ये कहानी है आरुषि शर्मा और अक्षांश कपूर की । आरुषि मुंबई की रहने बाली सभी की मदद करने वाली बहत ही सिंपल लड़की है । वही अक्षांश दिल्ली के रहने वाला एक रुड एंड एरोगेंट लड़का जो सिर्फ अपने घर वालों और दोस्तों के लिए ही स्वीट है । आरुषि और अक्षांश की मुल... ये कहानी है आरुषि शर्मा और अक्षांश कपूर की । आरुषि मुंबई की रहने बाली सभी की मदद करने वाली बहत ही सिंपल लड़की है । वही अक्षांश दिल्ली के रहने वाला एक रुड एंड एरोगेंट लड़का जो सिर्फ अपने घर वालों और दोस्तों के लिए ही स्वीट है । आरुषि और अक्षांश की मुलाकात दिल्ली में होता है और दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते है । अक्षांश आरुषि को पहली ही नजर में अपना दिल दे देता है । पर वो आरुषि को अपने दिल की बात बताने से डरता है । तभी आरुषि और अक्षांश की शादी एक unexpected situation में हो जाता है । इसी बीच आरुषि और अक्षांश के जिंदगी में एक ऐसा तूफान आता है जिससे दोनों की जिंदगी में उथल पुथल मच जाती है । कैसा तूफान आया उनके जिंदगी में? क्या अक्षांश कभी आरुषि को अपने दिल की बात बता पाएगा ? क्या आरुषि और अक्षांश इस unexpected शादी को निभा पाएंगे ? क्या अक्षांश और आरुषि की शादी को घर वाले मानेंगे ? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी ये कहानी "Falling in love with you" ....
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मुंबई,
एक घर, न बहुत बड़ा, न बहुत छोटा। उसमें एक छोटा सा बाग़ था। ग्राउंड फ्लोर पर ३ बेडरूम, मंदिर, किचन और एक हॉल था। पहली मंज़िल पर भी ३ बेडरूम और एक हॉल था जिसमें सोफ़ा रखा हुआ था। हर बेडरूम में अटैच्ड बाथरूम और एक छोटी सी बाल्कनी थी, जिसमें एक छोटा सा झूला लगा हुआ था। दो लोग आराम से उसमें बैठ सकते थे और वहाँ सुबह-सुबह बहुत अच्छी धूप पड़ती थी। यह तो हुआ घर का परिचय, अब चलते हैं कहानी की ओर।
सुबह ५ बजे:
पहली मंज़िल के आखिरी कमरे में, २१ वर्षीय एक सुंदर लड़की, परी की तरह दिखने वाली, बिस्तर पर सो रही थी। अलार्म बजने पर, उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं और अलार्म बंद करके बाथरूम गई ताज़ा होने के लिए। बाथरूम में ताज़ा होकर, थोड़ी देर बाद वह बाहर आई और बाल्कनी में जाकर व्यायाम करने लगी। आधे घंटे बाद वह कमरे में आई और नहाने चली गई। ३० मिनट बाद वह नहाकर बाहर आई तो जो भी उसे देखता, देखता ही रह जाता, क्योंकि उसने तौलिया लपेटा हुआ था, जिसमें उसके शरीर की हर बनावट साफ़-साफ़ दिख रही थी। उसने सीधे अलमारी से एक अनारकली निकाला और तैयार होकर बाहर चली गई।
यह थी हमारी नायिका, आरुषि शर्मा। वह दिखने में बिलकुल परी की तरह थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेती थीं, और वह बहुत सुंदर थी। गुलाब की पंखुड़ियों जैसे खिले हुए लाल होंठ, कमर तक आते हुए लम्बे काले बाल, और बॉडी किसी मॉडल जैसी, जिसे देखकर कोई भी एक बार में दीवाना हो जाए। वह सबको अपनी बातों से हँसा देती थी और सभी की मदद करती थी। वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी। हॉल में ५०-५२ वर्ष के एक आदमी बैठे थे, जो अख़बार पढ़ रहे थे। वह उनके पास जाकर पैर छूकर बोली, "गुड मॉर्निंग।"
यह थे आरुषि के पिता, राजेश शर्मा। इनकी एक कंपनी थी, जिसका नाम आरएस कंपनी था। वे थोड़े मज़ाकिया स्वभाव के थे। हमेशा खुश रहते थे और सबको खुश रखते थे। राजेश जी ने आरुषि के सर पर हाथ रखकर कहा, "गुड मॉर्निंग बच्चा।"
वह वहाँ से सीधे मंदिर की ओर गई तो देखा कि ४५-४७ वर्ष की एक महिला पूजा की थाल सजा रही थी। वह धीरे से जाकर उन्हें गले लगा लिया। वह महिला बोली, "उठ गई मेरा बच्चा।"
यह थीं आरुषि की माँ, मिताली शर्मा। वे भी हमेशा खुश रहती थीं और एक NGO चलाती थीं।
आरुषि ने कहा, "जी माँ।"
उसके बाद मिताली जी बोलीं, "जाओ जाकर अपने पापा को बुलाकर लाओ।"
आरुषि ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ माँ, मैं बुलाकर लाती हूँ।" कहकर वह राजेश जी के पास गई और उन्हें बुलाकर लाई। उसके बाद मिताली जी ने आरती शुरू की और आरुषि ने आरती गाई। पूजा के बाद दोनों को आरती देकर बोलीं, "जाएँ आप दोनों, तैयार हो जाएँ। तब तक मैं नाश्ता तैयार करती हूँ।"
तो आरुषि मिताली जी को बिठाकर बोली, "माँ, मेरी तो कॉलेज नहीं है। तो आप बैठिए, आज का नाश्ता मैं बनाती हूँ।"
मिताली जी मुस्कुराकर हाँ बोलीं। मिताली जी के हाँ कहते ही आरुषि खाना बनाने के लिए किचन चली गई। राजेश जी भी ऑफिस के लिए तैयार होने चले गए।
चलिए, मिलते हैं आरुषि के परिवार के बाकी सदस्यों से:
अशोक शर्मा - आरुषि के दादा जी, आयु - ७५; अंजलि शर्मा - आरुषि की दादी जी, आयु - ७०; आदित्य शर्मा - आरुषि का बड़ा भाई, दिल्ली में बिज़नेस की पढ़ाई कर रहा है। इस साल उसका आखिरी साल है। आयु - २५।
दिल्ली,
दूसरी ओर,
एक बड़े से विला में, एक बहुत खूबसूरत कमरे में, २१ साल का एक हैंडसम लड़का सो रहा था। थोड़ी देर बाद ४५ साल की एक महिला अंदर आई और उस लड़के को देख मुस्कुरा दी, क्योंकि खिड़की से आती धूप से लड़के को नींद में परेशानी हो रही थी, इसलिए उसने अपने चेहरे को कम्बल से ढँक लिया था। वह महिला अंदर आकर बिस्तर की ओर गई और लड़के को उठाते हुए बोली, "अक्षांश, उठ जा, ७ बज चुके हैं।"
वह लड़का बोला, "मम्मा, सोने दो ना थोड़ी देर और।"
वह महिला बोली, "नहीं, जल्दी उठ, तुझे जिम भी जाना है ना, चल जा जल्दी।"
वह लड़का धीरे से उठा और उस महिला के गले लगकर बोला, "गुड मॉर्निंग मम्मा।"
वह महिला लड़के का सर सहलाते हुए बोली, "गुड मॉर्निंग बच्चा।"
तो चलिए, जानते हैं इन दोनों के बारे में।
वह लड़का और कोई नहीं, हमारा हीरो अक्षांश कपूर है।
दिखने में किसी राजकुमार की तरह। लाल होंठ, चेहरे पर थोड़ी सी दाढ़ी, जो भी उसे देखे, उसे पाने के लिए पागल हो जाए। लड़कियाँ उसे देखने के लिए पागल हो जाती थीं।
वह रूड़ और अहंकारी था, पर घरवालों और दोस्तों के लिए बहुत नर्मदिल था। घरवालों के सामने जो अक्षांश रहता था, बाहर वालों के सामने उसका पूरा उल्टा रूप दिखाई देता था। जहाँ घर में वह हँसता-मुस्कुराता था, वहीं बाहर वालों के सामने अहंकारी और रूखा हो जाता था। वह खुद को अच्छा दिखाने वाली लड़कियों से नफ़रत करता था। वह किसी भी लड़की को आँख उठाकर नहीं देखता था। यह तो हुआ हमारे हीरो का परिचय। वह महिला अक्षांश की माँ, अनुराधा कपूर थीं। बहुत ही नेकदिल इंसान थीं।
अब चलते हैं कहानी की ओर।
अनुराधा जी अक्षांश को उठाकर नीचे ले आईं और अक्षांश विला में बने जिम में जिम करने चला गया।
अनुराधा जी नीचे आईं तो देखा कि ५०-५३ साल के एक आदमी बैठे अख़बार पढ़ रहे थे। वह थे अक्षांश के पिता, राजवीर कपूर। वे बहुत अच्छे इंसान थे और कपूर इंडस्ट्री के मालिक थे। उनकी कंपनी पूरे इंडिया में टॉप १० में आती थी और अक्षांश की भी खुद की एक कंपनी थी, एसके कंपनी के नाम से, जो अभी-अभी खुली थी। रणवीर कपूर - अक्षांश के दादाजी, आयु - ७५; शर्मिला कपूर - अक्षांश की दादी जी, आयु - ७०; श्वेता कपूर - अक्षांश की बहन।
आरुषि के घर पर,
९ बजे तक खाना बन चुका था, तो आरुषि राजेश जी और मिताली जी को बुलाकर लाई। तभी आरुषि बोली, "पापा, हम कब जा रहे हैं दिल्ली?"
राजेश जी ने जो बोला, उससे आरुषि उदास हो गई।
आरुषि के घर पर, 9 बजे तक खाना बन चुका था। आरुषि ने राजेश जी और मिताली जी को बुलाया।
"पापा, हम कब जा रहे हैं Delhi?", आरुषि ने पूछा।
राजेश जी ने जो भी उत्तर दिया, सुनकर आरुषि उदास हो गई।
राजेश जी बोले, "आज ही निकलना है। साढ़े 12 बजे flight है।"
"पर पापा, मैंने कुछ भी shopping नहीं की है," आरुषि ने उदास होकर कहा।
"कोई नहीं, वहाँ जाकर कर लेना," राजेश जी ने कहा।
दूसरी तरफ, कपूर विला में, राज जी (राजवीर जी का Nick name) ने अनु जी (अनुराधा जी का nick name) से पूछा, "कहाँ रह गया आपका बेटा?"
"वो जिम गया है। थोड़ी देर में आता ही होगा। आप अपने newspaper पढ़िए। मैं ब्रेकफास्ट बनाने जाती हूँ," अनु जी ने कहा और किचन की तरफ चली गईं।
1 घंटे बाद अक्षांश नीचे आया और राज जी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। वह सोफ़े पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद अनु जी ब्रेकफास्ट के लिए बुलाया। दोनों बाप-बेटे डाइनिंग टेबल पर चले गए। अनु जी भी खाने के लिए बैठ गईं। सर्वेंट्स ने खाना परोसा।
"पापा, दादा-दादी कब लौटेंगे तीर्थ यात्रा से?", अक्षांश ने पूछा।
"अभी और एक महीना बाकी है। उसके बाद लौटेंगे," राज जी ने उत्तर दिया।
"Oh ok," अक्षांश ने कहा। थोड़ी देर रुकने के बाद उसने फिर पूछा, "Next week छोटी का birthday है। तो आपने कुछ plan किया है क्या? और वो कब तक आ रही है?"
राज जी मुस्कुराए, "आज साढ़े 2 बजे उसकी flight आने वाली है और तुम्हें उसे लाने के लिए जाना होगा। Birthday के लिए मैंने पार्टी रखी है। तुम सिर्फ़ उसके साथ जाकर उसकी shopping कराके ले आना, नहीं तो घर अपने सर पर उठा लेगी वो।" राज जी हँसने लगे।
अक्षांश भी मुस्कुराकर हाँ बोल दिया। फिर सभी ने खाना खाया।
खाने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में चले गए।
ऐसे ही 2 बज गए। अक्षांश श्वेता को लाने एयरपोर्ट के लिए निकल गया।
कुछ technical problem के कारण flight थोड़ी देर से लैंड की।
3 बजे flight लैंड की। उसमें से एक सुंदर सी, क्यूट सी लड़की निकली। उसके गाल में डिम्पल पड़ रहे थे। अपनी bag लेकर एयरपोर्ट से बाहर आई। वह लड़की खड़ी होकर इधर-उधर किसी को ढूँढ रही थी। तभी उसकी नज़र एक तरफ़ गई जहाँ एक लड़का खड़ा हुआ था। वह लड़की दौड़कर जा रही थी कि एक पत्थर से पैर लग गया। वह नीचे गिरने वाली थी कि किसी लड़की ने उसे बचा लिया। उस लड़की ने उसे सही से खड़ा करके कहा, "देखकर चलना चाहिए ना आपको? ऐसे भी क्या जल्दी है?"
"Sorry, वो मैं अपने भाई को बहुत दिनों बाद मिल रही हूँ तो थोड़ी excited हो गई थी। And I am really sorry, मेरी वजह से आपको problem हुआ," पहली लड़की ने कहा।
इतने में अक्षांश दौड़कर आया और उस लड़की को ऊपर से नीचे देखा। वह लड़की उसके गले लग गई और बोली, "भाई, आप मुझे लेने आने वाले थे तो पहले बताना चाहिए था ना।" जब तक अक्षांश आया, तब तक दूसरी वाली लड़की को कोई बुला ले गया। उसने अक्षांश और उस लड़की को एक नज़र देखकर चल दिया।
"धीरे श्वेता, ऐसे क्यों भाग रही थी? मैं कहीं चला जा रहा हूँ क्या?", अक्षांश ने डाँटते हुए कहा।
"वो लड़की आ गई, वरना तेरा क्या होता तुझे पता है," कहकर वह थोड़ी दूर के गड्ढे को देख रहा था (उस गड्ढे को fill up करने के लिए कुछ सामान रखा हुआ था और चारों तरफ़ "Not Allowed" का बोर्ड लगा हुआ था)।
तो ये है हमारी अक्षांश की बहन श्वेता।
"Sorry भाई," श्वेता ने मासूम चेहरा बनाकर कहा।
अक्षांश ने मुस्कुराकर उसके सर को सहलाते हुए कहा, "Ok, आगे से ध्यान रखना। तुझे इसलिए नहीं कहा था क्योंकि तुझे surprise देना था, समझी बुद्धू?" वह हँस दिया।
"भाई, मैं बुद्धू नहीं हूँ। और आज आप मुझे shopping पे ले जा रहे हैं, मुझे कुछ नहीं पता," श्वेता ने कहा।
"हाँ बाबा, ले जाऊँगा तुझे। अब खुश?", अक्षांश ने मुस्कुराते हुए कहा।
"हाँ, बहुत खुश," श्वेता ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अब चलें या यहीं रहना है तुझे? वहाँ मम्मा-पापा कब से तेरा wait कर रहे हैं," अक्षांश ने कहा।
"हाँ हाँ भाई, जल्दी चलो। मैंने मम्मा-पापा को बहुत miss किया," श्वेता ने कहा।
जैसे ही अक्षांश जाने के लिए मुड़ा, श्वेता ने अपने माथे को हल्का सा मारते हुए कहा, "Shit! मैं उस लड़की को तो thanks बोलना भूल ही गई।"
अक्षांश ने उसके सर पर हल्का सा चपत लगाकर कहा, "इसलिए ही तुझे मैं बुद्धू बोलता हूँ।" वह हँस दिया।
श्वेता गुस्से से पैर पटककर गाड़ी में बैठ गई।
अक्षांश ने भी सर हिलाकर गाड़ी में बैठ गया और driver को उसकी bag को car के डिक्की में रखने को कहा। Driver सामान रखकर गाड़ी में बैठा और घर के लिए निकल पड़ा।
एयरपोर्ट पर, श्वेता को बचाने वाली लड़की एक middle-aged कपल के पास चली गई। उसमें से महिला ने कहा, "आरुषि बेटा, वहाँ क्यों गई थी? वो तो "Not Allowed" वाला एरिया है ना।"
"वो माँ, एक लड़की उस गड्ढे में गिर गई थी। उसी को बचाने चली गई थी," आरुषि ने कहा।
"वो अभी ठीक है?", मिताली जी ने पूछा।
"जी माँ, वो अब ठीक है," आरुषि ने कहा।
"माँ-बेटी का बात करना ख़त्म हुआ तो जिस काम के लिए आए थे वो करो," राजेश जी ने कहा।
"हाँ हाँ, क्यों नहीं? चलिए," मिताली जी और आरुषि ने एक साथ कहा।
तीनों अपनी मंज़िल की तरफ़ चल पड़े।
दूसरी तरफ, कपूर विला में, 3 गाड़ियाँ आकर रुकीं। अनु जी जल्दी से बाहर आईं। गाड़ी से अक्षांश और श्वेता निकले। श्वेता ने अनु जी के पैर छुए और उसके बाद गले लग गई।
अनु जी ने प्यार से उसके माथे को चूमा और श्वेता को घर के अंदर ले आईं। उसके बाद उन्होंने रामु काका को सूखी मिर्च लाने को कहा। रामु काका सूखी मिर्च लेकर अनु जी को दिए। अनु जी ने श्वेता की नज़र उतारी और मिर्च को जलाने के लिए कहा।
उसके बाद श्वेता राज जी के गले लगी।
"खुश है मेरी गुड़िया?", राज जी ने पूछा।
"जी पापा," श्वेता ने मुस्कुराकर कहा।
राज जी ने सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "जा, थोड़ी देर रेस्ट कर लो। उसके बाद तुम्हें जाना है ना shopping पर।"
श्वेता ने हाँ में सर हिलाकर अपने कमरे की तरफ़ चल दी।
कपूर विला में, तीन गाड़ियाँ आकर रुकीं। अनु जी जल्दी से बाहर आईं। गाड़ी से अक्षांश और श्वेता निकले। श्वेता ने अनु जी के पैर छुए और फिर गले लग गई।
अनु जी ने प्यार से उसके माथे को चूमा और श्वेता को घर के अंदर ले आईं। उसके बाद उन्होंने रामू काका को सूखी मिर्च लाने को कहा। रामू काका सूखी मिर्च लेकर अनु जी को दिए। अनु जी ने श्वेता की नज़र उतारी और मिर्च को जलाने के लिए कहा।
उसके बाद श्वेता राज जी के गले लगी।
राज जी ने पूछा, "खुश है मेरी गुड़िया?"
श्वेता मुस्कुराकर बोली, "जी पापा।"
राज जी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "जा, थोड़ी देर रेस्ट कर लो। उसके बाद तुम्हें जाना है ना शॉपिंग पर।"
श्वेता ने हाँ में सर हिलाया और अपने कमरे की तरफ चली गई।
श्वेता अपने कमरे में आराम करने चली गई। अक्षांश ने श्वेता को घर में छोड़कर ऑफिस के लिए चला गया क्योंकि उसकी एक important meeting थी जिससे उसकी कंपनी को बहुत बड़ी success 🏆 मिलने वाली थी।
दूसरी तरफ, राजेश जी, मिताली जी और आरुषि एक घर के आगे आकर रुके। तीनों अंदर गए तो देखा कि एक 25 साल का नौजवान लैपटॉप के जरिए कुछ काम कर रहा था।
राजेश जी और मिताली जी ने उसे आवाज़ दी, किन्तु आरुषि ने उन्हें मना कर दिया और पीछे से जाकर उस लड़के की आँखों 👀 को अपने कोमल हाथों से ढँक दिया।
ऐसे अचानक कोई आकर आँखों 👀 में हाथ रखने से पहले तो वह लड़का डर गया, पर जैसे ही उसने उस स्पर्श को पहचाना, वह थोड़ा मुस्कुराया और बोला, "गुड़िया आप कब आईं?"
आरुषि बोली, "क्या भाई आप हमेशा मुझे पहचान जाते हो?" कहकर मुँह फुलाकर सोफे पर बैठ गई।
वह लड़का हँसते हुए उसके पास आया, सोफे के नीचे अपने घुटनों पर बैठकर बोला, "अरे गुड़िया, मैं अपनी गुड़िया को नहीं पहचानूँगा तो और किसे पहचानूँगा?" इतना कहकर उसने उसके माथे को प्यार से चूमा।
आरुषि भी खुश होकर उसे गले लगा ली।
राजेश जी और मिताली जी जो भाई-बहन का प्यार देखकर smile 😄 कर रहे थे।
राजेश जी बोले, "अरे भाई, हम भी यहाँ हैं। तुम दोनों तो एक-दूसरे से ही बात करने में busy हो गए।"
मिताली जी मुँह फुलाकर बोलीं, "और नहीं तो क्या? हम यहाँ आदि से मिलने आए थे, पर इसे तो हमारा ख्याल ही नहीं है।"
फिर राजेश जी की तरफ मुड़कर बोलीं, "चलिए जी, इनको तो हमारा ख्याल ही नहीं है तो हम अपने घर चलते हैं।"
जी हाँ, यह और कोई नहीं, आरुषि का भाई आदित्य है।
राजेश जी ने भी उनकी बात पर सहमति जताते हुए पीछे मुड़ने ही वाले थे कि आदित्य जल्दी आकर उन दोनों के गले लग गया।
राजेश जी और मिताली जी मुस्कुरा दिए। तभी आरुषि भी आकर उनके गले लग गई। चारों ने एक फैमिली हग किया और सोफे पर बैठ गए।
आदित्य ने अपने घर में काम करने वाली एक सर्वेंट, जिसका नाम मीना आंटी था, उन्हें बुलाया और सभी के लिए पानी मँगवाया और लंच के लिए खाना तैयार करने को कहा।
मीना आंटी के कहने पर सर्वेंट आकर पानी दे गई। उसके बाद आदि ने सभी को थोड़ी देर आराम करने के लिए कमरे में जाने को कहा।
थोड़ी देर बाद मीना आंटी जाकर सभी को लंच के लिए बुलाकर लाई। सभी हँसी-खुशी लंच करते हैं। उसके बाद आरुषि ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा, "भाई, मुझे आज शॉपिंग पर जाना है, चलिए ना।"
आदि बोला, "पर शॉपिंग किस बात का? अब तो कोई फेस्टिवल भी नहीं आ रहा है।" और फिर राजेश जी और मिताली जी की तरफ मुड़कर बोला, "आप तीनों भी अचानक यहाँ आ गए, कुछ बताया भी नहीं।"
राजेश जी, मिताली जी और आरुषि ने अपना सर ना में हिला दिया, जैसे सभी जानते हों कि उसे कल का दिन याद नहीं रहता कभी भी।
फिर आरुषि बोली, "क्यों भाई, हमें आपसे मिलने के लिए भी कोई वजह चाहिए और शॉपिंग के लिए reason चाहिए?" कहकर अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।
आदित्य मुस्कुराकर बोला, "अच्छा बाबा, ठीक है, हम जाएँगे शॉपिंग पर। अब खुश?"
आरुषि खुश होकर उसके गले लग गई।
थोड़ी देर बाद दोनों निकल पड़े मॉल जाने के लिए। थोड़ी देर में LX MALL (काल्पनिक नाम) पहुँच गए।
कपूर विला में, श्वेता साढ़े 4 बजे से हल में चहलकदमी कर रही थी। थक-हारकर अनु जी के पास आकर बोली, "देखो ना मम्मा, भाई अभी तक नहीं आए हैं।"
तभी उन्हें एक आवाज़ आई, "छोटी, तुझे जल्दी नहीं है शॉपिंग करने की।"
दोनों पीछे मुड़कर देखते हैं तो अक्षांश आ गया था।
श्वेता जल्दी भागकर उसके पास गई और बोली, "भाई, जल्दी जाकर फ्रेश होकर आइए, हमें शॉपिंग पर जाना है।" अक्षांश भी अनु जी के पास जाकर हग करके ऊपर की तरफ चला गया।
थोड़ी देर बाद अक्षांश फ्रेश होकर नीचे आया। श्वेता और अक्षांश मॉल के लिए निकल गए।
थोड़ी देर में LX मॉल में पहुँच गए।
LX मॉल में, श्वेता शॉपिंग कर रही थी और अक्षांश उसके पीछे उसका बैग लेकर घूम रहा था।
तभी उसे किसी क्लाइंट का कॉल 📱📞 आया तो उसने श्वेता को थोड़ी देर अकेले शॉपिंग करने को कहकर थोड़ी दूर जाकर बात की।
थोड़ी देर बाद जब अक्षांश फोन 📱 रखकर पीछे मुड़ा तो किसी लड़की से टकरा गया। वह लड़की गिरने के डर से आँखें बंद कर लेती है। उसके लंबे काले बाल उसके चेहरे पर पड़ रहे थे। अक्षांश ने उसके बाल को साइड किया तो देखता ही रह गया। उसे कुछ अलग सी फीलिंग आ रही थी। तभी वह लड़की भी आँखें 👀 खोली तो अक्षांश की आँखों 👀 में खो गई। ऐसे ही दोनों एक-दूसरे में खोए हुए थे कि कुछ ऐसा हुआ कि दोनों हड़बड़ा गए……
LX मॉल में, श्वेता शॉपिंग कर रही थी और अक्षांश उसका बैग लेकर उसके पीछे घूम रहा था। तभी उसे किसी क्लाइंट का कॉल आया। वह श्वेता को थोड़ी देर अकेले शॉपिंग करने को कहकर थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा।
थोड़ी देर बाद, जब अक्षांश फ़ोन रखकर पीछे मुड़ा, तो वह किसी लड़की से टकरा गया। वह लड़की गिरने के डर से आँखें बंद कर गई। उसके लंबे काले बाल उसके चेहरे पर गिर रहे थे। अक्षांश ने उसके बालों को साइड किया, तो वह देखता ही रह गया। उसे कुछ अलग सी फीलिंग आ रही थी। तभी वह लड़की भी आँखें खोली, तो वह अक्षांश की आँखों में खो गई। ऐसे ही दोनों एक-दूसरे में खोये हुए थे कि अचानक कुछ ऐसा हुआ कि दोनों हड़बड़ा गए।
"भाई......"
एक आवाज़ आई, जिससे दोनों हड़बड़ाकर एक-दूसरे से जल्दी से दूर हो गए। दोनों ने आवाज़ की दिशा में देखा तो एक लड़की वहाँ आ रही थी।
वह लड़की आकर पहले अक्षांश को देखकर बोली, "भाई देखिए ना ये ड्रेस कैसा रहेगा?" अक्षांश मुस्कुराकर "हाँ" बोला।
फिर पहली वाली लड़की को देखकर बोली, "Hii, I am Sweta. And thanks for helping me."
तो वह पहली लड़की मुस्कुराते हुए बोली, "Hii, I am आरुषि। और thanks की कोई ज़रूरत नहीं है। मेरी जगह कोई भी होता तो वही करता।"
श्वेता भी मुस्कुरा दी।
फिर अक्षांश की तरफ मुड़कर बोली, "भाई, ये वही थी जिन्होंने मुझे सुबह गिरने से बचाया था।"
अक्षांश, जो आरुषि को एकटक देख रहा था, उसका ध्यान श्वेता की ओर गया। एक नज़र श्वेता को देखकर उसने आरुषि को धन्यवाद कहा।
फिर आरुषि दोनों को बाय बोलकर चली गई। अक्षांश उसी दिशा में देख रहा था जहाँ से आरुषि अभी गई थी।
श्वेता जब उसे ऐसे एक ही दिशा में देखती रही, तो बोली, "क्या भाई, पसंद आ गई क्या?"
अक्षांश ने उसके सर पर चपत लगाते हुए कहा, "तु अभी छोटी है, कहाँ से सीख रही है ये सब बातें?"
श्वेता दांत दिखाकर बोली, "चलिए ना भाई, शॉपिंग करते हैं।" कहकर उसे खींचते हुए ले गई।
अक्षांश भी उसके साथ चला गया। ऐसे ही दोनों शॉपिंग करके घर लौट गए। दोनों घर आकर पहले अनु जी से मिले, फिर अपने-अपने कमरे में चले गए।
खाने के समय सभी बैठे हुए थे और श्वेता सभी को आज शॉपिंग पर क्या-क्या हुआ, बता रही थी। सभी डिनर करके सोने के लिए चले गए।
दूसरी तरफ, आरुषि जब आदित्य के पास पहुँची, तो आदित्य ने पूछा, "बात खत्म हो गया तुम्हारा?"
आरुषि ने कहा, "जी भाई।"
दरअसल, दोनों शॉपिंग कर रहे थे कि आरुषि को उसकी दोस्त मीरा का कॉल आया था। वह बात करते-करते अक्षांश से टकरा गई थी। दोनों शॉपिंग करके घर लौट आए। ऐसे ही आज का दिन बीत गया।
रात के 11:30 बजे एक कमरे से कुछ आवाज़ें आ रही थीं। थोड़ी देर बाद किसी के फ़ोन पर कॉल आया। कॉल रिसीव करने के बाद जल्दी से नीचे की तरफ एक लड़की भागी। गेट खोलकर साइन करके पार्सल लाई।
ठीक 12 बजे उस घर में अचानक किसी लड़की की आवाज़ गूँजी, "भाई......"
वह आवाज़ सुनकर ऊपर से एक लड़का दौड़कर नीचे आया और बोला, "आरुषि क्या हुआ गुड़िया, ऐसे क्यों चिल्ला रही थी? और ये लाइट्स को क्या हो गया? मीना आंटी, लाइट्स ऑन करिए।"
इतना बोलते ही अचानक लाइट्स ऑन हो गए और "हैप्पी बर्थडे टू आदित्य/भाई" की आवाज़ पूरे घर में गूँजी। आदित्य पहले तो चौंक गया, फिर मुस्कुरा दिया। वह बोला, "इसलिए आप सब यहाँ आए थे।" ये बोलते हुए वह तीनों के पास चला आया। पहले राजेश जी और मिताली जी के पैर छुए, फिर आरुषि को हग करके उसके सर को चूमा।
फिर आरुषि जाकर एक केक लाई। आदित्य ने केक काटा। पहले मिताली जी को, फिर राजेश जी को और आरुषि को केक खिलाया।
फिर बोला, "मैं तो भूल ही गया था मेरा आज बर्थडे है।" राजेश जी बोले, "तु बचपन से ही ऐसा है, सभी का बर्थडे याद रखता है पर खुद का कभी याद नहीं रहता।" मुस्कुराते हुए कहा।
उसके बाद केक फ्रीज़ में रखकर सभी सोने के लिए चले गए। आरुषि जब सोने गई तो उसे पहले अक्षांश का चेहरा सामने आया, पर उसने अपने ख्याल को साइड करके एक टेडी बियर को हग करके सो गई।
दूसरी तरफ, कपूर विला में, 12 बजे, सभी सो रहे थे सिवाय एक जोड़ी आँखों के। और वह था अक्षांश, जिसे आरुषि से मिलने के बाद से उसकी आँखों के सामने बार-बार आ जाती थी। वह बहुत कोशिश के बाद जब उसे भुला नहीं पाया, तो अलमारी से जाकर एक ईयरिंग निकाला और बोला, "आप क्या हैं? एक दिन में एक मुलाकात में मुझे याद आ रही हैं आप। कभी किसी लड़की को देखकर ऐसा फील नहीं हुआ। पता नहीं ये क्या हो रहा है मिस आरुषि। पर ये फीलिंग भी मुझे अच्छा लग रहा है। यदि आप मुझे दुबारा मिलीं तो मैं कभी आपको खुद से दूर नहीं जाने दूँगा। आपके करीब से मुझे जो सुकून मिलता है, वो बिल्कुल मम्मा के गोद में सर रखकर सोने से मिलता है वैसा ही है।" कहकर उस ईयरिंग को चूमकर अलमारी में रख दिया और आकर बेड पर सो गया।
ऐसे ही आज का दिन दोनों का खत्म हो गया।
कपूर विला में, 12 बजे, सभी सो रहे थे सिवाय एक जोड़ी आँखों के। और वो था अक्षांश, जिसको आरुषि से मिलने के बाद से वो उसकी आँखों के सामने बार-बार आ जाती थी।
वह बहुत कोशिश के बाद जब उसे भुला नहीं पाया, तो अलमारी से जाकर एक ईयरिंग निकाला और बोला, "आप क्या हैं? एक दिन में एक मुलाकात में मुझे याद आ रही हैं आप। कभी किसी लड़की को देखकर ऐसा फील नहीं हुआ। पता नहीं ये क्या हो रहा है मिस आरुषि। पर ये फीलिंग भी मुझे अच्छा लग रहा है। यदि आप मुझे दुबारा मिलीं तो मैं कभी आपको खुद से दूर नहीं जाने दूँगा। आपके करीब से मुझे जो सुकून मिलता है वो बिल्कुल मम्मा के गोद में सर रखकर सोने से मिलता है वैसा ही है।" कहकर उस ईयरिंग को चूमकर अलमारी में रख दिया और आकर बेड पर सो गया।
ऐसे ही आज का दिन दोनों का खत्म हो गया।
एक लड़की बेबी पिंक कलर की साड़ी पहन ड्रेसिंग टेबल पर बैठी थी। हेयर ड्रायर से बाल सुखा रही थी। उसके बाद मांग में सिंदूर, माथे में रेड बिंदी, आँखों में काजल और होंठों पर लिप बाम लगाया।
पूरी तरह से तैयार होकर वह पीछे पलटी तो बिस्तर पर एक हैंडसम सा लड़का सो रहा था।
वह उसे एक नज़र देखकर कमरे से बाहर चली गई।
थोड़ी देर में कमरे में वापस आई और बेड के पास चली गई। फिर उस लड़के को जगाते हुए बोली, "अक्षांश उठिए, 7 बज रहे हैं।"
जी हाँ, वो लड़का अक्षांश ही था।
अक्षांश उसकी बात सुनकर दूसरी तरफ करवट बदल दिया। तो वह लड़की उसे फिर से जगाने की कोशिश करती है, पर वह लड़का उठता ही नहीं है। वह लड़की निराशा से ना में सर हिला देती है।
तभी उस लड़की के दिमाग में एक शरारती आइडिया आया। वह लड़की बेड के दूसरे तरफ जाकर बैठ गई और प्यार से अक्षांश के कानों के पास जाकर बोली, "अक्षांश उठिए ना।"
तो अक्षांश, "Plz sweetheart 💜❤ सोने दो ना थोड़ी देर।" बोला।
वह लड़की बोली, "देखो आप उठिए नहीं तो..."
अक्षांश नींद भरी आवाज़ में, "नहीं तो क्या कर लोगी बेबी?" बोला।
वह लड़की धीरे-धीरे उसके करीब जाकर उसके माथे पर किस करती है, उसके बाद दोनों आँखों को, फिर उसके होंठों को जैसे ही छूने को हुई कि अक्षांश झट से उसकी कमर पकड़कर अपने नीचे कर लेता है। वह लड़की यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझ नहीं पाई।
जब उसे समझ में आया कि अक्षांश ने क्या किया तो वह उसकी हार्ड छाती को अपने कोमल हाथों से मारते हुए बोली, "अभी तो सो रहे थे आप, फिर क्यों उठ गए? जाइये आप सोइये।" बोलकर मुँह दूसरी तरफ कर देती है।
तभी अक्षांश प्यार से और शरारत से मुस्कुराकर बोला, "आरुषि मेरे तरफ देखो। जब शेर को जगाया है तो शेर शिकार करेगा ही ना।" इतना बोलते हुए उसके फेस के बिल्कुल करीब चला जाता है।
जी हाँ, ये कोई और नहीं हमारी प्यारी आरुषि है।
जैसे ही उसके होंठों को चूमने वाला होता है, आरुषि धक्का दे देती है जिससे वह बेड से नीचे गिर जाता है।
जब आँख खोलकर देखता है तो पाता है कि वह सपना देख रहा था। वह अपने इस सपने पर हँस देता है और खुद के सर पर चपत लगाते हुए बोलता है - "अक्षांश सुबह-सुबह क्या देख रहा है तू? ये लड़की भी ना मेरे सपने में भी आ गई है अब।" बोलकर उठकर फ्रेश होने चला जाता है।
फ्रेश होकर अपने डेली रूटीन के हिसाब से जिम जाता है, फिर रेडी होकर ब्रेकफास्ट करके ऑफिस के लिए निकल जाता है।
दूसरी तरफ, आरुषि भी सुबह उठकर रेडी होकर नीचे आकर सभी के लिए चाय बनाती है। फिर सभी के कमरों में जाकर चाय देकर आती है।
थोड़ी देर बाद सभी नीचे आते हैं। उसके बाद सभी घर के मंदिर में पूजा करते हैं और मंदिर के लिए निकलते हैं।
मंदिर में पूजा करके आदि का बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं।
ऐसे ही आज का दिन खत्म हो जाता है। सभी डिनर करके सोने के लिए चले जाते हैं क्योंकि आदि के अलावा सभी को मुंबई लौटना था क्योंकि राजेश जी की कल एक इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग थी जिसे उन्हें किसी भी हालत में अटेंड करना था। इसलिए सभी सुबह की फ़्लाइट से मुंबई लौटने वाले थे।
अगली सुबह तीनों मुंबई के लिए रवाना हो गए।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे। देखते ही देखते 2 महीने कब बीत गए पता ही नहीं चला। आज BBA का रिजल्ट निकलने वाला था।
आरुषि अपने फ़ोन को लेकर इधर से उधर हो रही थी।
घर में सिर्फ़ आरुषि और मिताली जी ही थे। राजेश जी ऑफ़िस गए हुए थे।
12 बजे रिजल्ट निकलता है। आरुषि नेट से अपना रिजल्ट देखती है तो अचानक उसकी आँखों से आँसू बह निकलते हैं। मिताली जी उसको ऐसे देख घबरा जाती हैं।
वह पूछती हैं, "क्या हुआ बेटा? ऐसे क्यों रो रही है?"
तो आरुषि जो बोलती है वो सुनकर उनके आँखों से भी आँसू बह जाते हैं।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे। देखते ही देखते २ महीने कब बीत गए, पता ही नहीं चला। आज BBA का रिजल्ट निकलने वाला था।
आरुषि अपने फोन 📱 को लेकर इधर-उधर हो रही थी। घर में सिर्फ आरुषि और मिताली जी ही थे। राजेश जी ऑफिस 🏢 गए हुए थे।
१२ बजे रिजल्ट निकला। आरुषि ने नेट से अपना रिजल्ट देखा तो अचानक उसकी आँखों 👀 से आँसू बह निकले। मिताली जी उसे ऐसे देखकर घबरा गईं।
"क्या हुआ बेटा? ऐसे क्यों रो रही है?" वो पूछती हैं।
तो आरुषि जो बोलती है, वो सुनकर उनके आँखों 👀 से भी आँसू बह गए।
मिताली जी बोलीं, "पागल लड़की! खुद भी रोती है, मुझे भी रुला दिया। ये तो खुशी की बात है ना।"
फिर आरुषि के सर सहलाते हुए बोलीं, "अपने पापा और भाई को भी बता दे। वो दोनों भी कब से इंतज़ार कर रहे होंगे। मैं तब तक कुछ मीठा खाने के लिए ले आती हूँ।" बोलकर किचन में चली गईं।
आरुषि जल्दी से राजेश जी को कॉल 📞 करती है और बोलती है, "पापा, मैं पूरी मुंबई में १st रैंक में आई हूँ।"
तो राजेश जी, "खुश रह मेरी बिटिया! ऐसे ही मेरा नाम रोशन कर।" फिर बोले, "ठीक है, हम बाकी की बात घर आकर करेंगे।" तो आरुषि भी हाँ बोलती है, फिर आदित्य को भी कॉल 📞 लगा देती है।
आदित्य फोन 📱 पर, "रिजल्ट कैसा है तेरा? जल्दी बोल!" ऐसे बिना "हाय हेलो" किए ही बोल देता है।
तो आरुषि, "भाई, रिजल्ट मेरा निकला है। आप क्यों स्ट्रेस ले रहे हैं? थोड़ी साँस लीजिए।" फिर थोड़ी देर रुककर बोलती है, "मैं पूरी मुंबई में टॉप किया हूँ।"
तो आदित्य खुशी से पागल हो जाता है। फिर बोलता है, "मैं जब घर आऊँगा तो मुझे इस खुशी में मेरा फेवरेट खाना खिलाएगी, वो भी अपने हाथों का बना हुआ।"
तो आरुषि भी मुस्कुराकर बोलती है, "जी भाई, पहले आप आइए तो।"
फिर थोड़ी देर ऐसे ही बात करते हैं और कॉल 📞 डिस्कनेक्ट कर देती हैं।
इधर दिल्ली में, आज अक्षांश का भी रिजल्ट निकल रहा था। वो भी टॉप किया था दिल्ली में।
रिजल्ट देखकर अक्षांश ऑफिस के लिए निकल गया।
SK कंपनी में, अक्षांश अपने केबिन में बैठकर फ़ाइल देख रहा था कि डोर 🚪 नॉक ✊ हुआ। तो अक्षांश बोलता है, "Come in।"
तो उसका असिस्टेंट आता है और बोलता है, "सर, आज ३ बजे आपका RS कंपनी के साथ मीटिंग है।"
अक्षांश उसे बिना देखे ही बोलता है, "ठीक है, मुझे उनकी फ़ाइल लाकर दो।"
रवि, जो कि अक्षांश का असिस्टेंट था, वो "जी सर" बोलकर फ़ाइल लेने फ़ाइल स्टोर रूम में चला जाता है।
थोड़ी देर बाद रवि आकर एक रेड फ़ाइल अक्षांश को देता है और अपने काम पर चला जाता है।
ऐसे ही फ़ाइल चेक करते हुए २ बज जाते हैं। अनु जी अक्षांश को कॉल 📞 लगा रही थीं, पर फोन 📱 साइलेंट 🔇 में होने के कारण अक्षांश को पता नहीं चलता।
जब अक्षांश कॉल 📞 नहीं उठाता है तो अनु जी रवि को फोन 📱 करती हैं और अक्षांश को खाना खिलाने के लिए कहती हैं।
अक्षांश काम में डूबा हुआ था कि केबिन का डोर 🚪 नॉक ✊ होता है। तो अक्षांश "Come in" बोलता है।
रवि, "सर, बड़ी मैडम ने आपको कॉल 📞 किए थे। तो आप कॉल 📞 नहीं उठाए, तो मुझे कॉल 📞 किए थे और आपको खाना खाने को बोला है।" इतना बोल वो चुप हो जाता है। तो
अक्षांश बोलता है, "ठीक है, लंच ऑर्डर करो और तुम भी कर लो लंच। उसके बाद हमें RS कंपनी में भी जाना है।"
रवि, "जी सर" बोलकर केबिन से बाहर चला जाता है।
थोड़ी देर में अक्षांश को लंच देकर वो भी लंच करने चला जाता है। लंच के बाद अक्षांश और रवि RS कंपनी की तरफ चल देते हैं।
दोनों डील फ़ाइनल करके ऑफिस 🏢 लौटते हैं। ऐसे ही काम करते हुए शाम हो जाती है।
अक्षांश घर के लिए निकल जाता है। रात को घर में सभी बैठकर डिनर 🍽 कर रहे थे।
रणवीर जी (अक्षांश के दादाजी) बोलते हैं, "अक्षांश, आपका काम कैसे चल रहा है?"
अक्षांश भी खाते हुए ही बोलता है, "अच्छा चल रहा है दादाजी।"
रणवीर जी, "आज आपका रिजल्ट निकल गया, तो आगे क्या करने की प्लानिंग है?" पूछते हैं।
तो अक्षांश बोलता है, "दादाजी, मुझे आगे MBA करना है और साथ में अपनी ऑफिस 🏢 भी संभालनी है।"
तो रणवीर जी हाँ में सर हिला देते हैं और सभी खाने में बिजी हो जाते हैं।
मिताली जी आकर उसे बोलती हैं, "हो गया बात अपने पापा और भाई से?"
तो वो भी हाँ में सिर हिलाती है। फिर दोनों सोफे पर बैठते हैं। मिताली जी आरुषि को खीर खिलाती हैं। आरुषि भी उनको खीर खिलाती है। फिर दोनों एक-दूसरे से बात करते हैं।
तभी घर की डोर बेल 🚪🔔 बजती है। आरुषि जैसे ही घर का दरवाजा खोलती है, एक सुंदर सी लड़की उसके गले लगकर बोलती है, "तू पूरी मुंबई में टॉप किया है, मुझे पार्टी चाहिए।"
तो आरुषि बोलती है, "मीरा, तू भी तो २nd टॉप करी है, तो तेरी भी पार्टी बनती है ना।"
❤ ❤ ये है मीरा, आरुषि की बेस्ट फ्रेंड और बचपन की दोस्त। ये भी आरुषि के साथ BBA कोर्स कर रही है। ❤ ❤
दोनों को ऐसे दरवाजे 🚪 पर बात करते देख मिताली जी बोलती हैं, "घर के अंदर आकर बैठकर बातें करो। मैं कुछ खाने को लाती हूँ।"
तो मीरा मना करते हुए बोलती है, "नहीं आंटी, हम बाहर जा रहे हैं। वहीं से खा लेंगे।"
तो मिताली जी, "ठीक है" बोलकर अपने रूम में चली जाती हैं।
आरुषि और मीरा भी बाहर जाने के लिए निकल जाती हैं।
दोनों बाहर थोड़ी मस्ती करती हैं, फिर मोमोस-चाट खाकर घर के लिए निकल जाती हैं।
दोनों को घर पहुँचते हुए साढ़े सात बज गए थे। तब तक राजेश जी भी ऑफिस 🏢 से आ चुके थे।
आरुषि फ्रेश होकर नीचे आकर मिताली जी से बोलती है, "माँ, हम बाहर से खाकर आए हैं, तो अब और नहीं खा पाऊँगी।"
तो मिताली जी, "पर मैंने तेरे लिए छोले-भटूरे बनाया था।"
तो आरुषि मासूम सी फेस बनाकर बोलती है, "..."
आरुषि और मीरा बाहर जाने के लिए निकलीं। दोनो बाहर थोड़ी मस्ती करती हैं, फिर मोमोस चाट खाकर घर के लिए निकल गईं। दोनो को घर पहुँचते हुए साढ़े सात बज गए थे। तब तक राजेश जी भी office 🏢 से आ गए थे।
आरुषि फ्रेश होकर नीचे आकर मिताली जी से बोली, "माँ, हम बाहर से खाकर आए हैं, तो अब और नहीं खा पाएँगी।"
"पर मैंने तेरे लिए छोले-भटूरे बनाए थे," मिताली जी ने कहा।
"........." आरुषि ने मासूम सी फेस बनाकर कहा।
आरुषि बोली, "आपने छोले-भटूरे बनाए हैं तो मैं थोड़ा सा खाऊँगी और मेरे लिए कल के लिए भी थोड़ा रखिएगा।"
मिताली जी हँसते हुए बोलीं, "Ok बेटा, रख दूँगी तेरे लिए। अब आ, खा ले थोड़ा हमारे साथ।"
आरुषि भी हँसकर सर हिलाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गई। सभी नाश्ता करने के बाद हॉल में आकर बैठे।
तभी राजेश जी ने पूछा, "अब आगे का क्या plan है तुम्हारा?"
आरुषि ने कहा, "पापा, आगे मुझे MBA करना है और सोच रही हूँ जॉब भी कर लूँ।"
राजेश जी बोले, "जॉब की क्या ज़रूरत है बेटा?"
आरुषि ने कहा, "पापा, मैं पैसे के लिए नहीं, अपनी knowledge बढ़ाने के लिए जॉब करना चाहती हूँ और जॉब करने से मुझे experience भी मिलेगा।"
राजेश जी थोड़ी देर सोचते हैं, उसके बाद बोले, "ठीक है, तुम हमारी कंपनी में ही काम कर लो।"
"पर पापा, आपके ऑफिस में मुझे सब लोग पहचानते हैं। सब मुझे अलग नज़रिए से देखेंगे। जो मुझे पसंद नहीं है," आरुषि ने कहा।
थोड़ी देर रुककर वह बोली, "पापा, वो मुझे दिल्ली के university से MBA करना है।"
मिताली जी बोलीं, "पर यहाँ भी तो एक से बढ़कर एक कॉलेज हैं ना MBA के लिए, तो फिर दिल्ली जाने की क्या ज़रूरत है?"
आरुषि ने कहा, "Plz माँ, मुझे वहाँ से करना है। वहाँ की facilities बहुत अच्छी हैं। भाई भी तो वहाँ से कर रहा है ना, और मीरा भी वहीं से MBA करने वाली है।"
मिताली जी कुछ बोलतीं, उससे पहले राजेश जी बोले, "ठीक है, पर मेरी एक शर्त है।"
आरुषि बोली, "ठीक है पापा, मैं आपकी सभी शर्तों के लिए तैयार हूँ। अब तो आप जाने देंगे ना?"
राजेश जी बोले, "पहले मेरी शर्त तो सुन लो, उसके बाद कहना।"
आरुषि ने भी हँसकर सर हिलाया। राजेश जी बोले—
"मेरा पहला शर्त— आपको अपना ध्यान अच्छी तरह से रखना होगा।
दूसरी शर्त— आपको रोज़ हमें दिन में दो बार call 📞 करना होगा।
और इन दोनों में से किसी एक में भी गलती हुई तो आप यहाँ वापस आ जाएँगी।"
आरुषि खुश होकर बोली, "जी पापा, मैं आपकी सभी बातों का ख्याल रखूँगी।" इतना कहकर वह उनके गले लग जाती है और गाल पर किस कर देती है।
उसके बाद मिताली जी के पास आकर उनको भी गले लग जाती है और बोलती है, "आप टेंशन ना लें, मैं खुद अपना ख्याल रख सकती हूँ।"
मिताली जी भी उसके सर सहलाते हुए हँसकर सर हिला देती हैं।
सभी सोने के लिए चले जाते हैं। आरुषि अपने रूम में जाकर मीरा को call 📞 करती है।
मीरा call 📞 पर बोलती है— "क्या बोला uncle ने? हँ कर दिया ना?"
आरुषि ने कहा, "हाँ बाबा, हँ कर दिया।"
उसके बाद दोनों दोस्त खुशी-खुशी थोड़ी देर बात करती हैं और सो जाती हैं।
कपूर बिला में, अक्षांश रोज़ आरुषि को याद आता था। वह रोज़ आरुषि के झुमके के साथ आधी रात तक बात करता था; दिन भर उसने क्या किया, सब कुछ उसके साथ share करता था।
आज भी बेड 🛏 पर लेटकर झुमके से बात कर रहा था।
अक्षांश बोला, "पता नहीं कब से तुमसे इतना प्यार हो गया है। अब तो तुम्हें देखे बिना चैन नहीं है। पता नहीं भगवान जी कभी हमें मिलाएँगे या नहीं।"
ऐसे ही बात करते-करते उसे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। अक्षांश MBA के लिए दिल्ली के सबसे बेस्ट कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी (imagination name), के joining form sign कर चुका था। Result marking list और एक entrance test के बाद निकाला जाता है। इसलिए entrance exam 5 दिन बाद conduct किया जाता है।
आरुषि और मीरा ने भी इसी कॉलेज का joining form fill up किया था। दोनों भी entrance exam की preparation कर रहे थे।
ऐसे ही 3 दिन बीत जाते हैं। आरुषि और मीरा दोनों को दिल्ली जाने के लिए आज निकलना था। शाम 4 बजे दोनों की flight ✈ थी। दोनों flight ✈ से दिल्ली पहुँच जाती हैं। आदित्य उनको receive करने आया था।
तीनों घर के लिए निकलते हैं। तीनों घर पहुँचकर dinner 🍽 करते हैं, उसके बाद सोने के लिए चले जाते हैं।
नेक्स्ट डे ऐसे ही पढ़ाई में खत्म हो गया। अगले दिन सुबह 10 बजे exam था। आदित्य दोनों को कॉलेज में छोड़ता है और "all the best" बोलकर घर के लिए चला जाता है।
थोड़ी देर बाद Exam start हो जाता है। दोनों exam देती हैं। result कल सुबह निकलने वाला था।
उधर, अक्षांश भी exam देकर रूम से बाहर आता है तो किसी से टकरा जाता है।
जब वह सामने देखता है तो आरुषि को अपने सामने देखकर चौंक जाता है। दोनों एक-दूसरे में खोए हुए थे कि मीरा की आवाज़ से दोनों होश में आते हैं। अक्षांश आरुषि को खड़ा करता है। आरुषि उसे देखकर कहती है, "sorry and thank you"।
अक्षांश उसे कन्फ्यूज़न में देखता है तो आरुषि बोलती है, "sorry आपसे टकराने के लिए और thank you मुझे बचाने के लिए।"
अक्षांश मुस्कुरा देता है और पूछता है— "आप यहाँ?"
आरुषि मुस्कुराकर बोलती है, "वो यहाँ entrance exam देने आई थी, और आप?"
अक्षांश बोलता है, "मैं भी entrance exam देने आया था।" फिर मीरा की तरफ देखकर पूछता है, "और ये कौन है?"
आरुषि बोलती है, "ये मेरी दोस्त मीरा है। ये भी मेरे साथ exam देने आई थी।"
अक्षांश "oh" बोलता है।
आरुषि कहती है, "Okay, तो अब मैं चलती हूँ।"
अक्षांश भी हँसकर सर हिला देता है। आरुषि "bye 👋" कहकर चली जाती है।
अक्षांश आरुषि को एकटक देखता रहता है। फिर जब आरुषि उसकी आँखों 👀 से ओझल हो जाती है तो वह भी घर के लिए निकल जाता है।
रात को अक्षांश और आरुषि एक-दूसरे के बारे में सोच रहे थे। अक्षांश तो बहुत खुश था आरुषि को इतने दिनों बाद देखकर।
अक्षांश आरुषि के झुमके को देखकर बोलता है— "........."
तो आपको क्या लगता है? आरुषि, मीरा और अक्षांश क्या entrance exam में पास होंगे? क्या आरुषि और अक्षांश एक-दूसरे से फिर मिल सकेंगे? और क्या एक हो पाएंगे दोनों? अक्षांश आरुषि के झुमके को क्या बोल रहा है? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ।
तो आरुषि मुस्कुराकर, "वो यहाँ entrance exam देने आई थी और आप?" बोली।
अक्षांश, "मैं भी entrance exam देने आया था" बोला। फिर मीरा की तरफ देखकर, "और ये कौन है?" पूछा।
तो आरुषि बोली, "ये मेरी दोस्त मीरा है। ये भी मेरे साथ exam देने आई थी।"
अक्षांश "oh" बोला।
आरुषि, "ओके, तो अब मैं चलती हूँ" बोली।
अक्षांश ने भी सिर हिला दिया। तो आरुषि bye 👋 करके चली गई।
अक्षांश आरुषि को एकटक देखता रहा। फिर जब आरुषि उसकी आँखों 👀 से ओझल हो गई, तो वह भी घर के लिए निकल गया।
ऐसे ही रात हो गई। रात को अक्षांश और आरुषि एक-दूसरे के बारे में सोच रहे थे।
अक्षांश तो बहुत खुश था आरुषि को इतने दिनों बाद देखकर।
अक्षांश आरुषि के झुमके को देखकर बोला, "..."
अक्षांश आरुषि के झुमके को देखकर बोला, "Finally आपसे मुलाकात हो गई। अब मुझे भी लगता है कि भगवान हम दोनों को मिलाएँगे।" इतना बोलकर मुस्कुरा दिया।
ऐसे ही बात करते-करते अक्षांश कब सो गया उसे पता नहीं चला।
अगले दिन,
अक्षांश सुबह उठकर अपने डेली रूटिन के हिसाब से सब काम करके ऑफिस 🏢 के लिए निकल गया।
दूसरी तरफ,
आरुषि भी सुबह उठकर चाय बनाई और मीरा और आदित्य को चाय देकर उठाया। उसके बाद नीचे आकर मीना आंटी के साथ ब्रेकफास्ट तैयार किया। तीनों मिलकर ब्रेकफास्ट किया।
तीनों आकर हॉल में बैठे। आदित्य अपना काम कर रहा था।
थोड़ी देर बाद,
मीरा हॉल में इधर-उधर चक्कर काट रही थी और आरुषि सोफे पर बेचैनी से अपने नाखून चबा रही थी और बार-बार फोन 📱 को देख रही थी।
10 बजे,
रिजल्ट अनाउंस हुआ। दोनों का इसमें सिलेक्शन हो गया था। दोनों बहुत खुश थे।
आदित्य भी यह जानकर खुश था कि दोनों का सिलेक्शन हो गया है।
एग्जाम में जो जो स्टूडेंट पास हुए थे उनके पास ईमेल 📧 आ चुका था, कॉलेज की तरफ से। उसमें कॉलेज के ओपनिंग और टाइमिंग के बारे में भी लिखा हुआ था।
उसके हिसाब से कॉलेज अगले हफ्ते मंडे से स्टार्ट होना था, तो आरुषि आदित्य से बोली, "मेरा और मीरा का मुंबई का आज का टिकट बुक कर दीजिए। हम 4-5 दिन माँ-पापा के साथ टाइम स्पेंड करना चाहते हैं।"
आदित्य बोला, "ओके, मेरा भी एग्जाम खत्म हो गया है। ओनली प्रैक्टिकल एग्जाम बाकी है, तो मैं भी तुम लोगों के साथ चलता हूँ।"
तो आरुषि खुश हो गई। आदित्य टिकट बुक किया, उसके बाद अपने काम पर लग गया। फ़्लाइट ✈ टिकट 4 बजे का था।
(आदित्य क्या काम कर रहा है यह तो अभी आपके लिए सरप्राइज़ है।)
तो मीरा और आरुषि दोनों अपने-अपने रूम में जाकर आराम किया।
2 बजे तीनों लंच किया। फिर ऐसे ही टाइम कब निकल गया पता नहीं चला। दोनों ज़रूरी सामान पैक किया। आदित्य भी अपना पैकिंग कर चुका था। साढ़े 3 बजे तीनों निकल गए एयरपोर्ट के लिए।
4 बजे की फ़्लाइट ✈ से तीनों मुंबई के लिए रवाना हो गए। साढ़े 6 बजे तक तीनों मुंबई पहुँच चुके थे। वहाँ से कैब 🚕 बुक करके घर के लिए निकल गए। रास्ते में मीरा को उसके घर ड्रॉप किया, उसके बाद दोनों अपने घर चले गए।
घर पहुँचकर डोर बेल 🚪 🔔 बजाई। तो मिताली जी डोर 🚪 खोली, तो चौंक गए। आदित्य और आरुषि दोनों "सरप्राइज़" कहकर गले लग गए। तो मिताली जी भी दोनों को लेकर अंदर गईं।
राजेश जी भी घर पर ही थे। दोनों उनके पैर छुए।
राजेश जी, "जाइए, आप दोनों फ्रेश होकर आइए, उसके बाद बात करते हैं।"
तो दोनों ने भी सिर हिलाकर अपने-अपने रूम की तरफ चल दिए।
दूसरी तरफ,
SK कंपनी में,
अक्षांश अपना काम कर रहा था कि अचानक उसके कैबिन का डोर 🚪 जोर से खुला और एक हैंडसम सा लड़का आकर उसके आगे वाले चेयर पर बैठ गया।
तो अक्षांश उस लड़के को देखे बिना बोला, "विक्रम, तुझे मैंने कितनी बार बताया है मेरे कैबिन का डोर 🚪 नॉक ✊ करके आने को।"
तो वो लड़का अपना बतिसी दिखाकर बोला, "आरे यार, मैं तो तेरा जिगरी यार हूँ, तो मैं क्यों नॉक ✊ करके आऊँगा? और मैं सुधरने वाला नहीं हूँ। तुम्हें जो करना है कर लो।"
❤ ❤ तो ये है विक्रम राठौर, राठौर परिवार का वारिस। ये थोड़ी मज़ाकिया टाइप के हैं। ये सभी लड़कियों के साथ फ़्लर्ट करते हैं, पर एक हद तक। ये लड़कियों की इज़्ज़त करते हैं। ये अक्षांश से बिल्कुल ऑपोजिट हैं। जहाँ अक्षांश हमेशा चुप रहता है बाहर, वहीं ये दिन भर कुछ न कुछ बोलता ही रहता है। ये फ़्लर्ट तो करते हैं, पर आज तक इनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। ❤ ❤
तो अक्षांश ने अपना सिर हिला दिया, जैसे वो जानता हो वो ऐसा ही है।
फिर अक्षांश बोला, "अब बोल, क्यों आया है यहाँ?"
तो विक्रम थोड़ा नाटक करते हुए मुँह फुलाकर बोला, "क्या मैं किसी काम से ही तेरे पास आ सकता हूँ? ऐसे ही तुझसे मिलने नहीं आ सकता क्या?"
तो अक्षांश उसे ऐसा लुक दिया जैसे अभी सीधे-सीधे नहीं बताएगा तो उसे इस कैबिन से उठाकर बाहर फेंक देगा।
और विक्रम भी जैसे समझ गया। तो वो बोला, "ऐसे मुझे मत देख, मैं डरता नहीं हूँ तुझसे, समझा।"
फिर थोड़ी देर बाद बोला, "तु दिल्ली यूनिवर्सिटी का entrance exam दे चुका था, तो उसका रिजल्ट देखा तुमने?"
तो अक्षांश ने सिर हिला दिया। और बोला, "तु भी तो ये एग्जाम दिया है।"
तो विक्रम ने सिर हिला दिया। और बोला, "मैं इसीलिए तेरे पास आया था, क्योंकि तुम तो अपने काम में इतने बिज़ी रहते हो कि तुम्हें कोई बात का ख्याल ही नहीं रहता।"
तो अक्षांश बोला, "तेरा बकवास हो गया हो तो रिजल्ट देख।"
तो विक्रम यूनिवर्सिटी का ऑनलाइन पोर्टल खोला, उसके बाद जो देखा वो देखकर चौंककर बोला, "अक्षांश, ये देख, ये क्या है?"
तो अक्षांश को भी ऐसे हैरान देखकर, अक्षांश भी देखता है तो वो भी हैरान हो जाता है और उसे किसी की याद आ जाती है।
आज के लिए इतना ही।
आप लोगों को क्या लगता है अक्षांश और विक्रम ऐसा क्या देख लिए जो हैरान हो गए? अक्षांश को किसकी याद आ गई है? अक्षांश और विक्रम एग्जाम में पास हुए होंगे या नहीं? अक्षांश और आरुषि की मुलाकात फिर से होगी या नहीं? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ.........
विक्रम को जैसे समझ आ गया। उसने कहा, "ऐसे मुझे मत देख, मैं डरता नहीं हूँ तुझसे, समझा।"
थोड़ी देर बाद, उसने फिर कहा, "तुम्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस एग्जाम दिया था, तो उसका रिजल्ट देखा तुमने?"
अक्षांश ने अपना सिर हिलाया और कहा, "तुमने भी तो ये एग्जाम दिया है।"
विक्रम ने सिर हिलाया और बोला, "मैं इसीलिए तेरे पास आया था क्योंकि तुम अपने काम में इतने बिजी रहते हो कि तुम्हें कोई बात का ख्याल ही नहीं रहता।"
अक्षांश ने कहा, "तेरा बकवास हो गया हो तो रिजल्ट देख।"
विक्रम ने यूनिवर्सिटी का ऑनलाइन पोर्टल खोला। जो उसने देखा, उसे देखकर वह चौंककर बोला, "अक्षांश, ये देख, ये क्या है?"
अक्षांश ने भी उसे हैरान देखकर देखा। वह भी हैरान हो गया और उसे किसी की याद आ गई।
विक्रम और अक्षांश ने जब रिजल्ट देखा तो उसमें अक्षांश का सबसे हाईएस्ट नंबर आया था, पर उसके साथ एक और लड़की का भी सेम नंबर आया था। इसलिए विक्रम चौंककर बोला, "देख अक्षांश, तेरी टक्कर की आ गई है।"
अक्षांश ने जब उस लड़की का नाम देखा तो उसे किसी की याद आ गई क्योंकि उस टॉपर लड़की का नाम आरुषि मिश्रा था। वह थोड़ा गेस कर रहा था कि हो ना हो यह उसकी आरुषि होगी, पर वह कन्फर्म नहीं था क्योंकि उसने आरुषि की जानकारी नहीं निकाली थी।
वह सोच रहा था, हमारा मिलना हो तो जैसे भी करके हम मिलेंगे। इसलिए उसने आरुषि के बारे में जानने की कोशिश नहीं की। अक्षांश को खुशी हो रही थी कि आरुषि भी उसकी टक्कर की है।
थोड़ी देर बात करने के बाद विक्रम चला गया। अक्षांश भी अपने काम में लग गया। ऐसे ही आज का दिन खत्म हो गया।
ऐसे ही एक हफ़्ता कैसे निकल गया, पता ही नहीं चला। आरुषि, आदित्य और मीरा तीनों मुंबई से दिल्ली आ चुके थे।
दो दिन बाद आदित्य का प्रैक्टिकल एग्जाम था, तो वह अपनी पढ़ाई में बिजी था।
संडे के दिन, आरुषि और मीरा अपने कोर्स की कुछ इम्पॉर्टेन्ट बुक्स लाने के लिए चले गए। आज दोनों अकेले गए थे। आदित्य का एग्जाम परसों था, इसलिए दोनों ने उसे परेशान न करना ही सही समझा। दोनों आदित्य को कहकर मार्केट चले गए।
दोनों ने कुछ बुक्स 📚 खरीदीं। उसके बाद घर के लिए कुछ वेजिटेबल्स और स्नैक्स खरीदे और घर के लिए निकले।
रास्ते में आरुषि को चाट और गोलगप्पे वाला दिखाई दिया, तो उसने ऑटो रुकवा दिया।
मीरा ने अचानक ऑटो रुकने पर आरुषि को आश्चर्य से देखा। आरुषि ने उसे चाट और गोलगप्पे वाले की तरफ़ इशारा किया।
मीरा खुश होकर ऑटो से उतर गई। आरुषि ने ऑटो वाले को पैसे देकर चाट वाले के पास चली गई।
दोनों ने चाट खाई, उसके बाद गोलगप्पे खाकर घर के लिए निकलने के लिए ऑटो का इंतज़ार करने लगीं। तभी आरुषि ने एक पपी 🐶 को बीच रास्ते में सड़क पार करते देखा।
उस ओर एक गाड़ी तेज़ी से आ रही थी, तो वह उस पपी 🐶 को लेकर जल्दी दूसरी तरफ़ चली गई।
उसके बाद उसने पपी 🐶 के सर सहलाया और उसे नीचे छोड़ दिया। वह पपी 🐶 भी चला गया।
मीरा उसके पास आकर परेशान सी बोली, "ऐसे कोई बीच सड़क पे जाता है? तुझे कुछ हुआ नहीं ना? तुझे कुछ हो जाता तो मैं घर में सभी से क्या बोलती?"
आरुषि ने उसे चुप कराते हुए कहा, "अरे, मेरी एक्सप्रेस ट्रेन थोड़ी साँस तो ले ले और मुझे भी लेने दे। मैं ठीक हूँ, मुझे कुछ नहीं हुआ।" और थोड़ी देर रुककर बोली, "वो पपी 🐶 सड़क के बीचोबीच था, तू तो देख रही थी। यदि मैं थोड़ी देर करती तो उस पपी 🐶 की जान चली जाती।" बोलकर मासूम सा चेहरा बना दिया।
मीरा ने उसके सर पर चपत लगाते हुए कहा, "पागल लड़की।"
आरुषि मुस्कुरा दी। दोनों ऑटो का इंतज़ार करने लगीं।
थोड़ी देर में ऑटो दिखा। दोनों ने ऑटो रुकवाकर घर के लिए निकल गईं।
उसके बाद एक बाइक, जो उन दोनों को देख रहा था, वह भी वहाँ से निकल गया।
आरुषि और मीरा घर पहुँचकर अपने रूम में चली गईं।
दो घंटे बाद खाने के लिए नीचे आईं। तीनों ने डिनर 🍽 करके सोने चली गईं।
दूसरी तरफ, कपूर विला में, डिनर 🍽 के बाद सभी सोने चले गए। अक्षांश के कमरे में अक्षांश बालकनी में खड़े होकर चाँद को देखकर कुछ सोच रहा था।
अक्षांश अपने मन में, "आप कितने प्यारे हो ना। सभी की चिंता रहती है। वो कोई जानवर भी क्यों न हो।" कहकर मुस्कुरा दिया।
वहाँ उस वक़्त आरुषि को देखने वाला कोई और नहीं, हमारा अक्षांश ही था। वह ऑफिस 🏢 से घर की तरफ़ आ रहा था कि रास्ते में आरुषि को देखकर अपनी बाइक रोक दी और उसे देखने लगा।
रूम में जाकर आरुषि की झुमकी निकाली और सीने से लगाते हुए बोला, "कल मुलाक़ात होगी।" बोलकर सो गया।
अगले दिन, अक्षांश अपने डेली रूटीन के हिसाब से सभी काम करके कॉलेज के लिए अपनी बाइक पर निकल गया। कॉलेज पहुँचकर बाइक पार्क करके अपने डॉक्यूमेंट्स लेकर प्रिंसिपल के रूम में चला गया।
प्रिंसिपल के रूम में, अक्षांश ने प्रिंसिपल सर को अपने डॉक्यूमेंट्स देकर कहा, "अंकल, मेरी असली पहचान किसी को भी मत कहिएगा। मैं सिम्पल स्टूडेंट की तरह पढ़ना चाहता हूँ।"
प्रिंसिपल सर मुस्कुराकर हाँ में सिर हिला दिए।
वहाँ से वह अपने क्लास में चला गया। वहाँ की खाली सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद विक्रम भी क्लास में आकर उसके पास बैठ गया।
कुछ देर बाद क्लास रूम में कोई आया, जिसे देखकर सभी लड़के-लड़कियाँ उसे एकटक देखने लगे। अचानक अक्षांश के दिल की धड़कन जोर से धड़कने लगी। वह इधर-उधर अपना मुँह करके देखने लगा। सभी को एक दिशा में देखकर जब उसने उस तरफ़ देखा तो उसका दिल तो जैसे बाहर कूदकर आने को रेडी था।
आप सबको क्या लगता है कौन आया होगा क्लास रूम में, जिसे देखकर सभी एकटक देख रहे हैं? अक्षांश का दिल की धड़कन अचानक क्यों बढ़ गई? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ..........
अक्षांश ने अपने दैनिक रूटिन के अनुसार सारे काम निपटाकर कॉलेज के लिए अपनी बाइक पर निकल गया। कॉलेज पहुँचकर बाइक पार्क की और अपने दस्तावेज़ लेकर प्रिंसिपल के कमरे में चला गया।
प्रिंसिपल के कमरे में, अक्षांश ने प्रिंसिपल सर को अपने दस्तावेज़ देते हुए कहा, "Uncle, मेरी असली पहचान किसी को भी मत कहिएगा। मैं सिम्पल स्टूडेंट की तरह पढ़ना चाहता हूँ।"
प्रिंसिपल सर मुस्कुराकर हाँ में सिर हिला दिए।
वहाँ से वह अपने क्लास में चला गया और एक खाली सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद विक्रम भी क्लास में आकर उसके पास बैठ गया।
कुछ देर बाद क्लास रूम में कोई आया, जिसे देखकर सभी लड़के-लड़कियाँ उसे एकटक देखने लगे। अचानक अक्षांश के दिल की धड़कनें तेज होने लगीं। वह इधर-उधर अपना मुँह करके देखने लगा। सभी को एक ही दिशा में देखते देखकर जब वह उस तरफ देखा, तो उसका दिल जैसे बाहर कूदने को तैयार था।
वह कोई और नहीं, आरुषि थी। आरुषि को देखकर अक्षांश की धड़कनें और भी तेज हो गई थीं। आरुषि आज काले रंग के अनारकली सूट में बहुत सुंदर लग रही थी। काला रंग उसके गोरे बदन पर बहुत जँच रहा था।
आरुषि और मीरा क्लास में आकर बैठ गईं। थोड़ी देर बाद क्लास रूम में टीचर आ गए। टीचर के आते ही सभी स्टूडेंट खड़े होकर गुड मॉर्निंग विश करने लगे।
टीचर बोले, "शिट डाउन।"
फिर बोले, "आज कोई क्लास नहीं होगा। आप सभी कॉलेज को अच्छे से देख लीजिये। पर इससे पहले सभी की सीट फिक्स कर देते हैं। सभी एक-एक करके अपना नाम पेपर पर लिखिए। उसके बाद हम दो-दो चीट निकालेंगे।"
तो सभी ने नाम लिखकर काँच के बाउल में रख दिए। उसके बाद दो-दो चीट निकाली गईं। पहले निकिता और श्रबानी निकलीं, दोनों को पहली सीट पर बिठाया गया। उसके बाद रश्मि और गौतम, इसी तरह दो-दो करके नाम निकाले गए।
इधर अक्षांश बस आरुषि के साथ बैठने की प्रार्थना कर रहा था।
जब आरुषि का नाम आया, तो अक्षांश ने अपनी आँखें बंद कर लीं। टीचर ने आरुषि के साथ अक्षांश का नाम अनाउंस किया। अक्षांश बहुत खुश हो गया, पर सामने किसी को दिखाया नहीं।
दोनों एक सीट पर बैठ गए।
इसी तरह मीरा और विक्रम एक साथ बैठ गए। सभी के सीट अरेंजमेंट के बाद टीचर ने टाइम टेबल की पर्ची सभी को दी और कॉलेज घूमने के लिए कहकर क्लास से चले गए।
टीचर के जाते ही आरुषि जल्दी से क्लास से बाहर जाना चाहती थी क्योंकि जब भी अक्षांश उसके पास आता था उसकी धड़कनें बढ़ जाती थीं, पर वह हमेशा उसे इग्नोर कर देती थी। पर आज तो हद हो गई, उसे उसके पास हमेशा बैठना पड़ेगा। जिससे वह बहुत घबरा गई थी।
इसलिए वह जल्दी से उठकर मीरा के पास चली गई। दोनों कॉलेज घूमने के लिए चली गईं। अक्षांश एकटक आरुषि की हर हरकत को नोटिस कर रहा था। वह यह समझ गया था कि आरुषि को उसके पास आने से कुछ तो फील होता है, जिससे वह उससे जल्दी दूर चली जाती है। यह सोचकर अक्षांश अपने आप में मुस्कुरा दिया।
उसके बाद अक्षांश और विक्रम घर के लिए निकल गए। उन्हें कॉलेज नहीं घूमना था क्योंकि यह उनका ही कॉलेज था, इसलिए वे यहाँ के बारे में सब जानते थे। इसलिए दोनों घर के लिए निकल गए।
आरुषि और मीरा भी कॉलेज घूमकर घर के लिए निकल गईं।
दोनों घर पहुँचकर थोड़ी देर आराम किया। उसके बाद नीचे आकर हॉल में टीवी देखने लगीं। आरुषि खाने के लिए मैगी बनाकर लाई। दोनों मैगी खाते हुए कार्टून देखने लगे।
ऐसे ही डिनर का टाइम हो गया, तो आदित्य भी नीचे आ गया। तीनों मिलकर डिनर किया। उसके बाद सभी अपने-अपने कमरे में चले गए।
आरुषि अपने कमरे में अक्षांश के बारे में सोच रही थी। उसके पास आने से उसके दिल की धड़कनें बढ़ जाना। यह सब सोचकर बोली, "हे भोलेनाथ! मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं क्या करूँ प्रभु? अब तो उनके पास ही हमेशा बैठना पड़ेगा। कैसे अपनी धड़कन को कंट्रोल करूँगी? कुछ उपाय दिखाइए प्रभु?" इतना अपने मन में बोलकर वह सो गई।
दूसरी तरफ, अक्षांश कॉलेज से आने के बाद ऑफिस चला गया। शाम 7 बजे तक अक्षांश ऑफिस से घर आ गया। अनु जी हॉल में बैठी थीं। उनके पास आकर उन्हें गले लगाकर अपने रूम की तरफ चल दिया।
फ्रेश होकर नीचे आया तो अनु जी वहाँ नहीं थीं। थोड़ी देर बाद अनु जी कॉफी लेकर आईं। अक्षांश के पास बैठकर उसे कॉफी देते हुए पूछा, "दादा-दादी कहाँ हैं? दिखाई नहीं दे रहे हैं?"
अनु जी बोलीं, "वो अपने रूम में आराम कर रहे हैं।"
अक्षांश ने हाँ कहकर कॉफी खत्म की। उसके बाद अनु जी की गोद में सिर रखकर लेट गया। अनु जी अक्षांश से पूछने लगीं, "क्या हुआ? कोई परेशानी है तुझे?"
अक्षांश ने ना में सिर हिला दिया। अनु जी फिर पूछीं, "तो खुश है किसी बात से?"
अक्षांश ने हाँ में सिर हिला दिया। अनु जी एक्साइटेड होकर पूछीं, "तो क्या कारण है इस खुशी का? अपनी माँ को नहीं बताएगा?"
अक्षांश बोला, "पर मम्मा आप चिढ़ाओगी नहीं ना? छोटी को भी मत बताना, तभी बोलूँगा।"
अनु जी उसके सर को सहलाते हुए कहती हैं, "हाँ बाबा, नहीं कहूँगी उसे और तुझे चिढ़ाऊँगी भी नहीं। अब जल्दी बता क्या बात है।"
अक्षांश थोड़ी देर शांत रहा, फिर बोला, "मम्मा, मुझे एक लड़की अच्छी लगती है।"
अनु जी बोलीं, "इसलिए मेरा बेटा इतने दिनों से खोया-खोया रहता था। मैं सोच रही थी कहीं किसी को पसंद तो नहीं करने लगा हो तुम। देखो मेरी बात सच निकली।"
अक्षांश बोला, "मम्मा, आप भी ना, हमेशा मुझे समझ जाती हैं।"
फिर अनु जी बोलीं, "इस बात से तो तुम इतने खुश नहीं हो। जल्दी बताओ क्या बात है?"
अक्षांश अनु जी को जो बोला, उससे अनु जी बहुत एक्साइटेड हो गईं।
आप सबको क्या लगता है? आरुषि को जो एहसास हो रहा है, उसका पता वह लगा पाएगी? अक्षांश और आरुषि का साथ आगे क्या रंग खिलाएगा? अक्षांश ने अनु जी को ऐसा क्या बोला जिससे अनु जी इतनी एक्साइटेड हो गईं? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ..........
अक्षांश ने हाँ में सिर हिला दिया। अनु जी उत्साहित होकर पूछती हैं, "तो क्या कारण है इस खुशी का? अपने माँ को नहीं बताएगा?"
अक्षांश बोला, "पर मम्मा आप चिढ़ाओगी नहीं न? छोटी को भी मत बताना, तभी बोलूँगा।"
अनु जी उसके सर को सहलाते हुए कहती हैं, "हाँ बाबा, नहीं कहूंगी उसे और तुझे चिढ़ाऊंगी भी नहीं। अब जल्दी बता, क्या बात है?"
अक्षांश थोड़ी देर शांत रहा, फिर बोला, "मम्मा, मुझे एक लड़की अच्छी लगती है।"
अनु जी बोलीं, "इसलिए मेरा बेटा इतने दिनों से खोया-खोया रहता था! मैं सोच रही थी कहीं किसी को पसंद तो नहीं करने लगा हो तुम। देखो, मेरी बात सच निकली।"
अक्षांश बोला, "मम्मा, आप भी न! हमेशा मुझे समझ जाती हैं।"
फिर अनु जी बोलीं, "इस बात से तो तुम इतने खुश नहीं हो। जल्दी बताओ, क्या बात है?"
अक्षांश ने अनु जी को जो बताया, उससे अनु जी बहुत उत्साहित हो गईं।
अक्षांश बोला, "मम्मा, वो अब हमारे कॉलेज में पढ़ती है। और मेरी classmate है, और मेरे साथ मेरे बेंच में बैठेगी अब से।"
अनु जी उत्साहित होकर बोलीं, "तो तू उसे अपने दिल की बात जल्दी बताकर मुझसे मिलाने ले आ न! मैं भी तो देखूं उस लड़की में ऐसा क्या है जिसने मेरे बेटे को, जो सब लड़कियों से दूर भागता था, उसके दिल को जीत लिया।"
अक्षांश अनु जी की उत्साह को रोकते हुए बोला, "मम्मा, आपको नहीं लगता आप कुछ ज़्यादा आगे बढ़ गई हैं? मैं अब तक उससे दोस्ती नहीं की है और आप बोल रही हो कि अपने दिल की बात उसे बता दूँ। पहले मुझे उसके साथ दोस्ती करने दीजिये। उसके बाद उसके दिल में क्या है वो भी जानना है। उसके बाद अपने दिल की बात बताऊँगा न।"
अनु जी बोलीं, "पहले मुझे उसका नाम तो बता? और मुझे उससे मिलना है।"
अक्षांश बोला, "उसका नाम आरुषि है और मेरा पहले उससे दोस्ती हो जाए, उसके बाद आपको मिलाने के लिए लेके आऊँगा। Okay? अब खुश?"
अनु जी बोलीं, "ठीक है।"
थोड़ी देर बाद बोलीं, "वैसे नाम बहुत अच्छा है, अक्षांश की आरुषि।" कहकर हँस दी। अक्षांश शर्मा गया और बोला, "मम्मा......"
अचानक अनु जी को कुछ याद आया, तो वो बोलीं, "तेरे पास उसकी फ़ोटो तो होगी ना? वो दिखा मुझे।"
अक्षांश बोला, "नहीं मम्मा, मेरे पास उसकी कोई फ़ोटो नहीं है।"
अनु जी उदास हो गईं।
अक्षांश उनको उदास देखकर बोला, "मम्मा उदास मत हो। मैं अपने assistant से उसकी डिटेल्स मँगवाकर आपको कल दिखा दूँगा, उसकी फ़ोटो। अब खुश?"
अनु जी उसके सर को किस करते हुए बोलीं, "हाँ, अब बहुत खुश।"
तभी राज जी आते हुए बोले, "माँ-बेटे के बीच क्या बात हो रही है? कोई हमें भी तो बताये।"
अक्षांश और अनु जी एक साथ बोले, "हम क्यों बताएँ? ये हम दोनों के बीच की बात है।"
राज जी मुँह बना लेते हैं और बोलते हैं, "मुझे तो कोई प्यार ही नहीं करता।" इतना बोलकर वो अपने रूम की तरफ चले जाते हैं।
अनु जी और अक्षांश उनको ऐसे मुँह फुलाकर जाते देख मुस्कुरा देते हैं।
थोड़ी देर बाद सभी dinner करके अपने-अपने रूम में चले जाते हैं।
अक्षांश अपने रूम में आरुषि की याद में खोया हुआ था। ऐसे ही कब उसे नींद आ गई पता नहीं चला।
अगले दिन, अक्षांश अपने डेली रूटीन के हिसाब से जिम जाकर नहाकर रेडी होकर कॉलेज के लिए निकल गया।
अक्षांश कॉलेज जाकर क्लास रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद विक्रम भी क्लास में आ गया। अपना bag अपने शीट में रखकर अक्षांश के बगल में बैठ गया।
दूसरी तरफ, आरुषि सुबह जल्दी उठकर exercise करके चाय बनाकर आदित्य और मीरा को देती है। उसके बाद अपने रूम में जाकर कॉलेज के लिए रेडी होती है।
आदित्य और मीरा भी कॉलेज के लिए रेडी हो गए। आज आदित्य का practical exam था, तो वो जल्दी निकल जाता है। थोड़ी देर बाद आरुषि और मीरा कॉलेज के लिए निकल जाते हैं।
कॉलेज में पहुँचकर दोनों क्लास की तरफ चल देती हैं। आरुषि जैसे-जैसे क्लास की तरफ आ रही थी, वैसे-वैसे अक्षांश की धड़कन बढ़ रही थी।
अक्षांश अपने मन में बोलता है, "लगता है तुम आ गई हो, जिससे मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई है।"
दूसरी तरफ, जैसे-जैसे आरुषि क्लास की तरफ बढ़ रही थी, उसको भी बेचैनी होने लगती है, पर वो उसका कारण नहीं जान पा रही थी।
आरुषि जैसे ही क्लास में एंट्री करती है, अक्षांश को देखती है जो पहले से ही क्लास रूम में बैठा था। उसको देख आरुषि की बेचैनी कम हुई और उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
पर वो अपनी धड़कन कंट्रोल करके अक्षांश के पास जाकर बैठ जाती है।
अक्षांश उसे बैठता देखकर कुछ कहने वाला था कि टीचर आ जाते हैं। टीचर आने से सभी खड़े होकर बोलते हैं, "Good morning mam"
टीचर बोलती है, "Good morning all. And sit down."
तो सभी बैठ जाते हैं। उसके बाद पढ़ाई स्टार्ट करते हैं। धीरे-धीरे करके दो क्लास खत्म हो गए। उसके बाद थोड़ी time की ब्रेक होता है, तो अक्षांश अचानक से आरुषि की तरफ मुड़कर बोलता है, "Hii"
आरुषि भी बोलती है, "Hii"
अक्षांश बात शुरू करते हुए बोलता है, "क्या हम फ्रेंड्स बन सकते हैं?" और अपना हाथ आगे बढ़ा देता है।
आरुषि भी मुस्कुराकर हाँ में सिर हिलाकर उससे हाथ मिला देती है।
जैसे ही दोनों के हाथ मिलते हैं, तो दोनों की धड़कन बढ़ जाती है। अक्षांश अपने धड़कन को कंट्रोल करके अपना हाथ अलग कर देता है।
दोनों और कुछ बात करते कि क्लास में नेक्स्ट period के टीचर आ जाते हैं।
वो क्लास शुरू करते हैं। ऐसे ही लंच ब्रेक आ जाता है।
लंच ब्रेक में, आरुषि जैसे ही उठती है, अक्षांश कुछ ऐसा करता है जिससे आरुषि चोक जाती है और उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
तो आप सब को क्या लगता है अक्षांश ने ऐसा क्या किया होगा जिससे आरुषि चोक जाती है और उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है? आरुषि अपनी फीलिंग के बारे में जान पाएगी या नहीं? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ..............
उसके बाद थोड़ी देर का ब्रेक हुआ। तभी अक्षांश अचानक से आरुषि की तरफ मुड़कर बोला, "Hii"
आरुषि ने भी कहा, "Hii"
अक्षांश बात शुरू करते हुए बोला, "क्या हम फ्रेंड्स बन सकते हैं?" और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
आरुषि मुस्कुराकर सिर हिलाकर उससे हाथ मिला लिया।
जैसे ही दोनों के हाथ मिले, दोनों की धड़कन बढ़ गई। अक्षांश ने अपनी धड़कन को कंट्रोल करते हुए अपना हाथ अलग कर लिया।
दोनों और कुछ बातें कर ही रहे थे कि क्लास में नेक्स्ट पीरियड के टीचर आ गए।
उन्होंने क्लास शुरू कर दी। ऐसे ही लंच ब्रेक आ गया।
लंच ब्रेक में,
आरुषि जैसे ही उठी, अक्षांश ने कुछ ऐसा किया जिससे आरुषि चोक गई और उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई।
अक्षांश ने आरुषि का हाथ पकड़ लिया। आरुषि चोक गई। उसकी धड़कन अचानक से 100 की स्पीड में दौड़ने लगी।
हैरानी से पीछे मुड़कर देखते ही अक्षांश को एहसास हुआ कि उसने क्या किया है। वह जल्दी से अपना हाथ हटाते हुए बोला, "Sorry 😔 😥 वो... मुझे तुमसे कुछ कहना था।"
आरुषि ने खुद को रिलैक्स करते हुए कहा, "जी बोलिये।"
अक्षांश कुछ कहता कि मीरा और विक्रम दोनों आ गए।
विक्रम बोला, "Hii I am विक्रम।" कहकर हाथ आगे बढ़ाया। आरुषि ने भी अपना हाथ मिलाते हुए कहा, "Hello I am आरुषि।"
मीरा आरुषि से बोली, "चल आरुषि, कैंटीन में चलते हैं।"
फिर विक्रम की तरफ मुड़कर बोली, "क्या आप भी चलेंगे?"
विक्रम बोला, "हाँ हाँ, चलो। मुझे बहुत भूख लगी है।"
अक्षांश ने उसके सिर पर चपत मारते हुए कहा, "तुझे खाने के अलावा और कुछ नहीं सूझता ना?"
मीरा को ध्यान आया कि वहाँ अक्षांश भी मौजूद था। वह माफी मांगते हुए बोली, "Sorry 😥 वो... मैंने आपको देखा नहीं था।"
फिर हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली, "I am मीरा, friends..."
अक्षांश ने हाथ मिलाते हुए कहा, "I am शिव, या शूर, friends।" उसके बाद अपना हाथ अलग कर लिया।
तभी विक्रम अचानक बोला, "अरे भाई, इंट्रोडक्शन खत्म हुआ तो खाने के लिए चलें?"
तीनों मुस्कुराकर सिर हिला दिए।
चारों कैंटीन की तरफ चल दिए। चारों ने कैंटीन में ऑर्डर करके एक कोने वाली सीट पर बैठकर बातें कीं।
चारों क्लास के बारे में बात कर ही रहे थे कि उनका ऑर्डर आ गया।
खाना खाते हुए चारों बातें करते रहे, पर अक्षांश और आरुषि थोड़े चुप थे और मीरा और विक्रम ही बात कर रहे थे। कभी-कभी बात करते हुए झगड़ भी लेते थे। आरुषि और अक्षांश दोनों को ऐसे देखकर मुस्कुरा रहे थे।
ऐसे ही करते हुए चारों ने खाना खाया। उसके बाद क्लास के लिए चले गए। दो क्लास के बाद उनका कॉलेज खत्म हुआ तो सब घर के लिए निकल पड़े।
अक्षांश और विक्रम क्लास से पार्किंग की तरफ चल दिए। आरुषि और मीरा कॉलेज से बाहर आकर कैब 🚕 बुक कर रही थीं। वे दोनों वेट कर रहे थे कि अक्षांश और विक्रम दोनों को देखकर उनके पास आ गए। विक्रम बोला, "तुम दोनों गई नहीं?"
मीरा बोली, "नहीं, हमें नहीं जाना। तुम्हारा क्या जाता है?"
विक्रम ने उसी टोन में कहा, "मैंने तुम्हें नहीं पूछा। हमेशा अकड़ के ही उत्तर देना होता है ना तुम्हें, जंगली बिल्ली?"
आरुषि दोनों को रोकते हुए बोली, "हमारा कैब 🚕 आ रहा होगा, इसलिए वेट कर रहे हैं।"
अक्षांश बोला, "तुम दोनों कैब 🚕 कैंसिल करो, हम तुम्हें छोड़ देंगे।"
आरुषि ने मना किया। पहले अक्षांश ने कहा, "तुम हमें अपना दोस्त नहीं मानती तो ठीक है।" बोलकर दूसरी तरफ मुँह कर लिया।
आरुषि ने सिर हिला दिया। उसके बाद विक्रम को देखकर बोला, "तुम भी मीरा को लेके चलो।"
विक्रम मुँह बनाते हुए मीरा से बोला, "बैठो जल्दी।"
मीरा भी मुँह बनाते हुए बैठ गई। विक्रम ने बाइक स्टार्ट कर दी।
अक्षांश और आरुषि उन दोनों को देखकर सिर हिला दिए, जैसे कह रहे हों इनका कुछ नहीं हो सकता। इतना सोचकर अक्षांश ने भी बाइक स्टार्ट की। आरुषि का एड्रेस पूछा और बाइक उसी तरफ मोड़ दी।
दूसरी तरफ विक्रम और मीरा दोनों मुँह फुलाकर बैठे थे। तभी विक्रम मजबूरी में पूछता है, "तुम्हें मेरे साथ मेरे घर चलना है?"
मीरा विक्रम का यह कहना समझ नहीं पाई और बोली, "मतलब...?"
विक्रम बोला, "जंगली बिल्ली, अपना एड्रेस दो, नहीं तो तुम्हें कहीं जंगल में फेंक दूंगा। उनके साथ रहना।"
मीरा जो पहले सॉरी बोलना चाह रही थी, उसे गुस्सा आ गया। वह गुस्से में बोली, "तुम्हें लड़कियों से बात करना नहीं आता ना? क्यों बात-बात पर ऐसे बोल रहे हो? सीधे भी तो पूछ सकते थे ना?"
विक्रम बोला, "तुम्हें समझ आ गया ना तो बोलो अपना एड्रेस।"
मीरा ने उसे अपना एड्रेस बता दिया।
इधर आरुषि अक्षांश से थोड़ी दूर बैठी थी। अक्षांश बाइक चलाते हुए आरुषि को ही देख रहा था। आरुषि भी अक्षांश की नज़र खुद पर महसूस कर पा रही थी। पर कुछ बोल नहीं पा रही थी। उसकी धड़कन बढ़ रही थी।
अक्षांश का ध्यान आगे पूरी तरह से नहीं था, इसलिए आगे का हम्प वह नहीं देख पाया और गाड़ी को एक झटका लगा। अक्षांश ने जल्दी से बाइक संभाली। उसके बाद जो हुआ, उससे दोनों की धड़कन बढ़ गई।
आप सब को क्या लगता है? ऐसा क्या हुआ जिससे दोनों की धड़कन बढ़ गई? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ...
विक्रम ने कहा, "जंगली बिल्ली अपना एड्रेस दो नहीं तो तुम्हें कहीं जंगल में फेंक दूँगा। उनके साथ रहना।"
मीरा, जो पहले माफ़ी माँगना चाह रही थी, उसे गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में कहा, "तुम्हें लड़कियों से बात करना नहीं आता न? क्यों बात-बात पर ऐसे बोल रहे हो? सीधे भी तो पूछ सकते थे ना?"
विक्रम ने कहा, "तुम्हें समझ आ गया न? तो बोलो अपना एड्रेस।"
मीरा ने अपना एड्रेस बता दिया।
इधर, आरुषि अक्षांश से थोड़ी दूर बैठी थी। अक्षांश बाइक चलाते हुए आरुषि को ही देख रहा था। आरुषि भी अक्षांश की नज़र खुद पर महसूस कर पा रही थी, पर कुछ बोल नहीं पा रही थी। उसकी धड़कन बढ़ रही थी।
अक्षांश का ध्यान आगे पूरी तरह से नहीं था, इसलिए आगे का उभार उसने नहीं देखा और गाड़ी को एक झटका लगा। अक्षांश ने जल्दी से बाइक संभाली। उसके बाद जो हुआ, उससे दोनों की धड़कन बढ़ गई।
आरुषि, जो अक्षांश से दूर बैठी थी, वह अक्षांश से टकरा गई और उसके हाथ अक्षांश के पेट पर चले गए। वह अक्षांश से पूरी तरह से चिपक गई, जिससे अक्षांश को आरुषि की धड़कन की स्पीड महसूस हो रही थी।
अक्षांश ने खुद को संभालकर आरुषि से पूछा, "आप ठीक हैं...?"
आरुषि ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ, मैं ठीक हूँ।"
अक्षांश ने उसे ठीक से बैठने को कहा। बाइक स्टार्ट करते हुए उसने कहा, "आप मेरे कंधे को पकड़ लीजिए जिससे आपको परेशानी नहीं होगी।"
आरुषि ने पहले थोड़ा असहज महसूस किया, बाद में धीरे से अक्षांश के कंधे को पकड़ लिया।
अक्षांश उसकी हरकत को देख मन में मुस्कुरा दिया।
इस बार अक्षांश आगे देखकर चल रहा था और बीच-बीच में आरुषि को देख रहा था।
ऐसे ही दोनों आरुषि के घर पहुँच गए।
विक्रम और मीरा भी घर पहुँच चुके थे। अक्षांश और विक्रम दोनों ने घर छोड़कर अपने घर के लिए निकल गए।
कपूर विला में,
अक्षांश जब घर पहुँचा तो हॉल में कोई नहीं था। अक्षांश ने घर के काम करने वाले काका से पूछा, "काका, मम्मा कहाँ हैं?"
काका ने कहा, "छोटे बाबा, मेम साहिबा तो मार्केट गई हुई हैं।"
वह एक कप कॉफी बोलकर सीधा अपने रूम चला गया। फ्रेश होने के बाद वह ऑफिस के काम में बिजी हो गया।
दूसरी तरफ,
आरुषि के घर,
आरुषि और मीरा घर आकर अपने-अपने रूम में चले गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद रूम से बाहर आए।
आरुषि चाय बनाने किचन में चली गई और मीरा को आदित्य को उसके रूम से बुलाने भेज दिया।
मीरा आदित्य के रूम में जाकर दरवाज़ा खटखटाया। आवाज़ आई, "आ जाओ।"
मीरा अंदर जाकर बोली, "भाई, आरुषि चाय बना रही है। आप बाहर आ जाइए, तीनों मिलकर पीते हैं।"
आदित्य ने कहा, "हाँ, चल मैं ये रखकर आता हूँ।"
मीरा ने हाँ बोलकर रूम से बाहर चली गई।
थोड़ी देर में आदित्य बाहर आया और मीरा के साथ हॉल में बैठा। तभी आरुषि भी चाय लेकर आ गई।
तीनों मिलकर चाय पीते हैं। आरुषि ने पूछा, "आपका एग्ज़ाम कैसा गया?"
आदित्य ने कहा, "हाँ, अच्छा हुआ है। अब मैं चलता हूँ पढ़ने। कल भी दूसरे पेपर का प्रैक्टिकल एग्ज़ाम है, थोड़ी रिवीज़न कर लूँगा।" बोलकर अपने रूम में चला गया।
आरुषि और मीरा भी कॉलेज की पढ़ाई के लिए अपने रूम में चली गईं।
ऐसे ही सात बज गए।
अनु जी मार्केट से आए और फ्रेश होकर किचन में चले गए। किचन में काका थे, तो उन्होंने कहा, "क्या अक्षांश आ गया है?"
काका ने सर झुकाकर कहा, "जी मेम साहिबा, छोटे बाबा अपने स्टडी रूम में हैं।"
अनु जी ने उन्हें खाना में क्या-क्या बनाना है, बोलकर अक्षांश के स्टडी रूम की तरफ चल दिए।
स्टडी रूम में,
अक्षांश अपने ऑफिस के काम में पूरी तरह बिजी था। तभी उसका दरवाज़ा खटखटाया, तो वह बोला, "कम इन।"
अनु जी आईं। अनु जी को देखकर अक्षांश बोला, "अरे मम्मा! आपको कितनी बार कहा है, दरवाज़ा खटखटाए बिना आप आ सकते हो, फिर भी आप दरवाज़ा खटखटाती हो।"
अनु जी बोलीं, "तु अभी छोटा नहीं है अक्षांश, बड़ा हो गया है। आज अकेला है, आगे तो तेरी बीवी आएगी, तब तू खुद कहेगा मम्मा दरवाज़ा खटखटाकर आओ।"
अक्षांश शर्मा गया और बात को पलटते हुए बोला, "आप यहाँ कुछ काम था क्या?"
अनु जी बोलीं, "हाँ, मुझे मेरी होने वाली बहु की फ़ोटो देखनी है। तू कल बोला था आज दिखाएगा।"
अक्षांश बोला, "ठीक है मम्मा, आप थोड़ी देर वेट करें। मैंने राहुल को इन्फॉर्मेशन निकालने के लिए बोला था। उसे कॉल करके पूछता हूँ, वो निकाला है कि नहीं?"
राहुल अक्षांश का पर्सनल असिस्टेंट है जो उसके न होने पर काम संभालता है।
अनु जी ने हाँ बोली।
अक्षांश ने राहुल को कॉल किया। राहुल फ़ोन पर बोला, "जी सर, आपने जिसका नाम बताया था उसका इन्फॉर्मेशन निकाल चुका हूँ। अभी आपको सेंड करने वाला था।"
अक्षांश ने ओके बोलकर कॉल काट दिया।
थोड़ी देर में राहुल अक्षांश को आरुषि की इन्फॉर्मेशन भेज दिया। अक्षांश अनु जी के पास आकर बैठा और बोला, "मम्मा देखिए अब।" बोलकर अपना फ़ोन अनु जी को दे दिया।
अनु जी ने फ़ोन में उस डॉक्यूमेंट को देखा। सबसे पहले आरुषि की एक अकेली पिक्चर थी जिसमें वह सीढ़ियों पर बैठी थी।
उसको देखते ही अनु जी को लगा कि उसने उसे कहीं देखा है, पर वह उसे नज़रअंदाज़ करके अक्षांश से बोलीं, "वाह! मेरे बेटे की चॉइस तो बहुत अच्छी है। बहुत खूबसूरत है आरुषि।"
उसके बाद कुछ ऐसा देखा जिससे अनु जी की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं।
आप सबको क्या लगता है अनु जी ने ऐसा क्या देखा जिससे उनकी आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ......
अनु जी ने कहा, "हाँ मुझे मेरी होने वाली बहु की फोटो देखनी है। तू कल बोला था, आज दिखायेगा।"
अक्षांश ने कहा, "ठीक है मम्मा, आप थोड़ी देर wait करें। मैंने राहुल को information निकलने के लिए बोला था। उसे call करके पूछता हूँ, वो निकाला है कि नहीं?"
राहुल अक्षांश का असिस्टेंट है, जो उसके न होने पर काम संभालता है।
अनु जी ने हाँ में सिर हिलाया।
अक्षांश ने राहुल को call किया। राहुल ने फोन पर कहा, "जी सर, आपने जिसका नाम बताया था उसका information निकाल चुका हूँ। अभी आपको send करने वाला था।"
अक्षांश ने "ok" कहकर call cut कर दिया।
थोड़ी देर में राहुल ने अक्षांश को आरुषि की information send कर दी। अक्षांश अनु जी के पास आकर बैठ गया और कहा, "मम्मा देखिये अब।" बोलकर अपना फोन अनु जी को दे दिया।
अनु जी ने फोन में उस document को देखा। सबसे पहले आरुषि की एक अकेली picture थी जिसमें वो सीढ़ियों पर बैठी थी।
उसे देखते ही अनु जी को लगा कि वो उसे कहीं देखा है, पर वो उसे नज़रअंदाज़ करके अक्षांश से बोलीं, "वाह, मेरे बेटे की choice तो बहुत अच्छी है। बहुत खूबसूरत है आरुषि।"
उसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिससे अनु जी की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं।
उसके बाद की दो-तीन pictures भी आरुषि की थीं और उसके साथ मीरा की picture थी। उसके बाद आरुषि की पूरी family picture थी।
इसे देखकर अनु जी की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उसके बाद उन्होंने थोड़ा और scroll करके आरुषि के माँ-बाप का नाम देखा तो वे पहले तो shock हो गईं, पर बाद में उनकी आँखों में आँसू आ गए।
अक्षांश जो उन्हें देख रहा था, अनु जी की आँखों में आँसू देख डर गया और बोला, "क्या हुआ मम्मा? आप क्यों रो रही हैं?"
अनु जी बोलीं, "कुछ नहीं बेटा, ये तो खुशी के आँसू हैं।"
अक्षांश उन्हें हैरानी से देख रहा था। पर अनु जी उसे कुछ न बोलकर जल्दी से फोन में time देखा और जल्दी से नीचे की तरफ बढ़ गईं।
अक्षांश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, इसलिए वो भी उनके पीछे-पीछे नीचे की तरफ चल पड़ा।
अनु जी नीचे आकर सीधे अपने कमरे की तरफ चल पड़ीं। राज जी घर आ चुके थे, वो fresh हो रहे थे, इसलिए अनु जी सोफे पर बैठ गईं।
अक्षांश भी उनके पीछे-पीछे उनके रूम तक आ चुका था। उसने अनु जी से पूछा, "क्या हुआ मम्मा? आप ऐसे क्यों चली आयीं? बताइए क्या हुआ?"
अनु जी ने अक्षांश के गाल पर हाथ रखकर कहा, "थोड़ी देर wait कर ले, उसके बाद तुझे सब कुछ अपने आप समझ आ जाएगा।"
अक्षांश ने उनका इतना कहने पर और कोई सवाल नहीं किया और सोफे पर बैठ गया। दोनों मिलकर राज जी का wait करने लगे।
दूसरी तरफ, आरुषि और मीरा अपनी पढ़ाई खत्म करके हाल में आकर TV देख रही थीं। 9 बजने पर आदित्य रूम से बाहर आया। तीनों मिलकर dinner करने लगे।
खाते हुए आरुषि ने पूछा, "भाई, आपका exam कब खत्म हो रहा है?"
आदित्य ने कहा, "कल last exam है, उसके बाद खत्म।"
आरुषि ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ भाई, उसके बाद आप यहाँ रहेंगे या मुंबई चले जाएँगे?"
आदित्य ने कहा, "नहीं, मैं मुंबई चला जाऊँगा। तुम भी यहाँ आ चुकी हो, माँ-पापा का ध्यान रखने के लिए कोई नहीं है। और दादा जी-दादी जी भी कुछ दिन में बुआ के घर से चले आएंगे, तो उन सब का ख्याल रखने के लिए कोई तो होना चाहिए ना... और इधर तेरे साथ मेरे भी हैं और मैं जानता हूँ तुम दोनों एक-दूसरे का ख्याल अच्छे से रख लोगे। मैं भी बीच-बीच में घूमने आ जाया करूँगा।"
आरुषि ने उसकी बात से सहमति जताते हुए कहा, "हाँ भाई, आप सही कह रहे हैं। और पापा का business भी आपको संभालना है। आप वहाँ जाइए, हम दोनों एक-दूसरे का ख्याल रख लेंगे।"
मीरा ने उसकी बात पर हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "जी भाई, आरुषि सही कह रही है। Uncle-Aunty, दादा जी और दादी जी का ध्यान रखने के लिए कोई तो होना चाहिए। अब तक गौरी वहाँ थी, पर अब हम दोनों यहाँ आ गए।"
तीनों ऐसे ही बात करते हुए dinner खत्म करते हैं। उसके बाद गुड नाईट कहकर अपने-अपने रूम चले जाते हैं।
आरुषि अपने रूम में आज के incident के बारे में सोच रही थी। अक्षांश के साथ दोस्ती करना, उसका खुद को घर छोड़कर आना, उन दोनों की करीबी, इस सब बारे में सोच रही थी।
अक्षांश के बारे में सोच-सोचकर वो blush कर रही थी। वो अपने मन में सोचती है, "उनके करीब आने से मुझे सुकून सा फील होता है। उनके साथ रहने से हम एक safe फील करते हैं। ये क्या हो रहा है? मुझे उनके बारे में क्यों सोच रही हूँ? कितनी भी कोशिश कर लूँ, पर उनके ख्याल से खुद को दूर नहीं कर पा रही हूँ। हे प्रभु, कुछ तो कीजिए, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा..."
ये सब सोच-सोचकर उसे कब नींद आ जाती है, उसे पता नहीं चलता।
दूसरी तरफ, कपूर विला में, थोड़ी देर बाद जब राज जी fresh होकर बाहर आते हैं तो अक्षांश और अनु जी को ऐसे सोफे पर उनका इंतज़ार करते देख चौंक जाते हैं।
वो दोनों को एक साथ ऐसे देखकर पूछते हैं, "क्या हुआ दोनों माँ-बेटे? आज यहाँ क्या कर रहे हो? क्या कुछ काम था मुझसे?"
अनु जी बोलीं, "हाँ जी, आप बैठिए। आपको कुछ दिखाना है।" बोलकर वो उन्हें सोफे पर बैठाती हैं और उन्हें अक्षांश का फोन दिखाती हैं।
राज जी जब फोन पर उस फोटो को देखते हैं तो चौंक जाते हैं और कहते हैं, "ये...ये...तो हमारे राजेश और मिताली हैं..."
अनु जी ने उनकी बात पर हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ जी, इसलिए तो मैं आपको ये दिखाने लाई थी।"
राज जी बोले, "आपको ये फोटो कहाँ से मिली? और ये दोनों कहाँ रहते हैं? अब कुछ पता चला...?"
उसके बाद अनु जी जो बोलती हैं, उससे राज जी पूरी तरह से शॉक हो जाते हैं...
कपूर विला में, थोड़ी देर बाद, जब राज जी फ्रेश होकर बाहर आए, तो अक्षांश और अनु जी को सोफे पर उनका इंतज़ार करते देख चौंक गए।
वो दोनों को एक साथ ऐसे देखकर पूछते हैं, "क्या हुआ दोनों माँ-बेटे आज यहाँ क्या कर रहे हैं? क्या कुछ काम था मुझसे?"
अनु जी बोलती हैं, "हाँ जी, आप बैठिए। आपको कुछ दिखाना है।" बोल कर वो उन्हें सोफे पर बैठाती हैं और उनको अक्षांश का फोन दिखाती हैं।
राज जी जब फोन पर उस फोटो को देखते हैं, तो चौंक जाते हैं और बोलते हैं, "ये...ये...तो हमारे राजेश और मिताली हैं..."
अनु जी भी उनकी बात पर सहमति जताते हुए बोलती हैं, "हाँ जी, इसीलिए तो मैं आपको ये दिखाने लाई थी।"
राज जी बोलते हैं, "आपको ये फोटो कहाँ से मिला? और ये दोनों कहाँ रहते हैं? अब कुछ पता चला...?"
उसके बाद अनु जी जो बोलते हैं, उससे राज जी पूरी तरह से शॉक्ड हो जाते हैं।
अनु जी बोलते हैं, "ये लड़की देख रहे हैं, ये हमारी होने वाली बहू है।"
राज जी कन्फ्यूज हो जाते हैं और बोलते हैं, "हमारा तो अक्षांश के बाद कोई बेटा नहीं है, और अक्षांश तो शादी के नाम से ही दूर भागता है, तो ये हमारी बहू कैसे होगी...?" कह कर उन्हें आश्चर्य से देखते हैं।
अनु जी बोलते हैं, "अक्षांश को ये पसंद है और वो उसे प्यार करता है।"
राज जी पूरी तरह चौंक जाते हैं और अक्षांश की तरफ देखकर बोलते हैं, "अक्षांश, क्या ये सच है?"
अक्षांश भी अपना सिर हाँ में हिलाते हुए बोलता है, "जी पापा, मुझे आरुषि बहुत पसंद है और मैं उसे प्यार करता हूँ और उसी से शादी करने वाला हूँ, पर पहले उसके दिल में क्या है, वो जानना है।"
राज जी खुश होकर अनु जी का हाथ पकड़ते हुए बोलते हैं, "हमारा सपना पूरा होगा, अनु। हम सब जो सपना देखते थे, वो पूरा होगा।"
फिर उनके गले लगकर बोलते हैं, "इतने बरसों बाद उनके बारे में कुछ पता चला और वो भी इतनी बड़ी खुशखबरी के साथ। हम आज बहुत खुश हैं।"
अक्षांश जो उनकी हरकत को इतनी देर से देख रहा था, वो बोला, "अरे पापा, मम्मा, मुझे भी तो बताइए क्या बात है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। आप आरुषि के माँ-पापा को कैसे जानते हैं और आपका कौन सा सपना पूरा होगा?"
अनु जी और राज जी उसकी तरफ देखते हैं, फिर एक-दूसरे की तरफ देखते हैं। फिर राज जी बोलना शुरू करते हैं...
फ्लैशबैक शुरू...
हम चारों की मुलाक़ात राजस्थान के कॉलेज में हुई थी। मैं और राजेश बहुत अच्छे दोस्त थे, या यूँ कहें best friends थे। हम दोनों बचपन से साथ में पढ़ाई करते थे और कॉलेज भी same किया। ऐसे ही हमारा दिन बीत रहा था।
हमारे कॉलेज के लास्ट ईयर में तुम्हारी माँ और मिताली दोनों हमारे कॉलेज में आईं। मिताली स्कॉलरशिप में पढ़ाई करने आई थी और तुम्हारी माँ तो तुम जानते हो, वहीं की थीं।
एक दिन हम क्लास के लिए जा रहे थे और उनका उस दिन पहली क्लास थी। कॉलेज में कुछ हमारे बैचमेट्स रैगिंग कर रहे थे।
हमने जब देखा तो वो अनु और मिताली को रैगिंग कर रहे थे।
एक लड़का अनु और मिताली को देखकर बोलता है, "चलो अपना इंट्रोडक्शन दो और हैबिट बताओ।"
मिताली थोड़ा डरते हुए बोलती है, "मेरा नाम मिताली वर्मा है और मेरा हैबिट डांस करना है।"
अनु बोलती है, "मेरा नाम अनुराधा गोयंका है। मेरा हैबिट सिंगिंग है।"
वो लड़का बोलता है अनु जी को देखकर, "तुम गाना गाओ।" फिर मिताली जी को देखकर बोलता है, "तुम डांस करो।"
अनु आगे आकर कहती है, "हम दोनों आपकी बात क्यों सुनें? आप हमें ऐसे रैगिंग नहीं कर सकते।"
वो लड़का, जिसका नाम नंदन था, वो बोला, "क्योंकि हम सीनियर्स हैं। चलो दोनों शुरू हो जाओ, नहीं तो तुम दोनों को कॉलेज में बहुत प्रॉब्लम होंगी।"
तो एक आवाज़ आता है, "क्या कर लोगे तुम लोग? जरा हमें भी तो बताना..."
तो सब उस आवाज़ की तरफ़ देखते हैं, तो राज और राजेश को देखते हैं।
उन लड़कों का मुँह बंद हो जाता है क्योंकि राज जी उस कॉलेज के ओनर के बेटे थे और ये सब लोग कॉलेज में जानते थे, इसीलिए उनसे कोई झगड़ा नहीं करते थे।
राज जी अनु जी और मिताली जी को देखकर बोलते हैं, "तुम दोनों जाओ, ये लोग कुछ नहीं करेंगे। आगे से कोई तुम लोगों को परेशान करे तो कॉलेज के प्रिंसिपल या हमें आकर बता देना। हम इन्हें अच्छे से समझा देंगे।"
मिताली और अनु अपने क्लास में चली जाती हैं। कुछ दिन में हम चारों की दोस्ती हो गई और कब हम लोगों को एक-दूसरे से प्यार हो गया, पता नहीं चला।
ऐसे ही कुछ साल बीतते गए। हम दोनों की शादी हो गई।
शादी के बाद हम सब ने डिसाइड किया था कि हमारे बच्चों के बड़े होने के बाद हम शादी कराएंगे और हमारी दोस्ती को रिश्ते में बदलेंगे। पर अंकल जी, यानी कि राजेश के पापा, अचानक कहाँ चले गए और हम भी दिल्ली चले आए, तो उनके बारे में और कुछ पता नहीं चला।
फ्लैशबैक एंड।
इतना बोलते हुए राज जी थोड़ा इमोशनल हो गए।
अक्षांश बोलता है, "तो आप चारों दोस्त थे..." फिर थोड़ी देर बाद बोलता है, "यदि मैं या आरुषि को कोई और पसंद आता तो क्या तब भी आप ये करते...?" इतना कहकर वो सवालिया निगाहों से उन्हें देखता है, तो
अनु जी बोलती हैं, "नहीं बेटा, हम ऐसा कुछ नहीं करते। हमारा इच्छा तो यही थी पर शादी और जीवन भर एक साथ तुम दोनों को रहना था, इसलिए वो तुम लोग ही डिसाइड करते, पर अब तो मुझे तुम्हारी तरफ़ से कोई इंकार नहीं लग रहा है।"
अक्षांश मुस्कुराकर हाँ में सर हिला देता है।
राज जी बोलते हैं, "चलो, बाकी बातें बाद में। डिनर का टाइम हो गया है।"
अनु जी बोलती हैं, "आप दोनों चलिए। मैं माँ-पापा को बुलाकर लाती हूँ।" बोलकर रणवीर जी के रूम की तरफ़ चल पड़ती हैं।
रणवीर जी और उर्मिला जी को खाने के टाइम पर अनु जी और राज जी राजेश और मिताली के बारे में बताते हैं, साथ में आरुषि और अक्षांश के बारे में भी बताते हैं, तो वो दोनों बहुत खुश हो जाते हैं।
अक्षांश अपने रूम में बेड पर लेटकर आरुषि के बारे में पढ़ रहा था। उसे पढ़ने के बाद वो उसकी पिक्चर को देखकर बोलता है, "देखिए, हमारा तो रिश्ता हमारे जन्म होने से पहले ही तय हो चुका था। आप हमारे लिए ही आई हैं। हमें विश्वास है अपने भोलेनाथ पर। अब बस आपकी दिल की बात जानकर आपको अपने दिल की बात बतानी है।"
इतना कहकर आरुषि की फोटो को अपने सीने से लगा देता है और नींद की आगोश में चला जाता है।
अगले दिन,
सुबह 7 बजे अनु जी अक्षांश को उठाती हैं। वो जिम करके तैयार होकर कॉलेज के लिए निकलने वाला होता है कि अनु जी उसे खाने को बोलती हैं। तो वो ब्रेकफास्ट करके जाने वाला होता है कि अनु जी कुछ बोलती हैं, जिससे अक्षांश चौंककर उन्हें देखता है।
तो आपको सबको क्या लगता है? अनु जी अक्षांश को ऐसा क्या बोलीं जिससे वो चौंक गया? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ...
राज जी ने कहा, "चलो बाकी बातें बाद में, dinner 🍽 का time 🕒 हो गया है।"
अनु जी ने कहा, "आप दोनों चलिए, मैं माँ-पापा को बुलाकर लाती हूँ।" इतना कहकर वे रणवीर जी के कमरे की ओर चल पड़े।
रणवीर जी और उर्मिला जी को खाने के समय अनु जी और राज जी ने राजेश और मिताली के बारे में बताया, साथ ही आरुषि और अक्षांश के बारे में भी। वो दोनों बहुत खुश हो गए।
अक्षांश अपने कमरे में बेड 🛏 पर लेटकर आरुषि के बारे में पढ़ रहा था। पढ़ने के बाद उसने उसकी तस्वीर देखकर कहा, "देखिए, हमारा तो रिश्ता हमारे जन्म होने से पहले ही तय हो चुका था। आप हमारे लिए ही आई हैं। हमें विश्वास है अपने भोलेनाथ पर। अब बस आपकी दिल की बात जानकर आपको अपने दिल की बात बतानी है…"
इतना कहकर उसने आरुषि की फोटो अपने सीने से लगा दी और नींद की आगोश में चला गया।
अगले दिन, सुबह 7 बजे अनु जी ने अक्षांश को उठाया। वह जिम करके तैयार होकर कॉलेज के लिए निकलने वाला था कि अनु जी ने उसे खाने को कहा। वह ब्रेकफास्ट करके जाने वाला था कि अनु जी ने कुछ कहा, जिससे अक्षांश चौंककर उन्हें देखने लगा।
अक्षांश ब्रेकफास्ट करके कॉलेज के लिए निकल ही रहा था कि अनु जी ने उसे रोकते हुए कहा, "तुम आज आरुषि को अपने साथ लेकर आओ। मुझे उससे मिलना है।"
अक्षांश चौंक गया और समझाते हुए बोला, "आप समझिए मम्मा, ऐसे में अचानक कैसे लाऊँ यहाँ सभी से मिलने…"
अनु जी ने कहा, "ओके, पर तुम जल्दी से राजेश जी या मिताली का फ़ोन 📱 नंबर लेकर मुझे दो। मैं उनसे बात करना चाहती हूँ। तुम कुछ भी करके फ़ोन 📱 नंबर का इंतज़ाम करो। ये बात तुम्हारे पापा को बताती, पर वो आज सुबह-सुबह अपने काम के सिलसिले में इंदौर गए हैं।"
अक्षांश ने अनु जी को हामी भरते हुए कहा, "जी मम्मा, मैं राहुल को बोलकर उनका नंबर अरेंज करता हूँ।"
फिर उन्होंने उनके सर पर किस किया और कॉलेज के लिए निकल गया।
दूसरी तरफ, आरुषि सुबह 5 बजे उठी। उसके बाद व्यायाम करके नहाने चली गई। उसके बाद पूजा करके आदित्य और मीरा के लिए चाय बनाई और उन्हें उठाया।
आदित्य तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल गया और आरुषि और मीरा भी ब्रेकफास्ट करके कॉलेज के लिए निकल गए।
कॉलेज में, अक्षांश और विक्रम दोनों कॉलेज में पहुँचे। दोनों ने पार्किंग में बाइक पार्क करके बाहर आए तो मीरा और आरुषि को कॉलेज के गेट से आते हुए देखा। वो दोनों उनके पास चले गए।
अक्षांश और विक्रम दोनों ने कहा, "Good morning।"
आरुषि और मीरा ने भी दोनों को गुड मॉर्निंग विश किया।
फिर चारों मिलकर क्लास की ओर चल पड़े। चारों अपने-अपने बेंच पर बैठ गए।
थोड़ी देर बाद सभी क्लास में आ गए। टीचर भी आ गईं। सभी बच्चों ने उन्हें गुड मॉर्निंग विश किया।
टीचर ने सभी को शांत होने को कहा। ऐसे ही क्लास चलता रहा।
ऐसे ही आज का दिन खत्म हो गया।
अक्षांश जब घर आया तो अनु जी ने उसे देखकर कहा, "आ गए तुम? जाओ, रूम में जाकर फ्रेश हो जाओ। मैं तुम्हारे लिए कॉफी ☕ लाती हूँ।"
अक्षांश ने सिर हिलाकर कमरे की ओर बढ़ गया।
थोड़ी देर में अनु जी अक्षांश के कमरे में आईं। अक्षांश फ्रेश होकर लैपटॉप लेकर सोफे पर बैठा था। अनु जी उसके पास आकर बोलीं, "तूने राजेश जी या मिताली का नंबर निकाला क्या?"
अक्षांश ने सिर हिलाकर कहा, "जी मम्मा, मैंने राहुल को बोला था निकालने के लिए। रुकिए, मैं देखता हूँ।" और फ़ोन 📱 निकालकर देखा तो राहुल ने उसे दोनों का नंबर भेज दिया था।
अक्षांश ने अनु जी को वो दोनों नंबर भेजकर कहा, "लीजिए मम्मा, अंकल और आंटी का नंबर आपके WhatsApp में भेज दिया है। आप देख लीजिए।"
अनु जी ने हाँ कहकर अक्षांश के कमरे से चली गईं। उसके बाद वे अपने कमरे में आकर फ़ोन 📱 चेक किया तो अक्षांश ने दो नंबर भेजे थे। उन्होंने दोनों का नाम सेव किया।
अनु जी ने उनमें से मिताली जी के नंबर पर कॉल 📞 लगा दी।
दूसरी तरफ, मिताली जी घर का काम कर रही थीं कि उनको किसी का कॉल 📞 आया। उन्होंने फ़ोन 📱 उठाया तो दूसरी तरफ आवाज़ आई, "हैलो मितु…"
मिताली जी चौंक गईं और वे थोड़ी इमोशनल हो गईं और बोलीं, "अनु तुम… तुम ही हो न अनु…"
अनु जी थोड़ी गुस्से में बोलीं, "हाँ मितु, मैं ही हूँ। तुम दोनों तो हमें छोड़कर चले गए और उसके बाद तुम दोनों का कुछ भी पता नहीं चला।"
मिताली जी बोलीं, "अरे गुस्सा क्यों कर रही हो? हमारा वहाँ प्रॉब्लम हो गया था इसलिए अचानक मुंबई आना पड़ा। उसके बाद हम तुम्हें कांटेक्ट करने वाले थे पर एक एक्सीडेंट में हमारा फ़ोन 📱 टूट गया और उसमें तुम्हारा नंबर खो गया।"
"फिर राजेश जी यहाँ बिज़नेस में बिज़ी हो गए।" फिर दोनों बहुत देर तक बात करती रहीं। राजेश जी भी ऑफिस 🏢 से आ गए। अनु जी राजेश जी से बात करती हैं। ऐसे ही थोड़ी देर बात करके फ़ोन 📱 रख दिया।
राजेश जी और मिताली जी इतने दिनों बाद अनु जी से बात करके बहुत खुश थे।
ऐसे ही आज का दिन खत्म हो गया।
अगली सुबह, आदित्य मुंबई आने वाला था इसलिए मिताली जी सुबह से उठकर उसकी मनपसंद की चीजें बना रही थीं।
दूसरी तरफ, आरुषि, मीरा और आदित्य तीनों ब्रेकफास्ट कर चुके थे। आदित्य मुंबई के लिए निकल गया। आरुषि और मीरा भी कॉलेज के लिए निकल गए। कॉलेज पहुँचकर दोनों क्लास करने लगे। ऐसे ही उनका लंच ब्रेक हो गया। चारों – अक्षांश, आरुषि, विक्रम और मीरा – कैंटीन की ओर चले गए। ऐसे ही कॉलेज खत्म हो गया। सभी अपने-अपने घर चले गए।
मुंबई एयरपोर्ट पर, आदित्य फ़्लाइट ✈ से नीचे उतरा। वह एयरपोर्ट से बाहर आ ही रहा था कि एक लड़की उसे आकर टकरा गई। उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे दोनों पूरी तरह शॉक हो गए।
तो आप सबको क्या लगता है वो लड़की कौन है जिससे आदित्य की टक्कर हो गई? और ऐसा क्या हुआ कि दोनों शॉक हो गए? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ…
अगली सुबह, मिताली जी आदित्य के मुंबई आने के कारण सुबह उठकर उसकी मनपसंद की चीजें बना रही थीं।
दूसरी तरफ, आरुषि, मीरा और आदित्य नाश्ता कर चुके थे। आदित्य मुंबई के लिए निकल गया। आरुषि और मीरा भी कॉलेज के लिए निकल गईं। कॉलेज पहुँचकर दोनों क्लास करने लगीं। उनका लंच ब्रेक हो गया। अक्षांश, आरुषि, विक्रम और मीरा कैंटीन की तरफ चले गए। इस तरह कॉलेज खत्म हो गया और सभी अपने-अपने घर चले गए।
मुंबई एयरपोर्ट पर, आदित्य फ़्लाइट से नीचे उतरा। वह एयरपोर्ट से बाहर आ ही रहा था कि एक लड़की उसे आकर टकरा गई। उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे दोनों पूरी तरह शौक हो गए।
आदित्य और वह लड़की दोनों नीचे गिर गए। वो लड़की नीचे थी और आदित्य उसके ऊपर। आदित्य के होंठ उस लड़की के कंधे को छू गए। जिससे दोनों शौक हो गए। आदित्य खुद को ठीक करके उठा और उस लड़की को भी उठाया। और उसे गलती से हुई इस हरकत के लिए "सॉरी" बोलकर उसे एक नज़र देखकर घर के लिए निकल गया।
वह लड़की, जहाँ आदित्य गया था, उसी दिशा में देख रही थी कि उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखकर उसे बोला, "स्वरा, क्या हुआ? उस तरफ़ एकटक क्यों देख रही है?"
तो उस लड़की का ध्यान टूटा और वह बोली, "नहीं, कुछ नहीं। चलो, घर चलते हैं।"
फिर एक बार आदित्य के जाने की दिशा में देखते हुए अपने मन में बोलती है, "आज तक ऐसा लड़का नहीं देखा था जिसकी कोई गलती न होते हुए भी, सिर्फ़ गलती से उसका होंठ मेरे कंधे से लग गया इसलिए सॉरी बोल गया। नहीं तो और कोई होता तो इस मौके का अच्छे से फ़ायदा उठाता। I like it," बोलकर मुस्कुरा रही थी।
यही सब सोच रही थी कि उसकी दोस्त बोलती है, "चल न स्वरा, क्या सोच रही है?" तो वह अपने ख्याल से बाहर आती है और बोलती है, "हँ, हँ चल," कहकर अपने बुक किए हुए कैब की तरफ़ चल पड़ती हैं।
वह लड़की जो आदित्य से टकरा गई थी, वह स्वरा गोयंका है। अमितेश गोयंका और अनिता गोयंका की छोटी बेटी। अमितेश गोयंका, अनु जी के भाई हैं।
दूसरी लड़की, स्वरा की दोस्त आशी रॉय है। दोनों यहाँ किसी काम के सिलसिले में आई हैं।
दूसरी तरफ, आदित्य अपने घर पहुँचा। मिताली जी के पैर चुभ रहे थे। फिर फ़्रेश होने अपने रूम की तरफ़ जाते हुए बोलता है, "माँ, मेरे लिए एक कप चाय बना दीजिए न।"
तो मिताली जी उसे बोलती हैं, "ठीक है, तू जा। तेरे लिए मैं चाय भेजती हूँ।"
तो आदित्य हाँ में सर हिलाकर अपने रूम में चला जाता है।
थोड़ी देर बाद मिताली जी उसके कमरे में चाय लेकर आती हैं और बोलती हैं, "तू थोड़ी देर आराम कर ले, उसके बाद नीचे आना। मैंने तेरे लिए तेरे मनपसंद की अलू टिक्की बनाई है।"
तो आदित्य उनके हाथ से चाय की कप लेता है और उनके गले लगकर बोलता है, "Thank you माँ, I love you 😘"
तो मिताली जी बोलती हैं, "I love you too। अब तू थोड़ी देर आराम कर, मैं चलती हूँ।"
आदित्य चाय पीता है। सफ़र में थके होने के कारण वह जल्दी सो जाता है।
दोनों की कैब एक अपार्टमेंट के आगे रुकती है। स्वरा कैब वाले को पैसा देती है और दोनों अपार्टमेंट के अंदर चले जाते हैं।
लिफ़्ट के अंदर जाकर 5th फ़्लोर का बटन दबाती है। लिफ़्ट 5th फ़्लोर पर आकर रुकती है। दोनों अपने अपार्टमेंट के अंदर जाते हैं।
अपार्टमेंट के अंदर एक रूम, एक हॉल और एक किचन था। अपार्टमेंट ज़्यादा बड़ा नहीं था। यहाँ सिर्फ़ एक कपल या सिंगल रह सकते हैं।
स्वरा अपने लिए मैगी बनाती है और खाकर आराम करने चली जाती है। थकान के कारण वह थोड़ी देर सो जाती है।
उसकी नींद फ़ोन के रिंग से खुलती है। वह अपना फ़ोन देखती है तो उसे आशी का कॉल आ रहा था। कॉल रिसीव करते ही आवाज़ आती है, "तू जल्दी तैयार हो जा, हम मार्केट जा रहे हैं।"
तो स्वरा उसे बोलती है, "ठीक है, पाँच मिनट वेट कर, मैं रेडी होकर तेरे फ़्लैट में आती हूँ।" कहकर फ़ोन काट देती है।
वह जल्दी से तैयार होकर आशी के फ़्लैट में जाती है और डोरबेल बजाती है तो आशी आवाज़ देती है, "हँ, आ रही हूँ, रुक जा," कहकर थोड़ी देर में दरवाज़ा खोल देती है।
दोनों साथ में मार्केट के लिए निकल जाती हैं। घर के लिए कुछ सब्ज़ी और राशन का सामान खरीदती हैं। सामान खरीदते-खरीदते 8 बज जाते हैं, इसलिए दोनों बाहर खाने का प्लान बनाती हैं और पास के रेस्टोरेंट में खाने के लिए चली जाती हैं।
दोनों खाना खाकर फ़्लैट के लिए निकल जाती हैं। फ़्लैट पर पहुँचकर दोनों एक-दूसरे को बाय करती हैं और अपने-अपने फ़्लैट के अंदर चली जाती हैं।
स्वरा किचन में जाकर सब्ज़ी और राशन का सामान रखती है। उसके बाद कमरे में जाकर बैग से अपना सामान निकालकर कपबोर्ड में सजाती है। उसके बाद किचन का सामान सेट करती है। इतना करते-करते रात के 11 बज चुके थे, इसलिए वह फ़्रेश होने के लिए बाथरूम में चली जाती है।
थोड़ी देर बाद नहाकर बाहर आती है। फिर अपनी नाइट ड्रेस पहनकर सो जाती है।
दूसरी तरफ, आदित्य सोकर उठता है और अलू टिक्की खाकर ऑफ़िस के लिए निकल जाता है क्योंकि कल से वह ऑफ़िस में CEO के तौर पर ज्वाइन करने वाला था। इसलिए उसका इंट्रोडक्शन सभी से अच्छी तरह से होना ज़रूरी था।
ऑफ़िस को अच्छी तरह से देखने और काम समझने के बाद वह और राजेश जी घर के लिए निकल जाते हैं।
राजेश जी, आदित्य और मिताली जी तीनों डिनर करते हैं और अपने-अपने रूम में चले जाते हैं।
आदित्य अपने बेड में सोकर कुछ सोच रहा था और साथ में मुस्कुरा भी रहा था।
आज के लिए इतना ही। तो आप सभी को क्या लगता है आदित्य क्या सोच रहा है? जिससे वह मुस्कुरा भी रहा है? स्वरा और आशी दोनों क्यों मुंबई आई हुई हैं? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ.......
आदित्य शोके उठा और अलुटिक्की खाकर ऑफिस 🏢 के लिए निकल गया क्योंकि कल से वो office 🏢 में as a CEO जॉइन करने वाला था। इसलिए उसका परिचय सभी से अच्छी तरह से होना ज़रूरी था।
ऑफिस 🏢 को अच्छी तरह से देखने और काम समझने के बाद वो और राजेश जी घर के लिए निकल गए।
राजेश जी, आदित्य और मिताली जी तीनों डिनर 🍽 किया और अपने-अपने कमरों में चले गए।
आदित्य अपने बेड पर सोकर कुछ सोच रहा था और साथ में मुस्कुरा भी रहा था।
आदित्य अपने बेड पर सोते ही जैसे ही अपनी आँखें बंद करता है, उसके आँखों के आगे स्वरा का चेहरा आ जाता है। उसके कंधे को अपने होठों से छूने की याद आते ही वो झट से अपनी आँखें खोलता है और अपने आप से बोलता है, "ये क्या? इस लड़की से तो मैं पहली बार मिला हूँ, फिर भी मुझे ये अपनी क्यों लग रही है? वो अनजाने में हुई किस 💋 मुझे सुकून दे गया। उसके पास आने से मुझे मेरी स्वीटी की तरह क्यों फील हुआ? नहीं, मैं ऐसा कुछ नहीं सोच सकता।"
कहकर अपना सिर झटककर सो गया।
अगले दिन, आदित्य जल्दी से तैयार होकर ब्रेकफास्ट करके राजेश जी के साथ ही office 🏢 के लिए निकल गया।
Office 🏢 में सभी ने राजेश जी और आदित्य को गुड मॉर्निंग विश किया। राजेश जी और आदित्य दोनों ने सर हिलाकर गुड मॉर्निंग बोला। फिर दोनों वहाँ से आदित्य के केबिन में चले गए।
राजेश जी ने आदित्य को आज के होने वाले डील के बारे में बताया। फिर दोपहर को होने वाली फैशन डिज़ाइनर की जूनियर मैनेजर के पोस्ट के लिए हो रही इंटरव्यू के लिए तैयारी करने को बोला। फिर वे वहाँ से अपने लिए बने दूसरे केबिन में चले गए।
आदित्य का 11 बजे एक मीटिंग था जिसमें उसे किसी एक कंपनी के साथ डील साइन करने थे। उसका मीटिंग आरएस कंपनी में ही होने वाला था।
11 बजे जब सभी क्लाइंट्स आ गए तो विकास (जो कि आदित्य का असिस्टेंट के पोस्ट के लिए सिलेक्ट हुआ था) आता है और बोलता है, "सर, सभी क्लाइंट्स आ गए हैं। मीटिंग के लिए चलें।"
आदित्य अपना लैपटॉप 💻 बंद करते हुए बोलता है, "हाँ, चलो।" बोलकर अपने सीट से उठ जाता है। फिर दोनों मिलकर मीटिंग रूम की तरफ चल पड़ते हैं।
दूसरी तरफ़, स्वरा अपने फ्लैट में खाना बना रही थी। खाना बनाने के बाद वो खाना खाकर आशी को बुलाने के लिए जाती है। फिर दोनों साथ में आशी के office 🏢 के लिए निकल जाते हैं।
स्वरा का आज इंटरव्यू था आशी के ऑफिस में, इसलिए वो राजस्थान से मुंबई आई थी। दोनों आशी के ऑफिस में पहुँचते हैं। आशी अपने फ्लोर की तरफ़ चल पड़ती है और स्वरा रिसेप्शनिस्ट के पास जाती है और उसे इंटरव्यू रूम के बारे में पूछती है।
रिसेप्शनिस्ट सम्मान के साथ बोलती है, "थर्ड फ्लोर के रूम नंबर 13 में इंटरव्यू होगा। आप वहाँ वेट कीजिये।"
तो स्वरा वहाँ से थर्ड फ्लोर पर चली जाती है और वहाँ सभी कैंडिडेट्स के साथ वेट करती है।
थोड़ी देर में सभी को एक साथ उस रूम में बुलाया जाता है। उसके बाद सभी को एक-एक पेन ✒ और पेपर 📄 दिया जाता है और बोला जाता है, "आप सभी इसमें एक-एक 2 घंटे में आउटफिट बनाएँगे। जिसमें से करीब 15 आउटफिट फाइनल किये जाएँगे। उसके बाद उन 15 कैंडिडेट्स का इंटरव्यू होगा और उनमें से सबसे बेस्ट कैंडिडेट चुना जाएगा।"
तो सभी हाँ में आंसर देते हैं तो सभी को एक-एक शीट दिया जाता है। सभी अपने-अपने आउटफिट बनाने में बिज़ी हो जाते हैं।
दूसरी तरफ़ दिल्ली में, दिल्ली यूनिवर्सिटी में, फर्स्ट ईयर की सभी स्टूडेंट्स बहुत एक्साइटेड लग रही थीं क्योंकि टीचर ने आज दो दिन बाद होने वाली फ्रेशर्स पार्टी के बारे में बताया था। फिर थोड़ी देर बाद सीनियर्स का एक ग्रुप आकर सभी को इनविटेशन कार्ड देता है और उन्हें फ्रेशर्स पार्टी की थीम बताते हैं। उसके बाद सभी को उस दिन आने को बोलकर चले जाते हैं।
उनके जाने के बाद कॉलेज में आज किसी का क्लास नहीं था, इसलिए सभी अपने में बातें करने लगते हैं। कोई कैंटीन में चला जाता है तो कोई घर चला जाता है।
मीरा इस पार्टी के लिए बहुत एक्साइटेड थी। वो अपनी सीट से उठकर आरुषि के पास आती है और बोलती है, "आरुषि, मैं इस पार्टी के लिए बहुत एक्साइटेड हूँ। चल ना, आज तो क्लास नहीं है, शॉपिंग में चलते हैं।"
तो आरुषि भी उसे बोलती है, "ठीक है, चलते हैं। पर पहले मैं लाइब्रेरी 🏫 📚 से एक बुक ले आती हूँ, उसके बाद चलेंगे।"
अक्षांश जब शॉपिंग की बात सुनता है तो वो विक्रम को कुछ इशारा करता है जिससे विक्रम अपनी पलकें झपका देता है, जैसे वो अक्षांश की बात समझ गया हो। तो अक्षांश भी शांत होकर बैठ जाता है।
आरुषि लाइब्रेरी 🏫 📚 के लिए निकल रही थी कि विक्रम उसके पास आकर बोला, "आरुषि, क्या हम भी तुम्हारे साथ चलें?" कहकर बड़ी उम्मीद से उसे देखता है तो आरुषि उसे मुस्कुराकर हाँ बोल देती है।
तो विक्रम बोलता है, "हमारी बाइक में चलेंगे।"
तो आरुषि बोलती है, "ठीक है। आप सब पार्किंग से बाइक निकालिए, हम लाइब्रेरी 🏫 📚 से बुक लेकर आते हैं।" कहकर वो अकेले लाइब्रेरी 🏫 📚 की तरफ़ चल पड़ती है।
आरुषि के जाने के बाद अक्षांश, विक्रम और मीरा तीनों पार्किंग की तरफ़ चल पड़ते हैं। अक्षांश और विक्रम पार्किंग से अपनी बाइक निकालते हैं, तब तक आरुषि भी उनके पास पहुँच जाती है। चारों मिलकर शॉपिंग के लिए निकल जाते हैं।
इधर मुंबई में, स्वरा अपना आउटफिट रेडी कर चुकी थी। थोड़ी देर बाद समय खत्म होता है तो सभी से पेन ✒ पेपर 📄 ले लिया जाता है। सभी को 1 घंटा वेट करने को बोला जाता है। सभी उस रूम से बाहर आते हैं। उनमें से कुछ लोग कैंटीन में चले जाते हैं क्योंकि उन सभी को परमिशन मिला था कुछ खाकर आने को, तो कुछ लोग चले जाते हैं।
ऐसे ही 1 घंटा बीत जाता है। सभी कैंडिडेट्स को रूम के अंदर बुलाया जाता है। सभी अंदर जाकर बैठते हैं। सीनियर मैनेजर 👨💼 खड़ा होता है और बोलता है, "हमारे जजस ने सभी आउटफिट्स को अच्छी तरह से देख लिया है और उनमें से 15 आउटफिट सिलेक्ट ☑ किये जा चुके हैं। अब मैं उन 15 कैंडिडेट्स के नाम अनाउंस करूँगा।"
फिर एक पर्ची उठाते हैं और बोलना स्टार्ट करते हैं, "कैंडिडेट्स के नाम हैं......"
जैसे-जैसे वो नाम अनाउंस कर रहे थे, स्वरा के चेहरे पर उदासी आ रही थी। जैसे-जैसे नाम अनाउंस हो रहा था, स्वरा का चेहरा उदास हो रहा था। सीनियर मैनेजर ने 14 कैंडिडेट्स के नाम अनाउंस कर दिए। 15वें कैंडिडेट का नाम जैसे ही बताते हैं तो स्वरा की आँखों में आँसू आ जाते हैं।
तो आप सभी को क्या लगता है? स्वरा इस टेस्ट में पास होगी कि नहीं? स्वरा क्यों उदास हो गई? स्वरा क्यों रो रही है? जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ......
स्वरा अपना आउटफिट तैयार कर चुकी थी। थोड़ी देर बाद समय समाप्त होता है तो उसने पहले ही पेन और पेपर ले लिया था। सभी को १ घंटे इंतज़ार करने को कहा गया। सभी उस कमरे से बाहर आते हैं; कुछ लोग कैंटीन में चले जाते हैं क्योंकि उन्हें कुछ खाने की अनुमति मिली थी।
ऐसे ही १ घंटा बीत जाता है। सभी उम्मीदवारों को कमरे के अंदर बुलाया जाता है। सभी अंदर जाकर बैठते हैं। सीनियर मैनेजर खड़ा होता है और बोलता है, "हमारे जजों ने सभी आउटफिट्स को अच्छी तरह से देख लिया है और उनमें से १५ आउटफिट्स सिलेक्ट किए जा चुके हैं। अब मैं उन १५ उम्मीदवारों के नाम घोषित करूँगा।"
फिर वह एक पर्ची उठाता है और बोलना शुरू करता है, "उम्मीदवारों के नाम हैं..."
जैसे-जैसे वह नाम घोषित कर रहा था, स्वरा के चेहरे पर उदासी छा रही थी। सीनियर मैनेजर ने १४ उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। १५वें उम्मीदवार का नाम घोषित करते ही स्वरा की आँखों में आँसू आ जाते हैं।
सीनियर मैनेजर १५वें उम्मीदवार का नाम घोषित करते हुए बोलते हैं, "एंड द फाइनल कैंडिडेट इज़ स्वरा गोयन्का।"
यह सुनते ही स्वरा की आँखों से रूके हुए आँसू झर-झर बहने लगे। वह सोच रही थी कि उसकी मेहनत पर पानी फिर गया। जब नाम घोषित होने पर भी स्वरा स्टेज पर नहीं आई तो सीनियर मैनेजर फिर से उसका नाम लेते हैं। स्वरा उन्हें चौंक कर देखती है। फिर सभी की नज़र अपने ऊपर पड़कर वह अपना चेहरा पोछती है और स्टेज की तरफ चल पड़ती है।
फिर इन १५ उम्मीदवारों को छोड़कर सभी को जाने को कहा जाता है।
थोड़ी देर बाद एक कमरे के बाहर ये १५ उम्मीदवार खड़े हुए थे। एक-एक करके सभी का सीरियल नंबर पुकारा जा रहा था। ऐसे ही सबसे आखिर में स्वरा का नाम घोषित हुआ। स्वरा इंटरव्यू के लिए अंदर जाती है तो चौंक जाती है। उसके गाल थोड़े लाल हो गए क्योंकि अंदर आदित्य भी था। आदित्य जब स्वरा को देखता है तो उसे विश्वास नहीं होता, पर वह कुछ रिएक्ट नहीं करता। वह स्वरा के लाल हुए गालों को देखकर मुस्कुरा देता है, पर किसी के देखने से पहले छिपा लेता है।
आदित्य उसे देख मन में बोलता है, "ये शर्माते हुए कितनी क्यूट लग रही है। मन कर रहा है इसके गालों को अभी चबा जाऊँ।"
फिर वह खुद अपने सोचे हुए बात को याद करते ही उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था। क्योंकि २ साल पहले उसे कोई पसंद आया था और वह उसे प्यार भी करता था। पर उसका स्वरा के लिए आ रही फीलिंग को वह समझ नहीं पा रहा था या जानबूझकर समझना नहीं चाहता था क्योंकि वह अपनी स्वीटी को बहुत चाहता था।
फिर वह अपने सभी ख्यालों को झटककर इंटरव्यू लेता है।
स्वरा बहुत कॉन्फिडेंट के साथ इंटरव्यू के सारे सवालों का उत्तर दे रही थी। इंटरव्यू खत्म होने के बाद सभी को घर जाने के लिए कहा जाता है और जो सिलेक्ट होता है उसे ईमेल कर दिया जाएगा, ऐसा कहा जाता है।
सभी घर चले जाते हैं।
दूसरी तरफ, आरुषि, अक्षांश, मीरा और विक्रम चारों एलएक्स मॉल में पहुँचते हैं। विक्रम और अक्षांश मीरा और आरुषि को मॉल के बाहर छोड़कर बाइक पार्क करने चले जाते हैं।
आरुषि और मीरा दोनों मॉल के बाहर उन दोनों का इंतज़ार करती हैं। जब अक्षांश और विक्रम आते हैं तो चारों मिलकर मॉल के अंदर जाते हैं।
मीरा और विक्रम आगे जा रहे थे। अक्षांश और आरुषि उनके पीछे जा रहे थे। मीरा बोलती है, "आप दोनों मेन्स सेक्शन जाइए, हम वूमेन्स सेक्शन जाते हैं।"
आरुषि और मीरा वूमेन्स सेक्शन जाने से पहले अक्षांश आरुषि को रोककर बोलता है, "आरुषि रुको, मुझे तुमसे कुछ कहना था।"
आरुषि अक्षांश को ऐसे अपनी बात कहने में हिचकिचाते देख वह बोली, "अक्षांश आप बोलिए, क्या हुआ? फ़्रेंड्स में हिचकिचाहट कैसी?"
तो अक्षांश बोलता है, "वो मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए ड्रेस सिलेक्ट करने में। मैं कभी अकेले शॉपिंग नहीं करता। मम्मा या छोटी ही मेरे लिए शॉपिंग करने मेरे साथ आते थे।"
तो आरुषि बोलती है, "तो ये बात है, इसमें हिचकिचाना क्या है? आप ऐसे भी बोल सकते हैं।"
फिर मीरा की तरफ मुड़कर बोलती है, "मीरा क्या तुम विक्रम के साथ शॉपिंग कर लोगी?"
तो मीरा एक नज़र अक्षांश को देखती है, फिर आरुषि को देखकर बोलती है, "ठीक है, मैं विक्रम के साथ शॉपिंग करती हूँ, तुम अक्षांश की हेल्प कर दो।"
तो आरुषि और अक्षांश मेन्स सेक्शन में चले जाते हैं। आरुषि अक्षांश को एक-एक ड्रेस लेकर देख रही थी। थोड़ी देर बाद उसे दो ड्रेस पसंद आते हैं तो आरुषि उन दो ड्रेस को अक्षांश को देते हुए बोलती है, "आप ये दो ड्रेस पहनकर आइए।"
तो अक्षांश उसके हाथ से ड्रेस लेकर चेंजिंग रूम में चला जाता है। तब तक आरुषि उसके लिए टाई चुनती है। थोड़ी देर बाद जब अक्षांश बाहर आता है तो आरुषि अक्षांश को देखती रह जाती है।
आरुषि अपने मन में बोलती है, "ये कितने हैंडसम दिख रहे हैं! इनको हमेशा देखकर मेरी धड़कन बढ़ जाती है।" कहकर एकटक उसे देख रही थी।
अक्षांश जब आरुषि को ऐसे खुद को देखते देख अक्षांश मुस्कुरा देता है और अपने आप से बोलता है, "आरुषि तुम भी मेरे लिए कुछ तो फील करती हो। मेरे पास आने से तुम्हारी दिल की धड़कन तेज़ी से बढ़ना, मुझमें ये खोजना, ये सब बता रहा है तुम भी मुझे थोड़ी-थोड़ी पसंद करने लगी हो। बस अब मुझे तुम्हें इसका एहसास दिलाना है और तुम्हारी पसंद को प्यार में बदलना है।"
इतना सोचकर आरुषि के पास चला आता है और आरुषि के आगे चुटकी बजाता है तो आरुषि अपने ख्यालों से बाहर आती है।
अक्षांश आरुषि को देखकर बोलता है, "कहाँ खो गई थी?"
तो आरुषि हकलाते हुए बोलती है, "क...कहीं नहीं।"
अक्षांश अपने मन में मुस्कुरा देता है और बोलता है, "ठीक है, अब बताओ कैसा लग रहा हूँ?"
तो आरुषि बोलती है, "हाँ, अच्छे देख रहे हैं। आप दूसरा ट्राई करके आइए।"
तो अक्षांश हाँ में सर हिलाकर चेंज करने चला जाता है। आरुषि उसके लिए टाई सिलेक्ट कर देती है। फिर चेंजिंग रूम के बाहर इंतज़ार करती है।
थोड़ी देर बाद आरुषि कुछ ऐसा देखती है जिससे वह एकटक उस तरफ देखने लग जाती है।
तो आपको सबको क्या लगता है? आरुषि ऐसा क्या देखी जिससे वह एकटक उस तरफ देख रही है? स्वरा इंटरव्यू में पास होगी या नहीं? आदित्य अपनी स्वीटी की जगह स्वरा को दे पाएगा? और क्या वह अपनी दिल की बात जान पाएगा? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ...
इतना सोचकर आरुषि के पास आ गया। और आरुषि के आगे चुटकी बजाई तो आरुषि अपने ख्यालों से बाहर आई।
अक्षांश आरुषि को देखकर बोला, "कहाँ खो गयी थी?"
तो आरुषि हकलाते हुए बोली, "क...कहीं नहीं।"
अक्षांश अपने मन में मुस्कुरा दिया और बोला, "ठीक है अब बताओ कैसा लग रहा हूँ।"
तो आरुषि बोली, "हाँ, अच्छे देख रहे हैं। आप दूसरा try करके आइये।"
तो अक्षांश हाँ में सर हिलाकर कपड़े बदलने चला गया। आरुषि उसके लिए tie 👔 select कर दिया। फिर changing room के बाहर wait करने लगी।
थोड़ी देर बाद आरुषि कुछ ऐसा देखती है जिससे वह एकटक उस तरफ देखने लग जाती है।
थोड़ी देर बाद जब अक्षांश changing room से बाहर आया तो आरुषि उसे देखकर अपनी पलकें झपकना ही भूल गयी। उसकी दिल की धड़कन सौ से भी ज्यादा तेजी से धड़कने लगी। black ⚫ colour के suit में वह काफी डैशिंग और हैंडसम लग रहा था कि किसी की भी नजर उससे नहीं हटती। मॉल में सभी लड़कियाँ उसे ताड़ रही थीं पर अक्षांश को उनसे कोई मतलब नहीं था। वह तो बस आरुषि को देख रहा था।
अक्षांश आरुषि को अपने में खोया हुआ देखकर धीरे से उसके पास आया और उसके करीब खड़ा हो गया और उसके सामने चुटकी बजाते हुए बोला, "तुम हमेशा क्यों खो जाती हो मुझमें? क्या मैं इतना हैंडसम लग रहा हूँ कि तुम मुझसे अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही हो?"
तो आरुषि, जो अक्षांश के अचानक पास आने से घबरा गयी थी, वह उससे थोड़ी दूरी बनाकर बोली, "मैं क्यों आपको देखूँगी? मैं तो आपके पीछे के सामान को देख रही थी।"
तो अक्षांश आरुषि को देखकर अपनी भौंहें चढ़ाते हुए बोला, "सच में...?"
तो आरुषि अक्षांश की ओर न देखकर बोली, "जी, मैं आपसे झूठ क्यों बोलूँगी?" इतना बोलकर वह अपने हाथ में पकड़ा हुआ tie अक्षांश को देते हुए बोली, "ये लीजिये, आप इसे पहनकर देखिये ठीक है कि नहीं, फिर हम मेरी शॉपिंग के लिए भी चलेंगे।"
तो अक्षांश उसका यूँ बात पलटना समझ गया पर कुछ कहा नहीं। उसने उसके हाथ से वह tie लिया और अपने coat 🧥 ऊपर पहनने लगा पर वह ठीक से कर नहीं पा रहा था। यह देख आरुषि उसकी मदद करने के लिए उसके पास चली गयी।
उसकी मदद करते हुए आरुषि अक्षांश के बहुत करीब खड़ी थी। अक्षांश तो आरुषि में खो गया था जब उसे आरुषि की आवाज़ आई तो उसे पता चला कि वह आरुषि के कितने पास खड़ा है।
"देखें, ऐसे करने से ठीक से होगा। आप opposite side कर रहे थे इसलिए आपसे ठीक से हो नहीं रहा था।" आरुषि बोली।
तो अक्षांश, जो आरुषि में खोया हुआ था, बोला, "वो मैं tie नहीं पहनता और जब पहनना जरूरी होता है तब मम्मा ही पहनने में हेल्प करती है। तो इसलिए..."
तो आरुषि उसकी बात सुनकर सिर्फ हाँ में सर हिला दिया और उसे अच्छे से tie पहनाने लगी।
आरुषि tie पहनाकर जैसे ही पीछे होने को हुई उसका पैर अपने कपड़े में उलझकर फिसल गया। वह जैसे ही गिरने को हुई अक्षांश उसे संभालने के लिए उसकी कमर से पकड़कर अपने तरफ खींच लिया जिससे आरुषि अक्षांश के सीने से टकरा गयी।
अक्षांश एकटक उसे अपने सीने से लगे हुए देख रहा था। उसे बहुत सुकून मिल रहा था यूँ आरुषि को बाहों में लेकर। वह आरुषि को ऐसे ही पकड़कर रखा था।
आरुषि जो अपनी आँखें गिरने के डर से बंद कर दिया था, उसे जब एहसास हुआ कि वह नहीं गिरी है तो आँखें खोलकर देखती है तो खुद को अक्षांश के बाहों में पाकर उसकी धड़कन तेजी से धड़कने लगी थीं। जो कि अक्षांश को भी महसूस हो गया।
आरुषि की धड़कन को फील कर अक्षांश मन ही मन खुश हो रहा था। पर वह अपनी खुशी को कंट्रोल कर आरुषि को अपने बाहों से निकालकर पूछता है, "आरुषि क्या तुम ठीक हो? इतने लम्बे-लम्बे ड्रेस👗 पहनती हो तो देखकर चलना चाहिए ना।"
तो आरुषि अपने धड़कनों को शांत करते हुए बोली, "वो दुपट्टा में पैर उलझ गया था।"
तो अक्षांश उसे बोला, "ठीक है, आगे से ध्यान रखना।"
तो आरुषि हाँ में सर हिलाकर बोली, "जी, मैं ध्यान रखूँगी। अब आप जाकर Dress change कर लीजिये और ये final है आपका। आप fresher's party में यही पहनिएगा।"
तो अक्षांश अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोला, "ठीक है, तुम थोड़ी देर wait करो, मैं आता हूँ।"
कुछ देर बाद अक्षांश आते हुए बोला, "चले आरुषि, तुम्हारा भी dress 👗 select करना है।"
तो आरुषि उसकी बात से सहमत होते हुए बोली, "जी, चलिए।"
दोनों वहाँ से women's section में चले जाते हैं।
दूसरी तरफ, मुंबई में, शाम के वक्त स्वरा kitchen में खाना पका रही थी कि उसका फोन 📱 बजता है।
वह फोन 📱 उठाती है तो दूसरी तरफ आवाज़ आती है, "Hello mam, are you miss Swara Goyanka?"
तो स्वरा बोली, "जी, मैं स्वरा बोल रही हूँ, बोलिये क्या काम था?"
तो phone 📱 से आवाज़ आती है, "जी mam, मैं RS company से बोल रही हूँ। आज सुबह आप interview के लिए आई थीं। आप उसमें select हो चुकी हैं as a junior manager के रूप में। तो क्या आप join होना चाहेंगी?"
तो स्वरा उन्हें बोली, "जी, मैं join करना चाहती हूँ। कब से मैं join कर सकती हूँ?"
तो फोन 📱 से वह लड़की बोली, "जी mam, आप कल 10 बजे तक office 🏢 पहुँच जाइये। कुछ paper work के बाद आप join कर सकते हैं।"
तो स्वरा बोली, "Thank you ❤"
तो फोन से वह लड़की बोली, "Most welcome mam" बोलकर वह phone 📱 काट देती है।
स्वरा जो इतनी देर से अपनी excitement को रोककर रखी थी, वह phone 📱 काट देने के बाद जोर से चिल्लाती है, "Yes! मैंने कर दिखाया।"
फिर अपने फोन 📱 पर किसीको call 📞 लगाती है। थोड़ी देर बाद call receive होता है और आवाज़ आती है, "Hello....."
तो स्वरा बोली, "मैंने interview पास कर लिया।"
तो दूसरी तरफ से कोई आवाज़ नहीं आता तो स्वरा उदास हो जाती है और बोली, "क्या हुआ? क्या मेरे interview में पास होने से आप खुश नहीं हैं?"
तो दूसरी तरफ आवाज़ आता है, "..."
तो आप सबको क्या लगता है स्वरा किसको call 📞 किया है? स्वरा और आदित्य का मुलाकात कहाँ तक जाता है? जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ और मेरे कहानी के साथ......