एक गलतफहमी के चलते सानवी मार देती है सबके सामने विध्वंस ठाकुर को थप्पड़ !"ये कहानी है विध्वंस ठाकुर ओर सानवी की एक तरफ़ है विध्वंस ठाकुर जो एक बिजनेस मैन होने के साथ उत्तर प्रदेश के एक जाने माने नेता का बेटा है , जिसका सिक्का उत्तर प्रदेश में ही नहीं... एक गलतफहमी के चलते सानवी मार देती है सबके सामने विध्वंस ठाकुर को थप्पड़ !"ये कहानी है विध्वंस ठाकुर ओर सानवी की एक तरफ़ है विध्वंस ठाकुर जो एक बिजनेस मैन होने के साथ उत्तर प्रदेश के एक जाने माने नेता का बेटा है , जिसका सिक्का उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे इंडिया में चलता है, लोगो को अपने उग्लियों पर नचाना जिसका शौक जिसके एक इशारे पर बड़े से बड़े बिजनेस मैन को बर्बाद करने के लिए काफी है ,वहीं दूसरी तरफ है सानवी कपूर जो एक मासूम दिल की लड़की जिसका काम लोगो की मदद करना है ओर इसी मदद के चलते वो मार देती है सबके सामने विध्वंस ठाकुर को थप्पड़ अब ये थप्पड़ किस मोड़ पर ले जाएगा सानवी को !"
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बेगूसराय, बिहार की वो धरती... जहाँ कदम रखते ही एक कहानी सांस लेने लगती है।
स्टेशन पर दो लड़कियाँ उतरीं। धूल के बारीक कण हवा में तैर रहे थे—जैसे किसी तूफ़ान के पहले की ख़ामोशी।
एक लड़की... आत्मविश्वास से भरी, आँखों में बग़ावत और चाल में तेज़ रफ़्तार। नाम था सानवी कपूर उम्र 23 साल। गोरा रंग, गहरी काली आँखें, जो देखती नहीं—चीर देती हैं। दूसरी—मिश्री yadav वही उम्र, हल्का सावला रंग और मासूमियत से भरा गोल-मटोल चेहरा। उसकी मुस्कान में वो सादगी थी जो भरोसा दिला दे कि सब ठीक होगा।
दोनो एक जैसी लगती थीं—जैसे कोई दो कहानियाँ एक ही किताब के पन्ने पर आ गई हों।
सानवी ने ब्लैक कुर्ती और ब्लू जींस पहनी थी, कुर्ती पर सफेद फूल थे जैसे उस पर कोई कहानी कढ़ी हो।
मिश्री ने व्हाइट टॉप और क्रीमी पैंट पहन रखी थी, सिंपल लेकिन स्टाइलिश।
स्टेशन से बाहर निकलते ही मिश्री ने धीरे से सानवी के कंधे पर हाथ रखा।
"सानवी... प्लीज़, यहां कुछ गड़बड़ मत करना। अगर चाचा को ज़रा भी भनक लग गई कि हम बेगूसराय आए हैं... तो तेरा कुछ नहीं होगा, मुझे सीधा पिंजरे में डाल देंगे!"
सानवी ने उसे एक सख़्त नज़र से देखा।
"तुझे लगता है मैं हर जगह गड़बड़ करती हूँ? तो फिर आई क्यों मेरे साथ?"
मिश्री ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,
"दोस्ती की है तो निभानी पड़ेगी। अकेले भेज देती तो मर जाती तू डर के मारे।"
फिर उसका चेहरा गंभीर हो गया—
"और सानवी... तुझे पता है, ये सवाल बहुत ज़रूरी हैं। तुझे जानना होगा कि बचपन से तुझे मामाजी ने अपने से दूर क्यों रखा। तुझे ये हक़ है।"
सानवी की आँखों में हल्का दर्द उभरा। उसकी आवाज़ धीमी हो गई।
"याद मत दिला मिश्री... चाचा के ग़ुस्से से अब भी डर लगता है मुझे। तुझे याद है न—जब स्कूल में बस कुछ लड़के मेरी तरफ़ देख रहे थे, तो चाचा को जैसे ही किसी ने बताया..."
"...तो उन्होंने उन सबकी वो हालत की कि महीनों तक हॉस्पिटल में रहे।"
मिश्री की हँसी छूटते-छूटते रुकी।
"और फिर ठीक होकर सबने तुझसे क्या कहा था?"
सानवी ने मिश्री की तरफ़ देखा।
"‘दीदी, राखी बाँध लीजिए... हम अब सिर्फ़ आपकी रक्षा करेंगे।’"
दोनों हँसने लगीं। लेकिन वो हँसी भी एक सवाल के नीचे दबी हुई थी।
सानवी के माँ-बाप अब नहीं थे।
मामू और मामी ने ही उसे पाला था। लेकिन फिर भी... बचपन से ही उसे अपने मामा से दूर क्यों रखा गया?
मिश्री—मामी की बेटी, दोस्त कम और बहन ज़्यादा।
अब दोनों लड़कियाँ इस शहर में सिर्फ़ जवाब तलाशने आई थीं।
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और तभी... मोड़ आया।
सानवी ने मुंह बनाते हुए कहा,
"चल अब यहां से।"
जैसे ही वो मुड़ी, उसकी नज़र पड़ी एक खौफनाक मंजर पर—
एक लड़का बाइक पर बैठा था और सामने खड़े एक और लड़के के सिर पर बंदूक ताने चिल्ला रहा था,
"बोल! तुझे गोली मार दूं या छोड़ दूं?"
वो दरिंदा हँस रहा था।
सानवी का खून खौल उठा। वो आगे बढ़ी, लेकिन मिश्री ने उसका हाथ पकड़ लिया।
"सानवी... प्लीज़, कुछ मत कर। जाने दे!"
सानवी ने अपनी आंखें उसकी पकड़ से छुड़ाते हुए कहा,
"नहीं मिश्री... हमसे ये नहीं होगा। हम यूं गलत होते नहीं देख सकते।"
वो तेज़ी से उस गुंडे की ओर बढ़ी और जब वो कुछ कहने ही वाला था—
सानवी का हाथ हवा में लहराया और एक ज़ोरदार थप्पड़ उस लड़के के गाल पर पड़ा।
वो लड़का भौचक्का रह गया। फिर उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गईं।
उसने बंदूक सीधी सानवी के सिर पर तानी और गुर्राया—
"तेरी इतनी हिम्मत! मुझे मारेगी तू?"सानवी ने गुस्से में जैसे ही उस लड़के को थप्पड़ मारा, तभी उस लड़के ने अपनी गन उसके सिर में रखते हुए कहा, "तेरी इतनी हिम्मत? तू मुझे मारेगी, हाँ!"
इतना बोलते ही जैसे उसने अपने सामने देखा, तो वो तो जैसे अपने होश ही खो बैठा हो। उसके सामने खड़ी लड़की बिल्कुल किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही थी! वो तो बस जैसे अपनी सुध-बुध ही खो चुका था। ये देख उस लड़के के दोस्त ने उसके कंधे से पकड़ उसे हिलाते हुए कहा, "खूबसूरत है ना भैया ये लड़की!"
जिसे सुन उस लड़के ने हाँ में सिर हिलाया। तो उस लड़के ने कहा, "लगता है हमको अपनी भाभी मिल गई रे..."
ये सुनकर उस लड़की ने अपने सामने देखा तो वो लड़की गुस्से में उन दोनों को देखते हुए बोली, "अब बताओ तुम दोनों इस बेचारे की क्या गलती थी, हाँ? जो तुम दोनों ऐसे हाथ में कट्टा लेकर घूम रहे हो!"
"हाँ," ये सुनकर उस लड़के ने हलकी मुस्कान के साथ कहा, "पसंद आ गई हो तुम मुझे! पर तुम इस वक्त एक गलत इंसान का साथ दे रही हो। इसने हमारे गाँव की लड़की की इज़्ज़त से खिलवाड़ किया और अब ये बिना दहेज़ शादी नहीं करेगा!"
ये सुनकर सानवी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने उस लड़के की कॉलर से पकड़ उसे अपने सामने करते हुए बोला, "क्यों? सच-सच बता, ये लोग सच बोल रहे हैं?" ये सुनकर उस लड़के ने कहा, "तो क्या हुआ? लड़की के पास जब देने को कुछ नहीं, तो हम काहे शादी करें उससे?"
ये सुनकर वो दूसरा लड़का कुछ कहता, कि उससे पहले सानवी ने उसके गालों पर दो-चार थप्पड़ मारते हुए कहा, "तेरी इतनी हिम्मत? तू एक लड़की की इज़्ज़त से खिलवाड़ करेगा और फिर कहेगा हाँ? कल को तेरी बहन के साथ कोई ये सब करे?"
ये सुनकर उस लड़के ने कहा, "चुप कर! मेरी बहन के साथ क्यों होगा, हाँ? तू क्या उस लड़की की चाची लगती है जो उसकी इतनी परवाह कर रही है?"
ये सुनकर सानवी ने गुस्से में कहा, "मैं उसकी क्या लगती हूँ, क्या नहीं? ये अभी पता चल जाएगा।" इतना बोलकर सानवी ने एक डंडा लिया और उसे मारने लगी!
दर्द से वो लड़का तड़पते हुए बोला, "अरे मोरी मैया! ज़ोर का लगो है हमको! बस कर जा अब! मैं आज ही जाकर उस लड़की से शादी करूँगा और उसे कभी दुखी नहीं करूँगा। उसके अलावा बाकी सब लड़कियाँ मेरे लिए बहन होंगी!" सुनकर सानवी ने वो डंडा नीचे फेंकते हुए कहा, "आज के बाद
ये सुनकर सानवी ने वो डंडा नीचे फेंकते हुए कहा, "आज के बाद अगर मैंने तुझे कहीं देखा, तू उस लड़की को धोखा दे रहा है या तंग कर रहा है ना, तो इस बार तो लकड़ी के डंडे से मारा, अगली बार लोहे की गरम रॉड तेरे पेट में डाल दूँगी। समझ गया ना बात मेरी?"
ये सुनकर उस लड़के ने डरते हुए कहा, "बस कर जा बहन! इतना भी मत डरा कि यहीं मर जाऊँ। तुम कहो तो मैं अपने कान पकड़ के कहता हूँ, मैं उस लड़की से पहले माफ़ी माँग लूँगा और अगर वो नहीं मानेगी तो मैं दूँगा उन्हें दहेज़ बदले में!"
ये सुनकर सानवी ने कहा, "ठीक है, ऐसा ही करना। अब जाओ यहाँ से निकलो।" ऐसा बोलते हुए उसका इशारा उस डंडे की तरफ़ था! जिसे देख वो लड़का वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गया!
उसने जाने के बाद उसने उस लड़के से मुँह बनाकर कहा, "आई एम रियली सॉरी। मुझे नहीं पता था वो लड़का गलत है। अगर पहले पता होता तो आपको नहीं पड़ती।" इतना बोलकर वो वहाँ से मुँह मोड़कर चली गई। उसके जाने के बाद उसके लड़के के दोस्त ने कहा, "विध्वंस भैया, भाभी तो आपसे भी आगे है। गुस्से में बोले तो करंट मार भाभी है अपनी!"
ये सुनकर उस लड़के ने कहा, "तू कुछ ज़्यादा ही नहीं बोल रहा है।" ये सुनकर उस लड़के ने अपने जेब से फ़ोन निकाला, व्हाट्सएप पर गया, ग्रुप में अपना वॉइस नोट भेजते हुए कहा, "तुम सब लोगों को आज एक गुड न्यूज़ देता हूँ, हमको भाभी मिल गई है!"
ये सुनकर ग्रुप के सारे मेंबर एक्टिव हो गए। उन्होंने उस लड़के से कहा, "लड़्डू, निखिल भाई का रिश्ता तो ऑलरेडी हो चुका है। अब किसकी बात कर रहे हो तुम?" वो ग्रुप उनकी फैमिली ग्रुप था। ये देख उस लड़के ने अपने दाँत पीसते हुए कहा, "ये पागल लोग! ओह बेवकूफ़ों! मैं निखिल भाई की नहीं, बल्कि विध्वंस भाई की बात कर रहा हूँ।" उसकी बात सुनकर एक ने अपनी वॉइस नोट भेजते हुए कहा, "तू सच बता, आज कौन सा नशा कर लिया है तूने, हाँ? कहीं भांग, धतूरा या गांजा तो नहीं फूँका तुमने, हाँ? जो आज ऐसी बेतुकी-बेतुकी बातें कर रहे हो!"
ये सुनकर उसने चिढ़ते हुए कहा, "मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ। इनफैक्ट, भाभी ने पहले ही मुलाक़ात में बड़े भाई को थप्पड़ मार दिया!" और उसने सारी बातें अपने ग्रुप में सारे दोस्तों और भाइयों को बताई। उसकी बात को सुन सभी ने हँसने वाली इमोजी भेजी और कहा, "वाह! लगता है अब इसको काबू करने वाली आ ही गई। वैसे तू वीडियो बना देता तो और भी अच्छा होता!" ये सुनकर लड़्डू ने ग्रुप में एक वीडियो भेजी और कहा, "ये देखो, हमारी भाभी को! ये हमारे भैया जी से कम नहीं है। ये तो इनसे भी आगे है!"
वहीं दूसरी तरफ़ एक बड़े से हवेली में एक औरत ने उस वीडियो को देखते हुए अपने पति से कहा, "लड़की देखिए जी, कितनी सुंदर है! हमारे लल्ला के लिए इससे बेस्ट कोई हो ही नहीं सकती!" जो काम हमारा बेटा इतने दिनों से ना कर पाया, वो काम इसने यहाँ आते ही कर दिया!
ये सुनकर सामने खड़े आदमी ने कहा, "वो लड़की अगर उसकी बीवी बनेगी तो यहाँ रोज़-रोज़ सुनामी और तूफ़ान आएंगे! अम्मा को तो जानती हो ना तुम? उनके गुस्से को। इस घर में उनका राज़ चलता है। तो वो नहीं मानेगी!"
ये सुनकर उस औरत ने उनके पास बैठते हुए कहा, "क्यों जी? अम्मा जी क्यों नहीं मानेगी? बल्कि मैं तो कहती हूँ, इस लड़की से कोई बेहतर मिल ही नहीं सकती और मेरे बेटे को भी ये पसंद है तो!"
"तो तुम्हारे बेटे को पसंद है, पर अम्मा को नहीं। तुम जानती हो ना अम्मा का गुस्सा। वैसे भी अगर ये लड़की आएगी तो उन्हें अपनी कुर्सी हिलती हुई नज़र आएगी और वो नहीं चाहेगी कि कोई उनकी जगह लेने की कोशिश करे!"विध्वंस ने लड्डू के हाथ से फ़ोन लिया और उसने मैसेज पढ़ते हुए मन में कहा, "इस गधे से एक बात नहीं पचती! क्या ज़रूरत थी सबको ये बात बताने की! अब सब मेरी टाँग खींचने की कोशिश करेंगे!"
तभी उसके हाथ से गुड्डू ने अपना फ़ोन वापस लेते हुए कहा, "भैया, हमारे फ़ोन में देखने से कुछ नहीं होगा। अब तो घरवालों को पता चल चुका है! तो अब अम्मा से और बाकियों से बच के रहना! मैं तो चलता हूँ अब।" इतना बोलकर वो वहाँ से जैसे ही भागने को हुआ, विध्वंस भी उसके पीछे जाने लगा!
तभी उसके सामने लड्डू को कॉल आया और वो कॉल पिक करके सामने वाले से बोला, "का बात वा भोजाई? आज हमरे को कैसे याद कर लिया!"
तभी सामने से एक औरत की आवाज़ आई, "याद तो रोज़ आती है देवर जी, पर आपके भैया के कारण टाइम नहीं मिल पाता है आप लोगों से बात करने में!"
यह सुनकर लड्डू ने भी कहा, "ये बात तो है। भैया जब काम में बिज़ी हो जाते हैं, तब उन्हें कुछ भी नहीं सुनाई देता! और सब कुछ भूल जाते हैं।" यह सुनकर दूसरी तरफ़ से एक औरत ने कहा, "हाँ, अब लड्डू, तू अपने भैया की बात मत करा हमसे! हमने तो इस बात के लिए फ़ोन किया था कि हमने सुना है विध्वंस देवर को कोई शहर की लड़की हाथ मार गई है! ज़्यादा जोर से तो नहीं लग गए हैं तुम्हारे भैया जी को? और वो लड़की दिखने में कैसी थी? सुंदर थी क्या?"
यह सुनकर लड्डू ने विध्वंस की तरफ़ देखते हुए कहा, "बहुत सुंदर थी वो! ऐसा बोलो तो गौरी, विदेशी मैम के जैसे! उन्हें देखकर तो एक पल के लिए हमारे दिल के तार छिड़ गए! फिर तो ये तो हमारे भैया जी ठहरे..."
विध्वंस ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और उसे वहीं तोड़ते हुए कहा, "अगर तुमने ये बार घर में किसी को भी बताया, अब या कहीं भी, तो अभी तो तुम्हारे फ़ोन को ही तोड़ा है, अगली बार मैं तुम्हें तोड़ दूँगा!"
इतना बोलकर विध्वंस अपनी बुलेट बाइक पर अपने घर की ओर चला गया! उसके पीछे-पीछे लड्डू भी अपनी बाइक लेकर जाते हुए बोला, "भैया जी, अम्मा जी को क्या जवाब दोगे? घरवालों को तो सब कुछ पता चल चुका है!"
पर विध्वंस उसे अनदेखा करके तेज़ी से निकल गया। जब वो एक शानदार हवेली के अंदर गया, तो वहाँ के नौकर उसे घूर रहे थे!
यह देखकर उसने अपनी कामवाली बाई से पूछा, "कमला बाई, कौन सी बात है? जो आप यूँ खड़ी हो?"
यह सुनकर उस बाई ने कहा, "वो बात ये है, हमको कुछ पूछना था आपसे!" यह सुनकर विध्वंस ने कहा, "हाँ, पूछो-पूछो, डरो मत कमला बाई! आप मेरी दीदी जैसे हो, डरिए मत।" यह सुनकर उस कामवाली ने कहा, "वो भैया जी, आपको उनका थप्पड़ ज़ोर तो नहीं पड़ा ना?"
यह सुनकर विध्वंस ने उसे घूरकर देखा, तो उसने घबराते हुए कहा, "वो भैया, आपको आदत नहीं होगी ना उसकी!" इतना बोलकर उसने सामने जैसे ही देखा, विध्वंस उसे अपनी लाल आँखों से देख रहा था। यह देख वो सहम गई। तभी एक नौकर ने उसका हाथ पकड़कर विध्वंस से कहा, "माफ़ करना साहब, वो पागल गई है। ये दिन भर काम करके इसका दिमाग़ खराब हो चुका है, जो ऐसे बहकी-बहकी बातें कर रही है।" इतना बोलकर वो उस कामवाली बाई को वहाँ से ले गया!
वहीं दूसरी तरफ़, एक घर के बाहर...
तभी उसके सामने लड्डू को कॉल आया
वहीं, दूसरी तरफ, एक घर के बाहर दो लड़कियाँ छिपी हुई थीं, जैसे किसी का इंतज़ार कर रही हों।
तभी एक लड़की बोली, "सानवी, यार हम यहाँ और कितनी देर तक खड़े रहेंगे?"
यह सुनकर सानवी ने उसे हल्के से डाँटते हुए कहा, "शटअप, मिश्री! तुम थोड़ी देर चुप नहीं रह सकती? कितना बोलती हो, यार तुम!"
ऐसा बोलकर जैसे ही उसने सामने देखा, तो एक औरत, जिसकी उम्र लगभग चालीस साल थी, ने उन दोनों के कान पकड़ते हुए कहा, "बदमाश! अपनी माँ-मामी से ऐसा मज़ाक करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई?"
यह सुनकर उन दोनों ने बच्चों की तरह चेहरा बनाते हुए कहा, "आह, मामी जी! मेरा कान!" फिर उसने अपनी साथ खड़ी मिश्री से कहा, "मिश्री, देख रही हो? तुम! मैंने मना किया था, मत करना, पर तुम्हें पड़ी थी मेरी इतनी प्यारी और सुंदर मामी जी को डराने की!"
यह सुनकर उसकी मामी ने उसके सिर पर हल्के से मारते हुए कहा, "अच्छा, बचू! मुझे मक्खन लगा रही हो!"
यह सुनकर मिश्री ने कहा, "हाँ, मम्मी! यह सारी प्लानिंग इसकी है! इसने तो मुझे कहा था कि मामी को डराएँगे, तो... मैंने मना भी किया था, पर यह पागल लड़की मानी नहीं!"
उसकी बात को सुनकर सानवी ने अपना झूठ पकड़े जाने से बचते हुए कहा, "हाँ, वह मैंने इसलिए किया क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि कल को अगर कोई मामी को ऐसे डराने की कोशिश करेगा, तो तुम क्या करोगी? पर तुम्हें देखकर लगता है जैसे तुम्हें ही उन लोगों की मदद करोगी!"
यह सुनकर मिश्री ने कहा, "शैतान!"
तभी सानवी ने अपनी मामी के गले लगते हुए कहा, "देखा, मामी! कैसे मुझे डरा रही है यह!" यह सुनकर उसकी मामी ने कहा, "बस, बस! बहुत हुआ। अब चलो अंदर। तुम्हारे पापा आ गए हैं कुछ दिनों की छुट्टी पर!"
यह सुनकर सानवी ने खुशी से कूदते हुए कहा, "वाह, मामी! मतलब मामू भी यहाँ है? तो फ़ुल मस्ती होगी!"
यह सुनकर मिश्री ने कहा, "पापा आए हैं, तो देखते हैं पापा के पास कौन पहले जाता है!" ऐसा बोलकर वह अंदर भागने लगी, तभी उसके साथ सानवी भी भागने लगी।
पीछे से उस औरत ने कहा, "कुछ नहीं हो सकता इनका! अभी भी बच्ची ही हैं!"
वहीं अंदर एक आदमी सोफ़े पर बैठकर अख़बार पढ़ रहा था, पर उसकी आवाज़ में वही रोब था जो जवानी के दिनों में था।
सानवी और मिश्री दोनों ने एक-दूसरे को देखा, फिर भागते हुए उसके पास चली गईं। मिश्री जैसे ही अपने पापा को गले लगाने वाली थी, तभी उससे पहले सानवी गले लगते हुए बोली, "देखा, मैं जीत गई! कहा था ना, मुझसे जीतना इतना आसान नहीं!"
यह सुनकर मिश्री ने मुँह बनाते हुए कहा, "हाँ, तुमसे आज तक कोई जीत सका है क्या? भला जो अब मैं जीतती!"
उसे यूँ गुस्से में देखकर सानवी ने धीरे से अपने मामा से कहा, "मामू, लगता है कहीं से हमें जलन की बदबू आ रही है।" यह सुनकर मिश्री ने मुँह फेरते हुए कहा, "कोई मुझसे प्यार नहीं करता।"
यह सुनकर सानवी ने अपने मामा से कहा, "चलो, मामू! इसे दिखाते हैं हम कितना प्यार करते हैं इससे!"
ऐसा बोलकर उसने और उसके मामा दोनों ने मिश्री के गले लग गए, जिससे मिश्री संभल नहीं पाई और नीचे गिर पड़ी। पर उसके कपड़ों में कुछ सब्ज़ी भी लग चुकी थी!
यह देखकर उसने तेज आवाज़ में कहा, "मम्मी, देखो! इस सानवी ने क्या किया!" यह सुनकर उसकी माँ ने अपने पति से कहा, "अब तो बच्चों वाली हरकतें छोड़ दो! कब तक ऐसे ही करते रहोगे तुम? बच्चे भी बड़े हो गए, पर तुम तो अब भी वही हरकतें करते हो बच्चों वाली!"
यह सुनकर उसके पति ने कहा, "डिया, तुम भी ना! क्या बोल रही हो? देख नहीं रही? बच्चे अभी घर आए हैं।" इतना बोलकर उन्होंने दोनों से कहा, "बहुत हो गई मस्ती। अब तुम दोनों जल्दी जाओ और फ़्रेश होकर आओ। नीचे तुम्हारा पसंद का खाना बन चुका है।"
यह सुनकर सानवी ने हैरान होते हुए कहा, "मतलब यहाँ सबको पता था मेरे आने के बारे में, और मैं पागल सोच रही थी कि मैं सबको शॉक कर दूँगी!"
यह सुनकर उसकी मामी ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह तो हमें मिश्री ने पहले ही बता दिया था कि तुम दोनों आने वाली हो!"
यह सुनकर सानवी ने गुस्से से मिश्री को देखा, जो अपनी माँ के पीछे छिपी हुई थी। यह देखकर सानवी ने उसे ताना मारते हुए कहा, "अब क्यों छिप रही हो? जो बताना था, तुमने तो पहले ही बता दिया सबको!"
यह सुनकर डिया जी ने अपनी शांत आवाज़ में कहा, "जो होना था, वह हो चुका, बेटा। और वैसे भी, अगर यह मैडम ना बताती, तो मैं इतनी सारी तैयारियाँ तुम्हारे लिए नहीं कर पाती, और फिर तुम्हारे लिए इतना टेस्टी खाना भी नहीं बनता!"
सानवी ने कहा, "वैसे, खाने में क्या है, मामी जी?" जिसे सुनकर उसकी मामी ने कहा, "खाने में आलू की पूरी, खीर, दाल मखनी, फ्राइड राइस, शाही पनीर, और फिर डेज़र्ट में चॉकलेट केक, पुडिंग... बस यही है!"
सानवी जैसे-जैसे खाने का नाम सुन रही थी, वैसे-वैसे उसके मुँह में पानी आने लगा। उसने अपनी जीभ को अपने होठों से लगाते हुए कहा, "वाह! मतलब आज तो मज़ा आ जाएगा खाने में!"
यह सुनकर उसके मामा बोले, "और नहीं, तो क्या? अभी राज कचौरी और दही का रायता, आम का जूस... यह भी है!"
यह सुनकर सानवी के तो जैसे मुँह से लार टपक रही हो। यह देखकर डिया जी ने कहा, "पहले तुम दोनों जल्दी जाकर तैयार हो जाओ, फिर जितना चाहो उतना खाना!"
यह सुनकर सानवी ने मुँह में पानी लिए कहा, "मामी, प्लीज़ थोड़ा तो दो मुझे खाने को!" उसकी मामी ने मना करते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं!"
यह सुनकर सानवी ने उदास होते हुए कहा, "मम्मी, कम से कम आप मुझे दूर से खाना तो दिखा सकती हैं।" यह सुनकर उसकी माँ ने कहा, "हाँ, दिखा तो सकती हूँ खाना तुम्हें, पर इसकी कोई गारंटी नहीं कि वह खाना बचेगा! तुम देखने के बहाने से ही खा लोगी। तुमसे खाना देख रहा नहीं जाता, पता है मुझे!"
यह सुनकर सानवी का मुँह बन गया। डिया जी अपने किचन चली गईं। उनके जाने के बाद सानवी के मामा ने हँसते हुए कहा, "वह जब मेरी नहीं सुनती, तो तुम्हारी क्या सुनेगी?"
अपनी माँ की बात सुनकर सानवी और मिश्री दोनों हँसने लगीं और हँसते हुए अपने कमरे में ऊपर की तरफ़ जाने लगीं। तभी पीछे से उसकी मामी ने उसके मामा से कहा, "क्या कहा आपने? मैंने कब आपकी बात नहीं सुनी या नहीं मानी?"
यह सुनकर उन्होंने एक नकली मुस्कान के साथ कहा, "वह बोलना पड़ता है। तुम भी ना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगती हो!"
वहीं दूसरी तरफ़, विध्वंस सबके साथ खाना खा रहा था। तभी उसकी दादी, यानी अम्मा ने कहा, "लला, उस लड़की ने जिसने तुम्हें सबके सामने थप्पड़ मारा, तुमने उसे कुछ कहा नहीं! ऐसे ही मार खाकर आ गए? थोड़ा तो देना था उसके कान पे एक कनटाप!"
यह सुनकर विध्वंस ने खाना खाते हुए कहा, "अम्मा, वह लड़की बेखौफ़ मेरे सामने खड़ी थी। उसकी आँखों में मेरे लिए कोई खौफ़ नहीं था। मुझे ऐसी ही लड़की की तलाश थी जो मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले, ना कि वह माँ की तरह पापा के पीछे छिपे। जब मैं बोलूँ, तब बोले; जब मैं बैठने को कहूँ, तब बैठे! देखो, अम्मा, सो बात की एक बात! मुझे बीवी चाहिए, माँ की तरह गुलाम नहीं।"
यह सुनकर उसकी दादी ने बात बदलते हुए कहा, "वह यादव जी ने अपना घर बनाने के लिए जो हमसे उधार लिए थे, वह वापिस नहीं दिए अभी तक। तुम जाओगे या किसी और को भेजूँ? और हाँ, या तो उसका घर खाली करवाना या अपने दिए हुए पैसे ब्याज के साथ!"
यह सुनकर विध्वंस ने उठते हुए कहा, "हो जाएगा, अम्मा! आपका काम कल सुबह तक!"
वहीं दूसरी तरफ़, सानवी नीचे खाने के लिए आ रही थी। तभी उसकी मामी और मामा आपस में कुछ बात कर रहे थे। उसकी मामी बोल रही थी, "आपने बात की उन लोगों से?" यह सुनकर उस आदमी, यानी देव जी ने कहा, "नहीं, डिया! मैंने उन्हें बताया भी, पर वह लोग नहीं माने!"
यह सुनकर डिया जी परेशान होते हुए बोलीं, "आप जानते होंगे ना, हमारे घर की बेटियाँ कितने सालों बाद यहाँ वापस आई हैं! और वह लोग नहीं रुक सकते कुछ दिन..."
यह सुनकर उसके पति ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा, "तुमने क्या सोचा? मैंने उनसे बात नहीं की होगी? हाँ, उन्हें सब कुछ बताया, पर वह लोग समझने को तैयार नहीं! ऐसा कैसे कर सकते हैं वह लोग हमारे साथ...?" कहते हुए वह रुक गई और बात बदलते हुए बोली, "अरे, सानवी बेटा! तुम वहाँ क्या कर रही हो? जल्दी से यहाँ आओ और देखो, तुम्हारा फ़ेवरेट खाना ठंडा हो जाएगा!"
सानवी ने मन में कहा, "कुछ तो गड़बड़ है। मुझे पता करना होगा।" इतना सोचकर उसने अपनी मामी से कहा, "आ रही हूँ, मामी!"
सान्वी ने जब देखा कि उसके मामा और मामी कुछ परेशानी में हैं, तो उसने उनके पास आते हुए कहा, "एनी प्रॉब्लम मामू?"
सान्वी की आवाज़ सुन उसके मामा और मामी ने अपने चेहरे पर एक नकली मुस्कान के साथ कहा, "अरे बेटा, कुछ भी नहीं। वो तो मैं दिया से कह रहा था कि आज किचन में साफ़-सफ़ाई मैं कर दूँगा। मतलब अब खाने के बाद बर्तन साफ़ करने और सफ़ाई करने का काम जो है, वो मैं संभाल लूँगा। तुम बस आराम करना!"
ये सुन दिया जी बोलीं, "अरे सान्वी बेटा, तुम तो जानती हो ना इनकी आदत को! ये ऐसे ही कुछ भी बोलते और करते रहते हैं। इनकी बातों में मत आना तुम!" इतना बोल उन्होंने सान्वी के मामा जी की आँखों में देखते हुए कहा, "पिछली बार की सफ़ाई भूली नहीं हूँ मैं यादव जी!" लास्ट लाइन उन्होंने तंज भरी मुस्कान के साथ कही।
अपनी बीवी की बातों को सुनने के बाद उन्होंने भी मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, कैसे भूलोगी पगली? मैंने भूलने जैसा काम ही नहीं किया!"
ये सुन सान्वी उन दोनों को ध्यान से देखते हुए बोली, "ओह हो, मामू मामी बड़े रोमांटिक हो रहे हो, वो भी इस उम्र में!"
उसकी बातों को सुन दिया जी ने अपने कमर पर साड़ी को बांधकर कहा, "कुछ रोमांटिक नहीं है ये, इनका काम है मुझे बस परेशान करना और तंग करना! पिछली बार जब मैं रात को काम कर रही थी किचन में, तब इन्होंने पता है क्या किया?"
सान्वी एक्साइटेड होते हुए बोली, "क्या किया?"
उसकी मामी बोलीं, "पूछो ही मत सान्वी बेटा! ये साहब तो आ गए किचन में ये बोलकर कि मेरी हेल्प करेंगे, पर हेल्प करने की जगह ये जनाब रोमांस करने लगे! और इनके चक्कर में मेरा ध्यान काम से हट गया और सारा किचन खराब हो गया। मेरे बर्तनों पर साबुन लगा हुआ था, मसाले आस-पास बिखरे पड़े थे, और तो और इन्होंने नमक वाले डिब्बे में चीनी और चायपत्ती वाले डिब्बे में हल्दी मिला दी! खाने की सब्जी जो बची हुई थी, वो किचन की स्लैब पर ऐसे गिरी पड़ी थी जैसे कोई दुल्हन आलते में अपने पैर डालकर आती है! पर फिर भी इनको तब रोमांस की पड़ी थी और तब इन्होंने…" कहती-कहती वो रुक गईं। उन्होंने सान्वी को देखा जो बड़े गौर से अपनी आँखों में एक अलग चमक लिए उन्हें ही देख रही थी…
ये देख दिया जी हकलाते हुए बोलीं, "वो… मैं… किचन से पानी लेकर आती हूँ।" इतना बोल वो किचन की ओर बढ़ गईं। उनके जाने के बाद उसके मामा ने भी कहा, "वो मैं भी ऊपर मिश्री बेटा को लेकर आता हूँ, तुम बैठो यहाँ खाने को!"
ये सुन सान्वी ने अपने कंधे उचकाते हुए बोली, "पता नहीं ये मामू मामी इतना क्यों शर्माते हैं, अभी भी ऐसा कोई करता है क्या?" ऐसा बोल वो नाश्ते के लिए बैठ गई। तभी उसके पास उसकी मामी आई और प्यार से बोली, "सान्वी बेटा, ये दोनों बाप-बेटी नहीं आए अभी तक।"
उनकी बात को सुन सान्वी के मामा, जो अभी-अभी अपनी बेटी के साथ आ रहे थे, वो शरारती अंदाज़ में आते हुए बोले, "तुमने बुलाया और हम आ गए, जान हथेली पर ले आए रे!"
ये सुन दिया जी ने कहा, "ओह, पुरानी फिल्मों के शम्मी कपूर! ज़रा नीचे अपने सपनों से बाहर आओ!"
ये सुन वो खुद से बुदबुदाते हुए बोले, "मेरी तो यहाँ क़दर ही नहीं है किसी को।" ऐसा बोल वो बच्चों जैसे बैठ गए। उनको ऐसे रूठते देख दिया जी ने कहा, "अब बच्चों जैसे मत रूठिए, आपके लिए मैंने अपने हाथों से नूडल्स बनाए हैं, वो भी स्पेशल वाले।" ये सुन उन्होंने खुश होते हुए कहा, "वाह! अब बनाए हैं तो जल्दी परोस भी दो!"
थोड़ी देर में सभी खाने लगे। खाने के बाद सान्वी उठते हुए बोली, "मामी मामू, खाना बहुत अच्छा था। माँ के जाने के बाद आज पहली बार घर का खाना खाने को नसीब हुआ!" इतना कहते हुए उसका दिल भर आया था। उसे यूँ भावुक होते देख मिश्री और सान्वी के मामा-मामी ने उसे गले से लगाते हुए कहा, "तुम अकेली नहीं हो सान्वी, हम सब तुम्हारे साथ हैं!"
ये सुन सान्वी खुश हो गई और अपने आँसू साफ़ करते हुए बोली, "मैं भी पागल सेंटी हो गई। रात को जल्दी सोना है, नहीं तो मेरी आँखों में डार्क सर्कल हो जाएँगे।" इतना बोल उसने मिश्री का हाथ कसकर पकड़ा और उसे अपने साथ लेकर सोने चली गई!
उसके जाने के बाद दिया जी ने कहा, "कितना दर्द छुपा है ना इस बच्ची के दिल में!"
ये सुन देव जी ने भी कहा, "हाँ, बिल्कुल सच कहा तुमने दिया। इस मासूम सी बच्ची जो सबको हँसाती फिरती है और प्यार बाँटती रहती है, उसकी खुद की ज़िंदगी गहरे अँधेरे में डूबी पड़ी है! बस तुम ये प्रार्थना करो कि इसके दिल का जितना भी दर्द है, वो सब बाहर निकल जाए और ऐसे प्यार करने वाला पति मिले जो इसके सारे ग़मों को भुलाने में इसकी हेल्प करे!"
वहीं दूसरी तरफ़, ठाकुर हवेली में अम्मा जी कुछ सोचते हुए अपने सामने खड़े आदमी से बोलीं, "वो कल की आई छोकरी हमरे लल्ला को थप्पड़ मार दी और तुम हमको बताया नहीं!"
ये सुन उनके सामने खड़ा आदमी बिना किसी भाव के बोला, "माँ, तुम भी कैसी बातें लेकर बैठ गई हो! हाँ! ये बात हमारे बेटे और उस लड़की के बीच की है, आपको इसमें कुछ भी बोलने की ज़रूरत नहीं! आपने मेरे बेटे को अपना गुलाम बना के रखा है अम्मा, कम से कम अब तो उसे उसकी ज़िंदगी जीने दो! मैं कितना चाहता था कि वो पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बने, लेकिन आपने… आपने उसे एक गुंडा बना के रख दिया जो लोगों को गाजर-मुली जैसे काटता फिरता है!"
ये सुन अम्मा जी ने अपनी आवाज़ को तेज करते हुए कहा, "अमर, तुम्हें वो लड़कियों को शादी के मंडप पर दहेज़ के लिए छोड़ने वाले लोग कब से सही लगने लगे? सही-ग़लत मैं नहीं जानता माँ, लेकिन मैं बस इतना जानता हूँ कि मेरा बेटा इस खून-खराबे की ज़िंदगी से दूर रहे!" ऐसा बोल वो खाते हुए उठकर चले गए। उनके जाने के बाद अम्मा जी ने पास खड़े अपने आदमी से कहा, "उस लड़की पर नज़र रखो ज़रा, हम भी तो जानें बेगूसराय की धरती पर ऐसा कौन पैदा हो गया जो हमरे लल्ला पे हाथ उठाने की हिम्मत रखता है!"
अम्मा की बात को सुनकर उनके आदमी ने कहा, "अम्मा, वह लड़की किसी और की नहीं, यादव जी के यहाँ रहने आई है। उनकी भांजी है, आज ही अमेरिका से वापस आई थी। साहब को देख उन्हें लगा कि वह ठाकुर साहब उस लड़के को जान से मारकर अपनी गुंडागर्दी साबित करना चाहते हैं। पर जब उसे पता चला कि उस लड़के ने दहेज के लिए लड़की को छोड़ दिया, तब उसके बाद..."
"उसके बाद क्या?" अम्मा जी ने तेज आवाज में कहा। तो उन्होंने कहा,
"वह अम्मा, उस लड़की को कहने को तो वह यादव जी की भांजी है, पर उसमें मुझे आपकी झलक नज़र आई। उसने उस लड़के की इतनी पिटाई करी कि उस लड़के ने खुद हाथ खड़े कर दिए और यह कहा, 'आज के बाद से मैं अपनी बीवी के अलावा किसी भी लड़की को कभी भी दहेज के लिए परेशान नहीं करूँगा! और अब से उसकी बीवी के अलावा सब लड़कियाँ मेरे लिए बहन होंगी!'"
"जो काम ठाकुर साहब चार महीने से नहीं कर पाए, वह उस लड़की ने एक दिन में ही कर दिया!"
यह सुन उन्होंने रोब से कहा, "बस, बहुत हुई उस लड़की की बात! अब और उस लड़की का गुणगान मत कीजिए! और अब आप ACP से मिलिए। बहुत उड़ रहा है वह हवा में। उसे अच्छी तरह समझा दो कि बेगूसराय की धरती पर अगर रहना है तो झुककर रहना पड़ेगा, समझे! उसे यह भी बता दो कि अगर उसने आज के बाद हमारे मामले में अपनी टांग अड़ाने की कोशिश की तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा!"
यह सुन उनके आदमी ने कहा, "जी, अम्मा!"
अम्मा जी वहाँ से उठते हुए बोलीं, "जाओ अब यहाँ से! और काम करके ही लौटना।" उनके चेहरे पर एक अलग रोब था। उन्होंने मन ही मन खुद से कहा,
"वक्त आ गया है। हमारे जाने के बाद इस बेगूसराय की धरती पर उसका अगला वारिस खोशित किया जाए! हमारे जाने के बाद अब यही लड़की इस गद्दी की हकदार होगी!"
ऐसा सोचते हुए वे अपने कमरे में जाने लगीं।
उनके जाने के बाद विध्वंस की चाची ने उनकी माँ से कहा,
"जीजी, वह लड़की तो हमारी अम्मा को भी टक्कर दे रही है। कहीं विधु बेटा को उस लड़की को ही न अपनी बीवी न बना ले! पहले तो हम लोग अम्मा के दबदबे में जिए, अब उस कल की आई लड़की के नीचे भी झुककर रहना पड़ेगा!"
यह सुन विध्वंस की माँ ने कहा, "कुछ भी मत बोलो तुम! उस लड़की से तो अभी तक तुम मिली नहीं और अभी से उसके खिलाफ़ बोलने लगी! तुमने सुना नहीं उन्होंने क्या कहा? 'वह लड़का बुरा था तो उसने उसे सज़ा दी!'"
ऐसा बोल वे जैसे ही जाने को हुईं, पीछे से उनकी देवरानी ने कहा, "हमारा काम था आपको बताना, जीजी। अब मानना या न मानना यह आपकी ज़िम्मेदारी है!"
वहीं दूसरी तरफ़ सान्वी ने मिश्री से कहा, "मिश्री, उठो अब! आज हमारे कॉलेज का पहला दिन है और तुम आज के दिन ही लेट हो रही हो!"
"इतना भी क्या सोना?" यह सुन मिश्री ने अपना मुँह दूसरी तरफ़ करते हुए कहा, "बस करो, सान्वी! इतनी दूर से सफ़र किया है मैंने, थक गई हूँ यार!"
यह सुन सान्वी ने कहा, "तुम नहीं उठोगी?"
यह सुन मिश्री आधी नींद में ही बोल पड़ी, "तुम देखो जाकर, मुझे सोने दो!"
यह सुन सान्वी ने कहा, "ठीक है, फिर अब तुम देखो।" ऐसा बोलते हुए सान्वी ने उस पर पानी की बाल्टी डाल दी! पानी की बाल्टी मिश्री पर पड़ते ही वह तेज आवाज़ में बोली,
"सान्वी की बच्ची, आज तू नहीं बचेंगी मेरे हाथों से!" यह सुन सान्वी ने कहा, "We are getting late, मिश्री!"
"अब अगर तुम मुझसे लड़ने आई तो टाइम वेस्ट हो जाएगा मेरा भी। एक तो इतनी मुश्किल से तैयार हुई हूँ और ऊपर से तुम भी!"
यह सुन सान्वी ने गौर से सान्वी को देखा जिसने ब्लैक कलर का क्रॉप टॉप और उसके साथ व्हाइट कलर की लॉन्ग स्कर्ट पहनी थी जो उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर थी। उन कपड़ों में सान्वी की पतली, गोरी कमर और पतली, लंबी टाँगें साफ़ दिखाई दे रही थीं। ऊपर से उसने ब्लैक हाई हील्स पहने हुए थे।
सान्वी को ऐसे देख मिश्री ने उसे छेड़ते हुए कहा, "ओह हो, आज किसे मारने का इरादा है? बताओ तो ज़रा!"
मिश्री की बातें सुनकर सान्वी ने कहा, "तुम भी ना, कुछ भी बोलती हो, पागल कहीं की!"
यह सुन मिश्री बेड से उठते हुए बोली, "यह तो तब पता चलेगा जब कॉलेज में जाओगी। लड़कों के दिलों में तो आज बिजली गिर जानी है!"
यह सुन सान्वी ने कहा, "कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा!"
ऐसा बोल वह नीचे जाने लगी। यह देख मिश्री ने कहा, "रुको, मुझे भी तैयार होना है!"
यह सुन सान्वी ने कहा, "तुम जल्दी से रेडी हो जाओ, हम साथ ही चलेंगे। मैं अभी नीचे खाना खा लेती हूँ।" ऐसा बोल वह सान्वी नीचे चली गई।
वहीं नीचे जैसे ही सान्वी नीचे आई तो उसने देखा उसके मामा किसी लड़के से बात करते हुए बोले, "प्लीज़, तुम अब जाओ यहाँ। मेरी भांजी सो रही है! अगर वह जाग गई तो...उसे हमारी इस बात का पता चल जाएगा कि हम लोगों ने तुम्हारी अम्मा से दस लाख रुपए उधार लिए हैं, तो उसे बुरा लगेगा। हम लोग नहीं चाहते कि उसे कुछ भी पता चले! उसे दुखी नहीं देखना चाहते हम लोग।"
यह सुन उस लड़के ने गुस्से से उठते हुए कहा, "तुम्हारी भांजी क्या छोटी बच्ची है जो आप दोनों मुझे यहाँ से जाने को बोल रहे हो? इतने दिन से अम्मा के आदमी जब आते थे हर बार कोई न कोई बहाना बनाते थे तुम लोग, पर इस बार नहीं, इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा। जल्दी से तुम दोनों पैसे दो, नहीं तो..."
यह सुन दिया जी ने कहा, "आप बस दो दिन का वक़्त दे दीजिए।" यह सुन उस लड़के ने कहा, "तोड़ दो इस घर का सामान!" यह सुन पीछे से एक आवाज़ आई, "यहाँ क्या हो रहा है?"
यह सुन जब सब लोगों ने पीछे देखा तो सान्वी खड़ी थी। वहीं उस लड़के ने जैसे ही अपने सामने खड़ी लड़की को देखा तो वह तो जैसे उसमें ही खो गया, पर जब उसका ध्यान अपने साथ आए लोगों पर गया जो उस लड़की को ताड़ रहे थे, यह देख उसे गुस्सा आ गया और वह सान्वी की तरफ़ बढ़ने लगा!
यह देख सान्वी के मामा और मामी सामने आते हुए बोले, "यह यहाँ नई आई है, मेरा मतलब है इसे यहाँ के तौर-तरीकों का नहीं पता! अगर इसे आपके बारे में पता होता तो यह भूल से भी आप पर हाथ नहीं उठाती। प्लीज़, इसे माफ़ कर दीजिए!"
वहीं विध्वंस ने सान्वी के पास जाकर उसके कान में कहा, "तुम इन कपड़ों में बहुत हॉट लगती हो, लेकिन ये कपड़े तुम सिर्फ़ मेरे सामने ही पहनोगी!" इतना बोल उसने सान्वी के कान पर काट किया और उसे एक आँख मारते हुए वहाँ से चला गया। उनके जाने के बाद सान्वी उसकी बातों को सुनकर स्तब्ध खड़ी थी। उसे उसके मामा जी ने हिलाया और कहा, "सान्वी बेटा!"
यह सुन सान्वी अपने होश में आते हुए बोली, "मामा जी, यह दस लाख का क्या मामला है?" यह सुन उन्होंने कहा, "यह बड़ी लंबी कहानी है, पर फ़िलहाल के लिए इतना समझ लो—यह लड़का जितना खतरनाक तुम्हें दिखता है, उससे कई गुना खतरनाक है! तुम इससे जितना दूर रहो, उतना अच्छा है।" वहीं दिया जी मन में बोलीं,
"यह इतना आसान नहीं होगा, देव! उस लड़के की आँखों में मैंने सान्वी के लिए एक अलग सा पागलपन देखा है। मुझे डर है उसका यही पागलपन कहीं सान्वी बेटा को हमसे दूर न कर दे!!"
"विध्वंस के जाने के बाद, दिया जी ने अपनी फ़िक्र भरी आवाज़ में कहा, 'मुझे बड़ी फ़िक्र हो रही है हमारी सान्वी की।' ये सुन देव जी ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा, 'तुम फ़िक्र मत करो दिया, हमारी सान्वी इतनी भी कमज़ोर नहीं जो इस विध्वंस जैसे लड़के के आगे झुक जाए!'
ये सुन दिया जी ने कहा, 'जानती हूँ पर आप नहीं जानते क्या कि वो कैसा इंसान है। जिसके दिन की शुरुआत लोगों के ख़ून से होती है, जब तक वो दो-चार लोगों को मार-पीट ना दे तब तक उसकी नींद नहीं खुलती! पता नहीं उसे लोगों को तकलीफ़ देने में क्या मज़ा आता है!'
उसकी बात को सुन देव जी ने कहा, 'कुछ लोग होते हैं दिया जो कभी नहीं सुधर सकते, ऐसा ही है वो! पर दिया, मैंने उसकी आँखों में अपनी सान्वी के लिए एक अलग ही आग देखी है। ऐसी आग जो हमारी सान्वी के लिए किसी को भी जला दे। बस इसी बात का डर है कि उसका पागलपन मेरी सान्वी को हमसे बहुत दूर ना कर ले! वो भले ही ऊपर से सख्त हो लेकिन अंदर से वो बिल्कुल मॉम के जैसे है! उसे देख मुझे शिवन्या की परछाई नज़र आती है, मासूम और भोली!'
उसकी आँखें बिल्कुल अपनी माँ शिवन्या के जैसे हैं। ऐसा बोल दिया जी देव जी की आँखों में देख रही थी!
जिस पर देव जी ने कहा, 'तुम बिल्कुल ठीक बोल रही हो, पर तुम ये भूल गई हो कि अगर उसके अंदर अपनी माँ शिवन्या जैसा दिल है, तो उसके अंदर अपने पापा ध्रुव के जैसा तेज़ और जालिम दिमाग़ भी है! विध्वंस जैसे लड़के को सँभालना उसके लिए बच्चों का खेल है। ये बात मत भूलो कि वो उस इंसान की बेटी है जिसके नाम से सारे माफ़िया की पेंट गीली हो जाती थी! इसलिए उसकी फ़िक्र तुम मत करो!'
ये सुन दिया जी खामोश हो गईं। उन्होंने अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए धीरे से कहा, 'देव, मुझे काम पर जाना होगा अब!'
ये कहते हुए वो उदास हो गईं। उनकी बात को सुन देव जी ने मुस्करा कर कहा, 'कोई बात नहीं, तुम जाओ, मैं यहीं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा!'
उनकी बात पर दिया जी अपनी प्यार भरी नज़रों से उन्हें देखने लगीं। शादी के इतने सालों बाद भी ये इंसान बिल्कुल भी नहीं बदला। शादी से पहले ये इंसान जैसे इसके पीछे पागल था, आज भी वैसे ही था!
वहीं दूसरी तरफ़, मिश्री और सान्वी अपने कॉलेज के अंदर जा रही थीं। उसको यूँ आते देख कॉलेज के सारे लड़के बस उसी को देख रहे थे!
ये देख मिश्री ने उसे छेड़ते हुए कहा, 'देख ले, यहाँ पर भी तुम्हारे आशिकों की लाइन लग चुकी है सान्वी!'
ये सुन सान्वी ने उसे अपनी कोल्ड आइस से देखा और बिना भाव के कहा, 'ये सारे लड़के एक नंबर के लड़कीबाज़ हैं, मुझे इन सब चीज़ों में कोई इंटरेस्ट नहीं।' ऐसा बोलते हुए वो आगे बढ़ने लगी, पीछे से मिश्री भी उसके साथ जाने लगी!
तभी अचानक से उन लोगों का रास्ता किसी ने रोक दिया। जब उन्होंने देखा तो सामने उनके कॉलेज के कुछ लड़के और लड़कियाँ खड़ी थीं, उनकी रैगिंग के लिए!
सान्वी और मिश्री जैसे ही कॉलेज के अंदर गईं, सान्वी ने अपनी आँखें थोड़ी देर बंद करते हुए कहा, 'मैं आ गई हूँ पापा, आपका सपना पूरा करने!'
ऐसा बोलते हुए उसने उस कॉलेज की तरफ़ देखा जिसका नाम 'शिवन्या ध्रुव कपूर' था। ये कॉलेज उसके पापा ने उसकी माँ के नाम खड़ा किया था! लेकिन आज इस पर उन ठाकुरों का राज था। ये सोच-सोच कर उसे गुस्सा और नफ़रत बढ़ती जा रही थी!
सान्वी ने बिना किसी भाव के उन लड़कों और लड़कियों से कहा, 'क्या चाहते हो तुम लोग? क्यों मेरा रास्ता रोककर रखा है?' ये कहते हुए उसकी नज़रें हलकी लाल नज़र आ रही थीं!
उसे देखते हुए एक लड़की ने कहा, 'ज़्यादा कुछ नहीं, बस आज तुम्हारे कॉलेज का पहला दिन है तो सोचा थोड़ी रैगिंग कर लें!'
ये सुन सान्वी ने अपनी कोल्ड आवाज़ में कहा, 'पर रैगिंग तो इलीगल है!'
उन लोगों को देख मिश्री तो उसके पीछे छुप गई!
सान्वी की बात को सुन उन लड़कियों ने घमंड से कहा, 'यहाँ लीगल-इलीगल कुछ नहीं चलता, बस हमारा चलता है राज, समझी!' इसलिए चुपचाप हम लोगों की बात मानो। फिर उसने पीछे छिपी हुई मिश्री से कहा, 'और तुम! तुम क्यों छिप रही हो हमसे? जल्दी सामने खड़ी हो जाओ हमारे!'
ये सुन मिश्री हँसते हुए उन लोगों के आगे खड़े होते हुए बोली, 'मैं तुम नमूनों से क्यों छिपने लगी भला! हाँ, कौन हो तुम?'
ये सुन वो लड़की गुस्से से बोली, 'तुम मुझे नहीं जानती, मैं विध्वंस ठाकुर की बहन हूँ।' ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर एक घमंड नज़र आ रहा था। मानो वो उन लोगों को बताना चाहती हो कि अगर मेरे आगे तुम दोनों नहीं झुकीं तो मेरा भाई तुम्हें छोड़ेगा नहीं!
ये सुन सभी लड़कियों के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। वो सब उसके साथ बस उसके भाई विध्वंस के लिए ही थीं, क्योंकि उन्हें कुछ भी करके विध्वंस की बीवी बनना था, इसके लिए भले ही उनकी बहन की नौकर बनना पड़े! वो पीछे नहीं हटेगी!
वहीं उस लड़की की बात को सुन मिश्री ने कहा, 'ओह! तो तुम उस विध्वंस ठाकुर की बहन हो जिसे मेरी बहन सान्वी ने सबके सामने थप्पड़ जड़ दिया था!'
ये सुन वो लड़की गुस्से से बोली, 'तुम्हारी इतनी हिम्मत? तुमने मेरे भाई पर हाथ उठाया?' ऐसा बोलते हुए उसने गुस्से से सान्वी पर मारने के लिए अपना हाथ उठाया। तभी सान्वी ने उसके हाथ को पकड़ कर मोड़ते हुए कहा, 'अपने ये गंदे हाथ मुझसे दूर रखो, वरना तुम्हारे भाई को सिर्फ़ थप्पड़ मारा है, तुम्हारा तो मैं हाथ तोड़ के रख दूँगी, समझी! मुझे नफ़रत है तुम ठाकुर परिवार से, इसलिए भूल से भी मेरे सामने मत आ जाना।' तभी सान्वी को एक कॉल आया जिस पर स्वीटहार्ट शो कर रहा था!
ये देख सान्वी ने उन लोगों को इग्नोर करते हुए मिश्री के साथ कॉलेज के अंदर चली गई। लेकिन मिश्री वो उस लड़की को देखते हुए उन्हें चिढ़ाते हुए वहाँ से चली गई। उनके जाने के बाद उन लड़कों ने भी उस लड़की को छोड़ दिया!
उन लोगों के जाने के बाद उस लड़की के पास खड़ी एक लड़की ने कहा, 'तुमने उसे ऐसे ही जाने दिया? ये ज्योति!'
ये सुन ज्योति ने उसे एक थप्पड़ मारते हुए कहा, 'तो क्या तुम चाहती हो वो मेरा हाथ तोड़ दे हाँ!'
जिस पर उस दूसरी लड़की ने कहा, 'बिल्कुल भी नहीं, मैं ऐसा नहीं चाहती। पर उसने तुम्हारे भाई पर हाथ उठाया और तुम उसे ऐसे ही जाने दोगी?'
ये सुन ज्योति ने डेविल स्माइल करते हुए कहा, 'तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि मैं उसे छोड़ दूँगी! उसने मेरे भाई पर हाथ उठाया है ना, उसकी सज़ा उसे मिलेगी ही, पर ऐसी सज़ा मिलेगी कि वो ज़िंदगी भर रोएगी, रहम की भीख मांगेगी मेरे आगे!'
ये सुन उस दूसरी लड़की ने हैरानी से कहा, 'पर तुम उसके साथ करने क्या वाली हो?'
ये सुन ज्योति ने उसके कान में सारी बात बताते हुए फिर आगे कहा, 'बड़ा गुरूर है ना इस लड़की को अपने ऊपर, मैं यही गुरूर इसका मिट्टी में मिलाकर रख दूँगी! ये ज़िंदगी भर इस बात के लिए पछताएगी कि क्यों इसने मेरे भाई पर अपना हाथ उठाया!'
वहीं दूसरी तरफ़, विध्वंस अपनी बाइक पर लेटा हुआ सान्वी के ख़यालों में गुम था। सान्वी कितनी प्यारी लग रही थी उन कपड़ों में! लेकिन जल्द ही उसका खून गुस्से से उबलने लगा। लेकिन उस लड़की की इतनी हिम्मत कैसे हुई कॉलेज में ऐसे कपड़े पहनने की! उसे वहाँ पर कितने लड़कों ने ऐसे देखा होगा। यही सोच-सोच कर उसे गुस्सा आ रहा था। तभी..."
विध्वंस को सान्वी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। आखिर उस लड़की की हिम्मत कैसे हुई उसकी बात काटने की? कॉलेज में ना जाने कितने लड़के-लड़कियों ने उसे ऐसे बेहूदा कपड़ों में देखा होगा!
तभी उसके पास लड्डू भागता हुआ आया और हाँफते हुए बोला, "भैया जी, वो..."
ये सुनकर विध्वंस ने उसे रोकते हुए कहा, "तनिक साँस तो ले ले, लड्डू।" उसके बाद उसने लड्डू से पूछा, "हाँ, क्या हुआ तुझे?"
ये सुनकर लड्डू ने कहा, "भैया जी, गड़बड़ हो गई। कॉलेज में किसी लड़की ने हमारी छुटकी को मार दिया!"
ये सुनकर विध्वंस गुस्से में अपनी बाइक से उतरते हुए बोला, "का कहा? हमारी छुटकी को किसी ने मार दिया? ऐसा कोई माई का लाल पैदा हुआ है, जिसे हमारा खौफ नहीं है?"
ये सुनकर लड्डू डरते हुए बोला, "पता नहीं भैया जी।" सुनने में आया कि दो लड़कियाँ थीं, जो नई आई थीं कॉलेज में। उनमें से दोनों में बहस हो गई, और एक ने दूसरे को मार दिया।
ये सुनकर विध्वंस ने गुड्डू से कहा, "गुड्डू, चल, जल्दी से। उस नई लड़की को सबक सिखाना पड़ेगा। आखिर उसकी हिम्मत कैसे हुई हमारी घर की लड़की पर हाथ उठाने की?"
पीछे से गुड्डू ने कहा, "सही कह रहे हैं भैया जी!"
एक तरफ जहाँ विध्वंस और उसका दोस्त सान्वी से बदला लेने कॉलेज आ रहे थे, वहीं दूसरी तरफ कॉलेज में प्रोफ़ेसर के क्लास में आने से सारे स्टूडेंट्स खड़े हो गए। तभी उन्होंने सान्वी और मिश्री से कहा,
"तुम दोनों नई हो इस कॉलेज में।"
ये सुनकर सान्वी और मिश्री दोनों खड़ी हो गईं। उन्होंने उन दोनों को देखते हुए कहा, "अपना परिचय दो यहाँ सबको।"
ज्योति, चमचागिरी करने वाली, बोलने लगी, "सिर्फ़ महँगे कपड़े पहन लेने से कोई अमीर नहीं बन जाता! ये देखना, तुम ज्योति पक्का किसी गरीब घर से होगी। जैसे इस मिश्री के बाप ने अम्मा जी से उधार लिया था, वैसे ही लिया होगा!"
ये ज्योति ने बड़े घमंड से कहा। "और नहीं तो क्या? यहाँ बेगूसराय की धरती पर हमसे ज़्यादा अमीर कौन हो सकता है?" ये बात बोलकर वो अपने दोस्तों के सामने खुद को बड़ा दिखा रही थी।
तभी सान्वी की बात सुनकर उनके होश उड़ गए! सान्वी ने खुद को इंट्रोड्यूस करते हुए कहा,
"My self Sanvi, daughter of Dhruv Shivanya Kapoor from USA... मेरे लिए यहाँ का माहौल काफी नया है, तो आशा करती हूँ आप लोग मेरी मदद करेंगे। और अगर कोई मेरे साथ बहस करेगा या परेशान करेगा, तो उसके लिए ये अच्छा नहीं होगा!" ऐसा बोलते हुए उसकी नज़रें ज्योति की तरफ़ थीं, जिन्हें देखकर ज्योति सँक गई!
तो वहीं सान्वी के बाद अब मिश्री की बारी थी खुद को इंट्रोड्यूस करने की। "मेरे बारे में आप सभी तो जानते ही होंगे, लेकिन फिर भी बता देती हूँ, my self Mishri Malhotra, daughter of ex-army officer Dev Malhotra!"
फिर उसने भी ज्योति की तरफ़ देखते हुए कहा, "जैसे मेरी बहन ने कहा, वैसे ही मैं भी कह रही हूँ, हम दोनों को अगर किसी ने बेवजह परेशान किया, तो छोड़ने वाले नहीं हम उन लोगों को!"
ऐसा बोलते हुए वो अपनी सीट पर जा बैठी। सभी लोग उनकी बातों से डर चुके थे, क्योंकि सान्वी किसी और नहीं, बल्कि एक माफ़िया की बेटी थी! और मिश्री एक आर्मी ऑफ़िसर की बेटी थी। ज़ाहिर सी बात है, डर तो लगेगा ही सबको। आखिर कौन सा आदमी होगा जिसे अपनी ज़िन्दगी प्यारी नहीं होगी!
वहीं ज्योति की दोस्त उससे कहने लगी, "यकीन नहीं आता कि ये लड़की सान्वी, उस ध्रुव कपूर की बेटी होगी। तभी इसमें इतना घमंड भरा हुआ है।"
ये सुनकर ज्योति ने अपनी आँखों में घमंड लिए उन दोनों से कहा, "चाहे जो भी हो, लेकिन अब यहाँ पर हमारे भैया का चलता है। देखना, वो इस लड़की को अच्छा-खासा सबक सिखाएँगे!"
थोड़ी देर में जब क्लास खत्म हुई, तब सान्वी और मिश्री जैसे ही जाने को हुईं, तभी उनका रास्ता रोकते हुए ज्योति अपनी सहेलियों के साथ खड़ी हो गई!
उसे अपने रास्ते देखकर सान्वी अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से घूरने लगी। तो वहीं मिश्री ने कहा, "क्या हुआ? सुबह का सबक भूल गई हो?" ये सुनकर ज्योति ने गुस्से से कहा, "तुम!"
तभी सान्वी ने कहा, "जो कहना है, जल्दी कहो। हमें घर जाना है अब।"
ये सुनकर ज्योति ने ताना मारते हुए कहा, "ये देखो! अभी कॉलेज आई नहीं कि अभी से चल दी घर।" फिर उसने सान्वी से घमंड से कहा, "सुना है तुम्हारे पूज्य मामा श्री ने हमारी अम्मा से दस लाख रुपये उधार लिए थे। तो अगर तुम सच में उस ध्रुव कपूर की बेटी हो, तो ब्याज के साथ अब पूरे तीस लाख रुपये दे देना!"
ये सुनकर सान्वी ने उसे ऐसे देखा जैसे वो किसी पागल को देख रही हो। "I mean," वो ध्रुव कपूर की बेटी थी। उसके पास पैसों की क्या कमी होगी! ये लड़की तो ऐसे कह रही थी जैसे वो किसी बड़े समुद्र से कह रही हो, "क्या तुम्हारे पास एक बाल्टी पानी मिलेगा?"
सान्वी ने उसे नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, "आज शाम में खुद आऊँगी तुम्हारी उस अम्मा से मिलने। उन्हें उनके पैसे लौटाऊँगी, वो भी ब्याज के साथ!"
तभी वहाँ पर विध्वंस अपनी बंदूक लेकर आया और अपनी बहन ज्योति से कहने लगा, "किसने मारा तुम्हें, छोटी? बता उस ससुरा का!"
ये सुनकर ज्योति ने सान्वी और मिश्री को देखते हुए कहा, "इस लड़की सान्वी ने मारा हमको, भाई! आप चाहें तो हमारी सहेलियों से पूछ सकते हैं।" ये सुनकर वो दोनों भी अपना सिर हाँ में हिलाते हुए कहने लगीं, "हाँ, विध्वंस जी!"
"इस सान्वी ने ज्योति को बिना मतलब के थप्पड़ मारा।" ये सुनकर विध्वंस को गुस्सा आ गया। उसने सान्वी से कुछ पूछे बिना उन सबसे कहा, "तुम लोग बाहर जाओ यहाँ से। और हो सके तो किसी को भी अंदर ना आने दो!"
ये सुनकर सभी बाहर चले गए। मिश्री तो जाना नहीं चाहती थी, पर सान्वी ने उसे अपनी आँखों से जाने को कहा।
उन लोगों के जाने के बाद विध्वंस वहीं बेंच पर बैठते हुए बोला, "ए लड़की! तुझे डर नहीं लगता हमसे? पहले सबके सामने मुझे थप्पड़ मारा, और फिर हमारे मना करने के बाद भी तूने ऐसे बेहूदा कपड़े पहने, और ऊपर से मेरी बहन को मारा।" ये कहते हुए उसकी आवाज़ तेज हो गई!
उसकी बातें सुनकर सान्वी ने गुस्से से कहा, "पहली बात, तुम्हें थप्पड़ मारना मेरी गलतफहमी थी। तो उसके लिए मैंने माफ़ी भी माँगी तुमसे। और दूसरी बात, ये कपड़े तुम्हारे बाप या तुम्हारी अम्मा ने नहीं दिए, ये मेरे खुद के पैसों से लिए गए हैं। और मेरे घरवालों को ऐसे कपड़े पहनने से कोई दिक्कत नहीं, तो तुम होते कौन हो बोलने वाले?"
"और रही तीसरी बात, तुम्हारी बहन को मारने की, तो अभी तक तो उसे मारा नहीं है, अब मारूँगी तुम्हारे सामने!"
ये सुनकर विध्वंस ने उसे खुद के करीब करते हुए कहा, "क्या कहा तुमने? मैं होता कौन हूँ तुम्हें बताने वाला?" ऐसा बोलते हुए उसने अपनी गन उसके पेट में तानी।
सान्वी ने उसकी इस हरकत पर उसकी गन को अपने सिर पर रखते हुए कहा, "ठाकुर होकर इतना नहीं जानते कि हम कपूर के ये बचपन के शौक रहे हैं, ऐसे खिलौनों से खेलना! और तुम मुझे डराने जा रहे हो?" ऐसा बोलते हुए वो जैसे मानो उसका मज़ाक उड़ा रही हो! ये सुनकर विध्वंस ने कहा, "तुमने मेरी बहन का दिल दुखाया है, इसलिए एक अच्छी बच्ची बनकर उससे माफ़ी माँग लेना!"
उसकी बात सुनकर विध्वंस ने उसके कान में कहा, "और अगर तुमने माफ़ी नहीं माँगी, तो देख लेना, तुम्हारी उस बहन मिश्री को तुम्हारे सामने मारूँगा!"
उसकी बात सुनकर सान्वी को अब मिश्री के लिए डर लगने लगा था, क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि ऐसा कुछ भी हो उसके साथ!
ये सोचकर वो बिना बहस के बोली, "ठीक है।" ये सुनकर विध्वंस को भी अपने ऊपर घमंड हो रहा था कि सान्वी को उसने झुका दिया!
सान्वी उसके साथ बाहर आई और ज्योति से बोली, "मुझे माफ़ कर दो, ज्योति!"
ये सुनकर ज्योति ने कहा, "क्या कहा तुमने? मैंने सुना नहीं!" ये सुनकर सान्वी ने अपनी मुट्ठी भरते हुए कहा, "मैंने कहा, मुझे माफ़ कर दो!"
लेकिन ज्योति का इरादा उसे माफ़ करने का बिल्कुल भी नहीं था। उसने बार-बार उसे परेशान करने के लिए बोलना शुरू कर दिया! सान्वी उससे बार-बार माफ़ी माँग रही थी अपनी दोस्त के लिए!
ज्योति ने अपने रुमाल को अपने जूतों पर फेंकते हुए कहा, "ठीक है, मैंने तुम्हें माफ़ किया। तुम मेरा रुमाल उठाकर दे दोगी मुझे!"
सान्वी ने बिना बहस किए उसे उसका रुमाल दिया। तब ज्योति ने सान्वी के गालों पर दो थप्पड़ जड़ दिए और एक कमीनी मुस्कान के साथ कहा, "ये रहा मुझे ना करने का नतीजा!"
विध्वंस को उसकी बातों से इतना तो समझ आ गया कि कुछ तो गड़बड़ है। सान्वी की आँखों में पानी आ गया। बिना मतलब के उसे यहाँ परेशान किया गया इन भाई-बहनों के द्वारा। तभी उसके फ़ोन पर एक कॉल आने लगा। वो कॉल उसके भाई का था!
सान्वी वहाँ और देर तक खड़ी नहीं रह सकी और कॉल को पिक करते हुए वहाँ से जाने लगी! विध्वंस ने भी उसके कॉल पर "स्वीटहार्ट" नाम देख लिया था। उसे भी सान्वी पर गुस्सा आ रहा था कि उसकी हिम्मत कैसे हुई यहाँ से जाने की!
तो वहीं मिश्री, जो अब तक शांत थी, उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। ज्योति जो अब तक खुश थी कि उसने उस सान्वी को थप्पड़ मारा, उसे जब अपने गालों पर तेज दर्द हुआ, तब उसने देखा उसे थप्पड़ किसी और ने नहीं, बल्कि सान्वी की बहन मिश्री ने मारा था!
वो कुछ कहती उससे पहले ही मिश्री ने उसके दोनों गालों पर दस-दस थप्पड़ जड़ दिए और नफ़रत से कहा, "तुम लोगों की यही औकात है! अपने गुंडे भाई को लेकर बड़ी हवा में उड़ रही हो। तुम में अगर हिम्मत होती, तो खुद तुम सान्वी से लड़ती। लेकिन तुमने अपने इन गुंडे भाइयों को बुलाया, जो दिखने से तो मुझे मर्द बिल्कुल भी नहीं लगते!"
"आगे से तुमने अगर मेरी दोस्त पर हाथ उठाया ना, तो उसने तो सिर्फ़ तुम्हारे हाथ को रोका था। मैं तो तुम्हारे हाथ को जड़ से उखाड़ फेंक दूँगी, समझी? इसलिए आगे से हमारे रास्ते में मत आना!"
और फिर विध्वंस से कहा, "तुम जैसे मामूली सड़क छाप गुंडों से सामना हमारा रोज़ होता है, समझे? खुद को ज़्यादा तूफ़ान मत समझो। और मुझे पता है मेरी बहन ने मेरे लिए माफ़ी माँगी तुम्हारी इस बहन के लिए! लेकिन एक बात याद रखना, अगर तुमने आगे से मेरी दोस्त के आस-पास भी भड़का तो तुमने तो सिर्फ़ कहा है, मैं करके दिखा दूँगी। तुम्हारे पूरे खानदान को ज़िन्दा जलाकर राख कर दूँगी, इसलिए दूर रहना। और हो सके तो अधे-गुगे बनके बिना बात के किसी के साथ इतना बुरा मत करना जितना तुमने मेरी दोस्त के साथ किया!"
विध्वंस ने जब सान्वी को यूं रोते हुए जाते देखा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसके दिल में किसी ने प्थरो से वार किया हो उसके दिल में मिश्री की बातों ने खचंर का वार किया उसने अपने दिल पर एक हाथ रख दिया !
उसे ऐसे देख ज्योति ने उसे भड़काने की कोशिश करते हुए कहा,भैया ये ही थी वो लड़की जिस ने मुझ पर हाथ उठाया !
आपने उसे कुछ कहा क्यों नहीं !
ये सुन सान्वी ने उसे घूरते हुए कहा,तुमने उसे इतने थप्पड़ मारे क्या इतना काफ़ी नहीं था तुम्हारे लिए !
जो सुन ज्योति अपनी हाथो कि मुठ्ठी कसते हुए बोली,पर भाई आपको बोलना चाहिए था उसे,
ये सुन विध्वंस ने उसे शक भरी नज़रों से देखते हुए कहा,क्या उस लड़की
सान्वी ने सच में तुम्हें मारा था !
जो सुन ज्योति हकलाने लगी ओर हलकाते हुए बोली, ह...ह....हां भाई उस सान्वी ने मुझे मारा मै भला आपसे झूठ क्यों बोलूंगी आप चाहें तो दीक्षा ओर रूबी से पूछ लीजिए,
जिसे सुन उन दोनों ने भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहा,हां विध्वंस जी"ज्योति बिल्कुल ठीक कह रही है,उस लड़की सान्वी ने आप दोनों के बारे में ना जाने क्या कुछ नहीं कहा,आप दोनों गुंडे हो ऐसे आप जैसे ना जाने कितनो को देखा आप उसके मुक़ाबले कुछ भी नहीं हो !
ये सुन लड्डू ने गुस्से के साथ कहा,मै उस लड़की को छोड़ूंगा नहीं, उसकी हिम्मत भी कैसे हुई,ये सुन
ज्योति अंदर ही अंदर खुश हो रही थी उसने लड्डू से कहा,
भाई उस सान्वी ने अम्मा जी के बारे में भी काफ़ी कुछ कहा है जो आप लोग सुन नहीं पाएंगे !
विध्वंस ने अपनी एक सख्त आवाज़ से उन्हें कहा, तुम तीनों यहां से अपनी क्लास में जाओ,अब आगे से जो कुछ भी होगा वो हम देख लेगे !
जी भाई ये बोलते हुए ज्योति अपनी दोनों सेहलियो के साथ चली गई उनके जाने के बाद गुड्डू ने गुस्से से तिलमालते हुए कहा,
भाईया जी काहे रोका हमें,उस लोड़िया को अच्छा खासा सबक सिखाते हम !
ये सुन विध्वंस ने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा,किस खुशी में हां !
जबकि गलती हमारी ख़ुद की बहन की थी !
ये सुन लड्डू अपने गाल पर हाथ रख ना समझी में बोला,मतलब का है भैया जी आपका !
ये सुन विध्वंस ने कहा,ज्योति झूठ बोल रही थी उसकी आखों में मुझे डर दिखा पर सान्वी उसकी आंखो में एक सच्चाई एक गुस्सा था मेरे लिए !अगर मेरी बात का यकीन नहीं तो सबूत देख लो !
ये सुन लड्डू ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा,
भैया जी ये हमसे क्या हो गया, इतनी बड़ी भूल हम कैसे कर बैठे !
ये सुन विध्वंस ने आगे कहा, हमे उसे मानना होगा हमसे वो गुस्सा होगी !इस ज्योति की बच्ची ने सारे प्लान को चौपट पर दिया हमरे !
का का सपने सजाएं थे उ
सान्वी के बारे में, कि उससे अपने प्यार का इज़हार करेगे वो सब कुछ करेगे जो हमको उ बोलेगी, पर ज्योति ने पानी फेर डाला सब पे !
ये सुन लड्डू ने उन्हें हिलाते हुए कहा, भइया जी अब भी कोनो बड़ी बात ना हुई है, भाभी इंहा ही कहीं होगी चलिए तनिक देख के आते है !"
ये सुन विध्वंस ने कहा, हां चल जल्दी ऐसा बोल उसने बाइक स्टार्ट कि ओर वो दोनो सान्वी को मनाने निकल पड़े !"
वहीं दूसरी तरफ सान्वी ने उस कॉल को आते देख रोने लगी तब उसे उसके कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ जब उसने पीछे मुड़कर देखा,तो पाया उसके पीछे मिश्री खड़ी थी मिश्री ने उसे सख्त आवाज़ में कहा,
नहीं सान्वी मेरी सान्वी इतनी कमज़ोर नहीं जो ऐसे टूट कर बिखर जाएं बल्कि मेरी सान्वी तो वो आग है जिससे बड़ी से बड़ी चट्टान टूट जाएं !
बहुत हुआ रोना धोना अब तुम बिल्कुल भी नहीं रोयोगी ओर हां उस विध्वंस की बहन को में दो थप्पड़ लगा दिए है तो तू खुश हो जा ओर हां, अगर आगे से वो कुछ भी कहें तो जबाव देना अगली बार उसका हाथ पकड़ना नहीं बल्कि तोड़ के रख देना समझी !
अब ऐसा कर आरव भाई से बात कर उन्हें तेरी फ़िक्र हो रही थी उन्होंने इतनी कॉल की तुझे पर तूने उठाई नहीं अब कर ले नहीं तो वो घर मम्मी को कर देंगे !
ये सुन सान्वी ने अपनी धीमी आवाज़ में कहा, जी भाई !
दूसरी तरफ से एक कड़क आवाज़ सुनाई दी सानू बेटा कहा हो तुम हां मैने कितनी कॉल्स की तुम्हें,
ये सुन सान्वी फुट फुट कर रोने लगी जिसे सुन आरव ने उसकी फ़िक्र होने नहीं उसने उसकी चिंता करते हुए कहा,
सानू बेटा क्या बात है किसी ने कुछ कहा तुमसे क्या ?
बता सानू चुप क्यों है, तेरी एक आवाज़ पर मै पूरा बिहार उड़ा दूंगा, तू बता तो सही मुझे आख़िर तुम्हें हुआ क्या है ?
ये सुन सान्वी ने रोते हुए कहा, वो हार्ट हमें बहुत हर्ट हुआ उन लोगो ने हमें बहुत परेशान किया ऐसा कहते हुए उसने सारी बाते बता दी !
जिसे सुन आरव ने उसे समझाते हुए कहा,ना बेटा सानू मेरी सान्वी क्या इतनी कमज़ोर है जो एक मामूली से गुंडे की बहन से डर गई,तुम मुझसे प्रोमिस करो उन सबको सबक सिखाओगी !
जी सुन सान्वी ने अपने आसुं साफ़ करते हुए कहा,हां ओर ऐसा सबक सिखाएंगे हम की वो लोग ज़िन्दगी भर याद रखेंगे हमे !
जिसे सुन आरव ने खुशी से कहा, ये हुई ना मेरी सानू की बात !
सान्वी ने आगे कहा,भाई वो मामा मामी ने उन लोगो से दस लाख रुपए उधार लिए है जो वो लोग वापिस मांग रहे है तो !
तो तुम कहो तो मै तुम्हें अभी पैसे ट्रांसफर करूं ये सुन सान्वी ने कहा,
हां भाई,मुझे एक करोड़ चाहिए अभी एक अभी !
लेकिन इतने पैसों का तुम क्या करोगी,मिश्री ने कहा तो सान्वी ने उसे आंख दिखाते हुए कहा,
मुझे भैऊ से लेने दो तुम दो min चुप नहीं रह सकती,ये सुन मिश्री ने हस्ते हुए कहा, ओके ओके मांग ले अपने भाई से !
ये सुन सान्वी ने अपने भाई को मखन लगाते हुए कहा,वो बेबी मुझे यहां अपने लिए एक बाइक लेनी थी ओर मामु ने जो पैसे उधार लिए थे,वो चुकाने थे ब्याज के साथ ओर कुछ डोनेशन में नहीं देने है !
तभी उसके फ़ोन में एक मैसेज पॉप आउट हुआ
सान्वी ने जब वो मैसेज पढ़ा वो शोक हो गई ओर उसके साथ जब मिश्री ने वो मैसेज देखा तो वो भी शोक हो गई क्योंकि
सान्वी के अकाउंट में पूरे 100 करोड़ रुपए का क्रेडिट हुआ था !
जिसे देख सान्वी ने उन्हें समझाते हुए कहा,अरे मुझे सो करोड़ नहीं बल्कि एक करोड़ चाहिए मै आपको 99 करोड़ वापिस कर रही हूं, हार्ट !
जिसे सुन आरव ने कहा,जैसा तुम्हें ठीक लगे पर मेरी बहन को कोई कमी नहीं होनी चाहिए तुम्हें जितने भी पैसे चाहिए हो बिना बात करे सीधा ऑडर दिया करो समझी ओर रोना मत ठीक है !
जिसे सुन सान्वी ने खुशी से कहा,आपने कहा ओर मैने आपका कहा माना ना हो ऐसा हो सकता है क्या कभी!
जिसे सुन आरव ने कहा,हां हां जानता हूं तुम्हे अब मेरी एक इंपॉर्टेंट मीटिंग है मै जाता हूं, ओर हां जितनी जल्दी हो सके तुम भी अपने डैड का बिजनेस सभाल लो, लव यूं बेटा !
ये सुन सान्वी ने धीरे से कहा, उसके लिए तो हम यहां आए है कि अपनी पढ़ाई पूरी करके आपके कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें लव यूं टू हार्ट !
ऐसा बोलते हुए उसने कॉल कट कर दिया !
वहीं विध्वंस जिसने उनकी आधी बात सुनी जैसे जब सान्वी ने ये कहा था कि आपके कंधे से कन्धा मिलाकर चलना है, ओर love you too कहा, तो विध्वंस को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा !
उसके जले पर नमक छिड़कते हुए लड्डू ने कहा, वाह भइया जी भाभी का बीएफ तो लगता है आपसे भी ज्यादा अमीर लगता है मुझे, ये सुन विध्वंस ने जलन भरे भाव से कहा,
तुम्हे कैसे पता कि वो उसका बीएफ होगा हां हो सकता है कि वो उसका भाई हो !
जिसे सुन लड्डू ने हंसते हुए कहा, का भैया जी आप भी कैसी बाते कर रहे हो वो हमारे देश में नहीं रही बल्कि दूसरे देश में रही है तो वहा की लड़कियों के लिए बीएफ रखना शादी से पहले ही सब कुछ कर लेना अपने बीएफ के साथ ये सब आम बात होती है हो सकता है भाभी जी का भी हो या उनका रिश्ता पक्का हो गया हो !
ये सुन विध्वंस ने गुस्से में उसके कॉलर को पकड़ कर कहा,हम कुछ कह नहीं रहे तो सिर पर चढ़कर डांस करेगा हां !"
विध्वंस ने गुड्डू के कॉलर को पकड़ते हुए कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सान्वी के बारे में ग़लत बातें बोलने की? तुम्हें क्या, मेरी सान्वी ऐसी-वैसी लड़की लगती है, जो हर कहीं मुँह मार दे, हाँ?" कहते हुए उसकी आँखों में गुस्से का लावा था। तो वहीं गुड्डू की आँखों में विध्वंस का खौफ और डर था। "भ...भ...भैया जी," वो बोला, "हम तो यह कह रहे थे कि हो सकता है, सान्वी भाभी का जो बॉयफ्रेंड है, उनसे वो लॉयल रही हो। मेरा मतलब है, उनकी शादी होने वाली हो।"
"नहीं, वो किसी और की नहीं हो सकती। सान्वी सिर्फ़ मेरी है, समझे!"
तो वहीं दूसरी तरफ़, अम्मा जी के घर, अम्मा जी हुक्का पी रही थीं। तभी उनके एक नौकर ने कहा, "अम्मा जी, बाहर वो लड़की, सान्वी, जिसने भैया जी को थप्पड़ मारा, वो और उसकी बहन भी आई है साथ। वो दोनों आपसे मिलना चाहती हैं।"
यह सुनकर अम्मा जी ने उन्हें एक नज़र देखा, हाथ से बुलाने का इशारा किया और फिर से अपने एक हाथ में हुक्के को पकड़कर पीने लगीं।
अम्मा जी ने जब सामने देखा, तो पाया कि दो लड़कियाँ, जिनकी उम्र 23 साल की रही होगी, वो दोनों खड़ी थीं। उन्होंने धुआँ छोड़ते हुए कहा, "तो बोलो, क्या ज़रूरत पड़ गई हमारी?" यह सुनकर सान्वी ने कहा, "अम्मा जी, आपने अपने पोते को, हमारे घर, मामा जी को धमकी भेजना अच्छा नहीं किया।"
"तुम हमें धमकी दे रही हो, हाँ, छोरी?"
"नहीं, अम्मा जी, हम धमकी नहीं दे रहे, बल्कि बता रहे हैं कि यह नहीं करना चाहिए था। मेरे मामा जी का यहाँ बहुत नाम है, लोग क्या सोचेंगे उनके बारे में? इज़्ज़त कमाने में पूरी ज़िंदगी लग जाती है, लेकिन उसे मिट्टी में मिलाने में दो मिनट का टाइम नहीं लगता।"
"ओह, तो तुम चाहती हो कि हमने जो तीन साल से उन्हें पैसे उधार दिए हैं, वो वापिस ना माँगें उनसे?"
"हाँ, आप वापिस माँग सकते थे, लेकिन आपने घर पर जाकर जो हंगामा किया, वो नहीं करना चाहिए था। मेरे सब लोग मेरे मामा जी के बारे में ना जाने कैसी-कैसी बातें कर रहे थे। इसलिए हम दोनों यहाँ आई हैं। आपको कितने पैसे चाहिए उनसे? दस लाख!"
यह सुनकर अम्मा जी ने घमंड से कहा, "नहीं, उन पर 30 साल के रुपये, यानी पूरे 20 लाख का ब्याज है।" उन्हें यह लग रहा था कि सान्वी उनसे डर जाएगी या उनसे माफ़ी माँग लेंगी। इसलिए उन्होंने उससे कहा, "सुन, लड़की, तू हमें अच्छे घर की लगी, पर हमसे आँखों में आँखें डालकर बात करने वाला पूरे बेगूसराय में कोई नहीं है। बड़ी हिम्मत है तुम में! इसलिए हमसे माफ़ी माँग लो और जाओ यहाँ से! क्योंकि तुम्हें देखकर लगता नहीं कि तुम्हारे पास इतने पैसे होंगे।"
उनकी बात पर मिश्री हँसते हुए बोली, "पहली बात, अम्मा जी, भले ही आप उम्र में सान्वी से बड़ी हों, लेकिन जिस जगह पहुँचने के लिए आपने सालों लगा दिए, वहाँ पर पहुँचने के लिए मेरी बहन को एक साल भी नहीं लगेगा। और जानती हैं आप, मेरी बहन आपसे क्यों नहीं डरती? क्योंकि आप एक कुएँ का वो मेंढक हो, जिसे यह लगता है कि सब कुछ उस कुएँ में है। वो कुआँ ही उसका संसार है, उससे बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता, जबकि उसने कभी समुद्र देखा तक नहीं होता ज़िंदगी में! ठीक वैसे ही आप हो! क्या लगता है आपको? सान्वी आपकी आँखों में ऐसे बेख़ौफ़ क्यों खड़ी है? क्योंकि अम्मा जी, आपके सामने कोई आम परिवार की लड़की नहीं, बल्कि एक माफ़िया प्रिंसेस खड़ी है—सान्वी कपूर, यानी माफ़िया ध्रुव कपूर की बेटी! ये इन खिलौनों से बचपन से खेली है, जिन खिलौनों को आपके यहाँ के लोग रखते हैं। माफ़ करना, अम्मा जी, लेकिन आपका नाम भले ही इस बेगूसराय में हो, लेकिन इससे बाहर, यानी यूपी बिहार से बाहर क्या है? कुछ भी नहीं! जबकि सान्वी के डैड की पहचान पूरे वर्ल्ड में है!"
सान्वी के बारे में ये सारी बातें सुनकर उन्होंने सान्वी से कहा, "तुम्हारे बारे में जानकर अच्छा लगा! तुम हमारे साथ काम क्यों नहीं करती?"
"नहीं, मैं यहाँ कोई लड़ाई या बहस नहीं करने आई, बल्कि यह कहने आई थी कि आप आगे से मेरे मामा को परेशान मत कीजिएगा! आपको पैसे चाहिए ना, तो ये रहे आपके तीस लाख रुपये।" इतना बोलकर उसने वो पैसे टेबल पर रखे और आगे कहा, "आई होप, अब आप खुश होंगी! अब हमें इज़ाज़त दीजिये, अम्मा जी, और हो सके तो मेरी बहन को छोटी बच्ची समझकर माफ़ कर दीजिएगा!"
इतना बोलकर सान्वी अपनी बहन के साथ वहाँ से निकली। तभी अचानक से उसने देखा कि विध्वंस उसकी ओर बढ़ रहा है। यह देखकर उसने मिश्री से कहा, "मिश्री, जल्दी चलो यहाँ से, वरना कहीं ऐसा ना हो कि ये लोग हम पर ही यह इल्ज़ाम ना लगा दें कि हमने यहाँ आकर इनकी अम्मा जी को धमकी दी!" ऐसा बोलकर वो विध्वंस की बिना बात सुने चली गईं। उसका रूखा सा बर्ताव विध्वंस को अच्छा नहीं लगा, लेकिन कहीं ना कहीं वो जानता था कि इसमें गलती उसकी छोटी बहन की थी।
वो अम्मा जी के सामने बैठ गया और अपने हाथों को पीछे की ओर रखते हुए बोला, "ये दोनों लड़कियाँ यहाँ पर क्यों आई थीं?" तो अम्मा जी के खास आदमी ने अम्मा जी के सामने ही उन्हें सब कुछ सुनाया। जिसे सुनकर गुड्डू ने गुस्से में कहा, "ये उन लोगों ने ठीक नहीं किया।" यह सुनकर अम्मा जी ने कहा, "क्या ठीक नहीं किया, हाँ? जानता भी है वो एक माफ़िया की बेटी है, ना कि हमारे जैसे एक आम इंसान की बेटी! उसने तो कोई बदतमीज़ी नहीं की, बल्कि वो तो पैसे देने आई थी ताकि तुम दोनों और कोई हंगामा ना कर सको उनके घर में! उन्होंने पूरे तीस लाख रुपये दिए हैं, इसलिए उनके घर जाने का कोई मतलब नहीं बनता अब।"
विध्वंस पहली बार अपनी दादी के फैसले पर एक अलग चमक देख रहा था। तो वहीं डाइनिंग टेबल पर खाना लगा रही विध्वंस की माँ और चाची उन्हीं की ओर देख रही थीं। विध्वंस की चाची ने उसकी माँ से कहा, "देखा, कैसे बात करके गई है वो लड़की अम्मा जी से? हम लोग तो उनसे बात करना तो दूर की बात है, उनसे नज़रें तक नहीं मिला पाते! यही फर्क है उस लड़की और हम में, छोटी! पर जीजी, हमें डर लग रहा है, कहीं अम्मा जी इस लड़की को आपकी बहू ना बना दें। कहा आप शांत स्वभाव की, कहा वो लाल मिर्च की तरह! अगर अम्मा जी ने उससे विध्वंस बेटा की शादी करवा दी, तो सच्ची बता रहे हैं हम, जीना मुश्किल हो जाएगा हमारा! पहले तो ये अम्मा बूढ़ी ने जीने नहीं दिया, अब ये लड़की नहीं जीने देंगी!"
"छोटी, ये कैसी बातें कर रही हो तुम, हाँ? वो लड़की सान्वी हमें तो बड़ी प्यारी बच्ची लगी और तुम उसके बारे में कुछ भी बकवास बोल रही हो। बोलने से पहले कुछ सोच तो लिया करो! और रही बात अम्मा जी की, तो वो अक़ल और तजुर्बे में बड़ी है तुमसे, समझी? इसलिए इज़्ज़त से नाम किया करो।"
अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए सान्वी की चाची बोली, "आप सही कह रही हो, जीजी।" फिर कुछ पल रुककर कहा, "जीजी, वैसे विध्वंस बाबा के लिए मेरी एक सहेली है, उसकी बेटी देखी है, काफ़ी संस्कारी, बिल्कुल हमारे जैसी है, धार्मिक, पूजा-पाठ करने वाली, बड़ों की इज़्ज़त करने वाली, यहाँ तक कि उसे घर का सारा काम आता है—सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, खाना बनाना, सब आता है!"
विध्वंस की चाची उसकी माँ से अपनी एक दोस्त की बेटी के बारे में बात कर रही थी ताकि वह उसकी शादी अपने बेटे विध्वंस से करवा दे। पर विध्वंस की माँ को कुछ ठीक नहीं लग रहा था; मतलब उन्हें यह सब बहुत जल्दबाजी लग रही थी। वे बिना विध्वंस से पूछे उसे हां नहीं कह सकती थीं!
इसलिए उन्होंने उसके कंधे पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा, "देखो छोटी, इस घर में अम्मा जी का कहा पत्थर की लकीर है। यहाँ के लोगों और विध्वंस के लिए!"
"और वैसे भी, विध्वंस की शादी किसके साथ होगी, यह फैसला तुम, विध्वंस और अम्मा पर छोड़ दो। वे दोनों देखेंगे। तुम इन सब मामलों से दूर रहो, छोटी!"
"क्यों जीजी? आप फैसला क्यों नहीं ले सकतीं? हाँ, आपका विध्वंस बेटा है, हक़ है आपका उस पर! माँ हैं आप उसकी!"
"नहीं छोटी, मैं उसकी माँ ज़रूर हूँ, लेकिन अम्मा जी के आगे कुछ भी नहीं। यह आज जो कुछ भी तुम देख रही हो ना, विध्वंस को, यह सब अम्मा जी की बदौलत है!"
"आपको अम्मा जी से जलन नहीं होती जीजी? क्या? कि आपके बेटे पर आप दोनों से ज़्यादा हक़ अम्मा जी का होता है?"
"ये कैसी बातें कर रही हो, हाँ तुम छोटी! वो मेरे लिए मेरी माँ के जैसे हैं, तो मुझे क्यों जलन होगी? उल्टा मुझे तो खुशी होती है उन्हें दोनों को साथ देखकर!"
"जो काम मेरे पति को पूरा करना चाहिए था, वो काम मेरा बेटा पूरा कर रहा है मेरी अम्मा जी के साथ मिलकर!"
"जीजी, अम्मा जी उस लड़की को कैसे देख रही थीं, जानती हो ना आप? उन्हें विध्वंस के लिए वो लड़की पसंद आ गई है।"
"तो क्या हुआ छोटी? वैसे भी वो लड़की हमें विध्वंस के लिए बिल्कुल परफेक्ट लगती है। मतलब कि देखा नहीं तुमने उसका बेखौफ, निडर चेहरा! जो लड़की अपने मामा के परिवार के लिए अम्मा के सामने खड़ी हो सकती है, वो अपने खुद के परिवार के लिए चट्टान के जैसे खड़ी होगी!"
"सच कहूँ तो मुझे उस लड़की की आँखों में भोलापन और मासूमियत साफ़ नज़र आई। इसलिए कहती हूँ तुम उस बच्ची के बारे में कुछ भी मत बोलना।" ऐसा कहते हुए उन्होंने चाय-बिस्कुट लेकर अम्मा जी और अपने बेटे के पास पहुँच गईं।
अम्मा जी ने चाय को अपने हाथ में लेते हुए कहा, "विध्वंस लाला, हमने तुम्हारे लिए एक लड़की देखी है। तुम बताओ, तुम्हें कैसी लगी वो...?"
यह सुनकर विध्वंस, जो चाय की चुस्की ले रहा था, उसके मुँह से लगभग चाय ही बाहर निकलने वाली थी! उसने एक फ़ेक स्माइल के साथ कहा, "कौन अम्मा जी?"
"अरे लाला, तू भी कितना बावला है! यहाँ जो दो लड़कियाँ आई थीं, उसमें से जो बोल रही थी, क्या नाम था उसका?"
"सान्वी अम्मा जी!" विध्वंस ने फ़टाक से कहा!
तो अम्मा जी मुस्कुराते हुए बोलीं, "अरे वाह! मतलब हमारे लाला को पसंद है वो लड़की!"
"अम्मा जी, आज तक हम आपका कहा टाले हैं जो अब टालेंगे! पर एक बात की फ़िक्र है हमें विध्वंस लाला, वो ठहरी विदेश में रहने वाली, हमारे यहाँ के तौर-तरीकों से बाकिफ़ नहीं है!"
"तुम्हें ही उसे समझना होगा, ख़ासकर उसके कपड़े! हम यह नहीं बोल रहे कि हमें उसके कपड़ों से दिक्कत है, पर बात यहाँ के लोगों की है! तुम तो जानते हो ना, यहाँ के लोग छोटी-छोटी बच्चियों तक को नहीं छोड़ते, इसलिए कहा मैंने!"
यह सुन विध्वंस ने कहा, "अम्मा जी, जानता हूँ मैं!"
"इसलिए मैं उसे अच्छे तरीके से समझा दूँगा। आप उसकी फ़िक्र मत कीजिए!"
"हमें तुमसे यही उम्मीद थी लाला! और हाँ, एक बात और, तुम्हारी बीवी वही लड़की बनेगी।" यह सुन विध्वंस अंदर ही अंदर से खुश हो रहा था, पर उसने अम्मा जी को शो नहीं होने दिया। "जैसा आप कहें अम्मा जी, वही होगा!"
तभी उसके फ़ोन पर एक मैसेज आया जो उसके ख़ास आदमी का था, जिसे उसने सान्वी के पीछे लगाया था उसकी सेफ़्टी के लिए। उसकी कॉल आई!
विध्वंस वहाँ से बाहर चलकर उस आदमी को कॉल करते हुए कहा, "क्या हुआ? हाँ!"
"क्या वो घर नहीं पहुँची? या कोई पहाड़ टूट पड़ा था जो हमें कॉल कर रहे हो इस वक़्त?"
"भैया जी, आपका तो घर बसने से पहले ही उजड़ गया! वो लड़की देखो, अपने घर के पीछे उसने कैसा तालाब बनाया है खुद के लिए! और पता है भैया जी, उन्होंने ऐसे कपड़े पहने हैं कि हमको देखने में भी लाज आए! और उनके साथ वीडियो कॉल पर एक लड़का भी है, जिसे वो जानूँ बोल रही है भैया जी! और हाँ भैया जी, उन्होंने फ़्लाइंग चुम्मा भी दे दिया है!"
यह सुन विध्वंस के हाथों की नसें दिखाई देने लगीं। उसने बाइक स्टार्ट की और उसके घर की तरफ़ निकल पड़ा! उसके पीछे लड्डू भी था। विध्वंस ने सान्वी के घर का सफ़र दस मिनट में ही पूरा कर दिया। उसने जब सान्वी के घर के पीछे देखा तो वहाँ पर बड़ी-बड़ी चारदीवारी की हुई थी, लेकिन फिर भी उसकी हाइट उस दीवार से थोड़ी ज़्यादा थी, जिस कारण विध्वंस और बाकी सब लोग उसे देख रहे थे!
सान्वी ने एक ग्रीन कलर का क्रॉप टॉप, जो काफ़ी छोटा था, वो पहना हुआ था। उसके साथ उसने व्हाइट जीन्स, जो घुटनों के काफ़ी ऊपर थी, वो पहनी हुई थी। उसमें उसकी लम्बी, पतली, गोरी टाँगें साफ़ दिखाई दे रही थीं!
विध्वंस उन दोनों की बातें सुनने के लिए उनके पास दीवार के पीछे छिपकर सारी बातें सुनने लगा। जैसे-जैसे वो उनकी बातें सुन रहा था, उसके गुस्से का गुब्बारा फूटने वाला था!
मिश्री, सान्वी को छेड़ते हुए बोली, "ओह हो! जीजा जी के नाम पर कितना चमक मार रही हो, हाँ!"
"अरे पागल! ऐसी बात नहीं है!"
"तो कैसी बात है? माँ को बताया इस बारे में?"
"उन्हें इस बारे में पहले से ही पता है और वो अगले हफ़्ते तक यहाँ आने वाले हैं सगाई करने! और उनकी ड्यूटी भी यही बेगूसराय में होगी, तो..."
"तो मतलब मेरे बालम थानेदार चलाए चिप्सी! सच हो जाएगी मतलब?"
"तुम कुछ भी बोल रही हो, हाँ!"
तभी विध्वंस ने लड्डू को मिश्री को बेहोश करके थोड़ी देर बाहर ले जाने को कहा। सान्वी आगे-आगे चल रही थी तो वहीं उसके पीछे मिश्री! लड्डू ने उसके मुँह पर कपड़ा बाँधकर उसे बेहोश कर अपने कंधे में उठाकर उनके घर के अंदर, नीचे वाले रूम में चला गया। तभी वहाँ पर मिश्री की माँ कुछ सामान लेने आई, पर वो उन्हें देखती उससे पहले ही... लड्डू ने उसे छिपा दिया।
वो भी विध्वंस की तरह ही था, मतलब लड़कियों से दूर, लेकिन आज यह लड़की उसे पागल होने पर मजबूर कर रही है! वो मिश्री में ही खोया हुआ था कि तभी दीया जी ने उस रूम को लॉक कर दिया क्योंकि वो एक स्टोर रूम था!
तो वहीं सान्वी जैसे ही पीछे कुछ कहने को मुड़ी, तभी...
सान्वी ने जब पीछे मुड़कर देखा, तो वह शोकग्रस्त हो गईं, क्योंकि उसके सामने विध्वंस खड़ा था!
यह देख उसने नफ़रत से कहा, "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे सामने आने की? हाँ, समझते क्या हो खुद को!"
देखो, "मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे उस दिन के लिए नाराज़ हो, और होना भी चाहिए। लेकिन उस दिन अगर मुझे पता होता कि तुमने मेरी बहन पर हाथ नहीं उठाया, उसने झूठ कहा है, तो मैं खुद उसे मारता थप्पड़!"
"तुम उसे मारो या ना मारो, इससे मुझे कोई मतलब नहीं है। समझो, तुम यहाँ पर क्यों आए हो? यह बताओ।" कहते-कहते उसने टॉवल को अपनी बॉडी से लपेट लिया था, क्योंकि उसने विध्वंस की नज़रें साफ़ देख ली थीं कि उसे सान्वी को ऐसे देखकर अच्छा नहीं लग रहा होगा!
वह टॉवल सान्वी के घुटनों तक आता था। जब विध्वंस ने देखा सान्वी अब उसे ठीक लग रही थी, यानी कि पूरे कपड़े में, तब उसने सान्वी से खुश होते हुए कहा,
"शुक्र है भगवान का, तुमने कुछ लपेटा, वरना कुछ देर और ऐसे रहतीं, तब तो मैं ही चल बस्ता।" ऐसा मन में विध्वंस सोच ही रहा था कि तभी सान्वी की तेज आवाज़ ने उसे आसमान से जमीन पर ला दिया!
"मैंने कुछ पूछा है तुमसे? तुम यहाँ मेरे घर में क्या कर रहे हो!"
"वो तुमने ऐसे आधे-नंगे कपड़े पहने थे, तो..."
"तो क्या, मिस्टर विध्वंस!"
"यहाँ के लोगों को ऐसे देखने की आदत नहीं है। मेरा मतलब है, यहाँ के लोगों ने अगर आपको ऐसे कपड़ों में देखा होता, तो वो लोग आपको भी उठाकर ले जाते!"
यह सुन सान्वी ने विध्वंस की शर्ट पर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए कहा, "कौन लोग? मुझे बताओ, कौन लोग ले जाएँगे!"
यह सुन विध्वंस ने ठंडे स्वर में कहा, "ये तो नहीं पता कौन लोग हैं, लेकिन वो गैंग हमारे गाँव की औरतों को उठाकर यहाँ से ले जाते हैं!
उन औरतों की लाश तक भी नसीब नहीं होती हमें, और वो सारी औरतें दिखने में काफ़ी सुंदर ही होती हैं!
तुम तो उन सबसे ज़्यादा सुंदर हो। अगर तुम ऐसे ही कपड़े पहनोगी, तो बाकी सब लोग तुम्हें गलत नज़रों से देखेंगे, जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं। और दूसरी बात, वो लोग जो यहाँ की लड़कियों को लेकर जाते हैं, उस गैंग का नाम 'ड्रैगन गैंग' है!"
"तुम्हें पक्का यकीन है कि वो लोग ड्रैगन गैंग के लोग ही हैं? हो सकता है वो कोई और गैंग के लोग हों!"
"नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। क्योंकि उनके हाथ में एक ड्रैगन का टैटू होता है, और जो चमकते हुए सितारे जैसे होता है! वो लोग हमेशा काले कपड़ों में खुद को कवर करके आते हैं सामने, और उनका बॉस जिस लड़की पर हाथ रख ले, उसे लेकर चले जाते हैं यहाँ से! अम्मा जी, और मैंने काफ़ी कोशिश की..."
"...उस गैंग को पकड़ने की, पर वो लोग हर बार भाग जाते हैं हम लोगों से!"
"ओह, ठीक है। मैं ख्याल रखूँगी। आगे से ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगी। अगर से कपड़े के लिए अपना रूम बना दूँगी। अब तुम जाओ यहाँ से!"
इससे पहले कोई देख ले, वो मैं... बोलते हुए उसके होंठ जैसे सिल ही गए। वो उसे बोलना चाहता था, लेकिन उसकी जुबान अब साथ नहीं दे रही थी।
उसकी हिम्मत तो हो नहीं रही थी सान्वी से यह कहने की कि उसकी दादी जी, यानी अम्मा जी, सान्वी को देखने के लिए आ रही हैं कल! वहीं दूसरी तरफ स्टोर रूम में लड्डू ने जब देखा मिश्री की माँ ने रूम को लॉक कर दिया है, तो उसने मिश्री को अपनी बाहों में उठाकर दरवाज़े के पीछे छिप गया। उसने बिल्ली की आवाज़ निकालनी शुरू कर दी!
तब मिश्री की माँ ने जैसे ही दरवाज़ा खोलकर आगे बढ़ी, उसने मिश्री को अपनी बाहों में उठाया और फटाक से बाहर चला गया। उसने आस-पास का रूम देखना शुरू कर दिया कि मिश्री को उसके कमरे में लेटा देगा और यहाँ से कितनी जल्दी हो सके भाग जाएगा!
वो मिश्री को देख काँप रहा था। उसे एक रूम का दरवाज़ा खुला दिखा। यह देखकर तो जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो! उसने फटाफट से जाकर मिश्री को ले जाकर बेड पर लिटाया। उसके बाद उसने उसकी शरीर की तरफ़ देखा जो काफ़ी भीग चुका था। अगर वो थोड़ी देर और ऐसे रहती, तब तो...
उसे बीमार होने से कोई भी नहीं रोक सकता था। उसने पहले उस पर एक पतली सी चादर ओढ़ा दी, उसके बाद उसने ऊपर भगवान की तरफ़ देखते हुए कहा,
"कैसे-कैसे दिन दिखा रहे हो आप भगवान! हाँ, मानते हैं हम कि यह सुंदर है बहुत, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं इन्हें ऐसे देखूँगा!"
"आखिर यह भैया जी की होने वाली सालीवह जो ठहरी!
और दूसरी बात, हमें शर्म आती है ऐसे इन्हें देखने से। कैसे कपड़े पहने थे उन्होंने! हाए राम!
हमें तो खुद पर यकीन नहीं होता कि यह लड़कियाँ ऐसे कपड़े भी पहनती हैं।" फिर खुद को ही समझाते हुए बोला, "हमें यहाँ से विध्वंस भैया के पास जाना होगा, नहीं तो वो बेचारे कहीं बेहोश ना हो जाएँ!"
इतना सोच वो जैसे ही जाने को हुआ, तभी उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया। वो मिश्री के करीब आया और उसने खुद से कहा, "मुझे यह करना ही पड़ेगा। अगर मैंने नहीं किया, तो मिश्री बीमार पड़ जाएगी।" इतना सोच उसने मिश्री के फ़ोन को अनलॉक करते हुए कहा,
"इस लड़की के फ़ोन का लॉक तो कोई बच्चा भी खोल दे।" फिर उसने मिश्री की माँ को एक वॉइस नोट भेजते हुए कहा, "मम्मी, मेरे रूम में आकर मेरे कपड़े बदलवाने में मेरी हेल्प करो।" उसने बिल्कुल मिश्री की आवाज़ में कहा, जिसे देख कोई यह नहीं बोल सकता था कि यह किसी लड़के की है। इतना करने के बाद वो बाहर विध्वंस की तरफ़ भागा। उसने विध्वंस से कहा,
"भैया जी, जल्दी चलिए! अगर किसी ने देख लिया, तो बवाल हो जाएगा।" इतना बोल वो घर से बाहर चला गया। उसके जाने के बाद,
सान्वी ने अपने दोनों हाथों को फोल्ड करते हुए कहा,
"दूसरी बात क्या है? वो बताओ मुझे?"
विध्वंस ने फटाफट से सान्वी के गालों पर किस कर वहाँ से भागते हुए बोला, "कल सुबह मेरी अम्मा आएंगी तुम्हें देखने के लिए। मेरा मतलब मेरे रिश्ते की बात पूरी करने, तो तैयार रहना, रूम अच्छे से!"
सान्वी उसे कुछ कहना चाहती थी, पर विध्वंस उसकी बात को अनसुना करते हुए वहाँ से भाग खड़ा हुआ! सान्वी कुछ कहना चाहती थी विध्वंस से, पर वह उसकी बात को सुने बिना ही वहाँ से चला गया!
उसके जाने के बाद सान्वी ने खुद से कहा,
"मैं तो बस यह बोल रही थी कि मेरा तो ऑलरेडी रिश्ता हो चुका है, और कल सगाई है, वियॉम जी के साथ!"
इतना बोल सान्वी को याद आया छत पर तो वो और मिश्री भी! मिश्री को कुछ हो तो नहीं गया? यह सोच सान्वी भागते हुए अंदर आईं, तब उसने मामी जी की आवाज़ सुनी,
जो जोर-जोर से यह बोल रही थी, "यह कैसी औलाद है मेरी, जो अपनी माँ से अपने कपड़े बदलवाती है! भगवान ऐसी नकमी बेटी किसी को ना दे!"
यह सुन सान्वी से रहा नहीं गया। वो अपनी मामी के पास जाकर बोली, "मामी जी, यह आप कैसी बातें बोल रही हो? आखिर हुआ क्या है? कुछ बताओगी?"
यह सुन उसकी मामी जी ने कहा, "होगा क्या है सान्वी बेटा? इस मिश्री की बच्ची ने तो जैसे कसम ही खा ली है मुझे परेशान करने की!"
"मैं घर का कुछ ज़रूरी काम कर रही थी कि इतने में मेरे फ़ोन पर मिश्री का मैसेज आया!"
"क्या कहा था मिश्री ने?"
सान्वी ने जल्दी-जल्दी पूछा, तो उसकी मामी शक भरी नज़रों से देखते हुए कहा, "तुम्हें क्या हो गया? इतनी एक्साइटेड क्यों हो रही हो!"
"वो मामी जी, मिश्री ने कुछ कहा होगा आपसे!"
यह सुन उसकी मामी बोली,
"हाँ, कहा है ना!"
"क्या कहा उसने?"
उसने मुझे एक वॉइस नोट में कहा, कि "मम्मी, मेरे कपड़े बदल दो!" ऐसे!
सान्वी तेज आवाज़ में बोली, "क्या???"
अपनी मामी की बात सुनकर, सान्वी शोक में डूबी हुई बोली, "क्या?? वो ऐसा कैसे बोल सकती है? उसे शर्म नहीं आई? उसे ये सब कहते हुए, लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे?"
दिया जी भी बोलीं, "वहीं तो! आज जांचो इस लड़की को क्या हो गया है!" तभी सान्वी ने अपने मन में सोचा, "कहीं ये उस विध्वंस के भाई की करामात तो नहीं! मुझे अभी मिश्री के पास जाना होगा। क्योंकि अगर मामी जी ने उसे ऐसी हालत में देख लिया, तो कहीं घर से बाहर न निकाल दें! मुझे कुछ भी करके मामी जी को रोकना होगा।" इतना मन में सोचते हुए, उसने अपनी मामी से तेज आवाज़ में कहा, "ओह, अच्छा! अब मैं इतनी बड़ी भूल कैसे कर सकती हूँ, मामी जी? ये बात बताना तो मैं भूल ही गई थी!"
"कौन सी बात?"
"यही बात, मामी जी! कपड़े बदलने वाली बात! उसके फ़ोन में कुछ गड़बड़ है, कुछ..."
"मेरा मतलब है, मामी जी, उसने कोई एप्लीकेशन डाउनलोड की होगी, जिसमें ऐसा कोई बेबी बोल रहा होगा, और वो गलती से उससे आपको चला होगा, और आपको लगा होगा कि ये आवाज़ मिश्री की है!"
"तुम्हें क्या, मैं बेवकूफ़ लगती हूँ, हाँ?"
"जो अपनी बेटी की आवाज़ को पहचान नहीं सकती, हाँ?"
"नहीं, मामी जी! मेरे कहने का वो मतलब नहीं था! मैं तो बस..."
"तुम ऐसा करो कि तुम उस मिश्री के पास जाओ, पता नहीं क्या कर रही होगी इस वक़्त!"
"ठीक है, मामी जी!" इतना कहते ही, सान्वी मामी जी के जाने के बाद, अपने दिल पर हाथ रखते हुए बोली, "इससे पहले कोई और यहाँ आए, मुझे मिश्री के पास जाना होगा।" ऐसा बोलते हुए, वो मिश्री के कमरे में आ गई।
उसने देखा मिश्री ठंड में काँप रही है, और उस पर किसी ने एक पतली सी चादर दी है। ये देखकर, सान्वी ने उसे होश में लाते हुए कहा, "मिश्री!"
सान्वी की आवाज़ जैसे ही मिश्री के कानों में पड़ी, वो तुरंत उठ खड़ी हुई और हल्के गुस्से में बोली, "उस जंगली जानवर की इतनी हिम्मत कि वो मुझे, मिश्री यादव को, बेहोश करके रूम में लेकर आया, हाँ!"
सान्वी ने उसकी कलाई को पकड़कर, खुद की तरफ़ करते हुए कहा, "किसकी बात कर रही हो तुम?"
"अरे, वही विध्वंस के साथ रहने वाला उसका छोटा भाई! मैंने विध्वंस और उसे आते देखा। मैं तुम्हें कुछ बताती, कि उससे पहले ही उस कमिने ने मुझे बेहोश करके अंदर लेकर चला आया! अगर उस कमिने ने कुछ भी उल्टा-सीधा किया होगा मेरे साथ, तो मैं उसे छोड़ूँगी नहीं!" ऐसा बोलते हुए, उसने खुद को चेक किया। जब उसने देखा कि सब ठीक है, तब जाकर उसने राहत की साँस ली ही थी कि तभी सान्वी ने उसके सिर पर बम फोड़ते हुए कहा, "वो उसने तुम्हारी मम्मी, यानी मेरी मामी को ये बताया कि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वो आकर तुम्हारे कपड़े बदल दें!"
"क्या?"
"तुम, सान्वी, झूठ कह रही हो ना? मेरा मतलब है, मैंने तो पासवर्ड लगाया है, फिर कैसे वो कर सकता है मैसेज?"
"वो सब मुझे नहीं पता, पर उसने कहा होगा, तभी मामी जी ये बात कह रही थीं! नहीं तो मामी जी हवा में बात तो करने वाली हैं नहीं!"
"नहीं, सान्वी! ऐसा हो ही नहीं सकता!" इतना बोलकर, उसने अपने फ़ोन का लॉक खोला। और जब उसने फ़ोन में व्हाट्सएप खोलकर देखा, तो पाया उसने अपनी माँ को कोई वॉइस नोट भेजा था। ये देखकर उसने सोचते हुए कहा, "लगता है ये उसी जानवर के काम होंगे!"
"चलो, मैं भी सुनती हूँ, इसने आखिर क्या सच में ये सब कहा?"
ऐसा बोलकर, जैसे ही उसने उसकी वॉइस नोट सुना, उसने अपने फ़ोन को बेड पर फेंकते हुए कहा, "ये क्या किया उस कमिने ने? अब मम्मी पता नहीं क्या सोच रही होंगी मेरे बारे में!"
"अरे, कुछ भी नहीं सोच रही होंगी, मामी! वो मैंने उन्हें समझा दिया कि कुछ गलती से हो गया होगा डाउनलोड, जिसके कारण ये सब हुआ!"
मिश्री ने गुस्से से अपने बालों को पकड़कर कहा, "इस कमिने जानवर को मैं नहीं छोड़ने वाली! उसकी हिम्मत भी कैसे हुई ये बातें बोलने की! शर्म नहीं आई उसे!"
"देखो, मिश्री! तुम शांत हो जाओ, अगर किसी ने सुन लिया तो!"
"अरे, सुन लिया तो सुन ले!" तभी बाहर से कुछ आवाज़ आई, जैसे कोई उनके रूम की तरफ़ बढ़ रहा हो!
आवाज़ सुनकर, सान्वी ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया। तभी बाहर से उनकी मामी की आवाज़ सुनाई दी, "सान्वी, बेटा!"
"मिश्री से बात हुई तुम्हारी? कुछ कहा उसने?"
सान्वी ने कहा, "नहीं, मामी जी! वो दरअसल मिश्री ने कुछ और कहा होगा। वो उसका फ़ोन पानी में डूब गया था, अब ठीक है!"
"ऐसा कीजिए, आप सो जाइए, मामी जी! मिश्री भी सो चुकी है!"
"ठीक है, सानू बेटा! अगर तुम्हें कुछ भी चाहिए हो, तो बस एक आवाज़ लगा देना!"
"ठीक है, मामी जी!"
"पता नहीं ये आजकल के बच्चे भी! पता नहीं क्या शौक चढ़ा है नहाते हुए फ़ोन चलाने का!"
ज्योति हँसते हुए बोली, "अब देखना, तुम दोनों कैसे उन दोनों का मज़ाक बनते हो सबके सामने, और उसके बाद हमारे भाई विध्वंस, वह भी उस सान्वी से दूर हो जाएगा।" इतना कहते हुए उसके चेहरे पर एक अलग सी चमक थी। "चलो, अब यहाँ से जल्दी से निकल जाते हैं ताकि कोई भी हमें देख ना सके।" इतना बोलकर वह चुपके से बाहर निकल गई। तभी पीछे से मिश्री क्लासरूम में आते हुए बोली, "इन चुड़ैलों की इतनी हिम्मत! हमारी सीट पर ये गोंद चिपका दें! अभी इन दोनों को सबक सिखाती हूँ।" ऐसा बोलकर वह जैसे ही बाहर जाने को हुई, तभी उसके दिमाग़ में एक शैतानी आइडिया आया। उसने खुद से कहा, "वैसे इन तीनों ने इतनी मेहनत की, तो इन तीनों की मेहनत वेस्ट तो नहीं जाने देनी चाहिए।" इतना बोलकर उसने टेबल पर उस गोंद के ऊपर काला रंग डाल दिया और फिर उसने अपनी टेबल से उनकी टेबल बदल दी! और पीछे जाकर बैठ गई।
तो वहीं दूसरी तरफ रूम में, विध्वंस के ऐसे अंदर आने से सान्वी को उस पर गुस्सा आ रहा था। उसने विध्वंस का हाथ झटकते हुए कहा, "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी सामने आने की! जाओ जाकर अपनी बहन के पास और उसे समझाओ मुझसे दूर ही रहे, वरना उसे ऊपर भेजने में कोई वक़्त नहीं लगेगा!"
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के बारे में कुछ भी उल्टा-सीधा बोलने की!" ऐसा बोलते हुए सान्वी के गालों पर अपने हाथ रखते हुए कहा। तो सान्वी ने भी उसे जवाब देते हुए कहा, "वैसे ही जैसे तुम्हारी हिम्मत हुई मुझे मारने की!"
"तुमसे प्यार से बात कर रहा हूँ तो सिर पर चढ़कर नाचोगी? हाँ, मानते हैं ज्योति ने जो कुछ भी किया वह गलत किया, पर वह उसका बचपना था। और रही बात तुम्हारी, तो तुम्हें मैंने कल रात कहा था कि मैं अपनी अम्मा को लेकर आ रहा हूँ तुम्हें देखने के लिए, फिर क्यों आईं कॉलेज?"
सान्वी ने उसे ऐसे देखा जैसे वह किसी पागल को देख रही हो। उसने उसकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा, "पूरे 24 साल की होगी तुम्हारी बहन, जो तुम्हें दूध पीती बच्ची दिखाई दे रही है! हाँ!"
"तुम उसे अच्छे से समझा दो। अगर उसने मेरे साथ बदतमीज़ी करने की कोशिश फिर से की, तो उसकी ऐसी ख़बर लूँगा कि किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहेगी। और रही बात तुमसे शादी करने की, तो वह भूल ही जाओ, क्योंकि मेरा ऑलरेडी रिश्ता पक्का हो चुका है!"
"और जिसके साथ हुआ है, वह तुमसे हज़ार गुना अच्छा है, और हमारी लव मैरिज हो रही है। वह मुझसे और मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ, समझे!"
"अब हटो मेरे रास्ते से।" ऐसा बोलकर सान्वी जैसे ही जाने को हुई, तभी विध्वंस ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा, "तुमने अपनी बात तो कह दी, अब ज़रा मेरी बात भी सुनती जाओ। शादी तो तुम्हारी मुझसे ही होगी, यह बात लिखकर ले लो! चाहे प्यार से या चाहे ज़बरदस्ती से! और हाँ, शादी होने के बाद तुम मेरी बहन से दूर ही रहोगी, क्योंकि मैं नहीं चाहता वह तुम्हें कोई नुकसान पहुँचाए, ठीक है!"
"और हाँ, शाम को आ रहा हूँ अम्मा जी को लेकर, तो याद रखना घर पर ही रहना, वरना मैं घर से उठवा दूँगा तुम्हें!" ऐसा बोलते हुए विध्वंस चला गया। उसके जाने के बाद सान्वी कुछ देर तक तो वहीं खड़ी रही, फिर उसने नफ़रत से कहा, "नफ़रत है हमें तुम जैसे लोगों से, उनकी सोच से! जो एक लड़की के साथ ज़बरदस्ती करके यह सोचते हैं कि वे कहीं के राजा हैं जो जैसे चाहे लड़की को अपनी उंगलियों पर नचा सकते हैं, लेकिन तुम यह नहीं जानते, अभी सान्वी कपूर नाचने वालों में से नहीं, बल्कि नचवाने वालों में से है!"
इतना बोलते हुए उसकी आँखें आग उगल रही थीं। तो वहीं क्लासरूम में सारे स्टूडेंट अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। वहीं ज्योति और उसकी फ्रेंड्स ने जब देखा मिश्री अपनी सीट पर बैठी है, यह देख उनके चेहरे पर एक डेविल मुस्कान आ गई। वे तीनों बिना ध्यान दिए अपनी सीट पर बैठ गईं!
वहीं पीछे से मिश्री मन में बोली, "अब आएगा मज़ा! बड़ी आई थी हमें बदनाम करने!"
मिश्री को अकेले बैठे देख, उन तीनों के मुँह थोड़े खराब हो गए। क्योंकि ज्योति तो ये चाहती थी कि सान्वी भी सीट पर बैठे, ताकि उसकी भी इंसल्ट हो, पर सान्वी का अभी तक कुछ भी अता-पता नहीं था।
इसलिए वो तीनों अपनी-अपनी सीट पर खुश होते हुए बैठ गईं। वो सान्वी को गिराने के चक्कर में इतनी अंधी हो गईं कि उन्हें ये तक ध्यान नहीं रहा कि उनके पीछे गोंद लगा है। तभी वहाँ पर सान्वी भी आईं। वो तीनों उसे देख खुश हो गईं। थोड़ी देर में क्लास शुरू हुई और लगभग क्लास खत्म होने के बाद सान्वी और मिश्री अपनी सीट से उठीं और बाहर की तरफ़ जाने लगीं।
तभी वो तीनों हैरान हो गईं क्योंकि उन दोनों के कपड़े बिल्कुल ठीक लग रहे थे। जिसे देख वो तीनों बोलीं, "अगर गोंद इनके पीछे नहीं है, तो कहाँ लगाया है तुम तीनों ने?" ऐसा बोलते हुए ज्योति जैसे ही खड़ी हुईं, तभी... ज्योति के पीछे से कपड़ा फटने की आवाज़ सुनाई दी। जिसे देख जो क्लास से बाहर जाने वाले थे, वो सभी उन तीनों को देखने लगे। ये देख ज्योति की आँखों में थोड़े से आँसू आ गए।
वहीं सान्वी जब बाहर निकलने वाली थी, तभी उसने सभी लोगों की तरफ़ देखा जो ज्योति और उसकी दोनों दोस्तों की तरफ़ देखकर हँस रहे थे। ये देख सान्वी को कुछ अजीब लगा। उसने मिश्री से कहा, "क्या हुआ ये सब? इनको देखकर हँस क्यों रहे हैं?"
जिसे सुन मिश्री ने उसे सारी कहानी सुनाते हुए कहा, "ये लोग तुम्हारे साथ ऐसा करना चाहती थीं, तो अब इन तीनों के साथ ऐसा हो रहा है!"
सारी कहानी सुनने के बाद सान्वी ने थोड़े गुस्से से कहा, "वो तीनों तो मुझे समझदार नहीं लगतीं, पर तुम तो समझदार हो। अगर उन्होंने ऐसा कुछ किया भी था, तो तुम अपने टेबल को कहीं और रख सकती थीं, पर तुमने ये करके ठीक नहीं किया!"
जिसे सुन मिश्री ने हल्के गुस्से से कहा, "तुम्हें बनना है ना महान सान्वी, तो शौक से बनो, लेकिन मेरे से नहीं होता। जो मुझे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा, उसके साथ मैं यही करूँगी! और अब तुम्हें अगर समाज सेवा करनी है, तो शौक से करो, मैं तो जा रही हूँ।" ऐसा बोलते हुए वो गुस्से से वहाँ से चली गई। जिसके जाने के बाद,
सान्वी भी वहाँ से जाना चाहती थी, पर उसके दिल में बसी अच्छाई उसे नहीं जाने देती थी।
ना चाहते हुए भी सान्वी के क़दम ज्योति की तरफ़ बढ़ गए। तभी ज्योति ने सामने की तरफ़ देखा जहाँ से सान्वी आ रही थी। जिसे देख वो उसे गुस्से से चिल्लाते हुए बोली, "अब क्यों आई हो तुम यहाँ? मेरा मज़ाक उड़ाना चाहती हो तुम!"
सान्वी ने बिना उस पर ध्यान दिए कहा, "सब लोगों को अपनी तरह मत समझो।" इतना बोल उसने सभी लोगों को, जो उन तीनों पर हँस रहे थे, गुस्से में डाँटते हुए कहा, "तुम सभी बाहर निकलो अभी के अभी, वरना मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा।" जिसे सुन सारे स्टूडेंट्स डर गए। उन लोगों ने वहाँ से जाना ही बेहतर समझा।
उन लोगों के जाने के बाद सान्वी ने किसी को कॉल करके उन तीनों के लिए कपड़े मँगवाए।
"तुम ये क्यों कर रही हो? जबकि मैंने तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया और तुम मेरी ही हेल्प करने जा रही हो!"
"क्योंकि मैं तुम तीनों के जैसे नहीं हूँ।" तभी दरवाज़ा लॉक हुआ। जिसे सुन सान्वी ने सामने वाले से कहा, "थैंक्स यू सो मच मेरी हेल्प करने के लिए।" इतना बोल उसने फटाफट से दरवाज़ा लॉक करते हुए उन तीनों को वो नए कपड़े दिए।
जब उन तीनों ने उन कपड़ों की तरफ़ देखा, तो वो हैरान हो गईं क्योंकि वो कोई नॉर्मल कंपनी के नहीं, बल्कि Gucci के थे, जो 1 लाख से 2 लाख के बीच में थे।
उन तीनों ने उन कपड़ों को पहना और वो एक-दूसरे को देखकर हैरान हो गईं क्योंकि वो काफ़ी ज़्यादा सुंदर लगने लगी थीं उस कुर्ती-सूट में।
ज्योति ने सान्वी से कहा, "थैंक्स सान्वी! अगर तुम ना होतीं, तो पता नहीं हमारा क्या होता! पर सान्वी, तुम इतने महँगे कपड़े हमें क्यों दिए? तुम चाहती तो हमें 2000 तक का सूट भी लेकर आ सकती थीं, पर इतने महँगे मँगवाने की क्या ज़रूरत थी?"
जिसे सुन सान्वी ने कहा, "ये ज़्यादा कहाँ है? ये तो बस 6 लाख के तो हैं! इससे महँगे तो मेरे शूज़ होंगे! तुम फ़िक्र मत करो, मैंने सोचा तुम लोगों को कम ना लगे ये प्राइस।"
जिसे सुन वो तीनों बोलीं, "पर इसके पैसे तो तुम्हें देने होंगे!"
जिसे सुन सान्वी ने उन्हें मना करते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं! ये कपड़े मेरी तरफ़ से गिफ़्ट समझो तुम तीनों!"
ज्योति ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, "क्या तुम हमारी दोस्त बनोगी? हम तीनों वादा करती हैं तुमसे कि आज के बाद फिर से कुछ भी तुमसे इस तरह की हरकतें नहीं करेंगी!"
"ठीक है!"
"पर तुम मेरे भाई को मत बताना, वरना वो मुझे छोड़ने वाले नहीं!"...जिसे सुन सान्वी ने उन्हें मना करते हुए कहा, "मैं नहीं बताऊँगी उसे, ठीक है!"
जिसे सुन उन तीनों ने कहा, "ठीक है, अब हम लोग चलते हैं!"
तभी बाहर आते ही ज्योति ने विध्वंस को देखा और वो रोते हुए उसके गले लगते हुए बोली, "भाई!"
जिसे देख विध्वंस ने उसे और फिर उसके कपड़ों को देखा। जिसे देख उसे बड़ा गुस्सा आया। तभी सान्वी, जिसके हाथ में ज्योति के कपड़े थे, वो लेकर आईं। तभी अचानक से विध्वंस ने उसका मतलब कुछ और निकाला और उसने बिना सान्वी से पूछे उसके चेहरे पर एक थप्पड़ जड़ मारते हुए कहा, "मेरी बहन तुमसे शरारत करती थी, पर तुमने तो हद कर दी उसके साथ! ऐसा करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई!"
विध्वंस के थप्पड़ मारने से सान्वी के होठों पर खून निकलने लगा था। उसके गोरे गालों पर उसकी उंगलियों के निशान विध्वंस की उंगलियों के छाप छप चुके थे।
वहीं ज्योति वो मन में डेविल स्माइल के साथ बोली, "मेरी इंसल्ट करवाने चली थी ना, अब देखो कैसे खुद की हो रही है!"
सान्वी ने ज्योति की तरफ़ देखा जो ना में सिर हिलाते हुए बोली, "की मत बताना।" जिसे देख सान्वी बिना विध्वंस की बात सुने जाने लगी। पर विध्वंस ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा, "कहाँ जा रही हो तुम? हाँ, मेरी बहन के साथ गलत करके!"
जिसे सुन ज्योति ने अच्छा बनने का नाटक करते हुए कहा, "भाई आप प्लीज़ सान्वी को कुछ मत कहिए, इसमें इनका कोई दोष नहीं, बल्कि..."
"तुम मत बोलो ज्योति!" फिर उसने सान्वी का हाथ कसकर पकड़ते हुए कहा, "तुम इतना गिर जाओगी सान्वी, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था! सालों बाद किसी से प्यार हुआ और वो भी तुम जैसी लड़की से, जिसके लिए उसका बदला ज़्यादा मायने रखता है एक लड़की की इज़्ज़त से खिलवाड़ करने चली थी! तुम भले ही अमीर माफ़िया बाप की बेटी हो, पर इसका मतलब ये नहीं कि हम लोगों की कोई इज़्ज़त नहीं है, हाँ!" सान्वी को उसकी बातों को सुन गुस्सा आ गया और उसने उसे एक थप्पड़ मारते हुए कहा, "ये तुम्हारे लिए! आगे से मुझसे दूर रहना, समझे!"
जिस पर विध्वंस ने उसके दूसरे गालों पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा, "आगे से मुझ पर हाथ उठाने से पहले सौ बार याद रखना, समझे? मैं कोई रास्ते में चलने वाला गुंडा-मवाली नहीं, विध्वंस ठाकुर हूँ, यहाँ के मंत्री का बेटा हूँ, समझे!" ऐसा बोलते हुए उसने सान्वी के दूसरे गाल पर थप्पड़ मार दिया। सान्वी के दोनों गालों में दर्द होने लगा था और उसके साथ सान्वी को चक्कर आने लगे थे। तभी उसने देखा बाहर गाड़ी के पास एक लड़का पुलिस की ड्रेस में खड़ा था। जैसे ही सान्वी उसके पास जाने को हुई, वैसे ही वो गिरने लगी। ये देख वो लड़का, जो आर्मी ड्रेस में था, उसकी ओर भागा। उसने जोर से सान्वी पुकारते हुए कहा, "सान्वी!"
वहीं विध्वंस, जिसका पूरा ध्यान अपनी बहन की तरफ़ था, उसने जब किसी को सान्वी का नाम पुकारते हुए सुना, तो वो जैसे ही सान्वी को देखा तो पाया वो गिरने वाली है। ये देख विध्वंस ने उसके पास जैसे ही आने को हुआ, वैसे ही उस लड़के ने सान्वी को अपनी बाहों में भर लिया।
विध्वंस के थप्पड़ों के कारण सान्वी का पूरा फैस सूज चुका था उसके होठों से खून निकलने लगा था उसने अपनी उदास आंखो से ज्योति की तरफ़ देखा,जो सान्वी को ऐसे देख रही थी जैसे कि विध्वंस के मारने के कारण उसे बड़ा दुख हुआ हो !
वो अपनी आंखो से उससे माफ़ी मांग रही थी कि प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए,सान्वी को लगा जैसे, विध्वंस ने जो कुछ भी किया उस में इस बेचारी का क्या दोष ये ही सोच कर उसने ईशारे से कहा,
कि मै ठीक हूं तुम बस अपने भाई को मत बताना इसके बारे में ऐसा बोल वो जैसे ही जाने को हुईं तभी उसे चक्कर आने लगे,
वहीं कॉलेज के गेट के पास एक लड़का खड़ा था जिसने पुलिस की यूनिफॉर्म पहनी थी,
सान्वी ने धीमी आवाज में कहा,
म...मयंक इतना बोल सान्वी बेहोश होकर गिरने वाली थीं तभी उस लड़के ने ज़ोर से चीख़ते हुए कहा,
सान्वी....इतना बोलते हुए वो सान्वी के पास आने लगा वहीं विध्वंस जो अब तक अपनी बहन को गले लगाए हुए था उसने जैसे, ही सान्वी का नाम किसी
लड़के के मुंह से सुना तब वैसे ही ....
उसकी नज़र सान्वी के तरफ़ पड़ी,उसने देखा सान्वी के फैस पर उसकी उग्लियो के निशान बन चुके थे ओर उसके होठों का खून भी अब सुख चुका था !"विध्वंस ने जैसे ही ये देखा वो भागते हुए उनकी तरफ़ आया उसने सान्वी के गालों पर हाथ रखते हुए कहा, सान्वी क्या हुआ तुम्हे,वहीं उस लड़के जैसे ही देखा की एक लड़का आकर सान्वी के गालों पर हाथ रख रहा है उसने गुस्से से उसे दूर करते हुए कहा,
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सान्वी को हाथ लगाने की,मेरी सान्वी मन में कहते हुए विध्वंस के हाथों की नसें दिखाईं देने लगीं !"
विध्वंस ने गुस्से से चिढ़ते हुए उस लड़के से कहा,
ओह हेलो मिस्टर ये तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई
सान्वी को अपना कहने की !
जिसे सुन उस पुलिस यूनिफॉर्म पहने हुए लड़के ने कहा,मेरी होनी वाली बीवी है सान्वी समझे !
और आज हम दोनों की सगाई है,नहीं ये नहीं हो सकता कहते हुए उसने
सान्वी के फैस की तरफ़ देखा,
उस लड़के ने गुस्से से कहा,अगर मुझे पता चला कि तुमने मेरी सान्वी के ऊपर हाथ उठाया है तो तुम्हारे ये हाथ तोड़ दूंगा !"
तभी किसी ने भीड़ में से कहा,अरे ये तो विध्वंस है ना इसने ही मारा अब कैसे खड़ा है इसके पास !"
जिसे देख उस लड़के ने
सान्वी को अपनी बाहों में उठाया ओर गाड़ी में सान्वी को रखते हुए उसने
विध्वंस की कॉलर को पकड़ते हुए गुस्से से कहा,"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सान्वी पर अपना हाथ उठाने की !"
जिस पर विध्वंस को भी गुस्सा आ गया उसने गुस्से से कहा,क्योंकि सान्वी ने मेरी बहन कि सीट पर गलू लगा दिया था जिसके कारण उसके कपड़े फट गए !_
जिसे सुन उस लड़के ने कहा,कहा है तुम्हारी बहन बुलाओ उसे सामने !"
जैसे ही ज्योति डरते हुए उस लड़के के सामने गई तो उस लड़के ने ज्योति से अपनी कड़क आवाज़ में कहा,"अगर सान्वी ने तुम्हारे कपड़ों पर गलू लगाया था तो फ़िर ये कपड़े किसने दिए तुम तीनों को !
ज्योति डरते हुए बोली,
वो ये मुझे सान्वी ने दिए थे!
जिसे सुन विध्वंस ने गुस्से से कहा,अपनी गलतियों को छिपाने के लिए किया होगा इसने ऐसा !"
जिसे सुन उस लड़के ने गुस्से से कहा, यही तुम ठाकुरों की प्रॉब्लम होती है,उसने तेज़ आवाज़ में कहा,तुम बताओ क्या सान्वी ने ऐसा किया था या नहीं !
जिसे सुन सान्वी डर गई उसने डरते हुए कहा,नहीं !
उसके मना करने पर विध्वंस ने उसे समझाते हुए कहा, डरो मत ज्योति तुम सच सच बताओ !
जिसे सुन ज्योति ने डरते हुए सारा सच सुनाया तो विध्वंस ने गुस्से से उस पर हाथ उठाया पर मारा नहीं !
जिसे सान्वी अधखुली आंखों से देखते हुए बोली,अपनी बहन को चाटा मारने की जगह ये दूसरे लोगो को मारना पसंद करते है !"
अभी बेबी !
प्लीज़ शांत हो जाओ,
सान्वी कैसे शांत हो जाऊं मैं तुम्हें पता है तुम्हारे भाई को अगर इस बारे में पता चला तो क्या होगा इस लड़की के साथ !"
नहीं तुम भाई को कुछ भी नहीं बताओगे, उस लड़के ने सान्वी की बात को सुन गुस्से से कहा,लेकिन !"
आप जानते हो ना अगर भाई को इसके बारे में पता चल गया तो वो इसकी जान लेंगे जानते है,उन्होंने मिस्टर स्मिथ के साथ क्या किया था !"
हां, जानता हूं और बहुत अच्छे से जानता हूं इतना बोल उसने विध्वंस से कहना शुरू किया !"
स्मिथ ने भी तुम दोनों के जैसे" सान्वी को बुली करने के लिए प्लानिंग की !"
पर जानते हो उसके साथ क्या हुआ फ़्रांस की पुलिस को उसकी लाश जगलो में मिली उनके हाथ पैर ओर आंखे निकाल दी थी!"
तो सोचो तुम्हारी बहन के साथ क्या हो सकता है !
सान्वी ने नफ़रत से विध्वंस को देखते हुए कहा,मैंने पहले नहीं कहा पर आज मै कहती हूं, i रिएली hate you विध्वंस ठाकुर !
और आज के बाद मुझे अपने ये गंदे हाथ मत लगाना क्योंकि हमारे यहां के नौकर भी तुमसे कही बेहतर है !"
फ़िर उसने उस लड़के के होठ पर किस करते हुए कहा,i really मिस यू अभी बेबी !"
जिसे सुन उस लड़के ने भी कहा,me too बेबी,
इतना बोलते हुए उसने विध्वंस के सामने सान्वी की कमर में हाथ डालते हुए उसने बड़े ही जुनून के साथ सान्वी को किस करना शुरू कर दिया !
उन दोनों की किस को देख विध्वंस को गुस्सा आ गया उसने जैसे ही उनके पास जाने की कोशिश की वैसे ही ज्योति ने उसका हाथ पकड़ उसे रोकते हुए कहा,रुक जाओ भाई आप क्या करने जा रहे हो मेरे लिए !"
सान्वी ने उस लड़के से बड़े प्यार से कहा,मेरे लिए तुम क्या गिफ्ट लेकर आए तुम जिसे सुन उस लड़के ने शरारत से कहा,
मै आ गया हूं क्या ये काफ़ी नहीं है तुम्हारे लिए !
जिसे सुन सान्वी मुंह बनाती हुए बोली,
नहीं मुझे मेरा गिफ्ट चाहिए जिसे सुन उस लड़के ने अपनी गाड़ी से एक बड़ा सा टेडी बीयर निकाल सान्वी को देते हुए कहा, ये तुम्हारे लिए ओर ये चॉकलेट्स भी !
वो चॉकलेट्स कोई मामूली चॉकलेट्स नहीं थी बल्कि फ़्रांस की सबसे मेहगी चॉकलेट्स थी !
सान्वी ने उनमें से एक चॉकलेट्स ज्योति और फ़िर उसकी दोस्तो को देते हुए कहा,
आराम से खाना और मेरे लिए जो भी कड़वाहट है तुम्हारे मन में भूल जाना !"
आज मेरी सगाई है ओर फिर एक या दो साल बाद शादी उसके बाद मै अभिमन्यु जी के साथ शिफ्ट हो जाऊंगी !"
इतना बोल उसने अभिमन्यु से कहा,चले अभिमन्यु जी !"
जिसे सुन उस लड़के ने कहा,चलो सान्वी इतना बोल उसने सान्वी को बड़े प्यार से गाड़ी में बिठाया और घर की तरफ़ चलने लगा !"
वहीं पीछे से सब लोग उस लड़के की तारीफ़ करते हुए बोले,हाए कितना रोमांटिक था ये लड़का हाय कैसे सान्वी को सबसे सामने किस किया हाए बाय गॉड मेरे को ये पहले मिला होता तो मै ही पटा लेती !
वहीं विध्वंस की हाथों की मुट्ठी कस गई जिसे देख ज्योति ने उसे शांत करवाते हुए कहा,
भाई प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था मै आपको बताना चाहती थी पर आपने मुझे मौका ही नहीं दिया !"
जिसे सुन विध्वंस ने थोड़े गुस्से में कहा,तुमने जो किया उसके लिए तुम्हें कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगा !"
जिसे सुन ज्योति ने रोते हुए कहा,भाई मै अपनी गलती सुधारना चाहती हूं मै चाहती हूं कि सान्वी ही मेरी भाभी बने !
कहीं इसमें तुम्हारी कोई चाल तो नहीं विध्वंस ने शक भरी नज़रों से कहा !
नहीं भाई मै बस आपको ख़ुश देखना चाहती हूं, बस आप भाई एक बार मेरी बात सुन लो सान्वी ख़ुद आपके पास होगी मेरा वादा है आपसे !"
आप बस आज रात सान्वी के घर जाओ ओर उसके रूम में जाकर मेरी भाभी बनाने के लिए जो कुछ भी करना पड़े करना उसके हाथ पैर जोड़ लो पर भाई भाभी वहीं बनेगी मेरी !"
जिसे सुन विध्वंस ने कहा,तुमने जो एक बार मांगा वो मैंने पूरा किया है ओर ये भी करूंगा सान्वी सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी होंगी ओर किसी की नहीं !
ऐसा बोल वो जैसे ही जाने को हुआ वैसे ही ज्योति ने उसे रोकते हुए कहा,पर भाई अब आप कहा जा रहे हो !
सान्वी ने उस लड़के को मेरी आंखो के सामने किस करने की हिम्मत कैसे हुई उसे उसकी सजा देने इतना बोल विध्वंस वहां से चला गया !
उनके जाने के बाद, उसकी दोस्त उससे बोली,ज्योति क्या तुम पागल हो,जो उस सान्वी को अपनी भाभी बनाना चाहती हो !"
तभी ज्योति ने कुछ ऐसा कहा जिसके कारण वो दोनों हैरान हो गई !"
ज्योति के दोस्तों ने ज्योति से कहा, "ज्योति, क्या तुम पागल हो जो उस सान्वी को अपनी भाभी बनाना चाहती हो?"
"नहीं, मैं उस सान्वी को अपनी भाभी नहीं, बल्कि अपना गुलाम बनाना चाहती हूँ। तुम दोनों ने शायद सुना ही होगा उसने क्या कहा था विध्वंस भाई से कि उसकी औकात तो उसके नौकरों से भी छोटी है। तो जब मेरा भाई इसके साथ शादी करेगा, इसकी सेल्फ रेस्पेक्ट की वो बेइज़्ज़ती होगी कि यह कभी किसी को भी अपना मुँह दिखाने लायक नहीं रहेगी!"
"बहुत घमंड है इस पर, बस मुझे वही घमंड तोड़ना है इसका!"
जिसे सुनकर वे दोनों उसके साथ हँसते हुए बोलीं, "और तुम्हारे भाई को यह लगता है कि तुम उससे प्यार करती हो, इसलिए तुम उसकी शादी सान्वी से करवाना चाहती हो। पर उसे क्या पता कि तुम तो उसे एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती हो!"
"चुप! बिल्कुल! यहाँ दीवारों के भी कान होते हैं, भूलो मत।" वहीं दूसरी तरफ़ मिश्री ने सान्वी के लाल पड़े गालों को देखकर कहा, "मैंने कहा था ना तुमसे कि उन लोगों से दूर रहना, फिर क्यों नहीं मानी मेरी?" इतना बोलकर उसने गुस्से से सान्वी के चेहरे पर दवाई लगाई जिसके कारण सान्वी की एक चीख निकल गई।
जिसे देख मिश्री ने उसके गालों पर फूँक मारते हुए कहा, "हाए राम! सच में क्या इतनी ज़ोर की लगी तुम्हें? सान्वी, वहीं सान्वी उनकी बात सुन रोने सी आवाज़ में बोली, "हाँ, ज़ोर की लगी। तू तो मेरी बहन है, थोड़ा सा तो प्यार से कर सकती थी ना!"
मिश्री गुस्से से मुँह फुलाए हुए बोली, "शुक्र कर तुझे अभी तक मारा नहीं मैंने! अगर आगे से तुम्हें किसी ने मारा ना, तो मुँह तोड़ दूँगी। ठीक है? बाबा! तोड़ देना मुँह पर। प्लीज़ तुम दोनों वादा करो यह बात मामा-मामी को नहीं पता चलने दोगे। मैं नहीं चाहती उन्हें हर्ट हो मेरी वजह से!"
जिसे सुनकर मिश्री ने कहा, "ठीक है, नहीं बताऊँगी। प्रॉमिस!" ऐसा कहते हुए उसने अपना हाथ आगे कर दिया। वहीं सान्वी ने प्यार भरी नज़रों से अभिमन्यु को देखा। जिसे देखकर उसने भी उस पर हाथ रखते हुए कहा, "मैं भी वादा करता हूँ कि मैं तुम्हारे मामा-मामी को कुछ भी नहीं बताऊँगा। पर हाँ, अगर किसी ने तुम्हारे पर हाथ उठाया तो उसका हाथ उखाड़कर बाहर फेंक दूँगा!"
"ये क्या बात हुई भला!" सान्वी ने कहा तो मिश्री ने उसे दाँत दिखाते हुए कहा, "बिल्कुल सही कहा जीजू ने। वो लोग तुम्हें मार के चले जाएँ और हम लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? पागल समझ रखा है क्या उन लोगों ने?" फिर अभिमन्यु की तरफ़ देखते हुए कहा, "जीजू, मैं तो कहती हूँ, उन लोगों के हाथ-पैर ही तोड़ देना!"
"पर फ़िलहाल आप दोनों ये बताओ, आज आप दोनों की सगाई है तो कैसा फ़ील हो रहा है आप को?"
"मुझे तो ऐसा फ़ील हो रहा है कि मैंने अपने प्यार की तरफ़ एक क़दम बढ़ा लिया है। बस मन में एक अजीब सा डर है किसी अनहोनी का!"
"जीजू, डर को भूलो और मेरी प्यारी बहना का हाथ थाम लो!"
वहीं दूसरी तरफ़ एक सुनसान जगह पर विध्वंस ने अपनी गाड़ी रोक शराब की बोतलें निकाल शराब पी रहा था। उसने गुस्से में बोतल को तोड़ते हुए कहा, "तुमने उसे किस क्यों किया सान्वी?"
"मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। हाँ, मानता हूँ कि मैंने तुम पर हाथ उठाया, तो तुम कम से कम मुझे बता देतीं तो मैं ऐसा कुछ भी नहीं करता! पर तुमने नहीं बताया। सबसे ज़्यादा गुस्सा आ रहा है उस अभिमन्यु पर। इसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी सानू को किस करने की?"
इतना बोल विध्वंस जोर से चिल्लाया, "आह्ह्ह्ह्ह..."
जिसे सुन लड्डू ने डरते हुए कहा, "भैया जी, आज सान्वी की सगाई है तो हमें लगता है आपको उसे रोकना चाहिए!"
जिसे सुन विध्वंस ने अपनी लाल आँखों से देखते हुए कहा, "बिल्कुल ठीक कहा तुमने। चलो मेरे साथ।" इतना बोल दोनों उसके साथ सान्वी के घर की ओर निकल गए।
रात के 9 बजे सान्वी के मामा के घर सान्वी और अभिमन्यु की सगाई हो चुकी थी। सान्वी की मामी बोली, "चलो बच्चों की सगाई तो बिना किसी विघ्न के। अब बस शादी भी हो जाए तो!"
"बस! बस! आराम से दिया। अभी आज ही तो सगाई हुई है और आज ही तुम शादी करने की बात कह रही हो। हाँ!"
"तुम चलो मेरे साथ। थोड़ी देर और यहाँ रही तो तुम आज ही शादी करवा दोगी!"
इतना बोल वो सान्वी की मामी को अपने साथ सोने चले गए। उनके जाने के बाद मिश्री ने भी उन्हें छेड़ते हुए कहा, "मैं भी जाती हूँ सोने। मुझे भी कबाब में हड्डी नहीं बनना।" उसके जाने के बाद,
सान्वी ने अभिमन्यु के कंधे पर अपना सिर रखते हुए कहा, "मुझे तो यह बिल्कुल सपने के जैसा लग रहा है।" जिसे सुन अभिमन्यु ने उसके गालों पर किस करते हुए कहा, "अब यकीन हुआ!"
उसके एकदम से ऐसे किस करने पर सान्वी की तो जैसे दिल की धड़कन ही तेज़ी से बढ़ने लगी। उसने अभिमन्यु को खुद से दूर करते हुए कहा, "बस बहुत हुआ, अब जाओ यहाँ से मिस्टर अभिमन्यु!" जिसे सुनने के बाद,
अभिमन्यु ने सान्वी की कलाई पकड़ उसे खुद के करीब करके कहा, "बस एक किस दे दो, जैसे कॉलेज में दी थी, फिर चला जाऊँगा मैं!" यह सुन सान्वी ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। सान्वी ने उसे बच्चों जैसे किस किया। जैसे ही वह जाने वाली थी, वैसे ही अभिमन्यु ने सान्वी को पूरे जुनून के साथ किस करते हुए उसकी कमर पर अपने हाथ चलाना शुरू कर दिए!
सान्वी ने अपनी आँखें बंद कर दीं। जिसके बाद अभिमन्यु ने उसकी नाभि पर हल्का सा किस करते हुए कहा, "सान्वी, तुम्हें नहीं पता, पर तुमसे एक पल के लिए भी दूर नहीं रह सकता!"
जिसे सुन सान्वी ने भी प्यार से कहा, "मैं भी तुमसे और दूर नहीं रह सकती, पर अभी एक-दो साल के लिए तो तुम्हें मुझसे दूर रहना ही होगा ताकि मैं अपने सपनों को पूरा कर सकूँ!"
"हाँ, और उसके बाद मुझे तुमसे कोई भी दूर नहीं कर सकता, और फिर मैं तुम्हें पा लूँगा सान्वी!"
जिसे सुन सान्वी उसे प्यार से दूर करते हुए बोली, "बस बहुत हो गई आपकी फ़्लर्टिंग मिस्टर अभिमन्यु जी। अब आप जाओ!"
अभिमन्यु ने उसकी बात पर कहा, "जालिम औरत!" फिर उसने एक चॉकलेट उसे देते हुए कहा, "यह तेरे लिए। जानता हूँ तुम्हारे इमोशन्स के लिए यह काफ़ी अच्छा है! इसलिए खा लो, और अब मैं चलता हूँ। गुड बाय।" इतना बोल उसने सान्वी के माथे पर किस किया और वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद,
सान्वी ने खुद से कहा, "इतनी रात मिश्री को परेशान करना ठीक नहीं। मैं ऐसे ही नीचे वाले रूम में चेंज कर लेती हूँ!" इतना बोल उसने अपने कपड़े बदल नीचे वाले रूम का एसी ऑन करके बेड पर चॉकलेट खाते हुए लेट गई। उसने अपने हाथों को देखा जहाँ पर काफ़ी चॉकलेट लगी थी और चेहरे पर भी! जिसे देख वो वहाँ वॉशरूम में अपना चेहरा साफ़ कर जैसे ही रूम में वापिस आई, वैसे ही उसने देखा उसके सोफ़े पर विध्वंस बैठा हुआ था और उसके हाथ में गन भी थी!
जिसे देख उसने गुस्से से कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की? निकलो यहाँ से!" पर विध्वंस ने उसे अपनी लाल आँखों में घुरा और अपनी तेज़ आवाज़ में उससे कहा,
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उस लड़के को किस करने की?" इतना बोल उसने सान्वी को अपने करीब कर लिया!
सान्वी उससे दूर होना चाहती थी, पर विध्वंस ने उसके दोनों हाथों को पीछे की तरफ़ कसकर पकड़ा हुआ था। उसने अपनी लाल आँखों से सान्वी को देखते हुए कहा, "हमारे प्यार का मज़ाक बना के रख दिया तुमने!"
विध्वंस ने सान्वी के दोनों हाथों को पीछे पकड़ा हुआ था जिसके कारण वो हिल भी नहीं पा रही थी, विध्वंस ने अपनी लाल आंखो से सान्वी को देखते हुए कहा, "हमारे प्यार का मज़ाक बना के रख दिया है तुमने!"
"छोड़ो मुझे, क्या कर रहे हो तुम गुंडे कहीं के!"
वहीं सान्वी की बात सुन विध्वंस ने उसके गर्दन पर अपनी गरम सांसे छोड़ते हुए बोला, "ओह, तो मैं गुंडा! और वो ससुरा तुम्हारे इन गुलाबी होठों को चूमे जा रहा था तब तो बड़ा इंजॉय कर रही थी मैने तो बस ज़रा सा हाथ लगाया है!"
"वो मेरे होने वाले पति इस घर के जमाई है, समझे! हम दोनों ने बस किस किया है पर किस से आगे भी उनके साथ बहुत कुछ कर सकते है, क्योंकि उनका हक़ है और तुम्हारा हम पर कोई भी हक़ नहीं है समझे!"
इतना बोल सान्वी ने उसे एक ज़ोर का धक्का दिया जिससे विध्वंस थोड़ा लड़खड़ा गया!"
सान्वी उसे गालियां देते हुए जैसे ही बाहर जाने वाली थी वैसे ही विध्वंस ने फुर्ती से आकर उसका रास्ता रोक दिया!"
विध्वंस ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा, सान्वी गुस्से से तेज़ आवाज़ में बोली, "छोड़ो, हमारा हाथ!"
लेकिन विध्वंस ने उसका हाथ नहीं छोड़ा जिसे देख सान्वी को उस पर गुस्सा आ गया ओर उसने विध्वंस पर जैसे ही अपना हाथ उठाया वैसे ही, विध्वंस ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "ना ना मिस कपूर ऐसी गलती मत करना हमारे यहां पतियो पर हाथ नहीं उठाते!"
ये सुन सान्वी ने उसे गाली देते हुए कहा, "पति my फुट!"
"तुम जैसे को मै अपना पति बनाना तो दूर की बात अपने घर का नौकर तक ना बनाऊ!"
"तुमसे अच्छा तो हमारे यहां के कुते है, तुम तो उनसे भी नीचे हो हमारे लिए!"
"ओर हां, अब तो मै अभिमन्यु जी को ये तक बोल दूंगी कि वो मेरे साथ सो जाएं ताकि तुम मुझे हाथ तक ना लगा पायो!"
जिसे सुन विध्वंस ने सान्वी के दोनों गालों पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा, "ऐसा करने की अगर तुमने कोशिश भी की या फ़िर तुम उसके साथ ऐसा कुछ किया तब उस अभिमन्यु की जान लेकर तुम्हें अपना बना लेंगे ये बात याद रखना! तुम सिर्फ़ मेरी हो, और मुझे उन लड़कों के जैसे मत समझना जिनके लिए ये इंपॉर्टेट है कि लड़की वर्जिन हो, मेरे लिए वो मायेने नहीं रखती! मै तुमसे पागलों के जैसे प्यार करता हूं उतना जितना तुम सोच भी नहीं सकती तुम मेरे अलावा किसी की नहीं हो सकती!"
पर सान्वी ने उसे देख नफ़रत से कहा, "पर मै तुमसे सिर्फ़ नफ़रत कर सकती हूं सिर्फ़ ओर सिर्फ़ नफ़रत!"
जिसे सुन विध्वंस ने उसके बालों पर अपने हाथ फेरते हुए कहा, "कोई बात नहीं तुम्हें नफ़रत करनी है मुझसे शौक से करो, मेरा प्यार ही हम लोगो के लिए काफ़ी होगा!"
जिसे सुन सान्वी उस पर चीख़ते हुए बोली, "लगता है तुम्हारा पूरा खानदान ही ऐसी जबरदस्ती करने वाला हो, ओर तुम्हारे दादा ने तुम्हारी दादी को ओर तुम्हारे बाप ने तुम्हारी मां को उठाया!"
"ओर क्या पता, तुम्हारे बाप ने शादी से पहले ही अपनी हवस तुम्हारी मां से इसी तरह पूरी कर ली हो, और तुम उसी का नतीजा हो!"
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई ये सब बोलने की हां!" इतना बोलते हुए सान्वी ने सान्वी को बेड पर पटका
सान्वी ख़ुद को छुड़वाने की कोशिश करने लगी!"
लेकिन विध्वंस ने उसके दोनों हाथो को कस कर पकड़ रखा था फ़िर उसने एक हाथ से अपनी बेल्ट को निकाला और उससे सान्वी के हाथों को ऊपर बेड से बाधंते हुए कहा, "कितनी बार तुम्हें माफ़ किया तुम्हें!"
"तुमने कुता तक बोल दिया मुझे मगर मैने फ़िर भी कुछ नहीं कहा, पर अब मेरी फैमली के बारे में तुम कुछ भी ग़लत बोलती रहोगी ओर मै सुनता रहूंगा इतना भी अच्छा नहीं हूं समझी!"
"ऐसा बोलते हुए विध्वंस ने अपनी शर्ट को उतारने शुरू कर दिया, जिसे देख सान्वी हकलाते हुए बोली, "ये क्या कर रहे हो तुम, देखो, तुम चुप चाप यहां से चले जाओ वरना!"
"वरना क्या करोगी तुम!"
चिल्लाओगी हां!"
कहते हुए विध्वंस के फैस पर एक मजाकिया हंसी थी, जैसे वो सान्वी का मज़ाक उड़ा रहा हो!"
"क्योंकि उसे लगा नहीं था सान्वी चीखेगी, इतना सोचते हुए उसने सान्वी के पैरों को अपनी शर्ट की मदद से बेड पर बाध दिया!"
जिसके कारण सान्वी हिल भी नहीं पा रही थी, सान्वी ने एक तेज़ चीख के साथ बोली, "नहीं!"
उसे चीखता देख, विध्वंस को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें!"
उसने जल्दी से सान्वी के मुंह पर हाथ रखा और उसे धमकी देते हुए कहा, "अगर तुमने मेरे बारे में किसी को भी कुछ भी बताने की कोशिश की या इस रूम में लाने की कोशिश की तो वो दिन तुम्हारे प्यारे मामा मामी का आखिरी दिन होगा!"
"वैसे भी उन लोगों की हिम्मत कैसे हुई मेरी जान की शादी कहीं ओर करवाने की!"
उसकी धमकी सुन सान्वी डर चुकी थी!"
वहीं बाहर से सान्वी की मामी जो पानी पीने के लिए नीचे आई थी जब उन्होंने देखा, सान्वी की चीख उस कमरे से आई तो वो बाहर से आवाजें देती हुए बोली, "सान्वी बेटा तुम ठीक तो हो ना!"
पर उन्हें सान्वी की कोई भी आवाज़ नहीं आ रही थीं, विध्वंस ने सान्वी के मुंह पर से अपना हाथ उठाते हुए उसकी Navel पर किस करना शुरू कर दिया!"
वहीं सान्वी ने अपनी मामी से कहा, "न..नहीं मामी जी" वो छिपकली थी बस उसी को देख मेरी चीख निकल गई!
"अच्छा बेटा, दरवाज़ा खोलो बताओ मुझे कहा है? वो छिपकली में भगाती हूं उसे!"
ये सुन सान्वी ने विध्वंस को देखा जो उसकी नेवल को किस करते हुए रुक गया!"
विध्वंस अपनी आंखो से उसे ये धमकी दे रहा था कि अगर तुमने अंदर बुलाया अपनी मामी को तो मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा!
सान्वी उसकी धमकी से डर गई उसने अपनी मामी को मना करते हुए कहा, "नहीं मामी जी वो छिपकली यहां से भाग चुकी है, आप जाइए ओर आराम कीजिए!"
जिस पर उसकी मामी ने उसकी फ़िक्र करते हुए कहा, "बेटा तुम्हें अगर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बस एक आवाज़ लगा देना!"
"जी मामी जी,"
उसकी मामी की जब कोई भी आवाज़ नहीं आईं तब विध्वंस ने किहोल से देखा कि वो जा चुकी है तब उसने सान्वी की बॉडी की तरफ़ देखते हुए कहा, "चलो वो तो जा चुकी है अब तुम्हारी सजा जो मुझे देनी थी वो पूरी कर लूं!"
सान्वी उसे मना करते हुए बोली, "तुम दूर रहो मुझसे कोई हक़ नहीं है तुम्हारा!"
पर विध्वंस ने उसकी Navel को बड़ी शिद्दत से देखते हुए कहा, "यहां उसने अपने गंदे होठ लगाए थे ना!"
सान्वी को उसकी ऐसी पागल भरी बातों को देख डर लगने लगा था उसने जैसे ही कुछ बोलना चाहा वैसे ही विध्वंस ने उसकी Navel पर किस करना शुरू कर दिया!"
ओर वो वहां पर सान्वी को बाइट भी करने लगा!
जिसके कारण सान्वी हिलने लगी थी!
पर विध्वंस ने उसकी तरफ़ ना देखते हुए बड़े ही जनुनू के साथ वहां पर किस करना शुरू कर दिया!"
सान्वी को वहां किस करने के बाद सान्वी की नज़र उसके होठों पर गई ओर उसके बाद उसने सान्वी के होठ पर अपने होठ रख दिए!
उसने सोचा था, की सान्वी के होठों पर वो अपना गुस्सा निकाल देगा पर जैसे ही उसने सान्वी को किस करना शुरु किया उससे ख़ुद को कंट्रोल करना काफ़ी मुश्किल था पर जब उसके मुंह में सान्वी के आसुं का स्वाद गया तब उसके सिर उठाकर सान्वी की तरफ़ देखते हुए उसने सान्वी के माथे पर ओर उसके गोरे गालों पर किस करते हुए सान्वी के दोनों पैरों की तरफ़ देखा जो काफ़ी दर्द में थे ये देख उसने जल्दी से उसके पैरों से अपनी शर्ट निकाल दी ओर फ़िर उसके पैरो पर किस करते हुए कहा, "बहुत दर्द हो रहा है तुम्हें!"
फ़िर विध्वंस ने उसके हाथों को बेल्ट से आज़ाद करते हुए उसने सान्वी के गोरे हाथों को देखा जिस पर थोड़े निशान बन गए थे!
ये देख विध्वंस ने कहा, "सॉरी जान वो तुमने मुझे गुस्सा दिलाया वरना मै ये कुछ भी नहीं करता इतना बोल उसने सान्वी के हाथों पर किस करते हुए कहा, बस थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा!"
फ़िर उसने सान्वी के साथ किसी जोक की तरह चिपक गया सान्वी जैसे ही कुछ बोलने वाली थी वैसे ही सान्वी ने कहना शुरू कर दिया!"
"जो भी गालियां निकालनी है सुबह निकाल देना अभी मुझे बहुत निद आ रही है, और तुम्हारी बाहो में मेरा सकून है सान्वी!"
"इन्हें मुझसे दूर मत करो!" उसकी बात को सुन सान्वी कुछ कर नहीं पाई!
विध्वंस किसी मासूम बच्चे के जैसे", सान्वी से लिपटा हुआ था!
उसने सान्वी की कमर पर अपने हाथ कस कर रखे हुए थे जैसे वो अगर उसने अपना हाथ हटाया तो सान्वी कहीं भाग ना जाए!"
ओर एक हाथ से उसके हाथ पर रखा हुआ था!
सान्वी को विध्वंस का नेचर बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा था पल में वो इतना गुस्से वाला बन जाता जैसे सान्वी की जान ले लेगा और दूसरे ही पल कुछ ऐसा कर जाता था जैसे उससे बढ़कर कोई भी नहीं सान्वी से प्यार नहीं कर सकता था!"
सान्वी बेड से उठना चाहती थी, पर विध्वंस को देख रुक गई. उसने विध्वंस को देखते हुए कहा, "सोते वक़्त ये आदमी कितना मासूम लगता है, पर जब ये जागता है, तो इससे ज़्यादा कोई डेविल हो ही नहीं सकता!"
"ये तुम क्या कर रही हो, सान्वी? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो कि ये मासूम होगा! जो बात-बात पर लोगों का ख़ून करता हो. भूलो मत, ये तुम्हारे दुश्मन का बेटा है! इन लोगों से प्यार नहीं, बल्कि सिर्फ़ और सिर्फ़ नफ़रत की जा सकती है!"
इतना बोल उसने गुस्से में अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश की, जिस पर विध्वंस ने उस पर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए कहा, "मुझे मजबूर मत करो, सान्वी, कि मैं तुम्हें बेड से बांध के रखूं." जिसे सुन सान्वी अपनी दबी हुई आवाज़ में बोली, "वो मुझे...."
जब विध्वंस को सान्वी की कोई भी आवाज़ नहीं सुनाई दी, तब उसने अपनी आँखें खोलते हुए कहा, "क्या हुआ अब? क्यों मुझे सोने नहीं दे रही हो?" जिसे सुन सान्वी ने अपनी दबी हुई आवाज़ में कहा, "वोह, मुझे वॉशरूम जाना है." जिसे सुन विध्वंस को एक शरारत सूझी. उसने सान्वी को छेड़ते हुए कहा, "क्यों? जाना ज़रूरी है? यहीं रहो मेरे पास! आज तुम्हें कहीं जाने की ज़रूरत नहीं."
जिसे सुन सान्वी का मुंह ऐसा हो चला था जैसे वो अभी रो देंगी! उसने अपनी रोनी सी आवाज़ में कहा, "समझो न बात को, इट्स इमरजेंसी!"
जिसे सुन विध्वंस ने बड़े प्यार से कहा, "ठीक है, चली जाओ, पर याद रखना, मैं वेट करूँगा तुम्हारा यहीं पर. अगर भागने की कोशिश की, तब देख लेना, मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"
"तुमसे बुरा कोई और हो भी नहीं सकता," सान्वी ने धीमी आवाज़ में कहा. जिसे सुन विध्वंस ने उसे कहा, "ठीक है, अगर मैं ज़ालिम हूँ तो तुम्हें बाहर जाने की कोई ज़रूरत नहीं!"
"नहीं तुम... तुम तो बहुत अच्छे हो, मेरा कितना ध्यान रखते हो. मेरे गालों पर थप्पड़ मारते हो, मेरे हाथों और पैरों को बांध देते हो. तुम तो बहुत अच्छे हो!"
जिसे सुन विध्वंस ने सान्वी को अपनी बाहों में उठाया और वॉशरूम की तरफ़ ले चला!
सान्वी ने जब ये देखा कि वो उसे अपनी बाहों में लिए जा रहा है, तब उसने अपनी घबराई हुई आवाज़ में कहा, "कहाँ लेकर जा रहे हो मुझे तुम! हे, सुनो, कहाँ लेकर जा रहे हो तुम!" जिस पर विध्वंस ने उसे कोई भी जवाब नहीं दिया और उसे वॉशरूम के अंदर छोड़ते हुए कहा, "तुम यहीं अपना जो भी काम करना है, वो कर लो! मैं बाहर तुम्हारा वेट कर रहा हूँ!" सान्वी को डर लग रहा था कि कहीं मिश्री उसे न देख ले! पर विध्वंस तो विध्वंस था, उसे किसी से कोई भी मतलब नहीं था. उसे बस सान्वी के पास हर हाल में रहना था!
वो बाहर वॉशरूम के डोर पर उसका वेट करने लगा!
अनचाही नज़दीकी और एक ख़्वाब
थोड़ी देर में, सान्वी फ्रेश होकर एक नाइट शर्ट और शॉर्ट्स में बाहर निकली! वो जो सगाई का लहंगा उसने पहना था, वो काफ़ी भारी था जिसे पहन उसे नींद नहीं आ रही थी.
जैसे ही सान्वी बाहर आई, विध्वंस की नज़र उसकी टांगों से हट ही नहीं रही थी. सान्वी की टांगें गोरी मलाई जैसी सॉफ्ट थीं! विध्वंस चाहकर भी अपनी नज़र उससे नहीं हटा सकता था! तभी सान्वी ने देखा, मिश्री उसकी ओर ही आ रही है. ये देख उसने विध्वंस को आवाज़ लगाते हुए कहा, "सुनो, चलो जल्दी यहां से!"
पर विध्वंस को तो मानो कोई होश ही न रहा हो, वो तो बस सान्वी में ही खोया हुआ था! जिसे देख सान्वी ने उसे जल्दी से वहीं साइड की दीवार की तरफ़ धक्का दिया, और वो भी वहीं पर जाकर छिप गई! वो बार-बार ऊपर वाले से प्रे कर रही थी कि "प्लीज़, भगवान, बस एक बार मिश्री को भेज दे जल्दी से!"
वहीं विध्वंस के एकदम करीब होने से, विध्वंस की चेस्ट का भार उस पर पड़ रहा था, और वहीं सान्वी का हाथ गलती से गलत जगह छू गया!
"विध्वंस अब खुद को रोक नहीं पा रहा था. उसकी साँसें तेज़ हो चुकी थीं, आँखों में प्यास साफ़ झलक रही थी. वो सान्वी की आँखों में देखते हुए फुसफुसाया, 'सानू… I can’t control myself anymore…'"
"इससे पहले सान्वी कुछ समझ पाती, उसकी धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं. उसकी ज़ुबान जैसे रुक गई थी… पर तभी, विध्वंस ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए — उस चीख़ को एक चुपचाप एहसास में बदलते हुए."
"उसका हर स्पर्श, हर छुअन, सान्वी के जिस्म की कंपकंपी को अपने अंदर समेट रहा था. ये सिर्फ़ एक पल का जुनून नहीं था… ये एक अधूरी मोहब्बत का इम्तिहान था."
थोड़ी देर में, सान्वी उसका नाम लेते हुए बोली, "विध्वंस! विध्वंस, प्लीज़ चलो!"
तभी विध्वंस के फेस पर एक हल्का सा थप्पड़ पड़ा! जिसे पड़ते ही वो अपने होश में आया, "मतलब वो सब एक ख्वाब था? सान्वी मेरे साथ थी!"
जिसे देख सान्वी ने उससे कहा, "मैं इतनी देर से तुम्हें आवाज़ लगा रही हूँ, पर तुम न जाने कौन से ख़्यालों में डूबे हुए थे!"
"नहीं, मैं बस वो...."
"तुम्हारे साथ वो... सब करते हुए सोच रहा था कि शादी के बाद हमारी वो पहली रात कैसी होगी!" विध्वंस की बात को सुन सान्वी अपनी नज़रें चुराते हुए बोली, "मुझे सोने जाना है." जिसे सुन विध्वंस ने बिल्कुल "सानू बेबी चलो" इतना बोल वो सान्वी को रूम में ले गया और वो भी उसके क़रीब आकर लेट गया!
रात की फ़िक्र और सुबह का प्यार
सान्वी उससे दूर बेड के कोने से चिपक गई, जिसे देख विध्वंस ने सान्वी को अपनी तरफ़ खींचा तब उसने पाया, सान्वी सो चुकी थी! शायद वो उन कपड़ों में कम्फर्टेबल नहीं थी!
विध्वंस ने सोई हुई सान्वी को देखते हुए कहा, "हाय, कब मेरा सपना सच होगा जब तुम मेरा नाम अपने मुंह से लोगी वो भी बड़े प्यार से!"
ऐसा बोलते हुए उसकी नज़रें सान्वी के पैरों की तरफ़ गईं. विध्वंस ने देखा, सान्वी के पैरों और हाथों में उसके बने हुए निशान अभी भी थोड़े-थोड़े रह गए थे, जिसे देख विध्वंस को सान्वी के दर्द का एहसास हुआ! तब विध्वंस ने सान्वी के पैरों पर चूमते हुए वहां पर एंटीबायोटिक क्रीम लगानी शुरू कर दी जिससे उसे आराम मिले. उसके बाद उसने सान्वी के हाथों पर भी किस करते हुए वहां पर भी लगा दी!
फिर विध्वंस ने उस क्रीम को साइड में रखते हुए सान्वी के गोरे गालों पर किस किया और बाइट भी करने लगा! पर तभी उसके कानों में सान्वी की आवाज़ सुनाई दी जो नींद में बोल रही थी, "प्लीज़, अभी मत करो मुझे परेशान!"
ये सुन विध्वंस को अपने दिल में दर्द का अहसास हुआ. उसने अपने मन में कहा, "तो क्या सान्वी मुझे अभिमन्यु समझ रही है!" ऐसा बोलते हुए उसकी हाथों की मुट्ठी कसी हुई थी! विध्वंस को इस नाम से कितनी नफ़रत होगी ये कोई सोच भी नहीं सकता था!
विध्वंस की हाथ की नसें तन गईं, लेकिन तभी सान्वी ने नींद में ही उसके ऊपर अपना पैर रखते हुए उसके गालों पर किस करते हुए कहा, "लव यू." जिसे सुन विध्वंस थोड़ा खुश हुआ, लेकिन तभी सान्वी ने कहा, "मम्मा! ...आई मिस यू सो मच, मम्मा! प्लीज़ आप और डैड, मुझे छोड़ कर मत जाओ! प्लीज़!" इतना बोलते हुए उसकी आँखों से आंसू बह चले थे, जिसे देख विध्वंस को अपने दिल में तेज़ दर्द का अहसास हुआ!
आज उसे सान्वी के उस दर्द का एहसास हो रहा था जो सान्वी के दिल के कोने में कहीं दफन था! विध्वंस ने सान्वी के आंसुओं को पीते हुए बड़े प्यार से कहा, "वादा करता हूँ, सान्वी, कि तुम्हारे मॉम-डैड को ढूंढने के लिए मैं ज़मीन-आसमां एक कर दूंगा! तुम्हारे मां-बाप को लाने के लिए चाहें मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े, मैं वो सब करूंगा!"
वहीं तभी सान्वी ने नींद में ही अपने दोनों हाथों को विध्वंस से लपेट दिया! जिसे देख विध्वंस ने भी अपने दोनों हाथों से उसे कस कर गले से लगाते हुए वहीं उसकी गर्दन में अपना सिर छुपाते हुए सो गया!
अगली सुबह और विदाई
अगली सुबह, जैसे ही सान्वी की नींद खुली, उसने देखा, विध्वंस बड़े प्यार से उसे ही देख रहा है. जो देख वो अपनी नज़रें इधर-उधर करते हुए बोली, "वो, सुबह हो गई है, तो आप जितनी जल्दी हो सके यहां से चले जाओ!" विध्वंस ने अपनी गरम साँसें उसकी गर्दन पर छोड़ते हुए कहा, "क्यों, मेरी फ़िक्र हो रही है!"
जिस पर सान्वी ने उसे दूर करते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं, बल्कि अगर आप अभी यहां से नहीं गए तो बबाल हो जाएगा!"
तब सान्वी ने उसके होठों की तरफ़ देखते हुए कहा, "ठीक है, लेकिन मेरी दो शर्तें हैं."
"कैसी दो शर्तें हैं तुम्हारी?"
"मेरी पहली शर्त ये है कि तुम उस अभिमन्यु को बिल्कुल भी किस नहीं करोगी और मेरी दूसरी शर्त ये है कि तुम बिल्कुल मुझे वैसे ही किस करोगी जैसे तुमने उस दिन उस अभिमन्यु को किया था!"
जिसे सुन सान्वी मना करते हुए बोली, "बिल्कुल भी नहीं! मैं नहीं करने वाली!"
उसकी बात पर विध्वंस स्मिर्क करते हुए बोला, "ठीक है, फिर मैं दरवाज़े से जाता हूँ!" ऐसा बोल वो जैसे ही उठने को हुआ, वैसे ही सान्वी ने उसे पकड़ा और बिना कुछ सोचे समझे उसे पूरी शिद्दत से किस किया!
विध्वंस तो आँखें फाड़ उसकी किस को ही देख रहा था, हालांकि उसने मज़ाक किया था पर सान्वी को जब उसने किस करते हुए देखा, तब उसने भी पूरे जुनून के साथ किस करने लगा!
सान्वी उससे दूर होते हुए बोली, "हो गया किस, अब जाओ तुम यहां से!"
"नहीं, बिल्कुल भी नहीं! पहले तुम प्रॉमिस करो तुम उस अभिमन्यु को बिल्कुल भी किस नहीं करोगी!"
जिसे सुन सान्वी वादा करते हुए उससे बोली, "ठीक है, मैं बिल्कुल भी उसे किस नहीं करूंगी. अब खुश?"
जिसे सुन विध्वंस ने उसके गालों पर किस कर उसकी कमर पर चुटकी काटते हुए कहा, "अपने वादे पर क़ायम रहना!" इतना बोल वो जैसे ही खिड़की से नीचे आया, वैसे ही गुड्डू ने सवालों की झड़ी लगाते हुए कहा, "भैया जी, आप तो ऊपर भाभी जी को समझाने गए थे, फिर इतनी देर कहां लगा आए!"
"वो, मैं सान्वी के साथ सो रहा था!"
"का भैया जी, आप भी हमें कम से कम बता तो देते. खुद तो भाभी जी के साथ सो गए और हमें यहां वेट करने को बोल दिए! पता है रात भर मच्छरों ने ऐसी-ऐसी जगह पर काटा कि क्या बताऊं? आगे से भैया जी, आप खुद ही आना!"
मैं नहीं आने वाला आपके साथ आप तो ख़ुद वहां भाभी जी के साथ अपने नेना लड़ा रहे थे, ओर यहां सारी रात कुतो ओर मच्छर लोगो ने अपुन कि नीद हराम कर दी !"
"मैं तुम्हारे साथ नहीं आने वाला, तुम तो खुद वहाँ भाभी जी के साथ अपने नैन लड़ा रहे थे, और यहाँ सारी रात कुत्तों और मच्छरों ने अपनी नींद हराम कर दी!"
"अरे ऐसी बात नहीं वो तो मै बस गिर गया था वहां तो थोड़ी सी चोट लग गई थी !"
"अरे, ऐसी बात नहीं है, मैं बस गिर गया था वहाँ, थोड़ी सी चोट लग गई थी!"
"गुड्डू परेशानी भरी वॉयस में बोला,क्या कहा भेईया जी, आपको चोट लगी है और हम यहां आपसे लड़ने में लगे है,दिखाओं ना भैया जी कहा छोट लगी है आपको!_"
गुड्डू ने परेशानी भरी आवाज में कहा, "क्या कहा भैया जी, आपको चोट लगी है और हम यहाँ आपसे लड़ने में लगे हैं, दिखाओ ना भैया जी कहाँ चोट लगी है आपको!"
"विध्वंस अपने मन में बोला,चोट तो लगी है, पर दिल पर !"
तभी गुड्डू की नज़र विध्वंस के होठों पर गई जहां पर हल्की सी लीपिस्टक लगी हुई थी !"
विध्वंस अपने मन में बोला, "चोट तो लगी है, पर दिल पर!" तभी गुड्डू की नज़र विध्वंस के होठों पर गई, जहाँ हल्की सी लिपस्टिक लगी हुई थी!"
"ऐसा लग रहा था कि किसी लड़की ने अपनी लिपस्टिक को उसके होठों से मिटाया हो !"
"ऐसा लग रहा था कि किसी लड़की ने अपनी लिपस्टिक उसके होठों से मिटाई हो!"
"जिसे देख गुड्डू ने उसे छेड़ते हुए कहा,ओह भैया जी मतलब कल रात कुछ ओर सिन बना रहे थे आप !"
"यह देख गुड्डू ने उसे छेड़ते हुए कहा, "ओह भैया जी, मतलब कल रात कुछ और सीन बना रहे थे आप!"
"जिसे सुन विध्वंस ने उसे डांट लगाते हुए कहा,क्या बकवास कर रहे हो जल्दी चलो यहां से वरना मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा !"
"यह सुनकर विध्वंस ने उसे डांट लगाते हुए कहा, "क्या बकवास कर रहे हो, जल्दी चलो यहाँ से वरना मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा!"
"इतना बोल विध्वंस ने अपने फैस पर मास्क लगाया वहीं लड्डू ने भी अपने चेहरे पर मास्क लगाया ओर जैसे ही वो जाने लगा !"
**सुझाया गया:** "इतना बोल विध्वंस ने अपने चेहरे पर मास्क लगाया, वहीं गुड्डू ने भी अपने चेहरे पर मास्क लगाया, और जैसे ही वो जाने लगा!"
"तभी उन दोनों की पीठ पर किसी ने ज़ोर से डंडे का वार किया जब उन दोनों ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया वहां पर मिर्श्री हाथ में डंडा लिए खड़ी थी !"
"तभी उन दोनों की पीठ पर किसी ने ज़ोर से डंडे का वार किया, जब उन दोनों ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वहाँ मिश्री हाथ में डंडा लिए खड़ी थी!"
"उन दोनों को देखते हुए उसने डंडे को हाथ में लिए घुमाते हुए कहा,
तुम दोनों की इतनी हिम्मत की मेरे घर चोरी करो, रुको अभी बताती हूं !"
"उन दोनों को देखते हुए उसने डंडे को हाथ में घुमाते हुए कहा, "तुम दोनों की इतनी हिम्मत कि मेरे घर चोरी करो, रुको अभी बताती हूँ!"
"इतना बोल वो उन दोनों को मारने लगीं तभी सान्वी जो ऊपर तेयार होकर बैठी थीं !"
"इतना बोल वो उन दोनों को मारने लगी, तभी सान्वी जो ऊपर तैयार होकर बैठी थी!"
"उसने जब खिड़की से देखा, कि उसकी बहन उन दोनों को बुरी तरीके से मार रही है ये देख उसने मन में कहा,
ओह नो,ये नहीं होना चाहिए अगर मामी जी ने मिश्री को पीटते हुए देख लिया तो .....
बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी इतना बोल वो बिना दुपट्टे ओर बिना चप्पलों के नीचे आईं, वहीं
गुड्डू ने उसके हाथ से डंडे को छीनने लगा पर मिर्श्री भी कहा हार मानने वाली थी उसने भी छीनना शूरू कर दिया !"
"उसने जब खिड़की से देखा कि उसकी बहन उन दोनों को बुरी तरह से मार रही है, यह देख उसने मन में कहा, "ओह नो, ये नहीं होना चाहिए, अगर मामी जी ने मिश्री को पीटते हुए देख लिया तो... बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी!" इतना बोल वो बिना दुपट्टे और बिना चप्पलों के नीचे आई, वहीं गुड्डू उसके हाथ से डंडा छीनने लगा पर मिश्री भी कहाँ हार मानने वाली थी, उसने भी छीनना शुरू कर दिया!"
"तभी गलती से गुड्डू का हाथ उसकी चेस्ट पर लग गया उसका ध्यान उस डंडे पर था जो अब उसके हाथ में था उसने उस डंडे को झाड़ियों में फेंक दिया !"
"तभी गलती से गुड्डू का हाथ उसकी चेस्ट पर लग गया, उसका ध्यान उस डंडे पर था जो अब उसके हाथ में था, उसने उस डंडे को झाड़ियों में फेंक दिया!"
"मिर्श्री ने उसे गालियां देते हुए कहा,s"तेरी हिम्मत कैसे हुईं मुझे वहां हाथ लगाने की !"
तब गुड्डू को पता चला कि उसने ग़लत जगह हाथ लगा दिया हैं उसे !"
"मिश्री ने उसे गालियाँ देते हुए कहा, "तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे वहाँ हाथ लगाने की!" तब गुड्डू को पता चला कि उसने गलत जगह हाथ लगा दिया है!"
"उसने अपने हाथ को पीछे करते हुए कहा,मुझसे गलती हो गई मुझे माफ़ कर दो देवी जी !"
"उसने अपने हाथ को पीछे करते हुए कहा, "मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो देवी जी!"
"पर मिर्श्री का गुस्सा इतना जल्दी शांत नहीं होने वाला था उसने एक बड़े से पत्थर को उठाया ओर जैसे ही उसे मारना चाहती
थी वैसे ही पीछे से सान्वी की आवाज़ आई,रुक जाओ मिश्री"
"पर मिश्री का गुस्सा इतनी जल्दी शांत नहीं होने वाला था, उसने एक बड़े से पत्थर को उठाया और जैसे ही उसे मारना चाहती थी, वैसे ही पीछे से सान्वी की आवाज़ आई, "रुक जाओ मिश्री!"
"ये क्या करने जा रही थी तुम !
लेकिन मिश्री जो इस वक़्त काफ़ी गुस्से में थी उसने गुस्से से कहा,
नहीं सान्वी आज इन दोनों की तो बेड बजा के ही रहूंगी मैं इनकी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की !"
ये क्या करने जा रही थी तुम! लेकिन मिश्री जो इस वक़्त काफ़ी गुस्से में थी, उसने गुस्से से कहा, "नहीं सान्वी, आज इन दोनों की तो बैंड बजा के ही रहूँगी मैं, इनकी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की!"
"कॉलेज में इनका मन नहीं भरा तुम्हारी इंसल्ट करने का जो अब यहां पर आ गए ये दोनों !"
* "कॉलेज में इनका मन नहीं भरा तुम्हारी इंसल्ट करने से जो अब यहाँ पर आ गए ये दोनों!"
"पर सान्वी उसे समझाते हुए बोली,देख जो हुआ उसे बुरा सपना समझ कर भूल जा !
जो कुछ भी हुआ...."
"पर सान्वी उसे समझाते हुए बोली, "देख जो हुआ उसे बुरा सपना समझकर भूल जा! जो कुछ भी हुआ..."
"उसके कुछ भी बोलने से पहले ही मिश्री ने उसे चुप करवातें हुए कहा,तुम चुप रहो सान्वी !"
उसके कुछ भी बोलने से पहले ही मिश्री ने उसे चुप कराते हुए कहा, "तुम चुप रहो सान्वी!"
"तुमसे किसी का दर्द नहीं देखा जाता जानती हूं मै पर ये लोग इंसान के रूप में हेवान है इसलिए आज तुम भी बीच में नहीं आ सकती !"
"तुमसे किसी का दर्द नहीं देखा जाता, जानती हूँ मैं, पर ये लोग इंसान के रूप में हैवान हैं, इसलिए आज तुम भी बीच में नहीं आ सकती!"
"सान्वी ने जब देखा वो उसकी बात नहीं सुन रही है, तब उसने मिश्री के पास जाकर उसे रोकने का फैसला किया !"
"सान्वी ने जब देखा वो उसकी बात नहीं सुन रही है, तब उसने मिश्री के पास जाकर उसे रोकने का फैसला किया!"
"जैसे ही सान्वी मिश्री के कंधे पर हाथ रखने वाली थी वैसे ही उसकी एक तेज चीख निकल गई !"
"जैसे ही सान्वी मिश्री के कंधे पर हाथ रखने वाली थी, वैसे ही उसकी एक तेज़ चीख निकल गई!"
"मिश्री ने बिना सान्वी की तरफ़ देखे कहा,"
देख सान्वी तू चाहे कितना भी ड्रामा कर ले लेकिन मै नहीं सुनने वाली वहीं विध्वंस जो अब तक गुस्से में खड़ा था जैसे ही सान्वी की चीख सुनी तब उसने
उसके पैरों की तरफ़ देखा जहां एक किल गिरी हुई थी उसके पैरों के नीचे लगी हुई थी !"
"मिश्री ने बिना सान्वी की तरफ़ देखे कहा, "देख सान्वी, तू चाहे कितना भी ड्रामा कर ले लेकिन मैं नहीं सुनने वाली!" वहीं विध्वंस जो अब तक गुस्से में खड़ा था, जैसे ही सान्वी की चीख सुनी, तब उसने उसके पैरों की तरफ़ देखा जहाँ एक कील गिरी हुई थी, उसके पैरों के नीचे लगी हुई थी!"
"उसके पैर से खून निकलने लगा,ये देख विध्वंस उसके पास गया तब उसने उस किल को देखा जो काफ़ी अंदर तक चली गई थी !" "उसके पैर से खून निकलने लगा, ये देख विध्वंस उसके पास गया, तब उसने उस कील को देखा जो काफ़ी अंदर तक चली गई थी!"
"सान्वी से वो दर्द बर्दाश्त नहीं हो रही थीं,विध्वंस से उसका रोना ओर उसके पैर की तकलीफ़ देखी नहीं गई उसने सान्वी के पैरों से उस क़िल को एक झ्टके से निकाला जिसके कारण सान्वी ने अपने नाखून उसके कन्धे में गढ़ा दिए !"
"सान्वी से वो दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था, विध्वंस से उसका रोना और उसके पैर की तकलीफ़ देखी नहीं गई, उसने सान्वी के पैरों से उस कील को एक झटके से निकाला, जिसके कारण सान्वी ने अपने नाखून उसके कंधे में गढ़ा दिए!"
"विध्वंस को भी तेज़ जलन का अहसास हुआ पर उसकी जलन इतनी भी नहीं थी जितनी सान्वी के पैरो में थी !"
"विध्वंस को भी तेज़ जलन का अहसास हुआ, पर उसकी जलन इतनी भी नहीं थी जितनी सान्वी के पैरों में थी!"
"सान्वी के पैरों से खून ओर आखो से आंसू बंद नहीं हो रहे थे तभी मिश्री ने जब उसके पैरो में खून को देखा तब उसने जैसे ही उसके पास जाना
चाहा तब विध्वंस ने जलती हुए नज़रों से उसे देखते हुए कहा,
मैं सान्वी को सिटी हॉस्पिटल में लेकर जाता हूं तुम भी जल्दी से वहां पर पहुंचो इतना बोल वो गाड़ी में बैठा ओर गुड्डू से तेज़ आवाज़ में कहा,
"सान्वी के पैरों से खून और आँखों से आंसू बंद नहीं हो रहे थे, तभी मिश्री ने जब उसके पैरों में खून को देखा, तब उसने जैसे ही उसके पास जाना चाहा, तब विध्वंस ने जलती हुई नज़रों से उसे देखते हुए कहा, "मैं सान्वी को सिटी हॉस्पिटल में लेकर जाता हूँ, तुम भी जल्दी से वहाँ पर पहुँचो!" इतना बोल वो गाड़ी में बैठा और गुड्डू से तेज़ आवाज़ में कहा,
"जल्दी करो गुड्डू,
तुम्हारी भाभी के पैरों से खून बंद नहीं हो रहा जल्दी चलो !"
"जल्दी करो गुड्डू, तुम्हारी भाभी के पैरों से खून बंद नहीं हो रहा, जल्दी चलो!"
"वहीं उनकी बात को सुन गुड्डू ने गाड़ी को ओर तेज़ किया वहीं विध्वंस ने उसके पैरों में अपने रुमाल को बाधा हुआ था वो भी लाल हो गया था उसके खून से !
* "वहीं उनकी बात सुनकर गुड्डू ने गाड़ी को और तेज़ किया, वहीं विध्वंस ने उसके पैरों में अपने रुमाल को बाँधा हुआ था, वो भी लाल हो गया था उसके खून से!"
"सान्वी का रोना बंद नहीं हो रहा था ये देख विध्वंस ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा,
बस थोड़ी देर ओर !" "सान्वी का रोना बंद नहीं हो रहा था, ये देख विध्वंस ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "बस थोड़ी देर और!"
"उसके बाद तुम ठीक हो जाओगी !
लेकिन मुझसे ये दर्द ओर सेहन नहीं होती !
विध्वंस ने कहा इसका इलाज़ भी हैं मेरे पास इतना बोल उसने अपनी शर्ट को बाहों से फाड़ कर अपना हाथ उसके हाथ में देते हुए कहा,
"उसके बाद तुम ठीक हो जाओगी! लेकिन मुझसे ये दर्द और सहन नहीं होता! विध्वंस ने कहा, "इसका इलाज भी है मेरे पास!" इतना बोल उसने अपनी शर्ट को बाहों से फाड़कर अपना हाथ उसके हाथ में देते हुए कहा,
"ये लो जब भी तुम्हें दर्द हो तब तुम मेरी कलाई को कस कर पकड़ लो,
ये सुन सान्वी ने उसकी कलाई को कस के पकड़ा
सान्वी के नाखून विध्वंस की कलाई में गड़ चुके थे ओर उसकी कलाई भी ज़खमी हो चुकी थी, पर फ़िर भी उसने उफ़ तक नहीं निकाली !"
"ये लो, जब भी तुम्हें दर्द हो तब तुम मेरी कलाई को कसकर पकड़ लो!" ये सुन सान्वी ने उसकी कलाई को कसकर पकड़ा, सान्वी के नाखून विध्वंस की कलाई में गड़ चुके थे और उसकी कलाई भी ज़ख्मी हो चुकी थी, पर फिर भी उसने उफ़ तक नहीं निकाली!"
"जब हॉस्पिटल में विध्वंस आया तब उसने एक नए डॉक्टर से कहा,जल्दी से इसका इलाज़ करो !"
वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा !"
"जब हॉस्पिटल में विध्वंस आया तब उसने एक नए डॉक्टर से कहा, "जल्दी से इसका इलाज करो! वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"
"पहले आप फ़ीस जमा कर दो फ़िर आगे की प्रोसेस शुरू होगी !
जिसे सुन विध्वंस ने गुड्डू से कहा,
गुड्डू जल्दी से जाकर पैसे जमा कर !"
"पहले आप फ़ीस जमा कर दो फिर आगे की प्रोसेस शुरू होगी!" ये सुन विध्वंस ने गुड्डू से कहा, "गुड्डू जल्दी से जाकर पैसे जमा कर!"
"उसकी बात को सुन गुड्डू बोला, भैया जी आप फिक्र मत करो मै अभी गया ओर अभी आया !
उसके जाने के बाद,जैसे ही विध्वंस जाने वाला था
वैसे ही उस डॉक्टर ने उसे रोकते हुए कहा,
"उसकी बात सुनकर गुड्डू बोला, "भैया जी आप फिक्र मत करो, मैं अभी गया और अभी आया!" उसके जाने के बाद, जैसे ही विध्वंस जाने वाला था, वैसे ही उस डॉक्टर ने उसे रोकते हुए कहा,
"पहले पैसे जमा होने दो फ़िर जाकर इसका इलाज़ होगा!" विध्वंस जो काफ़ी देर से अपने गुस्से को कंट्रोल कर रहा था उसने अपने अपने हाथ को अपनी गरदन पर रख बुरी तरह से मसलते हुए कहा,
S*को प्यार की भाषा समझ में ही नहीं आती,H*s* !"
"पहले पैसे जमा होने दो फिर जाकर इसका इलाज होगा!" विध्वंस जो काफ़ी देर से अपने गुस्से को कंट्रोल कर रहा था उसने अपने हाथ को अपनी गर्दन पर रख बुरी तरह से मसलते हुए कहा, "S* को प्यार की भाषा समझ में ही नहीं आती, H*s*!"
"देखिए आप यहां पर गुंडा गर्दी नहीं कर सकते अब तो इस लड़की का इलाज बिल्कुल भी नहीं हो सकता यहां,
वहीं विध्वंस ने जब देखा वो डॉक्टर लड़ने पर उतारू हो गया तब उसने
सान्वी के होठ पर हल्के से किस करते हुए कहा,
सानू तुम बस दो मिनट दर्द को बर्दाश्त कर लो !"
"देखिए आप यहाँ पर गुंडागर्दी नहीं कर सकते, अब तो इस लड़की का इलाज बिल्कुल भी नहीं हो सकता यहाँ!" वहीं विध्वंस ने जब देखा वो डॉक्टर लड़ने पर उतारू हो गया तब उसने सान्वी के होंठ पर हल्के से किस करते हुए कहा, "सानू तुम बस दो मिनट दर्द को बर्दाश्त कर लो!"
"मै इस s*h का इलाज करता हूं,इतना बोल उसने
सान्वी को अपने शोल्डर पर रखा जिसके कारण
सान्वी के गोरे पैर उस डॉक्टर को साफ़ साफ़ दिखाई देने लगे !"
मैं इस s*h का इलाज करता हूँ!" इतना बोल उसने सान्वी को अपने शोल्डर पर रखा, जिसके कारण सान्वी के गोरे पैर उस डॉक्टर को साफ़-साफ़ दिखाई देने लगे!"
"उस डॉक्टर ने जब सान्वी के दूसरे पैर को देखा तो वो गुलाबी था,
सान्वी के पैरों को देख उसने मन में कहा,
जब इसके पैर इतने सुन्दर है तो ये कितनी सुंदर होगी !"
"उस डॉक्टर ने जब सान्वी के दूसरे पैर को देखा तो वो गुलाबी था, सान्वी के पैरों को देख उसने मन में कहा, "जब इसके पैर इतने सुंदर हैं तो ये कितनी सुंदर होगी!"
"इतना सोच वो अपने थूक को गटकने लगा, विध्वंस ने गुस्से से अपनी गन को उसके सिर पर रखते हुए गुस्से से कहा,
अब करते हो इसका इलाज़ या मै तेरा खोपड़ी उड़ा दूं !"
"इतना सोच वो अपने थूक को गटकने लगा, विध्वंस ने गुस्से से अपनी गन को उसके सिर पर रखते हुए गुस्से से कहा, "अब करते हो इसका इलाज या मैं तेरा खोपड़ी उड़ा दूँ!"
"गन को देख वो डॉक्टर अपने होश में आया !" उसने हकलाते हुए कहा,
ये ....ये ....आप ठीक नहीं कर रहे हो !
ये .....ये हॉस्पिटल है,कोई गुंडों का अडा नहीं,जिस पर विध्वंस ने अपनी एक बाह से सान्वी की कमर पर हाथ रखा हुआ था !"
"गन को देख वो डॉक्टर अपने होश में आया!" उसने हकलाते हुए कहा, "ये... ये... आप ठीक नहीं कर रहे हो! ये... ये हॉस्पिटल है, कोई गुंडों का अड्डा नहीं!" जिस पर विध्वंस ने अपनी एक बाह से सान्वी की कमर पर हाथ रखा हुआ था!"
"और उसने डॉक्टर को देखते हुए कहा,आज तू तो गया डॉक्टर चल एक खून और सही !"
धरती का बोझ कम तो होगा थोड़ा !
इतना बोल वो जैसे", ही गन का ट्रिगर दबाने वाला था वैसे ही,
"और उसने डॉक्टर को देखते हुए कहा, "आज तू तो गया डॉक्टर, चल एक खून और सही! धरती का बोझ कम तो होगा थोड़ा!" इतना बोल वो जैसे ही गन का ट्रिगर दबाने वाला था, वैसे ही,
"किसी ने उसे रोकते हुए कहा,विध्वंस sir आप यहां!"
ये हॉस्पिटल की HOD प्रेणना जी थीं उन्होंने विध्वंस को शांत करवाते हुए कहा,
"किसी ने उसे रोकते हुए कहा, "विध्वंस सर आप यहाँ!" ये हॉस्पिटल की HOD प्रेरणा जी थीं, उन्होंने विध्वंस को शांत करवाते हुए कहा,
"शांत हो जाओ आप,पहले इनका इलाज़ करने दो फिर जितना चाहे उतना लड़ना ठीक है !"
विध्वंस ने उनसे कहा,ठीक है आप कहती है तो मै इसे छोड़ देता हूं पर आप जल्दी से मेरी सानू का इलाज कीजिए !
"शांत हो जाओ आप, पहले इनका इलाज करने दो फिर जितना चाहे उतना लड़ना ठीक है!" विध्वंस ने उनसे कहा, "ठीक है आप कहती हैं तो मैं इसे छोड़ देता हूँ, पर आप जल्दी से मेरी सानू का इलाज कीजिए!"
"तब उन्होंने उसकी कलाई को देखा,जिस पर काफ़ी घाव थे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी जंगली जानवर से बच कर आया हो वो !
तब उन्होंने उसकी कलाई को देखा, जिस पर काफ़ी घाव थे, ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी जंगली जानवर से बच कर आया हो वो!"
"उन्होंने उसे समझाते हुए कहा,बेटा तुम भी अपने हाथों में पट्टी करवा लों,
लेकिन विध्वंस ने उन्हें मना करते हुए कहा,
नहीं आप पहले मेरी सान्वी को देखिए इसकी चोट ज्यादा गहरी है मेरी तो बस ऐसी ही है !"
"उन्होंने उसे समझाते हुए कहा, "बेटा तुम भी अपने हाथों में पट्टी करवा लो!" लेकिन विध्वंस ने उन्हें मना करते हुए कहा, "नहीं आप पहले मेरी सान्वी को देखिए, इसकी चोट ज्यादा गहरी है, मेरी तो बस ऐसी ही है!"