रुचिका एक अठारह साल की मासूम लडकी , जो अनाथ थी और अपने चाचा चाची के साथ रहती थी । उसकी चाची ने उसकी शादी एक उससे दुगुने उम्र के विधुर अय्याश आदमी से तय कर दी । उससे बचने के लिए वह अपनी शादी के जोडे मे ही वहा से भाग गई और टकरा गई, दो माफिया... रुचिका एक अठारह साल की मासूम लडकी , जो अनाथ थी और अपने चाचा चाची के साथ रहती थी । उसकी चाची ने उसकी शादी एक उससे दुगुने उम्र के विधुर अय्याश आदमी से तय कर दी । उससे बचने के लिए वह अपनी शादी के जोडे मे ही वहा से भाग गई और टकरा गई, दो माफिया ब्रदर्स से । उन दोनो ने उससे जबरदस्ती शादी कर ली । क्या रुचिका को अपने प्राब्लम से छुटकारा मिलेगा ? इस शादी को करने के पीछे उन दोनो भाईयो का क्या मकसद था । इस शादी का क्या परिणाम होगा । जानने के लिए पढते रहे
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उदयपुर एक बड़ी आलीशान हवेली थी जो खुद में ही अपनी रौनक को दिखा रही थी। यह हवेली अपनी वैभवता के लिए आस-पास में चर्चा का विषय थी। उसी हवेली के एक बड़े और लग्जीरियस किचन में रुचिका ब्रेकफास्ट तैयार कर रही थी, उसे कॉलेज जाना था। वह एक जर्नलिज्म की स्टूडेंट थी। वह ब्रेकफास्ट तैयार कर डायनिंग टेबल पर रखती है। कुछ देर बाद डायनिंग टेबल पर परिवार के सारे लोग जमा थे। हेड ऑफ़ द फैमिली की चेयर पर वेद सिसोदिया बैठे थे। उनकी उम्र लगभग सत्तर साल थी। वह उदयपुर शहर के मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट है। उनके राइट कार्नर सीट पर उनकी पत्नी देवकी वेद सिसोदिया बैठी है। उनकी उम्र लगभग पैसठ साल है। उनकी दो संतान थी। सबसे बड़ी संतान रविराज वेद सिसोदिया जो बगल की चेयर पर ही बैठा था। उसकी फैमिली भी उसके साथ ही बैठी थी। उसकी फैमिली में उसकी वाइफ रीतू के साथ-साथ दो लड़के आदित्य सिसोदिया जिसकी उम्र बाइस साल थी और दूसरे बेटे का नाम विक्रम सिसोदिया था जो सोलह साल का था। और एक लड़की रूपल थी, जो रुचिका के ऐज की थी। वेद सिसोदिया के दूसरे बेटे का नाम वीर सिसोदिया था और वाइफ का नाम रिया था। जब रुचिका पांच साल की थी, उसी समय एक कार एक्सीडेंट में दोनों की मौत हो गई थी। उसके बाद से ही रुचिका अपने दादा-दादी और चाचा-चाची के साथ रहती है। सारे लोग ब्रेकफास्ट कर रहे होते है पर कोई भी रुचिका को बैठने नहीं बोलता है। उसके मॉम डैड के जाने के बाद ऐसा कोई नही था जो उसकी फिक्र करता हो। सबके ब्रेकफास्ट करने के बाद जब वह खाने जाती है तो देखती है कि सिर्फ 4 रोटी ही बची थी। सब्जी खत्म हो चुकी थी। वह उस पर ही अचार लगाकर उसका रोल बनाकर कागज मे लपेट लेती है और कॉलेज के लिए निकल जाती है। वह बस के धक्के खा-खा कर कॉलेज पहुंचती है। वह जैसे ही कॉलेज पहुंचती है, एक लड़की जिसका नाम मेघा था, वह आकर उसके गले लग गई। मेघा - "रीचा मेरे जान, कितनी देर लगा दी। कब से तेरा वेट कर रही हू, और तुम अभी आई हो।" रुचिका - "तुम तो सब कुछ जानती ही हो, फिर भी ऐसी बात कर रही हो। मेरा तो बस एक ही सपना है कि मै एक बहुत बड़ी रिपोर्टर बनूं। लोगो के लिए मै एक नाम बन जाऊँ। अब चलो, देर हो रही है।" कुछ देर बाद वह क्लास रूम मे बैठ कर क्लास अटेंड कर रही थी। कुछ देर बाद जब क्लास खत्म हो जाती है तो एक लड़का आकर उसके पास खड़ा हो गया। यह देख कर वह कहती है- "अमित, तुम यहा क्या कर रहे हो? स्टोकिंग का भूत भी चढ़ गया है। तुम मेरे सीनियर हो, इसलिए कह रही हू कि मेरा पीछा करना छोड़ दो, मै प्यार मोहब्बत के लिए नही बनी हू। मेरी लाइफ ऐसे ही बहुत उलझी हुई है, उसे और ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड मत करो। प्लीज, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।" यह कह कर वह साइड से निकल गई। उसे जाता देख कर अमित की आंखो मे आंसू आ गए थे। वह कहता है- "रुचि, एक बार मुझ पर भरोसा करके तो देखो, आय स्वेर, मै तुम्हे कभी भी रोने नही दूंगा। पर तुम तो यह करने को ही तैयार नही हो।" उसकी बात सुनकर मेघा कहती है- "इतना भी आसान नही है, उसके अंदर बहुत दर्द छुपा है जो वह किसी को बताना नही चाहती है। उसने अपनों की बेरुखी झेली है। उसमे हिम्मत ही नही है कि वह किसी पर भी भरोसा करे। तुम अगर सच मे उससे प्यार करते हो तो अपनी कोशिश जारी रखो। हो सकता है कि किसी ना किसी दिन वह तुम्हे चाहने लगे।" उसकी बात सुनकर अमित अपने आंसूओ को पोछते हुए कहता है- "तुम सही कह रही हो। मै इतनी जल्दी हार नही मान सकता हू। मै तुम्हे अपने प्यार मे गिरा कर रहूंगा। बस कोशिश करते रहना होगा।" दूसरी ओर रुचिका अपने घर पहुंच गई थी। वह आज बहुत थक गई थी। वह जल्दी से फ्रेश होकर हाल मे लगे सोफे पर बैठ कर अपनी आंखो को बंद कर रिलैक्स करने लगी। उसी समय रीतू वहा आई और कहती है- "रुचिका, तुम अपने कमरे मे बैठो, मेरे फ्रेंड आने वाले है। हा, लेकिन जाने के पहले किचेन साफ कर कुछ अच्छा नाश्ता बना दो। उन्हे तुम्हारे हाथ का खाना बहुत पसंद है।" रुचिका- "बड़ी मां, मै बहुत थक गई हू। मुझे कुछ भी करने का मन नही है।" उसकी बात सुनकर रीतू गुस्से से कहती है- "दिन भर काम ही क्या करती हो, जब देखो तेरा नाटक शुरू रहता है। तुम बहस मत करो, जो बोला है, वो करो। मुफ्त की रोटिया तोडने मे थकान नही होती, पर जहा एक छोटा सा काम बोलो, सौ बहाने याद आ जाते है। पता नही, भगवान को मुझसे ऐसी क्या प्रॉब्लम थी जो वीर भाई और रिया के साथ यह मनहूस नही गई।" उसकी बात सुन कर रुचिका का आंख भर आया। वह जल्दी से अपने आंसूओ को पोछते हुए किचेन मे चली गई। किचेन का हालत देख कर वह कसकर अपनी आंखे बंद कर लेती है। पूरा किचेन सिंक बर्तन से भरा था। पूरा स्लैब पर सब्जी की कतरन, आटा, और भी गंदगी थी। वह सबसे पहले कपडे लेकर स्लैब और चुल्हा को साफ करती है। फिर कुकर धोकर आलू उबालने के लिए रख देती है। करीब 2 घंटे बाद वह सारा काम खत्म कर अपने कमरे मे जाती है और जाते ही बेड पर गिर जाती है। अब उसके आंख से लगातार आंसू बह रहे थे। अगले भाग मे जारी .........
रुचिका खाना बनाकर अपने कमरे में जाकर अपने माँ-डैड के तस्वीर के नीचे खड़ी हो गई। वह उस तस्वीर को छूते हुए कहती है- "मेरी क्या गलती थी जो आप लोग मुझे अकेला छोड़ कर चले गए। मुझे भी अपने साथ क्यों नहीं ले गए। मुझे अब यहाँ नहीं रहना है। मुझसे कोई प्यार नहीं करता।"
कुछ दिन बाद, रुचिका के घर में आज पार्टी थी जिस कारण घर पर बहुत काम था। इसलिए उसके चाचा और चाची ने उसे कॉलेज जाने नहीं दिया। वह सुबह से लगातार ही घर के काम कर रही थी। उसी समय उसका मोबाइल लगातार बजने लगा, जिसे देख कर वह अपना फोन स्विच ऑफ करके रख देती है और अपने मन में कहती है- "मैं अभी उनसे बात नहीं कर सकती हूँ। ऐसे भी बहुत काम करना बचा है। अगर मैंने यह सब खत्म नहीं किया तो चाचा और चाची ताने दे देकर जीना हराम कर देंगें। इसलिए सबसे पहले यह काम करना होगा। उनसे मैं बाद में बात कर लूंगी।" यह सोच कर वह अपना काम करने लगी। कुछ ही देर बाद वहा पार्टी शुरू हो गई। गेस्ट आने लगे।
तभी उसकी चाची बहुत प्यार से रुचिका को अपने पास बुलाती है। यह देख कर उसे बहुत आश्चर्य होता है और वह इसे नजरअंदाज कर उसके पास चली गई।
उसकी चाची उसे लेकर एक फैमिली के सामने खड़ा कर देती है और कहती है- "यही रुचिका है जिससे आप सब मिलना चाहते थे। यह हर काम में बहुत होशियार है। यह खाना भी बहुत अच्छा बनाती है।"
तभी उस फैमिली की हेड जिसका नाम राधा था, कहती है- "यह सच में बहुत खूबसूरत है। इसलिए मेरे बेटे को पसंद आ गई। मुझे भी यह पसंद है। मैं चाहती हूँ कि जल्द से जल्द शादी की डेट डिसाइड कर लेते है।"
उस औरत की बात सुनकर रुचिका स्तब्ध रह गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे रिएक्ट करे। तभी राधा रुचिका का हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा लेती है।
राधा- "रुचिका, अब मैं तुम्हे अपने बेटे के बारे में क्या बताऊ। वह बहुत बड़ा डॉक्टर है। उससे अच्छा सर्जन इस पूरे राज्य में नहीं है। वह दिखने में भी बहुत अच्छा है।"
उसकी बात सुनकर रुचिका कहती है- "आप कही डॉक्टर अभियान मेहरा की तो बात नहीं कर रही है?"
उसकी बात सुनकर राधा कहती है- "अरे वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुम अभियान को जानती हो। वह तुम्हे पसंद करता है इसलिए मैं उसका रिश्ता लेकर यहाँ आई हूँ।"
उसकी बात ने रुचिका का दिमाग खराब कर दिया था। वह सीधे जाकर अपनी आंटी के सामने खड़ी हो गई। वह कहती है- "बड़ी माँ, आपने किस से पूछ कर मेरी शादी तय कर दी। मेरी शादी के बारे में आपने मुझे ही नहीं बताया।"
रीतू- "यह घर मेरा है। इस घर के सारे फैसले लेने का मै हक रखती हूँ। सामने से आए अभियान के रिश्ते को मैने हाँ कह दिया है। उसे तुमसे शादी के बदले कुछ भी नहीं चाहिए।"
रुचिका- "बड़ी माँ, वह एक कैसेनोवा है। हर दूसरी लड़की पर वह मूंह मारता है। उसकी एक शादी पहले भी हो चुकी है। उसका डायवोर्स हो चुका है और उस शादी से उसको दस साल के दो जुड़वा बच्चे है। उसकी ऐज लगभग चालीस साल है।"
रीतू- "तू क्या कही की प्रिंसेज है कि तेरे लिए प्रिंस आएगा। मै तेरा बोझ उठाते उठाते थक चुकी हूँ। वीर भाई और रिया तो खुद मर गए और तेरी जैसी आफत को मेरे पास छोड़ गए। मै अब और ज्यादा तुम्हे नहीं झेल सकती हूँ। इसलिए मैने इस शादी को हाँ कह दिया है। वह बिना दहेज के शादी करने को तैयार है और शादी का सारा खर्च भी वही करेगा। इसके अलावा वह अपने हॉस्पिटल में तेरे बड़े पापा को बीस पर्सेंट का शेयर भी देगा। इस शादी से हमे बहुत फायदा होगा। इसलिए तुम ज्यादा ड्रामा ना करते हुए, इस शादी के लिए तैयार हो जाओ।"
रुचिका इस खुलासे से बुरी तरह टूट गई थी। वह यह बात जानती थी कि उसकी फैमिली उसे प्यार नहीं करती, पर इस हद तक नफरत करती है कि अपने फायदे के लिए उसकी शादी उससे दुगुने उम्र के आदमी के साथ तय कर दी है जो एक अय्याश है। वह जोर जोर से रोने लगी, पर उसके रोने का उसकी चाची के उपर जरा भी असर नहीं हुआ और वह आराम से उसे उसकी हाल पर छोड़ कर पार्टी में वापस चली गई।
रीतू आराम से वाइन पी रही थी। उसी समय उसकी फ्रेंड संजना वहा आई। वह उसे देख कर कहती है- "रीतू, आज तुम बहुत खुश नजर आ रही हो? ऐसी क्या बात है जो तुम्हे इतनी खुशी दे रही है?"
उसकी बात सुनकर रीतू कहती है- "आज जाकर फाइनली मेरे दिल को बहुत करार मिल रहा है। आज उस रिया की बेटी रुचिका का आने वाला पूरा भविष्य ही मैने खराब कर दिया। यह देख कर उस रिया की आत्मा तड़प रही होगी। काश वह जिंदा होती तो मै उसके आंसू देख कर बहुत खुश होती। आज एक तीर से मैने कई शिकार किए है। मेरे बिछाए जाल मे वह रुचिका हर रोज तडपती रहेगी। मै जानती हू कि अभियान सिर्फ एक बार उसे अपनी बेड पर लाना चाहता है। यह होने के बाद वह उस घर मे एक नौकरानी की हैसियत रखेगी। वह दिन रात रोती रहेगी। उसके आंसू देख कर मुझे बहुत तसल्ली मिलेगी। अब बस मै जल्द से जल्द शादी की डेट फिक्स कर उसकी बर्बादी की तैयारी करुगी।"
अगले भाग में जारी ...
रुचिका कुछ देर बाद संभल गई थी। वह तुरंत ही अमन को कॉल करने लगी। वह बार-बार अमन को कॉल कर रही थी पर उसका फोन रिंग होकर कट जा रहा था।
रुचिका - "अमन, प्लीज पिक अप योर फ़ोन। आय रियली नीड यू। अगर तुमने मेरा कॉल नहीं उठाया तो हमेशा के लिए मुझे खो दोगे।"
पर अमन अपना कॉल नहीं उठाता है। वह एक बार फिर से जैसे ही कॉल करने जाती है, उसी समय रीतू आकर उसके हाथ से उसका फोन लेकर उसे जोर से जमीन पर पटक देती है और उसका हाथ पकड़ घसीटते हुए एक रूम में ले जाकर जमीन पर पटक देती है और कहती है-
"आज की रात यहाँ बीता लो, कल तेरी शादी अभियान के साथ होगी। मै जानती हूँ कि तुम इतना आसानी से तो मेरी बात नहीं मानोगी, पर तुम्हारा पर कतरना मै अच्छे से जानती हूँ। होगा तो वही, जो मै चाहूंगी। रात भर जितने आंसू बहाने है, बहा लेना। कल की रात दुल्हन बन कर तुम अभियान की बाहों में होगी।"
रुचिका - "बड़ी माम, प्लीज ऐसा मत कीजिए। आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती है। मैंने तो कभी भी आपकी इंसल्ट नहीं की, हमेशा ही आपको इज्जत दी है। मैंने आपका ऐसा क्या बिगाड़ा है कि आप मुझसे इतनी नफरत करती है?"
रीतू उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती और दरवाजा बाहर से बंद कर देती है। वही रुम मे रुचिका का रोना फिर से शुरु हो गया था।
वही रीतू अपने कमरे मे अपने बेड पर लेटी थी। उसके चेहरे पर स्माइल थी जो जाने का नाम नहीं ले रहा था। उसी समय रविराज भी वहा आया। वह उसके बगल मे लेट कर रीतू को अपनी बाहों मे भरते हुए कहता है- "हाय, जब तुम हस्ती हो तो ऐसा लगता है जैसे मेरा दिल धडकना भूल जाता है। मै तो अपना होश ही खो बैठता हू। जानेमन, आज किस नाचीज पर अपनी बिजलिया गिराने वाली हो, आज किसके कत्ल का इरादा है जो मुस्कुरा रही हो?"
उसकी बात सुनकर रीतू स्माइल करते हुए कहती है- "आज मेरा वर्षो का सपना पूरा हो रहा है। मै जो करने जा रही हू, उसके बाद हमारी कंपनी का पोजिशन और अच्छा हो जाएगा। अब हमारी कंपनी हास्पिटल के बिजनेस मे भी बढ सकती है। इसमे हमारा साथ मशहूर डाक्टर अभियान मेहरा देगा। मेहरा इंडस्ट्रीज के साथ भी हमारा कोलैबोरेशन हो जाएगा।"
रविराज- "मेरी जान आखिर तुमने ऐसा क्या किया है कि वह अभियान जैसा चालाक और मक्कार आदमी तुम्हारी बात मान गया।"
उसकी बात सुनकर रीतू शैतानी मुस्कान अपने चेहरे पर सजाते हुए कहती है- "मैने बस उसकी बात मानकर उसकी शादी रुचिका के साथ तय कर दी है। कल ही अभियान और रुचिका की शादी है। मम्मी जी और डैडी जी भी अभी घर पर नही है तो थोडा बहुत जो भी प्राब्लम हो सकती थी वह भी अब नही होगी। अब बस आप यह सब बतलाने मत लगना। यह सब कुछ एक राज ही रहना चाहिए। मै नही चाहती कि इसमे कोई प्राब्लम आए।"
उसकी बात सुनकर रविराज कहता है- "मेरी जान आखिर तुमने यह साबित कर दिया कि तुम ना सिर्फ खुबसूरत हो, साथ ही साथ तुम्हारा दिमाग बहुत तेज चलता है। इस शादी से हमे सिर्फ और सिर्फ फायदा ही फायदा है। ऐसे भी मै कब से चाहता था कि वह मनहूस इस घर से चली जाए। तुमने मेरी इस प्राब्लम का साल्यूशंस भी निकाल दिया। वह मनहूस इस घर से चली जाएगी, हमारा बिजनेस बढ जाएगा। मुझे उसकी शादी मे दहेज भी नही देना होगा। शादी का खर्च भी अभियान उठाने वाला है तो मेरा पैसा भी खर्च नही होगा।"
वही दूसरी ओर रुचिका रोते हुए कहती है- "काश, मै भी अपने माम डैड के साथ मर जाती तो आज का दिन नही देखना पडता। यह शादी करने से अच्छा तो मै अपनी जान ही ले लू।"
यह सोच कर वह उपर पंखे की ओर देखने लगी। वह पंखा बहुत ही उंचाई पर लगा था पर उसने सोच लिया था कि वह आज अपनी जान लेकर रहेगी।
वही दूसरी ओर
जयपुर
एक बहुत बडी सी हवेली मे एक कमरे मे जो एक मीटिंग रुम था, एक शक्स महाराजाओ की तरह बैठा हुआ था। उसके सामने लगभग 25 आदमी सिर झुकाकर खडे थे जो अपने सामने बैठे इंसान को देखने की हिम्मत भी नही कर पा रहे थे।
वह शक्स कहता है- "तुम लोग आखिर क्या कर रहे थे, वह गुप्ता हमारे चंगुल से कैसे भाग गया? उसे आधे घंटे के अंदर मेरे सामने पेश करो, नही तो मै तुम सब को जान से मार दूंगा। अब यहा खडे होकर तमाशा देखना बंद करो। जाओ यहा से और अपनी शक्ल तभी दिखाना जब तुम लोग उसे पकड लोगे।"
यह शक्स राजस्थान का राजा और वहा के माफिया का लीडर रिहान राजवंश था। इसकी उम्र लगभग 25 साल थी। वह बहुत ही हैंडसम है।
वह वहा से निकल कर सीधे अपने बडे भाई के कमरे मे पहुंचता है। उसका भाई ऋत्विज राजवंश भी बिल्कुल उसकी तरह ही था। अपने दुश्मनो के एक हमले मे वह अपने चलने की क्षमता खो कर व्हील चेयर पर आ गया था। ये दोनो भाई एक दूसरे को जान से भी ज्यादा चाहते है।
ऋत्विज - "रिहू, क्या हुआ? इतने परेशान क्यो लग रहे हो?"
रिहान उसे सब बता देता है और कहता है- "बस एक बार पकड मे आ जाए तो मै चैन की सांस लूं।"
वो लोग आगे कुछ बात करते कि एक आदमी आकर कहता है- "राणा सा, बडे मालिक आप दोनो को बुला रहे है।"
ऋत्विज- "हम दोनो अभी आते है।"
कुछ देर बाद वो दोनो अपने पिता ठाकुर मानवेंद्र राजवंश के सामने खडे थे।
मानवेंद्र- "ऋत्विज, मैने आपकी शादी तय कर दी है। कल ही आपकी शादी है।"
यह सुनकर ऋत्विज की मुट्ठी बंध गई, पर वह चुप रहा। फिर वह अपने कमरे मे आकर तोड फोड करने लगा। वह गुस्से से पागल हो चुका था। वह कहता है- "मुझे यह शादी नही करनी है।"
अगले दिन रुचिका को शादी के लिए तैयार कर कमरे मे बैठा दिया गया था। रीतू ने 2 बॉडीगार्ड को उस पर नजर रखने के लिए कमरे के दरवाजे पर तैनात रखा था। दो घंटे बाद बारात आने वाली थी।
रुचिका की आंखो मे अब भी आंसू थे, पर उसने अब रोना बंद कर दिया था। वह शून्य में देखती हुई बैठी थी। वह अपने मन मे कहती है- "रुचिका, इस तरह तू हार नही मान सकती है। तू अपनी जिंदगी बर्बाद होने नही दे सकती है। तुझे कुछ भी करके यहां से जाना होगा। कुछ सोच, जिससे तू यहां से भाग सको। वह इंसान की शक्ल में भेड़िया है। वह तुम्हे बर्बाद कर देगा।"
यह सोच कर वह बॉडीगार्ड के पास आकर कहती है- "बड़ी मां को बुला दीजिए। मेरे पेट मे बहुत दर्द हो रहा है। मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो मै मर जाऊगी।" यह कह कर वह अपना पेट पकड कर रोने लगी। उसे देख कर वो दोनो बॉडीगार्ड भी सकते मे आ गए थे।
उनमे से एक बॉडीगार्ड तेजी से रीतू के पास जाता है और दूसरा वही खडा होकर पहले वाले बॉडीगार्ड का वेट करने लगा। आज किस्मत सच मे रुचिका पर मेहरबान थी। उस बॉडीगार्ड को गए 10 मिनट हो गए थे।
यह देख कर रुचिका जोर जोर से रोते हुए कहती है- "भाई सा, जल्दी किजिए, मै मर जाऊगी। वह कहा रह गए है? मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा है।" यह कहते हुए ही वह फर्श पर गिर गई। वह बहुत छटपटा रही थी, यह देख कर वह बॉडीगार्ड भी रीतू को खोजने चला गया। यह देख कर रुचिका सबसे छिपती हुई, घर से बाहर निकलने लगी, तभी उसके चाचा की नजर उस पर पडी और वह जोर से चिल्लाया- "दुल्हन भाग रही है। उसे पकडो, नही तो किसी को नही छोडूंगा।"
उसकी आवाज सुन कर उसके आदमी रुचिका के पीछा करने लगे। उन सब को अपने पीछे आता देख वह बदहवास सा भागती जा रही थी।
वही दूसरी ओर
जयपुर
आज ऋत्विज शेरवानी पहन कर तैयार हो रहा था। रिहान उसे तैयार करा रहा था। ऋत्विज ने गुस्से से अपना हाथ वाल पर मार दिया था जिससे वह हाथ घायल हुआ पडा था। रिहान ने बहुत मुश्किल से उसके हाथ का बैंडेड किया था।
जब वह उसे सही से तैयार कर देता है तो कहता है- "भाई, क्यो इस तरह खुद को दर्द दे रहे है। आपके किसी भी व्यवहार का डैड के उपर कोई असर नही होगा। वह वही करेंगे जो उनका मन करेगा। भाई, दुनिया की नजर मे हम दोनो बेरहम डेविल है। पर हमे ऐसा बनाने मे सबसे बडा हाथ डैड का ही है। बचपन से लेकर आज तक हमने वही किया है जो उस आदमी ने हमसे कराना चाहा है।
अब गुस्सा थूक कर शादी करो। जब हम कुछ कर ही नही सकते है। चलिए अब शांत हो जाइए।"
ऋत्विज भी उसकी बात मानकर चुप चाप तैयार हो गया। उसी समय उसके पास उसके डैड मानवेंद्र उसके पास आकर बैठ गए।
मानवेंद्र- "तुम्हे मुझपर गुस्सा आ रहा है ना, आना भी चाहिए, आखिर तुम मानवेंद्र राजवंश के बेटे हो। पर एक बात याद रखना, तुम कुछ भी गडबड ना करो। यह शादी हमारे बिजनेस के लिए बहुत जरुरी है। प्रताप के पास करोडो की प्रोपर्टीज है जिसका वारिस उसकी इकलौती बेटी संजना है। संजना और तुम दोनो बचपन से एक दूसरे को जानते हो। संजना तुम्हे पसंद करती है। इसलिए मैने यह शादी तय की है। इस शादी के बाद उसकी सारी प्रोपर्टीज तुम्हारी हो जाएगी।"
ऋत्विज अपने डैड की बात सुनकर खामोश बैठा रहा। जब से वह व्हील चेयर पर आया था, तब से ही उसने अपने डैड का बात मानना पड रहा था। वह अपनी व्हील चेयर को आगे बढा देता है। तभी मानवेंद्र उसके चेयर को पकड़कर बाहर ले जाते हुए कहता है- "मै भी तुम्हे घोडी चढाना चाहता था। अब घडी तो नही चढा सकता, पर तुम्हे मंडप तक पहुंचा तो सकता ही हू।"
ऋत्विज मंडप मे बैठा संजना का वेट कर रहा था। बहुत देर हो गया था पर दुल्हन अभी तक नही आई थी। यह देख कर रिहान प्रताप जी से कहता है- "अंकल, संजना भाभी को बुलाए, मुहूर्त का समय हो गया है। भाई कब से वेट कर रहा है।"
प्रताप जी- "डोंट वरी बेटा, वह तैयार हो रही है। पांच मिनट मे आती है।"
तभी एक आदमी रिहान के पास आता है। वह उसके कान मे कुछ कहता है जिसे सुनकर रिहान का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। वह गुस्से से वहा से निकल जाता है।
करीब पांच मिनट बाद वह एक लडकी का हाथ पकड कर वापस आता है। उस लडकी ने भी शादी का जोडा पहन रखा था। वह उस लडकी को लाकर सबके सामने पटकते हुए कहता है- "भाई, संजना अपने कमरे मे नही थी। उसे ढूंढते हुए जब मै उस कमरे मे पहुंचा तो यह लडकी पंलग के नीचे छिपी हुई थी। मुझे लगता है कि संजना के भागने मे इसी लडकी का हाथ है।" यह कह कर वह एक जोरदार थप्पड उस लडकी को मार देता है।
वह जैसे ही दूसरा थप्पड मारने वाला होता है कि एक आवाज आई रुक जाओ। उस आवाज को सुन कर रिहान रुक गया।
वह लडकी रोते हुए कहती है- "मै किसी संजना को नही जानती हू। मै खुद मुसीबत की मारी हू। मै अपनी जान बचा कर भाग रही थी। मेरे पीछे गुंडे पडे थे जो मेरी जान लेना चाहते थे। उनसे भागते भागते मै यहा आकर छिप गई।"
तभी वहा पर शोर होने लगा- "इस लगडे से कौन शादी करता, इसलिए दुल्हन भाग गई। ऐसे तो यह लोग बहुत राउडी बनते है पर अपनी दुल्हन ही नही संभाल पाए।"
तभी एक औरत कहती है- "उस लडकी की किस्मत अच्छी थी कि इस रिश्ते से बच गई।" इसी तरह की तरह तरह की बात लोग नमक मिर्च लगाकर लगातार बोल रहे थे। रिहान को इन बातो को सुन कर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह अपनी गन निकाल लेता है और उसे हवा मे लहरा देता है।
अपने बारे मे ऐसी बात सुनकर ऋत्विज कहता है- "मेरी शादी आज और अभी इसी मंडप पर होगी। रिहान तुम इस लडकी को ले आओ। यह ही मेरी दुल्हन बनेगी।"
यह सुनकर वह लडकी शाॅक रह गई। वह कहती है- "आप लोग मेरा यकीन किजिए। मैने कुछ भी नही किया है।"
रिहान उस लडकी की बात को अनसुना कर हाथ पकड कर मंडप पर ले आता है। पंडित ऋत्विज और उस लडकी का गठबंधन करने लगते है तो ऋत्विज बोलता है- "एक मिनट, अभी एक काम करना बाकी है।"
अब आगे:- ऋत्विज-" पंडित जी ,यह मेरे अकेले की बीवी नही बनेगी ,यह एक साथ हम दोनो भाईयो की बीवी बनेगी ।रिहान जल्दी आओ , हमारी दुल्हन हम दोनो का वेट कर रही है । " रिहान भी उसकी बात मानकर मंडप मे आ जाता है । वह लडकी जोर जोर से रोते हुए अपने आप को छोड देने की भीख उन दोनो से मांग रही थी जिसका कोई असर उन दोनो पर जरा भी नही पड रहा था । वो दोनो जबरदस्ती उसके साथ मिलकर विवाह की विधियो को कर रहे थे । पंडित भी जोर जोर से मंत्र पढ रहे थे क्योकि ऋत्विज ने उनको गन प्वाइंट पर रखा हुआ था और कहा था कि मंत्रोच्चार उंचे स्वर मे होना चाहिए । लोग यह विचित्र शादी होता हुआ देख रहे थे ,पर उन दोनो को रोकने की हिम्मत किसी मे नही थी । वही मानवेंद्र गुस्से से प्रताप जी को घूरते हुए कहता है -" तुम्हारी बेटी राजवंश खानदान पर कालिख पोत कर भाग गई है । अगर वह मुझे मिल गई तो मै उसे नही छोडूगा । अपनी करनी का फल उसे भुगतना पडेगा । उसकी वजह से मेरे बेटे ऐसे अजीब सा रिश्ता मे जुड गए है । उन दोनो की शादी इस अंजान लडकी से शादी करनी पडी है ।" प्रताप जी ऐसे ही अपनी बेटी के भाग जाने का न्यूज सुनकर शाॅक थे । उपर से मानवेंद्र की धमकी ने उन्हे बहुत डरा दिया था । वह उनकी एकमात्र औलाद थी जिससे वह बहुत प्यार करते थे । उन्होने सोच लिया था कि वह मानवेंद्र से पहले ही संजना को ढूंढ कर सेफ कर लेंगे । वह तुरंत ही वहा से चले जाते है । वही दूसरी ओर ऋत्विज और रिहान की शादी की विधिया चल रही थी । तभी पंडित जी कहते है -" यजमान, फेरो का समय हो गया है । आप लोग फेरो के लिए खडे हो जाए ।" उसकी बात सुनकर ऋत्विज और रिहान दोनो ही फेरो के लिए खडे हो गए पर वह लडकी बुत की तरह वैसे ही बैठी थी । वो दोनो उसे खडा होने बोलते है पर वह वैसे ही बैठी रही । यह देख कर रिहान उसे अपनी गोद मे उठा लेता है और ऐसे ही गोद मे लिए हुए वो दोनो मिलकर फेरे पूरे कर लेते है । उसके बाद पंडित उसकी मांग भरने कहते है । दोनो ही उसकी मांग भर कर उसे मंगलसूत्र पहना देते है । उनके इतना करते ही पंडित कहते है -" विवाह संपन्न हुआ । सब लोग वर और वधु को अपना आर्शीवाद दे । यजमान ,आप लोग जाकर अपने बडो का आर्शीवाद ले ले ।" उसके कहने पर ऋत्विज अपने गार्ड को पंडित को पैसे देने कहता है । वह पैसे इतने थे कि पंडित बहुत खुश हो गया । वही ऋत्विज और रिहान अपनी दुल्हन को लेकर अपनी दादी कौशल्या जी का आर्शीवाद लेने उनके पैरो पर झुकते है । कौशल्या जी रिहान और ऋत्विज के सिर पर हाथ रख देती है , पर वह उनकी पत्नी को टच नही करती है । वह उस लडकी को घूर कर देख रही थी । वह अपनी रौबदार आवाज मे कहती है -" आज से तुम मेरी पोता बहू हो । पता नही क्यो ,मुझे तुम पर बिल्कुल विश्वास नही है । तुम्हे अपने आप को साबित करना होगा ।इस परिवार के लोगो का दिल जीतना इतना आसान नही होने वाला है । ऐसे भी मेरे नजर मे उस लडकी की कोई इज्जत नही है जो एकसाथ दो दो इंसान की पत्नी हो । ऐसे लडकी , तुम्हारा नाम क्या है ? कौशल्या के पूछने पर भी जब वह लडकी कुछ नही बोलती तो ऋत्विज उसे एक जोरदार थप्पड मार कर कहता है -" बीवी , वह मेरी दादी है । हम सब उनकी बात जरूर मानते है । वह जो भी कहे , चुप चाप मान लो , यही तुम्हारे लिए सही होगा । अब से यह घर ही तुम्हारा वजूद बन गया है । " फिर वह उसे गले मे पहनाया हुआ मंगलसूत्र पकड कर कहता है -" यह ही तुम्हारी डेस्टिनी है । तुम हर हाल मे यही रहोगी । इसलिए यही अच्छा है कि तुम अपनी लाइफ को आसान बनाने की कोशिश करो और मेरी बात मानो , हम जैसा कहे वैसा ही करो ।' यह कहते हुए उसकी आवाज मे ठंढापन था जो बहुत अधिक डरावना था । वह लडकी सहम कर कहती है -" मेरा नाम रुचिका सिसोदिया है । " तभी वहा पर एक आवाज आई, " बिंदनी अब तुम सिसोदिया नही राजवंश हो । अब से अपने आप को मिसेज रुचिका ऋत्विज रिहान राजवंश कहोगी । अब ये बताओ कि तुमने संजना को क्यो भगाया ?" यह आवाज ऋत्विज और रिहान की मा रुहानिका की थी । उसकी बात सुन कर रुचिका चिल्लाते हुए कहती है -" आप सब पागल हो क्या ? अरे मुझे किसी ने अपनी बात ही कहने नही दी । जबरदस्ती मुझे इस रिश्ते मे बांध दिया । मै इस शादी को नही मानती हू । मै यहा से जा रही हू ।" तभी रिहान उसका हाथ पकड कर अपनी ओर खींच कर कहता है -" मिसेज राजवंश, तुम तो बहुत डेयरिंग हो । तुम ने क्या सोचा था कि हमारी इज्जत के साथ खेलने की कोशिश करोगी और बच कर निकल जाओगी । तुम जिंदगी भर इस बात की सजा भुगतोगी कि तुमने हमारे साथ पंगा लिया है ।" उसकी बात सुनकर रुचिका एक जोरदार थप्पड उसे मार देती है जिसे देख कर वहा मौजूद सारे लोग सकते मे आ गए थे । वही रिहान अपने गाल पर हाथ रख कर रुचिका को देख रहा था जिसने उसे थप्पड मारा था । वह गुस्से से कहती है -" अब शायद आप लोग बैठ कर मेरी बात सुनेगें । मेरा नाम रुचिका सिसोदिया है ।मै एक अनाथ लडकी हू । जब मै छह साल की थी , तब माम डैड की मौत कार एक्सीडेंट हो गई थी । उसके बाद मुझे मेरे बडै पापा और बडी माम ने पाला । वो लोग मेरी शादी एक चालीस साल के विधुर और अय्याश इंसान के साथ करा रहे थे । मै उस शादी से बचने के लिए घर से भाग गई । मेरे पीछे मेरे बडे पापा के भेजे गुंडे पडे थे ,उनसे बचने के लिए मै एक फूलो के ट्रक मे बैठ कर यहा आ गई । उन गुंडो ने यहा भी मेरा पीछा नही छोडा था । उनसे बचते बचाते मै इस हवेली मे पहुंच गई और एक खाली कमरे मे पहुंची और पलंग के नीचे छिप गई और आप सब ने मुझे ही गुनाहगार मान लिया । अब सब कुछ क्लीयर है तो मै यहा से जाती हू ।" उसकी बात सुनकर ऋत्विज कहता है -" कारण कुछ भी रहा हो । अब तुम मेरी वाइफ हो । तुम्हे मेरे साथ ही रहना होगा ।" अगले भाग मे जारी ..... Please comment and share Take care bye ,
रुचिका - "आप, मेरी बात क्यो नही समझ रहे है? मै इस शादी को नही मानती। ऐसे भी इस शादी से किसी को कुछ भी हासिल नही होगा। ना आप मुझे जानते है और ना मै आप लोग को जानती हू। यह कैसी शादी है जिसे करते समय दुल्हा दुल्हन एक दूसरे का नाम तक नही जानते थे। इसलिए यह हम तीनो के लिए ही अच्छा होगा कि इसे भूल कर अपनी लाइफ मे आगे बढ जाए।"
उसकी बात सुनकर रुहानिका कहती है - "रुचिका, अब तुम इस खानदान की बहू हो। ऋत्विज और रिहान तुम दोनो अपनी वाइफ को लेकर कमरे मे जाओ। कल सुबह कुलगुरु आएंगे और कुलदेवी के मंदिर मे पूजा होगी तो तुम तीनो तैयार रहना।"
रुचिका - "मुझे यह सब नही करना। जब मै यह शादी ही नही मानती तो यह सब क्यो करु।"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज रिहान को उसे लेकर रुम मे आने के लिए कहता है। रिहान रुचिका को अपनी गोद मे उठा लेता है। कुछ देर बाद वो तीनो एक बहुत बडे कमरे मे थे। वह रुम राजसी थाट बाट लिए हुए था। उस रुम मे एक बडा सा बेड था जो फूलो से सजा था। उस रुम को वैसे ही सजाया गया था जैसी सजावट वेडिंग नाइट पर की जाती है।
रिहान रुचिका को बेड पर रख कर खुद जाकर डोर लाॅक कर देता है। उसे यह करता देख कर रुचिका तेजी से बेड से उठ गई ।
रुचिका - "यह तुम क्या कर रहे हो, तुम चुप चाप गेट खोल दो। मै कोई ऐसे वैसी लडकी नही हू। मै एक सभ्य लडकी हू।"
उसकी बात सुनकर रिहान और ऋत्विज के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गई थी। वो दोनो अपने शेरवानी का बटन खोलते हुए धीरे धीरे बेड की तरफ बढने लगे। यह देख कर रुचिका की सांसे अटक गई थी। रुचिका बेड पर ही बैठे बैठे खिसकने लगी। फिर वह रोते रोते कहती है - "प्लीज, मुझे छोड दिजिए। मैने किसी को नही भगाया। आप बस मेरा यकीन किजिए।"
रिहान और ऋत्विज जो बेड तक पहुंच गए थे, वो दोनो ही जोर जोर से हसने लगे। फिर वह दोनो ही उस बेड पर बैठ जाते है। वो दोनो हसते हुए कहते है - "हमे पता है कि तुमने संजना को नही भगाया। तुम मे क्या, इस संसार मे किसी की इतनी हिम्मत नही की वो ऋत्विज राजवंश के घर से उसकी होने वाली वाइफ को भगा दे।"
रुचिका - "जब आप यह जानते है तो मुझे यहा क्यो रोक कर रखा है। आप लोग मुझे जाने दिजीए।"
ऋत्विज उसके चेहरे पर अपनी अंगुलियो को चलाने लगा। फिर वह पागलो की तरह हसते हुए कहता है - "बीवी, तुम्हे जाने देना होता तो हम दोनो तुमसे शादी ही क्यो करते। बीवी, अब तुम हमारी हो। जिदगी भर रहना तो तुम्हे हमारे साथ ही होगा, मिसेज राजवंश।"
रुचिका अविश्वास से उसे देख रही थी। उसे ऐसे देखता कर रिहान डेविल स्माइल के साथ उसे कहता है - "तुम मिसेज रुचिका ऋत्विज रिहान राजवंश हो। तुम पर यह लुक बहुत जच रहा है।
बीवी, ऐसे ना मुझे तुम देखो, सीने से लगा लूंगा। चलो तुम्हे एक और झटका दे देता हू। क्या भाई, क्या बोलते हो, दे दू ना।"
ऋत्विज - "नही छोटे, अभी इन बातो मे समय बर्बाद करनै का नही है। लेकिन अगर तुम्हारा मन ही हो गया है तो दे ही दो।"
रिहान - "बीवी, संजना का किडनैप हमने ही कराया था। वह अभी भी हमारे कब्जे मे ही है। मैने उसे समझाने की कोशिश की थी कि मेरा भाई तुमसे शादी करना नही चाहता है तो तुम इस शादी से वाॅक आउट कर जाओ, पर नही, उसे तो शादी का भूत चढा था। मैने उसका किडनैप कर लिया।"
उसकी बात सुनकर रुचिका डर से अपने मे सिमटते हुए कहती है - "त त त तुम ने मेरे साथ शादी क्यो की? तुम तो शादी नही करना चाहते थे ना।"
रुचिका की बात सुनकर ऋत्विज कहता है - "मैने सोचा कि इस झंझट से छुटकारा के लिए मुझे किसी से शादी करनी पडेगी और उसी समय छोटा तुम्हे लेकर आ गया। तुम्हे देख कर मैने सोचा कि तुम से ही शादी कर लेता हू। सब को ऐसा लगेगा कि तुमसे बदला लेने के लिए मैने यह शादी की है और इसका कोई विरोध नही करेगा। मेरी सोच बिल्कुल सही साबित हुई। अब हम दोनो को ही इस शादी नाम की मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा।
देखो मेरी सोच बिल्कुल सही साबित हुई। अब हम दोनो को ही इस मुसीबत से छुटकारा मिल गया और यह सारी मुसीबत तुम पर आ गई। सारे लोग तुम्हे इस बात का गुनाहगार मानते है। सबको ऐसा लगता है कि यह सब कुछ तुमने किया।
बीवी, कारण चाहे कुछ भी रहा हो, अब तो तुम हमारी हो। इसलिए मेरी फैमिली के आगे आदर्श बीवी और बहू बनने की एक्टिंग करती रहो, जब तक ऐसा करती रहोगी, तुम्हे कोई प्राब्लम नही होगी। अगर तुमने ऐसा नही किया तो मै तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड मेघा और उसकी पूरी फैमिली को मार दूंगा। उसके बाद बारी तुम्हारे मूंह बोले भाई रुचिर की होगी जिसे तुमने मा बन कर पाला है।"
रुचिका - "तुम लोग मेरे बारे मे इतना कैसे जानते हो? रुचिर के बारे मे तो मेघा के अलावा कोई नही जानता है। तुम लोग को कैसे पता चला?"
रिहान - "बीवी, जब शादी के कुछ घंटो के अंदर हम तुम्हारे बारे मे इतना कुछ पता कर सकते है तो तुम्हे हमारे पहुंच का अंदाजा लग गया होगा। इसलिए एक अच्छी बीवी की तरह अपने शौहर की बात मान लो। ऐसे तो तुम खुद ही समझदार हो।" यह कहते हुए उसकी बातो मे अजीब सा सनक था।
रुचिका को उन दोनों की बातों से डर लग रहा था। वह कहती है- "मैं वैसा ही करूंगी जो तुम लोग चाहते हो। बस उन लोगों को कुछ मत करना।"
ऋत्विज- "बीवी, तुम यहां रहो, मैं चेंज कर आता हूं। अभी मुझसे पसीने की बदबू आ रही है। आज हमारी फर्स्ट नाईट है तो मुझे भी तो फ्रेश रहना चाहिए। दो मिनट में आ रहा हूं।"
उसके जाते ही रिहान उसका कंधा पकड़कर अपनी ओर खींच कर उसे अपनी गोद में बैठा लेता है और उसके जुड़ा पिन को खोल देता है, जिससे रुचिका के बाल फैल गए। रिहान पागलों की तरह उसमें अपना चेहरा घुसा कर उसके बालों को सूंघ रहा था। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वह कहता है- "बीवी, तुम्हारे बाल बहुत नशीले हैं। इसमें डूब जाने का मन कर रहा है।" यह कहते हुए वह अपने चेहरे पर उसके बालों को लेकर सहलाने लगा। उसकी हरकत ने रुचिका का डर बढ़ाने का काम किया था। वह चुपचाप बैठकर उसे वह करने दे रही थी, जो वह करना चाह रहा था।
तभी रुचिका सिहर उठी जब उसने अपने कॉलर बोन पर किसी के होठों को महसूस किया। वह हैरानी से उस जगह देखती है, जहां ऋत्विज उसे किस और बाइट कर रहा था। वह बहुत ही जेंटली उसे प्यार कर रहा था कि अचानक ही उसने उसके ब्लाउज को उसके कंधे से नीचे सरका दिया था। वह उसके पूरे कंधे पर अपनी जीभ चला रहा था जिससे ना चाहते हुए भी रुचिका अपनी आहें भर रही थी।
तभी एक झटके से ऋत्विज उसके ब्लाउज को खींच कर फाड़कर फेंक देता है। ऋत्विज और रिहान बहुत ही इंटेंस होकर उसे देख रहे थे।
रिहान अचानक ही उसके होठ पर अपने होठ रखकर पैशनेट किस करने लगा। रुचिका उसे मना भी नहीं कर रही थी और ना ही किस बेक कर रही थी।
रिहान अपने किस को रोकते हुए कहता है- "बीवी, क्या हुआ, मेरा किस करना पसंद नहीं आया? किसी और का किस करना एक्सपेक्ट कर रही हो, मुझसे पहले भी कभी किसी को किस किया है? मैंने कुछ पूछा है, उसका जवाब दो।" यह बात उसने बहुत चिल्लाकर बोला था।
उसकी बात सुनकर रुचिका हड़बड़ा कर ना में अपना सिर हिलाने लगी। उसके मुंह से बोली भी नहीं निकल रही थी।
यह देख कर रिहान के चेहरे पर स्माइल आ गई। वह खुशी से फिर से अपने होठ उसके होठ पर रख देता है। वहीं ऋत्विज ने उसके ब्रा का हुक खोल कर उसे हटा दिया। यह महसूस कर रुचिका अपने हाथों से अपना प्राइवेट पार्ट ढकने लगी। ऋत्विज ना में अपना सिर हिलाने लगा और उसके हाथ को हटा देता है। फिर वह अपने होठों से उसके ब्रेस्ट को चूमने लगा। फिर वह अपने हाथों से उसे मसल रहा था जिससे रुचिका की आहें निकल रही थी जो उन दोनों को एक्साइटेड कर रही थी।
ऋत्विज- "बीवी, आज हमारी फर्स्ट नाईट है। इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मुझे खुद पर सारे अधिकार सौंप दो।"
रुचिका हां में अपना सिर हिलाकर खुद अपनी आंखे बंद कर लेट गई। उसे इन सब से शर्म आ रही थी क्योंकि उसके हसबैंड बेशरम की तरह उसकी पूरी अपर बॉडी को स्कैन कर रहे थे। रुचिका की बंद आंखों को देख कर उनके चेहरे पर स्माइल आ गई थी।
रिहान उसके होठों को छोड़ कर धीरे धीरे अपने होठ को नीचे ले जाने लगा, वही ऋत्विज अभी भी उसके ब्रेस्ट से खेल रहा था। फिर वह अपने जीभ से उसके निपल को चाटने लगा। फिर एक वह उसे मुंह में भर कर सक करने लगा। वही रिहान उसके पूरे चेहरे पर किस कर रहा था।
फिर रिहान भी उसके ब्रेस्ट को दबाने लगा। फिर वह भी उसके निपल पर अपनी जीभ फिराने लगा। उनकी हरकत की वजह से रुचिका मौन करने लगी थी। वह अपने हाथों से कस कर चादर पकड़ लेती है। रिहान ने उसके हाथ को चादर से हटाकर अपने उपर रख लिया और वह कहता है- "बीवी, तेरे ये नाखून चादर पर नहीं हम पर निशान बनाने के लिए है। तेरा पति भी यह देखना चाहता है कि उनकी बीवी कितनी बेकरार हो रही है। वह कितनी वाइल्ड होकर हमे प्यार करेगी।
इसलिए बेफिक्र होकर अपने प्यार का एहसास हमे कराओ।"
रुचिका गहरी सांस लेने लगती है। उसका सीना इस कारण उपर नीचे हो रहा था जिसे रिहान पागलो की तरह चूम और बाइट कर रहा था।
तभी ऋत्विज उसके लहंगे का डोर खोल कर उसे उसके बदन से अलग कर देता है। अब रुचिका केवल अपने अंडरवियर में अपने हसबैंडस के सामने थी। उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वह बुरी तरीके से अपने होठो को चबा रही थी।
रिहान और ऋत्विज दोनो साइड से उसके अंडरवियर को धीरे धीरे नीचे सरका कर उतार देते है। फिर वह दोनो ही पागल की तरह उसके कमर के नीचे के पूरे बदन को किस करने लगा। उनके ऐसा करने से रुचिका का मदहोश भरा आवाज पूरे कमरे मे गूंज रही थी। उसके साथ साथ ऋत्विज और रिहान की भी मादक आवाज निकल रही थी। फिर कुछ देर तक फोरप्ले कर ऋत्विज रुचिका के पैरो को फैला देता है। यह महसूस कर रुचिका कहती है- "राणा सा, बी जेंटल। दिस इज माय फर्स्ट टाइम।"
यह सुनकर रिहान कहता है- "बीवी, यह दर्द तो हर बीवी का तोहफा होता है जो उसका पति उसे गिफ्ट मे देता है।"
ऋत्विज अपने को रुचिका के अंदर इंटर करता है और उसे झटके देने लगा, जिससे उसकी चीख निकल गई और वह रोने लगी। तभी रिहान उसके आंसू पी लेता है और उसके होठ पर होठ रख कर पैशनेट किस करने लगा और रुचिका की आवाज उसके मुंह में ही रह गई ।
करीब आधा घंटा बाद ऋत्विज खुद को रुचिका मे ही रिलीज कर अलग हो गया और उसके बगल में लेट कर गहरी सांस लेने लगा।
फिर रिहान उसके अंदर समा गया और उसके होठ को अपने होठ से लाक कर दिया और उसको जोर से झटके देने लगा। कुछ देर बाद वह भी खुद को उसी मे रिलीज कर सो गया।
अगली सुबह वो दोनों ही रुचिका के दोनों बगल में उसे पकड़ कर सोए हुए थे कि उनका अलार्म बजने लगा। वह आवाज़ सुन कर ऋत्विज कसमसाने लगा। वही हाल रिहान का भी था। फिर ऋत्विज अलार्म बंद करने के लिए अपना मोबाइल ढूंढने लगा। तभी उसका हाथ एक सॉफ्ट चीज़ पर पड़ा। उसने झटके से अपनी आंखे खोल ली, तो वह देखता है कि उसका हाथ रुचिका के ब्रेस्ट पर पड़ा था। वह इंटेस नज़रों से उसे देखने लगा। तब तक रिहान भी उठ गया था।
वह भी रुचिका के बालों को फिर से सूंघने लगा और उसके कॉलर बोन पर किस और बाइट कर लिया। उसके ऐसा करते ही रुचिका की नींद टूट गई और उसकी नजर सीधे ऋत्विज से मिली जो बहुत ही जुनून के साथ उसे देख रहा था। वह उसकी नज़रों का पीछा कर अपने आप को देखती है तो शर्म से उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। अभी उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, वह बस एक चादर के नीचे लेटी थी। वह चादर भी केवल उसके ब्रेस्ट से नीचे सरक चुका था।
ऋत्विज उसे जगा देख कर उसके करीब आकर उसके माथे को चूमते हुए कहता है- "गुड मॉर्निंग, बीवी। अब उठ जाओ, सुबह हो गई है। कल रात जो कुछ भी हमने कहा है उसे याद रखना।"
रुचिका- "आप लोग जो बोलेंगे, वह मै करुंगी, पर प्लीज मेरे भाई को कुछ मत कीजिएगा। मै अभी तैयार हो जाती हू।"
यह कह कर वह बैड पर खड़ी होने लगी, उसने चादर से अपने को ढंक लिया था। पर उसे अपने प्राइवेट पार्ट मे बहुत तेज दर्द हुआ और उसकी चीख निकल गई। उसकी चीख सुनकर रिहान उसे अपनी गोद में उठाकर बाथरूम की तरफ ले जाने लगा। ऋत्विज भी अपने व्हील चेयर पर बैठ कर उसके पास आ गया था।
रिहान उसे बाथरूम में छोड़ते हुए कहता है- "बीवी, फ्रेश होकर बोल देना। फिर हम दोनों तुम्हे शावर दिला देंगे।"
कुछ देर बाद रुचिका बाहर निकली, उसने अभी भी चादर लपेट रखा था। रिहान रुचिका को अपनी गोद में लेते हुए कहता है- "बीवी, तुमने मेरी बात ना मानने की हिम्मत भी कैसे की। बताया है ना कि हम जो भी बोले, उसे मान लिया करो।"
ऋत्विज- "रहने दे छोटे, बेचारी अभी नई नई है, कुछ दिन मे ही अपने दोनों राणा को समझ जाएगी। अब हम इसे शावर दिला देते है। नीचे माम भी हमारा इंतजार कर रही होगी।"
रुचिका अब बाथरूम में गर्म पानी के शावर के नीचे खड़ी थी। उसके दोनों पति उसके पूरे बदन पर साबुन लगा कर उसको घस कर साफ कर रहे थे। उन दोनों ने उसे अच्छे से नहला देते है और फिर वो दोनों अपने नहाने लगे। नहाते हुए उनके परफेक्ट बॉडी स्ट्रक्चर उभर कर सामने आ रहा था। रुचिका अभी भी उन दोनों के बीच ही खड़ी थी। अब वो दोनों ही रुचिका के बदन को एक्सप्लोर करने लगे। रिहान उसके गर्दन पर किस कर रहा था, वही ऋत्विज उसके कमर पर अपनी निशानिया दे रहा था।
रुचिका- "राणा जी, आगे कुछ मत करना। मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मुझसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा है। प्लीज, मुझे माफ कर दिजिए।"
रिहान उसकी बात सुनकर उस से अलग होकर कहता है- "बीवी, देखो मैने एक अच्छे पति की तरह तेरी बात मान ली है। अब तुम्हे भी एक अच्छी पत्नी बनकर दिखाना होगा।"
ऋत्विज- "अच्छा हुआ कि तुमने हमे रोक दिया। जल्दी से तैयार हो जाओ। तुम्हे हमारे साथ पूजा मे बैठना है।"
रिहान उसे गोद में उठाकर बाथरूम से बाहर लाकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठा देता है। वो दोनों खुद क्लोजेट मे जाकर अपना कपड़ा पहन लेते है।
जब वो वापस आते है तो देखते है कि उनकी बीवी अभी भी टावेल में ही है। वह अपने बाल को वाइप कर रही है।
ऋत्विज- "बीवी, तुम अभी तक तैयार क्यो नही हुई? तुमने कपडे क्यो नही पहने है?"
रुचिका- "राणा जी, मेरे पास कपडे नही है। कल का कपड़ा भी फट चुका है। इसलिए मै ऐसे ही बैठी हू।"
रिहान- "बीवी, मै अभी इंतजाम करता हू। सॉरी, हमे ध्यान नही रहा।"
उसी समय उनके डोर नॉक हुआ और ऋत्विज की बहन मिया वहा आई। उसे दरवाजे पर देख कर ऋत्विज कहता है- "मिया, तुम यहा क्या करने आई हो?"
मिया जो अपने बड़े भाई से बेहद डरती थी, वह नर्वस होकर कहती है- "भाई, माम ने भाभी के लिए गहने, श्रृंगार का सामान और कपडे भेजे है। उन्होने कहा है कि वह दस मिनट मे तैयार होकर नीचे आ जाए, घर मे पूजा है। पंडित जी भी आने वाले होंगे, तो पूजा की सारी तैयारी उन्हे ही करनी है।"
रिहान और ऋत्विज रुचिका को तैयार होने का बोल कर नीचे चले गए। वो दोनों नीचे बैठ कर रुचिका का वेट कर रहे थे। तभी उनकी नजर सीढियो से उतरती हुई रुचिका पर पडी। सारे लोग मंत्रमुग्ध होकर उसे देख रहे थे।
रुचिका ने आज लाल रंग की बनारसी साडी पहनी थी। साडी के उपर उसने लाल रंग की चुनरी ओढी थी। मांग मे सिंदूर के साथ मांग टीका सजा था। उसने लाल लिपस्टिक लगाई थी। उसने बालो का बन बना रखा था जिसमे से कुछ लटे निकल कर उसके चेहरे पर आ रही थी।
उसके पैरो मे पहना पायल के घुंघरुओ की आवाज बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसने बिछिया भी पहना था। उसने अपने चेहरे पर हल्का सा मेकअप किया था जो उसे और ज्यादा खुबसूरत दिखा रहे थे।
ऋत्विज और रिहान एकटक उसे देखते हुए कहते है- "शी इज माइन फार एवर।"
रुचिका आकर सबसे पहले कौशल्या जी के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। फिर बारी-बारी से रुहानिका और मानवेंद्र का पैर छूती है। फिर वह आकर ऋत्विज के पैरों की तरफ झुकने लगी तो उसने बीच में ही रोकते हुए कहा, "बीवी, बड़ों का आशीर्वाद ले लिया यही बहुत है। मैं पति हूं, भगवान नहीं। चलो, हम सब मिलकर भगवान का आशीर्वाद ले लेते हैं।"
उसी समय पंडित जी वहां आए। रुचिका ने उनका भी सम्मान किया। फिर वो तीनों मिलकर पूजा करने बैठ गए। ऋत्विज को नीचे बैठने में परेशानी हो रही थी। यह देखकर वह तेजी से बगल के सोफे का कुशन ले आती है और उसके नीचे लगाते हुए कहती है, "राणा जी, अब आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। अब आपको जमीन नहीं गड़ेगा। आप आराम से पूजा पर कंसंट्रेट कीजिए।"
पंडित, "यजमान, आप अपनी बीवी के हाथ के नीचे अपना हाथ दे कर आहुतियां दीजिए। अरे यजमान, आपकी वाइफ अभी तक नहीं आई, उन्हें भी बुला लीजिए।" यह बात उसने रिहान को देख कर जानबूझ कर रुचिका की इंसल्ट करने के इरादे से बोली।
उसकी बात सुनकर रिहान अपने कोल्ड वॉइस में कहता है, "ये लड़की जो मेरे साथ पूजा में बैठी है, वह मेरी यानी रिहान राजवंश और मेरे बड़े भाई ऋत्विज राजवंश की धर्म पत्नी रुचिका ऋत्विज रिहान राजवंश है। अब से किसी के पास कोई भी सवाल है तो उसका जवाब अब हमारी गन देगी। वह मेरी यानी रिहान राजवंश का गुरुर है, उसे कुछ भी कहने वाला शख्स अपनी मौत को खुद बुलावा देगा।"
यह कह कर वह अपनी गन जेब से निकाल कर सामने रख देता है। यह देख कर उन सब के चेहरे पर पसीना आ गया था जो उसके बारे में उल-जुलूल बक रहे थे।
ऋत्विज यह देख कर क्लियर स्माइल पास करता है। फिर वह कहता है, "पंडित जी, रुक क्यों गए हैं? आगे की पूजा कराइए। मुझे ज्यादा देर तक एक जगह बैठने की आदत नहीं है।" उसकी बातों में अलग तरह का ठंडापन था जो वहां मौजूद लोगों में सिहरन पैदा कर रहा था। अब पंडित भी चुपचाप अपना काम करने लगा। वह जल्द से जल्द पूजा खत्म करता है। ऋत्विज, रुचिका और रिहान उस पंडित का पैर छूते हैं। तभी ऋत्विज कहता है, "मिया, तुम्हारी भाभी को अंदर ले जाओ। उसकी आज पहली रसोई है तो तुम उसकी मदद कर दो।"
ऋत्विज की बात सुनकर ही मिया समझ गई थी कि उसका भाई चाहता है कि वह और रुचिका वहां पर ना रहे। मिया जल्दी से रुचिका का हाथ पकड़ कर अंदर ले आती है। उसे अपने भाई से बहुत डर लगता था। वह उनके खिलाफ नहीं जाती थी।
रुचिका और मिया के अंदर जाते ही रिहान कहता है, "गार्ड, सब को यहां से लेकर जाओ। मुझे यहां पर कोई नहीं चाहिए।"
उसकी बात सुनकर कौशल्या जी कहती है, "आज खून खराबा मत करना। आज का दिन किसी भी नए कपल के लिए बहुत शुभ होता है, इसलिए खून खराबा मत करना।"
उन सब के अंदर जाते ही रिहान पंडित के हाथों में ढेर सारे पैसे देते हुए कहता है, "आगे से कभी हमारे खिलाफ जाने की कोशिश मत करना, नहीं तो दुनिया से निकल जाओगे। जिसने तुम्हें यहां पर बकवास करने के पैसे दिए थे, उनसे कहना कि आगे से हमसे टकराने के पहले अपना होमवर्क अच्छे से कर ले। वो आज हमे ड्राई रहना है तो इसलिए तुम बच गए, वरना तुम्हारी लाश ही यहां से जाती।"
उसकी बात सुनकर पंडित थर थर कांप रहा था। वह जल्दी से वहां से निकल गया। तभी ऋत्विज के फोन पर किसी का कॉल आया, उधर से जो कुछ भी बोला गया, उसे सुनने के बाद वह तेजी से निकल गया। वही रिहान वही था।
वही दूसरी ओर मिया रुचिका को लेकर उसके कमरे में आ गई थी। वह अब जोर जोर से सांस लेने लगी। रुचिका बहुत ध्यान से उसे देखने लगी। उसे अपनी ओर देखता देख कर मिया कहती है, "भाभी, मै आपको अजीब साउंड कर रही हूं ना, पर मै क्या करूं, मुझे अपने भाइयों से बहुत डर लगता है। मै तो उनमें से किसी एक के सामने खड़ा नहीं रहती, पर आज मुझे उन दोनों के ही सामने खड़ा रहना पड़ा।"
उसकी बात सुनकर रुचिका कहती है, "आपके भाई आप पर गुस्सा करते है?"
मिया, "अरे नहीं भाभी, उनका प्रेजेंस ही मुझे डराने के लिए काफी है। मुझे तो यह समझ नही आ रहा कि आप उन दोनो को एक साथ कैसे बर्दाश्त करेंगी। वह दोनो के दोनो ही गुस्सा करने में बहुत तेज है।"
रुचिका, "क्या वो मुझ पर हाथ उठाएंगे? मुझे टॉर्चर करेंगें?"
तभी वहां पर एक दमदार आवाज आई, "हा, यह काम मै कर सकता हू, अगर तुम्हारी वजह से आज मुझे ब्रेकफास्ट नहीं मिला तो। मुझसे भूख बर्दाश्त नहीं होती है, तुम मेरी बीवी हो तो हमेशा इस बात का ध्यान रखना।"
उसकी बात सुनकर रुचिका अपनी पलके झपकाते हुए उसे देखने लगी, वही उसके दोनो हाथ की उंगलिया आपस मे उलझने लगी। उसकी ऐसी हरकत देख कर रिहान के चेहरे पर स्माइल आ गई, जिसे उसने तुरंत छिपाते हुए कहा, "बीवी, यह सब करने की जगह, तुम किचेन में जाकर रसोई बनाओ। मुझे सच मे बहुत भूख लग रही है। अगर तुम ने ऐसा नही किया तो मै तुम्हारे साथ बहुत बुरा करुंगा।" यह कहते हुए वह धीमे कदमो से उसकी ओर बढ़ने लगा। यह देख कर रुचिका मिया का हाथ पकड़ कर कहती है, "मिया, किचेन कहा है?"
मिया भी रिहान से बचने के लिए रुचिका का हाथ पकड़ कर अपने साथ लेकर कमरे से बाहर निकल गई। उसके जाते ही रिहान जोर जोर से हसने लगा और कहता है, "बीवी, तुम्हारे साथ खेलने में बहुत मजा आएगा।"
अगले भाग में जारी ....
आखिर कौन है जो रुचिका को बेइज्जत करना चाहता है ....
आखिर ऋत्विज और रिहान का इस शादी के पीछे मकसद क्या है...
जानने के लिए पढते रहे।
रूम से निकल कर रुचिका किचन में आ गई थी। उसके साथ मिया भी थी। दोनों इतनी तेज़ी से किचन में आई थीं कि अब दोनों तेज़-तेज़ सांसें ले रही थीं।
कुछ मिनट बाद वह दोनों शांत होती हैं। फिर रुचिका कहती है- "मिया, मैं क्या बनाऊँ? आपके भाई को क्या पसंद है?"
तभी वहां पर रुहानिका आकर कहती है- "सैंडविच बना लो, साथ में आलू पराठा और रायता भी बना लेना। साथ ही साथ खीर भी बना देना। आज कुछ मीठा बनाना रहता है। ऋत्विज सुबह ब्रेकफास्ट में सैंडविच पसंद करता है और रिहान को पराठा पसंद है। एक को खीर पसंद है तो दूसरे को हलवा खाना पसंद है।" इतना कह कर वह चली गई। वहीं सर्वेंट आकर सारा इंतजाम करने लगते हैं। करीब दस मिनट बाद वो लोग कहते हैं- "छोटी मालकिन, हमने सब कुछ तैयार कर दिया है। रिहान सर ने कहा था कि आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। अब आप ब्रेकफास्ट तैयार कर सकते हो। अब हमारा अभी का काम खत्म हुआ। हमे ऑर्डर मिला है कि जब आप किचन में रहें तो आपके पास हममें से कोई नहीं आ सकता है। इसलिए अब हम जा रहे हैं।"
रुचिका को उन नौकरों की बात सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह गुस्से से पैर पटकते हुए कहती है- "Such a bloody psycho, why me god...
मैंने आपका क्या बिगाड़ा था जो इन दोनों मॉन्सटर को मेरे लाइफ में ले आए। मन तो करता है कि गला दबा दूं, पर इतनी ताकत और हिम्मत नहीं है। उन दोनों को देखने के बाद मुंह से तो बोली नहीं निकलती तो हाथ पैर क्या खाक चलेंगे। रुचिका, तेरे मॉन्सटर ब्रेकफास्ट का वेट कर रहे होंगे तो जल्दी जल्दी अपना हाथ चला, नहीं तो उनका गुस्सा झेलना पड़ेगा।"
यह बड़बड़ करके वह जल्दी से आलू छिलने लगी। मिया भी बगल में खड़ी होकर आलू छिलने में उसकी हेल्प कर रही थी तो रुचिका का ध्यान आया कि उसके साथ मिया भी है जिसने उसकी बातें सुन ली हैं। यह ध्यान आने से उस का मुंह बच्चों की तरह बन गया। उसे ऐसा लग रहा था कि उसने स्कूल के प्रिंसिपल के आगे ही शैतानिया कर डाली है।
रुचिका अपने कान पकड़े हुए मिया के सामने खड़ी हो गई और कहती है- "प्लीज, मुझे माफ कर दो। वह मैं गुस्से में कुछ भी बक देती हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करने वाली हूं।"
मिया रुचिका की बात सुनकर हंसते हुए कहती है- "भाभी, डोंट वरी। यह हम दोनों के बीच का सीक्रेट है। मेरे भाई ऐसे ही हैं। किसी को भी उन पर गुस्सा आ सकता है और आपकी तरह लोग उन्हें पीछे पीछे गालियां देते हैं, क्योंकि सामने से उन्हें कुछ बोलने की हिम्मत ही किसी में भी नहीं है।"
रुचिका- "मिया, तुम ना आराम से खड़ी रहो, मैं खुद सारा काम कर लूंगी। बिलीव मी, मैं यह कर लूंगी।"
मिया- "अरे भाभी, मैं भी आपकी मदद कर देती हूं। सारा काम जल्दी खत्म हो जाएगा।"
रुचिका उसे रोकते हुए कहती है- "मिया, तुम्हें मेरी कसम है कि तुम अब तब तक कुछ नहीं बोलोगी और करोगी, जब तक कि मैं खाना बनाकर सबको खिला नहीं देती। तुम बस खड़ी होकर मुझे खाना बनाते हुए देखो।"
फिर वह खाना बनाने लगती है। कुछ देर बाद किचन में एक आवाज आई- "बीवी, तुम बहुत स्लो हो, दस मिनट के अंदर मुझे मेरा ब्रेकफास्ट तैयार होकर टेबल पर चाहिए।"
उसकी बात सुनकर उसके हाथ से करछी छूटते छूटते बची, जिससे वह सूजी का हलवा बना रही थी जो ऋत्विज को पसंद थी।
रुचिका- "मॉन्सटर कहीं के, बच्चे की जान निकाल देंगे। इतनी जोर से बोलने किसने कहा है? मुझे हार्ट अटैक ही आ जाता। आवाज तो ऐसी देकर भगवान ने भेजा है कि किसी के भी बदन में सिहरन पैदा कर दे। हे भगवान, मेरा क्या होगा।" ऐसे ही बड़बड़ करके उसने खाना बनाना कंप्लीट किया और सारा खाना डायनिंग टेबल पर रखवा दिया।
वहीं दूसरी ओर, घर से निकल कर इस समय ऋत्विज शहर से दूर एक सुनसान हवेली के सामने अपनी कार रोकता है। उसकी कार को देखते ही गार्ड जल्दी से गेट ओपन कर देता है और उसकी कार अंदर चली जाती है। वह अपनी कार को लेकर वहां बने अंडरग्राउंड पार्किंग में पार्क कर देता है। फिर वह अपनी व्हील चेयर को लेकर वहां बने लिफ्ट के अंदर जाता है। कुछ देर बाद लिफ्ट उसे एक कॉरिडोर के आगे ले जाकर छोड़ देती है। वह आराम से कॉरिडोर के अंदर जाने लगा। पूरे कॉरिडोर में दिन में भी रात के अंधेरे का अहसास हो रहा था। वहां का पूरा वातावरण अजीब सा डरावना माहौल तैयार किए हुए था। वहां सब कुछ डार्क कलर का था जो बहुत ही अजीब था। अगर कोई साधारण दिल वाला आदमी वहां आता तो उसे बेहोश होने से कोई नहीं रोक सकता था।
ऋत्विज जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था, वहां मौजूद गार्ड उसका स्वागत कर रहे थे। कुछ देर बाद एक आदमी ऋत्विज के पास आया। उसे अपने पास आया देख कर ऋत्विज उसे अपनी आंखो से घूरता है तो उस शख्स के माथे पर पसीना आ गया था। वह जल्दी से बोलना शुरू करता है- "बॉस, हमने उस इंसान को पकड़कर कैद कर लिया है जिसने हमारे प्रोजेक्ट की डिटेल अपोजिट पार्टी को बेची थी।"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज के चेहरे पर ना जाने वाली स्माइल आ गई। वह स्मर्क करते हुए कहता है- "करण, सुपर्ब मैन। बहुत अच्छा काम किया है। आज बहुत दिनों बाद किसी को टार्चर करने को मिलेगा। उस बेचारे की किस्मत खराब है कि आज वह मेरा टार्चर झेलेगा।" यह कह कर वह अंदर चला गया, उसके पीछे पीछे करण भी था। करण उसकी बात सुनकर राहत से सांस लेता है।
करण ऋत्विज का कॉलेज फ्रेंड होने के साथ साथ बॉडीगार्ड भी था, जिसे बाद में उसने अपना असिस्टेंट बना दिया था।
ऋत्विज जैसे ही उस शख्स के पास पहुंचता है वह एक सीजर लेकर उस आदमी के हाथ में घोंप देता है। इस कारण उस आदमी के मुंह से जोरदार चीख निकलती है, जिसे सुनकर ऋत्विज सनकी की तरह अपना गर्दन हिलाता है।
वह आदमी कहता है- "तुम इस तरह मुझे तोड़ नहीं सकते। मैं कभी नहीं बताऊंगा कि मैं किसके लिए काम करता हूं।"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज हंसते हुए कहता है- "तुमसे किसने कहा कि मुझे उस इंसान का नाम जानना है। अगर मुझे उसका नाम पता चल गया तो मैं उसे मार डालूंगा और फिर मेरा एक दुश्मन कम हो जाएगा और मुझे जो खेलने में इतना मजा आ रहा है, वह भी आना बंद हो जाएगा। मुझे ना खेलना बहुत पसंद है। मेरा फेवरेट गेम चीटर को सजा देना है। मैं तुम्हें मारूंगा नहीं, बल्कि तेरे साथ खेलूंगा। तेरी चीख को सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगेगा।"
यह कह कर वह छुरी लेकर उस पर कई बार कर देता है और उसकी चीख सुनने लगा। फिर वह अपने गार्ड को कहता है कि- "यह आज नहीं मरना चाहिए। आज मेरा ड्राई डे है। इसे पूरा दिन तड़पने दो, फिर कल सुबह मार डालना।" यह कह कर वह निकल गया और उसके जाते ही करण के मुंह से निकलता है- "साइको"।
अब आगे :-
ऋत्विज रुचिका को पलट कर लेटा देता है। अब उसकी खुली पीठ ऋत्विज के सामने थी। वह इंटेस होकर उसे देख रहा था। फिर वह उसके ब्रा के हुक को अपने मुंह से खोल देता है। उसके ऐसा करने से रुचिका गहरी सांस लेकर कहती है -
"राणा जी।"
ऋत्विज - "यही तड़प तो मुझे देखना था। तेरे मुंह से राणा जी सुनना मुझे नशे में डाल देता है।" वह लगातार ही उसकी पीठ पर अपने होठों को चला रहा था, साथ में वह बाइट भी कर रहा था। उसका ऐसा करना, रुचिका को बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रहा था। वह अपने होठों को काटने लगी थी। उसके हाथों की पकड़ चादर पर कस गई थी। वह मदहोश होकर राणा जी, राणा जी पुकार रही थी।
ऋत्विज उसे सीधा कर देता है और फिर वह खुद उसके ऊपर आ कर अपने पूरे बदन को उसके बदन से घिसने लगा। उसका हाथ बीच बीच में उसके ब्रेस्ट को दबा रहा था जिससे वह सिसकियां ले रही थी। फिर वह उसके बदन से अलग होकर कमर के पास जाकर उसकी बिकनी लाइन पर किस और बाइट करने लगा। अब रुचिका से बिल्कुल कंट्रोल नहीं हो रहा था। वह बार बार कहने लगी - "राणा जी, प्लीज रिलीफ मी, प्लीज अब और देर मत कीजिए। मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा है। प्लीज, मेरी बात मान लीजिए। आज के लिए इतना सजा बहुत है।"
ऋत्विज उसके पैरों के बीच अपने होठ रखते हुए कहता है - "कुछ देर और बर्दाश्त कर लो बीवी, अभी मेरा मन नहीं भरा है।" वह फिर से उसके पूरे बदन को किस और बाइट करने लगा। करीब आधा घंटा तक वह फोरप्ले करता है और फिर वह रुचिका में समा जाता है। करीब बीस मिनट तक यह करने के बाद वह अलग हुआ और रुचिका को पकड़कर लेट गया। रुचिका भी पांच मिनट तक वैसे ही रहने के बाद उठ कर अपने कपडे पहनती है।
ऋत्विज उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच कर उसे लेटा लेता है और खुद उसे पकड़ लेता है और कहता है - "बीवी, सो जाओ। शाम को रिसेप्शन भी है।"
शाम के समय ऋत्विज नहाकर अपने कपडे चेंज कर रहा था, तभी अचानक ही उसका शर्ट उसके हाथों में फंस गया था। वह जल्दी से ठीक करने की कोशिश करता है, पर वह और ज्यादा ही फस जाता है। रुचिका जल्दी से उसे ठीक करती है। तभी उसकी नजर दरवाजे पर गई जहा रिहान खडा होकर उसे घूर रहा था। वह तेजी से रिहान के पास जाकर कहती है - "गुड इवनिंग, राणा जी। अच्छा हुआ कि आप आ गए, मै आपका वेट कर रही थी। आप यह आफिस बैग मुझे दे दिजिए और फ्रेश हो जाइए।"
रिहान अपने बैग को वही रखे सोफे पर फेंक देता है और फिर रुचिका को कमर से पकड़ खुद में सटा लेता है और उसके कमर पर चिकोटी काट देता है, जिससे उसका मुंह खुल गया। वह तुरंत ही उसके मुंह में अपना अंगूठा डाल देता है और कहता है - "बीवी, सक इट।"
रुचिका उसके अंगूठे को सक करने लगी। यह देख ऋत्विज जो अब तक तैयार हो चुका था, कहता है - "बीवी, मै बाहर जा रहा हू। भाई, दो घंटे बाद रिसेप्शन पार्टी शुरु हो जाएगी। इसलिए तुम दोनो आराम से कंटीन्यू करो।"
उसके जाते ही रिहान रुचिका के बालों में अपना चेहरा घुसा कर उसके इयरवाल्व पर किस कर बाइट करने लगा। उस वजह से रुचिका को हंसी आ रही थी। फिर वह उसे गोद में लिए हुए बिस्तर पर गिर जाता है। वह एक झटके से उसे अपने नीचे कर खुद के कपडे उतारने लगा।
रुचिका उसे देख रही थी। यह देख कर वह कहता है - "बीवी, अगर तुम उपर आकर मुझे प्लेजर कराना चाहो, तो आय एम रेडी फ्रार डिस।" यह कह कर वह एक स्माइल के साथ उसे देखने लगा।
रुचिका ना में अपना सिर हिला देती है और वह अपनी आंखो को बंद कर लेती है। कुछ देर में ही वह कमरा उन दोनो की मोनिंग की आवाज से भर गया। रिहान कुछ देर उसे प्यार करने के बाद उसमे समा गया। वह उसे जोर जोर से झटके देने लगता है। करीब बीस मिनट बाद वह शांत होकर रुचिका के बगल में ही लेट गया। रुचिका भी उसकी तरफ पलट कर उसे हग कर लेती है और अपने चेहरे को छिपा लेती है।
रिहान भी उसे कस कर पकड लेता है और उसके बालो मे अपना हाथ घुमाने लगता है। यह महसूस कर रुचिका कहती है - "राणा जी, आप मेरे बालो से पोजेस्ड हो गए है। आप को वह बहुत पसंद है। आपकी लाइफ मे तो और भी लडकिया रही होगी ना।"
उसकी बात सुनकर रिहान की पकड उसके बालो मे कस गई । वह कहता है-" तुम इन बातो पर सोचना बंद करो, तुम रिहान राजवंश की बीवी हो। मेरा भी एक पास्ट रहा है जिसे मै बिल्कुल याद करना नही चाहता। तुम भी उसे याद दिलाने की कोशिश मत करना। वर्ना तुम मेरा वह रुप देखोगी, जो मै कभी तुम्हे दिखाना नही चाहता। यह सब कुछ भूल जाओ, अब से केवल तुम ही मेरी जिंदगी मे शामिल हो।" यह कह कर वह अपनी पकड ढीली कर देता है और दुबारा अपने अंगुलियो को उसके बालो मे चलाने लगा।
शाम के समय बाहर लाॅन में ही पार्टी का इंतजाम किया गया था। आज लगभग सारा जयपुर ही वहा आया हुआ था। सबके मन मे केवल एक ही सवाल था कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो राजवंश परिवार के दोनो बेटो ने एक ही लडकी से शादी कर लिया।
कुछ देर बाद वहा सारे बडे बिजनेस मैन, राजनेता और मनोरंजन जगत की हस्तिया आने लगी। रुहानिका और मानवेंद्र अपने सारे गेस्ट का अच्छे से सत्कार कर रहे थे। अभी तक ऋत्विज, रिहान और रुचिका बाहर नही आए थे। तभी पार्टी मे मौजूद लोगो की नजर सामने इंट्रेंस पर जम गई। वहा से ऋत्विज, रिहान और रुचिका आ रहे थे।
वो तीनो ही बहुत खुबसूरत लग रहे थे। रुचिका के कमर को उन दोनो ने पकड़ रखा था। उन दोनो ने आज वाइट शर्ट के साथ ब्लैक टाॅक्सीडो पहन रखा था जिसमे उनकी पर्सनालिटी अच्छे से सामने निखर कर आ गया।
वही रुचिका ने रेड कलर का गाउन पहना था। वह उसे पहन कर बहुत अधिक सुंदर लग रही थी। वह लोग धीरे धीरे चल कर अपने मेहमान के बीच आ जाते है। वो दोनो रुचिका को अपने मेहमानो से मिलाने लगे, फिर वो लोग रुचिका को स्टेज पर बैठा देते है।
तभी वहा पर एक शक्स आता है और वह एक बडा सा बुके रुचिका को बढाते हुए कहता है - "शादी की बहुत बहुत बधाई।" उस शक्स को देख कर रुचिका शाॅक रह गई और उसके हाथ से बुके गिर गया।
वह शाॅक से बोल पडी - "तुम?"
अगले भाग मे जारी ....
कौन है यह शक्स?
रुचिका की लाइफ में ऋत्विज और रिहान क्या तूफान लाएगे .....
जानने के लिए पढते रहे.....
रुचिका अपने सामने खड़े शख्स को देख कर चौंक गई थी। तभी वहा पर मिया और सुहानी, जो कि ऋत्विज के बड़े चाचा की बेटी थी, वहा आए और उस लड़के के गले मिल लिए।
मिया - "भाभी, इनसे मिलो, ये भार्गव भाई है जो मेरे मौसी के बेटा है। यह ऋत्विज भाई और रिहान भाई से बड़े है, इस हिसाब से ये आपके जेठ है।"
रुचिका के चेहरे पर यह जान कर चिढ़ के एक्सप्रेशन थे, तो वही भार्गव उसे देख कर स्माइल पास कर रहा था।
भार्गव - "मिया, तुम्हारी भाभी को किसी ने यह नही बताया कि जेठ के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। लगता है कि संस्कार बिल्कुल भी नही है।"
रुचिका उसकी बात सुनकर भी नही झुकी। भार्गव रुचिका का सीनियर था जो निहायती बदमाश और बदचलन था। वह हर दिन लड़कियो को छेड़ता रहता था। हर लड़की के उपर उसकी गंदी नजर रहती थी।
उसने एक दो बार उसे भी परेशान करने की कोशिश की थी पर अमित की वजह से वह कुछ भी नही कर पाता था। एक बार जब उसने जबरन उसका हाथ पकड़ना की कोशिश की तो अमित ने उसका वह हाथ ही तोड़ दिया था। उसके बाद से वह लगातार ही इस बात का बदला लेने के लिए तैयार रहता था।
रुचिका ने यह कभी एक्स्पेक्ट नही किया था कि वह भार्गव जैसे कमीने इंसान से दुबारा मिलेगी। भार्गव उसे ललचाई नजरो से देख रहा था।
भार्गव धीरे से रुचिका के पास आकर खड़ा हो गया। फिर वह एक घटिया सी मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर कहता है - "तुम्हे पैसे चाहिए वह मै दूंगा। तुम्हे तो मानना पड़ेगा कि एक ही बार मे दो दो लड़के को फांस लिया। अरे जब तुम दो को खुश रख सकती हो तो हम क्या बुरे थे।"
वह आगे कुछ और कहता, उससे पहले ही वहा पर रिहान आ गया था। रिहान ने भार्गव की बात नही सुनी थी। वह रुचिका को अपने साथ लेकर स्टेज से उतर गया और एक कोने मे ले गया, जहा कोई नही था।
रिहान - "बीवी, चलो मेरे साथ, मेरे पास तुम्हारे लिए गिफ्ट है। यह गिफ्ट भाई और मैने तुम्हारे लिए मंगाया है।"
वह रुचिका को लेकर एक कमरे मे जाता है, जहा कुछ लोग थे। उस कमरे की लाइट ऑफ थी तो उसे कुछ दिख नही रहा था। मन ही मन उसे डर लग रहा था क्योकि अभी तक रिहान ने उस से कोल्ड लहजे मे ही बात की थी।
वही दूसरी ओर ऋत्विज के फोन पर एक काॅल आता है जिसे देख कर वह तुरंत ही अपने व्हील चेयर का रुख पार्किंग की तरफ मोड कर अपने ड्राइवर को काॅल कर आने कहता है। कुछ ही मिनटो मे उसकी कार शहर से दूर एक सुनसान सडक पर चल रही थी। करीब बीस मिनट तक ड्राइव करने के बाद वह एक हवेली के पास जाकर रुक जाता है।
वह जल्दी से उस हवेली के अंदर जाता है तो कुछ लोग उसे देख कर तुरंत ही ग्रीट करने लगते है। वह आराम से वहा बने एक कमरे मे जाता है और अपनी चेयर पर बैठ जाता है।
यह ऋत्विज का सीक्रेट रुम था, जहा से वह दूसरे धंधो को करता था। अभी उसका औरा बहुत ही अधिक खतरनाक था। उसे देख कर सारे लोग डरे हुए थे।
ऋत्विज - "अब तुम लोग मुंह खोलोगे कि मुझे यहा क्यो बुलाया है? अगर मुझे यहा बुलाने का कारण वैलिड नही हुआ तो मै तुम सब को गोली मार दूंगा।"
उसकी बात ने वहा खडे गार्ड्स को चक्कर मे डाल दिया था। फिर उनमे से एक गार्ड हिम्मत कर कहता है - "मालिक, हमारा जो कंसाइनमेंट आने वाला था, वह नही पहुंचा है। मुंबई पहुंचने के पहले ही वह गायब हो चुका था। उसे किसी ने समुद्र के बीच से ही गायब कर दिया है।"
उस गार्ड की बात सुनकर ऋत्विज कहता है - "ऐसा कैसे है? इसके बारे मे तो बहुत कम लोग ही जानते थे, फिर भी मेरे दुश्मनो ने अपना काम कर लिया। चलो, अच्छी बात है। एक झटका उन्होने मुझे दिया, अब मेरी बारी है। उनका ट्रक आज ही जोधपुर से जयपुर पहुंचने वाला है, वह अब वहा नही पहुचना चाहिए। कल जो टेंडर निकलने वाला है, वह हमे मिले ना मिले, उन्हे तो बिल्कुल नही मिलना चाहिए। यह मेरे लिए बहुत जरुरी है। ऋत्विज राजवंश अपने दुश्मन को नही छोड़ता है। आज उनकी वजह से मै अपनी बीवी को ऐसे रिसेप्शन पार्टी के बीच मे छोड़ कर यहा आया। अब तुम सब इस बात को श्योर करना कि ये काम हो जाए, वरना तुम जानते ही हो कि मै गलती माफ नही करता हू।"
उसकी बात सुनकर वहा मौजूद लोगो मे भय भर गया था, वो लोग कहते है - "मालिक, आप चिंता मत किजिए, सारे काम हो जाएगे। कुछ ही देर मे आपको खुशखबरी मिल जाएगी।"
ऋत्विज - "ऐसा ही हो तो तुम लोगो के लिए सही होगा। मै तुम सब को बहुत पसंद करता हू तो मै तुममे से किसी को भी खोना नही चाहता। आय रियली लाइक यू। मेरे लिए तुम लोग इतना तो कर ही सकते हो। मै तो सोच रहा था कि तुम सब को बोनस भी दू, पर पहले यह काम कर दिखा दो, मै तुम्हे डबल बोनस दे दूंगा।"
वही दूसरी ओर उदयपुर मे सिसोदिया हाउस मे अभियान रीतू के सामने खडा था। रुचिका के शादी से भागने के कारण उसकी बहुत इंसल्ट हो रही थी।
उस जगह पर रीतू के साथ साथ उसका पति रविराज भी था। उन दोनो के चेहरे पर परेशानी थी, क्योकि अभियान ने अपना पार्टनरशिप तोड दिया था और अपनी इंसल्ट का बदला लेने के लिए उसने सिसोदिया इंडस्ट्रीज के कुछ शेयरधारक को भी अपने साथ कर लिया था। इसके अलावा वह अपने 50 लाख रुपए वापस मांग रहा था जो उसने दिए थे।
रुचिका रिहान के कहने पर उस रूम की लाइट ऑन करती है। वह लाइट जैसे ही ऑन करती है तो वहा मौजूद लोग जोर से चिल्लाते है- "सरप्राइज!"
उस रूम मे मेघा और रुचिर के अलावा उसके नाना नानी थे जो उससे बहुत प्यार करते थे। पर वो लोग साधारण बैकग्राउंड से आते थे, इसलिए वीर और रिया के मरने के बाद जब उन्होने वेद सिसोदिया से रुचिका को अपने पास रखने की बात की थी तो उन्होने साफ मना कर दिया और जल्दी उससे मिलने भी नही देते थे। अभी रुचिर भी उनके साथ ही था। वो लोग रुचिका को अपने नाना नानी से फोन पर भी बात नही करने देते थे। उन लोगो की बात तभी हो पाती थी जब रुचिका स्कूल जाती थी और बाद मे वो लोग उससे काॅलेज मे मिलते थे। सिर्फ मेघा ही ऐसी सदस्य थी जो इस बारे मे जानती थी।
मेघा और रुचिर जल्दी से उसके गले लग गए। तभी रिहान कहता है- "बीवी, तुम इनके साथ रहो, मुझे कुछ काम है तो मै बाद मे मिलता हू।"
रिहान के जाने के बाद रुचिका तेजी से अपने नाना नानी के पास गई और उनके गले लग कर रोने लगी। उसे दिल मे इन दिनो उसके साथ जो कुछ भी हुआ था, उसका दर्द भी बहुत ज्यादा था। वह किसी को भी अपना दर्द नही बता सकती थी।
कुछ देर बाद वह शांत हो गई। उसके नाना नानी उसके बोलने का वेट करने लगे।
रुचिका- "नाना जी और नानी, आपकी छुटकी की शादी हो गई है। आपको पता है बडी मा मुझसे बेहद नफरत करती है। उन्होने मेरी शादी अभियान मेहरा से तय कर दिया था।"
उसकी बात सुनकर मेघा कहती है- "तुम्हारे कहने का मतलब है कि रिहान से तुम्हारी शादी हो चुकी है। जब इतना कुछ हो रहा था तो तुमने हम से कांटेक्ट क्यो नही किया? अगर तुम ऐसा करती तो तुम्हे इन सब मे फसना नही पडता।"
उसकी बात सुनकर रुचिका कहती है, "मै इसमे तुम्हे इनवाल्ब नही करना चाहती थी, बडे पापा और बडी मा अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर तुम्हारे साथ साथ आंटी अंकल को भी नुकसान पहुंचा देते, वो लोग कुछ भी कर सकते है। मैने अमित से मदद मांगने की कोशिश की, पर उस समय उसने काॅल नही उठाया, फिर बडी मा ने मेरा फोन ही तोड डाला और मुझे रुम मे बंद कर दिया था।"
मेघा- "रीचा, तुम डायवोर्स ले लो। फिर सब कुछ सही हो जाएगा। तुम उसके बाद हमारे साथ रहना।"
रुचिका- "ऐसा नही हो सकता है। मै चाह कर भी इस रिश्ते से आजाद नही हो सकती, क्योकि मेरे पति मुझे नही छोडेगे। उन्होने कहा है कि मुझे हर हाल मे यह रिश्ता निभाना पडेगा। मेरी चिंता करना छोड दो, मै ठीक हू। यह बताओ कि तुम सब कैसे हो? मै यहा आज उस लीचड भार्गव से मिली।"
मेघा- "वह लीचड यहा क्या कर रहा है? कही वह कमीना तेरा पीछा तो नही कर रहा है? उसे तो अमित ने सही ढंग से पीटा था। तुम दो चार थप्पड लगा दो।"
रुचिका- "मै ऐसा नही कर सकती, क्योकि वह कमीना मेरा जेठ है। उस कमीने की वजह से मै किसी मुसीबत मे फसना नही चाहती हू। जब तक उसकी वजह से मुझे कोई परेशानी ना हो, तब तक मै उसे इग्नोर ही करुंगी।"
वही दूसरी ओर उदयपुर मे अभियान एक राजा की तरह उन दोनो के सामने खडा था। वह अपने कोल्ड वाॅइस मे कहता है- "तुम दोनो ने क्या सोचा था कि मुझे डबल क्रास करके आराम से रह जाओगे। मैने जब तुम्हारी हर शर्त पूरी की, तो तुमने उसे भागने कैसे दिया?" यह कह कर वह वहा मौजूद सेंटर टेबल को गुस्से से पलट देता है जिससे वह कांच का टेबल छन छन की आवाज से टूट कर चकनाचूर हो गया। यह देख कर वहा मौजूद सारे लोग डर गए।
रवि राज- "मि मेहरा, आप गलत समझ रहे है, मैने आपके साथ कोई धोखा नही किया है। मै तो खुद चाहता था कि उसकी शादी हो जाए, इससे हमे बहुत फायदा था। पर पता नही कैसे वह हमारे चंगुल से भाग गई।"
उसकी बात सुन कर अभियान गुस्से मे उसका काॅलर पकड कर कहता है- "तुम्हे मेरे चेहरे पर बेवकूफ लिखा नजर आता है? तुम जो बोल रहे हो, उस पर मै क्या कोई भी विश्वास नही करेगा। तुम्हारा कहना है कि उस लडकी ने तुम्हे चकमा दे दिया। अगर यह बात सच है तो मेरी बात मानो और अपने इन सारे निकम्मे आदमियो को जान से मार डालो। वह लडकी भाग गई और तुम सब मिल कर तमाशा देखते रह गए। खैर कोई बात नही, तुम लोग उसे खोज पाओ या नही, पर मै अभियान मेहरा उसे खोज कर रहेगा। रुचिका माय स्वीटहार्ट, तुमने मुझे थप्पड मारा था ना तो यह थप्पड की गूंज तुम्हे रोज सुनने को मिलेगी।
पहले मै तुम्हे अपनी बीवी बनाकर रोज अपने बेड पर लाना चाहता था और तुम्हारा गुरुर तोडना चाहता था, पर शायद तुम्हे यह पसंद नही आया। अब तुम्हारी वजह से मेरी बहुत बदनामी हुई है तो इसका बदला मै लेकर रहूगा। अब रुचिका सिसोदिया तुम मेरी रखैल बनोगी। मै तुम्हे इस बात को रोज रियलाइज करवाऊगा कि तुमने मुझपर हाथ उठाकर कितनी बडी गलती की है। तुम खुबसूरत थी तो तुम्हारे हुस्न का दीदार करना चाहा तो इसमे मेरी क्या गलती थी। अब तुम अपना खैर मना लो, क्योकि यह अभियान मेहरा बहुत जल्द तेरा पता लगा कर तुझे अपने कैद मे रखेगा। यह कैद तुझे खुद से नफरत करने के लिए मजबूर कर देगी।" यह कह कर वह पागलो की तरह हसने लगा। उसकी हसी मे एक अजीब सा जुनून था जिसने रीतू और रविराज के अंदर भी डर भर दिया था। फिर अभियान वहा से चला गया, वही उसके जाने के बाद रीतू कहती है- "रवि, उस अभियान से पहले वह रुचिका मुझे चाहिए। मै उसे उसके किए की सजा दूंगी। उसकी वजह से यह कमीना हमे इतना कुछ सुना गया।"
रविराज- "तुम चिंता मत करो, मै भी उसे खोज कर रहूंगा। उसे भागने का शौक है, मै उसे चलने लायक नही छोडूगा।"
रुचिका अभी मेघा से बात ही कर रही थी कि वहाँ एक कोल्ड वॉइस सुनाई दी- "तुम मेरी बीवी की क्लोज फ्रेंड हो, इसलिए तुमने अभी जो भी बोला, उसके लिए तुम्हे माफ़ कर दिया। आइंदा अगर कभी मेरे और मेरी बीवी के बीच आने की कोशिश की तो जिंदा नही छोडूंगा। वह इस ऋत्विज राजवंश की सनक है।"
उसकी आवाज ने वहाँ मौजूद लोगो को खौफ से भर दिया था। तभी व्हील चेयर की आवाज पास आने लगती है। रुचिका तेजी से ऋत्विज के पास जाकर उसका व्हील चेयर पकड़कर उसे रूम की तरफ लाते हुए कहती है- "राणा जी, आप गुस्सा मत होइए। मै हमेशा आपके साथ हूँ। मै उसे समझा दूंगी, फिर से वह ऐसी बात नही बोलेगी।"
ऋत्विज- "यही उसके लिए सही होगा। ऐसे मेरी साली और साले से मेरी मुलाकात करवाओ। आज मै भी उनसे मिलना चाह रहा हूँ। बीवी, तुम खुश तो हो ना। उन्हे हम तुम्हारी खुशी के लिए ही तो यहाँ लाए है। अब इसका रिवार्ड हम दोनो भाई तुम से बेड पर ले लेंगे।"
उसकी बात सुनकर रुचिका का पूरा चेहरा लाल हो गया था। यह देख कर ऋत्विज उसके चेहरे पर अपना हाथ घुमाते हुए कहता है- "बीवी, ऐसे मत करो, वर्ना यही खाने लग जाऊगा। बिल्कुल कैंडी की तरह लग रही हो। अब चलो भी, वर्ना मेरा कंट्रोल सच मे छूट जाएगा।"
उसकी बात सुनकर वह तेजी से रूम की तरफ जाने लगी। यह देख कर ऋत्विज के चेहरे पर स्माइल आ गई जो जल्दी उसके चेहरे पर दिखती नही है।
वह अंदर जाकर नाना और नानी को प्रणाम करता है। यह देख कर वो लोग चौक कर उसे देखने लगे। यह देख वह बोल पड़ा- "नाना और नानी जी, जब कोई आपसे आर्शीवाद मांगे तो उसे दे देना चाहिए। ऐसे भी, मै कोई गैर नही, आपकी नतिनी रुचिका का हसबैंड हूँ। इसलिए इस आर्शीवाद पर मेरा हक है और यह ऋत्विज राजवंश अपना हक कभी नही छोडता है।"
उसकी बात सुन कर सारे लोग शाॅक से उसे देख रहे थे। फिर नानी कहती है- "अगर रुचिका के हसबैंड तुम हो तो वह लडका कौन था जो कुछ देर पहले रुचिका के साथ था और उसने भी रुचिका को बीवी कहा था।"
उनकी बात सुनकर ऋत्विज के जवाब देने के पहले ही रिहान आकर रुचिका के गालो को किस करते हुए कहता है- "यह रुचिका ऋत्विज रिहान राजवंश है। यह हम दोनो भाईयो की इकलौती बीवी है। क्यो सही कहा ना बीवी।"
उसकी बात सुनकर मेघा शाॅक से कहती है- "रीचा, क्या ये दोनो सच बोल रहे है? इन दोनो ने ही जबरदस्ती तुमसे शादी की है? तुम सच मे इन दोनो की बीवी हो?"
रुचिका- "हा, ये दोनो ही मेरे हसबैंड है। आज मेरी रिसेप्शन पार्टी चल रही है।"
यह सुनकर रुचिर आकर ऋत्विज और रिहान के गले लग जाता है और कहता है- "आप प्लीज दी को और दुख मत देना। मेरी दी बहुत अच्छी है। उन्हे वापस मत भेजना। वो लोग बहुत गंदे है। वो लोग दीदी को बहुत परेशान करते थे।"
उसकी बात सुनकर रिहान कहता है- "तुम चिंता मत करो। मै और भाई हमेशा ही तुम्हारी दीदी के साथ रहेंगे। जहा तक उन लोगो का सवाल है, यह जानने के बाद तो उन्हे सजा जरुर मिलेगी। नाना नानी, आज से आप यही रहेगे। मेघा तुम भी यही रहोगी। मैने तुम्हारे माम डैड का तबादला भी यही जयपुर करवा दिया है।"
नाना- "हम यहा नही रह सकते। मेरा सारा काम उदयपुर मे ही है। हम लोग रुचिका से मिल लिए है, अब अपने घर जाएगे। इसलिए बेटा जी हम लोग आपकी बात नही मान सकते है।"
उनकी बात सुनकर ऋत्विज बोल पड़ा- "नाना जी, हमने आपसे पूछा नही, बल्कि बताया है कि अब से आप हमारे साथ यही जयपुर मे रहेंगे। मेरे घर के बगल मे जो फ्लैट है, उस मे ही आप लोग रहेंगे। मेघा और उसकी फैमिली फस्ट फ्लोर पर रहेंगे, आप तीनो ग्राउंड फ्लोर पर रहेगे। मुझे यह बात बिल्कुल पसंद नही है कि कोई मेरी बात को काटे, आपको मेरी बात हर हाल मे माननी ही पडेगी। इसलिए मुझे मजबूर मत कीजिए कि मै आप सब को अपने तरीके से समझाना नही चाहता हू। बीवी, तुम इन लोगो को समझाओ।"
रुचिका- "आप सब इन की बात मान लिजिए, वो दोनो जो कह रहे, वही करिए। प्लीज, मेरे लिए राणा जी की बात मान लिजिए।"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज कहता है- "बीवी, इतना भी रिक्वेस्ट करने की जरूरत नही है, तुम अब रुचिका ऋत्विज रिहान राजवंश हो, तुम्हारे मूंह से निकली हर बात को सच साबित हमारा काम है जानेमन।" यह बोलते हुए उसकी आवाज बहुत ही अधिक खतरनाक थी जो वहा मौजूद लोगो मे खौफ पैदा कर रही थी।
रिहान- "नाना जी और नानी जी, आप लोग अभी हमारे बारे मे नही जानते, इस लिए इस तरह बिहेव कर रहे है। मैने आप लोगो का सब कुछ पहले ही अरेंज करा दिया। अब चल कर पार्टी इंजाॅय किजिए, उसके बाद आप लोग को मेरे आदमी आपके नए घर मे पहुंचा देंगे। वहा आप लोगो की जरूरत के सारा सामान मौजूद है। ऐसे भी जिस चीज की कमी होगी, उन सामान को मेरे गार्ड मंगा देंगे।"
रुचिका- "राणा जी सही कह रहे है। मुझे बहुत जोर की भूख लगी है। अभी के लिए हम सब पार्टी मे चलते है। वहा हम सब मिलकर डिनर करेगे। इस बारे मे मै किसी का बहाना नही सुनूगी। आप सब को मेरे साथ डिनर करना ही होगा।"
उसकी बात मानकर सारे लोग पार्टी मे आ जाते है। उसी समय एक आदमी काॅल करता है- "बाॅस, लडकी मिल गई है।"
बाॅस- "उसे जान से मार डालो। वह लडकी नही बचनी चाहिए। उसे जान से मार डालो।"
उसकी बात मानकर वह आदमी रुचिका पर गोली चलाई देता है।
अगले भाग मे जारी ........
अब आगे :-
वह आदमी रुचिका के ऊपर गोली चला देता है, जो उसके कंधे को छूते हुए निकल गई थी। जिससे सबका ध्यान उस हमलावर पर चला गया।
रिहान - "उस कमीने को पकड़ो, उसकी इतनी हिम्मत कि वह मेरी बीवी पर हमला करे। वह मरना नहीं चाहिए, मुझे वह जिंदा चाहिए।"
उसकी बात सुनकर उस हमलावर ने अपने गन को अपने सिर पर रखा और खुद को ही शूट कर लिया। यह देख कर ऋत्विज और रिहान ज़ोर से एक मुक्का वहाँ पास पड़े टेबल पर मार देते हैं। उन दोनों का गुस्सा देख कर रुहानिका उन दोनों के पास आती है और कहती है - "तुम दोनों अपना गुस्सा कंट्रोल करना कब सीखोगे? रुचिका ठीक है। इस तरह की हरकत कर खुद को दुनिया की नज़र में राउडी क्यों दिखाना चाहते हो? पहले भी समझाया है कि हम लोग बिज़नेस मैन हैं। इस तरह की हरकत से तुम्हारी इमेज को धक्का लगेगा।"
उसकी बात सुन कर रिहान कहता है - "माम, आपको हमेशा अपने इमेज की ही क्यों पड़ी रहती है? हम दोनों भाई की खुशी रुचिका है। उसने बीवी की जान लेने की कोशिश की थी और हम उसे सज़ा नहीं दे पाए। इस बात पर तो गुस्सा आएगा ना। अब मैं जैसा हूँ, वैसा ही रहूँगा। मुझे अपनी कोई इमेज नहीं बनानी। मैं आगे जाकर डैड की तरह पॉलिटिक्स ज्वाइन नहीं करने वाला हूँ।
मेघा और नाना नानी को उनके घर जो हमने तैयार करवाया है, वहाँ छोड़ कर आओ। अब वो लोग इस रिहान राजवंश के रिश्तेदार हैं तो हर दम वो लोग भी मेरे दुश्मन के टार्गेट रहेंगे। अब तो आप लोगों को समझ आ ही गया होगा कि आप सब का यहाँ रहना क्यों ज़रूरी है? गार्ड्स जो भी बोला है, तुरंत करो। मिया और सुहानी तुम दोनों भी घर के अंदर जाओ। अब सबकी तलाशी होगी कि किसने गद्दारी करने की कोशिश की है?" यह उसने अपने गार्ड्स को देख कर कहा। उसकी बात ने उन गार्ड्स के चेहरे पर खौफ भर दिया। सबको पता था कि रिहान एक हार्टलेस व्यक्ति है जो गलती करने वालों को कभी भी माफ़ नहीं करता है।
कुछ देर बाद मेघा, रुचिर और नाना नानी उस बिल्डिंग में जाते हैं तो देखते हैं कि मेघा के माम, आमोना और डैड ऋषभ शर्मा वही थे। मेघा उन दोनों को देख कर गले लग गई। फिर वह कहती है - "माम, विक्रम कहाँ है? वह आपके साथ नहीं आया। छुटकी कहाँ है? आपको उन दोनों को भी लेकर आना चाहिए था।"
उसकी बात सुन कर अंदर से आवाज़ आई - "दी, रिलेक्स। हम दोनों किचेन में हैं। अरे अब मैं 15 साल का हो चुका हूँ, पर आप मुझे एकदम छोटा बच्चा समझती हैं।"
उसकी बात सुनकर मेघा जल्दी से किचेन में जाकर उन दोनों को गले लगा कर कहती है - "मेरे लिए तुम दोनों छोटे बच्चे ही रहोगे। अब मैं बहुत थक गई हूँ। इसलिए सोने जा रही हूँ। आप लोग भी सो जाइए।"
वहीं रुचिका के कमरे में उसके हसबैंड उसके दोनों बगल में बैठे थे। उन दोनों ने उसका ब्लाउज काट कर हटा दिया था। फिर ऋत्विज ने एंटीसेप्टिक लोशन से उसका घाव साफ किया और रिहान ने उसकी पट्टी कर दी।
रुचिका उन दोनों को परफेक्टली सारा काम करते देख कर पूछ बैठी - "आप दोनों ने नर्सिंग की ट्रेनिंग ली है, जो इतना परफेक्ट पट्टी कर दिया?"
रुचिका की बात सुनकर रिहान और ऋत्विज के चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान आ गई, तभी ऋत्विज बोल पड़ा - "बीवी, नर्सिंग नहीं, हम दोनों ही डॉक्टर हैं, पर हमें बिज़नेस मैन बनना पड़ा। अब हमारी सच्चाई यही है जो कि तुम देख रही हो।"
रुचिका - "राणा सा, आपको ऐसे मेघा और बाकी सब को कैद नहीं करना चाहिए था? वो लोग अचानक से सारी बातों को कैसे हैंडल करेंगे?"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज बोल पड़ा - "कुछ दिन में उन्हें इन चीजों की आदत पड़ जाएगी। बीवी, उनके कंफर्ट से ज्यादा उनका जिंदा रहना ज़रूरी है। मैंने सब कुछ पता लगा लिया है, तुम्हारे बड़े पापा तुम्हें ढूंढ रहे हैं तो उन्होंने मेघा के माम, डैड को काफी परेशान किया है। वो लोग तुम्हें दुख नहीं देना चाहते थे, इसलिए मेघा को भी कुछ भी नहीं बताया।"
रिहान - "बीवी, अब तुम आराम करो। तुम्हारा ज़ख्म अभी हरा है।"
रुचिका - "जी राणा जी, पहले कपड़े तो पहन लूँ।"
रिहान - "जब तक ज़ख्म सूख नहीं जाता, तुम बिना कपड़ों के रहोगी। मैं तुम्हारी हेल्थ के साथ कोई कंप्रोमाइज नहीं करूँगा।"
रुचिका - "अगर यह घाव दो महीने तक नहीं सूखा तो क्या मैं दो महीने तक ऐसे ही रहूँगी?"
ऋत्विज - "बीवी, दो महीने क्या, दो साल भी लगे फिर भी तुम्हें ऐसे ही रहना होगा। एक बात और, तुम जब ठीक नहीं हो जाती, इस कमरे से बाहर नहीं निकलोगी। तुम्हें इस तरह देखने का हक बस हम दोनों भाईयों का है। अब बहस मत करो और सो जाओ। हम लोग जाते हैं।"
रुचिका - "राणा जी, प्लीज मत जाइए। मुझे अकेले डर लगता है। वहाँ तो मजबूरी में अकेले रात बितानी पड़ती थी।"
उसकी बात मानकर वो दोनों भी उसके बगल में लेट गए। सोते समय ऋत्विज ने उसका कमर पकड़ लिया था, वही रिहान का हाथ उसके ब्रेस्ट पर रखा था। उन दोनों को अपने पास देख कर वह भी सो गई।
वही दूसरी ओर जिस इंसान ने रुचिका पर हमला करवाया था, वह गुस्से से अपने कमरे का सारा सामान तोड़ फोड़ रहा था। वह गुस्से से उन टूटी चीजों के बीच चल रहा था जिससे उसे चोट लग रही थी और खून निकल रहा था, पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह पागलों की तरह चिल्लाते हुए कहता है - "हर बार तेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं रहेगी। मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।"
अगले भाग में जारी ......
आखिर यह इंसान कौन है और वह रुचिका की जान क्यों लेना चाहता है?
अभियान अब क्या करेगा?
रिहान और ऋत्विज उसे बचा पाएगे ....
जानने के लिए पढ़ते रहे ......
अगले दिन सुबह-सुबह मेघा का फोन बज रहा था। मेघा जो कल के हादसे के कारण बहुत थक गई थी, वह गहरी नींद में सोई हुई थी, बार-बार फोन की आवाज सुनकर वह उठती है और कहती है- "कौन बोल रहा है? इतनी सुबह-सुबह फोन करके मेरा दिमाग क्यो खराब कर रहे हो। अब फोन किया है तो कुछ बोलो भी?"
उसकी बात सुनकर दूसरी तरफ से आवाज आई- "मेघा, रुचि कैसी है? मैंने आज न्यूज में देखा कि उसके ऊपर हमला हुआ है। यह दूसरी बार है जब उसके ऊपर गोली चली है।"
मेघा- "अमित, डोंट वरी, रीचा ठीक है। गोली उसे छूकर निकल गई है। बस थोड़ी सी खरोंच आई है।"
अमित- "रुचि की सच में शादी हो गई है? वह खुश तो है ना। तुम तो जानती ही हो कि मेरे लिए उसकी खुशी बहुत अधिक इंपोर्टेंट है।"
मेघा- "हां, उसकी शादी हो गई है।" उसने अमित को सब कुछ बता दिया।
यह सब सुनकर वह फोन रख देता है। उसके बाद वह जोर-जोर से रोने लगा। आज उसका प्यार किसी और के साथ रिश्ते मे बंध चुका था, यह जान कर उसके आंसू नहीं रुक रहे थे।
अमित- "भगवान, जब वह मेरे नसीब में नहीं थी तो उसके ही सपने क्यो दिखाए। जब उसे मुझसे छीनना ही था तो उससे मिलवाया क्यो। क्यो मैंने फोन को साइलेंट रखा। उसे जब मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसने मदद के लिए मुझे काॅल किया और मै अपने दोस्तों में इतना बिजी हो गया कि फोन ही चैक नहीं किया। मैंने उससे वादा किया था कि वह जब भी मुझे याद करेगी, मै उसके पास आ जाऊंगा। पर मैंने तो उसका भरोसा ही तोड दिया।
मेरी एक गलती की वजह से वह आज उन दोनो साईको के बीच फसी है। मै आज अपने आप से वादा करता हू कि अब यह गलती दुबारा नही करुंगा। मै अब तुम्हे प्रोटेक्ट करने के लिए तुम्हारे पास रहूंगा। अब मुझे भी अपनी पावर बढानी होगी। मुझे डैड की बात मान लेनी चाहिए और मै उनकी पार्टी ज्वाइन कर लेता हू।"
अमित राज्य के चीफ मिनिस्टर का बेटा था। पर उसे पालिटिक्स मे कोई इंट्रेस्ट नही था। वह खुद के दम पर अपना नाम बनाना चाहता था। उसके दोनो बडे भाई पालिटिक्स मे थे पर उसने कभी उसमे जाने का नही सोचा था।
वह तुरंत ही अपने बडे भाई भास्कर सिंह शेखावत को काॅल कर कहता है- "भाई सा, मुझे भी पावर चाहिए। मुझे भी पालिटिक्स ज्वाइन करना है।"
उसकी बात सुनकर भास्कर तुरंत ही बोल पडा- "बहुत अच्छा सोचे हो। हम सब हमेशा से यही चाहते है कि हमारा पूरा परिवार ही राज करे। तुम्हारा बहुत-बहुत स्वागत है। जल्दी से राजधानी आ जाओ। हम अभी ही बाबा और बाकी सबको बता देते है।"
दूसरी ओर रुचिका अभी भी सो रही थी। उसके दोनो हसबैंड जग चुके थे और अपने हाथो को बेड से टिका कर उसके उपर अपना चेहरा रख कर लगातार उसे ही देख रहे थे।
अपने उपर नजरो की तपिश महसूस कर रुचिका उठ कर बैठने लगी, तभी उसके कंधे मे तेज दर्द महसूस हुआ और उसकी चीख निकल गई। जिसे सुनकर तुरंत ही उसके डेविल हसबैंडस ने अपने होठ उसके घाव पर रख उसे चूम लिया और कहा- "तुम्हे यह हक नही था कि तुम मेरी बीवी के बदन पर आओ, ऐसे गलती हमारी है जो तुम आज बीवी के बदन पर हो। इसकी सजा तो हमे मिलनी ही चाहिए।"
यह कह कर ऋत्विज ने फल के टोकरी मे रखा छुरी उठा ली और अपने हथेली के बीचोंबीच धसा दिया, वही रिहान फस्ट एड बाक्स की कैंची लेकर अपने कंधे पर वार कर दिया। यह सब देख कर रुचिका सदमे मे आ गई थी।
वह कहती है- "राणा जी, यह आप दोनो क्या करने की कोशिश कर रहे है। अरे मुझे गोली लग गई, इसमे आप दोनो की कोई गलती नही है। अगर ऐसे ही करते रहे तो आप दोनो तो मै सच मे अपने आप को मनहूस मानने लगूगीं।"
रिहान उसके होठ को अपने होठ से सील कर देता है। कुछ देर बाद रुचिका को सांस लेने मे दिक्कत होने लगी, वह अपने हाथ से उसके धक्का देने लगी, पर रिहान ने उसे नही छोडा। अब उसका मूंह भी लाल हो गया था। इस तरह हाथ चलाने से उसके घाव से भी खून बहने लगा था।
रिहान की हरकत के बाद वह एकटक उसे देख रही थी। उसे खुद को देखता देख कर वह स्मर्क करने लगा। फिर वह कहता है- "बीवी, तेरी जबान ने खुद को मनहूस बोलने की सजा पाई है। आगे से इस बात का हमेशा याद रखना कि बीवी तुम्हे हक नही है कि तुम खुद को बुरा बोलो।"
रुचिका अपने मन मे कहती है- "मै इन दोनो को जितना समझने की कोशिश करती हू, ये दोनो एक पहेली की तरह बनते जा रहे है। मुझ से जबरन शादी की है। ये शादी तो बस बदला लेने के लिए ही की थी तो मेरी इतनी फिक्र क्यो कर रहे है। इनके मन मे आखिर क्या चल रहा है?" वह इस बारे मे लगातार ही सोच रही थी, पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था। वह अपने सोच मे ही गुम थी, उसी समय उसे अपने कमर पर पकड महसूस होती है।
ऋत्विज उसके कमर पर किस करते हुए कहता है- "बीवी, अपने आप को मनहूस कहना बंद करो। तुम तो पारस पत्थर जैसी हो, जो लोहे को भी सोना बना सकती है। तभी तो हमारी खुशिया भी हमे मिलने लगी है।" उसकी आवाज मे अजीब सा ठंडापन था। जो रुचिका को भी महसूस हो रहा था।
अगले भाग में जारी .....
इन दोनो भाई की सनक आगे क्या मोड लेगी?
जानने के लिए पढते रहे ......
अभियान एक सर्जरी करने के बाद अपने केबिन में आकर बैठ गया। उसके दिमाग में बस रुचिका ही घूम रही थी। वह किसी भी तरह उसका पता लगाकर उसे पाना चाहता था।
इस समय वह अपने केबिन में बैठा, अपने सामने टेबल पर रखे पेपर वेट को घुमा रहा था। उसके दिमाग में अभी भी वह समय चल रहा था जब उसने रुचिका का हाथ पकड़ा था और रुचिका ने हाथ नहीं छोड़ने पर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मारते हुए कहा था- "मुझसे दूर रहना, नहीं तो बर्बाद कर दूंगी। मुझे कमजोर समझने की कोशिश मत करना, वरना तुझे बदनाम कर दूंगी। मेरे लिए मेरा सेल्फ रिस्पेक्ट बहुत बड़ी चीज है। मै बिकाऊ नहीं हूं।"
उसी समय उसके केबिन का डोर नॉक होता है और वह वर्तमान में लौट आता है। वह कहता है- "कौन है? अंदर आ जाओ।"
उसके ऐसा बोलने से उसका असिस्टेंट अंदर आता है और कहता है- "बॉस, आपने न्यूज़ सुनी?"
असिस्टेंट की बात सुनकर अभियान गुस्से से पेपर वेट उठाकर उसकी ओर फेंक देता है। असिस्टेंट दूसरी तरफ हट कर अपने को बचाता है।
अभियान- "तुम सब लोग बेकार हो गए हो, तुम्हें एक लड़की का पता नहीं लग रहा है। मैं तब तक चैन की सांस नहीं ले सकता जब तक वह मुझे नहीं मिल जाती, तुम यहां खड़ा होकर यह पूछ रहे हो कि मैने न्यूज़ देखी या नहीं।"
उसकी बात सुनकर उसका असिस्टेंट कहता है- "मैंने बिना कारण आपसे यह नहीं पूछा है। आप एक बार न्यूज़ तो देखिए। इसमें उस लड़की जैसी लड़की नज़र आ रही है। अगर वह वही लड़की है तो फिर हमारा काम आसान हो जाएगा।"
अपने असिस्टेंट की बात सुनकर वह टीवी ऑन करता है। टीवी पर न्यूज़ आ रही थी- "मशहूर कारोबारी और राज्य के उद्योग मंत्री मानवेंद्र राजवंश की बहू पर कल रात किसी ने जानलेवा हमला किया। हमलावर की गोली उनके कंधों को छूकर निकल गई। हमलावर ने पकड़े जाने के डर से खुद अपनी जान ले ली।"
यह न्यूज़ देख कर अभियान कहता है- "अगर मिस्टर मानवेंद्र राजवंश की बहू पर हमला हुआ तो उससे मुझे क्या फर्क पड़ता है? मुझे रुचिका चाहिए।"
उसकी बात सुनकर असिस्टेंट मन में सोचता है- "ये कभी पूरी बात सुनते क्यों नहीं हैं? अरे न्यूज़ पूरी तो होने देते।" यह सोच कर वह कहता है- "बॉस, आप पहले पूरा..." उसके आगे वह कुछ और नहीं बोल पाता क्योंकि न्यूज़ में रुचिका की फोटो दिखाई जा रही है जिस पर अभियान का पूरा ध्यान जा चुका था। वह यह देख कर अपनी केबिन में रखे सारी चीज़ों को तोड़ने फोड़ने लगा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि रुचिका की शादी कैसे हो गई।
वह कहता है- "उस रीतू सिसोदिया ने इतनी बड़ी चाल चली। मुझे धोखे में रख कर उसने पावर के लिए उसकी शादी उस राजवंश के यहां करा दी। अगर यह करके वह यह सोचती है कि वो लोग बच जाएगे तो वह लोग बहुत ही गलत सोचते है। कल ही सिसोदिया ग्रुप के जितने भी शेयर खरीद सकते हो, खरीद लो। उन्हें उनकी औकात दिखानी जरुरी है। उन्हें अगर सड़क पर नहीं ले आया तो मेरा नाम भी अभियान मेहरा नहीं है।"
वही दूसरी तरफ रीतू और रविराज यह न्यूज़ देख कर शाॅक रह गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि रुचिका वहा कैसे पहुंच गई।
रविराज- "रीतू, यह तो बहुत आश्चर्य की बात हो गई है। रुचिका को छूना अब हमारे बस की बात नहीं है। वह कुंवर मानवेंद्र राजवंश की बहू बन गई है। उसे छूने का मतलब खुद को बर्बाद करना है। उसकी किस्मत इतनी अच्छी क्यों है? हम उसे बर्बाद करना चाहते थे, पर वह मानवेंद्र राजवंश की बहू बन गई। अब उसके पास पावर और पैसा दोनो आ गया है।"
रीतू- "रुचिका तो ऐसे ही इमोशनल फूल है। अब हम उसे नुकसान नहीं पहुचा सकते तो क्या हुआ, हम उससे फायदा भी तो ले सकते है। बस उसे यह यकीन दिलाना होगा कि हम सुधर गए है और हमे अपनी गलती का एहसास है।"
रविराज- "तुम्हे सच में ऐसा लगता है कि रुचिका हमारी बातों में आएगी। वह इतनी बेवकूफ भी नहीं है। वह तुरंत ही हमे मना कर देगी।"
रीतू- "वह वीर भाई की बेटी है। उसके अंदर भी भलाई का कीडा है। बस उसके आगे अपने आप को दीन हीन साबित करना होगा।"
वही दूसरी ओर ऋत्विज और रिहान रुचिका को स्पंज बाथ दिला रहे थे। शर्म के कारण उसकी नजरे नीचे थी। उसके बदन पर कपडा नही था और वो दोनो अच्छे से उसे साफ कर रहे थे।
उसी समय डोर नॉक होता है। यह आवाज सुन कर रिहान जाकर गेट खोलता है तो गेट पर उसकी माम रुहानिका थी।
रिहान- "माम, आप यहा क्या कर रही है? हमसे कोई काम था तो बुला लिया होता, खुद को परेशान करने की जरूरत नही थी। हम आ ही रहे थे।"
रुहानिका उसकी बात को इग्नोर कर अंदर आ जाती है और कहती है- "ये कपडे है जिसे पहनने में बहू को परेशानी नहीं होगी। बहू तैयार होकर नीचे आ जाओ, पडोस की औरते आई है जो तुमसे मिलना चाहती है, इसलिए तुम कुछ देर के लिए नीचे आ जाना। यह जरुरी है, यह सब अगर नहीं करुंगी तो समाज में बदनामी होगी।"
रुचिका- "माम, मै तुरंत आ रही हू। बस तैयार होकर आती हू। अब मै ठीक हू।"
रुहानिका उसकी बात सुनकर वहा से चली गई और उसके जाते ही रिहान और ऋत्विज उसके पास आए और कहा- "तुम नीचे क्यो जाना चाहती हो? वहा भीड होगी। हमे डर है कि हमारे दुश्मन कही फिर से तुम्हे नुकसान ना पहुंचा दे। इसलिए हम तुम्हे बाहर निकलने नही देना चाहते है।"
रुचिका- "मै अपना ख्याल रखूगी। माम की बात मानना हमारा कर्तव्य है। इसलिए हमे जाने दिजीए।"
अगले भाग में जारी .....
रुचिका क्या फिर से किसी मुसीबत में पडेगी ....
अभियान के वार का क्या असर होगा...
जानने के लिए पढते रहे ......
अब आगे :-
अभियान एक सर्जरी करने के बाद अपने केबिन मे आकर बैठ गया । उसके दिमाग मे बस रुचिका ही घूम रही थी । वह किसी भी तरह उसका पता लगा कर उसे पाना चाहता था ।
इस समय वह अपने केबिन मे बैठा , अपने सामने टेबल पर रखे पेपर वेट को घुमा रहा था । उसके दिमाग मे अभी भी वह समय चल रहा था जब उसने रुचिका का हाथ पकडा था और रुचिका ने हाथ नही छोडने पर एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर मारते हुए कहा था -" मुझसे दूर रहना , नही तो बर्बाद कर दूंगी । मुझे कमजोर समझने की कोशिश मत करना , वरना तुझे बदनाम कर दूंगी । मेरे लिए मेरा सेल्फ रिस्पेक्ट बहुत बडी चीज है । मै बिकाऊ नही हू । "
उसी समय उसके केबिन का डोर नाॅक होता है और वह वर्तमान मे लौट आता है । वह कहता है -" कौन है ? अंदर आ जाओ ।"
उसके ऐसा बोलने से उसका असिस्टेंट अंडर आता है और कहता है -" बाॅस, आपने न्यूज सुनी ।"
असिस्टेंट के बात सुनकर अभियान गुस्से से पेपर वेट उठाकर उसकी ओर फेंक देता है । असिस्टेंट दूसरी तरफ हट कर अपने को बचाता है ।
अभियान-" तुम सब लोग बेकार हो गए हो , तुम्हे एक लडकी का पता नही लग रहा है । मै तब तक चैन की सांस नही ले सकता जब तक वह मुझे नही मिल जाती , तुम यहा खडा होकर यह पूछ रहे हो कि मैने न्यूज देखी या नही ।"
उसकी बात सुनकर उसका असिस्टेंट कहता है -" मै ने बिना कारण आपसे यह नही पूछा है । आप एक बार न्यूज तो देखिए । इसमे उस लडकी जैसी लडकी नजर आ रही है । अगर वह वही लडकी है तो फिर हमारा काम आसान हो जाएगा । "
अपने असिस्टेंट की बात सुनकर वह टीवी ऑन करता है । टी वी पर न्यूज आ रही थी - " मशहूर कारोबारी और राज्य के उद्योग मंत्री मानवेंद्र राजवंश की बहू पर कल रात किसी ने जानलेवा हमला किया । हमलावर की गोली उनके कंधो को छूकर निकल गई । हमलावर ने पकडे जाने के डर से खुद अपनी जान ले ली । "
यह न्यूज देख कर अभियान कहता है -" अगर मि मानवेंद्र राजवंश की बहू पर हमला हुआ तो उससे मुझे क्या फर्क पडता है ।मुझे रुचिका चाहिए ।"
उसकी बात सुनकर असिस्टेंट मन मे सोचता है -" ये कभी पूरी बात सुनते क्यो नही है । अरे न्यूज पूरी तो होने देते ।" यह सोच कर वह कहता है -" बाॅस, आप पहले पूरा. ..... उसके आगे वह कुछ और नही बोल पाता क्योकि न्यूज मे रुचिका की फोटो दिखाई जा रही है जिस पर अभियान का पूरा ध्यान जा चुका था । वह यह देख कर अपनी केबिन मे रखे सारी चीजो को तोडने फोड़ने लगा था । उसे समझ नही आ रहा था कि रुचिका की शादी कैसे हो गई ।
वह कहता है -" उस रीतू सिसोदिया ने इतनी बडी चाल चली । मुझे धोखे मे रख कर उसने पावर के लिए उसकी शादी उस राजवंश के यहा करा दी । अगर यह करके वह यह सोचती है कि वो लोग बच जाएगे तो वह लोग बहुत ही गलत सोचते है । कल ही सिसोदिया ग्रुप के जितने भी शेयर खरीद सकते हो , खरीद लो । उन्हे उनकी औकात दिखानी जरुरी है । उन्हे अगर सडक पर नही ले आया तो मेरा नाम भी अभियान मेहरा नही है ।"
वही दूसरी तरफ रीतू और रविराज यह न्यूज देख कर शाॅक रह गए । उन्हे समझ नही आ रहा था कि रुचिका वहा कैसे पहुंच गई ।
रविराज-" रीतू , यह तो बहुत आश्चर्य की बात हो गई है । रुचिका को छूना अब हमारे बस की बात नही है । वह कुंवर मानवेंद्र राजवंश की बहू बन गई है । उसे छूने का मतलब खुद को बर्बाद करना है । उसकी किस्मत इतनी अच्छी क्यो है ? हम उसे बर्बाद करना चाहते थे , पर वह मानवेंद्र राजवंश की बहू बन गई । अब उसके पास पावर और पैसा दोनो आ गया है । "
रीतू -" रुचिका तो ऐसे ही इमोशनल फूल है । अब हम उसे नुकसान नही पहुचा सकते तो क्या हुआ , हम उससे फायदा भी तो ले सकते है । बस उसे यह यकीन दिलाना होगा कि हम सुधर गए है और हमे अपनी गलती का एहसास है ।"
रविराज -" तुम्हे सच मे ऐसा लगता है कि रुचिका हमारी बातो मे आएगी । वह इतनी बेवकूफ भी नही है । वह तुरंत ही हमे मना कर देगी ।"
रीतू -" वह वीर भाई की बेटी है । उसके अंदर भी भलाई का कीडा है । बस उसके आगे अपने आप को दीन हीन साबित करना होगा ।"
वही दूसरी ओर ऋत्विज और रिहान रुचिका को स्पंज बाथ दिला रहे थे । शर्म के कारण उसकी नजरे नीचे थी ।उसके बदन पर कपडा नही था और वो दोनो अच्छे से उसे साफ कर रहे थे ।
उसी समय डोर नाॅक होता है । यह आवाज सुन कर रिहान जाकर गेट खोलता है तो गेट पर उसकी माम रुहानिका थी ।
रिहान -" माम , आप यहा क्या कर रही है ? हमसे कोई काम था तो बुला लिया होता , खुद को परेशान करने की जरूरत नही थी । हम आ ही रहे थे ।"
रुहानिका उसकी बात को इग्नोर कर अंदर आ जाती है और कहती है -" ये कपडे है जिसे पहनने मे बहू को परेशानी नही होगी । बहू तैयार होकर नीचे आ जाओ, पडोस की औरते आई है जो तुमसे मिलना चाहती है , इसलिए तुम कुछ देर के लिए नीचे आ जाना । यह जरुरी है , यह सब अगर नही करुंगी तो समाज मे बदनामी होगी । "
रुचिका -" माम, मै तुरंत आ रही हू । बस तैयार होकर आती हू। अब मै ठीक हू ।"
रुहानिका उसकी बात सुनकर वहा से चली गई और उसके जाते ही रिहान और ऋत्विज उसके पास आए और कहा - " तुम नीचे क्यो जाना चाहती हो । वहा भीड होगी । हमे डर है कि हमारे दुश्मन कही फिर से तुम्हे नुकसान ना पहुंचा दे । इसलिए हम तुम्हे बाहर निकलने नही देना चाहते है ।"
रुचिका - " मै अपना ख्याल रखूगी । माम की बात मानना हमारा कर्तव्य है । इसलिए हमे जाने दिजीए ।"
अगले भाग मे जारी .....
रुचिका क्या फिर से किसी मुसीबत मे पडेगी ....
अभियान के वार का क्या असर होगा...
जानने के लिए पढते रहे ......
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रुचिका अब नीचे जाने लगती है तो ऋत्विज उसके घूंघट को उठाकर उसकी आँखों पर किस कर कहता है- "तुम्हारा घूंघट उठाने का हक तो सबसे पहले हम दोनों का ही है। तुम सच में बहुत खूबसूरत हो मिसेज राजवंश।"
रिहान भी उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लेता है और उसके गालों पर किस कर कहता है- "तुम यार कयामत नहीं, पर कयामत से कम भी नहीं। देखकर तुझे दिल धड़कना भूल जाता है। प्यार तुम पर बेशुमार आता है। सजदे में तेरे सर को झुका लूँ, तू अगर हां कहे तो, सारा जहाँ तेरे कदमों में झुका दूँ।"
उसकी बात सुन रुचिका कहती है- "राणा जी, खुशियाँ कभी देखी ना थी, कभी इसकी चाहत ना की। आपसे मिलकर यह जाना, मुझे प्यार करने वाला भी है कोई दिवाना। मेरे कदमों में खुशियाँ डाल दी। राणा जी, मैं भी आप दोनों को प्यार करने लगी हूँ।"
फिर उन दोनों ने उसका घूंघट फिर से डाल दिया और उसे लेकर हॉल में आ गए, जहाँ बहुत सारी औरतें मौजूद थीं।
रुचिका आकर रुहानिका के पास खड़ी हो गई। वह उसे लेकर एक जगह पर बिठा देती है और कहती है- "यह रुचिका ऋत्विज रिहान राजवंश है। लोग एक लड़के से शादी करते हैं, इसने मेरे दोनों बेटों से शादी की है और वह उन दोनों के साथ रहती है। तुम सब को यह देखना ही चाहिए कि यह कैसी है।"
अपनी माम की बकवास सुन कर ऋत्विज बोल पड़ा- "वह इतनी अच्छी है कि उसने हमारे द्वारा थोपे गए इस रिश्ते की इज्जत रखी है। यह अब हमारी वाइफ है तो उसे कुछ भी बोलने से पहले यह याद कर लेना कि उसे कुछ भी बोलना, हमें बोलना होगा। हम अपने विरोधियों को इतना हक नहीं देते कि वह हमारे खिलाफ जाए।" यह बोलते समय उसकी आवाज में अजीब किस्म की ठंडक और सनक महसूस की जा रही थी, जो वहाँ मौजूद सारे लोगों के दिल में डर पैदा करने के लिए काफी था। उसकी आवाज सुन कर बहुत से लोग जो रुचिका के बारे में ऊटपटांग बोल रहे थे, उनके बदन में सिहरन पैदा हो गई थी।
तभी रिहान रुचिका का हाथ पकड़ कर अपने साथ लेकर बाहर निकलने लगा। यह देख कर रुहानिका कहती है- "रिहान, यह क्या बदतमीजी है? तुम बहू को लेकर कहाँ जा रहे हो? आज उसकी मुंह दिखाई का प्रोग्राम रखा है मैंने।"
रुहानिका की बात सुनकर रिहान की मुट्ठियां बंध गई।
वह बड़ी-बड़ी साँसे लेकर कहता है- "आप यहां मेरी वाइफ की मुंह दिखाई नहीं कर रही, आप उसकी बेइज्जती कर रही हैं। यह रिहान राजवंश भी मानवेंद्र राजवंश का खून है, मैंने अपने डैड से यही सीखा है कि बीवी शौहर का गुरुर होती है, अगर उसकी इज्जत कम हुई तो हसबैंड की इज्जत अपने आप कम जाएगी। मैं ऐसा होने नहीं दे सकता। माम, आपने यह सही नहीं किया। अब मैं, मेरी बीवी और भाई यहाँ नहीं रहेंगे। हम यहां से जा रहे हैं।"
यह सुनकर रुहानिका चौंक गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो गया। वह तो बस लोगों के बीच रुचिका का मजाक बनाना चाहती थी। उसे नहीं लगा था कि रिहान और ऋत्विज इस तरह रिएक्ट करेंगे। उसे यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी। वह गुस्से से कहती है- "रिहान और ऋत्विज, आप इस कल की आई लड़की के लिए, अपनी माँ यानी मुझे छोड़ कर चले जाएंगे? आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। सुना आप दोनों ने, मैं आपकी माँ आपको ऐसा करने की इजाजत नहीं दूंगी। अब क्या आप मेरी बात के खिलाफ भी जाएंगे?"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज बोल पड़ा- "माम, ऐसा करने के लिए मजबूर भी आपने ही किया है। वह अब हम दोनों की बीवी है तो आप ने उसकी इंसल्ट क्यों करानी चाही, आपको क्या लगा कि आपके बेटे इतने नालायक है कि अपनी पत्नी को यूँ बेइज्जत होने देंगे।
हमने इसकी जिम्मेदारी ली है। मैं अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ता हूँ। रिहान, तुम बीवी को लेकर आओ, मैं गाड़ी निकालने के लिए कहता हूँ।"
रिहान रुचिका का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ने लगा, तभी कौशल्या उन तीनों के सामने आकर खड़ी हो गई। अपनी दादी को देख कर वो दोनों रुक गए।
कौशल्या- "रिहान और ऋत्विज, तुम दोनों यह घर छोड़ कर नहीं जाओगे। मैं इस घर में यह होने नहीं दूंगी।"
रिहान - "दादी, मैं आपसे बहुत अधिक प्यार करता हूँ और आपकी किसी भी बात टालना नहीं चाहता हूँ। इसलिए ऐसी कोई बात मत बोलिए जो हम पूरा ना कर पाएं।"
रिहान की बात पर कौशल्या बोल पड़ी- "रिहान, तुम्हारी माम ने गलती की है। वह यह बात भूल गई कि रुचिका अब राजवंश परिवार की बहू है, उसकी बेइज्जती हमारी बेइज्जती है। इसलिए तुम्हारी माम की तरफ से मैं तुम दोनों से माफी चाहती हूँ। क्या तुम मुझे माफ करोगे?"
अपनी दादी की बात सुनकर ऋत्विज बोल पड़ा- "बीवी, अंदर चलो। मैं दादी को इग्नोर नहीं कर सकता। पर दादी, अगर यह दोबारा हुआ तो मैं ऋत्विज राजवंश फिर एक मिनट के लिए भी इस घर में नहीं रहूँगा।
दादी, आई लव यू। मैं आपकी बेहद इज्जत करता हूँ। माम, प्लीज मैं जानता हूँ कि आप नाराज है, पर आपको यह नहीं करना था।"
कुछ देर बाद रिहान और ऋत्विज रूम में रुचिका के साथ थे। उन दोनों ने ही रुचिका के गोद में अपना सिर रखा था और रुचिका उन दोनों के बालों में हाथ फेर रही थी। वो दोनों ही एकदम शांत होकर थे।
रुचिका- "राणा जी, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप दोनों अपनी फैमिली के बिना नहीं रह सकते हैं।"
रिहान - "बीवी, मैं डैड को बहुत पसंद नहीं करता। पर मुझे उनकी एक बात बहुत अधिक पसंद है, वह बात यह है कि वह माम का पूरा सम्मान करते है। तुम अब बीवी हो मेरी, कुछ ही दिनों में मेरे बच्चों की माँ बनने वाली हो, उनकी परवरिश करोगी, तुम्हारी बेइज्जती कैसे होने दे सकता था। बीवी, मुझे ना कम से कम दो बच्चे चाहिए। एक लड़का जो बिल्कुल मेरी तरह डेविल हो, ओ साॅरी तेरी लैंग्वेज में मान्सटर हो। दूसरी बेटी जो कि एंजल हो। बीवी, अब बस मेरा यह डिमांड पूरा कर दो।"
उसकी बात सुनकर रुचिका शर्माने लगी। यह देख कर ऋत्विज बोल पड़ा- "बीवी, रिहू को दो ही चाहिए पर मुझे कम से कम चार चाहिए। तो अपने पति का डिमांड कब से पूरा करने का सोच रही हो?"
रुचिका कुछ ना कह कर चुप चाप अपनी आंखे बंद कर लेती है। वह शर्मा रही थी। उसे ऐसे देख कर वो दोनों ही उसके दोनों गालो पर किस कर लेते है।
वही दूसरी ओर अभियान ने जब से यह जाना था कि रुचिका अब राजवंश परिवार की बहू है तो उसे लग रहा था, जैसे किसी ने उसके जीने की वजह छीन ली हो। वह देवदास की तरह बैठा था। यह देख कर उसकी माम उसके पास आ गई। वह उसका हाथ पकड़ कर कहती है- "मैं जानती हूँ कि तुम परेशान क्यों हो? तुम बदला लेना चाहते हो। धीरे धीरे उन लोगों को बर्बाद करने की कोशिश करो।"
अभियान उसकी बात सुनकर कहता है- "हां, मैं उन्हें भी बर्बाद करूँगा।"
कुछ दिन बाद
आज ऋत्विज की मीटिंग थी। वह आज सुबह जल्दी बिना खाए ही ऑफिस चला गया था। यह देखकर रुचिका को बहुत बुरा लगा। उसने खाना बना दिया था पर वह उसे मना कर उसके माथे पर किस कर चला गया। इसलिए उसका मुंह बना था। वह उदास होकर ब्रेकफास्ट सर्व कर रही थी। रिहान की नजर लगातार ही रुचिका पर ही थी, पर वह सबके सामने कुछ नहीं कहता है। वही रुचिका सबको ब्रेकफास्ट कराकर अपने रूम में आती है तो दो हाथ पीछे से आकर उसकी कमर पकड़ लेते है। यह महसूस कर वह कहती है- "राणा जी, क्या हुआ? आप ऑफिस नहीं गए? कुछ भूल गए थे?"
रिहान उसके कंधे पर अपना चेहरा रख कर कहता है- "मेरी बीवी की स्माइल ढूंढ रहा हूं जो मुझे नहीं मिल रही है। तुम बता सकती हो कि वह मुझे कहा मिलेगी?"
उसकी बात सुनकर रुचिका के चेहरे पर स्माइल आ गई। वह कहती है- "राणा जी, आप भी ना। अपनी ही बीवी से फ़्लर्ट कौन करता है। आपकी ढेरो गर्लफ्रेंड होगी।"
रिहान- "बीवी, मेरी गर्लफ्रेंड कोई हो ना हो, पर बीवी सिर्फ तुम हो। मै तुमसे फ़्लर्ट नहीं कर रहा। मै सच्चाई बता रहा था कि सुबह से मैने अपनी बीवी का मुस्कुराता चेहरा नहीं देखा, इसलिए पूछा था। अब बताओ कि उदास क्यो हो?"
रुचिका- "राणा जी, आज वो बिना ब्रेकफास्ट किए चले गए, वह भूखे है, इसलिए मुझे बुरा लग रहा है। उन्होने कहा कि उनकी जरुरी मीटिंग है, इसलिए जल्दी जा रहे है।"
उसकी बात सुनकर रिहान कहता है- "बीवी, तुम ब्रेकफास्ट पैक कर लो। मै तुम्हे भाई के ऑफिस ड्राप करके चला जाऊंगा। इसी बहाने तुम भाई का ऑफिस भी देख लोगी। बोलो, तुम्हे मेरा आइडिया कैसा लगा।"
रुचिका पलट कर उसे हग कर लेती है और फिर उसके गालो पर किसकर लेती है। जिसे देख कर वह उसे चिढाते हुए कहता है- "बीवी, भाई से मिलाने का रिवार्ड दे रही हो। मुझे तुम्हारा रिवार्ड अच्छा लगा। वर्ना हर बार तो मुझे ही पहल करनी पड़ती है।" यह कह कर वह हसने लगा।
यह सुन कर वह गुस्से से उसे अपने हाथो से मारने लगी और कहती है- "आप बहुत बुरे है।"
रिहान- "हा हा, बस मै ही बुरा हू। भाई के अलावा कोई अच्छा नहीं लगेगा।"
उसकी बात सुनकर रुचिका कहती है- "मै आप दोनो से प्यार करती हू।" यह कहकर वह अपना जीभ दांतो के बीच मे दबा लेती है। उसे समझ आ गया था कि उसने अभी जो कुछ भी बोला है, उसके बाद उसका ये मॉन्सटर हसबैंड उसका मजाक बनाने मे देर नही करेगा।
वही रिहान को उसकी हरकत बहुत अधिक प्यारी लग रही थी। वह कहता है- "बीवी, तुम इतना क्यूट चेहरा मत बनाया करो, मेरा मन तुम्हे खाने का करता है। अब जल्दी से तैयार होकर आओ। मै कार मे तुम्हारा वेट कर रहा हू। भाई का ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर सब पैक कर लेना। ऐसे भी तुम्हे देखने के बाद भाई कोई और काम करने से रहे। इसलिए मै कहता हू कि अपना खाना भी ले लो। एक्सरसाइज के बाद जरूरत पड़ेगी।"
रुचिका उसकी बातो का मतलब समझ कर शर्माते हुए वहा से चली गई। कुछ देर बाद वो दोनो कार मे बैठे थे। तभी रिहान ऋत्विज को काॅल कर कहता है- "भाई, आप अभी बिजी तो नही है ना?"
ऋत्विज- "नही यार, मै बिल्कुल भी बिजी नही हू। मेरी मीटिंग हो गई है। अभी मै फ्री हू। तुम आ जाओ।"
कुछ देर बाद वो दोनो ऋत्विज के ऑफिस के सामने खडे थे। तभी रिहान को एक इंपोर्टेंट काॅल आ जाता है और वह रुचिका को अंदर जाने का कहकर खुद कार लेकर निकल गया।
रुचिका सीधे ऑफिस के अंदर जाकर ऋत्विज के केबिन के बारे मे पूछती है।
रिसेप्शनिस्ट- "यहा से लेफ्ट साइड मे जो लिफ्ट है, उससे थर्ड फ्लोर पर चली जाना।"
रुचिका उसकी बात मानकर उस ओर चली गई। वह जैसे ही वहा से निकली, एक और लडकी उस रिसेप्शनिस्ट के पास आकर कहती है- "तुम उसे क्या बता रही थी?"
रिसेप्शनिस्ट- "मैने तो बस उसे उसकी औकात दिखाई है। उसकी हिम्मत कैसे हुई कि वह मेरे रिहान से शादी करे, उसकी इस हिम्मत का रिवार्ड तो उसे मिलना ही चाहिए।"
रुचिका अपने उपर आने वाले खतरे से अंजान होकर उस ओर बढ़ जा रही थी। यह देख कर वह रिसेप्शनिस्ट बहुत खुश थी। वही दूसरी लडकी को रुचिका के लिए हमदर्दी हो रही थी।
वही दूसरी ऋत्विज जिसे इस बारे मे कुछ भी पता नही था, वह आराम से अपना काम कर रहा था। वह सोचता है- "रिहू, मुझसे मिलने आने वाला था, पर अभी तक नही आया। कही वह कोई परेशानी मे तो नही है। एक काम करता हू, उसे काॅल कर पूछ लेता हू कि वह कहा है? उसे यहा आने के लिए कह देता हू।"
यह सोच कर वह रिहान को काॅल करता है पर वह किसी के साथ जरुरी मीटिंग मे था। उसने अपना फोन साइलेंट पर रखा था, इसलिए उसे कुछ पता नही चलता है और फोन बज कर बंद हो गया। ऋत्विज ने दो तीन बार काॅल किया, और जब उसने नही उठाया तो उसने छोड दिया। उसी समय उसका असिस्टेंट करण उसके पास आकर उसे कुछ बताता है और वह दोनो ऑफिस से निकल गए। ऋत्विज का मोबाइल वही केबिन मे छूट गया था। करीब तीन घंटे बाद ऋत्विज वापस आया। वह जैसे ही अपने केबिन मे पहुंचता है तो देखता है कि रिहान वहा बैठा है।
ऋत्विज- "हा, रिहू, तुम मुझसे क्या बात करना चाहते थे जो सुबह फोन किया था?"
उसकी बात सुनकर रिहान कहता है कि "बीवी, आपके लिए ब्रेकफास्ट लेकर आई थी, इस लिए आप ऑफिस मे है या नही, यह पता करने के लिए काॅल किया था। बीवी का सरप्राइज कैसा लगा? उसने आपको इस बारे मे बताया नही?"
उसकी बात सुनकर ऋत्विज शाॅक से बोल पड़ा- "छोटे, यह क्या बोल रहे हो? बीवी मेरे पास नही आई।"
यह सुनकर दोनो को ही तेज झटका लग गया।
अगले भाग मे जारी .......
आखिर रुचिका के साथ क्या हुआ....
क्या रिहान और ऋत्विज उसका पता लगा पाएगे .....
जानने के लिए पढते रहे......