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Trap:– story of Dark romance

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"लव बियॉन्ड द इमैजिनेशन" — एक दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी, जहां रिश्ता सिर्फ प्यार से नहीं, कभी–कभी नफरत से भी बन जाता है... यह कहानी है शनाया सबरवाल की — एक बहादुर, जिद्दी और निडर लड़की, जिसकी आंखों में एक ही सपना है... अपने पिता...

Total Chapters (40)

Page 1 of 2

  • 1. - Chapter 1 तुम जल्दी ही यहां होगी

    Words: 1629

    Estimated Reading Time: 10 min

    यह मेरी नई कहानी है इस उम्मीद में शुरू कर रहा हूं कि से आपका प्यार और सम्मान मिलेगा और मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा कि मैं आपको वह सब दिखाओ बता सकूं जिसके आप हकदार हैं और उम्मीद करता हूं कि आपका प्यार इतना होगा कि मैं उसे समेटे सीमेंट तक जाऊंगा आई इस कहानी को शुरू करते हैं......



    दिल्ली दिलवालों की दिल्ली कहते हैं दिल्ली में आए हर किसी का एक ही सपना होता है सक्सेस होकर के अपने घर पर जाना सक्सेस का वह मजा चकना जिसके लिए वह दिल्ली आए थे कोई चकाचौंध में खो जाता है तो कोई अपने लिए एक नई दुनिया बना लेता है....!


    और इसी दिल्ली पर राज चलता था एक हुकुम शाखा राजस्थान के राजघराने से आया एक लड़का जिसने वक्त को भी मार दे दी थी और अब दिल्ली में उसका रोला चलता था ...।



    वहीं दूसरी तरफ आज सनाया बहुत ज्यादा खुश थी क्योंकि उसका आखिरी एग्जाम था इसके बाद सीधा इंटरव्यू और वह सनाया से इंस्पेक्टर सनाया साबरवाल बन जाती उसके बाबा का सबसे बड़ा सपनापूरे होने वाला था ...।

    पर किस्मत को यह मंजूर नहीं था यूं कह लो कि जो होता है अच्छे के लिए होता है लिए चलते हैं कहानी पर


    दिल्ली लालबाग रोड नंबर 46 के सामने एक बड़े से विला के एक अंधेरे से कमरे में बैठा एक इंसान सीगर का कस लिए जा रहा था कमरे के कर्टन से आ रही थी तो बस हवा और हल्की सी धूप कमरे में चारों तरफ बस दुआ ही दुआ था तब तक उसे का आवाज सुनाई देती है "सर उस लड़की का आज आखिरी एग्जाम है , वह अपने घर जाने वाली है "



    "इतना कहने के बाद कमरे में सन्नाटा छा जाता है वह आदमी सिगार को ऐश बॉक्स में रखते हुए सोफे से खड़ा होता है अपने सूट को ठीक करते हुए वह पीछे मुड़कर एक भारी आवाज में कहता है "तुम्हें पता है ना तुम्हें क्या करना है..? मैं उसके कॉलेज में कोई तमाशा नहीं चाहता था इसलिए मैं अब तक चुप था पर अब नहीं वह लड़की मुझे मेरे यहां चाहिए वह कैसे करना है तुम अच्छे से जानते हो सनी "




    सनी जो उसका वफादार था उसने हमे सिर हिला कर कहा "जी सर आप बेफिक्र रहिए आज शाम तक वह लड़की आपके पास होगी

    "यह कहकर वह वहां से चला जाता है सनी के जाते ही वह कमरे की दूसरी छोर की तरफ जाने लगता है हल्की सी लाइट में दीवाल पर एक बड़ी सी पेंटिंग लगी थी उसमें एक मुस्कुराता सा लड़का शिवाय के कंधे पर बैठा हुआ था और दोनों उस पिक्चर में बहुत खुश दिख रहे थे शिवाय उसे पिक्चर को देखते हुए उसे पर अपना हाथ फेर कर कहता है" भाई उसे लड़की ने तुझे मुझसे छीन है मैं उससे उसकी जिंदगी छीन लूंगा ,उसे मैं बताऊंगा की मौत का खौफ क्या होता है वह मेरे से मारने की भीख मांगेगा पर मौत उसे नसीब नहीं होगी ,उसका वह हसर करूंगा कि जिंदगी भर वह कभी भूल नहीं पाएगी"



    " इतना कहते ही उसकी आंखें गुस्से से भर आई मानो उसकी आंखें आग उगल रही हो और पीछे मुड़कर के आगे आता है इसकी हाईट 6 फुट 2 इंच थी उम्र 30 साल गठीला शरीर और चेहरे पर हल्की बर्ड उसके लोक में चार चांद लग रही थी उसको देखने के लिए बस उसको छूने के लिए लाखों लड़कियां अपनी जान तक दे सकती थी.. उसके मरदाने गठीले शरीर से कहीं ज्यादा बड़ा और खौफनाक था उसका गुस्सा..!




    वह गुस्से से अपनी मुट्ठी को कसकर बंद कर लेता है उसकी सारी नसें टांग जाती है और वह बस खुद के गुस्से को भींच कर पिए जा रहा था कि तब तक दरवाजे पर दस्तक होती है सर दाता हुकुम आपसे मिलने के लिए हवेली पर आए हैं आपका इंतजार कर रहे हैं ...।




    यह सुनते ही शिवाय उस आदमी की तरफ देख कर कहता है तुम चलो मैं थोड़ी देर में आता हूं ..।


    वह आदमी सर हिलाकर वहां से चला जाता है उसके जाते ही शिवाय अपने बाल को ठीक करता है और उसे कमरे से बाहर की तरफ जाने लगता है बाहर निकाल कर वह उसे कमरे में ताला लगा देता है और अपनी कर लेकर हवेली की तरफ निकल जाता है...।





    रिजॉर्ट से हवेली की दूरी कुछ ही थी पर थोड़ी देर में हवेली पर पहुंच जाता है वहां पर पहुंचकर अपने कर से बाहर आता है और सीधा अपने कदम अपने दाता हुकुम की तरफ बढ़ने लगता है हवेली के अंदर जाते ही सामने सोफे पर बैठे दाता हुकुम की तरफ जाकर शिवांशु के पर को छूता है और उनके बगल में लगे सोफे पर तन कर बैठ जाता है अपने पोते को इस कदर देख हरिवंश जी को भी गर्व हो रहा था बताओ से अपनी मूंछों को तव देते हुए कहते हैं मेरा बब्बर शेर आ गया हरिवंश जी पूरे राजस्थान के दाता हुकुम थे राजस्थान में उनकी सट्टा जमीन जमी थी वहां पर मानव उनका रोला चलता था और शिवाय के सक्सेस के बाद तो दाता हुकुम अब सबसे ज्यादा माने जाने इंसानों में से एक थे ...!




    उन्होंने शिवाय की तरफ देखते हुए कहा बेटा हम यहां आए हैं तो हमने यहां पर एक जश्न का ऐलान किया है और उम्मीद करते हैं कि उसे जश्न में आप भी शामिल होंगे शिवाय दाता हुकुम की बात सुनकर के आवाज में कहहते हुए कहता है दाता हुकुम आपको पता है मुझे यह सब पसंद नहीं आपको जो करना है करिए मैं आ जाऊंगा या ...कहकर वह वहां से चुपचाप उठ कर चला जाता है ।।।




    दाता हुकुम को और भी बातें करनी थी पर वह चुप थे उन्हें पता था कि कहना व्यर्थ है शिवाय के जाते ही दाता हुकुम के पीछे खड़े नौकर ने कहा दाता छोटी मुंह में बड़ी बात पर अब शिवाय बाबू की शादी क्यों नहीं करवा देते ..?

    अगर जिंदगी में कोई लड़की आएगी तो शायद से उनका यह अकेलापन दूर हो जाए और वह जो इतना उखड़े उखड़े रहते हैं वह भी मुस्कुराना सीख जाए गजोधर तेरी बात तो सही है पर मैं शिवाय को अच्छे से जानता हूं यह ऐसे पहले नहीं था पर सत्यम की मौत ने उसे तोड़ कर रख दिया है...


    आज की जश्न में मैं उसके लिए सभी बड़े बिजनेसमैन की बेटियों का रिश्ता रखेगा जो सिवाय को पसंद आएगी वह ही मेरे घर की बहू बनेगी पर दाता हुकुम ठाकुर वीरेंद्र सिंह की बेटी का क्या देखो गजोधर वह बात बचपन की थी और बचपन में हुए रिश्ते को मैं जबर्दस्ती अपने पोते के ऊपर शॉप नहीं दे सकता हां मैं खुद भी चाहता हूं कि हरेंद्र सिंह की बेटी हमारे घर की बहू बने क्योंकि उसको मैं अच्छे से समझता हूं पर शिवाय की अपनी भी खुशी शामिल होनी चाहिए ...।




    आज शाम में मैं इस विषय में शिवाय से बात करूंगा







    वहीं दूसरी तरफ गार्डन एरिया में एक लड़की भाग रही थी और उसके हसने की तिलकरिया पूरे महल में गूंज रही थी और उसके पीछे-पीछे एक लड़का भी हंसते हुए भाग रहा था वह लड़की जोर से हंसते हुए बोलती है भाई सा आप मुझे पकड़ कर के तो दिखाइए फिर मैं आपको आप की डायरी दे दूंगी... वरना आज मैं इस डायरी का राज पूरा अपने दिमाग में उतार लूंगी ।।।


    यह कहकर वह जोर-जोर से हंसने लगती है और अपनी भागने की गति बढ़ा देती है यह थी रीमा उम्र 19 साल हाईट 5 फुट 5 इंच गोरा रंग लंबे बाल पतली होंठ और मानव किसी ने बड़ी शिद्दत से इसे बनाया हो और उसके पीछे भाग रहा था उसका 25 साल का भाई वह भी शिवाय की तरह लंबे कद का टीका था जो अपने उम्र से ज्यादा समझदार था पर वह अपनी किताबी दुनिया में ही मस्त रहता था इस दुनिया की कोई फिक्र नहीं थी इसका नाम था समीर समीर और रीमा शिवाय के चाचा तेज सिंह के बेटे थे






    टीना अपने भाई को चढ़ाते हुए आगे भाग ही रही थी कि तब तक वह सामने एक आदमी से टकरा जाती है उसके टकराते ही वह डर से थर-थर कंपड़ने लगते हैं उसके निगाहें झुक जाती है पीछे आ रहे समीर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वह टीना के हाथ से डायरी ले लेता है और चुपचाप खड़ा हो जाता है वह आदमी गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है "राजकुमारी तुम्हें कितनी बार कहा है तुम इस पूरे साम्राज्य की राजकुमारी हो राजकुमारी ऐसे हस्ती चिल्लाती और आम लड़कियों की तरफ उछलती कूदती नहीं है, अपने अंदर थोड़ी सहूलियत लाओ"


    " यह थी तेज सिंह जो व्यवहार से बहुत खड़ूस और अकडू थे जो अपने बेटे और बेटी के खुशी के लिए कुछ भी कर सकते थे यह भी किसी शकुनी से काम नहीं थे इनका भी बस एक ही मोटिव था राजस्थान की सत्ता वह गुस्से भरी निगाह से समीर और टीना को देखते हैं फिर चुपचाप से वहां से चले जाते हैं ...। ।






    दूर खड़ी एक औरत यह सब देख रही थी वह आगे बढ़कर के कहती है टीना मेरे बच्चे पापा की बात का बुरा नहीं मानते वह तो ऐसे रहते ही हैं यह थी टीना और समीर की मां शिवानी शिवानी उम्र 40 साल गोरी छुट्टी और बिल्कुल गाय की तरह सीधी उन्होंने टीना का दर्द बंप लिया था वह तीन को गले से लगाकर चलते हुए कहती है चलो मैं तुम्हारे लिए तुम्हारा पसंदीदा खाना बनाया है आ जाओ साथ में खाते हैं यह कहकर वह टीना को लेकर वहां से चली जाती हैं इधर समीर भी अपनी डायरी उठता है और वहां से निकल जाता है ही था ओबेरॉय फैमिली राजस्थान में इनका रोला तो था ही पर पूरे इंडिया में भी उनके कारनामों के चर्चे होते रहते थे आगे और भी कैरेक्टर आएंगे हम आपको उनके साथ भी रूबरू कराते रहेंगे फिलहाल के लिए इतना काफी है

  • 2. n - Chapter 2 बड़ी गर्मी है न तुम्हारे अंदर..?

    Words: 1228

    Estimated Reading Time: 8 min

    दूसरी तरफ दिल्ली के एग्जाम हॉल में बैठे एक लड़की चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए अपने कलम को चलाए जा रही थी पेपर को देख करके वह मुस्कुरा रही थी और उसे लिखा जा रही थी थोड़ी देर में एक रिंग बजती है और प्रोफेसर सबके हाथों से पेपर ले लेता है ...



    वह लड़की मुस्कुराते हुए पेपर प्रोफेसर को देती है और खुशी से उछलते हुए एग्जाम हाल से बाहर आती है एग्जाम हॉल के बाहर खड़े सारे स्टूडेंट के चेहरे उतरे हुए थे पर उसके चेहरे पर चमक थी तब तक एक लड़का उसके पास आकर बोलता है तेरी खुशी बता रही है कि तू इस बार भी पेपर में टॉप करेगी और क्लियर कर लेगी ...।

    यह सुनकर वह लड़की मुस्कुराते हुए कहती है हां बस उम्मीद यही है पापा का सपना पूरा करना है ...

    या लड़की सनाया सभरवाल देखने में बहुत सुंदर थी एक बार कोई देखे तो देखता रह जाए उम्र 22 साल हाईट 5 फुट 3 इंच काली गहरी बड़ी आंखें पतली नाका और कैंडी की तरह प्यारे-प्यारे लिप्स और कमर तक आते उसके लंबे बाल उसकी खूबसूरती बखूबी बयां कर रहे थे और उसके माथे की माथे के बीचो-बीच तिल की एक पर छाई थी बिंदी की जगह पर भगवान ने उसे पहले ही काला टीका लगाकर भेजा था वह छोटा सा तेल उसके चेहरे पर चार चांद लग रहा था मानव भगवान ने बड़ी फुर्सत में उसे बनाकर बड़े नजाकत के साथ भेजा हो ...।





    शानयन उसे देखकर कहती है ""हां अगर तुम सब भी पढ़ लेते तो आज तुम्हारा भी पेपर अच्छा जाता जो तुमने साल भर पार्टी की है बुकतो"

    " अब यह सुनकर वह लड़का रवि मुस्कुरा कर बोलता है हा हा हम तेरी तरह पढ़ाकू नहीं है जो दिन भर किताबी कीड़ा बन रहे और वैसे भी तेरी पढ़ाई और ज्ञान की बातें हम सब से तो नहीं झेली जाती वह तो बस सत्यम ही झेल सकता था " "इतना बोलते ही उसे एहसास हुआ उसने अपनी बातों को रोक दी उसने बातों बातों में बहुत बड़ी बात बोलती थी जिसे सुनकर के सनाया की आंखें नम हो गई और उसकी आंखें आंसुओं से भारी उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी ।



    यह देख रवि सनाया के पीठ को थपथपाते हुए सहलाकर कहता है ""सनाया ब्रेथ एवरीथिंग इस ओके सनाया खुद को थोड़ी देर बाद नार्मल करती है और वह धीरे से बोलता है ""रवि अगर आज सत्यम होता तो क्या ही बात होती उसने ऐसा क्यों किया उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था ,उसे हमें छोड़कर नहीं जाना चाहिए था।




    यह कहकर वह जोर-जोर से रोने लगती है उसको सिसकियां लेता देखा रवि उसको गले से लगा लेता है और उसे कि सर पर हाथ फेरते हुए कहता है बच्चे तुझे पता है ना सत्यम को रोना और आंसू कभी पसंद ही नहीं थे वह तो हमें मुस्कुराते हुए देखना चाहता था और उसे आखिरी रात की बात भूल गई सत्यम ने क्या कहा था कि जब भी उसे याद करना हमेशा मुस्कुराते हुए याद करना उसके लिए ही सही पर रो तो मत..।




    का सुनाया यह सुनकर के अपने आंसुओं को पहुंचती है और अपना सर उठाकर रवि की तरफ देखते हुए हल्का सा मुस्कुरा देती है दूर खड़ा एक इंसान उन दोनों को देख रहा था वह एक पिक्चर निकालकर सीधा किसी को भेज देता है

    मैं दूसरी तरफ शिवाय अपने कमरे में बैठा होता है तब तक उसका फोन रिंग करता है वह अपना फोन उठा कर देखता है तो एक मैसेज आया हुआ था और जैसे ही अपना फोन खोलत है ""उसकी आंखें गुस्से से लाल हो जाती है और उसकी नशे मानव तांसी गई हो वह दांत पीसते हुए कहता है " "बहुत बहुत पछताओगी तुम्हें मैं बहुत दर्द दूंगा जिसकी तुमने कल्पना मात्र भी नहीं किया होगा हर रोज तुम्हें मौत का सामना कर आऊंगा बहुत गर्मी है ना तुम्हारे शरीर में सारी गर्मी निकाल दूंगा बहुत शौक है ना दूसरों का बिस्तर गर्म करने की तुम्हें तुम्हारे काम में ही ना नरक बना दिया तो मेरा नाम भी शिवाय नहीं "




    "यह कहकर गुस्से में अपना फोन खींच कर दीवाल पर मार देता है जिससे वह फोन टूट कर चकनाचूर हो जाता है और डेविल मुस्कान के साथ जोर-जोर से हंसते हुए कहता है काउंटडाउन शुरू मैडम कुछ देर में तुम मेरी कैद में होगी हा हा या का कर वह तेजी से हंसने लगता है।




    दूसरी तरफ शनाया अपने पीजी में आई हुई थी उसने अपना सारा सामान पैक कर लिया था वह आप यहां से जा रही थी वह जाते हुए अपने पुराने मूवमेंट को याद करती और उसे मिस कर रही थी और घर को देखकर कहती है यहां पर मैं 4 साल बिठाया है अच्छे दोस्त बने हैं और इस घर में सत्यम का एहसास मुझे दिल दिल कर मारे जा रहा है मैं उससे दूर नहीं जा पा रही हूं बेहतर यही है कि मैं यहां से चली जाऊं और सत्यम तुम हमेशा मेरे एहसास में जिंदा रहोगे ...।





    यह कह कर वो अपने आंसुओं को पूछता और अपना लगेज उठकर बाहर आ जाती है सड़क पर खड़ी वह ऑटो का इंतजार कर रही होती है की तब तक एक टैक्सी आकर के सामने रुक जाती है उसे देख सनाया थोड़ा पीछे हटते हुए आश्चर्य से देखती है उसे टैक्सी से एक आदमी बाहर निकाल कर आता है सनाया सभरवाल आप ही है जी हमें है आप कौन अरे हमें आपके चाचा शेखर साबरवाल ने भेजा है आपके घर ले जाने के लिए आए हैं यह सुनते ही सनायक खुश हो जाती है और जल्दी से गाड़ी में बैठ जाती है
    ...


    वह आदमी गाड़ी को लेकर के सीधा चलने लगता है थोड़ी देर बाद सहायक को एहसास होता है कि वह गाड़ी दूसरे दिशा में जा रही है उसका घर तो विपरीत दिशा में है वह ड्राइवर के कंधे पर आ सकते हुए कहती है भैया आप गलत कलेक्शन में गाड़ी लेकर जा रहे हैं घर तो उसे साइड है ना आप यह क्या कर रहे हैं किधर लेकर जा रहे हैं गाड़ी इतना कहते ही वह गाड़ी वहीं पर रुक जाती है और वह आदमी पीछे मुड़कर सुनाएं के मुंह पर क्लोरोफॉर्म मार देता है जिसके बाद सनाया बेहोश हो जाती है , सनाया गाड़ी के सीट पर बेहोश पड़ी थी वह आदमी यह देखकर के अपना फोन निकलता है और फोन करते हुए कहता है सर काम हो गया है आपके बताए हुए जगह पर मैं आ गया हूं आगे क्या करना है वह आदमी अपनी कड़क आवाज में बोलता है थोड़ी देर बाद वह लोग तुम्हारे पास आ जाएंगे तुम उसे लड़की को उन्हें शॉप देना यह कहकर वह फोन काट देता है और एक डरावनी मुस्कान के साथ हंसते हुए कहता है कैद मुबारक हो सनाया सभरवाल।




    थोड़ी देर में वहां एक तांगा आता है टांगे( हर्ष कार्ट घोड़ा गाड़ी) के रुकते ही सनी उसमें से बाहर आता है रूही को एक बैग में रखते हुए तांगे पर रख देता है तांगा मतलब घोड़ा गाड़ी और अपना फोन निकाल कर शिवाय को टेक्स्ट करते हुए कहता है सर आपका काम हो गया और किसी को पता भी नहीं चला यह कहकर वह तांगे वाले से आगे चलने के लिए कहता है इधर शिवाय जो बस बेसब्री शनाया का इंतजार कर रहा था और गुस्से मे कहता है आओ मैं सुनाया तुम्हें नरक का द्वार न दिखा दिया तो मेरा नाम भी शिवाय नहीं

  • 3. - Chapter 3 मुझे जाने दो ...

    Words: 1536

    Estimated Reading Time: 10 min

    थोड़ी देर बाद शनाया को होश आता है और खुद को एक घर में एक बिस्तर पर पाती है उसका सर भारी हो रहा था वह अपने सर को कसकर दबाते हुए अपने अगल-बगल देखी है चीज उसे नहीं लग रही थी तब तक उसे अचानक से एहसास होता है कि उसके साथ क्या हुआ था वह हड़बड़ा कर चारों तरफ देखने लगती है

    ।।।


    बेड से नीचे उतरकर सामने दरवाजे की तरफ भागती है बाहर पूरी तरीके से अंधेरा छाया हुआ था वह अंदाजा लगाकर सीडीओ पर पैर रखते हैं जल्दी-जल्दी नीचे आती है और तब तक वह भाग रही होती है कि वह किसी से टकरा जाती है जैसे ही वह उसे टकराती है वह जमीन पर गिर जाती है और वह डर कर हर बढ़ाते हुए कहती है कौन कौन है आप प्लीज मुझे जाने दीजिए कहां कहां लेकर आए हैं मुझे..?




    पर वह आदमी कुछ नहीं बोलता और धीरे-धीरे शनाया की तरफ बढ़ रहा था उसे आदमी के पैरों की आहट और हल्की सी उसकी परछाई देख शनाया या अपने आप को पीछे किया जा रही थी और देखते ही देखते शनाया सीडीओ से टकराती है वह आदमी शनाया के पास आकर के उसके मुंह को पकड़ लेता है और अपना पूरा दम लगाते हुए गुस्से से कहता है"


    " तुमने जो किया उसके बाद तुम्हें जाने दो इतनी आसानी से..?




    शनाया को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था चलते हुए उसके हाथ को अपने मुंह के पास से दूर करते हुए कहती है छोड़ छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है पर वह आदमी शनाया की एक भी नहीं सुनता और गुस्से में शनाया के बालों को पकड़ लेता है और कसकर घसीटते हुए सीडीओ से ऊपर ले जाने लगता है शनाया दर्द से चिल्लाती अपने हाथ पैर को झांकते हुए चल रही थी छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है क्यों कर रहे हो ऐसा प्लीज मुझे जाने दो पर वह आदमी शनाया एक नहीं सुनता उसे कसकर पढ़ते हुए सीधा ऊपर की कमरे की तरफ ले जाने लगता है कमरे में ले जाकर उसे उठाकर बेड पर पटक देता है बेड पर गिरते ही सनाया को जोर का चोट लगता है वह खुद को संभालते हुए चिल्लाकर रोने लगती है और रोते हुए कहती है प्लीज मुझे जाने दो क्यों लेकर आए हो मुझे यहां क्या किया है मैंने प्लीज तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं मुझे जाने दो प्लीज मुझे जाने दो पर वह आदमी शनाया की एक भी नहीं सुनता वह आदमी शनाया के करीब जाकर उसके कान के पास कोल्ड वॉइस में बोलता है इतनी आसानी से नहीं अब तुम मेरी हो तुम्हारे साथ में वह सब करूंगा जिसकी तुमने कल्पना नहीं की है यह सुनते ही सनाया के माथे पर पसीना आ जाता है वह और जोर-जोर से रोने लगती है रोते हुए गिड़गिड़ा कर कहती है प्लीज मुझे जाने दीजिए आई रिक्वेस्ट यू प्लीज मुझे जाने दीजिए यह सुनते ही वह आदमी मुस्कुराकर कहता है तुम्हें दर्द में देखकर कितना सुकून मिल रहा है मैं तुम्हें बात नहीं सकता एक बात याद रखो अब तुम्हें यही रहना है पूरी जिंदगी मेरी कैद में सनाया डर कर धीरे-धीरे बैठकर दूसरे छोर पर जा रही थी यह देखकर के सिवाय गुस्से में उसका पैर पड़कर अपनी तरफ खींच लेता है और उसके पैरों के ऊपर अपने घटीले पर को रखकर कस के दबा देता है शिवाय का पैरों का भार इतना था कि शनाया खुद को उसके चंगुल से छुड़ा नहीं सकती थी वह अपने पैरों को पूरे जबरदस्ती तरीके से निकलने में लगी थी और जोर-जोर से रोए जा रही थी यह देख शिवाय अपने शर्ट की बटन खोलने लगता है और अपने शर्ट को निकाल कर बगल में फेंक देता है सनाया को यह एहसास होता है और वह अब और ज्यादा छटपटा रही थी यह देख शिवाय और तेजी से हंसते हुए उसके ऊपर के कपड़ों को खींचकर निकाल देता है कि देख सनाया जोर-जोर से रोने लगती है और अपने हाथों से अपने शरीर को ढकने लगती है






    और गिरगिट आते हुए कहती है प्लीज यह मत करो मुझे जाने दो ऐसा कैसे कर सकते हो तुम पर वह उसका एक भी बात नहीं सुनता और वह देखते ही देखते अपना सारा कपड़ा निकाल कर नीचे फेंक देता है और सनाया के भी कपड़े शरीर से अलग कर देते हैं सनाया अब जोर-जोर से रो रही थी वह अपने शरीर को सहायक के पैरों के ऊपर रख देता है और अपने हाथ से सुनाया के दोनों हाथों को कस करके कमर के पास लाकर पकड़ लेता है और अपने मुंह को उसके पीठ पर ले जाते हुए कहता है वह तुम्हें तो इसकी आदत है ना तुम तो यह रोज करती हो तो मेरे साथ क्यों नहीं सनाया रोते हुए कहती है क्या कह रहे हैं आप प्लीज मैसेज आने दीजिए और वह जोर-जोर से चिल्लाने लगती है शनाया को इस कदर चिल्लाता देख शिवाय पास में पड़े कपड़े को उठाकर सलाह के मुंह में भर देता है और सनाया के शरीर पर जगह-जगह किस करने लगता है उसकी चुभन से सनाया को बहुत बुरा लग रहा था सनाया अपनी बॉडी को अपने पूरे शक्ति लगाकर उसे दूर करना चाहती थी पर वह यह करने में आशाए थीसुनाया सोए जा रही थी और वह सनायक को देखते ही देखते पलट देता है और उसके हाथों को कसकर पढ़ते हुए उसके पूरे शरीर पर अपने होठों के निशान देने लगता है उसके नाजुक हिस्सों को कसकर मसाले लगता है और देखते ही देखते हुए उसके कमर के नीचे आकर के अपने होठों का इस्तेमाल करने लगता है जिसके बाद सनाया बहुत छटपटा रही थी वह अपने पैरों को दोनों तरफ से सताते हुए वह शिवाय को कस करके धक्का मरती है सिवाय को जैसे ही उसके पैरों से चोट लगती है वह गुस्से में उसके पैरों को कसकर दबाते हुए कि तुमने सही नहीं किया यू वांट मी टू मोर डोमिनेटिंग लेट'एस दो आईटी कहकर वह अपने के की रफ्तार और तेज कर देता है और अपनी उंगलियों को सनाया अपने शरीर को झटक रही थी पर वह बेबस थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बस वह रोज आ रही थी इधर शिवाय पास पर चादर को उठाकर अपने ऊपर डाल देता है और हवनो की तरह सनाया के ऊपर चढ़ जाता है और वह दरिंदगी की सारी हदें पार कर देता है वह लगातार सेवा सनाया के ऊपर कुछ करो तक चढ़ा रहता है और वह पागलों की तरह उसके होठों को किस किया जा रहा था कि तो नहीं कहूंगा वह उसके होठों को चबाए जा रहा था जिसकी वजह से शनाया को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था और उसके होंठ भी कट गए थे पर शिवाय कोई सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था उसके होंठ सनाया के होठों को इस कदर चढ़े हुए थे कि उसके अंदर से आ रही सारी आवाज उसके गलत तक ही रुक जाती थी शिवाय अपने दूसरे हाथ से सनाया के नाजुक हिस्सों को कुछ इस कदर मसल रहा था






    कि मानो वह कोई खिलौना हो लगातार कुछ घंटे सुनाएं के ऊपर लगे रहने के बाद शिवाय को एहसास होता है कि सनाया बेहोश हो चुकी है उसके शरीर में कोई मूवमेंट नहीं है यह देख वह उसके ऊपर से उठ खड़ा होता है पास में पड़े चादर को उसके ऊपर फेंकते हुए वॉशरूम में चला जाता है वहां पर जाकर के वह पास में पड़े टिशू पेपर को उठना है और अपने पूरे शरीर को साफ करते हुए बाथरूम को पहन कर बाहर आता है और कमरे को बाहर से बंद करके चला जाता है करीब रात के 2:00 रहे थे सनाया को धीरे-धीरे होश आता है चांद की चांदनी खिड़कियों से सुने के बेड पर आ रही थी शनाया उसे रोशनी की वजह से उठ जाती है और वह जैसे ही अपने शरीर पर हाथ लगती है उसे एहसास होता है कि उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं है जिसकी वजह से वह और जोर-जोर से रोने लगती है और वह उठने की कोशिश कर रही थी पर उसके शरीर में हो रहे असहनीय पीड़ा उससे मजबूर कर रही थी वह कोशिश करके उठाती है और धीरे-धीरे स्विच बोर्ड को ढूंढने लगते हैं थोड़ी देर में शकत करने के बाद उसे स्विच बोर्ड मिल जाता है और वह उसको जलते हुए पास में पड़े उसे सफेद चादर को खुद से लपेट लेती है और वॉशरूम में चली जाती है वॉशरूम में जाकर के अंदर से लॉक करते हुए वह शीशे में खुद को देखते हैं उसकी आंखें रो रो के सूज गई थी उसके होंठ पूरी तरीके से जख्मी हो गए थे उसके शरीर पर जगह-जगह काले निशान पड़ गए थे दांत और नाखूनों के निशाने को देखकर के शनाया को बहुत रोना आ रहा था वह पास में चीजों को उठाकर के खुद का शरीर रगड़ने लगती है वह किसी भी तरीके से उसके शरीर से आ रही है उसे इंसान की खुशबू को मिटा देना चाहती थी सनाया ने अभी तक उसे इंसान का चेहरा नहीं देखा था और उसने इसके साथ न जाने क्या-क्या कर दिया यह सब सोच सोच के सुनाई को बस रोना आ रहा था खुद के ऊपर इतना हर्ष होने की वजह से उसके शरीर में और कट लग गए थे धीरे-धीरे खून कट से बी रहा था

  • 4. - Chapter 4 हैवानियत की सारी हद पर कर दी

    Words: 1233

    Estimated Reading Time: 8 min

    (गैस, माफ़ी चाहूंगा आप लोगों को यह सब पढ़ना पड़ रहा है। पर कहानी को बिना पढ़े, उसके कंक्लूजन पर पहुंच जाना अभी सही नहीं है, न? हां, मैं मानता हूं कि यह रेप क्राइम जैसा लग रहा है, पर इनकमिंग डेज़ चीज़ें चेंज होंगी। विलन भी बदल सकता है, हीरो भी बदल सकता है। चीज़ों की सज़ा मिलती है और बहुत सी बातें सामने आएंगी। हो सकता है कि आगे चलकर शिवाय को यह एहसास हो कि उसने जो किया वह गलत था।
    मैं मानता हूं कि कहानी की शुरुआत थोड़ी हेक्टिक है, पर मैं इस कहानी को और इंटरेस्टिंग और रोमांस भरा बनाने की पूरी कोशिश करूंगा।
    मेरा कहानी लिखने का उद्देश्य रेपिस्ट को बढ़ावा देना या रेप को ग्लोरिफाई करना नहीं है। मेरा उद्देश्य है आपको एंटरटेन करना।
    और हां, गलत सोच रखने वालों को भी सज़ा मिलती है।
    यह पूरी फिक्शनल स्टोरी है, इसका कोई वास्तविकता से लेना-देना नहीं है।
    अगर इस कहानी से आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, तो मैं उसके लिए माफ़ी चाहता हूं।
    मैं इस कहानी को और अच्छा, और सबकी समझ के लायक बनाने की पूरी कोशिश करूंगा।
    उम्मीद करता हूं कि आप भी इसमें हमारा साथ देंगे और कहानी के 24 एपिसोड पढ़ने के बाद ही जज करेंगे।
    थैंक यू सो मच।)

    शनाया के शरीर में अब इतनी ताकत नहीं बची थी कि वह खुद को और ज़्यादा साफ़ कर सके। वह थक-हारकर दरवाजे के कोने में बैठकर रोने लगती है। शरीर में दर्द इतना ज़्यादा था कि उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था, और रोते-रोते कब उसकी आंख लग जाती है, उसे भी पता नहीं चलता।

    दूसरे दिन सुबह के 8:00 बजे थे। रिसोर्ट में पूरी तरह सन्नाटा छाया हुआ था। शिवाय कमरे में आता है, और जैसे ही दरवाज़ा खोलता है, उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। शनाया कमरे में कहीं नहीं होती। उसे लगता है शनाया भाग गई है। गुस्से में दांत पीसते हुए वह कहता है, "तुमने सही नहीं किया शनाया।"

    तभी उसका ध्यान बाथरूम की तरफ़ जाता है। वह आगे बढ़कर बाथरूम के दरवाज़े पर खटखटाने लगता है। दरवाज़ा अंदर से बंद था। यह देखकर वह एक डेविल मुस्कान के साथ कहता है, "मुझे पता है, तुम नहीं भाग सकती।" और गुस्से में दरवाज़े को पीटते हुए कहता है, "सुन लड़की, बाहर आ जा, वरना मैं इस दरवाज़े को तोड़ दूंगा…।"

    दरवाज़े की खटखटाहट से शनाया की नींद टूट जाती है। शनाया यह सुनते ही, कल रात हुई भयावह चीज़ों को याद करते हुए ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है, और धीरे-धीरे गिरते हुए एक साइड में आ जाती है। उसके अंदर अब इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह दरवाज़ा खोल सके। इधर शिवाय दरवाज़े को लगातार पीटता जा रहा था, पर शनाया उसे खोलना नहीं चाहती थी।

    तब तक शिवाय का ध्यान बेड की तरफ़ जाता है। उसे उस पर पड़ी खून की छींट दिखाई देती है। यह देखकर वह गुस्से में कमरे से बाहर चला जाता है। अपना फोन निकालते हुए किसी को कॉल करता है और कहता है, "Are you f***ing idiot? तुमने तो कहा था वह लड़की सबके साथ है, पर वह तो वर्जिन थी!"
    फोन के उस तरफ़ से आवाज़ आती है, "सर, ऐसा कैसे हो सकता है? मैं सच बोल रहा हूं। आप फिर से चेक करिए। ये पॉसिबल ही नहीं है।"
    यह कहकर वह लड़का फोन काट देता है।

    शिवाय गुस्से में अपना फोन दीवार पर मार देता है। फोन टूटकर चकनाचूर हो जाता है। वह चलते हुए अपने हाथ को कसकर दीवार में मारता है और कहता है, "यह तुमने सही नहीं किया शिवाय। अगर वह सच में वर्जिन निकली तो…" यह कहते हुए वह फिर से कमरे की तरफ़ भागता है।

    कमरे में जाकर उसका ध्यान बाथरूम की तरफ़ जाता है। बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था। यह देखकर वह गहरी सांस लेते हुए आगे बढ़ता है। तभी उसे एहसास होता है कि कमरे के बेड के कोने में शनाया बैठी हुई थी। वह उसके पास जाकर उसके चेहरे की तरफ़ ग़ौर से देख रहा था। तब तक उसका ध्यान उसके हाथों और शरीर पर पड़े छोटे-छोटे कट पर जाता है, जहां से हल्का-हल्का खून निकल रहा था।

    यह देखकर उसका गुस्सा फिर से हाई हो जाता है। वह अपने मन में कहता है, "मैं फालतू का सोच रहा था! यह लड़की भला वर्जिन... न, न, यह तो न जाने कितनों के साथ हमबिस्तर हुई है।"
    वह शनाया की तरफ़ बढ़ते हुए कहता है, "कल रात का सेशन कैसा था? उम्मीद है तुम्हारे उन आशिकों से बहुत बेहतर हूं मैं। चुपचाप से बस अपना काम करती जाओ, वरना तुम्हारी ज़िंदगी नरक बना दूंगा। तुमने जो किया है, उसकी सज़ा तो तुम्हें मिलेगी। यहां से बचकर जाने की सोचो भी मत। चुपचाप से कपड़े पहनो और नीचे आओ। मुझे भूख लगी है।"

    शनाया दूसरी तरफ़ देख रही होती है। उसकी आंखों से सिर्फ़ आंसू बह रहे थे। वह चुपचाप बैठी रहती है। शिवाय वहां से उठकर चला जाता है। इधर वह टेबल पर खाना लेकर बैठा होता है और शनाया का इंतज़ार कर रहा होता है। जब शनाया अपने कमरे से बाहर नहीं आती, तो शिवाय को बहुत गुस्सा आता है। वह दांत पीसते हुए कहता है, "इस लड़की ने मुझे हल्के में ले लिया है। इसे समझाना पड़ेगा कि शिवाय क्या चीज़ है।"

    यह कहकर वह उठ खड़ा होता है, खाना अपने साथ ले जाता है और सीधे उसके कमरे में चला जाता है। खाना शनाया के आगे पटकते हुए कहता है, "मैं तुमसे बोला था ना, खाना खाने के लिए आ जाना। और तुम नहीं आई? बहुत शौक है ना एटीट्यूड दिखाने का? इसकी भी सज़ा मिलेगी। तुमने शिवाय सिंह ओबेरॉय को क्या समझ रखा है? मैं तुम्हारा कोई चलता-फिरता आशिक नहीं हूं।"

    यह कहकर शिवाय अपनी जेब से चाकू निकालता है और शनाया के हाथों को टेबल पर रखते हुए चारों तरफ़ से घूमने लगता है। चाकू को अपने हाथों के पास घूमते देखकर शनाया की रूह कांप जाती है। वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए कहती है, "मत करो! छोड़ दो मुझे! क्यों कर रहे हो ऐसा?"
    शिवाय कहता है, "तुम्हें खाना तो खाना ही पड़ेगा। अगर नहीं खाओगी, तो आज तुम्हारी उंगलियों को काट के फेंक दूंगा!" यह कहकर वह चाकू की रफ्तार तेज़ कर देता है।

    शनाया का हाथ कट जाता है। उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। रोने की वजह से उसका चेहरा पूरा लाल पड़ गया था। वह धीरे से सर झुकाते हुए कहती है, "ठीक है, मैं खाती हूं खाना।"
    यह कहकर वह प्लेट उठाती है और जल्दी-जल्दी सारा खाना खा लेती है। देखते ही देखते वह खाना खत्म कर देती है, प्लेट साइड में रखती है और पानी का गिलास उठाकर पानी पी जाती है।

    यह देखकर शिवाय मुस्कुराते हुए कहता है, "गुड गर्ल। अब तुम तैयार हो, हमें फिर से वही करना है।"
    यह सुनकर शनाया अपने हाथ जोड़ते हुए कहती है, "प्लीज़ मत करो। मेरे अंदर अब हिम्मत नहीं है।"

    पर वह उसकी एक नहीं सुनता। वह अपने कपड़े निकालकर नीचे रख देता है। शिवाय को अपने सामने निर्वस्त्र देख शनाया अपनी आंखें बंद कर लेती है। उसे इस कदर आंखें बंद करते देख शिवाय डेविल मुस्कान के साथ कहता है, "क्यों? तुम्हें तो इन सब चीज़ों की आदत है ना? तुम तो न जाने कितनों को हर दिन देखती रही हो। तो शर्म किस बात की?"

    यह कहकर वह उसका हाथ कसकर पकड़ लेता है। शनाया रोते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहती है, "भगवान के लिए मुझे छोड़ दो!"
    पर शिव

  • 5. Chapter 5 चाकू का खेल

    Words: 1028

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह सुनते ही शनाया को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कह रहा है। वह बस ज़ोर-ज़ोर से रोए जा रही थी। उसकी इस कदर हालत देख, शिवम अपने पैंट से बेल्ट निकालता है और शनाया के हाथों में बांध देता है। ऐसा करते हुए वह उसे उठाकर बेड पर पटक देता है। दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर वह राक्षसों की तरह शनाया के पूरे शरीर को छूने लगता है।

    चूमना तो कम, वह जैसे उसे काट खाने को तैयार था। उसके दांतों की चोट शनाया के लिए असहनीय हो रही थी। वह चिल्ला रही थी, बिलख रही थी, गुहार लगा रही थी, पर शिवम को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह बस हैवानियत की सारी हदें पार कर देना चाहता था। वह शनाया के शरीर को उल्टा कर देता है और उसके ऊपर चढ़ते हुए, हैवानों की तरह उसके अंदर ज़बरदस्ती करने लगता है।

    इस प्रक्रिया से शनाया को और ज़्यादा दर्द हो रहा था। कल रात के बाद से उसने थोड़ा ही खाना खाया था, इसलिए यह सब उसके लिए असहनीय हो गया था। वह बस रोए जा रही थी, खुद को पटक रही थी, पीड़ा में बिलख रही थी। लगातार शिवम के रफ बर्ताव के कारण शनाया फिर से बेहोश हो जाती है।

    जब उसके शरीर में ठंडक आ गई और कोई हलचल नहीं दिखी, तब शिवम को महसूस हुआ कि अब उसमें कोई मूवमेंट नहीं है। वह उसे छोड़ देता है और पास पड़ी सफेद चादर को उठाकर उसके ऊपर फेंक देता है और वहां से उठकर कमरे से बाहर चला जाता है।

    शाम के 7:00 बजने वाले थे। शनाया को धीरे-धीरे होश आता है। उसके शरीर में हो रही असहनीय पीड़ा अब उसके लिए कष्टदायी बन रही थी। वह अपने आप को इस कदर बिखरा हुआ महसूस कर रही थी कि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह अब भी ज़िंदा है।

    उसने धीरे से बेड से नीचे कदम रखा और खड़े होने की कोशिश की, पर शरीर में दर्द कुछ इस कदर दौड़ गया कि वह फिर से बेड पर बैठ गई। वह रोते हुए भगवान की तरफ देखकर कहती है, "क्या गलती थी मेरी? किस गलती की सज़ा दे रहे हो? मैं जिस चीज़ को पूरी ज़िंदगी संभाल कर रखी, जिस चीज़ के लिए मैंने किसी लड़के को नज़र उठा कर नहीं देखा, आपने उसे इस कदर छीन लिया? मैं विश्वास नहीं कर सकती।"

    यह कहकर वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है। सामने शीशे में खुद को देख वह अपने आप से नफ़रत करने लगती है। फिर खुद को देखते हुए कहती है, "नहीं! मैं हार नहीं मान सकती। मैं पुलिस ऑफिसर बनने जा रही हूं। अगर मैं आज हार मान गई, तो कल इन राक्षसों का सफाया कैसे करूंगी? शिवाय सिंह ओबेरॉय, तुमने जो मेरे साथ किया, उसकी सज़ा मैं तुम्हें दूंगी। मैं तुम्हें इस चीज़ के लिए कभी माफ नहीं करूंगी। पर उससे पहले मुझे यहां से निकलना होगा।"

    यह कहकर वह जबरदस्ती बेड से उठती है और कपड़ों की तलाश करने लगती है। सामने वॉर्डरोब को जब वह खोलती है, तो उसे अपना लगेज दिखता है। यह देखकर वह समझ जाती है कि उसके साथ उसका सामान भी यहां लाया गया था। वह उसे खोलती है।

    उसमें से एक सिंपल सी कुर्ती पहन लेती है और नीचे प्लाज़ो पहनने के बाद अपने बालों को बांध लेती है। अपने बैग से पेनकिलर निकालकर खाती है और सीधा नीचे की ओर जाने लगती है। सीढ़ियों से नीचे आते हुए उसका ध्यान बाहर गार्ड्स की तरफ जाता है। वहां सैकड़ों गार्ड्स खड़े थे। उनके बीच से बाहर निकल पाना मुमकिन नहीं था।

    शनाया गार्ड्स को देखकर एक पिलर के पीछे छुप जाती है। वह अपनी निगाहें चारों तरफ दौड़ा रही थी, इस उम्मीद में कि उसे यहां से भागने का कोई मौका मिल जाए। तब तक उसका ध्यान किचन की तरफ जाता है। कुछ गार्ड्स किचन से कुछ बॉक्स उठाकर बाहर ले जा रहे थे।

    वह समझ जाती है कि उसे अब क्या करना है। वह दबे पांव किचन की तरफ जाने लगती है और उनकी आंखों में धूल झोंकते हुए वह किचन में पहुंच जाती है। पास में पड़े बड़े से कार्डबोर्ड बॉक्स को देखकर वह उसके अंदर का सामान बाहर निकालती है और खुद उसमें बैठ जाती है। अपने हाथों को अपने दांतों के बीच रखकर वह बस रोए जा रही थी और भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि वह यहां से किसी तरह निकल जाए।

    थोड़ी देर में गार्ड्स वह बॉक्स उठा लेते हैं और उसे ले जाकर ट्रक में डाल देते हैं। इसके बाद ट्रक का गेट बंद हो जाता है। गेट बंद होने के बाद शनाया को कुछ राहत की सांस मिलती है। वह खुद से कहती है, "मुझे बस यहां से किसी भी तरह निकलना है। और इससे पहले मुझे यह जानना होगा कि मैं हूं कहां।"

    इस समय उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह जाए तो जाए किधर। तभी ट्रक अचानक स्टार्ट हो जाता है। शनाया को लगता है कि वह आज़ाद हो चुकी है। वह एक उम्मीद के साथ ट्रक में बैठी रहती है और ट्रक धीरे-धीरे अपनी रफ्तार पकड़ लेता है।

    दूसरी तरफ शिवाय रिसॉर्ट वापस आता है। रात के 8:00 बज चुके थे। वह सीधा शनाया के कमरे की तरफ बढ़ता है। वहां जाकर वह बिस्तर को खाली देखता है, तो उसे लगता है कि शनाया शायद बाथरूम में गई होगी। जब वह बाथरूम की तरफ जाता है और दरवाज़ा खुला देखता है, तो अब उसे हैरानी होती है। अब उसे समझ आ जाता है कि शनाया कमरे में नहीं है।

    वह दांत पीसते हुए कहता है, "लड़की, तुमने सही नहीं किया। इसका परिणाम तुम्हें भुगतना होगा।"

    शिवाय गुस्से में कमरे से बाहर चला जाता है। उसकी आंखें गुस्से से लाल हो रही थीं। वह चिल्लाते हुए सारे गार्ड्स से पूछता है, "तुम्हारे होते हुए वह लड़की यहां से भाग कैसे गई? क्या इसलिए तुम सबको यहां खड़ा किया था?"

    सारे गार्ड्स अपना सिर नीचे कर लेते हैं। शिवाय और ज़ोर से चिल्लाता है, "अभी के अभी पूरे महल की तलाशी लो! मुझे वह लड़की चाहिए — अभी के अभी!" यह कहकर वह गुस्से में बड़बड़ाता है। उसके चिल्लाने से सारे गार्ड्स महल की तलाशी लेने के लिए दौड़ पड़ते हैं

  • 6. Chapter 6 भगा कर जाओगी कहा आना तो यही है

    Words: 905

    Estimated Reading Time: 6 min

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    तब तक गार्ड सरकार से कहते हैं, "सर, वह लड़की महल में कहीं भी नहीं है। हमने चारों तरफ देख लिया है।"

    यह सुनते ही शिवाय गुस्से में चिल्लाकर कहता है,
    "आखिर वह बाहर गई तो गई कैसे? आज सुबह क्या हुआ था, मुझे सारी बात बताओ!"

    तो गार्ड सुबह हुई सारी घटना शिवाय को बताते हैं। शिवाय सब कुछ समझ जाता है और एक डेविल मुस्कान के साथ अपना फोन निकालते हुए कहता है,
    "सुनो, अभी के अभी ट्रक को वापस लेकर आओ!"

    इसके बाद वह फोन काट देता है और अपने आदमी को इशारा करता है। उसके आदमी देखते ही अंदर से उसके लिए सिंहासन लेकर आते हैं और उसे उस पर बैठा देते हैं। शिवाय अपने हाथ को मसलते हुए बस घुमा रहा था। गुस्से में उसकी आंखें मानो आग उगल रही थीं।

    वह गुस्से में लाल अपने पैर झुला रहा था और कहता है,
    "तुमने सही नहीं किया। तुम्हें तो मैं मौत से भी बदतर सज़ा दूंगा। तुम अब तड़पोगी! शिकायत कर के भागने की कोशिश की, आज तो तुम भाग गई, पर वादा है मेरा—अब दोबारा अपनी मर्ज़ी से हवेली के बाहर कदम भी नहीं रख पाओगी!"

    यह कहकर वह एक शैतानी मुस्कान के साथ मुस्कुराता है और फिर अपने फोन में लग जाता है। थोड़ी देर में ट्रक आकर रुक जाती है। ट्रक रुकते ही शनाया राहत की सांस लेते हुए कहती है,
    "शायद ट्रक किसी ढाबे पर रुका है। मुझे चुपचाप यहां से निकल जाना चाहिए।"

    यह कहकर वह अपने डब्बे से बाहर आने लगती है। पर जैसे ही वह उठ खड़ी होती है, ट्रक का दरवाज़ा खुल जाता है। दरवाज़ा खुलते ही वह तुरंत नीचे बैठ जाती है और खुद को डब्बे में छुपा लेती है।

    शिवाय के आदमी हर डब्बे को एक-एक करके बाहर निकालते हैं और तलाशी लेते हैं, पर शनाया कहीं नहीं दिखती। तब शिवाय गुस्से में ट्रक के अंदर चढ़ जाता है।

    शिवाय को चढ़ता देख शनाया अपने हाथों से अपना मुंह दबा लेती है। उसकी सिसकियां बाहर आ रही थीं, पर वह खुद को रोके जा रही थी।

    शिवाय हंसते हुए कहता है,
    "मुझे पता है, तुम यहीं पर हो। चुपचाप बाहर आ जाओ, वरना मैं इस पूरी ट्रक को आग लगा दूंगा!"

    शनाया शिवाय की कोई बात नहीं सुनती, बस चुपचाप बॉक्स में पड़ी रहती है। यह देखकर शिवाय अपने आदमी से माचिस मांगता है और धीरे से बॉक्स में आग लगा देता है।

    आग की बढ़ती लपटें देखकर शनाया चिल्ला कर बॉक्स से बाहर आ जाती है और ट्रक से बाहर भागने लगती है। वह कूदने ही वाली थी कि शिवाय उसे कसकर पकड़ लेता है और गले को दबाते हुए कहता है,
    "जुर्रत कैसे हुई तुम्हारी यहां से भागने की? तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हें जाने दूंगा? जिन पैरों से तुम गई हो, मैं वही तोड़ दूंगा!"

    यह कहकर वह उसके बालों को कसकर पकड़ लेता है और बेरहमी से खींचते हुए अंदर ले जाने लगता है।

    शनाया ज़ोर-ज़ोर से रोते हुए गिड़गिड़ाती है,
    "प्लीज़, माफ कर दीजिए! मुझे जाने दीजिए! आगे से ऐसा नहीं करूंगी, आप जो कहेंगे, मैं सब करने को तैयार हूं। प्लीज़!"

    पर शिवाय उसकी एक नहीं सुनता। वह उसे खींचते हुए सीधा कमरे में ले जाता है। दरवाज़ा बंद करके उसे बेड पर फेंक देता है और गुस्से में कहता है,
    "बहुत पर निकल आए हैं ना? बहुत जान है इन टांगों में? आज इंसानों का वो हाल करूंगा कि दोबारा बाहर निकलने की सोच भी नहीं सकोगी!"

    यह कहकर वह उसके पैरों में बेल्ट की तरह कपड़ा बांध देता है और उसके पैरों पर पीड़ा देने लगता है। शनाया की चीखें महल में गूंज रही थीं, पर किसी की हिम्मत नहीं थी कि आकर उसे बचा सके।

    वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी, माफी मांग रही थी,
    "मैं अब कभी बाहर नहीं जाऊंगी, प्लीज़ मुझे छोड़ दो!"

    तब तक शिवाय की निगाह उसके लगेज पर जाती है। उसमें पुलिस ऑफिसर की वर्दी देखकर वह डेविल मुस्कान के साथ कहता है,
    "तो ये है ना तुम्हारा सपना! इसी का जोश था तुम्हारे अंदर! आज उसी जोश को खत्म कर दूंगा!"

    यह कहकर वह लाइटर निकालता है और वर्दी में आग लगा देता है। देखते ही देखते वह वर्दी शनाया की आंखों के सामने जल जाती है।

    वह ज़ोर-ज़ोर से रोती हुई कहती है,
    "प्लीज़ उसे मत जलाओ, वह मेरे पापा की आख़िरी निशानी है!"

    पर शिवाय उसकी एक भी बात नहीं सुनता। वर्दी जलकर राख हो जाती है। यह देख शनाया ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है। वह चलकर फटे कपड़ों के ढेर के पास जाती है और उन्हें हाथों में समेटे हुए कहती है,
    "पापा, मैं आपकी आख़िरी निशानी नहीं बचा पाई। मुझे माफ कर देना।"

    फिर वह धीरे से कहती है,
    "शिवाय, तुमने सही नहीं किया। तुमने मेरे सपनों के साथ समझौता किया है। अब मैं तुम्हें ऐसी हद तक ले जाऊंगी कि तुम सोच भी नहीं सकते! तुम मेरी जिंदगी को जहन्नुम बनाना चाहते हो, अब तुम्हारे लिए भी ये जहन्नुम ही बनेगा। तिल-तिल कर तुम्हें मारूंगी। अगर मेरा नाम शनाया है, तो तुम्हारा घमंड, तुम्हारा राज, तुम्हारी क्रूरता — सब खत्म कर दूंगी!"

    "एक दिन आएगा, जब तुम्हारे सारे साम्राज्य को मिटा दूंगी। और वही दिन होगा मेरी जीत का। अपने ऊपर किए गए सारे जुल्मों का हिसाब लूंगी तुमसे!"

    यह कहकर वह अपने आंसू पोंछती है।


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    क्या अब शनाया शिवाय के कैद से निकल पाएगी?
    क्या वह अपने सपनों को दोबारा पा सकेगी?
    या फिर यह क्रूरता उसकी उम्मीद को भी खत्म कर देगी...?


    --

  • 7. - Chapter 7 इससे ज्यादा का सपना देखेगी तो फालतू में मारी जाएगी

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    शाम के समय सब पार्टी में आने वाले थे वही एक जीप से एक लड़का दिल्ली की तरफ आ रहा था उसकी उम्र 27 साल लंबी मूंछें और मरदानी शरीर उसके मोटे-मोटे हाथ आंखें बिल्कुल शेर की तरह बड़ी और काली थी बगल में एक लड़की बैठी हुई थी वह लड़की गाड़ी चला रहे लड़के के सीने पर हाथ फेरते हुए कहती है बेबी तुम्हारे साथ रहकर अलग ही मजा आता है तुम ऐसा कैसे कर लेते हो तुम्हारे अंदर इतनी ताकत आती कहां से है ऐसा लगता है कि तुम्हारा किसी लोहे के चीजों से बना हो कभी थकता ही नहीं यह सुनकर वह लड़का जोर-जोर से हंसने लगता है और उसे लड़की के गार्डन के पास हाथ घूमते हुए अरे मेरी छम्मक छल्लो...



    बस राजपूतानी खून है तो इतनी गर्मी तो होगी ना और वैसे भी तुम काम हो क्या तुम्हारी जवानी को देखकर कोई भी फिसल जाए यह सुनकर लड़की धीरे-धीरे मुस्कुराने लगती है उसे लड़के का हाथ पकड़ कर अपने सीने के नाजुक हसन की तरफ ले आती है और उससे धीरे से कहती है सुनो एक बार करके चलते हैं ना उसकी बात सुनकर वह लड़का मुस्कराने लगता है और गाड़ी को दूसरी दिशा में मोड़ लेता है रोड से थोड़ा साइड में जाकर वह लड़का उसे लड़की को उठाकर अपनी गोदी में बिठा लेता है और वह दोनों पैशनेटली किस करने लगते हैं लड़का उसे लड़की के होंठ को अच्छे तरीके से चुम्मी जा रहा था वह धीरे-धीरे उसके शरीर से सारे कपड़े उतार कर अलग कर देता है लड़की भी उसका पूरा साथ दे रही थी वह भी उसको अच्छे तरीके से किस करती है उसके गर्दन पर किस करती है उसके जस्ट एरिया को अच्छे से किस कर रही थी फिर वह लड़की उसे लड़के का पेट निकल कर साइड रख देती है और अपने बालों को ऊपर ले जाते हुए उसके कमर के पास आ जाती है ...।




    फिर अपने होठों का कमाल दिखाते हुए कहती है जब मैं इतनी ही पसंद हूं तो मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते यह सुनते ही वह लड़का गुस्से में रुक जाता है और उसकी मुंह को कसकर पढ़ते हुए दूर धक्का देते हुए कहता है दोबारा ऐसी बातें अपने मुंह से मत निकलना वरना जिंदा नहीं छोडूंगा अखिल सिंह राणा ने तेरे साथ क्या-क्या किया है कोई और होता तो तुझे छूता भी नहीं इतने में खुश रहे इससे ज्यादा का सपना देखेगी तो फालतू में मारी जाएगी यह कह कर मैं उसे गाड़ी से धक्का दे देता है और लड़की रोड पर गिर जाती है रोड पर गिरते ही वह उसके कपड़ों को निकाल कर उसके ऊपर फेंक देता है गाड़ी को मुड़कर वहां से चला जाता है।




    उसके जाते ही वह लड़की अपने कपड़ों को उठाकर पहनते हुए कहती है यह तुमने गलत किया अखिल में कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं कि जब तुम्हारी मर्जी की तुम आओगे और जब तुम्हारी मर्जी की तुम चले जाओगे तुमने जो किया है मेरे साथ उसका तो बदला में लेकर रहूंगी और शादी शादी तो मैं तुमसे ही करूंगी उसे घर की ठकुरानी तो मैं ही बनूंगी ...!


    एक एक लड़की वहां से चली जाती है दूसरी तरफ वह लड़का अपनी जीप लेकर के सीधा शिवाय के मेंशन के सामने खड़ा हो जाता है जीप से उतरकर वह टैंकर अंगड़ाई लेते हुए कहता है एक दिन यह सब मेरा होगा चाहे कुछ भी हो जाए पूरे राजस्थान और यह सारी प्रॉपर्टी में बस एक का हुक्म चलेगा अखिल सिंह राणा का तब तक अखिल के सर पर जोर का चमाट पड़ता है वह गुस्से में पीछे मुड़कर चिल्ला कर कहता है कौन है..?




    वहां पर एक महिला खड़ी थी वह अखिल को देखते हुए गुस्से से लाल हुए जा रही थी उसे महिला की उम्र 45 साल थी उसने पार्टी वियर पहना हुआ था गले में डायमंड नेकलेस और सिर्फ एक हक थी डार्क लिपस्टिक और उसके हाथ में ब्रांडेड फोर्स था उसको देखते ही अखिल उसके पैर को छूकर प्रणाम मां आप यहां ...?

    वह गुस्से में अखिल की तरफ देखते हुए कहती है मैं तुम्हें कब से फोन कर रही हूं फोन कहां है तुम्हारा अखिल अपना जेब चेक करता है फिर उसका ध्यान गाड़ी में जाता है फोन गाड़ी में पड़ा हुआ था वह फोन को उठाते हुए कहता है एम सॉरी मन दरअसल मेरा फोन साइलेंट पर था तो मैंने देखा नहीं अखिल अब तुम बड़े हो गए हो तुम्हें कितनी बार कहा है कि तुम्हें इन सब चीजों का ख्याल रखना चाहिएदाताओं को ऐसे ही नहीं तुम्हें अपने प्रॉपर्टी का वारिस बना लेंगे और वैसे भी मैं इस घर में आने के लिए बहुत पापड़ बेल है पहली बार तुम्हारे बाप की वजह से मुझे एक घर छोड़कर जाना पड़ा था और अब तुम्हारा मैं यहां आई हो तो मैं कोई गड़बड़ी नहीं चाहती ...!



    सुनो यहां से जाते ही जाता हुकुम से कहना कि तुम गांव पर थे और वहां के खेतों में कुछ दिक्कत आ गई थी तुम इस सिलसिले में यहां आने में लेट हो गए यह कहकर यह कागज उन्हें दे देना रुको जरा मेरे करीब तो आओ यह कहकर उसकी मां अखिल को अपने करीब आने के लिए कहती है उसके मुंह के पास जाते ही यामिनी को समझा जाता है कि इसमें शराब पी रखी है वह गुस्से में अखिल का मुंह कसकर पढ़ते हुए कहती है तो मैं कितनी बार मना किया है कि दाता हुकुम के सामने आते वक्त शराब मत पिया करो पर तुम्हें समझ नहीं आता ना यह क्या करूं अपने बैग से माउथ स्प्रे निकलती है और उसके मुंह में मारते हुए कहती है अब जाओ यहां से जैसा कहा है वैसा करो ...!




    उसकी बात सुनकर निखिल सर लटकाए हुए सीधा हवेली के अंदर चला जाता है इधर यामिनी हवेली को घूरते हुए कहती है आज इस पार्टी में ऐसा धमाका होगा ना किसी ने सोचा भी नहीं होगा आज इस पार्टी को मैं मातम बना दूंगी बहुत गर्व है ना दाता हुकुम को अपने बेटों पर आज वह उनका सर शर्म से झुक जाएगा उन्होंने मुझे इस घर से धक्के मार कर निकाला था ना आज वह इस घर में मुझे खुद लेकर आएंगे ...!

  • 8. - Chapter 8 तुमसे कहा था न मेरे परिवार से दूर रहना ...!

    Words: 599

    Estimated Reading Time: 4 min

    शाम की हवा में हल्की ठंडक घुली थी। दिल्ली की ओर जाती वह जीप तेज़ रफ्तार से हाईवे पर दौड़ रही थी। ड्राइविंग सीट पर बैठा था अखिल सिंह राणा — उम्र 27 साल, लंबी मूंछें, चौड़ा सीना और हाथ जैसे हथौड़े। उसकी आँखों में बसी थी शेर जैसी झलक—बड़ी और गहरी काली आँखें।

    बगल में बैठी लड़की उसका बाजू थामे उसके सीने पर हाथ फेर रही थी। होंठों पर हल्की मुस्कान, आवाज़ में कशिश, "बेबी… तुम्हारे साथ रहकर जो मज़ा आता है, वो किसी और के साथ नहीं। तुम्हारे अंदर इतनी ताकत कहाँ से आती है? लोहे के बने हो क्या? थकते ही नहीं..."

    अखिल ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा। एक हाथ स्टीयरिंग पर, दूसरा लड़की के गालों के पास खेल रहा था। "अरे मेरी छम्मक छल्लो... राजपूतानी खून है, तो गर्मी तो होगी ना! और वैसे भी, तुम्हारी जवानी देख के तो कोई भी फिसल जाए।"

    लड़की मुस्कुरा दी। धीरे से उसका हाथ पकड़ कर अपने सीने की तरफ खींचा और कहा, "सुनो… एक बार करके चलते हैं ना..."

    अखिल मुस्कराया, जीप साइड में मोड़ दी। सुनसान रास्ता, पेड़ों की आड़, और फिर एक पल में वह गाड़ी से उतरा और लड़की को गोद में उठा लिया। एक पैशनेट लम्हा दोनों के बीच बीत गया… लेकिन जैसे ही लड़की ने धीमे से कहा, "जब मैं इतनी पसंद हूँ तो मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते?"

    अखिल का चेहरा सख्त हो गया। वह ठहर गया। उसकी आंखें अब प्यार नहीं, गुस्से से भरी थीं। उसने लड़की को झटकते हुए धक्का दिया।

    "दूसरी बार ये बात अपने मुंह से मत निकालना वरना जिंदा नहीं छोड़ूंगा। अखिल सिंह राणा ने तुझ पर तरस खाया, कोई और होता तो तुझे छूता भी नहीं। इतने में खुश रह, इससे ज़्यादा का सपना देखा तो मारी जाएगी!"

    वो उसे धक्का देकर रोड पर गिरा देता है। कपड़े उसके ऊपर फेंकता है और गाड़ी स्टार्ट कर चला जाता है।

    पीछे छूट गई लड़की, कपड़े समेटती है। आँखों में आँसू नहीं, सिर्फ आग थी। होंठ भींचते हुए बोली,
    "तूने जो किया है उसका बदला मैं जरूर लूंगी, अखिल। और शादी… शादी तो तुझसे ही करूंगी। इस हवेली की ठकुरानी बनकर ही रहूंगी।"

    कहानी आगे बढ़ती है…

    अखिल अपनी जीप लिए सीधा पहुँचता है शिवाय मेंशन—राजस्थान की शान, एक हवेली जो खुद एक इतिहास है। गाड़ी रोककर उतरा और अंगड़ाई लेते हुए बोला,
    "एक दिन यह सब मेरा होगा... पूरे राजस्थान पर राज होगा अखिल सिंह राणा का!"

    तभी एक तेज़ थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा। वह गुस्से में चिल्लाया,
    "कौन है...?"

    सामने खड़ी थी यामिनी — उसकी मां। उम्र 45 के आसपास, डायमंड जड़ा गहना, भारी लिपस्टिक और हाथ में ब्रांडेड पर्स। एक ठाठ जो किसी रानी से कम नहीं।

    "मैं कब से फोन कर रही हूं। कहाँ है तेरा फोन?"

    अखिल जेब टटोलता है, फिर याद आता है फोन गाड़ी में है। "सॉरी मां, साइलेंट पर था।"

    "तू अब बच्चा नहीं रहा अखिल। एक-एक कदम सोच समझकर रखना होगा। यह प्रॉपर्टी, यह सत्ता, यह विरासत ऐसे ही नहीं मिलती।"

    और फिर उसने एक फाइल निकालकर अखिल के हाथ में दी—"जाते ही दाता हुकुम से कहना कि खेतों में दिक्कत थी, इसीलिए देर हुई। और हाँ, शराब पीकर मत जाया कर।"

    उसने माउथ स्प्रे निकाला और उसके मुँह में मारते हुए कहा,
    "अब जा… जैसा कहा है, वैसा कर!"

    अखिल चुपचाप सिर झुकाए हवेली की ओर बढ़ गया।

    पीछे रह गई यामिनी… हवेली को घूरते हुए, होठों पर एक कुटिल मुस्कान थी।

    "आज की पार्टी… इस घर का अभिशाप बन जाएगी। दाता हुकुम, आपने मुझे धक्के मारकर निकाला था, ना? आज मैं इस हवेली में खुद चलकर आऊंगी… और आपके बेटे के भविष्य की चाभी बनकर!"

  • 9. - Chapter 9 दाता हुकुम का ऐलान

    Words: 1098

    Estimated Reading Time: 7 min

    महल की ऊँची दीवारों के पार, रात की चादर धीरे-धीरे फैल चुकी थी। हवा में गुलाब और चन्दन की मिली-जुली महक तैर रही थी, पर यामिनी की आँखों में सिर्फ़ एक महक थी — बदले की। वह बेमक़सद नहीं चल रही थी, उसके हर क़दम के नीचे कोई योजना दब रही थी।

    यामिनी ने साड़ी की कोर से अपना फोन निकाला और छत की ओर बिना देखे एक नंबर डायल कर दिया। आवाज़ में कोई घबराहट नहीं थी, बल्कि एक सर्द आत्मविश्वास था।

    "जैसा कहा था... प्लान याद है ना?" — उसकी आवाज़ में कोई कम्पन नहीं था, बल्कि आदेशों का नुकीला धार था।

    दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, जो किसी पुराने वफ़ादार सिपाही की तरह झुकी हुई थी —
    "रानी सा, जैसे आपने कहा था, सब कुछ तैयार है।"

    यामिनी की आँखें सिकुड़ गईं।
    "बढ़िया... लेकिन याद रहे, मेरे एक इशारे पर काम हो जाना चाहिए। अगर ज़रा सी भी चूक हुई— तो तुम सबकी खैर नहीं।"
    उसने बिना एक पल की देर किए कॉल काट दी और अपने लहराते पल्लू के साथ सीधी महल की ओर बढ़ गई।


    ---

    उधर महल के भीतर...

    अखिल, भारी कदमों से महल की दहलीज़ पर पहुँचा। उसकी आंखें तेज़ थीं, पर माथा झुका हुआ। जैसे कोई बोझ लिए हुए आया हो। दाता हुकुम सामने दीवान पर विराजमान थे, उनकी आँखें खामोशी से महफ़िल को नाप रही थीं।

    अखिल पास जाकर धीमे स्वर में बोला,
    "दाता हुकुम को राम राम... दरअसल गांव की ज़मीन पर काम से गया था। वहीं से ये ज़मीन के काग़ज़ लाया हूँ। सोचा, आपके चरणों में रख दूँ।"

    दाता हुकुम ने अखिल को कुछ क्षण घूरा — एक लंबी, ठंडी नज़र से, जैसे उसकी नीयत को पढ़ रहे हों। फिर बोले,
    "ये पार्टी सिर्फ़ घरवालों के लिए है... तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"

    सुनते ही अखिल थोड़ा सहम गया। उसने सिर झुका लिया।
    "मैं तो सिर्फ़ ज़रूरी कागज़ देने आया था... बस।"

    दाता हुकुम ने कागज़ लिए, उन्हें बिना ज़्यादा देखे एक सेवक को थमा दिए। फिर एक पल की चुप्पी के बाद कहा,
    "अब जब आ ही गए हो... तो खाना खाकर जाना।"

    अखिल ने कुछ नहीं कहा, पर उसके भीतर कुछ टूट चुका था। जैसे वर्षों से जो सम्मान कमाया था, वो इन चंद शब्दों में मिट्टी हो गया हो। वह मन ही मन दाँत पीसते हुए बुदबुदाया —
    "दादा... आपने सही नहीं किया। एक बार... सिर्फ़ एक बार अगर ये ज़मीन मेरी हो जाए... फिर देखना। मैं आपको ऐसी हालत में पहुँचाऊँगा, जैसा आपने सोचा भी नहीं होगा। अब बहुत हुआ ताना सहना... अब मेरी बारी है!"

    अखिल तेज़ी से वहाँ से निकल गया।




    महल के विशाल प्रांगण में जश्न का शोर था। फव्वारों की चमकती बूंदें रोशनी में नाच रही थीं और राजस्थानी संगीत की सुर लहरियाँ हवा में तैर रही थीं। मेहमान रेशमी कपड़ों में सजे थे, और हर कोना रौनक से भरा हुआ था।

    पर इस चकाचौंध के बीच शिवाय चुपचाप एक कोने में खड़ा था। चेहरा शांत, लेकिन आँखों में एक ठहराव जो किसी तूफान से पहले की ख़ामोशी जैसा था।

    तभी महल के बीचोबीच, भारी रेशमी पोशाक में दाता हुकुम मंच पर आए। सबका ध्यान उनकी ओर गया। उनके चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी।

    "आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद," वे बोले। "आज का ये समारोह मेरे लिए सिर्फ़ एक और महफिल नहीं... बल्कि मेरे पोते शिवाय की मेहनत का जश्न है।"

    चारों ओर तालियों की गूंज उठी।

    "शिवाय ने अपने दम पर इतना मुक़ाम हासिल कर लिया है... कि अब कोई भी मेरी आंखों में आंखें डालकर बात करने की हिम्मत नहीं करता।"
    (उन्होंने गर्व से शिवाय की ओर देखा)

    "और हाँ..." (थोड़ा रुककर बोले)
    "जल्द ही... हम उसके लिए रिश्ता तय करने वाले हैं। अगर आपकी नज़र में कोई अच्छी लड़की हो... तो बताइएगा।"

    यह कहते ही महफिल में एक अजीब-सी सनसनी फैल गई।

    महल की गलियों में शिवाय की दीवानगी जगज़ाहिर थी। लड़कियाँ तो क्या, कई लड़के भी उसकी एक नज़र के दीवाने थे। और अब... जब ये खबर फैली कि उसका रिश्ता तय होने वाला है, तो कई चेहरों पर उदासी की लहर दौड़ गई।

    शिवाय स्तब्ध खड़ा रहा। जैसे किसी ने उसके कंधे पर बिना पूछे कोई भारी बोझ रख दिया हो। वह तेज़ कदमों से दादा हुकुम के पास पहुँचा और दबे ग़ुस्से में बोला:

    "दादाजी, आपने ये क्या किया? एक बार मुझसे पूछ तो लेते!"

    दाता हुकुम मुस्कराए।
    "अरे बेटा, जो किया है तेरी भलाई के लिए किया है। और कौन सा रिश्ता अभी आया है? जब आएगा तब देखा जाएगा। अब परेशान न हो।"

    इतना कहकर वह वहाँ से चले गए। लेकिन शिवाय... अभी भी स्तब्ध खड़ा था। उसकी आँखों में बेचैनी थी, और मन में आक्रोश।

    तभी उसकी निगाह पड़ी — सामने खड़ी नीले रंग की ड्रेस में एक लड़की।
    वो एक पल को ठिठक गया। साँस जैसे थम गई हो।

    वो "अनामिका" थी।

    शिवाय की पहली मोहब्बत... उसकी अधूरी कहानी। उस पल उसने निगाहें फेर लीं।

    "इसको भी आज ही आना था?" — उसने मन ही मन कहा।

    पीछे से आवाज़ आई —
    "भाई...? क्या हुआ? कहीं अनामिका दीदी को देखकर फिर से प्यार में तो नहीं पड़ गए?"

    वो चौंककर पीछे मुड़ा। अभय खड़ा मुस्कुरा रहा था।

    "अभय... बच्चे हो, बच्चे की तरह ही रहो!" — शिवाय ने चेतावनी दी।

    "भाई, मैं तो बस सच बोल रहा हूँ... और सच का क्या है... हमेशा चुभता है!" — अभय ने हँसते हुए कहा और दूर भाग गया।

    शिवाय टपली मारने ही वाला था, पर मुस्कुराहट उसके चेहरे पर लौट आई — थोड़ी थकी हुई, थोड़ी कड़वी।

    लेकिन तभी... अनामिका उसकी तरफ़ बढ़ रही थी।

    शिवाय ने देखा — वो वही थी, वैसी ही... लेकिन उसकी ओर बढ़ते क़दमों में कुछ था। शायद जवाब, या शायद फिर से दर्द।

    "नहीं... दूर रहो..." — उसने खुद से कहा।
    पर अनामिका आगे बढ़ती रही। हाथ बढ़ाए।
    शिवाय... एक पल भी रुके बिना वहां से चला गया।



    उसी वक्त, महल की एक कोठरी के कोने में, यामिनी अपना चेहरा बदल चुकी थी — मुखौटा अब चेहरे पर था, और चाल में एक अजीब ठंडक थी।

    उसने महल की सीढ़ियों की ओर इशारा किया — एक आदमी उसकी ओर झुका।

    "इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए..." — यामिनी की आवाज़ सर्प जैसी फिसलती हुई निकली।
    "जैसा कहा है, वैसा ही करना है।"

    आदमी ने सिर हिलाया और बिना एक शब्द बोले ऊपर की ओर बढ़ गया।

    महल के दिल में कुछ साज़िश धीरे-धीरे आकार ले रही थी।


    ---

    आगे क्या?

    क्या शिवाय और अनामिका की अधूरी कहानी फिर से करवट लेगी?

    यामिनी की योजना क्या है? और वो किसके ख़िलाफ़ है?

    अखिल की भूख — क्या वो वाक़ई परिवार के लिए ख़तरा बन चुकी है?


    पढ़ते रहिए... अगला अध्याय जल्द ही।


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