Novel Cover Image

"His doll"..... (Beyond the possession)

User Avatar

Farheen Rajput

Comments

13

Views

33162

Ratings

77

Read Now

Description

"कहते हैं मोहब्बत, इस दुनिया का सबसे खूबसूरत तोहफा है, और अपनी मोहब्बत के आगोश में रहना, इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशकिस्मती, लेकिन तब क्या हो, जब यही मोहब्बत आपकी सांसों की घुटन बन जाए, "जब मोहब्बत जुनून बन जाए, और...

Total Chapters (109)

Page 1 of 6

  • 1. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 1

    Words: 896

    Estimated Reading Time: 6 min

    (दिल्ली में स्थित एक घर.....!!) (रात के करीब 12 बजे!!!) इस वक्त तेज बारिश हो रही थी। यह घर एक सामान्य मिडिल क्लास घर से कुछ बड़ा था, और उसकी सारी लाइट्स ऑफ थीं। पूरे घर में सिवाय अंधेरे के कुछ नज़र नहीं आ रहा था। इसी घर के अंदर एक भीगी सी लड़की मौजूद थी जिसके कपड़े पूरी तरह से गीले थे। उस लड़की के माथे पर पसीना था, होंठ डर और घबराहट से कांप रहे थे, और उसका दिल मानो किसी बुलेट ट्रेन की भांति धड़क रहा था। वह इस घने अंधेरे में किसी शख्स की आती आवाज़ को सुनते हुए उसे देखने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उस लड़की के चेहरे के डर और घबराहट से यह साफ मालूम पड़ रहा था कि यह आवाज़ जिस किसी की भी थी, उससे इस लड़की का डर या कोई बुरी याद जुड़ी थी, और यकीनन वह इस आवाज़ को पहली बार नहीं सुन रही थी। लड़की (गुस्से और डर के मिले जुले भाव से): कौन हो तुम.....सामने क्यों नहीं आते.....आखिर क्यों मेरी जिंदगी जहन्नुम बनाई हुई है तुमने.....सामने आओ मेरे.....आखिर क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा.....सामने आओ मेरे? आवाज वाला शख्स (सर्द आवाज़ में): यू आर माय डॉल....माय प्रीशियस डॉल.....माइन टू टच....माइन टू लव....यू आर ओनली माइन....माय डॉल आर्वी। और बहुत जल्द तुम्हें मैं यहां से, इस दुनिया से दूर ले जाऊँगा, जहाँ सिर्फ तुम और मैं होंगे। जहाँ तुम्हें देखने वाली नज़रें सिर्फ मेरी होंगी, और जहाँ तुम्हें मेरी इजाज़त के बिना हवा का झोंका भी नहीं छू पाएगा। और तुम जितना मुझसे दूर भागोगी, उतना ही मुझे अपने करीब पाओगी...क्योंकि तुम चाहो या ना चाहो, मैं डेस्टिनी हूँ तुम्हारी...जिसे तुम, यह दुनिया या कोई भी कभी नहीं बदल सकता.....सो बी रेडी माय डॉल! लड़की, यानी अयाना, जब उस शख्स की बात सुनती है, तो और भी ज़्यादा घबरा जाती है। वह घने अंधेरे में ही अपने घर के मेन दरवाज़े की तरफ़ दौड़ पड़ती है। और दरवाज़े से बाहर आकर, गार्डन से दौड़ते हुए बाहर की तरफ़ दौड़ने लगती है। कि अचानक वह सामने की तरफ़ से किसी से टकरा जाती है, और टकराने के साथ ही अयाना की डर और घबराहट से चीख निकल जाती है.....!!!!! (Main Characters) आरव: अयाना की मोहब्बत, या यूँ कहें कि अयाना उसका ऐसा जुनून है जिसके लिए वह अपनी जान भी कुर्बान करने से पीछे नहीं हटे। आरव की ज़िंदगी के कुछ अनसुलझे से हिस्से हैं। उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सपना सिर्फ अयाना से शादी करके उसे अपना बनाना है, और यह दिन उसकी ज़िंदगी में आया भी। और इस मौके पर यही दिन उसकी ज़िंदगी में एक तूफ़ान बन गया। ऐसा तूफ़ान जिसने उसकी अयाना को उससे ना सिर्फ़ दूर किया, बल्कि हमेशा के लिए छीन भी लिया। और इसी के साथ आज वह अपनी अयाना की नज़रों में एक मुजरिम बना खड़ा था। अयाना: ऐसी लड़की जिसके सपने ही उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी हैं। वह खुले पंछी की तरह बस आसमान में उड़ना चाहती है, बिना किसी बंदिश और बेड़ियों के। उसकी ज़िंदगी में फैमिली के नाम पर सिर्फ़ उसकी माँ है, जिसने हर कदम उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन एक दिन अचानक ही उनकी मौत हो जाने से अयाना टूट गई और अकेली पड़ गई थी। अगर उस वक्त उसकी मोहब्बत उसे सहारा नहीं देती, तो शायद ही वह वापस उठ पाती और खुद को संभाल पाती। अयाना का बस एक ही सपना था कि आरव के साथ मिलकर अपने सपनों को रंग देते हुए अपनी पूरी ज़िंदगी उसके साथ गुज़ार दे। लेकिन किस्मत कब, कैसे, कहाँ बदल जाए, यह किसी को नहीं पता। और कभी-कभी आपकी किस्मत आपको उस मोड़ पर ले जाकर छोड़ देती है जिसका आपने ख्यालों में भी कभी तसव्वुर नहीं किया हो। अयाना के साथ भी यही हुआ जब एक दिन अचानक उसे पता चला कि असल में उसकी मोहब्बत ही उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा डर है, जिसने एक अरसे से उसकी ज़िंदगी को नर्क बना के रखा हुआ था। और उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी शादी का खूबसूरत दिन, जिसका उसने एक अरसे से पल-पल इंतज़ार किया था, वही दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे दर्दनाक दिन जाएगा, और उसकी इकलौती खुशी, उसकी मोहब्बत का असली चेहरा उसके सामने आ गया। और जिस शख्स, देवांश को उसने सिर्फ़ अपना दोस्त समझा था, आखिर में उसी के साथ नियति ने ज़िंदगी भर के लिए उसका भाग्य जोड़ दिया। लेकिन जो कुछ भी हुआ, क्या यह वाकई में भाग्य का खेल था या फिर इसकी डोर असल में इन्हीं तीनों में से किसी के हाथ में थी, यह बात सोचने वाली थी। देवांश: यह एक ऐसा शख्स था जिसकी पर्सनैलिटी बहुत ही मिस्टीरियस थी। हालांकि अयाना के लिए देवांश बहुत ही अच्छा इंसान और उसका अच्छा दोस्त था जिसने उसका साथ तब दिया जब वह अकेली थी। लेकिन आरव को हमेशा अयाना को लेकर देवांश से इन्सिक्योरिटी रहती थी। और उसे हमेशा ऐसा लगता था कि कहीं देवांश उससे उसकी अयाना को छीन ना ले। हालांकि अयाना ने इस मामले को लेकर कई बार आरव को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन हमेशा नाकाम ही रही। "कहते हैं मोहब्बत, इस दुनिया का सबसे खूबसूरत तोहफ़ा है, और अपनी मोहब्बत के आगोश में रहना, इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशकिस्मती, लेकिन तब क्या हो, जब यही मोहब्बत आपकी साँसों की घुटन बन जाए"....!! "जब मोहब्बत जुनून बन जाए, और हो जाएँ सारी हदें पार, तो क्या मंज़िल मिलेगी ऐसे सफ़र को, और मुकम्मल हो पाएगा यह प्यार"??!!! (जानने के लिए पढ़ें👉👉....His doll.....(beyond the possession )

  • 2. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 2

    Words: 1512

    Estimated Reading Time: 10 min

    (इस कहानी में स्थित जगह, स्थान, घटनाएँ, पात्र सब पूरी तरह काल्पनिक हैं। किसी भी जाति, धर्म या इंसान और वास्तविकता से इसका कोई लेना-देना नहीं है। कहानी को सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से ही पढ़ें।) (नई दिल्ली में स्थित एक घर का दृश्य) (रात के करीब 11:30 बजे) दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहाँ की चकचौंध और भागती जिंदगी से हर कोई जानकार है। यहाँ जितनी ज्यादा चकाचौंध है, उससे कहीं ज्यादा यहाँ की जिंदगी भीड़-भाड़ और भागम-भाग वाली है। दिल्ली अपनी खचाखच भीड़ और लोगों के लिए मशहूर है, उतना ही दिल्ली अपनी ऐतिहासिक और लाजवाब इमारतों और ऐतिहासिक धरोहर के लिए भी जानी जाती है। दिल्ली में अगर आप आते हैं, तो आपको यहाँ पर नई-नई और खूबसूरत जगहों पर घूमने का अवसर मिलने के साथ ही यहाँ का खाना खाने का अवसर भी जरूर प्राप्त होगा। और यकीनन यहाँ का खाना खाने के बाद आप कभी भी यहाँ का टेस्ट नहीं भूल पाएँगे, क्योंकि यहाँ का खाना सबसे ज्यादा बेस्ट और लजीज होता है। और खाने की इतनी सारी अलग-अलग वैरायटी और मसालों को लेकर ही दिल्ली को चटोरी दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे ही बहुत सारे और दिलचस्प फैक्ट हैं जो आपको यहाँ सुनने को मिलेंगे। हर साल ना जाने कितने सैकड़ों लोग अपने सपनों को लिए दिल्ली की ओर प्रस्थान करते हैं। कोई जॉब के लिए, तो कोई पढ़ाई के लिए, तो कोई आँखों में कुछ बनने की आशा लिए हुए। ऐसे ही अपने सपनों और आशाओं को लिए हुए लगभग 1 साल पहले अयाना भी दिल्ली आई थी। जिसका सपना सिर्फ इतना था कि वह पढ़-लिखकर ना सिर्फ अपने सपनों को, बल्कि अपनी माँ के सपनों को भी पूरा करते हुए उन ऊँचाइयों पर पहुँचे, जहाँ पर वह खुलकर जी सके, अपने पंख फैलाकर उड़ सके और जहाँ उसकी उड़ान पर कोई पाबंदी, कोई बंदिश ना हो। बस वह खुले आसमान में एक आजाद पंछी की तरह उड़ते हुए अपनी जिंदगी गुजारना चाहती थी। इन्हीं सलोने सपनों के साथ अयाना दिल्ली में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए आई थी। दिल्ली आने से पहले अयाना बहुत ज्यादा एक्साइटेड और खुश थी। लेकिन वह नहीं जानती थी कि दिल्ली आने के बाद उसकी किस्मत और जिंदगी एक अलग ही रूप ले लेगी। और इस तरह से उसकी किस्मत करवट लेगी जहाँ उसके लिए एक लम्हा भी अकेले गुजारना घुटन भरा था। और इस तरह से वह उन अनजान परेशानियों का सामना करेगी, और जिसके बारे में वह किसी को क्या ही कहे, जब असल में वह खुद अपनी परेशानी की वजह नहीं जानती थी। उसका हाल यह था कि ना तो वह किसी से कुछ कह ही पाती थी और ना ही उससे अकेले अपनी प्रॉब्लम सॉल्व हो पा रही थी। अयाना इस छोटे से घर में अपनी एक अच्छी दोस्त कशिश के साथ रेंट पर रहती थी, जो 2 दिन पहले अपने घर गई थी। और पिछले ये 2 दिन अयाना ने किस तरह से, कितनी मुश्किल और डर से इस घर में गुजारे थे, यह वही समझ सकती थी। रात के करीब 11:30 बज रहे थे कि अचानक ही तेज बारिश शुरू हो गई। अयाना को बारिश हमेशा से ही बहुत पसंद थी। उसे बारिश में अपनी बाहें खोल, आँखें मूंदकर भीगना बहुत ही पसंद था। और आज भी जैसे ही बारिश की बूँदें जमीन पर पड़ीं, अयाना अपनी सारी टेंशन और प्रॉब्लम को भूलकर बाहर नीचे गार्डन में भाग आई और अपनी बाँहें खोलकर एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अपनी आँखें मूंदकर बारिश में भीगने लगी। कुछ ही देर में अयाना तेज बारिश से पूरी भीग चुकी थी कि तभी अचानक से पूरे घर की लाइट चली गई और चारों ओर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा हो गया। यह देख अयाना का दिल घबरा गया और वह डर से वापस घर की ओर बढ़ गई। अयाना पूरी भीगी हुई थी और जैसे ही वह लिविंग एरिया में पहुँची, कि उसे अपने घर में किसी के होने की आहट सुनाई दी। और यह महसूस करते ही अयाना का दिल मारे डर के जोर से काँपने लगा, क्योंकि अंधेरा बहुत ज्यादा था, इसीलिए अयाना को कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था और ना ही उसकी इतनी हिम्मत हो रही थी कि वह यहाँ से भाग सके, कि अचानक घर में मौजूद शख्स के शब्द सुनकर अयाना का दिल डर से और भी ज्यादा घबरा उठा और भीगे हुए होने के बावजूद भी उसके माथे पर डर से पसीने की बूँदें छलक पड़ीं। शख्स (धीमे मगर डीप लहजे में): हैप्पी बर्थडे माय डॉल!! अयाना (घबराते हुए): तु...तुम य...यहाँ कैसे?? शख्स (घमंड भरे लहजे में): कहा था ना तुमसे कि तुम्हारे करीब आने से, तुम्हारे आसपास रहने से तुम तो क्या साक्षात ईश्वर भी मुझे नहीं रोक सकते। अयाना (गुस्से और डर के मिले-जुले भाव से): कौन हो तुम? सामने क्यों नहीं आते? आखिर क्यों मेरी जिंदगी जहन्नुम बनाई हुई है तुमने? सामने आओ मेरे। आखिर क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा? सामने आओ मेरे। आवाज वाला शख्स (सर्द आवाज़ में): वो डेस्टिनी हूँ तुम्हारी, जिसे दोनों जहाँ की गाथाएँ मिलकर अब मिटा नहीं सकतीं। अयाना (लगभग चिल्लाते हुए): बकवास बंद करो अपनी। ऐसा कुछ नहीं होगा, कभी नहीं होगा। आवाज वाला शख्स (एक पल के लिए तंज भरी हँसी हँसकर गंभीर और डोमिनेटिंग लहजे में): यू आर माय डॉल, माय प्रीशियस डॉल, माइन टू टच, माइन टू लव, यू आर ओनली माइन, माय डॉल। और बहुत जल्द तुम्हें मैं यहाँ से इस दुनिया से दूर ले जाऊँगा, जहाँ सिर्फ तुम और मैं होंगे, जहाँ तुम्हें देखने वाली नज़रें सिर्फ मेरी होंगी और जहाँ तुम्हें मेरी इजाजत के बिना हवा का झोंका भी नहीं छू पाएगा। और तुम जितना मुझसे दूर भागोगी, उतना ही मुझे अपने करीब पाओगी, क्योंकि तुम चाहो या ना चाहो, मैं डेस्टिनी हूँ तुम्हारी, जिसे तुम, ये दुनिया या कोई भी कभी नहीं बदल सकता। सो बी रेडी माय डॉल। एक साल, सिर्फ 1 साल है तुम्हारे पास। आज ही के दिन अगले साल मेरी बनाई खुद की दुनिया में तुम्हारा जन्मदिन मैं और तुम साथ में मनाएँगे। और तब तक ना सिर्फ मेरे नाम से तुम्हारा नाम जुड़ जाएगा, बल्कि तुम्हारी किस्मत मेरी किस्मत से आखिरी साँस तक के लिए जुड़ जाएगी। एंड आई प्रॉमिस दैट। अयाना जब उस शख्स की बात सुनती है, तो और भी ज्यादा घबरा जाती है और घने अंधेरे में ही अपने घर के मेन दरवाज़े की तरफ़ दौड़ पड़ती है। और दरवाज़े से बाहर आकर गार्डन से दौड़ते हुए बाहर की तरफ़ दौड़ने लगती है कि अचानक वह सामने की तरफ़ से किसी से टकरा जाती है और टकराने के साथ ही अयाना की डर और घबराहट से चीख निकल जाती है। और वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने चेहरे पर ढँककर लगातार डर से, डर और घबराहट से जी रही थी। शख्स (अयाना की हथेलियों को अपने हाथ में थामकर अयाना को शांत करने की कोशिश करते हुए): क्या हुआ अयाना? व्हाट्स रॉन्ग विथ यू? अयाना (अपनी हड़बड़ाहट में खोए हुए ही लगातार अपना सर ना में हिलाते हुए): नहीं, छोड़ दो मुझे, छोड़ दो। क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा? जाने दो मुझे, जाने दो। शख्स (लगभग अयाना को झकझोरते हुए): व्हाट्स रॉन्ग विथ यू अयाना? मैं हूँ, मैं… आरव… और तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो? अयाना जब उस शख्स के मुँह से अपना नाम सुनती है, तो जैसे अपने शॉक से बाहर आती है और इस वक़्त उसे बिलकुल ऐसे महसूस हो रहा था, जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिल गया हो। और उसका नाम सुनते ही अयाना एक पल की भी देरी किए बिना आरव के गले लग बेतहाशा सुबकने लगती है। और आरव भी उसे शांत करने के लिए उसे वापस गले लगाते हुए प्यार से उसका सर सहलाने लगता है। आरव (परेशानी भरे लहजे में): व्हाट्स रॉन्ग विथ यू अयाना? क्या हुआ है? जब तक तुम मुझे कुछ बताओगी नहीं, तो मुझे कैसे पता चलेगा कि आखिर तुम क्यों इतनी परेशान हो? अयाना (सुबकते हुए): व…वो…वो यहाँ आया था, वो यहाँ भी आ गया आरव… (घबराकर रोते हुए) …वो मुझे नहीं छोड़ेगा और उसने कहा है कि वह मुझे जल्द ही अपने साथ अपनी दुनिया में ले जाएगा। आरव (असमंजस से): आखिर किसकी बात कर रही हो तुम और कौन आया था यहाँ? अयाना (आरव से अलग होकर उसकी आँखों में देखते हुए): वही कभी ना दिखने वाला शख्स, जिसकी सिर्फ आवाज़ ही मुझे सुनाई आती है। आरव अयाना की बात सुनकर खामोशी से उसकी तरफ़ देखने लगता है। अयाना (दुखी भाव से): दूसरे लोगों की तरह तुम्हें भी यही लगता है ना आरव, कि ऐसा कोई शख्स है ही नहीं, बल्कि यह सब सिर्फ मेरे दिमाग की उपज है, मेरी इमेजिनेशन है… (लगभग रोते हुए) …पर मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ आरव, मेरा यकीन करो, ऐसा शख्स सच में है, जो मुझे बार-बार तंग करता है, मुझे मेंटली टॉर्चर करता है। वह सच में है आरव, यह मेरी कोई इमेजिनेशन या सिर्फ धोखा नहीं है। वह सच में है… प्लीज़ बिलीव मी आरव… (बेबसी से रोते हुए) …मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ, नहीं हूँ मैं झूठी… बिलीव मी। इतना कहकर अयाना की आँखों से बेबसी और लाचारी के आँसू बहकर उसके गालों पर आ गए। अयाना की आँखों में आँसू देख आरव की आँखों में एक बेचैनी सी उमड़ पड़ी और उसने अयाना के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए, प्यार से उसके गालों पर आए आँसू को अपने अंगूठे से साफ़ किया। आरव (अयाना की आँखों में देखते हुए): मैं नहीं जानता कि लोग क्या कहते हैं और क्या सच या क्या झूठ है। मैं जानता हूँ तो बस इतना कि आई बिलीव यू। मुझे तुम पर खुद से ज्यादा भरोसा है, फिर चाहे दुनिया कुछ भी कहे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। (तो आपको क्या लगता है यह सब जो भी अयाना के साथ हो रहा था, यह महज़ उसके दिमाग की उपज और उसकी इमेजिनेशन थी? या वाकई कोई ऐसा था जिसने अयाना की यह हालत की हुई थी?)

  • 3. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 3

    Words: 1988

    Estimated Reading Time: 12 min

    आरव (अयाना की आंखों में देखते हुए): मैं नहीं जानता कि लोग क्या कहते हैं… और क्या सच या क्या झूठ है… मैं जानता हूँ तो बस इतना… कि आई बिलीव यू… मुझे तुम पर खुद से ज़्यादा भरोसा है… फिर चाहे दुनिया कुछ भी कहे, मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता!!! अपनी बात कहकर आरव ने अयाना के माथे से अपना माथा टिकाया और वहीं खड़ा रहा। अयाना कुछ पल खामोशी से खड़ी रही, जब तक उसे यह एहसास नहीं हुआ कि वह बीच रास्ते पर खड़ी है और इस वक्त आरव उसके साथ है। वह शुक्रगुज़ार थी कि तेज बारिश और अंधेरे की वजह से किसी ने भी उसे आरव के साथ इतने करीब नहीं देखा था। वरना यहाँ लोगों को राई का पहाड़ बनाने में देर नहीं लगती। अयाना को जब आरव के साथ अपनी निकटता का एहसास हुआ, तो वह फ़ौरन उससे दूर हो गई, कुछ कदम पीछे हट गई। हालाँकि आरव को अयाना का अचानक खुद से दूर होना अच्छा नहीं लगा, पर फिर भी उसने उस वक्त अयाना से कुछ नहीं कहा। कुछ पल तक दोनों के बीच बिल्कुल खामोशी छा गई। तभी उस मद्धम रोशनी में एक टैक्सी की हेडलाइट की रोशनी उनकी दिशा में पड़ी और वह टैक्सी उनसे कुछ दूरी पर जाकर रुक गई। कुछ पल बाद उस टैक्सी में से अयाना की दोस्त कशिश नीचे उतरी। उसे देख अयाना जल्दी से उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए उसके गले लग गई। कशिश (थोड़ा परेशान होते हुए): क्या हुआ है आयु… तू ठीक तो है ना???… और इस वक्त तू घर के बाहर क्या कर रही है???… और आरव, आरव यहाँ क्या कर रहा है????… कहीं तुम दोनों एक साथ तो नहीं????? कशिश की बात सुनकर अयाना ने अपनी गर्दन जल्दी से ना में हिलाई और उसे पूरी बात बताई। अयाना की बात सुनकर कशिश का रिएक्शन भी वही था जो कुछ पल पहले आरव का था। लेकिन चूँकि कशिश काफी वक्त से अयाना को जानती थी, इसलिए वह अपनी दोस्त को झुठला नहीं सकती थी। क्योंकि वह जानती थी कि अयाना ऐसी मनगढ़ंत या झूठी बातें करने वालों में से बिल्कुल भी नहीं है। पर फिर भी जो कुछ अयाना कह रही थी, उस पर विश्वास करना भी थोड़ा मुश्किल था। कुछ पल बाद आरव वहाँ से उन दोनों से विदा लेकर वापस चला गया और कशिश अयाना के साथ अपने घर की तरफ़ चल पड़ी। तभी लाइट भी आ गई। हालाँकि अयाना अभी भी घर में अंदर जाने से घबरा रही थी, मगर कशिश ने उसे खुद के साथ होने का दिलासा देते हुए उसे अंदर चलने के लिए कहा। कशिश ने अयाना की तसल्ली के लिए पूरे घर को अच्छे से चेक किया और फिर दरवाज़े को लॉक करते हुए दोनों अंदर चली गईं। कशिश ने फ़्रेश होने के बाद अयाना और अपने लिए कॉफ़ी बनाई और मग में निकालकर बाहर लिविंग एरिया में आकर एक कप अयाना की ओर बढ़ाया और उसे बर्थडे विश किया और फिर खुद भी वहीं सोफ़े पर बैठकर अपनी कॉफ़ी का लुत्फ़ उठाने लगी। कशिश (अपनी कॉफ़ी का सिप लेते हुए): आयु, तुझे नहीं लगता कि तुझे आरव को एक मौका देना चाहिए… आई मीन, जब से तू कॉलेज में आई है… सब जानते हैं कि आरव तेरे लिए पागल है और असल में वो तेरे लिए क्या फ़ील करता है… और जब से तू कॉलेज में आई है, तब से ही आरव ने किसी दूसरी लड़की की ओर देखा तक नहीं है और ना ही उन्हें अप्रोच किया… हालाँकि उसके पास ऑफ़र्स या लड़कियों की कमी नहीं है… लेकिन वह जिसके पीछे सारी लड़कियाँ फ़िदा हैं, वह तुझ पर फ़िदा है आयु… उस जैसे मोस्ट वॉन्टेड मुंडे को कौन नहीं पाना चाहेगा… एंड यू ऑल्सो नो दैट कि वह हर तरीके से परफ़ेक्ट है… तो फिर आखिर प्रॉब्लम कहाँ है??? अयाना (गंभीरता से): तू जानती है कशिश, मेरे ना कहने की वजह क्या है… और भूल मत कि अतुल और जिग्नेश के साथ क्या हुआ था… मुझे आज भी याद है कॉलेज का वह फ़र्स्ट डे जब अतुल और जिग्नेश ने मेरा रास्ता रोककर मुझे परेशान करने की कोशिश की थी… और उसके बाद उन दोनों के साथ जो कुछ भी हुआ था, उसे याद करते हुए आज भी मेरी रूह काँप उठती है… और तभी से यह आवाज़ वाला शख़्स मेरी ज़िन्दगी में आया था… और आज भी उसके कहे शब्द मेरे कानों में गूँजते हैं… उसका कहा एक-एक लफ़्ज़ मेरे ज़हन में आज भी एकदम ताज़ा है!!! (फ़्लैशबैक…) अयाना उस दिन इंदौर से अपनी पढ़ाई और सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली जा रही थी। उसकी माँ और उसके कुछ ख़ास दोस्त उसे स्टेशन पर ट्रेन में बिठाने के लिए आए थे। अयाना की माँ की आँखें अपनी बेटी के दूर जाने की वजह से नम थीं। हालाँकि वह खुश थी कि उनकी बेटी की काबिलियत के बल पर उसे दिल्ली के एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल चुका था, लेकिन क्योंकि अयाना ही उनकी अकेली फ़ैमिली थी और पहली बार उसका इस तरीके से उनसे दूर जाना उन्हें खल रहा था। हालाँकि वह भी अयाना के साथ जाना चाहती थी, लेकिन वह एक स्कूल में अध्यापिका थी और इस वक्त बच्चों की परीक्षाएँ चल रही थीं, तो उन्हें बीच में छोड़कर जाना उनके लिए पॉसिबल नहीं था और अयाना को अकेले ही दिल्ली जाना पड़ रहा था। अयाना (अपनी माँ को उदास देखकर उन्हें साइड हग करते हुए): माँ, आप क्यों बेवजह परेशान हो रहे हैं… मैं छोटी बच्ची थोड़ी हूँ… माँ, आप बिल्कुल बेफ़िक्र रहें… मैं अपना पूरा ध्यान रखूँगी और दिल्ली पहुँचते ही आपको कॉल कर दूँगी!! सावित्री देवी (प्यार से अयाना का गाल छूकर): बच्चे चाहे कितने ही बड़े क्यों ना हो जाएँ… माँ और उसके दिल के लिए हमेशा छोटे और बच्चे ही रहते हैं!!! अयाना (कसकर अपनी माँ को गले लगाते हुए): अगर आप ऐसे उदास रहेंगे ना… तो मैं सच्ची बोल रही हूँ… कि मैं भी रो पड़ूँगी और फिर मैं यहाँ से कहीं भी नहीं जाऊँगी!!! सावित्री देवी (अपनी आँखों के कोने साफ़ करते हुए): पगली, यह तो बस यूँ ही है… मैं रो नहीं रही हूँ और ऐसे कैसे नहीं जाएगी तू… आखिर तूने इतनी मेहनत की है… अपने सपने को पूरा करने के लिए… यहाँ तक पहुँचने के लिए… तो अब जब तुझे अपने सपने को पूरा करने के लिए रास्ता मिल रहा है… तो अपनी मंज़िल पर पहुँचे बगैर ही… आधे रास्ते से कैसे वापस आ सकती है तू… जा अब और हाँ, दिल्ली पहुँचते ही मुझे ख़बर कर देना… और अगर वहाँ जाकर कोई भी परेशानी या दिक्कत हो तो फ़ौरन मुझे कॉल कर देना… मैं वहाँ आ जाऊँगी… और हाँ, वक़्त पर खाना ज़रूर खाना… 24 घंटे ज़्यादा पढ़ाई का कीड़ा बनने की ज़रूरत नहीं है… टाइम से आराम करना… थोड़ा इधर-उधर घूम भी लेना… एक बात और, जल्दी से किसी पर वहाँ भरोसा मत करना… सुना है कि बड़े शहरों में बाहर से आए हुए लोगों को आसानी से बेवकूफ़ बना देते हैं… और उन्हें लूट लेते हैं… तो आराम से और सावधानी के साथ रहना और… अयाना (अपनी माँ को बीच में ही टोकते हुए हँसकर): और मैं अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखूँगी… थोड़ी सी भी तबीयत ख़राब होते ही फ़ॉरेन डॉक्टर के पास जाऊँगी… अगर कोई भी परेशानी आती है… तो तुरंत आपको फ़ोन करूँगी… दिन में दो से तीन बार आपको फ़ोन करना है… अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना है… लेकिन वक़्त पर खाना है… वक़्त पर सोना है… और वगैरह वगैरह वगैरह… (प्यार से अपनी माँ के गाल खींचते हुए)… मेरी प्यारी माँ, मुझे अच्छे से ये सारी बातें रट गई हैं… क्योंकि पिछले 1 हफ़्ते से आप 10 बार दिन में मुझे यही नसीहत देते आ रहे हो!!!! सावित्री देवी (झूठ-मुँठ की नाराज़गी दिखाते हुए): हाँ हाँ, उड़ा ले अभी तो तू मेरा मज़ाक उड़ा ले… लेकिन जब मैं कभी नहीं रहूँगी तेरी ज़िन्दगी में… तब तुझे समझ आएगी मेरी अहमियत और मेरा प्यार!! अयाना (नाराज़गी से अपनी माँ को कसकर गले लगाते हुए): ख़बरदार माँ, जो आपने फिर कभी भी दोबारा अपने मुँह से ऐसी बात भी निकाली… तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगी!!! सावित्री देवी: अच्छा बाबा, सॉरी… (एक पल रुककर)… अच्छा ठीक है, तुम्हारी ट्रेन का वक़्त हो रहा है… तुम जाओ अब और ध्यान रखना अपना…!!! अयाना (हल्के से मुस्कुराकर): जी माँ और आप भी अपना ध्यान रखिएगा!!! सावित्री देवी: तुम मेरी चिंता बिल्कुल मत करो, मैं अपना ध्यान रखूँगी, बस तुम वहाँ अच्छे से रहना और खूब मन लगाकर पढ़ना!!! अयाना (अपनी माँ से अलग होते हुए): जी माँ!! इसके बाद अयाना अपने बाकी दोस्तों से भी विदा लेकर ट्रेन से दिल्ली निकल गई। दिल्ली में अपने किसी जान-पहचान वाले की मदद से पहले ही अयाना ने वह किराए का घर रहने के लिए ले लिया था जिसमें कशिश पहले से ही उसकी रूममेट थी। वैसे तो दोनों ने उस घर में बने एक-एक रूम को रेंट पर लिया था, लेकिन साथ रहते-रहते और एक ही कॉलेज में पढ़ते हुए वक़्त गुज़रने के साथ ही दोनों की दोस्ती काफी अच्छी और गहरी हो गई थी और दोनों उस पूरे घर में मिल-जुलकर बहनों की तरह रहने लगी थीं। जब अयाना दिल्ली पहुँची, तो कॉलेज खुलने में अभी 4 से 5 दिन बाकी थे। तब तक अयाना ने अपने घर को सेट किया और अपने लिए कुछ शॉपिंग की जिसमें कशिश ने उसकी पूरी हेल्प की। देखते ही देखते चार-पाँच दिन भी गुज़र गए और वह दिन आ गया जब पहले ही दिन अयाना को कॉलेज जाना था। सुबह उठकर अयाना जल्दी से नहा-धोकर फ़्रेश हुई और उसने अपनी माँ को कॉल किया और उनसे आशीर्वाद लेकर कशिश के साथ कॉलेज के लिए निकल पड़ी। क्योंकि अयाना का एडमिशन थोड़ा लेट हुआ था, तो बाकी स्टूडेंट और न्यू एडमिशन छुट्टियों से पहले ही कॉलेज जाना शुरू कर चुके थे। अयाना कशिश के साथ कॉलेज पहुँची, तो कशिश अपने किसी काम से फ़ैकल्टी की ओर चली गई और उसने अयाना को क्लासरूम में जाने के लिए रास्ता बता दिया। अयाना अपनी क्लास में जा ही रही थी कि तभी दो लड़कों ने उसका रास्ता रोक लिया। पहला लड़का (अयाना को देखते हुए): न्यू एडमिशन? अयाना: जी! दूसरा लड़का (गहरी सी मुस्कान के साथ): ओहो!… वेलकम… वेलकम… मिस? अयाना: अयाना… अयाना शर्मा! पहला लड़का: नाइस नेम… मगर अयाना जी, शायद आपको नहीं पता… लेकिन न्यू एडमिशन के लिए यहाँ कुछ रूल्स एंड रेगुलेशंस होते हैं… जिन्हें फ़ॉलो किए बिना वह अपनी क्लास में एंट्री नहीं कर सकते!!! अयाना (असमंजस से): कैसे रूल्स और रेगुलेशंस? दूसरा लड़का (अयाना को परेशान करते हुए): यही कि आपको अपनी क्लास में एंट्री लेने से पहले… वह काम करना पड़ेगा जो हम कहेंगे!!! अयाना (गंभीरता से): आप शायद भूल रहे हैं लेकिन रैगिंग करना एक जुर्म है… और अगर मैंने आपकी कंप्लेंट कर दी तो आप कॉलेज से रिस्ट्रिक्टेड भी हो सकते हैं!! इतना कहकर जैसे ही अयाना अपनी क्लास की ओर बढ़ने लगी, उन दोनों में से एक लड़के ने अयाना का हाथ पकड़ लिया। अयाना (गुस्से से): हाथ छोड़ो मेरा, वरना प्रिंसिपल सर से जाकर तुम्हारी कंप्लेंट कर दूँगी! पहला लड़का (हँसते हुए): जाओ कर दो, बेशक कर दो… लेकिन प्रिंसिपल क्या, बड़े से बड़ा इंसान भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता!!! दूसरा लड़का: वैसे तो तुमने हमारी बात ना मानने की हिम्मत की है… तो तुम्हारी सज़ा बड़ी होनी चाहिए… लेकिन क्योंकि तुम जैसी ख़ूबसूरत लड़कियों पर हमारा दिल जल्दी मेहरबान हो जाता है… तो चलो तुम्हें भी हमने माफ़ किया… और बस एक छोटी सी सज़ा देते हुए… हम तुम्हें क्लास में जाने की इजाज़त दे देते हैं… बस तुम्हें करना इतना है… कि हम दोनों को किस करना है… और फिर तुम बिना किसी रुकावट के क्लास में जा सकती हो!!! इतना कहकर वह दूसरा लड़का पहले लड़के के हाथ पर ताली देते हुए बेशर्मी भरी हँसी हँसने लगा और वहाँ मौजूद आस-पास के स्टूडेंट की नज़रें भी अब अयाना और उन दो लड़कों पर टिक गई थीं और सब मन ही मन यही सोच रहे थे कि अयाना अब इस रैगिंग से नहीं बच पाएगी और जब तक वह उन दो लड़कों की बात को पूरा नहीं कर देगी, वह उसे इसी तरह परेशान करते रहेंगे। क्योंकि ये दोनों लड़के पावरफ़ुल फ़ैमिली से बिलॉन्ग करते थे। उनमें से एक लड़का जिग्नेश, डीन का बेटा था और दूसरा अतुल, यहाँ के एक नामी पॉलिटिशियन का बेटा था और उन दोनों को ही किसी बात का या किसी भी तरह का कोई डर नहीं था। क्योंकि वे जानते थे कि उन्हें बचाने के लिए उनके बाप यहाँ मौजूद हैं और यही वजह थी कि उनकी इतनी हिम्मत बढ़ी हुई थी कि वे खुलेआम स्टूडेंट की रैगिंग करने या उन्हें परेशान करने से ज़र्रा भर भी नहीं कतराते थे। लेकिन वे कहाँ जानते थे कि इस बार जिस लड़की का रास्ता उन्होंने रोका है… उस लड़की का रास्ता रोकने की वजह से उन्हें बहुत जल्द बहुत ही बड़ी और सोच से परे की कीमत चुकानी पड़ेगी।

  • 4. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 4

    Words: 2255

    Estimated Reading Time: 14 min

    एक लड़का जिग्नेश, डीन का बेटा था, और दूसरा अतुल, यहाँ के एक नामी पॉलिटिशियन का बेटा था। उन दोनों को किसी बात का, किसी भी तरह का कोई डर नहीं था। वे जानते थे कि उन्हें बचाने के लिए उनके बाप यहाँ मौजूद थे। यही वजह थी कि उनकी इतनी हिम्मत बढ़ी हुई थी कि वे खुलेआम स्टूडेंट की रैगिंग करने या उन्हें परेशान करने से ज़र्रा भर भी नहीं कतराते थे। लेकिन वे कहाँ जानते थे कि इस बार जिस लड़की का रास्ता उन्होंने रोका है, उस लड़की का रास्ता रोकने की वजह से उन्हें बहुत जल्द बहुत ही बड़ी और सोच से परे की कीमत चुकानी पड़ेगी। जिग्नेश और अतुल दोनों ही अयाना की ओर अपनी शर्त पूरी करने की उत्सुकता और बेशर्मी भरी नज़रों से देख रहे थे। कुछ पल बाद, अयाना उन दोनों की बातों को पूरी तरह इग्नोर करते हुए वहाँ से अपनी क्लास की ओर आगे बढ़ने लगी, कि जिग्नेश ने लपक कर उसका हाथ पकड़ लिया। जिग्नेश (अयाना की कलाई कस कर पकड़ते हुए): कहाँ चली मैडम? सुना नहीं हमने क्या कहा? हमारी बातों को यूँ इग्नोर करने की हिम्मत करने का अंजाम भी समझती हो तुम? अतुल: चुप क्यों खड़ी हो? जवाब दो! अतुल का इतना कहना हुआ था कि अचानक ही अयाना ने एक कदम आगे बढ़कर जिग्नेश के मुँह पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया। अयाना (अपने हाथ को जिग्नेश की पकड़ से झटकते हुए अतुल को घूर कर): मिल गया जवाब तुम दोनों को ही। (गुस्से भरी नज़रों से जिग्नेश को घूर कर) आइन्दा से मेरा रास्ता रोकने या मेरे साथ ऐसी बदतमीज़ी करने की कोशिश भी मत करना, वरना सीधा पुलिस में कंप्लेंट कर दूँगी। बदतमीज़! इतना कहकर अयाना आगे बढ़ गई। वहाँ मौजूद सब लोग अयाना को हैरानी से देख रहे थे। उसे जाता देख जिग्नेश गुस्से से बड़बड़ाते हुए उसे लपकने के लिए वापस उसकी ओर बढ़ा, कि अतुल ने उसका कंधा थाम कर उसे सामने की ओर देखने का इशारा किया। सामने आरव को अपनी बाइक पार्क करते देख अतुल ने अभी जिग्नेश को शांत रहने का इशारा किया। यूँ तो अतुल और जिग्नेश किसी से नहीं डरते थे, लेकिन आरव से अक्सर दोनों उलझने से कतराते थे। क्योंकि आरव का भी अपने पिता की वजह से सबके बीच कम नाम और रुतबा नहीं था, और कई बार इन दोनों की हरकतों के चलते आरव ने इनकी अच्छे से इज़्ज़त-अफ़ज़ाई भी करी हुई थी। अतुल (जिग्नेश से): अभी शांत रह, वरना यह आरव का बच्चा बिना वजह हीरो बनकर बीच में कूदेगा। इसीलिए अभी रिलैक्स कर। और रही उस लड़की की बात, तो डोंट वरी, बहुत जल्द उसे उसकी औकात दिखा देंगे हम। जिग्नेश: हम्मम, लेकिन उस लड़की को मुझे अच्छे से सबक सिखाना है। उसने मुझ पर, जिग्नेश पर हाथ उठाने की कोशिश की है। छोड़ेंगे नहीं हम उसे। अतुल: तू फ़िक्र मत कर मेरे भाई। आज रात को ही हम उसे अपने फ़ार्म हाउस पर उठवा लेंगे। (शैतानी मुस्कराहट के साथ) उसके बाद जी भर के उससे बदला लेना तू। जिग्नेश की आँखों में भी अतुल के नापाक इरादों को जानकर हवस भरी एक शैतानी चमक चमक उठी। इन दोनों के नापाक इरादों से बेखबर अयाना अपनी क्लास में जा पहुँची। क्योंकि वह न्यू एडमिशन थी और लेट आई थी, तो कुछ पल के लिए सबकी नज़रें उस पर ही टिक गईं। अयाना सबकी नज़रों को इग्नोर करते हुए अपना बैग लिए कॉर्नर वाली सीट पर जा बैठी। कुछ देर बाद जब आरव क्लासरूम में आया, तो अपने दोस्तों से हाय-हैलो करते वक्त अचानक ही उसकी नज़र किताब पढ़ती अयाना के चेहरे पर जा रुकी। काले सिम्पल सूट में, सामान्य रंग, गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाब की पंखुड़ी से मुलायम पतले होंठ, काले लंबे बाल, जिसकी उसने पोनी बनाई हुई थी, और उसके बाएँ गाल पर उसके बालों की झूलती लट—कुछ ही पल में ये सारी चीज़ें मिलकर आरव के दिल की घंटी बजा गईं। अनायास ही अयाना की नज़रें आरव से मिलीं, तो उसे खुद को देखता पाकर उसने किताब ऊपर उठाकर अपने चेहरे को ढँक लिया। नील (आरव का दोस्त उसे अयाना को घूरता देख): नज़ारे तो खुद चलकर आपके पास आते हैं, लेकिन पहली बार आपकी नज़रें किसी नज़ारे पर रुकी हैं, तो मतलब क्या? यह नज़ारा वाकई इतना खास और खूबसूरत है जो जनाब की नज़रें वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रही हैं? आरव (अयाना को हसरत भरी नज़रों से देखते हुए): हाँ, इतना कि जितना मैं लफ़्ज़ों में भी बयाँ नहीं कर सकता। इतना कहकर आरव फुर्ती से अयाना के डेस्क की ओर बढ़ गया। और उसको अयाना के पास जाता देख सब लड़कियों की नज़रें अयाना पर ही टिक गईं। क्योंकि जब से आरव ने कॉलेज ज्वाइन किया था, तब से यह पहली बार था कि आरव ने यूँ सबके सामने किसी लड़की को खुद आगे से चलकर भाव दिए थे। आरव (अयाना के डेस्क पर जाकर): एक्सक्यूज़ मी? अयाना (अपने चेहरे के सामने से किताब हटाते हुए थोड़ी बेरुखी से): कहिए? आरव: क्या मैं यहाँ आपके साथ बैठ सकता हूँ? अयाना (साफ़ मना करते हुए): नहीं। आरव (हैरानी से): लेकिन क्यों? अयाना: क्योंकि मैं नहीं चाहती। और वैसे भी यह सीट मेरे दोस्त के लिए ऑलरेडी रिजर्व्ड है। नाउ प्लीज़ डोंट डिस्टर्ब मी। इतना कहकर अयाना एक बार फिर अपनी किताब में बिज़ी हो गई। और आरव अपने मुँह को लटकाए हुए वापस अपने दोस्तों के बीच आ गया। राहुल (आरव का एक और दोस्त): तुझे नहीं लगता थोड़ी रूड है वह? आरव: नहीं। फ़र्स्ट डे है उसका, शायद कम्फ़र्टेबल ना हो नए लोगों के साथ। नील: ओहो, दो मिनट नहीं हुए उससे मिले, उसे डिफ़ेंड भी करने लगा। राहुल (आरव की खिंचाई करते हुए): अरे समझ भाई, पहली बार अपना यार लव एट फ़र्स्ट साइट का शिकार हुआ है, तो सिम्पटम्स तो नज़र आएंगे ही अब। आरव: अबे चुप करो तुम दोनों। मैं क्या इस लव एट फ़र्स्ट साइट का अचार डालूँगा जब वह मुझसे बात तक करने के लिए तैयार नहीं है। नील: अरे चिल कर ब्रो, तेरे भाई हैं ना, करते हैं कुछ इंतज़ाम तेरे इश्क़ को परवान चढ़ाने का। राहुल (अयाना की ओर इशारा करते हुए): अरे वह देखो, जल्दी से, उसकी दोस्त तो अपनी कशिश है। नील (मुस्कुरा कर): ले, समझ हो गया तेरा काम। अपने दोस्तों की बात सुन आरव के होंठों पर भी एक प्यारी सी स्माइल आ गई। कॉलेज ख़त्म होने के बाद ही आरव ने कशिश को साइड किया। वैसे भी पूरी क्लास की लड़कियों में एक कशिश ही थी जिससे आरव फ़्रेंडली बिहेव करता था। आरव (कशिश को मस्का लगाते हुए): हे पार्टनर, सुनना, मेरी एक छोटी सी हेल्प कर दे जाना। कशिश (आरव को खुद को ऐसे मस्का लगाते देख अपनी आँखें छोटी करते हुए): आखिर बात क्या है? इतना मस्का लगाया जा रहा है, मतलब काम छोटा-मोटा नहीं है, काफ़ी इम्पॉर्टेन्ट काम लगता है। आरव (अपना सर खुजाते हुए): हम्मम, इम्पॉर्टेन्ट तो है, और बड़ा भी, लेकिन अगर तुम मेरी हेल्प करो तो मेरा काम चुटकियों में हो सकता है। कशिश: ठीक है, पहले बताओ काम क्या है, तभी फिर बताऊँगी मैं कर सकती हूँ या नहीं। आरव (पपी फ़ेस बनाते हुए): सिर्फ़ तू ही कर सकती है। कशिश: ठीक है मगर काम तो बताओ पहले। आरव (अयाना की दिशा में इशारा करते हुए): वह, मुझे उससे दोस्ती करनी है। आई मीन मैं उसे जानना चाहता हूँ। कशिश (अयाना की ओर देखकर): कौन? अयाना? आरव: अयाना? कशिश: हाँ, अयाना नाम है उसका। न्यू एडमिशन और मेरी रूम पार्टनर होने के साथ मेरी अच्छी दोस्त भी है। आरव (कशिश की बाजू दबाते हुए उसको मस्का लगाते हुए): फिर तो पार्टनर, तू ही अपुन की गॉड मदर है, भगवान है, मसीहा है। प्लीज़ एक बार बात करा दे मेरी। कशिश (अपनी भौंहें उचका कर): क्या बात है? मेरी दोस्त ने तो एक ही दिन में कमाल कर दिया। मतलब द ग्रेट आरव खुराना, जिसके पीछे दुनिया है, वह मेरी दोस्त के पीछे है। आरव: अच्छा, अब ज़्यादा भाव मत खा और कर ना मेरी हेल्प। कशिश: हाँ हाँ ज़रूर करूँगी, आखिर तू दोस्त है मेरा। (भाव खाते हुए) लेकिन… लेकिन… लेकिन… मुझे उसके बदले में क्या मिलेगा? आरव (मन में बड़बड़ाते हुए): हम्मम, वक़्त पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता है। बन ले बेटा, आज तू भी वह गधा बन ले। कशिश: कहाँ खो गए? आरव: नहीं, कहीं भी नहीं। (झूठी मुस्कान के साथ) मैं तो बस यह पूछ रहा था कि बता क्या चाहिए तुझे मेरी जान। कशिश (इतरा कर आरव को परेशान करते हुए): हाँ हाँ, बताती हूँ, रुक। (अपने बैग से फ़ाइल निकालते हुए आरव के हाथ में थमा कर) ये ले। आरव (असमंजस से): यह क्या है? कशिश: हिस्ट्री का प्रोजेक्ट है जो कल ही सबमिट करना है। (अपने दाँत दिखाते हुए) हाय, मैं आज ही सोच रही थी कि कैसे इतना काम करूँगी, मगर सी, भगवान हमेशा अच्छे लोगों के भले के लिए किसी ना किसी को भेज ही देते हैं। और देखो, मेरी प्यारी सी दोस्त अयाना को मेरी ज़िंदगी में फ़रिश्ता बनाकर भेज दिया। और डोंट वरी, तुम्हारा काम कल ही हो जाएगा। आखिर दोस्त हूँ तुम्हारी, इतना तो कर ही सकती हूँ तुम्हारे लिए। बस हाँ, प्रोजेक्ट लाना मत भूलना, वरना मैं भी कभी तुम्हारा काम भूल जाऊँ। ओके, बाय, टेक केयर। आरव जो अब तक झूठी और फ़्रस्ट्रेशन भरी स्माइल से कशिश की हाँ में हाँ मिला रहा था, कशिश के वहाँ से जाते ही उसका गला दबाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाता है और फिर अगले ही पल अयाना को याद करते हुए अपने हाथ वापस से खींच लेता है। आरव: मोटी, बस एक बार अयाना को पटा लेने दे मुझे, फिर बताता हूँ तुझे तो… (अपने हाथ में पकड़ी फ़ाइल को अपने सर पर मारते हुए झूठ-मूठ का रोते हुए) पर अभी जो इतना सारा काम है, उसका क्या करूँ मैं। इधर आरव इतने काम को देखकर अंदर ही अंदर रो रहा था, वहीं दूसरी ओर कशिश उसे इस तरह परेशान करके अंदर ही अंदर उसके मज़े ले रही थी। अयाना ने अपना ख़र्चा निकालने के लिए यही कुछ बच्चों को होम ट्यूशन देने का काम शुरू किया था। इसीलिए वह कॉलेज से सीधा ट्यूशन के लिए निकल गई। ट्यूशन से वापस आते-आते ही अंधेरा हो चुका था। उस पर अयाना अपना रास्ता भटक गई थी। जैसे ही अयाना एक सुनसान सड़क से निकली, कि जिग्नेश और अतुल ने उसके रास्ते में अपनी गाड़ी लाकर रोक दी, जो कि इस वक़्त दोनों ही नशे में धुत थे। अतुल (अयाना की ओर देखकर): बहुत अकड़ रही थी ना सुबह? आज तेरी सारी अकड़ निकल जाएगी। जिग्नेश: तूने सुबह मेरे मुँह पर तमाचा मारा ना? अब तेरी ज़िंदगी के मुँह पर ऐसा तमाचा मारूँगा कि ज़िंदगी भर खुद से नज़रें मिलाने के लायक नहीं रहेगी तू। उन दोनों की बातें सुन अयाना बुरी तरह घबरा गई थी। क्योंकि एक तो वह अकेली सुनसान जगह पर थी, और दूसरा इस वक़्त जिग्नेश और अतुल दोनों ही नशे में धुत थे। अयाना ने इस वक़्त यहाँ से भागने में ही अपनी भलाई समझी, और वह फ़ौरन वहाँ से भाग निकली। अतुल और जिग्नेश भी उसके पीछे उसे पकड़ने के लिए भाग निकले। अयाना भागते-भागते थक चुकी थी। उसका गला डर और घबराहट से सूख चुका था कि अचानक भागते हुए वह किसी से टकरा गई। एक तो अंधेरा होने की वजह से वह उस शख्स का चेहरा नहीं देख पाई थी, और उस पर उस शख्स ने अपने चेहरे को हुडी से ढँका हुआ था। लगातार इतनी देर से भागने की वजह से अयाना को अब चक्कर आने लगे थे, और वह अपने घर का रास्ता भी भटक चुकी थी। उसे इस वक़्त कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसका दिमाग पूरी तरह ब्लैंक हो चुका था, और वह बस लगातार बदहवास और थकी सी आवाज़ में उस शख्स से अपनी मदद करने के लिए कह रही थी। अयाना (बदहवास सी): प्लीज़… प्लीज़… मेरी मदद कीजिए। (पीछे देखते हुए) वह लोग मेरे पीछे पड़े हैं। प्लीज़ मुझे बचा लीजिए। प्लीज़! इतना कहते-कहते ही अयाना का सर बुरी तरह चकराने लगा, और उस पर बेहोशी का नशा सा छाया लगा। मगर इससे पहले कि वह ज़मीन पर गिरती, दो मज़बूत बाज़ुओं ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। और उसके चेहरे पर आए बालों को अपने हाथ से साइड करते हुए, सर्द आवाज़ में अयाना का नाम लेते हुए उससे बातें करने लगा। हालाँकि अयाना पर बेहोशी छाई थी, और उसके लिए अपनी आँखें खोलना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, लेकिन अभी भी वह इतने होश में थी कि बंद आँखों से भी उस शख्स की कही बातों को साफ़ तौर पर सुन और समझ सकती थी। और जिसे सुनकर अयाना एक बार उस शख्स का चेहरा देखना चाहती थी, लेकिन इस वक़्त उसकी बोझिल आँखों में इतनी ताक़त भी नहीं थी कि वह उन्हें एक बार भी खोल सके। शख्स (अयाना के चेहरे पर अपनी हथेली को रखकर डीप एंड कोल्ड लहज़े में): अयाना… माय डॉल… माय प्रीशियस डॉल… डोंट वरी, ये लड़के तो क्या, कोई भी तुम्हारे नज़दीक नहीं आ पाएगा। क्योंकि तुम्हारी किस्मत पर आज से सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा नाम लिखेगा। डेस्टिनी हूँ मैं तुम्हारी, जिसे अब यह कायनात मिलकर भी नहीं बदल सकती। यू आर ओनली माइन। और अगर किसी ने भी मेरे रास्ते में या तुम्हारे करीब आने की कोशिश भी की, तो उसका भी यही अंजाम होगा जो इन दो लड़कों का होने वाला है। ऐसी दर्दनाक मौत दूँगा मैं उसे कि उसकी रूह भी काँप उठेगी। यू आर ओनली माइन… माय डॉल… जिसे देखने का, छूने का, और चाहने का हक़ सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा है। (अयाना के ख़ुश्क होंठों पर उंगली फिराते हुए) और इवन तुमने भी यह हक़ किसी और को देने या मुझसे छीनने के बारे में सोचा भी… तो उस शख्स के साथ ही तुम्हें और इस पूरी दुनिया को भी आग लगा दूँगा मैं। इतना सुनने के साथ अयाना भी अब पूरी तरह बेहोशी के आगोश में चली गई। और जब अगली बार उसकी आँख खुली तो उसने खुद को अपने घर पर पाया। कशिश उसके साइड में परेशान सी बैठी थी। अयाना को होश में देख उसने चैन की साँस ली। कशिश: कैसी है? ठीक तो है ना तू? अयाना (बिस्तर से उठकर बैठते हुए): हम्मम, मैं ठीक हूँ, लेकिन… (कल रात की बात याद करते हुए) मगर मैं यहाँ कैसे आई? मैं तो… कशिश: जहाँ तू ट्यूशन पढ़ाने जाती है, उधर से एक लेडी ने कॉल किया मुझे, और कहा कि तू उनके घर के बाहर बेहोश हो गई है। अच्छा हुआ इमरजेंसी के लिए तूने मेरा नंबर वहाँ पहले से दे रखा था, वरना प्रॉब्लम हो जाती। खैर, डॉक्टर ने कहा है कि शायद थकान की वजह से तू बेहोश हो गई थी। देखा, मैंने तुझे पहले ही कहा था कि तू थक जाएगी, मगर तूने मेरी नहीं सुनी। और देख, पहले ही दिन तेरे साथ क्या हो गया। वह तो अच्छा है तू उनके घर पर ही बेहोश हुई थी, कहीं सड़क पर ऐसा कुछ हो जाता तो भगवान जाने क्या होता। अयाना के लिए कशिश की बातें उसकी समझ से बिल्कुल परे जा रही थीं। क्योंकि कल रात को जहाँ तक अयाना को याद था, उसके साथ कशिश के बताए अनुसार कुछ उलट और बिल्कुल अलग ही हुआ था।

  • 5. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 5

    Words: 1685

    Estimated Reading Time: 11 min

    अयाना के लिए कशिश की बातें उसकी समझ से बिल्कुल परे जा रही थीं। क्योंकि कल रात को, जहां तक अयाना को याद था, उसके साथ कशिश के बताए अनुसार कुछ उलट और बिल्कुल अलग ही हुआ था। कशिश की बात सुनकर अयाना का सिर असमंजस और कन्फ्यूज़न से घूम गया। अयाना: लेकिन कशिश, जहां तक मुझे याद है, मेरे साथ तो कल रात कुछ और ही हुआ था! कशिश: क्या?? इसके बाद अयाना ने कशिश को अपने साथ हुई रात वाली पूरी घटना बताई। जिसे सुनकर कशिश भी असमंजस में आ गई। कशिश: अगर ऐसा सच में है, तो फिर हमें जिग्नेश और अतुल की कंप्लेंट करनी होगी। ताकि कहीं वो दुबारा से तुम्हारे साथ ऐसी कोई हरकत ना करें। (अयाना ने कशिश की बात सुनकर अपनी गर्दन हां में हिला दी।) कशिश: ठीक है, तू जल्दी से रेडी हो जा। फिर हम कॉलेज चलते हैं। लेकिन तेरी तबियत तो ठीक है ना? मेरा मतलब है, तू कॉलेज तो जा पाएगी ना? अयाना: हां, डोंट वरी, मैं बिल्कुल ठीक हूं। (बिस्तर से उठते हुए) बस मुझे थोड़ा सा टाइम दो, मैं बस तैयार होकर आती हूं! कशिश: हम्मम, ओके! कुछ देर बाद कशिश और अयाना कॉलेज के लिए निकल गईं। कॉलेज के गेट पर ही कशिश और अयाना को आरव खड़ा मिला, जो असल में उन दोनों, और खासकर अयाना का इंतजार कर रहा था। आरव (कशिश और अयाना को आता देख जल्दी से उनके पास जाकर): हाय कशिश! कशिश: हाय! आरव (अयाना की तरफ देखकर): हाय! अयाना (बिना आरव की ओर देखे): हाय… (आरव के कुछ भी कहने से पहले कशिश की ओर देखकर) …मैं तुम्हारा अंदर इंतजार कर रही हूं! इतना कहकर अयाना बिना रुके सीधा कॉलेज के गेट से अंदर की ओर चली गई, और बिचारा आरव अपना मुंह लटकाए अयाना को जाता देखता रह गया। कशिश (आरव का लटका मुंह देखकर): डोंट वरी, थोड़ा टाइम लगेगा, पर गाड़ी पटरी पर आ जाएगी! आरव: होप सो… (एक पल रुककर) …वैसे कुछ हुआ है क्या? ये आज थोड़ी लो और अपसेट सी लग रही है? कशिश: हम्मम, दरअसल कल रात को… इसके बाद कशिश ने आरव को अयाना द्वारा बताई गई पूरी बात बताई। जिग्नेश और अतुल की बात सुनकर आरव के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आए, और उसने अपनी दोनों मुट्ठियों को कसकर भींच लिया। आरव ने अपनी मुट्ठियों को इतना कसकर बंद किया था कि उसके दाएँ हाथ में बंधी पट्टी से खून रिसने लगा। यह देख कशिश ने पैनिक एक्सप्रेशन से आरव का नाम पुकारा। कशिश (पैनिक एक्सप्रेशन से): आरव… क्या कर रहे हो तुम… और ये चोट कैसे लगी तुम्हें? आरव ने जब कशिश की बात सुनी तो उसे होश आया, और उसने अपने हाथ से बहते खून पर नज़र डाली। जब कशिश ने उसे दोबारा सवाल किया कि आखिर उसे चोट कैसे लगी, तो कुछ पल के लिए आरव के एक्सप्रेशन असहजता वाले हो गए, जिन्हें उसने जल्दी ही छुपा लिया। कशिश आगे उससे कुछ पूछती, कि तभी कॉलेज में एक हलचल सी मच गई, और एक शोर सा होने लगा। कशिश और आरव जल्दी से कॉलेज के अंदर गए। अंदर पहुँचकर कुछ ही दूरी पर सभी टीचर्स और लगभग सारे स्टूडेंट्स मौजूद थे, और प्रिंसिपल की बात सुनकर वहां मौजूद हर स्टूडेंट के होश ही उड़ गए। जब प्रिंसिपल ने उन्हें बताया कि कल रात को जिग्नेश और अतुल का मर्डर हो गया है, और यह मर्डर कोई मामूली आसान मर्डर नहीं था, बल्कि उनकी बॉडी को बड़ी ही निर्ममता से टॉर्चर करके उन्हें मारा गया था, और उनके शरीर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उनकी बॉडी को उनके घर के आगे फेंक दिया गया था। उनकी बॉडी के कुछ पार्ट्स को इतने छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया गया था कि यह अंदाजा लगाना भी मुश्किल था कि किसकी बॉडी का कौन सा अंग था। कुल मिलाकर उन दोनों को बहुत ही दर्दनाक और निर्ममता भरी मौत दी गई थी। अयाना ने जब प्रिंसिपल और टीचर्स की बात सुनी तो उसका दिल डर और घबराहट से धड़क उठा, और उसे कल रात उस आवाज वाले शख्स की कही बात रह-रहकर याद आने लगी। जब उसने अयाना को कहा था कि वह इन दोनों को ऐसी मौत देगा कि उनकी रूह भी कांप उठेगी, और ऐसा ही हुआ था। देखना तो दूर, सुनने वाले के भी रोंगटे खड़े हो गए थे। हर न्यूज़पेपर और टीवी चैनल पर जिग्नेश और अतुल की दर्दनाक और निर्मम मौत के बारे में ही लगातार खबरें आ रही थीं। यह बात सुनकर अयाना फौरन कॉलेज से बाहर निकल गई। अयाना के लिए अब कल रात जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में पूरी जानकारी जानना और भी ज़्यादा ज़रूरी हो गया था। इसलिए वह बिना किसी से कुछ कहे सीधा अपने ट्यूशन पहुँची, जहाँ जाकर उसकी उलझन और कन्फ्यूज़न और भी ज़्यादा बढ़ गई। क्योंकि कशिश के बताए अनुसार ही यहाँ भी उसे वही बात कही गई थी कि वह ट्यूशन के बाहर ही बेहोश हो गई थी, और उन्होंने ही फोन करके कशिश को यहाँ बुलाया था। अयाना को समझ नहीं आ रहा था कि कल रात को जो कुछ भी हुआ, क्या वाकई में सच था या महज़ उसका कोई वहम। और अगर वहम था, तो अतुल और जिग्नेश को किसने और क्यों मारा? अयाना का सिर यह सारी बातें सोच-सोचकर फटने को तैयार हो रहा था। अगले दिन हर न्यूज़पेपर और न्यूज़ चैनल की सुर्खियों में जिग्नेश और अतुल के कत्ल की ही खबरें लगातार चल रही थीं। इस बीच कॉलेज भी कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। हालाँकि वह दोनों कोई छोटी-मोटी हस्ती नहीं थे, लेकिन फिर भी उनके कातिल का पता आज तक भी नहीं चल पाया था कि आखिर किसने उन दोनों की हत्या की थी और क्यों! एक हफ्ता गुज़र गया था, लेकिन अभी तक भी जिग्नेश या अतुल के कातिल का कोई सुराग नहीं मिल पाया था। कशिश के समझाने के बाद आखिर में अयाना ने उस रात को अपना वहम मानकर आगे उसमें कोई भी और किसी भी तरह की तफ़्तीश नहीं की थी। लेकिन कहीं ना कहीं अभी भी उसका दिल और दिमाग इस बात को मानने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं था कि वह महज़ उसका एक वहम था। कशिश किसी काम से मार्केट गई हुई थी। अयाना अपने लैपटॉप में किसी काम में बिजी थी, कि तभी उसके फ़ोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। अयाना ने कॉल पिक की, लेकिन अगले ही पल दूसरी ओर की आवाज सुनकर उसका पूरा शरीर ठंडा पड़ गया था। दूसरी ओर से (डीप टोन में): हेलो माय डॉल… आई होप कि तुम मुझे भूल नहीं होगी? वैसे ये भी कैसा अजीब सा सवाल है ना… जब तुम मुझे सड़कों पर ढूँढती फिर रही हो… तो बेशक तुम मुझे नहीं भूली हो! अयाना: ब…बकवास बंद करो अपनी… आ…आखिर हो कौन तुम और सामने क्यों नहीं आते हो? दूसरी ओर से: जानता हूँ बहुत बेकरार और बेसब्र हो तुम मुझसे मिलने के लिए… बट माय लव, अभी मुझसे मिलने के लिए तुम्हें थोड़ा इंतज़ार करना होगा… और बिलीव मी, तुमसे ज़्यादा तुम्हारे करीब आने के लिए मैं बेकरार और बेसब्र हूँ… एंड आई प्रॉमिस, सही वक्त आने पर जिस दिन मैं तुम्हारे करीब आ जाऊँगा… उस दिन फिर पूरी कायनात भी मुझे तुमसे दूर नहीं कर पाएगी… और भले ही मैं तुम्हें नज़र ना आऊँ… लेकिन मैं हर लम्हा, हर पल, हर घड़ी तुम्हारे आस-पास हूँ… और तुम्हारे हर एक एक्शन पर मेरी नज़र है… तो भूलकर भी मेरी उस रात वाली वार्निंग को मत भूलना… क्योंकि अगर तुम किसी के भी करीब गई… तो उसका अंजाम भी यही होगा जो उन दोनों का हुआ था… बिकॉज़ यू आर ऑल माइन! अयाना (घबराते हुए): कौ…कौन हो तुम आ…आखिर? दूसरी ओर से (हल्की आवाज में फुसफुसाते हुए): योर डेस्टिनी! तभी दूसरी ओर से फ़ोन कट हो गया, और उसी मौके पर घर का दरवाज़ा खोलकर कशिश अंदर आई। और अचानक ही दरवाज़े की आवाज सुनकर अयाना अपनी ही जगह डर से उछल पड़ी। कशिश ने जब अयाना को डर और घबराहट से पसीने में तर-बतर देखा तो जल्दी से उसके करीब गई। कशिश के पूछने पर अयाना ने कशिश को पूरी बात कह सुनाई। और जैसे ही कशिश ने वापस से उस शख्स को कॉल करने के लिए अयाना से वो नंबर माँगा, तो अयाना ने अपने फ़ोन कॉल हिस्ट्री खोली, लेकिन एक बार फिर उसके चेहरे पर मायूसी छा गई। कशिश: क्या हुआ? …दे नंबर? अयाना (मायूसी से): नंबर तो नहीं है… (कशिश सवालिया नज़रों से अयाना की ओर देखती है) …(अयाना एक पल रुककर) …दरअसल शायद नंबर वीआईपी और प्राइवेट था… इसलिए नंबर या उसकी कोई भी पर्सनल हिस्ट्री मेरे पास, मेरे फ़ोन में नहीं है… (एक पल रुककर) …मगर मैं इस पर वापस से कॉल तो कर ही सकती हूँ… वेट…! कशिश (कुछ पल बाद अयाना के फ़ोन रखने के बाद): क्या हुआ??? अयाना: इट्स रॉन्ग नंबर… आई मीन ये नंबर एक्ज़िस्ट ही नहीं करता… लेकिन ये कैसे पॉसिबल है जबकि अभी थोड़ी देर पहले ही… थोड़ी देर पहले ही मुझे इस नंबर से कॉल आई थी… कशिश बिलीव मी…? …मैंने अभी मुझे कुछ देर पहले ही इस नंबर से बात की थी… और… कशिश (अयाना का हाथ थामते हुए): जस्ट रिलेक्स अयाना… जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ… और अपने दिमाग को इतना परेशान मत करो… जिग्नेश और अतुल के साथ जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ़ एक हादसा था… सच यह है अयाना कि तुमने इस चीज़ को अपने दिमाग पर इतना हावी कर लिया है कि अब तुम खुद से ही कुछ भी इमेजिन करके उसे सच मानने लगी हो… और अगर ऐसा ही चलता रहा तो तुम खुद को पागल कर बैठोगी अयाना… सो जस्ट रिलेक्स… खुद को शांत रखो बस… (एक पल रुककर) …मैं आती हूँ अभी फ़्रेश होकर। इतना कहकर कशिश वहाँ से अंदर की ओर चली गई, जबकि अयाना अपने ही सर को पकड़कर असमंजस से बैठ गई। क्योंकि अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह कैसे कशिश को समझाए कि वह जो कुछ भी कह रही है वह सच है, लेकिन कहीं ना कहीं हर बार यही चीज़ साबित हो रही थी कि जो कुछ भी उसके साथ होता है, असल में वह कुछ होता ही नहीं, वह महज़ उसका वहम ही साबित होता है। अयाना अब खुद उलझन में थी कि क्या वाकई में उसका दिमाग ऐसी बातें गढ़कर उसे एक इमेजिनरी वर्ल्ड में धकेल रहा था? और इस दिन के बाद ना जाने ऐसे कितने ही हादसे और घटनाएँ अयाना के साथ घटित हुए, लेकिन हर बार की तरह यह बातें सिर्फ़ वही महसूस कर पाती थी, और जब भी वह किसी से इस बात का ज़िक्र करती, तो हमेशा यह बात गलत और महज़ उसका वहम ही साबित होती थी। अक्सर अब बहुत सारे लोग अयाना को एक डुअल पर्सनैलिटी कहने लगे थे जो खुद से ही मनगढ़ंत कहानियाँ गढ़कर खुद को परेशान करने पर तुली थी, और असल में जिसे खुद इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि अक्सर वह जो कुछ भी लोगों को बताती है वह महज़ उसका एक वहम और इमेजिनेशन भर है! (फ़्लैशबैक एंड…)

  • 6. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 6

    Words: 1584

    Estimated Reading Time: 10 min

    (Flashback End……) अयाना अभी भी कशिश के साथ, हाथ में कॉफी का मग थामे, अपनी जगह बैठी थी। अतीत को याद करते हुए उसके चेहरे पर डर और घबराहट के भाव साफ नजर आ रहे थे। कशिश ने जब अयाना के चेहरे पर एक बार फिर अतीत को याद करते हुए ऐसे डर और घबराहट के भाव देखे, तो आखिरकार अयाना के साथ कशिश ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी। कशिश: ये सब बस तेरी ओवरथिकिंग का नतीजा है आयु। और तू देखना, तू जैसे ही आरव का हाथ थाम कर उसके साथ जिंदगी में आगे बढ़ेगी, तो तेरी ये सारी परेशानियां और डर पल में गायब हो जाएंगी। जस्ट से यस आयु! अयाना (लगभग घबरा कर): नहीं…नहीं…मैं ऐसा कभी नहीं कर सकती…म…मैं आरव की जिंदगी कभी खतरे में नहीं डाल सकती…कभी भी नहीं! कशिश: जस्ट रिलेक्स आयु। और पूरा कॉलेज जानता है कि आरव तेरे पीछे तेरा दीवाना है। अगर ऐसा कुछ उल्टा-सीधा होना ही होता, तो कब का हो चुका होता। अब तू ये तो कहना नहीं कि आरव ही वो सीरियल किलर है जो खुद तेरे करीब रहकर बाकियों को तेरे करीब नहीं आने देता। कम ऑन आयु, अपनी इस वहम को बाहर निकालो और मूव ऑन करो! अयाना (खड़े होकर, फ्रस्ट्रेशन भरे भाव से): हां, तुम्हें भी यही लगता है ना कि मेरा ही दिमाग खराब है और कुछ भी बोलती जाती हूं। तो ठीक है, आज के बाद मुझे तुमसे भी कुछ नहीं कहना! कशिश: आयु, मेरा मतलब हरगिज वो नहीं था… (कमरे में जाती अयाना को रोकने की कोशिश करते हुए) आयु, लिसन टू मी! कशिश अयाना को रोकने की कोशिश करती है, लेकिन अयाना गुस्से से अपने कमरे में जाकर अंदर से कमरा बंद कर लेती है ताकि कशिश उसके पीछे ना आ सके। अगले दिन सुबह जब अयाना कमरे से बाहर आई, तो लिविंग एरिया देखकर वो खुशी से मुस्कुरा उठी। कशिश ने पूरे लिविंग एरिया को बैलून और डेकोरेटिव सामान से सजाया हुआ था। बीच में बड़े अक्षरों में “हैप्पी बर्थडे” लिखा हुआ था और टेबल पर एक छोटा सा चॉकलेट केक रखा हुआ था। और वही टेबल के पास, अपने चेहरे के पास, “सॉरी” का बोर्ड लिए हुए कशिश खड़ी हुई थी। अयाना कशिश को यूं खड़ा देख, फौरन उसके करीब चली गई और उसके हाथ से “सॉरी” का बोर्ड ले कर सोफे पर डाल दिया और उसके गले लग गई। कशिश (अयाना के गले लगते हुए): आई एम सॉरी…कल रात के लिए…मैंने तेरे बर्थडे पर ही तुझे अपनी बातों से सैड कर दिया। आई एम सो सॉरी! अयाना (कशिश से अलग होकर उसकी ओर देखते हुए): नहीं, डोंट से दिस…इफेक्ट गलती मेरी ही थी और शायद मैंने ही फ्रस्ट्रेशन और गुस्से में आकर ओवररिएक्ट कर दिया था। सो आई एम सॉरी! कशिश (मुस्कुरा कर): नो, इट्स टोटली ओके। अच्छा, चल आज के दिन की शुरुआत इन सब फिजूल बातों से नहीं करते। चल अब जल्दी से तेरा बर्थडे केक काटते हैं! अयाना: केक सुबह-सुबह? कशिश: हम्मम, और नहीं तो क्या? एक तो मैं खास तेरे बर्थडे के लिए कल रात को इतनी देर से यहां वापस लौटी, लेकिन कल रात को मौका ही नहीं मिला कि हम अच्छे से तेरा बर्थडे सेलिब्रेट कर सकें और सब उल्टा-पुल्टा हो गया। पर जो भी हुआ, मगर अपनी बेस्ट फ्रेंड का बर्थडे तो सबसे पहले मैं ही सेलिब्रेट करूंगी। (अयाना कशिश की बात सुनकर जवाब में बस मुस्कुरा देती है) अच्छा, चल छोड़ अब ये सब… (अयाना का हाथ पकड़कर टेबल की ओर खींचते हुए) चल अब जल्दी से केक काटते हैं, फिर कॉलेज भी तो जाना है ना! इतना कहकर कशिश अयाना का हाथ थामे उसे टेबल की ओर ले गई और अयाना के केक काटने पर ताली बजाते हुए उसे केक खिलाया। अयाना ने भी बदले में कशिश को केक का एक टुकड़ा खिलाया। तभी अयाना के फ़ोन पर उसकी मां का फ़ोन आया और अयाना ने खुश होते हुए जल्दी से फ़ोन पिक किया। अयाना: हैलो मां…कैसी हैं आप? सावित्री देवी: हम ठीक हैं बेटा…जन्मदिन मुबारक हो…ईश्वर तुम्हें ज़िंदगी में हमेशा हर खुशी और कामयाबी दे बेटा, बस यही प्रार्थना है हमारी! अयाना (मुस्कुरा कर): आपकी दुआएँ और साथ मेरे साथ हैं, तो फिर मुझे क्या हो सकता है! सावित्री देवी: हमारी दुआएँ और आशीर्वाद तो हमेशा तुम्हारे साथ हैं बेटा…अच्छा ये सब छोड़ो और ये बताओ…कैसी हो तुम? वहाँ सब ठीक तो हैं ना? कोई फ़िक्र या टेंशन की बात तो नहीं ना बेटा? अयाना के ज़हन में अपनी मां की बात सुनकर अचानक ही उस गायब शख्स की याद कौंध जाती है, लेकिन वो अपनी मां को बिलकुल भी परेशान नहीं करना चाहती थी और वो जानती थी कि अगर उसने अपनी मां को थोड़ा भी अपने परेशान होने के बारे में बताया तो उसकी मां परेशान हो उठेगी और फ़ौरन सब छोड़-छाड़कर यहीं आ जाएंगी। चाहे जो हो, लेकिन अयाना अपनी मां को परेशान नहीं कर सकती थी। इसीलिए उसने अपनी मां को झूठ कहकर अपने सही होने की सांत्वना दी। अयाना (झूठी मुस्कान के साथ): जी मां, मैं बिल्कुल ठीक हूँ! सावित्री देवी: तुम सच बोल रही हो ना बेटा…मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रही ना? अयाना: नहीं मां…मैं बिल्कुल ठीक हूँ और आप मेरी बिल्कुल भी फ़िक्र ना करें…बस अपना ध्यान रखें…अच्छा मां, मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है…मैं आपसे शाम को आकर बात करती हूँ! सावित्री देवी: ठीक है बेटा…अपना ख्याल रखना! अयाना: जी मां…आप भी…बाय! सावित्री देवी: बाय बेटा! फ़ोन रखने के बाद अयाना कशिश के साथ कॉलेज के लिए निकल जाती है। अयाना ने आज सिंपल लॉन्ग व्हाइट कलर की फ्रॉक, सिंपल लाइट ब्लू दुपट्टे के साथ पहनी हुई थी। माथे पर छोटी सी ब्लू बिंदी, आधे बालों में क्लीचर लगाया हुआ था और आँखों में सिर्फ़ काजल के साथ ही वो अपनी सादगी में भी बहुत सुंदर लग रही थी। कॉलेज में कदम रखते ही अयाना के सब दोस्तों और क्लासमेट्स ने अयाना को बर्थडे विश किया। आरव ने भी सबके साथ अयाना को फ़ॉर्मल तरीके से बर्थडे विश किया। क्लास लेते-लेते ही कॉलेज में ही शाम हो चुकी थी। शाम को कशिश और अयाना के कुछ दोस्त उससे बर्थडे सेलिब्रेट और पार्टी करने की ज़िद करने लगे और आखिर में अयाना को उन सबकी बात माननी पड़ी। सब लोग मिलकर अयाना को एक होटल ले गए। हालाँकि ये काफ़ी महँगा होटल था और अयाना यहाँ नहीं आना चाहती थी, लेकिन उसके दोस्त उसे फ़ोर्स करके अपने साथ वहाँ ले आए। लेकिन जैसे ही अयाना ने होटल में कदम रखा, वो हैरान रह गई क्योंकि पूरा होटल एक नई दुल्हन की तरह सजा हुआ था और अयाना के लिए हैरानी वाली बात ये थी कि वही बड़ी सी दीवार पर कलरफुल अक्षरों और जगमगाती लाइट्स में "हैप्पी बर्थडे अयाना" लिखा हुआ था और चारों तरफ़ रंग-बिरंगे गुब्बारे और फूलों से सजावट हुई थी। बहुत सारे अलग-अलग खाने के साथ, ड्रिंक्स, जंक फ़ूड और आइसक्रीम वगैरह का एक पूरा बड़ा स्टॉल वहाँ मौजूद था। वेटर हाथ बाँधे चारों ओर लोगों के ऑर्डर लेकर उन्हें सर्व कर रहे थे। अयाना इतना तो समझ चुकी थी कि ये सरप्राइज़ कशिश की तरफ़ से तो यकीनन नहीं है क्योंकि इतने महँगे होटल में ऐसे इंतज़ाम वो या कशिश अफ़ोर्ड ही नहीं कर सकते। अयाना अपनी ही सोच में गुम थी कि तभी वहाँ चारों ओर अंधेरा हो गया और एक पल बाद ही अयाना पर एक फ़ोकस लाइट ऑन हुई। आँखों पर रोशनी के तेज़ प्रभाव से एक पल को अयाना ने अपनी उल्टी हथेली को अपनी आँखों पर ढाँक लिया और कुछ पल बाद जब उसने अपनी आँखों पर से हाथ हटाया, तो अपने सामने घुटनों पर बैठे आरव को पाया जो हाथ में रिंग पकड़े, एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अयाना की ओर ही देख रहा था! आरव (मुस्कुरा कर): आलतू-फालतू की फिजूल बकवास ना करके और तुम्हें ना पकाते हुए, सिर्फ़ एक सवाल का जवाब जानना चाहता हूँ…क्या उम्र भर के लिए तुम इस इडियट और पागल इंसान का हाथ थाम कर, उसने दुनिया-जहाँ का सबसे खुशनसीब इंसान बनाना चाहोगी? विल यू मैरी मी मिस अयाना शर्मा? और बदले में आई प्रॉमिस कि ज़िंदगी भर अपनी ज़ोरू…आई मीन तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा…प्लीज़ से यस टू मी…? अयाना आरव का क्यूट सा प्रपोज़ल सुनकर एक पल को मुस्कुरा दी, लेकिन अगले ही पल, जैसे ही आरव ने उससे शादी की बात कही, अयाना के ज़हन में फ़ौरन ही उस आवाज़ वाले शख्स का ख्याल आ कौंधा और उसके चेहरे पर खुशी की जगह वापस से घबराहट और डर ने ले ली। नहीं…वो आरव को…उसकी जान को खतरे में नहीं डाल सकती…बस यही ख्याल बार-बार उसके ज़हन में चलने लगा था और वो नम आँखों से लगातार अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए अपने कदम पीछे की ओर लेने लगी और जैसे ही अयाना भावुक होकर मुड़कर वहाँ से भागने को हुई, कि आरव ने अपनी जगह से खड़े होते हुए अयाना को रोकने के लिए उसका नाम पुकारा। आरव की आवाज़ सुनते ही अयाना के कदम वहीं रुक गए कि एकाएक आरव ने टेबल पर रखी कांच की बोतल को एक तेज़ आवाज़ के साथ टेबल पर दे मारा जिससे वो बोतल वहीं आधा टूटकर बिखर गई और ऊपर का आधा हिस्सा आरव के हाथ में रह गया। वहाँ मौजूद सब लोग जो अभी कुछ देर पहले तक आरव के प्रपोज़ल पर लगातार हूटिंग करते हुए उसे चीयर अप कर रहे थे, उन सब के बीच अब एकदम सन्नाटा पसर गया था और अयाना भी आवाज़ सुनकर एकाएक आरव की ओर मुड़ती है जो हाथ में आधी बोतल को पकड़े, आँखों में एक गंभीर जुनून लिए अयाना की ओर ही देख रहा था! आरव (आँखों में गंभीरता लिए अयाना की ओर देखते हुए): अगर आज तुम यहाँ से बिना मेरी मोहब्बत को क़बूल किए गई, तो आई स्वेर…आई स्वेर अयाना…मैं अभी इसी वक़्त यहीं सबके सामने अपनी जान दे दूँगा! अयाना आरव की ये बात सुनकर पूरी तरह शॉक्ड हो गई और अगले ही पल अयाना तब अपने दोनों कानों पर हाथ रखते हुए लगभग रोते हुए तेज़ी से चीख पड़ी। जब आरव ने कुछ पल तक भी अयाना को खामोश देखकर उसकी ओर देखते हुए एक ही झटके से उस कांच की आधी बोतल के हिस्से को अयाना की ओर देखते हुए ही अपने कंधे में घुसा दिया और अगले ही पल खून की एक गाढ़ी-ताज़ा बौछार आरव के कंधे से बह निकली…!!

  • 7. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 7

    Words: 1537

    Estimated Reading Time: 10 min

    जब आरव ने कुछ पल तक अयाना को खामोश देखा, तो एक ही झटके से कांच की आधी बोतल का एक हिस्सा अयाना की ओर देखते हुए अपने कांधे में घुसा दिया। अगले ही पल खून की एक गाढ़ी-ताज़ा बौछार आरव के कांधे से बह निकली। आरव के कांधे से खून की लकीर निकलता देख अयाना बुरी तरह घबरा गई। उसके हाथ-पांव डर और घबराहट से कांपने लगे, और वह लगातार रोते हुए, ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए, आरव को ऐसा करने से मना कर रही थी। दूसरी ओर, आरव अयाना की आँखों में अपने लिए तकलीफ भरी फिक्र देखकर, इतने दर्द में भी अपने दिल में एक सुकून और खुशी महसूस कर रहा था। आरव (सबकी बातों को पूरी तरह इग्नोर करते हुए अपने भाव छुपाते हुए): तो क्या सोचा तुमने अयाना? और फाइनली क्या जवाब है तुम्हारा? अयाना जैसे आरव या किसी की भी बात सुनने या समझने की स्थिति में ही नहीं थी। उसकी आँखें एकटक आरव के बहते खून को देख रही थीं, और लगातार आँसुओं से भर जा रही थीं। आरव ने जब इस बार भी अयाना को खामोश देखा, तो उसने एक बार फिर अपने हाथ में पकड़ी कांच की बोतल को हवा में उठाते हुए, खुद पर दुबारा वार करने के लिए अपना हाथ ऊपर किया; कि तभी अयाना जैसे अचानक से अपने ख्यालों से बाहर आई। उसने लगभग चीखते हुए आरव को ऐसा करने से रोका और लगभग दौड़ते हुए उसके करीब पहुँच गई। अयाना ने नम आँखों से अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए आरव को ऐसा ना करने का अनुरोध किया। अयाना (भावुकता से अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए): नो… प्लीज… नो… नो… स्टॉप दिस… प्लीज! बड़ी ही मुश्किल से अयाना यह चंद शब्द अपने मुँह से निकाल पाई थी। इस वक्त वह बहुत ज्यादा भावुक हो रही थी, और कुछ ही पल में उसकी भावुकता तेज़ सुबकियों में तब्दील हो गई। वह जोर-जोर से सुबकते हुए आरव का जख्म देखकर रोने लगी। यह देख अगले ही पल आरव ने उस आधी बोतल को फर्श पर फेंक कर मारते हुए चकनाचूर कर दिया, और अगले ही पल एक झटके से अयाना को अपने सीने से लगाकर, उसके बाल सहलाते हुए, उसे शांत करने की कोशिश करने लगा। मगर जितना आरव उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था, उसका रोना और सुबकियाँ उतनी ही बढ़ते जा रहे थे। वह इस वक्त बहुत कुछ बोलना चाहती थी, कहना चाहती थी, लेकिन उसके इमोशन की वजह से उसका पूरा गला मानो भर आया हो, और चाह कर भी उसके गले से कोई शब्द नहीं निकल पा रहे थे। हालाँकि वह कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन आरव को उसकी सुबकियों की वजह से कुछ भी समझ नहीं आ पा रहा था। आरव (अयाना के सर को सहलाते हुए): जस्ट रिलेक्स आयु… शांत हो जाओ! अयाना (ना में गर्दन हिला कर सुबकते हुए बहुत मुश्किल से बोलते हुए): न… नहीं… तु… तुम ठीक न… नहीं हो… ब… बहुत खू… खून ब… बह रहा है… प… प्लीज डू स… समथिंग… प्लीज डू सम… अयाना अपनी बात पूरी भी नहीं कह पाई थी कि वह आरव की बाहों में ही बेहोश हो गई। शायद उसने इस बात को लेकर अपने दिमाग पर इतना ज्यादा प्रेशर ले लिया था कि वह वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी। यह देख आरव के चेहरे पर भी पैनिक और चिंता के भाव उभर आए, और उसने अयाना को अपनी बाहों में संभालते हुए, उसके गाल को थपथपा कर उसे होश में लाने की कोशिश की। कशिश भी जल्दी से अयाना की ओर दौड़ कर आई और उसने टेबल पर रखी पानी की बोतल से अयाना के चेहरे पर पानी की कुछ बूँदें छिड़कीं। लेकिन अयाना को अभी भी होश नहीं आया। यह देख आरव ने अयाना को अपनी बाहों में उठाया और वह तुरंत पार्किंग की तरफ बढ़ गया। कशिश और आरव के दोस्त नील और राहुल भी परेशान होते हुए उनके पीछे चल पड़े। आरव की बाजू से खून बह रहा था, इसलिए नील ने उसे ड्राइविंग ना करने का कहकर गाड़ी खुद ड्राइव की। आरव ने भी कोई बहस ना करते हुए नील को ड्राइव करने के लिए चाबी दे दी और खुद पिछली सीट पर अयाना का सर अपनी गोद में रखकर बैठ गया। कशिश भी पिछली सीट पर अयाना का हाथ थामे परेशान होते हुए बैठ गई। राहुल नील के साथ आगे बैठा था, और कुछ ही पल में उनकी गाड़ी वहाँ से निकल पड़ी। थोड़ी देर बाद वे लोग हॉस्पिटल पहुँचे, और एक बार फिर आरव ने अयाना को अपनी गोद में उठाया और हॉस्पिटल के अंदर ले गया। उसने लगभग पैनिक होते हुए डॉक्टर से जल्दी से अयाना को देखने के लिए कहा। डॉक्टर आरव को अच्छे से जानते थे, और उनके फैमिली डॉक्टर होने के साथ ही उनके फैमिली फ्रेंड भी थे। डॉक्टर ने उन सब लोगों को बाहर इंतज़ार करने के लिए कहा और अयाना का चेकअप करने के लिए अंदर चले गए। इसी के साथ ही डॉक्टर ने एक दूसरे डॉक्टर से आरव के ज़ख्म पर पट्टी बाँधने के लिए कहा, लेकिन आरव ने तो वहाँ से ना हिलने की ज़िद पकड़ ली थी। इसलिए हार कर डॉक्टर ही अपने मरहम-पट्टी और सामान के साथ अयाना के रूम के बाहर ही आरव की ड्रेसिंग करने लगे। थोड़ी ही देर में डॉक्टर ने आरव के ज़ख्म पर मरहम-पट्टी कर दी थी और उसे एक पेन किलर और एंटीबायोटिक इंजेक्शन भी लगा दिया था। मगर आरव को तो जैसे अपने जख्म या दर्द का रत्ती भर भी एहसास नहीं था; उसका सारा ध्यान और फोकस तो सिर्फ अयाना पर ही अटका हुआ था। कशिश (नाराजगी भरे लहजे में आरव की ओर देखकर): यह क्या बचपना किया है आरव तुमने? तुम्हें एहसास भी है अगर तुम्हें कुछ हो जाता या फिर तुम्हारी इस पागलपंती की वजह से अयाना को कुछ हो गया, तो तुमने सोचा भी है कि इसका अंजाम क्या हो सकता है? आरव (गुस्से से): कुछ नहीं होगा अयाना को, और मैं कुछ भी नहीं होने दूँगा उसे! नील: कशिश बिल्कुल ठीक कह रही है आरव। तुमने जो कुछ भी किया वह सरासर गलत और पागलपन था। और किसी के प्यार को पाने के लिए या उसे खुद से प्यार करने के लिए आप जबरदस्ती उस पर अपना प्यार ऐसे तो बिल्कुल भी नहीं थोप सकते या उसे मजबूर नहीं कर सकते कि वह आपके प्यार को एक्सेप्ट करे! राहुल: हाँ आरव, नील बिल्कुल ठीक कह रहा है। और तुमने देखा नहीं, बिचारी अयाना किस तरह से तुम्हारी इस हरकत की वजह से किस कदर घबरा गई थी, और डर और घबराहट से उसकी क्या हालत हो गई थी। कुछ भी हो सकता था आरव, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। अगर वह तुमसे प्यार नहीं करती, तो तुम उसके साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते। जाने दो उसे अगर वह नहीं रहना चाहती तुम्हारे साथ! आरव (गुस्से भरे जुनून के साथ): क्यों जाने दूँ मैं उसे खुद से दूर, जबकि वह सिर्फ मेरी है और हमेशा मेरी ही रहेगी? और मैंने जो कुछ भी किया उसके प्यार को हासिल करने के लिए किया, उससे क़बूल करवाने के लिए किया कि वह भी मुझसे प्यार करती है, बस एक्सेप्ट नहीं करना चाहती। तुम लोगों ने देखा नहीं था कि मेरी चोट और जख्म को देखकर वह किस तरह से परेशान और भावुक हो उठी थी। और रही बात उसे कुछ होने की, तो मैं उसे कभी कुछ नहीं होने दूँगा, चाहे इसके लिए फिर मुझे पूरी कायनात, किस्मत या फिर चाहे कुदरत से ही क्यों ना लड़ना पड़े, मगर वह अब हमेशा मेरे साथ मेरे पास मेरी बनकर रहेगी। मैं अब उसके बिना नहीं रह सकता और अब उसे भी मेरे साथ रहने की आदत डालनी ही होगी, क्योंकि कम से कम इस जन्म में तो मैं उसे खुद से दूर कभी नहीं जाने दूँगा! आरव के दोस्त और कशिश आरव की अयाना के प्रति इस क़दर जुनूनियत वाली मोहब्बत देखकर थोड़े हैरान और शॉक दोनों थे, क्योंकि पहली बार था जब आरव ने इस तरह से किसी बात के लिए अपनी जुनूनियत और ज़िद को इस कदर जाहिर किया था, वह भी खासकर किसी लड़की के लिए। तभी उस मौके पर डॉक्टर अयाना को चेक करके उसके कमरे से बाहर आए। यह देख आरव जल्दी से डॉक्टर के पास आया। आरव (डॉक्टर से): कैसी है अयाना? वह ठीक तो है ना? अगर वह ठीक नहीं भी है तो भी मुझे वह ठीक ही चाहिए! डॉक्टर (कुछ पल तक बड़ी ही बारीकी से आरव के एक्सप्रेशन देखकर उसे समझने की कोशिश करते हुए): डोंट वरी… शी इज़ ऑलराइट… बस थोड़ा शॉक और सदमे की वजह से उसका बीपी गिर गया था और वह बेहोश हो गई थी। बट नाउ शी इज़ बेटर! आरव (राहत की साँस लेकर मन में बड़बड़ाते हुए): थैंक गॉड… (एक पल रुककर)… कैन आई मीट हर? डॉक्टर (हाँ में अपना सर हिलाते हुए): हम्मम! डॉक्टर की बात सुनते ही आरव अब जल्दी से अयाना के कमरे की ओर बढ़ गया और दरवाज़ा खोलकर जल्दी से अंदर गया। अयाना बेड पर लेटी हुई एकटक छत की सीलिंग को निहार रही थी। आरव को कमरे में आता देख अयाना बिस्तर से उठ बैठी। उसने फौरन अपना मुँह और नज़रें दूसरी दिशा में फेर लिए। आरव ने अयाना को नज़रें फेरते देखा, तो वह घूमकर दूसरी ओर आ गया और ठीक अयाना की नज़रों के सामने खड़ा हो गया। अयाना ने एक बार फिर जैसे ही अपनी नज़रें घुमाना चाही, तो इस बार आरव ने आगे बढ़कर उसके चेहरे को आहिस्ता से अपनी हथेलियों के बीच थाम लिया। आरव (अयाना के चेहरे को अपने हाथ में थामे हुए बेड पर उसके सामने बैठते हुए): अगर इस तरह से बेरुखी दिखाओगे, तो मेरी तो जान ही निकल जानी है फिर! अयाना ने आरव की बात सुनकर एक पल के लिए अपनी नज़रें उठाकर उसकी ओर देखा, लेकिन जैसे ही एक बार फिर अयाना की नज़र आरव के घाव पर बंधी पट्टी पर पड़ी, तो उसने दुखी भाव से एक बार फिर अपनी नज़रें आरव से फेर लीं।

  • 8. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 8

    Words: 1543

    Estimated Reading Time: 10 min

    अयाना बेड पर लेटी हुई, एकटक छत की सिलिंग को निहार रही थी। आरव को कमरे में आता देख, अयाना बिस्तर से उठ बैठी। उसने फौरन अपना मुँह और नज़रें दूसरी दिशा में फेर लीं। आरव ने अयाना को नज़रें फेरते देखा; तो वह घूम कर दूसरी ओर आ गया और ठीक अयाना की नज़रों के सामने खड़ा हो गया। अयाना ने एक बार फिर जैसे ही अपनी नज़रें घुमाना चाही, तो इस बार आरव ने आगे बढ़कर उसके चेहरे को आहिस्ता से अपनी हथेलियों के बीच थाम लिया। आरव (अयाना के चेहरे को अपने हाथ में थामे हुए, बेड पर उसके सामने बैठते हुए): अगर इस तरह से बेरुखी दिखाओगी, तो मेरी तो जान ही निकल जानी है फिर!! अयाना ने आरव की बात सुनकर एक पल के लिए अपनी नज़रें उठाकर उसकी ओर देखा; लेकिन जैसे ही एक बार फिर अयाना की नज़र आरव के घाव पर बंधी पट्टी पर पड़ी, तो उसने दुखी भाव से अपनी नज़रें आरव से फेर लीं। आरव (एक पल रुककर): जानता हूँ जो कुछ भी आज मैंने किया, उससे तुम बहुत हर्ट हुई हो, और आई एग्री कि मैंने जो कुछ भी किया वह मेरी एक नादानी थी। अयाना (नाराजगी से आरव की ओर देखकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए): नादानी??? लाइक सीरियसली आरव, तुम अपने इतने बड़े पागलपन को सिर्फ अपनी नादानी का नाम दे रहे हो। (एक पल रुककर) तुम्हें एहसास भी है कि उस वक्त मुझ पर क्या बीती और मैं असल में किस ट्रॉमा से गुज़री? (नाराजगी भरे लहजे से) तुम जानते हो अगर तुम्हें कुछ भी हो जाता, तो मैं सारी ज़िन्दगी इस गिल्ट के बोझ तले जीती कि मेरी वजह से किसी ने अपनी जान खो दी, और यह गिल्ट मुझे जीते जी मार देता। और जिस तरीके से तुमने मुझसे मोहब्बत होने के दावे को साबित करने की कोशिश की है, उसके बाद तो मैं चाहकर भी तुम्हारे करीब नहीं आ सकती! आरव (गंभीर भाव से): मैं मानता हूँ कि शायद मेरा अपने प्यार को साबित करने का तरीका गलत हो, लेकिन मेरी इंटेंशन और मेरी फीलिंग्स तुम्हें लेकर बिल्कुल प्योर हैं। और रही तुम्हारे मेरे करीब आने की बात, तो आई स्वेर अयाना, आई स्वेर। अगर तुम मुझे नहीं मिली तो मैं सच में नहीं जी पाऊँगा। आई डोंट नो, पता नहीं कब, कैसे, कहाँ, लेकिन मैं तुम्हें खुद से बढ़कर चाहने लगा हूँ, और अगर अब तुम मुझसे दूर हुईं, तो मेरे लिए जीना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो जाएगा! अयाना (गुस्से से): फॉर गॉड सेक आरव, बंद करो अपना यह पागलपन और होश से काम लो। तुम्हारी ज़िन्दगी इतनी सस्ती या छोटी नहीं है कि तुम किसी लड़की के लिए उसे यूँ ही कुर्बान कर दो। अपना ना सही, कम से कम अपने फैमिली के बारे में तो सोचो। (एक पल रुककर एक गहरी साँस लेकर) ज़िन्दगी के फैसले यूँ जज़्बाती होकर नहीं लिए जाते। बी प्रैक्टिकल आरव, दिल से नहीं दिमाग से काम लो, तो शायद तुम्हें मेरी बातें और मेरी बातों का मतलब समझ आए! आरव (आँखों में एक अलग ही जुनून के साथ): ना तो मैं कुछ समझना चाहता हूँ और ना ही तुम्हें कुछ समझाना ही चाहता हूँ। बेशक मैं तुम पर अपनी मोहब्बत को थोप नहीं सकता, लेकिन अपनी ज़िन्दगी के साथ क्या करना है या क्या नहीं, इसके फैसले पूरी तरह से मुझे लेने का हक़ है। (एक पल की खामोशी के बाद) मुझे सिर्फ़ एक सवाल का जवाब चाहिए तुमसे अयाना, आई प्रॉमिस उसके बाद मैं तुमसे दोबारा कुछ नहीं पूछूँगा और ना ही तुम्हें किसी चीज़ को एक्सेप्ट करने के लिए फ़ोर्स ही करूँगा! अयाना: कैसा सवाल? आरव (अयाना की आँखों में गंभीरता से देखते हुए): डू यू लव मी और नॉट? तुम मुझे चाहती हो या नहीं? आरव की बात सुनकर अयाना ने फौरन अपनी नज़रें दूसरी दिशा में फेर लीं। आरव: मुझे तुम्हारा जवाब चाहिए अयाना, और वो भी बिल्कुल सच। अगर तुम मुझे नहीं भी चाहतीं, तो तुम मुझे साफ़-साफ़ यह बात कह सकती हो, और आई प्रॉमिस मैं कभी भी दोबारा तुमसे इस बारे में ना तो सवाल करूँगा और ना ही कभी तुम्हारे सामने ही आऊँगा! अयाना (आँसू भरी आँखों से दूसरी ओर देखते हुए, भावुकता से): हाँ नहीं करती मैं तुमसे कोई प्यार-व्यापार! आरव (अयाना के चेहरे को अपनी तरफ़ करके, अपनी उंगली से उसकी ठोड़ी को उठाकर उसकी आँखों में देखते हुए): अगर तुम्हारी जुबान का कहा सच है, तो तुम्हारी आँखें इसे एक्सेप्ट क्यों नहीं कर रही हैं और क्यों दर्द तुम्हारी आँखों से आँसू बनकर बह रहा है! आरव की बात सुनकर अयाना ने अपने इमोशन्स और फीलिंग को रोकने के लिए अपने निचले होठों को अपने दाँतों तले दबा लिया; लेकिन उसके आँसू अभी भी निरंतर उसकी आँखों से बह रहे थे। और यह देखकर आरव ने प्यार से अयाना के गालों पर बहते आँसुओं को अपने अंगूठे से साफ़ किया। आरव (अयाना के आँसू अपने हाथ के अंगूठों से साफ़ करते हुए): मेरी तरफ़ देखो अयाना? (आरव के कहने के साथ ही अयाना ने अपनी नज़रें उठाकर आरव की आँखों में देखा!) अभी जो कुछ देर पहले तुमने कहा, वह अब सीधा मेरी आँखों में देखकर कहो कि सच में नहीं है तुम्हें मुझसे कोई मोहब्बत! आरव की बात सुनकर अब अयाना अपने इमोशन्स और फीलिंग्स पर और ज़्यादा काबू नहीं रख पाई और बस उसी पल वह पूरी भावुकता के साथ अपनी जगह से उठकर सीधा आरव के गले लग गई। आरव ने भी जवाब में कसकर अयाना को अपने गले से लगा लिया। अयाना (भावुकता से): मैं डरती हूँ आरव, बहुत डरती हूँ, तुम्हें खोने से डरती हूँ मैं, और किसी भी कीमत पर मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती आरव। (डर के मिले-जुले भाव से) उसने कहा था आरव, उसने कहा था कि अगर कोई भी मेरे करीब आया, तो… तो वह उसे मार डालेगा, जैसे उसने जिग्नेश और अतुल… अतुल को मार दिया। (पैनिक होकर आरव से दूर होते हुए) नहीं… नहीं… मैं… मैं तुम्हारी ज़िन्दगी खतरे में नहीं डाल सकती, कभी भी नहीं… तु… तुम… दू… दूर ही रहो मुझसे… आ… आरव… दूर ही रहो… वरना वो तुम्हें भी… (घबराकर पैनिक होते हुए) नहीं… नहीं… मैं ऐसा कभी नहीं होने दूँगी… मैं… बहुत… बहुत दूर चली जाऊँगी तुमसे… बहुत दूर! इतना कहकर अयाना जैसे ही वहाँ से जाने के लिए बिस्तर से नीचे उतरती है, कि आरव उसकी बाज़ुओं को पकड़कर अपनी ओर घुमाता है। आरव (अयाना को शांत करने की कोशिश करते हुए): जस्ट रिलेक्स अयाना, कुछ नहीं हुआ है, सब ठीक है, तुम बस बेवजह ओवरथिंकिंग कर रही हो। जस्ट रिलेक्स! अयाना (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए, पैनिक एक्सप्रेशन के साथ): ये ओवरथिंकिंग नहीं है आरव, तुम समझ नहीं रहे हो। जैसे ही उसे पता चलेगा कि तुम मुझसे… (एक पल को खामोश होकर सोचते हुए) नहीं आरव… वो… वो फिर… तुम्हें… भी… न… नहीं… अयाना बस लगातार पैनिक होकर एक ही बात को दोहराए जा रही थी। आरव ने उसे लगातार शांत और रिलैक्स करने की कोशिश की; मगर शायद अयाना का डर उसके दिल-दिमाग पर इस कदर हावी हो चुका था कि वह आरव की कोई भी बात समझने या सुनने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी। कुछ देर तक भी अयाना जब इसी तरह लगातार पैनिक रही, तो आखिर में आरव ने हल्की झुंझलाहट के साथ उसकी दोनों बाज़ुओं को पकड़कर उसे पूरी तरह झकझोर दिया। आरव (अयाना को झकझोरते हुए): जस्ट स्टॉप इट अयाना, जस्ट स्टॉप इट। होश में आओ अयाना, क्यों खुद को पागल करने पर तुली हो तुम? कुछ नहीं होगा मुझे, बिलीव मी, कुछ नहीं होगा। (अयाना के चेहरे को अपनी हथेलियों के बीच थामकर) मैं हूँ ना तुम्हारे साथ, ट्रस्ट मी, कुछ बुरा नहीं होने दूँगा मैं तुम्हारे साथ। जस्ट बिलीव मी (अयाना की नम आँखों में देखते हुए) हम्मम? जस्ट बिलीव मी! अयाना (आरव के गले लगकर, बेबसी भरी भावुकता से): मुझे ऐसा लग रहा है जैसे इन सारी बातों से मेरा सर फट जाएगा। अगर ऐसा ही रहा तो मैं सच में पागल हो जाऊँगी आरव। (आरव की शर्ट को अपनी मुट्ठी से कसते हुए, भावुकता के साथ) पागल हो जाऊँगी मैं! आरव (अयाना के बालों को चूमते हुए): डोंट वरी अब सब ठीक हो जाएगा, मैं हूँ ना अब तुम्हारे साथ। जस्ट रिलेक्स, हम्मम… रिलेक्स! अयाना को शांत करते हुए आरव अपने ही अलग ख्यालों में गुम था, और इस वक़्त उसके दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही थीं; लेकिन जो भी था, उसे इस बात की खुशी और सुकून दोनों थे कि आखिर में आज उसने अयाना को पा लिया था। और अब मन ही मन वह यह भी निश्चय कर चुका था कि अब चाहे जो हो और चाहे जो भी हालात क्यों ना पैदा हो जाएँ, लेकिन वह अयाना को अब कभी भी खुद से दूर नहीं जाने देगा, कभी भी नहीं; फिर चाहे इसके लिए उसे किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े और अयाना की खातिर अब उसे कुछ भी क्यों ना करना पड़ जाए, वह हरगिज पीछे नहीं हटेगा। आरव मन ही मन तय कर लिया था कि अयाना की खातिर अब उसे कुछ भी क्यों ना करना पड़ जाए, वह हरगिज पीछे नहीं हटेगा। कुछ घंटों बाद ही अयाना को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। आरव ने कशिश और अयाना को अपनी गाड़ी में बिठाया और उन दोनों को हॉस्पिटल से लेकर निकल गया। आरव और अयाना आगे बैठे थे, जबकि कशिश बैक सीट पर बैठी थी। पूरे रास्ते गाड़ी में खामोशी छाई हुई थी। बीच-बीच में आरव की नज़रें सीट से सर लगाए, खिड़की से बाहर देखती अयाना पर पड़ जातीं, तो उसके दिल में एक सुकून और खुशी भर जाती कि अयाना उसके साथ है और उसे अपना बनाने की पहली सीढ़ी वह पार कर चुका था। कुछ ही देर में आरव ने गाड़ी रोकी, तो अयाना और कशिश अपने ख्यालों और सोच से जैसे बाहर आईं और सामने की जगह देखकर दोनों ने सवालिया नज़रों से आरव को देखा। उनकी गाड़ी एक बड़े से बंगले के अंदर थी, जो देखने में ही बड़ा कीमती और खूबसूरत नज़र आ रहा था। अयाना (सामने बंगले को देखते हुए): ये हम कहाँ हैं आरव? आरव (अपनी सीट बेल्ट हटाते हुए, मुस्कुराकर): मेरे घर, जो बहुत जल्द तुम्हारा भी होने वाला है! अयाना (गंभीर भाव से): लेकिन आरव तुम हमें यहाँ क्यों लाए हो? प्लीज हमें हमारे घर ड्रॉप कर दो! कशिश: हाँ आरव, अयाना ठीक कह रही है, हमें हमारे घर ड्रॉप कर दो! आरव (गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर निकलते हुए): सॉरी गर्ल्स, पर अभी तो ये पॉसिबल नहीं है। (अयाना की साइड जाकर दरवाजा खोलकर) आइए मैडम, मैं आपको आपके होने वाले ससुराल की सैर करवाता हूँ!

  • 9. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 9

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    अयाना (सामने बंगले को देखते हुए): ये हम कहाँ हैं, आरव? आरव (अपनी सीट बेल्ट हटाते हुए, मुस्कुरा कर): मेरे घर... जो बहुत जल्द तुम्हारा भी होने वाला है! अयाना (गभीर भाव से): लेकिन आरव, तुम हमें यहाँ क्यों लाए हो? प्लीज, हमें हमारे घर ड्रॉप कर दो। कशिश: हाँ आरव, अयाना ठीक कह रही है। हमें हमारे घर ड्रॉप कर दो! आरव (गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर निकलते हुए): सॉरी गर्ल्स, पर अभी तो ये पॉसिबल नहीं है। (अयाना की साइड जा कर दरवाजा खोल कर) आइए मैडम, आपको आपके होने वाले ससुराल की सैर करवाता हूँ! अयाना: लेकिन आरव... आरव (अयाना का हाथ पकड़ कर उसे बाहर निकालते हुए): कुछ लेकिन-वेकिन नहीं। बस बाहर निकलो। (पीछे की ओर देख कर) कशिश, यार निकलो बाहर। एटलीस्ट तुम तो मेरा साथ दो! कशिश (गाड़ी से बाहर उतर कर): वो तो ठीक है आरव, लेकिन तुम्हारे डैड... हम लोगों को अचानक यहाँ देख कर... वो क्या सोचेंगे और कैसे रिएक्ट करेंगे? आरव (अयाना का हाथ थामते हुए, प्यार से देखते हुए): पहली बात तो डैड अपनी होने वाली बहु और मेरी प्यारी सी दोस्त को देख कर खुश ही होंगे। लेकिन फिलहाल डैड घर पर नहीं हैं। वो बिज़नेस टूर पर गए हैं। एक-दो दिन बाद ही लौटेंगे। तो तुम लोगों को कोई भी स्ट्रेस लेने या सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है। (एक पल रुक कर) अब अगर तुम दोनों देवियों के सवाल पूरे हो गए हों, तो अंदर चलें देवियों? कशिश (अयाना को खुद की ओर सवालिया नज़रों से देखते हुए): हम्मम, ठीक है! आरव (कशिश की ओर देख कर): थैंक्यू! क्योंकि लगता है, तुम्हारी इजाज़त के बगैर मेरी मैडम तो हिलने भी नहीं वाली। (कशिश के पास जा कर धीरे से) पर डोंट वरी, थोड़े वक्त की बात है, फिर वो मुझे देखने और मेरी सुनने के सिवा दूसरा कोई काम नहीं करेगी! कशिश (आरव को घूर कर): शटअप! ऐसा कभी नहीं होगा। तुम भले ही उसकी लाइफ में आ गए हो, लेकिन मैं हमेशा उसके लिए, उसकी बेस्ट फ्रेंड और सबसे पहले रहूँगी! आरव: हुंह... वो तो वक्त ही बताएगा मिस कशिश, क्योंकि अब से अयाना की लाइफ में सबसे पहले और अहम मेरे सिवा कोई नहीं होगा! अयाना (कुछ दूरी पर चलने के बाद पीछे मुड़ कर आरव और कशिश को रुका देख कर): क्या हुआ तुम दोनों को? चलो? आरव (कशिश को चेलेंजिंग लुक देते हुए विंक करने के बाद भाग कर अयाना के करीब पहुँच कर): नथिंग... बस ऐसे ही! अयाना (आरव को घूरती कशिश की ओर देख कर): कशिश, तुम वहाँ क्यों खड़ी हो? आओ ना? कशिश (आगे कदम बढ़ाते हुए): हम्मम! वहाँ खड़े गार्ड्स ने उन तीनों को वहाँ देख कर सलाम किया और इसके बाद आरव, कशिश और अयाना के साथ बंगले के अंदर की ओर बढ़ गया। घर में कदम रखते ही सबका सामना घने अंधेरे से हुआ। पूरे घर में घना अंधेरा छाया हुआ था। अयाना को संभालने के लिए आरव ने उसका हाथ थाम रखा था और अयाना ने कशिश का। उन दोनों के दिमाग में यही सवाल चल रहा था कि आखिर आरव के घर में इतना अंधेरा क्यों है। वो लोग उससे कुछ पूछते, इससे पहले ही थोड़ा आगे बढ़ कर आरव ने अपने घर की मेड को आवाज दी। आरव: मारिया... लाइट्स ऑन करो? आरव के इतना कहते ही पूरा घर रंग-बिरंगी लाइट्स से जगमगा उठा और अपने सामने घर के नज़ारे को देखकर अयाना और कशिश हैरानी से एकटक अपनी नज़रें चारों ओर घुमाने लगीं। जितना ये घर बाहर से खूबसूरत था, उससे कहीं ज़्यादा अंदर से खूबसूरत नज़र आ रहा था। लेकिन उन दोनों की हैरानी की वजह इस घर की खूबसूरती से कहीं ज़्यादा इस वक्त उनकी नज़रों के सामने घर की सजावट थी। पूरा घर रंग-बिरंगी लाइट्स और कैंडल्स से जगमगा रहा था। फर्श से ले कर दीवारों तक बैलून ही बैलून नज़र आ रहे थे। बीच में एक बड़ा सा खूबसूरत सा हार्ट शेप चॉकलेट केक गुलाब के गुलदस्ते के साथ रखा था और सामने सुनहरे और बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, "हैप्पी बर्थडे अयाना"। अयाना तो ये सब देखकर ही हैरान हो गई थी। उसके लिए ये सब बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड था। उसने कुछ कहने के लिए अपनी जुबान खोलनी चाही, लेकिन उससे पहले ही आरव उसकी बात काटते हुए उसका खींच कर उसे केक के पास ले गया। अयाना: आरव... आरव (अयाना का हाथ खींचते हुए): सारी बातें बाद में। पहले केक काटते हैं। कल से तुम्हारे केक काटने का वेट कर रहा हूँ, पर मौका ही नहीं मिल रहा। इसीलिए अब हम सबसे पहले केक काटेंगे। बाकी सब चीजें और बातें बाद में! इतना कह कर आरव अयाना का हाथ खींच कर उसे केक की तरफ़ ले गया। हालाँकि अयाना के लिए ये सब असमंजस और मुश्किल से भरा था। वो ये सब नहीं करना चाहती थी। वो खुद के लिए आरव को इतना करता देख अजीब महसूस कर रही थी। वो उसे सीधे तौर पर ना कहना चाहती थी, लेकिन आरव के चेहरे की खुशी और एक्साइटमेंट ने उसे ऐसा करने से रोक लिया और ना जाने क्यों, पर वो चाह कर भी आरव को ना नहीं कह पाई। और आरव ने जब केक काटने के लिए उसकी ओर छुरी बढ़ाई तो अयाना ने बिना कुछ बोले उसके हाथ से छुरी ले ली और एक पल बाद ही उसने मोमबत्ती बुझा कर केक काटा और आरव और कशिश के साथ ही आरव के सभी सर्वेंट्स और लोगों ने भी एक साथ मिलकर अयाना को बर्थडे विश किया। अयाना ने एक टुकड़ा काट कर पहले कशिश की ओर बढ़ाया तो वो खुशी से मुस्कुरा उठी। लेकिन इससे पहले कि वो अयाना के हाथ से केक खा पाती, आरव बीच में आकर अयाना का हाथ पकड़ कर वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में खा लिया। कशिश और अयाना उसे हैरानी से देखने लगीं। आरव (उन दोनों को अपनी तरफ़ एकटक देखते हुए): व्हाट? ऐसे क्यों घूर रही हो तुम दोनों मुझे? कशिश (लगभग चिढ़ कर): यू आर सो बैड आरव, सो बैड! आरव (बेफिक्री से अपने कांधे उचकाते हुए): अब इसमें बैड वाली क्या बात? पहले हक़ मेरा बनता था, सो मैंने पहले खा लिया! कशिश (आरव को गुस्से से घूर कर): आरव के बच्चे, देखना सीधा नर्क में जाएगा तू! आरव: हाँ, नो प्रॉब्लम। तेरे पड़ोस में ही घर ले लूँगा वहाँ। पर फिलहाल अयाना का बर्थडे सेलीब्रेट करें? इतना कह कर आरव अयाना और कशिश का हाथ थाम कर टेबल की ओर ले गया और अयाना को अपने हाथों से केक खिलाते हुए मस्ती में थोड़ा उसके गालों पर भी लगा दिया। कशिश ने भी अयाना को केक खिलाते हुए उसे प्यार से अपने गले लगाया। लेकिन आरव की जलन ने उन दोनों को ज़्यादा देर सुकून से गले भी नहीं रहने दिया। (थोड़ी देर बस आरव के घर के एक कमरे का दृश्य...) अयाना बाथरूम में अपने चेहरे पर लगे केक को साफ़ कर रही थी और आरव की बातों को यादों करते हुए मुस्कुरा रही थी। थोड़ी देर बाद वो बाहर आई तो अचानक उसके फ़ोन की मैसेज ट्यून बजी। अयाना ने अपने फ़ोन को उठाकर मैसेज चेक किया। "कंग्रेचूलेशन माय डॉल, खुशी हुई तुम्हारी नई पसंद के बारे में जानकर। लेकिन ये खुशी कब तक बनी रहेगी, गॉड नोज़😈। वैल, वन्स अगेन हैप्पी बर्थडे माय डॉल। एन्जॉय योर डे डार्लिंग, क्योंकि कल क्या हो, किसने जाना👹👹!" ये मैसेज पढ़ते ही डर और घबराहट से अयाना के हाथ से फ़ोन छूट कर गिर गया और अयाना घबराहट और डर से हड़बड़ा कर इधर-उधर देखते हुए कमरे से बाहर भाग निकली। अयाना बाहर निकल कर भागते हुए कुछ ही आगे बढ़ी थी कि वह कॉरिडोर में सामने से आते आरव से टकरा गई और इससे पहले कि उसका बैलेंस बिगड़ता और वह नीचे गिरती, आरव ने उसे अपनी बाँहों में थाम लिया और अपने सामने आरव को देखकर अयाना झट से उसके गले से लग गई और उसे ऐसे घबराता देख आरव उसे शांत करने के लिए उसका सर सहलाने लगा। आरव (अयाना का सर सहलाते हुए): क्या हुआ अयाना? व्हाट्स रॉन्ग विद यू? तुम इतनी घबराई क्यों हो? अयाना (घबरा कर लगभग रुआँसी होकर): मैंने कहा था ना आरव, मैंने कहा था कि जैसे ही उसे तुम्हारे बारे में पता चलेगा तो वह... तो वह तुम्हें भी नुकसान पहुँचाने के बारे में सोचेगा और देखो वह तुम्हें नुकसान पहुँचाने के लिए आ पहुँचा है और वो... और वो... आरव (घबराई हुई अयाना का चेहरा अपने हाथ में थामते हुए): अयाना, जस्ट रिलैक्स। जस्ट रिलैक्स मेरी जान! अयाना (बेहद परेशानी भरे भाव से): तुम समझ नहीं रहे हो आरव, वो कुछ भी कर सकता है और... और उसने कहा है ना... कि वो... कि वो... तुम्हें नुकसान पहुँचाएगा तो इसका मतलब है कि वह तुम्हें ज़रूर नुकसान पहुँचाएगा। (बौखला कर) और उसकी धमकी खाली नहीं जाती आरव, अब वह तुम्हें ज़रूर नुकसान पहुँचाएगा! आरव: अच्छा, तुम कहना चाहती हो कि उसने तुम्हें खुद धमकी दी मुझे मारने की? अयाना (डर भरे भाव से): हाँ... हाँ उसने इनडायरेक्टली मुझे तुम्हें नुकसान पहुँचाने के लिए कहा और मुझे धमकाते हुए कहा है कि... कि कल क्या हो किसी को नहीं पता! आरव: अच्छा ठीक है। मुझे ये बताओ कि उसने कैसे तुम्हें ये धमकी दी? मेरा मतलब है कि उसने तुम्हें कोई लेटर भेजा, तुम्हें कॉल की या क्या किया? जिससे तुम्हें उसकी इस धमकी का पता चला? अयाना (सोचते हुए): उस... उसने मुझे मैसेज किया था! आरव (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए): फ़ोन दो मुझे अपना। देखना है मुझे भी वो मैसेज? अयाना (सोचते हुए): फ़ोन? फ़ोन तो नहीं है मेरे पास! आरव (सहजता से): क्यों? कहाँ है फ़ोन तुम्हारा? अयाना (आरव की ओर देख कर): वो जब मैंने वो मैसेज पढ़ा तो मैं बुरी तरह घबरा गई और मैं... मैंने... हड़बड़ा कर घबराते हुए फ़ोन को वहीं रूम में फ़र्श पर गिरा दिया! आरव: अच्छा ठीक है, चलो कमरे में चल कर देखते हैं! अयाना (घबराते हुए): लेकिन आरव... आरव (मज़बूती से अयाना का हाथ थामते हुए): मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। डोंट वरी, कुछ नहीं होगा! आरव के कहने पर अयाना डरते हुए उसके साथ कमरे की ओर बढ़ गई। कमरे में पहुँचकर आरव ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई और बालकनी से लेकर बाथरूम तक चेक किया। वहाँ कोई मौजूद नहीं था और फिर उसने बेड पर नज़र की तो फ़ोन बेड के सिरहाने रखा हुआ था। आरव ने एक नज़र अयाना की ओर देखा और फिर फ़ोन की ओर बढ़ गया। उसने अयाना का फ़ोन उठाया और उसका मैसेज इनबॉक्स चेक किया। कुछ पल बाद उसने अपनी नज़रें उठाकर घबराई हुई सी अयाना को देखा।

  • 10. \\\\\\\\His doll\\\\\\\\..... (Beyond the possession) - Chapter 10

    Words: 2097

    Estimated Reading Time: 13 min

    आरव ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, "फोन दो मुझे अपना… देखना है मुझे भी वो मेसेज।" अयाना सोचते हुए बोली, "फोन??… फोन तो नहीं है मेरे पास!" आरव सहजता से पूछा, "क्यों? कहाँ है फोन तुम्हारा?" अयाना आरव की ओर देखकर बोली, "वो, जब मैंने वो मैसेज पढ़ा… तो मैं बुरी तरह घबरा गई… और मैं… मैंने… हड़बड़ा कर घबराते हुए फोन को वहीं कमरे में फर्श पर गिरा दिया!" आरव ने कहा, "अच्छा, ठीक है। चलो कमरे में चल कर देखते हैं!" अयाना घबराते हुए बोली, "लेकिन आरव…" आरव ने मजबूती से अयाना का हाथ थामते हुए कहा, "मैं हूँ ना तुम्हारे साथ… डोंट वरी, कुछ नहीं होगा!" आरव के कहने पर अयाना, डरते हुए, उसके साथ कमरे की ओर बढ़ गई। कमरे में पहुँचकर आरव ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई। उसने बालकनी से लेकर बाथरूम तक चेक किया। वहाँ कोई फोन मौजूद नहीं था। फिर उसने बेड पर नज़र की। फोन बेड के सिरहाने रखा हुआ था। आरव ने एक नज़र अयाना की ओर देखा, और फिर फोन की ओर बढ़ गया। उसने अयाना का फोन उठाया और उसका मैसेज इनबॉक्स चेक किया। कुछ पल बाद उसने अपनी नज़रें उठाकर घबराई हुई सी अयाना को देखा। अयाना परेशान होकर बोली, "देखा ना आरव तुमने… मैं झूठ नहीं कह रही… उसने मुझे ये धमकी भरा मैसेज किया था और मैं…" आरव ने बीच में ही अयाना की बात काटते हुए कहा, "फोन में ऐसा कुछ भी नहीं है अयाना… जैसा कि तुम कह रही हो… सिवाय कशिश और कंपनी के कुछ मैसेजेस के अलावा… इसमें दूसरा और कोई भी मैसेज नहीं है… मैंने पूरा फोन चेक किया है अयाना!" अयाना हैरानी से हड़बड़ा कर आरव की ओर बढ़ी और उसके हाथ से फोन लेते हुए बोली, "ऐ… ऐसा कैसे हो सकता है… मैं… मैंने खुद अपनी आँखों से वह मैसेज पढ़ा था… (फोन के इनबॉक्स में मैसेज को ढूँढते हुए) … आरव बिलीव मी… प्लीज़ बिलीव मी… मैंने खुद वो मैसेज पढ़ा था… और… और मैं तभी कमरे से घबराते हुए बाहर भाग कर निकली थी… और… और घ… घबराहट में मेरे हाथ से यह फोन भी नीचे गिर गया था… (फोन की हल्की टूटी हुई स्क्रीन को आरव को दिखाते हुए)… देखो आरव… देखो… ये स्क्रीन मुझसे फोन छूटने से ही टूटी है… और… और… मैं… मैं… (हड़बड़ाहट से अपने बालों में हाथ घुमाते हुए… उम्मीद भरी नज़रों से आरव की ओर देखकर)… बिलीव मी… बिलीव मी आरव… मैं… मैं… बिल्कुल सच कह रही हूँ… मैं झूठ… झूठ नहीं कह रही हूँ… मैं… मैंने खुद वो मैसेज पढ़ा था… और उसमें साफ़-साफ़ लिखा था… कि उसे तुम्हारे बारे में पता चल गया है और वो… वो तुम्हें… (एक पल रुक कर भावुकता से आरव की ओर देखकर)… मैं झूठ नहीं कह रही हूँ… मैं सच कह रही हूँ आरव… प्लीज़… बिलीव मी… प्लीज़…" आरव ने झटके से अयाना को अपने करीब खींच कर कस कर गले लगाते हुए कहा, "इट्स ओके… इट्स रियली ओके… जस्ट रिलेक्स आयु… जस्ट रिलेक्स…" अयाना भावुकता से बोली, "लेकिन आरव…" आरव ने अयाना के माथे से अपने माथे को टिका कर कहा, "शशशशशशहहहहहहह… कुछ नहीं होगा… मैंने कहा ना… जस्ट रिलेक्स… कुछ नहीं होगा… मैं हूँ तुम्हारे साथ… जस्ट रिलेक्स!" एक तरफ़ जहाँ अयाना पर उसका डर हावी हो रहा था, और उसे हर बढ़ते पल के साथ घबराहट भरी बेचैनी दे रहा था, वहीं दूसरी तरफ़ आरव पर भी उसकी भावनाएँ और इच्छाएँ हावी हो रही थीं। आज पहली बार अयाना को अपने इतने करीब पाकर, आरव के लिए अपनी इच्छाएँ और भावनाएँ काबू कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो रहा था। उसका दिल इस पल में अयाना को अपने इतने करीब कर लेना चाहता था कि फिर उन दोनों के बीच कभी कोई दूरी ना रहे। वह अयाना को खुद में पूरी तरह समा लेना चाहता था, उसके रोम-रोम पर अपनी मोहब्बत का नाम लिख देना चाहता था, और उसे हर तरह से बस अपना बना लेना चाहता था। इस वक़्त आरव के लिए अपनी इच्छाओं को काबू कर पाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, और वह और उसका दिल ही जानते थे कि वह कितनी मुश्किलों से अयाना के करीब जाने से खुद को रोके हुए था। बेशक ये सच था कि वह अयाना के करीब जाना चाहता था, उसे जल्द से जल्द अपना बनाना चाहता था, लेकिन यह भी एक हकीकत थी कि वह उसे चाहता था, और बिना किसी हद या सीमा के चाहता था, और उसे पता था कि एक ना एक दिन अयाना उसकी ही होनी है। इसीलिए वो नहीं चाहता था कि जज़्बातों में बहकर वो कुछ भी ऐसा करे या उसकी किसी भी हरकत की वजह से अयाना हर्ट हो या फिर उससे दूर हो जाए। इसलिए इस वक़्त आरव ने अपने इमोशंस को काबू रखना ही बेहतर समझा, और उसने अपनी इच्छाओं और भावनाओं को, अपने मन के ही किसी कोने में दफ़नाकर, इस वक़्त सिर्फ़ अयाना को शांत करने और उसे सहज करने में ही अपनी पूरी कोशिश और तवज्जो लगा दी। कुछ देर बाद, जब अयाना लगातार आरव के सर सहलाने से शांत हुई, तो उसे आरव के साथ अपनी इतनी करीबी का एहसास हुआ, और वह असहज होते हुए झट से आरव से दूर हो गई। हालाँकि अयाना का ऐसा करना आरव को अच्छा नहीं लगा था, लेकिन अयाना की हालत को समझते हुए, इस वक़्त उसने खामोश रहना ही बेहतर समझा। आरव ने मन ही मन नाखुशी से अयाना को देखते हुए सोचा, "कुछ दिन… कुछ दिन और मैं तुम्हें खुद को यूँ मुझसे दूर करने की बात को टॉलरेट कर रहा हूँ… उसके बाद… उसके बाद तुम तो क्या… पूरी कायनात भी मुझे तुमसे दूर नहीं कर सकती… (एक गहरी साँस लेकर अयाना की ओर देखकर)… ठीक है तुम आराम से सो जाओ… मैं यही साथ वाले कमरे में हूँ… अगर कोई भी ज़रूरत या बात हो… तो तुम बिना झिझक मुझसे कह सकती हो!" अयाना ने जल्दी से आरव को टोकते हुए कहा, "अगर तुम्हें कोई परेशानी ना हो… तो क्या तुम थोड़ी देर यहाँ और रुक सकते हो??… मुझे अभी थोड़ा अच्छा महसूस नहीं हो रहा… प्लीज़!" आरव ने अयाना की बात सुनकर अपनी बेहिसाब खुशी मन ही मन छुपाते हुए कहा, "हाँ… क्यों नहीं, ज़रूर!" कुछ पल बाद आरव अयाना को लेकर बालकनी की तरफ़ बढ़ गया। जहाँ दोनों वही मौजूद झूले पर बैठ गए। अयाना आरव से थोड़ा फ़ासला बनाकर बैठी थी। हालाँकि जाहिर तौर पर आरव को यूँ अयाना का खुद से यूँ दूर बैठना रास नहीं आया था, लेकिन कुछ देर पहले की तरह ही उसने अपने इस भाव को भी भली-भाँति छुपा लिया था। जब अयाना ने आरव को खामोश देखा, तो कुछ देर बाद उसने ही अपने ध्यान को भटकाने के लिए अपनी चुप्पी तोड़ी। अयाना ने पूछा, "तुम अकेले रहते हो इस घर में?" आरव ने उत्तर दिया, "नहीं… डैड भी मेरे साथ रहते हैं!" अयाना ने याद करते हुए कहा, "हाँ… सॉरी, तुमने बताया था घर आने के बाद… कि वह बिज़नेस ट्रिप पर बाहर गए हैं!" आरव ने कहा, "हाँ… डैड और मैं यहाँ रहते हैं!" अयाना ने पूछा, "और तुम्हारी मॉम?" आरव ने थोड़े दुखी स्वर में कहा, "वो अब इस दुनिया में नहीं है… मेरे डैड ही मेरे लिए मेरे माँ-बाप दोनों हैं!" अयाना ने अफ़सोस के साथ कहा, "आई एम सॉरी… आई एम रियली सॉरी… मुझे सच में नहीं पता था… वरना मैं तुमसे कभी ये सवाल नहीं करती!" आरव ने अयाना की ओर देखकर कहा, "इट्स ओके… इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है… और ना ही तुम्हें कुछ पता ही था… और फिर ये ऐसा कड़वा सच है… जो मानने या ना मानने से बदलने वाला नहीं है!" अयाना ने कहा, "ठीक कहा तुमने… और तुम्हारे दर्द को भी अच्छे से महसूस कर सकती हूँ मैं… आखिर मैं भी इस दर्द से गुज़री हूँ… और मैंने भी अपने पिता को खोया है… (एक पल रुककर)… मैं समझती हूँ कि बहुत मुश्किल होता है… जब आपके माँ-बाप में से किसी एक का भी साया आपके सर से उठ जाए… माँ-बाप का साया ज़िन्दगी में बिल्कुल ऐसे होता है… जैसे कड़कती धूप में छांव… और किसी एक के चले जाने से भी… जो कमी आपकी ज़िन्दगी में आती है… वह फिर पूरी ज़िन्दगी भी कभी भर नहीं पाती… (एक पल रुककर)… यू नो व्हाट आरव… जब मेरे पापा हमें छोड़कर गए… तब मैं इतनी समझदार नहीं थी… और अक्सर अपनी नासमझी और नादानी के चलते अपनी माँ से पूछा करती थी… कि माँ पापा कहाँ गए हैं… और कब लौटेंगे… और माँ हमेशा बस यही जवाब देती… कि पापा ज़रूरी काम से गए हैं… और जल्द वापस लौट आएंगे… काफ़ी वक़्त तक ये जवाब सुन सुनकर… कई बार मैं चिढ़ जाती थी… और माँ से कहती थी… कि आखिर कब आएंगे मेरे पापा… और वह क्यों हमसे मिलने नहीं आते… क्यों हमें कॉल नहीं करते… और क्यों मेरे बाकी दोस्तों के पापा की तरह मुझे स्कूल छोड़ने नहीं जाते… मुझे घुमाने नहीं ले जाते… और भी ना जाने ऐसे कितने ही सवाल मैं अपनी माँ से करती… और बिचारी मेरी माँ… मेरे इन सवालों को सुनकर… उन्हें जो दर्द महसूस होता होगा… वो उस दर्द को अंदर ही अंदर सिर्फ़ मेरे लिए पीकर रह जाती थी… और आज मुझे अपनी माँ के उस दर्द का एहसास महसूस होता है… कि मेरे उन मासूम सवालों का तब मेरी माँ के दिल पर कितना गहरा असर होता होगा… हालाँकि उम्र बढ़ने के साथ ही मैं चीज़ों को समझने लगी थी… और एक वक़्त आया… जब मैं ये भी समझ चुकी थी… कि मेरे पापा अब कभी लौटकर नहीं आएंगे… (थोड़ा रुककर)… ये सच है… कि उनकी कमी हमेशा मेरी ज़िन्दगी में रही है… और आगे भी रहेगी… लेकिन एक सच ये भी है… कि मेरी माँ ने मुझे मेरे माँ और पिता दोनों का प्यार दिया है… ज़रूरत पड़ने पर मुझे अपनी ममता की आँचल की छांव दी है… तो वही मज़बूत होने के लिए… एक पिता की तरह दिलासा भी दिया है… और आगे बढ़ने के लिए हौसला भी दिया है… मैं आज जहाँ भी हूँ… जिस भी मुक़ाम पर हूँ… सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी माँ की बदौलत… अगर वह नहीं होती तो मैं भी नहीं होती!" आरव ने अयाना की हर एक बात को बड़े ही ध्यान से सुनते हुए कहा, "बहुत प्यार करती हो ना तुम अपनी माँ से?" अयाना ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "नहीं, मैं अपनी माँ को सिर्फ़ प्यार ही नहीं करती… बल्कि वह मेरे जीने की वजह है… मेरे दिल की धड़कन है… और मेरे वजूद का वह अहम हिस्सा है… जिसके बगैर मैं जीने का तसव्वुर भी नहीं कर सकती… मेरे लिए मेरी माँ मेरी भगवान है… मेरी रोल मॉडल है… मेरी गुरु… मेरी मेंटर… मेरा सब कुछ है मेरे लिए… कभी-कभी तो मुझे डर लगता है… कि अगर ईश्वर न करे और मैं उनसे दूर हो गई तो मैं कैसे जी पाऊँगी… नहीं, कभी नहीं जी पाऊँगी मैं उनके बिना… (एक पल रुककर)… जब से मैं यहाँ आई हूँ… तब से हर रात मुझे बेचैनी रहती है… कि आखिर कब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूँ… और कब जल्द से जल्द अपनी माँ के पास वापस लौट जाऊँ… और सच कहूँ तो अगर मेरी पढ़ाई… मेरा यहाँ आना… मेरी माँ का सपना नहीं होता… तो मैं कभी भी उन्हें वहाँ अकेला छोड़कर नहीं आती… कभी भी नहीं!" आरव ने मज़ाकिया तौर पर कहा, "हम्मम… वो सब तो ठीक है लेकिन अब तुम अपनी माँ से अलग रहने की आदत डाल ही लो… (अयाना सवालिया नज़रों से आरव की ओर देखती है!)… माना कि तुम अभी कुछ वक़्त बाद अपने घर वापस चली जाओगी अपनी माँ के पास… लेकिन तब क्या… जब शादी करने के बाद… उनसे हमेशा के लिए दूर चली जाओगी?" अयाना ने गंभीर भाव से कहा, "अगर शादी करने का मतलब… मेरी माँ से दूर होना है… तो आई स्वेर… आई स्वेर मैं कभी भी शादी नहीं करूँगी!" आरव ने अयाना की बात सुनकर नाखुशी भरे भाव से कहा, "जानता हूँ… कि तुम अपनी माँ से बहुत प्यार करती हो… और समझता भी हूँ… लेकिन शादी तो करनी पड़ती है ना… क्योंकि बिना शादी के तो ज़िन्दगी नहीं गुज़ारी जा सकती!" अयाना ने कहा, "ये लोगों की सोच और गलतफ़हमी है… मानती हूँ कि शादी के बाद… अपने हमसफ़र के साथ ज़िन्दगी गुज़ारना नियति का एक अनोखा और खूबसूरत नियम है… लेकिन बिना शादी के और रिश्तों के साथ ज़िन्दगी नहीं गुज़ारी जा सकती… ये महज़ लोगों का अंधविश्वास और गलतफ़हमी है!" आरव ने अपनी नाराज़गी छुपाते हुए कहा, "तो तुम साफ़ तौर पर ये कहना चाहती हो… कि तुम अपनी माँ के लिए मेरा साथ और प्यार ठुकरा दोगी?" अयाना ने अविश्वास से आरव की ओर देखते हुए कहा, "आरव… सीरियसली… तुम मेरी माँ के प्यार की कंपेरिज़न कर रहे हो… (हल्की नाराज़गी से)… पहली बात तो मेरा इरादा तुम्हें या तुम्हारी फ़ीलिंग्स को जज करना… या उनका कंपेरिज़न करना बिल्कुल भी नहीं था… लेकिन फिर भी एक बात तुम्हें क्लियर कर दूँ… मेरी माँ मेरे लिए मेरी भगवान है… और भगवान के प्यार की तुलना इंसानों के प्यार से नहीं की जा सकती… वो एक माँ है… तुम उनके प्यार की तुलना खुद से कर भी कैसे सकते हो आरव… (मायूसी भरे लहजे से)… मुझे तुमसे ये उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी आरव!" इतना कहकर अयाना जैसे ही वहाँ से जाने के लिए खड़ी हुई, कि आरव ने झट से उसकी कलाई पकड़ ली। एक पल को अपनी आँखें बंद करके, गहरी साँस लेते हुए, खड़े होकर अयाना के सामने आकर खड़ा हो गया। आरव ने कहा, "आई एम सॉरी… आई एम रियली वेरी सॉरी… मेरा इरादा तुम्हें बिल्कुल भी हर्ट करना नहीं था… पता नहीं ये शब्द मेरे मुँह से कैसे निकल गए… (एक गहरी साँस लेकर)… आई एम रियली सॉरी… दिल से माफ़ी माँगता हूँ मैं तुमसे… मैंने बस बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल दिया… जबकि मेरा मतलब तुम्हें बिल्कुल भी हर्ट करना नहीं था… (आरव अपने कान पकड़ते हुए)… प्लीज़ माफ़ कर दो मुझे… प्लीज़?" अयाना ने कहा, "इट्स ओके… पर आइंदा के लिए ध्यान रखना!" आरव ने कहा, "हम्मम… पक्का ध्यान रखूँगा… डोंट वरी!" अयाना ने कहा, "हम्मम… (एक पल रुककर)… काफ़ी रात हो गई है… अब हमें सोना चाहिए!" आरव ने कहा, "हम्मम… ठीक है!" इसके बाद दोनों उठकर अंदर चले गए। आरव अयाना को गुड नाईट बोलकर अपने कमरे की ओर चला गया। अयाना ने आरव के जाने के बाद अंदर से दरवाज़ा बंद किया। बाहर खड़े आरव की नज़र कमरे के बंद दरवाज़े पर ठहर गई। उसने अंदर अभी कुछ देर पहले हुई बात को, अयाना से माफ़ी माँगकर ख़त्म तो कर लिया था, लेकिन कहीं ना कहीं उसके दिमाग में कुछ तो ज़रूर चल रहा था। जिसे सोचकर उसे ऐसा लगा जैसे उसने झट से अपनी प्रॉब्लम का हल निकाल लिया। और यह सोचते ही आरव के होठों पर एक विक्ट्री स्माइल आ गई। कुछ पल बाद इसी विक्ट्री स्माइल के साथ आरव अपने कमरे में सोने के लिए चला गया।

  • 11. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 11

    Words: 1656

    Estimated Reading Time: 10 min

    एक विक्ट्री स्माइल के साथ, आरव अपने कमरे में सोने के लिए चला गया। अगले दिन सुबह, जब आरव फ्रेश होकर आया, तो वह सीधा अयाना के कमरे की ओर गया। उसने कमरे पर नॉक किया, और जल्दी ही अयाना ने दरवाजा खोल दिया। अयाना भी नहा-धोकर अब तक तैयार हो चुकी थी। अयाना का खिला-खिला चेहरा देखकर, आरव के चेहरे की मुस्कुराहट और भी ज्यादा गहरी हो गई थी। आरव (खुशी से मुस्कुराते हुए): गुड मॉर्निंग!!! अयाना (हल्की सी मुस्कान के साथ): गुड मॉर्निंग!!! आरव (खुशमिजाजी के साथ अयाना की ओर देखते हुए): क्या बात है, आज की सुबह तो ज़रूरत से ज़्यादा ही खूबसूरत और खिली हुई है!! अयाना (आरव की बात को इग्नोर करते हुए, थोड़ी गंभीरता के साथ): मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ आरव। आरव (मुस्कुराकर): हाँ, कहो!!! अयाना (गंभीर भाव से): आरव, मैं तुम्हारी भावना और इमोशंस की क़द्र करती हूँ, और उन्हें समझती भी हूँ। लेकिन अभी मैं जिन हालातों से गुज़र रही हूँ, मुझे नहीं लगता कि ऐसे हालातों में मैं तुम्हें कोई भी कमिटमेंट या उसे निभाने का वादा दे पाऊँगी। आरव (अनजान बनते हुए): तुम कहना क्या चाहती हो, साफ़-साफ़ कहो??? अयाना (गहरी साँस ले कर): आरव, मैंने कल रात को इस रिश्ते के बारे में बहुत सोचा, और आखिर में मैं इस फ़ैसले पर ही पहुँच पाई हूँ कि अगर मेरे तुम्हारे साथ जुड़े रहने से तुम्हारी ज़िन्दगी को ख़तरा है, तो मेरा तुमसे दूर रहना ही बेहतर है। क्योंकि अगर ईश्वर न करे, कि तुम्हें थोड़ा भी कुछ हो गया, तो मैं ज़िन्दगी भर खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी। इसलिए मेरी तुमसे रिक्वेस्ट है, प्लीज़ इस सब को यहीं ख़त्म कर दो, और भूल जाओ मुझे, और मुझसे जुड़ा सब कुछ। इतना कहकर अयाना कमरे से बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाती है, लेकिन आरव उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक लेता है, और वापस से अपनी ओर खींच कर, उसकी बाहों को पकड़ते हुए उसे अपने करीब कर लेता है। आरव (गंभीर भाव के साथ): तुम्हें भूलना तो सिर्फ़ एक ही सूरत में पॉसिबल है, कि मैं अपनी इस ज़िन्दगी को ही ख़त्म कर दूँ। अयाना (घबराकर): आरव! आरव (एक अलग ही जुनून भरे भाव के साथ): अगर तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं ज़िंदा रहकर तुमसे अलग रह पाऊँगा, या तुम मुझसे दूर हो जाओगी, तो ऐसा कभी नहीं हो सकता। मुझसे दूर होने का सिर्फ़ एक ही रास्ता है, कि हम दोनों में से कोई एक ज़िंदा ही न रहे। अयाना (एक पल को अपनी आँखें बंद करके): आरव, ट्राय टू अंडरस्टैंड! आरव (झल्ला कर): नहीं, समझने की कोशिश तुम करो। मुझे कुछ नहीं समझना। मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि मैं अब तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता, और अगर तुम्हें मुझसे दूर जाना ही है, तो तुम मेरी ज़िन्दगी को मौत की चादर ओढ़ाकर आराम से जाना, क्योंकि शायद सिर्फ़ एक यही रास्ता है जो मैं तुम्हारे रास्ते से हमेशा के लिए हट जाऊँ। अयाना (परेशान होते हुए): आरव, प्लीज़ ऐसी बातें करना बंद करो! आरव (अयाना की बातों को छोड़कर, संजीदगी भरे लहजे से): आई स्वेर, आई स्वेर, तुम्हारी कसम है मुझे अयाना, अगर इस बार तुमने मुझसे खुद को मुझसे दूर करने की बात कही, या तुमने ऐसा कुछ करने का सोचा भी, तो मैं अपने हाथों से अपनी जान ले लूँगा, और उसकी ज़िम्मेदार तुम होगी। अयाना (दुविधा से, लगभग आरव का नाम चिल्लाते हुए): आरव… आरव (अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): मुझे नहीं पता क्या सच है और क्या झूठ है। मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि बेशक तुम मेरी ज़िन्दगी बचाने या उसे सेव करने के लिए ही मुझसे दूर जाना चाहती हो, पर मुझे ऐसी ज़िन्दगी नहीं चाहिए, तुमसे दूर रहकर जीने वाली ज़िन्दगी से लाख गुना बेहतर वो मौत है जो मुझे तुम्हारे करीब रहने का अवसर देगी। और अगर तुमने मेरी जान बचाने के खातिर ही क्यों ना सही, लेकिन मुझसे दूर जाने की बात सोची भी, तो भी मेरी ज़िन्दगी तो फिर भी बचेगी ही नहीं, क्योंकि तब मैं फिर खुद अपने हाथों अपनी ज़िन्दगी को ख़त्म कर दूँगा। एंड आई एम डैम सीरियस अयाना, और मेरी बातों को मज़ाक में लेना भी मत। मैं तुम्हें एक बार करके दिखा चुका हूँ, लेकिन अगली बार तुम्हें पछताने का भी मौका नहीं मिलेगा। इतना कहकर गुस्से से कमरे से बाहर निकल गया, जबकि अयाना उसका नाम पुकारती रह गई। अयाना को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करे। वह ऐसे मझधार में फँस चुकी थी जहाँ से निकलना उसके लिए मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो रहा था। एक तरफ़ आरव था, जो अपनी ज़िद पर अड़ा था और उससे अलग होने की बात को सोचकर ही अपनी जान देने की धमकी दे रहा था, तो दूसरी तरफ़ वो अनजान शख़्स था जिसके रहते अगर अयाना आरव के करीब भी गई, तो आरव की ज़िन्दगी को साफ़ तौर पर ख़तरा था। अयाना को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इस वक़्त वो क्या करे और क्या फ़ैसला ले। काफ़ी देर कमरे में यूँ ही खुद और खुद के जज़्बातों से जूझने के बाद, आखिर में अयाना ने सब कुछ रब पर छोड़ दिया, और खुद कमरे से बाहर आ गई। जब वो नीचे आई, तब तक कशिश भी तैयार होकर आ चुकी थी, और वो लगभग अपना नाश्ता भी कर चुकी थी। उसने अयाना से भी नाश्ता करने के लिए कहा, लेकिन अयाना ने डाइनिंग टेबल पर नाराज़ से बैठे आरव की ओर देखा, और मन नहीं है कहकर, वह बाहर की ओर चली आई। कुछ देर बाद उसको बाहर जाते देखा। आरव ने एक नज़र उसकी ओर देखा, लेकिन वो अपनी जगह से नहीं हिला। कुछ देर बाद आरव और कशिश भी बाहर आए, और तीनों सीधा कॉलेज के लिए निकल गए। पूरी गाड़ी में ख़ामोशी ही पसरी हुई थी। कशिश ने उन दोनों के बीच की नाराज़गी को कहीं ना कहीं भाँप लिया था, लेकिन वो ख़ामोश ही रही। कॉलेज पहुँचकर भी आरव बिना कुछ बोले सीधा क्लास की ओर बढ़ गया। अयाना को भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह आरव से क्या कहे या उसे क्या समझाए। कॉलेज में आधा दिन क्लास लेते हुए निकल चुका था, लेकिन आज पहली बार था जब अयाना का मन पढ़ाई में लग ही नहीं रहा था। इसीलिए अयाना ने अगली क्लास को मिस कर दिया, और वह बाहर गार्डन में बेंच पर आकर बैठ गई, और अपनी ही सोच में गुम हो गई। कशिश भी कुछ देर बाद अयाना के पास ही आ बैठी, और उसने अयाना से उसकी परेशानी की वजह पूछी, तो अयाना ने सुबह आरव के साथ हुई उसकी बहस के बारे में सारी बात बता दी। कशिश (अयाना की बात सुनकर एक गहरी साँस लेते हुए): मैं क्या कहूँ तुझसे, मुझे तो खुद समझ नहीं आ रहा। पर जो भी है, तुझे नहीं लगता कि आरव का इस तरह से तेरे लिए पोज़ेसिव नेचर ठीक नहीं है? (अयाना की ओर देखते हुए) आई मीन, ठीक है वो तुझे पसंद करता है, तुझे चाहता है, लेकिन उसकी ओवर पोज़ेसिवनेस मुझे कुछ अजीब सी फीलिंग दे रही है। आई मीन, हम किसी को अगर चाहते हैं, उसे पसंद करते हैं, तो इसका ये मतलब तो बिल्कुल भी नहीं है कि हम उस पर ज़बरदस्ती अपना प्यार थोपें, या उसे मजबूर करें कि वह हमारे प्यार को एक्सेप्ट करे। अयाना (उलझन भरे भाव से अपने बालों में हाथ घुमाते हुए): मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, आखिर मैं क्या करूँ और क्या नहीं। कशिश (अयाना के कंधों को पकड़कर अपनी ओर उसका रुख़ करते हुए): टेल मी वन थिंग, और मुझे बिल्कुल सच-सच बताना अयाना, डू यू रियली लव हिम? (एक पल रुक कर) या फिर तू उसकी जान देने की धमकी की वजह से उसके प्यार को ज़बरदस्ती एक्सेप्ट कर रही है? कशिश की बात सुनकर अयाना के चेहरे के भाव अचानक ही बदल गए, और वह गहराई से कशिश के सवाल को सोचते हुए, अपनी उलझन को सुलझाने की कोशिश करने लगी। कशिश भी अयाना की आँखों को पढ़ने की कोशिश करने लगी, मगर वह दोनों ही इस बात से अनजान थे कि वही कुछ दूरी पर, अपनी दोनों मुट्ठियों को गुस्से से भींचे हुए, आरव खड़ा था, और कशिश की बात सुनकर गुस्से से खा जाने वाली नज़रों से उसकी ही दिशा में देख रहा था, और कहीं ना कहीं उसके दिल की धड़कन एक पल के लिए, एक डर के अंदेशे से, रुक सी गई थी कि आखिर पता नहीं अयाना के दिल में आखिर क्या जज़्बात और सच छुपा है। लेकिन कहीं ना कहीं आरव ने ये भी मन ही मन तय कर लिया था कि चाहे अयाना का जो भी फ़ैसला क्यों ना हो, या चाहे जो कुछ भी हो जाए, वो अयाना को खुद से दूर कभी नहीं जाने देगा, फिर चाहे इसके लिए उसे अयाना पर कोई भी इमोशनल अत्याचार करके ही, उस पर अपनी मोहब्बत क्यों ना थोपनी पड़े। लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं आरव पहले अयाना के दिल में छुपी हकीकत को जानना चाहता था, और उसके हिसाब से ही उसने अपना अगला कदम उठाने का विचार किया। आरव अभी भी अपने ही ख़्यालों में गुम था कि एक बार फिर कशिश की आवाज़ उसके कानों में पड़ी, तो वो अपने ख़्यालों से बाहर आया। कशिश (अयाना की बाजुओं को पकड़कर हल्का झकझोरते हुए): बोल अयाना, सच क्या है? क्या तू वाकई में उसे पसंद करती है? या फिर यह सब तू बस मजबूरी के तहत कर रही है? अयाना (कुछ पल सोचकर पूरी संजीदगी के साथ): नहीं कशिश, नहीं। मैं ये सब किसी मजबूरी के तहत या दबाव में आकर बिल्कुल भी नहीं कर रही हूँ, बल्कि… बल्कि सच तो यह है कि… कि कहीं ना कहीं मैं भी आरव को चाहने लगी हूँ। मुझे नहीं पता कब, कैसे और कहाँ, मगर हकीकत यही है कि मैं उसे पसंद करने लगी हूँ कशिश। कशिश के सवाल पर अयाना का जवाब सुनकर, आरव का दिल खुशी से ही नाच उठा, और उसके पाँव जैसे ज़मीन पर टिक ही नहीं रहे थे। कहीं ना कहीं आरव को भी अब तक इस बात का श्योरिटी नहीं थी कि अयाना उसे वाकई में चाहती है या फिर वह महज़ उसकी धमकी की वजह से उसके साथ थी। और यह डाउट आरव ने कभी क्लियर करने की कोशिश भी नहीं की थी, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वो किसी भी वजह से अयाना को खो दे। उसके लिए सिर्फ़ इतना ही काफ़ी था कि अयाना उसके साथ है, फिर चाहे डर से या फिर खुशी से। कुछ पल पहले तक जहाँ वह कशिश का सवाल सुनकर अंदर ही अंदर गुस्से से उबल रहा था, अब अयाना के मन की बात जानने के बाद, दिल ही दिल में कशिश का शुक्रगुज़ार हो रहा था कि आखिर उसकी वजह से आज उसे अयाना के जज़्बातों के बारे में बखूबी और साफ़ तौर पर पता चल सका। अयाना (कुछ पल रुक कर): लेकिन सच कहूँ तो कभी-कभी मुझे आरव का ओवर पोज़ेसिव होना डरा जाता है। मतलब मुझे समझ ही नहीं आता कि मैं उसे कैसे संभालूँ और… अयाना अपनी बात पूरी भी नहीं कह पाई थी कि आरव जल्दी से उसकी बात काटते हुए बीच में टपक पड़ता है।

  • 12. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 12

    Words: 1850

    Estimated Reading Time: 12 min

    अयाना (कुछ पल रुक कर): लेकिन सच कहूँ… तो कभी-कभी… मुझे आरव का ओवर पजेसिव होना डरा जाता है… मतलब मुझे समझ ही नहीं आता कि मैं उसे कैसे संभालूँ और… अयाना अपनी बात पूरी भी नहीं कह पाई थी कि आरव जल्दी से उसकी बात काटते हुए बीच में टपक पड़ता है! आरव (खुशी से मुस्कुराते हुए): तुम मेरे साथ होगी ना… तो मैं खुद संभल जाऊँगा… मुझे संभालने के लिए बस तुम्हारा मेरे साथ होना ही काफी है… और कुछ नहीं! अयाना (झेंप कर): तु… तुम यहाँ… तुम यहाँ क… कब आए? आरव (मुस्कुरा कर): बस तभी जब तुम अपनी दोस्त से अपने दिल की बातें और एहसास साझा कर रही थी…!! अयाना (झेंप कर अपनी नज़र झुका कर): म… मैं तो बस क… कशिश को समझा रही थी… कि… आरव को सामने देख, चाह कर भी अयाना से आगे कुछ बोलते नहीं बना, और उसने झेंप कर अपनी नज़रें फेर लीं। क्योंकि उसे इस समय बहुत ही अजीब महसूस हो रहा था कि उसने जो कुछ देर पहले अभी अपने दिल की बात कही, वह आरव ने सीधे तौर पर सुन ली थी। अयाना को यूँ शर्म से झेंपता देख आरव की मुस्कान और दोहरी हो गई थी! आरव (कशिश की ओर देखकर): क्या मैं तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड से अकेले में कुछ देर बात कर सकता हूँ? कशिश ने आरव की बात सुनकर कोई जवाब नहीं दिया, बस अपनी गर्दन हाँ में हिला दी, और वह अयाना को बाद में मिलने का कह कर वहाँ से चली गई। कशिश के वहाँ से जाने के बाद आरव अयाना की ओर पूरी तरह से मुखातिब हुआ। आरव के साथ खुद को अकेला पाकर, कहीं ना कहीं अयाना को सुबह वाली बात के बाद आरव के साथ खुद को यूँ अकेला सोच कर ही अयाना थोड़ी असहज हो रही थी! आरव (अयाना की असहजता को भापते हुए): मैं जानता हूँ… कभी-कभी मेरा बिहेवियर थोड़ा अजीब हो जाता है… और ना चाहते हुए भी आज मेरी बातें तुम्हें हर्ट कर गईं… पर बिलीव मी… मैंने कुछ भी इंटेंशनली नहीं किया… मुझे पता ही नहीं चला कि मैंने गुस्से में ना जाने क्या कुछ कह दिया… एम सॉरी… एम रियली सॉरी… एंड आई प्रॉमिस… मैं कभी भी तुम्हारे साथ ऐसे पेश नहीं आऊँगा… (खुद को देखती अयाना का हाथ थामकर)… आई प्रॉमिस… कि मेरी वजह से तुम्हें कभी भी कोई भी परेशानी नहीं होगी… और ना ही आइंदा कोई शिकायत होगी… मैं यह भी जानता हूँ… कि कभी-कभी मैं ओवरप्रोटेक्टिव और ओवरपजेसिव साउंड कर जाता हूँ… लेकिन बिलीव मी… मैं ऐसा कुछ भी जानबूझकर नहीं करता… मैंने जब से तुम्हें पहली बार देखा था… तब से ही मैं तुमसे पहली नज़र की मोहब्बत कर बैठा था… और उसके बाद से ही… पहले दिन से ही तुम्हें खोने का डर मेरे दिलों दिमाग पर हावी हो गया… और मैं चाहे जितना भी कोशिश कर लूँ… लेकिन यह डर मुझसे अलग नहीं हो पाता… मुझे ऐसा लगता है… कि… कि कहीं मैं तुम्हें खो ना दूँ… और शायद इसी डर की वजह से है… कि मैं अक्सर ऐसे रिएक्ट कर जाता हूँ… (एक पल रुक कर गहरी साँस लेते हुए)… पर आई प्रॉमिस… आई प्रॉमिस कि मैं तुम्हारे लिए खुद को बदलने की कोशिश करूँगा… (अयाना के हाथ पर अपनी पकड़ की मजबूती बढ़ाते हुए)… तुम जो कहोगी मैं वह करूँगा… बस कभी मुझसे दूर मत जाना… मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊँगा अयाना… मैं हद से ज़्यादा चाहता हूँ तुम्हें… और तुम से अलग होकर मैं जी नहीं पाऊँगा… (एक पल रुक कर एक अलग ही जुनून के साथ)… अयाना प्रॉमिस करो… प्रॉमिस करो कि तुम मुझे कभी भी अकेले छोड़कर नहीं जाओगी…?? अयाना (आरव की आँखों में अपने लिए बेशुमार मोहब्बत महसूस करते हुए): हाँ आई प्रॉमिस… आई प्रॉमिस मैं तुम्हें कभी छोड़कर नहीं जाऊँगी! आरव (खुशी से अचानक अयाना को अपने गले लगाते हुए): आई लव यू… आई रियली रियली लव यू अयाना… आई लव यू मोर देन एनीथिंग! आरव के अचानक इस मूव से अयाना हैरान रह गई थी… लेकिन इस वक्त वह आरव को कुछ कह नहीं पाई। आरव ने कुछ पल बाद अयाना से अलग होकर अपनी जेब से एक लॉकेट निकाल कर उसके गले में पहना दिया! अयाना: यह क्या है? आरव (मुस्कुराकर): तुम्हारे बर्थडे का गिफ्ट… कल देने का मौका ही नहीं मिला… तो सोचा सुबह दे दूँगा… और सुबह फिर… (एक पल रुक कर)… खैर… इसलिए मैं तुम्हें अभी यह दे रहा हूँ… तो कैसा लगा मेरा तोहफा? अयाना (संजीदगी से): आरव, मैं तुम्हारी फीलिंग की कदर करती हूँ… पर यह बहुत एक्सपेंसिव है… और मैं इसे नहीं रख सकती! आरव (अपनी बाजुओं को अपने सीने पर फोल्ड करते हुए): ओह! तो तुम मेरी फीलिंग और प्यार को इस तोहफे की कीमत से जोड़ रही हो? अयाना (जल्दी से): नहीं… मेरा मतलब वह नहीं है… मैं तो बस… आरव (अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): आपका मतलब जो भी है मोहतरमा… आप अपने पास ही रखें! अयाना (आरव को समझाने की कोशिश करते हुए): लेकिन आरव… आरव (अचानक ही अयाना के होंठों पर अपनी उंगली रखते हुए): लेकिन-वेकिन कुछ नहीं… और रही तोहफे की बात… तो तोहफे की कीमत देख कर उसे नहीं परखा जाता… बल्कि तोहफा देने वाले की नियत और जज़्बातों का ख्याल किया जाता है… तो प्लीज इस बात पर अब कोई बहस मत करो! आरव की बात सुनने के बाद अब अयाना चाह कर भी उसे कुछ नहीं कह पाई, और उसने आरव का तोहफा इस वक्त यह सोचकर कुबूल कर लिया कि वक्त आने पर वह किसी ना किसी तरीके से आरव को इसकी कीमत ज़रूर चुका देगी। ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुज़रने लगे थे… एक हफ्ता… 15 दिन… और फिर एक महीना… कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। इस बीच अयाना और आरव की करीबी बढ़ती जा रही थी… खासकर आरव… आरव के लिए अयाना के बिना अब एक पल रहना भी दूभर था… पूरा दिन कॉलेज में वह हर वक्त अयाना के साथ साये की तरह ही रहता था… और कॉलेज छूटने के बाद वह और उसका दिल ही जानते थे कि किस तरह से वह सुबह होने तक का इंतज़ार कर पाता था… और बीच वह हर आधे घंटे पर उसे कॉल करता रहता था। हालाँकि अयाना के लिए उसका पजेसिव नेचर हर किसी को, उसकी हर एक बात में नज़र आता था… और शायद जो उसके नेचर के साथ ही जुड़ भी चुका था… जिसे बदलना अब उसके लिए मुमकिन नहीं था… पर जो भी था… और वह जैसा भी था… मगर अयाना के लिए… उसे खुशी देने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता था… और इस बीते 1 महीने में अयाना उसके साथ खुश भी थी… और कहीं ना कहीं… आरव का साथ पाकर… बीते 1 महीने में वह उस अनजान शख्स और उसकी बातों को भूलने लगी थी… उसकी डरावनी यादें उसके लिए धुंधलाने लगी थीं। इसी बीच अचानक एक दिन आरव के डैड की थोड़ी तबीयत खराब हो गई… और आरव को उनकी जगह एक अर्जेंट मीटिंग के लिए कंट्री से बाहर जाना पड़ गया। हालाँकि वह अयाना को छोड़कर जाना तो बिल्कुल भी नहीं चाहता था… लेकिन फिर भी अपने डैड के प्रति उसके कुछ फ़र्ज़ थे… जिनके चलते उसे ना चाहते हुए भी यहाँ से जाना पड़ा… और उसने जाते वक्त अयाना से जल्द से जल्द वापस लौट कर आने का आश्वासन भी दिया। यह मीटिंग न्यूयॉर्क में थी… तो आरव चाह कर भी तब तक वापस नहीं आ सकता था जब तक उसका काम खत्म नहीं हो जाता… उसे गए दो दिन हो गए थे… और अभी भी उसका काम वहाँ खत्म नहीं हुआ था… हालाँकि उसके लिए एक-एक मिनट वहाँ भारी पड़ रहा था… और वह बस जल्द से जल्द सारा काम खत्म करके अयाना के पास पहुँचना चाहता था। इधर दूसरी तरफ़ आरव के जाने के बाद अयाना ने अपना पूरा फ़ोकस अपनी स्टडी और ट्यूशन पर लगा दिया था… हालाँकि वह भी आरव को बहुत मिस कर रही थी… इस बीते एक महीने में उसे भी आरव के अपने आसपास रहने और उसकी नॉन स्टॉप बातें सुनने की आदत सी हो चुकी थी… और अब जबकि वह यहाँ नहीं था… तो उसे उसकी कमी खल रही थी… मगर फिर भी अयाना इन बीते दो दिनों बहुत बिज़ी रही थी। आज आरव को गया तीसरा दिन था… और अभी भी वह वापस नहीं आया था… हमेशा की तरह अयाना ट्यूशन पढ़ाकर वापस लौट रही थी कि अचानक ही तेज बारिश शुरू हो गई। खुद को बारिश से बचाने के लिए अयाना एक टीन के नीचे खड़ी हो गई। अयाना बारिश को देखते हुए आरव के बारे में सोचने लगी कि अचानक ही उसे आरव की कॉल आ गई… और स्क्रीन पर उसका नाम देखकर अनायास ही अयाना के होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई… उसने जल्दी से फ़ोन पिक किया… हालाँकि पहले आरव ने अयाना से अच्छी खासी नाराज़गी जताई… क्योंकि आज पूरा दिन अयाना बच्चों के एग्ज़ाम की वजह से इतना ज़्यादा बिज़ी थी कि उसने आज आरव से पूरा दिन बात ही नहीं की थी… इसलिए आरव उससे नाराज़ था… लेकिन अब जब रात होने को आई… और अयाना की कॉल नहीं आई… तो आरव से रहा नहीं गया… और उसने अयाना को कॉल कर डाली… हालाँकि अयाना ने घर पहुँच कर सबसे पहले आरव को कॉल करने का ही सोचा था… लेकिन बारिश की वजह से वह यहाँ फँसने से उसे देर हो गई थी… पहले तो आरव उससे नाराज़गी जता रहा था… लेकिन ज़्यादा देर वह उससे नाराज़ ना रह सका… और उससे बातें करने लगा… हालाँकि अयाना ने उसे यह ज़ाहिर नहीं होने दिया था कि वह अभी तक घर नहीं पहुँची है… आरव की बेतुकी बातें सुनकर अयाना भी हँसते हुए उससे बातें किए जा रही थी… कुछ देर बाद आरव से बाद में बात करने का कहकर अयाना ने फ़ोन काट दिया। अयाना अभी खड़ी घर जाने का सोच ही रही थी कि एक बच्चा अचानक से उसके पास आया… और उसके हाथ में एक लेटर थमा गया। अयाना कुछ कहती या उस बच्चे से कुछ पूछ पाती… वह बच्चा फ़ौरन ही वहाँ से तेज बारिश में दौड़ता हुआ वापस चला गया। अयाना ने वह लेटर खोला… तो उसके हाथ और दिल काँप उठे… उस लेटर में लिखा था! "आई मिस यू… एंड आई होप तुम भी मुझे भूली नहीं होगी… और बीते 1 महीने में तुमने मुझे उतना ही याद किया होगा… जितना कि मैंने… बट नाउ आई एम बैक… माय डॉल"! यह लेटर पढ़ते ही अयाना का डर… जिसे बीते एक महीने में वह लगभग भुला ही चुकी थी… एक बार फिर पूरी तरह से उस पर हावी हो गया। अयाना वह लेटर पढ़कर घबराहट से उस लेटर को फेकने ही वाली थी कि अचानक उसकी सेंस ने काम किया… और उसने कुछ सोचकर उस भीगे लेटर को अपने बैग में रख लिया… और हड़बड़ाहट से इधर-उधर देखते हुए… वह घबराते हुए जल्दी से वहाँ से बारिश में ही दौड़ पड़ी… और वह काफी देर तक यूँ ही सड़क पर भागती रही… बारिश होने की वजह से आज कोई सवारी भी उसे नहीं मिल पा रही थी… अचानक ही भागते हुए अयाना का फ़ोन बज उठा… आरव की कॉल सोचकर… बिना नंबर देखे ही अयाना ने जल्दी से फ़ोन पिक कर लिया… लेकिन दूसरी ओर की आवाज़ सुनकर अयाना बुरी तरह घबराहट और डर से अंदर ही अंदर काँप उठी! अयाना: आ… आरव… दूसरी ओर से: लगता है पिछले 1 महीने में काफी सर चढ़ गया है यह नाम तुम्हारे… पर कोई बात नहीं एक महीना मैंने तुम्हें आराम से जीने के लिए दिया… बट नाउ एम बैक माय लव! अयाना ने दूसरी ओर से उस अनजान शख्स की बात सुनी… जिसे वह बीते एक महीने में लगभग भूल ही चुकी थी… तो उसका दिल एक बार फिर घबराहट… और डर के भाव से काँप उठा… और बारिश में भी उसे पसीने का एहसास होने लगा… उसका गला डर से ख़ुश्क हो चुका था… और अयाना को अचानक ही अपने आगे काले डॉट नज़र आने से महसूस होने लगे… और कुछ ही पल बाद वह वहीं सड़क पर बेहोश होकर गिर पड़ी। अगली बार जब उसकी आँख खुली… तो उसने खुद को एक अनजानी जगह… एक अनजाने नए कमरे में पाया। जब अयाना की बेहोशी पूरी तरह उतरी… तो वह खुद को एक अनजानी जगह पाकर झट से बिस्तर से उठ बैठी। अभी अयाना यह सोच ही रही थी कि वह कहाँ है और यहाँ कैसे आई… कि एक नई और अनजानी आवाज़ उसके कानों में पड़ती है… और वह झट से अपनी गर्दन आवाज़ की दिशा में घुमाती है! शख्स: कैसी हो अब?? अयाना (उस अनजाने शख्स को देखकर अपना सवाल दागते हुए): म… मैं यहाँ कैसे??… और कौ… कौन हैं आप??? शख्स (कमरे में दाखिल होते हुए गंभीर भाव के साथ): देवांश… देवांश सिंघानिया…!!

  • 13. \\His doll\\..... (Beyond the possession) - Chapter 13

    Words: 2358

    Estimated Reading Time: 15 min

    शख्स कमरे में दाखिल हुआ, उसके चेहरे पर गंभीर भाव था। "देवांश… देवांश सिंघानिया…!!"

    अयाना ने सामने खड़े शख्स को गौर से देखा। उसकी उम्र लगभग अट्ठाईस-उनतीस साल की होगी। लेकिन उसने खुद को और अपनी पर्सनैलिटी को जिस तरह मेंटेन किया था, वह बहुत जवान और ऊर्जावान लग रहा था। उसकी कसी हुई मांसपेशियां, आकर्षक व्यक्तित्व, पहनावा, और चेहरे पर भरपूर आत्मविश्वास—सब कुछ परफेक्ट और श्रेष्ठ था। उसके पहनावे और बात करने के तरीके से साफ था कि वह किसी अच्छे और बड़े घराने से ताल्लुक रखता है; या यूँ कहें कि वह काफी धनवान और प्रभावशाली व्यक्ति था। जिस कमरे में अयाना थी, वह किसी बड़े सात सितारा होटल की तरह आलीशान था। शायद यह अतिथि कक्ष था; लेकिन अतिथि कक्ष के हिसाब से भी वह बहुत ही शानदार था। पूरे कमरे में काले और ग्रे रंग के शेड थे, लेकिन यह रंग कमरे को ऐसा बना रहे थे मानो यह अभी बोल पड़ेगा। अयाना इस उधेड़बुन से बाहर तब आई जब उस शख्स की आवाज दोबारा सुनाई दी।


    देवांश (गंभीर लहजे में): आप फ्रेश हो जाइए, फिर मुझे अपने घर का पता बता दीजिएगा, मैं आपको छोड़ दूँगा।

    अयाना (थोड़ी असहजता से): धन्यवाद, पर मैं चल जाऊँगी। मुझे यहाँ आए कितनी देर हो गई?

    देवांश (बिना किसी भाव के): कल रात जब मैं घर लौट रहा था, तो आप अचानक मेरी गाड़ी के सामने बेहोश हो गई थीं। आपके बैग में कोई पता या संपर्क नंबर नहीं था। आपका फ़ोन भी बंद था, शायद बैटरी डाउन थी। मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था, इसलिए मैं आपको यहाँ अपने घर ले आया।

    अयाना (हैरानी से): कल रा… रात?? फिर अ… अभी क्या वक्त हुआ है?

    देवांश (गंभीरता से, अपनी घड़ी की ओर देखते हुए): लगभग सात बज चुके हैं।

    अयाना (हड़बड़ा कर बिस्तर से उठते हुए): सात बज चुके हैं! मतलब मैं कल पूरी रात यहाँ थी! ओह गॉड! सब परेशान हो रहे होंगे। माँ, कशिश, आरव… मुझे… मुझे घर जाना होगा। सब बहुत परेशान होंगे और आरव… (परेशानी से) आरव तो… हे भगवान!!


    आरव का ख्याल आते ही अयाना की टेंशन दोगुनी हो गई। वह आरव को इतना जानती थी कि कल रात से उसका फ़ोन बंद था, और आरव उसे लेकर कितना अधिकारवादी था यह भी जानती थी। कल रात से उसका फ़ोन बंद था, तो आरव ने क्या तूफ़ान खड़ा किया होगा, यह सोचकर अयाना परेशान हो गई। अयाना को टेंशन से परेशान देखकर, देवांश ने अपनी चुप्पी तोड़ी।

    देवांश: बस शांत रहो, कुछ नहीं हुआ है। ठीक हो तुम बिल्कुल!

    अयाना (परेशानी से): आप समझ नहीं रहे हैं। मैं कल पूरी रात गायब थी और सब परेशान हो रहे होंगे। मैं उन्हें क्या जवाब दूँगी कि मैं कहाँ थी? कि मैं किसी अनजान के घर में पूरी रात थी!

    देवांश (गंभीर भाव से): हाँ, मैं आपके लिए अनजान हूँ, लेकिन मैं किसी की मजबूरी या मौके का फायदा उठाने वालों में से नहीं हूँ। और अगर मैं ऐसा होता, तो कल रात मेरे पास मौका भी था और वक्त भी!

    अयाना (देवांश की ओर देखकर जल्दी से): मेरा मतलब यह नहीं था सर। मैं… मैं तो बस… (एक गहरी साँस ले कर) … माफ़ करना। आई डिडंट मीन टू हर्ट यू। मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहती थी कि मैं यहाँ नई हूँ और कुछ लोगों के सिवा किसी को भी ठीक से नहीं जानती, तो बस इसीलिए मैंने ऐसा कहा।

    देवांश: कोई बात नहीं। वैसे भी, जल्दी से फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूँगा।

    अयाना: नहीं सर, इसकी ज़रूरत नहीं है। अब मैं मैनेज कर लूँगी।

    देवांश (गंभीरता से): मुझे नहीं लगता, क्योंकि कल जिस तरह से आपकी तबीयत बिगड़ी, उसके बाद आपका अकेले जाना सुरक्षित नहीं है।

    अयाना: धन्यवाद सर, पर मैं मैनेज कर लूँगी।

    देवांश (नपे-तुले भाव से): मैं यह ज़हमत ख़ास आपके लिए नहीं कर रहा हूँ। मुझे ऑफ़िस के लिए निकलना ही है, तो मैं आपको आपके घर छोड़ते हुए चला जाऊँगा। पर मैं लेट हो रहा हूँ, सो कृपया थोड़ा जल्दी करो। मैं बाहर इंतज़ार कर रहा हूँ।

    अयाना: ठीक है सर, बस पाँच मिनट में आती हूँ मैं।


    देवांश वहाँ से चला गया। कुछ देर बाद अयाना फ्रेश होकर बाहर आई, तो देवांश ने उसे नाश्ता करने का प्रस्ताव दिया, जिसे अयाना ने मना कर दिया। भले ही देवांश ने उसकी मदद की थी, लेकिन वह उसके लिए एक अनजान था और उसके साथ सहज हो पाना मुमकिन नहीं था। अयाना के मना करने पर देवांश ने उसे मजबूर नहीं किया और वह हाथ में अपना कोट उठाए घर से बाहर निकल गया। अयाना ने भी एक नज़र घर को देखते हुए जल्दी से बाहर कदम बढ़ा दिए। देवांश पिछली सीट पर बैठा था और उसने अयाना को भी पिछली सीट पर बैठने का इशारा किया। अयाना थोड़ी झिझक रही थी, लेकिन आगे की सीट पर ड्राइवर और एक और शख्स बैठा था, इसलिए अयाना पिछली सीट पर बैठ गई। उसके ज़हन में झिझक थी, लेकिन डर नहीं, क्योंकि देवांश से भले ही वह पहली बार मिली थी, लेकिन जिस तरह से वह पूरी रात उसके घर रही, उसे इतना तो उस पर भरोसा था कि वह उसके साथ सुरक्षित थी और वह कोई ऐसा-वैसा इंसान नहीं था। पूरे रास्ते गाड़ी में शांति रही। थोड़ी देर बाद अयाना ने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा।

    अयाना: बस यहीं गाड़ी रोक दीजिए। आगे मैं खुद चल जाऊँगी।

    देवांश: क्या तुम पक्का हो?

    अयाना (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए): हाँ, बस यहीं सामने गली में मेरा घर है। मैं चल जाऊँगी।

    देवांश: ठीक है।

    अयाना (एक पल रुक कर देवांश की ओर देखते हुए): बहुत-बहुत धन्यवाद सर। आपने मेरी मदद की और मुझे सुरक्षित मेरे घर पहुँचाया। और मुझे माफ़ करना कि मेरी वजह से आपको तकलीफ़ हुई हो तो… मैं सच में माफ़ी माँगती हूँ।

    देवांश: कोई बात नहीं। मैं समझता हूँ। और हाँ, जब तुम अपने घर वालों को अपनी स्थिति बताओगी, तो वे ज़रूर समझ जाएँगे। और अगर फिर भी कोई समस्या पैदा होती है और अगर तुम चाहो, तो मैं जाकर तुम्हारे घर वालों से बात कर सकता हूँ और उन्हें बता सकता हूँ कि कल तुम किस स्थिति में थीं।

    अयाना: धन्यवाद सर, और आप वाकई बहुत दयालु हैं, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है। मैं मैनेज कर लूँगी सर।

    देवांश: फिर ठीक है। कोई बात नहीं।

    अयाना (हल्की सी मुस्कान के साथ): हाँ… ओके बाय सर!

    देवांश: हम्म… बाय!


    अयाना गाड़ी से नीचे उतर गई और कुछ पल बाद देवांश की गाड़ी चली गई। अयाना भी घर की ओर बढ़ गई। जैसे ही अयाना ने घर में कदम रखा, कशिश के सवालों की बौछार शुरू हो गई।

    कशिश (अयाना को देखकर परेशानी से): आयु, कहाँ थी तू कल रात से? तुझे पता भी है मैं कितनी ज्यादा परेशान थी तुझे लेकर? और तेरा फ़ोन क्यों बंद था? सब ठीक है ना? आखिर थी कहाँ तुम? कोई परेशानी तो नहीं थी? या किसी मुसीबत में तो नहीं फँस गई थी तुम? जो भी बात है आयु, बताओ मुझे! कि आखिर कहाँ थी पूरी रात तुम? सब ठीक है ना? तेरी तबीयत तो ठीक है ना?

    अयाना: अरे! अरे! मेरी राजधानी एक्सप्रेस… बस… मुझे जवाब देने का मौका तो दो!

    कशिश: तुझे पता है मैं कल रात से कितनी ज्यादा परेशान थी! पूरी रात मैं सो भी नहीं पाई। तेरा फ़ोन भी कब से बंद था। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर मैं क्या करूँ और कहाँ जाऊँ। मैं बस अभी थोड़ी देर में पुलिस स्टेशन तेरी गुमशुदगी की शिकायत लिखवाने ही जाने वाली थी!

    अयाना (कशिश के कंधों को पकड़कर उसे सोफ़े पर बिठाते हुए): बस शांत रहो, मैं बिल्कुल ठीक हूँ मेरी जान!

    कशिश: तू पक्का ठीक है ना?

    अयाना: हाँ, मैं ठीक हूँ। यकीन न हो तो खुद देख लो। बिल्कुल अच्छी हूँ तुम्हारी आँखों के सामने ही!

    कशिश: अच्छा ठीक है, लेकिन आखिर कल रात तुम थीं कहाँ?

    अयाना: वह दरअसल कल रात मैं जब ट्यूशन पढ़ाकर आ रही थी, तो अचानक से तेज बारिश शुरू हो गई और…

    कशिश (अयाना की ओर देखकर): और फिर इसके बाद?


    इसके बाद अयाना ने कशिश को पूरी बात बताई। पूरी बात सुनने के बाद कशिश कुछ रिएक्ट करती, उससे पहले ही उसका फ़ोन बज उठा।

    कशिश (फ़ोन की स्क्रीन पर आरव का नाम देखते हुए): पहले तू इससे बात कर। कल रात से फ़ोन कर-कर के पागल हो रखा है यह। अब तक तो मैंने जैसे-तैसे संभाल लिया था, लेकिन अब तू इससे बात कर!

    अयाना (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए): हाँ, ठीक है!

    कशिश: तू उससे बात कर, मैं हम दोनों के लिए नाश्ता बनाकर लेकर आती हूँ!

    अयाना: हाँ, ठीक है!


    कशिश किचन की ओर चली गई और अयाना ने आरव का कॉल पिक किया।

    अयाना: हेलो आरव?

    आरव (अयाना की आवाज सुनते ही जल्दबाज़ी से): अयाना, कहाँ थी तुम? कहाँ थी आखिर तुम? और कल रात से तुम्हारा फ़ोन लगातार बंद क्यों है? डू यू इवन नो कि मैं कितना ज़्यादा परेशान था तुम्हारे लिए, तुम्हें लेकर? तुम ठीक तो हो ना? सब ठीक है ना? कोई बात है तो तुम मुझसे कह सकती हो? यू नो ना? तो बताओ मुझे क्या बात है?

    अयाना: शांत रहो… बस शांत रहो… मैं बिल्कुल ठीक हूँ आरव… और कोई बात नहीं है!

    आरव (असंतुष्ट लहजे से): अगर ऐसा है, तो तुम्हारा फ़ोन कल रात से लगातार बंद क्यों आ रहा है?

    अयाना (मन में): अगर मैंने आरव को सच बताया, तो फिर बेवजह परेशान हो जाएगा!

    आरव: अब बोलो अयाना!

    अयाना: मैं ठीक हूँ आरव… बिल्कुल ठीक!

    आरव (एक गहरी साँस ले कर): खैर जो भी है, मैं इस वक्त एयरपोर्ट पर ही हूँ। मैं मुंबई वापस आ रहा हूँ और बस कुछ देर में ही मेरी फ़्लाइट है!

    अयाना (परेशान होकर): लेकिन तुम तो अभी कुछ दिन बाद वापस आने वाले थे ना?

    आरव: हाँ… लेकिन कल रात मैंने कैसे गुज़ारी है, मुझे ही पता है। मेरे लिए एक-एक पल कितना मुश्किल और भारी था, तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं हो सकता इस बात का!

    अयाना: आरव, मैं बिल्कुल ठीक हूँ और कल रात को मेरे फ़ोन की बैटरी डाउन हो गई थी और मैं रात को घर लेट आई। बारिश भी थी और जब मैं घर आई तो लाइट नहीं थी। फिर उसके बाद मैं सोने चली गई और फ़ोन चार्ज नहीं हो पाया। बस इसीलिए मेरा फ़ोन बंद था और कोई बात नहीं है आरव!

    आरव: तुम सच कह रही हो?

    अयाना (एक पल रुक कर): मैं तुमसे झूठ बोलूँगी भी क्यों?

    आरव: ठीक है… जो भी है… मैं वापस आ रहा हूँ बस!

    अयाना: लेकिन आरव, तुम्हारा काम अभी पूरा नहीं हुआ है। तुम ऐसे कैसे यूँ ही आ सकते हो?

    आरव (लापरवाही से): व्हाटएवर… मुझे किसी चीज़ की कोई परवाह नहीं है। मुझे बस तुम्हारे पास आना है और दैट इज़ फ़ाइनल!

    अयाना: आरव, भावुक मत हो। अंकल ने तुम्हारे भरोसे इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी छोड़ी है। तुम इतनी गैर-ज़िम्मेदाराना हरकत करने का सोच भी कैसे सकते हो? एटलीस्ट अंकल के बारे में तो सोचो आरव!

    आरव (एक पल को अपने पिता के बारे में सोचते हुए गहरी साँस ले कर): लेकिन अयाना तुम…

    अयाना: कृपया, मैं बिल्कुल ठीक हूँ आरव और अगर तुम्हें यकीन नहीं है, तो तुम कशिश से बात करके पूछ सकते हो कि मैं झूठ बोल रही हूँ या सच!

    आरव: ऐसी बात नहीं है मेरी जान। आई ट्रस्ट यू। मुझे किसी और से तुम्हारी सच्चाई की गवाही लेने की ज़रूरत नहीं है।

    अयाना: तो बस फिर जस्ट ट्रस्ट मी। मैं कह रही हूँ ना कि मैं ठीक हूँ, तो मतलब मैं बिल्कुल ठीक हूँ। तुम आराम से अपना काम ख़त्म करो!

    आरव (एक गहरी साँस ले कर): ठीक है, लेकिन तुम्हें मुझसे वादा करना होगा कि आइंदा से तुम ऐसी लापरवाही कभी नहीं करोगी!

    अयाना: आई प्रॉमिस… पक्का वाला प्रॉमिस… मैं ऐसा दोबारा कभी नहीं करूँगी!

    आरव: ठीक है… तो मैं नहीं आ रहा अभी मुंबई वापस। नाउ हैप्पी?

    अयाना (मुस्कुरा कर): हाँ, अब ठीक है!

    आरव: इसका मतलब तुम्हें मेरे आस-पास रहने और मेरी करीबी से खुशी नहीं मिलती!

    अयाना (गंभीर लहजे से): ऐसी कोई बात नहीं है आरव। इनफैक्ट, जितना तुम मुझे मिस कर रहे हो, उतना ही मैं भी तुम्हें मिस कर रही हूँ। लेकिन ज़िंदगी को हमेशा भावुक होकर नहीं जिया जा सकता। उसके लिए व्यावहारिक होना भी ज़रूरी है आरव। और फिर कुछ दिन की तो बात है, तुम वापस आ जाओगे। बाद में मैं नहीं चाहती कि तुम अभी भावुक होकर अंकल को निराश करो। बस इतनी सी बात है और कुछ नहीं!

    आरव: आई नो… मैं समझता हूँ… एंड डोंट बी सीरियस… मैं बस मज़ाक कर रहा था। खैर, चलो मैं तुमसे बाद में होटल पहुँचकर बात करता हूँ!

    अयाना: ठीक है आरव!

    आरव: हम्म… और अभी के अभी अपने को फ़ोन चार्ज करो और दोबारा वह बंद नहीं होना चाहिए!

    अयाना: ओके बॉस… मैं अभी के अभी अपना फ़ोन चार्ज पर लगाती हूँ और वह दोबारा ऑफ़ भी नहीं होगा। और कोई फ़रमाइश?

    आरव: हम्म… फ़रमाइश तो बहुत कुछ हैं, लेकिन फ़िलहाल वक्त जरा खिलाफ़ है!

    अयाना: आरव, फ़ोन रखो और आराम से होटल पहुँचकर मुझे कॉल करना!

    आरव: ठीक है… बाय… एंड लव यू!

    अयाना: बाय, टेक केयर!

    आरव: मुझे जवाब दो पहले?

    अयाना: आरव!

    आरव: मैं तब तक फ़ोन नहीं रखूँगा जब तक कि तुम मुझे जवाब नहीं दोगी!

    अयाना: बहुत जिद्दी हो तुम!

    आरव: जब पता है, तो फिर मेरे साथ जिद करती क्यों हो!

    अयाना: ओके, लव यू टू!

    आरव (मुस्कुरा कर): लव यू मोर… एंड टेक केयर… बहुत जल्द मिलता हूँ तुमसे!


    आरव फ़ोन रख देता है और अयाना अपना सिर हिलाते हुए हल्की सी मुस्कान के साथ मुस्कुरा देती है। तभी कशिश हाथों में नाश्ते की ट्रे थामे वहाँ आती है।

    कशिश (टेबल पर नाश्ते की ट्रे रखते हुए): मैडम, अगर इश्कबाज़ियों से फ़ुरसत मिल गई हो, तो नाश्ता कर लीजिए!

    अयाना (मुस्कुरा कर): हम्म… ज़रूर। (कुछ पल बाद) कशिश, मैं नहीं चाहती कि आरव बेवजह परेशान हो, इसीलिए आरव से इस बारे में कोई बात नहीं कहनी हमें!

    कशिश: डोंट वरी… कुछ नहीं पता चलेगा उसे। वैसे भी वह तुझे लेकर इतना अधिकारवादी है। अगर उसे यह सब पता चलेगा, तो आसमान ही सर पर उठा लेगा वह!

    अयाना: ऐसा कुछ नहीं है कशिश… बस उसमें थोड़ा बचपना है और कुछ नहीं!

    कशिश: बस रहने दे तू उसकी तरफ़दारी। खैर, तूने नहीं बताया कि आखिर वह शख़्स कौन था जिसने तेरी मदद की अयाना?

    अयाना: ज़्यादा तो नहीं जानती मैं… बस इतना ही समझ आया कि उसके घर और रहन-सहन से वह काफी धनी और बड़े परिवार का मालूम पड़ रहा था और सबसे बड़ी बात, वह इंसान दिल का बहुत अच्छा था। उसने बिना किसी स्वार्थ के मेरी मदद की!

    कशिश: वह सब तो ठीक है, लेकिन जब उसने तेरी इतनी मदद की, तो आखिर तुझे उसके बारे में कुछ तो पता लगाना चाहिए था ना?

    अयाना: बाकी तो मुझे नहीं पता… सिर्फ़ उसका नाम ही मुझे पता है। उसने अपना नाम बताया था… (एक पल को सोचते हुए) … हाँ, देवांश!

    कशिश (चौंकते हुए): क्या… क्या नाम बोला तूने? देवांश… देवांश सिंघानिया की बात कर रही है तू?

    अयाना: हाँ, देवांश… देवांश सिंघानिया ही नाम बताया था उसने!

    कशिश (हैरानी से): आर यू सीरियस? तू देवांश… देवांश सिंघानिया की बात कर रही है?


    कशिश के सवाल पर अयाना ने अपने नाश्ते से नज़रें हटाकर उसकी ओर देखा, जो एक अनजाने अविश्वास से लगातार एकटक उसकी ओर देख रही थी।

  • 14. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 14

    Words: 1833

    Estimated Reading Time: 11 min

    कशिश (हैरानी से): आर यू सीरियस? …तू देवांश… देवांश सिंघानिया की बात कर रही है??? कशिश का सवाल सुनकर अयाना ने अपने नाश्ते से नज़रें हटाकर उसकी ओर देखा, जो एक अनजाने अविश्वास से लगातार एकटक उसकी दिशा में देख रही थी। अयाना (कशिश को हैरान देखकर): क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों बिहेव कर रही हो जैसे देवांश सिंघानिया कोई इंसान नहीं, बल्कि कोई राक्षस हो??? कशिश: अरे स्टुपिड, वो कोई राक्षस नहीं, हीरो है हीरो… सुपरस्टार… रियल लाइफ सुपरस्टार!!! अयाना (असमंजस से): तुम क्या बोल रही हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। कशिश: रुको एक मिनट, मैं समझाती हूँ!!! इतना कहकर कशिश ने इधर-उधर देखा और टेबल पर रखे अपने फ़ोन को उठाकर उसमें कुछ टाइप किया। कुछ पल बाद उसने अपना फ़ोन अयाना की ओर बढ़ा दिया। अयाना ने एक नज़र कशिश की ओर देखा और फिर उसके हाथ से फ़ोन लेकर उसमें देखा। वह भी कुछ पल को हैरानी से फ़ोन में देखने के बाद, अगले ही पल उसी हैरानी के साथ कशिश की ओर देखने लगी, जिस हैरानी से कुछ देर पहले कशिश उसे देख रही थी। दरअसल, कशिश ने अपने फ़ोन का गूगल ओपन करके उसमें देवांश का नाम डाला था, जिसमें उसकी पूरी इनफ़ॉरमेशन निकलकर आ गई थी। जिसमें साफ़ लिखा था कि देवांश एक बहुत बड़ा बिज़नेसमैन था, और बिज़नेसमैन क्या, बल्कि आसपास के शहरों के मुताबिक सबसे यंग बिज़नेसमैन था जिसने बहुत ही कम उम्र में बहुत ज़्यादा ऊँचाइयों और कामयाबीयों को छू लिया था। और उसके लोगों के बीच फ़ेमस होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण था कि वह बैचलर था, और बैचलर होने के साथ ही उसकी पर्सनालिटी भी बहुत ही स्ट्रांग और अट्रैक्टिव थी, जो उसे किसी मॉडल की तरह टिप-टॉप दिखाती थी। लड़कियों में उसका अच्छा-ख़ासा क्रेज़ था, और लोगों के बीच कभी अपनी पर्सनालिटी, तो कभी अपने बिज़नेस, तो कभी किसी ऐसी ही और वजह की वजह से वह हमेशा सिटी का हॉट टॉपिक बना रहता था। हालाँकि देवांश को अभी यहाँ इस शहर में आए कुछ ज़्यादा अरसा नहीं हुआ था, लेकिन इस छोटे से अरसे में ही देवांश ने यहाँ पर अपनी एक बहुत बड़ी पहचान कायम कर ली थी और शायद ही कोई ऐसा था जो अब देवांश के नाम से वाकिफ़ नहीं था। कशिश की पहली हैरानी की वजह तो देवांश का अयाना से मिलना था और दूसरा अयाना का उसे ना पहचानना था। हालाँकि अब देवांश के बारे में पढ़कर अयाना भी कहीं ना कहीं हैरान थी क्योंकि जो कुछ भी अभी उसने देवांश के बारे में पढ़ा था, उस हिसाब से वह कोई छोटी-मोटी पर्सनालिटी नहीं था और बहुत ही पावरफ़ुल और स्ट्रांग था। जबकि उससे मिलने के बाद या उससे थोड़ी बहुत बातें होने के बाद अयाना को यह एक पल के लिए भी महसूस नहीं हुआ था कि देवांश में अपनी दौलत या अपने रुतबे को लेकर थोड़ा सा भी कोई घमंड था। हालाँकि अयाना ने देवांश के बारे में जो भी पढ़ा था, उसमें यह भी लिखा था कि देवांश बहुत ही कम बोलने वाले लोगों में से था या फिर कह सकते हैं कि वह बहुत ही रिजर्व पर्सनालिटी का इंसान था और अपनी पर्सनल लाइफ़ को लोगों या मीडिया के साथ बहुत ही कम शेयर करता था। जितना अयाना ने इस वक़्त देवांश के बारे में पढ़ा था, उस हिसाब से देवांश अकेला ही था; उसकी फैमिली में कोई नहीं था या अगर कोई रिश्तेदार वगैरह होंगे भी, तो देवांश ने कभी अपनी फैमिली बैकग्राउंड का पर्सनली कोई ज़िक्र अभी तक भी खुलकर नहीं किया था। कुल मिलाकर उसकी पर्सनल लाइफ़ के बारे में बहुत ही कम बातें लोगों या मीडिया को पता थी और जिससे एक ही अंदाज़ा लगता था कि वह काफी रिजर्व्ड रहने वाला इंसान था। लेकिन जो भी था, इस वक़्त वह शहर का हॉट टॉपिक बना हुआ था और साथ ही इस वक़्त शहर में उसका नाम काफी बुलंदियों पर मशहूर था। कशिश (अयाना को उसके ख्यालों से बाहर लाते हुए): आर यू श्योर कि कल वाला शख्स यही था??? अयाना: हाँ… यकीनन यही थे… इन्होंने ही कल मुझे सेफ़ किया था और मुझे अपने साथ अपने घर ले गए थे!!! कशिश (खुश होकर अयाना के पास आकर): है… सच्ची… क्या यह रियल में भी इतना ही हैंडसम है जितना फ़ोटोज़ में लगता है? और क्या तेरा दिल भी इसे देखकर एक्साइटमेंट से भर गया था? आई मीन तू भी सबकी तरह उसे देखकर खो गई थी??? अयाना (एक पल को हैरानी से कशिश को देखकर): कशिश… कुछ भी मतलब? कशिश (अयाना की बात को पूरी तरह इग्नोर करते हुए): बोल ना क्या यह सच में भी उतना ही हैंडसम और हॉट दिखता है या इससे भी ज़्यादा??? क्या तू उसे सामने देखकर खुशी से पागल नहीं हुई थी?? अयाना: जी नहीं, मैं बिल्कुल भी पागल नहीं हुई थी। इनफ़ैक्ट थोड़ी देर पहले तक तो मैं उसे जानती भी नहीं थी और रही बात मेरी एक्साइटमेंट की, तो यू नो ना कि आरव के सिवा मैं किसी के बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकती। तो अपने फ़िज़ूल सवाल बंद करो!!! कशिश (मुँह बनाकर): तू तो है ही बोरिंग!! अयाना: हाँ, मैं अपनी बोरिंगनेस के साथ खुश हूँ मैडम और रहे तुम्हारे सवालों के जवाब की बात, तो मुझे यह सब नहीं पता (फ़ोन में देवांश की फ़ोटो देखते हुए)… मुझे बस इतना पता है कि यह इंसान दिल के अच्छे थे और बिना किसी स्वार्थ के आज के मतलबी ज़माने में भी उन्होंने हमारी इतनी मदद की!!! कशिश (सोचते हुए): हाँ, यह तो तूने ठीक कहा क्योंकि आज के वक़्त में भला कौन किसकी मदद करता है!!! अयाना: हम्मम!! कशिश (एक पल रुककर): और अब तू भी मेरी एक बात अच्छे से समझ लेना कि आज से तेरा यह ट्यूशन-व्यूशन सब बंद… अब से तू कोई ट्यूशन पढ़ाने नहीं जाएगी!!! अयाना (असमंजस से): ट्यूशन पढ़ाने नहीं जाऊँगी… मतलब?? कशिश: मतलब यह कि तुझसे अपनी हेल्थ का ख़्याल रखा नहीं जाता और अब मैं तुझे अकेले ट्यूशन भेजने का रिस्क बिल्कुल नहीं ले सकती। तो अब से तू कहीं नहीं जाएगी!!! अयाना: मगर यह पॉसिबल नहीं है… तू जानती है कि मैं… कशिश: नहीं, मैं कुछ नहीं जानती। मैं सिर्फ़ इतना जानती हूँ कि तू कल से उन लोगों को मना कर देगी कि तू नहीं आ सकती और अगर तूने ऐसा नहीं किया तो सॉरी पर मजबूरन मुझे आरव को सब सच बताना पड़ेगा। फिर वही तुझे समझाएगा और तू अच्छे से जानती है, मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है कि आरव का रिएक्शन क्या होगा। फिर तू सोच ले कि तू उसे कैसे संभालेगी!!! अयाना (परेशानी भरे भाव से कशिश की ओर देखकर): कशिश प्लीज़… तुम तो दोस्त हो ना मेरी!! कशिश: यह मासूम बनकर मेरी तरफ़ देखने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि जो मैंने कह दिया, वो कह दिया!!! अयाना (मुँह बनाते हुए एक पल को गहरी साँस लेते हुए): ठीक है… नहीं जाऊँगी (एक पल रुककर परेशानी भरे भाव से)… लेकिन सोचो ना कशिश… अगर मैं ट्यूशन बंद कर दूँगी तो फिर मैं अपना खर्चा कैसे निकालूँगी? तुम जानती हो कशिश, मैं माँ को और परेशान नहीं कर सकती। वो पहले से ही मेरे लिए इतनी परेशानियाँ और तकलीफ़ें सह चुकी हैं… अब नहीं!!! कशिश: उसकी फ़िक्र तू मत कर… हम जल्द ही तेरे लिए कोई ना कोई जुगाड़ लगा ही लेंगे और जब तक तेरे साथ कोई जुगाड़ नहीं होता तब तक मैं तो हूँ ही ना तेरे साथ!!! अयाना: नहीं कशिश… मैं तुम्हें परेशान… कशिश: कुछ नहीं वो नहीं… मैंने कह दिया बस कह दिया। हाँ, अगर तू मुझे कुछ नहीं समझती तो बेशक मुझे तेरी हेल्प करने के लिए मना कर सकती है!!! अयाना (मुस्कुराकर): अच्छा बाबा… अपना मेलो ड्रामा बंद करो… मैं तुम्हारी हेल्प लूँगी (एक पल रुककर)… एंड थैंक्यू… मेरी इतनी प्यारी दोस्त होने के लिए!!! कशिश: तुम अपना थैंक्यू अपने पास रखो और अब जल्दी से तैयार हो जाओ वरना कॉलेज के लिए लेट हो जाएँगे!!! अयाना (मुस्कुराकर): ठीक है… बस माँ से बात करके… बस थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ!! कशिश: हाँ ओके… बस जल्दी आना!! अयाना: हाँ… आती हूँ!!! धीरे-धीरे यूँ ही कुछ दिन और गुज़र गए। इस बीच अयाना कॉलेज जाने के साथ ही पूरी तरह अपने लिए एक नई जॉब ढूँढने की जद्दोजहद में भी लग गई थी। लेकिन क्योंकि अभी तक उसकी स्टडी कंप्लीट नहीं हुई थी, तो ऐसे में उसे आसानी से जॉब मिलना मुश्किल था और हर जगह से उसे बस ना-उम्मीदी ही मिली थी। आरव अभी तक वापस नहीं आ पाया था; अगले हफ़्ते वह फ़ाइनली वापस लौटने वाला था। इस बीच अयाना आरव से बात तो रोज की थी, लेकिन उसे यहाँ अपनी ज़िन्दगी में चल रही बातों के बारे में कुछ नहीं बताया था। ऐसे ही रोज़ की तरह इंटरव्यू देने के बाद अयाना वापस लौट रही थी और ऑटो में बैठी वह अपनी ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव के बारे में सोच रही थी कि तभी अचानक से ऑटो वाले ने सामने बीच सड़क पर झगड़ा होता देख अपना ऑटो रोक दिया। अयाना: क्या हुआ भैया? आपने ऑटो क्यों रोक दिया?? ऑटो वाला: मैडम, सामने झगड़ा हो रहा है!! अयाना ने ऑटो से बाहर झाँककर देखा तो कुछ लोगों की भीड़ जमा थी। तभी ऑटो वाला अपने ऑटो से उतरा। ऑटो वाला: मैडम आप बैठिये, मैं देखकर आता हूँ!!! अयाना: ठीक है भैया… जल्दी आइएगा!!! इसके बाद ऑटो वाला उस भीड़ की तरफ़ बढ़ गया, जबकि अयाना ऑटो में बैठी रही। ना जाने क्या हुआ, पर कुछ ही पल बाद अयाना भी ऑटो से उतरकर उस भीड़ की ओर बढ़ गई। लेकिन वहाँ पहुँचकर उसे थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि भीड़ के बीचों-बीच ठीक उसके सामने देवांश खड़ा था, जिसके हाथ से खून बह रहा था। मगर वहाँ जमा भीड़ में से कुछ लोग तमाशा देख रहे थे, तो कुछ लोग देवांश की तस्वीर लेने में मशगूल थे और कुछ लोग उसकी वाहवाही कर रहे थे। वहीं खड़े लोगों में से ऑटो वाले ने किसी से पूरा माजरा पूछा तो लोगों ने बताया कि कुछ लोग जबरदस्ती एक बच्चे को किडनैप करके ले जा रहे थे। तभी ऐन मौके पर देवांश की गाड़ी वहाँ से गुज़री तो वह बिना डरे या अपनी जान की परवाह किए बिना उन लोगों से उलझ पड़ा और उसने उस मासूम बच्चे की जान बचाई। वहाँ मौजूद लोगों की बात सुनकर अयाना के दिल में देवांश की इज़्ज़त और भी ज़्यादा बढ़ गई। अयाना देवांश की ओर बढ़ पाती कि इससे पहले ही देवांश बिना एक पल भी रुके वहाँ से जाने लगा और अयाना को जैसे होश आया और वह भीड़ को चीरती हुई जल्दी से उसकी ओर दौड़ पड़ी। अयाना (देवांश को जोर से पुकारते हुए): सर, रुके!!! देवांश ने जब एक जानी-पहचानी सी आवाज़ सुनी तो पीछे की ओर पलटा और उसने अयाना को अपने सामने देखा। हालाँकि उसके चेहरे के भाव अभी भी ब्लैंक बने हुए थे। देवांश ने कुछ ना कहकर बस सवालिया नज़रों से अयाना की ओर देखा। अयाना (देवांश के हाथ की ओर इशारा करते हुए): सर, आपके हाथ से बहुत खून बह रहा है??? देवांश (बिना किसी भाव के): थैंक्स… बट छोटी सी चोट है… ठीक हो जाएगी!!! इतना कहकर देवांश एक बार फिर वापस जाने के लिए मुड़ने को हुआ कि अयाना के आगे के शब्द सुनकर वह रुककर वापस अयाना की ओर मुड़ा। अयाना: छोटा सा ज़ख्म कब नासूर बन जाए पता नहीं चलता सर… इसीलिए बेहतर होता है कि उन छोटे से ज़ख्मों का वक़्त पर ही इलाज कर लिया जाए!!!! देवांश ने अयाना की इतनी गहरी बात सुनकर एक पल को उसे अनजाने ज़ज़्बात के साथ देखा और फिर अपना हाथ अयाना की ओर बढ़ा दिया। अयाना ने हल्की सी मुस्कान के साथ जल्दी से अपने बैग से अपना रुमाल निकाला और उसे देवांश की हथेली पर बाँध दिया। अयाना: अभी के लिए मैंने इस रुमाल से खून को रोक दिया है, लेकिन आप डॉक्टर से ड्रेसिंग ज़रूर करवा लीजिएगा!!! देवांश: हम्मम… थैंक्स!!!! अयाना: नहीं सर इसकी ज़रू… देवांश ने अयाना की पूरी बात भी नहीं सुनी और बस उसे थैंक्स बोलकर अगले ही पल बिना रुके वहाँ से अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया और अगले ही क्षण उसकी गाड़ी वहाँ से आगे की ओर बढ़ गई। हालाँकि अयाना को उसका यह ऐसा करना थोड़ा रूड लगा, लेकिन उसने मन ही मन सोचा कि उसने देवांश की मदद सिर्फ़ इसीलिए की क्योंकि कल उसने उसकी मदद की थी, वरना वह तो उसे ठीक से जानती तक भी नहीं है। उसने तो बस इंसानियत के बदले इंसानियत दिखाई और कुछ नहीं। यही सोचकर उसने अपने सारे ख्यालों को झटका और घर जाने के लिए वापस जाकर ऑटो में बैठ गई।

  • 15. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 15

    Words: 1553

    Estimated Reading Time: 10 min

    यही सब सोचकर अयाना ने अपने सारे ख्यालों को झटक दिया और घर जाने के लिए वापस जाकर ऑटो में बैठ गई। अगले दिन अयाना और कशिश कॉलेज गईं तो पता चला कि कॉलेज में एनुअल फंक्शन होने की तैयारी चल रही थी और अयाना को कॉलेज फंक्शन की शुरुआती स्पीच देने के लिए चुना गया था। कशिश को भी एक परफॉर्मेंस देने के लिए चुना गया था। सब लोग अपने-अपने काम में जुट गए थे और दो दिन यूँ ही फंक्शन की तैयारियों में निकल गए। और आज आखिरकार एनुअल फंक्शन होना था। अयाना और कशिश के साथ ही कुछ और सीनियर्स को भी कॉलेज के हॉल को डेकोरेट करवाने और उसकी देखरेख करने के लिए चुना गया था और सारी तैयारियाँ अच्छे से हों, इस बात की ज़िम्मेदारी दी गई थी क्योंकि आज के एनुअल फंक्शन में कोई बड़ा चीफ गेस्ट आने वाला था। सुबह से काम करते-करते कशिश अब थक चुकी थी और उसे भूख भी लगी थी। इसलिए उसने अयाना से पहले कुछ खाने-पीने के लिए कहा क्योंकि फंक्शन दोपहर को होना था, तो अभी उसमें थोड़ा वक्त बाकी था। अयाना को भी थोड़ी भूख लगी थी तो उसने बाकी लोगों से थोड़ा ब्रेक लेने के लिए कहा और सब ने दस मिनट का चाय-नाश्ते का ब्रेक ले लिया। कशिश (अपनी चाय की चुस्कियां लेते हुए): तुझे पता है आज चीफ गेस्ट कौन है हमारा? अयाना (अपने काँधे उचकाते हुए): नहीं, मुझे नहीं पता। कशिश (सैंडविच खाते हुए): जिस तरह से सारे टीचर और प्रिंसिपल सर सारे कामों की देखभाल में लगे हुए हैं, मुझे तो लगता है कोई बड़ी पर्सनैलिटी ही यहां आने वाली है। अयाना: हो सकता, पता नहीं। खैर, जो भी हो हमें क्या! अयाना और कशिश वहाँ पर बात ही कर रही थीं कि कशिश और अयाना की क्लासमेट स्वाति लगभग एक्साइटमेंट से भागते हुए उन दोनों के पास आई। स्वाति (एक्साइटमेंट से): तुम्हें पता है आज के एनुअल फंक्शन का चीफ गेस्ट कौन है? कशिश (अपनी चाय का घूँट लेते हुए): नहीं, हमें नहीं पता। इनफैक्ट हम अभी उसी बारे में बात कर रही थीं। स्वाति (प्राउड से मुस्कुराकर): लेकिन मुझे पता है! कशिश (उत्सुकता से): कौन है वो? स्वाति (ड्रीमी अंदाज़ से): द वन एंड ओनली, द चार्मिंग एंड हॉट, देवांश सिंघानिया! कशिश (लगभग खुशी से उछलकर): व्हाट! क्या तू सच कह रही है? और क्या सच में यहाँ पर देवांश सिंघानिया आने वाला है? स्वाति: हाँ, मैं सच कह रही हूँ और मैंने खुद प्रिंसिपल सर और बायो वाली मैम की बात सुनी है। वो लोग आपस में बात कर रहे थे कि देवांश सिंघानिया तीन बजे तक कॉलेज पहुँच जाएगा और प्रिंसिपल सर मैम से यह भी कह रहे थे कि उनके वेलकम में कोई कमी ना रहे, इसकी ज़िम्मेदारी उनकी है। कशिश (खुशी से लगभग नाचते हुए): हे भगवान! फ़ाइनली आज मैं उसे अपनी आँखों के सामने लाइव देखूँगी! स्वाति (उसी उत्सुकता के साथ): हाँ, सच में यार! कितना हैंडसम एंड डैशिंग है ना! दिल करता है बस उसे देखते ही रहो! अयाना (अपना सर ना में हिलाते हुए): कुछ नहीं हो सकता तुम लोगों का! स्वाति (अपनी आईब्रो उठाकर): लगता है तूने देवांश को देखा नहीं है इसीलिए! कशिश: मैडम ने देखा है और देखा क्या है, उससे लाइव मीटिंग करके आई है! स्वाति (अविश्वास से): सच में क्या? तू उससे मिली है पर्सनली और तब भी तू ऐसा बोल रही है! कशिश: हाँ, क्योंकि इसके ऊपर का माला खाली है और उस खाली माले में आजकल सिर्फ़ आरव और उसके इश्क़ का भूत सवार है तो अक्ल की जगह बस हर जगह वहीँ कब्ज़ा करके बैठा है और इसे अपने आस-पास कुछ नज़र नहीं आता! अयाना (प्लेफुली कशिश के काँधे पर मारते हुए): तुम चुप करो और हाँ, आरव के होते हुए मुझे किसी और के बारे में सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है! कशिश: हाँ हाँ, तू अपने आरव के साथ ही खुश रह और देवांश को हमारे लिए ही छोड़ दें। अच्छा है तू सिंगल नहीं है वरना अपनी स्वीटनेस से तू उसे भी अपनी वश में कर लेती और हम तो सिंगल ही रह जाते! अयाना (अपनी आँखें रोल करते हुए): कुछ भी मतलब है ना! कशिश: कुछ भी नहीं, लॉजिक है ये क्योंकि जितनी स्वीट और प्यारी तुम हो ना मेरी जान, तो कोई भी आसानी से चुटकियों से तुमसे पट सकता है और भूलो मत आरव भी हमारे कॉलेज के सख्त लौंडों में से एक था जब तुमने अपनी स्वीटनेस से उसे पिघला दिया तो किसी और का क्या ही कहें! अयाना (अपने हाथ झाड़ते हुए): तुम और तुम्हारी बातें हमेशा बिना लॉजिक की ही होती हैं। (खड़े होकर) अब जल्दी से खड़े हो और काम करो, ज़्यादा वक्त नहीं है! कशिश (अयाना के सामने अपने हाथ जोड़ते हुए): जो हुकुम मेरे आका! कशिश की नौटंकी देखकर अयाना मुस्कुरा दी और वापस से अपने काम की ओर बढ़ गई। कशिश और स्वाति भी उसकी हेल्प करने लगीं। एक बजे तक लगभग सारा काम निपट चुका था। सारी तैयारी और डेकोरेशन हो चुकी थी। माइक और स्पीकर सेट किए जा चुके थे। स्टूडेंट और टीचर के साथ ही गेस्ट के लिए भी कुर्सियाँ और टेबल लगा दी गई थीं। खाने की टेबल्स और ड्रिंक्स कॉर्नर में सेट कर दी गई थीं। सबसे फ्रंट में चीफ गेस्ट के लिए खास बैठने का इंतज़ाम किया गया था। कुल मिलाकर सारी तैयारियाँ बहुत अच्छे से निपट चुकी थीं। सारी तैयारियाँ होने के बाद कशिश और अयाना भी बाकी स्टूडेंट्स के साथ सब लोग खुद रेडी होने के लिए चले गए। करीब एक घंटे बाद सब लोग तैयार होकर वापस हॉल में आ चुके थे। ढाई बजे तक सारे टीचर और स्टूडेंट हॉल में जमा हो चुके थे और सब अपनी-अपनी सीट पर बैठ चुके थे। जैसे ही घड़ी में तीन बजे, प्रिंसिपल सर के साथ देवांश ने एक दमदार एंट्री ली। उसके हॉल में कदम रखते ही सारे स्टूडेंट और टीचर अदब के साथ खड़े हो गए। प्रिंसिपल सर ने एक स्टूडेंट के हाथ में पकड़े हुए बुके को लेकर देवांश की ओर बढ़ाया जिसे देवांश ने कुबूल करते हुए बुके को कुछ पल बाद अपने मैनेजर की ओर बढ़ा दिया। प्रिंसिपल सर ने देवांश के लिए बनाई गई खास टेबल पर उसे बिठाया और देवांश को ड्रिंक्स और पानी सर्व करने के बाद प्रिंसिपल सर ने फंक्शन स्टार्ट करने का इशारा किया। प्रिंसिपल सर का इशारा मिलते ही अयाना, जिसने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी और अपने बालों को खुला छोड़कर बस माथे पर छोटी सी काली बिंदी और आँखों में काजल लगाए हुए भी बाकी लड़कियों को देखते हुए वह बिल्कुल सादा थी, लेकिन इस सादगी में भी वह सब पर भारी थी और उसकी सादगी उसकी खूबसूरती को और भी ज़्यादा निखार रही थी, अयाना स्टेज की ओर बढ़ी और माइक के पास जाकर खड़ी हो गई और उसने फंक्शन के ओपनिंग स्पीच बोलनी शुरू की। उसकी दो मिनट की स्पीच के बाद हॉल में तालियों की गूंज गूंज उठी और इसी के साथ फंक्शन शुरू हुआ और स्टूडेंट्स ने अलग-अलग तरह की खास परफॉर्मेंस पेश कीं। प्रिंसिपल सर ने फंक्शन के अंत में, आखिर में प्रिंसिपल सर ने बेस्ट परफॉर्मेंस और बेस्ट स्टूडेंट और पूरे साल जो भी स्टूडेंट पढ़ाई से लेकर अदर एक्टिविटीज़, स्पोर्ट में एक्टिव रहे, उन सबको देवांश के हाथों अवार्ड दिलाया। इसके बाद प्रिंसिपल सर ने देवांश का शुक्रिया अदा करते हुए स्पीच दी और उसके बाद माइक वापस से स्टेज पर खड़ी अयाना की ओर बढ़ा दिया। अयाना: जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज हमारे बीच मिस्टर देवांश सिंघानिया मौजूद हैं और यकीनन जिनकी शख्सियत का परिचय देने की मुझे कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि बच्चा-बच्चा उनके बारे में जानता है (देवांश की ओर मुखातिब होकर) तो मैं सर से आग्रह करूँगी कि प्लीज़ वो स्टेज पर आएँ और हम स्टूडेंट्स को सफलता और ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए सीख देते हुए दो शब्द कहें! देवांश ने अयाना की बात सुनी तो वह अपने टशन के साथ स्टेज की ओर बढ़ गया। हालाँकि उसके चेहरे की संजीदगी यूँ ही बरकरार थी, लेकिन उसके टशन और पर्सनैलिटी को देखकर वहाँ मौजूद लड़कियों की जैसे आह ही निकल गई थी! देवांश (पूरी संजीदगी के साथ): हेलो एवरीवन (एक पल रुककर) मुझे नहीं लगता कि सफलता के लिए कोई भी ऐसा मंत्र या दवा है जिसे फूँककर इंसान उसे हासिल कर सके। सक्सेस के लिए सिर्फ़ एक ही चीज़ ज़रूरी और अहम है और वह है आपकी आपके सक्सेस के प्रति लगन (एक पल रुककर) आप अपने काम और अपने मकसद के प्रति कितना जुनून रखते हैं, कितनी लगन रखते हैं और कैसे अपने टाइम को यूटिलाइज़ करते हुए अपनी एनर्जी को सही जगह और वक्त पर लगाते हैं, सब कुछ सिर्फ़ इस बात पर डिपेंड करता है। कोई भी काम हो जब आप अपनी पूरी लगन और शिद्दत के साथ करें, कभी ना हारने के जज़्बे के साथ, तो नामुमकिन शब्द से ना हमेशा के लिए हट जाता है। इसके सिवा दूसरी ऐसी कोई चीज़ नहीं है जो आपको आपके ख्वाबों और सक्सेस को पूरा करने में मदद कर सके। सो या, दैट्स इट! अयाना (देवांश से माइक लेते हुए): थैंक यू सो मच सर! आपने जो कहा वो हम सब फ़्यूचर के लिए ज़रूर याद रखेंगे। आप यहाँ आए और आपने हमारे कॉलेज की शोभा बढ़ाई, उसके लिए थैंक यू सो मच! इतना कहकर अयाना एक बार फिर फंक्शन को एंड करने के लिए टीचर्स और स्टूडेंट्स की ओर मुखातिब हुई कि एकाएक उसके पास खड़े देवांश की नज़र अचानक ही ऊपर लगे झूमर की ओर चली गई जो लगातार हिल रहा था और ऐसा महसूस हो रहा था कि बस किसी भी वक्त वो बस गिरने ही वाला है और अयाना ठीक उसके नीचे खड़ी हुई थी। देवांश ने जब ये देखा तो उसने बिना एक पल की भी देरी किए हुए झट से अयाना की बाजू पकड़कर उसे अपनी तरफ़ खींच लिया क्योंकि अयाना ने हील्स पहनी हुई थीं और ऐसे देवांश के अचानक खींचने की वजह से उसका बैलेंस पूरी तरह बिगड़ गया और वह ठीक देवांश के ऊपर जा गिरी और देवांश भी अचानक अपने आप को नहीं संभाल पाया और वह भी नीचे गिर गया। मगर गिरने के बाद भी उसने अपने दिमाग का यूज़ किया और नीचे गिरे हुए ही उसने बड़ी फुर्ती के साथ अयाना को लेकर स्टेज पर ही चार-पाँच पलटी खाकर अयाना और खुद को उस झूमर से दूर कर लिया और उसी मौके पर वह झूमर तेज़ आवाज़ के साथ अचानक से नीचे आ गिरा जिसकी आवाज़ सुनकर वहाँ मौजूद सभी स्टूडेंट्स और टीचर्स को सारा माज़रा समझ आया और सब हैरानी और शॉक्ड से अपनी जगह खड़े हो गए। अयाना ने भी झूमर के गिरने की तेज़ आवाज़ के डर से एक पल को सब कुछ भूलकर अपनी आँखें कसकर बंद करते हुए अपनी मुट्ठी से देवांश की शर्ट को मज़बूती से पकड़ लिया था।

  • 16. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 16

    Words: 1511

    Estimated Reading Time: 10 min

    सब हैरानी और शॉक से अपनी जगह खड़े हो गए। अयाना ने भी झूमर के गिरने की तेज आवाज के डर से, एक पल को सब कुछ भूलकर, अपनी आँखें कसकर बंद करते हुए, अपनी मुट्ठी से देवांश की शर्ट को मजबूती से पकड़ लिया था। कुछ पल तक कॉलेज के कॉरिडोर में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था। अयाना भी अब तक अपने शॉक से पूरी तरह बाहर नहीं आई थी, और उसने देवांश को इसी तरह से कसकर पकड़ा हुआ था। कुछ पल बाद देवांश की आवाज से जैसे अयाना अपने होश में आई, और उसने आहिस्ता से अपनी मासूमियत भरी आँखें खोलकर, मासूमियत और डर भरे भाव के साथ देवांश की आँखों में देखा। और उसकी मासूम आँखों को देखकर, एक पल को देवांश के दिल में उसे एक अलग एहसास छूकर गुज़रा। अयाना को डरा देखकर, देवांश ने बड़े ही काम होकर उससे सवाल किया। देवांश: आर यू ओके? अयाना से कुछ बोलते नहीं बना। बस उसने हौले से अपना सर हिला दिया। अगले ही पल देवांश अपनी हथेलियों पर अपना पूरा वज़न डालते हुए, अयाना के ऊपर से उठ खड़ा हुआ, और फिर उसने अयाना को खड़ा होने के लिए अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया। तब तक स्टेज पर प्रिंसिपल सर और कुछ टीचर्स के साथ ही, कुछ स्टूडेंट्स और कशिश भी आ पहुँचे थे। इधर अयाना ने भी बिना सोचे देवांश का हाथ थाम लिया और खड़ी होने लगी। लेकिन जैसे ही उसने अपने पैरों पर अपना वज़न डाला, तो उसकी एक दर्द भरी आह निकल गई, और वह दर्द से वापस से ज़मीन पर बैठ गई। हील्स पहने होने की वजह से, अयाना का पैर गिरने के बाद बुरी तरह मुड़ गया था, जिसकी वजह से उसके पैर में शायद मोच आ चुकी थी, और अब वह अपने वज़न के साथ अपना पैर जमीन पर ही नहीं रख पा रही थी। अयाना को वापस बैठता देख, देवांश भी अपने एक घुटने को जमीन में डालकर, उसका हाथ पकड़े वहीं बैठ गया। देवांश: आर यू ऑलराइट? तुम खड़ी हो पाओगी? अयाना (दर्द भरे भाव के साथ): नो, आई कांट। पैर में बहुत दर्द हो रहा है। प्रिंसिपल सर: डोंट वरी अयाना, मैं बुलाता हूँ किसी को जो तुम्हें मेडिकल रूम में ले जाए। देवांश: इट्स ओके, मुझे बताएँ कहाँ है मेडिकल रूम, आई विल ड्रॉप हर। अयाना: नो सर, थैंक्स, बट आई विल मैनेज, छोटी सी चोट है। देवांश (गम्भीरता भरे भाव के साथ): मुझसे किसी ने कहा था कि छोटी सी चोट कब नासूर बन जाए पता नहीं चलता, इसीलिए वक्त रहते ही उसका इलाज कर लिया जाए तो बेहतर होता है। अयाना ने देवांश के मुँह से अपनी कही बात सुनी, तो अयाना से आगे कुछ बोलते नहीं बना। प्रिंसिपल सर ने भी देवांश को तकलीफ ना लेने के लिए कहा, लेकिन देवांश ने सब की बातों को अनसुना करते हुए, अयाना को अपनी मजबूत बाहों में उठा लिया, और कशिश और एक टीचर के साथ मेडिकल रूम की ओर बढ़ गया। मेडिकल रूम पहुँचने के बाद, देवांश ने अयाना को सावधानी के साथ बेड पर बैठा दिया। अयाना ने देवांश को शुक्रिया अदा किया और डॉक्टर अयाना के पैर को चेक करने लगी। जैसे ही देवांश वापस जाने के लिए हुआ, कि उसका फोन बजने लगा, और उसने एक साइड जाकर फोन पिक किया। देवांश ने कुछ देर फोन पर बात की, और आखिर में जल्द वहाँ पहुँचने का कहकर उसने फोन रख दिया। देवांश: ओके, आई विल बी देयर इन 30 मिनट्स! इतना कहकर देवांश ने फोन रख दिया और डॉक्टर की तरफ अपना रुख किया। देवांश (डॉक्टर की ओर देखकर): हाउ इज़ शी? डॉक्टर: डोंट वरी, बस पैर मुड़ने की वजह से मोच आ गई है। मैंने पेन किलर और मेडिसिन दे दिए हैं। सुबह तक आराम पड़ जाएगा। (अयाना की ओर देखकर) बस ध्यान रखना कि अभी बिल्कुल भी ज़्यादा चलना-फिरना नहीं है! अयाना: यस डॉक्टर एंड थैंक्यू! प्रिंसिपल सर: कैसी हो अयाना अब? अयाना: एम फाइन, थैंक्यू सर! देवांश (प्रिंसिपल की ओर देखकर): नाउ आई हैव टू गो! प्रिंसिपल: या श्योर, एंड थैंक्यू सो मच फॉर कमिंग! देवांश (सहजता के साथ): माय प्लेज़र! कशिश (अयाना की ओर देखकर): तू रुक यहीं पर, तब तक मैं टैक्सी करके लाती हूँ! अयाना (अपना सर हिलाते हुए): हम्मम! देवांश (गम्भीर लहज़े से): इफ यू आर कम्फ़र्टेबल, देन आई विल ड्रॉप बोथ ऑफ़ यू! अयाना: थैंक्यू सर, बट वी कैन… कशिश (अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): ऑफ़कोर्स सर, ये तो हमारा सौभाग्य होगा कि आप हमें लिफ्ट दें! अयाना: पर कशिश हम… कशिश (अयाना को घूरकर): कोई पर वर नहीं, और इस टूटे पैर के साथ कहाँ हम दोनों मारे-मारे घूमेंगे। चल ना सर, हमें छोड़ देंगे! सब लोगों के यहाँ होने की वजह से, अयाना आगे कुछ नहीं कह पाई। हालाँकि उसका कशिश का यूँ देवांश से ड्रॉप करने का कहना उसे पसंद नहीं आया। वह नहीं चाहती थी कि वह देवांश के साथ जाएँ या देवांश उनकी वजह से थोड़ा भी परेशान हो, लेकिन कशिश की वजह से वह अब चाहकर भी और ना नहीं कह पाई। अब अयाना के पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था, इसीलिए वह जाने के लिए बिस्तर से नीचे उतरने के लिए हुई। कशिश ने उसे सहारा दिया और बिस्तर से नीचे उतारा। प्रिंसिपल सर और बाकी लोगों ने देवांश को बड़े ही सम्मान के साथ बिदा किया, और फिर सब जाने के लिए चल पड़े। देवांश आगे था, अयाना और कशिश उसके पीछे। कशिश ने अयाना को सहारा देने के लिए उसे कंधे से पकड़े हुए था, और अयाना बड़ी मुश्किल से, लगातार एक पैर से लंगड़ाते हुए चल रही थी। अभी वह कुछ ही कदम चली थी कि एकाएक कुछ सोचकर देवांश रुक गया, और उसने एक पल को अपनी आँखें बंद करते हुए गहरी साँस ली, और वापस अयाना और कशिश की तरफ पीछे मुड़ गया। अयाना और कशिश उसे सवालिया नज़रों से देखने लगीं। देवांश ने बिना कुछ कहे या रिएक्शन दिए, एक पल बाद ही अयाना को एक बार फिर अपनी मजबूत बाहों में उठा लिया। हालाँकि देवांश के अचानक ऐसे बर्ताव से अयाना थोड़ा बौखला गई। अयाना (तपाक से): सर मैं ठीक हूँ, मैं चल सकती हूँ, आप प्लीज़… देवांश (वापस जाने के लिए मुड़ते हुए, बिना अयाना की ओर देखे, बीच में ही): अगर दो चार महीनों तक यूँ ही लंगड़ाते हुए नहीं घूमना, तो अभी फिलहाल के लिए चलना बंद करो! देवांश की बात सुनकर अयाना से आगे कुछ बोलते नहीं बना, और वह खामोश ही रह गई। कुछ देर बाद देवांश गाड़ी के पास पहुँचा, तो ड्राइवर ने उसे आता देखकर फौरन गाड़ी का पिछला दरवाजा खोल दिया। देवांश ने सावधानी के साथ अयाना को पिछली सीट पर बैठाया, और सीट पर बैठाने के लिए जैसे ही देवांश थोड़ा झुककर अयाना के करीब आया, अयाना का दिल एक अजीब भाव से धड़क उठा। हालाँकि देवांश का सारा ध्यान सिर्फ़ अयाना को सहजता से बैठाने पर था। अयाना को बैठाने के बाद देवांश ड्राइवर की साइड वाली सीट पर आकर बैठ गया, और कशिश अयाना के बराबर में आकर बैठ गई। कशिश तो देवांश की कीमती लक्ज़रियस गाड़ी में, वह भी उसके साथ बैठकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी, और उसकी यह खुशी उसके चेहरे से साफ़ झलक रही थी, और उसकी नज़रें एकटक देवांश पर ही टिकी थीं। अयाना ने जब यह देखा, तो उसने उसे कोहनी मारते हुए आँखें दिखाईं, जिसे देखकर कशिश ने मुँह सिकोड़ लिया। मगर कशिश भी कशिश ही थी, उसे और उसके खुरफाती दिमाग को कहाँ सुकून से बैठना था, तो आखिर में उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए देवांश का ध्यान अपनी ओर खींचा। कशिश (देवांश की ओर देखकर ऊँची आवाज में): सर? देवांश (अपने फोन की स्क्रीन से अपनी नज़रें हटाते हुए): हम्मम? कशिश: सर इफ यू डोंट माइंड, क्या मैं आपसे एक फेवर मांग सकती हूँ? अयाना (मन में): हे भगवान! ना जाने अब यह लड़की क्या नई खुराफात करने वाली है! देवांश (नपे-तुले अंदाज़ से): कहो? कशिश (बेबाक होकर): दरअसल सर मेरी यह दोस्त, मतलब अयाना, सर यह बहुत ही टैलेंटेड है, यू नो सर एकदम सर्वगुणसंपन्न! अयाना (अपना नाम सुनकर घबराते हुए कशिश की ओर देखकर डरते हुए): ओह गॉड! यह लड़की आखिर मेरे नाम पर अब क्या बम फोड़ने वाली है! कशिश (अयाना की नज़रों को बिल्कुल इग्नोर करते हुए एक पल रुककर): तो सर मुझे अपनी दोस्त अयाना के लिए आपसे एक फेवर चाहिए, और वह फेवर यह है कि सर आप तो इतने बड़े और जाने-माने बिज़नेसमैन हैं, बिज़नेस वर्ल्ड और पूरे शहर में आपकी जान पहचान और नाम का सिक्का चलता है, तो अगर हो सके तो आप मेरी इस मासूम दोस्त के लिए भी कोई अच्छी सी जॉब का इंतज़ाम करवा दीजिए। मेरा मतलब है कि इसकी काबिलियत के दम पर, बहुत टैलेंटेड है मेरी दोस्त, बस आजकल टैलेंट की कदर ही नहीं रही है लोगों को आजकल (बिना रुके) और आप तो जानते हैं कि आजकल का माहौल भी इतना खराब है कि हम किसी पर यकीन कर ही नहीं सकते, और यह मेरी दोस्त एकदम मासूम सी भोली चिड़िया है, और इसकी फ़िक्र रात दिन मुझे और इसकी मम्मा को सताती रहती है, तो अगर आप इतना एहसान कर देंगे तो बहुत बड़ा एहसान होगा आपका हम पर, और… अयाना (कशिश का हाथ भींचते हुए उसकी बात को बीच में ही काटते हुए आँखें दिखाकर): बस करो कशिश, चुप रहो! (एक पल रुककर देवांश की ओर देखकर) एम सो सॉरी सर, अपनी दोस्त की तरफ़ से मैं आपसे माफ़ी मांगती हूँ। दरअसल कशिश बिना सोचे समझे कुछ भी कह देती है, प्लीज़ आप इसकी बातों को माइंड मत कीजिएगा! इतना कहकर अयाना ने आँखों ही आँखों में कशिश को अब बिल्कुल चुप रहने का इशारा किया, और कशिश ने मुँह बना लिया। लेकिन अगले ही पल देवांश की चुप्पी टूटी, तो उसकी बात सुनकर कशिश तो जैसे मन ही मन नाच उठी! देवांश: इट्स ओके, फिलहाल तो मेरे पास कोई जॉब नहीं है, लेकिन हाँ मुझे एक असिस्टेंट की ज़रूरत है जो मेरे शेड्यूल और ऑफ़िस के काम को मैनेज कर सके। इफ यू आर इंटरेस्टेड, देन जब बेहतर हो जाओ, तो तीन दिन बाद मंडे को सुबह 9:00 बजे इंटरव्यू देने के लिए ऑफ़िस पहुँच जाना! अयाना: लेकिन सर… कशिश (तपाक से अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): थैंक यू, थैंक यू सो मच सर, आप बहुत ही अच्छे इंसान हैं!

  • 17. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 17

    Words: 1050

    Estimated Reading Time: 7 min

    देवांश: इट्स ओके… फिलहाल तो मेरे पास कोई जॉब नहीं है… लेकिन हां, मुझे एक असिस्टेंट की ज़रूरत है… जो मेरे शेड्यूल और ऑफिस के काम को मैनेज कर सके… इफ यू आर इंटरेस्टेड… देन जब बेहतर हो जाओ… तो तीन दिन बाद, मंडे को सुबह 9:00 बजे इंटरव्यू देने के लिए… ऑफिस पहुँच जाना! अयाना: लेकिन सर… कशिश (तपाक से अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): थैंक यू… थैंक यू सो मच सर… आप बहुत ही अच्छे इंसान हैं! देवांश ने कशिश की बात का कोई जवाब नहीं दिया। एक पल रुकने के बाद, उसने कशिश और अयाना की तरफ़ अपना एक कार्ड निकाल कर बढ़ाया। देवांश (हमेशा की तरह गंभीर भाव से): यह मेरा ऑफिस कार्ड है! कशिश (अपने दांत दिखाते हुए): अरे इसकी क्या ज़रूरत थी सर… बच्चा-बच्चा आपके बारे में सब जानता है… और मैं… मैं तो आपकी बहुत बड़ी फ़ैन हूँ… मुझे सब पता है आपके बारे में… और ये भी कि आपका ऑफिस कहाँ है… डोंट वरी, मैं अयाना को ले आऊँगी… जस्ट डोंट वरी सर! देवांश (गंभीर भाव से): मेरे ऑफिस में बिना इजाज़त किसी की एंट्री नहीं होती… और यह कार्ड सिर्फ़ एक कार्ड नहीं है… बल्कि एक पास है… जिसके थ्रू आपको ऑफिस में एंट्री मिल जाएगी! कशिश (धीरे से बड़बड़ाते हुए): वाह!… बड़े लोग बड़ी बातें! अयाना ने कशिश की बात सुनी। उसने कशिश के कंधे पर अपनी कोहनी मारते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया। कशिश ने अपने मुँह पर उँगली रख ली। अयाना ने देवांश का शुक्रिया अदा करते हुए, उसके हाथ से वह कार्ड ले लिया। कुछ देर बाद, अयाना ने अपने घर से कुछ कदम की दूरी पर सड़क किनारे गाड़ी रोकने के लिए कहा। देवांश ने ड्राइवर से गाड़ी रोकने का इशारा किया। गाड़ी रुकते ही कशिश पहले गाड़ी से उतरी और उसने अयाना का हाथ थामकर, उसे सहारा देकर गाड़ी से उतारने की कोशिश की। अयाना ने भी भरपूर कोशिश की कि वह गाड़ी से उतर जाए, और वह कामयाब भी रही। लेकिन गाड़ी से नीचे उतरते ही, उससे एक पल भी खड़ा होना दूभर हो रहा था। हालाँकि उसने कोशिश की कि वह कुछ पल तक खुद को संभाल सके और कैसे भी करके देवांश की गाड़ी वहाँ से चली जाए। लेकिन हमारी कशिश तो कशिश ही थी, और हमेशा अयाना की सोच के उलट करना उसकी आदत थी। कशिश अपनी चुप्पी तोड़ते हुए… कशिश (देवांश को सुनाते हुए): हे भगवान!… अयाना, तुझसे तो चलना तो दूर… कदम भी नहीं रखा जा रहा… अब मैं तुझे घर तक कैसे ले कर जाऊँगी… मैं तो तुझे उठा भी नहीं पाऊँगी! (अपनी नौटंकी जारी रखते हुए) हे भगवान! अब क्या करूँ मैं आखिर… ये कैसी दुविधा में लाकर डाल दिया तूने! देवांश (गाड़ी से उतर कर बिना किसी भाव के): टेल मी… कहाँ जाना है… मैं हेल्प कर दूँगा! कशिश (अपने दांत दिखाते हुए): हाउ स्वीट ऑफ़ यू सर… थैंक्यू! (एक पल रुककर सामने की ओर इशारा करते हुए) बस यही सामने जाना है हमें! अयाना (कशिश को गुस्से से घूर कर): नहीं… इट्स ओके सर… मैं ठीक हूँ… और मैं खुद चली जाऊँगी! देवांश ने अयाना की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह दो कदम आगे बढ़ा और उसने बिना कुछ कहे या बोले अयाना को वापस से अपनी मज़बूत बाहों में उठा लिया। चेहरे पर बिना किसी भाव के, वह उसे कशिश के बताए गए घर की ओर ले जाने लगा। कशिश ने जल्दी से आगे बढ़कर लॉक खोला और देवांश ने अयाना को अंदर ले जाकर सोफ़े पर बैठा दिया। अयाना (देवांश की ओर देखकर): थैंक यू… थैंक यू सो मच… एंड आई एम सॉरी… मेरी वजह से आपको इतनी प्रॉब्लम हुई! देवांश (बिना किसी भाव के): इट्स ओके… इट्स नॉट अ बिग डील! इतना कहकर देवांश बाहर जाने लगा कि अयाना ने उसे टोका। अयाना: सर आप यहाँ तक आए हैं… एटलीस्ट चाय तो पीकर जाएँ! कशिश: हाँ सर… अयाना बिल्कुल ठीक कह रही है… थोड़ी देर तो बैठिए! देवांश: थैंक यू… बट अभी मैं जल्दी में हूँ… फिर कभी! इतना कहकर देवांश बिना रुके या बिना अयाना या कशिश के जवाब को सुने बिना वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद अयाना ने अपनी नज़रें घुमाकर कशिश की ओर देखा, जो अपने ही ख़यालों में गुम, बस मुस्कुराती हुई, जाते हुए देवांश की दिशा में एकटक देख रही थी। तो उसने अपने पास पड़े कुशन को गुस्से से कशिश की तरफ़ दे मारा, जो सीधा उसके सर पर लगा। कुशन लगते ही कशिश ने झट से अपनी गर्दन अयाना की ओर मोड़ी। कशिश (मासूम बनते हुए): मुझे क्यों मार रही है… मैंने क्या किया? अयाना (अपने पास पड़े दूसरे कुशन को उठाकर कशिश की ओर फेंकते हुए): क्यों मारा की बच्ची… अभी बताती हूँ तुझे… इडियट… बेवकूफ़… नालायक लड़की… क्या था ये सब… और सर के सामने क्यों फ़िज़ूल में तेरी इतनी ज़ुबान चल रही थी? कशिश (अयाना द्वारा मारे गए कुशन को कैच करके उछालते हुए): हे भगवान!… नेकी का तो जमाना ही नहीं रहा… एक तो तेरी जॉब फ़िक्स करवाई मैंने… तुझे लिफ़्ट दिलवाई मैंने… तुझे आराम से घर तक लाई मैं… और उस पर तू मुझे ऐसे तारीफ़ें करके मार रही है! अयाना (कशिश को घूर कर): अच्छा… और यह जो तुम्हारी फ़िज़ूल चबड-चबड थी… उसके लिए तो मैं जैसे तुम्हारी आरती उतारूँ! कशिश (सोफ़े पर पसरते हुए): उतारनी तो मेरी जान तुझे आरती ही चाहिए! अयाना: चुप कर… क्या ज़रूरत थी तुझे बेवजह ये सारी चीज़ें और हरकतें करने की… ढूँढ लेती ना मैं कोई और जॉब… तो तुझे ऐसे फ़ेवर माँगने की क्या ज़रूरत थी… हमें किसी का एहसान नहीं चाहिए… हम अपने बलबूते पर अपनी मंज़िल को हासिल कर सकते हैं! कशिश (उठकर बैठते हुए): ओए मैडम… कौन सी सदी में जी रही है तू… यह वह सदी है जहाँ अपने मतलब के लिए गधे को भी बाप बनाना पड़ता है… और फिर इसमें हर्ज ही क्या है… अगर बिना किसी को कोई नुकसान पहुँचाए हमारा काम बनता है… तो आखिर इसमें हर्ज क्या है? अयाना (गंभीर भाव से): लेकिन कशिश, मैं ऐसे किसी का एहसान कैसे ले सकती हूँ… और अगर मुझे ऐसे ही किसी के फ़ेवर के बल पर जॉब ढूँढनी होती… तो मैं आरव के ऑफ़िस में ही काम करने के लिए कब का हाँ कह चुकी होती… और… कशिश (अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): इतने वक़्त से तू ट्राई कर रही है जॉब के लिए… तुझे अभी वाकई में लगता है कि बिना फ़ेवर के यहाँ काम चल सकता है… और रही आरव की बात… तो वहाँ बेशक तेरे टैलेंट पर तुझे जॉब प्रोवाइड नहीं की जाती… लेकिन यहाँ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है… देख, इस वक़्त मुझे जॉब की ज़रूरत है… और फिर हम कुछ गलत नहीं कर रहे… बस सही रास्ते पर जाकर हम अपनी ज़रूरत को पूरा कर रहे हैं… और इन सब से अलग मिस्टर देवांश को भी तो एक सेक्रेटरी की ज़रूरत है ना… और अभी उन्होंने तुझे यह जॉब दे नहीं दी गई है… बल्कि तेरा इंटरव्यू है… जिसका मतलब है कि तुझे यह जॉब तेरे बलबूते पर ही मिलेगी… ना कि किसी फ़ेवर पर… हाँ, सिर्फ़ उसका फ़ेवर इतना है कि उसने तुझे अप्रोच किया है… उसके लिए तुझे कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी… मगर आगे की तो सारी मेहनत तेरी ही होगी ना! अयाना: लेकिन कशिश…

  • 18. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 18

    Words: 1229

    Estimated Reading Time: 8 min

    कशिश (अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): इतने वक्त से तू ट्राई कर रही है जॉब के लिए… तुझे अभी वाकई में लगता है कि बिना फेवर के यहां काम चल सकता है… और रही आरव की बात… तो वहां बेशक तेरे टैलेंट पर तुझे जॉब प्रोवाइड नहीं की जाती… लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं है… देख, इस वक्त मुझे जॉब की ज़रूरत है… और फिर हम कुछ गलत नहीं कर रहे… बस सही रास्ते पर जाकर हम अपनी ज़रूरत को पूरा कर रहे हैं… और इन सब से अलग मिस्टर देवांश को भी तो एक सेक्रेटरी की ज़रूरत है ना… और अभी उन्होंने तुझे यह जॉब दे नहीं दी है… बल्कि तेरा इंटरव्यू है… जिसका मतलब है कि तुझे यह जॉब तेरे बलबूते पर ही मिलेगी… ना कि किसी फेवर पर… हां, सिर्फ़ उसका फेवर इतना है कि उसने तुझे अप्रोच किया है… उसके लिए तुझे कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी… मगर आगे की तो सारी मेहनत तेरी ही होगी ना!!! अयाना: लेकिन कशिश… कशिश: कुछ लेकिन-वेकिन नहीं… (एक पल रुक कर) अच्छा, ठीक है। तू इंटरव्यू दे… अगर तुझे फिर भी लगे कि ये जॉब तू नहीं करना चाहती… तो मैं तुझे फ़ोर्स नहीं करूँगी। अयाना: बहुत जिद्दी हो ना तुम… नहीं मानोगी ना! कशिश: हम्मम, बहुत ज़्यादा! अयाना (मुस्कुरा कर): मैं बहुत ज़्यादा लकी हूँ… जो मुझे तुम्हारी जैसी नमूनी दोस्त मिली! कशिश (अपने दांत दिखाते हुए): सो तो तू है… अब तू अपने पैर पर फ़ोकस कर… और जल्दी से जल्दी अपना पैर ठीक कर… ताकि तू मंडे को इंटरव्यू देने जा सके! अयाना: जो आज्ञा आपकी देवी जी! कशिश: और हां, जब तक जॉब ना मिल जाए… उस आरव के बच्चे से कुछ मत कहना! अयाना (असमंजस से): लेकिन क्यों? कशिश (अपने माथे पर हाथ मारते हुए): हे भगवान! क्या करूँ मैं इस लड़की का… पूछ तो ऐसे रही है जैसे कुछ पता ही ना हो… अच्छे से जानती है ना अपने उस आशिक को… अगर उसे पता चला कि तू देवांश जैसे हैंडसम बंदे के यहां काम करने जा रही है… तो तुझे फ़ौरन सात तालों में बंद करने का हुक्म दे देगा… इसीलिए जब तक तेरी जॉब फ़िक्स ना हो जाए… और तू जॉइन ना कर ले… तू उसे कुछ नहीं कहेगी! अयाना (अपनी भौंहें सिकोड़ कर): अब इतना भी खड़ूस नहीं है मेरा आरव… जो तुम बार-बार उसे इस तरीके से अंडरएस्टिमेट करती हो! कशिश (अपनी आँखें रोल करते हुए): रहने दे बस… इतना भी अच्छा नहीं है… जितनी की तू उसकी अच्छाइयों का गुणगान गाती रहती है! तभी अयाना का फ़ोन बजा… उसने स्क्रीन पर आरव का नाम देखा… तो मुस्कुरा उठी! कशिश (अयाना को छेड़ते हुए): लो, नाम लिया शैतान हाज़िर! अयाना (कशिश को झूठे गुस्से से घूरते हुए): कशिश… कशिश (झट से खड़ी होते हुए): हां… हां… ठीक है… ठीक है… आई एम गोइंग… तुम बात करो अपने आरव जी से… तब तक मैं हम दोनों के लिए फ़टाफ़ट कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ… बहुत भूख लगी है! अयाना (अपना सर हां में हिलाते हुए): ठीक है! इसके बाद कशिश अंदर किचन में चली गई… और अयाना ने आरव की कॉल पिक की! अयाना (फ़ोन पिक करके मुस्कुराते हुए): कैसे हो तुम? अभी जस्ट कशिश और मैं तुम्हारी ही बातें कर रहे थे! आरव: अच्छा… क्यों? अयाना: बस ऐसे ही… खैर, तुम ये बताओ कि कैसे हो तुम? आरव (बुझी सी आवाज़ में): हम्मम, ठीक ही हूँ… तुम बताओ कैसी हो? अयाना (आरव की आवाज़ सुन थोड़ी परेशान होकर): क्या हुआ आरव… तुम परेशान साउंड कर रहे हो… सब ठीक है ना? आरव (थोड़ा झुंझला कर): यार, कुछ भी ठीक नहीं है… सब फ़िज़ूल की बकवास चल रही है बस! अयाना (चिंता भरे स्वर में): लेकिन आरव, बताओ तो सही कि आखिर बात क्या है? और हुआ क्या है जो तुम इस क़दर परेशान हो? प्लीज़ बोलो आरव… मुझे चिंता हो रही है? आरव (गुस्से और मायूसी भरे मिले-जुले भाव से): यार, होना क्या है… मैं अभी-अभी एयरपोर्ट से वापस आया हूँ… मैं वापस मुंबई आ रहा था… लेकिन जैसे ही फ़्लाइट का टाइम हुआ… कि फ़्लाइट कैंसल हो गई! अयाना: ओहो आरव… तुम भी बच्चों जैसी बातें करते हो… ठीक है आज ना सही कल वापस से ले लेना फ़्लाइट… सिंपल! आरव: यार, वही तो मेरी प्रॉब्लम है ना… सिर्फ़ आज के लिए नहीं… बल्कि ख़राब मौसम के चलते… अगले कुछ दिनों के लिए सारी फ़्लाइट्स कैंसल कर दी गई हैं! अयाना (थोड़ी मायूसी से): ओह! (एक पल रुक कर) ठीक है, जो होना था हो गया… अब इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है… कुछ दिनों बाद फ़्लाइट ले लेना… जब कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं है… तो क्या कर सकते हैं… तुम्हारे रहन-सहन में कोई परेशानी है क्या वहाँ? आरव (नाराज़गी से): यार, हद करती हो आयु तुम… यहाँ मैं तुमसे मिलने के लिए मरा जा रहा हूँ… और तुम मुझसे ऐसे फ़िज़ूल सवालात कर रही हो कि मुझे क्या परेशानी है! अयाना: आई एम सॉरी आरव… मेरा वो मतलब नहीं था… मैं तो बस जनरली पूछ रही थी तुमसे! आरव (एक गहरी साँस ले कर): नो… इनफ़ैक्ट… आई एम सॉरी मेरी जान… मगर यार मैं क्या करूँ… आई मिस यू सो बैडली… आई वांट टू हग यू… एंड… (एक गहरी साँस ले कर) मैं जितना जल्द से जल्द तुम्हारे पास आना चाहता हूँ… उतनी ही देर होती जा रही है! अयाना (आरव को प्यार से समझाते हुए): इट्स ओके आरव… ईश्वर जो करते हैं… अच्छा ही करते हैं… और जहाँ इतने दिन हुए… वहाँ कुछ और दिन और सही… बट प्लीज़ तुम ऐसे हाइपर मत हो… रिलैक्स करो… तुम जल्दी वापस आ जाओगे… ओके? आरव: हम्मम… (एक पल रुक कर) अच्छा, तुम क्या कर रही हो? अयाना: कुछ नहीं, बस अभी कॉलेज से आई थी… बताया था ना मैंने फ़ंक्शन के बारे में… बस वही था आज! आरव: ओके… तुम थकी हुई हो? अयाना (आरव का दिल रखने के लिए झूठ बोलते हुए): नहीं, तो बिल्कुल भी नहीं! आरव (मुस्कुरा कर): ओके देन, फिर हम आज बहुत सारी बातें करने वाले हैं! अयाना (मुस्कुरा कर): हम्मम… श्योर! इसके बाद आरव करीब सुबह के 4 बजे तक अयाना से नॉनस्टॉप बातें करता रहा… और उसकी बातें तो अभी भी ख़त्म नहीं हुई थी… वो तो अयाना ही बातें करते-करते वहीं सोफ़े पर सो गई थी… हालाँकि उसने बहुत कोशिश की थी खुद को जगाने की… लेकिन अपने पैर की चोट… और दवाइयों के असर की वजह से… वह आखिर में अब सो चुकी थी… आरव ने जब कुछ देर तक भी उसकी तरफ़ से कोई रिस्पांस नहीं पाया… तो वह समझ गया था कि अयाना सो चुकी है… हालाँकि कहीं न कहीं आरव को थोड़ा बुरा लगा… लेकिन फिर आखिर में उसने मुस्कुरा कर अपनी फ़ोन की स्क्रीन को चूमा… और फिर फ़ोन बिना कट किए ही… वह भी अपने बिस्तर पर लेट गया… अगली सुबह जब अयाना की नींद खुली… तो उसे याद आया कि वो आरव से बात करते-करते ही बीच में ही सो गई थी… और उसने हड़बड़ा कर जल्दी से अपना फ़ोन उठाया… तो उनकी कॉल अभी भी चल रही थी… और अयाना ने जल्दी से फ़ोन अपने कान से लगाया! अयाना: हेलो? आरव (फ़ौरन से): हेलो? अयाना (हैरानी से): तुम सोए नहीं आरव? आरव: नहीं… तुम्हारे उठने का इंतज़ार कर रहा था! अयाना (अविश्वास से): यू आर टोटली मेड आरव! आरव: हम्मम… बट ओनली फ़ॉर यू…!! अयाना (गिल्ट से): आई एम सॉरी… सो सॉरी… मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब सो गई… और… आई एम सो सॉरी! आरव: इट्स ओके… कोई बात नहीं… पहली बार के लिए जाने दिया… लेकिन अगर तुमने दुबारा फिर कभी भी ऐसा किया… तो फ़ॉर श्योर तुम्हें ज़रूर पनिशमेंट मिलेगी! अयाना (मुस्कुराकर): ज़रूर! इसके बाद फिर कुछ वक्त तक दोनों की नॉनस्टॉप बातें चलती रहीं… अगले 2 से 3 दिन भी यूँ ही बातों में और इधर-उधर के कामों में निकल चुके थे… मगर इस बीच उसने कशिश के कहे मुताबिक आरव से अपनी जॉब का कोई ज़िक्र नहीं किया था… और लगभग अयाना का पैर भी पूरी तरह से ठीक हो चुका था… और आज फ़ाइनली मंडे था… अयाना सुबह ही उठी… और नहा-धोकर वक़्त पर तैयार होकर… वह ऑफ़िस के लिए… इंटरव्यू देने के लिए कशिश के साथ निकल गई… और कुछ देर में दोनों ऑफ़िस पहुँच चुके थे… अयाना ने देवांश के कहे अनुसार उस कार्ड को वहाँ गार्ड को दिखाया… तो गार्ड ने बिना कुछ कहे उन्हें अंदर जाने की इजाज़त दे दी… लेकिन उन्हें उनकी चेकिंग करने के बाद… और आखिर में दोनों ऑफ़िस में अंदर पहुँचे… रिसेप्शन पर जाकर अयाना ने अपने इंटरव्यू की बात कही… तो रिसेप्शनिस्ट ने उसे थोड़ा इंतज़ार करने के लिए कहा… करीब 15-20 मिनट के इंतज़ार करने के बाद… आखिर में रिसेप्शनिस्ट ने अयाना को एक रूम की तरफ़ जाने का इशारा कर दिया… कशिश ने अयाना को ऑल द बेस्ट कहा… और अयाना उस रूम की ओर बढ़ गई…!!

  • 19. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 19

    Words: 2299

    Estimated Reading Time: 14 min

    आखिर में दोनों ऑफिस में अंदर पहुँचीं। रिसेप्शन पर जाकर अयाना ने अपने इंटरव्यू की बात कही। रिसेप्शनिस्ट ने उसे थोड़ा इंतजार करने के लिए कहा। करीब 15-20 मिनट के इंतजार के बाद, रिसेप्शनिस्ट ने अयाना को एक कमरे की तरफ जाने का इशारा किया। कशिश ने अयाना को ऑल द बेस्ट कहा और अयाना उस कमरे की ओर बढ़ गई। कमरे के बाहर पहुँचकर अयाना ने एक गहरी साँस ली और दरवाजे पर नॉक किया। अंदर से इजाज़त मिलने की आवाज आने के बाद, अयाना अंदर चली गई। अंदर पहुँचकर उसने देखा कि देवांश अपनी कुर्सी पर, हमेशा की तरह अपनी स्ट्रांग पर्सनैलिटी और ओरे के साथ, बिल्कुल किसी नवाब की तरह बैठे हुए थे। देवांश ने अपनी नज़रें उठाकर अयाना की ओर देखा और उसे इशारे से ही गुड मॉर्निंग विश किया। अयाना ने अपनी गर्दन हिलाते हुए इसका जवाब दिया क्योंकि देवांश किसी से कॉल पर बातें कर रहा था। कॉल पर बातें करते-करते देवांश ने अयाना को अपने सामने पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया। अयाना ने शुक्रिया अदा करते हुए कुर्सी पर बैठ गई। जब तक देवांश अपने क्लाइंट से बात कर रहा था, तब तक अयाना देवांश के केबिन का मुआयना करने लगी। देवांश के पूरे केबिन में व्हाइट और ग्रे कलर के शेड का डेकोर था। उसका पूरा केबिन बड़े ही सलीकेदार तरीके से बना हुआ था, जहाँ की हर चीज़ बड़े ही सलीके से सजी हुई थी। यहाँ की हर छोटी से छोटी चीज़ बहुत ही एक्सपेंसिव और अपने आप में खास और यूनिक थी। सामने की दीवार पर एक बड़ी सी महंगी पेंटिंग लगी हुई थी। देवांश के पीछे की दीवार पर देवांश को मिले बहुत सारे मेडल्स और ट्रॉफी लगे हुए थे। दाईं तरफ एक विंडो बनी हुई थी, जिसमें से शहर का सबसे खूबसूरत नज़ारा नज़र आता था। बाईं तरफ फाइल्स रखने की एक छोटी सी रैक बनी हुई थी। वहीं थोड़ा आगे जाकर काउच और टेबल था, शायद खाने-पीने या थोड़े रेस्ट करने के लिए। केबिन के बीचो-बीच देवांश का टेबल और कुर्सी लगी हुई थी, जिसके सामने दो कुर्सियाँ और पड़ी थीं। टेबल पर कुछ फाइल्स के साथ लैपटॉप और 1-2 जरूरी चीजें रखी थीं, और उन चीजों को बिल्कुल सलीके से सेट किया हुआ था। बिल्कुल साफ और सलीके से सब कुछ सेट किया हुआ था। कुल मिलाकर, पूरा केबिन बहुत ही सलीकेदार और डिसेंटली मैनेज किया हुआ था। देवांश ने कॉल रखने की बात की तो अयाना अपने ख्यालों से बाहर आई और उसने अपना सारा फोकस सामने देवांश की ओर किया। देवांश (अपनी प्रोफेशनल टोन में): ओके मिस्टर शर्मा, डील की बाकी बातें हम शाम को मिलकर करते हैं। आई विल कॉल यू लेटर! इतना कहकर देवांश ने कॉल कट की और अपना फ़ोन टेबल पर रखा। अपनी दोनों कोहनियों को टेबल पर टिकाते हुए उसने अयाना की ओर अपना फोकस किया और एक नज़र उसे देखते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी। देवांश (अयाना की ओर देखकर सहजता से): एम सॉरी फॉर द वेट। एक इम्पोर्टेन्ट कॉल थी, दैट्स व्हाय! अयाना (उसी सहजता के साथ जवाब देते हुए): इट्स ओके सर, डोंट बी सॉरी, प्लीज़! देवांश: हम्मम… (अयाना के डॉक्यूमेंट्स की ओर इशारा करते हुए) गिव मी योर डॉक्यूमेंट्स! देवांश के इतना कहते ही अयाना ने फ़ौरन ही अपने डॉक्यूमेंट्स उसकी ओर बढ़ा दिए। देवांश ने एक नज़र अयाना की ओर देखा और फिर उसके हाथ से डॉक्यूमेंट ले कर उन्हें पढ़ने लगा। अयाना ने आज व्हाइट कलर का कुर्ता येलो दुपट्टे के साथ पहना हुआ था, कानों में छोटी-छोटी झुमकियाँ और कमर तक लंबे बालों की सलीके से पोनी बनाई हुई थी। चेहरे पर ढेर सारी मासूमियत के साथ थोड़ी घबराहट और नर्वसनेस साफ़ झलक रही थी। वो अपने हाथों की उंगलियों को बार-बार आपस में उलझा रही थी। देवांश ने उसकी नर्वसनेस को नोटिस किया और आखिर में अपनी चुप्पी तोड़ी। देवांश (अयाना के डॉक्यूमेंट पर नज़र गड़ाए हुए ही प्रोफ़ेशनल टोन में): रूल नंबर वन, डोंट शो योर नर्वसनेस इन फ्रंट ऑफ़ एनीबडी। बी कॉन्फ़िडेंट, बी पॉज़िटिव। तुम में पोटेंशियल है, टैलेंट है, लगन है। ये बात तुम्हें कहने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं… (अयाना के डॉक्यूमेंट की ओर इशारा करते हुए) …क्योंकि तुम्हारी मेहनत इन कागज़ के टुकड़ों में साफ़-साफ़ नज़र आ रही है और तुम केपेबल हो। सिर्फ़ इसीलिए एग्री मत करो क्योंकि मैं कह रहा हूँ या कोई दूसरा तुम्हें इसका सर्टिफिकेट देगा। जस्ट बिलीव इन योर सेल्फ़। खुद पर यकीन रखोगे तो दुनिया और कामयाबी खुद चलकर आपके पीछे आएगी। आपके भरोसे पर भरोसा रखते हुए, मगर अगर खुद के ही भरोसे की नींव कमज़ोर होगी तो ना तो कामयाबी और ना ये दुनिया हासिल होगी, बस सारी उम्र खुद की ही आजमाइशों में ही गुज़र जाएगी! अयाना (देवांश की बात सुनकर हल्की सी मुस्कान मगर पूरे आत्मविश्वास के साथ): श्योर सर, और मैं आपकी कही ये बात और सीख हमेशा, ज़िन्दगी भर याद रखूँगी! देवांश (गंभीर भाव से): गुड! (एक पल रुककर) ओके, टेल मी समथिंग अबाउट योरसेल्फ़! अयाना (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): श्योर सर, (एक पल रुककर) दरअसल सर, मैं से बिलॉन्ग करती हूँ। मैंने अपनी ग्रेजुएशन इंदौर के ही एक कॉलेज से कंप्लीट की है और अब यहाँ आकर अपनी आगे की स्टडी कंप्लीट कर रही हूँ, स्कॉलरशिप पर। (एक पल रुककर) मेरी माँ इंदौर के ही एक स्कूल में टीचर है और बस… और बस सर… कुछ ख़ास है ही नहीं ज़िन्दगी में बताने के लिए, बस इतना ही है! देवांश: ओके, और तुम्हारे डैड? अयाना (उदासी भरे लहजे से): वह नहीं हैं सर, वो काफ़ी अरसे पहले ही गुज़र चुके हैं! देवांश (अफ़सोस भरे लहजे से): एम सो सॉरी फॉर योर लॉस! अयाना: इट्स ओके सर! देवांश: वैल… अगर तुम ऑफ़िस ज्वाइन करोगी तो तुम्हारी स्टडी का क्या? अयाना (देवांश की ओर देखकर): सर वो मैं मैनेज कर लूँगी। वैसे भी अब फ़ाइनल एग्जाम्स में ज़्यादा वक़्त नहीं है तो कॉलेज में क्लासेज़ इतनी ख़ास चल नहीं रही। बाकी मैं इस मामले में प्रिंसिपल सर से परमिशन ले चुकी हूँ। उन्हें कहा है कि अगर स्टडी पर कोई इफ़ेक्ट ना पड़े तो उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। मैं एडजस्ट कर लूँगी सर! देवांश (गंभीर भाव से): ओके, बस एक बात का हमेशा ध्यान रखना, मुझे काम में कोई कोताही या लापरवाही बिल्कुल पसंद नहीं है और मुझे हर एक काम बिल्कुल परफ़ेक्ट और वक़्त पर चाहिए होता है। इनशॉर्ट, मैं वक़्त का बहुत ही पाबन्द इंसान हूँ और मुझे हर एक काम बिल्कुल वक़्त पर चाहिए। (एक पल रुककर) मुझे काम चाहिए, एक्सक्यूसेज़ नहीं। तुम्हारी पर्सनल लाइफ़, स्टडी या जो भी है वो सब इस ऑफ़िस से दूर रहने चाहिए। मुझे यहाँ सिर्फ़ तुम्हारा प्रोफ़ेशनलिज्म दिखना चाहिए और तुम्हारी काम के प्रति लगन और मेहनत। क्योंकि मेरे लिए सिर्फ़ इंसान की काबिलियत ही सबसे अहम और मैटर करती है। अगर इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए तुम्हें ज्वाइन करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है तो तुम कल से ही ज्वाइन कर सकती हो! अयाना (खुशी भरे भाव से): मैं बिल्कुल अपना टू हंड्रेड परसेंट दूँगी सर, एंड डोंट वरी, आपको मेरी तरफ़ से कभी भी कोई भी या थोड़ी भी शिकायत कभी नहीं होगी। एंड थैंक यू सो मच सर! देवांश (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): हम्मम… और तुम्हारी सैलरी स्टार्टिंग के लिए अभी 50 हज़ार ही रहेगी, आगे तुम्हारे काम के हिसाब से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ जाएगी, लेकिन फ़िलहाल के लिए इतना ही होगा! अयाना (हल्की हैरानी भरे भाव से): 50 हज़ार? देवांश (गंभीर भाव से): क्यों कम है? अयाना (जल्दी से): नहीं सर, नहीं, बहुत हैं। (एक पल रुककर) टू बी ऑनेस्ट, मैंने तो इतनी सैलरी एक्सपेक्ट भी नहीं की थी! देवांश (सामान्य भाव से): टैलेंट अक्सर एक्सपेक्टेशन से बढ़कर ही देता है। एनीवे, बाकी की डिटेल्स कल सुबह आकर मेरे मैनेजर मिस्टर खन्ना से ले लेना। (अयाना के डॉक्यूमेंट्स वापस उसकी ओर बढ़ाकर) फ़िलहाल के लिए अब तुम जा सकती हो! अयाना (खड़े होते हुए मुस्कुरा कर): थैंक यू, थैंक यू सो मच सर! देवांश (वॉर्म एक्सप्रेशन से): मोस्ट वेलकम! इसके बाद अयाना देवांश के केबिन से बाहर निकल गई। बाहर आते ही अयाना एक्साइटमेंट से कशिश के गले लग गई। कशिश (मुस्कुराकर): इट मीन्स कि तेरा सिलेक्शन हो गया और तुझे ये जॉब भी मिल गई? अयाना (खुश होते हुए): हाँ, और वो भी पूरे 50,000 की सैलरी के साथ! कशिश (हैरानी भरी खुशी से): वाउ! दैट्स रियली ग्रेट! (वापस से अयाना के गले लगते हुए) कांग्रेचुलेशन स्वीटहार्ट! अयाना (मुस्कुराकर): थैंक यू, थैंक्यू सो मच। ये सब तेरी ही वजह से पॉसिबल हो पाया है, वरना मैं तो यहाँ आना ही नहीं चाहती थी। बट अच्छा ही हुआ जो मैं यहाँ आ गई और सर ने साफ़-साफ़ कह भी दिया है कि वो मेरी काबिलियत के लिए ही मुझे अपॉइंट कर रहे हैं और उन्हें मुझसे काम में कोई शिकायत नहीं चाहिए! कशिश (मुस्कुराकर): हम्मम… एंड आई एम श्योर कि तू उन्हें शिकायत का कोई मौका देगी भी नहीं! अयाना (मुस्कुराकर): होप सो! कशिश (एक्साइटेड होकर): चल आज तो पार्टी बनती है और ट्रीट भी तू ही देगी! अयाना (मुस्कुराकर): हाँ बिल्कुल, श्योर! इसके बाद दोनों सहेलियाँ खुशी-खुशी देवांश के केबिन ऑफ़िस से बाहर निकल आईं। दोनों सहेलियाँ ऑफ़िस से सीधा पिज़्ज़ा पार्टी करते हुए, पानी पूरी खाकर आराम से वापस घर लौटीं। अभी दोनों घर ही पहुँची थीं कि अयाना का फ़ोन बजने लगा। उसने अपनी माँ का नाम स्क्रीन पर देखा तो चहकते हुए उनकी कॉल पिक की। अयाना (चहकते हुए): कैसी हैं माँ आप? सावित्री जी (मुस्कुराकर): मैं ठीक हूँ, तुम कैसी हो बेटा? अयाना: मैं भी बिल्कुल ठीक हूँ मम्मा। (एक पल रुककर) गेस व्हाट मम्मा? सावित्री जी: तुमने फिर से कॉलेज में या क्लास में टॉप किया है? अयाना: नहीं मम्मा, अभी तो मेरे एग्ज़ाम भी नहीं हुए! सावित्री जी (सोचते हुए): अच्छा तो तुम्हारे टीचर्स ने तुम्हारी परफ़ॉर्मेंस को लेकर हमेशा की तरह तुम्हारी जमकर प्रशंसा की होगी! अयाना: ओहो! ये भी नहीं मम्मा! सावित्री जी: अच्छा बाबा तो तुम ही बता दो कि आखिर क्या बात है जिससे मेरी बेटी इस क़दर खुश है? अयाना (मुस्कुराकर): खुशी की बात तो है मम्मा। (एक पल रुककर) आपको पता है… मुझे बहुत अच्छी जॉब मिल गई आज! सावित्री जी: ख़बर तो अच्छी है बेटा, पर बेटा मैंने तुम्हें कहा है ना कि तुम्हें जॉब करने की कोई ज़रूरत नहीं है, तुम सिर्फ़ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, मैं हूँ ना बाकी सब देखने के लिए! अयाना (गंभीरता से): नहीं मम्मा, आपने हमेशा मेरे लिए इतना सब किया है और अब तक कर रहे हो। अब मेरे भी कोई फ़र्ज़ है कि मैं भी आपके लिए कुछ करूँ और आपको थोड़ा आराम दूँ। और वैसे भी अब कुछ ही दिन में मेरे फ़ाइनल एग्ज़ाम होने वाले हैं तो मुझे कोई अच्छी जॉब तो करनी ही है ना, तो अभी से शुरुआत क्यों नहीं? सावित्री जी (चिंतित स्वर में): पर आयु बेटा, तुम जॉब और पढ़ाई सब एक साथ कैसे हैंडल करोगी? कितना बर्डन पड़ेगा तुम पर! अयाना: ओहो मम्मा, ऐसा कुछ नहीं है, मैं सब मैनेज कर लूँगी। आखिर अपनी सुपर मम्मा की सुपर बेटी हूँ मैं। बस आप खुश तो हैं ना मम्मा? सावित्री जी (मुस्कुराकर): आज तक कोई रोक-टोक की है मैंने तुम्हारे साथ या किसी काम के लिए कभी मना ही किया है। बस तुम खुश तो मैं खुश और इससे अलग मैं इतना जानती हूँ कि मेरी बेटी बहुत ही समझदार और सुलझी हुई है और वह इस काबिल है कि अपने फ़ैसले अपने दम पर ले सकती है और उसे अच्छे से अपना अच्छा-बुरा भी पता है तो मुझे कभी भी बेटा तुम्हारी किसी भी फ़ैसले पर कोई आपत्ति या संदेह होने का सवाल ही नहीं उठता! अयाना (मुस्कुराकर): थैंक्यू मम्मा, एंड आई लव यू द मोस्ट! सावित्री जी (मुस्कुराकर): आई लव यू टू बेटा! इसके बाद अयाना ने यूँ ही कुछ देर अपनी माँ से बातें की और फिर फ़ोन रखने के बाद उसने आरव को फ़ोन किया। आरव से बातें होने के बाद यूँ ही छोटे-मोटे काम निपटाते हुए आखिर कब रात हो चली पता ही नहीं चला और वह सोने चली गई। अगले दिन वक़्त से ही अयाना ऑफ़िस पहुँच गई और देवांश के कहे अनुसार उसके मैनेजर ने अयाना को सारे काम और चीज़ें बता दीं कि उसे क्या और किस तरह से मैनेज करना है। अयाना को सुबह ऑफ़िस में आने से लेकर शाम को जाने तक देवांश का सारा रूटीन मैनेज करना था, उसकी मीटिंग्स, उनका शेड्यूल और उसके कामों की सारी ज़िम्मेदारी अयाना को ही दी गई थी। और देवांश के केबिन में ही एक कॉर्नर पर अयाना की टेबल सेट कर दी गई थी ताकि वह देवांश का काम और शेड्यूल अच्छे से सेट कर सके। पहले ही दिन से अयाना ने अपना काम बड़ी लगन और मन से किया और बहुत ही जल्दी वह अपने काम को समझ भी गई थी और पूरी लगन के साथ उसमें जुट भी गई थी। अयाना का ऑफ़िस में पहला दिन अच्छा ही गुज़रा और शाम को उसने घर जाकर कशिश और अपनी माँ को एक्साइटेड होकर ऑफ़िस के पहले दिन की हर एक बात बताई। क्योंकि आरव से उसने अभी तक इस बारे में कुछ नहीं कहा था और कशिश के कहने से ना ही उसे ये बताया था कि उसे जॉब मिल चुकी है तो इसीलिए उसने जॉब के बारे में आरव से कोई बात नहीं की थी। देखते ही देखते अयाना को ऑफ़िस ज्वाइन किए हुए एक हफ़्ता गुज़र चुका था और इस एक बीते हफ़्ते में अयाना ने अपने काम और अपनी ड्यूटी को बखूबी संभाल लिया था और वह पूरी लगन के साथ अपने काम में जुट गई थी और बहुत जल्दी अपने काम सीख भी गई थी। उसने अब तक किसी को भी एक मौका नहीं दिया कि कोई उसके काम में कोई नुक्स या गलती निकाल पाए। रोज़ की तरह अयाना ने अपना काम निपटाया और वापस जाने के लिए ऑटो पकड़कर घर के लिए निकल गई। लेकिन जैसे ही वह घर पहुँची तो हैरान रह गई क्योंकि आरव वापस लौट चुका था और यह बात अयाना बाहर खड़ी आरव की गाड़ी को देखकर ही समझ चुकी थी। अब तक अयाना ने कशिश के कहने पर ही सही, लेकिन उससे अपनी जॉब की बात छुपाकर रखी थी, लेकिन क्योंकि अब वह सामने आ चुका था तो वह अब उससे यह बात और नहीं छुपा सकती थी और उसे यह भी पता था कि आरव ये बात छुपाने के लिए उस पर नाराज़ भी होगा कि उसने उसे यह बात आखिर पहले बताई क्यों नहीं थी। कुछ पल अपनी ही सोच से उलझती अयाना वहीं खड़ी रही और आखिर में गहरी साँस लेकर घर के अंदर की ओर बढ़ गई जहाँ पर आरव मौजूद था और कशिश से सवाल कर रहा था। क्योंकि आरव की पीठ दरवाजे की ओर थी इसीलिए उसने अयाना को आते हुए नहीं देखा था। आरव (गंभीर लहजे से): मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ कशिश, बताओ मुझे कि कहाँ है आयु? कशिश सोच ही रही थी कि आखिर वह आरव को अब क्या जवाब देगी, तभी उसकी नज़र दरवाजे पर खड़ी अयाना पर पड़ी और जैसे उसकी साँस में साँस आई और उसने झट से अपनी चुप्पी तोड़ी। कशिश (दरवाजे की ओर इशारा करते हुए): ये बात अब तुम खुद अपनी आयु से ही पूछ लो! आरव (झट से पीछे मुड़कर अयाना के पास जाकर): कहाँ थी तुम? और इस वक़्त कहाँ से आ रही हो तुम? अयाना (थोड़ी नर्वस होते हुए): वो मैं… दरअसल आरव… मैंने… वो… आरव (अयाना की ओर देखकर): बोलो आयु, बात क्या है आखिर? अयाना (एक गहरी साँस ले कर एक साँस में): दरअसल मैं ऑफ़िस से आ रही हूँ। मैंने कुछ दिन पहले जॉब ज्वाइन कर ली है!

  • 20. \"His doll\"..... (Beyond the possession) - Chapter 20

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    आरव (अयाना की ओर देखकर): बोलो आयु, बात क्या है आखिर? अयाना (एक गहरी साँस लेकर एक साँस में): दरअसल, मैं ऑफिस से आ रही हूँ… मैंने कुछ दिन पहले जॉब ज्वाइन कर ली है…!! अयाना की बात सुनकर आरव ने कुछ पल तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह बस एकटक उसकी ओर खामोशी से देख रहा था, मानो जैसे उसके शब्दों को अपने दिमाग में प्रोसेस करने की कोशिश कर रहा था। और आखिर में, जैसे ही उसने अयाना के शब्दों को भली-भाँति समझा, अयाना को भी तुरंत इस बात का एहसास हो गया। क्योंकि कुछ पल बाद ही अचानक आरव के चेहरे के भाव गुस्से भरे और सख्त हो गए। अयाना जानती थी कि आरव को जब भी इस बात का पता चलेगा, तो उसका यही रिएक्शन होगा। इसलिए अयाना उसके इस रिएक्शन के लिए पहले से ही मानसिक रूप से तैयार थी। और आखिर में, कुछ पल बाद आरव ने अपनी चुप्पी तोड़ी। आरव (नाराजगी भरे भाव से): ऑफिस??… जॉब???… कैसा ऑफिस???… और कैसी जॉब???… और आखिर कब ज्वाइन की तुमने ये जॉब???… और कहाँ??? अयाना (आरव की ओर देखकर सामान्य भाव से): लगभग एक हफ़्ते पहले मैंने यह जॉब ज्वाइन की है।!! आरव (नाराजगी भरे भाव से): एक हफ़्ते पहले????… और यह बात तुमने मुझे बताना तक भी ज़रूरी नहीं समझी। रोज़ हमारी बातें हो रही थीं ना… और फिर भी तुमने इस बात का ज़िक्र तक नहीं किया… क्यों??? अयाना (एक पल को अपनी आँखें बंद करके सामान्य भाव से): क्योंकि मैं नहीं चाहती थी आरव… कि तुम वहाँ रहकर अपसेट हो… या फिर नाराज़ हो… मैं चाहती थी कि तुम वापस आ जाओ… मैं तब तुम्हें अच्छे से यह बात बताऊँ। आरव (नाखुशी भरे भाव से): ओह!… तब मैं अपसेट होता… और जैसे अब तो मैं इस खबर को सुनकर बहुत खुश हुआ हूँ ना!! अयाना (एक गहरी साँस लेकर): बस यही वजह थी आरव… कि मैं तुम्हें नहीं बताना चाहती थी… क्योंकि मुझे पता था… तुम्हारा यही रिएक्शन होगा। आरव (नाराजगी भरे भाव से): यही रिएक्शन से क्या मतलब है तुम्हारा? कशिश (आरव को समझाने की कोशिश करते हुए): आरव, देखो अयाना जो जॉब कर रही है… वह बहुत अच्छी जॉब है… और… आरव (कशिश को टोकते हुए): यह मेरा और अयाना का पर्सनल मैटर है… तो प्लीज़ तुम बीच में इंटरफेयर ना करो… इससे दूर ही रहो। कशिश ने आरव की बात सुनी, तो उसने एक नज़र नाराज़गी से आरव की ओर देखा, और फिर बिना रुके अंदर की ओर चली गई। हालाँकि अयाना ने उसे रोकने की कोशिश की थी, लेकिन नाराज़गी के चलते कशिश ने उसे अनसुना कर दिया और वहाँ से चली गई। अयाना (हल्की नाराज़गी से): यह क्या तरीका था आरव… कशिश से बात करने का… दोस्त है वह हमारी… तुम उसे ऐसे कैसे ट्रीट कर सकते हो? आरव (बिना किसी अफ़सोस को ज़ाहिर किए): मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत किया है। मुझे नहीं पसंद है कि तुम्हारे और मेरे बीच में… कोई भी… कोई भी मतलब कोई भी… किसी भी तरह की दखलअंदाज़ी करें… फिर चाहे वह हमारा दोस्त हो… या रिश्तेदार… मुझे नहीं पसंद तो नहीं पसंद। अयाना (नाखुशी भरे भाव से): आरव, तुम ऐसे कैसे… आरव (अयाना की बात को बीच में ही काटते हुए): कहाँ जॉब करती हो तुम?… और क्या जॉब करती हो तुम वहाँ? अयाना (हल्की नाराज़गी से एक गहरी साँस छोड़कर): सिंघानिया इंडस्ट्रीज़ में… (एक पल रुककर)… एज़ अ सेक्रेटरी… मैं वहाँ अपॉइंट की गई हूँ। आरव ने अयाना की बात सुनी, तो उसकी नाराज़गी गुस्से में तब्दील हो गई, और गुस्से से उसने अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। आरव (गुस्से से लगभग चिल्लाकर अयाना की ओर देखकर): तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। आर यू आउट ऑफ़ योर माइंड??… पहले तो तुम्हें जॉब की कोई ज़रूरत ही नहीं थी… और ठीक है, फिर भी तुम्हें जॉब करनी थी… तो मैंने तुम्हें कहा था ना… कि डैड की कंपनी ज्वाइन कर लो… लेकिन नहीं… वहाँ तुम्हारी सो कॉल्ड सेल्फ रिस्पेक्ट आ गई… लेकिन अब जो तुमने किया है… (गुस्से भरी गहरी साँस लेकर)… सिंघानिया इंडस्ट्रीज़… जस्ट… व्हाट द हेल… तुम्हें पूरे शहर में एक वही कंपनी मिली थी… तुम… (गुस्से से गहरी साँस छोड़कर)… तुम कल के कल ही इस जॉब से रिजाइन करोगी… एंड डिस्कशन इज़ ओवर। अयाना (गंभीर भाव से अयाना की ओर देखकर): मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगी आरव। आरव (अयाना की बात सुनकर सख्त भाव से उसकी ओर देखकर): व्हाट डिड यू से?… क्या कहा तुमने? अयाना (पूरे आत्मविश्वास के साथ): हाँ, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगी आरव… और आखिर प्रॉब्लम क्या है तुम्हें मेरे जॉब करने से… और इतनी छोटी सी बात के लिए… तुम इतना ओवररिएक्ट क्यों कर रहे हो? आरव (अयाना की ओर देखकर नाराज़गी से): मैं कर रहा हूँ ओवररिएक्ट या तुम बेकार की ज़िद कर रही हो। अयाना (आरव को समझाने की कोशिश करते हुए): लेकिन आरव, तुम… आरव (अपनी हथेली अयाना को दिखाकर): मुझे कुछ भी नहीं सुनना आयु… मैं कह चुका हूँ… तुम यह जॉब नहीं करोगी… मतलब नहीं करोगी… एंड दैट इज़ फ़ाइनल। अयाना (नाराज़गी भरे लहजे में): लेकिन क्यों नहीं कर सकती आखिर मैं यह जॉब? आरव (नाखुशी भरे भाव से): क्योंकि मैं मना कर रहा हूँ तुम्हें। अयाना (नाराज़गी भरे लहजे से): तो फिर ठीक है… अगर बात सिर्फ़ तुम्हारी ईगो से जुड़ी है… तो फिर बात अब मेरी ज़िद से भी जुड़ी है… और मेरी भी ज़िद यह है कि मैं किसी कीमत यह जॉब नहीं छोड़ूँगी। आरव (सख्त भाव से): मेरे लिए भी नहीं… हमारे रिश्ते के लिए भी नहीं? अयाना (आरव की बात सुनकर एक पल को उमड़ते जज़्बात के बाद): तुम मेरी जॉब को हमारे रिश्ते के साथ जोड़ रहे हो? आरव (गंभीर भाव से): क्योंकि तुम मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही हो। अयाना (एक पल बाद नाराज़गी से अपनी चुप्पी तोड़ते हुए): तो फिर ठीक है… मैं तुमसे प्यार करती हूँ आरव… और यह बात मुझे किसी को… या तुम्हें भी प्रूफ़ करने की कोई ज़रूरत नहीं है… (एक गहरी साँस लेकर)… अगर तुम मेरी जॉब को हमारे रिश्ते के बीच ला रहे हो… तो वह तुम्हारी प्रॉब्लम है… लेकिन मेरे लिए दोनों चीज़ें बिल्कुल अलग हैं। आरव (नाखुशी भरे लहजे से): तो तुम यह जॉब नहीं छोड़ोगी? अयाना (गंभीर भाव से): नहीं। आरव (सख्त भाव से): तो फिर ठीक है… अब फ़ाइनली फ़ैसला कर ही लो… या तो यह जॉब… या तो फिर मैं… और हमारा रिश्ता? अयाना (अविश्वास भरी हैरानी से): आरव… तुम ऐसी घटिया शर्त रख भी कैसे सकते हो मेरे सामने? आरव (बिना किसी भाव के): जब तुम्हें मेरी फ़ीलिंग्स… मेरे जज़्बातों से ज़्यादा उस सो कॉल्ड जॉब की पड़ी है… तो फिर अब मुझे भी यह जानना है… कि आखिर मेरी कितनी और क्या वैल्यू है तुम्हारी लाइफ़ में… तो बताओ आयु… क्या ज़्यादा अज़ीज़ है तुम्हें मैं… या तुम्हारी जॉब?……