आर्य सिंह ओबेरॉय, जिसने अपनी जिंदगी में अपनी गर्लफ्रेंड एली को सबसे ज्यादा चाहा। उसे अपनी आंखों के सामने मरता देखने के बाद आर्य का एक ही मकसद है, एली के कातिल को सजा दिलाना। वही दूसरी तरफ है, शिवनंदिनी अय्यर, जिसके पापा को एली की मौत के लिए सजा मिली।... आर्य सिंह ओबेरॉय, जिसने अपनी जिंदगी में अपनी गर्लफ्रेंड एली को सबसे ज्यादा चाहा। उसे अपनी आंखों के सामने मरता देखने के बाद आर्य का एक ही मकसद है, एली के कातिल को सजा दिलाना। वही दूसरी तरफ है, शिवनंदिनी अय्यर, जिसके पापा को एली की मौत के लिए सजा मिली। शिवि का एक ही मकसद है, अपने पापा को बेगुनाह साबित करना। क्या होगा जब, शिवि और आर्य की राहें टकराएगी और हो जाएगा एक दूसरे से प्यार..! एक दूसरे की शख्शियत से अनजान शिवि और आर्य अपना बदला ओर मकसद भूलकर एक हो जाएंगे या होगी एक नई दास्तान शुरू। जानने के लिए पढ़िए "love in the dark"
Page 1 of 5
सुबह के 8:00 बज रहे थे। मौसम ठंडा होने की वजह से बाहर हल्की बर्फ पड़ रही थी। लंदन की लिवेंट स्ट्रीट पर बने एक अपार्टमेंट के फ्लैट में एक लड़की आईने के सामने खड़ी थी। वो अपने चेहरे को काफी गौर से देख रही थी। उसकी बड़ी काली आंखें और लंबे घुंघराले बाल थे, जिन्हे उसने दो हिस्सो मे बांटकर आगे की तरफ कर रखा था। उसका गोरा चेहरा ठंड से हल्का गुलाबी हो गया था। फिर एक नजर उसने अपने कपड़ों की तरफ देखा, उसने डेनिम पेंट के ऊपर लूज पिंक स्वेटर पहना था। उसे देखते ही उसकी आंखें डबडबा गई। “मुझे आपकी बहुत याद आती है पापा, कभी सोचा नहीं था आप से अलग होकर रहना पड़ेगा। दुनिया की नजर में आप कुछ भी हो लेकिन मेरी नजर में आप मेरे हीरो हो... आपके रहते मुझे कभी कोई परेशानी नहीं आई, तो अब मैं आपको परेशानी में कैसे रहने दे सकती हूं।” बोलते हुए उसने खुद को अपनी ही बाहों में समेट लिया। वो खुद को सहला रही थी, तभी उसके मोबाइल की रिंग बजी। ये किसी का वीडियो कॉल था। उसने कॉल पिक किया, तो सामने एक लड़का मौजूद था। वो उसी का हमउम्र लग रहा था और उसने लॉयर के कपड़े पहने थे। वो कोर्ट रूम के आगे मौजूद था। उसके चेहरे पर हताशा के भाव थे। “सब ठीक तो है ना?” उसने कॉल उठाते ही पूछा। “अभी तक तो सब ठीक है लेकिन आगे का कुछ कह नहीं सकते। आज फिर हियरिंग में तुम्हारे पापा ने सारा इल्जाम अपने सिर लिया है। उनका कहना है उस लड़की को उन्होंने ही मारा है।” उस ने गंभीर होकर कहा। “ऐसा कभी नहीं कर सकते। जरूर वो किसी मजबूरी के चलते ऐसा कह रहे हैं। मैं अपने पापा को अच्छे से जानती हूं और उन्हें बेगुनाह साबित करने के लिए कुछ भी कर सकती हूं।” लड़की ने जवाब दिया। “ज्यादा कुछ नहीं करना बस यहां आकर उनके लिए गवाही देनी है। उन्हें समझाना है कि वो ये ना करें। तुम्हें जल्द से जल्द यहां आना होगा वरना अगले हियरिंग तक में उन्हें सजा पाने से रोक नहीं पाऊंगा।” लड़के ने उसे सारी बात समझा दी। “तुम चिंता मत करो। मैं अच्छे से जानती हूं उन्हें कैसे समझाना है। अगली हियरिंग में वो बेगुनाह प्रूफ होंगे और खुली हवा में सांस भी लेंगे। ये मेरा खुद से वादा है।” उसकी आवाज से उसके मजबूत इरादे साफ थे। वो कुछ भी करके अपने पिता को बेगुनाह साबित करना चाहती थी। उससे बात करने के बाद लड़की ने कॉल कट कर दिया। वो बाथरूम में खड़ी होकर अपने पापा के बारे में सोच रही थी। “मेरे पापा किसी का मर्डर नही कर सकते। उन्होंने मुझे बचपन में मेरे गलती करने पर डांटा तक नही... फिर कैसे मान लूं उन्होंने इतनी बेरहमी से किसी लड़की का खून कर दिया। ये जिसने भी किया है उसको उसकी सजा जरूर मिलेगी... लेकिन मेरे पापा को कभी नहीं।” उसकी आंखों में आंसू थे। वो अपने पापा से बहुत प्यार करती थी और इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी। ____________ एक 26-27 साल का लड़का अपनी ब्लैक लक्सरियस कार में कही जा रहा था। वो लंबे कद का और दिखने में गोरा था। उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और आंखे हल्की ग्रे कलर की थी। वो दिखने में काफी हैंडसम था। वो काफी रैश ड्राइविंग कर रहा था और चेहरे पर उदासी थी। आगे जाते हुए रास्ते में उसे फूल वाला दिखाई दिया। “व्हाइट लिलीज... तुम्हे ये बहुत पसंद है... ये मैं कैसे भूल सकता हूं। इस बार तो मेरे पास भूलने का भी ऑप्शन नहीं है।” वो खुद में बुदबुदाया। उसने गाड़ी से बाहर झांका और चिल्लाकर कहा, “वन व्हाइट लिलीज बुके प्लीज।” एक औरत मुस्कराते हुए उसके पास और उसे बुके थमा दिया। उससे व्हाइट लिली का बुके लेकर उसने उसे पैसे दिए और उसे लेकर आगे चल दिया। कुछ ही देर में वो एक बड़े से हॉल के आगे था। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट और आंखों में नमी दोनो एक साथ थे। उसने बुके हाथ में लिया और उस जगह में दाखिल हुआ। दरवाजे के दूसरी तरफ एक कब्रिस्तान बना था। “आई लव यू एली...” बुदबुदाते हुए उसने वो बुके एक कब्र पर रख दिया, जिस पर एली हेरिंगटन लिखा था। इसी के साथ उस की आंखों से आंसू लुढ़क पड़े। कब्र के ऊपर एली की डेथ डेट 20 feb 2021 लिखा हुआ था। उसे देखते ही लड़के के चेहरे पर गुस्सा तैर गया। उसकी आंखों के सामने एक दृश्य तैरने लगा, जब एली और वो रोड पर हाथो में हाथ डाले चल रहे थे। उस रात अचानक उन पर हमला हुआ और किसी ने उन दोनो पर हमला कर दिया। उसने एली के सिर पर बोतल से जोरदार वार किया और उसकी जान लेने के लिए दो से तीन गोलियां चलाई। उसे बचाने के लिए एली घायल होने के बावजूद बीच में आ गई और अपनी जान से हाथ गवा बैठी। वो दिन उसकी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था। “तुम मेरा सब कुछ थी और उन्होंने मुझसे तुम्हें छीन लिया। हम दोनो का इन सबसे कोई लेना देना नही था.. फिर भी ये हुआ। मेरी जिंदगी का अब एक ही मकसद है... जिस इंसान ने मुझे तुमसे अलग किया है उसकी बर्बादी... उस से जुड़े हर शख्स की बरबादी... और आर्य सिंह ओबेरॉय एक बार जो डिसाइड कर लेता है, उस से पीछे नहीं हटता।” वो आर्य सिंह ओबेरॉय था। लंदन का जाना माना बिजनेसमैन। ★★★★ मुझे पढ़ने वाले सभी रीडर्स को हैलो, ये कहानी का एक छोटा सा हिस्सा है। यकीन मानिए आगे की कहानी बहुत इंटरेस्टिंग होने वाली है। आपको अगर स्टोरी पसंद आ रही है, तो प्लीज इस पर लाइक और कमेंट जरूर करिएगा। कहानी के आगे के अपडेट्स मिलते रहे उसके लिए मुझे फॉलो भी कीजिएगा। आई होप कहानी के भागों पर आपका पूरा सपोर्ट और प्यार मिलेगा। चलिए मिलते है अगले भाग पर.. एंजॉय रीडिंग एंड कीप सपोर्टिंग। मैं अपनी दूसरी स्टोरी प्रोमो यहां पब्लिश कर रही हूं, प्लीज उसे भी पढ़कर ट्राई करें। युग राणा, जो एक कोल्ड हार्टेड माफिया है, उसका एक ही जुनून है, माफिया किंग बनना। जिसके लिए उसे माफिया वर्ल्ड से जुड़े उन सात असेट्स को हासिल करना होगा, जो उसे माफिया किंग बना सकते है,और साथ उन सात पड़ावों की चाबी है माफिया प्रिंसेस, जिसके साथ होने पर ही युग उन सात पड़ावों को पार कर सकता है। युग ने माफिया प्रिंसेस सारा सिंघानिया को किडनैप किया, ताकि उससे शादी कर वो जल्द से जल्द माफिया किंग बन सके। लेकिन गलती से सारा के साथ उसकी इनोसेंट फ्रेंड कृशा भी उनके साथ आ गई। कृशा की मासूमियत ने युग के कोल्ड हार्ट पर असर किया और उसे उससे प्यार हो गया। क्या युग अपने सपने को भूलकर कृशा से शादी करेगा या अपनी हर कमजोरी को खत्म करने वाला युग राणा कृशा को भी जान से मार देगा? जानने के लिए पढ़िए एक कोल्ड हार्टेड माफिया की जुनून भरी कहानी, "under the mafia moon"
शाम के करीब 6 बज रहे थे। लंदन की बिजी लाइफ स्टाइल से दूर कंट्री साइड एरिया में "इंडियाना रेस्टोरेंट" नाम की जगह थी। वो एक भारतीय रेस्टोरेंट था, जिसमें कुछ गिने चुने भारतीय लोग मौजूद थे। अचानक तेजी गति से चलते हुए एक बड़ी सी लक्जिरियस गाड़ी आकर रेस्टोरेंट के पार्किंग एरिया में आकर रूकी। “इस रेस्टोरेंट का नाम इंडियाना नही सुकून होना चाहिए था।” कहते हुए एक लगभग 26–27 साल के लड़के ने गाड़ी के अंदर से रेस्टोरेंट की तरफ झांका। वो चेहरे से परेशान लग रहा था। उसने अपनी आंखो से गॉगल्स हटाए, तो उसकी हेजल ग्रे आईज में गुस्सा था। उसने ब्लैक कलर का महंगा सूट पहन रखा था। अंदर जाने से पहले उसने अपना कोट गाड़ी में निकाला और टाई को लूज किया। साथ ही अपनी व्हाइट शर्ट की स्लीव्स को फोल्ड किया। उस लुक में वो काफी हैंडसम दिख रहा था। अंदर जाते वक्त वो एक बड़ा बिजनेसमैन लगने के बजाय एक नॉर्मल सी जॉब करने वाला सामान्य आदमी लग रहा था। उसने अपने कदम अंदर की तरफ बढ़ाए ही थे कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। “ये लोग मुझे कुछ देर के लिए अकेला क्यों नही छोड़ देते...” वो इरिटेट होकर बोला। एक बार कॉल इग्नोर करने के बाद दोबारा घंटी बजी। इस बार उसने कॉल इग्नोर करने के बजाय उठाया और सामने वाले की आवाज सुने बिना ही हल्के गुस्से में कहा, “अगर तुमने मुझे उस सिलि मीटिंग के बारे में बात करने के लिए कॉल किया है, तो एम सॉरी जेनी, एम नॉट इंटरेस्टेड...” कॉल पर उसकी असिटेंट जेनी थी। उसने अपने ब्लॉन्ड हेयर में हाथ घुमाया और बिल्कुल धीमी आवाज में बोली, “बट आर्य सर... आपके डैड... वो मिस्टर ओबेरॉय...” जेनी की बात पूरी भी नही हुई थी कि आर्य चिल्लाकर बोला, “तुम लोगों को समझ नहीं आता क्या, मुझे कुछ देर अकेले रहना है। अगर मुझे उनकी डील में इंटरेस्ट होता तो मैं इतनी इंपॉर्टेंट मीटिंग छोड़कर यहां इतनी दूर कभी नहीं आता..... तो प्लीज लीव मी अलोन फॉर समटाइम...” अपनी बात पूरी करने के बाद आर्य ने उसके जवाब का भी इंतजार नहीं किया और कॉल कट कर दिया। आर्य का मूड बुरी तरह उखड़ गया। उसे सही करने के लिए वो रेस्टोरेंट के अंदर गया। हालांकि ये जगह कुछ खास नहीं थी और उसके स्टैंडर्ड के हिसाब से काफी लो थी, लेकिन जब भी उसे अकेले में टाइम स्पेंड करना होता था, तब वो यही चला आता था। उसके वहां आने की सबसे बड़ी वजह यही थी, उस रेस्टोरेंट में गिने चुने कुछ ही लोग मौजूद होते थे। आज भी आर्य को मीटिंग में उसके मन मुताबिक काम नहीं होने की वजह से गुस्सा आ गया और वो अपना सारा काम छोड़कर इंडियाना रेस्टोरेंट में चला आया। जैसे ही वो अंदर प्रवेश हुआ उसने इधर उधर नजर दौड़ाई। वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। रेस्टोरेंट का मालिक जो लगभग अधेड़ उम्र का था, वो उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया। वो एक पंजाबी आदमी था, जिसके गहरी दाढ़ी मूछ और सिर पर पगड़ी थी। “लगता है नवाबजादे का मूड आज फिर बिगड़ा हुआ है।” आर्य को वहां देख कर उसके पास वहां काम कर रही एक लड़की बोली, “ये तो आर्य सिंह ओबेरॉय है। पूरे इंग्लैंड में अगर कहीं इंडियन ड्रेसेज का कलेक्शन मिलता है, तो वो इन्हीं के यहां डिजाइन होता है। ये इस जगह पर क्या कर रहे हैं।” उसे वहां देख कर उस लड़की को काफी हैरानी हुई। वो काफी खुश हुई। उसने जल्दी से अपने बालों और कपड़ो को सही किया। “तुम यहां नई आई हो इसलिए तुम्हें नहीं पता। ये यहां अक्सर आते रहते हैं।” रेस्टोरेंट के मालिक ने जवाब दिया। “तो क्या इन्हें यहां का खाना इतना पसंद है? ये भी इंडियन है, तभी शायद यहां का इंडियन खाना इन्हें इतनी दूर खींची लाता होगा।” लड़की की बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक हल्का सा हंसा और फिर उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “इसे यहां का खाना बिल्कुल पसंद नहीं है, ये बस यहां बैठकर कॉफी पीता है।” “जो भी हो लेकिन इसी बहाने इस हैंडसम हंक को देखने का मौका मिल जाएगा।” लड़की खुद में ही बड़बड़ाकर बोली और फिर रेस्टोरेंट के मालिक से कहा, “मैं उन का ऑर्डर लेकर आती हूं।” “अरे रुको....” रेस्टोरेंट के मालिक ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन वो लड़की उसकी बात को अनसुना करके वहां से चली गई। उसके जाने के बाद उसने धीरे से कहा, “अब इसे क्या बताऊं कि ये मूड खराब होने पर ही यहां आता है और खराब मूड में इसे किसी से बात करना पसंद नहीं...” वो लड़की काफी एक्साइटेड होकर आर्य के पास गई। “योर ऑर्डर सर?” उसने मुस्कुरा कर पूछा। आर्य का चेहरा गुस्से से लाल था। वो इस वक्त किसी से भी बात करने के मूड में नहीं था। वो गुस्से में उसे कुछ कहता उससे पहले रेस्टोरेंट का मालिक तेज कदमों से चलते हुए वहां आया। उसके हाथ में कॉफी मग था। “सर जी आपकी कॉफी.....” उसने जल्दी से कहा और लड़की को कहा, “पिया, वहां काउंटर पर चलो। मुझे तुमसे कुछ काम है।” बीच में रेस्टोरेंट के मालिक के आने की वजह से वो लड़की पिया आर्य से ठीक से बात नहीं कर पाई। मजबूरन उसे वहां से जाना पड़ा। इस बात की खीज उसके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही थी। वही आर्य कोने में एक टेबल पर बैठा अपनी कॉफी पी रहा था। इन सबके बीच रेस्टोरेंट में एक लड़की की एंट्री हुई। उसने ब्लू कलर की जींस पर पिंक कलर का लूज स्वेटर डाल रखा था। उसके लंबे घुंघराले बाल दो हिस्सो मे बंटकर आगे की तरफ थे। अंदर आते वक्त उसकी बड़ी सी काली आंखों में खुशी और चेहरे पर एक अलग ही एक्साइटमेंट थी। वो किसी से बात करते हुए अंदर आ रही थी। उसने कॉल पर कहा, “ईशान..... जिया, तुम दोनों ने मुझे जिस रेस्टोरेंट के बारे में बताया था, वो मुझे मिल गया। तुम दोनों ने टेबल तो बुक करवा दी थी ना?” “हां हां सब हो गया, बस मैं 5 मिनट में पहुंचने वाला हूं।” ईशान ने जवाब दिया। वो एक घुंघराले बालों वाला गोरा लड़का था। फिर उसने जिया से पूछा, “जिया, तुम्हारी क्या अपडेट है?” “मैं भी रेस्टोरेंट से 10 मिनट की दूरी पर हूं। आज तो जमकर पार्टी करेंगे।” जिया ने गाड़ी ड्राइव करते हुए जवाब दिया। “वैसे यहां उतनी ही शांति है, जितनी किसी लाइब्रेरी में होती है। पर ये शांति ज्यादा देर तक रहने वाली नहीं है क्योंकि हम जो आ गए। अच्छा अब जल्दी पहुंचो, मैं तब तक अपनी टेबल ढूंढती हूं।” अंदर आ रही लड़की ने जवाब दिया। उसने कॉल कट किया और अंदर की तरफ आ गई। वही अपनी टेबल पर बैठा आर्य खुद से बोला, “पूरे लंदन में सिर्फ यही एक जगह है, जहां अगर थोड़ी ही सही लेकिन शांति मिलती है। बाकी जगह इतनी भीड़ और शोरगुल होता है कि 1 मिनट भी बिताना मुश्किल रहता है..... और यहां, यहां कभी भी आ जाओ, हमेशा इतनी ही शांति और सुकून रहता है।” बोलते वक्त आर्य के चेहरे पर सुकून के भाव थे। आर्य गुस्से में यहां आया था पर यहां आने के बाद उसका मूड थोड़ा ही सही लेकिन ठीक होने लगा था। “टेबल नंबर...” खुद से बात करते हुए लड़की ने अपनी नजर इधर-उधर दौड़ाई, तभी उसके नजर आर्य की टेबल पर पड़ी। “कोने वाली बड़ी सी टेबल बुक करवाई थी... लेकिन हमारी जगह पर वो नमूना कौन बैठा है?” आर्य को वहां देखकर लड़की के चेहरे के भाव बिगड़ गए। वो तेज कदमों से चलती हुई आर्य की टेबल की तरफ गई। ★★★★ हेलो डियर रीडर्स..! तो आपको क्या लगता है हमारे आर्य की ये शांति और सुकून कितनी देर तक मेंटेन रहती है... पढ़ते रहिए और बने रहिए।
लंदन के कंट्री साइड की तरफ बने 'इंडियाना रेस्टोरेंट' में आर्य सिंह ओबरॉय कुछ पल अकेले बिताने के लिए आया हुआ था। वो वहां इसलिए आया था ताकि अपना मूड सही कर सके। वहां ज्यादा लोग मौजूद नहीं होने की वजह से बिल्कुल शांति छाई थी। आर्य वहां बैठकर कॉफी पीते हुए मैगजीन पढ़ रहा था। तभी एक लड़की पार्टी करने के लिए वहां आई। आर्य को अपनी बुक की हुई टेबल पर देखने के बाद उसे गुस्सा आ गया और वो बात करने के लिए उसके पास गई। “एक्सयूज मी मिस्टर...” उसके बुलाने पर आर्य ने अपनी नजरें ऊपर उठाकर देखी। आर्य के ऊपर देखते ही लड़की ने फिर कहा, “जल्दी से अपनी कॉफी और मैगजीन उठाकर यहां से उठ जाइए। ये हमारी सीट है।” आर्य ने उसकी बात का जवाब देने के बजाय टेबल पर इधर-उधर देखने लगा। “लेकिन मुझे तो कहीं भी यहां तुम्हारा नाम लिखा हुआ दिखाई नहीं दे रहा?” “मैंने ये टेबल हम दोस्तों के पार्टी करने के लिए बुक करवाई थी... आपको दिख नहीं रहा, ये टेबल कोने पर पड़ी है और इसमें चार से पांच कुर्सियां लगी है।” “तो मैं क्या करूं?” आर्य ने कंधे उचका कर जवाब दिया, “अगर तुम्हें कोने वाली टेबल चाहिए तो कोई भी कोना पकड़ो और एक्स्ट्रा चेयर्स लगाकर बैठ जाओ। माना कि अर्थ गोल है लेकिन ये रेस्टोरेंट्स नहीं... मैं तो यहां से उठने वाला हूं नहीं। इट वुड बी बेटर तुम अपना और मेरा टाइम वेस्ट करने के बजाय कहीं और जाकर बैठ जाओ।” गुस्से में होने की वजह से आर्य उसके साथ काफी बदतमीजी से बात कर रहा था। “देखिए आपका बहुत हो रहा है। अब आप शिवि को गुस्सा दिला रहे हैं।” लड़की ने अपने गुस्से को काबू करके कहा। “कौन शिवि?” आर्य ने भौंहें उठा कर पूछा। “अब तक मुझे लगा था कि तुम्हें सिर्फ बात करने की तमीज नहीं है, अब ऐसा लग रहा है कि तुम्हें ठीक से दिखाई भी नहीं देता। तुम्हें अपने सामने ये 5 फुट 4 इंच की लड़की दिखाई नहीं दे रही। मैं ही शिवि हूं।” लड़की ने अपना परिचय दिया। “देखो, तुम शिवि हो या कवि, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऑलरेडी मैं काफी परेशान हूं। उल्टी-सीधी बातें करके मेरा दिमाग और खराब मत करो।” आर्य ने गुस्से में कहा। “दिमाग तो आप मेरा खराब कर रहे हैं। सच कहते हैं लोग, कंजी आंखों वाले लोग झगड़ालू टाइप के होते हैं और बदतमीज भी...” शिवि ने आर्य की आंखों पर कॉमेंट पास किया। आर्य ने शिवि की बात का जवाब देते हुए कहा, “क्या कहा तुमने? इट्स हेजल ग्रे आइज... जो दुनिया में सिर्फ तीन से चार पर्सेंट लोगों की होती है... मैं दुनिया के उन तीन से चार परसेंट लकी लोगों में हूं, जिसे इतनी सेक्सी आईज मिली है और तुम... तुम मेरी इंसल्ट कर रही हो।” “एक अच्छा सा, बड़ा सा, सजा धजा कर इंग्लिश नाम देने से कुछ बदल नहीं जाएगा। कंजी आंखें तो कंजी ही रहेगी मिस्टर हूएवर यू आर... अब बहस बहुत हो गई। चुपचाप यहां से उठो... मेरी पार्टी तो अब इसी टेबल पर होगी।” शिवि की बातों ने आर्य को और भी गुस्सा दिला दिया। वो ज़बाब में बोला, “मैं भी देखता हूं मेरे होते हुए इस रेस्टोरेंट की शांति तुम कैसे भंग करती हो। तुम्हें यहां से निकलवा नहीं दिया तो मेरा नाम भी आर्य सिंह ओबरॉय नहीं।” “मैं तो यहां से कहीं नहीं जाने वाली, बेहतर होगा तुम अपने लिए एक अच्छा सा नाम रख लो, मिस्टर हूएवर ओबरॉय...” शिवि चिल्लाकर बोली। आर्य और शिवि के बीच गहमागहमी बढ़ गई थी। वो दोनों पहले शांति से बात कर रहे थे लेकिन बहस ज्यादा बढ़ने पर दोनों एक दूसरे पर चिल्लाने लगे। वहां मौजूद 2-4 कपल भी उनके बहस करने की वजह से उस जगह को छोड़ कर चले गए। उनकी बहस शांत करने के लिए रेस्टोरेंट का मालिक उसके साथ काम कर रही लडकी पिया के साथ उनके पास आया। रेस्टोरेंट का मालिक शिवि को समझाते हुए बोला, “देखो बेटा जी... आप किसी और टेबल पर जाकर पार्टी कर लो। सर जब भी यहां आते है, इसी टेबल पर बैठते है। उनके अलावा उस टेबल पर बैठने की इजाजत किसी को नहीं है।” उनकी बात पर सहमति जताते हुए आर्य ने कहा, “थैंक गॉड आप यहां आ गए... वरना ये लड़की मुझे पागल कर देती।” आर्य ने शिवि की तरफ देखकर आगे कहा, “अब तो तुम्हे समझ आ गया होगा। अभी भी कुछ नही बिगड़ा, अपने किए की माफी मांगो... और मामला खत्म करो।” “एक्सक्यूज मी? मैं किस खुशी में माफी मांगू? इन सबमें मेरी क्या गलती है?” शिवि ने गुस्से में जवाब दिया। “अच्छा इतना सब कुछ होने के बावजूद भी तुम्हें अपनी गलती बताने की जरूरत है?” आर्य ने हैरानी से पूछा। “मेरे दोस्तों ने ये टेबल पार्टी करने के लिए बुक करवाई थी। दुनिया इधर की उधर हो जाए लेकिन शिवि और उसके दोस्त इसी टेबल पर पार्टी करेंगे।” शिवि अभी भी अपनी जिद पर अड़ी थी। रेस्टोरेंट्स के मालिक ने उसे शांत कराते हुए कहा, “आप अपना गुस्सा छोड़िए। लगता है आपको कोई गलतफहमी हो गई है। हम कभी टेबल्स बुक करते ही नहीं है। ये इतना बड़ा रेस्टोरेंट नहीं है कि यहां कोई कॉल करके पहले टेबल बुक करवाई जाए।” शिवि या कोई और कुछ बोलता, उससे पहले पिया ने जवाब में कहा, “एम सो सॉरी सर... एक्चुअली कॉल तो आया था और मैंने ही वो टेबल बुक की थी।” “देखा, मैं सच बोल रही थी। अब जब टेबल बुक हो ही गई है, तो इसे यहां से उठने को बोलो।” पिया के जवाब से शिवि के चेहरे पर चमक थी। “मैं पिछले 2 साल से यहां पर आ रहा हूं और इस टेबल पर मेरे अलावा कोई और भी बैठता... तो बेहतर होगा तुम अपनी जिद छोड़ कर किसी और टेबल पर बैठ जाओ। उस टेबल पर तो मैं तुम्हें बैठने नहीं दूंगा।” आर्य ने कहा। “मैं भी देखती हूं कि तुम मुझे इस टेबल पर बैठने से कैसे रोकते हो। अरे तुम्हारे पापा का रेस्टोरेंट है क्या, जो यहां आकर अपनी दादागिरी झाड़ रहे हो। होंगे तुम कोई अमीरजादे टाइप लेकिन ये रेस्टोरेंट तुम्हारा नहीं है। समझे तुम...” शिवि गुस्से में बोली और जाकर उसी टेबल के साइड में लगी कुर्सी पर बैठने लगी। वो उसके ऊपर बैठ पाती उससे पहले आर्य ने पीछे से उसकी चेयर खींच ली, जिससे शिवि नीचे गिर गई। “मैंने कहा ना इस पर बैठने का हक तुम्हें कभी नहीं मिलेगा।” बोलते वक्त उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा गुस्सा और आंखों में हल्की नमी थी। “ये जगह सच में स्पेशल है... और क्यों है, वो मैं तुम्हें समझाना जरूरी नहीं समझता।” “बहुत अच्छी बात है...।” शिवि उठते हुए बोली, “तुम कितनी ही चेयर पीछे खींच लो लेकिन मैं तो इसी टेबल पर पार्टी करूंगी।” शिवि दौड़ कर आर्य की सीट पर बैठ गई। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। “अब क्या हुआ मिस्टर हुएवर ओबरॉय? शिवि ने तो अपनी जगह हासिल कर ली... और तुम कुछ नहीं कर पाए। मैंने कहा था ना, ये रेस्टोरेंट तुम्हारे पापा का नहीं है।” शिवि की बात सुनकर आर्य गुस्से में हल्का सा मुस्कुराया और फिर रेस्टोरेंट के मालिक की तरफ मुड़ कर बोला, “आपको इस रेस्टोरेंट की जितनी भी कीमत चाहिए, वो 1 घंटे में आपके अकाउंट मे ट्रांसफर हो जाएगी। इसी वक्त से ये रेस्टोरेंट मेरा... लीगल फॉर्मेलिटीज आप करते रहना।” उसका ऑफर काफी अच्छा था, इस वजह से रेस्टोरेंट का मालिक भी मना नहीं कर पाया। उसने तुरंत उसे बेचने के लिए हामी भर दी। उसकी इस हरकत से शिवि उसकी तरफ हैरानी से देख रही थी। ये सब काफी जल्दी और अनएक्सपेक्टिंग था। “तुम ऐसा कैसे कर सकते हो?” वो उस पर गुस्से में चिल्ला कर बोली। “जिसे तुम मिस्टर हूएवर ओबरॉय बोल रही हो, वो आर्य सिंह ओबरॉय है। एक बार इंटरनेट पर सर्च कर लेना, पता चल जाएगा... और क्या कहा था तुमने, ये रेस्टोरेंट मेरे पापा का नहीं है। एग्जैक्टली... ये रेस्टोरेंट मेरे पापा का नहीं, अब से मेरा खुद का है।” आर्य काफी घमंड के साथ उसे जवाब दे रहा था। शिवि को उसकी बदतमीजी का जवाब अच्छे से मिल चुका था। आर्य मुस्कुराते हुए रेस्टोरेंट से बाहर जाने लगा। जाते वक्त वो मुड़े चिल्लाकर बोला, “रेस्टोरेंट के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवा दीजिएगा। आप भले ही यहां अपने कुत्ते बिल्ली लेकर आ सकते हैं लेकिन इस लड़की शिवि का यहां आना सख्त मना है।” अपनी बात कह कर आर्य सिंह ओबरॉय मुस्कुराता हुआ वहां से चला गया। शिवि हैरानी से वही खड़ी उसे वहां से जाते हुए देख रही थी। ★★★★ हे रीडर्स... कैसी लगी आपको शिवि और आर्य की पहली मुलाकात? ऐसा क्या खास है उस टेबल में, जो आर्य उस जगह पर किसी को बैठने नहीं देता। आपको कुछ आईडिया है तो आप कमेंट में बता सकते हैं। बाकी जो भी कहानी पढ़ रहा है वो प्लीज कमेंट और रेटिंग जरूर दीजिएगा।
आर्य और शिवि की पहली ही मुलाकात में अच्छी खासी बहस हो गई थी। शिवि की वजह से आर्य का मूड ठीक होने के बजाय और बिगड़ गया। उसे सबक सिखाने के लिए आर्य ने गुस्से में इंडियाना रेस्टोरेंट को खरीद लिया। वहां से निकलने से पहले उसने रेस्टोरेंट के मालिक को शिवि को वहां से निकालने के लिए कहा और फिर वहां से चला गया। शिवि से झगड़ा होने के बाद आर्य का मूड बुरी तरह उखड़ गया। वो अपनी गाड़ी खुद से ड्राइव करते हुए अपने घर जा रहा था। गुस्सा होने की वजह से वो काफी रैश ड्राइविंग कर रहा था। “आज पहली बार इंडियाना रेस्टोरेंट में जाने के बावजूद मेरा मूड सही नहीं हुआ। एक वही जगह थी जहां जाकर मुझे सुकून मिलता था, वहां जाकर मैं तुम्हें महसूस कर सकता था लेकिन उस लड़की की वजह से सब बर्बाद हो गया। अच्छा हुआ जो मैंने वो रेस्टोरेंट खरीद... ओह गोश... मैंने जेनी से तो इस बारे में बात की ही नहीं... उससे बात करके लॉयर को रेस्टोरेंट भेजने को कहता हूं।” रेस्टोरेंट्स खरीदने की बात याद आने पर आर्य ने तुरंत अपनी असिस्टेंट जेनी को कॉल किया। उसने जेनी को रेस्टोरेंट खरीदने की बात बताई और लॉयर के साथ तुरंत वहां जाने को कहा। “ओके सर... मैं अभी मिस्टर ब्रेनर के साथ इंडियाना पहुंचती हूं।” जेनी ने जवाब दिया। वो तुरंत आर्य के बताए काम पर लग गई। कुछ देर बाद आर्य एक बड़े से घर के आगे था। घर दिखने में काफी शानदार था। वो आर्य सिंह ओबेरॉय का था था और उसे देखने के बाद साफ पता चल रहा था कि आर्य कितनी अच्छी और लग्जरियस लाइफ बिताता होगा। गाड़ी पार्क करके वो अंदर आ रहा था, तभी उसके पास जेनी का कॉल आया। जेनी का कॉल देखकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। “तो डील फाइनल हो ही गई...।” आर्य ने खुद से कहा और जेनी का कॉल उठाया। “आर यू श्योर सर आप इंडियाना रेस्टोरेंट की ही बात कर रहे थे? यहां के मालिक ने इसे बेचने से मना कर दिया है।” सामने से जेनी की आवाज आई। उसकी बात सुनकर आर्य चौंक गया। जेनी के बैकग्राउंड में लाउड म्यूजिक बज रहा था और किसी के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। “ये तुम कैसी बातें कर रही हो? आज खुद उसके मालिक ने मुझे उसे बेचने के लिए हां कही है। फिर वो मना कैसे कर सकता है और ये इतना शोर कैसे हो रहा है वहां। वहां इतना नॉइस नही होता.. लगता है तुम गलत जगह पहुंच गई हो।” “सर मैं कंट्रीसाइड की तरफ बने इंडियाना रेस्टोरेंट में ही हूं... और यहां कोई पार्टी चल रही है। रूकिए मैं किसी से पूछ कर बताती हूं...” बात करते हुए जेनी काउंटर के पास गई और वहां चल रही पार्टी के बारे में पूछा। “ये पार्टी शिवि और उसके दोस्तों की सक्सेस पार्टी है।” जेनी के पूछने पर सामने से एक लड़के ने जवाब दिया। शिवि के वहां पार्टी करने की बात सुनकर आर्य ने गुस्से में अपना फोन जोर से सामने की तरफ पटक दिया। “मैं नही जानता ये तुमने कैसे किया... पर ये तुम्हें बहुत महंगा पड़ने वाला है शिवि... डील तो मैं किसी भी हाल में अपने हाथ से जाने नहीं दूंगा... बाकी अब आगे तुम्हारे साथ जो भी होगा, उसकी जिम्मेदार तुम खुद होगी।” आर्य ने गुस्से में खुद से कहा और गाड़ी लेकर इंडियाना रेस्टोरेंट जाने के लिए निकल पड़ा। __________ कुछ देर पहले... शिवि वहां खड़ी खोई हुई नजरों से आर्य को वहां से जाते हुए देख रही थी। गुस्से से उसकी नाक लाल हो गई थी और वो जल्दी-जल्दी सांसे ले रही थी। “बहुत घमंड है ना तुम्हें अपने पैसों पर... तुमने मेरे साथ अच्छा नहीं किया। तुमने आज जो भी यहां किया है, उसके बाद मैं यहीं पर खड़ी होकर खुद से वादा करती हूं कि अगर मैंने तुम्हारी डील कैंसिल नहीं करवा दी तो मेरा नाम भी शिवि नहीं... बाय हुक और बाय क्रुक...” शिवि गुस्से से तमतमा रही थी। उसने रेस्टोरेंट के अंदर अपनी नजर दौड़ाई तो वहां उसके अलावा और कोई कस्टमर मौजूद नहीं था। वहां का मालिक डील होने की खुशी में वहां मौजूद लोगों को पार्टी दे रहा था। अचानक हुई डील की वजह से वहां काम कर रहे लोग काफी खुश नजर आ रहे थे... खासकर पिया। “कैसे लालची लोग हैं, जैसे किसी के ऑफर देने का इंतजार ही कर रहे थे।” शिवि खुद से बड़बड़ाई। इस बीच उसके दोस्त ईशान और जिया वहां पर पहुंचे। उन्हें शिवि की उस लड़ाई के बारे में कुछ पता नहीं था इसलिए वो पार्टी के लिए एक्साइटेड थे। शिवि को वहां देख कर जल्दी से वो दोनों उसकी तरफ बढ़े। “हे...” ईशान ने उसके कंधे पर हल्के से मारते हुए कहा, “तू अब तक यहां खड़ी क्यों है? हमें लगा तुम ने खाना ऑर्डर कर दिया होगा और अब तक तो खाना आ भी गया होगा।” “और यहां इतना सन्नाटा क्यों है? ठीक है, जगह छोटी है लेकिन कम से कम म्यूजिक और थोड़े बहुत कस्टमर तो होने ही चाहिए। मुझे लगा हम अपनी सक्सेस पार्टी यहां मौजूद लोगों के साथ सेलिब्रेट करेंगे। पर यहां तो कोई है ही नहीं...” वहां उनके अलावा किसी और को ना देख कर जिया का चेहरा उतर गया। शिवि ने उनकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया। तभी उनकी नजर शिवि के चेहरे की तरफ पड़ी, जो गुस्से से लाल था। “तुझे क्या हुआ? कहीं तूने यहां भी किसी के साथ झगड़ा...” ईशान ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि शिवि गुस्से में उस पर बिफर पड़ी, “मैं क्या सब से झगड़ा ही करती रहती हूं? दुनिया में ऐसे बहुत से लोग मौजूद है, जो जानबूझकर मुझे झगड़ा करने के लिए मजबूर करते हैं।” “इसका मतलब तेरा यहां भी किसी से झगड़ा हुआ है।” जिया ने पूछा। उन दोनों को देख पिया उनसे बात करने के लिए उनके पास आ रही थी। उसने जिया की बात का जवाब देते हुए कहा, “इस बार आपकी दोस्त का झगड़ा हर किसी से नहीं बल्कि यहां के टॉप बिज़नसमैन मिस्टर आर्य सिंह ओबरॉय के साथ हुआ है।” “क्या?” पिया के मुंह से आर्य का नाम सुनकर जिया जल्दी से शिवि की तरफ मुड़ी। उसने उसको दोनों हाथों से पकड़ कर कहा, “तू आर्य सिंह ओबरॉय से मिली और उससे मिलते ही झगड़ा कर लिया... कह दे कि ये झूठ है।” “ये कोई झूठ नहीं है, सब सच है। तुम तो ऐसे रीएक्ट कर रही हो जैसे मैंने साक्षात भगवान से झगड़ा कर लिया हो।” शिवि गुस्से में उस पर चिल्लाई। “ब्रो... हम जिस फील्ड में आगे बढ़ना चाहते हैं, यूं समझ लो वो वहां का भगवान ही है।” ईशान ने अपने बालों में हाथ घुमाकर कहा। “मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता...” शिवि ने सख्त आवाज में कहा, “वो इंसान एक नंबर का घमंडी और पागल है। मैं यहां पार्टी करने के लिए अपनी टेबल पर आई थी और वो वहां से उठने के लिए तैयार ही नहीं था। इतनी सी बात पर उसने मुझसे झगड़ा कर लिया।” “तो तू किसी और टेबल पर जाकर बैठ जाती.... इसमें झगड़ा करने की क्या जरूरत थी?” जिया ने आंखे तरेरकर कहा। “मैं ही कही और क्यों जाऊं? वो भी तो जा सकता था ना.... आगे सुनो... उसके बाद अपने पैसो का घमंड दिखाते हुए उसने इस रेस्टोरेंट को खरीद लिया और यहां के लालची लोगों ने उसे बेच भी दिया।” शिवि गुस्से में काफी जोर से बात कर रही थी। उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक उसके पास आकर बोला, “ये तुम क्या बोल रही हो। हम बिल्कुल लालची नहीं है। अरे मेरे पापा जी ने ये रेस्टोरेंट खोला था और आज तक हम उन्हीं के उसूलों पर चलते हुए खाने कम दाम पर बेचते हैं। उनका सपना था, लंदन में भारतीय खाने का रेस्टोरेंट खोलने का... वो हर जरूरतमंद और गरीब को फ्री खाना देते थे... हम भी वही करते हैं फिर तुम हमें लालची कैसे कह सकती हो।” “वो इसलिए अंकल जी क्योंकि आप अपने पापा की आखिरी निशानी को, उनके सपने को, इस तरह उस आर्य सिंह ओबेरॉय को कैसे बेच सकते हैं? आप अच्छे से जानते है उसने गुस्से में इस रेस्टोरेंट को खरीदा है। आप खुद बताइए, वो कितने टाइम से यहां आ रहा है? पहले कभी उसने इस रेस्टोरेंट को खरीदने की बात कही?” शिवि ने उसके इमोशन को पकड़ते हुए अपनी बात को रखा। “ये शिवि क्या करने की कोशिश कर रही है?” जिया ने धीरे से ईशान से पूछा। ईशान ने उसकी बात का जवाब देते हुए दबी आवाज में कहा, “तुम शायद भूल रही हो, अगर वो आर्य सिंह ओबरॉय है तो हमारी शिवि भी किसी से कम नहीं है। एक बार जो करने का ठान ले, वो कर के ही रहती है।” “कहीं शिवि उसकी डील कैंसिल...” बोलते हुए जिया रुक गई। उसे समझ आ गया शिवि क्या करने की कोशिश कर रही थी। “हमें उसे रोकना चाहिए।” “और वो किस लिए? तुम अच्छे से जानती हो अपनी परेशानी में शिवि भले ही सबसे झगड़ा कर लेती हो लेकिन वो कभी गलत बात पर किसी से झगड़ा नहीं करती। वो जो कर रही है बिल्कुल ठीक है।” ईशान ने जिया को रोका। शिवि की बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक सोच में पड़ गया। उसने धीमी आवाज में कहा, “हां वो लगभग 2 साल से यहां आ रहे हैं और उनकी कुछ यादें भी यहां से जुड़ी हुई है। इस टेबल पर उन्होंने किसी को भी बैठने से मना किया है लेकिन कभी इसे खरीदने की बात नहीं कही।” “हां तो ये रेस्टोरेंट उसके लिए इतना ही स्पेशल है तो पहले क्यों नहीं खरीदा? वो अपनी जिद और गुस्से में इस रेस्टोरेंट को हथियार बनाकर खरीदना चाहता है। क्या आप अपने पापा जी की यादों और अपने इतने साल की मेहनत को एक अमीर आदमी का बदला पूरा हो जाए, इसलिए बेच देंगे।” शिवि की बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक बोला, “कभी भी नहीं... उसका वापस कॉल आएगा तो मैं उसे बोल दूंगा कि मुझे अपनी पापा जी की यादों को नहीं बेचना।” “ये हुई ना बात, अंकल जी इमोशंस की कोई कीमत नहीं होती, चाहे सामने वाला कितने भी पैसे दे।” शिवि ने मुस्कुरा कर कहा। उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट के मालिक ने उसके सिर पर प्यार से हाथ रख कर कहा, “थैंक यू सो मच बेटा जी, आज आपने मुझे पाप करने से रोक लिया। आप यहां पार्टी करने आई थी ना, आज की पार्टी मेरी तरफ से, वो भी बिल्कुल फ्री...” “फ्री में तो शिवि एक चॉकलेट भी नहीं लेती, फिर पार्टी तो बहुत बड़ी चीज है। आपने मेरी बात समझी, यही मेरे लिए काफी है।” शिवि ने पूरे एटीट्यूट से जवाब दिया। रेस्टोरेंट के मालिक ने उससे बात करने के बाद वापस अपने स्टाफ के पास गया और जोर से चिल्ला कर कहा, “चलो जी, सारे अपने काम धंधे पर लग जाओ। ये रेस्टोरेंट हम नहीं बेचने वाले और इंडियाना रेस्टोरेंट ऐसे ही चलेगा।” अपनी बात पूरी करके उसने शिवि की तरफ मुस्कुरा कर देखा। “अरे वाह शिवि, तू तो छा गई।” ईशान ने उसकी तारीफ की। “कहीं वो इस बात का बदला हमसे तो नहीं लेगा।” जिया ने हिचकीचाकर कहा। “तू टीवी सीरियल थोड़े कम देखा कर। कोई यहां बदला लेने नहीं आएगा। जब उसे पता चलेगा कि उसकी डील कैंसिल हो गई, वो बस गुस्से में अपनी कंजी आंखो से सबको घूरकर रह जाएगा। मुझे उस वक्त उसका उतरा हुआ चेहरा देखना है।” शिवि के चेहरे पर उसकी जीत की खुशी थी। “चलो छोड़ो इन सब को, वैसे भी बहुत टाइम वेस्ट हो गया। हम जिस काम के लिए आए थे, वो करते हैं ना। लेट्स हैव पार्टी..” ईशान ने कहा। जिया और शिवि ने उसकी बात पर सहमति जताई और वो लोग वहां अपनी पार्टी में लग गए। ★★★★ हे रीडर्स आज का पार्ट कैसा लगा? कमेंट में बताना मत भूलिएगा.. आपको क्या लगता है आर्य ये डील कर पाएगा या नहीं? देखते हैं शिवि और आर्य की अगली मुलाकात पर क्या होता है।
आर्य सिंह ओबेरॉय ने अपनी तरफ से इंडियाना रेस्टोरेंट को खरीदने की डील फाइनल कर दी थी लेकिन जब उसकी असिस्टेंट जेनी वहां पहुंची तो रेस्टोरेंट के मालिक ने अपने रेस्टोरेंट को बेचने से मना कर दिया। कॉल के जरिए आर्य को वहां हो रही शिवि और उसके दोस्तों की पार्टी के बारे में पता चला। ये सब सुनने के बाद उसे बहुत गुस्सा आया और उसने गुस्से में अपना फोन फेंक दिया। “इतनी आसानी से तो नहीं शिवि... बिल्कुल भी नहीं।” आर्य ने पूरे एटीट्यूड से कहा, “तुम अभी आर्य सिंह ओबरॉय को जानती नहीं हो। ऐसे इतनी आसानी से मैं इतना बड़ा बिजनेसमैन नहीं बना... मैं ये डील हर हाल में करके रहूंगा लेकिन अब तुम्हें मेरी दुश्मनी बहुत महंगी पड़ेगी... बहुत ज्यादा महंगी।” आर्य अपना सारा काम छोड़ कर उसी वक्त गाड़ी लेकर वापस बाहर चला गया। उसके जाने के बाद घर के दो अलग हिस्सों से एक लड़का और लड़की निकल कर आए। दोनों ही आर्य से उम्र में छोटे थे। लड़का लगभग 17 साल का था तो लड़की 20 साल की...! दोनों ने एक दूसरे की तरफ घूर कर देखा और फिर अपनी अपनी नजरें घूमा ली। कुछ देर तक वहां चुप्पी छाई रही। उस चुप्पी को तोड़ते हुए लड़की ने कहा, “आज मिस्टर सडू फिर किसी बात पर गुस्सा है।” “आई डोंट नो मिस अकड़ू...” लड़के ने पूरे एटीट्यूड से जवाब दिया। उसने अपने नजर का स्टाइलिश चश्मा ऊपर किया और वापिस अपनी नजरे फेर ली। “अगर पता नहीं है तो पता लगाओ...” लड़की ने कहा। “आज कौन सी नई बात है? वैसे भी इनका मूड सड़ा हुआ ही रहता है... तुम अपने काम से मतलब रखो ना।” लड़के ने जवाब दिया। दोनों एक दूसरे की तरफ बिना देखे बात कर रहे थे। “हां नई बात तो नहीं है लेकिन आज उनके मुंह से किसी लड़की का नाम निकला था शौर्य।” लड़की ने उस लड़के को उसके नाम से पुकारा। उसके मुंह से अपना नाम सुनकर शौर्य अपना एटीट्यूड छोड़कर उसके पास गया। “क्या तुम्हें सच में उनकी फिक्र है मायरा?” शौर्य की बात सुनकर मायरा हल्के से हंसी और फिर बोली, “क्या सच में तुम्हें ऐसा लगता है? अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो तुम बिल्कुल गलत हो। किसी महान इंसान ने कहा है अपने दुश्मनों की हर एक एक्टिविटी पर नजर रखो।” “दुश्मन तो मैं भी तुम्हारा हूं। फिर तुम मुझे ये सब क्यों बता रही हो?” शौर्य ने हैरानी से पूछा। “बात तो तुम्हारी सही है... बट अगर मैं तुम दोनों को कंपेयर करूं तो मैं तुमसे ज्यादा नफरत उन्हें करती हूं। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है... चलो मिलकर मजा सिखाते हैं उस सड़ू ओबरॉय को...” शौर्य और मायरा आर्य के ही छोटे भाई बहन थे लेकिन उन तीनों की ही मां अलग थी। यही वजह थी कि तीनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। शौर्य ने कुछ देर मायरा की बात के बारे में सोचा और फिर जवाब में कहा, “मुझे किसी को सबक सिखाने के लिए किसी और के साथ हाथ मिलाने की जरूरत नहीं है... शौर्य सिंह ओबरॉय अकेला ही काफी है।” उसने मायरा के प्रपोजल को ठुकरा दिया और वहां से सीटी बजाते हुए चला गया। उसकी इस हरकत पर मायरा को काफी गुस्सा आया। “हुह... फेक ओबेरॉय विथ फेक एटीट्यूड... मायरा अकेले ही सब देख लेगी।” मायरा ने खुद से कहा और उसी वक्त गाड़ी लेकर आर्य के पीछे जाने के लिए निकल पड़ी। _________ लगभग 2 घंटे का सफर तय करने के बाद आर्य इंडियाना रेस्टोरेंट के आगे था। रात काफी हो गई थी लेकिन रेस्टोरेंट अभी भी खुला था। वहां मौजूद शांति से ये बात स्पष्ट थी शिवि और उसके दोस्त अब वहां से जा चुके थे। रेस्टोरेंट का मालिक भी उसे बंद करने की फिराक में था। आर्य जल्दी से अंदर गया। उस वक्त उसे वहां देखकर वो हैरान हुआ। “रात काफी हो गई है सर, आपको इस वक्त यहां नहीं आना चाहिए था।” उसने आर्य को देखकर कहा। “मिस्टर सिंह, ना तो मैं घुमा फिरा कर बातें करता हूं और ना ही मेरे पास इतना टाइम है कि मैं उसे वेस्ट करूं। आप अच्छे से जानते है मैं यहां क्यों आया हूं। सीधे सीधे मुद्दे की बात पर आता हूं। शाम को आपने रेस्टोरेंट की डील फाइनल की थी लेकिन कुछ देर बाद आप मुकर गए। मुझे इसका कारण जानना है।” आर्य ने सीधे सीधे पूछा। “सर जी... इस रेस्टोरेंट के साथ मेरे इमोशन जुड़े हुए हैं। ये मेरे पापा जी की आखिरी निशानी है। मैं इसे बेच नहीं सकता।” मिस्टर सिंह ने जवाब दिया। “लेकिन तब आपने हां कही थी। अब आप मुकर नहीं सकते।” “उस समय सिर्फ हमारी बात हुई थी। ये तो अच्छा हुआ जो उस लड़की ने मुझे समझाया। वरना मैं अनजाने में कितना बड़ा पाप कर देता। आप कितने भी पैसे दीजिए सर जी, मुझे ये डील नहीं करनी।” मिस्टर सिंह ने डील करने से साफ साफ मना कर दिया। “अच्छा तो आप उस लड़की की बात में आकर ये सब कर रहे हैं। आप उसे जानते ही कितना है? कल को वो आकर कहेगी इस रेस्टोरेंट के साथ आपके पापा जी के इमोशंस जुड़े हुए हैं, एक काम कीजिए आप सबको फ्री में खाना खिलाइए। क्या आप ऐसा कर सकते हैं?” मिस्टर सिंह ने उसकी बात पर ना में सिर हिलाया। आर्य ने आगे कहा, “क्या मैं आपके पापा जी के इमोशन आई मीन इस रेस्टोरेंट की कीमत जान सकता हूं।” “लगभग 50,000 पाउंड्स...” उसकी बात सुनकर आर्य ने बिना सोचे समझे तुरंत कहा, “टू लेक्स पाउंड्स... अगर इंडियन करेंसी के हिसाब से कैलकुलेट करूं तो लगभग 2 करोड रुपए... आप के रेस्टोरेंट की कीमत से पूरे 4 गुना ज्यादा...” आर्य का ऑफर काफी अच्छा था लेकिन फिर भी मिस्टर सिंह थोड़ा हिचकीचा रहे थे। “लेकिन सर जी, मैंने कभी इस रेस्टोरेंट के अलावा कहीं और काम करने का सोचा नहीं।” “डोंट वरी मुझे भी आपके पापा जी की इमोशंस की उतनी ही वैल्यू है। मैं आपको काम से नहीं निकालूंगा। आप यहां काम कर सकते हैं। रेस्टोरेंट बेचने के बाद भी आपको एक अच्छी खासी सैलरी मिलेगी...” चार गुना ज्यादा पैसे देने के बावजूद डील फाइनल करने की जिद में आर्य ने उनके सामने जॉब ऑफर भी रख दिया। मिस्टर सिंह अभी भी इस बारे में सोच रहे थे। उन्हें चुप देख कर आर्य ने कहा, “सोच लीजिए इतना अच्छा ऑफर बार-बार नहीं मिलता। रही बात उस लड़की की, तो उसकी औकात यहां सिर्फ एक वक्त का खाना खाने की है। आपको पैसों की जरूरत पड़ने पर वो आपके काम नहीं आएगी। आप जानते हैं ना, मैं यहां लगभग 2 सालों से आ रहा हूं और मुझे अच्छे से पता है कि ये रेस्टोरेंट्स कितना फायदे में है या कितना नुकसान में...” आर्य की बातों ने मिस्टर सिंह के फैसले को एक बार फिर बदल दिया। उन्होंने इस बार रेस्टोरेंट बेचने के लिए हां कह दी। “ठीक है मैं ये रेस्टोरेंट भेजने के लिए तैयार हूं, आप कल...” मिस्टर सिंह की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि आर्य ने उनकी बात को बीच में काटते हुए कहा, “एक बार आपको टाइम देकर गलती कर चुका हूं, पर इस बार नहीं... मेरा लॉयर और असिस्टेंट अभी आकर पेपर्स बनाएंगे... इस रेस्टोरेंट में पूरी रात रिनोवेशन का काम चलेगा, जहां सबसे पहले बाहर होर्डिंग पर आपका नाम हटाकर मेरा नाम लगेगा।” मिस्टर सिंह ने उसकी बात पर हामी भरी। उसने उसी वक्त अपने लॉयर और जेनी को काम करने के लिए बुला लिया। थोड़ी ही देर में इंटीरियर डिजाइनिंग की टीम ने वहां का काम शुरू कर दिया। सुबह होने तक रेस्टोरेंट में कुछ जरूरी चेंज पूरे हो गए थे। इंडियाना रेस्टोरेंट्स के नीचे अब आर्य सिंह ओबरॉय का नाम लिखा हुआ था। पूरी रात आर्य वहां पर मौजूद था। सुबह अपना नाम रेस्टोरेंट के नीचे देख कर उसके चेहरे पर अपनी जीत की गर्व भरी मुस्कान थी। “शिवि नाम है ना तुम्हारा... तुम अभी आर्य सिंह ओबरॉय को जानती कहां हो... लेकिन आज के बाद मैं तुम्हें अपना नाम भूलने भी नहीं दूंगा।” आर्य ने खुद से कहा और उसी रेस्टोरेंट के अंदर आया। अंदर आने के बाद उसने मिस्टर सिंह से कहा, “काम पूरा हो गया है मिस्टर सिंह, आज शाम को यहां ग्रैंड पार्टी होगी और हां, आज की शाम की स्पेशल गेस्ट होगी शिवि... जिसे आप खुद यहां आने के लिए इनवाइट करेंगे।” अपनी बात कहकर आर्य वहां से कही जाने के लिए निकल चुका था। वही रेस्टोरेंट से कुछ दूरी पर अपनी गाड़ी में बैठी आर्य की बहन मायरा सब कुछ देख रही थी। वहां लगे बोर्ड को देखकर उसे समझ आ गया था कि वहां क्या हुआ होगा। आर्य के जाने के बाद वो भी उसी के पीछे जाने के लिए निकल पड़ी। ★★★★ हेलो डियर रीडर्स ... कैसे हैं आप लोग? आई होप अच्छे ही होंगे। कहानी कैसी लग रही है ये कमेंट में जरूर बताइएगा। देखते हैं कि कल होने वाली पार्टी में क्या होता है? जानने के लिए कहानी के आगे वाले भागों पर बने रहिए और पढ़ते रहिए
इंडियाना रेस्टोरेंट में सारा काम करवाने के बाद आर्य अपने घर ओबरॉय मेंशन में पहुंचा। जैसे ही वो अपनी कार से बाहर निकला, उसकी नजर घर के दूसरी तरफ बने बड़े से यार्ड पर गई।वहां अभी-अभी एक चॉपर लैंड हुआ था। आर्य अंदर जाने के बजाय वहां खड़ा होकर उस तरफ देखने लगा। उसमें से सबसे पहले एक लगभग 55 साल का आदमी निकला। वो आर्य के पिता मिस्टर आशुतोष सिंह ओबरॉय थे। उन्होंने नीला ब्रांडेड सूट पहन रखा था। उनके साथ में आर्य की हमउम्र एक इंडो ब्रिटिश लड़की थी। बाहर सर्दी होने के बावजूद उसने काफी छोटे कपड़े पहन रखे थे। गले में फैशन के लिए लगाया हुआ स्कार्फ उस सर्दी में किसी काम का नहीं था। मिस्टर ओबेरॉय ने उस लड़की को अपनी बाहों में जकड़ा और होठों पर गहरा किस किया। उन्हें देख कर आर्य ने अपनी नजरें घुमा ली। कुछ देर में आशुतोष उसके साथ घर की तरफ बढ़ रहे थे, तभी उनकी नजर आर्य पर पड़ी। आर्य ने उन दोनों की तरफ गुस्से और नफरत भरी निगाहों से देखा, तो वही मिस्टर ओबरॉय ने उसे देखकर एक हल्की मुस्कुराहट दी। अब वो अंदर जाने के बजाय उस लड़की के साथ आर्य की तरफ बढ़ने लगे। “तुम्हें टाइम से घर आ जाना चाहिए। देर रात तक ऑफिस में काम करना तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं है।” उन्होंने आर्य के पास आकर कहा। उनकी बातों में आर्य के लिए फिक्र थी। उनकी बात सुनकर आर्य ने एक तंज भरी मुस्कुराहट दी और जवाब में कहा, “आपको कब से मेरी फिक्र होने लगी मिस्टर ओबरॉय?” “ठीक उसी दिन से, जिस दिन तुम्हारी मां ने पहली बार प्रेग्नेंट होने की न्यूज़ सुनाई थी।” मिस्टर ओबरॉय का जवाब सुनकर आर्य ने कहा, “अच्छा आपको वो याद भी है?” अपनी बात कह कर उसने उनके साथ आई लड़की की तरफ देखा। “लगता है आप की तीसरी वाइफ का यहां से जाने का टाइम आ गया है।” मिस्टर ओबेरॉय उसकी बात का कोई जवाब देते उससे पहले वो लड़की बीच में बोल पड़ी, “डार्लिंग... हू इज ही?” “केरिन...बेबी.. ही इज माय एल्डर सन... आर्य..” उन्होंने उसे आर्य का परिचय दिया। “हैंडसम ही इज...” बोलते हुए उस लड़की केरिन ने आर्य की तरफ एक सरसरी निगाह डाली। वो आर्य से मिलने के लिए आगे बढ़ी, तो वो कुछ कदम पीछे हो गया। केरिन के कदम वही रुक गए। मिस्टर ओबेरॉय हल्का सा हंसकर बोले, “हां, मुझ पर जो गया है।” “बिल्कुल भी नही डैड... मैं आपके जैसा बिल्कुल नहीं हूं... और ना ही बनना चाहता हूं।” आर्य ने तुरंत जवाब दिया। “ क्या आपकी केरिन के बारे में घर पर सबको पता है?” “पता नहीं है तो अब चल जाएगा... आर्य, आज शाम को एक ग्रैंड पार्टी होगी, जहां मैं ऑफिशियली अपने और केरिन के रिलेशन को अनाउंस करने वाला हूं। अब क्या सारी बातें यही करोगे? चलो अंदर चलते हैं...” मिस्टर ओबरॉय ने जवाब दिया। फिर उन्होंने अपना हाथ केरिन की तरफ बढ़ा कर कहा, “कम बेबी...” मिस्टर ओबरॉय उस लड़की का हाथ पकड़कर अंदर की तरफ बढ़ रहे थे, तभी एक और गाड़ी आकर रुकी। उसमें मायरा थी। वो बाहर निकली। उसने पीछे से मिस्टर ओबरॉय को उस लड़की के साथ जाते हुए देखा। मायरा ने उन्हें देखने के बाद एक नजर आर्य की तरफ डाली जो सर्द निगाहों से उन्हें जाते हुए देख रहा था। उसके देखने के लहजे से वो समझ गई थी कि वो औरत कौन हो सकती थी। “वो हर बार ऐसा कर भी कैसे सकते हैं... मुझे लगा था क्रिस्टी के साथ वो सबसे लंबे टाइम से है... पर ये उनके लिए भी लॉयल नही है।” मायरा गुस्से में चिल्ला कर बोली। उसकी आवाज सुनकर आर्य ने उसकी तरफ देखा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ये सब मायरा के लिए चिड़ा देने वाला था। “क्या तुम्हें सच में इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता? तुम इतने पत्थर दिल कैसे हो सकते हो? तुम्हें इतनी बड़ी बात को इस तरह इग्नोर नहीं करना चाहिए।” मायरा उस पर चिल्लाई। “मैंने इग्नोर करना सीख लिया है। बेहतर होगा तुम लोग भी सीख लो...” कहकर आर्य वहां से जाने लगा। अचानक वो रुका और मायरा की तरफ मुड़ कर बोला, “हां मुझे फर्क नहीं पड़ता... और ना ही कभी पड़ेगा। अगर फर्क पड़ता तो कल रात इंडियाना के बाहर आकर पूछ सकता था, तुम इस वक्त यहां क्या कर रही हो... तुम एक बहुत बुरी जासूस हो मायरा।” आर्य की बातों से साफ था कि उसने कल रात मायरा को रेस्टोरेंट के बाहर देख लिया था। उसकी बात सुनकर मायरा की नजरें झुक गई। आर्य ने आगे कुछ नहीं कहा और अंदर जाने लगा। उसके पीछे पीछे मायरा भी आ रही थी। मिस्टर ओबरॉय अंदर पहुंच चुके थे। अंदर आते ही उन्होंने हाउस हेल्पिंग स्टाफ के जरिए पूरे फैमिली को घर के लिविंग एरिया में इकट्ठा किया। वहां सामने की तरफ आशुतोष क्रिस्टी के साथ खड़े थे। उनके पास ओबेरॉय फैमिली के सबसे बड़े मेंबर मिस्टर विक्रम सिंह ओबरॉय थे, जो लगभग 80 साल के थे। वो आर्य के दादाजी थे। उन्होंने स्टाइलिश नजर का चश्मा लगा रखा था और सिर के बीच कूचे बालों को परफेक्टली सेट कर रखा था। उनके कपड़े भी उनकी उम्र के हिसाब से काफी स्टाइलिश थे। उनके पास में शौर्य और उसकी मॉम क्रिस्टी खड़ी थी। क्रिस्टी की आंखें नम थी। उन सबके बीच आर्य और मायरा भी वहां पहुंचे। उन दोनो के पहुंचते ही आशुतोष बोले, “मुझे खुशी है कि हमारा सारा परिवार यहां एक जगह इकट्ठा है... लंदन में रहने के बावजूद हम एक जॉइंट फैमिली में रहते हैं। एक दूसरे की फिक्र करते हैं एक दूसरे के डिसीजंस की रिस्पेक्ट भी करते हैं।” उनकी बात सुनकर क्रिस्टी बोली, “आप सीधे मुद्दे की बात पर आएंगे तो बेहतर होगा।” “ओके...।” आशुतोष ने मुस्कुराकर कहा, “क्रिस्टी... जान मुझे तुमसे कोई प्रॉब्लम नहीं है। तुम चाहो तो इस घर में रह सकती हो... पर अब मेरा तुमसे मन भर गया है। मैने अपनी लाइफ के 18 साल तुम्हे दिए है... देखा जाए तो ये बहुत लम्बा टाइम होता है।” “ये टाइम आपने मुझे नही, मैने आपको दिया है... मैं चाहती तो आपकी एक्स वाइफ लीजा की तरह आपको छोड़ कर जा सकती थी...।” क्रिस्टी बोल रही थी। उसके मुंह से अपनी मां लीजा का नाम सुनकर मायरा गुस्से में उस पर बिफर पड़ी, “इन सबके बीच में मेरी मॉम कहां से आ गई? लिसन... आप दोनों के बीच में जो भी झगड़े हो, उनमें मेरी मॉम को बीच में मत लाइए। वो अब हमारे साथ नहीं रहती।“ क्रिस्टी ने मायरा की बात को इग्नोर करते हुए कहा, “मैने तुम्हारे अफेयर्स को लेकर कभी तुम्हें कुछ नहीं कहा... अपने बेटे के लिए इस झूठी शादी को निभाने के लिए तुम्हारे साथ रहीं और आज तुम इस लड़की के लिए मुझे छोड़ रहे हो... जो तुम्हारी बेटे की उम्र की है।” “देखो उम्र की बात मत करो... प्यार कभी उम्र नहीं देखता। देखा जाए तो उम्र में तुम भी मुझसे 15 साल छोटी हो। बात को ज्यादा नहीं बढ़ाते हैं, शाम तक तुम्हें डिवोर्स पेपर्स मिल जाएंगे। उन्हें बिना कोई ड्रामा किए साइन कर देना। डिवोर्स के बाद मैं और केरिन शादी कर लेंगे।” जैसे ही मिस्टर ओबेरॉय ने अपनी पूरी बात सबके सामने रखी, आर्य की नजर सामने दीवार पर लगी तस्वीर पर गई। वो उसकी मां की फोटो थी, जिस पर हार चढ़ा हुआ था। वही मायरा ने अपने मोबाइल स्क्रीन को देखा, जिस पर वॉलपेपर पर उसकी मां लीजा की फोटो थी। शौर्य की नजर अपनी मां क्रिस्टी पर टिकी हुई थी। तीनो की ही आंखों में गुस्सा और हल्की नमी थी। आर्य के चेहरे पर कोई भाव नहीं था मानो उसे इन सब से कोई फर्क ना पड़ रहा हो, वहीं शौर्य और मायरा गुस्से में आशुतोष को खा जाने वाली नजरों से घूर रहे थे। मिस्टर विक्रम सिंह ओबरॉय भी चुपचाप खड़े केरिन की तरफ देख रहे थे। “डैड आप इस घर के बड़े हैं, प्लीज आप तो कुछ कहिए।” क्रिस्टी ने उम्मीद भरी नजरों से विक्रम सिंह ओबेरॉय की तरफ देखा जो घर के सबसे बड़े थे। “अगर मेरी बात सुनी जाती तो आर्य की मां बंधन के बाद इस घर में कोई और औरत आशु की पत्नी बनकर कभी नहीं आती।” विक्रम जी ने जवाब दिया और सामने लगी आर्य की मां बंधन की तस्वीर की तरफ देखा। “मेरे लिए इस घर की बहू हमेशा से बंधन ही रही है, बाकी ये यहां किसी को भी लेकर आए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।” “मैंने कहा मुझे कोई बहस नहीं चाहिए। तुम चाहो तो डिवोर्स के बाद भी यहां रह सकती हो... लेकिन मुझे किसी भी हाल में उन पेपर पर तुम्हारे साइन चाहिए।” आशुतोष ने कहा। “आप मेरी मॉम के साथ गलत कर रहे हैं डैड... ये सरासर नाइंसाफी है। ये औरत यहां नहीं रह सकती... मेरे होते हुए तो बिल्कुल भी नहीं।” शौर्य चिल्लाकर बोला। “ठीक है, फिर ऐसा करते हैं तुम्हारी मां के साथ साथ तुम्हें भी इस घर से निकाल देता हूं... तुम्हारे नाम के आगे से ओबरॉय हट जाएगा तो तुम्हारी भी कोई औकात नहीं रहेगी। घर के बाकी बच्चों से कुछ सीखो। वो भी यहां एडजस्ट कर रहे हैं, तो तुम भी एडजस्ट करना सीख लो।” आशुतोष ने दो टूक जवाब दिया और केरिन का हाथ पकड़ कर उसे वहां से ले गए। वहां कुछ देर के लिए बिल्कुल चुप्पी छाई रही। मायरा ने एक नजर क्रिस्टी और शौर्य की तरफ देखा और फिर कहा, “आपके साथ तो ये सब होना ही था। कहते हैं इंसान के कर्म उनके पास लौट कर आते हैं। मेरी मॉम की भी लाइफ आपने इसी तरह बर्बाद की थी। ये समझ लीजिए, जो आपने उन के साथ में किया, वही आपके साथ हो रहा है।” अपनी बात कहकर मायरा वहां से अपने कमरे में चली गई। शौर्य ने आर्य की तरफ देख कर कहा, “आपको इस बारे में कुछ नहीं कहना?” “कंग्रेटुलेशंस मिसेज ओबरॉय...” आर्य ने हल्का मुस्कुराकर कहा और वहां से चला गया। उसके रवैए से साफ लग रहा था जैसे उसे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ रहा हो। “डिसगस्टिंग... कोई इतना इनसेंसेटिव कैसे हो सकता है कि उनके डिवोर्स पर बधाइयां दे रहा है।” शौर्य ने गुस्से में कहा। “यही वजह है कि हम इन से नफरत करते हैं, बहुत ज्यादा नफरत... ये किसी का प्यार डिजर्व ही नहीं करते।” आर्य वहां से अपने कमरे में जा रहा था। उसके कानों में शौर्य की आवाज आ रही थी लेकिन वो बिना किसी भाव के ऊपर जा रहा था मानो उसे सच में इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ रहा हो। विक्रम सिंह ओबरॉय भी उसके पीछे-पीछे आ रहे थे। “कहां जा रहे हो ड्युड? ऑबेरॉय फैमिली में नए मेंबर का स्वागत नहीं करोगे?” उन्होंने पीछे से आर्य को आवाज लगाई। आर्य उनके लिए रुक गया। जब वो उनके पास पहुंचे तब उसने हल्का हंसकर कहा, “फैमिली? मुझे तो ये किसी चिड़ियाघर से कम नहीं लगता... थैंक गॉड, मैं अपना ज्यादातर टाइम ऑफिस में बिताता हूं, वरना मैं भी इन्हीं की तरह पागल हो जाता।” “हां बोल तो ऐसे रहे हो जैसे तुम्हारा अपना अलग घर ना हो... अब आगे तुम मेरी तारीफ में कुछ कहोगे या मैं बोलूं?” वो दोनों चलते हुए बातें कर रहे थे। “मैं ही बोल देता हूं...” आर्य ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और आगे कहा, “इस घर से आपकी मेमोरीज जुड़ी हुई है, आप यहां से शिफ्ट नहीं करना चाहते... सच कह रहा हूं दादू, आप वन एंड ओनली वजह है, जो मैं यहां पर कदम रखता हूं... वरना...” “वरना आर्य सिंह ओबरॉय के पास पैसों की कमी कहां... जो आशुतोष सिंह ओबरॉय अपने बाकी बच्चों को पैसों के दम पर अपने पास रखता है, उसकी इतनी औकात नहीं कि वो अपने बड़े बेटे को पैसो का हवाला दे सके। सच में आर्य, आई एम प्राउड ऑफ यू... तुमने अपने दम पर आज बहुत कुछ कर दिखाया है।” विक्रम जी ने आर्य की बात को बीच में काट कर कहा। बोलते वक्त वो थोड़ा इमोशनल हो गए। “मैं उनका बेटा नहीं हूं दादू... ।” आर्य ने सर्द लहजे में कहा। “चलो अब छोड़ो भी... घर में एक और नई मेंबर आने वाली है, उस दुख में पार्टी करते हैं... एक शाम वर्ल्ड की सबसे अनहैप्पी फैमिली के नाम।” आर्य ने उनकी बात पर हामी भरी और उनके साथ ऊपर टेरेस पर जाने लगा। दोनों वहां अक्सर अच्छा वक्त बिताते थे। आर्य के लिए उस परिवार में विक्रम सिंह ओबरॉय के अलावा और कोई अपना नहीं था। वैसे तो उसका ज्यादातर समय ऑफिस में ही बीतता था लेकिन वो एकमात्र वजह थी, जो वो ओबरॉय मेंशन में कुछ वक्त बिताने के लिए आता था। ______ सुबह के 8:00 बज रहे थे। शिवि एक फ्लैट के आगे थी। पूरी रात बाहर रहने की वजह से वो सो नहीं पाई थी। उसकी आंखें हल्की सूजी हुई थी और चेहरे पर थकान थी। “वेलकम टू द हैल शिवि।” उसने खुद से कहा और अपना हाथ डोर बेल बजाने के लिए बढ़ाया। काफी देर डोर बेल बजाने के बावजूद किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो शिवि जोर-जोर से दरवाजे को पीटने लगी। अंदर से कोई रिस्पांस नहीं आया। ऐसे लग रहा था जैसे कोई मौजूद ही ना हो। थकावट के मारे शिवि वही दरवाजे का सहारा लेकर नीचे बैठ गई। “ये दुनिया के सभी नमूने मेरे हिस्से ही क्यों आए हैं? पता नहीं कब इन सब से छुटकारा मिलेगा और वापस मुंबई जा पाऊंगी...।” बोलते वक्त शिवि के चेहरे पर उदासी के भाव थे। अचानक दरवाजा खुला। शिवि दरवाजे का सहारा लेकर बैठी थी। डोर खुलने की वजह से वो पीछे की तरफ गिर गई। ★★★★ हेलो दोस्तो... अगर आप कहानी पढ़ रहे हैं तो प्लीज रिस्पांस भी जरूर दीजिएगा। कहानी के आगे के भागों के लिए बने रहेंगे मेरे साथ। और प्लीज कॉमेंट के जरिए सपोर्ट कीजिए।
सुबह सुबह शिवि किसी अपार्टमेंट के एक फ्लैट के आगे थी। दरवाजा ना खोलने पर वो वही दरवाजे का सहारा लेकर बैठ गई। कुछ देर बाद दरवाजा खुला, तो शिवि एक झटके के साथ पीछे की तरफ गिरी। उसके गिरते ही दरवाजा खोलने वाला शख्स जोर से हंस पड़ा। शिवि मुंह बनाते हुए उठी। “तुमने जानबूझकर किया ना ये?” उसने उसकी तरफ घूरकर देखा। “हां तो...” कहकर वो फिर हंस पड़ा। सामने मौजूद लड़का शिवि से उम्र में बड़ा था। वो देखने में बिल्कुल गोरा चिट्टा, नीली आंखे और सुनहरे बालों वाला लड़का था, जिसके बाल कानों से हल्के लंबे थे। “कल रात को तुम कहां थी?” “तुम्हे उससे मतलब? हम एक दूसरे से जितना दूर रहे, हमारे लिए उतना ही बेहतर होगा नील...” कहकर शिवि अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी। उसका इस तरह दो टूक जवाब देना नील को पसंद नहीं आया। वो तेजी से उसके पीछे गया और उसकी बाजू पकड़कर घुमा कर अपनी तरफ किया। “मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि मुझसे बदतमीजी से बात मत किया करो। ये तुम्हें बहुत महंगा पड़ेगा।” “छोड़ो... मुझे दर्द हो रहा है।” शिवि ने हाथ झटककर नील को खुद से दूर किया। “मैं तुम्हारी जिंदगी हेल बना दूंगा। अभी तो ये बस शुरुआत है, आगे-आगे तुम्हें इतने दर्द मिलेंगे कि उसके आगे ये सब कुछ नहीं है।” नील ने क्रूरता जवाब दिया। उसके चेहरे पर हंसी के भाव थे। “इन योर ड्रीम्स... जब मैं यहां से शिफ्ट कर जाऊंगी तो तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखूंगी।” “अच्छा इतने पैसे है तुम्हारे पास? तुम्हारी वजह से मुझे इस छोटी सी जगह पर रहना पड़ रहा है... मेरी अच्छी खासी हैप्पी लाइफ में तुमने जो कड़वाहट भरी है, उसकी सजा तो तुम्हें भुगतनी पड़ेगी लिटिल सिस्टर...” “तुम्हारे साथ जो भी हुआ, उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी। तुम्हारे डैड ने तुम्हे सजा देने के लिए तुम्हें अपने बंगले से निकालकर यहां लाकर पटक दिया तो मैं क्या कर सकती हूं।” शिवि ने कहा। “कर सकती हो नहीं, ये सब तुम्हारी मां और तुम्हारी वजह से हुआ है। पैसों के लिए तुम्हारी मां ने मेरे डैड से शादी कर ली और मुझे यहां तुम्हारा बेबी सिटर बना दिया। अब बेबी सिटिंग का काम मिला है तो अच्छे से करूंगा ना, कल पूरी रात तुम कहां थी... जवाब दो।” नील शिवि से काफी गुस्से में बात कर रहा था। वो शिवि के बिल्कुल पास था और उसने गुस्से में उसकी कलाई कसकर पकड़ रखी थी। “और मैं ये तुम्हें बताना जरूरी नहीं समझती।” शिवि ने अपने दूसरे हाथ से उसे पिंच करके अपना हाथ छुड़ाया। दर्द से नील के मुंह से आह निकल गई। “तुम और तुम्हारा बाप मेरे पापा बनने की कोशिश मत करो।” अपनी बात कह कर शिवि कमरे में जाने लगी, तभी नीले पीछे से आवाज लगाकर कहा, “हम तुम्हारे पापा बन भी नहीं सकते सिस्टर... वी आर सिविलियंस नोट क्रिमिनल... हमें उनके जैसा बनने के लिए किसी की जान लेनी पड़ेगी। जानती हो ना तुम वो कहां है और तुम कौन हो... एक खूनी की बेटी।” इस बार शिवि ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपने कमरे में जाकर कमरा अंदर से बंद कर लिया। अपनी इस जीत पर नील काफी खुश था। अंदर आते ही शिवि की आंखों में आंसू आ गए। वो नील के सामने काफी स्ट्रांग होने का दिखावा करती थी लेकिन उसे उसकी कमजोर कड़ी का अच्छे से पता था। जब भी वो उसे हरा नहीं पाता था, तब उसके पापा का नाम लेकर उसे हर्ट करता था। “मेरे पापा मर्डरर नहीं है, उन्हें बस फंसाया गया था। अगर मेरी मां मुझे यहां नहीं लेकर आती तो मैं ये बात साबित कर सकती थी।” शिवि ने खुद से कहा और अपने आंसू पोंछे। तभी उसकी नजर सामने की तरफ लगे कैलेंडर पर गई, जिसमें महीने की आखिरी 2 तारीख को छोड़कर सभी तारीख पर क्रॉस का निशान लगा था। “बस 2 दिन और... 2 दिन के बाद मुझे मेरी एमबीए की डिग्री मिल जाएगी और मैं वापस इंडिया चली जाऊंगी। अच्छी डिग्री होने की वजह से जॉब तो मिल ही जानी है। वहां रहकर मैं अपने पापा को बेगुनाह प्रूफ करूंगी... सिर्फ 2 दिन और... फिर इस मनहूस जगह पर कभी कदम भी नहीं रखूंगी।” शिवि ने तुरंत ही खुद को संभाला और अलमारी खोलकर अपनी पैकिंग करने लगी। वो पैकिंग कर रही थी तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी। मोबाइल स्क्रीन में अपनी मां का फोन आता देख शिवि ने बड़बड़ा कर कहा, “अब इन्हें भी संभालो... जरूर नील ने इन्हें सब कुछ बता दिया होगा।” उसने अपनी मां का कॉल पिक किया। दूसरी तरफ से शिवि की मां नंदिनी की आवाज आई, “ये मैं क्या सुन रही हूं शिवि... तुम कल रात फिर से घर से बाहर थी। मैं जानती हूं अब हम इंडिया में नहीं रहते लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि तुम पूरी रात भर से गायब रहो और अय्याशियां करती रहो। अब कुछ आगे बोलोगी भी या नहीं?” “आप मुझे बोलने का मौका देंगी तब तो मैं कुछ बोलूंगी ना...” शिवि अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले नंदिनी बीच में फिर से बोल पड़ी, “हां अब यही बाकी रह गया था... बाकी लोगों से तो बदतमीजियां करती ही थी, अब तुम मुझसे भी उसी लहजे में बात करने लगी।” “आपको मेरी बात सुननी ही नहीं थी तो आपने मुझे कॉल क्यों किया था?” “मैंने तुम्हें ये बताने के लिए कॉल किया था, तुम्हारी वजह से नील को उस छोटे से घर में रहना पड़ रहा है। वो पूरी रात तुम्हारी वजह से सो नहीं पाया... अपना ये एटीट्यूड छोड़ो और उसके साथ अच्छे से रहो ताकि तुम्हारे डैड उसे माफ़ करके वापस घर बुला सके।” “वो मेरे डैड नहीं है...” शिवि गुस्से में उन पर चिल्लाई, “दूसरी बात ये कि मेरी वजह से नील को घर से नहीं निकाला गया था... उसने खुद अपने पापा से बदतमीजी से बात की थी।” “झगड़ा भी तो तुम्हारी वजह से ही हुआ था। देखो बेटा, अब हमारा इनके अलावा और कोई नहीं है। बेहतर होगा कि तुम इन सब को एक्सेप्ट कर लो।” इस बार नंदिनी की आवाज में थोड़ी नरमी थी। वो उसे प्यार से समझाने की कोशिश कर रही थी। शिवि ने भी आगे ज्यादा बहस करना जरूरी नहीं समझा। “मैं आपसे बाद में बात करती हूं मां, मुझे इस वक्त काम है।” कहकर शिवि ने कॉल कट कर दिया। उनका फोन काटने के बाद वो वहां लगे बेड पर बैठ कर सोचने लगी। “एक्सेप्ट माय फुट... बस जैसे तैसे करके ये 2 दिन बीत जाए फिर कभी जिंदगी में तुम सब लोगों की शक्ल भी नहीं देखूंगी। मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी मां। कहां गया आपका वो प्यार, जो मेरे पापा के लिए था... इस चकाचौंध में सब कुछ खोकर रह गया है लेकिन शिवि सबसे अलग है। उसके लिए पैसों से ज्यादा प्यार मायने रखता है। मैं अपने पापा को बेगुनाह साबित करके रहूंगी। फिर हम अपनी नई जिंदगी की शुरुआत साथ में करेंगे।” आने वाली नई और अच्छी जिंदगी के बारे में सोच कर शिवि के चेहरे पर चमक थी। थोड़ी देर पहले हुई अपनी मां के साथ बहस को बुलाकर वो उसी उत्साह के साथ वापस पैकिंग करने लगी। ____________ मिस्टर आशुतोष सिंह ओबरॉय का केरिन से शादी करने की न्यूज़ सुनने के बाद ओबरॉय मेंशन में हड़कंप सा मच गया। न्यूज़ अनाउंस करने के कुछ देर बाद ही इवेंट मैनेजमेंट टीम उनके घर पर थी, जो शाम को होने वाली पार्टी की तैयारियां कर रही थी। इन सब के बीच मायरा नीचे आते टाइम शौर्य से टकरा गई। नीचे हुई बहस की वजह से शौर्य परेशान था, तो वही मायरा भी कही ना कही इन सबकी वजह से उदास थी। शौर्य का उतरा हुआ चेहरा देखकर मायरा बोली, “तुम्हे इन सबके लिए पहले से तैयार रहना चाहिए था। डैड के काफी सारे अफेयर्स थे... ऐसे में वो कब तक क्रिस्टी आंटी के साथ रहते। वैसे मुझे तुमसे पूरी हमदर्दी है।” “झूठा दिलासा मत दो... मैं अच्छे से जानता हूं, अंदर ही अंदर तुम्हे बहुत खुशी मिल रही है।” शौर्य ने जवाब दिया। “हां सोचा तो मैने भी यही था... लेकिन खुशी मिल नही रही। खैर छोड़ो... आगे क्या सोचा है तुम ने... आई मीन डिवोर्स के बाद..” “तुम्हें हमारी चिंता करने की जरूरत नहीं है। मॉम यहां कभी नही रहेगी... और उनके बिना मैं भी नही... मैं तुम्हारी तरह नही हूं, जो प्रॉपर्टी के लालच में अपनी मॉम का साथ छोड़ दूं।” शौर्य ने टोंट मारा। “मुझे यहां छोड़ने का डिसीजन मेरी मॉम का था... और मैं क्यों अपना हक छोडूं। मेरी मॉम बीमार थी... वैसे भी अब वो इस दुनिया में नही है। मैं उनके पास चली जाती तो आज अकेले कही गरीबी में सड़ रही होती। वो मरने वाली थी, शायद यही वजह थी कि डैड ने उन्हे छोड़ दिया।” मायरा ने बुझी आवाज में कहा। “ये इंसान कभी किसी का नही हो सकता।” शौर्य गुस्से में बोला। “मैं इस डिवोर्स को कभी नही होने दूंगा... इस आदमी को इस लायक ही नहीं छोडूंगा कि किसी और से शादी कर सकें।” कहकर शौर्य वहां से जाने लगा। उसकी बात सुनकर मायरा चौंक गई। वो जल्दी से दौड़कर उसके सामने गई। “मैं तुम्हारे साथ हूं... जल्दी बताओ प्लान क्या है।” “पर मुझे तुम्हारा साथ नही चाहिए...” “देखो... एक से भले दो... इस वक्त अपनी इगो को साइड में रखो। प्लान में थोड़ी भी गड़बड़ हुई, तो सारा मामला बिगड़ सकता है।” मायरा ने उसे समझाने की कोशिश की। “ठीक है।” शौर्य ने कुछ देर सोचने के बाद हामी भरी। “आज शाम की पार्टी ओबेरॉय मेंशन में यादगार रहेगी।” उसके होठों पर तिरछी मुस्कुराहट थी। दोनो ने एक दूसरे से हाथ मिलाया। शौर्य मायरा के साथ वहां से निकल गया। वही आर्य और विक्रम सिंह ओबेरॉय नीचे की तरफ आ रहे थे। उन्होंने मायरा और शौर्य को पीछे से साथ जाते देखा, तो उन दोनो के चेहरे पर हैरानी के भाव थे। “ये दोनो साथ में... कही मैं सपना तो नहीं देख रहा।” विक्रम जी ने आर्य की तरफ देखकर कहा। “कह सकते है... वैसे भी इस चिड़ियाघर में सब कुछ अनएक्सपेक्टिंग ही होता है।” आर्य ने जवाब दिया। “हां सही कहा... सबसे ज्यादा हैरानी तो मुझे उस लड़की को देखकर हो रही है जो अपने बाप के उम्र के आदमी के साथ शादी करने जा रही है। तुम्हारे बाप का भी दिमाग खराब हो गया है... इस उम्र में अपने बेटे की शादी के बारे में सोचना चाहिए और कहां खुद घोड़ी चढ़ने की तैयारी कर रहा है।” “मैंने कहा ना मुझे इस घर में सिर्फ आपसे मतलब है। बाकी कोई कुछ भी करें, मुझे उनसे कोई लेना देना नहीं है। चलिए अब मैं चलता हूं।” कहकर आर्य वहां से जाने लगा। विक्रम सिंह जी ने उसे पीछे से आवाज लगाकर कहा, “आज रात की पार्टी में आ रहे हो ना?” आर्य उनकी तरफ मुड़कर बोला, “नहीं दादू... मैंने एक नया रेस्टोरेंट खरीदा है। आज रात बस उसी की इनॉग्रेशन पार्टी में जाना है। मैं चाहता हूं आप भी मेरे साथ चले।” “हां चल सकता था... मुझे इस घर में हो रही पार्टी और आशु की शादी से कोई लेना देना नहीं है... पर मैं नहीं चाहता इन सब के चक्कर में बच्चे सफर करें। उनकी तो कोई गलती नहीं है।” विक्रम सिंह ने गंभीर आवाज में कहा। “आप जिन्हे बच्चे समझ रहे हैं, वो बच्चे तो बिल्कुल नहीं हैं। आपने थोड़ी देर पहले उन दोनों को साथ देखा ना, इसका मतलब शाम को पार्टी में जरूर कुछ बड़ी गड़बड़ होने वाली है।” “तो समझ लो उस गड़बड़ को रोकने वाला भी कोई चाहिए होगा। ज्यादा देर ना सही लेकिन पार्टी में कुछ देर के लिए आ जाना ताकि...” “ताकि आपके ओबेरॉय खानदान की इज्जत बनी रहे।” आर्य ने उनकी बात बीच में काट कर कहा। विक्रम सिंह जी ने उसकी बात पर हामी भरी। आर्य ने आगे कुछ नहीं कहा और वहां से ऑफिस जाने लगा। “आज शाम का इंतजार तो मुझे भी है... मिस्टर ओबरॉय की नई शादी को लेकर नहीं बल्कि उस लड़की शिवि के चेहरे पर हार देखने के लिए मैं बेकरार हो रहा हूं।” रात के बारे में सोचकर आर्य के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, एक जीत की मुस्कुराहट। ★★★★ हेलो रीडर्स, कहानी पढ़कर समीक्षा भी कर दीजिएगा। आपकी एक छोटी सी समीक्षा हम राइटर्स को बहुत सपोर्ट करती हैं। तो प्लीज थोड़ा सा टाइम निकाल कर इतना सा कर दीजियेगा।
शिवि की एमबीए कंप्लीट हो गई थी। उसे 2 दिन बाद यूनिवर्सिटी से डिग्री मिलने वाली थी। शिवि की मां की दूसरी शादी हुई थी, जिस वजह से उसे मुंबई से लंदन में सेटल होना पड़ा। डिग्री मिलने के बाद वो वापस मुंबई में सेटल होना चाहती थी। यही सोचकर शिवि ने अपनी सारी पैकिंग एडवांस में कर ली। पैकिंग पूरी होने के बाद वो सामान को कमरे में बने तो रूम में रख रही थी। “इससे पहले कि मेरे सामान पर किसी की नजर पड़े मुझे इसे छुपा देना चाहिए। अगर गलती से भी नील को पता चला तो वो सबसे पहले मॉम को कॉल करके बताएगा... और उन्हें पता चला तो वो मुझे यहां से कभी वापस नहीं जाने देगी। अब तो उन्हें मेरे यहां से जाने के बाद ही पता चलेगा। ऐसा करती हूं, टिकट भी बुक करवा लेती हूं।” सामान रखने के बाद शिवि आराम करने के लिए बेड पर बैठ गई। टिकट बुक कराने के लिए उसने अपना मोबाइल निकाला। “ये पिया ने मुझे मैसेज क्यों किया है? माना रेस्टोरेंट में थोड़ी बहुत जान पहचान होने की वजह से नंबर एक्सचेंज हो गए थे लेकिन इतनी जल्दी मैसेज कौन करता है।” रेस्टोरेंट में मिली लड़की पिया का मैसेज देख कर शिवि थोड़ा हैरान थी। शिवि ने मैसेज चेक किया तो उसमें शाम को होने वाले पार्टी के बारे में लिखा हुआ था। पार्टी के कारण को मेंशन नहीं किया गया था क्योंकि आर्य ने उसे ऐसा करने के लिए मना किया था। मैसेज देखने के बाद शिवि के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी। “अच्छा तो मिस्टर सिंह रेस्टोरेंट ना बेचने की खुशी में पार्टी दे रहे हैं। चलो अनजाने में ही सही लेकिन मैंने एक अच्छा काम तो किया। मैंने मिस्टर सिंह को उनके पापा की यादों को बेचने से रोक लिया।” मिस्टर सिंह के पापा के बारे में सोचते हुए शिवि को अपने पापा की याद आई तो उसकी पलकें भीग गई। “पापा सच में स्पेशल होते हैं... बहुत ज्यादा स्पेशल, जैसे कि मेरे पापा है। बस जल्द से जल्द इस जगह से छुटकारा मिल जाए और मैं उनसे मिलने चली जाऊं। आई प्रॉमिस पापा मैं आपको बेगुनाह साबित करके रहूंगी। मैं ये प्रूफ करके रहूंगी कि उस एक्सीडेंट में आपका कोई हाथ नहीं था। दुनिया की नजरों में, मां की नजरों में, या किसी और के नजरों में आप क्रिमिनल हो सकते हैं लेकिन मेरी नजरों में कभी भी नहीं...” शिवि अपने पापा के बारे में सोच कर उदास बैठी थी, तभी दरवाजे पर नील ने दस्तक दी। उसके हाथ में नाश्ते की प्लेट थी, जिसमें चाय के कप के साथ कुछ टोस्ट रखे हुए थे। “चुपचाप नाश्ता कर लेना। मैं कोई तुम्हारा मेड नहीं हूं, जो खाना खिलाने के लिए आगे पीछे घूमता रहूं।” नील ने अंदर आते हुए कहा। उसने नाश्ता शिवि के सामने रख दिया। उसने देखा शिवि का चेहरा उतरा हुआ था। “कुछ हुआ है क्या?” “तुम मेरी फिक्र करते हुए नहीं मुझे परेशान करते हुए ही अच्छे लगते हो। होने को तो बहुत कुछ है लेकिन मैं तुम्हें क्यों बताऊं? शायद तुम भूल रहे हो हम दोस्त नहीं हैं।” शिवि ने बेरुखी से जवाब दिया। नील उसका सौतेला बड़ा भाई था। इस वजह से दोनों की बिल्कुल नहीं बनती थी। उसकी बात का जवाब देते हुए नील ने कहा, “हां हां ठीक है।” कहकर वो वहां से जाने को हुआ, तभी शिवि ने उसे रोकते हुए कहा, “तुम अपना नाश्ता भी लेकर जा सकते हो। ये एहसान करने की कोई जरूरत नहीं है।” “एहसान नहीं कर रहा... जानती हो ना तुमने खाना नहीं खाया तो उसकी सजा भी मुझे ही मिलेगी। तुम्हें भूख नहीं है तो एक बाइट खाकर छोड़ दो लेकिन तुम्हारे नाश्ता करते हुए की फोटो मुझे डैड को भेजनी होती है। एज यू नो ये मेरी ड्यूटी भी है और सजा भी...” शिवि ने उसकी बात पर हामी भरी और चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट ओढ़कर नाश्ता करने लगी। नील ने उसके नाश्ता करते हुए की फोटो क्लिक की और अपने डैड को भेज दी। ऐसा करने के बाद वो वहां से चला गया। उसका बना हुआ मुंह देख कर शिवि इतनी परेशानी में भी हल्का हंस पड़ी। “ये भी बेचारा मेरी वजह से कुछ ज्यादा ही बुरे हालातों में फंस गया है।” शिवि खुद से बातें कर रही थी तभी बाहर से नील ने चिल्लाकर कहा, “मैं ऑफिस जा रहा हूं। एंड फॉर गॉड सेक कल रात की तरह यहां से गायब मत रहना। चुपचाप घर आ जाना। मैं बार-बार तुम्हारे लिए झूठ नहीं बोलने वाला। डैड से सब छुपाना आसान नही होता।” नील की बात सुनकर शिवि बड़बड़ाकर बोली, “हां बोल तो ऐसे रहा है, जैसे किसी को कुछ नही बताता.. अपने डैड को ना सही, मेरी मां के कान भरने इसे अच्छे से आता है।” नील शिवि को सारी इंस्ट्रक्शन देखकर वहां से चला गया। उसके जाने के बाद शिवि बाथरूम में गई और तैयार होकर बाहर आई। “ऐसा करती हूं कॉल करके जिया और ईशान से भी पूछ लेती हूं कि उन्हें भी पार्टी का नोटिफिकेशन मिला या नहीं...” उसने अपना मोबाइल उठाकर उन्हें कॉल करने की सोची। तभी उसके फोन पर ईशान का कॉल आया। जिया भी उसी के साथ मौजूद थी। “क्या तुझे भी आज शाम होने वाली पार्टी के बारे में पता चला? इंडियना रेस्टोरेंट से मैसेज आया था क्या?” शिवि के फोन उठाते ही ईशान ने कहा। “हां मुझे भी मिला था लेकिन पार्टी किस वजह से हो रही है, उसका कारण नहीं पता? मुझे वो रेस्टोरेंट और वहां पर काम करने वाले लोग पसंद आए थे। मैं तो वहां बार-बार जाना चाहूंगी।” शिवि ने तुरंत पार्टी में जाने के लिए हां कह दी। “तो फिर फाइनल रहा। लेकिन हम पार्टी में आज शाम को नहीं बल्कि अभी जाएंगे। वो रेस्टोरेंट ज्यादा बड़ा नहीं है। हो सकता है हम वहां कुछ हेल्प कर सके। वैसे भी आज का दिन खाली ही है।” जिया ने सुझाव दिया, जिस पर शिवि और ईशान ने जल्दी जाने के लिए तुरंत हामी भर दी। “ठीक है फिर इंडियाना रेस्टोरेंट में मिलते हैं। जिया मेरे ही साथ है, शिवि तुम कैब लेकर आ जाना।” ईशान ने कहा। शिवि ने उनकी बात पर हामी भरी और कॉल कट कर दिया। उसने अपने साथ में एक बैग लिया, जिसमें रात में पहनने के लिए ड्रेस थी और वहां से इंडियना रेस्टोरेंट जाने के लिए निकल पड़ी। ________ ओबरॉय मेंशन में भी पार्टी की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही थी। आर्य वहां से ऑफिस जा चुका था उसके पीछे से शौर्य और मायरा अपने कमरे में बैठकर शाम की पार्टी बिगाड़ने के बारे में प्लान कर रहे थे। “तो जल्दी बताओ, क्या सोचा है तुमने?” मायरा ने पूछा। शौर्य, जो कमरे में इधर-उधर चहल कदमी कर रहा था, मायरा के कहने पर रुक गया। “कुछ ऐसा, जिसे करने के बाद गलती का सारा ब्लेम हमारे ऊपर ना आकर किसी और पर आए।” “मतलब? मैं कुछ समझी नहीं? तुम क्या करने का सोच रहे हो?” मायरा ने हैरान होकर पूछा। “ओके प्लान थोड़ा डिफरेंट है.. शाम को पार्टी में पहनने के लिए डैड और केरिन का ड्रेस आर्य ब्रो के यहां से आएगा। मैंने डैड को बात करते सुना था... ड्रेस सिलेक्ट भी आर्य ब्रो ही करेगे।” शौर्य मायरा को अपना प्लान बता रहा था तभी मायरा ने उसकी बात बीच में काट कर कहा, “लेकिन वो उन दोनों के लिए ड्रेस सेलेक्ट क्यों करेंगे? उन्हें किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। वो उनके लिए कोई तैयारी नहीं करने वाले।” “डैड के कहने पर उन्हें ऐसा करना ही होगा। मैंने तुम्हें कहा ना, मैंने डैड को किसी से कॉल पर बात करते सुना था। उन्होंने पूरी रिस्पॉन्सिबिलि ब्रो को दी है। अब हमें कैसे भी करके केरिन की ड्रेस को बर्बाद करना है, ताकि उसकी पार्टी में इंसल्ट हो सके और ये रिलेशन अनाउंस होने से पहले ही पार्टी खराब हो जाए। अब ड्रेस आर्य ब्रो खराब के यहां से जाएगी, तो सारा ब्लेम उन्हीं पर आएगा।” शौर्य ने अपना सारा प्लान मायरा के सामने रख दिया। उसे सुनने के बाद मायरा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसने खड़े होकर शौर्य के लिए ताली बजाई। “वेरी गुड... प्लान काफी अच्छा है। एक तीर से दो शिकार... मुझे तुम्हारी मॉम से कोई हमदर्दी नहीं है लेकिन मैंने तुम्हें कहा ना कि आर्य सिंह ओबरॉय से मुझे इतनी नफरत है कि उसके आगे मैं किसी भी चीज को भूल सकती हूं।” “एक्जैक्टली... इस पार्टी को खराब करने से ज्यादा मजा तब आएगा, जब सारा ब्लेम आर्य ब्रो पर जाएगा। फिर शायद उन्हें कुछ फर्क पड़ जाए...” शौर्य ने क्रूरता के साथ कहा। “जरूर फर्क पड़ेगा। उस इंसान को अब तक किसी चीज से फर्क नहीं पड़ा लेकिन इस बार जरूर पड़ेगा, जब बात खुद पर आएगी। पता है शौर्य, उस इंसान से नफरत करने की एक ही वजह है कि जब भी उसकी जरूरत पड़ती है वो अपने कदम पीछे ले लेता है, सिर्फ ये बोलकर कि मुझे फर्क नहीं पड़ता। जब मेरी मॉम को इस घर से निकाला गया तब भी उसने कुछ नहीं कहा और आज तुम्हारी मॉम के टाइम भी...” मायरा गुस्से में बोली। शौर्य ने भी उसकी बात पर सहमति जताई। “तुम ऐसा करो सीसीटीवी कंट्रोल रूम में जाकर बैठो। जब भी ड्रेस आए, मुझे इनफॉर्म करो... तब तक मैं आगे के प्लान की तैयारी करता हूं। देखता हूं कि इस प्लान को चार चांद लगाने के लिए और क्या किया जा सकता है।” “ठीक है। गुड लक...” मायरा ने थम्सअप करके उसे गुड लक विश किया और उसके बताए काम पर चली गई। उसके जाने के बाद शौर्य वहां बैठकर उस प्लान को एक्सट्रीम करने के बारे में सोचने लगा। ___________ दोपहर के 1:00 बज रहे थे। ईशान और जिया इंडियाना रेस्टोरेंट पहुंचे तो वहीं दूसरी तरफ उसी वक्त शिवि कैब में रेस्टोरेंट पहुंच चुकी थी। वो तीनों एक साथ बाहर निकले। एक दूसरे की तरफ मुस्कुराकर हाथ बढ़ाने के बाद तीनों अंदर जा रहे थे, तभी उनकी नजर बाहर लगे बोर्ड पर गई जिस पर आर्य सिंह ओबरॉय का नाम लिखा हुआ था। रेस्टोरेंट्स को बाहर से भी थोड़ा बदल दिया गया था। बोर्ड पर आर्य का नाम देखने के बाद शिवि का गुस्सा सातवें आसमान पर था। “तो आखिर उसने वो कर ही दिखाया।” शिवि ने गुस्से से कहा। “ये तो होना ही था। वो इतना बड़ा बिजनेसमैन है, अपनी ईगो को बूस्ट करने के लिए इस डील को ऐसे कैसे अपने हाथ से जाने दे सकता था।” जिया ने जवाब दिया। “अगर उसने ये रेस्टोरेंट्स खरीद ही लिया था तो पार्टी में हमें इनवाइट करने की क्या जरूरत थी?” ईशान को भी वो सब देखकर काफी गुस्सा आ रहा था। शिवि ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “ये सब उसने मुझे नीचा दिखाने के लिए किया है।” “जो भी हो, सच ये है कि तुम हार गई हो। तुम इस रेस्टोरेंट को बिकने से नहीं रोक पाई।” जिया ने कहा। शिवि के चेहरे पर निराशा के भाव थे। उसने धीमी आवाज में कहा, “हां मैं एक बार फिर हार गई। ये लड़ाई भले ही मैं हार गई हूं लेकिन जो लड़ाई मैंने आगे करने का सोचा है, उसके लिए मैं हारना अफोर्ड नहीं कर सकती। मैं मिस्टर सिंह के पापा की यादों और सपने को बिकने से नहीं रोक सकी लेकिन अपने पापा...” बोलते हुए शिवि रुक गई। उसने देखा ईशान और जिया उसकी तरफ अजीब नजरों से देख रहे थे। “चलो अब छोड़ो भी, अपना दिल छोटा मत करो। वैसे भी वो आर्य सिंह ओबरॉय है। कहा ना, इतनी आसानी से हार नहीं मानेगा। चलो चल कर अंदर पार्टी इंजॉय करते हैं।” जिया ने शिवि का मूड ठीक करने की कोशिश की। “नहीं मुझे नहीं जाना। जहां आर्य सिंह ओबरॉय होगा, वहां शिवि कभी नहीं जाएगी। मुझे उस इंसान की शक्ल भी नहीं देखनी, जो प्यार को पैसों से तोलता है।” शिवि ने अंदर जाने से मना कर दिया। “जिद मत करो। हम उसके सामने कुछ नहीं है। चलो अंदर चलकर मिस्टर सिंह से बात करते हैं।” ईशान ने भी उसे समझाने की कोशिश की। “मैंने कहा ना... जहां आर्य सिंह ओबेरॉय होगा वहां ये शिवि कभी नहीं जाएगी। ये रेस्टोरेंट उसका है, तो मैं यहां कदम भी नहीं रखूंगी और ये मेरा वादा है।” शिवि ने सख्त आवाज में जवाब दिया और वहां से कैब लेने के लिए जाने लगी। ******* है रीडर्स.... कमेंट के जरिए मोटिवेट करते रहिए। आगे के अपडेट के लिए आप मुझे फॉलो कर ले। लेट्स सी आर्य और शिवि की लड़ाई क्या मोड़ लेती हैं।
शिवि और उसके दोस्तों को इंडियाना रेस्टोरेंट की तरफ से पार्टी का नोटिफिकेशन मिला। वो लोग रेस्टोरेंट के लोगों की मदद करने के इरादे से तय समय से पहले ही रेस्टोरेंट पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद जैसे ही शिवि को रेस्टोरेंट के आगे लगा आर्य सिंह ओबरॉय का बोर्ड दिखा, उसे ये समझते देर नहीं लगी कि आर्य ने वो रेस्टोरेंट खरीद लिया है। अपने दोस्तों के साथ बहस होने और पार्टी अटेंड ना करने का सोच कर शिवि रेस्टोरेंट्स से कैब लेने के लिए जाने लगी। ईशान और जिया उसे रोकने के लिए उसके पीछे पीछे आए। जिया ने उसके पास आकर कहा, “ये क्या बचपना है शिवि? तुम अच्छे से जानती हो हम कभी आर्य सिंह ओबरॉय से कंपीट नहीं कर पाएंगे। फिर क्यों बेवजह की जिद पर अड़ी हो।” “तुम्हें किसने कहा कि मैं उससे कंपीट करना चाहती हूं? मुझे तो उस इंसान की शक्ल तक नहीं देखनी है।” शिवि ने गुस्से में जवाब दिया। “हम तुम्हें पार्टी अटेंड करने के लिए फोर्स नहीं कर रहे हैं शिवि।” जिया के बाद ईशान शिवि को समझाने की कोशिश कर रहा था। “मैं बस इतना चाहता हूं हम चलकर एक बार मिस्टर सिंह से बात करें। वो बार-बार अपनी बात से बदल नहीं सकते। पहले उन्होंने एक ही बार में आर्य को रेस्टोरेंट बेचने के लिए हामी भर दी, उसके बाद तुम्हारे कहने पर डील कैंसिल कर दी, अब हम वापस यहां आए हैं तो हमें पता चल रहा है कि ये रेस्टोरेंट्स आर्य ने खरीद लिया। कम से कम हमें इसके पीछे का कारण जानने का पूरा हक है।” “अब तो मैं इसका कारण जानने में भी इंटरेस्टेड नहीं हूं। ये जगह आर्य सिंह ओबरॉय की है और मैं यहां पर कदम भी नहीं रखूंगी।” शिवि ने अपना आखिरी फैसला सुना दिया। उसकी बात सुनकर जिया हंसने लगी। जिया के इस तरह हंसने पर ईशान और शिवि उसकी तरफ हैरानी से देख रहे थे। उनकी सवालिया नजरों का जवाब देते हुए जिया ने कहा, “क्या कहा तुमने? कंपीट सिंह ओबरॉय की जगह पर कदम भी नहीं रखोगी ? लेट्स मीट क्लियर वन थिंग मिस शिवि... तुम जिस जगह पर अपनी एमबीए की डिग्री कंप्लीट करके बड़े-बड़े सपने देख रही हो, वो यूनिवर्सिटी भी उसी आर्य सिंह ओबरॉय की है।” “तो क्या हुआ? मेरी डिग्री कंप्लीट हो गई है। पहले मेरी उससे कोई लड़ाई नहीं थी इसलिए मैं वहां चली जाती थी। तुम अच्छे से जानती हूं परसों सेरेमनी के बाद हम वहां वापस कभी नहीं जाएंगे।” शिवि ने पूरे एटीट्यूट से जवाब दिया। “मैंने कहा ना, जहां आर्य सिंह ओबरॉय होगा, वहां ये शिवि कभी नहीं जाएगी।” शिवि ने अपना फैसला सुना दिया। वो वहां खड़ी होकर उन से बातें कर रही थी, तभी एक कैब पास से गुजरी। शिवि ने उसे रुकने का इशारा किया। कैब रुकने के बाद उसने ईशान और जिया की तरफ देख कर कहा, “अगर तुम दोनों में से कोई मेरे साथ चलना चाहे तो चल सकता है। बाकी इंडियाना में अब ये शिवि कभी कदम भी नहीं रखेगी।” “तुम चली जाओ, मैं अपनी गाड़ी में आ जाऊंगा।” ईशान ने जवाब दिया। शिवि ने जिया की तरफ देखा। जिया ने भी उसके साथ आने से मना कर दिया। “मुझे आर्य से मिलना है। तुम्हारी उससे लड़ाई हो गई तो मैं क्या करूं? मेरा तो हमेशा से उस पर क्रश था और मैं उससे मिलने का मौका गंवा नहीं सकती।” “बच के रहना कहीं तुम्हारा तुम्हारा क्रश तुम्हे क्रश ना कर दे।” शिवि ने मुंह बनाकर कहा और कैब में बैठकर वहां से चली गई। शिवि के जाते ही ईशान ने जिया से कहा, “कम से कम उसके सामने तो ये सब बातें मत करो।” “तुम्हें भी कोई दिक्कत है तो तुम यहां से जा सकते हो।” जिया ने कंधे उचका कर बेपरवाही से जवाब दिया और वहां से इंडियाना रेस्टोरेंट में जाने लगी। उन दोनों के अलग-अलग जगह जाने के बाद ईशान चुपचाप वहां खड़ा था। उसने खुद से कहा, “ये लड़कियां इतनी पागल क्यों होती है और मुझे ही ऐसे दोस्त मिलनी जरूरी थी क्या? एक जो आर्य सिंह ओबरॉय की शक्ल तक नहीं देखना चाहती और एक उसे एक नजर देखने भर के लिए यहां रुक रही है। थैंक गॉड मेरे वाली ऐसी नहीं है... वो आर्य सिंह ओबरॉय के इतने करीब होने के बावजूद उसके लिए पागल नहीं है।” बोलते हुए अचानक ईशान के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वो अपनी गाड़ी लेकर कहीं जाने के लिए निकल गया। __________ सुबह के लगभग 10:00 बज रहे थे। आर्य सिंह ओबरॉय एक बड़ी सी बिल्डिंग के आगे था, जिसके ऊपर बड़े-बड़े शब्दों में “डिजायर्स” लिखा हुआ था। ये आर्य की टेक्सटाइल कंपनी थी, जो उसने खुद के दम पर खड़ी की थी। आगे बढ़ने के जुनून में उसने काफी कम समय में लंदन में खुद को एस्टेबलिश कर लिया। उसकी कंपनी लंदन में इंडियन एथेनिक ड्रेसेस बनाने के लिए फेमस थी। आर्य गाड़ी से बाहर निकला और ऑफिस में गया। जैसे ही उसने अंदर कदम रखा सब जल्दी-जल्दी काम करने लगे। ऑफिस में शांति थी और सारा काम काफी व्यवस्थित तरीके से हो रहा था। वहां काम करने वाले ज्यादातर लोग भारतीय ही थे। आर्य को आता देख उसकी असिस्टेंट जेनी जल्दी से उसकी तरफ बढ़ी। “गुड मॉर्निंग सर...” उसने काफी सधे तरीके से कहा। “मेरे केबिन में आओ।” आर्य ने इतना ही कहा और तेज कदमों से अपने केबिन में जाने लगा। जेनी भी उसके पीछे-पीछे आ रही थी। उसने अंदर आते ही कहा, “मिस्टर ओबरॉय का कॉल आया था, उन्हें एक इवनिंग गाउन चाहिए। वो आज शाम...” जेनी बोल रही थी तभी आर्य ने उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा, “मुझे इन सब के बारे में पहले से पता है। तुमने उन्हें मना क्यों नहीं किया? तुम्हें अच्छे से पता है हमारे यहां सिर्फ एथेनिक्स डिजाइन होते हैं।” “मैंने उन्हें मना करने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने कहा कि आप सब संभाल लेंगे। ये आपका फैमिली फंक्शन है, जहां सब कुछ परफेक्ट होना जरूरी है।” जेनी ने धीमी आवाज में जवाब दिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। “हां मैं तो एक रोबोट हूं, बस एक बटन दबाने की जरूरत है और चुटकियों में काम पूरा हो जाएगा।” आर्य ने हल्के गुस्से में जवाब दिया। “बटन दबाने का तो पता नहीं लेकिन मिस्टर ओबरॉय चाहते हैं कि ड्रेस आप ही डिजाइन करें। आप डिजाइन बना दीजिए बाकी का काम टीम संभाल लेगी। आप कहे तो मैं प्रोफेशनल्स को हेल्प के लिए भेज दूं। आप उन्हे इंस्ट्रक्शंस दे दीजिएगा।” जेनी ने सुझाव दिया। “उसकी कोई जरूरत नहीं है। बस मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो। और हां, याद से, अगले 2 घंटे तक मुझे कोई डिस्टर्ब ना करें।” आर्य ने जवाब दिया। उसके ऐसा कहते ही जेनी तुरंत बाहर चली गई। उसके जाते ही आर्य ने वही बैठे बैठे अपने केबिन के डोर को लॉक किया। आर्य चेयर पर बैठकर अपने पुराने दिनों के बारे में सोच रहा था। टेबल पर सामने उसकी मां बंधन की तस्वीर का फोटोफ्रेम रखा था। आर्य ने उस तस्वीर की तरफ देखकर कहा, “आप यकीन नहीं करेंगी मां, एक बार फिर वो आपके प्यार को छलनी करने के लिए तैयार है। कोई इंसान इतना कैसे गिर सकता है? उन्होंने आपकी यादों की बलि चढ़ा दी है। आपके जाने के बाद एक दिन भी उन्होंने आपको याद नहीं किया।” अपनी मां के बारे में सोचते हुए उस की पलकें भीग गई। उसकी आंखों से आंसू निकलते उससे पहले उसने उन्हें पोंछ लिया। खुद को सामान्य करने के लिए आर्य ने पास पड़ा पानी पिया। “जिसको जो करना है करने दो, मुझे उनसे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये सब करके वो मुझे तोड़ना चाहते हैं, तभी जानबूझकर केरिन की ड्रेस डिजाइन करने का काम मुझे दिया। वो कुछ भी कर ले लेकिन मुझे उनकी हरकतों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” आर्य ने मन ही मन खुद को मजबूत किया और वहां पड़े पेपर को उठाकर ड्रेस की स्केच बनाने लगा। उसका सारा ध्यान ड्रेस को डिजाइन करने में लगा था। लगभग 1 घंटे बाद आर्य ने एक खूबसूरत इवनिंग गाउन की डिजाइन बना दी थी। डिजाइन तैयार होने के बाद उसने जेनी को अपने केबिन में बुलाकर उसे देते हुए कहा, “जिसने भी इस ड्रेस को डिजाइन करने के लिए कहा है, उससे मेजरमेंट और बाकी जरूरी चेंजेज के बारे में डिस्कस कर लेना। शाम से पहले ये ड्रेस तैयार हो जाना चाहिए।” जेनी ने उसकी बात पर हामी भरी। उसने एक नजर ड्रेस की तरफ देखा, जो काफी खूबसूरत थी। “ये वाकई काफी ब्यूटीफुल है।” “और काफी महंगा भी... पीस एक्सक्लूसिव है और इमरजेंसी में तैयार किया गया है तो जिसने भी इसे आर्डर करवाया है, उसे एक्स्ट्रा अमाउंट ली जाए। ऑर्डर रिजेक्ट करने का कोई ऑप्शन नहीं है।” आर्य काफी सख्ती से जवाब दे रहा था। उसकी बात सुनकर जेनी को हैरानी हुई। उसने कहा, “लेकिन सर ये ड्रेस तो? ये तो आपके डैड ने डिजाइन करवाई थी फिर हम उनसे पैसे कैसे...” “वो सिवाय मेरे कस्टमर के और कुछ नहीं है। अब इसे यहां से ले जाओ और मुझे बाकी का काम करने दो।” जेनी ने उसकी बात पर हामी भरी और वो ड्रेस लेकर वहां से चली गई। उसके जाने के बाद आर्य को इंडियाना रेस्टोरेंट में होने वाली पार्टी की याद आई। “एक बार वहां की भी अपडेट ले लेता हूं। पार्टी की तैयारियां तो अच्छे से हो जाएगी लेकिन शिवि की अपडेट लेना भी जरूरी है। आई होप पिया ने उसे इनवाइट कर दिया होगा।” सोचते हुए आर्य ने में इंडियाना रेस्टोरेंट में काम करने वाली लड़की पिया को कॉल मिलाया। वही पिया ने आर्य के नंबर से कॉल आता देखा तो वो अपना सारा काम छोड़कर एक टेबल पर जाकर बैठ गई। वो कॉल पिक करके जल्दी से बोली, “कल शाम की पूरी तैयारियां हो गई है, आप कब तक पहुंच रहे हैं।” पिया की आवाज में उसका एक्साइटमेंट झलक रहा था। “तुमने शिवि को इनवाइट किया?” आर्य ने सीधे-सीधे पूछा। “हां सर उन्हें इनविटेशन मिल गया है। उनके दोस्तों को भी बुलाया है। उनमें से एक तो आ भी गई है।” बोलते हुए पिया ने जिया की तरफ देखा। “ये आ गई है, तो वो भी जरूर आएगी। मैंने अभी तक उन्हें बताया नहीं कि आपने रेस्टोरेंट खरीद लिया है। शाम को जब उन्हें पता चलेगा तो...” पिया अपने एक्साइटमेंट में लगातार बोले जा रही थी, तभी उसे सामने से कॉल कट होने की आवाज आई। “कट कर दिया... कम से कम पूरी बात तो सुन लेते।” आर्य के कॉल कट करने से पिया की एक्साइटमेंट पल में गायब हो गई। उधर शिवि के आने की बात सुनकर आर्य के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। वो शिवि का हारता हुआ चेहरा देखना चाहता था। शाम का इंतजार करते हुए वो अपने कामों में लग गया। ___________ शाम के 6:00 बज रहे थे। ओबरॉय मेंशन में होने वाली पार्टी की तैयारी काफी अच्छी तरीके से पूरी हो चुकी थी। इतने कम वक्त में भी मिस्टर ओबरॉय ने अच्छी खासी तैयारी करवा ली थी। उन्होंने इस अनाउंसमेंट के लिए मीडिया पर्सन्स को भी इनवाइट किया था। लंदन में रहने वाले उनके बहुत से रिश्तेदार भी इस पार्टी में शिरकत करने आ रहे थे। इन सबके बीच आर्य की डिजाइन की हुई ड्रेस ओबरॉय मेंशन पहुंची। ड्रेस के आते ही मायरा दौड़ कर गई। उसने हाउस हेल्पिंग स्टाफ से कहा, “इसे मुझे दे दो। केरिन ने मुझे इसे लाने के लिए कहा था।” उसने भी ज्यादा बहस नहीं की और मायरा को वो ड्रेस थमा दी। मायरा सबकी नजरों से छुपते छुपाते वो ड्रेस लेकर शौर्य के कमरे में पहुंची। “तो आखिर तुमने अपना काम कर दिखाया।” शौर्य ने मुस्कुरा कर कहा। “ऑफ कोर्स कर दिया।” मायरा ने जवाब दिया। उसने कमरा बंद किया और ड्रेस निकाल कर देखने लगी। उसे देखने के बाद उसकी आंखें फटी रह गई। “क्या हम कोई और ड्रेस यूज़ नहीं कर सकते? ये बहुत खूबसूरत है... मैं इसे पहनना चाहती हूं।” मायरा ने जल्दी से कहा। “तुम लड़कियों का कुछ नहीं हो सकता। फॉर श्योर ये ड्रेस खूबसूरत होनी ही थी क्योंकि आर्य ने इसे डिजाइन किया है।” बोलते हुए शौर्य ने मायरा के हाथ से वो ड्रेस छीन ली। “बड़े ओबरॉय ने इस पर काम कर दिया है, अब छोटे ओबरॉय की बारी...” शौर्य ने ड्रॉर से कैंची निकाल ली और गाउन के पीछे लगी जीप के धागे ढीले करने लगा। उसे ऐसा करता देख मायरा ने कहा, “काफी स्मार्ट हो।” “हां क्योंकि तुम्हारी तरह नहीं हूं ना।” उसने अपने चश्मे को ऊपर चढ़ाते हुए जवाब दिया। “अगर पूरी ड्रेस को काटता तो साफ पता चल जाता कि किसी ने जानबूझकर किया है। अब इस ड्रेस को जो भी देखेगा, वो यही सोचेगा कि बनाने वाले ने जानबूझकर इसे लूज किया होगा... या काम लापरवाही में हुआ हैं। देख ना आज केरिन जब इस ड्रेस को पहनेगी, तो थोड़ी ही देर बाद ये ड्रेस पीछे से फट जाएगी।” “ये सही तो होगा ना... कही हम दोनों पर तो कोई ब्लेम नहीं आएगा ना?” मायरा को थोड़ी घबराहट हो रही थी। “डरो मत, इसका पूरा ब्लेम बिग ब्रो पर आएगा। वो कहते हैं ना मुझे फर्क नहीं पड़ता। अब देखना उन्हें कितना और क्या फर्क पड़ता है। जाओ और अब इसे केरिन के पास भिजवा दो।” अपना काम करने के बाद शौर्य ने चालाकी से उसी तरह से ड्रेस को वापस पैक करके मायरा को थमा दिया। मायरा ने उसकी बात पर हामी भरी और वो ड्रेस लेकर केरिन के पास चली गई। ★★★★ हेलो रीडर्स... लेट्स सी अब पार्टी में क्या हंगामा होने वाला है। कहानी को पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा और साथ ही आगे आने वाले भागों की अपडेट के लिए फॉलो करें।
शाम के 9 बज रहे थे। ओबेरॉय मेंशन में पार्टी शुरू हो चुकी थी वहां ओबेरॉय फैमिली के लंदन में रहने वाले रिश्तेदारों के साथ बाकी मेहमानों का भी तांता लग चुका था। क्रिस्टी भी पार्टी में मौजूद थी। शौर्य अपनी मां के साथ खड़ा था तो वहीं उनसे कुछ दूर मायरा विक्रम सिंह जी के पास खड़ी थी। उन दोनों को केरिन के नीचे आने का इंतजार था। कुछ ही देर में उनका इंतजार खत्म होने वाला था। उनका लगभग पूरा परिवार वहां पहुंच चुका था। सबके आते ही शौर्य ने मायरा को मेसेज किया। “आर्य कहां है।” “मुझे भी बस उन्हीं के आने का इंतजार है.... अगर वो यहां नहीं आए तो हमारा पूरा प्लान फ्लॉप हो जाएगा।” मायरा ने उसके मेसेज का जवाब दिया। शौर्य से बात करने के बाद उसने विक्रम सिंह जी की तरफ देखा। “किसी और को उनके बारे में पता हो ना हो लेकिन दादू उनके है हर मूमेंट की खबर रखते हैं। उनसे पूछ कर देखती हूं।” मायरा ने अपने मन में कहा और अपने दादू की तरफ देख कर बोली, “दादू जानती हूं आर्य ब्रो आपके अलावा हम में से किसी को भी अपनी फैमिली नहीं मानते लेकिन कम से कम इस फंक्शन में डैड के लिए तो वो यहां आ ही सकते थे ना?” “अचानक तुम आर्य को लेकर इतनी फिक्रमंद क्यों हो रही हो मायरा?” उसके इस तरह पूछने पर विक्रम सिंह जी को उस पर शक हुआ। “आज से पहले तो तुमने कभी नहीं पूछा कि आर्य घर के किसी फंक्शन में आ रहा है या नहीं। हमेशा तो तुम लोग उसे देख कर मुंह बनाते रहते हो।” “पता नहीं क्यों आज पूरी फैमिली के साथ होने का मन कर रहा है। काश मेरी मॉम भी आज यहां होती... सब यहीं आसपास दिखाई दे रहे हैं, आर्य ब्रो नहीं दिखे, तो बस पूछ लिया।” मायरा ने जैसे तैसे करके बात को संभाला। विक्रम सिंह को ज्यादा शक ना हो इसलिए उसने इस बारे में ज्यादा सवाल जवाब नहीं किए। वो लोग वहां खड़े होकर बातें कर रहे थे, तभी विक्रम सिंह के बड़े भाई का परिवार वहां पहुंचा। वो भी लंदन में रहते थे। सामने से उनसे कुछ कम उम्र की औरत थी, जिनके साथ उनकी दो बेटियां थी। उनको देखकर उनके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई। उस औरत ने हल्के गुलाबी रंग का पंजाबी सूट पहन रखा था और अपने सफेद बालों को जुड़े के रूप में बांध रखा था। जुड़े में गुलाबी गुलाब के फूल लगे थे। वो चल कर उनके पास आई और दोनो हाथ जोड़कर नमस्ते किया। “इस बार इस तरह की पार्टी के लिए कुछ ज्यादा ही देर नहीं हो गई विक्रम जी?” “हां, अब तुम भी ताने मार लो रमनदीप...” विक्रम जी मुंह बनाकर बोले। रमनदीप जी ने उनकी बात का जवाब देने से पहले मायरा की तरफ देखा। उन्होंने उस से कहा, “यहां क्या कर रही हो लड़की? जाओ, जाकर अपनी उम्र वालों के साथ रहो।” “ओके बीजी...” मायरा ने जवाब दिया। इसी बहाने उन्हें बात को टालने का अच्छा मौका मिल गया, तो वो जल्दी से वहां से चली गई। उसके जाते ही रमनदीप जी ने विक्रम सिंह जी से कहा, “इतने सालों तक आशुतोष ने कोई शादी नहीं की, तो लगा था कि वो सुधर गया। लेकिन वो फिर से उन्हीं हरकतों पर उतर आया है, तुम उसे समझाते क्यों नहीं हो विक्रम... अब शादी की उम्र उसकी नहीं आर्य की है।” विक्रम सिंह जी ने उन्हें शांत कराते हुए कहा, “धीरे बोलो रमन, तुम्हें तो बस गुस्सा करने का मौका चाहिए। तुम अच्छे से जानती हो आशु, किसी की नहीं सुनता।” “सुनता नहीं होगा, तो क्या उसने देखना भी बंद कर दिया, जो उसे अपना जवान बेटा नहीं दिखाई देता।” रमनदीप ने ताना मारा। “आर्य को अपने लिए लड़की पसंद आएगी, तब वो खुद शादी कर लेगा...” विक्रम सिंह रमनदीप को समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्होंने उनकी बात बीच में काटते हुए कहा, “ये सब कहने की बातें होती है। आर्य कोई बच्चा नहीं है, अब तक इतनी लड़कियों से मिल चुका होगा। कोई न कोई लड़की तो उसे जरूर पसंद आई होगी। कहीं ऐसा ना हो वो भी किसी की तरह अपने दिल की बात बताने में देर कर दे और फिर उस लड़की की शादी किसी और से हो जाए।” रमनदीप की बात सुनकर विक्रम सिंह मुस्कुराए। उन्होंने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा, “आज भी बातों ही बातों में तुम्हारी ताने मारने की आदत गई नहीं। घूम फिर कर तुम बातों को उसी जगह पर ले ही आती हो।” “हां तो क्यों ना लाऊं? तुम्हारे देर करने और अपने दिल की बात ना बताने के कारण मेरी शादी तुम्हारे बड़े भाई से हो गई। कहीं आर्य के साथ भी ऐसा ही ना हो।” रमनदीप ने कहा। “वो विक्रम सिंह ओबेरॉय नहीं, आर्य सिंह ओबरॉय हैं। आर्य को जो चीज चाहिए होती है, उसे पाने के लिए वो किसी भी हद तक चला जाता है... फिर यहां तो बात उसके प्यार की है। देखना, जब मेरे आर्य को प्यार होगा तब वो किसी की परवाह नहीं करेगा। उसे हर हाल में अपना बना कर रहेगा।” विक्रम सिंह ने रमनदीप को अच्छे से जवाब दे दिया था। उनकी बात सुनकर रमनदीप का चेहरा उतर गया। उन्होंने धीमी आवाज में कहा, “जितना कॉन्फिडेंट तुम आर्य को लेकर हो रहे हो, उतना ही कॉन्फिडेंट पहले होते तो आज हालात बहुत अलग होते।” रमनदीप ने इतना ही कहा और फिर उसके बाद वहां से चली गई। वो पार्टी में बाकी मेहमानों के साथ घुलने मिलने की कोशिश कर रही थी। इन सबके बीच आशुतोष केरिन का हाथ पकड़कर उसे पार्टी में लेकर आया। उनके वहां आते ही मायरा ने शौर्य के पास आकर कहा, “अब तो डैड भी नीचे आ गए हैं। मुझे नहीं लगता वो पार्टी में आएंगे।” “अगर नहीं आएंगे तो कुछ भी करके उन्हें यहां बुलाने की कोशिश करो। जाकर दादू से बात करो। अब वहीं उन्हें यहां पार्टी में ला सकते हैं।” शौर्य ने गुस्से में जवाब दिया। आर्य के वहां ना आने की वजह से उसका प्लान लगभग पीटने वाला था। ये सब होता देख उसका मूड बुरी तरह उखड़ गया। _____________ आर्य इंडियाना रेस्टोरेंट में मौजूद था। वहां उसकी दी हुई ग्रैंड पार्टी चल रही थी। आज रेस्टोरेंट में अच्छी खासी भीड़ थी। वो वहां बस शिवि के लिए बैठा था जबकि उसे वहां की भीड़ की वजह से घुटन महसूस हो रही थी। बहुत देर इंतजार करने के बाद भी शिवि नहीं आई तो वो गुस्से में उठा और पिया के पास गया। उसने उसका हाथ पकड़ा और अंदर लेकर गया। “तुमने तो कहा था तुमने उस लड़की को इनवाइट किया था। फिर वह यहां अभी तक क्यों नहीं आई है?” आर्य ने अंदर आते ही कहा। “आई स्वेयर सर... मैंने खुद उसेऔर उसके दोस्तों को मैसेज किया था। मैंने आपको बताया था ना कि उसकी एक फ्रेंड पार्टी में कब से आ चुकी है और यहां की टीम का हाथ भी बंटा रही थी।” पिया ने अपनी तरफ से सफाई देने की कोशिश की। “अगर उसकी दोस्त आ गई है तो वो क्यों नहीं आई? जाओ और जाकर उसकी फ्रेंड से पूछो कि शिवि यहां कब तक आएगी। मुझे उसका उतरा हुआ चेहरा देखना है।” पिया ने आर्य की बात पर हामी भरी और वहां से बाहर आई। उसने इधर-उधर मुझे दौड़ाकर जिया को ढूंढने की कोशिश की। उसे भीड़ में जिया डांस करती हुई दिखाई दी। वो भी उसके पास जाकर डांस करने लगी। आर्य दूर से उन दोनों को देख रहा था। उसने मन ही मन बड़बड़ाते हुए कहा, “अब इसे भी यहां टाइम पास करना है। जाकर डायरेक्टली पूछ क्यों नहीं देती कि शिवि पार्टी में क्यों नहीं आई।” पिया, जो जिया से बात करने के लिए गई थी। उसने अपने हाथ में ड्रिंक का गिलास ले रखा था। डांस करते हुए उसने वो जानबूझकर जिया के कपड़ों पर गिरा दी। “आई एम सो सॉरी.... मैने ये जानबूझकर नही किया। मैं तुम्हे वॉशरूम ले चलती हूं।” पिया ने जिया को बोलने का मौका नहीं दिया और जबरदस्ती उसका हाथ पकड़कर उसे वॉशरूम में ले जाने लगी। उन दोनो को उस तरफ जाता देख आर्य भी उनके पीछे पीछे गया। वॉशरूम में म्यूजिक की आवाज काफी कम आने की वजह से वहां थोड़ी शांति थी। पिया जिया की ड्रेस साफ कर रही थी, तभी आर्य तेज़ी से वहां आया और दरवाजा बंद किया। “ये क्या बदतमीजी है... ये लेडीज...” जिया गुस्से में उस पर चिल्ला रही थी, तभी आर्य उसकी तरफ पलटा। उसे देखकर वो चुप गई। “आर्य सिंह ओबेरॉय...” आर्य को देखते ही जिया का गुस्सा पल में छू हो गया। वो एक्साइटेड होकर बोली, “आप यहां? आई एम सो हैप्पी कि आपने ये रेस्टोरेंट खरीद लिया।” “वो कहां है.. वो..” आर्य शिवि के बारे में पूछने से हिचकिचा रहा था। उसने बात को बदला और फिर कहा, “तुम्हारी दोस्त नहीं आई। यहां आने वाले सभी कस्टमर्स को इनवाइट किया था।” “कौन शिवि?” जिया ने मुंह बनाकर कहा, “वो तो अलग ही मूड में हैं, जब से उसे ये पता है कि ये रेस्टोरेंट आपने खरीद लिया है।” “अच्छा तो उसे पता है।” आर्य ने तिरछी मुस्कुराहट दी। “पता.. पता क्यों नही होगा। सुबह जब हम यहां आए और उसने रेस्टोरेंट के ऊपर लगा बोर्ड देखा... उसका चेहरा देखने लायक था। वो बहुत गुस्सा हो गई थी।” जिया उसे बता रही थी। आर्य को उसकी बातें सुनकर राहत महसूस हो रही थी। उसने अपने मन में कहा, “सुनकर ही इतनी खुशी महसूस हो रही है, तो सोचो ये सब मेरी आंखों के सामने होता तब क्या होता। आई विश वो इस पार्टी में मौजूद होती।” आर्य अपने ख्यालों में खोया था, तभी उसके फोन की रिंग बजी। अपने मोबाइल पर विक्रम सिंह का कॉल आता देख आर्य तुरंत वहां से बाहर निकला। “हां दादू... बस कुछ देर में पहुंचता हूं।” आर्य ने जल्दी से फोन उठाकर कहा। वो तुरंत उस पार्टी से निकला और ओबेरॉय मेंशन जाने के लिए निकल पड़ा। कुछ ही देर में आर्य की गाड़ी ओबेरॉय मेंशन के आगे खड़ी थी। “दादू के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ रहा... देख लो अब ना चाहते हुए भी इस तमाशे का हिस्सा बनना पड़ेगा और कुछ महान लोगों को ये गलतफहमी हो जाएगी कि मुझे उनकी इस बेहूदा हरकत से खुशी हो रही है।” आर्य अपनी गाड़ी से बाहर निकला। वो खुद से बातें करते हुए अंदर की तरफ जा रहा था। जैसे ही वो पार्टी हॉल में पहुंचा, शौर्य और मायरा के चेहरे पर चमक आ गई, जो उसके आने का इंतजार कर रहे थे। “अब आएगा असली मजा...” शौर्य ने मुस्कुरा कर कहा। उसकी बात सुनकर मायरा चिढ़कर बोली, “क्या खाक मजा आएगा। केरिन को नीचे आए हुए 40 मिनट हो गए लेकिन अभी तक उसकी ड्रेस को कुछ नहीं हुआ।” “मैंने तुम्हें कहा ना मेरा प्लान फुल प्रूफ है। अगर एक झटके में ही उसकी ड्रेस खराब हो जाती तो किसी को भी पता चल जाता कि ये सोच समझ कर किया गया है। मैंने ड्रेस की ऑल्टरेशन इसी तरह से खराब की थी ताकि वो कुछ देर के लिए टिक सके।” शौर्य ने जवाब दिया। आशुतोष ने भी आर्य को वहां देखा, तो उनके दिल को भी बहुत तसल्ली हुई। उन्होंने आर्य की तरफ मुस्कुराकर उसे आने के लिए थैंक्स कहा। आर्य ने उनकी मुस्कुराहट का कोई जवाब नहीं दिया और अपने दादू के पास चला गया। “फाइनली आर्य सिंह ओबरॉय ने अपने दादू की बात रख ही ली।” उसके वहां आते ही विक्रम सिंह जी बोले। “हां और कोई चारा भी तो नहीं था।” आर्य ने मुंह बना कर जवाब दिया। वो कुछ देर तक चुपचाप उनके पास खड़ा रहा। जब पास से वेटर गुजरा तब उसने अपने हाथ में ड्रिंक का एक गिलास लिया। आर्य की नजरे केरिन और आशुतोष पर ही टिकी थी। सबसे इंट्रोडक्शन कराते हुए आशुतोष केरिन के साथ दूसरी तरफ पलटे, तभी आर्य की नजर केरिन की ड्रेस पर गई तो उसकी आंखें बड़ी हो गई। “ओह नहीं... ये नहीं हो सकता।” आर्य ने खुद से कहा। वो समझ गया था कि केरिन की ड्रेस के साथ अगले ही पल क्या होने वाला था। ★★★★ हैलो रीडर्स, अगले पार्ट के लिए बने रहिए मेरे साथ... कहानी की अपडेट के लिए मुझे फॉलो जरूर करे और समीक्षा जरूर कीजिए। स्टे ट्यून्ड...
ओबेरॉय मेंशन में पार्टी चल रही थी। ये पार्टी आशुतोष सिंह ओबरॉय ने केरिन के साथ अपने रिलेशन के अनाउंसमेंट के लिए की थी। आर्य पार्टी में पहुंच चुका था। वो बेमन से अपने दादा विक्रम सिंह के साथ खड़ा था। वहां खड़े हुए उसकी नजर केरिन की ड्रेस पर गई, जो अगले ही पल फटने वाली थी। वही सामने खड़े मिस्टर आशुतोष सिंह ओबेरॉय ने एनाउसमेंट के लिए माइक हाथ में लिया और दूसरे हाथ से केरिन का हाथ पकड़ा। “बेबी.. एम फीलिंग सो अनकंफर्टेबल.. दिस ड्रेस...” केरिन आशुतोष को बताने की बताने की कोशिश कर रही थी, तभी आशुतोष ने उसकी बात बीच में काटकर कहा, “डोंट वरी.. आई नो यू आर फीलिंग नर्वस…. एम विथ यू...” “ये ड्रेस... ये कैसे पॉसिबल हो सकता है... ये नही हो सकता।” आर्य खुद में बड़बड़ाया। उसने आस पास नजर दौड़ाई, तो वहां लोगो की अच्छी खासी भीड़ इक्कठा थी। “लेडीज एंड जेंटलमैन..” आशुतोष एनाउसमेंट कर रहे थे तभी आर्य दौड़ता हुआ उनके पास आया और उसने केरिन को कसकर गले लगा लिया। उसका ये करना काफी अनएक्सपेक्टेड था। केरिन उसे कुछ से दूर करने की कोशिश कर रही थी तभी आर्य ने धीमी आवाज में कहा, “डोंट मूव... योर ड्रेस इज अबाउट टू फॉल...” “आर्य ये क्या बदतमीजी है।” आशुतोष उस पर गुस्से में चिल्लाए। उसकी इस हरकत पर वहां मौजूद फुसफुसा कर बातें करने लगे। पहली नजर में ये लग रहा था जैसे आर्य और केरिन के बीच कोई क्लोज रिलेशन हो। आर्य ने केरिन के गले लगे हुए जैसे तैसे करके अपनी जैकेट निकाली और उसे पहना दी। जैकेट पहनाने के बाद वो केरिन से अलग होकर बोला, “हम अकेले में बात करते हैं।” “ऑफ कोर्स, हमें बात करने की जरूरत है।” आशुतोष ने गुस्से में जवाब दिया। एक ही झटके में वहां चल रही अच्छी खासी पार्टी बर्बाद हो चुकी थी। आशुतोष ने आगे कुछ नहीं कहा और केरिन को वहीं छोड़कर अपने कमरे में चले गए। पार्टी बर्बाद होने की वजह से शौर्य और मायरा के साथ-साथ क्रिस्टी भी खुश थी। वो आगे आई और वहां मौजूद लोगों से पार्टी खत्म होने की बात कहकर अपने कमरे में चली गई। वहां मौजूद लोग एक-एक करके जाने लगे। कुछ देर में वहां परिवार के लोगो के अलावा और कोई नही बचा था। केरिन ने आर्य के पास आकर धीमी आवाज में कहा, “थैंक यू सो मच...” आर्य ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उस के जाने के बाद विक्रम सिंह जी और रमनदीप आर्य के पास गए। “तुम्हें जाकर आशुतोष से बात कर लेनी चाहिए।” रमनदीप ने कहा। “मुझे किसी से बात करके सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है दादी। मेरा इंटेंशन गलत नहीं था। उन्होंने नहीं देखा लेकिन आपको तो पता होगा कि उसकी ड्रेस...” आर्य बोल रहा था तभी विक्रम सिंह जी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “कई बार खुद का पक्ष रखने के लिए बात करने की जरूरत होती है। अचानक यहां जो भी हुआ, उससे कुछ अच्छा भी निकल कर नहीं आया। तुम आशुतोष का गुस्सा जानते हो। जाकर उसे सब कुछ क्लियर करो।” “लेकिन दादू...” आर्य भी गुस्से में था। “इन सब में मेरी क्या गलती है? मतलब किसी का भला करो और खुद ही जाकर ये एक्सप्लेन करो कि आपने ऐसा क्यों किया।” “और क्या पता आपने वो भला दिखावे के लिए किया हो। ड्रेस आपके यहां से आया था। आपको कैसे पता कि वो ड्रेस खराब है? कही आपने जानबूझकर तो ये सब नहीं किया...” वहां मौजूद शौर्य उसके पास आकर बोला। “तुम्हें सच में लगता है कि ये सब छोटी हरकतें करने के लिए मेरे पास टाइम है? मुझे समझ नहीं आ रहा मैं आप लोगों से बात hu क्यों कर रहा हूं।” आर्य गुस्से में शौर्य पर चिल्लाया। शौर्य का साथ देते हुए मायरा ने कहा, “इस पर चिल्लाने से कुछ नहीं होगा। यहां सब को पता है कि आप डैड से नफरत करते हैं। आप मेरी मॉम से नफरत करते थे, शौर्य की मॉम से नफरत करते हो, यहां तक कि हम दोनों को भी आप पसंद नहीं करते... अब केरिन आपकी मॉम की जगह ले रही है.. तो आप उनसे भी नफरत करने लगे। ये सब आपने डैड और केरिन से बदला लेने के लिए किया ना।” “डोंट यू डेयर... ।” आर्य ने शौर्य को अंगुली दिखाकर कहा, “मेरी मां को गलती से भी इन सबमें इन्वॉल्व मत करना।” आर्य के गुस्से को देखकर शौर्य और मायरा चुप हो गए, वही उससे बात करने के लिए नीचे आ रहे आशुतोष ने उनकी बातें सुनी तो उन्होंने सीढियों से ही चिल्लाकर कहा, “तो ये सब करने की वजह जान सकता हूं मैं?” आर्य ने आशुतोष की तरफ देखा और जवाब में कहा, “मुझे नहीं पता वो ड्रेस कैसे खराब हुई। मैंने उसे भेजने से पहले दो बार क्रॉस चेक किया था.... और मैं आपको क्लियर कर दूं कि मेरा आप की नई गर्लफ्रेंड में कोई इंटरेस्ट नहीं है। मैंने उस ड्रेस को गिरने से बचाने के लिए उसे हग किया था।” आर्य ने अपनी तरफ से सफाई दी। “आप अच्छे से जानते हैं कि मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता.... कभी भी नहीं।” आशुतोष आर्य को अच्छे से जानते थे। उसकी बात पर उन्हें यकीन था। वो उसके पास आकर बोले, “हां मान लिया कि कि तुमने नहीं किया होगा लेकिन ड्रेस तुम्हारे यहां से आया था। जरूर तुमने लापरवाही की होगी तभी ये सब हुआ... आज तुम्हारी वजह से खानदान की इज्जत...” आशुतोष ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि आर्य हंसकर बोला, “इज्जत? कौन सी इज्जत की बात कर रहे हैं आप? आप अपने बेटे से भी कम उम्र की लड़की से शादी करने जा रहे हैं। अगर लोगों का इतना ही खयाल है तो आप ऐसा कभी नहीं करते। आपको इस बात से फर्क पड़ता है कि आज केरिन की ड्रेस पार्टी में गिर जाती तो लोग आपकी इज्जत पर सवाल उठाते... जबकि वही लोग पार्टी में आपके और केरिन के रिश्ते पर सवाल उठा रहे थे। मेरी मां के जाने के बाद आपने इस खानदान की इज्जत का तमाशा तो वैसे भी लगा दिया है मिस्टर ओबेरॉय...” “अपनी बकवास बंद करो। मुझे अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है। तुम भी अपनी मनमानी करते हो, मैंने तो तुम्हें कभी नहीं टोका...” आर्य की बातों ने आशुतोष को और गुस्सा दिला दिया।वो उस पर जोर से चिल्लाए। “आप मेरे मनमानी करने पर मुझे रोक सकते थे लेकिन आपने वो हक कब का खो दिया है मिस्टर ओबरॉय...” आर्य ने उनकी तरफ नफरत भरी नजरों से देखा। वो वहां से जाने को हुआ तभी उसकी नजर शौर्य और मायरा पर पड़ी। उसने उन दोनों की तरफ देख कर कहा, “अब तो तुम दोनों को बहुत खुशी मिल रही होगी कि तुम्हारा प्लान कामयाब हो गया।” “आप इस तरह हम पर इल्जाम नहीं लगा सकते।” शौर्य ने सकपका कर कहा। आर्य ने एक झटके में उन दोनों की चोरी को पकड़ लिया। वो आगे कुछ बोलता उससे पहले मायरा बीच में बोल पड़ी, “और क्या प्रूफ है आपके पास कि ये किसने किया है।” “मैंने ये कब कहा कि ये सिर्फ किसने किया है... मैं तो ये कह रहा हूं कि ये तुम दोनों ने मिलकर किया है। रही बात प्रूफ देने की, तो मुझे कोई प्रूफ देने की जरूरत नहीं है... हम तीनों में एक दूसरे के लिए प्यार तो है नहीं, फिर अचानक किस खुशी में तुम दोनों साथ खड़े हो? ये साबित करने के लिए काफी होगा ना मायरा सिंह ओबरॉय?” आर्य ने सख्ती से कहा। उसकी बात सुनकर शौर्य और मायरा की नजरें झुक गई। उसके बाद आर्य ने आशुतोष की तरफ देख कर कहा, “शायद अब मुझे कोई सफाई देने की जरूरत ना पड़े कि मैंने कुछ नहीं किया।” “गलती भले ही किसी की हो लेकिन ड्रेस तुम्हारे यहां से आई थी। यहां जो भी हुआ, उसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ तुम हो।” आशुतोष अभी भी अपनी बात पर अड़े थे और आर्य को इन सब का जिम्मेदार मान रहे थे। उनकी बात सुनकर आर्य ने मुस्कुरा कर कहा, “इस घर में अगर कोई चूहा भी मर जाएगा तो उसका जिम्मेदार भी मैं ही होऊंगा।” अपनी बात कह कर आर्य वहां से वापस जाने लगा। “रुको आर्य.... मेरी बात अभी खत्म नहीं हुई।” आशुतोष ने उसे रोकने के लिए आवाज लगाई लेकिन आर्य ने मुड़कर एक बार भी नहीं देखा। वो जिस तरीके से गया था उससे साफ था कि उसे इन सब से काफी तकलीफ पहुंची थी। आर्य के जाते की आशुतोष वहां से अपने कमरे में वापस चले गए। उनके जाते ही मायरा ने धीमी आवाज में कहा, “मैंने कहा था ना कि फर्क पड़ता है।” शौर्य और मायरा भी वहां से जाने को हुए तभी रमनदीप उनके सामने आ गई। उनके चेहरे पर गुस्से के भाव थे। “लगता है अपनी उम्र से पहले ही बड़े हो गए हो दोनों... पहले मुझे लगता था कि इस घर के माहौल में तुम दोनों ऐसे हो गए हो लेकिन मैं गलत थी। आर्य भी इसी घर में रहता था लेकिन उसने आज तक कोई गिरी हुई हरकत कभी नहीं की।” रमनदीप गुस्से में उन दोनों पर बिफर पड़ी। शौर्य और मायरा ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और दोनों बिना कुछ बोले वहां से चले गए। उनके जाने के बाद रमनदीप विक्रम सिंह जी के पास आई। “तुम्हारी वजह से आर्य को इतना सफर करना पड़ रहा है विक्रम... वो इस लायक है कि उसे ये सब झेलने की कोई जरूरत नहीं है। तुम उसे इन झूठे रिश्तो के बंधन से आजाद क्यों नहीं कर देते।” रमनदीप ने कहा। “आज पहली बार मुझे भी तुम्हारी बात सही लग रही है। अब तक मुझे लगता था कि तीनों बच्चे साथ रहेंगे तो आज नहीं तो कल इनके बीच प्यार पनप जाएगा। मुझे नहीं पता था शौर्य और मायरा के दिल में आर्य के लिए इतनी नफरत है।” विक्रम सिंह जी ने जवाब दिया। “अभी भी देर नहीं हुई है। आर्य की शादी करके उसे वापस उसके घर में शिफ्ट कर दो ताकि वो चैन से जी सके।” रमनदीप जी ने सुझाव दिया। विक्रम सिंह जी ने उनकी बात पर हामी भरते हुए कहा, “मैं उस से इस बारे में बात करता हूं।” विक्रम सिंह जी से बात करने के बाद रमनदीप वहां से जा चुकी थी। वही विक्रम सिंह जी आर्य के लौटने का इंतजार कर रहे थे। आज जो भी हुआ उसकी वजह से वो काफी परेशान थे। घर का माहौल भी काफी तनावग्रस्त था। ____________ पार्टी में जो भी हुआ, उससे आर्य को बहुत गुस्सा आया। वो अपनी गाड़ी तेज गति से बढ़ाते हुए कहीं जा रहा था। “पता नहीं क्यों मैं झूठे रिश्तो की आस में रहता हूं। आज तक मैंने किसी का बुरा नहीं चाहा। कोई इतना कैसे गिर सकता है। मिस्टर ओबरॉय अच्छे से जानते थे कि ये मैंने नहीं किया, उसके बावजूद वो मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं... मुझे दादू की वजह से उस घर में जाना पड़ता है, जबकि मैंने उन्हें बोल दिया कि मेरा उन लोगों के बीच दम घुटता है।” आर्य गाड़ी चलाते हुए खुद से बातें कर रहा था। वो काफी तेज गति से गाड़ी चला रहा था अचानक उसके सामने एक बड़ा ट्रंक आया जिससे उसकी गाड़ी भिड़ते भिड़ते बची। आर्य ने अपनी गाड़ी को साइड में पार्क किया और खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा। “काम डाउन आर्य... खुद पर कंट्रोल रखो और इन सब से दूर रहो।” वो खुद को शांत करने की कोशिश में लगा था, तभी उसकी नजर गाड़ी के अंदर लटके एक शोपीस पर गई जो कि रंग बिरंगे पंखों से बना था। उसे देखने के बाद आर्य के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। “एक तुम ही हो, जो मुझे शांत कर सकती हो। मेरे गुस्से में, मेरे टूटने पर, मेरे अकेले फील करने पर, इन सब में तुमने मुझे संभाला है और आज इस काबिल बनाया है। तुम्हारा प्यार ही है, जो मुझे इतनी ताकत देता है। तुम... तुम मेरी जिंदगी हो। पिछले 2 दिनों से तुमसे मिला नहीं हूं। शायद तभी मैं इतना परेशान हूं। अब मुझे तुमसे मिल लेना चाहिए।” उस पंखों वाले शोपीस को देखते ही आर्य का गुस्सा एक पल में छू हो गया और वो जिसके बारे में बात कर रहा था, उससे मिलने के लिए चल पड़ा। ___________ हेलो डियर रीडर्स.. आपको क्या लगता है वो इंसान कौन है जो आर्य को इतना सुकून देता है? आप अपना आंसर कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो प्लीज सपोर्ट कीजिए और कहानी के हर भाग पर कमेंट कीजिए। अब से कहानी का भाग रेगुलर आएगा तो प्लीज आगे की अपडेट के लिए फॉलो कीजिए और बने रहिए
सुबह के 8 बज रहे थे। शिवि अपने रूम में बेफिक्र होकर सो रही थी, तभी उसके कानों में कुत्तों के भौंकने की जोरदार आवाज आई। वो आवाज सुनकर शिवि नींद में भी डर गई और चिल्लाकर उठी। “बचाओ... बचाओ... कुत्ता...” शिवि जोर से चिल्लाकर उठी। उसके ऐसा करने पर सामने खड़ा उसका सौतेला भाई नील जोर से हंस पड़ा। उसके हाथ में एक छोटा सा पपी था, जिसे वो सहला रहा था। “इससे मिलो सूजी... ये मेरी स्टेप सिस्टर है, जो जबरदस्ती मेरे गले आ गई है। दिन-रात मुझे इसकी बेबी सिटिंग करनी पड़ती है, तो सोचा इसी बहाने अपने खुद का एक बच्चा ले आऊं। एटलिस्ट तुम क्यूट तो हो...” नील उस फीमेल पपी को अभी लेकर आया था। वो उसे शिवि से इंटरड्यूस करवा रहा था। “तुम्हें पता है ना मुझे कुत्तों से डर लगता है। फिर भी तुम इसे यहां लेकर क्यों आए हो?” शिवि चिढ़कर बोली। उसके ऐसा कहने पर नील ने एक नजर सूजी की तरफ देखा और फिर शिवि की तरफ.. उसके बाद उसने कहा, “डरना तो इसे तुमसे चाहिए। ये तो एक मासूम सी बेबी पपी है और तुम... तुम जानती हो ना तुम कितनी खतरनाक हो। तुम्हारी वजह से मुझे इस छोटे से घर में रहना पड़ रहा है।” “गलती तुम्हारी भी थी इसलिए सारा ब्लेम मुझ पर मत डालो। मुझे अच्छे से याद है उस दिन तुम्हीं ने प्लान बनाया था मुझे वापस इंडिया भेजने का... इतना बेहूदा प्लान मैंने आज तक नहीं देखा। तुम्हारी वजह से मैं भी पकड़ी गई और सजा के तौर पर हम दोनों को इस छोटे से फ्लैट में रहने के लिए भेज दिया गया।” बातों ही बातों ने शिवि ने उन दोनों के वहां रहने का कारण बताया। “हां तो किसने कहा था तुम्हें घर छोड़ने से पहले अपनी मॉम के पास जाकर फेयरवेल स्पीच देने का...” नील आंखें घुमा कर बोला। “ठीक है, जो हो गया सो हो गया। मैं तुम्हे यहां ये बताने आया था कि डैड ने आज हमें ब्रंच पर बुलाया है। सजा के मुताबिक हम यहां सिक्स मंथ बीता चुके है। अब वो हमारा बिहेवियर और कंपेबिलिटी चेक करेगे।” “छह महीने तो क्या हम 6 साल भी साथ बिता लेंगे तो भी हमारे बीच कोई कंपैटिबिलिटी नहीं होगी।“ शिवि ने मुंह बनाकर जवाब दिया। “जो भी हो... फॉर गॉड सेक आज उनके सामने नॉर्मल बिहेव करना ताकि उन्हें लगे कि हम दोनों के बीच में बहुत प्यार है और वो हमें वापस घर बुला ले।” “लेकिन मैं उस घर में वापस नहीं जाना चाहती। मुझे ये जगह पसंद है।” शिवि ने जवाब दिया। “तुम्हें यहां रहना है तो रहो लेकिन मुझे ये जगह बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं पिछले छह महीनों से अपनी गर्लफ्रेंड से नहीं मिला हूं। उसे रोज अलग अलग तरीके के बहाने बनाने पड़ते हैं ताकि वो इस बाथरूम जैसे घर में ना आ जाए।” नील और शिवि की एक दूसरे से बिल्कुल नहीं बनती थी उसके बावजूद दोनों बातों ही बातों में अपने सारे राज एक दूसरे से बता ही देते थे। नील की बात सुनकर शिवि हंसने लगी। “अगर वो सच में तुमसे प्यार करती है तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि तुम छोटे घर में रहते हो या बड़े बंगले में...” “ये सब कहने भर की बातें होती हैं। इन सब को छोड़ो, शिवि मैं तुम्हें फिर वॉर्न कर रहा हूं कि तुम डैड के सामने नॉर्मल बिहेव करोगी। इन 6 महीने में मैंने तुम्हारा बहुत ख्याल रखा है, तो उसी नाते मेरी इतनी हेल्प कर दो।” इस बार नील ने थोड़ा नरम होकर कहा। शिवि अपने बैड से उठते हुए बोली, “अच्छे से जानती हूं तुमने मेरा कितना और क्या ख्याल रखा है।” कहकर वो कपड़े निकालकर बाथरूम में चली गई। वहां वो नहाने के बजाय खुद को वहां लगे आईने में देख रही थी। “ठीक है जाने से पहले मैं इसे वापस इसके घर में सेटल कर दूंगी। वैसे भी मुझे कौन सा यहां रहना है। मैं वापस इंडिया जाने वाली हूं। इस बार मैं अपना प्लान नील से शेयर नहीं करूंगी। आई डोंट वांट कि लास्ट टाइम की तरह कुछ भी गड़बड़ हो।” शिवि वहां खड़े होकर खुद से बातें कर रही थी तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आया। वो किसी का वीडियो कॉल था। “सिड का कॉल...” शिवि ने जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ देखा। नील वहां मौजूद नहीं था। वो उसके कमरे से जा चुका था। उसने वापस बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने दोस्त सिद्धांत का कॉल उठाया। “कॉल उठाने में इतना टाइम क्यों लगा दिया?” सामने स्क्रीन पर सिद्धांत मौजूद था। वो उम्र में शिवि से थोड़ा बड़ा लग रहा था। उसने लॉयर की ड्रेस पहन रखी थी। परफेक्टली सेट बाल और क्लीन शेव में वो काफी डिसेंट लग रहा था। “मैं इस तरह सबके सामने तुम्हारा फोन पिक नहीं कर सकती। मुझे पहले चेक करना होता है कि आसपास कोई है या नहीं... तुम बताओ तुमने क्यों कॉल किया?” शिवि ने उसके कॉल करने का रीजन पूछा। “अच्छा तो अब अपनी फ्रेंड को कॉल करने के लिए भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा। चलो फ्रेंडशिप को एक बार के लिए साइड में कर देते हैं। ये एक प्रोफेशनल कॉल है शिवि।” सिद्धांत ने उसकी बात का गंभीरता से जवाब दिया। जैसे ही सिद्धांत ने प्रोफेशनल कॉल का नाम लिया शिवि के चेहरे का रंग उड़ गया। “सब ठीक तो है ना?” “अभी तक तो सब ठीक है लेकिन आगे का कुछ कह नहीं सकते। कुछ ही दिनों में तुम्हारे पापा के केस की हियरिंग है। इस बार तुम्हें इंडिया आना ही होगा, कुछ भी करके...” सिद्धांत ने गंभीर होकर कहा। “जानती हूं मेरा वहां होना कितना जरूरी है। इस बार मैंने सारी तैयारी कर ली है और परसों मेरी फ्लाइट है। सिड, पापा रिहा तो हो जाएंगे ना?” शिवि ने उदास होकर पूछा। “मैं तुम्हें किसी चीज की एश्योरिटी नहीं देना चाहता। तुम अच्छे से जानती हो अंकल का केस कितना क्रिटिकल है... और उसी वजह से सब लॉयर्स ने लेने से मना कर दिया था। मैं भी अपने पापा के खिलाफ जाकर उनके लिए इस केस पर काम कर रहा हूं। शिवि, मैंने अपनी तरफ से हंड्रेड एंड 10% देने की कोशिश की है लेकिन अंकल मुंह खोलने को तैयार ही नहीं... जब तक वो सच नहीं बताएंगे तब तक हम उन्हें बेगुनाह कैसे प्रूफ करेंगे।” “तुम चिंता मत करो सिड। मैं पापा के पास जाऊंगी तो वो मेरे लिए सच जरूर बताएंगे।” शिवि ने पूरे विश्वास के साथ कहा। “आई विश अंकल तुम्हारे इस विश्वास का मान रख ले शिवि... ठीक है अब इंडिया में मिलते हैं।” अपनी बात कह कर सिड कॉल कट करने को हुआ तभी शिवि ने उसे रोकते हुए कहा, “रुको सिद्धांत... मुझे तुमसे कुछ कहना था।” “हां मैं जानता हूं तुम्हें क्या कहना है। अब अपनी थैंक यू स्पीच मिलकर ही देना।” सिद्धांत ने हंसकर कहा। “हां, हां तुम भी बाकियों की तरह मेरी थैंक यू स्पीच सुन सुनकर बोर हो गए हो... फिर भी थैंक यू सो मच... मैंने हर तरफ से अपनी उम्मीद खो दी थी, यहां तक कि मॉम ने भी मेरा साथ देने से मना कर दिया। इन मुश्किल हालातों में तुमने अपने खिलाफ जाकर मेरा साथ दिया।” शिवि काफी इमोशनल होकर बात कर रही थी। उसका मूड सही करने के लिए सिद्धांत ने हल्के तरीके से कहा, “अरे अरे जूनियर, इन आंसुओं से काम नहीं चलने वाला। मैं फीस के रुप में आंसू नहीं लेने वाला। मुझे एक बड़ी सी अच्छी खासी ट्रीट चाहिए।” “ऑफ कोर्स...” शिवि ने मुस्कुरा का जवाब दिया। हमेशा की तरह सिद्धांत से बात करके उसका मूड अच्छा हो गया था। वो दोनों इधर उधर की हल्की फुल्की बातें कर रहे थे तभी नील कमरे में दाखिल हुआ। उसने बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर कहा, “तुम पिछले 40 मिनट से अंदर कर क्या रही हो? हमें घर पहुंचना है। डैड ने ब्रंच पर बुलाया है, डिनर पर नही।” नील के बाहर आने पर शिवि ने हड़बड़ाहट में जल्दी से सिद्धांत को बाय कहकर कॉल कट कर दिया। उसने अंदर से जवाब देते हुए कहा, “तुमने ही तो कहा था मुझे तुम्हारे डैड के सामने खुश दिखना है। इस लिए थोड़ा एक्स्ट्रा एफर्टस डाल कर चेहरे को चमका रही थी।” “उसका कोई फायदा नहीं है। तुम कुछ भी कर लो, तुम्हारा कुछ नही हो सकता।” नील ने उसे परेशान करने के लिए कहा। “और तुम भी कितना भी अच्छे होने का दिखावा कर लो, अंदर से तुम कैसे हो मैं अच्छे से जानती हूं।” शिवि ने मुंह बना कर जवाब दिया। “चलो सूजी चलते हैं। वैसे भी इस बंदरिया से बहस करने का कोई फायदा नहीं है।” नील सूजी को पुचकारते हुए वहां से ले गया। शिवि जल्दी से नहा कर बाहर आई और जल्दी-जल्दी में कपड़े पहनकर बाल बनाएं। नील बाहर खड़ा होकर उसका इंतजार कर रहा था। उसने शिवि की तरफ देखा तो उसने उसकी तरफ देख कर मुंह बनाया। “मैंने कहा ना तुम कुछ भी कर लो लेकिन फिर भी ऐसे ही लगोगी। डेढ़ घंटे बाद बाहर आई हो लेकिन फिर भी कोई चेंज नहीं। अगर मेरी मानो तो तुम्हें अपने इन लंबे बालों को कटवा लेना चाहिए... तुम्हें ड्रेसिंग सेंस चेंज करने की भी जरूरत है। आई नो यहां पर बहुत सर्दी है बट इतने सारे कपड़े कौन पहनता है... और तुमने जो ये लूज आउटडेटेड स्वेटर पहन रखा है ये तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं है।” शिवि को देखने के बाद नील उसके लुक की बुराइयां कर रहा था और उसे सुधारने के लिए सुझाव दे रहा था। शिवि ने अपना वही बड़ा सा पिंक स्वेटर पहना था। नील के इस तरह कहने पर उसका चेहरा उतर गया और उसने बुझी आवाज में कहा, “ये मेरे पापा ने मुझे दिलाया था। साइज में बड़ा होने की वजह से फ्यूचर में पहनने के लिए रख दिया था।” “तुम अपने डैड से इतनी कनेक्टेड हो, ये अच्छी बात है, पर रोजाना इसे पहनने की कोई जरूरत नहीं होती।” शिवि का उतरा हुआ चेहरा देखकर नील ने मेरी नरमी से जवाब दिया। “इसे पहनने के बाद मैं उन्हें खुद के करीब महसूस करती हूं।” शिवि ने फिर बाद बदलते हुए कहा,”हमें पहले ही काफी देर हो गई है, अब हमें निकलना चाहिए।” शिवि ने टॉपिक को ज्यादा खींचना जरूरी नहीं समझा और अपना बैग लेकर बाहर की तरफ जाने लगी। नील भी उसके पीछे-पीछे आ रहा था। दोनों गाड़ी में बैठकर नील के घर जाने के लिए निकल पड़े। ___________ काफी देर ड्राइव करने के बाद आर्य की गाड़ी लंदन से कुछ दूर बसे एसवेल विलेज में मौजूद थी। वहां वो एक छोटे से घर के आगे खड़ा था। घर दिखने में काफी छोटा था लेकिन काफी खूबसूरत भी... ठंड होने की वजह से उसके छत और आसपास के इलाकों पर बर्फ जमी हुई थी। वो गाड़ी के अंदर बैठे उस घर को देख रहा था। उसे देखते हुए उसके आंखें नम हो गई। “आई विश कि मैं हमेशा की तरह तुमसे इस घर में मिल पाता।” आर्य ने इतना ही कहा और अपनी गाड़ी को फिर से स्टार्ट किया। आगे जाते हुए रास्ते में उसे फूल वाला दिखाई दिया तो उसने एक व्हाइट लिली का बुके लिया और उसे लेकर आगे चल दिया। कुछ ही देर में वो एक बड़े से हॉल के आगे था। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट और नमी दोनो एक साथ थे। उसने बुके हाथ में लिया और उस जगह में दाखिल हुआ। “आई लव यू एली...” बुदबुदाते हुए उसने वो बुके एक कब्र पर रख दिया, जिस पर एली हेरिंगटन लिखा था। इसी के साथ आर्य की आंखों से आंसू लुढ़क पड़े। जो आर्य सिंह ओबरॉय लोगों के सामने एक सख्त और स्ट्रांग बिजनेसमैन था, वही एली की कब्र के पास बेबस बैठा था। उसकी आंखों में आंसू थे। “कैसी हो तुम बेबी... मैने तुम्हे बहुत मिस किया... क्या तुमने भी? तुम मुझे मिस क्यों करोगी... अगर तुम्हे मेरी फिक्र होती, तो तुम कभी मुझे छोड़कर जाती ही नहीं। तुमने मुझे इस लायक बनाया कि मैं दुनिया में हर चीज को पा सकूं लेकिन जब तुम्हें पाने की बारी आई तो तुम ही मुझे छोड़ कर चली गई। ऐसा क्यों है...क्यों मैं तुम्हें अपने पास वापस नहीं ला सकता। पहले की तरह गले लगा कर...” आर्य अपनी बात को पूरी नहीं कर पाया। उसकी आंखों से आंसू झरझर बहने लगे और वो वहां बैठ कर रोने लगा। “मैंने अपनी लाइफ में जिससे भी प्यार किया, वो मुझे छोड़कर चला गया। पहले मॉम और फिर तुम... तुम भी मुझे अकेला छोड़ कर चली गए। एक बार भी मेरे बारे में ख्याल नहीं आया कि मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा।” एली की कब्र पर बैठकर आर्य अपने दिल का बोझ हल्का कर रहा था। जो बातें वो किसी से नहीं कह पाता था, वो वहां एली की कब्र के पास उसे बता रहा था। बाहर ठंडी हवाएं चल रही थी और हल्की हल्की बर्फ भी गिर रही थी। इतनी ठंड में भी आर्य को किसी बात का ख्याल नहीं था। वो एली की कब्र के पास बैठकर इस तरह बातें कर रहा था मानो वो उसके बिल्कुल पास बैठी हो। ★★★★
आर्य अपना दिल हल्का करने के लिए अपनी गर्लफ्रेंड एली की कब्र पर आया हुआ था। वो वहां पर बैठकर अपने दिल की बातें कर रहा था। वहां काफी देर बैठे रहने के बाद वो वहां से उठा और उसी घर में आया, जहां कभी एली रहती थी। आर्य ने घर का दरवाजा खोला तो सारी चीजें वैसे की वैसे रखी हुई थी, जैसे किसी वक्त में एली उन्हे रखती थी। सामने की दीवार पर एली और आर्य की बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी, जिसमें एली ने आर्य के कंधे पर सिर रखा था। उसे देखने के बाद आर्य के चेहरे पर उदासी भरी मुस्कुराहट थी। “आई मिस यू सो मच...” वो उसे देख कर बोला और आगे गया। घर ज्यादा बड़ा नहीं होने की वजह से लिविंग रूम में ही एक कोने में छोटी सी डाइनिंग टेबल रखी हुई थी। उसके पास एक छोटा सा किचन बना था और सामने की तरफ एक बड़ा कमरा था। आर्य वहां से कमरे में गया और सामने रखी अलमारी को खोला। उसमें एली का सामान रखा हुआ था। “सब कुछ वैसे का वैसे ही रखा हुआ है। मेरी तरह इन्हें भी तुम्हारे आने का इंतजार है एली... जबकि हम अच्छे से जानते हैं कि हमारी ये उम्मीद टूटने वाली है लेकिन फिर भी दिल में तुमसे फिर से मिलने की उम्मीद आज भी कायम है।” आर्य ने अलमारी में रखे एली के सफेद स्कार्फ को निकालकर अपने चारों तरफ लपेट लिया। वो उसे उसके पास होने का एहसास दे रहा था। उसके बाद वो किचन में आया और सामान निकालकर कुकिंग करने लगा। “मुझे आज भी याद है मेरे आने पर तुम मेरे लिए पेनकेक्स बनाती थी...” खुद से बातें करते हुए वो एली की तरह पैनकेक बना रहा था। वो इस तरह बातें कर रहा था जैसे एली उसके पास बैठी हो। “जानती हो एली, आज भी मेरे फैमिली बिल्कुल नहीं सुधरी। डैड अपने साथ फिर से एक लड़की को घर ले आए और उससे शादी करना चाहते हैं। उस पर मेरे सो कॉल्ड सिबलिंग्स मेरे खिलाफ साजिश कर रहे है... दादू की वजह से मुझे वहां जाना पड़ता है... तुम कहती थी ना, एक दिन मेरी फैमिली आपसी दुश्मनी भूल कर एक साथ प्यार से रहेगी... और मैं कहता था, ऐसा कभी नही होने वाला। देख लो, हर बार की तरह तुम गलत प्रूफ हुई और मैं सही...” कहकर आर्य हंस पड़ा। उसने अपने लिए नाश्ता बनाया और बाहर रखी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने लगा। “उस बड़े से घर से ज्यादा अपनापन और सुकून मुझे तुम्हारे घर पर महसूस होता है। सोच रहा हूं यही तुम्हारे साथ आकर रहने लगूं। बस दादू को इसके लिए मनाना पड़ेगा।” आर्य वहां बैठकर नाश्ता करते हुए खुद से बातें कर रहा था, तभी दरवाजे पर किसी के आने की आहट हुई। आर्य वहीं पर बैठा था। अंदर एक अधेड़ उम्र का आदमी आया। आर्य को वहां देखकर उसने उसे सलाम किया और फिर कहा, “आप यहां आ रहे थे तो पहले बता देते सर।” “बताने का मौका नहीं मिला... वैसे आपने मेरे घर को काफी अच्छे से रखा है पीटर अंकल... आज मैं यहां एक टीम भेजूंगा, जो यहां का सामान मैनेज कर सके। मैं अब से यही रहूंगा।” आर्य ने कहा। “इतने छोटे घर में आप कैसे रहेंगे सर?” पीटर ने हैरानी से पूछा। “ये घर भले ही छोटा है, पर यहां मेरी एली की यादें हैं। आगे कुछ समझाने की जरूरत नहीं होगी। टीम कुछ देर में पहुंच जाएगी। आप संभाल लीजिएगा।” पीटर ने उसकी बात पर हामी भरी। आर्य उसे सारी बात समझाने के बाद वहां से ऑफिस जाने के लिए निकल गया। _______ नील के डैड मिस्टर जिम वाॅटसन ने उन दोनों को ब्रंच पर बुलाया था। नील और शिवि वहां पहुंचे, तब तक दोपहर हो चुकी थी। वो दोनों वाॅटसन मेंशन के आगे खड़े थे। अंदर जाने से पहले नील ने शिवि से कहा, “मैं तुम्हें पहले ही वॉर्न कर रहा हूं, इस बार कोई गड़बड़ मत करना। मैं वापस उस टीन के डिब्बे जैसे घर में नहीं जाना चाहता।” “हां हां ठीक है, मैं जानती हूं मुझे क्या करना है।” शिवि ने उसकी बात का जवाब दिया। वो आगे कुछ कहता उससे पहले शिवि ने कार का दरवाजा खोला और बाहर आ गई। उसकी इस हरकत पर नील ने मुंह बनाया। वो दोनों एक साथ अंदर गए। शिवि की मां नंदिनी उनके आने का इंतजार कर रही थी। वो लगभग 40 साल की उम्र की थी। उन्होंने महंगा ऑफिस सूट पहना था और बालों को कसकर पोनीटेल में बांध रखा था। जिम के काम में वो भी उनकी मदद करती थी। उनका रहन-सहन और पहनावा काफी हद तक वेस्टर्न कल्चर से प्रभावित था। शिवि उनसे काफी वक्त बाद मिल रही थी। उनको देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, वहीं नंदिनी भी उनके आने से खुश थी। उन दोनों को वहां देखते ही नंदिनी मुस्कुराते हुए उनकी तरफ बढ़ी। शिवि को लगा कि वो उससे गले लगने के लिए बढ़ रही है लेकिन जब नंदिनी ने आगे आकर नील को गले लगाया तो शिवि का चेहरा उतर गया। “आई मिस्ड यू सो मच बेटा... आई होप शिवि ने तुम्हें ज्यादा परेशान नहीं किया होगा...” नंदिनी उससे अलग होकर बोली। “बिल्कुल नहीं मॉम.. इन फैक्ट अब तो हम दोनों की काफी अच्छी बनने लगी है। है ना शिवि?” नील ने शिवि की तरफ देखकर पूछा। जवाब में शिवि ने हां में सिर हिला दिया। उसके हां कहते ही नंदिनी उसके पास आई और उसके गाल को सहला कर बोली, “मुझे जानकर खुशी हुई कि तुम अपना बिहेवियर बदल रही हो शिवि। मुझे पता चला कि कल तुम्हें एमबीए की डिग्री मिलने वाली है।” “आप आ रही है ना सेरेमनी में?” शिवि ने एक्साइटेड होकर पूछा। “आई एम सो सॉरी बेटा, मुझे पहले पता होता तो मैं अपने प्लांस कैंसिल कर देती। कल मुझे और जिम को मिले पूरे 1 साल हो जाएंगे। हमने कल का दिन एक साथ बिताने का प्लान किया है। वैसे भी अब तुम बड़ी हो गई हो, बचपन वाली बात थोड़ी ना है, जो पैरंट टीचर मीटिंग अटेंड करो और बच्चे का रिपोर्ट कार्ड ले कर आओ। आई होप यू अंडरस्टैंड...” नंदिनी ने अपनी तरफ से ना आने की सफाई दी और साथ ही शिवि को समझाया। “हां मां मैं सब समझ रही हूं और काफी अच्छे से...” शिवि ने नम आंखों से जवाब दिया। उसकी आवाज भारी थी। नील समझ गया कि वो लगभग रोने ही वाली है। नील ने बात को संभालते हुए कहा, “मैंने तुम्हें बताया था ना शिवि, मैं कल के दिन फ्री हूं। डोंट वरी, मैं इस सेरेमनी में जरूर आऊंगा।” शिवि ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसकी इस हरकत पर नंदिनी उसे डांटने ही वाली थी कि जिम वहां आ गए। “तुम दोनों को यहां देखकर काफी खुशी हो रही है लेकिन तुम्हें नहीं लगता तुम दोनों ही लेट हो। कहीं यहां आने के लिए दोनों झगड़ा तो नहीं कर रहे थे।” जिम ने उन दोनों की तरफ देख कर पूछा। “बिल्कुल नहीं...” नील और शिवि एक साथ बोले। उनके एक साथ जवाब देने पर जिम ने हंसकर कहा, “लगता है अब सच में तुम दोनों की अच्छी बनने लगी है।” नील और शिवि ने हंसकर उनकी बात पर हामी भरी। जहां नंदिनी बार-बार शिवि के बजाय नील पर ध्यान दे रही थी, वही मिस्टर जिम भी नील के बजाय शिवि से ज्यादा बातें कर रहे थे। दोनों बेमन से वहां पर बैठकर उनकी हां में हां मिला रहे थे। नील अपने डैड की तरफ, तो शिवि अपनी मॉम की तरफ उम्मीद से देख रही थी कि वो उनसे बात करेंगे। “शिवि... बेटा कांग्रेचुलेशंस, तुम्हें तुम्हारी एमबीए की डिग्री मिलने वाली है। आई विश मैं इसे सेरेमनी को अटेंड कर पाता।” जिम ने अपनी तरफ से शिवि को सॉरी बोला। नील को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आई। उसने अपने मन में कहा, “डिग्री तो मुझे भी मिली थी पर डैड ने इस बारे में बात तक नहीं की, कांग्रेचुलेट करना तो दूर की बात है। भाड़ में गया अच्छा बिहेवियर... मुझे रहना ही नहीं है इस घर में...” जिम के इस बर्ताव पर नील को काफी गुस्सा आया। उसने शिवि की तरफ देखा, जो सब सही होने का दिखावा कर रही थी। नील ने अपने पास पड़ा जूस लिया और उसे शिवि के मुंह पर फेंक दिया। उसकी इस हरकत पर शिवि सहित नंदिनी और जिम भी उसकी तरफ हैरानी से देख रहे थे। “नील, ये क्या बदतमीजी हैं?” जिम उस पर गुस्से में चिल्लाए। “इससे गलती से हो गया होगा। आप अपने गुस्से को काबू में रखिए। आपने देखा ना, दोनों बच्चे आपस में काफी घुलमिल गए हैं और अब तो एक दूसरे के साथ अच्छे से...” नंदिनी नील का पक्ष लेने की कोशिश कर रही थी तभी जिम ने उसकी बात काट कर कहा, “हां मुझे अच्छे से दिख रहा है कि दोनों कितना अच्छे से रहते हैं। शिवि का नेचर तो पहले भी काफी पॉलाइट था लेकिन नील के बिहेवियर में अभी भी कोई चेंज नहीं आया।” “और कभी आ भी नहीं सकता। मुझे समझ नहीं आ रहा शिवि अब तक तुम चुप क्यों हो। तुम इन्हें बता क्यों नहीं देती कि मैं इन्हें तुम्हारे खाना खाने की जो भी फोटोस भेजता था, वो सब फेक थी। हम तो ज्यादातर टाइम घर से बाहर बिताते थे। एक साथ एक घर में रहना तो दूर... हमें तो एक दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं है।” नील शिवि की तरफ देख कर बोला। उसने इशारे से शिवि को उस सब को कंटिन्यू करने के लिए कहा। नील के अचानक बदले इस बर्ताव को देखकर शिवि ने सोचा, “यहां आने से पहले तो बार-बार एक ही रट लगा रखी थी, सब कुछ अच्छे से करना हैं। अब इसे क्या हो गया? वैसे भी मुझे क्या... मैं इस ड्रामे को कंटिन्यू करती हूं। वैसे भी इस घर से भागने के बजाय वहां से भागना ज्यादा आसान रहेगा।” शिवि ने नील का साथ देते हुए कहा, “ये बिल्कुल ठीक बोल रहा है। इसने मुझे यहां आने से पहले डराया था कि सब कुछ अच्छा होने का दिखावा करना।” “शिवि ये तुम क्या बोल रही हो? तुम्हें पता है ना, तुम्हारे ऐसा करने से क्या हो सकता है।” नंदिनी ने उसे आंखें दिखा कर कहा। “अब जो होना था, सो हो गया। बहुत हो गई इसकी मनमानियाँ... इसे अपनी रिस्पॉन्सिबिलीज समझनी होगी। अब से ये शिवि के साथ ही रहेगा, वो भी उसी घर में... मैं घर में सीसीटीवी लगवा दूंगा और उसका पूरा हैंडल मेरे पास रहेगा। अब चौबीसों घंटे मैं तुम पर नजर रखूंगा कि तुम इसका ख्याल रख रहे हो या नहीं। अब मेरी नजरों से दूर हो जाओ।” जिम ने गुस्से में कहा। पिछली बार की तरह उन्होंने नील को फिर सजा सुना दी लेकिन इस बार की सजा कुछ ज्यादा ही सख्त थी। इसके बारे में खुद नील और शिवि ने भी नहीं सोचा था। “सीसीटीवी? लेकिन उसकी क्या जरूरत है अंकल? प्लीज आप ऐसा मत कीजिए।” शिवि उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थी। जिम ने उसकी बात ना मानते हुए कहा, “तुम इसकी साइड लेना बंद करो शिवि... ऑलरेडी नंदिनी काफी है इसकी गलतियों को छुपाने के लिए। मैं भी देखता हूं अब ये तुम्हें कैसे तंग करता है।” “एक बार समझने की कोशिश तो कीजिए जिम... दोनों बच्चे हमारे ही है। वो हमारे साथ इस घर में रह भी लेंगे तो क्या...” नंदिनी अपनी तरफ से जिम को समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जिम ने उसकी एक नहीं सुनी। वो बिना उसकी बात का जवाब दिए वहां से चले गए। “मैं उनसे बात करने की कोशिश करती हूं।” कहकर नंदिनी भी उसके पीछे-पीछे चली गई। नील की इस हरकत पर शिवि उसकी तरफ गुस्से में देख रही थी। सीसीटीवी लगने की वजह से उसका वहां से जाना लगभग नामुमकिन सा हो रहा था। ★★★★
नील शिवि के साथ वॉटसन मेंशन में आया हुआ था, जहां उसकी अपने डैड के साथ तीखी बहस हो गई। नील से गुस्सा होने के बाद उसके डैड जिम वॉटसन ने उसे फिर से उसी घर में रहने की सजा सुना दी। साथ ही उन्होंने उस घर में सीसीटीवी लगवाने की भी बात कही। उन से लड़ाई के बाद नील शिवि के साथ गाड़ी में मौजूद था। वो दोनों वापस अपने घर जा रहे थे। नील गुस्से में होने की वजह से काफी रफ ड्राइविंग कर रहा था। “देखो नील, मेरे सब्र का इम्तिहान मत लो। मैं तुम्हें कब से पूछ रही हूं और तुम हो कि कुछ बता ही नहीं रहे। आखिर तुमने वो सब क्यों किया?” शिवि बार-बार नील से उसके बर्ताव का कारण पूछे जा रही थी। नील ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वो चुपचाप गुस्से में गाड़ी चला रहा था। “जब तक तुम मुझे बताओगे नहीं, तब तक मुझे पता कैसे चलेगा। क्या कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से तुम्हें अचानक गुस्सा आ गया हो और....” शिवि बोल रही थी, तभी नील ने झटके से गाड़ी रोकी। “विल यू प्लीज शट अप.... तुम्हें दिख नहीं रहा मेरा दिमाग ऑलरेडी इतना खराब है, ऊपर से तुम बकबक किए जा रही हो।” नील गुस्से में उस पर चिल्लाया। “जो कुछ भी हुआ, उसमें मेरी क्या गलती थी जो तुम मुझ पर गुस्सा कर रहे हो? मेरे लिए भी सब कुछ अनएक्सपेक्टेड था।” शिवि ने जवाब दिया। “देखो मैं तुमसे हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट कर रहा हूं, प्लीज चुप हो जाओ। मैं घर जाकर तुम्हें सब बता दूंगा।” नील ने कहा और फिर से गाड़ी ड्राइव करने लगा। इस बार शिवि ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। लगभग 2 घंटे बाद नील और शिवि अपने अपार्टमेंट में पहुंचे। वहां जाते ही नील ने गाड़ी पार्क की और अपने फ्लैट पर पहुंचकर सीधे अपने कमरे में घुसा। उसने कमरा अंदर से बंद कर लिया। शिवि उसके पीछे दौड़ कर आई और दरवाजा बाहर से खटखटाने लगी। “तुमने कहा था कि घर जाकर सब कुछ बता दोगे। प्लीज बताओ ऐसा क्या हुआ है जिसकी वजह से तुम इतना ब्रोकन फील कर रहे हो।” शिवि ने दरवाजा खटखटाकर पूछा। अंदर से नील ने कोई जवाब नहीं दिया। शिवि वहीं पर बैठ गई। वो अच्छे से जानती थी नील का बिहेवियर काफी इमोशनल था। वो अपने डैड को लेकर भी बहुत पजेसिव था। “आज उसने जो भी किया, वो नॉर्मल नहीं था। ठीक है हम दोनों की नहीं बनती पर ये अपने डैड से बहुत प्यार करता है। पिछली बार जब मिस्टर वॉटसन ने इसे पनिशमेंट दी थी तब भी नील ने इतना ज्यादा गुस्सा नहीं किया था.... फिर अचानक ऐसा क्या हो गया जो नील इतना भड़क गया कि उसने घर छोड़ने के लिए ये सब किया।” शिवि ने अपने मन में कहा। वो नील के बर्ताव से काफी हैरान थी। शिवि अपने ख्यालों में खोई थी। बाहर से कोई आवाज नहीं आने की वजह से नील को लगा, शिवि वहां से चली गई। उसने धीरे से दरवाजा खोला तो शिवि अभी भी दरवाजे के आगे खड़ी थी। उसे देखकर नील फिर से दरवाजा बंद करने को हुआ लेकिन शिवि झट से कमरे के अंदर आ गई। उसके बाद वो बोली, “प्लीज नील, हमें बात करनी चाहिए। मुझे अच्छे से याद है तुमने मुझे कहा था कि ऐसा कुछ भी नहीं करना, जिसकी वजह से तुम्हारे डैड तुम्हें घर से निकाले। फिर अचानक ऐसा क्या हो गया जो तुमने मेरे मुंह पर जूस फेंक दिया और फिर....” शिवि बोले जा रही थी, तभी नील ने उसे चुप रहने का इशारा किया। वो काफी उदास था। नील वहां लगे बेड पर बैठा और धीमी आवाज में बोला, “तुम्हें एमबीए के बजाय एक्टिंग कोर्स करना चाहिए। पता नहीं कैसे तुम इतनी अच्छी एक्टिंग कर लेती हो और मुझसे क्यों नहीं होता।” नील की आवाज से लग रहा था मानो वो अभी रोने वाला ही हो। शिवि उसके पास में बैठी और उसका हाथ सहलाते हुए कहा,“क्या करूं, अब ये एक्टिंग करने की आदत हो गई है।” बोलते वक्त उसकी भी आवाज भारी हो गई और पलके भीग गई। अब उसे नील के इस बर्ताव का कारण समझ आ गया था। उसने फिर कहा, “अगर तुम गुस्सा नहीं करते तो आज हम दोनों वहां पर होते। मैंने अपने इमोशंस को काफी अच्छे से काबू किया था। यहां जाने से पहले सोचा था कि मॉम से मिले हुए पूरे 3 महीने हो गए। वो मुझे देखते ही गले लगा लेगी... मुझे प्यार से सहलाएगी और....” शिवि ने अटकते हुए कहा, “और कल मेरे साथ चलेगी।” “मुझे भी लगा था कि डैड मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही करेंगे। तुम्हें जानकर हैरानी होगी शिवि लेकिन उन्हें तो ये भी नहीं पता था कि मुझे डिग्री कब मिली थी।” नील का दर्द शिवि के सामने आ गया। उसकी आंखों में आंसू थे। शिवि ने उसको शांत करने के लिए उसके कंधे पर सिर रखा और पीठ पर सहला कर कहा,“क्या हुआ जो हम रियल सिबलिंग्स नहीं है.... सिमलेरिटिज तो दोनों में इतनी है, जैसे दोनों एक साथ पैदा हुए हो।” नील ने तुरंत खुद को संभाला और शिवि से थोड़ा दूर खिसका। उसने अपने आंसुओ को साफ किया और कहा, “डोंट वरी, मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगा। तुम तो जानती हो कि मैं कई बार ओवर ही इमोशनल हो जाता हूं” “हां तुम्हारी यही आदत मुझे अच्छी लगती है। पर अपने बिहेवियर को थोड़ा काबू में रखा करो। दूसरे इसका फायदा उठा सकते हैं।” शिवि की बात सुनकर नील ने हल्का हंसकर कहा,“हां जैसे पिछली बार तुमने उठाया था, अपनी इमोशनल कहानी सुना कर... मुझे अपने प्लान में शामिल किया और इसी चक्कर में मैंने तुम्हारे इंडिया जाने की सारी तैयारियां कर दी थी। वो तो एन मोमेंट पर हम दोनों पकड़े गए और....” नील अपनी बात पूरी करने के बजाय चुप हो गया। उसके बाद शिवि और नील दोनों एक साथ हंसे। शिवि ने आगे कहा, “मुझे लगा कि मैं मॉम से उसके बाद कभी नहीं मिल पाऊंगी। अपनी बेवकूफी में जाने से पहले मैं उनके पास मिलने गई और बातों बातों में मेरे मुंह से पापा से मिलने की बात निकल गई। वैसे तुम्हारे डैड को भी ये पता लगाते ज्यादा टाइम नहीं लगा कि मेरी मदद तुमने की थी।” “तुम्हारे इंडिया जाने से याद आया, क्या तुम्हारे डैड जेल से रिहा हो गए? इतने दिनों में तुमने उनके बारे में बात नहीं की। क्या वो ठीक है?” नील के अचानक पूछने पर शिवि थोड़ा हड़बड़ा गई। उसने खुद को सामान्य किया और जवाब में कहा, “सिद्धांत उन का केस देख रहा है। बहुत दिनों से उससे बात नहीं हुई। बात करके अपडेट लेनी होगी।” “सिद्धांत... वही तुम्हारा बॉयफ्रेंड?” नील ने हल्के तरीके से पूछा। उसके पूछने पर शिवि ने उसकी तरफ घूर कर देखा और जवाब में कहा, “ही इज माय बेस्ट फ्रेंड नॉट बॉयफ्रेंड.... स्कूल में मुझसे सीनियर था लेकिन फिर भी हमारी दोस्ती हो गई थी।” शिवि ने बात बदलने के लिए आगे कहा, “मेरा छोड़ो और अपना बताओ? अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में तुम क्या करने वाले हो। अब तो तुम अपने डैड के साथ नहीं रहोगे। फिर उससे मिलना कैसे मैनेज करोगे।” “हां कुछ ना कुछ तो करना ही होगा। वैसे सोच रहा हूं तुम्हारे आईडिया पर काम करूं। अगर वो सच में मुझसे प्यार करती है तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, मैं कैसे भी घर में रहूं।” नील के बताने पर शिवि ने कहा, “हां आईडिया अच्छा है तो इस पर काम कर सकते हो। फिर तुम उसे इस बारे में कब बताने वाले हो?” “सोच रहा हूं कल परसो तक उसे यहां बुला लूं। वो ये घर भी देख लेगी और यहां आकर सेटल भी हो जाएगी। तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?” नील ने औपचारिकता निभाने के लिए शिवि से पूछा। “मुझे क्या प्रॉब्लम होगी? वैसे भी इस घर में दो रुम है। एक में तुम दोनों रह लेना और एक में मैं ही रही हूं। लेकिन याद है ना, तुम्हारे डैड सीसीटीवी लगवा रहे हैं।” “हां सब याद है। सीसीटीवी तो क्या, अब वो खुद भी यहां आकर रहने लगे, फिर भी मैं उनकी नहीं सुनूंगा। ओके फिर फाइनल रहा, मैं कल डिनर पर नितारा को यहां बुला लूंगा।” नील ने कहा। उसके प्लान बताने पर शिवि कुछ देर सोच में पड़ गई। फिर उसने जवाब में कहा, “अच्छा पहले बताओ, क्या कल सच में तुम मेरी डिग्री सेरेमनी के लिए यूनिवर्सिटी आ रहे हो?” नील ने हां में जवाब दिया। शिवि ने आगे कहा, “ठीक है फिर ऐसा करना कि तुम अपनी गर्लफ्रेंड को भी वहां इनवाइट कर लेना। वहां से हम तीनों यहां आ जाएंगे। बातों बातों में तुम उसे सब सच बता देना। इसी बहाने मैं भी उससे मिल लूंगी। क्या पता बाद में मिलने का मौका मिले या ना मिले....” शिवि की बात सुनकर नील हंस कर बोला, “तुम भी ना... तुम कौन सा दुनिया छोड़ कर जा रही हो, जो बाद में मिल नहीं पाओगी। चलो, अब बहुत हो गया प्यार जताना। मुझे ये सब पसंद नहीं है। जाकर खाना ऑर्डर करो। तब तक मैं चेंज कर लेता हूं।” शिवि ने उसकी बात पर हामी भरी। नील का मूड सही होते ही वो फिर से शिवि के साथ रुखा बर्ताव करने का दिखावा करने लगा। उन दोनों को वहां आए कुछ देर हुई ही थी कि मिस्टर वॉटसन की भेजी हुई टीम वहां पहुंच गई। वो वहां पर सीसीटीवी इंस्टॉल कर रही थी। शिवि और नील चाह कर भी इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहे थे। वो दोनों चुपचाप खाना खाते हुए टीम को काम करते हुए देख रहे थे। _____________ एली के घर से निकलने के बाद आर्य सीधा अपने ऑफिस डिजायर्स पहुंचा। जैसे ही उसने गाड़ी पार्क की सामने से एक और बड़ी लक्जिरियस गाड़ी आकर रूकी। उसे देखकर आर्य वही रुक गया। उसमे से एक लड़की निकली, जिसने स्टाइलिश ऑफिस सूट पहन रखा था और आंखो पर काला ब्रांडेड चश्मा लगा रखा था। वो भी उसकी तरह इंडियन थी। उसके फुल वेस्टर्न लुक पर नाक में पहनी नोज रिंग काफी कूल लग रही थी। उसे देखते ही आर्य ने दूर से ही हाथ हिला कर हेलो कहा। उसके ऐसा करने पर लड़की ने मुंह बनाया और उसके पास जाकर बोली, “केम छो....” “ध्वनि, तुम्हें कितनी बार कहा है ऑफिस में गुजराती मत बोला करो।” उसके गुजराती बोलने पर आर्य चिढ़कर बोला। उसका नाम ध्वनि था। आर्य के टोकने पर ध्वनि ने मुंह बनाकर जवाब में कहा, “ऐह तू मारे से ऐसे बात मत किया कर। तमारे को पता है ना मैं भी इस कंपनी में हिस्सेदार हूं। भले ही हम दोनों दोस्त हो लेकिन बिजनेस में पार्टनर की इक्वल रिस्पेक्ट की जाती है।” उसके हिंदी बोलते वक्त काफी हद तक गुजराती एक्सेंट निकल रहा था। आर्य ने आगे कुछ नहीं कहा और दोनों एक साथ ऊपर जाने लगे। ध्वनि आर्य की एकमात्र दोस्त थी। दोस्त होने के साथ दोनों बिजनेस पार्टनर भी थे। कुछ ही देर में दोनों लिफ्ट से अपने फ्लोर पर पहुंचे। ध्वनि अपने ऑफिस में जाने के बजाय आर्य के साथ उसके केबिन में जाने लगी। उसके ऐसा करने पर आर्य की असिस्टेंट जेनी जल्दी से उसके पास आई और कहा, “ध्वनि मैम, कुछ देर में सर की इंपॉर्टेंट मीटिंग है।” “फिलहाल मुझे कुछ इंपॉर्टेंट बात करनी है जो कि तुम्हारी मीटिंग से भी ज्यादा इंपोर्टेंट है।” जेनी से बात करते वक्त ध्वनि का एक्सेंट इंडियन ब्रिटिश था, जबकि जब भी वो आर्य के साथ बात कर रही होती तो ज्यादातर गुजराती एक्सेंट या गुजराती में ही बात करती। “ओके मैम....” जेनी ने इतना ही कहा और वहां से चली गई। जेनी के साथ ठीक से बात करने की वजह से आर्य उसकी तरफ घूर कर देख रहा था। ध्वनि ने उस को साइड किया और केबिन के अंदर जाकर आर्य की चेयर पर बैठ गई। आर्य भी उसके पीछे पीछे आया और अंदर आने के बाद केबिन लॉक किया। “जैसे तुम बाकी लोगों से नॉर्मली बात करती हो, वैसे मुझसे नहीं कर सकती क्या?” आर्य ने उसके सामने वाली चेयर पर बैठते हुए कहा। “आर्य, उन लोगों के सामने तो मैं दिखावा करती हूं, पर तेरे सामने दिखावा करने की क्या जरूरत है? तू तो मेरा दोस्त है। अब हू गुजराती छू, तो गुजराती नहीं बोलूंगी तो क्या मराठी बोलूंगी।” ध्वनी ने मुंह बना कर जवाब दिया। “अच्छा ठीक है बाबा, तुम्हें जैसे बात करनी है करो। सबसे पहले मुझे ये बताओ कि तुमने जेनी से बाहर ये क्यों कहा कि तुम्हें इंपॉर्टेंट बात करनी है। क्या सच में कुछ इंपॉर्टेंट है?” आर्य ने पूछा। उसकी बात पर ध्वनि ने हां में सिर हिलाया। थोड़ी देर पहले वो काफी हल्के तरीके से बात कर रही थी अब उसके चेहरे के भाव गंभीर हो गए थे। ★★★★
ध्वनि, जो कि आर्य की दोस्त और बिजनेस पार्टनर दोनों थी। वो उसके साथ उसके केबिन में थी। ध्वनि आर्य से कुछ जरूरी बात करने के लिए उसके केबिन में आई थी लेकिन कुछ बोलने के बजाय चुपचाप बैठ उसके सामने बैठी थी। उसके कुछ ना बोलने पर आर्य इरिटेट होकर बोला, “मिस ध्वनि अग्रवाल.... शायद आप यहां मेरे केबिन में बात करने के लिए आई थी। प्लीज जल्दी बोलो यार, इस तरह सस्पेंस क्रिएट मत किया करो।” “ऐ मैं थोड़ा फील लाने की कोशिश कर रही थी। चल छोड़, मारे से नहीं होने वाला....” कहकर ध्वनि ने अपने चेहरे के भाव सामान्य किए और जल्दी से बोली, “मैं 2 दिन के लिए बाहर क्या गई, तूने तो बिजनेस के डिसीजन खुद से लेने शुरू कर दिए। जानती हूं ये कंपनी तेरी है, पर 5 परसेंट की हिस्सेदारी मेरी भी है। तुम मुझे ऐसे कंपनी के डिसीजन से बेदखल नहीं कर सकते। आखरी फैसला तेरा होता है लेकिन कोई डील करने से पहले कम से कम बताने का फर्ज तो बनता है ना तेरा....” ध्वनि ने एक सांस में अपनी सारी बात बोल दी। “मैंने तुम्हें अपनी हर डील के बारे में बताया है, फिर तुम ऐसे बात क्यों कर रही हो? मैंने कौन सी डील तुमसे बिना पूछे कर ली।” आर्य ने हैरानी से पूछा। “जब तू ये अनजान होने का नाटक करता है, तब मुझे और भी कड़वा लगता है। तूने इंडियाना रेस्टोरेंट्स खरीद लिया और एक बार भी नहीं बताया। ये तो कल रात तेरी असिस्टेंट जेनी पेनी से इस बारे में पता चला। मैने ये भी पता लगाया है, वो रेस्टोरेंट घाटे में चल रहा है और तू घाटे का सौदा कैसे कर सकता है।” “हां जानता हूं लेकिन उसे ग्रो करना भी हमारा काम है। डोंट वरी हम उसे संभाल लेंगे।” आर्य ने लापरवाही से जवाब दिया। “ऐसे कैसे संभाल लेंगे? अब क्या कपड़े बनाते बनाते किचन में खाना बनाने जाएंगे। देख एक गुजराती सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन अपने धंधे में घाटे का सौदा कभी नहीं।” ध्वनि ने कहा। “हू जानू छू, वो तेरा फेवरेट रेस्टोरेंट है, लेकिन पहले तो तूने उसे खरीदने का नहीं सोचा। अब जल्दी बता अचानक तूने उसे क्यों खरीदा।” ध्वनि के पूछने पर आर्य ने गहरी सांस लेकर छोड़ी। उसकी आंखों के सामने शिवि का चेहरा आ गया। “मैं अपनी ईगो में कई बार में फायदे और नुकसान का नहीं सोचता।” “हेह, आया बड़ा इगो वाला.... देख ये तेरी इगो विगो तू अपने घर तक ही रखा कर। मेरे बिजनेस तक लाने की जरूरत नहीं है।” “ध्वनि ये बिजनेस मेरा है और एज ए फ्रेंड मैंने तुझे 5% शेयर्स दे रखे हैं क्योंकि तुमने मेरी हेल्प की थी।” आर्य ने शांति से जवाब दिया। उसकी बात सुनकर ध्वनि ने इमोशनल चेहरा बनाया और कहा, “ए हमारे बीच तेरा मेरा कब से हो गया? कर दिया ना तूने मारे को बेगाना...।” “ध्वनि... ड्रामा मत कर।” आर्य ने आंखे दिखाकर कहा। “हां तो क्या हो गया? देख जब तुझे बिजनेस शुरू करना था, सब कुछ अपने दम पर खड़ा होना था, तब मैं तेरी इकलौती दोस्त थी। तेरी मदद करने के लिए मैने मारे बापूजी के पैसो से घपला करके तुझे पैसे ला कर दिए। बदले में तूने सिर्फ पांच परसेंट शेयर दे भी दिए, तो क्या हो गया?” ध्वनि मुंह बनाकर बोली। “उस वक्त उन 5 परसेंट शेयर की कोई कीमत नहीं रही होगी लेकिन आज वही 5 परसेंट शेयर कितने कीमती है, तुझे अच्छे से पता है। और हां, तेरे बापू जी के घपले के पैसे मैंने सूत समेत उन्हें लौटा दिए थे... वो भी तीन बार। देख अब इस गुजराती एक्सेंट में बात करना बंद कर.... मुझे बहुत इरिटेशन हो रही है।” ध्वनि के उस तरह बात करने पर आर्य को काफी झुंझलाहट हो रही थी। वो उसे बार-बार उसे इस तरह बात करने से मना कर रहा था। “हां बस कर तू.... यहां लोगों के सामने मैं कितना भी बन ठन के रह लो लेकिन घर पर वही गुजराती सूट पहनती हूं, ढोकला और थेपला खाती हूं... गुजराती भी बोलती हूं।” ध्वनि लगातार बोले जा रही थी। आर्य अपनी जगह से खड़ा हुआ और उसके सामने हाथ जोड़कर बोला, “बस कर मेरी मां, तुम लड़कियां इतना बोलती क्यों हो? एक वो थी, और अब एक तुम हो गई। अब तू अपने केबिन में जा, मुझे अपना काम करने दे।” आर्य ध्वनि का हाथ पकड़ कर उसे बाहर की तरफ ले जा रहा था। ध्वनि अपनी जगह पर अड़ कर खड़ी हो गई। उसने आर्य का हाथ झटक कर कहा, “अभी तूने क्या कहा? वो थी? कौन वो? कौन थी?” “वो वही थी, जिसे सबक सिखाने के लिए मैंने इंडियाना रेस्टोरेंट्स खरीदा था। अगर तेरी छानबीन हो गई है तो यहां से निकल....” आर्य फिर से ध्वनि को वहां से बाहर निकालने लगा। एली के जाने के बाद उसने इतने वक्त बाद आर्य के मुंह से किसी लड़की का जिक्र सुना था। वो इस बात को बीच में जाने नहीं दे सकती थी। ध्वनि बाहर बजाने के बजाय दौड़कर अंदर चली गई और आर्य की चेयर पर बैठ गई। “अब तो मैं इस केबिन से तभी बाहर जाऊंगी जब तू पूरी बात मुझे बताएगा। इतनी खास है क्या वह, जो उसके लिए पूरा रेस्टोरेंट्स खरीद लिया।” ध्वनि आर्य को गलत समझ रही थी। उसे लगा कि वो लड़की आर्य की गर्लफ्रेंड है, जिसके लिए उसने उस पूरे रेस्टोरेंट को खरीद लिया था। उसकी बात सुनकर आर्य हंसा और फिर जवाब में कहा, “वेट ए मिनिट... शायद तुम्हें कोई गलतफहमी हो गई है। वो लड़की कोई खास वास नहीं है। मैंने तो उससे बदला लेने के लिए उस रेस्टोरेंट्स को खरीदा था। आर्य सिंह ओबरॉय के साथ बदतमीजी कर रही थी। जिस रेस्टोरेंट में उसने मेरे साथ बदतमीजी की, मैंने उसे खरीद कर उसका वहां आना ही बंद करवा दिया। उसे भी तो पता चले आर्य सिंह ओबरॉय किस चीज का नाम है।” आर्य की बात सुनकर ध्वनि का चेहरा उतर गया। वो नॉर्मल तरीके से बोली, “जब तेरी आंखों के आगे से आर्य सिंह ओबरॉय नाम का चश्मा हट जाए तो बाकी लोगों को समझने की कोशिश कर लेना।” ध्वनि ने इतना ही कहा और आर्य के जवाब का इंतजार किए बिना वो वहां से अपने केबिन में चली गई। आर्य ने उसकी बात की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने चेयर पर आकर बैठ गया। “ये गुजराती लड़की भी बिल्कुल पागल है। मुझे यकीन नहीं होता मैंने इसे अपना फ्रेंड बनाया। कभी नॉर्मली बात करती है, तो कभी बात करते टाइम इतनी एक्साइटिड हो जाती है और अब पता नहीं क्या हो गया, जो मुंह बना कर चली गई।” आर्य बात करते हुए अपनी मीटिंग्स चेक कर रहा था, तभी उसके पास एक कॉल आया। ये कॉल वहां की जानी-मानी यूनिवर्सिटी के डीन का था। उनका कॉल देखते ही आर्य ने तुरंत कॉल पिक किया। सामने से किसी आदमी की भारी आवाज आई, “सर, कल स्टूडेंट्स को डिग्री दी जाएगी। आपको इस बारे में पता ही होगा। कॉलेज के ट्रस्टी होने के नाते आपको भी इस सेरेमनी को अटेंड करना है। मैंने आपको पर्सनली इनवाइट करने के लिए कॉल किया था।” “जी जरूर, मुझे अच्छे से याद है और साथ ही ये भी कि जो स्टूडेंट टॉप स्कोर करेगा, उसे मैं अपनी कंपनी में प्लेसमेंट दूंगा।” आर्य ने काफी पोलाइटली जवाब दिया। “आपको अपना वादा याद है, जानकर खुशी हुई। वो स्टूडेंट लकी होगा जिसे डिजायर्स में प्लेसमेंट का मौका मिलेगा। मैं आपको इनविटेशन मेल कर दूंगा। आप अपना टाइम निकालकर सेरेमनी में जरूर आइएगा।” डीन ने अपनी बात को दोहराया और फिर कॉल कट कर दिया। उससे बात करने के बाद आर्य सोच में पड़ गया। “मैंने उस वक्त कह तो दिया कि टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट को कंपनी में प्लेसमेंट दूंगा लेकिन मेरी कंपनी में सब इंडियन्स ही काम करते हैं। अगर किसी ब्रिटिश स्टूडेंट ने टॉप किया तो फिर....” आर्य ने कुछ क्षण इस बारे में सोचा और फिर खुद से कहा, “ठीक है। जो होगा देखा जाएगा। आई विश कि कोई इंडियन स्टूडेंट ही टॉप करें।” फिर इस बारे में सोचना छोड़ कर आर्य अपने काम में लग गया। ____________ दूसरी तरफ शिवि ने अपने इंडिया जाने की पूरी तैयारी कर ली थी। उसकी टिकट भी कंफर्म हो गई थी। साथ ही कल होने वाली डिग्री सेरेमनी के बाद उसे कॉलेज से डिग्री भी मिलने वाली थी। वो इस बारे में सोच कर काफी खुश थी और पार्टी करने के लिए अपने दोस्तों के साथ बाहर आई हुई थी। “कल डिग्री मिलने के बाद शाम को हम एक अच्छी सी ग्रैंड पार्टी करेंगे, वो भी इंडियाना रेस्टोरेंट में....” जिया एक्साइटेड होकर बोली। उसकी बात सुनकर शिवि ने मुंह बनाते हुए जवाब दिया, “फर्स्ट ऑफ़ ऑल मैं कल शाम को फ्री नहीं हूं। नील अपनी गर्लफ्रेंड को घर लेकर आ रहा है एंड वन मोर थिंग, अगर मैं फ्री होती भी, तो उस रेस्टोरेंट में कभी नहीं जाती, जिसे उस बंदर ने खरीदा है।” “कम ऑन यार शिवि, अब तो अपना गुस्सा छोड़ दे। वो रेस्टोरेंट् का ओनर जरूर है, पर वो कौन सा एनीटाइम वही रहेगा। वहां का खाना बहुत अच्छा था। प्लीज वहां जाने के लिए मान जा।” ईशान ने उससे रिक्वेस्ट की। “मैंने कहा ना मैं नहीं जाने वाली, अगर मुझे जाना ही होता तो मैं उस दिन पार्टी में ही रुक जाती ना....” शिवि के पार्टी का नाम लेते ही जिया को पार्टी की याद आई, जब वो आर्य से मिली थी। “लेकिन मैंने उस पार्टी को बहुत इंजॉय किया। मैं तो आर्य सिंह ओबरॉय से भी मिली थी।” जिया ने खुश होकर कहा। “अगर तू उससे मिल ही ली थी, तो हमेशा के लिए उसके साथ क्यों नहीं चली गई? कम से कम हमारा तो पीछे छूट जाता, तेरी बोरिंग कहानियां सुनने से....” शिवि ने काफी रूडली तरीके से जवाब दिया। “तू जलती है उससे इसलिए ऐसा कह रही है। कितना हैंडसम था यार वो, उसकी आंखें.... क्या हाइट थी, क्या बॉडी थी और उसके बोलने का तरीका....” जिया जानबूझकर शिवि के सामने आर्य की तारीफ कर रही थी। शिवि ने अपने दोनों कानों को बंद करके चिल्ला कर कहा, “अब बस भी कर, इससे पहले कि मेरे कानों से खून निकल आए। मुझे उस बंदर के बारे में कुछ नहीं सुनना और ना ही उसकी शक्ल देखनी।” “लेकिन कल तो तुझे उसकी शक्ल देखनी पड़ेगी। जिस डिग्री सेरेमनी को लेकर तू इतना एक्साइटेड हो रही है, ऐसा तो हो नहीं सकता कि वहां आर्य सिंह ओबरॉय ना आए। आखिर वो उस कॉलेज का ट्रस्टी जो ठहरा।” अपनी बात सुनाने के लिए जिया ने उसके दोनों हाथ कान से अलग किए। “बोल... बोल... अब क्या करेगी।” “आंखों पर एक बड़ा सा काला चश्मा लगा कर जाऊंगी, जिससे उसकी कंजी आंखें और मनहूस शक्ल को ना देखना पड़े....” शिवि ने चिढ़कर जवाब दिया। “तू अपना आंखें बंद कर लेगी तो क्या हुआ? वो तो तुझे देख लेगा। अगर उसने तुम्हें देखा तो बात करने भी जरूर आएगा, साथ ही ये बताने भी, उसने तुम्हें हरा दिया और उस रेस्टोरेंट को खरीद लिया।” जिया ने आगे कहा। “फिर तो मैं बुर्का डाल कर जाऊंगी... फिर उसे मेरी शक्ल ना दिखेगी और ना ही वो मुझे ना पहचान पाएगा। अब तेरी बकवास पूरी हो गई हो तो जिस काम के लिए आए हैं, वो करते हैं।” शिवि ने अपनी तरफ से बात खत्म करने की कोशिश की लेकिन जिया जानबूझकर बार-बार उसी बारे में बात कर रही थी। अब तो ईशान को भी उसकी बातें सुनकर झुंझलाहट होने लगी। “प्लीज यार जिया, तू कुछ ज्यादा ही इरिटेट नहीं कर रही? इसके साथ-साथ अब तो मुझे भी आर्य सिंह ओबरॉय के नाम से गुस्सा आने लगा है। जिस इंसान को अपने पैसे पे इतना घमंड है, उसके लिए प्यार का कोई मतलब नहीं होगा और मुझे इस तरह के लोग बिल्कुल पसंद नहीं है।” ईशान ने कहा। “बिल्कुल सही कह रहा है ईशान, उसके लिए प्यार से ज्यादा पैसे मायने रखता है। वो ये नहीं जानता कि प्यार को पैसों से नहीं खरीदा जा सकता। मुझे तो सोचकर ही अफसोस हो रहा है उस लड़की के बारे में, जो उसकी लाइफ में आएगी। लेकिन सोचना क्या? उसके आसपास भी उसके जैसे लोग ही मौजूद होंगे। देखना उससे वही लड़की प्यार करेगी, जो बिल्कुल उसके जैसी होगी।” शिवि ने अपना सारा गुस्सा एक साथ निकाल दिया। ईशान और शिवि के गुस्सा करने पर जिया का चेहरा उतर गया। उसने मासूम चेहरा बनाते हुए कहा, “तुम दोनों कितना भी इरिटेट हो जाओ लेकिन मैं तो आर्य सिंह ओबरॉय से मिलने के लिए बहुत एक्साइटेड हूं और चाहे कुछ भी हो जाए, मैं उस हैंडसम हंक से कल फिर मिलने वाली हूं।” जिया ने एक्साइटमेंट के मारे चिल्ला कर कहा। इस पर शिवि और ईशान ने एक साथ कान बंद कर लिए। पहले शिवि कल होने वाली सेरेमनी के लिए काफी एक्साइटेड थी तो अब वही आर्य सिंह ओबरॉय के आने की बात सुनकर उसके चेहरे पर हल्की परेशानी थी। ★★★★
दोपहर के 1:00 बज रहे थे। वहां के सेंट मेमोरियल एमबीए कॉलेज में एमबीए कंप्लीट करने वाले स्टूडेंटस को उनकी डिग्री दी जा रही थी। वहां पढ़ रहे सभी स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी के कैंपस में मौजूद थे और वहां एक बहुत अच्छा प्रोग्राम चल रहा था। हर एक स्टूडेंट का नाम अनाउंस करके उन्हें उनके डिग्री एग्रीगेट के साथ स्टडी पीरियड के दौरान उनकी अचीवमेंट के हिसाब से ट्रॉफी भी दी जा रही थी। आर्य सिंह ओबेरॉय भी वहीं पर मौजूद था। स्टूडेंटस की फैमिली वहां पर आई हुई थी। शिवि की तरफ से नील और उसकी गर्लफ्रेंड नितारा आए थे। स्टूडेंट्स को उनके स्पेसिफिक नंबर के हिसाब से बुलाया जा रहा था। शिवि का नंबर आने पर वो स्टेज तक पहुंची। उसने खुद को छुपाने के लिए मुंह पर मास्क लगा रखा था और आंखों पर बड़े से काले गॉगल्स चढ़ा रखे थे। “थैंक्स टू कोरोना प्रोटोकॉल्स...” शिवि ने आर्य की तरफ देखकर अपने मन में कहा, “इस मास्क के पीछे से ये मुझे नहीं पहचान पाएगा और मुझे इस बंदर के सामने भी नहीं आना पड़ेगा।” मास्क के पीछे शिवि के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी। वो आगे बढ़ी और उसने अपना डिग्री एग्रीगेट लिया। अपनी अचीवमेंट ट्रॉफी लेने के लिए वो आर्य के पास बढ़ी। उसके चेहरे पर मास्क और गॉगल्स देखकर आर्य उसकी तरफ हैरानी से देख रहा था क्योंकि वहां मौजूद सभी स्टूडेंट अपने खास पल को कैप्चर कर रहे थे। वही शिवि ने अपना चेहरा कवर कर रखा था। “बड़ी अजीब लड़की है... खुद को ऐसे छुपा कर आई है, जैसे कोई क्रिमिनल हो।” आर्य ने उसे देखकर अजीब सा चेहरा बनाया। “देखो तो... मुझे देखकर कैसे बंदरों जैसी शक्ल बना रहा है। तुम्हारी वजह से ही मैं अपने स्पेशल मोमेंट को कैप्चर नहीं कर पा रही हूं... आई विश कि तुम यहां नहीं आते।” उसे देखकर शिवि ने अपने मन में कहा। वहीं दूर बैठे नील और नितारा ने जब शिवि का चेहरा कवर देखा तो वो दोनों भी हैरान हुए। “ये लड़की सच में पागल है। क्या जरूरत थी अपना पूरा फेस कवर करने की...” नील ने मन ही मन बड़बड़ाकर कहा। “ये तो तुम्हारी स्टेप सिस्टर शिवि है ना? इसने अपना फेस कवर क्यों कर रखा है? मैंने सोचा था कि मैं इसकी पिक्चर्स लूंगी ताकि बाद में इसे गिफ्ट के तौर पर फ्रेमिंग करवा कर दे सकूं। इसके चेहरा कवर करने की वजह से मेरा पूरा सरप्राइज खराब हो गया।” नितारा ने कहा। वो नील की ही हम उम्र थी। उसके चेहरे का रंग हल्का सांवला और बाल लंबे थे। “आई थिंक इसे कोल्ड हो गया होगा, इसी वजह से इसने मास्क लगाया होगा।” नील ने शिवि की तरफ से सफाई दी। शिवि ने चेहरा क्यों कवर कर रखा था, इस तरह किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अपनी डिग्री एग्रीगेट मिलने के बाद उन्होंने वहां सेलिब्रेट किया। सेलिब्रेशन खत्म होने के बाद वहां के डीन स्पीच के लिए आगे आए। “मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आज एक और बेच अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने जा रहा है। मैं आप सब के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं, साथ ही मुझे ये कहते हुए बहुत खुशी महसूस हो रही है कि आज आपको यही से एक अच्छी प्लेसमेंट मिलने जा रही है। कॉलेज के ट्रस्टीज आपको आपके स्कोर के हिसाब से अपनी कंपनी में प्लेसमेंट देंगे। तो सबसे पहले बात करते हैं टॉप स्कोरर की, जिन्हें आर्य सिंह ओबरॉय की कंपनी डिजायर्स में प्लेसमेंट मिलने जा रही है। मैं चाहता हूं स्टेज पर मिस शिवनंदिनी अय्यर आए और अपने प्लेसमेंट के पेपर्स साइन करें।” डीन ने माइक में अनाउंस किया। उसके अनाउंसमेंट के साथ ही शिवि के दिल की धड़कन तेज हो गई। उसके पास खड़े ईशान और जिया उसकी तरफ देख रहे थे। “किसी ने ठीक ही कहा है, हम किसी चीज से जितना दूर भागते हैं वो उतने ही हमारे पास दौड़ कर चली आती है। अब बच कर कहां जाओगा मिस शिवनंदिनी अय्यर...” जिया ने हंसकर कहा। शिवि का पूरा नाम शिवनंदिनी अय्यर था, जो उसके पिता शिव और मां नंदिनी के नाम को मिला कर रखा गया था। नील ने दूर से शिवि की तरफ थम्स अप किया। वो सब उसे डिजायर्स में प्लेसमेंट मिलने की बधाइयां दे रहे थे। वही शिवि आर्य की शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी और अब उसे उसके साथ काम करने का मौका मिला था। ये एक अच्छा चांस था फिर भी शिवि को कुछ समझ नहीं आ रहा था। स्टेज पर एक बार फिर उसका नाम अनाउंस हुआ। तब शिवि बिना सोचे समझे स्टेज की तरफ जाने लगी। उसने अभी भी अपना चेहरा कवर कर रखा था। “अभी मैं कुछ नहीं कर सकती पर कल इसके ऑफिस जाकर सब क्लियर कर आऊंगी। मेरी शक्ल देखने के बाद तो ये वैसे भी मुझे अपने पास नहीं रखने वाला। अगर यहां मैंने मास्क हटाया तो ये खामखा तमाशा कर देगा। एक बार पेपर साइन कर देती हूं, बाद में इससे कैसे जान छुड़ाना है वो मुझे अच्छे से पता है।” शिवि ने अपने मन में कहा और स्टेज पर आ गई। स्टेज पर आने के बाद शिवि ने आर्य के हाथ से पेपर लिए और जल्दबाजी में साइन कर दिए। वो जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहती थी तो वहीं आर्य अब उसका चेहरा देखने के लिए बेताब था। आर्य ने उसे बधाई के लिए अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, “कांग्रेचुलेशन मिस शिवनंदिनी अय्यर... आपका नाम काफी बड़ा है, पर कोई नहीं, शॉर्ट फॉर्म निकाल लेगे। आप नहीं जानती कि इस वक्त मुझसे ज्यादा खुश और कोई नहीं है। मैं चाहता था मेरी कंपनी में किसी इंडियन को ही प्लेसमेंट मिले और देखिए, मेरा सपना पूरा हो गया।” शिवि ने कोई जवाब नहीं दिया और स्टेज से जाने लगी। उसने वहां से निकलते हुए अपने मन में सोचा, “देखो तो सही अब कितना नार्मली बात कर रहा है। मास्क हटा देती तो ये बंदर मेरा चेहरा यही नोच डालता। आया बड़ा प्लेसमेंट देने वाला... हूह।” शिवि के बिना कुछ बोले वहां से जाने की वजह से आर्य के चेहरे पर गुस्से के भाव थे। “एक तो मैं इसे अपनी कंपनी में प्लेसमेंट दे रहा हूं, ऊपर से थैंक यू भी नहीं बोला। इसे तो बाद मै बताऊंगा।” आर्य ने उस वक्त ज्यादा कुछ रॉकी नहीं किया। कुछ ही देर बाद डिग्री सेरेमनी खत्म हो चुकी थी, जहां आर्य वापस अपने घर को चला गया तो वही शिवि, नील और नितारा के साथ अपने घर को आ गई। उसके साथ ईशान और जिया भी थे। शिवि ईशान और जिया के साथ किचन में थी। कॉलेज में जो भी हुआ उससे उसे काफी गुस्सा आ रहा था। “तुम्हारा चेहरा छुपाना कोई काम नहीं आया। अच्छा, ऑफिस में भी मास्क लगाकर घूमोगी क्या?” जिया ने हंसकर कहा। शिवि ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो गुस्से में खाना अनबॉक्स कर रही थी, जो उन्होंने बाहर से आर्डर किया था। हड़बड़ाहट में उसने बहुत नीचे गिरा दिया। ईशान ने बॉक्स को उठाते हुए कहा, “इतना गुस्सा भी अच्छा नहीं होता। देखा जाए तो तुम बहुत लकी हो और काफी मेहनती भी, तुम्हारे दिन रात पढ़ाई करने का फल तुम्हें मिल ही गया। डिजायर्स में प्लेसमेंट पाने का ड्रीम सब देखते हैं। बस कुछ लकी लोगों को ही अपना ड्रीम पूरा करने का मौका मिलता है।” “अगर मुझे पहले पता होता तो मैं दिन-रात पढ़ाई कर लेती। इसी बहाने प्लेसमेंट भी मिल जाती और उस हैंडसम हंक को रोजाना देखने का मौका भी...” जिया ने कहा। उन दोनों की बातें शिवि को और चिड़ा रही थी। उसने गुस्से में लेकिन दबी आवाज में कहा, “तुम दोनों कुछ देर के लिए चुप करोगे? मेरा ऐसा कोई सपना नहीं था। मैं कल उसके यहां जाऊंगी। मेरी शक्ल देखने के बाद वो मुझे वैसे भी जॉब पर नहीं रखने वाला।” “तुम पागल तो नहीं हो गई हो? इतना अच्छा मौका अपने हाथ से क्यों जाने दे रही हो, सिर्फ 6 महीने की तो बात है। उसके बाद तुम्हें अच्छी कंपनी में जॉब मिल सकती है। तुम चाहो तो परमानेंटलि डिजायर्स के लिए भी काम कर सकती हो। अपने गुस्से को भूल कर अपने फ्यूचर के बारे में सोचो।” ईशान ने शिवि को समझाने की कोशिश की। “मुझे नहीं चाहिए कोई अच्छा मौका... तुम दोनों अच्छे से जानते हो वो इंसान कैसा है। मैं जिस इंसान की शक्ल भी नहीं देखना चाहती, उसके साथ 6 महीने बिताना तो बहुत बड़ी बात है।” शिवि अभी भी अपनी जिद पर अड़ी थी। “ये लड़की सच में पागल हो गई है। इसका कुछ नहीं हो सकता ठीक है। तुम्हें जो करना है करो, पर मेरा नाम रिकमेंड कर देना ताकि मुझे वहां प्लेसमेंट मिल सके।” जिया ने कहा। उसको शिवि के वहां जॉब ना करने से कोई प्रॉब्लम नहीं थी। “वैसे अगर तुम ना भी छोड़ो तो भी कोई दिक्कत नहीं। तुमसे मिलने आ जाऊंगी और इसी बहाने उसे देखने का मौका मिल जाएगा।” जिया की बातें शिवि को और इरिटेट कर रही थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया और खाना उठाकर बाहर जाने लगी। बाहर जाने से पहले उसने बिना मुड़े उन दोनों से कहा, “प्लीज नील के सामने कुछ मत कहना। आज का दिन उसके लिए बहुत खास है।” ईशान और जिया ने उसकी बात पर हामी भरी और उसके पीछे-पीछे बाहर आ गए। बाहर नितारा और नील उनका इंतजार कर रहे थे। शिवि को देखते ही नितारा बोली, “तुमने अपना चेहरा कवर क्यों कर रखा था? देखो एक भी पिक्चर ठीक से नहीं आई। किसी में भी तुम्हारा फेस नहीं दिखाई दे रहा।” “वो एक्चुअली मुझे थोड़ा कोल्ड फील हो रहा था तो मुझे लगा मुझे अपना फेस कवर कर लेना चाहिए, ताकि किसी और को इन्फेक्शन ना हो। वैसे अब ठीक है, मैंने मेडिसिंस ले ली थी।” शिवि ने बहाना बनाया। “हां मुझे लगा भी था। चलो कोई बात नहीं, हम बाद में फोटो सेशन फिर से करवा लेंगे।” नील ने जवाब दिया। वो लोग वहां बैठकर खाना खाते हुए हल्की फुल्की बातें कर रहे थे। बातों ही बातों में नील ने नितारा को अपने और अपने पिता की लड़ाई के बारे में बताया। “तुम्हें ये सब मुझे पहले ही बता देना चाहिए था। तुम कहीं भी रहो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। बस मैं चाहती हूं कि तुम अपने डैड के साथ सब कुछ सॉर्ट आउट कर लो।” नितारा ने सभी बातों को काफी लाइटली लिया। उसका जवाब सुनकर नील भी खुश हो गया। नील और नितारा के बीच सबकुछ सॉर्ट हो चुका था तो वहीं शिवि डिजायर्स में प्लेसमेंट मिलने की वजह से अभी भी परेशान थी। “मुझे इंडिया भी जाना है। जाने से पहले यहां सब कुछ ठीक करना होगा। कहीं ऐसा ना हो उस प्लेसमेंट के चक्कर में मैं इंडिया ना जा पाऊं और पापा को सजा हो जाए।” शिवि के चेहरे पर उदासी थी। वो बीच बीच में हल्का मुस्कुरा रही थी ताकि किसी को कोई डाउट ना हो। ___________ कॉलेज की डिग्री सेरेमनी अटेंड करने के बाद आर्य ऑफिस पहुंचा। ऑफिस आर्स खत्म होने को थे और स्टाफ वहां से निकलने को था। उसके ऑफिस में आते ही ध्वनि उससे मिलने के लिए उसके केबिन में आई। “मारे को तो लगा कि तू आज आने वाला ही नहीं है। पूरा दिन बाहर था, अब ऑफिस आने की क्या जरूरत है। घर पर कुछ देर आराम ही कर लेता।” ध्वनि ने अपने उसी गुजराती हिंदी मिक्स एक्सेंट में कहा और वहां लगी कुर्सी पर बैठ गई। “वहां मैंने प्लेसमेंट अनाउंस की थी, उसके पेपर साइन हो गए थे। सोचा लीगली सारा काम जल्द से जल्द हो जाए ताकि आगे देर ना हो।” आर्य ने जवाब दिया और पेपर्स ध्वनि के हवाले कर दिए हैं। “शिवनंदिनी अय्यर...” ध्वनि उस पर लिखा नाम पढ़ते हुए बोली, “आजकल के जमाने में इतना बड़ा नाम कौन रखता है? वैसे तुझे तो बहुत खुशी हो रही होगी कि किसी इंडियन ने टॉप स्कोर किया है।” “हां सही कहा अगर इसके बजाय कोई ब्रिटिशर होता तो मुझे कोई ना कोई बहाना बनाकर उसे काम से निकालना पड़ता। मेरे लिए 6 महीने निकालने मुश्किल हो जाते।” “हां तभी मैं सोचूं कि तू सब कुछ इतना जल्दी क्यों करवा रहा है। पिछली बार किसी अंग्रेज लड़के ने टॉप किया था तो तूने उसे 2 महीने में ही परेशान कर के भगा दिया था। देख इस बार ऐसा मत करना।” ध्वनि ने उसकी तरफ आंखें तरेर कर देखा। “ठीक है नहीं करूंगा, पर तुम इन पेपर्स का काम करवा देना। मुझे कल दोपहर तक सारा काम रेडी चाहिए।” “हो जाएगा बॉस...” ध्वनि ने जवाब दिया। “ठीक है फिर कल मिलते हैं।” आर्य वहां से उठा और घर जाने के लिए निकल पड़ा। ध्वनि ने वो पेपर्स उठाए और वहां से लॉयर से बात करने के लिए चली गई। जहां शिवि जॉब छोड़ने के बारे में सोच रही थी, वही आर्य ने आगे का लीगल वर्क करवाना शुरू कर दिया था। ★★★★
रात के 11 बज रहे थे। नील अपनी गर्लफ्रेंड नितारा के साथ उसके घर गया था। शिवि घर पर अकेली थी तो उसने जिया को अपने यहां ही रोक लिया था जबकि डिनर के बाद ईशान वहां से जा चुका था। जिया सो चुकी थी। शिवि को नींद नहीं आने की वजह से वो अभी भी करवट बदल रही थी। कमरे की लाइट बंद थी। नींद नही आने की वजह से शिवि दबे पांव बाहर हॉल में आई और लाइट ऑन की। वो वहां लगी डाइनिंग टेबल पर बैठ गई। “शिवि तू इतनी बड़ी बेवकूफी कैसे कर सकती है? सिर्फ उसके सामने ना आने के लिए तूने कांट्रेक्ट साइन कर दिया... जबकि अच्छे से जानती थी कि पापा की हियरिंग के लिए इंडिया जाना कितना जरूरी है।” शिवि को खुद पर गुस्सा आ रहा था। “अब तो भगवान से यही दुआ है कि जैसा सोचा है, वैसा ही हो और वो मेरी शक्ल देख कर मुझे काम से निकाल दे। टेंशन के मारे नींद भी नहीं आ रही।” शिवि वहां से उठकर फिर से कमरे में जाने लगी। तभी उसके पेट में गुड़गुड़ होने लगी। उसने पेट पर हाथ रखकर कहा, “टेंशन के मारे खाना भी ठीक से नहीं खाया और अब फिर से भूख लग रही है। हे भगवान..! पता नहीं क्या होगा मेरा... प्लीज इस बार कोई गड़बड़ मत कर देना क्योंकि इस बार बात मेरी नहीं मेरे पापा की है। उन्हें मेरी जरूरत है और उनके लिए मैं किसी तरह का रिस्क नहीं ले सकती।” अपनी भूख मिटाने के लिए शिवि ने अलमारी में से कुकीज का पैकेट निकाला और वहीं बैठकर खाने लगी। वो उसे खा रही थी तभी उसके मोबाइल की रिंग बजी। “इतनी रात को किस का फोन आया होगा...” शिवि ने फोन चेक किया तो सिद्धांत का कॉल था। उसने तुरंत कॉल पिक किया। “तुम्हें यही टाइम मिलता है क्या फोन करने का?” उसने फोन उठाते ही कहा। “हां सही कहा... मैं जस्ट फ्री हुआ ही था तो सोचा तुम्हें कॉल कर लूं।” सिद्धांत ने हंसकर जवाब दिया। “और क्या होता जो मैं सो गई होती?” शिवि ने पूछा। “होता कुछ नहीं बस तुम कॉल पिक नहीं करती... वैसे मुझे पता था कि तुम्हें नींद नहीं आ रही होगी, तभी मैंने कॉल किया था।” बोलते हुए सिद्धांत की आवाज थोड़ी गंभीर हो गई। तो वही उसकी बात सुनकर शिवि के चेहरे के भाव भी गंभीर हो गए। उसने शांत आवाज में कहा, “3 दिन बाद पापा के केस की हियरिंग है। ऐसे में मुझे नींद आ भी कैसे सकती हैं।” “ज्यादा टेंशन मत लो। तुम्हें देखने के बाद अंकल अपना डिसीजन बदल लेंगे। वो तुमसे बहुत प्यार करते हैं, तुम्हारे लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं... फिर इस बार तो काम भी मुश्किल नहीं। वैसे तुम आ रही हो ना?” सिद्धांत के पूछने पर शिवि ने कुछ पल रुक कर जवाब में कहा, “अभी तक तो यही प्लानिंग है लेकिन मुझसे एक गड़बड़ हो गई।” “हां हां ये तो होना ही था। जहां तुम होती हो वहां कोई गड़बड़ ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है मिस अय्यर... अब जल्दी बताओ क्या किया है, ताकि उसका सलूशन ढूंढने में मैं तुम्हारी हेल्प कर सकूं।” सिद्धांत ने हल्के तरीके से पूछा। “अब क्या बताऊं, बहुत लंबी कहानी है।” शिवि ने अपने बालों में हाथ घुमाकर कहा। “कोई बात नहीं... मेरे पास बहुत टाइम है। इंडिया में अभी 6:30 बजे हैं। ऑफिस टाइम वैसे भी खत्म हो गया है, घर कभी भी जाओ किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला तो तुम अपनी लंबी कहानी काफी टाइम लेकर सुना सकती हो...” सिद्धांत ने हंसकर जवाब दिया। उसके हाथ में कॉफी मग था और सामने टेबल पर काफी सारी फाइल्स बिखरी थी। “तुम फिर कहोगे कि मुझे दूसरों के फटे में टांग डालने की क्या जरूरत थी, पर मैं खुद को रोक नहीं पाती। ऐसे लगता है जैसे मुसीबतें चलकर मेरे पास नहीं आती बल्कि मैं उन्हें आवाज देकर अपने पास बुलाती हूं...” उसे सब कुछ बताने से पहले शिवि ने अपने दिल की बात उसके सामने रखी। ये सच भी था। वो सब की हेल्प करने के चक्कर में खुद को किसी न किसी मुसीबत में डाल लेती थी और फिर उससे जान छुड़ाना उसके लिए मुश्किल हो जाता था। “तुम्हें इतनी एक्सप्लेनेंशन देने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें कॉलेज टाइम से जानता हूं और तुम्हारी इस प्रॉब्लम से भी अच्छी तरह वाकिफ हूं। अब चलो बताओ इस बार क्या हुआ।” “कुछ दिन पहले मैं एक रेस्टोरेंट में गई थी, जहां पर एक हद से ज्यादा अमीर इंसान मौजूद था। अब अमीर है तो रॉकी सी बात है कि घमंड और एटीट्यूट तो उसमें कूट-कूट कर भरा होगा। बस उसी से थोड़ी बहस हो गई और उसने गुस्से में उस रेस्टोरेंट को खरीद लिया। मैंने अपनी तरफ से डील कैंसिल कराने की पूरी कोशिश की थी लेकिन फिर भी डील हो गई।” “बस इतनी सी बात...” सिद्धांत ने कॉफी का शिप लेते हुए कहा, “कोई रेस्टोरेंट खरीदे या बेचे, उसमें तुम्हें क्या... इस दुनिया में 700 करोड़ से भी ज्यादा लोग हैं और वो किसी न किसी तरह की प्रॉब्लम से जूझ रहे होते हैं। जरूरी नहीं कि तुम जाकर सब की हेल्प करो।” “हां सही कहा... लेकिन प्रॉब्लम ये नहीं है। प्रॉब्लम ये है कि मैंने एमबीए में टॉप किया था...” शिवि आगे की कहानी सुनाती उससे पहले सिद्धांत खुशी से जोर से चिल्लाया, “क्या सच में? तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि तुमने एमबीए टॉप किया है और ये प्रॉब्लम की बात थोड़ी ना है पागल... ये तो खुशी की बात है।” “पहले पूरी बात सुन तो लो...” शिवि उसे आगे बताते हुए बोली, “यूनिवर्सिटी में जिस स्टूडेंट ने टॉप किया है, उसे एक अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट मिल रहा है। मुझे भी मिला... बट अनफॉर्चूनेटली वो कंपनी उसी अकड़ू इंसान की थी, जिससे कुछ रोज पहले मेरी बहस हुई थी। बात यहीं खत्म नहीं होती। जल्दबाजी में मैंने प्लेसमेंट के लिए कॉन्ट्रैक्ट भी साइन कर दिया था।” सारी बात सुनने के बाद सिद्धांत बोला, “हां अब मैं कह सकता हूं कि तुमने बहुत बड़ी प्रॉब्लम क्रिएट कर ली है। लीगल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलना आसान काम नहीं होता। हां अगर वो खुद से तुम्हें इस कॉन्ट्रैक्ट से आजाद कर दे, तो बात अलग है।” “बस इसीलिए मैं परेशान हूं। कल उसकी कंपनी में जाऊंगी और उसे कह दूंगी कि मुझे नहीं चाहिए उसकी प्लेसमेंट। वैसे भी मुझे इंडिया आना है। कहीं ना कहीं मुझे भी यही लगता है मेरी शक्ल देखने के बाद वो मुझे काम से निकाल देगा।” शिवि ने अपनी उलझन को सिद्धांत के सामने रखा। “आई विश ऐसा ही हो। इस बार तुम्हारा इंडिया आना बहुत जरूरी है। इस बार फाइनल हियरिंग है। अगर इस बार भी अंकल ने अपने गुनाह को जज के सामने कबूल किया तो उन्हें सजा हो जाएगी। केस तो पिछली बार ही खत्म हो जाता पर तुम नहीं जानती मैंने कितनी मुश्किल से फैसले को नेक्स्ट हियरिंग तक आगे बढ़ाया है। लास्ट टाइम मुझे कोर्ट में खुद की तबीयत खराब होने का दिखावा करना पड़ा।” सिद्धांत ने बताया। “बस इन सब की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही। एक बार कल की मुसीबत टल जाए, फिर सब ठीक हो जाएगा।” कुछ देर इधर-उधर की हल्की-फुल्की बातचीत करने के बाद सिद्धांत ने फोन कट कर दिया। उससे बात करने के बाद शिवि को अच्छा महसूस हो रहा था। वो एक लंबे दिन के बाद काफी थक भी गई थी इसलिए वहां से सीधे सोने के लिए चली गई। ___________ सुबह के 6:00 बज रहे थे। आर्य ओबरॉय मेंशन पहुंचा। वो उस दिन पार्टी में हुए तमाशे के बाद से ही घर नहीं आया था। उसके दादाजी मिस्टर विक्रम सिंह ओबरॉय के अलावा किसी को उसके वहां होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। ऐसे में किसी ने उसके बारे में ज्यादा कुछ पूछा भी नहीं। आर्य अपनी गाड़ी पार्क कर के ऊपर पहुंचा तो उसे अपनी फैमिली मेंबर्स में से कोई दिखाई नहीं दिया। “थैंक गॉड कोई नहीं है, वरना सुबह सुबह मूड खराब हो जाता।” आर्य ने खुद से कहा और ऊपर अपने कमरे में जाने लगा। कमरे में जाते वक्त उसे सामने से केरिन आती हुई दिखाई दी। उसे देखने के बाद उसका चेहरा उतर गया। “ये यही पर रह रही है क्या?” उसने खुद से पूछा। केरिन ने जब देखा आर्य उसी की तरफ देख रहा है, तब उसने हल्की मुस्कुराहट दी। आर्य ने अपना चेहरा घुमा लिया और उसे इग्नोर करके अपने कमरे में बढ़ने लगा। उसके कोई रिस्पांस नहीं देने पर केरिन तेज कदमों से चलती हुई उसकी तरफ आई। “हे... आर्य। हमें बात करना चाहिए।” केरिन अपनी टूटी-फूटी हिंदी में बोली। “मुझे नहीं लगता हमारे दोनों के बीच कुछ ऐसा है, जिससे हमें बात करनी चाहिए। तुम मिस्टर ओबरॉय की गर्लफ्रेंड हो और मेरे लिए इतनी वजह काफी है, तुमसे नफरत करने के लिए...” आर्य ने अपने गुस्से को काबू में कर के जवाब दिया। वो कमरे में जाने लगा, तभी केरिन उसका हाथ पकड़ कर उसे रोका। “आई डोंट नो मिस्टर ओबरॉय और तुम्हारे बीच में क्या प्रॉब्लम है... आई वांट कि तुम दोनो के बीच सब ठीक हो जाए।” “ओह रियली? यू रियली वांट कि हम दोनो के बीच सब ठीक हो जाए?” आर्य ने उसका हाथ धीरे से अपने हाथ से अलग किया। “यस...” केरिन ने हामी भरी। “ठीक है फिर ऐसा करो कि अपना सामान बांधो और जहां से आई हो, वही चली जाओ।” आर्य ने सख्ती से जवाब दिया। “ये नही हो सकता... अगर तुम अपने गुस्से को इग्नोर करो, तो हम दोनों के बीच चीजें अच्छी हो सकती है। आई नो तुम मुझे एक्सेप्ट कर लोगे।” केरिन की बात सुनकर आर्य हल्का सा हंसा। उसकी हंसी में भी उसका गुस्सा झलक रहा था। उसने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “हमारे बीच में कभी कुछ अच्छा नहीं हो सकता। ये बात कभी मत बोलना और दूसरी बात, तुम यहां जिस हैसियत से आई हो, उसके बाद मैं तुमसे बात कर रहा हूं यही बड़ी बात है।” अपनी बात कह कर आर्य अपने कमरे में चला गया। केरिन ने फिर भी हार नहीं मानी। वो उसके कमरे में आ गई। उसे अपने कमरे में देखकर तो आर्य का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसके कमरे में आने की इजाजत किसी को नहीं थी, यहां तक कि घर पर काम करने वाले हाउस हेल्पिंग स्टाफ को भी नहीं। “गेट लॉस्ट...” आर्य उस पर गुस्से में चिल्लाया। केरिन ने कमरे का दरवाजा बंद किया और आर्य के पास आई। उसने आर्य को दोनों कंधों से पकड़ कर उसे दीवार पर लगा दिया और वो उसके बिल्कुल पास थी। “मैं ज्यादा घुमा फिरा कर बात नहीं करूंगी... आई लाइक यू... तुम... तुम बहुत डिफरेंट हो।” केरिन अपने होंठ आर्य के होठों के पास लाने की कोशिश कर रही थी लेकिन आर्य ने उसे खुद से दूर धकेल दिया। आर्य ने आगे कुछ नहीं कहा और केरिन का हाथ पकड़ कर उसे कमरे से बाहर निकाल दिया। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। गुस्से में केरिन पैर पटकते हुए वहां से चली गई। आर्य वहां से बाथरूम में गया और अपना मुंह धोया। “मतलब हद होती है। एक तो मेरी मां की मौत के बाद में पता नहीं किस-किस को उठाकर यहां लाकर पटक दिया ऊपर से... ऊपर से ये तो टू मच था। उस दिन क्या कब तमाशा हुआ था, जो ये यहां पर अपने प्यार का इजहार करने मेरे कमरे में घुस गई। मिस्टर ओबरॉय को इस बात का पता चला तो उसमें भी वो मेरी गलती निकालेंगे। उनके लिए दुनिया में हर होने वाली प्रॉब्लम के लिए मैं ही जिम्मेदार होता हूं।” आर्य खुद को सामान्य करने की कोशिश कर रहा था। वो नहा धोकर बाहर आया। आर्य ऑफिस जाने के लिए तैयार हुआ और वहां रखा अपना बचा कुचा सामान दो सूटकेस में पैक कर लिया। उसकी अलमारी अब बिल्कुल खाली थी। “इस जगह से जितना जल्दी पीछा छूटे, उतना ही अच्छा है।” आर्य ने खुद से कहा और दोनों सूटकेस को एक साथ अपने दोनों हाथों से घसीटते हुए नीचे लाया। नीचे उनका पूरा परिवार नाश्ते की टेबल पर बैठा था। वो लोग लंदन में भले ही रह रहे थे परंतु उसके पिता मिस्टर आशुतोष सिंह ओबरॉय भारतीय होने का अच्छा खासा दिखावा करते थे। वो परिवार को एक साथ रखने और एक साथ खाना खाने जैसी चीजों को बहुत वैल्यू देते थे। आर्य को वहां देखकर आशुतोष अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे ही बोले, “तुम रात को यहीं पर थे क्या? किसी ने बताया क्यों नहीं?” बोलते हुए उन्होंने घड़ी की तरफ देखा और आगे कहा, “तुम्हें तो अच्छे से पता है कि स्ट्रिक्टली 8:30 बजे सबको ब्रेकफास्ट के लिए डायनिंग हॉल में आना होता है। पर खैर छोड़ो... मैं भी किसे कह रहा हूं जिसे हर वक्त अपनी मनमानी करनी होती हैं।” आर्य ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसने एक नजर केरिन की तरफ देखा जो इस तरह नाश्ता कर रही थी, जैसे कुछ देर पहले कुछ हुआ ही नहीं था। किसी ने उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन विक्रम जी ने उसे सूटकेस के साथ देखा तो वो अपनी जगह से खड़े हुए और उसके पास गए। “तुम घर छोड़कर जा रहे हो? तुमने वादा किया था कि जब तक मैं जिंदा हूं, तुम यहां से नहीं जाओगे।” आर्य को सूटकेस के साथ देखकर वो काफी दुखी हुए। “सोचा तो मैंने भी यही था पर अब अपना डिसीजन बदल लिया। आप चाहो तो मेरे साथ सेटल हो सकते हो।” आर्य ने काफी नरमी से कहा। विक्रम सिंह जी उसकी बात का कुछ जवाब दे पाते उससे पहले आशुतोष गुस्से में बोल पड़े, “तुम्हें जहां जाना है, जाओ लेकिन पापा यहां से कहीं नहीं जाएंगे। पापा घर के सबसे बड़े हैं और इस घर को उनकी जरूरत है।” उनकी बात सुनकर आर्य के चेहरे पर तंज भरी मुस्कुराहट थी। उसने जवाब में कहा, “हां जैसे किसी को उनके यहां होने से फर्क पड़ता है।” आशुतोष ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। आर्य ने फिर अपने दादाजी की तरफ देख कर कहा, “दादू मैं आपके जवाब का इंतजार कर रहा हूं।” “इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने कहा ना पापा यहां से कहीं नहीं जाएंगे। तुम अपना और हमारा टाइम वेस्ट मत करो। तुम्हें जहां जाना है, तो जा सकते हो।” विक्रम सिंह जी के बजाय आशुतोष ने जवाब दिया। आर्य ने विक्रम सिंह जी की तरफ देखा। उनकी नजर झुकी हुई थी। वो चाह कर भी आर्य के साथ नहीं जा सकते थे। आर्य को उसका जवाब मिल चुका था। उसने आगे कुछ नहीं कहा और गुस्से में दोनों सूटकेस घसीटते हुए वहां से जाने लगा। उसके वहां से जाने पर किसी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे मानों किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था सिवाय विक्रम सिंह ओबरॉय के... उनकी आंखों में आंसू थे। ★★★★
आर्य ने ओबेरॉय मेंशन छोड़ दिया था। उसे घर छोड़ने से किसी ने नहीं रोका था, यहां तक कि उसके दादाजी विक्रम सिंह ओबरॉय ने भी नहीं। हालांकि वो आर्य के घर छोड़ने से बहुत दुखी थे पर बाकी घर वालों के सामने उन्होंने कुछ रॉकी नहीं किया। उनके ऐसा करने पर आर्य को काफी गुस्सा आ रहा था। आर्य अपने लगेज के साथ ऑफिस पहुंचा। सब कोई उसे सूटकेस के साथ देख कर हैरान हो रहा था मगर किसी को भी कुछ पूछने की हिम्मत नहीं पड़ी। आर्य सूटकेस को घसीटते हुए अपने केबिन में आया और उन्हें एक तरफ रख दिया। “वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? बाकी लोगों से मुझे कोई उम्मीद नहीं है लेकिन दादू... वो तो मेरे साथ आ सकते थे। ऐसे तो बड़ा कहते रहते हैं तेरे बिना मेरा खाना हजम नहीं होता... और अब पिछले 2 दिनों से मुझे कॉल तक नहीं किया। अब तो हद ही हो गई। मैंने जब उन्हें मेरे साथ आने का कहा तो उन्होंने कोई जवाब भी नहीं दिया।” गुस्से में बड़बड़ाते हुए आर्य ने अपना हाथ फाइल्स पर पटका। उसे ऑफिस आए हुए आधे घंटे हो चुके थे पर उसका काम में मन नहीं लग रहा था। वो गुस्से में बड़ाबड़ाए जा रहा था। केबिन के बाहर अपनी डेक्स पर काम करते हुए उसकी सेक्रेटरी जेनी की नजरें अंदर की तरफ बनी हुई थी। “इतने इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट्स साइन करवाने थे लेकिन सर का एटीट्यूड... इनकी शक्ल देख कर साफ पता चल रहा है कि ये गुस्से में है। इस वक्त अंदर गई तो मेरी जान ले लेंगे। अगर मैने इन्हे टाइम से साइन नही करवाया तो उसका गुस्सा भी मुझे पर निकलेगा... प्लीज गॉड सेव मी.... कोई तो मैजिक कर दो कि मुझे अंदर ना जाना पड़े।” जेनी आंख बंद करके भगवान से प्रार्थना कर रही थी। प्रार्थना करके जेनी ने आंखें खोली तो उसने देखा सामने से ध्वनि चलकर आ रही थी। उसे देखते ही जेनी ने राहत की सांस ली मानो भगवान ने उसकी सुन ली हो। “क्या हुआ? क्या वो आज फिर गुस्से में ऑफिस आया है जो तुम हाथ जोड़कर भगवान जी से कुछ मांग रही हो।” ध्वनि ने उसके पास आकर पूछा। जेनी ने हां में सिर हिलाते हुए कहा, “महीने के 20 दिन सर ऐसे ही मूड में ऑफिस आते हैं।” “हां सही कहा....” ध्वनि ने जवाब दिया। फिर उसने जेनी के चेहरे की घबराहट को भांपते हुए आगे कहा, “मुझसे कोई उम्मीद मत रखना। तुम्हें यहां काम करते हुए 1 साल से भी ज्यादा हो गया है। फिर भी तुम्हें डर लगता है। अब तक तो तुम्हें इसकी आदत हो जानी चाहिए।” “सिर्फ आखरी बार... प्लीज इस बार मेरी हेल्प कर दीजिए।” बोलते हुए जेनी ने जबरदस्ती डॉक्यूमेंटस ध्वनि के हाथ में पकड़ा दिए। ध्वनि ने डाक्यूमेंट्स को पढ़ा और फिर जेनी की तरफ घूर कर देखा। उसने कहा, “जेनी, अब तक ये साइन हो जाने चाहिए थे। इन्हें कोर्ट में सबमिट भी करना है। इसका गुस्सा वो मुझ पर करेगा। हद हो गई यार... मैं उसकी असिस्टेंट नहीं हूं। मैं भी इस कंपनी में हिस्सेदार हूं वो भी पूरे 5 परसेंट की....” जवाब में जेनी ने उसके सामने अपने हाथ जोड़े और आंखों को किसी मासूम बच्चे की तरह बार-बार झपकाने लगी। उसे देखकर ध्वनि को दया आ गई। “ठीक है लेकिन सिर्फ आखरी बार। आगे से मुझसे कोई उम्मीद मत रखना।” ध्वनि ने वो पेपर उठाए और अंदर जाने लगी। उसके डाक्यूमेंट्स ले जाने की वजह से जेनी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसने एक बार फिर हाथ जोड़कर भगवान को शुक्रिया किया। “थैंक यू सो मच गॉड... ये सच में एक एंजेल है।” जेनी ने बुदबुदाकर कहा और फिर वहां डेक्स पर फैली फाइल्स पर काम करने लगी। वही ध्वनि डॉक्यूमेंट के साथ अंदर पहुंची तो उसकी नजर सबसे पहले वहां रखे सूटकेस पर गई। उसे देखकर उसने अजीब चेहरा बनाया और दौड़ कर आर्य के पास गई। “नहीं, ये नहीं हो सकता। थारे बापू ने थारे को घर से निकाल दिया।” ध्वनि गुजराती एक्सेंट में बोली। उसके ऐसा बोलने पर आर्य ने घूर कर उसकी तरफ देखा। गुस्से में उसकी नाक लाल थी। “एक्सक्यूज मी? मुझे किसी ने घर से नहीं निकाला है। मैं खुद वो घर छोड़ कर आया हूं।” आर्य ने जवाब दिया। “बात तो एक ही है... अब तू उस घर में नहीं जा सकता। चाहे तूने वो घर अपनी मर्जी से छोड़ा हो या तुझे वहां से निकाला गया हो। देख तूने अपने पापा के बिजनेस को पहले ही छोड़ दिया था और अब घर भी छोड़ दिया। लगता नहीं कि तेरे खानदान की प्रॉपर्टी में से तुझे कुछ मिलने वाला है।” “मुझे कुछ चाहिए भी नहीं। मैं अपने दम पर बहुत कुछ कर सकता हूं और रिजल्ट तुम्हारी आंखों के सामने है। इतनी बड़ी कंपनी मैंने अपने दम पर खड़ी की है।” बोलते वक्त आर्य के चेहरे पर गर्व के भाव थे। “ये क्या बोल रहा है तू? कंपनी तेरे अकेले की नहीं है और ना ही तुमने सिर्फ अपने दम पर खड़ी की है। 5% की हिस्सेदारी मेरी भी है। ये भी तुझे अच्छे से याद होगा कि कितनी मुश्किल से मैंने तेरे लिए पैसे का जुगाड किया था।” बातों बातों में ध्वनि आर्य का मूड सही करने की कोशिश कर रही थी। उसकी बातें सुनकर आर्य का मूड काफी हद तक सही भी हो रहा था। उसने थोड़ा भावुक होकर कहा, “हां एक तू ही है, जिसे मैं अपने दिल की सारी बातें बता सकता हूं। पहले तो दादू भी थे पर अब... अब तो उन्होंने भी साथ छोड़ दिया। थैंक यू सो मच ध्वनि, बस ऐसे ही मेरे साथ रहना।” “हां जरूर लेकिन तू भी बात बात पर अपना मूड मत सड़ाया कर। अरे हम यहां के राजा हैं, हमें किसी की क्या जरूरत है? क्या हुआ, जो उन्होंने तुम्हें घर से निकाल दिया, मेरा घर है, तुम्हारे पास भी अपना अलग घर है। तुम चाहो तो एक और नया घर खरीद सकते हो।” ध्वनि के मुंह से घर से निकालने की बात सुनकर आर्य को फिर से सब याद आ गया। उसने उसकी तरफ आंखें तरेर कर देखा। उसके चेहरे पर फिर से वही गहरे गुस्से के भाव थे। “बाप रे इतना गुस्सा, देख तेरी नाक लाल हो गई। अगर तू इसी तरह गुस्सा करता रहा तो आर्य ऑफिस वाले ऑफिस छोड़ कर भाग जाएंगे।” ध्वनि ने कहा। “ऐसा कुछ नहीं होने वाला। मैं उन्हें टाइम पर अच्छी सैलरी पर करता हूं, तो कोई कहीं नहीं जाएगा। चल छोड़ इन सब को, और बता तू यहां क्यों आई थी।” आर्य के बात बदलते ही ध्वनि ने अपने साथ लाए डॉक्यूमेंट उसके सामने रखे और कहा, “इन डॉक्युमेंट पर साइन करवाने के लिए लाई थी। तेरा गुस्सा देखकर तेरी वो जेनी पेनी तो अंदर तक आने के लिए तैयार नहीं थी।” आर्य ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसने वो डाक्यूमेंट्स गौर से पढ़े और फिर उन पर साइन कर दिया। “अच्छा... कोई बात नही। आज वो नई लडकी भी आने वाली थी ना, जिसे प्लेसमेंट मिली थी। तुमने लीगल काम करवाया या नहीं?” आर्य ने पूछा। “हां करवा दिया। बस तभी ऑफिस आने में देर हो गई थी।” बोलते हुए ध्वनि ने अपने साथ लाए पेपर्स को भी आर्य के सामने रख दिया। “कल तेरे जाते ही मैं लॉयर के पास चली गई थी। उसने सुबह कॉन्ट्रैक्ट को कोर्ट में सबमिट करवा दिया था। उसी की कॉपी लेकर आई थी।” “चलो अच्छा है सब कुछ आसानी से और जल्दी-जल्दी हो गया।” आर्य ने जवाब दिया। कांट्रेक्ट पेपर पर शिवि का नाम पढ़ने के बाद आर्य को कल डिग्री सेरेमनी की याद आ गई, जहां शिवि ने अपना चेहरा कवर कर रखा था। उसने उसे प्लेसमेंट मिलने की बधाई भी दी लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया था। “वो लड़की भी कुछ कम अजीब नही है।” आर्य ने खोए हुए अंदाज में कहा। “आने दो इसे ऑफिस.. इस से भी कुछ हिसाब चुकाना है।” आर्य की बात सुनकर ध्वनि जल्दी से बोली, “बिल्कुल भी नहीं। तू आज उससे बिल्कुल नहीं मिलने वाला। तेरा मूड पहले से खराब है, ऊपर से उस लड़की का आज पहला दिन होने वाला है। तू क्या चाहता है वो पहले दिन ही यहां से भाग जाए।” “हां तो भाग जाए क्या फर्क पड़ता है? उससे उसी को नुकसान होने वाला है। नंबर वन वो यहां पर जॉब करने का मौका खो देगी और नंबर टू उसे हमें कंपनसेशन कर देना होगा।” आर्य के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी। “तुझे उससे जो बदले लेने हैं, ले लेना लेकिन आज नही। उसे मै खुद देख लूंगी।” ध्वनि ने कहा और वहां से जाने लगी। आर्य ने उसके पीछे से तेज आवाज में कहा, “तुम कब तक उससे मुझसे बचा कर रखोगी? आज नहीं तो कल यहां काम करते हुए उसे मेरे सामने आना ही होगा।” ध्वनि ने उसकी बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया और अपने केबिन में आ गई। उसने जेनी से शिवि को अपने केबिन में भेजने की बात भी कह दी थी। ___________ वहीं दूसरी तरफ शिवि का आज डिजायर्स में पहला दिन था। वो वहां जाने से पहले तैयार होकर बाहर आई। उसने काफी कैजुअल लुक ले रखा था। उसे वो जॉब नहीं करनी थी इसलिए उसने सिंपली वाइट पेंट पर अपना वही पिंक स्वेटर डाल रखा था। उसके गले में व्हाइट स्कार्फ था। उसे इस तरह तैयार हुआ देखकर जिया ने मुंह बनाया और कहा, “तेरी उसके सामने इमेज ऐसे ही कुछ खास अच्छी नहीं है, ऊपर से तू ऐसा तैयार होकर जाएगी तो तुझे वहां का सिक्योरिटी गार्ड भी अंदर नहीं जाने देगा।” “हां तो मैं कौन सा उसे इंप्रेस करने जा रही हूं? मैं भी तो यही चाहती हूं कि वो मुझे अंदर ना आने दे। वो मुझसे डिप्रैस हो जाए और धक्के मार कर काम से निकाल दे।” शिवि ने बेपरवाही से जवाब दिया। “कम ऑन यार... अपना नहीं तो मेरी इमेज का कुछ तो ख्याल कर। चल मैं तुझे तैयार करती हूं।” जिया जबरदस्ती शिवि का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गई। उसने शिवि की कपड़ों की अलमारी खोली और कपड़े देखने लगी। उसे देखने के बाद उसने मुंह बनाकर कहा, “तुम्हारी तरह तुम्हारा वार्डरोब पर बहुत बोरिंग है मिस अय्यर...” “हूह.. मैं ऑलरेडी लेट हूं... तू मुझे और देर मत करा... और जाने दे।” शिवि उसकी बात को टालकर बाहर निकल रही थी लेकिन जिया उसके पीछे दौड़ कर आई और उसका हाथ पकड़कर जबरदस्ती उसे अंदर घसीट लिया। उसने शिवि की अलमारी से ब्लू जींस और व्हाइट विंटर टी-शर्ट निकाला। ऊपर पहनने के लिए उसने उसके लिए ब्राउन ओवरकोट निकाला था। ठंड काफी ज्यादा होने की वजह से साथ में मैच करने के लिए उसने रेड स्कार्फ निकाला। उसे देखने के बाद शिवि ने मुंह बनाकर कहा, “एक्सक्यूज मी, मैडम मैं ऑफिस जा रही हूं, ना कि डेट पर...” “लाइक सीरियसली? तू क्या डेट पर ऐसे कपड़े पहन कर जाएगी। तुझे क्या लगता है तू जब डेट पर जाएगी, तब मैं तुझे ऐसे कपड़ों में जाने दूंगी।” जिया ने जवाब दिया। “लेकिन मुझे देर...” शिवि उसे टालने की कोशिश कर रही थी लेकिन जिया ने उसकी एक नहीं मानी। उसने जबर्दस्ती शिवि के हाथ में वो कपड़े थमा दिए और उसे बाथरूम में धकेल कर बोली, “अगर तू नहीं चाहती कि तुझे और ज्यादा देर हो, तो जल्दी से तैयार होकर बाहर आ।” मजबूरन शिवि को जिया की बात माननी ही पड़ी। 10 मिनट बाद वो कपड़े पहनकर बाहर निकली। अपने पसंद के कपड़ों में शिवि को देखने के बाद जिया के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट थी। जल्द ही उसकी मुस्कुराहट छोटी पड़ गई और उसने मुंह बनाकर कहा, “कपड़े तो ठीक है लेकिन मेकअप और बालों का भी कुछ करना होगा।” जिया ने शिवि को ड्रेसिंग के आगे जबरदस्ती बिठा दिया। उसने उसके चेहरे पर हल्का मेक अप किया और बालों को स्ट्रेट कर दिया। उसने उसके आगे के कुछ बालों को निकालकर पीछे से आर्य बालों को लेकर हाई बन बना दिया। शिवि का ये लुक काफी कूल लग रहा था। “हां अब कह सकते हैं कि एक कॉलेज पास आउट प्लेसमेंट के लिए आई है। पहले तो ऐसे लग रहा था जैसे किसी राह चलती बेचारी लड़की को दया खाकर किसी ने जॉब दे दी हो।” उसे तैयार हुआ देखकर जिया काफी खुश हुई। शिवि ने उसे थैंक कहा और जल्दी से बैग लेकर डिजायर के लिए निकल पड़ी। लगभग 1 घंटे बाद वो रिचार्ज के ऑफिस पहुंच चुकी थी। वहां पहुंचकर रिसेप्शनिस्ट को अपनी आईडी दिखाने के बाद उसने आर्य के ऑफिस का फ्लोर पूछा और जल्दी-जल्दी वहां जाने लगी। “ओह गॉड, पहले दिन ही लेट हो गई। इस बात को लेकर वो मुझे पक्का सुनाएगा... उस दिन वाली बात को भी वो भूला नहीं होगा। वैसे देखा जाए तो ये बात भी मेरे फेवर में जाएगी... वो मुझसे गुस्सा होगा और मुझे निकाल देगा।” लिफ्ट रुकते ही शिवि बाहर निकली। वो तेज़ कदमों से चलते हुए आर्य के केबिन के पास पहुंची। ★★★★
शिवि को डिजायर्स में प्लेसमेंट मिलने के बाद वो आर्य से बात करने के लिए उसके ऑफिस आई थी। उसे ऑफिस आने में देर हो गई थी। वहां पहुंचने के बाद वो सबसे पहले आर्य की सेक्रेटरी जेनी से मिली। “मुझे मिस्टर ओबरॉय से मिलना है। मेरा नाम शिवनंदिनी अय्यर है और मुझे....” शिवि उसे अपना इंट्रोडक्शन दे रही थी, तभी जेनी ने उसकी बात के बीच में कहा,“अच्छा तो तुम हो वो, जिसे प्लेसमेंट मिली है। तुम्हें नहीं लगता कि तुम पहले दिन ही ऑफिस लेट आई हो? सर का मूड वैसे भी काफी खराब है, ऊपर से तुम्हारा देर से आना....” “वैसे क्या आप मुझे बताएंगी कि आपके उन प्यारे सर का मूड कब खराब नहीं होता।” शिवि ने आंखें तरेर कर कहा। उसके ऐसा कहने पर जेनी ने उसकी तरफ घूर कर देखा और फिर कहा, “तुम्हें कैसे पता? खैर छोड़ो... किसी अवॉर्ड शो में या मैगजीन में पढ़ा होगा। आगे से इस बात का ध्यान रखना कि तुम देर से ना आओ।” “मैं भी यही चाहती हूं कि इसकी नौबत ना आए। अब क्या मैं मिस्टर ओबरॉय से मिल सकती हूं।” “नहीं... बिल्कुल नहीं....” जेनी ने जवाब दिया। “तुम्हें सर से मिलने से पहले ध्वनि मैम से मिलना होगा। उनका ऑफिस थर्ड फ्लोर पर है। वहां जाओगी तो किसी से पूछ लेना।” “लेकिन मुझे आर्य सिंह ओबरॉय से ही मिलना है... मुझे कुछ...” शिवि को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला। जेनी फिर उसकी बात बीच में काट कर बोली, “कहा ना पहले ध्वनि मैम से मिलना होगा। अब मेरा टाइम वेस्ट मत करो और जल्दी से यहां से जाओ।” शिवि ने हां में सिर हिलाया और वहां से वापस लिफ्ट की तरफ आ गई। “लगता है उसके साथ काम करने वाले लोग भी बिल्कुल उसी की तरह है। तभी यहां काम करने वाले लोग टिके हुए हैं। उन्हें उसे झेलने में दिक्कत नहीं होती होगी।” शिवि थर्ड फ्लोर पर पहुंच चुकी थी। उसे ध्वनि का ऑफिस ढूंढने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। सामने की तरफ थोड़ा आगे जाकर केबिन के बाहर उसका नाम लिखा हुआ था। उसके जरिए शिवि ने ध्वनि का ऑफिस ढूंढ लिया। “चलो एक बात तो अच्छी है। यहां ज्यादातर काम करने वाले लोग इंडियन हैं। अपने देश के लोगों के साथ रहने का मजा ही कुछ और है... एक पराए देश में भी अपनापन महसूस होता है।” वहां इंडियन लोगों को काम करता देख शिवि के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। फिर उसे ख्याल आया कि वो यहां काम करने नहीं बल्कि जॉब छोड़ने के सिलसिले में बात करने आई थी। ये बात याद आते ही उसने अपने सिर पर हल्के से मारा और कहा, “भले ही एक साथ इतने इंडियंस को लंदन में देख कर तुझे खुशी महसूस हो रही होगी लेकिन मत भूल कि तू यहां किस लिए आई है। अगर तुझे इंडियंस के साथ रहने का इतना ही शौक है, तो अपने देश में चलकर ही रहना।” खुद से बातें करते हुए शिवि ध्वनि के केबिन तक पहुंची। उसने दरवाजा खटखटाकर हल्की तेज आवाज में अंदर आने के लिए पूछा, “मे आई कम इन मैम....” “यस....” अंदर से ध्वनि की एक सख्त आवाज आई। वो आर्य के साथ जितनी मस्ती करती थी, ऑफिस में बाकी लोगों के साथ उतना ही प्रोफेशनली बिहेव करती थी। शिवि अंदर आई। उसके अंदर आते ही ध्वनि उसकी तरफ चेयर पर बैठे-बैठे पलटी। ध्वनि उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देख रही थी। “तो तुम हो मिस शिवनंदिनी अय्यर.... नाम देखकर लगा नहीं था कि तुम इतनी कूल हो सकती हो।” ध्वनि ने उसकी अपीरियंस के हिसाब से जज किया। “वो मुझे मिस्टर आर्य सिंह ओबरॉय से मिलना था।” “क्यों? मुझसे मिलने में कोई प्रॉब्लम है क्या? मैं भी इस कंपनी में पार्टनर हूं।” “मेरे कहने का वो मतलब नहीं था। मैं बस एक बार सर से मिलना चाहती थी।” शिवि ने जवाब दिया। “अब जब यहां काम कर रही हो तो उनसे मिलना होता रहेगा। चलो बैठो, कांट्रेक्ट के बारे में डिस्कस करते हैं।” बोलते हुए ध्वनि ने शिवि को सामने लगी चेयर पर बैठने का इशारा किया। शिवि हिचकिचाते हुए कुर्सी पर बैठ गई। ध्वनि कॉन्ट्रैक्ट को एक बार फिर पढ़ रही थी। शिवि ने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे के भाव गंभीर थे। उसने अपने मन में कहा, “ये तो देखने में काफी स्ट्रिक्ट लग रही है। इसके सामने ही मैं खुलकर बात नहीं कर पा रही तो आर्य सिंह ओबरॉय के सामने कैसे बोलूंगी? इससे अच्छा उससे मिलने का मौका मिल जाता तो कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ती। वो मेरी शक्ल देख कर ही मुझे यहां से निकाल देता।” कांट्रेक्ट पढ़ने के बाद ध्वनि ने शिवि से कहा, “हां तो सबसे पहले कांग्रेचुलेशन... तुम काफी लकी हो कि तुम्हें यहां प्लेसमेंट मिली। प्लेसमेंट के साथ ही तुम्हारी सैलरी शुरू हो जाएगी जो कि तुम्हारे काम को देखकर होगी। तुम यहां प्रोजेक्ट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में काम करोगी, जिसमें तुम्हें प्रोजेक्ट मैनेजर को असिस्ट करना होगा।” “प्रोजेक्ट मैनेजर को असिस्ट करना होगा मतलब उस आर्य सिंह ओबरॉय की शक्ल नहीं देखनी पड़ेगी। ऑफर अच्छा है। नहीं.... फिर भी लालच में नहीं आना शिवि। इंडिया जाना है। पापा को बचाना है।” शिवि ध्वनि से बात करने के बजाय मन ही मन खुद से बातें कर रही थी। “क्या हुआ? तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही?” उसके कोई जवाब ना देने पर ध्वनि ने पूछा। “वो मैं ये कहना चाहती थी कि मैं ये जॉब नहीं कर सकती। मेरे कुछ पर्सनल रीजंस है। आप मेरी जगह किसी और को प्लेसमेंट दे सकती हैं। आप कहे तो मैं आपको कुछ अच्छे नाम सजेस्ट कर सकती हूं, जो मेरे ही यूनिवर्सिटी से है। उन्होंने भी काफी अच्छा स्कोर किया है... एंड ट्रस्ट मी, वो मुझसे किसी भी तरह कम नही है। वो टॉप स्कोर ना कर पाए हो, लेकिन मुझसे भी ज्यादा टैलेंटेड है।” शिवि ने एक सांस में ध्वनि के सामने सब कुछ बोल दिया। उसकी पूरी बात गौर से सुनने के बाद ध्वनि ने जवाब में कहा, “रियली मैडम? ये कोई मजाक चल रहा है, जो तुम ये नौकरी नहीं करना चाहती? डोंट फॉरगेट कि तुमने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। ये कोई हलवा पूरी नहीं है, जो तुम्हें पसंद नहीं है तो तुम अपने किसी दोस्त को पास कर दोगी। लीगल कॉन्ट्रैक्ट है..लीगल कॉन्ट्रैक्ट....” “हां तभी तो कह रही हूं कि मुझे मिस्टर आर्य सिंह ओबरॉय से मिलना है।” “तुम जिस आर्य सिंह ओबरॉय से मिलने की बात कह रही थी, वो आज बहुत ज्यादा गुस्से में है। तुम्हारी बात सुनने के बाद उसका गुस्सा 10 गुना बढ़ जाएगा।” ध्वनि ने कहा। “आप नहीं जानती लेकिन हम एक दूसरे को जानते हैं। बस प्लीज एक बार मुझे उससे बात करने दीजिए। आप यकीन कीजिए मुझ से मिलने के बाद वो भी मेरी बात से सहमत होंगे।” शिवि उसके सामने आर्य से मिलने की रिक्वेस्ट करने लगी। “वो सब तो ठीक है अगर तुम्हें ये नौकरी करनी नहीं थी तो तुमने कॉन्ट्रैक्ट क्यों साइन किया?” ध्वनि शिवि के इस रवैये से काफी हैरान थी। जहां सभी डिजायर्स में प्लेसमेंट पाने के लिए बेताब रहते थे, वही वो प्लेसमेंट मिलने के बाद भी इतने अच्छे खासे मौके को यूं ही जाने दे रही थी। “मैं... मैं उस टाइम कुछ कर नहीं पाई। अचानक मेरा नाम स्टेज पर अनाउंस हुआ.. कुछ सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला और मुझे कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ा।” शिवि ने बताया “तुम जानती हो इस तरह के कांटेक्ट कैंसिल नहीं किए जा सकते। अगर तुमने इसे तोड़ा तो तुम्हें फाइन भरना पड़ सकता है।” “मैं कंपनसेट करने के लिए तैयार हूं।” शिवि ने बिना सोचे समझे कहा। उसकी बात सुनकर ध्वनि हंसी और फिर बोली,“ठीक है, अब सच में लगता है तुमने कॉन्ट्रैक्ट को ध्यान से नही पढ़ा। चलो मैं बता देती हूं, अगर तुमने इस कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ा तो तुम्हें फिफ्टी थाउसेंड पाउंड कंपनसेशन के तौर पर देने पड़ेंगे।” “क्या फिफ्टी थाउजेंड पाउंड्स?” कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने पर कंपनसेशन की रकम सुनकर शिवि का मुंह खुला रह गया। उसने आगे कहा, “तो क्या मुझे सैलरी भी इतनी ही मिलेगी?” “नहीं, सैलरी तो इतनी नहीं मिलेगी पर ये कंपनसेशन की रकम कुछ सोच समझकर ही तय की गई है।” ध्वनि ने कहा। “और अगर मेरे बजाय ये कॉन्ट्रैक्ट मिस्टर ओबरॉय ने तोड़ा तो? अगर उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट तोड़ा तो उन्हें ये रकम मुझे देनी होगी ना....” ध्वनि ने उस की बात पर हामी भरते हुए कहा, “हां बिल्कुल....” “फिर तो मेरा एक बार आर्य सिंह ओबरॉय के सामने आना ही काफी होगा। मुझे देखने के बाद वो खुद मुझे यहां से निकाल देंगे और इस कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ेंगे। चलो अच्छा है बिना काम किए ही मुझे पैसे कमाने का मौका मिल जाएगा।” शिवि ने काफी कॉन्फिडेंट होकर कहा। “इतना खुश होने की जरूरत नहीं है। वो आर्य सिंह ओबरॉय हैं। उसके रूल्स बहुत अलग है.. अगर सामने उसका सबसे बड़ा दुश्मन भी खड़ा होगा, तब भी वो ये कांटेक्ट नहीं तोड़ेगा। वो सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन काम के मामले में नुकसान कभी नहीं.... वो इस कॉन्ट्रैक्ट को नहीं तोड़ेगा बल्कि ये जानने के बाद कि प्लेसमेंट के लिए तुम आई हो और वो तुम्हें पसंद नहीं करता तो तुम्हारी जिंदगी हेल बना देगा।” ध्वनि की बातों ने शिवि को अच्छा खासा डरा दिया। “क्या सच में ऐसा है?” शिवि बच्चों सा चेहरा बनाकर बोली। “बिल्कुल ऐसा ही है। वैसे बताओगी कि तुम मुझसे कैसे जानती हो? तुम दोनो के बीच ऐसा क्या हुआ है, जिस वजह से वो तुम्हे नापसंद करता है।” ध्वनि के पूछने पर शिवि ने उस दिन की पूरी कहानी बता दी, जब आर्य रेस्टोरेंट में उसकी जगह पर बैठा था। उसे उठाने के चक्कर में आर्य ने पूरा रेस्टोरेंट ही खरीद लिया। शिवि ने उस डील को कैंसिल कराने की पूरी कोशिश की, उसके बावजूद आर्य ने जैसे तैसे करके वो डील फाइनल कर ही ली। जिया के जरिए उसे पता चला कि आर्य उसे ढूंढ रहा था। पूरी बात सुनने के बाद ध्वनि ने हंसकर कहा,“अच्छा तो तुम हो वो लड़की, जिसकी वजह से उसने इंडियाना रेस्टोरेंट्स खरीदा था। तुम्हारे इस किस्से के बाद एक बात तो साफ है कि तुम उसकी रडार पर आ चुकी हो।” ध्वनि शिवि से बात कर रही थी तभी उसके मोबाइल पर किसी का मैसेज आया। उसने वो मैसेज पढ़ा और शिवि की तरफ मुस्कुरा कर देखा। “ठीक है, मैं देख लूंगी।” उसने जल्दबाजी में उस मैसेज का जवाब दिया। “क्या सच में उनसे बचने का कोई तरीका नहीं है? मैं आपको जानती तो नहीं लेकिन आपको देखकर लग रहा है कि आप सामने वाले को अच्छे से समझती होंगी। प्लीज मेरी हेल्प कीजिए मेरा इंडिया जाना बहुत जरूरी है।” शिवि उसके सामने लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोली। ध्वनि अपनी जगह से खड़ी हुई और शिवि के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई। “ठीक है मैं तुम्हारी मदद करूंगी पर सिर्फ आर्य से बचने में... तुम इस कॉन्ट्रैक्ट को नहीं तोड़ सकती।” “मतलब मुझे यहां काम करना ही होगा।” शिवि ने मुंह बनाकर कहा। ध्वनि ने मुस्कुराते हुए उसकी बात पर हामी भरी। “वो ये कॉन्ट्रैक्ट कभी कैंसिल नहीं करेगा। तुम पहले नहीं हो जो प्लेसमेंट के लिए आई हो। तुम्हें पता है आज से पहले कई कैंडिडेट आए थे, जिन्हें आर्य बिल्कुल पसंद नहीं करता था, फिर भी उसने अपनी तरफ से कभी उन्हें काम से नहीं निकाला।” “वो इतना क्रुएल कैसे हो सकता है?” “वो ऐसा ही है। कोशिश करना कि उसके सामने तभी आओ, जब उसका मूड ठीक हो, बाकी मैं कोशिश करूंगी उसे संभालने की....” ध्वनि एक ही मुलाकात में शिवि से काफी फ्रेंडली हो गई थी। शिवि ने उसकी बात पर हामी भरी। ध्वनि ने उसे उसका सारा काम समझा दिया। ना चाहते हुए भी शिवि उस कॉन्ट्रैक्ट में फंस चुकी थी। वो ध्वनि के साथ उसके केबिन में थी। “क्या मुझे बाहर उन लोगों के साथ डेक्स पर काम करना पड़ेगा? क्या होगा जब आर्य सिंह ओबरॉय इस फ्लोर पर आएंगे। अगर उन्होंने मुझे देख लिया तो वो मुझे मजबूर करेंगे कि मैं खुद से ये कॉन्ट्रैक्ट तोडूं और उन्हें मुआवजा दूं। ऐसा हुआ तो मैं इतने पैसे कहां से लेकर आऊंगी?” शिवि काफी परेशान थी और उसने ध्वनि से काफी सारे सवाल पूछ डालें। “ओके... मैं तुम्हारी परेशानी समझ सकती हूं। चलो मैं तुम्हें कुछ जरूरी बातें बताती हूं, जिससे तुम्हारा काम आसान हो जाए। तो सुनो... सभी डिपार्टमेंटस में काम अच्छे तरीके से हो रहे हैं या नहीं, ये देखना मेरा काम है। उसकी रिपोर्ट में आर्य को सबमिट करती हूं। बीच में सिर्फ एक बार वो सभी स्टाफ के साथ मीटिंग करता है और उनके काम के बारे में डिस्कस करता है... तो तुम बेफिक्र होकर काम कर सकती हो। वैसे तुम्हें प्रोजेक्ट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में डालने का कहा गया है, उस एरिया में आर्य काफी कम जाता है। वो एरिया भी ऑफिस के टॉप फ्लोर यानि सिक्स्थ फ्लोर पर है। उस डिपार्टमेंट की रिपोर्ट वहां का हेड सबमिट करता है, तो मीटिंग भी अक्सर वही अटेंड करता है। मुझे नहीं लगता तुम्हारी आर्य से ज्यादा मुलाकात होगी। हां प्लेसमेंट के चक्कर में वो तुमसे मिलने आ सकता है।” ध्वनि ने शिवि को उसके काम से लेकर, आर्य किस वक्त कहां होता है, उस सब के बारे में एक साथ समझा दिया। उसकी बातें सुनने के बाद शिवि को कुछ तो राहत की सांस मिली। वो इस कॉन्ट्रैक्ट से तो नहीं निकल पा रही थी लेकिन आर्य सिंह ओबरॉय से बचने का मौका उसे जरूर मिल गया था। बस उसके लिए उसे कैसे भी करके उसके सामने नहीं आना था। ★★★★
शिवि आर्य से बात करने के लिए डिजायर्स के ऑफिस आई हुई थी। वहां उसकी मुलाकात आर्य के बजाय उसकी दोस्त ध्वनि से हुई। ध्वनि ने उसे कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बताया, जिसके तहत शिवि इस जॉब को 6 महीने से पहले छोड़ नहीं सकती थी। जल्दबाजी में साइन किए हुए कॉन्ट्रैक्ट की वजह से शिवि वो जॉब करने के लिए मजबूर थी लेकिन ध्वनि के वहां होने से उसे कुछ राहत भी मिली। वो कुछ ही समय में उस से घुलमिल गई और वो उसकी मदद करने के लिए भी तैयार थी। आर्य अपने ऑफिस में बैठकर शिवि का इंतजार कर रहा था। उसे इस बात का पता नहीं था कि वो काफी देर पहले ही ऑफिस आ चुकी थी। आर्य ने घड़ी में टाइम देखते हुए खुद से कहा, “थोड़ी देर में लंच ब्रेक होने वाला है। आधा दिन बीत गया लेकिन शिवनंदिनी अय्यर अभी तक नहीं आई। मुझे वो लोग बिल्कुल पसंद नहीं, जिन्हें टाइम की कदर ना हो। दुनिया में सबसे कीमती समय है और समय को बर्बाद करने वाले दुनिया के सबसे बड़े बेवकूफ... सोचा नहीं था पिछली बार की तरह इस बार भी प्लेसमेंट के लिए आए स्टूडेंट ने मेरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।” आर्य अपनी जगह से उठा और अब बाहर आया। उसे देखकर जेनी जल्दी से अपनी जगह से खड़ी हो गई। “वो जो प्लेसमेंट के लिए लड़की आने वाली थी, वो अब तक आई क्यों नहीं?” आर्य ने बाहर आते ही जेनी से सख्त आवाज में पूछा। “सर उन्हें आए हुए काफी टाइम हो गया है।” जेनी ने जवाब दिया। उसकी बात सुनकर आर्य चौक गया। “क्या? कब की आ चुकी है। लेकिन मेरे केबिन में तो...” वो बोलते हुए रुक गया। उसने कुछ देर रुक कर फिर कहा, “डोंट टेल मी कि उसे ध्वनि ने अपने ऑफिस में बुला लिया है। मुझे उसका इंटरव्यू लेना था।” “वो ध्वनि मैम के ऑफिस में ही है। जब सुबह वो आपके केबिन में आई थी, तब उन्होंने मुझे उस लड़की को अपने पास भेजने के लिए कहा था।” “और तुमने उसे भेज भी दिया? एक बार मुझसे कंफर्म करना भी जरूरी नहीं समझा।” आर्य ने उसकी तरफ घूर कर देखा। “नहीं सर... आपने ही तो कहा है कि जब तक काम बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट ना हो, तब तक आपको डिस्टर्ब ना किया जाए। बाकी काम ध्वनि मैम ही संभालती है तो मुझे लगा इस बार भी आपनेये काम उन्हें सौंपा होगा।” जेनी ने घबराते हुए जवाब दिया। “ठीक है...” आर्य ने भी उससे आगे कुछ नहीं कहा और वहां से ध्वनि के फ्लोर पर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा। “कैसी लड़की है? सबसे पहले उसे अपने बॉस से मिलना चाहिए। यहां आकर एक बार मेरे बारे में पूछा तक नहीं होगा उसने... कल भी उसका बिहेवियर काफी स्ट्रेंज था। मैंने उसे कांग्रेचुलेशन कहा, उसका भी उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपना फेस भी कवर कर रखा था। कहीं वो अपने आइडेंटिटी तो नहीं छुपा रही है या हो सकता है कि वो कोई क्रिमिनल हो...” लिफ्ट से ऊपर जाते हुए आर्य के मन में अलग-अलग ख्याल आ रहे थे। शिवि के क्रिमिनल होने के बारे में सोच कर ही आर्य को काफी अजीब लगा। “नहीं... क्रिमिनल कैसे हो सकती है? यूनिवर्सिटी में ऐसे ही किसी को एडमिशन थोड़ी ना मिलता होगा। पहले उसका बैकग्राउंड चेक होता होगा। मैं भी ना... क्या क्या सोच रहा हूं। सुबह से ही दिमाग खराब है, तभी उल्टे सीधे ख्याल आ रहे हैं।” लिफ्ट के रुकते की आर्य के कदम ध्वनि के केबिन की तरफ बढ़ रहे थे। उस फ्लोर पर काम कर रहे लोग उसे देख कर खड़े हो गए और उन्होंने उसे गुड आफ्टरनून विश किया। आर्य ने मुस्कुराते हुए उन सब को बैठने का इशारा किया और ध्वनि के केबिन में गया। वहां पर कोई नहीं था। उन दोनों को केबिन में ना देखकर आर्य ने कहा, “लगता है वो उसे उसके डिपार्टमेंट में लेकर गई होगी। कल ही प्रोजेक्ट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट से 1 लड़के का प्रमोशन हुआ है। वहीं पर स्टाफ की जरूरत थी। हो ना हो ध्वनि उसे वहीं लेकर गई होगी।” इस बार आर्य ने ध्वनि के पीछे जाने के बजाय उसे कॉल किया। उसका अंदाजा सही था। ध्वनि शिवि के साथ 6th फ्लोर पर थी, जहां प्रोजेक्ट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट बना हुआ था। आर्य का कॉल आता देख ध्वनि जल्दी से दूसरी तरफ आ गई। “तू मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है? मैंने तुम्हें कहा था कि मुझे उस प्लेसमेंट वाली स्टूडेंट से मिलना है, उसके बावजूद तुम उसे...” ध्वनि के फोन उठाते ही आर्य जल्दी-जल्दी बोलने लगा। ध्वनि ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “थोड़ी देर सांस तो ले ले। क्या सारी बातें की एक ही सांस में बोलनी है तुझे... तेरा मूड खराब था। मुझे लगा लड़की का पहला दिन है और पहले दिन ही तुमने उसे डांटा तो उसका भी मूड खराब हो जाएगा। बस यही सोच कर उसे अपने केबिन में पहले बुला लिया।” “लेकिन मुझे भी उससे मिलना था।” आर्य ने कहा। “तो क्या हो गया अगर वो पहले मेरे केबिन में आ गई और मैंने उसे उसका काम समझा दिया। तुझसे मिलने के बाद भी तो मुझे यही करना था। वो अब यहीं पर काम करेगी। तुम जब चाहो तब उससे मिल सकते हो।” ध्वनि बातों बातों में आर्य को कन्वेंस करने की कोशिश की ताकि वो आज के दिन शिवि से ना मिले। “अच्छा ठीक है।” आर्य ने उसकी बात तुरंत मान ली। “मैं तेरे फ्लोर पर आया था लेकिन तू यहां नहीं थी। सोचा उस से मिल लूंगा... पर कोई बात नही। आज नही तो कल मिल लूंगा। तेरा काम हो गया है तो लंच साथ में लेंगे। जल्दी से उसे उसका काम समझाकर मेरे केबिन में आ जाना।” ध्वनि ने उसकी बात पर हामी भरी और फिर कॉल कट कर दिया। उससे बात करने के बाद वो वापस शिवि के पास आई। वो अंदर जा चुकी थी। अंदर आते ही ध्वनि ने शिवि से कहा, “सॉरी वो कॉल आने की वजह से मुझे बाहर जाना पड़ा। तुम इन सबसे इंट्रोडक्शन नहीं कर पाई होगी।” “कोई बात नहीं, अब तो इन्हीं के साथ काम करना है। काम करते हुए हम एक दूसरे को अच्छे से जान ही लेंगे।” शिवि ने मुस्कुराकर जवाब दिया। ध्वनि उसके बाद शिवि का प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम से इंट्रोडक्शन करवाने लगी। सबसे पहले उसने वहां मौजूद औरत से उसका परिचय करवाया, “ये है मिस काजोल श्रीवास्तव...ये तुम्हारी टीम की हेड है... ।” काजोल श्रीवास्तव के बाद ध्वनि उसके पास खड़े आदमी की तरफ इशारा करके बोली, “और वो मिस्टर चिराग दास है।ये इस टीम के असिस्टेंट हैंड है। जब भी रिपोर्ट सबमिट करने के लिए मीटिंग होती है, तबये दोनों ही मीटिंग अटेंड करते हैं।” उन्होंने शिवि को हेलो कहा। जवाब में शिवि ने भी मुस्कुरा कर उनके हेलो का जवाब दिया। काजोल श्रीवास्तव लगभग एक 40 साल की हल्की मोटी औरत थी। उसने वेस्टर्न कपड़े पहन रखे थे और उसके बाद लगभग कंधे से कुछ ही लंबे थे, जिन्हें उसने पिगटेल में बांध रखा था। उसकी आंखों पर एक बड़ा सा चश्मा लगा था, वही मिस्टर चिराग दास भी उन्हीं के हम उम्र थे। वो दुबले पतले थे और उन्होंने भी आंखों पर चश्मा चढ़ा रखा था। उन दोनों से परिचय करवाने के बाद ध्वनि ने वहां खड़े लड़के का इंट्रोडक्शन देते हुए कहा, “और ये हिमांश है।” वो लड़का हिमांश शिवि से उम्र में थोड़ा बड़ा था। वो दिखने में अच्छा खासा हैंडसम, ब्लॉन्ड बालों वाला लंबा लड़का था। “इनके साथ पहले एक और लड़का काम करता था, जिसका नाम दिव्यम था। उसका प्रमोशन हो जाने की वजह से यहां एक सीट खाली है।” ध्वनि ने बताया। “मेरा नाम शिवनंदिनी अय्यर है। मुझे आप सबके साथ काम करने का बहुत एक्साइटमेंट है। आई होप हम यहां एक अच्छी टीम बनकर साथ काम करेंगे।” शिवि ने अपना परिचय दिया। “शिवनंदिनी अय्यर? तुम्हारा नाम कुछ ज्यादा ही बड़ा नहीं है। क्या इसका कुछ शॉर्ट फॉर्म नहीं हो सकता मिस अय्यर...” मिस्टर दास ने कहा। वो काफी बड़बोले और मुंहफट थे। उनके इस तरह बोलने पर काजोल ने उनकी तरफ घूर कर देखा, जिसकी वजह से वो चुप हो गए। “आपको कौन सा इसके साथ रिश्तेदारी करनी है। ऑफिस में ही तो काम करते हैं। फिर आप इसे किसी भी नाम से बुलाए, क्या फर्क पड़ता है।” हिमांश ने लापरवाही से कहा। “अच्छा आप लोग साथ काम करिए और एक दूसरे को अच्छे से जान पहचान लीजिए। कहते हैं साथ काम करने वाले आपस में दोस्त हो तो काम ज्यादा अच्छे से होता है। मैं अब चलती हूं, वैसे भी लंच ब्रेक होने वाला है।” ध्वनि उन सब को वहां छोड़कर नीचे चली गई। शिवि को पहले दिन वहां थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन उसके साथ काम करने वाले टीममेट्स काफी अच्छे थे। मिस्टर दास ज्यादा बोलने की वजह से बहुत कम समय में शिवि से काफी घुलमिल गए थे। हिमांश ने कहा, “तुम्हारा पहला दिन है इस वजह से तुम्हें इस जगह के बारे में ज्यादा पता नहीं होगा। लंच ब्रेक हो गया है। मैं ऐसा करता हूं हम लोगों का खाना ऊपर ही मंगवा लेता हूं।” “क्या स्टाफ के लिए खाने के लिए अलग से जगह बनाई गई है?” शिवि ने पूछा। “हां, हमारे बॉस अकडू जरूर है लेकिन वो स्टाफ का काफी ख्याल रखते हैं। तुम यकीन नहीं करोगी इस बड़ी सी बिल्डिंग में एक फाइव स्टार रेस्टोरेंट जैसी भी जगह हो सकती है, जहां खाने-पीने से लेकर रिलैक्स करने का अच्छा इंतजाम किया गया है। लंच ब्रेक लगभग 1 घंटे का होता है, जहां तुम आराम से बैठ कर खाना खा सकती हो, वहां लगी बड़ी सी स्क्रीन पर न्यूज़ देख सकती हो और जिम करना चाहो तो एक बड़ा सा जिम एरिया भी बना है। कल ऑफिस जल्दी आना, मैं तुम्हें पूरा ऑफिस घुमा दूंगा।” अपने ज्यादा बोलने की आदत की वजह से चिराग दास ने एक ही सांस में शिवि को ऑफिस के बारे में काफी कुछ बता दिया। “हां हां ठीक है, अब तुम थोड़ा कम भी बोलो। थोड़ी एनर्जी काम में भी यूज करो, ना कि बोलने में...” मिस श्रीवास्तव ने उसे फिर टोक दिया। “क्या मैं ज्यादा बोलता हूं? नहीं, मैं बिल्कुल भी ज्यादा नहीं बोलता। सिर्फ तुम अकेली इकलौती इंसान ऐसी हो जो ऐसा कहती हो।” मिस्टर दास बोले। उन दोनों के बीच की नोकझोंक देखकर शिवि के चेहरे पर मुस्कुराहट थी तो हिमांश भी हंस रहा था । उसने शिवि के पास आकर दबी आवाज में कहा, “मिस्टर दास और मिस श्रीवास्तव ऐसे ही पूरे दिन हमारा एंटरटेनमेंट करते रहेंगे। अगर तुम बोर हो तो बता देना... हम जूनियर को काम करने के लिए अलग रूम भी दिया गया है।” “सोचा नहीं था पहले ही दिन ऑफिस में सबसे इतना घुल मिल जाऊंगी। काफी अच्छी जगह हैं।” शिवि ने जवाब दिया। उसे लगा था कि वो पहले दिन ऑफिस आएगी तो उसके साथ क्या कुछ नहीं होगा लेकिन पहले ही दिन वो काफी फैमिलियर हो गई थी। उसे वहां बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। “चलो लंच ऑर्डर करते है... बोलो तुम्हे क्या खाना है?” हिमांश ने पूछा। “कुछ भी ऑर्डर कर दो... मुझे सब चलता है।” शिवि ने झिझक के मारे ज्यादा कुछ नहीं कहा। शिवि उन सबसे मिलकर अपनी प्रॉब्लम कुछ देर के लिए भूल गई। वो उनके साथ लॉन्च एंजॉय कर रही थी। वही ध्वनि आर्य के साथ उसके केबिन में थी। वो दोनों साथ में लंच कर रहे थे। “मैं कब से नोटिस कर रहा हूं, जब भी मैं उस प्लेसमेंट वाली लड़की मिस शिवनंदिनी अय्यरकी बात करता हूं, तो तुम बात को टाल देती हो। अब चुपचाप बताओ वो लड़की कैसी है।” आर्य ने पूछा। “पहले तुम चैन से खाना तो खा लो। कहते हैं खाना खाते टाइम ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए और ऐसा मुझे तुमने ही कहा था। अब तुम खुद अपने रूल्स तोड़ रहे हो।” ध्वनि ने खाते हुए कहा। पहले जब भी वो दोनों साथ में खाना खाते थे, तब ध्वनि बोलती रहती थी जबकि आर्य उसे बार-बार चुप रहने का कहता था लेकिन आज सब उल्टा हो रहा था। ध्वनि चुपचाप खाना खा रही थी क्योंकि वो आर्य से शिवि का जिक्र नहीं करना चाहती थी वहीं आर्य बार-बार उससे शिवि के बारे में पूछ रहा था। “कभी-कभी हमें अपने रूल्स तोड़ लेने चाहिए। मैंने भी सोचा है कि मैं अपने कुछ रूल्स को बदल लूं... कुछ बदलाव की शुरुआत अभी से हुई है, जिनमे से एक खाना खाते हुए बात करना है। अब चलो बताओ, वो लड़की कैसी हैं। मैंने तो उसकी शक्ल तक नहीं देखी।” “अच्छा हुआ नहीं देखी, तभी यहां एक तूफान आने से बच गया।” ध्वनि ने खुद से बड़बड़ा कर कहा। फिर उसने आर्य की तरफ देखा और सामान्य आवाज में कहा, “लड़की काफी अच्छी है, नाम के हिसाब से तो बिल्कुल भी नहीं है। उसका नाम काफी पुराने जमाने का है लेकिन वो काफी मॉडर्न है। ज्यादा लंबे बाल भी नहीं है उसके.. चेहरे का रंग सांवला है, काफी कॉन्फिडेंटली बात करती है और थोड़ी मोटी है। हाइट भी अच्छी खासी है... उम्म्म्म तेरे जितनी लंबी।” ध्वनि ने आर्य को शिवि के बारे में सब कुछ उल्टा बताया था। “लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? उस दिन उसने मास्क लगा रखा था और आंखों पर गॉगल्स थे, बाल भी माथे पर फैला रखे थे, माना इस वजह से चेहरा नहीं देख पाया लेकिन उसके हाथ... उसके हाथों का रंग गोरा था। मुझे अच्छे से याद है उसकी हाइट शायद मेरे कंधे तक आती थी। बाल बांध रखे इस वजह से पता नहीं चला लेकिन उसके बाल लंबे लग रहे थे।” “तूने तो कहा था तूने उसे देखा नहीं और अब पूरी डिटेल दे रहा है। इतना गौर से कभी तूने मुझे भी देखा है या नहीं?” ध्वनि ने उसकी तरफ घूर कर देखा। “अरे नहीं ऐसा नहीं है। तुमने कहा वो लड़की मोटी थी, पर उस दिन तो मोटी नहीं लग रही थी।।” आर्य ने ध्वनि के झूठ को लगभग पकड़ लिया था लेकिन ध्वनि ने उसकी बात को काटते हुए कहा, “हो सकता है उसने अपने हाथों पर मेकअप लगाया हो, जिसकी वजह से वो सफेद लग रहे हो। वो तुमसे दूर थी इस वजह से तुझे हाइट का अंदाजा नहीं हुआ होगा... हां याद आया, उसने कहा था उस दिन उसकी कमर में दर्द था, इस वजह से वो थोड़ी झुकी हुई थी... और तुझे नहीं पता लड़कियां खुद को पतला दिखाने के लिए क्या कुछ नहीं करती। उसने अंदर कम कपड़े पहने होंगे, साथ ही बॉडी शेपर भी पहन रखा होगा ताकि वो अच्छी दिखे।” आर्य को शक ना हो इसलिए ध्वनि कुछ भी बोले जा रही थी। “हां हां ठीक है, वैसे भी हमें उससे उसके लुक के हिसाब से नहीं उसके काम के हिसाब से जज करना है। फिर क्या फर्क पड़ता है वो कैसे भी दिखे? चल अब उसे छोड़ और खाने पर ध्यान दें।” आर्य के बात बदलने की वजह से ध्वनि ने राहत की सांस ली। उसने अपने मन में कहा, “आज तो मैंने बात को टाल दिया लेकिन कभी ना कभीये उससे मिलने की जिद करेगा ही, तब इसे टालना सच में बहुत मुश्किल होने वाला है।” ध्वनि और आर्य साथ में खाना खाने लगे। खाना खाते हुए ध्वनि को पहली बार टेंशन महसूस हो रही थी, वो भी शिवि की वजह से। ★★★★