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Feels like ishq (Contract marriage)

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Jahnavi Sharma

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एक अनोखी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज

Total Chapters (95)

Page 1 of 5

  • 1. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 1

    Words: 1503

    Estimated Reading Time: 10 min

    एक बड़े से मीटिंग रूम में लगभग 25 से भी ज्यादा लोग बैठे थे। ये मुंबई के टॉप रेटेड कंपनी के चेयरपर्सन्स थे, जिनमे आदमी और औरते दोनो थे। उनके सबके सामने एक लगभग 45 साल की औरत थी। उसके चेहरे के भाव सख्त थे। वो दिखने में किसी मॉडल की तरह लग रही थी। उसने सधे हुए शब्दों में कहा, “आई होप, आपने अपना ड्राफ्ट अच्छे से रेडी कर लिया होगा। ये एक बहुत बड़ा इंटरनेशनल प्रोजेक्ट होने वाला है। इसमें शामिल होने का मौका हर किसी को नहीं मिलता। आप इसमें शामिल है, इसका मतलब आप बहुत खास है। रिजल्ट अगले दो दिनों में अनाउंस हो जाएगा।” उसके कहते ही सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा। उन सब के चेहरे के भाव लगभग एक जैसे थे। सबको यही लग रहा था मानो जीत उन्हीं की होगी। उस मीटिंग में डिजाइनिंग इंडस्ट्री से जुड़े टॉप बिजनेस पर्सन्स थे। आगे की जरूरी बात बताने के बाद वो औरत वहां से जा चुकी थी। उसके जाने के बाद एक-एक करके वहां मौजूद बाकी के लोग भी चले गए सिवाय दो आदमियों के....। सब के जाने के बाद उन्होंने एक दूसरे की तरफ तिरछी निगाहों से देखा। दोनों एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे। “सुना है तुम्हारी कंपनी ने इस बार काफी लॉस झेला है। मुझे तो हैरानी हो रही है कि तुम जैसे बिजनेस माइंडेड इंसान को नुकसान हो कैसे सकता है?” उनमें से एक आदमी में कहा। वो मिस्टर आकाश मित्तल थे, जो ड्रेस डिजाइनिंग फील्ड से आते थे। उनका ब्रैंड इंडिया के बाहर और भी देशों में फेमस था। “हुह....” उसके सामने वाले आदमी ने मुंह बनाया। “पता नही तुझ तक ये गलत खबरें पहुंचाता कौन है? तूने लिस्ट मे मेरा नाम नहीं देखा? मैं सातवें नंबर पर आ गया हूं। तुझसे पूरा एक नंबर आगे....” मिस्टर आकाश मित्तल के सामने बैठे आदमी का नाम मिस्टर नवीन गोयंका था। उसने पूरे एटीट्यूड से जवाब दिया। उनकी कंपनी लोकल और इंटरनेशनल लेवल पर फैशन इवेंट मैनेज करती थी। “ठीक है, फिर तेरे दो रैंक ऊपर आने की खुशी में पार्टी तो बनती है।” आकाश मित्तल ने कहा। “तू आज भी नहीं सुधरा ना? कॉलेज के टाइम में भी तुझे मेरी नई शर्ट खरीदने से लेकर एक नंबर भी ज्यादा आने के लिए पार्टी चाहिए होती थी और अब भी यही हाल है।” नवीन ने जवाब दिया। “हां तू भी कहां बदला है? पहले भी कंजूस था और अब भी यही हाल है। ना तूने पहले मुझे कभी पार्टी दी और अब तो मैं उम्मीद ही क्या लगाऊं....” “उसे कंजूस होना नही, पैसे की वैल्यू समझना कहते है।” नवीन बोला। नवीन और आकाश अपनी जगह से उठे और फिर एक दूसरे के गले लग गए। नवीन ने अलग होकर कहा, “एक ही शहर में रहते हुए भी मुद्दत हो गई एक दूसरे से मिले हुए।” “हां तू तो इतना कंजूस है कि किसी के पार्टी में भी नहीं जाता। क्या पता कल को फिर तुझे भी पार्टी देना पड़े और उन्हें बुलाना पड़े।” आकाश ने हंसकर कहा। “अब बस भी कर। तुझे पार्टी देकर भी क्या फायदा है? शराब के तो तू हाथ भी नहीं लगाता, नॉनवेज तुझे खाना नहीं होता। फिर क्या घास फूस खिलाने के लिए तुझे पार्टी दूं? चल इसे छोड़, और बता घर पर सब कैसे हैं? शगुन बिटिया? अब तक तो वो बहुत बड़ी हो गई होगी। उम्मीद है वो तुझ पर बिल्कुल नहीं गई होगी।” नवीन ने पूछा। “बिल्कुल मुझ पर ही गई है मेरी बेटी। मेरी ही तरह संस्कारी है। मैंने अपनी बेटी को बिल्कुल अलग तरीके से पाला है। उसे हमारी दौलत का घमंड ना हो इसलिए मैंने उसे हमेशा खुद से दूर रखा। मेरी इकलौती होने के बावजूद उसे जरूरत के हिसाब से ही पैसे दिए। एक बार भी उसने मुझसे ये नहीं कहा कि इतने पैसों का आप क्या करेंगे या इन पर मेरा हक है। बहुत संस्कारी है मेरी शगुन, रोज मंदिर जाती है और भगवान से मेरी अच्छी सेहत की कामना करती हैं।” आकाश जी अपनी बेटी के बारे में बता रहे थे। उनके चेहरे पर सुकून के भाव थे और आंखों में अपनी बेटी के बारे में बताते हुए गर्व। ___________ देहरादून की पहाड़ियों पर एक सुकून देने वाली शांति थी। वहां पहाड़ियों पर अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर बने हुए थे। उन्हीं में एक मंदिर, जो ज्यादा बड़ा नहीं था, वहां एक लड़की महादेव की मूर्ति के सामने बैठी थी। उसके अलावा वहां और कोई मौजूद नहीं था। वो दिखने में दुबली पतली, हल्की गोरी रंगत लिए थी। उसने डिजाइनर सूट पहन रखा था। उनके सीधे बाल कमर से थोड़े छोटे थे। उसने भगवान के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ रखे थे और आंख बंद करके प्रार्थना कर रही थी। आस पास कोई नहीं होने की वजह से वो मन में बोलने के बजाय थोड़ा तेज हो रही थी। “हे भगवान..! मैं रोजाना आपके मंदिर आती हूं। रोज प्रसाद चढ़ाती हूं। पंडित जी ने बताया था कि सोलह सोमवार का व्रत रखने से हर मनोकामना पूरी होती है। पूरे तीन बार सोलह सोमवार के व्रत रखे है मैने। अब तो मेरी मनोकामना पूरी कर दीजिए। मैंने पूरे दिल से आपके व्रत किए थे। अब तो सब कहने भी लगे हैं कि उपवास कर करके मैं पतली हो गई हूं। मुझ पर ना सही लेकिन मेरे पतले शरीर पर तो तरस खाइए।” वो प्रार्थना कर रही थी, तभी उसके पास में एक अधेड़ उम्र की औरत आई। उसने उसकी सारी बात सुनी और फिर उसके कंधे पर हाथ रखा। उसके हाथ रखते ही लड़की ने झट से आंखें खोली। उस औरत ने उसे सहलाते हुए कहा, “घबराओ मत बेटी, मैं तुम्हारी तरफ से भगवान से प्रार्थना कर देती हूं।” उस औरत ने भगवान के सामने हाथ जोड़े और बोली, “भगवान आप इस लड़की की मनोकामना पूरी क्यों नहीं कर देते। ये तो व्रत रख रख कर दुबली पतली भी हो गई। अगर इसने और व्रत रखे तो सच में इसे कोई लड़का नहीं मिलेगा। शक्ल भी कुछ खास नहीं है।” फिर वो उस लड़की की तरफ देखकर बोली, “उम्र क्या होगी तुम्हारी?” “सताइस साल...” उसने जवाब दिया। “ओहहो.. इसकी तो शादी की उम्र भी निकलने वाली है” उसके ऐसा कहने पर वो लड़की उसकी तरफ घूर कर देखने लगी। वो वहां से उठकर जाने को हुई तभी उस औरत ने हाथ पकड़कर उसे वापिस नीचे बैठा लिया। “यहां तुम्हारे नाम की एक खास पूजा रखवा देती हूं... अच्छा नाम क्या है वैसे तुम्हारा?” औरत ने पूछा। “शगुन....” लड़की ने धीमी आवाज में जवाब दिया। “देखो तो कितना प्यारा नाम है। तुम्हारी शक्ल पर तो बिल्कुल नहीं जच रहा। पर कोई बात नहीं, भगवान में इतना यकीन रखती हो तो अच्छे दिल की ही होगी। हे महादेव! आप इसी साल शगुन के लिए एक अच्छा वर ढूंढ कर इसकी शादी करवा देना।” “क्या? शादी?” शगुन ने आंखें बड़ी करके कहा। फिर वो खड़ी हुई और भगवान के सामने दोनों हाथ हिला कर जोर से चिल्ला कर बोली, “बिल्कुल नही.. बिल्कुल भी नहीं भगवान जी... आप इस औरत की बात बिल्कुल नहीं सुनेंगे। अरे व्रत मैंने रखे हैं, तो मेरी सुनिए ना....” उसके बाद शगुन ने उस औरत की तरफ घूरकर देखा और कहा, “और आपको क्या लेना देना है मेरी शक्ल से? मैं कब से देख रही हूं, आप मेरी शक्ल की बुराई कर रही है। क्या कमी है इसमें...? अब मुझे डिस्टर्ब मत कीजिए... मुझे भगवान जी से बहुत कुछ मांगना है।” “मुझे समझ नही आया अगर तुम्हें अच्छा पति नहीं चाहिए तो फिर क्यों भगवान के सामने गिड़गिड़ा रही हो?” वो औरत शगुन की बात सुनकर हैरान थी। उसकी बात सुनकर शगुन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। वो भगवान की मूर्ति की तरफ मुड़ी और बोली, “मुझे अच्छा पति नहीं अपने पापा का बिजनेस चाहिए भगवान जी.... आप क्या चाहती है, मेरी शादी हो जाए और मैं अपने पापा का घर और उनका बिजनेस छोड़कर चली जाऊं? बिल्कुल नहीं.... मैं उनकी इकलौती औलाद हूं। बहुत मेहनत की है मैंने खुद को इस लायक बनाने की ताकि उनके एंपायर को संभाल सकूं। सुन रहे हैं ना आप भगवान जी, पिछले 6 सालों से मैं उन की बात बिना सवाल किए मान रही हूं। उन्हें छोड़ो आपको पटाने में भी कितनी मेहनत लगी। जिसने भी जो पूजा बताई, मैंने की.... लेकिन अब बहुत हो गया। मुझे मेरा हक चाहिए। इस बार जब मैं घर जाऊं तो प्रॉपर्टी मेरे नाम हो जानी चाहिए।” शगुन ने भगवान की मूर्ति के सामने उंगली दिखाकर कहा और पूरे एटीट्यूट के साथ वहां से चली गई। “बाप रे, भगवान को उंगली दिखा रही है। अजीब लड़की है। ऐसा कौन करता है? बोलो, इसे अपने बाप के पैसे चाहिए। मुझे तो लगा अच्छे पति के लिए भगवान को मना रही होगी और ये है कि.... कितनी लालची है।” वो औरत अभी भी शगुन की तरफ हैरानी से देख रही थी। शगुन ने अपने बाल झटकाए और बेफिक्र होकर वहां से जा रही थी। ★★★★ ये स्टोरी डिफरेंट है, और फनी भी। पूरी पढ़कर देखिएगा, आपको डेफिनेटली पसंद आएगी। क्या शगुन की तरह अनुभव की अतरंगी है, ये आपको अगले चैप्टर में पता चल जाएगा। पढ़कर लाइक और कॉमेंट जरूर करिएगा। आगे की भागों के लिए फॉलो कीजिए।

  • 2. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 2

    Words: 1578

    Estimated Reading Time: 10 min

    मीटिंग रूम में बैठे नवीन और अकाश पुराने दोस्त थे। मीटिंग होने के बाद वो दोनों वहां बैठकर अपने बच्चों के बारे में बातें कर रहे थे। नवीन ने उसे अपनी बेटी शगुन के बारे में बताया। नवीन से शगुन के बारे में सुनने के बाद आकाश ने मुस्कुरा कर कहा, “जैसी उम्मीद थी, वैसा ही पाया। बचपन से ही वो काफी शांत और मासूम टाइप की थी। बहुत साल हो गए उसे देखे हुए... क्या उसने ऑफिस ज्वाइन कर लिया है?” “नहीं यार, अभी कहां? उसने एमबीए की डिग्री कंप्लीट कर ली। उसके बाद मैंने उससे कहा था कि वो किसी अच्छी कंपनी में जाकर काम करें, खुद को प्रूफ करें कि वो मेरी एंपायर संभालने के लायक है भी या नहीं...” नवीन बोल रहा था, तभी आकाश ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “ये कैसी बातें कर रहा है तू? हमारे बच्चों का पूरा हक है हमारी प्रॉपर्टी पर और क्या जरूरत है उसे खुद को प्रूव करने की...” “हां जानता हूं कोई जरूरत नहीं पर जिंदगी के अनुभव घर बैठे नहीं मिलते। बस यही सोचकर उसे कुछ साल काम करने के लिए बाहर भेज दिया। सोच रहा हूं अगले साल तक रिटायरमेंट ले लूं, तब तक शगुन भी तैयार हो जाएगी।” नवीन ने बताया। उसकी बात सुनकर आकाश के चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव थे। उसे अचानक यूं मुस्कुराता देख कर नवीन ने सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखा। “मेरी तरफ ऐसे मत देख... हम दोनों दोस्त हैं इसलिए हमारी थिंकिंग भी एक जैसी है। तुम्हें यकीन नही होगा लेकिन मैंने भी अपने बेटे अनुभव को यही सोच कर खुद से दूर किसी और कंपनी में काम करने के लिए भेजा ताकि वो तैयार हो सके।” “क्या सच में? मुझे भी अनुभव से मिले हुए काफी वक्त हो गया। पिछली बार उसे देखा था तब वो हाई स्कूल में था।” नवीन बोले। “हां हाई स्कूल कंप्लीट करने के बाद भी मैंने उसे आगे की एजुकेशन के लिए बेंगलुरु भेज दिया और अब वो देहरादून की एक कंपनी में काम कर रहा है।” आकाश के बताते ही नवीन ने तुरंत कहा, “क्या सच में? शगुन भी देहरादून में ही है।” “अरे पहले क्यों नहीं बताया? मैं अनुभव को बोल देता तो वो शगुन बिटिया का ध्यान रख लेता।” आकाश ने कहा। “वो मेरी बेटी है और सेल्फ इंडिपेंडेंट भी, मुझे नहीं लगता कि उसे किसी के ध्यान रखने की जरूरत है।” उसकी बात सुनकर आकाश ने हंसकर कहा, “तो क्या पता शगुन ही अनुभव का ख्याल रख लेती। बहुत भोला है मेरा अनुभव, दुनियादारी से बिल्कुल अलग... सादा जीवन उच्च विचार वाली विचारधारा का पालन करने वाला...” “ये तो सच में अच्छी बात है। हम कितने लकी हैं कि हमारे बच्चे बाकी बिजनेस फैमिलीज के बच्चों की तरह बिगड़े हुए नहीं है। उन्हें घमंड नहीं है कि उनके पास इतना पैसा है।” नवीन ने गर्व से कहा। “हां बिल्कुल... अनुभव को मैंने कार्ड दे रखे है पर आज भी वो अपनी जरूरत के हिसाब से ही पैसे खर्च करता है। कभी-कभी सोचता हूं कि मैंने अपने बेटे को बाकी बच्चों से पीछे तो नहीं रख दिया, जहां आजकल के बच्चे पार्टी, शराब और लड़कियों में डूबे रहते हैं, वही अनुभव को किताबें पढ़ना बहुत पसंद है। ज्यादा शोर से तो उसका सिर दर्द होने लगता है... मैं भी तुम्हारी तरह रिटायरमेंट प्लान कर रहा हूं। अब अनुभव भी पूरी तरह तैयार है।” आकाश ने बातों ही बातों में अपने बेटे अनुभव के बारे में बताया। दोनों दोस्त एक दूसरे से अपने अपने बच्चों की बात करके काफी खुश थे। काफी समय से उनके बच्चे उनसे दूर थे लेकिन उनके बारे में बात करते हुए ऐसे लग रहा था जैसे वो उनके पास ही बैठे हो। “अच्छा अनुभव इस बार आए तो बताना। मैं उससे जरूर मिलूंगा।” नवीन ने कहा। “हां हां क्यों नहीं, मैं भी शगुन बिटिया से मिलना चाहता हूं। रचना और वाणी तो एक दूसरे से मिलती रहती है। हम दोनों ही हैं जो काफी टाइम बाद मिल रहे हैं।” आकाश ने जवाब दिया। साथ में बातें करते हुए उन्होंने लंच लिया और उसके बाद अपने अपने ऑफिस के लिए निकल गए। ___________ रात के 2:00 बज रहे थे। दून सिटी के एक क्लब में लाउड म्यूजिक बज रहा था। क्लब में मौजूद लड़के लड़कियां ज्यादातर नशे में ही थे और साथ में डांस कर रहे थे। उन सब के बीच एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के कमर में हाथ डालकर म्यूजिक के साथ ही रख रहा था। वो दिखने में लम्बा और काफी फिर नजर आ रहा था। उसका गोरा चेहरा क्लब की लाइट्स में चमक रहा था। उसके बाल माथे पर बिखरे। उसके होठों के नीचे तिल था और क्लीन शेव्ड चेहरा काफी मासूम लग रहा था। ये अनुभव मित्तल था। “अरे कोई रोमांटिक म्यूजिक प्ले करो यार। ये क्या सड़ा हुआ गाना लगा रखा है...” अनुभव ने चिल्लाकर कहा। उसकी आवाज से साफ लग रहा था कि वो हल्के नशे में था। “अब बस भी करो, हमें घर पर जाना है।” उसके पास मौजूद लड़की ने कहा। वो भी हाइट में काफी लंबी और खूबसूरत थी। उसने वन पीस रेड शॉर्ट ड्रेस पहना था। “बिल्कुल नहीं स्वीटहार्ट... अभी तो हमें आए हुए यहां सिर्फ 3 घंटे ही हुए हैं... पूरी रात बची है एंजॉय करने को... लेट्स हैव फन बेबी...” बोलते हुए अनुभव ने उसे गले लगा लिया। “आई लव यू सो मच प्रार्थना...” उसने उसके गले लगे हुए कहा। “हां हां ठीक है। चलो अब चलते हैं... मुझे कुछ देर खुली हवा में वॉक करना है। पता नहीं तुम इतने लाउड म्यूजिक में कैसे रह लेते हो। तुम्हारा सर दर्द नहीं करता क्या?” प्रार्थना ने अपना सिर पकड़ कर कहा। वो अनुभव का हाथ पकड़ कर उसे वहां से ले जाने लगी। दोनो बिल भरने के लिए काउंटर पर आए। बिल देखने के बाद उसकी आंखें बड़ी हो गई। “इतने सारे पैसे? लेकिन मैंने तो कुछ खास पी भी नहीं...” अनुभव ने आंखें तरेर कर कहा। फिर उसने प्रार्थना की तरफ देखा, जो उसे घूर कर देख रही थी। उसके इस तरह देखने पर अनुभव हंसा और फिर बोला, “सॉरी मैं भूल गया था। मुझे टेंशन लेने की क्या जरूरत है? अरे मैं अनुभव मित्तल हूं... दी अनुभव मित्तल, जो इतने बड़े एंपायर का मालिक है। सॉरी बेबी, मुझे याद नहीं रहा। मुझे लगा मैं वही छोटी सी जॉब करने वाला कोई नॉर्मल सा एंप्लॉय हूं और उस सैलरी के हिसाब से बिल देखकर मेरी सांसे अटक गई थी।” “लगता है, इसको चढ़ गई।” काउंटर पर खड़े एक आदमी ने कहा। “तुम्हें क्या लगता है मैं झूठ बोल रहा हूं?” अनुभव ने उसकी तरफ आंखें घूर कर देखा। फिर उसने अपनी जैकेट और घड़ी दिखाते हुए कहा, “ये दोनों ही बहुत महंगी है.. और ब्रांडेड भी। नहीं, तुम्हें ऐसे यकीन नहीं आएगा...” अनुभव वहां से डीजे के पास गया और उसने माइक लिया। उसने जोर से माइक में चिल्लाकर कहा, “आज यहां पर जो भी लोग मौजूद है, उनकी पार्टी मेरी तरफ से, मैं सब का बिल पे करूंगा। गाइज, जिसे जितना इंजॉय करना है, मजे से कीजिए।” उसके ऐसे करने पर प्रार्थना के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। अनुभव ने अपना कार्ड निकाला और वहां मौजूद सभी लोगों का बिल भरा। उसके बाद वो प्रार्थना के साथ बाहर आ गया। “आई एम इंप्रेस्ड... पहली बार लगा कि तुम सच में अमीर हो।अच्छा बेबी, तुम अपने पापा को हमारे बारे में कब बताने वाले हो? और तुम कब ये मामूली सी नौकरी छोड़ कर अपना बिजनेस संभालोगे। मैं तो अपने फ्रेंडस से तुम्हारे बारे में बता भी नहीं सकती। तुम जॉब करते हो.. और मुझे ये बताते हुए ही शर्म आती है।” प्रार्थना उसके साथ चलते हुए बातें कर रही थी। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ रखा था। “अरे बेबी, जल्द ही बताऊंगा। इस बार जब मुंबई जाऊंगा, तब उन्हें हम दोनों की लव लाइफ के बारे में हर एक बात बताऊंगा और कहूंगा कि एंपायर मिलने के तुरंत बाद वो हम दोनों की शादी करवा दे।” “क्या सच में? वो हमारी शादी करवा तो देंगे ना? मैंने सीरियल या मूवीस में देखा है कि अक्सर बिजनेस फैमिली में उनके बच्चे अरेंज मैरिज ही करते हैं, वो भी किसी बड़ी हाई क्लास फैमिली में...” प्रार्थना ने रुककर कर पूछा। “तुम्हें क्या लगता है कि मेरी फैमिली बाकी फैमिलीज की तरह है? अरे ये तो मैं अपनी मर्जी से यहां काम करने के लिए आया था। मेरे पापा तो मुझे सारा काम संभालने के लिए दे रहे थे बस मैं चाहता था कि थोड़ा जॉब एक्सपीरियंस लूं...” “ठीक है, कभी-कभी तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं होता लेकिन जब तुमने सबका बिल पे किया तो एक बार के लिए मुझे हैरानी हुई। तुम सच में बहुत रिच हो और काफी दिलदार भी... अच्छा तुम्हारे पापा तुम्हें कुछ कहेंगे तो नहीं ना, तुमने इतना सारा खर्च किया है।” प्रार्थना ने पूछा। उसके पूछने पर अनुभव हंसने लगा और फिर जवाब में कहा, “वो मुझे क्यों कुछ कहेंगे? सब कुछ आखिर मेरा ही तो है। उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं है। कहना तो दूर की बात है वो तो मुझसे पूछेंगे तक नहीं कि मैंने इतने पैसे कहां उड़ाए...” अनुभव ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि उसके फोन पर उसके पापा का कॉल आ रहा था। अचानक उसके एक साथ इतने सारे पैसे खर्च करने पर आकाश मित्तल हैरान थे और उसके बारे में जानने के लिए उन्होंने अनुभव को कॉल किया। ★★★★ शगुन और अनुभव अपने अपने पेरेंट्स के एक्सपेक्टेशन से बिल्कुल अलग है। क्या ऐसे में उन दोनों की लाइफ आसानी से बीत पाएगी। आगे की कहानी के लिए बने रहिए मेरे साथ और समीक्षा करके जरूर सपोर्ट करिएगा।

  • 3. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 3

    Words: 1609

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनुभव अपनी गर्लफ्रेंड प्रार्थना के साथ घर जा रहा था। उसके सामने अपना इंप्रेशन जमाने के लिए उसने क्लब में आए सभी लोगो का बिल पे कर दिया। वो दोनो बात कर ही रहे थे कि अनुभव के पास उसके पिता मिस्टर आकाश मित्तल का कॉल आया। प्रार्थना की नजरों से अपना मोबाइल बचाकर अनुभव ने अपने पापा का नंबर देखा तो वापस मोबाइल को अपने पॉकेट में रख लिया। उसके पापा के लगभग तीन से चार कॉल्स आ गए थे। “तुम्हारा मोबाइल बज रहा है।” अनुभव के कॉल पिक ना करने पर प्रार्थना बोली। “हो सकता है, कोई इंपोर्टेंट कॉल हो।” “हेहेहेहहह...” अनुभव नकली हंसी हंसते हुए बोला, “बेबी.. तुम सच में बहुत इनोसेंट हो। जानती नहीं क्या... ये क्रेडिट कार्ड वाले... इन्हें पता होता है किस के अकाउंट में कितना पैसा है। बहुत कॉल्स करते हैं। दिन भर परेशान करके रखते हैं।” उसकी बात सुनकर प्रार्थना ने आंखें घुमाई और अपनी घड़ी उसके सामने करते हुए बोली, “रात के 2:30 बज रहे हैं। इस टाइम तुम्हें कौन क्रेडिट कार्ड के लिए कॉल करेगा? तुम कॉल पिक करो। हो सकता है कोई इमरजेंसी हो।” “मेरे लिए इस वक्त तुम से बढ़कर और कुछ नहीं है।” कहकर अनुभव ने प्रार्थना को गले लगा दिया या यूं कहें कि अपने चेहरे के भावों को छुपाने के लिए उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। उसे जल्दी से मोबाइल निकाला और अपने पापा को मैसेज करने लगा, “मैं आपको कुछ देर बाद कॉल करता हूं। अभी एमरजैंसी में फंसा हूं।” मैसेज सेंड करने के बाद अनुभव ने राहत की सांस ली। उसने अपने मन में कहा, “इसके सामने चौड़ दिखाने के चक्कर में इतने पैसे तो खर्च कर दिए लेकिन पापा को क्या जवाब दूंगा? सोच अनुभव सोच... कहीं ऐसा ना हो उन्हें सच का पता चल जाए और वो मुझे अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल... नहीं-नहीं, ऐसा थोड़ी हो सकता है। मैं उनका इकलौता बेटा हूं। मैं भी क्या बकवास और मनहूस बातें सोच रहा हूं।” अनुभव अपने ख्यालों में गुम था। वो काफी देर तक प्रार्थना के चिपका रहा। प्रार्थना ने उसे खुद से दूर किया और कहा, “अच्छा ठीक है, अब मुझे घर जाना है।” “मैं छोड़ कर आऊं? तुम्हें प्रॉब्लम होती होगी ना, गार्डन से सीढ़ियां चढ़कर अपने कमरे तक जाने में...” अनुभव की बात सुनकर प्रार्थना ने मुंह बनाया। उसने उसके कंधे पर हल्का सा मारकर कहा, “ये सब भी तुम्हारी वजह से हो रहा है। अगर तुम जॉब करने के बजाय अपना एंपायर संभाल रहे होते तो मुझे तुम्हें अपने घर वालों से मिलाने में कोई दिक्कत नहीं होती।” “बस कुछ दिन एडजस्ट कर लो बेबी, फिर देखना हम दोनों साथ रहेंगे... खुशी खुशी एक घर में और फिर पूरी लाइफ मजे करेंगे।” प्रार्थना ने मुस्कुराकर उसकी बात पर हामी भरी। जाने से पहले उसने अनुभव को गले लगाया और उसके गाल पर हल्का सा किस कर के वहां से टैक्सी लेकर चली गई। उसके जाने के बाद अनुभव ने भी टैक्सी ली और वहां से अपने फ्लैट पर आ गया। वो अपने घर पहुंचा, तब सुबह के लगभग 3:30 बज रहे थे। दरवाजा अंदर से बंद होने की वजह से वो बार-बार डोरबेल बजा रहा था। “अबे साले गतिक के बच्चे... घोड़े बेच कर सोया है क्या?” इस बार अनुभव ने डोर बेल बजाने के बजाय दरवाजे पर जोर से अपनी लात मारी। “आ रहा हूं... भगवान जी तुझ जैसा दोस्त किसी शैतान को भी ना दे। ना दिन में चैन से रहने देता है और ना ही रात को...” अंदर से उसके दोस्त गतिक की आवाज आई, जो उसके साथ रहता था। वो उसी का हम उम्र था, एक नॉर्मल हाइट का, दुबला पतला क्यूट दिखने वाला लड़का था। गतिक ने अनुभव के लिए दरवाजा खोला। वो नींद से उठ कर आया था इसलिए उसके बाल बिखरे थे। उसकी आंखों में अभी भी नींद तैर रही थी। “अगली बार अगर इतना लेट करना है तो पहले ही बता देना। मैं दरवाजा लॉक करके नहीं सोऊंगा। मेरी भी नींद खराब कर देते हो।” “हां हां ठीक है। तुझे फ्री में मेरे साथ रहने को मिल रहा है, ये काफी नहीं है क्या.. और तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकता? आखिर दोस्त होते ही किसलिए हैं।” अनुभव अंदर आते हुए बोला। “तू खुद को मेरा दोस्त कहता है?” गतिक आंखें तरेर कर बोला,“तू मेरा दोस्त नहीं, दुश्मन है... दुश्मन।” दोनों दोस्त वहीं सोफे पर ही पसर गए। वो एक टू बीएचके फ्लैट था, जिसमें जरूरत के हिसाब से सारी सुविधाएं थे। ये फ्लैट अनुभव का ही था। उसे अकेलापन महसूस ना हो इसलिए उसने अपने दोस्त गतिक को भी वहां रहने के लिए बुला लिया था। “क्या जिंदगी है यार? कौन कह सकता है कि मैं इतने बड़े एंपायर का मालिक हूं। भिखारियों जैसी हालत है मेरी...” अनुभव बोला। “सही कह रहा है तू। तेरी हालत देखकर कोई नहीं कह सकता कि तू दी आकाश मित्तल का बेटा है। वैसे तू इतना परेशान क्यों लग रहा है? कुछ हुआ है क्या?” उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर गतिक ने पूछा। “कुछ नहीं यार, बहुत कुछ हुआ है। प्रार्थना के सामने शो ऑफ करने के चक्कर में मैंने वहां आए सभी लोगों का बिल पे कर दिया... वो भी लगभग पांच लाख रुपए।” अनुभव के मुंह से पांच लाख का नाम सुनकर गतिक जल्दी से उठा और बोला, “बाप रे पांच लाख... तेरे पापा को तो हार्टअटैक ही आ गया होगा।” “हां,अब उनका बार-बार फोन आ रहा है। मैंने कॉल पिक नहीं किया, लेकिन जानता हूं वो क्यों कॉल कर रहे होंगे। यार प्लीज मेरी हेल्प कर दे। मैं उन्हें क्या कहूंगा।” परेशानी में अनुभव उठ कर बैठ गया। वहीं उससे सारी बातें जानने के बाद गतिक जोर जोर से हंस रहा था। “तेरी हालत तो सच में खराब है। मुझे समझ नहीं आता तू अपने पापा से इतना डरता क्यों है? सब कुछ तेरा ही तो है। तू तो ऐसे डर रहा है जैसे तेरे तीन चार भाई बहन और हो... और वो सारी प्रॉपर्टी उनके नाम कर देंगे।” गतिक की बात सुनकर अनुभव ने गहरी सांस लेकर छोड़ी। “तीन-चार नहीं मेरे भाई, तीन-चार सौ भाई-बहन बोल...” बोलते हुए अनुभव की आंखों के आगे एक दृश्य घूमने लगा। वो लगभग सत्रह साल का था और अपने पापा के साथ एक अनाथ आश्रम में था। वहां काफी सारे बच्चे थे। उस दृश्य को याद करते ही अनुभव के अंदर एक कंपकंपी सी उठी और वो तुरंत ही होश में आ गया। फिर उसने गतिक से कहा, “आज तक मैंने ये बात किसी को नहीं बताई। तू बहुत किस्मत वाला है कि मैं तुझसे सब शेयर कर रहा हूं। आज से लगभग 10 साल पहले मेरे पापा मुझे एक जगह ले कर गए थे। वो एक अनाथ आश्रम था, जो उन्होंने अडॉप्ट किया था।” “कहना पड़ेगा यार तेरे पापा सच में बहुत दयालु इंसान है। वरना पूरे के पूरे अनाथ आश्रम को कौन अडॉप्ट करता है।” “सही कहा। जब वो वहां गए थे तब उन्होंने मुझे एक बात कही थी। वो कुछ ऐसी बात थी, जो आज भी मेरे कानों में सोते वक्त गूंजती है।” उसे सब बताते हुए अनुभव खड़ा हुआ और बिल्कुल आकाश मित्तल की तरह बात करते हुए बोला, “अनी बेटा, अपने नए भाई-बहनों से मिलो। मेरे बाद तुम ही इनकी देखरेख करोगे। अब तुम कभी अकेला महसूस नहीं करोगे। तुम्हारे हर सुख दुख में ये तुम्हारे साथ रहेंगे।” “ये तो अच्छी बात है। फिर तू उनसे इतना डरता क्यों है?” गतिक ने बीच में कहा। उसके यूं बीच में बोलने पर अनुभव ने उसकी तरफ आंखें दिखाई, “क्या यार, सारा फ्लो खराब कर दिया।” उसके बाद वो फिर से आकाश मित्तल की तरह बात करने लगा और आगे बताते हुए बोला, “अगर तुम अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब हुए या किसी भी तरह से मेरे एंपायर को ना संभाल पाए, तो यूं समझ लेना कि ये सब तुम्हारी जिम्मेदारी उठाएंगे।” सारी बात जानने के बाद गतिक की आंखें बड़ी हो गई। अनुभव को उसे आगे कुछ और कहने की जरूरत नहीं पड़ी। “इसका मतलब अगर तू उनकी एक्सपेक्टेशन पर खरा नहीं उतर पाया तो क्या वो सारी प्रॉपर्टी उस अनाथ आश्रम को चली जाएगी।” अनुभव ने रोनी सूरत बनाई और उसकी बात पर हां में सिर हिलाया। “बिल्कुल कुछ ऐसा ही होगा। तुझे पता है उसके बाद से मैंने आज तक उनकी कोई बात नहीं टाली। उन्होंने जिस कॉलेज में मेरा एडमिशन कराया, मैंने वहीं पढ़ाई की। दिन रात मेहनत करके टॉप किया। जॉब एक्सपीरियंस का टाइम आया तो उन्होंने कहा कि अगर मैंने अपनी कंपनी ज्वाइन की तो सब मुझे एज ए बॉस स्ट्रीट करेंगे इसलिए मुझे किसी और कंपनी में जॉब करनी होगी... मुझे आकाश मित्तल का बेटा नहीं एक नॉर्मल आम आदमी की तरह रहना होगा। ये सब तो कुछ नही... तुझे पता है मेरे भाई... मुझे करेला बिल्कुल पसंद नहीं। फिर भी मैने उन्हें कभी करेला खाने से मना नहीं किया। बहुत दुखभरी कहानी है यार मेरी...” सारी बातें बताने के बाद अनुभव बच्चों की तरह रोने का दिखावा करने लगा। गतिक ने उसे गले लगाया और सहलाते हुए कहा, “अब तो मुझे भी तुम पर बहुत दया आ रही है। मैं तेरे लिए दुआ करूंगा।” “हां, साथ में मेरी बेबी के लिए भी कि पापा हम दोनों की शादी के लिए तैयार हो जाए।” अनुभव उससे अलग होकर बोला। दोनों फिर से सोफे पर पसर गए। कुछ ही देर में अनुभव नींद के आगोश में था और उसके सपने में फिर से उसके पिता की कही बातें गूंज रही थी। “न.. नहीं पापा... मैं.. मैं अपनी जी जान लगा लूंगा... अपने भाई बहनों का भी पूरा ध्यान रखूंगा.. लेकिन मुझे प्रॉपर्टी से बेदखल मत कीजिएगा।” अनुभव नींद में भी बड़बड़ा रहा था। ★★★★ कहानी पढ़कर समीक्षा जरूर करिएगा। ये कहानी थोड़ी फन लेवल के हिसाब से लिखी गई है तो किसी भी करैक्टर को जज मत कीजिएगा। ‌

  • 4. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 4

    Words: 1898

    Estimated Reading Time: 12 min

    सुबह सुबह शगुन ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी। उसने व्हाइट लूज शर्ट के नीचे ब्लैक डेनिम स्कर्ट पहना था। शगुन के बाल परफेक्टली स्ट्रेट किए हुए थे और साथ में डायमंड स्टड्स उसके लुक में चार चांद लगा रहे थे। उस वक्त वो उस ऑफिस लुक में काफी प्रोफेशनल नजर आ रही थी। उसने अपने चेहरे पर हल्का मेकअप किया और फिर खुद को गौर से देखने लगी। “कोई हक नहीं है तुम्हें इतना खूबसूरत लगने का...” बोलने के बाद उसने अजीब सा चेहरा बनाया और फिर आगे कहा, “यकक... कितना चीप डायलॉग है।” खुद को देखते हुए उसे कल मंदिर में मिली उस आंटी की याद आई। “उसने कहा था कि मैं दिखने में ठीक ठाक लगती हूं। क्या सच में ऐसा है।” शगुन ने खुद को आईने में गौर से देखा। “अच्छी ही तो दिख रही हूं।” उसने कहा। फिर वो बाहर आई। वो एक रेंटेड हाउस में रहती थी। वो एक दो मंजिला बड़ा घर था, जिसका पूरा ऊपरी हिस्सा उसने रेंट पर ले रखा था। उसने उसे काफी खुबसूरती से सजा रखा था। वो तैयार होकर नीचे आई, तो उसे घर के मकान मालकिन की बेटी दिखी। उसने उसे आवाज लगाकर अपने पास बुलाया, “हे आयशा... जरा इधर तो आना।” आयशा लगभग 19 साल की थी। शगुन के बुलाने पर वो उसके आई। पास आते ही वो उसकी तरफ खोई हुई नजरों में देखने लगी और फिर चहकते हुए बोली, “आपके स्टाइल का कोई जवाब नहीं है शगुन दी.. कपड़ों से लेकर हर एक चीज तक ब्रांडेड होती है। आप इतनी ब्यूटीफुल कैसे हो? मेकअप भी बिल्कुल परफेक्ट होता है... कौन से मेकअप प्रोडक्ट्स यूज करती हो आप। काफी महंगे होते होंगे ना?” “मैं हर एक चीज ब्रांडेड यूज़ करती हूं। तुम्हें मेरा स्टाइल पसंद है?” उसने पूछा। आयशा ने हां में सिर हिलाया। “यू लुक्स लाइक्स एन एंजल।” “मेरे पास बहुत से एक्स्ट्रा कपड़े और मेकअप का सामान पड़ा है, जिन्हें मैंने एक बार भी यूज नहीं किया। तुम चाहो तो उन्हें रख सकती हो।” उसके तारीफ करने पर शगुन ने उसे अपना सामान देने की बात कही। “हां हां, क्यों...फिर शाम को मिलते हैं। अभी तो आप ऑफिस जाने का वक्त हो गया होगा ना...” शगुन ने उसकी बात पर हामी भरी। उसे बाय बोलने के बाद वो अपनी गाड़ी में ऑफिस जाने के लिए निकल पड़ी। आयशा के तारीफ करने के बाद वो और भी ज्यादा कॉन्फिडेंट फील कर रही थी। कुछ ही देर में शगुन वहां की सबसे बड़ी ज्वेलरी डिजाइनिंग कंपनी के आगे थी। वो गाड़ी से बाहर निकली और बिल्कुल वहां के बॉस की तरह वॉक करते हुए जा रही थी। रास्ते में उसे जो भी एंप्लोइज मिल रहे थे, वो उसे गुड मॉर्निंग विश कर रहे थे। “किसने सोचा था कि पापा की दी लग्जरी लाइफ से अलग होने के बाद भी मैं एक अच्छी लग्जरियस लाइफ बिताऊंगी। इंसान में आगे बढ़ने का जुनून हो तो वो कुछ भी कर सकता है।” शगुन ने मुस्कुराते हुए खुद से कहा और वहां के बॉस के केबिन में चली गई। उसे वहां देखते ही वहां का बॉस मिस्टर शुभ चौधरी मुस्कुराते हुए खड़ा हुआ। वो शगुन से उम्र में कुछ ही बड़ा होगा। उसके चेहरे पर सेट की हुई गहरी दाढ़ी थी। वो हाइट और हेल्थ में अच्छा था। उसका लुक उसकी पर्सनैलिटी को काफी सूट कर रहा था। बिल्कुल किसी यंग बिजनेसमैन की तरह, जो दिखने में काफी हैंडसम था। “मैं तुम्हारे ही आने का वेट कर रहा था।” वो उठकर शगुन के पास आया, “कल मीटिंग में तुमने कमाल ही कर दिया। मुझे लगा मैं मीटिंग अटेंड नहीं करूंगा तो प्रोजेक्ट हमारे हाथ से निकल जाएगा। लेकिन तुम्हारे रहते ऐसा कभी नहीं होता, ब्रिलियंट शगुन।” “जब तुम मुझे अच्छे से जानते हो तो फिर तुम्हें टेंशन लेने की क्या जरूरत है।” शगुन ने जवाब दिया। शुभ ने भी उसकी बात पर हामी भरी। वो शगुन को गले लगाने के लिए आगे बढ़ने लगा तभी शगुन दो कदम पीछे हट गई। “तुम भूल रहे हो हम ऑफिस में हैं। मैं नहीं चाहती यहां किसी को पता चले कि हम रिलेशन में है, वरना लोग मेरी सक्सेस और टैलेंट को कम आंकेंगे। वो ऐसा समझेंगे कि मैं इसलिए आगे बढ़ रही हूं क्योंकि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं।” शगुन ने सख्त आवाज में कहा। “हां ठीक है। कल तुमने बहुत काम किया था... अब थोड़ा आराम कर लो।” “मुझे तुमसे कुछ और भी बात करनी थी। ऑफिस है इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकती। शाम को डिनर पर मिलते हैं।” शगुन ने इतना ही कहा और फिर वहां से चली गई। वो अपने ऑफिस के बॉस मिस्टर शुभ चौधरी को पिछले 2 साल से डेट कर रही थी। जब उसने ऑफिस ज्वाइन किया था तो वो वहां की हेड डिजाइनर को असिस्ट करती थी लेकिन उसने अपनी मेहनत और आगे बढ़ने के जज्बे से वहां के हेड मैनेजर की पोस्ट हासिल कर ली थी। शगुन के प्रोफेशनलिज्म ने शुभ का भी दिल जीत लिया। उसके जाने के बाद शुभ वहां चेयर पर बैठा तभी उसके पास एक कॉल आया। “हेलो मिस्टर जिंदल, मैं आपको कॉल करने वाला ही था। ये हमारा पहला ज्वाइंट वेंचर होने वाला है तो मिलकर डिस्कस कर लेते हैं।” शुभ ने कॉल उठाते ही कहा। “जी हां तभी मैंने कॉल किया था। मैं चाहता हूं इस प्रोजेक्ट में आप मिस गोयंका को भी इंवॉल्व करें। शी इज़ सच़ एक जेम और ये कल उन्होंने मीटिंग में प्रूफ कर दिया। सच कहूं तो उन्हीं की वजह से मैंने इस प्रोजेक्ट में अपना इंटरेस्ट दिखाया है। बाकी पहले जो भी मीटिंग हुई थी, मुझे उसमें प्रेजेंटेशन बिल्कुल भी इंप्रेसिव नहीं लगी।” सामने से मिस्टर जिंदल ने कहा। उनकी बात सुनकर शुभ का थोड़ा मूड ऑफ हो गया। उसने फिर भी खुद को सामान्य जाहिर करते हुए कहा, “हां हां क्यों नहीं। इस प्रोजेक्ट को शगुन ही हैड करने वाली है। मीटिंग में मिलते हैं।” मिस्टर जिंदल से बात करने के बाद शुभ शगुन के बारे में सोच रहा था। उसे मिस्टर जिंदल का शगुन की तारीफ करना पसंद नहीं आया, पर साथ ही शगुन के प्यार के चलते वो कुछ कह भी नहीं सका। “ये लड़की सच में बहुत टैलेंटेड है। कभी-कभी तो मुझे डर लगता है कि कहीं ये मुझसे मेरी ही कंपनी ना टेकओवर कर ले। पर ये ऐसा नहीं करेगी। उसके पापा के पास मुझसे भी कहीं ज्यादा पैसे हैं।” शगुन के पिता मिस्टर नवीन गोयंका का ख्याल आते ही शुभ की टेंशन पल में दूर हो गई और वो सब भूल कर अपने काम में ध्यान लगाने लगा। ___________ मुंबई में मित्तल मेंशन में आकाश मित्तल टेंशन में इधर-उधर वॉक कर रहे थे। सुबह-सुबह उन्हें परेशान देखकर उनकी पत्नी वाणी उनके पास आई। “मैं देख रही हूं कल रात से आप परेशान हैं। सब ठीक तो है ना?” कहते हुए उसने चाय का कप मिस्टर मित्तल के हाथ में पकड़ा दिया। “यही तो मैं डिसाइड नहीं कर पा रहा, सब ठीक है या नहीं। तुम्हें पता है कल रात अनुभव ने किसी क्लब में पांच लाख रुपए पे किए थे। आज से पहले उसने इतना खर्चा नहीं किया। कोई और जगह होती तो फिर भी सोचता लेकिन क्लब जैसी जगह है पर...” वो बोल रहे थे तभी वाणी ने उनकी बात बीच में काटते हुए कहा, “आप कुछ ज्यादा ही नहीं सोच रहे? अपने इकलौते बेटे की हर एक चीज पर नजर रखते हैं। बेचारे को पहले ही खुद से दूर भेज दिया। इतने सालों से ठीक से उसकी शक्ल भी नहीं देखी। यहां आता है तो भी एक-दो दिन के लिए... अब बस भी कीजिए मेरे बेटे के साथ अत्याचार और उसे बुलाकर उसका एंपायर सौंप दीजिए।” “मैं भी यही चाहता हूं। मैं उसका बाप हूं कोई दुश्मन नहीं। ।”जो कर रहा हूं सोच समझकर ही कर रहा हूं। मुझे अनुभव से बात करनी थी लेकिन वो मेरा कॉल पिक नहीं कर रहा।” “हां तो वो क्यों कोई पिक करेगा? उसे अच्छे से पता है कि फोन उठाते ही आप फिर से भी सवाल जवाब करने शुरू कर देंगे। इतने पैसे कहां लगाए... क्यों लगाए...” वाणी ने मुंह बनाकर कहा। “फिजूलखर्ची गलत आदत होती है। आपके पास ज्यादा पैसे हैं इसका मतलब ये नहीं कि आप इन्हें बेवजह हर कही पर उड़ाए। इतने पैसों से बहुत जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है।” “आपका ज्ञान फिर से शुरू हो गया।” वाणी ने इतना ही कहा और फिर वहां से जाने लगी। उसके जाने के बाद आकाश जी ने फिर अनुभव को कॉल लगाया। इस बार अनुभव ले उनका फोन पिक कर लिया था। “हेलो अनि बेटा, तुम ठीक तो हो।” उन्होंने उनके कॉल उठाते ही पूछा। “हां पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं। आई एम सो सॉरी कि मैं कल रात कॉल पिक नहीं कर पाया। बात ही कुछ ऐसी थी कि मैं आपको नहीं बता पाया। एक्चुअली... मैं आपको कॉल करने की वाला था।” अनुभव की आवाज में बहुत नरमी और विनम्रता थी। उसके बात करने के लहजे को देखकर उसके पास बैठा गतिक अपना मुंह पकड़ कर हंसी रोकने की कोशिश कर रहा था। अनुभव ने इशारे से उसे चुप रहने को कहा। “नहीं बेटा, कोई बात नहीं। वहां सब ठीक तो है ना? कहीं तुम किसी प्रॉब्लम में तो नहीं हो।” आकाश जी ने डायरेक्ट पूछने के बजाय बात को घुमा फिरा कर पूछा। अनुभव उनके कहने का मतलब बखूबी समझ रहा था। उसने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “नहीं पापा, यहां कुछ ठीक नहीं है। आपको तो पता चल गया होगा कि मैंने कल रात कार्ड से पांच लाख रुपए पे किए थे। आप चिंता मत कीजिए मैं अपनी सैलरी से आपको लौटा दूंगा।” “अरे नहीं, उसकी जरूरत नहीं है। बस मुझे टेंशन हो गई कि कहीं तुम्हें कुछ हो तो नहीं गया... इसीलिए कॉल कर रहा था। बाकी तुम्हारे ही पैसे हैं जहां तुम खर्च करना चाहो, वहां कर सकते हो।” “मेरे ही है लेकिन मैं उन्हें कभी किसी गलत जगह खर्च नहीं करूंगा। मुझे पता है आप नहीं पूछोगे लेकिन फिर भी बताना मेरा फर्ज बनता है। कल रात मेरे फ्रेंड गतिक को किसी ने जबरदस्ती शराब पिला दी और उसके साथ क्लब में गैंबलिंग करने लगे। ये बेचारा पैसे हार गया और पैसे ना होने की वजह से इसके साथ मारपीट करने लगे। जानता हूं जुआ खेलना गलत होता है पर ये मेरा दोस्त है... और इसका कोई है भी नहीं। इसलिए मैंने उसके पैसे दे दिए।” बात करते हुए अनुभव ने गतिक के कंधे पर जोर से मारा, जिससे वो चिल्ला पड़ा। “बहुत दर्द हो रहा होगा ना तुझे, तू फिक्र मत कर, मैं तुम्हें हॉस्पिटल लेकर जाऊंगा।” “ठीक है तुम उसका इलाज कराओ और जिस किसी ने भी ऐसा किया है, उनके खिलाफ पुलिस रिपोर्ट करवाओ। अगर तुम्हें मेरी जरूरत पड़े तो मुझे बताना।” आकाश जी ने कहा। “नहीं पापा, मैं देख लूंगा। मैं नहीं चाहता आप इन सब में पड़े। अच्छा मैं आपको बाद में बात करता हूं।” कहकर अनुभव ने जल्दी से कॉल कट कर लिया। आकाश जी से बात करने के बाद अनुभव ने राहत की सांस ली। “अपने पापा के सामने तू बिल्कुल भीगी बिल्ली की तरह बात कर रहा था और मेरे सामने शेर बनकर घूमता है।” उसके फोन रखते ही गतिक बोला। “मैं आज भी मैं शेर ही हूं, बस मुझे मेरा जंगल मिल जाए। अनुभव ने जवाब दिया और ऑफिस जाने के लिए तैयार होने के लिए अपने कमरे में चला गया। ★★★★ कहानी पढ़ने के बाद समीक्षा जरूर करिएगा। आप की समीक्षा की वजह से ही कोई कहानी हिट या फ्लॉप होती है। आई होप आप कहानी को पूरा प्यार देंगे।

  • 5. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 5

    Words: 1505

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनुभव तैयार होकर ऑफिस पहुंचा। वो देहरादून की किसी डिजाइनिंग कंपनी में हेड डिजाइनर की जॉब करता था। वो कंपनी उसी के पापा की कंपनी की एक ब्रांच थीं। वहां किसी को उसकी असली पहचान के बारे में कुछ पता नहीं था। अनुभव काफी तैयार होकर ऑफिस पहुंचा था। उसने ब्रांडेड शूज और कपड़े पहने थे। हाथ में पहनी घड़ी भी काफी महंगी थी। वो अक्सर महंगे कपड़े पहन कर ही ऑफिस जाता था। उसे ऑफिस में देखते ही 2 गर्ल्स एंपलॉयज आपस में फुसफुसा कर बातें करने लगी। उनमें से एक लड़की दबी आवाज में बोली, “इसे तो देखो, तैयार होकर तो ऐसे आता है जैसे कंपनी का मालिक ही हो। इतने महंगे कपड़े तो हमारे बॉस भी नहीं पहनते, जितना शो ऑफ ये करता है।” “तुम भी बहुत भोली हो। तुम्हें क्या लगता है इसने जो पहना है वो सच में ब्रांडेड है? बिल्कुल नहीं, इस तरह के ब्रांडेड कपड़ो की कॉपी बहुत सी जगह पर मिल जाती हैं। ये इतने सिमिलर होता है कि जल्दी से कोई फर्क नहीं बता सकता।” दूसरी लड़की ने तिरछी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया। “क्या सच में ऐसा है?” पहले वाली लड़की को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। “तुम्हें बिलीव नहीं है तो इस बार मेरे साथ संडे को मॉल चलना। वहां चल कर खुद देखोगी तो यकीन हो जाएगा। तुमने कभी सोचा है ये इतने ही पैसे वाला होता तो टैक्सी से ऑफिस क्यों आता?” “हां सही कहा। अब तो मुझे भी थोड़ा-थोड़ा यकीन आ रहा है। पहले मुझे लगा ये हेड डिज़ाइनर है, तो अपने कपड़े खुद डिजाइन करता होगा लेकिन इस तरह के कपड़े मैंने मॉडल और स्टार्स के पास ही देखे है। जो भी हो, लड़का काफी क्यूट है।” पहले वाली लड़की अनुभव की तरफ प्यार से देखने लगी। अनुभव पूरे एटीट्यूट में वॉक करता हुआ उनके पास से निकल गया। उसके कानों में उन दोनों की बातें साफ सुनाई पड़ रही थी लेकिन उसने ऐसा जाहिर किया, जैसे उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा। “यार इसके परफ्यूम की स्मेल तो बहुत अच्छी है। ये तो पक्का ब्रांडेड होगा...” दूसरी लड़की ने जवाब में ना में सिर हिलाया। दोनों वहां से अपने अपने काम को निकल गई। वही अनुभव अपने फ्लोर पर पहुंचा। वहां जाते ही उसे उसकी असिस्टेंट ने गुड मॉर्निंग विश किया। वो प्रार्थना थी, जो उसकी गर्लफ्रेंड थी। उसे देखते ही अनुभव के चेहरे पर चमक थी। “पूरे ऑफिस में सिर्फ तुम हो, जो मेरे यहां काम करने की वजह है। तुम्हारे लिए तो मैं पूरी जिंदगी इस ऑफिस का हेड डिजाइनर बनकर गुजार सकता हूं।” कहते हुए अनुभव उसको गले लगने को हुआ लेकिन प्रार्थना पीछे हट गई। “ऑफिस है अनु.. हमें डिसेंट बिहेव करना चाहिए। तुमने सुना, तुम्हारे डैड का नाम टॉप 10 अमीर बिजनेसमैन की लिस्ट में दो नंबर ऊपर चला गया है।” “क्या सच में? मतलब मै और भी ज्यादा अमीर हो गया।” अनुभव ने चहककर जवाब दिया और वहां लगी कुर्सी पर बैठ गया। “तुमने उनसे बात की? वो तुम्हें तुम्हारा काम कब संभालने वाले हैं?” बोलते हुए प्रार्थना उसके सामने लगी कुर्सी पर बैठ गई। “मुझे इस बारे में कुछ खास पता नहीं है। वैसे तुम्हें बता दूं, अगले महीने मेरी मॉम का बर्थडे है। हर बार की तरह मैं घर जाने वाला हूं। शायद तब वो मुझसे इस बारे में बात करें।” अनुभव की बात सुनकर प्रार्थना के चेहरे पर चमक थी। उसने फिर अनुभव के कपड़ों की तरफ देखा और बोली, “मैंने तुम्हें मना किया था कि इतने एक्सपेंसिव कपड़े पहनकर ऑफिस मत आया करो। यहां के लोगों को शक हो जाएगा।” “किसी को कोई शक नहीं होगा। यहां कुछ बेवकूफ लोग हैं, जिन्हें लगता है कि मैंने ये कपड़े सस्ते में किसी राह चलती दुकान से खरीदे हैं, जो ब्रैंड्स की कॉपी बेचते हैं।” अनुभव ने मुंह बनाकर कहा, जबकि उसकी बात सुन प्रार्थना हंसने लगी। “हां तो तुम्हें शोऑफ करने की क्या जरूरत है? तुम नॉर्मल कपड़े पहन कर नहीं आ सकते। ये कंपनी ज्यादा बड़ी नहीं है। तुम्हारी तो सैलरी भी कुछ खास नहीं है। ऐसे में लोगों को शक तो होगा ही ना...” “जिसे जो कहना है, कहने दो, मुझे फर्क नहीं पड़ता। जिस दिन उन्हें सच का पता चलेगा, उस दिन उन्हें अपने आप यकीन हो जाएगा कि अनुभव मित्तल कौन है।” अनुभव ने जवाब दिया। “खैर अब इन सब को छोड़ो और बताओ, आज का क्या काम है।” “बस तुम्हारी यही आदत मुझे सबसे अच्छी लगती है कि तुम अपने काम के मामले में कभी पीछे नहीं हटते। बाकी तुम्हारी हरकतें तो बिल्कुल अमीर बिगड़े हुए लड़कों वाली है।” बोलते हुए प्रार्थना उठी और उसके सामने फाइलों का ढेर रख दिया। “ये सब फाइल्स डायरेक्ट मेन ब्रांच से आई है। इस सबमें रिजेक्टेड डिजाइंस है। मुझे लगता है तुम्हारे डैड तुम्हारा टेस्ट ले रहे हैं। तभी स्पेशली ये फाइल्स इसी ब्रांच में आई है। वो चाहते हैं कि इन रिजेक्टेड डिजाइंस को कुछ वैल्यूबल डिजाइंस में बदला जाए। ऐसा समझ लो कि ये तुम्हारा एग्जाम है और तुम्हें इसे क्लियर करना है।” “तुम्हारे लिए मैं सारे टेस्ट पास कर जाऊंगा।” अनुभव ने मुस्कुराकर जवाब दिया और प्रार्थना के हाथ पकड़ कर उस पर हल्का सा किस किया। अनुभव पूरी तन्मयता के साथ काम में जुट गया। प्रार्थना उसके काम में उसकी हेल्प कर रही थी। दोनों साथ काम करते ही एक दूसरे के करीब आए थे। ___________ रात के आठ बज रहे थे। एक फाइव स्टार होटल में शगुन शुभ के साथ थी। उनके पास मिस्टर जिंदल बैठे थे। ये एक प्रोफेशनल मीटिंग थी, जहां वो अपना काम के बारे में डिस्कस करते हुए डिनर ले रहे थे। “इट वुड रियली प्लेजर टू वर्क विथ यू मिस्टर जिंदल...” शुभ ने खाते हुए कहा। मिस्टर जिंदल की नजरें शगुन पर टिकी थी। उसने जवाब में कहा, “मिस गोयंका काफी टैलेंटेड है... ये आपके बिजनेस को काफी आगे तक ले जायेगी।” “हां सही कहा।” शुभ ने मुस्कुराकर कहा। शगुन चुपचाप खाना खाते हुए उनकी बातें सुन रही थी। वो उस वक्त काफी गुस्से में थी। शुभ और मिस्टर जिंदल प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस कर रहे थे। डिनर के बाद मिस्टर जिंदल वहां से जाने को हुए। शुभ उन्हें छोड़ने बाहर तक गया। “मैने सोचा था मैं इससे पापा से मिलने के बारे में बात करूंगी। पर ये तो यहां अपने ही कामों में लगा है।” शगुन ने खुद से कहा। मिस्टर जिंदल को छोड़ने के बाद शुभ वापिस अंदर आया। वो उनके सामने खुश होने का दिखावा कर रहा था। अंदर आते ही वो शगुन के पास बैठा और सख्त लहजे में बोला, “ये क्या था शगुन? मिस्टर जिंदल के सामने तुमने एक वर्ड भी नही बोला।” “वही तो मैं पूछना चाहती थी शुभ... ये क्या था? हमारी पर्सनल मीटिंग को तुमने प्रोफेशनल मीटिंग में बदल दिया। तुम जानते हो हम ऑफिस में बात नही कर पाते... तभी मैने डिनर का कहा और तुमने... तुमने मिस्टर जिंदल को यहां बुला लिया।” शगुन का गुस्सा शुभ पर निकल पड़ा। “वो तुमसे कुछ ज्यादा ही इंप्रेस है। मैं नहीं चाहता ये डील हमारे हाथ से निकले।” “तो एक मामूली सी डील के लिए तुम मेरा यूज कर रहे हो?” शगुन ने गुस्से में शुभ की तरफ देखा। “ऐसा कुछ नही है। तुम्हारे लिए मैं ऐसी सौ डील्स को भी ठोकर मार सकता हूं।” शुभ ने शगुन को समझाने की कोशिश की। “तो मार दो..” अचानक शगुन बोली। उसकी बात सुनकर शुभ सकपका गया। “तुम मजाक कर रही हो ना?” “नहीं मैं मजाक नहीं कर रही। आई एम डैम सीरियस। मैं तुम्हें बताने वाली ही थी कि तुम इसको जितना हाइप कर रहे हो, इतना कुछ नहीं है। इसकी कंपनी घाटे में चल रही है। इसे तुम्हारी जरूरत है, तो बेवजह इसकी बटरिंग करने की कोई जरूरत नहीं है।” “हां मैं जानता हूं, इसकी कंपनी घाटे में है पर मिस्टर जिंदल के कनेक्शन्स अच्छे हैं, जिसका फायदा हम उठा सकते हैं।” शुभ ने जवाब दिया। “मतलब तुम नहीं मानोगे? अभी तुमने कहा कि तुम मेरे लिए किसी भी डील को ठोकर मार सकते हो। एक बिजनेस पर्सन होने के नाते मैं समझ सकती हूं कि कोई भी डील कितनी इंपोर्टेंट होती है, इसलिए मैं तुम्हें कोई ऐसी वैसी डील छोड़ने के लिए नहीं कह रही। मैं बस यही चाहती हूं कि तुम मिस्टर जिंदल के साथ ये डील मत करो। अब सोच लो कि तुम्हें क्या करना है। डील करके मुझे नाराज करना है... या...आगे तुम खुद समझदार हो।” शगुन ने रूखे शब्दों में कहा। वहां टेबल पर खाने का बिल रखा था। जाने से पहले उसने पर्स में से पैसे निकालकर टेबल पर रख दिए। शगुन वहां से जा चुकी थी। उसके जाने के बाद शुभ उसे मनाने के लिए पीछे आया लेकिन तब तक वो टैक्सी लेकर निकल गई थी। उनसे कुछ दूर एक सफेद बड़ी गाड़ी खड़ी थी। उस गाड़ी में मिस्टर जिंदल बैठे थे। वो उन दोनों को गौर से देख रहे थे। “अगर मैं सही हूं, तो ये लड़की कोई और नहीं बल्कि गोयंका एंपायर के मालिक नवीन गोयंका की बेटी है। बाई चांस मैं सही निकला तो ये मेरे बहुत काम आ सकती हैं।” ★★★★ कहानी पढ़कर समीक्षा जरूर करिएगा। जो भी स्टोरी पढ़ रहे हैं तो फॉलो भी कर ले।

  • 6. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 6

    Words: 1690

    Estimated Reading Time: 11 min

    मुंबई के एक बड़े सी साइड व्यू वाले बंगले में घर के आगे बने लॉन में दो लोग बैठे थे। वो शगुन के मॉम डैड थे, जो सुबह की चाय पीते हुए बातें कर रहे थे। “आपने शगुन को लेकर क्या डिसीजन लिया है? मुझे इस बारे में बात करनी थी। अब तक आपने उसके लिए जो भी सोचा, मैंने कभी इंटरफेयर नहीं किया। बट नाउ वी नीड टू टॉक अबाउट हर...” रचना ने कहा। “हां, क्योंकि तुम भी अच्छे से जानती हो, मैंने उसके लिए कोई भी गलत डिसीजन नहीं लिया। उसे खुद से रखने का मेरा फैसला बिल्कुल सही है।” “और ये सब करने के बावजूद वो इतने बड़े एंपायर को संभालने के लायक नहीं हुई तो?” रचना ने मायूसी से कहा। “मुझे पूरा यकीन है, वो इस एंपायर के संभालने के पूरे काबिल है। अगर फिर भी वो हमारी एक्सपेक्टेशन पर खरी नहीं उतर पाई तो हमें उसके लिए कोई ऐसा लड़का ढूंढना होगा, जो हमारे एंपायर को संभाल सके।” नवीन ने जवाब दिया। रचना ने भी उनकी बात पर सहमति जताई। “शादी के बाद शगुन चाहे तो मेरी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी संभाल सकती है। इससे उसे ये भी नहीं लगेगा कि हमने उसे कम समझा है।” शगुन की मां रचना गोयंका एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाती थी। ये ज्यादा बड़ी कंपनी नहीं थी और मुंबई और उसके आसपास में ही होने वाले इवेंटस ही हैंडल करती थी। “हां तुम्हारी बात भी सही है। मन ही मन मैं यही चाहता हूं शगुन इस लायक बन गई हो कि हमारे एंपायर को संभाल सके। बाकी रही बात शादी की, तो एक अच्छा लड़का ढूंढ कर शादी तो करनी ही है।” नवीन गोयंका ने कहा। “इसके लिए उसे तैयार भी करना होगा। वो पिछले 3 साल से घर नहीं आई है। ऊपर से पता नहीं किस हाल में रह रही है। ठीक से कॉल पर बात तक नहीं करती, वीडियो कॉल तो दूर की बात है। मैंने तो देखा तक नहीं कि वो कैसी लगती है। हमें भी अपने पास आने से मना कर दिया.. कही हमारी शगुन किसी गलत संगत में तो नहीं पड़ गई।” रचना की बातें उसके साथ साथ नवीन जी के मन में भी डर पैदा कर रही थी। “मैं आज ही उससे बात करके उसे यहां आने का बोलता हूं।” उनके चेहरे पर परेशानी के भाव थे। नवीन और रचना भी ज्यादातर भारतीय माता पिता की तरह ही थे। जहां वो अपनी बेटी को आगे बढ़ता तो देखना चाहते थे लेकिन वहीं दूसरी तरफ उसकी शादी उनके लिए ज्यादा मायने रखती थी। शगुन ये बात पहले से जानती थी कि अगर वो खुद को अपने पापा का बिजनेस संभालने के लायक नहीं बना पाई तो उसे एक ऐसे लड़के से शादी करनी होगी, जो उसके बजाय उसका बिजनेस संभाले। इसलिए समझदारी पकड़ते ही वो सबसे पहले खुद को इस लायक बनाने में जी जान से जुट गई। ___________ साउथ मुंबई में एक बड़ा सा विला बना था। ये अनुभव का घर था, जो शगुन के घर के बिल्कुल ऑपोजिट डायरेक्शन में था। शगुन के घर पर जहां सिर्फ उसके मम्मी पापा रहते थे, वही अनुभव की एक जॉइंट फैमिली थी, जहां उसके मम्मी पापा के साथ चाचा चाची, उसकी दो चचेरी बहनें और उनकी मां सब एक साथ रहते थे। सब डाइनिंग टेबल पर एक साथ थे और सुबह का नाश्ता कर रहे थे। “अब तो इतने साल हो गए है आशु, तुझे अनु को घर बुला लेना चाहिए। बेचारा लड़का अकेला किन हालातों में रह रहा होगा।” अनुभव की दादी सुमन बोली। उनके कहते ही जैसे उसकी मां वाणी को भी कहने का मौका मिल गया हो। उन्होंने कहा, “मैं तो इन्हें ये कहते कहते थक गई हूं मम्मी जी। कभी-कभी मुझे लगता है कि ये उसके पापा ना होकर कोई पिछले जन्म के दुश्मन हो, जो इस जन्म में बदला निकाल रहे हैं।” वाणी और अपनी मां की बात को टालने के लिए आकाश मित्तल ने बातचीत का रुख बदला और अपने छोटे भाई प्रकाश से कहा, “और तुम्हारा प्रॉपर्टी डीलिंग का काम कैसा चल रहा है? कोई अच्छी प्रॉपर्टी नजर में हो तो बताना।” “जी भाईसाहब जरूर...” प्रकाश ने जवाब दिया। उनके इस तरह बात बदलने पर प्रकाश की पत्नी मीरा ने धीमी आवाज में वाणी से कहा, “देखा आपने दीदी, भैया ने कितना कनिंगली बात को बदल दिया। ये सही है उनका, जब भी हम अनु को घर बुलाने की बात करते हैं, वो कुछ ना कुछ बहाना बनाकर टाल देते हैं।” “मॉम बिल्कुल ठीक कह रही है ताऊ जी...” प्रकाश की छोटी बेटी खुशी ने कहा। “या तो आप भैया को घर बुला दीजिएगा या मुझे भी देहरादून के किसी बोर्डिंग स्कूल में भेज दीजिए। इसी बहाने मैं उनसे मिल तो सकूं।” वो लगभग 16 साल की थी और अनुभव के बहुत करीब थी। सब कोई अनुभव को घर बुलाने के पक्ष में था। तभी आकाश जी का साथ देते हुए प्रकाश की बड़ी बेटी अंशिका ने कहा, “मैं ताऊ जी के साथ हूं। वैसे भी भैया को यहां आकर मुझसे लड़ाई ही तो करनी है, बाहर है तो कम से कम इस घर में शांति है।” डाइनिंग टेबल के माहौल से साफ था कि घर का माहौल काफी अच्छा था। आकाश और प्रकाश का काम अलग था लेकिन दोनों एक घर में अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहते थे। “अच्छा अच्छा, अब बहुत बातें हो गई और आप लोगों की जिद भी... पिछले साल अनुभव वाणी के जन्मदिन पर यहां आया था, तो इस बार भी आ जाएगा।” आकाश जी के कहते ही वाणी ने फाटक से कहा, “हां, उसे यहां आने का बोलकर आप बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं। ये उसी का घर है। कब तक आप उसे दूर रखेंगे। अब तो वो बड़ा भी हो गया।” “और शादी लायक भी...” उसकी दादी ने उसकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “इस बार अपने जन्मदिन पर पूरे 27 साल का हो जाएगा अनु। उसे उसका काम संभाला कर जिम्मेदारियों में भी बांध देना चाहिए ताकि लड़का गलत राह ना पकड़ ले। मैं तो कहती हूं साथ ही कोई अच्छी लड़की देख कर उसे शादी कर दो।” “ये फिर से शुरू हो गई। दादी हमेशा मेरी शादी के पीछे पड़ी रहती है। खैर, अच्छा हुआ इसी बहाने आज इन्होंने मेरे बजाय भाई की शादी की बात की है।” अंशिका ने आंखें घुमा कर कहा। वो लगभग 23 साल की थी और अपने बड़े पापा के कंपनी में काम करते थी। शगुन और अनुभव दोनो के ही घरवालें उनकी शादी करने के बारे में सोच रहे थे तो वही शगुन और अनुभव खुद को अपने अपने पिता के बिजनेस संभालने के लिए तैयार कर रहे थे। ___________ रात के 9:00 बज रहे थे। देहरादून के एक होटल में शगुन शुभ के साथ बैठी थी। उसी होटल में उनसे कुछ दूर एक टेबल पर अनुभव प्रार्थना के साथ था। कल शगुन और शुभ के बीच जो भी बहस हुई थी, उसके बाद वो उसे मनाने के लिए यहां लेकर आया था। जबकि अनुभव और प्रार्थना का दिन ऑफिस में काफी बिजी था। कुछ देर रिलैक्स करने के लिए वो दोनों वहां पर आए हुए थे। “मैं आज बहुत खुश हूं। पहली बार मेरे पापा ने मुझे ऑफिस से 10 दिन की छुट्टी लेने का बोला है।” अनुभव अपने फोन में अपने पापा के कॉल हिस्ट्री निकाल कर बैठा था। उसने प्रार्थना के सामने अपना फोन किया। “क्या? सिर्फ 10 दिन? अभी भी वो तुम्हें सिर्फ 10 दिनों के लिए अपने पास बुला रहे हैं। मतलब अभी भी उनका तुम्हें एंपायर देने का कोई मन नहीं है।” “अरे ऐसा कुछ नहीं है। आज से पहले पापा ने कभी इतने दिन का रुकने को भी नहीं बोला। पहले मैं जब भी घर गया था, तब घरवालों से ठीक से बात करने को भी नहीं मिलता था। इस बार मेरे पास पूरे 10 दिन है। देखना, मैं अपने सभी घरवाले के मन में ये बात भर दूंगा कि पापा मुझे मेरी पोजिशन दे दे। वो पापा को प्रेशराइज करके मुझे कंपनी का सीईओ बनवा ही देंगे।” अनुभव ने अपनी पूरी प्लानिंग उसके सामने रखी, जिसे सुनकर प्रार्थना भी खुश थी। वहीं कुछ दूरी पर बैठे शगुन और शुभ चुपचाप खाना खा रहे थे। शगुन को खाना खाते हुए बात करना पसंद नहीं था। बस इसीलिए शुभ कुछ कह नहीं पा रहा था। अचानक शगुन खाना खाते हुए बोली, “मेरे डैड का कॉल आया था और उन्होंने मुझे नेक्स्ट मंथ घर आने को कहा है।” “तो वो तुम्हें गोयंका एंपायर का सीईओ बनाने वाले होंगे। अगर ऐसा है तो मैं उनसे शादी की बात करूं?” शुभ के कहते ही शगुन ने उसकी तरफ घूर कर देखा। “मैंने तुम्हें इस रिलेशनशिप में आने से पहले ही कहा था कि हम कभी शादी नहीं करेंगे। मुझे अपनी जिंदगी, आजादी और एंपायर बहुत प्यारा है और इसके लिए मैं किसी से भी कंप्रोमाइज नहीं करने वाली। अभी बोल रही हूं आज के बाद मुझसे इस बारे में बात नहीं करना और अगर तुम्हें शादी करने का इतना ही शौक है, तो ठीक है। हम ब्रेकअप कर लेते हैं।” शगुन एक सांस में सब कुछ बोल गई कि शुभ को कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला। जब भी वो बाहर घूमने को आते थे तब यही होता था। जब शगुन को किसी बात पर गुस्सा आ जाता था, तो वो किसी की नहीं सुनती थी। आज भी यही हुआ, वो उठी और उसने बिल के पैसे टेबल पर रखे और वहां से जाने लगी। “अब मैं क्या करूं इसका? और कैसे बताऊं कि मैं इसे प्यार करता हूं। मैं इससे इसका एंपायर नहीं छीनने वाला... ये तो ऐसे रिएक्ट करती हैं जैसे मैं कोई गोल्ड डिगर हूं।” शुभ ने सिर पकड़कर कहा। शगुन उसके पास से काफी गुस्से में निकली थी। वहां से जाते हुए वो गुस्से में चलते हुए अनुभव की टेबल पर रखा पानी का गिलास गिरा कर चली गई। उसके ऐसा करते ही अनुभव जल्दी से खड़ा हुआ और पीछे से चिल्लाकर बोला, “अरे ओह बदतमीज लड़की... तमीज है भी या नहीं? ये क्या कर दिया तुमने।” शगुन ने उसकी तरफ पलट कर भी नहीं देखा और वहां से चली गई। अनुभव ने उस बात को अनदेखा नहीं किया और वो खाना छोड़ कर उसके पीछे जाने लगा। ★★★★ वैसे तो कहने की जरूरत नही लेकिन फिर भी समीक्षा याद से कर दीजियेगा।

  • 7. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 7

    Words: 1129

    Estimated Reading Time: 7 min

    शुभ से बहस होने के बाद शगुन रेस्टोरेंट से गुस्से में बाहर निकली। वहां से जाते हुए अनजाने में उसने अनुभव की टेबल से पानी का गिलास गिरा दिया। उसकी इस हरकत पर वो गुस्से में उसके पीछे गया। “एक बार सॉरी भी नही बोला। पता नही कौन है.. ऐसे रिएक्ट कर रही है जैसे कही की महारानी हो... महारानी माय फुट... जानती नहीं तुम, मैं कौन हूं।” अनुभव गुस्से में बड़बड़ाता हुआ उसके पीछे जा रहा था। उसे रोकने के लिए प्रार्थना भी पीछे जाने लगी। “रुको.. अनुभव... उससे अनजाने में हो गया होगा।” अनुभव बाहर निकला, तब तक शगुन अपनी गाड़ी लेकर वहां से जा चुकी थी। वो उसके पीछे से चिल्ला रहा था। “बेवकूफ लड़की... मिलना फिर तुम मुझे... मैं बताता हूं तुम्हे अनुभव मित्तल क्या चीज है।” प्रार्थना उसके पास आई और उसे शांत कराने लगी। “काम डाउन... उसने जानबूझकर नही किया होगा।” “उसने जानबूझकर ही किया था। मैंने देखा था उसे... और तुम उसकी साइड क्यों ले रही हो? उसकी वजह से हमारा डिनर और टेबल दोनो खराब हो गए।” अनुभव ने गुस्से में कहा। “वो चली गई है। अब गुस्से करके भी क्या फायदा? चलो ना,अंदर चलते है। मुझे बहुत तेज भूख लगी है।” प्रार्थना उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर लेकर आई। वो अंदर आए, तो उनकी टेबल के पास शुभ खड़ा था। वो उनके अंदर आने का ही इंतजार कर रहा था। “अब तुम कौन हो?” अनुभव ने रूखे तरीके से पूछा। “आ... आप यहां?” प्रार्थना की प्रतिक्रिया से साफ था कि वो शुभ को पहले से जानती है। उसने अनुभव की तरफ देख कर कहा, “ये मिस्टर शुभ चौधरी है... इनका ज्वेलरी हाउस स्वर्णम् यहां सबसे फेमस है।” “तो मैं क्या करूं?” अनुभव गुस्से में होने की वजह से काफी रुखे तरीके से बात कर रहा था। “आपका गुस्सा मैं समझ सकता हूं। ऐसे में किसी का भी मूड स्पॉइल हो सकता है, जब कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ डेट पर आए। एम सो सॉरी, मेरी गर्लफ्रेंड की वजह से आपकी टेबल खराब हो गई। मैंने देखा वो काफी गुस्से में निकली थी। वो दिल की बुरी नहीं है, बस गुस्से में होती है तो उसे कुछ समझ नहीं आता।” शुभ शगुन की तरफ से सफाई दे रहा था। “अच्छा तो तुम अपनी गर्लफ्रेंड के बिहाफ में उसका किए को कवर करने आए हो। एक तो उसने जानबूझकर हमारी टेबल का पानी गिराया, ऊपर से सॉरी भी नहीं बोला। मैं पीछे गया तो मुड़ कर भी नहीं देखा। जो तुम करने आए हो, वो उसे करना चाहिए था। बस एक सॉरी... एक छोटा सा सॉरी। वही काफी था। लेकिन उन मैडम को अपने घमंड के आगे कुछ नही दिख रहा था।” अनुभव किसी बच्चे की तरह शगुन की शिकायत लगा रहा था। शुभ ने कंधे उचका कर कहा, “हां, वो ऐसी ही है। जब भी हम बाहर आते हैं, तब कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे उसे गुस्सा आ जाता है और फिर... तुमने तो देखा होगा ना उसने क्या किया।” “कोई बात नहीं मिस्टर चौधरी, होता है। हम कोई और टेबल बुक कर लेंगे। आप इतना सॉरी फील मत कीजिए, जबकि आपकी तो कोई गलती भी नहीं है।” प्रार्थना ने कहा। शुभ ने उसकी बात पर हामी भरी। वो वहां से जाने को हुआ, तभी वो वापिस मुड़ा और बोला, “मेरी गर्लफ्रेंड ने जो भी किया उसको बदला नहीं जा सकता। आप मेरा सॉरी भी एक्सेप्ट नहीं कर रहे बट मैं चाहता हूं आज का डिनर मेरी तरफ से हो। हमने भी टेबल बुक करवाई थी। वो यहां से जा चुकी है तो सब वेस्ट हो गया। क्यों ना तुम दोनों हम दोनों की जगह उस टेबल पर बैठकर डिनर करो।” “नहीं-नहीं मिस्टर चौधरी, इसकी कोई जरूरत नहीं है। हम कोई और टेबल बुक कर लेंगे।” प्रार्थना ने काफी फॉर्मर्ली मना कर दिया। “प्लीज... आई इंसिस्ट, अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो मुझे बुरा लगेगा।” बोलते हुए शुभ ने अपनी टेबल की तरफ इशारा किया। उसने शगुन के लिए अपनी टेबल को खास तरीके से डेकोरेट करवाया था पर उसके जाने की वजह से सब बर्बाद हो गया था। उसके बार-बार कहने पर अनुभव और प्रार्थना उसकी जगह डिनर करने के लिए तैयार हो गए। वो दोनों शुभ को बाय बोल कर उनकी टेबल पर बैठे थे। “मैं मिस्टर चौधरी से यहां किसी डिजाइनिंग सेमिनार में मिली थी। काफी कम उम्र में उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है...” प्रार्थना की बात सुनकर अनुभव ने चिढ़कर कहा, “वो अकेला नहीं है, जिसने इतनी कम एज में सक्सेस हासिल की होगी। देखना, इस लिस्ट में मेरा भी नाम आएगा।” “हां, फिर भी वो काफी भले इंसान है और उनकी गर्लफ्रेंड... मुझे तो वो एक नंबर की नकचढ़ी लगी।” “हां सही कहा, ये आदमी भला लग रहा है और मुझे तो दया आ रही है उस लड़के पर, उसे उम्र भर उस लड़की को झेलना पड़ेगा। वो जिस हिसाब से माफी मांग रहा था और उसके किए पर पर्दा डाल रहा था, उससे साफ था कि वो उससे बहुत प्यार करता है। बेचारा... भला इंसान और वो नकचढी लड़की...” अनुभव ने कहा। “तुम्हें टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। तुम्हारी शादी उस लड़की से नहीं हो रही है। बाकी उन दोनों का जो होगा, वो देख लेंगे। तुम मेरी टेंशन लो... और हां, मैं उसके जैसी बिल्कुल नहीं हूं।” प्रार्थना ने काफी स्मार्टलि बात को बदल दिया। साथ खाना खाते हुए अनुभव भी शगुन के बारे में भूल चुका था। ये उन दोनो की पहली और एक छोटी सी मुलाकात थी, जिसमें दोनों ने एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देखा था। ★★★★ आई नो कहानी का पाठ काफी छोटा है लेकिन 15 तारीख तक 50 पार्ट देने हैं। तो हो सकता है दिन में 2 पार्ट से भी आए। कहानी के भाग छोटे होंगे पर रेगुलर होंगे। कहानी पर बने रहिए और अपनी टीम की समीक्षा जरूर दीजिएगा। अपनी दूसरी स्टोरी प्रोमो यहां पब्लिश कर रही हूं, प्लीज उसे भी पढ़कर ट्राई करें। युग राणा, जो एक कोल्ड हार्टेड माफिया है, उसका एक ही जुनून है, माफिया किंग बनना। जिसके लिए उसे माफिया वर्ल्ड से जुड़े उन सात असेट्स को हासिल करना होगा, जो उसे माफिया किंग बना सकते है,और साथ उन सात पड़ावों की चाबी है माफिया प्रिंसेस, जिसके साथ होने पर ही युग उन सात पड़ावों को पार कर सकता है। युग ने माफिया प्रिंसेस सारा सिंघानिया को किडनैप किया, ताकि उससे शादी कर वो जल्द से जल्द माफिया किंग बन सके। लेकिन गलती से सारा के साथ उसकी इनोसेंट फ्रेंड कृशा भी उनके साथ आ गई। कृशा की मासूमियत ने युग के कोल्ड हार्ट पर असर किया और उसे उससे प्यार हो गया। क्या युग अपने सपने को भूलकर कृशा से शादी करेगा या अपनी हर कमजोरी को खत्म करने वाला युग राणा कृशा को भी जान से मार देगा? जानने के लिए पढ़िए एक कोल्ड हार्टेड माफिया की जुनून भरी कहानी, "under the mafia moon"

  • 8. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 8

    Words: 1312

    Estimated Reading Time: 8 min

    शुभ के साथ रेस्टोरेंट में बहस करने के बाद शगुन अपने घर को आ रही थी। वो जिस हिसाब से वहां से निकली थी, तब काफी गुस्सा थी। लेकिन गाड़ी ड्राइव करते हुए उसका मूड बिल्कुल फ्रेश था। उसने म्यूजिक लगा रखा था और साथ में गुनगुना रही थी। “अदाएं बड़ी फंकी, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी ड्रामा क्वीन है। हो, बड़ी-बड़ी आँखें हैं आंसुओं की टंकी... ये छोरी बड़ी ड्रामा क्वीन है।” गाते हुए शगुन जोर से हंसी। “उफ्फ कितना मुश्किल होता है ये टफ होने की एक्टिंग करना। कितना टेस्टी खाना था.. ठीक से खा भी नही पाई। घर जाके इसी रेस्टोरेंट से खाना करूंगी और नेटफ्लिक्स पर कोई अच्छी सी सीरीज देखते हुए खाऊंगी। आआहह... मजा आ जाएगा।” थोड़ी देर पहले रेस्टोरेंट में जो भी हुआ, शगुन उस बारे में सोच रही थी। “सॉरी शुभ बेबी, मैं भी तुमसे शादी करना चाहती हूं, पर अभी नहीं कर पाऊंगी। पापा को पता चला मेरा इतना लायक बॉयफ्रेंड है तो मेरी इतने सालों की मेहनत तुम्हारे नाम कर देंगे। पहले मैं अच्छे से सब संभाल लूं... फिर किसी दिन शादी भी कर लूंगी। कौनसा तुम कही भाग रहे हो... या मैं कही जा रही हूं।” कुछ देर बाद शगुन घर पहुंची। उसकी मकान मालकिन की बेटी आयशा उसके आने का इंतजार कर रही थी। उसे देखते ही शगुन ने गाड़ी के फ्रंट मिरर में खुद को देखा। “ओह... मैं तो बिल्कुल थकी हुई नही लग रही। ये ऊपर आई तो सारा मूड खराब कर देगी।” बोलते हुए उसने अपने पर्स से मेकअप रिमूवर निकाला और अपना मेकअप हटा दिया। बाहर निकलने से पहले उसने अपने बाल भी बिखेर लिए। शगुन लटके हुए चेहरे के साथ बाहर आई। उसे देखते ही आयशा दौड़कर उसके पास गई। “शगुन दीदी, आप तो बहुत थकी हुई लग रही है।” “हां, आज ऑफिस में बहुत काम था। पूरे दिन से कुछ भी खाने को नहीं मिला। लगता है रात को भी भूखा सोना पड़ेगा... मेरी तो बिल्कुल हिम्मत नही कि कुछ बना सकूं।” शगुन बुझी आवाज में बोली। “ठीक है फिर मैं सन्डे को आपके पास आ जाऊंगी।” आयशा ने जवाब दिया। उसके बाद में आने की बाद सुनकर शगुन झट से उसके गले लग गई। “आवव्व... तुम कितनी अच्छी हो। एक तुम ही हो, जो मेरी केयर करती हो... जिसे सच में मेरी परवाह है।” आयशा उससे अलग हुई और कहा, “आप यही रुकिए। अम्मी ने आज बिरयानी बनाई थी। मैं अभी लेकर आती हूं।” “तुम... तुम आसमान से आई हो ना... यू सच एन एंजल।” शगुन ने भरी आवाज में कहा। उसे थैंक्यू बोलने के बाद आयशा अंदर गई और शगुन के लिए एक बड़े बोल में बिरयानी लेकर आई। शगुन खाने के साथ ऊपर पहुंची। फ्रेश होने के बाद वो ऊपर के अपार्टमेंट में टीवी देखते हुए मजे से खाना खा रही थी। “उफ्फ... जिंदगी में बस पापा के एंपायर आने की कमी है... बाकी सब फर्स्ट क्लास है।” शगुन टीवी देखते हुए सो चुकी थी। वो एक जिंदादिल लड़की थी, जो सबके सामने सख्त और प्रोफेशनल होने का दिखावा करती थी। ___________ अगली सुबह अनुभव नींद से जगा तो उसके मेल पर एक इन्विटेशन कार्ड आया हुआ था। ये उसकी कंपनी की तरफ से था, जहां उसके पापा ने अपनी सक्सेस पार्टी थ्रो की थी। उसे देखने के बाद अनुभव बोला,“इस इनविटेशन कार्ड को भेजने का क्या फायदा, जब मैं वहां जा ही नहीं सकता।” अनुभव अपने बेड से उठा भी नहीं था कि उसके पास उसके पापा का कॉल आया। “प्रणाम पापा...” उसने फोन उठाते ही कहा। “खुश रहो बेटा। मेरे साथ कॉल पर पूरी फैमिली है। फोन स्पीकर पर है। सब तुमसे बात करना चाहते हैं। रुको, मैं वीडियो कॉल करता हूं।” जैसे ही आकाश जी ने कहा, अनुभव झट से बोला, “नहीं पापा, अभी नहीं... मुझे ऑफिस जाना है। सर ने आज जल्दी आने को कहा है। आपके साथ टाइम का पता नहीं चलता और मैं नहीं चाहता मुझे देर हो।” “हां मैं भूल गया था कि तुम्हें ऑफिस जाना होता है। वैसे अभी आधे घंटे अभी बाकी है तुम्हारे ऑफिस टाइम में...” आकाश जी ने जवाब दिया। उन दोनों की बात सुनकर उसकी दादी सुमन जी बोली, “क्या हालत कर दी है बच्चे की, खुद की कंपनी में नौकरी कर रहा है। आजकल के बच्चे तो इस समय तक ठीक से उठते तक नहीं।” “हां दादी, ऑफिस टाइम से पहुंचना होता है। कैसी है आप।” अनुभव ने पूछा। “चाचू... चाची... मॉम, आप सब भी साथ में ही है ना? अंशि... खुशी, कैसी हो तुम दोनों?” उसने एक साथ सब का हाल पूछ लिया। “हम बिल्कुल ठीक है भैया। बस आपको मिस कर रहे थे।” खुशी ने चहक कर कहा। “कोई बात नहीं बच्चा, मैं नेक्स्ट मंथ आ रहा हूं। तब सब से मिल लूंगा।” “कोई जरूरत नहीं है अगले महीने आने की। तुम्हारे पापा इतनी बड़ी सक्सेस पार्टी थ्रो करने जा रहे हैं, उस पार्टी में उनका बेटा ही नहीं होगा तो क्या फायदा इस पार्टी का...” वाणी ने अपना गुस्सा जताया। “हां हां ठीक है। मैं आप सब की बात समझ रहा हूं, तभी मैंने अनुभव को कॉल किया है। मैं मैनेजर को बोल कर तुम्हारे बॉस को कॉल करवा दूंगा ताकि वो तुम्हें 2 दिन की छुट्टी दे सके। तुम आज शाम तक घर पहुंच जाना। पार्टी कल की है।” घरवालों की जिद के आगे आकाश जी को झुकना ही पड़ा। अनुभव भी वहां जाने के नाम से खुश हो गया। “आप बोल रहे हो तो आ जाता हूं, वरना मुझे बहुत काम था।” “कभी-कभी काम से भी छुट्टी ले लेना चाहिए बेटा। हम सब तुम्हारे आने का इंतजार करेंगे।” प्रकाश जी ने कहा। “जी चाचू जरूर।” उनसे बात करने के बाद अनुभव ने कॉल कट कर दिया। “थैंक गॉड, पापा ने वीडियो कॉल नहीं किया वरना मेरी हालत देखकर क्या कहते? वैसे बहाना अच्छा लगाया मैने.. आधे घंटे... क्या ऑफिस जाने में सिर्फ आधे घंटे रह गए।” अनुभव को जैसे ही टाइम का अहसास हुआ वो जल्दी से बेड से उठा। रात को शराब पीने की वजह से उसे अभी भी थोड़ा हैंगओवर था। उसके बाल बुरी तरह बिखरे हुए थे। वो जल्दी से नहा कर आया और जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर तैयार होने लगा। “गतिक के बच्चे.. मैं तुझे फ्री में ऐसे ही नहीं रख रहा। मेरे लिए एक हार्ड कॉफी भी नहीं बना सकता तू... मेरा सिर अभी तक दर्द कर रहा है।” अनुभव अपने बाल सेट करते हुए चिल्लाया। “लगता है तूने मुझे अपने घरेलू काम कराने के लिए ही यहां रखा है।” गतिक हाथ में कॉफी मग के साथ वहां आया। उसने साथ में ट्रे में सैंडविचेस भी ले रखे थे। “मैंने तुम्हारे पापा और तुम्हारी फैमिली से जो भी बात हुई थी, वो सब सुन ली। क्या होता अगर वो तुझे वीडियो कॉल कर लेते? आज तुम्हारा सारा सच सबके सामने आ जाता।” “तू उसकी फिक्र मत कर, मेरे पास बहुत बहाने हैं।” कहकर उसने सैंडविच उठाया और खाने लगा। “हां वो मुझे पता है। वैसे इस बार क्या कहता है? गतिक ने मुझे जबरदस्ती बांध का शराब पिला दी थी और मैं बेचारा मासूम खुद को खोल नहीं सकता था तो मुझे मजबूरन शराब पीनी पड़ी।” “वैसे आइडिया अच्छा है। अगली बार के लिए काम आएगा।” अनुभव हंसकर बोला, “चलो अब 2 दिन फैमिली के साथ रहूंगा। प्रार्थना को बताऊंगा तो वो भी खुश हो जाएगी। हो सकता है इस बार ही घर वालों को पटाने का मौका मिल जाए और लगे हाथ वो परसो ही मुझे मेरा सारा एंपायर मुझे सौंप दें।” कॉफी पीते हुए अनुभव वहां से जाने लगा। उसके पीछे से गतिक चिल्लाया, “अबे तेरे काम तो ऐसे हैं कि तुझे तेरी ही कंपनी में कोई चौकीदार की भी नौकरी ना दें।” “सुबह-सुबह ऐसी मनहूस बात मत कर... अगर सारा एंपायर मुझे मिला तो मैं अपने ऑफिस में तुझे चौकीदार की नौकरी जरूर दूंगा। तू भी क्या याद रखेगा।” अनुभव हंसते हुए वहां से चला गया। उसके पापा के इनवाइट करने से वो काफी खुश था। ★★★★ कहानी का पार्ट पढ़कर समीक्षा जरूर करें।

  • 9. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 9

    Words: 2054

    Estimated Reading Time: 13 min

    अपने पापा के कॉल आने के बाद अनुभव ऑफिस पहुंच चुका था। उसके कंपनी मैनेजर की बदौलत उसे आसानी से छुट्टी मिल गई थी। अनुभव अपने केबिन में पहुंचा, तब वहां प्रार्थना के बजाय उसके बॉस मिस्टर खेतान बैठे थे। “गुड मॉर्निंग बे...” मिस्टर खेतान को सामने देखकर अनुभव ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी। उसे लगा हमेशा की तरह प्रार्थना वहां होगी। “गुड मॉर्निंग सर। कोई काम था तो मुझे ऑफिस में बुला लिया होता।” अनुभव ने नम्रता से कहा। “मुझे तुमसे जानना है कि हमारी हेड कंपनी के मैनेजर का तुमसे क्या रिश्ता है? तुम्हें छुट्टी चाहिए थी तो तुम खुद से रिक्वेस्ट डाल देते... तुम्हारी तरफ से उन्होंने कॉल किया था।” मिस्टर खेतान अनुभव की पहचान से वाकिफ नहीं थे इसलिए उन्होंने ये सवाल पूछा। “कुछ नहीं सर... बस उन्हीं का एहसान है जो मैं यहां काम कर रहा हूं। उनके यहां कुछ काम होगा। तभी उन्होंने मुझे छुट्टी दिलाई है।” अनुभव ने मुस्कुराकर जवाब दिया। “ठीक है। अगर वो यहां की रिपोर्ट मांगे तो बोल देना यहां सब ठीक चल रहा है। बाकी पहले बता देते तुम्हारा उनसे कोई रिलेशन है, तो मैं तुम पर इतनी सख्ती नहीं करता।” मिस्टर खेतान हमेशा से अलग उस से काफी नरमी से बात कर रहे थे। वो उसकी कुर्सी से खड़े हुए और बाहर जाने लगे। वो लगभग 60 साल के आदमी थे। सख्त मिजाज होने की वजह से पूरा ऑफिस उनसे खौफ खाता था। उनके जाते ही अनुभव पूरे स्टाइल से अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया। उसके दोनों पैर सामने की टेबल पर थे और वो अपनी दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में बांधकर कुछ सोच रहा था। “सिर्फ मैनेजर से ही नहीं आपकी हेड कंपनी के बहुत से भी मेरा गहरा नाता है मिस्टर खेतान। मुझे मेरा एंपायर मिलने के बाद सबसे पहले मैं आपको काम से निकालूंगा। इतने अत्याचार किए हैं आपने मुझ पर...” सोचते हुए अनुभव पुराने दिनों की यादों में खो गया, जब वो ऑफिस में पहली बार आया था। मिस्टर खेतान के ऑफिस में अनुभव खड़ा था और वो उसकी बनाई हुई डिजाइंस देख रहे थे। उन्हें देखने के बाद उन्होंने मुंह बिगाड़ा और फटी आवाज में कहा, “ये क्या जोकरों जैसे कपड़े बनाए हैं? ऐसे कपड़े आजकल कोई नहीं पहनता। इन्हें पहनने के बाद तो कोई भी सज्जन इंसान आवारा लगेगा।” “लेकिन सर ये लेटेस्ट ट्रेंड है। लगता है आपका सोशल मीडिया पर अकाउंट नहीं है। आजकल के बच्चे इस तरह के कपड़े पहनकर वीडियोस बनाते हैं।” अनुभव ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा। “हूह...” मिस्टर खेतान फिर मुंह बनाते हुए बोले, “हां देखा है मैंने उन्हें... एक नंबर के छपरी लगते हैं। कुछ ढंग के डिजाइन बनाओ, तभी तुम्हें यहां नौकरी मिलेगी।” “पर सर ये लेटेस्ट...” अनुभव उन्हें अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उन्होंने उसे बोलने का मौका नहीं दिया। मिस्टर खेतान उसकी बात बीच में काटते हुए बोले, “जैसा कहा है वैसा करो। बॉस तुम हो या मैं।” “मैं...” अनुभव वहां का बॉस होने के बावजूद कुछ कह नहीं सकता था। इसकी वजह थी उसके पापा। उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी और नरमी से कहा, “ठीक है मैं कुछ ट्रेडिशनल और एथनिक बनाने की कोशिश करता हूं।” कहकर वो अपने बनाए हुए पुराने डिजाइंस को समेटने लगा। “कोशिश नहीं करनी मुझे रिजल्ट चाहिए। तुम्हें नहीं पता तुम्हारे जैसे 50 लड़के यहां नौकरी के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। पता नहीं उस लाइन में तुम्हें आगे किसने खड़ा कर दिया। अब जब आगे आ ही गए हो तो आगे बढ़ना भी सीखो।” मिस्टर खेतान ने सख्त लहजे में कहा। अनुभव ने उनकी बात पर हामी भरी और वहां से चला गया। उसके बाद उसने लगभग 15 से 20 बार अलग-अलग तरह के डिजाइन बनाए थे। मिस्टर खेतान को उसका काम बिल्कुल पसंद नहीं आया था लेकिन सिफारिश के चलते वो कुछ कह भी नहीं सकते थे। उस वक्त को याद करते हुए अनुभव का चेहरा गुस्से से भर गया। “मेरे डिजाइंस अच्छे होने के बावजूद उसने बार-बार रिजेक्ट किए... जब भी मौका मिला मुझे परेशान किया। नहीं... मैं इन्हें जॉब से नहीं निकालूंगा बल्कि इन्हें और परेशान करके अपना बदला पूरा करूंगा।” अनुभव ख्याली पुलाव बनाने में गुम था तभी प्रार्थना वहां आई। “ये मैं क्या सुन रही हूं। तुमने छुट्टी ली है? इस बारे में मुझे क्यों नहीं बताया?” अंदर आते ही उसने सवालों की झड़ी लगा दी। “काम डाउन बेबी...” अनुभव अपनी चेयर से खड़े होकर उसके पास आया।‌ उसने अपने दोनों हाथों से प्रार्थना के चेहरे को पकड़ा और प्यार से कहा, “मैंने छुट्टी क्यों ली है इसका कारण सुनोगी तो तुम भी खुशी से झूम उठोगी। तुम्हें पता है पापा ने मुझे घर बुलाया है। आजकल की टॉप न्यूज तो तुम्हें पता ही होगी... हमारे शेयर्स की वैल्यू बढ़ गई और हमारी कंपनी इन दिनों ऊंचाइयों पर है। तो बस उसी की सक्सेस पार्टी है और उन्होंने मुझे बुलाया है।” प्रार्थना के चेहरे पर खुशी के भाव थे। उसने तुरंत अनुभव को गले लगा लिया और कहा, “क्या सच में ऐसा है? बेबी क्या मैं भी तुम्हारे साथ चल सकती हूं?” उसकी बात सुनकर अनुभव तुरंत उससे अलग हुआ और बोला, “नहीं, तुम मेरे साथ नहीं चल सकती। मेरे घर वालों को तुम्हारे बारे में पता नहीं है और ना जाने हमारे रिलेशन के बारे में पता चलने पर उनका क्या रिएक्शन हो।” “कभी ना कभी तो तुम्हें उन्हें हमारे बारे में बताना ही होगा। यही सही टाइम है।” प्रार्थना बोली। “नहीं... ये सही टाइम नहीं है। जिस दिन पापा सब कुछ मेरे नाम कर देंगे, वो सही टाइम होगा। तुम नहीं जानती प्रार्थना, मेरे घरवाले मॉडर्न और संस्कार का मॉकटेल हैं। बच्चों को छूट दे देते हैं। मैं ये नहीं कह रहा हमारी शादी वो नहीं करवाएंगे लेकिन फिलहाल उन्होंने मुझे यहां काम के सिलसिले में भेजा है। जाने से पहले डैड ने एक बात साफ की थी कि मैं सिर्फ काम पर ही फोकस करूं। अगर उन्हें तुम्हारे बारे में पता चला तो उन्हें ये लगेगा कि मैंने अपना सारा टाइम तुम्हें दे दिया। मैं उन्हें कोई भी शिकायत का मौका नहीं देना चाहता।” अनुभव ने अपनी मजबूरियों के बारे में प्रार्थना को बताया। दोनों की मंजिल एक ही थी। वो दोनों यही चाहते थे कि अनुभव को कैसे भी करके उसका सारा एंपायर मिल जाए। प्रार्थना ने ज्यादा जिद्द नहीं की और वो उसकी बात तुरंत मान गई। “ठीक है, पर वहां जाते ही मुझे भूल मत जाना।” उसने कहा। “ऐसा बिल्कुल नहीं होगा बेबी... मैं कौन सा हमेशा के लिए तुमसे दूर जा रहा हूं। बस 3 दिन की बात है।” अनुभव ने उसे फिर गले लगा कर सहलाया। अनुभव अपने घर जाने के लिए काफी एक्साइटेड था। प्रार्थना भी यही दुआ कर रही थी जल्द से जल्द अनुभव को उसका हक मिल जाए ताकि वो हमेशा के लिए एक हो सके। ___________ कल शुभ से बहस होने के बावजूद शगुन ऑफिस में काफी सामान्य बर्ताव कर रही थी। उसकी शुभ और बाकी टीम मेंबर्स के साथ एक मीटिंग थी, जहां एक पल के लिए भी उसने ये जाहिर नहीं किया कि कल रात उनके बीच एक अच्छी खासी बहस हुई थी। शगुन मीटिंग रूम में प्रोजेक्टर पर बाकी टीम मेंबर्स को प्रेजेंटेशन दे रही थी, वही शुभ का ध्यान प्रेजेंटेशन से कम शगुन पर ज्यादा था। उसने अपने मन में कहा, “कितने अच्छे से सब कुछ कर रही है। सुबह सुबह आकर मुझसे फाइल भी लेकर गई इसका मतलब ये रात की बात को भूल चुकी है। मैं फिर से इसे शादी के लिए मनाने की कोशिश करूंगा।” प्रेजेंटेशन देते हुए शगुन का ध्यान शुभ पर गया जो अपनी अंगुलियों से एक पेन को घुमा रहा था। उसे देखकर उसने सोचा, “मैं अच्छे से जानती हूं तुम्हारे मन में क्या चल रहा है। फिलहाल के लिए सोचना भी मत कि मैं तुमसे शादी के लिए हां कहूंगी।” प्रेजेंटेशन खत्म होने के साथ ही सब तालियां बजाने लगे। इसी के साथ शुभ और शगुन का ध्यान टूटा। शुभ अपनी चेयर से खड़ा हुआ और शगुन के लिए तालियां बजाते हुए बोला, “वेल डन मिस गोयंका... हर बार की तरह आपकी प्रेजेंटेशन काफी बेहतरीन है।” “थैंक यू सो मच सर... प्रेजेंटेशन तो अच्छी होनी ही थी क्योंकि मैं अपने काम को लेकर डेडीकेटेड रहती हूं... एंड वन मोर थिंग मैं कभी नहीं बदलने वाली, किसी के लिए भी नहीं।” शगुन ने मुस्कुरा कर कहा। शुभ उसके कहने का मतलब समझ रहा था। वो बस मुस्कुरा कर रह गया। मीटिंग खत्म होने के बाद सब मीटिंग रूम से जा चुके थे। शगुन अपने केबिन में बैठ कर अपना मेकअप सही कर रही थी। “खुद को शार्प दिखाने के लिए इस मेकअप को करने में पूरे 2 घंटे लग गए। एक पल के लिए मेरी फीलिंग मुझ पर हावी हो सकती है लेकिन ये मेकअप किसी को भी आसानी से धोखा दे सकता है।” मेकअप कंप्लीट करने के बाद शगुन ने अपना लैपटॉप खोला ही था कि उसके फोन पर उसके पापा मिस्टर नवीन गोयंका का कॉल आया। नवीन गोयंका अपनी पत्नी रचना गोयंका के साथ घर पर थे। “मैं वीडियो कॉल कर लूं बेटा?” कॉल करने के बाद नवीन जी ने पूछा। “बिल्कुल नहीं पापा, मैं ऑफिस में हूं। अगर किसी को पता चल गया मैं आपकी बेटी हूं तो अच्छा इंप्रेशन नहीं पड़ेगा।” शगुन ने जवाब दिया। “तुम हमसे वीडियो कॉल पर बात क्यों नहीं करती? ऑफिस की बात अलग है लेकिन तुम तो घर पर भी होती हो, तब भी नहीं करती। तुम वहां कुछ गलत तो नहीं कर रही? तुम जॉब पर ही तो जाती हो ना... मैंने अपने फ्रेंड से सुना है अक्सर बच्चे बाहर पढ़ने जाते हैं, तो बिगड़ जाते हैं। शगुन सच सच बताना.. तुम ड्रग्स तो नहीं लेने लगी।” रचना जी एक सांस में बोल गई। उनकी बात सुनकर शगुन ने अपना सिर पकड़ा। “मैं यहां इतनी कड़ी मेहनत करके काम करने आती हूं मम्मा और आपको लगता है मैं ड्रग्स लेती हूं? अभी कुछ देर पहले मेरे ऑफिस में सब मेरी तारीफ कर रहे थे क्योंकि मेरा काम बहुत अच्छा था और आपको लगता है कि मैं कुछ गलत काम... अब तो मुझे खुद पर शर्म आ रही है। आप रहने दीजिए... मैं कल ही रीजाइन करके घर आ जाती हूं।” शगुन ने रोने का दिखावा किया। उसकी आवाज सुनकर नवीन जी ने रचना जी को डांटते हुए कहा, “तुम बस भी करो। कितनी बार कहा है दूसरों की बातों में मत आया करो। बेचारी बच्ची खुद को इस लायक बना रही है कि इतना बड़ा बिजनेस संभाल सके और तुम हो कि उस पर शक कर रही हो।” उन्हें झिड़कने के बाद नवीन जी ने शगुन से नरमी से कहा, “कोई जरूरत नहीं है बेटा यहां आने की। तुम वहां आराम से काम करो और हां अब से हम तुम्हें वीडियो कॉल तो क्या ऑडियो कॉल भी नहीं करेंगे। तुम बस अपने काम पर फोकस करो।” “थैंक यू सो मच पापा इतना सपोर्टिंग फादर होने के लिए... मैं बहुत लकी हूं कि मुझे आप जैसे मॉम डैड मिले। आप की जगह कोई और होता तो इस वक्त मुझे एंपायर के लायक बनाने के बजाय मेरी शादी करने के बारे में सोचता। वो सोचते कि मेरे लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ सके जो मुझे प्यार से रख सके और आपके एंपायर को भी अच्छे से संभाल सके। पर आप तो ऐसे नहीं है। आई एम सो लकी...” शगुन की बात सुनकर नवीन जी और रचना जी ने एक दूसरे की तरफ देखा। वो उसके साथ कुछ ऐसा ही करने के बारे में सोच रहे थे। नवीन जी ने तुरंत खुद को सामान्य किया और शगुन से प्यार से कहा, “नहीं बेटा, हम बिल्कुल भी ऐसे नहीं हैं। हम तो आजकल के टाइप के हैं। मुझे तुम पर पूरा यकीन है कि तुम हमारे एंपायर को अच्छे से संभाल लोगी। तुम जी जान से मेहनत करो बेटा, इस बार तुम आओगी तब मैं अपनी तरफ से तुम्हारे हर संभव टेस्ट लूंगा। अगर तुम उस में पास हो गई तो मैं तुरंत तुम्हें तुम्हारा हक सौंप दूंगा।” उनकी बात सुनकर शगुन हाथ उठाकर झूमने लगी। फिर उसने अपने चेहरे के भावों को सामान्य किया, “थैंक यू सो मच पापा। मुझे आप पर प्राउड है और साथ ही मैं बहुत लकी भी हूं। आई लव यू सो मच मॉम डैड...” शगुन ने भावुक आवाज में कहा। नवीन जी की बात सुनकर शगुन उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसने उनसे बात करके फोन कट कर दिया। वही शगुन की चिकनी चुपड़ी बातें सुनने के बाद नवीन जी और रचना जी के ख्याल भी बदल चुके थे। ★★★★

  • 10. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 10

    Words: 2104

    Estimated Reading Time: 13 min

    रात के लगभग नौ बज रहे थे। गोयंका हाउस में मिस्टर आकाश मित्तल अपनी वाइफ वाणी मित्तल के साथ बैठे थे। आकाश जी पर्सनली उन्हें पार्टी में इनवाइट करने के लिए आए थे। घर पर नवीन और रचना के अलावा सिर्फ हाउस हेल्पिंग स्टाफ था। उन्हें वहां देखकर नवीन और रचना काफी खुश हुए। “चलो किसी बहाने से तो सही लेकिन इतने सालों बाद तुम मेरे घर तो आए।” नवीन उसे देखते ही गले लग गया। “हां दोस्तों को घर जाकर ही इनवाइट किया जाता है। थैंक्स टू रचना भाभी कि हमें ज्यादा सोचना नहीं पड़ता और हमारी पार्टी काफी ग्रैंड हो जाती हैं।” आकाश ने हंसकर जवाब दिया। उनके घर होने वाली पार्टी का सारा मैनेजमेंट रचना की टीम ही कर रही थी। जवाब में रचना मुस्कुरा दी। वाणी और रचना भी एक दूसरे के गले लगी। “हां, रचना के बिना मेरी हर पार्टी अधूरी है। इस बार कोई बहाना नहीं चलने वाला, आप पार्टी में आ रहे हैं भाई साहब।” वाणी ने कहा। “क्यों नहीं भाभी जी.... बहुत दिन हो गए मम्मी जी से भी नहीं मिला। घर पर सब अच्छे हैं ना?“ नवीन जी ने पूछा। आकाश ने हामी भरी। वो घर के लिविंग रूम में बैठे थे। नवीन के घर का स्टाफ उनकी खातिरदारी करने में लगा था। घर में ज्यादा लोग नहीं होने की वजह से काफी शांति थी। घर में छाई शांति को देखकर आकाश जी ने कहा, “क्या तुम्हें अपने घर में जरा भी सूनापन महसूस नहीं होता? मैंने अनुभव को बाहर भेजा क्योंकि घर पर और भी बच्चे हैं, उनके रहते उसकी कमी महसूस नहीं होती, पर शगुन तुम्हारी इकलौती बेटी है। तुम्हें उसे बाहर नहीं भेजना चाहिए था।” “वो बाहर पढ़ने जाना चाहती थी। वैसे भी तुम्हें पता है मैं और वाणी दोनों ही काम में व्यस्त रहते हैं। कुछ ही दिनों की बात है, फिर शगुन वापस आ जाएगी।” नवीन जी ने जवाब दिया। “हां पर बेटियां होती तो पराया धन ही है। शादी के बाद शगुन चली जाएगी, उसके बाद फिर से घर में वही सूनापन छा जाएगा।” वाणी ने कहा। वाणी की बात सुनकर नवीन और रचना ने एक दूसरे की तरफ देखा। सुबह जब उनकी शगुन से बात हुई थी, तब उन्होंने उसे आगे बढ़ने के लिए कहा था। उसकी शादी की बात आने पर रचना ने कहा, “चाहती तो मैं भी कुछ ऐसा ही हूं कि शगुन शादी कर ले, पर वो नवीन का बिजनेस संभालना चाहती हैं।” “मैंने उसे वादा किया है, जैसा वो चाहती है वैसा ही होगा। अगर वो शादी ना भी करना चाहेगी तो हमें कोई दिक्कत नहीं।” नवीन जी ने कहा। “हां, कल किसने देखा है। आजकल के बच्चों का कब मन बदल जाए, कुछ नहीं कह सकते। काफी टाइम हो गया उसे देखे हुए, कब आएगी वो यहां?” आकाश जी शगुन के बारे में पूछ रहे थे तभी वाणी ने कहा, “मुझे तो उसका सोशल मीडिया अकाउंट तक पता नहीं है। आजकल आमने सामने बात करने के बजाय बच्चे वहीं पर बात करने में ज्यादा कंफर्टेबल रहते हैं।” “शगुन सोशल मीडिया यूज नहीं करती। वो अपने काम को लेकर बहुत डेडिकेटेड हैं।” नवीन के बताते ही आकाश झट से बोले, “इस मामले में हम दोनों के बच्चे एक जैसे हैं। अनुभव भी सोशल मीडिया यूज नहीं करता। पता ही नहीं चलता कब क्या करता है। वरना आजकल के बच्चे तो खाने-पीने से लेकर शॉपिंग करने की हर चीज के बारे में वहां अपडेट करते रहते हैं।” “हां काफी मामलों में शगुन और अनुभव बिल्कुल एक जैसे हैं। अपने परिवार से दूर रहकर खुद को अपने काम के लिए तैयार कर रहे हैं, इतना व्यस्त रहते हैं कि सोशल मीडिया भी यूज नहीं करते।” वाणी बोली। “हां, शगुन कहती है अगर आप सोशल मीडिया पर जितना टाइम वेस्ट करते हो, उससे अच्छा मंदिर जाकर थोड़ी देर भगवान के टाइम स्पेंड करो तो ज्यादा शांति मिलती है।” रचना काफी गर्व के साथ बता रही थी। “अरे ये तो बहुत अच्छी बात है। बच्ची दूर रहकर भी इतनी संस्कारी हैं।” वाणी ने कहा। उनके मुंह से शगुन की तारीफ सुनकर नवीन और रचना को भी काफी अच्छा महसूस हो रहा था। चाय नाश्ता करने के बाद आकाश और वाणी वहां से चले गए। वो गाड़ी में अपने घर को जा रहे थे। शगुन के बारे में सुनने के बाद वाणी उसी के बारे में सोचते ही थी। रास्ते में उसने आकाश से कहा, “बचपन में शगुन को देखा था, बहुत ही प्यारी लगती थी। हमारे अनुभव से सिर्फ तीन चार महीने ही बड़ी होगी वो... सुनिए जी, हम अनुभव की शादी करने के बारे में सोच ही रहे थे तो क्यों ना शगुन....” वो हिचकिचाते हुए अपनी बात पूरी करने की कोशिश कर रही थी तभी आकाश जी बीच में बोल पड़े, “तुम भी ना, कहां की बात कहां ले गई। सुना नहीं नवीन ने क्या कहा? शगुन शादी नहीं करना चाहती। वो शादी करने के बजाए अपने पापा का बिजनेस संभालने में इंटरेस्टेड है।” “हां तो उस में दिक्कत क्या है? आप दोनों अच्छे दोस्त हैं। शगुन और अनुभव की शादी हो गई तो दोनों अपने अपने पापा का काम संभाल लेंगे, इसी बहाने दोनों एक दूसरे की मदद कर देंगे। अनुभव को अकेलापन महसूस नहीं होगा... साथ ही शगुन अनुभव के लिए एक आइडल लाइफ पार्टनर होगी, जो उसके काम में भी उसकी हेल्प कर सकती हैं।” वाणी की बात सुनकर कुछ पल के लिए आकाश भी सोच में पड़ गए। वाणी फिर बोली, “आजकल की लड़कियां सिर्फ होम मेकर नहीं सेल्फ डिपेंडेंट बन कर रहना चाहती हैं। इसमें गलत ही क्या है। मैंने अपना काम छोड़कर हाउस मेंकर बनने का डिसीजन लिया, अब मुझे भी अपने फैसले पर थोड़ा पछतावा हो रहा है। मैं नहीं चाहती कि मेरी होने वाली बहू ऐसा करें। अंशिका भी जॉब कर रही है। हम उसके लिए ऐसा लड़का ढूंढेगे जो उसे आगे बढ़ने में मदद करें...तो मैं चाहती हूं अनुभव के लिए भी एक ऐसी लड़की देखी जाए जो हर तरह से सशक्त हो। रचना बताती भी रहती है, शगुन काफी संस्कारी है.... आप एक बार बात तो करके देखिए।” वाणी ने शगुन की सारी खूबियां बता दी। “ठीक है पर अभी नहीं। अनुभव आ जाए फिर उससे इस बारे में बात करते हैं।” “अनुभव हमारी बात कभी नहीं टालेगा। अगर उसकी लाइफ में कोई और लड़की होती, तो वो हमें बता देता। आई वांट बिजनेस संभालने से पहले हम उसकी शादी करवा दें ताकि वो थोड़ा टाइम अपनी वाइफ के साथ अच्छे से स्पेंड कर सके। अगर शगुन और अनुभव की शादी हुई तो शादी के थोड़े टाइम तक दोनों अपना हनीमून पीरियड इंजॉय कर लेंगे... उसके बाद आप और नवीन भाई साहब उन्हें उनका बिजनेस सौंप दीजिएगा।” वाणी बातों ही बातों में काफी आगे बढ़ गई थी पर आकाश हर एक पहलू पर गौर कर रहे थे। “क्या इससे दोनों बच्चों में कलेश नहीं होगा? जब वो दोनों हस्बैंड वाइफ के साथ साथ बिजनेस कंपीटीटर भी बन जाएंगे।” “आप सब कुछ अच्छे से नहीं सोच पा रहे हैं जबकि मैं हर एक पहलू पर गौर कर रही हूं। दोनों बच्चे साथ आएंगे तो हम दोनों के बिजनेस को भी फायदा होगा।” वाणी को शगुन अनुभव के हिसाब से हर तरह से परफेक्ट लग रही थी और वो जानती थी कि अपने घर वालों को कैसे मनाना है। _________ वाणी और आकाश जी की गाड़ी उनके घर के आगे बने कंपाउंड में पहुंची ही थी कि तभी सामने से एक बड़ी सी सफेद गाड़ी आई। उस में अनुभव था। “वो तो मिस्टर मेहता की कार है ना? वो अनुभव को लाने गए थे। मेरा अनु आ गया।” उसकी गाड़ी देखते ही वाणी एक्साइटेड होकर जल्दी से गाड़ी से बाहर निकली और सफेद गाड़ी की तरफ बढ़ने लगी। अनुभव गाड़ी से बाहर आया। उसने रोजाना से अलग कपड़े पहन रखे थे। वो देहरादून में काफी स्टाइलिश और ब्रांडेड कपड़े पहनता था। यहां आने से पहले उसने खुद के लिए सिंपल शर्ट और पैंट लिया। उसके बाल भी आज तरीके से बने हुए थे। “कौन कह सकता है ये बिजनेस टायकून आकाश मित्तल का बेटा है। कोई इतना सिंपल कैसे रह सकता है।” वाणी बड़बड़ाते हुए उसके पास गई और गले लग गई। “आई मिस्ड यू सो मच बेटा....” उसकी आंखें नम थी। “मैंने भी आपको बहुत मिस किया मम्मी।” अनुभव उनसे अलग होकर बोला। उसने वाणी के पैर छुए। तब तक आकाश जी भी उसके पास आ गए थे। वो उनके पास गया और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। उसका ये रूप देख कर आकाश जी भी मन ही मन फूले नहीं समा रहे थे। उन्होंने अपने मन में कहा, “सही कहती है वाणी, अनुभव और शगुन एक दूसरे के लिए अच्छी जोड़ी साबित हो सकते हैं। शगुन संस्कारी है तो मेरा बेटा भी कम नहीं है।” उन्होंने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। “बेटा, तुम्हें यहां से दूर रहते हुए कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना?” आकाश जी ने नम आंखों से पूछा। “बहुत ज्यादा दिक्कत होती है पापा, अब आपको कैसे बताऊं। लेकिन मैंने अपनी लाइफ को बहुत इंजॉय भी किया है।” अनुभव उन्हें जवाब देने के बजाय मन में सोच रहा था। फिर वो धीमी और सौम्य आवाज में बोला, “सोने को निखरने के लिए आग में तपना पड़ता है पापा.... मैं जितना खुद को तैयार करूंगा, उतना ही सक्सेसफुल हो पाऊंगा।” उसका जवाब सुनकर आकाश जी और वाणी के चेहरे पर मुस्कुराहट पर थी। वो दोनों अनुभव के साथ अंदर पहुंचे। घर के बाकी लोग उनके आने का इंतजार कर रहे थे। अनुभव ने जाकर सब के पैर छुए। सुमन जी उसे आशीर्वाद देते हुए बोली, “बस अब बहुत हो गई तैयारी और खुद को साबित करना, अब मैं अपने बेटे को खुद से दूर नहीं जाने दूंगी।” “बस कुछ दिनों की बात है मां, उसके बाद अनुभव हमारे साथ ही रहने वाला है।” उसके चाचा प्रकाश जी ने मुस्कुरा कर कहा। “बिल्कुल, बस अनुभव की शादी करवाने की देर है। फिर हमारा परिवार पूरा हो जाएगा।” उसकी दादी बोली। उनकी बात सुनकर अनुभव हंसने लगा। “भैया, आप चिंता मत कीजिए, इस बार पूरा घर आपकी टीम में है और हम आपको कहीं नहीं जाने देंगे।” उसे वहां देखते ही उसकी छोटी बहन खुशी उसके गले लग गई। “तुम सब होंगे इसकी टीम में लेकिन मैं बड़े पापा की टीम में हूं। बस 2 दिन यहां रहो, अच्छा खाना खाओ और दो दिन बाद अपना सामान समेटों और निकल लो।” अंशिका उसे चिढ़ाते हुए बोली। अनुभव ने सबकी नजरों से छुपकर उसकी तरफ मुंह बनाया। “वो तो टाइम बताएगा कि अपना सामान समेटकर यहां से कौन निकलता है।” सभी आपस में बातचीत कर रहे थे और घर का माहौल काफी खुशनुमा था। “पूरा परिवार एक साथ हो तो रौनक लगी रहती है। सब साथ रहते हैं तो कितना अच्छा लगता है।” सुमन जी बोली। “हां, सही कहा मां आपने.... हम अभी नवीन के घर से आ रहे हैं। उनके घर पर रचना भाभी और उसके अलावा और कोई नहीं था। घर में बहुत सूनापन महसूस हो रहा था पर उन्हें उसकी आदत हो गई होगी।” आकाश ने जवाब में कहा। नवीन की बात होते ही वाणी के मन में फिर से शगुन का ख्याल आया। उसने दबी आवाज में आकाश जी से कहा, “अच्छा क्या आपके पास शगुन की कोई फोटो है, जो मैं अनुभव को दिखा सकूं?” “बस भी करो, तुम किसी चीज के पीछे पड़ जाती हो तो वो करवा कर ही दम लेती हो। अनुभव अभी आया है। मैंने इस बारे में नवीन से भी बात नहीं की और तुम हो कि अभी से आगे का सोच रही हो।” आकाश जी ने उन्हें लगभग डांटते हुए कहा। “अब आपने कह ही दिया है कि मैं कुछ सोच लेती हूं वो करवा कर ही दम लेती हूं, तो समझ लीजिए ये भी हो जाएगा। कल पार्टी में नवीन भाई साहब और रचना आने वाली है। मैं बातों ही बातों में रचना से बात कर लूंगी पर आप भी नवीन भाई साहब को बोल दीजिएगा और उन्हें ये भी क्लियर कर दीजिएगा कि हमें शगुन के काम करने से कोई दिक्कत नहीं है, ताकि उन्हें भी हां करने में कोई हिचकिचाहट ना हो।” “और अनुभव? उसका क्या?” आकाश जी ने पूछा। “अनुभव मेरा बेटा है और उसे मनाना मुझे अच्छे से आता है। वो मेरी कोई बात नहीं टालता तो ये भी नहीं टालेगा।” वाणी ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा। फिर उसने अनुभव की तरफ देखा जो काफी सिंपल लग रहा था। “बस इसका थोड़ा मेकओवर करना पड़ेगा। लग्जरी से दूर रहते रहते ये कुछ ज्यादा ही सिंपल हो गया है।” वाणी की बातें सुनकर आकाश जी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, वहीं उन्हें अनुभव के सिंपल देखने से कोई दिक्कत नहीं थी। वाणी ने अपनी बातों से आकाश जी को मना ही लिया था, तो वहीं अब अनुभव को मनाने की तैयारी में थी। ★★★★ कहानी पढ़कर समीक्षा जरूर करिएगा।

  • 11. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 11

    Words: 2010

    Estimated Reading Time: 13 min

    अनुभव अपने घर मुंबई आ चुका था। डिनर के बाद वो अपने कमरे में मौजूद था। रात के 1:00 बज गए थे फिर भी उसे नींद नहीं आ रही थी। वो बिस्तर पर करवट बदले जा रहा था। नींद ना आने की वजह से अनुभव काफी परेशान था। वो उठ कर बैठा और लैंप जलाया। “मैं पहला बंदा हूं, जिसे अपने ही घर में नींद नहीं आ रही। खाना अच्छा था पर हजम करने के लिए साथ में वाइन भी होनी चाहिए थी। ज्यादा नहीं तो दो पेग मारे बिना नींद बिल्कुल नहीं आने वाली। कुछ कर अनुभव... वरना पूरी रात ऐसे ही करवटें बदल कर गुजारनी पड़ेगी।” अनुभव बेड से उठा और धीमे कदमों से बाहर की तरफ जाने लगा। इतनी रात तक सब सोने जा चुके थे इसलिए घर की लाइट्स ऑफ थी। अनुभव ने अपने मोबाइल से टॉर्च जलाया और दबे पांव चलते हुए घर के बाहर जाने लगा। वो सीढ़ियों से उतरकर हॉल में पहुंचा ही था कि पीछे से एक आवाज आई, “पार्टी के लिए आई दारु नीचे स्टोरेज रूम के फ्रीजर में रखी है।” आवाज सुनकर अनुभव चौंक गया। वो मुड़ा और अपने मोबाइल को सामने की तरफ किया। उसके सामने अंशिका खड़ी थी। “नींद नहीं आ रही पिए बिना?” अंशिका ने मुस्कुराकर पूछा। उसकी बात सुनकर अनुभव नकली हंसी हंसने लगा। “हेहेहह... तुम्हारी बात बिल्कुल सही है। मुझे नींद नहीं आ रही लेकिन मैं शराब पीने नहीं गार्डन में टहलने जा रहा था। फॉर योर इंफॉर्मेशन मैंने पीना बंद कर दिया है।” “अच्छा...” अंशिका बोलते हुए उसके पास आई और उसके कंधे पर हल्का सा मारते हुए कहा, “बस भी कर। सब सोने जा चुके हैं। तू ड्रामा करते हुए थकता नहीं क्या अनु?” “मैं कोई ड्रामा नहीं कर रहा।”अनुभव ने मासूम बनते हुए कहा। “आई विश कि तू अपनी शक्ल जितना ही मासूम होता। तू बाहर रहता है, अकेले रहता है। तेरे पास अच्छा चांस होता है मस्ती करने का... फिर मैं मान ही नहीं सकती कि तू इतनी ही सिंपल लाइफ स्पेंड करता है। तूने अपने सोशल मीडिया अकाउंट इसीलिए डीएक्टिवेट किए ना ताकि कोई तुम्हें गलती से भी चेज ना कर सके।” “तू अब कुछ ज्यादा ही सोच रही है। जानता हूं यहां रहता था, तब थोड़ा बिगड़ा हुआ था और दोस्तों के साथ रहना अच्छा लगता था। बट ट्रस्ट मी मेरा अब गतिक अलावा और कोई फ्रेंड नहीं है और मैं इतनी ही सिंपल लाइफ स्पेंड करता हूं।” अनुभव ने सफाई दी। “एक बार के लिए मैं इस बात पर यकीन कर सकती हूं कि सर्जरी के बाद कुत्ते की दुम सीधी हो सकती है पर तुम नहीं... तू ये सब इसलिए कर रहा है ना ताकि बड़े पापा जल्द से जल्द एंपायर तेरे नाम कर दें।” अंशिका उम्र में भले ही उस से छोटी थी पर काफी समझदार थी। जहां घर के बड़े अनुभव के झांसे में आ गए थे वहां अंशिका ने चुटकियों में उसका झुठ पकड़ लिया। अंशिका की बात सुनकर अनुभव ने गहरी सांस लेकर छोड़ी। “ये सब मेरा ही है, फिर मुझे इसके लिए दिखावा करने की क्या जरूरत है?” “यही बात मेरे समझ नहीं आ रही। क्या चल रहा है तेरे दिमाग में?” “तू कुछ ज्यादा ही नहीं सोच रही अंशी? बाहर रहते हुए मुझे अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया है और मैं सच में एक लायक इंसान बनना चाहता हूं। अब रास्ता छोड़ और जाने दे।” अनुभव ने जैसे तैसे करके बात को टाला और बाहर जाने लगा। अचानक उसके कदम रुक गए। वो फिर अंशिका की तरफ मुड़ कर बोला, “वैसे तू इतनी रात को क्या कर रही है? क्या तेरा बॉयफ्रेंड घर की बालकनी चढ़कर तुझसे मिलने आता है?” अनुभव की बात सुनकर अंशिका की आंखें बड़ी हो गई। “ऐ... ऐसा कुछ नहीं है। मुझे भी नींद नहीं आ रही थी। मैं भी गार्डन में टहलने ही जा रही थी।” अंशिका ने अटकते हुए बोला। अंशिका की बात खत्म होते ही दोनों नकली हंसी हंसने लग गए। अचानक दोनों एक साथ बोले, “प्लीज किसी को मत बताना।” अनुभव ने उसकी तरफ कंधे उचकाकर कहा, “क्या सच में स्टोरेज रूम में बीयर मिल सकती हैं?” “हां मिल सकती है लेकिन बदले में तुम्हें चौकीदारी करनी पड़ेगी। सारांश बस 5 मिनट के लिए आ रहा है, तब तक ध्यान रखना कोई जाग ना जाए।” अनुभव ने उसकी बात पर हामी भरी और अपने होठों को बंद कर उस पर हाथ से जिप लगाने का इशारा करके कहा, “जल्दी करना।” “ठीक है पर तू भी ज्यादा मत पी लेना। कहीं ऐसा ना होष सुबह ही तेरा ये साधु संत वाला चेहरा सबके सामने आ जाए। अगर ऐसा हुआ तो बड़े पापा तुझे अपनी जायदाद से बेदखल कर देंगे।” उसे सब समझाने के बाद अंशिका बाहर आई। उसके जाते ही अनुभव डांस करने लगा। “फूलों का तारों का सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है। कभी सोचा नहीं था ये मेरे काम आएगी।” अनुभव हॉल के दरवाजे पर बाहर खड़े होकर निगरानी कर रहा था। वही अंशिका तेज कदमों से चलते हुए गार्डन के पास आई। उसके सामने एक लंबा, हल्की सांवली रंगत लिए हैंडसम सा लड़का खड़ा था। उसे देखते ही अंशिका उसके गले लग गई। वो उसे सहलाते हुए बोला, “किसी ने देखा तो नहीं?” अंशिका उससे अलग होकर बोली, “देख लिया लेकिन अनुभव ने... तुम उसकी चिंता मत करो, मैं उसे संभाल लूंगी। पहले ये बताओ, तुमने मुझे इतनी रात को यहां मिलने के लिए क्यों बुलाया? सब ठीक तो है ना?” “हां सब ठीक है बाबा... एक्चुअली एक गुड न्यूज़ है। मुझे लंदन से बहुत अच्छा जॉब ऑफर आया है। सोचा, मिलकर तुम्हें बताऊं और सुबह होने का इंतजार ही नहीं हुआ।” सारांश ने खुश होकर बताया। “अब तो तुम्हारे घरवाले मान जाएंगे ना?” “दिखने में हैंडसम हो, लंदन से जॉब ऑफर आया है इसका मतलब इंटेलिजेंट भी हो, इतनी रात को मेरी बहन से मिलने के लिए आए मतलब प्यार भी हैं... ठीक है मैं मना लूंगा पर तुम्हें भी मेरी हेल्प करनी होगी।” अनुभव अंदर से बाहर आ गया था। वो सारांश को गौर से देख रहा था। “तू यहां क्या कर रहा है? मैंने तुझे निगरानी करने के लिए छोड़ा था। अगर कोई आ गया तो खामखां बखेड़ा खड़ा हो जाएगा।” अंशिका उसके वहां आने पर उसे डांट रही थी। “अरे मेरे रहते कुछ नहीं होगा। तू जा, मेरे लिए दो बीयर के कैन लेकर आ... मैं तब तक इससे बात करता हूं।” अनुभव ने जबरदस्ती अंशिका को वहां से भेज दिया। सारांश के चलते अंशिका को वहां से जाना ही पड़ा। “तुमसे मिलकर खुशी हुई।” सारांश अपना हाथ आगे बढ़ाकर बोला। “अरे मुझे तुमसे भी ज्यादा खुशी हो रही है। तुम्हें नहीं पता लेकिन तुम्हारी गर्लफ्रेंड एक नंबर की जलकुक्कड़ू लड़की है। मेरे घरवाले मुझे बहुत प्यार करते हैं लेकिन ये उनके कान भरती रहती है। इसी बहाने अब ये मेरे साथ तो आई पर जो भी है, हम दोनों भाई-बहन के बीच में हैं। अगर तुमने इसे गलती से भी हर्ट किया तो मैं तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे पर मुक्का मार कर इसे बिगाड़ भी सकता हूं।” अनुभव एक सांस में काफी कुछ बोल गया। सारांश उसकी बात सुनकर मुस्कुरा कर रह गया। अंशिका वहां आई। वो अनुभव के हाथों में बियर के 4 कैन पकड़ा कर बोली, “अब दफा हो जाओ कबाब में हड्डी कहीं के...” “हां-हां, जा रहा हूं।” अनुभव वहां से निकल रहा था। तभी सिक्योरिटी गार्ड आया। उसने वहां हलचल देखी तो जोर से चिल्लाने लगा। “कौन है वहां? कहीं कोई चोर तो नहीं घुस आया? मैं कहता हूं, जो भी हो बाहर निकलो।” उसकी आवाज सुनकर वो तीनों घबरा गए। अंशिका अनुभव को मारते हुए बोली, “तुझे कहा था निगरानी रखने के लिए लेकिन नहींष तुझे चैन कहां मिलता है मुसीबत खड़ी करने से।” उससे बचने के लिए अनुभव भागने लगा और सिक्योरिटी गार्ड के सामने चला गया। “अरे अनुभव बाबा, आप इतनी रात को यहां क्या कर रहे हैं?” वो हैरानी से बोला। अनुभव के हाथ में बियर के कैन थे। उसने जल्दी से अपने हाथ पीछे कर लिए और कहा, “अरे कुछ नहीं दादा, मुझे नींद नहीं आ रही थी। आप जाइए यहां सब ठीक हैं।” सिक्योरिटी गार्ड ने उसकी बात पर हामी भरी और वहां से चला गया।‌ उसके जाने के बाद अनुभव ने जैसे तैसे करके सारांश को वहां से निकाला। सारांश के जाने के बाद अनुभव और अंशिका वापस अंदर आ गए। अंशिका ने चिढ़कर कहा, “बेचारा सारांश... मुझसे अपनी खुशी शेयर करने के लिए इतनी दूर तक आया था और तुम्हारी वजह से मैं बात तक नहीं कर पाई। मन करता है तुम्हारी हरकतों के बारे में सबको बता दूं पर...” अंशिका बोलते हुए रुक गई। “तू क्या चाहती है तेरा ब्रेकअप हो जाए वो भी इतने अच्छे लड़के से... अपना मुंह बंद रखना और घरवालों के सामने मेरी हेल्प करना। उन्हें बोलना कि जल्द से जल्द मुझे अपनी जिम्मेदारी सौंप दें।” अनुभव ने मुंह बनाकर कहा। अंशिका ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वहां से चली गई। उसके जाने के बाद अनुभव वापस अपने कमरे में जाने लगा। वो जिस काम के लिए आया था। वो हो चुका था। अब मुझे से अपने कमरे में बैठकर बीयर के कैन खाली कर रहा था। ___________ देहरादून में शगुन के मकान मालिक किसी शादी में गए हुए थे। वो घर पर अकेली थी इसलिए उसने शुभ को अपने साथ बुला लिया।‌ दोनों लेट नाईट तक मूवी देख रहे थे। शगुन शुभ की बाहों में लेटी थी। मूवी खत्म होने पर शुभ शगुन के होठों पर किस कर रहा था। किस करते हुए उसके हाथ शगुन की पीठ पर थे और वो उसकी ड्रेस की जिप लगभग खोलने वाला ही था तभी शगुन ने उसे खुद से दूर धकेल दिया। “डोंट यू डेयर...” वो वहां से उठते हुए बोली, “गलती से भी इस बारे में सोचना भी मत।” “लेकिन मैंने क्या गलती कर दी? तुम मुझसे शादी करना चाहती हो नहीं... कम से कम हम लिव इन में तो आ सकते हैं ना?” शुभ ने कंधे उचका कर कहा। “जब तक सारा बिज़नेस मेरे हाथ नहीं आ जाता, तब तक कुछ भी नहीं करना।” उसकी इस हरकत पर शगुन काफी गुस्सा हो गई थी। वो उस पर चिल्ला कर बोली, “गेट लॉस्ट... मैंने सोचा था मैं अकेली हूं तो तुम्हें यहां बुला लूं, कंपनी मिलेगी, अच्छी मूवी देखेंगे, प्यार भरी बातें करेंगे, अच्छा खाना खाएंगे लेकिन नहीं... तुम लड़कों के दिमाग में यही सब रहता है।” “व्हाट डू यू मीन यहीं रहता है? शगुन मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम मुझे जज नहीं कर सकती। मैं कोई ऐरा गैरा लड़का नहीं हूं। मैंने तुम्हें शादी के लिए प्रपोज किया था। इसमें मेरी क्या गलती है जो तुमने मना कर दिया?” “मैंने कहा ना शुभ, मुझे कोई बहस नहीं करनी। चुपचाप यहां से निकल जाओ।” शगुन ने कहा। “मैं भी बहस नहीं करना चाहता। सब अपने रिश्ते में आगे बढ़ना चाहते हैं, मैं भी बढ़ रहा हूं तो इसमें क्या गलत है? रही बात यहां से जाने की, तो मैं कोई गैर नहीं हूं। तुम्हें अकेले छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। तुम्हें मुझसे इतना ही डर लग रहा है तो जाकर अपने कमरे में सो जाओ। मैं लिविंग रूम में रह लूंगा।” शुभ ने जवाब दिया। वो शगुन को अकेले नहीं छोड़ना चाहता था। शगुन ने आगे कुछ नहीं कहा और अपने कमरे में जाकर सोने की कोशिश करने ल।गी उसने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर रखा था। वही शुभ बाहर था। “हद होती है इस लड़की की, ना जाने इसे कब समझ आएगा कि मैं सच में इससे प्यार करता हूं। मैं कोई गोल्डडिगर नहीं हूं प्यार करता हूं तभी इसके इतने नखरे और गुस्से को झेल रहा हूं, वरना मेरी जगह कोई और होता तो अब तक चला जाता। काश मेरे घर वालों को हमारे रिलेशन के बारे में पता होता तो उन्हें पता चलता मुझसे ज्यादा गुस्सैल भी इस दुनिया में एक्जिस्ट करता है।” शुभ सोफे पर बैठा बड़बड़ा रहा था। वो भी गुस्सैल मिजाज का था। लेकिन शगुन से प्यार करने की वजह से उसके गुस्से और जिद को शांति से संभालने की कोशिश करता था। शगुन भी इस बात को जानती थी तभी उससे दूर नहीं होना चाहती थी। इतनी लड़ाईयों के बावजूद दोनों एक साथ थे एक दूसरे से प्यार करते हुए। ★★★★

  • 12. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 12

    Words: 1993

    Estimated Reading Time: 12 min

    अगली सुबह शगुन की आंख खुली तो उसे घर में खाने की खुशबू आ रही थी। वो जल्दी से बिस्तर से उठ कर बाहर आई तो शुभ उसके लिए ब्रेकफास्ट बना रहा था। रात को जो भी हुआ, उन सब को भूलकर शुभ शिद्दत से शगुन के लिए ब्रेकफास्ट तैयार कर रहा था। “ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है। तुम ये सब करते हो तो मुझे और भी ज्यादा गिल्ट फील होता है कि मैं तुम्हारे साथ अच्छा बिहैव नहीं करती।” शगुन ने नजरें झुका कर कहा। “कम ऑन... कौन सा पहली बार हुआ है। तुम्हें इंबेरिस होने की जरूरत नहीं है। अगर कुछ करना ही है तो अपने बिहेवियर को चेंज करो। चलो अब जल्दी से फ्रेश होकर आओ, तब तक ब्रेकफास्ट कंपलीटली रेडी हो जाएगा।” शुभ मुस्कुरा कर बोला। उसकी आंखों में शगुन के लिए प्यार साफ दिखाई दे रहा था। शगुन ने कुछ नहीं कहा और जल्दी से उसके पास गई। उसने उसे गले लगा लिया। “आई एम सो सॉरी... मैं भी चाहती हूं हम हमारे रिश्ते को कोई नाम दें।” “लेकिन साथ ही तुम ये भी चाहती हूं कि तुम्हारे डैड तुम्हें तुम्हारा बिज़नेस सौंप दें। व्हाट्स रॉन्ग विद यू शगुन? अगर वो ऐसा ना भी करेंगे तो क्या प्रॉब्लम है? क्या हो जाएगा जो वो बिज़नेस तुम्हारे बजाए तुम्हारे हस्बैंड के नाम कर देंगे, तुम अपने हस्बैंड आई मीन मुझसे अलग थोड़ी ना हो?” “ये तुम कैसी बात कर रहे हो? मैं लोगों के स्टीरियोटाइप बिलीफ को चेंज करना चाहती हूं। उन्हें बताना चाहती हूं कि लड़कियां भी बहुत कुछ कर सकती है। तुम्हें नहीं पता पर मुझे इन सब के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। जहां बचपन में लड़कियां गुड्डे गुड़ियां से खेलती है, मैंने बिजनेस गेम्स खेलें हैं। बच्चे हॉलीडेज में घूमने के लिए बाहर जाते हैं लेकिन मैं अपने पापा के ऑफिस जाती थी। बचपन से ही मेरा सपना था कि मैं अपने पापा के काम को संभालूं। अगर मेरी जगह कोई बेटा होता तो उसे बिना सोचे समझे सब कुछ मिल जाता लेकिन मुझे स्ट्रगल करना पड़ रहा है... सिर्फ इसलिए कि मैं एक लड़की हूं। शादी करके दुसरे घर चली जाऊंगी। तुम नहीं समझोगे इन सब से जूझना कैसा होता है।” शगुन का सारा दर्द एक साथ बाहर निकल आया। शुभ नहीं चाहता था एक और बहस हो इसलिए उसने शगुन को हल्के से गले लगाया और सहला कर कहा, “तुम जैसा चाहती हो, वैसा ही होगा।” उसने शगुन के गाल पर किस करके स्माइल करने का इशारा किया शगुन ने हल्की मुस्कुराहट दी हालांकि उसकी आंखे नम थी। वो फ्रेश होने के लिए अंदर चली गई। उसके जाने के बाद शुभ ने बड़बड़ाकर कहा, “गॉड नोज इसकी प्रॉब्लम क्या है? बस सब कुछ अपना चाहिए पर जब मुझे अपनाने की बारी आती है तो पीछे हट जाती है। लगता है इसे समझने के लिए मुझे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा।” नाश्ता बनाने के बाद शुभ उसे डाइनिंग टेबल पर लगा रहा था और शगुन के आने का इंतजार कर रहा था। वो शगुन के बर्ताव से काफी बार इरिटेट हो जाता था लेकिन प्यार के चलते कुछ कह भी नहीं सकता था। ___________ पार्टी शुरू होने से पहले अनुभव अपने कमरे में था। उसकी मां वाणी ने उसके लिए ड्रेस भिजवाई थी। अनुभव तैयार होने के बजाय उस ड्रेस को देख कर मुंह बना रहा था। “मम्मी को मेरे लिए डिजाइन करवाने के लिए ये ब्लैक सूट ही मिला था क्या? इसे पहनने के बाद तो मैं आदिमानव के जमाने का लगूंगा। आई विश मैं अपने डिजाइन किए हुए कपड़े पहन पाता... लेकिन एक अच्छा आदर्श बेटा बनना है तो ये पहनना ही पड़ेगा। मम्मी ने चाचू और पापा के लिए भी सेम सूट डिजाइन करवाया है। चल बेटा अनुभव, राजा बेटा बनकर तैयार हो जा।” अनुभव बेमन से उस सूट को पहनने के लिए बाथरूम में गया। बाहर आने के बाद उसने खुद को सामने लगे आईने में देखा। “वैसे इतना भी बुरा नहीं लग रहा।” वो अपने बाल सेट करने में लगा था। मिस्टर मित्तल अभी अनुभव को मीडिया और बाकी लाइमलाइट से दूर रखना चाहते थे इसलिए वो अंदर कमरे में था। ___________ शाम के लगभग सात बज रहे थे। मिस्टर आकाश मित्तल के विला में उनकी सक्सेस पार्टी शुरू हो चुकी थी। उस पार्टी में शहर के टॉप बिजनेसमैन से लेकर सेलिब्रिटी तक सब शामिल होने के लिए आए थे। पार्टी कवरेज के लिए मीडिया की भी अच्छी खासी भीड़ थी। मिस्टर आकाश मित्तल और उनकी वाइफ मिसेज वाणी मित्तल बाहर गेस्ट को ग्रीट कर रहे थे जबकि प्रकाश और मीरा अंदर का अरेंजमेंट देख रहे थे। मेहमानों के बीच नवीन और रचना पार्टी में शामिल होने के लिए आए। उन्हें देखते ही आकाश ने उसे खुशी से गले लगा लिया और कहा, “मुझे लगा नहीं था तुम पार्टी में आओगे। जहां तक मैं तुम्हें जानता हूं, तुम किसी भी पार्टी में नहीं जाते हो।” “हां किसी की भी पार्टी में नहीं जाता लेकिन अपने खास दोस्त की पार्टी को कैसे छोड़ सकता हूं। कोई नॉर्मल बर्थडे पार्टी या प्रोजेक्ट मिलने की पार्टी होती तो फिर भी एक बार सोचता। ये तुम्हारी बहुत बड़ी अचीवमेंट है, फिर मैं बधाई देने के लिए कैसे नहीं आता।” नवीन ने मुस्कुराकर जवाब दिया। “टीम ने काफी अच्छा काम किया है।” रचना ने मुस्कुराकर कहा। “हां, तुम्हारी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी कमाल का काम करती है।” वाणी ने हंसकर जवाब दिया। “इतने दिनों बाद आए हैं है तो सबसे मिलना भी हो जाएगा।” नवीन ने कहा। “हां हां क्यों नहीं, इस बार तुम्हें किसी खास से भी मिलवाना है।” बोलते हुए आकाश ने अपनी आवाज़ धीमी की और कहा, “इस बार पार्टी में अनुभव भी आया है। वो अंदर है।” “क्या सच में? अच्छा हुआ मैंने इस बार की पार्टी में नहीं की, वरना उससे मिलना नहीं हो पाता।” नवीन ने कहा। आकाश और वाणी रचना और नवीन को अंदर ले कर गए। अनुभव अपनी दादी के साथ खड़ा था। वो उनके पास गए। आकाश ने अनुभव को नवीन से मिलाते हुए कहा, “याद है अनु, बचपन में नवीन के साथ तुम उसके ऑफिस जाया करते थे।” अनुभव ने मुस्कुराकर हां में सिर हिलाया और नवीन और रचना के पैर छुए। “तुम तो पूरी तरह बदल गए। बचपन में तो बहुत शरारती थे और अब कितने सिंपल लग रहे हो। सही कहा था तुमने आकाश, अनुभव सिंपल लिविंग हाई थिंकिंग में बिलीव करता है।” नवीन पहली बार में ही अनुभव से मिलकर इंप्रेस हो गए। वहां आए बाकी बिजनेसमैंस की नजर भी कहीं ना कहीं अनुभव पर थी। बिजनेस फैमिलिज में शादी जैसे रिश्ते होना आम बात थी। अनुभव बैचलर था और साथ ही उसका सिंपल बिहेवियर सब को अट्रैक्ट कर रहा था। आकाश और वाणी पार्टी में बिजी थे तो एक तरफ नवीन और रचना साथ खड़े थे। रचना ने अनुभव की तरफ देख कर कहा, “मैंने अपनी शगुन के लिए कुछ ऐसा ही लड़का देखने का सोचा था। आप एक बार आकाश भाई साहब से बात करके देखिए।” “धीरे बोलो रचना। कल ही हमने शगुन से वादा किया था कि वो जैसा चाहेगी वैसा होगा और आज तुम फिर उसकी शादी पर आ गई? उसे पता चला तो वो फिर से हर्ट हो जाएगी और रोने लगेंगी।” नवीन ने समझाते हुए कहा। “क्या हो गया तो? कभी ना कभी तो शादी करनी ही है... आप तो अच्छे से जानते हैं बिजनेस फैमिलीज में लड़के बिगड़े हुए होते हैं। उन्हें एक से ज्यादा अफेयर्स भी होते है। मैने महसूस किया है अनुभव अलग है, इससे पहले अनुभव के लिए कोई और बिजनेस फैमिली रिश्ता भेजें, हमें हमारी शगुन के लिए उसे बुक कर लेना चाहिए।” रचना ने कहा। वही नवीन और रचना को अकेले खड़ा देखा तो वाणी की उन पर नजर गई। वो आकाश के पास जाकर बोली, “वो देखिए नवीन भाई साहब और रचना अकेले खड़े हैं। हमें उनसे बात कर लेनी चाहिए। ये अच्छा मौका है।” आकाश जी ने उसकी बात पर हामी भरी। वो दोनों नवीन और रचना के पास गए। “थैंक यू सो मच रचना, तुम्हारी टीम ने इस बार भी बहुत ही अच्छे से सारा काम संभाला है।” वाणी ने बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा। “हां, इस बार की पार्टी कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही है और अनुभव भी तो आया है। सारा परिवार एक साथ होता है तो अच्छा लगता है।” रचना ने जवाब दिया। “अनुभव से याद आया तुम्हारी बेटी शगुन... काश आज वो भी पार्टी में होती। बच्चों के बीच वो यहां होती तो अच्छा लगता, वो भी हमसे मिल लेती।” वाणी बोली। “मैंने तो बहुत बार उससे कहा है कि मिलने आ जाया करे लेकिन काम में बिजी रहती है। मैं नहीं चाहता मैं उसे किसी भी चीज के लिए फोर्स करूं।” नवीन ने जवाब दिया। “हां सही कहा... मैं भी अनुभव को कभी किसी चीज के लिए फोर्स नहीं करता। बस अब चाहता हूं कि वो जल्द से जल्द बिजनेस संभाल ले और एक अच्छी लड़की देख कर उसकी शादी कर दें।” आकाश ने कहा। शादी की बात आने पर रचना ने नवीन की तरफ देखा। उन्होंने इशारे से इस बारे में बात करने से मना कर दिया लेकिन फिर भी रचना ने कहा, “हम भी शगुन की शादी करना चाहते हैं पर एक ऐसे लड़के की तलाश है, जो उसे समझे। उसे काम करने के लिए कभी रोके टोके ना, उसकी रिस्पेक्ट करें। अगर ऐसा लड़का मिलेगा तो शगुन भी शादी के लिए हां कह देगी।” “हां तो शादी के बाद काम करने में दिक्कत ही क्या है? इतना बड़ा एंपायर है वो नहीं संभाल लेगी तो कौन संभालेगा? मैंने तो आकाश से कह दिया है, मेरे अनुभव के लिए ऐसे ही लड़की देखें जो बिजनेस में उसकी हेल्प कर सके। हम से अलग होकर काम करना चाहे, उससे भी कोई दिक्कत नहीं है... बट एक वर्किंग वुमन होनी चाहिए। इंडिपेंडेंट होनी चाहिए।” वाणी बोली। वो चारों ही बात को सीधे-सीधे कहने के बजाय घुमा फिरा कर बोल रहे थे। सुमन जी उस तरफ आ रही थी। उन्होंने उनकी बातें सुनी तो पास आकर कहा, “अरे ऐसे घुमा फिरा कर बातें करने से नहीं होता है, सीधे-सीधे बोलो ना कि दोनों बच्चे एक दूसरे के लायक हैं।” उनकी बात सुनकर वो चारों एक दूसरे के मुंह की तरफ देखने लगे। वाणी ने सुमन जी की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “हां, मां बिल्कुल ठीक कह रही है। अगर आपको अनुभव पसंद है तो हमें शगुन का आपका बिजनेस संभालने से कोई प्रॉब्लम नहीं है।” “कैसी बात कर रही हो तुम वाणी। अनुभव जैसा लड़का तो चिराग देखकर ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। मुझे मेरी शगुन के लिए ऐसा ही लड़का चाहिए था, जो उसे हर तरह से सपोर्ट करें।” रचना ने तुरंत ही हां कह दिया। “पर हमें एक बार बच्चों से पूछ लेना चाहिए।” नवीन जी अभी भी जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे। “हां तो फिर जो बात आपस में कर रहे हो, वो बच्चों से करवा दो। बुला लो शगुन को। वो कहां रहती है? अनुभव तो यहीं पर है और हां बच्चों पर जोर जबरदस्ती मत करना, पूरा फैसला उन्हें ही लेने देना।” सुमन जी ने अपने अनुभव के हिसाब से समझदारी से कहा। “शगुन देहरादून में रहती है।” नवीन ने बताया। “अरे अपना अनुभव भी तो देहरादून में ही है। क्यों ना हम बच्चों के मामले में इंटरफेयर ना करते हुए सारा डिसीजन उन पर सौंप देते हैं। ये मीटिंग फैमिली के बीच होने के बजाय उन दोनों को ही करने देते हैं और वो उस हिसाब से डिसीजन ले लेंगे।” आकाश जी ने कहा। “ठीक है फिर मैं अनुभव से इस बारे में बात कर लेती हूं। वो इस बार देहरादून जाएगा तो शगुन से मिल लेगा। रचना, तुम्हारे पास शगुन की कोई फोटो हो तो प्लीज मुझे भेज देना ताकि मैं उसे दिखा सकूं।” वाणी ने कहा। रचना ने बिना देर किए तुरंत शगुन की फोटो वाणी को सेंड कर दी, तो वही वाणी ने भी अनुभव की कुछ फोटोज रचना को भेजी। वाणी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। वो जो करने का सोच रही थी वो काफी आसानी से हो गया था, अगर कही देरी थी तो वो शगुन और अनुभव को एक-दूसरे को पसंद करने की। ★★★★

  • 13. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 13

    Words: 2004

    Estimated Reading Time: 13 min

    रात के लगभग 2 बज रहे थे। मित्तल विला में पार्टी खत्म हो चुकी थी और वहां आए गेस्ट भी जा चुके थे। पार्टी के बाद पूरी मित्तल फैमिली घर के लिविंग रूम में बैठकर आपस में बातें कर रही थी। अनुभव वहां बोर हो रहा था इसलिए वो ये बोलकर सोने चला गया कि उसे जल्दी सोने की आदत है। “पार्टी तो सच में कमाल की थी। थक गए हैं पर फिर भी बहुत इंजॉय किया।” मीरा ने सोफे पर बैठ कर कहा। “हां काफी दिनों बाद इतने लोगों से मिलना जुलना हुआ तो अच्छा लगा। सबसे ज्यादा अच्छा नवीन से मिलकर लगा।” सुमन जी ने मुस्कुरा कर कहा। नवीन जी का जिक्र आते ही आकाश और वाणी को याद आया कि उन्होंने उनसे उनकी बेटी शगुन का हाथ मांगा था। सुमन जी के अलावा इस बात का अभी तक उन लोगों को पता नहीं था। “मुझे आप सब से कुछ शेयर करना था।” वाणी ने कहा और उठकर अपने फोन को सामने लगी एलईडी स्क्रीन से कनेक्ट किया। स्क्रीन पर शगुन की फोटोज थी, जो उसकी मां ने भेजी थी। “ये कौन है भाभी, बहुत ही प्यारी लग रही है।” मीरा ने पूछा। “ये नवीन की बेटी शगुन है। बहुत ही प्यारी बच्ची है और टैलेंटेड भी... हमारे अनुभव की तरह ये भी अपने पापा का बिजनेस संभालने के लिए खुद को तैयार कर रही है।” आकाश ने बताया। “कही आप इसके लिए अपने अनुभव का हाथ मांगने के बारे में तो नहीं सोच रहे भाई साहब?” प्रकाश ने पूछा। “सोच नहीं रहे, समझो इस बारे में बात हो गई।” सुमन जी ने हंसकर कहा। उनकी बात सुनकर प्रकाश और मीरा ने एक दूसरे की तरफ देखा मानो आंखों ही आंखों में एक दूसरे को कुछ कह रहे हो। “हमें एक बार अनुभव से पूछ लेना चाहिए। टाइम बदल गया है भाई साहब। आजकल के बच्चे शादी जैसा इंर्पोटेंट डिसीजन खुद से लेना चाहते हैं।” प्रकाश ने धीमी आवाज में कहा। ना चाहते हुए भी उन्हें अपना वक्त याद आ रहा था जब वो अपने दिल की बात नहीं कह पाए थे और उन्हें मीरा से शादी करनी पड़ी। “ये सही कह रहे हैं पहले का टाइम और था। हम लोग एडजस्ट कर लेते थे पर आजकल के बच्चे एडजस्ट करना नहीं जानते।” मीरा ने उनकी बात को आगे बढ़ाया। “अरेंज मैरिज में प्रॉब्लम क्या है? मेरी और आकाश की अरेंज मैरिज हुई थी, तुम्हारी और प्रकाश भैया की भी अरेंज मैरिज हुई है। अगर हमारे बच्चों ने किसी को पसंद कर रखा है, वो उनके लायक है तब की बात अलग है। मुझे नहीं लगता अनुभव की जिंदगी में कोई लड़की होगी। अगर होती भी तो वो अब तक हम में से किसी को तो बता चुका होता।” वाणी ने कहा। “हां फिर अनुभव पर कोई दबाव नहीं है। दोनों बच्चे एक दूसरे से मिल लेंगे। एक दूसरे के साथ समय बिताएंगे, उसके बाद ही कोई डिसीजन ले तो बेहतर होगा।” आकाश ने कहा। प्रकाश और मीरा उनकी बात पर मुस्कुरा कर रह गए। सब कुछ सुनने के बाद अंशिका ने बड़बड़ा कर कहा, “लगता है इस बार अनुभव के लग गए। बड़े पापा उसके लिए लड़की सेलेक्ट करके बैठे हैं और वो कुछ और ही ख्वाब बुन रहा है। कहीं उनकी गुडबुक्स में आने के चक्कर में वो कोई गलत डिसीजन ना ले ले।” शगुन का टॉपिक क्लोज हो चुका था। सब काफी थक गए थे इसलिए सोने जा रहे थे। आकाश और वाणी अपने कमरे में चले गए तो सुमन जी अपने में। बड़ों की बातों से बोर होकर खुशी वही सो चुकी थी। अंशिका भी अपने कमरे में जाने को हुई तभी मीरा ने कहा, “रुको अंशी, मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।” “हां हमें बात कर लेनी चाहिए। अगर शादी का टॉपिक आ ही गया है तो हमें बात करनी जरूरी है।” प्रकाश बोले। अंशिका हैरानी से उन दोनों की तरफ देख रही थी। उसके दिल की धड़कनें बढ़ गई। उसे लगा कहीं उसके मम्मी पापा ने भी उनके लिए कोई लड़का पसंद तो नहीं कर रखा है। “अंशिका हमारी अरेंज मैरिज हुई थी... आजकल पेरेंट्स और बच्चों में फ्रेंड्स वाला बॉन्ड होता है इसलिए हम कुछ छुपाना नहीं चाहते। आज हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं पर जब हमारी शादी हुई थी, तब हमें इस रिश्ते को एक्सेप्ट करने में 2 साल का समय लग गया था। प्रकाश किसी और को पसंद करते थे। मैंने उन्हें सब कुछ भुलाने का टाइम दिया पर ये गलत है। अगर तुम किसी को पसंद करती हो तो हमें आकर बताना, हम तुम्हारी शादी उसी से करेंगे।” मीरा काफी खुले विचारों की थी। वो नहीं चाहती थी जो समय उनके रिश्ते को आगे बढ़ने में लगा, वैसा कुछ अंशिका के साथ भी हो। “हां तुम्हारी मम्मा बिल्कुल ठीक कह रही है। ये अंडरस्टैंडिंग थी, ओपन माइंडेड भी... लेकिन अभी ऐसे नहीं होते। मैं लकी था कि मुझे मीरा मिली, जिसने मुझे समझा और मेरी आगे बढ़ने में मदद की, पर दुनिया का हर इंसान खुश किस्मत नहीं हो सकता। हो सके तो अनुभव से भी बात करके देखूंगा। भाई साहब और भाभी अपनी जिद में आकर कहीं बच्चे की जिंदगी खराब ना कर दें।” प्रकाश ने अंशिका को समझाया। उनकी बात सुनकर उसका दिल किया कि वो सारांश के बारे में उन्हें सब बता दे पर अंशिका उस वक्त चुप रही। वो इस समय खुद को दुनिया की सबसे खुशकिस्मत लड़की समझ रही थी, जहां उसके पेरेंट्स ने सामने से आकर उसकी पसंद के बारे में पूछा। अंशिका अपने मम्मी पापा के गले लग कर बोली, “आप दोनों का तो पता नहीं पर मैं बहुत लकी हूं... एंड आई लव यू सो मच।” उन्होंने उसके सिर पर प्यार से हाथ फिराया। एक छोटी सी बातचीत के बाद वो लोग भी सोने को जा चुके थे। ___________ अनुभव को एक और दिन वहां रुकना था लेकिन उसके बॉस का कॉल आने की वजह से उसे अर्जेंट में निकलना पड़ रहा था। वो अपने कमरे में पैकिंग कर रहा था, तभी वाणी उसके पास आई। “क्या लाइफ हो गई है तेरी... सोचा था एक-दो दिन और तेरे साथ खुशी से रहेंगे पर...” वाणी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी। वो इमोशनल हो रही थी। “कोई बात नहीं मम्मी... 2 महीने बाद आप का बर्थडे है, तब वापस आ जाऊंगा।” अनुभव ने मुस्कुराकर उन्हें गले लगा लिया। उसने अपने मन में कहा, “सोचा तो मैंने भी नहीं था कि इतनी जल्दी मुझे यहां से जाना पड़ेगा। आप लोगों से बात तक करने का टाइम नहीं मिला। अगर थोड़ा टाइम आपके साथ मिल जाता तो अपनी इमोशनल बातों से आपका दिल तो जीत ही लेता और आपकी बात इस घर में कोई नहीं टाल सकता। काश मैं आप पर गया होता तो अपनी बातों को मनवाने का हर तरीका मुझे पता होता।” “वैसे मैंने एक तरीका सोच लिया है, जिससे जल्द से जल्द तुम्हारे पापा तुम्हें अपनी पोजीशन दे दे और तुम यहां हमेशा के लिए रह भी सको?” अचानक वाणी ने कहा तो अनुभव के चेहरे पर चमक आ गई। वो उन से अलग होकर बोला, “आप मुझसे मजाक कर रही है ना?” वाणी ने ना में सिर हिला कर कहा “बिल्कुल नहीं...” फिर उसने अपना मोबाइल निकाला और शगुन की तस्वीरें उसके सामने कर दी, “कैसी है यह?” “खूबसूरत है पर इसकी फोटोज आप मुझे क्यों दिखा रही है? कौन है यह?” अनुभव ने हैरानी से पूछा। “ये तुम्हारी सक्सेस का शॉर्टकट है। नवीन अंकल तो तुम्हें याद ही होंगे? बचपन में तुम जिनके ऑफिस जाया करते थे। ये उनकी बेटी शगुन है। मैंने तेरी शादी के लिए इसके पेरेंट्स से बात की है। सोच अनुभव, अगर तुम दोनों की शादी हो गई तो तुम्हारे पापा तुम्हें यहां रहने की इजाजत दे देंगे और साथ ही तुम्हें तुम्हारा एंपायर सौंप देंगे... ये तो हुई तुम्हारी पर्सनल प्रोग्रेस, अब बात करते हैं प्रोफेशनली तो नवीन भाई साहब का बिजनेस उतना ही सक्सेसफुल है जितना तेरे पापा का, शगुन अपना बिजनेस संभाल लेगी और तुम अपना। बिजनेस फैमिलीज का एक परफेक्ट रिश्ता... दोनों मिलकर खूब तरक्की करना और इस बिजनेस वर्ल्ड पर राज करना।” वाणी के मन में जो भी था वो उन्होंने अनुभव के सामने रखा। वही इतना सब कुछ सुनने के बाद अनुभव का सर चकराने लगा। वो प्रार्थना को पसंद करता था। “ये आप कैसी बातें कर रही है? मैं इस लायक हूं कि खुद को प्रूफ कर सकूं। मैं इसका सहारा लेकर डैड के सामने ऊपर नहीं उठना चाहता।” अनुभव ने बात को टालने के लिए कहा। वही आकाश जी उस वक्त उसके कमरे में आ रहे थे। उन्होंने अनुभव की बातें सुनी तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। “मुझे तुमसे कुछ ऐसे की ही उम्मीद थी।” उन्होंने अंदर आकर कहा, “तुम्हारी मॉम तो पागल हो गई है, जो उल्टी-सीधी बातें करती रहती है। इसने बिजनेस जॉइन नहीं किया पर दिन रात उसके दिमाग में यही ख्याल रहते हैं कि अपने बिजनेस को कैसे आगे बढ़ाना है।” “हां तो इसमें गलत क्या है? सिर्फ हमारा बिज़नेस ही नहीं हमारी होने वाली बहु शगुन के बिजनेस को भी मैं ऊंचाइयों पर देखना चाहती हूं। देखना वो परफेक्ट बिजनेस वुमन होगी जो बहुत सक्सेसफुल होने वाली है। आखिर उसकी होने वाली सास से उसे टिप्स जो मिलेगी।” वाणी ने मुस्कुरा कर कहा। “ऐसा कुछ नहीं है बेटा, तुम इसकी बात पर ज्यादा ध्यान मत दो। अब गौर से सुनो, शगुन भी देहरादून में ही रहती है। मैं चाहता हूं तुम उससे मिलने जाओ।” आकाश जी ने कहा। “पर पापा अभी शादी करने की क्या जरूरत है? मैं काम में फोकस कर रहा हूं, मेरे पास सिर्फ 1 साल का टाइम है। मैं इसे शादी या किसी लड़की पर वेस्ट नहीं करना चाहता।” अनुभव बोला। “क्या तुम्हें कोई और लड़की पसंद है?” अचानक वाणी ने पूछा। वो नहीं चाहती थी कि प्रकाश या घर के बाकी लोग उसे इस बात के ताने मारे कि उसने अपनी जिद के चलते अनुभव की अरेंज मैरिज करवा दी। वही अनुभव वाणी के अचानक पूछने पर हड़बड़ा गया। उसने जल्दी से कहा, “न... नहीं।” “देखा मैंने कहा था ना अनुभव अभी भी सिंगल है। तो हो गया फाइनल... तुम देहरादून पहुंच जाओ। मैं रचना से बात करके तुम्हारी और शगुन की मीटिंग फिक्स करवाती हूं और हां, मीटिंग में अच्छा बनकर जाना, इतना सिंपल नहीं। आजकल की लड़कियों को सिंपल लड़के कम ही पसंद आते हैं।” अनुभव की बात सुनकर वाणी खुश हो गई। वो अभी से सपने बुनने लगी थी। आगे की प्लानिंग करने के लिए वाणी रचना से बात करने के लिए कमरे से बाहर चली गई। “तुम्हारी मां सच में बहुत ज्यादा आगे की सोच लेती हैं।” आकाश जी हंसकर बोले, “मुझे लगता है कि अब तुम्हें और ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है। अब तुम तैयार हो गए हो। बिजनेस संभालने के बाद तुम्हें पर्सनल लाइफ को ज्यादा टाइम देने का मौका नहीं मिलेगा इसलिए मैं चाहता हूं उससे पहले ही तुम शादी कर लो और शगुन, वो सच में एक बहुत ही अच्छी और संस्कारी लड़की है।” अनुभव के चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट थी। वो चाहकर भी आकाश जी से ना नहीं कर पाया। उसने हां में सिर हिला कर कहा, “ओके मैं मिल लूंगा।” “और हां कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। अगर शगुन पसंद ना आए तो बोल देना आई प्रॉमिस फिर एक साल तक तुम्हें बिल्कुल डिस्टर्ब नहीं करूंगा और तुम आगे की ट्रेनिंग आराम से पूरी कर सकते हो।” अपनी बात कहकर आकाश जी वहां से चले गए। उनके जाते ही अनुभव धम्म से बेड पर गिर गया और अपने पैर पटकने लगा। “हे भगवान..! ये सब मेरे साथ ही होना था। पता नहीं इस बात की खुशी मनाऊं कि पापा ने मुझे जल्द से जल्द सारा एंपायर देने के बारे में सोचा है.. या इस बात का दुख कि अगर मैंने उस लड़की से शादी को मना कर दिया तो वो फिर से 1 साल का टाइम और लेंगे। प्रार्थना... उसे पता चला तो वो मेरी जान ले लेगी।” अनुभव अपना सिर खुजला रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वो आगे क्या करें। उसने अपना सामान पैक किया और देहरादून के लिए निकल गया। अब देहरादून में होने वाली शगुन से होने वाली मीटिंग ही आगे की चीजें डिसाइड करने वाली थी। ★★★★

  • 14. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 14

    Words: 2260

    Estimated Reading Time: 14 min

    अनुभव वापस देहरादून आ चुका था। वो अपने फ्लैट पर गतिक के साथ मौजूद था। वहां जो भी हुआ उसके बारे में उसने गतिक को बताया कि कैसे उसके परिवार ने उसके लिए लड़की सेलेक्ट कर ली है। सारी बातें सुनने के बाद गतिक हंसने लगा। “मैंने आज तक किसी अमीर लड़के की इतनी बुरी हालत नहीं देखी। मुझे तुमसे पूरी सहानुभूति है मेरे दोस्त।” गतिक उसके पास आकर उसका कंधा सहलाने लगा और एक बार फिर ठहाके लगाकर जोर से हंस पड़ा। अनुभव बच्चों सा मासूम चेहरा बनाकर बोला, “तू मेरी प्रॉब्लम कभी नहीं समझ सकता। मुझे नहीं पता था मेरी मां इतने आगे का सोचती है। जहां दुनिया के बाकी मांएं घर के लिए एक आदर्श बहू लाना चाहती है, जो उनके बेटे और घर को संभाल सके, वही मेरी मां हमारे बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए मेरे लिए बिजनेस वूमन ढूंढ रही है।” “अब पता चला तू ऐसा क्यों है, आखिर बिजनेस फैमिली का खून जो ठहरा... वैसे तूने सोचा है कि तू आगे क्या करने वाला है?” गतिक ने पूछा। “देखा जाए तो मेरे घर वालों ने काफी अच्छा ऑप्शन सेलेक्ट किया है। अगर मैं प्रार्थना से प्यार नहीं करता तो अपने फायदे के लिए शगुन से शादी कर लेता पर नहीं, मैं प्रार्थना से प्यार करता हूं और अपनी लाइफ उसी के साथ स्पेंड करना चाहता हूं... लेकिन साथ ही मुझे अपने पापा की प्रॉपर्टी भी चाहिए, वो भी जल्द से जल्द। अगर मैंने उनके दोस्त की बेटी से शादी के लिए ना कर दी तो कहीं वह... वो मुझसे नाराज तो नहीं होंगे ना?” “नाराज क्यों होंगे, जब उन्होंने खुद ही कहा है कि तुम्हारे पास ना करने का ऑप्शन है।” “हां ये बात भी सही है। मान लो मैंने उस लड़की से शादी की तो मुझे मेरी प्रॉपर्टी जल्द ही मिल सकती हैं। ऑफिशियली मैं मित्तल एंपायर का सीईओ होऊंगा।” अनुभव सोचते हुए बोला। कुछ देर चुप रहने के बाद उसने फिर कहा, “पर साथ ही इसके लिए मुझे अपनी कुर्बानी देनी पड़ेगी। मैं खुद को दांव पर लगा सकता हूं पर प्रार्थना को नहीं। उसने मुझसे प्यार किया है.. उसे तो पहले पता तक नहीं था, मेरी असलियत क्या है। फिर भी मुझे हमेशा सपोर्ट किया। मैं उसे इस तरह बीच रास्ते में छोड़ नहीं सकता।” गतिक जो काफी देर से उसकी सारी बातें गौर से सुन रहा था वो बोला, “वैसे मेरे पास एक बीच का रास्ता है, जिससे तुम्हें उस लड़की से शादी भी ना करनी पड़े और तुम्हें तुम्हारी प्रॉपर्टी भी जल्द ही मिल जाए।” “अगर ऐसा कोई आईडिया है तो जल्दी बोल ना, अब तक टाइम वेस्ट क्यों कर रहा था।” अनुभव उसे आंखें दिखा कर बोला। “क्या हो जो शादी के लिए तेरे बजाए वो लड़की ही मना कर दे? तू अपने घर वालों के सामने दिल टूटने का दिखावा कर सकता है, बेचारा बन सकता है... उन्हें खुलेआम देहरादून आने से मना कर सकता है, ये बोलकर कि यहां आने पर तुम्हें शगुन की याद आती है।” गतिक के मन में जो भी खिचड़ी पक रही थी वो उसने सब अनुभव को बता दी। उसे सुनने के बाद अनुभव के चेहरे पर चमक थी। “अरे वाह ये तो बहुत सॉलिड आईडिया है। मेरे साथ रह रह कर तू भी होशियार हो गया है। सही कहा तुमने पर इसका साइड इफेक्ट तो नहीं होगा ना? कहीं मेरे घर वालों ने दूसरी लड़की ढूंढने की कोशिश की तो?” अनुभव अपनी लाइफ को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। “ये तो और भी अच्छा है ना। फिर हम प्रार्थना की फैमिली को तुम्हारे घर भेज देंगे तुम्हारा हाथ मांगने के लिए... तुम प्रार्थना को जल्द से जल्द पसंद कर लेना और इन सबकी सेटिंग में मैं तुम्हारी हेल्प करूंगा पर बदले में...” गतिक बोलते हुए रुक गया। उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट थी। अनुभव हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था। वो उसके सामने अपनी शर्त रखते हुए बोला, “ज्यादा कुछ नहीं बस परमानेंटलि ये फ्लैट मेरे नाम कर देना।” “ठीक है रख लेना। मुझे कोई दिक्कत नहीं है... लेकिन तेरे प्लान के हिसाब से थोड़ी सी भी गड़बड़ हुई तो लात मारकर तुझे यहां से बाहर निकालूंगा।” उसके हां कहते ही गतिक खुश हो गया। वो उसके पास आया और उसका कंधे दबाते हुए बोला, “बिल्कुल नहीं, तू अपने दोस्त पर भरोसा करके तो देख। तेरे घर वालों ने शगुन से मीटिंग करने के लिए कहा है ना... डोंट वरी तू वहां जरूर जाएगा।” “सिर्फ मीटिंग के लिए नहीं मम्मी ने आते वक्त मेरे हाथ में एक लंबी चौड़ी लिस्ट भी पकड़ाई थी... उन्होंने हर एक डिटेल लिखी है, लाइक मुझे क्या पहन कर जाना है, कौन सी जगह जाना है और यहां तक कि क्या खाना ऑर्डर करना है।” अनुभव आंखें घुमा कर बोला। “वाणी आंटी ने इतनी लंबी लिस्ट बनाई है, तो जरूर उन्होंने शगुन के बारे में जांच-पड़ताल की होगी। तुम्हें सब कुछ उसका उल्टा ही करना है। और याद से, तू मना नहीं करेगा वो इस शादी के लिए मना करेगी।” अनुभव ने उसकी बात पर हामी भरी और अपने कमरे में जाने लगा। उसका मोबाइल अभी भी बाहर पड़ा था। स्क्रीन पर शगुन की फोटो थी। गतिक ने उसे गौर से देखा और फिर चिल्लाकर बोला, “अच्छा सुन, दोस्त होने के नाते एक और फेवर कर देना। यार लड़की तो सच में बहुत खूबसूरत है, मेरी सेटिंग करवा दे इससे।” “अबे वो कोई राह चलती लड़की नहीं है, शगुन गोयंका है। कभी गोयंका एंपायर का नाम सुना भी है? उसकी इकलौती वारिस है ये लड़की। तुमने इसे ऐरा गैरा समझ रखा है क्या? उसके घर वालों ने मेरे लिए हां की है, इसका मतलब मैं भी खास हूं। ये कोई आम लड़की नहीं बल्कि अरबों खरबों की मालकिन है। बाकी बातों को इग्नोर कर भी दे तो शक्ल देखी है तूने अपनी? छछून्दर जैसा लगता है और ये दिखने में इतनी खूबसूरत.... किसी प्रिंसेस की तरह। तुझे तो देख कर ही डर कर भाग जाएगी।” अनुभव ने अंदर से ही तेज आवाज में जवाब दिया। “हां तो क्या हुआ फेयरी टेल्स में राजकुमारी और मेंढक की भी तो जोड़ी होती है। उसके किस करने पर मेढ़क राजकुमार में बदल जाता हैं।” गतिक ने जवाब दिया। “मैने छछूंदर कहा है, मेंढक नहीं...” अनुभव हंस कर बोला। उसकी बातें सुनकर गतिक ने मुंह बनाया और कहा, “हां तो इतनी सुंदर है तो खुद शादी क्यों नहीं कर लेता? क्यों उस बंदरिया जैसी शक्ल की प्रार्थना के पीछे पड़ा है।” इस पर अनुभव ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो बेड पर आराम से सो रहा था। अब उसकी सबसे बड़ी टेंशन जो दूर हो चुकी थी। वही गतिक शगुन की फोटोज को अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर रहा था, ताकि उसे सोशल मीडिया पर ढूंढ कर उसके बारे में पता लगा सके। ___________ शाम के लगभग 4:00 बज रहे थे। रचना नवीन के साथ गोयंका एंपायर में थी। दोनों बैठ कर इस बारे में ही बात कर रहे थे। नवीन और रचना ने आकाश जी से शगुन के बारे में बात तो कर ली थी पर अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब शगुन को इस बारे में कैसे बताएं। “मेरी रचना से बात हुई थी। अनुभव वापस देहरादून चला गया है और उसने आज शाम शगुन से मिलने का भी कहा है।” रचना ने बताया। “नहीं नहीं, मुझे उससे डर लगता है। अगर मैंने उसे फोन किया और वो फिर से रोने लग गई तो... तो मैं आसानी से अपना इरादा बदल दूंगा।” नवीन जी ने शगुन से बात करने से मना कर दिया। “हां तो अकेले बात मैंने थोड़ी ना की थी? आपने भी तो हामी भरी थी। आपने देखा था ना अनुभव कितना अच्छा लड़का है, इससे पहले कि कोई और बाजी मारे हमे शगुन को मनाना होगा।” “मुझे क्या पट्टी पढ़ा रही हो? जाकर खुद मना लो ना... मैंने शादी के लिए हां कह दिया, यही बड़ी बात है। अब इस बारे में तुम ही शगुन को बताओगी।” नवीन जी बोले। फिर उन्होंने घड़ी में समय देखकर कहा, “उन्होंने रात को मिलने के लिए कहा है ।रात होने में ज्यादा टाइम नहीं बचा है। तुम्हें शगुन से बात कर लेनी चाहिए। कहीं ऐसा ना हो अनुभव अकेला ही उस होटल में पहुंच जाए और शगुन वहां ना हो।” रचना ने उनकी बात पर हामी भरी और कहा, “कुछ तो करना ही होगा। मैं नहीं चाहती इतना अच्छा रिश्ता हाथ से जाए।” उन्होंने तुरंत शगुन को फोन मिलाया और कॉल स्पीकर पर कर दिया। शगुन उस समय शुभ के साथ मीटिंग में थी। अचानक अपनी मॉम का कॉल देखकर वो थोड़ी हैरान हुई। मीटिंग में होने की वजह से उसने कॉल इग्नोर किया लेकिन दूसरी बात वापस उनका कॉल आया, तब शुभ ने कहा, “जाकर बात कर लो। हो सकता है कोई जरूरी काम हो वरना वो इस समय फोन नहीं करते।” “हां इस टाइम मॉम अपने ऑफिस में होती है... और बिजी भी। ठीक है मैं फिर बात करके आती हूं। एक्सक्यूज मी जेंटलमैन्स।” शगुन ने अपना मोबाइल उठाया और मीटिंग रूम से बाहर आ गई। वो अपने केबिन में थी। उसने रचना जी को कॉल बैक किया और कहा, “मैं मीटिंग में थी, इस वजह से कॉल पिक नहीं कर पाई। कुछ इंपोर्टेंट है क्या मम्मा?” शगुन के पूछते ही रचना और नवीन जी चुप हो गए। वो इशारों इशारों में एक दूसरे से बात की पहल करने के बारे में कह रहे थे। काफी देर तक उनमें से कोई नहीं बोला तो शगुन ने कहा, “वहां सब ठीक तो है ना मम्मा? आप इस टाइम पर मुझे कॉल नहीं करती हैं।” “हां हां बेटा सब ठीक है। तुम टेंशन मत लो।” नवीन जी ने जवाब दिया। “पापा आप? मम्माआपके पास आई हुई है।” शगुन ने पूछा। “अच्छा बताइए मुझे किस लिए कॉल किया है। मुझे वापस मीटिंग में भी जाना है एंड इट इज एन इंपॉर्टेंट मीटिंग।” उनकी बात सुनकर रचना ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और एक सांस में बोलने लगी, “आई नो शगुन तुम्हारे लिए तुम्हारा कैरियर और हमारा एंपायर दोनों ही इंपोर्टेंट है। हमारा यकीन रखो हम तुम्हें कभी इससे दूर नहीं करेंगे। सब कुछ तुम्हारा ही है और तुम्हारा ही रहेगा। हमने तुम्हारे लिए एक ऐसा लड़का ढूंढा है, जो शादी के बाद भी तुम्हें हमसे अलग नहीं करेगा। तुम शादी करने के बाद भी अपने एंपायर को संभाल सकती हो। उसे तुम्हारे बिजनेस में कोई इंटरेस्ट नहीं होगा। वो दिल से सिर्फ तुम्हें प्यार करेगा।” रचना एक सांस में सब बोल गई। वहीं उनकी बातें सुनकर शगुन को झटका लगा। उसने खुद को नार्मल करने के लिए पानी पिया और चेयर पर बैठ गई। उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या जवाब दे। शगुन को चुप देखकर नवीन जी बोले, “देखो बेटा, तुम पर कोई दबाव नहीं है पर बहुत दिन हो गए तुम्हें दूर रहते हुए। अब हम चाहते हैं कि तुम वापस आ जाओ और अपना काम संभालो।” “और काम संभालने से पहले तुम खुद को थोड़ा टाइम दो। अपनी फैमिली को थोड़ा टाइम दो और शादी कर लो।” रचना ने उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा। वाणी ने रचना को पहले ही समझा दिया था कि उन्हें शगुन से किस तरह बात करनी थी ताकि उसे ये ना लगे कि वो शादी करके सारा बिजनेस अनुभव को देना चाहते हैं। “बहुत ही अच्छा लड़का है। वो भी तुम्हारी तरह देहरादून में रहकर खुद को अपने बिजनेस को संभालने के लायक बना रहा है। फैमिली भी बहुत सपोर्टिव है। जैसे ही मैंने तुम्हारी बात की तो उन्होंने यही कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, अगर तुम अपना बिजनेस संभालों।” नवीन ने कहा। वो अपनी तरफ से शगुन को मनाने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। वही शगुन अब तक इस सदमे से नहीं निकल पाई थी। वो शुभ को खुद से दूर रहती थी ताकि उसके माता-पिता को ये ना लगे कि वो किसी भी तरीके से कमतर है या उसने ट्रेनिंग के बहाने शुभ में अपना टाइम वेस्ट किया है। “आप दोनों मुझसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं ना? आपको नहीं लगता कि मैं आपके बिजनेस को संभालने के लायक हूं इसलिए मेरे लिए एक अमीर लड़का ढूंढा, जो पहले ये दिखावा करेगा कि वो मुझे सब मुझे सपोर्ट कर रहा है। उसके बाद उसकी फैमिली मुझे बिजनेस संभालने के लिए ताने मारेगी। आखिर में तंग आकर मुझे सारा काम उसे सौंपना होगा और घर संभालना होगा। यही सोचा है ना आपने मेरे लिए मम्मा पापा?” शगुन ने रोनी आवाज में कहा। “देखा मैंने तुमसे कहा था ये रोने लग जाएगी। तुम... तुमने अनुभव के लिए हां कही है। एक बार तो अपनी बेटी के बारे में सोच लेती।” शगुन की रुआंसी आवाज सुनकर नवीन गुस्सा हो गए और वो रचना को डांटने लगे। “इसमें मेरी क्या गलती है? आपने भी तो हां कही थी। अनुभव एक अच्छा लड़का है। वो तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करेगा। तुम एक बार उससे मिल कर तो देखो।” रचना शगुन को समझाने लगी। “ठीक है मैं मिलूंगी उस लड़के से और उससे शादी भी कर लूंगी... आप यही चाहते हैं ना कि मैं आपको छोड़कर चली जाऊं हमेशा के लिए... तो यही सही। बताइए कहां मिलना है उस लड़के से?” शगुन ने गुस्से में हां कह दिया। उसे लगा कि उसका इमोशनल बिहेवियर उसके मम्मी पापा का विचार फिर से बदल देगा पर रचना ने जवाब में कहा, “आज शाम... होटल ग्रीनडेल में मिलना है।” “ठीक है...” शगुन ने उनके जवाब का इंतजार किए बिना ही कॉल कट कर दिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। वो मीटिंग में जाने के बजाय कार लेकर अपने घर जाने लगी। वहीं नवीन और रचना भी परेशान हो रहे थे। उन्होंने शगुन के लिए आकाश को हां तो कह दी थी पर शगुन का बर्ताव देखकर उन्हें लग नहीं रहा था कि वो शादी के लिए तैयार होगी। ★★★★

  • 15. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 15

    Words: 2136

    Estimated Reading Time: 13 min

    रचना और नवीन से बात करने के बाद शगुन घर आ रही थी। वो गाड़ी में थी। उसने आने से पहले शुभ को बताया तक नहीं। वो काफी गुस्से में ड्राइव कर रही थी। “मुझे जिस बात का डर था, वही हुआ। अगर यही होना था तो मैं यहां इतनी मेहनत क्यों कर रही थी? क्यों इतना डेडीकेशन दिखा रही थी? हद होती है... आज पहली बार खुद पर गुस्सा आ रहा है कि मैं एक लड़की क्यों हूं? जो भी हो, दुनिया इधर की उधर हो जाए मैं किसी से शादी नहीं करने वाली....” शगुन ने बड़बड़ाकर कहा। वो काफी रैश ड्राइविंग कर रही थी। इस चक्कर में ट्रैफिक हवलदार ने उसे रोक लिया। “क्या बात है मैडम, लगता है आपको कुछ ज्यादा ही जल्दी लगी है। कहीं इस जल्दी जाने के चक्कर में अपने डेस्टिनेशन के बजाय कहीं और मत पहुंच जाना।” उसने शगुन को समझाते हुए कहा। शगुन ने उसके सामने अपने चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई और नरम आवाज में कहा,“जी बिल्कुल सर, आगे से ध्यान रखूंगी।” ट्रैफिक हवलदार ने उसे जाने का इशारा किया। शगुन ने थोड़ा आगे जाकर गाड़ी रोकी उसकी गाड़ी में कॉक रखी हुई थी, जिसे वो एक घूंट में निगल गई ताकि खुद को थोड़ा रिलैक्स कर सके। “लगता है अब उससे बात करनी ही होगी। एक वही है जो मुझे इस मामले में राय दे सकती है। आखिर उसके साथ भी तो यही सब हुआ था।” शगुन ने खुद से कहा और अपने फोन में कांटेक्ट लिस्ट निकाली। उसने अपनी फ्रेंड हर्षिता को कॉल मिलाया। हर्षिता भी उसकी तरह बिजनेस फैमिली से बिलॉन्ग करती थी और अपने पेरेंट्स की इकलौती संतान थी। उसके घर वालों ने एक बिजनेस फैमिली में उसकी शादी कर दी थी। “अरे वाह, लगता है गलती से कॉल लग गया। मैंने तुझ जैसी सेल्फिश लड़की नहीं देखी। पिछले 8 महीने बाद फोन कर रही है तू मुझे.... शर्म नहीं आती तुझे, अपनी बेस्ट फ्रेंड को इतने टाइम बाद कॉल करते हुए।” सामने से हर्षिता की आवाज आई। “तू जानती है ना मुझे शर्म वर्म नहीं आती और हां... मैं कॉल नहीं कर सकती थी तो तेरे हाथों में तो मेहंदी नहीं लगी थी ना?” “मेहंदी नहीं लगी थी पर मेरी नई नई शादी हुई थी। थोड़ा टाइम तो अपने हस्बैंड को देना बनता है।” हर्षिता ने मुस्कुरा कर कहा। उसके मुंह से शादी का नाम सुनते ही एक झटके में शगुन का चेहरा उतर गया। वो धीमी आवाज में बोली, “अच्छा ठीक है, एक बात बता तू इस वक्त कहां है?” “कहां, कहां होऊंगी? जहां होना चाहिए, वही हूं। ऑफकोर्स मेहुल के घर पर हूं।” “पर तू तो शादी के बाद अपने पापा का बिजनेस संभालने वाली थी? सब ठीक तो है ना?” शगुन ने हैरानी से पूछा। “हां हां सब ठीक है। इनफेक्ट एक गुड न्यूज़ है। तू मासी बनने वाली है। मैंने काम संभाला था पर अब प्रेग्नेंट होने की वजह से मेहुल ने कहा कि वो सब देख लेंगे। वो नहीं चाहते कि इस हालत में मैं स्ट्रेस लूं। बेबी होने के बाद उसकी अच्छे से केयर भी करनी होती है। लगता है अब तो मैं लंबी छुट्टी पर जाने वाली हूं और बाद में सेकंड बेबी भी प्लान करूंगी.... मेहुल को एक से ज्यादा बच्चे चाहिए।” हर्षिता खुश होकर उसे सब कुछ बता रही थी। उसकी आवाज से साफ था उसका पति उससे काफी प्यार करता था ‌ उसकी सारी बातें सुनकर शगुन जोर से हंसी और फिर बोली, “कहीं तुझ पर किसी ने जादू टोना तो नहीं करवा दिया? ये क्या बकवास बातें कर रही है? याद है ना हम दोनों ने प्लान किया था कि हम सक्सेसफुल बिजनेस वूमेन बनेंगे। एक तो तुमने शादी कर ली, ऊपर से ये क्या घर घर खेल रही हो।” शगुन की बात सुनकर हर्षिता ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर धीमे कदमों से चलती हुई बाहर आई। उसके कमरे के आसपास कोई नहीं था। उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और अंदर आकर कहा, “कहना पड़ता है बहन, मैं ससुराल में हूं। आसपास रिश्तेदारों से लेकर काम करने वाला कोई भी हो सकता है। किसी ने मेरी बात सुनकर मेरी सास को शिकायत लगा दी तो वो मेरी खटिया खड़ी कर देगी कि हमने तुम्हारी देखरेख में कहां कमी रख दी।” “मतलब मैं कुछ समझी नहीं, तू क्या खुश नहीं है?” “तुझे लगता है ऐसा हो सकता है?” हर्षिता ने रोनी सूरत बनाई और शगुन के कॉल को वीडियो कॉल में कन्वर्ट किया। शगुन ने देखा हर्षिता का वजन काफी बढ़ गया था और वो लगभग 6 महीने प्रेग्नेंट थी। “उसने सब कुछ बहुत प्लानिंग से किया होगा ना? पहले मुझे बड़े-बड़े सपने दिखाए और फिर बाद में प्यार का नाम लेकर ये.... मुझसे तो खुद की केयर नहीं होती इसकी क्या खाक करूंगी। बेचारे बच्चे पर दया आ रही है।” “और मुझे तुम पर... सब यही करते हैं। पहले बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं और बाद में यही करते हैं। तुझे पता है एक बिजनेस फैमिली से मेरे लिए भी रिश्ता आया है। सोचा हां कहने से पहले तेरी हालत देख लूं और ये देखने के बाद तो मैं गलती से भी हां नहीं कहने वाली।” शगुन ने अपनी आप बीती हर्षिता को बताई। “हां बिल्कुल सही कहा। गलती से भी हां मत कहना।” हर्षिता ने जवाब दिया। “चल छोड़ इन सबको.... पापा ने मुझे आज शाम उस लड़के से मिलने के लिए कहा है। मुझे कुछ ऐसा बता जिसकी वजह से मुझे कुछ करना ही ना पड़े और वो खुद से ना कह दे। तुझे तो एक्सपीरियंस है। तू भी तो शादी से पहले मेहुल से मिलने गई थी।” “हां और यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी। मैं बेवकूफ उसे इंप्रेस करने में लगी रही। काश मैं भी तेरी तरह दिमाग लगाती और उससे जान छुड़ा लेती तो अच्छा रहता।” हर्षिता को फिर से पुराने दिन याद आ गए, तो वो मुंह बिगाड़ने लगी। “मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है। जल्दी बता।” “ठीक है बताती हूं.... देख रिश्ता आने से पहले तेरे घर वालों ने तेरी खूब तारीफ की होगी उनके सामने.... बस अपनी मां को कॉल करके उन सब के बारे में पूछ ले और वो जो भी बताएं, वो भूल कर भी मत करना। लड़का परेशान हो जाएगा, जाकर अपने घर वालों को बताएगा और कहेगा इस लड़की से मुझे हरगिज शादी नहीं करनी।” हर्षिता उसे अच्छे से सब कुछ समझा रही थी। सारी बातें सुनने के बाद शगुन बोली, “और कही उसने हां कह दी तो? जरूर उन कमीनों की मेरी बिजनेस पर बुरी नजर होगी। वो मेरा बिजनेस हड़पना चाहते हैं... हर्षिता मेरी मदद कर।” “जो कहा है वो कर लेना, वही काफी होगा। फिर भी बात ना बने तो कोशिश करती रहना। आगे तो भगवान ही मालिक है बहन.. चल मैं चलती हूं मुझे अपनी सास के साथ सत्संग सुनने जाना है, आखिर बच्चे को पैदा होने से पहले साधु जो बनाऊंगी।” उसे सब समझाने के बाद हर्षिता ने कॉल कट कर दिया। वहीं हर्षिता की हालत देखने के बाद शगुन को विजुअल्स आने लगे। शगुन अपने आप को एक लूज सा घुटनों तक के फ्रॉक पहने देख रही थी, जैसा कि हर्षिता ने पहन रखा था। वो भी उसकी तरह 6 मंथ प्रेग्नेंट थी। “बेबी, मुझे बच्चे बहुत पसंद है.... मैं नहीं चाहता तुम्हारे पापा की तरह हमारा बच्चा भी इकलौती संतान बने। अरे उसके पास तो उसके नाना और दादा दोनों की इतनी प्रॉपर्टी होगी। हम लगभग तीन से चार बच्चे पैदा करेंगे।” उसके कानों में एक आदमी की आवाज आई, जिस पर शगुन मुस्कुराते हुए किसी रोबोट की तरह हां में सिर हिला रही थी। अचानक शगुन का ध्यान टूटा। उसने पानी की बोतल ढूंढ कर अपने मुंह पर जोर से दे मारी। “नही....” वो जोर से चिल्लाई, “मैं अपने साथ ये कभी नहीं होने दूंगी। अरे ये दिन देखने के लिए थोड़ी ना मैं इतने दिन लग्जरी से दूर रही। पति के पैसों पर ही ऐश करना था तो काम करने की क्या जरूरत थी। पहले ही सगाई कर लेती और घूमती फिरती उसके साथ मजे से... मैं चैन से खाना तक नहीं खा पाती मीटिंग के चक्कर में....” बोलते हुए शगुन झूठ मुठ का रोने लगी। “नहीं शगुन, तू अपने साथ ऐसा नहीं होने देगी। चुपचाप मॉम को कॉल कर और उससे पूछ कि उन्होंने उस लड़के के घर वालों के सामने तेरी क्या तारीफ की है।” शगुन ने खुद से कहा और रचना जी को कॉल मिलाया। “तो क्या सोचा है बेटा तुमने?” कॉल उठाते ही रचना ने पूछा। “मेरे सोचने से क्या होता है मम्मा, आप लोगों ने मुझसे बिना पूछे ही इतना बड़ा डिसीजन ले लिया तो फिर क्या फर्क पड़ता है कि मैं क्या सोचती हूं और क्या नहीं....” शगुन अभी भी उनसे गुस्सा थी, तो वो रूखे तरीके से बात कर रही थी। “तुम बेवजह घबरा रही हो। अनुभव बहुत अच्छा लड़का है, कोशिश करना कि पहली बार में ही हां हो जाए। इसमें तेरा ही फायदा है। अगर तुम्हारी शादी हो गई तो तुम्हें बाहर नहीं रहना पड़ेगा और तुम्हारे पापा समय से पहले ही तुम्हें सारी रिस्पांसिबिलिटी देकर खुद रिटायरमेंट ले लेंगे। तुझे नहीं पता इस लड़के पीछे एक लंबी सी लाइन लगी थी... बहुत मुश्किल से मैंने तुझे उस लाइन में सबसे आगे लाकर खड़ा किया है।” उनकी बात सुनकर शगुन के चेहरे पर चिड़ भरी मुस्कुराहट थी। “जी जरूर, आपने मुझे लाइन में आगे लाकर तो खड़ा कर दिया, अब प्लीज कृपा करके बताएंगे कि मुझे उस लाइन को क्रॉस करके उस तक कैसे पहुंचना है? आई मीन ऐसा क्या करना है जिसकी वजह से वो लड़का इंप्रेस हो जाए।” “ये हुई ना बात....” रचना उसकी बात सुनकर खुश हो गई। उन्होंने कहा, “हां तो गौर से सुन, लड़के का नाम अनुभव है। दिखने में काफी हैंडसम है और टैलेंटेड भी, तुझे पता है वो डिज़ाइनर हैं। अच्छे से तैयार होकर जाना और डिजाइनर कपड़े पहन कर जाना ताकि उसे इंप्रेस कर सको। वैसे तो मैंने उन्हें कहा है शगुन काफी संस्कारी है। उसकी मां वाणी मेरी बेस्ट फ्रेंड है उसे तुम्हारे बिजनेस संभालने से कोई दिक्कत नहीं है, बाकी तुम्हें तो पता होगा ना आजकल की लड़को को कैसी लड़कियां पसंद होती है। थोड़ी मॉडर्न टाइप की। वाणी और मीरा भले ही होममेकर हो पर वो काफी मॉडर्न है और उसी तरह के कपड़े भी पहनती हैं।” रचना के सब समझाने के बाद शगुन ने कहा, “ठीक है मैं आपसे आज रात को बात करती हूं।” रचना ने उसे गुड लक विश किया और कॉल कट कर दिया। शगुन घर आई और उसने हर्षिता को सारी बात बताई, जो उसकी मां ने उसे कही थी। उन सब को सुनने के बाद हर्षिता ने उसे बताया कि कैसे मीटिंग के लिए तैयार होना है। शगुन अब अनुभव से मिलने जाने के लिए तैयार हो रही थी। उसने अपने पहनने के लिए एक सिंपल सा लॉन्ग स्लीव्स लंबा अनारकली सूट सेलेक्ट किया, जिसके साथ उसने रेड कलर का बांधनी प्रिंट दुपट्टा लिया। उसने अपने कानों में ऑक्साइड लंबे झुमके पहने। अपने बालों को बिल्कुल स्ट्रेट कर के बीच की पार्टीशन निकालकर पीछे की तरफ कर लिया। वो देखने में बिल्कुल किसी टिपिकल सीरियल की हीरोइन जैसी लग रही थी। “मेरे इस रूप को देखने के बाद तो मिस्टर डिजाइनर 1 मिनट में मना कर देंगे। उसने एक्सपेक्ट किया होगा कि कोई मॉडर्न सी लड़की डिजाइनर कपड़े पहनकर बिल्कुल कैटरीना कैफ की तरह कैटवॉक करके आएगी। मेरा ये सिंपल सा सस्ता सा सूट देखकर वो मुझे 1 मिनट में रिजेक्ट कर देगा... जैसा कि मम्मा ने कहा आजकल के लड़कों को थोड़ी मॉडर्न टाइप की लड़की पसंद है। अब मुझ जैसी बहन जी से कौन शादी करना चाहेगा। जिसकी मॉम और आंटी इतनी मॉडर्न है, उसकी कुछ तो एक्सपेक्टेशन होगी और मुझे देखने के बाद बेचारे की एक्सपेक्टेशन पर 2 मिनट में पानी फिर जाएगा।” शगुन ने मुस्कुरा कर कहा। उसके बाद उसने अपना मेकअप किया और हाथ में इयरिंग से मैच करती चूड़ियां पहनी। उसने पैरों में हैवी पायल डाली जो जरूरत से ज्यादा ही शोर कर रही थी। मेकअप का टचअप देने के बाद शगुन पूरी तरह तैयार हो चुकी थी। उसने अपनी पायल और चूड़ियों को एक साथ बजाते हुए कहा, “चलो तुम से भी मिल लिया जाए अनुभव मित्तल, पर उससे पहले थोड़ा तुम्हारे बारे में जान लिया जाए।” शगुन ने लैपटॉप लिया और उसके अकाउंट को ढूंढने लगी। शगुन को काफी हैरानी हुई क्योंकि अनुभव का कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं था। “एक बात तो साफ है, तुम खुद के बारे में कुछ ना कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हो। मैंने अपना सोशल मीडिया अकाउंट इसलिए नहीं बना रखा था कि किसी को पता ना चल सके कि मैं यहां कैसे रहती हूं, क्या करती हूं। कहीं तुम भी तो यही नहीं कर रहे मिस्टर मित्तल। लगता है तुम भी बहुत कुछ छुपा रहे हो। वो जो भी हो, वो मेरे काम आने वाला है।” शगुन को अनुभव का अकाउंट ना होना काफी अजीब लगा। अब वो उसके बारे में काफी कुछ जानना चाहती थी ताकि उसे शादी से ना कहने का बहाना मिल सके। ★★★★

  • 16. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 16

    Words: 2050

    Estimated Reading Time: 13 min

    शगुन अनुभव से मिलने के लिए तैयार हो चुकी थी तो वहीं दूसरी तरफ अनुभव भी उससे मिलने जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसके कमरे में बेड पर काफी सारे डिजाइनर कपड़े बिखरे थे तो वहीं पास में गतिक खड़ा था। “क्या सोचा है, इनमें से क्या पहन कर जाने वाले हो?” गतिक ने पूछा। “ये सारे कपड़े यहां आते टाइम मॉम ने बैग में डाल दिए और मुझे पता तक नहीं चला। अब मैसेज करके बोल रही है कि मुझे इनमें से ही कुछ पहनना है।” अनुभव हर एक कपड़े को उठाकर उन्हें देख रहा था। “हां तो दिक्कत क्या है, पहन ले। सब के सब अच्छे हैं। इन्हें पहनने के बाद तो कोई भी लड़की इंप्रेस हो जाएगी। फिर तूने कहा कि वो तो हाई क्लास फैमिली से हैं। लड़कियों को ऐसे ही लड़के पसंद आते हैं... कहां हम जैसे गरीब मासूम सस्ते कपड़े पहनने वाले लड़कों पर वो ध्यान देती है।” गतिक ने मुंह बनाकर कहा। उसकी बात सुनने के बाद अनुभव से गौर से देखने लगा। गतिक ने नॉर्मल जींस और ऊपर ब्लू और ब्लैक कलर का चेक्स का शर्ट पहन रखा था। “तू मुझे ऐसे घूर कर क्यों देख रहा है? कहीं तेरे दिमाग में कोई ऐसा वैसा तो नहीं चल रहा। देख मैं तुझे पहले ही बता देता हूं मैं उन लड़कों में से नहीं हूं।” गतिक उस से दो कदम पीछे हटकर बोला। तभी अनुभव दौड़ कर उसके पास आया और उसे कसकर गले लगा लिया। “वाह मेरी जान, मेरे साथ रहते रहते तेरा सच में दिमाग चलने लगा है। तू ऐसा कर ये सारे कपड़े अपने पास रख ले और जिसे इंप्रेस करना है, कर ले। तूने तो मेरा दिल जीत लिया। अगर मौका मिला तो मैं शगुन को तुम्हारे बारे में बता दूंगा।” अनुभव लगातार बोले जा रहा था जबकि गतिक को कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो अचानक इतना खुश क्यों हो गया। “देख तू लड़की से मिलने जा रहा है। शराब पीकर जाएगा और कहीं उसने तेरे घर वालों को बता दिया तो सब उल्टा पड़ जाएगा।” गतिक बोला। “मैंने पी नहीं रखी है पर तूने मुझे बहुत अच्छा आईडिया दे दिया। ऐसा कर अपने कपड़े निकाल....” अनुभव के बोलते ही गतिक बाहर भागने लगा। वो दौड़ते हुए बोला, “अबे साले मैंने तुझे कहा था, मैं उस तरह का लड़का नहीं हूं। हो क्या गया है तुझे? प्रार्थना को भूल गया क्या?” “बेवकूफ लड़के, मैं इस बारे में बात नहीं कर रहा था। पता नहीं अपने दिमाग में क्या क्या गंदगी भर रखी है। मुझे तेरे कपड़े चाहिए ताकि वो मैं पहनकर शगुन के सामने जा सकूं। तूने ही तो कहा था कि ऐसे कपड़े पहनने वाले लड़कों को कौन लड़की पसंद करेगी?” अनुभव उसके पीछे हॉल में आया और उसे सब बताया। सारी बात जानने के बाद गतिक रुक गया। उसने राहत की सांस ली और कहा, “अच्छा तो ये बात है। वैसे आइडिया काफी अच्छा निकाला है। लेकिन तुझे यही कपड़े क्यों चाहिए? मेरे पास ऐसे बहुत से पड़े हैं, जो मैंने सेल में से खरीदे हैं।” गतिक अनुभव का हाथ पकड़ कर उसे अपने कमरे में लेकर गया और अलमारी खोली। उसने अनुभव को काले रंग की डेनिम पैंट और उसके ऊपर लाइट स्काई ब्लू कलर का शर्ट पहनने को दिया। अनुभव ने कपड़े बदले। उसने शर्ट को इन करके पहन रखा था और ऊपर गतिक का ही बैल्ट लगाया। “रुक मेरे हीरो, अभी तेरे इस रूप में चार चांद लगाने बाकी है।” गतिक बोला। अनुभव उसकी तरफ हैरानी से देख रहा था। गतिक ने अलमारी के पास में रखी नारियल तेल की शीशी उठाई और अपने हाथ में थोड़ा तेल लिया। वो अनुभव के पास आया और उसके बालों में वो तेल मसल दिया। अनुभव उसे धकेलते हुए बोला, “अरे ये क्या कर रहा है। लड़की भागे या ना भागे मैं खुद को शीशे में देखकर जरूर भाग जाऊंगा।” “बस 1 दिन की बात है। एडजस्ट कर ले भाई, फिर जिंदगी भर की खुशियां मिल जाएगी।” गतिक ने उसे बेड पर बैठाया और उसके बालों को सिंपल तरीके से बनाने लगा। वो उसे इस तरह तैयार कर रहा था जैसे किसी छोटे बच्चे को स्कूल जाने से पहले उसकी मां तैयार करती हैं। “वैसे कहना पड़ेगा, मेरा भाई दिखने में काफी अच्छा लग रहा है।” उसने अपनी आंखों से काजल निकालने का दिखावा किया और अनुभव के कान के पीछे लगाने लगा। उसे ऐसा करते देख अनुभव ने उसे खुद से दूर धकेला। अनुभव आईने के सामने खड़ा होकर खुद को देख रहा था। वो इस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे बैंक में काम करता हो, एक फॉर्मल सा डीसेंट लुक। “इसमें तो मैं कुछ ज्यादा ही शरीफ लग रहा हूं। कहीं मुझे खुद से ही प्यार ना हो जाए।” अनुभव मुस्कुरा कर बोला। वो खुद को देख रहा था, तभी गतिक ने उसके ऊपर अपना परफ्यूम छिड़क दिया। “छीईईई...” अनुभव ने नाक सिकोड़ी। “तभी मैं सोचूं घर में ये इतनी गन्दी बदबू कहां से आती है।” “बस भी कर... चल अब जा.. सब कुछ कर दिया है.. अब क्या तेरी आरती उतारु? जा अब, लड़की को इंतजार कराना सही नहीं होता। विजई भव...” गतिक उसे बाहर की तरफ धकेलते हुए बोला। अनुभव ने गतिक के ही शूज पहने थे हालांकि वो उसे थोड़े टाइट आ रहे थे। अनुभव के सारे जूते ब्रांडेड थे। वो नहीं चाहता था कि शगुन को जरा सा भी शक हो। ______________ वाणी ने उन दोनों के लिए पहले ही टेबल बुक करवा दी थी। उसने उस दिन के लिए पूरा होटल बुक किया था ताकि कोई और उनकी बातचीत में खलल ना डाल सके। रात के 8:00 बज रहे थे। अनुभव को होटल आए हुए लगभग आधा घंटा बीत चुका था। वो शगुन का इंतजार कर रहा था। “ये लड़की अभी इतना वेट करवा रही है, तो ना जाने बाद में क्या करेगी। मुझे क्या? वैसे भी मुझे कौन सी शादी करनी है।” अनुभव ने खुद से कहा। तभी उसे पायलों की छन-छन की तेज आवाज सुनाई दी। उसने देखा सामने से सफेद सूट में एक लड़की चल कर आई थी। उसके माथे पर छोटा सा सिंदूर का टीका लगा था और हाथ में थाली थी। उसे देख कर उसकी आंखें बड़ी हो गई। वो फोटो से बिल्कुल अलग लग रही थी। रचना ने उसकी जो भी तस्वीरें भेजी थी, वो ऑफिस ड्रेस में थी। “आप क्या इस वक्त मंदिर से आ रही है क्या?” अनुभव ने उठकर उसके लिए चेयर खींची। शगुन ने हां में सिर हिलाया और मुस्कुराकर धीमी आवाज में कहा, “आज का दिन मेरे लिए इतना खास है। भगवान को तो शुक्रिया अदा करना ही था। चलिए, अपने हाथ आगे कीजिए और प्रसाद लीजिए।” शगुन ने मुस्कुराते हुए अनुभव के हाथ में प्रसाद रख दिया। वो दोनों एक दूसरे की तरफ नकली मुस्कुराहट के साथ देख रहे थे। अनुभव ने बहुत सस्ते से सिंपल कपड़े पहने थे वही उसके परफ्यूम की स्मेल से शगुन को चिढ़ हो रही थी। “देखो तो कैसा बंदर जैसा बन कर आया है बालों को चिपका कर... और इसका ये परफ्यूम, लगता है इसके पास ज्यादा देर रही तो मैं बेहोश हो जाऊंगी। ये कहां से डिज़ाइनर है। अरे इसने जो कपड़े पहन रखे हैं उसे तो कॉपी भी नहीं कहा जा सकता। इतने सिंपल कपड़े तो कोई बच्चा भी बैठकर बना दे।” शगुन मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखकर सोच रही थी। “हेह.... आई बड़ी बिजनेसवुमन कहीं की। ये बिजनेस संभाल लेगी क्या? ठीक से टाइम पर एक नॉर्मल मीटिंग के लिए तो आया नहीं गया और प्रोफेशनल मीटिंग के लिए ये कहां से पहुंच जाएगी। अगर मीटिंग में गई भी तो हाथ में थाली लेकर जाएगी और सबसे पहले सबको प्रसाद बांटेगी। मैडम को पहले मंदिर भी तो जाना होता है।” वहीं कुछ ऐसा सा हाल अनुभव का था। दोनों एक दूसरे से बिना कुछ कहे अपने मन ही मन में बातें कर रहे थे। “अरे आप चुप क्यों बैठी है? खाने के लिए कुछ मंगवाईए ना? आपको पता है ना, हम यहां किस रीजन से मिल रहे हैं।” अनुभव ने बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा। “जी क्यों नहीं। वैसे भी आज मेरे उपवास था और मैंने पूरे दिन से कुछ नहीं खाया। आप अपनी पसंद का कुछ मंगवा दीजिए।” शगुन ने मासूम चेहरे के साथ कहा। “जी....” अनुभव ने उसकी बात पर हामी भरी और वेटर को बुलाया। वो मेन्यू में सबसे सस्ती डिश देखकर आर्डर कर रहा था। “ये शादी के बाद मुझे सपोर्ट करेगा और मेरी केयर करेगा... बेवकूफ कहीं का। एक बार भी झूठे मन से नहीं कहा कि आपकी पसंद का खाना ऑर्डर करते हैं। और ये क्या मंगवा रहा है? उसने जो भी डिश ऑर्डर की है, वो यहां की लोएस्ट रेटिंग डिश है। थैंक गॉड मैं घर से खाना खाकर आई थी।” शगुन ने उसके ऑर्डर करते ही मैंन्यू को पढ़ते हुए सोचा। वेटर खाना लेकर आ रहा था। तब तक वो दोनों वहां बैठे थे। दोनों चुपचाप थे। शगुन ने आगे की बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा, “मां बता रही थी कि आप काफी टाइम से देहरादून में रह रहे हैं। आपका यहां का एक्सपीरियंस कैसा रहा? आप इस होटल में पहले भी आए हैं क्या?” “जी मुझे देहरादून बहुत पसंद है और यहां की सादगी भी। मैं इस जगह पर पहले भी आ चुका हूं लेकिन आखिरी बार का एक्सपीरियंस कुछ अच्छा नहीं था। आप यकीन नहीं करेंगी मैं अपनी एक क्लाइंट के साथ बैठा था और एक बदतमीज लड़की गुस्से में हमारी टेबल के पास से गुजरी और हमारे खाने पर पानी डाल दिया।” अनुभव की बात सुनकर शगुन चौक गई। आखरी बार जब वो इस होटल में आई थी, तब गुस्से में उसने भी कुछ ऐसा ही किया था। “अच्छा तो उस दिन ये बंदर था, जो पीछे से मुझे भला बुरा कह रहा था। अगर इमेज का सवाल नहीं होता तो इसकी हीरोगिरी अभी निकाल देती।” शगुन ने अपने मन में कहा और फिर मुस्कुराते हुए अनुभव से बोली, “लेकिन मैं ऐसी बिल्कुल नहीं हूं। आजकल की लड़कियां कुछ अलग ही होती है। संस्कार नाम की तो चीज ही नहीं है। वैसे आपको उस लड़की का चेहरा तो याद नहीं है ना?” “मुझे उसका चेहरा क्यों याद होगा। वैसे आप घर वालों को क्या बोलने वाली है... आई मीन आप मुझे पहले ही बता देती तो अच्छा होता। मैं आपको पसंद तो हूं ना।” अनुभव ने शगुन के दिल की बात जाननी चाही। शगुन ने हां में सिर हिला कर कहा, “जी बिल्कुल, आजकल इतने डाउन टू अर्थ लड़के मिलते कहां हैं। अब तक जितनी भी बिजनेस पार्टी में गई हूं, बिगड़े हुए लड़के ही मिले हैं, जो रात को शराब पीकर सोते हैं, बिना शराब पिए उन्हें नींद नहीं आती। महंगे डिजाइनर कपड़े पहनते हैं, लग्जरियस होटल में महंगा खाना खाते हैं। पर आप तो बिल्कुल डिफरेंट है। आपको तो कोई लड़की ना कह ही नहीं सकती।” “हां हां आप भी कुछ ऐसी ही है। मुझे लगा था आप भी और लड़कियों की तरह छोटे कपड़े पहन कर आएंगे पर.. आप बिल्कुल वैसे ही बहू है जैसे मेरे घर वालों को चाहिए, एक संस्कारी घर संभालने वाले लड़की।” अनुभव ने जानबूझकर कहा ताकि शगुन खुद से ही शादी के लिए मना कर दे‌। उसे याद था कि वाणी ने उसे बताया था कि शगुन अपने पापा का बिजनेस संभालना चाहती है। “जी बिल्कुल....” शगुन गुस्से से अनुभव की तरफ घूर कर देख रही थी। “आपको कोई दिक्कत तो नहीं है ना मेरा घर और मुझे संभालने में?” अनुभव ने फिर पूछा ताकि शगुन उसी वक्त उसे मना कर दे। “आप यकीन मानिए अनुभव जी, मैं आपको, आपका घर और अपने पापा का बिजनेस तीनों बखूबी संभाल सकती हूं। इसी की तरह ट्रेनिंग लेने के लिए यहां आई हूं। क्या हो गया जो बिजनेस के चलते आपको थोड़ा कम टाइम दे पाई, कभी ऑफिस ट्रिप पर जाना पड़ा तो घरवालों को टाइम नहीं दे पाऊंगी.... मेरे मम्मी पापा कहते हैं कि प्यार तो दिल में होता है और यकीन कीजिए मैं दिल से आप सब को बहुत प्यार करूंगी।” वो दोनों बातें कर रहे थे। तभी उनका खाना आ गया। खाना खाने के बाद अनुभव और शगुन वापस अपने घर को चले गए। जैसा कि उन्होंने सोचा था वैसा बिलकुल नहीं हुआ। दोनों ही एक-दूसरे के मुंह से ना सुनना चाहते थे पर उनके अच्छा दिखने की एक्टिंग के चक्कर में सब गड़बड़ हो गया। शगुन और अनुभव इस उम्मीद के साथ अपने घर को लौट गए कि घर जाने के बाद सामने वाला अपने घरवालों को मना कर देंगे। ★★★★

  • 17. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 17

    Words: 2072

    Estimated Reading Time: 13 min

    एक दूसरे से मीटिंग करने के बाद शगुन और अनुभव अपने अपने घर को जा चुके थे। अनुभव अपने फ्लैट पर गतिक के साथ था और उसे अपने एक्सपीरियंस के बारे में बता रहा था। उसने उसे बताया कैसे शगुन एक संस्कारी लड़की बन कर आई थी और ऐसे दिखावा कर रही थी, जैसे वो दुनिया के सबसे परफेक्ट लड़की हो जो बिजनेस और घर को एक साथ संभाल सकती हैं। “तुम्हारी बातें सुनकर एक बात तो साफ है वो लड़की कोई मासूम वासूम नहीं है बल्कि एक नंबर की चालबाज है। तूने अपने आप को बहुत होशियार समझा था ना, देख ले तुझे तेरी अम्मा मिल गई। वो भी यही चाहती है कि तू इस शादी के लिए मना करें।” गतिक ने हंसकर कहा। “खामखां उस बंदरिया के लिए इतनी मेहनत की...” अनुभव मुंह बनाकर बोला, “मैंने अपनी जिंदगी में इतनी झूठी लड़की नहीं देखी। मंदिर जा कर आई हूं, प्रसाद ले लीजिए, मैं आपके घर ऑफिस, बिजनेस, परिवार, आपको... सब को संभाल लूंगी।” अनुभव शगुन की नकल उतार रहा था। “सच कह रहा हूं अगर तूने इससे शादी की तो ये लड़की तुझे कहीं का नहीं छोड़ेगी। वो अपना बिजनेस तो संभाल ही लेगी कहीं ऐसा ना हो तेरा भी हड़प ले। मैंने देखा है अक्सर इस तरह की लड़कियां काफी तेज और टैलेंटेड होती है।” “अबे तू चुप कर... कैसी मनहूस बातें कर रहा है। यार गतिक, कुछ भी करके इस लड़की के मुंह से ना कहलवाना है। अगर मैंने इससे शादी कर ली तो मैं तो कहीं का नहीं रहूंगा।” अनुभव सिर पकड़ कर बैठ गया। उसकी आंखों के सामने अभी भी शगुन का चेहरा घूम रहा था तो कानों में उसके पायल और चूड़ियों की आवाज आ रही थी। “अब तो तेरा उससे पीछा छुड़वाना और भी जरूरी हो गया है। तू ऐसा कर, कॉल कर के सामने से मना कर दे और बता दे कि वो लड़की बहुत अलग है और तेरे हिसाब की बिल्कुल भी नहीं है।” “और मना करते टाइम क्या कहूंगा कि वो सूट पहन कर आई इसलिए मुझे अच्छी नहीं लगी। मुझे तो वेस्टर्न कपड़े पहनने वाली बेब्स पसंद है। यार तू बता, मैं बोलते हुए अच्छा लगूंगा क्या कि मैंने उसे ये बोलकर रिजेक्ट किया कि मुझसे मिलने से पहले वो भगवान को थैंक यू बोलने के लिए मंदिर गई थी। मेरे घर वाले मुझे शैतान समझने लगेंगे और मेरा ये अच्छाई का ड्रामा 1 दिन में खत्म हो जाएगा। इतनी मुसीबतें कम थी क्या मेरे और एंपायर के बीच में, जो मॉम ने एक शगुन नाम का अपशगुन और खड़ा हो गया।” अनुभव गतिक के गले लग कर रोने लगा। वो उसे दिलासा दे रहा था। “अब बस भी कर, ड्रामा करने तू भी कुछ कम नहीं है। तू सब कुछ उसके ऊपर छोड़ दे और सोच कि वो सामने से मना कर देगी। तेरे कपड़े परफ्यूम और सस्ते खाने ऑर्डर करने की वजह से पक्का वो इस वक्त बैठकर अपने घर वालों के सामने तुम्हारी बुराइयां कर रही होगी। अब तो तुम्हें अपने पापा के कॉल का इंतजार करना चाहिए, जब वो ये कहेंगे कि शगुन ने तुम्हें रिजेक्ट कर दिया।” गतिक की बातें सुनकर अनुभव को तसल्ली हुई। वो उससे अलग हुआ और हां में सिर हिलाया। “अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेरी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।” अनुभव ने कहा। सारी बातें होने के बाद अनुभव वहां से नहा के लिए चला गया। रह रहकर उसे शगुन की याद आ रही थी और अब वो यही दुआ कर रहा था कि शगुन उसे रिजेक्ट कर दें। ___________ दूसरी तरफ शगुन घर पहुंची। उसने अपना दुपट्टा निकाल कर बेड पर फेंक दिया और अपनी ज्वेलरी निकालने लगी। “इन सब में मेरा तो दम ही घुटकर रह गया। अब तक सुना ही था कि शेर को सवा शेर मिलता है, आज देख भी लिया। वो तो मुझसे भी बड़ा ड्रामेबाज निकला। पता नहीं किस ड्रामा कंपनी से कपड़े मांग कर पहन कर आया होगा।” शगुन खुद से बातें करते हुए बड़बड़ा रही थी। उसे इस वक्त बात करने के लिए कोई चाहिए था इसलिए उसने हर्षिता से बात करने की सोची। सबसे पहले अपने कपड़े बदले और एक बड़ा सा ओवरसाइज टी शर्ट और नीचे शॉर्ट पहन लिया। उसने बालों में मेसी बन बना लिया। रिलैक्स करने के लिए उसने वाइन की बोतल निकाली और हर्षिता को कॉल मिलाया। “लगता है आज मेरी किस्मत खुल गई, जो शगुन गोयंका ने दिन में दो बार कॉल किया है। इतनी रात को तेरा कॉल आया है इसका मतलब तेरी मीटिंग खत्म हो गई होगी। कैसा रहा सब कुछ?” हर्षिता ने कॉल उठाते ही पूछा। “मेरा छोड़ पहले ये बता मैंने तुझे डिस्टर्ब तो नहीं किया ना? रात काफी हो गई है।” शगुन को हर्षिता से लंबी बात करनी थी इसलिए उसने पहले ही पूछ लिया। “अरे उसकी चिंता मत कर। वो लेट ही घर आता है। वैसे भी मैं बोर हो रही थी। चल बता अब, कैसा रहा तुम्हारा उसके साथ एक्सपीरियंस? और जैसा मैंने तुझे बताया था तुमने वैसा ही किया ना?” शगुन ने बेचारों सा मुंह बनाया और कहा, “ऐसा रहा कि सोच ले, अब हाथ में वाइन का गिलास लेकर बैठी हूं ताकि सब भूल सकू। ट्रस्ट मी हर्षु, आज तक मुझे जिंदगी में इतना कड़वा अनुभव कभी नहीं हुआ, जो उस अनुभव से मिलने के बाद हो रहा है।” शगुन की बात सुनकर हर्षिता जोर जोर से हंसने लगी। “क्या हुआ इतना हैंडसम है क्या, जो तुमने पहली नजर में देखते ही शादी करने का मन बना लिया... जैसे कि मैंने किया था।” “दिखने में हैंडसम होने से कुछ नहीं होता। हां वो दिखने में अच्छा है पर एक नंबर का चालबाज, झूठा, मक्कार टाइप का लड़का है। तू यकीन नहीं करेगी वो तो इतना शरीफ बन कर आया था कि एक बार के लिए कोई भी धोखा खा जाए।” “या हो सकता है वो सच में शरीफ और उतना ही सीधा हो।” हर्षिता ने कंधे उचका कर कहा। “बिल्कुल नहीं। मैं मान ही नहीं सकती वो लड़का सीधा है। मैं उससे पहले भी मिल चुकी हूं, बट कॉइंसीडेंटली हमने एक दूसरे को देखा नहीं था। अगर उस लड़के से मेरी शादी हो गई तो मेरी हालत तो तुझ से भी बदतर हो जाएगी। कुछ बता मुझे हर्षू, जिससे मैं इस शादी से भाग सकूं।” शगुन उसके सामने गिड़गिड़ा कर बोली। “अरे तू फालतू में टेंशन ले रही है। तू जिस हिसाब से तैयार होकर गई थी। देखना वो खुद से ही तुझे मना कर देगा। वैसे भी तू कह रही है वो इतना सीधा नहीं है, तो फिर उसे तू पसंद नहीं आएगी। अब चल और अपने डैड के नेक्स्ट कॉल का वेट कर।” शगुन ने उसकी बात पर हामी भरी। हर्षिता से बात करने के बाद उसे काफी रिलैक्स महसूस हो रहा था। ऊपर से उसने अपनी टेंशन में वाइन की पूरी बोतल खाली कर दी थी। नशे में शगुन वही काउच पर सो गई। ___________ रात को शगुन और अनुभव के पैरंट्स ने उन्हें कॉल करके डिस्टर्ब नहीं किया। अगली सुबह होते ही वाणी ने तुरंत अनुभव को कॉल मिलाया और शगुन के बारे में पूछने लगी। “वैसे तो शगुन वैसी ही है, जैसे मैंने तुम्हें बताया था लेकिन फिर भी मैं तुमसे जानना चाहती हूं कि तुम्हें वो कैसी लगी।” वाणी ने पूछा। अनुभव अभी भी बिस्तर पर था। सुबह-सुबह शगुन का नाम लेते ही उसका मुंह बिगड़ गया। “क्या मम्मी, आपसे बिल्कुल सब्र नहीं होता। मैं रात को देर से आया था। ऑफिस भी जाना है। बाद में पूछ लेना ये सब...” “नहीं, मुझे अभी जानना है और तू बता तुझे शगुन कैसी लगी? मुझे आगे की तैयारियां भी करनी है।” वाणी की बात सुनकर अनुभव को झटका लगा और वो झट से उठकर बैठ गया। वो हैरानी से बोला, “कैसी तैयारियां? देखिए अभी मैंने हां नहीं कहा है।” “लेकिन तुमने ना भी नहीं कहा है। तुम इतने शर्मीले हो कि खुलकर कुछ नहीं बता पाओगे, तभी मैंने तुम्हारे पापा से कॉल करवाने के बजाय खुद कॉल किया। बताओ ना तुम्हारी तरफ से हां है ना।” वाणी ने एक बार फिर पूछा। “नहीं मम्मी, मैं एक मीटिंग में कैसे डिसाइड कर सकता हूं... आखिर पूरी लाइफ का सवाल है। कल रात हमारी ज्यादा बात नहीं हुई। वो थोड़ी शर्मीली टाइप की है। आपने फोटो भेजी थी, वो उससे बिल्कुल अलग थी। उसने इंडियन कपड़े पहने थे। मंदिर से आई थी और... और खुलकर बात भी नहीं कर पा रही थी।” अनुभव ने बातों-बातों में शगुन की कमियां गिना दी। वो इस तरह बात कर रहा था जैसे शगुन उनके परिवार के हिसाब से बिल्कुल भी सही नहीं है। “हां रचना ने भी बताया था शगुन मंदिर जाती है और भगवान में बहुत यकीन रखती है। चलो अच्छा है ना माजी को पसंद आएगी। तो मैं घर वालों को गुड न्यूज़ दे दूं कि तुम शगुन से फिर मिलने वाले हो?” “इसमें कैसी गुड न्यूज़?” अनुभव ने मुंह बनाकर पूछा। “गुड न्यूज़ ही तो है, तुम उसे दोबारा मिलना चाहते हो मतलब कोई रीज़न है। अगर तुम्हारी ना होती तो एक बार मिलकर ही कर देते। तुम्हें हां करनी है तभी उसे अच्छे से जानना चाहते हो। हुई ना गुड न्यूज़, चलो मैं अब बाद में बात करती हूं।” वाणी ने उसकी पूरी बात सुने बिना ही कॉल कट कर दिया। वहीं उसकी बातें सुनने के बाद अनुभव सिर पकड़ कर बैठा था। “मतलब इसमें भी गुड न्यूज़ है कि मैं उससे दोबारा मिलना चाहता हूं और उसे जानना चाहता हूं। नहीं मम्मी, मैं कहना चाहता हूं कि एक बार में ही मुझे वो लड़की पसंद नहीं आई... तो दूसरी बार में क्या आएगी।” वाणी से बात करने के बाद अनुभव की हालत खराब हो रही थी। दूसरी तरफ कुछ ऐसा ही हाल शगुन का था। उसकी मां रचना ने सुबह-सुबह कॉल कर लिया और उससे अनुभव के बारे में पूछ रही थी। रात को ज्यादा पीने की वजह से शगुन का सिर दर्द कर रहा था। ऊपर से सुबह-सुबह उनके कॉल करने पर वो चिढ़कर बात कर रही थी, “क्या यार मम्मा.. पहले आपने मुझे बीच मीटिंग से बुलवाया, मेरे लिए लड़का सेलेक्ट किया। अब कम से कम चैन से मुझे सोने तो दीजिए। बता दूंगी कि कैसे लगा मुझे आपका वो नमूना?” “ऐसे बात क्यों कर रही है? कहीं तुमने अनुभव को कुछ ऐसा वैसा तो नहीं कह दिया। देख शगुन, सोच समझ कर बात करना। तेरे पापा को वो पसंद है। मैं नहीं चाहती तुम उनको नाराज करो।” अनुभव को नमूना कहने पर रचना ने शगुन को डांटा। “आपको नहीं लगता वो लड़का कुछ ज्यादा ही सिंपल है। अरे उसे देख कर तो लगता भी नहीं कि वो मित्तल एंपायर का मालिक है। ऐसे लगता है वो वहां का अकाउंटेंट है... नही, अकाउंटेंट भी नहीं, अकाउंटेंट का असिस्टेंट लगता है। कहीं उसने अपनी जगह किसी और को तो नहीं भेज दिया था।” शगुन ने कहा। “हां वो थोड़ा सिंपल टाइप का है... लेकिन ये भी तो देख ले जो लड़के सिंपल होते हैं उनकी ज्यादा एक्सपेक्टेशन नहीं होती। वो सामने वाले को वैसा ही एक्सेप्ट करते हैं जैसे वो होते हैं। तुझे तो इस बात पर खुश होना चाहिए कि तुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी तो घर बैठे ऐसा लड़का मिल गया, जो तुम्हें सपोर्ट करेगा। फिर भी तुझे डाउट है तो मैं पार्टी वाले दिन की और उसके अलावा भी उसकी तस्वीरें भेज देती हूं ताकि यकीन हो जाए।” रचना अपनी तरफ से शगुन को समझाने की हर संभव कोशिश कर रही थी। शगुन को समझाने के बाद रचना ने कॉल कट कर दिया। कॉल कट होने के तुरंत बाद ही उसने अनुभव की कुछ तस्वीरें शगुन को भेज दी ताकि वो किसी कन्फ्यूजन में ना रहे। अनुभव उन फोटोज में कल रात से बहुत अलग लग रहा था। उसने सभी फोटोज में महंगे ब्रांडेड कपड़े पहने थे और काफी हैंडसम लग रहा था। “इसका मतलब मैं बिल्कुल सही थी। वो कुछ नहीं बहुत कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है। जिस हिसाब से तुम तैयार होकर आए थे, उससे यही लग रहा है कि मेरी तरह तुम भी इस शादी से खुश नहीं हो। मंजिल एक हो तो हाथ मिलाने में क्या दिक्कत है? क्यों ना हम एज टीम काम करें और इस मिशन को अंजाम दे।” शगुन ने मुस्कुराकर खुद से कहा। उसने उसी वक्त अपनी मां रचना को मैसेज भेजा कि वो अनुभव से वापस मिलना चाहती है। उसी समय वाणी ने भी कॉल करके उसे अनुभव के बारे में बताया कि वो भी शगुन से मिलकर उसे और जानना चाहता है। दोनों बच्चों के फिर से मिलने की बात सुनकर उनके घर वालों के दिल में उम्मीद की एक किरण जाग गई। ★★★★

  • 18. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 18

    Words: 2069

    Estimated Reading Time: 13 min

    वाणी ने रचना को अनुभव के नंबर भेजे और उन्हें शगुन को देने के लिए कहा। रचना ने भी बदले में शगुन के नंबर भेजे दिए थे। रचना और वाणी के जरिए शगुन और अनुभव को एक दुसरे के कांटेक्ट नंबर मिल गए। शगुन ने अनुभव के नंबर सेव किए। “अच्छा तो अब मिस्टर सिंपल से मीटिंग करने के लिए मुझे खुद ही कॉल करना पड़ेगा। ओके... यही सही। कांटेक्ट नंबर होंगे तो उसके बारे में पता लगाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।” वहीं दूसरी तरफ शगुन के नंबर मिलने के बाद अनुभव का भी हाल कुछ ऐसा ही था। वोअपने रूम में था और ऑफिस के लिए निकलने वाला था। “ये अच्छा तरीका है जबरदस्ती किसी को गले में बांधने का... अब चाहकर भी इसे ना नहीं कह सकता। अजीब मुसीबत है यार... नहीं चाहिए मुझे ऐसी प्रॉपर्टी, आई वांट माय फ्रीडम।” अनुभव ने चिल्लाते हुए अपना मोबाइल फेंका। उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर गतिक अंदर आया। “किस बात पर इतना गुस्सा किया जा रहा है?” “देख ना यार, पहले उससे मिलने जाने के लिए घर वालों ने भेज दिया और फिर जब मैंने मॉम से इनडायरेक्टली ना कहा तो उन्हें ये लगने लगा कि मैं उसे दोबारा मिलना चाहता हूं। उसे जानना चाहता हूं। उन्होंने तो मुझे उसके नंबर तक भेज दिए। मैं सच कह रहा हूं अगर यही चलता रहा तो मुझे नहीं चाहिए अपने डैड की प्रॉपर्टी।” अनुभव की बातें सुनकर गतिक आंखें फाड़ कर उसकी तरफ देखने लगा। उसने उसके माथे पर हाथ लगाया और फिर गर्दन को छुआ। फिर गतिक ने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “बुखार तो बिल्कुल नहीं है। फिर ये बहकी बहकी बातें क्यों कर रहा है? तूने पी तो नहीं रखी ना।” “बस कर यार, बस कर। ताने देने के लिए घरवाले काफी है, अब तू भी शुरू मत हो।” अनुभव ने उसका हाथ झटक दिया। “इतना ही परेशान है तो बोल दे अपने घर वालों को, तू इस लड़की से शादी नहीं करने वाला... चाहे बदले में वो तुझे अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दे। क्या फर्क पड़ता है जो तेरे नाम के आगे से मित्तल हट जाएगा। अब जरूरी थोड़ी ना है दुनिया में हर इंसान के पास पहनने के लिए ब्रांडेड कपड़े, जूते और बाकी चीजें हो? रहने के लिए अच्छा घर हो। कोई बात नहीं मेरे दोस्त, मैं तेरे साथ हूं। हम दो वक्त सूखी रोटी और चावल खाकर भी काम चला लेंगे।” गतिक अनुभव‌ के कंधे पर हाथ रखकर बोला। उसकी बातें सुनकर अनुभव का मुंह उतर गया। वो बुझी आवाज में बोला, “ठीक है चला जाऊंगा उससे मिलने... और बात भी कर लूंगा। उम्मीद पर दुनिया कायम है। क्या पता वो लड़की खुद ही ना कर दे और मुझे कुछ करने की जरूरत ही ना पड़े।” “हूह... बड़ी-बड़ी बातें और बड़ा पाव खाते।” गतिक मुंह बनाकर बोला। “तुझसे नहीं होता तो ला मैं उसे मैसेज करके बोल देता हूं।” गतिक ने अनुभव का फोन उठाया और तुरंत शगुन को आज शाम मिलने के लिए मैसेज कर दिया। “प्रॉब्लम सॉल्व... शाम को उस से मिल लेना और सब क्लियर कर लेना।” गतिक बोला। “प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हुई बल्कि और बढ़ने वाली हैं। हे भगवान! तुमने इतनी मुसीबतें मेरी जिंदगी में ही क्यों दी... अगर अमीर बनाना ही था तो मां-बाप दूसरे दे देता।” अनुभव ने रोनी सूरत बना कर कहा। तभी उसके मोबाइल पर शगुन का मैसेज आया। उसने उसे शाम को मिलने के लिए मंदिर में बुलाया था। मैसेज पढ़ने के बाद अनुभव ने झल्लाकर कहा, “देखा, देखा तूने... इस लड़की ने मुझे मिलने के लिए मंदिर में बुलाया है। ये जानबूझकर ऐसा कर रही है ताकि मैं इरिटेट हो जाऊं। तुझे पता है ना मैं मंदिर वगैरह नहीं जाता।” “अच्छा तभी मैं सोचूं कि तेरे सारे पापों की सजा तुझे एक साथ क्यों मिल रही है? कभी भगवान के सामने हाथ जोड़कर सच्चे दिल से अपनी मन्नत मांगी होती तो आज तेरा ये हाल नहीं होता।” गतिक अपनी बातों से अनुभव के जले पर नमक छिड़क रहा था। “मैंने तो मन्नत नहीं मांगी पर वो तो दिन-रात मंदिर जाती है ना? उसने कौन से बुरे कर्म किए है, जो मैं उसे मिल रहा हूं। मैं उसके बिल्कुल लायक नहीं हूं।” गतिक अनुभव की हालत देख कर हंस रहा था। वो उसे उसके हाल पर छोड़कर वहां से चला गया। उसके बाद अनुभव भी ऑफिस जा चुका था। ___________ अनुभव सब कुछ भूल कर ऑफिस में काम कर रहा था। प्रार्थना के साथ होने की वजह से उसके दिमाग से शगुन का ख्याल चला गया। पूरा दिन ऑफिस का काम करने के बाद जब ऑफिस ऑफ होने को हुआ, तब प्रार्थना ने अनुभव से कहा, “बेबी तुम्हें आए हुए पूरे 2 दिन हो गए और हम कहीं बाहर नहीं गए। मैंने तुम्हें बहुत मिस किया।” प्रार्थना ने अनुभव को हग कर लिया। “और मैंने तुम्हें... प्रार्थना मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।” अनुभव ने सीरियस टोन में कहा। “हां मैं जानती हूं। तुम्हें इतना इमोशनल होने की जरूरत नहीं है। हम दोनों कई दिनों से मिले नहीं है इसलिए तुम सेंटी हो रहे हो। डोंट वरी शाम को साथ में चिल करेंगे तो तुम्हारा मूड ठीक हो जाएगा।” प्रार्थना ने उससे अलग होकर कहा। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। प्रार्थना ने शाम को मिलने का कहा तो अनुभव को शगुन की याद आ गई। “नहीं बेबी, आज शाम को मैं तुमसे नहीं मिल सकता।” “लेकिन ऑफिस के बाद तो तुम फ्री हो। कही जाना है तुम्हें?” प्रार्थना ने उसे घूर कर देखा। “मंदिर... मंदिर जाने वाला हूं आज मैं।” “मंदिर? पर तुम तो कभी मंदिर नहीं जाते। मैं तुम्हें काफी टाइम से जानती हूं तुम्हारी शाम तो पब या क्लब में ही गुजरती है। अचानक मंदिर जाने का प्लान कैसे बनाया?” प्रार्थना को अनुभव के मंदिर जाने की बात सुनकर काफी हैरानी हुई। “एक्चुअली इस बार मैं घर गया तो मुझे मॉम ने बताया कि प्रार्थना में बहुत ताकत होती है। आई वांट टू प्रे ताकि मुझे मेरी प्रार्थना मिल जाए।” अनुभव ने उसकी तरफ मासूम चेहरा बनाकर कहा। “तुम चलोगी मेरे साथ?” “नहीं... मेरे कुछ और प्लांस है। मैं अपनी फ्रेंड से मिलने वाली हूं। सोचा था तुम्हें भी मिलवाऊंगी पर तुम तो कहीं और जाने का प्लान कर बैठे हो। कोई बात नहीं... मैं फिर कभी मिलवा दूंगी।” प्रार्थना ने उस के साथ आने से मना कर दिया। अनुभव ये पहले से जानता था इसलिए उसने प्रार्थना से पूछा। ऑफिस खत्म होने के बाद अनुभव घर गया। घर जाने से पहले उसने अपने लिए शॉपिंग की। उसने सफेद रंग का कॉटन कुर्ता पजामा खरीदा था ताकि उसे पहनकर मंदिर जा सके। अनुभव मंदिर जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसे उस लुक में देखकर गतिक जोर से हंस पड़ा, “साले एक नंबर का ढोंगी है तू... भगवान भी तुझे देख कर मन में गालियां देते होंगे। तुझे देख कर मुझे उन पॉलिटिशियन की याद आ रही है, जो अपने काले कारनामों को अंजाम देने के लिए सफेद कपड़े पहनते हैं।” “अब बस भी कर, मैं इतना बुरा भी नहीं हूं। मुझे दूसरों की धन संपत्ति नहीं अपनी प्रॉपर्टी चाहिए। बस ये काम कर जाए। देखना इस बार मैं उससे ज्यादा संस्कारी लगूंगा।” अनुभव आईने के सामने खड़ा अपने बाल सेट कर रहा था। फिर वो गतिक की तरफ मुड़ कर बोला, “अच्छा बता कहीं कोई कमी तो नहीं लग रही?” “कहीं कोई कमी नहीं है बेटा, ये मासूम शक्ल और कपड़े एक साथ अच्छे मैच कर रहे हैं। एक नंबर का पाखंडी लग रहा है।” “हूह... तू जलता है मुझसे इसलिए ऐसा कह रहा है। चल अब साइड हट और मुझे उस अपशकुन से मिलने जाने दे।” अनुभव ने गतिक को दूसरी तरफ धकेला और शगुन से मिलने के लिए मंदिर जाने लगा। कुछ ही देर में अनुभव मंदिर पहुंचा। वो अपने सामने शगुन को देखकर हैरान था। अपने आपको उस से बेहतर साबित करने के लिए अनुभव कुर्ता पजामा पहन कर आया था पर उसके सामने शगुन लाल रंग की साड़ी में खड़ी थी। “बेटा अनुभव इस लड़की से बच के रहना पड़ेगा। तू कुछ भी कर लेना ये तुझ से दो कदम आगे ही रहेगी।” उसे देखकर अनुभव ने अपने मन में कहा। अनुभव को उस रूप में देखकर शगुन का मन हंसने को कर रहा था पर उस परिस्थिति में वो हंस भी नहीं सकती थी। अनुभव को देखते ही वो तुरंत दूसरी तरफ पलटी और अपनी हंसी रोकने की कोशिश करने लगी। “क्या जोकर बन कर आया है यार ये.. इसे किसने कहा ऐसे कपड़े पहनने को? इस पर बिल्कुल सूट नहीं हो रहे है। ऐसे लग रहा है किसी की मय्यत में आया है।” शगुन ने तुरंत अपने चेहरे के भावों को सामान्य किया और अनुभव के पास जाने लगी। “वो मैंने सोचा मंदिर में इसी तरह के कपड़े पहन कर आते हैं तो बस पहन लिए।” अनुभव ने सफाई दी। “जी, जब हम क्लब या पब में जाते हैं तो वेस्टर्न कपड़े पहन कर जाते हैं। इसी तरह मंदिर में भी इंडियन पहन कर जाना चाहिए। यहां कोई ड्रेस कोड नहीं होता, बस खुद ही कॉमन सेंस लगा लेना चाहिए। आपमें इतना कॉमन सेंस है, ये देखकर अच्छा लगा। वैसे ये कपड़े आप पर काफी अच्छे से सूट कर रहे हैं।” शगुन ने जवाब दिया। उसके बाद वो मंदिर की तरफ देख कर मन में बोली, “माफ कर दीजिएगा भगवान जी, आप के मंदिर के सामने खड़े होकर झूठ बोलना पड़ रहा है।” “चलिए अंदर चलते हैं।” अनुभव ने कहा। शगुन ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिलाया और दोनों साथ में मंदिर जाने लगे। दोनों अंदर पहुंचे और वहां जाकर आरती की। वो दोनों भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़े थे। “आई नो भगवान जी, मैंने अपने सेल्फिश रीजन की वजह से हमेशा आपके पूजा की है पर मेरी पूजा में कभी कोई कमी नहीं रखी। फिर आप मुझे उसका ऐसा फल क्यों दे रहे हैं? कुछ भी कीजिए पर इस लड़के को मेरी जिंदगी से निकाल दीजिए।” शगुन ने मन ही मन भगवान की प्रार्थना करते हुए कहा। “हां जानता हूं भगवान जी, मुझसे ज्यादा पापी, कमीना झूठा, बिगड़ा हुआ लड़का इस दुनिया में नहीं होगा। मैंने सुना था इंसान को अपने पापों की सजा मरने के बाद नरक में मिलती हैं। फिर आप मुझे इसी जिंदगी में क्यों मेरे पापों की सजा देने पर तुले हो? देखिए मैं पहली बार आपके मंदिर आया हूं इसलिए आपको मेरी बात सुननी होगी। मैं इस लड़की से शादी नहीं करना चाहता। कुछ ऐसा कीजिए कि हम दोनों की शादी ना हो और मेरी सारी प्रॉपर्टी भी मेरे नाम हो जाए।” शगुन की तरह अनुभव भी भगवान से कुछ उसी तरह की प्रार्थना कर रहा था। प्रार्थना करने के बाद उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा और हल्की मुस्कुराहट दी। तभी मंदिर में वही औरत आई जो कुछ दिन पहले शगुन को मिली थी। शगुन को साड़ी में और किसी लड़के के साथ देख कर उसके चेहरे पर खुशी के भाव थे। वो शगुन के पास गई और उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा, “मैंने कहा था ना उस ऊपर वाले के घर पर देर होती है अंधेर नहीं। देर से ही सही पर तुम्हें अच्छा लड़का मिल गया। देखो तो दिखने में कितना मासूम है। तुम्हारी पूजा और मेरी उस दिन की प्रार्थना रंग लाई।” उस औरत की बात सुनकर शगुन ने भगवान की तरफ ना में सिर हिलाया। उसे सिर हिलाते देख वो औरत फिर बोली, “अरे ऐसे भगवान के लिए प्रसाद को ना नहीं करते बेटा। देखो तुम उस दिन कैसे इन्हें अंगुली दिखाकर धमकी दे रही थी उसके बावजूद उन्होंने तुम्हारे लिए इतना सोचा। अब तुम्हें अच्छा लड़का मिल गया है पर उस दिन तुम अपने पापा की प्रॉपर्टी मांग रही थी। वो भी मिल गई क्या?” “ये कैसी बातें कर रही है आंटी आप? मेरे पापा की प्रॉपर्टी तो मेरी ही है। फिर वो किसी और के पास क्यों जाएगी?” शगुन ने मुस्कुरा कर कहा और बात को टालने की कोशिश की। “लेकिन उस दिन तो तुम कह रही थी तुम्हें शादी नहीं करनी और प्रॉपर्टी चाहिए। अपना मन बदल लिया क्या तुमने?” उस औरत ने हैरानी से पूछा। “उस दिन तो तुम बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रही थी कि प्रॉपर्टी पाने के लिए मेहनत मैंने की है और वो मुझे ही मिलनी चाहिए। आप क्या चाहती है मैं शादी करके ससुराल चली जाऊं और मेरी सारी प्रॉपर्टी फ्री में मेरे पति को मिल जाए।” उस औरत की बातें सुनकर शगुन इधर-उधर देखने लगी तो वही अनुभव शगुन की तरफ हैरानी से देख रहा था। वो औरत लगातार बोले जा रही थी। उस दिन शगुन और उसके बीच जो भी बातें हुई थी, उसने सब अनुभव को बता दी। ★★★★

  • 19. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 19

    Words: 2128

    Estimated Reading Time: 13 min

    उस औरत ने बातों बातों में अनुभव को शगुन के बारे में सब बता दिया था। अच्छा बनने के चक्कर में शगुन भी कुछ बोल नहीं पाई। वो औरत अपनी पूजा करने लगी। शगुन उसकी तरफ घूरकर देख रही थी। “दूसरों की बुराई करने वालो की नरक में अलग से सजा होती है। भगवान जी उनके पकोड़े तलवाकर अपने कुत्तों को डालते है।” शगुन ने उसकी तरफ देखकर सोचा। “चलिए वहां बैठ कर बात करते हैं। वहां बहुत शांति है।” अनुभव ने मंदिर के बाहर की सीढ़ियों की तरफ इशारा करके कहा। शगुन ने हां में सिर हिलाया और उसके साथ मंदिर से बाहर जाने लगा। उस औरत ने जो भी कहा था उसके बाद शगुन को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। “देखो तुम उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान मत देना।” शगुन ने धीमी आवाज में कहा। “हां बिल्कुल मैं उनकी बातों की तरफ क्यों ध्यान दूंगा। वैसे तुम तो अक्सर मंदिर आती रहती हो ना, सुना है भगवान के सामने खड़े होकर झूठ नहीं बोलना चाहिए और तुम उन्हीं की जगह पर खड़े होकर... आई होप तुम सच बोल रहे हो और वो आंटी झूठ।” अनुभव ने जानबूझकर शगुन के वीक पॉइंट पर वार किया। शगुन को उसकी बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसने अपने गुस्से को शांत करने के लिए दो से तीन बार गहरी सांस लेकर छोड़ी और गुस्से से अनुभव की तरफ घूर कर देखा। “ओ रियली? तुम भी कोई साधु महात्मा नहीं हो। मैं अच्छे से जानती हूं तुम कैसे हो।” कहकर शगुन ने अपने मोबाइल में वो सभी फोटोस निकाली जो सुबह उसे रचना ने भेजी थी। उसने अपने मोबाइल स्क्रीन को अनुभव के सामने किया। अनुभव ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसने भी अपने फोन में शगुन की तस्वीरें निकालकर उसके सामने कर दी। दोनों ही उन तस्वीरों में काफी बोल्ड और स्टाइलिश नजर आ रहे थे। “मैं तो मंदिर जाते टाइम इस तरह के कपड़े पहनती रहती हूं। यकीन नहीं होता तो उस आंटी से पूछ लो। वो मुझे कई बार यहां मिल चुकी है।” शगुन ने सफाई दी। “हां वो तो उन आंटी की बातों से पता चल रहा है कि वो तुम्हें कम ही टाइम में काफी अच्छे से जान गई है।” “ज्यादा सीधा बनने का ड्रामा मत करो। कहा ना तुम भी कुछ कम नहीं हो। अब मेरी बात गौर से सुनो, जाओ जाकर अपने घरवालों को बोलो कि मुझे ये शादी नहीं करनी... तो चुपचाप जो भी रायता फैलाया है वो कुछ समय तक समेट लिया जाना चाहिए।” शगुन ने अनुभव को उंगली दिखाई और उसे धमकाने लगी। वो आंटी मंदिर से बाहर आई और उन्होंने शगुन को इस तरह देखा तो वो बोली, “इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता। उस दिन भगवान को धमकी दे रही थी और अब अपने होने वाले पति को। मैं तो कहती हूं बेटा इस लड़की से बच कर रहना। ये बहुत चालाक है। अभी तो शादी हुई नहीं है तो तुम्हारे पास भागने का मौका है।” शगुन ने गुस्से में उनकी तरफ देखा तो वो जल्दी से वहां से चली गई। उनके जाते ही शगुन ने कहा, “सुना तुमने, उन आंटी ने क्या कहा? अभी भी मौका है तुम्हारे पास, भाग सकते हो।” “तो तुम्हें क्या लगा मैं क्या तुम से शादी करके तुम्हारे साथ उम्र बिताने वाला था। बिल्कुल नहीं। यू आर नॉट माय टाइप मिस संस्कारी...” अनुभव ने हंसकर कहा। दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर वही सीढियों पर बैठ गए। कुछ देर तक दोनो ने ही कुछ नही कहा। “हम दोनों के पेरेंट्स ही हमारे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं। उन्होंने हमें प्रेशराइज नहीं किया पर इमोशनल फोर्स कर रहे हैं। देखो मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता, मैं किसी और से प्यार करता हूं।” अनुभव ने अपने बारे में बताया। “वो तुम्हारा इश्यू है। मैं शादी वगेरह में यकीन नही करती और ना ही मेरी लाइफ में कोई और है। फिलहाल मेरा सारा फोकस बिजनेस पर है। मैं लोगों के स्टीरियोटाइप बिलीफ को तोड़ना चाहती हूं कि लड़कियां बिजनेस नही संभाल सकती।” “इससे मुझे कोई लेना देना नहीं है तुम क्या चाहती हो या क्या नहीं। मैं डायरेक्टली अपने घर वालों को शादी के लिए मना नहीं कर सकता इसलिए ये काम तुम्हें करना होगा।” “ओ हेलो! मैं उन्हें मना नहीं करने वाली। तुम्हें क्या लगता है सिर्फ प्रॉपर्टी खोने का डर तुम्हें ही है? अगर मैंने तुम्हें ना की तो मेरे घरवाले फिर किसी और जोकर को ढूंढना शुरू कर देंगे...” शगुन ने अनुभव को जोकर कहा। उसकी बात सुन अनुभव ने जोर से चिल्ला कर कहा, “हेह.. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे जोकर कहने की? ये तो तुम्हारे चक्कर में मुझे ये बंदर जैसा बनकर घूमना पड़ रहा है वरना मैं बहुत गुड लुकिंग और स्मार्ट हूं, तुम्हारी तरह नहीं...” “रियली? तुम्हें क्या लगता है मैं भी इस तरह इतने सारे गहने पहनकर हाथ में पूजा की थाली लेकर घूमती हूं? नॉट अट ऑल, मिस्टर मित्तल। मेरे दिन का आधे से ज्यादा टाइम मीटिंग में भी बीतता है। तुम्हें देख कर तो लगता भी नहीं तुम अपने बिजनेस को लेकर सीरियस भी हो। शायद यही वजह होगी कि तुम्हारे घर वालों को तुम पर यकीन नहीं है।” “अब इसमें यकीन की बात बीच में कहां से आ गई?” अनुभव चिढ़कर बोला। “तुम खुद ही देख लो ना... तुम्हारी तो इतनी भी हिम्मत नहीं पड़ रही कि तुम उन्हें मना कर सको।” “व... वो सब मैंने फ्लो फ्लो में बोल दिया। घर में मेरी ही चलती है। कल शाम तक तुम्हारे पास कॉल आ जाएगा। फिर मुझे मत कहना कि मैंने तुम्हें रिजेक्ट कर दिया।” अनुभव ने शेखी मारते हुए कहा। “हां मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई लड़का मुझे मना करता है। जाओ और जाकर अपने घरवालों को कहो कि तुमने मुझे रिजेक्ट कर दिया है और मेरा पीछा छोड़ो।” शगुन ने उसके आगे हाथ जोड़े और फिर वहां से जाने लगी। अनुभव उसे जाते हुए देख रहा था। बातों बातों में वो काफी कुछ बोल गया था और अब उसे उसका पछतावा हो रहा था। “ये क्या कर दिया तुमने अनुभव... इस लड़की ने... इसने जानबूझकर मुझे अपने बातों में फंसाया ताकि मेरे मुंह से ना कहलवा सके। वो आंटी सही कह रही थी ये लड़की एक नंबर की चालू चीज है।” जैसे ही अनुभव को एहसास हुआ वो सब उनके पीछे दौड़ने लगा। वो जोर से चिल्लाकर बोला, “अरे रुको, तुम रुक जाओ। मैं लड़कियों की बहुत रिस्पेक्ट करता हूं। मुझे ये कहते हुए अच्छा नहीं लगेगा कि मैंने किसी को रिजेक्ट कर दिया। ये बहुत बेकार होता है।” “अरे मैंने कहा ना मैं अलग हूं। मैं दुनिया के स्टीरियोटाइप बिलिव्स को तोड़ना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मेरी जिंदगी में एक बार कोई लड़का मुझे रिजेक्ट करें, वो भी बहुत बुरी तरह से। तुम बिल्कुल बुरा फील मत करना। तुम तो मेरी विश पूरी कर रहे हो।” शगुन ने उस से अपनी जान छुड़ाने की कोशिश की। उसने अनुभव को आगे कुछ भी कहने का मौका नहीं दिया और अपनी गाड़ी में बैठ कर निकल गई। उसके वहां से जाते ही अनुभव वही रोड पर बैठ गया। “अब क्या करूंगा मैं... ये लड़की मेरी बरसो की मेहनत पर पानी डाल देगी।” अनुभव को उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वो तुरंत अपने फ्लैट पर पहुंचा। ऐसे में गतिक ही था जो उसकी हेल्प कर सकता था। ___________ वहीं दूसरी तरफ घर पहुंचकर शगुन काफी रिलैक्स महसूस कर रही थी। उसने वहां आते ही हर्षिता को कॉल किया और उसे सब बताया। सारी बातें सुनकर हर्षिता जोर जोर से हंस रही थी। “बेचारा... क्या वो सच में इतना ही मासूम है जो इतनी आसानी से तुम्हारी बातों के जाल में फंस गया।” हर्षिता ने पूछा। “वो कोई मासूम नहीं है। ज्यादा स्मार्ट बनने के चक्कर में अपनी ही बातों में फंस जाता है। मैंने नोटिस किया है उसे शो ऑफ करने की आदत है। देखना उसकी यही आदत उसे किसी दिन बहुत बड़ी मुसीबत में डाल देगी।” शगुन ने जवाब दिया। “उसका पता नहीं लेकिन तेरी ये ओवर स्मार्ट बनने की आदत तुझे कोई मुसीबत में ना डाल दे।” “अब मैंने सारी मुसीबतें फुर्र हो चुकी है हर्षु। मैंने सब कुछ उस पर डाल दिया है। वो लड़का किसी भी कीमत पर मुझे हां नहीं करेगा। मैंने उसे अपने बारे में बताया नहीं लेकिन उसने अपने बारे में काफी कुछ बता दिया।‌ वो किसी और लड़की को पसंद करता है। मेरे लिए ना सही उसके लिए वो जरूर इस शादी के लिए मना करेगा।” शगुन ने स्मार्टली जवाब दिया। हर्षिता से बात करने के बाद उसने कॉल कट कर दिया। अनुभव पर सारी मुसीबत डालने के बाद शगुन उसके अगले मूव का वेट कर रही थी। ___________ दूसरी तरफ अनुभव परेशान हालत में घर पहुंचा और गतिक को सब बताया। वो सोफे पर परेशान हालत में गतिक के पास बैठा था। “ये लड़की तो सच में तेज निकली।” गतिक को अभी भी शगुन के बारे में सुनकर हैरानी हो रही थी। “तुझे पसंद आई थी ना वो लड़की? नहीं मेरे दोस्त, तेरी किस्मत बहुत अच्छी है, तेरे घर वाले भी बहुत अच्छे हैं जो तुझे ऐसी लड़की के साथ नहीं बांधना चाहते। किस्मत तो मेरी फूटी है जो वो मेरे पल्ले पड़ी है।” अनुभव ने उसे गले लगा लिया। “नहीं, मुझे वो पसंद नहीं आई थी। अब तो मुझे उस से चिढ़ हो रही है। कैसे मेरे भोले भाले दोस्त को फंसा दिया। तू चिंता मत कर मेरे दोस्त, मैं तुम्हें बचा लूंगा। अच्छे से जानता हूं उसे कैसे हैंडल करना है।” गतिक की बात सुनकर अनुभव तुरंत उस से अलग हुआ और कहा, “कैसे हैंडल करना है बता ना। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।” “अब समझने बुझने के दिन गए। उसने तुम्हें बातों के जाल में फंसाया है और सारा मामला तेरे ऊपर डाल दिया। जो प्लान हमने बनाया था वो उस पर काम कर रही है। वो ये सोच रही है कि तुम शादी के लिए मना करोगे और वो अच्छी बनकर अपने पापा की प्रॉपर्टी जल्दी से हड़प लेगी। पर मेरे रहते ऐसा नहीं होगा। मेरे पास पास प्लान बी है।” “कैसा प्लान बी? और तुमने मुझे क्यों नहीं बताया?” अनुभव ने पूछा। “प्लान बी अक्सर प्लान ए के फेल होने पर इंप्लीमेंट किया जाता है। सोचा नहीं था प्लान ए फेल हो जाएगा। चलो फिर सुनो, उस तेज तर्रार लड़की ने जानबूझकर अपने बारे में कुछ नहीं बताया और तुम्हारे बारे में सब पता कर लिया। वो कुछ ना बताए पर एक बात तो साफ है कि वो भी शादी नहीं करना चाहती।” “हां तो ये अच्छी बात है ना कि वो भी शादी नहीं करना चाहती। काश उससे दोस्ती हो जाती तो दोनों प्यार से आपस में सुलह कर घर वालों को ना कह देते।” अनुभव अभी भी ख्याली पुलाव बनाने में लगा था। “चल छोड़, तू बता तेरा प्लान बी क्या है?” “तू शहर छोड़ कर भाग जा। कुछ दिनों के लिए लापता हो जा। बोल देंगे तुझे किसी ने किडनैप कर लिया है।” गतिक अपना पूरा प्लान बताता उससे पहले अनुभव ने तकिया उठाया और उसे जोर जोर से मारने लगा। “अबे बस कर, मेरा बाप अमीर है। मैं किडनैप होऊंगा तो वो पैसे देकर छुड़वा लेगे। पुलिस 2 दिन में मुझे ढूंढ ले जाएगी। ऐसे में हमारी सच्चाई सामने आई तो अब तक जो गड़बड़ नहीं हुई है, वो अब हो जाएगी।” अनुभव बोला। गतिक ने उसकी बात पर हामी भरी। वो दोनों इधर-उधर टहलते हुए प्लान सोच रहे थे कि कैसे शगुन से पीछा छुड़ाया जा सकता है। तभी अनुभव को कुछ सुझा और वो रुक कर बोला, “मुझे समझ नहीं आ रहा मैं उससे दूर क्यों भाग रहा हूं? वो भी मुझसे दूर जाना चाहती है।” “लगता है तुझे सदमा लग गया मेरे दोस्त। मैं याद दिला देता हूं तू प्रार्थना से प्यार करता है इसलिए उस से दूर भाग रहा है। वो तुझसे इसलिए दूर भाग रही है क्योंकि वो तूझसे शादी नहीं करना चाहती। वो भी तेरी तरह बस अपने पापा की प्रॉपर्टी लेना चाहती है। बिजनेस करके खुद को प्रूफ करना चाहती है।” “हां तो मैडम के सपने इतने बड़े बड़े हैं तो प्लान भी वही बनाए ना? मैं क्यों मेहनत कर रहा हूं? मुझे पता है कि मुझे क्या करना है। सॉरी मिस शगुन गोयंका। अब मैं तुमसे दूर नहीं भागूंगा बल्कि मैं तो तुम्हारे पास आऊंगा। दूर तुम भगोगी और तुम ही मुझे रिजेक्ट करोगी। मैं तो अपने घर वालों की गुड बुक्स में ही रहूंगा पर तुम्हारा क्या होगा मैडम...” अनुभव एक सांस में काफी कुछ बोल गया। गतिक को कुछ समझ नहीं आ रहा था। “अबे क्या बोल रहा है? क्लीयरली समझा मैं कोई आइंस्टाइन नहीं हूं, जो तेरी जलेबी जैसी बातों को सीधा करके समझ जाऊंगा।” “चल मेरे दोस्त तैयार हो जा, अपने इस दोस्त की सगाई में भंगड़ा पाने के लिए...” अनुभव ने आंख मार कर कहा। जैसे ही गतिक को अनुभव का प्लान समझ आया, उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। फिर दोनों एक साथ नाचने लगे। ★★★★

  • 20. Feels like ishq (Contract marriage) - Chapter 20

    Words: 1955

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    शगुन से मिलकर आने के बाद अनुभव अपने घर था। शगुन ने इस शादी से पीछे हटने की सारी जिम्मेदारी अनुभव पर डाल दी थी। गतिक से बात करते हुए अनुभव ने अपना प्लान बना लिया था। “वाह मेरे शेर... वो अगर चालाक लोमड़ी है, तो भी किसी शातिर गीदड़ से कम नहीं है।” गतिक ने अनुभव की पीठ थपथपाई। उसके ऐसा कहने पर अनुभव ने उसकी तरफ घूर कर देखा और उसे मारने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगा, “उसे लोमड़ी कहा, वहां तक तो ठीक है। मुझे गीदड़ कहने की क्या जरूरत थी? कम से कम कंपैरिजन तो अच्छा कर।” “हां हां ठीक है। तू तो मेरा शेर है, चीता है, सब कुछ है। अब जो प्लान बनाया है उसके हिसाब से चलते हैं। कहीं ऐसा ना हो कि वो चालाक लोमड़ी फिर से बाजी मार ले।” गतिक बोला। “हां सही कहा। वैसे नाम काफी अच्छा दिया है तूने। रुक, पहले उसका नाम इसी नाम से सेव कर लेता हूं। काफी सूट होता है उस पर यह... चालाक लोमड़ी कही की...” अनुभव ने शगुन का नंबर चालाक लोमड़ी के नाम से सेव कर लिया। नंबर सेव करने के बाद उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसने तुरंत अपनी मां वाणी को कॉल लगाया। “क्या बात है आजकल तो दिन में दो से तीन बार कॉल किए जा रहे हैं जबकि पहले तो तुझे याद भी नहीं था कि तेरी एक मां भी है।” फोन उठाते ही वाणी बोली। “हां मम्मी, बात ही कुछ ऐसी है कि बताने के लिए वेट नहीं कर पाया। आपको पता है ना, आज शाम को मैं शगुन से मिलने गया था।” अनुभव धीमी और सौम्य आवाज में बात कर रहा था। “हां हां बेटा मुझे सब याद है। मैंने तुझे कॉल नहीं किया वरना सुबह की तरह तो फिर कहता कि मैं तुझे परेशान कर रही हूं। कैसी रही तुम दोनों की मीटिंग?” वाणी ने पूछा। जवाब देने से पहले अनुभव के चेहरे पर शातिर मुस्कुराहट थी। उसने गतिक की तरफ देख कर आंख मारी और फिर वाणी से कहा, “आप ठीक कह रही थी। वो बहुत अच्छी है और मुझे बहुत पसंद भी है। अगर मैं चिराग लेकर भी ढूंढने जाऊंगा तो मुझे उस जैसी अच्छी लड़की नहीं मिलेगी। वो बहुत संस्कारी है। आपका बहुत ख्याल रखेगी। मैंने नोटिस किया वो बहुत इंटेलिजेंट भी है, अपना बिजनेस तो संभालेगी ही साथ में मेरी भी हेल्प कर देगी। शी विल बी अ परफेक्ट लाइफ पार्टनर फॉर मी...” अनुभव जानबूझकर हर एक बात बढ़ा चढ़ाकर बोल रहा था। “इसका मतलब तुम्हें शगुन पसंद है? तो क्या मैं इस शादी के लिए हां समझूं?” उसकी हां सुनने के बाद वाणी तो खुशी से पागल हो गई। फिर भी उसने कंफर्म करने के लिए एक बार फिर उससे पूछ लिया। “जी मम्मी, मैं कॉल रखता हूं। आपसे बाद में बात करता हूं।” अनुभव ने शर्माने का दिखावा किया और कॉल रख दिया। “बिल्कुल सही... ऐसे तो लड़कियां भी नहीं शर्माती। देखते हैं तुम्हारी हां के बाद मैडम कैसे ना नहीं कहती। उसे आगे आना ही पड़ेगा और इस शादी से पीछे हटना ही होगा।” गतिक ने कहा। “लेट्स सी शगुन गोयंका तुम्हारा नेक्स्ट मूव क्या होने वाला है। तुम्हें क्या लगा मैं इस शादी से पीछे हटना चाहता हूं तो सारा ब्लेम अपने ऊपर ले लूंगा। बिल्कुल नहीं डार्लिंग। तुम भी शादी नही करना चाहती.. तो रास्ता भी तुम ही निकालोगी।” अनुभव शगुन की तस्वीर से बात कर रहा था। उसके बाद वो सोने के लिए चला गया और शगुन के अगले कदम का इंतजार करने लगा। ___________ अनुभव ने वाणी को कॉल करके शादी के लिए हां तो कह दी थी पर वो नहीं जानता था इस वक्त वाणी आकाश के साथ नवीन के घर ही आई हुई थी। उसका कॉल आते ही उसने फोन स्पीकर पर कर लिया था। उनके बीच जो भी बातचीत हुई थी वो वाणी के साथ-साथ आकाश नवीन और रचना ने भी सुनी थी। “अनुभव को शगुन पसंद आ गई है। वैसे ना कहने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता, हमारी शगुन है ही इतनी प्यारी।” वाणी ने कहा। वो कुछ ज्यादा ही एक्साइटिड हो रही थी। वाणी अपनी एक्साइटिड में ज्यादा कुछ ना बोल दे, ये सोचकर आकाश जी ने तुरंत कहा, “अभी शगुन का जवाब आना बाकी है।” “अनुभव ने शगुन की क्वालिटीज को इतने अच्छे से ऑब्जर्व किया है, तो शगुन ने भी उसके दिल को समझा होगा। मुझे नहीं लगता वो ना कहेगी।” रचना ने जवाब दिया। “लेकिन उसने हां भी नहीं कहा है। रुको, अभी उसे कॉल करके बात कर लेते हैं और हां, उसका जो भी डिसीजन होगा तुम उसे फोर्स नहीं करोगी।” नवीन बोले। उन्होंने उसके बाद तुरंत शगुन को कॉल मिलाया। शगुन सोने ही जा रही थी। नवीन जी का कॉल देखकर उसे लगा कि अब तक अनुभव ने शादी के लिए मना कर दिया होगा। उसने इस बार जल्दी से कॉल उठाया और कहा, “हेलो पापा...” “सॉरी बेटा, इतनी रात को कॉल किया। तुम सोने तो नहीं जा रही थी ना?” नवीन जी ने पूछा। “नहीं, अभी नहीं। मैं किसी प्रोजेक्ट का काम निपटा रही थी।” शगुन ने जवाब दिया। “शगुन तुम्हें जानकर खुशी होगी कि अनुभव ने शादी के लिए हां कर दिया है। बेटा तुम उसे बहुत पसंद आई हो। तुम्हें यकीन नहीं होगा पर वो तो तुम्हारी तारीफों के पुल बांधते नहीं थक रहा था।” रचना ने कहा। उनकी बात सुनकर शगुन को झटका सा लगा। वो धम्म से बेड पर बैठ गई। “तुम भी उससे दो बार मिल चुकी हो। तुम्हें कैसा लगा वह?” नवीन जी ने पूछा। शगुन को समझ नहीं आ रहा था वो क्या जवाब दें। इस समय उसका जवाब बहुत मायने रखता था। उसने अपने मन में कहा, “ये मैं कहां फस गई हूं? ये उस कमीने ने क्या किया। अगर उसकी तारीफ की तो ये हां समझ लेंगे और बुराई की तो... कही मैं कोई सपना तो नहीं देख रही... कोई बुरा सपना। मैंने उसे सीधा सादा समझा था और उसने...” “क्या हुआ शगुन? तुम कुछ जवाब क्यों नहीं दे रही?” रचना ने पूछा। “नहीं मॉम, एक्चुअली मैं समझ नहीं पा रही किन शब्दों में उनकी तारीफ करूं।” शगुन ने हड़बड़ा कर कहा। “कोई जल्दी नहीं है। तुम आराम से अपना जवाब दे देना। वैसे भी रात काफी हो गई है। हम कल बात करते हैं शगुन।” नवीन ने कहा। शगुन ने उनकी बात हामी भरी। नवीन ने कॉल कट कर दिया। बात उलझ ना जाए इसलिए रचना ने तुरंत कहा, “शायद साफ कहने में हिचकिचा रही होगी।” “अरे कोई बात नहीं भाभी जी, आप इतना फॉर्मल मत होइए। अगर शगुन बिटिया ने ना भी कह दिया, तो क्या दिक्कत है?” आकाश जी ने उन्हें कंफर्टेबल करने के लिए कहा। माहौल ज्यादा संजीदा ना हो जाए इसलिए नवीन ने तुरंत बिज़नेस की बातें करनी शुरू कर दी। डिनर हो जाने के बाद आकाश और वाणी घर को आ रहे थे। “देखा आपने, मेरे बेटे ने तुरंत हां कर दिया पर वो अभी भी सोचने में टाइम लगा रही है। क्या कमी है मेरे अनुभव में?” वाणी के दिमाग में अभी भी शगुन की बातें अटकी थी। “डोंट बिहेव लाइक ए टिपिकल लेडी... ये ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी है। हमारे बच्चे अरेंज मैरिज करने के लिए तैयार हो गए यही बड़ी बात है। उसे फोर्स मत करो और ना ही इस तरह जज करो।” आकाश ने उन्हें कड़े शब्दों में समझाया। “लेकिन वो मुझे बहुत अच्छी लगी थी अपने अनुभव के लिए... बिल्कुल परफेक्ट। मेरी किटी पार्टी में उसे लेकर जाती तो मेरी सारी फ्रेंड्स उसे देखकर जलती।” वाणी ने बच्चों की तरह मुंह बनाकर कहा। उसे देखकर आकाश हंसने लगे। “अच्छा तो तुम अपने बेटे के लिए बीवी नहीं खुद के शो ऑफ के लिए बहू ढूंढ रही हो। तुम भी ना कभी कभी कमाल करती हो वाणी। बिल्कुल बच्ची बन जाती हो। अब हम बड़े हो गए हैं, बच्चों को उनके डिसीजन खुद लेने दो।” “अच्छा जी, ऐसे तो बड़ी समझदारी की बातें करते हैं और जब बात मेरे अनुभव को एंपायर देने की आती है तो आपको उस पर एक परसेंट भी यकीन नहीं है।” वाणी ने कहा। “मुझे अनुभव पर यकीन है पर मैं उसे हर तरीके से आजमाना चाहता हूं। मैंने अपना बिजनेस बहुत मेहनत से आगे बढ़ाया है। देखना चाहता हूं वो इस लायक है भी या नहीं...” “और अगर लायक ना हुआ तो?” अचानक वाणी ने पूछा। “तो ऐसे बहुत से लायक बच्चे हैं, जो बहुत अच्छे से मेरे बिजनेस को आगे बढ़ा सकते हैं। अब इस बारे में कोई बात नहीं होगी।” आकाश ने गाड़ी की लाइट्स ऑफ की और आंखें बंद करके पीछे की तरफ आराम से बैठ गए। उनके दिमाग में ऑर्फनेज के बच्चे चल रहे थे, जिनको उन्होंने कुछ साल पहले अडॉप्ट किया था। उन्होंने वहां के कुछ इंटेलिजेंट बच्चों की स्टडी पर एक्स्ट्रा एफर्ट किए थे ताकि वो उनके बिजनेस को अच्छे से देख सके। उन्हें बिल्कुल अनुभव जितने ही कंफर्ट और आगे बढ़ने के मौके दिए थे। “अब देखना बनता है कि मेरा कौन सा बच्चा कितना लायक है। अनुभव, जो सोने का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुआ था या फिर दृष्टि, कोमल, यश या राहुल... तुम पांचों जानते भी नहीं कि तुम तीनों की ट्रेनिंग के साथ तुम्हारे टेस्ट भी चल रहे हैं।” सोचते हुए आकाश के चेहरे पर गहरी मुस्कुराहट थी। दृष्टि, कोमल, यश और राहुल वो चार बच्चे थे जो अनाथ आश्रम में सबसे होनहार थे। अनुभव तक उनसे अनजान था पर वो अनुभव को अच्छे से जानते थे और चारों ही खुद को एक दूसरे से बेहतर साबित करने में लगे थे। ___________ नवीन जी के कॉल के बाद शगुन सोने की कोशिश कर रही थी पर उन्होंने जो भी कहा था उससे उसकी नींद उड़ गई। उसने घड़ी में टाइम देखा तो रात के 1:00 बज रहे थे। उसे नींद नहीं आ रही थी तो उसने तुरंत अनुभव को कॉल किया। अनुभव सोने जा चुका था। उसका मोबाइल गतिक के पास था और वो उसमें गेम खेल रहा था। शगुन का कॉल आया देखा गतिक बोला, “ये चालाक लोमड़ी इस वक्त क्यों कॉल कर रही है? जरूर इसे पता चल गया होगा कि अनुभव ने शादी के लिए हां कह दी है, तभी पंजा मारने के लिए तैयार बैठी है। तू देख बेटा, तेरा सामना किस से हुआ है। अभी बताता हूं तुझे।” गतिक ने शगुन का कॉल पिक किया। “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई शादी के लिए हां कहने की? मैंने तुम्हें कहा था ना कि तुम्हें ना करनी है।” उसके कॉल पिक कर ही शगुन उस पर जोर से चिल्लाई। “अच्छा तो तुम दहाड़ना भी जानती हो।” उसकी आवाज सुनकर गतिक बोला। “तुम कौन बोल रहे हो? मैंने अनुभव को कॉल किया है। चुपचाप उसे फोन दो, मुझे उससे बात करनी है।” “वो तो सोने जा चुका है। अब तो उससे तुम्हारी बात कल ही होगी। चलो टाटा बाय बाय। रखता हूं फोन...” गतिक कॉल कट करने को हुआ, तभी शगुन जोर से चिल्ला कर बोली, “मेरा कॉल काटने की हिम्मत भी मत करना। मुझे उससे अभी मिलना है। चुपचाप अपना एड्रेस दो।” “हेहेहे...” गतिक हंसने लगा। “पागल हो गए हो क्या? मैंने एड्रेस मांगा है।” शगुन ने फिर कहा। “हां दे दूंगा पर तुम कौन सा अभी आ जाओगी। चैन से सो जाओ मैडम... आगे तुम्हारी नींदें उड़ने वाली है। लगता है नींद तो उड़ गई है, तभी इतनी रात को कॉल किया है।” “मैंने कहा अपनी बकवास बंद करो और चुपचाप एड्रेस दो।” “ठीक है लिख लो। वसंत कुंज, अपार्टमेंट नंबर 8, फ्लोर नंबर 16 एंड फ्लैट नंबर 62...” कहकर गतिक ने कॉल कट कर दिया। उसे लगा नहीं था शगुन तुरंत आ जाएगी। वहां जाने से पहले शगुन ने एक पल के लिए भी नही सोचा। उसने ब्लू कलर का शॉर्ट और उस पर बेबी पिंक टी शर्ट पहनी थी। वो अपनी गाड़ी लेकर तुरंत इतनी रात को अनुभव के घर जाने के लिए निकल पड़ी जबकि उन दोनों का घर ऑपोजिट डायरेक्शन में था। ★★★★