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My doll

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Jahnavi Sharma

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आहान ओबेरॉय, जिसे एक्सट्रीम एंगर डिसऑर्डर है। आहान अपनी गुस्से की बीमारी के चलते किसी भी हद तक जा सकता है, ऐसे में उसकी लाइफ में आती है चाहत शर्मा। चाहत की करीबी आहान को सुकून देती है। आहान अपने गुस्से में चाहत से जबरदस्ती प्यार हासिल करने की कोशिश क...

Total Chapters (101)

Page 1 of 6

  • 1. My doll - Chapter 1

    Words: 2272

    Estimated Reading Time: 14 min

    मुंबई से कुछ दूर एक शांत इलाके में एक महल जैसे दिखने वाले घर में लगभग 27 साल का लड़का गुस्से में एक के बाद अपने हाथ में आने वाली चीजों को तोड़ता जा रहा था। वो इतना गुस्से में था कि गुस्से से उसका चेहरा गोरा चेहरा लाल हो गया था। अपने आलीशान विला में आज वो अकेला ही था और उसने अपने सारे सिक्योरिटी गार्ड को जाने के लिए कह दिया था। काफी सारा समान को तोड़ने के बाद उसने अपनी गहरी काली आंखों को बंद किया और गहरी गहरी सांस लेने लगा।

    “कंट्रोल आहान कंट्रोल। तुम्हें डॉक्टर ने क्या कहा था तुम्हें अपने गुस्से पर काबू करना सीखना होगा वरना ये तुम्हारे लिए खतरनाक हो जाएगा। तुम्हारी जान भी जा सकती है। क्या तुम मरना चाहते हो? नहीं ना? तो खुद पर कंट्रोल करो। चलो उल्टी गिनती गिनना शुरू करो और अपने गुस्से पर काबू करो।” वो आहान ओबेरॉय था। मुंबई के टॉप बिजनेस मैन में से एक। छह फीट लंबी हाई, शार्प फेशियल फीचर्स और मस्कुलर फिट बॉडी। दिखने में बहुत ज्यादा हैंडसम, पर एक ही कमजोरी कि गुस्से की बीमारी होना।

    अपना गुस्सा काबू करने के लिए आहान ने अपनी उंगलियों पर 10 से उल्टी गिनती गिनना शुरु कर दी। वो पूरी गिनती गिन चुका था और दोबारा उसे रिपीट भी कर रहा था मगर अभी भी उसका गुस्सा कम नहीं हो रहा था। दो बार गिनने के बाद भी आहान का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो उसने एक वाश उठाकर फेंकते हुए कहा, “इन पागल डॉक्टरों को कोई और तरीका नहीं मिला गुस्सा कम करने के लिए। ये सबसे वाहियात तरीका है गुस्सा कम करने का। उल्टी गिनती गिनो.. व्हाट द फक इज दिस।” उसने फौरन फोन निकाला और अपनी साइकाइट्रिस्ट को कॉल किया।

    उसकी साइकाइट्रिस्ट तनु नाम की एक लड़की थी जिसकी उम्र 26 साल के आसपास की थी। “क्या हुआ अब?” तनु ने उसके कॉल को उठाते ही कहा।

    “मुझे गुस्सा आ रहा है और ये कम होने का नाम नहीं ले रहा। बताओ मैं क्या करूं?” आहान बोला।

    तनु ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और चिढ़ते हुए कहा, “मैं तुम्हें कई सारे तरीके बता चुकी हूं तो अब मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं है, जिससे मैं तुम्हारा गुस्सा कम कर सकूं। क्या तुमने उल्टी गिनती ट्राई की?”

    “हां। मैं ये वाहियात तरीका भी ट्राई कर चुका हूं। अगर तुम मेरा गुस्सा कम नहीं कर सकती तो फिर मैं तुम्हें इतनी फीस किस लिए देता हूं। पता भी है क्या तुम मेरे सेशन के लिए मुझसे पुरे 35,000 रुपए लेती हो।” आहान चिल्लाकर बोला।

    “और तुम्हें भी पता है सिर्फ मैं ही हूं जो तुम्हें झेल रही हूं। वरना सबको तुमने इस तरह से बेइज्जत किया है कि कोई तुम्हें देखने के लिए भी तैयार नहीं। एक डॉक्टर के टेबल पर तो तुमने गमला मार दिया था। वो तो तुम्हारे दादा ने पैसे रफा दफा करके मामले को निपटा दिया वरना अब तक मीडिया में तुम्हारा नाम उछल रहा होता। मैं भी तुम्हें इसलिए झेल रही हूं क्योंकि तुम बचपन से मेरे फैमिली फ्रेंड हो। अब मेरी बात चुपचाप सुनो, म्यूजिक चलाओ और उसे सुनते हुए सोने की कोशिश करो। घर का सामान तो तुमने तोड़ ही दिया होगा और अपने बॉडीगार्ड भी तुमने भगा दिए होंगे। तो अभी के लिए तुम इस कमरे में मत सोना और पास के किसी और कमरे में जाकर सोना। किचन में मत जाना और चाकू छुरियों से दूर रहना।” तनु ने उसे सब प्यार से समझाया ताकि आहान उसकी बात मान ले।

    “अगर ये तरीका काम नहीं किया तो?” आहान ने पुछा।

    “अगर ये तरीका काम नहीं किया तो पानी में डूब जाना। मेरा कहने का मतलब बाहर स्विमिंग पूल बना हुआ है तो उसमें जाकर नहाना। तुम्हारा गुस्सा कम हो जाएगा।” तनु ने ये कह कर कॉल कट कर दिया।

    आहान ने दोबारा उसे कॉल किया, “मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है बिना मेरे पूछे कॉल मत कट किया करो। ऐसा करके तुम मेरा गुस्सा और बढ़ा रही हो।”

    “ओह, बस करो, मैं कोई तुम्हारा गुस्सा वुस्सा नहीं बढ़ा रही। और सीरियसली बता रही हूं तुम्हें अब इसका कोई दुसरा तरीका ढूंढना चाहिए। चीजें तुम्हारे कंट्रोल से बाहर होती जा रही है।” तनु ने एडवाइज दी।

    उसकी बात सुनकर आहान का गुस्सा कम होने के बजाय बढ़ गा। वो झुंझला कर बोला, “पता नहीं मैंने तुम्हें कॉल क्यों किया। इससे बेहतर मैं अपना सर दीवार में मारकर ट्राई करता तो शायद मेरा गुस्सा कम हो जाता।”

    “नहीं तुम बस वो करो जो मैंने कहा है। चलो अब मैं फोन रख रही हूं।” तनु ने कॉल रख दिया।

    आहान ने उस काॅल के कट होते ही अपने फोन को जोर से दीवार पर मारा और उसे भी तोड़ दिया। “ये भी किसी काम की नहीं। मन कर रहा है इसकी जान ले लुं। पर नहीं ले सकता। अभी के लिए मेरे पास कोई दूसरी साइकाइट्रिस्ट नहीं।”

    आहान अपने कमरे से बाहर निकाला और दूसरे कमरे में जाकर म्यूजिक सुनने लगा। वो काफी देर तक म्यूजिक सुनता रहा मगर उसका गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। बेड पर गुस्से के मारे वो चादर को नोच रहा था और नोचते हुए उसने चद्दर को फाड़ भी दिया था। वो एकदम से खड़ा हुआ। ‌ उसका चेहरा पसीने से भर गया था और उसकी नस्से बाहर आने को हो गई थी। आहान ने ड्राअर से नींद वाली दवाई निकाली और एक के बाद एक चार पांच गोलियां खा ली। फिर वो सीधे बाहर निकला। उसके विला में उसकी शानदार स्विमिंग पूल बना हुआ था। उसने अपने कपड़े उतारे और उल्टा होते हुए स्विमिंग पूल में गिर गया। थोड़ी देर बाद वो स्विमिंग पूल में ऐसे तैर रहा था जैसे मानो मर गया हो। इसके कुछ देर बाद वो उठा और गहरी गहरी सांस लेने लगा।

    “मुझे सच में अपने गुस्से का कुछ करना होगा वरना वरना कोई भरोसा नहीं मैं कब इस दुनिया से निकल जाऊं।” उसने दोबारा पानी में डुबकी लगाई और तब तक नहाता रहा जब तक उसे नींद नहीं आने लगी। जब उसे नींद आने लगी तब वो खड़ा हुआ और बेडरूम में जाकर सो गया।

    ______________

    मुंबई के ही एक रेस्टोरेंट में एक 50 साल का आदमी एक लड़की के डांट रहा था। वो उस रेस्टोरेंट का ओनर था और लड़की वहां काम करने वाली वेट्रेस।

    रेस्टोरेंट ओनर जोर से चिल्लाकर बोला, “अभी तुम्हें यहां काम करते हुए सात दिन भी नहीं हुए और तुमने इन सात दिनों में दो बार हमारे रेगुलर कस्टमर के साथ बदतमीजी की है। पांच क्रॉकरी सेट तोड़ दिए और चार कस्टमर के खाने में पानी और मिर्ची डाल दी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं तुम्हें इस नौकरी पर नहीं रखने वाला।‌ मुझे अपने लिए किसी और को देखना होगा। तुम दिखने में खूबसूरत हो इसलिए मैने तुम्हे काम पर रखा। लेकिन तुम तो मेरा नुकसान करवा रही हो।”

    उसके सामने एक लगभग 21 साल की लडकी खड़ी थी, जिसकी आंखे नम थी। उसने धीमी आवाज में कहा, “लेकिन सर उसने मेरा हाथ पकड़ा था और मुझे गलत तरीके से छूने की भी कोशिश की थी। क्रॉकरी सेट काफी पुराने हो चुके थे। आज नहीं तो कल टूट ही जाते।” उसने सिर झुका रखा था।

    “एक तो गलती करती हो, ऊपर से माफी मांगने के बजाय खुद को सही प्रूफ करने की कोशिश कर रही हो। ये आज आखिरी गलती थी तुम्हारी... आगे से तुमने किसी कस्टमर के साथ ऐसा बर्ताव किया या कोई भी गलती की तो मैं तुम्हे काम से निकाल दूंगा चाहत।” रेस्टोरेंट ओनर ने कहा।

    वो चाहत थी। चाहत शर्मा, दिखने में कमाल की खूबसूरत। लगभग 5 फीट 4 इंच हाइट, फेयर ओवल फेस, हल्की ग्रे आईज और कमर के ऊपर तक के गहरे भूरे सीधे बाल। उसने ब्लू शॉर्ट स्कर्ट और व्हाइट शर्ट पहना था, जो वहां की वेट्रेस की ड्रेस थी।

    चाहत ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “प्लीज ऐसा मत कहिए सर। मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है।” चाहत की आंखें बंद थी और उसने अपनी इन्हीं बंद आंखों में कहा। “मैं कितनी मेहनती हूं ये मैं ही जानती हूं। ऊपर से भगवान भी मुझे दिल से काम करते देख खुश होते होंगे।”

    “भगवान का पता नही लेकिन इस तरह मेरा नुकसान होता देख मैं जरूर दुखी होता हूं। अगर तुम्हें नौकरी की इतनी ही जरूरत है, तो तुम्हें पूरी जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। तुम यहां दोपहर से लेकर शाम तक काम करती हो मगर इसके बावजूद इतनी गलतियां कर देती हो कि हम ये अफोर्ड नहीं कर सकते।” रेस्टोरेंट ओनर ने सख्ती से कहा।

    “आप फिक्र मत कीजिए सर मैं अब से आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी।” चाहत ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।

    “ठीक है लेकिन ये तुम्हारा आखिरी मौका होगा। इसके बाद भी तुमने कोई गलती की तो मैं तुम्हें सीधे नौकरी से बाहर निकाल दूंगा।” उसके बॉस ने कहा।

    “ठीक है मुझे मंजूर है।” चाहत बोली और फौरन रेस्टोरेंट से बाहर जाने लगी मगर जैसे ही वो मुड़ी उसका हाथ एक ग्लास से टकराया और वो नीचे गिर गया। चाहत ने अपनी आंखें बंद कर ली। ग्लास टूट गया जिसकी वजह से बाॅस का पारा और भी हाई हो गया और उसने जोर से चिल्लाकर कहा “यू आर फायर्ड।”

    चाहत के पास अब सफाई देने के लिए कुछ नही बचा था। वो वहां से चली गई। थोड़ी ही देर बाद चाहत अपनी फ्रेंड के साथ थी और दोनों पार्क में बैठी थी। उसकी फ्रेंड का नाम श्रद्धा था, जो की उसकी उम्र की ही थी और दोनों एक साथ एक ही कॉलेज में पढ़ती थी। वो दिखने में गेरूए रंग की खूबसूरत लड़की थी।

    चाहत का उतरा हुआ चेहरा देखकर श्रद्धा सब समझ गई। श्रद्धा ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, “अब क्या किया तुमने जिसकी वजह से उसने तुम्हें काम से निकाल दिया।” बोलते हुए श्रद्धा ने उसकी तरफ घूरकर देखा।

    “अरे यार मैं क्या करूं। मैं अपनी तरफ से पूरा ध्यान रखने की कोशिश कर रही थी मगर फिर भी पता नहीं कैसे मुझसे गलतियां हो रही थी। जब पता हो आपकी लगी पड़ी है तो आप ऐसी गलतियां बिल्कुल नहीं कर सकते। मगर किस्मत आपके साथ ना हो तो ये अपने आप ही होता रहता है।” चाहत ने मासूमियत से कहा।

    चाहत की बात सुनकर श्रद्धा ने जवाब में कहा, “मैं तुम्हें पिछले दो महीने में चार बार अलग-अलग कामों पर लगा चुकी हूं मगर तुम हर जगह पर यही गलतियां करती हो। अगर यही रहा तो मैं भी तुम्हारी आगे मदद नहीं कर पाऊंगी।” श्रद्धा उसकी एक बात तो फ्रेंड थी जो अपनी तरफ से उसकी हर संभव मदद करती थी।

    “प्लीज यार ऐसा मत कहो। तुम अच्छे से जानती हो मुझे पैसों की कितनी जरूरत है। मेरी तो एजुकेशन भी कंप्लीट नहीं हुई जिससे मैं ढंग की जॉब पकड़ सकूं।” बोलते हुए चाहत रोने लगी और उसने श्रद्धा को गले से लगा लिया।

    चाहत को परेशान देखकर श्रद्धा भी उदास हो गई। उसने उसे सहलाते हुए कहा, “चिंता मत करो हम कुछ सोच लेंगे। बस भगवान के लिए तुम कोई गड़बड़ मत करना। जब देखो उल्टी सीधी हरकतें करती हो बिल्कुल बच्चों की तरह।”

    चाहत श्रद्धा से अलग हुई और बच्चो सा मुंह बनाकर कहा, “अब ठीक से बड़े होने का मौका ही कहां मिला? थोड़ा बहुत बचपना बचा है जो इन हरकतों में निकल जाता है। तुम इन सब बातों को छोड़ो और बताओ कि मेरे लिए कोई नई जॉब है तुम्हारे पास?”

    “हां है लेकिन मुझे अभी थोड़ा सा टाइम लगेगा तो थोड़ा सोचने दो। मैं तुम्हें सोच कर बताती हूं।” श्रद्धा ने जवाब दिया। वो अपने दिमाग पर जोर दे रही थी।

    चाहत ने पलाथी मारी और दोनों हाथों को बगल में दबाते हुए बोली, “जो भी सोचना है जल्दी सोचो क्योंकि मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है। अभी 2 घंटे बाद मेरी नेक्स्ट जब का टाइम हो जाएगा।”

    काफी सोचने के बाद श्रद्धा बोली, “अच्छा मेरे अंकल है जो इवेंट मैनेजमेंट का काम करते हैं। उनकी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है। थोड़े दिन पहले उनसे बात हुई थी तो उन्हें उन्होंने बताया था कि उन्हें किसी ऐसे इंसान की जरूरत है जो उनके लिए शॉपिंग कर सके। अच्छी खासी सैलरी देने के लिए भी तैयार है और उस जॉब के बाद तुम्हें बाकी सभी पार्ट टाइम जॉब भी नहीं करनी पड़ेगी। बाकी सब तो ठीक है पर भगवान के लिए इस बार कोई गड़बड़ मत करना।”

    “तुम फिकर मत करो मैं इस बार कोई गलती नहीं करूंगी और इस बात की मैं तुम्हें बोलकर गारंटी नहीं बल्कि तुम्हें लिखकर ही गारंटी दूंगी।” बोलते हुए चाहत ने अपनी पलको को झपकाया।

    श्रद्धा ने एक बार के लिए अपने चेहरे को अजीब सा किया और फिर फोन निकाल कर अपने अंकल से बात की।‌ कुछ देर बात करने के बाद उसने खुशी से अपने अंकल को बाय कहा और चाहत को बोली “उन्होंने तुम्हारे काम के लिए हां बोल दिया है।” श्रद्धा ने अपने दोनों हाथों को फैलाते हुए कहा।

    चाहत उसके गले लग गई। “सच में, बताओ मुझे कब से कम पर जाना है।”

    “कल शाम को ही।” श्रद्धा ने गले लगते हुए ही कहा। “कल आहान ओबेरॉय के यहां कोई पार्टी है। तुम्हें वहां अंकल की हेल्प करनी है। देख सब कुछ ध्यान से करना क्योंकि आहान ओबेरॉय कोई छोटा-मोटा नाम नहीं है।” श्रद्धा बार-बार उसे कोई भी गलती न करने के लिए समझ रही थी क्योंकि वो चाहत को अच्छे से जानती थी। चाहत मेहनती जरूरी थी लेकिन न चाहते हुए भी उससे गलतियां हो ही जाती थी।

    “ठीक है। देखना, जैसे ही मुझे यहां से मेरी पहली सैलरी मिलेगी मैं तुम्हें अपनी तरफ से पार्टी दूंगी।”‌ चाहत बोली।

    चाहत को गुड विशेस देने के बाद श्रद्धा वहां से चली गई। वहीं चाहत भी काफी खुश थी। उसे नई जॉब जो मिल गई थी और साथ ही उसे जॉब के पहले दिन ही शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन के यहां जाना था।

    ★★★★

  • 2. My doll - Chapter 2

    Words: 2053

    Estimated Reading Time: 13 min

    अगली सुबह 8:00 बजे ही चाहत एक बड़े से इवेंट हॉल में पहुंच गई थी। इवेंट होल आधा सजा हुआ था जबकि उसकी बाकी की आधी सजावट अभी बाकी थी। एक थोड़ा सा मोटा आदमी पूरी सजावट को देख रहा था और वही सब को इंस्ट्रक्शंस दे रहा था। चाहत ने एक ब्लू कलर का डेनिम जंपसूट पहन रखा और बालो को पोनीटेल में बांध रखा था। फिर चाहत ने इधर-उधर देखा और उस आदमी के पास गई।

    चाहत ने उसके पास जाकर पूछा, “हेलो, क्या आप ही मिस्टर राणावत हो?”

    वो आदमी उसकी तरफ हुआ और हां में सिर हिलाते हुए कहा “हां मैं हूं मिस्टर राणावत हूं और तुम कौन हो?”

    “मैं चाहत हुं। आपको श्रद्धा ने मेरे बारे में बताया होगा।” चाहत ने अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा।

    “ओह हां।‌ काफी जल्दी आ गई तुम। स्टूडेंट हो?”‌ मिस्टर राणावत ने उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और पूछा।

    “मैं अभी सेकंड ईयर में हूं।” चाहत ने जवाब दिया।

    “और तुम्हारी उम्र?” मिस्टर राणावत ने पूछा।

    “21 साल।” चाहत ने कम शब्दों में जवाब दिया।

    मिस्टर राणावत ने हां में सिर हिलाया और कहा, “ठीक है। मुझे श्रद्धा ने नहीं बताया तुम क्या-क्या कर सकती हो इसलिए तुम ही बता दो तुम क्या-क्या कर सकती हो। मैं उस हिसाब से तुम्हें काम दे देता हूं।”

    “मैं तो अब इसमें क्या बताऊं। आपको जो भी मेरे लिए बेटर लगे आप मुझे वो काम दे दीजिए। मैं सब कर लूंगी।”‌ चाहत ने आसपास देखते हुए कहा।

    “ठीक है। फिर ऐसे करो अभी के लिए फूलों को जहां जहां जरूरत है वहां वहां पहुंचा दो ताकि इसे डेकोरेशन में इस्तेमाल किया जा सके। इसके बाद में तुम्हें दूसरा काम दे देता हूं। ‌ एक बार के लिए तुम ये छोटे-मोटे कम करो इसके बाद मैं तुम्हारे लिए एक काम फिक्स कर दूंगा।” मिस्टर राणावत ने फिलहाल के लिए चाहत को उसका काम समझा दिया था।

    “ठीक है।”‌ चाहत ने थोड़ा सा झुक कर रिस्पेक्ट दिखाई और फिर जाकर काम करने लगी।

    उसे काम करने की आदत थी क्योंकि वो पिछले एक डेढ़ साल से हर जगह पर ऐसे ही काम करती आ रही थी। उसने छोटे काम भी किए हैं और बड़े काम भी। उसे काम की कितनी जरूरत थी, वो उसके काम करने के तरीके से समझ आता था मगर उसकी गलतियां करने वाली आदत हमेशा उसके आगे आ जाती थी। इस वजह से वो एक जगह पर ज्यादा नहीं टिक पाती थी और उसे जल्दी बाहर निकाल दिया जाता था। चाहत पूरा दिन मन लगाकर काम करती रही और शाम के 4:00 बजे तक पूरी डेकोरेशन कंप्लीट हो गई।

    हॉल को व्हाईट और पर्पल टीम के अकॉर्डिंग डेकोरेट किया था। गेस्ट के बैठने की जगह पर लेवेंडर के बुके रखे गए थे।

    मिस्टर राणावत ने डेकोरेशन देखते हुए कहा, “चलो इंतजाम तो अच्छा हो गया है। बस अब कोई गड़बड़ ना हो और मिस्टर आहान इससे खुश हो।”

    चाहत पास ही खड़ी थी। उसने चहकते हुए कहा, “जरूर खुश होंगे क्योंकि आपने इस काम के लिए बहुत मेहनत की है।”

    “हां लेकिन मिस्टर आहान सिर्फ मेहनत से खुश नहीं होते। तुम नहीं जानती उनके बारे में लेकिन मैं उन्हें पिछले 5 सालों से जानता हुं। एक छोटी सी भी कमी रह जाए तो उन्हें गुस्सा आ जाता है और वो इतनी सी बात के लिए किसी को भी नौकरी से निकाल देते हैं। इसलिए मेहनत की बजाए ये देखना जरूरी होता है कि कहीं कोई कमी तो नहीं रह गई।”

    “क्या इतने खतरनाक है मिस्टर आहान?” चाहत अजीब चेहरा बनाते हुए बोली, जिसका जवाब मिस्टर राणावत ने हां में सिर हिलाते हुए दिया।

    पार्टी रात के 9:00 बजे थी। चाहत को पहले दिन ही ओवरटाइम करना पड़ रहा था। गेस्ट आना शुरू हो गए थे। चाहत ने चेंज करके वेट्रेस की ड्रेस पहन ली। उसने ब्लैक चेक्स का शॉर्ट स्कर्ट और व्हाइट शर्ट पहना था और बालो को पोनीटेल के रूप में बांध रखा था।

    पार्टी स्टार्ट होते ही चाहत गेस्ट्स को ड्रिंक सर्व होने लगी थी। वो हर एक गेस्ट से मुस्कुरा कर बात कर रही थी और मुस्कुराते हुए ही ड्रिंक सर्व कर रही थी। माहौल ज्यादा चहल-पहल वाला नहीं था। तकरीबन 10 मिनट बीते थे कि बाहर तेजी से हलचल होने लगी। मीडिया के लोग एक के बाद एक कैमरा लेकर हॉल में आने वाले कारपेट के इर्द-गिर्द जमा होने लगे। पार्टी में आई लोगों की नजर भी बाहर की तरफ टिक गई। ऐसे में चाहत भी रुकी और बाहर की तरफ देखने लगी।

    बाहर एक काले रंग की कार लग्जरियस गाड़ी रेड कारपेट के पास आकर रुकी और उस में से आहान बाहर निकला। उसके बाहर निकलते ही सिक्योरिटी गार्ड्स ने उसे घेर लिया। वो काफी डैशिंग लग रहा था। उसने ब्लैक कलर का टैक्सिडो पहना था। चाहत भी उसे देखती रह गई थी।

    चाहत ने उस के लुक पर कमेंट करते हुए कहा “यार क्या लग रहा है ये... कितना डैशिंग है ये।”

    आहान अंदर आने लगा और चाहत को भी किसी ने आवाज लगा ली। आहान ने अंदर आकर एक के बाद एक बड़े बिजनेसमैन से हाथ मिलाया और फिर एक जगह पर रुककर किसी बिजनेसमैन से बात करने लगा। चाहत ड्रिंक सर्व करते हुए उसके पास गई और उसे भी ड्रिंक सर्व की।

    “थैंक्स।” आहान ने ड्रिंक लेते हुए चाहत को कहा मगर उसने एक बार भी चाहत की तरफ नहीं देखा था।

    चाहत उससे दूर आने के बाद बोली, “वाह क्या पर्सनेलिटी है। ऊपर वाले ने काफी फुरसत से बनाया होगा। ऐसे इंसान में तो गलती से भी कोई कमी हो ही नही सकती।” चाहत खोए हुए अंदाज में एकटक आहान को देख रही थी।

    रात के तकरीबन 10:00 बज रहे थे जब आहान ने स्टेज पर आकर माइक लिया।‌ वो एक अनाउंसमेंट करने जा रहा था जो आज की पार्टी को लेकर था।

    आहान ने माइक में कहा, “लेडीज एंड जैंटलमैन, मुझे पता है आप इस बात को लेकर काफी एक्साइटेड होंगे कि आज मैंने आप सबको यहां क्यों बुलाया है। मैं आपकी इस एक्साइटमेंट को ज्यादा देर तक बनाकर आपको और इंतजार नहीं करवाऊंगा। मैं आहान ओबेरॉय... आप सब लोगों के हार्ड वर्क की वजह से...” उसने अपने स्टाफ की तरफ हाथ करते हुए कहा “इस साल 2 और कंपनियां खोलने जा रहा हूं। जिसमें एक कंपनी में हमारा नया ऑफिस होगा और ये कंपनी बहुत बड़ी कंपनी होंगी।” उसके ये कहते ही सब तालियां बजाने लगे। चाहत ने भी ताली बजा दी।

    आहान ने मिस्टर राणावत की तरफ इशारा किया और उसे ड्रिंक लेने के लिए कहा। मिस्टर राणावत ने इधर-उधर देखा तो उसे चाहत ही दिखी जो पास थी। मिस्टर राणावत ने इशारों से चाहत को ड्रिंक आहान को देने के लिए कहा। चाहत फौरन आहान ओबेरॉय की तरफ जाने लगी। वो सीढ़ियां चढ़ रही थी। आखिरी वाली सीढ़ी बची थी तभी उसके सैंडल की हुक टूट गई और वो सामने की तरफ लड़खड़ा पड़ी। सामने आहान था। आहान ने आगे आते हुए चाहत को पकड़ लिया मगर चाहत के हाथ की ट्रे सीधे आहान के ऊपर गई।

    एक पल के लिए पुरी पार्टी में सन्नाटा छा गया। आहान ने चाहत को मुस्कुराते हुए कहा “थोड़ा ध्यान से काम किया करो।” अभी तक उसने अपनी सूट की तरफ नहीं देखा था।

    चाहत चेहरे से परेशान लग रही थी। “ठीक है।” कहकर वो पीछे हो गई।

    आहान ने अपने सूट की तरफ देखा तो उसका चेहरा ऐसा हो गया जैसे वो मानो किसी गहरे सदमे में चला गया। उसने अपने हाथ की मुट्ठी बंद कर ली और सामने के लोगों की तरफ देखा जो उसे ही देख रहे थे। आहान ने अपने चेहरे पर मुस्कुराहट दी और माइक पर बोला “कोई बात नहीं एक सूट ही। आप सब इंजॉय कीजिए। मैं आता हूं।”

    आहान‌ बोला और माइक चाहत को पकड़ा कर वहां से चला गया। मिस्टर राणावत चेहरे से पूरी तरह से परेशान हो गए थे। वो तुरंत चाहत के पास आए।

    “ ये तुमने क्या किया? अब तो मेरी नौकरी गई। मिस्टर आहान अब मुझे छोड़ेंगे नहीं।” मिस्टर राणावत ने रोनी सूरत बनाकर कहा।

    चाहत ने घबराकर कहा, “मैंने ये जानबूझकर नहीं किया। देखा ना आपने। मैं उनसे अपने किए की माफी मांग लूंगी।”

    मिस्टर राणावत बोले,  “अब तुम उनके सामने अपनी जान भी दे दोगी, तब भी वो नही मानेंगे। पिछली बार ऐसे ही किसी पार्टी में जो किसी और ने अरेंज की थी सर के ऊपर थोड़ा सा केचअप गिर किया था तो उन्होंने पूरे स्टाफ के साथ पार्टी अरेंज करने वाले को भी निकाल दिया था। उनकी कंपनी बरबाद कर दी थी। आज तो तुमने ड्रिंक की पूरी की पूरी ट्रे उनके ऊपर उड़ेल दी।”

    मिस्टर राणावत काफी परेशान हो गए। वही उनकी बातें सुनकर चाहत भी परेशान हो गई।

    “श्रद्धा ने कितनी मुश्किल से मुझे ये जॉब दिलाई थी और मेरी वजह से मिस्टर राणावत भी मुसीबत में फंस गए। जो भी हो, मुझे मिस्टर ओबेरॉय से बात करके सब ठीक करने की कोशिश करनी होगी।” चाहत ने नम आंखों से कहा।

    आहान से माफी मांगने के लिए चाहत उसके पीछे गई। आहान जेंट्स बाथरूम में था और खुद को आईने में देख रहा था। वो अपनी उंगलियों से उल्टी गिनती गिन रहा था मगर मन ही मन। आईने में वो अपने सूट की तरफ देख रहा था।

    “नहीं आहान... बाहर सब लोग आए हुए हैं तो तुम इस मोमेंट पर गुस्सा नहीं कर सकते। खुद पर कंट्रोल करो और अभी के लिए इस बात को जाने दो। इस पार्टी को खत्म होने दो फिर एक एक को देख लूंगा। खासकर उस लड़की को।” आहान ने गुस्से में चिल्ला कर कहा।

    चाहत दरवाजे पर ही थी। उसने आहान की आख़िरी कुछ आखिर बातें सुनी तो घबराते हुए अंदर आई और बोली, “प्लीज सर ऐसा मत कीजिएगा। मैं अपनी गलती के लिए माफी मांगती हूं। प्लीज प्लीज....” चाहत बोलीं “लाइए मैं आपका सूट अभी ठीक कर देती हूं।”

    चाहत उसका सूट उतारने लगी। ‌आहान का चेहरा और गुस्से से भर गया और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। चाहत ने उसका ब्लेजर लिया और नल चला कर उसे पानी से धोने लगी।

    आहान ने अपनी आंखें खोली। “आर यू मैड? ये एक कस्टम मेड सूट है और तुम इसे ऐसे वॉश कर रही हो? तुमने इस तरह से धोकर इसे और खराब कर दिया है। ‌ अब इसे पहना भी नहीं जा सकता।” आहान ने गुस्से को काबू करके दबी आवाज में कहा।

    “क्या...” चाहत की आंखें बड़ी हो गई और वो इन्हीं बड़ी आंखों से आहान की तरफ देखते हुए बोली। वहीं आहान के दिमाग की नस दिखने लग गई थी। उसे इस तरह चाहत को डर लगने लगा। वो हड़बड़ाते हुए बोली, “आ... एम साॅरी... प्लीज अब इस बात पर भी गुस्सा मत होइएगा...”

    आहान ने अपने होठों को भींचा और दोनों हाथ की मुट्ठियों को भी कस कर बंद करते हुए कहा “मैं नहीं हो रहा। तुम्हें लग रहा है मैं गुस्सा हो रहा हूं। नहीं मैं बिल्कुल नहीं हो रहा। ‌ मुझे ऐसी छोटी-छोटी बातों पर बिल्कुल गुस्सा नहीं आता। मैं शांत हूं और शांति से तुम्हारी बात सुन रहा हूं।” बोलते हुए आहान ने नकली मुस्कुराहट दी।

    चाहत ने आहान को ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और कहा, “मगर आपको देखकर ऐसा लग नहीं रहा।”

    आहान ने मुस्कुराते हुए भौंहे उठाकर कहा, “ऐसा कुछ नहीं। जाओ जाकर अपना काम करो।”

    “ठ..ठ...ठीक है सर..” चाहत ने मासूम सा चेहरा बनाकर सिर को नीचे किया और जाने लगी। ‌ वो जा रही थी तभी दोबारा उसका पैर फिसला और वो फिर से आहान के ऊपर गिर गई। इस बार आहान उसे संभालने की कंडीशन में नहीं था तो उसके साथ वो भी पीछे गिर गया।

    दोनों के गिरने की वजह से चाहत के होंठ आहान के होंठो से टकरा गए‌।‌ आहान के पूरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ी और उसका गुस्सा बिल्कुल कम हो गया। वहीं चाहत के दिल की धड़कन बढ़ गई। चाहत ने तुरंत खुद को संभाला और उठने लगी मगर तभी आहान ने उसे खींचा और दोबारा अपने ऊपर गिरा लिया। इन सबके बीच आहान ने पहली बार चाहत को ठीक से देखा था। उसकी मासूम ग्रे छोटी आंखे और खूबसूरत चेहरा देखकर आहान का गुस्सा पल में उड़ गया।

    अपने ऊपर गिराने के बाद आहान पलटा और चाहत को अपने नीचे ले लिया। चाहत इससे पहले कुछ समझ पाती आहान ने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उसके होठों पर अपने होंठ रखे। वो उसे काफी हिंग्रिली किस कर रहा था और चाहत बस आंखें बड़ी करके उसे देख रही थी।

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    कहानी पढ़कर समीक्षा जरूर करिएगा।

  • 3. My doll - Chapter 3

    Words: 2008

    Estimated Reading Time: 13 min

    आहान चाहत को काफी डीपली किस कर रहा था जबकि चाहत ने अभी तक कोई रिस्पांस नहीं दिया था। वो अभी भी हैरानी से आहान को देख रही थी। अचानक चाहत होश में आई और उसने आहान को धक्का मारा। आहान दूसरी तरफ गिर गया जबकि चाहत फ़ौरन अपनी जगह से खड़ी हुई। आहान भी अपनी जगह से उठा तो चाहत ने उसके मुंह पर जोर से थप्पड़ दे मारा।

    “क्या था ये सब?” चाहत ने गुस्से में कहा, “तुमने मुझे समझ क्या रखा है। तुम जैसे अमीर लोग ऐसे ही होते हैं बस दूसरों का फायदा उठाना जानते हैं। मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी।” अपनी बात कहकर चाहत तुरंत वहां से चली गई।

    आहान अपने मुंह पर हाथ रख कर खड़ा था। अजीबो गरीब फेस एक्सप्रेशन के साथ। उसने अपने मुंह को सहलाया और अपने इसी अजीबोगरीब फेस एक्सप्रेशन के साथ बोला “ये क्या था...”

    आहान भी चाहत के पीछे जाने को हुआ तभी तनु का कॉल आया तो उसने उसका फोन उठा लिया।

    “सही टाइम पर कॉल किया है तुमने।” आहान बोला “आज मुझे मेरे गुस्से को कंट्रोल करने के लिए एक चीज मिल गई। मैं बहुत गुस्से में था और तुम यकीन नहीं मानोगी उसने मेरे गुस्से को बस 1 मिनट में ही कम कर दिया। 1 मिनट क्या बस एक पल में।”

    “तुम किसकी बात कर रहे हो?” तनु ने पूछा।

    “है कोई लड़की... मैं अभी उसे नहीं जानता पर फिक्र मत करो अब वो कहीं नहीं जाएगी। अगर वो मेरे गुस्से को‌ काबू करने का तरीका है तो मैं उसे कहीं नहीं जाने दूंगा।” आहान ने कहकर फोन कट कर दिया।

    तनु‌ दूसरी तरफ बोली, “पता नहीं अब इसके दिमाग में क्या चल रहा है। होप‌ सो ये लड़का खुद को किसी मुसीबत में ना डाल ले।”

    आहान बाहर आया तो उसे उसकी कंपनी के कुछ लोग मिले जो उससे जरूरी बात करने आए थे। आहान ने उनको नजरअंदाज किया और उनके बीच में से होते हुए पार्टी की तरफ चला गया। पार्टी के लोगों के बीच वो चाहत को ढूंढ रहा था मगर वो उसे कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी। आहान पार्टी से बाहर आया और वहां चाहत को ढूंढने लगा। मगर चाहत यहां भी उसे दिखाई नहीं दे रही थी। जब वो अंदर की तरफ मुड़ा तो वो मिस्टर राणावत से टकरा गया।

    “स स सॉरी सर। अब ये गलती दोबारा नहीं होगी।” मिस्टर राणावत ने टकराते ही कहा।

    “वो लड़की कहां है?” आहान‌ ने पुछा।

    “कौन सी लड़की सर?” मिस्टर राणावत उसकी तरफ देखने लगे।

    आहान ने जवाब में कहा, “वही जिसने मेरा सूट खराब किया था।”

    “उ..उ... उसको तो मैंने नौकरी से निकाल दिया। वो‌ नई थी और उसे आज ही काम पर रखा था इसलिए उससे गलती हो गई। मैंने उससे पहले ही नौकरी से निकाल दिया है क्योंकि मुझे पता है अगर मैं नहीं निकलता तो आप निकाल देंगे।” मिस्टर राणावत ने सफाई दी।

    आहान ने इधर-उधर देखा और कहा, “पर उसे नहीं निकालना था।” फिर वो अंदर की तरफ जाने लगा और वहां रुक कर पीछे मिस्टर राणावत की तरफ देखते हुए बोला “मुझे वो लड़की दोबारा काम पर चाहिए।”

    मिस्टर राणावत हैरानी से उसे देख रहे थे क्योंकि ऐसा आज से पहले कभी नहीं हुआ था। आहान ने एक एंप्लॉय के लिए ऐसा कभी नहीं कहा था कि वो उसे दोबारा काम पर चाहिए।

    ___

    चाहत रास्ते में थी और गुस्से से भरी हुई थी। वो सड़क पर बड़बड़ाते हुए खुद से बातें कर रही थी।

    चाहत चिढ़े हुए अंदाज में बोली, “ये अमीर लोग पता नही खुद को समझते क्या है? इन्हें क्या लगता है, हर दूसरा इन्सान इनकी जागीर है, जो ये जैसे चाहे वैसे कर सके है। पता नहीं उसके दिमाग में ये आ भी कैसे गया? क्या मैं उसे ऐसी लड़की लगी? हां ठीक है मैंने उसकी ड्रेस खराब कर दी मगर क्या इसके बदले में वो मेरे साथ ये करेगा? ‌ उसने सोचा भी कैसे? मुझे उसे सिर्फ थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था बल्कि दो चार मुक्के भी मारने चाहिए थे। उसके खिलाफ पुलिस कंप्लेंट भी करनी चाहिए थी। मैंने बहुत सस्ते में छोड़ दिया उसे। मुझे उसे पार्टी में लाकर सबके सामने बताना चाहिए था उसने क्या किया तभी उसको अकल आती। ‌ इसके बाद वो ऐसा अगले सात जन्मो तक करने का नहीं सोचता। वो तो क्या उसके आने वाली पीढ़ी भी अगले सात जन्मों तक ये करने का नहीं सोचती। वो तो अपनी वाइफ से भी ये सब करते वक्त डरता।” वो गुस्से में ऐसे ही बोलती जा रही थी और चलती जा रही थी।

    तभी उसके फोन पर श्रद्धा का कॉल आया। चाहत श्रद्धा के कॉल को देखते ही बोली, “लगता है इसे सब पता चल गया। ओह‌ नहीं। अब मैं इसे क्या कहूंगी?” उसने कॉल नहीं उठाया और इसे इग्नोर कर दिया।

    मगर कॉल कट होते ही दोबारा कॉल बजा जिसे चाहत को उठाना पड़ा।

    श्रद्धा दूसरी तरफ से उसके कॉल उठाते ही बोली, “तो... मेरी जान... कैसा रहा तुम्हारा आज का दिन... तुम्हें पता है मैंने सुबह तुम्हारे लिए गॉड से प्रे की थी तो मुझे पूरा यकीन है आज का दिन तुम्हारा शानदार रहा होगा। आज के दिन तुमने कोई गड़बड़ नहीं की होगी।”

    श्रद्धा की बातों से चाहत समझ गई थी कि पार्टी में जो भी हुआ, वो उस से अभी भी अनजान है। चाहत हड़बड़ाहट में बोली, “यानी... तुम्हें अभी तक कुछ पता नहीं चला...”

    “मुझे क्या पता नहीं चला?” श्रद्धा ने अजीब सा चेहरा बनाया।

    चाहत रुकी और अपने चेहरे के एक्सप्रेशन को बदलते हुए बोली “साॅरी मैंने यहां भी एक बहुत बड़ी मिस्टेक कर दी।” ये कहकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली।

    श्रद्धा ने जैसे ही ये सुना वो बोली, “तुम पर तो भगवान की दुआ का भी असर नहीं होता। मुझे समझ में नहीं आता तुम लड़की हो या कुछ और। तुम से गलतियां हो कैसे जाती है। क्या तुम मंगल ग्रह से आई हो जो तुम ये गलतियां करती हो। इतनी मुश्किल से मैने सब अरेंज किया था। अब अंकल का फोन आएगा और वो भी मुझे सुनाएंगे।”

    “सॉरी।‌ अब मैं तुम्हें आगे से किसी काम के लिए नहीं कहूंगी। ‌ क्योंकि मुझे पता है मैं कोई भी काम अच्छे से नहीं कर पाती।” चाहत रोने लगी और उसे रोते हुए फोन कट कर दिया।

    “अरे..” श्रद्धा ने कहा। उसने उसी वक्त चाहत को दोबारा कॉल किया। चाहत ने फोन उठा लिया “सुनो जो हो गया सो हो गया अब इस बात पर रो मत। कोई ना। होता रहता है और फिक्र मत करो मैं तुम्हारे लिए कोई नया काम जरूर ढूढ़ूंगी। प्लीज़ रो मत। सुनो तुम यहां आ जाओ मेरे घर पर हम बात करते हैं।”

    “हां ठीक है।”चाहत ने सिसकते हुए कहा।

    ____

    चाहत थोड़ी देर बाद श्रद्धा के घर पर थी। श्रद्धा अपने घर में अकेली रहती थी क्योंकि उसके मॉम डैड चंडीगढ़ में थे जबकि वो यहां मुंबई में। श्रद्धा ने दो तीन वाइन की बोतल और एक वोडका टेबल पर रख रखा था।

    “चलो आओ... हम मिलकर इस दुख को सेलिब्रेट करते हैं।” श्रद्धा ने कहा और उसके लिए ड्रिंक बनाने लगी।

    चाहत ने लाचारी से कहा, “यार मेरा दुख नौकरी जाने से भी बड़ा है। तुम्हें पता है उसे अमीर बिजनेसमैन आना आना...”

    “आना‌ नहीं आहान....” श्रद्धा ने उसका नाम सही से लिया।

    “हां‌ वही... आज मुझसे गलती से उसके सूट पर ड्रिंक गिर गई थी तो इसके बदले में वो वॉशरूम में मेरे साथ...” चाहत ने अपने चेहरे को छोटा सा किया और कहा, “वो मुझे किस करने लगा।”

    श्रद्धा ड्रिंक पी रही थी तो ये सुनते ही उसके मुंह से ड्रिंक निकल गई। “क्या??”

    “हां...” चाहत ने हां में सिर हिलाया।

    “उस कमीने की तो ऐसी की। तुम्हें जोर से उसके मुंह पर थप्पड़ मारना चाहिए था। उसकी हिम्मत भी कैसे हुई ये करने की।” श्रद्धा ने गुस्से में कहा।

    “हां मैंने मारा ना उसके मुंह पर थप्पड़। और फिर मैं उसको वहीं छोड़ कर आ गई वरना मैं उसको मनाने की कोशिश कर रही थी ताकि तुम्हारे अंकल की जॉब ना जाए।” चाहत ने ड्रिक उठाई।

    श्रद्धा ने उसे तसल्ली देते हुए कहा, “कोई बात नहीं। तुम सही सलामत हो बस यही काफी है। जाॅब का क्या है, अंकल भी कोई दूसरा काम ढूंढ लेंगे और मैं तुम्हें भी किसी दूसरे काम पर लगवा दूंगी। आई नो... तुम्हें अपना खर्चा खुद चलाना होता है इसलिए जॉब की जरूरत है।”

    “नहीं यार सिर्फ इतनी सी वजह नहीं है।” चाहत ने ड्रिंक का एक शिप ले लिया था जिसकी वजह से उसे थोड़ा सा नशा हो गया था। उसे बाकियों की कंपैरिजन में जल्दी नशा होता था। “तुम्हें पता है मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं और मैं सिर्फ सात साल की थी तब मेरे पापा ने मेरी मां को कैरेक्टरलेस बोल कर छोड़ दिया। उसके बाद से वो बीमार है और मुझे हम दोनो का खर्च उठाना पड़ता हैं। अगर मैने इलाज के पैसे नही जुटाए तो वो भी मुझे छोड़कर चली जायेगी।” चाहत ने अब तक इस बारे में किसी को नही बताया था लेकिन आज नशे में वो सब बोल गई।

    “तुमने मुझे इस बारे में पहले नहीं बताया। मुझे बताती तो मैं तेरी हर तरह से हेल्प करती।।” श्रद्धा ने कहा।

    “अब बता दिया ना? अब हेल्प कर देना।” चाहत ने मासूमियत से कहा।

    “उफफफ...” श्रद्धा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, “तुम फिकर मत करो मैं कल ही तुम्हारे लिए एक और नई जॉब ढूंढती हूं।”

    चाहत ने उसकी बात पर हामी भरी। दोनों ड्रिंक कर रहे थे तभी श्रद्धा के फोन पर उसके अंकल का कॉल आया। श्रद्धा ने फोन की तरफ देखा और बोली “लो अंकल का कॉल आ गया है। अब‌ वो मुझे डांट लगाएंगे और काफी सारी बातें सुनाएगे। उन्हें भी नौकरी से निकाल दिया होगा।”

    “मेरी तरफ से उन्हें सॉरी बोल देना।” चाहत ने कहा।

    श्रद्धा ने फोन उठाया तो उसके अंकल फोन दूसरी तरफ से बोले “वो लड़की अब कहां है? मुझे उससे बात करनी है।”

    “अंकल उससे गलती हो गई और इसके लिए मैं भी आपसे माफी मांगती हूं।” श्रद्धा पहले ही माफी मांगने लगी, “जो भी हुआ, मुझे उसके लिए अफसोस है और मैं इसके लिए जो भी करना पड़ेगा वो करने के लिए तैयार हूं। उसे माफ कर दीजिए।”

    “तुम ये सब बाद में बोल लेना अभी मेरी उस लड़की से बात करवाओ।” उसके अंकल ने कहा।

    “अब नहीं हो सकती बात क्योंकि वो‌ अपनी गलती के लिए शर्मिंदा है।” श्रद्धा बोली।

    “उसे बोलो गलती के लिए शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं क्योंकि सर ने उसे नौकरी से नहीं निकाला। उल्टा मैंने उसे निकाल दिया है तो वो उसे दोबारा काम पर रखने के लिए कह रहे हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ तो तुम चाहत को बोलो जहां भी हो मुझसे बात करें ताकि मैं उसे दोबारा नौकरी पर रख सकूं।” मिस्टर राणावत ने उसे सब समझा दिया।

    “क...क...क्या....” श्रद्धा ने ‌चाहत की तरफ‌ देखा जो लटटु होकर फर्श पर पीछे की तरफ गिरी पड़ी थी।‌ वो बड़बड़ा रही थी “उसकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की।”

    श्रद्धा ने अपने मन में सोचा, “जरूर उस बिजनेसमैन की नियत अच्छी नहीं होगी इसलिए इसे दोबारा काम पर बुला रहा है। मुझे मना कर देना चाहिए।” ये सोचकर उसने अपने अंकल को कहा, “जो भी हो मगर वो अब दुबारा काम पर नहीं आएगी। ‌ उसने नई जॉब ढूंढ ली है और वो काम भी करने लगी है।”

    “क्या इतनी जल्दी? अभी तो उसे यहां से भी गए हुए दो-तीन घंटे नहीं हुए।” मिस्टर राणावत हैरानी से बोले।

    “हां इतनी जल्दी क्योंकी वो एक नौकरी के जाने के बाद दूसरी नौकरी जल्दी ढूंढ लेती है। चलिए मैं रखती हूं और आप बोल देना अपने बॉस को की वो कभी दोबारा आपके यहां काम करने नहीं आएगी।” श्रद्धा ने ये कहकर कॉल कट कर दिया।

    मिस्टर राणावत हैरान परेशान पीछे की तरफ मुड़े तो आहान उनके ठीक सामने खड़ा था।

    “क्या बोली? वो‌ आ रही हैं?” आहान ने पूछा।

    मिस्टर राणावत को समझ नहीं आ रहा था वो क्या जवाब दे मगर वो झूठ भी नहीं बोल सकते थे। उन्होंने कहा, “अब वो दोबारा यहां कभी काम पर नहीं आएगी।”

    ये सुनते ही आहान ने अपनी दोनों मुट्ठियों को कसकर बंद कर लिया। उसे फिर से गुस्सा आ रहा था।

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  • 4. My doll - Chapter 4

    Words: 1080

    Estimated Reading Time: 7 min

    आहान रात के तकरीबन तीन बजे अपने घर पहुंचा। उसके बॉडीगार्ड उसके घर की सेफ्टी कर रहे थे। आहान ने आते ही कहा, “मुझे पूरा घर खाली चाहिए।”

    सामने के बॉडीगार्ड ने अपना चेहरा नीचे किया और बोला, “आई सॉरी सर। हम आज ऐसा नहीं कर सकते। बड़े बॉस आए हैं।”

    “क्या? डैड यहां पर हैं?” आहान ने हैरानी से कहा, “उन्हें यहां आने किसने दिया? क्या मैं तुम सबको इसलिए सैलरी देता हूं कि कोई भी एरा गैरा मेरे घर पर आ जाएगा। कोई भी अपना काम ठीक से नहीं कर रहा।” आहान ने अपनी कार चलाई और उसे काफी स्पीडली घर की पार्किंग में आकर रोकी। उसकी पार्किंग में महंगी कारे एक दर्जन भर से भी ज्यादा थी। आहान कार से नीचे उतरा और गुस्से से घर की तरफ जाने लगा।

    उसने घर के मैन डोर से एंट्री ली तो देखा उसके डैड के साथ-साथ उसकी मॉम भी वही पर मौजूद थी, जिन्हें वो बहुत प्यार करता था। उसकी मॉम शिवानी ओबरॉय, जो उम्र में लगभग 50 के आसपास थी, उन्होंने डार्क ग्रीन साड़ी पहन रखी थी। उन्होंने खुद को अच्छे से मेंटेन कर रखा था इस वजह से वो अपनी उम्र से काफी कम नजर आ रही थी।

    “मॉम आप भी यहां आई है।” आहान धीमे कदमों से चलते हुए शिवानी के पास आया और उनके गले लग गया।

    “हां मुझे भी आना पड़ा क्योंकि तुम्हें तो फुर्सत नहीं मिलती घर आने की। आई नो तुम अपने काम में बिजी रहते हो और एक बहुत बड़े बिजनेसमैन बन गए हो पर कम से कम वीकेंड पर तो मिलने आ जाया करो बेटा।” शिवानी ने उसे प्यार से डांटते हुए कहा।

    आहान ने उन्हें देखकर हल्की मुस्कुराहट दी और कहा, “आपको पता है मैं वीकेंड पर भी बिजी रहता हूं। ऊपर से आज की पार्टी के बारे में तो आपको पता ही होगा।”

    विजय ओबेरॉय, उसके डैड, जिन्होंने अपने दोनों हाथ अपनी पैंट की जेब में डाल रखे थे वो उसके सामने आए और बोले, “चलो तुम्हें याद तो आया कि ये बात हमें भी बतानी थी वरना हमें तो टीवी न्यूज़ के जरिए पता चल रहा है। वहां हर कोई शामिल था कंपनी स्टाफ से लेकर बाकी छोटे-मोटे गेस्ट तक सिवाय हम दोनों के। क्या मैं जान सकता हूं तुमने मुझे इनवाइट करना क्यों सही नहीं समझा?”

    शिवानी ने विजय की तरफ तिरछी निगाहों से देखा और कहा, “मैंने आपको कहा था हम इस बारे में बात नहीं करेंगे”

    विजय पर उनके इस तरह देखने का कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने कंधे उचकाकर कहा, “मगर मुझे करनी है क्योंकि ये जरूरी है।”

    शिवानी पीछे हो गई। आहान ने दूसरी तरफ देखा और कहा, “क्योंकि ये मेरी कामयाबी है और इसे मैं बस अपने लोगों के साथ सेलिब्रेट करना चाहता। मुझे उन लोगों से अपनी इस कामयाबी को सेलिब्रेट नहीं करना था जो बस मेरा अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते थे।”

    “अपनी हद में रहो। तुम्हें पता भी है तुम किस से बात कर रहे हो।” विजय ने गुस्से में कहा, “आज तुम जो भी हो मेरी वजह से हो। ये बात कभी अपनी जिंदगी में भूलना मत। आज तुम ये जो बड़ी बड़ी बातें कर रहे हो वो कामयाबी हवा में नही मिली। अगर तुम्हारे नाम के पीछे ओबेरॉय सरनेम नहीं होता तो कोई तुम्हें पूछता तक नही।”

    शिवानी पास‌ आई और बोली, “आप गुस्सा मत कीजिए। हम यहां इससे प्यार से बात करने आए थे और आपने ही कहा था आप प्यार से बात करोगे।”

    “तुम मुझे प्यार से बात करने को बोल रही हो... तुम्हे इसकी बदतमीजी नही दिखाई दे रही?” विजय ने गुस्से में चिल्लाकर कहा।

    “मैं बदतमीज नहीं हूं। बस जो इंसान, जितनी इज्जत डिजर्व करता है, उसे उस हिसाब से मिल रही है। मैं चुप हूं इसका मतलब ये नही कि मेरी लोगो की हरकतों और नीयत पर नजर नहीं है।” बोलते हुए आहान ने सर्द निगाहों से विजय को घूरा।

    आहान की बातें सुनकर विजय का गुस्सा और भी बढ़ गया। वह‌ शिवानी से बोले, “क्या ये परवरिश दी थी हमने इसे। देख रही हो तुम कितनी कड़वाहट पाल रखी है इसने अपने मन में।”

    “सब ठीक हो जाएगा।” शिवानी ने कहा और आहान की तरफ देखा, “मुझे पता है कुछ चीजों को लेकर तुम नाराज हो मगर कब तक ये नाराजगी रखोगे। तीन दिन बाद तुम्हारा छोटा भाई वापस आ रहा है। घर पर उसके वेलकम की एक पार्टी रखी है तो आ जाना।”

    “अगर मेरे पास टाइम हुआ तो मैं जरूर आऊंगा।” आहान बोला।

    “मैं तुमसे पूछ नहीं रही हूं, तुम आओगे या फिर नहीं बल्कि कह रही हूं कि तुम्हें आना है। अगर नहीं आए तो फिर देख लेना मुझसे बुरा तुम्हारे लिए और कोई नहीं होगा। भूल जाना फिर तुम्हारी कोई मां भी है।” शिवानी ने इस बार सख्ती से कहा। आहान से बात करके शिवानी ने विजय की तरफ देखकर कहा, “चलिए चलें।”

    विजय ने कहा “और आने से पहले अपनी तमीज साथ लेकर आना।”

    आहान खड़ा रहा जबकि वो दोनों चले गए। उन दोनों के जाने के बाद आहान बोला, “आज का दिन और रात दोनों ही मेरे लिए बेकार है।” फिर वो अपने कमरे में गया और शाॅवर के नीचे जाकर खड़ा हो गया। उसने अपने कपड़े भी नहीं उतारे थे और अपने महंगे सूट में ही शाॅवर के नीचे खड़े होकर पानी में भीगने लगा। भीगते हुए उसने चाहत को याद किया। चाहत का चेहरा उसकी आंखों के सामने घूम रहा था। वो पहले तो उससे जुड़ी चीजों को नजर अंदाज कर चुका था मगर अब उसे पार्टी में ड्रिंक सर्व करती हुई चाहत, बीच में अपने बालों को सही करते हुए चाहत, लोगों से मुस्कुराकर बात करते हुए चाहत ये सब दिख रहा था। उसे उसका नाम नहीं पता था।

    आहान ने अपनी आंखें बंद की और दीवार पर पंच मारते हुए कहा, “लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं मैं जानता हूं। वो मुझे अच्छा नहीं समझते। लेकिन मेरे गुस्से को कंट्रोल करने वाली वेट्रेस... तुम्हारा नाम... डॉल.. तुम एक डॉल की तरफ दिखती हो।” उसने चाहत को अपनी तरफ से ये नाम दिया और आगे कहा, “मैं बुरा नहीं हु। बस मेरी कुछ आदतें हैं जो बुरी है और तुम उन्हें ठीक कर सकती हो। तुम मुझे ठीक कर सकती हो। तुम कहीं भी क्यों ना हो... कैसे भी क्यों ना हो... मैं तुम्हें अपने पास लेकर आऊंगा। चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी क्यों ना करना पड़े। कुछ भी मतलब कुछ भी। आई एम कमिंग टू यू माई डॉल।” आहान ने ये कह कर अपनी आंखें बंद कर ली और पानी को बस अपने ऊपर गिरने दिया।

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  • 5. My doll - Chapter 5

    Words: 1672

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगले दिन संडे था। चाहत सुबह नौ बजे के करीब घर आई। वो एक रेंटल हाउस में अपनी मां के साथ रहती थी।

    निशा शर्मा, जो चाहत की मां थी वो घर की सफाई कर रही थी। वो एक 42 साल की दुबली पतली महिला थी।

    चाहत को देखते ही वो अपनी थकी हुई आवाज में बोली, “तुम पूरी रात कहां थी...” बोलते हुए वो चाहत के पास आई। उनकी आवाज में चाहत के लिए फिक्र थी। निशा ने आगे कहा, “तो कॉल करके बता देती बेटा। मैने कॉल किया तो मेरा कॉल उठाया नही। रात भर तेरे लिए परेशान होती रही।”

    “मैं रात को श्रद्धा के घर पर थी मॉम। कल पहले दिन ही ओवर टाइम करना पड़ा था तो रात को देर हो गई थी तो मैं सीधे उसके घर चली गई।” चाहत कहते हुए सोफे पर आकर बैठ गई।

    “हां तो एक बात बता तो देती। तुम्हें पता है ना घर पर हमें तुम्हारी फिक्र लगी रहती है।” उसकी मां किचन से उसके लिए पानी लेने चली गई। उसने पानी ला कर दिया तो चाहत ने कहा “एक कप चाय भी मिल जाए तो मजा आ जाए। मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है।”

    “ठीक है मैं बना देती हूं। आज नानी यहां आने वाली है। बेटा उन्हें जाकर स्टेशन से ले आना।” निशा बोली।

    उनकी बात चाहत ने छोटा सा मुंह बनाया और कहा, “उन्हें कितनी बार कहा वो यही पर रह ले। मामी उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करती।”

    चाहत की बात सुनकर निशा का चेहरा उतर गया। वो मायूसी से बोली, “मैं भी यही चाहती हूं। पर उनकी भी तबीयत सही नही रहती और ना ही मेरी। बेटा तुम पहले बहुत प्रेशर ले रही हो। मैं नहीं चाहती इतनी कम उम्र में तुम पढ़ने के बजाय काम के लिए इधर उधर घूमो।”

    “कोई बात नही मम्मा... मैं आप दोनो का अच्छे से ध्यान रख सकती हूं।” बोलते हुए चाहत ने निशा को गले लगा लिया।

    इस दुनिया में उन दोनो का एक दूसरे के अलावा और कोई नही था। चाहत के पिता ने उसकी मां को बहुत पहले छोड़ दिया था। निशा के मायके में उसके भाई भाभी का बर्ताव अच्छा नही होने की वजह से वो अकेले ही रहती थी। उनकी मां पार्वती जी कभी कभार उनसे मिलने आ जाया करती थी।

    फिर निशा जी ने चाहत के मूड को सही करने के लिए कहा, “कल हम शॉपिंग करने जायेगे। घर का राशन खत्म हो गया हैं। तुझे कुछ चाहिए तो बता देना।”

    “मुझे कुछ चाहिए होगा तो मैं आपको बताऊंगी नहीं बल्कि कल आपके साथ ही चलूंगी। मैं कल फ्री हूं मम्मा।” चाहत ने बताया।

    “तुम क्यों फ्री रहोगी तुम्हें कल कम पर नहीं जाना क्या?” चाहत की मां ने उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए पूछा।

    “नहीं मॉम।” चाहत ने लाचारी से कहा, “मैंने फिर से गड़बड़ कर दी और मुझे फिर से निकाल दिया। अब श्रद्धा को कहा है तो वो मेरे लिए कोई नया काम ढूंढेंगी।”

    “कोई बात नहीं, तुम्हें नया काम मिल जाएगा। ज्यादा टेंशन मत लेना। तुम हर वक्त हमारी टेंशन में रहती हो इस वजह से तुमसे काम में गड़बड़ हो जाती है। कोशिश किया करो कि फोकस रहकर काम करो।” निशा जी ने समझाया। वो चाहत की परेशानी अच्छे से समझ सकती थी। काफी कम उम्र में उस पर निशा जी की जिम्मेदारी आ गई थी।

    “मैं ढंग से कम करने की कोशिश करती हूं मगर फिर भी गलतियां हो जाती है। अब क्या करूं आप ही बताओ। आधी गलतियां तो मैं इसलिए कर जाती हूं क्योंकि मैं ज्यादा ध्यान रखने की कोशिश करती हूं। ना रखुं तब तो गलतियां होनी ही है। पता नहीं मुझे कहां से ये आदत लग गई।” चाहत ने कहकर दोबारा अपने बालों में उंगलियां फेरना शुरू कर दी।

    निशा जी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी। चाहत से बात करते वक्त उन्हें अपनी आंखों के सामने अंधेरा महसूस हुआ लेकिन वो चाहत को कुछ जताना नहीं चाहती थी। वो चक्कर खाकर गिरती उससे पहले उन्होंने चाहत को गले लगा लिया और प्यार से सहलाने लगी। उनकी आंखें बंद थी फिर आंखों से आंसू का कतरा बह गया।

    ____

    आहान संडे होने की वजह से घर पर ही था। वो अपने किचन में था और अपने लिए खाने के लिए कुछ बना रहा था। उसके पास म्यूजिक चल रहा था जिसके साथ मूव होते हुए वो अपने लिए खाने के लिए कुछ बना रहा था।

    “ओह... जब दिमाग में गुस्सा नहीं होता तो कितना सुकून मिलता है। ये सुकून बस ऐसे ही बना रहे।” उसने फ्राइंग पैन पकड़ा और जो भी बना रहा था उसे उछलते हुए इसे एंजॉय करने लगा। नाश्ता बनाने के बाद वो डाइनिंग टेबल पर आकर उसे खाने लगा।

    खाते-खाते उसने मिस्टर राणावत को कॉल लगाया। “गुड मॉर्निंग मिस्टर राणावत।” जैसे ही मिस्टर राणावत ने फोन उठाया आहान‌ बोला।

    मिस्टर राणावत आधी अधूरी नींद में थे। उन्होंने फोन पर नाम नहीं देखा था तो वो बोले “कौन?”

    “कमाल है इतनी जल्दी मुझे भूल गए। मैं हूं आहान ओबेरॉय।” आहान‌ ने कहा।

    जैसे ही मिस्टर राणावत ने ये सुना वो उठकर बैठ गए। “अरे सर आप.... अ .. आपने मुझे सुबह-सुबह कैसे याद किया।” मिस्टर राणावत का पूरा चेहरा पसीने से भर गया था।

    “बस ये बताने के लिए वो लड़की जो भी थी वो मुझे अपने ऑफिस में चाहिए। कल मैंने आपको कुछ नहीं कहा लेकिन अब मैं साफ साफ शब्दों में कह रहा हूं। अगर वो लड़की कल सुबह तक मेरे ऑफिस में काम करने नहीं आई तो आप खुद अपने हाथों से लिख कर अपना रिजाइन मुझे दे जाना। वरना मैं निकलूंगा तो अच्छा नहीं लगेगा।” आहान ने कहा। मूड सही होने की वजह से वो काफी नॉर्मली बात कर रहा था।

    “प प पर...सर... वो कहीं और काम करने लगी है। मैंने की थी कल उससे बात।” मिस्टर राणावत बोलें।

    “तो जहां काम करती है उसे वहां से निकालो और निकाल कर यहां लेकर आओ।” आहान ने कहा। “दे दो जितना सैलरी का आॅफर देना चाहते हैं आप।”

    “मगर उसकी स्टडी भी कंप्लीट नहीं है। आप अपनी कंपनी में पोस्ट ग्रैजुएट लोगों को रखते हो जबकि उसकी तो ग्रेजुएशन ही पूरी नहीं हुई।” मिस्टर राणावत ने बहाना बनाया।

    “समझिए अब से कंपनी के रूल बदल गए हैं।” आहान ने कहा “अब कंपनी में कोई भी आकर काम कर सकता है।”

    “पर सर... म...म...” मिस्टर राणावत को बोलने के लिए शब्द नहीं मिल रहे थे।

    “तुम जानते हो मुझे ना सुनने की आदत नहीं है। ना ही मैं किसी से इतनी बात करता हूं। इसलिए मैं फोन रख रहा हूं। कल सुबह जब मैं अपनी कंपनी में पहुंचूं तो वो भी मुझे वहां मिलनी चाहिए। अगर वो‌ नहीं हुई तो आप सोच लीजिएगा आपका आगे क्या होने वाला है।” आहान ने कहकर कॉल कट कर दिया।

    जैसे ही उसने कॉल रखा मिस्टर राणावत ने अपने चेहरे पर टेंशन दिखाते हुए कहा “यार अजीब मुसीबत सर पर आकर बैठ गई है। उसे लड़की में आखिर ऐसा है क्या जो ये पागलों की तरह उसके पीछे पड़ गए। जरूर ये उस लड़की को कोई बड़ी सजा देना चाहते हैं क्योंकि इनके लिए सूट खराब करना भी कोई ऐसी वैसी बात नहीं होगी। इसलिए वो उस लड़की के पीछे पागलों की तरह पड़े हैं।” वो ये बोलकर वापस सो गए।

    ___

    चाहत अपना काम निपटाकर पास ही के रेस्टोरेंट में पहुंची।‌ ये उनके मालिक मालिक का रेस्टोरेंट था। जब भी चाहत के पास काम नही होता, वो वहां आ जाती। वो जगह ज्यादा बड़ी नही थी तो ग्राहक के तौर पर आसपास के मोहल्ले के लोग और आसपास काम करने वाले लोग यहां पर आते थे।

    “कैसे हो आप सब लोग?” चाहत ने रेस्टोरेंट में मौजूद नाश्ता करने वाले लोगों की तरफ देखते हुए कहा। सब 40 साल की उम्र से ऊपर के लोग थे और वो पास के ही कारखाने में काम करते थे। उनका सुबह-सुबह का नाश्ता यही होता था। सबने ठीक है कहा।

    चाहत मुस्कुराते हुए किचन एरिया में गया। वहां रेस्टोरेंट ओनर खाना बना रहे थे।

    “गुड मॉर्निंग डेड गुड मॉर्निंग चाचू। आज के लिए आपकी असिस्टेंट हाजिर है।” चाहत ने कहा और उनके लिए सब्जियां कट करने लगी।

    रेस्टोरेंट ओनर जिनका नाम, रवि था, उन्होंने कहा, “मैं ठीक हूं, पर कल रात तुम कहां थी? निशा जी तुम्हारे लिए परेशान हो रही थी।”

    “मत ही पूछिए चाचू। ‌कल का दिन बहुत बड़ा रहा मेरे लिए। ‌ नए काम पर पहला दिन था तो पहले दिन ही मुझे ओवरटाइम करना पड़ा। रात को जाकर 11:00 बजे फ्री हुए तो काफी देर हो गई थी इसलिए मैं श्रद्धा के घर पर चली गई थी।” चाहत ने बताया।

    “अगर तुम ये बात बता देती तो क्या होता।” रवि जी ने कहा, “तुम्हें तो पता है निशा जी को तुम्हारी कितनी फिक्र रहती है।”

    “मैं अब से ऐसा नहीं करूंगी करूंगी चाचु।” चाहत ने मुस्कुरा कर कहा और अपना काम करने लगी।

    चाहत ने अपना काम खत्म किया और फिर तैयार होकर घूमने निकल गई।

    वही दूसरी तरफ श्रद्धा अपने घर पर ही थी और इस वक्त एक मूवी देख रही थी। तभी उसके घर की डोरबेल किसी ने बजाई।

    “इस वक्त कौन हो सकता है?” श्रद्धा ने सोचा और खड़ी होकर दरवाजे पर जाकर दरवाजा खोला। दरवाजे के ठीक दूसरी ओर उसके अंकल मिस्टर राणावत थे। हैरान परेशान और उतरे हुए चेहरे के साथ।

    श्रद्धा के दरवाजा खोलते ही अपने हाथ जोड़े और बोले, “प्लीज मेरी हेल्प करो। तुम्हे जरूरत थी तब मैने भी की थी। मैने तुमसे झूठ बोला था कि वो इवेंट मैनेजमेंट कंपनी मेरी है। एक्चुअली आहान ओबेरॉय ने किसी छोटी कंपनी को टेकओवर किया था। मैं उनके यहां काम करता था। मैने उस कंपनी के रूप में उनसे एक चांस मांगा था और उन्होंने दिया। मेरी मदद करो वरना मेरी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। तुम ही मेरी इकलौती उम्मीद हो अब।” मिस्टर राणावत ने श्रद्धा को सब बता दिया।

    श्रद्धा ने अपनी आंखों को तिरछा किया और बोली, “मुझे पता है आप यहां क्यों आए हैं पर चाहत अब काम नहीं कर सकती।”

    श्रद्धा के साफ मना करने पर मिस्टर राणावत वही गिर गए। पहले वो परेशान थे तो वही उनके चेहरे पर डर के भाव थे। आहान ओबेरॉय का डर।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 6. My doll - Chapter 6

    Words: 1406

    Estimated Reading Time: 9 min

    मिस्टर राणावत अंदर आए। श्रद्धा किचन की तरफ जा रही थी तो वो उसके सामने आकर खड़े हो गए और दोबारा अपने हाथ जोड़ते हुए बचारों वाला चेहरा बनाकर बोले

    “प्लीज ऐसा मत करो। उस दिन तुमने अपनी फ्रेंड को नौकरी देने के लिए कॉल किया तो मैंने बिना सोचे समझे हां कर दी। वो लड़की तो ठीक से पढ़ी-लिखी तक नहीं है। आज मुझे जरूरत पड़ी है तो तुम मना कर रही हो! तुम इस तरह पीछे नहीं हट सकती! श्रद्धा अगर मेरे हाथ से वो कंपनी चली गई तो जो भी चली जाएगी। इस वजह से मेरी पूरी फैमिली मुसीबत में आ सकती है।” मिस्टर राणावत श्रद्धा को समझाने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

    श्रद्धा ने कुछ पल सोच और फिर जवाब में कहा,   “अरे तो आप अपने ऊपर लटकी तलवार को खुद संभालिए ना। वैसे भी आपको नहीं पता चाहत अब कितना डर गई है।” श्रद्धा ने एक्टिंग करते हुए कहा। वो उदास चेहरे के साथ उनके हाथों से नीचे किचन में गई और वहां जाकर बोली, “कल आपके बॉस ने उसे इतना डरा दिया है कि उसके दिमाग में जॉब का ट्रॉमा बैठ गया है। बड़ी मुश्किल से उसने कल अपने लिए नौकरी ढूंढी। वहां भी वो बुरी तरह से कर रही थी और बिना कोई गलती किए यही कह रही थी मैंने कुछ नहीं किया, मैंने कुछ नहीं किया। सब गलती से हुआ।” ये कहकर श्रद्धा ने चिल्लाते हुए मिस्टर राणावत से कहा “ऐसे में क्या आपको लगता है वो आपके खतरनाक बॉस के पास आकर काम करेगी।”

    “आ... मैं तुम्हारी प्रॉब्लम समझ सकता हूं।” मिस्टर राणावत बोले “उनका नेचर है तो खतरनाक ही। उनकी तरफ से अच्छी सैलरी का ऑफर दिया गया है तो तुम एक बार चाहत से बात तो करके देखो।”

    “कितनी दे रहे हैं?” श्रद्धा ने तिरछा मुंह करते हुए पूछा।

    “50000 तक तो दे देंगे।” मिस्टर राणावत ने अंदाजा लगाते हुए कहा। “कंपनी के रूल हार्ड है तो वो किसी को भी बिना पोस्ट ग्रेजुएशन के काम पर नहीं रखते मगर चाहत को ये मौका मिल रहा है तो उसे ये मौका खोना नहीं चाहिए। ये मौका कभी किसी को उसकी लाइफ में नहीं मिलता। चाहत के लिए खुद किस्मत चलकर उसके रास्ते पर आई है। उस लड़की को देखकर साफ पता चलता है कि उसे पैसों की कितनी जरूरत है। ऐसे में उसके लिए एक अच्छा अवसर है, तुम एक बार फिर बात करके देखो। शायद बात बन जाए।”‌ जब श्रद्धा उनके गिड़गिड़ाने पर नहीं मानी तो मिस्टर राणावत ने उसे पैसों का लालच दिखाया।

    श्रद्धा अच्छे से जानती थी कि इस वक्त चाहत को पैसे के सख्त जरूरत है। फिर भी चाहत से बात किए बिना वो मिस्टर राणावत को हां नहीं कह सकती थी।

    श्रद्धा ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, “मैं उससे बात करके देखती हूं लेकिन मुझे नहीं लगता उसे रात जो भी हुआ था उसके बाद वो हां कहेगी। चाहत ने अपने लिए नई नौकरी ढूंढ ली है उम्मीद है आपको भी जल्द ही नई नौकरी मिल जाए।” श्रद्धा ने इस तरह अपनी बात खत्म की और किचन में चली गई।

    मिस्टर राणावत समझ गए थे कि अब श्रद्धा से बात करके कोई फायदा नहीं है। उन्होंने धीरे से कहा, “तब तो लगता है मुझे अब घर चले जाना चाहिए। घर जाकर अपने लैपटॉप पर रिजाइनिंग लेटर लिखना चाहिए।” उन्होंने दुखी वाला चेहरा बनाया और इसी चेहरे के साथ चले गए।

    जैसे ही वो गए श्रद्धा ने फौरन जाकर दरवाजा बंद किया और चाहत को फोन लगा लिया। चाहत ने फोन उठाया तो श्रद्धा उसके फोन उठाते ही बोली, “यार आहान ओबेरॉय तो तेरे पीछे तो पूरी तरह से पागल हो गया। वो तुम्हें अपने यहां नौकरी पर रखना चाहता है और सैलरी भी अच्छी ऑफर कर रहा है। मुझे लगता है उसका तुम्हारे ऊपर दिल आ गया है।‌ तुम तो दिखने में भी खूबसूरत हो। ऐसे अमीर लोग खूबसूरत लड़कियों को जानबूझकर नौकरी पर रखते हैं ताकि उन्हें ज्यादा पैसे देकर अपनी रातें रंगीन कर सके।”

    “म म म.... मैं नहीं जाने वाली उसके पास।” चाहत ने अपने हाथ को अपने सीने पर रखते हुए कहा, “मुझे किसी की रातें रंगीन नहीं करनी है।”

    “हां.।” श्रद्धा उसकी बात पर हामी भरते हुए बोली, “मैंने उन्हें बोल दिया है तुम्हें नई नौकरी मिल गई है।”

    “हां हां ठीक है।” चाहत ने कहा और उसने इधर-उधर देखते हुए मायूसी से कहा, अच्छा तुमने नई नौकरी के लिए क्या सोचा है। कहीं पर है कोई काम? मुझे सच में पैसों की जरूरत है। अगर वो आदमी उस रात मुझे किस नहीं करता तो मैं सच में आज उसके पास चली जाती।”

    “मेरे होते हुए ऐसा कभी नही होगा। तू टेंशन मत ले। मैने अभी तक तो नहीं देखा लेकिन अब देखने जा रही हूं। शाम तक देती हूं तुम्हें कोई अपडेट।” श्रद्धा ने उसे जवाब दिया।

    “ठीक है देख कर मुझे बताना।” चाहत ने कहा‌ और कॉल कट कर दिया।

    चाहत श्रद्धा से बात करके हटी ही थी कि उसकी नानी पार्वती जी वहां पहुंच चुकी थी। निशा ही उन्हें लेकर आई थी। चाहत दौड़कर उनके पास गई और उनके गले लग गई।

    “नानी मैंने आपको बहुत मिस किया।” बोलते हुए चाहत उनसे अलग हो गई। फिर चाहत ने नोटिस किया कि हर बार उसकी नानी एक बैग के साथ आई थी लेकिन इस बार उनके साथ चार लगेज मौजूद थे। फिर उसने निशा की तरफ देखा जिसका चेहरा भी उतरा हुआ था।

    निशा जी जानती थी कि चाहत क्या पूछने वाली है। उसके पूछने से पहले ही निशा ने मायूसी से कहा, “भैया ने मां को घर से निकाल दिया है। अब से मां हमारे पास ही रहेगी।” बोलते हुए उनका चेहरा उदास हो गया। वो जानती थी चाहत पहले ही उनके चक्कर में काफी प्रेशर ले रही है। ऊपर से उनकी मां का आना मतलब एक और इंसान का खर्च बढ़ना था। उनकी मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी।

    पार्वती जी को बुरा ना लगे या उनके लिए सिचुएशन ऑकवर्ड ना हो इसलिए चाहत हंसते हुए बोली, “नो प्रॉब्लम मम्मा। अभी-अभी श्रद्धा से बात करके हटी हूं। उसने एक नई जॉब बताई है, जो फुल टाइम है और सैलरी भी अच्छी खासी है।” फिर चाहत ने अपनी नानी की तरफ देखा और उनके दोनों गाल पकड़ कर कहा, “नानी आप मेरे लिए बहुत लकी हो। आपके कदम इस घर में पड़े और देखिए मुझे कितनी अच्छी नौकरी मिल गई।”

    उसकी बात सुनकर पार्वती जी मुस्कुरा दी और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। वो दोनों आपस में बातें करने में लगी थी तभी अचानक निशा को फिर से चक्कर आया और इस बार वो नीचे गिर गई।

    उन्हें देखकर चाहत और पार्वती जी दोनों ही घबरा गए और जल्द ही उन्हें पास के हॉस्पिटल लेकर पहुंचे।

    ____

    शाम के तकरीबन 4:00 बज रहे थे जब आहान ने दोबारा मिस्टर राणावत को कॉल किया। “क्या खबर है?”

    मिस्टर राणावत अपने घर में अपने कमरे में अपने लैपटॉप के ठीक सामने बैठे थे और आधा रिजाइन लेटर लिख चुके थे। “मैं अपनी सारी कोशिशें कर चुका हूं पर वो लड़की अब काम पर नहीं आने वाली।”‌

    “ओह सही है। मुझे लगा था आप ये कर लेंगे पर आपसे नहीं हुआ। चलिए उस लड़की का तो पता नहीं पर मैं आपकी जगह किसी और को ढूंढता हूं।” आहान ने कहकर अपने चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई।

    “इसमें मेरी कोई गलती नहीं। मुझे नहीं पता आपने उस लड़की को क्या कहा मगर उसकी वजह से वो बहुत डर गई है।” मिस्टर राणावत ने अपने चेहरे को टेबल पर पटकते हुए कहा।

    आहान एक डेस्क पर हाथ रख कर खड़ा था। मिस्टर राणावत की बात सुनकर उसका चेहरा सर्द होने लगा। “आप अपनी नाकामयाबी का दोष मुझ पर गढ़ रहे हैं मिस्टर राणावत। ये आप ठीक नहीं कर रहे। मैंने उस लड़की को कुछ नहीं कहा और काफी नॉर्मली बात की। लगता है आपको कहीं और जॉब करने की भी इच्छा नहीं हो रही तभी मेरे सामने ये उल्टी सीधी बातें कर रहे हैं।” आहान ने हल्के गुस्से में कहा जिससे मिस्टर राणावत के चेहरे पर पसीने की बूंदे थी।

    “पर उसकी फ्रेंड मुझसे यही बोली कि वो बहुत डरी हुई है और अब नौकरी पर नहीं आना चाहती।” मिस्टर राणावत ने घबराते हुए कहा।

    आहान खामोश हो गया और कुछ देर खामोश रहने के बाद उसने अपने मन में सोचा “क्या वो मेरी किस से डर गई? पर वो...वो तो एक नॉर्मल किस थी।” कुछ पल सोचने के बाद उसने मिस्टर राणावत से कहा “मुझे उस लड़की का एड्रेस दो। मैं अब खुद ही उससे मिल कर बात करूंगा।

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  • 7. My doll - Chapter 7

    Words: 1314

    Estimated Reading Time: 8 min

    चाहत अपनी मां निशा जी को लेकर हॉस्पिटल पहुंची। उसके साथ उसकी नानी पार्वती जी भी थी। वो एक गवर्नमेंट हॉस्पिटल में थे। निशा जी के टेस्ट हो रहे थे जबकि चाहत बाहर वेटिंग एरिया में परेशानी में इधर उधर टहल रही थी।

    कुछ देर बाद डॉक्टर ने चाहत को अपने केबिन में बुलाया। डॉक्टर ने रिपोर्ट्स देखते हुए कहा, “वीकनेस की वजह से चक्कर आ गया उन्हें। उन्हें बोलो स्ट्रेस ना ले और अपने खाने पीने पर थोड़ा ध्यान दे।”

    निशा जी को कोई सीरियस बीमारी नहीं थी, ये जानने के बाद चाहत ने राहत की सांस ली। उसने हल्का मुस्कुरा कर कहा, “थैंक यू सो मच डॉक्टर। मैं उनका पूरा ध्यान रखूंगी।”

    “बाहर से मेडिसिन ले लेना। उन्हें घर ले जा सकती हो तुम।” डॉक्टर ने एक पर्ची चाहत को पकड़ाते हुए कहा।

    चाहत ने उन्हें थैंक्स कहा और निशा जी को लेकर घर आ गई। पार्वती जी निशा के लिए खाना बना रही थी। चाहत उनके साथ अकेली थी। उसने निशा जी का हाथ पकड़कर कहा, “मम्मा मैं सब कर लूंगी। फिर आप क्यों टेंशन ले रही हो।”

    “तो क्या करूं, तुझे दिन रात पैसे के लिए परेशान देखती हूं तो अपनी नाकामयाबी पर घुटन होती है। मेरा यकीन मानो चाहत, मैने पूरी कोशिश की थी कि तेरे पापा की हर मार, गाली को बर्दास्त कर लूं। बात जब तुझ पर आई, तो मैं खुद को रोक नहीं पाई।” बोलते हुए चाहत की मां निशा रो पड़ी।

    चाहत ने उन्हें गले से लगाया और कहा, “आई एम प्राउड ऑफ यू मम्मा। मैं भी आपकी तरह ब्रेव बनूंगी ताकि कोई मुझे कभी गलती से भी किसी के जुल्म ना सहने पड़े।”

    चाहत की बात सुनकर निशा जी मुस्कुराई और उनका मूड काफी हद तक ठीक हो गया।

    ______________

    रात के लगभग 8 बज रहे थे जब चाहत के घर के आगे एक बड़ी सी ब्लैक लग्जरियस गाड़ी आकर रुकी। वो आहान की गाड़ी थी। आहान गाड़ी से बाहर निकाला और इधर-उधर देखने लगा।

    “एड्रेस तो यही का दिया था पर उसका घर कौन सा हो सकता है? ऐसे डायरेक्ट किसी के घर पर जाना सही रहेगा क्या?” आहान कंफ्यूज होकर वहां खड़ा खुद से बातें कर रहा था तभी एक बच्चा उसके पास आया।

    वो गाड़ी की तरफ देखकर बड़ी आंखें करके बोला, “ये गाड़ी तो बहुत सुंदर है। आपकी है क्या सर?”

    “मुझे... मुझे चाहत शर्मा से मिलना है।” आहान के मुंह से निकला।

    “अच्छा तो आप उस गड़बड़ की दुकान से मिलने आए हो। वो दीदी किसी काम की नहीं है। जब देखो गलतियां करती रहती है।” बच्चों ने सिर हिला कर कहा। फिर वो हंसते हुए एक घर की तरफ इशारा करके बोला, “चाहत दीदी रवि अंकल के घर के फर्स्ट फ्लोर पर किराए पर रहती है। आप वहां जाओगे तो वो आपको मिल जाएगी।”

    आहान ने उसे थैंक्स कहा और उस बच्चे के बताए घर की तरफ जाने लगा। चाहत घर का कुछ सामान लाने के लिए घर से निकली ही थी कि आहान उसे खींच कर पास की गली में ले गया।

    वहां स्ट्रीट लाइट के अलावा और कोई रोशनी नहीं थी। गली भी बंद थी, तो आसपास ज्यादा लोग नही थे। अचानक किसी के इस तरह खींचने पर चाहत घबरा गई।

    फिर उसने अपने सामने देखा तो वो आहान था, जिसने उसे दीवार से लगा रखा था।

    आहान को अपने सामने देखकर चाहत गुस्सा हो गई और उसे धकेल कर दूसरी तरफ जाने को हुई लेकिन आहान ने उसे कस कर पकड़ लिया।

    चाहत उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचे उससे पहले आहान बोल पड़ा, “लिसन, मेरे बारे में गलत मत समझना। मैं बस...” आहान बोल रहा था तभी चाहत ने उसकी बात बीच में काटकर कहा, “आप इस तरह मुझे खींचकर लेकर आए है और मुझे बोल रहे है कि गलत मत समझना। कौनसा शरीफ इंसान ऐसी हरकत करता है?”

    चाहत की बात सुनकर आहान ने तुरंत उसे छोड़ दिया। अगर चाहत की जगह कोई और इंसान ये बात कहता तो आहान गुस्से में उसका मुंह तोड़ देता।

    आहान कुछ पल रुककर बोला, “मिस्टर राणावत से पता चला, तुम्हे काम की सख्त जरूरत है और उन्होंने तुम्हे जॉब से निकाल दिया। बस मैं उसी सिलसिले में तुमसे बात करना चाहता था। तुम मेरे यहां काम कर सकती हो।”

    “नो थैंक्स... मैने दूसरी जॉब ढूंढ ली है।” चाहत ने झट से जवाब दिया।

    आहान चाहत के सामने रिक्वेस्ट करके खुद को छोटा नही करना चाहता था। उसने लापरवाही से कहा, “ओके।”

    इतना कहकर आहान वहां से जाने लगा। वही चाहत हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी। उसने धीरे से कहा, “क्या? इतनी जल्दी चला गया? मुझे लगा ये हाथ पैर जोड़ेगा। लेकिन इसने ऐसा कुछ नही किया। क्या यार? इतना अच्छा हाथ आया मौका जाने दिया। पता नही इसकी सच्चाई क्या है? उस दिन मुझ पर गुस्सा करके किस करने वाला या आज मेरी हेल्प करने के लिए यहां तक आने वाला।”

    चाहत कुछ देर वही खड़ी सोचती रही। जब उसे निशा जी की आवाज सुनाई दी, तो चाहत जल्दी से वहां से निकली।

    चाहत को जिस काम के लिए भेजा गया था वो उसने पूरा नहीं किया था। आहान के आने की वजह से वो उसमें उलझ गई थी।

    चाहत को खाली हाथ देखकर उसकी नानी पार्वती ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा जी तुम्हें जिस काम के लिए भेजा था, उसे करने में सिर्फ 10 मिनट लगने थे। पूरे 20 मिनट बाद आई हो, वो भी खाली हाथ। अब तुम बताओ बिना दूध के मैं तुम्हारी मां को दवाइयां कैसे दूंगी।”

    “सॉरी नानी, मुझे याद नहीं रहा। मैं वापस चली जाती हूं।” चाहत ने खोए हुए स्वर में कहा और वापस दूध लाने के लिए चली गई।

    ______________

    वही दूसरी तरफ आहान का छोटा आयुष भाई इंडिया आ चुका था। उसकी मॉम शिवानी ने जिद करके आहान को एयरपोर्ट भेजा ताकि दोनो भाइयों के बीच उसके पापा ना आ सके। वैसे भी आयुष पूरे पांच साल बाद वापिस आ रहा था।

    आहान इरिटेट फेस के साथ आयुष का वेटिंग एरिया में इंतजार कर रहा था। सिक्योरिटी चेक कराने के बाद आयुष बाहर निकाला। वो उम्र में लगभग 23 साल का था, आहान से चार साल छोटा। हाइट लगभग 5 फीट 10 इंच, गेरुआ रंग और हल्के लंबे माथे पर बिखरे बालों के साथ वो किसी रॉकस्टार की तरह लग रहा था।

    बाहर आते ही आयुष ने जब आहान को वेटिंग एरिया में देखा तो वो दौड़कर उसके गले लग गया। आहान एक्साइटेड होकर बोला, “वैसे तो मैं हर मामले में लकी रहा हूं लेकिन इतना खुशकिस्मत तो कभी नहीं रहा कि आप मुझे एयरपोर्ट पर लेने के लिए आए बिग ब्रदर।”

    आहान ने आईज रोल करके कहा, “5 साल बाद वापस आ रहे हो मुझे लगा एजुकेशन कंप्लीट होने के बाद थोड़े बहुत समझदार हो जाओगे पर आज भी नौटंकी करने की तुम्हारी आदत गई नहीं ना।” बोलते हुए आहान ने आयुष से दूर होने की कोशिश की लेकिन उसने उसे कसकर पकड़ रखा था।

    जहां आहान का स्वभाव गुस्से वाला और सीरियस टाइप का था, वही आयुष फन लविंग और शांत स्वभाव का था। अपने भाई को वो अच्छे से जानता था फिर भी उसकी सारी कमियों के बावजूद वो उसे समझाने की पूरी कोशिश करता और उसे बहुत प्यार भी करता था।

    आयुष आहान से दूर हुआ और उसके कंधे पर अपनी कोहनी टिकाकर पूछा, “मेरी अब्सेंस में काफी कुछ हो गया होगा ना? डैड ने मुझे आप लोगों के कम्निकेशन में रहने से मना किया था ताकि मैं अच्छे से अपनी स्टडी पर फोकस कर सकूं। बाकी सब तो ठीक है, मैने जो मिस किया वो धीरे-धीरे पता चल ही जाएगा पर ये बताइए कि आपने मेरी भाभी ढूंढी भी या नहीं?”

    आयुष की बात सुनकर आहान के चेहरे के भाव सर्द हो गए। उसकी आंखों के सामने कुछ दृश्य घूम रहे थे जिसमें वो शादी की ड्रेस में था और किसी लड़की के आने का इंतजार कर रहा था। अचानक ही गुस्से में आहान की मुठ्ठियां बंध गई और वो मन ही मन बैक काउंटिंग करने लगा।

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  • 8. My doll - Chapter 8

    Words: 1298

    Estimated Reading Time: 8 min

    आहान ओबेरॉय अपने छोटे भाई आयुष ओबेरॉय को पिक करने एयरपोर्ट आया हुआ था। वहां से निकलते हुए जब आयुष ने आहान से उसकी भाई यानी अपने लिए कोई लाइफ पार्टनर ढूंढने की बात पूछी तो आहान के ज़ेहन में कुछ पुरानी कड़वी यादें ताजा हो गई हो।

    आहान को फिर से गुस्सा आने लगा और उसे काबू करने के लिए वो अपने साइक्राटिस्ट के कहे मुताबिक अपने मन में बैक काउंटिंग करने लगा।

    आयुष ने नोटिस किया आहान उधर उधर देख रहा था और मुट्ठियां बंद खुल रही थी। आयुष समझ गया था कि आहान को गुस्सा गुस्सा आ रहा है।

    आयुष ने उसे शांत करने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, “चिल ब्रो। इसमें इतना परेशान होने जैसा कुछ नहीं है। मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया। एवरीबडी नोज एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन बनने के लिए अपना सारा डेडीकेशन काम को देना होता है। अब ऐसे ही तो कोई दी आहान ओबेरॉय नही बन जाता।” आयुष ने बहुत आसानी से बात को टाल दिया।

    आहान ने उसकी बात पर हामी भरी। वो जल्द से जल्द उस जगह से निकल जाना चाहता था। उसने आयुष से कहा, “लेट्स गो। तुम्हारे दी आहान ओबेरॉय के पास इतना टाइम नही है, जो वो एयरपोर्ट पर खड़ा होकर बातों में वेस्ट करें। आई हैव टू रश।”

    “हां क्यों नहीं... अब दी आहान ओबेरॉय मुझे लेने आया है, यही बड़ी बात है। उनका हर एक मिनट कीमती होता है। चलिए सीधे घर चलते हैं। पूरे 5 साल बाद अपनी फैमिली के साथ बैठकर आराम से टाइम स्पेंड करूंगा।” आयुष ने खुश होकर कहा।

    आहान ने उसकी बात पर हामी भरी और दोनों बाहर की तरफ आने लगे। एयरपोर्ट के बाहर मीडिया स्टार्स और किसी बड़ी हस्ती को कैप्चर करने के लिए मौजूद रहती थी। आहान ओबेरॉय मुंबई का सबसे बड़ा बिजनेसमैन था और वो भी किसी सेलिब्रिटी से काम नहीं था। सक्सेसफुल होने के साथ साथ वो बहुत हैंडसम भी था, जिसके बारे में लडकियां स्टार्स से ज्यादा जानने में उत्सुक रहती थी। आहान को वहां देखकर मीडिया वाले दौड़कर उनके पास आने लगे। आहान ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया और सीधा अपने गाड़ी की तरह बढ़ने लगा तो वहीं आयुष वहां खड़े होकर किसी को रॉकस्टार की तरह पोज दे रहा था।

    उसकी इस हरकत पर आहान और भी इरिटेट हो गया। उसने गुस्से में एक नजर आयु की तरफ देखा और उसका हाथ पकड़कर बिना कुछ कहे उसे गाड़ी की तरफ खींच लिया।

    “क्या था वह?” आहान ने आयुष को तिरछी निगाहों से देखते हुए पूछा।

    आयुष अपने बालों में हाथ घुमाते हुए मुस्कुरा कर बोला, “कुछ भी तो नहीं? अब मुझे पूरी तरह यकीन हो गया कि मेरे भाई का मैंने जो नाम सुना था, वो सच है। वो एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन के साथ एक स्टार भी बन चुका है। क्या भाई इतनी अच्छी लाइफ है उसके बावजूद आप इतने सड़े हुए रहते हो? आपकी जगह मैं होता तो अच्छे खासे पोज देकर मीडिया के सवालों का जवाब भी देता।”

    आहान ने आयुष की बात का जवाब देने के बजाय मन ही मन बड़बड़ा कर कहा, “ये मीडिया वाले जितनी जल्दी किसी को अर्श पर पहुंचाते है, फर्श पर लाने में भी देर नहीं करते। मेरी जो मेंटल कंडीशन है, ऐसे भी मुझे मीडिया और लाइमलाइट से दूर रहना ही सही रहेगा। अगर इन्होंने फिर से कोई वाहियात सवाल पूछ लिया तो गुस्से में उसी वक्त इनकी जान ले लूंगा। फिर दूसरे दिन इन्हीं के चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ बनेगी कि आहान ओबेरॉय ने एक रिपोर्टर का कैमरा तोड़कर उसे जान से मार डाला।” आहान लाइमलाइट से दूर रहता था। यही वजह से लोगो की क्यूरियसिटी उसे लेकर ज्यादा थी। उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स भी उसकी पीआर टीम हेंडल करती थी।

    वही मीडिया के बारे में सोचते हुए आहान पुरानी यादों में खो गया, जो लगभग छह महीने पुरानी थी।

    आहान किसी बड़ी बिजनेस पार्टी में गया था, जहां मीडिया भी मौजूद थी। आते ही हमेशा की तरह मीडिया वालों ने उसे घेर लिया और एक रिपोर्टर ने माइक उसके सामने करके पूछा, “सर मैंने सुना था आप शादी करने वाले थे और शादी के दिन ही... ।”

    रिपोर्टर की बात पूरी भी नहीं हुई थी की आहान ने गुस्से में उसकी तरफ देखा और उसका गला पकड़ लिया। वो उसका गला दबाते हुए बोला, “बी इन योर लिमिट्स।”

    आहान आगे कुछ कहता या करता उससे पहले उसके मैनेजर ने उसे रोक लिया। लकिली वहां ज्यादा मीडिया पर्सन्स मौजूद नहीं थे और उसे पैसे देकर मैनेजर ने उनका मुंह बंद करवाया था और उनके कैमरा जब्त करके उन्हें एडवांस्ड कैमरा इक्विपमेंट दिलवाए गए।

    फिर भी उस रिपोर्टर की वजह से आहान की जो इंसल्ट हुई थी उसके बाद वो उसे इतनी आसानी से जाने नहीं दे सकता था।

    पार्टी खत्म होने के बाद आधी रात को वो रिपोर्टर अपने घर को जा रहा था कि तभी तेज स्पीड से चलती आ रही एक गाड़ी ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी और फिर उसके नीचे गिरने बाद उसे बेरहमी से कुचल दिया। इसे एक एक्सीडेंट का नाम दिया गया लेकिन उस गाड़ी को आहान ड्राइव कर रहा था।

    आहान उस बारे में ज्यादा कुछ याद नहीं करना चाहता था इसलिए उसने जल्दी से आंखें खोली। कुछ ही देर में वो दोनों ओबेरॉय हाउस के आगे थे।

    ये उसके पापा मिस्टर विजय ओबेरॉय की पुश्तैनी हवेली थी, जिसे मॉडर्न लुक दिया गया था। आज भी मुंबई में ओबेरॉय हाउस को ओबेरॉय पैलेस के नाम से जाना जाता था और वो देखने में बहुत रॉयल थी। आगे एक बड़ा सा रनवे बनाकर आगे ग्राउंड बनाया हुआ था ताकि आराम से वहां कोई प्राइवेट जेट लैंड हो सके। दूसरी तरफ एक बड़ा सा लग्जरियस रॉयल गार्डन बनाया गया। काफी आगे जाने पर एक व्हाइट कलर की पुराने जमाने की हवेली थी, जिसे मॉडर्न अवतार देकर और भी खूबसूरत कर दिया गया था।

    ओबेरॉय पैलेस पहुंचते ही आयुष एक्साइट होकर गाड़ी से बाहर निकला लेकिन आहान अभी भी अंदर ही बैठा था और उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे।

    आयुष ने झुककर आहान की तरफ देखकर कहा, “व्हाट? आपको कोई स्पेशल इन्विटेशन देना होगा अंदर आने के लिए? कम आउट ब्रो.. आई कांट वेट एनीमोर टू बी विथ माय होल फैमिली।”

    आयुष अभी-अभी आया था और उसे पुरानी बातें बता कर आहान उसका मूड खराब नहीं करना चाहता था। उसने अपने चेहरे के एक्सप्रेशंस को नॉर्मल किया और कहा, “तुमने रास्ते में इतना टाइम वेस्ट कर दिया कि मुझे यहां रुकने का टाइम ही नहीं है। देखो, मेरी बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है और मुझे जाना होगा।”

    आहान ने मीटिंग का बहाना बनाया तो आयुष को वो सच लगा। उसने उतरे हुए चेहरे के साथ कहा, “ठीक है फिर रात को मिलते हैं और मुझे आपका कोई बहाना नहीं सुनना है। मुझे एक फ़ैमिली डिनर चाहिए।”

    आहान ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और ड्राइवर को गाड़ी स्टार्ट करने का इशारा किया। आयुष ने आहान को बाय कहा और आहान वहां से चला गया।

    आयुष गाड़ी को जाते हुए देख रहा था। उसने खुद से कहा, “और कितना छुपाओगे भाई? जानता हूं मैं यहां नहीं था और मुझे सच में नहीं पता कि मेरे पीछे से वहां क्या हुआ होगा। पता नहीं डैड ने ये डिसीजन क्यों दिया कि मुझे 5 साल के लिए बाहर रहना है और किसी से बात तक नहीं करनी है। मैंने उनकी बात अच्छे से फॉलो की। अपने पीछे से अच्छी चीजें मिस की, उसका गम नहीं है लेकिन आपकी खामोशी बहुत कुछ कह रही है। अब मुझे दुख हो रहा है मेरी डैड की बात क्यों मानी? कहीं मैंने अपने भाई को उनके हार्ड टाइम में अकेले तो नहीं छोड़ दिया। अब तो मॉम ही सब बता सकती हैं।”

    आयुष जिस एक्साइटमेंट के साथ ओबेरॉय पैलेस आया था वो अब डिसएप्वाइंटमेंट में बदल चुकी थी। वो उतरे हुए चेहरे के साथ इतने लगेज के घसीटते हुए अंदर जा रहा था।

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  • 9. My doll - Chapter 9

    Words: 1664

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह चाहत नींद से उठी। चाहत ने अपना रूटीन इस तरह से सेट किया था कि वो टाइम से उठकर जल्दी जॉब पर जा सके। वो सुबह के छह बजे ही उठ जाती थी। अपना रूटीन वर्क करने के बाद चाहत तैयार हो गई। उसने ब्लू कलर की बैगी पैंट्स और ऊपर ग्रे कलर की लॉन्ग स्लीव्स की क्रॉप टी-शर्ट शर्ट पहनी थी।

    चाहत ने अपने बालों को स्ट्रेट करके उन्हें सीधा करके आगे के दोनों तरफ कर रखा था।

    चाहत तैयार होकर आई उतने में सुबह के सात बज गए थे। उसकी मां निशा अभी भी सो रही थी। चाहत को लगा कि ज्यादा दवाइयां लेने की वजह से उन्हें नींद ज्यादा आ रही है। वही चाहत की नानी पार्वती जी इस वक्त उसके लिए ब्रेकफास्ट बनाने में लगी थी।

    निशा जी को देखने के बाद चाहत अपनी नानी के पास गई और उन्हें पीछे से हग करते हुए कहा, “थैंक यू सो मच मुझे इतनी ब्यूटीफुल और स्वीट मम्मा देने के लिए। आप यहां आ गई है तो मैं मम्मा को लेकर बेफिक्र हो गई हूं। आप उनका अच्छे से ख्याल जो रख लेती हैं। यू आर द बेस्ट नानी।” बोलते हुए चाहत उनसे अलग हो गई।

    पार्वती जी अच्छे से जानती थी चाहत ये सब इसलिए कह रही है ताकि उन्हें इस घर में रहते हुए अजीब ना लगे। पार्वती जी अपने आंखों के आंसू छुपाते हुए हल्का मुस्कुरा कर बोली, “इस हिसाब से तो मुझे तुम्हारी मम्मा को भी थैंक यू कहना पड़ेगा क्योंकि उसने इतनी स्वीट सी बेटी जो जन्म दी है। चलो बातें बहुत हो गई। कुछ खा ले फिर ही बाहर जाना।”

    पार्वती जी ने चाहत के लिए सिंपल पराठे बनाए थे। साथ में दही का एक बोल देते हुए उन्होंने प्लेट चाहत की तरह बढ़ा दी। वो एक नॉर्मल लाइफ बिताते थे जहां उनका खाना काफी सिंपल होता था।

    चाहत वहीं खड़े होकर खाना खाने लगी। फिर वो सीरियस फेस बनाकर पार्वती जी से बोली, “नानी आपको किसी चीज की जरूरत हो तो आप मुझे बताइएगा और प्लीज मम्मा का पूरा ध्यान रखिएगा। ये मत सोचिएगा उनकी खराब हेल्थ के चलते मुझे टेंशन होगी। अगर आपने मुझसे उनकी हेल्थ रिलेटेड कोई भी बात छुपाई तो इससे उनकी तबियत और बिगड़ सकती है। पिछली बार भी मम्मा की तबीयत खराब हुई थी तो उन्होंने मुझे नहीं बताया। इस वजह से तबीयत ठीक होने की बजाय और बिगड़ गई। आप मेरे कहने का मतलब समझ रही है ना?”

    पार्वती जी ने हां में सिर हिलाया। वो अपनी बेटी की आदत अच्छे से जानती थी। चाहत को परेशानी ना हो इसलिए वो अक्सर अपनी तबीयत को लेकर झूठ बोलती रहती थी।

    पार्वती जी के साथ बातें करते हुए चाहत का नाश्ता खत्म हो गया था। उसने प्लेट रखी और अपना बैग उठाकर नौकरी की तलाश में निकल गई।

    घर से बाहर निकलते ही चाहत ने छोटी सी स्माइल दी और खुद से कहा, “ऑल द वेरी बेस्ट चाहत शर्मा। आज मुझे जॉब इंटरव्यू के लिए तीन जगह पर जाना है। उनमें से दो रेस्टोरेंट और एक पब है।”

    चाहत की स्टडी अभी कंप्लीट नहीं हुई थी इसलिए वो वेट्रेस या कोई इसी तरह का छोटा-मोटा काम ही कर सकती थी। वो दिखने में काफी खूबसूरत थी इसलिए उसे इस तरह का काम ढूंढने में ज्यादा दिक्कत भी नहीं होती थी। वेट्रेस वगैरा की जॉब के लिए अक्सर दिखने में अच्छी लड़कियों को प्रायोरिटी दी जाती थी ताकि ज्यादा से ज्यादा कस्टमर वहां आए।

    चाहत सबसे पहले मुंबई के एक बड़े से रेस्टोरेंट में गई। एक लंबे चौड़े इंटरव्यू के बाद रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा, “तुम्हारा रिकॉर्ड काफी खराब है मिस शर्मा। हमारे यहां प्रोफेशनल्स काम करते हैं। ज्यादातर यहां पर काम करने वाली वेट्रेस मैनेजमेंट की डिग्री ले रही होती है। ऐसे में तुम टिक भी नहीं पाओगी और जिस हिसाब से तुम्हारा पास्ट रिकॉर्ड है मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा इंप्रेशन मेरे कस्टमर से अच्छा बैठेगा। बेटर लक नेक्स्ट टाइम।” एक अच्छा सा बहाना बनाकर उसने चाहत को विदा कर दिया।

    चाहत मायूस चेहरा लेकर रेस्टोरेंट से बाहर निकली। फिर उसने खुद की पीठ थपथपाते हुए कहा, “कोई बात नहीं चाहत, अभी दो जगह और बाकी है।”

    पहले रेस्टोरेंट नौकरी नहीं मिलने के बाद चाहत दूसरे रेस्टोरेंट में गई। वो पहले रेस्टोरेंट जितना बड़ा तो नहीं था लेकिन वहां की सैलरी ठीक-ठाक थी। ऊपर से रेस्टोरेंट ज्यादा बड़ा नहीं होने की वजह से चाहत को रिजेक्शन का डर भी नहीं था।

    चाहत पूरे कॉन्फिडेंस के साथ रेस्टोरेंट में गई और अपना इंट्रो दिया।

    वहां पर भी एक लंबे चौड़े इंटरव्यू के बाद रेस्टोरेंट ओनर, जो कि एक यंग एक लड़की थी, उसने कहा, “देखो मेरे यहां हैंगआउट करने के लिए ज्यादातर कॉलेज गर्ल्स अपने बॉयफ्रेंड के साथ आती हैं। ये रेस्टोरेंट कॉलेज के काफी पास है। मेरा रेस्टोरेंट कपल्स के लिए फेमस है। तुम दिखने में कुछ ज्यादा ही खूबसूरत हो। अगर तुम्हारी वजह से किसी का ब्रेकअप हो गया तो मेरे रेस्टोरेंट की इमेज तो खराब होगी ही, साथ ही आगे से लड़कियां अपने पार्टनर के साथ यहां आना पसंद नहीं करेगी। रियली सॉरी मिस शर्मा, मैं आपको वेट्रेस की जॉब नहीं दे सकती। मुझे गुड लुकिंग लड़कियों के बजाय एवरेज लुकिंग लड़कियों की तलाश है।”

    रेस्टोरेंट की मालकिन ने अच्छा खासा बहाना बनाकर चाहत को भेज दिया। पहली बार चाहत को रिजेक्शन होने पर मायूसी हुई थी लेकिन इस बार उसका रोने का मन कर रहा था।

    “हद हो गई यार। अब अच्छा दिखना भी गुनाह हो गया। मैं भला क्यों किसी का ब्रेकअप करवाऊंगी? मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है। जैसा मेरा बाप था और उसकी हरकतें जानने के बाद तो मुझे चिढ़ होने लगी है लड़कों से। सबके सब एक जैसे होते हैं। धोखेबाज और लड़कियों को अपने पैरों की जूती समझने वाले। उन्हें बस तभी अपने पार्टनर पर प्यार आता है, जब वो बेड पर उनके नीचे होती है।” चाहत ने गुस्से में कहा। उसकी आंखें नम होने लगी थी।

    ये सच था चाहत का आज तक कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना था और उसकी एकमात्र वजह उसकी मां का खराब रिश्ता था। ऐसा नहीं था कि आज तक उसे किसी लड़के ने प्रपोज नही किया था पर चाहत ने किसी लड़के को हां नहीं कही थी और ना ही वो शादी करना चाहती थी।

    चाहत आज जिन तीन जगह पर इंटरव्यू के लिए गई थी, वो शहर के अलग-अलग कोने में बनी हुई होने की वजह से उसका काफी सारा टाइम वेस्ट हो गया। वो रात में पब तक पहुंची तब तक रात के लगभग आठ बज गए थे।

    पब में काफी भीड़ थी और वहां ज्यादातर लोग नशे में चूर थे। ऐसे में चाहत हिचकिचाते हुए अंदर गई। अंदर जाते हुए वो एक लड़के से टकरा गई तो उसने उसके कमर पर हाथ रखकर कहा, “स्वीटहार्ट लेट्स डांस विथ मी... यू आर रियली हॉट एंड ट्रस्ट मी तुम्हारी इस हॉटनेस का अच्छा फायदा दे सकता हूं मैं तुम्हें।”

    उस लड़के के जबरदस्ती टच करने पर चाहत ने उसे दूर धकेला और भाग कर अंदर की तरफ चली गई। उसकी सांसे तेज हो रही थी। चाहत ने खुद को नॉर्मल करते हुए कहा, “रिलैक्स चाहत, भले ही ये जगह अच्छी ना हो लेकिन यहां टिप और सैलरी काफी अच्छी है। अगर मेरी यहां जॉब लग गई तो मैं आराम से हम तीनों का खर्चा निकाल सकती हूं।”

    चाहत खुद को नॉर्मल करके अंदर गई। वहां का ओनर काफी एजुकेटेड और हाई क्लास आदमी लग रहा था।

    “एक्सक्यूज मी सर, मैं यहां इंटरव्यू के लिए आई थी। वो मुझे...” अंदर आते की चाहत अपना इंट्रोडक्शन दे रही थी तभी वो आदमी उसकी बात बीच में काटते हुए बोला, “तुम तो वही हो ना, जिसने आहान ओबेरॉय की पार्टी में उस पर ड्रिंक गिराई थी?”

    आहान की पार्टी में वो आदमी मौजूद था और उसने चाहत को देखते ही पहचान लिया था। चाहत ने जवाब में हां में सिर हिलाया।

    उस आदमी ने आगे कहा, “आहान ओबेरॉय जैसे बड़े बिजनेसमैन के साथ बदसलूकी करने वाली लड़की को मैं अपने यहां जॉब नहीं दे सकता। तुम जा सकती हो।”

    उस आदमी ने चाहत की एक नहीं सुनी और बिना उसका इंटरव्यू लिए उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। चाहत का जोर से रोने का मन कर रहा था क्योंकि हर एक दिन उसके लिए बहुत जरूरी था और उसे नौकरी नहीं मिली थी। चाहत पब से कुछ दूर एक पार्क के बाहर लगी बेंच पर बैठकर रो रही थी।

    “ये मेरे साथ ही क्यों हो रहा है? जब मुझे पैसों की जरूरत है तो मुझे कोई नौकरी नहीं मिल रही।” चाहत अकेली बैठी आंसू बहा रही थी।

    फिर उसे पब के मालिक की बात याद आई जिसने आहान ओबेरॉय का नाम लिया था। आहान का नाम याद आते ही चाहत ने पैर पटकते हुए कहा, “ये सब कुछ उस अमीरजादे की वजह से हो रहा है। उस दिन तो बड़ा मेरा शुभचिंतक बनकर आया था नौकरी देने के लिए और अब उसी की वजह से मुझे जॉब नहीं मिल रही।”

    चाहत वहां बैठकर आहान को भला बुरा कह रही थी तो वही आहान अपने केबिन में बैठा किसी से कॉल पर बात कर रहा था।

    चाहत से थोड़ी दूरी पर एक लड़का खड़ा था और उसने कॉल पर कहा, “आपके कहीं मुताबिक उसे किसी ने जॉब नहीं दी। मेरी उस पर पूरी नजर है। रेस्टोरेंट के बाद पब में आई है वो। वहां के ओवर ने उसे मना कर दिया और साथ वहां एक लड़के ने उसके साथ बदतमीजी भी की थी। बेचारी बहुत रो रही है।” बोलते हुए लड़का भी मायूस हो गया। उसे चाहत पर दया आ रही थी।

    आहान पर उसकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। वो बिना किसी भाव के बोला, “कोई बात नहीं, रोने दो। आखिर में आना तो मेरे ही पास है। मेक श्योर कि उसे कहीं पर भी जॉब ना मिले।” कहकर आहान ने कॉल कट कर दिया। उसके फेस पर इविल स्माइल थी।

    ये आहान ही था जिसकी वजह से चाहत को कहीं भी जॉब नहीं मिल पा रही थी और मुंबई में कोई भी छोटा या बड़ा बिजनेसमैन आहान ओबेरॉय से दुश्मनी मोल लेकर एक मामूली सी लड़की को नौकरी नहीं देने वाला था।

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  • 10. My doll - Chapter 10

    Words: 1373

    Estimated Reading Time: 9 min

    आहान एक लड़के से कॉल पर बात करके हटा था। वो लगभग 21 साल का था और उसका नाम मोंटी था। उसने मोंटी को चाहत पर नजर रखने के लिए अप्वॉइंट किया था और साथ ही उसे इस बात का खास ख्याल रखना था कि चाहत को कहीं पर भी नौकरी ना मिले।

    मोंटी से चाहत के बारे में पूरी बात जानने के बाद आहान एक हाथ से पेपर वेट घूम रहा था। उसकी आंखों के सामने चाहत का चेहरा घूम रहा था।

    आहान ने खोए हुए लहजे में कहा, “सो सॉरी डॉल, जिस चीज पर आहान ओबेरॉय की नजर पड़ जाती है वो सिर्फ उसकी ही होकर रहती है। जो चाहे समझ लो पर अब से तुम पर मेरा कॉपीराइट है। तुम्हें खुद चलकर मेरे पास आना होगा। तुमने मेरा ऑफर रिजेक्ट किया इसलिए तुम्हें मेरे पास रहने के लिए रिक्वेस्ट करनी होगी। ट्रस्ट मी एक बार मेरे पास आ जाओ, फिर तुम्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। तुम्हें उस घटिया से घर में तो बिल्कुल नहीं रहना पड़ेगा।”

    खुद से बातें करते हुए आहान अचानक उठा और अपनी गाड़ी लेकर कहीं जाने को निकल गया। रास्ते में उसने मोंटी को कॉल कर लिया, जिसको उसने चाहत के पीछे लगाया था।

    आहान ने कॉल पर कहा, “तुम उसी पब में रुको। मैं बस वहीं पर पहुंच रहा हूं। चाहत घर चली गई क्या?”

    “हां, मैंने उन्हें यहीं से बस में जाते हुए देखा था।” मोंटी ने जवाब दिया।

    आहान ने आगे कुछ नहीं कहा और कॉल कट कर दिया। लगभग 1 घंटे बाद वो उसी पब के आगे था जहां आखिर में चाहत नौकरी मांगने के लिए गई थी। मोंटी ने जब आहान को वहां देखा तो वो उसके पास चला गया।

    उसके पास आते ही आहान ने दबी आवाज में कहा, “मुझे उस लड़के के बारे में जानना है जिसने चाहत के साथ बदतमीजी की थी।” बोलते हुए आहान की आंखों में एक सनक साफ दिखाई दे रही थी।

    मोंटी ने उसकी बात पर हामी भरी। वो उसके लिए काफी टाइम से काम कर रहा था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगे कि अब उस लड़के के साथ क्या होने वाला है। चाहत के साथ बदसुलूकी करने की उसे अच्छी खासी सजा मिलने वाली है।

    मोंटी आगे आगे चल रहा था जबकि आहान उससे कुछ कदम पीछे आ रहा था। वो दोनो पब के अंदर घुसे तो काफी लाउड म्यूजिक बज रहा था और सब डांस करते हुए थिरक रहे थे।

    वो लड़का अब तक वहीं पर मौजूद डांस कर रहा था। ये बात अलग थी कि अब वो पहले से ज्यादा नशे में था। वहां पहुंचते ही मोंटी ने उस लड़के की तरफ इशारा करके कहा, “उसने जबर्दस्ती चाहत मैडम को कमर से पकड़ कर उसे अपने करीब खींचा था।”

    मोंटी की बात सुनकर गुस्से में आहान की मुट्ठियां बंध गई। उसने अपने पॉकेट में हाथ डाला और धीमे कदमों से चलकर उसे लड़के की तरफ जाने लगा। जैसे ही वो उस लड़के के पास पहुंचा अचानक उस लड़के की जोरदार चीख निकली। म्यूजिक लाउड होने की वजह से आसपास के कुछ लोगो के अलावा के किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। वैसे भी नशे डांस करते हुए चीखना चिल्लाना वहां नॉर्मल था। लड़का जमीन पर गिरा हुआ था। किसी ने उसकी कमर पर चाकू घुसा कर बाहर निकाल दिया था। वार इतनी तेजी से और जल्दबाजी में हुआ था कि उसे पीछे देखने का मौका भी नहीं मिला और आहान उसे स्टैब करके आगे निकल चुका था।

    एक दो लोगों के पैरों में कुचलने के बाद लोगों का उस पर ध्यान गया और म्यूजिक बंद करवा कर सब उसे हॉस्पिटल पहुंचाने की तैयारी करने में लग गए।

    वही उसकी चोट पहुंचाने के बाद आहान पब से बाहर आ गया। वो अपनी गाड़ी में बैठा ही था कि उसके पास उसके भाई आयुष का कॉल आया।

    आयुष ने कॉल पर कहा, “ब्रो आप कहां रह गए हो? मॉम डैड बस पहुंचने वाले हैं।”

    “मेरे पास किसी फालतू फैमिली गैदरिंग के लिए टाइम नहीं है आयुष। आगे से बिना मुझसे पूछे मुझे इस तरह की चीजों में इंवॉल्व नहीं करना।” आहान काफी रुखे तरीके से जवाब दिया और कॉल कट कर दिया। वैसे भी वो उस लड़के की वजह से बहुत गुस्से में था।

    वही आहान के इस तरह बात करने पर आयुष हैरानी से अभी तक मोबाइल स्क्रीन की तरफ देख रहा था, तभी उसके पीछे से उसकी मॉम शिवानी की आवाज आई, जिसने उसके कंधे पर हाथ रख रखा था।

    शिवानी ने धीमी आवाज में कहा, “अगर तुम आहान से बात करके हटे हो तो तुम्हारी फेस के एक्सप्रेशन लेकर मुझे बिल्कुल हैरानी नहीं हो रही। जरूर तुमने उसे इस डिनर के लिए इनवाइट किया होगा और उसने मना कर दिया होगा।”

    शिवानी सब जानती थी ये सुनकर आयुष ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और पूछा, “अगर आप सब जानती हैं तो इस मामले में कुछ करती क्यों नहीं?”

    “जितना मैं कर सकती हूं उतना करती हूं। फॉर एग्जांपल मैंने तुम्हारे भाई को तुम्हें लाने के लिए एयरपोर्ट पर भेजा और साथ ही तुम्हारी वेलकम पार्टी में आने के लिए फोर्स किया। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकती। उसके और विजय के बीच काफी डिस्टेंस से आ गई हैं। वजह क्या है दोनों ही नहीं बताते। दोनों ने ही यही कहा है कि मुझे इससे दूर रहना चाहिए और मैं दूर रहती हूं। तुम अभी आए हो, जल्द ही सब समझ जाओगे। अगर तुम्हें अपने भाई और डैड के बीच तालमेल बना कर रखना है तो उन दोनों के बीच के टेंशन को भूल जाओ और अपने काम से मतलब रखो।” शिवानी ने एक साथ ही आयुष को लंबा चौड़ा लेक्चर दे डाला। उससे बात करने के बाद उसने उसे टेबल पर आने का इशारा किया। फिर शिवानी खुद भी उनकी बुक की हुई टेबल पर जाने लगी। विजय ओबेरॉय वहां पर पहले से बैठे हुए थे।

    आयुष ने टेबल की तरफ देखकर धीरे से कहा, “आई डोंट नो आप इतना चिल कैसे रह सकती हैं पर मैं नहीं रहने वाला। मैं ब्रो को अच्छे से जानता हूं। वो किसी से बेवजह नाराज नहीं होते। जानता हूं उन्हें ज्यादा गुस्सा आता है पर गुस्सा बेवजह कभी नहीं होता। तो क्या डैड ने ऐसा कुछ कर दिया है जिसकी वजह से भाई उनसे इतना नाराज है।”

    आयुष अपने ख्यालों में खोया था, तभी उसकी मॉम ने उसे वापिस आवाज लगाई। आयुष एक पल के लिए सब कुछ भूलकर मुस्कुराते हुए उनकी तरफ बढ़ गया।

    _____________

    चाहत आज जॉब ढूंढने के लिए तीन जगह पर गई थी पर तीनों की जगह उसे नाकामी हाथ लगी। वो ये बात अपनी नानी और मां को बताना नहीं चाहती थी इसलिए चाहत ने अंदर जाने से पहले पास ही के स्टोर से चॉकलेट लेकर खाई। चॉकलेट खाने के बाद उसका मूड काफी हद तक ठीक हो जाता था।

    चॉकलेट खाने के बाद अंदर जाने से पहले चाहत ने खुद से कहा, “कोई बात नहीं चाहत, देख लेंगे। जरूरी नहीं कि सारे दिन एक जैसे हो। आज मुझे जॉब नहीं मिली तो कल भी जॉब नहीं मिलेगी, ऐसा कहीं नहीं लिखा है। हो सकता है एक बेहतर जॉब मेरा वेट कर रही हो। इस वजह से ये छोटे-मोटे काम मेरे हाथ नहीं लग रहे हैं। बी ऑप्टिमिस्टिक चाहत।”

    चाहत मुस्कुराते हुए अंदर आई। उसकी मुस्कुराहट देखकर निशा और पार्वती दोनों की टेंशन खत्म हो गई थी।

    उसके आते ही पार्वती जी ने कहा, “चाहत बेटा, जल्दी से फ्रेश हो जा। मैं खाना लगाती हूं। आज मैने तेरे पसंदीदा मटर पुलाव बनाए है।”

    मटर पुलाव का नाम सुनकर चाहत ने चहकते हुए कहा, “आई टोल्ड यू नानी.. यू आर द बेस्ट नानी।”

    उन दोनो की बातचीत सुनकर निशा ने हंसते हुए कहा, “मक्खन लगाना बंद कर और जल्दी से चेंज कर ले। मैं तब तक वॉशरूम होकर आती हूं।”

    निशा वॉशरूम में गई। अचानक ही उन्हें तेज खांसी आई और वो दौड़ते हुए वाश बेसिन के पास आ गई। खांसते हुए अपने हाथो की तरफ देखकर निशा के होश उड़ गए। उसके हाथ खून से सने थे, जो उनके खांसने पर निकल रहा था।

    तभी चाहत ने बाहर से दरवाजा खटखटाया और कहा, “मम्मा प्लीज जल्दी बाहर आइए। मुझे वॉशरूम यूज करना है।”

    निशा कभी दरवाजे की तरफ देख रही थी तो कभी अपने खून सने हाथों को। अपने हाथो को देखकर उनकी आंखों से आंसू का कतरा बह गया।

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  • 11. My doll - Chapter 11

    Words: 1688

    Estimated Reading Time: 11 min

    चाहत पूरे दिन जॉब ढूंढने के बाद घर आ चुकी थी। वो वॉशरूम के बाहर खड़ी अपनी मां के बाहर निकलने का इंतजार कर रही थी जबकि अंदर निशा एक पल के लिए फ्रिज हो गई , जब उसने देखा कि उसकी खांसी में खून निकल रहा था। वहीं दूसरी तरफ चाहत बार-बार उसे बाहर आने के लिए आवाज लगा रही थी।

    चाहत ने फिर से दरवाजा खटखटाते हुए तेज आवाज में कहा, “मम्मा आप ठीक तो हैं? आप बाहर क्यों नहीं आ रही। मुझे टेंशन हो रही है आप कोई जवाब भी नहीं दे रही है।”

    चाहत की आवाज सुनकर निशा का ध्यान टूटा। उसने जल्दी से अपने हाथ और मुंह को धोया और खुद को नॉर्मल करते हुए जवाब में कहा, “इतनी जोर-जोर से दरवाजा पीट रही है मैं कोई जवाब दूंगी भी तो तुझे सुनाई नहीं देगा। 2 मिनट का वेट नहीं होता तुझसे। अगर इतनी जल्दी लगी थी तो पहले तू चली जाती ना।”

    निशा की आवाज सुनकर चाहत ने राहत की सांस ली। उसने जवाब में कहा, “कोई बात नहीं मम्मा आप अपना टाइम ले लो। मैं वेट कर लूंगी।”

    अपनी बात कह कर चाहत वहां से जाने को हुई तभी निशा ने दरवाजा खोला। निशा ने बाहर आते ही कहा, “जा अब चली जा।”

    चाहत ने उनकी बात पर हामी भरी और बाथरूम में चली गई। जब वो अंदर गई तो बाथरूम क्लीन था। निशा ने इस बात का खास ख्याल रखा था कि कहीं गलती से भी उसकी खांसी से निकला ब्लड का कोई भी छींटा वहां न रह जाए।

    चाहत को भी कोई डाउट नहीं हुआ। उसने वॉशरूम यूज किया और कुछ देर में बाहर आ गई। अब वो अपनी फैमिली के साथ बैठकर अपने फेवरेट मटर पुलाव एंजॉय कर रही थी।

    चाहत ने अपनी नानी की तारीफ करते हुए कहा, “नानी आप होते हो तो मुझे सच में बहुत अच्छा खाना खाने को मिलता ह। वरना मम्मा तो मोस्टली सिंपल फूड ही बनाती है।”

    चाहत ने ये बात काफी हल्के तरीके से कही थी लेकिन दिल ही दिल में निशा को बुरा महसूस हुआ। अपनी खराब तबीयत के चलते वो खाना भी बहुत मुश्किल से बना पाती थी लेकिन चाहत इज बारे में कुछ नहीं कहती थी।

    उनकी आंखें नम होने लगी और उन्होंने अपने मन में कहा, “मैं बस तुम पर बोझ बनने के अलावा और कुछ नहीं रह गई चाहत। भगवान भी न जाने हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं। पहले मैं ठीक से तुम्हारी परवरिश नहीं कर पाई तो फिर अब पता नहीं ये कौन सी नई बीमारी लग गई। आई होप मैं नॉर्मल ही होऊं वरना मेरी चाहत मेरे इलाज के पैसे कहां से जुटा पाएगी। इससे अच्छा तो मैं मर जाती तो सही रहता।” सोचते हुए निशा की आंखों से कब आंसू बहने लगे उसे अहसास तक नहीं हुआ।

    चाहत ने निशा को रोते हुए देखा तो वो उसके गले लग गई और उसे सहलाते हुए कहा, “अरे मम्मा आप बुरा क्यों मान रहे हो? आप सिंपल खाना भी बहुत टेस्टी बनाते हो।”

    “बस कर बटरिंग करना। मैं तेरी वजह से नहीं रो रही हूं। मुझे बस अपने बचपन की याद आ गई। जब मम्मा हमें सिंपल खाना देती थी और अब देखो अपनी नातिन के लिए कितना अच्छा-अच्छा खाना बना कर रखती है।” निशा ने हंसते हुए कहा।

    उनकी बात सुनकर चाहत ने तिरछी निगाहों से पार्वती की तरफ देखा। पार्वती ने बिना कुछ कहे हां में सिर हिला दिया।

    चाहत ने उन्हें देखकर मुंह बिगाड़ा और बच्चो जैसा चेहरा बनाकर कहा, “वैरी बैड नानी।”

    ऐसे ही बातों बातों में उनका डिनर हो गया और कुछ ही देर में वो बिस्तर पर थे। लेकिन इन तीनों की आंखों से नींद कोसो दूर थी। कमरे में अंधेरा था। इस वजह से तीनों को यही लग रहा था कि उन्हें छोड़कर बाकी दो लोग सो चुके हैं।

    निशा ने करवट बदलते हुए अपने मन में कहा, “हे भगवान, मैने हमेशा जो भी मांगा है अपनी बेटी के लिए मांगा है। पर आज खुद के लिए मांग रही हूं। प्लीज मुझे ऐसा कुछ मत करना जिसकी वजह से मैं अपनी बेटी पर बोझ बन जाऊं इतनी कम उम्र में वो पहले ही काफी दुख झेल रही है।”

    वही पार्वती जी की नजरे सीलिंग पर जमी हुई थी। उन्होंने मन ही मन बुदबुदाते हुए कहा, “तेरे पापा ने हमेशा तेरे भाई को ज्यादा लाड प्यार से पाला। उसे तुझसे ज्यादा पढ़ाया और आज उसने मुझे घर से निकाल दिया। जिस बेटी को उन्होंने बोझ समझा आज उसी पर मैं बोझ बनी हुई हूं। काश वो जिंदा होते तो उन्हें दिखा पाती कि आपका होनहार लायक बेटा, जिसे आपने इतने प्यार से पाला था। वो किसी काम का नहीं और जिस बेटी को अपने उसकी पसंद की शादी करने की वजह से दूर कर दिया था। आज वही अपनी मां का सहारा बनी हुई है।”

    पार्वती जी निशा के बारे मे सोच रही थी। निशा चाहत के बारे में सोच रही थी तो वही चाहत की आँखे जरूर बंद थी लेकिन उसे कल की चिंता सता रही थी।

    चाहत ने अपने मन में कहा, “थोड़ी बहुत सेविंग है उससे कुछ दिन निकल जाएंगे। तब तक जॉब मिल ही जाएगी। श्रद्धा से मिलकर बात करती हूं। वो मेरी हेल्प कर देगी। अगर जरूरत पड़ी तो उसे कुछ पैसे उधार ले लूंगी और बाद में वापिस कर दूंगी।”

    अपने ख्यालों में खोए हुए वो तीनो कुछ ही देर में नींद के आगोश में समा चुकी थी।

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    आयुष अपने मॉम डैड मिस्टर विजय ओबेरॉय और शिवानी ओबेरॉय के साथ डिनर कर रहा था। वो वहां पर प्रजेंट जरूर था लेकिन उसके दिमाग में यही ख्याल चल रहे थे कि ऐसा क्या हुआ होगा जो आहान उस डिनर गैदरिंग में नहीं आया।

    काफी देर तक चुप रहने के बाद आयुष से रहा नहीं गया। उसने सब पूछने का सोचा।

    आयुष ने विजय ओबेरॉय की तरफ देखकर कहा, “क्या मैं जान सकता हूं कि भाई...।” आयुष बोल रहा था तभी शिवानी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “मैने बताया तो था आहान ज्यादातर बीजी रहता है। वो पार्टी में आ जाएगा।”

    शिवानी समझ गई थी कि आयुष मिस्टर ओबेरॉय से क्या पूछने वाला है। वहां एक और लड़ाई ना हो इसलिए शिवानी ने तुरंत बात को संभाल लिया। ऑलरेडी शिवानी और आहान के आपसी मतभेद में वो पिस कर रह जाती थी।

    विजय नासमझ नही थे। आयुष किस बारे में बात करना चाह रहा था। वो समझ गए थे। उन्होंने उसे तीखी लुक दी और फिर कहा, “चलो तुम यहां आ ही गए हो तो धीरे-धीरे सब समझ जाओगे। तुम्हारे भाई ने अपनी अलग कंपनी खड़ी की। AA इंडस्ट्रीज ने अपना अच्छा खास मुकाम हासिल कर लिया और उस वजह से ओबेरॉय इंडस्ट्री नीचे आ गई। जानबूझकर वो मेरा राइवल बना और मेरी कंपनी को गिराया। अब तुम पर डिपेंड करता है कि तुम अपने भाई को ज्वाइन करके मेरे राइवल बनते हो या अपने पापा का सहारा बनकर हमारी कंपनी को ऊंचा उठाते हो।”

    विजय ने कोई सीधा सवाल नहीं पूछा था। अगर आयुष आहान को ज्वाइन करता तो वो अपने पापा का राइवल बन जाता और अपने पापा को ज्वाइन करता तो अपने भाई का।

    आहान और मिस्टर ओबेरॉय के बीच की लड़ाई से वैसे भी शिवानी काफी परेशान थी। वो नहीं चाहती थी कि आयुष और मिस्टर ओबेरॉय के बीच का रिश्ता भी बिगड़े और उसे बेवजह सफर करना पड़े।

    बात को संभालते हुए शिवानी ने कहा, “आप भी कैसी बातों को लेकर बैठ गए विजय। इतने सालों बाद हमारा बेटा यहां आया है। अभी इसे कुछ दिन यहां फ्री होकर टाइम बिताने दीजिए थोड़े टाइम बाद खुद ही डिसाइड कर लेगा।” शिवानी ने जैसे तैसे स्थिति को टाल दिया था।

    विजय ने उसके बात पर हामी भरी और मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी मॉम बिल्कुल ठीक कह रही है। कल शाम तुम्हारे वेलकम के लिए एक ग्रैंड पार्टी ऑर्गेनाइज की है मैंने। फिलहाल तुम्हारा सारा फोकस उस पर होना चाहिए। कल विजय ओबेरॉय अपने बेटे आयुष ओबेरॉय को पूरी दुनिया के सामने इंट्रोड्यूस करने वाला है।”

    आयुष ने उनकी बात पर हां मे सिर हिलाया और चुपचाप खाना खाने लगा। वो समझ गया था कि उसकी फैमिली उतनी भी नॉर्मल नहीं जितनी वो पिछले 5 सालों में दूर रहते हुए उन्हें समझ रहा था।

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    पब में उस लड़के को सबक सिखाने के बाद आहान घर आ गया था। मोंटी ने पीछे से सारा मामला संभाल लिया था।

    रात के लगभग 2:00 बज रहे थे और आहान की आंखों से नींद दूर थी। उसकी आंखों के सामने बार-बार चाहत का चेहरा आ रहा था। चाहत का इनकार उसके गुस्से की वजह बन रहा था। अचानक वो बिस्तर से उठा और गहरी सांसें लेने लगा।

    “नहीं तुम मेरे गुस्से को शांत करोगी, ना कि मेरे गुस्से की वजह बनोगी। क्यों कर रही हो डॉल ऐसा? मैं तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं करना चाहता। मुझे तुम्हारे साथ रहना है। जैसे पुरानी कहानियों में प्रिंस अपनी प्रिंसेस को किस करता था और उसे उससे प्यार हो जाता था वैसे ही कुछ मुझे महसूस हो रहा है। जानता हूं मैं तुम्हें प्यार नहीं करता पर मुझे तुम्हारे साथ रहना है। मुझे... मुझे इसी वक्त तुमसे बात करनी है डॉल, आई वांट टू हियर योर वॉइस।” आहान ने बेचैनी से कहा। वो‌ किसी साइको की तरह रिएक्ट कर रहा था।

    टाइम की परवाह न करते हुए आहान ने अपना मोबाइल उठाया और इस वक्त चाहत को कॉल लगा दिया। चाहत ने एक रिंग में उसका कॉल नहीं उठाया तो आहान ने वापस कॉल किया। रात को चाहत अपना फोन साइलेंट करके सोती थी। इस वजह से उसे फोन की रिंग सुनाई नहीं दी लेकिन इन सब ने आहान के गुस्से को बढ़ा दिया था। अब किसी भी तरह की बैक काउंटिंग, म्यूजिक सुनना या वॉक करना उसके गुस्से को शांत नहीं कर पा रहा था।

    “नहीं, बात करने से कुछ नहीं होने वाला। मुझे तुम्हें देखना है। आई वांट टू सी माय डॉल राइट अवे।” आहान ने तेजी से सांस लेते हुए कहा।

    इससे पहले की उसका गुस्सा बेकाबू हो और वो अपने घर के ज्यादा कीमती सामान को तोड़फोड़ दे उससे पहले आहान अपने घर के बाहर निकाला। उसे चाहत से मिलना था इसलिए उसने अपनी गाड़ी बाहर निकाली और चाहत से मिलने के लिए इस वक्त निकल गया।

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  • 12. My doll - Chapter 12

    Words: 1521

    Estimated Reading Time: 10 min

    आहान चाहत से मिलना चाहता था इसलिए आधी को टाइम की परवाह किए बिना वो चाहत के घर आगे था। चाहत का घर एक छोटे इलाके में था। रात के वक्त वहां बिल्कुल सन्नाटा था और इस सन्नाटे के बीच आहान अपनी गाड़ी के साथ चाहत के घर आगे खड़ा था।

    आहान ने फिर से चाहत को कॉल लगाने की कोशिश की, पर वो उसका कॉल पिक नहीं कर रही थी। आहान अपने गुस्से को काबू करने की कोशिश में लगा था। तभी अचानक चाहत की नींद टूटी और वो बाहर आई।

    ना जाने चाहत को क्या सूझा और उसने गली में झांककर देखा। जैसे ही चाहत की नजर आहान पर पड़ी वो झट से नीचे बैठ गई। स्ट्रीट लाइट की रोशनी में वो आहान को आसानी से देख सकती थी, जो उसके घर को बुरी तरह घूर रहा था।

    चाहत ने सिर पकड़कर दबी आवाज में कहा, “आहान ओबेरॉय? ये यहां क्या कर रहा है? कही ये मुझे किडनैप तो नही करना चाहता? जो भी हो चाहत, डरना नही हैं। इसे तो अभी सबक सिखाती हूं। जब देखो मुंह उठाकर अपनी बड़ी सी गाड़ी लेकर यहां आ जाता है।”

    चाहत दबे पांवों से नीचे गई। उसने धीरे से दरवाजा खोला ताकि कोई जाग ना जाए।

    वही आहान चाहत के घर के आगे लगभग आधे घंटे से खड़ा था। वो बाहर से जितना शांत था, उतना ही उसके अंदर गुस्से का ज्वालामुखी फट रहा था।

    आहान ने खुद से कहा, “दो दिन डॉल, बस दो दिन की बात है। उससे ज्यादा दिन नहीं दे सकता मैं तुम्हे। मेरा पैशेंस लेवल तुम्हें इतना टाइम दे रहा है, वो बहुत बड़ी बात है। वरना अब तक तुम्हें उठा कर अपने घर ले आता।” आहान वहां खड़ा खुद से बातें कर रहा था, तभी चाहत वहां आ गई।

    अचानक अपने सामने चाहत को देखकर आहान ने हवा में हाथ हिलाया और कहा, “तुम चाहत ही हो ना?”

    “हां मैं चाहत ही हूं।” चाहत ने जवाब दिया। “लेकिन इतनी रात को आप मेरे घर के आगे क्या कर रहे हो मिस्टर ओबेरॉय?”

    “यहां से गुजर रहा था तो सोचा तुमसे मिल लूं।” आहान ने कंधे उचकाकर काफी कैजुअली जवाब दिया। जैसे चाहत उसकी कॉलेज फ्रेंड है और वो उससे मिलने कभी भी आ सकता है।

    चाहत ने सिर हिलाकर कहा, “रियली? वो किस खुशी में? आप मुझसे मिलने क्यों आए हो? हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। उस दिन तुमने मेरे ऊपर गुस्सा किया था और फिर अचानक किस...” चाहत बोलते हुए रुक गई। अचानक उसके गाल लाल होने लगे। चाहत ने तुरंत ही खुद को सामान्य किया और कहा, “लिसन मिस्टर, आगे से यहां मत आना।”

    “ठीक है फिर तुम मेरे पास आ जाओ ताकि मुझे बार बार तुम्हारे पास ना आना पड़े डॉल।” आहान ने भौंहे उठाकर कहा। उसने चाहत के सामने उसे डॉल कहा।

    चाहत हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए बोली, “डॉल? कौन डॉल?”

    “तुम और कौन? यू लुक लाइक ए डॉल।” आहान ने जवाब दिया।

    उसकी बातों से चाहत गुस्सा हो गई। वो चिढ़कर बोली, “आई एम नॉट ए डॉल मिस्टर ओबेरॉय। प्लीज आप यहां से चले जाइए। मैने आपसे कह दिया है मुझे जॉब मिल गई है। मैं आपसे पास वापिस...” चाहत बोल रही थी कि तभी आहान ने उसकी कमर पकड़कर उसे अपने करीब कर लिया। आहान के इतने करीब होने पर चाहत के दिल की धड़कनें बढ़ने लगी।

    आहान ने गुस्से से चाहत की आंखों में देखा और कहा, “झूठ बोल रही हो मुझसे? अभी से कह देता हूं डॉल.. आई हेट लायर्स। ये तुम्हारी पहली और आखिरी मिस्टेक है।”

    चाहत ने हां में पलकें झपकाई। वो आहान के सामने अचानक इतनी ओबिडेंट क्यों हो गई, ये उसे खुद को समझ नही आया। वो एकटक आहान की आंखों में देख रही थी। उसकी गहरी काली आंखें मानो उस पर कोई काला जादू कर रही हो, जिसकी वजह से चाहत की नजरे उसके चेहरे से हट ही नहीं रही थी।

    आहान ने आगे कहा, “दो दिन का टाइम है तुम्हारे पास। अगर दो दिन में तुम्हे जॉब नहीं मिली तो तुम AA इंडस्ट्रीज में काम करोगी।” आहान अच्छे से जानता था उसके मना करने के बाद चाहत को कोई जॉब नहीं देने वाला है।

    आहान ने चाहत को छोड़ा और उसके हाथ में एक कार्ड पकड़ाते हुए कहा, “इस पर मेरे प्राइवेट नंबर लिखे हैं। दो दिन बाद तुम मुझे डायरेक्ट कॉल करोगी।”

    चाहत को समझ नहीं आ रहा था कि वो आहान को जवाब क्यों नहीं दे पा रही है। जाने से पहले आहान ने चाहत को दोनों हाथों से पकड़ा और उसके सिर पर हल्का सा किस किया।

    चाहत को बाय बोलने के बाद आहान वहां से चला गया। वो गुस्से में घर से निकला था लेकिन चाहत से मिलने के बाद उसका मूड बिल्कुल नॉर्मल था। ड्राइव करते हुए आहान मुस्कुराते हुए सीटी बजा रहा था। आहान का वो रूप अगर उसका कोई जान पहचान वाला देख लेता तो उन्हें यकीन भी नहीं होता कि ये वही आहान ओबेरॉय है, जिसे हर छोटी बात पर गुस्सा आता है। आहान ओबेरॉय, जो एंगर डिसऑर्डर का शिकार था अब उसका मूड बिल्कुल अच्छा था। आखिरी बार उसने जेनुइन तरीके से कब स्माइल की, आहान को खुद भी याद नहीं था।

    कुछ ही देर में आहान घर आ चुका था। वो मुस्कुराते हुए गाड़ी से बाहर निकाला तो उसके गार्ड्स भी देखकर हैरान हो गए। अक्सर आहान जब भी गुस्से से बाहर आता था तो वो बहुत ज्यादा नशे में होता था या फिर रफ़ली ड्राइव करके आता था। आज वो बिल्कुल नॉर्मल तरीके से ड्राइव कर रहा था। ऊपर से उसके चेहरे पर हल्की स्माइल भी थी। आहान वापस अपने कमरे में आकर सुकून भरी नींद में सो गया।

    एक बात तो साफ थे कि जिस चाहत के आसपास होने पर ही आहान ने इतनी पॉजिटिविटी आ जाती थी तो अगर वो उसके लाइफ में आ जाती, तो उसे पूरी तरह बदल सकती थी।

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    वही चाहत आहान के जाने के बाद भी काफी देर तक अपने घर के दरवाजे पर खड़ी रही। काफी देर तक उसके दिल की धड़कनें बेकाबू होकर धड़कती रही।

    कुछ देर बाद चाहत ने खुद से कहा, “ये मुझे क्या हो रहा है? पहली बार किसी लड़के ने मुझे इस तरह टच किया है या यूं कहूं कि इसी लड़के ने मुझे दूसरी बात इतनी करीब से छुआ है। क्या इस वजह से ये सब हो रहा है। कंट्रोल योर इमोशंस चाहत... सारे लड़के एक जैसे होते हैं। उन्हें बस अपना ईगो सेटिस्फाई करने के लिए लड़कियों की जरूरत पड़ती है या फिर अपनी फिजिकल नीड्स के लिए।। उसके अलावा वो लड़कियों को और कुछ नहीं समझते।”

    अगले ही पल चाहत ने अपने इमोशंस पर काबू पा लिया था। उसके पापा की वजह से आदमियों के लिए उसके दिल में एक अलग ही इमेज बन गई थी हालांकि काम करते हुए वो काफी बार कई आदमियों से मिली थी पर फिर भी किसी भी आदमी पर अचानक यकीन करना चाहत के लिए मुश्किल था। चाहत ने अपने हाथ में पड़े विजिटिंग कार्ड को देखा, जिस पर आहान के पर्सनल नंबर लिखे हुए थे। ना चाहते हुए भी चाहत ने उसे अपने साथ लिया और वापस अंदर जाकर सोने की कोशिश करने लगी।

    जहां एक तरफ आहान चैन की नींद ले रहा था तो वही चाहत की नींद अब उड़ चुकी थी। जब भी वो आंखें बंद करती उसकी आंखों के सामने आहान का चेहरा आ जाता।

    चाहत के लिए ये इमोशंस नए थे। उसे समझ नहीं आ रहा था या यूं कहें कि वो समझना ही नहीं चाहती थी कि आहान के छूने पर उसे एक अलग एहसास क्यों होता है।

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    एक अंधेरी जगह पर एक लड़की कुर्सी पर बंधी हुई थी। उसने शादी का जोड़ा पहन रखा था लेकिन वो काफी मैला और खराब हो चुका था। लड़की दुल्हन बनी हुई थी लेकिन उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो काफी टाइम से इस हालत में वहां बंद थी। यहां तक कि उसके गहने और कपड़े भी नहीं बदले हुए थे। कमरे में बहुत गंदी बदबू भी आ रही थीं।

    लड़की का मुंह बंद था इस वजह से उसके रोने की आवाज बाहर नहीं आ रही थी लेकिन उसकी लाल आंखें इस बात का सबूत था कि जब से वो यहां बंद है, तब से यहां से निकलने के लिए रोए जा रही है। अभी भी उसकी आंखों में आंसू थे।

    तभी कमरे का दरवाजा खुला और एक आदमी खाना लेकर आया। खाना रखने के बाद उस आदमी ने खाना खाने के लिए लड़की का मुंह खोला।

    लड़की का मुंह खोलते हुए वो रोते हुए बोलने लगी, “अगर मुझे इसी तरह रखना है तो इससे अच्छा मार दो मुझे।”

    “ठीक है तुम्हारी ये ख्वाहिश मैं सर तक पहुंचा दूंगा।” उसके पास आए आदमी ने क्रूरता से कहा।

    लड़की को खाना खिलाने के बाद वो वहां से चला गया। उसने फिर से उसे बंद कर दिया था। उसके जाने के बाद लडकी कुर्सी पर पीछे की तरफ होकर बैठ गई। वो आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगी। उसके हाथ और पैर पर रस्सियों के निशान बन चुके थे और माथे पर भी चोट के निशान थे। न जाने कितना निर्दई रहा होगा वो इंसान, जिसने उसे इस तरह बंद करके उसके साथ ये सब कर रहा था।

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  • 13. My doll - Chapter 13

    Words: 1515

    Estimated Reading Time: 10 min

    रात को आहान से मिलने के बाद चाहत काफी बेचैन हो गई थी। कुछ ही देर में उसे नींद भी आ गई थी। रात को देर से सोने की वजह से उसकी नींद भी देर से ही खुली थी। कोई जॉब नहीं होने की वजह से चाहत को जल्दी उठने की टेंशन नहीं थी।

    चाहत सुबह उठी तब तक सुबह के लगभग 11 बज चुके थे। वो पूरी रात आहान का दिया हुआ विजिटिंग कार्ड अपने हाथ में लेकर सोई रही। सुबह उठकर उसने विजिटिंग कार्ड अपने हाथ में देखा तो उसके फेस पर हल्की स्माइल आ गई।

    “आई होप मुझे इस विजिटिंग कार्ड की जरूरत ना पड़े आहान ओबेरॉय। तुम जिस तरह से मेरे ऊपर हक जमाते हो, मुझे तुमसे डर लगने लगता है। तुम बहुत हैंडसम हो और तुम्हारी दुनिया बहुत अलग। मेरे जैसे लोगों की वहां ना तो कोई जगह है और ना ही कोई रिस्पेक्ट होगी। सो इट वुड बी बेटर कि हम एक दूसरे से दूर रहे।” चाहत ने विजिटिंग कार्ड की तरफ देखकर कहा और फिर उठकर उसे एक ड्रोर में रख दिया।

    चाहत दूसरी तरफ पलटी ही थी कि उसकी नानी पार्वती उसके पास आई और कहा, “आज तुमने उठने में काफी देर लगा दी पर कोई बात नहीं। कभी कभार आराम भी कर लेना चाहिए। मैं बस तुम्हें ये कहने के लिए आई थी कि तुम्हारी दोस्त श्रद्धा घर पर आई हुई है और तुम्हारी मां के साथ किचन में लगी है।” अपनी बात कह कर पार्वती जी चली गई।

    श्रद्धा के आने की बात सुनकर चाहत के फेस पर स्माइल आ गई। वो उसकी इकलौती फ्रेंड थी। ऊपर से उसकी और उसकी मॉम की काफी बनती भी थी। जब भी श्रद्धा आती थी, तब निशा काफी खुश हो जाती थी और उसके लिए खुद अपने हाथों से खाना बनाती थी।

    उन्हें कंपनी देने के लिए चाहत भी फ्रेश होकर किचन में चली गई। किचन के बाहर से ही खाने की बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। चाहत ने किचन में कदम रखा और मुस्कुराते हुए कहा, “क्या बात है... राजमा चावल बनाए जा रहे हैं और अकेले-अकेले खाने की तैयारी भी चल रही है।”

    “हां ऑफ कोर्स.. किचन में खाना बनाने और सीखने के लिए जल्दी उठना पड़ता है मैडम और तुम्हें क्या हो गया? आज तुम देर से क्यों उठी हो? क्या कोई इंटरव्यू नहीं था क्या?” श्रद्धा ने चाहत के पास आकर पूछा। चाहत ने इशारे से इस बारे में बात करने से मना कर दिया।

    चाहत नहीं चाहती थी कि उसे जॉब ना मिलने की बात निशा या पार्वती को पता चले। बात को संभालते हुए श्रद्धा ने अपने सिर पर हल्के से मारते हुए कहा, “हे भगवान, मेरे दिमाग से तो निकल ही गया कि आज शाम वाली पार्टी में तुम्हे सर्व करने जाना है। और बॉस ने खुद ही तुम्हें देर से आने को कहा था। रात को आने में भी देर हो जाएगी इसलिए उसने तुम्हें देर तक सोने के लिए बोला था। आई होप तुमने अपनी नींद पूरी कर ली होगी।”

    चाहत ने हां में सिर हिला दिया। फिर वो श्रद्धा की तरफ देखकर मुंह बनाते हुए बड़बड़ा कर बोली, “कम से कम कोई ढंग का बहाना तो बता देती। अब पूरी रात क्या तेरे घर पर धरना देकर बैठूंगी।”

    जवाब में श्रद्धा ने अपने दोनों कान पकड़ लिए। निशा का पूरा ध्यान कुकिंग में था। वो उन दोनों की तरफ पलटी और कहा, “पता नहीं पूरे दिन दोनों क्या बातें करती रहती हो। जब देखो दोनों की खुसुर फुसुर जारी ही रहती है। खाना लगभग बन कर तैयार है। चाहत तुम पहले नहा कर आओ, फिर बाद में ही कुछ खाना।”

    चाहत ने उनकी बात पर हामी भरी और नहाने के लिए चली गयी। कुछ देर बाद वो तैयार होकर उनके पास आ गई। भले ही चाहत के घर में पैसों की कमी थी लेकिन फिर भी उनके घर के लोगों का नेचर बहुत अच्छा था। श्रद्धा थोड़ी ही देर के लिए वहां आती थी लेकिन उसे अपने घर से ज्यादा अपनापन वहां पर महसूस होता था। वो चारों लोग जमीन पर बैठकर खाना खा रहे थे, जो उन्हें किसी बड़े घर की डाइनिंग टेबल से ज्यादा सुकून दे रहा था।

    श्रद्धा ने खाते हुए कहा, “वाह आंटी, आपके हाथ के बने खाने का कोई जवाब नहीं है। अगर थोड़ा बहुत कुछ इस इडियट को भी सिखा देते तो मेरे काम आ जाती।”

    “एक्सक्यूज मी? बोल भी कौन रहा है, जिसे पानी गर्म करना तक ठीक से नहीं आता। तुम्हारी जानकारी के लिए तुम्हें बता दूं कि मुझे कुकिंग करनी आती है। बस टाइम नहीं मिलता इस वजह से ज्यादा कुछ नहीं बना पाती।” चाहत ने मुंह बनाकर कहा। उसे कुकिंग में इंटरेस्ट था इसलिए कम एज में ही उसने निशा से खाना बनाना सीख लिया था।

    “मेरी चाहत को सब कुछ करना आता है पर न जाने क्यों वो हर काम में गड़बड़ कर देती है।” पार्वती जी चाहत की तरफ देखकर बोली, जिस पर निशा और श्रद्धा हंस पड़ी। चाहत मुंह बनाते हुए उनकी तरफ देख रही थी।

    ये सच था कि चाहत को हर काम करना आता था पर कहीं ना कहीं चाहत गड़बड़ कर ही देती थी और यही वजह थी कि वो एक नौकरी पर ज्यादा टाइम तक नहीं टिक पाती थी।

    खाना होने के बाद चाहत श्रद्धा के साथ बाहर चली गई।

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    आयुष ओबेरॉय के आने की खुशी में विजय ओबेरॉय ने जो वेलकम पार्टी रखी थी। वो किसी होटल में होने के बजाय उन्होंने अपने घर पर ही होस्ट की थी। आखिर उनका घर भी मुंबई के सबसे खूबसूरत घरों में से एक माना जाता था। एक हेरीटेज हवेली, जिसे खरीदने के लिए लोग बड़ी से बड़ी रकम देने के लिए तैयार थे।

    Sha। के लगभग 6:00 बज रहे थे और पार्टी काफी जोरों पर थी। आहान अब तक पार्टी में नहीं आया था। उसका मन नहीं था लेकिन फिर भी अपनी मॉम को किए प्रॉमिस की वजह से उसे पार्टी में आना पड़ रहा था।

    आहान अपने घर पर पार्टी के लिए तैयार हो रहा था। उसके साथ उसकी फ्रेंड तनु भी थी, जो पार्टी में जा रही थी। तनु ने पार्टी के लिए ब्लैक कलर का शॉर्ट ड्रेस पहना था और अपने बालों को पोनीटेल के रूप में स्टाइल कर रखा था। वहीं आहान ने भी ब्लैक कस्टम मेड सूट पहना था।

    आहान को देखकर तनु ने सिर हिला कर कहा, “कौन कह सकता है इतने हैंडसम बंदे को एंगर डिसऑर्डर है। कोई बात नहीं दोस्त, मुझ पर यकीन रखो। एक न एक दिन मैं तुम्हें ठीक कर ही दूंगी।”

    “मुझे मेरी बीमारी का इलाज मिल गया है तनु। बस वो मेरे पास आ जाए फिर मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है।” आहान ने पूरे एटीट्यूट के साथ कहा।

    उसकी बात सुनकर तनु ने उसकी तरफ मुंह बनाया और ड्रैमेटिक वे में कहा, “अच्छा कौन है वो लड़की, जो मुझसे मेरा काम छीनने पर तुली है। कितनी बेदर्द लड़की है, जो मेरे पेट पर लात मार रही हैं। मेरा क्या होगा? क्या तुमने किसी दूसरी कंट्री से साइक्राटिस्ट बुलाई है।”

    “वो कोई साइक्राटिस्ट नहीं है। शी इस माय डॉल। न जाने क्या पॉजिटिव वाइब्स है उस लड़की की कि उसके पास आते ही मेरा गुस्सा हवा में छू हो जाता है। आई विश कि मैं तुम्हें लाइव डेमो दे पाता।” आहान ने चाहत के बारे में बताया।

    “क्या बात है डॉल एंड ऑल? लगता है तुम्हारी डॉल इस गुड्डे का दिल चुराने लगी है। अगर वो लड़की तुम्हारे काम की है तो तुम उसे अपने पास क्यों नहीं ले आते? तुम जो फीस मुझे पे करते हो, उतने पैसों में कोई भी लड़की तुम्हारा गुस्सा कम करने के लिए काम आ सकती हैं।” तनु ने एडवाइज दी हालांकि आहान उसे एक मोटी फीस पै करता था लेकिन दोस्त होने के नाते वो चाहती थी कि आहान जल्द से जल्द अपने गुस्से पर काबू पा ले।

    आहान ने उसकी बात पर हामी भरी और फिर मायूसी से कहा, “मैंने कहा ना मेरी डॉल सबसे अलग है। उसे पैसों का बिल्कुल लालच नहीं। बस यही वजह है कि मैं उसे अपने पास नहीं ला पा रहा। पर कोई बात नहीं, आज नहीं तो कल उसे मेरे पास आना ही होगा।” बोलते हुए आहान की आवाज में काफी कॉन्फिडेंस था।

    “ठीक है ले आना लेकिन फिलहाल पार्टी में चलते हैं। मुझे पता है तुम अपनी शक्ल दिखा कर वहां से वापस लौट आओगे लेकिन मुझे पार्टी इंजॉय करनी है। सुना है, तुम्हारा भाई बहुत हैंडसम है। तुम्हारी प्रॉब्लम को जानते हुए कभी मैंने तुम्हें पटाने के बारे में सोचा भी नहीं। तो क्यों ना तुम्हारे भाई को पटा लूं और तुम्हारी भाभी बन जाऊं।” तनु ने भौंहें उठाकर कहा, जिस पर आहान ने बिना कुछ कहे सिर हिला दिया।

    तनु और आहान वहां से पार्टी के लिए निकल चुके थे। वही एक सरप्राइज आहान के लिए आगे तैयार खड़ा था।

    आहान जैसे ही पार्टी में पहुंचा, मीडिया वाले उसे घेरने लगे। आहान के सिक्योरिटी गार्ड्स ने उन सबको हटाया और उसे अंदर लेकर गए। पार्टी में भी सबका सेंटर ऑफ अट्रैक्शन आहान ओबेरॉय ही था। जैसे ही आहान अंदर गया, सामने देखते ही गुस्से से उसकी आंखें सर्द हो गई थी और उसने अपनी उंगलियों पर बैक काउंटिंग शुरू कर दी।

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  • 14. My doll - Chapter 14

    Words: 1990

    Estimated Reading Time: 12 min

    ओबेरॉय मेंशन में आयुष की वेलकम पार्टी चल रही थी। शिवानी और आयुष की खुशी के लिए आहान भी पार्टी में पहुंचा। जैसे ही उसने अपने कदम ओबेरॉय मेंशन की तरफ बढ़ाए गुस्से से उसकी आंखें लाल हो गई।

    आहान की नजरे एकटक सामने की तरफ थी। सामने चाहत थी, जिसने इस वक्त वेट्रेस की ड्रेस पहन रखी थी। ड्रेस कोड के हिसाब से उसने शॉर्ट ब्लैक एंड रेड चेक्सिंग स्कर्ट और ऊपर व्हाइट शर्ट पहना था। उसके बाल पोनीटेल के रूप में बंधे थे। चाहत के हाथ में ड्रिंक्स की ट्रे थी, जिसे वो गेस्ट्स में सर्व कर रही थी।

    आहान ने गहरी सांस लेकर छोड़ी, तभी तनु की आवाज से उसका ध्यान टूटा। तनु ने आहान का हाथ पकड़कर कहा, “हम यहां पार्टी में हैं आहान और तुम गुस्सा नहीं कर सकते हो। मैं तुम्हारे लिए ड्रिंक लेकर आती हूं। तब तक तुम कहीं अकेले जाकर बैठ जाओ।” तनु आहान की डॉक्टर थी। उसने आहान का चेहरा देखकर ही समझ लिया था कि उसे इस वक्त बहुत तेज गुस्सा आ रहा है।

    आहान उस वक्त कुछ भी रिएक्ट नहीं करना चाहता था। उसने चुपचाप तनु की बात मान ली और एक चेयर पर जाकर बैठ गया। फिर भी उसकी नज़रें चाहत पर ही टिकी थी।

    वही आहान को देखते ही शिवानी और आयुष उसके पास आए। वो भी आहान के पास ही बैठ गए।

    आहान को वहां देखकर आयुष बहुत खुश था। उसने आहान के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा, “थैंक यू सो मच भाई यहां आने के लिए। जिस हिसाब से कल आप बिजी थे। मुझे लगा नहीं था कि आप पार्टी में आओगे।”

    “तुम्हारी वेलकम पार्टी थी आयुष। मुझे तो आना ही था।” आहान ने धीरे से जवाब दिया।

    फिर शिवानी ने आहान के चेहरे की तरफ देखा। वो काफी शांत नजर आ रहा था लेकिन उसके दिल में काफी कुछ चल रहा था। आहान की नजर एक तरफ थी। शिवानी ने उसकी नजरों को फॉलो करके देखा तो वहां एक लड़की को देख रहा था, जो ड्रिंक सर्व कर रही थी।

    शिवानी ने आहान की तरफ देखकर सख्त लहजे में पूछा, “सब ठीक है ना आहान?”

    शिवानी की बात सुनकर आहान ने उनकी तरफ देखा। आहान उनकी बात का कोई जवाब देता उससे पहले तनु वहां ड्रिंक के साथ आ गई। उसने आहान के बिहाफ में जवाब देते हुए कहा, “हां हां आंटी सब ठीक है। आपका बेटा इतना बिजी रहता है कि इस वक्त भी इसे अपनी मीटिंग की ही परवाह है।” तनु मुस्कुराते हुए उनके पास बैठ गई और आहान के हाथ में ग्लास थमा दिया।

    आयुष ने तनु की तरफ देखा। वो काफी टाइम बाद सबको मिल रहा था। हालांकि तनु उनकी फैमिली फ्रेंड थी इसलिए वो पहले से तनु को जानता था।

    आयुष ने तनु को पहचानने की कोशिश करते हुए कहा, “इफ आई एम नॉट रॉन्ग तुम तनु हो ना? तनीषा रायचंद? रायचंद अंकल की बेटी।”

    “चलो अच्छा है, तुम अभी तक मुझे नहीं भूले हो। तुमने मुझे बिल्कुल ठीक पहचाना।” तनु ने जवाब दिया और फिर आयुष से हैंडशेक किया।

    “तुम लोग बातें करो। मैं गेस्ट को अटेंड करता हूं।” आहान ने कहा और उठकर चाहत की तरफ जाने लगा।

    आहान एक बिजनेस मैन के ग्रुप के पास जाकर खड़ा हो गया ताकि चाहत के आसपास रह सके। उसे अपने पास देखकर उस ग्रुप के बिजनेसमैन भी खुश हो गए।

    आहान के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था और उनकी बातों पर हामी भरते हुए उनकी बातों में इंवॉल्व होने की कोशिश कर रहा था।

    उनमें से एक आदमी बोला, “आजकल आपकी कंपनी के स्टॉक्स तो कुछ ज्यादा ही आसमान छू रहे हैं मिस्टर ओबेरॉय। थोड़ी हेल्प अपने पापा की भी करवा दीजिए। सुना है आजकल उनकी कंपनी कुछ खास फायदे में नहीं चल रही।”

    “उनका एक्सपीरियंस मुझसे ज्यादा है मिस्टर मित्तल। मुझसे बेहतर वो अपनी कंपनी को रन करना जानते हैं। आई डोंट थिंक कि उन्हें मेरी एडवाइस की जरूरत होगी।” आहान ने जवाब में कहा।

    आहान उनकी बातों से इरिटेट हो रहा था। उसने वहां से निकलने की सोची लेकिन तभी उसके कानों में पीछे खड़े एक आदमी की बात पड़ी। वो भी कोई बिजनेसमैन ही था।

    उसने अपने पास खड़े आदमी से कहा, “तुमने उस वेट्रेस को देखा। यार बिल्कुल किसी गुड़िया की तरह लग रही है।”

    “हां देखा मैने.... वैसे फिक्र की कोई बात नही है। ये पार्टी रोहित सूरी की टीम मैनेज कर रही है। वेट्रेस को एक्स्ट्रा टिप दो या फिर सूरी से बात कर लो। आज रात के लिए वो तुम्हारी होगी।” उसके पास खड़े आदमी ने आंख मारते हुए जवाब दिया।

    आहान ने मुड़कर उनकी तरफ देखा। वो दोनो ही लगभग चालीस साल के पार थे और दिखने में मोटे थे। आहान ने उनकी बात इग्नोर करने की कोशिश की। उसे लगा वो किसी और के बारे में बात कर रहे है।

    तभी उनमें से एक आदमी बोला, “रुको पहले उसी पर ट्राई कर लेता है। वैसे भी इस तरह की लड़कियां पैसो के लिए आसानी से मान जाती है।” अपनी बात कहकर उस आदमी ने चाहत को इशारे से अपनी तरफ आने को कहा।

    वैसे भी आहान चाहत के आसपास ही खड़ा था। उसे नहीं पता था कि वो लोग चाहत के बारे में बात कर रहे हैं। उसके इशारे करने पर चाहत मुस्कुराते हुए ड्रिंक उनके पास ले जाने लगी, वही चाहत को उनके पास जाते देख आहान ने गुस्से में अपनी मुठ्ठियां कस ली।

    आहान के लिए अब उसका गुस्सा काबू करना मुश्किल हो रहा था। उन दोनों आदमियों के इरादों से बेखबर चाहत उनकी तरफ बढ़ रही थी। तभी आहान ने अपना पैर बीच में लगाया और चाहत लड़खड़ाकर गिर पड़ी। एक बार फिर चाहत की ड्रिक आहान के महंगे सूट पर पड़ी थी लेकिन इस बार चाहत पर गुस्सा करने के बजाय आहान के फेस पर इविल स्माइल थी। चाहत नीचे गिरती उससे पहले आहान ने उसे थाम लिया था।

    वही पार्टी में अचानक से सन्नाटा छा गया। पार्टी में मौजूद हर कोई शख्स आहान और चाहत की तरफ देख रहा था। आहान चाहत की आंखों में देख रहा था।

    उन दोनों को साथ देकर वो दोनों आदमी तुरंत वहां से हट गए। चाहत जल्दी से आहान से दूर हुई और उसने हड़बड़ाते हुए उसे सॉरी कहा।

    आहान नहीं चाहता था कि चाहत पार्टी में और देर रुके। आहान खुद भी पार्टी में पूरी देर रुककर चाहत को प्रोटेक्ट नहीं कर सकता था इसलिए उसने अपने चेहरे पर गुस्से के भाव लाए और चिल्लाकर कहा, “सॉरी? इतनी बड़ी गलती के लिए तुम मुझे सिर्फ एक सॉरी कह रही हो। ये दूसरी बार हुआ है। तुम अपना काम ठीक से कर नहीं सकती तो तुम्हें बार-बार काम देता कौन है।”

    “सर मैंने जानबूझकर नहीं किया। मुझे नहीं पता लेकिन किसी ने चलते वक्त अपना पैर मेरे बीच में कर दिया था। मैं बिल्कुल ठीक से चल रही थी लेकिन बीच में किसी का पैर आने से मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं गिर गई।” चाहत ने अपनी तरफ से सफाई देने की कोशिश की।

    आहान ने चाहत की तरफ सर्द निगाहों से देखा और कहा, “तुम मुझसे बहस कर रही हो? तुम्हें यहां पार्टी में बुलाया किसने है और किसने अरेंज की हैं ये पार्टी।” आहान रोहित सूरी का चेहरा देखना चाहता था।

    वहां ज्यादा तमाशा खड़ा ना हो इसलिए रोहित सूरी जल्दी से दौड़कर उसे तरफ आया। वो पार्टी की अरेंजमेंट देख रहा था। वैसे भी आहान ओबेरॉय से कोई पंगा नहीं लेना चाहता था। हर कोई उसके साथ बिजनेस करना चाहता था ना कि उसे नाराज करके अपना बिजनेस खत्म करना।

    रोहित सूरी ने आहान के पास आकर कहा, “आई एम सॉरी सर। इन मोमेंट पर एक लड़की की जरूरत थी और मेरे कुछ स्टाफ इमरजेंसी लीव पर थे। अब ये लड़की आपको पार्टी में नहीं दिखेगी। मैं इसे अभी भेज देता हूं। इसने जो भी किया, ये उसके लिए आपसे सॉरी बोलकर चली जाएगी।”

    रोहित की बात सुनकर चाहत को भी गुस्सा आ गया। इस बार उसकी कोई गलती नहीं थी और उसने यही सीखा था कि जब तक आपकी गलती ना हो, आपको झुकना नहीं चाहिए।

    चाहत ने हैरानी से रोहित की तरफ देखा और कहा, “किस बात पर सॉरी बोलूं मैं? मेरी कोई गलती नहीं है। जब मैं कह रही हूं कि किसी ने मुझे जानबूझकर गिराया है। फिर आप लोग मेरी बात का यकीन क्यों नहीं कर रहे।” चाहत की आवाज हल्की तेज थी।

    वही विजय ओबेरॉय ने सब कुछ देखा तो उन्होंने मन ही मन कहा, “इस लड़के की आदत हो गई है सब जगह तमाशा लगाने की। क्या जरूरत है इस छोटी सी लड़की को इतना भाव देने की? निकालो इसे यहां से पकड़ कर... लेकिन नहीं, इसे तो बस सीन क्रिएट करना है।”

    चाहत की बात सुनकर रोहित सूरी को भी गुस्सा आ गया। उसने चाहत की बाजू को कसकर पकड़ा और गुस्से में उसकी आंखों में देखकर कहा, “दिखने में खूबसूरत हो इसका मतलब ये नहीं की कही की शहजादी हो। अपनी औकात मत भूलो वरना मुझे याद दिलाना अच्छे से आता है।”

    किसी को कुछ भी कहने का मौका नहीं मिला और रोहित चाहत की बाजू पकड़ कर उसे खींचते हुए बाहर ले आया। उसकी इस हरकत पर आहान को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपने गुस्से को कैसे काबू में ले। वो बस चाहत को वहां से निकालना चाहता था लेकिन रोहित जिस हिसाब से बदतमीजी से चाहत को पकड़ कर लेकर गया था, वो भी उसे बर्दाश्त नहीं था।

    “तुम लोगों के बीच सेफ नहीं हो डॉल। सिर्फ तुम्हें मैं ही सेफ रख सकता हूं अपने घर पर और मेरी बाहों में। एक बार तुम मेरे पास आ जाओ फिर तुम्हें कोई तंग नहीं करेगा।” आहान ने अपने मन में कहा।

    रोहित चाहत को पार्टी से निकल चुका था। यहां तक कि उसने उसे उसकी पेमेंट भी नहीं दी थी। वही आहान अब पार्टी से निकल चुका था आयुष उसके पीछे बात करने के लिए आ रहा था लेकिन शिवानी ने उसे रोक लिया।

    आहान‌ ने कॉल पर एक आदमी को कनेक्ट किया और उससे कहा, “निखिल मैं बोल रहा हूं। तुम्हें एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी का लिंक भेज रहा हूं। उसका मालिक रोहित सूरी है। उसके सारे प्राइवेट डाटा हैक करो और उसकी कंपनी के शेयर्स को कोडियों के दाम बेच दो। याद रखना, सुबह तक वो आदमी मुझे रोड पर चाहिए। अगले 12 घंटे में मुझे उसे बैंकरप्ट करना है ताकि उसे भी समझ आ जाए कि आहान ओबेरॉय की डॉल पर हाथ डालने का क्या नतीजा होता है।”

    “ओके सर हो जाएगा।” सामने से निखिल की आवाज आई। वो उम्र में सिर्फ 21 साल का था और हैकिंग का काम करता था। वो एक प्रोफेशनल हैकर था और आहान के लिए काम करता था। अब तक उसने आहान के लिए काफी सारे काम किए थे, जो लीगल तो बिल्कुल नहीं थे।

    निखिल तुरंत अपने काम में लग गया तो वही आहान अपनी गाड़ी लेकर चाहत को ढूंढने चला गया। चाहत पार्टी से निकाल कर बस का वेट कर रही थी। उसने अपनी ड्रेस चेंज कर ली थी। वैसे भी वो इतने शॉर्ट कपड़े नहीं पहनती थी इसलिए वो उनमें अनकंफरटेबल हो रही थी। चाहत ने घुटनों से थोड़ा लंबा फ्रॉक पहन रखा था।

    चाहत की आंखों में आंसू और गुस्से के मिले-जुले भाव थे। वो बड़बड़ा कर बोली, “मुझे अच्छे से याद है किसी ने मेरे बीच में अपना पैर अड़ाया था। और ये आहान ओबेरॉय समझता क्या है खुद को? कभी तो बोलता है कि तुम्हारी हेल्प करूंगा। मेरे पास जॉब करने आ जाना। पिछली बार भी इसी की वजह से मेरी जॉब गई थी और इस बार भी। कितनी मुश्किल से मुझे उस रोहित सूरी के यहां काम मिला था। अगर ये काम अच्छे से करती तो आगे भी वो मुझे बुला ही लेता लेकिन पता नहीं इस आहान ओबेरॉय को मुझसे क्या प्रॉब्लम है।”

    चाहत को मन ही मन आहान पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वो इस बात से अनजान थी कि जिस आहान ने पार्टी में उसकी इंसल्ट की थी, उसने उसे कितने बड़े खतरे से बचाया भी था और अब उसे मुंबई की सड़कों पर पागलों की तरह ढूंढ रहा था।

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  • 15. My doll - Chapter 15

    Words: 1279

    Estimated Reading Time: 8 min

    चाहत को ओबेरॉयज की पार्टी से निकलवाने के बाद आहान उसे मुंबई की सड़को पर ढूंढ रहा था। चाहत बस स्टॉप पर खड़ी बस के आने का वेट कर रही थी।

    आहान को चाहत नही मिली तो उसने मोंटी को कॉल किया। आहान का कॉल देखते ही मोंटी समझ गया कि जरूर उसने चाहत के बारे में पूछने के लिए कॉल किया होगा। मोंटी चाहत से थोड़ी दूर खड़ा था और उसकी नजरें एक सेकंड के लिए भी चाहत से इधर उधर नही हुई।

    आहान का कॉल पिक करते ही मोंटी बोला, “मैम यहां बस का वेट कर रही हैं।”

    “कौनसे स्टॉप पर?” आहान ने पूछा। चाहत का पता चलने पर उसने कुछ हद तक राहत की सांस ली।

    “वेस्ट में हूं। रात काफी हो गई थी तो मैंने उन्हें अकेले छोड़ना सही नही समझा। मैने पता किया है। बस अगले दस मिनिट में पहुंच जाएगी। आप बेफिक्र रहिए। इन्हें घर छोड़ने के बाद ही मैं घर जाऊंगा।” मोंटी ने जवाब दिया। वो अपना काम बखूबी कर रहा था।

    मोंटी के बताते ही आहान ने अपनी लोकेशन चेक की। वो उस स्टॉप से लगभग पंद्रह मिनट की दूरी पर था। उसने मोंटी से कहा, “मै दस मिनट में वहां पहुंचता हूं। डॉल बस में नहीं बैठनी चाहिए।”

    “जी सर।” मोंटी ने हामी भरी।

    आहान ने जल्दी से कॉल कट किया और मोंटी की बताई लोकेशन पर लगभग सात मिनट में पहुंच गया। उसकी गाड़ी देखते ही मोंटी वहां से निकल गया।

    आहान गाड़ी से बाहर निकला। उसने देखा चाहत नीचे सिर करके बैठी थी। उसका चेहरा रोने से लाल हो गया। हालांकि अब वो रो नही रही थी।

    आहान धीरे से चाहत के पास जाकर बैठ गया। उसने धीमी आवाज में कहा, “रोहित सूरी की इमेज अच्छी नहीं है। वो अपने यहां काम करने वाली लड़कियों को अपने वीआईपी क्लाइंट्स के पास भेजता है ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा इवेंट्स मिल सके। इतनी समझदार तो तुम भी हो, तो तुम्हें बताने की जरूरत नही है कि वो उन्हें अपने क्लाइंट्स के पास क्यों भेजता होगा।” आहान ने सीधे सीधे सारा सच बता दिया।

    आहान की आवाज सुनकर एक पल के लिए चाहत चौंक गई। फिर उसने आहान के चेहरे की तरफ देखा और जवाब में कहा, “अगर वो मुझे कही भेजता तो मैं मना कर देती। ये मेरी प्रोब्लम है। मैं खुद संभाल लेती। पार्टी में आपने ही मुझे पैर लगा कर गिराया था ना आहान?”

    चाहत के मुंह से अपना नाम सुनकर आहान के फेस पर हल्की सी स्माइल आ गई। उसने तुरंत अपने चेहरे के भावों को नॉर्मल किया और कहा, “तुम दिखने में जितनी खूबसूरत हो उतनी ही मासूम भी हो। ऐसे लोग अपना काम निकलवाना अच्छे से जानते है। वो तुम्हे धोखे से वहां भेज देता तो फिर क्या करती।”

    चाहत के पास आहान को बातों का कोई जवाब नही था। उसने तो कभी सेल्फ डिफेंस तक की ट्रेनिंग नहीं ली थी। आहान की बातें सुनने के बाद चाहत के दिल में फिर से दुनिया के सभी मर्दों के लिए नफरत की आग जलने लगी।

    चाहत ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और आहान की तरफ देखकर कहा, “थैंक्स मिस्टर ओबेरॉय, जो आपने मेरे बारे में इतना सोचा। फिर भी मुझे आपका तरीका नही पसंद आया। आपकी वजह से पार्टी में सबके सामने उस आदमी ने घसीट कर बाहर निकाला। मुझे उस टाइम कैसा लग रहा था आपको तो आइडिया भी नही होगा।” चाहत आहान के सामने कुछ ज्यादा ही मैच्योरली बिहेव कर रही थी। उसके दिल में जो भी था, उसने आहान को बता दिया।

    चाहत की बातों से आहान को भी गुस्सा आने लगा। रोहित सूरी ने वाकई बहुत बुरे तरीके से चाहत को पार्टी से निकाला था।

    कुछ पल रुकने के बाद फिर आहान बोला, “मेरे तरीके भले ही गलत हो डॉल, पर इरादे अच्छे होते है।” आहान ने भौंहे उठाकर कहा।

    चाहत के मुंह से खुद के लिए डॉल सुनकर चाहत ने अजीब सा मुंह बनाया। अचानक उसकी सारी मैच्योरिटी धरी की धरी रह गई।

    “डॉल? आप मुझे डॉल बुलाना बंद करेंगे आहान? मैं इंसान हूं, ना कि कोई डॉल।” चाहत बेंच पर से खड़ी होकर बोली। ऐसा करते हुए वो कुछ ज्यादा ही क्यूट लग रही थी।

    आहान भी खड़ा हो गया। उसने जवाब में कहा, “मैंने कहा ना मेरे तरीके कुछ लोगों को पसंद नहीं आते लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत हो। तुम खुद को देखो एक बार मेरी नजरों से, तुम बिल्कुल किसी डॉल की तरह लगती हो। मैंने कब कहा कि तुम इंसान नहीं हो। तुम इंसान हो, जो एक डॉल की तरह लगती है।” आहान पहली बार किसी से इतना ज्यादा वो भी एक साथ बोला था।

    “ओके, फिर भी आप मुझे डॉल नही बुलाओगे।” चाहत बोली।

    आहान को आगे कुछ कहने का मौका नहीं मिला। उसने देखा चाहत की बस आ गई है। बस में पहले से काफी भीड़ थी और रात का टाइम होने की वजह से मेल पैसेंजर ज्यादा थे।

    चाहत बस में बैठने को हुई तभी आहान ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “मै ड्रॉप कर दूंगा और मुझे कोई बहस नही चाहिए।”

    चाहत ने उसकी बात पर हामी भरी। इस बार उसने भी बहस नही की क्योंकि बस में वाकई काफी भीड़ थी। आहान ने चाहत को अपनी गाड़ी के पास आने का इशारा किया और खुद आगे आगे चलने लगा।

    आहान ने चाहत के लिए गाड़ी का दरवाजा खोला। चाहत अंदर आकर बैठ गई। आहान फिर ड्राइविंग सीट पर आया और चाहत को उसके घर ले जाने लगा।

    रास्ते में आहान ने चाहत से पूछा, “तो क्या सोचा है तुमने मेरे पास आने के बारे में?”

    “कुछ भी नही। मैने आपको बता तो दिया कि मुझे जॉब मिल गई है। फिर क्या जरूरत है मुझे आपके पास आने की?” चाहत ने जवाब दिया।

    आहान ने आगे कहा, “और कौनसी जॉब? मेरी वजह से दूसरी बार तुम्हारी जॉब चली गई। ऐसा करना कल मेरे ऑफिस आ जाना। वैसे भी मैने तुम्हें तीन दिन का टाइम दिया था। उसमे बस एक दिन बचा है। तुम्हे टाइम बीतने का वेट करने की जरूरत नहीं है। कल आ जाना।”

    “और अगर मैं नही आई तो....” चाहत ने चैलेंजिंग वॉयस में कहा।

    गाड़ी चला रहे आहान के चेहरे के भाव अचानक बदलने लगे। उसे चाहत का टोन सुनकर गुस्सा आने लगा। उसने चाहत की तरफ देखा और सर्द में कहा, “फिर तो तुम आकर मेरे पैर भी पकड़ोगी ना, तब भी मैं तुम्हारी हेल्प नहीं करूंगा। हां, ये हो सकता है, फिर तुम्हें मुंबई में कोई और जॉब ना दे।”

    चाहत ने आहान की बातों को सीरियसली नहीं लिया। उसने उसे परेशान करने के लिए कहा,“चलो ये भी देख लेंगे। वैसे कल का दिन बीतने वाला है मिस्टर ओबेरॉय एंड आई बेट यू कि मैं आपके पास नहीं आऊंगी।”

    “और आई बेट यू डॉल, उसके लिए तुम जिंदगी भर पछताने वाली हो।” आहान ने भौंहे उठाकर सर्द आवाज में कहा।

    चाहत ने भले ही आहान की बातों को सीरियसली ना लिया हो, लेकिन आहान उस वक्त सच में सीरियस था।

    वो दोनों बातें कर रहे थे, उतने में चाहत का घर आ गया था आहान ने उसे ड्रॉप किया और वहां से जाने को हुआ था तभी चाहत कार की विंडो के पास झुकी और कहा, “थैंक यू मिस्टर ओबेरॉय। और हां, मैं नही आने वाली।”

    “गुड बाय डॉल.. जब तुमने सोच ही लिया है कि तुम नहीं आओगी, तो शायद ये हमारी आखिरी मुलाकात है।” आहान ने जवाब दिया और गाड़ी स्टार्ट की।

    आहान वहां से चला गया और चाहत उसे जाते हुए देख रही थी। उस पर आहान के गुड बाय का भी कोई असर नहीं हुआ, तो वही गाड़ी चला रहे आहान को अपने सीने में दर्द महसूस होने लगा। उसके लिए चाहत को गुड बाय बोलना आसान नहीं था।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

    आपको क्या लगता है, चाहत आहान के पास आएगी?

  • 16. My doll - Chapter 16

    Words: 1883

    Estimated Reading Time: 12 min

    चाहत को घर छोड़ने के बाद आहान घर को जा रहा था। उसने चाहत को अपने पास आने के लिए 3 दिन का टाइम दिया था। उन तीन दिनों में बस एक दिन बचा था और चाहत ने कल भी आहान के पास जॉब के लिए आने के लिए मना कर दिया था। आहान ने अपनी जिद के चलते चाहत से ये तक कह दिया था कि अगर वो कल नहीं आई तो उसके बाद अगर वो उसके पैर भी पकड़ेगी तब भी आहान उसे अपनी लाइफ में नहीं आने देगा।

    आहान इस वक्त बहुत ज्यादा गुस्से में था। जो चाहत उसका गुस्सा शांत कर देती थी आज उसी की वजह से आहान इतना गुस्से में था और काफी रैश ड्राइविंग कर रहा था।

    “हाउ कुड यू डॉल? हाउ कुड यू डू थिस विद मी। मैं यहां तुम्हारे लिए इतने एफर्ट्स डाल रहा हूं और तुमने डायरेक्ट आने से मना कर दिया। आई डेयर यू डॉल अगर तुम कल नहीं आई तो उसके बाद तुम्हारे साथ जो भी होगा उसकी जिम्मेदार तुम खुद होगी। आना तो तुम्हें मेरी लाइफ में पड़ेगा पर मेरे तरीके से और मेरे तरीके अक्सर लोगों को पसंद नहीं आते हैं।” आहान ने सर्द आवाज में कहा।

    आहान को इस वक्त बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था और ऐसे में चाहत उसकी कोई मदद नहीं कर सकती थी। आहान ने इस वक्त तनु को कॉल किया जो अब तक पार्टी में थी।

    तनु के कॉल रिसीव करते ही आहान ने तेज आवाज में कहा, “तनु मुझे गुस्सा आ रहा है। कुछ करो जिससे ये शांत हो जाए वरना मैं किसी की जान ले लूंगा।‌ ट्रस्ट मी मुझे जिस पर गुस्सा आया है मैंने उसकी जान ली तो मुझसे ज्यादा पछतावा किसी को नहीं होगा।”

    आहान की आवाज से ही तनु समझ गई थी कि इस वक्त वो किस कंडीशन से गुजर रहा है। आहान बचपन से अपनी इस बीमारी से गुजर रहा था और ये आखिरी फेज था जब आहान के एंगर पर उसका खुद का कोई कंट्रोल नहीं रहा था। ना ही कोई दवाइयां या और थेरेपी उस पर काम कर रही थी। अक्सर तनु आहान को गुस्से में नींद की दवाई देने को कहती थी ताकि सोने पर वो सब भूल जाए। अब तो ये हाल हो गया था कि एक या दो गोली लेने से आहान को नींद तक नहीं आती थी। उसे एक साथ तीन से चार गोलियां लेनी पड़ती थी तब जाकर वो कुछ देर सो पता था।

    तनु जल्दी से पार्टी से बाहर निकली और आहान से कहा, “जस्ट रिलैक्स आहान, ओके जस्ट रिलैक्स। गहरी गहरी सांसे लो और मुझे बताओ तुम कहां हो? मैं अभी आती हूं।”

    “मुझे नहीं पता मैं कहां पर हूं पर इस वक्त घर जा रहा हूं। रास्ते में अगर कोई मेरे बीच आया और मेरी गाड़ी से टकराया तो मैं नहीं जानता क्या होगा।” आहान ने जवाब दिया। उसने अपने फोन के जीपीएस की तरफ देखा तो वो घर से लगभग 5 मिनट की ही दूरी पर था। आहान ने आगे कहा, “लकी आई एम कि मेरा घर सिर्फ 5 मिनट की दूरी पर है। प्लीज जल्दी आ जाओ। आई कांट हॉल्ड मायसेल्फ।”

    आहान तनु से बात कर रहा था तभी कोई साइकिल पर एक इंसान उसकी गाड़ी के सामने आया। आहान की गाड़ी की स्पीड काफी तेज थी। वो गाड़ी से टकराकर कुछ कदम दूर जाकर गिर पड़ा।

    आहान ने जल्दी से ब्रेक लगाकर गाड़ी रोकी और धीरे से कहा, “मैं क्यों भूल जाता हूं कि मैं कभी लकी नहीं रहता।”

    तनु भी इस वक्त गाड़ी में थी और आहान के घर के लिए निकल रही थी। वो आहान से कॉल पर जुड़ी हुई थी ताकि वो खुद को हर्ट ना कर ले। जैसे ही आहान ने गाड़ी के ब्रेक लगाए, वो समझ गई थी कि उसने कोई ना कोई कांड कर दिया है।

    “मैं तुमसे बाद में बात करता हूं और अब मैं तुम्हें मेरे घर पर नहीं मिलूंगा।” आहान ने कहा और फिर कॉल कट कर दिया।

    वही आहान के कॉल कट करते ही तनु धीरे से बड़बड़ा कर बोली, “इसका गुस्सा बढ़ता जा रहा है अगर यही हाल रहा तो... मैं अपने फ्रेंड को मेंटल एसाइलम में नहीं देखना चाहती खासकर तब तो बिल्कुल नहीं जब वो इतना टैलेंटेड हो। आहान ओबेरॉय का नाम एशिया के टॉप बिजनेसमैन में आता है। अगर ये खबर बाहर चली गई तो सब बर्बाद हो जाएगा। मैं आहान को बर्बाद होते नहीं देख सकती। मुझे उससे बात करनी होगी कि वो कौन है जो उसके गुस्से को शांत कर सकती है। आहान को ठीक होना होगा।” आहान ने तनु को अपने घर आने से मना कर दिया था फिर भी तनु कहीं और जाने के बजाय आहान के घर ही जा रही थी।

    वहीं दूसरी तरफ आहान गाड़ी से बाहर निकला। उसने जिस साइकिल को हिट किया था उस पर लगभग 20-22 साल का लड़का बैठा था, जो अपने काम से वापस लौट रहा था। गाड़ी की टक्कर लगने से उसके पैर साइकिल में उलझे थे और माथे पर हल्की चोट लगी थी। उसका पैर देखकर साफ पता चल रहा था कि उसके पैर में फ्रैक्चर हो गया है।

    आहान ने उसे साइकिल से बाहर निकाला और फिर उठाकर अपनी गाड़ी में रख दिया। उसके बाद आहान ड्राइविंग सीट पर आया और उस लड़के की तरफ देखकर कहा, “हम हॉस्पिटल चल रहे हैं।”

    “आप काफी तेज गाड़ी चला रहे थे। आपके सामने ध्यान दे देना चाहिए था। मेरा घर जाना ज्यादा जरूरी है मैं अपना देख लूंगा। प्लीज घर छोड़ दीजिएगा।” लड़के ने दर्द से कराहते हुए कहा। वो देखने में काफी सीधा-साधा लग रहा था और साफ पता चल रहा था कि सच में उसे इस वक्त घर जाना जरूरी है, तभी वो अपनी चोट को भूलकर घर जाने पर ज्यादा ध्यान दे रहा था।

    “मैं तुम्हें हॉस्पिटल लेकर जा रहा हूं। अगर तुम्हें घर पर कोई काम है तो मुझे बता दो। मैं तुम्हारे घर वालों को इन्फॉर्म कर दूंगा।” आहान ने जवाब दिया और गाड़ी स्टार्ट की।

    लड़का कुछ पल के लिए चुप हो गया। फिर वो धीरे से बोला, “मेरी बहन कैंसर पेशेंट है। उसी के लिए काम करता हूं। उसकी तबीयत खराब हो गई थी इसलिए अपनी नाइट ड्यूटी से घर जा रहा था।”

    उस लड़के की बात सुनकर आहान भी कुछ पल के लिए रुक गया। वो भी कंफ्यूज हो गया कि उस लड़के का इस वक्त अपनी बहन के पास जाना ज्यादा जरूरी है या फिर हॉस्पिटल।

    आहान ने कुछ पल सोचा और फिर बिना किसी भाव के कहा, “क्या उसकी तबीयत इतनी खराब है कि वो मर भी सकती है?”

    “ये आप कैसी बात कर रहे हो मेरी बहन क्यों मरेगी? उसकी तबीयत खराब है पर ट्रीटमेंट चल रहा है वो ठीक हो जाएगी।” लड़के ने हल्के गुस्से में जवाब दिया। एक तो आहान ने उसे टक्कर मार दी थी ऊपर से उससे काफी रुडली बात भी कर रहा था।

    आहान ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और कहा, “फिर तुम्हारा हॉस्पिटल जाना ज्यादा जरूरी है। रही बात तुम्हारी बहन की तो मैं घर पर इन्फॉर्म कर दूंगा और हां, उसके इलाज में पैसों की जरूरत हो तो बताना। तुम अच्छे इंसान लग रहे हो वरना अक्सर मैंने जिन्हें भी टक्कर मारी है वो इतनी बुरी तरह रिएक्ट करते हैं कि...” बोलते हुए आहान रुक गया। वो नहीं बताना चाहता था कि सामने वाले के बुरी तरह रिएक्ट करने पर गुस्से में वो उनका क्या हाल करता था।

    “अच्छा तो आप आए दिन एक्सीडेंट करते रहते हैं। आपको गाड़ी ध्यान से चलानी चाहिए। आपकी जान को भी खतरा हो सकता है। आपकी गाड़ी और आपको देखकर लग रहा है कि आप कोई आम इंसान नहीं है सर।” लड़के ने अपनी तरफ से एडवाइस दी जिसे आहान ने पूरी तरह इग्नोर कर दिया।

    कुछ ही देर में हॉस्पिटल आ गया था। आहान ने उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया और एडवांस में उसकी फीस पे करके वहां से निकल गया।

    ______________

    वहीं दूसरी तरफ चाहत अपने घर पर पहुंची। उसने आहान को कल ना आने का कह दिया था और ना ही आहान की बातों को ज्यादा सीरियसली लिया था।

    ऊपर आते ही उसकी मां और नानी उसे हैरानी से देख रही थी क्योंकि श्रद्धा ने कहा था की चाहत पूरी रात काम के सिलसिले में बाहर रुकेगी। वो रात पूरी होने से पहले ही घर आ गई थी इसका मतलब फिर उसने कोई ना कोई गड़बड़ कर दी होगी।

    “लगता है तुमने फिर से किसी का काम बिगाड़ दिया और उन्होंने तुम्हें बिना पैसे दिए नौकरी से निकाल दिया।” चाहत का चेहरा देखकर उसकी मां निशा ने कहा।

    उसका चेहरा देखते ही उसकी मां सब समझ गई तो चाहत को भी हैरानी हुई वो सर हिला कर बोली, “नौकरी से निकाल दिया ये बात तो समझ आती है लेकिन बिना पैसे दिए निकाल दिया ये आपको कैसे पता चला?”

    “क्योंकि तुम्हारी आंखें लाल है इसका मतलब तुम रोई हो।” निशा के बजाय पार्वती जी ने जवाब दिया।

    फिर चाहत चुप हो गई। उसने आगे कुछ नहीं कहा उसकी नज़रें झुकी हुई थी और फिर से आंखों में आंसू बहने लगे। चाहत सुबकते हुए बोली, “मैं आप दोनों के लिए कुछ नहीं कर पा रही। ना मैं स्टडीज में इतनी अच्छी हूं और ना ही बाकी कामों में। आप दोनों को मेरी वजह से प्रॉब्लम उठानी पड़ रही है।”

    चाहत को रोता हुआ देखकर निशा तुरंत उसके पास गई और गले से लगा लिया। उसने चाहत को सहलाते हुए कहा, “तुम जैसी भी हो लेकिन दिल की बहुत अच्छी हो और देखना अपनी अच्छाई और ईमानदारी के चलते तुम किसी न किसी का दिल जरूर जीत लोगी।”

    “अच्छाई और ईमानदारी से पैसे नहीं कमाए जा सकते हैं। ये मैंने सीख लिया है।” चाहत ने धीरे से कहा।

    “ठीक है फिर वो करो जिसमें तुम अच्छी हो। कल से तुम कोई काम नहीं करोगी और कॉलेज जाकर रेगुलर क्लासेस अटेंड करोगी। स्टडी में अच्छी नहीं हो तो बनो। दिन रात मेहनत करो ताकि ढंग की जॉब मिल जाए। मैं तुम्हें वेट्रेस और बाकी छोटे काम करते हुए नहीं देखना चाहती चाहत।” निशा ने चाहत से अलग होकर सख्त शब्दों में कहा।

    चाहत ने भी अब यही सोच लिया था। वो बेवजह बाकी छोटे-मोटे कामों के में पढ़ कर अपनी स्टडी को भी इग्नोर कर रही थी। उसने निशा की बात पर हामी भरी।

    फिर अचानक उसे अपने घर का ख्याल आया। चाहत ने कहा, “घर खर्च...”

    चाहत क्या कहना चाह रही थी वो निशा अच्छे से समझ रही थी। उसने चाहत की बात बीच में काटते हुए कहा, “तुम्हें उसकी परवाह करने की जरूरत नहीं है। मैंने रवि अंकल से बात कर ली है। मैं कुकिंग में अच्छी हूं। मैं और मां उनके रेस्टोरेंट के लिए कुकिंग किया करेंगे और उन्होंने टिफिन सर्विस शुरू करने का भी कहा है तो हम देख लेंगे। हां अपनी पढ़ाई से तुम्हें टाइम मिले तो तुम हेल्प कर सकती हो।”

    अब चाहत बेफिक्र होकर अपनी स्टडी कर सकती थी। निशा के चेहरे को देखकर भी साफ पता चल रहा था कि अब उसकी तबीयत भी ठीक है, तभी वो काम करने का सोच रही है। चाहत ने उनकी बात पर हामी भरी और अब काम करने के बजाय अपनी स्टडी पर फोकस करने का सोचा। साथ ही मन ही मन उसे इस बात की भी खुशी हो रही थी कि उसने आहान को कल ना आने का कहा था वो चैलेंज भी पूरा हो जाएगा और उसे किसी के पास नौकरी के लिए नहीं जाना पड़ेगा

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  • 17. My doll - Chapter 17

    Words: 1768

    Estimated Reading Time: 11 min

    चाहत को घर छोड़ने के बाद आहान घर आ रहा था। चाहत पर गुस्सा होने की वजह से आहान काफी फास्ट ड्राइव कर रहा था और उसने अनजाने में एक साइकिल सवार का एक्सीडेंट कर दिया। उस लड़के को हॉस्पिटल पहुंचाने के बाद आहान वापस घर को लौट रहा था।

    इस बार आहान गुस्से में जरूर था लेकिन काफी केयरफुल होकर ड्राइव कर रहा था। रात के लगभग 2:00 बजे के करीब आहान घर पर पहुंच। जैसे ही उसने गाड़ी पार्क की और अंदर जाने लगा तो उसकी नजर तनु पर पड़ी, जो अब तक वहां खड़ी उसका इंतजार कर रही थी।

    आहान ने तनु की तरफ देखा और सिर हिला दिया। वो उसके पास जाकर धीरे से बोला, “मैंने तुम्हें मना किया था ना, घर पर आने के लिए।”

    “मना तो मैं भी तुम्हें बहुत सी चीजों के लिए करती हूं। तुम मेरी सुनते हो जो मैं तुम्हारी सुनूं?” तनु ने भौंहें उठाकर कहा और फिर आहान को ऊपर से नीचे तक देखने लगी। तनु ने अपने चेहरे पर फिक्र दिखाते हुए कहा, “तुम ठीक हो ना?”

    “हां मैं बिल्कुल ठीक हूं और उस लड़के को भी ज्यादा चोट नहीं लगी, जिसका मैंने एक्सीडेंट किया था।” आहान ने काफी लापरवाही से जवाब दिया और अंदर जाने लगा। उसने तनु को अपने पीछे आने का इशारा किया।

    तनु आहान के पीछे कमरे में जा रही थी। वो दोनों लिविंग एरिया रूम में पहुंचे। आहान उनके लिए वाइन की बोतल लेकर आया और दो ग्लासेस में सर्व की। उसने एक ग्लास तनु की तरह बढ़ाकर कहा, “लगता है तुम्हारी जॉब काफी लंबी चलने वाली है या यूं कहूं कि उम्र भर तुम्हें इस जॉब से छुटकारा नहीं मिलेगा।”

    “ऐसा कैसे हो सकता है? थोड़ी देर पहले तुम कह रहे थे कि तुम्हें कोई ऐसा इंसान मिल सकता है जो तुम्हारे गुस्से को कंट्रोल कर सकता है। मुझे तो अपनी नौकरी खतरे में लग रही थी और तुम अब कह रहे हो कि मेरी जॉब उम्र भर नहीं जाने वाली। तुम मुझे कंफ्यूज कर रहे हो। जो कहना है सीधे-सीधे कहो।” तनु ने थोड़ा एग्रेसिव होकर कहा। वो आहान की बातों से कंफ्यूज हो रही थी।

    “वो जो इंसान है, वो एक लड़की है। वो उम्र में काफी कम है मतलब इतनी भी कम नहीं है पर हम दोनों से छोटी ही हैं। वो दिखने में बहुत खूबसूरत है। उसकी छोटी-छोटी ग्रे कलर की आईज है और जब मैं उसमें देखता हूं तो न जाने कहां खो जाता हूं और मेरा गुस्सा गायब हो जाता है।” आहान तनु को चाहत के बारे में बता रहा था। उसके बारे में बताते हुए आहान की आंखों के सामने चाहत का चेहरा घूम रहा था और उसके फेस पर छोटी सी स्माइल थी।

    तनु ने इस तरह आहान को जेनुइन स्माइल करते हुए काफी कम मौके पर देखा था। आहान को मुस्कुरा करते देख उसके फेस पर भी स्माइल आ गई। उसने उसी लहजे में कहा, “ओह तो ये ऐसा कहो ना कि तुम्हें उससे प्यार हो गया है।”

    “प्यार तो नहीं कह सकता पर एक अट्रैक्शन है। मुझे वो अच्छी लगती है। पर प्रॉब्लम ये है कि उसने मेरे यहां काम करने से साफ मना कर दिया है। मैं उसे सीधे-सीधे बात भी नहीं सकता कि मैं उसे अपने पास क्यों लाना चाहता हूं? कहीं वो डर कर दूर चली गई तो...” आहान बोलते हुए रुक गया और उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस फिर से सीरियस हो गए।

    “अच्छा तो खोने से भी डरते हो और फिर कहते हो प्यार नहीं है। तुम कहो तो मैं बात करके देखूं उससे, शायद वो मान जाए। जरूर तुमने उसके सामने अच्छा सैलरी प्रपोजल नहीं रखा होगा।” तनु ने जवाब दिया। वो आहान से बात करते हुए वाइन के सिप ले रही थी।

    आहान ने कुछ पल सोचा और फिर कहा, “बात पैसों की होती तो अब तक उसे घर पर ले आता। वो अलग टाइप की है। उसे जॉब की जरूरत भी है पर फिर भी वो मेरे पास नहीं आना चाहती। प्रॉब्लम यहां ये है कि मैंने उसे तीन से चार दिन का टाइम दिया था और कल का दिन आखिरी है। जब मैं उसे घर ड्राप करने गया था तो उसने मुझे साफ मना कर दिया कि वो कल भी नहीं आएगी। तुम मेरे गुस्से को जानती ही हो। मैंने भी उसे कह दिया कि अगर वो कल नहीं आई तो मैं कभी उसे अपनी लाइफ में नहीं आने दूंगा। वो पैर पकड़कर भी मुझसे मदद की भीख मांगेगी तब भी मैं उसकी मदद नहीं करूंगा जबकि मैं अच्छे से जानता हूं कि उसे पैसे और जॉब की कितनी जरूरत है।” आहान ने तनु को अपनी और चाहत के बीच की सारी बातें बता दी। वैसे भी वो उसकी साइक्राईटिस्ट थी तो आहान को थेरेपी के लिए उसे अपनी हर एक बात और राज बताना पड़ता था। हां कुछ ऐसी चीजें भी थी, जो आहान तनु से छुपा कर रखता था।

    अगर तनु आहान के डार्क सीक्रेट्स जान जाती तो वो क्या कोई भी लड़की उसकी थेरेपी नहीं करती और इस वक्त वो किसी मेंटल असाइलम में पड़ा होता।

    पूरी बात जानने के बाद तनु ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर कुछ सोचते हुए कहा, “अगर मैं गलत नहीं हूं तो ये वही लड़की है ना, जिसके लिए तुमने पार्टी में तमाशा किया था? मैं तुम्हें अच्छे से जानती हूं। उस लड़की को भी तुमने ही गिराया होगा वरना उसकी जगह कोई और होती और वो तुम्हारे ऊपर ड्रिंक गिरा देती तो तुम सबके सामने उसे थप्पड़ तक लगा देते पर तुमने ऐसा नहीं किया और चुपचाप उसे जाने दिया।”

    “हां वो वही है और मैंने जानबूझकर वो सीन क्रिएट किया था ताकि उसे पार्टी से निकलवा सकूं। अब तुम उसके बारे में बात करना छोड़ो और ये बताओ कि कल के दिन में मैं डॉल को अपने पास कैसे लेकर आऊं।” आहान ने हल्का चिढ़कर कहा। वो अपनी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन चाहता था, ना कि अपनी प्रॉब्लम के बारे में बात करना।

    “सबसे पहले तुम्हें अपनी ज़िद छोड़नी होगी कि कल के बाद अगर वो लड़की तुम्हारे पास नहीं आई तो तुम उसे अपनी लाइफ में कभी नहीं आने दोगे। क्या तुम इतनी आसानी से उसे भूल जाओगे?” तनु ने आहान से पूछा। आहान का ऐसा नेचर नहीं था कि उसे कोई चीज पसंद आने पर वो इतनी आसानी से उसे जाने दे।

    तनु के पूछने पर आहान के फेस पर इविल स्माइल थी। उसने जवाब में कहा, “क्या तुम्हें सच में ऐसा लगता है कि मैं ये करूंगा? उसे मेरे पास आना होगा लेकिन फिर मेरे तरीके से...”

    “नहीं तुम उसे किडनैप नहीं करोगे और जबरदस्ती तो अपने पास बिल्कुल नहीं रखोगे।” तनु ने झट से जवाब दिया। आहान की हर बात का मतलब उससे बेहतर कौन समझ सकता था। फिर अचानक उसके मन में कुछ स्ट्राइक हुआ। तो उसने अपने चेहरे के भाव सीरियस किया और धीमें से पूछा, “देखो मैंने पिछली बार तुम्हारी हेल्प की थी। इस बारे में किसी को मत बताना। वैसे तुमने उसे छोड़ तो दिया है ना?”

    “उसके बारे में बात मत करो। मैंने तुम्हें कहा था ना मैंने अगले दिन ही उसे छोड़ दिया।” आहान ने झट से जवाब दिया। वो इस बारे में बात नहीं करना चाहता था इसलिए उसने तनु को गुड नाईट कहा और अपने कमरे में चला गया।

    तनु अब तक वहीं पर बैठी थी। उसने आहान के कमरे की तरफ देखता जहां लाइट बंद हो चुकी थी। फिर उसने खुद से कहा, “अगर आहान ने उसे छोड़ दिया है तो वो अब तक मिसिंग क्यों है? आई होप उसके साथ कुछ गलत ना हुआ हो।”

    आहान के जाने के बाद तनु भी वहां से जाने लगी। उसे एक पल के लिए भी ये नहीं लगा कि आहान उससे झूठ भी बोल सकता है। उसके हिसाब से आहान उसे हर एक बात बताता था पर हां ये आहान पर डिपेंड करता था कि वो कौन सी बात उसे किस हद तक बता रहा है।

    ______________

    अगले दिन सुबह चाहत उठी। उसके चेहरे पर कॉलेज जाने का एक्साइटमेंट साफ दिखाई दे रहा था। जॉब ना होने पर वो देर से ही उठती थी लेकिन आज चाहत टाइम से उठकर तैयार हो गई थी। कॉलेज जाने के लिए उसने उसी के हिसाब से स्टाइलिंग की थी। उसने बैगी डेनिम पैंट्स और ऊपर क्रॉप टीशर्ट पहना था और अपने बालों का फंकी हेयर स्टाइल बना रखा था।

    चाहत लगभग 9 बजे के करीब तैयार हो चुकी थी और वो बाहर आई तो उसकी मां और नानी किचन में उसके लिए ब्रेकफास्ट बना रही थी। उनके साथ श्रद्धा भी थी।

    चाहत को देखकर निशा ने सिर हिला कर कहा, “बेटा क्या जरूरत थी श्रद्धा को परेशान करने की? मैं खुद देख लेती ना।”

    “अरे कोई बात नहीं आंटी, मैं आपको कंपनी दूंगी। अब मैं आपकी बेटी की तरह तो हूं नहीं, जो इस एज में भी सेकंड ईयर में है। अब तक मेरे साथ इसकी भी कॉलेज हो जानी चाहिए थी लेकिन मैडम रेगुलर क्लासेस अटेंड करें तब ना...” श्रद्धा ने बात को टालते हुए कहा। फिर उसने चाहत का हाथ पकड़ा और उन दोनों से अलग ले आई।

    पार्वती और निशा से दूर आते ही चाहत श्रद्धा के गले लग गई। उसने बिल्कुल धीरे से कहा, “थैंक यू सो मच यार मेरी अब्सेंस में मां का ध्यान रखने के लिए। जब तक मुझे तसल्ली नहीं हो जाती कि वो पूरी तरह ठीक है, मैं उन्हें काम करने नहीं दे सकती। आज तुम पूरा दिन उन्हें मॉनिटर करोगी। अगर वो बिना किसी प्रॉब्लम के काम कर पा रही है तब ही मैं उन्हें काम करने की परमिशन दूंगी।” बोलते हुए चाहत श्रद्धा से अलग हो गई। वो उसे हर एक बात अच्छे से समझा रही थी।

    “हां देवी मां, मैं अच्छे से समझ गई हूं। रात से ये बात तुम मुझे चार बार बता चुकी हो। अब तुम बेफिक्र होकर कॉलेज जाओ। नोट्स मुझसे ले लेना और कोई चीज समझ ना आए तो तुरंत कॉल कर लेना।” बोलते हुए श्रद्धा ने चाहत के सामने हाथ जोड़ लिए, जिस पर चाहत हल्का सा हंस पड़ी।

    चाहत ने नाश्ता किया और फिर कॉलेज के लिए निकल गई। वही मोंटी चाहत के पीछे था। जैसे ही उसने कॉलेज में चाहत को घुसते हुए देखा, वो भी हैरान हुआ। उसने आहान को कॉल किया और तुरंत उसे सारी बात बताई।

    “ये अचानक जॉब ढूंढने की बजाय वो कॉलेज कैसे जा सकती है। क्या उसे काम नहीं करना? वो इतनी पढ़ी लिखी तो है नहीं कि उसे वहां कोई जॉब मिल जाए।” आहान ने चौंकते हुए कहा। उसने अब तक यही तैयारी की थी कि चाहत को कहीं जॉब ना मिले और वो मजबूरी में उसके पास आ जाए पर यहां तो सब उल्टा ही हो रहा था। चाहत जॉब ढूंढने के बजाय कॉलेज में गई थी।

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  • 18. My doll - Chapter 18

    Words: 1898

    Estimated Reading Time: 12 min

    चाहत ने अब जॉब करने के बजाय पहले अपनी स्टडी कंप्लीट करने के बारे में सोचा। अपनी मां और नानी को श्रद्धा के साथ छोड़कर चाहत कॉलेज आई थी। वो पूरे 2 महीने बाद कॉलेज में कोई क्लास अटेंड करने के लिए आई थी इसलिए उसे अंदर जाते हुए काफी झिझक महसूस हो रही थी। वही मोंटी भी उसके पीछे था।

    मोंटी आहान के साथ कॉल पर जुड़ा हुआ था। चाहत के पीछे जाते हुए मोंटी ने कहा, “सर ये यहां स्टडी के लिए ही आई है। उनके हाथ में बैग है और क्लास की तरफ जा रही है।”

    “ये तो मुझे पता है कि ये एक स्टूडेंट है तो हो सकता है कोई असाइनमेंट वगैरा सबमिट करवाने गई होगी। तुम ऐसा करो किसी बहाने से उसकी क्लास में घुसो और थोड़ी देर उसके साथ ही रहना।” आहान ने जवाब दिया और कॉल कट कर दिया।

    मोंटी की उम्र ज्यादा नहीं थी। वो चाहत से उम्र में कोई थोड़ा ही बड़ा रहा होगा और दिखने में भी छोटा लगता था इसलिए किसी ने उस पर शक नहीं किया। उसने एक लड़के को पैसे देकर उसकी आईडी और बुक्स ले ली ताकि जरूरत पड़ने पर उसके काम आ जाए। मोंटी भी चाहत के पीछे क्लास में चला गया।

    चाहत की टीचर क्लास में आई। उन्होंने काफी टाइम बाद चाहत को वहां देखा तो उसे अजीब नजरों से घूरा और फिर अपने काम में लग गई। चाहत भी पूरी शिद्दत से क्लास अटेंड करने में लगी थी। उसका कोई फ्रेंड नहीं था इसलिए वो सबसे अलग बेंच पर अकेली बैठी थी।

    दूसरी तरफ आहान अपने कामों में बिजी था। वो अपनी मीटिंग अटेंड करने के लिए किसी होटल में आया हुआ था। आहान पिछले 10 मिनट से क्लाइंट का आने का वेट कर रहा था तभी क्लाइंट का कॉल आया कि वो मीटिंग अटेंड नहीं कर सकता। आहान को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता था फिर तो ये बहुत बड़ी बात थी। उसने गुस्से में वहां रखा ग्लास तोड़ दिया।

    “लोगों को क्या मैं बेवकूफ लगता हूं जो मेरा टाइम वेस्ट करने के लिए मुझे ऐसे ही बुला लेते हैं? इसकी हिम्मत कैसे हुई आहान ओबेरॉय का टाइम वेस्ट करने की।” आहान ने गुस्से में कहा और तुरंत अपने मैनेजर को कॉल किया। उसने मैनेजर से कॉल पर कहा, “मिस्टर दास, जब मिस्टर राघवानी को यहां मीटिंग के लिए आना ही नहीं था तो फिर मेरा टाइम वेस्ट करने का क्या मतलब हुआ? राघवानी के साथ हम कोई प्रोजेक्ट नहीं करने वाले हैं। पीछे के जो भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं उन्हें भी देख लीजिएगा, उसके कॉन्ट्रैक्ट का टाइम कब तक का है। अगर कॉन्ट्रैक्ट जल्दी खत्म नहीं हो रहा है तो कंपनसेशन देकर नए क्लाइंट ढूंढो।”

    “जी सर, मिस्टर राघवानी ऐसे इंसान तो नहीं है जरूर किसी काम में अटक गए होंगे। मैं कॉल करके उनके ना आने का कारण पूछ लेता हूं शायद...” मिस्टर दास आहान को समझाने की कोशिश कर रहे थे। वो उम्र में लगभग 50 साल के थे और तजुर्बे में भी उससे काफी बड़े थे।

    आहान उस वक्त बहुत गुस्से में था। उसने मिस्टर दास की बात पूरी भी नहीं होने दी और उनकी बात बीच में काटते हुए कहा, “मिस्टर दास टाइम की वैल्यू होती है और जो इंसान टाइम की कद्र नहीं करता है, मेरी नजरों में उस इंसान की कोई अहमियत नहीं है। अगर वो नहीं आ सकते थे तो उन्हें पहले बताना चाहिए था। मैंने जो कहा है वही कीजिए। मुझे लोगों के बहाने नहीं सुनने हैं। अगर लोगों के बहाने सुनकर उन्हें सॉल्व करने में लग गया तो मेरा बिजनेस चौपट हो जाएगा।” आहान ने अपनी तरफ से आखरी ऑर्डर्स दे दिए थे। वो मिस्टर राघवानी के साथ अब आगे कोई काम नहीं करना चाहता था।

    “ठीक है सर, जैसा आपको सही लगे।” मिस्टर दास ने धीमी आवाज में कहा। फिर आहान ने कॉल कट कर दिया तो वो उसके बताए काम पर लग गए।

    आहान की मीटिंग अचानक कैंसिल हो गई तो उसने वहां रुकना सही नहीं समझा। वो वहां से वापस जाने के लिए निकला। आहान मीटिंग रूम से कुछ कदम आगे निकला ही था कि उसे एक रूम से किसी की आवाज सुनाई दी। वो आवाज उसे जानी पहचानी सी लगी तो आहान के कदम वहीं रुक गए।

    अंदर एक आदमी की आवाज आई। उसने सख्त शब्दों में कहा, “तुम समझती क्यों नहीं हो दामिनी, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं लेकिन शिवानी के होते हुए मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता।” वो विजय ओबेरॉय थे। आहान के पापा, जो एक औरत के साथ थे।

    अंदर जो औरत मौजूद थी उसे आहान अच्छे से जानता था । उनकी आवाज सुनकर उसकी मुट्ठियां कस गई। आहान को वहां खड़े होकर उनकी बात सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन वहां जिक्र उसकी मां का हुआ था। शिवानी ओबेरॉय, जिसे वो सबसे ज्यादा प्यार करता था और उसी की वजह से वो विजय ओबेरॉय को झेल रहा था।

    आहान वहीं पर रुक कर उनकी बातें सुनने लगा। अंदर दामिनी ने गुस्से में कहा, “कब तक वेट करूं मैं उसका? हां? पिछले 20 सालों से उसका वेट ही कर रही हूं और वो कहीं नहीं जाने वाली। मुझे तो ऐसा लगता है कि वो तो आसानी से मरेगी भी नहीं और आप मुझे कभी नहीं मिलोगे विजय।” दामिनी एक टीवी एक्ट्रेस थी जो लगभग 40 साल के करीब थी। वो विजय ओबेरॉय से 12 से 13 साल छोटी रही होगी।

    टीवी एक्ट्रेस होने की वजह से दामिनी काफी वेल मेंटेंड और खूबसूरत थी। लगभग 5 फीट 6 इंच हाइट, उस उम्र में भी बिल्कुल परफेक्ट फिगर और स्किन, जिसे उसने अलग-अलग ब्यूटी ट्रीटमेंट के जरिए और भी अच्छा बना रखा था। दिखने में दामिनी बहुत ही खूबसूरत थी। किसी जमाने में वो टीवी सीरियल में लीड रोल भी करती थी लेकिन अब उम्र होने की वजह से उसे लीड रोल मिलने बंद हो गए थे। वो साइड रोल जरूर करती थी लेकिन फिर भी उसके किरदार हमेशा दमदार माने जाते थे।

    आहान ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और मन ही मन कहा, “ये इंसान बाज नहीं आने वाला। इसकी हिम्मत कैसे हुई ये कहने की कि मेरी मां मरेगी भी नहीं। लगता है इसके दिन भी पूरे हो गए हैं।”

    आहान का मन किया कि वो अंदर जाकर दामिनी का मुंह तोड़ दे। वो वहां अंदर जाने भी वाला था लेकिन विजय ओबेरॉय की आवाज सुनकर उसके कदम फिर से बाहर ही रुक गए।

    विजय ने दामिनी का चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा, “बेबी गुस्सा करने का कोई फायदा नहीं है। बस बहुत हो गया। अब मैं भी उसे और नहीं झेल सकता। अब कुछ सॉलिड करने का टाइम आ चुका है। शिवानी को रास्ते से हटना ही होगा। आयुष को तो मैं देख लूंगा लेकिन आहान...” बोलते हुए विजय रुक गए। आहान की वजह से ही वो अब तक दामिनी के साथ अपना रिश्ता आगे नहीं बढ़ा पाए थे। आहान ने अपने बिजनेस के जरिए उनकी कंपनी को लगभग बर्बाद कर दिया था और ये बात सिर्फ वही जानते थे।

    विजय ने बात बदलते हुए कहा, “मेरी बची कुची इज्जत और कंपनी इस वजह से है क्योंकि शिवानी से मैं जुड़ा हुआ हूं। अगर आहान को पता चला कि मैंने शिवानी को रास्ते से हटाकर तुमसे शादी कर ली है, तो वो मुझे भीख मांगने तक मजबूर कर देगा और मैं उस लड़के को अच्छे से जानता हूं। वो इस मामले में चुप नही बैठेगा।”

    “और आहान को बतायेगा कौन? मेरे पास एक अच्छा सा प्लान है जिससे शिवानी की मौत नॉर्मल हादसा लगेगी। पिछले 20 सालों से दूर रह रहे हैं, तो 1 साल और सही। तुम एक साल तक आहान के सामने ऐसा ड्रामा करना जैसे शिवानी के जाने का तुम्हें बहुत ज्यादा सदमा लगा हो। आहान तुम्हें अपने हाल पर छोड़ देगा तब हम दोनों शादी कर लेंगे।” दामिनी ने अपना पूरा प्लान बताया। वो पहले ही बहुत वेट कर चुकी थी और अब उसके लिए इंतजार करना मुश्किल हो रहा था।

    विजय ओबेरॉय और दामिनी के बीच शादी को छोड़कर और कोई दूरियां नहीं रही थी लेकिन समाज में दिखाने के लिए वो बिना शादी के भी नहीं रह सकती थी। दामिनी को कुछ भी करके अपना सरनेम ओबेरॉय चाहिए था, जिसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती थी।

    विजय ओबेरॉय ने उसकी बात पर हामी भरी और कहा, “वैसे प्लान काफी अच्छा है। सच कहूं तो मैं उस शिवानी से कभी भी प्यार नहीं करता था। घर वालों ने जबरदस्ती शादी करवा दी फिर बच्चे हो गए लेकिन देखो ना, सही टाइम पर तुम मुझे मिल गई डार्लिंग। आई लव यू सो मच और तुम्हारे लिए मैं किसी की भी जान ले सकता हूं। शिवानी तो वैसे भी मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती। वो तो इतनी बेवकूफ है कि उसके सामने कोई मेरा पूरा सच लाकर रख देगा फिर भी मुझे पति परमेश्वर मानकर मेरी ही पूजा करेगी। बस यही वजह है कि आहान अब तक उसे कुछ भी सच नहीं बता पाया।”

    “और हमें आहान की इसी कमजोरी का फायदा उठाना है विजय। पहले हमने प्लान किया था कि आहान की शादी तुम्हारी बिजनेस पार्टनर की बेटी के साथ करवा कर उसका ध्यान डिस्ट्रैक्ट कर देंगे लेकिन पता नहीं वो लड़की भी एन मोमेंट पर कहां भाग गई। मैं नहीं चाहती हमारा ये प्लान अन सक्सेसफुल हो। मैं सब कुछ प्लान करने के बाद ही तुमसे बात करूंगी। तुम तब तक मुझसे मत मिलना। बस यूं समझ लो कि शिवानी के दिन अब पूरे हो चुके हैं।” दामिनी ने एक सांस में कहा और फिर विजय के करीब जाकर उसके होठों पर किस करने लगी।

    आहान को जितनी बातें सुनी थी, वो सुन चुका था। उसके आगे वैसे भी उसे उनके इंटीमेट मोमेंट्स और कमरे से आ रही प्लेजर की आवाज सुनने में कोई इंटरेस्ट नहीं था। आहान तुरंत वहां से चला गया और इस वक्त इतने गुस्से में था कि उसका विजय ओबेरॉय की जान लेने का मन कर रहा था।

    आहान अपनी गाड़ी में पहुंचा और गुस्से में स्टेरिंग पर पंच मारते हुए कहा, “मैंने...मैंने समझाया था मॉम को कि उस इंसान से दूर रहे पर उन्हें समझ नहीं आता। पता नहीं क्या प्रॉब्लम है उनकी, उन्हें वो इंसान भगवान नजर आता है लेकिन उस शैतान ने मेरी लाइफ बर्बाद कर दी। मैंने उसे बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी पर मॉम की वजह से मैं उसे सड़क पर भी नहीं ला सकता। पर इस बार बात मेरी मॉम की लाइफ पर आई है। आई डेयर यू विजय ओबेरॉय तुम्हें और तुम्हारी गर्लफ्रेंड को छोड़ूंगा नहीं मैं।”

    आहान गुस्से में गहरी सांसें ले रहा था और इस वक्त उसे तनु से बात करनी थी। इसलिए वो सीधे तनु के क्लीनिक जा रहा था। वहीं उसने विजय ओबेरॉय और दामिनी की आधी अधूरी बातें सुनकर दुनिया की सबसे बड़ी गलती की थी।

    लगभग 2 घंटे बाद विजय और दामिनी बेड पर थे और उनके कपड़े आसपास बिखरे हुए थे। दामिनी ने विजय के सीने पर सिर रखकर कहा, “डोंट वरी विजय, आज तुम्हारी वाइफ की आखिरी रात है या यूं कहूं कि उसकी जिंदगी के कुछ चंद घंटे बचे हैं। बस थोड़ा सा वेट कर लो, गुड न्यूज़ आने वाली ही होगी।”

    कुछ ही पलों में दामिनी ने अपना प्लान बदल दिया था। पहले वो अच्छे से सब कुछ प्लानिंग के बाद ही शिवानी को मारना चाहती थी। अचानक ही उसने आज रात ही शिवानी को मारना तय किया जबकि इन सब से अनजान आहान खुद के गुस्से को शांत करने के लिए तनु के क्लीनिक पर जा रहा था।

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  • 19. My doll - Chapter 19

    Words: 1900

    Estimated Reading Time: 12 min

    आहान अपनी मीटिंग के सिलसिले में एक होटल आया हुआ था। उसकी मीटिंग तो कैंसल हो गई थी लेकिन वापिस जाते वक्त उसने अपने डैड मिस्टर विजय ओबेरॉय और उनकी गर्लफ्रेंड दामिनी की बातें सुन ली थी। वो दोनो मिलकर उसकी मां शिवानी का मर्डर प्लान कर रहे थे।

    उनकी बातें सुनने के बाद आहान का गुस्सा सातवें आसमान पर था। ऐसी सिचुएशन में उसका गुस्सा बेकाबू हो जाता है तो वो खुद को या आस पास के लोगो को नुकसान पहुंचाने लगता था। आहान को अपने गुस्से पर काबू पाना जरूरी था क्योंकि उसे अपनी मॉम शिवानी को बचाना था।

    आहान अपने गुस्से को शांत करने के लिए तनु के पास गया। तनु ने थेरेपी रूम पहले ही खाली करवा लिया। आहान फास्ट ड्राइव करके जल्द से जल्द तनु के क्लिनिक पहुंचा।

    आहान को देखते ही तनु बोली, “चलो जल्दी आओ। पता नही तुम्हारी लाइफ में ही ट्रेजेडीज क्यों होती रहती है? तुम्हारा गुस्सा है कि कम होने का नाम ही नही ले रहा।”

    “हां क्योंकि मेरी इस हालात का जिम्मेदार एक ही इंसान है और वो अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा। मेरे गुस्से का कुछ करो वरना मैं उस इंसान की जान ले लूंगा।” आहान ने जवाब दिया। वो तेज सांसें ले रहा था क्योंकि उसका गुस्सा कंट्रोल नहीं हो रहा था।

    तनु ने आहान का बीपी चेक किया, जो कि इस वक्त काफी हाई हो रखा था। उसने आहान को कुछ मेडिसिंस दी और फिर एक इंजेक्शन लगाया। इतना सब कुछ करने के बावजूद भी आहान का गुस्सा बस्ट हो रहा था।

    तनु, जो उसे पिछले 15 मिनट से ऑब्जर्व कर रही थी और उसका बीपी डाउन करने के लिए की पूरी कोशिश कर रही थी। उसने आहान की तरफ देखकर कहा, “तुम्हारा इस तरह गुस्सा करना सही नहीं है। इससे ना सिर्फ मेंटल हेल्थ पर बल्कि फिजिकल हेल्थ भी सफर कर रही है।”

    “मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता तनु। तुम यकीन नहीं करोगी कि विजय ओबेरॉय किस हद तक गिर गया है। वो अपनी उस सो कॉल्ड गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर मेरी मॉम का मर्डर प्लान कर रहा है। मुझे मॉम को बचाना है। प्लीज डू समथिंग, तनु मुझे दिमाग ठंडा करके सोचना है और मुझे ऐसे गुस्सा आता रहेगा तो मैं कुछ नहीं सोच पाऊंगा।” आहान ने काफी प्लीडिंग वे में कहा।

    पहली बार ऐसा हुआ था जब आहान खुद से अपना गुस्सा कम करना चाहता था। हर बार उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उसे इतना तेज गुस्सा आ रहा है या फिर अपने गुस्से में वो किसी को नुकसान पहुंचा रहा है। ये एक तरह का पॉजिटिव साइन था।

    तनु ने आहान का हाथ पकड़ा और कहा, “अपनी आंखें बंद करो और उन चीजों के बारे में सोचो जो तुम्हें खुशी देती है। जिनके बारे में सोचकर तुम्हारा गुस्सा अपने आप शांत हो जाता है। जैसे कि तुम्हारा फेवरेट खाना, म्यूजिक या कोई ऐसी जगह जहां तुम्हें सुकून मिलता हो।” तनु आहान को अलग-अलग आइडियाज दे रही थी ताकि वो उनके बारे में सोचकर अपना गुस्सा शांत सांत कर सके। साथ ही वो आहान का बीपी लेवल भी ऑब्जर्व कर रही थी।

    आहान अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा था। उसे आइडिया देते हुए तनु ने कहा, “तुम ऐसा क्यों नहीं करते कि उस लड़की के बारे में सोचो जो तुम्हारा गुस्सा शांत करती है। चलो हम उसके बारे में बात करते हैं। क्या नाम है उसका?” आहान का ध्यान डिस्ट्रैक्ट करने के लिए तनु उससे अलग-अलग तरह के सवाल पूछ रही थी।

    तनु की बातें सुनकर आहान के दिमाग में चाहत का चेहरा घूमने लगा। उसकी छोटी ग्रे कलर की आईज, तीखा छोटा नाक और बोलते समय उसका बार-बार अपने नीचे वाले होंठ के कोने को अपने दांतों के नीचे दबाना। ये सब सोचते हुए आहान के चेहरे पर हल्की स्माइल आ गई। उसकी आंखों के सामने वो सीन घूम रहा था जब चाहत पहली बार उसके करीब आई थी और उसने चाहत को किस किया था। चाहत के राइट साइड आंखों से थोड़ा नीचे एक तिल था, जो कि उसके चेहरे पर बहुत क्यूट लगता था।

    आहान ने तनु की बात का जवाब देते हुए कहा, “चाहत शर्मा नाम है उसका। मैंने उसके बारे में थोड़ा बहुत पता लगाया था। वो 21 इयर्स की है।”

    “अच्छा तो तुमने उसके बारे में काफी कुछ पता लगाया है। मुझे बताओ चाहत का बर्थडे कब आता है।” तनु ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था तो उसने चाहत का बर्थडे ही पूछ लिया।

    “1st जनवरी, जब पूरी दुनिया नए साल का स्वागत कर रही होती है, उसी दिन मेरी डॉल इस दुनिया में आई थी।” आहान ने जवाब में कहा।

    चाहत के बारे में बात करते हुए तनु ने भी नोटिस किया कि आहान का गुस्सा कम हो रहा है। साथ ही उसका बीपी नार्मल हो रहा था। तनु ने एक चॉकलेट निकाली और आहान के मुंह में डालते हुए कहा, “कैसा लग रहा है आहान?”

    “ठीक वैसा ही, जैसे पहली बार अपनी डॉल को किस किया था, तब लग रहा था।” आहान ने चॉकलेट खाते हुए कहा।

    “ठीक है अब धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलो। हम नॉर्मल तरीके से बात करेंगे और आगे का सेशन कंटीन्यू करेंगे। मैं तुमसे कुछ हार्श सवाल पूछने वाली हूं। प्लीज गुस्सा मत करना और ठंडे दिमाग से सोचना।” तनु ने कहा और फिर एक चुटकी बजाई। इसी के साथ आहान धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलने लगा।

    आहान का गुस्सा अब काफी हद तक काबू में आ चुका था। फिर उसने विजय ओबेरॉय और दामिनी की जो भी बातें सुनी थी, वो सब तनु को बताई।

    तनु, जो काफी शांत और हर मामले को सोच समझकर हैंडल करने वाली लड़की थी, पूरी बात जानने के बाद उसे भी गुस्सा आया। तनु ने सख्त आवाज में कहा, “कोई इंसान इतना कैसे गिर सकता है कि अपनी ही पत्नी का मर्डर प्लान करें। शिवानी आंटी सच में बहुत भोली है। आहान तुम्हें सबसे पहले उन्हें सिक्योर करना होगा।”

    “बस वही मैं सोच रहा था। मुझे किसी बहाने से मॉम को अपने घर पर लाना होगा। आयुष भी आया हुआ है, तो आई होप वो मेरी हेल्प कर सके।” आहान ने जवाब दिया। फिर उसने घड़ी में टाइम देखा तो शाम के 5 बज रहे थे। पहले मिस्टर राघवानी ने फिर विजय ओबेरॉय ने तो फिर उसके बाद आहान के गुस्से ने उसका काफी टाइम बर्बाद कर दिया था।

    वहां से निकलने से पहले आहान ने तनु को हग करके थैंक यू कहा और फिर बोला, “अगर तुम नहीं होती तो न जाने मेरा क्या होता। मैं मॉम को लेने जा रहा हूं, तुमसे बाद में मिलूंगा।”

    तनु को बाय बोलने के बाद आहान वहां से चला गया। वहीं विजय ओबेरॉय और दामिनी अब तक साथ में थे। वो दोनों उसी होटल रूम में थे और किसी के साथ कॉल पर जुड़े हुए थे।

    सामने से एक लड़के की आवाज आई और उसने कहा, “मैडम आप श्योर तो है ना कि उस औरत को अभी टपकाना है। रात का टाइम सही रहता है। उस वक्त ज्यादा लोग मौजूद नहीं रहते।”

    “जितना कहा है उतना ही करो। रात के अंधेरे के बजाय दिन के उजाले में कोई गलत काम करो तो लोग आप पर शक नहीं करते हैं।” दामिनी ने जवाब दिया। वो उसी का आदमी कॉल था, जिसे उसने काम पर लगाया था।

    “पहले तो मुझे ये बताओ कि वो उस स्पा से बाहर निकली या नहीं... या उसका पूरे दिन वहां पर रहने का इरादा है।” विजय ओबेरॉय बोले।

    शिवानी उस वक्त स्पा गई हुई थी। विजय ओबेरॉय उसके हर एक मोमेंट की खबर रखते थे। ये स्पा थोड़ा आउटर एरिया में बना हुआ था। इस वजह से वहां एक्सीडेंट को अंजाम देना आसान था।

    कॉल रखने से पहले दामिनी ने तेज आवाज में कहा, “बाकी सब तो ठीक है लेकिन वो औरत जिंदा नही बचनी चाहिए। अगर वो जिंदा बची तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगी।”

    उस आदमी ने दामिनी की बात पर हामी भरी और कॉल कट कर दिया। वो एक बड़ी सी पिकअप गाड़ी में शिवानी के बाहर आने का इंतजार कर रहा था।उसने गाड़ी को सामान से लोड कर रखा था। उसे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा क्योंकि 15 मिनट बाद ही शिवानी स्पा से बाहर आ गई थी।

    जैसे ही शिवानी चलते हुए अपनी गाड़ी के पास आ रही थी। पीछे से अचानक एक पिकअप गाड़ी आई और उसने शिवानी को हवा में उछाल दिया। अगले ही पल वो जमीन पड़ी और उसके माथे से खून निकल रहा था।

    वो जगह आउटर एरिया में बनी होने की वजह से आसपास लोग भी काफी कम थे। ऐसे में मदद मिलना भी आसान नहीं था।

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    चाहत की अब्सेंस में श्रद्धा का पूरा दिन निशा के साथ अच्छा बिता। निशा दिल से काम कर रही थी। उसने पूरे दिन मिस्टर रवि के रेस्टोरेंट में आने वाले हर लोगों की पसंद के हिसाब से खाना बनाया और दोपहर के टाइम में टिफिन सर्विस के लिए आए हुए ऑर्डर को कंप्लीट किया। इस बीच एक बार भी उसकी तबीयत खराब नहीं हुई और ये देखकर श्रद्धा सबसे ज्यादा खुश थी।

    शाम के 6 बजे के करीब निशा और श्रद्धा साथ में मिलकर चाहत के आने का वेट कर रही थी। चाहत का वेट करते हुए वो दोनों मटर छील रही थी और आपस में बातें कर रही थी।

    “देखना, अब चाहत मन लगाकर पढ़ाई करेगी और तुम्हारी तरह उसे भी डिग्री मिल जाएगी। अच्छा पढ़ने के बाद अच्छी नौकरी मिल जाएगी, फिर मेरी चाहत को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।” निशा जी ने मटर छीलते हुए कहा। उनकी नजर दरवाजे पर टिकी थी। तभी अचानक उन्हें एक तेज खांसी आई और उसी खांसी के साथ उल्टी में उन्होंने काफी सारा खून निकाल दिया था।

    श्रद्धा उनकी हालत देखकर हैरान हो रही थी। वो कुछ सोच पाती उससे पहले निशा बेहोश हो चुकी थी।

    “नानी, नानी प्लीज जल्दी से यहां आइए। देखिए ना आंटी को क्या हो गया। प्लीज जल्दी से आइए...” श्रद्धा चिल्ला कर बोली। निशा की ऐसी हालत देखकर वो घबरा गई थी। पार्वती जी जल्दी से दौड़ कर निशा के पास आई और वहां बिखरा खून देखकर वो काफी डर गई थी।

    “क्या-क्या हो गया मेरी बेटी को, चाहत भी घर पर नहीं है। निशा... निशा आंखें खोल।” बोलते हुए पार्वती जी निशा के पास आकर उसे उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन सब बेकार था।

    निशा के होश में ना आने पर श्रद्धा और पार्वती जी दोनों ही घबरा गए। श्रद्धा ने जैसे तैसे करके हिम्मत इकट्ठा की और पार्वती जी से कहा, “आपको घबराने की जरूरत नहीं है नानी। आंटी को हम हॉस्पिटल लेकर चलते हैं।” श्रद्धा ने अपनी घबराहट को काबू में करके जवाब दिया। ऐसी सिचुएशन में वो पैनिक नहीं हो सकती थी। ऊपर से चाहत भी वहां नहीं थी।

    “लेकिन चाहत अब तब तक आई नहीं है। हम उसके बिना निशा को हॉस्पिटल कैसे लेकर जाएंगे।” पार्वती जी ने घबरा कर कहा।

    “नानी आप चिंता मत कीजिए, ये हॉस्पिटल मेरी जान पहचान का है। मैं चाहत को कॉल कर दूंगी तो वो वहां आ जाएगी। पहले हम आंटी को हॉस्पिटल लेकर चलते हैं। बाकी बातें बाद में करेंगे।” श्रद्धा ने जैसे तैसे करके नानी को समझाया और फिर आस पड़ोस वालों की हेल्प से उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर गई।

    वहां आते ही निशा को अंडर ऑब्जर्वेशन में ले लिया गया। उसके हर एक टेस्ट किये जा रहे थे। चाहत के वहां ना होने पर पार्वती जी काफी घबरा गई और अब उन्हें चाहत के लिए डर लगने लगा था तो वही सबसे अनजान चाहत अपने कॉलेज में फिर से आकर काफी खुश थी।

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  • 20. My doll - Chapter 20

    Words: 1491

    Estimated Reading Time: 9 min

    एक तरफ शिवानी का एक्सीडेंट हो चुका था तो वहीं दूसरी तरफ चाहत की मां निशा की हालत भी अब काफी हद तक बिगड़ चुकी थी। श्रद्धा और पार्वती जी निशा को लेकर हॉस्पिटल आई और उन्हें वहां एडमिट करवा दिया। निशा के कुछ टेस्ट करवाए जा रहे थे। उसकी हालत देखकर डॉक्टर पहले ही समझ गए कि सिचुएशन काफी क्रिटिकल है और उन्होंने उन्हें अंडर ऑब्जर्वेशन ले लिया था।

    बाहर वेटिंग एरिया में पार्वती जी और श्रद्धा चाहत के आने का वेट कर रहे थे। श्रद्धा ने चाहत को कॉल करके हॉस्पिटल आने का कह दिया था। वही चाहत भी हॉस्पिटल का नाम सुनकर समझ गई थी कि जरूर निशा की हालत फिर से खराब हो गई है।

    चाहत रोते हुए हॉस्पिटल पहुंची और आते ही श्रद्धा के गले लग गई। वो रोते हुए बोली, “सब मेरी गलती है। मुझे बाहर जाना ही नहीं चाहिए था। मैं मम्मा का ख्याल नहीं रख पाई। उन्होंने मेरे लिए उस इंसान को छोड़ा, जिन्होंने मेरे साथ गलत करने की कोशिश की। लेकिन मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पाई।” चाहत को आज अपनी लाचारी पर सबसे ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि ना तो उसने ठीक से पढ़ाई की और ना ही ठीक से कोई नौकरी कर पाई।

    जॉब के टाइम भी इतना मन लगाकर मेहनत करने के बावजूद वो कोई ना कोई गलती कर देती थी।

    श्रद्धा ने उसे सहलाते हुए कहा, “तुम बेवजह परेशान हो रही हो। आंटी ठीक हो जाएगी। अरे एक छोटा सा चक्कर ही तो आया है। मैं घबरा गई थी इसलिए उन्हें हॉस्पिटल ले आई।” बोलते हुए श्रद्धा चाहत से अलग हो गई। उसने निशा की पूरी हेल्थ कंडीशन के बारे में उसे नहीं बताया था। वो जानती थी कि अगर उसने सब बता दिया तो चाहत हॉस्पिटल तक भी नहीं पहुंच पाएगी और वहीं पर रोने बैठ जाएगी।

    चाहत ने उसकी बात पर हां में सिर हिलाया और फिर अपनी नानी के पास गई। चाहत पार्वती जी के पास बैठ गई और उनका हाथ पकड़ कर कहा, “डोंट वरी नानी सब ठीक हो जाएगा। मम्मा ठीक हो जाएगी। डॉक्टर हर बार अपनी तसल्ली के लिए टेस्ट करते हैं।”

    पार्वती जी ने उसकी बात पर हामी भरी। उनकी आंखों में भी आंसू थे। आज उन्हें चाहत की हालत देखकर दया आ रही थी। निशा तो पहले से ही बीमार थी ऊपर से वो भी उस पर बोझ बन गई थी। उन्होंने एक नजर चाहत के चेहरे की तरफ देखा। उसकी आँखें रोने की वजह से लाल थी और चेहरा भी मुरझा गया था।

    पार्वती जी ने चाहत की तरफ देखकर धीरे से कहा, “तेरी मम्मा की तबीयत ठीक होती ही मैं यहां से चली जाऊंगी। सुना है शहर में बहुत सारे वृद्ध आश्रम होते हैं।”

    “नानी ये आप कैसी बात कर रहे हो? मेरे होते हुए आप वृद्धाश्रम में क्यों रहोगे? मैंने आपको कहा ना टेंशन की कोई बात नहीं है और सब ठीक हो जाएगा।” चाहत ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा।

    श्रद्धा भी उनके पास आकर बैठ गई। उसने नानी को तसल्ली देते हुए कहा, “चाहत बिल्कुल ठीक कह रही है नानी। आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। आपको एक बात और बता दूं इस हॉस्पिटल में मेरे पापा की जान पहचान है। अब हम निशा आंटी को यहां से ठीक करके ही लेकर जाएंगे।”

    श्रद्धा और चाहत की हिम्मत देखकर पार्वती के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई। उसने तुरंत अपने आंसू पोंछे। वो तीनों वहां बैठकर डॉक्टर का वेट कर रही थी ताकि रिपोर्ट का पता चल सके। तीनों एक दूसरे के सामने हिम्मत दिखाने की कोशिश जरूर कर रही थी पर दिल ही दिल में पार्वती जी, निशा और श्रद्धा तीनों ही परेशान थी।

    पार्वती जी की परेशानी का कारण निशा और चाहत पर बोझ बना था तो वही निशा की तबीयत को लेकर चाहत परेशान हो रही थी। ऊपर से उसे कोई जॉब भी नहीं मिली थी। श्रद्धा की परेशानी उनसे अलग थी। उसने चाहत से झूठ बोला था कि निशा को हल्का सा चक्कर आया है। निशा की खराब हालत उसने खुद अपनी आंखों से देखी थी और जिस हिसाब से डॉक्टर ने उसे आते ही अंडर ऑब्जर्वेशन लिया था उससे साफ था कि निशा को कोई गंभीर बीमारी है।

    ______________

    दूसरी तरफ शिवानी जैसे स्पा से बाहर निकली दामिनी के गुंडे ने उसका एक्सीडेंट कर दिया और एक्सीडेंट करते ही तुरंत वहां से चला गया। उसने निशा को मारने की खबर दामिनी और विजय को भी दे दी थी।

    विजय ने शिवानी के मरने की खबर सुनी तो उसके चेहरे पर एक परसेंट भी अफसोस का भाव नहीं था। उल्टा वो बेशर्मी से मुस्कुरा रहा था। विजय ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दामिनी के गले लग कर कहा, “सॉरी डार्लिंग, अब कुछ दिनों तक मिल नहीं पाऊंगा। अपनी पत्नी के जाने के बाद मैं खुलेआम पार्टी में नहीं घूम सकता। आफ्टर ऑल उसके मरने का इतना गम जो है मुझे।”

    “मेरी तुमसे पूरी सांत्वना है।” बोलते हुए दामिनी जोर से खिलखिला उठी। वो दोनों हंस रहे थे क्योंकि उनका प्लान सक्सेसफुल हो गया था। विजय अब ज्यादा देर तक दामिनी के पास रुक नहीं सकता था इसलिए उसे बाय बोलने के बाद वो तुरंत ऑफिस चला गया ताकि आहान को उस पर शक ना हो।

    एक्सीडेंट के बाद शिवानी अभी भी रोड पर गिरी हुई थी। लगभग 5 मिनट बाद झाड़ियों से एक आदमी निकलकर आया। उसने अपने कान पर हाथ लगा कर धीरे से कहा।

    “आपका शक बिल्कुल ठीक था सर। उन्होंने मैम का एक्सीडेंट कर दिया है। मैं उन्हें लेकर हॉस्पिटल पहुंच रहा हूं आप भी जल्दी से आ जाईए।” उस आदमी ने कॉल पर कहा और फिर कॉल डिस्कनेक्ट करके शिवानी को अपनी गोद में उठाया।

    वो आदमी शिवानी को लेकर तेज कदमों से चलते हुए अपनी गाड़ी के पास लेकर गया। उसे लिटाने के बाद वो पास ही के हॉस्पिटल में चला गया था।

    वही उस आदमी से बात करने के बाद आहान की आंखें गुस्से से जल रही थी। वो आदमी उसी ने शिवानी के पीछे लगाया था। उसे विजय और दामिनी पर भरोसा नहीं था इसलिए वो शिवानी की सिक्योरिटी को लेकर कोई रिस्क नहीं ले सकता था। विजय और दामिनी की बात सुनने के बाद आहान ने अपने हेड बॉडीगार्ड को शिवानी के पीछे भेजा था। उसे पता था कि एक्सीडेंट होने या कुछ भी गलत होने की सिचुएशन में कैसे बचाव करना है इसलिए वो पहले किसी बड़े हॉस्पिटल में जाने के बजाय पास के एक छोटे हॉस्पिटल चला गया था और आहान को तुरंत उसकी लोकेशन भेज दी थी।

    वही शिवानी के एक्सीडेंट का सुनकर आहान गाड़ी में था। उसने तुरंत गाड़ी के ब्रेक लगाए और स्टेरिंग पर जोर से पंच मारा।

    “विजय ओबेरॉय, अगर मेरी मॉम को कुछ हो गया तो तेरी ऐसी हालत करूंगा कि तेरी रूह भी मौत के लिए तड़पेगी। मुझे अच्छे से पता है तुझे तकलीफ देने के लिए मुझे किस हद तक जाना है। तुम दोनों ने जो किया है, उसकी सजा तो मिलकर रहेगी। आहान ओबेरॉय पर वार करते तो वो हंसकर झेल लेता पर बात मेरी मॉम की है। ना तो मैंने पहले उन्हें लेकर कोई कंप्रोमाइज किया था और ना ही अब करने वाला हूं।” आहान ने गुस्से में कहा। उसने तुरंत एक आदमी को कॉल कर दिया और सर्द आवाज में कहा, “एक औरत की फोटो और डिटेल्स भेज रहा हूं। अगले 2 घंटे में मुझे वो औरत मेरे पास चाहिए।”

    “2 घंटे काफी कम है। मैं उसे ढूंढ भी नहीं पाऊंगा।” सामने से एक आदमी की आवाज आई।

    “वो एक एक्ट्रेस है। सांस भी लेगी तो उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करेगी। फोटो और नाम भेज देता हूं। ढूंढ कर जल्द से जल्द उसे पकड़ कर लाओ।” कहकर आहान ने कॉल कट कर दिया और तुरंत उस आदमी को दामिनी का नाम और बाकी डिटेल्स भेज दी।

    दामिनी एक पब्लिक फिंगर थी। ऐसे में उसका किडनैप होना या उसके साथ कुछ गलत होना मीडिया और पुलिस में काफी हाइप कर सकता था। उसकी परवाह किए बिना आहान ने अपने आदमियों को दामिनी को किडनैप करने को कह दिया था। वैसे भी उसे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसे अच्छे से पता था कि उसने जिस आदमी को इस काम का कहा है, वो पहले भी उसके लिए इस तरह का काम कर चुका है।

    आहान ने पहले जिस लड़की को किडनैप करवाया था। वो हैसियत में दामिनी से काफी बड़ी थी लेकिन आज तक उसके बारे में किसी को पता नहीं चल पाया था।

    उस आदमी को काम सौंपने के बाद आहान डायरेक्ट शिवानी के पास हॉस्पिटल में चला गया। रास्ते में उसने तनु को भी वहां आने के लिए इन्फॉर्म कर दिया था। वो जानता था कि इस वक्त वो गुस्से में है। चाहत को वो गुस्सा शांत करने के लिए अपने पास नहीं बुला सकता था और ना ही इस वक्त वो उसके गुस्से के ज्वालामुखी को शांत कर सकती थी। ऐसे में तनु ही उसकी हेल्प कर सकती थी।

    आहान और चाहत दोनों एक साथ हॉस्पिटल में आए थे। दोनों की ही मॉम की जान पर बन आई थी।

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