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कुछ नए किरदार, कुछ पुरानी पहचान। अग्नि सिंह राठौड़ एक बार फिर से पूरी दुनिया में तबाही मचाने, 30 साल बाद, बर्लिन पहुँचा था।
गोदाम के अंदर तीन लोग बैठे थे; एक आदमी जमीन पर तड़प रहा था, उसके शरीर से खून बह रहा था। दो गार्ड उसे बुरी तरह पीट रहे थे; उसके शरीर पर जगह-जगह से खून निकल रहा था।
वहाँ बैठे तीन शख्स के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उनमें से एक आदमी हाथ में शराब घुमाते हुए, आराम से सीप ले रहा था, जैसे यह सब देखकर उसे सुकून मिल रहा हो।
अंधेरे में उस शख्स का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था। तभी उसके बगल में बैठा एक लड़का, जो करीब उसी की उम्र का था, अपनी ठंडी आवाज़ में बोला, "आखिर तुम्हें कैसे पता चला कि हमारे ही गैंग में, हमारे ही न्यूज़ को कोई लीक कर रहा है?"
अग्नि सिंह राठौड़, वह था जो उड़ते हुए पंछी के पर भी गिन लेता था। यहाँ तो दुश्मनी भी दोस्ती निभाकर की जा रही थी। जितना मैं अपने दोस्तों की खबर नहीं रखता, उतना मुझे अपने दुश्मनों की खबर थी। After all, मैं अग्नि सिंह राठौड़ हूँ। राठौड़ कभी भी किसी पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करता था। पर आँखें खोलकर जब वह किसी इंसान को देखता था, तो उसकी आँखों से, उसके मन में चल रही सोच, उसके हर एक ब्लड सेल को गिन सकता था।
अग्नि के चेहरे पर एक स्मर्क था।
वहाँ बैठा एक लड़का, जो लगभग ड्रंक हो चुका था, नशीली आवाज़ में बोला, "पर ब्रो, अगर आपको गलती से भी किसी से प्यार हो गया, तो? तब आप क्या करेंगे? तब भी अग्नि सिंह राठौड़ यही रहेगा?"
उसकी आवाज़ नशे में चूर थी। वह लुढ़ककर अपना चेहरा टेबल पर रख, अंधेरे में बैठे अग्नि की ओर देखता था।
अग्नि ने अपने हाथ में पकड़ा वाइन का ग्लास टेबल पर रख, खड़ा हो गया। अपने कोट के बटन ठीक करते हुए बोला, "अग्नि सिंह राठौड़ को किसी से इश्क हो, ऐसा कोई दुनिया में पैदा नहीं हुआ। और जिस दिन अग्नि सिंह राठौड़ को इश्क हुआ, वह अग्नि सिंह राठौड़ नहीं..." बोलते हुए वह उठकर पीट रहे आदमी के पास आया और उसके बालों को बेरहमी से पकड़, वहाँ बनी दीवार से उसके सिर को फोड़ दिया। उसके चेहरे पर एक संतुष्टि थी, जो अंधेरे में धुंधली होती जा रही थी।
अग्नि उस आदमी को देखते हुए सीधा खड़ा हो गया। गार्ड के पास आकर, अपने कपड़ों से हाथ साफ करते हुए बोला, "जो चीज़ ज़्यादा शोर करे, उसे हमेशा के लिए खामोश कर देना चाहिए। ज़्यादा शोर करने वाली चीज़ मुझे बर्दाश्त नहीं।"
बोलते हुए उसने अपने कफ़लिंक ठीक किए और सीधा बाहर की ओर कदम बढ़ा दिया।
एक लड़का, जो आराम से सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा था, टेबल पर बेहोश होते लड़के की ओर देख, उसके सिर पर थप्पड़ मारते हुए बोला, "अबे ओ आरव के बच्चे, तू कोई दूध पीता बच्चा नहीं है, जिसे हमेशा गोदी में लेकर चलना पड़ेगा। उठकर चल। या फिर तुझे मैं यहीं छोड़कर जाऊँ। मुझसे हर बार नहीं होगा तुझे गोदी में लेकर जाना।"
वह लड़का, जो टेबल पर बेहोशी की हालत में पहुँच चुका था, छोटे बच्चों की तरह रेंगते हुए उस लड़के के पास आया और लगभग उसकी कमर में अपना मुँह छुपाते हुए बोला, "ताबिश भाई, यार प्लीज मुझे घर लेकर चलो ना। मुझे बहुत नींद आ रही है। और आज की रेसिंग के बाद मैं बहुत थक गया हूँ यार। रेसिंग के बाद आप लोगों ने मुझे वहाँ ट्रॉफी लाने भी नहीं जाने दिया और सीधा ये उठा लिया। आपको पता भी है वहाँ कितनी हॉट हॉट लड़कियाँ थीं, जो मुझे देखने के लिए पागल हो रही थीं, जो मुझे सीधा ऑफर कर रही थीं। पर भाई ने तो जैसे कसम खा रखी है, मुझे मक्खी की तरह उनके आसपास भटकने भी नहीं देंगे।"
उसकी आवाज़ रुआँसी होती जा रही थी।
ताबिश उसके बाल सहलाते हुए बोला, "अरे मेरे लाला, तू शायद भूल रहा है। कल तुझे घर वापस जाना है। तो तू अपनी अय्याशी को अपनी पैंट के पीछे वाले पॉकेट में डालने की ज़रूरत है। तू जहाँ जाने वाला है ना, वहाँ तुझे लड़कियाँ क्या, तुझे बच्चे भी देखने को नहीं मिलेंगे। तुझे पता है ना तू कहाँ जाने वाला है, मेरे लाल?" बोलते हुए वह उठा और आरव को अपनी गोद में उठा लिया।
आरव छोटे से बच्चे की तरह उसके गोद में सिमट गया। "ताबिश भाई, आई लव यू। आप मेरे भाई से भी ज़्यादा अच्छे हो," उसने उसके गाल पर किस करते हुए कहा, और उसके कंधे पर लुढ़क गया।
ताबिश अपना सिर हिलाते हुए उसे सीधा बाहर लेकर आया और बाहर खड़ी बुगाटी में उसे लगभग पटकते हुए बैठा दिया, जैसे वह कोई बोरी हो। वह सीधा ड्राइविंग सीट पर बैठकर तेज़ी से गाड़ी आगे बढ़ा दी।
उसकी गाड़ी बर्लिन की सड़कों पर तेज़ रफ़्तार से भाग रही थी। कुछ देर बाद गाड़ी एक बड़े से मेंशन के पास आकर रुकी। उस मेंशन पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था: A.S.R. गाड़ी रुकते ही दरवाज़ा खुला। ताबिश गाड़ी अंदर लेकर आया। एक बार फिर से आरव को अपनी गोद में छोटे बच्चे की तरह उठाकर कमरे में ले आया।
वहाँ पर तीन मास्टर बेडरूम थे। ताबिश गहरी साँस ले, उसे बेड पर छोड़ते हुए बोला, "अब बिना ड्रामा किए सो जा।"
आरव छोटा सा मुँह बनाते हुए बोला, "ब्रो, मुझे नींद नहीं आती। प्लीज मेरे कपड़े उतार दो।"
ताबिश उसकी बात पर उसे बुरी तरह घूरते हुए बोला, "कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है मैं इसकी बीवी हूँ। जब देखो तब अपने कपड़े उतरवाता रहता है, साला कमीना कहीं का!" बोलते हुए उसने उसकी शर्ट निकालकर फेंक दी और खुद तेज़ कदमों से दूसरे कमरे की ओर चला गया।
अग्नि का कमरा।
अग्नि उस वक़्त शावर ले रहा था। उसने अपने दोनों हाथ बाथरूम की दीवार पर रखे थे और उसके ऊपर पानी चारों ओर से गिर रहा था। उसकी सख्त बॉडी धीरे-धीरे पानी से भीग रही थी; वह बहुत ही आकर्षक लग रहा था। वह धीरे से अपना सिर ऊपर कर, पानी की ठंडी बूँदों को अपने चेहरे पर महसूस करने लगा। उसका शरीर एकदम गरम था। उसकी आँखें अचानक बंद हो गईं। उसे कुछ महसूस हुआ, जैसे कोई उसे छू रहा हो। वह धीरे से अपनी आँखें खोली। उसके सामने एक लड़की थी जिसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था; उसकी नशीली आँखें एकदम गहरी थीं।
अग्नि एक झटके से उस लड़की को कमर से पकड़कर अपने नज़दीक कर बोला, "कौन हो तुम? क्यों मुझे परेशान कर रही हो? जब से तुम्हें महसूस कर रहा हूँ, तब से मैं पागल हो रहा हूँ, तुम्हें छूने के लिए। और तुम हर बार मेरे नज़दीक आकर मुझे भड़काकर चली जाती हो। मैं अग्नि हूँ, आग! आग की तरह गरम, जलाकर राख कर दूँगा। इस तरीके से मेरे नज़दीक मत आया करो।"
उसने उस लड़की को दूर धकेल दिया।
वह लड़की पीछे की ओर मुड़कर अग्नि की ओर देखते हुए बोली, "मुझे नहीं पता था कि आपको इतना ज़्यादा गुस्सा सिर्फ़ इस बात पर आएगा कि हमने आपकी नींद हराम कर रखी है। पर कोई बात नहीं, बहुत जल्द इस बेसब्री को, इस बेताबी को हम दूर करेंगे। आ रहे हैं हम आपसे मिलने।" बोलते हुए वह एकदम उसके नज़दीक आ गई।
अग्नि उस लड़की को बुरी तरह घूरने लगा। तभी बाहर से ताबिश की आवाज़ उसके कानों में पड़ी, "अग्नि! अंदर ही सोना है? बाहर आ, मुझे तेरे से कुछ इम्पॉर्टेंट बात करनी है।"
अग्नि, जो किसी और ही ख्याल में था, एकदम से अपने होश में वापस आया और इधर-उधर देखने लगा। वह बाथरूम में अकेला था। उसने गुस्से से मुट्ठी बनाते हुए सीधा दीवार पर मारा। उसकी नसें उभर आई थीं; उसकी नीली आँखें बहुत ही डरावनी लग रही थीं। उसकी आँखें एकदम समुद्र की तरह, जो कुछ वक़्त पहले शांत थीं, अब उन आँखों में ज्वालामुखी फूट रहा था।
एक बार फिर से दीवार पर हाथ मारते हुए बोला, "तुम जो कोई भी हो, कभी मेरे सामने मत आना, वरना मैं तुम्हारी जान ले लूँगा।" बोलते हुए वह कुछ देर शावर के ठंडे पानी को अपने जिस्म पर महसूस करता रहा और वापस एक तौलिया लपेटकर बाहर आ गया।
उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था।
बाहर ताबिश बेड पर बैठा हुआ था। वह अग्नि की उभरी हुई नसों को देखते हुए बोला, "क्या हुआ? अभी तक तो इतना रिलैक्स था, अचानक इतना गुस्सा कैसे?"
"I don't know who she is, where she is from, every time I see her she keeps me on my mind, if I find her I will kill her," अग्नि ने कहा।
ताबिश उसकी बात पर हँसते हुए उसका मज़ाक उड़ाने लगा, "पहली लड़की है जिसने तेरी नाक में दम कर रखा है। वरना तू ही तो था जो लड़कियों की रातों की नींद छीनकर बैठा है। ना जाने कितनी लड़कियों के दिल पर तू छाया रहता है। रात में वे सपनों में तेरे साथ ना जाने क्या-क्या करती होंगी। और एक तू है जो सिर्फ़ एक लड़की से परेशान है। ओ गॉड! तू लड़कियों की नींद हराम करता है, उनके साथ बेड पर फुल एन्जॉयमेंट करता है, और अब कुछ वक़्त से एक लड़की, जिसे तूने देखा ही नहीं है, वह तेरे दिमाग में किसी फ़ितूर की तरह छा रही है। ओ माय गॉड!"
ताबिश के चेहरे पर मुस्कान थी।
अग्नि ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ तौलिया, जिससे वह अपने बाल सुखा रहा था, लगभग उसके मुँह पर फेंकते हुए बोला, "अगर तुझे अपनी जान प्यारी नहीं है, तो तू मुझे बता दे, मैं अभी के अभी तेरी जान ले लूँगा!" बोलते हुए वह सीधा बाहर आ गया।
उसने इस वक़्त सिर्फ़ ट्राउज़र पहना हुआ था। उसके बाल हल्के गड़बड़ थे, जो माथे पर बिखरे हुए थे। उसकी मस्कुलर बॉडी रात में आकर्षक लग रही थी, ख़ासकर तब जब लाइट उसके बॉडी पर रिफ़्लेक्ट कर रहे थे। वहाँ पर कुछ गार्ड खड़े थे; वहाँ पर शूटिंग का सामान रखा हुआ था। एक गार्ड अपने सर पर बोतल लेकर खड़ा था; कुछ लोग अलग-अलग पोज़िशन में वहाँ पर बोतलें लेकर खड़े थे। अग्नि ने गन उठाई और बिना देखे लगातार शूटिंग करने लगा। उसका दिमाग बहुत ही ज़्यादा ख़राब था।
ताबिश, जो उसके पीछे आया था, उसे इस तरीके से शूटिंग करते हुए देखता रहा। सबको पता था अग्नि का निशाना कभी नहीं चूक सकता था। कुछ देर शूटिंग करने के बाद वह एकदम शांत हो गया और वहाँ रखी हुई टेबल पर टेक लगाते हुए बोला, "What is the news...?"
ताबिश ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ फ़ोन दिखाते हुए कहा, "यू नो व्हाट? कॉल आया था। वे चाहते हैं तुम वापस आओ।"
अग्नि ने साफ़ इनकार करते हुए कहा, "मैं नहीं जाने वाला हूँ।"
"पर अग्नि, तुझे जाना चाहिए। और तू जाना क्यों नहीं चाहता है?" ताबिश ने पूछा।
अग्नि उसे देखते हुए बोला, "Do you really think I need to answer any questions?"
ताबिश बिना कुछ कहे अंदर चला गया।
सुबह का वक़्त था। अग्नि अपनी बालकनी में खड़ा हुआ था; वह उगते हुए सूरज को देख रहा था। उसकी आँखों में आग जल रही थी। वह काफी देर तक वैसे ही खड़ा रहा। तभी पीछे ताबिश उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "तुम सोए नहीं? या फिर आज फिर किसी लड़की ने पूरी रात तेरी नींद हराम कर दी?"
अग्नि एकदम से पीछे मुड़ा। उसकी आँखें एकदम लाल थीं। उसे देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उसने एक पल के लिए भी अपनी पलकें झपकाई हों। वह डरावनी आँखों से उसे देखते हुए सीधा कमरे के अंदर की ओर कदम बढ़ा दिया।
कुछ देर बाद वे तीनों लोग हेलीपैड पर खड़े थे। तीनों ने ही ब्रांडेड एविएशन सूट पहना हुआ था। अग्नि ने अपनी आँखों में काले रंग के शेड्स लगाए हुए सबकी ओर देखते हुए कहा, "If anything happens here, it will be just one and now I have come to know that you people have done something in my absence and you will all lose your lives." गार्ड सर हिला देते हैं।
कुछ देर बाद वे लोग अंदर बैठे हुए थे। अग्नि बिना किसी भाव के लैपटॉप पर उंगलियाँ चला रहा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई मीटिंग अटेंड कर रहा हो। ताबिश भी अपने फ़ोन को स्क्रॉल कर रहा था। और आरव था जो अपने पूरे तन-मन से सो चुका था।
वहीं दूसरी ओर, इंडिया में एक बड़े से आलीशान विला के अंदर एक अंधेरे कमरे में एक आदमी, जिसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, वह स्विंग वाली चेयर पर बैठा हुआ था। चेयर लकड़ी की थी, जिसकी वजह से उस कमरे में आवाज़ गूंज रही थी। कुछ देर बाद वह आदमी उठकर उजाले में आया। उसकी एक आँख में कपड़ा बाँधा हुआ था; सिर्फ़ उसकी एक आँख दिख रही थी जिसमें उसने चश्मा लगा रखा था। उसके सामने एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी।
उसके सामने खड़े होते हुए बोला, "हवेली का अंश वापस आ रहा है। और इस वापसी को मैंने अंत में बदल दिया है। मैं भी राठौड़ का खून हूँ।" बोलते हुए उसने वहाँ रखा हुआ फ़ोन उठाया और किसी को फ़ोन करते हुए बोला, "कल सुबह वे लोग आ जाएँगे और उसके बाद उनकी आखिरी साँस छीनने का काम तुम्हारा है। अगर गलती से भी ज़िंदा बचे, तो तुम ज़िंदा नहीं रहोगे।" फ़ोन काट दिया।
उस कमरे में एक गहरी ख़ामोशी छा गई। वह कमरा एक बार फिर से अंधेरे में डूब गया।
राठौर हवेली, लखनऊ की जानी-मानी हवेली थी; उनका शहर में सिक्का चलता था। और आज उनका पोता, बीस साल बाद, घर लौट रहा था। इस खुशी में पूरे शहर को सजा दिया गया था। उसकी गाड़ियों का काफिला कुछ ही देर में निकलने वाला था। हर तरफ़ धूमधाम थी।
ठाकुर हवेली में चार चाँद लग चुके थे; हर तरफ़ अफरा-तफरी मची हुई थी। सभी लोग काम में लगे हुए थे। उन्हीं के बीच में एक लड़की, अपने हाथ में एक बड़ी-सी थाल लेकर, इधर से उधर चलती हुई आ रही थी। वह थाल काफ़ी भारी लग रही थी। उस लड़की ने लहँगा पहना हुआ था और ऊपर चोली पर दुपट्टा ओढ़ा हुआ था; लंबे बाल खुले छोड़ रखे थे। ख़ूबसूरत काली आँखें, जो उस थाली के ऊपर से दिखाई दे रही थीं, में गहरा काजल भरा हुआ था; उसकी आँखें बेहद चमकदार थीं। वह बेहद हसीन लग रही थी। गहरे काले आँखों के कारण उस लड़की का पूरा चेहरा साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था। वह इधर-उधर सब की तरफ़ देखते हुए सीधा सोफ़े के पास आई और उस थाल को टेबल पर रखते हुए बोली, "आंटी, यह सब क्या हो रहा है? आज इतना ज़्यादा शोर-शराबा? मेहमान आ रहे हैं क्या? या फिर कोई ख़ास इंसान आने वाला है?"
एक अधेड़ उम्र की औरत, जिसने काफ़ी क़ीमती साड़ी पहनी हुई थी और हल्के गहने पहने हुए थे, बालों का बन बना रखा था, बीच की माँग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र था, आँखों में बेहद चमक लिए, उस लड़की के सर पर हाथ रखते हुए बोली, "हाँ बेटा, आज हमारा बेटा, आखिरकार, घर आ रहा है। बीस साल बाद।"
वह लड़की, जो अभी अपनी आँखों में चमक लिए इधर-उधर देख रही थी, जैसे ही उनकी बात सुनती है, उसका शरीर धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगता है। आँखों की चमक फीकी सी हो गई थी। वह औरत उस लड़की के सर पर हाथ रखते हुए पूछी, "क्या हुआ जिया? आप परेशान लग रही हैं। कोई समस्या है?"
वह लड़की, जिसका नाम जिया था, वह जल्दी से अपना सर हिलाते हुए, अपने लहँगे को मुट्ठी में भरते हुए बोली, "नहीं आंटी, व...व...ह...हाँ, हमें याद आया, आज सोमवार है ना? तो दादी ने कहा था मंदिर जाने के लिए, तो हम मंदिर जाती हैं!"
वह औरत जिया की तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए बोली, "बेटा, रुकिए तो सही, पहले हमारी बात सुनिए, उसके बाद जाना।"
जिया एक पल के लिए रुकी। उसने अपनी आँखें बंद कर गहरी साँस ली।
तभी अवनी जी उसके हाथ में कुछ सामान रखते हुए बोलीं, "बेटा, आप मंदिर जा रही हैं, तो कृपया इसे मंदिर में भगवान की मूर्ति के नीचे रख देना। आप बस हमारा इतना-सा काम कर देंगी ना, अगर आपको परेशानी न हो।"
जिया जल्दी से उनकी तरफ़ पलटते हुए बोली, "आंटी, आप कैसी बातें कर रही हैं? इसमें क्या परेशानी है? हम यूँ ही गई और यूँ ही आएंगी। और हाँ, दादी से थोड़ा-सा बोल देना कि हम सीधे शाम को ही घर आएंगी, हमें थोड़ा-सा काम है।"
अवनी जी जिया के सर पर हाथ रखते हुए बोलीं, "अपना फ़ोन बंद मत करना और पहुँचने के बाद कॉल कर देना।"
जिया खुशी-खुशी वहाँ से निकल गई।
लखनऊ एयरपोर्ट।
चमचमाती हुई गाड़ियों का काफ़िला लगा हुआ था, जो गाड़ी एक्सीलेरेट होने की वजह से स्पीड पकड़ चुकी थी। कुछ ही देर बाद गाड़ियों का काफिला सड़क पर आ गया था। गाड़ियों की स्पीड बहुत तेज थी; वे गाड़ियाँ वहाँ पर बने हुए मंदिर के काफ़ी नज़दीक पहुँच चुकी थीं। अचानक, उनके आगे-पीछे चल रही गाड़ियाँ एकदम से रुक गईं।
अग्नि, जो अपनी सीट पर बैठा हुआ था, अचानक गाड़ी के असंतुलित होने से उसका हाथ का फ़ोन गिर गया। उसकी आँखें लाल हो गईं; उसके दाँत कस गए। दबी हुई आवाज़ में उसने कहा, "Don't you dare love your life that you are driving like this?"
ड्राइवर, अग्नि के अचानक चिल्लाने से घबरा गया था। माथे पर पसीना आ गया था। उसने कहा, "सर, सर, किसी ने... किसी ने हमला किया है। आगे वाली गाड़ी पर। इसलिए गाड़ी का बैलेंस बिगड़ गया।" वह अपना सर झुका लेता है।
अग्नि अपना चेहरा थोड़ा-सा साइड करता है और सामने की तरफ़ देखता है, जहाँ पर रास्ता खाली था, और करीब तीन सफ़ेद कलर की चमचमाती हुई गाड़ियाँ खड़ी हुई थीं। उनमें बीच वाली गाड़ी पर एक आदमी बैठा हुआ था; उसने पीले कलर का कुर्ता और सफ़ेद पजामा पहना हुआ था, ऊपर कुछ रुद्राक्ष डाले हुए थे, एक लंबा तिलक लगा रखा था, मुँह में पान भरा हुआ था जिससे उसके होंठ एकदम लाल हो चुके थे। अग्नि कुछ देर उस शख्स को देखता रहा।
वह शख्स तेज आवाज़ में कहा, "लगता है भैया, हमको जरा भूल गए हैं। कोई बात नहीं! आप बाहर आ जाइए भैया, जरा हम भी तो आपके तनिक दर्शन ले लें।" बोलते हुए वह एक गाड़ी के पीछे खड़ी हुई गाड़ी को बहुत ही गंदे तरीके से देख रहा था।
अग्नि, जो अभी गाड़ी में बैठा हुआ था, ने दरवाज़ा खोला। तभी ड्राइवर के बगल में बैठा हुआ अग्नि का असिस्टेंट, जो उसे देख रहा था, मना करते हुए कहा, "सर, प्लीज़ आप गाड़ी से बाहर मत..."
अग्नि एकदम से उसकी तरफ़ पलटता है। उसकी लाल आँखें देखकर असिस्टेंट, अरमान, एकदम से घबरा जाता है और अपना सर झुका लेता है। अग्नि गाड़ी से बाहर निकलकर अपने कोट के बटन ठीक करते हुए सीधा गाड़ी के सामने खड़ा हो जाता है और उस शख्स को गहरी नज़रों से देखते हुए अपने क़दम उस तरफ़ बढ़ा देता है। जैसे-जैसे अग्नि क़दम बढ़ा रहा था, वैसे ही गाड़ी तेज़ी से ब्लास्ट होती है।
वह शख्स, जो अभी तक अपनी गाड़ी के बोनट पर बैठा था, गाड़ी ब्लास्ट होने से सीधा गाड़ी से नीचे गिर जाता है और अपनी गाड़ी को पलट कर देखने लगता है।
अग्नि एक क़दम और उसकी तरफ़ बढ़ता है। उसके साथ एक बार फिर से गाड़ी ब्लास्ट होती है। तभी पीछे से कुछ गाड़ियाँ और आ जाती हैं। अग्नि रहस्यमयी मुस्कान के साथ उस आग को देख रहा था।
अग्नि अपनी नज़र जमीन पर गिरे हुए शख्स पर डालते हुए कहा, "अग्नि सिंह राठौर के स्वागत में धमाका नहीं हुआ तो क्या बात! अग्नि सिंह राठौर आया और उसके स्वागत में जश्न की तैयारी भी हो गई, और धमाके भी!" बोलते हुए उसके चेहरे पर टेढ़ी मुस्कराहट आ जाती है।
वहीं अग्नि के पीछे गाड़ी में ताबिश और आरव बैठे हुए थे। अचानक से गाड़ी रुकने पर वे दोनों भी बाहर आ जाते हैं।
जिया, जो अभी-अभी मंदिर से बाहर आई थी, अचानक से ब्लास्ट होते देख जल्दी से दूसरी तरफ़ से निकलने लगती है। उसने अपने दुपट्टे से अपने चेहरे को ढँका हुआ था; वह टेढ़ी नज़रों से देखते हुए आगे की तरफ़ बढ़ रही थी।
जहाँ एक साइड आग जल रही थी, वहीं आसमान में बादल तेज़ी से गरजने लगते हैं। अग्नि अपने दोनों हाथ फैलाए तेज आवाज़ में कहा, "अग्नि सिंह राठौर के आने की गवाही आज ये मौसम खुद दे रहा है; बादलों की गड़गड़ाहट तुझे देखने के साथ-साथ सुनाई भी दे रही है।" बोलते हुए वह अपने दोनों हाथ फैला लेता है, जिसके साथ ही तेज़ी से बारिश शुरू हो जाती है। अग्नि उस बारिश में भीग रहा था।
वहीं जिया, जो धीरे-धीरे वहाँ से निकल रही थी, अग्नि का नाम सुनकर वह एक पल के लिए रुक जाती है और अग्नि की तरफ़ देखने लगती है। उसे अग्नि का चेहरा नज़र नहीं आ रहा था; अग्नि उसके पीछे पीठ करके खड़ा था, उसका चेहरा ऊपर की तरफ़ था, जिसे जिया देख नहीं पा रही थी। फिर भी उसकी पर्सनैलिटी को देख उसे पूरे शरीर पर झुंझुरी महसूस होती है; उसका शरीर एक पल के लिए काँप जाता है। तभी कोई उससे टकराता है, जिसके साथ उसके हाथ में पकड़ा सामान गिर जाता है। उसे शांत जगह के अलावा बारिश और एक शोर सुनाई देता है। सबकी नज़र उस तरफ़ चली जाती है। अग्नि जिया की तरफ़ पलटता है।
जिया, जो अभी नीचे झुककर सामान उठा रही थी, अग्नि की नज़र जिया पर जाकर रुक जाती है। बारिश में उसके लंबे बाल पीठ से चिपक गए थे; उसके कपड़े पूरी तरह से उसकी बॉडी को दिखा रहे थे; नीचे बैठने से जिया की कमर दिख रही थी; गोरी-सफ़ेद कमर बहुत ही आकर्षक लग रही थी; बारिश के पानी की बूँदें उसके सर से फिसलते हुए नीचे गुम हो रही थीं। वहाँ का माहौल शांत के साथ-साथ तीव्र हो गया था। जिया जल्दी-जल्दी काँपते हुए हाथों से अपने सामने खड़े आदमी का सामान बढ़ाते हुए हकलाते हुए कहा, "माफ़ कीजिए बाबा, ध्यान नहीं था, मेरा सॉरी। आप कहाँ जा रहे हैं? मैं...आपको छोड़ दूँ?"
वह आदमी उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा, "नहीं बेटा, हम ठीक हैं। आप बस अपना ध्यान रखें।" बोलकर वहाँ से चला जाता है।
जिया अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा, "यह हम क्या कर रहे हैं? हमें क्या हो रहा है?" बोलते हुए अपने हाथ को देखती है जो बहुत ज़्यादा काँप रहा था। वह दूसरे हाथ से अपने हाथ को पकड़कर गहरी साँस लेती है। वह धीरे से अपना सर टेढ़ा करती है। उसकी नज़र सीधे अग्नि की गहरी नीली आँखों से मिल जाती है। अग्नि की बाज़ जैसी नज़रों को खुद पर महसूस कर जिया को गला सूखता हुआ महसूस होता है। वह जल्दी से अपनी जगह से खड़ी हो वहाँ से जाने के लिए क़दम बढ़ाती है कि एक गोली सीधे उसकी आँखों के सामने आकर गुज़र जाती है। वह अपनी जगह पर मूर्ति की तरह जम गई थी; उसकी साँसें गले में ही रुक गई थीं।
वहीं दूसरी तरफ़, अग्नि के गार्ड्स सामने खड़े उस शख्स पर हमला कर देते हैं। उसके गार्ड्स एक-दूसरे को मार रहे थे; वहाँ पर सिर्फ़ गोलियों की आवाज़ गूंज रही थी। अचानक एक गोली सीधे जिया के बाजू को छूकर गुज़रती है। "आआह्ह्ह्ह्हह्ह!" उसके हाथ में पकड़ा हुआ सामान वहीं पर गिर जाता है; दर्द से उसकी चीख निकल जाती है।
उसकी चीख पर अग्नि की नज़र सामने खड़ी लड़की पर जाती है। कमर से पीछे से बंदूक निकालकर उसने शूटिंग शुरू कर दी। वहीं वह शख्स, जिसने गोली अग्नि की तरफ़ चलाई थी, वह सीधे जिया के कंधे को छूकर गई थी। अग्नि शूट करते हुए सीधे जिया के नज़दीक आकर उसकी कमर से पकड़कर घुमाते हुए सीधे साइड में ले आता है। उसे एक गाड़ी के पीछे बैठाते हुए कहा, "हिलना मत, यहाँ से..."
आरव और ताबिश, जो गार्ड्स को मार रहे थे, कुछ पल के शोर के बाद वह जगह एकदम सन्नाटे में तब्दील हो जाती है। जिया ने अपने एक बाजू को कसके पकड़ा हुआ था। जब एकदम से शांति छा जाती है, जिया शांति महसूस कर तुरंत निकलने की कोशिश करती है कि अचानक उसके सामने तीन बेहद हैंडसम पुरुष आकर खड़े हो जाते हैं।
जिया एकदम से पीछे की तरफ़ अपने क़दम लेती है कि उसके पैर लड़खड़ा जाते हैं; बारिश में भीगने की वजह से लहँगा थोड़ा भारी हो गया था, जिसमें उसके पैर लड़खड़ा गए थे; वह गिरती है; अग्नि सीधे उसकी कमर से पकड़कर खींच लेता है। अचानक खींचने की वजह से जिया उसकी तरफ़ खिंची चली जाती है। अग्नि, जो उसके ऊपर झुका हुआ था, के होंठ अचानक से जिया के होंठों को छूकर अलग हो जाते हैं। जिया की आँखें बड़ी हो जाती हैं और धड़कनें तेज़ हो जाती हैं।
उसके गीले बाल जो गाल से हल्के चिपक गए थे, बरसात की बूँदें उसके चेहरे पर किसी हीरे की तरह चमक रही थीं; गुलाब की पंखुड़ियों की तरह होंठों पर बारिश की बूँदें जमी हुई थीं; वह भीगी पलकों से अग्नि को देख रही थी; अग्नि उससे नज़र नहीं हटा रहा था। जिया से उसकी तीव्र नज़रें खुद पर बर्दाश्त नहीं होती; वह अपनी पलकें झुका लेती है।
अग्नि उसके कान के पास कुछ पल ठहरकर गहरी आवाज़ में कहा, "जब तुम्हें चलना नहीं आता, तो घर पर ही बैठना चाहिए था।"
जिया जल्दी से दूर होकर सर हिला देती है।
ताबिश, जो जेब से रुमाल निकालते हुए कहा, "तुम्हें तो चोट लगी है। चलो मैं तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलता हूँ।"
जिया जल्दी से अपने दो क़दम पीछे लेते हुए, सर झुकाकर धीमी आवाज़ में कहा, "नहीं, मैं ठीक हूँ। आप लोग जाइए।" बोलते हुए वह दूसरी तरफ़ अपने क़दम बढ़ाने लगती है।
आरव, जो उसे काफ़ी देर से घूर रहा था, उसे जाता हुआ देख चिल्लाकर कहा, "जियाआआआ!"
जिया, जिसके क़दम आगे की तरफ़ बढ़ रहे थे, वह एकदम से रुक जाती है। उसकी धड़कन तेज हो चुकी थी; उसने मुट्ठियाँ मज़बूत कर ली थीं; आरव की आवाज़ सुनकर उसे बहुत तेज़ गुस्सा आ रहा था; वह खुद से कहती है, "इस यमदूत ने मुझे पहचान लिया क्या?"
आरव उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है। जिया जो कुछ कहने के लिए मुँह खोल रही थी, उसे सामने देख अपने क़दम फिर से पीछे लेने लगती है। आरव जल्दी से उसका हाथ पकड़कर उसके चेहरे को लेफ़्ट, कभी राइट, कभी ऊपर, कभी नीचे कर घूरते हुए कहा, "तुम जिया ही हो, है ना? काली भूतनी! मुझे अच्छे से याद है, तुम ही हो।"
जिया जबरदस्ती की मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए, थोड़ा-सा दूरी बनाते हुए कहा, "आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। मैं प्रधानमंत्री हूँ, कोई जिया नहीं। और मैं आपको बिल्कुल नहीं जानती; पहली बार मिली हूँ।" वह आगे कुछ बोलती है कि उसके कान में बहुत डरावनी और ठंडी आवाज़ पड़ती है, "चुपचाप गाड़ी में बैठो, घर चल रहे हैं हम।"
जिया की बोलती हुई ज़बान गले में अटक जाती है। उसने एक बार भी पीछे पलटकर अग्नि को देखने की जहमत नहीं उठाई थी; उसका सर नीचे की तरफ़ झुका हुआ था; उसके हाथ-पैर काँप रहे थे; उसकी हालत साफ़ बता रही थी कि वह कितनी ज़्यादा ख़ौफ़ में है।
आरव जल्दी से जिया का हाथ पकड़ते हुए कहा, "हाँ भाई, मैं इसे अपनी गाड़ी में बैठा..." उसकी बात पर अग्नि एक भौं उठा लेता है। जिसे देख आरव जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए कहा, "तुम इसमें बैठो, हम लोग घर चलकर बात करेंगे। मैं पीछे वाली गाड़ी में हूँ।" बोलकर तुरंत भाग जाता है। वहीं ताबिश एक नज़र अग्नि को देखकर गाड़ी की तरफ़ क़दम बढ़ा देता है।
लखनऊ की सड़कों पर गाड़ियाँ तेज रफ्तार से दौड़ रही थीं, पर एक गाड़ी के अंदर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। अग्नि के दबदबे और उसकी नज़दीकी के कारण जिया खुद में सिमट चुकी थी; उसे ठीक से साँस तक नहीं आ रही थी। जैसे गाड़ी के अंदर का ऑक्सीजन लेवल ही गिर चुका हो, वह बहुत ही धीमे-धीमे साँस ले रही थी।
अग्नि अपने दबदबे भरे अंदाज़ में अपने फ़ोन को लगातार स्क्रॉल कर रहा था। गाड़ी के अंदर की गहरी शांति को तोड़ते हुए, जिया का फ़ोन रिंग करने लगा। उसके लहंगे में एक पॉकेट बनी हुई थी जिसमें फ़ोन था। उसके हाथ हल्के-हल्के काँप रहे थे; यह बात तो उसे भी समझ नहीं आ रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसने फ़ोन उठाने की कोशिश की, पर भीगने के कारण उसका फ़ोन हैंग हो गया और घबराहट में नीचे गिर गया।
अग्नि, जो अपने फ़ोन में व्यस्त था, उसकी नज़र जिया पर बरकरार थी। जिया जल्दी से फ़ोन उठाने के लिए नीचे झुकी, तो उसका सिर उठते समय सीधा सीट से लग गया। उसने अपना सिर पकड़ लिया। उसे इतना डर शायद पहली बार लगा था। ऊपर से अग्नि के साथ बैठना उसके लिए ऐसा था जैसे मरने के बाद उसे कढ़ाई में तला जा रहा हो। उसने खुद से कहा, "भगवान जी, आपने भी कहाँ फँसा दिया मुझे!" ऊपर से, फ़ोन उठ नहीं रहा था; वह और घबराने लगी। अब तक फ़ोन डिस्कनेक्ट हो गया था। उसने गहरी साँस ली और अपने फ़ोन को बंद कर दिया।
कुछ देर बाद, गाड़ी राठौर हवेली के सामने आकर रुकी। जिया बिना वक़्त गँवाए सीधा गाड़ी से उतरी और भागते हुए हवेली के दूसरे साइड चली गई।
हवेली में ढोल, शहनाई, नगाड़े बज रहे थे। अग्नि अपने दबदबे भरे अंदाज़ में गाड़ी से बाहर आया। उसके चेहरे पर ठंडापन बरकरार था। उसने उन सभी को एक नज़र देखने के बाद सीधा अंदर की तरफ़ कदम बढ़ा दिया। वहाँ का नज़ारा देखने लायक था, बेहद खूबसूरत, पर अग्नि को इन सबसे ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ रहा था। वह पहले ही भीग चुका था; उसकी काली शर्ट उसके बदन से चिपक चुकी थी, जिसमें उसका आकर्षक, कसा हुआ बदन साफ़ दिख रहा था।
हवेली के अंदर, अग्नि घर में मौजूद उन सभी लोगों को एक नज़र देखने के बाद सीधा अपने फ़्लोर पर चला गया, जिस पर किसी का भी जाना मना था।
अवनी जी, जो हाथ में थाल सजाकर लाई थीं, अग्नि को जाता हुआ देख उनका चेहरा मायूस हो गया। आरव और ताबिश उन्हें देखने के बाद सर हिला दिए।
ताबिश उनके पास आकर बोला, "आंटी, आप क्यों टेंशन ले रही हैं? आप तो जानती हैं ना उसको, कैसा है वो? ठीक हो जाएगा, आप चिल करो यार।" बोलकर उसने उनके गाल पर किस किया और वहाँ से चला गया।
ताबिश ओबरॉय कोई आम इंसान नहीं था; उसकी अपनी एक पर्सनालिटी थी। वह ओबरॉय एम्पायर का इकलौता वारिस था। वह ज़्यादातर अपने दोस्त के साथ रहना पसंद करता था। वह अग्नि का इकलौता बचपन का दोस्त था, या यूँ कहें कि जबरदस्ती बनाया गया दोस्त। वह भी अग्नि से कुछ कम नहीं था, पर अग्नि की तरह भी नहीं था।
रात का वक़्त था। सभी लोग डिनर करके अपने-अपने कमरों में जा चुके थे, पर अग्नि की कुर्सी हमेशा की तरह खाली थी। बहुत कम ही होता था कि वह उन लोगों के साथ डिनर करता था, पर आज भी वह कुर्सी खाली थी, जैसे वीरान सी।
वहीं बाहर गार्डन में, एक लड़की, एक साधारण सफ़ेद रंग का सूट और प्लाज़ो पहने, हाथ में फ़ोन को देखकर कभी मुस्कुरा रही थी, तो कभी उदास हो जाती। कभी उसके चेहरे पर जीत की मुस्कान आ जाती थी। वह पूरी तरह अपने फ़ोन पर लगी हुई थी। तभी कोई उसके सामने आ गया, जिससे टकराकर उसका फ़ोन हाथ से छूट गया और उल्टा होकर जमीन पर गिर गया।
वह लड़की सिर मसलते हुए बोली, "अंधे हो क्या? दिखता नहीं है तुम्हें...?" बोलते-बोलते वह खामोश हो गई।
सामने एक लड़का खड़ा था, जो उसी की उम्र का होगा। उसके हाथ में एक फ़ाइल थी। वह अपने दोनों हाथ सीने पर बाँधे उसे ही घूर रहा था। जिया उसे देख थोड़ी सी घबरा गई और जल्दी से अपने फ़ोन को उठाकर पॉकेट में रखते हुए बोली, "आप यहाँ?"
वह शख़्स उसकी बात पर उसकी गर्दन में हाथ लपेटते हुए बोला, "आप! मैं कब से आप में आने लगा? मुझे बताओगी ज़रा तुम।" बोलते हुए उसने उसकी नाक खींच दी।
जिया उसे कस के धक्का देते हुए बोली, "ये तुम क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे, दर्द हो रहा है।" बोलकर उसने उसे खुद से दूर कर दिया।
आरव आँखें घुमाते हुए बोला, "और तुम अंदर क्यों नहीं आई?"
जिया छोटा सा मुँह बनाकर बोली, "मेरा मन नहीं था, और तुम तो जानते ही हो ना। और हाँ, रात बहुत हो गई है। अब मैं चलती हूँ।" बोलकर वह आगे बढ़ गई।
आरव तुरंत उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया, जिससे जिया सीधे उसके सीने से जा लगी। उसने अपना सिर मसलते हुए कहा, "बेवकूफ़ आदमी! ये तुम क्या कर रहे हो? मुझे लग गया सीना, तुम्हारा या फिर अंबुजा सीमेंट से बनाया हुआ दीवार।"
"अरे ओ महान इंसान! ये 36 का डोला है, जिसे जिम में पसीना बहाकर बनाया है, जिसे तू ऐसा बोल रही है।" जिया का मुँह बन गया।
आरव वहाँ लगे झूले पर बैठ गया और उसे भी खींचकर अपने बगल में बैठाते हुए बोला, "यार ये बताओ हमारे जाने के बाद यहाँ पर क्या-क्या हुआ है? तुम्हारी शक्ल पर इतना तनाव क्यों है?"
जिया अपने फ़ोन में कुछ स्क्रॉल किया और अपना फ़ोन उसके सामने किया। आरव उसके फ़ोन को पहले तो घूरता रहा, फिर उसमें आए हुए मैसेज को पढ़ने लगा। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन थोड़े से अजीब हो गए।
जिया अपना फ़ोन वापस खींचते हुए बोली, "अब इतना भी क्या घूर रहे हो?"
"कुछ नहीं, मैं तो बस ये सोच रहा था कि जब दादी घर पर ही नहीं हैं तो तुम अकेले वहाँ क्या कर रही हो? वैसे भी तुम्हें अंधेरे से डर लगता है।"
जिया अपनी आँखें घुमाते हुए खुद से बोली, "नीली आँखों वाले बीस्ट के साथ रहूँगी क्या? नो, नेवर! अकेले रहना मंज़ूर है, पर उस शैतान के साथ रहना हरगिज़ नहीं, हम्म्म।"
वह खुद में बड़बड़ा रही थी।
आरव उसे खुद में बड़बड़ाता हुआ देख उबासी लेते हुए बोला, "नींद भी आ रही है तो मैं जाता हूँ।"
जिया उसे जाता हुआ देख बोली, "हाँ हाँ, बर्फ में सोने वाले एनीटाइम गोरिल्ला को नींद कैसे नहीं आएगी? जाओ जाओ, सो जाओ।"
वह वहीं बैठ गई और अपने फ़ोन को एक बार फिर से ऑन करके उसमें कुछ करने लगी। उसके चेहरे पर बराबर मुस्कान खिली हुई थी। वह इससे अनजान थी कि कोई उसे लगातार घूर रहा है और उस शख़्स की उभरी हुई नसें एकदम डरावनी हो चुकी थीं और उसका आभा और ज़्यादा दबदबा भरा हो चुका था।
वह इस तरह बैठी रही; वह कभी अपने हाथ को सीधा कर रही थी, तो कभी गर्दन को। उसे अंदाज़ा ही नहीं था कि कोई उसे खा जाने वाली नज़र से देख रहा है।
जिया, जिसके चेहरे पर बहुत ही प्यारी सी मुस्कान थी, कुछ देर बाद सिर ऊपर उठाकर उस गहरे आसमान को देखा। वैसे ही उसकी नज़र नीली आँखों वाले बीस्ट से जाकर मिल गई। जिया का गला सूख गया।
वह अपने सीने पर हाथ रखते हुए एकदम से खड़ी हुई और वहाँ से जाने के लिए अपने कदम बढ़ाए कि उसके कानों में एक डरावनी आवाज़ पड़ी, "रुको।" जिया एकदम ठिठक गई।
वह अपने शरीर को छोटी मुट्ठियों में भर लेती है। तभी अग्नि अपने कमरे से निकल बाहर आ गया।
उसके कमरे में जाने के लिए बाहर से ही एक रास्ता बनाया गया था क्योंकि अग्नि को लोगों से मिलना-जुलना पसंद नहीं था। वह रास्ता उसके कमरे से जुड़ा हुआ था जिससे वह सीधा उस कमरे से बाहर आ सकता था।
वह सीधा जिया के पीछे जाकर खड़ा हो गया। जिया अपनी जगह पर जम गई थी; उसे अपने और अग्नि के बीच बढ़ती हुई नज़दीकियाँ महसूस हो रही थीं। उसकी साँसें जैसे रुक चुकी थीं।
अग्नि बिल्कुल उसके कान के पास आकर बोला, "पहले से ज़्यादा खूबसूरत हो गई हो तुम।" बोलते हुए उसने अपना एक हाथ जिया के कंधे पर रख दिया।
जिया एकदम से पीछे की तरफ़ घूम गई। अग्नि तुरंत उसके कंधे से अपना हाथ नीचे सरकाकर लाया और उसके नाज़ुक से हाथ को पकड़कर मोड़ते हुए सीने से लगाकर खुद के नज़दीक कर लिया। जिया हल्का पीछे की तरफ़ हट गई। वह लगातार अपनी कलाई को छुड़ाने के लिए घुमा रही थी।
अग्नि उसके हाथ पर अपनी पकड़ और ज़्यादा मज़बूत करते हुए ऊपर से लेकर नीचे तक गौर से देखा और बिल्कुल उसके होठों के पास आकर बोला, "खूबसूरत तो बहुत लग रही हो।" बोलते हुए उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके बालों पर चलाते हुए उसके कान के पीछे कर दिया।
जिया सिहर गई और अपना हाथ छुड़ाते हुए घबराई आवाज़ में बोली, "ये आप, आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए मुझे, कोई देख लेगा।" वह काफी असहज लग रही थी।
अग्नि उसके नज़दीक आकर उसकी गर्दन पर नाक को धीरे-धीरे रगड़ा, "अभी आरव के साथ तो तुम्हें बहुत अच्छा लग रहा था, उसके साथ मुस्कुरा रही थी, और मेरे आने से इतना असहज क्यों हो रही हो? कहीं तुम्हें डर तो नहीं।" बोलते हुए उसने अपना चेहरा उसकी गर्दन से हटाया और उसकी पन्ना जैसी आँखों में देखने लगा।
जिया, जो अग्नि की तीव्र नज़रों को खुद पर महसूस कर रही थी और जिसे घबराहट हद से ज़्यादा हो रही थी, अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, "ये आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए, छोड़िए मुझे।" उसने कुछ पल ही उसकी आँखों में देखा और उसकी नज़रें झुक गईं।
अग्नि उसकी झुकी हुई नज़रों को देखकर अपने होठों के कोने पर दाँत गड़ा दिया। जिया एकदम हैरान हो गई; उसकी आँखें और बड़ी हो गईं। वह अग्नि को देखने लगी, जो गहरी और तीव्र नज़र से उसे ही देख रहा था। अग्नि ने उसे एकदम से छोड़ दिया; जिया ठिठक गई।
अग्नि उसके पास आकर बोला, "सर्वेंट होना यहाँ की। अब से मैं तुम्हें ज़िम्मेदारी देता हूँ; शाम की कॉफी और सुबह की कॉफी मेरे लिए तुम लेकर आओगी, और अगर तुम नहीं लेकर आई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
जिया उसकी बात पर धीमी आवाज़ में बोली, "ये आप क्या कह रहे हैं? मैं यहाँ की कोई सर्वेंट नहीं हूँ। यहाँ मेरी दादी काम करती हैं।"
उसकी बात पर अग्नि के कदम रुक गए। वह अभी तक पीठ करके ही खड़ा हुआ था; एक झटके से जिया की तरफ़ मुड़ गया। जिया उसे खुद की तरफ़ मुड़ता देख हल्का सा पीछे हो गई। अग्नि उसकी तरफ़ कदम बढ़ाने लगा; जिया उसे खुद की तरफ़ आता हुआ देख धीरे-धीरे अपने कदम पीछे लेने लगी। उसे अंदाज़ा भी नहीं हुआ कि कब उसका पैर वहाँ रखे हुए गमले पर लगा। वह गिरने लगी, उससे पहले अग्नि ने उसे कमर से संभाल लिया। जिया का हाथ उसके सीने पर आ गया।
अग्नि एक नज़र उसके नाज़ुक से हाथ को देखा और नीचे सिर झुकाकर जिया को देखा, जो घबराई नज़रों से पीछे रखे हुए गमले को देख रही थी; जो कैक्टस का पेड़ था। उसमें बहुत बड़े-बड़े काँटे निकले हुए थे। अग्नि उसके ऊपर झुक गया और उसके चेहरे पर आई हुई जुल्फों को कान के पीछे करते हुए बोला, "क्या हुआ? डर लग रहा है लिटिल बनी को?" उसकी आकर्षक आवाज़ सुनकर जिया के रोएँ खड़े हो गए।
वह एकदम से दूर होते हुए बोली, "ये आप, ये आप किस नाम से बुला रहे हैं हमें?"
अग्नि उसकी तरफ़ गहरी नज़रों से देखते हुए बोला, "ये तो कुछ भी नहीं, अभी तो शुरुआत है। इसके बाद न जाने किस-किस नाम से और बुलाना बाकी है।" बोलकर उसने अपने होठों को उसके कंधे पर हल्का सा रगड़ा।
जिया एकदम से सिहर गई। अग्नि ने उसे अपनी तरफ़ मोड़ दिया; उसकी नज़र जिया के चेहरे पर बरकरार थी। जिया के चेहरे पर ठंडा पसीना उभर आया था और पसीने की बूँदें उसके माथे से होते हुए सीधा उसकी ठोड़ी पर आ गईं।
अग्नि गहरी आवाज़ में बोला, "तुम्हारी सज़ा का वक़्त शुरू हो चुका है क्योंकि अग्नि सिंह राठौर वापस आ गए हैं। झूठ बोला था ना तुमने? अब इस झूठ की आग में, मैं तुम्हें इस हद तक जलाऊँगा कि जलन भी बहुत होगी, पर तुम्हारे इन नरम होठों से उफ़्फ़ तक नहीं निकलेगी।" बोलते हुए उसने अँगूठे से जिया के नरम मुलायम होठों को दबा दिया।
जिया की हल्की सी सिसकी निकल गई। अग्नि उसे छोड़ते हुए बोला, "Be ready for punishment, bunny."
वह अपने आखिरी शब्द पर ज़ोर दे रहा था। जिया का पूरा गला सूख गया। वह तेज़ी से वहाँ से भागते हुए सीधा अपने कमरे में पहुँच गई।
जिया का कमरा,
जिया दरवाजे से सटकर खड़ी हुई थी। उसकी साँसें बेहद तेज़ चल रही थीं। वह अपने सीने पर हाथ रखते हुए बोली, "भगवान जी, क्या हो रहा है? वह वापस आ गया है। नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। हमें, हमें कुछ करना होगा। हमें यहाँ से..." बोलते-बोलते उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया।
उसकी जुबान बुरी तरह काँप रही थी। पूरा शरीर पसीने से तर-बतर हो चुका था। उसे अभी भी अग्नि के हाथों की गर्माहट अपनी कमर पर महसूस हो रही थी। वह भागती हुई शीशे के सामने खड़ी हो गई और खुद को देखने लगी। उसे एक बार फिर से अग्नि के हाथों की गर्माहट अपनी नाज़ुक कमर पर महसूस हुई।
वह अपने कानों पर हाथ रखकर तेज़ी से चिल्लाई, "नहीं! बिल्कुल नहीं! हरगिज़ नहीं! ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम यहाँ से, हम यहाँ से बहुत-बहुत दूर चले जाएँगे।" बोलते हुए उसने अपनी मुट्ठियों से अपने आँसू पोछ लिए।
उसके चेहरे पर काजल फैल गया था। वह सीधी बिस्तर पर जाकर लेटी और करवटें बदलने लगी। उसके दिमाग में सिर्फ़ और सिर्फ़ अग्नि छाया हुआ था—अग्नि सिंह राठौड़, जो किसी आग से कम नहीं था। पूरी रात उसने करवटें बदलीं। सुबह छः बजे जाकर उसकी आँख लगी। वह गहरी नींद में सो गई थी। धीरे-धीरे दिन ढल रहा था। करीब ग्यारह बजे जाकर जिया की आँख खुली और उसने दरवाजे की तरफ़ देखा।
उसने अभी भी अपनी आँखें नहीं खोली थीं। वह अपनी आँखें मल ही रही थी कि दरवाजे पर जोरदार आवाज़ हुई। जिया की नींद छूमंतर हो गई। वह घबराकर अपने दुपट्टे को ढूँढ़ने लगी और जल्दी से उसे गले में डालकर दरवाजा खोला। सामने एक नौकर खड़ा था, जो लगभग सत्ताईस-अट्ठाईस साल का था।
वह जिया की तरफ देखते हुए बोला, "आपको बड़ी मालकिन बुला रही हैं।"
जिया ने सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है, आप... आप जाइए यहाँ से। हम थोड़ी देर में आ रहे हैं।" और उसने दरवाज़ा जल्दी से बंद कर दिया।
वह पहली बार इस क्वार्टर में अकेली रह रही थी। वह हमेशा अपनी दादी के साथ रहती थी। उसने वक़्त का ध्यान रखना तो भूल ही गया था। वह जल्दी से बाथरूम में गई और जल्दी-जल्दी नहाकर बाहर आई। उसने एक स्काई ब्लू और व्हाइट कॉम्बिनेशन की चोली और लहंगा पहना था, जिसमें उसने डबल मिक्स कलर का दुपट्टा ओढ़ा हुआ था। उसके लंबे, घने बाल गीले होने की वजह से कमर पर झूल रहे थे।
आँखों में हमेशा की तरह गहरा काजल था, और होठों पर बिना कुछ लगाए भी हल्की लाली छा हुई थी। वह एक छोटी-सी काले रंग की बिंदी उठाकर अपने माथे पर लगाने ही वाली थी कि उसकी नज़र अपने होठों पर गई, जहाँ कल रात अग्नि ने उसे काटा था। उसे अपने होठों पर अग्नि के दाग़ महसूस हुए। उसे महसूस करते ही उसका पूरा शरीर डर से काँप उठा। उसने अपने ख़यालों को झटकते हुए लहंगे को समेटा और भागती हुई हवेली के अंदर आ गई। उसे अवनी जी हॉल में ही मिल गईं। हवेली में कुछ तैयारियाँ चल रही थीं।
"अच्छा हुआ बेटा, आप आ गईं। चलिए, अब आप जल्दी-जल्दी हमारी मदद कर दीजिये। आपकी दादी तो हैं नहीं, वरना हम आपको कभी नहीं बुलाते। आपको कोई परेशानी तो नहीं? और आपका कोई कॉलेज का काम तो नहीं है कुछ?"
जिया कुछ सोचते हुए बोली, "नहीं आंटी, आप बताइए हमें क्या करना है? हम आपकी मदद करते हैं।"
जिया ने अपना सिर हिलाया, एक टोकरी उठाई और सीधी गार्डन में आ गई। वह बाकी नौकरों को गाइड करते हुए डेकोरेशन करवाने लगी। वह सबसे बेख़बर थी कि किसी की नज़र उस पर गड़ी हुई है। ऐसे ही धीरे-धीरे दिन ढलकर रात में बदल गया। आस-पास सिर्फ़ चाँदनी ही चाँदनी छाई हुई थी।
गेस्ट आना शुरू हो चुके थे। आज अग्नि को राठौर इंडस्ट्रीज़ के सीईओ के तौर पर इंट्रोड्यूस किया जा रहा था, जिसमें बहुत से गणमान्य लोग शामिल हुए थे। वहीं जिया, अपना सारा काम निपटाकर अपने क्वार्टर की तरफ़ कदम बढ़ा रही थी कि अचानक उसके सामने आरव आ गया।
आरव को वहाँ देखकर वह घबरा गई, "तुम! तुमने तो मुझे डरा ही दिया था!"
"ठीक है, पहले तुम मेरे साथ चलो और मुझे बताओ। मैं कौन से कपड़े पहनूँ?"
जिया ने उसके सवाल पर अजीब नज़रों से देखते हुए कहा, "तुम पागल हो गए हो! खुद ही डिसाइड करो, मैं क्यों करूँगी?"
वह उसे अपने कमरे में ले गया और एक-एक सूट उठाकर दिखाने लगा। जिया जल्द से जल्द यहाँ से निकलना चाहती थी। आरव पर उसे बहुत तेज़ गुस्सा आ रहा था।
वह जल्दी से एक रॉयल डार्क ब्लू कलर का थ्री-पीस सूट उठाकर आरव की तरफ़ बढ़ाते हुए बोली, "यह वाला, यह वाला पहनो, तुम पर सूट करेगा।" वह उस पर बहुत अच्छा लग रहा था। वह सूट लेकर सीधा बाथरूम में चला गया।
इसी बात का फायदा उठाकर जिया सीधे कमरे से बाहर आ गई। उसकी नज़र ऊपर से आ रहे अग्नि पर गई। उसकी साँसें गले में अटक गईं। वह बाहर एक खंभे के पीछे छिप गई। जैसे ही उसे जूते की आवाज़ सुनाई दी, वह सीधी बाहर निकली और अचानक किसी के सीने से जोर से टकरा गई। उसने अपना सिर पकड़ लिया और उसकी आँखें बंद हो गईं।
तभी वह शख़्स बिल्कुल उसके कान के पास जाकर गहरी साँस लेने लगा। जिया के पूरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए। उसकी साँसें गहरी होने लगीं, जिससे उसकी कोलरबोन और ज़्यादा दिखाई दे रही थीं।
वह शख़्स कुछ देर उसके कान के पास ठहरकर गहरी आवाज़ में बोला, "इतनी जल्दबाज़ी में कहाँ जा रही हो जान? आज तो मुझे सीईओ की कुर्सी परमानेंट मिलने वाली है। इस बात के लिए सेलिब्रेशन तो बनता है ना?" बोलते हुए उस शख़्स के होंठ जिया के कान को छू रहे थे।
जिया ने धीरे से आँखें खोलीं। उसकी आँखें नीली आँखों वाले शख़्स से मिल गईं। उसने अपने क़दम पीछे खींचे। वह शख़्स थोड़ा झुका, उसकी कमर पर हाथ रखा और फिर एकदम से खींच लिया। उसके चेहरे पर एक सार्कैस्टिक मुस्कान थी।
जिया ने खुद को अग्नि के इतने नज़दीक देखकर पीछे हटते हुए कहा, "छोड़िए, छोड़िए! ये... आप क्या कर रहे हैं? कोई... कोई देख लेगा।"
अग्नि मुस्कुराते हुए बोला, "देखने दो! अग्नि सिंह राठौड़ की परवाह नहीं करता। वैसे भी मैं किसी गैर लड़की के इतने नज़दीक थोड़ी ना हूँ, मैं तो अपनी जान के नज़दीक हूँ।" जिया ने बड़ी-बड़ी आँखें करके उसे देखा। उसके हैरानी की कोई सीमा नहीं थी।
वह तुरंत उसके होठों पर हाथ रखकर बड़ी-बड़ी आँखें झपकने लगी। अग्नि ने उसके हाथ पर ज़ोर से चुम्बन करते हुए कहा, "क्या हुआ जान? अभी तो मैंने हमारे रिश्ते के बारे में किसी को बताया ही नहीं, तब तुम्हारा यह हाल है। जब सभी को हमारे रिश्ते के बारे में पता चलेगा, तब तुम क्या करोगी?"
जिया ने गहरी साँस लेनी शुरू कर दी। उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। वह डरी हुई नज़रों से अग्नि को देख रही थी।
अग्नि ने उसे एकदम से छोड़ते हुए कहा, "क्यों ना इस पार्टी के बीच एक सरप्राइज़ हो जाए, वह भी स्पेशल फ़ॉर माई वुल्ड बी..." वह एक बार फिर से रुक गया। उसकी ख़ामोशी जिया को गले में फंसी हुई हड्डी की तरह लग रही थी।
अग्नि वहाँ से जाते हुए बोला, "इस पार्टी में, मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ। और हाँ, मॉर्निंग में मेरी कॉफ़ी मिस हो गई, जिसकी वजह से मेरा मूड बहुत ख़राब है। उसकी भी तो पनिशमेंट बनती है ना।" वह स्मिरक करते हुए उसके गले पर अपने दाँत गड़ा दिए।
जिया ने उसे कसकर धक्का दिया और वहाँ से भागती हुई निकल गई। अग्नि उसकी तरफ़ मुड़ा। जिया के नाज़ुक धक्के से उसे कुछ भी एहसास नहीं हुआ था। वह तो बस भागती हुई जिया को देख रहा था—उसके गुलाबी-सफ़ेद रंग के पैर, उसका लहराता हुआ दुपट्टा, बिखरे और हवा में उड़ते हुए बाल, डरी हुई नज़रें, जिससे वह बार-बार पीछे मुड़कर अग्नि की तरफ़ देख रही थी।
इसी बीच वह सामने से आ रहे ताबिश से टकरा गई। वह बिल्कुल सीढ़ियों के किनारे खड़ी थी; उसका बैलेंस पूरी तरह बिगड़ चुका था। वह आधी सीढ़ियों पर और आधी हवा में थी; उसके बाल हवा में झूल रहे थे। उसकी आँखें और ज़्यादा बड़ी हो गईं। वह सामने खड़े ताबिश को देख रही थी, जिससे फ़ोन छूटकर नीचे गिर चुका था, और उसने दूसरे हाथ से जिया को संभाला हुआ था।
उसकी नज़र जिया की डरी हुई नज़रों पर अटकी थी—उसके फड़फड़ाते हुए होंठ। वह एकटक उसे देख रहा था। दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में खो गए थे। जिया एक बार पीछे की तरफ़ देखती है, जहाँ वह सीढ़ियों के आख़िरी हिस्से पर थी। अगर ताबिश उसका हाथ छोड़ देता, तो शायद ही उसे दोबारा साँस आती।
उस जगह पर सिर्फ़ जिया की तेज़ साँसों की आवाज़ थी, अग्नि की तपिश भरी नज़रें, जो पूरी तरह लाल हो चुकी थीं, और साथ ही चूड़ियों की खनखनाहट। ताबिश ने जिया को अपनी तरफ़ खींचा; जिया सीधे उसके सीने से जा लगी। उसके दोनों हाथ ताबिश के सीने पर थे; उसकी डरी हुई आँखें और ज़्यादा लाल हो गई थीं। वहीं ताबिश का हाथ उसकी कमर पर था। वह धीरे से उसके पेट पर हाथ फेरते हुए, उसके कंधे से दूर करते हुए बोला, "आर यू ओके? तुम ठीक तो हो ना?"
ताबिश उसे देखने लगा, पर जिया की नज़रें कहीं और थीं। ताबिश ने उसकी नज़रों का पीछा किया, पर उस जगह कोई भी नहीं था।
ताबिश ने उसके सामने चुटकी बजायते हुए कहा, "है! मैं तुमसे बात कर रहा हूँ। क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं अभी तक? मैं ताबिश हूँ।"
जिया ने अपना सिर हिलाया और वापस से अपने लहंगे को पकड़कर वहाँ से भाग गई, जैसे अगर वह वहाँ रुकती, तो अभी उसकी वहीं समाधि बना दी जाएगी। ताबिश ने अपने हाथ को देखा, जेब से रुमाल निकाला, अपने हाथों को साफ़ किया, उस रुमाल को डस्टबिन में फेंक दिया और दूसरी तरफ़ बढ़ गया।
रात का वक़्त,
राठौर हवेली में रौनक लगी हुई थी। सभी गेस्ट आ चुके थे। अब सिर्फ़ अग्नि के आने का इंतज़ार था। आरव वहाँ साइड में खड़ा होकर कुछ लोगों को देख रहा था और आराम से ड्रिंक कर रहा था।
"यह लड़की कहाँ रह गई? अभी तक आई नहीं। कब से इंतज़ार कर रहा हूँ।" बोलते हुए उसने एक ड्रिंक का घूँट और लिया।
तभी उसकी नज़र एंट्रेंस पर गई, जहाँ जूतों की आवाज़ तेज़ी से आ रही थी। सभी लोग उस तरफ़ देखने लगे जहाँ अग्नि अपने ब्लैक कलर के टॉक्सिक सूट में, बिना किसी इमोशन के, अंदर आ रहा था। वह गार्ड्स से घिरा हुआ था। वह जाकर एक कोने में खड़ा हो गया, और लोग उससे बात करने के लिए उसके नज़दीक आने की कोशिश कर रहे थे, पर गार्ड्स की वजह से कोई भी उसके आस-पास तक नहीं आ पा रहा था।
वहीं लड़कियाँ उसे देखकर आहें भर रही थीं। सबकी नज़र अग्नि पर टिकी हुई थी, जो बिना किसी इमोशन के साइड में खड़ा होकर ड्रिंक कर रहा था और सिर्फ़ एंट्रेंस पर देख रहा था, जैसे उसे भी किसी के आने का बेसब्री से इंतज़ार हो। उसके होठों पर एक स्मिरक छाया हुआ था।
वहाँ ताबिश उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "मैं तुझे कब से ढूँढ़ रहा था, और तू यहाँ साइड में खड़ा है।"
अग्नि ने उसकी बात पर कोई रिएक्शन नहीं दिया और चुपचाप ड्रिंक करने लगा। ताबिश भी उसके साथ खड़ा होकर ड्रिंक कर रहा था। उसे इन सब में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी।
इधर-उधर देखते हुए बोला, "वैसे कुछ कहना नहीं, तेरे बाप ने ख़र्चा तो बहुत अच्छा किया है। देख, रौनक लगा दी तेरे आने की खुशी में। क्या बोलता है इस बारे में?"
अग्नि ने उसे बिना किसी इमोशन के देखा और वापस ड्रिंक करने लगा। जहाँ ताबिश कुछ न कुछ कहकर उसे रोक रहा था, वहीं अग्नि उसकी सारी बातों को इग्नोर कर सिर्फ़ ड्रिंक पे ड्रिंक कर रहा था। तभी वहाँ एक लड़की अग्नि के पास भागती हुई आई
और उसे कसकर गले लगाते हुए बोली, "तो फ़ाइनली ब्रो, आप आ गए! मैं आपका कितना बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। आपको पता भी है? देखिए, मेरी आँखों के नीचे डार्क सर्कल तक पड़ गए आपकी याद में।"
वह मुस्कुराते हुए अग्नि के गले लगी खड़ी थी। अग्नि के हाथ अभी भी हवा में रुके हुए थे; उसने उसे टच तक नहीं किया था। या यूँ कहें कि उसे खुद को किसी का टच करना बर्दाश्त ही नहीं था।
वह लड़की अग्नि से दूर होते हुए बोली, "और देखिए, मैं आपको किसी से मिलवाने लाई हूँ।" बोलते हुए उसने एक लड़की का हाथ पीछे से खींचा।
वह कोई और नहीं, जिया थी। उसके चेहरे को देखकर साफ़ पता चल रहा था कि उसे जबरदस्ती लाया गया है। अग्नि के चेहरे पर स्मिरक छा गया। वह अपने हाथ में पड़ा हुआ वाइन का ग्लास घुमाते हुए उसके थोड़ा नज़दीक गया। जिया एकदम से अपनी जगह पर जम गई और वहाँ से हिली तक नहीं।
अग्नि बिल्कुल उसके नज़दीक आकर बोला, "वेलकम टू द पार्टी, जान।" उसके कहे हुए शब्द जिया के कान में गूंजने लगे।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके पेट में आग लग गई हो। अग्नि ने वाइन का गिलास घुमाया और वहाँ से आगे बढ़ने लगा कि उसके हाथ से गिलास फिसल गया और वह सीधा जिया पर गिर गया। उसने एक व्हाइट कलर की एंकल लेंथ ड्रेस पहनी हुई थी, जो फ़ुल स्लीव्स थी और हल्का सा उसमें कुछ कट लगे हुए थे। उसमें उसकी बॉडी तो नहीं दिख रही थी, लेकिन वह काफ़ी अट्रैक्टिव लग रही थी।
अग्नि उसे देखते हुए बोला, "उप्स! मेरा ध्यान नहीं था। चलो, कोई बात नहीं। मैं तुम्हें चेंज करवा देता हूँ।" बोलते हुए उसने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए ले गया।
वह लोग पहले ही पार्टी में साइड में खड़े हुए थे, जिसकी वजह से किसी का भी उन पर ध्यान नहीं गया था। वहीं अग्नि को इस तरीके से ले जाते देख वह लड़की हैरान हो गई। अग्नि उसे सीधा अपने फ़्लोर पर लेकर आया। जिया लगातार उसके हाथ-पैर मार रही थी, पर इससे अग्नि को जरा भी फर्क नहीं पड़ा। वह सीधा अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और उसे लगभग अंदर धक्का देते हुए दरवाज़े को पैर से बंद कर, उसे दीवार के सहारे लगाकर, उसके चेहरे पर झुक गया।
जिया डरी सहमी सी, दीवार में बिल्कुल चिपक कर खड़ी थी। जैसे अगर उसके अंदर जगह होती, तो उसमें ही घुस जाती। अग्नि इस वक्त उसके बेहद नज़दीक था। वह अपने दोनों हाथों को दीवार पर रखे, उसके चेहरे पर झुका हुआ था। उसकी नज़र जिया के फड़फड़ाते हुए, सुर्ख होठों पर थी; जो घबराहट के मारे बुरी तरह कांप रहे थे।
अग्नि अपना अंगूठा उसके होठों पर रख, धीरे-धीरे उसके होंठ को बहुत ही सधे हुए अंदाज़ में सहलाते हुए, "क्या हुआ जान? डर लग रहा है क्या तुम्हें मुझसे? पर तुम्हें मुझसे डरने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है।" बोलते हुए वह जिया के लिप्स पर अपने अंगूठे को बाहर की तरफ लाता है और उसे एकदम से अंदर की तरफ धकेल देता है।
जिससे उसके नाज़ुक से होंठ सीधे उसके दाँतों से लग चुके थे। अग्नि उसके होठों के साथ ऐसे खेल रहा था, जैसे उसके होठों का रस निचोड़ रहा हो। जिया ने एक बार भी उसे खुद से दूर करने की कोशिश नहीं की थी। जब उसे अपने होठों पर दर्द महसूस हुआ,
वह बहुत ही धीमी आवाज़ में बोली, "यह आप... आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए, छोड़िए मुझे, मुझे कपड़े बदलने हैं।" बोलते हुए वह उसके हाथ को अपने चेहरे से हटा देती है।
उसकी आवाज़ बहुत ही घबराई हुई थी। अग्नि उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखता है। उसने देखा था उसकी उस बॉडी पर वाइन गिरा दी थी, जिस पर दाग लग चुका था। वह उसे देखते हुए बोला, "ऑफ़ कोर्स जान, पर मेरी जान को मेरे सामने कपड़े बदलने पड़ेंगे।"
जिया की आँखें एक पल के लिए उठ जाती हैं और वह सामने खड़े अग्नि को देखने लगती है। अग्नि के चेहरे पर कातिल मुस्कान थी। वह अपने हाथ जेब में डाले, उसके नज़दीक आ जाता है और अपने एक पैर को उसके दोनों पैरों के बीच रख, उसके कान पर झुक, धीरे से उसके कान के लोब को चाट लेता है। जिया के पूरे शरीर में एक अजीब सी सनसनी दौड़ जाती है। उसकी साँसें गले में रुक चुकी थीं और धड़कनें तक रुक-रुक कर चल रही थीं।
अग्नि उसके बाजू को पकड़ते हुए, "क्या हुआ जान? तुम्हारे लिए तो मैंने ख़ास कपड़े रखे हैं और मैं तुम्हें उस ड्रेस में देखना चाहता हूँ, वह भी मेरी होते हुए।"
उसकी अजीबोगरीब सी बातों पर जिया और ज़्यादा घबरा रही थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अग्नि आखिर कहना क्या चाहता है? वह बिना कुछ कहे वहाँ से मुड़कर दरवाज़े की तरफ जाने लगती है। अग्नि तुरंत उसकी कलाई पकड़कर खींच लेता है।
जिया की कलाई अग्नि के चेहरे के सामने आ जाती है। अग्नि उसकी आँखों में आँखें डालकर, "कहाँ जा रही हो जान? अभी तो मैंने तुम्हें जाने की इज़ाज़त भी नहीं दी।" उसने जिया की कलाई पर अपनी पकड़ मज़बूत कर दी थी।
जिया अपनी कलाई घुमाते हुए, बहुत ही धीमी आवाज़ के साथ बोली, "यह आप... आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए, छोड़िए मुझे, आप मुझे इस तरह तकलीफ़ दे रहे हैं।"
अग्नि उसकी बात पर अपनी पकड़ उसके हाथ पर और मज़बूत करते हुए बोला, "सच में? मैं तुम्हें तकलीफ़ दे रहा हूँ और तुम्हें लगता है मुझे जरा भी फर्क पड़ेगा?" बोलते हुए वह अपने कोट में छिपे हुए चाकू को बाहर निकालता है और बिल्कुल एकदम से जिया के गले पर वार करता है।
जिया बिल्कुल दीवार से लग जाती है। वह बहुत ही कम दूरी पर खड़े थे; वह एक बार फिर से दीवार पर लग चुकी थी। वह डरी हुई नज़रों से उस चाकू को देख रही थी, जो सीधा दीवार पर लगा था। सिर्फ़ आधा इंच का भी फ़ासला नहीं था।
अग्नि बिल्कुल उसके चेहरे पर झुक, गहरी और ठंडी आवाज़ में, "तुम्हें सच में लगता है कि तुम्हें तकलीफ़ देने से अग्नि सिंह राठौड़ को बिल्कुल भी फर्क पड़ेगा? मैं चाहूँ तो मैं तुम्हें किसी टिशू पेपर की तरह, नहीं, गलत बोला, वेस्ट टिशू पेपर की तरह यूज़ करके फेंक सकता हूँ। मैं चाहूँ तो तुम्हें बर्बाद कर सकता हूँ, मैं चाहूँ तो तुम्हारे इस नाज़ुक से बदन की धज्जियाँ उड़ा सकता हूँ, मैं चाहूँ तो तुम्हें उन आदमियों के हवाले कर सकता हूँ, जिन्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ लड़कियों के इस ख़ूबसूरत जिस्म की तलब होती है। फिर वे जो चाहें तुम्हारे साथ कर सकते हैं। मैं अगर चाहूँ तो तुम्हारी धज्जियाँ उड़ा सकता हूँ, अगर मैं चाहूँ तो कुछ भी कर सकता हूँ, क्योंकि तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी हो, मेरी, अग्नि सिंह राठौड़ की।" उसने अपने नाम पर ज़ोर देते हुए कहा था।
जिया की आँखों में आँसू आ चुके हैं। वह अपना हाथ छुड़ाकर, "यह गलत है। आप गलत कर रहे हैं। ऐसा... ऐसा कुछ भी नहीं है... मैं आपकी... आपकी..."
अग्नि ने तुरंत उसके होठों पर उँगली रख, अपनी उँगलियों को उसके मुलायम होठों पर दबा दिया था। उसका दूसरा हाथ जिया की नाज़ुक सी कमर पर था, जिसे उसने खुद के एक झटके में ही नज़दीक कर लिया था। वे दोनों काफ़ी नज़दीक थे। जिया हल्का सा पीछे की तरफ़ झुक चुकी थी। उसकी आवाज़ उसके गले में ही रुक हुई थी। अग्नि उसकी आँखों में देख रहा था। जिया की आँखों से एक आँसू का कतरा बहकर नीचे आ जाता है।
अग्नि उस आँसू को अपनी उँगलियों में ले, उसके चेहरे पर ही छिड़कते हुए, "तुम्हारे मानने और ना मानने से किसे फ़र्क़ पड़ता है जान? तुम हो तो सिर्फ़ इस अग्नि सिंह राठौड़ की और तुम्हें तो मैं बहुत जल्द वहाँ लेकर जाऊँगा जहाँ तुम्हारी असली जगह है।" बोलते हुए उसके कान के पास आ जाता है।
उसके कान के पास कुछ कहता है और दो सेकंड में ही उससे दूर हो जाता है। जिया का पूरा शरीर सफ़ेद पड़ चुका था। वह हैरानी से अग्नि को देख रही थी। अग्नि के चेहरे पर कोई इमोशन नहीं थे। वह तो अपने दोनों हाथ जेब में डाले, बस उसे देख रहा था। जिया जल्दी से अपने गाउन को संभालते हुए वहाँ से भागती है। अग्नि उसे जाते हुए देख, उसके पीछे आ जाता है। वह अभी अपने होठों को गोल करके सीटी बजा रहा था, जो बहुत ही डरावनी थी।
वहीं बाहर,
"मेरे दिल के ये टुकड़े हैं
निगाहों से चुनूँ, यारा
मोहब्बत की कहानी है
मोहब्बत से सुनूँ, यारा"
जिया भागते हुए गार्डन से होकर सीधे पैलेस के पीछे वाले हिस्से में चली जाती है। वहीं अग्नि जैसे ही गार्डन में आता है, उसके कानों में एक गाने के बोल पड़ते हैं।
"मैं आया हूँ तेरे दर पे
तो अब जाना नहीं होगा
जियूँगा या मरूँगा मैं
जो होना है, यहीं होगा
कहता हूँ मैं बेसाख़्ता
सुन ले ये मेरा खुदा
तेरा इश्क़ है मेरी सल्तनत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत
मैं हूँ दिल-जला, मुझे तेरी लत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत, whoa"
अग्नि के कानों में जैसे ही बोल जाते हैं, वह साथ-साथ उन बोलों को हल्का सा दोहराता है। उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी। वह गहरी नज़रों से बस जिया को देख रहा था, जो आगे उस अंधेरे में कहीं गुम हो चुकी थी। पर उसकी आँखें ऐसी थीं, जैसे वह अभी भी जिया को वहाँ देख पा रहा हो।
"किताबों में पढ़ा था ये
खुदा को प्यार है प्यारा
किया जो प्यार हमने तो
हुआ दुश्मन जहाँ सारा
ठुकरा दिया मैंने ये जहाँ
ले, आज तुझ को चुना"
ताबिश गार्डन के किनारे खड़े होकर फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था। वह फ़ोन को जैसे ही जेब में रख पीछे की तरफ़ मुड़ता है, एक लड़की उसे टकरा जाती है। उस लड़की का हाथ ताबिश की गर्दन पर था और दूसरा हल्का सा नीचे की तरफ़; ताबिश को उसका चेहरा नहीं दिखता।
वह तुरंत उससे दूर होते हुए, "आर यू आउट ऑफ़ योर माइंड? क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता? अंधी हो? यू आर ब्लडी रास्कल।" पर वह लड़की नहीं मुड़ती और बिना रुके वहाँ से आगे की तरफ़ चली जाती है।
ताबिश को अपनी गर्दन में दर्द महसूस होता है। वह अपनी गर्दन पर हाथ रखता है; उसकी आँखें एकदम सख्त हो जाती हैं। उँगलियों में ख़ून लगा हुआ था।
"तेरा इश्क़ है मेरी सल्तनत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत
मैं हूँ दिल-जला, मुझे तेरी लत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत, whoa
बड़ी खुश-रंग थीं वो शामें
बड़ा रौशन सवेरा था
वो क्यों खोया जिसे चाहा?
वो क्यों बिछड़ा जो मेरा था?
जिन आँखों में मैं रहता था"
ताबिश की आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है और वह वहीं जमीन पर गिर जाता है। उसके आगे की तरफ़ गई हुई लड़की एकदम से मुड़ती है और ताबिश को देखती है, जो जमीन पर था। उस लड़की की आँखों में हल्का सा पानी था। उसके कानों में किसी के जूतों की आवाज़ आती है। वह तुरंत अंधेरे में कहीं खो सी जाती है।
"उन आँखों में है पानी क्यों?
नहीं बदला कहीं कुछ भी
मैं तेरा था, मैं तेरा हूँ
उड़ के ज़रा तू देख ले
इतनी सी है इल्तिजा
तेरा इश्क़ है मेरी सल्तनत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत
मैं हूँ दिल-जला, मुझे तेरी लत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत
तेरा इश्क़ है मेरी सल्तनत
तू है ज़िद मेरी, तू जुनूनियत, whoa
तेरा हमसफ़र बन जाऊँ मैं
एक बार तू कह दे "हाँ""
जैसे ही गाना ख़त्म होता है, एक तेज धमाका होता है और धमाके के साथ सभी की आँखें बड़ी हो जाती हैं। सब पीछे की तरफ़ देखते हैं; पीछे बने हुए सर्वेंट क्वार्टर में आग लग चुकी थी। आग की लपटें बहुत ही तेज थीं। सभी लोग सर्वेंट क्वार्टर्स की तरफ़ भागते हैं।
वहीं अवनी जी इधर-उधर देखते हुए, "जिया, जिया कहाँ है? वह यहाँ नहीं दिख रही हमें।" वह इधर-उधर देखने लगती हैं।
वह सीधे सर्वेंट क्वार्टर के पास पहुँचती है। सर्वेंट क्वार्टर का पिछला हिस्सा धमाके से उड़ गया था, जिसमें आग लग चुकी थी और वहीं आगे के सर्वेंट क्वार्टर्स से सभी लोग भागते हुए बाहर आ रहे थे। अब सबको बाहर आता हुआ देख,
आरव अवनी जी का हाथ पकड़, "मॉम, रिलैक्स, कुछ नहीं हुआ है। वह भी बाहर आ जाएगी, देखिए सब बाहर आ रहे हैं।"
और कुछ ही देर में वहाँ पर कुछ सर्वेंट बाहर आ जाते हैं, पर जिया उनमें से कहीं भी नहीं थी। आरव अब इधर-उधर देखता है और आग की तरफ़ जाने लगता है। पर उसकी नज़र आग में कूद चुके अग्नि पर पड़ती है, जो बिना किसी इमोशन के अंदर की तरफ़ कदम बढ़ा चुका था। वहीं जिया का कमरा; जिया दीवार के सहारे खड़ी हुई थी और उसके सामने एक आदमी था; उसने मास्क लगाया हुआ था चेहरे पर और हाथ में चाकू था।
वह धीरे-धीरे उसके पास आ रहा था। जिया दरवाज़ा खोलते हुए, "तुम कौन हो? और यहाँ... यहाँ क्या कर रहे हो?" बोलते हुए वह अपने कदम धीरे-धीरे पीछे ले रही थी।
उस आदमी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वह मुस्कुराते हुए सिर्फ़ दो ही लाइन दोहराता है, "तू है ज़िद मेरी, तू है जुनूनियत, मैं हूँ दिल-जला, मुझे है तेरी लत।" बोलते हुए वह जिया के नज़दीक आने लगता है।
जिया वहाँ रखा हुआ फ्लावर वॉज़ उठाकर उसके सिर पर मारती है और वहाँ से भागने लगती है। वह आदमी तुरंत जिया का पैर पकड़ लेता है, जिससे वह सीधे पेट के बल जमीन पर गिरती है और उसका सिर वहाँ रखी हुई मूर्ति से टकराता है; सिर से ख़ून बहना शुरू हो जाता है। फिर से वही लाइन दोहराते हुए उसके नज़दीक आ जाता है।
जिया और डर से अपने हाथों के बल पीछे खिसकते हुए, "कौन? कौन हो तुम? और तुम... तुम यह क्यों कर रहे हो? किसने भेजा है तुम्हें?" वह घबराए हुए बस पीछे की तरफ़ जा रही थी।
वह आदमी उसके पैरों को पकड़कर खींच देता है और सीधे उसके ऊपर झुक, उसके चेहरे और गले को सूँघते हुए, "यू आर जस्ट लाइक ए स्नोफ्लेक।" बोलते हुए वह उसकी ब्लाउज़ की डोरी खोल देता है।
जिया ने आकर सबसे पहले कपड़े बदल लिए थे। वह इस वक्त सिर्फ़ अपने लहँगे और चोली में थी। उसने दुपट्टा तक नहीं लिया था। वह आदमी बिल्कुल सीने के बीच चाकू रख लेता है। जिया गहरी-गहरी साँसें भरते हुए, डरी हुई नज़रों से उस आदमी को देख रही थी।
वह आदमी उसके क्लीवेज को घूरते हुए, "तुम तो बेहद ख़ूबसूरत हो स्नोफ्लेक और इस ख़ूबसूरती को आज तबाह होना पड़ेगा।" बोलते हुए वह चाकू को धीरे-धीरे नीचे लेकर आता है।
जिया का ब्लाउज़ सामने की तरफ़ से फट जाता है। उसकी आँखें पूरी तरह से लाल हो जाती हैं। वह अपना पैर उठाकर उसे क़स के मारती है; उससे पहले ही वह आदमी उसका पैर पकड़कर खींचते हुए उसे मोड़ देता है, जिससे जिया का पैर एकदम बेजान हो गया था। वह अपनी जगह से हिल तक नहीं पा रही थी।
वह आदमी अजीब सी मुस्कान के साथ उसके ऊपर झुक जाता है और चाकू को धीरे-धीरे घुमाते हुए उसके पेट पर लेकर आता है और उसकी नाभि के आसपास गोल करके घुमाने लगता है। जिया ने अपनी साँस रोक ली थी। अगर वह साँस लेती, तो चाकू सीधा उसके पेट के अंदर जाता। वह डरी हुई थी। उसके हाथ में वहाँ पर पड़ा हुआ एक डंडा आ जाता है। वह उस आदमी पर मारती है और पीछे की तरफ़ खिसकते हुए दरवाज़ा खोलने की कोशिश करती है।
वह आदमी एक बार फिर से उसे पकड़ता है और उसके गाल पर थप्पड़ जड़ देता है। उसके गाल सूज गए थे। वह हैरान थी और धीरे-धीरे उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है। फिर भी अपनी कोशिश करते हुए आगे की तरफ़ बढ़ती है। वह आदमी उसके जबड़े को पकड़कर उसके होठों पर बिल्कुल झुक जाता है। उस लम्हे में जिया की धड़कन रुक जाती है।
दो दिन बाद, रात का वक्त था। जिया बालकनी में खड़ी होकर किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी। उसका चेहरा मायूसी से भरा हुआ था। वह उदास आवाज़ में बोली, "आप कब आएंगे दादू? मैं आपका इंतज़ार कर रही हूँ, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।" दूसरे छोर से कुछ कहा गया। जिया अपनी उंगलियों से खेलते हुए बोली, "पर दादू, यू नो ना, मुझे आपकी बहुत ज़्यादा याद आ रही है। आप नहीं आ सकते तो एटलीस्ट मुझे बुला लो, मुझे यहाँ अच्छा नहीं लग रहा।" एक गहरी खामोशी छा गई। दूसरे छोर से फिर से कुछ कहा गया; जिया की आँखों में चमक आ गई। वह मुस्कुराते हुए बोली, "पक्का दादी, आप आ जाएंगी ना?" दूसरे छोर से फिर से कुछ कहा गया। जिया फ़ोन रखकर खुशी से फ़ोन को गले लगाते हुए बोली, "फ़ाइनली दादी, आप आ रहे हो।" और फिर वह एकदम चुप हो गई। उसे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। उसने पास रखी एक किताब उठाई और पढ़ने लगी। वह किताब में इतनी खो गई कि उसे आस-पास का अहसास तक नहीं रहा। जैसे ही उसने पेज पलटा, कोई उसके बिल्कुल पास आकर झुक गया। जिया संभल नहीं पाई और सीधा रेलिंग से लग गई। उसके हाथ में पकड़ी किताब रेलिंग से बाहर जाकर गिर गई। उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गई थीं। वह रात के अंधेरे में पलकें झपकते हुए अपने सामने खड़े नीली आँख वाले शैतान को देख रही थी। वह बिना किसी भाव के उसके ऊपर झुका हुआ था। जिया थोड़ा टेढ़ा होते हुए बोली, "यह आप? आप क्या कर रहे हैं? हटिए, हटिए यहाँ से। और आप यहाँ कैसे आए?" अग्नि ने अपनी बात पर एक हाथ उसके चेहरे पर रखा और उसके उलझे बालों को कान के पीछे करते हुए सरगोशी में कहा, "तुम अपने बाल बांधकर रखा करो। यह हर वक्त मुझे मेरी बातें कहने से रोक देते हैं। और हाँ, मैं तो भूल ही गया हूँ कि मैं यहाँ आया किसलिए था।" वह बहुत ही दीवानगी से बोला। जिया का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसकी पकड़ रेलिंग पर मज़बूत हो गई। वह नज़रें चुरा रही थी। अग्नि ने उसकी गर्दन पर हाथ रखकर अंगूठे से उसके गले की लाइन को सहलाते हुए कहा, "तुम मुझसे डर रही हो क्या, जान?" जिया हड़बड़ाते हुए बोली, "यह आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए।" जिया उसके हाथ के नीचे से निकलने लगी। अग्नि ने तुरंत उसे कंधों से पकड़कर दीवार से लगाते हुए कहा, "ऐसे कैसे, जान? मैंने इतनी मेहनत से उस आग में खुद को जलाकर तुम्हें बचाया है। तुम सोच भी कैसे सकती हो? अग्नि सिंह राठौड़, जो खुद में ही आग है, उसने तुम्हारे लिए खुद को आग में जलाकर तुम्हें बचाया है। इसका थोड़ा बेनिफिट तो मिलना ही चाहिए ना।" जिया हैरानी से उसे देखते हुए बोली, "आप यह क्या बोल रहे हैं? बेनिफिट? कैसा बेनिफिट? और आप शायद भूल रहे हैं, हमने आपसे नहीं कहा था कि आप हमें बचाएँ। वह आप थे जिसमें हम..." अग्नि ने तुरंत अपनी उंगली उसके नर्म होठों पर रख दी और उसके होठों पर झुक गया। उन दोनों के होठों के दरमियान सिर्फ़ उंगली भर का फ़ासला रह गया था। अग्नि अपने होठ हिलाते हुए बोला, "पर मैं अपनी जान को इतनी आसानी से कैसे कुछ होने दे सकता था? और वैसे भी, अग्नि सिंह राठौर को शौक है आग से खेलने का, और तुम तो वैसे भी अग्नि सिंह राठौर के लिए बहुत ख़ास हो; तुम्हें तो बचाना ही था। तो मैंने तो अपनी जान बचाई, अब बारी है बेनिफिट लेने की।" बोलते हुए उसके चेहरे पर एक स्मिर्क आ गया। वह अगले ही पल उसके ऊपर झुक गया और उसके कंधे पर अपने होठ रखकर चूमना शुरू कर दिया। जिया अपने लहंगे को मुट्ठी में भरे हुए गहरी साँस ले रही थी। वह हिल तक नहीं पा रही थी, जैसे वह अपनी ही जगह पर जम गई हो। अग्नि थोड़ा और झुक गया। और उसके कंधों पर हाथ रखकर अंगूठे से उसके बाजू को नीचे खिसकाते हुए, उसके कंधे से लेकर गर्दन तक चलाते हुए, काटने लगा। जिया एकदम जम गई थी। उसका मन एकदम खाली था। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। अग्नि ने उसे अपनी गोद में उठाकर सीधे बिस्तर पर पटक दिया। जिया की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। वह अपने होश में आई। अग्नि ने अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए उसे फर्श पर फेंक दिया और सीधा उसके ऊपर आ गया। जिया हैरानी से उसे खुद से दूर करते हुए बोली, "आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं? छोड़िए मुझे।" अग्नि ने अपना हाथ पीछे ले जाकर उसकी पीठ पर धीरे-धीरे चलाते हुए उसके ब्लाउज़ की डोरी खींच दी और सीधा उसके ब्लाउज़ को उसके सीने से अलग करके फर्श पर फेंकते हुए बोला, "तुम्हें क्या लगा? मैंने तुम्हें राठौर मेंशन में रहने की बात क्यों कही थी? इसलिए ताकि मैं अपनी भूख मिटा सकूँ, वह भूख जो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें खाने के बाद शांत होगी। तुम्हें क्या लगा था? मैं इतनी आसानी से तुम्हें जाने दूँगा, बीवी? और वैसे भी, तुम भूल रही हो कि तुम मेरी बीवी हो, और बीवी के साथ अगर मैंने अपने सारे जज़्बात मुकम्मल नहीं किए, तो क्या फ़ायदा हुआ ऐसी खूबसूरत हसीन बीवी का?" बोलते हुए वह उसके होठों पर अपने होठ रख देता है। जिया की पकड़ बिस्तर की चादर पर मज़बूत हो गई। उसने चादर पकड़ ली थी। उसे अग्नि का चुम्बन बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने साँस रोक ली थी। उसने आँखें मूँद ली थीं। जैसे अगर अग्नि ने उसे नहीं छोड़ा तो वह अपनी साँसें छोड़ देगी। अग्नि एक मिनट बाद उसके होठों को छोड़ देता है। उसने सिर्फ़ उसके होठों को छोड़ा था, पर उससे दूर नहीं हुआ था। उसने अपने हाथ उसके हाथों पर रखकर उसकी हथेलियों को अपनी मुट्ठी में लेते हुए कहा, "क्या बात है, जान? मेरे छूने से तुम्हें इतना बुरा लग रहा है कि तुम अपनी आखिरी साँसें गिनने के बारे में सोच रही हो? क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें सीधा जहन्नुम के दरवाज़े पर छोड़कर आऊँ?" जिया उसे देखकर सिसकते हुए बोली, "क्यों कर रहे हैं आप यह सब? क्या किया है हमने आपके साथ ऐसा जो आप ऐसा कर रहे हैं?" "उफ़्फ़, लिटिल बिट, हमेशा रोना ज़रूरी नहीं होता, इडियट! मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने प्लेज़र के लिए कर रहा हूँ। तुम्हें भी तो प्लेज़र महसूस होता है ना, मेरे नज़दीक आने से? आई नो वेरी वेल कि जब भी मैं तुम्हारे नज़दीक आता हूँ, तुम्हारी बॉडी रिएक्ट करती है, तुम तड़पती हो कि मैं तुम्हें अपने आगोश में लूँ, पर अफ़सोस, वह आगोश में लेने वाली बात कभी मुकम्मल नहीं होती।" बोलते हुए उसके चेहरे पर फिर से स्मिर्क छा गया था। जिया की आँखें नफ़रत से भर गईं। वह अपने दाँत पीसते हुए बोली, "दूर हो जाइए मुझसे! हमने कहा था, दूर हो जाइए! आप शायद आज पहली बार इंडिया आए हैं, पर हमें बेहतर पता है आप कितनी बार..." "शशशश..." अग्नि ने अपनी उंगली उसके होठों पर रखकर उसे चुप कराते हुए मुस्कुराकर कहा , "आफ्टर ऑल, तुम मेरी बीवी हो, और बीवी का पूरा हक़ बनता है अपने पति के बारे में जानने का। और जब तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारा पति हूँ, जो हमेशा तुम्हें जिंदा निगलने की फ़िराक़ में रहता है, तो मैं कैसे, कैसे तुमसे दूर रह सकता हूँ? तो बस चला आता हूँ तुमसे मिलने।" जिया अपना चेहरा फेरते हुए बोली, "मिलने नहीं आते हैं आप, सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी ज़रूरत पूरी करने आते हैं, और कुछ नहीं! मुझ आपसे नफ़रत है, जो कभी किसी एक का नहीं हो सकता।" अग्नि बोरियत से अपनी आँखें घुमाते हुए बोला, "सो मच रेडियो प्लस बकवास, यार! मैं बोर हो गया हूँ तुम्हारी इन बातों से। कभी तो कुछ इंटरेस्टिंग बोला करो, जस्ट जिसमें प्लेज़र फ़ील हो, जैसे मैं तुम्हें प्लेज़र फ़ील करवाता हूँ।" बोलते हुए वह वहाँ रखा हुआ एक ताज़ा लाल गुलाब उठा लेता है। वह जिया के ऊपर से उठकर उस गुलाब की पंखुड़ियों पर अपनी उंगलियों को इस तरह घुमाता है जैसे वह प्लेज़र फ़ील करवा रहा हो। जिया उठकर बैठ गई और अपने ऊपर एक कम्बल ओढ़ लिया। उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गई थीं। अग्नि इस वक़्त शर्टलेस उसके सामने खड़ा हुआ था। रूम में हल्की डिम लाइट जल रही थी। उसके बाल माथे पर बिखरे हुए थे और हाथ में वह रेड रोज़, जिसमें वह काफ़ी आकर्षक लग रहा था। जिस तरीक़े से वह उन पंखुड़ियों पर अपनी उंगलियाँ घुमा रहा था, उसे देखकर ही जिया को अपना गला सूखता हुआ महसूस हुआ। वह अपनी मुट्ठियाँ मज़बूत करते हुए बोली, "इडियट! यह आदमी कभी नहीं सुधर सकता! शर्म नहीं आती है! कर क्या रहा है? इसे पता भी है?" वह अपने दाँत पीस रही थी। अग्नि मुस्कुराते हुए बोला, "ऑफ़ कोर्स, जान! मुझे बहुत अच्छे से पता है मैं क्या कर रहा हूँ। मैं तो बस तुम्हें टीज़ करने की कोशिश कर रहा हूँ।" बोलते हुए वह उस गुलाब को अपने सीने से लेकर नीचे तक ले आया और उसे शरारत से अपनी पैंट में रख लिया। जिया की साँस अटक गई थी। वह घूरकर अग्नि को देख रही थी। अग्नि उसके पास आया और एक झटके से उसके कम्बल को खींचते हुए बोला, "क्या कर रही हो, जान? अब तुम्हारी बारी है मुझे प्लेज़र फ़ील करवाने की। अब इस फूल को बिना हाथ लगाए मेरी पैंट से निकालोगी, वह भी अभी।" जिया की आँखें फट गईं। वह अपनी पलकें झपकते हुए बोली, "आपका... आपका दिमाग़ ख़राब हो गया है? आपको सच में लगता है कि हम ऐसा कुछ करेंगे?" "oh शट अप, इडियट! बचपन से लेकर आज तक अपनी फ़िलासफ़ी भरी बातों से परेशान करती आई हो और अब यहाँ पर भी ज्ञान दे रही हो। तो लिसन टू मी केयरफुली, वेरी केयरफुली! मैं यहाँ तुम्हारी बकवास सुनने के लिए नहीं आया। मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ प्लेज़र फ़ील करना है। क्या करूँ? जितनी भी लड़कियों के नज़दीक जाता हूँ, वह सुकून नहीं मिलता जो सुकून मुझे तुम्हारे नज़दीक आने से मिलता है। तो चलो, अभी इसे रिमूव करो, वह भी बिना हाथ लगाए।" बोलते हुए वह तीव्रता से उसे घूरने लगा। जिया का ब्लाउज़ उसके बदन से अलग हो चुका था। उसने सिर्फ़ एक लहंगा पहना हुआ था। ऊपर वह अन्दरूनी कपड़ों में थी। उसके लम्बे बाल उसके कंधे और गालों को छू रहे थे। उसकी गहरी काजल लगी आँखें हल्की लाल, भीगी हुई पलकें हीरे की तरह चमक रही थीं। वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। अग्नि की नज़र उसके फड़फड़ाते हुए होठों पर जाकर रुक गई। वह लगातार अपने होठों को हल्के-हल्के दाँतों से काट रही थी। अग्नि ने अपने हाथ उसके बालों में फँसाकर हल्का सा उसके बाल खींच दिए। जिया का चेहरा ऊपर की तरफ उठ गया। उसके गुलाबी होठ बिल्कुल अग्नि की आँखों के सामने थे। अग्नि बिल्कुल उसके ऊपर झुक गया और उसके चेहरे को धीरे-धीरे अपने नज़दीक लाकर उसके होठों के पास ले गया। उसके होठों से लगभग छेड़खानी करते हुए बोला, "यह तो तुम्हें करना पड़ेगा, जान, वरना तुम तो जानती हो अग्नि सिंह राठौर को, जो एक बार अपनी बात पर अड़ जाए तो वह तब तक नहीं छोड़ता जब तक उसकी बात पूरी ना हो जाए। और वैसे भी, मैं तो आग हूँ, जो शोले की तरह भड़केगा भी और भड़काएगा भी। आग जितनी इस दिल में लगी है, उतनी ही इस दिल में भी ना लगा दूँ तो मेरा नाम भी अग्नि सिंह राठौर नहीं।" बोलते हुए उसने अपनी उंगली सीधा जिया के सीने पर रख दी। जिया एकदम ऊपर से लेकर नीचे तक काँप गई थी। उसके रोएँ खड़े हो चुके थे। अग्नि उसके चेहरे को धीरे-धीरे नीचे लेकर आया। जिया का चेहरा अग्नि के सीने पर था। अग्नि को जिया की गर्म साँसें अपने सीने पर महसूस हो रही थीं। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह उसकी साँसों के साथ खेल रहा हो। अग्नि ने अपनी आँखें बंद करके चेहरा ऊपर की तरफ कर लिया था। उसने एक हाथ में जिया के बालों को उलझाया हुआ था और धीरे-धीरे उसे अपने सीने से लेकर अपने पेट तक ले आया और उस फूल को उसके होठों पर लगभग दबा दिया। जिया के मुलायम होठ उन नर्म पंखुड़ियों पर जाकर लग गए थे। अग्नि गहरी आवाज़ में बोला, "अगर तुमने इसे रिमूव नहीं किया तो तुम्हें वह करना पड़ेगा जो मैं हमेशा से तुम्हें करने के लिए बोलता हूँ।" बोलते हुए उसने आँखों से जिया को कुछ इशारा कर दिया। जिया की आँखों में डर आ गया। उसने जल्दी से उस गुलाब की पंखुड़ी को अपने होठों से लगाकर खींचा, पर वह पंखुड़ी उसके होठों से लग गई और वह फूल उसकी पैंट में ही रुका रहा। जिया ने अपनी आँखें मज़बूती से बंद कर ली थीं। वह फिर से उस गुलाब को निकालने की कोशिश करती है, पर इस बार फिर से एक और पंखुड़ी अलग हो जाती है। अग्नि आँखें बंद करके सिर्फ़ जिया की गहरी साँसों को अपने पेट पर महसूस कर रहा था। उसे अपना शरीर आग की तरह जलता हुआ महसूस हो रहा था। उसके हाथों की नसें उभरने लगी थीं। उसका शरीर गर्म हो रहा था। वह एक झटके में जिया के चेहरे को अपने पेट पर दबा देता है, जिससे कुछ पंखुड़ियाँ टूटकर बिस्तर पर गिर जाती हैं। अग्नि बहुत ही गहरी आवाज़ में बोला, "अगर तुमने यह फूल अभी अपने इन नर्म होठों से नहीं निकाला तो मैं बहुत कुछ तुम्हारा निकाल दूँगा।" उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई थी। उसे इस तरीक़े से मुस्कुराता हुआ देखकर जिया की हालत ख़राब हो रही थी। उसके माथे पर ठंडा पसीना आ रहा था।
जिया ने अपनी आँखें मज़बूती से बंद कर रखी थीं। अग्नि उसके बालों को मज़बूती से पकड़े हुए, उसके होंठों को बेतहाशा चूम रहा था। उसके दोनों हाथ जिया के हाथों से उलझे हुए थे, जो उसने उसकी कमर पर पहले ही रख दिए थे। जिया अब बिस्तर पर घुटनों के बल बैठी हुई थी। अग्नि उसके होंठों को लगभग चबाते हुए निकल रहा था।
लगभग दस मिनट बाद वह उसके होंठों से दूर होता है। उसकी नज़र अब गहरी हो चुकी थी। वह गहरी नज़रों से जिया के होंठों को देख रहा था। चुंबन की वजह से उन दोनों के होंठों पर लार लग चुकी थी। जिया के होंठ और ज़्यादा चमकदार हो चुके थे और उनमें हल्की-सी सूजन आ चुकी थी, जिसमें वे और ज़्यादा आकर्षक लग रहे थे।
अग्नि उसके होंठ पर अंगूठा रखते हुए कहा, "अगर तुम चाहती हो कि मैं इससे ज़्यादा आगे न बढ़ूं, जान, तो चुपचाप वही करो जिसके लिए मैंने कहा है। वरना, मैं खोलने पर आया तो पूरी रात सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम चीखती रहोगी, पर यहाँ सुनने वाला कोई भी नहीं होगा।" उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट थी।
...
वह उसे छोड़ देता है। जिया की आँखें भीग चुकी थीं। जिया, आँखों में गुस्सा और आँसू लिए हुए, बोली, "वो वक़्त... उस वक़्त से मुझे नफ़रत है, उस लम्हे से जिस वक़्त मैं आपसे मिली। आपसे प्यार क्या था? तुम्हारे अपने प्यार का इज़हार... उस चीज़ से मुझे नफ़रत है।"
"ओ कम ऑन, जान! यह पुराने फ़िल्मी ड्रामा की तरह यह रोना-धोना और यह टिपिकल आर्गुमेंट देना बंद करो और जो कहा है वह करो। क्योंकि मुझे बहुत ज़्यादा उत्तेजना महसूस हो रही है, और तुम तो जानती हो मैं तुम्हारी नज़दीकी से कितना ज़्यादा उत्तेजित हो जाता हूँ। और फिर मेरी उत्तेजना की सारी तीव्रता तुम रात भर भी बर्दाश्त नहीं कर पाती। तो जितना कहा है, उतना करो। कहीं ऐसा न हो कि कल कॉलेज जाने के लिए तुम्हारे पैरों पर हीले तक न पाओ। याद है न, लास्ट टाइम क्या हालत हुई थी तुम्हारी?" उसके चेहरे पर मुस्कराहट छा चुकी थी। जिया की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। उसका शरीर ठंडा पड़ जाता है।
फ़्लैशबैक:
एक महीने पहले:
एक लड़की, बरसात के मौसम में, अपने दोनों हाथ हवा में फैलाए हुए, बारिश में भीग रही थी। बारिश अपने जोर पर थी। उस लड़की के लंबे, घने बाल उसकी कमर पर लहरा रहे थे। उसका काले रंग का लहंगा-चोली उसके बदन से चिपक चुका था। उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था। एक अजीब सी खुशी और रंगत उसके चेहरे पर छाई हुई थी।
बारिश के मज़े लेते हुए, जैसे ही वह दूसरी तरफ पलटती है, उसकी आँखें बड़ी हो जाती हैं। एक लड़का आकर उसकी कलाई पकड़ लेता है। वह सामने देखती है जहाँ लगभग उनतीस साल का एक हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा शख़्स खड़ा हुआ था। उसने पूरी तरह से उस पतली-दुबली सी लड़की को अपने अंदर समेट लिया था; उसके सामने खड़े होने से वह लड़की दिख तक नहीं रही थी। वह शख़्स उस लड़की की कलाई को मज़बूती से पकड़कर उसे अपने नज़दीक खींच लेता है। उसने अपना हाथ धीरे से उसकी खुली हुई कमर पर रख दिया था।
वह लड़की घबराते हुए, "आप... आप यहाँ... इस वक़्त!" वह अटक रही थी।
वह लड़का, उसकी कमर पर अपना हाथ रखकर, उसके होंठों पर, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह रुकी हुई बारिश की बूँदों पर, अपना अंगूठा चलाते हुए, "क्या हुआ, जान? यहाँ मुझे देखकर घबरा गई क्या?" बोलते हुए वह उसके हाथ को अजीब तरीके से देख रहा था।
जिया अपनी कलाई को घुमाते हुए, "यह आप... आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए मेरा हाथ। कोई... कोई आ जाएगा।"
अग्नि उसके हाथ को इस तरीके से पकड़े हुए, उसके चेहरे पर झुकते हुए, "तो क्या हुआ, जान? मैं वैसे भी अपनी बीवी, अपनी अर्धांगिनी, अपनी धर्मपत्नी के साथ हूँ। किसी को देखने से क्या फ़र्क़ पड़ता है? और वैसे भी, जब तुम यहाँ इस बरसात में सड़क के बीचों-बीच खुद के इस खूबसूरत, काँच की तराशे हुए बदन की नुमाइश कर सकती हो, तो मुझे इसे छूने, इसे दबाकर कुचलने में कैसी शर्म?" बोलते हुए उसकी नज़र जिया के सीने पर थी।
उसका सीना गहरी साँस लेने की वजह से ऊपर-नीचे हो रहा था। बारिश की बूँदें उसके गले और सीने पर रुकी हुई थीं। अग्नि उसके सीने पर झुक जाता है और अपने गरम, तापते हुए होंठ उसके सीने पर रख, उन बारिश की बूँदों को पीने लगता है। जिया की पकड़ अग्नि की शर्ट पर कुछ मज़बूत हो जाती है। उसने अपनी आँखें मज़बूती से बंद कर ली थीं। वह एकदम जम गई थी।
अग्नि उसके कंधे से पकड़कर उसे सीधा, वहाँ रुकी हुई गाड़ी से सटा, उसके सीने पर चूमते हुए काटने लगता है। उसका एक हाथ जिया की कमर पर आ चुका था और वह अपने हाथों को बुरी तरह से उसकी नाज़ुक सी, पतली कमर पर रगड़ रहा था। जिया की त्वचा, बारिश में भीगने की वजह से, काँप रही थी। अग्नि के इस तरीके से उसके हाथों को अपनी कमर पर रगड़ने से उसे अपनी कमर पर तेज दर्द महसूस होता है। उसकी कमर एकदम लाल हो चुकी थी। अग्नि, बिना रुके, बहुत ही ज़बरदस्त तरीके से उसकी कमर पर हाथ रगड़ते हुए, उसके हाथ को पकड़कर उसकी कलाई को मोड़कर पेट से लगा देता है।
वह पूरी तरह से उसके ऊपर झुक जाता है, उसके होंठों के बिल्कुल नज़दीक जाकर, गहरी आवाज़ के साथ, "कहा था न मैंने तुमसे, किसी भी लड़के के नज़दीक मत जाना। और जिस दिन किसी लड़के ने तुम्हें छू भी लिया, उस दिन मैं सारी हदें पार करूँगा। और आज... आज वह चीज़ मैं तुम्हें करके दिखाऊँगा, जान।" उसकी डरावनी आवाज़ पर जिया घबरा जाती है।
और अपना हाथ छुड़ाते हुए, "आपको... आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। हम किसी... किसी भी लड़के के नज़दीक नहीं गए थे। आपको... आपको ज़रूर..."
अग्नि उसे बोलने का मौक़ा नहीं देता और अगले ही पल उसे गाड़ी के अंदर धकेलते हुए खुद भी आकर बैठ जाता है। ड्राइवर, जो पहले से ही गाड़ी में मौजूद था, उनके बैठने से वह तेज़ी से गाड़ी सड़क पर भगा देता है। अग्नि ने पार्टीशन ऑन कर दिया था। बाहर बारिश का शोर तहलका मचा रहा था, तो अंदर जिया गहरी साँसें भर रही थी। अग्नि के हाथ उसके लहंगे पर आ चुके थे। वह लगातार उसके जाँघ को सहलाते हुए, अपनी उंगलियों से हरकत करते हुए, हाथों को ऊपर की तरफ ला रहा था। जिया अपने पैरों को क्रॉस कर लेती है। अग्नि उसके कान के लोब को होंठों से दबाते हुए, "जान, आई नो, तुम्हें देखने का, छूने का, महसूस करने का, हर चीज़ का सिर्फ़ और सिर्फ़ इस अग्नि सिंह राठौड़ का हक़ है। पर यहाँ नहीं। मुझे पता है तुम बहुत ज़्यादा बेसबर हो चुकी हो, पर ज़रा सा सब्र। उसके बाद मैं तुम्हारे शरीर की सारी गर्मी को निकाल दूँगा और एक ऐसे खूबसूरत समुद्र में ले जाऊँगा जहाँ तुम गोते लगाते हुए नहीं थकोगी।"
जिया उसकी तरफ़ देखते हुए, "ये आपका कैसा... कैसा बातें कर रहे हैं? मुझे... मुझे आपके साथ कहीं भी नहीं जाना है। प्लीज़ मुझे... मुझे घर जाने दीजिए।"
अग्नि अपने हाथ में पहनी हुई घड़ी की तरफ़ देखता है और उसके बाद उसके फ़ोन को लगभग उसके बैग से निकालते हुए, "आज की रात तो मैं तुम्हें बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाला हूँ, जान।"
वह उसके फ़ोन में कुछ टाइप करता है और फ़ोन को बैक सीट पर फेंकते हुए उसके ऊपर आने लगता है कि गाड़ी अचानक रुक जाती है। वह जिया का हाथ पकड़कर खींचते हुए गाड़ी से बाहर आता है और सीधा लिविंग हॉल में बने हुए सोफ़े पर लगभग पटकते हुए अपने कोट को निकालकर फेंक देता है। अग्नि इस वक़्त उनतीस साल का था। उसकी बॉडी काफ़ी ज़्यादा आकर्षक थी।
वह किसी हैंडसम हंक से कम नहीं लगता था। हाथ में ब्रांडेड घड़ी, कोट निकालने की वजह से उसकी वह सफ़ेद शर्ट, जो भीगकर उसकी बॉडी से चिपक चुकी थी, जिसमें उसकी आकर्षक बॉडी और ज़्यादा आकर्षक लग रही थी। अग्नि अगले ही पल अपनी शर्ट के लगभग सभी बटन तोड़ते हुए वहाँ साइड में फेंक देता है और जिया की तरफ़ क़दम बढ़ाने लगता है।
जिया अपने पैर सोफ़े से ही पीछे की तरफ खिसकाते हुए, "यह आप क्या कर रहे हैं? देखिए यह गलत है। आप... आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते। हम अंकल... अंकल-आंटी को सब कुछ..." वह बोलते-बोलते शांत हो जाती है।
अग्नि उसकी बात पर तेज़ी से हँसता है। उसकी हँसी बेहद डरावनी थी। जिया को अपने रोंगटे खड़े हुए महसूस हो रहे थे। वह वहाँ रखा हुआ पानी का जग उठाता है और उसे अपने ऊपर डाल देता है। वह पानी की बूँदें अग्नि के सिर से नीचे की तरफ़ फिसलते हुए उसकी पैंट में कहीं गुम हो रही थीं। उसकी बॉडी काफ़ी ज़्यादा आकर्षक लग रही थी। वह पानी की बूँदें उसकी श्यामल बदन पर किसी हीरे की तरह चमक रही थीं।
अग्नि अपने निचले होंठ को काटते हुए, "आई नो, जान, मैं बहुत ज़्यादा आकर्षक हूँ। तो क्यों ना? इस आकर्षण को थोड़ा सा तुम्हारे नज़दीक आकर तुम्हारी भी खूबसूरती को तराशने के बाद एक खूबसूरत सा हीरा बनाया जाए, जो हम दोनों मिलकर पूरी रात बना सकते हैं।"
"आप... आप क्या करना चाहते हैं? मैं आपको ऐसा कुछ भी नहीं करने दूँगी।"
अग्नि उसकी बात पर उसकी तरफ़ क़दम बढ़ाते हुए, "कम ऑन, जान! इट्स नॉर्मल। अग्नि सिंह राठौड़ अपनी किसी भी चीज़ को इतनी आसानी से नहीं जाने देता। और यहाँ तो तुम पर मेरा पूरा हक़ बनता है। वह तो शुक्र मनाओ कि मैंने तुम्हें इतने लंबे वक़्त से छोड़ रखा था और शर्त भी बताई थी। पर तुमने... तुमने तो मुझे बहुत हवा में ले लिया। पर अब बारी मेरी है। मैं भी देखता हूँ तुम कब तक मुझसे बच पाओगी।" बोलते हुए वह उसके ऊपर झपटता है।
जिया दूसरे साइड से हटते हुए, "मैं कोई चीज़ नहीं हूँ। मैं इंसान हूँ। आई एम नॉट अ लिविंग थिंग। मैं... इंसान हूँ, जो साँस लेता है, जीता है।"
"हू केयर्स, जान? तुम मेरे लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ एक खिलौना हो, एक चीज़ जिसे मैंने जीता था। तुम मेरे लिए सिर्फ़ एक ट्रॉफी की तरह हो, जिसे एक कमरे में बंद करके रखा जाता है। और तुम्हें भी मैं ऐसी तरह रखूँगा।"
जिया सिसकते हुए, "मैंने आपसे कहा ना, मैं कोई चीज़ नहीं हूँ।"
"आर यू श्योर, जान? कि तुम कोई चीज़ नहीं हो? तुम वह चीज़ हो जिसे मैंने सबसे ज़्यादा उच्चतम कीमत पर जीता था, वह भी ऐसे मूल्य पर जिसमें मुझे शून्य ब्याज था। फिर भी मैंने इस ट्रॉफी को जीतकर अपने नाम करा था। तुम समझ रही हो? जीत का इनाम। तुम मेरे लिए सिर्फ़ एक चीज़ हो, सो-कॉल्ड शो पीस, जिसे मैं जब चाहे, जैसे चाहूँ, वैसे इस्तेमाल कर सकता हूँ। और अब से हर रात मैं तुम्हें इस्तेमाल करूँगा। इन फैक्ट, हर रात ही क्या? मैं तुम्हें हर दिन, जब मेरा मन करेगा, तब इस्तेमाल करूँगा, जान।" बोलते हुए उसकी कलाई पकड़कर उसके ऊपर झुक जाता है।
जिया रोते हुए चिल्लाकर, "आपको समझ में भी आ रहा है, आप क्या कर रहे हैं? मैंने कहा ना, मैं कोई चीज़ नहीं हूँ! तो आप ऐसा कैसे बोल सकते हैं?"
अग्नि, जो अभी एकदम शांत था, वह उसके जबड़े को मज़बूती से पकड़ते हुए, "माइंड योर टंग, जान! क्योंकि अग्नि सिंह राठौड़ को मुँह बंद करना बहुत अच्छे से आता है। और रही बात तुम्हें छोड़ने की या बख़्शने की, तो आज तो मेरा ऐसा कोई इरादा ही नहीं है। बल्कि आज मैं तुम्हें अपनी थोड़ी सी वाइल्डनेस और हॉटनेस का तड़का दिखाने वाला हूँ, जो हर रात मैं और लड़कियों के साथ करता हूँ, आज मैं तुम्हारे साथ करूँगा।" बोलते हुए उसकी नज़र जिया के सीने पर एक बार फिर से जाकर रुक जाती है।
उसका सीना ऊपर-नीचे हो रहा था। ऊपर से भीगने की वजह से उसका ब्लाउज़ पूरी तरह से चिपक चुका था, जिसमें उसके आकर्षक कर्व और ज़्यादा आकर्षक लग रहे थे।
जिया अपना हाथ छुड़ाते हुए, "नहीं, आप हमारे साथ ऐसा कुछ..."
उसने इतना ही बोला था कि चीर की आवाज़ के साथ उसका ब्लाउज़ सामने से फट चुका था। उसके टुकड़े अग्नि के हाथ में थे।
अग्नि उसे टेढ़ा मुस्कुराते हुए, "यू लुक सो हॉट, जान! और इस हॉटनेस को मैं और ज़्यादा हॉट करना चाहता हूँ।" बोलते हुए वह अपनी जीभ को हल्का सा गोल घुमाते हुए उसकी गर्दन पर झुककर अजीब तरीके से चाटने लगता है।
जिया के पूरे शरीर में एक झनझनाहट फैल जाती है। उसकी साँसें गले में अटकने लगी थीं। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी। अग्नि ने उसके हाथ को पहले ही मज़बूती से पकड़ा हुआ था। अग्नि अपनी गरम जीभ से अत्याचार उस पर ढा रहा था। जिया दर्द और पीड़ा के बीच में पिसी हुई थी।
अग्नि जिया के ऊपर पूरी तरह झुक चुका था। उसके गर्म हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए ऊपर की ओर बढ़ रहे थे। जिया के सभी संवेदनाएँ नियंत्रण से बाहर हो चुकी थीं। या यूँ कहें कि वह स्तब्ध हो गई थी। अग्नि उसे खुद में डरता हुआ, लड़ता हुआ देख रहा था। भले ही वह उस पर अपने शरीर का अत्याचार कर रहा था, पर वह देख सकता था, उसने देखा था जिया को खुद से लड़ता हुआ।
उसके शरीर से निकल रहा ठंडा पसीना इस बात का प्रमाण था कि वह खुद पर नियंत्रण नहीं खोना चाहती, इस बात का प्रमाण था कि वह अपना सब कुछ बर्बाद करके अग्नि का नहीं बनना चाहती, पर यह चीज़ कब तक काम करती, यह तो सिर्फ़ अग्नि जानने वाला था। अग्नि जिया से दूर हुआ, उसे तुरंत अपनी बाहों में उठाया और सीधा ऊपर की ओर कदम बढ़ा दिया। जिया ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। अग्नि ने अपने कपड़े उतार दिए और उसके ऊपर आ गया।
जिया ने अग्नि को बिना कपड़ों के देखकर अपनी आँखें मज़बूती से बंद कर लीं। "प्लीज़ ऐसा मत करो," उसने कहा। वह उसके बाकी के कपड़े निकालते हुए उसके ऊपर टूट पड़ा।
उसने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और बहुत ही बेरहमी से उसके होंठों को चूम रहा था, जैसे निगल ही जाए। उसके दोनों हाथ जिया के शरीर पर इस तरह घूम रहे थे जैसे वह बेसबर हो चुका हो जिया के लिए और कुछ ही देर में उस कमरे में सिर्फ़ दोनों की गहरी सिसकियों के सिवाय अग्नि की गहरी साँसों का शोर भर चुका था।
वह तालाब की गहराई की तरह जिया में खुद को उतारता चला जा रहा था। जिया की चीखें निकल रही थीं दर्द से। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। अग्नि एक पल के लिए रुका। उसकी नज़र जिया की कमर पर गई और उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट छा गई।
उसने अपनी उंगलियों को जिया की उंगलियों में उलझाते हुए कहा, "बस थोड़ा सा दर्द होगा और उसके बाद तुम एन्जॉय करोगी जान।" बोलते हुए वह मनोरोगी मुस्कान करने लगा और इसी तरह उसे पूरी रात सताता रहा।
वर्तमान समय
जिया सब कुछ याद करने में इतनी खो गई थी कि उसे एहसास तक नहीं हुआ कि कब अग्नि ने अपने पैर उसके पैरों से उलझा दिए थे और अपनी उंगलियाँ उसकी नाज़ुक उंगलियों में उलझा ली थीं। वह धीरे-धीरे उसके गले पर चुम्बन करते हुए काट रहा था। अचानक उसकी चीख निकली। उसने अग्नि की ओर देखा जो उसके बेहद नज़दीक था। वह खुद को छुड़ाने लगी।
पर अग्नि ने उसे पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया। "क्यों कर रहे हैं आप ऐसा? हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिसकी आप हमें सज़ा दे रहे हैं," उसने कहा।
अग्नि मनोरोगी स्वर में बोला, "ओह, रियली? तुम्हें सच में ऐसा लगता है कि तुमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है? वह तुम थी जिसने मुझे मेरे पूरे परिवार से दूर कर दिया, वह तुम थी जिसने झूठ बोला, वह तुम थी जिसकी वजह से मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो गई। कहा था ना मैंने तुमसे कि हम दोनों अलग हो जाएँ, पर नहीं, तुम्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ मुझ में दिलचस्पी थी। सिर्फ़ अपने एकतरफ़ा प्यार के लिए तुमने मेरी ज़िंदगी तबाह कर दी। और तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें छोड़ दूँ? मज़ाक है क्या? तुमने अग्नि सिंह राठौर की सिर्फ़ कोमलता देखी है। बचपन के दोस्त हैं ना हम? चलो अब अग्नि सिंह राठौर तुम्हें वह दोस्ती दिखाएगा जिसमें नफ़रत बेइंतेहा होगी और इंतक़ाम का हर एक कतरा मैं तुम्हारी साँसों से निचोड़ूँगा। तुम्हारा वह ख़ून जो निकलने के लिए बेकरार होगा, पर बूँद तक नहीं निकलेगा, ऐसा काम करूँगा मैं। समझी मेरी जान?"
जिया के होंठ फड़फड़ाने लगे। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें टिमटिमा रही थीं। "नहीं, यह गलत है आपको, आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। मैंने, मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है आप..." उसकी आवाज़ उसके गले में ही रुक गई।
अग्नि ने उसके होंठों को अपने कब्ज़े में ले लिया था और वह बहुत ही उग्र होकर उसके होंठों को चूम रहा था, जैसे निकल ही जाए। जिया अपने चेहरे को इधर-उधर करने लगी। अग्नि, जिसने उसके हाथों को दबा रखा था, अगले ही पल उसके हाथों को बिस्तर पर क्रॉस करते हुए तकिए में दबा दिया और दूसरे हाथ से उसके बालों को बेरहमी से पकड़कर उसके चेहरे को अपने चेहरे पर दबाते हुए चूमने लगा।
जिया अपने पैर इधर-उधर मार रही थी। अग्नि की आँखें एकदम सख्त हो गई थीं। उसकी आँखों में नफ़रत के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। बहुत ही बेरहमी से, उग्र होकर वह उसे चूम रहा था। उसने जिया के पैरों से अपने पैरों को उलझा लिया था। वह बहुत ही उग्र होकर उसे चूम रहा था।
बीच में जिया की साँस रुकने लगी थी। उसे साँस नहीं आ रही थी। अग्नि ने उसे अपने एक हाथ से पकड़कर उसका मुँह खोला और उसे सीपीआर देते हुए वैसे ही चूमने लगा। वह कभी उसके ऊपरी होंठ पर दबाव बना रहा था तो कभी निचले होंठ पर। उसने अपनी जीभ जिया की जीभ से उलझा रखी थी। वह उसके पूरे मुँह को एक्सप्लोर कर रहा था।
करीब 32 मिनट के लंबे चुम्बन के बाद वह उसे छोड़ देता है। उन दोनों की साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। साँस लेने की वजह से जिया का नाज़ुक सीना अग्नि की खुली हुई छाती से बार-बार टकरा रहा था। उसने जिया को छोड़ दिया। जिया अपने सीने पर हाथ रखकर अपनी साँसों को समेटने में व्यस्त हो चुकी थी।
अग्नि अगले ही पल उसके हाथ को फिर से पकड़कर अपने पास खींच लिया और अपना चेहरा उसके सीने पर अजीब तरीके से घुमाने लगा, जैसे आनंद ले रहा हो। काफी देर ऐसा करने के बाद उसने उसकी ठुड्डी पकड़कर कहा, "जान, आज के लिए इतना काफी है, और हाँ, अगली बार से मुझे इग्नोर मत करना। सुबह मेरे कॉफ़ी टाइम पर मेरे कमरे में आ जानी चाहिए।" उसने उसके हाथ को इस तरह झटक दिया जैसे कोई गंदी चीज़ हो और वहाँ से चला गया।
जिया उसे खाली आँखों से देखती रही। उसकी पलकें तक नहीं झपक रही थीं। उसने अपने घुटनों को अपने सीने से लगाते हुए सिसकने लगी। उसने अपने आप को मज़बूती से जकड़ रखा था।
वह तकिए पर हाथ मारते हुए बोली, "तुम बहुत बुरी हो, तुम बहुत बुरी हो। क्यों गई? क्यों गई मुझे छोड़कर? सब कुछ तुम्हारी वजह से हो रहा है। तुम्हें सच बताना चाहिए था। तुमने बहुत गलत किया है। खुद तो अपनी सो-कॉल्ड लाइफ़ में एन्जॉय कर रही हो और यहाँ मेरी ज़िंदगी तबाह कर क्या मिला तुम्हें? मेरा चेहरा लेकर, मेरा इस्तेमाल करके तुम कभी मेरे सामने मत आना।" वह और ज़्यादा रोने लगी।
वह कमज़ोर नहीं थी, लेकिन जब बात अग्नि की आती थी तो उससे ज़्यादा कमज़ोर इंसान इस दुनिया में कोई हो ही नहीं सकता। वह मजबूर हो जाया करती थी और रोते-रोते कब वैसे ही सो जाती थी, उसे होश तक नहीं रहता था।
वहीं दूसरी ओर
"मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी ना तुमने? मुझसे मेरा प्यार छीना है ना तुमने? मैं तुमसे तुम्हारा सब कुछ छीन लूँगा। काश उस खाई में तुम गिरकर मर जातीं। तुम जैसी रोड छाप लड़कियों को जीने का कोई हक़ नहीं है। और मैंने तुम्हें ज़िंदा न मार दिया तो मेरा नाम अग्नि सिंह राठौर नहीं। शादी की ना, बीवी बनाया है ना तुम्हें। तुमसे सब वसूल लूँगा। और अब देखो कैसे मैं तुम्हारी जान तुम्हारे सीने से निकालूँगा और तुम आवाज़ तक नहीं कर पाओगी। कहते हैं ना, जब ऊपर वाले की लाठी पड़ती है तो दर्द हज़ार होता है पर आवाज़ नहीं होती, और वह लाठी आज मैं हूँ, और दर्द मैं तुम्हें इतना दूँगा कि तुम सह नहीं पाओगी, आँसू इतने बहा नहीं पाओगी, आग इतनी कि जलन महसूस तो होगी लेकिन जल नहीं पाओगी। मेरी जान, अग्नि सिंह राठौर ने तुम्हें ज़िंदा जी नर्क के दर्शन न करा दिए तो मेरा नाम भी अग्नि सिंह राठौर नहीं।" बोलते हुए उसने कस के आखिरी वार किया।
जिसके साथ ही पंचिंग बैग फटकर जमीन पर गिर गया और उसमें से खून निकलने लगा। उसमें पहले ही काफी ज़्यादा खून के निशान बन चुके थे और अब टूट जाने से हड्डियों के चरमराने की आवाज़ के साथ-साथ खून और ज़्यादा निकलने लगा। वह देखने में बहुत ही ज़्यादा डरावना था।
पहले से ही अग्नि का रूप बहुत डरावना था। ऊपर से उसके बाल जो चेहरे पर पसीने से चिपके हुए थे, हाथ खून से सने हुए थे, और नीचे वह पंचिंग बैग से निकलता हुआ खून उस सफ़ेद फ़र्श को और ज़्यादा लाल बना रहा था, जो देखने में बहुत डरावना लग रहा था।
अगली सुबह
जिया का कमरा
वह अभी भी गहरी नींद में सो रही थी। सुबह के 6:00 बज चुके थे। उसकी नींद दरवाज़े पर आवाज़ से खुली और वह एकदम हड़बड़ा गई। उसकी आँखों के सामने अग्नि का वह डरावना चेहरा आ गया। उसने अपनी हालत देखी। वह अभी भी उसी हालत में थी। उसके आधे कपड़े जमीन पर बिखरे हुए थे और उसने खुद को कंबल से ढँक रखा था।
खुद में ही घबराहट में जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हुए, "कौन? कौन है?"
बाहर से अवनी जी, "बेटा तुम क्या कर रही हो? जल्दी बाहर आओ।"
जिया के चेहरे का रंग एकदम से फीका पड़ गया। वह हकलाती हुई आवाज़ में बोली, "आंटी आप, आप जाइए, मैं बस फ़्रेश होकर आती हूँ। मे... मेरे सर में थोड़ा-सा दर्द हो गया था इसलिए मैं उठ नहीं पाई। सॉरी, मैं आती हूँ, आप जाइए।"
अवनी जी को उसकी आवाज़ कुछ अजीब लगी। वह ज़्यादा ध्यान ना करते हुए बोली, "अच्छा ठीक है, तुम पहले जल्दी से नीचे आओ, मुझे थोड़ा काम है तुमसे।"
वह नीचे की ओर चली गई। जिया गहरी साँस लेते हुए दरवाज़े से ही टिककर अपना सिर दरवाज़े पर लगा लिया। उसकी साँसें सामान्य नहीं थीं। कुछ देर बाद जिया हाथ में ट्रे लिए किचन में खड़ी थी और अवनी जी को देख रही थी जो उसे जाने का इशारा कर रही थीं।
जिया गहरी साँस लेते हुए बोली, "पर आंटी आपको तो पता है ना अगर मैं जाऊँगी तो फिर..."
"कुछ नहीं होगा बेटा, तुम जाओ। और हमने सारी बात कर ली है। और तुम तो जानती हो ना, तुम्हारे सिवाय बचपन से लेकर आज तक कोई भी उसके कमरे में गया है तो वह शैतान बन जाता है, उन्हें खाने के लिए। और तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। तुम कुछ इन नौकरों का ख़्याल करो, वह ड्रैकुला की तरह ही निगल जाएगा।"
जिया खुद से बड़बड़ाते हुए, "ड्रैकुला नहीं, डायनासोर बोलिए, जो कभी भी मुझे खा जाएगा, मेरी हड्डियाँ तक नहीं मिलेंगी आप लोगों को।"
अवनी जी उसकी बड़बड़ाहट सुनते हुए, "तुमने कुछ कहा मुझे?"
जिया जल्दी से, "नहीं आंटी, वो बस मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है, मैं बस जल्दी से जाकर दे आती हूँ।"
वह जल्दी-जल्दी ऊपर की ओर निकल गई। अवनी जी बस उसे जाते हुए देखती रही। जिया आज फिर से अग्नि के दरवाज़े पर खड़ी थी। उसकी हिम्मत नहीं थी अग्नि से नज़रें तक मिलाने की। कल रात जो कुछ भी हुआ वह उसके दिल में बैठ चुका था। उसके हाथ काँप रहे थे।
वह खुद से बड़बड़ाते हुए, "कुछ भी हो जाए मुझे यहाँ से निकलना होगा। मैं आंटी से बात करूँगी, हाँ, मैं ऐसा ही करती हूँ और गाँव चली जाऊँगी। यह सही रहेगा।" वह खुद में बड़बड़ा कर दरवाज़ा खोलकर अंदर की ओर देखती है।
अंदर उसे एकदम गहरी खामोशी महसूस हुई। वह जल्दी से कॉफ़ी को कॉफ़ी टेबल पर रखकर पीछे पलटी। "शुक्र है वह नहीं है। अब मैं जल्दी से भागती हूँ।"
वह दरवाज़े तक पहुँची ही थी कि दरवाज़ा एकदम से बंद हो गया। उसकी साँस एक बार फिर से गले में अटक गई। वहीं अग्नि, जो बिस्तर पर किसी राजा की तरह लेटा हुआ था। उसके दोनों हाथ सर के पीछे थे और एक पैर दूसरे पैर के ऊपर रखे हुए था, वह अपने पैर को हिला रहा था। उसका डरावना आभा लाल आँखों के साथ और ज़्यादा डरावना बना रहा था।
अग्नि ठंडी आवाज़ में, "क्या हुआ जान? मिले बिना भागने की ख़्वाहिश जाग उठी है या फिर मुझसे रिहाई चाहती हो?" जिया उसकी ओर पलटी भी नहीं।
अग्नि वैसे ही लेटे हुए, "इधर आओ जान।"
जिया ने अपने लहंगे को मुट्ठी में भर लिया। धीरे से पीछे पलटी और उसकी ओर देखी। अग्नि सिर्फ़ अपनी अंडरवियर पहने बिस्तर पर लेटा हुआ था। उसकी कसी हुई बॉडी, हल्का उठा हुआ सीना, सिक्स पैक एब्स, और उसकी परफेक्ट ठुड्डी, जो बहुत ही ज़्यादा आकर्षक लग रहे थे। जिया को अपना गला सूखता हुआ महसूस हुआ।
वह अग्नि की ओर एक नज़र देखने के बाद वापस पलट गई और ना में सिर हिला दिया। अग्नि गहन नज़रों से उसे देखने लगा। जिया ने हमेशा की तरह काला लहंगा पहन रखा था और उसके ऊपर चोली और दुपट्टा ओढ़ रखा था। जिसमें उसकी परफेक्ट कमर पीछे से दिख रही थी। उसका डीप नेक गला जो काफी आकर्षक लग रहा था।
अग्नि मुस्कराते हुए, "सोच लो जान, अगर तुम अभी बिना वक्त गँवाए मेरे पास आ गई तो ज़रूर मैं तुम्हें माफ़ कर सकता हूँ। अगर मैं वहाँ आया तो जो काम मैं अधूरा छोड़कर गया था कल रात, उसे पूरी तरह से पूरा कर दूँगा। फिर तुम पूरे घरवालों को खुद ही जवाब देती रहना, क्योंकि लड़कों से तो कोई सवाल करता नहीं है।" बोलते हुए वह उसे देख रहा था। जिया अग्नि की ओर पलटी। उसने नज़रें नीचे झुका रखी थीं।
अग्नि को इस हालत में देखकर, अग्नि बोला, "अरे जान, अगर तुम ही मुझसे शर्माओगी तो मज़ा कैसे आएगा? और तुम मुझे इस तरह देख सकती हो अभी। और अगर तुम्हें फिर भी शर्म आ रही है मुझे इस तरह देखने में, तो क्यों ना हम बेशर्म हो जाते हैं? ऐसा करो, तुम अपने कपड़े उतार दो अभी।" उसकी आवाज़ एकदम ठंडी थी।
जिया को अपने रोएँ खड़े होते हुए महसूस हो रहे थे। वह घबराई हुई आवाज़ में बोली, "यह आ... आप क्या? क्या कह रहे हैं?"
"तुम्हें पता है ना मैं अपनी बात को दोबारा नहीं दोहराता। मैंने कहा, अपने सारे कपड़े अभी उतार दो।" उसने अपने हर शब्द पर ज़ोर दिया था।
जिया के रोएँ खड़े हो गए। उसकी जान अंदर तक सूख चुकी थी। उसका चेहरा इतना सफ़ेद पड़ चुका था जैसे काटो तो ख़ून न निकले।
जिया ने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, "यह आप कैसी बातें कर रहे हैं? मैं ऐसा कुछ भी नहीं करने वाली हूँ। आपका दिमाग खराब हो गया है।"
वह बाहर की तरफ कदम बढ़ा गई। जैसे ही वह दरवाज़ा खोलने के लिए हाथ बढ़ाई, उसे तेज करंट लगा। वो अपने हाथ को दूसरे हाथ से पकड़ ली। उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे थे। करंट बहुत हाई पावर का था। वो ज़्यादा देर और पकड़ती तो बहुत तेज लगता।
उसके कानों में अग्नि की आवाज़ गूँजी, "क्या हुआ जान? तुम यहां से जाना चाहती थी ना, तो अब जाओ। अब तो मैं तुम्हें रोक भी नहीं रहा हूँ। तो अब यहां पर किसका इंतज़ार है?" बोलते हुए वह खड़ा हो गया।
वो अपने दोनों हाथ पैंट की पॉकेट में डाल, उसके नज़दीक गया और उसके खुले हुए बालों को धीरे-धीरे सूँघने लगा। जिया, जो करंट की वजह से अपनी जगह से हिल तक नहीं पा रही थी, अग्नि की हरकत पर सँहूँड़ गई और एकदम से उसकी तरफ पलट गई। अग्नि तुरंत उसके हाथ को पकड़ लिया, जिसमें कुछ देर पहले करंट लगा था।
वो उसके हाथ को धीरे-धीरे अंगूठे और उंगलियों से सहलाते हुए बोला, "जान, अब तुम इतनी भी नाज़ुक मत बनो, जैसे कोई धागों से बनी हुई गुड़िया हो। मैंने इतना भी कुछ नहीं कर दिया तुम्हारे साथ।" उसके हाथ बोलते हुए पेट से घूम कर पीठ पर आ चुके थे और अगले ही पल उसने जिया के ब्लाउज़ की डोरी खोल दी थी।
जिया का ब्लाउज़, जो कि सिर्फ़ डोरियों से बंधा हुआ था, अग्नि की हरकत पर उसके कंधों से ढीला हो गया। जिया जल्दी से अपने सीने पर हाथ रखकर ब्लाउज़ को सम्भाल ली।
अग्नि मुस्कुराते हुए बोला, "जान, यह तो नाइंसाफ़ी हुई ना? यहां तुमने मुझे बिना कपड़ों के देखा है और अब तुम मुझे खुद को देखने भी नहीं दे रही हो।" बोलते हुए उसकी उंगलियाँ जिया के ब्लाउज़ के साथ खेल रही थीं।
जिया ने सिर एकदम नीचे झुका लिया। उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे थे। इन कुछ दिनों में ही अग्नि ने उसकी ज़िन्दगी में तहलका मचा दिया था। वह ठीक से साँस तक नहीं ले पा रही थी।
वह अपने लोअर लिप को काटते हुए बोली, "प्लीज़, प्लीज़ मुझे जाने दो। सुबह हो चुकी है। रात नहीं है कि किसी को पता नहीं चलेगा और आपको तो यहां कोई कुछ नहीं कहेगा, पर दाग तो मेरे दामन पर लगेगा ना।"
"व्हाट द हेल! मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ यहां तुमसे प्यार करने के लिए बेसबर हो रहा हूँ और तुम यहां पर मुझे अपना बखान सुना रही हो। तुम्हें सच में लगता है मुझे तुम्हारे इस सो कॉल्ड बखान से फ़र्क भी पड़ता है?" बोलते हुए उसकी उंगलियाँ जिया के पेट पर हरकत कर रही थीं।
वह उसकी नाभि पर अपनी उंगली एकदम से दबा दिया। जिया की साँस ऊपर की तरफ खिंच गई। उसके कंधे मज़बूत हो चुके थे, जैसे शरीर धीरे-धीरे अकड़ने लगा हो। अग्नि के चेहरे पर संतुष्टि वाली मुस्कान आ गई। वह जिया की कमर पर अपना हाथ फिर से घुमाते हुए उसके लहंगे की बंधी हुई डोरी पर आकर रुक गया।
और उन डोरियों को धीरे-धीरे खोलते हुए बोला, "मुझे यह कलर कुछ ख़ास पसंद नहीं आ रहा। तो क्यों ना? इसे बदल दिया जाए।" बोलते हुए वह एक ही बार में उसकी डोरी खोल दिया।
जिसके साथ लहंगा सरकते हुए नीचे गिर गया। जिया सिर्फ़ एक मिनी स्कर्ट में थी, जो मुश्किल से उसके जांघों तक को कवर कर रही थी। उसने सिर्फ़ एक प्लेन कलर की व्हाइट स्कर्ट पहनी हुई थी अंदर, जो इनर का काम कर रही थी। जिया का परफेक्ट शेप फ़िगर अग्नि के सामने था।
अग्नि आँखें छोटी करते हुए बोला, "बाकी सब तो ठीक है जान, पर मुझसे कुछ तुम घबरा क्यों रही हो?"
जिया ने अपनी मुट्ठियाँ बहुत मज़बूती से बँध ली थीं। अग्नि एक ही बार में उसके ब्लाउज़ को निकाल दिया। उसके कपड़े फटे हुए नहीं थे। जिया अब उसके सामने बिना कपड़ों के खड़ी थी। बस उसके शरीर पर सिर्फ़ नाममात्र के कपड़े थे। उसके लंबे बाल उसकी पीठ पर बिखरे हुए थे, जो उसके शरीर को ढकने के लिए पर्दे का काम कर रहे थे। अग्नि पहले उसके चारों तरफ़ घूमते हुए उसके एकदम पीछे आया और एक हाथ उसके पेट पर रखकर एकदम अपनी तरफ़ खींच लिया। जिसके साथ उसकी नाज़ुक सी पीठ अग्नि के चौड़े सीने पर जाकर टकरा गई।
अग्नि उसके पेट पर हाथ रखे हुए धीरे-धीरे चलाते हुए बोला, "जान, अब तो यह डरना, शर्माना, घबराना बंद करो। आई नो यह सब सिर्फ़ और सिर्फ़ एक दिखावा है।" बोलते हुए उसने उसके कंधे पर अपने दाँत गड़ा दिए।
जिया की मुट्ठी मज़बूत हो गई। वह गुस्से से बोली, "आपका दिमाग ख़राब हो गया है। अंधे हो चुके हैं आप इसलिए कुछ देखना नहीं चाहते। रही बात नफ़रत की, तो मैं आपसे इस हद तक नफ़रत करती हूँ जितना आप कभी सोच भी नहीं सकते थे। और जिस चीज़ के लिए आप मेरे साथ यह सब कर रहा है ना, उस चीज़ के बारे में अगर आपको पता चल गया ना, तो आपको खुद से नफ़रत आएगी होगी। पर मैं, मैं आपके पास नहीं रहूँगी। उस दिन आप घुटनों पर होकर रोएँगे, पर नहीं मिलूँगी मैं आपको। समझ में आई आपको मेरी बात?" बोलते हुए वह छटपटाना शुरू कर दी।
वह तेज़ी से हँसने लगा। उसके लिए यह बात किसी जोक से कम नहीं थी। वह हँसते हुए बोला, "व्हाट अ जोक जान! क्या तुम खुद को इतनी ज़्यादा प्रेशियस समझती हो? कि मैं तुम्हारे लिए रहूँगा, तड़पूँगा? यह सिर्फ़ और सिर्फ़ एक मज़ाक है।" बोलते हुए वह कुछ देर तक उसकी बॉडी के साथ खेलता रहा।
जिया ने कोशिश करना बंद कर दिया था। अग्नि एक घंटे से लगातार उसके पूरे शरीर के साथ खेल रहा था। कभी दाँत गड़ा रहा था, कभी किस कर रहा था। वो इस हद तक उसे टॉर्चर कर रहा था। जिया अपने होंठों को सिल हुए खड़ी थी। उसके शरीर को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसे फ़र्क ही नहीं पड़ रहा हो। बस एकटक अग्नि को देख रही थी, जिसकी आँखों में एक पागलपन, एक सुरूर, एक जुनून दिखाई दे रहा था। वही अग्नि घुटनों के बल बैठे लगातार उसके पेट पर किस कर रहा था और काट रहा था। जिया उसे देखकर हँस दी। उसकी आँखों के सामने कुछ चल रहा था।
वह थोड़ा सा दूर होते हुए बोली, "आपका हो गया हो, तो क्या मैं अब जा सकती हूँ? मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है। क्योंकि मैं अपने मुँह में सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुई थी।" उसकी बात में अकड़ और आँखों में नफ़रत साफ़ थी।
अग्नि हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "ऑफ़ कोर्स जान! मैं तो चाहता ही हूँ कि तुम जाओ, क्योंकि जो मज़ा बेड पर आता है, वह मज़ा ऐसे कहाँ आता है?" उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कराहट थी।
जिया ने एक गहरी साँस लेते हुए अपने कपड़ों की तरफ़ बढ़ गई। जैसे उसे अग्नि के बोलने से फ़र्क ही न पड़ा हो। अग्नि तुरंत उसके कंधे को पकड़कर एकदम खुद के नज़दीक कर लिया। उसकी पकड़ जिया के कंधों पर मज़बूत थी। जिया अपने कंधों की तरफ़ देखती है, जहाँ अग्नि की उंगलियों के निशान छप चुके थे।
वो उसके हाथ को अलग करते हुए बोली, "क्या हुआ? मन नहीं भरा? और करना है? हाँ, मैं भूल गई थी। अभी आपका कहाँ... मन भरेगा। जो इंसान..."
अग्नि उसके होंठों पर उंगली रखकर उसे ख़ामोश करवाते हुए बोला, "चुप! बिलकुल चुप! तुम्हारे इस बेहूदा मुँह से मुझे एक अल्फ़ाज़ नहीं सुनाई देना चाहिए, बिकॉज़ तुम बहुत इरिटेटिंग हो बचपन से ही।" बोलते हुए उसने उसे दूर धक्का दे दिया और वहाँ रखे हुए टिशू पेपर से अपने हाथों को साफ़ करने लगा, जैसे कितनी गंदी चीज़ छू ली हो। जिया वहीं खड़ी हुई थी। वह तिरछी नज़रों से अग्नि को देखती है और गहरी साँस लेते हुए अपने कपड़े पहन वहाँ से निकल जाती है। अग्नि सिगार को जलाकर अपनी उंगलियों के बीच दबाते हुए बालकनी में आकर लंबे कश लेने लगा। उसकी नज़र दरवाज़े पर गई। उसकी आँखें एकदम छोटी हो गईं। जिया हाथ में कुछ बुक्स लिए तेज़ी से भागते हुए दरवाज़े के पास जा रही थी।
वहीं एक लड़का, जो करीब उसी की उम्र का था, उसे देखकर मुस्कुरा रहा था और कुछ इशारे कर रहा था। जिया उसे बदले में इशारा करते हुए जल्दी से उसके पास आती है और उसके साथ बाइक पर बैठ जाती है। वह दोनों वहाँ से निकल जाते हैं। जिया उसे कुछ बातें कर रही थी। वही अग्नि, जो अभी बालकनी में खड़े होकर सिगार के लंबे कश ले रहा था, उसकी नज़र जिया पर अटकी हुई थी। उसकी आँखें एकदम लाल हो रही थीं।
यूनिवर्सिटी,
पार्किंग में,
जिया बाइक से उतरकर उस लड़के के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "थैंक यू, थैंक यू सो मच अरुण! अगर तुम टाइम पर नहीं आते, मेरा आज बहुत इम्पॉर्टेन्ट एग्ज़ाम था और वह मिस हो जाता। मुझे कैसे भी करके एग्ज़ाम क्लियर करना है। मुझे अपनी दादी की ख़्वाहिश पूरी करनी है। थैंक यू सो मच।" बोलते हुए वह अपना लहंगा एक हाथ में पकड़कर अंदर की तरफ़ दौड़ते हुए चली गई।
वही वह लड़का, जिसका नाम अरुण था, वह बस जाती हुई जिया को देखते हुए अपने बालों पर हाथ फेर लेता है।
शाम का वक्त था।
जिया कैंटीन में बैठी थी। उसके चेहरे पर उदासी छा गई थी। तभी एक लड़का, कंधे पर टांगे हुए बैग के साथ, उसके पास आया और चेयर पर बैग लगभग पटकते हुए बोला, "सो, फाइनली तू आ गई! अब मुझे जल्दी-जल्दी बता, तेरा एग्जाम कैसा रहा? और हाँ, मैं ट्रीट के लिए वेट कर रहा हूँ। इस बार तो मेरी ट्रीट नहीं छोड़ने वाला, समझी?" बोलते हुए उसने अपने कानों से इयरबड्स निकालकर अपनी पॉकेट में रख दिए।
जिया वहीं उसके सामने बैठी थी। वह अपनी जगह से खड़ी हुई और बोली, "अरुण, मैं तुमसे बाद में बात करती हूँ। मेरा मन अभी ठीक नहीं है। मुझे दादी की याद आ रही है। अच्छा, तो मैं चलती हूँ।"
जिया अपना छोटा सा बैग कंधे पर लटकाए बाहर निकल गई। अरुण आसपास देख रहा था। उसे सब कुछ सामान्य लग रहा था। उसे अजीब लगा। जिया का मूड कैसे खराब हो सकता था?
वह खुद से बड़बड़ाया, "आज तो छिपकली और उसका वह लंगूर बॉयफ्रेंड भी नहीं आया। तो इससे क्या हो गया?" वह उसकी ओर भागने लगा।
पर जिया शायद जल्दबाजी में थी; वह कॉलेज के दरवाजे के बाहर आ चुकी थी। अरुण बाइक लेकर बाहर आया। उसकी नजर एक गोलगप्पे वाले के पास गई जहाँ जिया लगातार एक के बाद एक गोलगप्पे खा रही थी। उसकी आँखें बड़ी हो गईं।
वह जल्दी से उसके पास गया और उसके हाथ से गोलगप्पा लेते हुए बोला, "तू पागल हो गई है? तेरा दिमाग खराब है? तुझे पता है ना इतनी स्पाइसेज तेरे से कंट्रोल नहीं होती हैं, फिर भी तू खा रही है?" बोलते हुए उसने एक गोलगप्पा अपने मुँह में रख लिया। उसकी आँखों से अगले ही पल आँसुओं की बरसात हो गई।
जिया उसके हाथ से वापस अपनी प्लेट लेते हुए बोली, "अपने पैसों से खा, मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं जो मैं तुझ पर वेस्ट करूँ।"
फिर गोलगप्पे वाले की ओर देखते हुए बोली, "भैया, थोड़ा और तीखा बनाना। कितना ज्यादा फीका बना रहे हैं।"
गोलगप्पे वाला हैरान हो गया। क्योंकि जिया पहले ही दस गोलगप्पे खा चुकी थी और उसने हर गोलगप्पे के साथ यही बात कही थी।
गोलगप्पे वाला बोला, "बेटा, और खाओगी तो तुम्हें कहीं एलर्जी ना हो जाए, प्रॉब्लम ना हो जाए।"
जिया उसकी बात को अनसुना करते हुए बोली, "अंकल, मैं आपको पैसे दे रही हूँ ना, आपको बस तीखा बनाना है, जितना तीखा आप बना सकते हैं।" बोलते हुए उसने खुद गोलगप्पे बनाए और मिर्ची से भरकर खाने लगी।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे। मौसम काफी बदल रहा था; आसमान बादलों से भरा हुआ था। तेज हवाएँ चल रही थीं। अरुण खराब होते हुए मौसम को देखकर बोला, "यार, तू क्या कर रही है? तुझे पता है ना यहाँ से घर जाने में एक घंटा लगेगा, और तू यहाँ पर अभी भी गोलगप्पे खा रही है। चल यहाँ से।"
जिया अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, "तुम जाओ, मेरी फिक्र मत करो यार। मैं आ जाऊँगी। जस्ट रिलैक्स, कुछ भी नहीं हुआ। मैं तुझे कल सब कुछ बताऊँगी।"
अरुण गहरी साँस लेते हुए बोला, "मुझे पता है मैं कितना भी तुझे मनाऊँ, तू तब तक कुछ नहीं बोलेगी जब तक तेरा दिल ना चाहे, पर मैं तुझे इस तरीके से अकेला छोड़कर नहीं जा सकता। अब चुपचाप बैठ।" अब उसने उसका हाथ पकड़ लिया।
जिया घूर कर उसे देख रही थी। अरुण तुरंत अपना हाथ हटा लिया। वे दोनों स्कूल टाइम से साथ थे, या अरुण ने जबरदस्ती जिया को अपना दोस्त बनाया था। जिया हमेशा से शांत रहती थी। कुछ बदल सा गया था, खासकर पिछले छह महीनों से। वह अब वह जिया नहीं थी जो चिल्लाती और सबको परेशान करती थी।
"फाइन, जा रहा हूँ, लेकिन घर जाकर कॉल करूँगा। जल्दी निकल जाना।"
जिया सिर हिला दिया और तुरंत वापस गोलगप्पे खाने लगी। वहाँ मौसम पहले से खराब हो गया था। बारिश शुरू हो गई।
गोलगप्पे वाला बोला, "बेटा, तुम रहने दो। अब मेरा सामान खराब हो रहा है, मैं जा रहा हूँ।" बोलते हुए उसने अपनी रेड़ी साइड में लगा दी।
वही जिया पैसे देकर रास्ते पर चल पड़ी जहाँ ज़ोरदार बारिश हो रही थी। उसका चेहरा और आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थीं, नाक हल्की-हल्की बह रही थी। उसने अपने चेहरे की हालत खुद खराब कर ली थी। वहीं एक गाड़ी, जो कॉलेज के दूसरे साइड खड़ी थी, उसमें बैठा शख्स अपनी मुट्ठी मजबूत कर रहा था। जैसे ही वह गाड़ी जिया की ओर बढ़ाता, अरुण, जो जा चुका था, फिर से उसके पास आ गया।
वह जिया के पास बाइक लगाते हुए बोला, "कहा था ना मैंने जल्दी चली जाना, पर तेरे से गया नहीं जाता ना। अब बैठ चुपचाप, वरना दादी के पास कॉल कर दूँगा, समझी?" उसने उसे जबरदस्ती बाइक पर बिठाया।
जिया उसे एक नज़र देखने के बाद बोली, "ठीक है, मैं चल रही हूँ, पर तू मुझे घर से पहले ही उतार देना। हाँ बाबा, मुझे पता है तू नहीं चाहती। अब बैठ भी।"
जिया उसके कंधे पर हाथ रखकर बैठ गई। उसने अपना चेहरा ऊपर की ओर किया हुआ था। वह ठंडी बारिश को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी, पर उसका चेहरा एकदम लाल हो रहा था। करीब पच्चीस मिनट की तेज ड्राइविंग के बाद अरुण उसे राठौर मेंशन के कुछ दूरी पर उतार देता है।
जिया उसके गाल को कस के पिंच करते हुए बोली, "तू मेरी बात कभी नहीं सुनता ना। अब चल फटाफट निकल, और घर जाकर सबसे पहले नहाकर एक कॉफी पी लेना या चाय पी लेना, वरना मेरे छुईमुई को जल्दी से बुखार हो जाएगा।" वह उसकी नाक खींचती है।
अरुण उसकी बात पर उसके बाल खींचते हुए बोला, "छिपकली, तू निकल यहाँ से। ज़्यादा मेरी फ़िक्र मत कर, वरना लोग समझेंगे हमारा कुछ चल रहा है।"
जिया सिर हिला देती है और हँसते हुए रास्ते पर चल पड़ती है। जैसे ही वह हवेली के अंदर दाखिल होती है, कोई उसका हाथ पकड़कर एकदम से खींच लेता है। जिया घबराकर सामने देखती है।
सामने अग्नि उसके बाजू से पकड़कर उसे दीवार से लगा देता है, "किस लड़के के साथ अय्याशी कर रही थी?" जिया का चेहरा, जो पहले से ही लाल था, और भी लाल हो गया।
वह अग्नि की बात पर उसके हाथ अलग करते हुए बोली, "आपको क्या फ़र्क पड़ता है? आपको जो चाहिए वह तो मैं आपको दे ही रही हूँ ना। फिर मैं अपनी लाइफ में कुछ भी करूँ, आपको मैटर नहीं करना चाहिए।" अग्नि के जबड़े कस गए।
जिया उसकी आँखों में देखते हुए बोली, "You want only to satisfy your lust, nothing else. इतनी प्रॉब्लम क्यों हो रही है? Mr. Agni Singh Rathore, आपको, आप बताएँगे मुझे?" उसकी आवाज़ में गुस्सा था, आँखों में नफरत की आग और ज़्यादा भड़क चुकी थी।
"सो, फाइनली तुम्हें पता ही चल गया कि मेरे अंदर तुम्हारे लिए सिर्फ़ लस्ट है। वेल डन! और इस लस्ट को मैं हर रात, हर वक्त पूरा करूँगा, जब जब मेरा मन करेगा। और अभी मुझे बहुत ज़्यादा हिट फील हो रहा है, सो चलो कंटिन्यू करते हैं।" बोलते हुए अग्नि जिया का हाथ पकड़कर उसे खींचने लगा।
अवनी जी, जो अभी-अभी किचन से बाहर आई थीं, उनके चेहरे पर परेशानी साफ़ दिख रही थी। वह वहाँ काम कर रहे एक नौकर की ओर देखते हुए बोलीं, "क्या जिया अभी तक घर नहीं आई है?" उनके चेहरे पर चिंता थी।
वहीँ अग्नि की पकड़ जिया के कंधे पर थोड़ी ढीली हो गई। जिया उसका हाथ अपने कंधे से हटाकर तुरंत अवनी जी की ओर गई, "आंटी, क्या हुआ? आपको कुछ चाहिए था?" बोलते हुए वह छींकने लगी।
वह पहले ही बारिश में काफी भीग चुकी थी। ऊपर से जितनी मिर्च खाई थी, उससे उसका पूरा चेहरा सुर्ख हो चुका था। अग्नि गुस्से से उसे देखने लगा।
अवनी जी चिंता जताते हुए बोलीं, "बेटा, तुम्हें पता है ना, जरा सा बारिश का पानी तुम्हारे महीने भर का नुकसान करवा देता है, और फिर भी तुम।"
जिया दुपट्टा अपने चेहरे पर लगाते हुए बोली, "कुछ नहीं आंटी, जस्ट रिलैक्स। मैं बस अभी थोड़ी सी चाय पी लूँगी ना, ठीक हो जाएगा।"
"हाँ, पहले तुम जाओ, जाकर जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आओ। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।" बोलते हुए उन्होंने अपने फ़ोन की ओर देखा जो काफी देर से बज रहा था।
जिया उनकी बात पर सिर हिला देती है। उसे अपने दिल में एकदम कसकर दर्द होता है। वह अपना हाथ सीने पर रख लेती है। वह सब चीजों को नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ जाती है।
वहीँ अवनी जी फ़ोन उठाते हुए बोलीं, "हेलो..."
दूसरी तरफ से टैक्सी ड्राइवर बोला, "हेलो, मेरी बात अवनी राठौर से हो रही है? अवनी जी से बात करनी है। मैं यहाँ पर एक बुज़ुर्ग औरत को लेकर राठौर हवेली की तरफ आया था। पर रास्ते में पेड़ गाड़ी पर गिर गया, हम उन्हें लेकर अस्पताल गए हैं। प्लीज़, आप उनकी रिलेटिव हैं तो जल्दी आ जाइए।"
अवनी जी के हाथ से फ़ोन छूट गया। वे जल्दी से पीछे पलटकर देखती हैं जहाँ जिया अपने लहंगे को मुट्ठी में भरे आगे बढ़ रही थी। पानी नीचे टपक रहा था। उनके पैर हल्के से लड़खड़ा गए। अग्नि, जो उन्हें देख रहा था, उसके एक्सप्रेशंस बदल गए। वह तुरंत उनके पास गया और फ़ोन कान में लगाया।
दूसरे साइड से, "हेलो, आप हॉस्पिटल आ रही हैं ना? देखिए, बॉडी ज़्यादा देर तक हॉस्पिटल वाले नहीं रख पाएँगे। अगर आप उनके रिलेटिव हैं तो प्लीज़ जल्दी आ जाइए।" अग्नि फ़ोन काटकर पॉकेट में रखते हुए सीधा बाहर निकल गया।
पुणे,
रात का वक्त था।
एक शख्स कमरे में बैठा सिगार पी रहा था और अपने सामने खड़ी लड़की को देख रहा था। उस लड़की ने एक स्काई ब्लू कुर्ता और पैंट पहना हुआ था, गले में दुपट्टा, और डायमंड की छोटी-छोटी इयररिंग्स पहनी हुई थीं। उसके लंबे बाल थे जिन्हें वह बार-बार अपने कान के पीछे कर रही थी। उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ दिख रही थी।
ताबिश अपना कोट खोलकर साइड में रखते हुए बोला, "तो अगर तुम्हारी यह ब्लाइंड डेट खत्म हो चुकी है, तो तुम यहाँ से जा सकती हो।"
वह लड़की घबराकर दरवाजे के पास गई और उसे खोलने की कोशिश करने लगी, पर दरवाजा नहीं खुल रहा था। उसकी आँखों में हल्की सी नमी आ गई।
ताबिश की आवाज़ उसके कानों में पड़ी, "मिस पोटैटो, अगर आप यहाँ से जाना नहीं चाहती हैं, तो यह बात आप मुझे क्लियरली बोल सकती हैं। पर इस तरीके से दरवाजे को गले लगाकर खड़े होने का क्या मतलब होता है?"
आलिया उसकी बात पर नज़रें चुराते हुए बोली, "आप...आप कैसी...कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे घर जाना है। यह दरवाजा किसी ने लॉक कर दिया है।" वह घबराहट में मुश्किल से बोल रही थी।
ताबिश उसके पास आया और दरवाजे पर हाथ मारकर उसे खोलने की कोशिश की, पर दरवाजा लॉक था।
वह वापस जाकर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा, "लगता है किसी ने हमें यहाँ लॉक कर दिया है।"
आलिया घबराते हुए बोली, "तो फिर...तो फिर अब हम क्या करेंगे?" वह अपनी छोटी-छोटी आँखें झपकाते हुए ताबिश को देख रही थी।
ताबिश के चेहरे पर एक टेढ़ी मुस्कान आ गई। वह अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए बोला, "वही जो एक जवान लड़का एक जवान लड़की के साथ बंद कमरे में करता है।"
आलिया की साँस गले में अटक गई। वह डरी हुई नज़रों से ताबिश को देखने लगी। ताबिश एक-एक करके अपनी शर्ट के बटन खोलकर शर्ट को साइड में फेंक दिया।
आलिया जल्दी से अपनी उंगलियों से अपना चेहरा ढकते हुए बोली, "आपका दिमाग खराब हो गया है? आप क्या कर रहे हैं यह?"
"मैं तो आराम करने की बात कर रहा था, पोटैटो। तुम किस बारे में बात कर रही थी? जाहिर है, जब यहाँ पर कोई नहीं है कमरे में, तो हम रेस्ट कर सकते हैं। बिकॉज़ यहाँ नेटवर्क नहीं आ रहा।" वह अपना फ़ोन दिखाने लगा।
आलिया, जिसने अपनी आँखों पर हाथ रखा हुआ था, उसने अपनी उंगलियाँ थोड़ी सी फैलाईं और ताबिश को देखा। उसकी नज़र ताबिश के कसे हुए सीने पर गई, जो हल्के से उभरे हुए थे। उसके नीचे उसके सिक्स पैक एब्स परफेक्ट दिख रहे थे, उसकी कमर पर बना हुआ टैटू थोड़ा सा दिख रहा था। आलिया की नज़र वहीं अटक गई।
वह एक बार अपनी आँखें कसकर बंद कर चेहरा फेर लेती है। उसका पूरा चेहरा सुर्ख हो चुका था। ताबिश स्मिर्क करते हुए जाकर सीधा बिस्तर पर लेट गया। आलिया उसे बिस्तर पर लेटा हुआ देख रही थी। उसकी टेढ़ी नज़र ताबिश पर ही बरकरार थी।
वह जल्दी से ब्लैंकेट पकड़ते हुए बोली, "आप...आप यहाँ पर सोएँगे? तो फिर...तो फिर मैं...मैं कहाँ...कहाँ पर सोऊँगी?"
"ऑफ कोर्स, जब हमारे पेरेंट्स ने हमें डेट पर भेज ही दिया है, तो तुम्हें मेरे साथ सोने में क्या ही प्रॉब्लम है?"
आलिया उसकी बात पर एक नज़र उसे देखती है और छोटा सा मुँह बनाते हुए बोली, "देखिए, हम लोग सिर्फ़ पेरेंट्स की मजबूरी की वजह से आपके साथ डेट पर आए हैं। पर हमारा इंटेंशन शादी करने का नहीं है।" ताबिश की आँखें एकदम गहरी हो गईं। वह उसे देखने लगा।
आलिया अपनी उंगलियाँ आपस में उलझाते हुए बोली, "और अगर आप हमारे बेटे के डैड बनने के लिए रेडी हैं, तो तभी हम आपसे शादी करने के लिए हाँ करेंगे, वरना नहीं करेंगे।" ताबिश, जो अपने दोनों हाथों को सर के पीछे रख आलिया से मज़े ले रहा था, उसकी बात पर उसका चेहरा एकदम ठंडा हो गया।
वह एकदम से उठकर बैठ गया और गुस्से से बोला, "व्हाट द फक? तुम ऑलरेडी शादीशुदा हो, एक बच्चे की माँ हो, फिर भी मुझसे शादी करने के लिए आ गई हो, इडियट! तुम्हें पता भी है मैं कौन हूँ?" बोलते हुए उसने वहाँ पर पड़ी हुई मैगज़ीन उठाकर आलिया के मुँह पर मार दी।
आलिया की नाक पर कसके लगा। वह रोते हुए बोली, "हाँ, तो क्या मतलब? शादी से पहले कोई माँ नहीं बन सकता है। और वैसे भी मेरे बेटे की उम्र ज़्यादा नहीं, सिर्फ़ सोलह साल है, समझे आप? अगर आप उसे एक्सेप्ट नहीं करेंगे, तो मैं भी आपसे शादी नहीं करूँगी।" वह बोलकर सिसकने लगी।
ताबिश अपने सर पर हाथ रखकर आलिया को घूरते हुए बोला, "तुम्हारी उम्र कितनी है?"
आलिया अपने आँसुओं को साफ़ करते हुए बोली, "आई एम अबव ट्वेंटी।"
ताबिश अपने अंगूठे के नाखून से हल्का सा अपना माथा सहलाते हुए बोला, "तो क्या जब तुम सात साल की थीं, तभी तुम प्रेग्नेंट हो गई थीं, इडियट?"
आलिया अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "आई एम स्टिल वर्जिन। वह तो मेरा बेटा है जिसे पापा ने मुझे मेरे सेवंथ बर्थडे पर गिफ्ट किया था। वह बहुत क्यूट है। मैं उसके बिना नहीं रह सकती। अगर आप उसे एक्सेप्ट करेंगे, जब आप उसके डैडी बनने के लिए हाँ करेंगे, तभी मैं आपसे शादी करने के लिए हाँ करूँगी, वरना मुझे आपसे शादी नहीं करनी।" वह मासूमियत से पलकें झुकाते हुए बोली।
ताबिश उसे घूर कर देखता है। आलिया चुपचाप सोफ़े पर जाकर बैठ जाती है और वहाँ रखे हुए कुशन को गले लगा लेती है। ताबिश उसे बुरी तरह घूर रहा था।
वह अपने सर पर कस के हाथ मारते हुए बोला, "डैम! मेरे डैड ने मेरे लिए एक बच्ची को पसंद किया है।"
रात का वक्त था।
राठौर हवेली में,
जिया अपने लहंगे को पकड़े हुए, जीने के नज़दीक पहुँच चुकी थी। उसके बाल कमर पर लहरा रहे थे; वह हल्की-सी ठंड से काँप रही थी। वह बार-बार अपनी नाक को हल्का-सा छूते हुए, नीचे की ओर आ रही थी। उसकी आँखें पनीरी हो चुकी थीं और उसकी नाक बिल्कुल सुर्ख हो चुकी थी। जिसमें वह बिल्कुल क्यूट सी डॉल लग रही थी। जुकाम की वजह से उसके चेहरे की रंगत हल्की गुलाबी हो चुकी थी।
आँखों में गहरा काला काजल, आँखों को एक अलग सा नशा दे रहा था। वह बार-बार अपनी नाक को छूते हुए, जीने की ओर बढ़ रही थी। उसके चेहरे पर कुछ बेचैनी का इज़ाफ़ा हो रहा था। उसके कदम दो सीढ़ियाँ उतरने के बाद ही रुक जाते हैं। उसकी नज़र सीढ़ियाँ चढ़ते हुए अग्नि पर चली जाती है। जिसकी शर्ट के बटन कुछ सीने से नीचे खुले हुए थे, हाथों की आस्तीन कोहनियों के ऊपर मुड़ी हुई थीं, और गीले बाल माथे पर झूल रहे थे।
एक शार्प लाइन वाला चेहरा, जिस पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था। चमचमाते हुए जूते, जो कुछ मिट्टी से सने हुए थे। जिया उसे एक नज़र देखने के बाद, धीरे-धीरे उसके नज़दीक से गुज़रने लगी। अग्नि ऊपर की ओर बढ़ रहा था; उसकी नज़र जिया के चेहरे पर बरकरार थी। जैसे ही जिया उसके बगल से निकलने लगी, अग्नि तुरंत उसके हाथ को पकड़ लेता है। जिया अपनी जगह पर रुक जाती है।
जैसे ही जिया उसके बगल में आधी पहुँची, अग्नि तुरंत उसके हाथ को पकड़ लेता है। जिया एकदम से अपनी जगह पर रुक जाती है।
अग्नि उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियाँ उलझाते हुए, "आज तुम्हारी तबीयत कुछ ठीक-सी नहीं लग रही है," बोलते हुए, उसकी ओर मुड़कर उसके नज़दीक आ गया था।
जैसे ही वह अपनी ओर घूमता है, जिया एकदम से अग्नि पर छींक देती है। उसने जल्दी से अपने हाथों से अपनी नाक को कवर कर लिया था। अग्नि का चेहरा एकदम घृणा से भर चुका था। वह जिया को घूरने लगता है। जिया को बहुत ज़्यादा जुकाम हो चुका था।
वह उसके पास आकर, उसे बिल्कुल रेलिंग के पास लगाते हुए, "तुम्हें नहीं लगता? तुम कुछ ज़्यादा ही डेयरिंग हो रही हो। तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई? मेरे ऊपर छींकने की, इडियट," बोलते हुए, वह उस पर कुछ झुक सा गया था।
जिया की आँखें बार-बार मिच रही थीं। अग्नि की बात पर, वह जल्दी से अपना चेहरा दूसरी ओर करते हुए, "देखो, अभी मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है और ना ही मेरा बिल्कुल भी तुमसे लड़ने का मन है, तो तुम जाओ अभी यहाँ से," वह बहुत मुश्किल से बोल रही थी।
उसकी आँखें धीरे-धीरे एकदम लाल हो रही थीं और उसकी पूरी त्वचा भी गुलाबी हो चुकी थी। अग्नि उसके बेहद नज़दीक था। वह जिया के शरीर से निकल रही उस गरमाहट को महसूस कर पा रहा था।
अग्नि स्मिरक करते हुए, "लगता है तुम्हें बुखार हो चुका है ठंड की वजह से। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा पसीना बहुत अच्छे से निकालकर, तुम्हारा जुकाम, तुम्हारे पैसे खर्च किए बिना ठीक कर सकता हूँ। बाद में तुम मुझे उसका रिवॉर्ड अपने अकॉर्डिंग दे सकती हो।"
उसके हाथ जिया की खुली हुई गर्दन से लेकर सीने तक चल रहे थे। वह अपनी पतली-पतली उंगलियाँ उसके सीने के आसपास घुमा रहा था। जिया उसकी ओर पलटती है; उससे अपनी छींक कंट्रोल नहीं होती और वह डायरेक्ट उसके ऊपर ही छींकने लगती है। अग्नि को क्लॉस्ट्रोफोबिया था; उसे साफ़-सफ़ाई बहुत पसंद थी, हाइजीन से उसे बहुत ज़्यादा परेशानी होती थी और यहाँ जिया तो डायरेक्ट उस पर छींक रही थी।
अग्नि का चेहरा एकदम अजीब हो गया था। वह उससे थोड़ा-सा दूर होते हुए, "यू स्टूपिड गर्ल! बहुत ही ज़्यादा वाहियात हरकत की है तुमने। चुपचाप जाकर अपना यह हाल सुधारो। अगर कल सुबह से पहले तुम ठीक नहीं हुईं, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा," कहता है।
जिया उसे बोरियत भरी नज़रों से देखती है और चुपचाप वहाँ से निकलकर सीधा किचन की ओर चली जाती है। अग्नि उसे एक नज़र देखकर, सीधा अपने कमरे की ओर कदम बढ़ा देता है। किचन में जिया दूध को गैस पर रखे हुए, फ़ोन पर बार-बार एक नंबर डायल कर रही थी, जिसके रिस्पांस में सिर्फ़ एक ही लाइन आ रही थी: "दिस नंबर इज़ करेंटली बिज़ी ऑर आउट ऑफ़ सर्विस।"
जिया परेशानी से फ़ोन को स्लैब पर रखते हुए, "उफ़्फ़ दादी! आप कहाँ पर हैं? मैं कब से आपका इंतज़ार कर रही हूँ, आपको कॉल कर रही हूँ। आप नहीं आ रही थीं, आपको बताना तो चाहिए था," कहती है।
वह एक कप चाय बनाती है, पर उसने गैस तेज कर रखी थी। जिसकी वजह से उसकी सारी चाय बह जाती है। पूरी किचन गंदी हो चुकी थी। जिया की आँखें और ज़्यादा लाल हो जाती हैं। उसका शरीर और पहले से भी ज़्यादा गरम हो चुका था। वह धीरे-धीरे सारे बर्तन साफ़ करती है और पूरे किचन को साफ़ करते हुए, सीधा गार्डन में वहाँ लगे हुए झूले पर बैठ जाती है। बारिश कुछ देर पहले ही रुकी थी; घास अभी भी हल्की गीली थी।
आसमान में बादल छाए हुए थे और चाँद पूरी चाँदनी की तरह चमक रहा था। तेज हवाएँ चल रही थीं। जिया को उस तेज हवा में भी कुछ बेचैनी-सी महसूस हो रही थी। वह धीरे-धीरे झूला झूल रही थी और फिर वह उस झूले को थोड़ा तेज करते हुए, बार-बार अपने पैरों को नीचे मारते हुए स्विंग कर रही थी। उसे अपना शरीर गरम होता हुआ महसूस हो रहा था, साथ ही पूरा शरीर लाल होता जा रहा था।
वह बिना रुके, उस खामोशी को महसूस करते हुए बोली, "कितना अच्छा होता, काश मैं कभी बड़ी ही ना होती! कितना अच्छा होता कि तुम कभी मेरी ज़िन्दगी में आए ही नहीं होते! कितना अच्छा होता कि मैं पहले की तरह ही हमेशा अकेली सड़क पर चलती होती! कितनी अच्छी होती ना वह खामोशी, जब बचपन की तरह दादी की उंगली पकड़कर उस गुब्बारे को लेने के लिए जिद कर रही होती! कितना अच्छा होता! उस खामोशी में सिर्फ़ आँसू बहाकर किसी के कंधे की तलाश ना करती होती! कितना अच्छा होता, जब दिल उदासी से भर चुका हो और आँसू बह रहे हों और किसी के आने की उम्मीद ना की होती! कितना अच्छा होता कि खुशियों की ख्वाहिश ही ना की होती! उन खुशियों का क्या? क्या कहूँ मैं उन खुशियों को जो सिर्फ़ मेरी ज़िन्दगी में चंद लम्हे के लिए आकर, मुझे अंदर तक जोड़ने के बाद इस तरह तोड़कर गए, जिनसे कभी सुबह ना हो।"
"मेरी किस्मत तो देखो! मुलाक़ात भी ऐसी हुई है कि छोड़कर जा भी नहीं सकती, बिना देखे रह भी नहीं सकती! साँस लेना इतना मुश्किल हो गया है कि सीने पर बोझ लगने लगा है। मेरे छोटे-छोटे ख़्वाब थे, जिन्हें मैं अपने इन छोटे-छोटे हाथों से सजाना चाहती थी। पर तुम्हारे जाने के बाद… (फिर हल्का-सा हँसते हुए) मैं भी ना क्या बोल रही हूँ? मुझे गलत साबित करके छोड़कर जाने के बाद जो खुशी तुमने मुझे दी है, मुसलसल पूरी कायनात मुझे नहीं दे सकती! सही कहा था तुमने, मैं लायक ही नहीं हूँ दोस्ती की; उस दोस्ती की, जिसके बारे में मैंने तो सिर्फ़ सुना था कि दोस्त खुशियाँ दे जाती हैं। और यहाँ तो मुझे मुकम्मल तौर पर इतनी बड़ी खुशी मिली है कि आँखें ख़ून के आँसू रो रही हैं और होठों पर मुस्कान खिली हुई है! दर्द बाँटने वाले हज़ार हैं, पर उसका क्या जो दिल में तूफ़ान भरे हुए, चीखने के लिए तैयार है? इसे कोई सुनना ही नहीं चाहता। (फिर फ़ीका-सा मुस्कुराते हुए बोली) तुम्हें जब पहली बार देखा था ना, अंदर तक डर गई थी। ना जाने क्या करोगे तुम मेरे साथ? पर मैं तो भूल ही गई थी, तुम तो एक लड़के हो, वही करोगे जो चाहते हो, सो-कॉल्ड लस्ट अपनी।"
वह आँखें बंद करके, पैरों को थोड़ा तेज़ी से मूव करते हुए, ऊपर की ओर चेहरा उठाकर, गहरी-गहरी साँसें लेने लगती है। उसकी आँखें बंद थीं; वह खुद को एक कमरे में महसूस कर, घुटनों को सीने से लगाए, चिल्ला रही थी। उसकी आँखों से आँसू निकलना चाहते थे; कोने भीगे हुए थे; आवाज़ नहीं निकल रही थी। वहाँ पर एक औरत आती है; जिया एकदम से आँखें खोल देती है। उसका चेहरा और ज़्यादा लाल हो चुका था; पूरा शरीर और ज़्यादा गरम हो चुका था। वह गहरी-गहरी साँसें भरने लगती है।
कि तभी कोई एकदम से पीछे से उसके पेट पर अपना हाथ रख देता है। जिया एकदम से चौंकते हुए, अपना सर पीछे करके देखती है, जहाँ अग्नि ब्लैक कलर के ट्राउज़र और हाफ़-शोल्डर लूज़ टी-शर्ट में खड़ा हुआ था। बाल जो हल्के मैसी थे, जिसमें वह बिल्कुल काफ़ी हॉट लग रहा था। चेहरा एकदम ठंडा था। अग्नि की ठंडी उंगलियाँ अपने पेट पर महसूस करके, जिया एकदम सिहर जाती है। वह अपने चेहरे को टेढ़ा करके उसे देख रही थी।
अग्नि बिना किसी इमोशन के, उस झूले को धीरे-धीरे स्विंग करने लगता है, जिससे जिया का झूला बार-बार आगे जाकर पीछे आ रहा था। करीब तीन-चार बार ऐसा करने के बाद, अग्नि एक बार फिर से उसके पेट को पकड़ लेता है और उसे अपनी पीठ से सटा लेता है। जिया की साँसें गले में रुक चुकी थीं। वह उसे देख रही थी। अग्नि उसकी कमर पर पकड़ बनाकर, हल्का-सा उसे ऊपर उठाता है और एकदम से उसे खींचते हुए, झूले से उतार देता है।
झूला खाली हवा में स्विंग कर रहा था। जिया अभी भी वैसे ही उससे चिपकी हुई खड़ी थी। उन दोनों के बीच हवा तक गुज़रने का फ़ासला नहीं था। अग्नि उसके पेट पर अपने हाथ चलाते हुए, उसे अपनी बाहों में उठा लेता है। जिया खिसकते हुए, बिल्कुल उसकी बाहों में कैद हो चुकी थी। उसकी नाज़ुक-सी पीठ अग्नि के चौड़े सीने से दब चुकी थी।
अग्नि उसके कान में धीरे-धीरे फ़ूँक मारते हुए, "बहुत बीमार मालूम हो रही हो," कहता है।
जिया उसकी बात पर हल्का-सा हँसते हुए बोली, "बिल्कुल भी नहीं, आपको फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है। इतने से बुखार से मरूँगी नहीं।"
अग्नि उसे एकदम अपनी ओर मोड़ते हुए, उसके कंधे पर अपनी उंगलियाँ धसा देता है। जिया दर्द से तड़प उठती है। उसे पहले से ही अपना शरीर टूटता हुआ महसूस हो रहा था; अब अग्नि का ऐसा करना उसे दर्द दे रहा था।
अग्नि उसके बात पर स्मिरक के साथ, "मैं तुम्हें नरक के दरवाज़े तक खुद छोड़कर आऊँगा जान, इस चीज़ की तुम्हें फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं, बस पहले थोड़े मज़े तो ले लेने दो खुद के साथ," कहता है। उसका एक हाथ जिया की कमर पर आ चुका था।
वह धीरे-धीरे उसकी कमर पर अपनी उंगलियाँ चलाते हुए, वापस उसके शरीर से छेड़खानी करने में लग चुका था। जिया उसके हाथ को दूर झटकते हुए, "इस तरीके से आप मुझे नहीं छू सकते," कहती है।
"तुम तो ऐसे रिएक्ट कर रही हो जैसे मैं तुम्हें पहली बार छू रहा हूँ, और भूलो मत, हमारी ऑलरेडी शादी हो चुकी है।"
जिया उसकी बात पर हँसते हुए, "शादी आपसे? वह भी मज़ाक है क्या? वह सिर्फ़ और सिर्फ़ दो लोगों के बीच बनाया हुआ ज़बरदस्ती का रिश्ता था, जिसे आपने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने मज़े के लिए बनाया था। और वैसे भी, दादी का कॉल आया था। उन्होंने लड़का देखा है मेरे लिए और मैंने हाँ कर दी," बोलते हुए, वह उसकी बाहों में छटपटाने लगती है।
अग्नि, जो अभी एकदम शांत था, जिया की कमर पर अपना हाथ मज़बूत करके, उसे अपने नज़दीक कर लेता है। जिया हल्का-सा पीछे की ओर झुक चुकी थी।
अग्नि उसके चेहरे पर झुकते हुए, "जान, कहीं ऐसा ना हो तुम्हारी विदाई होने से पहले तुम्हारे कभी न होने वाले दूल्हे की अर्थी उठ जाए। शादी तो मैं तुम्हें किसी से करने ही नहीं दूँगा," कहता है।
"और मैं आपके साथ किसी रिश्ते में रहूँगी नहीं, क्योंकि आप एक बुज़दिल इंसान हैं जो अपना रिश्ता निभा नहीं सकता, समझे आप? अब आप छोड़िए मुझे," बोलते हुए, वह उससे दूर होने लगती है।
अग्नि उसकी कमर पर अपनी पकड़ और मज़बूत कर देता है। जिया की हल्की-सी चीख निकल जाती है। उसे अपने कमर में पहले ही दर्द महसूस हो रहा था और वापस से दर्द हुआ। अग्नि को उसकी कमर में कुछ अजीब-सा महसूस होता है। वह अपना हाथ कमर के पीछे से निकालता है, तो उसकी उंगलियों पर कुछ ख़ून लगा हुआ था। वह एकदम उसे पलटकर, उसके कमर के बालों को कंधे के एक साइड करके, उसकी कमर को देखने लगता है, जहाँ कुछ गहरा-सा ज़ख़्म था।
अग्नि की आँखें लाल हो जाती हैं। वह उसकी पीठ पर उंगली चलाते हुए, "यह चोट कैसे लगी?" पूछता है।
"तुम्हें क्या फ़र्क़ पड़ता है इससे? और वैसे भी, यह बहुत ही मामूली-सा ज़ख़्म है, भर जाएगा।"
"जितना मैंने पूछा, उसका जवाब दो। तुम्हें यह चोट कैसे लगी? वरना मैं पता करने पर आया हूँ, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" जिया कसके उसके पैर पर अपना पैर मारती है। अग्नि को अपने पैर पर दर्द महसूस होता है।
वह जिया को अपनी बाहों में उठाते हुए, "चलो मेरे साथ," बोलकर, उसे अपने साथ ले जाने लगता है।
जिया झटपटाते हुए, "छोड़ो, छोड़ो मुझे! कहाँ लेकर जा रहे हैं आप? मैंने कहा ना छोड़ो! क्या कर रहे हो? समझ में नहीं आ रहा," कहती है।
आरव, जो अभी-अभी कार पार्क करके आ रहा था, वह अग्नि को जिया को ले जाता हुआ देखकर, "ब्रो! यह आप क्या कर रहे हो? और कहाँ लेकर जा रहे हो मेरी जानेमन को?" पूछता है।
जिया उसकी बात पर आरव की ओर देखते हुए, "तुम वहाँ खड़े-खड़े क्या देख रहे हो?" कहती है। जिया का चेहरा और ज़्यादा लाल हो चुका था।
आरव उसके पास आकर, उसके हाथ को पकड़ लेता है; उसके चेहरे पर हाथ रखते हुए, "तुम्हें बुखार है, तुम डॉक्टर के पास गए कि नहीं? चलो, मैं तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलता हूँ," बोलते हुए, वह अग्नि की ओर देखता है।
अग्नि जिया को अच्छे से अपनी बाहों में उठाते हुए, "एक्ज़ैक्टली! मैं इसे डॉक्टर के पास ही तो लेकर जा रहा था और यह मैडम है कि नख़रे कर रही हैं। तुम ही कुछ बोलो अपनी दोस्त को," कहता है। वह एक-एक शब्द पर ज़ोर दे रहा था।
जिया घूरकर अग्नि की ओर देखती है। आरव जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए, "ब्रो! आप डॉक्टर के पास लेकर जाओ, मैं मॉम को बता देता हूँ," कहता है। अग्नि जिया को गाड़ी में बैठाता है और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठकर, वहाँ से निकल जाता है।
तभी एक लड़की, जो करीब 19 साल की थी, वह नाइट सूट पहने आरव के पास आकर, उसके कंधे को थपथपाते हुए, "आरव भाई! आप यहाँ क्या कर रहे हैं?" पूछती है।
आरव उससे बोला, "अरे, वह जिया को थोड़ा-सा ठंड लग गया था।"
वह लड़की हैरानी से, "कोल्ड? ओह, शीट! मुझे उसे कॉल करना चाहिए," बोलते हुए, वह जल्दी से किसी का नंबर डायल करने लगती है।
आरव उसका फ़ोन लेकर, "तुम किसे कॉल कर रही हो?" पूछता है।
"अरे भाई! आप लोग यहाँ नहीं थे ना, इसलिए आपको नहीं पता। अगर जिया को कोल्ड या फ़ीवर होता है, वह हद से ज़्यादा हो जाता है और वह ठीक भी नहीं होता जब तक उसका स्पेशल वाला काढ़ा उसे ना पिलाया जाए।"
आरव उसकी बात पर उसे घूरते हुए, "व्हाट नॉनसेंस?" कहता है। वह लड़की आरव की बात को इग्नोर करके, फ़ोन कान में लगा लेती है। तो एक-दो रिंग जाने के बाद ही फ़ोन दूसरे साइड से उठ जाता है।
वह लड़की हड़बड़ाते हुए, "तुम… तुम कहाँ पर हो? तुम प्लीज़ जल्दी से यहाँ राठौर मेंशन आ जाओ। वह जिया को कोल्ड और फ़ीवर हो गया है। भाई उसे डॉक्टर के पास लेकर गए हैं। अगर उसने दवाई ले ली तो बहुत ज़्यादा प्रॉब्लम हो जाएगी। प्लीज़ तुम जल्दी से आ जाओ," कहती है।
वह लड़की फ़ोन को कान में लगाकर, "हेलो… हेलो… तुम्हें मेरी आवाज़ आ भी रही है?" वह फ़ोन को अपने चेहरे की ओर करती है। फ़ोन कट हो चुका था।
वह अपने फ़ोन को मुट्ठी में भरते हुए, "यू नमक़ूल! तुमने मेरा फ़ोन कट करा दिया! तुम आओ, मैं तुम्हारी पूजा करती हूँ," कहती है।
आरव उसके सर पर मारते हुए, "छिपकली! मुझे तो बता। आखिर यहाँ चल क्या रहा है?" पूछता है।
अस्पताल में , एक शख्स अपने हाथ में एक छोटा सा बैग ले पूरे अस्पताल के कॉरिडोर में घूम रहा था। वह बार-बार घूम फिर कर रिसेप्शनिस्ट के पास आया और उसकी थोड़ी सी तारीफ करते हुए बोला , " हेलो मेम यू आर लुकिंग सो ब्यूटीफुल। क्या आप मेरी थोड़ी सी हेल्प कर सकती हैं ? " वो रिसेप्शनिस्ट जो अपने सामने खड़े लड़के को बुरी तरीके से घूर रही थी। वह अपने हाथ में पड़े हुए फोन को वापस उसकी जगह पर रखते हुए बोली , " लुक मिस्टर आपसे मैंने कई दफा बोल दिया है , आप जिस लड़की को यहां पर तलाश कर रहे हैं वह यहां नहीं है। इन फैक्ट यहां पर अभी कोई भी मरीज लाया ही नहीं गया है। तो आप पहली फुर्सत में या तो यहां से दफा हो जाए या मुझे मजबूरी में आकर आपको यहां से धक्के मार के निकालना पड़ेगा। " वह पप्पी जैसा छोटा सा मासूम सा चेहरा बनाते हुए बोला , " पर मैं तो आपकी यहां तारीफ कर रहा हूं और आप हैं कि मुझ पर ही भड़क रही है। यह कहां की इंसाफी हुई ? वैसे आप कुछ भी हो, ब्यूटीफुल तो बहुत है। क्या मैं आपकी एक पिक ले सकता हूं ? " वो बोलते हुए उसके पास आने लगा। रिसेप्शनिस्ट अपने हाथ में पकड़ी हुई फ़ाइल उठाकर उसके सर पर मारते हुए बोली , " मेरे साथ फ्लर्ट करने की कोशिश भी मत करो, मैं तुमसे बड़ी हुं। पूरे 27 साल की हूं, समझे? तो ज्यादा फ्लर्ट करने की कोशिश करी तो। " "तो क्या हुआ आप 27 साल की हैं, मैं पूरे 24 साल का हूं। तो क्यों ना हम लोग थोड़ा सा फ्लर्टी ही हो जाए, आज की रात ? वैसे भी इतनी हसीन रात ऊपर से इतनी खूबसूरत लेडी मेरे साथ है। " बोलते हुए वह उससे चेप होने लगा। वो उसके तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोल , " वैसे आप इन खुले बालों में ज्यादा खूबसूरत लगती है मिस चंदा और आपके होठों पर यह जो तिल है ना, बिल्कुल कुदरत ने काले टिके की तरह आपको फुर्सत से लगा कर दिया है। " वह उसे शरारती नजरों से उसे देखने लगा। वह लड़की जो अभी एटीट्यूड दिखा रही थी, अब उसका गाल हल्के हल्के लाल हो रहे थे। वह अपनी शर्म से नजरे इधर-उधर घूमाते हुए बोली , " देखो बच्चे निकलो यहां से, मैंने कहा ना मैं तुमसे बड़ी हूं उम्र में। " " तो ठीक है ना, मैं आपसे इज्जत से बात कर लेता हूं। क्या आप हमारी छोटी सी हेल्प करेंगी। इस मासूम से हैंडसम से फेस को देखकर। " बोलते हुए वह लड़का आंखें टिमटिमाने लगा। तभी पीछे से एक लड़का उसके सर पर थप्पड़ मारते हुए बोला , " साले, मैं तुझे यहां पर अपने साथ सिर्फ और सिर्फ हेल्प करने के लिए लेकर आया था, ना कि तेरी यह ₹2 वाली घटिया हरकतें देखने के लिए, तेरी ओवर एक्टिंग के मैं पूरे ₹50 कट करता हूं। " वो उसे पीछे से कॉलर से पकड़ कर खींचते हुए बाहर ले गया। वही रिसेप्शनिस्ट जो अभी खड़े होकर हैरानी से उसे देख रही थी। उसे इस तरीके से घसीटता हुआ ले जाता देख उसकी हंसी छूट गई। उन दोनों के जाने के बाद एक गार्ड जो पहले ही दीवार के पीछे छुपा हुआ था वह बाहर निकला। वो अपने कान में लगे हुए ब्लूटूथ पर उंगली रखते हुए बोली , " हेलो बॉस, जैसा आपने कहा था बिल्कुल वैसा ही हुआ है। यहां पर सब अंडर कंट्रोल है। " रिसेप्शनिस्ट के पास आकर उसने कुछ दो-दो हजार की तीन चार गड्डियां निकाल उसके सामने रख दी, " आपकी हेल्प के लिए। " बोलते हुए वह एरोगेंट तरीके से वहां से निकल गया। उसने चंट मुंह बनाया, उन सारे पैसों को देखा और उन्हें उठाकर सीधा वहां रखे हुए डोनेशन बॉक्स में डाल दिया। वी.आई.पी वार्ड में एक लड़की रस्सियों से बंधी हुई थी। उसके दोनों हाथो को बेड के कोने पर बांधा गया था और उसके मुंह पर भी टेप लगा हुआ था। वह लाल चेहरे और सुर्ख हो चुकी आंखों के साथ अपने सामने खड़े उस शख्स को बुरी तरीके से घूर रही थी। जिसकी चौड़ी पीठ उसके सामने थी। उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद हो रही थी और लाल भी थी। अग्नि ने डोमिनेटिंग औरा के साथ उसकी तरफ कदम बढ़ाए और उसके होठों पर लगे हुए टेप को एक बार में अलग कर दिया। उस लड़की की हल्की सी आह निकल गई। अग्नि जिया के नाजुक गुलाबी हो चुके होठों पर धीरे से अंगूठे से सहलाते हुए बोला, " ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा ना जान। " बोलते हुए वो खड़ा हो गया। वही ट्रे में रखी हुई कुछ हरी और पीले कलर के फूल और पत्ते थे जिन्हें उसने अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया। जीया ने उसे एक नजर देखा और फिर कांपती हुई आवाज में बोली , " यह आप , आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं ? मेरे मेरे दोस्तों को बहुत-बहुत अच्छे से पता है मुझे , मुझे किस चीज से आराम मिल सकता है। मैं आपकी दी हुई कोई भी चीज नहीं खाऊंगी समझे , समझे आप। " अग्नि अपने हाथ में उन पत्तियों और फूलों को अच्छे से मसलने के बाद जिया के पास आया और उसकी नाक को हड्डी से पकड़ कर खींचते हुए उसके मुंह में अपनी हथेली रख दी। जिसके साथ ही वह पिसा हुआ रस जिया के मुंह में चला गया। जिया का चेहरा एकदम खराब हो चुका था। उसने उबासी लेना शुरू कर दी। अग्नि उसे एक नजर देख वहां रखा हुआ गिलास उठा सीधा उसके मुंह पर लगा दिया। जिया इधर-उधर अपना चेहरा करने लगी। अग्नि ने उसकी नाक को कस के दबाते हुए गिलास को मजबूती से उसके होठों से लगा दिया। जिया मजबूरी में उसे अपने गले से नीचे उतारती है। अग्नि उस गिलास को उसके होठों से दूर कर सीकेट्रिक मुस्कान के साथ बोला , " जब तुम्हें पता है जान तुम मेरे सामने , इस अग्नि की आग के सामने टिक नहीं पाओगी। फिर भी ऐसी हरकतें करती ही क्यों हो ? कि तुम्हारे लेने के देने पड़ जाए। " वह जिया को गहरी नजरों से देखने लगा। जीया की आंखें बंद हो चुकी थी और चेहरा पूरी तरीके से नीला पड़ गया था। अग्नि की नजर जिया के गर्दन पर गई। जहां लाल लाल रैशेज हो चुके थे। वो उसके चेहरे को गहरी नजर से देखते हुए अपनी नजर को नीचे लेकर आया। उसके सीने को बहुत ही अजीब तरीके से देखते हुए वो बोला , " कहा था ना जान जो मैं चाहूंगा वही होगा तुम्हारे साथ , तुम चाह कर भी इस आजादी में आजाद इंसान की तरह सांस नहीं ले सकती। तुम उस कैद में हो जिसमें पिंजरा तो नहीं है ,ना ही कोई भेड़िया और ना ही रस्सियां, जिसमे तुम्हें कैद किया जाए। फिर भी तुम कैद हो मेरी जान। " बोलते हुए हुए अग्नि गिलास विंडो के पास आकर अपनी जेब से सिगरेट निकाल उसे तपते हुए होठों से लगा बाहर तेजी से बरसते पानी को देखने लगा। उसकी आंखें और ज्यादा गहरी हो चुकी थी , हाथों की मुठिया इतनी मजबूत थी , जिसमें उसकी नसें दिख रही थी , चेहरा एकदम ठंडा , पर हकीकत तो यह थी जैसे वह अपने अंदर एक सैलाब लिए बैठा हो। उसकी आंखें बेहद लाल होती जा रही थी। करीब आधे घंटे बाद उसे चूड़ियों की आहट सुनाई देती है। वो पीछे अपना सर घूमाकर देखता है जहां जिया को अब होश आ गया था और वह अपने हाथों को खोलने की कोशिश कर रही थी। अग्नि उसके पास आ उसके चेहरे पर हाथ रखते हुए बोला , " क्या हुआ जान ? इतनी बीमार होने के बाद इतनी ताकत कैसे आ गई तुममे ? कि तुम खुद को रिहा करने के बारे में सोच रही हो। " " आपको जो करना था आप कर चुके हैं। " अग्नि उंगली से उसकी गर्दन को हल्का सा ऊपर की तरफ कर देता है। जिया का चेहरा ऊपर की तरफ उठ चुका था। अग्नि अपनी उंगलियों को धीरे-धीरे नीचे लेकर आया और उसके सीने के इधर-उधर बहुत ही सेडक्टिव अंदाज से घूमाते हुए बोला, " वैसे जान तुम्हें नहीं लगता है यह पोजीशन कुछ ज्यादा ही अच्छी है ? मैं तुम्हारे इतने नजदीक आ सकता हूं कि तुम अंदर तक तड़प जाओ, पर तुम मुझे छू तक नहीं पाओगी कितना अच्छा होगा ना। " बोलते हुए वह एक हाथ उसकी कमर पर चलाते हुए धीरे-धीरे उसके सीने तक लेकर आता है। और फिर उसके होटो को अंगूठे से मसलने लगता है। जैसे उसके नाजुक से होटो का रस निकाल रहा हो। जिया एकदम से उसके अंगूठे को अपने मुंह में लेकर उसके दांत गड़ा देती हैं। अग्नि अपनी आंखें बंद करते हुए , " तुम्हारी यह दांत अपने हाथ में महसूस करने की जगह मैं कहीं और ही महसूस करना चाहूंगा। " बोलते हुए वह अपने खुले हुए सीने पर हाथ रख उसे सहलाने लगता है। जैसे वह जिया के दातों को वहां पर महसूस कर रहा हो। जिया का पूरा चेहरा लाल हो जाता है। वह तुरंत उसके अंगूठे को छोड़ अपना चेहरा फेर लेती हैं। उसका पूरा चेहरा सुर्ख पड़ चुका था। वो खुद से बड़बड़ाते हुए , " मुझे तो यह समझ में नहीं आ रहा है। जब भगवान इन्हें बना रहे थे , तब क्या शूर्पणखा के साथ रोमांस कर रहे थे ? जो यह ऐसे हमेशा बेशर्मी से लिपटी हुई बातें करते रहते है, बेशर्म कहीं के। " वो अपना चेहरा तकिए में घुसा लेती है। उसका बस चलता तो वह अपने लिए अभी एक कब्र खोदकर खुद को उसमें दफन कर लेती। अग्नि उसकी बात पर मुस्कुराते हुए , " तुमने गलत कहा, तुम्हारे प्यारे भगवान शूर्पणखा के साथ नहीं बल्कि अपनी धर्मपत्नी के साथ रोमांस कर रहे थे और होने वाले बच्चों की प्लानिंग कर रहे थे , तब उन्होंने मुझे पैदा किया था। इसलिए तो इतना ज्यादा रोमांटिक हूं , तभी मुझे इतनी अन रोमांटिक बीवी मिली हैं। " वह उसे टीज कर रहा था। जीया ने अपने पैरों को मोड़ते हुए आंखें बंद कर ली , " मुझे नींद आ रही है। मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी , आप यहां से अभी के अभी जा सकते हैं। " अग्नि उसकी बात पर पूरी तरीके से उसके ऊपर झुक जाता है। जिया जो खुद में सिमट चुकी थी। वह अग्नि के शरीर से निकल रही गर्माहट को महसूस कर पा रही थी। अग्नि का शरीर भीगने के बाद भी किसी भट्टी की तरह दहक रहा था। जैसे उसमें अभी आग लग ही जाएगी। अग्नि उसके ऊपर झुक उसके कंधे पर अपनी ठोडी टिकाट हुए , " जान यह तो नाइंसाफी है। यहां मैं तुम्हें लेकर आया हूं , तुम्हारी इतनी खिदमत करी हैं और तुम मुझसे मुंह मोड़ रही हो। तुम्हें नहीं लगता तुम्हें मुझे रिवार्ड देना चाहिए ? " " व्हाट रिवॉर्ड ? मैं कोई रिवॉर्ड नहीं देने वाली हूं। " " मुझे पहले से ही पता था कि तुम मुझे कोई रिवार्ड नहीं दोगी लेकिन अग्नि सिंह राठौड़ किसी के कुछ देने से लेता नहीं है , वह अपनी चीज खुद छीन लेता है, सामने वाले इंसान के मुंह से। क्योंकि वह सिर्फ और सिर्फ मेरी है। " बोलते हुए तुरंत उसके होठों पर हमला बोल देता है। जिया जिसने कुछ कहने के लिए होंठ हल्के से हिलाए थे की वह पलक झपकते ही अग्नि के होठों में कैद हो चुके थे। अग्नि उसके होठों को प्रेशर के साथ खींचते हुए चूम रहा था। जीया की सांस गले में अटक रही थी। वह हाथ बंधे होने की वजह से कुछ नहीं कर पा रही थी। अग्नि धीरे-धीरे पूरा उसके ऊपर आ जाता है और उसके दोनों पैरों के बीच अपना एक पैर रख दूसरा हाथ उसके कॉलर बोन पर रख और एक हाथ उसके सर के पीछे टिकाते हुए पेशन के साथ उसके होटो को चूमने लगता है। उन दोनों के होठ आपस में बुरी तरीके से उलझ चुके थे। किस करने से सलाइवा उन दोनों के होठों पर लग रहा था। जिया का पूरा चेहरा लाल हो गया था। वह बस अपने हाथ चला रही थी। वह अपना पैर हिला नहीं पा रही थी। अग्नि उसकी गर्दन पर अपनी पकड़ मजबूत कर और पेशन के साथ उसके होठों को चूमने लगता है। उसके हाथ जिया के पूरे पेट और पेट सीने के उसके अंग , अंग को छेड़ रहे थे। जिया बुरी तरीके से सहर चुकी थी। उसकी सांसे गहरी हो रही थी। उसका नाजुक सा सीना गहरी सांस लेने से बार-बार अग्नि के चौड़े मजबूत कसे हुए सीने से टकरा रहा था। अग्नि उसके कान के पास गर्म सांस छोड़ते हुए बहुत ही सेडक्टिव अंदाज में , " आई वांट स्प्रेड योर लेग्स। " बोलते हुए वह एक हाथ उसके पेट पर रखता है। जिससे जिया एक गहरी सांस खींचते हुए अपने पेट को अंदर कर लेती हैं। अग्नि के होठों के कोने हल्के से मुड़ जाते हैं। वह अपनी उंगलियो को उसके पेट के नीचे धीरे-धीरे स्टेप बनाते हुए इधर-उधर चला रहा था। जिया के रोंगटे खड़े हो चुके हैं। वह अपना हाथ हल्का सा नीचे ले जाने लगता। उससे पहले जिया चिल्लाते हुए , " बिल्कुल नहीं तुम इस तरीके से मेरा फायदा नहीं उठा सकते। " " उफ्फ जान तुम्हें सच में लगता है कि मैं तुम्हारा फायदा उठा रहा हूं। आई एम योर हसबैंड नाउ। यह मेरा प्रेजेंट स्टेटस है और अगर मैं तुम्हारा फायदा उठा भी रहा हूं तो थोड़ा सा फायदा उठा लेने दो। क्या ही जाता है ? " उसके चेहरे पर गहरा स्मृक छाया हुआ था। जिया बुरी तरीके से चीड़ चुकी थी। जहां उसका बुखार और जुखाम दोनों ही उतर चुका था। तो वही उसके दिल में हो रही बेचैनी खत्म हो चुकी थी। अग्नि उसके इतने पास था कि उसके दिलो दिमाग में सिर्फ वही छाया हुआ था। वह कुछ और सोच तक नहीं पा रही थी। वो अपनी आंखें कस के मिच लेती है। अग्नि उसके चेहरे को देखने लगता है। जहां अभी एक सेकंड पहले उसका चेहरा शरारत से भरा हुआ था एक बार फिर से ठंडा हो जाता है। वह गहरी नजरों से जिया के चेहरे को देखने लगता है उसके दिमाग में एक रिल किसी पिक्चर की तरह चल रही थी और चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ जाती है। वो एक बार फिर से जिया के होठों के खिलाफ जा कर बोला , " बहुत जल्द हमारे प्यारे-प्यारे बच्चे इस दुनिया में आने वाले हैं। जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी तुम अपने छोटे से दिमाग को समझा लो। " बोलते हुए उससे दूर हो जाता है। सीधा गेट से बाहर निकल बाहर खड़े दो गार्ड की तरफ देखते हुए , " नजर उठनी नहीं चाहिए और ना ही पलके झपकनी चाहिए। " वह रोब के साथ अपने कोट का बटन लगाते हुए तेज कदमों से वहां से निकल जाता है। वह किसी डेविल से कम नहीं लग रहा था। जैसे नरक से निकला हुआ शैतान उसके शरीर से बहुत ही डार्क वाइब्स निकल रही थी। वह जहां से गुजर रहा था वहां के लोग एकदम उसे देखकर ही डर रहे थे। अग्नि हॉस्पिटल से बाहर आता है और बाहर खड़ी अपनी कार में बैठकर निकल जाता है। उसकी नजर वहां एक जगह पर जाकर रुकती है। जहां पर कुछ लकड़ियां जल रही थी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी की चिता जल रही है। वो उसके पास आता है और उसमें से एक डंडा निकाल कर सीधा दूसरी तरफ कदम बढ़ा देता है। जहां एक तरफ शमशान था तो वहीं दूसरी तरफ कुछ खंडर जैसा था। वहां बारिश होने की वजह से एक जगह से चिंगारी निकल रही थी। अग्नि उस जले हुए डंडे को लेकर अंदर की तरफ बढ़ जाता है।
गेराज के अंदर,
अग्नि गैरेज के अंदर एक कुर्सी पर बैठा था। उसने अपना एक हाथ, जो आधा झूल रहा था, घुटने पर टिकाया हुआ था। उसका चेहरा जमीन की ओर झुका हुआ था। उसने नीचे देखकर अपनी शर्ट देखी; पूरी शर्ट खून से भीगी हुई थी। चेहरे पर खून के छींटे लगे हुए थे। वह देखने में बहुत ही खतरनाक लग रहा था। बाल माथे पर झूल रहे थे। उंगलियों में मांस के चिथड़े भरे हुए थे। उंगलियों से टपकता खून फर्श को गीला कर रहा था।
वहाँ पर एक गहरी शांति थी। तभी, उस गहरी शांति को तोड़ते हुए, फ़ोन की घंटी बजी। अग्नि के होठों पर एक गहरा स्माइल छा गया। वह जमीन पर एक तरफ़ पड़े हुए फ़ोन की ओर देखा और उसे उंगली से इशारा किया। पास में मौजूद एक गार्ड जल्दी से अग्नि के पास आया और फ़ोन उठाकर सीधा स्पीकर पर लगा दिया।
दूसरे छोर से एक शख्स, अपना गला साफ़ करते हुए, बोला, "कंग्रॅजुलेशन, मुबारक हो मिस्टर बत्रा! सोचा नहीं था यह काम तुम इतनी आसानी से कर दोगे, पर तुमने तो मेरा दिल ही जीत लिया। मांगो, तुम्हें जो मांगना है।"
वह शख्स अजीब सी स्माइल के साथ हँस रहा था। उसके छोर से अजीब सी आवाज़ आ रही थी। अग्नि के चेहरे पर सुनकर एक टेढ़ी मुस्कान खिल गई।
वह अजीब सी स्माइल के साथ बोला, "मौत चाहिए मुझे, अग्नि सिंह राठौड़ को तेरी मौत चाहिए, और वह दिन बहुत जल्द आएगा। जिन आवाज़ों को तू अभी प्लेज़र के लिए एन्जॉय कर रहा है ना, वही आवाज़ों के साथ तेरा दम टूटेगा और तुझे पता भी नहीं चलेगा। मेरी जान को तोड़ना चाहता है ना, तो चल, मेरी जान को अब छूकर दिखा। अग्नि सिंह राठौड़ तुझे खुला चैलेंज करता है। छूकर दिखा मेरी जान को।"
दूसरे छोर से फ़ोन कट गया। अग्नि फ़ोन को दीवार पर दे मारा। उसने अपना सर पीछे की ओर कर लिया था। उसके कंधे कुर्सी के हेडरेस्ट से लगे हुए थे। उसका चेहरा ऊपर की ओर उठा हुआ था। आँखें बेहद लाल थीं। खून की बूँदें उसके चेहरे से धीरे-धीरे फिसलते हुए नीचे की ओर टपक रही थीं। वह देखने में बहुत ही खूंखार लग रहा था। उंगलियों में जो मांस के चिथड़े थे, वे सूखकर अंदर की ओर हो चुके थे।
अग्नि कुछ देर वैसे ही बैठे रहने के बाद खड़ा हुआ। उसने अपने दोनों हाथ हवा में कर दिए। इसके साथ ही वहाँ पर एक गार्ड मोटा सा पाइप लेकर आया। उसमें से तेज़ी से पानी निकल रहा था, जिसने अग्नि को पूरी तरह से भीगो दिया। उसके शरीर पर लगा हुआ पूरा खून निकलकर फर्श पर आ गया।
अग्नि वहाँ पर पड़ी हुई एक बॉडी की ओर देखते हुए, किसी साइको की तरह, बोला, "इन्हीं हाथों से मेरी जान को रुसवा किया था ना? देख, मैंने तेरी जान ले ली और तुझे पता भी नहीं चला।" वह एक बार फिर से तेज़ी से हँसा।
अगली सुबह,
एक अंधेरे से घिरे हुए कमरे के अंदर ढेर सारी पेंटिंग्स लगी हुई थीं। उस कमरे में बड़े-बड़े जंगले लगे हुए थे, जिनसे सिर्फ़ सूरज की किरणें अंदर आ सकती थीं। उसके अलावा, ना तो कोई हल्की सी भी हवा अंदर जाकर वहाँ पर रखी हुई बेशकीमती चीज़ों को छू सकती थी और ना ही वहाँ मौजूद इंसान बाहर की साँस अंदर ले सकता था।
एक शख्स चेयर पर बैठा हुआ था। उसने एक व्हाइट शर्ट पर ब्लैक कलर की टोपी लगा रखी थी, जो हल्की आगे की ओर झुकी हुई थी। होठों पर सिगार दबी हुई थी, जिससे धुआँ निकल रहा था। वह शख्स लंबे समय तक अपने सामने रखी पेंटिंग्स की ओर देख रहा था। उन पेंटिंग्स का कोई मतलब ही नहीं था। किसी में छोटी सी आँख नज़र आ रही थी, तो किसी में एक उंगली; वहाँ पर ऐसी ना जाने कितनी ही पेंटिंग्स थीं।
किसी में ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी लड़की की पेंटिंग हो, पर समझना संभव ही नहीं था। वह पेंटिंग्स बहुत ही अजीब थीं। उन्हें देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वे किसी एक की थीं। किसी में एकदम स्किन दिखाई जा रही थी, तो किसी में बड़ी-बड़ी काली आँखें, किसी में हल्का सा एक दाँत, तो किसी में जरा से बाल; उसके अलावा और कुछ भी नहीं था। वह पूरा कमरा सिर्फ़ पेंटिंग्स से घिरा हुआ था। वही शख्स अभी भी सिगार के कश भर रहा था।
वह अपने हाथ को अपने चेहरे के सामने लाया और बहुत ही इंटेंस तरीके से अपने चेहरे, गाल और गर्दन को सहलाते हुए बोला, "तुम्हारी यह खुशबू, जब तुम्हें मैं अपने अंदर उतारूँगा, तब मुझे सुकून मिलेगा।" किसी साइको की तरह अपने हाथ को ही पूरे चेहरे और बहुत ही अजीब तरीके से अपने शरीर को छूते हुए नीचे तक ले आया।
वह किसी साइको की तरह लग रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। वह गहरी साँस भर रहा था, जैसे वह मास्टरबेशन कर रहा हो। वह गहरी साँस लेते हुए, "हम्म्म... उफ्फ़... बस इसे ही... हम्म्म... I won't pleasure... हम्म्म... बस इसे ही... उफ्फ़..." कह रहा था।
उस शख्स ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। वह बहुत ही अजीब सी आवाज़ निकाल रहा था। पूरा कमरा मदहोशी भरी सिसकियों से भर चुका था। कुछ ही देर में वह आदमी पसीने से लगभग तर-बतर हो गया। उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, पर उसके शरीर से निकलता पसीना और कपड़े, जो पसीने से भीगकर उसके शरीर से चिपक चुके थे, उससे ही पता चल रहा था कि वहाँ पर अभी उसने क्या कुछ इमेजिन कर लिया होगा। उसकी साँसों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी।
हॉस्पिटल में,
जिया बेड पर पैर लटकाए हुए बैठी थी। उसने अपना चेहरा नीचे की ओर झुका रखा था। उसे देखकर लग रहा था जैसे वह किसी गहरी सोच में हो। तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और अग्नि, अपनी कमर पर ब्लैक कलर का तौलिया लपेटे, बाहर आया। पानी की बूँदें उसके सीने से होकर उसके पेट पर धीरे-धीरे नीचे की ओर आ रही थीं; वह बहुत ही आकर्षक लग रहा था।
नहाने की वजह से उसकी आँखें हल्की गुलाबी हो गई थीं, जिसमें वह कातिल लग रहा था। अग्नि अपने हाथों से गीले बालों को झटक रहा था। उसकी नज़र जिया पर गई। वह उसके बिल्कुल नज़दीक गया, कमर पर हाथ रखकर उसी के ऊपर झुक गया। जिया, जो कहीं और खोई हुई थी, अग्नि के अचानक आने से हड़बड़ाकर पीछे की ओर हटी और आधी बेड से गिरने वाली थी।
वह पूरी तरह से गिर पाती, उससे पहले ही अग्नि उसकी कमर पर हाथ रखकर, उंगलियों से उसकी कमर को छेड़ने लगा और एक पैर बेड पर टिकाकर, हल्का सा उसके ऊपर झुक गया। जिया का पूरा चेहरा लाल हो गया।
वह अपनी नज़रें फेरते हुए बोली, "यह आप... आप क्या कर रहे हैं? आप ठीक से... ठीक से खड़े नहीं हो सकते हो क्या?" बोलते हुए वह अपनी नज़रें इधर-उधर कर रही थी।
अग्नि के चेहरे पर एक टेढ़ी मुस्कान आ गई। उसने अपना घुटना बेड पर जिया के पैर के पास रखा और दूसरा पैर उसके दोनों पैरों के बीच रखते हुए पूरी तरह से झुक गया। उसका तौलिया जिया के पैरों को छू रहा था। जिया को अपने शरीर पर झुनझुनी महसूस हुई। उसके चेहरे का रंग गले तक आ गया।
वह हकलाती हुई आवाज़ में बोली, "यह आप... आप क्या-क्या कर रहे हैं?"
अग्नि अपने हाथ धीरे-धीरे उसके ब्लाउज़ के पास ले गया, उसके डोरियों के साथ खेलते हुए बोला, "जान, मैं सोच रहा था... क्यों ना एक राउंड हॉस्पिटल बेड पर हो जाए? कितना मज़ा आएगा ना! फिर तुम्हें हॉस्पिटल से प्रॉब्लम हो जाएगी और तुम खुद को कभी भी इस हालत में नहीं लेकर आओगी। क्या कहती हो?"
जिया को अपने शरीर में ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हज़ार चींटियाँ उसके शरीर को काट रही हों। उसे अग्नि की आवाज़ सुनाई तक नहीं दे रही थी। वह अपनी आँखें मज़बूती से बंद करते हुए, चेहरा फेर लेती है। अग्नि के सर से बहता पानी धीरे-धीरे उसके चेहरे पर टपक रहा था। अग्नि उसका दूसरा हाथ उसके गर्दन पर रखता है और अपना चेहरा उसके गर्दन के पास रखकर, उसके कोलर बोन पर झुक जाता है।
जिया का चेहरा ऊपर की ओर उठ चुका था। उसने गहरी साँस खींची। अग्नि के शरीर से गिरता ठंडा पानी उसके शरीर को भीगो रहा था, जिसे महसूस करके जिया को रोंगटे खड़े होते हुए महसूस हो रहे थे। उसका शरीर काँपने लगा था। अग्नि उसके शरीर से निकल रही गर्माहट को महसूस कर पा रहा था।
वह अपना हाथ उसके लहंगे के पास ले जाते हुए बोला, "आई थिंक तुम वेट हो चुकी हो जान, क्या कहती हो एक राउंड हो जाए? इससे तुम्हें भी प्रॉब्लम नहीं होगी।"
"मुझे... मुझे अभी वॉशरूम जाना है।" वह अपने पैरों की उंगलियों को मज़बूती से मोड़ रही थी, जैसे खुद को काबू कर रही हो।
अग्नि उसकी कमर पर ठंडी उंगली रखते हुए, उसकी कमर में बंधे हुए पतले से कमरबंद पर अपनी उंगली फँसाकर, गोल घुमाते हुए बोला, "क्यों जान? अभी क्यों? और जब मैं हूँ ना, तो तुम्हें बाथरूम जाने की क्या ज़रूरत है? मैं तुम्हारी अंदरूनी इच्छा को पूरा कर सकता हूँ।" बोलते हुए वह घुटनों के बल बैठ गया। जिया की आँखें बड़ी हो गईं। अग्नि अगले ही पल उसकी स्कर्ट को पकड़ते हुए, हल्का सा ऊपर उठा देता है।
एक हफ़्ते बाद,
जिया खामोशी से गार्डन में बैठी, ढलते हुए सूरज को देख रही थी। आँखों में नमी, सीने में बेचैनी, और चेहरे पर मायूसी छा रही थी। उसके जीवन में एक हफ़्ते के अंदर ही भारी बदलाव आ गए थे। एक बार भी ऐसा वक़्त नहीं गुज़रा जब उसने अपनी दादी को याद न किया हो, और हर बार उसे वही जवाब मिला – "This number has been not reachable."
वह परेशानी से झूले पर बैठी, ढलते सूरज को देखते हुए बोली, "आप जानती हो ना दादी, मेरे पास आपके सिवा अपना कहने वाला कोई नहीं है। जिससे बचपन से मोहब्बत की थी, उसे तो मुझ पर यकीन ही नहीं है। वह तो सिर्फ़ अपनी हैवानियत का शिकार बनाता है। मुझे बहुत दर्द होता है। आपसे कभी कह नहीं पाई, पर प्यार में सच में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। दादी, प्लीज़ आ जाओ ना। उसके बाद हम यहाँ से हमेशा के लिए चले जाएँगे। बस मेरी ग्रेजुएशन हो जाए, कोई अच्छी सी जॉब करूँगी, और आप और मैं एक अच्छे से घर में रहेंगे। आंटी, अंकल, आरव सब अच्छे हैं। सिर्फ़ उस इंसान से, जिससे प्यार किया था, उसे देखकर ही डर लगता है। ऐसा लगता है वक़्त रुक जाएगा, और धड़कनें बस कम हो जाएँगी। प्यार में मैंने कभी ऐसी ख्वाहिश नहीं की थी, पर एक ख्वाहिश अब दिल में जगह बना रही है – अगर दम भी निकल जाए ना, तो उस इंसान की बाहों में निकले, जिससे धीरे-धीरे इतनी नफ़रत हो गई है, इतनी नफ़रत कि अब साँस लेना तक मुश्किल हो रहा है।"
उसकी आँखों से एक आँसू का रिसाव गालों पर बह गया। वह आँखें बंद करके बैठ गई।
तभी, कोई भारी भरकम आवाज़ में बोला, "जिया बिटिया, वहाँ क्या कर रही हो? देखो, आपसे कोई मिलने आया है। यह इंसान रोज़ आपके बारे में पूछता है।"
जिया जल्दी से अपना चेहरा ठीक करके पीछे मुड़ी। उसके लंबे बाल हवा में लहरा गए।
वहाँ दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा था। उसने पीला कुर्ता, फटी हुई जीन्स, और स्नीकर्स पहने थे। हल्के लंबे बाल, आइब्रो के बीच में एक लंबा सा तिल, हाथों में कुछ कागज़, और होंठ पान खाने से लाल थे। देखने में वह बिलकुल गाँव का लग रहा था। वह शख्स जिया को गौर से देख रहा था।
जिया अपने लहंगे को छोटे हाथों में पकड़ते हुए उसके पास भागी और उसके चेहरे के पास हाथ हिलाते हुए बोली, "जी, कहिए। मैं ही जिया हूँ।" उसने बहुत ही धीरे से कहा।
सामने खड़ा लड़का जिया की आँखों को देखने लगा। उसकी गहरी, नशीली आँखें, छोटी नाक, गुलाबी, गुलाब जैसे होंठ, कसी हुई चोली जिसमें उसका सीना आकर्षक लग रहा था, पतली कमर में बंधा हुआ अंकल, और भागने की वजह से ऊपर-नीचे होती साँसें – वह सब बहुत आकर्षक था।
वह शख्स गहरी नज़रों से जिया को देख रहा था। जिया थोड़ी असहज हुई और जल्दी से सामने खड़े शख्स से थोड़ी तेज आवाज़ में बोली, "हेलो, मैं आपसे बात कर रही हूँ। आप बताएँगे, आपको मुझसे क्या काम है? अंकल बता रहे थे, आप एक हफ़्ते से यहाँ के चक्कर काट रहे हैं।" उसकी आवाज़ में गुस्सा साफ़ जाहिर था।
वह सामने खड़ा शख्स हल्का सा मुस्कुराया और अपनी जेब से एक पैकेट निकालकर जिया की ओर बढ़ाते हुए शांत आवाज़ में बोला, "हमारा नाम राम है, और हम गाँव से आए हैं। आपकी दादी के बारे में सुनकर बहुत बुरा लगा। उस वक़्त हम घर पर नहीं थे, इसलिए उन्हें अंतिम विदाई देने नहीं आ सके। पर हम आपको यह बताने आए हैं कि उन्होंने आपकी ज़िम्मेदारी हमें सौंपी थी। अब आपको हमारे साथ चलना होगा, और हमारे रिश्ते में बंधना होगा।" बोलते हुए वह जिया को देख रहा था।
जिया के चेहरे पर एक अनोखा भाव था जिसे वह खुद समझ नहीं पाई। उसकी साँसें धीमी हो रही थीं। वह घबराई हुई नज़रों से सामने खड़े शख्स को देखते हुए बोली, "जी, यह आप क्या कह रहे हैं? आपके कहने का मतलब समझ नहीं आया।"
वह शख्स कुछ आगे बढ़ा और जिया के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "आप हमारी होने वाली बीवी हैं, और आप हमारे साथ मज़ाक कर रही हैं क्या? हमें नहीं पता था कि शहर की लड़कियाँ इतनी बोल्ड होंगी। जो शख्स उन्हें इतने प्यार से पाल-पोसकर बड़ा करता है, वह उनके मरने के बाद यह चीज़ भूल जाती है कि उन्हें किसी ने पाल-पोसकर बड़ा किया था।"
"आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसे शब्द हमारी दादी के लिए इस्तेमाल करने की? खुद को समझते क्या हैं आप? हाँ, मानते हैं हमारी दादी कुछ समय से फ़ोन नहीं उठा रही थीं, पर इसका यह मतलब नहीं कि आप कुछ भी बोलेंगे!" बोलते हुए जिया का पूरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। वह राम को घूर रही थी।
वहीं राम, जो अचानक धक्का लगने पर एक कदम पीछे हट गया था, उसकी आँखों में गुस्सा आ गया। वह दाँत कसते हुए बोला, "आपसे हम प्यार से बात कर रहे हैं, तो उम्मीद करते हैं आप भी प्यार की भाषा में ही जवाब देंगी। हमने आपसे कहा कि आपकी दादी हमसे मिलने गाँव आई थीं। उन्होंने आपका रिश्ता हमसे पक्का किया है। अगर आपको याद नहीं, तो आप अपनी दादी से पूछ सकती थीं। पर जब वह वापस आ रही थीं, तो वहाँ पर चट्टान गिरने की वजह से उनकी गाड़ी खाई में गिर गई, और उनकी ऑन द स्पॉट डेथ हो गई। इस बात को एक हफ़्ता हो गया है। आपको यह भी याद नहीं है? या फिर यह सब सिर्फ़ दिखावा कर रही हैं आप?" बोलते हुए उसने चिल्लाया था।
जिया फिर भी भीगी हुई आँखों से उसे देख रही थी। धीरे-धीरे घुटनों के बल बैठते हुए बोली, "हमारी… हमारी दादी हमें ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती… ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती…"
राम, जो उसे गहरी नज़रों से देख रहा था, घुटनों के बल बैठते हुए उसके सर पर हाथ रखकर आहिस्ता से बोला, "अस्पताल से कॉल भी आया था। आपको क्या इसके बारे में भी नहीं पता?"
जिया अपने हाथों से आँसुओं को पोंछते हुए जल्दी से खड़ी हुई, "हम आपसे बाद में बात करेंगे।" जल्दी से अपने लहंगे को मुट्ठी में भरकर अंदर की ओर भाग गई। वह इस चीज़ को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। उसकी दुनिया पूरी तरह से उजड़ चुकी थी। वह ऐसे इमोशन्स में डूब चुकी थी कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
वहीं राम एकटक अंदर की ओर भागती हुई जिया को देख रहा था, जो अपने नाज़ुक पैरों से अंदर भाग रही थी और घबराई हुई नज़रों से बार-बार पीछे मुड़कर उसे देख रही थी।
राम ने उसे कुछ देर देखा, फिर उसकी नज़र जिया की पीठ पर जाकर रुकी जहाँ उसका अंकल बंधा हुआ था। वह बार-बार ढीला और कसा जा रहा था। उसे देखते हुए राम ने अपनी मुट्ठी मजबूत की और अपने होंठों को दाँतों के नीचे दबाते हुए टेढ़ी मुस्कराहट के साथ कहा, "कितनी खूबसूरत तितली है! सही कहते हैं, शहर की छोरी बड़ी कमाल की चीज़ होती है। बस एक बार, एक बार हमारे बिस्तर पर आ जाए, तो जिंदगी सफल हो जाएगी हमारी।" बोलते हुए उसने हाथ में पकड़े कागज़ों को देखा और उन्हें वापस जेब में रखते हुए कहा, "पेपर पर साइन लेने आया था, पर अब तो तुम्हें अपनी मेहरारू बनकर ही ले जाऊँगा।" बोलते हुए वह घर से बाहर निकल गया।
एक काली नज़र जिया पर पड़ चुकी थी, जिससे वह अनजान थी।
वहीं जिया भागते हुए अंदर आ ही रही थी कि उसकी टक्कर अवनी जी से हो गई, जो बाहर जा रही थीं। अवनी जी ने जिया को संभालते हुए कहा, "बेटा, हमने आपसे कितनी बार कहा है कि इतना मत भागो? कहाँ जा रही हैं आप इतनी जल्दी में?"
जिया ने उन्हें देखकर उनके हाथों को मज़बूती से पकड़ लिया और हकलाते हुए कहा, "आंटी, आपको… आपको हॉस्पिटल से… कोई कॉल आया था क्या? वह… वह गाँव से… कोई आया था। उन्होंने बताया कि दादी… दादी… दादी नहीं हैं।" बोलते हुए उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं, और आँखों से बिना रुके आँसू गिर रहे थे।
अवनी जी का चेहरा बिलकुल पीला पड़ गया। उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे खड़ा किया और कुछ कहने की कोशिश की…
जिया, जो उनके भावों को समझ रही थी, जल्दी से दूर हुई, "कॉल आया था ना? आपको पता था ना? मेरी दादी… मेरी दादी नहीं रही! फिर भी आपने मुझे क्यों नहीं बताया? मैं उन्हें आखिरी बार देख तक नहीं पाई! मैंने उन्हें अपने इन हाथों से छुआ तक नहीं! आपने मुझे मेरा आखिरी रिश्ता भी छीन लिया! मैं कहाँ जाऊँगी आंटी? आपने मुझे क्यों नहीं बताया? मुझे उनसे मिलना है! वो मुझे छोड़कर नहीं जा सकती! मैं उनसे मिलूँगी!"
अवनी जी जल्दी से उसके पास गईं, उसके सर पर हाथ रखकर ज़बरदस्ती गले लगाते हुए बोलीं, "बेटा, यह कैसी बातें कर रही हो? हमने जो सही लगा, हमने वो किया। अब तुम रोना बंद करो। देखो, मैं हूँ ना, आरव है, अग्नि है। तुम्हारे पास हम सब हैं ना।"
जिया रोते हुए बोली, "आंटी, आपने गलती की! मैं आपको कभी माफ़ नहीं कर सकती! मैं कमज़ोर नहीं हूँ! आपको बताना चाहिए था! मैं क्या करूँगी? मेरी दादी को मुझसे छीन लिया! वो बिलखते हुए रो रही थीं।"
जैसे आसमान उसके सिर पर गिर पड़ा हो। उसकी पूरी दुनिया उजड़ चुकी थी। वह साँस तक नहीं ले पा रही थी, कुछ समझ नहीं पा रही थी। उसकी आँखों के सामने धीरे-धीरे अंधेरा छा रहा था। उसके कानों में कुछ शब्द गूँज रहे थे – "तुम किसी की भी अपनी नहीं हो सकती। तुम सिर्फ़ एक अनाथ हो। पैदा होते ही अपनी माँ को खो दिया, कुछ साल अपने बाप के साथ बिताए, और अब देखना, जो कोई भी तुम्हारी परवरिश करेगा, जो भी तुम्हारी ज़िंदगी में शामिल होगा, तुम उसे भी मार डालोगी।" जिया की आँखों के सामने अंधेरा छा गया, और वह सीधा फर्श पर बेहोश हो गई।
अवनी जी हैरानी से उसे देख रही थीं और जल्दी से उसके गालों को थपथपाते हुए उसे उठाने की कोशिश कर रही थीं, पर वह बेहोश हो चुकी थी।
आरव घर से बाहर से अंदर आ ही रहा था कि अवनी जी की चिल्लाने की आवाज़ सुनकर तेज़ी से भागते हुए उनके पास आया और जिया को फर्श पर बेहोश देखकर जल्दी से उठाते हुए बोला, "मॉम, कॉल द डॉक्टर! क्या हुआ? यह बेहोश कैसे हुई? अभी तो हॉस्पिटल से आई थी, तब तो ठीक थी।" वह जल्दी से उसे कमरे में ले गया।
कुछ देर बाद,
जिया को होश आया। वह उठकर सीलिंग को घूरने लगी। उसकी नज़र आरव पर पड़ी, जो उसके पास बैठा हुआ था और कुछ कह रहा था, पर उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। वह बस सीलिंग को घूर रही थी। अवनी जी के दिल में पीड़ा उठ रही थी। वह उसे बचपन से जानती थी। वह रोते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान लाती थी, और आज वह खुद किसी ज़िंदा लाश की तरह लेटी हुई थी। वह उससे बात करने की कोशिश कर रही थी। कुछ देर उसे देखकर वह कमरे से बाहर चली गई।
अवनी जी उसकी यह हालत देख नहीं पा रही थीं। अपने आँसुओं को संभालते हुए वह कमरे से बाहर चली गईं।
सबके जाने के बाद जिया बस सीलिंग को देख रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। धीरे-धीरे वक़्त निकल रहा था, और कब वह रात गहरी रात में बदल गई, उसे एहसास ही नहीं हुआ। करीब 2:00 बजे उसके कमरे पर दस्तक हुई। वह अभी भी सीलिंग को देख रही थी। लंबे जूतों की आहट के साथ उस कमरे में कोई दाखिल हुआ। उसे नज़र घुमाने तक की ज़रूरत नहीं थी, उसे पता था कि इस वक़्त कौन आया होगा – एक हफ़्ते से यही तो हो रहा था।
सामने अग्नि था। उसने अपना कोट कंधे पर लटकाया हुआ था, और टाई को अपने गले से निकाल रहा था। उसकी नज़र जिया पर थी। वह अपना कोट निकालते हुए, शर्ट के बटन खोलते हुए सीधा शॉवर लेने चला गया। कुछ देर बाद, अपनी V-शेप कमर पर तौलिया लपेटे हुए कमरे में दाखिल हुआ। उसके बाल भीगने की वजह से माथे पर झूल रहे थे। शॉवर के ठंडे पानी से नहाने से उसकी बॉडी हल्की गुलाबी हो गई थी, जिसमें वह काफ़ी आकर्षक लग रहा था। पर उसके शरीर से निकल रहा वह गर्म, काला ओरा उसे बहुत ही डरावना और कोल्ड लुक दे रहा था। वह सीधा जिया के पास आया और उसे उस तरह लेटे हुए देखकर उसके गाल पर हाथ रखकर उसके चेहरे को सहलाते हुए बोला, "क्या हुआ जान? आज ना कोई सोने की एक्टिंग कर रही हो, और ना ही दूर जाने की कोशिश कर रही हो। वरना अब तक तुम कितने बहाने बना चुकी होतीं मुझसे दूर जाने के लिए।"
अग्नि की आवाज़ बहुत ही कामुक थी। बोलते हुए उसके हाथ जिया के होंठों के पास जाकर रुक गए। कमरे में अंधेरा था, जिस वजह से जिया का चेहरा दिख नहीं रहा था, पर कुछ तो था जो उसे बेचैन कर रहा था। अग्नि उसकी तरफ देखता है और उसे देखते हुए गहरी आवाज़ में कहता है, "वैसे, मैंने तुम्हारी बहुत ही अच्छी ड्रेस निकालकर रखी है। जाओ, जल्दी से पहनकर आओ। उसके बाद हम लोग मूवी डेट पर चलेंगे।"
पर जिया अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई।
अग्नि गहरी आवाज़ में बोला, "मुझे अपनी बात रिपीट करने की आदत नहीं है। तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा क्या?" बोलते हुए वह जिया पर काफ़ी झुक चुका था। उसके बालों से टपकता पानी जिया के चेहरे और फिर उसके सीने पर गिर रहा था।
जिया उसके चेहरे को देखने लगी। अग्नि की नज़र जिया की आँखों से मिलती है, तो उसे अपने दिल में एक टीस सी उठती हुई महसूस होती है। वे दोनों बेहद करीब थे। जिया अग्नि के शरीर से निकल रहे उस ओरे को साफ़ महसूस कर पा रही थी, और वह यह भी महसूस कर सकती थी कि अग्नि को इस वक़्त क्या चाहिए।
वह अपनी जगह से उठकर बैठी और अग्नि की आँखों में देखते हुए तुरंत अपनी दुपट्टा अलग करके ब्लाउज़ की डोरियाँ खोलने लगी। अग्नि छोटी आँखों से उसे देखते हुए उसका हाथ पकड़ते हुए कोल्ड वॉइस में बोला, "यह क्या हरकत है? क्या कर रही हो तुम?"
जिया उसकी तरफ बिना किसी भाव के देखते हुए वापस अपना हाथ छुड़ाकर अपने ब्लाउज़ को निकालने लगी। अग्नि तुरंत उसके कंधों पर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए दाँत पीसकर बोला, "मैं तुमसे यहाँ कपड़े चेंज करने के लिए नहीं कहा था। वरना तुम्हें पता है ना, मैं तुम्हें बेड पर कितना दर्द दे सकता हूँ। तो चुपचाप उठो और जाकर चेंज कर लो। मेरा मूड बनने में देर नहीं लगती। तुम्हें देखकर तो हर बार कतरा-कतरा करके तुममें उतरना चाहता हूँ, और तुम्हें खुद के निशानियों से भीगाना चाहता हूँ। खुद का पूरी तरह से बनाना चाहता हूँ।" बोलते हुए उसकी आवाज़ बेहद कामुक हो गई थी।
जिया को अग्नि की गर्म साँसें अपने चेहरे पर महसूस हो रही थीं। उसकी आँखों से एक आँसू निकलकर उसके गालों पर बह गया। वह उसके आँसुओं को देख अंगूठे से बेरहम तरीके से साफ़ करते हुए बोला, "उफ़्फ़ जान! अभी तो ठीक से दर्द की शुरुआत भी नहीं हुई, और तुमने पहले ही रोना शुरू कर दिया! अभी थोड़ा शुरू तो होने दो। एक-एक करके मैं तुम्हारी हर खुशी को आँसुओं में बदल दूँगा। पर उससे पहले, मेरा मूड अभी तुम्हारे आँसुओं को देखने का नहीं है। इससे पहले कि मेरा मूड चेंज हो जाए, चेंज कर लो। अभी मैं प्यार से कह रहा हूँ, वरना अपने हाथों से मुझे चेंज करने में कोई दिक्कत नहीं है।" बोलते हुए उसने बेडशीट पर अपनी मुट्ठी मज़बूत कर ली।
जिया की नज़र उस पर थी। वह ठीक उसके सामने खड़ी होकर बिना किसी भाव के ब्लाउज़ की डोरियाँ निकालकर सीधा उसके गोद में बैठ गई और अपने दोनों पैर उसकी कमर पर लपेटते हुए एक हाथ उसके गर्दन पर लपेटकर दूसरे हाथ से तौलिया निकालते हुए सीधा उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अग्नि उसकी हरकत से बिलकुल हैरान था। उसकी आँखें बड़ी हो गई थीं, क्योंकि जिया कभी खुद से उसके नज़दीक नहीं आती थी, बल्कि जब वह उसके नज़दीक जाता था, तो वह उससे दूर जाने की कोशिश करती थी, और आज वह खुद उसके नज़दीक आ रही थी।
जिया, जिसे ठीक से किस करना तक नहीं आ रहा था, वह जबरदस्ती अपने होंठों को उसके मुँह में धकेलते हुए किस करने की कोशिश कर रही थी।
अग्नि का चेहरा एकदम ठंडा हो गया। वह बेरहम तरीके से उसके बालों को खींचते हुए, उसके सर को अपने चेहरे से दूर कर दिया।
जिया ने अपनी आँखें मज़बूती से बंद कर ली थीं। उसके सोचने-समझने की शक्ति ख़त्म हो चुकी थी। वह बस वही कर रही थी जो हमेशा अग्नि उसके साथ करता था।
अग्नि उसके होंठों के पास जाकर अपनी गहरी आवाज़ में बोला, "यह क्या हरकत कर रही हो? तुम चाहती क्या हो? मैं अभी यह सब नहीं करना चाहता। क्या तुम्हारे अंदर की आग इतनी भड़क चुकी है कि तुम खुद भी मेरे लिए पागल हो रही हो?" बोलते हुए उसकी पतली, लंबी, ठंडी उंगलियाँ उसकी काली, गहरी जुल्फ़ों में उलझ रही थीं।
जिया उसे बिना किसी भाव के देखकर खुद से दूर करके उसके गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया। अग्नि का चेहरा एक तरफ झुक गया। जिया के थप्पड़ की आवाज़ इतनी तेज थी कि पूरे कमरे में गूँज उठी। अग्नि का पूरा चेहरा लाल हो गया। उसका चेहरा एक तरफ झुका हुआ था, आँखें लाल और ठंडी हो गई थीं, उसकी मुट्ठी मज़बूत हो गई थीं, और उसके नसें उभर आई थीं। वह अगले ही पल उसे तेज़ धक्का देता है, जिससे वह सीधा ज़मीन पर जाकर गिर जाती है। "Aahhhhh!" जिया की एक दर्द भरी चीख निकल गई।
अग्नि अपनी तौलिया को कमर पर अच्छे से बाँधते हुए उसके नज़दीक गया, उसके बालों को बेरहम तरीके से पकड़कर तेज़ी से खींचते हुए उस पर चीखते हुए बोला, "बहुत ही ज़्यादा हिम्मत आ गई है! तभी तो हाथ उठा लिया! भूल मत, मैं कौन हूँ! मैं तुम्हारे साथ क्या-क्या कर सकता हूँ! तुम्हारी बची-कुची हिम्मत, जिसे तुम पूरी दिन इकट्ठा करती हो ना, उसे इस तरीके से तोड़ दूँगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा। जान भी नहीं निकलेगी, क्योंकि दर्द तो तुम्हें ज़िंदगी भर सहना पड़ेगा।"
जिया उसकी तरफ देखते हुए उसे खुद से दूर धकेलते हुए बोली, "और क्या करोगे तुम? यही तो आता है तुम्हें! मेरी हैसियत से खेलती हुई मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी तुमने! क्या गलती थी मेरी? मुझे बताओ! मैंने ऐसा क्या किया था जिसकी तुमने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी? जिसे तुम प्यार का दावा कह रहे हो ना, वह तुम्हारा प्यार नहीं था, सिर्फ़ एक आकर्षण था जिसकी सज़ा तुम मुझे दे रहे हो! कभी किसी को इतनी तकलीफ मत दो कि जब गलती समझ आए, तो लौटने का रास्ता ही ख़त्म हो गया हो। अगर तुमने मेरे साथ कुछ भी ऐसा किया, मैं तुम्हारी जान ले लूँगी! और एक इंसान को और कितना बर्बाद करोगे? मेरी दादी को तुमने मुझसे छीन लिया! इस चीज़ का अंदाज़ा तुम्हें था! तुम्हें भी पता था ना इसीलिए तुमने उन दो दिनों में मेरी इतनी केयर की, इतनी परवाह की थी! तुम्हें क्या लगता है? पागल हूँ मैं? बेवकूफ़ हूँ? कुछ समझ नहीं सकती?" वो उसके सीने पर हाथ बुरी तरह मार रही थी।
अग्नि, जो अभी गुस्से में था, जिया के शब्द सुनकर एकदम शांत हो गया। उसने जिया को रोकने तक की कोशिश नहीं की। जिया रोते हुए चिल्लाकर बोली, "क्या हुआ? अब समझ नहीं आ रहा? मुझे ये कैसे पता? ये सब क्यों किया तुमने? मैंने सिर्फ़ प्यार किया था, जो मेरी सबसे बड़ी गलती है! अकेला कर दिया मुझे! अनाथ कर दिया! मैं क्या करूँ? मैं क्या करूँ?" बोलते हुए उसने अग्नि के कंधे पर अपना सर रख दिया था। वह बुरी तरह चीख रही थी, चिल्ला रही थी, और उसी के कंधे पर सर रखकर रो रही थी। वह जिससे इतनी शिकायत कर रही थी, उसी के सामने अपने दिल का बोझ हल्का कर रही थी।
अपना सब कुछ बर्बाद कर दिया, सब कुछ! क्यों नहीं बताया मेरी दादी के बारे में? मुझे यकीन है तुम्हें पता था इसके बारे में! आपने नहीं बताया! मैंने उन्हें आखिरी बार देखा तक नहीं! सब की ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ आप हैं, और ना ही आपके घर वाले! मेरी दादी को वहाँ पर भेजना, उस हवेली के सिलसिले में, और ना ये सब होता। और आप जैसे बड़े लोग क्या करेंगे? बस पैसे देंगे। कहने के लिए मुआवज़ा दे दिया जाएगा। मुझे नहीं रहना! छोड़ दीजिए मुझे! मेरे हाल पर छोड़ दीजिए!" वह बुरी तरह रो पड़ी थी।
जितनी देर से उसने अपने आँसुओं को संभालकर रखा था, अग्नि के सामने उसका एक-एक ज़ज़्बा बाहर आ रहा था। रोते-रोते कब उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया, उसे एहसास नहीं हुआ। वह अग्नि के कंधे पर सर रखकर धीरे-धीरे बड़बड़ाने लगी। उसकी पकड़ अग्नि के कंधे पर ढीली हो गई थी, उसका सर लुढ़क गया। अग्नि कुछ देर उसे देखता रहा, और अगले ही पल उसे अपनी बाहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और उसके बालों को सहलाने लगा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।
वह गहरी आवाज़ में बोला, "जो तुम्हारे अपने हैं, वह तुम्हारे साथ हैं, और जो तुम्हारे अपने नहीं, वह तुम्हारे साथ कभी नहीं होंगे। और इतने से ही दर्द में तुम्हारी जान निकल गई! उसका भी तो सोचो, जिससे मैंने प्यार किया था। उसे भी तो तुमने अपने ही हाथों से मार दिया था। अभी यह दर्द तुम्हें बर्दाश्त करना होगा।" बोलते हुए वह उसके बालों को सहला रहा था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वह एक तरफ़ उसे दर्द देने की बात कर रहा था, और दूसरी तरफ़ उसे रोने के लिए अपना कंधा दे रहा था। कैसी अजीब सी दिलकशी थी! इकरार भी नहीं था, और दर्द भी बेइंतेहा!
सुबह के 8:00 बज रहे थे। अवनी जी हॉल में परेशानी से बैठी हुई एक सर्वेंट को ब्रेकफास्ट के बारे में बता रही थीं, और वह कुछ सोचकर अपनी जगह से उठीं और सीधा जिया के कमरे की तरफ कदम बढ़ा दिया। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खटखटाया, अंदर से गहरी खामोशी के अलावा कोई और आवाज नहीं आई। उन्होंने दरवाजा खोलकर अंदर आ गईं। उन्होंने जिया को इधर-उधर देखा, पर उन्हें जिया कहीं भी नज़र नहीं आई। वह सीधा जाकर बालकनी के पर्दे अलग किए और दरवाजा खोल दिया। चमचमाती हुई धूप सीधे कमरे में दाखिल हुई। जैसे ही वह पलटीं, उनकी नज़र जिया पर गई। जिया बेड के नीचे गिरी हुई थी, उसके हाथ से खून निकल रहा था। उनकी आँखें हैरानी से फैल गईं। वह जल्दी से उसके पास गईं और उसके गालों को थपथपाते हुए कहती हैं, "जिया, बच्चा! आँखें खोलो। क्या हुआ है ये? उठो, देखो मेरी तरफ!" वह उठाने की कोशिश कर रही थीं, चीख रही थीं। जिया के हाथ से खून निकल रहा था। उसे देखकर पता चल रहा था कि कुछ देर पहले ही हाथ काटा गया हो। वह अभी भी हल्के-हल्के होश में थी। अग्नि, जो स्टडी रूम से निकल रहा था, तेज चिल्लाने की आवाज सुनकर भागते हुए सीधे कमरे में आया। उसकी नज़र सीधा जमीन पर लेटी हुई जिया पर गई। उसकी आँखें सख्त हो गई थीं। वह बिना किसी एक्सप्रेशन के आगे बढ़ा, जिया को अपनी बाहों में उठाया और सीधा बाहर की तरफ निकल गया। आरव, जो नींद में था, जिया को इस हालत में देखकर जल्दी से बाहर की तरफ गाड़ी निकालते हुए दरवाजा खोल दिया। अग्नि सीधा गाड़ी में बैठकर चिल्लाते हुए बोला, "इतनी स्लो ड्राइव कौन करता है! फ़ास्ट ड्राइव करो!" वह जिया का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता दबा रहा था जिससे उसका खून रुक जाए। जिया बेहोश हो चुकी थी। उसने अपने हाथ की नस काट ली थी। वह अकेली और बेसहारा हो चुकी थी; उसकी ज़िंदगी तबाह हो चुकी थी, जीने की आखिरी उम्मीद भी ख़त्म हो चुकी थी। न अब जीने की ख़्वाहिश थी और न ही मरने का डर। उसने अपनी ज़िंदगी ख़त्म करनी चाही थी। कुछ देर बाद, वे अस्पताल में मौजूद थे। उसके हाथ की पट्टी कर दी गई थी। डॉक्टर अग्नि के सामने खड़े हुए, घबराई हुई आवाज़ में बोले, "हमने पट्टी कर दी है। और कुछ देर में होश आ जाएगा। वह मेंटली डिप्रैस्ड है और बहुत ही ज़्यादा वीक हो चुकी है। तो आप उनका प्रॉपर ख़्याल रखिएगा। यह मैंने उनकी डाइट बना दी है।" बोलते हुए वह जल्दी से वहाँ से चला गया। अग्नि अपने हाथ में प्रिस्क्रिप्शन को देखते हुए आरव की तरफ़ बढ़ा और वहाँ से सीधा वार्ड में आया। जिया को वीआईपी वार्ड में एडमिट करवाया गया था। अग्नि सीधा वार्ड के अंदर आया। उसकी नज़र जिया पर गई, जो टेक लगाए सीलिंग को घूर रही थी। वह अपनी जगह पर खड़ा हुआ जिया को घूरने लगा। जिया सीलिंग को घूर रही थी। उसकी आँखों के नीचे डार्क सर्कल्स पड़ चुके थे, चेहरे का नूर कहीं गायब ही हो गया था। चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था, शरीर में तो जैसे जान ही नहीं बची थी; वह बेजान सी बेड पर लेटी हुई थी। अग्नि पिछले एक हफ़्ते से उसके करीब जा रहा था। उसे कोई मतलब नहीं था जिया क्या कर रही है, क्या खा रही है, पी रही है; उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी नीड पूरी करनी थी, जो वह हर रात पूरी कर रहा था। उसने इस एक हफ़्ते के अंदर जाने कितनी बार जिया के साथ पूरी तरीके से अपना बनाया था। जिया ने उसे कितनी बार रोकने की कोशिश की थी, जिसका अंदाज़ा उन दोनों के सिवा किसी और को नहीं था। अग्नि तेज कदमों से उसके नज़दीक आया और उसके जबड़े को दबाते हुए, गहरी मगर गुस्से से भरी हुई आवाज़ में बोला, "बहुत शौक है ना तुम्हें मरने का? तो ठीक है। मैं तुम्हें जीते जी नरक के दर्शन करवाऊँगा। अगर अब तुमने दोबारा नस काटने की कोशिश की, तो अपने हाथ से तुम्हारी जान ले लूँगा।" जिया खाली आँखों से उसकी तरफ़ देखती है और उसके हाथ को झटकते हुए मुस्कुराकर कहती है, "उससे ज़्यादा आप कर ही क्या सकते हैं? मैंने आपके प्यार की जान नहीं ली, समझे आप? और रही बात मारने की, तो धीरे-धीरे तड़पा-तड़पाकर क्यों मार रहे हैं? एक ही बार में जान ले लीजिए ना, इससे कम दर्द होगा।" अग्नि के चेहरे पर मुस्कराहट खिल जाती है। वह टेढ़ी मुस्कराहट के साथ कहता है, "मारूँगा तुम्हें, बहुत जल्द मारूँगा, पर उससे पहले तुम्हें वह दर्द तो गुज़ारना होगा ना? और हाँ, सबसे ज़्यादा एक औरत को दर्द तभी होता है ना जब उसका पति दूसरी शादी कर रहा हो। घरवालों के बाद एक पति ही तो उसका सहारा होता है। इतना अच्छा लगेगा ना! हम दोनों तो शादीशुदा हैं और तुम मेरी हर वह ख़्वाहिश भी पूरी करोगी, पर तुम्हें कभी भी एक बीवी होने का दर्जा नहीं मिलेगा और न ही वो खुशी मिलेगी।" "प्रिपेयर कर लो खुद को, बहुत जल्द तुम्हें यह खुशखबरी भी मैं सुनाऊँगा।" बोलते हुए उसने उसके चेहरे को झटक दिया, उसके बालों को मज़बूती से दबाते हुए आगे कहता है, "तुम्हारे लिए मुझसे ज़्यादा बुरा कोई नहीं होगा, जान ए तमन्ना।" जिया अपने आपको शांत करते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ़ फ़ेर लेती है। उसने कुछ भी नहीं कहा, बल्कि वह दूसरी तरफ़ देखते हुए कहती है, "मुझे भी बहुत बेसब्री से इंतज़ार है जिस दिन आप घोड़ी चढ़ेंगे।" बोलते हुए अपनी आँखें बंद कर लेती है। अग्नि उसके हाज़िर जवाबी पर उसकी मुट्ठी मज़बूत हो जाती है। उसकी नसें उभर रही थीं, चेहरा बिल्कुल लाल हो गया था और आँखें बिल्कुल डार्क। वह जिया के गालों को दबाते हुए गुस्से से कहता है, "आँखें खोलो, इडियट! मुझे तुमसे बात करनी है। उठो!" तुम इस तरीके से... बोलते हुए अपने हाथ पीछे ले लेता है। तभी दरवाजे खुलने की आवाज़ से अग्नि जिया से दूर होकर, बिना आरव की तरफ़ देखे, वहाँ से जाते हुए ठंडी आवाज़ में कहता है, "इसके साथ रहना और अगर यह ऐसी कोई भी पागलों वाली हरकत करे, तो सीधा मुझे कॉल करना।" बोलते हुए वह बिना रुके वहाँ से चला जाता है। आरव जिया की मेडिसिन को टेबल पर रखते हुए, प्यार से उसके हाथ को थामते हुए कहता है, "जैसे दुनिया में आना किसी के बस में नहीं है, तो जाना भी किसी के बस की बात नहीं होती है। दादी के जाने पर हम कुछ नहीं कर सकते, पर तुम इस तरीके से अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। अगर भगवान एक चीज़ लेता है, तो वह हज़ारों खुशियाँ झोली में डाल देता है। तो यह क्यों नहीं समझती? कब से इतनी बच्चों वाली हरकतें करने लगी हो?" उसके हाथ को अपने होठों से लगा लेता है। आरव और जिया बचपन के दोस्त थे। उन दोनों की दोस्ती वक़्त के साथ बढ़ती चली गई थी। आरव अग्नि के साथ चला गया था, वरना अब भी उनकी दोस्ती अलग ही मुक़ाम पर होती। और कुछ देर उसे देखकर, वहाँ से कॉफ़ी लेने के लिए बाहर आ जाता है।
एक सफ़ेद रंग की हवेली, जिसे खूबसूरती से सजाया गया था। आस-पास आतिशबाज़ियाँ हो रही थीं, और वहीं, हवेली के एक कमरे के अंदर, एक शख़्स गुस्से से सिर झुकाए खड़ा था। वह कोई और नहीं, बल्कि ताबिश था। वह गुस्से से अपनी मुट्ठी मज़बूत करते हुए, दाँत पीसकर बोला, "डैड, आपको जो करना था, वह आप कर चुके हैं। पर आप इसे आगे कोई और उम्मीद मत रखिएगा," बोलते हुए वह वहाँ से जाने लगा।
उसके कान में उसकी माँ की आवाज़ पड़ी, "पर शादी तो तुमने उससे कर ली है। वह तुम्हारी बीवी है।"
ताबिश अपनी आँखें मज़बूती से बंद करके गहरी साँस लेने लगा। उसका चेहरा बिल्कुल सुर्ख हो चुका था। अगले ही पल, उनकी तरफ़ पलटते हुए, गुस्से से बोला, "माँ, आप लोगों को अंदाज़ा भी है? आप लोगों ने एक तो पहले मेरी शादी एक बच्ची से करवा दी, जिससे शादी जैसे मामले के बारे में पता नहीं है। ऊपर से अब क्या मैं उसे गोद में लेकर घुमाऊँ? मुझे बहुत अच्छे से पता था कि मैं आप लोगों का इकलौता बेटा हूँ, तो आप लोगों की ख़्वाहिश थी, जो मैंने तोड़ दी। आप चाहते थे मुझे डॉक्टर बनना चाहिए, पर मैं बिज़नेसमैन बना। पर आप लोगों ने बदला लेने का बहुत अच्छा रास्ता चुना है। पर जो गलती आप लोगों ने की है ना, मैं उसे कभी नहीं भूलूँगा। आपने उस छोटी सी लड़की से मेरी शादी करवा दी। अब मैं क्या उसे पढ़ाऊँगा, लिखाऊँगा और उसे स्कूल भेजूँगा? सीरियसली, रात में अगर वह रोने लगी तो उसे लोरी सुनाऊँगा? गलती से कभी बहक गया तो क्या वह मेरे जज़्बात को समझ पाएगी? आप लोगों ने बिल्कुल अच्छा नहीं किया। आज मैं यहाँ रुका हूँ, और कल मैं वापस चला जाऊँगा।"
एक दमदार आवाज़ के साथ, ताबिश एकदम शांत हो गया।
ताबिश के डैड गुस्से से बोले, "तुम्हें जहाँ भी जाना है, वहाँ जाओ, लेकिन तुम हमारी बहू को, अपनी बीवी को, अपने साथ लेकर जाओगे। अब से वह तुम्हारी ज़िम्मेदारी है।"
ताबिश गुस्से से मुट्ठी मज़बूत करते हुए कमरे से जैसे ही बाहर आया, एक अच्छी खासी रौबदार पर्सनालिटी से टकरा गया। उसने सिर उठाकर देखा। सामने क़रीब 50 साल का कोई शख़्स खड़ा हुआ था।
ताबिश उनकी तरफ़ देखकर, गहरी साँस लेकर, खुद को थोड़ा शांत करने लगा। तभी वह शख़्स उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, हल्के से दबाव बनाते हुए, गहरी आवाज़ में बोला, "बेटी है हमारी। बहुत नाज़ों से पाला है। और ख़बरदार, उसके नज़दीक भी गया या कुछ करा तो... दूर रहना उससे।"
ताबिश, जिसका चेहरा पहले ही गुस्से से भरा हुआ था, उनकी बात पर एक बार फिर से चिढ़ भर आई, और वह उनकी तरफ़ देखते हुए बोला, "क्यों? जब शादी करवा रहे थे, अपनी बच्ची की, तब आपने नहीं सोचा कि वह आपकी बेटी है? और अब जाकर मैं यह सब कुछ बर्दाश्त करूँगा? बिल्कुल नहीं करूँगा। देखना, कल सुबह ही उसके प्रेग्नेंट होने की खुशख़बरी मैं आपको न दूँ तो कहना।"
सामने खड़ा शख़्स गुस्से से उसे घूरते हुए, उंगली दिखाकर बोला, "तुम बदतमीज़ लड़के! अगर तुमने मेरी बेटी के साथ कुछ करा तो देखना!"
ताबिश एक ज़िद्दी बच्चे की तरह उनकी उंगली में अपनी उंगली फँसाते हुए बोला, "मैं कुछ नहीं, बल्कि बहुत कुछ करूँगा। और वैसे भी, आपको जल्द से जल्द नाना भी तो बनाऊँगा ना? उसके लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और हाथ-पैर मारने पड़ेंगे, तो बस इंतज़ार करिएगा।" वह गुस्से और नफ़रत के साथ वहाँ से चला गया।
और वहीं, वह शख़्स गुस्से से ताबिश को जाते हुए देखकर बोला, "तुम बदतमीज़ लड़के! तुम्हारी अकड़ तो मेरी बेटी निकालेगी!" बोलते हुए, गहरी साँस भरकर वहाँ से चले गए, जैसे उन्हें अपनी बेटी पर पूरा यकीन हो।
ताबिश का कमरा।
ताबिश जैसे ही अपने कमरे का दरवाज़ा खोला, उससे पहले उसका फ़ोन रिंग करने लगा। वह अपना फ़ोन निकालते हुए चिढ़कर बोला, "साला कमबख़्त! तुम लोगों को चैन नहीं है क्या? रात को भी फ़ोन कर?" बोलते हुए उसकी नज़र फ़ोन पर शो हो रहे नंबर पर गई। वह गहरी साँस लेकर फ़ोन को कान में लगाया। दूसरे साइड से अग्नि, हल्के मज़ाक में बोला, "सोचा नहीं था अपनी उम्र से आधी उम्र की लड़की से शादी करोगे। वैसे, कांग्रेचुलेशन्स!"
ताबिश चिढ़कर बोला, "देख, मैं मानता हूँ तू मेरा दोस्त है, पर ऐसी बकवास मत कर। वैसे, मेरा दिमाग बहुत ज़्यादा ख़राब है।"
अग्नि बोला, "मैंने तो बस बताने के लिए कॉल किया था कि तू इतनी ज़्यादा लड़कियों के बीच में रहा है, तो तुम्हें शायद अपनी वेडिंग नाइट में कुछ मुश्किल आ सकती है। तो मैं बस तुम्हें उसी के लिए बताने के लिए कॉल कर रहा था।"
ताबिश चिल्लाते हुए बोला, "गधे! उल्लू के पत्ते! तुझे शर्म नहीं आती अपने दोस्त से ऐसी बेइज़्ज़ती भरी बात करने की? तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे अब तक न जाने कितने राउंड मार चुका हो।"
अग्नि के होठों पर मुस्कराहट खिल गई। वह तेज़ी से बोला, "ऑफ़ कोर्स! और सबसे बड़ी बात, मैंने अपनी ही सबसे बड़ी ख़ूंख़ार दुश्मन के साथ ही खेल खेला है। तू वापस, तुझे उससे..." फ़ोन डिस्कनेक्ट हो गया।
ताबिश अपने फ़ोन को देखते हुए और उसे जेब में रखते हुए, सीधा कमरे के अंदर आया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं। कमरा बहुत ही ख़ूबसूरती से डेकोरेट किया गया था। आस-पास मोमबत्तियों के डेकोरेशन थे और फ़र्श पर रेड पेटल्स पड़े हुए थे।
ताबिश यह सब देखते हुए उसकी नज़र बेड पर चली गई, जहाँ पर एक बहुत ही ख़ूबसूरत सी छोटी सी दुल्हन, अपने चेहरे पर घूँघट डाले हुए, बड़ी-बड़ी आँखें झपकाते हुए, ताबिश को देख रही थी। नेट के दुपट्टे के होने की वजह से उन दोनों को एक-दूसरे की आँखें साफ़ दिखाई दे रही थीं।
ताबिश एक नज़र उसे देखकर, रूम को अंदर से लॉक करते हुए, खुद से बोला, "यहाँ मैं खुद को काबू करने के लिए गुस्सा दिखा रहा हूँ, और यह लड़की यहाँ पर ख़ूबसूरती से सज-धज कर बैठी है। जैसे आज मेरा कंट्रोल लूँस कर ही देगी।" वह तुरंत आलिया से अपनी नज़र हटाकर, सीधा ड्रेसिंग टेबल के पास आया और अपनी घड़ी निकालते हुए, बेरुखी से आवाज़ में बोला, "जाओ जाकर अपने कपड़े बदल लो। तुम्हारे ये चटक-मटक कपड़े देखकर मुझे इरिटेशन हो रही है।"
आलिया एक नज़र उसे देखती है और तुरंत बेड से कूदते हुए, बहुत ही प्यार से कहती है, "मैं भी यही सोच रही थी, अंकल। अब मैं जल्दी से जाकर अपनी फ़ेवरेट ड्रेस पहनकर आती हूँ।" बोलते हुए वह अपना भारी-भरकम लहँगा उठाती है और सीधा बाथरूम में घुस जाती है।
ताबिश उसके जाने के बाद एक गहरी साँस लेता है। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके जाने के बाद अब जाकर उसे ठीक से साँस आ रही हो। वह जाकर बालकनी के पर्दे खोल देता है और कुछ देर ताज़ी हवा में साँस लेने के बाद वह सीधा कमरे में आता है।
वह जैसे ही बेड साफ़ करने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाता है, दरवाज़ा खोलने की आवाज़ से उसकी नज़र सीधा बाथरूम की तरफ़ चली जाती है। दो पतली, ख़ूबसूरत टाँगें उसके सामने थीं। उसकी आँखें एकदम बड़ी हो जाती हैं। वह अपनी नज़रें धीरे-धीरे ऊपर करता है और सीधा आलिया को देखता है, जो उसी की व्हाइट कलर की शर्ट में थी।
ताबिश की शर्ट उसे मुश्किल से घुटनों तक आ रही थी; उसका कंधा बार-बार एक तरफ़ से गिर रहा था। गीले बाल, जिससे पानी टपक रहा था, जिससे वह व्हाइट शर्ट विज़िबल हो रही थी। नहाने से उसकी रंगत हल्की गुलाबी हो चुकी थी। बालों से टपकता हुआ पानी कपड़ों में कहीं गुम सा हो रहा था।
ताबिश उसे मुँह खुला देख रहा था। उसकी धड़कन इतनी तेज़ थी जैसे अभी उसे हार्ट अटैक आ जाएगा। वह अचानक ही डिस्बैलेंस होकर बेड पर गिर जाता है।
आलिया उसकी तरफ़ देखती है और सीधा उसके नज़दीक आने लगती है।
ताबिश उसे खुद के नज़दीक आता देख, अपने सूखते हुए गले को तर करते हुए, खड़े होने की कोशिश करता है।
आलिया उसकी हरकत पर आँखें छोटी करके उसे देखते हुए, पाउट बनाकर जल्दी-जल्दी उसके नज़दीक आकर, सीधा उसके ऊपर बैठ जाती है।
ताबिश की साँस गले में ही अटक जाती है। वह बड़ी आँखों से एकटक उसे ही देख रहा था। आलिया उसे देखते हुए, मुँह बनाकर कहती है, "अरे अंकल, आपका दिल तो इतना तेज़ क्यों धड़क रहा है? इसे तो हार्ट अटैक पड़ जाएगा। मैं जगह में डॉक्टर को बुलाऊँ क्या?" वह मासूमियत से पलकें बार-बार झपकाते हुए उसे देख रही थी। उसकी आँखों की चमक, गुलाबी गाल, बिना मेकअप के उसका छोटा सा गोल चेहरा बहुत मासूम और ख़ूबसूरत लग रहा था।
ताबिश सिर जल्दी से हाँ में हिलाते हुए कहता है, "तुम... तुम क्या कर रही हो? उतरों मेरे ऊपर से! तुम इस तरीके से मेरे ऊपर नहीं चढ़ सकती।"
आलिया मासूम सा चेहरा बनाकर, होठों को गोल करके, आँखें मटकाते हुए कहती है, "अच्छा? और ऐसा क्यों नहीं बैठ सकती? भला, मैं आप मेरे पति हूँ, हम अब से साथ में सोएँगे, तो इसे बैठने में क्या दिक्कत है? पति जी, बताइए?" वह टिमटिमाते हुए उसे देखने लगती है।
ताबिश की जान तो जैसे उसके गले में आ चुकी थी। वह बुरी तरह खांसने लगता है।
आलिया उसे ख़स्ता देख, जल्दी से उसके ऊपर से उठकर, पानी का गिलास उसके होठों की तरफ़ बढ़ाते हुए, मासूमियत से कहती है, "अरे, आपको इतनी खांसी क्यों आ रही है? यह लीजिए, जल्दी से पानी पी लीजिए।" बोलते हुए, वह उसके होठों से गिलास लगा चुकी थी।
ताबिश की खांसी उसकी हिचकियों में बदल गई थी। उसका शरीर धीरे-धीरे गरम हो रहा था, और कान एकदम सुर्ख। एक तो आलिया उसके सामने उसकी व्हाइट शर्ट में थी, ऊपर से वह रिवीलिंग हो रही थी; धीरे-धीरे... ऊपर से उसकी गरिमा, उसके शरीर से निकलती हुई वह बॉडी शॉप की महक... ताबिश को साँस लेना मुश्किल हो रहा था।
वह मुश्किल से अपनी नज़रें हटाते हुए, खुद से कहता है, "वहाँ नहीं देखना है! तुम बेशर्म आँखें! तुम्हें शर्म नहीं आती एक लड़की को ऐसे अधूरे कपड़ों में देखते हुए?" वह अपनी आँखों को ही बेशर्म बोल रहा था, पर उसकी नज़र तो जैसे उसकी ख़ूबसूरती से, नाज़ुक से बदन पर अटक चुकी थी। वह चाहकर भी अपनी नज़रें नहीं हटा पा रहा था। वह जैसे-तैसे पानी पीकर अपनी जगह से खड़ा होता है।
कि आलिया तुरंत उसके हाथ को पकड़कर, उसे थोड़ा नज़दीक आ जाती है।
ताबिश बड़ी आँखों से देखते हुए, खुद को दूर करते हुए कहता है, "यह तुम... तुम मेरे... मेरे क़रीब क्यों आ रही हो?"
आलिया, थोड़ा सा शर्म आते हुए कहती है, "वह... हमारी... हमारी शादी हो गई है ना?"
ताबिश थोड़ा रूड होने की कोशिश करते हुए, "तो...?"
आलिया उसे देख, शर्म आते हुए कहती है, "तो मुझे आपका... वह चाहिए।"
ताबिश का चेहरा एकदम डार्क हो जाता है। उसके कान इतने लाल हो गए थे जैसे किसी ने उसके कानों में गरम, खोलता हुआ लावा डाल दिया हो। चेहरा पूरा सुर्ख़ था। वह अपने सामने खड़ी उस छोटी सी लड़की को देख रहा था, जो शर्म आते हुए उससे ऐसी चीज़ की ख़्वाहिश कर रही थी, जिसका जुल्म अगर उसने इस नाज़ुक सी जान पर भी दिया, तो वह पूरी हफ़्ते भर तक बेड पर रहेगी।
वह जल्दी से अपने दोनों हाथ पैरों के बीच रखते हुए, घबराई हुई आवाज़ में कहता है, "तुम... तुम कहना... कहना क्या चाहती हो?"
आलिया पाउट बनाते हुए, बहुत ही मासूम सी आँखों से देखते हुए, उसके कॉलर को पकड़कर, उसके नज़दीक आ जाती है।
ताबिश की हालत ख़राब हो गई थी। वह जल्दी से उसके कंधे पर हाथ रखकर, उसे खुद से दूर करने लगता है।
आलिया अपना हाथ आहिस्ता-आहिस्ता नीचे लाते हुए, किसी चीज़ पर अपना हाथ रख देती है, और अगले ही पल उसका चेहरा पूरा लाल हो जाता है।
ताबिश का चेहरा डार्क हो चुका था। वह तुरंत उसे दूर करते हुए, चिल्लाकर कहता है, "यह तुम क्या कर रही हो? तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे इस तरीके से टच करने की?"
उसके चिल्लाने पर, वह शर्म आते हुए और एम्बैरेस्मेंट के साथ, मासूमियत से कहती है, "It was pricking me on my stomach. I had no intention of touching you in this manner. मैं तो बस आपके साथ सोना चाहती हूँ।" उसने डायरेक्ट और बहुत ही मासूमियत से, सीधे तरीके से अपनी बात कह दी थी।
उसका इतना कहना ही था कि ताबिश का चेहरा पूरी तरीके से काला पड़ जाता है, और वह उसे देखते हुए चिल्लाकर कहता है, "तुम्हारा दिमाग ख़राब हो रहा है क्या? तुम्हें पता भी है तुम क्या बात कर रही हो? इतनी जरा सी उम्र की हो, कोई कह सकता है तुम्हें कि तुम छोटा पैकेट, बड़ा धमाका हो!"
आलिया उसकी तरफ़ मासूमियत से देखते हुए कहती है, "पर मैंने ऐसा भी क्या कह दिया, अंकल, जो आप इतना ज़्यादा चिल्ला रहे हैं? अब आप मेरे हस्बैंड हैं, और मेरा तो फ़र्ज़ बनता है आपके साथ सोना, आपको ख़ुश रखना।" बोलते हुए, वह उसे देखने लगती है।
ताबिश एक नज़र उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखता है और अगले ही पल सीधा बाथरूम के अंदर घुसते हुए, चिल्लाकर कहता है, "अगर मेरे आने से पहले-पहले तुम सोई नहीं, तो मैं तुम्हें इस ठंडे मौसम में पूरी रात कमरे से बाहर, बालकनी में सुलाऊँगा, समझी? अब बिना किसी शैतानी के, अच्छे बच्चों की तरह चुपचाप बेड पर सो जाओ।" बोलते हुए, वह लगभग तेज़ आवाज़ में दरवाज़े को पटकते हुए, अंदर से बंद कर देता है।
आलिया मासूमियत से बंद दरवाज़े को देख, अपनी उंगलियों को उलझाते हुए कहती है, "पर मैंने ऐसा क्या कह दिया जो इतना गुस्सा आ रहा है? हर हस्बैंड-वाइफ़ साथ में सोते हैं। अगर मैं उनके साथ सोना चाहती हूँ तो इसमें मेरी क्या गलती? क्या करूँ? मेरी आदत है अपने टॉय के साथ सोने की, उसे गले लगाने की। वह कितना सॉफ़्ट है! और मुझे बिना गले लगाए अच्छे से नींद नहीं आती, और अब अगर मैं इनको गले लगाकर नहीं सोऊँगी तो मुझे नींद कैसे आएगी?" बोलते हुए, वह टिमटिमाती हुई आँखों से बेड को देखने लगती है, जो एक किंग साइज़ था, जिसे फूलों से डेकोरेट किया गया था। उसमें दो छोटे-छोटे से हंस बनाए हुए थे, जो काफ़ी क्लोज़ थे; बीचों-बीच एक बड़ा सा हार्ट शेप वाला दिल था, जो फूलों से बनाया गया था। आलिया उसे देखकर ख़ुश हो जाती है और जल्दी से बेड पर चढ़कर कूदने लगती है।
बाथरूम में।
ताबिश कोल्ड शॉवर के नीचे खड़ा था। उसका पूरा शरीर लाल हो गया था। वह गुस्से से अपना सिर ऊपर करके, ठंडे पानी की बूँदों को चेहरे पर महसूस करने लगता है। उसका एक हाथ बाल पर टिका हुआ था; उसकी पतली, लंबी उंगलियों से पानी खिसकते हुए नीचे गिर रहा था। शॉवर की बूँदें उसकी कनपटी से फिसलते हुए नीचे आ रही थीं। लंबी-लंबी साँसें भरते हुए, वह खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था, और उसकी आँखों के सामने बार-बार आलिया का वह नाज़ुक, ख़ूबसूरती से तराशा हुआ जिस्म आ रहा था।
अगर तुम अपने डायलॉग्स में इमोशन्स जोड़ना चाहते हो, तो संवेदनशील क्रियाएँ (action verbs), चेहरे के भाव (facial expressions), और माहौल (atmosphere) का सही इस्तेमाल जरूरी है। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
1. खुशी (Happiness) में बोले गए डायलॉग्स
"तुम सच कह रहे हो?" उसने आँखों में चमक लिए कहा, जैसे उसकी दुनिया अचानक रोशनी से भर गई हो।
"वाह! ये तो कमाल हो गया!" वह खुशी से उछल पड़ी, उसकी आवाज में उत्साह छलक रहा था।
2. गुस्सा (Anger) में बोले गए डायलॉग्स
"तुमने ऐसा क्यों किया?" उसने दाँत भींचकर कहा, आँखों में जलते अंगारे थे।
"बस! अब और बर्दाश्त नहीं होगा!" उसकी आवाज इतनी कड़क थी कि कमरे में सन्नाटा छा गया।
3. दुःख (Sadness) में बोले गए डायलॉग्स
"मुझे लगा था कि तुम मेरे अपने हो..." उसने रुंधी हुई आवाज में कहा, आँखें गीली हो गई थीं।
"अब सब कुछ खत्म हो गया है..." उसने धीमे से कहा, जैसे शब्द भी बोझ बन गए हों।
4. प्यार (Love) में बोले गए डायलॉग्स
"मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूँ..." उसने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा, उसकी आवाज में सच्चाई की गूँज थी।
"तुम्हारी मुस्कान मेरी दुनिया रोशन कर देती है।" उसने धीमे से फुसफुसाया, उसकी नजरें उसके चेहरे पर टिकी थीं।
5. डर (Fear) में बोले गए डायलॉग्स
"क्या... क्या तुमने भी वो आवाज सुनी?" उसने काँपती आवाज में कहा, उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
"हमें यहाँ से चलना चाहिए..." उसने घबराई हुई नजरों से इधर-उधर देखते हुए कहा।
6. संदेह / उलझन (Doubt / Confusion) में बोले गए डायलॉग्स
"मुझे नहीं पता... शायद मैंने गलत सुना हो?" उसने भौंहें सिकोड़ीं और उलझन में बुदबुदाया।
"क्या तुम सच कह रहे हो?" उसने गहरी नजरों से उसकी आँखों में झाँकते हुए पूछा।
कैसे बेहतर करें?
संवेदनशील क्रियाएँ जोड़ें (मुस्कुराते हुए, चीखते हुए, फुसफुसाते हुए, काँपती आवाज में, आदि)।
माहौल को महसूस कराएँ (कमरे में सन्नाटा था, उसकी साँसें तेज चल रही थीं, हवा में तनाव घुला था)।
संवाद के साथ चेहरे और शरीर की हलचल दिखाएँ (आँखें नम हो गईं, मुठ्ठियाँ भींच लीं, आवाज में कंपन था)।
इन डायलॉग्स में आप दृश्य, शारीरिक हाव-भाव, और भावनाओं का मिश्रण करके और भी गहरे इमोशन्स जोड़ सकते हो। अगर तुम्हें किसी विशेष परिस्थिति में डायलॉग्स चाहिए, तो बताना!
अगर तुम्हें डर (terror) और ठंडी सिहरन (cold aura) दिखाने वाले डायलॉग्स चाहिए, तो उनमें आवाज़ की कंपकंपी, माहौल का ठहराव, और शारीरिक प्रतिक्रियाओं को जोड़ना ज़रूरी होगा। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
1. ठंडे डर (Cold Fear) में बोले गए डायलॉग्स
"यहाँ कुछ... कुछ सही नहीं लग रहा..." उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी साँसें ठंडी हवा में धुंध की तरह घुल रही थीं।
"क्या तुमने भी वो महसूस किया?" उसने काँपते हुए फर्श की ओर देखा, जैसे उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक रही हो।
"इस अंधेरे में कोई हमारी साँसें गिन रहा है..." उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि जैसे खुद को भी सुनाने से डर रहा हो।
"ठंड क्यों लग रही है? यहाँ तो खिड़कियाँ भी बंद हैं..." उसने अपने बाजुओं को गले में कसते हुए कहा, उसकी त्वचा पर खड़े रोंगटे अजीब सी चेतावनी दे रहे थे।
2. आतंक (Pure Terror) में बोले गए डायलॉग्स
"भगवान के लिए, मत पलटना!" उसने लगभग घुटी हुई आवाज़ में कहा, उसकी आँखों में ऐसा खौफ था, जैसे उसने कुछ अकल्पनीय देख लिया हो।
"वो... वो यहीं है... हमारे ठीक पीछे..." उसकी आवाज़ काँप रही थी, होंठ सूख गए थे, और पसीने की ठंडी बूँदें उसकी रीढ़ पर बह रही थीं।
"यहाँ से निकलना होगा, अभी, इसी पल!" उसने किसी तरह शब्दों को समेटा, लेकिन डर उसके दिल की धड़कनों को काबू में नहीं ला सका।
"अगर हम एक भी कदम गलत उठाए, तो..." उसने आधा वाक्य अधूरा छोड़ दिया, उसकी आँखें किसी अनजाने डर में फैल गई थीं।
3. रहस्यमयी ठंडक (Mysterious Cold Aura) में बोले गए डायलॉग्स
"क्या तुमने हवा में कुछ बदला हुआ महसूस किया?" उसने धीरे से पूछा, उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जो रूह तक ठंड पहुँचा दे।
"यह जगह... जैसे किसी की निगाहों से जमी हुई है..." उसने धीरे से कहा, और उसकी हर साँस धुंए की तरह हवा में घुल गई।
"इतनी ठंड क्यों लग रही है... जैसे कुछ अदृश्य हमारे आसपास घूम रहा हो..." उसने अपने कंधे सहलाते हुए कहा, और एक अदृश्य स्पर्श से पीछे हट गया।
"दीवारों पर परछाइयाँ चल रही हैं... लेकिन हम अकेले तो हैं, ना?" उसकी आवाज़ धीमी होती गई, और अँधेरे ने जैसे उसके शब्दों को निगल लिया।
4. मौत जैसा सन्नाटा (Silence of Death) में बोले गए डायलॉग्स
"क्या तुमने सुना?" उसने कान लगाकर फुसफुसाया, लेकिन हवा तक थम गई थी।
"इतना अजीब सन्नाटा... जैसे ये जगह साँस भी रोककर बैठी हो।"
"हम चिल्ला भी लें, तो भी कोई हमें सुनने नहीं आएगा..." उसकी आँखों में खालीपन था, जैसे यह सच उसने खुद से ही कह दिया हो।
कैसे और डरावना बनाएँ?
माहौल जोड़ें: "हवा में अजीब सी नमी थी, जैसे किसी ने अभी-अभी यहाँ रोते हुए रात बिताई हो।"
शरीर की प्रतिक्रिया दिखाएँ: "उसके हाथ बर्फ जैसे ठंडे हो गए थे, और दिल की धड़कन इतनी तेज़ थी कि वह खुद उसे सुन सकता था।"
अनजाना खतरा महसूस कराएँ: "अंधेरे में कोई था... दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन उसकी मौजूदगी उसकी हड्डियों तक ठंड भर रही थी।"
अगर तुम्हें किसी खास सीन के लिए डरावने डायलॉग्स चाहिए, तो बताओ!
बिल्कुल! यहाँ और भी गहरे, संवेदनशील और प्रभावशाली शब्द और वाक्यांश दिए जा रहे हैं जो भावनाओं (Emotions) को और बेहतर तरीके से व्यक्त करने में मदद करेंगे:
1. खुशी (Happiness) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: चहकना, खिलखिलाना, दमकना, पुलकित होना, झूम उठना, रोशनी से भर जाना।
वाक्य:
उसकी आँखों में ऐसी चमक थी, जैसे हजारों जुगनू एक साथ जल उठे हों।
वह खुशी से उछल पड़ी, जैसे कोई परिंदा पहली बार खुले आसमान में उड़ान भर रहा हो।
उसकी मुस्कान में वो जादू था, जिससे उदास दिल भी खिल उठे।
2. गुस्सा (Anger) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: तिलमिलाना, भड़क उठना, दाँत पीसना, मुठ्ठियाँ भींचना, आँखों में शोले जलना।
वाक्य:
उसकी आँखें अंगारों की तरह जल उठीं, जैसे जरा सी चिंगारी से विस्फोट हो सकता हो।
उसने दाँत पीसते हुए कहा, "अब बहुत हो गया!"
उसकी आवाज़ बर्फ जैसी ठंडी थी, लेकिन आँखों में तूफान उठ रहा था।
3. दुःख (Sadness) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: रुंधना, भीग जाना, ठंडी साँस लेना, आँखें नम होना, सूना-सूना महसूस करना।
वाक्य:
उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि जैसे कोई टूटा हुआ सितारा अपनी आखिरी चमक बिखेर रहा हो।
उसकी आँखों में आँसू ठहरे हुए थे, मानो बरसात के बाद बची हुई बूंदें हों।
उसने सिर झुका लिया, मानो शब्दों ने भी उसका साथ छोड़ दिया हो।
4. डर (Fear) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: काँपना, सिहर जाना, साँसें थम जाना, दिल की धड़कन तेज होना, ठंडा पसीना आना।
वाक्य:
उसकी साँसें थम गईं, जैसे किसी ने वक्त को रोक दिया हो।
अंधेरे में उसकी परछाई भी उसे डरा रही थी, जैसे कोई पीछा कर रहा हो।
दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि हर धड़कन कानों में गूँज रही थी।
5. प्यार (Love) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: धड़कनों का तेज होना, नजरें झुका लेना, लाज से गुलाबी हो जाना, हल्की मुस्कान आना, दिल मचलना।
वाक्य:
उसकी नजरें उससे टकराईं, और एक पल के लिए पूरी दुनिया ठहर गई।
उसके शब्द नहीं, पर उसकी आँखें हर बात कह रही थीं।
उसकी मुस्कान इतनी प्यारी थी कि जैसे गुलाब की पंखुड़ियों पर सुबह की ओस गिर गई हो।
6. संदेह / उलझन (Doubt / Confusion) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: भौंहें सिकोड़ना, सोच में पड़ जाना, ठिठक जाना, अधखुला मुँह, अस्पष्ट शब्द कहना।
वाक्य:
उसने सिर झुका लिया और होंठ दबा लिए, जैसे कोई गहरी पहेली सुलझा रहा हो।
उसकी आँखों में उलझन थी, जैसे किसी ने सामने एक बंद दरवाजा रख दिया हो।
वह कुछ कहना चाहता था, लेकिन शब्द उसके हलक में ही अटक गए।
7. घृणा (Hatred) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: आँखें सिकोड़ना, होंठ टेढ़े करना, नाक चढ़ाना, घृणा से देखते रहना, आवाज में कड़वाहट होना।
वाक्य:
उसने घृणा से मुँह फेर लिया, जैसे सामने कोई जहरीली चीज़ रखी हो।
उसकी आँखों में इतनी नफरत थी कि सामने वाला खुद को छोटा महसूस करने लगा।
"मुझे तुम्हारी शक्ल तक देखनी पसंद नहीं," उसकी आवाज में एक ठंडा जहर घुला था।
8. शर्म (Shame) दिखाने वाले शब्द और वाक्य
शब्द: नजरें झुका लेना, होंठ काटना, चेहरा लाल पड़ जाना, उंगलियाँ मरोड़ना, पसीने में भीग जाना।
वाक्य:
उसने नजरें चुराते हुए कहा, "मुझे माफ कर दो..."
उसकी आँखें झुकी हुई थीं, जैसे किसी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया हो।
पसीने की बूँदें उसके माथे पर चमक रही थीं, जैसे वह जमीन में समा जाना चाहता हो।
कैसे और असरदार बनाएँ?
संवेदनाएँ गहराई से महसूस कराएँ (दिल की धड़कन, साँसों की लय, त्वचा की प्रतिक्रियाएँ)।
माहौल को जीवंत करें (हवा में ठंडापन, कमरे का अंधेरा, सन्नाटा, तेज़ धड़कनें)।
संवाद और बॉडी लैंग्वेज को जोड़ें ("उसने आँखें बंद कर लीं, जैसे खुद को किसी दर्द से बचाने की कोशिश कर रहा हो।")
अगर तुम्हें किसी खास सीन के लिए इमोशनल शब्द या डायलॉग्स चाहिए, तो मुझे बताओ!
यहाँ और भी गहरे, प्रभावशाली और संवेदनशील शब्द दिए जा रहे हैं, जिन्हें तुम अपनी कहानी में भावनाओं को उभारने के लिए इस्तेमाल कर सकते हो।
1. खुशी (Happiness) से जुड़े शब्द
चमकना (आँखों में), झूमना, मुस्कुराना, खिलखिलाना, दमकना, पुलकित होना, उल्लासित होना, झलकना, चहकना, मुग्ध होना, हर्षित होना, प्रसन्नचित्त, मधुर मुस्कान, दिल बाग-बाग होना, चमकती आँखें
वाक्य उदाहरण:
उसकी आँखों में हजारों सपनों की रोशनी झलक रही थी।
वह खुशी से झूम उठी, जैसे मन में कोई मधुर राग बज उठा हो।
उसके चेहरे पर मुस्कान थी, जो किसी भी अंधेरे को रोशनी में बदल सकती थी।
2. गुस्सा (Anger) से जुड़े शब्द
तमतमाना, दाँत भींचना, शोले बरसाना, आग उगलना, गर्म साँसें लेना, तेवर चढ़ाना, मुट्ठियाँ भींचना, गर्जना, आँखों में अंगारे जलना, झुँझलाना, तेज़ आवाज़ में बोलना, गहरा उबाल, गर्दन अकड़ाना, मुँह फेर लेना
वाक्य उदाहरण:
उसकी आँखों में ऐसा गुस्सा था, जैसे सुलगते अंगारों की लपटें।
उसने दाँत भींचते हुए कहा, "अब और नहीं सहूंगा!"
उसकी आवाज़ बर्फ जैसी ठंडी थी, लेकिन शब्दों में आग भरी थी।
3. डर (Fear) से जुड़े शब्द
सिहर उठना, काँप उठना, पसीने से भीग जाना, साँसें थम जाना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सन्नाटा छा जाना, चेहरा पीला पड़ जाना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना, घबराहट में निगलना, झटके से पीछे हटना, थर-थर काँपना, आतंकित होना, आवाज़ दब जाना, भयभीत नजरें
वाक्य उदाहरण:
उसकी साँसें थम गईं, जैसे किसी ने उसकी रूह को जकड़ लिया हो।
घबराहट में उसके हाथ काँपने लगे, और उसने धीरे-धीरे पीछे हटना शुरू कर दिया।
अंधेरे में कोई परछाई लहराई, और उसके शरीर में ठंडी सिहरन दौड़ गई।
4. प्यार (Love) से जुड़े शब्द
धड़कन तेज़ होना, नज़रें झुका लेना, गालों पर लाली छा जाना, हल्की मुस्कान, अधरों पर शरारत, गहरी आँखें, स्पर्श में कोमलता, दिल की हलचल, सपनीली आँखें, मीठी तड़प, बेचैन दिल, सांसों में महक, मंद मुस्कान, लबों पर कंपकंपी, स्पर्श में हल्का कंपन
वाक्य उदाहरण:
उसकी आँखों की गहराई में वह खो गया, जैसे अनंत आकाश में कोई राह खोज रहा हो।
जब उसकी उँगलियाँ उसके हाथों को छू गईं, तो पूरे बदन में हल्की सी सिहरन दौड़ गई।
उसकी मुस्कान इतनी खूबसूरत थी कि जैसे वसंत के पहले फूलों की ताजगी हो।
5. दुख (Sadness) से जुड़े शब्द
आँखें नम होना, रुंधी हुई आवाज़, ठंडी साँस लेना, हृदय विदीर्ण होना, सूनी आँखें, गहरी उदासी, नज़रों में खालीपन, अधूरी उम्मीद, सिसकियाँ लेना, गला भर आना, मन भारी होना, गहरी निराशा, अश्कों में डूबना, दिल टूटना, दर्द से कराहना
वाक्य उदाहरण:
उसने धीरे से कहा, "अब कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा..." और उसकी आवाज़ दर्द में डूब गई।
उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की।
उसने ऐसी ठंडी साँस ली, जैसे उसके अंदर का सब कुछ टूटकर बिखर चुका हो।
6. नफरत (Hatred) से जुड़े शब्द
नाक सिकोड़ना, होठ टेढ़े करना, तेज़ निगाहें, घृणित हँसी, अस्वीकारात्मक हावभाव, तीखी जुबान, शब्दों में ज़हर, द्वेषपूर्ण दृष्टि, मुँह फेर लेना, तिरस्कार से देखना, क्रोध से जलना, सख्त आवाज़, अस्वीकार के भाव
वाक्य उदाहरण:
उसने नज़रें फेर लीं, जैसे सामने खड़ा इंसान उसके लिए अजनबी से भी बदतर हो।
उसकी आवाज़ में इतनी कड़वाहट थी कि जैसे ज़हर घोल दिया गया हो।
"तुमसे बात करने का भी मन नहीं करता," उसने घृणा से कहा और तेजी से चला गया।
7. जलन (Jealousy) से जुड़े शब्द
अस्वस्थ भाव, तेज़ नज़रों से देखना, भृकुटि टेढ़ी करना, जलन से भर जाना, कटाक्ष भरी मुस्कान, गहरी ईर्ष्या, बदन में झुंझलाहट, अंदर से कुढ़ना, स्वर में कड़वाहट, निगाहों में खटास, दिल में जलन, होंठ काटना, बढ़ी हुई धड़कन
वाक्य उदाहरण:
उसने होंठ चबाए और व्यंग्य से मुस्कुराया, जैसे उसके अंदर जलन का तूफान उठ रहा हो।
उसके शब्दों में ईर्ष्या की तल्खी साफ झलक रही थी, मानो वह हर हाल में उसे नीचा दिखाना चाहता हो।
उसकी नज़रों में ऐसी जलन थी कि सामने वाले की जीत भी कड़वी लगने लगी।
कैसे अपने लेखन में इन शब्दों को बेहतर इस्तेमाल करें?
शारीरिक प्रतिक्रियाएँ जोड़ें – "उसने गहरी साँस ली और आँखें बंद कर लीं, जैसे खुद को संभालने की कोशिश कर रहा हो।"
माहौल का उपयोग करें – "कमरे में सन्नाटा था, लेकिन उसकी घबराई हुई साँसें साफ सुनाई दे रही थीं।"
संवेदनाएँ गहराई से महसूस कराएँ – "उसके होंठ कुछ कहने को हिले, लेकिन शब्द गले में ही अटक गए।"
धीरे-धीरे रात गहरी होती जा रही थी। मौसम तेज़ी से बदल रहा था; बादल बहुत ही तेज़ी से चल रहे थे। उस काली रात में चाँद तेज़ी से चमक रहा था। मौसम बदला सा था, जैसे बारिश आने वाली हो। आस-पास लगे हुए पेड़ों की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि कोई भी डर के मारे काँप उठता। बिजली बहुत ही तेज़ी से चमक रही थी, जैसे आज कोई बहुत ही बड़ा तूफान आने वाला हो।
और इस बीच, काली पहाड़ी पर, गाड़ी से टेक लगाए, एक शख्स सुलगती हुई सिगार को उंगलियों के बीच फँसाए लंबे-लंबे कश भर रहा था। अचानक से एक बार फिर बिजली चमकती है। और उस बिजली की रोशनी इतनी तेज़ थी कि वहाँ खड़े हुए शख्स के चेहरे पर पढ़ी गई। वह अग्नि था, जिसका चेहरा बिल्कुल ठंडा था, और आँखें बिल्कुल डार्क। माथे की नसें ऊपर उठी हुई थीं। उसके खूबसूरत हाथ की पतली, लंबी उंगलियाँ जो सिगार की वजह से धीरे-धीरे जलने लगी थीं, पर वह अभी भी उस सिगार को अपने सख्त, तपते हुए होठों से लगाए हुए था, जब तक हल्की जलन महसूस हुई।
वह उसे अपनी आँखों के सामने करते हुए, अपनी उंगलियों से ही मसलते हुए, कहता है, "तुम तो बड़ी गुत्थी चीज़ निकली, मेरे प्यार की तरह इतनी जल्दी मुझे छोड़कर भी चली गई। मैं चाहता था, टेक वक्त बातें तुमसे, मैं खुद को महसूस करूँगा, चाहता था, पर तुम... तुमने तो मुझे उसी लम्हे अधूरा छोड़ दिया था। और तुम भी मुझे इसी तरीके से अधूरा छोड़ गई।" बोलते हुए उसके होठों पर टेढ़ी मुस्कराहट थी।
ऐसा लग रहा था जैसे आज उसका बंजर दिल हल्का सा धड़क उठा हो। वह अपने सीने की तरफ़ देखता है। उसकी व्हाइट शर्ट खुली हुई थी; उसका पूरा सीना दिखाई दे रहा था। वह अपने सीने पर हाथ रख, धीरे-धीरे उसे उंगलियों से सहलाते हुए, बहुत ही धीमी आवाज़ में कहता है, "तुम्हें मैं रूह में उतरना चाहता था, बहुत छोटा था, और तुमसे दूर हो गया। सोचा नहीं था इतना दूर होगा, पर तुम भी बहुत बुरी निकली।"
वह एकदम चीख उठा। उसकी चीख इतनी डरावनी थी कि जंगल में मौजूद चमगादड़ तेज़ी से उड़ने लगे। वहाँ आज पूरी चाँदनी रात थी। लोमड़ी और सियार तेज़ी से चिल्ला रहे थे।
अग्नि की दहाड़ सुनकर उनकी चीखें और ज़्यादा तेज़ हो जाती हैं। वह मंज़र बहुत ही डरावना हो गया था। अग्नि जमीन पर बैठ, मिट्टी को अपनी मुट्ठी में भरते हुए, कहता है, "जानता हूँ इंसान मिट्टी से बनता है। कभी नहीं सोचा था कि तुम्हें अपनी आँखों के सामने मिट्टी बनते हुए देखूँगा। तुम्हारे बिना मुझे साँस लेना तक मुश्किल हो रहा है।" फिर खड़ा हो, सीधा गाड़ी की तरफ़ पलट, गाड़ी में बैठते हुए, तेज़ी से वहाँ से निकल जाता है। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि आस-पास सड़क से गुज़र रहे लोगों की नज़र अनजाने में ही उसकी तरफ़ चली जाती थी।
वह तो अग्नि था, जिसकी स्किल काफी अच्छी थीं, वरना आज उसका एक्सीडेंट कई बार हो जाता। वह कुछ ही देर में अस्पताल के सामने खड़ा हुआ था। गाड़ी से निकल, बाहर निकलता है। उसके बाहर निकलते ही बारिश का शोर उसके कानों में पहुँचता है। वह पीछे पलट कर देखता है, जहाँ उसकी नज़र बारिश में पड़ती है, जैसे वह उसकी ज़िन्दगी की आखिरी बारिश हो। उसे सुकून नहीं था। बारिश को कुछ देर सख्त नज़रों से देख, सीधा अंदर की तरफ़ चला जाता है। उसका दिल अजीब सी बेचैनी से घिरा हुआ था, जिसे वह नज़रअंदाज़ कर रहा था।
वह लंबे कदम बढ़ाते हुए कहता है, "आ रहा हूँ मैं। बहुत शौक है ना तुम्हें दर्द सहने का? आ रहा हूँ मैं तुम्हें दर्द देने। इंतज़ार करो। इस दर्द में भी तुम्हें बहुत मज़ा आएगा।" मैसेज: जिया, अग्नि सिंह राठौड़।
"बहुत शौक है ना, अग्नि से इश्क करने का? उस इश्क की आग में तो तुम्हें जलना ही होगा।" बोलते हुए वह सीधा वीआईपी वार्ड के अंदर चला जाता है। वह अपनी सख्त नज़रों से चारों तरफ़ देख, बालकनी में आता है। और बाहर का नज़ारा देख उसकी आँखें एकदम लाल हो जाती हैं।
बाहर लंबे-लंबे पर्दे बांधकर नीचे लटकाए गए थे। वह उन्हें ऊपर खींच, गुस्से से चिल्लाते हुए कहता है, "तुम इस तरीके से मुझे छोड़कर नहीं जा सकती, जान! तुम्हें मेरे पास आना ही होगा।" बोलते हुए वह सीधा बाहर की तरफ़ निकल जाता है।
राठौर मेंशन, सुबह का वक्त।
एक ब्लैक कलर की मर्सिडीज़ राठौर मेंशन के बाहर आकर रुकती है। वहाँ पर मौजूद सारे गार्ड्स उस शख्स को देखकर हैरान थे। उन्होंने पहले कभी भी अग्नि को इस हालत में नहीं देखा था। माथे पर बिखरे हुए बाल, शर्ट की स्लीव कोहनी तक फोल्ड, शर्ट के बटन खुले हुए थे। कपड़ों पर स्वेटिंग हो चुके थे, और काफी ज़्यादा सिलवटें पड़ी हुई थीं। हुलिया बिगड़ चुका था।
आँखें बिल्कुल गहरी लाल थीं, और चेहरा बहुत ही ठंडा। वह बिना किसी एक्सप्रेशन के लंबे कदमों से अंदर की तरफ़ बढ़ने लगता है। तभी उसके कानों में किसी की बहुत ही मीठी आवाज़ पड़ती है।
उसके कदम वहीं के वहीं रुक जाते हैं।
वह घर के अंदर बने हुए मंदिर की तरफ़ चला जाता है। उसकी नज़र सीधा सफ़ेद कलर का लहँगा-चोली, सर पर लाल कलर का दुपट्टा रखे हुए लड़की पर जाती है, जो आरती गा रही थी। अग्नि खड़े होकर उस लड़की को देखने लगता है। उसकी नज़र उस लड़की के हाथ पर थी, जिस पर बैंडेज लगा हुआ था।
वही जिया आरती खत्म होने के बाद पीछे पलटती है, जहाँ अवनी जी मुस्कुराते हुए खड़े थे। जिया उनके पास आकर उन्हें आरती देती है।
अवनी जी थोड़ा सा प्रसाद खुद खाकर जिया के होठों से लगाते हुए कहते हैं, "हमेशा खुश रहो, जिया।" मुस्कुराते हुए, अग्नि के पास आकर आरती की तरफ़ इशारा करते हुए, मुस्कुरा कर कहती है, "अग्नि... so cold! अग्नि की आग... तुम्हारे अंदर बहुत आग... पर भगवान की आरती तो लेनी चाहिए ना? क्या पता कब तुम्हें ज़रूरत पड़ जाए।" बोलते हुए बहुत ही प्यार से अपनी आँखें मटका रही थी।
अग्नि कुछ कहने के लिए मुँह खोलता है...
जिया तुरंत एक लड्डू उठाकर सीधा उसके मुँह में ज़बरदस्ती ठूँसते हुए कहती है, "कुछ भी नहीं! एक सिंगल शब्द भी नहीं! तो अब तुम्हें जो करना है, तुम कर लो, और अब मुझे जो करना होगा, मैं भी कर लूँगी। लेकिन याद रखना, जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता ना, अक्सर इस खेल में जीत उसी की होती है।" बोलते हुए आगे की तरफ़ बढ़ जाती है।
अग्नि मुट्ठी कसे हुए उसे जाता हुआ देखता है। आज जिया में उसे कुछ बदला हुआ लग रहा था। जिया के होठों पर एक चिढ़ाने वाली मुस्कराहट थी।
अवनी जी अग्नि को वहाँ देख, उसके पास आकर उसके सर पर हाथ रखते हुए, कहते हैं, "बेटा, पहले तुम जाकर चेंज कर लो। क्या हालत बना रखी है तुमने! जल्दी से आना, मैं तुम्हारे लिए ब्रेकफ़ास्ट लगाती हूँ।" बोलते हुए वह किचन की तरफ़ चली जाती है।
अग्नि जलती हुई नज़रों से जिया की तरफ़ देखता है, जो पूरे घर में धूप दे रही थी। अग्नि ऊपर की तरफ़ जाते हुए एक सर्वेंट को कुछ इशारा करता है और सीधा अपने कमरे में चला जाता है।
अग्नि का रूम, अग्नि का दरवाजा धीमी आवाज के साथ खुलता है। पायल की छन छन के साथ जिया कमरे के अंदर आती हैं ।उसके लंबे बालों से अभी भी पानी टपक रहा था जिससे उसकी चोली भीगी हुई पीट से पूरी तरीके से चिपक गई थी वह पूरे घर में धूप देने के बाद अग्नि के कमरे में देने आए थी । उसकी नजर कर्टन पर जाती है। उन बंद कर्टन को देखते हैं और एक नजर उस कमरे को देखती है जो किसी नर्क की तरह था हर तरफ बहुत ही एलिगेंट और लग्जरियस चीज पर उस कमरे से ऐसी वाइब a rahi थी । कुछ देर उस कमरे को देखने के बाद वो आगे बढ़ पर्दे अलग कर देती है जिस से कमरे के अंदर सूरज की रोशनी आने लगते हैं। वह आगे बढ़कर बालकनी का दरवाजा खोल देती हैं उसे चेहरे पर मुस्कुराहट थी वह सूरज की तरफ देखते हुए कहते हैं। बहुत शौक है ना मुझसे टक्कर लेने का तो मैं भी इस अग्नि की आग को ना ठंडा कर दिया तो मेरा नाम भी जीया नहीं बोलते हुए सूरज को देख रही थी। तभी उसे पेट पर ठंडी उंगलियां महसूस होती हैं। जिया एक दम। हड़बड़ा जाती हैं। उसकी सास गले में अटक जाती हैं। उसने अपना पेट अंदर की तरफ कर लिया था ,उसे अपने कंधे पर पानी की बूंदे महसूस हो रही है और साथ ही अपनी पीट जलती हुई महसूस हो रही थी जैसे उसके पीठ पीछे किसी ने भट्टी जला रखी हो। वो इस गर्माहट को बहुत अच्छे से जानती थी वो अग्नि था जो उसकी नाजुक सी पीठ को सीने से लगाए अपने दोनों हाथ उसके पेट पर लपेट खड़ा था । जिया से टेढ़ा करके देखती हैं ।अग्नि के बाल गीले होने से माथे पर बिखरे हुए थे। बालों का पानी बूंद बूंद करके वह जिया के कंधे पर गिर रही थी जिससे जिया की सांस ऊपर नीचे हो रहे थे । अग्नि अपना हाथ उसकी कमर पर बनी हुई उसे पतली सी चैन पर लपेटे हुए कहता है । क्या हुआ जान हाथ काटने के बाद बहुत ही ज्यादा जोश आ गया तुम्हारे अंदर लगता है । जरूर से ज्यादा खून बढ़ गया है तो क्यों ना एक बार ट्राई हो जाए । एक खूबसूरत ही बेड एक्सरसाइज बोलते हुए उसने बहुत ही बेशर्मी से अपने निचले हॉट को दांतों तले दबा लिया था। जिया मुस्कुराते हुए उसकी तरफ पलट जाती है । अग्नि उसे खुद के और करीब खींच लेता है ।उन दोनों के बीच में वह आरती की थाली आ चुकी थी जो अग्नि के सीने से लग रही थी अग्नि जो उसे अभी और नजदीक करना चाहता था । आरती की थाली के बीच में आने से आंखें छोटी हो जाते हैं । वह अपना हाथ बढ़ाकर उस थल को साइड में रखते हुए अपनी पकड़ जिया पर मजबूत कर देता है । जिया सर उठाकर अग्नि को देखने लगती हैं ।अग्नि के बालों का पानी उसे अपने चेहरे पर गिरता हुआ महसूस हो रहा था । वो आपने गहरी आंखों से अग्नि को देख रही थी पर कुछ कह नहीं रही थी । अग्नि उसकी आंखों में चमक देख पा रहा था । उसकी आंखें बेहद लाल थी जैसे रोई हो पर उसकी आंखों में दिलकश चमक थी । अग्नि अपने दोनों हाथों को कमर पर लपेट खुद को उसके और नजदीक कर लेता है। जिया ने अपनी सांस रोक ली थी उसे सांस नहीं आ रही थी वह दोनों में एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे उनके दरमियान हवा तो जाने की जगह नहीं थी । जिया उसकी आंखों में अपने अक्ष को साफ देख पा रहे थे । अग्नि उसे देख गहरी आवाज में रहते हैं। क्या हुआ जान आज इतने हक से नजर मिला रहे हो रिश्ता क्या है हमारा आखिर ? जो इन आंखों में आज हक दिखा रहा है। जिया मुस्कुरा कर अपनी उंगली के आगे ले जाकर उसके गाल और माथे पर चलते हुए होटो के पास उसके आ होठों को उंगली से दबाते हुए कहती हैं। पतिदेव आप भी न कैसी बातें कर रहे हैं। आप तो हमारे पति हैं और पति परमेश्वर होता है अगर आपको इस तरीके से नहीं देखोगे तो कैसे देखेगी और आपको हर तरह से देखने का पूरा हक है मेरा होते हुए कोई आपको इस तरह नहीं दिखेंगे । कहते हुए उसकी नजर अग्नि के सख्त सिगार से जले हुएहोठों पर जाती है। जो सिगार पीने से हल्के जले हुए लग रहे थे।। जिया आगे बढ़कर अग्नि के होठों पर अपने होंठ रख देती है । अग्नि के लिए यह चीज किसी झटके से कम नहीं थी।उसके चेहरे पर 12 बज चुके थे वह जल्दी से अपने सइंस में आते हुए जिया की तरह देखता है। जिया उसका रिएक्शन देख अदा से मुस्कुराने लगतीहैं। अग्नि एक आई ब्रो ऊपर करते हुए टेढ़ी मुस्कुराहट के साथ कहता हैं , जब तुम मुझे पति समझती हो और मुझ पर इतना ही हक जाता रही हो तो क्यों न एक राउंड हो जाए । जिया एक नजर उसे देखती हैं। और हल्का सा दूर होते हुए उसके सीने पर हाथ रख उंगलियां चलते हुए नीचे लेकर आती हैं। फिर अग्नि की कमर पर बंधे हुए टॉवल को देखती हैं । फिर नजर उठा कर अग्नि की तरफ देखती हैं । अग्नि की मुस्कुराहट हल्की फीकी पड़ रही थी। उसे अपने एब्स पर जिया की लम्बी उंगलियां महसूस हो रही थी ।धीरे धीरे उसके कान लाल होने लगते हैं जिया हाथ नीचे ला टॉवल में उंगलियों को उलझते हुए झटके के साथ हाथ पीछे खींचती उससे पहले अग्नि उसे खुद के करीब खींचते हुए सीधा बॉल से लगा देता हैm जिया पूरी तरीके से अग्नि की बाहों में गिरता हो चुके थे अग्नि उसे वहीं दीवार से सटे हुए उसके ऊपर झुकते शब्दों को चबंते हुए कहता। What tha facking thing jo tum करने को कोशिश कर रहीं हो न कही ऐसा न हो तुम्हे पूरा दिन इस कमरे में ही गुजारना पड़ जाएंऔर उसके बाद भी दरवाजा बिल्कुल नहीं खुलेगा। तो तमीज में रहा करो मेरे सामने जिया उसे देखते हुए अपने होठों को दांतों से दबाते हुए कहती हैm मैं भी इस अग्नि की आग में जलना चाहती हु तो क्यों ना आज तुम्हारी आग में थोड़ा-थोड़ा धीरे-धीरे मैं भी जल जाऊं बोलते हुए हैं वह होटो को लिख कर लेते हैं m अग्नि को अपने पूरे शरीर में करंट दौड़ता हुआ महसूस होता है । वह उसे अपनी आंखें बंद कर गहरी सांस लेने लगता है जिया उसे आंख बंद करता हुआ देख एक बार फिर से अपना एक उंगली उसके चेहरे के पास लेकर जाते हैं और उसके चेहरे के पास बहुत ही अदा से घूमते हुए कहते हैं m क्या हुआ पतिदेव आप इतना ज्यादा लाल क्यों हो रहे हैं। और आपका चेहरा तप क्यों रहा है आपको बुखार है क्या बोलते हुए उसकी नजर अग्नि की नाक पर जाते है और उसके होठों पर एक जंग जीतने वाली मुस्कुराहट आ जाते हैं. जिसे वह जल्दी से छुपाते हो उसकी नाक के पास अपने पल्लू को रखते हुए कहती हैं अरे अरे पति देव ये तो आपकी नाक से खून निकल रहा कही अग्नि की आपको ही अंदर अंडे नहीं जला रही है चेक कर लीजिए कही ऐसा न हो बिना चिंगारी के ही राक हो कर खाक हो जाए अग्नि के जबड़े मजबूत हो जाते हैं उसे बिल्कुल वर्देशरत्नवी हो रहा था जिया का इतने कॉन्फिडन से बात करना उसकी हरकते , उसकी उठी हुई नजरे बहुत कुछ था उन आंखों वो दांत पीसते हुए कहता है। दफा हो जाओ मेरे कमरे से और अब अगर मेरे सामने भी आए तो मैं तुम्हारा वह हश्र करुंगा जिसके बाद तुम सोचने ओर बोलने दोनों के ही लायक नहीं बचोगी। जिया धक्का लगने से जमीन पर हाथों के बल गिरे थे वह वैसे ही बैठ जाती हैं ।उसके गिरने की वजह से उसके बाल एक तरफ हो गए थे वह हल्का सा अग्नि की तरफ मोड़ते हुए कहते हैं। पर पतिदेव आपकी फिक्र करना तो मेरा फर्ज है और अगर मैं फिक्र नहीं करूंगी तो कौन करेगा चलिए ना बोलते हुए उसे देखते हैं । अग्नि गुस्से से उसके बाजू को पकड़ता है और दांत पीसते हुए कहता है। अब अगर तुम हमारे मुंह से एक शब्द और निकला तो मैं तुम्हारी जान अपने हाथों l हाथों से ले लूंगा बोलते हुए वह जिया को जबरदस्ती अपने कमरे से बाहर धक्का दे उसे एक वार्निंग लुक देते हुए दरवाजे को अंदर से बंद कर लेता है । उसका चेहरा एकदम लाल हो चुका था । और कान गर्म।हो चुके थे । उसका शरीर ऐसा लग रहा था जैसे किसने ने चुले में डाल कर फ्राई कर दिया ही । उसके शरीर से सूरज जैसे आज निकल रही थी ।उसका पूरा शरीर भट्टी की तरह तप रहा था। वही जिया में जो दरवाजे के बाहर खड़ी थी उसके एक्सप्रेशन तुरंत ही बदल चुके थे वो गुस्से ओर नफरत से उस दरवाजे को देखते हुए कहते हैं , अब आएगा मजा कमजोर समझता ना तुमने और तुम शायद भूल गए मैं कौन हूं मैं आज भी वही जिया हु जिसने चुटकी बजाते ही तुम्हें तुम्हारे परिवार से दूर कर दिया था और अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करती हूं बोलते हुए वहां से चले जाते हैं। अग्नि बाथरूम में शावर के नीचे खड़ा हुआ था उसने टेंपरेचर और माइनस जीरो डिग्री कर हुआ था उसका शरीर अभी भी गर्म था उसके सामने बार-बार जिया का वह अदा से मुस्कुराना होठों को व्हाइट करना लिख करना आ रहा था वह अपनी आंखें चिल्लाते हुए कहता है आई जस्ट hate u खुद को काबू करने की कोशिश कर रहा था उसका एक हाथ उसकी कमर के थोड़ा नीचे था वह खुद को शांत करने में लगा हुआ था।
कुछ देर बाद, अग्नि अपने हाथों में फोन स्क्रोल करते हुए नीचे आया। तभी उसके कानों में किसी की बात करने की आवाज़ पड़ी। आरव चिल्लाते हुए जिया को कसकर बाहों में जकड़े हुए कहा, "चुहिया! तुमने तो मेरी जान निकाल ली थी!" बोलते हुए उसने जिया को कसकर गले लगा लिया था। जिया डाइनिंग टेबल के पास खड़ी हुई, पूरी तरीके से आरव के सीने से चिपक चुकी थी। आरव उसे चुप देखकर कहा, "यार, कुछ तो बोल! मैं यहाँ तेरी फिक्र से मर रहा हूँ और तेरे मुँह से आवाज़ तक नहीं निकल रही है! तू अपने आप को समझती क्या है? तुझे पता भी है मैं कितना घबरा गया था? तुझे उस हाल में देखा... ठीक है, यार, दादी नहीं हैं, हम कुछ नहीं कर सकते, पर तू ऐसे स्टेप कैसे उठा सकती है? तुझे क्या मेरी बिल्कुल भी फिक्र नहीं? इतने टाइम के बाद मैं आया हूँ, तो तू इस तरीके की हरकतें करेगी तो मेरा क्या होगा? मेरा दिल टूट जाएगा!" वह बिना रुके बोला जा रहा था, और जिया को बोलने का मौका तक नहीं मिल रहा था। वह एक बार फिर बोला, "चुहिया, क्या हुआ तुझे? तू बोल, क्यों नहीं रही है?" जिया बहुत मुश्किल से कहा, "पागल आदमी! मुझे... मुझे साँस नहीं आ रही है! मैं बोलूँगी कैसे? छोड़ तो सही मुझे, दबा दिया है पूरी तरीके से!" आरव थोड़ा सा दूर हुआ और मासूमियत से कहा, "तू जानती है ना, मैं थोड़ा इमोशनल हूँ, तो बस थोड़ा सा भावनाओं में बह गया था। पर तू बता, तू अब ठीक है ना?" उसने जिया को कंधों से सहारा दिया था। जिया उसे घूरते हुए देखी। फिर आरव के लिए चेयर खींचते हुए आँखों से ही बैठने का इशारा किया। आरव उसकी तरफ देखकर सेब उठाकर काटते हुए एक बाइट जिया के मुँह में डालते हुए कहा, "क्या बात है मैडम? काफी जेंटलमैन बन रही है।" जिया उसके बाद मुस्कुरा दी। वहाँ अवनी जी मौजूद थीं, जो उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थीं; जिया उन दोनों को ब्रेकफास्ट सर्व कर रही थी। उसकी नज़र अग्नि पर पड़ी। अग्नि की तरफ देखते हुए मुस्कुराकर अपने होंठों को हल्का सा हिलाया। किन्तु अग्नि उसे नज़रअंदाज़ करते हुए अपनी सीट पर बैठ गया। उसने अपने एक हाथ की मुट्ठी मज़बूती से बंद रखी थी; उसके हाथों की नसें उभर रही थीं। जिया के होठों पर मुस्कान थी। वह अवनी जी की प्लेट में सर्व करते हुए कहा, "अच्छा देखो, यह मैंने तुम्हारे लिए स्पेशल पोहा बनाया है। ट्राई करो।" आरव एक्साइटेड होकर कहा, "तूने बिल्कुल सही किया! मुझे तेरा हाथ का पोहा खाने का बड़ा दिल करता था! फ़ाइनली तूने बना दिया, वरना मैं ही कहने वाला था!" बोलते हुए वह उसे बगल की सीट ऑफ़र करता है। वे अपना ब्रेकफ़ास्ट करने लगे। वहीं अग्नि की पकड़ उसकी स्पून पर मज़बूत हो चुकी थी; वह गहरी नज़रों से जिया को देख रहा था। वहीं जिया ने उसे पूरी तरीके से नज़रअंदाज़ कर दिया था; वह अपना ब्रेकफ़ास्ट करते हुए आरव से बात कर रही थी और बीच-बीच में उसे खुद खिला रही थी। वह दोनों एक-दूसरे को खिलाते हुए आपस में मटरगश्ती कर रहे थे। दोनों के चेहरों से तो जैसे मुस्कान जाने का नाम नहीं ले रही थी। अवनी जी उन दोनों की तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "चलो, जल्दी से ब्रेकफ़ास्ट करो।" जिया उनकी तरफ़ देखकर सिर हिला दी। अग्नि, जिसे यह सब देखकर काफी इरिटेशन हो रही थी, वह अपनी जगह से खड़ा होकर थोड़ी रूड वॉइस में कहा, "अगर पाँच मिनट के अंदर-अंदर तुम ब्रेकफ़ास्ट करके बाहर नहीं आईं, तो मैं तुम्हें यहीं छोड़कर चला जाऊँगा।" आरव उसकी तरफ़ देखते हुए कहा, "भाई, मेरे पास गाड़ी है, मैं खुद आ जाऊँगा, आप जाओ।" अग्नि की आँखें सख्त हो गईं। वह उसकी तरफ़ पलटते हुए कहा, "Didn't you hear this? Get ready and come out right now or else..." आरव को अपनी रीढ़ की हड्डी में ठंडक महसूस हो रही थी। वह मुँह में लिया हुआ बाइट मुश्किल से गले से उतारता है और जल्दी से जूस पीते हुए अपने रूम की ओर भाग जाता है। अवनी जी अपना ब्रेकफ़ास्ट कंप्लीट कर कमरे की तरफ़ जाते हुए जिया से कहा, "तुम घर में आना, मुझे तुमसे थोड़ी बात करनी है।" जिया उनकी तरफ़ देखकर सिर हिलाया और वापस ब्रेकफ़ास्ट करने लगी। वह अग्नि को नहीं देख रही थी, जैसे वह उसके लिए एक्ज़िस्ट करता ही नहीं हो। अग्नि उसकी तरफ़ देखकर अपना एक हाथ जेब में डाला, उसके नज़दीक आया, अपना एक हाथ कुर्सी पर रखकर टेबल पर झुकते हुए बिल्कुल जिया के नज़दीक आकर डोमिनेटिंग वॉइस में कहा, "अपनी ये सारी हरकतें बंद करो! मेरा भाई बहुत इनोसेंट है, और उससे दूर रहना! मुझे बहुत अच्छे से पता है तुम्हारी नज़र मेरे भाई पर है! मुझे तो तुम फ़ँसा नहीं पाई, तो अब उसके साथ खेल खेल रही हो।" जिया ने जो अभी बाइट लिया था, वह उसके मुँह में ही रह गया। वह उसे धीरे-धीरे चबाते हुए अग्नि की तरफ़ देखती है। उसने कुछ भी नहीं कहा। अग्नि उसकी तीखी नज़रों को खुद पर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। उसे फ़्रस्ट्रेशन हो रहा था उसे खुद को इस तरीके से घूरता हुआ देखकर। वह चिढ़ गया, "व्हाट डू यू वांट? तुम चाहती क्या हो आखिर?" जिया उसकी तरफ़ देखती है। फिर अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकी छाती पर रखकर अपनी उंगली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ़ ले जाते हुए बहुत ही सेडक्टिव वॉइस में कहा, "आई वांट योर होल बॉडी राइट नाउ। क्या दे सकते हो, मुझे बताओ।" जिया की हरकत पर अग्नि का पूरा शरीर जैसे एकदम ठंडा पड़ चुका था। वह जिया को देख रहा था; उसका चेहरा बिल्कुल काला पड़ चुका था। उसका दिमाग दो सेकंड के लिए ब्लॉक हो गया था। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिया जैसी दिखने वाली भोली-भाली, शरीफ़ लड़की ऐसा कुछ भी कह सकती है। वह हैरानी से मुँह खोले उसे ही देख रहा था। जिया अपना एक हाथ उसकी बेल्ट पर रखकर उसे खुद के नज़दीक खींचते हुए उसके होठों की ओर बढ़ने लगी। अग्नि उसे खुद के होठों की तरफ़ बढ़ते हुए देख रहा था; उसकी गर्म साँसें उसे अपने होठों पर महसूस हो रही थीं। जिया उसके नज़दीक आती है और उसकी बेल्ट को हल्का सा ऊपर खींचते हुए कहती है, "सब्र करिए पतिदेव, इस सबके लिए भी अभी वक़्त है, बेहद वक़्त है।" बोलते हुए वह उसके होठों को हल्का सा चाटकर दूर हो जाती है। अग्नि, जिसके अंदर एक बार फिर से ज्वाला भड़क चुकी थी, वह जाती हुई जिया को देखता है जो मुस्कुराते हुए उसे ही देख रही थी। पलट-पलट कर वह अपनी आँखें बंद कर खुद को शांत करने लगता है। उसका एक हाथ पैंट के ऊपर रखा हुआ था। वह खुद को शांत करते हुए कहता है, "Relax dude, relax. I will tell this to you at night." Saying this, he quickly walks out of the mansion.