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अनामिका अनसुलझी दास्तां

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sonali jangir

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मिस खान यूनिवर्सिटी में पढ़ रही लड़की शालिनी अपने यूनिवर्सिटी क्लास टिचर अध्यन वर्मा से जनरली इक सवाल पूछतीं है,,,,, शालिनी : टिचर अध्यन,,,,इक डाउट मेरा,,,,क्या आप क्लीयर कर सकते हैं,,,, (शालिनी कि बात सुनकर टिचर अध्यन मुस्कुराते हुए,...

Total Chapters (27)

Page 1 of 2

  • 1. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 1

    Words: 520

    Estimated Reading Time: 4 min

    अध्यन समझता क्या है अपने आप को ?? कोई तोप थोड़ी है,,,मुझे फालतू में डाट दिया उसने मैने एक सवाल ही तो किया था,,,अगर जवाब नहीं दे सकता था तो,, नहीं देता,,,सबके सामने मेरी इन्सल्ट करने कि क्या जरूरत थी,,, फालतू में मेरी इन्सल्ट कर दी,,,अपने आप से बडबडाती हुई शालिनी अपने हॉस्टल रूम में पहुंची तो :-



    आयना : अन्दाना नहि था,,, टीचर अध्यन शालिनी को ऐसा जवाब देंगे।

    अंतरा : हाँ.....!! अंदाजा तो मुझे भी नही था,,,, आखिर,,,,,शालिनी उनकी चहीती जो है,,,,,,

    तुम लोग मुझसे इतना क्यों जलती हो ???,,,कम से कम रूम पार्टनर के नाते ही सही,,,,,मुझसे जलना तो बंद कर दो,,,, "अपने होस्टल रूम मे एन्ट्री करती हुई शालिनी बोली"



    "ओह मैडम,,,,, हम क्यू जलेंगे तुमसे....??? हमें राख के ढेर में मत मिलाओं,,,,"पूरा कोलेज क्या कम है,,, तुमसे जलने वाला " "आयना ने शालिनी को बहलाने के लिए कहा,,, "तो अन्तरा ने शालिनी कि तांग खीचते हुए कहा, "आयना वैसे हमारे जिजू ठिक हि कहते है,,,, मैडम शालू का ध्यान पढ़ाई पर नही है,,,आजकल!!! जिजू के ख्यालों में जो खोई रहती है.!!



    तो शालिनी अपनी दोनों दोस्तो को इग्नोर करके अपने बेड पर लेट जाती है,,,, रात हों चुकी थी,,,, लेकिन शालिनी कुछ परेशान थी,,,, "शालिनी के जहन में बार-बार इक ही सवाल आ रहा था,,, टॉप मंजिल पर क्या होगा ?? इतनी टाइट सिक्योरिटी क्यू लगाई गई है ???उसके बाहर,,,, क्यों टोप फ्लोर पर एन्ट्री करना अलाउ नहि है??


    शालिनी को नींद नहीं आ रही थी तो उसकी दोनों दोस्त गहरी नींद में सुकून से सो रही थी,,,,शालिनी अपने बिस्तर से नीचे उतर कर धीमे धीमे कदमो से अपने कमरे से बाहर बिना किसी की आवाज़ के निकल जाती है,,,



    बाहर ठन्डी-ठन्डी हवाएँ चल रहि थी जो शालिनी को इक अलग हि सुकुन भरा अहसास याद दिला रहि थी तो आप चन्द्रमा कुछ ज्यादा हि चमक रहा था,,,,



    होस्टल रूम से बाहर निकलकर शालिनी वोक करने लिए यूनिवर्सिटी एरिया में चली गई। कुछ वक्त वोक करने के बाद शालिनी ने अपनी वोच में टाइम देखती है,,एक बज रहे थे इस वक्त शालिनी यूनिवर्सिटी " गार्डन में टहल रहि थी उसका वापस होस्टल जाने का बिल्कुल मन नहि था, "" होगा भी कैसे गार्डन में ठन्डी-ठन्डी हवाएँ चल रहि थी जो शालिनी को इक अलग हि सुकुन भरा अहसास याद दिला रहि थी तो आज चन्द्रमा कुछ ज्यादा हि चमक रहा था,,,, टह‌लते - टहलते वो गार्डन में रखी चेयर पर बैठ गई और उसे नींद आ गई,,वो गहरी नींद में थी तो,, वही उसके पास कोई और भी थी,,, जो उसे अपने कंधे का सहारा देकर सुला रहि थी और बड़े प्यार से सोती हुई शालिनी को निहार रही थी।



    शालिनी इतनी गहरी नींद में थी कि उसे ये भी मालूम नहि था कि वो अपने घर पर नहीं गार्डन कि टेबल पर सो रही है,,,


    "सुबह के पाँच बज रहे थे,,,,शालिनी अक्सर पाँच बजे उठती थी,,,शालिनी की नींद खुली",,,,,,वो अपने आप को गार्डन में देख हैरान थी,,,,,,वो अपने आप से बाते करती हुई बोली.......….. "उफ यार "शालिनी!!! तू भी कमाल करती है मतलब  सारी रात गार्डन में बिता दी तूने,,,,,,,," वैसे!!!! यहा ऐसा तो कुछ नहीं है जैसा यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स कहते हैं !!!

  • 2. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 2

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    खैर,,,,नींद काफि अच्छी आई यहा,,,,,वैसे?? मैं कैसी?अजीब लड़कि हूँ ,,,,,टेबल पर बैठे-बैठे सो गई। मुझे ऐसा क्यू लगा ?? जैसे सारी रात कोई मेरे पास बैठा,,,, मुझे निहार रहा था,,,, यहा तो कोई इस टाइम आता ही नहीं है।। मेरा वहम होगा शायद!!!


    अब मुझे अपने होस्टल रूम में चलना चाहिए नहीं तो,,,,वो दोनो जग गई तो सारे होस्टल को सर पे उठा लेगी,,,,,,बोलते -बोलते शालिनी अपने होस्टल के लिए निकल जाती है। तो दूसरी तरफ,,,


    आयना ने पाँच बजे का अलार्म लगाया था,,,जिससे वो पाँच बजे उठ गई उसने उठने के बाद देखा अन्तरा तो अपने बेड पर थी मगर शालिनी गायब थी, शालिनी को बेड पर न देखकर आयना वोशरूम कि तरफ आवाज लगाकर चैक करती है,,, शालिनी वोशरूम में भी नहीं है,,,

    ये देख आयना अन्तरा को उठाती

    ओए,,,,कुम्भकरन कि बहन उठ जल्दी,,,,अन्तरा अपनी आंखें मसलते हुए बोलती है क्या हुआ ?? क्यू सुबह सवेरें इतना शौर मचा रही है??
    अरे! ये देख शालू नहीं है यहां पर,,,,आयना शालिनी के बेड किं तरफ उंगली करती हुई बोलती हो,

    अरे! बेवकूफ लड़की,,,,बेड पर नहीं है!!शालू,,,,तों वोशरूम में होगी अन्तरा आयना से बोलती है। वोशरूम में भी नहि है,,, मैने चैक किया था,आयना बोली,,,

    अन्तरा : अच्छा ??कहीं वो कोलेज कि टोप मंजिल,,,चैक करने तो नहीं चली गई ना??

    आयना : यार तू भी कैसी अजीब बाते करती है?? कोलेज में तो कोई भी शाम के आठ बजे से सुबह 5:30 तक एन्ट्री नहि करता। ,,,तो शालिनी कैसे पहुंचेगी टोप फ्लोर पर???,,,,मुझे लगता है कि बात करने रूम से बाहर गई होगी ?? शायद जीजू से,,,,

    अन्तरा और आयना अपने-अपने अंदाने लगा रही होती है की ,,,,तभी शालिनी रूम में एन्ट्री करते हुए बोलती है


    शालिनी : ह्म्म !! क्या करू??? तुम्हारे जीजू ने कोई कैफ्य तो खुलवा नहीं रखा,,,,,जहाँ उनसे बैठकर आराम से मीठी-मीठी, प्यार भरी बाते करू,,,,, बात करने के लिए रूम से बाहर जाना पड़ता है।


    शालिनी में आयना कि लास्ट वाली बात का फायदा उठाकर टॉपिक बदलना चाहा लेकिन उसका मोबाइल तो उसके बेड पर ही था,, शालिनी की बात खत्म हुई थी कि शालिनी का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा,,,आयना,,,अन्तरा का ध्यान मोबाइल कि तरफ चला गया,,, वो दोनो शालिनी पर जोर-जोर से हंसने लगे।


    अन्तरा : हे,,,!!गोड,,,,हमारी शालू तो ठिक से झूठ भी नहि बोल सकती",,


    "शालिनी चिड़ते हुए बोलती है,,,तुम लोगों को ओर कोई काम नहीं है क्या जब देखो तब मुझे टॉपिक बनाकर,, अपनी बतीसी दिखाती रहती हो,,, इतना बोलकर शालिनी अपने  अलमारी से अपने कपडे निकालकर वोशरूम में चली जाती है,,, शालिनी के जाने के बाद आयना और अन्तरा दोनो उस पर हसती है।


    आयना : अन्तरा ! तुझे पता है, वो तेरे ऐसे कमेट्स पास करने पर चिड़ती है, तो तू क्यू परेशान करती है। उसे???


    अन्तरा : तूझे मज़ा आया या नहीं..?? मुझे शालू को परेशान करने में बड़ा मज़ा आता है,,,


    आयना: मज़ा तो आता है पर,,, शालू को तंग करना इतना भी अच्छा नहीं है,,,,तुझे तो पता है। वो कभी-कभी बातो को कैसे सीरियस ले लेती है,,,



    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए,,,

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  • 3. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 3

    Words: 506

    Estimated Reading Time: 4 min

    शालिनी वोशरूम से बाहर आकर जल्दी-जल्दी बालों में कधी करने लगती है तो आयना अपने कपडे लेकर वोशरूम में घुस जाती है।



    अन्तरा को शरारत सूझती है,,,,,वो शालिनी को तंग करने के लिए बोली : ओह! मैडम, इतनी जल्दी कहा कि है ?? जो तुम गिले बालों में हि कंधी कर रहे हो कुछ सुखने दो उन्हें !!!



    शालिनी: तुम्हारे बाल नहीं है,,,, मेरे बाल है,,, मैं जैसे मर्जी वैसे है,,,, 'करूंगी कंघी और वैसे भी मेरे पास वेस्ट करने के लिए टाइम नहि है,,,मुझे कुछ काम है,,कोलेज में,।

    इसलिए में अभी निकल रही हू,,,शालिनी अपने गिले बालों को रोल करने लगती है,,,शालिनी को ऐसा करते देख अन्तरा जल्दी से अपना हेयर ड्रायर निकालती है।


    रुक,,,पाँच मिनट प्लीज !!अन्तरा बोलती हुई हेयर ड्रायर को प्लग से कनेक्ट करके शालिनी के बालों को ड्रायर से सुखाने लगती है,,, उतने में आयना भी वोशरूम से बाहर आ जाती है ,आयना के बाल भी गिले थे। वो अपने टोवल से बालो को लपेटें हुए थी,,।



    ओह,,,अनू,,,मेरी जानिया, तुम कितने को केयरिंग हो,,आई लव यू माय स्वीटहार्ट ,,मेरी प्यारी जान आयना अंन्तरा को ये सब बोलकर,,, इक पल में सातवे आसमां पर बैठा देती है तो दूसरे ही पल वापस जमीं पर गिरा देती है,

    अन्तरा : क्या ?? सच मे आयु !!अन्तरा खुश होते हुए बोलती है।

    आयना : अरे! नहीं। मैं तो मजाक कर रही थी,,,परिलोक मत पहुंच जाना उड़कर तुम उड़कर,,,,,,


    शालिनी इन दोनो कि बातें सुनकर जोर-जोर से हसने लगती है,, तो,,,,

    अन्तरा अपना हेयर ड्रायर टेबल पर रखते हुए बड़बड़ाती है,,,,, तुम मुझे कहा परिलोक पहुंचने दोगी वोशरूम में भी लास्ट में नम्बर आता है मेरा।

    शालिनी को अन्तरा कि बातें सुन जाती है,,, तो उच्ची आवाज करती हुई!

    शालिनी : तुम कौनसा सुबह जल्दी उठती हो,,,, तुम्हे देर तक सोने कि आदत है,,,,, हम दोनों तो पाँच बजे उठते है!! रोज,,,, इसलिए हम दोनों पहले शावर ले लेते है,,, जब तक तुम उठती हो,,,,तब तक हम अपनी कोलेज कि सारी तैयारी कर लेते हैं,,,,तुम्हारे!!! जगने का इन्तजार करेंगे। तो,,,,,हमारा पाँच बजे उठने का कोई फायदा ही नही रहेगा ना।


    शालिनी सिरियस होकर अन्तरा को अपनी बाते समझाती है,,,,, तो आयना "शालिनी का ध्यान हटाने के लिए टॉपिक चेंज करते हुए,,,,

    आयना : हे गोड !!! शालू पौने छ: हो गए,,,,अन्तरा जाओ और जल्दी से शावर ले लो तुम,,,, आज हमे सात बजे कोलेज क्लास अटेंड करनी है,,,,, आयना की बातों से शालिनी को याद आता है,,,,कि उसे जल्दी कोलेज पहुंचना है,,,," वो जल्दी से अपना मोबाइल और कोलेज बैग लेकर निकलती हुई,,,,अन्तरा से बोलती है,, "थैंक्यू अनू, मेरे बाल ड्राय करने के लिए एण्ड सोरी फोर इन सब बातों के लिए,,,,


    शालिनी का थैंक्स और सॉरी सुनकर अन्तरा शालिनी कि तरफ इक स्माइल पास करते हुए बोलती है, इट्स ओके...!!! तुम जल्दी करो वरना लेट हो जाओगी।


    शालिनी कोलेज के लिए निकल जाती है,,,,तो आयना!! अन्तरा से बोलती है,,,,,हाय्य्य!!! तुम कितनी केयरिंग हो यार,,, वैसे तो तंग करती रहती हो हमेशा शालिनी को तुम,,,, लेकिन कुछ वक्त फन करने के लिए,,,,अब जल्दी जाओ!! वोशरूम बेचारा कब से तुम्हारे इन्तजार में सपने सजाए बैठा है।

  • 4. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 4

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    "अन्तरा को आयना कि बात पर हंसी आ जाती है वो अपने कपडे, अलमारी से निकालती हुई बोलती है : तू कुछ ज्यादा ही फ्लर्ट करने लगी है आजकल !!!

    आयना ? हाए!! रबा,,,इस प्यारी सी,,,मासूम सी जान पर,,, ये कैसा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है,,,

    अन्तरा : चल हट,,,,नौटकी बाज!!  इतना बोलकर अन्तरा वोशरूम में नहाने चली जाती है।

    तो दूसरी तरफ शालिनी कोलेज में,,,,शालिनी कोलेज गार्डन में जाकर उसी टेबल पर अपनी डायरी लेकर लिखने बैठती है। जहां रात में  वो सों गई थी,,,, शालिनी डायरी में कल रात कि डिटेल लिखकर उसे बंद करती है,,,,,

    तो उसे फिर वही अहसास होता है,,,,,जो,,,,रात मैं हुआ था,,, कोई उसके सामने खड़ी-खड़ी उसे निहार रही है,,,,शातिनी अपने चारो तरफ ध्यान से गार्डन को अपनी नजरें दौराते हुए देखती है,,,,,,, और फिर मन में बोलने लगती है।  "यहा तो कोई सिंगल बंदा भी नहीं है फिर मुझे मैं अजीब सा,,,अहसास क्यू हो रहा है,,??

    ये मेरा वहम तो नहीं हो सकता,,,,अगर वहम होता तों,,,,इक बार होता,,,, मुझे एक बार गार्डन को अच्छे से चैक करना चाहिए,,,,शायद कोई छुप-छुपकर मुझे देख रहा हो,,,


    इतना सोचकर शालिनी टेबल से उठकर गार्डन कि तलाशी लेने लगती है। शालिनी जैसे-जैसे गार्डन में चलती है,,, वैसे वैसे शालिनी के पीछे कोई और भी चलती है,,, ओर शालिनी को अहसास भी होता है,,,,वो पलटक देखती मगर उसे कोई नज़र नहीं आता,,,,,गार्डन कि तलाशी लेते-लेते सात बज गए, शालिनी अब गार्डन से चलकर कोलेज बरामदे तक आ गई, वो दो कदम चलती तो उसके पिछे कोई और भी दो कदम चलती अब शालिनी दो कदम और,,,,चलकर रूकि और पिछे पलटते हुए बोली,,,,कौन है ?? कौन पिछा कर रहा है मेरा, सामने,,,,, अध्यन था।


    अध्यन उस वक्त शालिनी के पिछे ही आया था वो बोला, मैं हूँ,,,,,मैं तुम्हारा पीछे आया क्योंकि मुझे जरूरी बात करनी है तुमसे। तुम चलो मेरे साथ,,,

    शालिनी : तुम !! तुम मुझे परेशान कर रहे हो, कल रात भी तुम ही थे ना??? ह्म्म्म,,,बोलो! जवाब दो,,,,,तुम आए थे ना रात को गार्डन में तुमने ही दिया था,,,ना। मुझे कंधे का सिरहाना,,,,

    अध्यन शालिनी कि बाते सुनकर शॉक्ड था, उसने शालिनी का हाथ पकड़कर चलते हुए कहा,,,,तुम चलो मेरे साथ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है ,,,अध्यन शालिनी को कोलेज से बाहर ले जाता है,,,,तो आयना और अन्तरा भी कोलेज आते वक्त शालिनी को अध्यन के साथ जाते हुए देखती है वो दोनों अपनी क्लास में चली जाती है,,,,शालिनी कोलेज वापस शाम को आती है,,,,वो भी सिधे अपने होस्टल रूम मे आकर बिना खाना खाए सो जाती है,,,,,शालिनी कि दोनो दोस्त उसे ऐसे सोते देख परेशान हो जाती है।

    आयना और अन्तरा शालिनी से बात करने कि कोशिश करती है,,, लेकिन शालिनी उन्हें अपना कोई रिस्पोंस नहि देती।

    ,,,,,,शालिनी अध्यन के साथ कहां गयी थी,??? शालिनी से अध्ययन किस बारे में बात करना चाहता था??? शालिनी को वापस आते आते शाम कैसे हो गई?? शालिनी का पिछा कौन कर रहा था??? क्या वो अध्यन था,,,?? या था कोई और,,?? जानने के लिए अगला पार्ट पढ़े,,,,,,, और कैसी लगी ये कहानी मुझे कमेंट के थ्रू बताएं,,,,

  • 5. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 5

    Words: 517

    Estimated Reading Time: 4 min

    जब शालिनी अन्तरा और आयना कि बातो का जवाब नहीं देती तो,,,

    अन्तरा : शालू को आज हो क्या गया है,,,सुबह भी जल्दी में चली गई थी,,,कोलेज। और फिर टिचर के साथ कोलेज से बिन बताए बाहर चली गई और अब खामोश बिना कुछ खाए सो रही है, आयू !! तुझे ये सब अजीब नहीं लग रहा है???


    आयना : इसमें अजीब क्या है?? सब कुछ तो नोर्मल ही है, जाहीर सी बात है।,,,उसे सुबह अपना कोई अधूरा प्रोजेक्ट पूरा करना होगा। इसलिए वो जल्दी में कोलेज चली गई,,,, और टीचर को उसके साथ डेट पर जाने का मन हुआ तो,,,,, वो शालिनी को अपने साथ कोलेज से बाहर ले गए और अब शायद ये थकान की वजह से आराम करना चाहती है,,,, इसलिए नहि बोल रहि होगी।
    आयना ने अपने अंदाजे लगा - लगाकर अन्तरा के सारे सवालों का जवाब दे दिया। लेकिन सवाल तो आयना के मन में भी बहुत सारे उठ रहे थे,,,,लेकिन वो अपने सवाल अन्तरा के सामने रखकर उसकी टैंशन नहि बढ़ाना चाहती थी,,,,,, कुछ वक्त रुककर आयना फिर बोली,,,चल अनू हम केंटिन जाकर कुछ खा लेते है,,,,शालू को आराम करने दे यही,,, हम भी जल्दी वापस आ जाएगे।

    अन्तरा : हां ठिक है....!!! चल…

    वो दोनो अपने सुज पहनती है और धीमे से बाहर दरवाजा खोलती है,,,,और दोनो रूम से बाहर निकलकर फिर धीमे से दरवाजा बन्द कर देती है,,,,

    वो दोनो कैटरीन के लिए होस्टल से बाहर निकल जाती है।

    तो रूम में शालिनी अकेली रह जाती है,,, शालिनी अपने बेड पर लेटी थी,,,,.. उसकी आँखो से बहते आसुओं से उसका सिरहाना गिला हो गया था,,,



    वो उन दोनों के बाहर जाने के बाद जोर-जोर से सिसकती हुई रोने लगी उसकि सिसकीयों से उसका रूम गुज रहा था।


    तो इक तेज हवा का झोंका अचानक से शालिनी के रूम का दरवाजा जोरदार आवाज के साथ खोलता है,,,,शालिनी का ध्यान दरवाजे कि तरफ चला जाता है,,,,तो वो हैरानी से अपनी सिसकीयो को भूलकर दरवाजें कि तरफ देखने लगती है तुम!!! तुम क्यो आए हों यहा??

    शालिनी दरवाजे कि तरफ खड़े अध्यन को बोलती है तो।


    अध्यन : शालू तुम्हें मेरी बातो पर यकीन करना होगा और यही सच है।मैं तुमसे झूठ क्यों बोलूगा,,??अध्यन शालिनी के पास आते हुए बोलता है।


    जाओ यहा से,,,तुम जाओ यहा से, मुझे तुमसे इस बारे में अब और बात नहीं करनी, प्लीज जाओ तुम यहा से बहोत मेहरबानी होगी,,,,शालिनी अध्यन से कुछ अलग ही लहजे में बोलती है तो,,,



    आयना और अन्तरा रूम में एंटर करती हुई।

    अन्तरा : अरे !! ऐसे कैसे ॥ भई टीचर अध्यन पहली बार हमारे यहा आए है, हमे भी कुछ जान पहचान बनाने दो, वैसे टीचर आप दोनों 'डेट पर कहा गए थे ????? अन्तरा ने अपना सवाल टीचर के सामने रखा तो,,,,आयना भी अन्तरा के साथ उत्सुकता से इन्तजार कर रहि थी,,,,अध्यन का जवाब जानने का अध्यन सवाल सुनकर,,,,हैरानी से शालिनी की तरफ देखते हुए बोला : डेट, हम लोग डेट पर गए थे???


    इससे पहले अध्यन कुछ बोलता शालिनी उसकी बातो को काटते हुए बोलती है, "तुम जाओ यहा से,,, और कोई जरूरत नहीं है,,,, कोई भी जवाब देने कि,,,, वैसे भी तुम मुह पर झूठ बोलते हो।

  • 6. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 6

    Words: 512

    Estimated Reading Time: 4 min

    इससे पहले अध्यन कुछ बोलता शालिनी उसकी बातो को काटते हुए बोलती है, "तुम जाओ यहा से,,, और कोई जरूरत नहीं है,,,, कोई भी जवाब देने कि,,,, वैसे भी तुम मुह पर झूठ बोलते हो।


    शालिनी कि बातो से चिड़ते हुए अध्यन बोल, " मै...…!! क्या मै झूठ बोलता हूं?"

    शालिनी : इसमें कोई शक की गुंज़ाइश नहि है, तुम झूठे हो।

    अध्यन : तुम मेरा यकिन क्यू नही करती,,,?? मै झूठ क्यों बोलूगां तुमसे ???

    शालिनी : होगी तुम्हारी कोई पहाड़ सी मजबूरी,,,,

    अध्यन : हां......!!! मजबूरी ही है मेरी वरना मै,,, तुम्हारे लिए यहा तुम्हारे गर्ल्स होस्टल रूम में क्यूं आता ???

    "अध्यन अब थोड़ा गुस्से में बोल रहा था,, अध्यन के इस सवाल के बाद रूम में थोड़ा सन्नाटा छा गया और अध्यन भी अब रूम से वापस अपने गेस्टहाउस चला गया,, आयना और अन्तरा उन दोनों को ऐसे लड़ते हुए देख रहि थी ।। अध्यन के जाने बाद,,,

    आयना : शालू क्या कर रहि है ये??? क्या हुआ तुझे???‌ तू आज इतना अजीब बर्ताव क्यू कर रही है??

    आयना की बात सुनकर शालिनी नी बोती,,, "मुझे कुछ नहीं हुआ, मै तो बस ऐसे ही कुछ भी बोलती रहती हूँ,,, मुझे सिरियस कौन लेता है,," तुम बताओ! तुम खाना खाकर इतनी जल्दी कैसे आ गई वापस।

    शालिनी कि बात सुनकर,,,

    अन्तरा: तू तो जानती है,,, हम तीनो हमेशा साथ हि खाना खाते हैं,,,तू तो थी नहीं साथ इसलिए हम समोसे और पेस्ट्री लेकर आ गई,,,,

    अब हम तीनो दोस्त पेस्ट्री और समोसे साथ-साथ खाते है,,,, आयना शालिनी की तरफ पेस्ट्री बॉक्स बढ़ाती हुई बोलती है,,,

    "फिर वो तीनों साथ साथ पेस्ट्री और समोसे खाकर सो जाती है,,,,,

    तो दूसरी तरफ अध्यन गेस्ट हाउस में,,,,"इधर-उधर टहलते हुए अपने आप से बडबडाता है,,, "क्या करू" ऐसा मै, कि शालिनी को मेरी बातो पर यकिन हो जाए ??? कोई तो तरीका होगा,,,कोई तो,,,?? कि जिससे - शालिनी मेरी बातो पर यकिन करे ले।

    खैर, बहोत जिद्दी है।"जब अपनी जिद्द लेकर बैठ जाती है,,, तो फिर,,किसी की नही सुनती,,,, अगर जिद्‌दी नहीं होती तो,,,फिर शायद मेरी बातों को ऐसे सुनकर भी अनसुनी ना करती,,,, अब उसे समझाऊ तो समझाऊ भी कैसे ??? नाराज होकर जो बैठी है,,,,, आई थिंक,,, मुझे कुछ वक्त तक इस टॉपिक पर उससे कोई बात नही करनी चाहिए,,,, हां !! यही सहि रहेगा,,,,, कुछ वक्त में टीचर कि तरह शालिनी के साथ व्यवहार करुगा,,,, आखिर स्टूडेट भी है वो मेरी।

    ये सब बडबडाते हुए अध्यन टाइम देखता है,

    ओह, बारह बजने को है,,,,अब मुझे भी सोना चाहिए,,,,, अब मुझे सुकून से नींद भी आ जाएगी,,,,फिर देखते है कुछ दिनो बाद इस टॉपिक को भी।

    इतना सोचते-सोचते अध्यन भी सो गया,,,,

    अगले दिन शालिनी सुबह उठकर कोलेज के लिए तैयार थी,,,,,"तो उसकि दोनो रूम पाटनर भी तैयार थी वो तीनों साथ में कोलेज के लिए निकले,,,

    तो दूसरी तरफ से अध्यन भी अपने गेस्ट हाउस से कोलेज के लिए निकल गया कोलेज में एन्ट्री करते वक्त अध्यन और शालिनी का सामना हुआ।

    इस पार्ट में इतना ही,,,,आगे क्या होगा,,,, जानने के लिए अगला पार्ट पूरा पढ़ें,,,,,, मेरी लिखी "अनामिका साज़िश का शिकार" कहानी का,,,, कहानी कैसी लगी कमेंट करके बताएं,,,,,

  • 7. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 7

    Words: 510

    Estimated Reading Time: 4 min

    आज अध्यन कुछ बदला हुआ था, शालिनी अध्यन को ऐसे देख,,,अन्दाजा लगा चुकि थी कि,,अध्यन अब उसके साथ भी स्ट्रीक्ट टीचर बनकर रहेगा।

    आध्यन : गुड मोर्निंग स्टूडेट्स,,,

    गुड मोर्निंग टीचर,,,"आयना और" अन्तरा बोलती है,,,

    शालिनी उनके साथ गुमसुम सी खड़ी थी, तो अध्यन इक नजर शालिनी को देखकर स्टाफ रूम कि तरफ चला गया,,,स्टाफ रूम में वो कुछ पेपर रखता है और कुछ रजिस्टर फिल करने के बाद,,,,

    कुछ बिता हुआ सोचता है,,,,,.......शालिनी को किस तरह पूरे हक से हाथ पकड़कर मै उस दिन बाहर ले गया था,,,,, काश! वो,,,दिन हमारा खूबसूरत बन जाता,,,, लेकिन उस दिन मैने पता नहि क्यू ऐसा किया,,,, वो भी शालिनी के साथ वो दिन बिल्कुल अच्छा नहि रहा और शालिनी शायद मुझसे "ऐसा कुछ एक्सपेक्ट नहीं करती।

    मैं कितना मतलबी हूं ,,,,अध्यन ये सब सोच सोचकर खुद को कोश रहा होता है तो,,,, "दुसरी तरफ शालिनी फिर गार्डन में पहूंच जाती है,,,,और उसी टेबल पर बैठकर अपनी डायरी लिखती है,,,,शालिनी :-

    "प्यारी "डायरी !! कैसी हो तुम,,, हाँ मैं जानती हूं, मुझसे नाराज हो,,,, पूरे दो दिन बाद तुमसे मुलाकात कर रही हूँ,,,, आज।

    दरअसल मैं दो दिन से कुछ परेशान थी,,, अब तुमसे क्या छुपाना,,,, तुम तो इकलौती ऐसी दोस्त हो मेरी जिससे में अपनी अच्छी,,, बुरी, सुख-दुख की सारी बाते शेयर करती हूँ!!


    हां!! हां! सबर करो,,,, आज "मैं तुम्हें उन दो दिन के बारे में ही बताने आई हूं,,,,

    उस दिन जब मैं यहा बैठी उस रात के बारे में लिख रहे थी तो मुझे ऐसा फिल हो रहा था,,,,,जैसे कोई मुझे देख रहा था लगातार।

    मुझे नहीं पता कौन था और कहाँ से देख रहा था मुझे।
    लेकिन मैने अपनी तसल्ली के लिए पूरा गार्डन चैक किया। जब में गार्डन चैक कर रहि थी।,,,,,, तो मुझे लगा कोई लगातार मुझे फॉलो कर रहा है।, नहीं-नहीं,, मै घबराई नहीं।
    क्योंकि मुझे जो अहसास हो रहा था,, वो इम्प्यओर नहि था,,,, बल्कि इससे मुझे ब्यॉरिट वाली। अच्छी फीलिंग्स आ रही थी,,,,, इसीलिए तो!!! मैं यहा सुबह-सुबह आ गई,,,,


    मुझे टॉप फ्लोर के बारे में कुछ मालूम नही है,,,,इस टॉपिक पर कोई स्टूडेट या टीचर बात करना नहीं चाहता ।

    कोई तो राज छुपा हुआ है,,,, मुझे इस राज का पर्दा खोलना होगा।,,,, लेकिन कैसे ?? अभी तक मुझे उस फ्लोर कि कोई हिस्ट्री नहीं पता,,,,

    बस इतना पता है,,,, वहा सिक्योरिटी टाइट है,, और उस फ्लोर को सीलबंद किया गया है,,,,,

    बाहर एन्ट्री गेट पर बड़ा सा पोस्टर चिपकाया हुआ है और उस पोस्टर पर कुछ नोट किया गया है,,,,,


    हाँ, बिलकूल। वो नोटिस ही है,,,,इस पर चेतावनी लिखी गई है। और बड़े-बड़े शब्दों मैं नो एन्ट्री लिखा हुआ है।

    वहा कोई भी स्टूडेंट नहीं जाता बल्की,,,,उस दरवाजे के करीब से गुजरता भी नहीं,,,,

    ओह्ह!

    मैं तुम्हें पूरी बात तों बताना ही भूल गयी,,,,, दरअसल अध्यन
    मुझे अपने गेस्ट हाउस लेकर गया.,,,, वहा उसने मेरे लिए कॉफि बनाई और अपने लिए ग्रीन टी!

    वो ग्रीन टी पीने वाला टिचर है,,,,,

    मैने उससे कहा तो,,,

    अध्यन बोला : ग्रीन टी सेहत के लिए अच्छी होती है। और ग्रीन टी पर कहा लिखा है। इसे टिचर नहीं पी सकता।,,,,,,वैसे तुम कहा थी रातभर,,,???

  • 8. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 8

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    उसने मुझसे क्यूश्न किया तो,,,,

    " जहाँ तुम थे,,,,, मैने बिना देरी के जवाब दिया।

    मेरा जवाब सुनकर अध्यन बोला " मै तो यहां गेस्टहाउस में था और तुम यहा तो नहीं थी।,,,,और जैसा तुमने मुझसे कहा कि कल रात में तुम ही थे ना, जिसने मुझे अपने कंधे का सिरहाना दिया,,,,, कहा पर था मै,,,??? कौनसी जगह सोयी थी??? रात में तुम!! "अध्यन ने के सवाल किया "

    मै अध्यन से हमेशा सच बोलती थी। तो,,,,, मैने भी बता दिया कि.......... मै गार्डन में थी।,,,तो,,,, वही टेबल पर बैठे-बैठे मुझे नींद आ गयी,,,,"मेरे इतना बोलते ही अध्यन गुस्से में तमतमाते हुए मेरे दोनो शोल्डर पकडकर,,,,, मुझे अपने करीब ले जाकर,.,,मेरी आँखों से अपनी आंखें मिलाते हुए बोला, मैंने तुम्हें मना किया था ना।

    कहा था ना। कोलेज सिक्रेट्स से दूर रहो,,,,तो क्या लेने गयी थी। आधी रात को???

    उसे पहले मैने कभी इतने गुस्से में नहीं देखा ??? अध्यन को!!

    मैं सब उसे बताना चाहती थी,,, लेकिन इस वक्त वो मेरे इतना ज्यादा करीब था और उसने मेरे शोल्डरस् बहोत टाइट पकडे थे,,,, मेरे शोल्डरस् दर्द कर रहे थे,  मैं कुछ बोल नहीं पाई,,,,,

    मेरी आंखों में आसूंओ कि बाद आ गई,,,,,अध्यन ये देखकर थोड़ा शान्त हुआ,,, उसे शायद रियलाइज हो गया था कि मुझे हर्ट हो रहा है,,,, उसने मेरे शोल्डरस् छोड़ते हुए कहा,,"आई एम सोरी,,,,, मैने तुम्हे हर्ट किया,,,,

    मेरा इरादा तुम्हे हर्ट करने का नहीं था,,,, तुम मेरी बाते क्यो नही मानती ??? मैं तुम्हे तुम्हारे अच्छे के लिए ही बोलता हूं ।

    प्यार करता हूं। तुमसे, "तुम मेरी फिलिंग्स समझने कि कोशिश क्यू नहि करती ???......अध्यन मेरी तरफ देखते हुए बोला,

    "मै अभी सिसक सिसक के रो रही थी,,, अध्यन फिर मेरे पास आया और मुझे अपने सिने से लगाकर बोला,,,, तुम्हें पता नहीं है,,, पर तुम मेरे लिए वो बारिश कि बूंद हो,,,जो सिप के मुख से मोती बन कर अपनी पहचान बनाती है,,,, तुम कोहिनूर से भी ज्यादा किमती हो,,,,," मेरे लिए तुम्हारी कोई किमत है ही नहीं। ना तुम्हे में खोना चाहता हूँ। बस तुम इन कोलेज सिकरेट्स से दुर रहो।,,,, मै बस यहि चाहता हूँ। तुमसे,,,

    और यही तुम्हारे लिए बेहतर भी है,,,

    बाकि तुम्हे,,,,मुसीबतों से लड़ने का शौक है। तो,,,,

    तुम किसी सिरियल किलर का रोल प्ले करके अपने शौक पूरे करना,,,,, अध्यन कि ऐसी बातों से मुझे कोई फर्क नहि पड़ता ,,,



    मैने कहा,,,,अच्छा।, तुम मुझसे इतना सब एक्सपेक्ट करते हो,,,,,तो मुझे भी तुमसे इतना एक्सपेक्ट करना चाहिए,,,,

    की ,,,,"तुम मुझे, कोई इक ही सहि मगर कोलेज का सिक्रेट बताओ।

    मेरी बात सुनकर अध्यन बोला "हां,,,, मैं तुम्हे गार्डन का सिक्रेट बताता हूँ,,,"दरअसल पांच साल पहले एक लडकि ने गार्डन में सुसाइड कर लिया था,,,उसका कोई अफ्येर चल रहा था,,,, जिसकी वजह से उसके मार्क्स कम आए,,,, तो उसने गार्डन में सुसाइड कर लिया।

    सुसाइड करने के बाद जब उसका पोस्टमॉर्टम हुआ तब पता चला,,, "वो फोर मंथ प्रेगनेंट थी, मुझे अध्यन कि इस बात पर जरा भी यकिन नहीं हुआ,,,,,,

    मैने कहा तुमने ये कहानी बनाई है। मुझे गार्डन में जाने से रोकने के लिए,,,,


    आगे पढें ,,,

  • 9. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 9

    Words: 503

    Estimated Reading Time: 4 min

    मैने कहा तुमने ये कहानी बनाई है, मुझे गार्डन में जाने से रोकने के लिए, और फिर जब मै वापस आई तब शाम हो चुकि थी,

    " मै गार्डन कि तरफ से होते हुए आई, मेरे रौंगटे खड़े होने लगे, मुझे अब अजीब सा डर लग रहा था,, मैं बिना पलटे सीधे अपने होस्टल चली गई" अपने रूम में जाकर चुपचाप सो गई, मुझे ढर लग रहा था, लेकिन मैं अपना डर किसी को बताना नहि चाहती थी, आयना, अन्तरा मुझसे बात करना चाहती थी, लेकिन में अभी घबराई हुई थी, जब वो दोनो अपने अंदाजे लगाकर कैटिन चली गई तो,,,,

    मुझे अकेले में डर लग रहा था तो मैं जोर-जोर से रोने लगी, एक तेज हवा का झोंका आया जिससे रूम का दरवाज़ा इक जोरदार आवाज के साथ खुला और मुझे लगा के प्रेगनेट लङकि भूत बनकर मेरे पिछे आ गई,,,

    दरवाजे पर अध्यन को देखकर मुझे राहत कि सांस आई,, "मुझे लगता है अध्यन मुझसे झूठ बोल रहा था, शायद मुझे डराने के लिए,

    खैर,,

    अब में चलती हूँ, वो क्या है कि मैं फिर वही गार्डन में आकर बैठ गई और आयना, अन्तरा को बिन बताए मै चुपके से इधर आ गई। फिर मिलते है,


    शालिनी डायरी को बंद करके टेबल पर रखती है। अपने कोलेज बैंग को ओपन करती है और डायरी उठाने के लिए अपना हाथ बढ़ाती है। तो,,,

    डायरी वहा नहीं होती।

    शालिनी देखती है। डायरी हवा में थी, और अपने आप खुल रही थी,,,, शालिनी ये देखकर सदमे में थी,,, कि,,,,, तभी अध्यन कि नजर शालिनी पर पड़ी, उसने शालिनी को आवाज लगाकर कहा, "शालू,,,, हेलो,,,,शालू, ओए! तूझे मेरी आवाज नहीं सुन रही क्या???

      शालिनी अचानक से ध्यान देती है, उसकी डायरी उसी जगह पर रखी थी वो जल्दी से अपनी डायरी उठाकर अध्यन कि तरफ दौड़कर आती है। और उससे लिपटकर बोलती है,,,,

    "अध्यन !! अध्यन!!" 'मुझे बहुत डर लग रहा है। प्लीज़ मुझे सब सच बताओं यहाँ इस गार्डन में क्या है???"

    अध्यन शालिनी को अपने से अलग करने की कोशिश करते हुएं बोलता है।

    " एइ 'मिस शालिनी!!‍ तुम,,, मुझसे ऐसे चिपको मत, हमें पूरा कोलेज घूर घूर कर देख रहा है।

    शालिनी: क्या??? अध्यन से दूर हटती हुई बोलती है,,, अपने
    आस-पास देखकर बोलती है" कोई तो नहीं है यहा,,,, फिर तुमने ऐसा क्यू कहा ??? वो अध्यन से आई कोन्टेक्ट करके पूछती है।

    अध्यन : तुम बताओं पहले!!! क्या हुआ,,, तुम्हे??? तुमने क्या कोई भूत देख लिया था,,, गार्डन में??

    शालिनी कुछ वक्त सोचती है "क्या अध्यन को बताऊं या नहीं ?? अगर बता दूंगी तो फिर डाटने लग जाएगा और नहीं बताऊगी तो मुझे इस गार्डन के बारे में पता कैसे चलेगा।

    "अध्यन शालिनी कि आखो के सामने चुटकी बजाकर उसका ध्यान तोडता है,,,,और बोलता है," ओए कहा गुम हो???

    शालिनी: नहीं,,,कही नहीं??

    अध्यन : अच्छा,,,,तो अब बताओं। क्या देखा गार्डन में???

    शालिनी : "इक प्रेगनेंट लड़की मुझसे बाते कर रही थी,,,,,वो बोल रही थी,,, की !!

    अध्यन : हां,,,, बताओं! क्या बोल रही थी वो???

    शालिनी : वो बोल रही थी की,,,,,मेरी मौत एक साजिश के दौरान हुई थी।

  • 10. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 10

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    "शालिनी ने अपनी अलग कहानी बनाते हुए अध्यन से कहा तो,,,,,


    अध्यन : हां,,,! बेचारी को साजिश में फंसाया गया था,,,,, वरना वो तो,,, अच्छी लड़की थी।,,,,,,पता है मैंने इक किताब पढ़ी थी,,,,,उसमें इस लडकि कि दास्ता लिखी हुई थी,,,,,, तभी मुझे इसके बारे में पता चला,,,,, फिर यहा के कुछ पुराने टीचरों ने मुझे वो वाली कहानी बताई.......जो मैंने तुम्हें बताई थी।

    खैर,,,,,,इस टोपिक को छोड़ो चलो तुम क्लास में। मैं भी आता हूं ,,,,,एक फाइल रह गयी है। वो ऑफिस में जमा करवा कें ओके,,,," जाओ जल्दी और इस गार्डन की बातो को इतना दिमाग में मत दौडाओं पढ़ाई पर ध्यान दो,,,, "आता हूँ मैं,,,,,

    "इतना बोलकर अध्यन ऑफिस कि तरफ चला गया तो शालिनी "वही खड़ी रहकर कुछ बडबडाती है। वो उस गार्डन कि तरफ देखते हुए,,,"ये इतनी छोटी बात भी नहीं है कि,,, इसमे मेरा दिमाग ना दौड़े,,,,मैं! किसी भी तरह इस कोलेज के सारे सीफेटस् खोलकर रखूंगी।

    "वो डायरी हवा में थी और उसके पन्ने भी उलट-पलट हो रहे थे ये बिल्कुल जादू जैसा था"………अध्यन किसी किताब के बारे में बोल रहा था,,,, आखिर ये किताब कहा हो सकती है????………शायद…!!! लाईब्रेरी में,,,,,लेकीन हम रोज लाईब्रेरी जाते है,,,, इसमें तो कोई कहानी कि किताब नहीं है।

    " क्या हमारी कोलेज में कोई पूरानी लाइबेरी भी है??? हो भी सकती है,,, और नहीं भी,,,, मुझे इसके बारे में भी किसी ना किसी तरह अध्यन से उगलवाना होगा,,,

    हां ,,,,शायद ये लाईब्रेरी मेरे सारे,,,, डाउट क्लीयर कर दे,,,, ओर कोलेज के सीक्रेटस् भी खोल दे,,,,

    फिलहाल तो,,,ये भी इक सीक्रेट ही है,,, अब मुझे जल्दी क्लासरूम में चलना चाहिए,,, नहीं तो,,,अध्यन फिर टोन्ट मारेगा और बोलेगा,,," रोज-रोज गायब रहती हो तुम्हारा ध्यान पढाई पर होना चाहिए,,, वगैरा-वगैरा शालिनी बड़‌बड़ाती हुई क्लासरूम में पहुंचती है,,

    अध्यन क्लासरूम में अभी तक नहीं पहुंचा था,,,अध्यन को क्लास में न देख शालिनी को राहत की सांस आई,,,,,वो दरवाजे पर खड़ी थी,,,, की पिछे से आवाज आती है,,,,"मिस शालिनी!! क्या आपका इरादा दरवाजे पर ही रहने का है,,या अन्दर भी एन्ट्री करोगी,,, "अध्यन शालिनी के पिछे खडा था।

    "शालिनी जल्दी से क्लासरूम में जाकर अपनी सीट पर बैठ जाती है।"

    तो अध्यन भी क्लास रूम में आकर पढ़ाने लगता है,,,, लेकिन शालिनी का ध्यान अभी भी पढ़ाई पर नही था,,, उसके दिमाग में यहि चल रहा था,,,"सीक्रेट लाइबेरी" होगी या नहीं???

    "अध्यन अपना लेक्चर कम्पलीट करके बोलता है",,,,,आपमें से किसी को,,,कोई डाउट हो,, तों,,,अभी मुझसे पूछकर क्लीयर कर सकता है,,,,

    "मेरा उक डाउट क्लीयर कर दो,,,,टिचर अध्यन!! ,"शालिनी बोलती है,,,शालिनी की बात सुनकर,,,

    अध्यन बोला,,,"हाँ बोलो,,,क्या समझ नहीं आया??

    शालिनी : कुछ भी समझ नहीं आ रहा,,,मैं अभी बाहर से अन्दर क्लासरूम कि तरफ आ रही थी। तो,,,।एक लड़की बोल रही थी,,,कि,,,,"मैं पुरानी लाइब्रेरी में रखी कहानियों की किताबे पढ़ती हूं।,,,,बहुत अच्छी-अच्छी कहानियाँ है।,,,,उनमें!

    अध्यन : अच्छा,,,,

    शालिनी : हाँ टीचर अध्यन!!

    अध्यन : तो इसमें समझ न आने वाली क्या बात है,, होगी उस लाइब्रेरी में अच्छी कहानियों कि किताबे।

    शालिनी : क्या हमारी कोलेज में दो लाइब्रेरी है??

    जानने के लिए आगे पढ़े,,,, यही कहानी,,"अनामिका साज़िश का शिकार,,,,

    “ #जारी ”

  • 11. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 11

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    शालिनी : क्या हमारे कोलेज में दो लाइब्रेरी है??

    अध्यन : हां इक पूरानी है,,,और इक नई जहाँ तुम लोग रोज़ जाती हो, वहाँ सिर्फ पढ़ाई से रिलेटेड बुक्स है,,, जो तुम लोगों के लिए रखी गई है और तुम लोग वो किताबें अपनी स्टडीज के लिए पढ़ते हो।

    और,,,

    जो पुरानी लाइब्रेरी है,,। वहा कहानियों कि किताबे रखी हुई है जो कि इस कोलेज के टिचरस् ने लिखी है,,,

    "वैसे तुम्हारा ध्यान उन सीक्रेट्स से कब हटेगा??? जब तुम लास्ट नम्बर पर आओगी क्लास में तब ??"

    शालिनी : अरे....!! नहीं,,,,, मैं पढ़ाई पर ध्यान देती हूं, लेकिन जब ऐसे सवाल दीमाग में रहते है तो मेरा फोकस इन सवालो पर ज्यादा रहता है,,,

    इसीलिए तो तुम्हें बोलती हूँ,,, मुझे कोलेज सीक्रेटस बता दो। लेकिन तुम नहीं बताते।

    अध्यन : ओके!! मैडम सॉरी लेकिन तुम्हारी बेहतरी इसी में है,,,,कि तुम इन सब सीक्रेट्स से दूर रहो बाकि तो तुम बहोत जिद्दी हो,,अपनी जिद्‌दी के आगे कहा चलने देती हो किसी की।

    शालिनी : हाँ मुझे पता है,,,,फिर भी शुक्रिया बताने के लिए

    खैर,,,,,

    मुझे पूरानी लाइबेरी के बारे में बताओं, कहा पर है,

    अध्यन : हेड ऑफिस के पिछे पर तुम क्या करोगी, उस लाइब्रेरी में जाकर???

    शालिनी : कुछ नहीं बस मुझे भी बुक्स देखनी है,,। किस टाइप कि है।


    अध्यन : सब समझ आ रहा है, मुझे। ना तो तुम्हे क्लासरूम से बाहर कोई लड़की मिली,,, ना ही तुम्हारे सामने किसी ने लाइब्रेरी का जिक्र किया,,,,,तुम पता नहीं आखिर किस राह पर जाकर वापस दौड़कर आओगी।,,,

    खैर,,,,,,,

    मेरा फर्ज तुम्हे समझाने का था, बाकि तुम खुद समझदार हो अध्यन इतना बोलकर क्लासरूम से बाहर चला "जाता है तो,,,,

    शालिनी से अन्तरा बोलती है, क्या बात है,, शालू" आजकल बडे-बडे राज खोदने में बिजी हो तुम,,,

    अन्तरा की बात पर आयना बोलती है : क्या बोल रही हो अनू ? कौनसे राज??

    आयना लाइब्रेरी से क्लासरूम में आती हुई बोली तो शालिनी अपना बैग उठाते हुए बोली, "ये तो कुछ भी बोलती है, आयु " तू भी किधर ध्यान दे रही है, "अन्तरा भी अपना बैग उठाकर बोलती है क्या यार शालू, तू मुझसे हमेशा इतना रूडली क्यू बात करती है, "


    अन्तरा इतना बोलकर क्लासरूम से होस्टल कि तरफ चली जाती है "तो आयना "शालिनी के साथ अपना बैग लेकर क्लासरूम से बाहर निकलकर बोलती है, "शालू तूझे बूरा ना
    लगे तो इक बात बोलू ??

    शालिनी : हाँ बोल,,, आयु!! मुझे तुम्हारी किसी बात का बूरा नहीं लगता..

    आयना : यार तेरा व्यवहार अनू के साथ, इतना अजीब क्यू है,,,, मुझे बिल्कूल अच्छा नहीं लगता तुम दोनों जब ऐसे बातों-बातों में मुंह फुलाकर बैठ जाती हो।


    शालिनी : ओके, सॉरी मै अनू के साथ अच्छा व्यवहार करने कि कोशिश करूगी,,,अब हैप्पी।

    आयना : हां,,,, चलो चलते है, रूम में भुख भी लगी है जोरो कि कपड़े चेंज करके फिर तीनो कैंटीन चलते है।

    शालिनी : हा चलो।

    "वो दोनो होस्टल रूम में पहुंचती है,,। तो अन्तरा वहा से चेन्ज करके जा चूकि थी। ये देखकर आयना और शालिनी दोनो हैरान थी...

    ,,,,

    ,,

    ,,

    #जारी ।

  • 12. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 12

    Words: 512

    Estimated Reading Time: 4 min

    आयना : ये अनू,,, किधर चली गई ???

    शालिनी : हा यार हमारे आगे, आगे ही तो आई थी, क्या वो हमारे बिना ही कैटिन खाना खाने चली गई ??

    आयना : हां ! ये भी हो सकता है, चल हम भी चलते है। बाद में कर लेगे चेंज

    "शालिनी और आयाना दोनो होस्टल से कैटिन पहुचती है और कैंटीन में अन्तरा को ढूंढती है जब अन्तरा कैंटीन में भी नहीं मिलती तो,,

    आयना : यार, शालू अनू तो यहां है ही नहीं....

    शालिनी : हां यार,,अनू यहां नहीं है। तो फिर कहा चली गई,

    आयना : तूं इक काम कर काउंटर पर ओडर भी कर आ ओर उनसे पूछ भी लेना अन्तरा के बारे में।

    शालिनी : हां,,,चल कुछ खा लेते हैं,,पहले फिर उसे ढूंढते है
    इतना बोलकर शालिनी अपना ओर्डर करने काउटर पर जाती है। तो वहा से उसे अन्तरा के बारे में पता चलता है कि अन्तरा ने खाना खा लिया, वो फिर वापस आयना के पास आ जाती है, जब तक उसका ऑर्डर आता है वो आयना को बताती है कि अन्तरा खाना खा चुकी है।,

    "आयना ये सुनकर शालिनी के साथ कैटिन में बैठकर ओर्डर आने का इन्तजार करती है। पाँच दस मिनट में उसका ओर्डर किया हुआ खाना टेबल पर लगा दिया जाता है।

    वो दोनो खाना खाकर वापस होस्टल चली जाती है। अन्तरा होस्टल रूम में थी अपनी स्टडीज में लगी हुई थी।

    अन्तरा को रूम में देखते ही शालिनी उसके पास उसकी स्टडी टेबल तक जाती है। और बोलती है, क्या हुआ अनू ??‌ क्या तुझे मेरी किसी बात का इतना ज्यादा बुरा लगा कि तुम हमारे साथ खाना खाने भी नहीं आई आज।

    शालिनी की बात सुनकर अन्तरा को हंसी आ जाती है,,वो शालिनी कि तरफ देखते हुए,,,,

    अन्तरा : आयना,,,क्या तुम्हें भी लगता है कि मैं तुम दोनों से नाराज़ हो सकती हूं।

    आयना : लगता तो नहीं है पर आज जो हमने देखा,,,, उसके बाद अब लगता है कि हमलोगों से तुम्हें समझने में थोड़ी गलती हो गई,,,,

    आयना कि बात सुनकर,,

    शालिनी : हां!! यार,,, हमें नहीं पता था,,, तुम ऐसे बातों बातों में नाराज़ हो जाओगी।

    इन दोनों की बात सुनकर,,,

    अन्तरा : तुम लोगों ने,,मुझे समझने में सच में गलती कर दी,,,,,

    अन्तरा कि बात सुनकर आयना और शालिनी के चेहरे पर उदासी छा जाती है तो,,,,


    अन्तरा : अरे,!! मेरा मतलब ये था कि,,,, तुम लोग मुझे अभी समझने में गलत हो,,,मैं तुम दोनों से कभी नाराज़ नहीं हो सकती,,,,यार,,,, तुम दो ही तो मेरी बेस्टफ्रेंड हो।

    आयना : अच्छा!!,,,,तो फिर तुमने हमारा इन्तजार क्यूं नहीं किया??? कैंटीन अकेले चली गई,,,,और आज खाना भी अकेले खा लिया।

    अन्तरा : अरे नहीं यार,,,,वो मेरा काफी वर्क पैंडिंग था,,,,तो मैंने सोचा जल्दी से वापस आकर प्रोजेक्ट वर्क कम्पलीट कर लेती हूं।

    शालिनी : वो तो तुम हमारे साथ आ जाती तब भी कर सकती थी,,,,हम कौनसा तुम्हें वर्क करने से रोकते हैं।

    अन्तरा : अरे यार,,,!! तुम लोग होती हो साथ तो,, मेरा मन सिर्फ तुमसे बातें करने का करता है।

    आयना : अच्छा तो तुम हमारा सिर खाने के लिए पहले आ गई वर्क करने।

    अन्तरा : हां,,,,

  • 13. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 13

    Words: 508

    Estimated Reading Time: 4 min

    शालिनी: मै सो रही हूं,, चेंज करके तुम दोनों गप्पे मारों,,,

    "शालिनी कि बात सुनकर आयना ने अन्तरा को चिमटीं कांटी और अन्तरा ने अपनी घड़ी देखकर वापस आयना को चिमटीं काटते हुए कहा "हकिकत है, यार,

    आयना : ओह! ये तो सच है ,, आयना (अपने हाथ को सहलाते हुए बोली)

    अन्तरा: क्या हुआ शालू ?? तेरी तबीयत ठीक तो है ना??

    (अन्तरा शातिनी की बात सुनकर थोड़ा हैरान और परेशान थी।)

    शालिनी को ये बात समझतें जरा भी देर नहीं लगी वो मुस्कुराकर बेली : तबीयत तो ठीक है वो आजकल मेरी नींद पूरी नहीं होती तो थोड़ा सर दर्द कर रहा है थोड़ी देर सोऊंगी तो ठिक हो जाएगा।

    अब जरा तुम लोग बात करो आपस में, मैं चेंज करके आती हूं,,, शालिनी इतना बोलकर वोशरूम मे जाकर अपने कपडे बदलती है,

    तो इस तरफ,,,

    आयना : तूझे नहीं लगता अनू, कि शालू आजकल हम लोगो से कुछ छुपाने लगी है।

    अन्तरा : लगता तो मुझे भी है,,, क्या पता उसकी कोई पर्सनल प्रोब्लम होगी।


    आयना : हा ये भी हो सकता है वरना वो पहले तो हमसे कुछ छुपाती नहीं थी।

    अन्तरा और आयना बात कर रहे होते हैं। कि शालिनी अपने बेड पर सोती हुई बोलती है : सुनो!! इक घंटे बाद मुझे उठा देना अभी तीन बज रहे है 4 बजे जगा देना, वैसे तो में उठ जाउंगी फिर भी अगर ना जागू तो जगा देना अपनी बातों के चक्कर में मुझे जगाना मत भूल जाना याद से जगा देना, प्लीज!!

    "शालिनी कि बात सुनकर अन्तरा बोलती हैं,," हाँ। हां,,, जगा देगे ! पहले सो तो सही पता चला हमे याद दिलाते, दिलाते हि चार बज गए सो जा तू।

    शालिनी : ओके ओके

    "इतना बोलकर शालिनी सो जाती है और उसे कुछ ही देर में गहरी नींद आ जाती है। तो आयना और अन्तरा शालिनी कि नींद न टूटे इसलिए रूम से बाहर चली जाती है,, और, कैंटीन में जाकर बाते करने लगती, बाते करते-करते आयना को याद आता हो, "कि शालिनी को जगाना भी है वो बोलती है। ओह,,,,नो! उठ अनू जल्दी चल। साढ़े चार बजने को हैं,,, हम तो अपनी ही बाते करते-करते भूल गए, शालू को जगाना है।

    अन्तरा : अरे हाँ चल आज तो उससे डांट सुननी पड़ेगी हमे, उसने कहा भी था, अपनी बातों में मुझे भूल मत जाना याद से जगाना "

    (बोलती- बोलती वो हॉस्टल रूम में पहुंच गयी, उन्होने देखा, शालिनी का बेड खाली था,]

    अन्तरा: "लग‌ता है,,वो हमे उठते ही ढूंढने निकल गई।

    आयना : हाँ, यार, हमने उसे टाइम पर जगाया नहीं।

    अन्तरा : कोई नहीं,,, अब हमे यही रहकर उसका इन्तज़ार करना चाहिए ।


    आयना : हम्म,,, ओंके एक तरफ हॉस्टल में आयना और अन्तरा रूम में शालिनी के लौटने का इन्तजार कर रही है।

    तो दूसरी तरफ शालिनी लाइब्रेरी कि तलाश में हेड ऑफिस कि तरफ जा रही है।

    वो हेड ऑफिस तो पहुंच गई लेकिन यहा पहुंचकर वो हैरान थी,,,, वो खुद से हि बद्‌बुदाते हुए बोलती हो,,, "अध्यन ने कहा था हेड ऑफिस के पिछे लाइब्रेरी है। जहा तक मुझे पता है, हेड ऑफिस तो यही है।

  • 14. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 14

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    लेकिन यहा तो सिर्फ हेड ऑफिस ही है,,,, ना तो पिछे और ना ही इसके आसपास कोई मकान है कहीं अध्यन मुझे गुमराह तो नहीं कर रहा ना,,,,

    खैर,,,,, मुझे इक बार फिर चेक कर लेना चाहिए,,, क्या पता हमारी कोलेज में कोई सिकरेट हेड ऑफिस भी हो।,, वैसे भी बहुत सारे सिक्रेट्स छुपे हुए हैं। इस यूनिवर्सिरी में,,,

    इतना बड़बड़ाने के बाद शालिनी यूनिवसिर्टी के चारो तरफ अच्छे से चेक करती है। पर यहां उसे दूसरा हेड ऑफिस कहीं नहीं मिलता तो वो वापस उसी हेड ऑफिस कि तरफ जा रही थी कि,,, अध्यन से टक्करा गई शालिनी को देखकर अध्यन बोला : ओह!! मैडम,,,इधर किधर जा रही हो?

    शालिनी: हेड ऑफिस और तो कहीं जाता नहीं ये रास्ता,

    अध्यन : हेड ऑफिस क्या करने ??

    शालिनी: पता करने कहा‌ है, वो लाइब्रेरी ??

    अध्यन : अच्छा इतनी इन्टलीजैन्ट हो गई हो अब तुम ??

    शालिनी: ये क्यूश्न छोडो, तुम चलो मेरे साथ।

    अध्यन : कहा ??

    शालिनी: हेड ऑफिस! मुझे लाइ‌ब्रेरी देखनी है।

    अध्यन : अरे,,,, ऐसे कैसे ?? पहले परमिशन लेनी चाहिए हेड से फिर वो अगर परमिशन दे देगे, तो लाइब्रेरी को देख सकती हो,,। वरना नहीं,,।

    शालिनी : अच्छा तो तुम चलो हम बात करके ले लेंगे परमिशन

    अध्यन : अरे बात वात वो नहीं करते,,, उन्हें तो एप्लीकेशन लिखकर सबमिट करवानी पड़ती है, "फिर वो परमिशन दे भी सकते हैं। और नहि भी,,,,

    शालिनी : ओह!! ओके अभी लिखके दे देते हैं।

    अध्यन : तुम पागल तो नहीं हो गई ना,,?? कैसी पागलो जैसी हरकते करती हो,?? ,,,,अध्यन शालिनी को डाटते हुए बोलता  है,,तो,,,,

    शालिनी : तुम्हे अगर मेरी हरकते बाते पागलो जैसी लगती है तो भी ठिक है, पर मुझे अभी वो लाइब्रेरी देखनी है । अगर तुम्हे चलना है,,, तो चलों नहीं तो मैं अकेली चली जाऊगी।

    इतना बोलकर शालिनी तेजी से हेड ऑफिस कि तरफ चल दी उसे ऐसे जाता देख अध्यन "ये नहीं मानने वाली

    ऐसे ,,,,,

    "ओए, रूको मै भी आ रहा हूँ बोलने के साथ ही अध्यन शालिनी के पिछे दौड़ते हुए गया, शालिनी आगे-आगे यह चल रही थी और अध्यन शालिनी के पीछे-पीछे, शालिनी हेड ऑफिस के अन्दर जाती इससे पहले ही उसे अध्यन बोलता है,,,, दो मिनट रुको शालू!! मै अन्दर जाकर लाइट्‌स ऑन करता हूँ फिर जाना अन्दर तुम,,, ऐसे नहीं आना,,, गिर जाओगी अध्यन इतना बोलकर हैड ऑफिस में लाइट्‌स ऑन करने चला गया,

    तो शालिनी उसकी बातों को अनसुनी करके हेड ऑफिस में दाखिल हो जाती है। शालिनी के ऑफिस में कदम रखते ही  अचानक से मौसम बदल जाता है।,,, तेज हवाएं चलने लगती है।,,, अध्यन लाइट ऑन करने वाला ही था,,,कि शॉर्ट सर्किट हो जाता है।


    क्या शालिनी लाइब्रेरी खोज लेंगी,,,,क्या लाइब्रेरी हेड ऑफिस के पिछे है?? है। तो शालिनी को नजर क्यूं नहीं आई ?? कहां है। पुरानी लाइब्रेरी और उसमें कैसी कहानीयो कि किताबें रखी है??? कही इन किताबों में ही तो कोलेज के राज दफन नहीं है ??? क्या शोर्ट सर्किट से अध्यन‌ को चोट लगती है,,, क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़ते रहे,,, अनामिका साज़िश का शिकार,,,

  • 15. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 15

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    शालिनी जल्दी से अध्यन की तरफ दौड़ती है,,, लेकीन उसका पांव एक गड्ढे में चला जाता है और वो सिंधियों से नीचे गिर जाती है,,,,, उसका मोबाइल भी वही नीचे गिर जाता है।

    शालिनी को चोट नहीं लगती,,,,,,,वहा बिचे गड्डों कि वजह से,,,,


    शालिनी के गिरने कि आवाज सुनकर अध्यन जल्दी से उन सिंधियों की तरफ आता है। और फिर सिंधियों से नीचे उतरकर शालिनी से बोलता है "शालू,,,, शालू !,,,,,तुम्हें मेरी आवाज सुन रही है क्या ?? कहा हो तुम ??,,,,, यहा तो अंधेरा भी बहोत ज्यादा है,,,


    "अरे!! यहा हूँ,,, सिंधियों के पास जमीन पर  शालिनी,,,,,अध्यन को जवाब देते हुए बोलती है।


    अध्यन!,,,,, शालिनी की आँवाज सुनकर उसे सिंधियों के पास से उठाकर उसे वापस हेड ऑफिस से बाहर कि तरफ ले जाता है। और बाहर आकर बोलता है।"

    आज का हो गया??,,,,,अब कल आकर देख लेना जहां तुम गिरी वो ही लाइब्रेरी है,,,, अभी चलों तुम में तुम्हें तुम्हारे हॉस्टल छोड़ देता हूँ,,,, मौसम भी खराब है,,,,तुफान आने वाला है,,,, शायद,,,, जल्दी चलो,,,, "शालिनी,,,, अध्यन की बात सुनकर उसके साथ होस्टल कि तरफ चलती है।


    तो दूसरी तरफ होस्टल रूम में,,,,


    आयना : अनू!!,,,,,यार,,, ये शालू कहाँ रह गयी है,,आठ बजने को है,,,, बाहर मौसम भी ठीक नहीं है,,,,,लगता है??,,,,, तूफान आने वाला है,,,

    "तो वही अन्तरा शालिनी को कॉल पर कॉल किए जा रहि थी, लेकिन उसका मोबाइल नेटवर्किंग एरिया से बाहर आ रहा था,

    वो बोली : यार इसका मोबाइल नेटवर्क से आउट आ रहा है। मुझे तो शालू की फ़िक्र हो रही है,,,, पता नहीं कहां होगी??,,,,, कहीं,,,उसके साथ कोई एक्सीडेंट तो नहीं हो गया??,,,

    "अन्तरा को टोकते हुए आयना बोलती है : अनू!!,,,, शुभ-शुभ बोल,,, भगवान ना करे!!  उसके साथ कोई एक्सीडेंट हो,,, चल हम उसे ढूंढने चलते है,,,

    इतना बोलकर आयना दरवाजा खोलती है,,, और वो दोनों रूम से बाहर निकल रहे थे।,,,,, की शालिनी और अध्यन उनके रूम में पहुँच गए,,,

    शालिनी को देखकर आयना उसे डाटने लगती है" कहाँ चली गई थी। क्या तुम्हे जरा भी अंदाज़ा है??,,,,, हमे कित‌नी टैशन हो रही थी तुम्हारी??,,, नहीं!!,,, नहीं,,,, तुम्हें कैसे पता होगा?? तुम तो आजकल कभी भी गायब हो जाती हो तुम्हे जरा भी अहसास नहीं है।

    तुम्हारी दो दोस्त भी है जो तुम्हें यू गायब देख कर परेशान होती है। अपना नहीं तो कम से कम हमारा ही ख्याल कर लिया कर,,,


    "ओह माय गोड!,,,, आयु!,,,, तू ,,, मुझे डांट रही है,,,"शालिनी ने पूछा,,,

      डांट कहा रही हूँ??,,,, मैं तो तुम्हे समझाने कि कोशिश कर रही हूँ,,,,, प्लीज इन्फोर्म करके जाया कर,,,और अगर हम यहां ना हो या तुम्हारे साथ ना हो तो मैसेज कर के बताया कर,,, आयना ने कहा " तो,,,,


    ओह्ह!! मैसेज से याद आया,,, मेरा मोबाइल!,,,, मेरा मोबाइल तो वही रह गया अध्यन,,,,, वो वही गिर गया था,,,,, अंधेरे के कारण कुछ दिख भी नहीं रहा था,,,, शालिनी,,,,अध्यन से बोलती है तो,,,,,


    अरे! कोई बात नहीं कल तुम्हें तुम्हारा मोबाइल मैं ढूंढ दूंगा। वैसे भी तुम्हे कॉल तो हम तीनो ही करते हैं,,,,, और रात में कौनसा हम मोबाइल इस्तेमाल करते हैं,,, "अध्यन शालिनी से बोला,,,

  • 16. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 16

    Words: 503

    Estimated Reading Time: 4 min

    अरे! "आज पापा का कॉल आएगा,,, अब उनको तो पता नहीं है???? मोबाइल मेरे पास नहीं है,,,, वो मेरे कॉल रिसीव न करने पर परेशान हो जाएंगे ना,,, "शालिनी! अध्यन से बोलती है,,,


    तो अध्यन अपना मोबाइल शालिनी को देते हुए बोलता है,,,, "लो इससे अपने पापा को कर लो कॉल।,,, और पूछे अगर तुम्हारा फोन कहा है,,,,,, तो बोलना कुछ प्रोब्लम हो गई तो अध्यन लेकर गया है,,,, ठीक करवाने।

    शालिनी अध्यन से मोबाइल लेकर अपने पापा से बात करती है और फिर अध्यन को उसका मोबाइल लौटा देती है।

    अध्यन बोलता है : तुम रूम का दरवाजा और खिडकियाँ अच्छे से लॉक कर लो,,,,, मै भी जल्दी से अपने गेस्ट हाउस के लिए निकलता हूं,,,, क्या पता ये मौसम कब तुफान को न्यौता दे दें।

    "अध्यन इतना बोलकर वहा से निकल जाता है,,,,तो,,,,,


    अन्तरा दरवाजा बन्द करके बोलती है, "वैसे, तुम्हारा मोबाइल नेटवर्क से आउट है और जहाँ तक मुझे पता है,,, अपने कोलेज में नेटवर्क स्ट्रोंग है,,,, तुम कहा गई थी???,,,,,तुम्हारा मोबाइल कहां गिरा???,,,,


    शालिनी : लाइब्रेरी में लाइब्रेरी में गिर गया,,, यार! ,,,

    आयना : अरे! शालू" हमारी लाइब्रेरी में तो बिल्कुल भी अंधेरा नहीं रहता और ऐसे भी लाइब्रेरी सेट नहीं है,, की वहाँ मोबाइल नजर ना आए,,,,आयना कि बात सुनकर,,


    अन्तरा : हां आयू!! बिल्कुल सही बोल रही हो,,,,



    इन दोनो कि ऐसी बाते सुनकर शालिनी बोली, "अरे!! हेडऑफिस के नीचे जो लाइब्रेरी है,,,, पुरानी वाली उसमें गई थी,,,, वहीं मेरा पैर सिंधियों से फिसल गया और मैं सीधा नीचे गिर गई,,,, मोबाइल भी मेरे हाथ से छूटकर पता नहीं कहा गिरा,,,, वहां लाइट भी नहीं थी,,, अध्यन लाइट ऑन करने गया था तो वहा शॉर्ट सर्किट हो गया,,, अब आज का मौसम भी बहुत ज्यादा खराब हो गया तो अध्यन मुझे वापस लेकर आ गया। वरना मै अभी भी वही रहती,,,, अब कल किताबे पढ़नी है,,, मुझे वहा रखी।

    अन्तरा : क्या तुझे कहानियाँ पढ़‌ना पसन्द है,,,??

    शालिनी : है,,,तो नहीं,,, पर मुझे उस किताबों से भरी कहानियों कि "लाइब्रेरी की बुक्स पढ़ने की बहुत उत्सुकता है।

    आयना : पूरानी लाइब्रेरी कि बुक्स पढ़ने की इतनी उत्सुकता,,, ऐसा क्या है, उन कहानियों में ??


    शालिनी: वो तो पढ़‌ने पर पता चलेगा,,,,

    अन्तरा : अच्छा तो हम भी चलेंगें" कल पूरानी लाइब्रेरी द तुम्हारे साथ..,,,,

    अन्तरा कि बात सुनकर आयन बोली : हां,,,, भई!! हमे भी देखनी है,,,,ऐसी कौनसी बुक्स है,,,,जो हमारी दोस्त इतना एक्साइटेड है।

    शालिनी : हाँ ठीक है,,,, चलना तुम दोनों भी,,,, चलो अब सो जाओं,,,,, शालिनी कि बात सुनकर आयना और अन्तरा बोली : ऐसे कैसे सो जाए,,, पहले तीनो कुछ खा लेते है।

    अरे!,,,,तुम दोनो पागल तो नहीं हो गई ना,,,, बाहर मौसम बहुत ज्यादा खराब है,,,, कैंटीन भी बंद हो गई,, "शालिनी बोली तो,,


    आयना : कहां था ना,,,,,मैने, अगर इसका इन्तजार करेगें तो हमे,,,, भूखा ही सोना पड़ेगा आज,,,


    अन्तरा : हां,,,बोला था। शुक्र है,,,,हम खाना यहां ले आए,,, नहीं तो पक्का भूखा ही सोना पड़ता।,,चल अब तीनों खाना खा लेते हो,,,,,,, वो दोनो खाना पैकिंग से निकालती है और फिर शालिनी के साथ बैठकर खाना खाकर सो जाती है,,,

  • 17. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 17

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    अन्तरा : हां बोला था,,,, शुक्र है,,,हम खाना यहा ले आए,, नहीं तो पक्का भूखा ही सोना पड़ता चल अब तीनों खाना खा लेते हैं,,, वो दोनो खाना पैकिंग से निकालती है और फिर शालिनी के साथ बैठकर खाना खाकर सो जाती है,,,,

    तो दूसरी तरफ,,,,

    अध्यन गेस्ट हाउस पहुंचकर देखता है की उसका सारा सामान बिखरा पड़ा था,,,, वो गेस्टहाउस की खिडकिया लोक करना भूल गया था,,,, वो जल्दी-जल्दी सारी खिड़कियां लोक करता है,,, और फिर बिखरे हुए सामान को वापस सेट करता है।

    सामान सेट करते-करते बारह बज जाते हैं। अब वो थक गया था,,,, तो उसे खाना खाए बैगर हि नींद आ गई।


    फिर अगले दिन सुबह,,,

    शालिनी उठकर सुबह छ बजे लाइब्रेरी जाने की तैयारी में थी,,,, तो,,,

    आयना बोली" शालू इतनी जल्दी लाइब्रेरी जाकर कौनसा तुम्हें उजाला दिखेगा???,,,, लाइब्रेरी में तू आधे घंटे बाद चली जाना,,,, हम भी तेरे साथ ही चलेंगे,,,,

    आयना कि बात सुनकर शालिनी रूम की खिड़की खोलकर हैरानी से बाहर देखती है,,,, और,,,"ओ माय, गोड,,, ये क्या हो गया ??? शालिनी बोलती है,,, तो,,

    अन्तरा जल्दी से उस खिड़कि की तरफ जाकर बाहर देखती है और बोलती है,,, "हे,,,, गोड!!,,,, ये क्या मुसीबत है??,,,,

    अन्तरा और शालिनी कि बाते सुनकर आयना हैरान होकर पूछती है : क्या हुआ ?? क्या देख लिया ऐसा??

    वो दोनों आयना को कोई जवाब नहीं देती तो आयना भी खिड़की की तरफ आकर बाहर देखती है,,,,,,,,और बोलती है  :  तुम दोनों पागल तो नहीं हो गई ना,,, बोल तो ऐसे रही थी जैसे कोई भूत वूत देख लिया हो,, अब चलो बाहर हमारी कोलेज को हमलोग ही क्लीन करेगे ना,,,,

    चलो जल्दी आयना कि बात सुनकर शालिनी बोली, "ये भूतिया कोलेज बन गया इतना भयंकर तूफान आया था रात में..,,,

    हाँ भई! हमे तो गहरी नींद आई थी,,,, इसलिए ये हाल देखकर सदमा लगा है। अन्तरा बोली तो,,,,

    आयना : सदमा कोलेज का हाल देखकर लगा या फिर सफाई करनी पड़ेगी इसलिए लगा,,,,

    शालिनी अयना कि बात पर मुस्कुराती हुई अन्तरा की तरफ देखते हुए,,,"हाँ अनू!!,,, बताओ जल्दी,,,

    अरे!,,,,ऐसे कैसें?? शोक तो तुम्हे भी लगा था शालू,,,, "अन्तरा बोली तो,,,

    शालिनी!,,,, अन्तरा को जवाब देते हुए बोली : मुझे तो इसलिए शॉक लगा,,,,क्योकि में कल रात अगर वही लाइब्रेरी में रह जाती तो क्या होता मेरा ??

    आयना : हाँ शालू सही बोल रही है,,, अब तुम बताओ अनू तुम्हे क्यो सदमा लगा??,,,

    अन्तरा: अरे!,,,, सुबह-सुबह इतना गंदा कोलेज देखकर

    अब चलो सफाई करते है सब स्टूडेंट्स मिलकर अन्तरा कि बात सुनकर

    आयना बोली : हाँ चलो,,,

    फिर वो तीनो कोलेज पहुंचकर बाकी स्टडेट्स के साथ कोलेज क्लीन करने लगती है,,,,शालिनी के हिस्से गार्डन आया,,,,, अन्तरा के हिस्से में बरामदा,,,,, आयना के हिस्से में कैटीन एरिया और बाकि स्टूडेंट्स भी इनकि हेल्प कर रहे थे तो,,,,,कुछ ग्रुप्स में डिवाइड होकर क्लासरूम ओफिस सबकी सफाई करने में व्यस्त हो गए,,,,


    तो दूसरी तरफ,,,,,

    अध्यन आज आठ बजे तक सोकर जगा,,,, उसे भूख भी लग रही थी,,,, तो वो जल्दी से वोशरूम जाकर तैयार होकर आता है फिर, नूडल्स बनाते - बनाते ग्रीन टी पीता है,,,,

    #जारी....

    ,,

  • 18. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 18

    Words: 504

    Estimated Reading Time: 4 min

    नूडल्स बनने के बाद जल्दी - जल्दी नूडल्स खाता है और गेस्ट हाउस से कोलेज के लिए निकल जाता है।

    जब तक अध्यन कोलेज पहुंचता है तब तक कोलेज के चारों तरफ अच्छे से सफाई हो चुकि थी,,,,

    अब अध्यन लाइब्रेरी की तरफ जाकर देखता है,,,, वो पुरानी लाइब्रेरी में ही पहुंचा था,,,,लाइब्रेरी कि पूरी सेंटिंग ही चेंज थी,,,, सारी किताबे क्लीन थी,,,,

    और ये लाइब्रेरी,,,,,,न्यू लाइब्रेरी कि तुलना में काफि एट्रैक्टीव लग रही थी,,,,,, अध्यन हेड ऑफिस कि लाइट्स चेक करता है,,,,,लाइट्स भी ठीक थी, वो लाइब्रेरी से गाईन कि तरफ आता है,,,,तो,,,,

    शालिनी को गार्डन की चेयर पर बैठकर एक किताब पढ़ते देखता है,,, वो शालिनी के पास आकर बोलता है,, "तो आखिर तुमने ठान ही लिया है,,,, सारे सीक्रेट्स जानकर रहोगी,,,,, वैसे लाइब्रेरी में क्या किया तुमने और कौन- कौन तुम्हारे साथ लाइब्रेरी का लूक चेंज करने में लगा था,,,,,

    शालिनी अध्यन कि बात सुनकर बोली : मुझे ना मेरा मोबाइल चाहिए था,,,, और वहा पर लाइट्स तो थी नहीं तो मैने लाइट्स चेंज करवादी,,, फिर लाइट्स चालू हो गई तो मैं लाइब्रेरी में मोबाइल ढूढने गई। लेकिन वहा पर इतनी सारी धूल जमी थी कि बुक्स का नाम भी नहीं दिख रहा था।

    मैं वापस कोलेज आई और आयना अन्तरा के साथ कुछ और स्टडेट्स को अपने साथ लाइब्रेरी ले गई फिर हम लोगो ने सफाई कि जब मै बुक्स सेट कर रही थी तो ये बूक पता नहीं किधर से जमीं पर गिर गई,,, मैंने इसकी धूल साफ करके देखा तो,,,,

    अध्यन : तो क्या हुआ??

    शालिनी : देखों, अध्यन ये बुक वो ही है,,,प्रेगनेट लडकि वाली,,,,तुमने ये बुक पढी है ना??

    अध्यन शालिनी के हाथ से बुक लेते हुए उसका कँवर देखता है, "द गर्ल प्रेगनेंट आफ्टर सुसाइड,,,,राइटर : अनीस अग्रवाल,,,

    हां ये वही किताब है,,,,,तुम पढ़ोगी ये??,,,वो शालिनी को बुक वापस देकर बोलता है,

    शालिती : हाँ में पढ़ने के लिए ही लेकर आयी हूं।

    अध्यन : मुझे लगा कि तुम इसकी आरती उतारकर तिजोरी में रखने वाली हो।

    खैर,,,,


    पढो तो ध्यान से पढ़ना नहीं तो रहने देना।

    शालिनी : अरे!! तुम कैसी अजीब बाते कर रहे हो,जाहिर है,,,,,अच्छे से ध्यान से पढ़ने वाली हूं,,,, वैसे भी इसमें उसकी कहानी लिखी हुई है,,, और ये कहानी थोड़ी है। हकिकत है,,,,, इसे पढ़ना तो पड़ेगा ही वो भी पूरे होश में,,

    अध्यन : अच्छा इसे बाद में पढ़ना अभी क्लास के लिए चलो टाइम हो गया गया है।

    अध्यन कि बात सुनकर शातिनी बोली, " अध्यन हम लोग आज थक गए है,,,, आज क्लासेज कैंसिल,,,,, तुम मेरे साथ चलो हम आउटिंग पर चलते हैं,,,,,

    शालिनी अध्यन से बोल ही रही थी कि,,,,आयना और अन्तरा भी वहां पहुंच गईं,,,,, अन्तरा इन दोनों की आउटिंग वाली बात पर बोली : क्यो भई !! जीजू के आते ही दोस्तों को भूल गई,,,,

    शालिनी : अरे!! नहीं यार,,,, तुम लोग तो मेरी बेस्टी हो तुम्हें थोड़ी भूल सकती हूं,,,,

    अध्यन : अच्छा,,,,मतलब मुझे भूलने वाली हो,,,,

    शालिनी : हां,,,,,शायद,,,,पर तुम भूलने दोगे तब,,,,

    अध्यन : ये भी सही है,,,,

    अन्तरा : हां तो जीजू आउटिंग पर हमें भी चलना है,,,,आपके साथ,,,,

  • 19. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 19

    Words: 507

    Estimated Reading Time: 4 min

    अध्यन : अरे!!! कोई कही नहीं जा रहा,,, वैसे तुम लोग तो थकी हुई हो। तो,,, आउटिंग पर कैसे जा सकती हो??,, जब क्लास लेने नहीं जा सकती ??



    अध्यन ने टोन्ट मारते हुए कहा तो शालिनी चिड़ते हुए बोली,,, आउटिंग पर जाकर कौनसा हम पढ़ाई करते है,,, हम लोग तो एन्जोय करने जाते है,,,


    वैसे अगर तुम्हारा मूंड नहीं है तो बोल दो, नहीं जाने का मन इसमे क्लासेज किधर से आ गयी ???


    शालिनी कि बात सुनकर अध्यन : आ गई किधर से भी आयी, जैसे शालू तुम्हारा मन क्लास लेने का नहीं है।,,,,वैसे ही मेरा मन आउटिंग पर जाने का नहीं है।
    खैर,,,, तुम लोग चाहो तो,,,, मेरे गेस्ट हाउस आ सकती हो हम लोग वहा भी एन्जोय कर सकते है। आउटिंग पर फिर कभी देखते है।


    इससे पहले शालिनी कुछ बोलती अन्तरा बोली : डन जिजू,,,, हमे तो फन करना है,,,, वैसे ये पार्टी आपकि तरफ से है या शालू कि तरफ से ???


    अध्यन शालिनी कि तरफ देखते हुए,,,:शालू तो मेरी ही है तो जाहिर सी बात है जो मेरा, वो शालू का,,,अब पार्टी मैं दूं,,,या शालू क्या फर्क पड़ता है, ये पार्टी हम दोनो कि तरफ से।


    अध्यन कि बात सुनकर आयना बोली : तो जीजू फिर तो आप शालू को ले जाए,,,, अपने गेस्ट हाउस हम लोगों को पार्टी दे रहे हो,,,, तो पार्टी कि तैयारी भी तो करोगे ना।

    अध्यन आयना के बोलते हि शालिनी की तरफ देखकर  चले मैडम शालू!!


    शालिनी : अरे!!,,, ऐसे कैसे ??? और अब क्या हुआ तुम दोनों को अभी थोडी देर पहले मुझे बोल रही थी, शालू तुम दोस्तो को भूल गई?? अब पार्टी तुम दोनों को चाहिए, और पार्टी कि तैयारी मैं अकेली करू,,,,,अब तुम्हारी दोस्तों कहा गई??? चुपचाप चलो दोनों,,,,


    अन्तरा‌ : ओह्फो!! क्या अब हमें तुम्हारी मदद करनी पड़ेगी। तैयारियां करने में??


    शालिनी : हाँ बिल्कुल!! अरे तुम दोस्त हो मेरी अब तुम मदद नहीं करोगी तो कौन करेगा ??

    आयना : जीजू है ना,, मदद के लिए,,,,


    अन्तरा : हाँ, जीजू कर देंगे।,,,,तुम्हारी मदद, हम लोगो को ले जाकर क्या करोगी??


    शालिनी : वो क्या है ना अनू,,, तुम खाना बनाने में एक्सपर्ट हो,,,, तो हम पार्टी का खाना बाहर से नहीं मंगाने वाले।

    खाना तुम बनाओगी। और आयू डेकोरेशन करेगी। और म्यूजिक गेम वगैरा अध्यन सेट करेगा,,,,,मैं तो अध्यन की हूं,,, तो अध्यन काम करे या मै करू,,,बात तो इक ही है ना।


    वो तीनो हैरानी से शालिनी को देख रहे थे,,,, तो अध्यन बोला,, क्या तुम्हारे लिए ये किताब पढ़ना जरूरी है???


    शालिनी: बिलकुल जरूरी है।,,, अब चलो जल्दी गेस्ट हाउस चलते है,,, शालिनी वो बुक अपने बैग में रखकर वहाँ से उठती है। तो,,,

    आयना ; क्या तु ये बैग लेकर जायेगी ??

    शालिनी : हां!! वैसे भी अध्यन का गेस्टहाउस मेरा,, गेस्टहाउस वो चारों फिर गेस्टहाउस के लिए निकलते है,,,


    शालिनी रास्ते में अन्तरा से बोलती है,,: अनू!! यार बहुत जोरो की भूख लगी है,,,,,गेस्टहाउस पहुंचते ही तुम नुडल्स बना लेना,,,, फिर हम तीनो खा लेंगे।


    अन्तरा शालिनी कि तरफ हैरानी से देखकर, : मतलब नूडल्स बनाऊ मैं और मैं ही न खाऊ ऐसा क्यूं??

  • 20. अनामिका अनसुलझी दास्तां - Chapter 20

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    शालिनी : अरे !! अन्तरा मैंने ऐसा कब कहा??



    अन्तरा : तुमने कहा,,, तीनो खाएंगे, तो तुम, आयू और जीजू ही तो हुएं,,,मैं कहा गई??


    शालिनी: अरे! मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि हम तीनो खाएंगे अध्यन नाश्ता करके ही गया था, है ना अध्यन!!

    अध्यन : हां पर मैं तुम लोगों के साथ दुबारा नास्ता करूंगा,,, हम चार है,,, अन्तरा तुम चारों के लिए बनाना।

    अन्तरा: हाँ। जीजू ,,,, हम चारों खाएंगे पर मुझे ये बताओ नूडल्स बनाने में मेरी हेल्प कौन करेगा आप तीनो में से??

    अन्तरा कि ये बात सुनकर शालिनी झट से बोली,,"अध्यन करेगा तुम्हारी मदद वैसे भी ये दुबारा पेट पूजा करने वाला है।

    शालिनी कि बात सुनकर आयना बोली, "तू पागल हो गई क्या?? कैसी अजीब बाते कर रही है?? हम तीनों लड़‌कियों के होते हुए,,, अच्छा थोडी लगता है। कोई लड़का किचन में काम करता??

    आयना कि बात से चिड़कर शालिनी बोली : औहो!! तुम्हे बड़ा तरस आ रहा है,,,अपने जीजू पर,,,

    शालिनी की बात सुनकर अध्यन बोला : तरस तो आएगा ही,,, आखिर!! साली किसकी है ??

    आयना : आपकी जीजू!!

    अन्तरा : हा भई इनकी साली है,, पर मुझे बताओ नूडल्स बनाने में मेरी मदद कौन करेगा।

    आयना : अरे !! तुम रास्ते में तो बनाओगी नहीं पहले गेस्ट हाउस तो पहुंच जाए हम,,,, फिर देखते है।

    शालिनी आयना कि बात सुनकर : देखना क्या?? गेस्टहाउस पहुंच गए हम और जीजू कि साली साहिबा अब अनू कि हेल्प कर देना तुम,,,,, शालिनी गेस्ट हाउस कि तरफ जाती हुई बोली तो अध्यन दरवाजा ओपन करके अन्दर चला जाता है ,,,,,,शालिनी अध्यन के पिछे- पिछे गेस्टहाउस में एन्ट्र करती है।


    और अन्तरा और आयना दोनो शालिनी के पीछे-पीछे गेस्टहाउस के अन्दर दाखिल हो जाती है।

    शालिनी हैरत से गेस्टहाउस को देख रहे थी, तो अध्यन सोफे पर बैठकर बोला : मैडम शालिनी !! क्या देख रही हो,,, इतनी हैरानी से??

    तो आयना बोलती है : इसको देखने दो!! आप हमें बताओ,,, किचन किधर है?? 

    अध्यन उन दोनो को किचन दिखाता है, और सामान बताता है,,, किधर किसमे क्या रखा है,,,,फिर वो वापस हॉल में आकर सोफे पर बैठ जाता है।

    तो दूसरी तरफ शालिनी ग्रेस्ट हाउस को अच्छे से देखकर वापस होल में पहुंच जाती है,,, वो भी अध्यन के ठिक सामने वाले सौफे पर बैठकर वो बुक बैग से निकालती है,,,

    तो अध्यन बोलता है,, " तुमने बताया नहीं,,,,शालू क्या देख रही थी?? इतनी हैरानी से??

    शालिनी : कुछ खास नहीं ,,,, मै तो देख रहे थी,,, कि तुमने गेस्ट हाउस का लुक बदल दिया,,,,हर इक सामान की जगह चेंज हो गई।

    तुम्हारी बुक्स वाली जगह चैन्ज,,, वोच की भी जगह चेंज और ये सोफे भी यहां नही थे पहले,,,,, कब चेन्ज किया ये सब???

    अध्यन : कल रात को जब मै वापस आया तब सब कुछ बिखरा पड़ा था सारी खिडकिया खुली रह गयी थी,,, इसलिए,,

    शालिनी: लगता है वो तूफान तुम्हारे गेस्ट हाउस को क्लीन करवाने आया था।

    शालिनी कि ये बात सुनकर अध्यन मुस्कुराते हुए बोलता है :  हाँ शायद !!!


    आगे क्या होगा जानने के लिए अगला पार्ट पढ़े!!