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'Ek ehsaas' do dilon ki

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Shivangi Gupta

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Description

अनविका एक ऐसी लड़की जिसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है पर हर मुस्कान की वजह ख़ुशी नहीं होती है। इस मुस्कान में छुपा है दर्द, डर, ख़ामोशी तक़लीफ़ और बदला लेने का जुनून,और ये ही जुनून ले आया उसको उसके प्यार के पास, पर चाह कर भी वो आपने प्यार को नहीं...

Characters

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रिधान सिंह शेखावत

Hero

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अंविका सिंह राठौर

Heroine

Total Chapters (64)

Page 1 of 4

  • 1. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 1

    Words: 1042

    Estimated Reading Time: 7 min

    शाम का वक्त था।

    एक बड़े स्टेडियम में एक लड़की स्टेज पर, हाथ में माइक लिए, गाना गा रही थी। उसका चेहरा मास्क से ढका हुआ था। उसने एक सुंदर सा गाउन पहना हुआ था। उसकी आवाज़ में एक दर्द था; उसकी खूबसूरत, हल्की गहरी नीली आंखें ना जाने कितना दर्द बयाँ कर रही थीं। और उसकी आवाज़ में एक जादू था जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।

    Lily was a little girl

    Afraid of the big, wide world

    She grew up with in

    Her castle walls,

    वह खुद में खोई हुई गाना गा रही थी और लोग उसकी आवाज़ से बहुत प्रभावित हो रहे थे। अचानक उसे अपने अतीत की एक परछाई दिखाई दी जिससे वह बेचैन हो गई। उसने अपनी आँखें झट से खोलीं और एक गहरी साँस लेकर गाना शुरू किया।

    Now and then, She tried to run

    And then on the night , with the setting sun

    She went in the woods away

    So afraid, all alone .............

    और गाने के आखिर में उसकी आँखों से आँसुओं की एक बूँद गिर गई। फिर स्टेडियम में लोगों की शोरगुल की आवाज़ आने लगी; लोग लड़की का नाम पुकार रहे थे।

    Ak , Ak , Ak .........

    यह देखकर वह मुस्कुरा दी। फिर उसने अपने प्रशंसकों को धन्यवाद कहा।

    AK: "Thank you everyone, I am here today because of your love and support. I hope that your love and support will continue for me in the future too. Thank you once again. And See you soon."

    AK (आप सभी का धन्यवाद, मैं आज आपके प्यार और समर्थन की वजह से यहाँ हूँ। मुझे उम्मीद है कि आपका प्यार और समर्थन भविष्य में भी मेरे लिए जारी रहेगा। एक बार फिर से धन्यवाद। और जल्द ही मिलते हैं।)

    और फिर वह हवा में हाथ लहराते हुए स्टेज से नीचे उतर गई। उसके नीचे काले रंग की वर्दी पहने बॉडीगार्ड खड़े थे। बॉडीगार्ड ने उसे कवर किया और उसे लेकर म्यूज़िक स्टेडियम से निकल गए। उसके बाहर आते ही एक काले रंग की चमचमाती कार वहाँ पर रुकी और वह उसमें बैठकर निकल गई।

    न्यू यॉर्क शहर से दूर, एक शांत जगह पर, एक बड़ी सी बिल्डिंग में एक लड़की केमिकल के साथ कुछ कर रही थी। दिखने से वह एक वैज्ञानिक लग रही थी। वह लड़की एक शीशे के एर्लेनमेयर फ्लास्क में, जिसमें लाल रंग का एक liquid था, उसमें टेस्ट ट्यूब के नीले रंग के liquid को डाल रही थी, कि अचानक से वह केमिकल ब्लास्ट हो गया और वह उछलकर दूर चली गई।

    "Thank god i am safe," और फिर वह गहरी-गहरी साँस लेती है।

    तभी वहाँ पर उसके कुछ और साथी आ जाते हैं। एक लड़का, जो देखने से विदेशी लग रहा था, वह उस लड़की से बोलता है-

    "Are you okay? and what were you doing?"

    (क्या तुम ठीक हो? और तुम क्या कर रही थी?)

    उस विदेशी लड़के के साथ एक लड़की भी थी जो दिखने से इंडियन लग रही थी। उसने उस लड़की से कहा-

    "You are fine and you are playing with chemicals again. Now don't say that you are making chemical RD." उसने यह थोड़े गुस्से से कहा।

    (तुम ठीक हो और तुम फिर से केमिकल के साथ खेल रही हो। अब यह मत कहना कि तुम केमिकल RD बना रही थी।)

    फिर उस लड़की ने अपना सेफ्टी गॉगल और मास्क उतारा। उसकी गहरी, खूबसूरत आँखें, जो बिल्कुल काली थीं, इतनी गहरी कि कोई भी उनमें डूब जाना चाहे। वह अपनी खूबसूरत आँखें फड़फड़ाती है; वह बहुत ज्यादा क्यूट लग रही थी। वह भी देखने से इंडियन लग रही थी; इंडियन फेयर टोन स्किन और खूबसूरत ब्लैक आइज़, M शेप लिप्स और लॉन्ग हेयर जिसका उसने पोनीटेल बना रखा था। वह सच में बहुत खूबसूरत थी; एक बार कोई देखे तो बार-बार देखे।

    जब उसने उस लड़की और लड़के की बात सुनी तो उसने कहा, "Eric I am fine and Riddhi."

    "Please don't say that I was playing with chemicals and you know how important it is for me to make chemical RD." उसने थोड़ा उदास होकर कहा।

    (एरिक मैं ठीक हूँ और रिद्धि। कृपया यह मत कहो कि मैं केमिकल के साथ खेल रही थी और तुम जानती हो कि मेरे लिए केमिकल आरडी बनाना कितना महत्वपूर्ण है।)

    रिद्धि ने कहा, "I know how important it is to you, but you shouldn't play with your life. You know how risky it is to make this chemical."

    (मैं जानती हूँ कि यह तुम्हारे लिए कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन तुमको अपनी ज़िंदगी से नहीं खेलना चाहिए। तुम जानती हो कि इस केमिकल को बनाना कितना जोखिम भरा है।)

    फिर उस लड़की ने कहा, "I know that." वह उदास हो गई थी। उसको उदास देखकर रिद्धि ने कहा, "अच्छा ठीक है, छोड़ो और चलो घर चलते हैं। Ak हमारा वेट कर रही होगी।"

    उस लड़की ने कहा, "Okay चलो।"

    और फिर दोनों ने एरिक को कुछ कहा और फिर वहाँ से चली गईं।

    रात का वक्त था। एक बड़े से घर में, जो देखने में बहुत मॉडर्न और सुंदर था, उसके एक कमरे में एक लड़की खड़ी थी जो अपने सामने एक आदमी, जो कमरे की खिड़की के सामने खड़ा था, से बात कर रही थी।

    "अंकल, चाहे आप मुझे जितना रोक लें, पर अब मैं रुकूँगी नहीं। वक्त आ गया है, लोगों को उनके किए की सज़ा दी जाए।"

    उस लड़की के सामने पीठ करके खड़ा आदमी बोला, "मैं जानता हूँ तुम अपना बदला लेना चाहती हो और मैं तुम्हें रोकूँगा भी नहीं। मैं भी जानता हूँ तुमने बहुत कुछ सहन किया है, पर मैं तुम्हें खोना भी नहीं चाहता बेटा। हमने पहले से ही बहुत लोगों को खो चुके हैं। मैं तुम्हें नहीं खोना चाहता।"

    वह लड़की बोली, "अंकल, इस लड़ाई में किसी ना किसी को तो कुर्बान होना ही होगा।" उसने यह बहुत ही दृढ़ निश्चय के साथ कहा। उसकी बात सुनकर उस आदमी ने कहा, "तो तुमने तय कर लिया है।"

    उस लड़की ने कहा, "हाँ, अब मैं रुकूँगी नहीं।" इतना बोलकर वह वहाँ से चली गई।

    और उस आदमी ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, जैसे वह अपनी आँखों से बहते आँसुओं को रोकना चाहता हो।

    प्लीज मेरी स्टोरी को अपना प्यार और सपोर्ट दे और मुझे जरूर फॉलो करें जिसे आपको नए चैप्टर के अपडेट मिलते रहे,और प्लीज कमेंट और रेटिंग दें ना भूले l

  • 2. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 2

    Words: 1226

    Estimated Reading Time: 8 min

    न्यू यॉर्क शहर,

    रात का वक्त था। उसी घर के एक बड़े से कमरे में वह लड़की खिड़की के पास खड़ी थी और अपने अतीत को याद कर रही थी। उसकी आँखों के सामने उसका अतीत बार-बार आ रहा था; वह अपने अतीत में खो चुकी थी। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और वह चौंक गई। उसने चौंककर पीछे देखा तो एक लड़की अपने हाथ में एक फाइल लिए खड़ी थी।

    उसने उस लड़की से कहा, "अन्वी, relax, ये मैं हूँ।"

    अन्वी ने उस लड़की को देखकर गहरी साँस ली और कहा, "शार्वी, तुम यहाँ क्या कर रही हो?" वह थोड़े गुस्से में लग रही थी। शार्वी ने अन्वी को गुस्से में देखा तो उसने कहा, "मैं तुम्हें यह फ़ाइल देने आई थी।"

    यह सुनकर उसने गुस्से से वह फाइल ले ली और उसको जाने को कहा। उसको गुस्से में देखकर उसने वहाँ से चले जाने में अपनी भलाई समझी।

    शार्वी ने खुद से कहा, "इसको क्या हो गया? यह फिर से गुस्से में क्यों है?" यह सोचते हुए वहाँ से अपने कमरे में चली गई।

    अन्वी का कमरा।

    वह अपने कमरे में सोफे पर बैठकर उस फाइल को पढ़ने लगी। जैसे-जैसे वह फाइल पढ़ रही थी, वैसे-वैसे उसके चेहरे पर evil smile😈 आ रही थी। उसने खुद से कहा,

    "खेल अब शुरू हुआ। इंतज़ार करो, मैं आ रही हूँ। तुम सबको बर्बाद करने वाली हूँ, जैसे तुम लोगों ने मेरी ज़िंदगी तबाह की, वैसे ही मैं तुम लोगों की ज़िंदगी तबाह कर दूँगी। अफ़सोस करोगे तुम लोग अपनी ऐसी ज़िंदगी पर। यह मेरा वादा है, अनविका सिंह राठौर का वादा है।"

    रात के 11:30 बजे।

    उसी घर के स्टडी रूम में एक आदमी अपनी स्टडी चेयर पर बैठा था और ठीक उसके सामने अन्वी और शार्वी चेयर पर बैठी थीं। अन्वी ने कहा, "अंकल, हम दो दिन के बाद इंडिया जा रहे हैं।"

    आदमी ने कहा, "तुमने जब फैसला कर लिया है तो मैं अब कुछ नहीं बोल सकता। मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि जो भी करना, सोच-समझकर करना। कोई भी कदम गुस्से में मत उठाना और अपने गुस्से को कंट्रोल करना। वरना तुम अच्छे से जानती हो, तुम मुसीबत में पड़ सकती हो।"

    अन्वी ने कहा, "हाँ, मैं ध्यान रखूँगी।"

    शार्वी, जो वहाँ बैठकर दोनों की बातें सुन रही थी, उसने कहा, "आप फ़िक्र मत कीजिए, अंकल। मैं इसका ध्यान रखूँगी। मैं पूरी कोशिश करूँगी कि इसका गुस्सा कम करूँ।" यह बात उसने शरारती अंदाज़ में कही थी क्योंकि उसे वहाँ का माहौल कुछ ज़्यादा ही गर्म लग रहा था। उसकी बात को सुनकर अन्वी ने उसे घूरा।

    अन्वी को खुद को घूरते हुए देखकर उसने अपने मुँह पर उँगली रख ली, जैसे कि अब वह कुछ नहीं बोलेगी। उसकी यह हरकत देखकर सामने बैठे आदमी के चेहरे पर मुस्कान आ गई, पर अन्वी ने अपने गर्दन ना में हिला दी, जैसे इसका कुछ नहीं हो सकता। अन्वी की हरकत को देखकर शार्वी का मुँह बन गया। फिर दोनों सामने बैठे आदमी को गुड नाइट बोलकर अपने कमरे में चली गईं।

    अपनी कुर्सी पर बैठा वह आदमी अपने अतीत को याद करते हुए खुद से बोला, "चाहता तो मैं भी हूँ कि अन्वी, तुम उन सबको बर्बाद करो जिन्होंने हमारी ज़िंदगी बर्बाद कर दी, पर मुझे डर लगता है कि मैं फिर से कहीं अपनों को खोना न दूँ। यह डर मुझे खाए जाता है, पर मैं जानता हूँ कि जब तक तुम उन लोगों को बर्बाद नहीं कर देती, तब तक तुम चैन से जी नहीं पाओगी।"

    इतना बोलकर अपनी आँखें बंद कर ली और कुर्सी से सिर लगा लिया।

    इंडिया,

    दिल्ली। सुबह का वक्त।

    दिल्ली शहर के एक शांत जगह पर, लोगों की भीड़ से दूर, एक बड़े से बिल्डिंग पर बड़े-बड़े अक्षरों में S.I.F (Secret Investigation Force) लिखा हुआ था।

    बिल्डिंग के सामने एक कार 🚗 आकर रुकी और उस कार में से कुछ ऑफिसर निकलकर उस बिल्डिंग के अंदर चले गए। देखने से ऐसा लग रहा था कि वे लोग कुछ घबराए हुए हैं और काफ़ी जल्दी में हैं। वे लोग जल्दी-जल्दी बिल्डिंग के अंदर जाने लगे।

    वे एक बड़ी सी हॉल से होते हुए लिफ्ट 🛗 में चले गए और वह लिफ्ट 12वें फ्लोर पर जाकर रुकी। वे लिफ्ट से बाहर निकले और वहाँ बने एक बड़े से रूम में चले गए। ऑफिस डोर🚪 के ऊपर "डिस्कशन रूम" लिखा हुआ था। जब वे कमरे के अंदर पहुँचे तो वहाँ का माहौल कुछ ज़्यादा ही गंभीर लग रहा था।

    सामने एक बड़े से टेबल के चारों तरफ चेयर 💺 लगी हुई थीं। वे लोग भी जाकर अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठ गए। उस टेबल के हेड चेयर पर एक आदमी बैठा हुआ था। वह दिखने में 50-51 के लग रहे थे, जो काफ़ी गंभीर लग रहे थे। उनके चेहरे पर निराशा और गुस्सा साफ़ झलक रहा था। वे गुस्से से वहाँ आए हुए ऑफिसर से बोले,

    "तुम लोग कहाँ थे जब यह सब हुआ?" उन्होंने टेबल पर अपना हाथ जोर से मारकर कहा।

    "We are very sorry sir," वहाँ पर आए हुए ऑफिसर्स में से एक ऑफिसर, जिसका नाम करण है, ने बोलना शुरू किया।

    "सर, हम लोगों को पता चला था कि अली जुन्हेर फैजाबाद के एक गाँव में देखा गया है, इसलिए हम लोग उसकी जानकारी निकालने के लिए फैजाबाद गए थे, और हमें उसकी जानकारी भी मिली कि वह कहाँ पर है, पर जब तक हम लोग वहाँ पहुँचे, वह फ़रार हो चुका था।"

    "I don't know कैसे हुआ, पर हम लोगों को लगता है कि हमारे वहाँ पहुँचने की जानकारी किसी ने उसे दे दी थी, इसलिए हमारे वहाँ पहुँचते ही वह वहाँ से फ़रार हो चुका था।"

    वह आदमी जो हेड चेयर 💺 पर बैठा हुआ है, उनका नाम वीरेंद्र राजपूत है। वे यहाँ के चीफ़ डायरेक्टर हैं।

    चीफ़ डायरेक्टर वीरेंद्र जी ने बोलना शुरू किया, "यह जानकारी किसने दी थी तुम लोगों को?"

    "करण सर, प्रतीक ने।"

    प्रतीक, जो वहाँ आए हुए ऑफिसर में से एक था, उसने कहा, "सर, मुझे हमारे जासूस से पता चला था कि अली जुन्हेर फैज़ाबाद में है।"

    चीफ़ डायरेक्टर वीरेंद्र जी बोले, "क्या नाम है उस जासूस का?"

    "प्रतीक सर, कोड नेम 8072।"

    चीफ़ डायरेक्टर वीरेंद्र जी बोले, "उसकी इन्फॉर्मेशन फ़ाइल मुझे लाकर दो।"

    "प्रतीक yes sir।"

    चीफ़ डायरेक्टर वीरेंद्र जी बोले, "हो ना हो गद्दारी कोड नेम 8072 ने ही की है।" और इतना बोलकर वे उस रूम से निकल गए।

    उनके जाते ही चारों ने अपनी उखड़ती हुई साँसों को नियंत्रित किया और एक गहरी साँस ली।

    प्रतीक, "मुझे तो लगा था आज तो मैं गया।"

    कबीर, "हाँ, मुझे तो लगा यार ये मेरी ज़िंदगी का आखिरी दिन है, पर बच गया। भगवान तेरा शुक्रिया।"

    नील, "अभी शुक्र मत मनाओ, अभी मुसीबत टली नहीं है।"

    करण, "नील सही बोल रहा है। हमें पता करना होगा किसने इन्फॉर्मेशन लीक की है और हमारे सिस्टम के साथ किसने खिलवाड़ किया है।"

    करण की बात सुनकर तीनों ने हाँ में सर हिलाया और वे भी डिस्कशन रूम से बाहर निकल गए।

    कबीर, "प्रतीक, तू जाकर सर को फ़ाइल दे आ।"

    प्रतीक, "हाँ," बोलकर चला गया। और वे तीनों भी (इन्फॉर्मेशन लीक) सूचना लीक करने वाले का पता करने चले गए।

    प्रतीक इन्फॉर्मेशन रूम के अंदर गया और वहाँ से कोड नेम 8072 की इन्फॉर्मेशन फ़ाइल 🗃️ लेकर चीफ़ डायरेक्टर के ऑफिस की तरफ़ चला गया।

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  • 3. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 3

    Words: 1241

    Estimated Reading Time: 8 min

    दिल्ली शहर,

    S.I.F. ऑफिस, प्रधान निर्देशक कार्यालय कक्ष। दरवाज़े पर दस्तक की आवाज़ आई।

    "सर, मैं अन्दर आ जाऊँ?"

    चीफ डायरेक्टर श्री वीरेंद्र राजपूत ने कहा, "हाँ, अन्दर आ जाओ।"

    प्रतीक ने कहा, "सर, ये रहा कोड नेम 8072 की इन्फॉर्मेशन फ़ाइल।"

    मी. वीरेंद्र राजपूत ने प्रतीक से फ़ाइल ली और उसे पढ़ने लगे। फ़ाइल पढ़ने के बाद मी. वीरेंद्र राजपूत ने कहा, "तुमने कोड नेम 8072 का पता लगाया कि वो अभी कहाँ है?"

    प्रतीक ने कहा, "हाँ सर! पर सर, एक प्रॉब्लम हो गई।"

    मी. वीरेंद्र राजपूत ने पूछा, "क्या हुआ है?"

    प्रतीक ने कहा, "सर, अली जिन्हेर के लोगों ने कोड 8072 को पकड़ लिया है। मैंने कोड नेम 1681 को कोड 8072 की जानकारी निकालने को कहा था कि वह इस वक़्त कहाँ है, तभी उसे पता चला कि अली जिन्हेर के लोगों ने उसे पकड़ लिया है और अपने साथ ले गए हैं। हो न हो सर, वे हमारी एजेंसी की सीक्रेट इन्फॉर्मेशन निकलवाना चाहते हैं। मुझे डर है सर, हमारे सिस्टम के साथ खिलवाड़ करने वाले कहीं अली जिन्हेर के लोग तो नहीं।"

    मी. वीरेंद्र राजपूत ने पूछा, "क्या कोड 8072 के पास कोई ऐसी जानकारी है जिससे हम लोगों को खतरा हो सकता है?"

    प्रतीक ने कहा, "सर, ज़्यादा नहीं, पर मुझे लगता है उसे हमारे सीक्रेट स्पाई की जानकारी है। मुझे नहीं पता कि कितने लोगों के बारे में पता है, पर अगर उसने यह जानकारी अली जिन्हेर को दे दी तो बहुत बड़ी समस्या हो सकती है। वह हमारे जासूस को हमारे खिलाफ़ इस्तेमाल कर सकता है या फिर उनकी जान भी ले सकता है।"

    मी. वीरेंद्र जी ने कहा, "ऐसा कुछ नहीं होगा। इससे पहले कि बात हाथ से निकले, तुम मी. शेखावत से बोलो कि वह अपनी टीम लेकर वापस दिल्ली आये।"

    प्रतीक हैरान होकर बोला, "सर, कैप्टन को वापस आने के लिए कहना है?"

    मी. वीरेंद्र ने कहा, "तुम्हें क्या मेरी बात समझ में नहीं आई?"

    प्रतीक ने कहा, "नो, नो सर, मैं समझ गया।" वह थोड़ा घबराया हुआ बोला, जैसे उसकी साँस ही अटक गई हो यह बात सुनकर।

    मी. वीरेंद्र ने कहा, "ठीक है, जाओ फिर।"

    प्रतीक ने कहा, "ओके सर।" और फिर वह चीफ डायरेक्टर के ऑफिस से निकल गया। बाहर आते ही वह खुद से बुदबुदाया, "ओह, नो! ये क्या हो गया? अब तो लगता है हमारी जान निकल कर ही रहेगी। कैप्टन हम लोगों को छोड़ेंगे नहीं।" प्रतीक बहुत परेशान नज़र आ रहा था। उसका मुँह रोने जैसा हो गया था। फिर वह अपनी टीम के पास चला गया।

    अपने ऑफिस की केबिन में पहुँचकर उसने देखा कि उसकी टीम वहाँ पर है। वह भी जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। वे सब अपने काम में ही लगे हुए थे। नील की नज़र प्रतीक पर पड़ी जो कुछ परेशान लग रहा था।

    नील ने कहा, "क्या हो गया भाई? ऐसा सड़ा हुआ मुँह क्यों बनाया हुआ है? क्या हुआ? किसी ने तेरी गर्लफ्रेंड चुरा ली क्या? या तेरी ऐसी शकल देखकर तेरी गर्लफ्रेंड तुझे छोड़कर भाग गई?" यह बोलकर वह जोर-जोर से हँसने लगा। नील की बात सुनकर कबीर को भी हँसी आ गई। दोनों ने एक-दूसरे को हाई-फ़ाइव दिया और फिर से हँसने लगे।

    प्रतीक ने कहा, "तू हमेशा मेरी गर्लफ्रेंड के पीछे क्यों पड़ा रहता है?"

    नील ने कहा, "क्योंकि मुझे यकीन नहीं होता कि वह तेरी गर्लफ्रेंड है। कहाँ वो इतनी सुन्दर सी और कहाँ तू सड़ा हुआ सा?" यह बोलकर उसने प्रतीक को दांत दिखा दिए।

    कबीर फिर से हँस दिया।

    प्रतीक ने थोड़े गुस्से से कहा, "चुप करो तुम दोनों! तुम दोनों को बर्दाश्त नहीं होता कि मेरी गर्लफ्रेंड है, क्योंकि तुम दोनों ठहरे सिंगल..." प्रतीक इसके आगे कुछ बोलता कि वहाँ बैठे करण ने, जो कब से तीनों की बकवास सुन रहा था, बोला, "तीनों के तीनों चुप हो जाओ! कब से बकवास किये जा रहे हो।" करण की बात सुनकर तीनों चुप हो गए।

    करण ने प्रतीक से पूछा, "प्रतीक, तुम चीफ डायरेक्टर के ऑफिस में गए थे? क्या कहा डायरेक्टर ने?"

    प्रतीक ने कहा, "तुम लोग सुनोगे तो शॉक हो जाओगे।"

    कबीर ने पूछा, "ऐसा क्या कह दिया चीफ़ ने कि हम हैरान हो जाएँगे?"

    प्रतीक ने कहा, "चीफ़ डायरेक्टर कैप्टन को बुला रहे हैं। चीफ़ ने मुझसे कहा कि मैं कैप्टन को बोलूँ कि वह अपनी टीम के साथ वापस दिल्ली आ जाए।"

    करण ने कहा, "मुझे लगा ही था कुछ ऐसा ही होगा। वैसे भी हमसे ये सब हैंडल नहीं हो पाएगा। हम लोगों को कैप्टन की ज़रूरत है।"

    नील ने कहा, "वो तो है, लेकिन कैप्टन के आते ही हम सब की बैंड भी बजेगी। वह हमें छोड़ेंगे नहीं।"

    कबीर ने कहा, "मुझे तो अभी से ही डर लग रहा है।"

    करण ने कहा, "डरने से कुछ नहीं होगा। हमसे गलती हुई है तो हमें स्वीकार करना ही होगा। हाँ, हमने ये जानबूझकर नहीं किया, पर ये हुआ तो हमारी ही लापरवाही से है और कैप्टन को लापरवाही बिलकुल पसंद नहीं है। इसलिए तुम लोग जितनी हो सके उतनी जानकारी निकालकर रखो ताकि इस बार हमसे कुछ गलती ना हो, समझे सभी के सभी?"

    तीनों ने अपना सिर हाँ में हिलाया और अपने काम पर लग गए। करण ने प्रतीक से कहा, "प्रतीक, तुम जल्दी से जल्दी कैप्टन को जानकारी दो कि चीफ़ डायरेक्टर उन्हें यहाँ पर बुला रहे हैं।"

    प्रतीक ने कहा, "मैंने तन्मय सर को मैसेज कर दिया है और उन्होंने बोला है कि वे अपना काम करके वहाँ से जल्दी ही निकलेंगे। शायद वे कल तक यहाँ पहुँच जाएँ।"

    कबीर ने कहा, "ठीक है फिर। हमें हमारे सिस्टम को हाईजैक करने वाले का पता लगाना है।" तीनों ने एक-दूसरे को देखा और अपने-अपने काम पर लग गए।

    सिक्किम, सिक्किम शहर के सुनसान इलाके में एक छोटे से कॉटेज में 10 से 12 लोग कुर्सियों पर बैठे कुछ चर्चा कर रहे थे और उनसे पीठ करके खड़ा एक आदमी खिड़की से बाहर देख रहा था। उसने सभी काले रंग के कपड़े पहन रखे थे। तभी एक आदमी वहाँ आया और उस आदमी से कहा, "हम लोगों को चीफ़ डायरेक्टर ने बुलाया है। हमें अपना काम जल्द से जल्द करके यहाँ से निकलना होगा।"

    खिड़की के पास खड़े आदमी ने कहा, "What happened Tanmay? Everything okay?"

    उसकी आवाज़ गहरी और भारी थी। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कशिश थी जो लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करती थी।

    तन्मय ने कहा, "नो, समथिंग इज़ नॉट राइट। प्रॉब्लम हो गई हैं एक।"

    खिड़की के पास खड़े हुए आदमी ने पूछा, "क्या हुआ है?" तन्मय ने कहा, "किसी ने हमारे सिस्टम को हाईजैक कर लिया था, पर अब सब कंट्रोल में है, लेकिन..."

    "लेकिन क्या?" उस आदमी ने पूछा।

    तन्मय ने कहा, "अभी तक पता नहीं चला यह किसने किया है और साथ ही हमारा एक जासूस पकड़ा गया है। चीफ़ डायरेक्टर को डर है कि कहीं वह जासूस हमारी जानकारी उन्हें दे दे।"

    आदमी ने पूछा, "किसके पास है वो जासूस?"

    तन्मय ने कहा, "अली जिन्हेर के पास।"

    उस आदमी ने अपनी टीम से कहा, "तो हमारे पास सिर्फ़ आज रात तक का वक़्त है। ये काम ख़त्म करें और दिल्ली हेड ऑफिस चलें।"

    सब ने अपना सिर हाँ में हिलाया और अपने-अपने काम पर लग गए। तन्मय भी लोगों को निर्देश देने चला गया। पर वह आदमी खिड़की के पास खड़ा खुद से बोला, "अली जिन्हेर, बहुत छिप लिया तूने। अब तेरा खेल ख़त्म।" यह बोलकर वह भी वहाँ से चला गया।

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  • 4. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 4

    Words: 1355

    Estimated Reading Time: 9 min

    भारत, दिल्ली,

    अगले दिन, S.I.F. Office, तकनीकी कक्ष के अंदर चीफ डायरेक्टर Mr. वीरेंद्र राजपूत, करण, नील, कबीर और प्रतीक थे। वे लोग अपने सामने एक बड़े से स्क्रीन पर दिख रहे डेटा की जानकारी देख रहे थे। और उसी स्क्रीन के सामने एक लड़का बैठा हुआ था, उसके सामने एक लैपटॉप रखा था। उसकी उंगलियाँ लैपटॉप के की-बोर्ड पर बड़ी तेजी से चल रही थीं और आवाज कर रही थीं। उसकी नज़र अपने लैपटॉप की स्क्रीन पर बनी हुई थी, और वह काफी गंभीर लग रहा था। अचानक से स्क्रीन ब्लर होने लगा।

    लड़के का लैपटॉप बड़ी स्क्रीन से कनेक्ट था। वह लड़का जो जो अपने लैपटॉप पर कर रहा था, वह बड़ी स्क्रीन पर शो हो रहा था। और अचानक से स्क्रीन धुंधला होने की वजह से पीछे खड़े चीफ डायरेक्टर, करण, कबीर, नील और प्रतीक घबरा गए। वे कुछ बोलते, इससे पहले ही अचानक से स्क्रीन पर खतरे का संकेत ☠️ आया।

    यह देखकर करण बोला, "ये क्या हुआ? क्या हमारी सारी की सारी जानकारी उनके पास चली गई?"

    की अचानक से स्क्रीन फिर से स्टार्ट हो गया और डेटा फिर से रिकवर होने लगा। यह देखकर सब ने चैन की साँस ली क्योंकि खतरा अब टल गया था।

    चीफ डायरेक्टर ने बोला, "ईशान, क्या अब सब ठीक है? क्या हमारी जानकारी सुरक्षित है? हमारे सारे डेटा रिकवर हो चुके हैं। अब कोई समस्या तो नहीं होगी?"

    ईशान ने, ""No sir, everything is fine,"" बोलते हुए अपनी कुर्सी घुमा कर खड़ा हो गया।

    (चलो दोस्त, जानते हैं अपने सेकेंड मेल लीड के बारे में। इनका नाम ईशान कुंद्रा है, उम्र 28-29 के आसपास, हाइट 6 फीट, गेहुआ रंग, भूरी आँखें, perfect lips shape, तीखी नाक, संपूर्ण भारतीय सौंदर्य पुरुष है। यह भी एक S.I.F. officer हैं, कोडिंग में इन्होंने महारत हासिल की हुई है। टेक्निकल इश्यू यह कंट्रोल करते हैं।)

    इशान ने कहा, "सर, मैंने सारा डेटा रिकवर कर लिया है। आप टेंशन मत लीजिए। जिसने भी हमारा डेटा चुराने की कोशिश की है, मैंने उसके सिस्टम में ऐसा वायरस डाल दिया है कि उसका सिस्टम खुद ब खुद ब्लास्ट हो जाएगा और हमारे डेटा के साथ-साथ उसके डेटा भी ख़त्म हो जाएँगे और सिस्टम भी नष्ट हो जाएगा। So be relax, everything is okay 👍"

    चीफ डायरेक्टर ने कहा, ""अच्छी बात है।"" "ईशान, Mr. शेखावत कब तक आने वाले हैं?"

    ईशान ने कहा, ""Sir, he is on the way.""

    चीफ डायरेक्टर ने ""Ok"" बोलकर वो चले गए।

    चीफ डायरेक्टर के जाने के बाद, ईशान ने करण, कबीर, प्रतीक और नील से कहा, "तुम लोग इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो? क्या तुम्हारी ज़िम्मेदारी नहीं बनती है कि अपने सीनियर की गैर-मौजूदगी में तुम यहाँ का काम संभालो?"

    करण ने कहा, ""Sir, हम जानते हैं हमसे गलती हुई है, but believe me sir, हमें बिलकुल भी आइडिया नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा।""

    ईशान ने कहा, "जो हो गया सो हो गया। तुम सबको पता है कैप्टन आने वाले हैं और उनको हर एक जानकारी विस्तार में चाहिए। तो तुम सब हर एक जानकारी, छोटी सी छोटी जानकारी का पता लगाओ और एक फ़ाइल तैयार करके दो। Make sure करना कि इस बार कुछ भी नहीं छोड़ना चाहिए।"

    तीनों ने हाँ बोला और वहाँ से निकल गए।

    ईशान अपने सामने बड़ी सी स्क्रीन को देखते हुए, "तुम जो कोई भी हो, बचोगे नहीं," इतना बोलकर उसने अपनी जेब से फ़ोन निकाला और किसी को कॉल लगा दिया।

    उधर से कॉल पिक होते हुए ईशान बोला, "कितना टाइम लगेगा तुम लोगों को?" उधर से आवाज आई, "5 मिनट में हम पहुँच रहे हैं।"

    ईशान बोला, ""ठीक है, आओ, मैं वेट कर रहा हूँ।""

    इतना बोलकर वह टेक्निकल रूम से निकल गया।

    ठीक 5 मिनट बाद एक कार फ़ुल स्पीड से वहाँ आकर एक झटके से रुकी। कार का दरवाज़ा खुला और ड्राइविंग सीट से तन्मय बाहर निकला और पैसेंजर सीट से एक आदमी बाहर निकला। उसने फॉर्मल कपड़े पहन रखे थे। व्हाइट शर्ट, ब्लैक पैंट। उसकी शर्ट की आस्तीन उसकी कोहनी तक फोल्ड थी, जो उसके मस्कुलर बॉडी को काफी अच्छे से शो कर रहा था। उसके हाथ की नसें दिख रही थीं, जो उसके शरीर को और भी ज़्यादा अट्रैक्टिव बना रही थीं। उसकी हाइट 6.2 है। दिखने में वह काफी हैंडसम है, जैसा कोई हॉलीवुड का सुपर मॉडल हो। गोरा रंग, हेज़ल ग्रे आँखें, perfect lip shape, तीखी और थोड़ी लम्बी नाक, perfect nose shape। कुल मिलाकर वह काफी ज़्यादा हैंडसम था, एक बार कोई देखे तो नज़रें हटाना मुश्किल हो जाए बंदे पर से।

    (एवरीबडी, मिलिए Mr. रिधान सिंह शेखावत से, हमारी कहानी के मेल लीड। उम्र 28 से 29, S.I.F. ऑफिसर और टीम के कैप्टन। अब ये क्या है? ये कैसे है? आप सबको कहानी में पता चलेगा।)

    रिधान लम्बे-लम्बे कदम लेता हुआ S.I.F. बिल्डिंग में चला गया। उसके पीछे तन्मय भी भाग रहा था।

    दोनों जब अंदर पहुँचते हैं तो सीधे हॉल से होते हुए लिफ्ट के अंदर चले जाते हैं। लिफ्ट 14वें फ्लोर पर आकर रुकती है। उसमें से दोनों बाहर निकलते हैं और दोनों रिधान के केबिन में चले जाते हैं।

    रिधान का केबिन। दोनों जब केबिन में पहुँचते हैं तो देखते हैं वहाँ पर ईशान पहले से ही बैठा हुआ था।

    तन्मय ने कहा, ""ईशान, तू कब पहुँचा?"" कुर्सी पर बैठे हुए बोला।

    ईशान ने कहा, ""आज सुबह ही।""

    तन्मय ने कहा, ""ओह।""

    रिधान ने ईशान से पूछा, ""सब अंडर कंट्रोल है ना?"" वह भी अपनी हेड चेयर पर बैठ गया।

    ईशान ने हाँ में सर हिला दिया।

    तन्मय ने कहा, ""ये हुआ कैसे?""

    ईशान ने कहा, "मैं यहाँ पर नहीं था और करण और प्रतीक अपनी टीम के साथ फ़ैज़ाबाद गए थे, अली जुन्हेर को पकड़ने। और उसी बीच किसी ने हमारे सिस्टम को हाईजैक कर लिया। वरना मैं श्योर हूँ, उन लोगों के होते ऐसा कुछ नहीं होता। ज़रूरी है ये किसी की प्लानिंग होगी, हमारे जाते ही हमारे सिस्टम पर हमला करने की। But अब सब कुछ कंट्रोल में है।"

    रिधान ने कहा, "क्या अली जुन्हेर का पता चला? अभी वह कहाँ है?"

    ईशान ने कहा, "अभी नहीं, हम पता कर रहे हैं। जल्दी पता चल जाएगा।"

    रिधान ने गुस्से से कहा, "पता चल जाएगा नहीं, पता करो! बहुत छुपा लिया उसने, पर अब नहीं। उसकी ज़िंदगी के आखिरी दिन जल्दी ही आएंगे। उसे भी पता चलेगा लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करना क्या होता है।" रिधान की बात सुनकर दोनों ने हाँ में सर हिलाया।

    ईशान ने कहा, "वैसे तुम दोनों को पता चला? सर, नए ऑफिसर की जॉइनिंग कर रहे हैं, वो भी हमारी टीम में।"

    तन्मय ने कहा, "क्या? ये कब हुआ? हमें तो किसी ने नहीं बताया।"

    रिधान ने कहा, "कौन है वो लोग? क्या सर किसी को ट्रांसफ़र कर रहे हैं यहाँ?"

    ईशान ने कहा, "नहीं, न्यू जॉइनिंग है।"

    तन्मय ने कहा, "पर सर, न्यू जॉइनिंग को हमारी टीम में कैसे रख सकते हैं? वो भी बिना किसी की इन्फॉर्मेशन दिए? रिधान, तुझे ये पता था?"

    रिधान ने कहा, "नहीं।"

    तन्मय ने कहा, "तुझे भी नहीं पता था!"

    ईशान ने कहा, "छोड़ो ये सब। वो आएंगे तो पता चल जाएगा कि कौन है वो लोग जिसे सर ने बिना हमें कोई जानकारी दिए रख लिया।"

    तन्मय ने कहा, "हाँ, मैं भी मिलना चाहता हूँ। देखूँ तो कौन है जिसे सर ने बिना हमसे पूछे हमारी टीम में शामिल कर लिया। उनके अंदर कोई ख़ासियत है भी या नहीं।"

    ईशान ने कहा, "मैं भी देखना चाहता हूँ कि ऐसी क्या ख़ासियत है उनमें कि सर ने हमसे पूछा ही नहीं।"

    रिधान ने कहा, "ये सब छोड़ो और जाकर पता करो अली जुन्हेर कहाँ है। हमें जल्दी से जल्दी उसको ढूँढना होगा। इससे पहले वो और ख़तरा बने। हमें उसका काम तमाम करना है।"

    दोनों ने हाँ कहा और रिधान के केबिन से निकल गए।

    रिधान अपनी कुर्सी पर सर लगाकर खुद से बोला, ""आखिर ऐसी क्या ख़ासियत है उनमें कि चीफ डायरेक्टर ने मुझे भी नहीं बताया? अब तो उनके आने के बाद ही पता चलेगा कि वो कितने काबिल हैं हमारी टीम के लिए।"" इतना बोलकर उसने आँखें बंद कर लीं, जैसे कुछ सोच रहा हो।

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  • 5. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 5

    Words: 1407

    Estimated Reading Time: 9 min

    3 दिन बाद (सुबह का समय),

    S.I.F. के चीफ डायरेक्टर के ऑफिस रूम में रिधान, ईशान और तन्मय बैठे हुए थे।

    चीफ डायरेक्टर अपनी चेयर से खड़े हुए और बोलना शुरू किया, "तुम लोगों को पता तो चल ही गया होगा कि S.I.F. में कुछ नए लोग जुड़ रहे हैं, यानी कि नए S.I.F. ऑफिसर।"

    रिधान गंभीर चेहरे के साथ बोला, "आप क्या कहना चाहते हैं? बात को घुमाने से अच्छा साफ-साफ बताइए। बिना हमसे पूछे किसी नए ऑफिसर को हमारी टीम में रखना?"

    "आपको पता है ना, मुझे मेरी टीम में काबिल और समझदार लोग चाहिए, ना कि बेवकूफ लोग। पिछली बार भी नए ज्वाइनिंग ऑफिसर की वजह से सारी टीम को परेशानी उठानी पड़ी थी। उनकी बेवकूफी भरी हरकतों ने सारी टीम को प्रॉब्लम में डाल दिया था।" ये सब बोलते वक़्त वह काफी गुस्से में लग रहा था।

    चीफ डायरेक्टर, Mr. Virendra Rajput ने कहा, "मैं जानता हूँ तुम क्या कहना चाहते हो, पर इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा। मुझ पर भरोसा रखो।"

    रिधान: "I hope ऐसा कुछ भी ना हो।"

    ईशान: "वो कब से ज्वाइन करने वाले हैं?"

    चीफ डायरेक्टर, Mr. Virendra Rajput: "आज से।"

    तन्मय: "तो क्या वो लोग अभी तक नहीं आए?"

    चीफ डायरेक्टर, Mr. Virendra Rajput: "नहीं, पर आते ही होंगे।"

    रिधान वहाँ से उठता है और केबिन से निकल जाता है क्योंकि वह कुछ इरिटेट लग रहा था। उसके पीछे-पीछे ईशान और तन्मय भी चीफ डायरेक्टर के ऑफिस रूम से निकल जाते हैं।

    तन्मय रिधान के पास आते हुए बोला, "तुझे क्या हो गया? किस बात पर तू इतना गुस्सा हो रहा है? देख, तेरे हैंडसम चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ने लगी हैं। भाई, तू अभी से बूढ़ा हो जाएगा तो मेरे लिए भाभी कहाँ से लाएगा? और मैं नहीं चाहता कि तेरा हैंडसम चेहरा खराब हो जाए और मुझे मेरी भाभी ना मिले।" बोलकर वह उदास होने की एक्टिंग करने लगा।

    कि ना जाने कितना बड़ा दुख आ गया उसके ऊपर! उसकी यह हरकत देख ईशान मन ही मन हंसने लगा। पर जब उसने रिधान को गुस्से से लाल-पीला होता देखा, तो तन्मय के सर पर मरते हुए उसने बोला,

    "क्या बकवास कर रहा है!"

    और आँखों से उसे इशारे करने लगा कि वह अब कुछ ना बोले। और फिर धीरे से उसने बोला, "रिधान तुझे घूर रहा है।"

    तन्मय ने जब ईशान की बातें और उसके इशारे समझे, तब उसने अपना गला तर करते हुए अपनी गर्दन घुमाते हुए रिधान की तरफ देखा जो उसे जान से मार देने वाली नज़रों से घूर रहा था।

    उसकी घूरती नज़रों को देख उसने अपने दाँत दिखा दिए 😁😁 और अपने कदम पीछे लेने लगा। रिधान उसे पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि वह स्पीड से भाग निकला।

    उसे भागते देखकर ईशान हँस दिया और बोला, "ये कभी नहीं सुधर सकता।" रिधान ने भी अपने सर को हाँ में हिलाया, जैसे वह ईशान की बातों पर सहमत हो। एक-दूसरे को देख मुस्कुराकर वे भी उसी दिशा में चले गए जहाँ तन्मय गया था।

    दिल्ली की सड़क पर, दो बाइक फुल स्पीड से सड़क पर दौड़ रही थीं। देखने से ऐसा लग रहा था कि बाइक चलाने वाले अभी अपनी बाइक हवा में ही उड़ा देंगे। दोनों बाइक काफी स्पीड में थीं। कभी पहली बाइक आगे आती और दूसरी बाइक पीछे छूटती, तो कभी दूसरी बाइक आगे आती और पहली बाइक पीछे छूटती। देखकर ऐसा लग रहा था कि दोनों रेस लगा रहे हैं।

    पहली बाइक वाला फिर से दूसरी बाइक वाले के आगे आया और राइट साइड मुड़ता हुआ आगे निकल गया। दूसरी बाइक पीछे छूट गई। वह बाइक वाला पीछे मुड़कर देखता है, तो उसके पीछे दूसरी बाइक वाला नहीं दिख रहा था। जैसे ही उसने अपनी स्पीड थोड़ी कम की, अचानक से दूसरी बाइक वाला फुल स्पीड से पहली बाइक वाले को क्रॉस कर गया, और एक बिल्डिंग के सामने अपनी बाइक रोका और वह एक तेज आवाज के साथ रुक गया। उसकी बाइक एक टायर पर खड़ी हो गई थी।

    वहाँ आस-पास के लोग बाइक वाले को हैरान होकर देख रहे थे। तभी वहाँ पर पहली बाइक वाला भी आ गया। उसने भी आकर अपनी बाइक रोकी और बाइक पर से उतर गया।

    पहली बाइक वाले ने अपना हेलमेट उतारा। वह एक लड़की थी; खूबसूरत, लम्बे black hair, काली गहरी बड़ी-बड़ी आँखें, M shape pink lip, छोटी नाक, क्यूट सा फेस, Indian fair tone skin। वह लड़की दिखने में काफी सुंदर लग रही थी। उसकी उम्र कुछ 25 साल की लग रही थी। उसकी height 5.4 थी।

    आस-पास के लोग उसको देखकर खो गए थे। लड़के तो देखते ही रह गए थे। वह लड़की दूसरी बाइक वाले के पास आई और बोली,

    "तू हमेशा मुझसे जीत कैसे जाती है? मुझे लगा आज मैं जीत जाऊँगी, पर तू अचानक से आ गई।" वह थोड़ी उदास और अपनी आँखें छोटी-छोटी करके बोली। वह काफी क्यूट लग रही थी।

    तभी दूसरी बाइक वाले ने भी अपने हाथ से दस्ताने और हेलमेट उतारे। उसके हेलमेट उतारते ही उसके कंधे से नीचे आते हुए black hair हवा में लहराने लगे। वहाँ पर खड़े आस-पास के लोग उस लड़की को देखकर खो गए थे।

    उनको ऐसा लग रहा था कि धरती पर कोई परी उतर आई है। दूध सा गोरा रंग, हल्की नीली चमकदार बड़ी-बड़ी आँखें, perfect nose shape and heart shape lips 👄, perfect facial feature, height 5.6, age 25। कुल मिलाकर वह किसी परी से कम नहीं लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि परी लोक से कोई परी आ गई हो।

    वह लड़की पहली वाली लड़की की बात सुनकर उससे बोली,

    "शार्वी सहगल, आपको इसकी आदत लगा लेनी चाहिए।"

    शार्वी: "किस चीज़ की?"

    वह लड़की बोली, "हारने की।" इतना बोलकर उसे ईविल स्माइल पास कर दिया और बाइक पर से उतरकर बाइक की चाबी वहाँ खड़े एक गार्ड को थमा दिया और पार्किंग के लिए बोलकर बिल्डिंग के अंदर चली गई।

    शार्वी उसकी बात सुनकर जोर से चिल्लाई, "अन्वी राठौर! तुम ऐसा कैसे बोल सकती हो?" बोलते हुए वह भी उसके पीछे बिल्डिंग में चली गई।

    बिल्डिंग के ऊपर S.I.F. (secret investigation force) लिखा हुआ था। वह बिल्डिंग 25 मंजिल की थी।

    अन्वी और शार्वी बिल्डिंग के अंदर पहुँचते ही सीधे लिफ्ट की तरफ बढ़ जाती हैं। लिफ्ट के आने का इंतज़ार करने लगती हैं और लिफ्ट के आते ही लिफ्ट के अंदर चली जाती हैं। 14th floor का बटन दबाते हुए लिफ्ट के 14th floor पर रुकने का इंतज़ार करती हैं।

    लिफ्ट 14वीं मंजिल पर आकर रुकती है। दोनों लिफ्ट से बाहर निकलती हैं और वहाँ से सीधा एक केबिन के बाहर जाकर रुकती हैं। केबिन के दरवाजे पर "Chief of Director Mr. Virendra Rathore" लिखा हुआ था। शार्वी दरवाजे पर knock करती है। कमरे के अंदर से आवाज़ आती है।

    "Mr. Virendra, come in."

    शार्वी और अन्वी अंदर चली जाती हैं। अंदर पहुँचते ही दोनों सामने बैठे चीफ डायरेक्टर Mr. Virendra Rajput को गुड मॉर्निंग बोलती हैं।

    शार्वी और अन्वी: "Good morning sir."

    Mr. Virendra: "Good morning."

    अन्वी: "Sir, हम नए ज्वाइनिंग हैं।"

    Mr. Virendra: "Ooo haa..." अपने सामने कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए, "आओ बैठो।"

    दोनों कुर्सी पर बैठ जाती हैं।

    Mr. Virendra: "तो क्या आप दोनों तैयार हैं यहाँ पर काम करने के लिए?"

    शार्वी और अन्वी: "Yes सर, हम तैयार हैं।"

    Mr. Virendra: "अच्छी बात है। और एक बात है, मैं आप लोगों को क्लियर कर देना चाहता हूँ कि आप जिस टीम के साथ काम करेंगी, उस टीम के कैप्टन को बिल्कुल भी लापरवाही पसंद नहीं है। तो इस बात का आप दोनों ध्यान दीजिएगा। अगर आपसे कोई गलती हुई, तो यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप उस गलती को कैसे सुधारेंगी। और मुझसे कोई भी उम्मीद नहीं रखी जाएगी, क्योंकि उस टीम के मामले में मैं कोई निर्णय नहीं ले सकता।"

    "वह आपके कैप्टन पर निर्भर है कि वह आपको टीम में रखते हैं या आपकी गलती करने पर आपको टीम से निकालते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखिएगा।"

    शार्वी: "Yes sir, हम ध्यान रखेंगी कि हमसे कोई गलती ना हो और आपको अफ़सोस ना हो कि आपने हमें चुना।"

    अन्वी: "आप रिलैक्स रहिये सर, हमारी तरफ़ से कोई भी लापरवाही नहीं की जाएगी।"

    Mr. Virendra: "हम्म्म्म..." बोलकर वह कुर्सी से उठे और बोले, "तो चलिए, आपकी टीम से मिलते हैं, जिस टीम के साथ आप काम करने वाली हैं।"

    अन्वी और शार्वी भी अपनी कुर्सी से उठीं और मिस्टर वीरेंद्र के साथ चल दीं।

    प्लीज मेरी स्टोरी को अपना प्यार और सपोर्ट दे और मुझे जरूर फॉलो करें जिसे आपको नए चैप्टर के अपडेट मिलते रहे,और प्लीज कमेंट और रेटिंग दें ना भूले l

  • 6. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 6

    Words: 1438

    Estimated Reading Time: 9 min

    डिस्कशन रूम के अंदर,

    रिधान की टीम बैठी थी। कमरे के अंदर टेबल के सामने ईशान खड़ा था और वह अपनी टीम से कुछ बोल रहा था ही, कि दरवाजा अचानक से खुला। ईशान के साथ-साथ कुर्सी पर बैठे सभी लोग दरवाजे की तरफ देखने लगे। कमरे के अंदर चीफ डायरेक्टर मिस्टर वीरेंद्र आ रहे थे।

    सब लोग उनको देख ही रहे थे कि उनके पीछे से एक लड़की निकल कर आगे आई। उसको देखकर वहाँ बैठे सभी लोग एकटक उसको देखने लगे। ईशान का दिल अचानक से धड़क उठा। उसने अपने सीने पर हाथ रखा और अपनी धड़कनों को महसूस करने लगा। वह एकटक सामने खड़ी लड़की को देख रहा था।

    तभी,

    "ऑफिसर, इनसे मिलें," मिस्टर वीरेंद्र ने कहा, "मिस शार्वी सहगल। आपकी टीम की नई सदस्य हैं। आज से आपके साथ काम करेंगी।"

    शार्वी सबकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और सबको हेलो बोला। वहाँ बैठे ऑफिसर ने भी उसे हेलो कहा। फिर उसने खुद को introduce किया। "मेरा नाम शार्वी सहगल है। मैं S.I.F की नई जॉइनिंग हूँ। I hope आपको मेरा काम पसंद आए।"

    "वह तो वक्त ही बताएगा कि हमें आपका काम पसंद आता है या नहीं," वहाँ बैठे तन्मय ने कहा।

    तन्मय की बात सुनकर शार्वी ने उसे घूर कर देखा, जैसे उसे खा जाएगी।

    "शार्वी, तुम भी बैठ जाओ," मिस्टर वीरेंद्र ने बात को आगे बढ़ाने से रोकने के लिए शार्वी से कहा। मिस्टर वीरेंद्र की बात सुनकर वह भी एक कुर्सी खींच कर बैठ गई।

    "रिधान कहाँ है?" मिस्टर वीरेंद्र ने ईशान से कहा।

    मिस्टर वीरेंद्र की आवाज सुनकर ईशान, जो शार्वी को देखकर खो गया था, अपने होश में आया। वह होश में आता हुआ बोला, "सर, रिधान आ रहा है।"

    कि तभी फिर से दरवाजा खुलने की आवाज आई और दो लोग साथ में दरवाजे से अंदर आने लगे। उन दोनों का ध्यान एक-दूसरे पर नहीं था कि तभी उन दोनों को महसूस हुआ कि उनके बगल में कोई है।

    एक बार फिर सभी का ध्यान दरवाजे की तरफ हो गया था। रिधान, जो अभी-अभी डिस्कशन रूम में आया था, ने बगल में किसी लड़की को देखकर उसे देखना शुरू कर दिया।

    (दरअसल अन्वी को किसी का कॉल आ गया था इसलिए वह शार्वी के साथ नहीं आई थी।)

    अन्वी, जो रिधान के साथ ही रूम में आई थी, उसकी भी नज़र रिधान की नज़रों पर रुक गई। वह उसकी आँखों से होते हुए उसके चेहरे की हर एक बारीकियाँ देख रही थी, फिर वह अपनी नज़र वापस से उसकी आँखों पर कर लेती है। रिधान की हेज़ल ग्रे आँखें अन्वी को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे; वह उसकी आँखों में खो गई थी।

    रिधान भी, जो बस अन्वी को देख रहा था, उसने अपनी पलकें भी नहीं झपकाई थीं। वह एकटक अन्वी को देख रहा था।

    शार्वी, जो रिधान को देखकर खो गई थी, खोए हुए ही बोली, "Hayeeee! मेरा तो इन पर तो दिल ही आ गया।"

    तभी उसके बगल में बैठा हुआ

    तन्मय बोला, ""ग़लत इंसान पर दिल ला रही हो। वो तुम्हें भाव भी नहीं देगा।"" तन्मय की बात सुनकर शार्वी ने फिर से तन्मय को घुरा और तन्मय ने फिर अपनी नज़र शार्वी से हटाकर अन्वी की तरफ़ देखना लगा।

    "रिधान, तुम दरवाजे पर क्यों खड़े हो?" Mr. वीरेंद्र ने कहा। Mr. वीरेंद्र की आवाज़ सुनकर रिधान ने अपनी नज़रें अन्वी पर से हटा ली और कमरे में आ गया और अपनी कुर्सी पर बैठ गया। अन्वी, जो अभी तक रिधान को ही देख रही थी, Mr. वीरेंद्र की फिर से आवाज सुनकर उनकी तरफ देखने लगी।

    "अन्वी, इधर आओ।" Mr. वीरेंद्र ने कहा।

    अन्वी उनकी आवाज सुनकर उनके पास चली गई। Mr. वीरेंद्र ने अन्वी को introduce किया।

    "ऑफिसर, इन्हें मिलिए, मिस अन्वी राठौर।"

    वहाँ पर बैठे लोग अन्वी को तब से देख रहे थे, जब से वह दरवाजे से रिधान के साथ अंदर आई थी। अन्वी ने सभी की नज़रों को ignore किया।

    अन्वी ने बस सब लोगों को हेलो बोला और शार्वी के बगल की कुर्सी खींच कर बैठ गई। उसके सामने एक-दो कुर्सी छोड़कर बैठे रिधान को उसने एक नज़र देखा और फिर अपनी नज़र उससे हटा ली।

    तन्मय, जो शार्वी से अपनी बात बोलकर शार्वी को देख रहा था और अपनी तरफ़ शार्वी की घूरती नज़रों को अनदेखा करके, उसने भी रिधान के बगल में खड़ी अन्वी को देखा, जो उसने अब तक नहीं देखा था, और एकटक देखी रहा था कि उसे अपने कानों में शार्वी की आवाज सुनाई दी।

    ""दिल आ गया है, पर ग़लत इंसान पर दिल लगा रही हो। यह तुम्हें भाव नहीं देगी।"" यह सुनकर उसने उसे घुरा और वह उसे देखकर मुस्कुरा दी। तन्मय ने अपनी नज़र शार्वी से हटाकर चीफ डायरेक्टर Mr. वीरेंद्र की तरफ़ कर ली।

    जो अन्वी के बैठते ही वह भी अपनी कुर्सी पर बैठ गए।

    ईशान, जो रिधान के आते ही उसकी तरफ़ ही देख रहा था, रिधान की नज़रों को अन्वी पर पाकर वह भी अन्वी को देखने लगा। वह फिर से रिधान को देखता है, जो एकटक अन्वी को देख रहा था। रिधान की नज़रों में उसे कुछ तो नज़र आया जो वह समझ नहीं पाया। रिधान के बैठते ही वह भी उसके बगल में बैठ गया।

    सब लोग अब अपनी कुर्सी पर ठीक से बैठ गए थे। सभी के बैठते ही

    चीफ डायरेक्टर Mr. वीरेंद्र बोले, ""अन्वी और शार्वी आज से ही आपकी टीम ज्वाइन कर रही हैं, तो आप लोग एक-दूसरे को समझ लीजिए क्योंकि आप लोग एक टीम हैं और आप लोगों को एक साथ काम करना है।"" फिर उन्होंने रिधान से कहा,

    "कैप्टन रिधान, क्या अली जुलेर का पता चला कि वह कहाँ पर है?"

    "Yes sir, information मिली है कि वो पीतमपुरा में देखा गया है।" रिधान ने कहा।

    "जानकारी पक्की है?" चीफ डायरेक्टर Mr. वीरेंद्र बोले।

    "Yes sir," रिधान ने कहा।

    "तो कब जा रहे हो तुम लोग उसको पकड़ने?" चीफ डायरेक्टर ने पूछा।

    "Sir, सारी चीजें तैयार हो गई हैं। हम एक घंटे में यहाँ से निकल रहे हैं।" रिधान ने बताया।

    "ठीक है, मुझे अपडेट देते रहना।" चीफ डायरेक्टर ने कहा।

    "Yes sir," रिधान ने कहा।

    चीफ डायरेक्टर वहाँ से उठकर निकल गए।

    उनके जाते ही रिधान ने अपनी टीम से कहा, "सभी लोग तैयार हो जाओ। आज किसी भी हाल में अली जुलेर को पकड़ना ही पकड़ना है। इस बार हमारे हाथों से भागकर निकलना नहीं चाहिए। और तुम लोगों में से किसी ने भी, मतलब किसी ने भी…" यह बात बोलते हुए उसने वहाँ बैठे सभी टीम के सदस्य को देखते हुए कहा, "...कोई लापरवाही की तो टीम से तुरंत निकाल दिया जाएगा।" यह बोलकर उसने अन्वी और शार्वी को घुरा, जैसे कि वह उनको चेतावनी दे रहा हो कि उन दोनों की वजह से कोई भी समस्या हुई तो उनका पहला दिन ही उनका आखिरी दिन होगा।

    शार्वी रिधान की घूरती नज़रों को देखकर अपना थूक निगला और खुद में ही बड़बड़ाई, ""ये ऐसी ख़तरनाक नज़रों से क्यों घूर रहे हैं? जैसे अभी हमें मार देंगे। O God! ये तो बस देखने में ही handsome हैं, इनकी बातें तो dangerous हैं।""

    उसकी बड़बड़ बगल में बैठे तन्मय ने सुनी तो वह उसे बोला, ""डर लग रहा है क्या? पर हमारी टीम में डरने वालों की कोई जगह नहीं है। अगर तुम्हें डर लग रहा है तो तुम अभी से ही पीछे हट जाओ और हमारी टीम छोड़ दो। हम तुम्हें नहीं रोकेंगे।"" बोलकर उसने एक evil मुस्कान पास की।

    शार्वी तन्मय की evil smile देखकर गुस्से से बोली, ""डर? और मुझे तुम्हारे सपने में भी नहीं!"" बोलकर उसने अपना मुँह टेढ़ा किया और अपना चेहरा उसे फेर लिया।

    तन्मय उसकी यह हरकत देखकर मुँह बनाने लगा और बोला, ""पागल नहीं तो…"" हाँ, यह बात उसने काफ़ी धीरे से बोली थी जो शार्वी ने नहीं सुनी थी, नहीं तो वह तन्मय को छोड़ती नहीं।

    अन्वी, जो रिधान की हर एक बात काफी गौर से सुन रही थी, रिधान की आखिरी लाइन सुनकर भी उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और फिर से अपनी नज़रों को रिधान से हटा लिया।

    "तुम सच में ये करना चाहती हो?" शार्वी ने अन्वी से धीरे से कहा, जो सिर्फ़ अन्वी को ही सुनाई दिया।

    अन्वी ने शार्वी को देखा और अपना सर हाँ में हिला दिया। शार्वी ने भी एक गहरी साँस ली, जैसे वह खुद को इस चीज़ के लिए तैयार कर रही हो।

    वहाँ बैठे सभी ऑफिसर ने हाँ में सर हिलाया और उठकर अपने-अपने काम पर चले गए, क्योंकि रिधान पहले ही उन्हें उनका काम दे रखा था।

    सभी के चले जाने के बाद वहाँ पर केवल अन्वी, शार्वी, तन्मय, ईशान और रिधान ही रह गए थे।

    प्लीज मेरी स्टोरी को अपना प्यार और सपोर्ट दे और मुझे जरूर फॉलो करें जिसे आपको नए चैप्टर के अपडेट मिलते रहे,और प्लीज कमेंट और रेटिंग दें ना भूले l

  • 7. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 7

    Words: 1662

    Estimated Reading Time: 10 min

    India ,Delhi,

    S.I.F. (secret investigation force)

    Discussion room,

    सभी के चले जाने के बाद वहाँ पर केवल अन्वी, शार्वी, तन्मय, ईशान और रिधान ही रह गए थे।

    रिधान ने कहा, "इशान, तुम अली जुन्हेर की exact location पता करो कि वह इस वक्त पीतमपुरा की किस जगह पर है।"

    इशान ने उत्तर दिया, "ठीक है।" वह वहाँ बैठी शार्वी को एक नज़र देखकर चला गया।

    रिधान ने तन्मय से कहा, "तन्मय, तुम हमारे कुछ टीम मेंबर को अभी ही पीतमपुरा निकलने के लिए बोलो और कोड 1681 को बोलो कि वो अपनी नज़रे अली जुन्हेर के लोगों पर बनाए रखे। अली जुन्हेर के साथ-साथ उसके लोगों को भी हमें पकड़ना है।"

    तन्मय ने कहा, "ठीक है। मैं अभी अपनी टीम के सदस्यों को पीतमपुरा के लिए भेजता हूँ।"

    रिधान ने कहा, "और हाँ, टीम के साथ कबीर और प्रतीक को भी जाने के लिए बोलो।"

    तन्मय ने "okay" कहकर discussion room से निकल गया।

    इशान और तन्मय के चले जाने के बाद वहाँ पर केवल अन्वी, शार्वी और रिधान ही रह गए थे।

    शार्वी ने अन्वी से धीरे से कहा, "यार अन्वी, क्या हम दोनों को भी इनके साथ जाना होगा?"

    अन्वी ने शार्वी की बातों को इग्नोर किया और रिधान को देखकर अपनी chair से खड़ी होकर रिधान से बोली, "हमें क्या करना है, यह तो आपने बताया ही नहीं।"

    रिधान, जो अपने फोन में कुछ कर रहा था, उसका ध्यान अब जाकर अन्वी और उसके बगल में बैठी शार्वी पर गया। और फिर वह अन्वी की तरफ देखकर बोला, "क्या मतलब क्या करना है? 🤨"

    अन्वी ने अपनी एक आइब्रो चढ़ाकर पूछा, "ये ही कि हमें क्या करना है? आपने बताया नहीं कि हम क्या करें। अभी आपने सबको सबका काम बताया, पर हम दोनों को तो कुछ नहीं बताया। तो क्या हमें कुछ नहीं करना?" 🤨

    शार्वी, जो वहाँ बैठकर दोनों की बातें सुन रही थी, उसने भी रिधान से कहा, "Sir, हमने आज ही जॉइनिंग की है, तो अभी तक हम दोनों को ये नहीं बताया गया है कि हम क्या करें।"

    रिधान ने कहा, "तो क्या? क्या आप दोनों को समझ में नहीं आया कि यहाँ पर इतनी देर से क्या बातें हो रही थीं और हमें क्या करना है?"

    रिधान के rude tone सुनकर शार्वी ने अन्वी को देखा। अन्वी ने शार्वी को एक नज़र देखकर वापस से अपनी नज़र रिधान पर कर ली और उससे बोली, "हमें समझ में आया कि यहाँ पर इतनी देर से क्या बातें हो रही थीं और यह भी कि यहाँ पर सबको सबका काम पता है, पर हमें पता नहीं है, इसलिए पूछा। और मुझे नहीं लगता कि यह पूछकर हमने कोई गलती की है।"

    वह काफी शालिनता से बोल रही थी, "हम आपकी टीम में हैं, और आप हमारी टीम के captain हैं, तो यह आपका फ़र्ज़ बनता है कि आप हमें हमारा काम बताएँ। क्या आप अपने फ़र्ज़ से पीछे हट रहे हैं?"

    रिधान ने अन्वी की फ़र्ज़ वाली बात सुनकर उसे गुस्से से घूरना शुरू कर दिया। उसे पसंद नहीं था कि कोई उसे उसके फ़र्ज़ के बारे में बताए, क्योंकि वह अपना फ़र्ज़ बहुत अच्छे से समझता था और निभाता भी था। पर अन्वी की "फ़र्ज़ से पीछे हट जाने" वाली बात उसके गुस्से को बढ़ा गई। वह पहले से ही थोड़े गुस्से में था और अन्वी की बातों ने उसके गुस्से को बढ़ा दिया था।

    रिधान ने अन्वी को घूरते हुए कहा, "मुझे अपना फ़र्ज़ अच्छे से पता है और ना ही मैं अपने फ़र्ज़ से पीछे हट रहा हूँ। मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि तुम हमारी टीम में हो। बाकी के जो टीम मेंबर कर रहे हैं, तुम्हें भी वही काम करना होगा, यानी कि तुम भी हमारे साथ पीतमपुरा चलना होगा। अब क्या इसे ज़्यादा भी समझाना है कि तुम्हें कैसे चलना है? क्या तुम अब समझ चुकी हो कि तुम्हें अब क्या काम करना है?"

    शार्वी का तो last line सुनकर मुँह ही बन गया। रिधान की बात सुनकर वह अजीब-अजीब सा मुँह बनाने लगी थी। 😲😣😠😏😔

    अन्वी ने रिधान की आखिरी लाइन सुनकर उसे घूरती है और एक गहरी साँस लेकर खुद को नॉर्मल करती है और फिर रिधान से बोलती है, "इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। हम समझ गए।"

    रिधान ने अन्वी की बात सुनकर कहा, "अच्छी बात है कि समझ गई। चलो, थोड़ी समझदार तो हो।" बोलकर एक नज़र देख वहाँ से निकल गया।

    अन्वी ने रिधान की "समझदार" वाली बात सुनकर मन ही मन में कहा, "क्या मतलब थोड़ी समझदार हो? क्या ये मुझे बेवकूफ़ समझता है?" उसे गुस्सा आ रहा था।

    शार्वी ने अन्वी से कहा, "ये तो काफी खड़ूस है यार! देखा नहीं कैसे हमें सुना रहे थे। खड़ूस कहीं के!"

    अन्वी, जो रिधान के जाने के बाद रिधान की बातों को सोचकर गुस्सा हो रही थी, शार्वी की आखिरी लाइन सुनकर उसे घूरकर देखती है।

    शार्वी ने उसकी घूरती नज़रों को खुद पर देखकर हड़बड़ाकर कहा, "मुझे ऐसे क्यों देख रही हो? मैंने क्या किया?"

    और गुस्से में अन्वी ने उसकी बात सुनकर उसे कहा, "अब यहाँ खड़ी मत रहो, चलो।" इतना बोलकर वह भी discussion room से निकल जाती है, और उसके पीछे-पीछे शार्वी भी चल देती है।

    और शार्वी मन ही मन में बड़बड़ाती है, "अब पता नहीं किसका गुस्सा मुझमें पर निकल रहा है। इसकी तो आदत हो गई है, लोगों का गुस्सा मुझमें पर निकालने की। मैं बेचारी मासूम सी कुछ बोल भी नहीं पाती इसको।" "हे भगवान!" "कैसी दोस्ती दी है आपने! देखो कितने जुल्म कर रही है मुझमें पर बोलकर रोने जैसा मुँह बना लेती है।"🥺

    दूसरी तरफ,

    दिल्ली के एक शांत जगह पर एक बड़ा सा घर, जो घर कम bungalow ज़्यादा लग रहा था, वह घर देखने में काफी सुंदर था। एक बड़ा सा गेट, गेट से होते हुए बड़ा सा बगीचा। बगीचे के बीच में बना रोड, बगीचे में तरह-तरह के सुंदर और प्यारे फूल लगे हुए थे और बगीचे के बाईं ओर बड़ा सा फव्वारा भी था, जो उसे बगीचे को और भी सुंदर बना रहा था। और वह घर जो बाहर से देखने में ही सुंदर नहीं था, बल्कि अंदर से वह और सुंदर था।

    उसी घर के अंदर हॉल में एक बूढ़ा आदमी सोफे पर बैठा हुआ था, जो दिखने में 77-78 के लग रहे थे। इस उम्र में भी उनके चेहरे पर तेज नज़र आ रही थी। उनका स्वभाव देखने से ही सख्त लग रहा था। इनका नाम यशवर्धन शेखावत था। ये रिधान के दादा जी थे।

    वह सोफे पर बैठे हाथ में अखबार लिए चाय पी रहे थे कि तभी वहाँ पर ऐसा लगता है कि एक तूफ़ान आ गया हो। सीढ़ियों से एक लड़का तेज़ी से दौड़ते हुए नीचे उतरता है। वह ऐसे भाग रहा था जैसे उसके पीछे ना जाने कौन सा तूफ़ान आ गया हो। तभी उसे लड़के के पीछे एक और लड़का भागता हुआ नीचे आता है, और दोनों सीढ़ियों से उतरकर ऊपर की ओर देखते हैं। एक लड़की अपने हाथ में flower vase लिए सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी, और एक लड़की सीढ़ी पर ही खड़ी होकर उनके ऊपर तकिया फेंके जा रही थी, जिसे वह बचाने की कोशिश कर रहे थे।

    Flower vase लिए हुई लड़की ने दोनों लड़कों से कहा, "आद्विक भाई, मोक्ष भाई! मैं आप दोनों लोगों को छोड़ूँगी नहीं! आपकी हिम्मत भी कैसी हुई, हम दोनों को चुड़ैल बोलने की? हम किस एंगल से आपको चुड़ैल लगते हैं? 😡"

    आद्विक ने कहा, "मेरी नज़रों से देखो तो हर नज़र से तुम चुड़ैल लगती हो!" यह बोलकर वह और मोक्ष हँसने लगे। 🤣

    मोक्ष ने कहा, "जरा अपना चेहरा जाकर शीशे में तो देखो, तुम्हें खुद पता चल जाएगा कि तुम कैसी लगती हो! 😂"

    हाथ में फूलदान लिए खड़ी लड़की घूर कर दोनों को देखती है और जोर से चिल्लाती है, "दादा जी! देखो, ये दोनों हमें चुड़ैल बोल रहे हैं! "

    सोफे पर बैठे यशवर्धन जी ने कहा, "तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुई मेरी प्यारी बच्चियों को चुड़ैल बोलने की?"

    आद्विक और मोक्ष अपने दादा की आवाज़ सुनकर उनकी तरफ़ देखते हैं जो उन्हें गुस्से से घूर रहे थे। अपने दादा को गुस्से में देखकर दोनों जल्दी-जल्दी नाँ कहते हुए सर हिलाने लगते हैं और कहते हैं, "नहीं-नहीं दादा जी, हम तो इन्हें चुड़ैल नहीं बोल रहे थे।"

    सीढ़ी के पास खड़ी लड़की ने कहा, "झूठ! आप झूठ बोल रहे हैं! आपने अभी-अभी हमें चुड़ैल कहा है!"

    आद्विक और मोक्ष एक बार फिर अपने दादा की घूरती नज़रों को महसूस कर उन्हें फिर से कहते हैं, "नहीं दादा जी! मैं तो बस यही कह रहा था कि अभी वह जिस तरह अपने चेहरे पर पैक लगाकर हैं, वह अभी चुड़ैल जैसी लग रही है। जरा आप खुद देखिए!" मोक्ष भी हाँ में अपना सर हिला देता है, जैसे कि वह आद्विक की बातों पर सहमत हो।

    दोनों लड़कियाँ एक बार फिर से दोनों को गुस्से में देखती हैं और फिर अपने दादाजी को देखकर फिर से कहती हैं...

    यशवर्धन जी ने कहा, "बेटा जान दो, तुम दोनों भी किस नालायकों की बात सुन रही हो? यह तो हैं ही नालायक! तुम जाओ और तैयार हो जाओ, और तुम दोनों को कॉलेज भी जाना है, नहीं तो लेट हो जाओगी।"

    अपने दादाजी की बात सुनकर दोनों अपने-अपने कमरे में चली गईं। पर जाने से पहले अपनी घूरती हुई ख़तरनाक नज़रें अपने भाइयों पर डालना नहीं भूलीं, जैसे उन्हें चेतावनी दे रही हों, "एक बार और आप दोनों हाथ तो लगाओ, फिर हम बताते हैं चुड़ैल किसे कहते हैं!"

    अपने दादाजी के मुँह से अपने लिए "नालायक" सुनकर दोनों का मुँह देखने लायक हो गया था। दोनों ने सोचा, "उनके दादा उनको नालायक समझते हैं!" फिर एक-दूसरे को देखते हैं, जैसे कह रहे हों, "देखा भाई, हमारी तो कोई क़दर ही नहीं है!" और फिर अपनी नज़र सीढ़ियों की तरफ़ कर ली।

    उन दोनों के जाते ही दोनों ने अभी चैन की साँस ली ही थी कि उन्हें महसूस हुआ कि अभी भी कोई उनको घूर रहा है।

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  • 8. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 8

    Words: 1496

    Estimated Reading Time: 9 min

    शेखावत मेंशन में,

    उन दोनों के जाते ही, दोनों ने अभी-अभी चैन की साँस ली ही थी कि उन्हें महसूस हुआ कि अभी भी कोई उन्हें घूर रहा है। वे घूमकर देखते हैं तो उनके दादाजी अभी भी उन्हें घूर रहे थे। 😠

    वे अभी अपने दादाजी को कुछ बोलते, तभी वहाँ पर एक मध्यम आयु का एक आदमी और एक औरत घर में आ रहे थे।

    (तो चलिए जान लेते हैं इन लोगों के बारे में भी। घर के अंदर आने वाले आदमी और औरत रिधान की माँ और पिता हैं। Mr. सौरभ शेखावत & Mrs. संचिता सिंह शेखावत)

    घर के अंदर आते ही Mrs. संचिता ने यशवर्धन जी से कहा, "पापा जी, आपने सुबह से अब तक कितनी चाय की प्याली पी?"

    यशवर्धन जी हड़बड़ाते हुए बोले, "नहीं नहीं बहू, मैंने तो एक ही प्याली चाय पी है।"

    Mrs. संचिता ने उन्हें ऐसे देखा जैसे सच में सिर्फ़ एक ही। फिर वो बोली, "पापा जी, डॉक्टर ने आपको ज़्यादा चाय पीने से मना किया है, आप समझते क्यों नहीं हैं? आपके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।"

    यशवर्धन जी, "हाँ हाँ, मुझे पता है कि ये मेरे स्वास्थ्य के लिए है। अब तुम भी अपनी सास की तरह मत बोलो। वैसे भी सुबह से लेकर रात तक मेरे पीछे पड़ी रहती है, यह मत खाइए, वह मत पीजिए, ऐसे मत कीजिए, वैसे मत कीजिए। परेशान कर देती है। अभी है नहीं तो कुछ पल तो मुझे सुकून से रहने दो।"

    उनकी बात सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे उनकी पत्नी उन्हें बहुत प्रताड़ित करती है।

    संचिता जी बोली, "पापा जी, माँ आपकी सेहत के लिए बोलती हैं और आप उनको बोल रहे हैं।"

    यशवर्धन जी, "हाँ हाँ, पता है कितना मेरी सेहत का ख्याल है।" बोलकर मुँह फुला लिया।

    तभी सौरभ जी बोले, "पापा, आप भी बच्चों वाली हरकत करते हैं।" फिर वो आद्विक और मोक्ष को देखकर बोले, "तुम दोनों को ऑफ़िस नहीं जाना है?"

    आद्विक बोला, "हाँ Dad, बस निकल रहे हैं।" (आद्विक शेखावत, रिधान का छोटा भाई, आयु 25, हैंडसम और गुड लुकिंग, ऊँचाई 5.11)

    सौरभ जी, "ऐसे कपड़ों में तुम ऑफ़िस जाओगे?"

    मोक्ष, "नहीं नहीं बड़े पापा, हम अभी चेंज करने ही जा रहे हैं।" (मोक्ष शेखावत, रिधान के चाचा का बेटा, आयु 25-26 के आसपास, देखने में यह भी हैंडसम और गुड लुकिंग है, ऊँचाई 5.11)

    बोलकर वे दोनों अपने-अपने कमरे में भाग गए।

    संचिता जी बोली, "मैं आरना और मानवी को देखकर आ रही हूँ कि दोनों तैयार हुईं कि नहीं।" इतना बोलकर वे दोनों के कमरे की तरफ बढ़ गईं।

    दूसरी तरफ S.I.F. ऑफ़िस में,

    रिधान अपनी टीम के साथ पीतमपुरा के लिए निकला था। अन्वी और शार्वी भी उन लोगों के साथ जा रही थीं।

    रिधान जाकर अपनी कार में बैठ गया, और उसकी टीम भी पीछे खड़ी कार में बैठ गई।

    अन्वी और शार्वी एक-दूसरे को देखती हैं और फिर कार की तरफ देखकर वे भी कार के पास चली जाती हैं। दोनों देखती हैं कि पीछे खड़ी जितनी भी कारें हैं, उनमें जगह नहीं थी।

    अन्वी एक नज़र सभी कारों को देखकर रिधान की कार के पास चली जाती है और उसकी कार की खिड़की पर दस्तक देती है।

    रिधान विंडो को डाउन करता है और देखता है कि अन्वी और शार्वी अभी भी बाहर खड़ी हैं। वो दोनों से बोलता है, "खड़ी क्यों हो? कार में बैठो।"

    अन्वी रिधान से बोली, "कोई भी कार में जगह नहीं है।"

    ईशान, जो रिधान के बगल में पैसेंजर सीट पर बैठा है, वो बोला, "आप दोनों अंदर आकर बैठ जाओ।"

    रिधान की कार में केवल रिधान और ईशान ही थे, इसलिए उनकी कार में पीछे की सीट खाली थी।

    अन्वी और शार्वी बैक सीट का दरवाज़ा खोलकर कार में बैठ जाती हैं।

    रिधान कार को रोड पर दौड़ा देता है। वह काफी स्पीड में कार चला रहा था। उसके कार के पीछे ही सारी कारें चल दीं।

    कार के अंदर,

    अन्वी जब से कार में बैठी थी, तब से वह रिधान को देख रही थी, जिसका ध्यान सिर्फ़ अपनी ड्राइविंग पर था।

    इधर ईशान, जो रिधान के बगल में बैठा था, शार्वी को अपनी नज़र तिरछी करके देखता, तो कभी अपनी नज़र वापस सामने कर लेता। उसकी यह हरकत रिधान देख रहा था और फिर एकदम धीरे से वह मुस्कुरा देता है।

    कि उसे फील होता है कि कोई उसे देख रहा है। वह अपनी नज़र कार के रियरव्यू मिरर पर डालता है तो उसकी नज़र अन्वी की नज़रों से मिल जाती है। पहले तो अन्वी उसे देखती रहती है, कि रिधान की भौंहें ऊपर होते देख वो जल्दी से अपनी नज़र फेर लेती है और खिड़की के बाहर देखने लगती है।

    45 मिनट बाद वह एक जंगल के बाहर अपनी कार रोकता है। उसके कार के पीछे ही बाकी सब भी अपनी कार रोक लेते हैं और सभी कार से बाहर निकलकर आ जाते हैं।

    रिधान फिर सबको निर्देश देता है और सबको अलग-अलग दिशा में भेज देता है, और कुछ लोगों को वहीं पर इंतज़ार करने को बोलता है।

    वह नहीं चाहता था कि आज फिर से अली जुन्हर भाग निकले। फिर वह ईशान और तन्मय को अलग-अलग टीमों के साथ जाने को बोल देता है।

    की उसकी नज़र अन्वी और शार्वी पर जाती है। वह उनको बोलता है, "तुम दोनों भी तन्मय और ईशान के साथ जाओ।"

    यह सुनकर शार्वी ने हाँ में सिर हिलाया, पर अन्वी ने कुछ नहीं बोला। वह चुपचाप खड़ी रही। फिर सब अपने-अपने दिशा में चले गए।

    ईशान और तन्मय भी अपनी टीम के साथ निकल जाते हैं क्योंकि जो जंगल में जाकर अलग-अलग दिशा में जाने वाले थे, इसलिए अभी उनकी टीम साथ में ही थी।

    तन्मय चल ही रहा था कि उसने नोटिस किया कि अन्वी साथ में नहीं है। उसने शार्वी से कहा, "तुम्हारी दोस्त कहाँ गई?"

    शार्वी, जहाँ उसको जाना था वहाँ गई। यह बात उसने काफी रिलैक्स तरीके से कहा था।

    तन्मय बोला, "क्या मतलब?" शार्वी, "तुमसे क्या मतलब?"

    तन्मय उसकी यह बात सुनकर भड़क गया। वो बोला, "तुम सीधा जवाब नहीं दे सकती?"

    शार्वी, "तुम सीधा सवाल नहीं पूछ सकते?"

    ईशान उन दोनों को बहस करते देखकर बोला, "चुप हो जाओ तुम दोनों।" शार्वी ईशान की बात सुनकर अच्छे बच्चों की तरह मुँह पर उंगली रख लेती है। 🤫

    ईशान यह देखकर मुस्कुरा दिया। तन्मय ने मुँह बना लिया और एकदम धीरे से बोला, "पागल नहीं तो?"

    ईशान ने यह सुन लिया था। वह उसे घूरकर देखता है, जैसे बोल रहा हो, "तू भी कम नहीं है।"

    यहीं दूसरी तरफ,

    रिधान जंगल के अंदर चला जा रहा था कि उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वह तुरंत अपना गन निकालकर तुरंत पीछे देखता है तो अन्वी उसके थोड़ी दूर पीछे खड़ी थी।

    रिधान को अपने ऊपर गन ताने देखकर उसने उसे बोला, "क्या मैं तुमको दुश्मन नज़र आ रही हूँ, जो मुझ पर गन तानकर खड़े हो गए?"

    रिधान गुस्से से बोला, "तुम मेरे पीछे क्यों आ रही हो? तुमको तो ईशान की टीम के साथ भेजा था ना?"

    अन्वी धीरे से बड़बड़ाई, "मेरा मन नहीं था।"

    रिधान, "क्या बोला तुमने?"

    अन्वी, "कुछ भी तो नहीं।"

    रिधान, "कुछ तो बोला है तुमने।"

    अन्वी ने अपनी आँखें घुमाईं और बोली, "तुमने सुना क्या मैं बोल रही थी?"

    रिधान ने उसे घूरकर देखा और अपनी गर्दन ना में हिलाई, जैसे इसे बहस करना बेकार है। और फिर उससे बोला, "पहले मेरे सवाल का जवाब दो कि तुम मेरे पीछे क्यों आ रही हो?"

    अन्वी, "क्योंकि सभी टीम में जा रहे हैं। एक तुम हो जो अकेले जा रहे हो, इसलिए मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी मदद करने आ गई।"

    रिधान, "मैंने तुमसे हेल्प मांगी थी क्या, जो तुम करने चली आई?"

    अन्वी, "तुम कितने बड़े अकडू हो! इतना अकड क्यों रहे हो?"

    रिधान ने गुस्से से कहा, "पहली बात तो मैं अकडू नहीं हूँ, और दूसरी बात मैं तुमसे बड़ा हूँ, तो तुम मुझे 'तुम' कहकर मत बोलो।"

    अन्वी, "तो फिर क्या बोलूँ?"

    रिधान, "तुम्हें क्या इतना भी पता नहीं है कि अपने से बड़ों को 'तुम' नहीं 'आप' बोलते हैं?"

    अन्वी, "तो तुम क्या चाहते हो? मैं तुमको 'आप' बोलूँ?" रिधान ने अफ़सोस से ना में सर हिलाया। एक बार और उसके मुँह से 'तुम' सुनकर फिर बोला, "Yes, of course. And first of all, मैं तुम्हारा सीनियर हूँ और तुमसे बड़ा भी हूँ, तो तुम्हें मुझे 'आप' बोलना चाहिए, as a respect."

    अन्वी उसकी यह बात सुनकर मुस्कुराकर बोली, "Yes, senior citizen." अन्वी की "senior citizen" सुनकर रिधान ने गुस्से से उसे घूरा और दाँत पीसकर बोला, "क्या कहा तुमने?"

    अन्वी, "'Senior citizen'! अभी तुमने ही तो... नहीं नहीं, मेरा मतलब आपने तो बोला कि आप मुझसे बड़े हैं, मेरे सीनियर हैं और मैं आपको respect दूँ, सम्मान के रूप में आपको 'सीनियर सिटीज़न' बोला। अब क्या? इसमें भी आपको प्रॉब्लम है?"

    रिधान ने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और एक बार फिर जंगल की तरफ बढ़ने लगा। अन्वी भी उसे जाता देख वो भी उसके पीछे चल दी।

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  • 9. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 9

    Words: 1880

    Estimated Reading Time: 12 min

    दिल्ली से दूर पीतमपुरा के जंगलों में (imagination not real)

    रिधान और अन्वी जंगल के अंदर गए थे। रिधान आगे था और अन्वी उसके पीछे, उसे फॉलो करते हुए आस-पास देखती हुई जा रही थी। तभी वहाँ कुछ हलचल हुई, जैसे कोई उनकी तरफ आ रहा हो। रिधान ने जल्दी से अन्वी का हाथ पकड़ लिया और उसे लेकर एक बड़े से पेड़ के पीछे छिप गया।

    की तभी वहाँ पाँच, छह आदमी आए। उनके चेहरे पर मास्क लगा था और हाथों में बंदूकें पकड़ी हुई थीं। वे आस-पास देखते हुए चल रहे थे, जैसे कोई यहाँ पर है या नहीं, मोइना कर रहे थे।

    वहीं, एक बड़े से पेड़ के नीचे रिधान अन्वी के साथ खड़ा था और उन आदमियों को देख रहा था। अन्वी बोली, "हम क्या यहाँ पर छिपने आए हैं?" रिधान अन्वी की बात सुनकर उसे ऐसे देख रहा था जैसे पूछ रहा हो कि क्या मतलब है छिपने आए हैं।

    अन्वी: "तुम..." फिर ना में सर हिलाकर बोली, "मेरा मतलब है आप यहाँ पर छिप क्यों रहे हैं? हम तो इन लोगों को पकड़ने आए हैं ना, रिधान।"

    रिधान: "क्या तुम थोड़ी देर के लिए चुप हो सकती हो?" 🤨

    अन्वी ने उसे घूरा और फिर अपने होठों पर उंगली रख दी। 🤫

    रिधान ने उसे इग्नोर किया और उन आदमियों की तरफ देखने लगा। वह धीरे से उस पेड़ के पीछे से निकला और अपने आगे खड़े एक आदमी की गर्दन पकड़कर घुमा दिया। वह आदमी वहीं पर गिर गया।

    आदमी के ज़मीन पर गिरते ही उसके आगे चल रहे साथी ने पीछे मुड़कर देखा, तो वहाँ पर कोई नहीं था। रिधान ने यह सब इतना जल्दी किया था कि सामने वाले को समझ में ही नहीं आया कि यह कैसे हुआ।

    वह आदमी घबराकर इधर-उधर देखने लगे।

    अन्वी, जो अब भी पेड़ के पीछे खड़ी यह सब देख रही थी, रिधान के moves से काफी इम्प्रेस लग रही थी। उसके होठों पर एक मुस्कान खिल गई। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसकी तरफ आ रहा है।

    की तभी एक आदमी उस पर गन पॉइंट कर देता है और अन्वी से बोला, "लड़की, हाथ ऊपर कर, नहीं तो..." अन्वी ने उसके हाथों से गन छीन ली और एक लात उसके पेट पर मारी। वह तीन-चार कदम दूर जाकर गिर गया। उसके moves काफी fast थे।

    रिधान जो और लोगों से लड़ने लगा था, यह देखकर उसने टेढ़ी मुस्कान दे दी।

    अन्वी भी एक्शन मोड में आ गई। वह भी रिधान के साथ लड़ने लगी थी।

    अन्वी लड़ते-लड़ते रिधान के थोड़ा करीब आई और उससे बोली, "आप क्या खुद को सुपरहीरो समझते हैं जो अकेले ही चले आए थे?"

    रिधान: "मैं खुद को क्या समझता हूँ, मुझे तुम्हें बताने की ज़रूरत नहीं है।"

    इतना बोलकर उसने अपने गन में साइलेंसर लगाया और बचे आदमियों को शूट कर दिया। वह यह सब काफी फुर्ती से कर रहा था। उसने ऐसा इसलिए किया था ताकि गन की आवाज़ से और लोग इस तरफ ना आ सकें, नहीं तो इस बार भी अली जुन्हेर को भागने का मौका मिल सकता था, जो वह किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था।

    अन्वी रिधान को सबको शूट करते हुए देखती है, उसे थोड़ा सा भी डर नहीं लग रहा था।

    अन्वी रिधान से बोली, "आपने तो मुझे गन नहीं दी। क्या मैं सिर्फ़ अपने हाथ-पैरों से लड़ूँ? मुझे भी तो गन की ज़रूरत है।" और अपना हाथ आगे करके खड़ी हो गई।

    रिधान ने अपना सर ना में हिलाया और अपने हाथ में पकड़ी गन को उसके हाथ में रख दिया। फिर से आगे चलने लगा। अन्वी उसे जाता देखकर वो भी उसके साथ चल दी।

    दूसरी तरफ,

    तन्मय और ईशान जंगल के अंदर पहुँचकर अपनी-अपनी दिशा में चले गए।

    ईशान शार्वी और अपनी टीम के साथ आगे बढ़ रहा था। उसके हाथ में उसका फ़ोन था, जिससे वो लोकेशन ट्रेस करके सबको instruction दे रहा था।

    शार्वी ईशान को बड़े ध्यान से देख रही थी। उसने अब जाकर ईशान को अच्छे से देखा जो काम करते हुए काफी हैंडसम लग रहा था। वह चुपचाप बस उसे देखते हुए उसके साथ चल रही थी। ईशान को फील हुआ कि शार्वी उसे कब से देख रही है, जिससे वह थोड़ा uncomfortable हो गया। फिर शार्वी की तरफ देखकर बोला, "तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो? क्या मेरे चेहरे पर कुछ लगा है?"

    शार्वी: "नहीं तो..."

    ईशान: "फिर तुम मुझे क्यों देख रही थी?"

    शार्वी: "तो क्या मैं आपको देख नहीं सकती हूँ?"

    ईशान आश्चर्य होकर: 😧 haaa

    शार्वी थोड़ा शर्माते हुए: "actually आप बहुत ज़्यादा handsome हैं।"

    ईशान: "क्या?"

    शार्वी उसका ऐसा reaction देखकर उसे बोली, "आप ऐसे क्यों react कर रहे हैं? जैसे इसे पहले किसी ने आपको handsome नहीं बोला है। क्या आपको मेरा compliment अच्छा नहीं लगा?" शार्वी ने क्यूट सा फेस बनाकर उससे पूछा।

    ईशान उसकी यह हरकत देखकर मुस्कुरा दिया और बोला, "नहीं, ऐसा नहीं है।"

    शार्वी: "कैसा नहीं है?"

    ईशान: "यही कि मुझे तुम्हारी तारीफ़ अच्छी लगी। Thank you for your compliment." मुस्कुराते हुए बोला।

    शार्वी यह सुनकर खुलकर मुस्कुरा दी और फिर चुप होकर चलती रही।

    दूसरी तरफ,

    Delhi University में,

    एक लड़की कॉलेज के कैंपस में एक लड़के की धुलाई कर रही थी। एक लड़की उसके बगल में खड़ी होकर बोल रही थी, "और मारो, दी। और मारो। आखिर इसकी हिम्मत कैसे हुई हमें छेड़ने की?" वो लड़की जो उस लड़के को पीट रही थी, वो उस लड़की से बोली। उनके आस-पास स्टूडेंट का भीड़ लगा हुआ था।

    लड़के को पीटने वाली लड़की ने बोला, "तुझे क्या लगा? तू हम दोनों को छेड़ेगा और हम तुझे छोड़ देंगे?"

    वो लड़की जो उस लड़की को cheer up कर रही थी, वो उस लड़के के पास आकर बोली, "नहीं बल्कि हम तेरा ऐसा हाल करेंगे कि तू सपने में भी किसी लड़की को छेड़ना तो दूर, आँख उठाकर देखेगा भी नहीं।" बोलकर उसके मुँह पर एक ज़ोरदार मुक्का जड़ दिया।

    तभी एक लड़की की आवाज़ उन दोनों को सुनाई दी, "आरना, मानवी, छोड़ो उसे जल्दी। प्रोफ़ेसर इधर ही आ रहे हैं। कहीं फिर से तुम दोनों को सज़ा ना दे दें।"

    मानवी: "पर हमने कोई गलती नहीं की है। इसको पीटकर इसकी तो हरकत मार खाने वाली ही है। कितनी बार इसको warning दिया, पर फिर भी ये नहीं सुधरा।" मानवी ने उसे लड़के को घूरकर देखते हुए कहा।

    आरना: "पर अब इसको चेतावनी की नहीं, प्रसाद की ज़रूरत थी, जो हमने इसे दे दिया।"

    (तो चलो दोस्तों, जानते हैं आरना और मानवी के बारे में। आरना, रिधान और आद्विक की छोटी बहन, age 22, भूरी आँखें, गुलाबी होंठ, छोटी सी नाक और प्यारा सा चेहरा, height 5.3। मानवी, age 21, height 5.2, काली आँखें, गोल चेहरा, गुलाबी होंठ, प्यारी सी नाक, क्यूटनेस की दुकान है पूरी की पूरी। यह रिधान के चाचा की बेटी है, यानि की मोक्ष की छोटी बहन। यह दोनों कॉलेज स्टूडेंट हैं। आरना एक BCA third year (semester 5) की स्टूडेंट है और मानवी BBA 2nd year (semester 3rd) की स्टूडेंट है।)

    वो लड़की जो मानवी और आरना को आवाज़ दे रही थी, वो आरना की दोस्त नव्या है।

    नव्या: "मानवी, मैं यह नहीं बोल रही कि तुम दोनों से गलती हुई है, पर तुमने कॉलेज कैंपस में लड़ाई की, जो यहाँ के रूल के खिलाफ़ है। अगर किसी प्रोफ़ेसर को पता चला तो तुम दोनों को सस्पेंड भी किया जा सकता है। क्या ये बात तुम दोनों नहीं जानती हो?"

    आरना: "हम दोनों जानते हैं, पर इस लड़के ने हद पार कर दी थी और इसे सबक सिखाना ज़रूरी था मेरे लिए।"

    नव्या: "पर तुम्हारे सबक सिखाने के चक्कर में समस्या हो गई है। प्रोफ़ेसर इधर ही आ रहे हैं। अगर प्रोफ़ेसर को पता चला तो वह गुस्सा करेंगे और तुम्हें सस्पेंड भी कर सकते हैं। बल्कि, तुमने कुछ गलत नहीं किया है, पर ये रूल के खिलाफ़ है। तुम्हें ये बात जाकर प्रिंसिपल ऑफ़िस में प्रिंसिपल को बतानी चाहिए थी। वह अपनी तरफ़ से कोई एक्शन लेते।"

    आरना भी यह सुनकर घबरा गई। वह घबराई इसलिए नहीं थी कि उसने उस लड़के को मारा, वह घबराई इसलिए थी कि कहीं वह सस्पेंड ना हो जाए। आखिर उसने कॉलेज का रूल तोड़ा था।

    तभी मानवी झट से बोली, "पर ये बात प्रोफ़ेसर को बताएगा कौन?"

    नव्या: "क्या मतलब कौन बताएगा? जिसे तुमने पीटा है, वह भी बता सकता है और यहाँ पर भी खड़ी यह भीड़ भी।" नव्या ने उस लड़के को और भीड़ की तरफ़ देखते हुए कहा।

    मानवी ने एटीट्यूड से लड़के को घूरा और चेतावनी देते हुए कहा, "अगर तुमने प्रोफ़ेसर के सामने अपना मुँह खोला तो मैं तुम्हें इससे भी ज़्यादा मारूँगी और तुम्हें कोमा में भेज दूँगी।" लड़के ने जल्दी से अपना सर ना में हिलाया। वह काफी डर चुका था दोनों से। मानवी बोली, "मुँह से बोलो।" लड़का बोला, "नहीं बहन, मैं प्रोफ़ेसर से कुछ नहीं कहूँगा और आज के बाद से किसी लड़की की तरफ़ आँख उठाकर भी नहीं देखूँगा। I promise।"

    मानवी: "Good for you।"

    फिर भीड़ की तरफ़ देखते हुए उसने सबसे कहा, "Listen everyone, अगर किसी ने भी प्रोफ़ेसर को ये बात बताई कि हमने इसे पीटा है तो मैं प्रोफ़ेसर के सामने ही उसे पिटूँगी।" उसने सबको warning दी। 😠

    सभी स्टूडेंट ने अपना सर हाँ में हिलाया क्योंकि बहुत सी लड़कियाँ उस लड़के की हरकत से परेशान थीं, और लड़के मानवी की चेतावनी से डर गए। वो नहीं चाहते थे कि उनका हाल भी उस लड़के की तरह हो।

    And most important thing, मानवी और आरना का family background काफी strong था, इसलिए वहाँ पंगे नहीं लेना चाहते थे।

    तभी वहाँ पर प्रोफ़ेसर आ जाते हैं और सब से पूछते हैं, "क्या हो रहा है यहाँ पर?" प्रोफ़ेसर की बात सुनकर सभी बच्चे बोले, "कुछ नहीं सर,"

    प्रोफ़ेसर: "तो भीड़ क्यों लगा रखी है यहाँ पर?"

    तभी मानवी तपाक से बोली, "सर, पता नहीं किसने इस लड़के को पीटा है।" क्यूट फेस बनाकर बोली।

    आरना बोली, "इसलिए हम इसकी मदद करने आए थे ताकि इसे मेडिकल रूम ले जा सकें।"

    प्रोफ़ेसर: "तो इसके लिए इतना भीड़ लगाने की क्या ज़रूरत है?"

    आरना: "वही तो सर।"

    मानवी सब की तरफ़ देखकर बोली, "चलो जाओ अपने क्लासरूम में। क्या भीड़ लगा रखा है? आज तक किसी को पीटते हुए, मेरा मतलब है किसी घायल इंसान को देखा नहीं है।"

    मानवी की पीटने वाली बात सुनकर नव्या और आरना ने उसे घूरा।

    मानवी ने अपनी जीभ दाँतों तले दबा ली। फिर प्रोफ़ेसर की तरफ़ देखकर बोली, "सर, हम इसे मेडिकल रूम लेकर जा रहे हैं।"

    प्रोफ़ेसर ने लड़के से पूछा, "पर तुम्हें ये चोट लगी कैसे?" लड़का बोला, "सर, मैं गिर गया था।" ये बात उसने डरते-डरते बोली थी।

    प्रोफ़ेसर: "पर ये गिरने से तो चोट नहीं लगती।" प्रोफ़ेसर की बात सुनकर नव्या, मानवी, आरना डर गए थे कि कहीं प्रोफ़ेसर को पता ना चल जाए। तभी वो लड़का बोला, "नहीं सर, मैं गिर ही गया था।"

    प्रोफ़ेसर ने आगे कुछ नहीं पूछा और मानवी, नव्या, आरना की तरफ़ देखकर बोले, "जाओ, इसे मेडिकल रूम लेकर जाओ।"

    तीनों ने हाँ में सर हिलाया और मेडिकल रूम की तरफ़ चल दी।

    तभी प्रोफ़ेसर की पीछे से आवाज़ आई, "इस लड़के को तो लेते हुए जाओ।"

    तीनों ने दाँतों तले अपनी जीभ दबाई और वापस मुड़कर लड़के को पकड़कर ले जाने लगी।

    प्रोफ़ेसर भी अपनी क्लास के लिए चले गए।

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  • 10. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 10

    Words: 2012

    Estimated Reading Time: 13 min

    दिल्ली से दूर पीतमपुरा के जंगल में,

    एक बड़ा सा कारखाना था। देखने से लग रहा था कि वह काफी समय से बंद पड़ा हुआ है। पर उस कारखाने के अंदर एक आदमी कुर्सी पर बैठा था और अपने सामने खड़े एक आदमी से बोल रहा था, "बोलो जासूस, क्या खबर लाए हो एस.आई.एफ. की?"

    जासूस बोला, "अली साहब, मेरे पास कोई खबर नहीं है एस.आई.एफ. की। शायद उनको पता चल गया है कि मैं आपके साथ मिला हुआ हूँ। इसलिए मुझे एस.आई.एफ. के बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा है कि उनके पास आपकी कितनी जानकारी है और ना ही ये पता चल पा रहा है कि आपके यहाँ होने की खबर उनके पास है कि नहीं।"

    वह आदमी कोई और नहीं, अली जुन्हेर ही था जो अपने सामने खड़े एस.आई.एफ. के एक जासूस से बात कर रहा था।

    अली जुन्हेर बोला, "क्या फ़ायदा तुम्हारे एस.आई.एफ. में होने का जब तुमको उनकी कोई खबर नहीं है?"

    वह काफी गुस्से से बोला और कुर्सी पर से गुस्से से खड़ा हुआ। कुर्सी खिसक कर पीछे की तरफ गिर गई और सामने खड़े जासूस को खींच कर एक तमाचा उसके चेहरे पर जड़ दिया। वह जासूस दो कदम पीछे हट गया और चेहरे पर हाथ रखकर उसने अली जुन्हेर से बोला,

    "मैं अभी पता करता हूँ।" वह अटक-अटक के बोला।

    अली जुन्हेर, "तो अभी तक यहाँ मुँह उठाकर खड़े क्यों हो? जाओ और पता करो!"

    जासूस ने हाँ में सर हिलाया और वहाँ से तुरंत निकल गया।

    अली जुन्हेर खुद से बोला, "एस.आई.एफ. वालों, तुम लोगों के हाथ नहीं लगने वाला अली जुन्हेर को पकड़ना। तुम लोगों के बस की बात नहीं!" बोलकर वह जोर-जोर से हँसने लगा।

    दूसरी तरफ, रिधान की टीम उसे कारखाने के पास पहुँच चुकी थी। क्योंकि सभी अलग-अलग दिशा से आए थे, इसलिए अली जुन्हेर के आदमियों को अभी तक पता नहीं चला था कि वह पूरी तरह से एस.आई.एफ. के घेरे में आ चुके हैं।

    अली जुन्हेर यह सोचकर खुश हो रहा था कि वह एस.आई.एफ. की पकड़ से भाग चुका है, पर उसको यह खबर अभी तक नहीं हुई थी कि वह एस.आई.एफ. के घेरे में आ गया है। उसकी यह खुशी बस कुछ मिनटों की थी।

    रिधान ने ब्लूटूथ कनेक्ट किया और सबको निर्देश देने लगा। अन्वी अभी भी रिधान के पास खड़ी थी और उसकी बातों को ध्यान से सुन रही थी।

    कि तभी शार्वी उसके पास आई और धीरे से उसके कान में बोली, "तू क्या इस खड़ूस के पीछे गई थी?"

    अन्वी ने भी उससे धीरे से बोला, "हाँ," और फिर उसे चुप रहने का इशारा किया। 🤫 shhh

    रिधान कॉल पर तन्मय से कहा, "तुम अपनी टीम के साथ कारखाने के पिछले दरवाजे से अंदर जाओ।" तन्मय ने हाँ कहा और कारखाने के अंदर चला गया।

    फिर वह ईशान से बोला, "तुम बाहर रहो और उन पर नज़र रखो ताकि इस बार वह भागने की कोशिश करे तो तुम उसे पकड़ सको।" कुछ को वहाँ पर छोड़कर वह अंदर की तरफ चल दिया।

    अन्वी भी रिधान के पीछे जा रही थी और शार्वी अन्वी को रिधान के पीछे जाता देखकर वह भी अन्वी के पीछे चल दी। कि ईशान शार्वी का हाथ पकड़कर रोक देता है। शार्वी को फील होता है कि किसी ने उसका हाथ पकड़ा हुआ है तो वह पीछे मुड़कर देखती है तो उसको ईशान का चेहरा दिखता है। वह कन्फ्यूजन होकर ईशान को देखने लगी।

    ईशान शार्वी के कन्फ्यूज चेहरे को देखकर उसे बोला, "तुम अंदर मत जाओ।"

    शार्वी, "पर क्यों?"

    ईशान, "रिधान ने कुछ लोगों को बाहर ही रुकने को बोला है। हमें बाहर ही रुकना है और यहीं से अपना काम करना है। समझी?"

    शार्वी, "पर अन्वी तो अंदर चली गई।"

    ईशान, "कोई बात नहीं। अगर वह अंदर गई है तो उसको पता होगा कि उसको वहाँ क्या करना है। तुम यहीं पर रहो।"

    शार्वी ने हाँ में सर हिला दिया और चुपचाप ईशान के निर्देश का पालन करने लगी।

    कारखाने के अंदर, रिधान अपनी टीम के साथ कारखाने के अंदर आ गया था। वह चुपचाप अंदर जा रहे थे ताकि अंदर के आदमियों को बिना मौका दिए उन सबका काम तमाम कर सकें। और उसको अली जुन्हेर के सभी आदमियों को ख़त्म करना था। वह किसी को भी भागने का मौका नहीं देना चाहता था और उसे अली जुन्हेर को जिंदा पकड़ना था ताकि वह अली जुन्हेर के गैरकानूनी कामों का ठिकाना पता कर सके, जहाँ पर वह छिपकर बम-बारूद बनाते हैं।

    वह सबको निर्देश देते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। आगे बढ़ते ही उसे अली जुन्हेर के आदमी नज़र आते हैं जो हाथ में गन लेकर तैनात खड़े थे।

    वह अपनी टीम को इशारे से रुकने को बोलता है और अपनी गन निकालकर सबको शूट कर देता है। उसका निशाना एकदम perfect था। उसने सबको headshot मारा था।

    और अपने कान में लगे Bluetooth के ज़रिये वह तन्मय से बोला, "तन्मय, क्या सब अंडर कंट्रोल में है?"

    तन्मय, जो पिछले दरवाजे से कारखाने के अंदर पहुँच गया था, उसने अपने सामने एक आदमी को मारते हुए कहा, "इधर सब अंडर कंट्रोल है।"

    रिधान, "good."

    तन्मय, "हम आगे बढ़ रहे हैं।"

    रिधान, "ठीक है।"

    इधर रिधान के गोली और आदमियों के गिरने की आवाज़ सुनकर और आदमी उनकी तरफ बढ़ने लगे। रिधान की बंदूक में साइलेंसर लगा हुआ था। उन्हें गोली चलाने की आवाज़ नहीं सुनाई दी थी, बल्कि अपने आदमियों को गिरते हुए देखकर वह उनसे थोड़ी दूर पर खड़े थे।

    वह सभी चौकन्ने हो गए और उस तरफ बढ़ने लगे।

    रिधान की टीम भी active हो गई और वहाँ पर गोलियों की आवाज़ गूंज उठी। अन्वी भी एक के बाद एक लोगों को मारे जा रही थी। वह ऐसे गन चला रही थी कि मानो ना जाने कितने सालों से वह यह काम करते हुए आ रही है।

    एक कमरे में अली जुन्हेर बैठा हुआ है। अचानक से गोलियों की आवाज़ सुनकर वह खड़ा हो गया। वह कमरे से बाहर निकला तो देखा गोलियों की आवाज़ और तेज़ होती जा रही है।

    कि एक आदमी वहाँ भागते हुए आया। यह वही जासूस था जिसे अली जुन्हेर ने S.I.F. की जानकारी निकालने के लिए कहा था। वह उसकी तरफ आता हुआ बोला, "अली साहब, एस.आई.एफ. के officers ने हमें घेर लिया है। हमें जल्द से जल्द यहाँ से निकलना होगा नहीं तो हम पकड़े जाएँगे।"

    अली जुन्हेर बोला, "क्या? यह सब कैसे हुआ? उनको कैसे पता चला कि मैं यहाँ पर हूँ?"

    जासूस, "यह बात मुझे नहीं पता कि उनको किसने यह खबर दी कि आप यहाँ पर हैं।"

    अली जुन्हेर बोला, "यह खबर तुम्हें नहीं तो किसे होगी?" उसने दाँत पिसकर कहा। वह काफी गुस्से में लग रहा था। उसने उस जासूस से कहा, "अगर तू मुझे धोखा दे रहा है तो याद रखना, कोड नाम 5432 उर्फ दीप कुमार, मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूँगा और ना ही तेरे परिवार को!" बोलकर उसने अपने कमर से गन निकाली और आगे बढ़ चला। वह भागने के फिराक में था।

    इधर दूसरी तरफ तन्मय सबको मारते-मारते रिधान के पास पहुँच गया।

    रिधान और तन्मय की टीम ने अली जुन्हेर के आदमियों को मार गिराया और कुछ को जिंदा पकड़ लिया।

    तन्मय रिधान से बोला, "ईशान कहाँ पर है?"

    रिधान, "मैंने उसे बाहर ही रुकने को बोला है। अगर अली जुन्हेर फिर से भागने की कोशिश करेगा तो वह पकड़ा जाएगा।" इतना बोलकर वह अली जुन्हेर को कारखाने में ढूँढ़ने लगा। तन्मय भी उसके साथ ढूँढ़ने लगा और उसकी टीम भी अलग-अलग दिशा में उसे खोजने लगी।

    अन्वी जो अली जुन्हेर को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते एक अँधेरे कमरे की तरफ़ पहुँच गई, कि उसे उस कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दी। वह उस कमरे की तरफ़ बढ़ी तो उसने देखा कमरे की खिड़की से दो आदमी भाग रहे थे। वह उनकी तरफ़ पकड़ने के लिए भागी कि वह खिड़की से कूद गए।

    रिधान, जो अन्वी को एक कमरे के अंदर जाते हुए देखा था, तो वह भी उसके पीछे चला आया और उसने भी अली जुन्हेर और उसके साथ एक आदमी को खिड़की से कूदकर भागते हुए देखा। उसने जल्दी से ईशान को inform किया।

    ईशान, "अली जुन्हेर भाग रहा है। उसे पकड़ो। वह हाथ से निकलना नहीं चाहिए।"

    ईशान ने हाँ बोला और अपने साथ रुके लोगों को instruction दिया, "चारों तरफ़ से घेर लो।"

    ईशान, "रिधान, वह किस तरफ़ भागा है?"

    रिधान, "वह वेस्ट साइड की तरफ़ भागा है।"

    ईशान यह सुनकर उस दिशा की तरफ़ भागा। शार्वी ईशान को भागते हुए देखकर वह भी उस तरफ़ भागी।

    अली जुन्हेर जो अभी कुछ ही दूर भाग पाया, ईशान ने उसे फुर्ती से पकड़ लिया और बोला, "तुझे क्या लगता है हर बार तू भाग निकलेगा?" इतना बोलकर उसके मुँह पर एक मुक्का जड़ दिया और वह ज़मीन पर जा गिरा।

    शार्वी जो ईशान के पीछे ही भाग रही थी, कि उसने देखा एक आदमी अली जुन्हेर के साथ ही भाग रहा था। उसने अपनी दिशा बदल दी। यह देखकर ईशान ने शार्वी को इशारे से उस दिशा में जाने को कहा, जिस दिशा में वह आदमी भागा।

    शार्वी ने अपनी स्पीड बढ़ाई और लपक कर उस आदमी को पकड़ लिया।

    और पकड़े हुए ही शार्वी ने उस आदमी से कहा, "और भागना है कि हो गया तुम्हारा?" वह लंबी-लंबी साँसें लेते हुए बोली।

    कि वहाँ पर रिधान की पूरी टीम आ गई और अली जुन्हेर और उन आदमियों को घेरकर खड़े हो गए।

    रिधान अपनी टीम के बीच से निकलकर उस आदमी के पास आया और बोला, "तुझे क्या लगता है दीप कुमार? तू हमसे गद्दारी करेगा? हमें धोखा देगा और हमें पता नहीं चलेगा? तूने यह सोच भी कैसे लिया कि तू एस.आई.एफ. से गद्दारी करेगा?" बोलकर उसके मुँह पर एक ज़ोरदार मुक्का जड़ा और फिर बोला, "अब तुझे पता चलेगा एस.आई.एफ. से गद्दारी करने वाले लोगों का क्या हश्र किया जाता है। प्रतीक, लेके जाओ इसे।"

    प्रतीक, "yes सर।"

    रिधान चलते हुए अली जुन्हेर के पास आ गया और evil smile करता हुआ बोला, "क्या हुआ अली जुन्हेर? दीप कुमार ने तुझे बताया नहीं कि हम तुझे पकड़ने आ रहे हैं?"

    अली जुन्हेर ने रिधान को गुस्से से देखा।

    रिधान उसको गुस्से से खुद को देखता देखकर बोला, "अपना यह गुस्सा अपने पास रख। अभी तुझे और भी मौके दूँगा खुद को गुस्से से देखने के लिए।" बोलकर उसको एक जोरदार मुक्का मारा। उसने इतना तेज़ मुक्का मारा था कि वह बेहोश हो गया। उसके मुँह से खून निकलने लगा था।

    रिधान ने उसको देखा और करण कबीर को बोला, "उठाओ और ले चलो इसको।"

    करण कबीर ने आकर अली जुन्हेर को उठाया और अपनी कार की तरफ़ चल दिए।

    रिधान ने अपनी टीम के कुछ सदस्यों को कुछ instructions दिए और कुछ सदस्यों को जाने को कहा।

    कुछ समय बाद, वह कारखाना आग की लपटों में दिखने लगा। रिधान उस कारखाने को कुछ समय तक जलते हुए देखता रहा। फिर सब से बोला, "चलो।"

    अन्वी जो यह सब पीछे खड़ी देख रही थी, कि कारखाने को आग लगते देखकर उसकी आँखों के सामने एक दृश्य आ गया। उसके माथे पर पसीने की बूँद आ गई। वह थोड़ी-थोड़ी काँपने लगी।

    कि शार्वी कारखाने को आग लगते देखकर तुरंत अन्वी को ढूँढ़ने लगी। उसे जल्दी ही अन्वी दिख गई। वह उसके पास जल्दी से आई और फटाक से उसको गले लगा लिया और उससे बोली, "अन्वी, कुछ नहीं हुआ है। शांत हो जा। उधर मत देख। चल, तू मेरे साथ चल।" बोलकर वह अन्वी को लेकर वहाँ से निकल गई।

    रिधान और ईशान भी बाकी बचे लोगों के साथ निकल गए।

    तन्मय पहले ही अपनी टीम को लेकर जंगल से निकल गया था।

    उन्हें अब जल्द से जल्द दिल्ली पहुँचना था।

    कुछ समय के बाद सभी जंगल के बाहर अपनी कार के पास पहुँच गए।

    शार्वी पहले ही अन्वी को लेकर रिधान की कार में बैठ गई थी। और तन्मय अपनी टीम और अली जुन्हेर और दीप कुमार को लेकर दिल्ली के लिए निकल गया।

    बाकी बचे लोग भी अपनी-अपनी कार में बैठे और दिल्ली के लिए चल दिए। रिधान भी आकर ड्राइविंग सीट पर बैठा। ईशान रिधान के बगल में बैठ गया और वह लोग भी दिल्ली के लिए निकल गए।

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  • 11. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 11

    Words: 1298

    Estimated Reading Time: 8 min

    रिधान अपनी कार चला रहा था। ईशान उसके बगल में बैठा था, और शार्वी तथा अन्वी पीछे की सीट पर बैठी थीं। कार का माहौल काफी शांत था।

    पीछे की सीट पर शार्वी ने अन्वी का हाथ थाम रखा था और बार-बार अन्वी को देख रही थी, मानो वह खुद को कन्फर्म करना चाहती हो कि अन्वी ठीक है।

    अन्वी उसके ऐसा करने से परेशान हो रही थी। उसने शार्वी से कहा, "तुम ठीक से बैठो।"

    शार्वी ने उसकी यह बात सुनकर कहा, "तू सच में ठीक है ना? मुझे तेरी फ़िक्र हो रही है। कहीं तू मुझसे झूठ तो नहीं बोल रही, बोल ना।"

    अन्वी ने कहा, "तू पहले चुप होगी, तब ना मैं कुछ बोलूँगी।"

    तभी ईशान, जो शार्वी की हरकत और बातें सुन रहा था, अन्वी की तरफ देखकर बोला, "क्या कोई problem है?"

    अन्वी, जो अभी शार्वी को देख रही थी, ईशान की बात सुनकर उसकी तरफ देखने लगी और उससे बोली, "नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है।"

    बोलकर उसने एक नज़र रिधान की तरफ देखा और फिर अपनी नज़र हटाकर कार की खिड़की से बाहर देखने लगी।

    शार्वी ने भी ईशान को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "कोई भी problem नहीं है।"

    ईशान ने कन्फर्म करने के लिए एक बार और शार्वी को देखा। शार्वी ने भी मुस्कुराकर बात टाल दी, और वह भी खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी।

    इस समय रात हो चुकी थी। उन्हें पहुँचने में अभी 30 मिनट और लगने वाले थे।

    देखते-देखते ये 30 मिनट भी बीत गए और उनकी कार एस.आई.एफ. के बिल्डिंग के बाहर रुकी। तन्मय और बाकी के टीम मेंबर पहले ही पहुँच गए थे।

    रिधान के कार रोकते ही वह सभी कार से बाहर निकल गए और बिल्डिंग के अंदर जाने लगे।

    चर्चा कक्ष,

    थोड़ी देर बाद सभी लोग चर्चा कक्ष में अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठे थे। तभी रिधान और चीफ डायरेक्टर कमरे के अंदर आए और अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठ गए।

    चीफ डायरेक्टर ने कहा, "बहुत अच्छे! तुम सब ने काफी अच्छे से अपना-अपना काम किया है।" फिर वह आज की सारी अपडेट लेकर वहाँ से चले गए।

    रिधान ने कहा, "Good work everyone। अब आप सब जा सकते हैं। कल मिलेंगे। अभी काम पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है, पर तब तक के लिए आप सब घर जाकर थोड़ा आराम कीजिए।"

    सब ने हाँ कहा और चर्चा कक्ष से निकल गए।

    अन्वी और शार्वी भी जाने लगीं। उनके निकलते ही उनके पीछे-पीछे रिधान, ईशान और तन्मय भी चल दिए।

    अन्वी और शार्वी चुपचाप चलते हुए लिफ्ट के पास आ गईं। रिधान, तन्मय और ईशान भी लिफ्ट के पास आकर रुक गए।

    तन्मय ने अन्वी को देखा तो वह अन्वी के बगल में आते हुए बोला, "हाय! मेरा नाम तन्मय रायज्यादा है।" उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

    अन्वी, जो लिफ्ट की तरफ देख रही थी, अपने बगल से तन्मय की आवाज़ सुनकर उसे देखती है।

    ईशान, जो तन्मय की यह हरकत देख रहा था, अपना सिर हिला देता है, मानो उसे पता हो कि तन्मय क्या करना चाहता है।

    रिधान, जो सामने लिफ्ट के आने का इंतज़ार कर रहा था, वह तन्मय की हरकत देखकर उसे घूरने लगता है।

    ईशान तन्मय को देखकर रिधान से बोला, "लो, ये फिर शुरू हो गया।" बोलकर वह रिधान को देखता है तो देखता है कि वह तन्मय को ही घूर रहा था।

    ईशान बोला, "क्या हुआ तुझे?"

    रिधान तन्मय पर से अपनी नज़र हटाकर बोला, "कुछ नहीं।"

    अन्वी, जो कभी तन्मय को तो कभी उसके आगे बढ़ाए हाथ को देख रही थी, उसे कुछ बोलती, इससे पहले ही शार्वी बोली, "हमें पता है कि तुम्हारा नाम तन्मय रायज्यादा है।"

    तन्मय शार्वी की इस हरकत को देखकर उसे थोड़े गुस्से से घूरता है। शार्वी पर इसका कोई असर नहीं होता, बल्कि वह उसे एक forced smile देती है।

    तन्मय शार्वी को इग्नोर करके फिर से अन्वी से बोला, "आप तो काफी अच्छा fight करती हैं।"

    अन्वी फिर से तन्मय की बात सुनकर उसे देखती है और अपना सर हिला देती है।

    शार्वी फिर से तन्मय की बात सुनती है तो उससे बोली, "क्यों? आप अन्वी को कोई trophy 🏆 देने वाले हैं?"

    तन्मय शार्वी के दोबारा बीच में बोलने से चिढ़ गया और उसी चिढ़ में वह शार्वी से बोला, "मैं क्या तुमसे बात कर रहा हूँ जो तुम बोल रही हो?"

    शार्वी ने कहा, "नहीं, पर तुम मेरे दोस्त से तो बात कर रहे हो।"

    तन्मय ने कहा, "तो अगर कोई तुम्हारे दोस्त से बात करेगा तो तुम उसकी जगह रिप्लाई करोगी?"

    शार्वी ने काफी घमंड से कहा, "हाँ, अगर वहाँ तुम जैसे लोग होंगे तो ज़रूर करूँगी।"

    तन्मय शार्वी की यह बात सुनकर गुस्से से भर गया और बोला, "तुम्हारी तो..."

    शार्वी अन्वी का बाजू पकड़कर अपनी तरफ खींचती है और तन्मय की तरफ उंगली दिखाते हुए बोली, "क्या? मेरी तो..."

    दोनों गुस्से से एक-दूसरे को घूर रहे थे, कि ईशान बीच में आते हुए बोला, "क्या कर रहे हो तुम दोनों?"

    रिधान, जिसको किसी का कॉल आ गया था, वह उन लोगों से थोड़ी दूर बात करने के लिए आ गया था।

    तन्मय और शार्वी ने साथ में ही कहा, "मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ।" "मैं कुछ नहीं कर रही हूँ।" और एक बार फिर यह सुनकर एक-दूसरे को घूरने लगे।

    कि अन्वी ने शार्वी को अपनी तरफ खींचा और कहा, "क्या कर रही हो तुम शार्वी? अन्वी की यह बात सुनकर शार्वी कुछ बोल ही रही थी कि अन्वी ने उसे कहा, "अब चुप हो जाओ! लिफ्ट आकर चली भी गई और तुम बहस कर रही हो।"

    शार्वी अन्वी की बात सुनकर चुपचाप खड़ी हो गई और फिर ईशान और तन्मय की तरफ देखकर बोली, "इसकी बातों पर ध्यान मत दीजिए, यह कुछ भी बोलती रहती है।"

    यह सुनकर तन्मय तपाक से बोला, "हाँ, सही कहा आपने।" वह कुछ और भी बोलने वाला ही था कि ईशान ने उसका हाथ पकड़कर रोक दिया और बोला, "अब तू भी चुप कर।"

    तभी वहाँ पर रिधान आ गया और बोला, "अभी तक यहीं पर हो गए? नहीं?" और अन्वी और शार्वी को देखकर बोला, "तुम दोनों किसका इंतज़ार कर रही हो?" फिर अन्वी को देखकर बोला, "क्या आज रात यहीं पर रुकने का प्लान है?"

    अन्वी ने कहा, "क्यों? आपका भी प्लान है? अगर आपका प्लान यहाँ रुकने का है तो मुझे कोई problem नहीं है, मैं रुक सकती हूँ।" बोलकर वह मुस्कुराने लगी। उसकी मुस्कान बहुत प्यारी थी।

    ईशान और तन्मय तो हैरानी से एक-दूसरे को, तो कभी रिधान और अन्वी को देखते हैं।

    शार्वी तो मुँह खोले अन्वी को ही देखे जा रही थी, कि रिधान की आवाज़ से सभी होश में आए, "लिफ्ट आ गई है, चलो।" बोलकर वह सबको अनदेखा करके लिफ्ट में चला गया। रिधान के लिफ्ट में जाते ही सभी उसके पीछे-पीछे लिफ्ट के अंदर चले गए।

    ग्राउंड फ्लोर का बटन दबाकर सब लिफ्ट के रुकने का इंतज़ार करने लगे। थोड़ी देर में लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर रुक गई। सब लिफ्ट से बाहर निकले और अपनी-अपनी कार की तरफ चल दिए।

    ईशान, जो अपनी कार की तरफ ही जा रहा था, वह अचानक से रुक गया और शार्वी और अन्वी की तरफ देखकर बोला, "काफी रात हो गई है। क्या मैं आप दोनों को ड्रॉप कर दूँ?"

    शार्वी बोली, "नहीं, इसकी ज़रूरत नहीं है। हम अपनी बाइक से आए हैं, हम चले जाएँगे। लेकिन thank you पूछने के लिए।"

    शार्वी ने ईशान को एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए कहा।

    ईशान ने शार्वी की बात और मुस्कान देखकर बोला, "OK, good night। कल मिलते हैं।"

    शार्वी ने भी good night कहा और उसे बाय बोलकर अपनी बाइक की तरफ चल दी। अन्वी भी शार्वी के साथ चली गई।

    थोड़ी देर बाद सभी अपनी कार और बाइक से अपने घर की तरफ निकल गए थे।

    प्लीज मेरी स्टोरी को अपना प्यार और सपोर्ट दे और मुझे जरूर फॉलो करें जिसे आपको नए चैप्टर के अपडेट मिलते रहे,और प्लीज कमेंट और रेटिंग दें ना भूले l

  • 12. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 12

    Words: 2221

    Estimated Reading Time: 14 min

    रात का समय,

    शेखावत मेंशन में,

    रिधान की कार घर के बाहर रुकी वो कार का दरवाजा खोल कर बाहर आया और घर के अंदर चला गया l

    घर में काफी शांति थी शायद सभी लोग अपने कमरे में थे रिधान भी चुप चाप अपने कमरे की तरफ बढ़ गया वो अभी कुछ ही सीढ़ियाँ चढ़ा होगा की उससे किसी की आवाज़ आई l

    ''आ गए तुम'' वो पीछे मुड़ कर देख तो उसके Dad खड़े थे l

    वो बोला ''हा'' और आप अभी तक क्यों जग रहे हैं l

    सौरभ जी बोले ''अपने बेटे का इंतज़ार कर रहा था, तुम्हे कोई परेशानी है captain बोल कर वो मुस्कुरा दिए l

    Dad ''आप भी न'

    सौरभ जी ''अच्छा जाओ और फ्रेश होकर आओ मैं अपने बेटे के लिए खाना लगाता हूं'' बोल कर वो किचन की तरफ चल दिये l

    रिधान dad ''मैं डिनर खुद लेकर कर खा लूंगा आपको जाकर सोना चाहिए काफी रात हो गई है l

    सौरभ जी ''तुम मुझे ऑर्डर मत दो और जाओ चेंज कर के आओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं l

    रिधान ने उनको जाते हुए देखा और वो भी अपने रूम की तरफ चला गया l

    दूसरी तरफ,

    दिल्ली के एक शांत इलाके में जहां आस पास ज्यादा घर नहीं थे वहां कुछ गिने-चुने ही घर मौजुद थे उसी इलाके कें एक घर जो देखने से ज्यादा बड़ा भी नहीं और ज्यादा छोटा भी नहीं लग रहा हैं उसी घर के अंदर एक लड़की किचन में खड़ी हो कर खाना बना रही हैं की अचानक से एक धमाका हुआ l

    धमाके की आवाज़ सुनकर एक लड़की कमरे से भगते हुए किचन की तरफ आई l

    और बोली शार्वी तुम ठीक हो ये कोई और नहीं अन्वी और शार्वी ही थी l

    शार्वी जो एक कोने मैं खड़ी थी उसने अपना सर हा मे हिला दिया शार्वी को ठीक देख कर उसने किचन की तरफ देखा l

    अन्वी ''शार्वी से तूने ये क्या हाल कर दिया मेरे किचन का उसने गुस्से से चिल्ला कर बोला l

    शार्वी उसके गुस्से भरी आवाज सुनकर अपनी आंखें तेजी से बंद कर ली l

    अन्वी जिसकोे अपने किचन की हालत देखकर शार्वी पर गुस्सा आ रहा था उसने शार्वी की तरफ देख कर फिर से कहा ''मैडम जब आपको खाना बनाना आता नहीं है, तो आप experiment करती ही क्यों हैं l

    बोल कर उसने फिर से अपनी किचन की हालत देखी ,

    शार्वी sorry 😔 यार पर मैं काफी ध्यान से काम कर रही थी, यहां तक कि मैं यूट्यूब से रेसिपी देखकर के बना रही थी मैं और पता नहीं कैसे ब्लास्ट हो गया l 😥😣

    अन्वी ''मैडम आप अपने लैब में केमिकल के साथ experiment करते हुए अच्छी लगती हैं किचन में खाने के साथ नहीं l

    शार्वी ने अन्वी की बात सुनकर रोने जैसा मुँह बना लिया 🥺और बोली ''तू ऐसे कैसे बोल सकती है l

    अन्वी ''जैसा बोला जाता है वैसे ही बोला उसने थोड़ा चिढ़ कर कहा l

    शार्वी अन्वी की बात सुनकर बोली ''तू मेरी दोस्त है या दुश्मन'' बोल कर अन्वी से अपना मुंह फेर लिया l

    अन्वी ने शार्वी को उदास देखा तो उसे बोली ''शार्वी देखो जरूरी नहीं है कि सबको सब चीजें आती ही हो अगर तुम्हें खाना बनाना नहीं आता तो ये कोई बड़ी बात नहीं है, ठीक है l

    शार्वी ने अन्वी की बात सुनकर हा मैं सर हिला दिया l

    अन्वी चलो अब ये जो गांदगी तुमने फेलाई है उसे साफ भी करो l

    शार्वी क्या😲 मैं अकेली यह सब साफ करुं उसने पूरे किचन की हालत को देखते हुए कहा l

    अन्वी ''क्या मैंने तुम्हें खाना बनाने के लिए कहा था l

    शार्वी ने अपना सर ना में हिला दिया वह इस वक्त काफी मासूम लग रही थी l

    अन्वी ''तो गंदा भी तो तुमने किया है तो साफ भी तुम्हें ही करना पड़ेगा "हम्म्म्म" उसके गालो को थपथपा कर वहां से चली गई l

    शार्वी ''अन्वी यार ऐसा तो मत कर कुछ तो मदद करा दे अगर किचन जल्दी साफ नहीं हुआ तो हम खाना क्या खाएंगे तुझे खाना भी तो बनाना है हम दोनों के लिए अन्वी यार उसने चिल्ला कर कहा l

    अन्वी ने भी उसकी बात सुनकर कहा ''you don't worry तुम किचन साफ करने पर ध्यान दो खाना मैं बाहर से ऑर्डर कर दे रही हूं आज के लिए l

    शार्वी अन्वी की बात सुनकर खुद में ही बड़बड़ाते हुए किचन साफ करने लगी ''अकडूु जल्लाद खड़ूस कही की जब देखो तब मुझ मासूम पर अत्याचार करती रहती है अत्याचारन कहीं की बोलते हुए वो किचन साफ करती है l

    इधर शेखावत मेंशन में ,

    रिधान डाइनिंग टेबल पर बैठा डिनर कर रहा था और आपने Dad से बात भी कर रहे था l

    उसके Dad उसे बोले ''और कैसा चल रहा है तुम्हारा काम क्या तुम्हें कोई समस्या हो रही है !

    रिधान No Dad मुझे कोई परेशानी नहीं है आप इतना stress मत लीजिए l

    की तभी वहा पर संचिता जी आते हुए बोली ''वाह बाप बेटा गपशप कर रहे हो और मुझे ये भी खबर नहीं कि तुम घर भी आ गये हो l

    फिर वो सौरभ जी को देख कर बोली, आप मुझसे बता नहीं सकते थे,कि रिधान आ गया है l

    सौरभ जी ''अगर बता देता तो अपने बेटे से आपकी बुराई कैसे करता, आख़िर उसे भी तो पता होना चाहिए की उसकी माँ मुझमें पर कितना अत्याचार करती हैं जब देखो तब हुकुम चलती रहती है ऑफिस हो या घर l

    संचिता जी ये सुन कर चिढ़ जाती है और उनसे बोली ''क्या कहा आपने''

    की रिधान बिच में हे बोल पड़ा ''Mom Dad बस आपको परेशान कर रहे हैं आप चिढिये मत l

    संचिता जी रिधान की बात सुनकर सौरभ जी को इग्नोर करते हुए रिधान के बगल में बैठे हुए उसे बोली ''अभी तुझे किसी और मिशन पर तो नहीं जाना है न''

    रिधान ''नही Mom

    संचिता जी रिधान की ये बात सुनकर उसे अपने हाथों से खाना खिलने लगी l

    रिधान चुप चाप अपनी माँ के हाथों से खाना खाता रहा l

    संचिता जी ''तुम दिल्ली कब आये'' l

    रिधान ''कुछ दिन पहले ही'' l

    संचिता जी ''तो तुम घर क्यों नहीं आये''l

    रिधान ''Mom मैं काम में फंस गया था'' l

    संचिता जी ऐसा कौन सा काम था कि तुम घर भी नहीं आ पाए तुम दिल्ली कुछ दिन पहले आ गये और एक दिन भी घर नहीं आये और आज आ रहे हो वह भी इतनी रात को और मुझे बताया भी नहीं उन्होने रिधान को थोड़े गुस्से से घुरते हुए कहा l

    रिधान ने आपनी मां की गुस्से भरी बात और घुरती हुई नजर देखी तो बोला ''I am sorry mom आगे से ऐसा नहीं होगा प्लीज आप गुस्सा मत करो उसने अपनी माँ के हाथों को पकड़ा और कहा प्लीज Mom आगे से मैं ध्यान रखूंगा कि मैं आपको inform कर दूँ l

    संचिता जी ''रिधान मुझे तेरी फ़िक्र लगी रहती है कम से कम बता तो दीया कर तू है कहां l

    रिधान ''ok अब से मैं आपको बता दूंगा और प्यार से अपने माँ के गालो को छुआ और एक प्यारी सी मुस्कान दी l

    संचिता जी ने भी रिधान को मुस्कुराते हुए फिर से अपने हाथों से खाना खिलाने लगी l

    सौरभ जी जो कब से दोनो लोगो की बात सुन रहे थे और खुद को अपनी पत्नी और बेटे द्वारा अनदेखा होते हुए देखा तो वह बोल पड़े ''वाह बेटा माँ मिल गई तो बाप को भूल गया l

    रिधान ने आपने Dad की तरफ देख कर अपने कंधे उचका दिया

    संचिता जी ने तो उनको full on इग्नोर मारा जैसे वो वहां पर हो ही नहीं l

    आपने बेटे और अपनी पत्नी का ये रिएक्शन देखकर वह गुस्सा दिखाते हुए बोले ''लोगो को तो मेरे पड़ी ही नहीं l

    रिधान आपने Dad की बात और हरकत देख कर मुस्कुरा दिया और बोला ''ऐसा कुछ नहीं है Dad और आप अब अपनी पत्नी को मनाइये मैं जा रहा हूँ सोने Good night बोल कर वो अपने कमरे की तरफ चल दिया l

    सौरभ जी संचिता जी की तरफ देख कर बोले ''पत्नी जी क्या आप सच में नाराज़ हैं मुझसे ?

    संचिता जी थोड़े गुस्से से बोली ''नही''बोल कर वो भी अपने कमरे की तरफ चली गई सौरभ जी ने उनको गुस्से से जाते देखा तो वह भी उनके पीछे-पीछे चल गए भाई उनको अपनी पत्नी को मनाना जो था l

    रिधान आपने Mom Dad को साथ देख कर बहुत खुश था वह अपने परिवार से बहुत प्यार करता था वह चाहता था कि उसकी फैमिली हमेशा इसी तरह हंसी खुशी रहे l

    दूसरी तरफ अन्वी का घर ,

    अनवी अपने कमरे में खड़ी खिड़की से बाहर देख रही थी, उसकी आँखों में हल्की नमी थी खिड़की के पास से हटती है और अपने अलमारी के पास जाकर उसे खोलकर उसमें से एक गिटार बहार निकलती है और उसे लेकर के वह खिड़की के पास बने चौखट पर बैठ जाती है l

    गिटार बजाते हुए वह एक गाना गाने लगती है l

    ऊँगली पकड़ के फिर से सिखा दे, गोदी उठा लेना माँ

    आँचल से मेरी मुँह पोंछ देना मैला सा लागे जहाँ

    अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः

    गाते हुए उसका मन भारी सा हो गया था,उसने एक गहरी सास ली और आगे के बोल गाती है,

    आँखें दिखाए मुझे जब ज़िन्दगी

    याद मुझे आती है तेरे गुस्से की

    डाँटा भी तो तूने मुझे फूलों की तरह

    क्यूँ नहीं माँ सारी दुनिया तेरी तरह?

    गाते गाते वो रो देती हैं 😭😭😭😭

    की शार्वी आपने कमरे में थी वो अन्वी के गिटार और गाने की आवाज़ सुनकर उसके कमरे की तरफ आ जाती हैं और दरवाजे से लगकर के ही वो अन्वी को गाते हुए देखती है की अन्वी को रोते देख वो उसके पास भाग कर जाती है और कसकर अन्वी को गले लगा लेती है, उसकी आंखों से भी आंसू गिर रहे थे l

    अन्वी भी शार्वी को कसकर गले लगती है और वैसे ही रोने लगती है अन्वी काफी ज्यादा रो रही थी l

    थोड़ी देर बाद ,

    शार्वी अन्वी से अलग होकर अन्वी को चुप कराते हुए बोली ''चुप हो जा अन्वी नहीं तो तेरी तबीयत भी ख़राब हो जाएगी l

    तुझे खुद को मजबूत बनाना होगा, अन्वी यह समय कामजोर पढने का नहीं है तू खुद को ऐसे कामजोर नहीं पढ़ने दे सकती अभी तो लड़ाई की शुरुआत है तू शुरूआत में ही ऐसे कामजोर पड़ जाएगी तो आगे कैसे लड़ेगी l

    अन्वी शार्वी की बात सुनकर बोली ''मैं कामजोर नहीं हूं शार्वी और ना मैं खुद को कामजोर पढनेे दे सकती हूँ'' ये बोलते हुए उनसे आपने आँसुओं को पोछा और कहा ''मैने खुद से वादा किया है जब तक उन लोगों को उनकी बरबादी तक मैं पाहुंचना दूँ मैं चेन से नहीं बैठूंगी, हर एक को अपने किये की सजा भुगतनी होगी l

    अन्वी ने ये बात गुस्से और आत्म विश्वास से कहा था l

    शार्वी अन्वी की बात सुनकर बोली ''और मैं तेरे साथ हूं चाहे कुछ भी हो जाए मैं हमेशा तेरे साथ रहूंगी l

    दोनो ने फिर से एक दूसरे को गले लगा लिया l

    थोड़ी देर बाद अलग हुई l

    अन्वी फिर से चुप चाप विंडो से बाहर देखने लगी तो शार्वी अन्वी को देख कर के बोली l

    "अन्वी एक बात पूछू" अन्वी ने अपना सर हा मैं हिला दिया l

    तुझे captain ridhan पसंद आ गए हैं क्या ?

    अन्वी शार्वी की बात सुनकर उसको देखती है और फिर सामने देखते हुए बोली ,

    पता नहीं , उनको देखता हूं तो किसी की याद आती है उनकी आंखें किसी का एहसास दिलाती हैं कुछ ऐसे एहसास जो मैं लफ्जों में बयान भी ना कर सकूं l

    शार्वी किसकी याद आती हैं l

    अन्वी बोला तो पता नहीं l

    शार्वी तो फिर पता कर l

    अन्वी जब पता करना होगा तब कर लुंगी l

    बोल कर वह अपने बिस्तर की तरफ जाने लगी और शार्वी को बोली ''तू भी जा जाकर सो जा काफी रात हो गई है हमने कल अपने काम पर भी जाना है l बोल कर वो अपने बिस्तार पर लेट गई l

    शार्वी अन्वी की बात सुनकर बोली क्या मैं आज रात तेरे पास सो जाऊं l

    अन्वी ''नहीं उसकी कोई जरुरत नहीं है मैं छोटी बच्ची नहीं हूं जो तू हर वक्त मुझे console करेगी l

    शार्वी ने अन्वी को मुंह बनाकर देखा और उससे बोली Good night और आपने कमरे की तरफ चल दी l

    अन्वी ने उसके जाते ही अपनी बंद आँखों को खोला और रिधान के बारे में सोचने लगी l

    और खुद से बोली ''तुम्हारी आंखें फिर ना में सर हिला कर बोली ''तुम नहीं आप'' बोल कर मुस्कुरा दी l

    पर जब उसको महसुस हुआ कि वह क्या सोच कर मुस्कुरा रही है तो उसने जल्दी से खुद से कहा ''नहीं अन्वी तू क्या सोच रही हैं तू ये सब सोचने के लिए यहां पर मैं नहीं आई हैं'' बोल कर उसने अपनी आंखें कस कर बंद कर ली l

    और थोड़ी देर बाद नींद के आगोश में चली गई l

    Hello my lovely readers 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आपको यह कहानी पसंद आएगी l

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    आज के लिए इतना ही मिलते है अगले चैप्टर में

    तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗.

  • 13. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 13

    Words: 1971

    Estimated Reading Time: 12 min

    दिल्ली

    सुबह का वक्त था।

    अन्वी उठी तो उसने देखा कि 5 बज रहे थे। वह अपने बिस्तर से उठी और बाथरूम की तरफ चली गई।

    थोड़ी देर बाद वह फ्रेश होकर बाहर आई और अपने घर के बाहर छोटे से बगीचे में मेडिटेशन और एक्सरसाइज करने लगी। यह उसका दैनिक दिनचर्या था, जो वह रोज़ाना सुबह उठकर ध्यान और व्यायाम किया करती थी।

    वह अभी एक्सरसाइज कर ही रही थी कि वहाँ पर शार्वी भी आ गई और उसके साथ वह भी एक्सरसाइज करने लगी। 1 घंटा एक्सरसाइज करने के बाद वे दोनों अपने-अपने कमरे में नहाने के लिए चली गईं।

    अन्वी बाथरूम से बाहर निकली और मिरर के सामने आकर तैयार होने लगी।

    उसने व्हाइट कलर की शर्ट के साथ ब्लू कलर की जींस कैरी की थी। वह काफी प्यारी और एलिगेंट लग रही थी। उसने अपने बाएँ हाथ में घड़ी पहनी और अपने बालों को खुला छोड़ दिया और कमरे से निकल गई।

    वह किचन में आकर अपने लिए और शार्वी के लिए नाश्ता तैयार करने लगी।

    थोड़ी देर में शार्वी भी अन्वी के पास आकर खड़ी हो गई।

    "मैं कुछ हेल्प करूँ?" शार्वी ने कहा।

    "कोई ज़रूरी नहीं है।" अन्वी ने कहा।

    "अरे, बताना, मैं मदद कर देती हूँ।"

    "कल की मदद क्या काम पड़ गई थी, जो आज तू फिर से मदद करने आ गई?" अन्वी ने कहा।

    अन्वी की बात सुनकर शार्वी को कल का ब्लास्ट याद आया और फिर खराब रसोई की सफाई। याद करके उसने अपना सर तेज़ी से झटका और बोली, "नहीं नहीं, तू कर ले।"

    "वैसे भी, दूसरों को भी मौका देना चाहिए कुछ पुनः कमाने के लिए।"

    उसकी बात सुनकर अन्वी ने उसे अजीब नज़रों से देखा।

    अन्वी को खुद को देखता देख उसने अपनी दाँत दिखा दी 😁

    थोड़ी देर में अन्वी ने नाश्ता तैयार कर लिया और डाइनिंग टेबल की तरफ लेकर चली गई। शार्वी ने भी नाश्ता लगाने में अन्वी की मदद की और साथ में दोनों ने नाश्ता किया और घर लॉक करके निकल गईं।

    दूसरी तरफ,

    शेखावत मेंशन में,

    सभी लोग डाइनिंग टेबल पर आकर बैठे थे। रिधान भी सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए डाइनिंग टेबल की तरफ आकर अपनी कुर्सी खींचकर बैठ गया।

    तभी वहाँ पर बैठे उसके दादा जी बोले, "कब आए तुम? हमें तो खबर ही नहीं।"

    "कल रात में।" रिधान ने कहा।

    "आख़िरकार पकड़ लिया तुमने उसे, उसने क्या तुम्हें अपने ठिकाने के बारे में बताया?" यशवर्धन जी ने पूछा।

    "आपको पूरी खबर रहती है।" रिधान ने कहा।

    यशवर्धन जी यह सुनकर मुस्कुरा दिए। वे आगे कुछ और बोलते कि उन्हें पहले ही आरना और मानवी आकर रिधान के गले लग गईं। दोनों ने रिधान को पकड़ रखा था।

    रिधान ने भी प्यार से दोनों के सर पर हाथ फेरा और बोला, "कैसी हो शैतानों की नानी माँ?"

    यह सुनकर दोनों चिढ़ गईं और बोलीं, "भाई आप तो ये मत बोलो।" मानवी ने कहा, "देखो क्या हम आपको शैतान लगते हैं?" उसने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा।

    "भाई ने तुम्हें शैतान नहीं कहा है, शैतान की नानी कहाँ है?" पीछे से एक आवाज़ आई।

    आरना और मानवी ने देखा तो वह मोक्ष था।

    आरना बोली, "अगर हम शैतान की नानी हैं तो आप...?"

    "भूतों के परदादा!" मानवी ने तपाक से बोली। "हाँ, एकदम सही कहा आपने!"

    तभी आद्विक भी वहाँ आते हुए बोला, "तुम दोनों को बड़ा पता है।"

    इससे पहले कि बात और आगे बढ़ती, रिधान बीच में ही बोल पड़ा, "चुप हो जाओ तुम सब।"

    "पर भाई, आप हमें चुप होने को क्यों बोल रहे हैं? इन दोनों को बोलिए।" मानवी ने कहा।

    "हाँ, जब देखो तब हमें चिढ़ाते ही रहते हैं।" आरना ने कहा।

    "तो तुम चिढ़ा मत करो।" आद्विक ने कहा। बोलकर मोक्ष और आद्विक ने हँसते हुए एक-दूसरे को हाई-फाई दिया।

    मानवी और आरना कुछ बोलतीं कि पहले ही सौरभ जी बोल पड़े, "तुम दोनों क्यों मेरी बेटियों को परेशान कर रहे हो? इतने बड़े हो गए हो फिर भी समझ नहीं है।"

    "Dad!" आद्विक ने कहा।

    "क्या?"

    "Dad, हाँ!"

    उन दोनों को डाँट पड़ता देख दोनों मुस्कुरा दीं।

    कि संचित जी किचन से बाहर निकलते हुए डाइनिंग टेबल पर नाश्ते की प्लेट रखते हुए सौरभ जी से बोलीं, "आपकी बेटियाँ भी अब बड़ी हो गई हैं। उन्हें भी जरा बोलिए कि अपने भाइयों से लड़ा ना करें।" बोलकर वे मानवी और आरना को देखने लगीं।

    "Mom, हमने कुछ नहीं किया। मोक्ष भाई और आद्विक भाई ने ही शुरुआत की थी।" आरना ने कहा।

    "बड़ी माँ, आप क्या? हमसे प्यार नहीं करतीं?" मानवी ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा। "आप जब देखो तब हमें डाँटते हो और भाई का साथ देते हो।" 🥺

    रिधान ने मानवी का मासूम चेहरा देखा तो अपनी माँ से बोला,

    "Mom..." वो उसके आगे कुछ कहता कि पहले ही...

    संचित जी मानवी का कान पकड़ते हुए बोलीं, "क्या कहा तुमने कि मैं तुम लोगों से प्यार नहीं करती? ऐसा सोचना भी मत! और हाँ, जो तुम अपना क्यूट सा चेहरा बना रही हो ना, यह मुझ पर काम नहीं करने वाला। बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ तुम दोनों की हरकतें।"

    "चलो, आप सब बैठो और नाश्ता करो।" बोलकर वो भी डाइनिंग टेबल पर बैठ गई और सभी नाश्ता करने लगे।

    सुबह 10:00 बजे,

    एसआईएफ बिल्डिंग।

    एक कार वहाँ आकर रुकी। रिधान कार से निकला और बिल्डिंग के अंदर चला गया।

    थोड़ी देर बाद वह अपने ऑफिस में बैठा था और एक फाइल पढ़ रहा था कि एक तेज आवाज के साथ दरवाज़ा खुला और ईशान अंदर आया।

    "रिधान, क्या हुआ?"

    "अली जुन्हेर ने अभी तक अपना मुँह नहीं खोला।"

    ईशान की बात सुनकर रिधान अपनी कुर्सी से उठा और बोला, "कुछ लोगों को समझाना मुश्किल होता है जब तक उन्हें उनकी भाषा में ना समझो। उन्हें समझ नहीं आता।"

    बोलकर वह अपने ऑफिस से निकल गया।

    रिधान अपने ऑफिस रूम से निकलकर लिफ्ट की तरफ बढ़ गया। ईशान भी रिधान के साथ चल दिया।

    अन्वी, जिसका वर्किंग टेबल रिधान के ऑफिस के सामने ही था, वह अपने सामने रखे लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी कि रिधान को अपने ऑफिस से निकलते देख वह रिधान को एकटक देखती ही रह गई और "खुद से ही बोली,"

    देखी है जब से आँखें तेरी,

    हो रहा है दिल को कुछ एहसास,

    कैसे समझे इस एहसास को जो है कुछ खास।

    शार्वी, जो अन्वी के बगल में ही बैठी थी, अन्वी की शायरी सुनकर बोली, "वाह! वाह! वाह!"

    "मैडम, आप तो शायर बन गईं! वैसे ये शायरी की तलब आपको कब से लगी?"

    अन्वी, जो अभी भी उसी दिशा में देख रही थी जितर रिधान गया था, शार्वी की बात सुनकर वह उसको घूर कर देखती है, पर शार्वी पर इसका कोई असर नहीं होता। वह वैसे ही बोली,

    "मेहबूबा को है मेहबूब के दीदार का इंतज़ार,

    पर यह कब हुआ मेरे यार।"

    शार्वी के यह बोलते ही अन्वी का चेहरा लाल होने लगा। शार्वी अन्वी को शरमाते देखकर बोली, "Omg! 😱 तू शरमा रही है।"

    "क्या?" अन्वी ने कहा।

    "तेरा चेहरा लाल हो गया है।"

    अन्वी अपना चेहरा छूते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं है। कुछ भी बोलती है तू।"

    "कुछ तो हुआ है तुझे अन्वी! तेरी नज़र आजकल किसी पर ठहरने लगी है। क्या चक्कर है?"

    अन्वी, जिसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि वह रिधान को क्यों देखती रहती है, क्यों उसकी आँखों में खो जाती है, क्यों उसकी आँखें किसी का एहसास दिलाती हैं, क्यों उसका दिल उसके पास होने पर तेज़ी से धड़कने लगता है, आखिर क्यों? और इस "क्यों" का जवाब अभी उसके पास नहीं था।

    शार्वी अन्वी को कहीं खोया हुआ देखकर बोली, "मैडम, सपनों की दुनिया से बाहर आओ और जरा अपनी प्यारी दोस्त को बताओ, आखिर चक्कर क्या है? 😉"

    "कोई चक्कर नहीं है। अपने काम पर ध्यान दो, फ़ालतू की बकवास पर नहीं।"

    बोलकर उसने अपनी नज़र लैपटॉप में गड़ा ली।

    शार्वी अन्वी को घूरती रही पर अन्वी पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। अन्वी ने शार्वी को फुल ऑन अनदेखा किया।

    शार्वी ने भी अपना मुँह टेढ़ा-मेढ़ा 😏😏 करके अपने काम पर ध्यान देने लगी।

    इधर रिधान,

    एक अँधेरे कमरे में खड़ा था जहाँ रोशनी की मात्रा काफी कम थी। वह देखने से एक टॉर्चर रूम लग रहा था। रिधान अपने सामने अली जुन्हेर को देखता है। देखने से ऐसा लग रहा था जैसे उसे काफी टॉर्चर किया गया हो।

    रिधान चलकर अली जुन्हेर के पास आता है और उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ जाता है।

    अली जुन्हेर, जिसका सर नीचे की तरफ झुका हुआ था, अपने सामने किसी की मौजूदगी का एहसास होता है। वह अपनी नज़र उठाकर देखता है तो उसे रिधान का चेहरा नज़र आता है।

    अली जुन्हेर रिधान को देखकर हँसकर बोला, "क्या हुआ? इतना ही टॉर्चर कर सकते थे?" फिर रुककर, "मुझे तुम चाहे जितना भी टॉर्चर कर लो, मैं कभी तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगा।"

    रिधान उसकी बात सुनकर बोला, "देखते हैं कब तक तुम अपनी बात पर टिके रहते हो।" उसने यह बात काफी खतरनाक तरीके से कही थी।

    अली जुन्हेर उसकी बात सुनता है तो वह थोड़ा घबरा जाता है। फिर अपनी घबराहट छुपाए हुए वह हँसकर बोला, "हमेशा।"

    वह अभी हँसी ही रहा था कि उसकी हँसी अचानक दर्दनाक चीख में बदल गई।

    क्योंकि रिधान ने उसके हाथ की उँगलियों को काट दिया था। अली जुन्हेर दर्द से तड़पते हुए रिधान को देखता है। वह तड़पते हुए ही बोला, "तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते।"

    "हाँ, सही कहा।" रिधान ने कहा। फिर अपना एक हाथ आगे करता है। उसके बगल में खड़े ईशान ने उसके हाथ में कांच की बोतल थमा दी।

    अली जुन्हेर उस बोतल को देखकर बोला, "क-क-क्या है ये?"

    रिधान बोला, "सच बोलने की दवा।" बोलकर वह devil smile 😈 करने लगा और उस बोतल के तरल पदार्थ को उसकी कटी हुई उँगलियों पर डाल दिया।

    वह दर्द से चिल्ला उठा।

    "क्या हुआ? दर्द कम नहीं हुआ? कोई बात नहीं, थोड़ी और दवा डाल देता हूँ।" बोलकर उसने उसका दूसरा हाथ भी पकड़ लिया और एक तेज धार वाले चाकू को उसके हाथ की उँगलियों पर घुमाने लगा।

    यह देखकर अली जुन्हेर की साँसें तेज़-तेज़ चलने लगीं। वह अभी कुछ बोलता कि उससे पहले ही रिधान ने उसकी एक और उँगली काट दी। वह जोर से चिल्लाया और चिल्लाते हुए ही बोला, "नहीं! नहीं! मत करो! मैं तुम्हें सब बताता हूँ! प्लीज़! मुझे छोड़ दो! प्लीज़!" वह दर्द की वजह से अटक-अटक के बोल रहा था।

    रिधान उसकी बात सुनकर रुक गया और उसे बोलने का इशारा किया।

    अली जुन्हेर बोलना शुरू किया।

    थोड़ी देर बाद रिधान ईशान के साथ टॉर्चर रूम से निकल गया।

    "तूने उसे ज़िंदा क्यों छोड़ दिया?" ईशान ने चलते हुए ही रिधान से पूछा।

    "क्योंकि उसके मरने का यह सही वक्त नहीं है।" रिधान ने कहा।

    ईशान ने रिधान को एक नज़र देखा और फिर सामने देखते हुए बोला, "मैं तब तक उसके ठिकाने का exact लोकेशन पता करता हूँ। क्या पता यह कोई जाल हो।"

    रिधान ने उसकी बात सुनकर हाँ में सर हिला दिया।

    दोनों फिर लिफ्ट की तरफ चल दिए। लिफ्ट उनके ऑफिस फ़्लोर पर आकर रुकी और दोनों लिफ्ट से बाहर निकल गए। ईशान वहाँ से टेक्निकल रूम की तरफ चला गया और रिधान ने अपने कदम अपने ऑफिस रूम की तरफ बढ़ा दिए।

    अन्वी, जिसका पूरा ध्यान अपने लैपटॉप पर था, रिधान को वहाँ से गुजरते देख उसका पूरा ध्यान वापस से रिधान के ऊपर चला गया। वह फिर से रिधान में खोने लगी थी कि उसने इस बार जल्दी से खुद को होश में लाया और उस पर से अपनी नज़र हटाकर मन में ही बोली, "नहीं अन्वी! अपनी नज़रों को काबू में रख! यह सही नहीं है।" बोलकर वह अपना सर तेज़-तेज़ झटकने लगी।

    रिधान, जो अन्वी के ठीक सामने से गुजर रहा था, अन्वी की यह हरकत देखकर वह अपने मन में बोला, "क्या अजीब लड़की है!"

    और अपने ऑफिस में चला गया।

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  • 14. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 14

    Words: 2093

    Estimated Reading Time: 13 min

    रिधान के केबिन में,

    थोड़ी देर बाद ईशान रिधान के ऑफिस रूम में आया।

    ईशान अंदर आते हुए बोला, "मैंने लोकेशन ट्रेस कर ली है।"

    रिधान, "क्या उसने जो बताया है वो सही है?"

    ईशान, "हम्म... सही लोकेशन उसने बताई है, पर हम एक साथ इतनी जगह पर नहीं जा सकते।"

    रिधान बोला, "जानता हूँ।" वो कुछ और बोलता कि दरवाज़ा एक बार और खुला और तन्मय अंदर आया।

    तन्मय अंदर आते हुए बोला, "क्या बात है? मेरे बिना दिल नहीं लगता? तुम दोनों का जब देखो तब मुझे याद कर लेते हो? देखो भाई, मैं एक बात क्लियर कर देता हूँ, मुझे लड़कियाँ पसंद हैं। मुझे तुम दोनों में कोई दिलचस्पी नहीं है।"

    रिधान और ईशान ने उसकी बात सुनकर एक-दूसरे को देखा और फिर अपनी-अपनी जगह से उठकर उसके पास आए और एक साथ उसके पेट पर घूँसा मार दिया।

    तन्मय दर्द से चीख उठा और बोला, "मारो क्यों?"

    रिधान, "क्योंकि तू फ़ालतू बकवास कर रहा है।"

    ईशान, "और नहीं तो क्या? और क्या बोला तू? हमे तुझमें इंटरेस्ट है?"

    तन्मय, "यही तो बोला मैंने कि तुम दोनों को मुझमें दिलचस्पी है। माना मैं बहुत हैंडसम हूँ, पर इसका मतलब ये तो नहीं ना कि तुम दोनों मेरे पीछे ही पड़ जाओ।"

    ईशान उसकी बकवास सुनकर बोला, "चुप कर! मुझे भी लड़कियाँ ही पसंद हैं।" 😠

    और फिर दोनों एक साथ रिधान को देखने लगे, जैसे पूछ रहे हों, "और तुझे?"

    रिधान ने दोनों की नज़र अपनी तरफ देखी तो बोला, "दोनों के दोनों मरना चाहते हो क्या?" उसने अपनी शर्ट की आस्तीन ऊपर करते हुए कहा।

    दोनों ने जल्दी से कहा, "नहीं नहीं।"

    तन्मय, "हमें भी पता है तुझे भी लड़कियों में दिलचस्पी है। दिखता नहीं है, वह बात अलग है।"

    ईशान ने भी कहा, "हाँ हाँ।"

    रिधान, "अगर अब तुम दोनों की बकवास खत्म हो गई हो तो हम काम की बात करें।"

    दोनों ने हाँ में सर हिलाया और कुर्सी पर बैठ गए।

    रिधान बोला, "तन्मय, तुम अली जुन्हेर के दिल्ली के सभी अड्डों को सील करो। अपनी टीम के साथ जाओ और वहाँ के लोगों को पकड़ो। कोई भी बचकर नहीं जाना चाहिए।"

    तन्मय, "ठीक है।"

    ईशान, "तुम अपनी टीम के साथ अभी फ़ैज़ाबाद के लिए निकलो और तुम जानते हो तुम्हें क्या करना है।"

    ईशान, "You don't worry, काम हो जाएगा। वहाँ कुछ भी नहीं बचेगा।"

    रिधान, "Good."

    तन्मय बोला, "और तू कहाँ जा रहा है?"

    रिधान, "वसीम ख़ानम को पकड़ने। अब उसका भी खेल ख़त्म किया जाए।" evil smile के साथ बोला।

    ईशान, "तो तू क्या अकेला जाएगा?"

    रिधान, "हाँ।"

    तन्मय, "ठीक है। फिर चलो, फिर अली जुन्हेर और वसीम ख़ानम को पूरी तरह बर्बाद करते हैं।"

    और फिर दोनों वहाँ से निकल गए।

    तन्मय रिधान के ऑफिस रूम से बाहर निकला तो उसकी नज़र अन्वी पर गई। वो मुस्कुराता हुआ अन्वी के पास चला गया।

    तन्मय, "हाय।"

    अन्वी जो लैपटॉप में कुछ कर रही थी, किसी की आवाज़ सुनकर उस दिशा में देखती है तो उसे तन्मय दिखता है।

    अन्वी, "हाय।"

    तन्मय, "क्या तुम busy हो?"

    अन्वी, "नहीं।"

    तन्मय, "ठीक है फिर तुम मेरे साथ चलो। हमें एक मिशन पर जाना है।"

    अन्वी कुछ बोलती कि शार्वी जो अपने लिए और अन्वी के लिए कॉफ़ी लेने गई थी, उसने तन्मय की बात सुन ली और बोली, "वो क्यों अकेली जाएगी? मैं भी चलूँगी।"

    तन्मय ने शार्वी को देखा तो चिढ़ गया, "मैं तुम्हें अपने साथ लेकर नहीं जाऊँगा।"

    शार्वी, "और ऐसा क्यों, मिस्टर?"

    तन्मय, "मेरा मन।"

    शार्वी तन्मय की बात सुनकर चिढ़कर बोली, "तुम्हारे मन की ऐसी की तैसी!"

    तन्मय, "अपने सीनियर से ऐसे बात करते हैं?"

    शार्वी, "तो क्या सीनियर भी ऐसे होते हैं?"

    वो दोनों को फिर से बहस करते देख अन्वी बोली, "शार्वी, चुप हो जाओ।"

    शार्वी, "अन्वी यार, तू सिर्फ़ मुझे क्यों बोल रही है? हमारे सीनियर को भी तो देख, कैसे बातें कर रहे हैं!" उसने तन्मय को घूरकर देखते हुए कहा।

    कि ईशान बोल पड़ा, "शार्वी, तुम मेरे साथ चलोगी।" शार्वी ईशान को देखकर तुरंत मान गई और बोली, "ठीक है।" उसने मुस्कुराते हुए ईशान से कहा।

    तन्मय उसके तुरंत मान जाने से बोला, "अभी तक तो लड़ रही थी मेरे साथ जाने के लिए।"

    शार्वी, "मैं बस अपने दोस्त के साथ जाना चाहती थी जिसे आप अपने साथ लेकर जा रहे थे, सीनियर जी।" बोलकर उसने अपना मुँह बिचका दिया। 😏

    और अन्वी की तरफ़ देखकर बोली, "चल अन्वी।"

    तन्मय, "ओह हैलो! वह मेरे साथ जा रही है।"

    अन्वी दोनों की बहस से बहुत ज़्यादा इरिटेट हो गई थी।

    वो कुछ बोलती कि पीछे से रिधान की कड़क आवाज़ आई, "वो तुम दोनों में से किसी के साथ नहीं जा रही।"

    उसकी आवाज़ सुनकर सभी ने रिधान की तरफ़ देखा।

    रिधान उन लोगों के पास आया और बोला, "यहाँ खड़े होकर बहस मत करो और जो काम दिया गया है, उस काम पर ध्यान दो।"

    तन्मय बोला, "मैं बहस नहीं कर रहा।" और शार्वी की तरफ़ फ़िंगर पॉइंट करते हुए बोला, "ये ये कर रही है।"

    शार्वी, "क्या कहा?" वह दोनों फिर से चालू होते उससे पहले ही ईशान ने शार्वी का हाथ पकड़कर रोक लिया और बोला, "जाने दो, छोड़ो उसको।"

    शार्वी तो बस अपने हाथ को देखती है और फिर ईशान को जो उसे ही देख रहा था।

    वहाँ पर और भी लोग थे, जो कब से उन लोगों को ही देख रहे थे।

    रिधान सबको काम करते ना देखकर गुस्से से बोला, "तुम लोगों के पास क्या काम ख़त्म हो गया है? मैं और काम दूँ?"

    ये सुनते ही सभी अपने-अपने काम पर लग गए। उनके पास पहले से ही बहुत सारे काम थे जिन्हें उन्हें जल्दी ख़त्म करना था।

    रिधान तन्मय और ईशान को देखकर बोला, "तुम लोगों ने काफ़ी टाइम पास कर लिया। अब निकलो।"

    तन्मय फिर से अन्वी से बोला, "क्या तुम चल रही हो मेरे साथ?"

    अन्वी कुछ बोलती उसे पहले रिधान फिर से बोल पड़ा, "वह मेरे साथ जा रही है।"

    तन्मय और ईशान रिधान को हैरान होकर देखने लगे।

    यही हाल अन्वी और शार्वी का भी था। वह ईशान पर से नज़र हटाकर रिधान को ही एकटक देखने लगी।

    रिधान ने जब सब की नज़रें खुद पर पाई तो वो फिर गुस्से से कड़क आवाज़ में बोला, "तुम सब का मुझे देखना हो गया हो तो काम पर ध्यान दें।"

    ईशान रिधान की बात सुनकर शार्वी को अपने साथ चलने को कहा और दोनों तुरंत वहाँ से निकल गए।

    रिधान अब तन्मय को ही देखने लगा जो अब भी वहीं पर खड़ा था।

    रिधान, "तन्मय, क्या तुम्हारे जाने के लिए मुझे मुहूर्त निकलवाना होगा?"

    तन्मय रिधान की बात सुनकर तुरंत वहाँ से भाग गया। क्योंकि रिधान ने काफ़ी गुस्से में ये बात बोली थी, और वह रिधान के गुस्से से काफ़ी अच्छी तरह वाकिफ़ था।

    तन्मय के जाते ही रिधान अन्वी की तरफ़ देखता है जो अब भी उसको ही देख रही थी।

    रिधान, "मैडम, देख लिया हो तो चलें या मैं कुर्सी लेकर यहाँ बैठ जाऊँ और आप जी भर के मुझे ताड़ लें?"

    अन्वी रिधान की बात सुनकर सकपका गई।

    और रिधान से बोली, "कुछ भी! मैं आपको ताड़ नहीं रही थी। कुछ भी मत सोचिए।" बोलकर उसने अपनी नज़र फेर ली।

    रिधान ने कहा, "अच्छा।"

    अन्वी, "हाँ।"

    रिधान बात को और ना बढ़ाते हुए कहा, "तैयार हो जाओ, हमें जाना है।"

    अन्वी, "पर कहाँ?"

    रिधान, "चलो, पता चल जाएगा।"

    बोलकर वो लिफ़्ट की तरफ़ चल दिया। अन्वी उसको जाता देख उसके पीछे चल दी।

    थोड़ी देर बाद,

    "अन्वी और रिधान" रिधान की कार में थे, अन्वी रिधान के बगल में बैठी थी और रिधान ड्राइव कर रहा था।

    कार में काफ़ी ख़ामोशी थी जो अन्वी को थोड़ी अजीब सी फीलिंग दे रही थी, शायद इसलिए क्योंकि वह रिधान के साथ अकेली थी। वह रिधान की मौजूदगी से खुद के इमोशन को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी, उसकी नज़र ना चाहते हुए भी रिधान की तरफ़ मुड़ जाती।

    वहीँ रिधान का पूरा ध्यान अपने ड्राइविंग पर था।

    कि अन्वी कार के म्यूज़िक सिस्टम को ऑन कर देती है ताकि वो अपना मन और दिमाग़ शांत कर सके।

    रिधान अन्वी के म्यूज़िक सिस्टम ऑन करने की वजह से उसे घूरकर देखता है।

    अन्वी रिधान की घूरती नज़र को देखकर बोली, "आप मुझे घूर क्यों रहे हैं?"

    रिधान म्यूज़िक सिस्टम बंद करते हुए बोला, "तुम क्या चुपचाप नहीं बैठ सकती?"

    अन्वी फिर से म्यूज़िक सिस्टम ऑन करते हुए बोली, "नहीं।"

    रिधान फिर से म्यूज़िक सिस्टम बंद करते हुए बोला, "फिर भी बैठो।"

    अन्वी फिर से म्यूज़िक सिस्टम ऑन करती, उससे पहले रिधान ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।

    और बोला, "अगर तुमने इसे फिर से ऑन किया तो मैं तुम्हें कार से उठाकर बाहर फेंक दूँगा।"

    अन्वी रिधान की ये बात सुनकर उसे गुस्से से देखते हुए बोली, "आप मुझे कार से बाहर नहीं फेंक सकते क्योंकि आप ही मुझे अपने साथ लेकर आए हैं।"

    रिधान, "लगता है गलती कर दी तुम्हें अपने साथ लाकर।"

    अन्वी, "तो क्या मैंने कहा था आपको मुझे अपने साथ लाने के लिए?"

    रिधान, "तुम क्या थोड़ी देर के लिए चुप नहीं हो सकती?"

    अन्वी, "मैं चुप थी। वो आप हैं जिसकी वजह से मुझे बोलना पड़ा। मैंने किया ही क्या था? सिर्फ़ म्यूज़िक सिस्टम ही ऑन किया था जो आपको अच्छा नहीं लगा और आपने बंद कर दिया।"

    वो थोड़ी चिढ़ी हुई सी लग रही थी, शायद इस वजह से क्योंकि वह रिधान की तरफ़ अपनी बढ़ती हुई भावना पर नियंत्रण नहीं कर पा रही थी, इसलिए वह उससे लड़ रही थी ताकि वह खुद की भावना को नियंत्रित कर सके।

    रिधान, "पर मुझे गाना नहीं सुनना था इस कार में। तुम अकेली नहीं हो, मैं भी तुम्हारे साथ हूँ।"

    अन्वी, "आपको क्या गाने से कोई परेशानी है?"

    रिधान, "नहीं, बल्कि मुझे तुमसे परेशानी है।"

    अन्वी ने इस बार थोड़े गुस्से से कहा, "परेशानी मैं नहीं, परेशानी आप हैं जिसने मुझे परेशान कर रखा है।"

    रिधान ने झटके से कार रोकी। अन्वी जिसे अचानक से कार रुक जाने की वजह से झटका सा लगा, वो रिधान को देखकर बोली, "अब क्या? आप कार चलना भी भूल गए?"

    रिधान ने अपनी सीट बेल्ट निकाली और अन्वी की तरफ़ बढ़ने लगा।

    अन्वी ये देखकर अपने आप पीछे की तरफ़ होने लगी पर सीट पीछे नहीं जा सकी।

    रिधान अन्वी की तरफ़ झुकते हुए बोला, "क्या कहा तुमने? मैंने तुम्हें परेशान कर रखा है? वह तुम हो जो मुझे दिन भर देखती रहती हो। तुम्हें क्या लगता है, मुझे पता नहीं चलता कि तुम्हारी नज़र कब मुझमें होती है? मैं तुम्हें कुछ बोल नहीं रहा हूँ इसका मतलब यह नहीं कि तुम बोलती जाओगी। अब अगर तुम्हारे मुँह से एक लफ़्ज़ भी निकाला तो अगली बार चेतावनी नहीं दूँगा बल्कि तुम्हें सच में कार से बाहर फेंक दूँगा।"

    अन्वी, "आप मुझे ऐसे धमकी नहीं दे सकते।"

    रिधान, "मैं क्या-क्या कर सकता हूँ ये तुम्हें अभी पता नहीं है। इसलिए जितना बोल रहा हूँ उतना करो। और अगर तुम सच में चाहती हो कि मैं तुम्हें कार से बाहर फेंकूँ तो तुम मुझे बता सकती हो। मैं तुम्हारी ये ख़्वाहिश भी जल्दी पूरी कर दूँगा।" वह और अन्वी की तरफ़ झुक गया था।

    अन्वी रिधान के इतने पास आ जाने से बेचैन हो रही थी, उसके दिल की धड़कन काफ़ी तेज़ हो गई थी। वह और रिधान को अपने पास बर्दाश्त नहीं कर सकती क्योंकि उसकी फीलिंग रिधान के पास होने से और ज़्यादा बढ़ रही थी, वह अपने जज़्बात को काबू में नहीं रख पा रही थी। ऊपर से रिधान की वो नैशिली ग्रे आँखें जिसे देखकर वह हमेशा खो जाया करती हैं, वह अभी भी रिधान की आँखों में खो गई थी।

    रिधान जो सिर्फ़ अन्वी को धमकाने के मक़सद से उसके पास आया था, वह भी अन्वी की हल्की नीली आँखों में एकटक देखे जा रहा था।

    दोनों एक-दूसरे में खो चुके थे कि अचानक से उनको कार के हॉर्न की ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ सुनाई दी।

    रिधान तुरंत अपनी सीट पर बैठ गया और अपनी कार स्टार्ट कर दी। अन्वी भी अपनी सीट पर सही से बैठ गई।

    अभी जो उन दोनों के बीच हुआ था उसकी वजह से दोनों एक-दूसरे को इग्नोर कर रहे थे।

    अन्वी भी चुपचाप विंडो से बाहर देखने लगती है क्योंकि वो रिधान से नज़र नहीं मिलना चाहती थी।

    और रिधान का भी कुछ यही हाल था, इसलिए वह पूरा फ़ोकस अपने ड्राइविंग पर कर लेता है।

    कार में एक बार फिर ख़ामोशी छा जाती है।

    Hello my lovely readers 👋 😀

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    तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗

  • 15. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 15

    Words: 2204

    Estimated Reading Time: 14 min

    Delhi to airport road,

    ईशान अपनी टीम के साथ फैजाबाद के लिए निकल गया था शार्वी ईशान के साथ उसके कार में बैठी थी वो सामने देखते हुए ईशान से बोली अन्वी सर के साथ कहा गयी हैं l

    ईशान ''कसौली''

    शार्वी ''क्या पर क्यो''

    ईशान ''क्या मतलब हैं क्यो से तुम्हारा वो काम से गये हैं और तुम अब ये मत पुछना कोन से काम से मैं तुम्हे नहीं बात सकता l

    शार्वी ''जानती हूँ मैं आप नहीं बता सकते'' फिर थोड़ा रुक कर आगे बोली मुझे बस यह जानना था कि वह अन्वी को अपने साथ लेकर क्यों गए l

    ईशान ''क्या कोई परेशानीं है l

    शार्वी ''नही मैंने बस ऐसे ही पूछ लिया कोई परेशानीं नहीं है फिर मुस्कुराते हुए उसने ईशान को देखा ईशान भी मुस्कुराया दिया l

    दोनो को एक दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था l

    यही दुसरी तरफ रिधान की कार मे ,

    अन्वी जो अभी भी चुप चाप बैठी थी,तो वही रिधान भी अपनी ड्राइविंग पर वह ध्यान दे रहा था क्यो कि उसको जल्दी कसौली पहुंचना था और दिल्ली से कसौली पहुंचने में 5 ,6 घंटे लगते हैंl

    उसने अपनी कार की स्पीड को बढा रखी थी और अन्वी बस चुप हो कर बैठ गई थी वो रिधान को अब देख भी नहीं रही थी l

    और वक्त खामोशी के साथ गुजरता गया 4:30 घंटो के ड्राइविंग के बाद रिधान की कार एक रिसॉर्ट के आगे रुकी अन्वी ने रिसॉर्ट के आगे कार को रुकते देखा तो वो कन्फ्यूजन में रिधान को देखने लगी जो अपनी सीट बेल्ट को निकाल कर, कार से निकल गया था l

    रिधान अन्वी को कार से बहार निकलते नहीं देखा तो वो उसके पास जाकर बोला क्या तुम्हारा कार में बैठे रहने का इरादा है l

    रिधान की बात सुनकर अन्वी कार से बाहर निकल आई और उसके एक दम पास जाकर उससे बोली ''इरादे तो मेरे बहुत हैं क्या आपको जाना है?

    रिधान ''मुझे तुम्हारे इरादे जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है l बोल कर वो रिसोर्ट की तरफ बढ़ गया l

    अन्वी रिधान की बात को अनसुना किया और उसके पीछे चल दी l

    रिधान रिसेप्शनिस्ट के पास आ कर कमरे की चाबी ले कर अपने कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ा लेता है रिसेप्शनिस्ट पर बैठी लड़की एक तक रिधान को देखे जा रही थी रिधान ने जब से रिसॉर्ट के अंदर कदम रखा था उसकी नजर उसी पर ठहर गई थी l

    अन्वी जो की रिधान के पीछे ही आ रही थी उसने भी रिसेप्शनिस्ट की नज़रों को रिधान के ऊपर महसूस किया उसको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था कि वह रिसेप्शनिस्ट रिधान को देखे ही जा रही है उसे गुस्सा आ रहा था चिड मच रही थी वो रिसेप्शनिस्ट को गुस्से से घूरने लगती है l

    तभी उसको रिधान की आवाज उसको सुनाई देती है क्या दिन भर वही खड़े रहने का इरादा है l

    रिधान की बात सुनकर वो जल्दी से रिधान के पास जाकर खड़ी हो गई और मुस्कुरा कर बोली चलिए l रिधान ने फिर से अपने कदम आगे को बढ़ा लिये l अन्वी भी उसके साथ चल दी l

    रिसेप्शनिस्ट अन्वी को रिधान के साथ देख कर दुखी हो गई l अन्वी ने भी अपनी नज़र घुमाकर रिसेप्शनिस्ट को देखा और एक devil smile पास कर दी और अपनी नजरों से चेतावनी देना नहीं भूली l कि वो गलत इंसान पर अपनी नजरें गड़ाए बैठी है l

    कुछ ही समय में दोनो अपने रूम के पास पहुंच गए रिधान ने अन्वी के सामने एक keycard कर दिया l

    अन्वी ये क्या है?

    रिधान तुमको क्या दिख रहा है !

    अन्वी चाबी l

    रिधान तो लो और अपने कमरे में जाओ कि यहीं पर खड़े होकर पेहरा देना है l

    अन्वी ने रिधान की बातो को सुनकर उसके हाथ से गुस्से से चाबी छीन कर अपने कमरे में चली गई l रिधान ने उसका ये व्यवहार देखा तो खुद से ही बोला अजीब बेवकूफ लड़की है ,पूरी बात भी नहीं सुनी oh god! उसने चिढ कर कहा l

    अन्वी जो कमरे के अंदर आ चुकी थी कि उसे अपने कमरे के दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनाई दी, तो वो दरवाजा खोलने चली गई l

    दरवाज़ा खुलते ही उसे रिधान का चेहरा दिखा l

    अब क्या हुआ आपको अब आप ये मत कहिएगा कि आप ने एक ही रूम लिया है मैं आपके साथ रूम शेयर नहीं करूंगी l

    रिधान ''ओह ख्याली पुलाव अपनी कल्पना की दुनिया से बाहर आओ मैं तुम्हें यहां, ये बताने आया हूं हम दो घंटे में यहां से निकलेंगे तब तक तुम्हें जो करना है तुम कर सकती हो अब तुम चाहो तो अपनी कल्पना की दुनिया में गोते लगाओ या फिर अपनी ये ख्याली पुलाव पकाती रहो l

    अन्वी रिधान की बातो से चढ़ गई थी वो उसको घुर घुर कर देखने लगी वो अभी कुछ बोलती की रिधान ने उसके मुँह पर ही उसके कमरे का डोर बंद कर दिया l और अपने कमरे में चला गया जो अन्वी के कमरे के ठीक सामने ही था l

    इधर अन्वी रिधान के इस action से मुंह खोले उसे ही देखने लगी और खुद से ही बोली इसने मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद किया वो भी मेरे ही कमरे का इनकी तो उसने गुस्से से मुट्ठी बंद ली l

    और एक गहरी सांस लेकर अपने गुस्से को कंट्रोल करने लगी छोड़ूंगी नहीं मैं इनको l

    इधर रिधान आपने कमरे में आकार सोफे पर बैठ गया और अपने फोन में कुछ करने लगा वह इस टाइम काफी सीरियस लग रहा था l

    इधर दिल्ली में,

    तन्मय आपने टीम के साथ अली जुन्हर के सभी ठिकानो को बरबाद कर देता है l और वहां पर काम कर रहे अली जुंहार के बाकी आदमियों को भी पकड़ लेता है जो वहां छुपकर बम बारूद बना रहे थे l

    पर इन सब में उसके टीम के कुछ मेम्बर को चोटे लग गई थी l वो बाकी मेंबर को उन आदमीयो को पकड़ कर S.I.F ले जाने को बोलता है और जिन जिन मेंबर को चोट लगी रहती है उनके साथ वो खुद भी हॉस्पिटल के लिए निकल जाता है l

    फैजाबाद में ,

    ईशान अपनी टीम के साथ फैजाबाद पहुंच गया था l

    वो भी यहाँ पर अली जिन्हेर के ठिकानों को बरबाद करने आया था जिसका पता अली जिन्हेर ने ही उसे दिया था l जब रिधान ने उसको टॉर्चर किया था l

    वो सभी अली जिन्हेर के ठिकाने के पास ही खड़े थे l

    ईशान सबको निर्देश देते हुए बोला सब लोग केअर फुल रहना जल्दीबाजी दिखाने की कोई जरूरत नहीं है सब अलग-अलग दिशाएं से अंदर जाएंगे सभी ने अपने सर हाँ में हिलाया और उसके द्वार दिए गए डायरेक्शन को फॉलो करने लगे l

    शार्वी भी सीरियस होकर ईशान की सभी बात सुनती हैे वह कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी l

    और कुछ ही देर में सभी लोग उसे खंडहर जैसे दिखने वाले घर में घुस गए इशान सबको निर्देश दिए जा रहा था और सब उसके संक्रमण को फॉलो करते हुए अपना काम कर रहे थे l

    शार्वी भी काफी सावधान से एक एक को ख़तम किये जा रही थी l

    की पीछ से एक आदमी उस पर हमला करता है ईशान ये देख कर उसकी मदद के लिए आगे बढ़ता है कि उसने पहले ही शार्वी ने घूम कर उस आदमी का काम तमाम कर दिया l

    और हाथ झरते हुए बोली कायर लोग पीछे से हमला करते हैं ईशान तो शार्वी के एक एक अदा पर फ़िदा हो गया था उसे तो शार्वी क्यूट और झल्ली लगती थी पर उसको आज यह भी पता चल गया कि वह काफी strong भी है l

    और कुछ घंटों में उन्हें अली जुन्हर के ठिकाने को बरबाद कर दिया था l

    ईशान ने सभी को देखते हुए कहा अच्छा काम किया सभी ने किसी को चोट तो नहीं लगी उसकी टीम में से एक सदस्य बोला नहीं सर छोटी मोटी चोटे हैं ठीक हो जाएगी l

    ईशान फिर भी हॉस्पिटल चलकर एक बार बैंडेज करा लो l

    सभी ने हाँ मैं सर हिलाया और वहां से निकल गए l

    ईशान शार्वी के पास आकर बोला तुम ठीक हो ,तुम तो चोट नहीं आई न l

    शार्वी नहीं और आपको तो नहीं लगी न l

    ईशान मुस्कुरा कर नहीं मैं भी ठीक हूं l

    शार्वी उसकी बात सुनकर शार्वी भी मुस्कुराती दी l

    और सभी वहां से निकल गए ,क्यों कि उन लोगो को दिल्ली के लिए भी निकलना था l

    दूसरी तरफ़ कसौली में,

    अन्वी और रिधान कार मैं बैठे थे, रिधान कार ड्राइव कर रहा था l अन्वी ''हम कहाँ जा रहे हैं'' रिधान ''जिसके लिए हम यहां आए हैं वहां यानी की वसीम खानम को पकडने l

    और थोड़ी देर बाद उनकी कार एक क्लब के सामने रुकी कार के रुकते अन्वी ने बहार की तरफ देखा तो वो एक क्लब था जिस पर मून लाइट क्लब लिखा था l

    अन्वी क्या वह यहाँ पर है l

    रिधान हाँ वो रोज यहाँ आता है उसे पकडने का यह एक अच्छा मौका है l बोल कर वो क्लब के अंदर चला गया अन्वी भी रिधान के साथ अन्दर चली गई l

    क्लब के अंदर,

    क्लब के अंदर काफ़ी चहल पहल थी वह क्लब देखने में काफी शानदार लग रहा था देखने से ही लग रहा था कि यहां पर काफी बड़े-बड़े घर के लोग ही आते होंगे और ऐसा हो भी क्यों ना वह कसौली का सबसे महंगा क्लब जो था l

    वहाँ पर आये लोगों में से कुछ ड्रिंक कर रहे थे तो कुछ डांस कर रहे थे तो कुछ अपना ग्रुप बनाकर बातें कर रहे थे,तो कुछ अकेले बैठ कर ही ड्रिंक कर रहे थे तो कोई अपने दोस्तों के साथ एन्जॉय कर रहा था तो कोई अपनी गर्लफ्रेंड के साथ अपने पल को एन्जॉय कर रहे हैं और कुछ बिग्डे लड़के लड़कियाँ को ताड रहे थे, और उनसे फ़्लर्ट करने की कोशिश कर रहे थे वहां आई कुछ लड़कियां भी ऐसी थी जो वहां पर हैंडसम और रिच लड़के को ताड रही थी और उनके साथ फ़्लर्ट कर रही थी ,वहां सब आपस में ही बिजी थे l

    इसे सब के बीच रिधान और अन्वी अंदर आये अंदर आते ही रिधान ने अपनी नजर पूरे क्लब मैं चारो तरफ घुमने लगा और उसकी नज़र एक आदमी पर जाकर थम गई l

    और उसने अपने कदम उस आदमी की तरफ बढा दिऐ l

    अन्वी जो रिधान के साथ ही थी वो भी उसके पिछे चल दी कि रिधान चलते हुए ही रुक गया अन्वी रिधान को रुका देख कर उसको ही देखने लगी l

    रिधान अन्वी की तरफ धूमा और बोला तुम इधर ही रहो l

    अन्वी ''क्या पर क्यू ?

    रिधान ''क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी वजह से मेरा प्लान ख़राब हो जाए और वह आदमी भाग निकले इसलिए मेरे पीछे मत आओ l

    अन्वी ''आप कहना क्या चाहते हैं कि मैं आपका प्लान खराब करती हूं जरा मुझे सोच कर बताएं तो मैंने आपका कब और कौन सा प्लान खराब किया है मुझे तो कुछ याद नहीं l

    रिधान ''याद नहीं तो याद करो जाओ वहां जाकर बैठो उसने कोने में पड़े एक खाली सोफे को दिखते हुए कहा l

    अन्वी ने रिधान से कुछ बोला चाहा कि उससे पहले ही रिधान उस आदमी की तरफ बढ़ गया l

    और अन्वी गुस्से से पैर पटकते हुए सोफ़े की तरफ बढ़ गई जिधर रिधान ने इशारा किया था l

    वो चुप चाप वहां पर बैठ कर रिधान को ही एक तक देखे जा रही थी l

    और दूसरी तरफ़ रिधान उस आदमी के पास पहुंच कर उसके बगल में बैठ जाता है l

    वह आदमी जो एक के बाद एक शराब पी रहा था अपने बगल में किसी को बैठा देख बोला जनाब आप भी लेंगे क्या उसने अपने हाथ में पकडे गिलास को रिधान को दिखाते हुए पूछा l

    रिधान ने कहा बिल्कुल और उसके पास रखी एक और गिलास को रिधान ने अपनी तरफ कर लिया जिसे वेटर अभी-अभी रख कर गया था l

    रिधान ने गिलास को हाथ में उठाया और गिलास के ड्रिंक को घुमते हुए कहा काफी अच्छी जगह चुनी है तुमने छुपने के लिए,

    वह आदमी कन्फ्यूजन में रिधान को देखने लगा l

    क्या हुआ समझ में नहीं आया वसीम खानम l

    वह आदमी जिसका नाम वसीम खानम था वो घबरा गया उसके सर पर पशीने की बूंद आने लगी वह लड़खड़ाती हुई जुबान से बोला को को कौ कौन हो तुम

    रिधान इतनी भी जल्दी क्या है मुझे जाने की हम आराम से एक दूसरे को जानेंगे l

    बोल कर उसने डेविल स्माइल दी l

    वसीम खानम वहां से उठकर भगाने लगा l

    रिधान यह देख कर बोला इनकी फितरत नहीं बदलने वाली सोचा था आराम से बिना तकलीफ पहनचाये तुझे ले जाऊंगा पर नहीं बोलकर उसने अपने हाथ में पकड़े ग्लास के ड्रिंक को एक ही झटके में ख़तम कर दिया l

    और वसीम खानम जिस तरफ भाग रहा था वह भी उस तरफ चल दिया l

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  • 16. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 16

    Words: 2170

    Estimated Reading Time: 14 min

    अब आगे

    कसौली "मूनलाइट क्लब ,"

    वसीम खानम क्लब से बाहर निकाल कर भगने की कोशिश कर रहा था वो भागते हुआ ही आपने पिछे मुड़ कर देखता है तो उसको रिधान नहीं दिखता की अचानक से वह किसी से टकरा जाता है

    वो सर ऊपर करके के देखता हैं रिधान के expressionless चेहरे को आपने सामने देख कर घबराने लगता है और अपने कदम पीछे की तरफ बढ़ाने लगता है की रिधान उस को देख कर बोला "भगने का कोई फ़ायदा नहीं है "l

    फिर भी वो अपने कदमों को पीछे करते हुए तुरत मुड़कर भागता ही है कि रिधान एक झटके से उसको पकड़ लेता है l

    और तेजी से उसको जमीन में पटक देता है वसीम खानम दर्द में तड़पने लगता है रिधान अपने पंजे के बल बैठे हुए अपने गंभीर आवाज़ में बोला "भागने का शौक ख़तम हो गया हो तो चले "l

    कि वहां पर कुछ और आदमी आ जाते हैं रिधान उन लोगों की तरफ देखते हुए बोला ''लेकर जाओ इसे'' वह लोग वसीम खानम को उठ कर लेकर चले जाते हैं l

    रिधान उन लोगों के जाते ही क्लब के अंदर जाने लगता है क्योंकि उसका काम ख़तम हो चुका था तो वह अन्वी को लेने जा रहा था l

    और इधर क्लब के अंदर,

    अन्वी रिधान को एक तक देखे ही जा रही थी, वो तब तक रिधान को देखती है जब तक रिधान वसीम खानम के पास पहुंच कर बैठ नहीं जाता l

    फिर उस पर से आपनी नज़र हटाके वो बार काउंटर की तरफ अपने कदम बढ़ा देती है l

    वह बार काउंटर के पास पहुंचकर एक कुर्सी पर बैठ जाती है और बार टेंडर को बोली "एक व्हिस्की "🥃

    बार टेंडर अन्वी को देख कर उसकी तरफ व्हिस्की का ग्लास बड़ा देता है वो तो एक तक अन्वी को देखा रहा था उसके साथ-साथ वहां आस-पास बैठे लोग भी अन्वी को देखे जा रहे थे अब जाकर लोगों का ध्यान अन्वी पर गया था "काले leather की पैंट काली टी-शर्ट और ऊपर सेे leather की जैकेट" उसके पूरे लुक को ख़ूबसूरत और आकर्षक बना रहे थे l

    अन्वी ने किसी पर ध्यान ना देते हुए अपनी ड्रिंक को ख़त्म किया और इशारे से और बनने को कहा बार टेंडर उसकी तरफ एक और ग्लास बड़ा देता है और ऐसी ही वह तीन चार ग्लास व्हिस्की की ख़तम कर देती है , वह अभी एक और ग्लास पी ही रही थी की एक लड़का उसके पास आ कर टेबल से अपनी कोनी टीका कर खड़ा हो गया l

    Hey sweetheart you are looking so beautiful. Can i buy for you a drink.

    अन्वी उसकी बातों को इग्नोर किया और अपने हाथों में पकड़ी ड्रिंक को ख़तम कर दिया और पेमेंट कर के वो वहां से जाने लगी जब उस लड़के ने अन्वी को कुछ ना बोलते हुए जाते देखा तो वह भी उसके पीछे चलते हुए बोला,

    ''एटीट्यूड तुम मुझे एटीट्यूड दिखा रही हो ,पर कोई ना ख़ूबसूरत लड़कियाँ एटीट्यूड दिखाता हुए और भी ख़ूबसूरत लगती है'' l

    अन्वी जो पहले ही रिधान की वजह से चिडी हुई थी और थोड़े गुस्से में थी, लड़के की बात सुनकर वह और ज्यादा गुस्सा हो गई l

    वह उस लड़के की तरफ मुड़ी और उसके थोड़े पास जाकर बोली ''मैं खुबसूरत हूँ ? वह लड़का अन्वी की बात सुनकर खुश होते हुए बोला ''खुबसूरत तुम तो बहुत ज्यादा खुबसूरत हो अन्वी ने एक शैतानी मुस्कान दीया और उसके लड़के से थोड़े पीछे जाकर उसके पैरों के बीच एक जोरदार लात दे मारी लड़का दर्द से तड़पते हुए अपने पैरों के बीच हाथ रख लिया l

    अन्वी उसके पास आकर बोली ''क्या अब भी खुबसूरत लग रही हूं, बता दो तुम्हें और अच्छे से बताऊंगी मैं कितनी खूबसूरत हूं l

    उसकी यह हरकत देखकर उस लड़के के और भी दोस्त उसके पास आ गए ,और बोले ''ऐ लड़की खुद को समझती क्या है तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारे दोस्त को मरने की l

    अन्वी ने जब और लडको को अपनी तरफ आते हुआ देखा और उनकी बातें सुनी तो वो बोली "तुम्हें भी जाना है कैसे मारा"

    वो अब लड़ने के मूड में आ गई थी वैसे भी उसको अपना गुस्सा निकालना था, इससे अच्छा मौका उसको क्या ही मिलता l

    सभी लड़के उसकी बात सुनकर कर बोले ''बड़ी उछल रही है तू अभी तुझे बताते हैं'' l

    अन्वी "कौन कितना उछल रहा है वह तो अभी पता चल जाएगा, बातों में टाइम वेस्ट मत करो तुम्हारे पास टाइम वेस्ट करने के लिए टाइम होगा मेरे पास नहीं तो चलो आओ" उसने अपने एक हाथ से इशारा करते हुए कहा, ऊपर से वह अब थोडे थोडे नशे में भी जाने लगी थी l

    उसकी बात सुनकर दो लड़के उसकी तरफ बढ़ने लगे वो अन्वी को हाथ की लगा पाते उसे पहले ही अन्वी ने एक को लात तो एक को घुसा मार के ज़मीन पर गिरा दिया, उसके पैर थोड़े डगमगा रहे थे नशे में होने की वजह से फिर भी वो अभी आपने होश में थी l लड़कों की जमीन पर गिरने की आवाज सुनकर के डीजे ने गाना बंद कर दिया l

    वही रिधान भी क्लब के अंदर आ चूका था वो अन्वी को ढूंढ रहा था उसकी नज़र भी शोर के दिशा में चली गई l

    और यहाँ वह लड़का और उस लड़के के तीन दोस्त अन्वी के तरफ बड़े और बोले ''तेरी तो'' कि तभी उनके बीच में कोई लंबा चौड़ा पर्सनैलिटी वाला आदमी खड़ा हो गया l

    क्या बोला फिर से बोल जरा 'उस आदमी की आवाज सुनकर अन्वी' अपनी आँखों को बड़ी-बड़ी करके देखती है तो उसको रिधान का साइड फेस नजर आता है, वह रिधान में फिर से खोने लगी थी l

    की वह लड़का बोला "तू कौन है बे" "रिधान बोरियात से बोला मुझे अपना परिचय देने में कोई दिलचस्पी नहीं है तुम लोग वही खड़े रहोगे कि लड़ना भी है नहीं लड़ना है तो बता दो मैं जाऊं" उसकी बात सुनकर सभी लड़के रिधान की तरफ बढ़ गए और कुछ ही वक्त में वहां उन सब लड़कों की दर्द से तड़पने की आवाज आने लगी l

    अन्वी जो रिधान वो चुप चाप अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से पलकें झपकते हुए देख रही थी की अचानक रिधान को ठीक आपने सामने देख कर वो मुस्कुराया दी l

    रिधान जो अन्वी के चेहरे के तरफ झुका हुआ था वो उसको कुछ बोलता है कि उससे पहले अन्वी ने उसके गले में अपनी बाहे डाल दी और उसकी आँखों में देखते हुए बोली "आप कितने हैंडसम हैं और यह आपकी आंखें मेरा तो दिल करता है इसे मैं डूब जाऊं" l

    रिधान उसकी बाते सुनकर चौक गया l

    ''हेये ख्याली पुलाव क्या बोले जा रही हो होश में तो हो फिर से ख्यालों में गम हो गई l और फिर उसके हाथों को अपने गले से निकाला और उसका हाथ पकड़ कर क्लब के बाहर निकल गया l

    क्लब में चारो तरफ खामोशी पसर गई थी,पर यह कुछ समय के लिए ही था और थोड़ी देर में वहां का मोहोल पहले जैसा ही हो गया l

    और इधर क्लब के बाहर ,

    रिधान अन्वी को संभाल रहा था l

    ''ओ मैडम किसने बोला था, तुम को इतना ड्रिंक करने के लिए ''मैं क्या तुमको अपना बेबीसिटर लगता हूं, जो तुमको संभालता फिरूं वह काफ़ी चिड़ा हुआ था l

    अन्वी ''नहीं है तो बन जाइये मैं आपको मना नहीं करुँगी वह इस टाइम काफी क्यूट लग रही थी एक दम मासूम सी जैसे कोई छोटी बच्ची हो l

    रिधान तो उसकी बातों से बस हैंरान हो रहा था, यह लड़की नशे की हालत में उसे फ़्लर्ट कर रही थी l

    अन्वी फिर से बोली ''क्या आप को मेरा ऑफर मंजूर है बोलिये न मंजूर है न उसने खुश होते हुए कहा ,

    रिधान ''ओ ख्याली पुलाव फिर से पुलाव पकाने लगी ,चलो चुप चाप बोल कर उसका हाथ पकड़ कर कार के तरफ ले जाने लगा l

    अन्वी नहीं पहले आप बोलिए आप मेरे बेबीसिटर बनोगेे ,वरना मैं आपके साथ नहीं जाऊंगी 'उसने अपना हाथ छुडवाते हुए कहा ' l

    रिधान ''ओ पागलों की महारानी क्या तुम्हारा इरादा मुझे पागल करने का है बोला न चलो चुप चाप मतलब चुप चाप'' उसने उसे घूरते हुए कहा '

    अन्वी ''नही मैं चुप नहीं रहूंगी जब देखो तब मुझे चुप होने को बोलते हैं मेरा मुह मेरी मर्जी मुझे चुप होना है कि नहीं l

    रिधान अब बहुत ज्यादा इरिटेट हो चूका था, अन्वी की बातें और हरकतों की वजह से उसने बिना कुछ बोले अन्वी को गोद में उठा लिया और कार की तरफ बढ़ गया l

    अन्वी उसकी गोद से छुटाने की कोशिश करने लगी ''छोड़ो मुझे छोड़ो'' वह अपने हाथों और पैरों को चलाने लगी थी ,पर रिधान ने उसे कसकर पकड़ रखा था l

    थोड़ी देर बाद रिधान ने उसको कार में बिठाकर सीट बेल्ट लगा दिया और दरवाजा बंद कर एक गहरी सांस ली, ''क्या आफत है''l

    और खुद जल्दी से ड्राइविंग सीट पर बैठ गया क्योंकि अन्वी दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगी थी l

    रिधान अंदर बैठ कर उसका हाथ पकड़ लेता है और गुस्से से बोला ''चुप रहो नहीं तो''

    अन्वी ''नहीं तो क्या?

    रिधान ने अपना सर आगे पीछे घुमा कर देखा और कार के डैशबोर्ड से टेप निकल कर उसके मुंह पर चिपका दिया और जल्दी से हथकड़ी उसके हाथों में पहना दिया l

    अन्वी बस ऊ ऊ ऊ करती रह गई l

    रिधान उसको देख कर डेविल स्माइल कर दिया l😈

    अन्वी ये देख कर अपने हाथों को अपने मुँह के पास ले जाने लगी तो रिधान ने उसके हाथ को एक हाथ से पकड़ लिया l

    No No ख्याली पुलाव सोचना भी मत और फिर अपनी कार स्टार्ट करके वहां से निकल गया l

    उसने एक हाथ से अन्वी के दोनों हाथों को पकड़ा हुआ था तो एक हाथ से कार ड्राइव कर रहा था वह काफी अच्छे से कार ड्राइव कर रहा था l

    और अन्वी पूरी कोशिश करके नाकाम हो गई तो वह चुपचाप बैठ गई l

    वैसे भी नशे की वजह से उसकी पलके भारी हो रही थी l

    और कुछ ही समय में रिधान ने अपनी कार रिसॉर्ट के आगे रोकी l

    वो कार से बाहर निकला और अन्वी की तरफ चल कर आया उसने कार का दरवाज़ा खोला और अन्वी को कार से बाहर निकाला ,और उसके मुँह पर लगे टेप को निकल दिया l

    अन्वी ने जब रिधान को जबरदस्ती खुद को बहार निकलते देखा तो बोली ''छोड़िये मुझे छोड़िये कभी जबरदस्ती कार में बैठते हैं तो कभी जबरदस्ती बहार निकलते हैं छोड़िये मुझे l

    रिधान ''मुझे भी तुम्हें पकड़ने का कोई शौक नहीं है एक बार तुम्हें ले जाकर तुम्हारे कमरे में फेंक दूं फिर जाकर मुझे चैन की सास आएगी l

    अन्वी ने रिधान को आज काफी ज्यादा परेशान कर दिया था, उसने आज तक कभी भी ऐसा कुछ नहीं झेला था और ना ही लड़कियाँ के ऐसे नखरे उठाये थे l

    रिधान ने अन्वी को एक बार फिर से अपने गोद में उठा लिया क्योंकि उसे पता था अन्वी तो चलने से रही l

    वो उसे उठाए हुए ही रिसॉर्ट के तरफ चल दिया l

    रात के 11:00 बजे चुके थे तो वहां आस पास ज्यादा लोग नहीं थे और जो कुछ लोग थे उनका ध्यान उन पर नहीं था l

    पर रिसॉर्ट के अंदर जाते ही कितनों का ध्यान रिधान और अन्वी ने अपनी तरफ खींच लिया था वह दोनों साथ में काफी अच्छे लगते थे जैसे एक दूसरे के लिए ही बने हो l

    रिधान ने सबकी नज़रों को अनदेखा किया और अन्वी को लेकर कमरे की तरफ बढ़ गया पर अन्वी अभी भी कुछ ना कुछ रिधान को बोले ही जा रही थी l

    जिससे रिधान बस अनसुना कर रहा था क्यो कि वो उसकी बातों को जितना सुनता वो उतना ही ज्यादा फ्रस्टेट इरिटेट होता l

    थोड़ी देर में ही वो अपने और अन्वी के कमरे के बिच में खड़ा था दोनो का कामरा एक दूसरे के सामने ही था l

    रिधान ने अन्वी को नीचे उतारा और उसके हाथ में लगी हथकड़ी को खोलते हुए उसको बोला जाओ अपने कमरे में जाओ और चुप चाप सो जाओ l

    बोल कर रिधान ने उसको उसके कमरे के सामने किया और फिर अपने कमरे की तरफ चल दिया l

    अन्वी जो अपने कमरे के दरवाजे को एक तक देखे ही जा रही थी रिधान के कमरे की डोर की आवाज बंद होते सुनते ही वो रिधान के कमरे को देखने लगी l

    और फिर कुछ सोच कर अपने कदम रिधान के कमरे की तरफ बढ़ा दी l

    रिधान जो अपने कमरे में आकर अभी गहरी सांस ले ही रहा था की उसे अपने कमरे की डोर खुलने की आवाज सुनी दी

    वह पीछे मुड़कर देखता है तो अपने सामने अन्वी को पाता हैं रिधान 'तुम ................

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  • 17. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 17

    Words: 2008

    Estimated Reading Time: 13 min

    अन्वी रिधान के पास आते हुए बोली, "आप मुझे ऐसे छोड़ कर कैसे आ सकते हैं?"

    रिधान ने कहा, "ऐसे छोड़ कर तुम्हें तुम्हारे रूम के पास छोड़ कर आया था और तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो? किसकी परमिशन से अंदर आई? मैंने तुम्हें अंदर आने को कहा?"

    अन्वी ने कहा, "मुझे आपके पास आने के लिए किसी की परमिशन की ज़रूरत नहीं है।" वो रिधान के और पास जाते हुए बोली।

    रिधान ने अन्वी को अपने इतना पास देखा तो अपने कदम पीछे लेते हुए कहा, "ओ ख्याली पुलाव! होश में आओ और अपने कमरे में जाओ।" वह थोड़े गुस्से से बोला।

    अन्वी ने अपना सर तेजी से ना हिलाते हुए कहा, "नहीं, मैं नहीं जाऊँगी।"

    रिधान जो कब से अपने गुस्से को कंट्रोल किये बैठा था, उसका गुस्सा अब उसके नियंत्रण से बाहर होता जा रहा था। उसने अन्वी की बाजू पकड़ी और अपने कमरे से निकल दिया और गुस्से से बोला,

    "मैं तुम्हें warn कर रहा हूँ, चुपचाप अपने कमरे में जाओ, नहीं तो मुझे बुरा कोई नहीं होगा।"

    अन्वी तो बस उसको देखती ही रह गई।

    रिधान ने अपने रूम का दरवाजा बंद किया और गुस्से से अपनी जैकेट निकाल कर सोफ़े पर फेंका।

    और अपनी आइब्रो को वो गुस्से से मसलने लगा। अन्वी ने आज उसको काफी परेशान कर दिया था।

    रिधान जा कर सोफ़े पर बैठ गया और सोफे से सिर टिका कर अपनी आँखों को बंद कर लिया।

    अन्वी, जो अभी भी बाहर खड़े रिधान के दरवाजे को देख रही थी, उसने उदासी से अपना सर नीचे झुका लिया और एकटक जमीन को देखती रही। किसी की आवाज सुनाई दी।

    "मैम, can I help you?"

    अन्वी ने सर उठा कर देखा तो वह रिसॉर्ट का worker था।

    अन्वी ने ना में सर हिला दिया।

    वो कार्यकर्ता अन्वी की ना सुन कर जाने को हुआ कि अन्वी ने उसको रोका।

    "रुको।"

    "हाँ मैम।"

    "दरअसल मैंने अपने रूम की चाबी अपने रूम में ही छोड़ दी है, क्या आप कमरे को खोल सकते हैं?" उसने अपना मासूम सा चेहरा बना लिया।

    "हाँ, क्यों नहीं? आप यहीं पर वेट कीजिये, हम चाबी लेकर आते हैं।"

    "Okay"

    थोड़ी देर बाद,

    रिधान का कमरा,

    रिधान जो अभी अपने वॉशरूम से निकला था, उसने कमरे की लाइट बंद देखी तो बोला, "ये लाइट कैसे बंद हुई? मैंने तो बंद नहीं की।" कि तभी उसके कानों में गाने की आवाज़ सुनाई दी।

    "आजा पिया तोहे प्यार दूँ,

    गोरी बइयां तोपे वार दूँ।"

    कि तभी रूम की मध्यम रोशनी जल उठी, और रिधान को अन्वी नज़र आई। खुले बाल, चमकता हुआ चेहरा, चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान और उस पर से उसकी इतनी प्यारी मीठी आवाज़। रिधान तो उसमें खो ही गया था कि अन्वी की फिर से आवाज़ सुनकर वह होश में आया, जो गाने के बोल गाते हुए उसकी तरफ ही आ रही थी।

    "आ जा पिया तोहे प्यार दूँ,

    गोरी बइयां तोपे वार दूँ।

    किस लिये तू, इतना उदास?

    सूखे सूखे होंठ, अँखियों मे प्यास।

    किस लिये? किस लिये हो? आ जा पिया तोहे प्यार दूँ..."

    वो रिधान के पास आ कर उसके चेहरे को अपनी एक उंगली से छूते हुए आगे के बोल गाने लगी।

    "रहने दे रे, जो वो जुल्मी है,

    पथ तेरे गाओं के,

    पलकों से चुन डालूंगी मैं,

    काँटे तेरी राहों के।"

    रिधान ने अन्वी के हाथों को अपने चेहरे से हटाया और दूसरी तरफ जाने लगा। अन्वी रिधान के पीछे-पीछे जाते हुए ही गाती है।

    "हो, सुख मेरा लेले, मैं दुख तेरे लेलूँ,

    तु भी जिये, मैं भी जियूँ।

    हो, आ जा पिया तोहे प्यार दूँ,

    गोरी बइयां तोपे वार दूँ।"

    अन्वी रिधान को सोफ़े पर धक्का देते हुए उसके बगल में बैठ जाती है और फिर आगे के बोल गाती है।

    "जल चुके, हैं बदन कई,

    पिया इसी आग में।

    थके हुए इन हाथों को,

    देदे मेरे, हाथ में।"

    वो रिधान के सीने पर अपनी उंगलियां चलते हुए लाइन गा रही थी।

    "हो, लट बिखराए, चुनरिया बिछाए,

    बैठी हूँ, तेरे लिये हो, आ जा पिया..."

    तभी रिधान ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया। अन्वी की इन हरकतों ने उसके दिल में बेचैनी पैदा कर दी थी। उसे अन्वी की आँखों में अपने लिए कोई एहसास दिख रहे थे जिसको वो समझ नहीं पा रहा था और ऊपर से उसका दिल वो अन्वी के कारण से तेज-तेज धड़क रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।

    रिधान ने कहा, "अगर अब तुमने एक लफ्ज़ और गाया या बोला तो मैं तुम्हारी जुबान काट लूँगा।" बोल कर उसके मुँह के पास से अपना हाथ हटा लिया। उसे अपने हाथों की हथेली पर अन्वी के सॉफ्ट होंठों का एहसास हो रहा था इसलिए उसने अपने हाथ हटा दिए थे।

    अन्वी ने कहा, "क्या आपको मेरा गाना पसंद नहीं आया?" उसने अपनी आँखों के पलकों को बार-बार झपकते हुए कहा। वो बहुत प्यारी लग रही थी।

    रिधान उसकी आँखों में खोने लगा था कि उसने जल्दी से खुद के होश को संभाल लिया।

    और अन्वी को जबरदस्ती पकड़ कर उसको अपने कमरे से लेकर निकल गया।

    अन्वी बोलती ही रह गई पर रिधान ने उसकी एक ना सुनी और उसको उसके कमरे की तरफ ले गया और कमरा खोलने लगा पर कमरा खुला नहीं। उसने अन्वी को देख कर कहा, "चाबी कहाँ है? दो।"

    अन्वी, जो नशे में डूब चुकी थी, वो बोली, "चाबी... key... हम्म..." वो नशे की वजह से आगे पीछे झूल रही थी, और रिधान ने उसको एक हाथ से उसकी बाजू पकड़ रखी थी।

    "क्या? हम्म? चाबी दो।"

    अन्वी ने कहा, "पता नहीं कहाँ है।"

    रिधान ने कहा, "क्या मतलब पता नहीं कहाँ है? तुम्हारे कमरे की चाबी तुम्हें ही नहीं पता कहाँ है? वो अब irritate होकर बोला, "Oh! god!" उसको अन्वी पर काफी जल्दी गुस्सा आ रहा था पर क्या फ़ायदा? गुस्सा करके सामने वाला होश में हो तो न उसको गुस्सा समझ में आएगा।

    अन्वी रिधान को गुस्से में और चिढ़ा देखती है तो वो अपने दिमाग पर जोर डालने लगी और तभी अचानक से बोली, "हाँ हाँ! याद आया!"

    रिधान फटाक से बोला, "हाँ? बोला! कहाँ है?"

    "मैं तो चाबी रूम में भूल गई थी।"

    रिधान ने कहा, "What?"

    अन्वी ने अपना सर मासूमियत से हाँ में हिलाया।

    रिधान ने अन्वी को हाँ में सर हिलाते देखा तो गुस्से से बोल पड़ा,

    "ओ ख्याली पुलाव! बोला था ना ख्यालों की दुनिया से बाहर आ जाओ! किसके ख्यालों में इतनी गुम थी कि कमरे में ही चाबी छोड़ दी?"

    अन्वी ने रिधान की बात सुनकर अपना सर नीचे कर लिया।

    रिधान ने एक गहरी साँस ली और अन्वी को लेकर अपने कमरे में चला गया।

    रिधान का कमरा,

    "जाओ और जा कर बेड पर सो जाओ।"

    अन्वी ने रिधान को देखा, वो अब भी उसको देख रही थी।

    रिधान ने उसको खुद को देखा हुआ पाया तो बोला, "अन्वी! जाओ और जा कर सो जाओ!" उसने उसको घूरते हुए कहा।

    अन्वी ने रिधान को खुद को घूरते हुए देखा तो चुपचाप बिस्तर की तरफ चल दी। वैसे भी अब उसको नींद आ रही थी।

    वो बेड के पास आई और बेड पर चढ़ कर सो गई।

    रिधान ने ये देखकर चैन की साँस ली और सोफ़े की तरफ बढ़ गया। और सोफ़े पर लेट कर अपनी आँखें बंद कर ली।

    अगली सुबह,

    सुबह 8:00 बजे,

    अन्वी अभी तक सो रही थी कि उसके कानों में एक आवाज पड़ी।

    "ओ मैडम! जागो! सुबह हो गई है! चलो उठो! हमें दिल्ली के लिए भी निकलना है!"

    पर उसने उसकी बातों को अनदेखा किया और करवट बदल कर फिर से सो गई।

    रिधान ने उसको उठता ना देखकर उसके पास गया और उसके कंधों को पकड़ कर बिस्तर पर बैठा दिया।

    अन्वी की अचानक इस एक्शन से आँखें खुल गईं।

    आँखें खोलते ही रिधान का चेहरा अपने सामने देखकर वो थोड़ी कन्फ्यूज हो गई। वो कन्फ्यूजन में ही उसके चेहरे को अपने हाथों से छूने लगी।

    रिधान ने जब उसके हाथों को अपने चेहरे पर महसूस किया तो उसने जल्दी से उसके हाथों को पकड़ लिया और बोला, "ओ ख्याली पुलाव! अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आओ!" रिधान ने थोड़े तेज आवाज और गुस्से से कहा।

    अन्वी, जिसको ये एक सपना लग रहा था, रिधान की तेज और गुस्से भरी आवाज से उसकी पूरी नींद खुल गई।

    उसने अपनी आँखों को बड़ा किया और रिधान को बिस्तर पर से धक्का देते हुए चिल्ला कर बोली, "आप मेरे कमरे में क्या कर रहे हैं?"

    रिधान जो अन्वी के धक्का देने से खुद को संभालना ही था कि अन्वी की यह बात सुनकर उसका राहा साहा सबर भी टूट गया।

    वो एकदम गुस्से से अन्वी का हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर से नीचे उतारता है और बोला, "अपनी आँखें खोल कर चारों ओर देखो! तुम किसके कमरे में हो?" फिर उसके दोनों बाजू को पकड़ कर अपने चेहरे के सामने लाकर बोला, "मैंने तुम्हें कल से बहुत बर्दाश्त कर लिया! अब अगर तुम्हारे मुँह से एक आवाज भी निकला तो यहाँ की सबसे ऊँची पहाड़ी पर ले जाकर तुमको धक्का दे दूँगा, नहीं तो तुम्हें अपने इन हाथों से जान से मार दूँगा!" उसने गुस्से से दाँत पिस्ते हुए एक-एक शब्द कहे।

    अन्वी जो चुपचाप रिधान को और उसकी गुस्से भरी बातों को सुन रही थी, कि रिधान की एक और तेज आवाज से वो पूरी तरह होश में आ गई। जो अब तक कल की बातों को याद करने की कोशिश कर रही थी कि वो अपने रूम में ना होकर रिधान के रूम में कैसे आ गई थी।

    रिधान ने कहा, "समझ आया कि नहीं?"

    अन्वी ने जल्दी से खुद को रिधान की पकड़ से आज़ाद किया और उसकी आँखों में देखते हुए बोली, "सॉरी।" और जल्दी से उसके कमरे से निकल गई।

    पता नहीं क्यों वो कुछ बेचैन सी हो गई थी।

    रिधान ने उसको ऐसे जाते देखा तो उसे कुछ अजीब सा लगा। अब ये ऐसे कैसे व्यवहार करके चली गई? वो सोच में पड़ गया कि अचानक से उसने खुद से कहा, "मैं क्यों इतना सोच रहा हूँ?" बोल कर वो अपना फ़ोन ले कर उसमें कुछ करने लगा।

    इधर अन्वी अपने कमरे में आ गई थी। रिधान ने पहले ही स्टाफ से बात करके उसके रूम को अनलॉक करने को बोल दिया था।

    अन्वी जल्दी से रूम में आ गई, और कमरे में आते ही वह वॉशरूम में चली गई। उसने पहले अपना चेहरा अच्छे से धोया और वाशबेसिन से अपनी हथेलियों को ठीक करके कल के बारे में सोचने लगी।

    उनको धीरे-धीरे कल की अपनी सभी हरकतें, बातें और रिधान के लिए गाना गाना सब कुछ अच्छे से याद आ गया था।

    उसने अपने बालों में अपने हाथों को फंसाया और बोली, "अन्वी! अन्वी! क्या किया तूने? तू खुद के इमोशन पर कंट्रोल कैसे नहीं कर पायी?" फिर एक गहरी साँस ले कर उसने खुद के अक्स को आईने में देखा और खुद से ही बोली, "तुझे खुद के एहसास को कंट्रोल करना होगा, नहीं तो तेरे ये एहसास तुझे तेरे मकसद से दूर ले जायेंगे और जो मैं किसी भी हाल में नहीं होने दूँगी!"

    "चाहे इसके लिए मुझे खुद के एहसास को मरना ही क्यों न पड़े! मुझे अब से आपसे दूर रहना होगा! ना मैं आपके पास होगी और ना मैं आपके लिए अपने एहसास को और बढ़ाने दूँगी!" बोल कर उसने खुद को सही किया और वॉशरूम से निकल गई।

    कुछ वक्त बाद,

    रिधान और अन्वी कार में थे और रिधान कार ड्राइव कर रहा था। तो अन्वी भावहीन चेहरे से खामोशी से बाहर देख रही थी।

    दोनों के बीच खामोशी पसरी रही और इसी खामोशी के साथ उनका रास्ता कटता गया। दोनों में से किसी ने भी बात करने की कोशिश नहीं की। "अन्वी ने तो रिधान से दूर रहने का फैसला कर लिया था," तो वहीं रिधान अभी भी अन्वी की वजह से चिढ़ा हुआ था।

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  • 18. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 18

    Words: 2077

    Estimated Reading Time: 13 min

    दिल्ली ,

    दोपहर के समय 1:40 S.I.F. में,

    तन्मय का ऑफिस रूम ,

    तन्मय आपने कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने टेबल पर एक साइड फ़ाइलो की ढेर लगी हुई थी, और उसके ठीक सामने लैपटॉप खुला था जिस पर वो अपनी उंगलियों को तेजी से चला रहा था, वह काफी सीरियस होकर के काम कर रहा था l

    कि तभी उसके केबिन में फ़ोन की घंटी बजने की आवाज़ गुजी उसने बिना कॉलर आईडी देखे ही कॉल रिसीव किया l

    Hello ,

    कि उधर से किसी ने कुछ बोला और वो घबड़ाहट में जल्दी से अपनी कुर्सी पर से उठा और बोला ''मैं आ रहा हूं'' बोल कर वो अपने केबिन से बाहर निकल गया l

    ईशान जो उसके केबिन की तरफ ही आ रहा था उसको इतनी जल्दी में कहीं जाता देखकर बोला "तन्मय क्या हुआ"? "कहाँ जा रहा है " l

    तन्मय "आ कर बताता हूँ" l बोल कर वो लिफ्ट की तरफ भाग गया l

    वो जल्दी से पार्किंग में आया और अपनी कार लेकर निकल गया l

    थोड़ी देर बाद उसकी कार एक अस्पताल के सामने रुकी उसने कार पार्क की और जल्दी से हॉस्पिटल के अंदर भाग गया l

    वो भागते हुए रिसेप्शनिस्ट के पास आया और बोला ,

    "नमन रायज्यादा किस कमरे में है" l

    रिसेप्शनिस्ट ने तन्मय को इतना घबराता देखकर बोली ''एक मिनट सर'' फिर बोली"कमरा नं. 205 में हैl"

    वो जल्दी से उस तरफ भागा 205 मैं पाहुंच कर उसने देखा तो एक लड़का हॉस्पिटल के बेड पर लेटा हुआ था l

    लड़के के एक हाथ में पट्टी बंधी हुई थी और सर पर एक छोटा सा बैंडज लगा हुआ था , वो चल कर उसके पास आया और बोला ''कैसे हुआ'' वह इस समय काफी गंभीर लग रहा था l

    वो लड़का जिसका नाम नमन रायज्यादा हैं वो बोला "भाई दरअसल मेरा ध्यान कहीं और था और मेरी बाइक स्लिप कर गई थी और मैं गिर गया" बोल कर उसने सर झुका लिया क्योंकि उसको पता था उसको डांट लगाने वाली है l

    तन्मय दिमाग ख़राब है तुम्हारा कहाँ ध्यान था तुम्हारा रोड पर तुम ऐसे लापरवाह होकर बाइक चलाओगे l

    नमन "सॉरी भाई " "आगे से ध्यान रखूंगा" l

    तन्मय ने एक गहरी सास ली वो काफी ज्यादा घबरा गया था जब उसने सुना कि उसके भाई का एक्सीडेंट हो गया है और वह हॉस्पिटल में है इसलिए वो जल्दी से भगता हुआ हॉस्पिटल आ गया था l

    "तुम ठीक हो अब, ज्यादा लगी नहीं है ना" वो उसको अच्छे से देखने लगा l

    नमन "नहीं भाई मैं ठीक हूं" 'बस थोड़ी सी चोट आइए कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी आप टेंशन मत लीजिए' l

    नमन थोड़ा घबराते हुए "भा भा भाई "

    तन्मय " क्या है?" "आप प्लीज मॉम डैड को एक्सीडेंट के बारे में मत बताइयेगा प्लीज़ नहीं तो माँ और पापा मुझे बहुत डांटेंगे प्लीज़ भाई प्लीज़ ,"

    तन्मय "पर क्यों तुम घर जाओगे तो क्या मॉम डैड को पता नहीं चलेगा क्या कहोगे जब वो तुम्हारी चोट को देखेगी तो ",

    नमन ''मैं उन्हें ये नहीं बताऊंगा कि मेरा रोड एक्सीडेंट हुआ है नहीं तो वह मुझे बहुत डांटेंगे और मुझे बाइक को हाथ भी लगाने नहीं देंगे प्लीज भाई इस बार प्लीज l

    तन्मय उसके इतना अनुरोध करने पर बोला "ठीक है पर सिर्फ़ इस बार है अगली बार से मैं तुम्हारी एक भी नहीं सुनूंगा अगर तुमने फिर से कोई लापरवाही की तो "l

    नमन खुश होकर बोला "thank you भाई, मैं वादा करता हूं मैं ऐसा फिर से नहीं करूंगा , मैं ध्यान से बाइक चलाऊंगा "l

    तन्मय "तुम अभी आराम करो मैं डॉक्टर से मिलकर आता हूं तुम्हारी डिस्चार्ज पेपर भी तो तैयार करने हैं" l

    नमन ने हाँ में सर हिलाया और तन्मय वहां से निकल गया l

    थोड़ी देर बाद तन्मय डॉक्टर की केबिन से बाहर निकला और वो नमन के वार्ड की तरफ चल देता है, वो अभी थोड़ा ही आगे आया कि उसका फोन रिंग करने लगा वह वही रुक कर अपना फोन पिक करता है l और बात करने लगता है उसका ध्यान बस सामने वाले की बातों पर था की एक लड़की भागते हुए उसकी तरफ ही आ रही थी की तन्मय के अचानक टर्न हो जाने से उन दोनों की टक्कर हो जाती है l

    वो लड़की गिरते-गिरते बचती है क्योंकि तन्मय ने उसका एक हाथ पकड़ कर उसको गिरने से बचा लिया था तन्मय झटके से लड़की का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खिंचता है जिसे वो उसकेे सीने से जा लगती है l

    लड़की जो तन्मय के सीने से लगी हुई थी जब उसको ये महसुस होता है कि वह गिरी नहीं और किसी के बाहों में है तो वह झटके से तन्मय को धक्का देकर खुद से अलग करती है l

    वो लड़की बोली ''देख कर नहीं चल सकते तुम यह हॉस्पिटल है गार्डन नहीं जो यहां से वहां टहलते फिरोगे l

    तन्मय भी गुस्से से बोला मुझे भी पता यह हॉस्पिटल है गार्डन नहीं और हाँ ये बात तो मुझे बोलना चाहिए क्या तुम देख कर नहीं चल सकती थी ओ सॉरी तुम तो चल कहाँ रही थी तुम तो भाग रही थी l

    वह लड़की बोली "मुझे कोई शौक नहीं है भागाने का हमारा काम ही ऐसा है कि हमे भागना पड़ता है"l कि उसको याद आया कि वह किस वजह से भाग रही थी उसने तन्मय को देखा और बोली भविष्य में फिर मिलें तो इस बहस को खत्म किया जाएगा क्योंकि मैं कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ती चाहे वह किसी के साथ बहस ही क्यों न हो got it Mr.

    बोलकर वह फिर से भगाने लगी l

    तन्मय ने उसी डायरेक्शन में देखा, जिस डायरेक्शन में वह लड़की भागी थी और खुद से ही बोला आजकल मेरी लाइफ में पागलों की बहुत एंट्री हो रही है , एक पागल कम थी क्या जो दूसरा पागल भी आ गई ,और क्या कहा फ्यूचर में मिलेंगे तो बहस खत्म करेंगे मैं तुम्हें फ्यूचर में क्या past में भी ना मिलाना चहुँ l

    बोल कर वो नमन के वार्ड की तरफ चला गया l

    वहां दूसरी तरफ उसी अस्पताल में ,

    वह लड़की भागते हुए emergency वार्ड के पास पहुंची और रुक करके गहरी गहरी सांस लेने लगी l

    तभी उस वार्ड से एक नर्स बहार निकली और बोली ''डॉ. रिद्धि आप आ गए प्लीज जल्दी चलिये मरीज की हालत बहुत ज्यादा गंभीर है बहुत ज़्यादा खून बह गया है और उसकी सांसे भी बहुत धीमी चल रही है l

    डॉ. रिद्धि बोली ''मरीज का ब्लड ग्रुप टेस्ट करो और ब्लड का इंतेजाम करो हमें खून की जरूरत पड़ेगी और फटाफट ओटी रूम तैयार करने को बोलो मैं तब तक examine करती हूं l

    नर्स ने हाँ मैं सर हिलाया और वहां से चली गई l

    डॉ. रिद्धि भी कमरे के अंदर चली गई l

    शाम का वक़्त,

    अभी शाम के 5:00 बज रहे थे की एक कार वहां पर आ कर रुकी कार से अन्वी और रिधान बहार आये और एस.आई.एफ बिल्डिंग के अंदर चले गये l

    दोनो के बिच रिसॉर्ट के बाद से कोई भी बात चीत नहीं हुई थी l

    लिफ्ट आ कर रुकी और दोनो लिफ्ट के अंदर चले गए थोड़ी देर बाद ही लिफ्ट उनके मंजिल पर रुकी दोनो बहार आये और अपनी अपनी दिशा में चले गए l

    अन्वी ने एक बार भी रिधान को देखने की कोशिश नहीं की l

    और रिधान उसको तो कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था, बाल्की वह इस बात से रिलैक्स था कि अब अन्वी उसको परेशानी नहीं करेंगी l

    अन्वी चल कर आपने टेबल के पास आती है और बैठ जाती है शार्वी जो सुबह से ही अन्वी का इंतज़ार कर रही थी अन्वी को देखते ही वो ख़ुशी से उसके गले लग जाती है l

    शार्वी भी आ कर उसके बगल में बैठ जाती है तुझे पता है मैंने तुझे कितना मिस किया मैं तो कल ही वापस आ गई थी पर तू तो आज आ रही है l

    अन्वी जो चुप चाप अपनी सोच में गुम थी शार्वी के हिलने पर वह होश में आती है l

    अन्वी बोली "क्या हुआ" ?

    शार्वी ''वही तो क्या हुआ मैं कब से बोले जा रही हूं और तू है कि सुनी नहीं रही है कुछ हुआ है क्या अन्वी ?

    उसने अन्वी को खोए हुए और परेशान देखा तो पूछा l

    अन्वी ''नहीं कुछ नहीं हुआ है मैं बस थोड़ा थक गयी हूँ l

    शार्वी "अच्छा तो चल घर चल वैसे भी मुझे नहीं लगता कि आज कुछ काम तू कर पायेगी और हमारे पास फ़िलहाल कोई काम है भी नहीं तो हम आराम से घर जा सकते हैं l

    अन्वी को भी शार्वी की बात सही लगी उसने भी हां कर दिया l

    शार्वी ''तू यही इंतज़ार कर मैं इजाजत लेकर आती हूं l बोल कर वो ईशान के पास चली गई l

    थोड़ी देर बाद ,

    शार्वी और अन्वी घर के लिए निकल गए l

    रात का वक्त ,

    शार्वी और अन्वी आपने अपने कमरे में थी अभी रात 1:45 बजे थे , कि डोर बेल की आवाज से दोनो की नींद खुल गई l

    अन्वी अपने कमरे से निकल कर दरवाजे के पास आई और दरवाजा खोल दिया कि एक लड़की अचानक से अन्वी के गले लग गई l

    "अन्वी मैं आ गई"

    कि उन दोनो के पीछे खड़ी शार्वी भी जब उसे लड़की को देखती है तो वह भी भाग करके दोनो को गले लगा लेती है l

    शार्वी "रिद्धि तू आ गई"

    "मैंने तुम दोनों को कितना ज्यादा मिस किया रिद्धि ने कहा"

    शार्वी मैंने भी तुझे बहुत ज्यादा मिस किया उसने उदास चेहरा बनकर कहाँ l

    रिद्धि "awwww सच में "वो मुस्कुरा कर बोली l

    शार्वी ने अपनी पकड़ और तेज करके बोली "हाँ"

    अन्वी तो बेचारी उन दोनो के बीच में दबकर रह गई थी l

    वो इरिटेट हो करके बोली "अरे छोड़ो मुझे तुम दोनों"

    शार्वी और रिद्धि ने जब उसको इरिटेट हुए देखा तो तुरंत छोड़ दिया l

    अन्वी दोनो के छोडते ही रिद्धि से बोली "क्या रात भर दरवाजे पर खड़े होकर के तुमको सोना है" l

    रिद्धि ''अरे बिल्कुल भी नहीं, मैं तो बहुत ज्यादा थक गई हूं बोलते हुए वो अंदर आने लगी शार्वी भी रिद्धि के साथ हाल की तरफ चल दी और अन्वी ने दरवाजा बंद कर दिया और उनके पास चली गई l

    तीनो सोफ़े पर बैठी हुई थी l

    अन्वी "तुम तो अगले हफ्ते आने वाली थी न "

    शार्वी " हाँ और तूने बताया भी नहीं कि तू आज आ रही है l"

    रिद्धि "दरअसल वहां का काम पूरा हो गया तो मैं चली आई मैं तुम दोनों से ज़्यादा दिन तक दूर थोड़ी ना रह सकती हूँ l "

    शार्वी हा वो तो है शार्वी ने खुश होते हुए कहा l

    अन्वी ठीक है फिर हम कल बात करते हैं अभी काफी रात हो गई है तुम जा कर आराम कर लो l

    रिद्धि ठीक है

    शार्वी ने रिद्धि को उसका रूम बताया और अपने रूम में चली गई l

    इधर दूसरी तरफ शेखावत मेंशन ,

    रिधान के कमरा,

    रिधान आपने बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसके एक हाथ में एक bracelet था जिसे देखते हुआ वो आपने अतीत के एक लम्हे में खो चुका था वह आंखें बंद करके उस लम्हे को जी ही रहा था कि अचानक से उसकी आंख खुल गई l

    वह खुद से ही बोला "जब हमें मिलाना ही नहीं था तो हम मिले ही क्यों ",

    "जब हमें एक दूसरे को जाना ही नहीं था तो दूसरे को जाने ही क्यों ''

    क्यों मैंने तुम्हारे लिये अपने एहसासों को पनपने दिया क्यों मैंने उसे एहसासों को जिया जिसे तुम एक पल में तोड़ कर चली गई", "तुम तुम तो मुझसे दूर हो गई पर तुम्हारे ये एहसास आज भी मुझे तुम्हारे होने का एहसास दिलाते हैं " "मेरा दिल मानता ही नहीं कि तुम मुझे छोड़ कर चली गई हो काश ये सच ना होता और तू मेरे पास होता" l

    रिधान काफी बेचैन था उसकी आंखें थोड़ी नम हो गई थी, उसने उस bracelet को अपने सीने से लगा लिया और अपनी आंखें फिर से बंद कर ली l

    और थोड़ी देर बाद वह नींद के आगोश में चला गया l

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  • 19. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 19

    Words: 2185

    Estimated Reading Time: 14 min

    अगले दिन सुबह,

    अन्वी अपने कमरे में तैयार हो रही थी। तभी बाहर से चिल्लाने की आवाज़ आई। वह आवाज़ सुनकर बाहर निकल गई।

    हॉल में शार्वी और रिद्धि टीवी पर गाना चलाकर नाच रही थीं, और जोर-जोर से गा रही थीं।

    "पिल्लो बना के सो जाऊँ

    हाँ कहते हैं हम

    तो फरवरी से

    निकलो कभी

    डार्लिंग चंदेरी से

    तनिक आओ कभी हवेली पे

    आओ

    आओ

    कभी हवेली पे आओ..."

    अन्वी कमरे से निकलकर उन्हें देखकर अपना सिर पकड़ लिया। दोनों ने हॉल को तहस-नहस कर दिया था। शार्वी सोफे पर कूद-कूद कर नाच रही थी। रिद्धि सेंटर टेबल पर खड़ी होकर नाच रही थी। सोफे के कुशन इधर-उधर फेंके हुए थे। दोनों मस्त होकर गाना और नाच रही थीं।

    कि तभी गाना बंद हो गया। गानें की आवाज़ न सुनकर दोनों ने टीवी की तरफ़ देखा जो अब बंद था। उसके ठीक सामने अन्वी हाथ बांधे खड़ी थी, और गुस्से से दोनों को घूर रही थी।

    अन्वी गुस्से से बोली, "नीचे उतरो, दोनों के दोनों!"

    दोनों ने उसे गुस्से में देखकर अच्छे बच्चे की तरह सोफे और टेबल से नीचे उतरकर खड़ी हो गईं।

    अन्वी ने कहा, "ये क्या पागलों वाली हरकतें कर रही हो तुम दोनों सुबह-सुबह? तुम दोनों के पास कोई काम नहीं है क्या?" बोलकर दोनों को घूरने लगी, जैसे उनके जवाब का इंतज़ार कर रही हो।

    रिद्धि और शार्वी ने अन्वी के एक्सप्रेशन देखे तो बोलीं, "नहीं, हमारे पास कोई काम नहीं है।" बोलकर दोनों ने अपने दाँत दिखा दिए।

    अन्वी उनकी इन हरकतों से चिढ़ गई और गुस्से से बोली, "तुम दोनों ने यहां जो तबाही मचा रखी है ना, उसको सही करो। नहीं तो मैं तुम दोनों को सच में हवेली भेज दूँगी और वहाँ जाकर नाचती रहना!"

    शार्वी अन्वी की बात सुनकर उसके पास आकर बोली, "नहीं अन्वी, तू तो मेरी प्यारी दोस्त है, मेरा पहला प्यार है, मेरी जान है! तू ऐसा नहीं कर सकती।" बोलकर उसके गले लग गई।

    रिद्धि भी अन्वी को दूसरी तरफ से गले लगते हुए बोली, "मेरी जान, तू अपनी प्यारी-प्यारी, खूबसूरत-खूबसूरत दोस्त को ऐसी थोड़ी ना टॉर्चर कर सकती है? तेरे टॉर्चर से हमारी खूबसूरती ढल गई तो?" बोलकर उसने अपना क्यूट सा चेहरा बना लिया।

    अन्वी ने दोनों को खुद से दूर करते हुए कहा, "तुम दोनों दूर हटो, दूर होकर बात करो।"

    पर दोनों फिर से उसके गले लग गईं और बोलीं, "नहीं।"

    शार्वी बोली, "तुमसे दूरी हमें बर्दाश्त नहीं होती है जान।" बोलकर दोनों ने मासूम सा चेहरा बना लिया।

    अन्वी ने एक गहरी साँस ली और दोनों से अलग होते हुए बोली, "तुम दोनों बॉयफ्रेंड क्यों नहीं बना लेती हो? काम से काम मेरा तो पिछा छूटेगा। तुम दोनों ऐसे फालतू बकवास से जाओ और अपने लिए बॉयफ्रेंड ढूँढो, मेरे पीछे मत पढ़ो।" बोलकर वह किचन की तरफ चल दी।

    रिद्धि बोली, "मुझे बॉयफ्रेंड बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरे लिए तो तुम दोनों ही काफी हो।"

    शार्वी बोली, "पर मुझे तो बॉयफ्रेंड बनाने में बहुत इंटरेस्ट आ रहा है। काश कि वह मेरे बॉयफ्रेंड बन जाए।" उसने सोफे पर बैठे हुए अपने दोनों गालों पर हाथ रखे हुए कहा।

    रिद्धि थोड़ा शौक और कन्फ्यूज होकर बोली, "कौन है? तू किसकी बात कर रही है? तुझे क्या कोई पसंद आ गया है?"

    शार्वी ने उसे देखकर शरमाते हुए कहा, "हम्म्म्म।"

    अन्वी, अपने हाथ में कॉफी का एक मग पकड़े हुए, दोनों के सामने सोफे पर आकर बैठ गई।

    अन्वी ने शार्वी की last line सुन ली थी। उसने कॉफी की एक घूंट लेते हुए कहा, "कहीं वह ऑफिसर ईशान तो नहीं?"

    शार्वी ने अन्वी की बात सुनकर हैरानी से उसे देखा और बोली, "तुम्हें कैसे पता चला?" अन्वी ने भावहीन चेहरे के साथ कहा, "मुझे तुम्हारे बारे में हर एक चीज़ पता होता है, और ये पता करना कोई बड़ी बात तो नहीं है।"

    शार्वी ने अन्वी की बात सुनी तो अपना मुँह बना लिया।

    रिद्धि, कन्फ्यूजन में कभी अन्वी को तो कभी शार्वी को देखती रही।

    रिद्धि बोली, "कोई मुझे भी तो बताए क्या चल रहा है।"

    अन्वी बोली, "जिसका चल रहा है, उससे पूछो।"

    रिद्धि ने शार्वी को उत्साहित होकर देखा। उसे ये बात जानने में काफी दिलचस्पी थी कि उसके दोस्त को कोई लड़का पसंद आ गया है। वह अपनी आँखें टिमटिमाते हुए शार्वी को ही देख रही थी।

    शार्वी ने रिद्धि की नज़रों को खुद पर पाया तो वह शरमाने लगी और शरमाते हुए ही बोली, "हाँ।"

    रिद्धि बोली, "ओह माय गॉड! क्या सच में?" वह एक्साइटेड होते हुए बोली, "क्या तुमने प्रपोज़ भी किया?"

    शार्वी बोली, "नहीं।" फिर थोड़ा रुककर आगे बोली, "हम अभी तो मिले हैं, मैं अभी उन्हें कैसे प्रपोज़ कर सकती हूँ?"

    रिद्धि बोली, "हम्म्म्म, ये भी है।"

    अन्वी, जो दोनों की बातें सुन रही थी, बोली, "अगर तुम दोनों का हो गया हो तो तैयार भी हो जाओ, हमें जाना भी है।"

    रिद्धि हड़बड़ाते हुए उठी और बोली, "ओह नो! मुझे तो आज जल्दी अस्पताल जाना था।" कहते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई।

    शार्वी बोली, "अन्वी, तू वेट कर, मैं तैयार होकर आती हूँ।" बोलकर वह भी भाग गई।

    अन्वी ने दोनों को ऐसे भागते हुए देखा तो अपने सर को ना में हिलाने लगी और फिर से अपनी कॉफी का घूंट लेने लगी।

    एक घंटे बाद, तीनों घर से बाहर निकल गईं। अन्वी और शार्वी अपनी बाइक से एसआईएफ की तरफ निकल गईं और रिद्धि अपनी कार से अस्पताल की तरफ बढ़ गई।

    दूसरी तरफ, शेखावत मेंशन में, रिधान सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे आ रहा था। वह जल्दी-जल्दी बाहर जा रहा था कि सुचिता जी ने रिधान को आवाज़ दी, "रिधान, कहाँ जा रहा है?"

    रिधान अपनी माँ की आवाज़ सुनकर रुक गया और पलटकर अपनी माँ की तरफ देखते हुए बोला, "काम पर जा रहा हूँ, Mom।"

    सुचिता जी बोलीं, "रिधान, नाश्ता तो करता जा।"

    रिधान बोला, "नो Mom, समय नहीं है। ऑफिस में ही कुछ खा लूँगा, आप टेंशन मत लो।" फिर उसने अपनी माँ को गले लगाया और घर से निकल गया।

    एस.आई.एफ. में, सुबह 10:54 बजे, रिधान अपने केबिन में फाइल पढ़ रहा था कि तभी उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी। उसने कॉल पिक किया तो उधर से चीफ डायरेक्टर वीरेंद्र जी की आवाज़ आई, "रिधान, एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।"

    रिधान बोला, "क्या हुआ है?"

    वीरेंद्र जी बोले, "एक कॉलेज को (hostage) बंधक बना लिया गया है।"

    रिधान बोला, "क्या?"

    वीरेंद्र जी बोले, "पुलिस ऑफिसर ने कॉलेज को चारों तरफ से घेर लिया है। फिर भी उन लोगों ने स्टूडेंट और कुछ प्रोफ़ेसर को होस्टेज बना लिया है। वो चाहते हैं कि हम उनकी डिमांड पूरी करें।"

    रिधान बोला, "क्या डिमांड है उनकी?"

    वीरेंद्र जी बोले, "रिधान, तुम मेरे ऑफिस में आओ, हमें बात करनी चाहिए।"

    थोड़ी देर बाद, रिधान, ईशान, तन्मय चीफ डायरेक्टर के ऑफिस रूम में थे। वो लोग आपस में कुछ चर्चा कर रहे थे।

    रिधान बोला, "कौन सा कॉलेज है?"

    वीरेंद्र जी बोले, "दिल्ली यूनिवर्सिटी।"

    ये सुनकर ईशान और तन्मय घबरा गए। पर उन्होंने अपनी घबराहट को छुपाते हुए रिधान की तरफ देखा जो बिना किसी भाव के वैसे ही खड़ा था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आया था।

    रिधान ने कहा, "डोंट वरी सर, हम उन स्टूडेंट और प्रोफ़ेसर को कुछ नहीं होने देंगे, और ना ही हम उनकी डिमांड पूरी करेंगे। उन लोगों को क्या लगता है, वो स्टूडेंट, प्रोफ़ेसर को बंदी बनाकर हमसे अपनी बात मनवा लेंगे? पर हम उनकी ऐसी बेफ़िज़ूल बातों को नहीं मानेंगे।"

    वीरेंद्र जी बोले, "सीएम सर के कॉल आ रहे हैं कि हम लोग ये सब कैसे हैंडल करेंगे। काफ़ी स्टूडेंट, प्रोफ़ेसर की जान ख़तरे में है। उन्होंने तो ये तक कह दिया कि अगर हम स्टूडेंट, प्रोफ़ेसर को नहीं बचा सकते तो उनकी डिमांड पूरी करें।"

    रिधान बोला, "आप उनसे कह दीजिए, हमें उनकी मांग पूरी करने की कोई ज़रूरत नहीं है। कुछ ही घंटे में वो स्टूडेंट, प्रोफ़ेसर सुरक्षित अपने-अपने घर पर होंगे। ये मेरा आपसे वादा है।" उसने ये सारी बातें काफी गंभीरता और आत्मविश्वास से कही थीं।

    वीरेंद्र जी ने कहा, "रिधान, मुझे तुम लोगों की काबिलियत पर पूरा विश्वास है। तुम लोग उन स्टूडेंट में से किसी को भी कुछ नहीं होने दोगे।"

    कुछ समय बाद, मीटिंग रूम में काफ़ी ऑफिसर बैठे हुए थे। सामने स्क्रीन पर कॉलेज की लेआउट शो हो रही थी और रिधान लोगों को कुछ समझा रहा था। थोड़ी देर वहाँ पर मीटिंग चली और

    रिधान ने सभी को देखते हुए कहा, "जैसा समझाया है वैसा करना, कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए। किसी भी स्टूडेंट और प्रोफ़ेसर की जान ख़तरे में नहीं आनी चाहिए। अंडरस्टुड?"

    सभी ने जोर से बोला, "येस कैप्टन।" फिर सभी लोग अपनी-अपनी जगह से उठने लगे और रिधान ने जो करने को कहा था वह करने के लिए निकल गए।

    रिधान ने नील और कबीर को जाते हुए देखा तो बोला, "तुम दोनों रुको।"

    नील और कबीर ने एक-दूसरे को देखा और फिर रिधान के बोलने का इंतज़ार करने लगे।

    रिधान बोला, "तुम दोनों कॉलेज के सिक्योरिटी कैमरे को हैक करने की कोशिश करो। हमारे लिए जाना बहुत ज़रूरी है कि वो लोग किस-किस जगह पर हैं और किस-किस को कहाँ-कहाँ बंदी बनाकर रखा है।"

    कबीर और नील ने हाँ में सर हिलाया और वहाँ से निकलने लगे कि रिधान ने फिर से उन्हें रोक लिया।

    रिधान बोला, "रुको! क्या मैंने तुम लोगों को जाने के लिए कहा है?" वह इस समय काफ़ी गंभीर था। अगर उनसे एक भी गलती होती तो रिधान के गुस्से से बच पाना उनके लिए मुश्किल था।

    कबीर और नील बोले, "सॉरी सर।"

    रिधान ईशान की तरफ देखकर बोला, "ईशान, तुम छवि को इन्फॉर्म करो कि वह यहाँ जल्दी से जल्दी पहुँचे।"

    ईशान बोला, "मैंने उसे इन्फॉर्म कर दिया है, वो आती होगी।"

    रिधान बोला, "तुम दोनों उसके आते ही अपना काम चालू कर देना। मुझे कोई भी गलती नहीं चाहिए।"

    नील और कबीर ने "ओके" कहा। फिर कबीर ने रिधान को देखा जैसे वह वेट कर रहा था कि वह उसे परमिशन दे जाने का।

    तन्मय जो ये सब देख रहा था, कबीर की नज़रों को रिधान पर देखकर वह समझ गया कि वह वहाँ क्यों खड़ा है। तन्मय ने कहा, "तुम दोनों अब जा सकते हो।"

    ये सुनते ही दोनों वहाँ से निकल गए।

    रिधान ने तन्मय और ईशान को देखते हुए कहा, "तुम दोनों दो टीम रेडी करो। एक टीम अंदर जाएगी तो एक टीम बैकअप के लिए बाहर रहेगी ताकि ज़रूरत पड़ने पर हमें बैकअप मिल सके।"

    तन्मय बोला, "ये काम मैं करता हूँ।" बोलकर वो भी वहाँ से निकल गया।

    मीटिंग रूम में अब केवल ईशान और रिधान ही रह गए थे।

    ईशान रिधान को देखकर बोला, "मैं Mom से क्या बोलूँ? वो मुझे कॉल पर कॉल किए जा रही है और आंटी का भी कई बार कॉल आ चुका है। वो तेरे बारे में पूछ रही हैं। Mom और आंटी बहुत ज़्यादा परेशान हैं।"

    रिधान बोला, "मैं जानता हूँ।"

    ईशान बोला, "रिधान, श्राविया, आरना, मानवी अभी भी वहीं पर हैं। आई होप कि तीनों साथ में हों और सुरक्षित हों।"

    रिधान बोला, "उनको कुछ नहीं होगा। सिर्फ़ उनको ही नहीं, हम किसी को भी कुछ नहीं होने देंगे।"

    रिधान ने ईशान को गले लगाकर कहा।

    ईशान वह काफ़ी घबराया हुआ था। आखिर उसकी बहन भी तो वहाँ पर बंधक बनी हुई थी। सिर्फ़ उसकी ही नहीं, रिधान की बहनें भी वहीं पर थीं।

    कैसे न वो दोनों घबराते हों? उनकी जान से प्यारी बहनों के ऊपर आज मौत का साया मंडरा रहा था, जिसे कभी वो कोई आँच नहीं आने देते थे, आज वो मौत के दलदल में थीं।

    रिधान ने खुद को और ईशान को रिलैक्स किया और बोला, "हमें निकलना होगा, हमारे पास टाइम बहुत कम है।"

    और दोनों मीटिंग रूम से बाहर निकल गए।

    थोड़ी ही देर में तन्मय ने टीम तैयार कर दिया था। रिधान और ईशान भी वहाँ पर थे। वो लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी के लिए निकल रहे थे। उनके साथ अन्वी और शार्वी भी मौजूद थीं।

    तन्मय भी काफ़ी घबराया हुआ था। आखिर वह भी रिधान और ईशान की बहनों को अपनी ही बहन मानता था। वह उन तीनों से काफ़ी अटैच्ड था। वह अपनी घबराहट छुपाते हुए अपना काम किए जा रहा था, जो ईशान और रिधान बखूबी समझ रहे थे। आखिर वह भी तो उनसे बहुत प्यार करता था, उनकी हर एक ज़रूरत, उनकी हर एक नखरे उठाता था।

    रिधान और ईशान तन्मय के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और रिधान बोला, "तन्मय, हम अपनी बहनों को कुछ नहीं होने देंगे।"

    ईशान बोला, "हाँ, और तू टेंशन मत ले। वो सब इतनी मज़बूत हैं कि वो खुद को बचा सकती हैं। देखना, वो सब सुरक्षित होंगी।"

    तन्मय ने भी खुद की बेचैनी और घबराहट को कंट्रोल किया और बोला, "हम्म्म्म।"

    रिधान ने फिर सबको देखकर कहा, "सब तैयार हैं? अब हम निकल रहे हैं।"

    और सब अपनी-अपनी कार में बैठकर निकल गए। उन्हें जल्दी से जल्दी सभी स्टूडेंट और प्रोफ़ेसर को सुरक्षित निकालना था।

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  • 20. 'Ek ehsaas' do dilon ki - Chapter 20

    Words: 2053

    Estimated Reading Time: 13 min

    दिल्ली विश्वविद्यालय,

    रिधान अपनी टीम के साथ कॉलेज पहुँच चुका था। वह कॉलेज के पीछे की ओर अपनी टीम के साथ मौजूद था, ताकि उन अपहर्ताओं (hijackers) को पता न चल सके कि वे लोग क्या कर रहे हैं।

    रिधान अपनी टीम को कुछ निर्देश दे रहा था। जो सभी ध्यान से सुन रहे थे।

    और इधर ईशान और तन्मय रिधान की बातों को सुन रहे थे, कि तभी ईशान का फ़ोन रिंग हुआ। उसने कॉल पिक की तो फ़ोन के दूसरी तरफ़ से नील की आवाज़ आई।

    नील: "ईशान सर, अपहर्ताओं ने बहुत से कैमरे तोड़ दिए हैं। हम सीसीटीवी कैमरे हैक नहीं कर पा रहे हैं।"

    ईशान कुछ बोलता, इससे पहले ही एक लड़की के फ़ोन पर आवाज़ आई, "सर, सारे कैमरे ऑफ़ हैं। वे डीएक्टिवेट हो चुके हैं। हमें उन्हें एक्टिवेट करना होगा।"

    ईशान ने कहा, "मुझे लगता है सीसीटीवी रूम से ही उन कैमरों को ऑफ़ कर दिया गया है। छवि, तुम कैमरे को एक्टिवेट करने की कोशिश करती रहो, तब तक हम कुछ करते हैं।"

    छवि: "ठीक है।"

    ईशान रिधान के पास जाकर बोला, "रिधान, कॉलेज के कैमरे उन लोगों ने तोड़ दिए हैं और डीएक्टिवेट कर दिया है।"

    रिधान ने यह सुनकर एक गहरी साँस ली और बोला, "ईशान, तुम कुछ लोगों के साथ सिक्योरिटी रूम की तरफ़ जाओगे और कैमरे एक्टिवेट करके छवि से संपर्क करके हमें जानकारी देते रहना कि वे किस-किस जगह पर हैं।"

    "तन्मय, तुम अपनी टीम के साथ बाईं तरफ़ जाओ। और मैं दाईं तरफ़ जाता हूँ।"

    और बाकी के सदस्यों को देखते हुए उसने कहा, "तुम सब Stand-by मोड पर रहना। हमें किसी भी वक़्त तुम सब की ज़रूरत पड़ सकती है।" सबने अपना सर हाँ में हिलाया और कॉलेज के अंदर घुसने की तैयारी करने लगे।

    अन्वी और शार्वी भी कॉलेज के अंदर जा रही थीं। वे दोनों भी खुद को तैयार कर रही थीं, कि तभी उनके कानों में कुछ लड़कियों की आवाज़ पड़ी जो उनकी टीम की सदस्य थीं।

    एक लड़की दूसरी लड़की से बोली, "तृप्ति, तुम्हें पता है रिधान सर और ईशान सर की बहनें इसी कॉलेज में पढ़ती हैं।"

    "क्या बोल रही हो तुम, भूमि?" वह लड़की हैरान होकर बोली।

    तृप्ति: "हाँ।"

    भूमि: "रिधान सर और ईशान सर कितने परेशान होंगे ना।"

    तृप्ति: "हम्म..."

    शार्वी ने उनकी बात सुनकर अन्वी से कहा, "क्या captain और officer ईशान की बहनें भी यहाँ पर फँसी हुई हैं?" यह बोलते हुए शार्वी ने फ़िक्र भरी नज़रों से ईशान की तरफ़ देखा। अन्वी की भी नज़र रिधान पर चली गई। उसे भी रिधान की फ़िक्र होने लगी थी।

    थोड़ी देर बाद,

    रिधान, ईशान, तन्मय अपनी-अपनी टीम के साथ कॉलेज के अंदर एंटर कर गए थे। वे लोग बहुत सावधानी से कॉलेज के अंदर चले गए। अंदर जाते ही वे लोग अपने-अपने डायरेक्शन में चले गए।

    ईशान के साथ शार्वी भी थी क्योंकि वह ईशान को इस स्थिति में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। जब से उसे पता चला कि ईशान की बहन भी इसी कॉलेज में है, वह ईशान के साथ-साथ रहना चाहती थी, ताकि वह उसका साथ दे सके।

    और अन्वी, वह भी रिधान के साथ थी। पहले तो उसने सोचा था कि वह तन्मय के साथ जाएगी, पर उन लड़कियों की बात सुनने के बाद वह रिधान से दूर नहीं हो पाई। उसे रिधान की फ़िक्र हो रही थी।

    ईशान जो सिक्योरिटी रूम की तरफ़ बढ़ रहा था, उसको सिक्योरिटी रूम के पास कुछ नकाबपोश लोग दिखाई दिए। ईशान ने सबको हाथ दिखाकर रोका और इशारे से कुछ समझाने लगा।

    और दूसरी तरफ़ तन्मय सावधानी से एक-एक कमरे को चेक करते हुए सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ने लगा।

    और इधर रिधान भी एक-एक कमरे को चेक करते हुए आगे बढ़ रहा था। वह धीरे-धीरे कॉलेज ऑडिटोरियम की तरफ़ बढ़ रहा था। उसको शक था कि हो ना हो स्टाफ़, विद्यार्थी, प्रोफ़ेसर सब वहीं पर होंगे।

    सिक्योरिटी रूम की तरफ़,

    ईशान ने सभी को कुछ समझाया और बोला, "मेरे इशारे पर।" सभी ने अपनी गन लोड की और साइलेंसर लगाकर एक साथ शूट किया। ईशान ने चेक कर लिया था कि वहाँ आस-पास और लोग तो नहीं हैं। सभी को शूट करने के बाद वे सिक्योरिटी रूम की तरफ़ चल पड़े।

    शार्वी ने ईशान से कहा, "अंदर भी तो लोग हो सकते हैं।"

    ईशान ने कहा, "हो सकता है।"

    शार्वी: "तो अब क्या करना है?"

    ईशान: "पर मुझे नहीं लगता कि अंदर ज़्यादा लोग होंगे।" बोलकर वह शार्वी को आँखों से ही इशारा करता है, जो शार्वी समझ जाती है। वह आगे बढ़कर सिक्योरिटी रूम का दरवाज़ा खोल देता है और दोनों साथ में सामने खड़े आदमी को ढेर कर देते हैं। ईशान की टीम भी अंदर आकर के सभी जगह चेक करने लगते हैं कि और कोई तो नहीं है ना।

    तभी एक ऑफिसर बोलता है, "सर, और कोई नहीं है।" ईशान ऑफिसर की बात सुनकर तुरंत सिक्योरिटी कैमरा एक्टिवेट करता है और छवि को बोला, "छवि, कैमरा एक्टिवेट हो गया है। तुम अपना काम शुरू करो।"

    छवि: "Yes sir."

    ईशान तुरंत रिधान को सूचित करता है। वे लोग आपस में ब्लूटूथ के ज़रिए कनेक्टेड थे।

    ईशान: "रिधान, इधर सब नियंत्रण में है।"

    रिधान: "छवि को कितना टाइम लगेगा?"

    छवि, जो रिधान की बात सुन लिया था, बोली, "सर, २० मिनट।"

    रिधान: "छवि, हमारे पास इतना टाइम नहीं है। जल्दी करो।"

    छवि: "OK sir." वह काफी घबराई हुई थी।

    थोड़ी देर में छवि की आवाज़ आई, "सर, हो गया।"

    रिधान: "उन लोगों ने प्रोफ़ेसर और स्टूडेंट को कहाँ रखा हुआ है?"

    "सर, कुछ लोग लाइब्रेरी में हैं, तो कुछ लोग कॉलेज ऑडिटोरियम में हैं।"

    रिधान: "तुमने अच्छे से चेक किया है?"

    नील: "सर, सभी कैमरे जो सही थे, वे एक्टिवेट हो गए, पर जो टूट चुके हैं, हम उस साइट का कुछ नहीं बता सकते हैं।"

    रिधान: "तुम लोग अपनी नज़र कैमरों पर रखो। कोई भी हलचल हो तो तुरंत inform करो।"

    कबीर: "ठीक है सर।"

    रिधान: "तन्मय।"

    तन्मय: "हाँ।"

    रिधान ने कहा, "तुम लाइब्रेरी की तरफ़ जाओ।"

    तन्मय: "ठीक है।"

    "ईशान, तुम कॉलेज कैंपस और हर एक क्लासरूम अच्छे से चेक करो।"

    ईशान: "Okay।"

    और सभी अपनी-अपनी दिशा में चल दिए।

    इधर दूसरी तरफ़ कॉलेज ऑडिटोरियम में,

    सभी प्रोफ़ेसर और विद्यार्थी डरे-सहमे एक जगह होकर बैठे थे। कुछ स्टूडेंट तो रो भी रहे थे। वहाँ पर लड़के और लड़कियाँ और कुछ शिक्षक और कुछ स्टाफ़ भी थे। जिनकी डर की वजह से हालत ख़राब थी।

    क्योंकि उनके सामने अपहर्ता बंदूक ताने खड़े थे। अभी तक उन लोगों ने किसी को मारा नहीं था, पर एक-दो प्रोफ़ेसर को उन्होंने बुरी तरह घायल कर दिया था अपना डर लोगों में पैदा करने के लिए।

    और इसी ऑडिटोरियम रूम में ईशान और रिधान की बहनें भी मौजूद थीं। जो डर और घबराहट की वजह से एक-दूसरे से चिपक कर बैठी थीं। उनके साथ उनकी दोस्त भी थी।

    एक लड़की जो मानवी की दोस्त थी, वो बोली, "मानवी, हमें कोई बचाने आएगा भी कि नहीं?" वह लड़की काफी रो रही थी।

    श्राविया: "चुप हो जाओ रिया। हम सुरक्षित रूप से यहाँ से ज़रूर निकलेंगे।"

    आरना: "श्राविया, भाई हमें बचाने आएंगे ना?" श्राविया: "हाँ।" "वो ज़रूर आएंगे, पर तब तक के लिए हम लोगों को मज़बूत रहना होगा।"

    श्राविया की बात सुनकर आरना और मानवी के साथ-साथ उनके दोस्तों ने भी हाँ में सर हिला दिया।

    तभी एक नकाबपोश बोला, "एक लड़की, चुप हो जा, नहीं तो हम तुझे अच्छे से चुप कराएंगे।"

    उसकी आवाज़ सुनकर सभी एक-दूसरे से और ज़्यादा चिपक कर बैठ गईं, कि एक प्रोफ़ेसर ने उन सबको इशारे से चुप रहने को कहा।

    और दूसरी तरफ़ लाइब्रेरी में भी कुछ ऐसा ही हाल था। वहाँ पर भी कुछ बच्चे और कॉलेज के स्टाफ़ और लाइब्रेरी incharge फँसे हुए थे। वहाँ का माहौल भी कॉलेज ऑडिटोरियम की तरह ही था।

    और इधर रिधान सबको कुछ निर्देश दे रहा था। और थोड़ी ही देर में सभी कॉलेज ऑडिटोरियम के पास आ गए थे। पर अब मामला यह था कि अंदर कैसे जाया जाए बिना उन नकाबपोशों की नज़र में आए।

    तभी अन्वी ने रिधान से धीरे से कहा, "Mr. captain, वहाँ देखिए, वहाँ पर खिड़की खुली हुई है।" रिधान ने अन्वी के कहने पर उस तरफ़ देखा तो वहाँ एक खिड़की थी जो खुली हुई थी।

    रिधान ने सबको वहाँ रुकने को कहा और खुद जाकर चेक किया। अंदर का माहौल जैसा था, यहाँ से अंदर जाना उनके लिए सही नहीं था।

    रिधान ने कहा, "हम सब वहाँ से नहीं जा सकते। उनकी नज़र तुरंत हम पर पड़ जाएगी।"

    तभी अन्वी बोली, "क्यों ना मैं अकेली अंदर जाऊँ?"

    रिधान: "क्या तुम पागल हो गई हो?"

    अन्वी: "आप मेरी बात नहीं समझ रहे।" फिर थोड़ा रुककर उसने रिधान से कहा, "हम एक साथ नहीं जा सकते, पर मैं अकेली जाऊँगी तो उनका ध्यान मुझ पर नहीं जाएगा। एक बार मैं अंदर पहुँच जाऊँगी तो आपके लिए अच्छा होगा अंदर घुसना। मैं बता सकती हूँ कि आप कब और कैसे अंदर आ सकते हैं। मैं अंदर जाकर उनका ध्यान भटकाऊँगी ताकि आपको मौका मिल सके अंदर आने का।"

    रिधान: "तुम्हें क्या यह खेल लग रहा है?"

    अन्वी: "तो आप ही बताइए क्या किया जाए?" उसने थोड़े गुस्से से कहा।

    रिधान: "तुम नहीं, मैं जाऊँगा।" बोलकर रिधान ने सबसे कहा, "मेरे बोलने पर तुरंत अंदर आना।" सभी ने अपना सर हाँ में हिलाया।

    रिधान खिड़की के पास चल दिया कि अन्वी भी उसके साथ-साथ चलने लगी। रिधान ने अन्वी को अपने साथ देखा तो बोला, "मैंने बोला ना मैं अकेला जाऊँगा।" अन्वी: "मैंने भी कहा ना मैं जाऊँगी।"

    रिधान ने दाँत पीसते हुए कहा, "तुम्हें क्या यह सब एक मज़ाक लग रहा है?"

    अन्वी: "मुझे अच्छे से पता है यह कोई मज़ाक नहीं है।" "मैं बस आपकी मदद करना चाहती हूँ। अगर मैं भी साथ चलूँगी तो मैं आपकी मदद कर पाऊँगी, आप समझ क्यों नहीं रहे हैं?"

    रिधान ने गहरी साँस ली और शांति से सोचने लगा और कुछ सोचकर उसने कहा, "ठीक है।" और उसकी आँखों में देखते हुए एक-एक शब्द पर ज़ोर देते हुए बोला, "पर अगर तुम्हारी वजह से कुछ भी गड़बड़ हुआ तो ये गन देख रही हो ना, इसकी सारी की सारी गोलियाँ मैं तुम्हारे अंदर डाल दूँगा।"

    अन्वी: "शौक से।" उसने उसकी आँखों में देखते हुए कहा। दोनों ही एक-दूसरे को घूर-घूर कर देख रहे थे।

    थोड़ी ही देर में दोनों ऑडिटोरियम रूम में थे, बिना किसी की नज़र में आए वे दोनों अंदर घुस गए थे।

    और स्टूडेंट और स्टाफ़ प्रोफ़ेसर के बीच छुप गई।

    रिधान ने चारों तरफ़ अपनी नज़र दौड़ाई और उसकी नज़र एक जगह जाकर रुक गई। उसकी बहनें डरी-सहमी एक कोने में बैठी हुई थीं। यह देखकर रिधान ने अपनी आँखें बंद कर ली और खुद के गुस्से को और बेचैनी को कंट्रोल करने लगा। उसे काफी ज़्यादा गुस्सा आ रहा था। उसका मन कह रहा था कि अभी वह उन लोगों को जान से मार दे, जिसकी वजह से आज सभी की ऐसी हालत है।

    अन्वी जो रिधान की बेचैनी और गुस्से को समझ रही थी, उसने अपना एक हाथ रिधान के हाथ पर रख दिया और बोली, "खुद को संभालिए।" रिधान ने अन्वी की तरफ़ देखा। अन्वी के हाथ रखते ही उसकी बेचैनियाँ और घबराहट एक पल में गायब सी हो गई थी। उसको ऐसा महसूस हुआ कि जैसे कोई अपना उसके पास है।

    पर रिधान ने जल्दी अपने हाथ को अन्वी के हाथ से छुड़ा लिया।

    अन्वी को रिधान का ऐसा करना अच्छा तो नहीं लगा, पर उसने कुछ नहीं कहा।

    रिधान ने देखा तो वहाँ पर १०-१५ अपहर्ता थे। उसने धीरे से अन्वी को कहा, "तुम उस साइड जाओ।"

    अन्वी ने रिधान के इंस्ट्रक्शन को फॉलो किया और उस साइड चली गई।

    वह चुपचाप लड़कियों की साइड आई।

    क्योंकि नकाबपोशों ने लड़की और लड़कों को अलग-अलग कर रखा था।

    तभी एक नकाबपोश आदमी अपने बॉस से बोला, "क्या वे हमारी डिमांड पूरी करेंगे? अभी तक उनकी तरफ़ से कोई ख़बर नहीं आई है।"

    नकाबपोशों के बॉस बोला, "अगर वे हमारी माँग पूरी नहीं करेंगे तो हम इन लोगों को मार डालेंगे।"

    "हमारे द्वारा दिए गए समय अब ख़त्म हो रहा है। बस आधे घंटे और हम इंतज़ार करेंगे।"

    बॉस की बात सुनकर सबने हाँ कहा।

    कि तभी.........

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