कहते है जमीन पर रहने वाले लोगों की चांद को पाने के ख्वाब कभी पूरे नहीं होते। क्या हो अगर किसी का देखा हुआ ख्वाब सच हो और उसे, उसका चांद ही आ कर थाम ले? अब कौन है ये शक्श और कौन है इसका चांद ये तो आओ लोगो को ये कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। तो चलिए... कहते है जमीन पर रहने वाले लोगों की चांद को पाने के ख्वाब कभी पूरे नहीं होते। क्या हो अगर किसी का देखा हुआ ख्वाब सच हो और उसे, उसका चांद ही आ कर थाम ले? अब कौन है ये शक्श और कौन है इसका चांद ये तो आओ लोगो को ये कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। तो चलिए चलते है ये नए सुहाने सफर पर जिसका नाम है…….. LOVE IN THE AIR ❤️
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"मोना ओ मोना कहां मर गई?" किशोरी जी ने उसे आवाज लगाई। "आ रही हूं दादी। क्यों चिल्ला चिल्ला कर सारा घर सर पर उठा लेती हो?" वो भी कहां पीछे रहने वाली थी। "तुझे उस कालमुही टीवी को देखने से फुर्सत मिले तब तू किसी और की सुनेगी ना" वो फिर से तुनक गई थी। "अब तो आ गई ना अब बताओ क्या काम है" उसने भी बात खत्म करने की कोशिश की। ये है किशोरी जी और उनकी पोती मोनिका उर्फ मोना जिसे ये प्यार से मोना बुलाते है या गुस्से ये तो बस यही बता सकते है। किशोरी जी इस यादव परिवार की मुखिया थी वैसे मुखिया तो इनके पति थे लेकिन इन्होंने उनकी चलने नही दी और वो कुछ बोलते भी है तो बस अपनी पत्नी की हा में हा मिलने के लिए। किशोरी जी थोड़े गरम मिजाज की है वो भी इतना गरम की पिछले 20 सालो से अपने छोटे बेटे सुभाष से नही मिली क्यों की उन्होंने लव मैरिज जो की थी जो इनके असूलो के बिलकुल खिलाफ थी। इनके बड़े बेटा बहु प्रकाश और लता जी इनके फेवरेट है क्योंकि वो इनकी हर बात बिना किसी आना कानी के मानते है और वैसे ही करते है। इनकी एक पोती मोना और एक पोता साहिल है जो मोना से तो छोटा है लेकिन जवान में सबसे बड़ा है। "ज्यादा कुछ नही जा घर का सारा काम कर दे" किशोरी जी ने हुकुम चलाते हुए उस से फिर कहा। "लेकिन दादी मैने तो सारा काम कर दिया है। अब कोनसा काम बचा?" मोना को समझ ही नही आया की अब क्या रह गया था? "जाकर देख अभी बहुत सारा काम पड़ा है समझी और मुझसे जवाब नही लड़ा"वो फिर तुनक कर बोली। अब वो बेचारी क्या कहती हा में सर हिलाया और लग गई काम में। मोनिका 17 साल और कुछ ही महीनों की थी। कुछ समय बाद वो 18 की होने वाली थी। भारत में अठारह के बाद सबको वोट डालने का अधिकार है लेकिन एक और अधिकार है जो लड़की के घरवाली के साथ साथ रिश्तेदार और मोहल्ले वाले अपने आप ही ले लेते है और वो है लड़की की जल्द से जल्द शादी करवाना। यही अधिकार मोनिका की दादी ने भी किया हुआ था। वो बस दो चीज के इंतजार में थी पहला मोना के अठारह होने का और दूसरा कोई अच्छा रिश्ता आने का ताकि वो जल्द से जल्द उसकी शादी कर के उस से फारिग हो सके। ये परिवार सिरोही शहर में रहता है जो आधुनिक युग के साथ चल रहा है बस परिवार को सोच ही पुराने युग में रह गई है जो अभी वापिस आना बाकी थी। "दीदी ये दादी आप पर इतना क्यो चिल्लाती रहती है हमेशा" ये बात साहिल ने इस से पूछा थी। साहिल जितना ज्यादा बोलता था उतना ही ज्यादा अपनी दीदी को प्यार भी करता था लेकिन घरवाली के आगे कुछ नहीं कर सकता था क्यों की वो अभी सिर्फ 12 साल का ही था और अगर कुछ बोले भी तो उसे डांट के शांत करा दिया जाता था। "पता नही साहिल ये दादी इतना क्यों चिल्लाती है" मोना ने उसे कुछ दुखी स्वर में उत्तर दिया। मोना उन लोगो में से नही थी जो किसी की बाते सुन कर दुखी हो वो एक हसमुख और बेहद प्यारी लड़की है। लेकिन कोई कब तक किसी की जवाब का कड़वापन बर्दाश्त करेगा इसलिए कभी कभी वो दुखी हो जाया करती थी। मोना सामान्य हेल्थ और अच्छी कद काठी की लड़की थी उसकी ऑलिव ग्रीन आंखो ऐसी की उनमें कोई भी खोना चाहे लेकिन जो उसकी खूबसूरती को चार चांद लगाता था वो था उसकी ठुड्ढी का तिल जो उसे और भी खूबसूरत बनाता था। "कोई बात नही दीदी अब उनकी उम्र हो गई इसलिए वो इतना चिल्लाती है" सही ने एक बार फिर उसके उदास चेहरे को सही करने की कोशिहस की थी। "साहिल ऐसा नहीं कहते वो बड़ी है ना" मोना ने उसे झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए कहा। "ओहो दीदी मुझे आप हस्ती हुई और दूसरो से लड़ते हुए उनकी बोलती बंद करती हुई ही अच्छी लगती है ऐसे उदास नहीं" साहिल ने प्यार से उस से कहा। मोना को समझ आ गया था की उसे जरूर कोई काम है वरना वो इतनी मक्खनबाजी नही करता। "चल अब बता भी दे क्या काम है तेरा जो तू मुझे मानने के लिए इतनी मेहनत कर रहा है?" मोना ने पूछा। साहिल ने भी उस मासूमियत से जवाब दिया जिस मासूमियत से उसका दूर दूर तक कोई लेना देना नही था।"दीदी वो स्कूल का एक साइंस प्रोजेक्ट है बताना भूल गया कल लास्ट डेट है प्लीज करा दो ना" जिस तरह से साहिल ने कहा था मोना भी उसे मना नही कर पाई और उसका प्रोजेक्ट पूरा करने लगी। मोना को कभी कभी ये समझ ही नही आता था की उसके सब घरवाले उस से ऐसे कटे कटे क्यों रहते है? क्या उसने कोई गलती की है? या कुछ और को वो नही जानती थी? खैर ये सोचते हुए उसे कब नींद आई उसे पता भी नही चला और सुबह हो गई। आज वो बहुत खुश थी क्यो की आज उसके सेकंड ईयर का रिजल्ट आने वाला था। वो जल्दी से सारे काम खतम कर के कॉलेज के किए निकल गई। मोना पढ़ाई में अच्छी थी इसलिए उसे पूरी उम्मीद थी की इस बार उसने कोई जगह जरूर बनाई होगी अपने सेक्शन में। कुछ देर में वो कॉलेज पहुंची और जल्दी से नोटिस बोर्ड पर लगी लिस्ट में अपना नाम देखने लगी। जैसी उसे उम्मीद थी बिलकुल वैसा ही हुआ उसने पूरे सेकंड ईयर सेक्शन में थर्ड आई थी। वो अपना रिजल्ट देख कर बहुत खुश हुई और मार्कशीट की फोटोकॉपी लेकर खुशी खुशी घर पहुंच गई। "क्या हुआ इतनी खुशी किस बात की हो रही है तुझे?" डकवाजे पर ही उसे किशोरी जी मिल गई थी। वो कुछ बताना तो नही चाहती थी लेकिन खुशी में बता दिया अपने रिजल्ट के बारे में जिसे सुन कर किशोरी जी का चेहरा कठोर हो गया। अब देखते है किशोरी जी का क्या रिएक्शन होगा। रीडर्स ये मेरी न्यू स्टोरी है प्लीज प्लीज इस पर कमेंट्स करे रेटिंग दे अपने फ्रेंड्स को भी शेयर करे। थैंक यू😊 हर हर महादेव ❤️
मोना ने किशोरी जी को अपनी खुशी का कारण बताया तो उनके चेहरे पर कठोर भाव आ गए। उन्होंने उसके हाथ से उसकी मार्कशीट ली और उसे फाड़ दिया और उस से बोलीं "ज्यादा पढ़ाई लिखाई करने की जरूरत नही है जाकर घर के कामों में अपनी मां का हाथ बटा वरना किसी के घर जाकर हमारी ही नाक कटाएगी" और वहां से चली गई। मोना की आंखो में आंसू आ गए। उसे बहुत दुख हुआ की उसके घरवाले उसे सपोर्ट ना करे लेकिन ऐसा भी न करे जो कुछ देर पहले किशोरी जी ने किया। वो रोते रोते ही सो गई। जब उसकी आंखे खुली तो उसकी मम्मी उसके पास बैठी थी जिनके हाथ में एक छोटा सा केक था। उसने अपनी मम्मी को सवालिया निगाहों से देखा जैसे पूछ रही हो की ये क्या है और क्यो? लता जी ने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा और बोलीं "बेटा ये मैने तेरे लिए बनाया है तेरा रिजल्ट बहुत अच्छा रहा ना इसलिए" इतना बोलते ही मोना उनके गले लग गई और उसकी आंखे से दो बूंद उनके कंधे पर गिर गई। वो जानती थी की मोना रो रही है लेकिन उन्होंने कुछ भी कहना सही ना समझा। "चल अब जल्दी से इसे काट और बता कैसा बना है वरना अगर तेरी दादी और पापा आ गए तो हम दोनो की खेर नही" मोना ने जल्दी से हा में गर्दन हिलाई और केक काट कर अपनी मम्मी को खिलाया और खुद भी खा लिया। "वाह मम्मी ये तो बहुत अच्छा बना है। आप सच में बेस्ट हो" वो बहुत खुश हुई थी अपनी मां की मेहनत पर। "चल अब ज्यादा मस्का मत लगा और इसे साहिल को भी खिला देना और समझा देना किसी को इसके बारे मे ना बताए वरना आज ही घर में बवाल हो जायेगा" मोना ने हा में सर हिलाया और अपने काम में लग गई। शाम को वो साहिल को केक खिला कर अपने कामों में लगी हुई थी की साहिल जोर से चिल्लाया "दीदी जल्दी आओ देखो।" मोना बहुत डर गई की क्या हो गया अचानक। वो भागती हुई उसके पास आई तो वो खुश होता हुआ टीवी की तरफ देख रहा था और उसे भी कुछ दिखा रहा था। मोना टीवी को ना देख कर साहिल पर भड़क उठी "तू पागल हो गया है क्या साहिल अगर दादी और पापा ने तेरी आवाज सुन ली होती तो तुझे पता है ना वो कितना सुनते?" साहिल ने उसकी बातो को इग्नोर किया और उस से बोला "दीदी देखो अहीर का न्यू ऐड आया है।" साहिल के इतना बोलते ही वो पूरी तरफ से कुछ होकर टीवी देखने लगी अहीर का नाम।सुनते ही उसका गुस्सा काफूर हो गया था। अहीर राजवंशी टीवी की दुनिया का एक नया उभरा हुआ नाम जिसे सब बहुत पसंद करते थे खास कर के लड़कियां उन्ही लड़कियों में हमारी मोना भी शामिल थी। और सब इनके पीछे पागल हो भी क्यों न इनकी एक्टिंग के साथ साथ इनके लुक्स भी किलर है। 5'11 की हाइट थोड़ी ग्रेइश आंखे गोरा रंग जिसे भी देखे उसका दिल धड़का देते है और अपनी एक्टिंग के बलबूते पर आगे बढ़ रहे है और सबसे बड़ी बात वो राजस्थान से ही बिलॉन्ग करते है। मोना को ये इस कदर पसंद है की इनका कोई भी टीवी शो का कोई भी एपिसोड कोई भी ऐड कोई भी फंक्शन या इंटरव्यू कभी मिस नही करती। इनकी लाइफ की जो जानकर दुनिया को मालूम है उस से ज्यादा इन्होंने खोज खोज कर निकल रखी है इसलिए जब भी उदास या गुस्सा होती है इनका भाई इन्हे अहीर दिखा देता है और अहीर का चार्म इनका गुस्सा और उदासी दूर कर देता है। मोना अभी भी खड़ी हुई अहीर को प्यार से निहार रही थी जब उसकी दादी की कड़क आवाज उसके कानो में पड़ी। "दीदी जल्दी जय नही तो आज दादी तुम्हे नही छोड़ने वाली" साहिल ने उसे आगाह किया तो वो तुरंत बाहर भाई गई। "जी दादी आपने बुलाया?" उसने बहुत शांत से पूछा। "बुलाया है तभी तो आवाज दी है तुझे" किशोरी जी फिर भड़की थी। अब मोना को ज्यादा फर्क नही पड़ता था की उसकी दादी उस पर क्यों चिल्लाती है। क्योंकि ये उनका अब रोज का काम हो गया था उसको सुनाने का और उसका अपनी दादी को एक कान से सुन कर दूसरे से निकल देने का। "हा कल अच्छे से तयार हो जाना और कुछ ढंग का बना देना कुछ मेहमान आने वाले है कल समझी?" उन्होंने अपनी जुबान में थोड़ी नरमी लाई थी। "कौन आ रहा है दादी?" बस यही मोना ने गलती कर दी थी अपनी जिज्ञासावश उनसे सवाल कर के। "तुझे इस से कोई मतलब नहीं होना चाहिए और अपना दिमाग और जुबान काम चलाया कर" उन्होंने उसे घूरा तो को चुप चाप वहां से निकल गई। दूसरी तरफ़ "यार तू इतना उदास क्यों बेटा है? अब वो चली गई तो क्या हुआ कोई और आ जायेगी" एक लड़के ने अपने दोस्त से कहा जो काफी उदास बैठा था। "यार में इसलिए उदास नहीं हूं की वो मुझे छोड़ कर चली गई बल्कि उसे मैंने ही छोड़ा है" उस उदास बैठे लड़के ने कहा। "क्या??? जब तूने उसे खुद छोड़ा है तो तू इतना उदास क्यों है?" वो लड़का अब तक उसे सांत्वना दे रहा था अब एक दम चौंक गया था उसके खुलासे पर। "अर्जुन मैं उदास इसलिए हूं यार की कोई नही है मुझे प्यार करने वाला। मॉम भी मुझे छोड़ कर चली गई डैड को भी अपने बिजनेस से फुरसत नहीं है और जो भी लड़की मुझसे प्यार करने के दावे करती है वो सब मेरे फेम और मेरे पैसे से प्यार करती है लेकिन मुझे कोई ऐसा चाहिए जो सिर्फ मुझसे प्यार कर सके समझा?" उस लड़के ने अपना प्वाइंट समझाया। "लेकिन अहीर तुझे ऐसी लड़की कहां मिलेगी जो तेरे बारे में कुछ न जानती हो क्यो की तुझे तो सब बहुत अच्छे से जानते है" अर्जुन अब भी थोड़ा कन्फ्यूजन में था। अहीर ने उसकी तरफ देखा तो तो वो जल्दी से संभाला और उस से बोला "तू चिंता मत कर कोई तो होगी ऐसी तो सिर्फ तुझे प्यार करेंगी तेरे पैसे और फेम को नही तू उदास मत हो बस।" अर्जुन ने उसे समझा तो दिया था लेकिन वो खुद अभी तक यही सोच रहा था की ये कैसे होगा। सिरोही मोना भाग कर अपनी मां के पास आई और उनसे पूछा की कौन मेहमान आ रहे है कल। "तुझे नही पता तुझे लड़के वाले देखने आ रहे है कल" उसकी मां ने कहा तो उसे शॉक लगा और वो चीखी क्यायययया??? हर हर महादेव ❤️
मोना को जब पता लगा की उसे लड़के वाले देखने आने वाले है तो उसे बहुत ज्यादा दुख हुआ। उसे समझ नही आ रहा था की वो क्या करे? कहां जाए वो भी किस के पास जो उसकी मदद कर सके। लेकिन ऐसा कोई था ही नही जो उसकी मदद कर सके। मोना ने आज तक बस एक ही सपना देखा था की वो पढ़ कर कुछ बन जाए ताकि किसी पर उसे डिपेंड ना रहना पड़े। आज कल हर लड़की यही सपना देखती है चाहे वो शहर की हो या गांव की लेकिन मोना की ही तरह बहुत लड़कियों के सपने उनके अपने ही तोड़ देते है उनकी शादी करा कर। शादी करने में कोई बुराई नही लेकिन इतनी कम उम्र में ये कहा तक ठीक था? खैर मोना को अब ये देखना था की वो क्या करे। "मां मुझे अभी शादी नही करनी अभी तो में 18 साल की भी नहीं हुई हू कुछ करो ना मां।" उसने लता जी से गुजारिश करनी शुरू कर दी क्यों की उसकी पहली और आखिरी उम्मीद बस वहीं थी। "बेटा तुझे पता है ना तेरी दादी और तेरे पापा के सामने मेरी एक नही चलती जो वो चाहते है वो कर के रहते है" लता जी ने भी उसे अपनी मजबूरी दिखा दी थी। अपने पापा का नाम सुन कर उसी भौंहे तन गई थी। उसकी ओर उसकी पापा की कभी नही बनी थी। वो अपनी साथ होते गलत व्यवहार के खिलाफ बोलने को आतुर रहती थी बस वही एक बात उसे उसके पापा और दादी की नजरो में किसी काटे की तरफ चुभोती थी। जब से मोना को अपने पापा के बारे में कुछ पता चला था तब से वो उनसे बहुत नाराज थी दूसरी तरफ अर्जुन कुछ शर्माते हुए रूम में घुसा। अहीर से रहा नही गया तो वो भी पूछ बैठा " क्या बात है बे बड़े शर्मा रहे हो?" "हा यार मुझे प्यार हो गया है" अर्जुन फिर शर्माते हुए बोला। उसकी बात सुन अहीर का दिल हुआ की किसी दीवार में सर दे मारे। "साले तुम्हे ये एक सौ तेरहवीं बार प्यार हुआ है। कहीं ऐसा ना हो किसी दिन कोई तुम्हारी ही तेरहवीं कर दे" अहीर कुछ खुंदस में बोला। " नही यार इस बार सच्ची वाला हुआ है" वो अहीर को यकीन दिलाते हुए बोला। "अच्छा बता कैसी थी बता?" अहीर भी दिलचस्पी लेते हुए बोला क्यों की वो इसका रिजल्ट जानता था। " यार दिखने में बहुत सुंदर थी गोल चेहरा गहरी काली आंखे पलके इतनी भरी की कोई बिस्तर डाल कर सो जाए और उसकी गुथी हुई चोटी काश वो मुझे भी अपने बालो में गूंथ लेती" अर्जुन एक बार फिर शर्माया। "अच्छा ये बता मिली कहा" अहीर अब इस बात का छोर चाहता था। "यार आज वो मार्केट में मिली थी अपने पति के साथ। लव एट फर्स्ट साइट हो गया मुझे" अर्जुन ने बता। दोनो ने एक दूसरे को देखा और जोर से हंस दिए थे। ये अर्जुन का हमेशा का था हर दूसरी लड़की को देख कर उसे प्यार हो जाता था और उसकी पूरी राम कथा का वाचन अहीर के सामने किया करता था। "यार तेरा क्या होगा?" अहीर उसे गले लगाते हुए बोला। कुछ देर बात करने के बाद दोनो काम में लग गए। दूसरे दिन मोना छुपा चाप तैयार हो रही थी। कभी लड़के की नौकरी कभी लड़के का घर पैसे का लालच दे कर उसे जबरदस्ती तयार किया गया था लड़के को दिखाने के लिए। उसकी मां भी दुखी थी लेकिन कुछ कर नही सकती थी। कुछ देर में लड़का और उसकी मां आ गए। उसके परिवार में बस यही दो थे लड़का किसी सरकारी नौकरी में मुलाजिम था। लड़का दिखने में ठीक था। "बेटा घर का सारा काम कर लेती हो ना?" उस लड़के की मां ने मोना के आते ही अपने सवाल दागने शुरू कर दिए थे। मोना ने सिर्फ सर हां में हिला दिया था। वो काफी कुछ पूछती रही लेकिन उसने कोई जवाब न दिया सिर्फ हा में सर हिलाती गई। उसकी इच्छा नहीं बची थी कुछ बोलने की। उस लड़के की मां ने पहले से तैयार की हुई अपनी दहेज की लिस्ट भी उन्हें थमा दी थी। लड़के ने उस से अकेले में बात करने की इच्छा जाहिर की वो उस पर भी कुछ ना कह सकी और उसकी दादी ने उसे उस लड़के के साथ भेज दिया था। "देखिए मैं आपसे शादी नही कर सकती" मोना ने एकांत में पहुंचते ही कहा। लड़का असमंजस में उसे देखता ही रहा फिर पूछा बैठा "क्यो??" उसे कुछ न सूझा तो वही घिसा पिटा डायलोग मार दिया "मैं किसी और से प्यार करती हूं और उसी से शादी करूंगी" लड़का उसकी बात सुन कर तुनक गया क्यों की ये उसके किसी ने तीसरी बार रिजेक्ट किया था। उस से ये बर्दाश्त नहीं हुआ और वो भुनभुनाता हुआ बाहर पहुंचा और सबको सब कह सुनाया। " चलिए मां यहां को रिश्ता नही होगा।" उसने कहा और मां को लेकर चलता बना। वहीं मोना रिश्ता न होने की खुशी थी वहीं इसका रिजल्ट सोच कर मन में खौफ सर उठा रहा था। उनके जाते ही उसके पापा ने उसके एक थप्पड खीच कर मार दिया। जिसके लिए वो पहले से तैयार ना थी और जमीन पर का गिरी। प्लीज कमेंट्स करे और बताए कैसा लगा आप लोगो को पार्ट। हर हर महादेव ♥️
मोनिका के पापा आज बहुत गुस्से में थे उन्हें ये उम्मीद नही थी की मोनिका ऐसा उस लड़के को माना कर देगी। वो गुस्से में उसके पास गए और चिल्लाते हुए पूछा "क्यो नही करना चाहती शादी? क्या परेशानी है तुझे?" वो झल्ला गए थे। उन्हे डर था कही उनके छोटे भाई की तरह उनकी बेटी भी लव मैरिज न कर ले। उन्हे लव मैरिज और लव मैरिज करने वाले दोनो ही पसंद नही थे। बस यही एक कारण था जिसकी वजह थी मोना की जल्दी शादी। "मुझे नही चाहिए कोई आपके जैसा। मैं नही होने दूंगी खुद के साथ वो सब जो आपने मेरी मम्मी के साथ किया" मोनिका को भी गुस्सा आ गया था उसने वो सब कह दिया जो उसे शायद सबके सामने नही कहना चाहिए था। "क्या हुआ मोना तू ये क्या बोल रही है? क्या किया है तेरे पापा ने मेरे साथ?" लता जी को भी घबराहट होने लगी थी इसलिए वो उस से पूछने लगी। मोना ने देखा वो उसके पापा के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था और उसकी दादी और मम्मी उसे सवाल भरी निगाहों से देख रही थी। जैसे जानना चाहती हो की क्या किया है उसके पापा ने। मोना ने सब की तरफ देखा और उठ कर अपने कमरे में चली गई। वो जानती थी की अगर वो बात बाहर आई तो किस पर क्या असर पड़ेगा इसलिए वो चुप ही रही। मोना के पापा को बहुत टेंशन होने लगी थी की अगर मोना ने कुछ बता दिया तो क्या होगा। अब वो जल्द से जल्द कुछ करना चाहते थे ताकि उनका राज राज ही रह सके। वहीं लता जी और किशोरी जी अब भी इसी सोच में गुम थी की मोना ने ऐसा क्यों कहा लेकिन वो ये भी जानती थी की मोना नही बताने वाली। दूसरी तरफ़ अहीर आज बहुत टेंशन में चक्कर काट रहा था और अर्जुन उसे देख रहा था लेकिन अब उसका सर दुखने लगा था। "कितने किलोमीटर हो गए?" अर्जुन ने अहीर से पूछा। अहीर उसे नासमझी से देख रहा था जैसे पूछना चाह रहा हो क्या मतलब है उसका। " नही तू इतनी देर से नाप रहा है ना तो मुझे लगा की पता चल गया होगा की कितने किलोमीटर हो गए है" अर्जुन हल्के गुस्से से बोला। उसकी बात सुन कर अहीर खीझ गया था। "तुझे और कोई काम नही है क्या जो मुझे इरिटेट करता रहता है?" अहीर ने भी अब गुस्से से बोला। "साले भूल मत तेरा ही असिस्टेंट हु और यही काम है मेरा" "सॉरी यार अर्जुन लेकिन तू जानता है ना टेंशन में मुझे कुछ नही सूझता क्या करू और क्या नहीं" अहीर निराश सा होकर बैठ गया। "बताएगा भी की क्या हुआ है ? "यार पापा ने मिलने बुलाया है।" अहीर डरी हुई आवाज में बोला। "हा तो पापा ने ही बुलाया है ना दर तो ऐसे रहा है जैसे खुद यमराज ने बुला लिया हो" अर्जुन बेफिक्री से लेटेते हुए बोला। अहीर को उसकी बात पर अब गुस्सा आ गया और उसने अर्जुन की गर्दन दबोच ली। "साले तुझे पता है ना जब भी में पापा से मिलने जाता हूं कुछ न कुछ गड़बड़ होती ही है।" "हा यार ये बात तो तेरी सही है। लास्ट टाइम भी तेरी लड़ाई हुई थी उनसे और तू यह आ गया था" अर्जुन कुछ याद कर के बोला। "वही तो" अहीर को कुछ समझ नही आ रहा था की वो क्या करे और क्या नहीं। "तू चिंता मत कर मैं भी तेरे साथ चलूंगा सब ठीक होगा" अर्जुन उसे दिलासा देता हुआ बोला। लेकिन वो खुद भी कहीं न कहीं ये बात जनता था की कुछ तो झोल हुआ है इस बार भी। मोना अपने कमरे में बैठी किसी सोच में गुम थी। उसे यार आने लगा वो दिन जब उसने अपने पापा को किसी से बात करते हुए सुना। फ्लैशबैक " हा यार आ जाऊंगा तेरे पास फिर जो तू कहेगी मैं तेरे लिए वो सब करूंगा तू चिंता क्यों करती है" प्रकाश किसी को अस्वस्त कर रहे थे। मोना किसी काम से उनके कमरे में आई तो उनकी बातो को सुनने लगी। वो सुनना नही छाती थी लेकिन उसके कानो में प्रकाश की बाते पड़ी तो वो रुक गई। "हा मैं भी तुझसे बहुत प्यार करता हूं शीतल" प्रकाश जी का इतना कहना था और मोना की हाथ से टेबल पर रखा वास टूट गया। इस से प्रकाश का ध्यान मोना पर गया तो उन्होंने तुरंत फोन काटा और मोना की तरफ बढ़ गए। "तू यहां क्या कर रही है?" उन्होंने अपनी हड़बड़ाहट छुपाते हुए कहा। "आपका अफेयर चल रहा है ना किसी के साथ?" मोना कांपती आवाज में सवाल किया। "हा चल रहा है तो?" प्रकाश ने भी पूरी बेशर्मी के साथ जवाब दिया। मोना एक दम से लड़खड़ा गई उसे यकीन ही नहीं हुआ की जो उसने सुना वो सच है या झूट। जिसे वो अपना हीरो मानती थी वो एक धोखेबाज इंसान निकले। "मैं सबको जाकर बता दूंगी ये" मोना ने गुस्से से कहा। "ठीक है बता दे मेरा काम आसान हो जाएगा फिर लता को बाहर निकाल कर शीतल को घर ले आऊंगा मैं" उन्होंने जैसे अपनी प्लानिंग हो मोना के सामने रख डी थी मोना ने कोई जवाब नही दिया और चुप हो गई। जानती थी की वो चुप रह कर गलत कर रही है लेकिन वो खुद मजबूर थी ना खुद के किए कुछ कर पा रही थी और ना अपनी मां के लिए इसलिए उसने चुप्पी साध ली थी। कहीं न कहीं वो इसका परिणाम भी जानती थी की ये सब जानने के बाद उसकी मां बुरी तरह से टूट जायेगी। "दीदी सुनो ना" मोना का ध्यान सही की आवाज से टूटा जो उसे बहुत देर से बुला रहा था। वहीं प्रकाश जी भी आज के मोना के बिहेवियर से बहुत टेंशन में थे उन्हें दर था की कहीं उनका राज खुल ना जाए नही तो कयामत आ जानी है। उन्होंने कुछ सोचा और मुस्कुरा दिए। प्लीज कमेंट्स एंड शेयर थिस स्टोरी। हर हर महादेव ♥️
अहीर और अर्जुन उदयपुर आ चुके थे अहीर के पापा से मिलने। राजवीर राजवंशी उदयपुर के एक जाने माने बिजनेसमैन थे और अहीर को भी वो अपनी तरह बिजनेसमैन बनाना चाहते थे लेकिन अहीर को कभी भी उनके बिजनेस में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसे हमेशा से मच अलग करना था इसलिए उसने एक्टिंग में हाथ आजमाया और वो सफल भी हुआ। आज अहीर राजवंशी एक जाना माना नाम था जो अपने प्रोफेशन में काफी अच्छा था। उनकी गाड़ी एक ब्लैक कलर के बड़े से गेट पर रूकी जिस पर राजवंशी पैलेस लिखा हुआ था। उनकी गाड़ी अंदर एंटर हुई जहां पर काफी बड़ा गर्दन था जिसकी एक साइड में एक बहुत खूबसूरत सा फाउंटेन लगा हुआ था जो एक लड़की की आकृति में था जो दिखने में सजीव लगती थी। गर्दन को क्रॉस कर के बहुत बड़ा पैलेस था जो व्हाइट कलर में खूबसूरती से खड़ा हुआ था। अहीर और अर्जुन अंदर चले गए। सामने एक बहुत बड़ा हाल था जहां सोफे रखे हुए थे और कुछ दूरी पर लेफ्ट साइड में एक बड़ा सा डाइनिंग टेबल था जो शायद वहां के लोगो के हिसाब से बहुत बड़ा था। ठीक सामने बहुत बड़ी और खूबसूरत घुमावदार सीढियां थी जिनके ऊपर काफी बड़ा और लंबा झूमर लटक रहा था। वहां का फर्नीचर भी बहुत एंटीक लग रहा था। वो दोनो घर पहुंचे और राजवीर जी उन्हे हाल में ही बैठे मिल गए थे। राजवीर जी इन दोनो को देख कर खुश हुए। उन्हे आया देख घर के सर्वेंट उनको पानी और बाकी का सामान सर्व करने लगे जैसे उन्हे उन दोनो के आने की खबर बहुत पहले से ही हो। वो दोनो चुप चाप बैठ गए और राजवीर जी के बोलने का वेट करने लगे। जब उन्होंने बहुत देर तक कुछ भी नही बोला तो हार कर अहीर हि बोला " डैड आपने किसी इंपोर्टेंट काम के किए हमे यहां बुलाया था?" राजवीर जी ने एक नजर उन्हे देखा और बहुत शांत स्वर में बोला " पहले तुम दोनो जाकर फ्रेश हो जाओ तब आराम से बात करेंगे" अहीर उनके सस्पेंस से खीज रहा था लेकिन कुछ नही बोला और चुप चाप उठ कर अपने कमरे में चला गया। अर्जुन भी उसके पीछे पीछे अपने कमरे में चला गया। राजवीर जी जब किसी मीटिंग खतम कर के चंद्रिका जी (अहीर की मम्मी) के साथ वापिस आ रहे थे तब उन्हे एक बच्चा भागता हुआ उनकी गाड़ी की तरफ आता दिखा। उन्होंने उस बच्चे को देख कर गाड़ी रोकी और देखा वो बच्चा बहुत दुखी था और उसके पीछे लोग भाग रहे थे। चंद्रिका जी ने देखा उस बच्चे की उम्र करीब 2 या 3 साल होगी। सावला रंग का वो बच्चा सूखे होठ और गालों पर बने आंसुओ के निशान उनके दिल को भेद गया था। चंद्रिका जी ने राजवीर जी को देखा तो वो बिना कहे उनके मन का हाल समझ गए थे। उन्होंने उन लोगो से उस बच्चे के पीछे भागने का कारण पूछा तो पता चला वो बच्चा खाने का सामान लेकर भाग रहा था ये सुन कर चंद्रिका जी को और भी ज्यादा दुख हुआ और उस बच्चे को गले लगा लिया। राजवीर जी ने इस दुकान के मालिक जिसका समान वो बच्चा लेकर भागा था उसको पैसे दिए और उस बच्चे को अपने साथ ले आए। चंद्रिका जी के कहने पर ही उन्होंने इस बच्चे को ऑफिशियली एडॉप्ट कर लिया और उसका नाम अर्जुन रखा। अहीर भी इस वक्त 4 साल का था और अपने नए भाई को देख कर बहुत खुश हुआ था। राजवीर और चंद्रिका जी ने कभी अहीर और अर्जुन में फर्क नही किया था वो दोनो उनके लिए बराबर थे। अर्जुन और अहीर भाई होने से ज्यादा पक्के दोस्त थे जो अपना हर सुख दुख सांझा करते थे। उनके और फैमिली के अलावा कोई नही जानता था की वो सगे भाई नही है। कुछ देर बाद अर्जुन अहीर के कमरे में पहुंचा तो वो एक उधर चक्कर लगा रहा था। वो समझ गया था की अहीर टेंशन में है तभी वो ऐसे कदम ताल करता है। "तू चिंता मत कर यार मैं डैड से बात करूंगा सब ठीक होगा हो सकता है जो तू सोच रहा हो वैसा कुछ हो ही न" अर्जुन उसे दिलासा देते हुए बोला तो अहीर उसकी तरफ एक व्यंग्यात्मक हसी हसी दिया जैसे के रहा हो की डैड तेरी बात मानेंगे? कभी नही😏 खेर उन दोनो की बातो पर ब्रेक तब लगा जब एक नौकर ने आकर उन्हें बताया की उनके डैड उन्हे नीचे बुला रहे है। वो दोनो भी चुप चाप नीचे चले आए और राजवीर जी के सामने बैठ गए और उनके बोलने का इंतजार करने लगे। "मै चाहता हूं अब बिजनेस तुम्हारे हाथ में सौप दू" राजवीर जी ने बिना किसी भाव के सपाट लहेजे में कहा। अहीर कुछ कहता उस से पहले ही अर्जुन बोल उठा " डैड मैं आपकी हेलो कर दूंगा बिजनेस में आओ अहीर को उसकी एक्टिंग कंटिन्यू करने दे" राजवीर जी ने उसे एक तीखी नजर से देखा तो वो दर कर चुप हो गया। "मैने तुम दोनो को बिजनेस संभालने को कहा है किसी एक को नही" राजवीर जी ने कहा तो ये बात उन दोनो पर किसी बॉम्ब की तरह गिरी जैसे अब वो उठ नही पाएंगे। अब वो एक दुसरे की शकल देख रहे थे जैसे कह रहे हो ये हमने नही सोचा था। "तुम दोनो कंपनी में काम करोगे और फिर में डिसाइड करूंगा की कौन MD बनेगा और कौन CEO बनेगा" उन दोनो से कोई जवाब न पाकर राजवीर जी फिर बोले। वो दोनो अब पूरी तरह से शॉक में थे। सिरोही प्रकाश जी ने जब से मोनिका का वो रूप देखा था उन्हे अपने अंदर कुछ टूटता सा महसूस हो रहा था लेकिन क्या ये उनकी समझ से बाहर था। कल फिर एक रिश्ता मोनिका के लिए आया था जो किशोरी जी के किसी जानने वाले ने उन्हे बताया था। इस बार मोनिका ने कुछ नही कहा ना कोई हंगामा किया वो चुप चाप उनकी हा में हा मिलती रही। वो अब थक चुकी थी इस सब से। अगले दिन घर में सारी तैयारियां ही चुकी थी लड़के वाली के लिए। कुछ देर में उनका इंतजार खत्म हुआ और लड़के वाले आ गए। लड़का उसकी मां और उसकी भाई आई थी लड़के के पिता नही थे बस एक बड़ा भाई और मां ही थी। कुछ समय बाद मोनिका को भी बुलाया गया वो भी चुप चाप किसी कठपुतली की तरह वहां आ कर बैठ है। लड़का एक टक उसे देख रहा था वहीं लडके की मां और भाभी उस से अजीब अजीब से प्रश्न पूछ रही थी जो उसके गुस्से के इम्तेहान के रहे थे लेकिन फिर भी वो खुद को जब्त कर के बेटी रही। "बेटी तुम्हारा किसी और के साथ कोई चक्कर तो नही है ना कहीं किसी के साथ भाग जाओ शादी से पहले ही" लड़के की मां ने हस्ते हुए मोना से पूछा जो उसके सब्र के बांध को तोड़ गया और उसका गुस्सा जलजला बन कर बाहर आने को ही था की उसके कानो में एक आवाज पड़ी। "बससससस" प्रकाश जी जोर से चिल्लाए। उनकी बेटी की तरह उनका भी सब्र अब जवान दे गया था। "बहुत सुन ली मैने आप लोगो की बकवास अब चुप चाप यहां से निकल जाइए। आप लोगो के घर शादी करने से अच्छा मैं अपनी बेटी को जिंदगी भर कुआरा रखने को तैयार हूं" प्रकाश जी ने एक एक शब्द चबा कर कहा। "देखिए भाई साहब आप हमारी ऐसे बेजजती नही कर सकते" उस लड़के की मम्मी ने तुनक कर कहा। "अभी बेज्जती की नही है इसलिए कह रहा हु चुप चाप निकल जाइए" प्रकाश जी फिर गुर्राये। वो सब लोग उठे और वहां से निकल गए उनके जाते ही किशोरी जी भी भड़क उठी। "ये क्या था प्रकाश तूने ऐसा क्या किया" किशोरी जी बुरा सा मुंह बना कर बोली। "मां ये आप पूछ रही है? देखा नही आपने उन्होंने कैसे बात की मेरी बेटी के बारे में?"प्रकाश जी अविश्वास से अपनी मां को देख कर बोले। "हा तो क्या गलत कहा सही ही तो पूछा था" किशोरी जी तंज कसते हुए बोली। "बस मां बहुत ही गया। खबरदार जो अपने मेरी बेटी के बारे में कुछ भी बुरा कहा तो मैं बिलकुल बर्दाश्त नहीं करूंगा" प्रकाश जी एक बार फिर गुस्से का घूट पी कर बोले। उन्होंने एक बार मोना को देखा और उस से कहा " अभी तेरी शादी नही होगी तुझे पुलिस में जाना था ना तू जा सकती है जा जाकर तैयार कर" अपने पापा के मुंह से ये सब सुन कर मोना की आंखे नम हो गई और वो उस के गले लग कर रो पड़ी। प्लीज कमेंट्स करे और शेयर करे इस स्टोरी को हर हर महादेव ♥️
देवांश अपने बाथरूम में शावर के नीचे खड़ा अमारा के बारे में सोच रहा था। उसे अमारा का व्यवहार कुछ समझ नही आ रहा था या कुछ ऐसा था जो उसे खटक रहा था क्यों की वो लड़की दिन में कुछ और रात में कुछ और ही बिहेव करती थी। उसने अपना सर झटका और बाहर आ गया जहां अमारा बैड पर बैठी कुछ सोच रही थी। "क्या सोच रही हो?" वो भी थोड़ी दूरी बना कर बैड पर बैठ गया। "कु..... कुछ नही।" अमारा एक बार फिर डरने लगी और उस से दूर खिसक गई। देवांश का माथा अब ठनक रहा था की आखिर ऐसा क्या है जो उसे नही पता लेकिन अभी के लिए उसने शांत रहने का सोचा। "ठीक है फिर सो जाओ सुबह तुम्हे कॉलेज भी जाना है।" उसने अपनी बात खतम की ओर लेट गया वहीं अमारा उसे देखते हुए धीरे धीरे बिस्तर में खिसक गई और खुद को पूरी तरह अपने ब्लैंकेट में छुपा लिया। देवांश ने उसे एक नजर देखा और फिर खुद भी से गया। लूका रात के करीब नौ बजे घर पहुंचा। उसने अपनी गाड़ी पार्किंग में लगाई और अंदर चला गया। अंदर हमेशा की तरह सब कुछ शांत था जिसका उसे पहले से ही अंदाजा था। तभी एक नौकर ने आकर उसे पानी दिया। "माइक कहां है?" उसने पानी का एक घूट लेते हुए पूछा। "सर वो अपने कमरे में है। आज कहीं बाहर गए थे और जब से आए है अपने रूम में ही है खाना भी नही खाया उन्होंने।" उस नौकर ने एक ही बार में सारी रामायण कह सुनाई। "ठीक है तुम जाओ।" उसने ग्लास दोबारा उस नौकर को थमाया और अपना रुख माइक के रूम की ओर किया। लूका ने धीरे से में के रूम का दरवाजा खोला तो उसे वो सामने ही अपने बेड पर सिकुड़ा हुआ बैठा दिखाई दिया। उसके लिए माइक का ऐसे बैठे रहना नॉर्मल बात ठीक क्यों की माइक अक्सर ऐसे बैठ जाया करता था। वो धीरे से उसके पास पहुंचा और उसके कंधे पर हाथ रख दिया। माइक जो अपने घुटनो में अपना सर दबाए बैठा था उसने सर ऊपर किया तो लूका शॉक रही गया। माइक बुरी तरह से रो रहा था जिसकी वजह से उसके गाल उसकी नाक और आंखे सब लाल हो चुकी थी। उसे ऐसे देख कर लूका को अपने दिल में एक तेज दर्द महसूस हुआ। वो कुछ कहता और पूछता उस से पहले ही माइक आगे बढ़ा और लूका से चिपक गया। लूका देवांश का सिक्योरिटी हेड जिस वजह से वो एक अच्छी खासी बॉडी का मालिक था। वो करीब 6’3 की हाइट का था वहीं माइक करीब 5’8 का थोड़ा दुबला सा था जिस वजह से वो लूका के सामने छोटा सा दिखता था। माइक लूका के गले लगा हुआ था तो लूका ने भी उसे कस के खुद से सटा लिया। वो छोटा सा माइक लूका के सामने सच में बहुत छोटा सा लग रहा था जैसे किसी शेर के सामने कोई चूहा। लेकिन अभी इस चूहे के साथ ये शेर भी दर्द में था। आज ये पहली बार हुआ था की किसी को सिर्फ रोता देख लूका को खुद के अंदर कुछ टूटता महसूस हुआ हो वरना उसने तो न जाने कितने आदमियों की जान की थी। जो मरने से पहले गिड़गिड़ाते थे लूका को तो आज तक उन्हे देख कर भी दर्द या दुख का एहसास नहीं हुआ था तो आज भला इस भोले से इंसान को देख कर उसे ऐसा क्यों महसूस हुआ था। लूका ने अपना सर झटका और माइक के सर को सहलाने लगा। अभी उसके लिए अपने सवालों के जवाब खोजने से ज्यादा माइक जरूरी था। माइक के कुछ देर रो लेने के बाद भी जब वो चुप नही हुआ तो लूका ने उसे खुद से अलग किया और उसके चेहरा अपने हाथो में थाम लिया। "क्या हुआ है इतना क्यों रो रहे हो?" उसने बहुत प्यार से सवाल किया। माइक कुछ नही बोला उसकी आंख से बस आंसू बहते रहे जो लूका को और दुखी करने के लिए काफी थे। "प्लीज माइक रोना बंद करो ना मुझे अच्छा नही लग रहा तुम्हारा रोना।" लूका ने एक बार फिर उसे अपने गले लगा लिया था। "में.... मेरी क्या गल... गलती है लूका को मेरे पेरेंट्स मुझे अकेला छोड़ कर चले गए? मेरे अंकल वो हमेशा मुझसे इतनी नफरत क्यों करते है मैने क्या बिगाड़ा है उनका? कोई मुझ से प्यार क्यों नही लूका बोलो ना क्यों नही करता कोई मुझ से प्यार? मैं सच्ची मे बिलकुल बुरा नही हूं हमेशा सब की मदद करता हूं फिर भी लोग मेरे साथ ऐसा क्यों करते है?" माइक रोते रोते ये सब कह रहा था। कितना दर्द इस वक्त माइक के दिल में था उतना ही दर्द कोई भी लूका के चेहरे पर देख सकता था। "मुझे पता है माइक तुम बिल्कुल भी बुरे नही हो। जो लोग तुम्हारे सत्य बुरा करते है वो बुरे है समझे तुम्हे खुद को दोष देने की कोई जरूरत नही है। और किसने कहा कोई तुमसे प्यार नहीं करता मैं करता हूं ना तुमसे प्या..... मेरा मतलब है मैं हूं ना तुम्हारे साथ जो कभी तुम्हारे साथ न कुछ गलत करेगा ना कुछ गलत होने देगा।" उसने माइक को खुद से अलग कर कहा जिस पर माइक अपना रोना भूल कर उसे ही देखे जा रहा था। "क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे और कभी मेरे साथ बुरा नही करोगे?" उसने जल्दी से अपनी नम आंखे साफ करते हुए सवाल किया जिस पर लूका मुस्कुरा दिया। "हा बिलकुल हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा तुम जाना चाहोगे तो भी नही जाने दूंगा।" उसने खड़े होते हुए कहा साथ ही अपना एक हाथ माइक की ओर बढ़ा दिया जिसे पकड़ कर वो खड़ा हो गया। माइक को लूका की पूरी बातें तो समझ नही आई थी लेकिन वो इस बात से बेहद खुश था की लूका उसके साथ कुछ बुरा नही करेगा और उसके साथ रहेगा। माइक का बस से बड़ा डर ही यही था की कहीं उसे अकेला ना रहना पड़े को फिलहाल के लिए लूका ने काम कर दिया था। लूका माइक का हाथ पकड़े हुए ही बाहर हॉल में आ गया जहां उसने माइक को डाइनिंग टेबल पर बैठा दिया और नौकर से कहां लगाने को कहा क्यों की उसे स्तिथि देख कर समझ आ गया था की माइक ने कुछ नही खाया होगा। अब आने वाले वक्त में बस देखना ये है की लूका माइक का कितना खयाल रख पता है रख भी पता है या नही। कमेंट्स और स्टीकर देना ना भूले वरना माइक का दिल टूट जायेगा और किसी का दिल तोड़ना अच्छी बात नही। हर हर महादेव ❤️