एक 45 साल की साल औरत सड़कों पर काफ़ी तेज़ी से भागी जा रही थी उस औरत की हालत काफ़ी नाजुक ओर ख़राब लग रही थी वो औरत कोई ओर नहीं बल्कि तारा सूर्यवंशी अपने टाइम की बहुत ही फैमस एक्टर्स होने के साथ साथ एक सीक्रेट आर्मी ऑफिसर भी थी , लेकिन उसकी एक गलती ने... एक 45 साल की साल औरत सड़कों पर काफ़ी तेज़ी से भागी जा रही थी उस औरत की हालत काफ़ी नाजुक ओर ख़राब लग रही थी वो औरत कोई ओर नहीं बल्कि तारा सूर्यवंशी अपने टाइम की बहुत ही फैमस एक्टर्स होने के साथ साथ एक सीक्रेट आर्मी ऑफिसर भी थी , लेकिन उसकी एक गलती ने आज उसकी ये हालत कर दी ,तारा ने कभी भी अपने पति ओर अपनी बेटी को वो प्यार नहीं दिया जिसका वो हकदार थे, लेकिन तारा ने हमेशा उनसे नफ़रत की ,अपनी इसी नफ़रत के कारण उसने उन्हें छोड़ने से पहले एक बार भी नहीं सोचा ओर किसी दूसरे आदमी के पास चली गई ,ओर उसकी बेटी को प्यार से पाला वो भी उसका नाजायज औलाद निकलीं उसकी ख़ुद की छोटी बहन ओर उस अंजान आदमी की !"उन तीनों ने तारा पर देश द्रोह का इलज़ाम लगाकर उसे अपनी क़ैद में रखा ओर उसकी ख़ुद की छोटी बहन ने उसे ख़ूब टॉर्चर किया जब तक उसकी मौत नज़दीक नहीं आ गई ,पर उसके आखिरी समय में उसके पति ने उसे बचाते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी ओर फ़िर उन तीनों ने उसे भी मरने के लिए ख़ाई में फेंक दिया , अंत में दोनों मौत की गहरी नींद में समा गए ,क्या तारा ओर रेहान का सफ़र यहीं तक का था ? या मिलेगा तारा को एक मौका अपने दुश्मनों से बदला लेने का",जानने के लिए पढ़ते रहे "Ribirth of Arrogant wifey and mother !"
Rehan singh
Hero
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एक 45 वर्षीय महिला सड़कों पर तेज़ी से भाग रही थी। वह महिला कोई और नहीं, देश की जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री तारा सूर्यवंशी थीं। दिखने में वह किसी अप्सरा से कम नहीं थीं, पर आज उनकी हालत सड़क पर चलने वाले भिखारियों से भी बदतर थी।
तारा की इस दयनीय स्थिति के लिए उसकी छोटी बहन और माँ जिम्मेदार थीं। बचपन से ही उसने अपनी माँ की हर बात मानी थी। उनके कहने पर उसने अपने पिता से बात करना छोड़ दिया था, और आज उसी माँ ने उसकी बहन का साथ दिया था।
यह देखकर तारा का दिल टूट गया। आसमान की ओर देखते हुए, उसने जोर-जोर से रोते हुए कहा, "क्यों माँ? क्यों? मेरे साथ ऐसा क्यों किया आप लोगों ने?"
उसके सामने दस साल पहले का एक दृश्य उभर आया, जब वह अपने ही परिवार की कैद में थी।
**फ्लैशबैक (दस साल पहले):**
तारा जेल से आजाद हुई थी। उसने खुद से कहा, "माँ, अब तो आप मुझे प्यार करोगी ना!" वह खुश थी कि वह आजाद हो गई है, तभी वहाँ मौजूद लोगों ने उस पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।
लोग आपस में बातें कर रहे थे: "अरे भैया, ये वही लड़की है जिसने फिल्मों में काम करने के लिए एक अच्छे-खासे परिवार को बर्बाद कर दिया! बेचारे प्रोड्यूसर को बहला-फुसलाया, और जब उसने बात नहीं मानी, तो उसने उसकी छह महीने की गर्भवती पत्नी और उस प्रोड्यूसर को मार डाला!"
एक औरत ने कहा, "देखो बहनों, ऐसी औरत को जीने का कोई हक़ नहीं है। मारो इसे!" लोगों की भीड़ ने उसे मारना शुरू कर दिया, पर तभी अचानक कुछ लोग वहाँ आ गए और उसे कार में बिठाकर एक खंडहर जैसी जगह पर बंद कर दिया।
वह कुछ सोच ही रही थी कि कुछ लोगों के आने की आवाज़ आई। वे लोग उसकी बहन अनुष्का सूर्यवंशी, उसका बॉयफ्रेंड आशीष राज, और उनकी बेटी काजल सूर्यवंशी थे। तारा ने उन्हें देखकर खुशी से कहा, "अनुष्का, देख, अब सब कुछ ठीक हो चुका है। किसी को भी नहीं पता कि उस औरत और उसके आदमी का क़त्ल तूने किया है। लेकिन माँ, वह यहाँ क्यों नहीं आई?"
आशीष राज, जो अनुष्का का बॉयफ्रेंड था, ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा, "अनु, इस बेचारी को सच बताओ अब।"
तारा ने सवालिया निगाहों से उन दोनों को देखा, "सच? कैसा सच?"
फिर उसने काजल से कहा, "बेटा, तुम अपनी मासी और पापा के साथ क्या कर रही हो? मेरे पास आओ।"
तीनों हँसने लगे। काजल ने मुँह बनाते हुए कहा, "सीरियसली? आपको लगता है कि मैं आपकी नाजायज़ बेटी हूँ? ऐसा बिलकुल नहीं है! मेरे पापा आशीष और माँ अनुष्का हैं!"
तारा के पैरों तले जमीन खिसक गई।
अनुष्का ने आगे कहा, "अरे, इतने में ही शोक हो गई? और सुनो, तुम्हारी बेटी पंछी और पति रेहान से दूर करने का प्लान हम तीनों का था – मैं, आशीष और तुम्हारी प्यारी माँ। क्योंकि पिताजी ने सारी प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम कर दी थी।"
"और रेहान और पंछी से दूर करने की वजह ये थी कि अगर तुम रेहान के साथ रहतीं, तो हम तुम्हें कभी नहीं मार पाते।"
"तुम्हें रेहान से दूर करने के लिए हमने ये झूठ बोला कि तुमने उसे धोखा दिया है और आशीष के साथ सोई हो, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था।"
"पर तुम तो ठहरी मेरी माँ की गुलाम, उन्होंने जो कहा, तुमने वैसा ही किया। यहाँ तक कि तुम अपनी बेटी को देखने भी नहीं गईं जब उसका ब्रेन ट्यूमर का इलाज चल रहा था।"
तारा हैरान हो गई, "क्या कहा? ब्रेन ट्यूमर था मेरी बेटी को?"
काजल ने तारा के मुँह पर थप्पड़ मारते हुए कहा, "हाँ, ब्रेन ट्यूमर था उसे, और जानती हो क्यों? क्योंकि हम लोग उसके खाने में रोज़ थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ज़हर मिलाते थे, जिससे किसी को शक ना हो। पर वो ज़हर उसे मारने की जगह उसके दिमाग़ के किसी हिस्से में जम गया। जिससे ये हुआ। पर उसे लगता है कि तुम जानबूझकर नहीं आईं, जबकि तुम लंदन में अपनी शूटिंग कर रही थीं!"
"हमने तुम्हें तुम्हारी बेटी और पति से दूर किया ताकि तुम हमारे लिए खतरा न बन पाओ। तुम्हारे दिमाग़ में ये बातें डाली गईं कि अगर तुम उन्हें नहीं छोड़ोगी, तो तुम्हारे पति और बेटी दोनों मारे जाएँगे तुम्हारे दुश्मनों के कारण… पर तुम्हें जानकर बहुत दुःख होगा कि वो दुश्मन कोई और नहीं, हम चारों हैं!"
तारा हैरान हो गई, "नहीं, तुम झूठ बोल रही हो! मेरी माँ ऐसा नहीं कर सकती मेरे साथ!"
अनुष्का ने उसके सामने कॉल किया। दूसरे छोर से एक औरत की आवाज़ आई, "अनु बेटा, कहाँ हो तुम?"
अनुष्का ने कहा, "माँ, मैंने आपकी प्यारी बेटी को कैद कर लिया है।" दूसरे छोर से आवाज़ आई, "ये तुमने बहुत अच्छा किया। उसके बाप को तो पहले ही मार दिया, अब इसे भी मार देना। पर इतनी आसान मौत मत देना, धीरे-धीरे, टॉर्चर करके मारना।"
अनुष्का ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा, "ओके, मॉम। आपने जैसा कहा, वैसा ही होगा।"
माँ ने कहा, "जो भी करो, जल्दी करो। पार्टी का टाइम हो गया है। आज हमारी जीत का जश्न है, और तुम अभी तक उस बेवकूफ़ के पास हो? जल्दी आ जाओ!"
कॉल कट हो गया। तारा की आँखों में आँसू बहने लगे। आखिर क्या कसूर था उसका? उसने अपने ही परिवार पर भरोसा किया था। उसने अपनी बेटी से बहुत प्यार किया था। फिर उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? शायद ये उसका कर्म था, अपने पति से दूर होने का।
**फ्लैशबैक एंड**
तारा भागते हुए एक खाई के पास आ गई। तभी पीछे से गाड़ी की लाइट पड़ी। उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी बहन अनुष्का और आशीष थे। उसके होश उड़ गए। वे दोनों गाड़ी से बाहर निकलकर उसके पास आने लगे, तभी पीछे से एक आवाज़ आई, "दूर रहो उससे!"
तारा जैसे ही खाई के पास पहुँची, उसके पीछे उसकी छोटी बहन अनुष्का अपने बॉयफ्रेंड आशीष के साथ गाड़ी में बैठ उसकी तरफ़ आ रही थी। तारा ने अपनी आँखें बंद कर लीं, तभी एक तेज़ आवाज़ उसके कानों में पड़ी, "दूर हट जाओ उससे!" यह आवाज़... यह आवाज़ तो कुछ सुनी-सुनी सी लग रही थी। तारा ने जब सामने नज़रें उठाकर देखा, तो पाया कि उसका पति रेहान अपने असिस्टेंट समीर के साथ खड़ा था! रेहान की आवाज़ सुनकर आशीष की तो जैसे रूह ही काँप उठी। उसकी तो जैसे हिम्मत ही नहीं हुई कि वह रेहान की बात का अनुसरण कर सके! पर अनुष्का ने यह देख नफ़रत से कहा, "आशीष, क्या हो गया है? तुमने गाड़ी क्यों रोक दी?" यह सुन आशीष ने गुस्से में अपने दाँत पीसते हुए कहा, "बेवकूफ़ औरत! वह रेहान कोई छोटी-मोटी हस्ती नहीं, बल्कि देश के जाने-माने बिज़नेसमैन में से एक है! तुझे फ़िल्मों में रोल और मेरी कंपनी की ग्रोथ के लिए पैसे इसने ही इन्वेस्ट किए हैं!"
यह सुन अनुष्का ने मुँह बनाते हुए कहा, "तो क्या कर सकते हैं हम? हाँ, उसने जो कुछ भी किया, वह तारा के कारण किया था!" यह सुन आशीष उसे ऐसे देखने लगा जैसे किसी पागल को देख रहा हो। उसने अपनी आँखें बंद कर धीरे से कहा, "पागल औरत! अगर उसे पता चला न कि हम दोनों के कारण उसके परिवार की यह हालत हुई है, तो वह हम दोनों को ज़िंदा नहीं छोड़ेगा, समझी! रेहान के साथ समीर भी है, जो अकेले 200 लोगों के बराबर है।" अनुष्का ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और उसने गाड़ी को तारा की तरफ़ मोड़ दिया। इससे पहले कि वह आगे बढ़ पाती, रेहान ने अपना एक हाथ उसकी गाड़ी की तरफ़ किया! जिससे उसकी गाड़ी वहीं रुक गई। यह देख अनुष्का शॉक होते हुए खुद से बोली, "ओह गॉड! यह कैसे हो सकता है?" आशीष ने जब उसे इस तरह परेशान देखा, तो उसने कहा, "क्या हुआ अनु? तुम इतनी परेशान क्यों हो गई?" यह सुन अनु ने कहा, "आशीष, गाड़ी अपने आप रुक गई। यह उस रेहान के हाथ रखने के कारण हुआ!"
उसकी बात सुन आशीष अपनी आँखें छोटी करते हुए बोला, "सीरियसली अनु? तुम्हें इस वक्त मज़ाक सूझ रहा है और यहाँ रेहान और समीर नाम की तलवार मेरी गर्दन पर आ लटकी है!" यह सुन अनुष्का ने गाड़ी से गन निकालते हुए कहा, "आज मैं इन दोनों लैला-मजनू का किस्सा ही ख़त्म कर दूँगी!" आशीष ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, पर वह नहीं मानी और गाड़ी से उतर तारा की ओर चलने लगी। पीछे से आशीष उसे रोकते हुए आ ही रहा था कि समीर ने उन दोनों का रास्ता रोकते हुए कहा, "इतनी जल्दी भी क्या है तुम दोनों को? पहले तुम दोनों से पुराना हिसाब-किताब तो निपटा दूँ।" यह सुन वे दोनों डर से काँप गए!
वहीं दूसरी तरफ़, रेहान को अपने सामने सही-सलामत देख तारा की आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा! तारा रोते हुए रेहान के गले लग गई। रेहान तारा से नाराज़ था कि वह इतने सालों तक क्यों उससे दूर रही! रेहान ने मुँह मोड़ते हुए कहा, "अब क्यों रो रही हो? तुम्हें तो खुश होना चाहिए मेरी ऐसी हालत देखकर!" रेहान की बातें सुनने के बाद तारा ने गौर से रेहान को देखा, तो पाया कि रेहान के कपड़े काफ़ी फटे हुए लग रहे थे, रेहान की बड़ी सी दाढ़ी निकल गई थी! तारा को अपने डैड से इस बात का गुस्सा था कि उन्होंने उसकी शादी रेहान से, जो कि एक पागल था, उससे करवा दी! पर तारा इतनी पागल नहीं थी कि वह रेहान से नफ़रत करने लगे। उसने शादी के बाद रेहान का काफ़ी ध्यान रखा, जिसके कारण रेहान ठीक हो सका!
तारा ने दर्द भरी आवाज़ में कहा, "रेहान, मेरा साथ तुम्हारे साथ यहीं तक का था। हो सके तो मुझे माफ़ कर दो, लेकिन मैं मजबूर थी तुमसे और अपनी बेटी से दूर रहने के लिए! क्योंकि अगर मैं तुम दोनों से दूर नहीं रहती, तो लोगों की नज़रों में तुम दोनों का पता चल जाता और मेरे दुश्मन तुम दोनों को मेरी कमज़ोरी बनाते या तुम दोनों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते! इसलिए मैंने अपनी बहन के बॉयफ्रेंड के साथ सालों पहले यह खेल रखा, जिससे तुम मुझसे नफ़रत करने लग जाओ! मुझे आज समझ में आ रहा है कि मैं तो बस एक मोहरा थी इनके खेल का! आज जब मैं मौत की देहलीज़ पर आ खड़ी हूँ, तो मेरी हिम्मत नहीं है तुम्हारी आँखों में नफ़रत देख सकूँ!"
ये सारी बातें सुनने के बाद रेहान के तो होश ही उड़ गए। उसे यह लगता था कि तारा आशीष को थोड़ा-थोड़ा पसंद करती है और उसके साथ अपनी मर्ज़ी से रह रही है, इसलिए वह तारा की खुशी के लिए उससे दूर हो गया था। पर आज सब कुछ सच जानने के बाद उसने तारा की तरफ़ देखा, जिसकी आँखें बंद होने लगीं! रेहान ने यह देखकर तारा के माथे पर किस करते हुए कहा, "नहीं तारा, यह सच नहीं है। भले ही तुम सौ गुनाह कर दो, तब भी मैं तुमसे नफ़रत नहीं कर सकता! हाँ, मैं कुछ पल नाराज़ तो ज़रूर हुआ हूँ, लेकिन तुम्हारी यह हालत देखकर, ना कि तुम्हारे दूर होने से!"
तारा ने जैसे ही रेहान की बात सुनी, वह फूट-फूट कर रेहान के गले लग रोने लगी! रेहान ने उसे चुप करवाते हुए कहा, "प्लिज, चुप हो जाओ, रेबिट!" वहीं दूसरी तरफ़, समीर ने अनुष्का और आशीष की हालत बुरी कर दी। वे दोनों किसी भिखारी से अब कम नहीं लग रहे थे! अनुष्का की माँ ने दूर से जब यह नज़ारा देखा, तो उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं और उन्होंने तारा की तरफ़ गन करते हुए खुद से कहा, "आज मैं इस लड़की को ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी। इसके कारण मेरी बेटी और उसके होने वाले पति की यह हालत हुई है!" ऐसा बोलकर उसने जैसे ही गन चलाई, एक तेज़ आवाज़ के साथ तारा की चीख गुंज उठी! तारा ने रेहान की आँखों में देखते हुए कहा, "नहीं, यह नहीं हो सकता। तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते!" वहीं उसे यूँ रोता देख आशीष और अनुष्का कुटिल मुस्कान के साथ खुद से बोले, "हमारा काम तो हो गया। अब बस इस तारा को मौत की नींद सुला दे एक बार।" यह सोचकर उन्होंने अपनी माँ को इशारा किया। समीर को अभी तक रेहान के बारे में नहीं पता चला था क्योंकि उसने गन पर साइलेंसर लगा रखा था! और समीर की पीठ उन लोगों की तरफ़ थी और काफ़ी दूर था। तो समीर ने आशीष और अनुष्का को गाड़ी में बिठाते हुए कहा, "तुम लोगों का खेल ख़त्म!"
तारा ने जैसे ही रेहान को देखा, वह रोते हुए रेहान के गले लग गई और पागलों की तरह रेहान के पूरे चेहरे को चूमते हुए बोली,
"रेहान, प्लीज़ माफ़ कर दो मुझे! मुझे छोड़कर मत जाओ, वरना मैं जी नहीं पाऊंगी! रेहान, आई रियली लव यू, आई नीड यू! रेहान, प्लीज़!"
"तुम्हारी ये चुप्पी मुझसे और सहन नहीं होती। प्लीज़, रेहान, प्लीज़ उठ जाओ ना!"
तारा की बात पर उसकी मां, जो कब से वहीं छिपकर बैठी थी, उसने जब देखा कि रेहान उसकी बात का जवाब नहीं दे रहा है, तो उसने अपनी बंदूक तारा के सिर पर पॉइंट करते हुए कहा,
"जब तेरा पति मर गया है, तो तू जीकर क्या करेगी? हां, अब चल, तेरी ये इच्छा मैं पूरी कर देती हूं, तुझे तेरे पति के पास पहुंचाकर!"
तारा ने रेहान को अपनी बाहों में भरते हुए अपनी नम आवाज़ में पूछा, "क्यों, मां? क्यों? आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मेरे पति और मेरी बच्ची का क्या दोष था?"
यह सुनकर उसकी मां ने नफ़रत से उसे देखते हुए कहा, "मैं नफ़रत करती हूं, तेरे बाप से और तुमसे! मैं तो उससे शादी भी नहीं करना चाहती थी, लेकिन तुम्हारे कारण मुझे उस करन से शादी करनी पड़ी! अगर तुम मेरी पेट में ना होतीं, तो आज मैं विशाल के साथ अच्छी ज़िंदगी जी रही होती!"
"नफ़रत है तुम दोनों बाप-बेटी से! तुम्हारे बाप को मेरे और विशाल के बारे में सब कुछ पता चल गया, और यह भी कि अनुष्का उसकी नहीं, बल्कि मेरी और विशाल की बेटी थी! इसलिए उसने अपनी सारी प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम कर दी। फिर हम लोगों ने सोचा कि चलो, तुम्हें प्यार से अपने जाल में फँसाकर सब कुछ अपने नाम करवा लेंगे, लेकिन तुम्हारा वो बाप, वो कुछ ज़्यादा ही चालक निकला।" इतना कहते हुए उसके चेहरे पर नफ़रत साफ़ दिखाई दे रही थी।
उसने नफ़रत से फिर आगे कहा, "उस बूढ़े ने तुम्हारी शादी उस पागल रेहान से करवा दी और सब कुछ तुम दोनों मियां-बीवी के नाम कर दिया, और मेरे और मेरी बेटी के नाम एक फूटी कौड़ी तक नहीं रखी!"
फिर कुछ पल रुककर तारा की तरफ़ देखते हुए कहा, "और तुम, तारा, तुम तो अपने बाप से भी ज़्यादा तेज़ निकली! जैसे ही तुम्हारी शादी उस पागल रेहान से हुई, मेरे बार-बार समझाने पर तुम... तुम उस रेहान के आगे-पीछे घूमती रहती! जिस पागल रेहान को ठीक करने के लिए पूरी डॉक्टरों की टीम ने अपने हाथ खड़े कर दिए, तुमने उस रेहान को बस एक साल में ही ठीक कर दिया! जैसे ही तुमने उस रेहान को ठीक किया, वैसे ही उस रेहान का तुम्हारे लिए प्यार और भी गहरा हो गया, और आज देखो, कैसे मौत की नींद सो गया ये!"
यह सुनकर तारा ने अपनी नम आवाज़ में कहा, "कहते हैं, 'एक पुत कपूत हो सकता है, पर एक माता कभी कुमाता नहीं हो सकती!' पर तुमने आज ये कहावत झूठ साबित कर दी! तुमने अपनी ही बेटी को मारने की कोशिश की! मुझ तक तो ठीक था, पर मेरी बेटी, उस मासूम का क्या कसूर था?" यह सुनकर उसकी मां ने तारा के बालों को अपनी मुट्ठी में भरते हुए कहा,
"क्योंकि उस सपूत को ज़िंदा रखकर मैं अपनी लाइफ़ हैल नहीं बनाना चाहती थी। तुम तो मर जाओगी, पर तुम्हारी वो बेटी कल को मेरे से बदला ले सकती है, इसलिए मैं कोई रिस्क नहीं ले सकती! भले ही मेरी बेटी और होने वाले दामाद को कुछ हो जाए, पर मैं तुम्हें और तुम्हारी फैमिली को खुश नहीं रहने दे सकती!"
अपनी मां की कड़वी बातों को सुनकर तारा का दिल एक बार फिर से टूट चुका था। तारा को खुद पर ही हंसी आ रही थी। उसने अपनी मां के लिए क्या कुछ नहीं किया! खुद को चोट पहुंचाई, अपने पति और अपनी छोटी सी प्यारी सी बेटी से दूर हो गई! अपनी मां को खुश करने के लिए उसने अपने पापा से बात करनी बंद कर दी और यहां तक कि उनको खुश करने के लिए जेल तक चली गई, पर उसकी मां, उसकी मां ने उसका त्याग कभी नहीं देखा!
उसकी मां ने आगे कहा, "इस रेहान को मेरे बारे में सब कुछ पता चल गया था। ये बार-बार मेरे रास्ते में आ रहा था, इसलिए आज देखो, ये कैसे पड़ा है!"
फिर अपने गुंडों को बुलाते हुए कहा, "इससे पहले यहां इसका वो बॉडीगार्ड समीर आ जाए, जल्दी से इन दोनों को खाई में फेंक दो!"
वो बॉडीगार्ड जैसे ही रेहान को उठाने के लिए आगे आने वाले थे, वैसे ही उसने उन लोगों को रोकते हुए कहा, "रुको! तुम लोग रेहान को छोड़ो, पहले इस तारा को ठिकाने लगाओ। ये रेहान तो पहले से ही मरा पड़ा है, ये क्या ही बिगाड़ सकता है हमारा!"
यह सुनकर उन लोगों ने तारा को खाई की ओर ले जाना शुरू कर दिया। उन लोगों ने तारा को उसके बालों से पकड़ा हुआ था। वो लोग किसी जालिम कसाई की तरह उसे घसीटते हुए ले जाने लगे। तारा बार-बार उन लोगों से रहम की भीख मांग रही थी, पर उन लोगों को उस पर ज़रा सा भी तरस नहीं आ रहा था!
उन लोगों ने तारा को खाई में फेंक दिया। तारा की चीख, उसका रोना, जैसे ही रेहान के कानों में पड़ा, एक ज़ोरदार आवाज़ उस पूरे इलाके में गूंज उठी!
रेहान की आँखें लाल, खून से सनी हुई लग रही थीं। उसकी पीठ पर काले पंख निकल आए, और उसके दांत किसी वैम्पायर के जैसे निकले हुए थे!
रेहान इस वक्त एक नरक के शैतान की तरह लग रहा था। उसके इस रूप को देखकर उन बॉडीगार्ड की हालत इतनी खराब हो गई कि उन लोगों ने बीच में ही एक-एक करके भागना शुरू कर दिया!
वो बॉडीगार्ड जैसे ही वहां से भागने लगे, वैसे ही रेहान ने उड़ते हुए एक-एक की गर्दन को ऐसे तोड़ना शुरू कर दिया, जैसे वो गाजर-मूली काट रहा हो!
अंत में सब लोगों को बेरहमी से मौत देने के बाद उसने अपनी सास को गर्दन से पकड़कर उसे ऊपर उठाते हुए अपनी डरावनी आवाज़ में कहा,
"कहा था ना तुम्हें मेरी तारा से दूर रहो! कितना मना किया था मैंने!"
यह सुनकर उसने डरते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, रेहान बेटा! मेरा वो मतलब नहीं था!"
रेहान ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "बेटा खुद पर बन आई तो अब मैं बेटा, हां? पर चलो, कोई बात नहीं। आपने मुझे बेटा कहा है, तो मेरा भी तो कुछ फ़र्ज़ बनता है ना!" इतना बोलकर उसने तारा की मां की गर्दन में नाखून गड़ा दिए, जिससे उसकी जान वहीं निकल गई!
उसके बाद रेहान जल्दी से खाई की तरफ़ बढ़ा। उसने देखा तारा काफी नीचे पहुँच गई थी। रेहान ने खाई में एक छलांग लगाई और तारा को अपनी बाहों में भर लिया। उसने अपनी पीठ को नीचे की तरफ़ कर दिया और तारा को अपनी छाती पर रख लिया!
उसने तारा को अपने पंखों में छुपाकर रखा। तारा ने रोते हुए रेहान से कहा, "रेहान, अगर मुझे फिर से एक मौका मिले, तो मैं फिर ये सब नहीं होने दूंगी!"
यह सुनकर रेहान ने कहा, "सच में, छोटी गिलहरी?"
तारा ने उसकी बात पर कहा, "हां, रेहान, सच में!"
रेहान के कानों में एक आवाज़ गूंज रही थी, "जैसे आज मैंने अपने प्यार को खोया है, वैसे ही एक दिन तुझसे तेरा प्यार दूर होगा, और तू बेबस-लाचार होकर उसे मरता हुआ देखेगा!"
इस आवाज़ को याद करने के बाद रेहान ने तारा के सिर पर अपना एक हाथ रखा और प्यार से कहा,
"इसके बाद में शायद अब कभी अपने इस रूप में ना आ पाऊं, पर तुम्हें एक बार फिर से समय में पीछे जाकर सब कुछ ठीक करने का मौका मिलेगा। अब ये तुम्हारे हाथ में होगा, छोटी गिलहरी। तुम इस नए जीवन में पुरानी गलतियां दोहराओगी या एक नई ज़िंदगी शुरू करोगी मेरे साथ?" इतना कहकर रेहान नीचे पड़े एक बड़े से पत्थर पर जा गिरा। रेहान की मौत का सदमा तारा सहन ना पा सकी, और वहीं उसने भी अपना दम तोड़ दिया!
उन दोनों के मरते ही समीर ने अपनी लाल आँखों से आशीष और अनुष्का की लाश को देखा। फिर उसने आसमान की तरफ़ देखते हुए कहा,
"मालिक, जब आप नहीं दुनिया में, तो मैं क्या करूंगा इस दुनिया में?" इतना बोलकर उसने भी अपनी जेब से बंदूक उठाई और अपनी आँखें बंद करते हुए खुद को गोली मार ली!
एक दास्तां जो आज ख़त्म हुई, कल फिर से शुरू होगी। आप लोगों को मेरी स्टोरी कैसी लगती है? प्लीज़ कमेंट करें, और हां, आप लोग मेरी दूसरी नॉवेल "बेदर्दी से प्यार का" और "बर्निंग डिजायर" को भी पढ़ें और कमेंट करें!
तारा एक तेज चीख के साथ चिल्लाते हुए उठी, "नहीं..."
उसकी आवाज सुनकर रेहान और पंछी, जो अब तक वहीं बैठे हुए थे, दोनों भागते हुए तारा के पास गए। रेहान ने अपनी छोटी सी बेटी को अपनी गोद में लिया हुआ था।
रेहान ने तारा की हालत देखकर पंछी के साथ उसके पास जाकर अपनी फिक्र भरी आवाज में बोला, "तारा जी, आप ठीक तो हैं ना?" यह सुनकर तारा ने रेहान की तरफ देखा। रेहान इस वक्त किसी ग्रीक गॉड से कम नहीं लग रहा था। उसके फीचर्स काफी शार्प थे!
तारा ने धीरे से अपने होठों को दबाते हुए कहा, "हाँ, मैं बिलकुल ठीक हूँ रेहान!"
इतना बोलकर तारा अपने मन में खुद से सवाल करते हुए बोली, "क्या मुझे फिर से एक नई ज़िन्दगी मिली है रेहान के कारण?" फिर रेहान की तरफ देखते हुए उसकी आँखें गीली हो गईं!
उसने मन में सोचा, "पिछली ज़िन्दगी में मैंने कितना try किया कि रेहान मुझसे नफ़रत करे, उसे नौकर तक कहा सबके सामने, पर फिर भी एंड टाइम में इसने अपनी जान तक दे दी!"
फिर नफ़रत से खुद से बोली, "मुझे जो यह नई ज़िन्दगी मिली है, उसको मैं यूँ ही वेस्ट नहीं होने दूंगी! मैं रेहान और अपनी बेटी की तरफ़ उठने वाली हर एक आँख को निकालकर बाहर फेंक दूंगी!"
इतना सोचकर उसने रेहान को कुछ कहने के लिए अपने होठ हिलाए, पर वह चुप रह गई!
रेहान ने तारा की तरफ़ देखते हुए धीमी आवाज़ में कहा, "तारा जी, क्या कुछ कहना है आपको? कोई बात परेशान कर रही है?"
यह सुनकर तारा ने रेहान के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "मिस्टर रेहान! कब से इतने फॉर्मल हो गए हैं, हाँ!"
ऐसा बोलते हुए उसके चेहरे पर एक शरारत थी। रेहान के हाथ बर्फ के जैसे ठंडे पड़ गए!
उसने हकलाते हुए कहा, "तारा जी, वो... मैं... वो... मैं... आपने ही मना किया था मुझे इतना..." रेहान खामोश हुआ। तो उसकी खामोशी को देखकर तारा ने धीमी आवाज़ में कहा, "आई एम सॉरी रेहान! प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो। आज के बाद मैं कभी भी तुम्हें शिकायत का एक मौका नहीं दूंगी। अब से मैं एक अच्छी वाइफ़ और एक अच्छी माँ बनकर दिखाऊँगी!"
तारा की बातों को सुनकर रेहान के दिल में एक सकून की लहर दौड़ पड़ी, पर फिर उसने खुद को थोड़ा सख्त दिखाते हुए कहा, "आपका लगता है इस बार भी उस आशीष से झगड़ा हुआ होगा, तभी आप ऐसी बातें कर रही हैं।" यह सुनकर तारा ने अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए कहा, "मतलब क्या है आपका रेहान?"
यह सुनकर रेहान ने नाराज़ होते हुए अपने मुँह को फेरते हुए कहा, "मेरे कहने का मतलब सीधा है तारा जी, आपका अपने बॉयफ्रेंड आशीष से झगड़ा हुआ होगा!"
यह सुनकर तारा ने आह भरते हुए अपने होठों को धीरे से दबाया और फिर रेहान को अपनी बाहों में खींचा। उसके ऐसा करने से रेहान, पंछी के साथ उसके ऊपर जा गिरा! इससे पहले रेहान कुछ सोचता, तारा ने अपनी दोनों बाहों को उसके गले में डालते हुए उसे एक किस कर दी!
वहीं उनकी बेटी ने उन दोनों को इस हालत में देखकर अपनी आँखों पर अपने छोटे-छोटे हाथों को रखते हुए कहा, "गंदी बात! मम्मी ने पापा को किस दी! गंदी बात!"
यह सुनकर तारा ने हैरानी से अपनी बेटी की तरफ़ देखते हुए उसके हाथों को उसके चेहरे से हटाते हुए कहा, "गंदी बात कैसे हुई यह रूही बेटा?"
यह सुनकर पंछी ने अपनी मीठी आवाज़ में कहा, "यह बुरी और गंदी बात होती है, ऐसे किसी को किस करना! टीचर ने कहा था इससे कीटाणु हमारे पेट में चले जाते हैं, और फिर घर बनाते हैं!"
"अब आपके कीटाणु पापा को ट्रांसफ़र..." तारा ने उसके शब्दों को पूरा करते हुए कहा!
यह सुनकर पंछी ने अपनी तोतली और मीठी आवाज़ में कहा, "हाँ, वही तो मैं बोली!"
अपनी बेटी की बातों को सुनकर तारा ने उसके गालों को प्यार से किस करते हुए कहा, "नहीं रूही बेबी! वो दूसरे लोगों के लिए था, पर हम दोनों तो हसबैंड वाइफ़ हैं, हम दोनों तो कर ही सकते हैं!"
यह सुनकर पंछी कुछ कहती, इससे पहले ही तारा ने रेहान की तरफ़ घूरते हुए कहा, "क्या आपको सच में लगता है कि मेरा इंटरेस्ट उस लंगूर आशीष में होगा?"
यह सुनकर रेहान ने बस एक शब्द में कहा, "नहीं..." यह सुनकर तारा के दिल को एक राहत मिली!
कि तभी रेहान ने आगे कहा, "पर आप तारा जी, अगर उससे प्यार नहीं करती तो उसके आगे-पीछे घूमने का क्या मतलब?"
यह सुनकर तारा ने महसूस किया कि रेहान जलन में आकर बोल रहा था, तो तारा ने जवाब पूछते हुए कहा, "आपके कहने का क्या मतलब है कि मैं उस आशीष को पसंद करती हूँ?"
यह सुनकर रेहान ने बच्चों जैसे रूठते हुए कहा, "आप तारा जी, यह बात आप खुद से पूछिए। आप हर वक्त उसके आगे-पीछे घूमती रहती हैं और तो और आपने जैसे ही उनका कॉल आया, आपने अपनी बीमार बेटी की भी परवाह तक नहीं की और सीधा उन लोगों के पास चली गईं!"
यह सुनकर तारा के दिल में एक तेज दर्द हुआ। उसने भरे हुए गले से कहा, "आई रियली सॉरी रेहान! मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था। मैंने यह सब अनुष्का की माँ के कारण किया! उन्होंने मुझसे कहा था कि आशीष एक अच्छा लड़का नहीं लगता। उन्होंने कहा था कि मैं उसकी जाँच करूँ। अगर वह सच में अनुष्का से प्यार करता है तो वह उन दोनों की शादी करवाएगी, पर अगर उसमें कोई भी गलत बात होगी तो वह अपनी बेटी से कहेगी कि उससे दूर रहे! मैं तो बस उसके आगे-पीछे अनुष्का के लिए जाती थी ताकि कुछ गलत मतलब न निकाले, पर यह मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती थी, उन लोगों पर भरोसा करना!"
तारा ने कुछ पल चुप रहने के बाद आगे कहा, "और रही बात रूही के बीमार होने की, पर वो मेरी भी बेटी है रेहान! माँ हूँ मैं इसकी! पूरे नौ महीने वेट किया है इसका मैंने..." इतना बोलकर उसका गला भर आया था!
रेहान ने तारा को गले से लगाते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, "शांत हो जाओ छोटी गिलहरी!"
पर तारा ने सिसकते हुए कहा, "मैं वहाँ सिर्फ़ अनुष्का की मदद करने के लिए गई थी, क्यों...? क्यों...? क्योंकि उसे ऊँचाई से डर लगता है और उसे चक्कर आने लग जाते थे, तो मैंने उसकी जगह जाकर स्टंट किया था! अगर उसे कुछ हो जाता, तब मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर सकती थी!"
तारा के आँसू रेहान की शर्ट को भीगा रहे थे!
रेहान को अब खुद पर गुस्सा आ रहा था कि क्यों उसने ये सवाल तारा से किए, जबकि सच तो वो भी जानता था कि तारा की माँ तारा को पसंद नहीं करती! एक माँ होकर भी अपनी खुद की बेटी की बदनामी करने की कोशिश वो हमेशा से ही करती रही है, पर आज, आज तो उन्होंने हद ही पार कर दी! अपनी उस नाजायज़ छोटी बेटी के लिए उन्होंने उसकी बीवी की जान को खतरे में डाल दिया! नहीं! रेहान ऐसा नहीं होने दे सकता, नहीं तो उन लोगों की हिम्मत और भी बढ़ जाएगी। इतना सोचकर उसने किसी को एक मैसेज सेंड कर दिया। उसके बाद उसने तारा के सिर को प्यार से सहलाते हुए कहा, "नहीं तारा, तुमने कुछ भी गलत नहीं किया। वो तुम्हारी छोटी बहन है और तुमने बस उसकी हेल्प करनी चाही, इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है और न ही मैं तुम्हें इस बात के लिए कुछ कह रहा हूँ। मुझे प्रॉब्लम है इस बात से क्योंकि उनके कारण तुम खुद को चोट पहुँचा देती हो। तुम्हारे बॉडी पर एक छोटे से छोटा घाव भी मेरे दिल के हज़ारों टुकड़े कर देता है! तुम्हारे दिल में मेरे लिए शायद उतनी इम्पॉर्टेंस न हो, लेकिन मेरे लिए तुम दोनों से बढ़कर कोई और नहीं हो सकता!"
यह सुनकर तारा ने अपनी धीमी आवाज़ में कहा, "ठीक है रेहान, मैं आगे से ध्यान रखूँगी।" फिर रेहान की आँखों में देखते हुए कहा, "और दूसरी बात, मेरा रिश्ता सूर्यवंशी परिवार में सिर्फ़ अपने पापा से है, बस! वो माँ-बेटी क्या करती हैं, किसके पास जाती हैं, क्या करती हैं, उन सब से अब मेरा कोई लेना-देना नहीं होगा!"
यह सुनकर पंछी ने अपनी क्यूट सी वॉइस में कहा, "सच में मम्मा? वो अनु आंटी और गंदी काजल नहीं आएंगी ना!"
तारा ने उसके गालों को प्यार से खींचते हुए कहा, "हाँ, नहीं आएंगी वो!"
इतना सुनकर पंछी ने कहा, "पर वो जब आएंगी तब मम्मा आप मेले खिलौने और चॉकलेट्स काजल दीदी को दोगी?" अपनी बेटी की बात को सुनकर तारा ने प्यार से उसके गालों पर अपने हाथ रखते हुए कहा, "नहीं, जो चीज़ मेरी बेटी की है वो मैं किसी और को नहीं दे सकती। समझी मेरी प्यारी गुड़िया?" इतना बोलकर तारा ने उसके पेट में गुदगुदी करनी शुरू कर दी!
वे तीनों इस वक्त एक परफेक्ट फैमिली लग रहे थे। तभी एक जानी-पहचानी आवाज़ उनके कानों में पड़ी, "तो मेरी बेटी को यहाँ भड़काया जा रहा है..." यह आवाज़ सुनकर पंछी ने तारा और रेहान को पकड़ लिया और अपने सिर को रेहान की चेस्ट में छुपा लिया!
वहीं इस वक्त तारा के रेहान के एक्सप्रेशन जो कि नॉर्मल थे, अब वो सख्त हो गए और तारा के चेहरे पर गुस्सा से लाल हो गया!
रेहान ने जब वो आवाज़ सुनी, तो उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। पर तारा और अपनी बेटी के लिए उसने अपने गुस्से को दबा लिया।
वहीं, तारा को भी वो आवाज़ सुनकर गुस्सा आ रहा था। उसके सामने कोई और नहीं, बल्कि आशीष और उसकी छोटी बहन अनुष्का खड़ी थीं।
अनुष्का को देखकर तारा के मन में वो सारे पल घूमने लगे, जब उसकी माँ उससे कहती थी, "तारा बेटा, वो तुम्हारी छोटी बहन है। तुम्हें उसका ख्याल रखना चाहिए। तुम बड़ी हो उससे!"
यहाँ तक कि जब अनुष्का ने उस स्टंट को करने से मना कर दिया, तो कैसे उसकी माँ ने उसे अपनी ममता का वासता देकर कहा, "तारा बेटा, मैं भी तो तुम्हारी माँ हूँ। मैं कुछ गलत तो नहीं चाहती हूँ मेरे बच्चों के साथ!"
"जैसे मेरे लिए अनु है, वैसे ही तुम हो। पर तुम बड़ी हो, तुम्हें उसका ख्याल रखना चाहिए!"
"तुम बड़ी हो, वो छोटी है।" ऐसे बोलते हुए उन्होंने उसकी प्रॉपर्टी भी छीन ली!
अपनी पिछली ज़िंदगी की गलतियों को याद करके तारा ने अपने होंठों को हल्के से दबाया और धीमी आवाज़ में कहा,
"शैतान का नाम लिया और शैतान हाज़िर!"
तारा ने भले ही ये बात धीमी आवाज़ में कही हो, पर रेहान और पंछी ने सुन ली और उनके चेहरे पर एक मुस्कान छा गई।
वहीं, अनुष्का ने जब उन दोनों को इस तरह से देखा, तो उसके मन में तारा के लिए नफ़रत और भी बढ़ गई!
पर फिर भी एक अच्छी बहन का नाटक करते हुए उसने कहा, "दीदी, मैंने सुना है आपको स्टंट करते हुए चोट लग गई। कहीं ज़्यादा तो नहीं लगी आपको?"
"मुझे माफ़ कर देना दीदी। मैं वहाँ नहीं थी, तो मुझे पता नहीं था। जैसे ही मुझे पता चला, मैं आशीष के साथ फ़ौरन अपनी शूटिंग रोककर यहाँ आई हूँ!"
उसकी बातों को सुनकर रेहान को लगा जैसे वो तारा का अपमान करने की कोशिश कर रही है। ये सोचकर उसने गुस्से में कहा,
"तो क्या तुम तारा पर एहसान कर रही हो? और वैसे भी, तुम्हें देखकर तो नहीं लगता कि तुम शूटिंग से वापिस आई हो। तुम्हें देखकर तो ऐसा लगता है जैसे कहीं पार्टी से लौटकर आई हो।"
ये सुनने के बाद तो अनुष्का को अपनी बेइज़्ज़ती महसूस हुई। वो कुछ कहना चाहती थी कि तभी आशीष ने उसकी बात पूरी करते हुए कहा, "रेहान, ये तुम कैसी बात कर रहे हो? हाँ, वो तारा की बहन है। भला वो पार्टी क्यों करेगी जब तारा यहाँ हॉस्पिटल के बेड पर है? हाँ!"
ये सुनकर तारा ने आशीष की बात काटते हुए कहा, "ओह, तो ये शूटिंग से मेरे लिए यहाँ आई हैं?" ये सुनकर अनुष्का और आशीष को कुछ अजीब लगा, पर उन्होंने ज़्यादा ध्यान ना देते हुए कहा,
"हाँ, हम लोग सीधे शूटिंग से यहाँ आए हैं।" ये सुनकर तारा ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"ये पार्टी वाली ड्रेस में कब से शूटिंग होने लगी है?" ये सुनकर आशीष ने अपनी तेज आवाज़ में कहा,
"ये तुम कैसी बातें कर रही हो तारा! लगता है इस रेहान ने तुम्हें हमारे ख़िलाफ़ कोई उल्टी-सीधी बातें सिखा दी हैं!"
ये सुनकर तारा ने उसे डाँटते हुए कहा, "तुम दोनों को क्या? मैं कोई छोटी बच्ची दिखाई देती हूँ, जिसे कोई भी कुछ भी सुनाकर अपनी तरफ़ कर लेगा?"
ये सुनकर अनुष्का को मन ही मन तारा पर इतना गुस्सा आ रहा था कि उसका मन कर रहा था कि तारा का सिर फोड़ दे। लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी, वरना सारी प्रॉपर्टी उसके नाम नहीं होती। ये सोचकर उसने अपनी बेइज़्ज़ती पर अपने होंठों को सिकोड़ते हुए कहा,
"दीदी, हमारे कहने का वो मतलब नहीं था। तुम्हें नहीं पता दीदी, पर जब तुम्हारे साथ ये हादसा हुआ, उस वक़्त आशीष जीजू कितने ज़्यादा डर गए थे! और इन्होंने अपने हाथ में दिया रखकर संकल्प किया था कि जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जातीं, तब तक ये एक पैर पर खड़े होकर पूजा करेंगे!"
"तभी हमें आने में देर हो गई थी।" उसकी बात को सुनकर आशीष मन ही मन में ख़ुद से बोला, "वाह अनु बेबी! क्या चाल चली है तुमने!"
अनुष्का की बात सुनकर तारा ने कहा, "जीजू? ये आशीष जीजू कब से हो गए तेरे?"
ये सुनकर आशीष को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके चेहरे पर करारा थप्पड़ मारा हो! उसने एक फ़ेक स्माइल के साथ कहा, "तारा बेबी, ये तुम कैसी बातें कर रही हो? मानता हूँ कि जब तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ, वहाँ शूटिंग सपोर्ट में मैं वहाँ नहीं आ सका। लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी है कि तुम मुझसे इस तरह से बात करो!"
आशीष की बात सुनकर रेहान और पंछी दोनों, बाप-बेटी, ने कसकर तारा को पकड़ लिया। जैसे वो कहना चाहते हों, "ये हमारी है, सिर्फ़ हमारी!" तो दूर से ही बात करो! पर आशीष ने उन दोनों को इग्नोर करते हुए आगे कहा,
"तारा, तुम जानती हो, काजल, हमारी बेटी ने खाना-पीना छोड़ दिया है!"
"इसलिए प्लीज़, अब जल्दी से ठीक होकर मेरे साथ हमारे घर चलो!"
उसकी बात पर तारा ने अपने होंठों पर काटते हुए कहा, "बेटी?"
ये सुनकर आशीष ने खुश होते हुए कहा, "हाँ, हमारी बेटी, काजल!"
ये सुनकर तारा ने कुछ सोचते हुए कहा, "लेकिन मेरी बेटी तो बस मेरे पास है!"
ये सुनकर अनुष्का ने उसे भड़काने की कोशिश करते हुए कहा, "तारा, ये तुम कैसी बातें कर रही हो? हाँ!"
"काजल तुम्हारी और तुम्हारे प्यार की बेटी है, और ये एक नाजायज़ है।" ये सुनकर रेहान का मन किया कि वो उन दोनों का ख़ून कर दे। पर तारा के लिए वो ख़ामोश रहा!
क्योंकि वो तारा के सामने गुस्सा करके उसे और अपनी बेटी को डराना नहीं चाहता था!
और दूसरी बात, वो ये देखना चाहता था कि तारा इन दोनों को क्या जवाब देती है!
वहीं, तारा ने उसकी बातों पर ध्यान ना देते हुए कहा, "मेरी बेटी सिर्फ़ पंछी है। और दूसरी बात, काजल मेरी बेटी नहीं है, और ना ही हो सकती है। मेरा आशीष से तुम्हारे साथ मेरा कोई भी लेना-देना नहीं है। तो ये कहना बंद कर दो कि वो मेरी बेटी है।
मैं सिर्फ़ उसका ध्यान इस लिए रखती थी कि मैं नहीं चाहती थी उसके दिमाग़ में कोई ग़लत बातें घूमें या उसे ये लगे कि उसे कोई भी प्यार नहीं करता। लेकिन इन सब में मेरी बेटी मुझसे दूर होने लगी है। इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम दोनों यहाँ से चले जाओ!"
ये सुनकर अनुष्का ने धीमी आवाज़ में कहा, "ये सब तुम इन दोनों के कारण कर रही हो ना? रुको, मैं अभी इन दोनों को बाहर भेजती हूँ।" इतना बोलकर उसने रेहान और पंछी से आदेश देने के अंदाज़ में कहा, "तुम दोनों बाप-बेटी अब तक यहाँ बैठे हो? हाँ, निकलो यहाँ से। हमें अपनी दीदी से बात करनी है!"
"पता नहीं तुम दोनों बाप-बेटी कब पीछा छोड़ोगे मेरी दीदी का!"
ये सुनकर रेहान ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। ये देख आशीष ने गुस्से में आकर रेहान का कॉलर पकड़ना चाहा कि तभी तारा ने उन दोनों से कहा,
"लेकिन मुझे तुम दोनों से कोई बात नहीं करनी। तुम दोनों जा सकते हो यहाँ से।" ये सुनकर आशीष को ऐसा लगा जैसे उसके गालों पर किसी ने थप्पड़ मारा हो!
उसने गुस्से में आकर रेहान के कॉलर को पकड़ना चाहा कि तभी...
aaj बेदर्दी se pyaar ka nahi aayega
अनुष्का ने रेहान को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी तारा ने उसके हाथ को गुस्से से दूर करते हुए कहा, "Don't you dare! मिस सूर्यवंशी! मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं कि कोई मेरे अलावा मेरे पति और मेरी बेटी को हाथ लगाए। और दूसरी बात, तुम्हें जो भी बोलना है, इनके सामने बोलो।"
यह सुनकर अनुष्का को तारा पर बहुत गुस्सा आ रहा था, पर उसने जैसे-तैसे करके उसे कंट्रोल किया हुआ था। वहीं दूसरी तरफ, रेहान के दिल में एक खुशी की लहर दौड़ गई!
रेहान के दिल में तो जैसे कोई हिंदी सॉन्ग चलने लगा हो। आज पहली बार तारा ने खुद उसका साथ दिया था!
वहीं पंछी भी अब रेहान के सीने से निकलकर अपनी माँ के गुस्से वाले रूप को देख रही थी। पंछी ने धीमी आवाज़ में अपने पापा से कहा,
"पापा, ये बुली आंटी ने कल मेले में मारा था क्योंकि पंछी ने अपना डॉगी काजल को नहीं दिया था!"
ओह! पंछी बेबी को बहुत दर्द हुआ था। यह सुनकर अनुष्का के चेहरे पर पसीना आने लगा!
वह कुछ कहती, कि उससे पहले तारा ने अपनी तेज आवाज़ में पूछा, "तुमने मेरी बेटी को क्यों मारा? हाँ!"
यह सुनकर अनुष्का ने हकलाते हुए कहा, "नहीं दीदी, मैंने नहीं मारा। यह झूठ बोल रही है।" यह सुनकर पंछी ने गुस्से में मुँह फुलाते हुए कहा,
"ओह! पंछी बेबी झूठ नहीं बोलती। झूठ बोलना बुरी बात होती है। किसी ने समझाया नहीं क्या?"
फिर अपनी माँ की तरफ़ देखकर प्यार भरी आँखों से देखते हुए कहा,
"मम्मा, आप किसी से पूछ सकती हो। काजल को मेरा डॉगी पसंद आ गया था, तो इन्होंने मेरा डॉगी छीन लिया।" यह सुनकर तारा ने गुस्से में अपने सामने P.A. को कॉल करते हुए अनुष्का के सामने कहा, "जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी सूर्यवंशी परिवार में मेरी बेटी के जितने भी खिलौने पड़े हैं, सब के सब आज ही सिंह परिवार में शिफ्ट करवाओ। और हाँ, उसका डॉगी भी साथ होना चाहिए!"
यह काम एक घंटे पहले हमारे घर पहुँचने से पहले होना चाहिए। ऐसा बोलकर उसने कॉल काट दिया, कि तभी...
अनुष्का ने गुस्से से उस पर चिल्लाते हुए कहा, "दीदी! आप यह अच्छा नहीं कर रही हो। यह नाजायज है और वह काजल आपकी खुद की बेटी है!"
अपनी खुद की बेटी के साथ ऐसे कैसे कर सकती हो? यह सुनकर तारा ने नकली मुस्कान के साथ कहा,
"तुमने अभी वह रिपोर्ट नहीं पढ़ी जिसने साफ़-साफ़ बताया है कि काजल मेरी बेटी है ही नहीं!"
और मुझे उससे खिलौने छीनने का कोई शौक नहीं, बल्कि मैंने वही वापस लिया है जिस पर मेरी बेटी का हक़ है!"
तारा की बात को सुनकर रेहान ने शांति से उसे समझाते हुए कहा,
"तारा, पहले शांत हो जाओ। तुम इतना गुस्सा करने की कोई बात नहीं। डॉगी के अलावा जितना भी सामान है, वह वहीं रहने दो! हम पंछी के लिए कुछ और नए खिलौने ले आएंगे।" यह सुनकर पंछी ने भी कहा,
"मम्मा, पापा बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। मैं नए खिलौने ले लूँगी!"
"और वैसे भी, वो अब गंदे हो चुके हैं!"
यह सुनकर तारा ने डेविल स्माइल के साथ अनुष्का से कहा, "मेरी बेटी और पति ने जो कहा, वही होगा अब!"
वो खिलौने काजल रख सकती है। हर साल हम इतने गरीब बच्चों को खिलौने देते हैं, उसमें काजल को भी दान दिए ऐसा सोचेंगे!
फिर उसने अनुष्का और उसके बॉयफ्रेंड आशीष से कहा, "वो अब तुम दोनों का हो गया है, तो तुम दोनों जा सकते हो यहाँ से!"
वो मुझे अपनी बेटी और पति के साथ क्वालिटी टाइम बिताना है। यह सुनकर अनुष्का और आशीष को बहुत गुस्सा आ रहा था, पर वे और ज़्यादा इंसल्ट नहीं सह सकते थे!
अनुष्का ने मासूम बनते हुए कहा, "अच्छा दीदी, हम अब चलते हैं।" यह सुनकर तारा ने उन दोनों को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया और अपनी बेटी और अपने पति के साथ मस्ती करने लगी!
पर वहीं वे दोनों गुस्से से उन तीनों को देखते हुए वहाँ से चले गए! उनके जाने के बाद तारा ने रेहान से कहा, "रेहान, मुझे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कब मिलेगा?"
मैं यहाँ का खाना खाने के बाद पागल हो जाऊँगी। यह सुनकर रेहान ने मुस्कुराकर कहा, "आज ही मिल जाएगा!"
वैसे भी मैं और मेरी बेटी भी थक चुके हैं हॉस्पिटल में अपने ऑफिस और स्कूल का काम करते हुए। यह सुनकर तारा ने अपनी आँखें बड़ी करते हुए कहा,
"रेहान, आप और पंछी पिछले कुछ दिनों से ऑफिस और स्कूल नहीं गए, मेरे कारण।" ऐसा कहते हुए उसकी आँखें भर आई थीं!
यह देखकर रेहान ने उसे डाँटते हुए कहा, "छोटी गिलहरी, खबरदार! जो ऐसी बातें तुम्हारे मुँह में आईं, तो... अगर मैं बीमार होता, तो तुम भी तो मेरा इतना ही ख्याल रखती!"
यह सुनकर तारा की आँखों से आँसू बहकर रेहान की शर्ट भीगाने लगे!
उसने रोते हुए कहा,
"मैं न तो एक अच्छी माँ और न तो एक अच्छी बेटी बन पाई, रेहान जी!"
यह सुनकर रेहान ने उसके आँसू साफ़ करते हुए कहा,
"नहीं, तुम एक अच्छी माँ और एक अच्छी पत्नी नहीं हो..." यह सुनकर तारा अविश्वास से उसे देखने लगी, तो रेहान ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा,
"तुम उससे भी ज़्यादा अच्छी हो। देखो, सब लोग जहाँ अपने बारे में सोचते हैं, वहीं तुम सबके बारे में सोचती हो। और मैं बड़े प्राउड से कह सकता हूँ, that you are my wife!"
रेहान का साथ देते हुए पंछी ने कहा, "ऐसी मम्मा, आप इस दुनिया की सबसे बेस्ट मम्मा हो!"
"मेरी मम्मा एक सुपरहीरो है!"
रेहान ने कहा, "ठीक है, ठीक है। तुम दोनों बातें करो। मैं अभी डिस्चार्ज पेपर रेडी करवा के आता हूँ।" इतना बोलकर रेहान चला गया!
उसके जाने के बाद पंछी ने तारा से कहा, "मम्मा, वैसे आपको चोट कैसे लगी? पापा बोल रहे थे कि आपने एक बड़े मोस्टर को मारा था!"
"मम्मा, सच में वो मोस्टर इतना बड़ा था क्या?"
वहीं दूसरी तरफ, अनुष्का और आशीष सोफ़े पर बैठकर नफ़रत से तारा के द्वारा इस तरह बेइज़्ज़त किए जाने पर गुस्से में थे! अनुष्का ने गुस्से में तेज आवाज़ में कहा, "मुझे समझ नहीं आता, यह तारा का नेचर इतना कैसे बदल गया!" जो लड़की रेहान और अपनी बेटी से नफ़रत करती थी, वो आज इतना प्यार कैसे लुटाने लगी!
यह सुनकर आशीष ने कुछ सोचकर खुश होते हुए कहा,
"मैं सब समझ गया, वो क्यों ऐसे कर रही है!"
आशीष को खुश होते हुए देख, अनुष्का ने ना समझते हुए कहा, "तुम्हें सब पता चल रहा है? वो ऐसा क्यों कर रही है?" यह सुन आशीष ने हाँ में जवाब देते हुए कहा, "हाँ!"
उसकी हाँ को सुन अनुष्का ने अपने हाथ में विस्की का ग्लास लेते हुए कहा, "तो जब तुम्हें सब समझ आ गया है, तो मुझे भी समझाओ!"
यह सुन आशीष ने खुश होते हुए कहा, "तुम्हें पता है मेरी एक डायरी काफ़ी दिनों पहले गायब हो गई थी!"
यह सुन अनुष्का ने विस्की पीते हुए, अजीब सा मुँह बनाते हुए कहा, "हाँ, जानती हूँ। और तुम उस डायरी को लेकर काफ़ी परेशान भी हुए। यहाँ तक उस सो-कॉल्ड डायरी के लिए मेरे से झगड़ा तक किया!"
यह सुन आशीष ने गिल्टी होते हुए कहा, "तुम नहीं जानती वो डायरी मेरे लिए क्या है?"
उसकी बातों में इंटरेस्ट ना लेते हुए अनुष्का ने कहा, "मुझसे बेहतर कौन जान सकता है ये बात?"
फिर उठते हुए उसने कहा, "अब बीच में यहाँ डायरी की बात कहाँ आ गई?" यह सुन आशीष ने डेविल स्माइल के साथ कहा,
"मुझे लगता है वो डायरी कहीं खो गई!"
यह सुन अनुष्का ने हल्के गुस्से से कहा, "तुम यूँ बात को गोल-गोल क्यों घुमा रहे हो?" यह सुन आशीष ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर उसे शांत करते हुए कहा,
"बेबी, तुम समझी नहीं मेरी बात को। डायरी, मुझे लगता है वो तारा के पास होगी। और तारा के पास होने का मतलब है कि उसे मेरे बारे में सब कुछ पता चल गया है!"
यह सुन अनुष्का ने घबराते हुए कहा, "व्हाट नॉनसेंस, आशीष! अगर उसे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता चल गया है, तो वो हमारे प्लान के बारे में भी जानती होगी। इसलिए शायद वो दूर रहने की कोशिश कर रही हो!" यह सुन आशीष ने कहा, "नहीं!"
"मैं तुम्हें क्या इतना पागल दिखता हूँ जो ऐसी बातें एक मामूली सी डायरी में लिखूँ? दरअसल उस डायरी में मैंने ये लिखा था कि 'मुझे ऐरोगेंट टाइप की लड़कियाँ पसंद आती हैं, जो थोड़ी रूड हों।'"
"मुझे लगता है उसने वो डायरी पढ़ी होगी, तभी ऐसा कर रही है। नहीं तो तुम खुद ही सोचो, जो लड़की रेहान और अपनी बेटी पंछी का सुनकर ही गुस्से से लाल हो जाती है, वो इतने प्यार से बात करे? ये बात कुछ हजम नहीं हो रही!"
"मुझे लगता है वो मुझे जलूस फील करवाने के लिए ये सब कर रही है। पर उसे भी ये बात पता होना चाहिए कि वो चाहे जितनी भी कोशिश कर ले..."
"मेरे दिल में जो जगह मेरी अनुष्का बेबी की है, वो कोई भी नहीं ले सकता।" इतना बोल आशीष ने अनुष्का की कमर में हाथ डालते हुए कहा,
"क्यों बेबी, मैंने सही कहा ना?"
अनुष्का ने अपनी दोनों बाहें उसकी गर्दन में डालते हुए कहा, "ऑफ़कोर्स बेबी! कल उस तारा को भी पता चल जाएगा कि तुम उससे नहीं, बल्कि मुझसे प्यार करते हो।" यह कहते हुए उसकी आँखों में तारा के लिए नफ़रत साफ़ देखी जा सकती थी!
वहीं दूसरी तरफ़, हॉस्पिटल में तारा अपनी बेटी के साथ बैठी थी। तभी रेहान ने खाने की प्लेट ले आते हुए कहा,
"तुम दोनों पहले कुछ खाना खा लो, फिर चलते हैं।" यह सुन तारा ने मना करते हुए कहा, "नहीं, रेहान, मुझे नहीं खाना!"
यह सुन पंछी ने धीमी आवाज़ में रेहान से कहा,
"पापा, मम्मी तो छोटी बच्ची की तरह ज़िद करती है।" यह सुन रेहान को भी हँसी आ गई और उसने भी धीरे से कहा, "हाँ, बिल्कुल! मुझे भी यही लगता है। ये एक छोटी ज़िद्दी बच्ची है!"
अपने पापा की बात को सुन पंछी हँसने लगी। उन दोनों बाप-बेटी की हँसी को देख तारा ने मुँह फुलाते हुए कहा,
"तुम दोनों बाप-बेटी को बड़ी हँसी आ रही है, हाँ!" फिर रेहान को देख अपनी आँखें छोटी करते हुए कहा,
"और आप, रेहान? वो तो छोटी बच्ची है, और आप...आपको भी मैं एक छोटी बच्ची दिखाई देती हूँ!"
यह सुन रेहान ने बेचारा बनते हुए कहा, "हाँ, अब तुम खुद ही देखो, बच्चों जैसे मुँह फुला के बैठी हो, खाना खाने के लिए मना कर रही हो!"
"और मैं किसी आया की तरह तुम्हारे आगे-पीछे घूम रहा हूँ। खा लो बेटा खाना! अब इसमें तुम्हें छोटी बच्ची नहीं कहूँ, तो क्या कहूँ?"
यह सुन तारा ने खाने की प्लेट लेते हुए कहा, "ठीक है, बाबा! अब आप इतना बोल रहे हो तो खा लेती हूँ।" ऐसा बोल उसने उन दोनों बाप-बेटी को देखा जो कब से उसे घूर रहे थे!
क्योंकि तारा ने अजीब सा फ़ेस बना हुआ था। क्योंकि खाना उसे बिना मसाले का मिला था, तो वो तारा की पसंद का तो बिल्कुल भी नहीं होगा!
उस खाने से रेहान और पंछी को बिल्कुल भी प्रॉब्लम नहीं थी, क्योंकि वो दोनों ऐसे ही सिम्पल खाना खाते थे। तारा ने मन में कहा, "दोनों बाप-बेटी एक जैसे हैं! अब मुझे एक बेबी बॉय चाहिए जो मेरी साइड ले!" इतना सोच वो जैसे ही खुश हुई, तभी रेहान की आवाज़ उसके कानों में गूँज उठी, "सोचना भी मत! अभी मेरी रूही छोटी बच्ची है। इसे बड़ा होने दो, फिर तुम कहो तो पूरी क्रिकेट टीम खड़ी कर देना!"
इतना बोल उसने तारा को आई-ब्लिंक कर दी। उसकी बातों को सुन तारा ने जल्दी-जल्दी में खाना शुरू कर दिया!
वहीं रेहान ने उसके पास बैठते हुए कहा, "धीरे से खाओ, छोटी गिलहरी!"
तभी एक नर्स ने आकर तारा की दवाई देते हुए कहा, "ये लीजिए मैम, आपकी दवाई!"
तारा ने वो दवाई खाई और फिर ग्लास देने के लिए जैसे ही उसने नर्स को देखा, तो पाया वो रेहान को ही कैसे ताड़ रही है। यह देख उसने धीरे से कहा,
"हॉट है ना!"
यह सुन नर्स ने बेखयाली से कहा, "हाँ, बहुत!"
तारा ने फिर अपनी तेज आवाज़ में कहा, "जहाँ तुम देख रही हो, वो पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं, बल्कि प्राइवेट प्रॉपर्टी है। और उसे ऐसे देखने का हक़ सिर्फ़ मेरा है!"
यह सुन नर्स ने हकलाते हुए कहा, "सॉरी मैम!" इतना बोल वो नर्स वहाँ से भाग खड़ी हुई!
उसके जाने के बाद रेहान तारा में ही खोया हुआ था कि तारा की गुस्से भरी आवाज़ उसके कान में आकर पड़ी! "बड़ा शौक है ना आपको अपनी ये चेस्ट लड़कियों को दिखाने का! घर चलो, फिर बताती हूँ तुम्हें, रेहान!"
रेहान ने जैसे ही ये बातें सुनी, वो हकलाते हुए बोला, "वो नहीं... मेरा मतलब है, छोटी गिलहरी...वो जब खाना लेकर आ रहा था, तब उसकी शर्ट का बटन टूट गया था। नहीं तो तुम्हें तो पता ही है, मेरा..."
"अच्छा, मैं कुछ बात करके आता हूँ। अभी बस 5 मिनट।" यह सुन तारा ने उसे घूरते हुए कहा, "ओके, जाओ। पर डॉक्टर लेडी है क्या?"
यह कहते हुए तारा किसी सीआईडी ऑफ़िसर और रेहान किसी क्रिमिनल की तरह लग रहा था!
रेहान ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, वो एक मेल डॉक्टर है।" यह सुन तारा ने कहा, "ठीक है, जाओ। पर जल्दी आना।" यह सुन रेहान जाने को ही मुड़ा था कि तभी तारा ने कहा,
"पर हाँ, यहाँ की छिपकलियों से दूर रहना, रेहान।" उसकी बात पर मुस्कुराते हुए वो चला गया!
उसके जाने के बाद तारा ने कहा, "ये स्माइल करके क्यों गया? कहीं सच में तो नहीं इन्हें कोई पसंद आ गई हो? और ये बार-बार उससे मिलने जाते हो!" ऐसा बोल तारा ख्यालों में खो गई, जहाँ तारा ने अपने हाथ में खाने की प्लेट लिए किसी दासी की तरह खड़ी थी, वहीं पंछी एक सेविका की तरह पंखा झोल रही थी, और सामने...
तारा ने देखा कि वह हाथ में फल, एक कटोरी में लिए, खड़ी है, और उसकी बेटी पंखा झोल रही है। सामने, एक लड़की, जिसने हाई हील्स के साथ शॉर्ट ड्रेस (पार्टी टाइप की) पहनी हुई थी, रेहान के साथ किसी रानी की तरह बैठी थी।
रेहान भी उसे बड़े प्यार से देखते हुए बोला, "आई लव यू, हनी! अब हमें एक होने से कोई नहीं रोक सकता।" ये देख उस लड़की ने मासूम बनते हुए कहा, "पर रेहान, ये तारा और उसकी बेटी..."
ये सुनकर रेहान ने मुँह मोड़ते हुए कहा, "नहीं, तुम इन दोनों की फ़िक्र मत करो। जैसे ही हम दोनों शादी करेंगे, वैसे ही इन दोनों माँ-बेटी को यहाँ से धक्के मारकर बाहर निकाल दूँगा!"
ये सुनकर उस लड़की ने कहा, "नहीं रेहान, तुम इन्हें अभी बाहर निकालो! मेरे को ये दोनों माँ-बेटी एक फूटी आँख भी पसंद नहीं!"
ये सुनकर रेहान ने कहा, "मेरी जान ने कहा है, तो उसकी हर विश तो मुझे पूरी करनी ही होगी।" इतना बोलकर उसने बॉडीगार्ड से तेज आवाज़ में कहा, "इन दोनों माँ-बेटी को बाहर निकालो यहाँ से!"
ये सुनकर तारा रोते हुए बोली, "नहीं! तुम हम माँ-बेटी के साथ ऐसा नहीं कर सकते! हमारा क्या होगा? मत करो रेहान, ऐसा!"
तभी पंछी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "मम्मी..." जैसे ही उसने अपनी बेटी पंछी का हाथ देखा, उसने अपनी बेटी को गले से लगाते हुए कहा, "रूही बेटा, तुम फ़िक्र मत करो, मम्मा कुछ नहीं होने देगी तुम्हें। कोई बात नहीं, अगर रेहान ने हम दोनों को छोड़ दिया..." तारा बेख़याली में बोल रही थी।
तभी पंछी ने अपनी क्यूट सी वॉइस में कहा, "ओह, फ़ॉर मम्मा! आप क्या बोल रही हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है!"
ये सुनकर तारा ने जब गौर किया, तो पाया कि वह इस वक़्त हॉस्पिटल के बेड पर थी। ये देख उसने अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा, "मैं भी ना! पता नहीं क्या सोच रही थी।" इतना बोलकर उसने अपनी बेटी की तरफ़ देखा, जो कब से उसे ही देख रही थी।
ये देख तारा ने उसके गालों को पकड़कर खींचते हुए कहा, "मेरी छोटी गुड़िया, क्या देख रही हो ऐसे?"
ये सुनकर पंछी ने बड़े मासूमियत से जवाब दिया, "मैं ये देख रही थी कि आप ज़्यादा क्यूट हो या मैं! आप मेरे पल गए, या मैं आप पल गई हूँ!"
ये सुनकर तारा ने उसके गालों पर किस करते हुए कहा, "तुम मेरी और रेहान की बेटी हो, तो तुम्हें तो क्यूट होना ही था। अब चलो, रेहान कहाँ पर रह गया? अभी पाँच मिनट से ज़्यादा टाइम हो गया है। चलो देखते हैं रेहान को।" इतना बोलकर वो जैसे ही रूही को अपने साथ ले जाने को हुई, तभी रूही ने कहा, "अरे मम्मा, सैंडल तो पहन लो!"
ये सुनकर तारा ने अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा, "मैं भी ना!" इतना बोलकर उसने अपने पैरों में चप्पल पहनी और पंछी को अपने साथ लिए जाने लगी। तभी अपने सामने का दृश्य देख उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। तारा ने कहा, "अभी बताती हूँ इनको मैं!"
सॉरी, आज छोटा चैप्टर दे रही हूँ, पर आई प्रॉमिस, कल बड़ा दूँगी। तो उसके लिए सॉरी!
तारा, अपनी बेटी पंछी के साथ, रेहान को ढूँढने बाहर आई तो उसने देखा कि रेहान हॉस्पिटल के बोर्ड के बाहर एक लड़की से बात कर रहा था।
रेहान का ध्यान उस लड़की पर नहीं था, पर वह लड़की पूरी तरह से रेहान पर केंद्रित थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "प्रेसिडेंट! आप यहाँ हॉस्पिटल में? आप ठीक तो हैं ना?"
रेहान ने, बिना उस पर ध्यान दिए, कहा, "हाँ! मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मेरा एक खास शख्स यहाँ एडमिट है।"
जैसे ही उस लड़की ने यह बात सुनी, उसके चेहरे के भाव थोड़े जलन भरे हो गए, पर उसने अपनी जलन को छिपाने की कोशिश करते हुए कहा, "और वह खास शख्स कौन है? क्या वह कोई लड़की है?"
रेहान उसका जवाब देने ही वाला था कि तभी उसने तारा और पंछी को देखा जो उसकी ओर आ रही थीं।
तारा ने पंछी से कुछ कहा। उसकी बातें सुनकर पंछी ने धीरे से कहा, "ओके, मॉम।" ऐसा बोलकर वह भागती हुई उन दोनों के पास पहुँच गई। तभी उस लड़की ने छोटी सी बच्ची को देखा और क्यूट बनने की कोशिश करते हुए कहा, "छोटी बच्ची, यह जगह बच्चों के खेलने का कोई पार्क नहीं है, यह हॉस्पिटल है!" और फिर उसने पंछी को रेहान से दूर करते हुए कहा, "प्रेसिडेंट को बिल्कुल भी पसंद नहीं जब कोई उन्हें परेशान करता है।" पंछी कुछ बोलना चाहती थी कि तभी पीछे से आती हुई तारा की आवाज़ ने उसे रोक दिया। "ओह, लगता है आप कुछ ज़्यादा ही अच्छी तरह जानती हैं।" यह सुनकर वह लड़की कुछ बोलती, इससे पहले ही तारा ने ड्रामा करते हुए रेहान की तरफ़ देखते हुए कहा, "आह... हब्बी, मेरे पैरों में दर्द होने लगा है। मैं अब और खड़ी नहीं रह पाऊँगी। मुझे चक्कर आ रहे हैं!"
इतना बोलकर उसने गिरने का नाटक किया। तभी अचानक रेहान ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी बाहों में उठा लिया। वहीं नीचे पंछी ने अपनी मीठी आवाज़ में कहा, "पापा, मुझे भी उठाओ। पंछी बेबी को भी थकान हो गई है।" ऐसा बोलते हुए पंछी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए।
रेहान ने फिर एक हाथ से पंछी को उठाया और पंछी और तारा दोनों को एक साथ अपनी बाहों में उठाकर वहाँ से जाने लगा।
वह लड़की रेहान को जाते देख मन में खुद से बोली, "ये तो मिस तारा सूर्यवंशी थी ना! पर ये मिस्टर सिंह के साथ कैसे?"
ऐसा बोलकर जैसे ही उसने रेहान की तरफ़ देखा, तो पाया कि तारा और उस छोटी सी बच्ची ने उसे जीभ दिखाकर चिढ़ाना शुरू कर दिया, जैसे वे कह रही हों कि रेहान से दूर रहो, वह सिर्फ़ मेरा है!
हॉस्पिटल के बाहर आते ही रेहान ने कहा, "ये क्या था, छोटी गिलहरी?"
यह सुनकर तारा ने अपनी बाहें रेहान के गले में लपेटते हुए, अनजान बनते हुए कहा, "क्या था, रेहान जी ये?"
रेहान ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा, "वही जो आपने मेरी पीठ पीछे किया। आई मीन, उसे चिढ़ाने के लिए।"
यह सुनकर तारा नाराज़ होते हुए बोली, "अच्छा, तो आपको बुरा लगा कि मैंने उसके सामने आपको उठाने को कहा?"
"छोटी गिलहरी, बात वह नहीं है," रेहान ने उसे रोकते हुए कहा।
"तो क्या बात है, रेहान?" तारा ने शक भरी नज़रों से कहा।
उस पर रेहान ने कहा, "बात बस इतनी सी है कि मैं नहीं चाहता कि मेरे किसी दुश्मन को तुम दोनों के बारे में पता चले।"
रेहान की बात सुनकर तारा को अपनी गलती का एहसास हुआ। आखिर पिछले जन्म में भी वह यही करती थी रेहान के साथ!
उसने पहले क्यों नहीं सोचा कि रेहान के दुश्मन उसे कमज़ोर करने के लिए उसका और उसकी बेटी को अपना निशाना बनाएँगे?
यह सोचकर उसने रेहान से कहा, "सॉरी, हब्बी। आज के बाद ऐसा फिर कभी नहीं होगा।" रेहान ने तारा की तरफ़ देखा जिसने अपने दोनों हाथों से अपने दोनों कानों को पकड़ते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, हब्बी!"
वहीं उसकी देखादेखी उसकी बेटी पंछी ने भी कहा, "हाँ, पापा। पंछी बेबी को भी माफ़ कर दो!"
"पंछी बेबी भी एक गुड गर्ल है तो! अगर आपने माफ़ नहीं किया तो पंछी बेबी को हर्ट होगा!"
"तो बेबी को हर्ट होगा तो पंछी बेबी रोएगी!"
"बेबी रोएगी तो मम्मा भी रोएगी!"
इतना बोलकर पंछी चुप हो गई। रेहान ने अपनी बेटी को देखा जो दिखने में भले ही 6 साल की थी पर उसकी बातें 50 साल के आदमी जितनी थीं!
रेहान ने मन में खुद से कहा, "ये मेरी ही बेटी है ना?" फिर उसने उन दोनों माँ-बेटी को देखा जो उसे ही देख रही थीं। यह देखकर उसने धीरे से खुद से कहा, "ये दोनों माँ-बेटी पहले खुद गलती करती हैं, फिर जब इन्हें समझाने की कोशिश करता हूँ तब ये ऐसे रोने लग जाती हैं!"
रेहान ने उन दोनों को चुप कराते हुए प्यार से कहा, "मैं तुम दोनों से गुस्सा नहीं हूँ। हाँ, अब तुम दोनों चुप हो जाओ! तुम दोनों के लिए एक सरप्राइज़ है।"
यह सुनकर तारा और पंछी ने एक साथ कहा, "क्या? हम दोनों के लिए आपने सरप्राइज़ प्लान किया है? क्या है वह सरप्राइज़? मैं पहले ही बोल रही हूँ, रेहान, अगर आपने मेरी माँ और मेरी छोटी बहन को बताया होगा ना तो देख लेना फिर!"
रेहान ने उससे डरते हुए कहा, "वो मैंने उन्हें भी बुलाया है।" इतना बोलकर उसने अपनी आँखें डर से बंद कर लीं तो तारा ने उसके गालों पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा, "कोई बात नहीं। अब तुमने उन्हें बुला ही दिया है तो अब मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ना उन्हें शॉक देने का! तुम बस देखते जाओ आगे आगे होता क्या है?"
वहीं दूसरी तरफ़, एक 50 साल की औरत गुस्से से अपने सामने खड़े आशीष और अनुष्का से कह रही थी, "तुम दोनों से एक भी काम ठीक से नहीं हुआ। हाँ करते क्या रहते हो तुम दोनों! तुम दोनों लैला-मजनू की जोड़ी मेरे किसी काम के नहीं!" इतना बोलकर उसने ज़ोर से एक फ़्रेम को उठाकर नीचे जमीन पर फेंक दिया। "अगर आज तुम लोगों ने कमेंट नहीं किया तो कल का चैप्टर भूल जाओ।"
रेहान तारा के साथ जैसे ही अपने घर पहुँचा, उसने अपनी बेटी पंछी से अपनी आँखों में इशारा करते हुए कुछ कहा। जिसके बाद उसकी बेटी भागकर बाहर गई और एक पट्टी लेकर रेहान के पास आई।
जिसे लेकर रेहान ने उसके गाल पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा, "थैंक्स, रूही बेटा!"
तारा ने उन दोनों बाप-बेटी को देखा जो उसे पूरी तरह से इग्नोर कर रहे थे। तारा ने यह देख उन दोनों को गुस्से में घूरते हुए कहा, "ये तुम बाप-बेटी में कैसी खिचड़ी पक रही है, हाँ!"
यह सुन रेहान ने अपनी स्माइल छिपाते हुए कहा, "वो हम बाप-बेटी का टॉप सीक्रेट है!"
यह सुन तारा का गुस्से में मुँह बन गया। पर रेहान को उसे ऐसे देख बहुत प्यार आ रहा था, पर अफ़सोस वह उसे कुछ नहीं बोल सकता था, क्योंकि अगर उसने कोशिश भी की, तो तारा उसे छोड़ने वालों में से नहीं थी।
यह सोच उसने तारा की आँखों पर पट्टी बाँधने के बाद उसका हाथ पकड़कर कहा, "मेरे साथ चलो। तुम्हारा सरप्राइज़ तुम्हारा वेट कर रहा है।" यह सुन तारा खुशी से बोली, "अब जल्दी से दिखा भी दो, रेहान। वो क्या सरप्राइज़ है? तुम कहो तो मैं अपनी पट्टी हटा दूँ।" यह सुन रेहान और पंछी ने एक साथ कहा, "बिल्कुल भी नहीं!"
उसके बाद पंछी ने कुछ सोचते हुए अपनी मीठी आवाज़ में कहा, "पापा, मम्मी चीटिंग कर सकती है, इसलिए आप पंछी बेबी को अपनी गोदी में ले लो, ताकि पंछी बेबी मम्मा पर नज़र रखेगी!" अपनी बेटी की बातों को सुन तारा ने मुँह फुलाते हुए कहा, "दोनों बाप-बेटी एक जैसे हो!"
यह सुन पंछी ने कहा, "पल मम्मा, मैं तो आपकी भी पंछी हूँ।" यह सुन तारा ने कहा, "हाँ हाँ, जानती हूँ। तुम मेरी परछाई हो!"
रेहान ने तारा से कहा, "बस छोटी गिलहरी, तुम्हारा वेट अब ख़त्म हुआ।" इतना बोल रेहान ने अपने विला का दरवाज़ा खोला और उसकी आँखों से पट्टी हटा दी। जिसके बाद जोरों की आवाज़ आई, "वेलकम होम, छोटी गिलहरी!"
यह सुन तारा ने जब अपनी आँखें खोली और सामने देखा, तो पाया रेहान ने उसके लिए पूरा विला गुलाब के फूलों से तैयार किया था। और छोटी से छोटी लाइट पर भी फूलों से सजाया गया था। और विला के अंदर तारा के फादर साहिल सूर्यवंशी और उसकी माँ रोहिणी और उसकी छोटी बहन अनुष्का और आशीष खड़े थे। साथ ही में रेहान की सौतेली माँ और बड़ा भाई अनूप सिंह भी खड़ा था। उसी के साथ तारा के कुछ कॉलेज टाइम के दोस्त भी थे। कुल मिलाकर यहाँ फैमिली के ही कुछ गिने-चुने लोग थे।
तारा ने जब उन सब की तरफ़ देखा, तो उसके दिल में एक दर्द की लहर दौड़ पड़ी।
sorry aaj ka chpter chota hai bhut par socha tha tum logo ko bda chpter dungi par ab humare yha ka mosam khrab ho gya tufan aaya hai or बिजली bhi चमक rshi hai or tum logo ko pta hi hoga mummy logo ka agar ese mosam me फोन dekhe to kitna sunate hai or phone bhi le leti hai इसलिए 🥲😮💨 kal bda chpter dungi tum logo ko km se km kl कोशिश karunvi ki 2k ka ho ya 1500 ka or dusri story vo ab main nahi लिखूँगी kyoki us par koi repons nahi mila tum logo ka
तारा ने जैसे ही अपने पापा को देखा, वो इमोशनल हो गई! उसकी पिछली ज़िंदगी में उसकी खुद की माँ ने उसके पापा को ज़हर दिया था और फिर अपने आशिक़ से शादी कर ली थी! तारा को उन लोगों को देखते हुए घिन आ रही थी! पिछले जन्म में उसने अपनी माँ के प्यार को पाने के लिए अपने पिता, अपने पति और यहाँ तक कि अपनी बेटी तक को हर्ट किया, पर अंत में उसे क्या मिला? सिर्फ़ नफ़रत! उसके पिछले जन्म में उसे उसकी माँ ने ये बताया था कि वो किसी और से प्यार करती थी, पर उसके पापा ने उनके साथ ज़बरदस्ती शादी की, जिसका नतीजा वो थी! पर अनुष्का उनके उसी प्यार की बेटी थी, इसलिए वो उससे प्यार करती थी! उसे एंड टाइम में पता चला क्यों उसके पिता ने अपनी सारी प्रॉपर्टी उसके नाम कर दी थी! पर अपनी माँ के प्यार को पाने के लिए तारा ने अपना सब कुछ अपनी माँ को दे दिया, पर अब, अब वो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने देगी!
तारा ने जैसे ही अपने पापा को देखा, तो वो रेहान से अपना हाथ छुड़ाकर अपने पापा के गले लग गई और उसने रोते हुए कहा, "आई एम सॉरी पापा! प्लीज़ फॉरगिव मी। मुझे पता है मैंने आपका दिल दुखाया है, पर क्या आप अपनी बेटी को अपनी गलतियाँ सुधारने का एक मौका दोगे?"
ये सुन उसके पापा ने रेहान की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "दामाद जी ने कुछ कहा क्या?"
ये सुन तारा ने अपने आँसू साफ़ करते हुए कहा, "नहीं, पर मुझे अब एहसास हो रहा है कि मैं कितनी बड़ी पागल और बेवकूफ़ थी! जिसने सच देखने पर भी अपनी आँखों पर पट्टी बाँध रखी हुई थी, लेकिन अब वो पट्टी हट चुकी है! रेहान मेरे पति है और मैं उनसे और अपनी बेटी से बहुत प्यार करती हूँ!"
रेहान और पंछी, जो उनसे कुछ कदम की दूरी पर थे, वो उन लोगों के पास आने लगे! ये देख तारा की माँ ने मुँह बनाते हुए कहा, "वो जो भी हो, लेकिन है तो एक पागल! आपने अपनी बेटी की शादी एक पागल से करवा दी!"
ये सुन तारा के पिता ने उसे गुस्से में डाँटते हुए कहा, "बस करो रोहणी! रेहान अब ठीक है, अच्छा-खासा। उसने खुद का नाम बनाया है इस बिज़नेस वर्ल्ड में! और तुम क्या बोल रही हो?"
ये सुन रेहान उन लोगों की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। तभी रोहणी जी ने आगे कहा, रेहान को देखते हुए उसे ताना मारते हुए कहा, "वो जो कुछ भी हों, लेकिन मेरी नज़रों में रेहान एक पागल था, है और हमेशा रहेगा! आप भी जानते हैं ये बात!"
वहीं रेहान ने जैसे ही खुद के लिए "पागल" सुना, तो रेहान पूरी तरीके से टूट गया था, पर जैसे-तैसे उसने तारा की खुशी के लिए वहाँ खुद को संभाल रखा था!
वहीं तारा ने जैसे ही उनके मुँह से रेहान के लिए "पागल" सुना, उसने नफ़रत से अपनी माँ से कहा, "मिसेज़ सूर्यवंशी, आप भूल रही हैं, वो रेहान जिसके बारे में ये ग़लत बातें कर रही हैं, वो कोई और नहीं, बल्कि मेरे पति हैं! ज़रा रिस्पेक्ट देकर बात कीजिए और ये बात भूलिए मत कि ये जो आप आज इतने बड़े विला में आई हैं, वो भी उनका ही है!"
वहीं रेहान और पंछी उनके पास आ खड़े हो गए। ये देख तारा की माँ ने ताना मारते हुए कहा, "लो आ गए पागल महाराज!"
ये सुन रेहान को अब बुरा नहीं लगा था, क्योंकि कहीं ना कहीं वो ये बात जानता था कि उसकी सास उसे पसंद नहीं करती। पर अब जब उसने तारा के मुँह से अपने लिए स्टैंड लेता देखा, तो उसे खुशी हो रही थी और कहीं ना कहीं एक सुकून मिलने लगा कि तारा आखिरकार उसे अपना पति मान ही लिया!
तारा की माँ की बात सुन पंछी ने अपनी मीठी आवाज़ में कहा, "मेरे पापा पागल नहीं हैं, बूढ़ी नानी! दरअसल, पंछी ने शुरू से ही, जब वो दो साल की थी, तब से अपनी नानी को उसके पिता के साथ ग़लत बर्ताव करते देखा था! और आज उसे जब वो थोड़ी बड़ी हुई, तो उसे अपनी नानी की बातें अच्छी नहीं लगीं। तो उसने उन्हें मुँहतोड़ जवाब देते हुए आगे कहा, 'मेली टिलच जी कहती हैं जो दूसरे को इन्सल्ट करता है और उन्हें पागल कहता है, असल में वो खुद पागल होता है! और नानी, आप ना अब बूढ़ी हो गई हो, तभी तो आपको पता नहीं चल रहा कि मेरे पापा दुनिया के बेस्ट पापा और वो इतने बड़े कंपनी के मालिक भी हैं।' ये लास्ट लाइन उसने पूरे नटखट तरीके से कही थी!"
सभी लोग उसे बोलता देख हैरान ही हो गए थे, क्योंकि वो बहुत कम बोलने वालों में से थी। आज से पहले उसने अपने पापा के लिए कभी नहीं बोला, पर आज जब बोला, तो सबको शॉक लग गया!
तारा की एक दोस्त, रावी ने अपने बॉयफ्रेंड निशांत से कहा, "निशांत, क्या हम लोग कोई सपना तो नहीं देख रहे?"
ये सुन निशांत ने कहा, "बिल्कुल नहीं, ये सपना नहीं, बिल्कुल सच है!"
ये सुन उसने बेख़याली से कहा, "लेकिन मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा, ये सच है!"
ये सुन निशांत ने उसकी कमर में ज़ोर से चुटकी काटी, जिसे देख रावी की हल्की सी चीख़ निकल गई!
ये देख रावी ने अपने नाखून उसके हाथ में मारते हुए कहा, "कमीने, इतनी ज़ोर से क्यों काटी चुटकी?"
ये सुन निशांत ने अपनी धीमी आवाज़ में कहा, "हाँ, तो मैं क्या करता? तुम्हें यकीन नहीं हो रहा था कि तारा ने और उसकी बेटी ने अपने पति और हसबैंड के लिए स्टैंड लिया!"
"हाँ हाँ, पर इतनी ज़ोर से क्यों मारा?" वहीं उसकी बात सुन निशांत ने मुँह बनाते हुए कहा, "तो मैंने बस एक चुटकी काटी और तुमने देखो मेरे हाथों में कैसे नाखून मारे! चुड़ैल कहीं की!"
ये सुन रावी ने उस पर चीख़ते हुए कहा, "क्या कहा तुमने? खुद को देखा है क्या? पागल जंगली जानवर कहीं के!" उसने ऐसे चीखकर बोलने से सब लोग उन्हें अजीब नज़रों से देखने लगे!
ये देख निशांत ने उसे ताना मारते हुए धीमी आवाज़ में कहा, "देख लिया चुड़ैल, कैसे सब लोग हमें ही देख रहे हैं।" ये सुन उसने सब लोगों को मीठी स्माइल के साथ देखते हुए उसे कहा, "घर चलो, फिर बताती हूँ तुम्हें!"
ये सुन निशांत उससे चार कदम की दूरी पर जाकर खड़ा हो गया! वहीं पंछी की बात सुन तारा की माँ ने गुस्से में तारा से कहा, "देख रही हो तुम तारा? हाँ, ये इस पागल की बेटी! इसके साथ रहते-रहते कैसे जवान लड़ने लग गई है!"
ये सुन तारा ने धीमी आवाज़ में कहा, "पर शुरुआत आपने की थी! आपने मेरे पति को पागल कैसे कहा? आप होती कौन हैं हाँ! पहले खुद आप किसी को भी कुछ भी बोल देती हैं, फिर उसके बाद आप ये एक्सपेक्ट कर रही हैं कि सब लोग आपको रिस्पेक्ट दें! सॉरी, पर ऐसा नहीं होता मिसेज़ सूर्यवंशी!"
तारा की माँ ने उसे डाँटते हुए कहा, "कैसी बातें कर रही हो तुम हाँ? माँ हूँ मैं तुम्हारी, जन्म दिया है मैंने तुम्हें!"
ये सुन तारा ने सार्कैस्टिक स्माइल में कहा, "ओह! तो कोई एहसान या महान काम नहीं किया आपने? ये काम तो जानवर भी करते हैं, उन्हें जन्म देने के बाद कहीं भी फेंक देते हैं! वैसे ही आपने किया! बस जन्म देने से माँ का हक़ नहीं मिल जाता। उसके लिए एक माँ को अपने बच्चे को प्यार करना पड़ता है, जब उसे चोट लगे तो उसका हाथ पकड़ प्यार से उसे मरहम लगाना होता है! और अपने बच्चे को अच्छे संस्कार देने और एक अच्छा इंसान बनाना भी एक माँ का धर्म है!"
ये बातें सुन उसकी माँ ने गुस्से में आकर उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ अपने रूम में ले जाने लगी! रेहान ने जैसे ही ये देखा, तो उसने जैसे ही आगे बढ़ने के लिए अपने कदम बढ़ाए, कि उसके ससुर ने उसे रोकते हुए कहा, "रेहान बेटा! ये उन दोनों माँ-बेटी के बीच की बात है, तुम बीच में मत पड़ो!"
वहीं उनके जाने के बाद पंछी ने रेहान का हाथ अपने पेट पर रखते हुए कहा, "पापा, लूही बेबी को भूख लगी है। देखो ना पापा, लूही बेबी का टमी भी खाली है!"
ये सुन रेहान ने उसके गाल पर प्यार से किस करते हुए कहा, "हाँ, तो रूही बेबी का टमी फूल किया जाए?" ये सुन पंछी ने अपना सिर हाँ में हिलाया!
ये सुन रेहान उसे खाने की टेबल पर ले जाकर उसे प्यार से खाना खिलाने लगा! पंछी अपने हाथों से ज़ोर से तालियाँ बजाकर खुशी से खाने लगी! और पंछी बीच-बीच में रेहान के हाथ को अपनी तरफ़ मोड़ देती थी, जिससे रेहान भी खा सकें!
उन दोनों बाप-बेटी की जोड़ी को देख सभी उन लोगों की तरफ़ बड़े प्यार से देख रहे थे, पर आशीष और अनुष्का उन दोनों से उनकी खुशी बर्दाश्त हो जाए, ये तो पॉसिबल नहीं था! वो दोनों रेहान से थोड़ी दूर जाकर बातें करने लगे, जिसे वो बातें रेहान और उसकी बेटी सुन पाएँ!
i hope aap logo ko aaj aap logo bda chpter dekh khushi huyi होगी 🥹कोशिश to ki 2k tk लिखू पर vo पॉसिबल nahi tha esliye mene 1512 tk ka likha 😇🙏🏻
रेहान का पूरा ध्यान अपनी बेटी पर था। पंछी ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए बार-बार कहने लगी, "टमी फूल... टमी फूल!"
यह सुनकर रेहान ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "ओके, मेरी रूही बेबी का टमी जब फूल हो ही गया है तो... अब चलते हैं डांस फ्लोर पर।" ऐसा बोलकर वह जैसे ही जाने लगा, उससे पहले ही उन दोनों ने नाटक करना शुरू कर दिया!
आशीष ने अनुष्का को आँख मारते हुए कहा, "तो तुम सच कह रही हो अनु? तारा रेहान से प्यार नहीं करती?"
यह सुनकर अनुष्का ने कहा, "हाँ, बिलकुल! वह उस रेहान से प्यार नहीं करती!"
आशीष ने कुछ सोचने का नाटक करते हुए कहा, "पर जैसे वह रेहान के आगे-पीछे आजकल घूम रही है, मैं मान ही नहीं सकता कि वह रेहान से प्यार नहीं करती!"
यह सुनकर अनुष्का ने विस्की के गिलास को अपने हाथों में घुमाते हुए कहा, "तुम्हें लगता है कि वह रेहान से प्यार करती है?"
उसकी बात पर आशीष ने कहा, "हाँ, मुझे क्या, सारी दुनिया को ही यह लगेगा कि वह रेहान से कितना प्यार करती है!"
यह सुनकर अनुष्का ने विस्की के गिलास को अपने हाथों में हिलाते हुए कहा, "ओह, कम ऑन आशीष! मेरी बहन को मैं खुद बहुत अच्छे से जानती हूँ! वह रेहान से प्यार कर ही नहीं सकती, बल्कि तुमसे करती है!"
यह सुनकर आशीष ने नासमझी में कहा, "मुझसे? कैसे?"
यह सुनकर अनुष्का ने उसे हल्का ताना मारते हुए कहा, "तुम भी एक नंबर के बेवकूफ हो आशीष! जो लड़की अभी कुछ दिन पहले तुम्हारे आगे-पीछे घूमती रहती थी, आज वह अचानक से कैसे बदल गई? सिम्पल सा रीज़न है आशीष! ताकि तुम्हारी ईगो हर्ट हो और तुम उसके पीछे जाओ! तुम्हें जलन महसूस करवाना चाहती है वह! पर हाँ, इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा कारण है, प्रॉपर्टी का!"
"पापा ने तारा की शादी ज़बरदस्ती रेहान से करवाई थी। जब उन दोनों की शादी हुई थी, तब तारा मजबूर थी क्योंकि रेहान एक पागल था, तो उसकी देखभाल करनी पड़ती थी! पर जब रेहान पूरी तरह से ठीक हो गया, तब उसने अपनी बेटी और अपने पति को छोड़ दिया! अब देखना, तुम जब प्रॉपर्टी उसे मिल जाएगी, तो कैसे दूध में मक्खी की तरह निकालकर बाहर फेंक देगी!"
"बाहर से वह चाहे कितना भी ड्रामा कर ले, पर अंदर से वह रेहान को बिलकुल भी पसंद नहीं करती। यकीन ना होता तो खुद चलकर मॉम के रूम में देखो! वह कैसे मॉम को मक्खन लगा रही होगी रेहान से दूर रहने के लिए!"
उसकी बात सुनकर आशीष हँसते हुए बोला, "वैसे मानना पड़ेगा तारा को, वह तो गिरगिट से भी ज़्यादा तेज़ी से रंग बदलती है। एक पल के लिए तो मैं खुद हैरान हो गया, कहीं सच में तो उसे रेहान से प्यार तो नहीं हो गया!"
अनुष्का ने यह सुनकर घमंड से कहा, "प्यार? वह भी उस रेहान पागल से? हो ही नहीं सकता!"
रेहान ने अपनी बेटी को बाहों में उठाकर तारा के मॉम के कमरे में चलने लगा!
उसे यूँ उदास जाते देख अनुष्का ने नफ़रत से कहा, "मुझे उस तारा ने इतना कुछ सुनाया इन दोनों के लिए! अब देखना, यह दोनों ही उससे नफ़रत करेंगे!"
पंछी ने रेहान से अपनी उदास आवाज़ में कहा, "मम्मा मुझसे नफ़रत करेगी पापा, और आपसे भी!"
यह सुनकर रेहान ने उसे समझाते हुए कहा, "नहीं रूही बेटा! मम्मा आपसे और मुझसे दोनों से बहुत प्यार करती है। वह ऐसा कुछ भी नहीं करेगी!"
यह सुनकर पंछी ने उदास चेहरा बनाते हुए कहा, "वो बुरी आंटी और बुले अंकल ने आपको पागल क्यों कहा पापा? और यह भी कि मम्मा हमें छोड़ देगी! लुहि बेबी क्या इतनी बुरी है?"
यह सुनकर रेहान ने प्यार से उसके सिर को सहलाते हुए कहा, "नहीं रूही बेबी, ऐसी बात नहीं है। वो बुरी औरत की बातों का बुरा मत मानना। वो तुम्हारी मम्मी से नफ़रत करती है, इसलिए बोला होगा उसने! अब चलो, तुम्हारी मम्मी के पास केक काटना भी तो है!"
वहीं दूसरी तरफ़, तारा की माँ ने उसे डाँटते हुए कहा, "ये कैसी बातें कर रही थी तुम नीचे?"
यह सुनकर तारा ने वहीं बेड पर अपने पैर पर पैर रखते हुए किसी रानी की तरह कहा, "तो उसमें क्या ग़लत कहा मैंने? रेहान मेरा पति है और पंछी मेरी बेटी!"
यह सुनकर उसकी माँ ने अपने गुस्से में दाँत पीसते हुए कहा, "पर तुम रेहान से प्यार कैसे कर सकती हो? तुम तो आशीष से प्यार करती थी!"
यह सुनकर तारा ने अपनी आइब्रो चढ़ाते हुए कहा, "आपको यह बात किसने कही कि मैं उस लंगूर आशीष से प्यार करती हूँ? क्लास देखा है आपने उसका? कहाँ वो बी-ग्रेड एक्टर, और कहाँ मैं!"
"और कहाँ मैं! मैं तो उसके साथ अब तक आपके कारण थी क्योंकि आपने अपना इमोशनल ड्रामा करते हुए कहा था कि आपको वह आशीष एक सही इंसान नहीं लगता आपकी बेटी के लिए!"
यह सुनकर तारा की माँ ने अपनी आँखें बंद करके अपने गुस्से को कण्ट्रोल करते हुए कहा, "पर रेहान तुम्हारे लिए एक सही इंसान नहीं है!"
पर तारा ने अपनी अहंकारी आवाज़ में कहा, "आपको किसने कहा कि मेरे लिए क्या सही है क्या नहीं? कौन होती हैं आप मेरी ज़िन्दगी में दखलअंदाज़ी करने वाली!"
तारा की माँ ने अपनी तेज आवाज़ में कहा, "माँ हूँ मैं तुम्हारी!"
यह सुनकर तारा के होठों पर एक तंज भरी मुस्कान आ गई। उसने दर्द भरी आवाज़ में कहा, "माँ? वह भी आप, मिसेज़ सूर्यवंशी? मेरी हो ही नहीं सकती! मेरे लिए तो मेरी माँ उसी वक़्त मर गई थी जिस वक़्त उसने मुझे मरने को छोड़ दिया था!"
इतना बोलकर तारा फ़्लैशबैक में खो गई! (फ़्लैशबैक कुछ दिन पहले)
तारा अपनी फ़िल्म की स्क्रिप्ट पढ़ रही थी, तभी अचानक से उसकी माँ ने उसे कॉल किया!
तारा ने कॉल पिक करते हुए अपनी परेशानी भरी आवाज़ में कहा, "मॉम, इज़ एवरीथिंग ऑलराइट?"
यह सुनकर उसकी माँ ने ताना मारते हुए कहा, "जिसकी तुम जैसी बेटी हो, वो माँ खुश कैसे रह सकती है!"
तारा ने यह सुनकर अपनी धीमी आवाज़ में कहा, "आप क्या बोल रही हो मॉम? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।" यह सुनकर उसकी माँ ने ताना मारते हुए कहा, "हाँ, अब तो तुझे क्या ही समझ में आएगा। वैसे तू अब है कहाँ इस वक़्त?"
यह सुनकर तारा ने अपनी स्क्रिप्ट को रखते हुए कहा, "आज मेरी शूटिंग है, तो वहीं आई हूँ!"
यह सुनकर उसकी माँ ने गुस्से में कहा, "क्या कहा? तू शूटिंग पर है? देख तारा, तेरी बहन को फ़िल्म वालों ने स्टंट करने को कहा है जो काफ़ी ख़तरनाक है। अगर उसे कुछ भी हुआ तो देख लेना! और हाँ, उसकी जगह अब तू यह स्टंट करेगी। अगर नहीं किया तो मैं तुम्हारी माँ नहीं!"
यह सुनकर तारा जैसे ही कुछ बोलना चाहती थी, वैसे ही उसकी माँ ने उसकी कॉल काट दी! तारा वहीं चेयर से खड़ी होकर भागते हुए शूटिंग स्पॉट पर पहुँची। उसने हफ़ते हुए डायरेक्टर, प्रेम पाण्डे से कहा, "सर, इस लड़की अनुष्का की जगह मैं यह स्टंट करना चाहती हूँ!"
यह सुनकर डायरेक्टर प्रेम पाण्डे ने कहा, "आर यू आउट ऑफ़ योर माइंड, मिस तारा! यह तुम्हारा पाँचवाँ बार है जब तुम इस लड़की के लिए स्टंट करोगी!"
यह सुनकर तारा ने अपनी धीमी आवाज़ में कहा, "पर सर, उसे डर लगता है ऊँचाई से!"
यह सुनकर प्रेम पाण्डे ने गुस्से से कहा, "डर लगता है तो घर में जाकर कार्टून देखे ना, यहाँ क्या कर रही है यह! और स्टंट करने के लिए हमने नहीं कहा इसे। यह इसका पेशा है। यह एक बी-ग्रेड एक्टर और साथ में यह एक स्टंट वूमेन। तो इसका जब काम ही यह है तो तुम क्यों करोगी!"
तारा ने अपनी शांत आवाज़ में कहा, "प्लीज़ पाण्डे सर, यह लास्ट बार होगा!"
यह सुनकर उन्होंने अपने गुस्से को शांत करते हुए तारा से कहा, "ठीक है तारा, सिर्फ़ तुम्हारे कहने पर मैं ऐसे आज छोड़ रहा हूँ। अगर आगे से किया तो..."
"तो आगे से इसकी नौबत नहीं आएगी सर!" तारा ने नटखट तरीके से कहा!
जिसे देखकर उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और उन्होंने कहा, "तारा, तुमसे बेहतर कोई हो ही नहीं सकता! ठीक है, चलो अब जल्दी करो। यह सीन हमें जल्दी से जल्दी ख़त्म करना है!"
तारा ने बच्चों की तरह उछलते हुए कहा, "ठीक है प्रेम अंकल!"
आज सोचा था कि ओर जायदा बड़ा chpter दूं पर दूसरी स्टोरी भी लिखनी थी ओर हां जैसे व्यू आ रहे है 6 या 10 इतने कम व्यू देख के मन बड़ा दुखी होता है फिर लिखने का मन नहीं करता इसलिए आप लोग जायदा से जायदा सपोर्ट करो ताकि मै आगे ओर लिख सकू नहीं तो मै ऐसे प्रतिलिपि पर लिखूंगी !!
सीन ऐसा था कि तारा को उड़ते हुए हवा में एक सुनहरे राजा, जिसे गोल्ड राजा भी कहते थे (क्योंकि उस राजा की सारी जगह सोने की बनी हुई थी), दिखाई दिया!
यह कहानी एक जादुई नगरी के बारे में बनाई गई थी। तारा को उस राजा से युद्ध करके, उसके सिर के मुकुट में बने एक जादुई पंख को लेकर अपने राजा के पास ले जाना था। क्योंकि वह राजा उसके राज्य के दुश्मनों से सबसे आगे था, इसलिए अगर वह सामने से जाती, तो नहीं मिलता!
तारा ने अपने किरदार में आते हुए, तलवार से उस राजा से युद्ध करना शुरू कर दिया!
ऐसा कह सकते हो कि तारा एक परफेक्ट लड़की थी। उसे तलवारबाज़ी से लेकर घुड़सवारी, सब कुछ आता था। यहाँ तक कि वह कराटे में भी चैंपियन थी!
उसके पिता को बचपन से ही उसके टैलेंट के बारे में पता था कि तारा एक बार जो चीज़ सीख लेती थी, उसे कभी नहीं भूलती। इसलिए उसके पिता ने उसकी माँ और बहन से छुपकर, उसे दूसरे देशों में हॉलिडे पर ले जाते थे!
और उसे कभी तलवारबाज़ी, कभी घुड़सवारी, कभी गन चलाना, सब कुछ सिखाया। पर यह बात तारा और उसके पापा के अलावा, किसी को भी नहीं पता थी! तारा ने वह सीन बस एक टेक में पूरा कर दिया। जिसे देख वहाँ पर शूटिंग देखने आए सभी लोगों ने चिल्लाते हुए, उसके नाम लेते हुए कहा, "तारा, तुम सच में कमाल हो!" तो किसी लड़के ने कहा, "मैंने आज तक तुम्हारी जैसी लड़की नहीं देखी। तारा, तुम इतनी परफेक्ट कैसे हो!"
"आई लव यू तारा, मुझसे शादी कर लो!" तो किसी लड़की ने कहा, "सच में, यह इतनी परफेक्ट कैसे हो सकती है? इसे सामने से देखकर तो अब मेरा भी मन ढोलने लगा है!"
उसकी बात को सुन सभी लोगों ने उसे पीछे करते हुए कहा, "चुप करो तुम! तारा तुम्हारी नहीं, वह सिर्फ़ मेरी होगी।" ऐसे ना जाने कितने लोगों की भीड़ आपस में लड़ रही थी!
तारा ने उन लोगों को प्यार से अपना हाथ हवा में उठाया। जिसे देख लड़कों ने अपने दिल पर हाथ रख दिया!
लड़कियों का हाल भी बेहाल हुआ था। वहीं एक शख़्स दूर से सारे लोगों की बातें सुनते हुए, मन में जलन से बोला, "सब लोगों को मेरी ही वाइफ़ क्यों पसंद आती है, हाँ! काश मैं सबको बता सकता कि तुम सिर्फ़ मेरी हो, तारा, पर मैं ऐसा नहीं कर सकता!"
वहीं तारा के सीन ख़त्म होते ही, डायरेक्टर ने खुश होते हुए तारा से कहा, "वेल डन, तारा! तुमसे बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता। इस लड़की अनुष्का को तुमसे कुछ सीखना चाहिए!"
तारा ने मुस्कुराते हुए कहा, "ऐसी बात नहीं है, पांडे सर। मेरे लिए हर इंसान बेहतर है, सभी अपनी जगह अच्छे हैं! कुछ लोग जल्दी सीखते हैं, कुछ देर से। इसमें उन लोगों की गलती नहीं! आज आप इसकी एक्टिंग स्किल्स को कम आँक रहे हैं, कल को यह मुझे कहीं ना कहीं लगता है, यह बहुत आगे जाएगी!"
ऐसा बोल तारा ने अनुष्का से सबके सामने कहा, "क्यों करोगी ना तुम, अनुष्का!"
यह सुन अनुष्का का तो अंदर से खून खौल रहा था, पर फिर भी एक नकली मुस्कान के साथ उसने कहा, "आप जैसी तो बनना मेरे लिए इस जन्म में तो क्या अगले सात जन्मों में भी पॉसिबल नहीं है, पर मैं कोशिश ज़रूर करूँगी।" इतना बोल उसने डायरेक्टर की तरफ़ देखा, जो घिन भरी नज़रों से उसे देख रहे थे। उन्होंने तारा से कहा, "तारा, क्या तुम अब दूसरा सीन भी कर दोगी, जो इस लड़की ने मना किया था? वह क्या है ना, इससे जल्दी होगी।" यह सुन तारा ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, चलिए।" इतना बोल तारा उनके साथ चली गई। तारा ने उस राजा से पंख लेकर, अब हवा में उड़ते हुए जाना था। तारा ने एक लंबी साँस भरी और उड़ने की तैयारी की, तभी उसने देखा उसकी बहन वहीं खड़ी एक मेंबर (जो कि स्टाफ़ के ड्रेस में था) उसे अंगूठा दिखाया!
तारा इससे पहले कुछ समझ पाती, वह हवा में लटक गई। कम-से-कम 40 या 50 फ़ुट की ऊँचाई पर थी वह। उसने देखा, ऊपर जिस रस्सी से उसे बाँधा गया था, वह टूटने लगी थी और जहाँ से वह बँधी थी, उसका नट भी खुलने लगा!
जैसे ही उसने यह देखा, उसकी एक तेज़ चीख निकल गई और वह तेज़ी से नीचे गिरने लगी। जिसे देख सभी लोगों के दिल बाहर आ चुके थे!
तभी उसने सामने देखा, उसका पति रेहान उसकी तरफ़ दौड़ते हुए आ रहा है। यह देख तारा ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा, "हमारा साथ यहीं तक का था।" तभी उसने देखा, रेहान ने जैसे ही वह नीचे की तरफ़ गिरने वाली थी, उसे अपने ऊपर ले लिया, जिससे वे दोनों गिरते हुए बड़ी तेज़ी से वहीं लगे एक टेबल से जा टकराए!
तारा ने एक पल के लिए आँखें खोलीं। जिसे देख रेहान ने एक मुस्कराहट के साथ कहा, "तुम सेव हो, तारा।" पर जैसे ही उसने तारा को देखा, तो वह हैरान हो गया, क्योंकि तारा और खुद रेहान की बॉडी से ब्लड बाहर निकलने लगा!
सारा शूटिंग सेट उन दोनों के खून से लथपथ हो गया!
थोड़ी देर में रेहान भी उसके साथ बेहोश हो गया!
तारा के कानों में एक जानी-पहचानी आवाज़ गूँजी, जो उसकी माँ की थी। उन्होंने धीमी आवाज़ में अपनी बेटी अनुष्का से कहा, "तुमसे एक काम ढंग से नहीं होता, बेवकूफ़ लड़की!"
यह सुन अनुष्का ने कहा, "मॉम, पर इसमें मेरी गलती नहीं थी। सारी गलती रेहान की थी। ना वह रेहान आता और ना बचती।" यह सुन उसकी माँ ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "कोई बात नहीं, बेटा। तुम्हारा काम मैंने आसान कर दिया। मैंने चुपके से उन दोनों के नीचे कुछ काँच के टुकड़े और कुछ कीलें रख दिए थे!
वह काँच भी ऐसे थे, जिसे अगर गलती से कोई हाथ लगा दे, तो उसका हाथ कट जाए। अब भले ही यह ठीक हो जाए, पर एक साल तक यह दोनों शायद ही चल पाएँ!"
यह सुन अनुष्का ने खुशी से कहा, "वाह, मॉम! यू आर द ग्रेट!"
तारा ने जब यह सुना कि उसकी खुद की माँ की वजह से वह आज इस हालत में है, तो उसके दिल में दर्द की एक लहर दौड़ गई!
क्या कसूर था उसका? बस इतना कि अपनी माँ पर हद से ज़्यादा विश्वास किया! उन्हें अपना माना! इतना प्यार करने पर उसे मिली तो बस उन लोगों की नफ़रत!
फ्लैशबैक एंड!
तारा वहाँ से जैसे ही बाहर जाने को हुई, तभी उसकी माँ ने कुछ पल खामोश रहने के बाद कहा, "तारा, बेटा, तेरे भले के लिए ही बोल रही हूँ। तुम रेहान को छोड़ दो!"
यह सुन तारा ने अपनी आँखें बंद कर दीं। फिर उसने एक लंबी साँस भरते हुए कहा, "ठीक है, मैं रेहान को छोड़ दूँगी!"
रेहान, जो बाहर अपनी बेटी के साथ आ रहा था, उसने जैसे ही तारा की बात सुनी, उसके मन में दर्द होने लगा!
उसने अपनी बेटी पंछी को अपनी बाहों में उठाया और तेज़ी से नीचे जाने लगा!
रेहान का पूरा चेहरा इस वक्त लाल हो चुका था। इतने गुस्से में देख रावी और निशांत उनके पास आए, तो रेहान ने अपनी लाल आँखों से उन्हें डरा दिया!
जिसे देख वे दोनों डर गए। पर जैसे ही वे दोनों कुछ बोलने वाले थे, तभी रेहान ने रावी को अपनी बेटी को देते हुए कहा, "तुम मेरी बेटी रूही का ख्याल रखना! मैं जा रहा हूँ यहाँ से।" फिर उसने सभी लोगों की तरफ़ कहा, "पार्टी ख़त्म हो चुकी है। आप सब लोग जा सकते हैं।" इतना बोल रेहान ने खुद को अपने एक सिगरेट रूम में बंद कर दिया!
जहाँ से कोई भी उसे देख या सुन नहीं सकता था! उसने गुस्से में सारा सामान तोड़ते हुए, अपनी तेज़ आवाज़ में कहा, "..." रेहान तेज़ी से अपनी गाड़ी लेकर वहाँ से निकल गया। थोड़े सुनसान इलाके में आगे जाकर उसने गाड़ी रोकी और अपने घुटनों के बल बैठा और गुस्से से चीखते हुए बोला, "क्यों तारा, क्यों किया तुमने ऐसा? अगर प्यार नहीं था, तो क्यों इस दिल में आग जलाई? अगर जाना ही था, तो मुझे छोड़ने के बारे में सोचा होता, तो मैं कुछ नहीं कहता, पर मेरी बेटी उसका क्या, हाँ?"
रेहान ने कार की बोनट पर ज़ोर से हाथ मारा, जिससे सारा खून उसके हाथों में गहरा ज़ख्म बन गया और खून निकलने लगा!
फिर कुछ पल की चुप्पी के बाद उसने खुद से धीमी आवाज़ से कहा, "तू भी रेहान, कितना बड़ा पागल है? तारा के बारे में सोच भी कैसे सकता है? कहाँ वह एक फेमस एक्ट्रेस और कहाँ मैं एक बिज़नेस मैन, जिसका इतना नाम होने पर भी उसे लोग पागल कहते हैं!" फिर खुद से उसने एक फीकी मुस्कान के साथ खुद से कहा, "दुनिया की नज़रों में तो तू एक पागल ही तो है! सोच भी कैसे लिया कि वह तुमसे प्यार करेगी!"
फिर उसने आसमान की तरफ़ देख रोते हुए खुद से कहा, "क्यों भगवान, आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हो? पहले मेरे मॉम-डैड आपने छीन लिए, फिर मेरी बहन को भी मुझसे दूर कर दिया और अब छोटी गिलहरी को भी मुझसे क्यों दूर कर रहे हो? क्या मैं इतना बुरा हूँ? जो सब लोग मुझे छोड़ के चले जाते हैं!"
एक तरफ़ जहाँ रेहान की आँखें नम थीं, वहीं दूसरी तरफ़ उसके विला में तारा की माँ की आँखों में एक चमक!
जैसे ही तारा ने यह कहा कि वह रेहान को छोड़ देंगी, तो उनके तो मानो पैर ही ज़मीन पर नहीं लग रहे थे, क्योंकि रेहान से अलग होने के बाद तारा का पावर कम हो जाएगा!
उन्हें अभी तक तारा के आर्मी ऑफ़िसर होने के बारे में पता नहीं था, क्योंकि वह एक सीक्रेट कमांडो थी। जिनका काम दूसरे देशों में जाकर इंडिया के ख़िलाफ़ हो रही साज़िशों का पर्दाफ़ाश करना था!
तारा की माँ ने खुश होते हुए कहा, "शुक्र है भगवान का, तुझे अक्ल तो आई! भले ही देर से आई हो। अब जल्दी से बता, मैं वकील को कब बुलाऊँ!" "अरे तुम भी ना! मैं खुद ही जाकर करती हूँ उनसे बात।" यह सुन तारा ने अपनी ऐरोगेंट वॉइस में उन्हें रोकते हुए कहा, "रुकिए, मिसेज़ सूर्यवंशी! अभी इतनी जल्दी भी क्या है? पहले मेरी पूरी बात तो सुनते जाइए!"
यह सुन तारा की माँ ने चिढ़ते हुए कहा, "अब क्या है, तारा, हाँ? जो भी बोलना है, जल्दी बोलो?"
उनकी बात पर तारा के होठों के कोने मुड़ गए। उसने एक लंबी साँस छोड़कर कहा, "मैं रेहान को छोड़ दूँगी, पर बदले में मेरी एक शर्त है!"
"शर्त? कैसी शर्त?" तारा की माँ ने कहा।
तारा ने आगे बढ़कर उनके कानों में धीरे से कहा, "पर पहले आपको मेरे डैड को छोड़ना होगा, उनकी ज़िंदगी से कोसों दूर जाना होगा, तभी मैं रेहान को छोड़ सकती हूँ, वरना नहीं। और एक बात और कि आप मेरे डैड से अलग होने के बाद अपनी बेटी को भी अपने साथ ले जाएँगी! और आपका और आपकी बेटी का हम लोगों से कोई रिश्ता नहीं होगा!" "आप लोगों के कमेंट मुझे हौसला देते हैं। नहीं जानती कहाँ तक होगा इस स्टोरी का सफ़र, लेकिन मैं 100% दूँगी और आप लोग भी ऐसे ही कमेंट करते रहिए। और दूसरी बात, एक डाउट आप लोगों को होगा कि मैं कभी रेहान की बेटी को पंछी और कभी रूही क्यों बुलाती हूँ? तो इसका सिंपल सा जवाब है कि रूही उसके घर का नाम है, जिसे प्यार से बुलाते हैं उसके दोस्त और उसके पेरेंट्स!"
ओर आज का chpter 1800word ka hoga baki ke 100 words ese hi hoge jo main bakbas bate boli hai uske🤣🥹
तारा की माँ ने जैसे ही तारा की बात सुनी, उन्हें तो अपने कानों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि तारा, उनकी बेटी, जो अपने पापा से उनके लिए हमेशा लड़ती आई है, वो कुछ ऐसा भी बोल सकती है। उन्हें गहरा झटका लगा! उन्होंने तारा से हैरान होते हुए कहा, "क्या कहा तुमने तारा? अलग हो जाऊँ?"
"तुम्हारा क्या मतलब है तारा? ऐसा बोल...?" उन्होंने तारा की बाहों से पकड़कर उसे अपने सामने करते हुए कहा, "बताओ तारा!"
तारा ने जब उनकी हालत देखी तो उसे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी, पर अपने फैसले पर बिना भाव के बोली, "क्यों? क्या हुआ मिसेज रोहणी सूर्यवंशी?"
"नहीं छोड़ सकती क्या मेरे पापा को?"
ये सुनकर तारा की माँ ने एक तेज़ आवाज़ में कहा, "बस करो तारा! ये क्या बकवास कर रही हो? जानती भी हो तुम क्या बोल रही हो? मैं तुम्हारी माँ हूँ और वो तुम्हारे डैड। तुम्हें इतनी सी भी शर्म नहीं आती?"
तारा ने उनकी ऐसी बातें सुनीं तो उसके चेहरे पर एक तंज भरी मुस्कान आ गई। आखिर वही तो थी जो हर बार तारा के दिमाग में ये बातें डालती थी कि तारा के पिता ने उनके साथ ज़बरदस्ती शादी की थी। पर अगर ज़बरदस्ती शादी की तो वो उनके डैड की ज़िंदगी से जा सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया!
हालाँकि तारा को इस बात का पता था कि वो क्यों मना कर रही है, वो क्यों नहीं चाहती उसके डैड से अलग होना। सिम्पल सा रीज़न था तारा के सामने; वो उसके डैड की प्रॉपर्टी पर चील की तरह नज़र गड़ाए बैठी थी! तारा ने हँसते हुए उनके आगे-पीछे गोल चक्कर लगाते हुए कहा, "क्या हुआ मिसेज सूर्यवंशी? अभी तो आप मुझे बड़ा बोल रही थीं कि आप मेरा भला चाहती हो, पर जब मैंने आपके भले की बात की तो आपको बुरा लग गया!"
ये सुनकर तारा की माँ ने हल्के गुस्से में कहा, "मेरे पति से दूर होने में क्या भलाई दिखती है तुम्हें तारा?"
ये सुनकर तारा ने अपने होठ सिकोड़ लिए और फिर धीमी आवाज़ में उनसे कहा, "आप ही तो हैं जो कहती रहती थीं कि मेरे डैड ने आपको अपनी लाइफ में ज़बरदस्ती रखा है। आई मीन, गुलाम की ज़िंदगी हो गई है आपकी! बस मैं तो आपको आज़ादी दिला रही हूँ।"
ये सुनकर तारा की माँ ने अपने मन में सोचते हुए कहा, "कहीं इसे पता तो नहीं चल गया कि इसके डैड की ज़िंदगी में मैं बस उनकी प्रॉपर्टी की वजह से हूँ! जब तक मुझे इसके बाप के प्रॉपर्टी पेपर नहीं मिल जाते, तब तक मैं छोड़ नहीं सकती। नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती। कुछ भी करके मुझे इसे अपनी बातों में फ़ँसाना होगा!"
इतना सोचकर उन्होंने एक दुखी एक्सप्रेशन के साथ कहा, "बेटा! हमारी बात अलग थी, पर तुम मेरी बेटी हो! मैं तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद तो नहीं होने दे सकती! तुम मेरी बेटी हो, और मैं तुम्हारी माँ। मैं भी कैसे होने दूँ आपकी लाइफ बर्बाद? इतने सालों तक आपने और आपकी बेटी ने बहुत कुछ सहन किया, अब और नहीं! मैं तो बल्कि आपका काम आसान कर रही हूँ।" तारा ने उनकी बात को बीच में काटते हुए एक बेचारा चेहरा बनाते हुए कहा, "तारा के चेहरे को देखते हुए उसकी माँ को लगा जैसे तारा को सच में उनकी फ़िक्र है। पर तारा ने कुछ देर की चुप्पी के बाद अपने पर्स से तलाक के पेपर निकालकर उन्हें देते हुए कहा, "ये आपकी आज़ादी के पेपर मिसेज सूर्यवंशी! बस आप जल्दी से साइन कर दीजिए, पापा से साइन मैं करवा लूँगी! प्लीज़ जल्दी कीजिए ना! आपकी खुशियाँ बस एक साइन की दूरी पर हैं!"
ये सुनकर तारा की माँ ने अपने मन में सोचा, 'ये पागल लड़की लगता है मेरा तलाक करवा के ही मानेगी। नहीं, मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने दे सकती।' इतना बोलकर उन्होंने घबराई हुई आवाज़ में कहा, "वो तारा, मैंने अनु बेटा को उस आशीष के साथ देखा था। मुझे जाना होगा, कहीं कुछ गलत ना हो जाए।" इतना बोलकर वो ऐसे भागी जैसे कि उनके पीछे कोई साँप पड़ गया हो!
तारा ने जैसे ही उन्हें भागते देखा, वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। उसने हँसते हुए खुद से कहा, "लो इनका काम तो हो गया! अब जाकर मैं अपने रेहान को देखती हूँ क्या कर रहे हैं वो दोनों, बाप-बेटी।" इतना बोलकर वो अपने रूम से बाहर निकल आई!
जैसे ही उसने सामने देखा तो पाया उसके सामने रावी और निशांत खड़े होकर उसे ही देख रहे थे! उन्हें शायद पूरी बात अब समझ में आ गई थी कि आखिर मामला क्या है? तारा का ध्यान अपनी बेटी पंछी पर गया जो कुछ बड़बड़ा रही थी!
तारा ने अपनी बेटी की बातें सुनीं तो उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल पर हथौड़ा मार दिया हो! क्योंकि उसकी बेटी बार-बार एक ही बात बोल रही थी, "लूही बेबी गंदी है, ओल पापा पागल है, मम्मी छोड़ देंगी लूही बेबी को!"
ऐसा वो बार-बार बोल रही थी। तारा ने रावी से अपनी बाहों में लेते हुए अपनी बेटी के आँसू साफ़ करते हुए प्यार से कहा, "क्या हुआ मेरी रूही बेबी को?"
ये सुनकर पंछी ने अपनी उदास आवाज़ में कहा, "आप मेले को छोड़ दोगी और पापा को भी, क्योंकि पापा पागल है और मैं गंदी बेबी हूँ!"
तारा ने जैसे ही उसकी बातें सुनीं, उसने अपनी बेटी के मुँह पर हाथ रखते हुए कहा, "नहीं रूही बेबी, आपको मम्मा कभी भी छोड़कर नहीं जा सकती। आप तो मेरी प्यारी बेटी हो ना! और आप तो सारी बातें भी मानती हो तो क्यों छोड़ूँगी मैं अपने बेबी को? और रही बात आपके पापा को छोड़ने की तो आपको पता है आपके पापा सुपरहीरो हैं, जो आपकी मम्मी को हर प्रॉब्लम से बचाते हैं। पर लगता है आपको और आपके पापा दोनों को मम्मा अच्छी नहीं लगती क्योंकि आपकी मम्मी हर बार किसी न किसी प्रॉब्लम में पड़ जाती है और आपकी मम्मी सुपरवुमन भी नहीं है आपके पापा के जैसे।"
इतना बोलकर तारा ने सैड सा चेहरा बना लिया, जिसे देखकर पंछी ने उनके गालों पर किस करते हुए कहा, "एले आप तो मेली सुपर मम्मा हो! पल बुली आंटी ने कहा था कि आप लूही बेबी और पापा को छोड़ दोगी क्योंकि पापा पागल है ना! और आपने भी तो बुली आंटी से बोला था आप पापा को छोड़ दोगी!"
ये सुनकर तारा को अब सारी बातें समझ आने लगी थीं। उसने मन में कहा, "लगता है रूही और रेहान ने हम दोनों की सारी बातें सुन ली!" अब मुझे ही कुछ करना होगा। इतना बोलकर उसने प्यार से कहा, "रूही बेबी, वो तो मैं उन्हें बता रही थी कि अगर वो ये चाहती है कि मैं आपको और आपके पापा को छोड़ूँ तो पहले वो अपनी बेटी अनुष्का के साथ आपके नानू को छोड़कर चली जाए हमेशा के लिए!"
उसकी बात को सुनकर पंछी ने कहा, "तो मम्मा आप फिर सच्ची में छोड़ देती हमें!"
ये सुनकर तारा ने पंछी की नाक को प्यार से पकड़ते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं! भला कोई अपनी इतनी प्यारी बेटी को छोड़ सकता है? और आपके पापा, वो तो सुपरमैन हैं। अगर मैंने उन्हें छोड़ा तो फिर आपकी मम्मा को कौन प्रोटेक्ट करेगा? हाँ! और मैंने उन्हें इसलिए कहा कि अगर वो आपके नानू से अलग नहीं हुई तो फिर आपकी मम्मा भी नहीं छोड़ने वाली आपको लोगो को। और अगर सच में उन्होंने आपके नानू को छोड़ दिया होता तो फिर वो यहाँ से बहुत दूर चली जाती। उन्हें कौन बताता कि मैंने तो छोड़ा नहीं आपको लोगो को!"
ये सुनकर पंछी ने कुछ सोचते हुए कहा, "ओह! मतलब मेली मम्मा स्मार्ट मम्मा है!"
तारा ने फिर रावी और निशांत को देखा जो कब से उसे ही देख रहे थे। रावी ने तारा से सवाल करते हुए पूछा, "तारा, यहाँ क्या हो रहा है? पहले रेहान रूही को हम दोनों के पास छोड़कर गुस्से में यहाँ से चला गया और अब तुम? बात क्या है तारा?"
तारा ने उन्हें अपनी बेटी देते हुए कहा, "बात बस इतनी सी है, मैंने मिसेज सूर्यवंशी को ये कहा था कि मैं रेहान को छोड़ दूँगी। उन्होंने बस इतना सुना और वो यहाँ से चले गए। पर उन्होंने पूरी बात नहीं सुनी मेरी। मैंने ये कहा था कि अगर वो मेरे पापा से अलग होती है तो फिर मैं छोड़ दूँगी। पर लगता है मामला बहुत गंभीर हो चुका है। तुम दोनों रूही बेबी का ख्याल रखना, मैं रेहान को लेकर आती हूँ वापिस!"
जिसे सुनकर पंछी ने अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहा, "मम्मा जल्दी आना, लूही बेबी को लोरी भी सुननी है!"
जिसे सुनकर तारा ने उसके गालों पर किस करते हुए कहा, "हाँ बेबी! आपकी मम्मा जल्द ही आने की कोशिश करेगी!"
रावी ने तारा की फ़िक्र करते हुए कहा, "तारा, तुम अपना ख्याल रखना!"
ये सुनकर तारा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "और तुम दोनों भी अपना ख्याल रखना।" इतना बोलकर तारा भी तेज़ी से वहाँ से निकल गई। कभी-कभी समझ नहीं आता क्या लिखूँ और कभी-कभी लिखते-लिखते थक जाती हूँ! और हाँ, रेहान अलग है रिवंश से, दोनों किरदार अलग-अलग हैं! अगर एक जैसा करती तो फिर स्टोरी पढ़ते टाइम आपको लोगों को ये लगता कि मैं सारी स्टोरी में हीरो को एक जैसा रखती हूँ। और इस स्टोरी में मैं रोमांस के नॉर्मल सीन ही रखने वाली हूँ तो प्लीज़ कोई गुस्सा मत करना। रही बात रिवंश वाली स्टोरी तो मैं बहुत जल्द ख़त्म कर दूँगी क्योंकि रिबर्थ वाली दो स्टोरी और आएंगी और दो बदले टाइप की। आप लोग उन्हें भी सपोर्ट करिएगा और कमेंट कर देना कैसा लगा आज का पार्ट!
तारा अपनी गाड़ी में परेशान होते हुए बोली",
ये रेहान पता नहीं कहा चले गए पहले मुझसे तो आकर क्लियर कर लेते लेकिन नहीं ख़ुद ही वकील बनना है ओर फ़िर ख़ुद ही जज बन कर फैसला सुनना है !"
बाहर जोरो कि बारिश लगी हुई थी ये देख तारा ओर भी ज्यादा परेशान हो गई उसने मन में ख़ुद से कहा, "ना जाने इस वक़्त किस हाल में होंगे वो, एक बार मिल जाएं ना रेहान फ़िर बताती हूं आपको !"
इतना बोल उसने गाड़ी की स्पीड को ओर भी तेज़ कर दिया ।
वहीं दूसरी तरफ़ रेहान के दोनों हाथ जो ख़ून से सने थे वो बारिश में भीगने से उनका खून भी पानी बन बेह गया !"
रेहान ने मन में कहा, "मानता हूं मै तारा की ये शादी आपके लिए सिर्फ़ एक बोझ थी पर तब के ओर अब के हालत में बहुत फ़र्क था, अगर आपको मुझसे दूर ही रहना था तो फ़िर मुझे एक बार बताया तो होता पर नहीं आपने एक बार भी मुझे बताना तो दूर की बात करना तक ज़रूरी नहीं समझा !
हमारी बेटी उसके बारे में तो कुछ ख्याल रखा होता आपने फ़िर ख़ुद से मुस्कराते हुए कहा, "जब हमारी शादी हुई थी तब उसके बाद मुझे आज भी याद है आपका मेरा ख्याल रखना ओर मेरे लिए किसी से भी लड़ जाना,इतना बोल रेहान फ्लैशबैक में को गया ;
फ्लैशबैक 7 साल पहले ;
रेहान ओर तारा की शादी हुई थी रेहान तब पागल था ,या फिर कह लो कि उसे पागल किया गया था !"
रेहान अपने रूम के बाहर खड़ा शर्मा रहा था उसको यूं खड़े देख उसकी सौतेली बड़ी मां का दिल जल रहा था ओर उनके साथ खड़ा उनका बड़ा बेटा भी गुस्से से लाल पीला होए जा रहा था !"
क्योंकि उसने अपनी मां को तारा के घर रिश्ता लेकर भेजा था लेकिन तारा के पापा ओर उसके ख़ुद के डैड उन दोनों दोस्तो ने तारा ओर रेहान की शादी पक्की करवा दी !"रेहान के भाई ने अपनी मां से गुस्से ने दांत पिस्ते हुए कहा, "मॉम आप देख रही हो ना डैड को उन्होंने पहले तो सारा बिजनेस इस पागल रेहान के नाम कर दिया पर जब इससे भी मन नहीं भरा तो उसकी शादी उस लड़की से करवा दी ,जिसे मै पसंद करता था !
मेरा तो इसे देख कर इतना ख़ून खोल रहा है कि मन तो कर रहा है इसकी जान ले लूं !"
उसकी मां ने उसे शांत करवाते हुए कहा, "तुम चुप रहो अब मेरा खेल देखो इतना बोल उन्होंने एक इंजेक्शन निकाला ओर फ़िर अपने बेटे से कहा, "अब तुम मेरे साथ चलो ओर देखते जाओ इसकी बीवी कहने को तो इसकी होगी पर लगाम मेरे हाथो होगी !"
वहीं रेहान शरमाते हुए रूम में आया ओर उसने देखा तारा वहीं घुघट लिए बैठी थी !"
जिसे देख रेहान ने अपने हाथ में एक गुलाब लिया हुआ था वो लेकर शरमाते हुए तारा के पास लेकर गया ओर शमराते हुए बोला,
"छोटी गिलहरी ये देखो, मै तुम्हारे लिए क्या लाया हूं ,तारा ने जब अपने घुघट को उठाया तो उसने अपने पति को देखा जो हाथ में गुलाब लिए बच्चो के जैसे शरमा रहा था,उसने जैसे ही तारा को देखा तो पाया तारा के गाल लाल हो चुके थे उसे देख के !
वो अपने पति को देख ये सोच रही थी ये इतने भोले ओर मासूम कैसे हो सकते है पहले तो अपने dad से गुस्सा थी पर जब मंडप में रेहान को देखा ओर ये भी देखा उसकी फैमली कैसे उसे डांट रही है ओर उनका बिहेव रेहान के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं था । जिसे देख तारा को ये पता चल गया था कि उन लोगो को रेहान बिल्कुल पसंद नहीं तब तारा ने मन ही मन ये फैसला कर लिया कि जो भी हो उसके पति को इन बुरे लोगो से रक्षा करेगी !"
इतना याद कर तारा ने रेहान कि तरफ़ देखा तो उसने प्यार से रेहान से कहा, सुनिए !"
तारा भले ही एक आर्मी ऑफिसर हो पर उसकी आवाज़ एक मासूम से बच्चे के जैसी ओर दिखने में भी वो एक छोटी बच्ची लग रही थी !"
रेहान ने जैसे ही उसकी आवाज सुनी उसने तारा के पास बैठते हुए कहा,
तुम "छोटी गिलहरी,तुम्हारी आवाज़ तो कितनी प्यारी है हां ,बिल्कुल किसी कोयल के जैसे ,पर मेरी आवाज़ तो कोए जैसी है इतना बोल रेहान उदास हो गया तो तारा ने अपनी मीठी आवाज़ में कहा, "पर मुझे तो आपको आवाज़ सच में बहुत ज्यादा पसंद अाई !"
ये सुन रेहान खुश हो गया उसने तारा का हाथ पकड़कर कहा, " सच में मेरी आवाज तुम्हें अच्छी लगी पर बड़ी मां ओर बड़े भाई ने तो कहा था कि मेरी आवाज़ एक कोए के जैसी है ,पता है एक बार जब में गाना गा रहा था तो उन्होंने बहुत मुझे मारा थाओर पता है मेरे को तब बहुत दर्द हुआ था !"
रेहान के फैस को उदास देख तारा ने कहा, "तो अब मै आ गई हूं ना मेरे होते हुए कोई हाथ लगाकर तो दिखाए देखना मै उनका मुंह तोड़ दूंगी !"
जिसे सुन रेहान ने कहा, "नहीं ऐसा नहीं कहते छोटी गिलहरी,वो बड़े है हमसे !"
तारा ने ये सुना तो उसने रेहान की फ़िक्र करते हुए कहा, सुनिए कहीं आपको ज्यादा ज़ोर से तो नहीं मारा था शादी होने के वक़्त ।
ये सुन रेहान ने पहले उदास होते हुए कहा, "बहुत पैन हुआ था तब पर जब मैंने तुम्हे शादी के वक़्त अपने पास देखा तो पता मेरे दिल को बहुत खुशी हुई इतना बोल रेहान ने अपने दिल कि तरफ़ हाथ का इशारा करते हुए कहा ।
तारा ने जब ये सुना तो उसके गाल ओर जायदा लाल हो गए !
रेहान ने तारा की फ़िक्र करते हुए कहा, "छोटी गिलहरी,कहीं तुम्हे भी उन लोगो ने मारा तो नहीं था । तभी तुम्हारा फैस इतना लाल हो रहा है ,मै उन लोगो को छोड़ूंगा नहीं । मै उन लोगो की पिटाई करूंगा बिल्कुल छोटा भीम की तरह !"
ये सुन तारा ने कहा, "वो छोटा भीम कोन है , ये सुन रेहान ने तारा के सिर पर हलके से मारते हुए कहा, "तुम छोटा भीम को नहीं जानती,रुको मै बताता हूं ऐसा बोल उसने अपने तिकिए से एक खिलौना निकाल उसे दिखाते हुए कहा", ये है मेरा छोटा भीम !
ये सुन तारा ने उस खिलौने को देखा फ़िर उसने प्यार से कहा, "ओह, अच्छा ये बहुत अच्छा है क्या ये मेरे से दोस्ती करेगा !"
ये सुन रेहान ने कहा", हां करेगा क्योंकि तुम भी अब
मेरी टीम में हो ! फ़िर रेहान बेड से खड़ा होकर दुखी होकर घूम रहा था जिसे देख तारा ने कहा, "अब क्या हुआ आपको ये सुन रेहान ने कहा वो बड़ी मां मेरे लिए दूध लेकर नहीं अाई आज ओर तुम्हे पता है वो दूध मुझे बहुत पसंद है उसका टेस्ट बहुत अच्छा लगता है , येम्मी ...!
जिसे सुन तारा को अब पूरा विश्वास हो गया था कि वो लोग कुछ ना कुछ गड़बड़ कर रहे है !
उसने रेहान से प्यार से कहा, " सुनिए अगर आप मेरी एक बात मानोगे तोमै आपको गिफ्ट दूंगी !
ये सुन रेहान ने खुश होते हुए कहा, "ओह, मेरे लिए गिफ्ट बोलो बोलो क्या करना है मुझे ,
ये सुन तारा ने कहा, "आपको बड़ी मां जो दूध दे रही है उसे पीना नहीं फेक देना है गमले में पर बड़ी मां से बोलना की आपने पी लिया !"
ये सुन ने बच्चो के जैसे ज़िद करते हुए कहा, " नो नो ये तो गलत बात है ,पता है टीचर जी कहती थी कि झूठ बोलना पाप होता है, जिसे सुन तारा ने मन में सोचा इन्हें इनके तरीके से समझना होगा ।
इतना सोच उसने प्यार से कहा , "मैंने तो इसलिए कहा था क्योंकि मैंने बड़ी मां को ये बोलते हुए सुना था कि आपके पेट में उस दूध को पीने से बड़े बड़े शैतानी कीड़े आ जायेगे तो आपके पेट को अंदर ही अंदर खा लेंगे ,नहीं तो वो शैतान बनके बाहर आयेगे ओर आपको खा जायेगे !"
ये सुन रेहान ने डरते हुए तारा के गले से लग गया ओर उसने डरते हुए कहा, "सच्ची में ऐसा होगा ,फिर तो मै उन्हें मना कर दूंगा !
ये सुन तारा ने रेहान को समझाते हुए कहा," नहीं अगर आप उन्हें मना करोगे तो क्या पता वो लोग आपको पकड़ के वो आपके मुंह में डाल दे !"
ये सुन रेहान तो बेचारा डर गया तारा ने फ़िर उसे समझाते हुए कहा, ये हमारा सीक्रेट होगा !
ये सुन रेहान ने भी बच्चो के जैसे कहा , "हां टॉप सीक्रेट, फिर अपने पेट पर हाथ रखते हुए उसने कहा,
पर मुझे भूख लगी है अब मै क्या खाऊंगा बड़ी मां तो खाने नहीं देगी !"
ये सुन तारा ने हलके गुस्से में कहा, "ऐसे केसे नहीं देगी मै अभी जाकर पूछती हूं उनसे,
रेहान ने उसकी बात को सुन कहा, "नहीं वो बहुत बुरी है तुम्हें भी मारेगी वो ...!
ओर फ़िर तुम्हे दर्द होगा ओर मुझसे वो देखा नहीं जाएगा मुझे रोना आएगा वैसे भी "मै देखो,कितना स्ट्रॉन्ग बॉय हूं ,फिर भी मुझे पैन होता है ओर तुम तो छोटी गिलहरी मुझसे भी ज्यादा छोटी हो !"
ये सुन तारा ने कहा, "हां तो क्या हुआ पर मै आपसे जायदा स्ट्रॉन्ग हूं जब वो आएगी ना तो देखना कैसे क्लास लेती हूं उनकी !"
इतना बोल तारा ने अपने बैग निकाले ओर उसमे से आज के लिए बस इतना ही आप लोगो से एक बात
पूछनी थी अगर मै रीब्रथ tpy की दो स्टोरी ओर लेकर आऊं तो आप लोग पढ़ोगे 🥺
तारा ने गुस्से में कहा, "आने तो उनको, मैं फिर उनकी पिटाई कर दूँगी!"
आपको पता है, कॉलेज में मैंने इनके साथ दस लड़कों की पिटाई भी की थी। वो लड़के काफ़ी बड़े और मोटे थे!
ये सुनकर रेहान खुशी से अपने हाथों से तालियाँ बजाते हुए बोला, "वाह! मतलब तुम तो सुपरहीरो हो मेरी!"
ये सुन तारा ने प्यार से कहा, "अरे, मैं आपको तो बता रही हूँ क्योंकि आपको भी एक स्ट्राँग बॉय बनना होगा!"
ये सुनकर रेहान उदास हो गया और उसने उदास होते हुए कहा, "पर मैं तो कमज़ोर बॉय हूँ, तभी तो मेरे को बड़े भैया और सब लोग पीट देते हैं!"
ये सुनकर तारा ने रेहान के चेहरे की तरफ़ देखा जो इतना गुमसुम था। तारा को ये देख अच्छा नहीं लगा। उसने रेहान के बालों में अपने हाथ फेरते हुए कहा, "अरे, ऐसे नहीं बोलते। आपको पता है, जब मैं छोटी बच्ची थी तो मुझे मेरी छोटी बहन पीट देती थी!"
रेहान को तो जैसे उसकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। ये देखकर तारा ने अपने फ़ेस को नीचे करते हुए धीमी आवाज़ में कहा, "पता है, एक बार उसने मुझे अपनी दोस्तों के साथ मिलकर पीटा था। तब बहुत रोई थी। तब मेरे पापा ने कहा था कि मुझे एक स्ट्राँग लड़की बनना होगा!"
फिर पता है, वो मुझे अपने साथ दूसरे देशों में या दूसरे शहरों में घुमाने ले जाते थे और वहाँ जाकर मुझे सब कुछ सिखाते थे, जैसे गोली मारना या हाथों से लड़ना।
ये सुनकर रेहान खुश हो गया, पर फिर वो उदास होते हुए बोला, "पर मेरे को बड़ी माँ जाने नहीं देंगी!"
ये सुनकर तारा ने उसकी नाक को प्यार से पकड़ते हुए कहा, "तो क्या हुआ? मेरे पति देव, आप अभी तक मुझे नहीं जानते हो? मैं आपको लेकर जाऊँगी बाहर घुमाने को और कोई रोक भी नहीं सकता हमें। और पता है, मैं आपको अभी से स्ट्राँग बॉय बनने की तैयारी करवाती हूँ!"
रेहान की पर्सनैलिटी काफ़ी अच्छी थी, लेकिन वो इस वक़्त काफ़ी कमज़ोर था। ये देखकर तारा ने रेहान से कुछ सोचते हुए कहा, "आप ऐसा करो, इन कपड़ों को बदल दो। मैं भी बदल लेती हूँ अपने।" ऐसा बोल तारा जैसे ही जाने को हुई, उसने रेहान की तरफ़ देखा जो उसका हाथ पकड़े खड़ा हुआ था!
ये देखकर तारा ने पूछा, "क्या हुआ रेहान? आपको कुछ चाहिए?"
तो रेहान ने दुखी होते हुए कहा, "वो मेरे कपड़े नहीं हैं, मतलब पहले थे। पर फिर बड़े भाई ने जला दिए! क्योंकि उन्हें मेरी शादी की सुनकर गुस्सा आया तो!"
ये सुनकर तारा सारा मामला समझ गई। उसने हँसते हुए कहा, "बस इतनी बात? इसमें उदास होने वाली कौन सी बात है? पता है, मैंने जब हमारी शादी हो रही थी, तब मैंने अपने असिस्टेंट को बोल दिया था आपके कपड़े लेने के लिए!"
ये सुनकर रेहान ने नासमझी में कहा, "ये असिस्टेंट क्या होता है? छोटी गिलहरी!"
तारा ने ये सुन उसे प्यार से कहा, "जब आप कोई बड़े हीरो या हीरोइन होते हो या फिर कोई बड़ा बिज़नेस करते हो, तो तब आपको सब कुछ बताने वाला और आपकी हेल्प करने वाला होता है!"
"ओह," रेहान ने कुछ सोचते हुए कहा।
तारा ने अपने एक बड़ा बैग निकाला। उसमें रेहान और अपने लिए कपड़े थे। वो निकाले। तारा ने रेहान को दिखाते हुए कहा, "ये देखो, ये सारे कपड़े आपके लिए ही हैं!"
रेहान उन कपड़ों को देखकर खुश हो गया क्योंकि उनमें से काफ़ी सारे कपड़ों पर मिकी माउस बना था या कार्टून! जिसे देख वो खुश हो गया। तारा ने उसके लिए एक मिकी माउस का नाइट सूट निकाला जो कि येलो कलर का था! और कहा, "ये आपके लिए। कैसा लगा बताना। आप फिर ठीक हैं?" ये सुनकर रेहान खुश होते हुए बोला, "हाँ, ये मुझे पसंद है। मैं अभी जाकर पहन के आता हूँ!"
ऐसा बोल वो वॉशरूम में चला गया। उसने जाने के बाद तारा ने कहा, "ये तो चले गए। अब मैं यहीं चेंज कर लेती हूँ।" इतना बोल उसने दरवाज़े पर देखा जो अच्छी तरह से लॉक था!
फिर तारा ने कपड़े बदले, अपने मेकअप को भी उतार दिया और गहने भी। तारा ने इस वक़्त एक खुली सी शर्ट पहनी थी जो ज़्यादा लॉन्ग तो नहीं थी, पर हाँ उसके घुटनों के थोड़ा ऊपर थी! और नीचे कम्फ़र्ट वाली शॉर्ट जो रात को पहनी जा सकें। तारा ने अपने बालों को बाँधा और रेहान के लिए कुछ खाने को तैयार करने लगी!
तभी रेहान वॉशरूम से बाहर आया और तारा की तरफ़ देखते हुए उसने कहा, "देखो, छोटी गिलहरी, मैं बताओ कैसा लग रहा हूँ?" ये सुनकर तारा ने रेहान से कहा, "अरे वाह! आप तो बिल्कुल किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहे हो!"
ये सुनकर रेहान ने तारा के चेहरे की तरफ़ देखते हुए कहा, "पर तुमसे तो कम ही सुंदर हूँ ना? तुम तो अब बिल्कुल एक एंजल लग रही हो!" ये सुनकर तारा ने कहा, "अच्छा!"
"हाँ, सच में।" गॉड प्रॉमिस। तभी रेहान के पेट पर हाथ रखा क्योंकि तब रेहान का पेट आवाज़ें निकालकर शोर करने लगा था!
ये सुनकर तारा ने कहा, "आप जल्दी आइए बेड पर। मैंने खाना तैयार कर दिया है आपके लिए!"
ये सुनकर रेहान भागकर बेड के पास बैठ गया!
तारा ने रेहान से प्यार से कहा, "आराम से रेहान!"
रेहान ने बच्चों जैसे कहा, "छोटी गिलहरी! मेरे को भूख लगी है। जल्दी-जल्दी दो खाने को!" तारा ने उसकी बात सुनकर धीरे से कहा, "आराम से रेहान, तुम्हारे लिए सब है!"
ऐसा बोल तारा ने ध्यान से खाना निकालकर बेड पर रख दिया!
तारा ने रेहान के लिए मिल्कशेक, उसमें ड्राई फ्रूट्स और केले डाले थे! जिसको पीने से किसी का भी पेट भर जाए। फिर उसने उसके साथ एक फ्रूट्स चाट, और पोहा, उसके साथ कुछ बिस्कुट और चॉकलेट रखी। रेहान ने जैसे ही उसके खाने को देखा, उसने कहा, "छोटी गिलहरी, तुम भी खाओ साथ में।" तारा ने ये सुनकर प्यार से कहा, "हाँ, आप भी खाओ!"
ये सुनकर रेहान ने कहा, "हाँ, मैं भी तो खा रहा हूँ, पर उससे अच्छे से नहीं खाया जा रहा था!"
ये देखकर तारा ने कहा, "रुको, आप। मैं खिलाती हूँ आपको।" तारा ने वो सब थोड़ा ही बनाया था ताकि उन दोनों का पेट भर जाए और बाकी का फूड वेस्ट ना हो इसलिए! तारा ने एक ही प्लेट निकाली और उसमें रेहान और खुद के लिए डाला था। तारा ने पहले रेहान को अपने हाथों से खिलाने लगी! फिर खुद खाती। ऐसा करते हुए तारा ने रेहान को वो चाट, पोहा और शेक खिलाया, फिर चॉकलेट भी!
रेहान ने उस चॉकलेट को खाते हुए कहा, "तुम्हें पता है छोटी गिलहरी, चॉकलेट अच्छी नहीं होती हमारी हेल्थ के लिए!"
ये सुनकर तारा ने अपनी हँसी को छुपाते हुए कहा, "सच में!"
ये सुनकर रेहान ने कहा, "हाँ, पर ये चॉकलेट बहुत टेस्टी है। कहाँ से मिली ये?"
ये सुनकर तारा ने कहा, "ये तो मैंने खुद बनाई है और ये आपकी हेल्थ के लिए काफ़ी अच्छी है। अब से आपको रोज़ रात में ये ही दूँगी! जैसे आपको बड़ी माँ दूध देती है वैसे ही... पर इससे आप स्ट्राँग बॉय बनोगे!"
ये सब सुनकर रेहान खुश होते हुए बोला, "छोटी गिलहरी, तुम बहुत अच्छी हो। मैं पापा से कहूँगा तुम्हारे बारे में!"
तारा ने फिर रेहान से कहा, "ये देखिए, ये आपके रूम में मैंने छोटा सा फ्रिज रखवाया है ताकि जब भी आपको भूख लगे और मैं आपके पास ना हूँ तो आप रूम से बाहर नहीं जाकर यहीं पर फ्रूट्स और पानी पी लो और दूध भी!"
ये सुनकर रेहान ने तारा को गले लगाते हुए रोते हुए कहा, "नहीं छोटी गिलहरी, तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती!"
ये सुनकर तारा ने प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए कहा, "अरे बाबा, नहीं जा रही!" ऐसा बोल उसने फिर आइसक्रीम का डिब्बा दिखाते हुए कहा, "अब ये आइसक्रीम हम सुबह खाएँगे ब्रेकफास्ट के बाद..."
रेहान ने खुश होते हुए तारा से कहा, "पता है छोटी गिलहरी, आज मैंने काफ़ी टाइम बाद इतना टेस्टी खाना खाया है!"
तारा ने रेहान से कहा, "अब से आपको रोज़ ऐसा ही खाना दूँगी मैं!" ये सुनकर रेहान काफ़ी खुश था। तभी उसके रूम की दरवाज़े की किसी ने आवाज़ दी ,ये देखकर रेहान बच्चों जैसे डर गया!
दरवाज़े पर ज़ोर से आवाज़ होने पर, रेहान डरते हुए, बच्चों की तरह तारा के पीछे छिप गया। उसे यूँ डरता देख तारा ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुए कहा, "क्या हुआ रेहान? आप डर क्यों रहे हो? बताओ मुझे!"
यह सुनकर रेहान ने उसके हाथ पर अपनी पकड़ कसते हुए कहा, "वो बड़ी माँ आई है। वो मुझे सुई मारेगी। मुझे बहुत पैन होता है! पता है, छोटी गिलहरी, पिछली बार जब लगाया था ना उन्होंने, तब मेरे अंदर तक चली गई थी। उसका निशान भी बन गया मेरे हाथ पर।" ऐसा कहते हुए रेहान ने अपनी शर्ट को बाहों से थोड़ा ऊपर किया। तब तारा ने ध्यान दिया कि रेहान के उस हिस्से पर काफ़ी गहरे नीले निशान थे, और वो निशान ऐसे थे जैसे किसी ने जानबूझकर इंजेक्शन लगाया हो, रेहान की बॉडी में, ताकि उसे दर्द दे सकें!
यह सुनकर तारा ने मन में कहा, "इस बूढ़ी ने मेरे पति के साथ इतना कुछ किया, और मैं बस यूँ ही देखती रहूँगी? अब नहीं! अब आई है तो सही, बड़ी सासू माँ! आपका वो हाल करती हूँ कि ज़िन्दगी भर याद रखेगी!"
ऐसा सोचकर उसने रेहान से कहा, "मेरे पास एक दवा है, जिसे अगर मैं यहाँ लगा दूँगी, तो आपके ये घाव चले जाएँगे, और हाँ, इससे ना आपको जो पैन हो रही होगी, ना वो भी कम हो जाएगी!"
यह सुनकर रेहान ने खुशी से उछलते हुए कहा, "ओह! मतलब तुम्हें डॉक्टर का काम भी आता है!"
यह सुनकर तारा ने कहा, "हाँ, मुझे थोड़ा बहुत तो पता है इसके बारे में!"
तभी बाहर से आवाज़ आई, "तारा बहू, सो गई हो क्या? जो अभी तक दरवाज़ा नहीं खोल रही हो!"
तारा ने मन में गुस्से से कहा, "कैसी बेशर्म औरत है! आज हमारी नई-नई शादी हुई, और ये आज ही आ गई! अभी देखती हूँ इनको!" ऐसा बोलकर तारा ने दरवाज़ा खोला, तो उसके सामने एक 50 साल की औरत खड़ी थी। उस औरत के चेहरे पर एक अलग ही तरह का घमंड नज़र आ रहा था!
उस औरत के पीछे एक लड़का था, जो रेहान से काफ़ी बड़ा था, और उसने अपनी बॉडी काफ़ी अच्छी बनाई हुई थी। पर तारा को उसकी बॉडी में कोई इंटरेस्ट नहीं था। तारा को ऐसे लड़कों से बहुत ज़्यादा चिढ़ होती थी, जो ऐसी बॉडी बनाकर रेहान जैसे मासूम लोगों की तंग करते थे। रेहान की बॉडी भले ही ना के बराबर थी, पर फिर भी तारा के लिए रेहान से बढ़कर कोई नहीं था। उसे रेहान के अलावा अब और कोई पसंद नहीं था! उसके लिए तो रेहान ही बेस्ट था और रहेगा!
तभी सामने खड़ी उस औरत ने उसे बड़े रूखे अंदाज़ में कहा, "इतनी देर क्यों हो गई दरवाज़ा खोलने में?"
यह सुनकर तारा ने एक नकली मुस्कान के साथ कहा, "वो मैं कपड़े बदल रही थी, और इनको भी सुलाने की कोशिश कर रही थी। वो खाना नहीं खाया ना, तो भूखे पेट नींद कैसे आएगी?"
जिसे सुनकर उस औरत ने घमंड में कहा, "हाँ, वो रात का सारा खाना खत्म हो चुका है! अब सुबह ही मिलेगा तुम्हें।" ऐसा बोलकर उसने गुस्से में रेहान की तरफ़ घूरकर देखा, जिसे देखकर रेहान थोड़ा सा डर गया!
रेहान को डरता देख वो औरत बड़ी खुश हो रही थी। तारा का मन कर रहा था इस औरत का सिर दीवार पर मार दे, पर अभी के लिए तो वो ऐसा कुछ कर नहीं सकती थी!
वहीं वो लड़का, उसकी बुरी नज़रें तारा पर ही थीं। रेहान ने जब उसकी नज़रें तारा पर महसूस कीं, तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा! उसे भी अंदर ही अंदर गुस्सा आ रहा था, पर उसने अपने गुस्से को कंट्रोल किया हुआ था!
तारा ने उस औरत से कहा, "बड़ी सासू माँ, आप यहाँ खाना देने नहीं आईं, तो कुछ काम तो होगा आपको हमसे? आप जल्दी से बताओ वो क्या है? सुबह मुझे शूटिंग पर भी जाना है, तो..."
यह सुनकर उस औरत ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "हाँ, इसने दूध तो पी लिया था, पर वो बात ये है कि इसे रात को इंजेक्शन देना पड़ता है, नहीं तो ये बेकाबू होकर सब पर हमला करने लग जाता है!"
यह सुनकर तारा ने प्यार से कहा, "आप एक काम कीजिए, मुझे दे दीजिए, मैं अभी लगा देती हूँ इन्हें!"
यह सुनकर उसकी बड़ी सासू माँ ने मना करते हुए कहा, "अरे नहीं बेटा, रेहान मेरे बेटे जैसा है, तो मुझे लगाने दो!"
यह सुनकर तारा ने शर्माते हुए कहा, "वो सासू माँ, मैं नहीं चाहती कि मेरे अलावा कोई और इन्हें हाथ लगाए, इसलिए आप मुझे दे दीजिए!"
यह सुनकर उस औरत ने घमंड में कहा, "नहीं बहू, ये बड़ा हंगामा करने लग जाता है। इसे अपने बेटे से पकड़वाना पड़ता है, तब जाकर लगता है, और इंजेक्शन लगने के बाद ये काटने भी लग जाता है!"
यह सुनकर तारा ने अफ़सोस करते हुए कहा, "फिर तो ये काम मुझे ही करना चाहिए। मुझे इसका अच्छा-खासा एक्सपीरियंस है! और आप तो मुझसे काफ़ी बड़ी हैं उम्र में, और मैं नहीं चाहती कि ये आप पर हमला करे! वैसे भी, इस उम्र में अगर एक भी हड्डी इधर-उधर हुई, तो लेने के देने पड़ जाएँगे! ऐसा ही मेरी एक दोस्त की सासू माँ के साथ हुआ था। उनके कोई रिश्तेदार पागल था, तो उन्हें इंजेक्शन लगाना आता था। तो उन्होंने जब लगाने के लिए आगे बढ़े, तो उस पागल ने उन पर हमला कर दिया! और पता है, आज तक वो हॉस्पिटल के बेड पर है।" यह सुनकर उसकी बड़ी सास ने अपने डर को छुपाते हुए कहा, "तुम मुझे डरा रही हो बहू!"
यह सुनकर तारा ने ऐसा चेहरा बनाया, जैसे उसे उनकी बड़ी फ़िक्र हो। उसने उदास होते हुए कहा, "वो माँ जी, मुझे आपकी परवाह है सासू माँ। मैं नहीं चाहती जो उसके साथ हुआ, वो आपके साथ हो!"
यह सुनकर रेहान की बड़ी माँ ने अपना मुँह बनाते हुए कहा, "ठीक है... ठीक है, अगर तुमने लगाना है, तो शोक से लगाओ।" इतना बोलकर उसने वो इंजेक्शन उसे दिया। तारा ने वो इंजेक्शन लेते हुए कहा, "ठीक है, अब आप जाओ, मैं लगा देती हूँ इन्हें।" तभी उसी बड़ी सास ने रोकते हुए कहा, "नहीं बहू, इसकी कोई ज़रूरत नहीं। रेहान मेरा भी तो बेटा है, और तुम भी तो बेटी जैसी हो। ये तुम पर हमला ना कर दे, इसलिए तुम्हारी सेफ़्टी के लिए बहुत ज़रूरी है!"
यह सुनकर तारा ने एक नकली मुस्कान के साथ कहा, "ठीक है माँ जी, जैसा आप कहें।" इतना बोलकर तारा वो इंजेक्शन रेहान को लगाने के लिए आगे बढ़ रही थी, तभी रेहान ने उससे डरते हुए कहा, "तू... तू... तुम पागल! दूर रहो मुझसे! तुम बड़ी माँ के साथ मिली हुई हो!"
यह सुनकर तारा ने रेहान से कहा, "रेहान जी, मुझे इंजेक्शन लगाने दीजिए। प्रॉमिस करती हूँ, आपको थोड़ा सा भी दर्द नहीं होगा! अगर दर्द हुआ, तो आप मुझे काट लेना।" यह सुनकर रेहान ने मासूमियत से कहा, "तुम सच्ची बोल रही हो ना?" यह सुनकर तारा धीरे से कहा, "पक्का प्रॉमिस।" यह सुनकर रेहान ने डरते हुए अपनी कलाई आगे बढ़ा दी। तारा ने अपनी बड़ी सास और उसके बेटे के सामने ऐसा दिखावा किया जैसे वो लगा रही हो, पर तारा ने वो इंजेक्शन रेहान के पीछे पड़े एक खाली डिब्बे में भर दिया!
तारा ने रेहान से कहा, "हो गया।" यह देखकर रेहान ने अपनी आँखें खोलीं, और जब इंजेक्शन को खाली देखा, तो खुशी से उछलकर कहा, "सच में छोटी गिलहरी, मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हुआ। तुमने सच कहा।"
तारा ने बस उसे एक स्माइल पास कर दी, और उसने अपने हाथ में कुछ सफ़ेद सा पाउडर लिया, और अपनी एक मुट्ठी में लेकर अपनी सास की तरफ़ ले चली!
पर तारा ने गिरने का नाटक करते हुए कहा, "आह! सासू माँ!" इतना बोलकर वो ज़ोर से रेहान की माँ के गले लगी! और वो जानबूझकर ऐसे गिरी कि वो खाली इंजेक्शन उसकी सास के पीछे ज़ोर से लग गया! जिसके कारण उसकी बड़ी सास की चीख निकल गई। तभी तारा ने मासूमियत से कहा, "क्या हुआ माँ जी? आपको कहीं ज़ोर की तो नहीं लगी ना?" ऐसा बोलकर तारा ने बड़े ही चालाकी से उस सफ़ेद पाउडर को उसके कपड़ों में और फिर उसके बेटे के कपड़ों में छिड़क दिया!
आज के लिए बस इतना ही। कल फ़्लैशबैक ख़त्म कर दूँगी। वो एक ही दिन में ख़त्म करना पॉसिबल नहीं है!
तारा बड़ी मासूमियत से बोली, "माफ़ करना, सासू माँ! वो मेरा पैर फिसल गया। आपको कहीं लगी तो नहीं?" तारा ऐसा चेहरा बनाकर बोल रही थी जैसे उसे बड़ी चिंता हो। तारा जानबूझकर इंजेक्शन पर इतना ज़ोर डाला कि वह और अंदर तक जाकर उसकी बॉडी में दर्द दे। जैसे उन्होंने रेहान को दिया था! उन लोगों की हिम्मत भी कैसे हुई उसकी सासू माँ और उसके बेटे की, रेहान के साथ इतना ग़लत करने की? वह उन दोनों को ऐसे थोड़ी जाने दे सकती थी! उनकी सज़ा तो उन दोनों को मिलनी ही थी! यह तो बस एक ट्रेलर था उन दोनों के लिए। तारा ने कम से कम पाँच बार ऐसा किया होगा! जिससे उसकी बड़ी सास वहीं पर दर्द से गिर पड़ी। उसने फिर तारा से कहा, "बहू, तुम मेरी मदद कर रही हो या मुझे चोट पहुँचा रही हो?"
यह सुनकर तारा ने ऐसा एक्सप्रेशन दिया जैसे उसे सबसे ज़्यादा दुख हुआ हो। "बड़ी सासू माँ, आप खुद भी तो बता सकती थीं ना? मैंने कितनी बार पूछा कि बता दो, पर आप तो कुछ बोल ही नहीं रही थीं! इसमें भला मेरा क्या दोष?" तारा ने बड़ी आसानी से सारा दोष उस पर डाल दिया और खुद को निर्दोष साबित कर दिया।
उसकी सास ने बड़ी मुश्किल से उस इंजेक्शन को बाहर निकाला और एक तेज चीख निकली उनकी, क्योंकि वह इंजेक्शन पूरा ख़ून में डूबा हुआ नज़र आ रहा था। उसे दिखाते हुए उन्होंने तारा को ताना मारते हुए कहा, "देख रही हो? अपने किए कारनामे! पता नहीं इस पागल को कैसे दर्द नहीं हुआ! मुझे तो लगता है यह सब तूने जानबूझकर किया है!"
तारा ने यह सुनते ही रोने की एक्टिंग करते हुए बोली, "बड़ी सासू माँ! एक तो मैंने इनको इंजेक्शन लगाया ताकि आपको चोट ना लगे, और आप यह सोच रही हैं कि मैंने यह सब जानबूझकर किया है?" तारा को बेस्ट एक्टर्स का अवॉर्ड मिल चुका था। उसके पापा के अलावा कोई और यह पता नहीं लगा सकता था कि तारा एक्टिंग कर रही है या सच में हो रहा है। उसकी एक्टिंग सीधे लोगों के दिलों पर लगती थी, जिसके कारण हर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर उसे ही रखने की डिमांड करते थे। तारा ने अपनी एक्टिंग जारी रखते हुए कहा, "हाँ, ठीक है! अगर आपको यही लगता है ना, माँ जी, तो यही सही! जितना दर्द आपको हो रहा है, उतना दर्द मुझे भी हो रहा है।" खुद को साबित करने के लिए वह एक चाकू हाथ में कसकर पकड़ने लगी। जैसे ही वह काट मारने वाली थी, उसके जेठ और रेहान दोनों एकदम से चीख उठे। रेहान ने जब तारा को रोते देखा, तो वह भी रोने लगा और रोते हुए बोलने लगा, "बड़ी माँ! आप मेरी छोटी गिलहरी को छोड़ दो! उन्होंने कुछ भी नहीं किया। अगर आपको मारना है, तो मुझे मार दो! मैं कुछ भी नहीं कहूँगा, मैं अच्छा बॉय बनकर सब कुछ सह लूँगा! पर छोटी गिलहरी को छोड़ दो!" उसकी बात काटते हुए उसके बड़े भाई ने भी कहा, "हाँ, माँ! तारा जी बिल्कुल ठीक कह रही हैं। यह भला आपके साथ ऐसा क्यों करेगी? इनकी तो आपके साथ कोई दुश्मनी भी नहीं है!"
उसकी माँ कुछ कहने वाली थी, तभी उसने अपनी माँ को रोकते हुए कहा, "बस भी करो अब, माँ! आप अगर ऐसा करोगी, तो हम तारा के पापा को क्या जवाब देंगे?" यह सुनकर उसकी सास, जो अब तक अकड़ में थी, वह एकदम शांत पड़ गई। उन्होंने मन में सोचा, "अगर मैंने ऐसे कुछ भी कहा और इस पागल लड़की ने ऐसा-वैसा कुछ कर दिया, तो लेने के देने पड़ जाएँगे!" इतना सोचकर उसने अपने दर्द को छिपाते हुए कहा, "कोई बात नहीं, बहू! होता है ऐसा कभी-कभी! मैंने पहले भी कहा है, जैसे मेरे लिए रेहान बेटा है, वैसे ही तुम भी हो! और एक माँ अपने बच्चों की सारी गलतियाँ माफ़ कर सकती है! फिर यह तो यह छोटी सी बात है।" यह सुनकर तारा रोते हुए उनके गले लग गई और उस व्हाइट पाउडर को फैलाने लगी। उसकी सास को अजीब लगा, पर उन्होंने गौर नहीं किया। तभी तारा का पैर हल्का सा मुड़ गया। यह देखकर उसके जेठ ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा, "संभल कर, तारा जी! लगता है कुछ खाती-पीती नहीं हो, तो इतनी कमज़ोर हो चुकी हो।" यह सुनकर तारा ने एक नकली स्माइल देते हुए कहा, "क्या करें, जेठ जी? एक एक्ट्रेस हूँ, तो... अपनी डाइट को फ़ॉलो करती हूँ बस!" यह सुनकर उसके जेठ ने मन में तारा को देखते हुए कहा, "क्या लड़की है यह! बवाल! इसे तो हाथ लगाने से ही मेरी बॉडी में करंट दौड़ने लगा! एक बार हाथ लग जाए मेरे, कसम से सात दिन तक रूम से बाहर नहीं जाने दूँगा!"
उसकी हरकतों को देखकर रेहान, जो अब तक रो रहा था, उसे अपने बड़े भाई की नज़रों को देख गुस्सा आ गया। तभी अचानक से उसने देखा कि उसकी बड़ी माँ और उसका बड़ा भाई बंदर की तरह उछल-कूद कर रहे थे, क्योंकि वह खुजली का पाउडर था जो उसने उन दोनों पर डाला था। तारा की सास और उसका बेटा दोनों बंदरों की तरह कूदते हुए बोले, "हाँ, बचाओ हमें कोई इस खुजली से! हमारी जान जा रही है!" कम से कम पन्द्रह मिनट खुजली करने के बाद उन्होंने जब एक-दूसरे को देखा तो पाया कि वह दोनों माँ-बेटे के हाथ-पैर लाल और सूजे हुए थे। यह देखकर उन दोनों की एक चीख निकल पड़ी।
तारा ने बेफ़िक्री का नाटक करते हुए कहा, "ओह, माँ जी! लगता है आपको किसी कीड़े ने काट लिया होगा! वैसे भी, यह कमरा हमारा उतना एडवांस्ड नहीं है। वैसे, माँ जी, कीड़े-मकोड़े से होने वाले घाव को निकालने का मेरा पाँच साल का एक्सपीरियंस है। कहो तो कर दूँ आप दोनों पर अप्लाई?" यह सुनकर उन दोनों माँ-बेटे ने एक साथ कहा, "बिल्कुल नहीं!"
यह सुनकर तारा जैसे उदास हो गई। उसे उदास देख उसकी सास ने कहा, "जितनी मदद तुमने करनी थी, बहू, कर दी। अब इससे आगे की मदद मैं डॉक्टर से ले लूँगी। तुम अपना यह एक्सपीरियंस अपने इस पागल पति पर करो।" इतना बोलकर वह दोनों वहाँ से भाग खड़े हुए।
उन दोनों के जाने के बाद, तारा ने जैसे ही उन लोगों को जाते हुए देखा, उसने दरवाज़ा अच्छे से लॉक कर दिया और बेड पर मस्ती में नाचते हुए बोली, "वाह, तारा! तू तो ग्रेट है! उस बूढ़ी और उसके बेटे को आज उनकी पनिशमेंट दे ही दी!"
रेहान उसकी बातें सुनकर बड़बड़ाते हुए बोला, "मतलब छोटी गिलहरी ने मेरे लिए...?"
तारा ने जैसे ही अपने पति को देखा, तो उसका हाथ पकड़कर उसे कहा, "रेहान जी, आप आज मेरे साथ डांस करो, अपनी पहली जीत का!"
यह सुनकर रेहान ने कहा, "यह सब आपने जानबूझकर किया ना?" यह सुनकर तारा ने बेपरवाही से कहा, "हाँ, क्योंकि उन्होंने आपको हर्ट किया इतने सालों तक। अब मेरी बारी है! आपने देखा ना उन दोनों माँ-बेटे को कैसे लाल बंदर लग रहे थे! अब देखना, वह दोनों एक हफ़्ते तक किसी को अपना मुँह नहीं दिखाने वाले!"
फिर थोड़ा भावुक होते हुए बोली, "अब आप अकेले नहीं हो, रेहान! मैं भी हूँ आपके साथ इस सफ़र में!"
रेहान ने जैसे ही तारा की बात सुनी, वह खुश हो गया, लेकिन कुछ सोचते हुए उसने कहा, "पर आपने जब मेरे भाई से हाथ मिलाया, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा! वह अच्छे भाई नहीं है। अब वह तुम्हें भी पीटेंगे मेरे साथ!"
यह सुनकर तारा अपने मासूम से पति को देख रही थी, जिसे उसके भाई की गंदी नज़रें ऐसे लग रही थीं जैसे वह उसके साथ-साथ तारा को भी मारना चाहता हो। पर तारा ने मन ही मन में कहा, "ओह, मेरा भोलेपती देव!" इतना मन में बोलकर तारा ने रेहान को पकड़कर बेड पर ले आते हुए बोली, "उसकी फ़िक्र आप मत करो! उसके लिए मैं और मेरे डैडी हैं! देखना, अब ऐसे ही उन दोनों की बेइज़्ज़ती होती रहेगी!"
यह सुनकर रेहान ने अपनी आँखों में चमक लिए बोला, "सच्ची?" यह सुनकर तारा ने नींद भरी आँखों से कहा, "हाँ, बिल्कुल!" ऐसा बोलकर उसने रेहान के हाथ में अपना हाथ रखते हुए ही सो गई। तारा की आदत थी कि उसे भूख और नींद बर्दाश्त नहीं होती थी। रेहान ने खुद से कहा, "अगर मैं शोर करूँगा, तो छोटी गिलहरी हर्ट होगी।" इतना बोलकर उसने तारा के सिर पर हाथ रखा और वह भी वहीं सो गया।
फ़्लैशबैक एंड...
रेहान उन्हीं पलों को याद कर रहा था, तभी... "हाय! अब मुझसे मेरी नींद कंट्रोल नहीं होती! मैं तो चली सोने। अब शुभ रात्रि तुम सबको!"
रेहान वहीं सड़क किनारे बैठा, बारिश के पानी में भीग रहा था। तभी तारा की नज़र उस पर पड़ी। रेहान की ऐसी हालत देख तारा के दिल में तेज़ दर्द हुआ। उसे अपने दिल में एहसास हुआ कि ये इंसान उसके लिए कितना पागल है। एक बार भी उसने ये जानने की कोशिश नहीं की कि वो उसे पसंद करती है या नहीं, बस सीधा यहां आ गया अपने दर्द को कम करने के लिए।
ये इंसान तारा के लिए इतना पागल था कि इसके लिए अपनी जान भी दे दी। और कहीं न कहीं तारा अपनी बेटी की मौत की ज़िम्मेदार भी थी पिछले जन्म में, लेकिन एंड टाइम में भी रेहान ने उसके लिए जान दे दी!
एक बार भी रेहान ने तारा से शिकायत नहीं की, लेकिन इस बार, इस बार कुछ अलग था। रेहान का प्यार उसके लिए अब धीरे-धीरे बाहर आने लगा था (जैसे रूठना, अपने पार्टनर से शिकायत करना)।
तारा ने खुद से बुदबुदाते हुए कहा, "इसे मनाने के लिए लगता है काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी मुझे।" इतना बोल तारा अपने धीमे कदमों से रेहान के पास आने लगी।
तभी तारा ने रेहान की बात सुनी। रेहान रोते हुए खुद से बोल रहा था, "कोई मुझसे प्यार क्यों नहीं करता? मेरी तारा, मेरी छोटी गिलहरी भी नहीं करती मुझसे प्यार। तभी तो वो मुझे छोड़कर उस आशीष के पास..." कहते हुए उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी।
ये देख तारा, जो तेज़ बारिश में छाता उसके ऊपर लिए खड़ी थी, उसने आगे की बात पूरी करते हुए कहा, "मैं उस आशीष के पास? क्या रेहान? आपके कहने का क्या मतलब है, रेहान?" तारा ने रेहान की तरफ़ देखते हुए कहा।
तारा की आवाज़ सुन रेहान खुश होते हुए बोला, "मेरी तारा... मेरी छोटी गिलहरी!"
ऐसा बोल उसने जैसे ही ऊपर देखा तो तारा की आँखों में उसके लिए हल्का गुस्सा था। आखिर ये पागल आदमी ऐसे वहाँ पर बिना बताए कैसे आ सकता था!
यही सोच तारा ने रेहान से कहा, "रेहान, अगर आपको यहीं आना था तो मुझे बता देते!"
ये सुन रेहान ने अपने मुँह को मोड़ते हुए कहा, "क्यों? क्या हर चीज़ तुम्हें बताकर करनी पड़ेगी?"
ये सुन तारा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि रेहान ऐसा बोल रहा है। उसने रेहान को कलाई से पकड़कर अपनी तरफ़ खींचते हुए कहा, "ये कैसी बातें कर रहे हो आप? हां?" रेहान ने उसकी बातों को सुन अपनी नज़रें चुराते हुए कहा, "वही जो आप सुन रही हो! आपको क्या लगा मैं पागल हूँ? जो नहीं जानता कि आप मुझसे प्यार नहीं करती हो!"
तारा ने जैसे ही ये सुना, उसने रेहान को कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि तभी उसकी नज़र रेहान के हाथ में लगे उस घाव पर गई जो अभी-अभी उसे लगा था!
तारा ने जैसे ही उस घाव को देखा उसे बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था रेहान पर। उसकी हिम्मत कैसे हुई खुद को हर्ट करने की!
ये सोच तारा ने अपने हाथों से उस गाड़ी के शीशे में अपना हाथ जोर से मारा जिससे उसके हाथ में ख़ून बहने लगा।
तारा के इस एक्शन की उम्मीद तो रेहान ने भी नहीं की होगी! रेहान ने जैसे ही देखा तारा के हाथ में खून बह रहा था, उसने तारा के हाथ को पकड़ते हुए कहा, "ये क्या किया छोटी गिलहरी तुमने?"
ये सुन तारा ने कहा, "बिलकुल मैंने वही किया जो आपने किया रेहान! आपको कितना समझाया कि मेरा उस आशीष के साथ कोई लेना-देना नहीं है पर आपने मेरी बात एक बार भी नहीं सुनी! आप सोच भी कैसे सकते हो रेहान मैं उस लंगूर के पास जाऊँगी? मैं क्या आपको पागल दिखती हूँ जो अपनी बहन के बॉयफ्रेंड पर नज़र डालूँ? जबकि मेरे पास इतना अच्छा पति है।" ऐसा कहते हुए तारा ने शरारत से अपने दोनों हाथ रेहान के गले में डाल दिए।
रेहान ने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर उसमें लगे एक चोट से काँच के टुकड़े को बड़े प्यार से निकालते हुए कहा, "लोगों की नज़रों में मैं आज भी पागल हूँ, तारा..." कहते-कहते रेहान की आवाज़ नम हो चुकी थी।
तारा ने अपनी उंगली को उसके होंठों पर रखते हुए उसे चुप करवाते हुए कहा, "पागल तुम नहीं रेहान, पागल वो लोग हैं जिन्होंने तुम्हें पागल कहा। उन लोगों की आँखें अंधी हैं जो एक कोहिनूर को नहीं पहचान पा रहे हैं!"
ये सुन रेहान अविश्वास के साथ तारा की तरफ़ देखने लगा। तारा ने जब उसकी नज़रों को खुद पर महसूस किया तो उसने आगे कहा, "हाँ रेहान, बिलकुल सच कह रही हूँ मैं, तुम वो कोहिनूर हीरा हो जो लाखों दिलों में रोशनी फैलाता है! मुझे पता है तुम क्यों उदास हो क्योंकि तुम्हें लगता है मैं तुम्हें पागल समझती हूँ और ये शादी मेरे लिए बोझ है! ऐसा कहा होगा तुमसे उन लोगों ने, पर... एक बात सुन लो मेरी रेहान, जिस पल जिस दिन मेरी तुमसे शादी हुई थी, तभी से मैंने तुम्हें अपना पति मान लिया था! जब तुम्हारी बड़ी माँ तुम्हें पागल कहती थीं तब तुम्हारे सामने मैं एक चट्टान की तरह खड़ी रही! मैंने तब भी तुम्हें पागल नहीं कहा क्योंकि मैं जानती थी तुम पागल नहीं हो, बस तुम्हें पागल किया जा रहा है! तुम एक अच्छे इंसान थे मेरी नज़रों में तब, एक ऐसा इंसान जो भोला-मासूम है, जिसे दुनियाँ की काली सच्चाई नहीं जानता!... मैंने तब से हर पल बस तुमसे ही प्यार किया है! कोई तुम्हें कुछ भी कहे तो तुम उसकी बातों को चुपचाप मत सुना करो, सीधे कान के नीचे लगाया करो! मेरे भोलू पति देव।"
ये सुन रेहान ने बिना किसी भाव के कहा, "पर अब से हमारे रास्ते अलग हो जाएँगे तारा, तुम अगर इस शादी से खुश नहीं हो तो मैं तुम्हें इस शादी से, इस कैद भरी ज़िंदगी से आजादी दिला देता हूँ! आप अपनी लाइफ़ में खुश रहिए तारा, आप प्लीज़ मेरे साथ ये प्यार का खेल मत खेलिए, मैं भले ही सम्भल जाऊँगा लेकिन हमारी बेटी, वो इस दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी कि आप उसे छोड़ दोगी!"
ये सुन तारा के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई। उसने धीरे से कहा, "क्या तुम सच में यही चाहते हो रेहान?"
रेहान अपनी आवाज़ को शांत करते हुए कहा, "मेरे चाहने या ना चाहने से क्या होगा? होना तो वही होगा जो आप चाहती हो तारा!"
तारा ने एक सख्त आवाज़ में कहा, "मैं ये नहीं चाहती हूँ, हमारा रिश्ता इतना कमज़ोर नहीं जो कागज़ के टुकड़े से अलग हो जाएगा! आपका मेरा रिश्ता जन्म-जन्म का है, तो इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली!"
ये सुन रेहान ने मन में सोचते हुए तारा से कहा, "आप मुझसे क्या चाहती हैं? सीधे-सीधे बताओ, यूँ पहेलियाँ ना बुझाओ!"
ये सुन तारा ने अपनी आवाज़ को शांत करने के बाद कहा, "तुम इतने भी बोले नहीं रेहान जितने तुम दिखते हो। मुझे अपनी ज़िंदगी मरने तक आपके साथ जीनी है रेहान! जब तक मेरी मौत ना आ जाए, हर पल हर लम्हा आपके साथ एन्जॉय करना है!"
ये सुन रेहान ने धीरे से कहा, "पर आप तो अपनी माँ से कह रही थीं कि आप मुझे छोड़ दोगी..." कहते हुए रेहान का चेहरा उदास हो गया। जिसे देख तारा ने उसका हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा, "वो सब झूठ था रेहान।" तारा ने रेहान को सारी बातें सुनाई और आगे कहा, "मुझे पता था आप बिना पूरी बात सुने यहाँ कहीं पास ही जाओगे इसलिए आपको लेने आई हूँ। चलिए मेरे साथ!"
ये सुन रेहान ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा, "आप कितना झूठी बोलेंगी अब और? जब आपको मुझसे प्यार है ही नहीं... तो वो बातें सुनने के लिए तो मैं नहीं था वहाँ पर।" ये सुन तारा ने हँसते हुए कहा, "तो तुम चाहते हो तुम होते वहाँ!"
इतना बोल तारा ने रेहान को देखा जो वहाँ से जाने वाला था। ये देख तारा ने रेहान से कहा, "अभी तक तो प्यार से आपको समझा रही थी, अब देखिए मेरा गुस्सा।" ऐसा कहते हुए तारा ने रेहान को अपनी बाहों में उठाया और अपनी गाड़ी की तरफ़ बढ़ चली। ये देख रेहान ने खुद को उससे दूर करने की कोशिश करते हुए कहा, "तारा छोड़िए मुझे, जाने दीजिए। लोग क्या सोचेंगे मेरे बारे में..."
ये सुन तारा ने डेविल स्माइल के साथ कहा, "क्या कहेंगे? यही कि जो काम एक पति को करना चाहिए वो एक पत्नी कर रही है!"
ये सुन रेहान तारा से कुछ बोलने वाला था पर तभी कुछ लोगों का झुंड वहाँ से गुज़र रहा था। तभी वो रेहान की तरफ़ जैसे ही देखने को हुए, उसने दूसरी तरफ़ चेहरा छुपाते हुए कहा, "मज़ाक मत करो छोटी गिलहरी, चलो यहाँ से जल्दी। ये लोग पता नहीं क्या सोचेंगे?"