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The love bond

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💫 The Arzoo Queen 👑

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Description

रिश्ते जब मजबूरी में बनते हैं, तो क्या उनमें कभी मोहब्बत पनप सकती है?” प्रियल, एक अनाथ लड़की, जिसने अपना बचपन एक आश्रम में गुजारा। सपनों को पूरा करने की चाह में वह आती है मुंबई — जहां उसे मिलता है सिर्फ तन्हाई और संघर्ष। वहीं...

Total Chapters (49)

Page 1 of 3

  • 1. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 1 पहली मुलाकात

    Words: 1289

    Estimated Reading Time: 8 min

    एक लड़की निराश सी सड़क पर चल रही थी। तभी उसकी नजर सड़क के दूसरे किनारे पर जाती है। जहां एक छोटी सी बच्ची अपनी ball लेने के लिए सड़क के पर आ रही थी। उस छोटी सी बच्ची को देख उस लड़की के चेहरे पर स्माइल आ जाती हैं।

    तभी अचानक उसकी स्माइल चली भी जाती है। क्यू की उस लड़की के तरफ एक कार स्पीड से आ रही थी। ये देख वो उस छोटी सी बच्ची के तरफ दौड़ कर जाने लगती है। वो कार उस छोटी बच्ची को लग पाती उससे पहले ही वो लड़की उसे खींच कर रोड के दूसरे तरफ गिर जाती है।

    वहीं गिरने की वजह से वो बच्ची रोने लगती है। उसे ऐसे रोता देख वो लड़की खुद बैठती है और उस बच्ची को अपने गोद में बिठा लेती है। फिर उसे अपने सीने से लगा देती है और उसे शांत करते हुए बोलती है, "बच्चा प्लीज शांत हो जाओ। रो मत। चलो में तुम्हे चॉकलेट खिलाती हूं।"

    ये सुन कर उस बच्ची के चेहरे पर रोते रोते मुस्कान आ जाती है। वो जल्दी जल्दी अपना सर हां में सर हिला देता है। ये देख उस लड़की के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    उसके बाद वो लड़की उसे उठा कर सामने की दुकान में चली जाती है और उस बच्ची के लिए चॉकलेट खरीद कर दे देती है। ये देख वो बच्ची खुशी खुशी वो चॉकलेट खाने लगती है।

    ये देख वो लड़की हस देती है और उसे प्यार से पूछती है, "बेटा आप का नाम क्या है और आप ऐसे रोड पर क्यू खेल रही थी?"

    तो वो छोटी सी बच्ची अपनी तोतली आवाज में बोलती है, "मेरा नाम रूही है। में पापा के साथ यहां आई थी। में वहीं ball से खेल रही थी। पर मेरी ball नीचे गिर गई और में उसे लेने यहां चली आई।"

    फिर उस लड़की को देखते हुए बोलती है, "आप का नाम क्या है ?"

    तो वो लड़की बोलती है, "मेरा नाम प्रियल है।"

    तो ये है हमारी मेन फीमेल लीड प्रियल। जो की एक अनाथ है। दिखने में किसी परी से कम नहीं। कर्ली ब्लैक हेयर, नीली आखें, गोरा रंग, लंबे बाल। वो न तो ज्यादा मोटी थी ना पतली। हाइट - 5 फीट 2 इंच। दिखने में 18 साल की लड़की की तरह दिख रही थी। पर उसकी एज 21 है।

    वहीं वो छोटी सी बच्ची हमारी प्यारी रूही है। हमारी लीड कैरेक्टर्स को जोड़ने वाली। वो हमारे मैन मेल लीड श्रेयस अग्निहोत्री को बेटी है। दिखने में बिलकुल छोटी से परी है। जो भी उसे देखे उसे प्यार करने से रोक नही पाएगा। एज - 3 साल।

    वहीं हमारे मेन मेल लीड की बात करे तो वो हार्टलेस क्रूएल था। पर अपनी बेटी से बहत प्यार करता था। उसका इस दुनिया में रूही और उसके दादी रमा जी के अलावा कोई नहीं था। वो अगर किस के आगे झुकता था तो केवल उसकी प्यारी बेटी रूही और दादी के आगे। वो इनके अलावा सिर्फ अपने दोस्तो को ही महत्व देता था। नही तो उसे किसी के भी दर्द से नही फर्क नही पड़ता था सिवाय अपने करीबियों के। एज - 28।

    बाकी कैरेक्टर्स के बारे में हम आगे कहानी में धीरे धीरे जानेंगे।

    ये तो रहा कैरेक्टर्स का इंट्रोडक्शन। अब चलते है कहानी में वापस...

    वहीं रूही मुंह बनाते हुए बोलती है, "आप का तो नाम इतना बड़ा है। में आप को क्या कह कर बुलाऊंगी ?"

    ये सब बोलते हुए वो कुछ सोच रही थी। प्रियल कुछ बोलती की उससे पहले ही रूही बोलती है, "में आप को परी दीदी बोलूंगी। ठीक है ना।"

    ऐसे बोलते हुए वो अपना फेस पप्पी जैसा बना देती है। जिससे कोई भी उसे मना नही कर सकता। तो कहां हमारी प्रियल मना कर पाती उसे। वो भी हां में सर हिला देती है।

    तो रूही खुश होते हुए उसके गाल पर किस कर देती है। बदले में प्रियल भी रूही के गालों पर किस कर देती है।

    उसके बाद रूही को अपने गोद में उठाते हुए बोलती है, "चलिए अब आप जल्दी बताइए की आप के पापा कहां है। हम उनके पास जायेंगे। वो आप के लिए परेशान हो रहे होंगे।"

    तो रूही पप्पी फेस बनाते हुए बोलती है, "पर मुझे तो पता ही नही है की पापा कहां है।"

    ऐसे बोलते हुए वो उदास हो जाती है। उसका खिला हुआ चेहरा मुरझा जाता है। ये देख प्रियल को अच्छा नही लगता है।

    वो रूही को बोलती है ,"बच्चा आप टेंशन नही लो। आप के पापा यहीं कहीं होंगे हम उन्हे ढूंढ लेते है।"

    तो रूही हां में सर हिला देती है। उसके बाद रूही और प्रियल मिल कर रूही के पापा श्रेयस को ढूंढने लगते है।

    वहीं दूसरी तरफ,

    एक लड़का उसके गार्ड्स पर चिल्लाते हुए बोलता है, "तुम सब किसी काम के नही हो। एक छोटी सी बच्ची को तुम संभाल नहीं पाए। जल्दी जाओ उसे ढूंढे। अगर उसे कुछ हुआ तो तुम सब की खैर नहीं।"

    वहीं उस लड़के की बात सुन कर सभी गार्ड्स थर थर कांपने लगते है। तभी वहां उसकी उम्र का एक और लड़का आता है और बोलता है, "तुम सब जाओ और प्रिंसेस को जल्दी ढूंढो।"

    तो सभी गार्ड्स वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते है। उनके जाने के बाद वो दूसरा लड़का पहले लड़के की कंधे पर हाथ रखते हुए बोलता है," श्रेयस इतना गुस्सा ठीक नही है। कितनी बार कहा है इतना गुस्सा करने से तेरी तबियत बिगड़ जाएगी। पर तू है की सुनता ही नही है।"

    तो ये और कोई नही श्रेयस ही है। जो की अपने क्लाइंट से मिलने सामने होटल में गया था और रूही को उसके guards के पास छोड़ गया था।

    दूसरा लड़का उसका दोस्त और पीए आकाश शेखावत है। उसके पेरेंट्स अब इस दुनिया में नही है। एक कर एक्सीडेंट में उसके परिवार का कोई भी नही बचा। आकाश के पापा और मां , श्रेयस के पापा और मां के फ्रेंड थे। इस लिए आकाश और श्रेयस दोनों ही बचपन से दोस्त है। आकाश के पेरेंट्स के डेथ के बाद आकाश श्रेयस के साथ ही रहने लगा। ये रहा आकाश के बारे में।

    तो श्रेयस कुछ नही कहता है।

    तो आकाश बोलता है, "तू टेंशन मत ले जल्द ही मिल जाएगी। चल हम यहीं पास में उसे ढूंढते है। कहीं खेल खेल में यहीं कहीं चली गई होगी।"

    तो श्रेयस हां में सर हिला देता है। उसके बाद दोनों रूही को ढूंढने लगते है। दोनों ढूंढ ही रहे थे। की आकाश की नजर एक तरफ जाती है। सड़क के एक साइड में जहां सीमेंट से चेयर बना हुआ था और उसके साइड में पेड़ था। जिससे वहां बैठने वालों को ठंडी मिले। वहां रूही और प्रियल बैठे हुए थे।

    जहां रूही प्रियल के बालों से खेल रही थी। तो प्रियल उसे गुदगुदी कर के हसा रही थी। ये देख आकाश के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    वो श्रेयस को बुला कर ये दिखाता है। श्रेयस ये देख कर आश्चर्य हो जाता है। क्यू की रूही जल्दी किसी अनजान से घुल मिल नही सकती थी। वो अजनबी को खुद के करीब देख रोने लगती थी। पर यहां तो वो खुद प्रियल के साथ खेल रही है।

    उसके बाद दोनों प्रियल और रूही के तरफ अपने कदम बढ़ा देते है। वहां पहुंचते ही रूही की नजर श्रेयस और आकाश पर जाती है।

    तो वो खुश होते हुए बोलती है, "पापा ..."

    ये बोलते हुए वो अपना हाथ फैला देती है। तो श्रेयस उसे अपने गोद में ले लेता है।

    उसके बाद कुछ ऐसा होता है जिससे आकाश और श्रेयस हैरान रह जाते है।

    आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी ये कहानी " the love bond: pyar ka bandhan" ......

    इस चैप्टर में इतना ही मिलते है अगले भाग में ...

    Thanks for reading this chapter . Chapter kaisa laga comment kar ke jarur batana।

  • 2. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 2 प्रियल का श्रेयस को डांटना

    Words: 884

    Estimated Reading Time: 6 min

    रूही के श्रेयस की गोद में जाने के बाद, प्रियल श्रेयस पर बिगड़ते हुए बोली, "आप कैसे बाप हैं जो अपने बच्चे को ऐसे ही खेलते हुए छोड़ देते हैं? पता है आज उसका एक्सीडेंट होते-होते बचा। अगर मुझे थोड़ी और देर हो जाती, तो पता नहीं क्या हो जाता।"

    उसकी बात सुनकर श्रेयस बोला, "हो गया तुम्हारा।"

    फिर अपने पॉकेट में हाथ डालकर कुछ निकाला और उसे प्रियल के हाथों में रखते हुए बोला, "ये लो। अब तुम्हें कोई शिकायत नहीं रही होगी। आगे से अपना मुँह बंद रखना।"

    वहीं, जब प्रियल ने अपने हाथों में पैसे की गड्डी देखी, तो उसका गुस्सा आसमान छू गया। उसने श्रेयस के मुँह पर वो पैसे मारते हुए कहा, "मैंने उसकी जान पैसों के लिए नहीं बचाई थी। तो आइंदा से अपने पैसों का दबाव उसे दिखाना, जिसे इसकी लालच हो।"

    इतना बोलकर वह वहाँ से चली गई। वहीं, उसकी इस हरकत से श्रेयस का इगो हर्ट हो गया।

    वह गुस्से में काँप रहा था। यह देख रूही रोने लगी। उसे रोता देख श्रेयस जैसे-तैसे अपना गुस्सा शांत किया और रूही को अपने गले से लगाते हुए बोला, "शांत बच्चा, रो मत। देखो मैं गुस्सा नहीं कर रहा हूँ।"

    ऐसे बोलते हुए वह रूही के बालों को सहलाने लगा और आकाश से बोला, "आकाश, जाओ कार निकालो और सभी को बोल दो, रूही मिल गई है।"

    इतना बोलकर वह जाने लगा, पर आकाश वहीं का वहीं खड़ा रहा।

    जब श्रेयस को लगा कि आकाश उसके पीछे नहीं आ रहा है, तो उसने उसकी तरफ देखा। तो पाया कि वह अपनी जगह पर ही खड़ा था।

    यह देख वह थोड़ा तेज आवाज में बोला, "आकाश, गाड़ी निकालो और सभी गार्ड्स को बोलो, रूही मिल गई है।"

    उसके ऐसे चिल्लाने से आकाश अपने होश में आया और बोला, "हाँ हाँ, बोल रहा हूँ।"

    इतना बोलकर उसने हेड गार्ड को कॉल लगा दिया और उसे कार रेडी करने के लिए और रूही के मिलने की खबर दे दी।

    उसके बाद वह भी श्रेयस के साथ आगे बढ़ गया। थोड़ी देर में दोनों अपनी कार के पास पहुँच गए। श्रेयस पीछे बैठ गया। आकाश आगे पैसेंजर सीट में बैठ गया।

    उसके बाद उनकी कार प्रिंसेस विला की तरफ चल पड़ी। करीब एक घंटे बाद उनकी कार प्रिंसेस विला के आगे रुकी।

    यह विला दिखने में किसी शाही परिवार के विला की तरह दिख रहा था। लाइट पिंक कलर का विला किसी प्रिंसेस के लिए बना महल की तरह दिख रहा था।

    दरअसल, यह विला श्रेयस ने रूही के लिए बनवाया था। इसमें हर एक चीज़ रूही के पसंद से बनी हुई थी। रूही उसकी प्रिंसेस थी, इसलिए इस विला का नाम उसने प्रिंसेस विला रखा था।

    तीनों अंदर की तरफ चल दिए। रूही कार में ही सो गई थी। इसलिए श्रेयस रूही को लेकर उसके कमरे में गया और उसे उसके प्रिंसेस बेड पर सुला दिया।

    उसका रूम पिंक और गोल्डन कलर से बना हुआ था, जिससे उसका रूम रॉयल फील दे रहा था। रूही को सुलाकर श्रेयस अपने रूम में चला गया।

    उसके बाद तौलिया लेकर बाथरूम में गया। अंदर जाकर शॉवर के नीचे खड़ा हो गया। वह जैसे ही अपनी आँखें बंद करता है, उसकी आँखों के आगे प्रियल का चेहरा आ जाता है। प्रियल का उसके मुँह पर पैसे मारना याद आ जाता है।

    यह याद आते ही वह अपना हाथ दीवार पर मारते हुए चिल्लाते हुए बोला, "बहुत बड़ी गलती कर दिया तुमने, मिस बदतमीज़। अगर एक बार फिर तुम मेरे सामने आई तो मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा, यह मुझे भी नहीं पता। पर जो भी होगा, तुम्हारे लिए बहुत ही खराब होगा।"

    ऐसे ही सोचते हुए वह नहाकर बाहर आया और वार्डरोब से अपनी ड्रेस निकालकर पहन ली।

    उसके बाद वह रूही के कमरे में जाकर एक नज़र उसे देखा और उसके बगल वाले कमरे, जो कि उसका स्टडी रूम था, में जाकर काम करने लगा।

    कुछ दिन बाद, प्रियल और उसकी बेस्ट फ्रेंड अन्वी, जो कि उसी के साथ अनाथ आश्रम में रहती थी, जब दोनों की पढ़ाई खत्म हुई तो दोनों मिलकर मुंबई चली आईं अपने लिए जॉब ढूँढने।

    प्रियल और अन्वी दोनों अपना-अपना इंटरव्यू देकर आ रही थीं कि अचानक अन्वी को रोड के दूसरे साइड आइसक्रीम का एक ठेला दिखा।

    जिसे देख अन्वी प्रियल से रिक्वेस्ट करते हुए बोली, "प्रियल, देख वहाँ आइसक्रीम है। चल ना, कितने दिनों से आइसक्रीम नहीं खाया। आज खाते हैं।"

    तो प्रियल उसे मना करते हुए बोली, "नहीं अन्वी। अभी सर्दी का मौसम है और वैसे भी तुझे जुखाम हुआ है। इसलिए, नो आइसक्रीम।"

    यह सुनकर अन्वी अपना मुँह फूला ली और दूसरे तरफ मुँह करते हुए बोली, "ठीक है। तू जा, मैं तेरे से बात नहीं करती।"

    इतना बोलकर वह बच्चों की तरह प्रियल से रूठ गई। यह देख प्रियल अपने आप में बड़बड़ाती है, "यह इतनी बड़ी हो गई है पर इसकी बच्चों वाली हरकत अभी तक नहीं गई है।"

    इतना बोल वो वहाँ से रोड के दूसरे साइड चली गई और आइसक्रीम लाकर रोड क्रॉस कर ही रही थी कि उसने कुछ ऐसा देखा कि उसके मुँह से चीख निकल गई।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    ऐसा क्या देखा होगा प्रियल ने जिससे प्रियल के मुँह से चीख निकल गई? कमेंट करके ज़रूर बताना।

    आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी "द लव बॉन्ड: प्यार का बंधन"......

    इस चैप्टर में इतना ही। मिलते हैं अगले भाग में...

  • 3. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 3 प्रियल की बेहोशी

    Words: 1535

    Estimated Reading Time: 10 min

    प्रियल ने अन्वी को मनाते हुए कहा, "नहीं अन्वी। अभी सर्दी का मौसम है और वैसे भी तुझे जुखाम हुआ है। इसलिए no ice cream।"

    ये सुनकर अन्वी ने अपना मुँह फुला लिया और मुँह दूसरी तरफ करके बोली, "ठीक है। तू जा, मैं तेरे से बात नहीं करती।"

    इतना बोलकर वह बच्चों की तरह प्रियल से रूठ गई। यह देख प्रियल अपने आप में बड़बड़ाने लगी, "ये इतनी बड़ी हो गई है पर इसकी बच्चों वाली हरकतें अभी तक नहीं गई हैं।"

    इतना बोलकर वह वहाँ से रोड के दूसरे साइड चली गई और आइसक्रीम लाकर रोड क्रॉस कर ही रही थी कि उसने देखा अन्वी की तरफ एक तेज चलती कार आ रही है। शायद उस कार का ब्रेक फेल हो गया था। इसलिए उसका ड्राइवर सभी को रास्ते से हटने के लिए चिल्ला-चिल्लाकर बोल रहा था।

    पर अन्वी का ध्यान फोन पर था। इसलिए वह ड्राइवर की आवाज नहीं सुन पा रही थी। साथ में प्रियल के चिल्लाने की भी आवाज उसे सुनाई नहीं दे रही थी।

    कार को बहुत पास आता देख प्रियल ने वह आइसक्रीम वहीं फेंककर अन्वी की तरफ दौड़ना शुरू कर दिया। पर रोड ज्यादा चौड़ा होने की वजह से वह अन्वी तक पहुँचने से पहले ही वह कार अन्वी से टकरा गई और वह कार की टक्कर की वजह से बहुत दूर जाकर गिर गई।

    जिससे उसका सिर खंभे से जा लगा और उसके सिर से बहुत तेज़ी से खून निकलने लगा और वह वहीं बेहोश हो गई। यह देख प्रियल की जोर से चीख निकल गई।

    वहीं वह कार भी जाकर आगे के एक खंभे से जा टकराई और एक धड़ाम की आवाज से कार बंद हो गई। वह ड्राइवर खून से लथपथ सीट से बाहर आधा झुक गया।

    इतना बड़ा हादसा देख वहाँ खड़े सभी लोग जल्दी से दौड़कर अन्वी और उस ड्राइवर के पास चले आए। प्रियल अन्वी के सिर को अपने गोद में रखकर रोने लगी।

    तभी एक आदमी आकर बोला, "अरे भाई! तुम सब क्या खड़े हो? जल्दी से एम्बुलेंस को बुलाओ?"

    यह सुनकर उस भीड़ में से एक आदमी ने एम्बुलेंस को कॉल लगा दिया। थोड़ी ही देर में पास के हॉस्पिटल की दो एम्बुलेंस वहाँ आ गईं। एक में उस ड्राइवर को लिटा दिया गया और दूसरे में अन्वी को लिटा दिया गया। अन्वी के साथ ही प्रियल भी उसके साथ बैठ गई।

    करीब 15 मिनट बाद दोनों एम्बुलेंस अस्पताल पहुँच गईं। उस वक्त वहाँ पहले से ही पुलिस किसी केस के तहत मौजूद थी। जिस वजह से दोनों को अस्पताल में एडमिट करने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

    करीब एक-दो घंटे तक अन्वी का ऑपरेशन चलता रहा। इसी दौरान प्रियल लगातार OT के आगे इधर से उधर हो रही थी। 2 घंटे बाद जब डॉक्टर बाहर आए,

    तो प्रियल जल्दी से उनके पास जाकर पूछने लगी, "डॉक्टर... डॉक्टर.... क्या अन्वी ठीक है?"

    तो डॉक्टर बोले, "फ़िलहाल तो वह ठीक है। पर उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट हो गया है। इसलिए जल्दी से जल्दी उनका ऑपरेशन करना पड़ेगा। वरना वह कोमा में जा सकती हैं।"

    यह सुनकर प्रियल खुद को संभालते हुए बोली, "तो डॉक्टर कितने रुपए लगेंगे ऑपरेशन के लिए?"

    तो डॉक्टर बोले, "तकरीबन 2 से 3 लाख रुपए लग जाएँगे। अब मैं चलता हूँ। आप जल्द से जल्द पैसों का इंतजाम करिए।"

    इतना बोलकर वह वहाँ से दूसरे पेशेंट्स को चेक करने चले गए।

    वहीं डॉक्टर की यह बात सुनकर तो जैसे प्रियल के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह धड़ाम से वहीं नीचे बैठ गई।

    प्रियल खुद से ही बोलने लगी, "अब मैं इतना सारा पैसा कहाँ से लाऊँ? मेरे पास तो ऐसा कुछ नहीं है कि मैं इतने सारे पैसे एक साथ इकट्ठा कर सकूँ। पर मुझे कोशिश तो करनी ही होगी। उसके सिवा मेरे इस दुनिया में कौन है जिसके लिए मैं जिंदा रह सकूँगी।"

    इतना बोलकर वह अपने जगह से खड़ी हुई और अपने आँसू पोछते हुए एक नज़र अन्वी को देखी और हॉस्पिटल से बाहर चली गई। वह कुछ बैंकों में पूछताछ करने लगी लोन के लिए। पर कोई भी नौकरी न होने की वजह से उसे कहीं से भी लोन नहीं मिल रहा था।

    वह निराश होकर हॉस्पिटल वापस पहुँची। अब तक अन्वी को दूसरे वार्ड में शिफ़्ट करा जा चुका था। इसलिए प्रियल भी उसके वार्ड में चली गई। वह उसके बगल में बैठकर उसके हाथ पकड़कर बैठ गई।

    वैसे ही थोड़ी देर में थकान की वजह से उसे नींद आ गई। अगली सुबह जब उसकी आँखें खुलीं, तो खुद को अन्वी के हाथ पर सिर रखकर सोता देख जल्दी से वह उठ बैठी।

    अब तक अन्वी को होश नहीं आया था। यह देख वह अन्वी के माथे पर किस करके बोली, "मैं तुझे कुछ नहीं होने दूँगी। चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े।"

    इतना सोचते हुए वह अन्वी के बारे में बात करने डॉक्टर के पास चली गई। उसने डॉक्टर के केबिन में नॉक किया। तो अंदर से कम इन की आवाज उसे सुनाई दी। जिसे सुन वह अंदर चली गई।

    वह डॉक्टर के सामने वाले चेयर पर बैठकर बोली, "डॉक्टर साहब, अब तक अन्वी को होश नहीं आया है? उसे कब तक होश आने वाला है?"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "उन्हें 24 घंटे तक होश आना ज़रूरी है। नहीं तो हमें इमीडिएटली ऑपरेशन करना होगा। पर अगर उन्हें इस 24 घंटे के दौरान होश आ जाता है, तो हमें ऑपरेशन करने के लिए एक महीने का वक्त मिल सकता है।"

    यह सुनकर प्रियल और टेंशन में आ गई। उसने डॉक्टर को थैंक्स बोलकर जल्दी से उनके केबिन से बाहर आ गई और हॉस्पिटल से बाहर पैसों का इंतजाम करने चली गई।

    कल से कुछ भी न खाने की वजह से उसे चक्कर भी आ रहे थे। पर वह खुद को संभालकर पैसों का इंतजाम करने चली गई।

    एक सुनसान जगह पर,

    प्रियल जा रही थी कि उसे चक्कर आ गए और वह वहीं नीचे गिर पड़ी। थोड़ी देर में वहाँ से एक कार गुज़री। जब उसमें बैठे इंसान ने किसी को ऐसे नीचे पड़ा हुआ देखा, तो उसने अपने बॉडीगार्ड्स को कॉल लगा दिया और उन्हें उसे ले कर अपने साथ चलने के लिए बोला।

    उसके बॉडीगार्ड जैसे ही प्रियल को उठाने को हुए उस आदमी की नज़र प्रियल पर पड़ी। उसे देख वह जल्दी से अपनी कार से बाहर आया और बोला, "इसे मेरी कार में बिठाओ।"

    उसका ऑर्डर सुनकर तो पहले बॉडीगार्ड्स चौंक गए। क्योंकि उनका बॉस कभी भी किसी लड़की को अपनी कार में बैठने नहीं देते थे। पर आज खुद वह उन्हें यह ऑर्डर दे रहे हैं।

    वे लोग इसी सोच में डूबे थे कि उनके कानों में अपने बॉस की डरावनी कठोर आवाज पड़ी। जिसे सुन एक पल के लिए उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई उनके कान में एसिड डाल दिया हो।

    वे लोग जल्दी से प्रियल को उस इंसान की कार में बिठा देते हैं। उसके बाद वह आदमी भी प्रियल के पास बैठ जाता है। वह ड्राइवर को कार अपने विला पर ले जाने का ऑर्डर देता है।

    कुछ ही देर में वे लोग उस आदमी के विला में पहुँच जाते हैं। वह आदमी प्रियल को अपने गोद में उठाता है और विला के अंदर चला जाता है। प्रियल को लेकर वह एक कमरे में उसे सुला देता है। उसके पीछे-पीछे पहले से पहुँचे डॉक्टर भी रूम के अंदर चले आते हैं।

    डॉक्टर प्रियल को चेक कर ही रहे थे कि अचानक उस आदमी को फोन पर किसी का कॉल आता है। यह देख वह उसे अटेंड करने बालकनी में चला जाता है।

    वह कॉल उठाकर हेलो बोलता है। तो दूसरे तरफ से कुछ बोला जाता है जिसे सुन उस आदमी के मुँह से बस इतना निकलता है, "what nonsense? तुम यह क्या बोल रहे हो?"

  • 4. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 4 शादी

    Words: 806

    Estimated Reading Time: 5 min

    डॉक्टर प्रियल की जाँच कर रहे थे। तभी उस आदमी को फोन पर किसी का कॉल आया। यह देखकर वह उसे अटेंड करने बालकनी में चला गया।

    वह कॉल उठाकर बोला, "हेलो।" दूसरे तरफ़ से कुछ कहा गया, जिसे सुनकर उस आदमी के मुँह से बस इतना निकला, "What nonsense? तुम ये क्या बोल रहे हो?"

    दूसरी तरफ़ से कहा गया, "श्रेयस, मैं सच बोल रहा हूँ। अमाया रूही को एडॉप्ट करने के लिए जल्दी ही सगाई करने वाली है। उसके बाद वह कोर्ट में उसकी कस्टडी के लिए अप्लाई कर देगी। वैसे भी आपकी शादी नहीं हुई है, न ही आप किसी के साथ रिलेशन में हैं। बस उसी का फायदा वह लेने का सोच रही है।"

    यह और कोई नहीं, श्रेयस ही था और दूसरी तरफ़ उसका पीए आकाश था।

    श्रेयस बोला, "यह फिर से वापस आ गई है। अगर वह रूही को मुझसे छीनने के लिए यह सब किया है, तो मैं उसे इतनी आसानी से नहीं जीतने दूँगा।"

    यह सुनकर दूसरी तरफ़ से आकाश बोला, "तो तू क्या करने वाला है?"

    श्रेयस बोला, "शादी।"

    यह सुनकर आकाश जोर से चिल्लाया, "क्या कहा तूने?"

    उसका इतना चिल्लाना सुनकर श्रेयस अपना फ़ोन अपने कान से थोड़ा दूर ले गया। जब उसे महसूस हुआ कि आकाश अब नहीं चिल्ला रहा है,

    तो उसने अपने कान के पास फ़ोन लेते हुए कहा, "क्यों ऐसे चिल्ला रहा है?"

    आकाश बोला, "तू बात ही ऐसा कर रहा है।"

    श्रेयस उसके बातों का जवाब दिए बिना बोला, "तुम जल्दी से जल्दी मेरे लिए कॉन्ट्रैक्ट मैरेज के लिए एक लड़की ढूँढो। पर यह बात कानों-कान किसी को खबर नहीं लगनी चाहिए।"

    इतना बोलकर, आकाश की बात सुने बिना, उसने फ़ोन काट दिया और कमरे के अंदर चला गया। उसने देखा कि डॉक्टर उसका इंतज़ार कर रहे थे।

    यह देखकर उसने डॉक्टर को बोलने का इशारा किया। उसका इशारा पाकर डॉक्टर बोलने लगे, "Mr. अग्निहोत्री, इन्हें किसी बात को लेकर टेंशन है, जिसकी वजह से इनकी बीपी हाई हो गई है और शायद इन्होंने कल से कुछ खाया नहीं है। इस लिए बेहोश हो गई हैं।"

    फिर एक पेपर उसे देते हुए बोले, "यह रही दवाई। आप इन्हें कुछ खिलाकर यह दवाई दे देना। और एक बात, इन्हें जितना ज्यादा स्ट्रेस से दूर रखें, इनके हेल्थ के लिए उतना ही अच्छा होगा। मैंने अभी नींद का इंजेक्शन दे दिया है। २ घंटे बाद इनकी होश आ जाएगी।"

    श्रेयस ने हाँ में सर हिला दिया और उन्हें जाने का इशारा किया। डॉक्टर चले गए।

    वहीं श्रेयस प्रियल के चेहरे को देखते हुए सोचा, "लगता है यह सच में ज्यादा टेंशन में है। तभी नींद में होते हुए भी उसके माथे पर टेंशन की लकीरें छाए हुए हैं।"

    इतना सोचकर वह उस कमरे से बाहर आया और एक मेड को बुलाकर उसे प्रियल के पास रहने का ऑर्डर दिया। फिर खुद रूही के पास चला गया।

    वह जैसे ही उसके रूम में गया, देखा कि रूही अभी तक सोई नहीं थी। वह अपनी गुड़िया रानी के साथ खेल रही थी। इसे देख श्रेयस मुस्कुरा दिया और उसे वैसे ही खेलते छोड़ खुद फ्रेश होने बाथरूम चला गया।

    थोड़ी ही देर में वह शावर ले कर तौलिया लपेट कर बाहर आया। तो रूही की नज़र उस पर पड़ी जो पानी पी रही थी। वहीं सर्वेंट जब देखता है कि श्रेयस आ चुका है, तो वह कमरे से बाहर चला जाता है।

    श्रेयस रूही को एक नज़र देखकर चेंजिंग रूम में चला गया और एक लोअर पहनकर वह बाहर आया और रूही के बगल में बैठकर उससे पूछा, "तो मेरे प्रिंसेस ने आज क्या किया दिन भर?"

    श्रेयस की आवाज़ सुनकर रूही, जो अपने खेलने में बिजी थी, वह श्रेयस को देखती है और अपना खिलौना छोड़कर श्रेयस की गोद में बैठ जाती है।

    यह देख श्रेयस उसे अच्छे से अपनी गोद में सेट करता है। उसके बाद रूही बोलना शुरू करती है, "आज ना पापा, मैंने दादी को बहुत परेशान किया। वह मुझे दूध पीने के लिए बोल रही थी, पर मैं उनके हाथ नहीं आई।"

    यह बोलकर वह खिलखिलाकर हँस देती है। वहीं रूही की शरारत सुनकर श्रेयस के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    पर वह थोड़ा सख्त होकर बोला, "यह क्या? तुम तो दादी को परेशान कर रही हो? मैंने बोला था ना तुमको कि दादी को परेशान मत करना। फिर भी तुम परेशान कर रही थी?"

    रूही मासूम सा चेहरा बनाकर बोली, "पर मुझे दूध नहीं पीना था और दादी मुझे दूध पीने को बोल रही थी।"

    श्रेयस बोला, "पर दूध पीने से तो बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं और ताकतवर भी हो जाते हैं।"

    उसके बाद रूही ने जो बोला, उससे श्रेयस हैरान रह गया।

    आप सबको क्या लगता है रूही ने ऐसा क्या बोला जिससे श्रेयस हैरान रह गया?

    आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी "The love bond: Pyar ka Bandhan"....

    इस चैप्टर में इतना ही। मिलते हैं अगले भाग में...

  • 5. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 5 प्रियल और रूही की बॉन्डिंग

    Words: 1111

    Estimated Reading Time: 7 min

    ये देख श्रेयस ने उसे अच्छे से अपनी गोद में सेट किया। उसके बाद रूही बोलना शुरू कर दी, "आज ना पापा, मैंने दादी को बहुत परेशान किया। वो मुझे दूध पीने के लिए बोल रही थीं, पर मैं उनके हाथ नहीं आई।"

    ये बोल कर वो खिलखिला कर हँस दी। वहीं रूही की शरारत सुनकर श्रेयस के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    पर वो थोड़ा सख्त होकर बोला, "ये क्या? आप तो दादी को परेशान कर रही हो? मैंने बोला था ना आपको कि दादी को परेशान मत करना। फिर भी आप परेशान कर रही थी?"

    तो रूही मासूम सा चेहरा बनाकर बोली, "पर मुझे दूध नहीं पीना था और दादी मुझे दूध पीने को बोल रही थीं।"

    तो श्रेयस बोला, "पर दूध पीने से तो बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं और ताकतवर भी हो जाते हैं।"

    उसके बाद रूही बोली, "तो पापा, क्या मैं पारी दीदी को भी उससे ढूँढ पाऊँगी?"

    इतना बोल कर वो बड़े ही क्यूरियोसिटी से श्रेयस को देखने लगी। उसकी ऐसी बात सुनकर श्रेयस हैरान रह गया। वो अपने मन में सोचा, "ये लड़की कितनी जल्दी मेरी बेटी को अपने पीछे पागल बना दिया है। जब से रूही उससे मिली है, तब से वो बस पारी दीदी पारी दीदी हो रही है।"

    वहीं रूही उसे ऐसे अपने में खोया देख उसे हिलाते हुए बोली, "पापा, बोलो ना, क्या मेरे दूध पीने से मैं पारी दीदी को जल्दी ढूँढ लूँगी?"

    तो श्रेयस उसके सवालों का जवाब दिए बिना बोला, "अगर तुम अभी खाना खाने के बाद दूध पी लोगी, तो मैं तुम्हें एक सरप्राइज़ गिफ्ट दूँगा।"

    गिफ्ट का नाम सुनकर रूही खुश हो गई और खुश होते हुए बोली, "सच में?"

    उसे ऐसे खुश देख श्रेयस बोला, "हाँ, सच में।"

    तो रूही उसके गोद से उतरते हुए बोली, "तो चलो जल्दी, चलो खाना खाते हैं।"

    इतना बोल वो श्रेयस को खींचने लगी। ये देख श्रेयस मुस्कुरा दिया और बोला, "ठीक है बाबा, चलते हैं।"

    इतना बोल वो बेड से खड़ा हुआ और रूही को अपनी गोद में उठा लिया। फिर दोनों मिलकर नीचे खाने गए। श्रेयस पहले रूही को खिलाया। फिर खुद खाया। उसके बाद गीता जी (श्रेयस ने जिसे रूही की देखभाल के लिए रखा था) रूही के लिए दूध लेकर आई और श्रेयस को दिया।

    तो श्रेयस मुस्कुराते हुए दूध लिया और रूही को पिलाने के लिए दिया। तो रूही चुपचाप दूध पी गई। क्योंकि श्रेयस ने उसे पहले ही सरप्राइज़ गिफ्ट देने का लालच दे चुका था। दूध खत्म करने के बाद रूही बोली, "पापा, चलो जल्दी, मुझे सरप्राइज़ दो अब।"

    तो श्रेयस मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाते हुए उसे प्रियल के कमरे में ले गया। वो दोनों जैसे ही कमरे में पहुँचे, देखा प्रियल अपने बेड पर सो रही थी। जब रूही ने देखा कि उसकी पारी दीदी यहाँ है, तो वो

    श्रेयस की गोद से नीचे उतरते हुए प्रियल के पास दौड़कर जाने लगी और बेड पर चढ़ने की कोशिश करने लगी। पर बेड ऊँचा होने की वजह से चढ़ नहीं पा रही थी।

    ये देख श्रेयस उसके पास गया और उसे बेड पर चढ़ाकर बैठा दिया। तो रूही प्रियल के चेहरे को छूते हुए बोली, "पापा, परी दीदी को क्या हुआ?"

    तो श्रेयस बोला, "कुछ नहीं हुआ तुम्हारी परी दीदी को। वो बस सो रही है।"

    तो रूही आगे कुछ नहीं बोली और प्रियल के माथे पर किस की। तभी प्रियल को होश आने लगा।

    उसे होश आता देख रूही ताली बजाते हुए बोली, "पापा, देखो परी दीदी जाग रही है।"

    तो श्रेयस हाँ में सर हिला दिया। प्रियल धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। तो उसकी आँखों के आगे रूही का चेहरा दिखाई दिया। जिसे देख वो मुस्कुरा दी।

    वहीं प्रियल को होश आता देख रूही के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। प्रियल अपनी आँखें खोलकर रूही को देख बोली, "बेबी, आप यहाँ मेरे पास क्या कर रही हैं?"

    उसकी बात सुनकर रूही बोली, "अरे दीदी, आप हमारे घर में हैं। तो हमारे घर में मैं ही तो दिखूँगी ना।"

    ये सुनकर प्रियल अपने चारों तरफ देखने लगी। तभी उसकी आँखों के आगे श्रेयस का चेहरा आ गया। जिसे देख एक पल के लिए तो वो उसके चेहरे में खो गई। पर जल्द ही खुद को संभाल लिया।

    फिर बैठने की कोशिश करते हुए श्रेयस से पूछी, "Mr., मैं यहाँ कैसे आई?"

    तो श्रेयस उसके सवालों का जवाब देते हुए बोला, "तुम रास्ते में बेहोश हो गई थीं। उसी वक्त मैं उसी रास्ते से जा रहा था। बस उस वक्त मैंने तुम्हें देख लिया। तो तुम्हें वहाँ अकेला ऐसे बेहोश छोड़ना मुझे सही नहीं लगा। इसलिए मैं तुम्हें यहाँ ले आया।"

    उसकी ये बात सुनकर पहले तो प्रियल को विश्वास ही नहीं हुआ कि श्रेयस ऐसा कुछ कर सकता है। पर वो ये तो उसे नहीं बता सकती थी। इसलिए हाँ में सर हिला दिया।

    तभी रूही बोली, "परी दीदी, पता है मैंने आपको कितना मिस किया?"

    उसकी बात सुनकर प्रियल उसे अपने गोद में बिठाते हुए बोली, "कितना मिस किया रूही बेबी ने मुझे?"

    तो रूही उसे अपना हाथ खोलकर दिखाते हुए बोली, "इतना सारा।"

    उसका ऐसा करते देख प्रियल के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो रूही से बोली, "मैंने भी आपको बहुत मिस किया।"

    तभी रूही कुछ ऐसा बोली जिससे प्रियल और श्रेयस दोनों हैरान हो गए।

  • 6. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 6 कॉन्ट्रैक्ट मैरेज

    Words: 864

    Estimated Reading Time: 6 min

    ये सुनकर रूही बोली, "तो अब आप मुझे छोड़कर तो नहीं जायेंगी न? हमेशा मेरे साथ रहेंगी न?"

    यह सुन श्रेयस और प्रियल दोनों हैरान रह गए।

    पर प्रियल, खुद को संभालकर, रूही को समझाते हुए बोली, "रूही बेबी, मैं हमेशा आपके साथ नहीं रह सकती। पर हम हर संडे को मिलेंगे और ढेर सारी मस्ती करेंगे।"

    यह सुनकर रूही जिद करते हुए बोली, "नहीं, मुझे नहीं पता। आप मेरे साथ रहोगी।"

    इतना बोलकर वह श्रेयस से बोली, "पापा, बोलिए न परी दीदी को कि वो हमेशा मेरे साथ ही रहे।"

    यह सुनकर श्रेयस एक नज़र रूही को देखा। फिर एक नज़र प्रियल को देखा, जो उसे ही देख रही थी। प्रियल, जब अपने ऊपर श्रेयस की नज़र देखती है, तो वो जल्दी से उससे नज़रें हटा लेती है और इधर-उधर देखने लगती है।

    वहीं रूही श्रेयस को हिलाते हुए बोली, "पापा, बोलिए न परी दीदी को।"

    इतना बोल वो अपनी मासूम आँखों से ढेर सारी आशाएँ लेकर श्रेयस को देखने लगी। यह देख श्रेयस को अचानक एक आइडिया आया और वो रूही से बोला, "अगर आप चाहते हैं कि आपकी परी दीदी आपके साथ रहे, तो आपको कुछ समय के लिए हमें अकेला छोड़ना होगा। मुझे तुम्हारे परी दीदी के साथ कुछ बात करनी है।"

    रूही जब सुनती है कि उसके पापा उसकी परी दीदी को रोकने के लिए मान गए हैं, तो खुशी से उछलते हुए श्रेयस के गालों पर किस कर देती है और अपने रूम में भाग जाती है।

    वहीं प्रियल, श्रेयस की बातें सुनकर, उसे आश्चर्य से देखने लगी। श्रेयस को उसकी नज़रें अपने ऊपर महसूस हो रही थीं। पर वो उसे इग्नोर करके रूम का दरवाज़ा बंद कर देता है।

    यह देख प्रियल हकलाते हुए बोली, "ये आप क्या कर रहे हैं? दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हैं?"

    यह सुनकर भी श्रेयस कोई जवाब नहीं देता और अपने कदम प्रियल की तरफ़ बढ़ाने लगता है। यह देख प्रियल घबरा जाती है और अपनी नज़रें इधर-उधर करने लगती है।

    तभी उसकी नज़र बेड के दूसरे तरफ़ के फ्रूट बास्केट के चाकू पर जाती है। वो झट से उसे पकड़ लेती है और श्रेयस की तरफ़ पॉइंट करते हुए बोलती है, "देखिए, आप वहीं रह जाइए। मेरे करीब मत आना, वरना मैं... मैं..."

    उसका इतना बोलना ही था कि श्रेयस उसके बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके हाथों को पकड़कर हेड रेस्ट से लगा देता है और बोलता है, "वरना क्या...?"

    तो प्रियल अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, "ये आप क्या कर रहे हैं? छोड़िए।"

    इतना बोलते हुए वो लगातार अपना हाथ श्रेयस से छुड़ाना चाह रही थी। पर श्रेयस की पकड़ ज़्यादा मज़बूत थी। जिस वजह से वो हार मानकर अपना हाथ छुड़ाना बंद कर देती है।

    यह देख श्रेयस उसके हाथ से चाकू छीनकर साइड में रख देता है और बोलता है, "आइंदा से ऐसी गलती मत करना।"

    इतना बोलकर उसके ऊपर से साइड हट जाता है और बोलता है, "अब चुपचाप बैठकर मेरी बात सुनो।"

    तो प्रियल भी चुपचाप बेड पर बैठ जाती है। वहीं श्रेयस भी उसके बगल में थोड़ा दूर बैठ जाता है और बोलता है, "मैं जानता हूँ तुम्हें अभी पैसों की ज़्यादा ज़रूरत है।"

    यह सुनकर प्रियल उसे हैरानी से देखने लगती है। तो श्रेयस बोलता है, "हैरान होने की ज़रूरत नहीं है। तुम जब बेहोश थीं, तभी तुम्हारे फ़ोन पर हॉस्पिटल से कॉल आया था। बस उससे मुझे पता चला तुम्हारी दोस्त की जान खतरे में है। उसे अभी तक होश नहीं आया है और उसका इमीडिएटली ऑपरेशन होना ज़रूरी है।"

    यह सुनकर प्रियल अपना सर नीचे कर देती है और हाँ में सर हिला देती है। तो श्रेयस बोलता है, "मैं तुम्हारे इसमें मदद कर सकता हूँ।"

    यह सुनकर प्रियल उसे हैरानी से, अपनी आँखों में अविश्वास लेकर, देखने लगती है।

    उसे ऐसे खुद को देखता देख श्रेयस उसकी आँखों में एकटक देखते हुए बोलता है, "मैं सच बोल रहा हूँ। तुम्हें जितने भी पैसे चाहिए, तुम्हारी दोस्त के ऑपरेशन के लिए, मैं दूँगा। पर तुम्हें उसके लिए मुझसे कॉन्ट्रैक्ट मैरेज करना होगा।"

    यह सुनकर प्रियल अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करते हुए बोली, "आपका दिमाग तो ठीक है ना, Mr.?"

    तो श्रेयस बोलता है, "एक्सक्यूज़ मी। तुम मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकती।"

    तो प्रियल मुँह बनाते हुए बोली, "ऐसे नहीं बात करूँ, तो कैसे करूँ? तुम बात ही ऐसी कर रहे हो, तो मैं तो ऐसे ही बोलूँगी न।"

    तो श्रेयस उसे घूरते हुए बोलता है, "अगर तुम्हारी बकवास हो गई है, तो मेरी पूरी बात ध्यान से सुनो।"

    तो प्रियल अपना सर हाँ में हिला देती है। यह देख श्रेयस उसे सारी बात रूही की कस्टडी को लेकर बता देता है। तो प्रियल बोली, "ठीक है। मैं तैयार हूँ। पर मेरी कुछ शर्तें हैं।"

    यह सुनकर श्रेयस उसे घूरते हुए बोलता है, "वैसे तो तुम अभी शर्त बताने की हालत में नहीं हो, पर ठीक है, बताओ क्या शर्तें हैं तुम्हारी।"

    यह सुन प्रियल अपनी शर्तें बताने लगती है। प्रियल जैसे-जैसे शर्त बता रही थी, श्रेयस की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी होती जा रही थीं।

    जब प्रियल की बात खत्म होती है, श्रेयस उसे हैरानी से बोलता है, "तुम सच में ये चाहती हो?"

    तो प्रियल हाँ में सर हिला देती है।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    प्रियल ने क्या-क्या शर्त रखी होगी?

    आज के लिए इतना ही...

  • 7. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 7 रूही की खुशी / बेस्ट पापा

    Words: 1143

    Estimated Reading Time: 7 min

    प्रियल ने अपना सिर हाँ में हिला दिया। यह देख श्रेयस ने उसे रूही की कस्टडी को लेकर सारी बात बता दी।

    "ठीक है। मैं तैयार हूँ। पर मेरी कुछ शर्तें हैं।" प्रियल बोली।

    "वैसे तो तुम अभी शर्त बताने की हालत में नहीं हो, पर ठीक है, बताओ क्या शर्तें हैं तुम्हारी?" श्रेयस ने उसे घूरते हुए कहा।

    प्रियल ने अपनी शर्तें बताना शुरू कर दिया। "मेरी पहली शर्त: हमारी शादी के बारे में किसी को भी पता नहीं लगना चाहिए। यह एक सीक्रेट मैरिज रहेगा।"

    "मेरी दूसरी शर्त: हम दोनों अलग-अलग कमरों में रहेंगे।"

    "मेरी तीसरी शर्त: शादी के बाद भी मैं जॉब के लिए जा सकूँगी।"

    "और मेरी आखिरी शर्त: अन्वी के ऑपरेशन की ड्यूटी आप की रहेगी।"

    उसकी शर्तें सुनकर श्रेयस की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। क्योंकि उसने कभी सोचा नहीं था कि कोई उससे शादी करके उसे सीक्रेट रखने के लिए भी कहेगी।

    "तुम सच में यह चाहती हो?" श्रेयस ने हैरानी से पूछा।

    प्रियल ने हाँ में सिर हिला दिया। श्रेयस थोड़ा सीरियस होकर बोला, "तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर हैं, पर एक को छोड़कर।"

    प्रियल ने उसे सवालिया निगाहों से देखना शुरू कर दिया।

    "रूही की कस्टडी के लिए हमारी शादी पब्लिक होना जरूरी है।" श्रेयस ने समझाया।

    रूही ने हाँ में सिर हिला दिया।

    "तो ठीक है। मैं आकाश को बोलकर कॉन्ट्रैक्ट पेपर तैयार करवाता हूँ। फिर हम कल शादी करेंगे।" श्रेयस ने कहा।

    प्रियल ने हाँ में सिर हिला दिया। श्रेयस उसे आराम करने को कहकर अपने कमरे में चला गया। उसे जाते देख प्रियल ने एक गहरी साँस ली और सोने की कोशिश करने लगी।

    वह सोने ही वाली थी कि अचानक उसके कमरे का दरवाजा नॉक हुआ। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि एक सर्वेंट अपने हाथ में खाना लेकर खड़ी है और दूसरी एक बैग लेकर खड़ी थी।

    वो उसे सवालिया निगाहों से देखने लगी। "सर ने आपके लिए खाना भेजा है। आप खाना खाकर मेडिसिन खा लीजिए। वह आपके बेड के साइड ड्रॉअर में रखे हुए हैं।" सर्वेंट बोली।

    "और यह आपके लिए ड्रेस है।" दूसरी सर्वेंट ने कहा।

    प्रियल ने उन्हें थैंक यू बोलकर खाना और बैग अंदर ले आया। उसने बैग खोला तो देखा कि उसमें दो सुंदर ड्रेस रखे हुए थे। उसने एक ड्रेस लेकर नहाने चली गई। थोड़ी ही देर में वह खाना खाकर मेडिसिन खाई और प्लेट धोकर वहीं टी टेबल पर रख दी।

    उसके बाद उसने सोने की कोशिश की, पर उसे नींद नहीं आ रही थी। इसलिए वह बेड से उठकर बालकनी में चली गई और आज जो-जो हुआ, उसके बारे में सोचने लगी।

    वह चाँद को देख सोच रही थी, "मेरे एक कुर्बानी से दो लोगों की भलाई हो सकती है। वैसे भी मेरे जैसे अनाथ से कौन ही शादी करेगा? अच्छा है मेरे बजह से रूही को माँ का प्यार मिल जाएगा। नहीं तो माँ-बाप का ना होने का दर्द क्या होता है, यह हम लोगों से ज़्यादा कौन ही जान सकता है।"

    इतना सोचकर वह मुस्कुरा दी। फिर सोने की कोशिश करने लगी। बहुत कोशिश करने के बाद उसकी आँखें लग गईं।


    दूसरी तरफ, श्रेयस के कमरे में रूही बैठकर श्रेयस के आने का इंतज़ार कर रही थी। जब उसने देखा कि श्रेयस आ चुका है, तो वह जल्दी से बिस्तर से नीचे उतरकर उसके पास चली गई और अपना हाथ ऊपर करके श्रेयस को उसे गोदी में उठाने का इशारा किया।

    उसके इशारे पाकर श्रेयस ने उसे अपनी गोदी में उठा लिया।

    "क्या परी दीदी राजी हो गई हमारे साथ रहने के लिए?" रूही ने पूछा।

    श्रेयस ने हाँ में सिर हिलाया और बोला, "और साथ में कल आपके लिए एक बड़ा सरप्राइज़ है। तो आप आज जल्दी सो जाइए ताकि कल आपको सरप्राइज़ मिल जाए।"

    उसकी बात सुनकर रूही की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने श्रेयस के गालों पर किस कर बोला, "आप दुनिया के बेस्ट पापा हैं।"

    श्रेयस मुस्कुरा दिया और रूही के गालों पर किस करते हुए बोला, "तो अब हम सोने चलें?"

    रूही ने हाँ में सिर हिला दिया। श्रेयस उसे लेकर बेड पर गया और उसे बेड पर लिटाकर खुद दूसरे किनारे लेट गया। फिर रूम की लाइट ऑफ करके नाइट लाइट ऑन कर दी और रूही के सर को सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में रूही नींद की आगोश में चली गई।

    उसे देख श्रेयस मन ही मन बोला, "प्रियल का नाम सुनकर तुम्हारे चेहरे पर जो खुशी आती है, वह खुशी मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूँ, पर नहीं ला पाता था। अब मुझे भी इस बात की कोई गिल्ट नहीं रहेगी कि मैंने तुम्हारे लिए प्रियल से शादी की।"

    श्रेयस ऐसा सोचते-सोचते कब नींद की आगोश में चला गया, उसे पता भी नहीं चला।


    अगली सुबह, प्रियल की नींद सुबह 6 बजे खुली। पहले तो उसने खुद को किसी अनजान जगह देखकर घबरा गई, पर कल की बात याद करके वह रिलैक्स हो गई और नहाने के लिए चली गई। करीब आधे घंटे बाद वह नहाकर बाहर आई और श्रेयस के लाए हुए ड्रेस पहन लिए।

    उसके बाद बेड पर बैठकर बाल पोंछ रही थी कि किसी ने उसके कमरे का दरवाजा नॉक किया। यह सुनकर प्रियल सोची, "इतनी सुबह-सुबह कौन होगा?"

    तो सोचकर उसने तौलिया बगल में रखा और दरवाजा खोला। सामने देखकर वह आश्चर्यचकित हो गई।


    तो सबको क्या लगता है?

    क्या देखा होगा प्रियल ने?

  • 8. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 8 शादी के लिए तैयारी

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह प्रियल की नींद 6 बजे खुली। पहले तो वह खुद को किसी अनजान जगह देखकर घबरा गई। पर कल की बात याद कर वह रिलैक्स हो गई और नहाने चली गई। करीब आधे घंटे बाद वह नहाकर बाहर आई और श्रेयस के लाए हुए कपड़े पहन लिए।

    उसके बाद वह बेड पर बैठकर बाल पोंछ रही थी कि किसी ने उसके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। यह सुनकर प्रियल सोची, "इतनी सुबह-सुबह कौन होगा?"

    सोचकर उसने तौलिये को बगल में रखा और दरवाज़ा खोला। सामने देखकर वह आश्चर्यचकित हो गई। सामने दो नौकर थे जिनके हाथों में कुछ बैग थे। तभी उसकी नज़र पीछे खड़े श्रेयस और रुही पर गई। वह और भी हैरान हो गई।

    वह जल्दी से दरवाज़े से हट गई। नौकर अंदर गए और बैग बेड पर रखकर कमरे से बाहर चले गए। वहीं श्रेयस और रुही भी अंदर आ गए।

    अंदर आते ही रुही श्रेयस की गोद से नीचे उतरने की कोशिश करने लगी। यह देख श्रेयस उसे नीचे उतार दिया। रुही भागकर प्रियल के सामने गई और उसके पैर पकड़ लिए।

    यह देख प्रियल जल्दी से उसे अपने पैरों से अलग करके अपनी गोद में उठा लिया। रुही प्रियल के गालों पर किस करते हुए बोली, "परी दीदी, आज आप बहुत सुंदर दिख रही हैं।"

    इतना बोलकर वह प्रियल के दूसरे गाल पर भी किस कर गई। यह देख प्रियल खुद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाई और मुस्कुराते हुए बोली, "आप तो अभी तक नहाई नहीं हैं और सुबह-सुबह मेरे पास आ गईं?"

    रुही बोली, "वो कल आपकी तबीयत खराब थी, इसलिए मैं आपसे मिलने के लिए सुबह-सुबह आ गई।"

    इतना सुनकर प्रियल बोली, "अच्छा, तो रुही बेबी को मेरी फिक्र हो रही थी!"

    रुही ने अपना सिर हाँ में हिला दिया। यह देख प्रियल मुस्कुरा दी। उसकी आँखों में हल्की नमी आ गई थी क्योंकि आश्रम में उन्हें कोई इस तरह प्यार नहीं करता था। बस उन्हें खाना, पीना और उनकी पढ़ाई, बस इतने से ही उनका काम खत्म हो जाता था।

    प्रियल अपने आँसुओं को बिना किसी के देखे पोंछकर बोली, "चलिए, आज मैं आपको रेडी कर देती हूँ।"

    इतना बोलकर वह जाने ही वाली थी कि श्रेयस ने उसे रोकते हुए कहा, "प्रियल, रुकिए।"

    उसकी आवाज़ सुनकर प्रियल को होश आया कि वह श्रेयस से बिना पूछे ही रुही को नहाने ले जा रही थी। तो वह श्रेयस से माफ़ी मांगते हुए बोली, "सॉरी Mr. अग्निहोत्री। मैं आपसे बिना पूछे रुही को..."

    वह इतना ही बोली थी कि श्रेयस ने उसे रोकते हुए कहा, "नहीं प्रियल, आपको इसमें सॉरी बोलने की ज़रूरत नहीं है। आप रुही को नहाने ले जा सकती हैं, पर आज नहीं, कल से। आप जल्दी से रेडी हो जाइए। फिर हमें निकलना भी है।"

    प्रियल ने हाँ में सिर हिला दिया और रुही के माथे और गालों पर किस करते हुए श्रेयस को दे दिया।

    श्रेयस रुही को अपनी गोद में लेते हुए बोला, "इन बॉक्सों में आपकी सारी ज़रूरत का सामान है। आप एक घंटे में रेडी होकर नीचे आ जाइए।"

    वह इतना बोलकर रुही को लेकर अपने कमरे में वापस चला गया। प्रियल उनके जाने के बाद दरवाज़ा बंद कर बॉक्स खोलकर देखती है और हैरान हो जाती है।

    क्योंकि उसमें बहुत सुंदर ब्राइडल लहंगा था। उसने दूसरा बॉक्स खोला तो उसमें लहंगे से मैचिंग ज्वैलरी थी। फिर तीसरा बॉक्स खोला तो उसमें लहंगे से मैचिंग सैंडल थे। फिर चौथा बॉक्स खोला तो उसमें मेकअप का सारा सामान था।

    ये सब देख प्रियल की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। वह अपने आप से बोली, "इतना सारा सामान खरीदने की क्या ज़रूरत थी? सिंपल सा कोई साड़ी खरीद लेते, तो भी चलता ना।"

    तभी उसके दिमाग में श्रेयस की बात आई जो उसे बोल रहा था, "यह शादी पब्लिक होनी ज़रूरी है।"

    यह याद आते ही प्रियल अपने आप से बोली, "शादी पब्लिक होने वाली है, तो इन सब चीज़ों की ज़रूरत तो है ही।"

    इतना बोलकर उसने एक गहरी साँस ली और तैयार होने लगी। एक घंटे बाद वह तैयार हो चुकी थी। उसने एक नज़र खुद को आईने में देखा तो हैरान हो गई क्योंकि वह इतनी सुंदर लग रही थी कि वह खुद को ही मिरर में पहचान नहीं पा रही थी।

    वहीं नीचे रुही और श्रेयस दोनों तैयार होकर प्रियल का ही इंतज़ार कर रहे थे। तभी अचानक रुही बोली, "पापा, हम कहाँ जाने वाले हैं?"

    श्रेयस ने उसका सर सहलाते हुए कहा, "आपको थोड़ी देर में पता लग जाएगा बेटा।"

    इतना बोलकर उसने उसके माथे पर किस कर दिया। रुही उसके सीने से लग गई। तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ जिससे रुही की चीख निकल गई।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    ऐसा क्या हुआ जिससे रुही की चीख निकल गई?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी...

  • 9. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 9 प्रिय का सीढ़ियों से नीचे गिरना

    Words: 1204

    Estimated Reading Time: 8 min

    वहीं नीचे, रूही और श्रेयस दोनों तैयार होकर प्रियल का इंतज़ार कर रहे थे। तभी अचानक रूही बोली, "पापा, हम कहाँ जाने वाले हैं?"

    श्रेयस ने उसका सर सहलाते हुए कहा, "आपको थोड़ी देर में पता लग जाएगा बेटा।"

    इतना बोलकर उसने उसके माथे पर किस किया। रूही उसके सीने से लग गई।

    वहीं प्रियल ने खुद को एक आखिरी बार आईने में देखा और अपना पर्स लेकर कमरे से निकल गई। वह जब सीढ़ियों के पास पहुँची, तो देखा कि रूही और श्रेयस एक-दूसरे से गले मिले हुए थे।

    यह देखकर उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ गई और वह नीचे उतरने लगी। उसका ध्यान रूही और श्रेयस पर था, इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया कि उसका पैर एक सीढ़ी छोड़कर दूसरे में रखा है।

    जिससे वह असंतुलित हो गई और नीचे गिरने लगी। यह देखकर रूही चीख उठी। रूही की चीख सुनकर श्रेयस ने उसे तुरंत खुद से अलग किया।

    वह रूही से कुछ पूछता, इससे पहले ही उसका ध्यान प्रियल पर गया जो सीढ़ियों से नीचे गिर रही थी। यह देखकर उसने रूही को सोफ़े पर बिठाया और प्रियल की तरफ़ दौड़ गया।

    जब तक वह प्रियल तक पहुँचा, प्रियल जमीन पर आ चुकी थी।

    श्रेयस ने उसे अपनी गोद में उठाया और सोफ़े पर लाकर बिठा दिया। प्रियल को ज़्यादा चोट नहीं आई थी, फिर भी उसके होठों के किनारे से थोड़ा खून निकल चुका था। साथ ही उसके माथे पर भी थोड़ी सी चोट लग गई थी।

    प्रियल जहाँ से फिसली थी, वह सीढ़ी ज़्यादा ऊँची नहीं थी, इसलिए उसे ज़्यादा चोट नहीं लगी। नहीं तो बहुत बुरा हो सकता था।

    श्रेयस ने प्रियल को डाँटते हुए कहा, "तुम बच्ची हो क्या? ध्यान कहाँ था तुम्हारा?"

    प्रियल एकटक श्रेयस के चेहरे को देख रही थी, या कहें घूर रही थी। आश्रम में उसे इतना प्यार किसी ने नहीं दिया था। कोई चोट लगने पर उसे हक से नहीं डाँटता था।

    पर श्रेयस, अजनबी होते हुए भी, उसका इतना ख्याल रख रहा था जो उससे कुछ दिन पहले ही मिला था।

    प्रियल को ऐसे ख्यालों में खोया देख श्रेयस ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा, "मैं कुछ पूछ रहा हूँ। तुम्हारा ध्यान कहाँ है?"

    यह सुनकर प्रियल अपने होश में आई और बोली, "सॉरी Mr. अग्निहोत्री। वो मेरा ध्यान नहीं था, इसलिए पैर फिसल गया। आगे से ध्यान रखूँगी। अब चलिए, आपका टाइम हो रहा होगा।"

    उसके इतना बोलते ही श्रेयस उसे गुस्से से घूरते हुए बोला, "तुम्हें इतनी चोट लगी है और तुम बोल रही हो अभी चलो। चुपचाप यहीं बैठो, मुझे देखने दो कहाँ-कहाँ चोट लगी है। फिर मुझे मेडिसिन भी लगानी है।"

    इतना बोलकर उसने एक नौकर को बुलाया और उसे फर्स्ट एड बॉक्स लाने को कहा। फिर वह खुद प्रियल को देखने लगा कि कहाँ-कहाँ चोट आई है।

    वह जैसे ही प्रियल के पैरों को छूने वाला था, प्रियल ने जल्दी से अपना पैर पीछे खींच लिया। जिससे प्रियल की आह निकल गई।

    यह देख श्रेयस ने जल्दी से उसके पैर देखने के लिए फिर से अपना हाथ प्रियल के पैरों की ओर बढ़ाया। तो प्रियल ने उसे रोकते हुए कहा, "Mr. अग्निहोत्री, प्लीज़ आप ऐसे मेरे पैर मत छुइए।"

    यह सुनकर श्रेयस ने उसे घूरते हुए कहा, "और ऐसा क्यों?"

    उसकी बात सुनकर प्रियल बोली, "वो आप मेरे से बड़े हैं और आप मेरे..."

    उसने इतना ही बोला था कि उसे ध्यान आया कि वह क्या बोल रही है। उसकी यह बात सुनकर श्रेयस को अपना दिल जोरों से धड़कता हुआ महसूस हुआ। तभी उसके कानों में प्रियल की आवाज़ दुबारा गूँजी।

    प्रियल ने जल्दी से अपनी बात सुधारते हुए कहा, "और आप ऐसे मेरे पैर नहीं छू सकते।"

    यह सुनकर श्रेयस ने उसे घूरते हुए कहा, "चुपचाप यहीं बैठो और मुझे देखने दो।"

    इतना बोलकर उसने ज़बरदस्ती प्रियल के पैर खींचकर देखने लगा। वहाँ सूजन आ गई थी। यह देख उसने प्रियल के पैरों को एक झटके में मोड़ दिया। जिससे प्रियल चीख उठी और उसकी पकड़ श्रेयस के कंधे पर कस गई। वह कसकर अपनी आँखें बंद कर ली।

    अब तक नौकर फर्स्ट एड बॉक्स ला चुका था। श्रेयस ने उसके पैरों पर स्प्रे लगाकर पट्टी कर दी ताकि प्रियल को जल्दी राहत मिल जाए।

    फिर वह प्रियल के बगल में सोफ़े पर बैठा और उसके सर के घावों को रुई से पोछने लगा। फिर उसके होठों के किनारे लगे खून को भी रुई से पोछा।

    फिर डेटॉल से साफ़ किया। जिससे प्रियल ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं क्योंकि उसे जलन हो रही थी।

    यह देख श्रेयस ने उसके घावों पर फूँक मारते हुए डेटॉल से साफ़ किया। फिर मेडिसिन लगाई। श्रेयस के फूँक मारने से प्रियल को एक अलग ही एहसास हो रहा था। वह और कसकर अपनी आँखें बंद कर ली।

    जब श्रेयस दवाई लगा देता है, तो कहता है, "हो गया। क्या और कहीं भी तुम्हारी चोट आई है?"

    प्रियल ने ना में सर हिला दिया। तभी उसकी नज़र रूही पर गई जिसका चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था। यह देख उसने अपना हाथ फैलाकर रूही को अपने पास बुलाया।

    यह देख रूही भी रोते हुए उसके पास आ गई। प्रियल ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और बोली, "क्या हुआ हमारी रूही बेबी, रो क्यों रही है?"

    उसके जवाब में रूही ने जो बोला, उसे सुनकर प्रियल हैरानी से श्रेयस को देखने लगी।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    क्या बोला होगा रूही ने जिससे प्रियल हैरानी से श्रेयस को देखने लगी?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी।

  • 10. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 10 आप भी स्टार मम्मा पापा की तरह रूही को छोड़.... / मैरेज सर्टिफिकेट

    Words: 1073

    Estimated Reading Time: 7 min

    श्रेयस ने प्रियल के चोटों पर फूंक मारी और डेटॉल से साफ किया। फिर उसने दवा लगाई। प्रियल को श्रेयस के फूंक मारने से एक अलग ही एहसास हुआ। उसने अपनी आँखें और कसकर बंद कर लीं।

    जब श्रेयस ने दवा लगा दी, तो बोला, "हो गया। क्या और कहीं भी तुम्हारी चोट आई है?"

    प्रियल ने ना में सर हिला दिया। तभी उसकी नज़र रूही पर गई। रूही का चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था। यह देख प्रियल ने अपना हाथ फैलाकर रूही को अपने पास बुलाया।

    रूही रोते हुए उसके पास आ गई। प्रियल ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और बोली, "क्या हुआ हमारी रूही बेबी? रो क्यों रही है?"

    रूही के जवाब ने प्रियल को हैरानी से श्रेयस को देखने पर मजबूर कर दिया।

    रूही ने सिसकते हुए कहा, "क्या आप भी स्टार मम्मा पापा की तरह रूही को छोड़कर चली जाएगी?"

    प्रियल हैरानी से श्रेयस को देखने लगी। श्रेयस के चेहरे पर भी रूही की बात सुनकर एक अजीब सा दर्द दिखाई देने लगा था।

    यह देख प्रियल ने श्रेयस से अपनी नज़रें हटाकर रूही को अपने सीने से लगाते हुए कहा, "नहीं बेबी, आपकी परी दीदी आपको छोड़कर कभी कहीं नहीं जाएगी।"

    "सच्ची?" मासूमियत से रूही बोली।

    "मुच्ची," प्रियल मुस्कुराते हुए बोली।

    "पिंकी प्रॉमिस," रूही ने अपनी छोटी उंगली आगे करते हुए कहा।

    "पिंकी प्रॉमिस," प्रियल ने उसकी छोटी उंगली में अपनी उंगली फँसाते हुए कहा।

    यह सुनकर रूही के रोते हुए चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने प्रियल के गालों पर किस किया। प्रियल ने भी रूही के गालों पर किस किया और उसके आँसुओं को अपने लहंगे के दुपट्टे से पोंछ दिया।

    तभी रूही की नज़र प्रियल के ड्रेस पर पड़ी। रूही ने प्रियल से पूछा, "आपने यह शादी वाली ड्रेस क्यों पहनी है? क्या आप किसी से शादी करने वाली हैं?"

    फिर रुँवांसा होते हुए बोली, "फिर आप मुझे छोड़कर जिससे शादी कर रही हैं, उनके पास चली जाएगी। पर आपने तो मुझे छोड़कर नहीं जाएगी, ऐसा प्रॉमिस किया था ना।"

    अभी कोई उसका चेहरा देखे तो बता सकता था कि वह अभी ही रोना शुरू कर देगी।

    वहीं, रूही के ऐसे सवाल सुनकर प्रियल को समझ नहीं आ रहा था कि वह रूही को कैसे समझाए। प्रियल को ऐसे कन्फ्यूज देख श्रेयस ने रूही को प्रियल की गोद से ले लिया और उसे अपनी गोद में बिठा दिया।

    फिर उसके चेहरे को पकड़ते हुए बोला, "प्रिंसेस, वो कहीं नहीं जाएगी आपको छोड़कर। उन्हें हमेशा आपके पास रखने के लिए आपके पापा उनसे शादी कर रहे हैं।"

    यह सुनकर रूही, जिसका चेहरा रोने जैसा ही हुआ था, उसकी आँखें चमकने लगीं।

    वह खुश होते हुए बोली, "तो परी दीदी अब मेरी मम्मा बन जाएगी।"

    उसकी खुशी देखकर श्रेयस ने अपना सर हाँ में हिला दिया। यह देख रूही खुशी से श्रेयस की गोद से उतर गई और कूदते हुए बोली, "ये अब मेरी भी मम्मा होगी। मैं भी बाकी बच्चों के जैसे पार्क में मम्मा के साथ खेलूंगी।"

    इतना बोलकर वह वहाँ से अपनी नैनी गीता आंटी के पास चली गई और उनके पास जाकर खुश होते हुए बोली, "दादी, आपको पता है? पापा परी दीदी से शादी करने वाले हैं। फिर परी दीदी मेरी मम्मा बन जाएगी।"

    ऐसे ही वह घर के सारे सर्वेंट को इस बारे में खुश होकर बता रही थी। उसकी ऐसी खुशी देखकर सबकी आँखों में नमी आ गई। क्योंकि उनके घर में इकलौती वही तो थी जो हमेशा सबके चेहरे पर मुस्कान ले आती थी।

    वहीं, रूही को ऐसे खुश देख श्रेयस की आँखों में भी आँसू आ गए। पर वह जल्द ही उन आँसुओं को सब से छुपा लेता है। पर उसके ये आँसू प्रियल की आँखों से छुप नहीं सके। वह श्रेयस की आँखों में देख हैरान हो गई।

    वह अपने आप से बोली, "Mr. अग्निहोत्री रूही से कितना प्यार करते हैं।"

    इतना सोच वह प्यार से श्रेयस को देख रही थी। तभी रूही वहाँ आई और प्रियल और श्रेयस का हाथ पकड़कर खींचते हुए बोली, "चलो चलो, जल्दी चलो। आप दोनों को शादी भी तो करनी है ना।"

    इतना बोलकर वह उन दोनों को खींचने लगी। यह देख श्रेयस और प्रियल एक-दूसरे को एक नज़र देखते हैं और अपनी नज़रें जल्दी से एक-दूसरे से हटा भी लेते हैं।

    उसके बाद तीनों कोर्ट के लिए निकल गए। करीब एक घंटे बाद तीनों कोर्ट में पहुँचे। वहाँ पहले से ही वकील खड़ा था। श्रेयस, प्रियल, रूही और वकील चारों कोर्ट के अंदर गए। करीब आधे घंटे बाद मैरेज की प्रोसेस पूरी हुई।

    उसके बाद दोनों अपने हाथों में मैरेज सर्टिफिकेट लेकर आए। वहीं रूही दोनों का हाथ पकड़कर आ रही थी। वह बहुत ही खुश दिख रही थी।

    तीनों फिर से कोर्ट से निकल गए। करीब एक घंटे बाद तीनों एक जगह पर पहुँचे। जिसे देख रूही और प्रियल दोनों ही हैरान हो गईं। साथ में थोड़ा घबरा भी रही थीं।

    ऐसा क्या देखा रूही और प्रियल ने जिससे दोनों हैरान हो गए और साथ में घबरा भी गए?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी।

  • 11. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 11 श्रेयस और प्रियल की शादी / शादी संपन्न हुआ

    Words: 1182

    Estimated Reading Time: 8 min

    उसके बाद तीनों कोर्ट के लिए निकले। करीब एक घंटे बाद तीनों कोर्ट में पहुँचे। वहाँ पहले से ही वकील खड़ा था। श्रेयस, प्रियल, रूही और वकील चारों कोर्ट के अंदर गए। करीब आधे घंटे बाद मैरेज की प्रोसेस कंप्लीट हुई।

    उसके बाद दोनों अपने हाथों में मैरेज सर्टिफिकेट लेकर आए। वहीं रूही दोनों का हाथ पकड़कर आ रही थी। वह बहुत ही खुश दिख रही थी।

    तीनों फिर से कोर्ट से निकले। करीब एक घंटे बाद तीनों एक जगह पर पहुँचे। जिसे देख रूही और प्रियल दोनों ही हैरान हो गईं। साथ में थोड़ा घबरा भी रही थीं।

    क्योंकि वहाँ बहुत रिपोर्टर्स थे। चारों तरफ गार्ड्स ने कार को कवर कर रखा था। श्रेयस कार से निकला और प्रियल की तरफ़ जाकर उसके तरफ़ का दरवाज़ा खोला और उसके आगे अपना हाथ बढ़ा दिया।

    यह देख प्रियल पहले तो हैरान हुई। फिर इतनी सारी रिपोर्टर्स को देख वो अपना हाथ श्रेयस के हाथ के ऊपर रख दिया और बाहर आई। उसके बाद रूही भी बाहर आई।

    श्रेयस ने अपने एक हाथ से रूही को गोद में उठा रखा था और दूसरे हाथ से प्रियल का हाथ पकड़ रखा था। उनके चारों तरफ गार्ड्स ने कवर कर रखा था।

    रिपोर्टर्स उनकी फोटो उठाने की कोशिश कर रहे थे। पर आकाश (श्रेयस की असिस्टेंट और बेस्ट फ्रेंड) उन्हें बाद में फोटो उठाने के लिए बोला। तो सारे रिपोर्टर्स शांत हो गए।

    तीनों अंदर गए। तो उस जगह की सुंदर-सी डेकोरेशन हुई थी। वह जगह किसी हेवन से कम नहीं थी। रूही और प्रियल दोनों के मुँह से "wow" निकल गया।

    श्रेयस जब यह सुनता है, तो उसे एक खुशी महसूस होती है। उसके बाद दोनों की शादी शुरू होती है। धीरे-धीरे सारे रस्म होने लगते हैं। इस बीच रूही प्रियल के गोद में ही बैठी हुई थी।

    कुछ रस्मों के बाद पंडित जी उन्हें फेरों के लिए खड़े होने के लिए बोलते हैं। तो प्रियल और श्रेयस खड़े होते हैं। प्रियल रूही को अपने गोद में उठा लेती है। रूही को गोद में उठाकर ही उसने साथ फेरे लिए।

    प्रियल रूही को देखते हुए अपने आप से वचन लेते हुए बोलती है, "इस शादी की वजह तुम हो रूही। इसलिए कुछ भी हो जाए, मैं तुम्हें कभी भी एक माँ की कमी महसूस नहीं होने दूँगी। जो दर्द मैंने सहें हैं, उसे कभी तुम्हें सहने नहीं दूँगी। मैं हर वो कोशिश करूँगी जिससे तुम खुश रहो।"

    इतना सोचते हुए उसकी नज़र श्रेयस पर जाती है। जिसे देख वो बोलती है, "आपके लिए शायद यह शादी कॉन्ट्रैक्ट होगी। पर मैं इस शादी को पूरी तरह से मानूँगी। आपके हर सुख-दुःख में आपके साथ रहूँगी।"

    ऐसे ही फेरे ख़त्म होते हैं। उसके बाद दोनों अपनी-अपनी जगह पर बैठ जाते हैं। शादी की रस्में आगे बढ़ती हैं। थोड़ी देर में पंडित जी श्रेयस को प्रियल की मांग भरने और मंगलसूत्र पहनाने के लिए बोलते हैं। तो श्रेयस प्रियल के गले में मंगलसूत्र पहनाता है और मांग में सिंदूर भरता है।

    उसके बाद पंडित जी बोलते हैं, "शादी संपन्न हुई। आज से आप दोनों पति-पत्नी हुए।"

    यह सुनकर रूही खुश होते हुए ताली बजाने लगती है। उसे खुश देख प्रियल और श्रेयस दोनों के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। उसके बाद दोनों उठकर पंडित जी के पैर छूते हैं।

    उसके बाद आकाश श्रेयस को गले लगाकर बधाई देता है और प्रियल के सर पर हाथ रखते हुए बोलता है, "आज से तुम मुझे भाई ही बोलना ठीक है।"

    इतना सुन प्रियल की आँखों में आँसू आ जाते हैं। क्योंकि आज तक किसी ने उन्हें इतने प्यार से एक शब्द भी नहीं बोला था।

    उसकी आँखों में आँसू देख आकाश माहौल को थोड़ा लाइट करते हुए बोलता है, "अरे क्या मैं इतना बुरा भाई हूँ कि मेरे भाई होने की बात सुनकर ही तुम रोने लगी?"

    यह सुनकर प्रियल के होठों पर रोते हुए भी स्माइल आ जाती है। वहीं रूही जो शादी के बाद श्रेयस के गोद में चली गई थी, वह अपनी मम्मी को ऐसे रोता देख श्रेयस से बोलती है, "पापा, मम्मा क्यों रो रही है?"

    यह सुनकर श्रेयस उसे प्यार से समझाते हुए बोलता है, "वो आपके चाचू, आपकी मम्मा को अपनी बहन बनाने के लिए बोल रहे हैं। इसलिए बस वो रो रही है।"

    यह सुनकर रूही मासूमियत से पूछती है, "क्या मम्मा का कोई नहीं है?"

    यह सुनकर श्रेयस अपना सर हिलाते हुए बोलता है, "हाँ बेटा, मम्मा का कोई नहीं है।"

    यह सुनकर रूही कुछ बोलती है। जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाते हैं।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    ऐसा क्या कहा रूही ने जिसे सुन सभी हैरान हो गए?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी।

  • 12. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 12 रूही की बड़ी बातें / प्रेस कॉन्फ्रेंस

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    ये सुनकर श्रेयस ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, "वो आपके चाचू, आपके मम्मा को अपनी बहन बनाने के लिए बोल रही है। इसलिए बस वो रो रही है।"

    ये सुनकर रूही ने मासूमियत से पूछा, "क्या मम्मा का कोई नहीं है?"

    ये सुनकर श्रेयस ने अपना सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ बेटा, मम्मा का कोई नहीं है।"

    ये सुनकर रूही श्रेयस की गोद से उतरने की कोशिश करने लगी। ये देखकर श्रेयस ने उसे अपनी गोद से उतार दिया। रूही प्रियल के पैरों के पास जाकर खड़ी हो गई और उसके लहंगे को पकड़कर खींचने लगी।

    ये देखकर प्रियल ने अपने आँसू पोछकर रूही को देखा। रूही ने उसे अपने गोद में उठाने के लिए अपने हाथ ऊपर उठा दिए। ये देखकर प्रियल ने उसे अपने गोद में उठा लिया।

    रूही ने अपने छोटे-छोटे हाथों से प्रियल के आँसू उसके आँखों से पोछते हुए कहा, "मम्मा आप रो मत। अब हम हैं ना आपके साथ। और मैं और पापा आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। प्लीज आप रो मत। नहीं तो रूही भी रो देगी।"

    उसकी मासूमियत भरी बातें सुनकर सभी हैरान हो गए। प्रियल तो बहुत ज्यादा इमोशनल हो गई कि उसने रूही को कसकर अपने सीने से लगा लिया।

    थोड़ी देर बाद आकाश मस्ती करते हुए बोला, "अरे भाई! अगर माँ-बेटी का प्यार हो गया है, तो चलें बाहर। मीडिया हमारा वेट कर रही होगी।"

    ये सुनकर प्रियल श्रेयस को देखने लगी। श्रेयस ने बिना कुछ बोले उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर बाहर की तरफ चल पड़ा। उसके पीछे-पीछे आकाश भी चल पड़ा।

    दरअसल, श्रेयस ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस रखा था। इसलिए उसने बाहर गार्डन में सभी रिपोर्टर्स के बैठने के लिए कुर्सियाँ रखी हुई थीं। सभी रिपोर्टर्स वहीं बैठे हुए थे। जैसे ही उनकी नज़र श्रेयस पर पड़ी, सभी उठ खड़े हुए।

    श्रेयस ने बिना किसी को ध्यान दिए रूही और प्रियल को लेकर स्टेज के ऊपर चला गया। उसके पीछे-पीछे आकाश भी।

    सभी स्टेज पर पहुँचने के बाद आकाश बोला, "आप सभी बैठ जाइए। आपको जो कुछ भी पूछना है, एक-एक करके पूछ सकते हैं। और एक बात याद रखना, यहाँ कोई भी हंगामा नहीं होना चाहिए।"

    इतना सुनकर सभी रिपोर्टर्स शांति से बैठ गए। उनके बैठने के बाद श्रेयस खड़े होते हुए बोले, "हेलो एवरीवन।"

    फिर अपने बगल में बैठी प्रियल को देखते हुए बोला, "इनसे मिलिए। ये मेरी वाइफ, प्रियल श्रेयस अग्निहोत्री।"

    प्रियल ने अपना हाथ जोड़कर प्रणाम कर लिया। वहीं, श्रेयस की ये बात सुनकर सभी तालियाँ बजाने लगे।

    श्रेयस ने उन्हें शांत रहने का इशारा करते हुए कहा, "अब आप जो भी प्रश्न पूछना चाहते हैं, पूछ सकते हैं।"

    इतना बोलकर वो शांत हो गया।

    एक रिपोर्टर खड़े होते हुए पूछा, "सर, आपकी और मैम की लव मैरेज है या अरेंज मैरेज?"

    ये सुनकर श्रेयस और प्रियल दोनों की नज़रें एक पल के लिए मिल गईं। श्रेयस से आँखें मिलते ही प्रियल जल्दी से अपना सर नीचे झुका ली। ये देखकर, श्रेयस के चेहरे पर एक न दिखने वाली मुस्कान आ गई, जिसे उसने सभी से जल्दी ही छिपा लिया। कोई नहीं देख पाया, पर आकाश की नज़रों से ये नहीं बच पाया।

    वो मन ही मन बोला, "लगता है तुझे पहले जैसा बनाने वाली आ गई है।"

    श्रेयस रिपोर्टर्स को जवाब देते हुए बोला, "लव मैरेज।"

    ये सुनकर एक और रिपोर्टर पूछा, "सर, आपके लव रिलेशनशिप को कितने समय हुआ है?"

    श्रेयस ने एक टुक जवाब दिया, "2 साल।"

    ये सुनकर एक लड़की रिपोर्टर बोली, "सर, आप और मैम कहाँ पर मिले थे? और आप दोनों के बीच प्यार कैसे शुरू हुआ?"

    ये सुनकर श्रेयस बोला, "हमारी मुलाकात एक होटल के बाहर हुई थी। वहीं हमारी एक बात को लेकर टक्कर भी हो गई थी। उसके बाद मुझे प्रियल पसंद आ गई और ऐसे ही हमारी लव स्टोरी शुरू हुई।"

    उसके बाद ऐसे ही कुछ और रिपोर्टर्स ने सवाल-जवाब किए।

    तभी ऐसा कुछ हुआ जिससे श्रेयस के हाथों की मुट्ठी बन गई।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    ऐसा क्या हुआ होगा जिससे श्रेयस के हाथ की मुट्ठी बन गई?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी ये कहानी...
    ISHQ HAI TUMSE

    ये कहानी है दो ऐसे लोगों की जो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। एक आग है तो दूसरा पानी। पार्थ बिरला, एशिया की टॉप 5 कंपनियों में से एक कंपनी, बिरला ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्री का सीईओ है। वहीं प्रिया अग्निवंशी एक बेहद खूबसूरत, समझदार और बेहद प्यारी लड़की है। दूसरी तरफ है हमारे हीरो पार्थ बिरला जो शांत और सहज स्वभाव के हैं और लड़कियों से आज तक दूर ही रहे हैं। वैसे ये बहुत ही कम बात करते हैं। लेकिन जब गुस्सा आता है, तब साक्षात यमराज बन जाते हैं। वहीं प्रिया अपनों के साथ बहुत बातूनी है, पर अनजानों के साथ जल्दी घुलमिल नहीं पाती। तो कैसे होगी इनकी मुलाकात, जब ये एक-दूसरे से आमने-सामने आयेंगे? जानने के लिए पढ़िए "ishq hai tumse"...

  • 13. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 13 श्रेयस की सख्त आवाज /  बुद्धू है आप !

    Words: 980

    Estimated Reading Time: 6 min

    वो मन ही मन बोलता है, "लगता है तुझे पहले जैसा बनाने वाली आ गई है।"

    श्रेयस रिपोर्टर्स को जवाब देते हुए बोलता है, "लव मैरेज।"

    "सर, आप के लव रिलेशनशिप को कितने टाइम हुआ है?" एक और रिपोर्टर पूछता है।

    "२ साल," श्रेयस एक टूक जवाब देता है।

    "सर, आप और मेम कहाँ पर मिले थे? और आप दोनों के बीच प्यार कैसे शुरू हुआ?" एक लड़की रिपोर्टर पूछती है।

    "हमारी मुलाकात एक होटल के बाहर हुई थी। वहीं हमारी एक बात को ले कर टक्कर भी हो गई थी। उसके बाद मुझे प्रियल पसंद आ गई और ऐसे ही हमारी लव स्टोरी शुरू हुई।" श्रेयस बोलता है।

    उसके बाद ऐसे ही कुछ और रिपोर्टर्स सवाल-जवाब करते हैं। थोड़ी देर बाद एक रिपोर्टर पूछता है, "सर, सुनने को मिला है कि सुनैना मेम रूही मेम की कस्टडी पाने के लिए बहुत जल्द सगाई करने वाले हैं। आप का इस बारे में क्या कहना है?"

    यह सुनकर श्रेयस की मुट्ठी बन जाती है। वह थोड़ा सख्त आवाज़ में बोलता है, "ऐसी दुनिया में कोई पावर नहीं है जो श्रेयस अग्निहोत्री से उसकी बेटी को छीन सके। सुनैना को कोशिश करनी है, तो कर सकती है। पर रूही हमेशा मेरे ही पास रहेगी।"

    वैसे तो रिपोर्टर्स और भी बहुत कुछ पूछना चाहते थे, पर उसकी सख्त आवाज़ सुनकर कोई उससे कुछ भी पूछने की हिम्मत नहीं कर सकता था। इसलिए सभी चुप हो गए।

    उसके बाद श्रेयस, प्रियल और रूही के कुछ फैमिली फ़ोटोज़ और श्रेयस और प्रियल के कपल फ़ोटो के बाद सभी रिपोर्टर्स को वहाँ से जाने को बोल दिया गया। तो सभी लोग चले गए। उसके बाद श्रेयस, प्रियल, रूही और आकाश चारों घर के लिए निकल गए।

    करीब एक से डेढ़ घंटे के बीच चारों अग्निहोत्री विला पहुँच गए। विला चारों जैसे ही कार से उतर कर आगे चलते हैं, अचानक रूही आकाश के गोद में जाने के लिए जिद करने लगी। यह देख प्रियल उसे अपने गोद से उतार देती है। तो रूही भागकर आकाश के पास खड़ी हो जाती है और उसे अपने गोद में उठाने के लिए बोलती है।

    तो आकाश कन्फ्यूज़न में रूही को देखते हुए उसे अपने गोद में उठा लेता है। तो रूही उसे धीरे से बोलती है, "चाचू आप जल्दी से मुझे ले कर अंदर चलिए। मुझे कुछ काम है।"

    यह सुनकर आकाश उसे सवालिया नज़रों से देखने लगता है। तो रूही बोलती है, "अरे चाचू आप पहले चलिए तो सही।"

    यह सुनकर आकाश श्रेयस को आँखों से इशारा कर अंदर चला जाता है। आकाश जल्दी से रूही को अंदर ले जाता है क्योंकि ये हमारी क्यूट प्रिंसेस रूही के ऑर्डर थे। भला कोई उसे कैसे इग्नोर कर सकता है?

    दोनों अंदर जाकर सीधा किचन में जाते हैं। आकाश किचन में रूही को नीचे उतारते हुए बोलता है, "क्या हुआ प्रिंसेस? आप यहाँ क्यों आई है? क्या आपको भूख लगी है? या फिर आपको ice cream या चॉकलेट चाहिए?"

    (दरअसल जब भी रूही को चॉकलेट या ice cream खाने का मन होता था, वो हमेशा आकाश को ही लेकर किचन में आती थी। क्योंकि श्रेयस तो उसे ये चीजें देने के लिए बिल्कुल नहीं मानता था और तो और उसने सर्वेंट्स को भी सख्त हिदायत दी थी कि रूही को ये चीजें मत दी जाएँ। इसलिए रूही के लाख जिद के बावजूद भी कोई सर्वेंट उसे ये चीजें खाने को नहीं देता था। सिर्फ़ आकाश ही उसे कभी-कभी ये सब खिला देता था। बस इस लिए आज ऐसे अचानक रूही को किचन में लाता देख आकाश ये पूछता है।)

    यह सुनकर रूही उसे इरिटेट होते हुए बोलती है, "अरे चाचू! आप को तो कुछ भी पता नहीं है। एक नंबर के बुद्धू हैं आप! (इतना बोलते हुए अपना हाथ सर पर दे मारती है) आप रुकिए, मैं बताती हूँ।"

    इतना बोल वो एक सर्वेंट के पास जाकर उसे बोलती है, "भैया, आप पापा और मम्मा को बाहर रुकने को बोलिए। मैं बस थोड़ी देर में आती हूँ।"

    यह सुनकर सर्वेंट डरते हुए हाँ में सर हिला देता है और किचन से बाहर चला जाता है।

    उसके बाद कुछ ऐसा होता है जिससे आकाश हैरानी से रूही को देखने लगता है।

    तो आप सब को क्या लगता है? ऐसा क्या हुआ होगा जिससे आकाश हैरानी से रूही को देखने लगा?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी।

  • 14. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 14 प्रियल का गृह प्रवेश / श्रेयस का गुस्सा

    Words: 1324

    Estimated Reading Time: 8 min

    ये सुनकर रूही उसे चिढ़ाते हुए बोली, "अरे चाचू! आपको तो कुछ भी पता नहीं है। आप रुकिए, मैं बताती हूँ।"

    इतना बोलकर वह एक नौकर के पास गई और उसे बोली, "भैया, आप पापा और मम्मा को बाहर रुकने को बोलिए। मैं बस थोड़ी देर में आती हूँ।"

    यह सुनकर नौकर डरते हुए हाँ में सिर हिला दिया और किचन से बाहर चला गया।

    वहीं रूही ने उसे अपना आदेश देकर आकाश के पास आकर बोली, "चाचू, आप दो थाल निकालिए और थोड़ा चावल भी निकालिए।"

    यह सुनकर आकाश को समझ आ गया कि रूही क्या करना चाह रही है। यह सोचकर उसके मुँह से निकला, "अरे प्रिंसेस! तुम तुम्हारी मम्मा का गृहप्रवेश कराना चाहती हो?"

    तो रूही ने अपना छोटा सा सिर हाँ में हिला दिया। तो आकाश ने उसे अपनी गोद में उठाकर किचन के स्लैब पर बिठाकर बोला, "तुम यहीं बैठो। मैं सारा इंतज़ाम करता हूँ। ठीक है?"

    तो रूही ने सिर हिला दिया। तो आकाश ने उसे छोड़कर सारा सामान नौकर को निकालने का आदेश दे दिया। उसके बाद दोनों चाचू और भतीजी मिलकर गृहप्रवेश की तैयारी करने लगे।

    वहीं दूसरी तरफ़,

    रूही के द्वारा आदेश पाया हुआ नौकर बाहर गेट की तरफ़ गया। तो उसे श्रेयस और प्रियल आते हुए दिखाई दिए। यह देख उसे अंदर ही अंदर डर लग रहा था कि वह कैसे यह बात श्रेयस को बोले। क्योंकि श्रेयस सामान्यतः शांत रहता है और सभी नौकरों को इज़्ज़त देता है।

    पर जब भी उसे गुस्सा आता है, वह किसी की बात नहीं सुनता है और उन्हें ऐसे घूरकर देखता है जैसे उन्हें अभी ही खा जाएगा। साथ ही उनके आधे वेतन में कटौती भी कर देता था। उसका गुस्सा सिर्फ़ रूही और आकाश ही शांत कर सकते थे।

    उन्होंने सभी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में क्या हुआ यह देख लिया था। ऐसे में किसी भी नौकर में हिम्मत नहीं थी श्रेयस के सामने जाने की।

    इसलिए उस नौकर को श्रेयस के सामने जाने से डर लग रहा था। ऊपर से उसका गुस्से से लाल हुए आँखें दूर से ही नौकर को नज़र आ चुकी थीं। पर उसे रूही का आदेश मानना ही था।

    इसलिए जैसे ही श्रेयस और प्रियल दोनों घर के अंदर कदम रखने वाले थे, नौकर उन्हें रोकते हुए हकलाते हुए बोला, "स... सर, रूही बेबी ने आप दोनों को यहीं रुकने को बोला है। वो थोड़ी देर में आती होंगी।"

    यह सुनकर श्रेयस और प्रियल के कदम अपने आप ही रुक गए। वैसे तो श्रेयस को अब एक भी पल यहाँ रहने का मन नहीं था, पर रूही के कारण वह वहीं खड़ा रहा।

    नौकर उसे रुकता देख और खुद को कुछ बोलता न देख जल्दी से किचन में भाग गया। वहाँ जाकर रूही से बोला, "रूही बेबी, सर और मेम दोनों दरवाज़े पर आपका इंतज़ार कर रहे हैं।"

    यह सुनकर रूही ने हाँ में सिर हिला दिया और आकाश से बोली, "हो गया क्या चाचू?"

    यह सुन आकाश बोला, "बस दो मिनट प्रिंसेस।"

    इतना बोलकर वह चावल को कलश में डाला और सभी चीजें नौकर को बाहर लाने को बोलकर खुद रूही को अपनी गोद में उठाकर किचन से बाहर आया। उसके पीछे-पीछे नौकर चावल का कलश, आरती की थाल और कुमकुम से भरा थाल लेकर आया।

    सभी दरवाज़े पर पहुँचे। तो रूही आकाश की गोद में से ही नौकर से आरती की थाल माँगी। तो नौकर ने उसे आरती की थाल दे दी। उसके बाद रूही ने वैसे ही श्रेयस और प्रियल की आरती की।

    फिर उसने थाल नौकर को देकर आकाश को देखा। तो आकाश ने उसे नीचे उतार दिया। उसके बाद रूही ने नौकर के हाथों से चावल का कलश लेकर प्रियल के पैरों के पास रखा और अपनी प्यारी सी आवाज़ में बोली, "मम्मा, आप इसे पैरों से गिराकर अंदर आइए।"

    यह सुन प्रियल ने वैसे ही किया। उसके बाद रूही ने कुमकुम की थाल उसके पैरों के पास रखते हुए बोला, "इसमें पैर रखकर अंदर आइए।"

    तो प्रियल ने वैसे ही किया। उसके बाद तीनों हॉल में आए। तो रूही बोली, "वेलकम होम मम्मा।"

    यह सुन प्रियल अपने घुटनों के बल बैठी और रूही के माथे और गाल पर किस करते हुए बोली, "थैंक यू बच्चा।"

    यह सुनकर रूही ने भी प्रियल के गाल पर किस कर दिया। वहीं श्रेयस सीधा अपने स्टडी रूम में चला गया। आकाश ने भी प्रियल को रूही का ध्यान रखने को बोलकर श्रेयस के पीछे-पीछे स्टडी रूम में जाने लगा।

    वह वहाँ जाकर देखा तो श्रेयस कमरे में सारा सामान इधर-उधर गिरा रहा था। यह देख वह श्रेयस को पकड़कर खींचकर बेड पर बिठाते हुए बोला, "यह क्या कर रहा है श्रेयस? क्यों ऐसे हाइपर हो रहा है? वह सुनैना कभी हमसे हमारी प्रिंसेस को अलग नहीं कर सकती। और वैसे भी तू तो इसी कारण ही प्रियल से शादी भी कर लिया है। तो अब क्या प्रॉब्लम है? रूही भी उसके पास जाने से डरती है। तो केस और सिचुएशन दोनों ही हमारे हाथ में हैं।"

    यह सुनकर श्रेयस बोला, "मैं जानता हूँ। पर इतना सब करने के बाद भी उसे शांति नहीं मिली। कि वह अब रूही को भी चोट पहुँचाने से पीछे नहीं हट रहा।"

    यह सुनकर आकाश भी कुछ नहीं बोल पाया। क्योंकि सुनैना ने ऐसी ही गलती की थी, जिसे चाहकर भी कोई नहीं भूल सकता, न ही उसकी गलती को माफ़ कर सकता था। (और वह क्या है, वह आपको आगे जानने को मिलेगा।)

    थोड़ी देर दोनों कुछ बात करते हैं। उसके बाद श्रेयस वहीं स्टडी रूम में बाथरूम में फ्रेश होने चला जाता है। वहीं आकाश भी अपने कमरे में चला जाता है।

    वहीं दूसरी तरफ़,

    रूही प्रियल को खींचते हुए अपने कमरे में ले गई और उसे अपना कमरा दिखाते हुए बोली, "देखिए मम्मा, पापा ने मेरे लिए बिल्कुल प्रिंसेस की तरह कमरा सजाया है। आपको पसंद तो है ना!"

    यह सुनकर प्रियल पूरे कमरे को देखती है, जो सच में बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया हुआ था। एक तरफ़ toys और टेड्डीज़ रखे हुए थे। वॉल पर कार्टून्स के ड्राइंग थे। साथ में रूही के बहुत सारे फ़ोटोज़ लगे हुए थे।

    बीच में एक प्रिंसेस बेड था, जिसके ऊपर श्रेयस और उसकी एक बड़ी सी पिक्चर लगी हुई थी। एक तरफ़ पढ़ने का इंतज़ाम किया गया था, तो एक तरफ़ बालकनी था।

    प्रियल यह सब देखते हुए बोली, "बहुत सुंदर है बेटा।"

    यह सुनकर रूही उसे खींचते हुए बेड के पास ले जाती है और बोली, "मम्मा, आप यहाँ बैठिए। मुझे आपको कुछ दिखाना है।"

    इतना बोलकर वह उसे छोड़कर कहीं चली जाती है और थोड़ी देर में आती है और प्रियल को दिखाती है। तो प्रियल हैरान हो जाती है और अविश्वास से रूही को देखने लगती है।

    तो आप सबको क्या लगता है?

    क्या दिखाया है रूही ने जिससे प्रियल अविश्वास और हैरानी से रूही को देख रही है?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी।

  • 15. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 15 रूही की स्केच / बिना मेक अप की....

    Words: 1121

    Estimated Reading Time: 7 min

    बीच में एक प्रिंसेस बेड था। जिसके ऊपर श्रेयस और उसकी एक बड़ी-सी पिक्चर लगी हुई थी। एक तरफ पढ़ने का इंतज़ाम किया गया था, तो एक तरफ बालकनी थी।

    प्रियल ये सब देखते हुए बोली, "बहुत सुंदर है बेटा।"

    यह सुनकर रूही उसे खींचते हुए बेड के पास ले जाकर बोली, "मम्मा आप यहां बैठिए। मुझे आपको कुछ दिखाना है।"

    इतना बोलकर वो उसे छोड़कर अपने स्टडी टेबल के पास चली गई और एक नोट लेकर थोड़ी देर में आई। फिर उस नोट के एक पेज को खोलकर प्रियल को दिखाते हुए बोली, "मम्मा ये देखो।"

    प्रियल जब रूही का नोट देखती है, तो हैरान हो जाती है और अविश्वास से रूही को देखने लगती है। क्योंकि उसमें उसकी और रूही की बहुत ही क्यूट सी स्केच थी। जिसे देख प्रियल को विश्वास नहीं हो रहा था। रूही जैसी इतनी छोटी लड़की इतना अच्छा स्केच बना सकती है।

    वह यह सब सोच ही रही थी कि रूही उसे हिलाते हुए बोली, "बताओ ना मम्मा ये कैसा दिख रहा है?"

    यह सुन प्रियल बोली, "बहुत सुंदर है बेटा। आपने ऐसा स्केच बनाना कहाँ से सीखा?"

    यह सुन रूही बोली, "मैंने तो किसी से नहीं सीखा। पर बचपन से ही मुझे ड्राइंग करना सबसे ज़्यादा अच्छा लगता है। पापा कहते हैं मैं बिल्कुल स्टार पापा की तरह हूँ। इनकी ये स्किल मुझे पास आई है।"

    यह सुनकर प्रियल अपने मन में सोचती है, "तो ये गुण इसे इसके पापा से मिला है।"

    इतना सोच वो मुस्कुरा देती है। उसके बाद प्रियल एक-एक कर उसमें हुई सारी ड्राइंग, स्केचेज़ देखने लगती है। सभी बहुत सुंदर-सुंदर थे। जिसे देख कोई कह ही नहीं सकता कि ये कोई दो साल की बच्ची की ड्राइंग्स और स्केचेज़ हैं।

    पूरी नोट देखने के बाद प्रियल रूही को उसकी नोट देते हुए बोली, "बहुत अच्छी बनी है सब। जाओ अब आप ये रखकर आ जाओ अपने डेस्क में।"

    तो रूही हाँ में सर हिलाकर उसे अपने डेस्क पर रखकर आ जाती है। तो प्रियल उसे अपने गोद में उठाकर खुद बेड पर बैठ जाती है और रूही को अपने तरफ मुड़ाकर बोली, "रूही क्या आप ड्राइंग क्लासेज़ जाना चाहती है?"

    तो रूही जल्दी-जल्दी अपना सर हिला देती है। तो प्रियल बोली, "ठीक है। मैं आपके पापा से इस बारे में बात करूँगी। अब चलिए मैं आपके कपड़े चेंज कर देती हूँ।"

    यह सुनकर रूही हाँ में सर हिला देती है। तो प्रियल पहले उसके कपड़े चेंज करती है। उसके बाद वह रूही से बोली, "अब आप थोड़ी देर आराम करिए। मैं तब तक ये कपड़े चेंज करके आती हूँ।"

    तो रूही अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "मम्मा क्या मैं आपके साथ आ सकती हूँ?"

    तो प्रियल हाँ में सर हिला देती है और उसे अपने गोद में उठाकर रूही के कमरे से सुबह जिस कमरे में वह रुकी हुई थी, उस कमरे में चली जाती है। वहाँ जाकर प्रियल रूही को बेड पर बिठाते हुए बोली, "अब आप यहीं आराम करिए। तब तक मम्मी अपनी लहंगा चेंज कर देती है।"

    तो रूही अपना सर हाँ में हिला देती है। तो प्रियल उसे छोड़कर मिरर के सामने जाती है और पहले अपने गहने उतारती है। फिर अपनी बाल खोलकर थोड़ी लूज़ चोटी बाँध लेती है।

    उसके बाद वहाँ श्रेयस के दिए हुए एक और जोड़ी कपड़े थे। जिसे लेकर वह बाथरूम में चली जाती है। थोड़ी देर में वह तैयार होकर बाहर आती है और शादी के जोड़े को फोल्ड कर एक बैग में रख देती है।

    वहीं हमारी मासूम सी, प्यारी सी, क्यूट डॉल रूही अपनी मम्मी को ये सब करते हुए ध्यान से देख रही थी। जिसे देख प्रियल को हँसी आ जाती है। वह रूही के पास जाते हुए बोली, "क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों देख रही हो?"

    यह सुनकर रूही बोली, "मम्मा आप तो बिल्कुल भी मेकअप नहीं करती है। फिर भी कितनी सुंदर दिखती है।"

    यह सुनकर प्रियल के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। वह रूही के गाल को चूमते हुए बोली, "थैंक यू मेरा प्यारा बच्चा।"

    तो रूही भी खुश होते हुए उसके सामने अपना दूसरा गाल दिखा देती है। यह देख प्रियल के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। वह रूही के दूसरे गाल पर भी किस कर देती है।

    फिर रूही से बोली, "अब चले नीचे लंच करने?"

    तो रूही हाँ में सर हिला देती है। तो प्रियल रूही को लेकर नीचे बढ़ने लगती है। तभी रूही कुछ बोलती है जिससे प्रियल की धड़कन अचानक बढ़ जाती है।

    तो आप सब को क्या लगता है?

    ऐसा क्या कहा रूही ने जिससे प्रियल की धड़कन बढ़ गई?

    आज के लिए इतना ही। आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी।

  • 16. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 16 प्रियल का श्रेयस में खोना

    Words: 1339

    Estimated Reading Time: 9 min

    प्रियल ने रूही के गाल को चूमा और कहा, "थैंक यू मेरा प्यारा बच्चा।"

    रूही खुश होकर अपना दूसरा गाल दिखाती है। प्रियल मुस्कुराई और दूसरे गाल पर भी किस किया।

    "अब चले नीचे लंच करने?" प्रियल ने पूछा।

    रूही ने सिर हिलाया। प्रियल रूही को लेकर नीचे जाने लगी।

    "ममा, हम पापा को भी बुलाने चलते हैं ना!" रूही ने कहा, उसकी आँखें टिमटिमा रही थीं।

    प्रियल की धड़कनें तेज हो गईं। शादी के बाद से वे अकेले मिले नहीं थे। उसे थोड़ा अजीब भी लग रहा था, श्रेयस से मिलने में। पर उसे मिलना था ही। शाम को उसे अपनी दोस्त अन्वी से मिलना था, जिसके लिए श्रेयस की अनुमति लेना ज़रूरी था। वह रूही के बहाने श्रेयस से यह बात भी पूछ लेगी, सोचते हुए उसने रूही को देखकर सिर हिलाया।

    दोनों श्रेयस के स्टडी रूम की ओर बढ़े। प्रियल ने दरवाज़ा खटखटाया।

    "कम इन," एक सख्त मर्दानी आवाज़ आई।

    एक पल के लिए प्रियल के कदम ठिठक गए, पर उसने खुद को संभाला और अंदर गई। श्रेयस अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था।

    वह काम करते हुए बहुत हैंडसम लग रहा था। प्रियल की नज़रें उस पर थोड़ी देर के लिए टिक गईं। कहते हैं ना, कोई अगर अपने काम में सिद्धत से लगा हो, तो उस वक्त वह सबसे ज़्यादा सुंदर लगता है। श्रेयस अपने काम को लेकर कभी लापरवाही नहीं करता था; वह काम में पूरी तरह खो जाता था।

    श्रेयस के बाल थोड़े बिखरे हुए थे, कुछ बाल उसके माथे को छू रहे थे। उसने अपनी शर्ट की स्लीव्स मोड़ रखी थीं, जिससे उसकी जिम की हुई बाँहें साफ़ दिख रही थीं, जो उसके लुक को और बोल्ड बना रही थीं।

    रूही अपनी मम्मी और पापा को देख रही थी। थोड़ी देर बाद, उसे कुछ समझ नहीं आया और उसने प्रियल से कहा, "ममा, आप पापा को ऐसे क्या देख रही हो?"

    उसने ज़ोर से कहा था। प्रियल चौंककर रूही को देखने लगी, फिर उसकी नज़र श्रेयस पर गई जो काम में व्यस्त थे। उसने गहरी साँस ली और रूही से धीरे से कहा, "बेटा, ऐसे ज़ोर से नहीं बोलते।"

    "पर क्यों?" रूही ने मासूमियत से पूछा।

    "आपके पापा काम कर रहे हैं ना, इसलिए," प्रियल ने धीरे से कहा।

    रूही ने सिर हिलाया। श्रेयस, जो दोनों की बातचीत सुन रहा था, उसके चेहरे पर एक अनदेखी मुस्कान थी, जिसे उसने किसी के देखने से पहले ही छिपा लिया।

    रूही और प्रियल बात ही कर रहे थे कि श्रेयस बोला, "क्या हुआ आप दोनों यहाँ क्या कर रहे हैं?"

    "वो पापा, हम आपको खाने के लिए बुलाने आए थे," रूही ने कहा।

    श्रेयस ने घड़ी देखी। लंच का समय हो गया था। "ठीक है। आप दोनों नीचे चलिए। मैं यह काम खत्म करके आता हूँ," उसने कहा।

    रूही ने सिर हिलाया। रूही और प्रियल नीचे जाने लगे। उन्हें नीचे आता देख एक नौकर, जो उन्हें खाने के लिए बुलाने ऊपर आ रहा था, बोला, "मेम, लंच सर्व करूँ क्या?"

    प्रियल ने सिर हिलाया। नौकर सिर झुकाकर चला गया। प्रियल रूही को लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गई। थोड़ी देर में खाना लाया गया और एक नौकर सर्व करने जा रहा था...

    कि प्रियल ने उसे रोकते हुए कहा, "आप रहने दीजिए। मैं यह खुद कर लूंगी। आप जा सकते हैं।"

    वह नौकर एक तरफ खड़ा हो गया। प्रियल ने कहा, "आप सब भी अपना लंच करने जा सकते हैं। हमें अगर किसी चीज़ की ज़रूरत होगी, तो हम खुद ले लेंगे।"

    नौकरों ने एक-दूसरे को देखा और अपने क्वार्टर में चले गए। प्रियल ने खुद खाना निकाला और एक ही प्लेट में सर्व करने लगी।

    "ममा, रूही को भी भूख लगी है," रूही ने कहा।

    "हाँ बाबा, मैं जानती हूँ। इसलिए तो खाना निकाल रही हूँ," प्रियल मुस्कुराई।

    "तो क्या आप नहीं खाएँगी?" रूही ने मासूमियत से पूछा।

    "पहले आप खा लो, फिर मम्मा खाएँगी। ठीक है?" प्रियल ने कहा।

    "नहीं, आप भी रूही के साथ खाओगी," रूही ने सिर हिलाते हुए कहा।

    "अच्छा ठीक है। हम दोनों एक ही प्लेट से खा लेंगे। ठीक है?" प्रियल ने कहा।

    रूही ने जल्दी-जल्दी सिर हिलाया। प्रियल ने श्रेयस के लिए भी सर्व किया। श्रेयस तब तक आ चुका था। प्रियल को काम करते देख श्रेयस ने अपनी सख्त आवाज़ में कहा, "तुम यह सब क्यों कर रही हो? सब नौकर कहाँ गए?"

    "वो मैंने ही उन्हें लंच के लिए भेज दिया," प्रियल ने धीरे से कहा।

    श्रेयस कुछ नहीं बोला और चुपचाप अपनी सीट पर बैठ गया। तीनों ने खाना शुरू किया। प्रियल रूही को खिला रही थी, फिर खुद उसी थाली से खा रही थी। ऐसे ही तीनों का लंच खत्म हुआ।

    श्रेयस उठने लगा, कि प्रियल ने उसे रोकते हुए कहा, "Mr. अग्निहोत्री!"

    श्रेयस ने प्रियल को देखा। "वो मैं सोच रही थी, आज अन्वी को देख आऊँ। वैसे भी आज उसकी ऑपरेशन है, तो..." प्रियल ने कहा।

    श्रेयस प्रियल को घूरने लगा।

  • 17. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 17 अन्वी की ऑपरेशन

    Words: 976

    Estimated Reading Time: 6 min

    रूही ने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, आप भी रुही के साथ खाओगी।"

    यह सुनकर प्रियल बोली, "अच्छा, ठीक है। हम दोनों एक ही प्लेट से खा लेंगे। ठीक है?"

    रूही ने जल्दी-जल्दी अपना सिर हाँ में हिला दिया। उसके बाद प्रियल ने श्रेयस के लिए भी सर्व किया। अब तक श्रेयस वहाँ आ चुका था। प्रियल को काम करते देख श्रेयस ने अपनी सख्त आवाज़ में कहा, "तुम ये सब क्यों कर रही हो? सब सर्वेंट कहाँ गए?"

    प्रियल ने धीरे से कहा, "वो मैंने ही उन्हें लंच के लिए भेज दिया।"

    यह सुनकर श्रेयस कुछ नहीं बोला और चुपचाप अपनी सीट पर बैठ गया। उसके बैठने के बाद तीनों ने खाना शुरू किया। प्रियल रूही को एक बार खिला रही थी, फिर खुद उसी थाली से खा रही थी। इसी तरह तीनों का लंच खत्म हुआ।

    श्रेयस उठकर जाने लगा कि प्रियल ने उसे रोकते हुए कहा, "Mr. अग्निहोत्री!"

    श्रेयस प्रियल को देखने लगा। प्रियल बोली, "वो मैं सोच रही थी, आज अन्वी को देख आऊँ। वैसे भी आज उसका ऑपरेशन है, तो..."

    (दरअसल, श्रेयस ने शादी के लिए प्रियल के मानने के बाद ही अन्वी के ऑपरेशन की तैयारी कर ली थी, जिसके बारे में उसने शादी के बाद प्रियल को बताया था।)

    प्रियल की बात सुनकर श्रेयस प्रियल को घूरने लगा और बोला, "तुम जानती हो ना, जानकी आंटी नहीं हैं। तो तुम रुही को ऐसे अकेला छोड़कर कैसे जा सकती हो? और मैं भी आज रुही के पास नहीं रह सकता। मुझे मीटिंग के सिलसिले में जयपुर जाना है।" यह सुनकर प्रियल का मुँह उदास हो गया।

    पर वो फिर से श्रेयस को मनाते हुए बोली, "प्लीज Mr. अग्निहोत्री, मुझे जाने दीजिए। मैं रुही को भी अपने साथ ले जाऊँगी और उसका अच्छे से ध्यान रखूँगी।"

    यह सुनकर श्रेयस प्रियल को देखता है, जो उसे आश भरी निगाहों से देख रही थी। यह देख श्रेयस ने अपना सिर हाँ में हिलाते हुए कहा, "ठीक है। अगर तुम यह वादा कर रही हो कि तुम रुही का अच्छे से ध्यान रखोगी, तो मैं तुम्हें हॉस्पिटल जाने की इजाजत दे सकता हूँ।"

    यह सुनकर प्रियल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो खुश होते हुए बोली, "Thank you Mr. Agnihotri."

    श्रेयस बोला, "It's ok। पर तुम्हें अपने साथ बॉडीगार्ड ले जाने होंगे और तुम्हें वहाँ एक वीआईपी रूम मिल जाएगा, तुम वहीं रुही के साथ रहोगी। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर तुम्हें तुम्हारी दोस्त से मिलने दे देंगे। मैं उनसे बात कर लूँगा।"

    यह सुनकर प्रियल ने अपना सिर हिला दिया और रुही को लेकर रुही के कमरे में चली गई। पहले उसने रुही की ड्रेस चेंज की, फिर खुद की ड्रेस चेंज की। वहीं श्रेयस प्रियल के वहाँ से जाने के बाद जयपुर के लिए निकल गया। प्रियल और रुही तैयार होकर हॉस्पिटल चले गए। वहाँ पहले से ही श्रेयस द्वारा अरेंज किए हुए बॉडीगार्ड पहरा दे रहे थे।

    उन्होंने जब प्रियल और रुही को देखा, तो वो लोग दोनों को वीआईपी रूम में ले गए। यह फ्लोर पूरा श्रेयस ने बुक कर रखा था ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। प्रियल पहले अन्वी से मिलने उसके वार्ड में गई।

    प्रियल को इतने समय बाद किसी बच्ची के साथ देख अन्वी बोली, "तू कल से कहाँ थी? मैं कितना परेशान हो गई थी, तुझे पता है? और यह बच्ची कौन है? और यह तेरे मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र क्या कर रहा है? क्या तूने शादी कर ली?"

    प्रियल को अब अफ़सोस हो रहा था कि वह ऐसे ही क्यों अन्वी के सामने आ गई। इस वक्त उसका ज्यादा टेंशन लेना भी ठीक नहीं है।

  • 18. The love bond: Pyar ka Bandhan - Chapter 18 जो सुधार जाए वो.... / श्रेयस जयपुर में

    Words: 1441

    Estimated Reading Time: 9 min

    ये सुनकर प्रियल अपना सिर हिला दी और रुही को लेकर रुही के कमरे में चली गई। पहले उसने रुही की ड्रेस चेंज की। फिर खुद के कपड़े बदले। वहीं श्रेयस, प्रियल के वहाँ से जाने के बाद, जयपुर के लिए निकल गया। प्रियल और रुही तैयार होकर हॉस्पिटल चले गए। वहाँ पहले से ही श्रेयस द्वारा अरेंज किए हुए बॉडीगार्ड पहरा दे रहे थे।

    उन्होंने जब प्रियल और रुही को देखा, तो वो दोनों को वीआईपी रूम में ले गए। यह फ्लोर पूरा श्रेयस ने बुक कर रखा था ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। प्रियल पहले अन्वी से मिलने उसके वार्ड में गई।

    प्रियल को इतने समय बाद किसी बच्ची के साथ देखकर अन्वी बोली, "तू कल से कहाँ थी? मैं कितनी परेशान हो गई थी, तुझे पता है? और यह बच्ची कौन है? और यह तेरे मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र क्या कर रहा है? क्या तूने शादी कर ली?"

    प्रियल को अब अफ़सोस हो रहा था कि वह ऐसे ही क्यों अन्वी के सामने आ गई। इस वक़्त उसका ज़्यादा टेंशन लेना भी ठीक नहीं था।

    इसलिए वह बात संभालते हुए बोली, "मैं तुझे इस बारे में बात करूँगी। अभी तू आराम कर। अपने दिमाग को ज़्यादा टेंशन मत दे।"

    फिर रुही को उससे मिलाते हुए बोली, "यह रुही है।"

    "बेटा, यह मेरी दोस्त अन्वी है और आपकी मौसी।"

    इतना सुनकर रुही अन्वी को नमस्ते करते हुए बोली, "प्रणाम मासी।"

    रुही की क्यूट बातें सुनकर अन्वी भी खुश होकर उससे थोड़ी बात करने लगी। कुछ ही देर में रुही और प्रियल दोनों वीआईपी कमरे में चले गए जो कि ओटी के सीधे सामने था क्योंकि अन्वी के ऑपरेशन का समय हो गया था।

    अन्वी को नर्स आकर ओटी में ले गई। करीब 2 घंटे तक ऑपरेशन चलता रहा। प्रियल मन ही मन अन्वी के लिए प्रार्थना कर रही थी और बीच-बीच में गेट से बाहर ओटी की तरफ़ देख रही थी।

    2 घंटे बाद ओटी का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर उसमें से बाहर आये। यह देख प्रियल रुही को अपने साथ लेकर बाहर गई और डॉक्टर से पूछा, "डॉक्टर, अन्वी कैसी है?"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "मिसेज़ अग्निहोत्री अन्वी जी का ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा। बस उनके होश आते ही हमें उनके कुछ टेस्ट लेने हैं।"

    यह सुनकर प्रियल भगवान को थैंक यू कहती है। फिर डॉक्टर को थैंक यू बोलते हुए बोली, "थैंक यू डॉक्टर, क्या मैं अभी अन्वी से मिल सकती हूँ?"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "माफ़ करिएगा मिसेज़ अग्निहोत्री, पर अभी आप उनसे नहीं मिल सकतीं। एक घंटे बाद उन्हें होश आ जाएगा। तब आप उनसे मिल सकती हैं।"

    यह सुनकर प्रियल अपना सिर हाँ में हिला दी। उसके बाद रुही और प्रियल दोनों वीआईपी कमरे में चले गए। ऐसे ही कब एक घंटा बीत गया, पता ही नहीं चला।

    पर अभी तक अन्वी को होश नहीं आया था। यह देख प्रियल डॉक्टर के केबिन में गई और डॉक्टर से घबराते हुए बोली, "डॉक्टर, एक घंटा होने को हुआ है पर अभी तक अन्वी को होश नहीं आया। क्या कोई प्रॉब्लम है? प्लीज़ आप एक बार उसे चेक कर दीजिए।"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "मिसेज़ अग्निहोत्री, आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है। कभी-कभी पेशेंट को होश आने में वक़्त लगता है। आप आराम करिए, मैं आता हूँ।"

    तो प्रियल हाँ में सिर हिला दी और रुही को लेकर अन्वी के वार्ड के बाहर खड़ी हो गई। थोड़ी देर में डॉक्टर आये और अन्वी को चेक करने लगे।

    डॉक्टर चेक ही रहे थे कि अन्वी को होश आ गया। यह देख डॉक्टर बोले, "अब आप कैसा फील कर रही हैं? आपको सर में कहीं दर्द महसूस हो रहा है क्या?"

    यह सुनकर अन्वी अपना सिर ना में हिलाते हुए बोली, "नहीं डॉक्टर, मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा है। पर मेरा सर भारी-भारी सा लग रहा है।"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "अभी-अभी ऑपरेशन हुआ है ना, इसलिए थोड़ा सर भारी लगेगा। पर आप जैसे ही कुछ देर आराम करेंगी, आपका भारीपन दूर हो जाएगा। अब आप आराम करिए।"

    इतना बोलकर वे अन्वी के वार्ड से बाहर निकल गए। उनके बाहर आते ही प्रियल उनसे सवाल करती है, "डॉक्टर, अन्वी अभी कैसी है? कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "नहीं, उन्हें कोई परेशानी नहीं है। हम शाम को आकर एक टेस्ट कर लेंगे।"

    यह सुनकर प्रियल बोली, "डॉक्टर, अन्वी को कब तक डिस्चार्ज मिल सकता है?"

    यह सुनकर डॉक्टर बोले, "मिसेज़ अन्वी को 2 दिन तक यहाँ हॉस्पिटल में रहना होगा। उसके बाद आप उन्हें घर पर शिफ्ट कर सकती हैं। अब मैं चलता हूँ, मुझे दूसरे पेशेंट्स को भी देखना है।"

    तो प्रियल भी उन्हें अपना सिर हिलाकर जाने के लिए बोलती है। उसके बाद वह अन्वी से मिलने वार्ड के अंदर जाती है और सीधे अन्वी के गले लग जाती है।

    यह देख अन्वी बोली, "क्या हुआ प्रियल, तुम्हें क्या हुआ?"

    यह सुन प्रियल बोली, "मैं बहुत घबरा गई थी, पता है।"

    यह सुनकर अन्वी बोली, "मुझे कुछ नहीं होने वाला इतनी जल्दी। वैसे भी तुझे परेशान किए बिना मुझे कहाँ शांति मिल सकती है?"

    यह सुनकर प्रियल उसे घूरते हुए बोली, "तुम सुधरोगी नहीं ना!"

    यह सुन अन्वी अपनी दाँत दिखाते हुए बोली, "जो सुधार जाए, वह अन्वी नहीं।"

    उसकी यह डेली वाला डायलॉग सुनकर प्रियल के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है। वह बोली, "अब तुम आराम करो। मैं भी घर जाकर आती हूँ।"

    यह सुनकर अन्वी को कुछ याद आता है। वह बोली, "अब तू मुझे बताएगी भी तेरी शादी कैसे हुई? और यह बच्ची कौन है?"

    यह सुनकर प्रियल एक गहरी साँस लेती है और अन्वी को कॉन्ट्रैक्ट वाली बात को छोड़कर सब बात बता देती है।

    दूसरे तरफ़, श्रेयस जयपुर पहुँच चुका था। वह अपनी मीटिंग के लिए स्वीट ड्रीम्स (काल्पनिक नाम) होटल में आया हुआ था। वह मीटिंग खत्म कर होटल से बाहर निकल ही रहा था कि उसके कानों में किसी की आवाज़ सुनाई दी।

    जिसे सुनकर वह अपने कदम उस तरफ़ बढ़ा देता है। वहाँ जाकर वह जिसे देखता है, उससे उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहता।

    फिर वह जो सुनता है, उसे सुनकर उसके हाथों में मुट्ठी बन जाती है और वह तेज कदमों से होटल से बाहर निकल जाता है।

  • 19. Chapter 19 सुनैना की प्लानिंग / अन्वी को सच पता चला

    Words: 1362

    Estimated Reading Time: 9 min

    जयपुर में श्रेयस अपनी मीटिंग खत्म कर होटल स्वीट ड्रीम्स से बाहर निकल ही रहा था कि उसके कानों में किसी की आवाज़ सुनाई दी। उस आवाज़ को सुनकर उसने अपने कदम उस तरफ़ बढ़ा दिए। वहाँ जाकर जिसे उसने देखा, उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा।

    वो उसे देख गुस्से से वहाँ से जाने ही वाला था कि उसके कानों में एक लड़के की आवाज़ पड़ी। लड़का बोल रहा था, "सुनैना, तुम क्यों उस पिद्दी को लाना चाहती हो?"

    "अरे विक्रम, अगर मैं रूही को अपने पास नहीं लाई, तो वो श्रेयस कैसे तड़पेगा?" सुनैना बोली, "उसने मुझसे, सुनैना राठौर से, शादी करने से मना कर दिया था। तो उसे तो तड़पना ही पड़ेगा ना!"

    तो आ गई हमारी कहानी की विलन, सुनैना राठौर। श्रेयस के भाभी अनन्या (श्रेयस के भाई अरुण की पत्नी) की बहन। जो श्रेयस से शादी करने के लिए पहले मर रही थी, पर श्रेयस ने उसे कभी भाव नहीं दिया। जिसके कारण वो श्रेयस से अपनी insult का बदला लेना चाहती थी। क्योंकि एक भरी पार्टी में उसने सुनैना के पिता से सुनैना से शादी करने से मना कर दिया था। जिससे सुनैना का ego hurt हो गया और वो श्रेयस से बदला लेने के लिए तरह-तरह की तकनीकें अपनाती रही, पर कोई फायदा नहीं हुआ। श्रेयस कभी किसी चीज से नहीं घबराया, न ही डरा। पर अब सुनैना की नज़र रूही पर है, जिसे श्रेयस अपने प्राण से भी ज्यादा प्यार करता है। और हो भी क्यों न, रूही उसके भाई और भाभी की आखिरी निशानी थी। उसके बगल वाला लड़का उसका मंगेतर विक्रम सिंह है।

    फिर हँसते हुए वो बोली, "मैं उस रूही को लाकर उसे इतना टॉर्चर करूंगी, इतना तड़पाऊंगी कि उसका दर्द श्रेयस को भी होगा।"

    "पर वो तुम्हारी बहन की आखिरी निशानी है, उसकी बेटी है," विक्रम ने कहा।

    "वो कौन सी मेरी सगी बहन है? वो मेरे डैड की पहली पत्नी की बेटी है," सुनैना हँसते हुए बोली, "मैं और मम्मी तो उसे कभी वैल्यू ही नहीं देते थे। बस डैड ही उसे अपने सर पर चढ़ाकर रखते थे। मुझे उसे देखकर ही गुस्सा आता था। अब मैं उससे भी बदला ले लूंगी, रूही को तड़पाकर।"

    "पर मुझे नहीं लगता श्रेयस हमें रूही की कस्टडी लेने देगा," विक्रम ने कहा।

    "इसीलिए तो मैं इतनी जल्दबाजी में तुमसे शादी कर रही हूँ, ताकि हमें रूही की कस्टडी मिल सके," सुनैना बोली।

    इतना बोलकर वो दोनों साथ में हँसी-खुशी खाने लगे। उन दोनों की बात सुनकर श्रेयस के हाथ मुट्ठी बन गए और वो तेज कदमों से होटल से बाहर निकल गया।

    दूसरी तरफ़, हॉस्पिटल में, अन्वी अपनी दांत दिखाते हुए बोली, "जो सुधर जाए वो अन्वी नहीं।"

    उसका ये डेली वाला डायलॉग सुनकर प्रियल के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। "अब तुम आराम करो। मैं भी घर जाकर आती हूँ," प्रियल बोली।

    ये सुनकर अन्वी को कुछ याद आया। "अब तू मुझे बताएगी भी तेरी शादी कैसे हुई? और ये बच्ची कौन है?" अन्वी बोली।

    ये सुनकर प्रियल ने एक गहरी साँस ली और अन्वी को कॉन्ट्रैक्ट वाली बात छोड़कर सब बात बता दी। ये सुनकर अन्वी हैरान होते हुए बोली, "तूने सच में श्रेयस अग्निहोत्री से शादी कर ली है? मोस्ट हैंडसम बैचलर को तूने सिंगल से मिंगल कर दिया!"

    "बस कर जा मेरी ड्रामा क्वीन। अब तू आराम कर, मैं रूही को लेकर घर जाती हूँ। तुझे जब भी ज़रूरत हो मुझे कॉल कर देना," प्रियल ने उसके सर पर मारते हुए कहा।

    "मुझे तुझे कॉल करने की क्या ज़रूरत है? मेरे ख्याल रखने के लिए तो इतने लोग यहाँ हैं। वैसे भी जीजू ने कोई कमी नहीं रखी। अब तू जा, आराम से अपनी बच्ची के साथ आराम कर," अन्वी बोली।

    ये सुन प्रियल भी मुस्कुराते हुए चली गई। उसके मन में श्रेयस के लिए इज़्ज़त बढ़ गई थी। और हो भी क्यों न, उसने न सिर्फ़ अन्वी के ऑपरेशन के लिए पैसे दिए थे, बल्कि उसने उसे कोई परेशानी न हो, उसका भी इंतज़ाम कर दिया था। वो मन ही मन श्रेयस को थैंक्स बोल रही थी। प्रियल और रूही मिलकर घर चले गए। पहले प्रियल ने रूही को फ्रेश कराकर उसे नाइट सूट पहनाया। फिर उसे एक मेड के साथ छोड़कर नहाने चली गई।

    वो नहाकर वापस आई और अपनी नाइट सूट पहनकर रूही के साथ किचन में आ गई। फिर रूही को स्लैब पर बिठाकर रूही के लिए कुछ हेल्दी सा डिनर बनाने लगी। वैसे तो कुक ने बहुत बार प्रियल को डिनर बनाने से मना किया, पर प्रियल ने किसी की बात नहीं मानी और उन्हें सिर्फ़ अपनी हेल्प करने के लिए बोल दिया।

    करीब एक घंटे बाद डिनर तैयार हुआ। उसके बाद प्रियल फ्रेश होकर आई और रूही और प्रियल दोनों ने डिनर किया और अपने कमरे में चले गए। प्रियल रूही को कहानी सुनाते हुए सुला दिया और खुद भी उसे सुलाते हुए धीरे-धीरे नींद के आगोश में चली गई।

    वो आज चैन की नींद ले रही थी क्योंकि इन दो दिनों में वो अन्वी के ऑपरेशन के लिए पैसों के इंतज़ाम में इतनी भागी थी कि उसे खाने-पीने, सोने, कुछ भी का ध्यान नहीं था। फिर उसका एक्सीडेंट हो गया जिसकी वजह से वो बेहोश हुई। फिर मेडिसिन के कारण नींद के आगोश में चली जाती थी। पर फिर भी उसके दिमाग में थोड़ा टेंशन था जो उसके सोते हुए चेहरे से भी पता चल रहा था।

    अगली सुबह प्रियल की नींद 7 बजे खुली। वो जब टाइम देखा तो हैरान हो गई। वो ध्यान से रूही का हाथ अपने ऊपर से हटाया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई।

    थोड़ी देर में वो नहाकर बाहर आई। वो अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी इसलिए उसने सिर्फ़ टॉवल पहनकर बाहर आ गई।

    तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे प्रियल की चीख निकल गई।

    तो आप सबको क्या लगता है? ऐसा क्या हुआ जिससे प्रियल की चीख निकल गई? जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी ये कहानी...

  • 20. Chapter 20 अक्वार्ड सिचुएशन / श्रेयस का प्रियल को टॉवल में देखना 

    Words: 1144

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह प्रियल की नींद 7 बजे खुली। समय देखकर वह हैरान हो गई। उसने ध्यान से रूही का हाथ अपने ऊपर से हटाया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई।

    थोड़ी देर में वह नहाकर बाहर आई। उसने अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी; इसलिए उसने सिर्फ़ तौलिया पहन रखा था। तभी उसकी नज़र सामने रूही के पास बैठी श्रेयस पर गई। उसे देखकर प्रियल की चीख निकल गई।

    "आआआआआह!"

    श्रेयस की नज़र ऊपर उठी और वह प्रियल को सिर्फ़ तौलिये में देखता ही रह गया। उसके बाल धोने के कारण गीले थे और उनसे पानी टपक रहा था, जो उसके गले और क्लीवेज से होकर तौलिये में छुप रहा था।

    श्रेयस ने अपनी थूक निगल ली और तुरंत अपना सिर नीचे कर लिया। प्रियल भी जल्दी से बाथरूम में भागने लगी, किंतु उसका पैर फर्श के गीले होने के कारण फिसल गया। वह गिरने ही वाली थी कि श्रेयस उठकर उसके पास दौड़ा और उसे गिरने से बचा लिया।

    गिरने के डर से प्रियल ने अपनी आँखें बंद कर लीं। पर जब उसे कोई चोट महसूस नहीं हुई, तो उसने आँखें खोलीं और सामने श्रेयस को देखा। वह शर्मा गई और सीधे खड़े होने की कोशिश करने लगी।

    श्रेयस ने उसे सीधा खड़ा किया और उसे छोड़ते हुए कहा, "तुम कपड़े चेंज कर लो। मैं बाहर हूँ।"

    इतना कहकर वह प्रियल को कुछ बोले बिना बाहर चला गया। उसके जाने के बाद प्रियल ने अपने आप से कहा, "ये कब आया जयपुर से? कल तो रात को नहीं था?"

    इतना सोचकर उसने अपना सिर झटकते हुए कहा, "खैर छोड़ो। मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूँ।"

    इतना कहकर वह जल्दी से रूही के चेंजिंग रूम में गई और वहाँ से एक सादा कुर्ता और प्लाज़ो निकालकर पहन लिया। फिर बाहर आकर उसने अपने बाल सुखाए और माँग में सिंदूर, आँखों में काजल, होठों पर लिप बाम लगाकर रूही को एक नज़र देख बाहर निकल गई।

    वह रूही के कमरे से निकलकर सीधे किचन में गई। वहाँ उसने रूही और श्रेयस के लिए आलू के पराठे बनाए। उसे नहीं पता था कि श्रेयस ये सब खाता है या नहीं, पर उसने कम ऑइल वाला हेल्दी सा ही बना दिया।

    दूसरी तरफ़ श्रेयस रूही के कमरे से निकलकर सीधे अपने कमरे में गया और कोल्ड शावर लेने लगा। उसने दीवार पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "ये क्या हो रहा है मेरे साथ? मैंने कितनी ही हॉट और सुंदर लड़कियों को ऐसे देखा है। अरे, ऐसे क्या इससे भी कम कपड़ों में देखा है! पर मुझे उनसे सिर्फ़ घिन आती थी। पर इस लड़की को देख पता नहीं क्यों एक अजीब सी फीलिंग आ रही है।"

    इतना सोचते हुए उसने अपना हाथ दीवार पर मारते हुए कहा, "नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैं उसके करीब नहीं जा सकता। वो सिर्फ़ रूही के लिए आई है।"

    इतना बोलते हुए वह खुद को प्रियल से दूर रहने की हिदायत दे रहा था। (पर भाई होने का कौन टाल सकता है? जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।)

    वह करीब आधे घंटे तक कोल्ड शावर लेता रहा। फिर बाथरूम से निकलकर उसने अपने बाल सुखाए। फिर एक ब्लू जींस और व्हाइट शर्ट पहनकर अपने रूम से निकल गया और रूही के कमरे की तरफ़ जाने लगा।

    वहीं प्रियल ने पूजा की और रूही को उठाने उसके कमरे में गई, तो देखा कि दोनों बाप-बेटी मिलकर कुछ बात कर रहे थे। यह देख प्रियल के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।

    रूही बोली, "पापा आज आप ये कैजुअल ड्रेस क्यों पहना है?"

    यह सुनकर श्रेयस बोला, "वो इसलिए कि आज मैं पूरा दिन अपनी प्रिंसेस के साथ वक़्त बिताने वाला हूँ।"

    यह सुनकर रूही खुश हो गई और बोली, "सच्ची पापा!"

    यह सुनकर श्रेयस उसके नाक को खींचते हुए बोला, "मुझे मेरी प्रिंसेस।"

    तभी रूही कुछ बोली, जिससे प्रियल की हँसी छूट गई।

    तो आप सब को क्या लगता है?

    क्यों हँसी छूट गई होगी प्रियल की?

    जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी यह कहानी...