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Angel and The Beast

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ये कहानी है, द ग्रेट बिजनेस टायकून और क्रूएल पर्सनैलिटी के इंसान "रूहान राजवंश" की। जो अपनों के बनाए एक षड्यंत्र में फसकर एक लाचार लड़की के साथ एक रात गुजार लेता है। वो लड़की जो की बिस्तर से उठ तक नही सकती थी, वो उस एक रात के बाद अगली सुबह कहीं गायब...

Total Chapters (25)

Page 1 of 2

  • 1. Angel and The Beast - Chapter 1

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    लद्दाख,,  रात के करीब 1बजे,,    एक आसमान छूती बिल्डिंग जिस पर लिखा था  "RR" के टेरिस पर बहुत कम रोशनी थी, चारों तरफ सिर्फ धुंध ही धुंध नजर आ रहा था। ठंड इतनी कि इंसान के रूह तक को कप कपि छूट जाए।  वही टेरिश के बीचों बीच एक बड़ा सा स्विमिंग पूल बना हुआ था।    और उस स्विमिंग पूल में इस वक्त बर्फ से भी ठंडा पानी भरा हुआ था। पानी बिलकुल शांत, उन पर हल्की हल्की बर्फ की परत सी मालूम पड़ रही थी। वहीं उसी पूल की गहराइयों में इस वक्त एक लगभग 25 साल का, लड़का आंखे बंद किए पत्थर के समान बैठा था। उस लड़के के शरीर पर एक भी कपड़े नहीं थे,, वही पूरे शरीर पर हंटर से चोट के निशान साफ नजर आ रहे थे। पर शायद उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।     वही पूल के बाहर उसी के हम उम्र एक और लड़का खड़ा था। जो देखने में काफी हैंडसम नजर आ रहा था। अच्छी खासी हाइट , गोरा रंग और हल्के बड़े बालों का पोनी टेल।  उसने ब्लू कलर की जींस और क्रीम कलर का हाईनेक पहना था और उसके ऊपर एक लॉन्ग लेदर की जैकेट और बूट पहने हुए था,, माहौल में ठंड काफी ज्यादा थी जिसके लिए उसने अपने गले में मफलर बांध रखा था।    लड़का फिलहाल परेशानी से इधर-उधर टहल रहा था और उसी के साथ उसने खुद से कहा, "पता नहीं बॉस कब बाहर आएंगे,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है अगर फैमिली वालों में से किसी को पता चल गया की बॉस आज फिर से आउट ऑफ कंट्रोल हो गए थे, तो पक्का मेरी खैर नहीं।।   अभी वो खुद से बातें कर ही रहा था कि तभी उसका फोन बज उठा,,   फोन बजने से लड़का अचानक से चौंक गया। क्योंकि रात काफी ज्यादा हो चुकी थी, तो इस वक्त किसी का फोन करना उसे परेशानी में डाल गया। लेकिन फिर उसने अपनी जैकेट से फोन निकाल और उस पर शो हो रहे नाम को देखकर वो एक बार फिर बुरी तरह घबरा गया। उसके हाथ से तो फोन ही उछल गया पर फिर उसने फोन को तुरंत संभाल लिया और एक नजर पुल की ओर देखा जहां अब भी पूल में वो लड़का उसी तरह बैठा हुआ था।     फिर गहरी सांस भरते हुए बाहर खड़े लड़के ने फोन उठाया, और फोन उठा कर उसने जैसे ही कान के पास लगाया वैसे ही दूसरी तरफ से एक बुजुर्ग महिला की बेहद गुस्से भरी रौबदार आवाज आई,, "ये क्या तरीका है, पर्व! हम कब से उसका फोन ट्राई कर रहे हैं, वो हमारा फोन क्यों नहीं उठा रहा। और आप, आप से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी बेटा।    पिछले तीन दिन से आप लोग गायब हैं, और हमें एक बार भी बताया नहीं। ऊपर से फोन भी नहीं उठा रहे थे आप दोनों। कहा है वो, बात कराइए हमारी उनसे,,    महिला की इतनी ज्यादा डांट सुन के वो लड़का जिसका नाम पर्व मेहता है, उसका तो गला ही सुख गया। जहां अभी तक उसे ठंड लग रही थी अब उसके माथे पर पसीना आ गया।   तभी उसने अपने माथे पर एक उंगली से सहलाते हुए थोड़ी दबी आवाज में बोला, "वो ओ... दादी मां, बॉस अभी थोड़े बिजी हैं। मैं अभी आपकी बात उनसे नहीं करवा सकता।"   "क्या,, क्या वो इतना बिजी है, कि वो अपनी दादी मां से बात भी नहीं कर सकता। आखिर ऐसा कौन सा काम कर रहा है वो।" पर्व की बात में दादी मां ने गुस्से से कहा।   इसके जवाब में बेचारा पर्व थोड़ा और सहम गया। फिर उसने कुछ सोचते हुए जवाब दिया, "दादी मां अभी वो एक मीटिंग में है। दरअसल,, अभी हम लोग लद्दाख में है। जहां बॉस को एक बहुत ही जरूरी मीटिंग करनी थी, और आप तो जानती है कि वो अपने बिजनेस मीटिंग में कोई भी डिस्टरबेंस टालरेट नहीं करते,,  तो जब वो फ्री होंगे तब मैं आपकी बात उनसे करवा दूंगा। सो अभी,,, "  "बस बस, अपने बॉस कि चमचागिरी आप उन्हीं के सामने करिएगा,, फिलहाल आप हमारी बात सुनिए,"  पर्व की बात को बीच में काटते हुए दादी मां ने कहा। और आगे वो थोड़ी गंभीरता से बोली, "जल्द से जल्द आप दोनों बनारस वापस आइए, आप जानते है ना उनका ज्यादा दिन यहां से दूर रहना उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। हर तरफ हमारे दुश्मन घात लगाए बैठे हैं और वो लड़का है कि उसे अपनी सिक्योरिटी का जरा सा भी ध्यान नहीं है, बिना गार्ड के वो जब मन में आए कहीं भी चला जाता है।"    दादी मां की बात सुनकर पर्व ने एक नजर स्विमिंग पूल में देखा जहां  अभी भी वो लड़का टस से मस नहीं हुआ था। फिर उसने गहरी सांस भरते हुए दादी मां को यकीन दिलाते हुए कहा, "दादी मां आप फिक्र मत करिए। मेरे होते हुए उन्हें कुछ नहीं हो सकता।"   इस पर दादी मां ने भी थोड़ा शांत होते हुए कहा,  "हां, हमें यकीन है कि आप हमसे किया हुआ अपना वादा कभी नहीं टूटने देंगे। पर उसके साथ-साथ आपको अपना ध्यान भी रखना होगा। फिलहाल हम फोन रखते हैं।  जब वो अपना काम खत्म कर ले तो उनसे कहिएगा की हमने उन्हें याद किया है।"    ये सुनकर पर्व नहीं मुस्कुराते हुए हां मैं सर हिलाया उसके बाद फोन कट गया।  तभी अचानक से स्विमिंग पूल के पानी में हलचल हुई। काफी वक्त बिताने के बाद पानी में बैठा लड़का अब जाकर पूल में खड़ा हुआ। सबसे पहले उसने अपने गर्दन तक आते काले लंबे बालों को स्टाइल से अपने हाथों से पीछे किया। स्विमिंग पूल जाता गहरा नहीं था जिससे कि लड़के की कमर तक की बॉडी पानी के ऊपर बाकी का भाग पानी के अंदर था।     वही हल्की रोशनी मैं उसका पूरा शरीर क्रिस्टल के जैसे चमक रहा था। 6"4 की हाइट, गोरा रंग उसपर परफेक्ट जॉलाईन, हल्की दाढ़ी और ताव देती मूछें, हैवी बाइसेप्स, मस्कुलर बॉडी, जिसपे फिलहाल गहरे नीले चोट के निशान थे, उसकी गहरी पीली आंखें जिनका कोर अभी लाल था, वहीं उसकी दाहिने हाथ के बाजू पर रुद्राक्ष बंधा हुआ था।   ओवरऑल बंदा बेहद हैंडसम और अट्रैक्टिव नजर आ रहा था, इस वक्त उसकी बॉडी पर कुछ नहीं था। वही फिलहाल उसको इस वक्त अगर कोई देख ले तो उस पर फिदा होने से खुद को रोक नहीं पाएगा चाहे वो लड़की हो या लड़का।   यही हाल पर्व का था जो एक टक आंखे फाड़े सामने खड़े लड़के को शेमलेसली घूर कर देख रहा था, उसने खुद से कहा, "वाओ,, व्हाट अ बॉडी फीचर!"   वही वो लड़का बिना किसी की परवाह किए पूल से निकला और वहीं पास रखें बाथरोब को उठाकर पहनते हुए सीधे पर्व के पास आ गया। वहीं पर अभी भी उसे देखे जा रहा था। अचानक से उसे अपने करीब देखकर पर्व हल्का चौंक गया और अब उसे अपने किए पर शर्म आ रही थी फिर उसने नजरे इधर-उधर चुराते हुए लड़के से कहा, "बॉस दादी मां का फोन आया था, वो आपसे बेहद नाराज है। हम फिर उन्हें बिना बताए आ गए। वो आपसे बात करना चाहती हैं, आप कहे तो फोन मिलाऊ।"    पर्व की बात सुनकर लड़के ने वही साइड के टेबल पर रखे सिगरेट का पैकेट उठाते हुए उसमें से एक सिगरेट के बड को मुंह में डालकर उसे जलाया फिर एक लंबा कश भरते हुए अपनी गहरी ठंडी आवाज में बोला,, "कोई जरूरत नहीं है किसी को फोन करने की। मैं जानता हूं उन्हें क्या चाहिए। तुम चापर रेडी करवाओ हम आज दोपहर को यहां से निकलेंगे। कहते हुए वो लड़का वहां से नीचे की ओर जाने लगा"  तभी पर्व ने उसके पीछे से आवाज लगाते हुए थोड़ा सीरियस वॉइस में बोला, "बॉस पर उसका क्या, आप उसे कब तक कैद में रखने वाले है। अब तक तो वो काफी ज्यादा टॉर्चर झेल चुका है। मुझे लगता है वापस जाने से पहले आपको वो काम भी फाइनल कर देना चाहिए। जिससे कि बाद में हम सुकून से उसे प्रोजेक्ट पर शुरू से कम कर सके!"   पर्व की बात सुनकर लड़के के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गई,  उसने गर्दन टेढ़ी करके पीछे की ओर देखकर पर्व से कहा, "yehh, you are right. अब हमें उसे मुक्ति दे देनी चाहिए!! " " इस वक्त उस लड़के के चेहरे पर एक अजीब सी सैतानियत दिखाई दे रही थी। और ये कहते हुए वो टेरिस से निचे चला गया।।    वही उसके पीछे पीछे पर्व ने भी जाते हुए खुद से कहा, "पता नही अब मेरा राक्षस बॉस उसके साथ क्या करने वाला है। भगवान उस आदमी को एक सुकून की मौत दे।" कहते हुए वो भी जल्दी जल्दी नीचे चला गया।।      चैप्टर पसंद आए तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें।                  

  • 2. Angel and The Beast - Chapter 2

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    RR बिल्डिंग का बेसमेंट,,   बेसमेंट में चारों तरफ अंधेरा था वही बीचो-बीच एक हल्की पीली लाइट जल रही थी और ठीक उसी के नीचे एक आदमी एक जंजीर के सहारे सीलिंग से टंगा हुआ था, वही उसके शरीर का एक एक भाग अलग-अलग कांच के बॉक्स में था। और उन बॉक्स में थे अलग-अलग तरह के कीड़े जो उसके दोनों हाथों और पैरों को बुरी तरह से जख्मी कर रहे थे।  वही वो आदमी बिल्कुल भी खड़े होने की हालत में नहीं था उसके शरीर पर जगह-जगह से खून रिश रहे थे। और वो बेहद धीरे-धीरे आवाज निकल रहा था, हूं, हूं, हूं, हूं, हूं"    तभी बेसमेंट का दरवाजा खुलता है और पर्व वहा पर आ जाता हैं। जिसे देख वो आदमी थोड़ी हरकत में आ जाता है और अपने शरीर को हिलाने लगता है,, और मुंह से तेज तेज़ सांस लेते हुए कुछ हरकत करने लगता है पर अफसोस उसकी उसके मुंह से कोई आवाज नहीं आ रही थी    वहीं पर्व सीधे उसके पास जाकर, उसके अगल-बगल चक्कर काटते हुए मुस्कुरा कर बोला, "क्या हाल है कपाड़िया साहब! खातीरदारी में कोई कमी तो नहीं है।"    पर तभी उसने अपने सर पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, "ओ, ओ! सॉरी सॉरी मैं तो भूल ही गया था, कि आप अपने खातिरदारी का बखान तो कर ही नहीं सकते। करेंगे भी कैसे जब मुंह में जुबान ही नहीं है,, कहते हुए वो एक बार जोर से हंसने लगा।    सामने बंधा कपाड़िया, बेबसी और लाचारी से बस लटका हुआ पर्व की ओर देख रहा था।   तभी पर्व ने चुप होते हुए बेहद सीरियस वॉइस में कहा, "तुम्हें पता है कपाड़िया तुम दुनिया में किसी के साथ भी गद्दारी कर लेते, तो शायद बच भी जाते। पर तुमने RR के साथ धोखेबाजी की है, और ये दुनिया का सबसे बड़ा गुनाह है। क्योंकि RR तो अपनी खुद की गलती भी माफ नहीं करता वो खुद को भी गलती की सजा देता है। तो सोचो औरों को कैसे माफ करेगा।। ऐसे ही नहीं दुनिया उसे मौत का सौदागर कहती है।।"   पर अफसोस की तुम खुशनसीब निकले, क्योंकि अब तुम्हें इस दर्द भरी जिंदगी से छुटकारा मिलने वाला है।    पर्व की बात सुनकर कपाड़िया ने कोई रिएक्शन नहीं दिया जिसे देखकर पर्व ने उसके बेहद करीब जाकर पूछ, "क्या बात है कपड़िया साहब, आपको खुशी नहीं हुई! अरे आप को इस कष्ट से छुटकारा मिलने वाला है, तो कुछ तो रिएक्शन दीजिए। माना कि आप बोल नहीं सकते, पर एक स्माइल ही कर दीजिए। कहते हुए एक बार फिर पर्व जोर जोर से हंसने लगा।।   तभी एक बार फिर बेसमेंट का दरवाजा एक जोरदार आवाज के साथ खुला और कोई अपनी भारी कदमों से अंदर आया। ये कोई और नहीं बल्कि वही पूल वाला लड़का था जिसे दुनिया RR के नाम से जानती हैं। इस वक्त वो टॉप टू बॉटम ब्लैक आउटफिट में रेडी था। उसने ब्लैक कलर की फॉर्मल पैंट और उसके ऊपर ब्लैक कलर का हाई नेक टी शर्ट डाल रखा था जिसमें उसकी पर्सनालिटी बेहद बोर्ड नजर आ रही थी। वही उसके हल्के गीले बाल पूरे चेहरे तक बिखरे हुए थे। एक हाथ पैंट के पॉकेट में डालें, दूसरे हाथ में एक गन को घुमाते हुए RR सीधे कपाड़िया के सामने जाकर खड़ा हो गया। उसका चेहरा इस वक्त नरक के देवता जैसे जल रहा था, जो एक पल में सब कुछ जला के तबाह कर सकता है।    वही उसे देखकर कपाड़िया के शरीर में मानो सांस ही खत्म हो गई। ऐसा नहीं है कि उसे मरने से डर लग रहा था बल्कि वो तो खुद हर एक बीतते लम्हे के साथ मरने की दुआ मांग रहा था। उसे तो RR को देखकर बीते दो दिनों का टॉर्चर याद आ रहा था, जब RR के आदमी उसे कांटेदार तार से बांध कर और बड़ी बेरहमी से यहां लाए थे। फिर कपाड़िया की हंटरों से अच्छे से सुताई हुई थी। हंटर तब तक चलते रहे जब तक कपाड़िया का शरीर लहू लोहान नहीं हो गया।   वही RR को तो जैसे इन सारी चीजों में सुकून मिल रहा था। लेकिन उसका सुकून तब भंग हो गया जब कपाड़िया मार खाते-खाते बेहोश हो गया जिससे उसकी चीखे बंद हो गई। उसकी चीख बंद होते ही RR को बेहद गुस्सा आया और इस गुस्से में उसने कपाड़िया की जीभ कटवा दी।। ये सब तो कुछ भी नहीं था उसने तो और भी बहुत कुछ किया जैसे_   इतनी टॉर्चर के बाद जब कपाड़िया बेहोश हो गया था और जब वो होश में आया तो उसने खुद को जंजीरों से बंधा, सीलिंग में लटका हुआ पाया जहां उसकी कमर से नीचे का भाग एक कांच के बड़े कंटेनर में था जिसमें तमाम तरह के कीड़े मकोड़े भरे हुए थे जिनके काटने से जहर तो नहीं फैलता पर मौत जितना दर्द होता। और वो अभी भी उसी हालत में खड़ा है।   फिलहाल वो बेबसी से अपने सामने खड़े RR को देख रहा था, और आंखों से ही दया की भीख मांग रहा था।  तभी RR ने अपने गन को घुमाते हुए अपनी भारी आवाज में पर्व से कहा, "तुमसे जो काम कहा था वो हो गया?"   इस पर पर्व हां में सर हिलाते हुए थोड़ा कंफ्यूजन के साथ बोला, "बॉस फाइल तो मैं ले आया, पर ये कपाड़िया उस पर साइन कैसे करेगा। इसके हाथ तो किसी का आहार बन चुके हैं, और उंगलियों का तो नाम निशान नहीं है, फिर...?"  उसकी बात पर RR ने टेढ़ा मुस्कुराते हुए जवाब में कहा, "ये कपाड़िया बहुत चलाक समझता है अपने आप को,  पर अफसोस इसकी चालाकी मेरे सामने नहीं टिक सकती। इसे क्या लगा कि ये हमारे सामने मुंह नहीं खोलना तो क्या हमें पता नहीं चलेगा ?"  हूह, इस फाइल पर साइन इसके नहीं इसकी माशूका की होंगे, जिसके लिए इसने मुझे धोखा दिया मेरे साथ फ्रॉड करने की कोशिश की।   कपाड़िया में जैसे मासूका का नाम सुना वो अचानक से हड़बड़ाने लगा वो जल्दी-जल्दी अपनी गर्दन को ना में हीलाते हुए कुछ आवाज निकलने लगा,, हुंह, ऊ, ऊह, हुऊ।।।   वही उसको यूं तड़पता देख आर आर ने उसके चेहरे पर गन फिरआते हुए दांत पीसकर कहा,  "अब तड़पने का कोई फायदा नहीं है, "ये जो सब कुछ तूने किया है ,ये सब उस लड़की की वजह से ही किया है, तो अब मैं उसे इतनी आसानी से कैसे बक्श दूं, हां।   ये सुनकर कपाड़िया लगातार ना में सर हिलाई जा रहा था, उसके चेहरे पर एक बेबसी और बेशुमार दर्द साफ नजर आ रहा था। तभी RR ने जोर से चिल्लाते हुए अपने बेहद खास आदमी को आवाज लगाया, "भीमा,,, लड़की को अन्दर ले आओ।  और तभी बेसमेंट का दरवाजा खुला और एक लगभग 6'6 फीट का लंबा चौड़ा आदमी, एक लड़की को लगभग घसीटते हुए ले आया, जो जोर जोर से चिल्ला रही थी! और RR के सामने पटक दिया और अगले ही पल वहां से निकल गया।   वही वो लड़की गुस्से से खड़ी हुई और RR पे चिल्लाते हुए बोली, " व्हाट द हेल इस दिस, कौन हो तुम और मुझे यहां क्यों लाया गया है?  ये बात उसने आर आर के मुंह पर चिल्लाते हुए बोली।   वही उसका खुद के सामने यूं चीखना शायद RR को पसंद नहीं आया, और अगले ही उसने खींच के एक थप्पड़ लड़की को लगा दिया जिससे वो लड़की संभाल नहीं पाई और सीधे जमीन पर जाकर। इस थप्पड़ से लड़की बिल्कुल सन्न रह गई, उसके चेहरे पूरी तरह से लाल हो गए,  वही उसके होठों के किनारे से खून बहने लगा। अभी तक वो कुछ समझ पाती कि अगले ही पल बगल में बंधा कपाड़िया हरकत करने लगा । शायद उसे अपनी माशूका के लिए बुरा लग रहा था।   उसको यूं फड़फड़ा था देख आर आर ने अपने हाथ में लिए हुए गन से एक निशाना सीधा उसके कंधे में लगाया और फायर कर दिया, गोली सीधे कपाड़िया का कंधा चीरते हुए और पर निकल गई वही एक जोरदार चीख पूरे बेसमेंट में गूंज गई। ये चीख उस लड़की की थी जो की सामने खड़े कपाड़िया की हालत देखकर चीखी थी।  दरअसल वो जब से यहां आई है उसने अभी-अभी कपाड़िया को देखा, वही उसकी हालत देखकर लड़की की रूह कांप गई उसने डरते डरते अपनी नज़रें RR की तरफ की जो एक शैतान की तरह अपनी जलती निगाहों से उन्हे घूर रहा था,,   फिर उसने पर्व को कुछ इशारा किया जिससे कि पर्व तुरंत आगे आते हुए लड़की के सामने एक फाइल रखते हुए थोड़ी धीमी आवाज में बोला, "बॉस को शोर पसंद नहीं! अगर जिंदा रहना चाहती हो तो बिना कुछ बोले इन फाइल्स पर साइन करो, वरना तुम अपने आशिक की हालत देख ही सकती हो। मुझे नहीं लगता कि तुम इतना कुछ सह पाओगी। "   पर्व की बात सुनते ही लड़की जो फिलहाल शदमें में थी उसने बिना एक भी पल गवाएं जल्दी-जल्दी सारे पेपर्स पर अपने कांपते हाथों से साइन कर दिया और तब जाकर उसने हकलाते हुए कहा,  "प्लीज, प्लीज मुझे जाने दो मैंने कुछ नहीं किया है, मेरा इस आदमी से कोई लेना देना नहीं है। पर अभी वो आगे कुछ और कहती की अगले ही पल उसकी आवाज उसके मुंह में घुट कर रह गई। क्योंकि एक गोली सीधा उसके माथे के आर पार जा चुकी थी। और लड़की निढ़ाल होकर ज़मीन पर लुढ़क गई।   पर्व जो अभी जमीन पर उसके सामने ही बैठा था, उसने कसकर अपनी आंखें बंद कर ली, तभी उसके कानों में एक और गोली की आवाज आई, और कपाड़िया भी बेजान होकर जंजीर में झूल चुका था ।    फिर पर्व गहरी सांस लेते हुए अपनी जगह से उठा और पिछे मुड़ा जहां RR अपनी गन पॉकेट में डाल रहा था। फिर वो फाइल RR के हाथों में थमाते हुए बोला, "अब !?"   फाइल को हाथ में लेते हुए R R ने जवाब में कहा,, "now is the right time to return home,, कहते हुए वो सीधा वहां से निकल गया। वहीं पर्व ने एक बार पीछे दो बेजान हो चुके शरीर की ओर देखा फिर गर्दन झटकते हुए वो भी मुस्कुराते हुए उसके पीछे निकल गया।।     Every one, chapter kaisa laga comments me jarur बताएं। और कहानी को रिव्यू करना ना भूले।    Thanks to all keep supporting 🤗

  • 3. Angel and The Beast - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    , वाराणसी दशाश्वमेध घाट    सुबह के 10 बजे    घाट से थोड़ी ही दूर पर एक आलीशान बंगला बना हुआ था। इसके बाहर गोल्ड नेम प्लेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, Rajvansh पैलेस!!    वही पैलेस के अंदर बड़े से हाल में इटालियन सोफे लगे हुए थे। वही हॉल में इस वक्त एक उम्र दराज महिला बैठी थी। जिन्होंने काफी ब्रांडेड कपड़ो और गहनों से खुद को मेंटेन किया था, वो देखने में किसी राजघराने की महारानी मालूम पड़ रही थी। उनके चेहरे पर एक तेज, एक रौब झलक रहा था।।     और उनके सामने एक पंडित जी बैठे थे। जो देखने काफी सिद्ध पंडित मालूम पड़ रहे थे। फिलहाल उनके हाथों में किसी की कुंडली थी, और उनके सामने कुछ पत्रिकाएं फैली हुई थी। जिसे पंडित जी पर है ध्यान से देख रहे थे उनके चेहरे के भाव समझ पाना मुश्किल था।    उनके चेहरे के भावों को देखकर महिला ने बेहद सीरियस आवाज में उनसे पूछा, "क्या बात है पुरोहित जी, आप कुछ बोलते क्यों नहीं आखिर क्या लिखा है उसकी कुंडली में। आखिर कब उसका विवाह होगा और मुझे अपने पर पोते का मुख देखने का अवसर कब मिलेगा।"    महिला की बात सुनकर पुरोहित जी ने अपने हाथ में ली हुई कुंडली को सामने टेबल पर रखा और एक गंभीर आवाज में बोले, "देखिए पद्ममिनी जी, आपके पोते का भाग्य बहुत विचित्र है। उसकी कुंडली में हर प्रकार का सुख और ऐश्वर्या है, यहां तक की इस कुंडली में संतान सुख भी है,, पर.." अचानक कहते हुए वो रुक गए।।     पंडित जी को यूं रुका हुआ देख पद्मिनी जी ने थोड़ी चिंतित स्वर में पूछा,  "पर,, पर क्या पुरोहित जी?" साफ-साफ बताइए पर क्या?।"   इस पर पुरोहित जी ने गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया, "पर उसकी कुंडली में विवाह योग नहीं है। मतलब विवाह योग ना मात्र के बराबर है। विवाह होने के सिर्फ और सिर्फ 5% संभावना है। किंतु संतान प्राप्ति का फल पूर्ण रूप से निश्चित है वो भी उन्हें शीघ्र ही प्राप्त होगा।।   पुरोहित जी की बात सुनकर अचानक से पद्मिनी जी  के चेहरे के भाव बदल गए उसने थोड़े हैरानी और थोड़ी ना समझी के साथ उनसे कहा,, "ये आप क्या कह रहे हैं, यदि विवाह का योग नहीं है,, तो फिर संतान ? ये कैसे संभव हो सकता है?"    पद्मिनी जी के बाद सुनकर पुरोहित जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "यही तो उसका भाग्य है। जो कुछ कुंडली में लिखा है मैंने वो सब आपको बता दिया। वैसे भाग्य बदल भी सकता है। पर विवाह का सुख फिलहाल उसकी किस्मत में नजर नहीं आ रहा।     ये सुनकर पद्मिनी जी थोड़ा सा निराश होते हुए बोली, "पता नहीं आपकी बात सुनकर मुझे खुश होना चाहिए या निराश। वो राजवंश खानदान का वारिश है, मैं उसे कोई गलत कदम नहीं उठाने दे सकती। "क्या इसका कोई उपाय नहीं है?"    पद्मिनी जी की बात पर पुरोहित जी ने उन्हें समझाते हुए कहा, "आप पिछले कई सालों से उसके लिए यज्ञ करवा रहे हैं, किंतु आज तक ऐसा नहीं हुआ मैंने आपसे साल पहले भी ये बात कही थी! आज फिर से कह रहा हूं, कि आप व्यर्थ प्रयास कर रही है जो उसके भाग्य में लिखा है उसके साथ वही होगा।  पुरोहित जी की बात पर पद्मिनी जी ने कुछ सोचते हुए कहा, "आखिर कैसे मैं प्रयास करना छोड़ दूं ? कैसे मैं हाथ पर हाथ धरे बैठी रहूं ?,,   "वो बिना शादी के वो कभी बाप नहीं बन सकता। क्योंकि हर कोई उसके गुस्से से वाकिफ है और इसी डर से कोई उसके पास नहीं जाना चाहता। वरना उससे शादी के लिए तो लाखों लड़कियां तैयार हैं! आए दिन तमाम घर वालों, बड़े-बड़े बिजनेस पर्सन, फिल्म इंडस्ट्री के लोग उसके रिश्ते के लिए आते रहते हैं। पर आज तक कभी कोई ऐसी लड़की नहीं आई जो उसके गुस्से को संभाल सके।"     " वरना मैं तो उसका प्रेम विवाह भी स्वीकार कर लेती ।" उनकी बात पर पंडित जी ने कुछ सोचते हुए कहा, "मेरे पास एक उपाय है आप चाहे तो ऐसा भी कर सकती हैं।"  उसके बाद उन्होंने सीरियस होकर पद्मिनी जी को कुछ बताया, जो सुनकर पद्मिनी जी को बहुत ही आश्चर्य हुआ उन्होंने उस बात के लिए साफ इनकार कर दिया। लेकिन पुरोहित जी के ये बताने पर की यही आखरी रास्ता हो सकता है, जिससे कि उसे विवाह भी ना करना पड़े समाज में बदनामी भी ना हो। तो वो मान गई।"    तभी किचन से एक मिडल एज की औरत हाथों में चाय नाश्ते की टेबल पर रखते हुए पद्मिनी की से बोली, "मां जी, अब बाकी दोनों की भी कुंडली दिखा दीजिए उनके बारे में भी कुछ पता चल जाएगा।"   वो औरत देखने में काफी सुंदर थी उसने सिंपल तरीके से मगर काफी खूबसूरती से खुद को सजा रखा था।   वही उसकी बात सुनकर पद्मिनी जी ने साफ मना करते हुए कहा, "उन दोनों की कुंडली दिखाने की कोई जरूरत नहीं है बहू, उन दोनों की जिंदगी में वही होगा जो हम चाहेंगे। इसलिए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।"    पद्मिनी जी की इस तरह से बात सुनकर उनकी बहू ऋतु, का थोड़ा सा मुंह बन गया, पर उसने चेहरे पर फीकी सी मुस्कान लिए हां में सर हिला दिया।     वहीं पद्मिनी जी ने सम्मान के साथ पुरोहित जी से चाय नाश्ता करने को कहा।   जिस पर पुरोहित  जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं नहीं, पद्मिनी की आज मेरा उपवास रहता है। मैं केवल रात्रि के समय ही जल ग्रहण करता हूं,, बस इसके अलावा कुछ नहीं।" बाकी जो उपाय मैंने आपको करने को कहा है यदि आप उसे पर अमल करती हैं तो अवश्य ही आपकी परेशानी दूर हो जाएगी। "हर हर महादेव" कहते हुए पुरोहित जी वहां से चले गए।।    उनके जाने के बाद पद्मिनी जी के चेहरे पर गंभीर भाव आ गए और वो किसी सोच में डूब गई। वही रितु भी उनके सामने बैठ गई।    थोड़ी देर बीतने के बाद पद्मिनी जी ने इस तरह सोच में डूबे हुए रितु से कहा, "ऋतु क्या आपकी नजर में कोई ऐसी लड़की है, जो बिल्कुल शांत स्वभाव की हो, बिल्कुल बिना मुंह की, जिसे दुनियादारी से कोई लेना देना ना हो, जिसके होने ना होने से किसी को कोई फर्क ना पड़ता हो, जिसे दुख सुख से कोई लेना देना ना हो, जो तकलीफों को सहे पर उफ्फ ना करें। क्या आप ऐसी किसी लड़की को जानती हैं।"   पद्मिनी की अपनी सोच में गुम न जाने क्या-क्या कहे जा रही थी वही रितु जो उनकी बात सुनकर समझने की कोशिश कर रही थी वो अभी कुछ बोल पाती कि तभी अचानक से उन लोगों के पीछे से आवाज आई,  "दादी, यू मिन Sleeping Beauty"     ये आवाज सुनते ही पद्मिनी की अपनी सोच की दुनिया से बाहर आई और आवाज की दिशा में देखने लगी वही रितु ने भी उस आवाज की ओर देखा जो कि सामने सीढीओ की तरफ से आई थी।     Thanks to all keep supporting and give your precious review on this nove.

  • 4. Angel and The Beast - Chapter 4

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    "दादी, यू मिन स्लीपिंग ब्यूटी टाइप"    ये आवाज सुनकर पद्मिनी की और रितु दोनों ने सीढ़ियों की ओर देखा जहां पर एक लड़का और एक लड़की दोनों आश्चर्य से उन्हें दोनों की ओर आ रहे थे और आकर वो दोनों पद्मिनी जी के अगल-बगल बैठ गए।    वहीं उन दोनों की बात सुनकर अचानक से पद्मिनी जी को एहसास हुआ कि अभी-अभी उन्होंने क्या कह दिया।    तभी उन्होंने बात को बदलते हुए उन दोनों के कान खींचते हुए हल्के गुस्से से बोली, "ये कोई वक्त है उठने का, दोपहर के 1:00 रहे हैं, और आप दोनों अब नीचे आए हैं। महापुरोहित जी आए हुए थे,, ये नहीं की सुबह-सुबह उठकर उनसे आशीर्वाद ले लो।    यहां आने के बाद आप लोग कुछ ज्यादा ही बदमाशियां करने लगे हैं। एक बार हमें मुंबई वापस चलने दीजिए फिर आप दोनों की अच्छे से खबर ली जाएगी। कहते हुए उन्होंने उन दोनों के कान छोड़ दिए।    वही उनके कान खींचने से वो दोनों जोर से चिल्लाए, तभी लड़की अपने कान को हल्के से रब करते हुए मुंह फुला कर बोली, "ओफ्फो दादी, मै तो कब का उठ चुकी हूं और मैंने अपने पेंटिंग की क्लासेस भी ले ली। आप भाई को बोलो! वही देर तक सो रहे थे। आऊं,, कितना जोर से कान खीच लिया आपने। पूरा रेड हो गया ।    उसकी बात सुनकर पद्मिनी जी ने घूर कर लड़के की ओर देखा, जिस पर लड़के ने हड़बड़ाते हुए कहा, "नहीं नहीं दादी ये मिली की बच्ची झूठ बोल रही है,, मैं तो इससे भी पहले उठ गया था। वो तो मैं इसलिए नीचे नहीं आया क्योंकि मैं एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, भाई ने कहा था कि उनके आने से पहले मुझे वो काम कंप्लीट करना है। वरना वो फिर से मुझे पनिशमेंट दे देंगे और आप तो जानती हैं कि वो कितना खतरनाक पनिशमेंट देते हैं। अपने छोट से भाई पर जरा सभी दया नहीं दिखाते ,, कहते हुए उसने मुंह लटका लिया।"     वही उसकी बात सुनकर पद्मिनी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा विहान, आप राजवंश खानदान के बेटे हो! वो राजवंश ग्रुप, जो पूरे भारत मे ही नहीं बल्कि देश विदेश तक चर्चित है। तो इस नाम के साथ-साथ बहुत सारी जिम्मेदारियां भी आपको उठानी होगी। जैसे अपने भाई को ही देख लो, जो अपनी छोटी सी उमर में बिजनेस की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। आज बड़ी से बड़ी कंपनियां हमारे साथ डील करने के लिए रात दिन चक्कर काट रही है।     इसीलिए आपके भाई चाहते हैं कि आप भी वही मुकाम हासिल करें। पद्मिनी जी की बात सुनकर उनके पास में था लड़का जिसका नाम विहान राजवंश है उसने मुंह बनाते हुए कहा, "दादी, अभी मेरी उम्र ही क्या है, मैं तो अभी छोटा हूं सिर्फ 24 साल का तो हूं। और वैसे भी अभी मेरे मस्ती करने के दिन है,, लेकिन भाई मेरे पीछे पढ़कर मुझे जबरदस्ती ऑफिस ले जाते हैं, दिस इस नॉट फेयर ।।   और इस मिली की बच्ची को आप कुछ नहीं कहती इसको भी ऑफिस भेजा करो आप! कहते हुए उसने पीछे की साइड से मिली के बाल खींच लिए। जिस पर मिली ज़ोर से चिल्लाई,, आ, आ!!" और अगले ही पल गुस्से से अपने साइड में रखा पिलो उठाकर उसने विहान को मारना शुरू कर दिया और बोली, "कितनी बार कहा है, मेरी जान से प्यारी जुल्फों को हाथ मत लगाया करिए! पर आपको समझ नहीं आता।"।   वहीं विहान बचने की कोशिश करते हुए बोला, "अरे रुक जा चुड़ैल,, जान से प्यारी जुल्फों के चक्कर में भाई की जान लेगी क्या।। कहते हुए वह इधर-उधर हाल में भागने लगा।   वहीं मिली भी गुस्से से बड़बड़ाते हुए उसके पीछे दौड़ रही थी। थोड़ी देर में बिहान ने भी तकिया उठा लिया और अब दोनों में अच्छी खासी पिलो फाइटिंग शुरू हो गई।।     उन दोनों को यूं बच्चों जैसा लड़ता देखकर पद्मिनी की और रितु जी दोनों ने अपने सर पर हाथ रख लिया।    फिर गहरी सांस लेते हुए रितु जी ने उन दोनों को डांटते हुए कहा, "बस करो तुम दोनों, जब देखो तब बच्चों की तरह लड़ते रहते हैं। और मिली तुम,, बड़ा भाई है वो तुम्हारा थोड़ा सा तो लिहाज कर लिया करो, ऐसे बड़े भाई भी कोई हाथ उठाता है क्या।"   इस पर मिली ने अपने हाथ में ली हुई पिल्लों को विहान के ऊपर फेंकते हुए चीढ़ कर कहा,  "1 साल बड़ा कोई बड़ा नहीं होता। और वैसे भी आप इन्हें क्यों कुछ नहीं कहती। इन्होंने क्यों मेरे बाल खींचे।"" कहते हुए वो मुंह बनाकर सोफे पर बैठ गई।।     वही बिहान में उसका फेंका हुआ पिलो कैच करते हुए कहा, "हां यही तो मैं भी कह रहा था कि ये मुझसे सिर्फ और सिर्फ 1 साल छोटी है तो इसको भी ऑफिस के काम करने चाहिए । वरना जब देखो तब पेंटिंग की क्लास , तो कभी म्यूजिक की क्लास बस यही सारी चीज करती रहती है और कॉलेज में भी जाकर सिर्फ मस्ती करती है।" कहते हुए उसने दोनों पीलो एक साथ मिली के ऊपर फेंक दिया। जिस पर मिली एक बार फिर भड़कने की हूई।    की तभी पद्मिनी जी ने अबकी बार ज्यादा गुस्से से उन दोनों को डांटये हुए कहा, "बहुत हो गया है आप दोनों का, जब आपका भाई घर में नहीं रहता, तभी आप दोनों को ऐसे बदमाशियां सुझती हैं, आने दो अबकी बार तुम दोनों की शिकायत करुंगी उससे।। पर ये लड़का भी अभी तक नहीं आया। सब के सब अपने मन के हो गए हैं।    पद्मिनी जी को गुस्से में देखकर वो दोनों शांत हो गए। तभी उन्होंने आगे फिर से गुस्से में कहा, "विहान फोन लगाइए पर्व को और पूछिए कि बोलो कब तक आने वाले हैं।"   इस पर बिहान में अच्छे बच्चों की तरह फोन निकाला और पर्व के पास फोन लगा दिया। अभी हाल में पूरी तरीके से शांति थी सिर्फ फोन की रिंग ही सुनाई दे रही थी। तभी अगले पल पर्व ने फोन उठा लिया और थोड़ा घबराती हुई आवाज में बोला, "हेय विहान, अच्छा हुआ तुमने फोन उठा लिया क्या तुमने बॉस का दिया हुआ वो प्रोजेक्ट पूरा कर लिया।"    फोन स्पीकर पर था जिसकी आवाज सभी सुन रहे थे वही बिहान ने थोड़ा कंफ्यूज होते हुए कहा, "हां मैंने वो प्रोजेक्ट पूरा कर लिया है। पर पहले आप बताइए कि आप लोग वापस यहां कब आ रहे हैं दादी कब से भाई के बारे में पूछ रही है।"      इस पर पर्व ने थोड़ा सीरियस होते हुए जवाब दिया, "एक्ट्चुएली, हम वापस आ गए हैं, पर मुंबई। बॉस को कंपनी में जरूरी काम था, और अब तुम भी जल्द से जल्द प्रोजेक्ट लेकर वहां आओ। क्योंकि उस क्लाइंट ने थोड़ी गड़बड़ कर दी है।  और तुम जानते हो की गड़बड़ी का मतलब, क्या है। बॉस अपने उसूलों के पक्के है, "धोखा मतलब मौत।।"    पर्व की बात सुनकर विहान के चेहरे के भाव गंभीर हो गए वहीं उसकी बात सुनकर पद्मिनी जी के चेहरे पर कठोर भाव आ गए।     पर फिर विहान पर्व को सिंपली हां करते हुए , बाय बोलकर फोन काट दिया।।    फोन काटते ही पद्मिनी जी ने कहा, "" चापर रेडी करवाओ हम सब मुंबई वापस जा रहे हैं। उनकी बात पर सभी ने हां कर दिया।       और कुछ ही देर बाद वो सभी अपने प्राइवेट चापर से मुंबई के लिए रवाना हो गए।   Thanks to all keep supporting and give your precious review on this novel.

  • 5. Angel and The Beast - Chapter 5

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

      मुंबई शाम के 3 बजे   Rajvansh Group of industry   ये लगभग 50 माले की एक बिल्डिंग थी। और शाम के इस समय एक रोल्स-रॉयस तेजी से आकर बिल्डिंग के सामने वही उसके पीछे कुछ और भी कारें आकर रुकी। जिसमें से बहुत से गार्ड्स बाहर और उन्ही में से एक ने आगे आकर उस रोल्स-रॉयस कर का पिछला दरवाज़ा खोला।।    दरवाजा खोलते ही उसम से एक लड़का बाहर आया जिसकी उम्र यही कोई 24 साल की थी। ऊसने इस वक्त डार्क ब्लू कलर का बिजनेस सूट पहन रखा था।     6 फीट की हाइट, हल्का सावला मगर बेहद खूबसूरत चेहरा, उसके फैसियल फीचर्स और बॉडी शेप बिलकुल परफेक्ट थी। उसे देखकर लग रहा था जैसे उसने जीम में काफी मेहनत की है खुद के ऊपर। ये लड़का कोई और नहीं बल्कि विहान राजवंश है,, जो कि कुछ देर पहले ही बनारस से वापस आया है।।     घर पहुंचते ही बेचारा बिल्कुल सुपर फास्ट ट्रेन की तरह जैसे  तैसे तैयार होकर बहुत ही जल्दबाजी में ऑफिस आया था।  उसने बिजनेस सूट तो पहन लिया पर ना तो कायदे से बाल बना पाया और नाही शर्ट के सारे बटन बंद कर पाया। उसके शर्ट के ऊपर के फिलहाल तीन बटन खुले हुए थे,, जिससे उसका चेस्ट साफ नजर आ रहा था जो उसे और भी ज्यादा अट्रैक्टिव बना रहा था। पर बेचारा इन सब चीजों को साइड रखते हुए हाथ में एक फाइल पकड़े तेजी से ऑफिस के अंदर बढ़ गया।   ऑफिस के अंदर सारे एम्पलाइज उसे इवनिंग विश कर रहे थे जिसका वो सिर्फ मुस्कुरा कर जवाब देते हुए सीधा वहां की प्राइवेट लिफ्ट की और बढ़ गया और पहुंच गया ऑफिस के टॉप फ्लोर पर। जहां पर सिर्फ और सिर्फ एक ही बड़ा सा केबिन बना था और उसके अंदर का माहौल फिलहाल बहुत डेंजरस बना हुआ था।     विहान जैसे ही केबिन के बाहर पहुंचा तभी उसे सामने से पर्व आता हुआ दिखाई दिया। पर्व को देखते हुए विहान की जान में जान आई वो जल्दी से पर्व के पास गया। वहीं पर भी शायद उसे ही लेने आ रहा था,, पर ये क्या पर्व उसे नहीं उस फाइल को लेने आया था। जो की विहान अपने साथ लाया था।    विहान के पास आकर पर्व थोड़ा दबे मन से मुस्कुराते हुए कहा,, "क्या तुम थोड़ा पहले नहीं आ सकते थे ।" इस पर विहान ने ना समझी नहीं कहा, "और कितना पहले आता, टाइम से पहले तो आ ही गया हूं!"   वहीं पर्व हाथ में फाइल लिए आगे चलते हुए बोला, "तुम तो टाइम से आ गए, पर तुम्हारी वजह से कोई टाइम से पहले ऊपर जा चुका है!"   ये सुनकर विहान ने अपने सर पर हाथ रख लिया और हैरानी से बोला, "सिट्ट, क्या भाई ने उसे मार दिया।"    जिस पर पर्व ने सिंपली हां में सर हिलाया वही दोनों अब फिलहाल केबिन के दरवाजे पर पहुंच गए थे।   अभी पर्व दरवाजा खोल के अंदर जाता उससे पहले ही बिहान ने एक बार फिर उसका हाथ पकड़ते हुए दबी आवाज में पूछा, "वैसे भाई का मूड अभी कैसा है, क्या वो अभी भी गुस्से में है? या मामला थोड़ा शान्त हुआ?"    इस पर पर्व पीछे मुड़कर विहान के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,  "डॉन'टी वरी, फिलहाल बॉस ने अपना गुस्सा निकाल लिया है ! बस तुम ये मनाओ कि इस प्रोजेक्ट में कोई कमी ना हो। वरना...! तुम तो समझदार हो ही। पर्व ने जानबूझ कर अपनी बात अधूरी छोड़ दी। और ये कहकर उसने दरवाजा खोल दिया। वही बेचारा विहान भगवान का नाम लेते हुए केबिन के अंदर गया।।    केबिन में इस वक्त चार लोग मौजूद थे। जिसमें से एक मुर्दा हो चुका था।  और उसी के बगल बैठे दो लोग पसीने से तर बतर,, लगभग कपकपाहट के साथ बैठे थे।   वहीं उन सबके सामने एक किंग साइज सोफे पर RR किसी राजा की तरह पैर पर पैर चढ़ाए बैठा हुआ था। अभी उसने ब्लैक कलर का ब्रांडेड बिजनेस सूट पहन रखा था, उसकी लंबे बाल अभी पोनीटेल में बंधे हुए थे और कुछ बाल माथे पर इधर-उधर बिखरे हुए थे। फिलहाल उसने अपनी गर्दन सोफे पर टिकाई हुई थी, और एक हाथ में गन लिए घूमा रहा था। उसके चेहरे पर कोई इंसानियत नजर नहीं आ रही थी, उसका औरा बेहद खतरनाक लग रहा था जो किसी भी पल किसी को भी जला कर रहा कर सकता था।   वही बिहान पर्व के पीछे-पीछे केबिन में आया तो सबसे पहले उसकी नजर टेबल पर औंधे मुंह पड़े मरे हुए इंसान पर गई, जिसे देखते ही विहान का गला सूख गया। ऐसा नहीं है कि उसने खून पहली बार देखा था, क्योंकि अपने भाई के साथ काम करते हुए उसने अपने भाई का इससे भी  खतरनाक रूप देख चुका था, पर हर बार बेचारा कुछ दिनों तक सदमे में ही रहता। यहां तक कि उसे अपने भाई से बहुत डर लगता है ।    बाकी के घर वालों ने सिर्फ सुना है RR का गुस्सा पर देखने का सौभाग्य सिर्फ और सिर्फ विहान और पर्व को ही प्राप्त हुआ है।।  खैर,,   अभी बेचारा विहान अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था कि तभी उसके कान में एक भारी आवाज सुनाई दी,, "Mr. विहान राजवंश,, I hope आपने नए प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन तैयार कर लिया होगा। और उसमे गड़बड़ी नहीं होगी। "   ये आवाज सुनकर बिहान एक पल के लिए चौक गया फिर उसने थोड़ा हकलाते हुए कहा, "जी , जी भाई! मतलब येस बॉस। काम हो गया है।"   इस पर RR ने कहा, गुड। फिर सीधे बैठते हुए अपनी गन को टेबल पर रखते हुए अपने सामने बैठे तो फॉरेनर आदमियों से स्ट्रेट फेस के साथ बोला,, "Here is my own presentation,, Now my company will work alone with you on this project because I don't tolerate working with these types of people at any cost." कहते हुए RR ने एक डिसगस्ट भरी नजर वही सामने पड़ी डेड बॉडी की ओर देखा।    वही उसकी बात सुनकर वो दोनों फॉरेनर आदमी जो कि पहले से ही काफी ज्यादा डरे हुए थे उनमें से एक ने हिम्मत करके कहा, "yes, yes absolutely Mr Rajvansh! we are ready to work with you, in fact we don't even need to see the presentation. we have complete trust on you. we are now ready to shine the contract." बेचारे वो आदमी, बस कैसे भी यहां से जिंदा वापस जाना चाहते थे क्योंकि जिस तरह से RR का अभी तक विहेवियर रहा था उन्हें तो अपनी मौत सामने नजर आ रही थी। "   वहीं उनकी बात सुनकर RR के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई । फिर उसने पर्व को इशारा किया और पर्व ने कांट्रेक्ट पेपर उनके आगे कर दिया। और उन लोगों ने उस पर जल्दी जल्दी साइन कर दिया। उसके बाद बिहान ने भी उस पर साइन कर दिया क्योंकि ये प्रोजेक्ट RR ने उसे ही पर्सनली हैंडल करने की दिया था। वही कॉन्ट्रैक्ट साइन होते हैं वो दोनों आदमी वहां से ऐसे भागे जैसे कभी वहां आए ही नहीं थे।     उनके जाते ही RR ने पर्व से कड़क आवाज में कहा,  "जल्द से जल्द ये गंदगी साफ करवाओ और मेरा केबिन क्लीन करवाओ। कहते हुए वो सोफे पर से उठा और एक नजर विहान को देखते हुए बोला, "तुम मेरे साथ चलो!" और केबिन के बाहर निकल गया ! वही बेचारा विहान एक ओबेडिएंट चाइल्ड की तरह उसके पीछे चला गया।     So guys thoda sa intro, ab se kahani ka men motive shuru hoga so please chapter ko like comment share jarur Karen aur kahani Ko review karna na bhule. Milte hai next chapter me Tab tak ke liye sabhi ka dhanyvad.  

  • 6. Angel and The Beast - Chapter 6

    Words: 1374

    Estimated Reading Time: 9 min

    मुंबई,, एक ऐसा शहर जहां अमीर से अमीर लोग,, और गरीब से गरीब लोग रहते हैं।।    और इन्ही अमीर लोगों में एक नाम है, राजवंश परिवार का। रूहान राजवंश, जिसे दुनिया RR के नाम से जानती है। उसी ने महज़ 21 साल की में अपने ब्रिलिएंट बिसनेस माइंड सेट और हार्ड वर्क से न सिर्फ इंडिया में बल्कि देश विदेश तक अपने नाम का इक्का जमा लिया। उसने ना सिर्फ़ अपने फैमली बिजनेस (राजवंश ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री) को बल्कि अपनी खुद की  कंपनी "RR Industry" को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।।        पर कहते हैं ना की कामयाबी आसानी से नहीं मिलती। उसी तरह रूहान को भी काफी स्ट्रगल करना पड़ा। लोगो से अपनी बात मनवाने में 😏। रूहान राजवंश, बिजनेस की दुनिया में अपने उसूलों के लिए मशहूर है। अगर वो गलती की सजा दूसरों को देता है तो खुद की भी गलती को माफ नहीं करता, खुद को सजा देने का उसका अपना तरीका है।     उसे धोखेबाज लोग पसंद नहीं । ऐसे लोगो को देख कर उसे ना जाने क्या हो जाता है। वो अपने गुस्से पर कंट्रोल खो देता है, और इसका खामियाजा सामने वाले को अपनी जान दे के चुकाना पड़ता है। अच्छाई उसे किसी के दिखती नहीं और बुराई किसी की छिपती नहीं। रूहान को अपने दुस्मानों को अलग-अलग तरीके से टॉर्चर करने में बहुत सुकून मिलता है। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट ही तब आती है जब वो किसी को तड़पता हुआ देखा है।।     इतनी सारी स्पेशलिटी के बीच उसमें एक और भी अलग बात ये है,कि उन महाशय को लड़कियों से एलर्जी है। लड़कियों का जरा सा पास आना, रूहान के गुस्से को सातवें आसमान से ना जाने कौन से आसमान तक पहुंचा देता है 🤭,, इनकी और भी खूबियों को हम जानेंगे कहानी में आगे। फिलहाल के लिए ऐसे है हमारे, "रूहान राजवंश" उर्फ़ RR।   अब आते हैं कहानी में आगे ____    रात का वक्त,,   राजवंश मेंशन ( मुंबई )     पद्मिनी की, रितु और मिली तीनों बनारस से लौटने के बाद अच्छा खासा आराम फरमाया। वही बेचारा विहान आते ही ऑफिस भाग गया।।    अभी फिलहाल मेंशन के अंदर हॉल में, पद्मिनी जी, ऋतु और उन्ही के साथ एक आदमी जो की ऋतु का पति रितेश था, वो तीनों हॉल में बैठे बातें कर रहे थे।।     पद्मिनी जी ने अपनी चाय का एक घूंट भरते हुए रितेश से पूछा, "तो कैसी रही तुम्हारे दोस्त के बेटे की शादी?"   रितेश ने जवाब में कहा, "बढ़िया थी,, और सिरियस फेस के साथ पद्मिनी जी से पूछा, "वैसे महापुरोहित जी ने उसकी कुंडली के बारे में क्या कहा ?"   रितेश के सवाल पर पद्मिनी जी ने गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया, "कहना क्या है,, फिर से वही कहा जो ईतने सालों से कहते आ रहे हैं, उसकी शादी का अभी कोई योग नहीं बन रहा।"    पर मॉम आप जानती है ना, उसका शादी करना हमारे लिए कितना जरूरी है।  कोई तो दूसरा रास्ता होगा। क्योंकि अगर ये काम जल्द से जल्द नहीं हुआ तो हमारे इतने सालों का किया धरा सब मिट्टी में मिल जाएगा। ये बात रितेश ने बेहद सीरियस वॉइस में कहा।।       तभी उनकी बात पर रितु ने कुछ सोचते हुए कहा, "मां जी, आज सुबह आप किसी लड़की का जिक्र कर रही थी,, कोई लड़की जो..."     रितु अपनी बात आगे का पाती उससे पहले ही पद्मिनी जी ने उसे चुप करते हुए कहा, "आहिस्ता बोलो बहु, ये कहते हुए वो आस पास देखने लगी। जहां सारे नौकर फिलहाल काम पर लगे हुए थे।"  तभी रितेश ने ना समझी में उन लोगों से पूछा, "ये क्या बात हो रही है आप दोनो में,, और मां आप किस लड़की की बात कर रही है।"     पति पत्नी जी ने जब भी कंफर्म कर लिया कि कोई उनकी बात नहीं सुन रहा है तब उन्होंने सीरियस होते हुए धीमी आवाज में कहा, "बेटा, दरअसल महापुरोहित जी ने एक संभावना बताई है। उन्होने कहा है कि हमे एक ऐसी लड़की को ढूंढना है,, "जो बिल्कुल शांत स्वभाव की हो बिल्कुल बिना मुंह की, जिसे दुनियादारी से कोई लेना देना ना हो, जिसके होने ना होने से किसी को कोई फर्क ना पड़ता हो, जिसे दुख सुख से कोई लेना देना ना हो, जो तकलीफों को सही पर उफ्फ ना करें। ना शिकवा ना शिकायत।" ऐसी ही लड़की हमरा मकसद पूरा करने में हमारी मदद कर सकती है।   अब आप दोनो ही बताइए की क्या आप ऐसी किसी लड़की को जानती हैं।" आज के जमाने में ऐसी लड़की को ढूंढना लगभग नामुमकिन है। कहा ढूंढे हम ऐसी लड़की जो हमारे रूहान का गुस्सा सह सके। उसके करीब जा सके। जबकि वो लड़का, लड़कियों को अपने पास भी भटकने नहीं देता।     पद्मिनी जी की बात सुनकर जहां रितु एक तरफ हैरान थी। वही रितेश किसी गहरी सोच में डूब गया, तभी अचानक से उसने कहा, "मॉम अगर पुरोहित जी ने कहा है तो जरूर ऐसी लड़की कहीं ना कहीं तो होगी ही। पर मुझे यकीन है कि वो हमें हमारे हैसियत के हिसाब से नहीं मिलेगी,, बल्कि उसे हमें कही.."   अभी रितेश अपनी बात पूरी कर पाता कि उससे पहले ही पद्मिनी जी ने गुस्से से मगर दांत भींचते हुए कहा, "तो आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, क्या हम ऐसे ही गली गली, मोहल्ले भर में ऐसी लड़की को ढूंढते फिरेंगे,, हां!"     इस पर रितेश ने भी भड़कते हुए कहा, "तो आपको क्या लगता है, की इतनी आसानी से आपको ऐसी लड़की मिल जाएगी। देखिए मॉम मैं ये नहीं कह रहा कि हम उसे ढूंढे,, क्योंकि हमारे पास ऑलरेडी एक इंसान है जो इन सब में हमारी मदद कर सकता है।"     रितेश की बात पद्मिनी जी को सही लगती है फिर उन्होंने खुद को शांत करते हुए कहा, कहीं तुम उसकी बात तो नहीं कर रहे।"   इस पर रितेश ने एक मिस्टीरियस स्माइल के साथ कहा, "हां मैं उसी की बात कर रहा हूं, मुझे यकीन है की वो रूहान के काम में जरा सी भी देरी नहीं लगाएगा बल्कि वो तो जी जान लगाकर हमारे लिए ये काम कर देगा।"   ये सुनकर पद्मिनी जी के चेहरे पर भी एक चमक आ गई और उन्होंने मिस्टीरियस टोन में कहा, "ठीक है तुम फोन करके उसे बुला लो। लेकिन हां ध्यान रहे कि तुम उसे दोपहर के समय बुलाना। मैं नहीं चाहती कि वो रूहान से मिले। क्योंकि उसका रूहान से ज्यादा मिलना हमारे लिए खतरा साबित हो सकता है।"    उनकी बात पर रितेश ने ना समझी नहीं कहा, "पर क्यों मॉम रूहान तो अभी यहां नहीं है ना, क्या वो वापस आ गया।"     रीतेश को जवाब देते हुए पद्मिनी जी ने कहा,  "हां वो आज ही वापस आया है! और अभी फिलहाल वो ऑफिस में है। तो मैंने जैसा कहा है वैसा करो। उनकी बात पर रितेश ने हां में सर हिला दिया और उठ कर वहां से दूसरी तरफ चला गया।   कुछ ही देर बाद वो वापस आया और उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी। उसने पद्मिनी की से कहा वो मान गया है कल दोपहर तक वो आ जाएगा । उनकी बात पर अभी वो कुछ कह पाती है कि तभी उनके पीछे से आवाज आई, "डैड आप कब आए, और कल कौन आने वाला है।"   ये आवाज विहान की थी जो अभी-अभी ऑफिस से आया था और आते ही रीतेश के पास खड़ा हो गया। वही उसके सवाल पर एक बार को वो तीनों चौंक गए पर तभी रितु जी ने पास संभालते हुए मजाकिया अंदाज में कहा, "बेटा कल तुम्हे देखने वाले आने वाले हैं। उसी के बारे में हम सब डिस्कस कर रहे थे।"     रितु की बात सुनकर जहां बाकी के दोनों मुस्कुरा दिए वहीं विहान मुंह बनाते हुए रितेश के पास आया और उनके गले लगते हुए नाराज़ग  से बोला, "डैड देखिए ना, मॉम हमेशा मेरी शादी की बात करती रहती है,, मुझे नहीं करनी शादी।।"    उसकी इस हरकत में रितेश की आंखें छोटी हो गई पद्मिनी जी और ऋतु दोनों को हसी आ गई। क्योंकि फिलहाल बिहान ऐसी हरकतें कर रहा था जैसे वो कोई लड़की हो। इतना तो शायद मिली भी अपनी शादी का नाम सुनकर नहीं शर्माती होगी जितना फिलहाल विहान शर्मा रहा था।।    तो कौन आने वाला है कल? किस मकसद से ढूंढ रहा है राजवंश परिवार ऐसी लड़की को?   जाने के लिए बने रहिए कहानी में आगे तक मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए  चैप्टर अच्छा लगा तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें और कहानी को रिव्यू करना ना भूले। 

  • 7. Angel and The Beast - Chapter 7

    Words: 948

    Estimated Reading Time: 6 min

      रितु की बात सुनकर जहां बाकी के दोनों मुस्कुरा दिए वहीं विहान मुंह बनाते हुए रितेश के पास आया और उनके गले लगते हुए नाराज़ग  से बोला, "डैड देखिए ना, मॉम हमेशा मेरी शादी की बात करती रहती है,, मुझे नहीं करनी शादी।।"      उसकी इस हरकत में रितेश की आंखें छोटी हो गई पद्मिनी जी और ऋतु दोनों को हसी आ गई। क्योंकि फिलहाल बिहान ऐसी हरकतें कर रहा था जैसे वो कोई लड़की हो। इतना तो शायद मिली भी अपनी शादी का नाम सुनकर नहीं शर्माती होगी जितना फिलहाल विहान शर्मा रहा था।।    तभी रितेश ने उसे खुद से दूर करते हुए डाटते हुए कहा, " जस्ट शट अप, लड़की नहीं हो तुमसे ससुराल जाने के लिए रो रहे हो।"    ये सुनकर विहान का मुंह बन गया और वो चुपचाप जाकर सोफे पर बैठ गया। फिर फिर अगले ही पल थोड़ा। एक्साइटमेंट के साथ रितु से बोला, "वैसे मॉम क्या सच में कल मुझे देखने वाले आ रहे हैं।"    विहान का यह सवाल सुनकर रितेश ने उसे आंखें छोटी करके घुरा वही रितु ने उसके सर पर चपत लगाते हुए कहा, "नहीं कोई देखने वाले नहीं आ रहे हैं तुम्हे। बल्कि कल प्रीषा आ रही है,, हम ऊशी के बारे में बात कर रहे हैं।    प्रीषा का नाम सुनकर विहान का मुंह ऐसा बन गया जैसे उसने अभी-अभी करेला खा लिया हो। फिर उसने मुंह बनाते हुए कहा, "ओह गॉड दादी आपकी सहेली की पोती को क्या आपने बुलाया है। अगर हां तो प्लीज उसे कल ही जल्द से जल्द भेज दिजीएगा। वरना मुझे बता दीजिएगा मैं ऑफिस में ही रहूंगा कल।"     विहान की बात सुनकर रितु मुस्कुरा दी ! वहीं पद्मिनी जी ने उसे घूरते हुए कहा, वो यहां तुम्हारे लिए नहीं आ रही है, उसे रुहान से कुछ जरूरी काम है इसलिए आ रही है। वैसे कहां रह गया वो। क्या उसे अभी भी घर आने का ख्याल नहीं आ रहा। और पर्व वो, वो एक बार घर आ जाए तो दोनों ही खैर नहीं।  दोनों के तो दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं।"    पद्मिनी जी की बात सुनकर विहान ने अंगड़ाई लेते हुए सोफे पर पसरते हुए थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा, "ओह दादी, भाई मेरे साथ एक मीटिंग में गए तो थे। पर आपको तो पता है कि बिना असिस्टेंट के उनसे एक कदम भी नहीं चला जाता, इसीलिए उन्होंने मुझे भगा के उन्हें बुला लिया और अब दोनों साथ में क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रहे होंगे। आप उन दोनों को थोड़ा स्पेस दीजिए।"     विहान अपने ही धुन में बोले जा रहा था बिना ये ध्यान दिए की मेंशन के में डोर पर खड़ा कोई उसे बुरी तरह से घूर रहा था। वही तभी किसी की जोर-जोर से खासने की आवाज आने लगी।    ये आवाज सुनकर सभी का ध्यान दरवाजे की ओर गया जहां पर पर्व को बुरी तरह से खास रहा था। वही रूहान अपनी खा जाने वाली नजरों से विहान को घूर रहा था।।     उसे देखकर विहान झट से अपनी जगह सीधे बैठते हुए चेहरे पर जबरदस्ती की मुस्कान चिपकाए बोला, "ही, ही, ही, भाई मै तो बस दादी को ये बता रहा था कि आप बस आने ही वाले हैं और देखिए तब तक आप आ गए।   विहान की बात पर रूहान ने कोई जवाब नहीं दिया और वो सीधे चल के आया और पद्मिनी जी के पैर छू लिए। और बिना भाव के बोला, " कैसी हैं आप दादी मां"    रूहान के सवाल पर पद्मिनी जी ने थोड़े गुस्से से कहा, "कोई जरूरत नहीं है तुम्हें मेरा हाल-चाल पूछने की। इतने दिन बिना बताए गायब थे, मेरे किसी भी फोन कॉल का जवाब नहीं दिया और अब हाल-चाल पूछ रहे हो।" ये कहते हुए उन्होंने पीछे खड़े पर्व को घूर कर कर देखा।   उन्हें यूं अपनी तरफ देखा देखा पर्व सकपका गया वो जल्दी से आगे जाकर पद्मिनी जी के पैर छूते हुए थोड़ा घबराहट के साथ बोला,  "दादी मां, मैंने बॉस को बताया था अब आप खुद ही उनसे पूछ लीजिए कहते हुए वो झट से रूहान के पीछे हो गया।"   वही रूहान ने एक्सप्रेशन लेस चेहरे के साथ पद्मिनी की से कहा, "दादी मां मैं इंपोर्टेंट मीटिंग के लिए गया था, और आज भी मैं यहां बिजी था इसलिए मैंने फोन नहीं उठाया और ना ही मैं बनारस आ पाया।" आई थिंक इतना जवाब काफी होगा आपके लिए। कहते हुए वो वहां से सीधे अपने रूम की तरफ जाने लगा।   पर तभी उसके कदम रुक गए और उसने एक नजर घूर कर विहान को देखा और अपनी भारी आवाज में बोला, "तुम कल सुबह 6:00 बजे तक ऑफिस पहुंच जाना। और कल की होने वाली मीटिंग का प्रोजेक्ट भी अब तुम ही बनाओगे । अगर कल तुम उस फाइल सहित 6:00 बजे ऑफिस नहीं पहुंचे तो तुम्हारे सारे कार्ड ब्लॉक कर दिए जाएंगे और कार की चाबी भी तुमसे छीन ली जाएगी,, याद रखना।"   रुहान का इतना भारी भरकम आदेश सुनकर बेचारे विहान का मुंह खुला का खुला रह गया फिर अचानक उसने लगभग गिड़गिड़ाते हुए रुहान से कहा, "प्लीज भाई ऐसा मत करिएगा,,  मुझ मासूम पर इतना अत्याचार। कुछ तो रहम करिए वो प्रोजेक्ट तो कम से कम 5 घंटे में बनेगा। आखिर में सोऊंगा कब और ऑफिस कब पहुंचूंगा। प्लीज भाई मुझे थोड़ा और वक्त दे दीजिए, मैं पक्का 9:00 बजे तक ऑफिस पहुंच जाऊंगा।     इस पर रुहान ने थोड़े ऊंची आवाज में कहा, "6:00 बजे, फाइल के साथ! एंड दिस इस माय आर्डर। कहते हुए वो अपने रूम में चला गया।    वही बेचारा विहान अपना सर पकड़ के बैठ गया। फिर अगले ही पल दौड़ते हुए अपने कमरे में चला गया। क्योंकि उसे पता था कि अगर उसने ये काम नहीं किया तो उसका सरफिरा भाई पक्का कल उसे भिखारी बनकर ही मानेगा। guy's चैप्टर पसंद आए तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें।।  

  • 8. Angel and The Beast - Chapter 8

    Words: 890

    Estimated Reading Time: 6 min

    वही पर्व भी अपने रूम की तरफ चला गया। दरअसल पर्व का भी यहां पर कमरा है वो अक्सर यही सबके साथ रहता है। उसकी कोई फैमिली नहीं है इसलिए रुहान ने उसे अपने साथ रखा है। हालांकि उसका अपना घर भी है पर आज देर रात हो जाने की वजह से वह यही सोने वाला था।।     उन लोगों के जाने के बाद माहौल एक बार फिर सीरियस हो गया । रीतू रितेश और पद्ममिनी जी ने कुछ देर तक बातें किया फिर वो लोग भी अपने अपने कमरे में सोने चले गए।।     अगली सुबह,,   मुंबई की एक भीड़ भाड़ वाले इलाके में एक नॉर्मल से घर के अंदर___    एक कमरे की खिड़कियां खुली हुई थी जिसमें से हल्की-हल्की हवाएं आ रही थी। कमरे में लगे पर्दे उन हवाओं से उड़ रहे थे हालांकि कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था। पर फिर भी देखने में सुंदर सा था। वही कमरे में ही एक बिस्तर पर एक लड़की लेटी हुई थी। लड़की ने एक मैली सी नाइट गाउन जैसा ड्रेस पहन रखा था , वही उसके बेहद लंबे काले बाल एक साइड से पुरे तकिए पर बिखरे हुए थे, जो शायद खड़े होने पर उसके घुटनों तक आते। नीली आंखों वाली वो लड़की बेहद गोरी सी थी पर फिलहाल उसके चेहरे पर कोई भाव नजर नहीं आ रहे थे।     वही उसके आंखों के नीचे हल्का काला घेरा था । कद काठी ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रही थी, पर फिर भी देखने में वो यही कोई 20 साल की लग रही थी। बेहद कमजोर सा शरीर था उसका, और  उसके हाथों में जगह-जगह नीले निशान पड़े हुए जैसे न जाने कितनी बार इंजेक्शन लगी हो। फ़िलहाल वो लड़की अपनी बेजान आंखों में एक टक सीलिंग को घूर रही थी ।    वही कमरा से बाहर हाल में एक आदमी एक औरत कुर्सी पर बैठे थे वहीं उनके सामने एक डॉक्टर भी बैठे थे । वहीं उन लोगों के साइड में एक और औरत खड़ी थी।   तभी डॉक्टर के सामने बैठा आदमी ने हल्की उदासी से बोला,  "डॉक्टर साहब आखिर कब तक ऐसा चलेगा! आपके इलाज का उस पर कोई असर नहीं हो रहा है। आखिर वो कब तक इसी तरह बेजान पड़ी रहेगी।    उसके जवाब में डॉक्टर ने बेहद सीरियस से कहा,  "देखिए  शर्मा जी हमने हर तरीके का इलाज आपकी बेटी के ऊपर करके देख लिया और उसका कोई असर नहीं हुआ। अब तो फिलहाल भगवान ही मालिक है। उसका पर फिर भी हम एक और कोशिश करना चाहते हैं पर यकीन के साथ हम नहीं कह सकते कि वो कब तक ठीक होगी।   वही आदमी के बगल बैठी औरत में झुंझलाते हुए कहा, "काश ये मनहूस उस एक्सीडेंट में मर गई होती तो हमें इतना कुछ करना ना पड़ता। इसके इलाज करवाते करवाते हम पूरी तरह से कर्जे में डूब चुके हैं। और ये है कि ठीक होने का नाम नहीं ले रही।*   औरत को किस तरह चिल्लाता देख शर्मा जी ने उसे  चुप करते हुए कहा, धरा ये क्या कर रही हो तुम चुप रहो।"   शर्मा जी की बात सुनकर धरा में दांत पीसते हुए मुठिया कसी और वहां से उठ कर कमरे की तरफ चली गई।    धरा के अंदर जाने के बाद वो आदमी जिसका नाम पृथ्वी शर्मा है उसने गहरी सांस भरते हुए डॉक्टर से कहा,  "डॉक्टर साहब मेरी बीवी सही कह रही है, हम वाकई में उसका इलाज करवाते करवाते थक चुके हैं । और हमें कोई फायदा नजर नहीं आ रहा। तो अब मैं उसके इलाज का खर्चा आगे नहीं उठा पाऊंगा, इसलिए अब आपको आने की जरूरत नहीं है। अब मैंने सब कुछ भगवान के हाथ में छोड़ दिया है।"    पृथ्वी शर्मा की बात पर डॉक्टर अपनी जगह से खड़े होते हुए बोला, "ठीक है शर्मा जी, जैसा आप चाहे। पर कुछ दवाइयां है जो आपको उसे हमेशा देनी होगी अगर आप उसे जिंदा देखना चाहते हैं तो । बाकी अगर कभी आपको मेरी जरूरत हो तो मैं बस एक कॉल की दूरी पर हूं,, कहते हुए डॉक्टर वहां से चला गया।    वहीं पृथ्वी शर्मा लाचारी से सर झुकाते हुए बैठ गए फिर उन्होंने धीमी आवाज में पास खड़ी औरत से कहा,  "शान्ति ताई मुझे माफ कर दीजिए पर अब मैं आपको भी पैसे नहीं दे पाऊंगा तो अब से आपको भी यहां काम करने की जरूरत नहीं है "।।   पृथ्वी शर्मा की बात सुनकर शांति ताई ने उन्हें मना करते हुए कहा,  "अरे भाई साहब ये आप कैसी बातें कर रहे हैं। उसको मैंने बचपन से पाला है! हालांकि उसकी ये हालत पिछले 2 सालों से है। पर मैने तो बचपन से उसका ख्याल रखा है वो मेरी बेटी जैसी है, और आज तो उसे हमारी ज्यादा जरुरत है। उसके लिए आप मुझे यहां आने से नहीं रोक सकते। और रही बात पैसे की तो उसकी जरूरत नहीं है। मैं अपना खर्चा अपनी छोटी सी दुकान से निकाल लेती हूं। तो प्लीज आप मुझे यहां आने से मत रोकियेगा।    धन्यवाद ताई मैं हमेशा आपका शुक्र गुजार रहूंगा, कहते हुए पृथ्वी शर्मा एक छोटी सी मुस्कान लिए अपने कमरे की ओर बढ़ गए।  वही शांति उस लड़की के कमरे की ओर चली गई।     तो कौन है ये लड़की ?   क्या राजवंश खानदान पूरा कर पाएगा अपना मकसद?  सारे सवालों के जवाब जाने के लिए बनी रही है कहानी में आगे तक तब तक के लिए सभी का धन्यवाद चैप्टर अच्छा लगे तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें और कहानी को रिव्यू करना ना भूले।।  

  • 9. Angel and The Beast - Chapter 9

    Words: 1347

    Estimated Reading Time: 9 min

        धन्यवाद ताई मैं हमेशा आपका शुक्र गुजार रहूंगा, कहते हुए पृथ्वी शर्मा एक छोटी सी मुस्कान लिए अपने कमरे की ओर बढ़ गए।  वही शांति उस लड़की के कमरे की ओर चली गई।      वहीं दूसरी तरफ  राजवंश मेंशन    सुबह के करीब 11 बजे।   रूहान, विहान और पर्व तीनों ऑफिस जा चुके थे। वही मिली भी आर्ट गैलरी गई थी, जहां पर वो पेंटिग और स्कल्पचर की ट्रेनिग ले रही थी। मिली को इन्हीं सब चीज़ों में ज्यादा दिलचस्पी थी।।    वहीं रितु अपनी सहेली के घर गई हुई थी। [रूहान: 26 साल,, विहान: 24 साल,, मिली: 23साल,, पर्व :26 साल]       वही मेंशन के बाहर गार्डेन एरिया में पद्मिनी की के साथ रितेश बैठा हुआ था उन दोनों में फिलहाल कुछ सिरियस बातें हो रही थी। कुछ देर बाद,   पद्मिनी जी ने गंभीर आवाज में रितेश से पूछा,, "तुमने उसे टाइम तो बता दिया था ना। आखिर कितने वक्त में आएगा वह ? तुम जानते हो ना बच्चों के आने से पहले मुझे उसे वापस भेजना ही है।     इस पर रितेश ने उन्हें शांत करते हुए, "हा मोम, वह बस आता ही होगा आप जानती हैं कि वहां पर काम में देर नहीं कर सकता।"   ये सुनकर पद्मिनी की सोफे पर रिलैक्स होते हुए बोली, हां ये तो तुम ठीक कह रहे हो। वो चाह कर भी मेरे काम में कोई गलती नहीं कर सकता । कहते हुए उनके चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गई।।    तभी मेंशन की मेंन गेट के बाहर एक ऑटो आकर रुकी उसमें से एक लगभग रितेश के उम्र का ही आदमी बाहर निकाला।। आदमी के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे, उसने काले रंग का कुर्ता पजामा पहन रखा था चेहरे पर बड़ी-बड़ी दाढ़ी और बड़े-बड़े बाल। पैरो में कोल्हापुरी चप्पल पहने वह आदमी ऑटो से उतरा उसने ऑटो वाले को पैसे दिए और खुद मेंशन के अंदर बढ़ गया।   वो आदमी जैसे-जैसे अंदर जा रहा था, उसके चेहरे के भाव अजीब हो रहे थे। वो दूर तक फैले  उस बड़ी सी मेंशन को घूर घूर कर देख रहा था। उसकी आंखों में एक अलग ही तूफान नजर आ रहा था, जैसे वो इस मेंशन को कभी देखना चाहता हो वो एक पल भी यहां रुकना ना चाहता हो। वैसे ही देखते देखते वो आदमी गार्डन एरिया की तरफ पहुंच गया।   तभी उसके कान में एक रौबदार आवाज आई, "इधर-उधर क्या देख रहे हो रतिम बत्रा! आज भी इस महल को महज़ देख सकने कि ही औकात है तुम्हारी। पर अफ़सोस..." कहते हुए इस आवाज की हंसी पूरे गार्डन में गूंज गई।"    वही ये आवाज सुनकर वो आदमी रतीम बत्रा! उसने अपनी मुट्ठियां भेज ली! उसके चेहरे पर एक अलग ही भाव आ गया, उसकी मांथे की नसें उभर आई। पर फिर अगली ही पल उसने अपने आप को कंट्रोल किया और पीछे मुड़कर देखा जहां पर रितेश पैर पर पैर चढ़ाए हस रहा था।     फिर रतिम भी इस और बढ़ गया आगे जाकर उसने पद्मिनी जी के सामने हाथ जोड़कर बिना किसी एक्सप्रेशन की कहा, "प्रणाम अम्मा जी! बताएं किस लिए याद किया है आपने मुझे।"    रतिम की बात पर पद्मिनी जी ने थोड़ा मुंह बनाते हुए कहा, "हां हां, खुश रहो! आओ बैठो!!"    इस पर रतिम जैसे ही पास के सोफे की तरफ बढ़ने को हुआ वैसे ही रितेश ने उसे रोकते कहा, "अरे अरे यहां कहां नौकर की जगह मलिक के बराबर नहीं होती! क्या तुम भूल गए।।  अगर बैठना है, तो जमीन पर बैठो वरना खड़े रहो।"    ये सुनते ही एक बार फिर रतिम ने अपने दांत भींच लिए। फिर उसने अपने दोनों हाथों को पीछे करके उन्हें कसकर पकड़ लिया जैसे वो अपने आप को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा हो।    पद्मिनी जी ने चिढ़न भरी मुस्कुरान के साथ रितेश से कहा, "रितेश बेटा घर आए मेहमानों से ऐसी बात नहीं करते हैं,, कहते हुए वो मुस्कुराहट है।   रतिम चुपचाप खड़ा बस उन दोनों की बातें सुन रहा था फिर उसने अपने उसी लहजे में कहा, "आपकी मेहमान नवाजी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !! अब आप मुझे बताएं की मुझे क्या करना होगा आपके लिए।"    ये सुनकर अब पद्मिनी की भी थोड़ा सीरियस होते हुए बोले, " तुम्हें हमारे लिए एक बहुत जरूरी काम करना है, और वो काम मुझे यकीन है कि तुम ही कर सकोगे! तुम्हारे अलावा ना ही मैं किसी और पर भरोसा कर सकती हूं, और ना ही कोई ये काम कर सकता है।   इस बार रतिम ने सिंपल हां हमेशा हिलाया।    तो पद्मिनी जी ने उसे बेहद सीरियस में कुछ समझाया जिसे रतन बड़े ही ध्यान से सुन रहा था। करीब 25 मिनट बोलने के बाद पद्मिनी की गहरी सांस लेते हुए आगे बोली, "तुम्हें ये काम जल्द से जल्द करना होगा। वरना किसी के हाथ कुछ नहीं आएगा। खासकर तुम्हारे लाडले के लिए तुम्हें ये करना ही होगा।"    अपने लाडले का नाम सुनकर रातिम के चेहरे पर एक नरम भाव आ गया। फिर अगले ही पल उसने सीरियस होते हुए कहा,  "आप जो काम कह रहे हैं वो काम आसान नहीं है। मैं पूरी कोशिश करूंगा जल्दी करने की।  फिर भी आपको मुझे एक हफ्ता का समय देना होगा। "    एक हफ्ते का समय सुनकर पद्मिनी जी ने तुरंत मना करते हुए कहा,  "हरगिज़ नहीं !!  इतना वक्त नहीं हमारे पास। अगले चार दिन में तुम ये काम खत्म करोगे। क्योंकि मामला अब बहुत गंभीर होता जा रहा है, हमारे पास वक्त बहुत कम है । तुम जल्द से जल्द ही काम खत्म करो।     इस पर रतिम ने कुछ सोचकर हां में सर हिला दिया।  फिर माहौल में कुछ पल शांति हो गई ।     तभी इस शांति को भंग करते हुए रितेश ने कहा , "अब खड़े क्या हो, जाओ और जल्दी से कम पर लगो। और जल्द से जल्द पॉजिटिव न्यूज ले आना।"      ये सुनकर रतिम एक पल रुका फिर उसने धीरे से पद्मिनी से कहा, "अम्मा जी क्या वो घर पर ही है!!  अगर है तो आप एक बार मुझे उससे मिलने दीजिए।"   इस पर पद्मिनी जी ने तुरंत मना करते हुए कहा, "नहीं नहीं वो घर पर नहीं है। वो तो कब का ऑफिस चला गया।    ये सुनकर रतिम उदास हो गया और अगले ही पल वहां से बाहर निकल गया।।    उसके जाने के बाद रितेश ने पद्मिनी जी से पूछा, "मोम आपको क्या लगता है, कि वो इतनी जल्दी ये काम कर लेगा। क्युकी एक हफ्ते का वक्त भी कम पड़ेगा ऐसे काम के लिए। आपको इतना यकीन है कि वो ये काम इतनी जल्दी कर पाएगा।    इस पर पद्मिनी जी ने दरवाजे की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए कहा,  "तुम नहीं जानते हो, पर वो रुहान के लिए कुछ भी कर सकता है। और जितना वक्त में मैं कहूं उतने वक्त में।। "    दूसरी तरफ राजवंश इंडस्ट्री   रूहान इस वक्त अपनी केबिन में अपने सीईओ की चेयर पर बैठा बेहद सीरियस में लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था।    वो अभी-अभी थोड़ी देर पहले ही मीटिंग से वापस आया था फिलहाल उसने अपना कोट उतारकर चेयर में लगाया था। वही उसके शर्ट की स्लीव मुड़ी हुई थी और ऊपर के दो बटन खुले हुए थे। वहीं बाल हल्के बिखरे हुए थे और बाकी के बालों को हमेशा की तरह उसने पोनीटेल बना रखा था।   इस वक्त वो देखने में बेहद ही अट्रैक्टिव और हॉट नजर आ रहा था। रूहान अपने काम में लगा ही था कि तभी उसकी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। उसने बिना ऊपर देखें अपनी भारी आवाज में सिर्फ दो शब्द कहा , "कम इन" और अगले ही पल केबिन में एक लड़की इंटर करती है।    लड़की ने बेहद शॉर्ट स्कर्ट और उसके ऊपर सफेद रंग की स्लीवलेस टॉप पहन रखी थी जिसका बटन उसके क्लिवलेज तक खुला हुआ था। चेहरे पर डार्क मेकअप, बालों को खुले हुए, पैरों में हाई हील की सैंडल पहने! हाथ में एक फाइल लिए हुए वो बड़ी ही अदा से मुस्कुराते चलकर रूहान के करीब आई।।     तो कौन सा काम दिया है पद्मिनी जी ने रतीम को।   और कौन है ये रतीम और क्यों कर रहा है वो रुहान के लिए यह सब कुछ।    कहानी को जानने के लिए बने रहे कहानी में आगे तक। तब तक के लिए चैप्टर अच्छा लगा हो तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें और कहानी को रिव्यू करना ना भूले। 

  • 10. Angel and The Beast - Chapter 10

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजवंश इंडस्ट्री   रूहान इस वक्त अपनी केबिन में अपने सीईओ की चेयर पर बैठा बेहद सीरियस में लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था।    वो अभी-अभी थोड़ी देर पहले ही मीटिंग से वापस आया था फिलहाल उसने अपना कोट उतारकर चेयर में लगाया था। वही उसके व्हाइट शर्ट की स्लीव मुड़ी हुई थी और ऊपर के दो बटन खुले हुए थे। वहीं बाल हल्के बिखरे हुए थे और बाकी के बालों को हमेशा की तरह उसने पोनीटेल बना रखा था।   इस वक्त वो देखने में बेहद ही अट्रैक्टिव और हॉट नजर आ रहा था। रूहान अपने काम में लगा ही था कि तभी उसकी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। उसने बिना ऊपर देखें अपनी भारी आवाज में सिर्फ दो शब्द कहा , "कम इन" और अगले ही पल केबिन में एक लड़की इंटर करती है।    लड़की ने रेड कलर की नी लेंथ शॉर्ट स्कर्ट और उसके ऊपर सफेद रंग की स्लीवलेस टॉप पहन रखी थी। जिसका बटन उसके क्लिवलेज तक खुला हुआ था। चेहरे पर डार्क मेकअप, बालों को खुले हुए, पैरों में पेंसिल हील की पहने! हाथ में एक फाइल लिए हुए वो बड़ी ही अदा से मुस्कुराते चलकर रूहान के करीब आई।।     और उसकी और फाइल बढ़ाते हुए कुछ ज्यादा ही प्यार से बोलिए, "सर ये फाइल रेडी हो गई, आप चेक कर लीजिए, इसे आप ही मेहता एंड मेहता कंपनी में भिजवानी है।"    रूहान ने उसके बात को इग्नोर करते हुए फाइल ले लिया। उसकी नजर अब भी लैपटॉप में घड़ी हुई थी, फिर उसने एक नजर फाइल को देखा, वही वो लड़की आकर रूहान के बगल खड़ी हो गई। रूहान काफी बारीकी से उस फाइल को चेक करने लगा और उससे पूछ भी रहा था। उसका पूरा ध्यान फिलहाल फाइल को चेक करने में था वही वो लड़की फाइल की चीजों को डिस्कस करने के बहाने बार बार टेबल पर झुक कर फाइल की डिटेल्स दे रही थी।।  वही रुहान की नजरे फाइल में थी पर लड़की की नजर रूहान पर थी, वो बार बार रूहान के करीब होने की कोशिश कर रही थी। कभी अपने बालों को एक साइड करती तो कभी रूहान के हाथ के पास अपना हाथ में फाइल में प्वाइंट आउट करने के लिए।।    रुहान इन सब पर ध्यान नहीं दे रहा था। जिससे लड़की का मुंह बन कटा है। थोड़ी ही देर बाद फाइल चेक करने के बाद रूहान ने  बिना देखे बॉसी टोन में बोला,  "गुड,, योर वर्क इस वेरी सेटिस्फाइंग।  भिजवा दो इसे"    तभी लड़की ने रूहान के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए धीरे-धीरे उसे रूहान की खुली हुई ब्राड चेस्ट तक ले जाते हुए बेहद सेडक्टिव टोन में बोली,  "आप मौका तो दीजिए सर मैं आपको और भी तरीके से सेटिस्फाई कर सकती हूं। "   वही उसकी इस हरकत से रूहान का चेहरा पूरी तरीके से डार्क हो गया। और अगले ही पल उसने अपने हाथ में पकड़ी शार्प पेंसिल को सीधे अपने चेस्ट पर रहे उस लड़की के हाथ में घुसा दिया। और इसी के साथ उसे लड़की की एक दर्द भरी आवाज पूरे केबिन में गूंज गई, वही खून का एक तेज धार लड़की के हाथों से बह निकला जिससे रुहान की सफेद शर्ट पूरी लाल हो गई। वही लड़की जोर-जोर से चिल्लाते हुए अपना हाथ की झटकने लगी जिससे उसका खून खुद उसकी शर्ट के साथ पूरे फर्श पर फैलने लगा।"    हालांकि पेंसिल अभी भी उसके हाथ में धसी हुई थी। तभी रूहान ने अपनी जगह से खड़े होते हुए उसके हाथ से पेंसिल को बेरहमी से खींच लिया। जिस लड़की दोबारा जोर से चिल्लाई,, रूहान को अपने सामने देखकर वो थरथर कांपने लगी, फिर उसने हकलाती हुई आवाज में कहा, "आई एम सॉरी सर!  मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई,,  मुझे माफ कर दीजिए। आज के बाद ऐसी गलती दोबारा कभी नहीं होगी"   अभी वो आगे कुछ बोल पाती कि तभी रूहान ने अपनी गरजती हुई आवाज में कहा, "हाउ डेयर यू, तुम्हारी इतनी औकात की है की तुम रूहान राजवंश को स्टेस्फाई कर सको। कहते हुए वो धीरे-धीरे अपने कदम उसे लड़की की ओर बढ़ने लगा।"    वही लड़की हकलाते हुए लगातार पीछे जाते हुए बोली, "न न न नहीं, सर। मु मू मुझे माफ कर दीजिए, मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई कहते हुए उसने अपने खून भरी हाथों को जोड़ लिया।    पर रूहान के चेहरे पर इस वक्त कोई इंसानियत नजर नहीं आ रही थी, हो इस वक्त मौत का देवता लग रहा था। वही वो उस खून भरी पेंसिल को अपनी उंगलियों में घूमाते हुए आगे और भी शैतानी आवाज में बोला, "अरे ये क्या, तुमने तो शुरू होने से पहले ही हार मान लिया। मैं भी चाहता हूं कि तुम मुझे सेटिस्फाई करो ,, पर पहले जान तो लो कि मेरा इंटरेस्ट किस्मे है। ये कहते हुए उसने साइड में रखे फ्रूट बास्केट से नाइफ उठा लिया।"   ये देखकर लड़की और भी ज्यादा डर गई। उसे लग रहा था कि बस अब उसकी मौत निश्चित है।   वहीं रूहान ने नाइस को उठाया उसे एक बार उछाला, कैच किया, और अगले ही पल जोर से लड़की के ऊपर वार किया। जिससे लड़की बुरी तरह चीख उठी और उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली।     पर अगले ही पल पूरे केबिन में रुहान की शैतानी हंसी गुज गई। ये सुनकर लड़की ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली तो वही रूहान चाकू से फिलहाल एप्पल काट रहा था।   वही उस लड़की की आवाज इतनी तेज थी, कि दूसरे केबिन में बैठे विहान और पर्व दोनों ने उसकी आवाज सुनी तो दोनों ने आश्चर्य से एक दूसरे को देखा। फिर अगले ही पल दौड़ते हुए रूहान की केबिन में आ गए।   केवीन में पहुंचते ही दोनों की आंखें हैरानी से फैल गई।  क्योंकि केबिन की फर्श पर पूरा खून ही खून फैला हुआ था वहीं उन दोनों की नजर सामने टेबल पर बैठे रुहान पर गई जो की आराम से सेब खा रहा था। उसकी शर्त पूरी खून से लथपथ थी। जो देख रुहान और पर्व दोनों ही शॉक्ड हो गए,     तभी उनके कान में किसी लड़की के सिरकने की आवाज आई और उन्होंने केबिन के एक कोने में देखा जहां पर वही लड़की दीवाल के सहारे जमीन पर बैठी घुटनों के बल रो रही थी। उसके हाथ से लगातार खून बहे जा रहा था, पर रुहान को इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो मजे से सेब खाएं जा रहा था।   केबिन की हालत और रूहान की शैतानियत को भलीभांति जानते हुए पर्व ने एक ही बार में सारा मामला समझ लिया। क्योंकि ये कोई पहली लड़की नहीं थी जिसे रुहान पर डोरे डालने की कोशिश की हो और रूहान ने उसे सबक सिखाया।    Thanks all keep supporting and give your precious review on this novel.

  • 11. Angel and The Beast - Chapter 11

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

      केवीन में पहुंचते ही दोनों की आंखें हैरानी से फैल गई।  क्योंकि केबिन की फर्श पर पूरा खून ही खून फैला हुआ था वहीं उन दोनों की नजर सामने टेबल पर बैठे रुहान पर गई जो की आराम से सेब खा रहा था। उसकी शर्त पूरी खून से लथपथ थी। जो देख रुहान और पर्व दोनों ही शॉक्ड हो गए,       तभी उनके कान में किसी लड़की के सिरकने की आवाज आई और उन्होंने केबिन के एक कोने में देखा जहां पर वही लड़की दीवाल के सहारे जमीन पर बैठी घुटनों के बल रो रही थी। उसके हाथ से लगातार खून बहे जा रहा था, पर रुहान को इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो मजे से सेब खाएं जा रहा था।     केबिन की हालत और रूहान की शैतानियत को भलीभांति जानते हुए पर्व ने एक ही बार में सारा मामला समझ लिया। क्योंकि ये कोई पहली लड़की नहीं थी जिसे रुहान पर डोरे डालने की कोशिश की हो और रूहान ने उसे सबक सिखाया।     पर विहान को कुछ समझ नहीं आया। उसने जल्दी से आगे बढ़कर घबराते हुए रूहान से पूछा, "भाई आप ठीक तो है और ये खून, ये खून कैसे लगा ? और ये लड़की कौन है।"    विहान के सवाल पर रुहान ने पर्व को घूरते हुए कहा ये बात तो ये मुझे बताएगा। फिर उसने दांत पीसकर पर्व से पूछा, "टेल मी हु द हेल इस शी? और इसे जॉब पर किसने रखा।" ये सवाल उसने जोर से चिल्ला कर पूछा जिससे पर्व के साथ-साथ बिहान और वो लड़की तीनों चौंक गए। और साथ ही साथ डर गए। क्योंकि रूहान की आंखें एक बार फिर अंगारें बरसा रही थी।   वहीं पर्व ने हकलाते हुए जवाब दिया, "बॉस आप ही ने कहा था एक नए असिस्टेंट के लिए , जो ऑफिस में हमारी हेल्प करें । इसीलिए मुझे इसका काम अच्छा लगा तो मैंने इसे एक प्रोजेक्ट दिया था अगर वो उसमें अच्छा कर लेती तो इसे ये जॉब मिल जाती । पर मुझे समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इसमें ऐसा क्या कर दिया, जो इसकी हालत ऐसी हो गई।    पर्व की बात सुनकर रूहान ने एक बार फिर गुस्से से कहा, "मैंने तुम्हें हजार बार मना किया है कि मेरे किसी काम के लिए तुम किसी भी लड़की को हायर नहीं करोगे। फिर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की। और क्या काम तुम्हें इसका अच्छा लगा, क्या इसने तुम्हें भी सेटिस्फाई किया था, हूं।" ये आखिर की बात रूहान ने दांत पीसते हुए कहा।    वही उसकी आखिरी बात सुनकर पर्व और विहान दोनों सकपका गए, तभी उन्हें कुछ गिरने की आवाज आई और दोनों ने एक साथ गर्दन टेढ़ी करके उस लड़की की ओर देखा जो अब लगभग बेहोश हो चुकी थी। क्योंकि उसका बहुत सारा खून बह गया था। पर इसे रुहान को कोई फर्क नहीं पड़ा।    तभी पर्व ने माफी मांगते हुए कहा,  "आई एम सॉरी बॉस आगे से ऐसा नहीं होगा। पर फिलहाल हमें इस लड़की को हॉस्पिटल ले जाना चाहिए, इसकी हालत बहुत खराब हो चुकी है।     इस पर रोहन ने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा,  "अस्पताल में ले जाओ या भाड़ में!! लेकिन आज के बाद ये लड़की मुझे इस ऑफिस में कहीं नहीं देखनी चाहिए! और जल्द से जल्द ये सारा मेस क्लीन करवाओ, नाउ गेट लॉस्ट।"     इसी के साथ पर्व ने कुछ गार्डों को बुलाया और उनकी हेल्प से लड़की को अस्पताल भिजवा दिया, और खुद और बिहान तुरंत केविन से निकल गए।   वही उनके जाने के बाद रुहान ने गहरी सांस भारी और केविन से अटैच अपने पर्सनल रूम में चला गया। अंदर जा कर उसने लगभग अपना शर्ट फाड़ते हुए उसे पास की डस्टबिन में डाल दिया और खुद बाथरूम की ओर बढ़ गया।   बाथरूम में जाकर उसमें सावर ऑन किया और आंखें बंद करके साबर वाल से हाथ टिक कर खड़ा हो गया।। पानी धीरे-धीरे उसके शरीर पर फिसल रहा था। इस वक्त रूहान खुद को जलता हुआ महसूस कर रहा था।   लगभग 1 घंटे शॉवर लेने के बाद वो रेडी होकर वापस अपने केबिन में आया। अबकी उसने ब्लैक कलर की शर्ट और व्हाइट पैंट पहन रखी थी। और खुद को जैसे ऑफिस के लिए रेडी करता है वैसे ही रेडी हो चुका था।    केविन में आते हैं उसने देखा तो केबिन पूरी तरीके से साफ हो चुका था, एकदम फ्रेश। फिर वह जाकर अपनी सीईओ चेयर पर बैठता है। तभी केविन का दरवाजा खुला और उसकी खास आदमी  भीमा अंदर आया। हमेशा की तरह उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।    उसने आते ही सीधे रुहान से कहा, "बॉस, आपका शक सही था!  उन्हें आज फिर मेंशन बुलाया गया था। शायद बड़ी मालकिन ने किसी काम से बुलाया था।"   हूं, पर उनका आना ? जरूर कोई खास बात है, तुम् एक करो नजर रखो उन पर! क्योंकि मुझे किसी पर कोई भरोसा नहीं, ये बात रूहान ने काफी सीरियस वे में कहीं।"   जिस पर भीम ने हमें सर हिलाया और कुछ और भी जरूरी इनफॉरमेशन देकर वो वहां से निकल गया।    दुसरी तरफ   Sunshine Art gallery   मिली इस वक्त मिट्टी की एक मूर्ति बनाने में बिजी थी। हालांकि उसने अभी तो कुछ बनाया नहीं था बस वो पूरी मिट्टी को इधर-उधर फैला के उनसे खेल रही थी, वह इस वक्त किसी बच्ची की तरह लग रही थी। आज उसने ऑलिव कलर की dungaree with white स्लीव लेस टॉप पहन रखा था। वही अपने पूरे बालों का एक मेस्सी सा बन बना रखा था। चेहरे पर कोई मेकअप नहीं बस हल्का सा लिप ग्लॉस उतने में ही वो बहुत ही ज्यादा प्यारी नजर आ रहे थे बिल्कुल एक छोटी सी बच्ची की तरह।   अभी वह अपनी मस्ती में अपना काम कर ही रही थी की तभी अचानक से उसके पीछे से किसी ने उसे पकड़ते हुए धीरे-धीरे उसकी हाथों पर अपने हाथ मिलाकर मिट्टी इकट्ठा करते हुए अपना चेहरा मिली के कान के बेहद पास ले जाकर अपनी गहरी आवाज में बोला, "लिटिल बनी, कितनी बार मना किया है, इस तरह से बिहेव मत किया करो। तुम जानती हो ना, मैं कितनी मुस्कील से खुद को रोक पाता हुं।"    वही आवाज सुनकर मिली अचानक से घबरा गई और अगले ही पल उसने नर्वसनेस के साथ कहा, "स, सर ये आप क्या कर रहे है, छोड़िए मुझे। कोई देखे गा तो क्या सोचेगा।"   इस पर पीछे खड़े आदमी ने उसकी दोनों हाथों पर अपनी दोनों हाथों की पकड़ मजबूती से बनाते हुए एक जुनूनी आवाज़ में कहा, "I am your boss and this is my duty, कि मैं तुम्हें हर काम अच्छे से सीखाऊ। यहां किसी का कोई हक नहीं मुझे रोकने का।"    Thanks to all keep supporting and give your precious review on this novel.

  • 12. Angel and The Beast - Chapter 12

    Words: 1748

    Estimated Reading Time: 11 min

    "   मिली के कान के बेहद पास ले जाकर अपनी गहरी आवाज में बोला, "लिटिल बनी, कितनी बार मना किया है, इस तरह से बिहेव मत किया करो। तुम जानती हो ना, मैं कितनी मुस्कील से खुद को रोक पाता हुं। "    वही  किसी को इस तरह से खुद को पकड़ता महसूस मिली अचानक से घबरा गई पर अगले ही पल उसने आवाज को सुना तो थोड़ी रिलेक्स हुई। फिर धीरे से नर्वसनेस के साथ कहा, "स, सर ये आप क्या कर रहे है, छोड़िए मुझे। कोई इस तरह से देखे गा तो क्या सोचेगा।"   इस पर पीछे खड़े आदमी ने उसकी दोनों हाथों पर अपनी दोनों हाथों की पकड़ मजबूती से बनाते हुए अपनी पूरी बॉडी को मिली पे प्रेस करते हुए एक जुनूनी आवाज़ में कहा, "I am your trainer and this is my duty, कि मैं तुम्हें हर काम अच्छे से सीखाऊ। यहां किसी का कोई हक नहीं मुझे रोकने का।"      ये सुनकर मिली और ज्यादा घबरा गई। उसने कसमसाते हुए अपना हाथ छुड़ाकर उसी तरह धीमी आवाज में कहा, " तो क्या आप बाकी लोगों को भी ऐसी सीखाते हैं।"    इस पर लड़की ने तिरछा मुस्कुराते हुए उसे अपनी और घूमाया और उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फसाकर बोला,  "हर कोई इतना लकी नहीं होता जान! जिसे स्वर शेखावत से कुछ भी सीखने का मौका मिले।" ओनली यू आर स्पेशल फॉर मि, जिसे मैं खुद सारे काम अच्छे से सिखाऊंगा।" ये कहते हुए स्वर ने धीरे-धीरे अपने मिट्टी से सने हाथों को मिली के हाथ पर घुमाने लगा।"     वही मिली को उसकी हरकतें बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी , उसने स्वर को खुद से दूर करके कहा, "देखिए सर यहां पर और भी लोग है आए सिखाने के लिए, और मैं सभी से कुछ ना कुछ सीखना चाहती हूं! इसीलिए मैंने इस वर्कशॉप में पार्टिसिपेट किया है। तो प्लीज आप फिलहाल किसी और को जाकर हेल्प करिए।" कहते हुए मिली दूसरी तरफ चली गई। "    वही उसके जाते ही स्वर का चेहरा डार्क हो गया उसने अपनी मुट्ठियां कस ली और खुद से ही गुस्से से बोला, "little Bunny, मैं तो यहां तुम्हारे लिए आया हूं तो तुम किसी और के पास कैसे जा सकती हो। दिस इस नॉट फेयर। मुझे लगा था कि मैं सिक्रेटली ये वर्कशॉप ऑर्गेनाइज्ड करवाऊंगा और, मुझे तुम्हारे करीब आने का मौका मिलेगा। पर शायद तुम वो चाहती हो जो मैं नहीं करना चाहता ।"    ये कहते हुए स्वर ने अपना फोन निकाला और किसी को फोन मिला दिया और कुछ इंस्ट्रक्शंस दे दिए ।उसके बाद उसने फोन काट दिया ,, और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गई ।    दुसरी ओर   शर्मा निवास     इस वक्त घर के अन्दर एक कमरे में धरा के चिल्लाने की आवाज आ रही थी।     फ़िलहाल वो बेड पर अचेत लेटी अपनी बेटी के लंबे बालों को झाड़ने की कोशिश कर रही थी पर उनसे वो हो नहीं पा रहा था। इसी पर उन्होंने झुंझलाते हुए कहा, "पता नहीं क्या मनहुसियत हैं ये! मुझसे नहीं सुलझते ये बाल, मेरा बस चले तो काट के रख दो इन्हें। पर उस शान्ति ताई ने ही मना कर रखा है।" यही सब बड़बड़ाते हुए, खींचते हुए वो लड़की के बालों को झाड़ रही थी। जिस लड़की को बेहद दर्द हो रहा था। ये बात उसकी आंखों में आए आसूं साफ बयां कर रहे थे पर अफसोस वो कुछ नहीं कर सकती।   पर सभी कमरे में शांति जी जल्दी-जल्दी आई और उन्होंने धरा के हाथ से कॉम्ब को लेते हुए कहा, "आप आप रहने दीजिए, मैडम। इशू के बाल मैं ठीक कर देती हुं।" आप जाइए भाई साहब आप को बुला रहे है।   वहीं उन्हें आया देखकर धरा ने अपनी जगह से खड़े होते हुए मुंह बना कर कहा, "हां हां ताई तुम्ही करो ये, मुझसे तो नहीं होता। मैं तो कहती हूं इसके बालों को काट ही देना चाहिए नहीं इतने लंबे रहेंगे ना मुझे इतनी दिक्कत होगी। हूह्,, कहते हुए वो कमरे से चली गई।    उनके जाने के बाद शांति जी ने प्यार से लड़की की ओर देखा तो लड़की के आंखों में रहे आंसू बह निकले। जो देख शान्ति जी जल्दी से उसके बगल बैठ गई और उसके आंसुओं को साफ करते हुए,, सर को सहलाते हुए थोडी उदासी से कहा, "इशू बेटा! मुझे माफ कर दो। मुझे आने में थोड़ी सी देर हो गई । मुझे पता है तुम्हारी मां ने गुस्से में तुम्हारे बालों को खींचा था। पर जाने दो बेटी, बहुत जल्दी सब ठीक हो जाएगा। तुम फिर से अपने सारे काम खुद से कर पाओगी। "  फिर उन्होंने साइड में रखे हेयर ऑयल को उठाया और ईशु के बालों में तेल लगाते हुए प्यार से बोली, " पर तब तक तुम अपने इन बालों की फिक्र मत करना! मैं इनका बहुत अच्छे से ख्याल रखूंगी और इन्हें कभी कटने नहीं दूंगी। क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हें बचपन से ही अपने लंबे बाल बेहद पसंद है। तो जब तुम ठीक हो जाओगी तो तुम्हें तुम्हारे लंबे बाल ही मिलेंगे। ये मेरा वादा है।" इस बार लड़की के चेहरे के दर्द भरे भाव मिट गए। बस!! वो इससे ज्यादा कोई एक्सप्रेशन नहीं दे पाई।      वही शांति ताई को उसे देखकर बहुत बुरा लग रहा था। पर फिर भी उन्होंने जाहिर नहीं होने दिया, और वो इस तरह उससे बातें कर रही थी, उसे कुछ-कुछ इधर-उधर की बातें बता रही थी। जिससे इशू को अच्छा लग सके। वही थोड़ी देर में सर की मालिश करते-करते इशू सो गई। उसके बाद शांति ताई ने उसके लंबे बालों की लंबी सी चोटियां बना दी।    फिर झुक कर उसके फोरहेड पर किस किया और उसके चेहरे को सहलाते हुए दुखी मन से बोली, "क्या भगवान को इस मासूम पर दया नहीं आती। न जाने किस गलती की सजा दे रहे हैं वो इसे। हे भगवान, अब बहुत हो गया। अब आप इसे जल्द से जल्द ठीक कर दीजिए मुझे इसकी तकलीफ देखी नहीं जाती। कहते हुए उनके आंखों से पानी बह गया। और वो उठकर वहां से चली गई।"     अब तक शाम हो चुकी थी   राजवंश मेंशन    हाल के अंदर फिलहाल पद्मिनी की ऋतु और उनके साथ एक लड़की और बैठी हुई थी। लड़की की उम्र यही कोई 24 साल की रही होगी, वह देखने में किसी मॉडल की तरह लग रही थी । इस वक्त उसने एक डैमेज जींस और ऊपर ट्यूब टॉप पहन रखा था। बालों का हाई पोनीटेल किया हुआ था, चेहरे पर हल्का सा मेकअप जिसमें वो सुंदर दिख रही थी।   फिलहाल तीनों हंस हंस के बातें कर रही । तभी रितु ने प्यार से कहा, "प्रिशा बेटा कब तक रुकने वाली हो इस बार।"   इस पर प्रिशा ने मुस्कुराते हुए कहा, "इस बार ज्यादा रुकने का सोच रही हूं, काफी वक्त बाद आई हूं ना तो सोच रही हूं कि थोड़ा मुंबई घूम के तब वापस जाऊं।"   ओह, तो होटल बगैरा देख लिया है तुमने। रेतू ने अपना कॉफी पीते हुए नॉर्मली पूछा।   लेकिन उसका सवाल सुनकर प्रीसा के चेहरे के भाव बदल गए, उसने अजीब नज़रों से ऋतु को देखा। जो पद्मिनी जी ने नोटिस कर लिया, तभी उन्होंने रितु को हल्के डांटते हुए कहा, बहु ये तुम कैसी बातें कर रही हो तृषा होटल में क्यों रहेगी। वो यहां इसी घर में रहेगी, ये भी तो उसका ही घर है। कहते हुए उन्होंने घूर कर रीतू को देखा।    वही पद्मिनी जी की बात सुनकर प्रिसा ने तुरंत अपने चेहरे के भाव नॉर्मल कर लिए और उसने मना करते हुए कहा, "नहीं नहीं दादी मां ,, आंटी जी सही कह रही है । मैं अपने लिए होटल ही देख रही हूं।     वहीं ऋतु समझ गई कि पद्मिनी जी और प्रिसा दोनो को उसकी बात अच्छी नहीं लगी। फिर उसने चहरे पर जबर्दस्ती का मुस्कान लाते हुए प्रिशा से कहा, "अरे बेटा, मैं तो ये कह रही थी कि अगर तुम अपने लिए होटल देख रही हो तो मत देखो रह सकती हो। देखो मना मत करना वरना मुझे लगेगा कि तुमने मेरी बातों का बुरा मान लिया।    इस पर ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं नहीं आंटी, अब आप और दादी मां कितने प्यार से कह रही है तो मैं यहीं पर रुक जाऊंगी।     फिर तीनों यूं ही बात कर ही रही थी । कि तभी मेंशन के इंट्रेंस पर दस्तक हुए, और पर्व और विहान आपस मे बात करते हुए अंदर आए। तभी दोनों की नजर अचानक से एक साथ सामने बैठे प्रिशा पर पड़ी जो देख दोनों का ही मुंह बन गया। वहीं उन दोनों को देखकर प्रिशा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वो अपनी जगह से खड़े होते हुए आगे बढ़ी और सबसे पहले विहान से गले लगते हुए बोली, "हेलो विहू बेबी, कैसे हो तुम ?"   ये कहकर वो जैसे ही बिहान को हग करने को हुई, वैसे ही विहान ने मुंह बनाते हुए दो कदम पीछे लेकर कहा, "फर्स्ट ऑफ ऑल, मैं तुम्हारे ही आगे का हूं तो तुम मुझे बेबी बुलाना बंद करो, और दूसरी बात कि मेरा नाम विहु नहीं विहान है।"    ये सुनकर प्रिशा चीड़ गई, और बोली, "हुह्ह, तुमसे अच्छा तो ये है कम से कम मुंह से अच्छी बात तो निकलता है,,  है ना पू,, कहते हुए प्रिशा पर्व की ओर बड़ी, लेकिन पर्व ने भी रिस्पेक्टफुली उसे रोकते हुए बोला, "पर्व, मेरा पूरा नाम" प्लीज ये पहले से ही बहुत छोटा है, तो आप इसे और छोटा मत करिए, वरना ये कुछ और ही साउंड करने लगेगा।  (Guys, poo means ye "💩" bhi hota hai 🤣, इसलिए पर्व को ये पसंद नहीं आया।)    वही प्रिशा उन दोनों की बात सुनकर बुरी तरह से चीढ़ गई। और बोली तुम दोनों हमेशा गवार के गवार ही रहोगे। तुम दोनों को तो शॉर्ट फॉर्म का पता ही नहीं है,,  बकवास।।"    तभी उसकी नजर पीछे आ रहे रुहान पर गई जो इस वक्त एक्सप्रेशन लेस चेहरे के साथ सीधे चला आ रहा था। वही उसे देखकर परेशान के चेहरे पर एक चमक आ गई और उसने उन दोनों से कहा तुम दोनों से तो अच्छा मेरा रोहू है।।    हेलो रोहू बेबी, देखो मैं आ गई। ये कहते हुए वो मुस्कुरा कर सीधे रुहान के गले जा लगी वो भी विदाउट एनी हेजिटेशन।।    तो क्या होगा रुहान का रिएक्शन ?   और क्या करने वाला है स्वर शेखावत मिला के साथ?   और कब ठीक होगी इशू,, ठीक होगी या भगवान का कुछ और ही इरादा है।।    इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए बने रहिए कहानी में आगे तक। आई होप आज का चैप्टर आप लोगों को अच्छा लगे । तो अगर चैप्टर अच्छा लगे तो उसे लाइक, कमेंट ,शेयर जरूर करें ।और कहानी को रिव्यू करना ना भूले। मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए सभी का धन्यवाद।!!

  • 13. Angel and The Beast - Chapter 13

    Words: 1522

    Estimated Reading Time: 10 min

    वही प्रिशा उन दोनों की बात सुनकर बुरी तरह से चीढ़ गई। और बोली, "तुम दोनों हमेशा गवार के गवार ही रहोगे। तुम दोनों को तो शॉर्ट फॉर्म का पता ही नहीं है,,  बकवास।।"      तभी उसकी नजर पीछे आ रहे रुहान पर गई जो इस वक्त एक्सप्रेशन लेस चेहरे के साथ सीधे चला आ रहा था। वही उसे देखकर प्रिशा के चेहरे पर एक चमक आ गई और उसने उन दोनों से कहा, "तुम दोनों से तो अच्छा मेरा रोहू है।।      हेलो रोहू बेबी, देखो मैं आ गई। ये कहते हुए वो मुस्कुरा कर सीधे रुहान के गले जा लगी वो भी विदाउट एनी हेजिटेशन।।    वही उसकी ये हरकत देखकर विहान और पर्व दोनों शौक हो गए। वही आश्चर्य तो पीछे बैठी पद्मिनी की और रितु को भी हुआ। फिलहाल सभी के सभी रूहान के रिएक्शन का वेट कर रहे थे। तभी बिहान ने हल्के एक्साइटमेंट से धीरे से पर्व के कान में कहा, आप देखना, भाई कैसे इस करेली को सबक सिखाएंगे, बड़ी आई शॉर्ट फॉर्म वाली! ,, हुह ।।" कहते हुए  ने मुंह बना लिया।    लेकिन ये क्या ??   अगले ही पल सब और ज्यादा शौक हो गए । क्योंकि रूहान ने उसे कुछ नहीं कहा। उसने बस धीरे से प्रीषा को खुद से अलग किया और इमोशनलेस फेस के साथ बोला, "थोड़ी देर में स्टडी रूम में आओ, हम प्रोजेक्ट डिस्कस कर लेते हैं" कहते हुए वो सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ गया।    वही उसके पीछे सब हैरानी से उसे देखते रह गए। हालांकि प्रीषा थोड़े एक्स्ट्रा की उम्मीद कर रही थी, कि शायद रोहन उसे हग बैक करेगा या उसका हाल-चाल पूछेगा। पर रुहान ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे प्रीषा का मुंह बन गय।"   पर वो चेहरे पर बनावटी मुस्कुराहट लिए पीछे मुड़ी और विहान और पर्व से बोली , "देख लिया ना तुम दोनों ने, "   इस पर विहान ने इरिटेटिंग फेस बनाते हुए कहा,  "हां देख लिया कैसे भाई ने तुम्हें इग्नोर करके काम को ज्यादा इंपोर्टेंस दिया। कहते हुए विहान भी अपने कमरे की ओर चला गया वही । तभी प्रीसा और चीड़ गई और उसे घूर कर देखने लगी। वहीं पर्व भी धीरे से वहां से निकल गया।"        थोड़ी देर बाद   रूहान फ्रेश होकर स्टडी रूम में आया। इस वक्त वो ब्लैक कलर के नॉर्मल लोअर t-shirt में था पर फिर भी बहुत ही ज्यादा हैंडसम नजर आ रहा था । उसने अभी-अभी शावर लिया था जिससे उसके बाल हल्के गीले थे जिसे उसने खोल रखा था। वो पूरे गर्दन और चेहरे पर आ रहे थे। हाथों में टैपटॉप लेकर जैसे ही स्टडी रूम में आया उसकी आंखें छोटी हो गई उसने सामने देखा तो प्रिशा फिलहाल उसकी पर्सनल चेयर पर बैठी लैपटॉप में कुछ कर रही थी।   तभी रुहान ने उसे घूरते हुए अपनी कड़क आवाज में कहा, तुम मेरी चेयर पर क्या कर रही हो क्या, तुम्हें कोई और चेयर दिखाई नहीं दी।"   उसकी बात पर प्रिशा ने अपना सर लैपटॉप से निकाल कर ऊपर देखा और सामने रूहान को देख कर मुस्कुराते हुए बोली, "हेय रोहू बेबी, अच्छा हुआ तुम आ गए।"   वही रूहान अपनी बातों को इग्नोर होता देख गुस्से से भर गया फिर अगले ही पल वो तेज कदमों से अंदर आया और  अपने लैपटॉप को टेबल पर रखते हुए अपनी भारी आवाज में बोला,  "क्या तुमने सुना नहीं, ये मेरी चेयर है । उठो यहां से।  और ये क्या रोहू रोहू लगा रखा है कब से। छोटा बच्चा हूं मैं??"   रूहान को यूं गुस्सा होता देख प्रिशा थोड़ी डर गई। उसने थोड़ी अटकती हुई आवाज में कहा, "रूहान मैं तो बस ..!"    "काम की बात करो और निकलो यहां से, प्रिशा की बात शुरू होने से पहले ही रूहान ने गुस्से से ये बात कही। और उस को अपनी कुर्सी से झटके से साइड कर दिया, और खुद उस पर लीन होकर बैठ गया।"    वही प्रीषा को इन सब से बहुत बुरा लगा । पर उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप लैपटॉप ऑन करके रूहान के साथ प्रोजेक्ट डिस्कस करने लगी। जिसके लिए वो यहां आई थी।     डिस्कशन के टाइम प्रीषा ने कई बार रोहन के थोड़ा करीब जाने की कोशिश की। पर रूहांन ने उसे इग्नोर कर दिया। वो इन सब चीजों पर ध्यान नहीं दे रहा था, बल्कि उसका सारा फोकस काम पर था । वही प्रिशा का मुंह बूरी तरीके से बना हुआ था।     करीब 2 घंटे के डिस्कशन के बाद फाइनली रूहान ने लेपी को सरकाते हुए बॉसी टोन में कहा,  "ठीक है हम इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। पर अभी मुझे कुछ और भी डिटेल्स देखनी है इसकी। उसके बाद ही हम काम शुरू करेंगे।    ये सुनकर प्रिशा ने थोड़ा एक्साइड होते हुए कहा, "मुझे भी तुम्हारे साथ काम करके बहुत मजा आने वाला है ।"    वही रुहान ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वापस से अपना लैपटॉप ऑन करते हुए उससे बोला, " अब तुम यहां से जाओ और जाते-जाते दरवाजा बंद कर देना। कह के वो अपने काम में लग गया।    वही प्रिशा एक बार फिर हर्ट हो गई और वो चुपचाप वहां से निकल गई।     स्टडी रूम से निकाल कर प्रिशा अपने कमरे में आई और गुस्से से अपना लैपटॉप अपने बिस्तर पर पटक दिया । और खुद से बोली, "रूहान, रूहान, रूहान, क्या करूं मैं तुम्हारा। कैसे आऊं तुम्हारे करीब। तुम मुझे जलील करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पर मैं भी प्रीषा देसाई हूं ,, मैंने भी अपने डैड से प्रॉमिस किया है कि मैं तुम्हें अपना बना के रहूंगी। और इस घर की मालकिन बनूगी। फिर उसके लिए मुझे चाहे जो करना पड़े। मैं सब कुछ करूंगी। कहते हुए प्रिशा के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गई।  ...........    दिन इसी तरह बीत रहा था,, जहां प्रीषा नए-नए बहाने ढूंढते रूहान के करीब जाने के । वही रुहान हर बार उसे जलील कर देता। तो दूसरी तरफ मिली स्वर से परेशान हो चुकी थी।   और सबसे बड़ा पद्मिनी जी का काम , वो अभी तक पूरा नहीं हुआ था।   रतीम दिन दिलो जान से लगा हुआ था, उसने दिन रात एक कर दिया । पर उसके हाथ कुछ ना लगा और इसी तरह चार दिन बीत गए।।    चार दिन बाद    राजवंश मेंशन  दोपहर का वक्त   सभी लोग ऑफिस जा चुके थे। वहीं ऋतु भी घर पर नहीं थी। उसे पद्मिनी जी ने जानबूझ के रितेश के साथ किसी काम से भर भेज दिया था।     फिलहाल वो गुस्से से तमतमाती हुई हॉल में इधर उधर चक्कर लगा रही थी, की तभी वहां रतीम जल्दी जल्दी आया। हालांकि उसके चेहरे पर कोई भाव नही थे, वो आते ही सर झुका कर खड़ा हो गया ।वही उसको देखकर पद्मिनी जी ने गुस्सा से चिल्लाते हुए कहा, "कहा मर गए थे तुम। आज चार दिन हो गए, तुम्हारा कोई अता-पता नहीं ।ना फोन  उठा रहे हो ना कुछ खबर मिल रही है । आखिर समझ क्या रखा है तुमने मुझे।     पद्मिनी जी की बात पर रतीम ने इमोशनलेस फेस के साथ जवाब दिया, "अम्मा जी मैं आपका ही काम कर रहा था।"   इस पर पद्मिनी जी ने गुस्से से कहा, "अच्छा अगर मेरा ही काम कर रहे थे , तो इसका मतलब काम हो गया होगा। तो बताओ कहां है वो लड़की। क्या तुम उसे अपने साथ लेकर आए हो। कहां है वो बताओ कहां है।        इस पर रतीम ने गर्दन झुका ली और बोला, "जैसी लडकी की आपको तलाश है,, मुझे वैसी लड़की पूरे इंडिया में नहीं मिली। मैं हर राज्य के छोटे से छोटे, बड़े से बड़े शहरों और गांव में ढूंढा। पर मुझे ऐसा कोई नहीं मिला।"    ये सुनते ही पद्मिनी जी का पारा हाई हो गया। उन्होंने दांत पीसते हुए कहा, "तुम्हारे बाप ने तो मेरी ज़िंदगी खराब कर दी। ना तो तुम्हारी बहन कीसी काम की थी और ना ही तुम किस लायक हो। तुम्हारा बाप खुद तो मर गया, और तुम्हें और तुम्हारी बहन को मेरे सिर पर छोड़ गया था।। "    इतने सालों तक तुम्हारी बहन ने मेरा जीना हराम किया और जाते-जाते हमारे नाम पर कलंक लगाकर चली गई। अब तुम मेरे सीने पर मूंग दलने के लिए रह गए हो।   पद्मिनी जी के मुंह से ये सारी बातें सुनकर रतिम का चेहरा काला पड़ गया ।  गुस्से से उसकी मुट्ठियां कश गई और माथे पर नशे उभरने लगी ।जिसे उसने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करते हुए अपनी भारी आवाज में कहा, "अम्मा जी, आप मेरी मरी हुई बहन को इस तरह नही बोल सकती, उन्होंने कुछ नहीं किया था तो आप उन्हे बीच में मत लाइए।" और रही बात आपके काम की तो वह मैं कर रहा हूं बहुत जल्द मैं ढूंढ लूंगा।।     यही तुम्हारे लिए बेहतर होगा वरना तुम उसका अंजाम जानते हो, रतिम की बात खत्म होते ही पद्मिनी जी ने कहा। और फिर आगे बोली, "आज रात, आज रात का समय है तुम्हारे पास। कल सुबह मुझे हर हाल में अच्छी खबर चाहिए। वरना तुम मुझे अपनी शक्ल कभी मत दिखाना और ना ही इस घर में दोबारा कभी कदम रखना । अब दफा हो जाओ यहां से।    उनकी बात सुनकर रतीम गुस्से से मुठिया भींचते हुए वहां से निकल गया।     वहीं दूसरी तरफ   Sunshine Art gallery आज मिली थोड़ा देर से आई थी।   Thanks to all keep supporting and give your precious review on this novel and please novel ko share bhi Karen.

  • 14. Angel and The Beast - Chapter 14

    Words: 1578

    Estimated Reading Time: 10 min

       यही तुम्हारे लिए बेहतर होगा वरना तुम उसका अंजाम जानते हो, रतिम की बात खत्म होते ही पद्मिनी जी ने कहा। और फिर आगे बोली, "आज रात, आज रात का समय है तुम्हारे पास। कल सुबह मुझे हर हाल में अच्छी खबर चाहिए। वरना तुम मुझे अपनी शक्ल कभी मत दिखाना और ना ही इस घर में दोबारा कभी कदम रखना । अब दफा हो जाओ यहां से।      उनकी बात सुनकर रतीम गुस्से से मुठिया भींचते हुए वहां से निकल गया।     वहीं दूसरी तरफ   Sunshine Art gallery आज मिली थोड़ा देर से आई थी। पर आते ही उसने देखा वहां उसके अलावा कोई नहीं था बल्कि कोई इंसान ही नहीं कोई सामान भी नहीं था। मेरी कंफ्यूजन में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी वह चलते हुए सीधी हाल में पहुंची उसे अजीब लग रहा , वहां चारों तरफ वॉल पर बड़े-बड़े व्हाइट परदे लगे हुए थे। तभी मिली नहीं खुद से कहा, "ये वर्कशॉप तो 15 डेज का था पर अभी तो सिर्फ 1 वीक हुआ है, फिर इतनी जल्दी सब कुछ कहां चला गया। कोई आया क्यूं नहीं है अभि तक।"    फिर उसने अपना सर खूजाते हुए कहा, "कहीं में गलत एड्रेस पर तो नहीं आ गई, वेट बाहर जाकर पहले चेक करके आती हूं ।" कहते हुए वो बाहर गई, तो बाहर साफ-साफ लिखा हुआ था, सनशाइन आर्ट गैलरी।       फिर वो वापस से अंदर गई, तभी अचानक से वहां की सारी लाइट्स ऑफ हो गई । ये देख मिली एक बार फिर चौक गई। और जैसे ही वो उल्टे पाऊं वहां से बाहर निकलने को हुई वैसे ही किसी में कस के उसका हाथ पकड़ के अपनी ओर खींच लिया। और मिली सामने वाले की सॉलिड चेस्ट से सीधा जा टकराई। जिससे उसकी आह निकल गई।    फिर उसने थोड़ी नर्वसनेस के साथ अपना हाथ छुड़ाते हुए उस इंसान से कहा,  "छ, छोड़िए मेरा हाथ !!  क, कौन है आप ? "   तभी उसके कान में एक बेहद गहरी आवाज सुनाई पड़ी, "रिलैक्स लिटिल बनी, दिस इस मि "    वही मिली ने जैसे ये  सुना, वो एक बार फिर चौक गई ।और उसने अपने सामने खड़े इंसान को धक्का देते हुए थोड़ी गुस्से से कहा,  "सर , क्या ये आप है ?"    "सर नहीं, स्वर! तुम्हारा स्वर लिटिल बनी।" कहते हुए उसके सामने खड़े श्वर ने उसे फिर से अपने करीब खींच लिया।   जिससे मिली का बैक स्वर सीने से जुड़ गई । पर अगले ही पल मिली ने गुस्से से अपने आप को छुड़ाते हुए कहा, "ये आप क्या कर रहे हैं ,छोड़िए मुझे। मुझसे दूर रहिए । और यहां पर इतना अंधेरा क्यों कर रखा है आपने?"     पूछते हुए मिली अपनी पूरी ताकत से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। पर स्वर ने उसकी कमर को कुछ ज्यादा है टाइटली पकड़ रखा था। जिसे मिली अपने आप को 1 इंच भी उससे अलग नहीं कर पाए।    तभी स्वर ने एक बार फिर अपनी गहरी आवाज में उसके कान के पास जाकर अपनी गर्म सांसें छोड़ते हुए कहा, "ये अंधेरा देख रही हो लिटिल बनी! ठीक इसी तरह अंधेरा मेरी जिंदगी में भी है। जिसमें तुम्हें रोशनी करना है , बिल्कुल ऐसे..!!"  कहते हुए उसने अपने हाथ में पकड़े एक डिवाइस के बटन को प्रेस किया। जिससे वॉल पर लगे सारे पर्दे नीचे गिर गए।     वही मिली की नजर जैसे ही अपने सामने की वॉलस पर गई, तो हैरानी से उसकी आंखें फैल गई।     ये, ये, सब तो मैं हूं!! पर मेरी पेंटिंग वॉल पर किसने बनाई। ये बात मिली ने बेहद हैरानी से कही । क्योंकि सामने की दीवारों पर मिली की ढेर सारी पेंटिंग्स बनी हुई थी। वही दीवारों के साइड साइड छोटे-छोटे लाइट जल रही थी जिससे वो पेंटिंग्स और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आ रही थी।   मिली आंखें फाड़े उन पेंटिंग्स को देख रही थी और स्वर मिली को। मिली इन सब में ये भूल ही गई थी कि वो अभी भी स्वर की बाहों में खड़ी है।   दीवाल की उन तस्वीरों में मिली किसी में मिट्टी से खेल रही थी, तो किसी में खुद पेंटिग कर रही थी। एक में तो उसके चेहरे पर भी हल्की-हल्की पेंट लगी हुई थी, और उसने पेंटिंग ब्रश को अपने दांतों तालि दबा रखा था। इस वाली पेंटिंग में वह बहुत ज्यादा ही क्यूट लग रही थी। ये सारी पेंटिंग्स दीवारों पर की गई थी वो भी हाथों से।   तभी मिली ने अपनी खोई हुई आवाज में पूछा, "वाओ, ये सब किसने बनाई।।     " मैंने !" स्वर ने उसके कंधे पर अपना चेहरा टिकाते हुए कहा।     तभी अचानक से मिली होश में आई और उसने श्वर को धक्का देकर खुद छुड़ा लिया और हैरानी के साथ बोली, "लेकिन क्यूं ?"    तभी हाल की सारी लाइट्स जल गई। मिली के सामने स्वर अपने हाथों को पैंट की पॉकेट में डालें भावहीन चेहरे के साथ खड़ा था।    तभी मिली ने फिर से पूछा, "जवाब दीजिए सर, क्यों किया है ये सब आपने? "   इस पर स्वर ने आंखे बंद कर गहरी सांस ली और अगले ही पल उसने आंखें खोली तो उसके चेहरे के भाव बदल चुके थे जो थोड़ी देर पहले शांत थे, अब गंभीर हो गए। उसकी आंखों में एक जुनून सा उभरने लगा। फिर उसने अपनी गर्दन को दाएं बाएं घुमाया और अचानक से मिली के बेहद करीब जा कर उसके कंधे को पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए एक जुनून भरे लहज़ में बोलना शुरू किया__   "क्युकी इन आंखों को, अब तुम्हारे इस खुबसूरत चेहरे के अलावा कोई और नहीं दिखता। मैं जहां भी देखू, बस तुम ही तुम दिखाई देती हो। आंखें बंद करता हूं तो तुम, आंखें खोलता हूं तो तुम।  तुम्हारा नशा कुछ इस कदर छाया है, की ना दिन को चैन। ना रात को सुकून। मेरी ये आंखें किसी और को देखना ही नहीं चाहती।" मुझे तुम चाहिए, मिली। सिर्फ तुम। हर कीमत पे, हर सूरत में। मुझे सिर्फ़ तुम चाहिए।"     स्वर ने जो बोलना शुरू किया तो बोलता ही चला गया। वहीं मिली जैसे-जैसे उसकी बात सुन रही थी उसके चेहरे पर हैरानी भरे भाव बढ़ते ही जा रहे थे।    तभी उसने स्वर को खुद से दूर करते हुए सारकास्टिक वे में    कहा, "ओह तो ये बात है। वैसे एक लाइन मिस कर दी आपने मिस्टर शेखावत और वो ये कि आप मुझसे सो कॉल्ड प्यार करते हैं। क्योंकि ये तो हर लड़कों का फेवरेट डायलॉग है,  है ना । बोलिए।"   मिली का भाव स्वर को समझ में नहीं आया। लेकिन उसकी बात पर एग्री करते हुए उसने सीरियस में कहा, "हां ऑफकोर्स मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।" कहते हुए कुछ ऐसे ही मिला के करीब जाने को हुआ    वैसे ही मिली ने उसका हाथ झड़कते हुए गुस्से से कहा, बस कीजिए मिस्टर शेखावत, बहुत देखे हैं मैं आपके जैसे लड़के। जो लड़कियों को झूठा प्यार का नाटक करके बस उनके साथ फिजिकल रिलेशन बनाना चाहते हैं। और  एक बार उनका मकसद पूरा हो जाए तो वो उन्हें अपनी जिंदगी से किसी गंदगी की तरह निकाल फेकते हैं।     मिली के मुंह से ऐसी बात सुनकर स्वर का चेहरा काला पड़ गया। वह गुस्से में आगे बढ़ाओ और मिली को दीवार से सटाते हुए उसके कंधे को पकड़ते हुए अपनी भयानक आवाज में बोला, "आखिर तुमने मुझे समझ के क्या रखा हां, कया मैं कोई ऐसा वैसा लड़का हूं, जो ऐसी घटिया हरकते करते-करते फिरते हैं।"    प्यार करता हूं तुमसे!  , अगर ऐसा वैसा कुछ करना होता तो किसी में इतनी औकात नहीं कि वो स्वर शेखावत को रोक सके। तुम खुद भी नहीं।    वही उसकी पकड़ इतनी तेज थी कि मिली कि आज निकल गई और उसकी आंखों से आंसू आ गए पर फिर भी उसने खुद को छुड़ाते हुए कहा, "ओह प्लीज़, कोई प्यार प्यार नहीं आपको मुझसे।  सिर्फ आप मेरी खूबसूरती को पाना चाहते हैं, बस।"       "ऐसा कुछ नहीं है" स्वर ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, हां तुम बहुत खूबसूरत हो, पर मुझे तुम्हारी खूबसूरती से नहीं तुम्हारी मासूमियत से प्यार है। मुझे तुम्हारी खूबसूरती से कोई फर्क नहीं पड़ता मैं हर हाल में बस तुम्हें चाहता हूं, डैम इट।" और तुम्हे अपना बनाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं। स्वर शेखावत ने आज तक जो चाहा उसे पाया है। और अब वो तुम्हें भी हासिल करके रहेगा।    फिलहाल स्वर किसी साइको से कम नहीं लग रहा था। उसकी आंखों में मिली के लिए प्यार का तो पता नहीं जुनून और तड़प साफ नजर आ रहा था।    तभी मिली ने भी गुस्से से लगभग कांपते हुए कहा,  "तो मैं भी कोई मामूली लड़की नहीं हूं, जिसके साथ आप जबर्दस्ती करेंगे, और मैं चुपचाप सह लूंगी। "मिली राजवंश नाम है मेरा" इतनी आसानी से आप मुझे नहीं पा सकते। और अगर आपने मुझे जबरदस्ती पाने की कोशिश की तो मैं खुद को बर्बाद कर लूंगी लेकिन आपके हाथ खुद को नहीं आने दूंगी। समझे आप।" ये कहते हुए मिली ने श्वर को धक्का दिया और मेरे हमेशा अपने आंसुओं को साफ करते हुए भागते हुए वहां से निकल गई।     वही उसके पीछे खड़ा स्वर उसकी बात सुनकर हद से ज्यादा गुस्से में आ चुका था। और मिली के वहां से जाते ही उसने गुस्से में एक जोरदार लात पास के एक टेबल पर मारा,  जिससे वो टेबल दूर सीधी दीवार से टकराकर टूट गया।     फिर सवर ने गुस्से से दिवार पर पंच करते हुए जूनूनियत से कहा, "भाग लो जितना भागना है।    "हाथों में ये हाथ नहीं ,तो ना समझना छोड़ कर चली जाओगी!!  इस कदर हावी हूं तुममें , की जहां जाओगे मुझे पाओगी। ।" कहते हुए वो भी वहां से निकल गया।     Thanks to all Keep supporting and give your precious review on this novel.  

  • 15. Angel and The Beast - Chapter 15

    Words: 1394

    Estimated Reading Time: 9 min

     अगर आपने मुझे जबरदस्ती पानी की कोशिश की तो मैं खुद को बर्बाद कर लूंगी लेकिन आपके हाथ खुद को नहीं आने दूंगीऔर। समझे आप।" ये कहते हुए मिली ने श्वर को धक्का दिया और मेरे हमेशा अपने आंसुओं को साफ करते हुए भागते हुए वहां से निकल गई।       वही उसके पीछे खड़ा स्वर उसकी बात सुनकर हद से ज्यादा गुस्से में आ चुका था। और मिली के वहां से जाते ही उसने गुस्से में एक जोरदार लात पास के एक टेबल पर मारा,  जिससे वो टेबल दूर सीधी दीवार से टकराकर टूट गया।     फिर सवर ने गुस्से से दहाड़ते हुए कहा, "भाग लो जितना भागना है लिटिल बनी, पर मुझे दूर कभी नहीं जा सकती हर हाल में तुम्हें मेरा होना ही होगा।"     कहते हुए वो भी गुस्से में वहां से निकल गया।  अब आगे    मिली गुस्से से अपनी कार ड्राइव करते हुए हाईवे पर जा रही थी। फ़िलहाल उसकी आंखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे। तभी उसने रोते हुए खुद से कहा, "मैं क्या करूं, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। आखिर क्यूं नहीं कर पाती मैं किसी पे यकीन। कैसे बताऊं मैं उनको कि मुझे किसी का भरोसा करने से डर लगता है। और ये मेरी बीमारी है। मैं चाहकर भी किसी को नहीं अपना सकती, किसी को खुद के करीब नहीं आने दे सकती।     मिली लगातार रोते हुए खुद से ऐसी बातें कहीं जा रही थी, वहीं कार की स्पीड बहुत ज्यादा थी। और इन्हीं सब में मिली ने ये ध्यान नहीं दिया कि लगातार एक ट्रक उसको पीछे से हार ना दे रहा था । लेकिन मिली अपनी शुद बुद में नहीं थी। तभी उसकी कर बीचों-बीच हाईवे पर पहुंची ही थी, की पीछे से तेज़ी से आ रही ट्रक अपना कंट्रोल खो देती हैं, और एक जोरदार धक्का मिली की कार को मारते हुए हाई स्पीड में आगे निकल गई।   वही टक्कर लगने से मिली की कार पूरी घूम गई और डिसबैलेंस होते हुए सीधे हाइवे से नीचे।     तभी ठीक उसके पीछे एक और कार तेजी से आकर रुकी।ये कार स्वर  की थी। जो की आर्ट गैलरी से निकाल कर लगातार मिलेगा पीछा कर रही थी और उसने जैसे ही मिलेगी कर को हाईवे से नीचे गिरते देखा उसकी मानो सांसे रुक गई। वो जल्दी से अपनी कार से उतरा और दौड़ते हुए उस ओर गया, जहां अभी अभी मिली की कार नीचे गिरी थी। उसने जैसे ही नीचे देखा तो मिलेगी कर नीचे पानी में डूबती हुई नजर आ रही थी। ये देख स्वर का चेहरा काला पड़ गया। और अगले ही पल बिना देर किए उसने हाईवे से नीचे गहरी पानी में छलांग लगा दिया।    वहीं दूसरी तरफ   राजवंश इंडस्ट्री    प्रीसा एक केबिन में बेहद गुस्से से बैठी थी। उसके वाइट ड्रेस इस वक्त खराब sa नज़र आ रहा था, जैसे उस पर कुछ गिर गया हो, वही उसका चेहरा भी लाल था। तभी उसका फोन बज उठा, उसने फोन उठाया तभी दूसरी ओर से किसी आदमी की आवाज़ आई, "मैडम थोड़ी गड़बड़ हो गई। फिर उसने आगे कुछ कहा,    जो सुनकर प्रीषा के चेहरे पर एक गहरी भाव आ गए फिर अगले पल उसने सिरियस वॉइस में कहा, "जो हुआ उसे जाने दो तुम बस किसी की नजरों में मत आना बल्कि हो सके तो तुम फिलहाल के लिए अंडरग्राउंड हो जाओ तुम्हारे पैसे तुम्हें मिल जाएंगे कहते हुए प्रिशा ने फोन काट दिया।     फिर वो खुद से गुस्से भरी आवाज में बोली, "ये जो कुछ हुआ है इन सब की वजह तुम हो रूहान राजवंश। फिलहाल के लिए तो मुझे जाना होगा, पर बहुत जल्द मैं वापस आऊंगी, और तब तुम्हें मेरा होने से कोई नहीं रोक सकता। ये कहकर उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई और वो तुरंत वहां से निकल गई।     वहीं रूहान के केबिन में   केबिन में इस वक्त रूहान अपनी सीईओ चेयर पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, वो एक्सप्रेशंस फेस के साथ चुपचाप सीलिंग को घूर रहा था।    वहीं उसके सामने वाली कुर्सी पर विहान और पर्व दोनों बैठे थे , और दोनों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थी। तभी पर्व ने थोड़े चिंतित स्वर में कहा, "बॉस आई थिंक आपको मिस प्रिशा के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। वो आपकी दोस्त होने के साथ-साथ एक लड़की भी है, उन्हें आपकी बातों का बेहद बुरा लगा होगा। और अगर उन्होंने दादी मां से बता दिया तो"   पर्व की बात सुनकर रूहानी ने अपनी कर्कश आवाज में कहा, "ये तो उसे वो सब कुछ करने से पहले सोचना चाहिए था । उसे अच्छे से पता है कि मुझे लड़कियों से बेहद नफरत है, पर दादी की वजह से मैं उसे हमेशा टॉयलेट करता रहा था। लेकिन आप मेरे पेशेंश का लिमिट ओवर हो चुका है। तो उसे उसकी हरकत की ऐसी सजा मिल नहीं चाहिए थी, और ब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करना, नाउ गेट लॉस्ट यू बोथ। कहते हुए रूहान की आवाज भयानक हो गई।    वहीं पर्व और विहान उसको इस कदर गुस्सा करता देख बिल्कुल सहम चुके थे । और वो दोनों चुपचाप केविन से बाहर जाने को हुए की तभी विहान का फोन बज उठा। नम्बर अननोन था तो उसने ना समझी में उठाया।  तभी दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा जिसे सुनते ही विहान के एक्सप्रेशंस बदल गए , और अगले ही पल उसने फोन काटते हुए कांपती हुई आवाज में कहा, "भ भाई, मि मिली का एक्सिडेंट हो गया। हमें जल्द से जल्द अस्पताल जाना होगा।     विहान का इतना कहना था कि अगले पल तीनों तेजी से वहां से निकल गए।    दुसरी तरफ   Save life hospital  Vvip ward     वार्ड के बाहर ढेर सारे गार्ड हाथों में गन लिए लगे हुए थे। वही वार्ड के अंदर इस वक्त शहर की ढेर सारी जाने माने सर्जन मौजूद थे सभी के चेहरे पर डर के भाव थे ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें होस्ट बनाया गया हो और ये सच भी था।    वहीं वार्ड के अंदर स्वर की बेहद डरावनी आवाज़ गूंजी, स्वर जो इस वक्त पूरा भीग हुआ था वही वार्ड के बेड पर इस वक्त मिली खून से लथपथ  बेहोश पड़ी थी।  तभी स्वर ने वार्ड में मौजूद 15 से 20 डॉक्टर को अपनी डार्क वॉइस में वार्निंग देते हुए बोला, "अगर इसे कुछ हुआ तो तुम सब के सब आज इसी अस्पताल सहित यही दफन हो जाओगे। जो भी मेडिकल ट्रीटमेंट या इक्विपमेंट चाहिए सब ले आओ। लेकिन मुझे ये सही सलामत चाहिए समझ आया ना । अब खड़े-खड़े मेरा मुंह क्या देख रहे हो, इलाज शुरू करो। जल्दी आखिर तक बोलते बोलते हो जोर से चिल्ला दिया जिससे सभी डॉक्टर साहब गए और फटाफट हां मैं सर हीलाते हुए अपने काम में लग गए।     वही स्वर्ग गुस्से से बाहर आया और अपने खास आदमी को घूरते हुए एक साइको की तरह डरावनी आवाज़ में बोला, "मुझे वो ट्रक ड्राइवर चाहिए। जिंदा या मुर्दा। चाहे उसे जमीन से खोद के लाओ या आसमान से खींच के ले आओ । वो जहां कहीं भी हो उसे मेरे पास जल्द से जल्द हाजिर करो वरना तुम सोच भी नहीं सकते कि मैं क्या करूंगा तुम्हारे साथ। फिलहाल जल्द से जल्द मुझे उस आदमी का खून देखना है, उतना ही खून जितना उसने मेरी जान का बहाया है। नाउ गेट आउट।।"     वही वह आदमी जो अपने बॉस के नीचे से भली भांति अवगत था वो तुरंत ही वहां से निकल गया।।    वहीं वार्ड के अंदर इस वक्त सारे डॉक्टर के चेहरे पर चिंता की लकीरें बनी हुई थी तभी उनमें से एक डॉक्टर ने कहा, "ओह गॉड इस लड़की का आधा चेहरा तो पूरी तरीके से खराब हो चुका है अगर हम इसका इलाज कर भी देते हैं तो भी ये पहले जैसे नहीं रह जाएगा।"    तभी दूसरे डॉक्टर ने डरते हुए कहा, "देखो फिलहाल कुछ भी हो हमें इस लड़की की जान बचाने है। उसके बाद कौन से घाव भरते हैं, कौन से नहीं । ये  बाद में देखेंगे। फिलहाल हमें सारी ट्रीटमेंट अच्छे से करने होंगे, वरना उस साइको आदमी का कोई भरोसा नहीं वो हम सब का ऑपरेशन बिना किसी औजार के ही कर देगा।"      उसकी बात पर सभी ने एक साथ सहमति जताई और जल्दी-जल्दी इलाज में लग गए।   वहीं वार्ड के बाहर खड़ा स्वर लगातार उस ओटी रूम को घूर कर देख रहा था।   चैप्टर अच्छा लगे तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें। और कहानी को रिव्यू करना ना भूले। मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए सभी का धन्यवाद।

  • 16. Angel and The Beast - Chapter 16

    Words: 1495

    Estimated Reading Time: 9 min

    तभी दूसरे डॉक्टर ने डरते हुए कहा, "देखो फिलहाल कुछ भी हो हमें इस लड़की की जान बचाने है। उसके बाद कौन से घाव भरते हैं, कौन से नहीं । ये  बाद में देखेंगे। फिलहाल हमें सारी ट्रीटमेंट अच्छे से करने होंगे, वरना उस साइको आदमी का कोई भरोसा नहीं वो हम सब का ऑपरेशन बिना किसी औजार के ही कर देगा।"      उसकी बात पर सभी ने एक साथ सहमति जताई और जल्दी-जल्दी इलाज में लग गए।   वहीं वार्ड के बाहर खड़ा स्वर लगातार उस ओटी रूम को घूर कर देख रहा था।     तभी लगभग भागते हुए विहान आया और उसके पीछे-पीछे जल्दी-जल्दी पर्व भी आया। दोनों के चेहरे पर चिंता के मिक्स एक्सप्रेशंस थे। वहीं उन दोनों के पिछे रूहान अपनी ही चाल में आ रहा था। उसके चेहरे के भाव कुछ समझ नहीं आ रहे थे, पर उसकी आंखों में तबाही का एक मंजर नजर आ रहा था।     तभी बिहान में जल्दी-जल्दी स्वर के पास आकर पूछा क्या आप ही ने मुझे फोन किया था आप ही मेरी बहन को यहां लेकर आए हैं    विहान की बात सुनकर स्वर जो कि अभी वार्ड की तरफ देख रहा था उसने अपनी गर्दन टेढ़ी करके विहान को देखा। फिर उसने वापस से मिली के अवार्ड की ओर देखते हुए कहा,  "हां मैंने ही आपको फोन किया था। वैसे करना तो नहीं चाहता था,  पर क्या करूं फैमिली वालों को चिंता होती है इसलिए कर दिया मैंने।"    इस पर विहान ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, "थैंक यू सो मच आपने मेरी बहन की हेल्प की।  वैसे क्या कहा डॉक्टर ने।   इस पर स्वर ने सिर्फ इतना कहा कि डॉक्टर अभी तक वार्ड से बाहर नहीं आए हैं। ये कहकर वो चुपचाप इस और देखने लगा वही विहान के चेहरे पर अभी भी उदासी थी।     तभी उन सब के कानों में रखना की भारी आवाज आई जिसने स्वर से पूछा, "कौन हो तुम ? और क्यों बचाया तुमने मिली को।"     ये कोई और नहीं रूहान था, जो की अभी अभी आया था। वही उसकी बात सुनकर स्वर ने उसकी ओर देखा और वो भी उसी लहज़ में बोला,  "तुम कौन हो , कि मैं तुम्हें जवाब दूं।"   तभी बिहान ने उन दोनों के बीच में आश्चर्य से कहा, "भाई ये कैसी बातें कर रहे हैं आप ? उन्हेंने मिली की जान बचाई ।हमें तो उनका शुक्रिया अदा करना चाहिए। और आप है कि उसे पूछ रहे हैं, कि उन्होंने क्यों बचाया । और आप मिस्टर ये मेरे  बड़े भाई हैं और वो लड़की हमारी बहन।     तभी रूहान ने उसकी बातों को इग्नोर करते हुए एक बार फिर श्वर से हल्के गुस्से में पूछा,  "जवाब दो मुझे, क्यों बचाया तुमने उसे? क्या लगती है वो तुम्हारी ? क्योंकि कोई राह चलता  इंसान अपनी जान जोखिम में डालकर कभी किसी को इस तरह से नहीं बचता। तुम बिना अपनी जान की परवाह कीए गहरे पानी में कूद गए ,आखिर क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं की ये एक्सीडेंट तुमने करवाया है?"    रूहान के ऐसे सवाल पर बिहान और पर्व दोनों शौक हो गए हो मुंह खोले रूहान और स्वर को देखने लगे । वही स्वर को कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि उसने अपनी गंभीर आवाज में सिर्फ एक लाइन गई, "जान है वो मेरी, इसलिए बचाया।"   ये सुनकर विहान और पर्व के साथ अब रूहान ने भी अपनी भौंहे चढ़ाते हुए स्वर को घूर कर देखा।    फिर रूहान ने एक बार फिर कर्कश आवाज में कहा, " ओह तो इसका मतलब उसने तुम्हें रिजेक्ट कर दिया, तो तुमने उसका एक्सीडेंट करवा दिया और आप उसे बचा कर ये जताना चाहते हो कि तुम उसके लिए भगवान हो। "    रूहान की ऐसी बातें सुनकर फाइनली स्वर फ्रस्ट्रेटेड होते हुए दांत पीसकर बोला, "आखिर आप कहना क्या चाहते हैं मिस्टर राजवंश , क्या मैं आपको कोई ऐसा वैसा सड़क छाप आशिक नजर आता हूं! जो लड़की ने मुझे मना कर दिया तो मैं उसे डराने धमकाने लगूंगा।"   " प्यार करता हूं उससे, और उसके लिए मैं सिर्फ और सिर्फ जान ले सकता हूं, हर उस इंसान की जो मुझसे उसे दूर करने की कोशिश करेगा।"    ये कहते हुए श्वर का औरा बेहद खतरनाक लग रहा था। वही रुहान भी इस वक्त उसकी आंखों में एक सनक देख पा रहा था।     वही विहान और पर्व दोनों ही सॉक्ड थे । उन लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि यहां पर हो क्या रहा है। वो दोनों मिली का हाल-चाल पूछने की बजाय इस तरह आपस में लड़ क्यों रहे हैं।      तभी रूहान ने अपने दोनों हाथ अपने पेट के पॉकेट में डालते हुए मिली के वार्ड की तरफ देख कर बोला, "अगर ऐसी बात है तो कल तक उस इंसान का पता लगा लो जिसने इसकी ये हालत की है, तभी तुम्हें मिली का हाथ मिल सकता है। वरना किसी और का तो पता नहीं पर तुम मेरे होते हुए उसे कभी अपना नहीं बना सकते । फिर चाहे उसकी मर्जी ही क्यों ना हो।     रूहान की बात सुनकर स्वर के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई । उसने भी सेम ओरे के साथ रूहान के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हुए मिली की बोर्ड की तरफ देखकर बोला,  "फिर तो आप मेरे साले साहब बनने के लिए तैयार हो जाइए, क्योंकि मैं आपके ऑर्डर का इंतजार नहीं करूंगा। जिसने इसकी ये हालत की है उसे तो मैं आज के आज जिंदा जमीन में गाड़ने वाला हूं ,और ये स्वर शेखावत का वादा है अपनी जान से। ये कहते हुए श्वर वहां से निकल गया।     वही जाते-जाते वो अपने दो गार्ड को मिली की सिक्योरिटी और इनफॉरमेशन के लिए छोड़ गया।     वही स्वर के जाने के बाद बिहान में थोड़ा घबराते हुए रुहान से पूछो, "भाई ये अभी-अभी यहां पर क्या हुआ है। आपने उस लड़के को इस केस के पीछे क्यों लगाया, क्योंकि आप चाहते तो पल भर में इसके पीछे की वजह का पता लगा सकते थे फिर आपने ऐसा क्यों किया। "   इसके जवाब में रूहान ने बड़ी मिस्टीरियस वे में कहा,  "कुछ काम कुछ चुनिंदा लोगों को ही करनी चाहिए। हर कोई वो काम नहीं कर सकता। "    रूहान की बातें विहान के सर के ऊपर से चली गई। वहीं उसने ज्यादा सवाल न करते हुए थोड़ी परेशानी भरी आवाज में कहा, "वो सब ठीक है भाई, पर क्या हमें घर पर बता देना चाहिए। मिली के हालात के बारे में।"    इस पर रूहान ने वहां से जाते हुए कहा, "नहीं इसकी जरूरत नहीं है, बेवजह आंटी और दादी को परेशान मत करो। मैं घर जाकर अंकल से बात करूंगा और उन्हें अपने तरीके से समझा दूंगा। तब तक के लिए तुम दोनों आज रात यहां रुको और कोई भी प्रॉब्लम हो तो सीधे मुझे कॉल करना कह कर रूहान वहां से निकल गया।  अब तक शाम हो चली थी।    दूसरी तरफ     शर्मा निवास एरिया के पास एक चाय की टपरी पर   रतीम इस वक्त बेहद परेशान और गुस्से से चाय की टपरी पर एक कुर्सी पर बैठा हुआ गरम-गरम चाय पी रहा था। उसने लगभग यहां 8 से 10 कप चाय ऑलरेडी पी ली थी। फिलहाल अभी भी उसके हाथ में एक कप चाय थी जिसे वो गर्म ही पी रहा था। दरअसल उसे अब तक कोई भी सुराग नहीं मिला था। उसे अपने ऊपर और खासकर पद्मिनी जी के ऊपर बेहद गुस्सा आ रहा था , उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर पद्मिनी की चाहती क्या है ।   वो इतनी जल्दी ऐसी लड़की कहां से ढूंढ कर ले जाए गा।     अभी रतिम अपने ही ख्यालों में डूबा हुआ था की तभी उसके सामने एक पति पत्नी आकर बैठ गए। उन लोगों ने भी चाय का आर्डर दिया ।जब तक चाय आती तब तक औरत ने अपने पति से चिड़ी हुई आवाज में कहा, "मेरा तो जी ऊब गया है उस लड़की से। दिल करता है उसका गला दबा के एक ही बार में काम तमाम कर दूं ।पर अफसोस कि मैं ऐसा नहीं कर सकती। क्योंकि अभी मुझे वो एक खास मकसद पूरा करना है, जिसके लिए उसका ठीक होना बेहद जरूरी है। सोचा था कि 18 की हो जाएगी तब हमारा काम आसान हो जाएगा, लेकिन उस कलमुही ने 18 की होते ही बिस्तर पकड़ लिए और हमारा जीना हराम कर दिया।     उसकी बात सुनकर आदमी ने उसे चुप करते हुए कहा, "धरा चुप रहो थोड़ा धीरे बोल नहीं सकती हो। यहां आसपास के लोग सुनेंगे तो क्या सोचेंगे हमारे बारे में कि हम अपनी ही बेटी का ख्याल नहीं रख सकते ।   इस बार औरत ने गुस्से से कहा, "अपनी ही बेटी? वो मेरी कोई अपनी बेटी नहीं है। हां वो तुम्हारी बेटी जरूर हो सकती है। मेरा बस चले तो मैं एक सेकंड भी उसे बर्दाश्त ना करूं ।मैं तो उसकी चाकरी करते-करते थक चुकी हूं, पता नहीं और कितने दिनों अपनी सेवा करवाएगी हमसे।     वो दोनों पति-पत्नी अपने में ही बात किए जा रहे थे, इस बात से अनजान के सामने बैठ कर रतीम, उनकी सारी बातें सुन रहा था।     तो क्या पूरी हो गई रतिम की तलाश ?   तो क्या होने वाला है आगे,,   जानने के लिए बने रहिए कहानी में आगे तक।।

  • 17. Angel and The Beast - Chapter 17

    Words: 1252

    Estimated Reading Time: 8 min

    उसकी बात सुनकर आदमी ने उसे चुप करते हुए कहा, "धरा चुप रहो थोड़ा धीरे बोल नहीं सकती हो। यहां आसपास के लोग सुनेंगे तो क्या सोचेंगे हमारे बारे में कि हम अपनी ही बेटी का ख्याल नहीं रख सकते ।     इस बार औरत ने गुस्से से कहा, "अपनी ही बेटी? वो मेरी कोई अपनी बेटी नहीं है। हां वो तुम्हारी बेटी जरूर हो सकती है। मेरा बस चले तो मैं एक सेकंड भी उसे बर्दाश्त ना करूं ।मैं तो उसकी चाकरी करते-करते थक चुकी हूं, पता नहीं और कितने दिनों अपनी सेवा करवाएगी हमसे।     उसका इलाज करवाते करवाते हम दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। भिखारी बनकर छोड़ा है उस लड़की ने हमें।     वो दोनों पति-पत्नी अपने में ही बात किए जा रहे थे, इस बात से अनजान के सामने बैठ कर रतीम, उनकी सारी बातें बहुत साफ़ तौर पर ध्यान से सुन रहा था।    तभी चाय वाले ने उन दोनों को चाय दिया, और वो दोनों चाय हाथ में लेते हुए पैसे दिए और उठ के वहां से जाने लगे। तभी रतीम ने भी जल्दी-जल्दी चाय की कुल्हड़ फेंकी और चाय वाले को पैसे देते हुए सीधे पृथ्वी और धरा के सामने जाकर खड़ा हो गया।   अचानक से किसी काले कपड़े वाले आदमी को अपने सामने आता देख धरा और पृथ्वी दोनों ही चौंक गए। उन्हें लगा जैसे रतिम कोई बदमाश हो। और ऐसा होते ही धरा ने लिटरेली अपना सर पीटते हुए रोना शुरू कर दिया, और बोली__  "है, मैं तो खुद ही गरीब ! पाई-पाई की मोहताज। भगवान के लिए हमारी जान बक्ष दो हमारे पास से तुम्हें  कुछ नहीं मिलेगा। प्लीज मुझे यहां से जाने दो।"     धारा की बात सुनकर रतीम के साथ-साथ पृथ्वी भी अपने भौहें चढ़कर उसे देखने लगा।    फिर पृथ्वी ने उसे शांत करते हुए कहा फिर पृथ्वी ने उसे शांत करते हुए अपने गंभीर आवाज में कहा, "देखिए मुझे माफ करिए, मेरा मकसद आप लोगों को डरना नहीं है । नहीं मैं कोई चोर बदमाश हूं।  फिर उसने थोड़ा रुक कर कहा, "दर असल मैंने अभी-अभी चाय की दुकान पर आप दोनों की बात सुनी। आप लोग किसी लड़की की बात कर रहे थे , मैं उस लड़की के बारे में जानना चाहता हूं  ।"    रातीम की बात सुनकर धरा और पृथ्वी एक पल के लिए हैरान हो गए । फिर अगले ही पल पृथ्वी ने उससे पूछा, "आपको हमारी बेटी के बारे में क्यों जानना है।  इस पर रातीम ने कुछ सोचते हुए कहा,  "देखिए मुझे उसे एक बहुत जरूरी काम है, अगर वो हमारे काम की हुई तो इससे आपको फायदा हो सकता है।"   फायदे की बात सुनकर धरा की आंखों में चमक आ गया लेकिन अगली पर उसने मायूस होते हुए कहा, "देखीए मेरी बेटी किसी काम लायक नहीं है, वो आपके किसी काम नहीं आ सकती।"    इस पर रातींम ने जवाब में गंभीरता से कहा, "देखिए वो तो आपको मुझे डिटेल बताने के बाद ही पता चलेगा कि वो मेरे काम की है या नहीं । फिलहाल एक काम करिए अगर हो सके तो आप मुझे उस्से मिलवा दीजिए। मैं खुद ही समझ जाऊंगा कि वो मेरे काम की है या नहीं। "    रतीम की बात पर पृथ्वी ने ना उम्मीद से धरा की ओर देखा तभी धारा ने धीरे से उसके कान में कहा, "क्यों ना हमें अपने घर ले चले ! काम के होंगे तो ठीक वरना क्या ही जाएगा। "   उसकी बात पृथ्वी ने मान ली लेकिन तभी धरा ने रतन को पहले ही अस्वस्थ करते हुए कहा, "देखिए मैं पहले ही बता देता हूं कि वो किसी काम लायक नहीं है। मतलब कुछ भी नहीं कर सकती वो। इस पर रातींम ने कोई जवाब नहीं दिया।    थोड़ी ही देर बाद वो तीनों शर्मा निवास के अंदर थे    देखा मैंने तो पहले ही कहा था आपसे कि मेरी बेटी किसी काम लायक नहीं है । वो एक तरीके से जिंदा लाश है । इसे कभी किसी का फायदा नहीं हो सकता। ये बात धरा ने सामने खड़े रतीम से कहीं जो लगातार इशू को देखे जा रहा था। इस वक्त वो तीनों ईशु के कमरे के बाहर खड़े थे ।वही अंदर ईशु आराम से आंखें बंद किया सो रही थी।     वहीं कुछ पल सोचने के बाद रातीम ने उन लोगों को जवाब नहीं दिया और सीधे वहां से निकल गया। उसे यूं ही बिना कुछ बोला जाता देख धरा को बहुत गुस्सा आया ।    और उसने पृथ्वी से कहा, " आखिर ये पागल आदमी चाहता क्या था ?मैंने तो इसे पहले ही बताया था कि हमारी बेटी किसी काम लायक नहीं है। मुझे तो लगता है जरूरी ये हमारा घर देखने आया होगा और अब अगली बार अपने साथियों के साथ यहां पर चोरी करने आएगा। "   वही पृथ्वी जो काफी वक्त से रथीम को नोटिस कर रहे थे उन्होंने धरा से कहा, "चुप हो जाओ! जब देखो फालतू की बकबक करती रहती हो ! हो ना हो वो आदमी जरूर किसी मकसद से आया था ।और मुझे यकीन है कि वो दोबारा जरूर आएगा।      हां यही तो मैं भी कह रही हूं , लेकिन चोरी करने की इरादे से धरा ने फ्रस्ट्रेटेड होते हुए पृथ्वी से कहा।    इस पर पृथ्वी ने उसे घूर कर देखा और वहां से चला गया। धरा ने एक नजर ईशु को देखा और उसे कोसते हुए वो भी वहां से चली गई।     दुसरी तरफ  रात के करीब 10 बजे, राजवंश मेंशन आउट हाउस में       देखिए अम्मा जी मैं इतनी रात गए यहां इसलिए नहीं आया हूं, कि मुझे इस हवेली में रहने का कोई शौक है । मैं बस यहां ये बताने आया हूं की जिसकी आपको तलाश थी वो मिल गई है। लेकिन मैं चाहता हूं कि आप किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले एक बार उससे मिल ले।" ये बात रतीम ने कही। वहीं उसके सामने इस वक्त पद्मिनी की बेहद गंभीरता से बैठी थी।   फिर उन्होंने बेहद सीरियस आवाज में कहा, "ठीक है कल दोपहर हम उस लड़की से मिलने जाएंगे। क्योंकि अब हम और इंतजार नहीं कर सकते। हमें जल्द से जल्द ये काम पूरा करना ही होगा। फिलहाल तुम जाओ यहां से और कल वक्त पर आ जाना । लेकिन याद रहे दोपहर के वक्त।     दोपहर के वक्त का सुन के रतीम ने अपनी मुठिया भींच ली। पर कुछ नहीं कहा और वहां से निकल गया।     दरअसल ratim ने पद्मिनी जी को ये नहीं बताया कि जिस लड़की की वो बात कर रहा है वो एक तरह से जिंदा लाश है।।  खैर......      दूर कहीं एक जंगली इलाके में  रात बेहद गहरी और काली थी। जंगल में चारों तरफ अजीब अजीब जानवरों के रोने और चिल्लाने की आवाजें आ रही थी। इस जंगल के बीचों बीच इस वक्त एक छोटे से कॉटेज में एक आदमी कुर्सी से बंधा हुआ था। उसके चेहरे पर डर ओर चिंता के भाव थे। पूरा शरीर पसीने से तर बतर।    तभी कॉटेज का दरवाजा खुला और एक काली परछाई अंदर आई। और इसी के साथ एक आवाज भी जो काफी गहरी और भयानक थी।    परछाई धीरे-धीरे आगे बड़ी। थोड़ी ही देर में परछाई वाला इंसान उस कुर्सी पर बैठे इंसान के सामने आ गया।।    उसे देखते ही कुर्सी पर बैठे इंसान ने अपनी घबराहट को छुपाते हुए हकलाती हुई आवाज में बोला, "का का कौन हो तुम? और मुझे यहां बांध के क्यों रखा है?" आखिर किया क्या है मैंने?"    यह सुनकर उसके सामने खड़े इंसान ने बेहद डरावनी आवाज में हंसते हुए कहा, "ये तो तुम बताओगे कि तुमने ये क्यों किया? और किसके कहने पर किया? "    तो कौन है ये इंसान और क्या किया है इसने?   Thanks all give supporting and give your precious review on this novel.          

  • 18. Angel and The Beast - Chapter 18

    Words: 1554

    Estimated Reading Time: 10 min

    परछाई धीरे-धीरे आगे बड़ी। थोड़ी ही देर में परछाई वाला इंसान उस कुर्सी पर बैठे इंसान के सामने आ गया।।    उसे देखते ही कुर्सी पर बैठे इंसान ने अपनी घबराहट को छुपाते हुए हकलाती हुई आवाज में बोला, "का का कौन हो तुम? और मुझे यहां बांध के क्यों रखा है?" आखिर किया क्या है मैंने?"    ये सुनकर उसके सामने खड़े इंसान ने बेहद डरावनी आवाज में कहा, "ये तो तुम बताओगे कि तुमने ये क्यों किया? और किसके कहने पर किया? और होशियारी करने की और झूठ बोलने की बिल्कुल कोशिश मत करना, वरना अंजाम बेहद बुरा हो सकता है।"      इस आदमी की आवाज सुनकर कुर्सी पर बैठे आदमी के पांव कांपने लगे । पर फिर भी उसने जवाब में कहा,  "देखिए आप जो कुछ भी कह रहे हैं, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा। आखिर आप किस चीज की बात कर रहे हैं। क्या किया है मैंने? मैं तो बस एक मामूली सा ट्रक ड्राइवर हूं ! मेरी भला किसी से क्या दुश्मनी,,  "चटाक"    अभी वो इंसान बोल ही रहा था कि तभी सामने खड़े लड़के ने गुस्से उसे एक जोरदार थप्पड़ अपने लोहे जैसे हाथ से मारा। ये थप्पड़ इतना जोर का था की कुर्सी पर बैठा इंसान पूरा हिल गया । और उसके चेहरे पर पूरे हाथ छप गए। वही होंठों के किनारे से खून भी आ गया।    वही सामने खड़ी लड़के ने गुस्से से उसके कॉलर को पकड़ते हुए दांत पीसकर कहा, "मैंने कहा था ना, मुझसे झूठ मत बोलना। पर शायद तुझे एक बार में सुनाई नहीं दिया। साले, वफादारी का बहुत भूत सवार है ना तेरे ऊपर ,, अब देख तेरी वफादारी ही तेरी मौत का कारण बनेगी ।। अब तू बताना भी चाहेगा तो भी, मुझे नहीं सुन ना। अब स्वर शेखावत सुनेगा, तो सिर्फ तेरी दर्द भरी चीख। कहते हुए वह लड़का जो की स्वर था उसने झटके से कुर्सी पर बधे उस ट्रक ड्राइवर को छोड़ दिया और उस केविन से बाहर निकल गया ।     बाहर अंधेरी रात कुछ लोग जमीन में गड्ढे खोद रहे थे । तभी वहां पर दो और काले कपड़े वाले इंसान आए उनके हाथ में एक बड़ा सा कंटेनर था जिसको उन्होंने काफी एहतियात से पकड़ रखा था । कंटेनर रखने के बाद आदमी ने गड्ढे खोदने वाले आदमी से कहा, "वैसे मानना पड़ेगा , बॉस को ऐसे ऐसे आइडियाज आते कहां से हैं।"       अभी गद्दा खोद ने वाला व्यक्ति कोई जवाब दे पाता, उससे पहले ही उनके पीछे से एक कर्कश आवाज आई,  "क्या तुम लोगों ने मुझे बेवकूफ समझ रखा है कि मैं सबसे मश्वरे लेते फिरूंगा। क्या मेरे पास खुद का कोई दिमाग नहीं है।    आवाज सुन के सारे एक साथ सहम गए। तभी उनके पीछे से आ रहे स्वर ने एक बार फिर गुस्से से कहा, "जाओ जाकर उसे घसीटते हुए ले आओ। उसकी जीने की इच्छा अब उसके जीने की चाहत खत्म हो गई है।" इस पर से एक काले कपड़े वाला आदमी आगे आया और सर झुका कर वहां से कॉटेज के अंदर चला गया।     थोड़ी देर बाद उस पूरे जंगल में एक भयानक चीख गूंज गई। वही उसे चीज के साथ एक भयानक हंसी भी पूरे फिजा को और डरावना बना रही थी।     दरअसल वो आदमी जो अभी कुछ देर पहले कुर्सी से बंधा था,  अभी वो उसी गड्ढे में था जिसे कुछ देर पहले वो काले कपड़े वाले लोग खोद रहे थे । वही उस गड्ढे में कंटेनर में लाया हुआ तेजाब डाला जा रहा था, जिससे उस आदमी की चीज पूरे जंगल में गूंज रही थी । और उसी के साथ-साथ स्वर उसे अपनी भयावह नजरों से घूरता हुआ गलता हुआ देख रहा था। कुछ ही देर में वो आदमी पूरी तरीके से गायब हो गया और वहां मौजूद काले कपड़े वाले इंसानो ने उस गड्ढे को वही बंद कर दिया, और इसी के साथ वो लोग वहां से निकल गए।     अगली सुबह    अब तक सभी घर वालों को मिली के एक्सीडेंट के बारे में पता चल चुका था। हालांकि उन्हें ये एक नॉर्मल एक्सीडेंट के तौर पर बताया गया था।  जिससे सभी लोग अस्पताल में थे। शिवाय पद्मिनी जी और रूहान के।    हालांकि मिली को अब तक होश आ चुका था पर उसके चेहरे पर फिलहाल पट्टियां बंधी हुई थी। मिलेगी पूरी बॉडी में सिर्फ और सिर्फ चेहरे पर ही ज्यादा चोट आई थी गाड़ी का कांच ने उसके चेहरे को एक तरफ से बुरी तरह खराब कर दिया था।    हालांकि बेस्ट डॉक्टरों की टीम ने उसका इलाज काफी अच्छे से किया था जिस वजह से उसको होश जल्दी आ गया फिलहाल उसके वार्ड में रितु अपनी आंखों में आंसू लिए बैठी थी वही रितेश भी उसके बगल दुखी चेहरे के साथ बैठा था।  वही पर्व और विहान दोनों डॉक्टर के पास थे। उनसे कुछ जरूरी बातें कर रहे थे।    वार्ड के अंदर रितु ने मिली से दुखी आवाज़ में पूछा, "बेटा कही दर्द तो नहीं हो रहा है, क्या मैं डॉक्टर को बुलाऊं।"    उनके सवाल पर मिली ने आंखों में आंसू लिए ना में गर्दन नहीं ला दिया।  वही रितु से अब अपनी बेटी की हालत देखी नहीं जा रही थी जिसे उठकर वो रोते हुए वार्ड के बाहर निकल गई। वही रितेश भी मिली के सर पर हाथ फेरते हुए उसे आराम करने का बोल बाहर निकल गए।    रितेश जैसे ही बाहर आया रितु उसके गले लग के रोने लगी और रोते हुए बोली, "रितेश हमारी बेटी ठीक तो हो जाएगी ना। मुझे तो बहुत चिन्ता हो रही है। अगर उसका चेहरा ठीक नहीं हुआ तब वो क्या करेगी? उसे बहुत बुरा लगेगा।"     तभी रितेश ने उसे समझते हुए कहा, ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं वर्ल्ड के बेस्ट से बेस्ट डॉक्टर हूं की टीम खड़ी कर दूंगा, अपनी बेटी के लिए। उसके चेहरे पर एक दाग नहीं रहने दूंगा मैं । तुम फिक्र मत करो वो ठीक हो जाएगी। फिलहाल के लिए हमें उसे रेस्ट करने देना चाहिए, बार-बार उसकी चोट के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। इस पर रितु ने हा में गर्दन हिला दिया। और आंसू को साफ करते हुए मिली की ओर देखने लगी।"     तभी उनके पास विहान आया और उसने मिली की ओर देखते हुए कहा, "मॉम डैड मैं डॉक्टर से बात कर ली है , मिली अब ठीक है। लेकिन अभी उसे कुछ दिन हॉस्पिटल में ही रहना होगा। फिलहाल उसे रेस्ट करने दीजिए और आप लोग भी घर चाहिए। भाई ने यहां गॉड्स लगा दिए हैं, कोई भी प्रॉब्लम होगी तो वो आप लोगों को इन्फॉर्म कर देंगे । फिलहाल में ऑफिस जा रहा हूं। "    बिहान की बात पर रितु ने मना करते हुए कहा , "बेटा तुम ऑफिस जाओ! लेकिन मैं यही रुकूंगी मैं अपनी बेटी को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी।"     इस पर विहान ने उन्हें समझाते हुए कहा, "मॉम यहां रुकने का कोई फायदा नहीं है! अभी मिली को रेस्ट की जरूरत है। उसे सिर्फ और सिर्फ दवाइयां पर ही रहना है। और वैसे भी यहां नर्स डॉक्टर हैं और आप लोग थोड़ी देर बाद आ जाएगा। और शाम तक मैं खुद वापस आऊंगा, और रात में मैं यही उसके पास रहूंगा आप फिकर मत करिए। "    बिहान की बात पर ना चाहते हुए भी रितु और रीतेश को उसकी बात माननी पड़ेगी। फिर वो लोग वहां से निकल गए।      राजवंश मेंशन    दोपहर का वक्त    पद्मिनी जी के कहे के मुताबिक रतिम इस वक्त पर मेंशन आया । वहीं पद्मिनी जी पहले से ही तैयार थी । उसके आते ही उन्होंने कहा,  "हमें जल्द से जल्द निकलना होगा, मैं नहीं चाहती कि घर की किसी भी मेंबर को इसके बारे में पता चले। "    तभी रतीम ने इधर-उधर देखते हुए थोड़ा रुककर कहा, "क्या रितेश को भी नहीं बता रही है, वो तो आपके इस प्लान में शामिल था। मुझे लगा आप उसे भी साथ ले चलने वाली हैं।"   इस पर पद्मिनी जी ने उसे घूरते हुए कहा, "नहीं, बिलल ब भी नहीं। ना मैं बताऊंगी , और ना ही तुम किसी को बताओगे।"  मुझे इस काम में किसी पर भरोसा नहीं है। अब जल्द से जल्द निकलो यहां से ,नहीं तो वो लोग आ जाएंगे।"    इस पर रतीम ने हा में सर हिलाया और दोनों वहां से गए। दुसरी ओर     शर्मा निवास शांति ताई मिलेगी कमरे में उसके साथ बैठी उसका कमरा सही कर रही थी।   वही फ़िलहाल पृथ्वी और धरा दोनों अपने बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे। और बाते कर रहे थे। तभी धरा ने मुंह बनाते हुए पृथ्वी से कहा, "मुझे तो रात भर ये सोचो कि नींद नहीं आई, कि आखिर वो आदमी था कौन ? और वो हमारे घर क्यूं आया। हुह्ह्,  खा मे खा उसने फायदे का नाम लेकर मेरे मन में उम्मीद जगा दी थी। मुझे तो उसके ऊपर बहुत ही क्रोध आ रहा है।"     उसकी बात पर पृथ्वी से घूरते हुए कहा, "तुम अभी भी उस बात को लिए बैठी हो। हो सकता है उसे कुछ और काम रहा हो, जो पूरा ना हुआ हो।  अब छोड़ भी दो तुम उसको। बस फायदे का नाम सुनते ही तुम्हारे मुंह में पानी आने लगता है।"    पृथ्वी की बात सुनकर धरा बुरी तरह से चढ़ गई अभी कुछ जवाब दे पाती कि तभी एक लग्जरी कार चमचमाती हुई उसके दरवाजे पर आ रुकी।    तो क्या होने वाला है आगे?    जानने के लिए बने रहिए कहानी में आगे तक। मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए सभी का धन्यवाद।   चैप्टर पसंद आए तो उसे लाइक कमेंट शेयर जरूर करें। और कहानी को रिव्यू करना ना भूले।

  • 19. Angel and The Beast - Chapter 19

    Words: 1296

    Estimated Reading Time: 8 min

    शर्मा निवास   शांति ताई ईशु कमरे में उसके साथ बैठी उसका कमरा सही कर रही थी।    वही फ़िलहाल पृथ्वी और धरा दोनों अपने बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे। और बाते कर रहे थे। तभी धरा ने मुंह बनाते हुए पृथ्वी से कहा, "मुझे तो रात भर ये सोचो कि नींद नहीं आई, कि आखिर वो आदमी था कौन ? और वो हमारे घर क्यूं आया। हुह्ह्,  खा मे खा उसने फायदे का नाम लेकर मेरे मन में उम्मीद जगा दी थी। मुझे तो उसके ऊपर बहुत ही क्रोध आ रहा है।"       उसकी बात पर पृथ्वी से घूरते हुए डांटकर कहा, "तुम अभी भी उस बात को लिए बैठी हो। हो सकता है उसे कुछ और काम रहा हो, जो पूरा ना हुआ हो।  अब छोड़ भी दो तुम उसको। बस फायदे का नाम सुनते ही तुम्हारे मुंह में पानी आने लगता है। कम से कम उम्मीद तो इतनी जल्दी न लगाया करो।"   पृथ्वी की बात सुनकर धरा बुरी तरह से चीढ़ गई । लेकिन अभी वो कुछ जवाब दे पाती कि तभी 2 चमचमाती हुई   लग्जरी कार उसके दरवाजे पर आ रुकी। जिसने आज पास के लोगो का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।   वहीं अपने मोहल्ले में इतनि महंगे का को देखकर धरा और पृथ्वी दोनों भी ना समझी में उस और देखने लगे। बाकियों की तरह उन दोनों को भी बड़ी बेसब्री से उसमें से उतरने वाले इंसान का इंतजार था। वहीं आसपास के लोग शर्मा निवास के सामने उस कार को देखकर आपस में बातें करने लगे। सबको यही जानना था कि आखिर उनके इस मामूली से इलाके में इतनी महंगी गाड़ी किसकी हो सकती है।   तभी धरा ने पृथ्वी से धीरे से कहा, "पृथ्वी, क्या इस मोहल्ले में कोई नया रहने वाला है। या फिर किसी ने यहां की जमीनो को बेच दिया, कहीं ये इस जगह को खरीदने तो नहीं आए।।"    पृथ्वी ने जैसे ही धरा की बकवास बातें सुनी उसने उसे बुरी तरह से घूरते हुए कहा, "क्या तुम्हारा दिमाग खराब है, तुम हर वक्त ऐसे उटपटांग चीज कैसे सोच लेती हो। पहले उसमें से लोगों को उतारने तो दो आखिर पता तो चले की है कौन? कहते हुए वो लोग उन 2 गाड़ी की तरफ देखने लगे। "    लेकिन अगले ही पल दोनों की आंखें हैरानी से फैल गई वही एक बार फिर धरा ने लगभग चिल्लाते हुए कहा, "अरे ये तो कल रात वाला आदमी है! हे भगवान ! क्या ये इतना अमीर है। ये कहते हुए धरा सामने वाली कार के ड्राइविंग सीट से उतर रहे रतिम को देखने लगी। वही पीछे की कार से कुछ बॉडीगार्ड निकाल कर गाड़ी को घेर कर खड़े हो गए।   इस बार तो पृथ्वी भी आश्चर्य चकित हो गया। वही रतीम ड्राइविंग सीट से उतरकर पीछे सीट का दरवाजा खोला जिसमें से पद्मिनी की अपनी महंगी सिल्क साड़ी को संभालते हुए बाहर निकली। उनके पहनावे को देख कर लग रहा था जैसे वो किसी राजघराने की राजमाता हो। वही उनके आजू-बाजू खड़े काले कपड़े वाले बॉडीगार्ड रिस्पेक्ट के साथ उनके साथ आ गए।    फिर पद्मिनी जी और रतिम अपने गार्डों के साथ सीधे शर्मा निवास की ओर बढ़ने लगे। वहीं धरा और पृथ्वी जो लगातार उन लोगों को भी देख रहे थे, अचानक से वो दोनों सकपका गया। वही आसपास के मौजूद लोगों को भी ये देख कर हैरानी हुई। क्योंकि उन गार्डों के हाथ में इस वक्त बंदूक थी जो देखकर वाकई में डरावने जैसा लग रहा था।     वहीं उन लोगों को अपने घर के अंदर आता देख धरा को डर लगने लगा। फिर उसने एक बार फिर धीमी आवाज में अटकते हुए कहा, "प , प्र, पृथ्वी ये लोग तो हमारे घर में ही आ रहे हैं । कहीं ऐसा तो नहीं कि ये किसी रियासत की महारानी हो। वैसे इसे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि ये किसी राजा महाराजा के खानदान की है।  जो हमें सजा देने आ रही हैं।। कहीं कल हमने इस आदमी के साथ कुछ गलत व्यवहार तो नहीं कर दिया था ना ! अगर ऐसा कुछ हुआ तब तो हम लोग को पक्का सजा ए मौत मिलने वाली है । जरा उस औरत का शक्ल देखो। देखकर ही कितनी ज्यादा गुस्से वाली लग रही है। हम क्या करें पृथ्वी जल्दी सोचो?  एक आइडिया, ऐसा करते हैं, चलो पहले ही उनके पैरों में गिर जाते हैं।"        धरा की बातें सुनकर पृथ्वी हद से ज्यादा इरिटेट हो गया था। उससे अब अपने पत्नी का ये ड्रैमेटिक व्यवहार बिहेवियर सहा नहीं जा रहा था । उसने गुस्से से उसे दांत पीसते हुए बोला, "shut up धरा, चुप ! बिलकुल चुप ! अब अगर तुमने अपने मुंह से एक भी लफ्ज़ निकाले तो,  मुझसे बुरा कोई नहीं होगा । पता नहीं क्या अनाव सनाब बके जा रही हो। आज के जमाने में ऐसा कुछ नहीं होता , और वैसे भी हमने उस आदमी के साथ कुछ नहीं किया था। जरूर बात कुछ और ही है।  पहले उन लोगों को अंदर आने दो, और तुम अपना मुंह बंद रखना। सम्झी।। "    पृथ्वी की बात पर धरा ने मुंह बनाते हुए अपना मुंह बंद कर लिया। हालांकि उन गार्ड को देखकर डर पृथ्वी को भी लग रहा था। पर फिर भी उसने अपने आप को मजबूत दिखाते हुए। अपनी जगह से खड़ा हो गया। धरा भी खड़ी हुई।    वही रतीम और पद्मिनी की अब उसके सामने थे। तभी पृथ्वी में तभी पृथ्वी ने नॉर्मल आवाज में रतिम से कहा, "अरे भाई साहब आप फिर से ? क्या कुछ काम था आपको?   इसके जवाब में यतीम ने कहा, "हां मैंने कल ही आपको बताया था कि मुझे आपकी बेटी से बहुत जरूरी काम है ।और वो काम आपको हमारी अम्मा जी बताएंगी। ये कहकर उसने पद्मिनी जी की ओर इशारा किया ।    वहीं पद्मिनी जी जो कब से उस घर को और उन लोगों को घूर रही थी। उसने अपनी भौंहे चढ़ाते हुए कहा,  "क्या वो लड़की ऐसे घर में रहती है ।    इस पर रतिम ने हां  मे सर हिला दिया।  वही धरा जो कब से चुप थी वो अचानक से बोल पड़ी। "आखिर आप लोगों को मेरी बेटी से ऐसा कौन सा काम करवाना है, जो आप उसके पीछे पड़ गए हैं! और भाई साहब आप ,, कल तो आप बिना जवाब दिए ही चले गए। और आज, आप फिर से आ गए ।"   उसकी बात पर रतिम ने पद्मिनी जी की ओर देखा। फिर धरा से फिर माफी मांगते हुए बोला,  "देखिए कल जो कुछ हुआ उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। लेकिन अब आगे की बात आप इनसे करिए। "     तभी पद्मिनी जी ने इधर-उधर देखते हुए कहा, "कहां है तुम्हारी बेटी, बुलाओ उसे !मुझे उससे बात करनी है। " कहते हुए वो पास की रखे कुर्सी पर ठाठ से बैठ गई जैसे ये उन्ही का घर हो।।     उनकी ये बात सुनकर धरा और पृथ्वी ने एक दूसरे की ओर देखा । फिर वो दोनों ही रतिम की ओर देखने लगे हैं।  तभी रतिम ने आगे आकर पद्मिनी की से कहा, "अम्मा जी मेरे ख्याल से आपको खुद अंदर चलकर उससे मिलना चाहिए। वो एक खास वजब से बाहर नहीं आ सकती।"    इस पर पद्मिनी की ने उसे घूरा फिर वो अपनी जगह से खड़ी होकर बोली,  "ठीक है ! चलो हम ही मिल लेते हैं । अब यहां तक आ ही गए हैं तो दो कदम और सही। कहते हुए वो अंदर चली गई । वहीं उनके पीछे रतिम और धरा के साथ पृथ्वी, सभी लोग अंदर चले गए। "    खुछ पल बाद अंदर पहुंचते ही__    ये क्या मज़क है, रतिम। आखिर तुमने मुझे समझ के क्या रखा है तुम इतनी दूर से मुझे यहां इस लड़की से मिलने लाए हो । ये आवाज पद्मिनी जी की थी जो कि अपने सामने बुत बनकर लेटी इशू को देखकर गुस्से से चिल्लाते हुए बोलि।         तो क्या होगा आगे ?  क्या पद्मिनी जी के काम आ जाएगी इशू?    यार ढूंढेगा रतिम किसी और को?              

  • 20. Angel and The Beast - Chapter 20

    Words: 1764

    Estimated Reading Time: 11 min

      ये आवाज पद्मिनी जी की थी, जो कि अपने सामने बुत बनकर लेटी इशू को देखकर गुस्से से चिल्लाते हुए रतीम से  बोलि।  

      वहीं उनकी बात पर अब रतिम को भी रहा नहीं गया, उसने भी गुस्से से कहा, "तो आपको क्या लगता है , जैसी लड़की आपको चाहिए थी वैसे लड़की इस दुनिया में एक्जिस्ट भी करती होगी। "

        रशिम की बात सुनकर पद्मिनी की ने गुस्से से अपनी मुट्ठियां भींच ली और दांत पीसते हुए बोली, "इसकी हालत देखो तुम, क्या ये हमारे किसी काम आ पाएगी।" 

       इस पर रतिम ने सीरियस वॉइस में कहा, "जी बिलकुल। ये लड़की ही आप के लिए बेहतर विकल्प हैं और मैने आज सुबह ही एक डाक्टर से बात की, और उन्होंने इससे जुड़ी मुझे एक खास बात भी बताई है।"  और वो बात रतिम ने सिरियस वे में पद्मिनी जी को बता दी।" 

        सब कुछ सुनने के बाद भी पद्मिनी की से रहा नहीं जा रहा था। वो अभी भी घूर कर ईशु को ही देख रहे थी। फिर उन्होंने आखिर में रतिम से धीरे से कहा , "हम इस लड़की को कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं । ना तो इसका कोई स्टेटस है ? और ना ही इसका, उससे कोई मेल।"

       तभी रतीम उनकी बात को बीच में काटते हुए थोडा गंभीर आवाज में इशू को देखकर कहा,  "अम्मा जी, आप तो ऐसा कह रही हैं जैसे आपको इससे उसकी शादी करवानी है। सिर्फ एक साल बस,, उसके बाद आपका काम खत्म।"

      रतन और पद्मिनी की आपस में गंभीरता से बातें कर रहे थे तभी उनके पास खड़े पृथ्वी और धरा जो ना समझी में कभी उनको तो कभी इशू को देखते। उन्होंने आखिर पूछ ही लिया।

       पहले पृथ्वी ने सवाल करते हुए कहा, "आखिर, बात क्या है? आप लोग हैं कौन? और क्या चाहते हैं मेरी बेटी से? देखिए मैं आप लोगों को पहले ही बता देता हूं कि मेरी बेटी इस बिस्तर से हील तक नहीं सकती।" 

      वो पिछले दो साल से कोमा में है!!  या पैरालाइज्ड कह सकते हैं!!  या पता नहीं!!  पहले एक्सीडेंट के दौरान जो चोटें आई थी उन्हें ठीक होने में कुछ वक्त लगा। तब तक डॉक्टरों ने इलाज किया। तब हमें लगा कि शायद ये कुछ महीनो में उठ जाएगी।  पर देखते ही देखते साल बीत गए, और अब तो डॉक्टरों ने भी हार मान ली है। उन्हें खुद को नहीं पता कि इस हुआ क्या है।"

      अब तो हमने भी कोशिश छोड़ दी है , वैसे भी अब हमारे पास कुछ बचा नहीं है जिसे बेचकर या गिरवी रखकर हम आगे इसका इलाज करवा सके। तो ये किसी काम की नहीं। बस जब तक सांसे चल रही है , तब तक जिंदा है । आगे..!
       
         पृथ्वी की बात सुनकर रतींम ने उसे बड़ी गंभीरता से जवाब देते हुए कहा, "ये आपके काम की भले ही ना, हो लेकिन हमारे काम की है;

      अभी रतीम आगे कुछ बोल पाता कि तभी कब से शान्त खड़ी धरा ने इरिटेट होते हुए कहा,  "काम! काम! काम!,  आखिर ऐसा कौन सा काम है, जरा हमें भी तो पता चले। जो ये ही कर सकती हैं। दुनिया में और भी तमाम लड़कियां है।
       उसके इस तरह से चिल्लाने पर पद्मिनी जी ने उसे घूर कर देखा। फिर कुछ सोचते हुए उन्होंने आगे आकर बेहद गंभीरता से पृथ्वी और धरा को कुछ ऐसा बताया , जिसे सुनते ही पृथ्वी और धरा के होश उड़ गए । वो दोनों बिलकुल सन्न रह गए ।   

     कुछ पल के लिए कमरे में शांति हो गई।  किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या कहा जाए। 

       कमरे में इस वक्त रतिम, पद्मिनी जी के साथ धरा और पृथ्वी थे। वहीं ईशु कुछ ही दूर पर बिस्तर पर पड़ी हुई थी। हालकि  उसकी आंखे बंद थी, लेकिन पलकों के कोर भीगे हुए थे। पृथ्वी ने शांति ताई को कमरे से बाहर कर दिया था। 

        वहीं कुछ पल की शांति के बाद पद्मिनी जी ने एक गंभीर आवाज में आगे कहा,  "देखो तुम दोनों को वैसे भी अपनी बेटी से कोई खास उम्मीद है नहीं ! लेकिन अगर तुम लोग मेरी बात मानते हो ,,  तो तुम लोगों को उसकी मुंह मांगी कीमत मिलेगी ! या शायद उससे भी बढ़कर । अब फैसला तुम्हारे हाथ में है। अगर चाहो तो तुम लोग इसकी वजह से वो सब पा सकते हो जो तुमने इसके इलाज के दौरान खो दिया।

       उनकी बात पर पृथ्वी ने ना समझी जवाब देते हुए कहा, "लेकिन ऐसे कैसे ? ये पॉसिबल कैसे हो सकता है! मेरी बेटी ऐसी हालात में...!! 

     अभी वो आगे कुछ कहता कि तभी धरा ने झट से उसे रोकते हुए उसके आगे जाकर फटाक से बोली, "हमें मंजूर है।"

       ये सुनकर पृथ्वी को बेहद हैरानी हुई । उसने धीरे से धरा के कान में कहा,  "धरा ये तुम क्या कह रही हो ? तुम्हें समझ भी आ रहा है ?

        लेकिन तुरन्त ही धरा ने उसे गुस्से से चुप करते हुए कहा, "तो आखिर क्या चाहते हैं आप? हम सारी जिंदगी यूं ही भिखारी बने घूमते रहे। आखिर इसमें बुराई ही क्या है ! वैसे भी उसे कुछ करना तो नहीं है , बैठे बिठाये मुंह मांगी कीमत मिल रही है , और क्या चाहिए आपको। और वैसे भी अब हम लगभग सड़क पर आ चुके हैं ऐसे में हमें पैसे की सख्त जरूरत है।"

       धरा की बात सुनकर पद्मिनी जी के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गई । वहीं पृथ्वी का मुंह बंद हो गया। लेकिन उनके सामने खड़ा रतिम! उसके चेहरे के भाव बहुत अजीब थे, जिसे समझ पाना बहुत ही मुश्किल था।

       काफी देर के डिस्कशन के बाद अंत में फैसला पद्मिनी जी के हक़ में हुआ। और उन्होंने चेहरे पर घमंड लाते हुए धरा से पूछा,  "तो बताओ! क्या कीमत लगाओगे तुम अपनी बेटी की? अपने हिसाब से पूरे 1 साल की कीमत जोड़कर बताना!  अगर काम में सफलता मिली , तो तुम्हें तुम्हारे उम्मीद से ज्यादा दिया जाएगा।"

       पद्मिनी जी की ऐसी बात सुनकर धरा के चेहरे पर लालच भरी मुस्कान तैर गई। और उसने बिना वक्त गंवाए झट से कहा , "50 लाख!!  50 लाख चाहिए मुझे इस काम के।"

      ये सुनकर पद्मिनी की मुस्कुराई और उसी घमंड भरे लहज़ में बोली,  " तुम जैसे छोटे लोगों की इतनी ही सोच होती है।  पर फिर भी जैसे तुम्हारी मर्जी। 50 लाख, ये कीमत मेरे लिए बहुत मामूली है । लेकिन याद रहे तुम अपनी बात से मुकर नहीं सकती।" 

      इस पर धरा ने हा में सर हिला दिया । तभी पद्मिनी जी ने अपने गार्ड को इशारा किया और कुछ ही देर में गार्ड ने एक पैसे से भरा बैग धरा के हाथ में रख दिया। जो देखते ही धरा मानो खुशी से पागल हो गई। उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था, कि आखिर वो इसके बदले कितनी बड़ी कीमत चुकाने वाली है।। खैर..

       धरा जैसे ही पैसे का बैग खोलने को हुई। वैसे ही पद्मिनी जी ने उस पर अपने भारी भरकम हाथ रख दिए। और उसे घूर कर बोली,  "मुझे ये काम जल्द से जल्द करना है ? तो कल रात तुम लोग तैयार रहना, मैं ड्राइवर भेज दूंगी।"

       धरा को फिलहाल पैसों के अलावा कुछ भी दिखाई और सुनाई नहीं दे रहा था । उसने झट से हां में गर्दन हिला दी। और इसी के साथ पद्मिनी जी के चेहरे पर एक जीत भरी मुस्कान तैर गई । और कुछ देर बाद वो दोनों वहां से निकल गए।

        शाम का समय

      हॉस्पिटल में

       मिली इस वक्त अपने कमरे में आंखें बंद किया सो रही थी। उसके चेहरे पर से पत्तियां हटा दी गई थी । लेकिन एक साइड के चेहरे पर कुछ पट्टियां लगी हुई थी। अभी कुछ देर पहले ही रितेश और रितु उससे मिलकर गया था और कुछ ही देर में बिहान आने वाला था। 

       मिली अभी हल्की नींद में थी कि तभी उसके वार्ड का दरवाजा खुला और एक इंसान अंदर आया । अंदर आते ही उसने वार्ड का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। और अपने भारी कदम मिली की और बढ़ा दिए।

      वो इंसान आहिस्ता आहिस्ता मिली के पास गया । और उसके बेड पर बैठ गया। फिर उसने धीरे से मिली के चोट लगे चेहरे को छुआ। मिली जो भी हल्की नींद में थी, अचानक से उसकी आंखें खुल गई।

        और उसने जैसे ही अपने सामने बैठे इंसान को देखा तो वो हैरान रह गई । लेकिन अगले ही पर उसने उस इंसान को धक्का देते हुए खुद से दूर कर दिया । और उससे अपना चेहरा फेरते हुए गुस्से से बोलि, "  आप यहां क्यों आए हैं।किसने बुलाया आपके यहां । चले जाइए यहां से आप , चले जाइए।  मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी और नहीं आपकी शक्ल देखनी है। आप जरूर यहां मेरे चेहरे का मजाक बनाने आए हैं। क्युकी मैने आपको इनकार किया था,, कहते हुए उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और वो सिसक कर रोने लगी।

       मिली की बात सुनकर और उसकी आंखों में आसूं देखकर उसके सामने बैठा स्वर ने गुस्से से अपनी मुट्ठियां भींच ली। फिर उसने खुद को कंट्रोल करते हुए धीरे से मिली के चेहरे को अपने सामने किया और उसकी आंखों में देखते हुए उसके आंसुओ को साफ करते हुए बोला__

      "लिटिल बनी, पहली बात तो तुम रोना बन्द करो। और दुसरी बात जब मुझसे बात किया करो, तो तुम्हारी आंखें मुझ पर होनी चाहिए, हमेशा। 

       और रही बात मुझे यहां बुलाने की, तो मुझे यहां किसी ने नहीं बुलाया ! बल्कि मैंने यहां सबको बुलाया है। तुम्हें यहां मैं लेकर आया हूं । और सबसे बड़ी और मोस्ट इंपोर्टेंट बात इस चेहरे की, तो ना ही मुझे कल इससे कोई फर्क पड़ता था और नहीं आज। तुम आज भी मेरे लिए वैसे ही हो जैसे आज तक थी। 

       फिर आगे उसने थोड़े गुस्से में कहा,  "हां लेकिन तुम्हारे इन चोटों को देखकर मुझे मन कर रहा है, कि मैं उसे इंसान को दोबारा वही मौत दू, जो वो पा चुका है।"

        स्वर की बात सुनकर मिली ने अचानक से उसकी आंखों में देखा स्वर की आंखों में उसे एक सच्चाई नज़र आ रही थी, लेकिन अगले ही पल उसने अपनी नज़रें फिर से फेर ली और गुस्से से बोली,  " ओह तो आपने मेरी जान बचाई।
    उसके लिए बहुत बहुत मेहरबानी आपकी। लेकिन मेरी वजह से आपको किसी को सजा देने की जरूरत नहीं। और अब मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी, प्लीज आप यहां से चले जाइए।
     
      मिली की बात सुनकर स्वर ने एक फिर से अपनी मुठिया कस ली, लेकिन उस ने कुछ नहीं कहा।  वो गहरी सांस भरते हुए बिस्तर से खड़ा हुआ। फिर उसने झुक कर मिली के सर पर किस किया और बोला, "अपना ख्याल रखना। बहुत जल्द सब कुछ ठीक हो जाएगा।"  कहकर वो वहां से बाहर चला गया।