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Aawargi Bepanah

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Ishqi

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साइको शब्द सुनने मै ही अजीब लगता है पर क्या हो जब एक लड़की की किस्मत एक साइको से हमेशा के लिए बंध जाए, उसे पूरी जिंदगी उस साइको की पत्नी के रूप में गुजारनी पड़े, ऐसा ही हुआ हमारी कहानी की हीरोइन " श्रावणी शुक्ला " के साथ श्रावणी शुक्ला एक 2...

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Male lead (hero)

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" निर्वाण रासा "

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श्रावणी शुक्ला

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Total Chapters (6)

Page 1 of 1

  • 1. Aawargi Bepanah - Chapter 1

    Words: 1148

    Estimated Reading Time: 7 min

    साइको शब्द सुनने मै ही अजीब लगता है पर क्या हो जब एक लड़की की किस्मत एक साइको से हमेशा के लिए बंध जाए, उसे पूरी जिंदगी उस साइको की पत्नी के रूप में गुजारनी पड़े, ऐसा ही हुआ हमारी कहानी की हीरोइन " श्रावणी शुक्ला " के साथ
    श्रावणी शुक्ला एक 21 साल की मासूम लड़की है नेचर से काफी चंचल और शरारती है जो अभी BA 3rd year मै पढ़ती है, वो एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलोंग करती है, उसकी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद है अपने बड़े भाई के इलाज के लिए पैसे जोड़ना उसका भाई पैरालाइज्ड है उसकी जिंदगी आराम से चल रही थी जब तक वो एक साइको की नजरों में नहीं आई थी
    " निर्वाण रासा " जो है एक gangster और साथ ही मुम्बई का किंग उसे सब लोग monster 💀 के नाम से जानते है 30 साल की उम्र मै उसने इतने जुर्म कर दिए हैं कि रिकॉर्ड करने के लिए पन्ने कम पड़ जाए, जिसके नाम से भी लोग पेंट गीली कर देते हैं उसके साथ श्रावणी कैसे पूरी जिंदगी बिताएगी.....

    " Aawargi Bepanah "
    ००००००००००००००००००००००००००००००००००

    मुंबई डिस्को नाइट्स क्लब
    " मेरे महबूब तेरा तड़पना तो बनता है " ये गाना फुल वॉल्यूम मै बज रहा था एक लड़की शॉर्ट ब्लैक ड्रेस पहने डांस कर रही थी.. उसकी आंखो पर एक fancy मास्क चढ़ा था जिससे उसकी आंखे देख पाना मुश्किल था

    सामने बहुत सारे लोग नशे की हालत मै झूम रहे थे, कुछ की नजरे उसे लड़की की हिलती पतली कमर पर थी तो किसी की उसके ड्रेस से झांकते गोरे पैरों पर पर वह लड़की बिना किसी की परवाह किए लड़कियों की झुंड में बेली डांस कर रही थी

    वहीं उन आदमियों के करीब 30 साल का एक आदमी बैठा था जिसकी नीली आंखें उसे लड़की के चेहरे पर टिकी थी जैसे वह उसे देखने की कोशिश कर रहा हूं यह है मुम्बई का माफिया किंग निर्वाण रासा उसके चेहरे पर हल्की बियर्ड है और 8 पैक एब्स वाली मस्कुलर बॉडी जिससे उसकी ब्लैक कलर की शर्ट बिल्कुल चिपकी हुई थी और उसे एक हॉट लुक दे रही थी उसके माथे पर उसके हल्के बाल बिखरे थे कानों में उसने डायमंड स्टड पहन रखा था हाथों में महंगी घड़ी बाकी सब ड्रिंक कर रहे थे पर वह ड्रिंक नहीं कर रहा था उसके पास उसके दो आदमी बैठे थे लक्की और देवा

    देवा ने धीरे से कहा

    " Monster यही है वो लड़की ! "

    निर्वाण ने अपनी नीली आंखे देवा की तरफ की और उसका हाथ पकड़ ते हुए बोला

    " लड़की? "

    अगले ही पल देवा के चेहरे पर बेतहाशा दर्द दिखने लगा....

    उसने उस दर्द को सहन करते हुए कहा

    "आह ... स... सॉरी monster मेरा मतलब था मैडम ! यही हैं ! "

    निर्वाण ने एक डेविल्स स्माइल के साथ देवा का हाथ छोड़ दिया..... कहरम के हाथ मै कोई अजीब सी ब्लेड थी जिससे देवा का हाथ कट चुका था और उससे खून बह रहा था

    कुछ वक्त बाद अचानक ही म्यूजिक बंद हो गया और पूरे क्लब की लाइट्स चली गई

    श्रावणी जो डांस कर रही थी अंधेरा देख कर एकदम से घबरा गई....
    उसने डरते हुए दो-चार कदम पीछे लिए और अचानक ही उसे अपनी कमर पर किसी के मजबूत हाथ महसूस हुई और वह एकदम से सिहारते हुए पलट गई पर अंधेरे में उसे उसे शख्स का चेहरा नजर नहीं आ रहा था

    उसने उन हाथों को अपनी कमर से हटाने की कोशिश करते हुए कहा कौन हो तुम छोड़ो मुझे
    पर उसे शख्स ने कोई जवाब नहीं दिया श्रावणी को उसके गर्म सांसे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी और उसके पसीने छूट रहे थे उसकी कोशिश नाकाम हो रही थी उस आदमी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हो पा रही थी


    और अगले ही पर उसे किसी ने अपनी मजबूत बाहों में उठा लिया

    श्रावणी की सांसे बिल्कुल अटक गई आखिर ये क्या हुआ उसके साथ?

    करीब 10 मिनट बाद


    " छोड़ो मुझे कौन हो तुम "

    श्रावणी ने अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा जो इस वक्त किसी ने अपने मजबूत हाथ से पकड़ रखे थे

    निर्वाण रासा.....

    निर्वाण ने बिना किसी भाव के कहा

    " श्रावणी बस उसे देखती रह गई"

    फिर उसने दांत पीसते हुए कहा

    " तुम कोई सेलिब्रिटी हो क्या जो इतने प्राउड से अपना नाम बता रहे हो मैं नहीं जानती किसी निर्वाण रासा को कहा लेके जा रहे हो मुझे "

    निर्वाण ने ड्राइविंग पर फोकस करते हुए कहा

    " अपने घर , आज शादी है मेरी "

    श्रावणी ने आंखे बड़ी करते हुए कहा

    " तो मुझे क्यों किडनैप किया है शादी करो ना जाके मैने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा "
    निर्वाण ने एक smirk करते हुए कहा

    " क्योंकि मेरी दुल्हन तुम बनने वाली हो "

    श्रावणी ने आंखे बड़ी करते हुए कहा

    " तुम.... तुम पागल वागल हो क्या? मै.... मै नहीं करना चाहती कोई शादी छोड़ो मुझे"

    श्रावणी अब बस रोने वाली थी उसकी आवाज से पता लग रहा था पर निर्वाण को उसकी बेबसी से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वो अपनी ही धुन मै था.....

    और फूल स्पीड से कार ड्राइव कर रहा था.....


    उसके पीछे की गाड़ी मै देवा और लक्की आ रहे थे
    देवा कार ड्राइव कर रहा था और लक्की उसकी बगल मै बैठा था

    " उसने निर्वाण की गाड़ी को पीछे से देखते हुए कहा

    " क्या मालकिन मान जाएंगी इस शादी के लिए ?"

    देवा ने हंसते हुए कहा

    " ना माने तो भी कौनसा मॉन्स्टर को फर्क पड़ता है उन्हें तो अपनी ही मर्जी चलानी है शादी तो उनकी मैडम से हो कर रहेगी, चाहे घर वालों की मर्जी हो या ना हो "

    लक्की ने देवा की बात पर सहमति से हा मै सर हिला दिया.....

    वही श्रावणी निर्वाण की कलाई पर अपने तीखे दांत चुभो दिए जिससे निर्वाण ने एक पल के लिए अपनी आंखे बंद कर ली

    क्योंकि श्रावणी के तीखे दांतों से पहले उसके नर्म होठ उसके हाथ को छू चुके थे जिससे उसके शरीर मै सरसराहट पैदा हो रही थी

    बाकी श्रावणी के काटने से उसे रति भर भी फर्क नहीं पड़ा था......

    श्रावणी ने भी थक हार कर अपने दांतों को हटा लिया और हांफते हुए भीगी आंखों से निर्वाण को देखने लगी......

    और अगले ही पल उसकी आंखे फैल गई जब उसने कई सारे आदमियों को gun लिए एक बड़े से घर के सामने देखा

    ये घर " रासा कुंज " था जो लाइट्स से जगमगा रहा था....

    अंदर शादी की सारी रस्मे चल रही थी...

    गाड़ी पार्किंग साइड मै जाकर रुकी और निर्वाण ने हाथ खींचते हुए श्रावणी को गाड़ी से बाहर निकाला...

    To be continued thank you so much for reading this novel....

    This is 1st chapter comment for next and most important roj ek episode upload karungi agar response accha hua or aagr bahut accha hua to jyada bhi kar dungi 🥺...

  • 2. Aawargi Bepanah - Chapter 2

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    श्रावणी आंखे बड़ी बड़ी किए सामने खड़े उसे आलीशान महल को देख रही थी

    डर के मारे उसका गला सूख चुका था और माथे पर पसीने की बूंदे उभर आई थी उसने कांपती आवाज में कहा
    " प... प्लीज मैं तुमसे रिक्वेस्ट कर रही हूं मुझे जाने दो मुझे नहीं करनी है तुमसे शादी "

    निर्वाण के होठों पर एक डेविल स्माइल आ गई उसने गर्दन टेढ़ी करके श्रावणी को देखते हुए धीमी आवाज में कहा
    " बहुत जल्दी तुम्हारा गुस्सा रिक्वेस्ट में बदल गया "

    श्रावणी ने बेबसी से निर्वाण को देखा उसकी आंखों में आंसू आ चुके थे क्योंकि उसे अब बचने का रास्ता नहीं नजर आ रहा था चारों तरफ खड़े बॉडीगार्ड और उनके हाथों में वह बड़ी-बड़ी गन देख कर श्रावणी अंदर तक हल चुकी थी
    उसने अपनी जिंदगी में आज से पहले ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा था

    वही निर्वाण अब लंबे-लंबे कदम भरते हुए घर के अंदर जा रहा था सारे बॉडीगार्ड्स ने निर्माण के सामने अपना सर झुका रखा था

    देव और लक्की की गाड़ी भी वहां आ चुकी थी वह दोनों भी गाड़ी से उतर कर तेज कदमों से चलते हुए निर्माण और अपने बीच की दूरी को कम करने की कोशिश कर रहे थे ।


    श्रावणी ने इस बार रोते हुए कहा
    " म... मुझे घर जाना है प्लीज "

    पर निर्वाण ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया उसने जैसे ही घर के अंदर कदम रखा सामने खड़े हर इंसान की आंखे बड़ी बड़ी हो गई

    " निर्वाण! "


    एक औरत की दमदार आवाज से पूरा घर शांत हो गया..

    ये आवाज थी निर्वाण की मां " संयोगिता रासा " की

    सफेद साड़ी मै लिपटी वो औरत देखने मै जितनी मधुर थी उनकी आवाज मै उतना ही कड़वापन था जो किसी को भी डराने के लिए काफी था

    पर उसकी इस आवाज से निर्वाण को कोई फर्क नहीं पड़ा

    घर के बीचों बीच सजे मंडप मै दुल्हन के लिबाज मै बैठी लड़की आंखो मै पानी लिए बस निर्वाण के उस हाथ को देख रही थी जिससे निर्वाण ने श्रावणी का हाथ पकड़ रखा था....

    निर्वाण तेज कदमों से सीढ़ियों की तरफ गया...

    वही सबकी नजर श्रावणी के कपड़ों की तरफ थी जो देख कर ही पता चल रहा था उसका काम क्या है !

    निर्वाण ने सीढ़ियों के पास खड़ी दो लड़कियों को देख कर कुछ इशारा किया जिसके अगले ही पल उन दोनों ने श्रावणी के दोनों हाथ पकड़ लिए और उसे अपने साथ ऊपर ले गई....

    श्रावणी का पूरा चेहरा आंसुओ से भीगा हुआ था...

    संयोगिता ने संजीदगी से श्रावणी को पीछे से देखते हुए कहा

    " आखिर कार तुमने ढूंढ लिया उसे निर्वाण "

    निर्वाण ने एक नजर वाल पर लगी बड़ी सी घड़ी की तरफ देख कर कहा

    " और आपके दिए गए समय में अभी भी एक घंटा बाकी है "

    ( निर्वाण को सिर्फ श्रावणी से शादी करनी थी वो पीछले कई सालों से उसे ढूंढ रहा था और उसकी उम्र निकलती जा रही थी तो संयोगिता ने एक शर्त लगाई थी और उस शर्त मै आज रात 10 बजे तक का समय था निर्वाण के पास अपनी पसंद को ढूंढने का वरना उसे मंडप मै बैठी लड़की से शादी करनी ही पड़ती )

    मंडप के पास खड़ी एक औरत ने गुस्से मै मंडप मै बैठी दुल्हन को पकड़ कर उठाते हुए कहा

    " उठो इतिश्री "

    मंडप मै बैठी इतिश्री के पैरों मै अपने आप खड़े होने जितनी ताकत नहीं थी उसकी मां " हीरामणी" ने उसे पकड़ कर उठा लिया और फिर चलते हुए कुछ दूर खड़े अपने पति " कृपाल सिंह " के पास जाते हुए बोली

    " और कुछ भी देखना है? इतनी बेइज्जती कम नहीं है एक नचनियां के लिए उसने आपकी हूर जैसी बेटी को ना बोल दिया "

    जैसे ही निर्वाण के कानों मै हीरामणि के शब्द गए उसने लाल आंखों को उठा कर हीरामणि को घूरा

    और फिर अजीब तरह से अपनी गर्दन पर हाथ फेरा अगले ही पल उसने अपनी पेंट की जेब मै टंगी gun निकाली और हीरामणि की तरफ प्वाइंट की अगले ही पल हीरामणि की चीख रासा कुंज मै गूंज उठी.....

    और वो लड़खड़ाते कदमों से फर्श पर गिर पड़ी गोली उसके पैर पर लगी थी

    " मां...!!!! "

    इतिश्री चीखते हुए उसके पास घुटनो के बल गिर पड़ी कृपाल सिंह ने भी अपनी पत्नी के पास बैठते हुए उसके घाव पर हाथ रखते हुए चीख कर कहा

    " कोई डॉक्टर को बुलाओ "

    वहीं निर्वाण शांति से उन्हें देख रहा था उसने अपनी gun के सर्फेस पर फूंक मारी और वापस जेब मै डालते हुए शार्प स्टेप्स के साथ हीरामणि के पास पहुंचा

    " अपनी बेटी को हूर मानो या परी आइ डोंट केयर, पर मेरी होने वाली पत्नी के लिए एक भी अपशब्द बरदाश्त नहीं हो पाएगा मुझसे तो अपनी जुबान अपने कदम अपनी सोच सब कुछ उससे कोसों दूर रखना "

    निर्वाण के हर शब्द मै वजन था इतिश्री रोना भूल कर डरते हुए निर्वाण को ही देखने लगी थी यही हाल कृपाल सिंह का था....

    अचानक ही निर्वाण के कानों मै पायलों की छन छन की आवाज आई और उसका मजबूत सीना किसी हल्के बादल की तरफ फड़फड़ाने लगा उसने अपनी बढ़ती धडकनों को संभालते हुए अपनी गर्दन घुमा कर सीढ़ियों की तरफ देखा जहां से धीमे कदमों से श्रावणी सुर्ख लाल दुल्हन के जोड़े मै नीचे आ रही थी उसके हाथ अब भी उन दो लड़कियों की गिरफ्त में थे....

    उसकी आंख नाक और गाल रोने के कारण कुछ ज्यादा रेडिश थे.....

    पर वो उसकी खूबसूरती मै कोई कमी नहीं डाल पा रहे थे उसकी सादगी से सनी आंखे निर्वाण की तरफ उठी......

    और उसकी नजर खुद पर महसूस कर निर्वाण के सब्र को जैसे रिहायत मिल गई हो उसके होठों पर एक ऐसी हंसी खिल गई जो शायद ही आज से पहले किसी ने देखी हो

    श्रावणी ने गुस्से मै अपनी आंखे निर्वाण से हटा ली.... और अपने मन में कहा

    " किसी को ब्लैकमेल करके सिर्फ उसके साथ मंडप मै फेरे लिए जा सकते हैं दिल नहीं जोड़े जा सकते मॉन्स्टर "

    उसके चेहरे पर आए एक्सप्रेशन देख कर निर्वाण की मुस्कान और गहरी हो गई जैसे उसे पता हो श्रावणी के दिमाग मै क्या चल रहा है...

    To be continued thank you so much for reading this novel

    Did you like it?

  • 3. Aawargi Bepanah (शादी ) - Chapter 3

    Words: 737

    Estimated Reading Time: 5 min

    " श्रावणी मंडप पर आकर बैठ चुकी थी और उसके बगल मै निर्वाण " इतिश्री और उसके मम्मी पापा अब भी सांस रोके निर्वाण के एक ऑर्डर का इंतजार कर रहे थे ताकि वो यहां से सही सलामत जा सके हीरामणि को अहसास हो चुका था ये लड़की निर्वाण के लिए कितनी खास है

    संयोगिता हॉल मै लगे सोफे पर बैठ गई और एक टक मंडप को देखने लगी...
    उनके पास ही एक और औरत आकर बैठी ये वीना रासा थी संयोगिता की देवरानी उन्होंने रेड हाइ वर्क्ड सारी पहनी थी और उसके गहने देख कर पता चल रहा था वो किसी रॉयल खानदान से हैं उनके पति यानी कि निर्वाण के चाचा देवेश रासा भी proud वाली स्माइल के साथ निर्वाण को देख रहे थे।
    पंडित ने मंत्रों उच्चारण शुरू किया और श्रावणी की आंखों से एक एक बूंद गिर कर उसके गालों को भिगोने लगी उसके जहन में उसका अपाहिज भाई चल रहा था जिसकी धमकी निर्वाण की उन दो सेविकाओं ने श्रावणी को दी थी
    कि वो उसे जान से मार देगा अगर श्रावणी ने वैसा नहीं किया जैसा फिलहाल मॉन्स्टर बोल रहा हैश्रावणी को एक पल के लिए मोंस्टर सुन कर अजीब लगा पर अब उसे भी लगने लगा था निर्वाण के लिए कोई परफेक्ट नाम है तो वो है " मॉन्स्टर "

    कुछ देर बाद पंडित ने गठजोड़े के लिए कहा तो देवेश ने आगे आते हुए उनका गठबंधन कर दिया और निर्वाण और श्रावणी दोनों फेरो के लिए खड़े हो गए.... श्रावणी रोते हुए धीमे कदमों से आगे बढ़ रही थी..... निर्वाण ने मुड़ते हुए एक नजर रोती हुई श्रावणी को देखा और अगले ही पल उसके करीब जाते हुए उसे अपनी बाहों मै उठा लिया श्रावणी ने चिहुंक ते हुए अपने दोनों हाथों को उसके कंधों पर रख दिया। सब ने उसे हैरानी से देखा संयोगिता के चेहरे पर कोई हैरानी वाले भाव नहीं थे अपने सुपुत्र को काफी अच्छे से जानती थी वो....
    श्रावणी ने धीरे से कहा
    " मॉन्स्टर कोई फायदा नहीं है इस शादी का " निर्वाण ने आगे कदम बढ़ाते हुए कहा
    " किसने कहा निर्वाण रासा को अपनी फुलझड़ी से फायदा चाहिए? "

    ......... ये सुन कर श्रावणी ने हैरानी से निर्वाण को देखा , उसकी पूरी बॉडी जैसे गुजबम्प्स से भर गई थी

    उसे इस कदर कांपता देख कर निर्वाण के चेहरे पर खिली मुस्कान पर जैसे चार चांद लग गए थे एक सेकंड के लिए तो श्रावणी भी उसकी इस मुस्कान को नजरअंदाज ना कर पाई....

    कुछ देर बाद सिंदूर और मंगलसूत्र की रस्म हुई....

    श्रावणी को लगा शायद अब तो निर्वाण उसे छोड़ देगा पर निर्वाण ने उसका हाथ एक सेकेंड के लिए भी नहीं छोड़ा था उसने संयोगिता के पास जाकर उससे और वीना से आशीर्वाद लिया और उसके बाद देवेश का

    उसके बाद वो हीरामणि कृपाल और इतिश्री के पास गए

    निर्वाण ने हीरामणि के पास जाकर श्रावणी को हल्का सा आगे करते हुए कहा

    " Say sorry to her "

    श्रावणी ने डरते हुए अपने कदम पीछे करने चाहे क्योंकि उसे नहीं पता था आखिर क्यों इस निधि औरत से निर्वाण सॉरी बुलवाना चाहता है?

    निर्वाण ने उसकी कमर मै हाथ डालते हुए उसे वही जबरदस्ती खड़ा रखा और हीरामणि उसके सामने घुटनों के बल ही सर झुकाते हुए बोली

    " मुझे माफ करना मिसेज निर्वाण रासा "

    ये सुन कर निर्वाण के कलेजे को ठंडक पड़ चुकी थी और उसने तेज आवाज मै कहा

    " गेट आउट नाउ "

    और फिर श्रावणी को अपनी बाहों मै उठाते हुए सीढ़ियों की तरफ चला गया

    श्रावणी का तेज सर दर्द होने लगा था रोने की वजह से और निर्वाण के इस अजीबो गरीब व्यवहार की वजह से...

    श्रावणी ने इस बार थोड़ी तेज आवाज मै कहा

    " कहा ले जा रहे हो अब मुझे? शर्म नाम की चीज नहीं है तुम्हारे अंदर सब तुम्हे देख रहे हैं और तुम मुझे गोद मै उठा रहे हो बार बार "

    निर्वाण ने लात मारते हुए अपने कमरे का दरवाजा खोला और अंदर ले जाकर श्रावणी को बेड पर पटकते हुए उसके ऊपर झुक कर कहा

    " शादी के बाद अक्सर पति पत्नी बेड रूम मै जाते हैं अपनी फर्स्ट नाइट सेलिब्रिट करने! अब तुम बताओ तुम्हे कुछ नया करना है या वही....."

    निर्वाण के शब्द सुन कर श्रावणी अंदर तक हिल चुकी थी उसने डर से सूखते होठों पर जीभ फिराते हुए कहा

    " मॉन्स्टर..... "

    To be continued thank you so much for reading this novel.....

    Waiting for 1st review 😑

  • 4. Aawargi Bepanah - Chapter 4

    Words: 748

    Estimated Reading Time: 5 min

    निर्वाण ने एक टेढ़ी स्माइल के साथ कहा

    " बिल्कुल सही पहचाना है फुलझड़ी आई एम ए मॉन्स्टर "

    इतना बोल कर उसने श्रावणी के गर्दन के सबसे नाजुक हिस्से को अपने होठों से छू लिया और इसके साथ ही श्रावणी बुरी तरह सिहर उठी....

    और झट पटा ते हुए बोली

    " तुम मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते छोड़ो मुझे "

    इतना बोल कर वो फफक कर रो पड़ी उसके आंखों के कोने से लगातार आंसु निकल कर बेड शीट को भिगो रहे थे.....
    उसे इस कदर रोता हुआ देख कर निर्वाण की मुट्ठियां बुरी तरह कस गई और उसने जबड़े कसते हुए कहा

    " अभी तक तुम्हे पता नहीं है मै क्या कर सकता हु और क्या नहीं ? "

    श्रावणी बिना उसका जवाब दिए अब भी रो रही थी....

    निर्वाण उसके ऊपर से उठते हुए अपने शर्ट के बटन खोलने लगता है जिसे देख कर श्रावणी बेड पर पीछे की तरफ खिसकने लगती है....

    " त.. तुम ऐसा नहीं कर सकते प्लीज आई रिक्वेस्ट यू ..... "

    निर्वाण की आंखे गुस्से मै लाल हो चुकी थी.... उसने शर्ट सोफे की तरफ फेंक दी

    उसकी eight पैक एब्स वाली बॉडी और उस पर उकेरे वो खतरनाक टैटू उसे एक डेंजरस लुक दे रही थी

    श्रावणी की उभ्कियां बंध चूकी थी...

    वो अब पीछे खिसकते हुए बेड के हेड रेस्ट से सट चुकी थी जिसके आगे खिसकने की जगह नहीं थी

    उसने डरी हुई मासूम नजरों से इधर उधर देखा पर वो कुछ कर पाती उससे पहले ही निर्वाण उसके करीब आया और एक हाथ से उसका पैर पकड़ते हुए बोला

    " फिलहाल मुझे सोना है फुलझड़ी तो तुम मुझे डिस्टर्ब मत करना अगर अंदर से मॉन्स्टर जग गया तो तुम्हे हासिल किए बिना शांत नहीं होगा "

    श्रावणी हैरान परेशान उसे देख रही थी उसने बार बार पलकें झपकाई ताकि उसकी पलकों पर ठहरे आंसुओं की बूंदे साफ हो जाए और वो निर्वाण को ढंग से देख पाए जो आशुओं मै धुंधला दिख रहा था...

    निर्वाण ने उसकी इस हरकत पर बहुत मुश्किल से अपनी हंसी कंट्रोल की ओर फिर उसके दोनों पैर सीधे करते हुए उसकी गोद मै सर रख दिया

    वो बेड पर एडजस्ट हो कर आराम से लेट गया और फिर श्रावणी का हाथ पकड़ कर अपने बालों पर रखते हुए बोला

    " बहुत दिनों से ढंग से नींद नहीं आई है थोड़ी मालिश कर दो सर की "

    श्रावणी ने सिसकियां भरते हुए अपने हाथो को उसके बालों मै घुमाना शुरू किया

    उसकी नर्म उंगलियों के छुअन को महसूस करनिर्वाण की पलके अपने आप भारी हो रही थी उसे इन्सोमिया था.... पर आज तो लेट ते ही उसकी आंखे नींद से भर चुकी थी

    श्रावणी भी उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी पर वो एक बार अपने भाई से बात करना चाहती थी उसे सबसे ज्यादा डर लग रहा था अपने मामा मामी का जिनके घर वो और उसका भाई दोनों रहते हैं

    उसका भाई उससे उम्र मै बड़ा है पर अपाहिज होने के कारण श्रावणी ही उसके भरण पोषण के लिए काम करती है साथ मै डिग्री भी कंप्लीट कर रही है ताकि इन फ्यूचर एक reputed जॉब पा सके......

    निर्वाण गहरी नींद मै सो चुका था उसकी सांसे श्रावणी को सुनाई दे रही थी जिससे अब श्रावणी ने चैन की सांस ली उसे शादी के लहंगे में बिल्कुल भी कंफर्टेबल फील नहीं हो रहा था पर निर्वाण की धमकी को याद करके उसे इस जगह से हिलने के नाम से भी डर लग रहा था...

    और पता नहीं रात के कौनसे पहर उसकी भी आंखे लग गई उसका सर हेड रेस्ट पर टिक गया और एक हाथ अब भी निर्वाण के बालों में फंसा था...…

    Next morning.....

    निर्वाण ने कसमसाते हुए अपनी आंखे खोली तो उसे महसूस हुआ जैसे उसका चेहरा किसी रुई की बोरी से छू रहा हो उसने ढंग से आंखे खोली तो ये श्रावणी का दूध जैसा गोरा पेट था शायद निर्वाण ने नींद मै करवट ली थी जिस वजह से उसका चेहरा श्रावणी की तरफ हो गया था.....

    उसे जैसे ही कल का ख्याल आया उसके होठों के कोने शैतानी तरीके से ऊपर की तरफ उठ गए और अगले ही पल उसने अपने हाथों को श्रावणी की नर्म स्किन पर रखते हुए कस कर बाइट कर लिया और श्रावणी एक आह के साथ नींद से जाग गई...

    " आह... मॉन्स्टर "

    निर्वाण उठ कर बैठ गया ओर गर्दन टेढ़ी करके श्रावणी के नींद भरे चेहरे को देखते हुए बोला

    " Good morning फुलझड़ी मै तुम्हे याद हु 🥱 "

    To be continued good night

    Comments 😭😭.......

  • 5. Aawargi Bepanah - Chapter 5

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 6. Aawargi Bepanah - Chapter 6

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min