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My gangster boyfriend

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"एक रात की क़ीमत" राघव और आयुष की एक ऐसी कहानी... जो मोहब्बत से शुरू होकर पागलपन तक जा पहुँची। एक गलती... एक रात... और एक ऐसा रिश्ता जो बनते ही बिखर गया। आयुष ने कभी सोचा भी नहीं था कि ब्र...

Total Chapters (47)

Page 1 of 3

  • 1. Chapter 1 क्लब नाइट

    Words: 1133

    Estimated Reading Time: 7 min

    इस कहानी मे दरसाय गए  दृश्य और पत्र और जगह सभी काल्पनिक है और इस कहानी के जरिए बस आपका मनोरंजन करने का उद्देश्य है हमें किसी भी प्रकार से आपकी भावनाओं या आपके सोच को ठेस पहुंचाना नहीं है....

    " मुझे वह लड़का आज शाम तक चाहिए तो चाहिए चाहे जहां से ढूंढ कर लाओ, चाहे जमीन आसमान एक करना पड़े ""
     
    इस सख्त आवाज को सुनकर सनी अपना सर हमें हिलता है और सामने बैठे व्यक्ति को आश्वासन दिलाते हुए कहता है  "सर आप चिंता मत करें मैं उसको ढूंढ लूंगा और शाम तक वह आपके सामने होगा "

    आखिर किस लड़के की बात हो रही थी?
     
    अब आगे.......
     कुछ समय पहले 

    Varanasi हॉटस्पॉट होटल एंड रेस्टोरेंट 
     
    शाम के 8:00 क्लब में लोग आने स्टार्ट हुए ही थे कि तब तक वहां पर वन ऑफ द टॉप बिजनेसमैन पहुंचते हैं राघव सिंह बोहरा जिनकी दुनिया दीवानी थी क्लब का मैनेजर उन्हें देखकर के " सर आपके लिए आज स्पेशल स्टॉक आए हुए हैं सर इंडियन रूस और हमारे पास कई कंट्रीज की वैरायटी है आप एक बार सब पर हल्की नजर डाल लीजिए जो आपको पसंद होगा आज रात के लिए वह आपका होगा """
     
     
    मैनेजर की बात सुनकर के राघव हल्का सा मुस्कुराता है और उसके बात मानकर वह क्लब के बगल वाले कमरे में चला जाता है इसके बाद वह धीरे-धीरे उन सभी लड़कियों को अंदर आने के लिए कहता है उन्हें लड़कियों के बीच दो बेस्ट फ्रेंड थी जिनका नाम था लिसा एंड सिया लिसा सिया से कहती है " आज कुछ भी हो जाए पर राघव को तो मैं ही राइड करूंगी" 
     
     
    " पर वह कैसे लिसा?  सिया आश्चर्य से पूछतो है तुम्हें लगता है कि कारण हमें चूज करेगा! 
     
     
    ..लिसा मुस्कुरा कर अपने पॉकेट से एक दवाई निकलती है और सामने से आ रहे  वेटर को देखकर उसे अपने पास बुलाती है और उसे अपने हुस्न का जलवा दिखाते हुए उसके चेहरे पर अपनी उंगलियां फेरने लगती है जिसकी वजह से वह वेटर अपनी आंखें बंद कर लेता है और यह देख लिसा अपने हाथ में ली हुई गोली ग्लास के ड्रिंक में डाल देती है और फिर वेटर को डांटते हुए "अपनी शक्ल देखी है आया बड़ा चल निकल यहां से ".....
     
     
     
    वेटर भी अजीब तरीके से लिसा को देखात है और वहां से चला जाता है इधर लिसा और सिया मुस्कुराते हुए अब तो काम हो जाएगा ना हमारा धीरे-धीरे सभी लड़कियों का नंबर आता है हर कोई राघव के कमरे में जाती है और निराश होकर वापस आ रही होती है यह देख मैनेजर परेशान हो गया था उसे पता था कि अगर राघव को कोई भी पसंद नहीं आया तो उसे पैसे भी नहीं मिलेंगे ।
     
     
     वह सब पर गुस्से में  चिल्ला के कहता है "क्या कर रही हो तुम लोग अरे अपने हुस्न के जलवे बिखेरों उसे अपना बनाने की कोशिश करो, अरे एक बार करण ने तुम्हें छू लिया तो तुम मालामाल हो जाओगी वह एक रात के अच्छे पैसे देता है"। 
     
    यह सुनकर के सारी लड़कियां और उत्साहित हो जाती है अब बारी थी लिसा की लिसा अपने छोटे कपड़ों को और छोटा करती हुए दरवाजे से अंदर जाती है और वह दरवाजे को बंद करते हुए सीधा राघव के पास जाती है और बिना वक्त जाया किया वह राघव को अपने करीब खींचती है और उसके थाईज पर बैठ जाती है , और मुस्कुराते हुए राघव की आंखों में देखते हुए वह उसके होठों पर अपना होंठ रख देती है और अपने हाथ को धीरे-धीरे राघव के कमर से नीचे लाते हुए उसे कठोर स्थान को सहलाने लगती है इससे पहले राघव कुछ और कर पाता लिसा अपने ऊपर का कपड़ा निकाल कर फेंक देती है और अपने नाजुक हिस्सों से राघव का मुंह बंद कर देती है और लगातार राघव के कठोर पार्ट को और कठोर किया जा रही थी राघव थोड़ी देर में लिसा को झटके में धक्का देता है और उसे जाने के लिए कहता है ।  यह देख लिसा बहुत गुस्सा होती है और गुस्से में अपना कपड़ा उठाती है और उसे पहनते हुए बाहर आती है और खुद से बड़बड़ाते हुए कहती हैं " राघव तुमने यह सही नहीं किया तुम्हें इसका बदला चुकाना होगा" 
     
     
     
    तुमने लिसा को रिजेक्ट किया है आज तक किसी ने भी निशा को रिजेक्ट नहीं किया यह कहकर वह वेटर को फिर से अपने पास बुलाती है और उससे पूछता है "क्या है?क्यों बुला रही आप तभी तो छिला रही थी मेरे ऊपर "
     
     
     
    सॉरी यार हनी...
    रघव  ने वह ड्रिंक पिया था? 
     
    इससे वॉटर न में सर  हिलाते हुए नहीं शायद से राघव सर ने अभी वह ड्रिंक नहीं पिया मैं अभी अंदर से ही आ रहा हूं ग्लास पूरी भरी थी" 
     
    अच्छा ये कहने के बाद लिसा वेटर को अपने पास खींच लेती है और उसके कमर पर हाथ रख उसे अपने और करीब लाते हुए कहती है " सुनो तभी के लिए सॉरी वहां पर मेरी दोस्त थी इसलिए मैंने तुम्हें ऐसे बोल तुमसा 🥵 हॉट और जवान यहां पर कोई है नहीं मेरा एक काम कर दो एक रात तुम्हारी हो जाऊंगी",, 
     
    वेटर लिसा की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहता है "जी बताइए मैं क्या कर सकता हूं अपने नूरजहां के लिए "
     
     
     
    लिसा अपने पॉकेट से फिर से नशे की गोलियां निकलती है और उसे वेटर को देते हुए  कहती है "इसे किसी भी तरीके से राघव को पिला दो और मैं होटल के राइट साइड वाले कमरे में हूं तुम उसे वहां तक लेकर आओ बाकी का मैं देख लूंगी" 
     
     
    ठीक है मैं ऐसा ही करूंगा आप समझो आप का कम हो गया....

    ....................
     
    वही इस क्लब में कुछ और लोग भी आए हुए थे क्लब के एक कोने में थोड़ा सा सन्नाटा छाया हुआ था वहां पर बैठा प्रिंस आयुष की तरफ देखते हुए कहता है "  छोड़ना यार जो गया सो गया अरे एक गई है तो दूसरी आएगी ना तो क्यों अपनी गर्लफ्रेंड के लिए पागल हो रहा है देख यहां पर हम ऐसे उदास होने के लिए नहीं आए हैं, हम यहां पर chiil करने के लिए आए हैं तो आज तो थोड़ा बहुत पीना ही पड़ेगा "  प्रिंस की बात सुनकर आयुष कहता है "नहीं यार तुझे पता है ना  वो मेरी सच्चा प्यारा थी, बड़ी शिद्दत से उसे प्यार किया था और मैं नहीं पी सकता मैं अभी 19 का हूं तुम लोग तो बड़े हो गए हो" 
     
     
    इस पर प्रिंस के बगल बैठा अधीर आयुष को ताने देते हुए  कहता है " वह बेटा वह गर्लफ्रेंड बनने टाइम तो 19 नहीं देखी आज जब दारु पीने की बात आई तो 19 का दिख रहा है देख एक बार इसको अंदर ले मेरी बात मान सारे गम बाहर आ जाएंगे " 
     
     
     
     
    To be continued......





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  • 2. Chapter 2- stranger in bed

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

     
     
     
    अब आगे .......
     
     
    इधर अधीर और प्रिंस आयुष को जबरदस्ती ड्रिंक करने लगते हैं एक दो शॉट के बाद आयुष को भी अब अच्छा लगने लगा था वह भी अब उसे माहौल में इंजॉय कर रहा होता है तब तक प्रिंस और अधीर के पास उनकी गर्लफ्रेंड्स आ जाती है वह दोनों उनके साथ डांस करने के लिए स्टेज पर चले जाते हैं। 
     
     
    अब प्रिंस और अधीर को वहां से  चले जाने के बाद आयुष को अकेला महसूस हो रहा था और वह नशे  में भी पूरी तरीके से डूब चुका था वह बस इधर-उधर देख रहा था तो उसका सर चकरा रहा था वॉशरूम के लिए वहां से उठता है सीडीओ से होते हुए होटल के लेफ्ट साइड चल जाता है आगे जाकर एक कमरे का गेट खुला होता है उसे लगता है कि यह वॉशरूम में वह धीरे से उसे कमरे में घुस जाता है और उसके दरवाजे को बंद कर देता है कमरे में जल रही ब्लू लाइट की रोशनी में उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह धीरे-धीरे आगे बढ़ता है और उसका पैर पलंग से टकराता है, वह सीधा पलंग पर ज गिरता है और उसे पर गिरने के बाद वह अपनी आंखें बंद किए हुए वहां पर किसी को महसूस करता है उसे लगता है कि यह उसकी गर्लफ्रेंड रीमा है वह उसके ऊपर बैठ जाता है और धीरे से उसके कानों के पास जाते हुए " बच्चे मुझे पता है तुम्हारा भी दिल मेरे बिना नहीं लग रहा है इसलिए तो मेरे पास वापस आई हो ना मुझे पता था तुम वापस आओगी, लेट्स हैव फन  "
     
     
    कहकर वह उस अजनबी के शर्ट के  बटन को खोलने लगता है और उसके शर्ट के बटन को खोलते हुए  धीरे-धीरे उसके कान  के पास किस करने लगता है वह आदमी आयुष को रोकता है पर आयुष उसके हाथ को हटाकर नहीं आज मैं नहीं रुकूंगा और मैं तुम्हें अपना जलवा दिखा कर रहूंगा वह आदमी फिर से आयुष को रोकता है अबकी बार आयुष उसके दोनों हाथों को पकड़ लेता है और उसके गर्दन पर तेजी से किस करने लगता है और अपने जीव को बाहर निकाल कर उसके गर्दन पर घूमाने लगता है और धीरे-धीरे और उसके चेस्ट पर आ जाता है और उसके नाजुक हिस्सों पर भी अपने गगले को रखते हुए अपने टोंग से उसको सहलाने लगता है जिससे वह आदमी पूरी तरीके से अपना कंट्रोल खो रहा होता है यह आदमी कोई और नहीं राघव ही था वह गुस्से में आयुष को उठाकर बेड पर पटक देता है और उसके ऊपर चढ़ जाता है और एक डेविल मुस्कान के साथ कहता है " अब तुमने मुझे हार्ड कर दिया है अब जब तक मैं फ्री नहीं होता तुम्हें मुझे झेलना पड़ेगा """
    यह कह के वह आयुष के दोनों हाथों को कसकर पकड़ लेता है और उसके गर्दन पर तेजी से किस करने लगता है इससे पहले आयुष कुछ बोल पाता राघव अपने होंठ को उठाकर आयुष के होठों पर रख देता है और उसे पैशनेटली किस करने लगता है। 
     
     
     
     
    आयुष भी नशे में था वह भी राघव का पूरा साथ दे रहा था राघव धीरे-धीरे अपने पेट को नीचे करता है और अपने अंडरवियर्स को निकाल कर बेड से नीचे फेंक देता है और वह आयुष के भी कपड़ों को निकाल कर बेड से नीचे फेंक देता है वह धीरे-धीरे आयुष के पूरे बॉडी पर केस करने लगता है वह आगे बढ़ता है और आयुष के चेस्ट पर बैठते हुए टेक इट इन योर माउथ ओपन इट फास्ट ....
     
     
     
    आयुष नींद में था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था राघव अपने हाथों से आयुष का मुंह ओपन होता है और उसके गालों पर स्पैक करते हुए उसे इंस्ट्रक्शंस दे रहा होता है थोड़ी देर बाद राघव अपने पास पड़े बिस्तर को खींचता है और कंबल जैसे ही बाहर आता है वह उठकर अपने ऊपर डाल देता है और वह एक झटके में आयुष के अंदर इंटर कर जाता है जिसकी वजह से आयुष को बहुत तेजी से पेन होता है और वह अपने होश में आ जाता है आयुष चलाने की कोशिश करता है राघव उसका मुंह कसकर दबा देता है। 
     
     
    और कंटीन्यूअस उसके अंदर इन और आउट इन और आउट करता है जिसकी वजह से अब आयुष की हालात पूरी तरीके से खराब हो गई थी और वह बेहोश हो जाता है राघव उसको बेहोश देख बगल में लेटते हुए "" स्थित मैंने तो अभी शुरू ही किया था यह तो इसने में ही सो गया , राघव उठकर वॉशरूम में जाता है और मिरर में खुद को देखते हुए  एक जोर कि चीख के साथ वह शांत हो जाता है और पास पड़े टिशू पेपर को उठाकर अपने निचले हिस्से को साफ करने लगता है और आकर बेड पर चुपचाप सो जाता है ।
     
     
     
    अगली सुबह जब आयुष की आंख खुलती है तो उसको अपने कमर में असहनीय पीड़ा महसूस होती है अपनी निगाहें इधर-उधर घूमता है तो उसे उसके बगल में एक आदमी सोता हुआ नजर आता है यह देख आयुष पूरी तरीके से हैरान था कल रात उसने क्या किया था उसे अभी तक कुछ याद नहीं आया था पर चुपके से उठता है और अपने कपड़े समेटकर वहां से चला जाता है आयुष के जाते ही थोड़ी देर बाद राघव भी उठत है और वह बिस्तर को देखातो है। 
     
     
     
    तो उसे पर कुछ खून की छिटे गिरी हुई थी जिन्हें देख वह एक डेविल स्माइल के साथ मुस्कुराता है और अपने कपड़े को पहना होटल से बाहर आता है और सीधा अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है अपने ऑफिस पहुंचकर सनी से पूछता है " कल रात मेरे कमरे में वह लड़का कौन था? " 
     
     
    सानी हैरानी के साथ " लड़का पर आपके कमरे में! " 
     
     
     
    "ह मुझे नहीं पता कि वह कौन था और मुझे वह लड़का चाहिए"
     
     
    "पर सर कल रात आप लड़की के साथ गए थे ना" 
     
     
    "अच्छा मैं किसी लड़की के साथ गया था फिर वो लड़का" 
     
     
     
    हा सनी आश्चर्य से जवाब देता है सनी की बात सुनकर के राघव और सोच में पड़ जाता है कि वह कौन सी लड़की थी अगर मैं लड़की के साथ गया था तो वह लड़का कौन था इस पर राघव सनी से होटल के सीसीटीवी फुटेज मांगावता है थोड़ी देर में सनी उसे होटल की सीसीटीवी फुटेज लेकर उसके सामने हाजिर होता है तो वह देखता है कि राघव ने जब वेटर का दिया हुआ ड्रिंक किया तो उसके बाद का देख उसकी आंखे खुली कि खुली रह जाती है .... 
     
     
     
    आखिर क्या हुआ था उसके बाद.... 
     
    कैसे पहुंचा राघव उस कमरे तक..... 
     
    To be continued.......

  • 3. - Chapter 3 साजिश

    Words: 1136

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर में सनी उसे होटल की सीसीटीवी फुटेज लेकर उसके सामने हाजिर होता है तो वह देखता है कि राघव ने जब वेटर का दिया हुआ ड्रिंक किया तो उसके बाद से उसकी हरकतें अजीब हो गई थी और गुस्से में उसे वेटर को बुलाने के लिए कहता है शनि राघव के कहने से पहले उसे वेटर को लेकर वहां पर आ चुका होता है , वेटर को राघव के सामने धक्का देते हुए " चल बता अब तुमने किसके कहने पर यह सब किया था" 
     
     
    वेटर था-थर कांपने लगता है और डरते हुए कहता है " सर मुझे माफ कर दीजिए मैं बस  लस्ट के लालच में बहक गया था मुझे लिसा मैडम ने कहा था कि आपको नशे वाला ड्रिंक पिलाकर राइट साइड के कमरे में लेकर आना है , पर मुझसे गलती हो गई सर मुझे माफ कर दीजिए""  उसके बात को सुन करके राघव गुस्से में कहता है " यहां पर गलती की सजा मिलती है माफी नहीं ,, सनी इसको मेरे पालतू के पास भेज दो आज उनका भी अच्छा भोजन हो जाएगा "
     
     
     
     
    राघव की बात मानकर सनी उसे वेटर को वहां से लेकर चला जाता है राघव अपना फोन उठाता है और होटल में कॉल करते हुए " मैनेजर मुझे लिसा चाहिए वह जितना लेगी मैं देने के लिए तैयार हु पर मुझे वह चाहिए अभी" 
     
     
     राघव की बात सुनकर बहुत खुश होता है मैनेजर यह खुशखबरी निशा को बताता है कि उसे राघव सिंह  ने अपने घर बुलाया है यह सुनकर लीशा खुशी से उछल पड़ती है और वह बन ठन के राघव के पास जाने के लिए तैयार होती है थोड़ी देर में होटल के सामने एक ब्लैक कर आकर रूकती है और उसमें से दो आदमी बाहर आते हैं लीशा का पूरे आदर्श सम्मान के साथ स्वागत करते हैं और कर में बैठने के लिए कहते हैं और इसे सिद्ध राघव के पास ले जाने लगते हैं यह सब देख लिसा बहुत खुश होती है अपने मन में मुस्कुराते हुए "  तो मैं राघव को पसंद आ ही गई चलो अच्छा है अब मैं रातों-रात अमीर हो जाऊंगी , और वैसे भी आज तक कौन बच पाया है लिसा के हुस्न के जलवा से, लिसा अपने इमेजिनेशन में खोई होती है कि थोड़ी देर मैं वह कार महल के सामने आकर रूकती है। 
     
     
     
     
    वह विला किसी महल से काम नहीं था उसे देख लिसा की आंखें खुली की खुली रह जाती है वह कर का गेट ओपन करके बाहर आती है तो उसके सामने एक मिनी कर आ जाती है जो उसे बिला अंदर ले जाती यह सब देखकर के लिसा की खुशियों में तो चार चांद लग गए थे वह उससिकता के साथ उस मिनी कर में बैठीती है और वह कर देखते ही देखते वविला  के अंदर प्रवेश कर जाती है। 
     
    ।थोड़ी देर में अलीशा राघव के सामने होती है राघव निशा को देखकर के एक डेविल इस्माइल देता है और उसे अपने पास आने का इशारा करता है यह देख लिसा मुस्कुराकर राघव के पास जाती है और उसके थाई पर फिर से बैठते हुए उसके सर पर अपने उंगलियो को फेरते हुए कहती है " तो तुम्हें मैं पसंद आ ही गई मुझे मुझे पता था कि मैं तुम्हें पसंद जरूर आऊंगी ,यह कहकर वह राघव को किस करने वाली होती है राघव बड़े प्यार से उसके बालों में अपना हाथ डालता है और एक झटके में गुस्से से उसे खींचते हुए कहता है  " ब्लडी तुम मुझे नशे की गोलियां देने वाली थी राघव को तुम्हें अंदाजा भी है तुमने क्या किया है, यू हैव टू पे का इत लीसा" 
     
     
    को जमीन पर धक्का दे देता है लिसा घबराते हुए राघव से माफी मांगने लगते हैं प्लीज मुझे माफ कर दो यहां से जाने दो प्लीज मुझे जाने दो तब तक राघव ताली बजाता है और दो जंगली कुत्तों के भौंकने की आवाज आने लगती है धीरे-धीरे वह आवाज और तेज होती जा रही थी यह सुनकर के निशा पूरी तरीके से घबरा गई थी और वह राघव के पैरों को पकड़ते हुए प्लीज मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई तब तक सनी आता है और वह राघव के कान में कुछ कहता है जिसके सुनने के बाद राघव की गुस्सा सातवे  आसमान पर पहुंच चुका था। 
     
    "वह अपने कुर्सी से उठता है लीशा के पास आकर उसके सर पर लगे हेयर पिन को खींचता है तो वह देखता है कि उसमें एक मिनी कैमरा लगा हुआ है यह देखते हुए लिसा को एक जोर का थप्पड़ मारता है और उस गुस्से में पूछते हुए  " बताओ तुम्हें यहां किसने भेजा है"  तुम किसके लिए काम करती हो? 
     
     
    इस पर निशा रोटी-रोटी सब बताती है कि उसे इंस्पेक्टर तुषार ने यहां पर भेजा है वहीबताती है कि जब इंस्पेक्टर तुषार को यह पता चला कि तुम उसे होटल में आने वाले हो तो उसने मुझे वहां पर तुम्हारे साथ एक रात बिताने के अच्छे खासे पैसे दिए थे पर उसके बदले वह मुझे तुम्हारे सारी डिटेल चाहता था पर रात को कुछ ना हो पाने की वजह से आज जब दिन में मैंने उसे बताया कि तुमने मुझे बुलाया है तो वह फिर से मुझसे मिलने आया था और फिर उसने मुझे यह क्लिप दियाऔर बोला कि तुम जब वापस आओगी तो मुझे सब कुछ पता चल जाएगा ""* 
     
    ह मुझे मिल जाएगा प्लीज मुझे माफ कर दो मुझे इसके बारे में  मुझे कोई भी जानकारी नहीं थी। Pls  मुझे जाने दो यहां से
     
     
     राघव गुस्से में लिसा  की तरफ देखते हुए "  मैं एक टाइम पर तुम्हें माफ भी कर देता पर तुमने मेरे साथ धोखा किया है और राघव के लाइफ में धोखा देने वालों के लिए मौत थे माफी नहीं यह कहकर वह सनी को इशारा करता है सनी राघव का इशारा समझ कर लिसा को वहां से लेकर चला जाता है" 
     
     
    राघव गुस्से में अपने फोन को सामने लगे शीशे पर मरता है और वह शिसा चूर-चूर होकर जमीन पर गिर जाता है , और वह गुस्से में कहता है में तुषार उर्फ शोएब तुम जिंदा नहीं बचोगे वह और गुस्सा हो रहा होता है कि तब तक उसे उसके शरीर से उसे लड़के की गंध आती है । 
     
     
     
    उसे सूंघने के बाद उसका गुस्सा शांत पड़ जाता है और फिर से उस लड़के के ख्याल में खो जाता है वह शनि को तेजी से आवाज देते हुए सनी मुझे वह लड़का किसी भी हालत में चाहिए तो चाहिए या का कर सनी को वहां से जाने के लिए कहता है इसके बाद राघव अपना फोन उठाता है और डॉक्टर को कॉल करते हुए डॉक्टर हमें अभी आपसे मिलना है यह कहकर वह वहां से निकल जाता है और थोड़ी देर में वह डॉक्टर के पास पहुंचता है ....
     
     
     
     
    To be continued.....
     
     
      well स्टोरी पढ़ने के बाद रेटिंग और कमेंट तो के दिया करिए ताकि हमें पता तो चले आप को स्टोरी कैसे लगी
     
     

  • 4. Chapter 4 offer from office

    Words: 1352

    Estimated Reading Time: 9 min

     
     
    अब आगे....
     
     
    " डॉक्टर ऐसे कैसे हो सकता है मेरी इतने साल की बीमारी अचानक से ठीक हो गई"
     
    राघव आपके क्या कह रहे हैं? 
     
    "डॉक्टर मैं आपको कैसे बताऊं मैं क्या कहना चाहता हूं मैं अब नामर्द नहीं रहा" 
     
     
    यह सुनते डॉक्टर मुस्कुराकर कहते हैं " यह तो अच्छी बात है इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है"? 
    देखिए आप ज्यादा टेंशन ना लीजिए से  और आप के गुस्से और परेशानी की वजह से इरेक्टाइल थिस फंक्शन हुआ था और आप अभी भी गुस्सा कर रहे हैं " देखिए एक लंबी सांस लीजिए और अपने गुस्से को शांत करिए ",,,
     
    "पर डॉक्टर आपको मैं कैसे बताऊं मैं कल रात बेड में डेढ़ घंटे तक चला हूं बिना किसी दवाइयां की मदद के ,पर !
     
    पर क्या राघव ?
     
    डॉक्टर आश्चर्य से पूछते हैं पर बेड में कोई लड़की नहीं लड़का था *"
     
     
    "तो इसमें गलत क्या है तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारी इतनी पुरानी बीमारी अचानक से ठीक हो गई और तुम्हें लगता है कि तुम उसे लड़के के पास जाते हो तो तुम्हें ऐसा हो रहा है तो तुम्हें उसके साथ एक बार और कोशिश करनी चाहिए तुम्हें म तुम्हारे सारे सवाल के जवाब मिल जाएंगे डॉक्टर राघव की बात सुनकर कर सही लगता है पर अभी भी उसको उस लड़के का ही ख्याल हो रहा होता है 
     
     
    ++++++++++++++++++++++++++++++
     
     
    इधर आयुष सुबह-सुबह अपने घर पहुंचता है और वह घर पर पहुंच कर चुपचाप अपने कमरे की तरफ जा रहा होता है पर तब तक उसे पीछे से एक आवाज आती है  " बेटा  पैसे ले आया ?"
     
    यह सुन वह पीछे मुड़ता है और अपने म की तरफ देखने के बाद वह चुपचाप अपने कमरे की तरफ चला जाता है और अपने कमरे में पहुंचकर उसका दरवाजा बंद कर देता है और अपने कपड़ों को अपने शरीर से निकलते हुए सीधा वॉशरूम की तरफ भागता है और शावर को ऑन करते हुए खुद को खसखस कर धोने लगता है , शीशे में देखते हुए कहता है "  कि तुमने क्या कर दिया आयुष एक लड़के के साथ छी तुम्हें सोचा भी है तुमने कितना गलत काम किया है मुझे अपने शरीर का हर एक हिस्सा अच्छे से साफ करना है उसकी जरा सा भी स्मेल अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता "
     
     
    आयुष अपने शरीर को घिसने लगता है तब तक उसके निगाह उसके कलाइयों पर जाती है जो राघव के उंगलियों से भरे पड़े थे और उसके गर्दन और पूरे शरीर पर बस दांतों के निशान और लव बाइट दिख रहे थे यह सब देखो गुस्से में पानी की बाल्टी पर पर मरने की कोशिश करता है तब तक उसके कमर में एक जोर का दर्द होता है जिसकी वजह से वह जमीन पर बैठ जाता है और वह दर्द उसके लिए बहुत ही ज्यादा दर्दनाक था वह चुपचाप उठत है और अपने आंसुओं को पूछते हुए बाहर आता है खुद को नॉर्मल दिखाते हुए कहता है "मुझे इस चीज को लेकर रिएक्ट नहीं करना है और एक मुस्कान के साथ अपने कपड़ों को अपने शरीर पर डालता है और कमरे से बाहर आते आ जाता है, 
     
     
    उसके  म जो नीचे भगवान के सामने बैठकर प्रार्थना कर रही होती है उन्हें देखकर वह भी उनके बगल में  बैठ जाता है और भगवान के पैर छूते हुए अपनी मां से कहता है  "मां पैसों का जुगाड़ अभी नहीं हुआ है पर मैं जल्दी ही कर लूंगा "
     
    यह सुनते ही उसकी मां अपने कमर के पास रखी पोटली को निकलती है और उसे आयुष के हाथ पैर रखते हुए कहती है  " बेटा इसमें मेरे कुछगहने aहैं तुम इसे बाजार में बेच दो कुछ पैसे मिल जाएंगे, वरना अगर हमने इस महीने भी घर का किराया नहीं दिया तो हमें या घर छोड़ना पड़ेगा और हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा ठिकाना नहीं है ,और तुम्हारे पिताजी जो अस्पताल में भर्ती है उनके भी ऑपरेशन के लिए चार लाख चाहिए तुम इतने पैसे कहां से लाओगे मेरे इन गहनों को भेज दो तुम्हें थोड़ी सी आसानी होगी और मैने नए काम सीख लिए हैं मैं अब दोनों टाइम लोगों के यहां काम करने चली जाऊंगी" 
     
     
    आयुष सुनते ही " उन गहनों को अपनी मां के हाथ में रखते हुए नहीं मां मैं इनको नहीं बेच सकता यह आपके सुहाग की निशानी है आप पैसों की चिंता मत करिए मैं पैसों का जुगाड़ कहीं ना कहीं से कर लूंगा "  या कहकर वह उठकर वहां से चला जाता है वह बाहर आकर के प्रिंस और अधीर को कॉल करता है। 
     
    🤙 कॉल पर "हेलो फ्रेंड्स अधीर में आज ऑफिस थोड़ा लेट से आऊंगा सुनो मुझे पैसों की जरूरत है तुम्हे पता है ना पापा अस्पताल में है और मुझे मेरे घर का रेंट भी देना क्या थोड़ी सी मदद मिल सकती है?"   प्रिंस और अधीर कॉल पर आयुष्य कहते हैं "भाई हमें माफ कर दे पर इस टाइम हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि हम तेरी मदद कर सके पर हां एक सॉल्यूशन दे सकते हैं तू ऑफिस से लोन क्यों नहीं ले लेता एक बार तू ceo सर से बात करेगा तो तुझे लोन आसानी से मिल जाएगा , वह महीने महीने अपने सैलरी से कटवाते रहना और जब तुझे लगे कि तेरे पिताजी ठीक हो गए हैं तो ओवर टाइम करके अपना लोन चुकता कर देना, और तू चिंता न कर हम और अधीर भी अपने सेलरी से थोड़ा पैसा तेरे लोन चुकता करने में लगा देगे ,प्रिंस का सुझाव आयुष को अच्छा लगा पर उनसे कहता है ठीक है मैं ऑफिस जाकर सर से बात करता हूं ...
     
     
    इधर सनी राघव के पास फाइल लेकर पहुंचता है और वह फाइल राघव को देते हुए "  सर इस लड़के का नाम आयुष है और यह हमारी ही कंपनी में जॉब करता है "
     
     
    "अच्छा यह हमारी कंपनी में है और आज तक हमें पता नहीं चला चलो अच्छी बात है" 
     
     
    "सर इसका एक छोटा भाई एक बहन और मां-बाप है बाप हॉस्पिटल में है मां लोगों के यहां काम करती है यह सुनकर के राघव थोड़ी देर सोचने के बाद  "सुनो इसको मेरा पर्सनल सेक्रेटरी बना दो" 
    क्या सर र पर" 
     
     राघव गुस्से में शनि की तरफ देखते हुए तुमसे जितना कहा गया है उतना करो
     
     
     
    सनी चुपचाप सर हिला कर वहां से चला जाता है  "इधर ऑफिस में जैसे ही आयु एनटर करता है उसे यह न्यूज़ मिलती है कि उसे बस का पर्सनल सेक्रेटरी बना दिया गया है यह सुनकर वह बहुत कुछ होता है वह भगवान जी की तरफ देखते हुए थैंक यू गॉड जी आपने मेरी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन दे दिया इधर प्रिंस और अधीर आयुष को देखकर दौड़कर उसके पास जाते हैं और उसको यह न्यूज़ बताते हुए तुम्हें तो मेल मिल ही गया होगा ना आयुष पूरे ऑफिस में तुम्हारे चर्चे हो रहे हैं ऐसा क्या देख लिया बॉस ने तुम्हारे अंदर की किसी इंटरनेट को 4 महीने भी नहीं हुए आए हुए और उसे पर्सनल सिक्योरिटी के रूप में रख लिया,  इस पर आयुष मुस्कुराकर कहता है "शायद मेरी एबिलिटी को देखकर के उन्होंने ऐसा किया होगा" 
     
    इस पर अधीर मुस्कुराकर जवाब देते हुए "बेशक तू है ही इतना इंटेलिजेंट तब तक एक आदमी आता है और आयुष को देखकर "सर आपको सीओ साहब ऑफिस में बुला रहे हैं !"
     
     
    क्या सर बुला रहे, मैं अभी जाता हु ,
     
     
    आयुष उस आदमी को रोकते हुए को रोकते हुएकहता है "रमन काका आपको मैंने कितनी बार कहा है आप मुझे सर मत का कहीए मैं आपके बेटे के उम्र का हूं आप मुझे मेरे नाम से बुलाया करिए" 
     
     
    " पर आप आयुष "
     
    "काका क्या अब आप मेरी इतनी बात भी नहीं मानेंगे " 
     
     आयुष बाबा माफ कर दो ,पर सबको  सर कहने की आदत है आप जाइए हम आगेय से आप को आयुष ही बुलाएंगे " 
     
     
    प्रिंस और अधीर से मिलकर सीधा ceo के केबिन के तरफ जाने लगता है वह केबिन के दरवाजे पर खटखटाते हुए , 
     
     May i come in sir आयुष की आवाज सुनकर राघव
     
    मुस्कुराते हुए कहता है कम इन आयुष इस आवाज को सुनकर आयुष एक पल के लिए ठहर जाता है
     
    To be continued.... 
     
     
     
    क्या होगा जब आयुष को ये पता चलेगा कि उस रात का आदमी उसका बॉस ही था 
     
     
     
     
     
     
     
     

  • 5. Chapter 5 I need u in my bed

    Words: 1162

    Estimated Reading Time: 7 min

    आयुष एक पल के लिए ठहर जाता है पर फिर वह खुद को नॉर्मल करते हुए नहीं यह वह नहीं हो सकता है अंदर जाने के बाद वह देखता है कि उसके सामने चेयर पर एक इंसान जिसकी हाइट 6 फीट के बराबर थी कलर गहुआ रंग था और उसने नीली कलर की थ्री पिस पहन रखी थी और एक सिगार को अपने मुंह में दबाए हुए दूसरी तरफ मुंह करके बैठा हुआ था , उसे देखकर आयुष फाइल्स को टेबल पर रखते हुए  "सर यह कुछ पेंडिंग फाइल है जो आपको देखनी है सर आई वांट टू से समथिंग थैंक यू सो मच मुझे यह जॉब देने के लिए मुझे इसकी बहुत नींद थी" 
     
    यह सुनते ही राघव वापस घूमता है और राघव को देखकर के आयुष के चेहरे का रंग उड़ जाता है आयुष राघव को अपने सामने देख कल रात के हादसे से से रूबरू हो जाता है,  उसके माथे पर पसीने आने लगते हैं पर वह खुद को नॉर्मल करते हुए सर थैंक यू सो मच मुझे यह जॉब देने के लिए" । 
     
     
     
     इस पर राघव आयुष के पास आता है और उसके स्मेल को एक लंबी सांस के साथ सुंघाते हुए मुस्कुराकर कहता है योर वेलकम,  राघव को लगा था कि आयुष उसे देखकर कुछ रिएक्ट करेगा पर आयुष पूरी तरीके से नॉर्मल होने की एक्टिंग कर रहा होता है तब तक राघव का ध्यान आयुष के हाथों पर जाता है वह उससे पूछ बैठता है "यह तुम्हारे हाथ में निशान कैसा है?  इस पर आयुष हिचकते ती हुए बोलता है "सर वह गलती से चोट लग गई थी "
     
     
    "वह क्या चोट लगी है दोनों हाथों पर उंगलियों के निशान तुम्हारे इस मखमल के शरीर पर साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं अरे तुम्हारे गर्दन पर काला क्यों पड़ा हुआ है यह सुन करके आयुष अपने शर्ट को ऊपर खींचना लगता है, ऐसे तो पूरे बॉडी में भी होंगे?  क्योंकि मेरे दंत है ही इतने कमल के ।
     
     
     
     
    आयुष फिर से राघव की बातों को नजर अंदाज कर देता है वह अपने माथे पपर आ रहे पसीने को पूछते हुए " सर क्या मैं अब जा सकता हूं मुझे अर्जेंट कॉल करना है ,राघव अपना सर हमें हिलता है और उसके बाद आयुष उसके केविन से बाहर आ जाता है ।
     
     
     
     
     
     
    और वह हांफते हुए अपने डेस्क पर आकर बैठ जाता है और अपने हाथ को अपने सर पर रखते हुए गहरी सांस लेते हुए सोचने लगता है " यह कहां फंस गया मैं यह तो वही है जिसके साथ कल रात बीती थी , मुझे सोच करके भी अजीब लग रहा है पर मेरे पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है अगर मैंने यह जॉब छोड़ दी तो बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी इससे अच्छा है कि चुपचाप इसको बर्दाश्त करता रहो "
     
     
    तब तक आयुष के कंधे पर किसी का हाथ महसूस होता है यह देखकर झट से पीछे मुड़ता है तो यह अधीर होता है पर अधीर को देखकर मुस्कुराते हुए अरे अभी बैठो अधीर आयुष को देखकर तो  " इतना परेशान क्यों है?  देख मुझे पता है तेरी प्रॉब्लम तूने सर से लोन के बारे में बात की "?
     
     
    इस पर आयुष बिना कुछ सोच ना में सर हिला देता है  " तो बात करना अधीर गुस्से से कहता है अरे एक बार बात करके देख क्या पता बात बन जाए" 
     
     
    इस पर आयुष कुछ सोचकर एक गहरी सांस लेता है और सीधा बॉस के केबिन की तरफ चला जाता है वह  एंट्री लेकर जैसे ही अंदर जाता है  राघव को देखकर लड़खड़ाते हुए कहता है " सर आई नीड ए हेल्प " 
     
     
     
     राघव मुस्कुराकरकैसे हेल्प चाहिए तुम्हें ?
     
    "सर मुझे कुछ पैसों की जरूरत है मुझे कंपनी से लोन लेना है मैं ओवरटाइम करके सारे लोन चुका दूंगा पर मुझे अभी पैसों की सख्त जरूरत है" 
     
     
    "ठीक है लोन अप्रूव हो जाएगा पर इससे भी अच्छा ऑफर है मेरे पास" 
     
    आयुष आश्चर्य से पूछता है क्या ? सर र
     
     
     
    "तुम्हें मेरे साथ एक और रात बितानी होगी और मैं तुम्हें एक रात के 1 लख रुपए दूंगा बाकी का पैसा तुम लोन से ले सकते हो और रात बिताने का बिताने यह फायदा होगा  तुम्हें यह फायदा होगा कि तुम जितना टाइम चाहे अपने टाइम के हिसाब से लोन पे करना , "।   
     
    यह सुनकर आयुष गुस्से में कहता है "सर मैं वैसा नहीं हूं जैसा आप समझ रहे हैं वह तो कल रात में नशे में था उसकी वजह से यह सब हो गया पर अब मेरे से नहीं हो पाएगा"  यह कह कर वह वह  से बाहर चला जाता है बाहर आकर वह अपने डेस्क पर बैठता ही तब तक उसके पास हॉस्पिटल से फोन आता है  " हेलो आयुषी आप एक लाख रुपये कल के अंदर तक जमा कर दीजिए वरना हमें ना चाहते हैं अपने पिताजी को अस्पताल से डिस्चार्ज करना पड़ेगा क्योंकि अब तक आपने हमारा बकाया बिल भी नहीं भरा है और टोटल मिलाकर एक लाख रुपये हो गए हैं आप इसको जमा करिए या तो अपने पिताजी को लेकर जाइए और उनके ट्रीटमेंट्स भी रोक दी गई है तो पैसे भेजिए फिर ट्रीटमेंट शुरू होगी ""
     
     
    "यह सुनकर आयुष डॉक्टर से कहता है डॉक्टर साहब आप प्लीज पापा की ट्रीटमेंट मत रोक मैं पैसे का जुगाड़ करके आपको कल तक पैसे दे दूंगा"
     
     
    आयुष एक गहरी सांस लेता है और अब लगभग ऑफिस का टाइम खत्म हो चुका था सारे स्टाफ जा चुके थे वह भी अपना बैग उठना है और ऑफिस से बाहर आता है और सड़क पर चलते-चलते उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे अभी के अभी ₹100000 चाहिए थे और उसके पास कोई और रास्ता दिख नहीं रहा था वह अपने दिमाग में कुछ सोचता है सामने से आ रही टैक्सी को हांत देते हुए भैया राणा विला  चलेंगे ? 
     
    टैक्सी हां में सर हिलाती है आयुष उस टैक्स में बैठ जाता है थोड़ी देर बाद वह  विला के सामने पहुंचता है और वह वहां पर खड़े गार्ड से कहता है मुझे सर से मिलना है गार्डन सनी के पास कॉल करते हैं और उसे वहां पर आयुष के बारे में बताते हैं या देख सनी आयुष को अंदर आने के लिए परमिशन दे देता है आयुष सीधा विला के अंदर इंटर करता है और वह राघव के कमरे के पास जाकर उसके दरवाजे पर खटखटाते हुए राघव उसे देखकर "तो तुम आ गए गए तो बड़े गुस्से में गए थे क्या हुआ"
     
    "आयुष चुपचाप अंदर जाता है सर मैं तैयार आप जो जो चाहते हैं मैं करने के लिए तैयार हूं पर उससे पहले आपको मुझे ₹100000 देना होगा वरना मेरे पापा का ट्रीटमेंट रुक जाएगा यह सुनकर राघव एक डेविल स्माइल के साथ मुस्कुराता है ठीक है तुम रेडी हो जाजो पैसे हॉस्पिटल में पहुंच जाएंगे यह कहकर वह अपना फोन उठाता है और सनी को कॉल करके पैसे हॉस्पिटल में जमा करवाने को कहता है इधर वह आयुष को बाथरोब देता है और कहता है अपने कपड़े उतार कर जल्दी से स्विमिंग पूल में आ जाओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.... 
     
     
     
     
     
    To be continued.....

  • 6. - Chapter 6 लस्ट इन वाटर

    Words: 1168

    Estimated Reading Time: 8 min

    इधर वह आयुष को बाथरोब देता है और कहता है अपने कपड़े उतार कर जल्दी से स्विमिंग पूल में आ जाओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं
     
     
     
     
     
    और हां बे रेडी फॉर एट बी हंगरी फॉर आईटी राघव वहां से चला जाता है आयुष उसे बात रोग को उठना है और वह सामने मिरर में खुद को देखते हुए गहरी सांस लेता है आयुष तू कर लेगा तो क्यों सोच रहा है इतना थोड़ी देर की बात है कह कर वह अपने कपड़े चेंज करता है और बाथरूम पहनकर राघव के स्विमिंग पूल के पास चला जाता है राघव उसे देखकर मुस्कुराते हुए चलो नीचे भी आ जाओ आयुष अपना बहुत रॉक उतार कर बगल में रखता है और बगल में लगे तो स्टेप की मदद से वह स्विमिंग पूल में नीचे उतरता है उसे ऐसे उतरता देख राघव से रोकते हुए ना ना ऐसे नहीं उतरना है अरे अपने अंडरवियर को तो हटा दो तो क्या आप कपड़े पहन के यहां पर आओगे मेरे से कैसी शर्म चलो बच्चों बच्चों की तरह जो कहा है करो आयुष चुपचाप अपना अंडरवियर उतार कर साइड कर देता है उसके आंखों में आंसू आ रहे होते हैं पर वह उन आंखों को बीच लेता है और अपने गले से आ रही आपको अपने गले में ही दबा कर रख लेता है और वह चुपचाप स्विमिंग पूल में नीचे उतरता है आयुष के आज आने की वजह से स्विमिंग पूल का चरण और बढ़ चुका था उसका गोरा बदन पुलिस स्विमिंग पूल में जैसे दिखाई दे रहा था राघव बढ़कर आयुष के पास आता है उसे अपने और करीब खींच लेता है और वह आयुष के गर्दन पर किस करते हुए छुआ तू सेक्सीऔर उसकी अपनी तरफ मोड़ देता है और उसे अपनी गोद में उठाते हुए उसके होठों पर अपने होंठ को रख देता है और पैशनेटली किस करने लगता है पर आयुष का मन अभी भी उन सब चीजों में नहीं लग रहा था राघव रुकते हुए आयुष से कहता है तुम्हें मेरा साथ देना होगा मैं तुम्हें ₹100000 दिए हैं तो इतना तो हक बनता है मेरा राघव की बात सुनकर आयुष उसका साथ देने लगता है वह भी राघव को पैशनेटली किस करने लगता है राघव इस टाइम इतना ज्यादा हाई हो चुका था कि वह आयुष को किस करते-करते उसके होठों को काट लेता है इसकी वजह से आयुष के होठों से खून आने लगते हैं पर राघव उनको भी बड़े प्यार से अपने गले के नीचे उतर रहा होता है आयुष गुस्से में राघव को धक्का देते हुए आराम से मेरे होंठ कट गए हैं राघव अपनी आंखें बड़ी करता है जिसे देख आयुष चुप हो जाता है पर चुपचाप राघव की तरफ आता है राघव आयुष का हाथ पकड़ कर अपने निकले पार्ट की तरफ कर देता है और एक डेविल स्माइल के साथ तो कैसा है यह जरा बताना तो आयुष इसको देखकर के डर जाता है और उसकी आंखें बड़ी हो जाती है उसे कल रात के दर्द का एहसास होता है जो अभी तक उसके कमर में था पर वह इसके लिए तैयार था राघव आयुष का सर पड़कर उसे स्विमिंग पूल के पानी के अंदर जाने को कहता है और उसके निचले पार्ट पर किस करने को कहता हैराघव की बात सुन आयुष थोड़ा सा हिचक रहा था पर राघव उसे जबरदस्ती करने लगता है इसके बाद आयुष मजबूर होकर धीरे-धीरे नीचे आता है और राघव के निचले पार्ट पर वक्त किस करता है जिसके बाद राघव उत्तेजना के साथ उससे कहता है देखो उसके साथ तुम्हें मनोरंजन भी करना है मैंने तुम्हें ऐसे ही एक लाख रुपए नहीं दिया है वह आयु को सारे इंस्ट्रक्शन समझ रहा होता है आयु पानी से बाहर आता है उसकी सांस फूलने लगी थी मैं देख राघव उसका मुंह को अपने मुंह के पास लगा लेता है और उसे एक पेशेंट किस करते हुए अपने गोदी में उठता है और स्विमिंग पूल से बाहर आ जाता है बाहर आने के बाद वह पास में टॉवल को उठाकर आयुष के शरीर से सारे पानी को पूछता है और फिर अपने शरीर से पानी पहुंचाने हुए आयुष को अपने शरीर से चिपक लेता है और मुस्कुराहट के साथ कहता है ए जो तुम्हें नहीं पता है यह सब कैसे करना है पर तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें सब सिखा दूंगा यह देखो मेरे पास कुछ वीडियो है तो मैं सीखने में मदद करेंगे यह कहकर वह उन वीडियो को आयुष के सामने रख देता है आयुष को वह सब देखकर के बहुत अजीब लग रहा था उसे अंदर से मैच में चीज मच रही थी पर वह चुपचाप था तब तक राघव अपने एक सर्वेंट को इशारा करता है पर सर्वेंट एक ट्रे में एक गिलास जूस और एक मेंफाइन लेकर आता है राघव उसे देखते हैं आयुष से कहता है लो इसे जल्दी से खत्म कर लो तुम्हें थोड़ी सी एनर्जी मिलेगी इसके बाद फिर हम अपना आगे का काम शुरू करेंगे आयुष राघव के कहने पर उसे ड्रिंक को उठना है और उसे एक साथ में पी जाता है उसे जूस के पीने के बाद आयुष का कर धीरे-धीरे घूमने लगता है की देखभाल आगे से कहता है कि मेरा सर अचानक से घूम क्यों रहा है आपको मुस्कुराहट के साथ चिंता मत करो थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा अब आयुष को उठाकर के सिद्ध कमरे में चला जाता है और उसे बेड के बिस्तर पर पटकते हुए पास में पड़े पीनट बटर को उठना है और उसे आयुष के बॉडी पर लगाकर अपने के की मदद से साफ करने लगता है और उसे जगह-जगह पर किस करते हुए आयुष को सेट उसे करने की कोशिश कर रहा होता है आयुष इस पर राघव के सर को पकड़ते हुए प्लीज छोड़ दो मुझे प्लीज कर दो एक डेविल इस्माइल के साथ आयुष के हाथों को कसकर पकड़ लेती है और उसके गर्दन पर किस करने लगता है इसके बाद अब रातों के इस केस की वजह से आयुष भी पूरे मूड में आ चुका होता है वह राघव के बालों को कसकर खींचता है और उसके होठों पर अपने हॉट रखकर उसे पर्सनालिटी किस करने लगता है और डेसपरेट हो करके उसके बॉडी पर इधर-उधर कैसे करने लगता है औरजैसा जैसा वह उसे वीडियो में देख रखा था वह सब करने लगता है यह देख राघव मुस्कुराता है और थोड़ी देर बाद राघव बिस्तर पर पड़े कंबल को अपने ऊपर डालता है और एक झटके के साथ आयुष के अंदर फिर से इंटर करता है और आयुष की चीज पूरे फिल में सुनाई देती है थोड़ी देर उसे चीज के बाद आयुष फिर से सो जाता है उसे देख राघव भी उसके बगल में लेट जाता है और वह गुस्से में उसने आज फिर से मुझे आधे पर ही छोड़ दिया वह वही बिस्तर पर लेटे हुए एक चोर की चीख निकलता है और पास पर टिशू पेपर को उठाकर खुद के निचले पार्ट को साफ करता है और आयुष के होठों पर अपना होंठ रखकर उसे एक दीप किस करने के बाद वह वही उसके बगल सो जाता है

  • 7. Chapter 7 Sharm kr lijiye

    Words: 1223

    Estimated Reading Time: 8 min

    जोर की चीख निकलता है और पास परे टिशू पेपर को उठाकर खुद के निचले पार्ट को साफ करता है और बाहर बेड पर आआके और आयुष के होठों पर अपना होंठ रखकर उसे एक दीप किस करने के बाद वह वही उसके बगल सो जाता है
     
     
    अगली सुबह आयुष को होश आता है तो वह खुद को बिना कपड़े का पता है खुद को बिना कपड़े का प्रकार उसे थोड़ा सा अजीब लग रहा था वह अपनी बगल सो रहे राघव को देखना चाहता था पर उसके बगल में राघव नहीं था वह देखकर भगवान की तरफ देखते हुए  " थैंक गॉड आपने उसे दरिंदे से छुटकारा दिला दिया अब मैं यहां से जल्दी से हॉस्पिटल जाता हूं और जाकर अपने पापा की तबीयत को देखता हूं , यह कह बिस्तर से बाहर निकलता है और गेट की तरफ दौड़ता है तब तक अचानक से गेट के सामने राघव आ जाता है जिसे देखकर  आयुष चौंक कर खड़ा हो जाता है ।
     
     
     
    "कहां चल दिया मिस्टर इतनी सुबह-सुबह "
     
     
    आयुष राघव की तरफ देखते हुए "सर आपसे मतलब बस हमारा और आपका सौदा एक रात का था अब रात बीत गई है और ना तो हम ऑफिस में है तो हम एक स्ट्रेंजर है और मैं एक स्ट्रेंजर को जवाब देना उचित नहीं समझता" 
     
     अच्छर एक स्घ्रेंजर के साथ हम विस्तार हो सकते हो?  ये कह रगव उसे अपनी तरफ खींचता हैं उसके हाथ को पड़कर खींचकर अपने पास लाता है और उसके कान के पास जाते हुए "यही स्ट्रेंजर है तुम्हारे साथ दो रातें बिताई हैं और अभी स्ट्रेंजर स्ट्रेंजर नहीं रहा तुम्हारा शरीर पर कितने तिल है इस स्ट्रेंजर को पता है तो यह स्ट्रेंजर स्ट्रेंजर कहां से हुआ "
     
     
     
    राघव की बात सुनकर आयुष खुद को छुड़ाते हुए छोड़ो मुझे वरना अछा नही होगा अच्छा नहीं होगा जब तक मेरी मर्जी थी मैं था, आपके साथ अब मेरी मर्जी नहीं है आप मुझे जाने दीजिए ,
     
     
    आयुष की बात सुनकर राघव मुस्कुराकर कहता है " हटी बालक पहले चलो कुछ खा लो वैसे भी कल रात को तुमने बिना कुछ खाए बिस्तर में गए थे और तुम्हें एक बात बता दूं मैं ₹100000 दिया है और तुमने मुझे अभी तक ढंग से सेटिस्फाइड भी नहीं किया है तुम आधे ही रास्ते में बेहोश हो जाते हो इतने कमजोर हो क्या" 
     
     
     
     आयुष _ "नहीं जैसे मुझे तो हथौड़े लेने की आदत है और मैं हथौड़े लेता रहता हूं इसलिए मजबूत बना हु" 
     
     
    राघव _ क्या मतलब है तुम्हारा ?
     
     
    आयुष _ "हां मतलब वही है हथोड़ा का मतलब कुछ और है जो आप समझ रहे हैं वही देखिए मुझे आप यहां से जाने दीजिए वरना आपके लिए अच्छा नहीं होगा "
     
     
    रघवा__"अच्छा क्या करोगे" 
     
     
    आयुष_"अच्छा क्या करूंगा अभी बताता हूं ! आयुष पास पड़े चिल्ली फैक्स को उठता है और उसके मुंह पर फेंक देता है जिसकी वजह से वह चली पेपर राघव के मुंह में चला जाता है और उसकी वजह से राघव की हालत खराब होने लगती है राघव को सांस लेने में दिक्कत और उसका दाम घू टने लगता है "
     
    पर आयुष वहां से भागने लगता है आयुष को यह समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है उसे लगा कि राघव कोई मजाक कर रहा है पर वह जैसे दरवाजे पर पहुंचता है तो राघव तेजी से जमीन पर गिर जाता है यह देख आयुष दौड़ करके वापस आता है और राघव को उठाते हुए क्या हुआ? आयुष डर जाता है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसे टाइम सुबह-सुबह वहां पर कोई नहीं था आयुष राघव के हाथ पैरमसलने लगता है  उसके मुंह में गई चिल्ली फ्लेक्स को निकलते हुए पास पड़े पानी की जर को उठता है और राघव के ऊपर डाल देता है तो राघव को हल्की सी होश आता है पर चिल्ली फ्लेक्स का असर इतना था कि राघव ढंग से बोल नहीं पा रहा था आयुष को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसे तब तक याद आता है कि उसके मां ने बताया था कि जब कभी मिर्च ज्यादा लगे तो हमें मीठे य khady के तेल का सेवन करना चाहि एइस बात को याद करते हुए आयुष दौड़ करके किचन में जाता है और वहां से चीनी और एडिबल ऑयल लेकर के राघव के पास आता है और आंखों को मुंह खोलने के लिए कहता है पर राघव अपना सर नाम हिलाते हुए वह लड़खड़ाते हुए कहता है मैं ऐसा वैसा कुछ भी नहीं खाऊंगा क्या पता यह सेफ ना हो आयुष गुस्से में देखो बच्चों जैसी है ना करो अभी यहां पर हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं है और डॉक्टर भी नहीं है चुपचाप तुम्हें खाना पड़ेगा आयुष जबरदस्ती राघव का मुंह खोल करके उसके मुंह में चीनी डाल देता है और थोड़ी देर बाद राघव को बेहतर फील होता है इसके बाद आयुष राघव से एडिबल ऑयल खाने को कहता है फिर ड्राइवर नखरे दिखाती है तो आयुष जबरदस्ती उसका मुंह खोल करके उसमें थोड़ा सा एडिबल ऑयल डाल देता है जिसकी वजह से अब राघव को पहले से बहुत बेहतर फील हो रहा था राघव उठ खड़ा होता है आयुष उसकी हेल्प करता है और उसे कमरे में ले जाकर लेट देता है
     
     
     
     
    और उसको देखते हुए आई एम सॉरी मुझे नहीं पता था कि यह इतना ज्यादा हो जाएगा आप यही लेटर में आपके लिए कुछ बनाकर लाता हूं यह कहकर वह किचन में जाता है राघव के लिए बेसन का हलवा बनता है और उसे लेकर के राघव के पास आता है राघव जो अभी इस टाइम सो रहा था आयुष उसके पास आकर बैठ जाता है और उसके चेहरे की चमक में इस कदर खो जाता है कि वह बस उसको निहारता ही रहता है कि तब तक अचानक से राघव की आंख खुलती है आयुष या देखकर के सतर्क हो जाता है और खुद के मन में सोते हुए कितना मासूम लगता है पर है एक नंबर का  खड़ूस है यह कहकर वह बेसन के हलवे को आगे करते हुए प्लीज इसको खाली से आपको बेहतर लगेगा इस पर राघव मुंह फुला कर बोलता है  "
     
     
    "नहीं मुझे नहीं खाना क्या पता अब क्या हो इसमें,तुमने तो आज मुझे मरने का प्लान बना लिया था कहीं कुछ हो जाता तो? " 
     
     
    " हां हां  राक्षस को कुछ हो सकता हैं क्या? वैसे एक खून माफ होता तो मैं सोचता भी अप का खून कर दू पर मुझे अभी जेल नही जाना " 
     
     
    राघव" तुम्हें लगता है कि मैं राक्षस हूं? 
     
    आयुष_  " लो लगता है नही आप हो पूरे राक्षस" 
     
     
    "अच्छा यह बात है तब तक राघव आयुष को अपने और करीब खींच लेता है उसके करीब जाते ही राघव कहता है तो यह राक्षस बन  मैं बेड में सुरु हो जाऊ
    हां पेन थोड़ा ज्यादा होगा पर u definitely love it अच्छा बोलो शुरू करें? 
     
     
    आयुष खुद को दूर करते हुए " शर्म कर लीजिए आपकी तबीयत सही नहीं और आपको अभी भी रोमांस की बातें सूझ रही रही हैं" 
     
     
    मैं अब जा रहा हूं क्योंकि पापा को भी देखना है यह कहकर वहां से उठता है पर राघव फिर से उसका हाथ पड़कर उसे अपने बगल बिता देता है आप तुम समझते क्यों नहीं हो तुम्हारे पापा बिल्कुल ठीक है मैं आज सुबह ही डॉक्टर से बात कर लिया है सुनो तुमने भी कल रात से कुछ नहीं खाया है तो थोड़ा सा हलवा खा कर जा

     

  • 8. Chapter 8 paise

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

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    "आप क्यों नहीं समझते? तुम्हारे पापा बिल्कुल ठीक हैं। मैं आज सुबह ही डॉक्टर से बात कर चुका हूँ। सुनो, तुमने भी कल रात से कुछ नहीं खाया है, तो थोड़ा सा हलवा खाकर जाओ," राघव की बात सुनकर आयुष थोड़ा सा टेढ़ा होकर बोलता है, "नहीं चाहिए तुम्हारे हलवे की। ऑलरेडी तुमने दो बार मेरी इज्जत को हलवा समझकर खा ही लिया है। अब बस! मुझे यहाँ से जाने दो।"

    इस पर मुस्कुराते हुए राघव कहता है, "इतनी जल्दी तो नहीं जाने दूंगा। अभी तो बस तुम्हें चखना शुरू किया है, पूरा खत्म करना बाकी है।"

    यह सुनकर आयुष थोड़ा शॉक में पड़ जाता है। "कहना क्या चाहते हो? साफ-साफ कहो न।"

    "बस कुछ खास नहीं। यही कह रहा हूँ कि इतनी जल्दी तुम्हें जाने नहीं दूंगा। अभी तो तुम्हें अच्छे से चखना है, पूरे मजे के साथ। और वैसे भी, इतनी जल्दी क्या है तुम्हें जाने की?" राघव कहता है।

    इस पर आयुष हँसते हुए कहता है, "हा हा हा, वेरी फनी! अब दोबारा मैं तुम्हारे हाथ नहीं आऊंगा। तुम चाहे जो भी कर लो। चखने की बात तो छोड़ो, तुम दोबारा मुझे देख भी नहीं पाओगे।"

    "अच्छा, ऐसी बात है?" राघव अपनी आँखें ऊँची करके बोलता है।

    आयुष मुस्कुराकर कहता है, "तो और क्या? तुम्हें क्या लगता है, फिर से मैं बलि का बकरा बनने आऊंगा?"

    इस पर राघव हँसते हुए कहता है, "शायद तुम भूल रहे हो कि जिस कंपनी में तुम काम करते हो, उसके सीईओ मैं हूँ। और तो और, तुम मेरे पर्सनल सेक्रेटरी हो। तुम्हें मेरे साथ 24 घंटे रहना पड़ेगा। कैसे झेलोगे मुझे अब? और तुम कंपनी से लोन भी ले रहे हो, तो तुम्हें मेरे साथ रहना ही पड़ेगा।"

    "आप उसकी चिंता मत करिए। मैं आपके साथ प्रोफेशनली रहूंगा, पर्सनली नहीं। और वैसे भी, सर और स्टाफ के बीच का डिस्टेंस मुझे पता है। तो आप उससे पीछे से को करके अपना काम कर सकते हैं। मेरी वजह से कभी आपके सामने गुस्ताखी नहीं आएगी। और दूसरी बात, अब मेरे वादी को विराम देने का वक्त है। मैं चलता हूँ। थैंक यू हलवे के लिए, पर ध्यान से खा लेना," कहकर वह वहाँ से चला जाता है।

    बाहर आकर आयुष सामने मेडिकल स्टोर पर जाता है और एक पेन किलर लेता है। फिर चाय की टपरी पर आकर बिस्किट खाकर पेन किलर खाता है और हिम्मत जुटाकर अस्पताल की ओर निकल पड़ता है।

    थोड़े समय बाद वह अस्पताल पहुँचता है। अपने पापा को पहले से बेहतर हालत में देखकर वह काफी खुश होता है। वह उनके पास जाकर बस चुपचाप उन्हें देखता रहता है। उसकी आँखें आँसुओं से भर आती हैं।

    तभी डॉक्टर उसके पास आते हैं। डॉक्टर आयुष की तरफ देखकर कहते हैं, "सर, आपने बताया क्यों नहीं कि आपकी पहचान राघव सिंघाड़ा से है? हम आपके पापा का इलाज अच्छे से अच्छे तरीके से कर देते। आपको पहले हमें बताना चाहिए था।"

    आयुष को कुछ समझ नहीं आता। वह थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूछता है, "आपका क्या मतलब है डॉक्टर?"

    "अरे, हम यही कह रहे हैं कि यह हॉस्पिटल भी राघव सर का ही है। अगर आप पहले बताते कि आप उन्हें जानते हैं, तो हम आपको कभी भी पैसे के लिए फोर्स नहीं करते। आज उन्होंने हमें बहुत डाँट लगाई है। प्लीज़, उनसे बात कर लीजिएगा और समझा दीजिएगा कि आपके पिता का इलाज अच्छे से हो रहा है। हमने आपके पिता को जनरल वार्ड से उठाकर एक प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया है। अब आप उनकी देखभाल कर सकते हैं। और पैसे की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि राघव सर ने पहले ही ₹3,00,000 भर दिए हैं।"

    यह सुनकर आयुष थोड़ा सा शॉक में आ जाता है। तभी उसके पास ऑफिस से कॉल आता है। वह कॉल उठाता है।

    फोन पर आवाज आती है, "हेलो आयुष, आपका लोन अप्रूव हो गया है। आप आकर यहाँ साइन कर दीजिए और अपने पैसे भी लेकर जाइए।"

    आयुष हैरान होकर पूछता है, "जी, पैसे? कैसे पैसे?"

    "सर, आपने ₹4 लाख के लिए अप्लाई किया था न? तो कंपनी आपको ₹4 लाख लोन देने के लिए तैयार हो गई है। आपके पैसे और आपका कॉन्ट्रैक्ट पेपर यहाँ रखा हुआ है।"

    आयुष अब और ज्यादा उलझ जाता है। वह सोचता है, अगर 4 लाख वहाँ से है, तो ये 3 लाख किस खुशी में?

    वह अपना फोन निकालता है और राघव को कॉल करता है, लेकिन फोन नॉट रीचेबल आता है। यह देखकर आयुष थोड़ा हैरान होता है और गुस्से में अस्पताल से बाहर निकलकर सीधे ऑफिस की ओर बढ़ जाता है।

    ऑफिस पहुँचकर वह भागते हुए केबिन की ओर जाता है। जैसे ही दरवाज़ा खोलता है, राघव वहाँ बैठा होता है।

    राघव आयुष को देखकर कहता है, "आओ आओ आयुष। थैंक यू बोलने की कोई ज़रूरत नहीं है इस प्राइवेट मदद के लिए।"

    गुस्से में आयुष कहता है, "क्या ज़रूरत थी इतने पैसे देने की? मैं अपने पापा का इलाज खुद कर सकता था! जितना मांगा था, उतना देना चाहिए था। आपने इतना एहसान क्यों किया? ये ₹3 लाख मैं कैसे चुकाऊंगा? दोबारा आपके बिस्तर पर आने से रहा!"

    राघव मुस्कुराकर कहता है, "मैंने बस अपनी मर्जी से दिया है। तो उसे रख लो। मुझे लौटाने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    इस पर आयुष हँसते हुए कहता है, "हा हा, क्यों? क्या मैं आपका कुछ लगता हूँ जो आपने मुफ्त में पैसे दान कर दिए? और वैसे भी, अमीरज़ादों को बिस्तर और मोहब्बत के अलावा कुछ आता ही नहीं! हर एक चीज़ को 'इमोशनल इन्वेस्टमेंट' बना देते हो।"

    "काश कोई आपके भी..." वह रुक जाता है। "खैर, मैं आगे कुछ नहीं कहूँगा। क्योंकि आप मेरे पास हैं। पर मैं इतना कहूँगा कि मुझे लोन की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आपने मेरे पापा के इलाज के लिए ₹3 लाख भर दिए हैं। तो बस मुझे ₹1 लाख और दे दीजिए, और अपने पैसे वापस रख लीजिए। मैं ओवरटाइम करके आपको चुका दूँगा।"

    यह सुनकर राघव को गुस्सा आ जाता है। "अगर नहीं चुका पाए तो? तब तुम्हें मेरी कंडीशंस माननी पड़ेंगी।"

    "कैसी कंडीशंस? इन कंडीशंस की कोई बात नहीं हुई थी, और मैं नहीं मानूंगा कोई कंडीशंस!"

    "ठीक है, फिर मत मानो। मैं लोन कैंसल कर रहा हूँ!"

  • 9. Chapter 9 deal is deal

    Words: 1453

    Estimated Reading Time: 9 min

    पर मैं इतना कहूंगा कि मुझे लोन की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आपने मेरे पापा के इलाज के लिए अपने ₹300000 वहां पर जमा कर दिया है तो बस मुझे ₹100000 और दे दीजिए और अपने पैसे आप वापस रख लीजिए मैं ओवरटाइम करके उसे पे कर दूंगा इसे सुनकर राघव को गुस्सा आ जाता है और गुस्से में कहता है "अगर नहीं पे कर पाए तो तुम्हें मेरी कंडीशंस माननी पड़ेगी" 
     
    "कैसी कंडीशंस!  इन कंडीशंस की कोई बात नहीं हुई थी और मैं नहीं मानूंगा " कोई  कंडीशंस
     
     
     
    "ठीक है फिर मत मानो मैं लोन कैंसल कर रहा हूं " 
     
     
    राघव की बात सुनकर आयुष थोड़ी देर सोचता है और वह राघव को ना करते हुए नहीं नहीं कोई जरूरत नहीं है ,आपको लोन कैंसल करने की ,
     
    मैं आपके शर्त  मानने को तैयार हु बट मेरी भी कुछ शर्त है इस पर राघव एक डेविल इस्माइल के साथ पूछता है, " कैसी शर्त ?"
     
     
    "वह मैं समय आने पर आपको बता दूंगा ,अभी आप मुझे केवल एक लाख रुपए दे दे यह कहकर वह वहां से बाहर कैश काउंटर पर चला जाता है और थोड़ी देर बाद उसे ₹100000 मिल जाते हैं वह उन पैसों को लेकर के हॉस्पिटल जाता है और अपने पापा के इलाज के लिए डॉक्टर को पैसे देते हुए डॉक्टर साहब जी ये रहा एडवांस पैसा "
    अब प्लीज मेरे पापा के इलाज में कोई भी कमी मत छोड़िएगा "  डॉक्टर हां में सिर हिलाते हैं इसके बाद आयुष वापस ऑफिस में आ जाता है आयुष अपने डेक्स की तरफ बढ़ रहा होता है कि तब तक उसे बताया जाता है कि उसका डिक्स अब वहां पर नहीं है इस पर आयुष आश्चर्य से पूछता है कि उसका डिक्स गया कहां? 
     
     तब क प्रिंस और अबीर आयुष के पास आ जाते हैं और आयुष को छेड़ते हुए कहते हैं " बेटा तुम्हारे एल लग चुके हैं" 
     
    कैसे प्रिंस?  क्या बात कर रहे हो ?
    आयुष आश्चर्य से पूछता है
     
    इस पर अभी मुस्कुराते हुए कहता है "तुम्हारा बेंच बॉस के केबिन के सीधा सामने है जहां से बस की 24 घंटे निगाहें तुम पर रहेंगे अब तुम धमाल चौकड़ी भी नहीं कर सकते अब तो बस तुम्हें काम काम काम करना होगा ,मुबारक हो आयुष जी लोन लेने का फल मिल चुका है"
     
    आयुष अभी की तरफ आंखें बड़ी करके देखता है अभी शांत हो जाता है आयुष उनसे बिना कुछ  बोले  प्रिंस से कहता है "देखो मुझे आज से ओवर टाइम करना है और मैं जा रहा हूं अपने काम पर तुम लोग भी अपने काम पर लग जाओ " यह कहकर वह अपने टैक्स की तरफ जाता है और अपने टैक्स पर बैठता है तो उसकी निगाहें सामने केबिन में पढ़ती है जहां से राघव उसे कंटीन्यूअस देखे जा रहा था आयुष राघव को इस कदर देखता देख पास पड़े फाइल्स को उठाकर अपने चेहरे के पास लगा लेता है और फाइल्स को अपने हाथ में ऊपर हवा में पकड़ कर काम कर रहा होता है उसको इस कदर काम करता देख बगल में बैठी 
     
    उसकी एक कली गौसे पूछता है "आयुष तुम ऐसे हवा में फाइल करके काम क्यों कर रहे हो?  इस पर वह उसकी तरफ तिरछी निकाह से देखते हुए" प्लीज आप अपना काम करिए मुझे मेरे हिसाब से मेरा काम करने दीजिए " आयुष का रूड बिहेवियर देखकर वह शांत हो जाती है और अपना काम करने लगती है । 
     
    इधर आयुष धीरे से अपना फाइल नीचे करता है और फिर से राघव की तरफ देखा है राघव अभी आयुष को ही देख रहा होता है आयुष अपने मन में बडबडाते हुए किस राक्षस से पाला पड़ गया इतना घूर रहा है आयुष से रहा नहीं गया वह उठ खड़ा हुआ और सीधा राघव की केबिन में चला गया
     
     
    केबिन में पहुंचकर राघव की तरफ देखते हुए क्या है? आप मुझे ऐसे घूर कर क्यों देख रहे हैं मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या ? या फिर मेरे चेहरे पर कोई एंटरटेनमेंट चैनल चल रहा है जो आपको देख करके हंसी आ रही है ,!
     
    क्यों घूर रहे हैं आप बताएंगे मुझे ?
     
     
    इस पर राघव मुस्कुरा कर खड़ा होता है और कहता है " मैं तो बस अपने क्लाइंट और वर्कर्स और मेरे प्यारे से ऑफिस को देख रहा हूं अब तुम उनके बीच में आ रहे हो इसमें मेरी क्या गलती है ,  और फिर यह ऑफिस मेरा है यह जगह मेरी है  आंखें मेरी है जहां मर्जी करें वहां मैं देखूंगा! इस पर आयुष गुस्से में कहता है " हां हां मुझे पता है सब कुछ आपका है ऐसा क्यों नहीं करते मेरी दो-चार फोटोस निकाल के अपने वॉलपेपर पर लगा लीजिए आपको घूमने की जरूरत नहीं पड़ेगी" 
     
    और ज्यादा घुड़ेंगे तो आपकी आंखों में दर्द हो जाएगा और दोबारा घूरे तो मैं आपकी आंखों में ना पेपर  स्प्रे डाल दूंगा यह कहकर आयुष वापस जा ही रहा होता है राघव फिर से मुस्कुरा कर कहता है पेपर स्प्रे डालने के लिए मेरे करीब आना पड़ेगा ये ☀️ आयुष और तेज़ी से आगे जाने लगता है फिर रगव बोल पड़ता है " कब खिंचूं फोटो तुम्हारी ?
     
    "क्या? 
     
     
    अभी रुक करके तुम कुछ posses दोगे तो मैं दो-चार फोटो निकल कर अपने वॉलपेपर पर लगा सकता हु
    इस पर आयुष पीछे मुड़कर के अपनी आंखें बड़ी करके देखता है और वह अपना पैर पटकते हुए बाहर चला जाता है आयुष के जाने के बाद राघव मुस्कराने लगता है कि तब तक राघव का कॉल बचता है और उसे कॉल को सुनने के बाद राघव अपने फोन के पास आता है और फोन उठाते हुए कहता है हेलो सामने फोन से आवाज आती है बस मीटिंग कंफर्म हो गई है आप शाम तक आ जाइए यह कहकर वह फोन कट जाता है इधर राघव अपने केबिन से बाहर निकलता है और मीटिंग के लिए चला जाता है 

    होटल मैग्रीमाइट  .....

    होटल में मीटिंग चल रही होती है राघव मीटिंग के बीच में पहुंचता है राघव को देखकर के वहां पर बैठे हर कोई हक्का-बक्का रह जाता है तब तक राघव आगे बढ़ता है और सामने बैठे अपने पिताजी को देख कर गुस्से से लाल हो जाता है , राघव सनी के तरफ देखते हुए कहता है " क्यों इसी लिए बुलाया था मुझे क्या यह इंपोर्टेंट मीटिंग थी? हर्षवर्धन जी उसे देखते हुए देखते हुए कहते हैं राघव देखो मुझे पता है कि तुम्हें यह मेरा कम बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा पर बेटा मुझसे जो गलती हुई है उसे सुधारने का वक्त आ गया है क्या मतलब हर्षवर्धन जी?  मतलब यह की मैं तुम्हारे सौतेले भाई को भी तुम्हारे ही कंपनी में जब देना चाहता हूं अपने सौतेले भाई का नाम सुनते ही राघव की आंखें गुस्से से लाल हो गई राघव वह पल अभी भी नहीं भूला था राघव ने बिना कुछ बोले अपने दादा की तरफ देखते हुए देखिए मेरे कंपनी में अभी कोई भी स्पेस खाली नहीं है होता तो भी मैं उसको कभी भी नहीं देता आपसे कनेक्शन इसलिए है क्योंकि मेरी मां आपकी बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट करती है मेरी दादी मां की वजह से मैं चुप हूं वरना मैं आपसे भी बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी आपको इज्जत देता हूं क्योंकि मैं वचनबद्ध हूंमैं दादी मां को और मां को यह वचन दिया है कि जब तक आप मेरे साथ सही रहेंगे मैं भी आपके साथ सही रहूंगा पर मैं आपके और आपके परिवार वालों को अब दोबारा से अपने और अपने परिवार के बीच में नहीं आने दे सकता आप लोगों ने एक बार मेरी और मेरे मन और मेरे परिवार वालों की जिंदगी खराब कर दी है दोबारा से कृपया करके मेरे और मेरे परिवार वालों के बीच बताएं पर बेटा मेरी बात तो सुनो मुझे लास्ट स्टेज कैंसर है मेरी आखिरी इच्छा है कि मैं अपने बेटों को कुछ करता देख सकूं तुम तो अपनी लाइफ में सेटल हो चुके हो पर यह तुम्हारे साथ रहेगा तो इसे भी बिजनेस का आईडिया मिल जाएगा ज्यादा नहीं बस एक साल के लिए इसे अपने यहां जॉब पर रख लो मैं वादा करता हूं मैं पुरानी हवेली तुम्हारा नाम कर दूंगा कबीर पुरानी हवेली का नाम सुनते ही उठ खड़ा होता है और गुस्से से कहता है देखिए वह पुरानी हवेली हमारे ही थी आपने उसे जबरदस्ती कब्जा किया है पर अगर बात पुरानी हवेली की है तो मैं आपके बेटे को अपने ऑफिस में काम करने दूंगा पर एक ही शर्त पर वह एक एंप्लॉय की तरह ही पेश आएगा तो ही और ऑफिस में किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए कि उसका और मेरा क्या रिश्ता है हर्षवर्धन राघव की बातों से एग्री करते हैं राघव भी वहां से उठकर चला जाता है
     

    well स्टोरी पढ़ने के बाद रेटिंग और कमेंट तो के दिया करिए ताकि हमें पता तो चले आप को स्टोरी कैसे लगी

  • 10. Chapter 10 shadi ki bate

    Words: 1210

    Estimated Reading Time: 8 min

    "मैं उसे अपने ऑफिस में काम करने दूंगा, पर एक ही शर्त पर – वह एक एम्प्लॉय की तरह ही पेश आएगा, तभी। और ऑफिस में किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए कि उसका और मेरा क्या रिश्ता है।"
    हर्षवर्धन राघव की बातों से सहमत हो जाते हैं। राघव भी वहाँ से उठकर चला जाता है।

    उसके जाते ही, हर्षवर्धन का दूसरा बेटा पर्दे के पीछे से सारी बातें सुन रहा था। वह बाहर निकलकर आता है और अपने पापा को देखते हुए कहता है,
    "पिताजी, आपने क्या किया? मैं उसके यहाँ नौकरी करूंगा – वो भी मजदूर वाली? मुझे नहीं जाना उसके पास!"

    इस पर हर्षवर्धन खड़े होते हैं और मुस्कुराते हुए कहते हैं,
    "बेटा, अगर तुझे लंबी छलांग लगानी है, तो छोटे-मोटे 'डाव-पेच' तो खेलने ही पड़ेंगे।"

    वह आश्चर्य से पूछता है,
    "क्या मतलब? मैं समझा नहीं।"

    "मतलब ये बेटा, अगर तुझे सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करनी है, तो तुझे थोड़ा सा तो चालाकी करना ही होगा।"

    "क्या मतलब, पापा?"

    "मतलब ये कि अगर एक बार राघव को किसी से प्यार हो गया, तो उसके और उसकी जायदाद का कोई वारिस नहीं बचेगा। और अगर तूने राघव की मां और दादी को अपना बना लिया, तो ना चाहते हुए भी सारी प्रॉपर्टी तेरे नाम हो जाएगी। देख बेटा, थोड़ा सा पापड़ बेलने पड़ेंगे। अगर तुझे भविष्य में पकवान खाने हैं, तो अभी तवे पर सीखना पड़ेगा। राघव जैसे जो-जो कहे, वह सब कर – उसके और उसके घरवालों के दिल में जगह बनाने की कोशिश कर।"

    "दूसरी बात – मैं तुझे वहाँ बस ऐसे ही नहीं भेज रहा। तुझे राघव की कमजोरी का पता लगाना है, ताकि वक्त आने पर हम उसे एक अच्छा सबक सिखा सकें। उसे बता सकें कि हम भी कुछ कम नहीं हैं। सच कहूँ तो मुझे खुद उससे नफरत है – साला, अपने आप से आगे निकल गया। कल की पैदाइश आज मुझ पर हुकूम चलाना चाहता है!"

    यह सुनकर हर्षवर्धन का बेटा यश सिर हिलाते हुए कहता है,
    "पापा, मानना पड़ेगा आपकी बातों को – आप सच में बहुत चालाक हैं!"

    यश की उम्र लगभग 23 साल थी, पर वह राघव से केवल 2 साल छोटा था।

    "पर पापा, अगर राघव को शक हो गया तो?"

    "नहीं बेटा, ऐसा कुछ भी नहीं होगा – उसका भी बंदोबस्त मैंने कर दिया है।"

    "क्या पापा?"

    इस पर हर्षवर्धन मुस्कुराते हुए कहता है,
    "वह तुझे कल ऑफिस में मिल जाएगा। मैंने जुगाड़ कर लिया है – अपनों से बड़ा घाटी कोई नहीं होता!"

    यह कहकर हर्षवर्धन ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगता है और वहाँ से चला जाता है।

    इधर राघव गुस्से में अपने घर की तरफ जा रहा होता है।
    उसकी कार की स्पीड हवा से बातें कर रही थी। सामने की गाड़ियों को नज़रअंदाज़ करते हुए, वह अपनी रफ्तार बढ़ाता जा रहा था।

    उसके दिमाग में बस गुस्से की लहरें चल रही थीं। वह बार-बार घाटी पर हुई सारी घटनाओं को याद कर रहा था। तभी अचानक उसे पुराने किले का एहसास होता है – उसका अपना घर, उसकी दादी का सपना।

    यह सोचते ही, वह कार को जोर से ब्रेक लगाकर रोक देता है। खुद के बालों पर हाथ फेरते हुए एक गहरी सांस लेता है और मुस्कुराते हुए कहता है,
    "बस... अब वह घर दूर नहीं। एक बार वह घर मिल जाए, फिर मैं दादी और मां को सरप्राइज दूंगा। और रही बात हर्षवर्धन और उनके परिवार वालों की, तो मैं कभी उन्हें हमारे परिवार में नहीं घुसने दूंगा।"

    यह कहकर राघव अपने घर के पास कार रोकता है। वह कार से बाहर निकलता है और पास खड़े सिक्योरिटी गार्ड से कहता है,
    "गाड़ी पार्क कर दो।"

    और सीधा अपने कमरे में चला जाता है।

    राघव थोड़ा सा खुद को संयत करता है, चेहरे पर एक झूठी मुस्कान लाता है और अंदर जाता है। अपनी दादी और मां को देखकर एक गहरी सांस लेते हुए उनके पास जाता है और बिना कुछ बोले अपनी दादी को गले लगा लेता है। मन ही मन सोचता है,
    "दादी, बहुत जल्द आप अपने घर में रहेंगी..."

    उसकी दादी, राघव को इतने प्यार से गले लगाते हुए कहती हैं,
    "अरे पुत्तर, क्या हो गया? अचानक इतना प्यार? चिंता ना कर, इतनी जल्दी नहीं जाने वाली हूं मैं। अभी तो तेरे बच्चों को भी पहलवान बनाना है। चल, अब छोड़ भी दे – दम घुट जाएगा मेरा!"

    इस पर राघव मुस्कुराकर कहता है,
    "दादी, आपको मैं ऐसे मरने भी नहीं दूंगा। आपके लिए तो मैं यमराज से भी लड़ जाऊंगा!"

    उसकी दादी हँसते हुए कहती हैं,
    "चल, फालतू बातें मत कर। इस दुनिया में आए हैं तो एक दिन जाना ही है ना!"

    राघव बस उनकी गोद में सिर रखकर पड़ा रहता है। उसकी दादी भी उसके सिर पर हाथ फेरती रहती हैं।

    तभी उसकी मां किचन से बाहर आती है और कहती हैं,
    "क्या भाई, आज इतना पारिवारिक माहौल? इतना प्यार कैसे उमड़ रहा है दादी पर? और मुझे तो भूल ही गए!"

    इस पर राघव मुस्कुराकर कहता है,
    "अरे मम्मा, आपको कैसे भूल सकता हूं?"

    यह कहकर वह उन्हें भी गले लगा लेता है और फिर अपने कमरे की ओर चला जाता है।

    राघव के जाते ही उसकी मां सुषमा और उसकी दादी शकुंतला आपस में बात करने लगती हैं।

    सुषमा: "क्या राघव से वह बात करना ठीक होगा, मां जी? अगर वह गुस्से में भड़क गया तो?"

    शकुंतला: "ठीक है बहू, आज नहीं तो कल उससे बात करनी ही होगी। और अगर हमने आज नहीं की, तो फिर कब करेंगे? और वैसे भी, हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं। हमें बस उससे पूछना है। अगर उसकी मर्ज़ी हुई तो ठीक, नहीं हुई तो कोई बात नहीं।"

    सुषमा: "पर मां जी, आपको तो पता है ना, राघव को इन सब बातों से कितनी नफरत है?"

    शकुंतला: "बहू, देख – तुझे हिम्मत करनी ही पड़ेगी। अगर तूने आज रात को नहीं समझाया, तो कल को वह अकेला पड़ जाएगा।"

    सुषमा: "ठीक है मां जी, आप जैसी कहें – मैं बात करूंगी। लेकिन सबसे पहले हम राघव को कुछ खाने को दे देते हैं। वैसे भी दिन भर काम करके थक जाता है। उसके बाद बात करेंगे।"

    सुषमा जी राघव के कमरे की तरफ जाती हैं।
    इधर राघव अपने बिस्तर पर लेटा हुआ, अपने फोन में किसी की तस्वीर देखकर मुस्कुरा रहा होता है। सुषमा जी गेट पर ही खड़ी होती हैं और उसे देख लेती हैं।

    सुषमा: "कौन है भई? ऐसा भी कौन है जिसे देखकर इतनी मुस्कान चेहरे पर आ रही है?"

    राघव (हँसते हुए): "अरे मम्मा, कुछ नहीं। बस ऐसे ही मीम्स पढ़ रहा था।"

    सुषमा: "ये मीम्स क्या होता है? न्यूज़ सुना है, नवल सुना है, पर ये मीम क्या है बेटा?"

    राघव: "मां, बस जोक्स होते हैं जो पढ़कर किसी का गाल तो लाल नहीं होता।"

    राघव अब ब्लश कर रहा था। उसकी मां उसे छेड़ते हुए कहती हैं,
    "किसी से प्यार हो गया है क्या तुम्हें?"

    इस पर राघव की मुस्कुराहट अचानक गायब हो जाती है।

    सुषमा: "अरे, शर्माओ मत बेटा! बताओ ना। अगर तुम्हारी मर्ज़ी हुई, तो हम उससे शादी की बात कर लेंगे।"

    राघव (गंभीर होकर): "मम्मा, आपको पता है ना, मुझे शादी से सख्त नफरत है। मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं नहीं चाहता कि जैसा पापा ने आपके साथ किया, वैसा मैं भी किसी के साथ करूं। आखिर मैं भी तो उन्हीं का खून हूं, और खून एक दिन अपना रंग जरूर दिखाता है।"

  • 11. Chapter 11 makeout nd murder

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    माफी चाहूंगा काफी मिस्टेक है ।।। दरअसल अभी लिखना स्टार किया है तो उतना इंडिया नहीं है बट उन गलतियों को सुधारने की पूरी कोशिश करूंग...



    अब आगे....!


    अगले दिन ऑफिस में....!

    राघव आज एकदम सुबह सुबह ऑफिस आ गया था वो अपने केबिन में बैठे दो लोगों को देखते हुए कहता है ....!

    थैंक्यू बडी यहां शर्ट नोटिस पर आने के लिए...!

    अरे यार राघव तू बुलाए और हम न आए ऐसा कभी हो सकता है भला...?

    अनुज और पियूष राघव के बचपन के दोस्त थे....
    राघव उन्हें गले लगाते हुए कहता है वेल तुम्हे यहां बुलाया है उसका रीजन तो पता ही है ...!

    अनुज: हा रघु हम समझ रहे है

    राघव: मुझे पता है है हर्षवर्ध जैसा इंसान जो अपने बाप का नहीं हुआ वो मेरा कैसे हो सकता है जो अपने बीबी बच्चे और मां तक को छोड़ दे वो आज अचानक से अच्छा मुझे तो यकीन ही नहीं होता
    पर क्या करे बात है दादी के घर की किसी भी हालत में मुझे उसे उन्हें देना है और जब तक वो घर मेरे नाम नहीं हो जाता मै चैन से नहीं बैठूंगा ....

    पियूष भाई तुम फौरन की सारी डील देखोगे और साथ में हर्षवर्धन पर नजर भी रखोगे कब कहा और किसके साथ क्या कर रहा है ...!

    पियूष:जरूर रघु तू निश्चिंत हो जा


    और अनुज सुन भाई आज से तू मेरे ऑफिस में इंपॉय बन कर रहेगा इस ऑफिस में काफी गद्दार है और उन्हें तू ही पकड़ सकता है.. ।और यश उस नेवले पर भी नजर बनाए रखना...

    अनुज मुस्कुराते हुए कहता है हां जरूर ...!

    राघव अपना फोन निकलता है और आयुष को टैस्ट करते हुए कहता है जल्दी आ जाओ आज तुम्हे हग करने का मन कर रहा ...

    आयुष मैसेज सीन कर के छोर देता है ...!

    ....….....................................................

    ब्ल्यू बिला...!

    यश बोहरा...!

    बिना कपड़े के बिस्तर पर पड़ा होता है .. अपने फोन में किसी की पिक देखते हुए अपने हाथ को अपने बॉडी पर सहला रहा था तब तक उसे एक आवाज सुनाई देती है वह अपना फोन नीचे करता है सामने पैम खड़ी थी उसे देख

    यश पास पड़े कम्बल को ऊपर डालते हुए लड़खड़ा कर बोलता है तुम यहां कब आई...! और बोलना था न..
    पैम मुस्कराते हुए जब से तुम अपने हाथों को इधर उधर घूमा रहे तब से ...

    पैम धीरे धीरे यश के करीब आते हुए कहती है तुम्हें मैं पसंद हु तो बता देते ऐसे फोन में फोटो देख कर के प्यास बुझना अच्छी बात नहीं..
    यश अपनी नजरें चुराते हुए कहता है नहीं ऐसा नहीं है मै तो बस


    पैम उसके होंठ पर अपना उंगली रखते हुए कहती है बस क्या खुद को देखो हंक हो हेंडसम हो ऊपर से काफी हेल्थी वो भी है इससे ज्यादा क्या चाहिए मुझे ये सुन यश की आंखें खुली हुए थी...?

    वेल यश मिहिर घर पर नहीं है सो i wanna be ur
    यश ये सुनते ही अपने होंठों को पैम के होंठो पर रख देता है और उसे कस कर चूमने लगता है पैम भी धीरे धीरे यश के बॉडी को सहलाते हुए उसके कमर के नीचे हाथ ले जाती है

    और धीरे से कहती है सुनो i wanna टेस्ट it ... पाइनएपल खाया है न ...?

    यश धीरे से उसके कानों के पास जाके कहता है... Its ऑल योर और इसका टेस्ट स्वीट ही होगा
    ये कहते हुए वो उसके कानो को अपने होंठ से भीगने लगता है और धीरे धीरे उसके शरीर के सारे कपड़े निकल के जमीन पर k
    फेंक देता है  यश अपने हाथों को उसके नाजुक हिस्से पर मसलते हुए कहता है काफी अच्छे है ये let me टेस्ट it...! और वो उसे अपने होंठों से लगा लेता है और उसके जीभ और दांत की कशमक पैम को आह करने पर मजबूर कर देती है ये देख यश अपने दो हाथ के दो उंगलियों को मुंह में डालता है और उसे देख पैम समझ जाती है और वो यश को जारदस्ती किस करने लगती है यश को भी मजा आ रहा था वो पैम के बालों को पकड़ता है और उसे धीरे धीरे नीचे जाने को कहता है पैम धीरे से उसके कमर के पास आ कर एक गहरी सांस लेते हुए वाह its smell so nice और फिर वो उसे अपने हुनर का जलवा दिखाने लगती है यश को अब मज़ा आ रहा था उसका मूड सातवें आसमान पर था  वो अपने गति को तेज करता है और अपनी निगाहे पैम की तरफ डालता है पैम उसके गति को एंजॉय कर रही थी वो उसके बालों को कस कर पड़कते हुए अपने हाथों में लपेट लेता है और ऊपर खींच कर उसे कस कर के किस करने लगता है और उसे धीरे से नीचे करते हुए उसके बॉडी को चारों तरफ से लिक कर रहा था  अब पैम भी पूरी तरीके से मदहोश हो चुकी थी तभी

    एक जोर की आवाज आती है तुम्हे शर्म नहीं आती ये सब
    करते हुए  ...!
    वो तुम्हारे भाभी है ...!

    और तुम पदमा तुम तो उससे बड़ी हो लाज शर्म है या नहीं ...!

    ये सुनते ही दोनों एक दूसरे से दूर हो जाते है और  कम्बल को उठा कर खुद को धक लेते है...!
    वो औरत फिर बोलती है ....

    क्या करोगे बाप और मां भी तो तुम्हारा ऐसा ही है आखिर खून का असर जाएगा कहा...!

    बस सुमी एंटी इससे ज्यादा एक और लफ़्ज़ नहीं यश ने गुस्से से कहा

    सुनीता ने खींच कर यश को थप्पड़ मारते हुए कहा  क्या करोगे बोलूंगी बोलो ...! रुको मैं अभी राघव को सब बताती हु ये कह कर सुनीता ने फोन जैसे ही राघव को लगाया

    उधर पीछे से उसके सिर पर एक जोर का चोट लगा  पदमा ने वास को सीधा सुनीता के सिर पर दे मारा वास के लगते ही सुनीता जमीन पर गिर गई और देखते ही देखते वो जगह खून से लाल हो गई थी 

    पैम जल्दी से पास पड़े कपड़े को उठा कर पहनाती है और इधर यश भी अपने कपड़े समेट लिया था तब तक वास की आवाज सुन वहां पर हर्षवर्ध आ जाता है वो सुनीता को जमीन पर इस हालत में देख यश की तरफ देखते हुए कहता है क्या किया तुमने... बेवकूफ लड़के


    यश कुछ बोलता उससे पहले पदमा ने कहा डैडी जी अगर हम इन्हें न मरते तो आज यश और पूरा परिवार जिंदा नहीं रहता यश तो सो रहा था ये उसके ऊपर हमला करने वाली थी ...

  • 12. Chapter 12 Jan aur jalan

    Words: 1076

    Estimated Reading Time: 7 min

    वह तो मैं यहां से गुजर रही थी मैंने उन्हें देखा तो बस मैं मुझे कुछ समझ नहीं आया और यश को बचाने के लिए मैंने जार को सीधा उनके सर पर दे मारा यश भी पदमा की बातों में हाथ से हां मिलाते हुए कहा हां पापा ही सही कह रहे हैं और देखिए ना कभी तो आप राघव से मेरे जॉब के लिए बात करके आए हैं उन्हें बर्

    "वो तो मैं यहाँ से गुजर रही थी। मैंने उन्हें देखा, तो बस... मुझे कुछ समझ नहीं आया। और यश को बचाने के लिए मैंने जार को सीधा उनके सर पर दे मारा।"
    यश भी पद्मा की बातों में हाथ से 'हाँ' मिलाते हुए बोला,
    "हाँ पापा, यही सही कह रही हैं। और देखिए ना, कभी तो आप राघव से मेरे जॉब के लिए बात करने गए थे! उन्हें बर्दाश्त ही नहीं हुआ होगा कि हम उनके घर जाकर रहें। और आफ्टर ऑल, वह आपकी पहली वाइफ है। किसी को भी यह बर्दाश्त नहीं होगा।"

    इतना कुछ होने के बाद हर्षवर्धन यश की बात सुनकर सोच में पड़ जाता है। वह चुपचाप इस मामले को रफा-दफा करना चाहता था, पर समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, कैसे करे।

    थोड़ी देर सोचने के बाद हर्षवर्धन कहता है,
    "हमें इसकी लाश को ठिकाने लगाना होगा।"

    "मतलब पापा?"

    "मतलब ये कि हमें कुछ ऐसा प्लान करना होगा ताकि यह हम पर उंगली ना उठा पाए।"

    "पर हम ऐसा करेंगे कैसे? वो भी राघव जैसे शातिर इंसान से यह सब छुपा पाना आसान होगा?"

    "चुप करो यश! कितनी बार कहा है, उसकी तारीफ मत किया करो! कभी खुद का भी दिमाग इस्तेमाल कर लिया करो। एक बार सोचो तो सही – अगर उसे पता चला कि तुमने, या हमारे घर वालों ने यह किया है, तो क्या अंजाम होगा?"

    "सुनो, तुम अभी के अभी उसकी डेड बॉडी को उठाओ और यहाँ से 40 किलोमीटर दूर जो सुनसान इलाका है, वहाँ पर फेंक दो। और हाँ, बाकी की चिंता मत करो – मैं संभाल लूंगा।"

    यश और पद्मा, सुषमा की बॉडी को उठाते हैं और उसे कार में डालकर हर्षवर्धन के बताए स्थान पर ले जाकर फेंक देते हैं। फिर दोनों वापस लौट आते हैं।

    यश और पद्मा दोनों ही डरे हुए थे। यश को डरा हुआ देखकर हर्षवर्धन चिल्लाकर बोलता है,
    "देखो, डर चेहरे पर आना नहीं चाहिए, वरना तुम पकड़े जाओगे! कुछ भी हो जाए, हमें उनके सामने नॉर्मल रहना है। और तुम कब सीखोगे ये सब? कल को जब तुम बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक बनोगे, तो यह सब तुम्हारे बाएं हाथ का खेल होगा। किसी को मारना-काटना ही तो तुम्हें करना ही पड़ेगा!"

    यश उनकी बातों को सुनकर अपने आप को कंट्रोल करता है और ऑफिस के लिए निकल जाता है।

    इधर ऑफिस में...

    यश अपनी सोच में गुम, ऑफिस में इंटर कर रहा होता है। सामने से अरे... आयुष! फिर उसकी निगाह नहीं पड़ती और वे दोनों टकरा जाते हैं।

    टकराते ही आयुष के हाथ में ली हुई फाइल हवा में उड़ जाती है। यश ने आयुष को बड़े फिल्मी तरीके से संभाल रखा था, और हवा में उड़ रहे पेज इस प्रकार जमीन पर गिर रहे थे मानो किसी ने फूल बिखेर दिए हों।

    दूर खड़े राघव की नज़र इस पर पड़ती है। वह पास पड़ी कुर्सी को उठाकर ज़मीन पर पटक देता है। उसकी आवाज़ से यश के हाथों से आयुष छूट जाता है और वह धड़ाम से ज़मीन पर गिर पड़ता है।

    गिरते ही आयुष चिल्लाकर कहता है,
    "आ... मेरी कमर! क्या मज़ाक था ये? जब तुमने मुझे पकड़ ही लिया था, तो छोड़ना ज़रूरी था?"

    आयुष ने गुस्से में कहा। यश ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा,
    "I’m sorry! दरअसल, वह आवाज़ की वजह से मैं डाइवर्ट हो गया।"

    "It’s okay... अब मेरी मदद भी करोगे, या बस हाथ ही बढ़ाए रखोगे?"
    आयुष ने फिर से झुंझलाते हुए कहा।

    "क्यों नहीं!"

    यश ने आयुष को ऊपर की तरफ खींचा और उसे उठाकर खड़ा कर दिया, और पास में गिरे सभी कागज़ों को भी उसके साथ समेटने लगा।

    राघव यह सब देखकर चुपचाप अपने केबिन में चला गया।

    "By the way, I’m Ayush," आयुष ने मुस्कुराते हुए कहा।
    "Hi Ayush, I’m Yash. मैं आज ही जॉइन किया है।"

    "फिर तो बढ़िया है। By the way, sorry हाँ... मैं थोड़ा सा गुस्से में हो गया था।"

    "अरे नहीं, मैं समझ सकता हूँ। तुम्हारी जगह कोई भी होता तो यही करता।"

    "Coffee?" आयुष ने मुस्कुराकर पूछा।
    "Company की कुछ तो अच्छाई है – इसकी कॉफी अच्छी है। इसमें भी हम ही भरते हैं।"

    "हाँ क्यों नहीं!"

    फिर दोनों उठकर कॉफी एरिया की तरफ चल पड़ते हैं।

    यह सब चल ही रहा होता है, तभी रामू काका आकर कहते हैं,
    "आयुष बाबू, आपको सीईओ साहब ऑफिस में बुला रहे हैं।"

    यह सुनते ही आयुष अपनी कॉफी पटकते हुए कहता है,
    "इस इंसान को कोई काम-धंधा नहीं है क्या?"
    और मन में बड़बड़ाते हुए वहाँ से चला जाता है।

    ऑफिसर गेट पर पहुँचते ही वह अंदर घुस जाता है और राघव की तरफ तिरछी नज़र से देखते हुए कहता है,
    "अब क्या है? मैंने सारे काम खत्म कर दिए हैं। सारी फाइल्स आपके केबिन में रख दी हैं। अब किस लिए बुलाया है?"

    राघव गुस्से में अपनी आँखें दिखाते हुए कहता है,
    "तुम उसके साथ कुछ ज़्यादा ही चिपक नहीं रहे क्या?"

    "मतलब? आपका क्या? क्या मैं किसी से बात भी नहीं कर सकता?"

    "देखो आयुष, मैं इस समय लड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं हूँ। तुम उससे दूर ही रहो, तो बेहतर होगा।"

    "नहीं रहूँगा! जो करना है कर लीजिए। आप समझते क्यों नहीं हैं? हर चीज़ में आपकी टांग अड़ाना ज़रूरी थोड़ी ना है! और वैसे भी, वो भी नया-नया आया है – उसके आते ही ऐसा क्या कर दिया जो आपको इतना बुरा लग रहा है?"

    राघव अपने दांत पीसते हुए कहता है,
    "कुछ ज़्यादा ही तुम उसके साइड नहीं ले रहे हो? और बोलो मत कि मैंने तुम्हें लोन दिया है।"

    "हाँ, आपने लोन दिया है – मुझे खरीदा नहीं है सर! क्यों भूल जाते हैं कि मेरी भी पर्सनल लाइफ है? आपकी कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने का मतलब यह नहीं कि मैंने जीना छोड़ दिया है! मुझे पूरा हक है कि मैं किससे मिलूं, किससे बात करूँ, और किसके साथ रहूं। ये सब चीज़ें आप डिसाइड नहीं कर सकते।"

    यह कहकर आयुष गुस्से से बाहर चला जाता है।
    उसके जाते ही, राघव पास पड़ी फाइलों का बंडल नीचे धक्का देता है और चिल्लाता है,
    "तुम्हें कैसे समझाऊँ, इडियट! वो कितना खतरनाक है... तुम्हें उसके बारे में कुछ नहीं पता!"

  • 13. Chapter 13 hide the truth

    Words: 1046

    Estimated Reading Time: 7 min

    इधर राघव अपने ऑफिस में बैठा हुआ होता है कि तभी उसका फोन रिंग करता है।
    वह अपना फोन उठाकर देखता है तो स्क्रीन पर इंस्पेक्टर तुषार का कॉल होता है।
    तुषार का नाम देखते ही राघव का खून खौलने लगता है।
    वह फोन नहीं उठाना चाहता था, पर फिर भी उसने फोन उठाते हुए कहा:
    "क्या हुआ? आज फोन क्यों किया? दुश्मनी भूल गए या फिर ज़रूरत पड़ने पर याद कर लिया?"

    "मिस्टर राघव, फॉर योर काइंड इंफॉर्मेशन," तुषार गुस्से में बोला,
    "मैं आपकी तरह गद्दार, मक्कार और गुंडा नहीं हूं। मैं पुलिसवाला हूं। और पुलिसवाले तभी फोन करते हैं जब इमरजेंसी हो या कोई ज़रूरत की बात हो।
    और दूसरी बात, आपको बता दूं – कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं।
    बच्चे रहिए, जब तक बच सकते हैं... ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं।"

    राघव गुस्से में चिल्लाने ही वाला था कि तुषार ने उसे टोकते हुए कहा:
    "देखिए मिस्टर, आपसे बहस करने का समय नहीं है।
    आपकी मां की डेड बॉडी पुराने वाले पुल के पास मिली है।
    उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया है।
    तो आकर उनकी डेड बॉडी को ले जाइए।"

    यह सुनते ही राघव के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है।
    उसके हाथ से फोन छूट जाता है और दिल मानो थम सा जाता है।
    वह सांस तक नहीं ले पा रहा था।
    वह लड़खड़ाते हुए वहां से भागता है और सीधा अपनी कार की तरफ दौड़ पड़ता है।

    राघव को इस हालत में देखकर सनी भी उसके पीछे भागता है।
    "सर, क्या हुआ?"
    और सनी को भागते देख ऑफिस के बाकी सदस्य और राघव के चाहने वाले भी उसके पीछे-पीछे दौड़ते हैं।

    तभी सनी के पास भी एक कॉल आता है और उसे सिचुएशन की जानकारी मिल जाती है।
    वह ऑफिस के लोगों को शांत करते हुए कहता है:
    "It’s sad... राघव सर की मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनका एक्सीडेंट हो गया है पुराने वाले रोड पर।
    आप सब लोग चाहें तो घर जा सकते हैं, क्योंकि ना तो राघव सर इस समय कंपनी संभालने की हालत में हैं और ना ही उनका परिवार।"

    सनी की बात सुनकर सभी स्तब्ध रह जाते हैं।

    इधर राघव अपनी कार लेकर निकल पड़ता है।
    उसके पीछे सनी और अन्य लोग भी निकलते हैं।
    राघव की कार हवा से बातें कर रही थी।
    उसकी स्पीड इतनी थी मानो वह हर खतरे को कुचल देगा।

    उसकी आँखें रो-रोकर लाल हो चुकी थीं।
    वह क्राइम सीन पर पहुंचता है और मां की डेड बॉडी को देखकर चिल्लाता हुआ उनकी तरफ दौड़ता है।
    उन्हें पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से चीखते हुए रोने लगता है।
    उसके दर्द में इतना असर था कि तुषार भी एक पल के लिए दुश्मनी भूल गया।

    तुषार उसे शांत करने की कोशिश करता है,
    पर राघव इस समय कुछ भी नहीं समझ पा रहा था।

    इधर आयुष कॉफी लेकर अपने डेस्क की ओर लौट रहा होता है।
    अचानक ऑफिस का सन्नाटा उसे खलने लगता है।
    वह धीरे से प्रिंस से पूछता है:
    "क्या हुआ? सब इतने शांत क्यों हैं?"

    प्रिंस बताता है:
    "राघव सर की मां अब नहीं रहीं।
    उनका एक्सीडेंट हो गया है – पुराने वाले रोड पर।"

    यह सुनते ही आयुष के पैरों से मानो जान निकल गई हो।
    वह हिल तक नहीं पा रहा था।
    पर खुद को संभालते हुए वह उठता है।
    उसकी आंखें नम हो जाती हैं।
    और वह सीधा भागते हुए ऑफिस से बाहर आ जाता है।

    प्रिंस उसे देख कर कहता है:
    "आयुष, कहाँ जा रहा है? रुक, मैं भी चलता हूं!"
    पर आयुष उसकी बात नहीं सुनता और सामने आ रही टैक्सी में बैठकर निकल जाता है।

    आयुष जैसे ही पुराने पुल के पास पहुंचता है,
    वह राघव को देखता है जो अपनी मां की बॉडी को गोद में लिए बैठा है,
    उसके बालों को माथे से हटा रहा है,
    और उसे उठने की गुहार लगा रहा है।

    राघव को इस तरह तड़पते हुए देख, आयुष की आत्मा कांप जाती है।
    जिस इंसान को वह अब तक सख्त और बेरहम समझता था,
    उसे इस कदर टूटते हुए देखकर उसका दिल भर आता है।

    वह धीरे से जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखता है।

    आयुष का स्पर्श राघव को और भावुक कर देता है।
    राघव आयुष को गले लगाकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है:
    "आयुष... प्लीज़, मां को बोलो उठ जाए!
    मैं आज से सारे बुरे काम छोड़ दूंगा।
    वो जो कहेंगी, मैं वही करूंगा।
    प्लीज़, उन्हें उठा दो ना... प्लीज़ बोलो ना, कि राघव सुधर गया है।
    मैं अब किसी को हाथ नहीं लगाऊंगा।
    मैं अपनी बंदूक से ही... उठा दूंगा बस उन्हें!"

    राघव को इस कदर तड़पते देख आयुष भी रोने लगता है।
    वह उसे कसकर बाहों में भर लेता है और उसके आंसू पोंछते हुए उसे सांत्वना देता है।

    इधर तुषार को यह सब देखकर भीतर से जलन होने लगती है।
    वह यह दृश्य और बर्दाश्त नहीं कर पाता,
    और वहां से पीछे हट जाता है।

    तभी एक कॉन्स्टेबल कहता है:
    "सर, हर्षवर्धन जी का फोन है।"

    तुषार फोन लेकर साइड में चला जाता है।

    फोन पर हर्षवर्धन कहता है:
    "तुषार, उम्मीद है तू अपनी नमकहरामी नहीं भूलेगा।
    राघव ने जो तेरे साथ किया है, वह मुझे भी याद है।
    और तू जानता है, ये एक्सीडेंट नहीं है।
    अब पूरी ज़िम्मेदारी तेरी है कि इसे एक्सीडेंट ही दिखाना है।
    अगर नहीं किया, तो तेरा सात साल पुराना राज मैं सबको बता दूंगा।
    मेरे पास सारे सबूत हैं, जिससे तेरा करियर और वो चीज़ जो तुझे सबसे प्यारी है... सब खत्म हो सकता है!"

    तुषार गुस्से से कांपते हुए कहता है:
    "बस हर्षवर्धन जी! आप इतने गिर जाएंगे, ये मैंने सोचा भी नहीं था!"

    "सोचना तुम्हारा काम नहीं है... करना है।
    क्या करना है, तुम्हें अच्छे से पता है।
    नहीं किया तो एक क्लिक... और तेरा खेल खत्म!"

    आखिर ऐसा कौन-सा राज था जो तुषार को हर्षवर्धन का गुलाम बना रहा था?
    क्या था वो सात साल पुराना सच, जो तुषार की ज़िंदगी बर्बाद कर सकता था?
    और क्या राघव कभी जान पाएगा अपनी मां की मौत का असली सच?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए – My Gangster Boyfriend...

    एक विनम्र निवेदन:
    अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी,
    तो कृपया कमेंट कर के ज़रूर बताएं – आपकी राय हमारे लिए अनमोल है।
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    Thank you...!
    To be continued…

  • 14. Chapter 14 थप्पड़

    Words: 857

    Estimated Reading Time: 6 min

    मजबूरी में तुषार वह सब करने के लिए मान जाता है जो हर्षवर्धन ने उससे कहा था।
    वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट को बदल देता है।

    इधर, राघव अपनी मां के अंतिम संस्कार पर आया हुआ था।
    वह अपनी मां को चिता देने ही वाला था कि उसके हाथ कांपने लगते हैं।
    उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।
    दूर खड़ा तुषार, राघव को इस हालत में देखकर चूर-चूर हो रहा था।
    उसकी भी हिम्मत जैसे अब उसका साथ छोड़ने लगी थी।
    वह बस राघव को गले से लगाना चाहता था...
    पर शायद दूरियाँ अब इतनी बढ़ चुकी थीं कि यह मिलन मुमकिन नहीं था।

    तभी राघव की दादी उसके पास आकर तसल्ली देते हुए कहती हैं:
    "बेटा, जो होना होता है, उसे कोई टाल नहीं सकता।
    आपकी माता की आत्मा की मुक्ति के लिए हमें यह सब करना पड़ेगा।
    वो कभी आपसे दूर नहीं जा सकतीं — वो हमारे दिलों में रहती हैं।"

    राघव, दादी की बात सुनकर खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहा था,
    लेकिन अंदर से वह पूरी तरह टूट चुका था।
    फिर भी उसने अपनी मां की चिता को अग्नि दी।

    जलती हुई चिता की लपटों की तरफ देखते हुए,
    वह बचपन के वो सारे लम्हे याद कर रहा था जो उसने मां के साथ बिताए थे।
    तभी चिता की आग से उठती लपटों के बीच उसे एक धुंधला सा चेहरा दिखाई देता है।
    उसे देखते ही राघव का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।

    राघव पास खड़े सनी की पॉकेट से गन खींच लेता है और उस चेहरा—हर्षवर्धन—की तरफ गुस्से से बढ़ने लगता है।
    दादी और सनी उसे रोकने की कोशिश करते हैं।

    "राघव, क्या कर रहे हो? रहने दो, प्लीज़! अभी मत जाओ उनके पास!"

    "सर, बंदूक नीचे रख दीजिए, यह सही समय नहीं है!"
    — सनी की गिड़गिड़ाहट भी बेकार जाती है।

    राघव गुस्से में हर्षवर्धन के पास पहुंचता है,
    उसका कॉलर पकड़कर बंदूक सीधे उसके सिर पर तान देता है और चिल्लाता है:

    "मेरी मां की चिता से दूर रहिए!
    आपने उन्हें जीते जी सुकून से जीने नहीं दिया।
    कम से कम उन्हें सुकून से मरने तो दीजिए!
    आप जैसे मक्कार और धोखेबाज़ आदमी की मेरे मां की चिता के पास भी भटकना मेरे लिए नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है।
    चले जाइए यहां से, वरना इस बंदूक से आपके भेजे में गोली उतार दूंगा!"

    हर्षवर्धन शांत स्वर में कहता है:
    "बेटा, प्लीज़ शांत हो जाओ। वो मेरी पत्नी थी।
    मुझे एक बार उन्हें देखने दो।"

    पर राघव का गुस्सा चरम पर था।
    दादी और सनी उसे रोक नहीं पा रहे थे।

    तभी, एक ज़ोरदार चांटा राघव के गाल पर पड़ता है।
    बंदूक उसके हाथ से गिर जाती है।
    हर कोई स्तब्ध रह जाता है।

    यह चांटा आयुष ने मारा था।
    वह गुस्से से कहता है:

    **"क्या कर रहे हैं आप?
    आपकी मां की चिता अभी ठंडी भी नहीं हुई और आप एक और खून करने चले हैं?
    आप उनके लिए लड़ रहे हैं, पर क्या आपने सोचा कि वो क्या चाहती थीं?
    वो चाहती थीं कि आप बंदूक छोड़ें।
    और आप वहीं खड़े होकर उनकी आत्मा को परेशान कर रहे हैं।

    मुझे हक नहीं है आपकी फैमिली मैटर्स में बोलने का,
    लेकिन इतना ज़रूर कहूंगा —
    जिनकी चिता जल रही है, उन्हें सुकून से जलने दीजिए।
    यहां तमाशा मत बनाइए।
    उनकी आत्मा ऊपर से सब देख रही होगी — सोचिए, उन पर क्या बीतेगी!"**

    राघव आयुष की बात सुनकर शांत हो जाता है।
    वह चुपचाप अपनी मां की चिता की ओर चला जाता है,
    और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

    इधर, सनी और दादी आपस में बात कर रहे थे।

    सनी:
    "दादी, आपको लगता है आयुष ने जो किया वो सही था?
    मुझे डर है कि सर उसे नहीं छोड़ेंगे।
    तुषार सर पर हाथ उठाना... मतलब आप समझ रही हैं न?"

    दादी:
    "हां, बेटा। मैं परिणाम जानती हूं।
    मुझे भी आयुष के लिए चिंता हो रही है,
    पर कुछ कर भी नहीं सकती।"

    दूर खड़ा हर्षवर्धन यह सब देखकर मुस्कुरा रहा था।
    वह अपने मन में सोचता है:
    "इस काल के लड़के ने तो राघव की बोलती बंद कर दी!
    यह मेरे बहुत काम आएगा।"

    वह चिता की ओर दोबारा बढ़ता है।

    पर तभी आयुष गुस्से से कहता है:

    **"मिस्टर हर्षवर्धन, कृपया यहां से जाइए!
    आप मुझसे बड़े हैं, इसलिए रिस्पेक्ट दे रहा हूं।
    अगर राघव सर का गुस्सा फिर भड़का,
    तो आपकी भी चिता यहीं जल जाएगी।

    आपने उनकी मां के लिए जीते जी कुछ नहीं किया।
    मरते वक्त तो उन्हें सुकून से जाने दीजिए।
    I request you — please leave!"**

    हर्षवर्धन आयुष की बात सुनकर चुपचाप वहां से चला जाता है।

    दूर खड़े तुषार की आंखें गुस्से से लाल हो जाती हैं।
    वह पास पड़ी चिता की लकड़ी पर ज़ोर से लात मारता है और गुस्से से कहता है:

    "इस काल के लड़के ने राघव के ऊपर हाथ कैसे उठाया!
    मैं इसके हाथ के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा!
    आयुष, तूने राघव को मारकर मुझसे दुश्मनी मोल ले ली है।
    बचकर रहना मुझसे...
    कल का सूरज तू देख नहीं पाएगा!"

    आखिर तुषार का अगला कदम क्या होगा...?
    क्या राघव आयुष के थप्पड़ का बदला लेगा...?
    या मां की अंतिम इच्छा को मानते हुए खुद को बदल लेगा...?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए — My Gangster Boyfriend..

  • 15. Chapter 15 Jan lewa hamla

    Words: 709

    Estimated Reading Time: 5 min

    रात के करीब 9 बजे थे।
    आयुष अपने घर में मां और बहन के साथ बैठा बातें कर रहा था।
    तभी अचानक दरवाजे पर जोर की दस्तक हुई।
    वह चौंककर दरवाजे की ओर बढ़ा।
    जैसे ही उसने दरवाजा खोला, सामने खड़े शख्स को देखते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

    “राघव...?”

    वह झट से दरवाजा बंद कर देता है।
    उसकी मां चिल्लाती है —
    “क्या हुआ? ऐसे दरवाजा क्यों बंद किया? भूत देख लिया क्या?”

    आयुष लड़खड़ाती आवाज़ में कहता है —
    “नहीं मां... बाहर दोस्त खड़े हैं। इमरान आया है, उसी के साथ थोड़ी देर बाहर जा रहा हूं।”

    कहते-कहते वह बाहर निकल जाता है।
    राघव वहीं खड़ा, नशे में झूम रहा था।

    “ये क्या तरीका है? आपका ऑफिस नहीं है ये! जब मन करे चले आए... वो भी शराब पीकर?”
    — आयुष गुस्से से कहता है।

    राघव, आयुष के गाल पर हल्का-सा किस करते हुए मुस्कुरा देता है —
    “तुम साथ चलोगे तभी जाऊंगा।”

    आयुष आसपास मोहल्ले की इज्जत को लेकर चिंतित था, इसलिए बिना बहस किए राघव को कार में बैठा देता है।

    “तुम गाड़ी चलाओ,”
    — राघव कहता है।

    “क्या?! मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती!”

    “तो आज सीख जाओ। तुम भी मेरे साथ चलो। मां के पास... और मेरे करीब रहो।”
    — कहते हुए राघव की आंखें भर आती हैं।

    आयुष बात बदलते हुए कहता है —
    “ठीक है, पर ज्यादा ड्रामा मत करना।”

    राघव मुस्कराता है —
    “नहीं तो सबको बता दूंगा कि तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो!”

    आयुष झल्लाकर कार स्टार्ट करता है और मोहल्ले से बाहर निकल जाता है।

    सी-साइड पहुंचते ही आयुष कार रोकता है।

    “सबसे पहले आपका नशा उतारना जरूरी है!”

    वह राघव को कार से उतारता है, नदी किनारे बैठाता है,
    और पास की दुकान से नींबू पानी लाकर पिलाता है।

    थोड़ी देर में राघव थोड़ा संभलता है।
    वह अपना सिर आयुष के कंधे पर रखकर मां की बातें करता है।
    उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

    “मैंने कभी नहीं सोचा था कि वो यूं चली जाएंगी...”

    आयुष धीरे से कहता है —
    “देखिए, जो हुआ वो दुखद है, लेकिन इसमें किसी की गलती नहीं थी।
    जो आया है, उसे एक दिन जाना ही है।
    और आप तो उनके लिए हीरो थे।
    अब अगर आप खुद को तोड़ देंगे, तो उनकी आत्मा को कैसे शांति मिलेगी?”

    राघव हल्की मुस्कान के साथ कहता है —
    “किताबी बातें करते हो...”

    “कभी-कभी किताबें ही सच्ची होती हैं।”
    — आयुष जवाब देता है।

    “आपके पीछे आपकी फैमिली है, आपकी कंपनी है, आपके लोग हैं।
    अगर आप ही टूट जाएंगे तो उनका क्या होगा?”

    राघव गहरी सांस लेते हुए कहता है —
    “तुम सही कह रहे हो।
    आगे से मैं… तुम्हारे हाथ नहीं लगाऊंगा।
    चलो, घर चलते हैं।”

    राघव उठने की कोशिश करता है लेकिन लड़खड़ा जाता है।
    आयुष समझ जाता है कि अभी तक नशा पूरी तरह उतरा नहीं है।
    वह राघव को सहारा देकर कार तक लाता है और उसे अंदर बैठा देता है।

    जैसे ही आयुष कार के सामने वाली सीट पर बैठने लगता है —
    धायं!
    एक जोरदार गोली चलती है।

    “क-क्या…?!”
    — आयुष चौंक जाता है।

    वह कार स्टार्ट करता है और तेजी से वहां से भागता है।
    साइड मिरर में देखता है — दो-तीन कारें उनका पीछा कर रही थीं!

    राघव बेहोशी में बड़बड़ा रहा था।
    “आ…आयुष… क्या हो रहा है…”

    आयुष घबराकर उसे हिलाता है —
    “सर! होश में आइए! कोई पीछा कर रहा है!”

    तभी सामने से एक कार तेज रफ्तार में उनकी ओर आती है।

    आयुष जल्दी से कार को मोड़ देता है लेकिन…
    धड़ाम!!!
    उनकी कार एक पेड़ से जाकर जोर से टकरा जाती है।

    धुंआ, चिंगारियां, और फिर आग...

    भीड़ इकट्ठा होने लगती है।
    लोग चिल्लाते हैं —
    “जल्दी करो! अंदर लोग फंसे हैं!”
    “अगर देर की तो दोनों मर जाएंगे!”

    क्या आग राघव और आयुष की जिंदगी को लील लेगी?
    या कोई चमत्कार उन्हें बचा पाएगा...?
    क्या ये हमला किसी पुराने दुश्मन ने किया या कोई नया तूफान दस्तक दे रहा है...?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए — My Gangster Boyfriend
    To be continued...

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  • 16. M - Chapter 16 जान से मार दूंगा

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    गाड़ी में फंसे राघव और आयुष की हालत बत्तर से बत्तर हो रही थी। बाहर के लोगों का शोर-शराबा और उनका कंसर्न उन तक नहीं पहुंच पा रहा था। लोग गाड़ी को खोलने की पूरी कोशिश कर रहे थे, पर वे नाकामयाब हो रहे थे। आग अपनी लपटें बढ़ा रही थी, मानो वह उनको निगलने के लिए तैयार बैठी हो।

    इतनी चोट के बावजूद आयुष को थोड़ी सी होश आती है। वह अपनी चारों तरफ के नज़ारे को देखकर कुछ समझ नहीं पाता। सामने राघव को देखते हुए कहता है, "सर... सर, आंखें खोलिए... राघव सर..."
    राघव बेहोश हो चुका था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।

    आयुष कोशिश करके गाड़ी का दूसरा गेट खोलता है। उसकी हिम्मत को देखकर वहां पर खड़े लोग राघव को खींचकर बाहर निकालते हैं। वे राघव को साइड कर ही रहे होते हैं कि तभी गाड़ी में धमाका होता है, जिसकी वजह से गाड़ी पूरी तरीके से ब्लास्ट हो चुकी थी।

    राघव को अस्पताल ले जाया जाता है। लगभग 14 घंटे के ट्रीटमेंट के बाद राघव को होश आता है। वह खुद को हॉस्पिटल बेड पर पाकर आश्चर्यचकित होता है। वह अपने चारों तरफ निगाहें दौड़ाता है, पर उसे अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर उसे कल रात हुई घटना हल्की-हल्की याद आती है। वह धुंधलाहट उसे झंझोर कर रख देती है।

    वह हड़बड़ी में बस आयुष को याद कर रहा था। वह अपने बेड से उठने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी बॉडी में लगे इंजेक्शन और चोटें उसे बेबस कर रही थीं।

    वह पास पड़े फोन को देखकर उसे उठाकर राणा को बुलाता है। राणा, राघव का खास आदमी था और कल रात भर राघव के साथ भी था।
    वहीं राघव की तरफ देखते हुए कहता है, "जी सर...?"

    राघव अपने बेड से उठने की पूरी कोशिश करता है। तो राणा उसे कसकर पकड़ लेता है और उसे उठने से रोकते हुए कहता है, "सर, आपको चोट बहुत आई है। अगर आप यहां से ऐसे उठेंगे तो आपकी बॉडी की ब्लीडिंग फिर से शुरू हो जाएगी। अभी आप चलने-फिरने की हालत में नहीं हैं।"

    राघव गुस्से में उसकी तरफ देखते हुए कहता है, "तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं है क्या? तुम मुझसे सवाल-जवाब कर रहे हो? देखो, तुमसे जितना कहा है उतना करो। मुझे यहां से उठाकर लेकर चलो, वरना तुम जिंदा नहीं बचोगे!"

    राणा, राघव की खौफ भरी आवाज सुनकर डर जाता है। तभी दौड़कर शनि भी अंदर आ जाता है। वह राघव की हालत को देखकर कहता है,
    "सॉरी सर, आज आप चाहे हमें मार ही क्यों न दें, पर हमारे होते हुए हम आपको यहां से नहीं जाने देंगे। क्योंकि हमें पता है अगर आप यहां से उठे तो आपकी हालत और खराब हो जाएगी।"

    राघव, सनी को अपनी ठंडी निगाहों से देखता है, जिसे देखकर एक बार शनि की रूह कांप जाती है।

    राघव अब धीरे से सनी की तरफ उम्मीद से देखते हुए कहता है, "सनी, प्लीज़ मुझे यहां से लेकर चलो। मुझे आयुष के पास जाना है। आयुष ठीक तो है ना?"

    सनी, राघव की बात सुनकर शांत था। राघव का डर अब उसे खाए जा रहा था। वह सनी की तरफ देखते हुए कहता है,
    "बताते क्यों नहीं? कहां है आयुष?"

    राघव गुस्से से लाल होते हुए, बगल में पड़े मेडिकेट वगैरह को फेंकते हुए कहता है,
    "तुम्हें समझ नहीं आ रहा क्या पूछ रहा हूं? कहां है आयुष?"

    सनी धीरे से बोलता है,
    "सर, आयुष हमारे बीच नहीं रहा..."

    यह सुनते ही राघव गुस्से में चिल्ला कर बोलता है,
    "एक शब्द और बोला तो तुम्हारी जुबान खींच लूंगा। तुम्हारे सर से धड़ को अलग कर दूंगा। दोबारा ऐसा बोलने के लायक नहीं बचोगे!"

    शनि रोते हुए कहता है,
    "सर, कल आपको एक्सीडेंट में बचाते हुए आयुष खुद की जान गंवा बैठा... और लास्ट में गाड़ी के ब्लास्ट होने के साथ-साथ आयुष की डेड बॉडी जल चुकी थी। पुलिस को कोई भी सुराग नहीं मिला जिससे यह कहा जा सके कि आयुष जिंदा है..."

    राघव यह सुनकर गुस्से में चिल्लाते हुए ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है और बेड पर ही बेहताशा पैनिक करने लगता है। राघव की हालत देखकर राणा जल्दी से डॉक्टर को बुलाता है।

    डॉक्टर आकर राघव को एक बेहोशी का इंजेक्शन देते हैं, जिसके बाद वह बेहोश हो जाता है। बेहोश होने के बाद उसकी बॉडी और मन में एक स्थिरता आती है।

    डॉक्टर, सनी की तरफ देखते हुए कहते हैं,
    "देखिए, इनका ख्याल रखिए। इनको बहुत गहरा सदमा लगा है। और चाहे जो भी हो जाए, इन्हें बेड रेस्ट की बहुत जरूरत है। आपको इनका ख्याल रखना होगा। मेरी मानें तो आप इन्हें घर पर शिफ्ट कर दीजिए। फैमिली के बीच रहेंगे तो इन्हें ज़्यादा जल्दी और अच्छे से आराम मिलेगा। और हां, मैं कुछ मेडिसिन दे रहा हूं, जब भी इनकी हालत ऐसी हो, वो खिला दीजिएगा। इसके बाद इनकी बॉडी थोड़ी सी रिलैक्स फील करेगी। एक बार इनके पैर के घाव भर जाएं, इसके बाद ये चलने-फिरने के लिए तैयार हो जाएंगे।"

    सनी और राणा, डॉक्टर की बात मानकर राघव को घर ले आते हैं। उनके साथ एक पूरी डॉक्टरों की टीम भी आई हुई थी, जो घर पर उसका खास ख्याल रखती।

    राघव की ऐसी हालत देखकर दादी माँ पूरी तरह टूट चुकी थीं। वे राघव के सिरहाने बैठकर उसके सिर को सहला रही थीं। तभी राघव को फिर से होश आता है और वह फिर से आयुष का ज़िक्र करने लगता है।

    दादी की आंखों से अब आंसू रुक नहीं रहे थे। वे राघव को तसल्ली दिलाते हुए उसे शांत करने की कोशिश कर रही थीं। लेकिन राघव अब शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।

    तभी एक प्यारी-सी आवाज पूरे घर में गूंजती है, जिसे सुनते ही एक पल के लिए राघव भी शांत हो जाता है—
    "राघव, क्या कर रहे हो तुम? शांत हो जाओ। हम आयुष को ढूंढ लेंगे।"

    इस आवाज को सुनते ही हर कोई शांत हो गया था। दादी के चेहरे पर खुशी की झलक थी। उन्हें समझ आ गया था कि अब राघव इसके बाद कभी हार नहीं मानेगा... और शायद ये वही है जो राघव को ठीक होने में मदद कर सकती है।

    **आखिर कौन थी यह लड़की, जिसकी आवाज से यह राघव भी हो गया शांत...?
    क्या सच में हो गया है आयुष का अंतिम संस्कार...?
    जानने के लिए पढ़ते रहिए "My Gangster Boyfriend"
    To Be Continued...

  • 17. Chapter 17 दोस्त बनी दुश्मन

    Words: 1071

    Estimated Reading Time: 7 min

    "शांत हो जाओ राघव।"
    उसे लड़की की आवाज़ सुनकर के राघव भी अब शांत हो गया था। दादी माँ और हर कोई उसे देखकर बस मानो खुश हुए जा रहे थे। उन्हें पता था कि राघव को कोई संभाल सकता है, तो वह है रागिनी।

    राघव की बेस्ट फ्रेंड — उम्र 28 साल — गेहुएँ रंग की लड़की, दिखने में सिंपल और सादगी से भरी, पर असलियत कुछ और। यह राघव के साथ इंडरवर्ल्ड की ट्रेनिंग में थी, तब से यह और राघव बेस्ट फ्रेंड हैं। राघव, रागिनी को देखकर शांत हो जाता है।

    रागिनी, राघव के पास जाकर उसके सिरहाने बैठते हुए उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती है,
    "क्यों परेशान हो रहे हो?"

    राघव: "आयुष ठीक है? क्या आयुष ठीक है? ये लोग मुझे बात क्यों नहीं करने दे रहे हैं? कब से मुझे उसे देखना है।"
    रागिनी: "देख लेना, पर अभी वह अपने माँ-बाप के साथ बाहर गया है। दरअसल उसकी तबीयत ज़्यादा खराब थी, इसलिए हमने उसे दूसरे अच्छे हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया है। तुम एक बार ठीक हो जाओ, फिर हम सब मिलकर आयुष को देखने चलेंगे।"

    राघव ये सुनकर गहरी सांस लेते हुए कहता है,
    "ये सब मेरी गलती है। अगर मैंने ड्रिंक ना किया होता, तो आज ये सब नहीं होता।"
    रागिनी, राघव को संभालते हुए कहती है,
    "तुम चिंता मत करो, क्या बोल रहे हो तुम राघव! ये तुम्हारी गलती नहीं है। राघव, इंसान है, हम सब इंसान हैं। तुम परेशान मत हो, आयुष ठीक है।"

    राघव, रागिनी की बात मानकर आयुष की चिंता थोड़ी कम कर देता है। थोड़ी देर बाद राघव की आँख लग जाती है। रागिनी सबको लेकर बाहर आती है और तीखी निगाहों से सनी और राणा की तरफ देखते हुए कहती है,

    "अगर राघव को पता चला कि आयुष का कोई अता-पता नहीं है, तो तुम दोनों देख लेना! अगर उसे कुछ हुआ, तो तुम ज़िंदा नहीं बचोगे। इसलिए कुछ भी हो जाए, उसे पता नहीं लगना चाहिए कि आयुष इस दुनिया में नहीं रहा।"

    सनी और राणा, सर झुकाकर रागिनी की तरफ सहमति में सिर हिलाते हैं और वहाँ से चले जाते हैं।

    इधर रागिनी, उनके जाते ही राघव के कमरे में आती है। राघव गहरी नींद में सो रहा होता है। वह उसके ऊपर हाथ फेरते हुए कहती है,
    "राघव, अगर उस रात तुमने मेरा प्रपोज़ल एक्सेप्ट कर लिया होता, तो आज ये सब होता ही नहीं। मैं तुम्हें पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हूँ। फिर चाहे कितनी भी लाशें गिरानी पड़े और चाहे जो करना पड़े — तुम सिर्फ मेरे हो, सिर्फ मेरे!"

    देखते-देखते वक्त बीतता गया। राघव का ज़ख्म भर रहा था, पर दिन-ब-दिन आयुष से दूर रहने की वजह से राघव तिल-तिल करके उसे याद करता। पर रागिनी के होने की वजह से राघव कभी आयुष से मिल नहीं पाता।

    देखते-देखते छह महीने से ज़्यादा हो गए थे। राघव पूरी तरह से ठीक हो चुका था। वह आज ऑफिस जाने के लिए तैयार था। रेडी होकर वह नीचे आता है।

    राघव को कुशल मंगल देखकर दादी मुस्कुराते हुए आरती की थाली लेकर आगे बढ़ती हैं और उसकी आरती उतारते हुए कहती हैं,
    "बेटा, भगवान तुम्हारी रक्षा करें। तुम्हें फिर से अपने पैरों पर देख कर मुझे बहुत खुशी हो रही है।"
    इस पर राघव गुस्से में दादी की तरफ देखते हुए कहता है,
    "दादी, आपको पता है ना मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं करता? कितनी बार आपसे कहा है कि मुझे इन सब चीजों से दूर रखा करिए!"
    दादी अपनी निगाहें झुकाकर कहती हैं,
    "बेटा, भगवान ही तो एक सहारा है। भला उनसे कैसे दूर रखें? तुम इतने बड़े हादसे से बच के आए हो, शुक्र करो कि भगवान ने बचा लिया!"
    "भगवान ने नहीं दादी — आयुष ने बचाया है मुझे। मुझे आज उसके पास जाना है।"

    ये सुनते ही दादी का चेहरा पीला पड़ जाता है। ये कहकर राघव आगे बढ़ ही रहा था कि दादी हरकत में आते हुए आरती की थाली रखकर रागिनी के कमरे की तरफ भागती हैं।

    रागिनी अपने कमरे में हील्स पहन रही होती है। दादी दौड़कर उसके पास जाकर बैठती हैं और कहती हैं,
    "बेटा, आज भूचाल आने वाला है। आज जो होगा, उससे कोई नहीं बच सकेगा। राघव, आयुष से मिलने जा रहा है! तुम्हें तो पता है कि आयुष इस दुनिया में नहीं रहा। अगर ये बात राघव को पता चल गई, तो वह पूरी तरह टूट जाएगा — और हम सबसे वह कभी बात नहीं करेगा। हमने इतनी बड़ी बात उससे छुपाई है!"
    इस पर रागिनी मुस्कुराकर कहती है,
    **"आप चिंता क्यों कर रही हैं माँजी? मेरे होते हुए ऐसा कभी नहीं होगा। राघव, आयुष तक कभी नहीं पहुँच सकेगा।"
    "मतलब? कैसे?"
    "आप वो सब मुझ पर छोड़ दीजिए। आप आज शाम के लिए तैयार रहिए। मैं जैसा-जैसा करती हूँ, वैसा करते जाइए।"

    ये कहकर रागिनी, दादी से कुछ बातें बताती है और एक डेविल मुस्कान के साथ कमरे से बाहर आ जाती है।

    इधर राघव, रागिनी के बताए हुए अस्पताल में पहुँचता है। वह डॉक्टर की तरफ देखते हुए कहता है,
    "डॉक्टर, आयुष कहाँ है?"
    "सर, आयुष को तो डिस्चार्ज हुए पाँच महीने हो गए। उन्हें तो हल्की सी चोट आई थी। हमने उन्हें दवा देकर डिस्चार्ज कर दिया था।"
    "क्या?"
    "हाँ सर, वह तो यहाँ से जा चुके हैं।"

    ये सुनते ही रागिनी पीछे से बोल पड़ती है,
    "क्या कह रहे हो डॉक्टर? होश में तो हो? हमने तो अस्पताल के कितने बिल भरे हैं, करीब 50 लाख से ऊपर! हमने यहाँ पर पैसे इन्वेस्ट कर दिए आयुष के ट्रीटमेंट के लिए, और आप ऐसे बोल रहे हैं?"

    राघव पीछे मुड़कर रागिनी को देखते हुए कहता है,
    "तुम यहाँ...?"
    "हाँ राघव, मैं बस अभी आई। तुम्हारी तबीयत सही नहीं थी, तो सोचा कि तुम्हें ऐसा अकेले नहीं छोड़ सकती। डॉक्टर, आप एक बार ध्यान से चेक करिए। हम तो आयुष के बिल भर रहे थे, शायद आपको कोई गलतफहमी हो रही है।"
    "मिश्रा जी, रागिनी... आयुष हमारे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो चुका है।"
    "क्या? क्या मतलब...? कहीं उसने अपने एक्सीडेंट का झूठा बहाना करके पैसे लेकर भाग तो नहीं गया?"

    "बस रागिनी! इससे ज़्यादा एक और शब्द नहीं सुनूँगा मैं! वो ऐसा नहीं कर सकता, वो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है!"
    "ठीक है राघव, मैं मानती हूँ वह वैसा नहीं है। सॉरी, मैंने ऐसा कह दिया। पर पैसा अक़्सर इंसान की नियत बदल देता है। सोचो ना — अगर वह नहीं है, तो गया कहाँ? और जब वह एक महीने पहले ही डिस्चार्ज हो गया था, तो तुम्हारे पास क्यों नहीं आया?"

  • 18. My gangster boyfriend - Chapter 18 gaddar hai vo

    Words: 1080

    Estimated Reading Time: 7 min

    राघव रागिनी की बात सुनकर के चुपचाप वहां से निकल जाता है, और उसकी गाड़ी मानव हवाओं से बात कर रही हो। गाड़ी कितनी स्पीड थी कि यह देखकर रागिनी भी एक पल के लिए डर जाती है, और वह भी अपनी कार की स्पीड को तेज़ करती है, राघव के बराबरी पर। आगे कहती है, "राघव मेरी बात सुनो, पागल मत बनो, कार की स्पीड धीरे करो।"

    राघव रुको, पर राघव किसी की सुनने के मूड में नहीं था। देखते-देखते उसकी गाड़ी सीधा उसकी कंपनी के सामने आकर रुक जाती है। वहां पर रुकते ही वह बाहर निकलता है और अपने पॉकेट से गन निकालते हुए सीधा कंपनी की तरफ जाने लगता है। उसे इस कदर ऑफिस की तरफ जाते देख रागिनी भी उसके पीछे भागते हुए जाने लगती है।

    थोड़ी देर में वह ऑफिस के अंदर पहुंचता है। सनी एक क्लाइंट से बात कर रहा होता है। वह राघव अचानक से आगे बढ़कर सनी को कसकर पकड़ लेता है और गुस्से में उसे दीवार की तरफ धक्का देते हुए गन सीधा उसके सिर पर लगा देता है और चिल्लाकर कहता है, "हाउ डेयर यू टू से, था? तो में तुमने क्या बोला था, आयुष मर गया है? अगर आयुष मर गया है तो यह हॉस्पिटल की रिसिप्ट डिटेल्स क्या बता रही है?"

    सनी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले, वह बस डर से कहां पर जा रहा था। तब तक रागिनी, सनी के और राघव के बीच में जाकर खड़ी हो जाती है। राघव, "छोड़ो सनी को!" रागिनी, "तुम बीच में मत पड़ो, यह मेरा और इस नमक हराम का मामला है। इसने मुझे झूठ कैसे बोला? मुझे झूठ से सख्त नफरत है, इसकी सजा तो इसे मिलेगी!"

    सनी ने डरते हुए कहा, "सर, मैंने कोई झूठ नहीं बोला।" रागिनी ने अपना दांत पीसते हुए कहा, "अगर उसने मुंह खोल दिया तो सारा भांडा फूट जाएगा, और फिर राघव सब समझ जाएगा। इससे पहले मुझे कुछ करना होगा।"

    रागिनी राघव को पीछे धकेलते हुए कहती है, "सर, अपने चारों तरफ देखो, तुम कहां खड़े हो? ऑफिस के सारे एम्प्लाई डरे हुए थे, और वे सब एक कोने में खड़े थे। उनकी तरफ दिखाते हुए कहती है, 'यह इमेज देना चाहते हो अपनी इन्हें देखो।'"

    राघव, "रागिनी, मैं तुम्हें फिर से कहता हूं, तुम बीच में मत बोलो। मुझे अभी कुछ समझ नहीं आ रहा। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे बारे में कौन क्या सोचेगा?"

    राघिनी, "मैं सच्चाई बताती हूं।"

    सनी बोलते हुए, "क्यों नहीं?"

    सनी आश्चर्य से रागिनी की तरफ देख रहा था। राघव, "दरअसल हुआ यह था कि उस रात जब तुम्हारे कार का एक्सीडेंट हुआ, तुम जब अस्पताल आए, तो आयुष भी उसके बाद अस्पताल आया था। दरअसल आयुष का जब बॉडी वहां नहीं मिला तो सनी को लगा कि वह मर चुका है और वह यह बात तुम्हें बता दिया। उसे भी यह पता नहीं था कि आयुष जिंदा है। जहां तक कि वह तुम्हें धोखा देकर भाग रहा था। नहीं विश्वास होता ना? रुको, मैं अभी दिखाती हूं एक-एक।"

    रागिनी अपना फोन निकालती है। रागिनी अपना फोन निकाल कर इंस्पेक्टर कबीर को फोन करती है। इंस्पेक्टर कबीर थोड़ी देर में राघव के ऑफिस पहुंच जाते हैं। वह राघव की तरफ देखते हुए अपने पॉकेट से कुछ निकालते हैं और उसे राघव के हाथ में रखते हुए कहते हैं, "सर, दरअसल उस दिन आपके कार के एक्सीडेंट के बाद, आज से पांच दिन पहले एक कार का एक्सीडेंट हुआ था। वह कार का एक्सीडेंट शहर के बाहर जाने वाले रास्ते पर हुआ था, और उसमें हमें यह मिला।"

    राघव उन चीजों को देखते हुए कहता है, "यह नहीं हो सकता!"

    इंस्पेक्टर कबीर, "सर, यह सच है। बॉडी पूरी तरीके से जल गई थी, हमने वह बॉडी आयुष के फैमिली को दे दी, और यह मिला तो कुछ आधे जले डॉक्यूमेंट, कुछ ई और ऐसे ही बहुत सी चीजें, जिसमें आयुष के सेल फोन और उसके ऑफिस कार्ड वगैरह थे। सर, उसे रात जब आपका एक्सीडेंट हुआ, तो हमें भी लगा था कि आयुष मर चुका है, पर बाद में हमें छानबीन करने के बाद आयुष की बॉडी मिली, और वह बेहोश था। हम उसे अस्पताल लेकर आए और थोड़ी देर बाद वह ठीक हो गया। डॉक्टर ने उसे डिस्चार्ज कर दिया था।"

    राघव अभी भी उन बातों पर विश्वास नहीं कर रहा था। रागिनी ऑफिस के कॉलीग को बुलाती है, "सुमित, सच बताओ, उस दिन क्या हुआ था यहां पर?"

    राघव सुमित की तरफ घूर कर देखता है। सुमित डरते हुए कहता है, "सर, आयुष ऑफिस आया था और वह अपना सामान पैक कर रहा था। बहुत हड़बड़ी में था और वह कह रहा था कि उसे बहुत कुछ करना है, और हां, वह आपके केबिन में भी गया था। मुझे नहीं पता, पर उसने आपका सेफ भी ओपन किया था। मैं खुद अपनी आंखों से देखा था, उसने उसमें से कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट निकाले और लेकर जाने लगा। जब मैंने उससे पूछा कि ऐसा क्यों कर रहे हो, उसने कहा कि आपने उसे यह करने के लिए कहा है। वह डॉक्यूमेंट कंपनी के थे, तो मुझे लगा कि आप आयुष को इतना चाहते हैं, शायद आपने बोला होगा उसे ले जाने के लिए, इसलिए हमने उससे ज्यादा सवाल जवाब नहीं किया।"

    यह सुनते ही राघव और आग बबूला हो गया था। रागिनी रहती है, "क्या तुम्हें अभी और सबूत चाहिए उसके सच को दिखाने के लिए? वह हमारे राइवल कंपनी मल्होत्रा से मिला था। वह तो शुक्र मनाओगे, उसे रात कार का एक्सीडेंट हो गया, सारे डॉक्यूमेंट जल गए, वरना आज तुम कहीं के नहीं होते।"

    यह सुनते ही राघव गुस्से से अपनी गन को फेंक देता है और ऑफिस से धीरे से निकल जाता है। उसके जाते ही रागिनी गुस्से में सनी की तरफ देखते हुए कहती है, "अगर गलती से भी कभी राघव को सच पता चला ना, तुम सोच लेना तुम्हारे साथ क्या होगा।"

    सनी रागिनी की बात सुनकर डरते हुए, हां में सिर हिलाते हुए कहता है, "मैं कभी नहीं बताऊंगा...!"

    इधर दूसरी तरफ राघव गुस्से में अपने घर जा रहा होता है। वह घर के गेट पर पहुंचता है, तो उसे एक अजीब सा महसूस होता है। वह अपने सामने देखता है, तो दादी मां ने शोक सभा बुलाया हुआ था। यह देखकर राघव गुस्से में आग बबूला हो जाता है और सामने पड़े आयुष की तस्वीर को पैरों से मारते हुए चिल्ला कर कहता है, "कोई जरूरत नहीं ऐसी शोक सभा की! वह हमारा कोई खास नहीं था, मर गया तो मर गया! ऐसे गद्दार मर जाएंगे, वरना मैं उसे मार देता!"

  • 19. My gangster boyfriend - Chapter 19 ye deal to hrmi hi hogi

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह कहकर राघव अपने कमरे की तरफ चला जाता है। पीछे आ रही रागिनी यह देख करके मन ही मन खुश होते हुए बोलती है, "वह दिन दूर नहीं, राघव, जब तुम मेरे होंगे। मैं तुम्हें किसी भी हालत में हासिल करके रहूंगी।"

    दादी राघव का यह रूप देखकर डर जाती हैं। वह रागिनी के पास भागते हुए कहती हैं, "पर तुमने तो कहा था कि..."

    रागिनी जवाब देती है, "दादी, मैंने क्या कहा था, क्या नहीं, अब वह भूल जाइए। देखिए, अभी हमें राघव के हेल्थ पर ध्यान देना है। उसे भी अपनों की बहुत जरूरत है।"

    यह कहकर वह सीधा राघव के कमरे की तरफ चली जाती है। वह धीरे से राघव के कमरे में जाती हुई देखती है तो राघव अपने बिस्तर के कोने में बैठा हुआ था। उसने गुस्से में कैमरे की सारी चीजों को तहस-नहस कर दिया था। यह देख करके रागिनी मुस्कुराते हुए कहती है, "जैसा चाहिए, वैसा मिल गया मुझे।"

    वह अपने पॉकेट से एक दवा निकालती है और उसे लेकर सीधा राघव के कमरे में चली जाती है। राघव रागिनी को देखकर गले लगा कर जोर-जोर से रोने लगता है। राघव, बच्चों की तरह रोते हुए कहता है, "मैंने उससे प्यार किया था, मैं उसको चाहने लगा था। उसने ऐसा क्यों किया?"

    रागिनी उसे चुप कराते हुए कहती है, "राघव, की दुनिया बहुत जालिम है, इन्हें प्यार की समझ नहीं, और तुम भूलो मत, तुम्हें गैंगस्टर हो। और बड़ी बात, तुम एक सबसे बड़े बिजनेस में खड़े हो, अगर किसी को पता चल गया कि तुम एक लड़के से प्यार करते थे, तो क्या करेगा?"

    यह कहते हुए रागिनी धीरे से उसे पाउडर को सामने ग्लास में डाल देती है और जूस से पानी निकालते हुए उसे पानी का गिलास राघव के पास लाकर कहती है, "ले लो, इसे पी लो, तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा। और भगवान ने उसे उसकी सजा तो दे दी, देखो, मार दिया ना उसे।"

    राघव यह सुनते ही दांत पीसते हुए कहता है, "उसे इतनी आसानी से नहीं मारना चाहिए था। उसने मेरा विश्वास तोड़ा है, उसने मेरा सब कुछ छीना है। मैं उसे तड़प-तड़प के मारता!"

    रागिनी फिर से कहती है, "मैं समझ सकती हूं, पर मरे हुए को कितना मार सकते हैं?"

    राघव, अब रोना गाना बंद करो और मुझे लगता है कि तुम्हें अपने काम पर फोकस करना चाहिए। कुछ दिनों में कपूर इंडस्ट्री के ओनर, शिवम कपूर, यहां आने वाले हैं, और उनके साथ अगर एक बार हमारी डील पक्की हो गई, तो हमारी कंपनी को और ज्यादा बेनिफिट होगा। और उसके लिए तुम्हें अपनी जान लगानी पड़ेगी, कुछ भी हो जाए, इस बार यह डील मल्होत्रा के हाथ में नहीं जानी चाहिए।"

    रागिनी की बात सुनकर राघव हां में सिर हिलाता है, अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहता है, "इस बार यह डील मेरी होकर रहेगी, और इस मल्होत्रा के बच्चे को तो मैं रास्ते से हटा दूंगा!"

    राघव, "नहीं, राघव, सोचना भी मत! बोलो मत कि तुम्हें कुछ दिन बाद इलेक्शन में भी खड़ा होना है। अब, अगर किसी को यह पता चला कि तुम्हारा हाथ इन सब चीजों में है, तो बहुत बवाल हो जाएगा। वैसे भी, काफी कांड हुए पड़े हैं, अभी हम उसे हालत में नहीं हैं, किन चीजों को सही कर सके।"

    रागिनी की बातें सुनकर राघव ने सिर झुका लिया और रागिनी को फिर से गले लगाते हुए कहता है, "तुम कितनी अच्छी हो! मैंने तुम्हारे साथ क्या-क्या नहीं किया, पर तुमने हमेशा से बस मेरा साथ दिया और आज भी बस मेरे और मेरे परिवार के लिए ही सोचती हो।"

    यह सुनकर रागिनी एक डेविल स्माइल के साथ मुस्कुराते हुए कहती है, "मैं तो हमेशा से तुम्हारी थी और तुम्हारी ही रहूंगी।"

    तभी सीडीओ से नीचे आता है सनी और राणा को आवाज लगाते हुए कहता है, "सुनो, कुछ ही दिनों में मल्होत्रा हमारे यहां आने वाले हैं। हमें उसकी पूरी डिटेल्स चाहिए, एक छोटा सा छोटा चीज भी हमारे लिए बेनिफिशियल हो सकता है। यह पता करो कि उसने कितनों के साथ डील साइन की है, और हां, अपने रिजॉर्ट को डेकोरेट कर दो। कपूर के साथ यह डील हमारी ही होगी। मैं बस एक छोटी सी पार्टी थ्रो करना चाहता हूं, जिससे मैं मिस्टर कपूर को यह दिखा सकूं कि हम उसे डील के लिए डिजर्विंग हैं।"

    "और सुनाओ, सबके यहां इनविटेशन पहुंच जाना चाहिए, खासकर मल्होत्रा। उसके यहां मैं दिखाना चाहता हूं कि उन्होंने जो हमारे साथ किया है, उसके बाद उनका क्या परिणाम होगा।"

    सनी यह सुनकर हां में सिर हिलाता है और वहां से चला जाता है। राघव गुस्से में दांत पीसते हुए कहता है, "अभी मल्होत्रा, तुमने सही नहीं किया! तुमने मेरे साथ से हमेशा विश्वासघात किया है, और इस विश्वासघात की सजा तो तुम्हें मिलेगी।"

    दूसरी तरफ यश को यह सारी बातें पता चलती हैं। वह अपना फोन निकालकर अपने पापा के पास कॉल करते हुए कहता है, "पापा, राघव एक बड़े पार्टी का आयोजन करने जा रहा है, और उसमें मल्होत्रा, कपूर जैसे बड़े नाम शामिल होने वाले हैं।"

    यह सुनते ही हर्षवर्धन मुस्कुराकर कहता है, "करने दो बेटा, इस बार यह डील हम लेकर जाएंगे। राघव के नाक के नीचे से, ना सब कुछ छीन लिया। मैंने तो मेरा इनाम भी।"

    हर्षवर्धन, "नहीं, पर पापा, यह सब होगा कैसे?"

    यश, "सुनो, मैं बताता हूं कैसे होगा।" इसके बाद वह यश को पूरी तरीके से सारी बातें समझाता है। यह सुनने के बाद यश एक शैतानी मुस्कान के साथ कहता है, "पापा, यह काम करेगा ना?"

    हर्षवर्धन, "हां बेटा, यह काम करेगा। तुम बस जैसा कहा है, वैसा करते जाओ। कल सुबह ठीक 5:00 बजे तुम्हारे पास वह लेटर आएगा, तुम बस वक्त देखकर उसे राघव के केबिन में डाल देना। और हां, जो मैंने तुम्हें पहले बताया, उस चीज के लिए तैयार रहना। मेरा आदमी तुम्हारे ऑफिस पहुंच जाएगा, तुम बस कोई गड़बड़ी मत करना। सुनो, संभाल कर करना।"

    राघव उड़ती चिड़ीया के पर गिन लेता है, इसलिए जितनी सफाई से करोगे, उतना अच्छा होगा।

    आखिर ऐसा क्या करने वाले थे यश और हर्षवर्धन राघव के साथ और किस प्लान को एग्जीक्यूट करने की बात हो रही थी? जानने के लिए पढ़ते रहिए।

  • 20. - Chapter 20 कपूर का आना

    Words: 950

    Estimated Reading Time: 6 min

    दूसरे दिन एयरपोर्ट पर कपूर को लेने के लिए राघव पहले से पहुंचा हुआ था। वह हाथ में बग्गी लिए उनके बाहर आने का इंतजार कर रहा था। तभी राघव का ध्यान बगल में जाता है, और वह देखता है कि सुमित मल्होत्रा भी वहां पर आया हुआ था। उसे देखते ही राघव का खून खौलने लगता है और गुस्से में अपने हाथों की मुट्ठी दबाते हुए उसकी तरफ बढ़ने ही वाला था कि रागिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोक दिया। रागिनी ने धीरे से कहा, "क्या कर रहे हो, पागल हो क्या? यह डील हमारे लिए इंपोर्टेंट है, बोलो मत। और मल्होत्रा तो यही चाहते हैं कि हमारा इमेज कपूर के सामने गिर जाए, और ऐसा हुआ तो यह डील तुम्हारे हाथ से चली जाएगी।"

    रागिनी की बात मानकर राघव चुपचाप पीछे हट जाता है। थोड़ी देर बाद एयरपोर्ट से एक हैंडसम लड़का बाहर आता है, जिसकी हाइट करीब 6 फुट के बराबर थी। डोले-शोले उसके ऊपर के कपड़े से ही दिख रहे थे। गोरा शरीर और हल्की बेड उसके लुक में चार चांद लगा रहे थे। उसकी उम्र लगभग 28 साल की थी। वह आगे बढ़कर आता है। उसे देखते ही राघव आगे बढ़कर उसे बज देते हुए कहता है, "ग्रेट! हेलो मिस्टर साहिल, वेलकम टू इंडिया।" साहिल मुस्कुराते हुए राघव का धन्यवाद करता है।

    तब तक सुमित भी आगे बढ़कर आता है और सामने पड़े एक लगेज को खोलता है। उसमें से कुछ एक्सपेंसिव चीजें निकलकर कपूर की तरफ पेश करते हुए कहता है, "वेलकम टू इंडिया, यह हमारी तरफ से छोटी सी भेंट है, आपके लिए इंडिया की खुशबू।"

    यह देखते ही राघव गुस्से से लाल हो जाता है और रागिनी की तरफ तिरछी नजर से कहता है, "तुमने इसका अंदाजा नहीं था, तुम तो सुमित को पहले से जानती हो?"

    रागिनी अपनी आवाज लड़खड़ाते हुए कहती है, "ऐसा कैसे हो सकता है, मुझे भी इसका कोई अंदाजा नहीं था। मुझे तो लगा वह खाली हाथ आएगा, वह इतना कुछ लेकर आएगा, मैंने सोचा नहीं था।"

    यह देखकर साहिल मुस्कुराता है और सुमित को धन्यवाद बोलता है। साहिल उन परफ्यूम्स को उठाता है, जो काफी लग्जरियस लग रहे थे। वह उसे निकाल कर बगल में खड़े एक आदमी को इशारा करता है, जो उन परफ्यूम्स को लेकर अंदर जाता है। थोड़ी देर बाद वह बाहर आकर कहता है, "सर, यह परफ्यूम नकली है, यह ओरिजिनल ब्रांड के नहीं हैं।"

    सुनते ही साहिल मुस्कुराकर कहता है, "मिस्टर मल्होत्रा, आपसे यह उम्मीद नहीं थी, पर थैंक यू यह परफ्यूम लाने के लिए।" यह देखकर सुमित की दांतें भी किटकिटाने लगती हैं। वह लड़खड़ाते हुए कहता है, "पर सर, यह कैसे हो सकता है? यह तो हमारे यहां लिमिटेड एडिशन में मिलता है और मैंने इसे पैसे लगाकर खरीदा है, जो हमें काफी एक्सपेंसिव पड़ा है। हमारे पास इसकी पूरी बिलिंग भी है।"

    साहिल यह सुनकर मुस्कुराकर कहता है, "फिर तो आपको किसी ने ठग लिया है। आप ऐसे करेंगे बिजनेस? आप एक परफ्यूम को नहीं पहचान सके, आप आगे कैसे पहचानेंगे किसी चीज को नकली और असली में फर्क करना आना चाहिए, सुमित बाबू!"

    सुमित गुस्से में चढ़ता है और वहां से चला जाता है। यह देखकर राघव के मन में शैतानी मुस्कान आ जाती है। तब तक पीछे से एक इंसान बाहर आता है, जिसे गार्ड ने चारों तरफ से ढका हुआ था। उसका चेहरा भी देख पाना लोगों के लिए मुश्किल था। वह इंसान साहिल के बगल में खड़ा हो जाता है। साहिल उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहता है, "मीट माय फिआंसे, हम यहां के दिल के बाद सीधा थाईलैंड जाकर शादी करने वाले हैं, क्योंकि वहां पर एलजीबीटी विवाह कानूनी रूप से मान्य है।"

    यह देखकर हर कोई हैरान था। क्या इतनी बड़ी बिजनेसमैन की चीज बड़े आराम से कह रहा था? राघव दूर से ही उसके होने वाले फिआंसे को देखता है और बोलता है, "क्या यह उसका बॉयफ्रेंड है या फिर सोने की खदान? इतने फोर्सेज लगे उसे छुपाने में!"

    रागिनी चिढ़ते हुए कहती है, "क्यों परेशान हो रहे हो, राघव? तुमने आज की हेडलाइन नहीं देखी क्या? आज की शाम वाली पार्टी में साहिल सर अपने बॉयफ्रेंड को इंट्रोड्यूस करने वाले हैं, तो सबको सरप्राइज देने वाला होगा!"

    राघव, "हां, रागिनी, जो भी है, पर आज मुझे बहुत अजीब सा फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि बहुत कुछ गड़बड़ होने वाला है। मेरा हाइट बहुत अजीब तरीके से रिस्पॉन्ड कर रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे दिल के करीब कोई तो था और वह आगे है आसपास!"

    रागिनी, "अरे, क्यों परेशान होते हो, राघव? मैं हूं ना, मैं ही तो थी तुम्हारे दिल के करीब और तुम्हारे आसपास! सोच लो, तुम्हारा दिल ऐसे धड़कता रहता है, सब ठीक है, तुम परेशान मत हो!"

    राघव यह सुनकर गहरी सांस लेता है और ड्राइवर को चलने के लिए बोलता है।

    इधर शाम के समय हर्षवर्धन पार्टी के लिए निकल रहा था, तब तक उसके फोन पर कॉल आती है। यह सुनते ही वह रुक जाता है।

    हर्षवर्धन, "हां, यस बोलो, क्या खबर लाए हो?"

    पापा, "आप यहां मत आना, मल्होत्रा को तो लोगों ने रोक दिया है और बहुत गंदी भाषण हुई है। अगर आप यहां पर आए तो बात का बतंगड़ बन जाएगा और आपके हाथ से डील चली जाएगी। मैं सोच रहा हूं, क्या मल्होत्रा के साथ मिलकर कपूर को अपने यहां इनवाइट करें?"

    यह सुनकर हर्षवर्धन मुस्कुराता है और फिर उसके दिमाग में एक खुरापाती आइडिया आता है। वह अपने बगल में देखता है, जहां एक सुंदर सी लड़की बैठी हुई थी, जिसे छोटे-छोटे कपड़े पहने हुए थे। उसका आधा शरीर दिख रहा था, और वह हर्षवर्धन को देखकर मुस्कुराती है। इसके बाद हर्षवर्धन फोन कट कर देता है और लड़की को देखते हुए कहता है, "तुम्हें पता है ना तुम्हें क्या करना है?"