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Aman Aj

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Total Chapters (20)

Page 1 of 1

  • 1. cc - Chapter 1

    Words: 87

    Estimated Reading Time: 1 min

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  • 2. cc - Chapter 2

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 3. cc - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 4. cc - Chapter 4

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 5. cc - Chapter 5

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 6. cc - Chapter 6

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 7. cc - Chapter 7

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 8. cc - Chapter 8

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 9. cc - Chapter 9

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 10. cc - Chapter 10

    Words: 1412

    Estimated Reading Time: 9 min

    hएक साधारण जीवनी जी रहे लड़का और लड़की अचानक एक नए और रहस्यमयी संसार में टेलीपोर्ट हो जाते हैं। यह दुनिया उनकी अपनी दुनिया से बिल्कुल अलग और अजीब है – जहाँ हर कदम पर खतरे, रहस्य और रोमांच छिपे हुए हैं। यहाँ उन्हें एक अफवाह सुनने को मिलती है – उत्तर दिशा में एक रहस्यमयी द्वार है, जिसे "रियल्म का द्वार" कहा जाता है। यह द्वार उन्हें उनकी अपनी दुनिया में वापस ले जा सकता है। इसी आशा और जिज्ञासा के साथ, वे उत्तर की ओर अपनी यात्रा शुरू करते हैं। उनकी यह यात्रा केवल एक भौगोलिक सफर नहीं है, बल्कि आत्म-खोज, संघर्ष और दोस्ती का भी सफर है। इस नए संसार में उन्हें खतरनाक प्राणियों का सामना करना पड़ता है, अप्रत्याशित सहयोगी मिलते हैं, और कई ऐसे रहस्य उजागर होते हैं, जो उनकी दुनिया और इस नई दुनिया को जोड़ते हैं। क्या वे उत्तर की ओर अपनी यात्रा पूरी कर पाएंगे? कन्या उन्हें वह रहस्यमयी द्वार मिलेगा, जो उन्हें घर वापस ले जा सके? या यह दुनिया उन्हें हमेशा के लिए कैद कर लेगी? ध्रुव एक डरावने सपने से उठा। आँख खुलते ही सामने किसी को देखकर वह जोर से चिल्लाया। सामने फुटबॉल वाली लड़की खड़ी थी। चिल्लाना बंद करते हुए लड़की ने कहा, "तुम हमेशा डराते क्यों रहते हो? हार्ट अटैक दिलवाना है क्या मुझे? मैं एक बार पहले भी मर चुकी हूं मुझे दोबारा नहीं मरना।" तभी उसके नाना-नानी कमरे के पास आ गए और दरवाजा खटखटाया। नानी ने बाहर से पूछा, "क्या हुआ ध्रुव? तुम ठीक तो हो ना? तुम जोर से क्यों चिल्लाए थे?" ध्रुव परेशान हो गया क्योंकि उसके नाना नानी सामने दरवाजे पर खड़े थे। लड़की सामने से बोली ,"फिक्र मत करो, वो लोग मुझे नहीं देख पाएंगे, सिर्फ तुम ही मुझे देख सकते हो" ध्रुव खड़ा हुआ और दरवाजा खोला। लड़की केवल उसे ही दिखाई देती थी, इसलिए उसे कोई चिंता नहीं थी। उसने नानी से कहा, "हाँ नैनस, मैं ठीक हूँ। बस एक डरावना सपना देखा था, इसलिए आँखें खुलते ही थोड़ा सा चिल्ला दिया..." "थोड़ा सा!!" उसके नाना हैरान होकर बोले, "तुम बहुत जोर से चिल्लाए थे।" "पता नहीं मेरे बेटे को क्या हो गया है।" नानी चिंतित स्वर में बोली, "आज पहले बेहोश होकर गिर गया और अब यह। इस बार छुट्टी के दिन मैं तुम्हें किसी जगह ले जाऊँगी ताकि पता चले तुम्हें क्या हुआ है। कहीं तुम्हारे ऊपर कोई ऊपरी साया तो नहीं है।" "कैसी बातें कर रही हो नैनस? जाओ सो जाओ, मैं ठीक हूँ। डरावने सपने रोज नहीं आते और यह ऊपरी साया वगैरह कुछ नहीं होता। मुझे कहीं नहीं जाना।" कहकर उसने दरवाजा बंद कर दिया। नाना-नानी सोने चले गए, जबकि ध्रुव लड़की के पास गया। लड़की ने कहा, "देखो, पहले तो मुझे घूरना बंद करो, दूसरा, मुझे डराना बंद करो।” ध्रुव धीमी में आवाज में बोला “तुम भी ऐसे अचानक से मेरे सामने मत आया करो। आना ही हो तो पहले दरवाजा या खिड़की खटखटाओ या कोई इशारा करो जिससे मुझे पता चले।" लड़की ने हाँ में सिर हिलाया। ध्रुव गहरी साँसें ले रहा था। "सच में, तुमने मुझे बहुत डरा दिया था।" वह बैठ गया और पूछा, "अच्छा, जो मैंने सपना देखा उसमें क्या तुम्हारा हाथ था?" लड़की ने ना में सिर हिलाया। "ठीक है।" ध्रुव पीछे की ओर होकर बैठ गया। कुछ देर दोनों एक-दूसरे को देखते रहे। उसके सामने जो लड़की खड़ी थी भले ही वह भूत हो लेकिन वह दिखने में बहुत सुंदर थी। तकरीबन 19 साल की लड़की जो ध्रुव से 1 साल बड़ी थी। उसका रग गौरा था। बाल छोटे मगर सिल्की। आंखें नीले रंग की। ऐसी लड़की भुत हो तो भी कोई ठीक से ना दर पाए। ध्रुव काफी देर से घर रहा था। लड़की ने फिर कहा, "मुझे घूरना बंद करो।" ध्रुव ने कोशिश की, पर वह अजीब लगने लगा। लड़की ने सिर हिलाते हुए कहा, "तुमसे नहीं होगा, छोड़ो।" ध्रुव ने उससे पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" "रीइइइइ...वाआआआ..." लड़की ने शब्दों को अजीब तरह से खींचते हुए कहा। "रीवा..." ध्रुव ने कहा, "अच्छा नाम है। इतना अच्छा नाम है, फिर तुम ऐसे भूत कैसे बन गई?" "हाँ... क्योंकि नाम का मरने से कोई लेना देना नहीं होता।" रीवा ने एक झटके में कहा। ,"मैं नहीं जानती तुममे ऐसा क्या खास है जो इस पूरी दुनिया में सिर्फ तुम ही मुझे देख सकते हो, और मेरे भाई को भी, जो अभी यहां पर नहीं है। लेकिन यह हमारे लिए किसी लॉटरी से कम नहीं।" "मैं खुद हैरान हूं ऐसा क्यों हुआ है।" ध्रुव बोला। तभी लड़की का भाई प्रकट हुआ। उसने सबसे पहले पूछा, "क्या तुम हमारी मदद करोगे?" ध्रुव एक झटके से पीछे हट गया। "ओह... तुम!! आखिर डराना तुम्हारे खून में है क्या? तुम लोग नॉर्मल एंट्री नहीं कर सकते?" "वो माफ़ करना..." लड़के ने कहा, "हमारा आना-जाना ऐसे ही होता है। मुझे नहीं पता था कि तुम डर जाओगे।" "फिलहाल तो डर ही रहा हूँ, मगर धीरे-धीरे आदत हो जाएगी। तुम लोग भुत जो हो" ध्रुव ने नॉर्मल तरीके से कहा। फिर उसने लड़के से पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" "सिद्धार्थ..." लड़के ने कहा। "तुम्हारा नाम भी अच्छा है।" ध्रुव बोला। लड़के ने हाँ में सिर हिलाया और पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" "ध्रुव।" "तुम्हारा असली नाम?" सिद्धार्थ ने तुरंत पूछा। "यही मेरा असली नाम है।" ध्रुव ने आँखें मोटी करते हुए कहा। "मगर यह तो बच्चों वाला नाम लग रहा है।" सिद्धार्थ बोला। ध्रुव ने उदास चेहरा बना लिया। "मेरा नाम इतना भी बुरा नहीं..." उसने ओवरएक्टिंग करते हुए कहा। कुछ देर सन्नाटा रहा। फिर सिद्धार्थ ने पूछा, "मैं जानना चाहता हूँ, तुम हमारी मदद करोगे या नहीं? हमारे कातिल अभी तक नहीं पकड़े गए। यह बात मुझे बहुत परेशान करती है, मगर मैं कुछ नहीं कर सकता। अब सारी उम्मीदें तुमसे हैं। बताओ, क्या तुम हमारी मदद करोगे?" ध्रुव सिद्धार्थ की ओर देखने लगा। वह कन्फ्यूज था। एक सेकंड सोचने के बाद उसने कहा, "हाँ, मैं तुम्हारी मदद करूँगा, मुझे नहीं लगता इसके अलावा मेरे पास कोई और रास्ता है। फिर मुझे यह भी जानना है मैं भूतों को कैसे देख सकता हूं?" रीवा और सिद्धार्थ खुश हो गए। सिद्धार्थ बोला, "हम तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूल पाएँगे। तुम्हारी मदद भी हम कर देंगे। क्या पता तुममें कोई स्पेशल पावर हो?" ध्रुव मुस्कुराया ,"स्पेशल पावर जैसा कुछ नहीं होता" रीवा ने फुटबॉल ध्रुव की ओर करते हुए कहा, "थैंक्स, हमारी मदद करने के लिए।" ध्रुव ने फुटबॉल पकड़ी। "वेलकम... यह फुटबॉल... यह भूत कैसे बन गई?" "हम नहीं जानते।" सिद्धार्थ ने कहा, "जो भी है, तुम्हारे सामने है।" आधा घंटा बीत चुका था। ध्रुव फुटबॉल देखते हुए कमरे में घूम रहा था। उसने सिद्धार्थ से पूछा, "मुझे बताओ, अब मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँ? क्या तुम जानते हो कि वो चार लोग कौन थे?" सिद्धार्थ ने ना में सिर हिलाया। "उन्होंने अपने चेहरे पर नकाब पहन रखा था।" "तो फिर उनका पता कैसे चलेगा?" ध्रुव ने पूछा। सिद्धार्थ ने सोचा और फिर कहा, "मैं नहीं जानता, तुम हमारी मदद कर रहे हो तो तुम देखो कैसे करनी है।" "मैं कोई डिटेक्टिव नहीं हूँ।" ध्रुव बोला और फिर घूमने लगा। "अगर डिटेक्टिव होता तो शायद कोई रास्ता निकाल लेता।" वह कातिलों को ढूँढने के तरीके के बारे में सोच रहा था। "पता नहीं डिटेक्टिव अपना काम कैसे करते होंगे।" थोड़ा सोचने के बाद उसने पूछा, "अगर तुमने उनका चेहरा नहीं देखा, तो क्या कुछ ऐसा देखा है जिससे उनका पता लग सके? कोई भी चीज़, छोटी-बड़ी, कुछ भी।" सिद्धार्थ को कुछ याद आया। वह एक्साइटमेंट से बोला, "हाँ, एक चीज़ है! वो चारों एक पुरानी मारुति कार (1990 मॉडल) में आए थे। ऐसी गाड़ियाँ हमारे शहर में कम ही हैं। मैंने गाड़ी को ध्यान से देखा है, अगर मुझे वह गाड़ी फिर दिखी तो मैं पहचान लूँगा। इससे तुम्हें एक रास्ता मिल जाएगा।" ध्रुव ने सोचा। फिर कन्फ्यूज होकर कहा, "तुम्हारे पास कोई और चीज़ नहीं?" सिद्धार्थ ने ना में सिर हिलाया। ध्रुव ने रीवा से पूछा, "तुम्हारे पास?" उसने भी ना में सिर हिलाया। ध्रुव ने दोनों से पूछा, "तुम दोनों के पास कोई ऐसी पावर नहीं है जिससे कोई और रास्ता मिले? टाइम ट्रेवल जैसी पावर हो तो क्या ही कहना..." दोनों ने ना में सिर हिलाया। ज्ञ ययय ज्ञमम ज्ञज्ञज्ञ ज्ञम र क्षक्ष । लल ललल।। "नहीं... यानी हमारे पास बस कार ही एकमात्र सुराग है।" ध्रुव ने चेहरा नीचे कर लिया। उसने अपने सर को झटका और बोला, "ठीक है, अब कल से बनता हूँ मैं डिटेक्टिव और लगाता हूँ पता... तुम्हारे कातिलों का..." उसने आत्मविश्वास से कहा। ,"मगर एक कर यह कोई अच्छा क्लु नहीं है" ल य ज्ञज्ञ ज्ञज्ञ क्षय । भभ भह हहहह हह

  • 11. cc - Chapter 11

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 12. cc - Chapter 12

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 13. cc - Chapter 13

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 14. cc - Chapter 14

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    hello

  • 15. cc - Chapter 15

    Words: 2

    Estimated Reading Time: 1 min

    hello test

  • 16. cc - Chapter 16

    Words: 45

    Estimated Reading Time: 1 min

    टेस्ट ओं थे वे तुम क्या कर रहे हो क्या मुझे तुम्हें कुछ बताना चाहिए या फिर कोई ऐसी बात इसके बारे में तुम्हें नहीं पता है अगर हां तो मुझे उसके बारे में बताओ क्योंकि मैं नहीं जानता हूं अब तक क्या-क्या बाकी है?

  • 17. cc - Chapter 17

    Words: 57

    Estimated Reading Time: 1 min

    test इ इ तरह लग तघघ Snhs. Bejje Jdjd bsehhe hehe hehe hehe hshs hshehs hshshs bshss Hsjshs jsjshs jejshs jejs shjs अच्छा मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही तुमने मुझे क्या कहा था तुम कुछ कहना चाहते थे जो मैं मुझे याद नहीं है अगर मुझे याद नहीं है तो तुम मुझे बतासकते हो

  • 18. cc - Chapter 18

    Words: 18

    Estimated Reading Time: 1 min

    hello hshs hshs hhs hhs hhshs shhshs shhshs Bshss. Bh Sb Acga Kyu Kb se Ooh Hmm Haan

  • 19. cc - Chapter 19

    Words: 4

    Estimated Reading Time: 1 min

    hello Jh Jjk Hh

  • 20. cc - Chapter 20

    Words: 1412

    Estimated Reading Time: 9 min

    एक साधारण जीवनी जी रहे लड़का और लड़की अचानक एक नए और रहस्यमयी संसार में टेलीपोर्ट हो जाते हैं। यह दुनिया उनकी अपनी दुनिया से बिल्कुल अलग और अजीब है – जहाँ हर कदम पर खतरे, रहस्य और रोमांच छिपे हुए हैं। यहाँ उन्हें एक अफवाह सुनने को मिलती है – उत्तर दिशा में एक रहस्यमयी द्वार है, जिसे "रियल्म का द्वार" कहा जाता है। यह द्वार उन्हें उनकी अपनी दुनिया में वापस ले जा सकता है। इसी आशा और जिज्ञासा के साथ, वे उत्तर की ओर अपनी यात्रा शुरू करते हैं। उनकी यह यात्रा केवल एक भौगोलिक सफर नहीं है, बल्कि आत्म-खोज, संघर्ष और दोस्ती का भी सफर है। इस नए संसार में उन्हें खतरनाक प्राणियों का सामना करना पड़ता है, अप्रत्याशित सहयोगी मिलते हैं, और कई ऐसे रहस्य उजागर होते हैं, जो उनकी दुनिया और इस नई दुनिया को जोड़ते हैं। क्या वे उत्तर की ओर अपनी यात्रा पूरी कर पाएंगे? कन्या उन्हें वह रहस्यमयी द्वार मिलेगा, जो उन्हें घर वापस ले जा सके? या यह दुनिया उन्हें हमेशा के लिए कैद कर लेगी? ध्रुव एक डरावने सपने से उठा। आँख खुलते ही सामने किसी को देखकर वह जोर से चिल्लाया। सामने फुटबॉल वाली लड़की खड़ी थी। चिल्लाना बंद करते हुए लड़की ने कहा, "तुम हमेशा डराते क्यों रहते हो? हार्ट अटैक दिलवाना है क्या मुझे? मैं एक बार पहले भी मर चुकी हूं मुझे दोबारा नहीं मरना।" तभी उसके नाना-नानी कमरे के पास आ गए और दरवाजा खटखटाया। नानी ने बाहर से पूछा, "क्या हुआ ध्रुव? तुम ठीक तो हो ना? तुम जोर से क्यों चिल्लाए थे?" ध्रुव परेशान हो गया क्योंकि उसके नाना नानी सामने दरवाजे पर खड़े थे। लड़की सामने से बोली ,"फिक्र मत करो, वो लोग मुझे नहीं देख पाएंगे, सिर्फ तुम ही मुझे देख सकते हो" ध्रुव खड़ा हुआ और दरवाजा खोला। लड़की केवल उसे ही दिखाई देती थी, इसलिए उसे कोई चिंता नहीं थी। उसने नानी से कहा, "हाँ नैनस, मैं ठीक हूँ। बस एक डरावना सपना देखा था, इसलिए आँखें खुलते ही थोड़ा सा चिल्ला दिया..." "थोड़ा सा!!" उसके नाना हैरान होकर बोले, "तुम बहुत जोर से चिल्लाए थे।" "पता नहीं मेरे बेटे को क्या हो गया है।" नानी चिंतित स्वर में बोली, "आज पहले बेहोश होकर गिर गया और अब यह। इस बार छुट्टी के दिन मैं तुम्हें किसी जगह ले जाऊँगी ताकि पता चले तुम्हें क्या हुआ है। कहीं तुम्हारे ऊपर कोई ऊपरी साया तो नहीं है।" "कैसी बातें कर रही हो नैनस? जाओ सो जाओ, मैं ठीक हूँ। डरावने सपने रोज नहीं आते और यह ऊपरी साया वगैरह कुछ नहीं होता। मुझे कहीं नहीं जाना।" कहकर उसने दरवाजा बंद कर दिया। नाना-नानी सोने चले गए, जबकि ध्रुव लड़की के पास गया। लड़की ने कहा, "देखो, पहले तो मुझे घूरना बंद करो, दूसरा, मुझे डराना बंद करो।” ध्रुव धीमी में आवाज में बोला “तुम भी ऐसे अचानक से मेरे सामने मत आया करो। आना ही हो तो पहले दरवाजा या खिड़की खटखटाओ या कोई इशारा करो जिससे मुझे पता चले।" लड़की ने हाँ में सिर हिलाया। ध्रुव गहरी साँसें ले रहा था। "सच में, तुमने मुझे बहुत डरा दिया था।" वह बैठ गया और पूछा, "अच्छा, जो मैंने सपना देखा उसमें क्या तुम्हारा हाथ था?" लड़की ने ना में सिर हिलाया। "ठीक है।" ध्रुव पीछे की ओर होकर बैठ गया। कुछ देर दोनों एक-दूसरे को देखते रहे। उसके सामने जो लड़की खड़ी थी भले ही वह भूत हो लेकिन वह दिखने में बहुत सुंदर थी। तकरीबन 19 साल की लड़की जो ध्रुव से 1 साल बड़ी थी। उसका रग गौरा था। बाल छोटे मगर सिल्की। आंखें नीले रंग की। ऐसी लड़की भुत हो तो भी कोई ठीक से ना दर पाए। ध्रुव काफी देर से घर रहा था। लड़की ने फिर कहा, "मुझे घूरना बंद करो।" ध्रुव ने कोशिश की, पर वह अजीब लगने लगा। लड़की ने सिर हिलाते हुए कहा, "तुमसे नहीं होगा, छोड़ो।" ध्रुव ने उससे पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" "रीइइइइ...वाआआआ..." लड़की ने शब्दों को अजीब तरह से खींचते हुए कहा। "रीवा..." ध्रुव ने कहा, "अच्छा नाम है। इतना अच्छा नाम है, फिर तुम ऐसे भूत कैसे बन गई?" "हाँ... क्योंकि नाम का मरने से कोई लेना देना नहीं होता।" रीवा ने एक झटके में कहा। ,"मैं नहीं जानती तुममे ऐसा क्या खास है जो इस पूरी दुनिया में सिर्फ तुम ही मुझे देख सकते हो, और मेरे भाई को भी, जो अभी यहां पर नहीं है। लेकिन यह हमारे लिए किसी लॉटरी से कम नहीं।" "मैं खुद हैरान हूं ऐसा क्यों हुआ है।" ध्रुव बोला। तभी लड़की का भाई प्रकट हुआ। उसने सबसे पहले पूछा, "क्या तुम हमारी मदद करोगे?" ध्रुव एक झटके से पीछे हट गया। "ओह... तुम!! आखिर डराना तुम्हारे खून में है क्या? तुम लोग नॉर्मल एंट्री नहीं कर सकते?" "वो माफ़ करना..." लड़के ने कहा, "हमारा आना-जाना ऐसे ही होता है। मुझे नहीं पता था कि तुम डर जाओगे।" "फिलहाल तो डर ही रहा हूँ, मगर धीरे-धीरे आदत हो जाएगी। तुम लोग भुत जो हो" ध्रुव ने नॉर्मल तरीके से कहा। फिर उसने लड़के से पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" "सिद्धार्थ..." लड़के ने कहा। "तुम्हारा नाम भी अच्छा है।" ध्रुव बोला। लड़के ने हाँ में सिर हिलाया और पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" "ध्रुव।" "तुम्हारा असली नाम?" सिद्धार्थ ने तुरंत पूछा। "यही मेरा असली नाम है।" ध्रुव ने आँखें मोटी करते हुए कहा। "मगर यह तो बच्चों वाला नाम लग रहा है।" सिद्धार्थ बोला। ध्रुव ने उदास चेहरा बना लिया। "मेरा नाम इतना भी बुरा नहीं..." उसने ओवरएक्टिंग करते हुए कहा। कुछ देर सन्नाटा रहा। फिर सिद्धार्थ ने पूछा, "मैं जानना चाहता हूँ, तुम हमारी मदद करोगे या नहीं? हमारे कातिल अभी तक नहीं पकड़े गए। यह बात मुझे बहुत परेशान करती है, मगर मैं कुछ नहीं कर सकता। अब सारी उम्मीदें तुमसे हैं। बताओ, क्या तुम हमारी मदद करोगे?" ध्रुव सिद्धार्थ की ओर देखने लगा। वह कन्फ्यूज था। एक सेकंड सोचने के बाद उसने कहा, "हाँ, मैं तुम्हारी मदद करूँगा, मुझे नहीं लगता इसके अलावा मेरे पास कोई और रास्ता है। फिर मुझे यह भी जानना है मैं भूतों को कैसे देख सकता हूं?" रीवा और सिद्धार्थ खुश हो गए। सिद्धार्थ बोला, "हम तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूल पाएँगे। तुम्हारी मदद भी हम कर देंगे। क्या पता तुममें कोई स्पेशल पावर हो?" ध्रुव मुस्कुराया ,"स्पेशल पावर जैसा कुछ नहीं होता" रीवा ने फुटबॉल ध्रुव की ओर करते हुए कहा, "थैंक्स, हमारी मदद करने के लिए।" ध्रुव ने फुटबॉल पकड़ी। "वेलकम... यह फुटबॉल... यह भूत कैसे बन गई?" "हम नहीं जानते।" सिद्धार्थ ने कहा, "जो भी है, तुम्हारे सामने है।" आधा घंटा बीत चुका था। ध्रुव फुटबॉल देखते हुए कमरे में घूम रहा था। उसने सिद्धार्थ से पूछा, "मुझे बताओ, अब मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँ? क्या तुम जानते हो कि वो चार लोग कौन थे?" सिद्धार्थ ने ना में सिर हिलाया। "उन्होंने अपने चेहरे पर नकाब पहन रखा था।" "तो फिर उनका पता कैसे चलेगा?" ध्रुव ने पूछा। सिद्धार्थ ने सोचा और फिर कहा, "मैं नहीं जानता, तुम हमारी मदद कर रहे हो तो तुम देखो कैसे करनी है।" "मैं कोई डिटेक्टिव नहीं हूँ।" ध्रुव बोला और फिर घूमने लगा। "अगर डिटेक्टिव होता तो शायद कोई रास्ता निकाल लेता।" वह कातिलों को ढूँढने के तरीके के बारे में सोच रहा था। "पता नहीं डिटेक्टिव अपना काम कैसे करते होंगे।" थोड़ा सोचने के बाद उसने पूछा, "अगर तुमने उनका चेहरा नहीं देखा, तो क्या कुछ ऐसा देखा है जिससे उनका पता लग सके? कोई भी चीज़, छोटी-बड़ी, कुछ भी।" सिद्धार्थ को कुछ याद आया। वह एक्साइटमेंट से बोला, "हाँ, एक चीज़ है! वो चारों एक पुरानी मारुति कार (1990 मॉडल) में आए थे। ऐसी गाड़ियाँ हमारे शहर में कम ही हैं। मैंने गाड़ी को ध्यान से देखा है, अगर मुझे वह गाड़ी फिर दिखी तो मैं पहचान लूँगा। इससे तुम्हें एक रास्ता मिल जाएगा।" ध्रुव ने सोचा। फिर कन्फ्यूज होकर कहा, "तुम्हारे पास कोई और चीज़ नहीं?" सिद्धार्थ ने ना में सिर हिलाया। ध्रुव ने रीवा से पूछा, "तुम्हारे पास?" उसने भी ना में सिर हिलाया। ध्रुव ने दोनों से पूछा, "तुम दोनों के पास कोई ऐसी पावर नहीं है जिससे कोई और रास्ता मिले? टाइम ट्रेवल जैसी पावर हो तो क्या ही कहना..." दोनों ने ना में सिर हिलाया। ज्ञ ययय ज्ञमम ज्ञज्ञज्ञ ज्ञम र क्षक्ष । लल ललल।। "नहीं... यानी हमारे पास बस कार ही एकमात्र सुराग है।" ध्रुव ने चेहरा नीचे कर लिया। उसने अपने सर को झटका और बोला, "ठीक है, अब कल से बनता हूँ मैं डिटेक्टिव और लगाता हूँ पता... तुम्हारे कातिलों का..." उसने आत्मविश्वास से कहा। ,"मगर एक कर यह कोई अच्छा क्लु नहीं है" ल य ज्ञज्ञ ज्ञज्ञ क्षय । भभ भह हहहह हह