्टी के नेक पर तेज बाइट करते हुए , नेक एरिया से नीचे की तरफ आ गया था और अब अपने होंठ को मिष्टी के बॉडी के और हिस्से पर रखते हुए, वो वहां भी मिष्टी की पूरी बॉडी के अलग-अलग हिस्सों पर इस तरह बाइट करने लगा। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को गुस्से में युग पार कर जाएगा सारी हदें और क्या वो मिष्टी के साथ जबरदस्ती का रिश्ता बनाएगा और उसके बाद क्या असर पड़ेगा इन दोनों की आने वाली लाइफ पर या फिर वह रुक जाएगा क्या लगता है आप लोगों को ? ज़रूर बताइएगा कमेंट में कि कैसी लग रही है।
12 मिष्टी समझ नहीं पाई लेकिन एकदम अचानक से उसे अपनी गर्दन पर बहुत ही तेज दर्द महसूस हुआ और उसे ऐसा लगा जैसे कि उसके इस तरह से काटने पर उसकी गर्दन से खून नहीं निकलने लगेगा क्योंकि ने उसे बेहद दर्दनाक तरीके से बाइट किया था, जैसे कि वह सच में कोई खतरनाक जंगली जानवर बन गया हो जो कि अपने सामने पड़े हुए छोटे जानवर का शिकार कर रहा था। मिष्टी दर्द से चिल्ला उठी , "आह!" वहीं युग पर मिष्टी की उसे दर्द भारी चीज का कोई असर नहीं हुआ, वह और आगे बढ़ा , वो मिष्टी के नेक पर तेज बाइट करते हुए , नेक एरिया से नीचे की तरफ आ गया था और अब अपने होंठ को मिष्टी के बॉडी के और हिस्से पर रखते हुए, वो वहां भी मिष्टी की पूरी बॉडी के अलग-अलग हिस्सों पर इस तरह बाइट करने लगा। उसे देखकर इस वक्त ऐसा लग रहा था , जैसे कि युग, सिर्फ मिष्टी पर अपना गुस्सा निकाल रहा था , उसे सजा दे रहा था। मिष्टी, पूरी तरह से युग के नीचे दब चुकी थी , वो कुछ कर नहीं पा रही थी , वहीं युग ने वही किया जो वो चाहता था । वो मिष्टी के बॉडी के साथ खेल रहा था और साथ ही उसे दर्द भी दे रहा था अब तक उन दोनों के बदन से सारे कपड़े निकल कर साइड पर पड़े हुए थे। मिष्टी ने बिलखते हुए आखिरी बार कहा, "प्लीज रुक जाओ माफ कर दो मुझे, तुम जो कहोगे वह मैं करूंगी लेकिन प्लीज इस तरह से मुझे फोर्स मत करो। जबरदस्ती मत करो साथ छोड़ दो मुझे, भले ही हमारी शादी हुई हो लेकिन फिर भी ऐसे कैसे तुम मेरा रेप कर सकते हो?" मिष्टी के मुंह से रेप और जबरदस्ती जैसे शब्द सुनते ही युग एकदम से रुक गया और मिष्टी के चेहरे की तरफ देखने लगा जहां पर उसे बेबसी और पछतावा दोनों ही नज़र आ रहा था, लेकिन इसके अलावा कुछ और भी देखना चाहता था उसके चेहरे पर और बहुत ही शर्मिंदगी और माफी, क्योंकि उसने क्योंकि चौहान के खिलाफ जाने की हिम्मत की थी और युग उसे हर हाल में उसकी औकात दिखाना चाहता था। युग ने उसके गालों को एकदम कसकर पड़कर उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "क्या कहा तुमने, रेप? मैं तुम्हारा रेप कर रहा हूं?" मिष्टी ने आंसू भरी आंखों के साथ उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बड़ी हिम्मत करके कहा, "और नहीं तो क्या कर रहे हो इस तरह से खुद को मुझ पर फोर्स कर रहे हो पहले तुमने जबरदस्ती मुझसे शादी कर लिया है जबरदस्ती ही मेरे साथ यह सब.. क्या तुम्हें कहीं पर भी मेरी मर्जी नजर आ रही है? तुमने मेरे सब कुछ जो मेरे साथ किया तुम्हें अंदाजा भी है मुझे कितना दर्द कितनी तकलीफ हो रही है और तुम.." युग ने भी उसी तरह दांत पीसते हुए कहा, "क्या तुमने सोचा है मेरे दर्द और तकलीफ के बारे में जो मैं तुम्हारे दर्द के बारे में सोचूं और क्यों सोचूं? तुमने तो एक बार भी नहीं सोचा, इतना बड़ा कदम उठाने से पहले और अपने उसे दोस्त के साथ कियारा को भगा दिया, मेरी कियारा उसे मुझसे दूर कर दिया बिना किसी बात के क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा बताओ पहले तो अब मैं बदला लेकर रहूंगा।" मिष्टी ने भी जानबूझकर उसे ललकारते हुए कहा, "क्या यही तुम्हारा बदला है, मिस्टर युग चौहान अपनी ताकत दिखा कर, एक लड़की की इज्जत के साथ खेलना? हां, क्योंकि इसके अलावा शायद तुम और कुछ कर भी नहीं सकते हो?" मिष्टी को भी आप अपने बचने का कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था इसलिए उसने ऐसा बोला और वह अब पूरी तरह से हार मान चुकी थी। उसे ऐसा लग रहा था अभी उसके साथ जो हो रहा है इससे बुरा और क्या होगा उसके साथ, खुद को बचाने के लिए उसके आखिरी कोशिश थी। युग ने मिष्टी के बालों को एकदम कसकर पकड़ते हुए उसके चेहरे को ऊपर उठा लिया और उसके आंखों में देखते हुए कहा, "मैं चाहूं तो और भी बहुत कुछ कर सकता हूं लेकिन फिलहाल तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाना चाहता हूं कुछ नहीं हो तुम जो की चौहान के सामने फिर भी इतनी अकड़ बस इसे तोड़ना है मुझे।" मिष्टी ने जैसे रिक्वेस्ट करते हुए कहा, "इंटरेस्ट नहीं है तो क्यों मेरे नजदीक आ रहे हो छोड़ दो मुझे, प्लीज! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं इसके अलावा जो कुछ भी तुम कहोगे मैं वह सब करूंगी, कुछ भी यहां तक तुम्हारी गुलाम बनने को तैयार हूं लेकिन प्लीज मेरे साथ ऐसा कुछ मत करो, मुझे छोड़ दो और आगे मत बढ़ो, मेरे साथ जबरदस्ती मत करो।" मिष्टी के शरीर पर इस वक्त एक भी कपड़ा नहीं था उसने साइड में पड़े हुए कंबल को खींचकर किसी तरह उससे अपने बदन को ढक रखा था, और मिष्टी को ऐसी हालत में, बिना कपड़ों के अपने इतने नजदीक देख कर युग भी पूरी तरह से एक्साइटेड और टर्न ऑन हो चुका था उसके लिए ऐसे में मिष्टी को छोड़कर उससे दूर जाना, युग क्या किसी भी मर्द के लिए बहुत बड़ी बात थी लेकिन फिर भी वह मिष्टी की बात पर एक बार सोचने को मजबूर हो गया। मिष्टी की यह रिक्वेस्ट सुनते ही युग एकदम ही उसे छोड़कर दूर हट गया और दूसरी तरफ देखने लगा और दूसरी तरफ देखते हुए युग ने अपने बालों में अपना हाथ डालकर बालों को एकदम से पीछे किया और फिर एक झटके से अपना सिर घुमाकर उसने मिष्टी की तरफ देखा उसके दिमाग में कुछ चल रहा था जो कि उसके चेहरे पर भी साफ नजर आ रहा था क्योंकि उसके चेहरे की फ्रस्ट्रेशन अब एक तिरछी शैतानी मुस्कुराहट में बदल चुकी थी। युग ने मिष्टी के एकदम सामने आकर बैठते हुए कहा, "हां, यह अच्छा आईडिया दिया तुमने वैसे भी तुम कोई इतनी ज्यादा अट्रैक्टिव नहीं हो कि मैं तुम्हारी तरफ अट्रेक्ट होकर यह सब कर रहा था। मैं तो बस तुमसे बदला लेने और तुम्हारी इस अकड़ तोड़ने के लिए ही तुम्हारे साथ यह सब करना चाहता था लेकिन अब तुमने जो कहा वह ज्यादा बैटर है। क्यों ना तुम मेरी गुलाम बन कर रहो, आज से जो मैं कहूंगा वह तुम्हें करना होगा। बोलो करोगी ना, क्योंकि सिर्फ इसी कीमत पर तुम बच सकती हो आज की रात मुझसे, नहीं तो मैं हमारी सुहागरात को अंजाम तक पहुंच कर रहूंगा।" मिष्टी के पास और कोई रास्ता नहीं बचा था तो उसने भी युग की बात मानते हुए कहा, "हां, जो भी तुम कहोगे मैं वो सब करूंगी, बट प्लीज़!" युग ने एकदम आराम से बेड पर बैठते हुए कहा, "ठीक है, फिर जाओ उठो और फटाफट से कपड़े पहन कर रेडी हो जाओ और यही शादी का जोड़ा पहनना और एकदम दुल्हन की तरह ही रेडी होना क्योंकि तुम्हें, अभी मेरे साथ अपने ससुराल वापस जो जाना है।" युग के इस तरह दोबारा बिस्तर पर उसके नजदीक बैठे ही मिष्टी एकदम अपने आप में सिमट गई और उसने कंबल से अपने आप को एकदम अच्छी तरह से ढक लिया और उसके हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह युग के सामने उस तरह बिना कपड़ों के उस कंबल से बाहर निकले। युग भी इस वक्त शर्टलेस था लेकिन उसे इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था। मिष्टी अपनी जगह से ज़रा सा भी नहीं हिली तो युग ने गुस्से भरी नजरों से उसकी तरफ देखकर कहा, "सुनाई नहीं दिया तुम्हें, मैंने कुछ कहा है ना?" युग ने काफी तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा तो मिष्टी एकदम सहम गई और उसकी आंखें एक झटके से बंद हो गई लेकिन फिर उसने धीमी आवाज में कहा, "मैं.. मैं कैसे यहां पर तैयार हो सकती हूं फिर से वैसे ही, अब तो सब कुछ खराब हो चुका है और मैं यहां आपके साथ.. क्या अभी वापस जाना ज़रूरी है।" युग ने उसके नजदीक आते हुए कहा, "बिल्कुल ज़रूरी नहीं है, और हम यहां पर रहे तो और भी बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन शायद तुम ऐसा नहीं चाहती, है ना?" मिष्टी ने अपना चेहरा पीछे कर लिया और कहा, "अभी-अभी आपने प्रॉमिस किया था कि आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे तो फिर आप मेरे नजदीक..." युग अपना चेहरा उसके चेहरे के एकदम नजदीक लाते हुए बोला, "तुमने भी तो कहा था मेरी सारी बातें सुनोगी लेकिन कहां तुम मेरी बात सुन रही हो।" मिष्टी ने साइड में पड़े हुए अपने ब्लाउज की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा, "ठीक है, मैं कपड़े पहन रही हूं बस थोड़ी देर लगेगी!" मिष्टी का हाथ पहुंचने से पहले ही युग में उसके उसे ब्लाउज को उठाकर जमीन पर बेड से काफी दूर फेंक दिया और फिर मिष्टी का हाथ पकड़ते हुए बोला, "कोई ज़रूरत नहीं है, सो जाओ हम सुबह चलेंगे लेकिन कल सुबह मेरे उठने से पहले ही उठकर रेडी हो जाना नहीं तो फिर मैं भूल जाऊंगा तुम्हारी यह रिक्वेस्ट अपना प्रॉमिस दोनों ही।" युग की इस बात पर मिष्टी ने जल्दी-जल्दी हां में अपना सिर हिला दिया और युग मिष्टी को इस तरह कंबल के ऊपर से पकड़ हुए उसके बगल में ही लेट गया। मिष्टी ने राहत की सांस ली ये सोचकर कि युग कम से कम कंबल के अंदर तो नहीं आया और फिर वह भी चुपचाप उसकी बाहों में लेटी रही क्योंकि वह अब और ज्यादा कुछ बोलकर मामला खराब नहीं करना चाहती थी फिलहाल युग कुछ शांत लग रहा था। दोनों को ही पता नहीं चला कि कब कुछ ही देर में उन लोगों को ही नींद आ गई, उस तरह एक दूसरे की एकदम करीब लेटे हुए वो दोनों ही चैन की नींद सो रहे थे। To Be Continued आज का एपिसोड बड़ा है इसलिए हमें ज्यादा लाइक और कमेंट चाहिए। Sweeties 🥰 मिष्टी के इतना रिक्वेस्ट करने पर युग रुक तो गया है लेकिन आखिर कब तक और आज के इस सभी रिक्वेस्ट और प्रॉमिस के बाद क्या मोड़ लेगा उनका रिश्ता और क्या युग सच में मिष्टी को अपनी गुलाम बना कर अपने साथ रखेगा और उसे सजा देता रहेगा उसकी एक गलती की, क्या वह सच में सिर्फ उससे बदला लेने के लिए ही यह सब कर रहा है?
13 सुबह की हल्की सी रोशनी खिड़की के पर्दों से छनकर कमरे में धीरे-धीरे फैल रही थी। मिष्टी की पलकों पर रोशनी की नर्म छुअन हुई, और उसकी आँखें धीरे-धीरे खुल गईं। उसने देखा कि वह अभी भी युग की बाहों में सिमटी हुई थी। युग की मजबूत बाहें उसे अपनी ओर खींचे हुए थीं, और उसका सिर युग के चौड़े सीने पर टिका हुआ था। उसकी सांसों की गर्मी और धड़कनों की आवाज़ को इतने करीब से महसूस करना, मिष्टी के लिए एक अनजान एहसास था, जो उसके दिल को धड़कने पर मजबूर कर रहा था। मिष्टी ने खुद को युग की बाहों में लेटा हुआ पाया। वो अभी भी बिना कपड़ों के थे और वह दोनों अब एक कंबल में थे और दोनों को एक साथ ऐसी सिचुएशन में देखकर उसका दिल एक पल के लिए तेजी से धड़कने लगा। मिष्टी ने खुद को याद दिलाते हुए कहा, “नहीं, मुझे नहीं भूलना चाहिए कि ये वही युग है जो मुझे सिर्फ बदला लेने के लिए परेशान कर रहा है, जानबूझकर मेरे नजदीक आना चाहता है शक्ल देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे कितना अच्छा और जेंटलमैन होगा यह लेकिन असलियत तो सिर्फ मुझे पता है।” मिष्टी सोते हुए युग के उस शांत चेहरे को निहार रही थी। उसकी तीखी आँखों और सख्त चेहरे पर अब एक मासूमियत सी दिख रही थी। मिष्टी अनजाने में हल्के से मुस्कुरा उठी, और उसने कहा, "यह मुझे ऐसे पकड़ कर सोया है जैसे मैं कहीं भाग जाऊंगी मैं तो इससे पहले ही सो गई थी और अब नींद खुली है, मेरी! लेकिन इसके इतना नजदीक इतनी आराम से कैसे सो गई मैं जब कि कल रात तो ये पता नहीं क्या करने पर उतारू था।" लेकिन अगले ही पल उसे युग के पिछली रात के बर्ताव और उनके बीच जो कुछ भी हुआ वह सब कुछ याद आ गया। मिष्टी के चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम अचानक से ही सख्त हो गए और उसने धीरे-धीरे युग की बाहों से निकलने की कोशिश की, लेकिन युग की पकड़ अभी भी मजबूत थी। मिष्टी ने झल्लाते हुए कहा, "कैसे पकड़ा हुआ है इस,ने जैसे कोई जानवर को बांध कर रखता है मैं क्या कोई जानवर हूं जो इतना कसकर पकड़ है इसलिए मुझे कैसे निकालूं अब मैं इसकी पकड़ भी इतनी मजबूत है।" उसने धीरे से युग की पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन युग की बाहें अभी भी उसे अपनी ओर खींचे हुए थीं, जैसे वह उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं था। मिष्टी ने थोड़ी और ताकत लगाई, और उसकी हलचल से युग का चेहरा थोड़ा हिला। वह डर गई कि कहीं युग जाग न जाए, लेकिन जब उसने देखा कि युग की आँखें अब भी बंद थीं, तो उसने राहत की सांस ली। हालांकि, उसकी राहत ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई। कुछ ही पलों में युग की पलकों में हलचल हुई, और उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। उसकी आँखें सीधी मिष्टी के डरे-सहमे चेहरे से जा मिलीं। युग ने अपनी नींद से भरी आवाज में कहा, "अरे-अरे, मेरे नींद में होने का फायदा उठाकर भागने की कोशिश हो रही है क्या? लेकिन तुम भाग नहीं सकती?" मिष्टी झेंपते हुए बोली, "मैं कहीं भाग नहीं रही, लेकिन याद है ना आपने कहा था कि मैं आपके उठने से पहले रेडी हो जाऊं? और वैसे भी, मुझे अभी तैयार होना है।" युग ने शरारत से अपनी आँखें सिकोड़ते हुए कहा, "लेकिन अब तो मैं जाग चुका हूँ। अब तो तुम्हें मेरे सामने ही तैयार होना पड़ेगा। वैसे भी तुमने कल रात कहा था कि मेरी सारी बातें मानोगी।" युग के हाथ होले होले उसके बदन पर हरकत कर रहे थे जिसकी वजह से मिष्टी के गाल एकदम से लाल हो गए। उसने गुस्से और झेंप के मिश्रित भाव से कहा, "लेकिन मैं पहले जगी थी, लेकिन आपने मुझे पकड़ रखा था। इसलिए मैं उठ नहीं पाई। यह आपकी गलती है!" युग ने हँसते हुए उसकी आँखों में देखा और उसके चेहरे को छेड़ते हुए बोला, "ओह, तो अब मेरी गलती है? लेकिन कोई बात नहीं, अब जब मैं जाग ही गया हूँ, तो... तो एक काम करो तुम यहां पर मेरे सामने ही कपड़े पहन लो, मुझे कोई परेशानी नहीं है।" मिष्टी के गाल एकदम से लाल हो गए। उसने हल्की नाराजगी के साथ कहा, “मैं पहले जगी थी! लेकिन आपने मुझे इतनी जोर से पकड़ रखा था कि मैं उठ ही नहीं पाई। यह आपकी गलती है, मेरी नहीं।” युग ने उसकी बात पर हँसते हुए कहा, “ओह, तो अब मेरी गलती है? लेकिन कोई बात नहीं। वैसे भी, अब जब मैं जाग ही गया हूँ, तो तुम्हें भागने नहीं दूंगा।” उसने उसकी ओर झुकते हुए उसकी झेंप का मजा लेते हुए कहा, “वैसे भी, तुम भागकर कहाँ जाओगी?” मिष्टी ने देखा कि युग का चेहरा उसके चेहरे के बेहद करीब आ गया था। उसकी धड़कनें इतनी तेज हो गईं कि उसे लगा कि उसकी धड़कनें युग भी सुन सकता था। मिष्टी ने झेंपकर अपनी नजरें नीचे कर लीं और धीरे से कहा, “प्लीज, मुझे तैयार होना है नहीं तो फिर आप गुस्सा करेंगे मुझ पर कल रात की तरह बेवजह...।” युग ने उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बिखेरते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन तुम्हारे पास और तो कोई कपड़े नहीं हैं। तुम्हें वही लहंगा पहनना होगा जो यहां पर है तुम्हारी शादी का जोड़ा...।” मिष्टी ने गहरी सांस ली और बेड के किनारे पर रखे अपने लहंगे की तरफ देखा। “ठीक है,” उसने कहा, “मैं जल्दी से तैयार हो जाऊंगी।” इतना बोलते हुए मिष्टी नाम बेड की चादर को अपने शरीर पर चारों तरफ अच्छी तरह से लपेट जिससे कि उसके शरीर का कुछ भी हिस्सा नजर ना आए और धीरे से बद से उतरी और साइड में पड़े हुए अपने कपड़ों को उठाने लगी। उसे उसका ब्लाउज नहीं मिल रहा था क्योंकि वह अभी भी बेड पर था और युग पर उसकी नजर पड़ चुकी थी मिष्टी को भी जैसे ही अपना ब्लाउज दिखाओ वो उसे उठाने के लिए उस तरफ आई और जैसे ही वह युग के एकदम करीब पहुंची युग ने तुरंत ही उसे उठाकर दूर करने के एक कोने में फेंक दिया। मिष्टी ने गुस्से भरी नजरों से घूर कर युग की तरफ देखा और कहा, "अब तो मैं आपकी बात मान रही हूं फिर भी क्यों मुझे परेशान कर रहे हैं आप बेवजह? फिर तैयार होने में देर होगी मुझे तो..." युग ने अपनी एक उंगली मिष्टी के गालों पर फिराते हुए कहा, "तो तुम्हें सजा मिलेगी पत्नी जी, और बस 15 मिनट है तुम्हारे पास अगर 15 मिनट से एक भी सेकंड ऊपर हुआ तो फिर मैं भूल जाऊंगा, अपना कल रात का वादा और क्या पता फिर मेरा तुम्हें वापस घर ले जाने का मन ही ना हो और हम यहां पर ही अपना रिश्ता आगे बढ़ाएं?" युग ने चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट के साथ मिष्टी की तरफ देखते हुए कहा और उसकी बातें सुनकर मिष्टी की आंखों के सामने कल रात का सीन दोबारा से चलने लगाकर नहीं जाती थी कि ऐसा कुछ रिपीट हो इसलिए लगभग भागते हुए उसने अपने सारे कपड़े लहंगा ब्लाउज सब कुछ उठाया और तुरंत ही वॉशरूम में घुस गई। फिलहाल मिष्टी को युग की ताकत का अंदाजा हो चुका था इसलिए वह अब उससे कोई भी बैर नहीं लेना चाहती थी पहले ही वह बहुत गलतियां कर चुकी थी उसके खिलाफ जाकर इसलिए आप कल रात के बाद से उसने सोचा था कि वह चुपचाप उसकी सारी बातें मान लेगी अगर इसी में उसकी भलाई है तो वह यह करेगी। वॉशरूम के अंदर आते ही मिष्टी ने दरवाजा अच्छी तरह से बंद किया क्योंकि वह युग को कोई और मौका नहीं देना चाहती थी कि वो उसे परेशान कर पाए। मिष्टी ने बाथरूम में लगे मिरर में अपना चेहरा देखते हुए धीरे से अपने गाल पर हाथ रखा और उसकी आंखें काफी ज्यादा सूजी हुई थी रोने की वजह से और उसका चेहरा थोड़ा अजीब लग रहा था मेकअप भी इधर-उधर फेल कर खराब हो चुका था। मिष्टी ने बड़बड़ाते हुए कहा, "क्या हाल कर दिया है मेरा इस आदमी ने, कोई बात नहीं आज इसका वक्त चल रहा है ना एक दिन मेरा भी वक्त आएगा तब मैं चुन चुन कर सारी बातों का बदला लूंगी इस आदमी से, पता नहीं था दोस्ती की इतनी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी मुझे अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर और मैं यहां इतनी बुरी तरह से फंस चुकी हूं और वह विहान का बच्चा पता नहीं कहां होगा उसे मेरा ध्यान भी होगा या नहीं?" मिष्टी के दिमाग में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था लेकिन जैसे ही फिर उसने के बारे में सोचा उसे युग की वार्निंग याद आई और वह फटाफट से फ्रेश होकर रेडी होने लगी क्योंकि उसे नहीं पता था अगर वह लेट हो जाएगी तो फिर वह क्या करने वाला था? To Be Continued क्या मिष्टी युग के दिए टाइम लिमिट के अंदर तैयार होकर वहां पर आप आएगी और क्या युग उसे अपने साथ अपने घर वापस ले जाएगा और क्या होगा जब मिष्टी मिलेगी युग के परिवार वालों से क्या बोलूं उसे अपनाएंगे या फिर युग की तरह उसके परिवार वाले में मिष्टी को दोषी समझ कर सजा देते रहेंगे क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में क्योंकि आप लोग कमेंट बहुत कम करते हो, और इसलिए भाग भी लेट होता है कम से कम 15 कमेंट करोगे तो हम जल्दी अगला भाग दे देंगे।
14 चौहान भवन, का मुख्य हॉल अभी भी बहुत ज्यादा सजा हुआ था। चमचमाती क्रिस्टल की झूमरें और संगमरमर के फर्श से टकराते कदमों की आहट भी आज सुबह-सुबह बहुत भारी लग रही थी। हॉल के बीचोंबीच चौहान परिवार के मुख्य सदस्य और कुछ खास रिश्तेदार जमा थे। सभी के चेहरे पर चिंता और गुस्से की लकीरें साफ देखी जा सकती थी। फिलहाल वहां का माहौल काफी टेंशन भरा था। युग के चाचा, अमितेश चौहान, ने नाराजगी से कहा, "भाई सा! यह क्या हो गया है इस लड़के को? शादी की रात ही बहू को लेकर गायब हो गया! पहले तो इस तरह जबरदस्ती शादी करने की वजह से ही पूरे परिवार की इज्जत दांव पर लग गई थी। और किस खानदान से है ये लड़की? हमें तो उस लड़की का नाम तक पता नहीं है क्योंकि कार्ड पर तो दूसरी लड़की का नाम लिखा था ना!" बगल में खड़ी युग की बुआ, यामिनी देवी, ने चिढ़ते हुए कहा, "सही कहा, भैया। इतनी बड़ी चौहान हवेली की बहू बनाने से पहले कम से कम कुछ तो सोचा होता। कौन जानता है, किस किस्म की लड़की है। क्या यह भी कोई तरीका होता है जबरदस्ती की शादी का? युग हमेशा अपनी मनमानी करता है और भाई सा भी उसे कुछ नहीं कहते।" वहीं साइड में, पूरे साज सिंगार के साथ लाल रंग साड़ी पहन कर खड़ी एक खूबसूरत औरत मान्या, जो युग की भाभी थी, उन्होंने ने भी बुआ और चाचा की बात पर हामी भरते हुए कहा, "बुआजी सही कह रही हैं पापा। भला ऐसे बिना सोच-समझे कोई फैसला लिया जाता है? और देखिए, अब तक न जाने कहां हैं दोनों? यहां हम सब परेशान हैं और युग को किसी की कोई फिक्र नहीं है।" इन सब बातों के बीच युग की मां, विनीता जी, भी बेचैन होकर वहां खड़ी थीं। उनकी आंखों में बेटे की चिंता साफ झलक रही थी, लेकिन वे भी अंदर ही अंदर परेशान थीं। उनके पति, वीरेंद्र चौहान, जिनकी आंखों में सख्ती और गुस्से की चमक थी, अपने बेटे के बारे में यह सब सुनकर एकदम से भड़क गए। "बस, बहुत हो गया!" वीरेंद्र चौहान ने गुस्से से आवाज़ ऊंची करते हुए कहा। वीरेंद्र चौहान आगे बोले, "ये हमारे घर का मामला है, और मैं नहीं चाहता कि कोई हमारे सामने ही हमारे बेटे के खिलाफ इस तरह की बातें करे। हम सब जानते हैं कि युग ने जो भी किया, वह हमारे परिवार की इज्जत बचाने के लिए किया है। और जब तक युग यहाँ नहीं है, तब तक कोई उसकी पीठ पीछे बातें करके हमें हमारी बेटी के खिलाफ भड़काने की कोशिश भी न करे, हमें उस पर पूरा भरोसा है।" अपने पिता के मुंह से युग की इतनी तरफदारी और बड़ाई सुन कर वही साइड में खड़ा उसका बड़ा भाई, शाश्वत गुस्से से लाल पीला हो रहा था। वह बड़ा था लेकिन फिर भी हमेशा युग को उससे ज्यादा सब कुछ मिला था इस वजह से शाश्वत उसे कुछ खास पसंद नहीं करता था भले ही दोनों सगे भाई थे लेकिन फिर भी दोनों के बीच काफी डिफरेंस थे। इसलिए शाश्वत ने अपने पिता की बात का जवाब देते हुए कहा, "चाचा जी, बुआ जी और मान्या का मुंह तो आप बंद करवा सकते हैं लेकिन मैं तो घर का ही हूं ना पापा और सच कहूं तो मुझे भी यह सब कुछ ठीक नहीं लग रहा जो भी हुआ है आज नहीं तो कल उसमें हमारी बदनामी तय है। लेकिन आपको कहा आपने लाडले की गलतियां नजर आएंगी आज तक कभी नजर नहीं आई तो फिर अब क्या?" शाश्वत की बातें सुनकर उसके पापा ने नजर घुमा कर उसकी तरफ देखते हुए कहा, "शाश्वत, युग के बड़े भाई होकर तुम ऐसा बोल रहे हो तुमसे कई गुना ज्यादा समझदार है वह भले ही तुमसे 2 साल छोटा है लेकिन फिर भी उसने जो कुछ भी किया हमारे घर परिवार की इज्जत और बढ़ाने के लिए ही किया वह भी उस लड़की से शादी नहीं करना चाहता था लेकिन फिर भी उसने की और तुम हो कि अपने भाई के खिलाफ बोल रहे हो ऐसे टाइम में तो तुम्हें उसके साथ मिलकर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन ढूंढना चाहिए लेकिन नहीं तुम कोई मौका नहीं छोड़ते यह याद दिलाने का कि तुम में और युग में कितना फर्क है मुझे तो यकीन नहीं आता दोनों ही मेरे बेटे हो।" अपने पापा की ऐसी बातें सुनकर शाश्वत खून का घूंट पीकर रह गया और आगे वह कुछ बोलते ही वाला था कि तभी उसकी पत्नी मान्या ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और जैसे ही शाश्वत ने मान्या की तरफ देखा तो मान्या ने उसे धीरे से सीधी लाकर कुछ ना बोलने का इशारा किया क्योंकि वह नहीं चाहती थी वहां पर इतने लोगों के बीच उसके ससुर दोबारा से उसके पति के इंसल्ट कर इसीलिए उसने की शाश्वत का हाथ कसकर पकड़ लिया और उसे शांत करने की कोशिश करने लगी। उनकी पत्नी विनीता जी ने अब तक कुछ नहीं बोला था वह अपने दोनों बेटे और पति के बीच नहीं पड़ना चाहती थी फिलहाल तो वह बस युग के वापस लौटने का ही इंतजार कर रही थी। वीरेंद्र जी को पूरी तरह से युग की तरफ देखकर और किसी की भी आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई लेकिन सब एक दूसरे की तरफ देखते हुए इशारे कर रहे थे। हॉल में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया। तभी अचानक, बाहर के दरवाजे की तरफ से आती हुई तेज कदमों की आवाज़ सुनाई दी, और युग ने अपने ही घर के हॉल में एंटर किया। उसके चेहरे पर कॉन्फिडेंस एकदम साफ दिखाई दे रहा था और उसके साथ नजर झुका कर चुपचाप खड़ी मिष्टी को देखकर सभी की निगाहें उसी ओर घूम गई और उन दोनों पर टिक गईं। "पापा, सॉरी मुझे कल रात जाना पड़ा.." युग ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "और इन लोगों की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको तो पता है ना कि मैंने यह सब क्यों किया है। अगर कल ये शादी ना होती, तो हमारे परिवार की इज्जत सच में मिट्टी में मिल जाती। एक हफ्ते पहले ही दुल्हन के भाग जाने की खबर फैल जाती, और फिर हम समाज में सिर उठाकर नहीं चल पाते, कुछ लोग शायद यही चाहते थे लेकिन आपको पता है ना मैंने जो किया है सही किया है और आपके कहने पर ही किया था।" अपनी बात पूरी करने के बाद युग ने मिष्टी की ओर देखा। वह चुपचाप खड़ी थी, उसकी आंखों में बेचैनी और डर झलक रहा था। उसके शादी के जोड़े के दुपट्टे की कोर उसके हाथों में मुड़ी हुई थी, उसने कसकर अपनी मिट्टी में बंद करके पकड़ा हुआ था और फिलहाल इतने सारे लोगों को वहां पर सामने देखा कर वह कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। युग की मां विनीता जी तुरंत ही भाग कर उन दोनों के सामने आकर खड़ी हो गई और उन्होंने मिष्टी को घूरते हुए कहा, "युग बेटा, यह सब दिखावे के लिए तो ठीक है। असली सवाल यह है कि क्या तुम सच में इस लड़की के साथ रहोगे? क्या यह तुम्हारा फैसला है? पूरी जिंदगी ऐसी लड़की के साथ बिताना जो खुद तुम्हारी बर्बादियों की जिम्मेदार है और इसने ही तुम्हारी दुल्हन को भी तुमसे दूर किया है ना? क्या पता इसके क्या इरादे हो?" अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर युग के चेहरे पर कन्फ्यूजन भरे एक्सप्रेशन नजर आने लगे और वह कुछ देर के लिए एकदम शांत हो गया, मिष्टी की आंखों में नमी उतर आई और वो बहुत बुरा फील कर रही थी। एकदम किसी बाहर वाले की तरह जिसे कोई भी अपनाने नहीं वाला और यह बात उसे भी पता थी। इसीलिए वह यहां पर इस घर में वापस नहीं आना चाहती थी और ना ही किसी का सामना करना चाहती थी लेकिन युग की वजह से उसके साथ से यहां पर आना पड़ा। युग अपने पिता की ओर देखने लगा, फिर उसने अपनी मां की ओर, लेकिन उसके पास इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं था। मिष्टी ने भी उम्मीद भरी नजरों से उसकी ओर देखा, और उसकी आंखों में यह सवाल उभर आया, और युग की तरफ देखते हुए उसने अपने मन में कहा, "ये आखिर क्या चाहता है? और इतनी ही बुरी हूं मैं उसके और उसके परिवार वालों की नज़रों में तो फिर ये भी जबरदस्ती मेरे साथ क्यों रह रहा है? मुझे यहां से जाने क्यों नहीं देता?" मिष्टी के ख्यालों के बीच एकदम उसके कानों में युग की आवाज पड़ी, "माँ," युग ने धीरे से कहा, उसकी आवाज में हल्की सी कन्फ्यूजन थी, युग की मां ने नजर उठा कर देखा तो युग ने आगे बोला, "मैंने जो किया, वह हमारे परिवार की इज्जत और मान मर्यादा के लिए किया है, वह भी पापा के कहने पर। और मिष्टी...वो..." उसने एक पल के लिए मिष्टी की ओर देखा, लेकिन उसके शब्द खो से गए। फिलहाल वह उसके खिलाफ कुछ बोल नहीं पाया या फिर शायद सबके सामने वह कुछ ऐसा बोलना नहीं चाहता था इसके अलावा मिष्टी की वो बड़ी-बड़ी आंखें, जिनमें डर, घबराहट बेचैनी और कन्फ्यूजन के साथ, कुछ अनकही उम्मीदें थीं, जिन्हें युग देखता रह गया। To Be Continued क्या युग चुपचाप सुनेगा मिष्टी पर लगाए जा रहे सारे इल्जाम और बेइज्जती करवाने के लिए उसे अपने साथ यहां पर लाया है क्या चल रहा है युग के मन में और क्या वह कभी जान पाएगा मिष्टी के मन की बात? और क्या मिष्टी उम्मीद लगा रही है युग से, क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में क्योंकि जितने ज्यादा कमेंट होंगे उतनी जल्दी आपको अगला पार्ट मिलेगा और स्टोरी कैसी लग रही है यह बिल्कुल डिफरेंट है ना मेरी बाकी कहानियों से?
15 युग की बुआ यामिनी देवी ने एक बार फिर तीखी आवाज में कहा, "देखा! खुद युग के पास कोई जवाब नहीं है। ये शादी ब्याह किसी खेल की तरह नहीं हो सकते। बहू का घर परिवार खानदान भी देखना पड़ता है। ऐसे ही कोई भी लड़की इस घर में, चौहान परिवार की बहू बनकर नहीं आ सकती!" युग की भाभी मान्या ने भी नाराज़गी भरे लहजे में कहा, "ठीक कहा, बुआजी ने। कम से कम खानदान और परिवार वालों के बारे में तो बताना ही चाहिए ऐसे कैसे एकदम अचानक से यह चौहान परिवार की बहू बन गई क्या पता इसने पहले से ही सब कुछ प्लान किया हो और यही इसके इरादे हो?" युग ने गहरी सांस ली और कहा, "बस! अब बहुत हुआ। मैंने जो भी किया है, उसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लूंगा। और मिष्टी अब इस घर की बहू है, मेरी यानि कि युग चौहान की पत्नी है। हमारा नाम एक साथ जुड़ चुका है दुनिया की नजरों में इसलिए अब आप सबको इसे मानना पड़ेगा, चाहे किसी को पसंद हो या न हो।" उसकी बात सुनकर वीरेंद्र चौहान ने अपने बेटे की तरफ देखा और युग के एक फैसला लेने पर, हल्की सी मुस्कान उनके होठों पर भी आ गई। वीरेंद्र जी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा, "युग सही कह रहा है। जो हो गया, उसे अब पलटा नहीं जा सकता। अब हमें इस रिश्ते को स्वीकार करना होगा और पहले चाहे जो भी हो यह लड़के अब चौहान परिवार की बहू है और अब यही इसकी नई पहचान है उम्मीद करता हूं आप सब को यह बात याद रहेगी।" वीरेंद्र जी के आखिरी फैसला सुनाने के बाद उस हॉल में एक बार फिर सन्नाटा छा गया। सभी रिश्तेदार एक-दूसरे की ओर देखते रहे, लेकिन अब कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। मिष्टी ने युग की ओर देखा। उसके दिल में अनगिनत सवाल थे, लेकिन एक बात पहले से ही उसके ज़हन में एकदम साफ थी—चौहान हवेली में उसका स्वागत उतना आसान नहीं होने वाला था। लेकिन युग और उसके पापा का ऐसा बदला हुआ रवैया देखकर मिष्टी काफी हैरान थी और उसने भी थोड़ी राहत की सांस ली। सभी के शांत हो जाने के बाद चौहान हवेली के उस बड़े से हॉल में माहौल और भी ज्यादा सीरियस और हैवी हो गया था। युग की मां, विनीता जी , ने गुस्से और नफरत भरी नजरों से मिष्टी को देखा। उनकी आंखों में नाराजगी और गुस्सा भी साफ झलक रहा था। वे धीरे-धीरे कदमों से चलते हुए अपनी जगह से आगे बढ़ीं और उनके चेहरे पर एक तीखी, सख्त मुस्कान आ गई। "यह लड़की.." विनीता जी ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा, लेकिन उनकी आवाज़ उस सन्नाटे में गूंज रही थी जो हर किसी के कानों में पड़ी। विनीता जी ने दोबारा से कहा ज्यादा करोगी तो डंपर भी उतार देंगे, "ये इस घर की बहू बनने लायक नहीं है। न इसके घर परिवार का कुछ पता है, न इसकी जाति और कुल का। क्या सोचकर तुमने इसे हमारे घर की इज्जत बना दिया, युग?" मिष्टी ने धीरे से अपनी उंगलियां आपस में भींच लीं और कसकर मुट्ठी बांध ली। उसका गला सूख गया, और उसकी आंखों में आंसू छलकने लगे। उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, कि उसकी कमजोरियां सामने न आएं, लेकिन फिर उसकी आँखें छलक गईं, और आंसू उसके गालों पर बहने लगे। युग की भाभी मान्या ने भी अपनी नाक भौं चढ़ाते हुए कहा, "सासू माँ सही कह रही हैं। यह लड़की हमारे बराबरी की नहीं है। न जाने किस खानदान से आई है। और इसे हमारे घर की बहू बनने का हक किसने दिया?" चाचा अमितेश चौहान ने सिर हिलाते हुए कहा, "युग, तुम्हें भी समझाना होगा कि यह सब इतनी आसान नहीं होता है। हमारे परिवार में बहू बनने के लिए कई मर्यादाएं होती हैं। और यह लड़की...।" उन सब की बातें सुनकर मिष्टी की आंखों से आंसू लगातार बहते जा रहे थे। उसने अपने आंसू पोंछने की कोशिश की, लेकिन फिर भी उसके आंसू बंद नहीं हो रहे थे, उसकी बेचैनी और बेबसी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। उसके दिल में एक टीस उठ रही थी। फिर भी वह खामोशी से यह सब सुनती रही, लेकिन उसकी आंखों में एक गहरी चोट उभर आई थी। युग ने गहरी सांस ली। उसकी आंखों में नाराजगी और मजबूती थी। उसने एक पल के लिए सभी रिश्तेदारों की ओर देखा, फिर उसकी नजर मिष्टी पर पड़ी, जो हिम्मत खोने के कगार पर थी। युग ने आगे बढ़कर मिष्टी का हाथ मजबूती से थाम लिया। युग ने तेज़ आवाज़ में कहा, "बस चाचाजी, बहुत हुआ!" युग की आवाज में एक मजबूती थी, "अब और कुछ नहीं सुनूंगा मैं। मिष्टी, अब मेरी पत्नी है, और इस घर की बहू। चाहे आप सब इसे मानें या न मानें, मैं इसके खिलाफ एक भी गलत शब्द बर्दाश्त नहीं करूंगा।" उसके इस ऐलान से हॉल में सन्नाटा छा गया। हर कोई चौंक कर युग की ओर देखने लगा। विनीता जी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। "तुम्हें समझ में नहीं आता, युग? हम सब इसे कभी नहीं अपनाएंगे।" युग ने अपनी मां की आंखों में देखते हुए कहा, "मां, आप सबके कहने से कुछ नहीं होता है मैंने फैसला कर लिया है। मिष्टी अब मेरी पत्नी है, और मैं उसे पूरी तरह अपना चुका हूं। वह इस घर में उसी हक से रहेगी, जैसे एक बहू रहती है, आप रहती हो और भाभी रहती है। मैंने उससे शादी की है वह भी बिना उसकी मर्जी के इसलिए मैं उसके खिलाफ कुछ नहीं सुनूंगा, चाहे जो भी हो।" मिष्टी युग के इस सपोर्ट पर हैरानी से उसकी ओर देखती रह गई। उसकी आंखों में सच्चाई था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वही युग, जिसने उससे जबरदस्ती शादी की थी, आज उसकी ढाल बनाकर अपने परिवार के खिलाफ खड़ा था। यह सारी बातें मन में आते ही उसकी धड़कनें तेज हो गईं, और उसके चेहरे पर हल्की सी चमक आई, लेकिन अभी भी डर और कन्फ्यूजन उसके दिल में गहराई से बसे हुए थे। "चलो," युग ने मिष्टी को धीरे से कहा, उसका हाथ और भी कसकर पकड़ते हुए। वह उसे अपने साथ लेकर हवेली के ऊपर वाले हिस्से में बने अपने कमरे की ओर बढ़ा। पीछे से रिश्तेदारों की कानाफूसी शुरू हो गई थी, लेकिन युग ने किसी की कोई परवाह नहीं की। अपने कमरे में पहुंचकर युग ने दरवाजा बंद किया। मिष्टी ने चौंक कर उसकी ओर देखा। वह दोनों काफी तेजी से चलते हुए वहां तक आए थे इसलिए मिष्टी की सांसें अभी भी भारी थीं, और उसकी आंखों में अविश्वास था। उसने युग की ओर ऐसे देखा, जैसे यह समझने की कोशिश कर रही हो कि क्या वाकई यह सब सच था। "तुम्हें यकीन नहीं हो रहा, है ना? जो कुछ भी मैं नीचे कहा.." युग ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा। मिष्टी ने धीरे से अपना सिर हिलाया, उसकी आंखों में अब भी कन्फ्यूजन थी। वह युग की तरफ अविश्वास से देखती रही, क्योंकि इस वक्त वह उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और मिष्टी को ऐसा लग रहा था जैसे मानो यह सब एक सपना हो। युग ने मिष्टी का हाथ कसकर पकड़कर उस कमरे के अंदर खींच लिया। कमरे में कदम रखते ही उसने दरवाजा ज़ोर से बंद कर दिया, जिससे मिष्टी एकदम से चौंक गई। उसने एक गहरी सांस ली और पलटकर युग की ओर देखा। उसकी आंखों में डर और असमंजस की झलक थी, लेकिन वह खुद को शांत रखने की कोशिश कर रही थी। "तुमने बाहर ऐसा क्यों कहा?" मिष्टी ने अपनी आवाज़ को स्टेबल बनाने की कोशिश करते हुए कहा। "लेकिन तुम... तुम तो खुद भी मेरे खिलाफ हो। अगर तुम ही मुझ पर भरोसा नहीं करते, तो फिर अपने घरवालों के सामने ऐसा कुछ कहने की क्या ज़रूरत थी? तुमने बस झूठ बोला है।" युग ने उसकी बात को अनसुना करते हुए एक कदम आगे बढ़ाया और अपने दोनों हाथों से मिष्टी के गालों को कसकर पकड़ लिया। उसकी पकड़ मजबूत थी, और उसकी आंखों में एक तीखी चमक थी। युग ने तीखी आवाज में कहा, "जो कुछ मैंने कहा, उसे लेकर ज्यादा उड़ने की जरूरत नहीं है और मैंने वह सब बस यूं ही कह दिया, और हां, सही कह रही हो तुम झूठ बोला है मैंने क्योंकि तुम्हें ज़रूरत से ज्यादा अपने सिर पर चढ़ने नहीं दे सकता मैं। मेरी मां सही कह रही थीं।" इतना बोलकर युग ने एक झटके से उसका चेहरा छोड़ दिया। मिष्टी लड़खड़ा कर अपनी जगह से थोड़ा सा पीछे हो गए और उस की आंखों में गुस्से और दर्द के मिले-जुले इमोशन थे। लेकिन फिर भी उसने अपने इमोशंस को छुपाते हुए कहा, "तो फिर वहां सबके सामने क्यों.. क्या जरूरत थी अपनी फैमिली का साथ देते ना मेरी तरफ से क्यों बोला और मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हारे सिर पर चढ़ने का बताओ क्यों.." युग ने उसे बीच में टोकते हुए कहा, "क्योंकि.. अगर मैं मां का साथ देता, तो बुआ और चाचा भी मेरे पीछे पड़ जाते। और मैं नहीं चाहता कि मेरी ज़िंदगी में किसी का भी दखल हो। मैं सब कुछ अपने हिसाब से करना चाहता हूं।" उस की आवाज़ धीमी, लेकिन ठंडी थी। उसने मिष्टी की आंखों में गहराई से देखा, जैसे उसके मन में झांक रहा हो। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों ने युग में जो कुछ भी नीचे अपनी मां और बाकी रिश्तेदारों के सामने कहा उसे बात में कोई सच्चाई है या फिर उसने बस सबका मुंह बंद करने के लिए ऐसे ही यह बात बोला होगा या मन से वह उसे अपनी मान चुका है और क्या मिष्टी को विश्वास होगा उसकी इस बात पर? पता चलेगा आने वाले एपिसोड में तब तक आप लोग कमेंट जरुर करें और बताइए स्टोरी कैसी लग रही है आप लोगों को अब तक की?
16 मिष्टी को उसकी बातें सुनकर इसलिए बुरा लग रहा था क्योंकि थोड़ी देर पहले युग ने सबके सामने उसकी साइड लेकर कहीं ना कहीं उसके अंदर एक उम्मीद जगा दी थी लेकिन अब फिर से वह पहले की तरह या फिर उससे भी कहीं बुरा बर्ताव कर रहा था। मिष्टी ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप वहां से आगे की तरफ जाने लगी तो युग ने एकदम ही उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, "और तुम अपना वादा मत भूलना। तुमने कहा था कि तुम मेरी हर बात मानोगी, है ना?" ये सुनकर मिष्टी का गला सूख गया। वह जानती थी कि युग के सामने बहस करने का कोई मतलब नहीं था। उसकी मजबूत पकड़ की गर्मी उसे अपनी कलाई पर महसूस हो रही थी। उसने बिना कुछ कहे धीरे से सिर हिला दिया। उसकी आंखों में डर और बेबसी साफ नजर आ रही थी। युग ने उसे याद दिलाते हुए कहा, "गुड बट याद रखना और जो कुछ भी बाहर सब ने कहा वह सब भी याद रखना क्योंकि असल में वही सच है तुम कभी भी मेरे लायक नहीं हो सकती, ना मेरी पत्नी बनने के और ना ही इस घर की बहू बनने के, यह सब जो कुछ भी हुआ यह बस एक इत्तेफाक है तुम्हारी किस्मत नहीं।" युग के ये शब्द मिष्टी को किसी तीर की तरह चुभ रहे थे लेकिन उसे अपनी फैमिली के लिए बुरा भी लग रहाथ इसलिए उसने धीरे से कहा, "लेकिन आपके घर वाले मेरे परिवार के बारे में ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? मेरे परिवार के सारे लोग कोलकाता में रहते हैं, और मैं यहां पर पढ़ाई करने आई थी। उन्हें पता भी नहीं है कि मेरी लाइफ में यह सब हो रहा है। ऊपर से आपने मेरा फोन भी ले लिया था। मुझे अपने घर वालों से बात करनी है। प्लीज, मुझे मेरा फोन दे दीजिए।" मिष्टी की आवाज़ में एक रिक्वेस्ट थी, जो युग के ईगो को सेटिस्फाई कर रहे थी। युग ने उसकी तरफ देखा और अजीब तरह की हंसी हंसी, जैसे कि उसका मजाक उड़ा रहा हो और उसकी वह हंसी मिष्टी को भीतर तक चुभ गई। "अरे हां अच्छा याद दिलाया तुमने, तुम्हारी फैमिली को बताना भी तो जरूरी है," युग ने तंज कसते हुए कहा। "एक काम करता हूं, मैं खुद ही उन्हें फोन करके बता देता हूं कि उनकी प्यारी बेटी ने पढ़ाई के अलावा भी यहां बहुत कुछ किया है। और अब तो वह चौहान परिवार की बहू भी बन चुकी है। यह कोई छोटी बात है क्या?" युग की बात सुनकर मिष्टी की आंखें चौड़ी हो गईं। युग ने अपनी दूसरी पॉकेट से उसका फोन निकाला और उसमें नंबर ढूंढने का नाटक करने लगा। उसने फोन को कान से लगाते हुए दिखावा किया, जैसे वह मिष्टी के परिवार को कॉल करने ही वाला हो। "नहीं! प्लीज ऐसा मत करो, रुको। उन्हें इस तरह से पता नहीं चलना चाहिए।" मिष्टी ने घबराते हुए कहा और उसने हाथ बढ़ाकर युग से फोन छीनने की कोशिश की, लेकिन युग ने अपना हाथ और ऊपर उठा लिया। "नहीं मिलेगा और नहीं कर रहा मैं कॉल क्योंकि यह तुम्हारा फोन लॉक है," युग ने चिढ़ाने वाले अंदाज़ में कहा, "पहले खोलो इसे।" मिष्टी ने यह सुनकर थोड़ी सी राहत की सांस ली लेकिन फिर से वो उसके हाथों से फोन छीनने की कोशिश करने लगी। युग की हाइट मिष्टी से काफी ज्यादा थी और उसने अपने हाथ को भी ऊपर उठा रखा था जिससे कि मिष्टी अपने पंजों के बल खड़े होकर भी उसके हाथ तक पहुंच नहीं पा रही थी वह ऊपर उछलने की कोशिश कर रही थी जिससे कि किसी तरह फोन उसके हाथ में आ जाए लेकिन युग उसे परेशान करने के लिए हाथ में पड़े हुए फोन को और ऊपर उठाता रहा, और मिष्टी उसके हाथों तक पहुंचने के लिए उचकती रही। मिष्टी ने गुस्से और टेंशन में कहा, "प्लीज मुझे वापस दे दो वैसे भी यह मेरा फोन है।" "ओह, अब इतनी बेसब्र क्यों हो रही हो? दे दूंगा लेकिन सिर्फ लॉक खोलने के लिए.." युग ने मुस्कुराते हुए कहा। उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। "प्लीज," मिष्टी ने लगभग रोते हुए कहा, "मुझे मेरा फोन दे दो। मैं बस अपने घर वालों से बात करूंगी क्योंकि 2 दिन से बात नहीं की है मैंने, उन्हें मेरी फिक्र हो रही होगी।" युग उसकी इस बेबसी का मजा ले रहा था और उसे मोबाइल फोन नहीं दे रहा था और तभी एकदम से मिष्टी उसके एकदम नजदीक आए और उसने भी अचानक मिष्टी का हाथ पकड़कर उसे खींच लिया। युग के अचानक से ऐसा करने पर वह अपना बैलेंस खो बैठी, और दोनों एक झटके में बिस्तर पर गिर गए। मिष्टी युग के ऊपर थी, और उनके चेहरे एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए। एक पल के लिए दोनों एक-दूसरे की आंखों में देख कर रुक गए। मिष्टी की सांसें तेज हो गईं, और उसका दिल धड़कने लगा। युग ने उसकी आंखों में देखा, और उसकी मुस्कान हल्की हो गई। एक पल के लिए वह भी इस नज़दीकी को महसूस करने लगा। मिष्टी ने उसके सीने पर हाथ रखा और दूर हटने की कोशिश की, लेकिन युग ने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया। "छोड़ो मुझे," मिष्टी ने हड़बड़ाते हुए कहा, उसकी आवाज़ कांप रही थी। "पहले ये फोन अनलॉक करो, नहीं तो नहीं छोडूंगा।" युग ने उसकी कमर पर अपना हाथ रखते हुए कहा, और उसकी आंखों में एक शरारत भरी चमक थी। मिष्टी ने गुस्से में उसकी ओर देखा, लेकिन युग की इस नज़दीकी ने उसे और भी परेशान कर दिया था। उसकी आंखों में भरे आंसू छलकने को तैयार थे, लेकिन फिर उसने हिम्मत जुटाई और उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी! मिष्टी ने गुस्से में उसकी ओर देखा, लेकिन युग की इस नज़दीकी ने उसे और भी परेशान कर दिया था। उसकी आंखों में भरे आंसू छलकने को तैयार थे, लेकिन फिर उसने हिम्मत जुटाई और उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी! मिष्टी ने छुटने की कोशिश में उसकी बाहों में मचलते हुए कहा, "क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे?" युग ने भी उसकी कमर पर अपनी पकड़ को और मजबूत करते हुए कहा, "नहीं, छोडूंगा तो भी क्या कर लोगी?" मिष्टी ने बेबसी में उसकी ओर देखा, लेकिन उसकी आंखों में छलकते हुए आंसू युग के दिल को कहीं न कहीं छू रहे थे। वह उसकी नज़रों से बचने की कोशिश कर रही थी, लेकिन युग की पकड़ उसकी कमर पर अभी भी मजबूत थी। दोनों के बीच का यह पल इतना अजीब था कि हवा में एक अजीब-सी खामोशी घुल गई थी। इस बीच मिष्टी की सांसें तेज हो रही थीं, और उसकी धड़कनें इतनी तेज थीं कि उसे खुद ही सुनाई दे रही थीं। युग ने अपनी पकड़ थोड़ी धीमी की और उसके चेहरे पर फैले बालों को धीरे से हटाया। मिष्टी ने उसकी इस हरकत पर हैरानी से उसकी ओर देखा। उसकी आंखों में अब गुस्से की जगह एक अजीब-सी झिझक और शर्म थी। "तुम्हें पता है," युग ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक नरमी थी जो शायद पहली बार मिष्टी ने महसूस की। "तुम्हारी आंखें जब गुस्से में लाल हो जाती हैं, तो... बहुत डरावनी लगती हो।" इतना बोलकर वह हंसने लगा। मिष्टी ने एक पल के लिए युग की ओर देखा, उसकी आंखों में नाराज़गी और हैरानी का मिला-जुला भाव था और उसने गुस्से से कहा, "तुम मजाक कर रहे हो? अगर कर रहे हो तो यह बहुत ही घटिया मजाक है।" युग के होठों पर एक हल्की मुस्कान उभर आई। उसने अपने चेहरे को मिष्टी के और करीब लाते हुए कहा, "नहीं, बिल्कुल भी नहीं.. मैं क्यों मजाक करूंगा तुम सच में डरावनी ही लगती हो।" मिष्टी ने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमाते हुए कहा, "ठीक है तो फिर छोड़ो मुझे छोड़ दो क्यों ऐसे करीब करके पकड़ा हुआ है डरावनी लड़की को तुम्हें डर नहीं लग रहा ऐसे मेरे करीब होने से!" मिष्टी ने आज की से यह सब कहा था लेकिन युग का चेहरा उसके चेहरे के एकदम नजदीक होने की वजह से उसकी धड़कनें और भी तेज़ हो गईं। युग ने उसके चेहरे को अपनी उंगलियों से धीरे से अपनी ओर घुमाया। मिष्टी की आंखें एक पल के लिए बंद हो गईं, उसकी सांसें उसकी धड़कनों से लड़ रही थीं। युग ने धीरे-धीरे उसकी ओर झुकते हुए कहा, "देखो मेरी तरफ मेरी आंखों में देखो, और जो कुछ भी बाहर हुआ, सब की बातें सही नहीं थी लेकिन पूरी तरह से गलत भी नहीं थी। गलती तो तुमने की है।" मिष्टी की आंखों में एक पल के लिए हैरानी चमकी। उसने धीरे से अपनी पलकें खोलीं और देखा कि युग की आंखें उसके चेहरे को बड़े गौर से देख रही थीं। उनका चेहरा इतना करीब था कि उनकी सांसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। To Be Continued कैसा लगा आप लोगों को आज का यह एपिसोड और क्या युग अपनी घर वालों की बात से एग्री करता है या सिर्फ मिष्टी को सबक सिखाने के लिए ऐसा बोल रहा है और क्या पता चलेगा मिष्टी के घर वालों को उसकी शादी के बारे में तब क्या होगा उन लोगों का रिएक्शन क्या लगता है आप लोगों को जरूर बताइएगा कमेंट में
17 मिष्टी की आंखों में कुछ ऐसा था, जो युग को एक पल के लिए सफाई देने पर मजबूर कर गया। उसने खुद को थोड़ा पीछे खींचा, लेकिन मिष्टी ने उसकी शरारती आंखों में एक नरमी देखी, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। मिष्टी ने हिम्मत जुटाते हुए पूछा, "तुम सच में ऐसे हो, या फिर सिर्फ दिखावा कर रहे हो?" युग ने हल्के से उसकी कमर को और कस लिया, जिससे मिष्टी का चेहरा उसकी छाती के और करीब आ गया। "तुम्हें क्या लगता है?" उसने धीमी आवाज़ में कहा, उसकी सांसें मिष्टी के गालों को छू रही थीं। मिष्टी ने उसकी आंखों में देखा, उसकी पलकों पर झुकी नमी अब हल्के-हल्के गायब हो रही थी। युग ने धीरे से उसके माथे पर अपने होंठ रख दिए। मिष्टी को एक अलग एहसास हुआ जैसे हवा ने उस को छू लिया हो। मिष्टी की आंखें बंद हो गईं, और उसने अपनी सारी झिझक को एक पल के लिए भूलकर उस पल को महसूस किया। युग ने उसके गालों को अपने हाथों में पकड़े हुए कहा, "सॉरी, यह अभी मैंने जो किया उसके लिए और बाहर मेरे घर वालों ने जो कुछ भी तुम्हारे पेरेंट्स के लिए कहा मुझे पता है इसमें उन सब की कोई गलती नहीं है उन्हें तो पता भी नहीं है और सारी गलती तुम्हारी है सिर्फ तुम्हारी।" मिष्टी ने एक झटके से अपनी आंखें खोलकर उसकी आंखों में देखा, और इस बार उसकी आंखों में गुस्से की जगह हल्की-सी उम्मीद थी। उसने धीरे से सिर हिला दिया। युग मिष्टी की आंखों में उसकी मासूमियत देख पा रहा था जिसमें वह खोना नहीं चाहता था और वह दोनों काफी देर से नजदीक थे, तो युग भी जैसे बाकी सब कुछ बोल कर उसके नजदीकी और उसके बाहों में होता जा रहा था और उसे एकदम से एहसास हुआ तो उसने तुरंत ही मिष्टी खुद से दूर धकेल दिया, वो सीधा होकर बेड पर बैठ गया और तुरंत ही दूसरी तरफ देखने लगा। युग के ऐसा करने पर मिष्टी को एक झटका सा लगा और उसका मुंह खुला का खुला रह गया। "बस आ गए औकात पर!" मिष्टी ने भुनभुनाते हुए कहा, उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। युग ने उसकी बात को सुन लिया और सीरियस नज़रों के साथ उसकी ओर देखा। युग ने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा, "औकात पर? हां.. मुझे मजबूर मत करो कि तुम्हें अपनी असलियत दिखाऊं। वैसे तो तुम इसी के लायक हो। और याद रखना, तुम अभी सिर्फ मेरी गुलाम हो जो मैं कहूंगा वह तुम्हें करना होगा तुमने खुद वादा किया है।" मिष्टी को एक पल के लिए समझ नहीं आया कि वह क्या करे। क्योंकि एकदम सही युग का बदला हुआ रूप उसके लिए बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं था इसलिए उसने कहा, "हां याद है मुझे और तुम्हारे कहने से ही तो कर रही हूं तुमने कहा था कि तुम्हारे घर वालों के सामने मुझे कुछ भी नहीं बोलना है इसलिए मैंने नीचे कुछ नहीं बोला तो क्या मैं अभी यहां पर भी नहीं बोल सकती।" युग ने उसे याद दिलाते हुए कहा, "इतना कुछ तो पहले ही बोल चुकी हूं अभी भी और कुछ बाकी है क्या? अगर बाकी है अभी तो उसे अपने अंदर ही रखो क्योंकि अभी तुम्हें रेडी होना है वह भी सिर्फ आधे घंटे में।" मिष्टी के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी। उसने युग की ओर देखा, उसकी आंखों में एक मासूम-सी झिझक और घबराहट थी। मिष्टी ने धीमी आवाज़ में कहा, “मेरे पास कपड़े नहीं हैं, मेरा मतलब है यहां मेरे कोई भी कपड़े नहीं है तो मैं रेडी कैसे?” उसकी बात सुनकर युग के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान उभर आई। युग ने अपनी तीखी आवाज में कहा, “इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मुझे कुछ नहीं पता मैं बस जितना कह रहा हूं उतना करो। नहीं तो फिर...” युग की धमकी सुनकर वह बिना कुछ कहे वॉशरूम की तरफ भागी, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। अंदर जाकर उसने इधर-उधर नजर घुमा कर चारों तरफ बाथरूम में देखा, लेकिन वहां पर उसके कपड़े नहीं थे। उसने हर तरफ देखा, लेकिन उसे कोई उम्मीद नहीं दिखी। तो शावर लेने के बाद आखिरकार, हार मानकर उसने वहां रखा एक सफेद बाथरोब पहन लिया। बाथरोब में खुद को समेटते हुए, मिष्टी ने वॉशरूम का दरवाजा थोड़ा सा खोला और झांक कर देखा। युग वहीं खड़ा था, उसकी नजरें बाहर की तरफ नहीं बल्कि दरवाजे की तरफ ही थीं। जैसे ही मिष्टी बाहर आई, उसकी नजरें युग से मिलीं। युग का चेहरा देखते ही मिष्टी दरवाजे के पास ही रुक गई क्योंकि युग की आंखें मिष्टी पर जम सी गईं, और उसके चेहरे पर एक पल के लिए सन्नाटा सा छा गया। मिष्टी ने अपनी बाहें कसकर बाथरोब के ऊपर बांध लीं और शर्म से अपनी नजरें नीचे कर लीं। मिष्टी ने शर्मिंदगी से कहा, "ऐसे आंखें फाड़ कर क्या देख रहे हो? शर्म नहीं आती है क्या?" उसकी आवाज में हल्की-सी झिझक और नाराजगी साफ नजर आ रही थी। युग ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी नजरें मिष्टी के गीले बालों पर, उसके चेहरे पर टपकते पानी की बूंदों पर, और उस बाथरोब में लिपटी मिष्टी पर अटकी हुई थीं। मिष्टी को ऐसी हालत में युग के सामने खड़े रहने में भी बहुत शर्म आ रही थी और ऊपर से युग का इस तरह से घर कर उसे देखना मिष्टी को और परेशान कर रहा था युग ने मिष्टी पर ही इल्जाम लगाते हुए कहा, "मुझे क्यों शर्म आएगी जब यह तुमने पहना है औरअगर तुम्हें इतनी प्रॉब्लम है तो फिर क्यों यह पहन कर बाहर आई हो, मुझे सेड्यूस करने के लिए.." इतना बोलते हुए वह अपनी जगह से आगे बढ़ा और मिष्टी के एकदम सामने आकर खड़े होते हुए उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और वह मिष्टी के चेहरे पर टच करने ही वाला था कि तभी मिष्टी ने एक हाथ से उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा, "बेवजह कोई भी इल्जाम नहीं सुनूंगी मैं वह भी झूठा, मैंने वॉशरूम के अंदर जाने से पहले भी तुमसे कहा था कि मेरे पास कोई कपड़े नहीं है ऐसे में जो वहां पर होगा वही तो पहनूंगी ना?" युग ने अपने होंठों को थोड़ा सा टेढ़ा किया, और उसकी आंखों में एक अलग सी चमक आ गई। उसने अपने कदम मिष्टी की तरफ बढ़ाए, और मिष्टी ने अपने दिल की धड़कनों को जैसे रोकने की कोशिश की। युग उसके बहुत करीब आ गया था, इतना करीब कि उसकी सांसें अब मिष्टी के चेहरे को छू रही थीं। मिष्टी ने अपनी आंखें चौड़ी कर लीं और पीछे हटने लगी, "तुम... तुम क्या कह रहे हो? दूर... दूर रहो" उसकी आवाज कांप रही थी। युग ने हल्के से उसकी ठुड्डी को पकड़ लिया, और उसके होंठों के करीब झुकते हुए बोला, "मैं वही कर रहा हूं जो तुम देख रही हो, सुन रही हो समझ रही हो और महसूस कर रही हो मेरा असर खुद पर। लेकिन फिलहाल, तुम्हारे पास अब बस 20 मिनट बचे हैं।" मिष्टी ने झट से अपनी नजरें झुका लीं और उसे समझ नहीं आया कि ऐसी सिचुएशन में वह क्या करें और क्या नहीं? युग ने उसे धमकी देते हुए कहा, “20 मिनट में भी अगर तुम ठीक से रेडी नहीं हुई, तो फिर तैयार रहो... तुम्हें ऐसे ही नीचे, सबके सामने चलना पड़ेगा।” मिष्टी का मुंह खुला रह गया। उसकी आंखें एक पल के लिए और भी बड़ी हो गईं, और उसके दिल की धड़कन जैसे तेज़ हो गई। मिष्टी ने घबराते हुए कहा, “तुम... तुम ये क्या बोल रहे हो मैं ऐसे नीचे सबके सामने कैसे जा सकती हूं तुम पागल हो गए हो क्या तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते!” युग ने अपने दोनों हाथों को हवा में उठाकर अंगड़ाई लेते हुए कहा, “क्यों, क्यों नहीं कर सकता मैं ऐसा और तुम्हें लगता है कि मैं मज़ाक कर रहा हूं या यह सब बस ऐसे ही बोल रहा हूं तो तो ट्राय कर लो मुझे।” युग की यह बात सुनकर मिष्टी के चेहरे का रंग उड़ गया। वह जानती थी कि युग ऐसा कर सकता है। उसका कोई भरोसा नहीं है उसकी धमकी में कुछ ऐसा था, जो उसे अंदर तक डरा गया था। अपनी आंखों में आए आंसुओं को रोकते हुए वो युग की तरफ बेबसी भरी नज़रों से देख रही थी। मिष्टी ने अपने मन में कहा, "यहां पर मेरे कोई भी कपड़े नहीं है तो फिर मैं कैसे रेडी हो जाऊं मुझे पता है कि जानबूझकर मुझे परेशान करने के लिए यह सब कर रहा है इसलिए सीधी तरह बोलने से तो मुझे यह कोई कपड़े लाकर नहीं देगा इसलिए जो है शायद वही पहनना पड़ेगा पहले देखती हूं।" अपने मन में यह ख्याल आते ही मिष्टी इधर-उधर देखने लगी तो उसकी नजर अलमारी की तरफ बड़ी और वह उधर ही बढ़ गई। युग ने उसकी तरफ एक ठंडी नज़र डाली और वो अचानक से मुड़कर वॉशरूम की ओर बढ़ गया। युग ने थोड़ी तेज आवाज में कहा, “मैं शॉवर लेने जा रहा हूं, जब तक मैं वापस आऊं, तब तक तुम रेडी हो जाना। नहीं तो...” उसने दरवाजे के पास रुककर एक पल को उसकी तरफ पलटते हुए मुस्कराया, “याद रखना, तुम्हारे पास ज्यादा टाइम नहीं है।” युग इतना बोलकर वॉशरूम के अंदर चला गया और उसके जाने के बाद वॉशरूम का दरवाजा बंद होने की आवाज आई। To Be Continued कैसा लगा आपको को आज का एपिसोड और क्या चल रहा है युग के मन में क्या समझ आया आप लोगों को और हमारी मिष्टी क्या तैयार हो पाएगी युग के दिए गए टाइम पर और अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर क्या करेगा युग क्या लगता है आप लोगों को बताइए जरूर बताइए कमेंट में।
18 मिष्टी ने अपने मन में कहा, "यहां पर मेरे कोई भी कपड़े नहीं है तो फिर मैं कैसे रेडी हो जाऊं मुझे पता है कि जानबूझकर मुझे परेशान करने के लिए यह सब कर रहा है इसलिए सीधी तरह बोलने से तो मुझे यह कोई कपड़े लाकर नहीं देगा इसलिए जो है शायद वही पहनना पड़ेगा पहले देखती हूं।" अपने मन में यह ख्याल आते ही मिष्टी इधर-उधर देखने लगी तो उसकी नजर अलमारी की तरफ बड़ी और वह उधर ही बढ़ गई। युग ने उसकी तरफ एक ठंडी नज़र डाली और वो अचानक से मुड़कर वॉशरूम की ओर बढ़ गया। युग ने थोड़ी तेज आवाज में कहा, “मैं शॉवर लेने जा रहा हूं, जब तक मैं वापस आऊं, तब तक तुम रेडी हो जाना। नहीं तो...” उसने दरवाजे के पास रुककर एक पल को उसकी तरफ पलटते हुए मुस्कराया, “याद रखना, तुम्हारे पास ज्यादा टाइम नहीं है।” युग इतना बोलकर वॉशरूम के अंदर चला गया और उसके जाने के बाद वॉशरूम का दरवाजा बंद होने की आवाज आई। मिष्टी ने गहरी सांस ली, उसके दिमाग में खलबली मची हुई थी। युग ने उसका फोन पहले ही छीन लिया था, और अब वह उसे हर चीज़ के लिए मजबूर कर रहा था। लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं था। वह अब अलमारी के सामने खड़ी हुई थी और उसने अलमारी के हैंडल पर हाथ रखते हुए कहा, “इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है, देखती हूं शायद कुछ मिल जाए।” उसने खुद से बुदबुदाते हुए कहा और वो अलमारी खोली और उसमें रखे युग के कपड़ों को देखा। वहां युग के काफी सारे लोअर टी-शर्ट्स, शर्ट, जींस पैंट्स और सूट रखे थे। मिष्टी ने एक हल्की सी वाइट टी-शर्ट और ब्लैक ट्रैक पैंट्स उठा लिए। उसके पास पहनने को और कुछ नहीं था और वह ज्यादा देर खुद भी उस बाथरोब में नहीं रहना चाहती थी इसलिए उसने एक बार वॉशरूम की तरफ देखा दरवाजा अभी भी बंद था तो उसने कमरे में ही वह कपड़े पहन लिए। जब उसने कपड़े पहने और खुद को शीशे में देखा, तो उसे अपनी हालत पर हंसी आ गई। वो टी-शर्ट उसके शरीर पर कुछ ज्यादा ही ढीली थी, और ट्रैक पैंट्स भी उसकी पतली कमर पर लटक रही थीं। उसने अपने गीले बालों को थोड़ा ठीक करने की कोशिश की और खुद को मन ही मन समझाते हुए बोली, “यह उस राक्षस के कपड़े तो कुछ ज्यादा ही ओवर सीज है मुझ पर लेकिन यह इतना भी बुरा नहीं लग रहा है।” मिष्टी खुद को ऊपर से नीचे तक देखती हुई तसल्ली दे रही थी। कुछ ही देर बाद, वॉशरूम का दरवाजा खुला, और युग बाहर निकला। उसने कुछ भी नहीं पहना था सिर्फ अपनी कमर से एक वाइट टावर लपेट रखा था और उसके गीले बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं, उसने एक और तौलिया अपनी गर्दन डाल रखा था। जिससे वह अपने बाल पोंछते हुए बाहर आया, लेकिन जैसे ही उसकी नज़र मिष्टी पर पड़ी, वह एकदम से रुक गया। युग की आंखों में एक पल के लिए हैरानी और कन्फ्यूजन नजर आने लगी। उसने मिष्टी को ऊपर से नीचे देखा। उसकी ढीली टी-शर्ट और पैंट्स में वह बेहद प्यारी लग रही थी, और युग के इस तरह देखने पर उसके गालों पर हल्की-सी लाली छा गई थी। मिष्टी ने उसकी नजरों को खुद पर नोटिस किया और झिझकते हुए पूछा, “अब ऐसे क्या देख रहे हो? पहली बार देखा है क्या मुझे?” मिष्टी के इस सवाल पर युग ने पहले तो अपने मुंह पर हाथ रखा और फिर उसने अचानक से हंसना शुरू कर दिया। वो मिष्टी की तरफ ही देख रहा था, और वह अपने पेट को पकड़े हुए हंसने लगा। मिष्टी को समझ आ चुका था कि वह उसका मजाक को उड़ते हुए हंस रहा है इसलिए वह बोली, “क्या है?” उसने गुस्से में कहा, “इतना हंसने की क्या जरूरत है? मैं कोई जोकर लग रही हूं क्या?” “तुम... तुम सच में मेरे कपड़ों में...” युग हंसते हुए बोला, “इतनी अजीब, इतनी फनी लग रही हो कि मैं बता नहीं सकता!” उसने अपनी हंसी को रोकने की कोशिश की, लेकिन मिष्टी की हालत देखकर उसे और भी ज्यादा हंसी आ रही थी। मिष्टी ने गुस्से में अपनी बाहें मोड़कर हाथ बांधते हुए कहा, “ऐसे पागलों की तरह हंसना बंद करो और वैसे भी यह सब तुम्हारी गलती है यहां पर मेरे पहनने लायक कोई भी कपड़े नहीं थे तो जो भी मिला मैंने पहन लिया और आधे घंटे से पहले ही रेडी हो गई हूं मैं!” युग ने आखिरकार अपनी हंसी को कंट्रोल किया और उसकी ओर बढ़ते हुए कहा, “चलो अच्छा ही हुआ तुम्हारे कपड़े नहीं है क्योंकि मेरे कपड़ों में तुम और भी ज्यादा क्यूट लग रही हो।” उसकी आंखों में शरारत भरी मुस्कान थी, और मिष्टी को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। मिष्टी ने मुंह फेर कर गुस्से में कहा, “तुम्हारी यह बेमतलब की बातें मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं, क्यूट नहीं पागल लग रही हूं इसीलिए तुम मेरा मजाक उड़ा रहे हो।” मिष्टी ने गुस्से में कहा लेकिन उसके दिल की धड़कन तेज हो रही थी। युग की आंखों में कुछ ऐसा था, जो उसे बार-बार बेचैन कर रहा था। युग ने भी हंसना बंद करके एकदम सीरियस होकर इंटेंस नजरों से फिर से उसकी ओर देखा, और इस बार उसकी आंखों में कुछ अलग था जो की मिष्टी को भी महसूस हुआ और फिर युग अपना हाथ मिष्टी के चेहरे के करीब लाया, और उसका चेहरा छूने ही वाला था कि एकदम से उसे कुछ याद आ गया और वो अचानक से पीछे हट गया। मिष्टी भी पीछे हटकर बेड के एक कोने में जाकर बैठ गई। ना चाहते हुए बार-बार उसकी नज़रें भी युग पर जा रही थी क्योंकि उसने कुछ भी बना नहीं था और उसके बॉडी बहुत ही ज्यादा कसी हुई थी। वो किसी भी लड़की को आसानी से अपनी तरफ अट्रेक्ट कर सकता था और मिष्टी भी इस वक्त बाकी सब भूल कर उसकी तरह अट्रैक्ट हो रही थी। मिष्टी ने किसी तरह अपने आप को समझा कर अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा, "क्या कर रही है तू उसकी तरफ ऐसे क्यों देख रही है भूल गई तेरे साथ उसने क्या-क्या किया है पिछले दो-तीन दिनों में? सिर्फ शक्ल और बॉडी अच्छी होने से कि नहीं होता कि इंसान भी अच्छा हो और उसकी सारी गलतियां भूल दी जाए वैसे भी गलतियां नहीं उसने सब कुछ जानबूझकर किया है और अभी भी वह जानबूझकर ही कर रहा है यह सब मुझे परेशान करने के लिए!" इसलिए मिष्टी ने उसे कुछ और नहीं कहा लेकिन युग वहां पर उसके सामने खड़ा होकर ही कपड़े पहन रहा था और मिष्टी की नज़रें भी बार-बार उसकी तरफ जा रही थी ना चाहते हुए भी। युग ने भी यह बात नोटिस कर ली लेकिन फिलहाल कुछ नहीं कहा... वो बस हल्के से मुस्कुराया। मिष्टी अब तक काफी ज्यादा इरिटेट हो चुकी थी और उसने गुस्से में पैर पटकते हुए कहा, "यह सब कुछ तुम्हारी वजह से हुआ है और तुम ही मेरा मजाक बना रहे हो अब मेरे कपड़े नहीं है यहां पर और मुझे कुछ तो पहनना था तुम भी मुझे धमकी देकर गए थे और मुझे भी कंफर्टेबल फील नहीं हो रहा था उस बाथरोब में, तो बस जो मिला पहन लिया।" मिष्टी के इस तरह गुस्से में यह सारी बात बोलने पर युग का ध्यान उसकी तरफ हुआ और वह ड्रेसिंग मिरर के सामने खड़ा होकर अपने बाल सेट कर रहा था लेकिन एकदम ही उसके हाथ रुक गए और वह पीछे मुड़कर वापस मिष्टी की तरफ आते हुए बोला, "क्या कहा तुमने, फिर से बोलो ज़रा?" वो मिष्टी की आंखों में देख कर उसे डराने की कोशिश करते हुए यह बात पूछ रहा था लेकिन मिष्टी की आंखों में अब जरा सा भी डर नहीं था क्योंकि वह परेशान हो चुकी थी इस तरह युग के बर्ताव से तो उसने एकदम से नजर उठा कर युग की आंखों में देखते हुए कहा, "क्यों सुनाई भी नहीं देता है क्या तुम्हें कान खराब है तुम्हारे दिमाग तो पहले से ही खराब था इसलिए तो ऐसा कर रहे हो यह सब क्या मिल रहा है तुम्हें मुझे ऐसे परेशान करके?" युग ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "अभी से परेशान हो गई अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं है बस कपड़े चेंज करने को बोले थे और तुम इनमें फनी लग रही हो तो क्या हंस भी नहीं सकता मैं देखा तो कितने ओवर साइज है तुम्हें यह कपड़े.. इतनी छोटी सी हो तुम!" इतना बोल कर अपने हाथ की उंगली से उसके छोटे होने का इशारा किया तो मिष्टी एकदम ही गुस्से में उसकी तरफ बढ़ते हुए बोली, "You..." मिष्टी एकदम से आगे बड़ी और जो ट्रैक पैंट उसने पहनी हुई थी वह काफी ज्यादा बड़ी थी और उसी में उसका पैर फंस गया और वो लड़खड़ा कर एकदम से युग के ऊपर आ गई युग ने उसे तुरंत ही संभाल लिया और उसकी बांह को एकदम कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखों में ही देखने लगा। To Be Continued कैसा लगा आज का एपिसोड और क्या कुछ बदल रहा है इन दोनों के बीच में और क्या युग भूल चुका है पिछली बातें क्या चल रहा है उसके मन में हमने रेगुलर एपिसोड दिया है इसलिए कमेंट भी ज्यादा आने चाहिए और साथ में आप लोग दूसरी स्टोरी पढ़ने भी शुरू कर दो!
19 मिष्टी पहले तो थोड़ा सा घबरा गई थी लेकिन जब युग ने उसे पकड़ लिया तो फिर वह संभल गई और उसने नजर उठा कर जब देखा तो युग उसके चेहरे की तरफ वही देख रहा था और दोनों कुछ देर के लिए ऐसे ही एक दूसरे को देखते हुए एकदम करीब खड़े रहे। मिष्टी ने अपने मन में कहा, "क्या करती रहती हूं मैं भी अब इसे फिर से मौका मिल गया अब इस बात को लेकर भी मेरा मजाक बनाएगा ये, मेरी तो जिंदगी का ही मजाक बन गया है।" इतना बोलते हुए वह अपनी जगह से पीछे होने की कोशिश करने लगी लेकिन युग ने उसका हाथ नहीं छोड़ा वह अभी भी उसे वैसे ही पकड़े हुए था लेकिन मिष्टी के हिलने डुलने पर उसका ध्यान उसे तरफ हुआ और उसने कहा, "देखा, कितनी छोटी सी हो तुम यह मेरे इन कपड़ो में ठीक से नजर भी नहीं आ रही और शायद तुम्हें भी मेरे अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा इसीलिए तो बार-बार मेरी बाहों में आने के बहाने ढूंढ रही हो।" युग की बात सुनकर मिष्टी ने तुरंत ही अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा, "ऐ.. ऐसा ऐसा कुछ भी नहीं है वह बस मेरा पैर फिसल गया था और यह फर्श भी इतना चिकना है बस इसी वजह से छोड़ो तुमने ही मुझे पड़ा हुआ है पहले भी तुम्हारी वजह से ही हुआ था और तुमने अब तक मेरा मोबाइल फोन में मुझे नहीं दिया है दे दो प्लीज मुझे घर पर बात करनी है मैं तुम्हारी सारी बातें तो मान रही हूं क्या तुम मेरी एक बात नहीं मान सकते।" मिष्टी की इस बात पर युग थोड़ा सोच में पड़ गया और फिर उसने कुछ सोचते हुए कहा, "ठीक है, दे दूंगा लेकिन एक शर्त है मेरी?" युग की पहली बात सुनकर तो मिष्टी की आंखों में खुशी की चमक आ गई लेकिन जैसे ही उसने शर्ट की बात कही मिष्टी के माथे पर बल पड़ गए क्योंकि वह समझ चुकी थी कुछ उल्टी सीधी ही शर्त रखेगा वह इसलिए मिष्टी ने कुछ नहीं पूछा वह बस उसकी तरफ देखती रही और युग ने खुद ही आगे कहा, "देखो हर चीज की कीमत होती है तो अगर तुम्हें तुम्हारा मोबाइल फोन चाहिए तो..." इतना बोलता हुआ वह वापस अपने बेड पर जाकर काफी आराम से लग क्रॉस करके बैठ गया और मिष्टी वहां पर अभी भी खड़ी थी उसने तुरंत ही पीछे मुड़कर युग की तरफ देखा जो किसी राजा की तरह आराम से बेड पर बैठा हुआ था और मिष्टी की तरफ मुस्कुरा कर देख रहा था। इस तरह से देखने पर मिष्टी को समझ आ रहा था कि उसके दिमाग में कुछ तो चल रहा है और वह बस जानना चाहती थी कि आखिर किस कीमत पर उसे उसका मोबाइल फोन वापस मिल सकता है तो उसने एकदम से कहा, "बताओ भी अब क्या सस्पेंस क्रिएट कर रहे हो क्या शर्त है तुम्हारी?" युग के एकदम से कहा, "Kiss Me!" मिष्टी को पहले ही अंदाजा लग चुका था कि वह ऐसा ही कुछ बोलेगा इसलिए उसे बहुत ही ज्यादा हैरानी तो नहीं हुई और उसने कहा, "क्या बकवास कर रहे हो कल तुमने मुझे पता नहीं कितनी बार किस किया था और हम उससे भी आगे बढ़ चुके थे तो फिर क्या मतलब है इसका, चुपचाप मुझे मेरा फोन दो।" मिष्टी ने इरिटेट होते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे फोन मांगा तो युग ने वही हाथ पकड़ कर उसे अपने एकदम करीब खींच लिया और कहा, "मिसेज मिष्टी युग चौहान ठीक से सुना नहीं तुमने शायद आज जैसा कि तुमने कहा मैंने तुम्हें किस किया था ना लेकिन तुमने तो अब तक मुझे एक बार भी कि नहीं किया है तो चलो अगर अपना फोन चाहिए तो जल्दी से अपने हस्बैंड को किस करो वह भी डीप वाली लिप्स पर.." इतना बोलकर युग ने अपनी जब से अपने होठों को लिक किया तो मिष्टी उसकी तरफ देख कर अपने मन में सोचने लगी, "क्या चल रहा है इसके दिमाग में और ऐसा क्यों करवा रहा है यह मुझसे? किस करूं या नहीं वैसे मोबाइल फोन के लिए यह कोई इतनी बड़ी कीमत तो नहीं है। अगर फिर भी इसने मुझे मेरा मोबाइल फोन नहीं दिया तो?" मिष्टी ने एक पल के लिए अपनी आंखें कसकर बंद की और फिर उसने आंख खोल कर सामने बैठे युग की तरफ देखा और धीरे-धीरे चलते हुए आगे आई। युग को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ वह थोड़ा सा चौंक गया क्योंकि उसे नहीं लगा था मिष्टी इतनी आसानी से उसे किस करने के लिए मान जाएगी। मिष्टी उसके एकदम नजदीक आई और उसने थोड़ा सा झुक कर युग की गर्दन में अपना एक हाथ डाला और उसे अपने एकदम नजदीक किया और इस वक्त उन दोनों के चेहरे एकदम करीब थे दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और तभी मिष्टी ने एकदम से कहा, "मेरी फैमिली से बात करना बहुत जरूरी है मेरे लिए इसीलिए मैं यह तुम्हारी फालतू शर्त मान रही हूं।" यह बात बोलते हुए मिष्टी की आंखों में आंसू भर आए थे और युग ने जब उसे ऐसे देखा तो एक पल के लिए युग को भी उसके लिए बुरा लगा और इतने टाइम में यह पहली बार था, जब युग को मिष्टी के लिए बुरा या कुछ भी फील हुआ हो तो वह उसे रोकना चाहता था लेकिन जब तक मिष्टी ने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए थे और एकदम रफली उसके होठों पर किस करने लगी थी। युग सदमे में था और सोच भी रहा था इसलिए वह मिष्टी का साथ नहीं दे पाया एकदम ही जैसे अपनी जगह पर जम गया और उसके होंठ भी हिल नहीं पाए थे तभी मिष्टी ने उसे किस करते हुए हल्के से उसके निचले होठों को बाइट कर लिया। "आह्!" - युग को हल्का दर्द महसूस हुआ और फिर वह भी उसे किस करने लगा उसके हाथ अब मिष्टी की कमर पर आ गए थे। वहीं मिष्टी , बस अपना गुस्सा निकल रही थी उसे किस करते हुए मिष्टी के मन में कोई भी फीलिंग नहीं थी और वह बस एक टास्क की तरह इसे पूरा कर रही थी एक चैलेंज समझ कर, इसलिए युग को 2 मिनट तक किस करने के बाद मिष्टी तुरंत ही एकदम से पीछे हो गई और उसकी आंखों में गुस्सा साफ नज़र आ रहा था। लेकिन युग के मन में कुछ और ही चल रहा था जो कि उसकी आंखों में भी नज़र आ रहा था और उसने कुछ भी नहीं कहा वह बस मिष्टी की तरफ चुपचाप देख रहा था। मिष्टी ने तुरंत ही अपना हाथ आगे करते हुए कहा, "तुम्हारी शर्त पूरी हुई लाओ, अब मुझे मेरा मोबाइल फोन दो।" युग ने भी इस बार कुछ नहीं बोला उसने बस एक गहरी सांस ली और चुपचाप अपने पॉकेट से मिष्टी का मोबाइल फोन निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया और फिर बेड से उठकर वो सीधा कमरे से बाहर निकल गया। मिष्टी को जैसे ही उसका मोबाइल फोन मिला वह काफी खुश हो गई थी लेकिन इस तरह से युग का चुपचाप कमरे से बाहर निकल जाना भी उसे थोड़ा अजीब लगा इसलिए उसने तुरंत ही उसकी तरफ देखा तो उसे दरवाजे से बाहर जाता हुआ युग नजर आया लेकिन मिष्टी ने कुछ भी नहीं बोला और तुरंत ही अपना मोबाइल फोन अनलॉक करके उसमें अपनी फैमिली का नंबर ढूंढने लगी। वहीं दूसरी तरफ, युग जैसे ही नीचे आया उसने देखा कि अभी भी वहां पर काफी सारे लोग इकट्ठा थे लेकिन उन सब को इग्नोर करते हुए वह सीधे ही वहां से बाहर निकल कर जाने लगा क्योंकि उसके पापा वहां पर नहीं थे और वह सिर्फ अपने पापा से ही बात करता था ज्यादातर बाकी सब उससे या तो डरते थे या फिर युग के साथ उनका ओपिनियन मैच नहीं होता था। वह पूरी तरह घर से बाहर निकल पाता उससे पहले ही पीछे से उसकी मां की आवाज में उसे रोक दिया, "युग! कहां जा रहा है तू ऐसे, शादी के अगले ही दिन इस तरह से बाहर नहीं जाते हैं कम से कम पूजा और जितनी भी रस्में है वह सब तो पूरी कर लो।" अपनी मां की यह बात सुनकर युग दरवाजे के पास ही रुक गया और उसने पीछे मुड़कर अपनी मां की तरफ देखते हुए कहा, "अभी कुछ घंटे पहले जब मैं यहां वापस आया था तब तो आप को मेरी पत्नी से प्रॉब्लम थी और मेरी इससे शादी से भी तो अब कौन से रस्मों रिवाज की बात कर रही हैं आप मुझे कुछ भी और नहीं करना यह शादी हो गई इतना काफी नहीं है क्या आप लोगों के लिए!" युग की बात में नाराजगी साफ झलक रही थी जो कि उसकी मां को भी समझ आ गई और वह तुरंत ही उसके सामने आकर खड़ी होते हुए बोली, "बेटा तू क्यों मुझसे नाराज हो रहा है मैंने कौन सा तुझे कुछ कहा था मैंने तो बस उस लड़की की वजह से और तुझे भी पता है वह हमारे घर की बहू बनने के लायक नहीं थी लेकिन जो कुछ भी हुआ सब कुछ एकदम से हो गया! इतनी जल्दी कौन हजम कर लेता है इतनी बड़ी बात?" To Be Continued मिष्टी युग को किस करेगी या फिर नहीं और उसके बाद क्या युग अपना वादा पूरा करेगा? क्या वो उसे उसका मोबाइल फोन दे देगा या फिर नहीं? लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में और जो भी अब तक व्हाट्सएप चैनल पर नहीं है सब आ जाओ यार उधर उधर से आपको यह स्टोरी जो यहां पर गायब हो जाती है वह आगे पढ़ने को भी मिल जाएगी।
20 युग ने बेबसी से अपना सिर हिलाया और एक हाथ अपने सिर पर रखते हुए कहा, "कोई ज़रूरत नहीं है किसी भी रस्म की और मैं किसी ज़रूरी काम से वह जा रहा हूं हो सकता है मुझे देर हो जाए वापस आने में लेकिन आप सब मिष्टी को कुछ मत बोलना क्योंकि उसकी कोई गलती नहीं है जिनकी वजह से यह सब हुआ मैं उन्हें भी ढूंढ लूंगा!" युग ने इतना कहा और तुरंत ही तेज कदमों से चलता हुआ वहां दरवाजे से बाहर निकल गया और पीछे उसकी मां बस ऐसे ही खड़ी रह गई तभी एक दूसरी औरत उनके पीछे आकर खड़ी होती हुई बोली, "सुना भाभी सा! अभी से इतना ज्यादा पत्नी के वश में हो गया है आपका लड़का तो, कुछ नहीं सुन सकता उसके खिलाफ, सोचिए आगे क्या होगा?" युग की मां ने परेशान होते हुए कहा, "हां कुसुम! सही कह रही हो वही तो मैं भी सोच रही हूं जिस लड़की से युग प्यार करता था उससे शादी नहीं हुई तब उसकी इतनी तरफदारी कर रहा है अगर वह पहले वाली लड़की बहू बनकर आती तब तो मेरा लड़का बिल्कुल ही जोरू का गुलाम बन जाता।" युग की चाची कुसुम ने आंखें नचाते हुए कहा,"अरे भाभी, लेकिन अभी तो युग यहां पर नहीं है ना अभी तो हम उस लड़की को समझा सकते हैं और वैसे भी मुझे भी वो डरपोक किस्म की लगती है सुबह भी उसने कुछ नहीं बोला था सबके सामने!" उनकी बात सुनकर युग की मां ने धीरे से अपना सिर हिलाया और फिर वह दोनों ही वहां से वापस घर के अंदर की तरफ आ गई। हमारी दूसरी तरफ कमरे में, मिष्टी ने अपनी फैमिली से बात करके झूठ बताया कि उसका मोबाइल फोन खराब हो गया था इसलिए 3 दिन से वह बात नहीं कर पाई थी और यह सुनकर उधर सब ने राहत की सांस ली क्योंकि सब लोग काफी परेशान हो चुके थे कुसुम के फोन पर घर के काफी सारे लोगों के मैसेज और मिस कॉल थी, युग ने उनमें से किसी का भी कॉल रिसीव नहीं किया था अब तक। मिष्टी अपनी फैमिली को पूरा सच बता कर परेशान तो नहीं करना चाहती थी इसीलिए उसने झूठ बोल दिया लेकिन उसे नहीं पता था उसका यह झूठ आखिर कब तक चलने वाला था। मिष्टी अभी तक उसी तरह युग के कपड़ों में वहां पर बेड पर आराम से बैठी हुई इस बारे में सोच रही थी और उसने अपने मन में कहा, "यह क्या हो रहा है मेरी लाइफ के साथ और मैं अपनी फैमिली को यह भी नहीं बता सकती कि मेरे साथ यहां पर इतनी बड़ी ट्रेजडी हो गई है मैं एक ऐसे इंसान की जबरदस्ती की पत्नी बन गई हूं जिसे मैं जानती तक नहीं और जितना भी उसके बारे में जानती हूं वह बिल्कुल भी मेरा हस्बैंड बनने के लायक तो नहीं हो सकता और अब तक उसने मेरे साथ जो कुछ भी किया है। मैं उसे कभी माफ नहीं करूंगी लेकिन क्या अपनी फैमिली को इस तरह से धोखे में रखना सही है बट मैं उन्हें सच भी तो नहीं बता सकती वह परेशान हो जाएंगे और फिर यहां पर आए तो हो सकता है वह लोग भी खतरे में पड़ जाए नहीं-नहीं में इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकती।" मिष्टी खुद को समझाते हुए यह सब कुछ बोल ही रही थी कि तभी एकदम से कमरे का दरवाजा खुला और उसके कानों में एक औरत की आवाज पड़ी, "हे राम! क्या बेशर्मी है यह.. ये कैसे कपड़े पहने हुए हैं इस लड़की ने और कैसे टांग फैला कर बैठी हुई है देखो तो भाभी सा..." विनीता जी ने अंदर आते हुए कहा, "हां सच में बिल्कुल भी शर्म नहीं है आजकल की लड़कियों में और यह तो पहले ही मुझे पता था चौहान परिवार की बहू तो क्या हमारे परिवार की नौकरानी बनने के भी लायक नहीं है लेकिन मेरे बेटे की वजह से आज यहां उसके कमरे में उसके बिस्तर पर बैठी हुई है वह भी ऐसे महारानी की तरह।" उनके पीछे ही उनकी देवरानी कुसुम भी अंदर आई और वह दोनों ही मुंह बनाकर गुस्से से मिष्टी की तरफ देख रही थी जो कि इस वक्त युग के लोवर और टीशर्ट में बेड पर लेटी हुई थी उन्हें देखकर वह उठकर तो बैठ गई लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसने ऐसा भी क्या कर दिया जो इतनी बातें वह दोनों उसे सामने खड़े होकर सुनि रही थी। युग की मां और चाचा दोनों ने ही एकदम ट्रेडीशनल राजस्थानी घाघरा चोली कपड़े और सिर से घूंघट किया हुआ था, वहां पर मौजूद सारी औरतें ही ऐसे कपड़े पहनती थी और इसीलिए मिष्टी के ऐसे कपड़े पहनना उन लोगों के लिए इतनी बड़ी बात थी जबकि मिष्टी एकदम मॉडर्न ओपन माइंड फैमिली से थी जहां पर कपड़ों को लेकर कभी कोई भी इशू नहीं होता था इसीलिए उसके लिए यह काफी अलग और अजीब था। लगभग 2 घंटे बाद, दोपहर का समय था, और युग के बाहर चले जाने के बाद भी वहां पर चौहान हवेली में हलचल जारी थी। मिष्टी एक बहुत ही भारी एंब्रॉयडरी वाली रेड और गोल्डन कलर की साड़ी पहने, गहनों से लदी हुई, माथे पर बिंदी, हाथों में चूड़ियां, और भारी मेकअप के साथ, इस वक्त उस हवेली के बड़े से किचन में खड़ी हुई थी। उसकी साड़ी की प्लीट्स बार-बार खुल रही थीं, और मिष्टी को उसे संभालने में काफी परेशानी हो रही थी। उसने इरिटेट होते हुए अपने आप से कहा, "हे भगवान! यह साड़ी है या तम्बू? इसे पहनना तो दूर, मैं ठीक से संभाल भी नहीं पा रही हूं। और यह गहने और इतना इतनी सारी चूड़ियां पहनने का क्या मतलब है मुझे तो चला भी नहीं जा रहा, मैं तो यहीं बेहोश हो जाऊंगी।" उसके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी। मगर फिर भी, किसी तरह अपने गहनों को ठीक करते हुए वह किचन के अंदर खड़ी हुई थी, घबराहट की वजह से उसकी सांसें तेज चल रही थीं, और हाथ कांप रहे थे। मिष्टी का चेहरा देखकर साफ पता चल रहा था कि उसे ऐसे कपड़े पहने और इस तरह से तैयार होने में जरा भी इंटरेस्ट नहीं था बस जबरदस्ती ही उससे यह सब करवाया जा रहा था। मिष्टी के पीछे ही उसे किचन में आई हुई दूसरी औरत ने कहा, "देखो इधर सारा दिन नहीं है हमारे पास, मैं बार-बार नहीं बताऊंगी क्या सामान कहां पर रखा है।" उसे औरत का मुंह बना हुआ था लेकिन कपड़े उसने मिष्टी के जैसे ही पहने हुए थे और उसी तरह के भारी गहने चूड़ियां और एकदम शादीशुदा औरत की तरह ही तैयार थी क्योंकि वह और कोई नहीं युग की भाभी मान्या थी। मिष्टी ने एकदम मासूमियत से पूछा, "हां लेकिन क्या देखना है और मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा ऐसे कपड़े यह पहनना जरूरी है क्या मुझे इसमें कुछ भी काम नहीं होगा और पता नहीं आप लोग मुझसे क्या करवाना चाहते हैं?" मान्या ने गुस्से से जवाब दिया, "क्या बुराई है इन कपड़ो में और यहां तो सब ही ऐसे कपड़े पहनते हैं कौन सा तुमने अनोखे के पहने हुए हैं जो इतनी दिक्कत हो रही है तुम्हें और मां सा ने भी मुझे पता नहीं कहां फंसा दिया सारी जिम्मेदारी तुम्हारी मुझ पर दे दी है और भाभी हूं मैं तुम्हारी तो भाभी सा का कर बुलाना।" मिष्टी ने जल्दी-जल्दी अपना सिर हिला कर कहा, "जी भाभी सा, लेकिन मुझे ऐसे कपड़े पहनने की आदत नहीं है और मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी साड़ी नहीं पहनी है और आपकी मां, उन्हें क्या परेशानी है मुझे वह मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है?" पीछे से आती हुई यामिनी बुआ ने कहा, "हाय रे लड़की, जबान तो बड़ी चलती है तेरी चल जल्दी से हाथ पर चला और कुछ मीठा बना दे!" बुआ को वहां पर आते देख कर मान्या ने तुरंत ही अपने सर का पल्लू ठीक किया और मिष्टी के सिर पर भी पल्लू रख दिया और आगे आते हुए बुआ जी से पूछा, "आपको कुछ चाहिए क्या हुआ सा? और ये बना देगी कुछ ना कुछ!" मिष्टी ने उसी तरह मासूम सा चेहरा बनाकर कहा, "अरे लेकिन मुझे तो कुछ भी बनाना नहीं.." मान्या ने उसके बाद बीच में काटते हुए उसे चुप करा दिया, "चुप करो तुम और जाओ जाकर तैयारी करो। चूरमा बनाने की!" मिष्टी दूसरी साइड पर चली गई और मान्या हुआ से बात करने लगी जो की बार-बार मिष्टी की तरफ देख रही थी क्योंकि वह कुछ भी नहीं कर रही थी और वैसे ही उन की तरफ को पीट करके खड़ी थी लेकिन मान्या ने जैसे तैसे यामिनी बुआ को वहां से वापस भेज दिया और फिर राहत की सांस ली। मान्या ने मिष्टी की तरफ देखा तो वह वैसे ही खड़ी कुछ सोच रही थी और मान्या ने कहा, "ऐसे खड़ी क्या हो? चूरमा बनाना तो आसान होता है वह तो आता ही होगा ना तो मैं इसीलिए मैंने तुम्हें यह बनाने को कहा।" "चूरमा.. चूरन मुझे मुझे चूरन बनाना नहीं आता, क्या होता है यह?" "कम सुनाई देता है क्या मैं चूरमा बोल रही हूं और तुम चूरन सुन रही हो, मुझे नहीं पता जो करना है करो और जो मीठे में बनाना आता हो बनाओ! मैं भी जा रही हूं मुझे अपना दिमाग और खराब नहीं करना तुम्हारे साथ यहां रुक कर।" To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को मिष्टी उन लोगों की बातों का जवाब देगी या फिर नहीं और क्या युग को पता चलेगा इन सब चीजों के बारे में तब क्या होगा उसका रिएक्शन और वह कहां गया है क्या टाइम पर वापस आ पाएगा? अभी सवालों के जवाब मिलेंगे आने वाले एपिसोड मेरी स्टोरी बहुत इंटरेस्टिंग होने वाली है इसलिए पढ़ते रहिए।