रूहानी शर्मा— एक शर्मीली, सादगी से भरी लड़की, वो ज़्यादा बोलती नहीं, पर जब भी बोलती है तो दिल से और हमेशा मुस्कुराते रहती थी। वो मानती है कि प्यार ही ज़िंदगी का असली रंग है। दूसरी ओर है एकांश सिंघानिया — गुस्से वाला, बेरुखा। उस की मुस्का... रूहानी शर्मा— एक शर्मीली, सादगी से भरी लड़की, वो ज़्यादा बोलती नहीं, पर जब भी बोलती है तो दिल से और हमेशा मुस्कुराते रहती थी। वो मानती है कि प्यार ही ज़िंदगी का असली रंग है। दूसरी ओर है एकांश सिंघानिया — गुस्से वाला, बेरुखा। उस की मुस्कान देखना तो ईद की चांद देखने की तरह होता था। जो दुनिया से नहीं, सिर्फ अपनी family से प्यार करता है। वो मानता है कि प्यार एक धोखा है... एक कमजोरी। जब ये दो बिल्कुल उलटी सोच वाले इंसान कॉलेज में पहली बार टकराते हैं, जहां एकांश रूहानी का प्रोफेसर था, वहीं रुहानी स्टूडेंट। एक वो जो प्यार को इबादत मानती है और एक वो जो प्यार को ख्वाब मानने से भी डरता है। क्या रूहानी की मासूमियत एकांश के प्यार पर भरोसा दिला पाएगा? क्या होगा जब रूहानी के सामने आएगी एकांश की सच्चाई? क्या किस्मत उन्हें एक साथ जोड़ पाएगी?
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एक लड़की अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी। रात की ठंडक धीरे-धीरे सुबह की हल्की गर्मी में बदलने लगी थी। कमरे में हल्की सी धूप फैलने लगी थी, परन्तु उस लड़की की आँखें बंद थीं, जैसे वह अपने ख्वाबों में खोई हुई हो। तभी अचानक नीचे से एक महिला की आवाज़ आई, "रूही, 9 बज गए हैं, उठ जा।"
लेकिन रूही का मन अभी भी सोने में लगा हुआ था। उसने अपने कानों पर तकिया दबा लिया और आँखें बंद करके अपनी मम्मी से कहा, "मम्मा, 5 मिनट प्लीज।" और फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं।
लेकिन तभी, महिला कुछ बोलने से पहले, एक और आवाज़ आई। यह आवाज़ एक आदमी की थी, जो उसी घर का सदस्य लगता था। वह आदमी बोला, "श्रीमती जी, आप डाइनिंग टेबल पर खाना लगाइए, मैं हमारी गुड़िया को उठा कर लाता हूँ।"
उस आदमी ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और ऊपर की ओर चढ़ने लगा। वह आदमी रूही के पिता थे, जो अब उसे उठाने के लिए ऊपर आ रहे थे। उनके शब्दों में एक अद्भुत सुकून और प्यार था, जैसे वह अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकते थे।
रूही की माँ चुपचाप खड़ी रही, मानो वह सब समझ रही हो, और उसकी आँखों में हल्का सा मुस्कान था। वह जानती थी कि रूही को उठाना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन वह जानती थी कि उसके पिता उसे प्यार से उठाकर डाइनिंग टेबल पर ले आएंगे।
तो ये है हमारी कहानी की नायिका रूही शर्मा। जिसे सब प्यार से रूही पुकारते हैं। दिखने में बहुत सुंदर। गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ बिलकुल किसी परी की तरह। इनकी उम्र 21 साल की है। ये अब मास्टर डिग्री करने वाली है। इनका aim है एक लेक्चरर बनना।
वह महिला रूही की मॉम रीता शर्मा है। स्वभाव से थोड़ी गुस्सैल है पर अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है। ये एक हाउसवाइफ है।
वह आदमी रूही के पापा निहाल शर्मा हैं। ये एक आर्मी ऑफ़िसर हैं, जो अभी फिलहाल छुट्टी पर हैं।
रोहन शर्मा रूही का बड़ा भाई है। उम्र 25 साल। जो अब आईपीएस की ट्रेनिंग में गया है। इस साल उसकी ट्रेनिंग खत्म हो जाएगी। वैसे तो रूही और रोहन हमेशा लड़ाई करते रहते हैं पर रूही और रोहन दोनों एक-दूसरे के जान हैं। कोई किसी को मुसीबत में नहीं देख सकता।
वो घर दो फ्लोर का था। नीचे ग्राउंड फ्लोर पर दो कमरे, एक किचन और एक हॉल था। ऊपर के फ्लोर पर दो कमरे और एक गेस्ट रूम था।
घर के बाहर छोटा सा गार्डन था जिसमें रूही बहुत सारे फूलों के पौधे लगाए हुए थे। जिन्हें रूही हर दिन सुबह पानी देती थी और उनकी केयर करती थी।
रूही के पापा निहाल जी रूही को जगाने के लिए उसके रूम में गए। तो देखा कि रूही बेड पर पूरा पसर कर सो रही है।
निहाल जी उसे ऐसे देखकर खुद को मुस्कुराने से नहीं रोक पाए। वो रूही के पास जाकर बोले, "बच्चा उठ जा, कॉलेज का टाइम हो रहा है। आज कॉलेज के पहले दिन ही तू लेट होगी क्या! चल जल्दी उठ जा।"
तो रूही निहाल जी के गोद में सिर रखकर बोली, "पापा थोड़ी देर और।"
तो निहाल जी बोले, "देखो तुम्हारी माँ को तो अब आने से रोक दिया था। पर अब तुम नहीं उठी तो वो ही आ जाएंगी। फिर उन्हें दिखाना तुम्हारी ये नौटंकी।"
तो रूही हड़बड़ा कर उठ गई। उसने निहाल जी से कहा, "गुड मॉर्निंग पापा।" फिर जल्दी से बाथरूम में भाग गई।
वहीं निहाल जी उसे ऐसे भागता देखकर हँस दिए और नीचे चले गए। नीचे आने पर रीता जी ने निहाल जी से पूछा, "क्या हुआ? आपकी लाडली उठी कि नहीं!"
तो निहाल जी बोले, "उठ गई है श्रीमती जी। नहाने गई है, आ जाएगी थोड़ी देर में।"
तो रीता जी हाँ में सिर हिलाई और बोली, "ठीक है। आप डाइनिंग टेबल पर बैठिए, मैं ब्रेकफास्ट लगवाती हूँ।"
तो निहाल जी जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद रूही नीचे आई और डाइनिंग टेबल पर बैठ गई।
तभी रीता जी किचन से बाहर निकलते हुए बोलीं, "तुम्हारी नींद खुल गई।"
तो रूही चिढ़ते हुए बोली, "मॉम....."
तो रीता जी बोलीं, "क्या मॉम हाँ। शादी के बाद तुम हमारी नाक काट दोगी।"
तो रूही बोली, "मॉम उसके लिए अभी टाइम नहीं आया है।"
तो रीता जी बोलीं, "ठीक है ठीक है। बैठ, कॉलेज के लिए लेट हो रहा है। पहले दिन ही लेट होती है तू।"
तो रूही बोली, "मॉम आप ही लेट कर रही हैं। जल्दी कीजिए, टाइम हो रहा है।"
तो रीता जी अपना सिर पीट ली और अपने आप से बोलीं, "ये लड़की कभी नहीं सुधरेगी। गलती इसकी है फिर भी दूसरों को बोलती है।"
रीता जी ने रूही को ब्रेकफास्ट दिया। तो वह जल्दी-जल्दी नाश्ता करने लगी। थोड़ी देर बाद वह डाइनिंग टेबल से उठते हुए बोली, "मेरा खाना खत्म हुआ। मैं निकली कॉलेज के लिए।"
तो रीता जी बोलीं, "देखकर जाना। स्कूटी लेकर जाओ।"
तो रूही हाँ में सिर हिलाते हुए बोली, "yes mom"
फिर कॉलेज के लिए निकल गई। वह जा रही थी कि सड़क के बीच में एक बूढ़ी औरत रोड पार करने की कोशिश कर रही थी। पर इतनी सारी गाड़ियों के आने से वह कर नहीं पा रही थी।
इसलिए वह अपनी स्कूटी साइड में पार्क करती है और उस बूढ़ी औरत के पास जाती है।
रूही उस बूढ़ी औरत को देखकर बोली, "दादी जी, चलिए मैं आपको रोड पार करा देती हूँ।"
तो वह बूढ़ी औरत बोली, "हाँ बेटा।"
रूही उन्हें सड़क पार करा देती है। वह बूढ़ी औरत बोली, "बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।"
वह उन्हें देख मुस्कुरा देती है और कॉलेज के लिए निकल जाती है। उसे यह सब करते हुए कोई देख रहा था। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।
वह गाड़ी भी वहाँ से निकल गई।
आज के लिए इतना ही.......
रूही ने अपनी स्कूटी किनारे पार्क की और उस बूढ़ी औरत के पास गई।
रूही ने बूढ़ी औरत को देखकर कहा, "दादी जी, चलिए मैं आपको रोड पार करा देती हूँ।"
बूढ़ी औरत ने कहा, "हाँ बेटा।"
रूही ने उन्हें सड़क पार करा दिया। बूढ़ी औरत बोली, "बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।"
रूही मुस्कुराई और कॉलेज के लिए निकल गई। उसे ये सब करते हुए कोई देख रहा था। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई थी। वह गाड़ी भी वहाँ से निकल गई।
थोड़ी देर बाद, वह गाड़ी एक कॉलेज के पास रुक गई। उसमें से एक लड़का निकला, जो दिखने में किसी हीरो से कम नहीं था।
वह कार से निकला और कॉलेज की तरफ़ चलने लगा। तभी उसे किसी का कॉल आया। वह कॉल पर बात करते हुए अंदर जाने लगा, कि उसकी किसी से टक्कर हो गई।
दोनों नीचे गिर गए। उनकी स्थिति ऐसी थी कि वह लड़की उसे बड़ी-बड़ी आँखों से देखने लगी।
वह लड़की से टक्कर लगने के बाद दोनों नीचे गिर गए थे। नीचे लड़का था और उसके ऊपर वह लड़की गिर गई थी। उन दोनों के होंठ एक-दूसरे पर थे।
जिससे दोनों की धड़कन बहुत तेज चल रही थी। दोनों एक-दूसरे की आँखों में खोए हुए थे कि एक आवाज़ आई, "रूही, तू ऐसे क्यों गिरी हुई है? उठ जल्दी।"
तो वह लड़की, यानी हमारी रूही, अपने होश में आई और जल्दी से उठ खड़ी हुई। उसने उस लड़के से जल्दी से माफ़ी माँगी और प्रीता के साथ निकल गई।
("प्रीता रूही की बचपन की दोस्त है। दोनों साथ में ही अभी तक पढ़ाई करती आई हैं। यह भी बहुत खूबसूरत है, पर रूही से कम। यह है प्रीता सहगल। सहगल इंडस्ट्री के बड़े नाम हैं।")
वह लड़का भी उठकर खड़ा हुआ और रूही के जाने की दिशा में देख रहा था। रूही जब उसकी आँखों से ओझल हो गई, वह भी प्रिंसिपल के कमरे में चला गया।
प्रिंसिपल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया गया। प्रिंसिपल सर बोले, "कम इन।"
वह लड़का अंदर आया। उसे देखकर प्रिंसिपल सर जल्दी से खड़े हो गए और उस लड़के को देखते हुए बोले, "आइए आइए, Mr. सिंघानिया।" और अपनी सीट पर बैठने को कहा।
वह लड़का सामने वाली सीट पर बैठकर उन्हें बैठने का इशारा किया। प्रिंसिपल सर वहाँ बैठ गए।
प्रिंसिपल सर बोले, "आप आज से ही कॉलेज ज्वाइन करने वाले थे। कुछ भी हमें इन्फॉर्म नहीं किया।"
वह लड़का इमोशनलेस चेहरे के साथ बोला, "क्या आपको कोई प्रॉब्लम है क्या?"
प्रिंसिपल झूठी हँसी हँसते हुए बोले, "अरे नहीं-नहीं Mr. सिंघानिया, ऐसी कोई बात नहीं है।"
वह लड़का अपना सिर हिला दिया।
चलिए इनके बारे में जान लेते हैं। यह है हमारी कहानी के हीरो, एकांश सिंघानिया। इनकी असली पहचान क्या है, आपको बाद में पता चलेगा। यह इस कॉलेज में Physics पढ़ाने आए हैं। उम्र २८ साल, पर दिखने में २५ साल के लगते हैं। सभी लड़कियाँ इनके पीछे पागल हैं।
एकांश थोड़ी देर प्रिंसिपल से बात करता रहा। फिर क्लास के लिए चल पड़ा। जैसे ही वह क्लास में एंट्री करता है, सभी स्टूडेंट्स खड़े होकर उसे गुड मॉर्निंग विश करते हैं। एकांश अपनी एक उड़ती हुई नज़र सभी पर डालता है।
तभी उसकी नज़र एक जगह पर रुक जाती है। वह देखता है कि एक लड़की उससे छिपने की कोशिश कर रही है। उसे देखकर उसे लगता है कि उसने उसे कहीं देखा है, पर वह उसे कुछ नहीं बोलता।
फिर सभी को बैठने को बोलता है। फिर अपना परिचय देते हुए बोलता है, "स्टूडेंट्स, मैं एकांश हूँ और मैं आप सभी को फिजिक्स पढ़ाने वाला हूँ। आप सभी रेगुलर क्लास के साथ कुछ वर्क घर के लिए दिया जाएगा। जिसे आप सभी को पूरा करके क्लास में आना है। जो भी वर्क पूरा नहीं किया होगा, उसे पनिशमेंट मिलेगा। और एक बात याद रखिएगा, मुझे क्लास में एब्सेंट रहना और बात करना बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए कोई जान-बूझकर यह गलती करने की कोशिश भी मत करना।"
फिर सभी को अपना-अपना परिचय देने के लिए बोलता है। एक-एक करके सभी अपना-अपना परिचय देते हैं। तभी उस लड़की की बारी आती है जो एकांश को देख छिपने की कोशिश कर रही थी।
उसे मालूम ही नहीं था कि उसकी बारी आ चुकी है। उसके बगल में बैठी लड़की ने उसे बोला, "तुम्हारा टाइम है, प्रोफेसर इंतज़ार कर रहे हैं। खड़े होकर अपना परिचय दो।"
वह लड़की अपने बगल वाली लड़की को देखती है। फिर एक नज़र एकांश को देखती है जो उसे ही देख रहा था। वह हिम्मत करके खड़ी होती है।
उसे देखते ही एकांश चौंक जाता है।
आज के लिए इतना ही…
फिर सभी को अपना-अपना परिचय देने के लिए कहा गया। एक-एक करके सभी ने अपना परिचय दिया। तभी उस लड़की की बारी आई जो एकांश को देखकर छिपने की कोशिश कर रही थी।
उसे पता ही नहीं था कि उसकी बारी आ चुकी है। तो उसके बगल में बैठी लड़की ने उसे कहा, "तुम्हारा समय है, प्रोफ़ेसर इंतज़ार कर रहे हैं। खड़े होकर अपना परिचय दीजिए।"
वो लड़की अपनी बगल वाली लड़की को देखती है। फिर एक नज़र एकांश को देखती है, जो उसे ही देख रहा था। वो हिम्मत करके खड़ी होती है।
उसे देखते ही एकांश चौंक गया।
एकांश उस लड़की को देखकर चौंक गया। वो अपने मन में कहता है, "ये लड़की इसी क्लास में है।"
तभी वो लड़की हिम्मत करके बोलती है, "Sir, I am Ruhani Sharma. My hobby is drawing."
फिर वो बैठ जाती है।
उसका नाम सुनकर एकांश अपने मन में बोलता है, "रूहानी, nice name."
उसके बाद उसके बगल में बैठी प्रीता ने भी अपना परिचय दिया। ऐसे ही सभी ने अपना-अपना परिचय दिया।
उसके बाद एकांश पढ़ाना शुरू करता है, "आज हम शुरू करने वाले हैं Quantum Physics।"
फिर सभी की ओर देखते हुए बोलता है, "आप सब Quantum Physics के बारे में क्या जानते हैं, बताइए।"
एकांश पहली पंक्ति में बैठी एक लड़की से पूछता है। वो कुछ बताती है।
तो एकांश बोलता है, "गुड।"
फिर ऐसे ही एक-दो बेसिक सवाल पूछता है। फिर पढ़ाना शुरू करता है।
सभी छात्र एकांश में ही खोए हुए थे। कोई उसके लुक के लिए तो कोई उसके पढ़ाने पर ध्यान लगा रहे थे।
रूही बहुत ध्यान से एकांश की बातें सुन रही थी और उसे नोट कर रही थी। एकांश पढ़ाते समय बीच-बीच में रूही को देख लेता था।
उसे रूही का इतने ध्यान से पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा था। ऐसे ही 45 मिनट की क्लास कब खत्म हो गई पता ही नहीं चला।
एकांश अंत में बोलता है, "आज के लिए इतना ही। बाकी हम कल पढ़ेंगे। मैं आप सबको एक टास्क देता हूँ जो कल सभी को पूरा करके लाना है।"
फिर सभी को एक टास्क देता है।
उसके बाद बोलता है, "किसी को भी कोई डाउट रह गया हो तो वो मेरे केबिन में आकर अपना डाउट क्लियर कर सकता है।"
फिर वहाँ से चला जाता है। उसके जाने के कुछ देर बाद ही एक और प्रोफ़ेसर आते हैं। वो भी अपना क्लास लेते हैं। ऐसे ही तीन लेक्चर के बाद ब्रेक होता है।
तो प्रीता बोलती है, "रूही, चल ना कैंटीन चलते हैं। मुझे बहुत भूख लग रही है।"
तो रूही बोलती है, "हाँ, चल।"
दोनों कैंटीन की तरफ़ चलते हैं। दोनों कैंटीन में खाना खाते हैं। फिर क्लास अटेंड करके घर के लिए निकल जाते हैं।
रूही घर पहुँचकर रीता जी को आज के बारे में बताती है, एकांश के साथ हुए किस को छोड़कर।
रीता जी बोलती हैं, "अच्छा, ठीक है। अब तुम जाओ, फ्रेश हो जाओ। मैं तुम्हारे लिए खाने के लिए कुछ स्नैक्स लाती हूँ।"
तो रूही हाँ में सर हिलाते हुए सोफ़े से खड़ी होती है और अपने रूम में चली जाती है।
थोड़ी देर बाद रीता जी उसके लिए स्नैक्स लाती हैं। रूही खाकर पढ़ाई शुरू करती है। ऐसे ही 9 बज जाते हैं।
रूही को नीचे से रीता जी बुलाती हैं, "रूही बेटा, आओ खाना तैयार है।"
तो रूही बोलती है, "जी मम्मा, आ रही हूँ।"
उसके बाद रूही अपनी किताब रखती है और हाथ-मुँह धोकर नीचे जाती है। फिर तीनों मिलकर खाना खाते हैं।
बर्तन साफ़ करने में रूही रीता जी की मदद करती है। फिर दोनों अपने-अपने रूम में चले जाते हैं।
रूही थोड़ी देर फ़ोन देखती है। फिर सोने के लिए लाइट ऑफ़ करती है। वो जैसे ही आँखें बंद करती है, उसके आगे आज सुबह का किस आ जाता है। वो हड़बड़ाकर उठ जाती है।
फिर बहुत मुश्किल से रूही को नींद आती है।
दूसरी तरफ़,
एकांश कॉलेज से अपने घर जाता है। वो जैसे ही घर के अंदर कदम रखता है, उसे आवाज़ आती है, "आज घर आने का समय मिल गया।"
तो एकांश उनकी तरफ़ देखकर चिढ़कर बोलता है, "मॉम..."
वो कोई और नहीं, एकांश की मॉम मिसेज़ अनिता सिंघानिया हैं। ये बहुत ही नेकदिल हैं। ये एक NGO चलाती हैं।
तो अनीता जी बोलती हैं, "क्या मॉम? हाँ, कितने दिन से तू घर नहीं आया है?"
तो एकांश बोलता है, "मॉम, प्लीज़ आप ऐसे मत बोलिए। आज तो आया ना मैं।"
तो अनीता जी बोलती हैं, "तू ऐसे नहीं सुधरेगा। जब तेरी शादी हो जाएगी, तभी तू घर समय पर आएगा।"
तो एकांश उनकी बात सुनकर बोलता है, "मुझे अभी शादी नहीं करनी है।"
तो अनीता जी बोलती हैं, "क्यों? तुझे क्यों नहीं करनी है? मुझे नहीं पता, कल से तुझे मैं डेट पर भेजूँगी। चुपचाप वहाँ जाएगा तू।"
तो एकांश चिढ़कर बोलता है, "नहीं मॉम, मैं कहीं नहीं जा रहा।"
तो अनीता जी बोलती हैं, "क्यों? तुझे कोई पसंद है क्या?"
तो एकांश की आँखों के सामने रूही का चेहरा आ जाता है। वो रूही के ख्यालों में खोया हुआ था कि अनीता जी उसे हिलाते हुए बोलती हैं, "कहाँ खो गया तू?"
तो एकांश अपने ख्यालों से बाहर आकर बोलता है, "कहीं नहीं। मैं नहीं जाऊँगा मिलने किसी से भी।"
अनीता जी कुछ बोलती हैं, उससे पहले ही एकांश बोलता है, "मॉम, आप को मेरी कसम, मुझे जब शादी करनी होगी कर लूँगा, पर आप ऐसे मुझे मजबूर मत कीजिए।"
फिर वहाँ से अपने रूम में चला जाता है। अनीता जी उसे जाते हुए देखती रह जाती हैं।
रात को डिनर के बाद एकांश अपने रूम में चला जाता है। वो थोड़ी देर काम करता है। फिर सोने के लिए बेड पर लेट जाता है। उसे भी रूही की तरह उनकी पहली किस की याद आती है।
पर वो सोचता है, "नहीं एकांश, तू ये क्या सोच रहा है? वो बहुत छोटी है तुझसे। तेरा और उसका कोई मेल नहीं है। इसलिए अपने अंदर उसके लिए फीलिंग लाने से पहले ही सतर्क हो जा।"
फिर वो भी अपने ख्यालों को साइड करके सो जाता है।
सुबह 4 बजे,
एकांश और रूही दोनों अचानक से जाग जाते हैं।
अनीता जी के कुछ बोलने से पहले ही एकांश बोला, "मॉम आप को मेरी कसम, मुझे जब शादी करनी होगी, कर लूँगा, पर आप ऐसे मुझे मजबूर मत कीजिए।"
फिर वह वहाँ से अपने कमरे में चला गया। अनीता जी उसे जाते हुए देखती रहीं।
रात को, डिनर के बाद एकांश अपने कमरे में चला गया। उसने थोड़ी देर काम किया। फिर सोने के लिए बिस्तर पर लेट गया। उसे भी रूही की तरह उनकी पहली किस की याद आई।
पर वह सोचने लगा, "नहीं एकांश, तू यह क्या सोच रहा है? वह बहुत छोटी है तुझसे। तेरा और उसका कोई मेल नहीं है। इसलिए अपने अंदर उसके लिए फीलिंग लाने से पहले ही सतर्क हो जा।"
फिर वह भी अपने ख्यालों को दरकिनार करके सो गया।
सुबह 4 बजे, एकांश और रूही दोनों अचानक जाग गए।
रूही अचानक उठकर बोली, "हे प्रभु! यह क्या था? मैं और सर, ऐसे नहीं-नहीं। यह कभी नहीं होगा।"
दरअसल, रूही सपने में देख रही थी कि वह और एकांश दोनों भाग रहे थे। एकांश उसके पीछे भागते हुए बोल रहा था, "रूह, रुक जाओ। नहीं तो पकड़े जाने पर बहुत पछताओगी।"
तो रूही बोली, "आप पहले पकड़ के तो दिखाइए।" और खिलखिलाते हुए हँसते हुए भाग रही थी।
दोनों ऐसे ही भाग रहे थे कि एकांश रूही को पकड़ लेता है। तो रूही की हँसी बंद हो जाती है।
एकांश उसे अपनी गोद में उठा लेता है और घर के अंदर जाने लगता है।
तो रूही उसके गोद से उतरने की कोशिश करते हुए बोली, "आप छोड़िए न। मुझे नीचे उतारिए।" और अपने हाथ-पैर मारना शुरू कर देती है।
तो एकांश बोला, "चुपचाप मेरी गोद में रहो, नहीं तो सजा और बड़ी मिलेगी।"
तो रूही चुपचाप उसके गोद में रहती है। एकांश उसे लेकर अपने बेडरूम में जाता है और रूही को अपने बिस्तर पर सुलाता है।
फिर दरवाजा बंद करके आता है तो देखता है रूही नहीं है। तो वह चारों तरफ देखता है तो उसे रूही कहीं नहीं दिखती। वह ध्यान से सुनने की कोशिश करता है तो उसे लगता है रूही बाथरूम में है। तो वह बोलता है, "रूह, बाहर आओ।"
तो रूही बोली, "मैं नहीं आने वाली।"
तो एकांश बोला, "ठीक है, आगे जो होगा उसकी जिम्मेदार तुम होगी।"
फिर अपनी ड्रॉअर से बाथरूम की स्पेयर की निकालता है और बाथरूम का दरवाजा खोलता है।
रूही को ध्यान ही नहीं था कि एकांश के पास बाथरूम की स्पेयर की भी होगी। एकांश रूही को अपने पास खींच लेता है और बोलता है, "अब कहाँ जाओगी?"
फिर उसे किस करने लगता है। थोड़ी देर बाद रूही को अपनी गोद में उठाकर कमरे में लाता है।
उसे बिस्तर पर लिटाकर खुद अपनी शर्ट खोलकर उसके ऊपर आ जाता है। वहीं रूही उसे बिना शर्ट के देख शर्मा जाती है और अपनी नज़र नीचे कर लेती है।
तो एकांश उसकी ठुड्डी पकड़कर चेहरा ऊपर करता है और दोनों एक-दूसरे की आँखों में खो जाते हैं। फिर एकांश रूही को किस करने लगता है।
धीरे-धीरे उसकी किस वाइल्ड होने लगती है। वह रूही को किस के साथ काट भी रहा था। रूही को साँस लेने में दिक्कत होने पर एकांश उसे छोड़ता है और रूही के कंधे पर किस करने लगता है। ऐसे ही किस करते-करते रूही की शर्ट निकाल देता है।
रूही की ऊपर बॉडी में सिर्फ इनर वियर ही था। उसे ऐसे देख मानो एकांश पूरा पागल हो गया। वह रूही के पूरे अपर बॉडी को किस कर रहा था, साथ में बाइट भी। जिससे रूही की चीख निकल जाती है।
एकांश उसके सीने को अपने हाथों से दबाने लगता है। साथ में किस और चाटने लगता है। जिससे रूही की आह निकल रही थी।
एकांश धीरे-धीरे नीचे आता है और उसके पैंट भी निकाल देता है। फिर उसके पूरे बॉडी को किस करने लगता है।
उसके बाद वह जैसे ही रूही के अंदर जाने वाला था, दोनों की नींद खुल जाती है।
तो एकांश चौंककर उठते हुए बोलता है, "यह मैं कैसा सपना देख रहा हूँ? उसके साथ ऐसे क्या सपना देख रहा था मैं? वह कितनी छोटी है मुझसे, मैं उसके बारे में ऐसे कैसे सोच सकता हूँ? अब उससे दूर रहना होगा।"
उसके बाद वह नहाने चला जाता है।
वहीं रूही फिर से सो जाती है।
8 बजे रीता जी उसे उठाती हैं। उसके बाद रूही नहाने चली जाती है। थोड़ी देर में वह रेडी होकर नीचे आती है। फिर ब्रेकफास्ट करके प्रीता के घर के लिए निकल जाती है। फिर दोनों वहाँ से कॉलेज के लिए निकल जाती हैं।
दूसरी तरफ, एकांश भी रेडी होकर कॉलेज के लिए निकल जाता है।
कॉलेज में, प्रीता और रूही दोनों कॉलेज में पहुँचती हैं। दोनों क्लास में पहुँचती हैं तो देखती हैं आज क्लास में पूरी शीट फुल हो चुकी थी।
रूही और प्रीता वहाँ से पीछे की शीट पर बैठ जाती हैं। थोड़ी देर में एकांश वहाँ आता है। फिर क्लास शुरू हो जाता है। ऐसे ही एकांश का पीरियड भी खत्म हो जाता है।
एकांश सभी को आज का टास्क देकर चला जाता है। ऐसे ही सभी क्लास खत्म होती हैं। रूही प्रीता से बोलती है, "प्रीता, तू जा, मैं आज लाइब्रेरी में जा रही हूँ। तुझे बाद में मिलती हूँ।"
तो प्रीता बोलती है, "ठीक है, मैं जाती हूँ।"
इतना बोलकर प्रीता चली जाती है। वहीं रूही भी लाइब्रेरी चली जाती है। आज लाइब्रेरी में कोई नहीं था। तो रूही सोचती है, "मैं बुक ले कर चली जाऊँगी।"
वह अपने ऑनर्स के बुक सेल्फ की तरफ चल पड़ती है। वह वहाँ से बुक लेती है और आ रही थी कि कुछ ऐसा होता है जिससे उसकी धड़कन बढ़ गई।
आज के लिए इतना ही। तो आप सब को क्या लगता है रूही के साथ क्या होता है? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ।
प्रीता और रूही दोनों कॉलेज पहुँचीं। दोनों क्लास में पहुँचीं तो देखा कि आज क्लास की पूरी शीट भर चुकी थी।
रूही और प्रीता वहाँ से पीछे की शीट पर बैठ गईं। थोड़ी देर में एकांश वहाँ आया। फिर क्लास शुरू हो गया। ऐसे ही एकांश का पीरियड भी खत्म हो गया।
एकांश सभी को आज का टास्क देकर चला गया। ऐसे ही सभी क्लास खत्म हुईं। रूही प्रीता से बोली, "प्रीता, मैं आज लाइब्रेरी जा रही हूँ। तुझे बाद में मिलती हूँ।"
"ठीक है, मैं जाती हूँ।" प्रीता बोली।
इतना बोलकर प्रीता चली गई। वहीं रूही भी लाइब्रेरी चली गई। आज लाइब्रेरी में कोई नहीं था। तो रूही सोची, "मैं बुक ले कर चली जाऊँगी।"
वह अपने ऑनर्स की बुक के सेल्फ की तरफ चल पड़ी। वह वहाँ से बुक ले रही थी कि कुछ ऐसा हुआ जिससे उसकी धड़कन बढ़ गई।
रूही लाइब्रेरी के सेल्फ से अपनी बुक निकालकर जाने के लिए मुड़ी। तभी उसके पैर फिसल गए। वह बचने के लिए जो उसके हाथ में आया, पकड़ लिया।
पर वह गिरने से नहीं बच पाई और धड़ाम से फर्श पर गिर गई। उसके ऊपर एक लड़का आकर गिर गया। उनके होठ आपस में मिल गए। जिससे रूही की धड़कन बढ़ गई।
रूही अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके उस लड़के को देखने लगी। वहीं वह लड़का भी रूही की आँखों में देख रहा था।
दोनों एक-दूसरे की आँखों में खो गए। आँखों में खोए हुए ही वह लड़का अपना होठ चलाने लगा। रूही भी मदहोश होकर उस लड़के को किस करने लगी।
दोनों की आँखें बंद हो गई थीं। दोनों इस किस में पूरी तरह से डूब गए थे। जब दोनों को साँस लेने में दिक्कत हुई तो दोनों एक-दूसरे से दूर हुए।
उस लड़के को ध्यान आया कि वह क्या कर बैठा है। तो वह जल्दी से रूही के ऊपर उठने की कोशिश करने लगा। पर फर्श पर पानी के होने से उसके पैर फिर फिसल गए।
वह फिर रूही के ऊपर गिर गया। इस बार उसके होठ रूही की गर्दन को छू गए। रूही इस एहसास से अपने हाथ से अपने ड्रेस को कसकर पकड़ लिया और अपनी आँखें भी कसकर बंद कर ली।
वह लड़का एक मिनट रूही को देखा। फिर धीरे से संभालकर रूही के ऊपर से उठा। फिर रूही को हाथ देकर बोला, "उठो।"
तो रूही उसके हाथ पकड़कर खड़े होने की कोशिश करने लगी पर उसके आह निकल गए।
"क्या हुआ?" वह लड़का बोला।
"वो पैर में जोर से दर्द हो रहा है।" रूही बोली।
तो वह लड़का रूही को अपने गोद में उठा लिया। गिरने के डर से रूही अपने बाहों से उस लड़के के गर्दन को पकड़ लिया।
रूही उस लड़के को छुप-छुप कर देख रही थी। रूही अपने मन में बोली, "ये कितना हैंडसम दिख रहे हैं। पास से तो और ज्यादा हैंडसम दिख रहे हैं।"
फिर उसकी नजर उस लड़के के होठ पर गई। तो उसे कुछ देर पहले की किस याद आई। वह अपने मन में बोली, "कितने सॉफ्ट थे इनके होठ।"
वह लड़का रूही की हर हरकत को देख रहा था और मन ही मन मुस्कुराया। पर बाहर से इमोशनलेस चेहरा ही दिखा रहा था। वह उसे लेकर लाइब्रेरी के ही एक बेंच पर बिठा दिया।
रूही ने आज प्लाजो सूट पहना हुआ था।
एकांश ने रूही के पैरों को उठाकर बेंच पर रखा। फिर जैसे ही उसके पैर को छूने वाला था,
रूही अपना पैर पीछे कर लिया। तो एकांश बोला, "क्या हुआ? पैर क्यों पीछे कर रही हो?"
"वो आप मुझसे बड़े हैं ना, तो कैसे आप मेरे पैर छू सकते हैं?" रूही बोली।
"ऐसा कुछ नहीं है। वैसे भी तुम्हारे पैर पर चोट लगी है। इसीलिए चुपचाप दिखाओ अपने पैर।" एकांश बोला।
पर रूही नहीं मानी और अपना पैर आगे नहीं किया। तो एकांश उसे गुस्से से घूरते हुए बोला, "तुम पैर आगे कर रही हो या नहीं?"
तो एकांश को गुस्से में देखकर रूही अपने पैर आगे कर दिए। तो एकांश धीरे से उसके प्लाजो को ऊपर उठाया।
जिससे रूही अपनी आँखें बंद कर ली। उसे एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।
वहीं एकांश उसे पैर दबाकर पूछ रहा था, "क्या यहाँ दर्द हो रहा है?"
पर जब उसे रूही से कुछ आंसर नहीं मिला, तो वह अपना चेहरा ऊपर करके रूही को देखा। तो देखा रूही अपनी आँखें बंद किए बैठी थी।
तो एकांश सोचा दर्द के कारण रूही अपनी आँखें बंद किए हुए हैं।
तो वह रूही को हिलाते हुए बोला, "रूही अपनी आँखें खोलो और बोलो कहाँ दर्द हो रहा है?"
और फिर से रूही के पैर दबाने लगा। जब उसके हाथ रूही के ankle पर गए तो रूही की जोर की चीख निकल गई।
तो एकांश वहाँ धीरे-धीरे सहलाते हुए बोला, "कुछ नहीं होगा, थोड़ी देर शांत रहो, जल्द ही दर्द कम हो जाएगा, थोड़ी देर रुको।"
फिर वह लाइब्रेरी से बाहर गया। कुछ देर बाद जब वह वापस आया तो उसके हाथों में ice cubes थे। वह पहले रूही के पैरों के ऊपर ice cube रखा। फिर एक मेडिसिन स्प्रे किया।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही का चेहरा पूरा लाल हो गया।
फिर से रूही के पैर दबाने लगा। जब उसके हाथ रूही के ankle पर गए, तो रूही जोर से चीखी।
"कुछ नहीं होगा, थोड़ी देर शांत रहो। जल्द ही दर्द कम हो जाएगा, थोड़ी देर रुको।" एकांश वहाँ धीरे-धीरे सहलाते हुए बोला।
फिर वह लाइब्रेरी से बाहर निकल गया। कुछ देर बाद जब वह वापस आया, तो उसके हाथों में ice cubes थे। उसने पहले रूही के पैरों के ऊपर ice cube रखा। फिर एक मेडिसिन स्प्रे की।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही का चेहरा पूरी तरह लाल हो गया।
वह दोनों बैठे हुए थे कि खिड़की से एक बिल्ली अंदर आ गई। इससे रूही डरकर एकांश के गले लग गई। एकांश पहले हैरान हुआ। पर पता नहीं क्यों, उसे रूही का करीब आना सुकून दे रहा था। वह इसी ख्याल में रूही की कमर पकड़ ली।
रूही के होंठ एकांश के खुले हुए सीने को छू गए। इससे एकांश को एक अलग सा एहसास हुआ। उसकी पकड़ रूही की कमर पर मजबूत हो गई।
रूही को होश आया कि उसने क्या किया है। वह जल्दी से एकांश से दूर हो गई। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था।
"सॉरी सर, वो बिल्ली आ गई थी तो मैं डर गई," उसने अपनी नज़रें नीचे किए हुए कहा।
एकांश रूही के चेहरे को देख रहा था जो पूरी तरह टमाटर की तरह लाल हो गया था। उसे रूही को पकड़कर बहुत सारा प्यार करने का मन कर रहा था। पर वह खुद को कंट्रोल कर बस उसे देख रहा था।
तभी एकांश रूही की बात सुनकर होश में आया और बोला, "ठीक है।"
फिर उसने कहा, "तुम थोड़ी देर यहीं रुको। मुझे थोड़ा लाइब्रेरी में काम है। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। फिर तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूँगा।"
"नहीं सर, उसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं खुद चली जाऊँगी," रूही जल्दी से बोली।
"अच्छा, खुद चली जाओगी? तो जाओ, किसने रोका है तुम्हें?" एकांश उसे घूरते हुए बोला।
रूही उठने की कोशिश की, पर उसकी चीख निकल गई और वह वहीं बैठ गई।
"क्यूँ? क्या हुआ? जाओ ना अब, क्यों रुक गई?" एकांश ने ताना मारते हुए कहा।
रूही ने एकांश को खुद को ताना मारते हुए देखकर अपना मुँह फूलाकर पाउट बना लिया।
एकांश की नज़र जैसे ही उसके फूले हुए चेहरे और होंठों पर गई, उसे रूही को किस करने की इच्छा जागने लगी।
पर उसने खुद को चपत मारते हुए कहा, "ये क्या सोच रहा है एकांश? वो तुझसे बहुत छोटी है। तू उसके बारे में ऐसा नहीं सोच सकता।"
फिर उसने अपना चेहरा रूही से हटा लिया और लाइब्रेरी के दूसरे साइड जाते हुए ऑर्डर देने के टोन में बोला, "चुपचाप जहाँ बैठी हो वहीं बैठी रहो। मैं थोड़ी देर में आता हूँ, फिर तुम्हें छोड़ दूँगा।"
रूही बेमन से वहीं बैठ गई। क्योंकि वहाँ एकांश के अलावा कोई नहीं था और प्रीता भी अब तक घर चली गई होगी।
फिर रूही, एकांश की एक्टिंग करते हुए बोली, "चुपचाप जहाँ बैठी हो वहीं बैठी रहो। मैं थोड़ी देर में आता हूँ, फिर तुम्हें छोड़ दूँगा।"
वहीं एकांश, अपना काम खत्म कर रूही के पास आ रहा था। उसने रूही को अपनी नकल करते हुए देखकर मन ही मन कहा, "पागल है बिलकुल।" और मुस्कुरा दिया।
फिर अपनी मुस्कुराहट छुपाकर रूही के पास आया और उसे अपनी गोद में उठाकर ले गया।
रूही गिरने के डर से एकांश के गले के चारों तरफ़ अपने हाथ रख दिए ताकि वह न गिरे।
एकांश रूही को लेकर अपनी कार की तरफ़ गया। रूही को पैसेंजर सीट पर बिठाकर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
फिर रूही की तरफ़ मुड़कर बोला, "तुम्हारा घर का एड्रेस बताओ।"
रूही ने चुपचाप अपना घर का एड्रेस बता दिया। एकांश चुपचाप कार चलाने लगा। रूही कार से बाहर देख रही थी।
रूही को बोर होने लगा। उसने कार की FM ऑन कर दी।
सॉन्ग बजने लगा...
(पहली नज़र में
कैसे जादू कर दिया
तेरा बन बैठा है
मेरा जिया
जाने क्या होगा
क्या होगा क्या पता
इस पल को मिलके
आ जी ले ज़रा)
यह सॉन्ग सुनते ही रूही और एकांश की नज़रें मिलीं।
रूही जल्दी से अपनी नज़र एकांश से हटाकर बाहर की तरफ़ कर ली। एकांश अपनी ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित करने लगा, पर उसकी नज़र बार-बार रूही पर जा रही थी।
तभी बाहर की हवा से रूही के बाल उसके चेहरे पर आ गए। एकांश ने उसके बाल उसके चेहरे से हटा दिए। रूही एकांश की तरफ़ देखने लगी।
दोनों की आँखें एक-दूसरे में खो गईं। तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और एकांश की आँखें बंद हो गईं।
ये गाना सुनते ही रूही और एकांश की नज़रें एक-दूसरे से मिलीं।
रूही ने झट से अपनी नज़रें एकांश से हटाकर बाहर की ओर कर लीं। एकांश ने अपनी ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की, पर उसकी नज़र बार-बार रूही पर जा रही थी।
बाहर की हवा से रूही के बाल उसके चेहरे पर आ गए। एकांश ने उसके बालों को उसके चेहरे से हटाया। रूही एकांश की ओर देखने लगी।
दोनों की आँखें एक-दूसरे में खो गईं। तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और एकांश की आँखें बंद हो गईं।
तभी एक hump आया जिससे गाड़ी को जोरदार झटका लगा।
रूही एकांश के साइड गिर गई। रूही का हाथ एकांश के प्राइवेट पार्ट पर पड़ गया।
रूही की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और उसके गाल लाल हो गए। वो खुद को संभालने लगी, तभी उसकी चेन एकांश के टीशर्ट के बटन में उलझ गई। रूही फिर से एकांश के ऊपर गिर पड़ी।
इस बार रूही के होंठ एकांश के सीने से टच हो गए। एकांश ने अपनी आँखें बंद कर लीं।
"उसकी बॉडी गरम हो रही थी।" वो झट से अपनी आँखें खोलीं और रूही की चेन अपने शर्ट से निकाली। फिर जल्दी से रूही को अपने से अलग करके बिठा दिया।
फिर कार की स्पीड बढ़ाई गई। रूही को कार की स्पीड से डर तो लग रहा था, पर थोड़ी देर पहले हुए मूमेंट के बाद उसे एकांश को देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
थोड़ी देर बाद एकांश ने अपनी कार रूही के घर के आगे रोकी। रूही बिना कुछ बोले जल्दी से घर के अंदर चली गई।
एकांश की नज़रें, न चाहते हुए भी, रूही को देख रही थीं। उसे रूही का बिना कुछ बोले जाना अच्छा नहीं लगा। पर थोड़ी देर पहले के अजीबोगरीब मूमेंट को सोचकर वो आगे कुछ नहीं सोचा।
फिर वो अपने घर के लिए कार तेज़ गति से चलाया। वो 30 मिनट के रास्ते को 20 मिनट में कवर किया। फिर जल्दी से अपने कमरे में जाकर बाथरूम में घुस गया।
बिना कपड़े बदले ही वो शॉवर के नीचे भीगने लगा। वो आँखें बंद करके ठंडे पानी को महसूस कर रहा था, पर उसके सामने बार-बार रूही का चेहरा आ रहा था।
जिससे उसका प्राइवेट पार्ट हार्ड हो रहा था। एक घंटे ठंडे पानी से शॉवर लेने के बाद वो थोड़ा रिलैक्स फील किया।
फिर वो बाथरूम से बाहर आया और अपने कपड़े पहने। फिर बेड के पास से सिगरेट निकाली और बालकनी में चला गया।
वो वहाँ जाकर ढलते हुए सूरज को देखने लगा। थोड़ी ही देर में आसमान में अंधेरा छा गया और तारे चमकने लगे।
वो आसमान को देखकर कुछ सोच रहा था।
"मुझे कभी ऐसी कोई फीलिंग नहीं आई जैसी मुझे रूही के करीब आने से हो रही है। कई लड़कियाँ मेरे करीब आने की कोशिश करती थीं, पर उनके स्पर्श से मुझे हमेशा घिन आती थी।
पर रूही के स्पर्श से मुझे सुकून मिल रहा है। मेरा प्राइवेट पार्ट उसके स्पर्श से ही हार्ड हो जाता है। ये कैसी फीलिंग है पता नहीं। पर मैं अब तुम्हें खुद से दूर नहीं जाने दूँगा।
अब तुम सिर्फ़ मेरी हो। तुमने किसी दूसरे के बारे में सोचा तो तुम्हारे और उस लड़के के दोनों के लिए अच्छा नहीं होगा। तुम्हें तो मैं खुद पनिश करूँगा, पर वो लड़का इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह देगा।"
आखिरी बात बोलते हुए एकांश की आँखों में रूही के लिए जुनून और पागलपन दिख रहा था।
वो ऐसे ही थोड़ी देर बालकनी के सोफे पर बैठा रहा। फिर अंदर आकर अपने काम में लग गया।
जब रूही अपने घर के अंदर गई, तो देखा कि हॉल में कोई नहीं था। वो दौड़कर अपने कमरे में चली गई।
फिर दरवाज़ा बंद कर दरवाज़े से टिककर खड़ी हो गई। उसके गाल लाल हो गए थे। वो शीशे के सामने जाकर खड़ी हुई और खुद को देखा। उसके गाल लाल हो गए थे।
उसे उसके गाल जलने जैसे लग रहे थे। पर वो अपनी फीलिंग समझ नहीं पा रही थी क्योंकि रूही कभी किसी लड़के के पास नहीं गई थी।
एकांश ऐसा पहला लड़का था जो उसके इतने करीब आया था। वो खुद को संभालकर फ्रेश हुई। फिर अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी।
रीता जी, जो बाहर पड़ोसी के घर गई हुई थीं, आईं और रूही के कमरे में गईं। जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला, वो चौंक गईं।
फिर दरवाज़ा बंद कर, रूही दरवाज़े से टिक कर खड़ी हो गई और उसके गाल लाल हो गए थे। वह आईने के सामने जाकर खड़ी हुई और खुद को देखा; उसके गाल लाल हो गए थे।
उसे अपने गाल में जलन जैसा एहसास हो रहा था, पर वह अपनी भावना को समझ नहीं पा रही थी क्योंकि रूही कभी किसी लड़के के पास नहीं गई थी।
एकांश ऐसा पहला लड़का था जो उसके इतने करीब आया था। वह खुद को संभालकर फ्रेश हुई और फिर अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी।
रीता जी, जो पड़ोसी के घर गई हुई थीं, वापस आईं और रूही के कमरे में गईं। जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला, वे चौंक गईं।
रीता जी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, देखा कि रूही नीचे गिर रही है। उन्होंने जल्दी से जाकर रूही को पकड़ लिया।
दरअसल, रूही पढ़ते-पढ़ते अचानक सो गई थी, जिससे उसका सिर टेबल से टकराने वाला था कि रीता जी ने उसे पकड़ लिया।
इस अचानक हरकत से रूही की आँख खुल गई।
रूही को उठता देख रीता जी ने उसे डाँटते हुए कहा, "ये क्या कर रही हो? नींद आ रही है तो सो जाओ ना। अभी तुम्हारा सर लग जाता।"
"सॉरी मां, आगे से ध्यान रखूँगी," रूही ने रोने जैसा मुँह बनाकर कहा।
"ठीक है," रीता जी बोलीं, "अब तुम्हें पढ़ाई करनी है, थोड़ा आराम करोगी।"
"नहीं मां, मुझे पढ़ाई करनी है," रूही ने कहा।
"ठीक है, मैं तुम्हारे लिए कॉफी और स्नैक्स ले आती हूँ," रीता जी बोलीं।
"ठीक है मां," रूही ने कहा।
यह कहकर वह बाथरूम गई और अपना चेहरा धोकर बाहर आई।
फिर वह पढ़ाई करने बैठ गई। थोड़ी देर बाद रीता जी रूही के कमरे में आईं और उसे मन लगाकर पढ़ते देख मुस्कुरा दीं।
फिर रूही को आवाज़ देते हुए बोलीं, "रूही ये लो तुम्हारी स्नैक्स और कॉफी।"
रूही ने उनकी ओर मुड़कर उनके हाथ से स्नैक्स और कॉफी ले ली।
रीता जी ने रूही का सिर सहलाते हुए कहा, "अब हम जाते हैं, तुम पढ़ाई कर लो।"
रूही ने हाँ में सर हिला दिया। फिर रीता जी कमरे से बाहर चली गईं और रूही पढ़ाई करने लगी।
वह एकांश का टास्क भी पूरा कर चुकी थी। उसे पूरा करते-करते रात के 9 बज चुके थे। नीचे से रीता जी ने आवाज़ दी, "रूही आ जाओ, डिनर रेडी है।"
रूही ने अपना बैग पैक किया और उठकर नीचे आ गई।
वह नीचे आई तो देखा कि रीता जी और निहाल जी पहले से ही नीचे बैठे हुए थे। रूही उनके पास चली गई।
निहाल जी ने उसे देखकर पूछा, "बेटा, तुम्हारा कॉलेज कैसा रहा आज?"
रूही मुस्कुराते हुए बोली, "अच्छा पापा।"
निहाल जी बोले, "ठीक है बेटा, तुम अच्छे से पढ़ाई करना।"
उसके बाद तीनों ने डिनर किया और फिर अपने-अपने कमरे में चले गए।
रूही अपने कमरे में जाकर लाइट ऑफ कर दी। फिर सोने के लिए जैसे ही उसने अपनी आँखें बंद कीं, उसके आँखों के आगे एकांश और उसके साथ बिताए पल आ गए। जिससे रूही ने जल्दी से अपनी आँखें खोल दीं और अपना सिर हिलाकर सोने की कोशिश करने लगी।
अगले दिन रीता जी ने रूही को उठाया। पहले तो रूही ने थोड़ा नाटक किया, फिर उठ गई। फिर तैयार होकर ब्रेकफास्ट किया और कॉलेज के लिए निकल गई।
दूसरी तरफ, एकांश जिम से आया और नहाने चला गया। नहाकर बाहर आया और क्लोसेट रूम में ड्रेस पहनी। फिर आईने के सामने आकर अपने बाल सेट किए।
वह आईने में देखते हुए बोला, "रेडी हो जाओ रूही, अब से तुम पर सिर्फ मेरा हक होगा।" ये बोलते समय एकांश की आँखों में रूही के लिए प्यार, जुनून, पागलपन एक साथ नज़र आ रहे थे।
उसके बाद वह ब्रेकफास्ट करके कॉलेज के लिए निकल गया।
एकांश कॉलेज में पहुँचा और अपने केबिन में गया। कॉलेज में एकांश का खुद का एक केबिन था, जिसमें उसकी इजाज़त के बगैर किसी का आना allow नहीं था।
थोड़ी देर बाद एकांश क्लास में गया। सभी स्टूडेंट्स ने उसे गुड मॉर्निंग विश किया।
बदले में एकांश बोला, "गुड मॉर्निंग, शीट डाउन।"
सभी बैठ गए। ऐसे ही उसने क्लास शुरू की, लास्ट को टास्क दिया और फिर बोला, "कल का टास्क सभी ने कंप्लीट किया?"
सभी स्टूडेंट्स ने हाँ में सर हिलाया। एकांश बोला, "ठीक है। कोई एक सभी के नोट्स लेकर मेरे पीछे-पीछे आए।"
जैसे ही वह बाहर जाने के लिए मुड़ा, लड़कियाँ नोट्स लेकर उसके पीछे जाने के लिए लड़ाई करने लगीं।
एकांश बोला, "स्टॉप इट! ये क्या हो रहा है? सभी अपने-अपने जगह बैठ जाएँ। मैं एक रोल नंबर बोलूँगा, जिसका रोल नंबर होगा वो आएगा नोट्स लेकर।"
लड़कियों के चेहरे देखने लायक थे क्योंकि सभी एकांश के करीब जाना चाहती थीं, पर उनका यह सुनहरा मौका नहीं मिला।
एकांश बोला, "73 रोल नंबर जिसका है, वो सभी नोट्स कलेक्ट करके मेरे पीछे आए।"
फिर जाते हुए एक नज़र रूही को देखा।
सभी स्टूडेंट्स ने हाँ में सर हिलाया। एकांश बोला, "ठीक है। कोई एक सभी के नोट्स लेकर मेरे पीछे-पीछे आए।"
वह बाहर जाने के लिए मुड़ा ही था कि लड़कियाँ नोट्स लेकर उसके पीछे जाने के लिए लड़ने लगीं।
एकांश बोला, "स्टॉप इट! ये क्या हो रहा है? सभी अपने-अपने जगह बैठ जाएँ। मैं एक रोल नंबर बोलूँगा। जिसका रोल नंबर होगा, वही आएगा नोट्स लेकर।"
लड़कियों के चेहरे देखने लायक थे। क्योंकि सभी एकांश के करीब जाना चाहती थीं, पर उन्हें यह सुनहरा मौका नहीं मिला।
एकांश बोला, "73 रोल नंबर जिसका है, वो सभी नोट्स कलेक्ट करके मेरे पीछे आए।"
जाते हुए उसने एक नज़र रूही को देखा।
रूही ने अपना रोल नंबर सुनते ही चौंक गई। फिर उसने सभी के नोट्स कलेक्ट करके एकांश के पीछे-पीछे जाना शुरू कर दिया।
एकांश कुछ समय पहले की बात सोच रहा था।
फ्लैशबैक
एकांश जब तैयार हो रहा था, उसके दिमाग में रूही की ही बात चल रही थी। कैसे उसे अपने करीब ले, यही सब सोच रहा था। तभी उसे एक आइडिया आया।
वह जल्दी से अपने फोन से किसी को कॉल करता है और बोलता है, "तुम्हें एक लड़की का नाम बता रहा हूँ, उसका रोल नंबर पता करके बताओ और उसकी सारी इनफॉर्मेशन मुझे आज शाम से पहले चाहिए।"
दूसरी तरफ से कुछ कहा गया। एकांश ने अपना फोन काट दिया।
थोड़ी देर बाद उसे फोन आया। एकांश ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आई, "सर, जिसका नाम आपने बताया था, उनका रोल नंबर 73 है।"
एकांश बोला, "गुड। शाम तक मुझे इनफॉर्मेशन चाहिए। नहीं तो क्या होगा, तुम अच्छे से जानते हो।"
इतना बोलकर, दूसरे तरफ की बात सुने बिना ही, उसने फोन काट दिया।
फ्लैशबैक खत्म
थोड़ी देर में एकांश और रूही दोनों एकांश के केबिन में पहुँचे। दोनों अंदर गए। एकांश जाकर अपनी चेयर पर बैठ गया। उसके पीछे-पीछे रूही भी एकांश के केबिन में आई और अपना सर नीचे करके खड़ी हो गई।
एकांश उसे एकटक देखने लगा। स्काई ब्लू कलर की कुर्ती और व्हाइट जींस में रूही कमाल की लग रही थी। साथ में बालों की चोटी बनाई हुई थी, जिससे उसकी गर्दन साफ दिख रही थी। बालों से दो लट आकर रूही के गालों को चूम रहे थे।
एकांश को यह सब देखकर रूही के लटों से ही जलन हो रही थी। वह सोच रहा था कैसे वह उसकी रूही को चूम सकती है।
जब रूही से एकांश से कुछ आवाज नहीं आई, तो उसने धीरे से अपना सर उठाकर एकांश को देखा। उसे खुद को देखते देखकर उसके गाल लाल हो गए। उसे अपना गाल गरम होता हुआ महसूस हो रहा था।
रूही ने अपनी नज़रें नीचे कर लीं और हकलाते हुए बोली, "सर, ये नोट्स कहाँ रखूँ?"
एकांश को उसकी बातों से होश आया। उसकी नज़र रूही के हिलते हुए गुलाबी होठों पर गई। उसे होठों को चूमने का मन कर रहा था, पर वह खुद को कंट्रोल करके रखता है।
फिर उसने रूही से कहा, "यहाँ टेबल पर रखो।"
उसकी बात सुनकर रूही ने नोट्स टेबल पर रख दिए। वह जैसे ही जाने लगी, उसे एकांश की आवाज सुनाई दी।
"मैंने तुम्हें जाने के लिए नहीं कहा।"
रूही पीछे मुड़ी और हकलाते हुए बोली, "वो...वो हमारी...हमारी क्लास का टाइम हो रहा है।"
एकांश ने उसे एक नज़र देखा और बोला, "ठीक है, तुम जा सकती हो। सुनो, लंच ब्रेक में नोट्स लेने के लिए आ जाना।"
रूही बोली, "क्या मैं किसी और को भेज सकती हूँ?"
एकांश घूर कर देखने लगा। फिर अपनी आईब्रो उठाते हुए पूछा, "क्यों? तुम्हें आने में कोई परेशानी है क्या?"
रूही उसे ऐसे घूर कर देखने से डर गई और नकली हँसी के साथ बोली, "नहीं नहीं सर, मुझे कोई परेशानी नहीं है। मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी।"
एकांश बोला, "ठीक है, पूछ लिया और तुम्हें तुम्हारा जवाब मिल गया होगा।"
रूही बोली, "जी सर, मैं समझ गई। मैं लंच ब्रेक में आ जाऊँगी नोट्स लेने के लिए।"
एकांश ने कहा, "गुड। अब तुम जा सकती हो।"
रूही बिना एक पल गँवाए वहाँ से भाग गई, जैसे शेर के चंगुल से बची हो। फिर अपने क्लास रूम के पास जाकर अपने आप को रिलैक्स किया और क्लास रूम के अंदर गई।
थोड़ी देर में उसके प्रोफेसर आ गए। रूही ने सभी ख्यालों को झटक कर पढ़ाई में ध्यान लगाया।
ऐसे ही लंच ब्रेक हुआ। रूही ने प्रीता से कहा, "प्रीता, मैं सर से नोट्स लेकर आती हूँ। तुम जाकर लंच करो। मैं आती हूँ थोड़ी देर में।"
प्रीता बोली, "मैं तेरे लिए खाना मँगवा दूँ?"
रूही बोली, "ठीक है, तू मँगवा ले। मैं चलती हूँ।"
बोलकर वह जल्दी से एकांश के केबिन की तरफ बढ़ चली।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही चौंक गई।
आज के लिए इतना ही... तो आप सब को क्या लगता है एकांश किसको कॉल किया था? ऐसा क्या हुआ जिससे रूही चौंक गई? जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ...
रूही ने कहा, "जी सर, मैं समझ गई। मैं लंच ब्रेक में आ जाऊँगी नोट्स लेने के लिए।"
एकांश ने कहा, "गुड। अब तुम जा सकती हो।"
रूही बिना एक पल गँवाए वहाँ से भाग गई, जैसे शेर के चंगुल से बची हो। फिर अपने क्लास रूम के पास जाकर उसने अपने आप को रिलैक्स किया और क्लास रूम में गई।
थोड़ी देर में उसके प्रोफेसर आ गए। रूही ने सभी ख्यालों को झटक कर पढ़ाई में ध्यान लगाया।
ऐसे ही लंच ब्रेक हुआ। रूही ने प्रीता से कहा, "प्रीता, मैं सर से नोट्स ले कर आती हूँ। तुम जाकर लंच करो। मैं आती हूँ थोड़ी देर में।"
"मैं तेरे लिए खाना मँगवा दूँ?" प्रीता ने कहा।
"ठीक है, तू मँगवा ले। मैं चलती हूँ," रूही ने कहा।
यह बोल कर वह जल्दी से एकांश के केबिन की तरफ़ बढ़ चली।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही चौंक गई।
रूही एकांश के केबिन की तरफ़ ही आ रही थी कि रास्ते में उसे अपने बचपन की एक दोस्त मिली। जिसके साथ वह बचपन में अपने नाना-नानी के घर जयपुर जाने पर खेला करती थी। पर कुछ साल पहले उसके नाना-नानी की मौत के बाद वह जयपुर नहीं गई थी। आखिरी बार वह राकेश से 3 साल पहले मिली थी। इसलिए दोनों ने एक-दूसरे को पहचान लिया।
राकेश रूही के ही कॉलेज में MCA कर रहा था। दोनों की बिल्डिंग अलग थी। इसलिए दोनों कभी मिले नहीं थे। पर आज राकेश को यहाँ अपने हॉस्टल मेट को एक नोट देना था जो वह भूल गया था, उसे देने आया था। वह जा रहा था कि उसकी मुलाक़ात रूही से हो गई।
वहीं एकांश ने देखा कि लंच टाइम के करीब 5 मिनट से ज़्यादा हो गए थे, पर रूही नहीं आई थी। तो वह रूही को देखने चला आया। पर उसे रास्ते में रूही किसी लड़की से बात करते हुए मिली।
वह दूर से उन दोनों को देख रहा था। इस बात से अनजान रूही राकेश के साथ बात करने में बिजी थी। उसके बाद राकेश रूही के गले लगा और उसके माथे पर किस करके उसे बाय कहकर अपनी बिल्डिंग की तरफ़ चल दिया।
वहीं एकांश ने राकेश को रूही को किस करते हुए देखा तो उसकी मुट्ठी बन गई। वह गुस्से से अपने केबिन में चला गया।
वहीं राकेश के जाने के बाद रूही भी एकांश के केबिन की तरफ़ चली। वह जैसे ही एकांश के केबिन के पास पहुँची, कोई उसे अंदर खींच ले गया। जिससे रूही घबरा गई।
वह डर से अपनी आँखें बंद कर ली। पर जब उसे कोई हलचल महसूस नहीं हुई तो उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। तो सामने एकांश को देखकर वह चौंक गई और उससे थोड़ा अलग होने की कोशिश करने लगी।
पर एकांश, जो कुछ देर पहले रूही को किसी और के गले लगा देख गुस्से में था, उसने अचानक उसके बाजुओं को पकड़कर गेट पर ही लगा दिया और रूही के बिलकुल करीब आ गया।
अभी उन दोनों के बीच हवा के गुज़रने की भी जगह नहीं थी। एकांश का सीना रूही के चेस्ट को टच कर रहा था, जिससे रूही की साँसें बढ़ रही थीं। ऊपर से एकांश की करीबी उसके धड़कनों को स्पीड दे रही थी।
वह एकांश को दूर करने की कोशिश करने लगी। पर कहाँ हमारा हीरो एकांश और कहाँ हमारी फूल सी रूही। जब रूही एकांश को अपने से दूर करने में असफल रही तो वह हर मानकर चुपचाप खड़ी हो गई।
रूही को शांत देख एकांश ने अपना चेहरा रूही के चेहरे के बहुत पास ले आया और रूही से कहा, "तुम्हें इतना लेट क्यों हुआ आने में?"
रूही की आँखें, जो एकांश के साँसों को अपने ऊपर महसूस कर बंद हो गई थीं, उसने अपनी आँखें खोलीं और एकांश की आँखों में देखा।
तो दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में खो गए। थोड़ी देर बाद जब रूही को होश आया कि वह क्या कर रही है, तो उसने तुरंत अपनी नज़रें नीचे कर लीं। उसके गाल टमाटर की तरह लाल हो गए थे।
जिसे देख एकांश का उसे खा जाने का मन हो रहा था। एकांश एकटक रूही के फेस को देख रहा था। तभी उसकी नज़र रूही के होंठों पर पड़ी जो उसके करीबी से घबराहट के कारण थोड़े-थोड़े काँप रहे थे। फिर धीरे-धीरे उसकी नज़र होंठों के नीचे के तिल पर पड़ी। तो एकांश और बहकने लगा। उसे रूही के होंठों और उस तिल को अपने होंठों से छूने का मन कर रहा था।
तभी रूही ने अपनी नज़रें नीचे करके ही हकलाते हुए कहा, "वो रास्ते में मुझे अपना एक दोस्त मिल गया था। इसलिए उसके साथ बात कर रही थी।"
तो एकांश का ध्यान रूही की बातों से टूट गया। रूही की बातों से उसे अभी कुछ देर पहले की राकेश की हरकत याद आ गई।
जिसे याद करते ही उसे गुस्सा आ गया। वह गुस्से में कुछ ऐसा करता है जिससे रूही चौंक जाती है।
आज के लिए इतना ही। तो आप सबको क्या लगता है एकांश ऐसा क्या करता है जिससे रूही चौंक जाती है? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरी कहानी के साथ।
एकांश रूही के चेहरे को एकटक देख रहा था। उसे रूही को खा जाने का मन हो रहा था। तभी उसकी नज़र रूही के होठों पर पड़ी जो घबराहट के कारण थोड़े-थोड़े कांप रहे थे। फिर धीरे-धीरे उसकी नज़र होठों के नीचे के तिल पर पड़ी। एकांश और बहकने लगा। उसे रूही के होठों और उस तिल को अपने होठों से छूने का मन हो रहा था।
तभी रूही ने अपनी नज़रें नीचे करके हकलाते हुए कहा, "वो रास्ते में मुझे अपना एक दोस्त मिल गया था। इसलिए उसके साथ बात कर रही थी।"
एकांश का ध्यान रूही की बातों से टूट गया। रूही की बातों से उसे कुछ देर पहले राकेश की हरकत याद आ गई।
जिसे याद करते ही उसे गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में कुछ ऐसा किया जिससे रूही चौंक गई।
कुछ देर पहले राकेश का रूही को किस करने की बात एकांश को याद आ गई। इससे वह गुस्से से भर गया।
वह गुस्से में रूही की तरफ देखते हुए बोला, "वो तुम्हारे इतने करीब है कि वो तुम्हें किस कर सकता है?"
रूही चौंक कर एकांश को देखने लगी। वह एकांश की आँखों में देखकर डर गई। उसने अपना सिर नीचे करके हकलाते हुए कहा, "हाँ है...करीब...पर...आपको ये बात कैसे पता?"
रूही की बात का इतना ही सुनना था, एकांश ने गुस्से में उसे किस करना शुरू कर दिया। वह बहुत रूड तरीके से किस करने लगा। यह दोनों की पहली किस थी। क्योंकि पहले जो किस हुई थी वो एक्सीडेंटली हुई थी। उसमें सिर्फ दोनों के होठ टच हुए थे।
रूही एकांश के अचानक किस करने से चौंक गई। रूही को किस करते हुए धीरे-धीरे एकांश का गुस्सा शांत हो रहा था। वहीं रूही एकांश को दूर करने की कोशिश नहीं कर रही थी। वह चुपचाप खड़ी होकर एकांश के किस को महसूस कर रही थी।
पता नहीं क्यों, पर रूही को एकांश का स्पर्श बुरा नहीं लग रहा था। उसे एकांश के इस किस में गुस्सा और जलन महसूस हो रही थी।
15 मिनट बाद जब रूही को सांस लेने में दिक्कत हुई, तो एकांश ने उसे छोड़ा और उसके माथे से अपना माथा जोड़ दिया।
दोनों अपने साँसों को कंट्रोल करने लगे। थोड़ी देर बाद जब दोनों की साँस कंट्रोल में आई,
तो एकांश ने कहा, "वो तुम्हारे इतने करीब कैसे है? क्या वो तुम्हारा बॉयफ्रेंड है?"
रूही ने कहा, "नहीं, वो मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है। वो मेरा दूर का भाई है।"
एकांश जैसे ही सुनता है कि राकेश रूही का भाई है, तो वह खुश हो जाता है।
फिर उसने रूही से पूछा, "तो तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?"
रूही ने ना में अपना सिर हिला दिया।
तो एकांश ने उसके चेहरे को ऊपर करके कहा, "अब से तुम किसी और लड़के के करीब मत जाना। अगर गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
रूही बोली, "पर मैं क्यों नहीं जाऊंगी किसी लड़के के करीब?"
एकांश ने अपने होठ रूही के कान के पास ले जाकर फुसफुसा कर कहा, "अभी थोड़ी देर पहले की हरकत से तुम्हें पता नहीं चला मैं ये क्यों कर रहा हूँ?"
और उसके इयरलोब को काट लिया।
एकांश के अचानक काटने से रूही की चीख निकल गई।
रूही एकांश की बात समझ रही थी कि वह उसे किसी और के करीब जाने से क्यों मना कर रहा था। वह इतनी छोटी नहीं थी कि एकांश की बातें समझ न पाए।
फिर भी रूही को एकांश के मुंह से सुनना था कि वह उसे क्यों मना कर रहा है।
इसलिए उसने एकांश से पूछा, "नहीं, मैं समझ नहीं पा रही हूँ।"
ये सुनते ही एकांश भी समझ गया कि रूही जानबूझकर उसे पूछ रही है। पर वह इतनी जल्दी रूही को अपना लव कन्फेस नहीं कर सकता था। इसलिए उसने कहा, "ठीक है, वो तुम्हें वक्त आने पर पता चल जाएगा। पर तुम किसी और लड़के के करीब मुझे दिखाई दी तो तुम्हारे लिए तो ये ठीक नहीं होगा। साथ में उस लड़के के लिए भी अच्छा नहीं होगा। इसलिए ध्यान रखना।"
फिर उसने रूही के माथे को अपने होठों से किस किया और उसके सामने से हट गया।
उससे दूर होकर एकांश ने रूही से कहा, "नोट्स टेबल पर रखे हैं, ले जाओ।"
रूही जल्दी से एकांश के केबिन से भाग गई। उसके बाद क्लास में जाकर नोट्स रखे और जल्दी-जल्दी कैंटीन में गई।
कैंटीन में प्रीता बोली, "रूही, तुम्हें इतना वक्त क्यों लग गया?"
रूही बोली, "कुछ नहीं, वो राकेश मिल गया था, उसी के साथ बात कर रही थी।"
प्रीता बोली, "ठीक है। जल्दी खा, लंच ब्रेक का टाइम खत्म होने वाला है।"
रूही ने अपनी प्लेट में देखा, चौमीन रखी हुई थी। तो वह जल्दी-जल्दी खाने लगी। इसी बीच ब्रेक टाइम खत्म हो गया।
रूही ने प्रीता से कहा, "प्रीता, तुम क्लास में जाओ, मैं आ रही हूँ।"
प्रीता भी रूही की बात मानते हुए क्लास में चली गई।
रूही जितनी जल्दी हो सके चौमीन खत्म करके जल्दी से क्लास रूम की तरफ दौड़ी।
पर जैसे ही रूही अपने क्लास में जाने लगी, उसके कदम क्लास में जाते-जाते रुक गए।
रूही जल्दी से एकांश के केबिन से भागी। उसके बाद क्लास में जाकर नोट्स रखे और जल्दी-जल्दी कैंटीन गई।
कैंटीन में प्रीता बोली, "रूही, तुम्हें इतना वक्त क्यों लग गया?"
"कुछ नहीं, वो राकेश मिल गया था, उसी के साथ बात कर रही थी," रूही ने कहा।
"ठीक है। जल्दी खा, लंच ब्रेक का टाइम खत्म होने वाला है," प्रीता ने कहा।
रूही ने अपनी प्लेट में रखे चौमीन को देखा और जल्दी-जल्दी खाने लगी। इसी बीच ब्रेक टाइम खत्म हो गया।
"प्रीता, तुम क्लास में जाओ, मैं आ रही हूँ," रूही ने कहा।
प्रीता रूही की बात मानते हुए क्लास में चली गई।
रूही ने जितनी जल्दी हो सका चौमीन खत्म किया और जल्दी से क्लास रूम की तरफ़ दौड़ी। पर जैसे ही रूही अपने क्लास में पहुँची, उसके कदम रुक गए।
रूही जैसे ही कैंटीन से क्लास के आगे आई, एकांश को अपने क्लास में देखकर कुछ देर पहले की बात उसे याद आई। जिससे उसे एकांश के सामने जाने में अनकम्फ़र्टेबल फील हो रहा था।
एकांश क्लास में पढ़ाना शुरू कर चुका था। एक्चुअली अब एकांश का क्लास नहीं था, पर एक प्रोफ़ेसर absent हो गए थे। इसलिए उनकी क्लास अब एकांश ले रहा था।
रूही ये सब सोच ही रही थी कि एकांश की नज़र पढ़ाते हुए रूही पर गई। उसे ऐसे खड़ा होकर सोचता हुआ देखकर उसे समझ आ गया कि रूही उसके सामने आने में अनकम्फ़र्टेबल फील कर रही है।
इसलिए वो रूही को आवाज़ देते हुए बोला, "मिस रूही, आप अंदर आ सकती हैं।"
एकांश की आवाज़ सुनकर रूही अपने ख्यालों से बाहर आई और एक नज़र एकांश को देखकर अपनी नज़रें नीचे कर लीं। फिर क्लास के अंदर आई और अपनी सीट की तरफ़ गई।
"इतना लेट क्यों हुआ आप को?" एकांश ने उसे रोकते हुए पूछा।
रूही मन ही मन बोली, "आपकी ही वजह से सर! मुझे खुद के पास रोक कर अब पूछ रहे हैं लेट क्यों हुई?"
ये सब सोचते हुए वो क्यूट-क्यूट से फेस बना रही थी। जिसे देख एकांश खुद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाया। वो समझ रहा था रूही मन ही मन उसे क्या बोल रही है।
पर वो खुद की मुस्कुराहट को छुपाकर रूही से बोला, "मिस रूही, आपने बताया नहीं।"
रूही अपने ख्यालों से बाहर आते हुए एकांश से बोली, "सर, वो खाने में लेट हो गया। सॉरी।"
इतना बोलकर वो अपना चेहरा नीचे कर ली। "ठीक है, आगे से ध्यान रखना," एकांश ने कहा।
"जी सर," रूही ने अपना सर नीचे किए हुए कहा।
"जाओ अपनी सीट में बैठ जाओ," एकांश ने कहा।
रूही अपनी सीट में बैठ गई। फिर एकांश पढ़ाने लगा। रूही भी क्लास में ध्यान देने लगी। ऐसे ही एकांश का क्लास खत्म हुआ।
ऐसे ही और दो क्लास के बाद रूही की क्लासेज़ खत्म हुईं।
रूही और प्रीता पहले लाइब्रेरी गईं। उसके बाद रूही प्रीता के साथ घर के लिए निकल रही थी कि प्रीता को उसके घर से कॉल आया।
प्रीता ने कॉल उठाया। उसकी मम्मी उसे जल्दी घर बुला रही थी। वो रूही से बोली, "रूही, मैं तुम्हें आज घर नहीं छोड़ सकती हूँ। मम्मी का कॉल आया था, उन्हें कुछ ज़रूरी काम है। इसलिए मुझे जल्दी बुला रही हैं। तू अंकल को बुला ले।"
"हाँ, ठीक है। मैं चली जाऊँगी। तू जा, आंटी क्यों तुझे जल्दी बुला रहे हैं देख," रूही ने कहा।
प्रीता वहाँ से चली गई। अब तक कॉलेज के ज़्यादातर बच्चे घर जा चुके थे। रूही पार्किंग पर प्रीता के साथ आई थी, पर अब वो अकेली पार्किंग से बाहर जा ही रही थी कि कोई उसे खींचकर एक कार के अंदर बिठा देता है।
रूही चौंक कर देखती है। एकांश को देख वो रिलैक्स होती है। वो बोली, "सर, आपने तो डरा ही दिया। ऐसे कौन लाता है?"
"मैं लाता हूँ," एकांश ने कहा।
"ठीक है सर, मैं घर के लिए निकल रही थी। अब मैं जाऊँ," रूही ने कहा।
और जैसे ही वो कार से बाहर निकलने वाली थी कि एकांश उसकी कलाई पकड़ लेता है।
"मैं तुम्हें छोड़ दूँगा घर," वो बोला।
"नहीं सर, मैं खुद चली जाऊँगी," रूही ने कहा।
जब रूही एकांश की बातें नहीं सुनती है, तो एकांश को थोड़ा-थोड़ा गुस्सा आ रहा था। वो थोड़े गुस्से से बोला, "रूही, मैंने जब एक बार कहा तो तुम्हें समझ नहीं आ रहा क्या?"
रूही डर से कुछ नहीं बोली।
एकांश जब देखता है कि रूही उससे डर गई है, तो वो कुछ ऐसा करता है जिससे रूही हैरान रह जाती है।
रूही चौंक कर देखती है। एकांश को देख वो रिलैक्स होती है।
"सर आप ने तो डरा ही दिया। ऐसे कौन लाता है?"
"मैं लाता हूँ।"
"ठीक है सर, मैं घर के लिए निकल रही थी। अब मैं जाऊँ।"
कार से बाहर निकलने ही वाली थी कि एकांश उसके कलाई को पकड़ लेता है।
"मैं तुम्हें छोड़ दूँगा घर।"
"नहीं सर, मैं खुद चली जाऊँगी।"
रूही एकांश की बातें नहीं सुनती है। एकांश को थोड़ा-थोड़ा गुस्सा आ रहा था।
"रूही, मैंने जब एक बार कहा तो तुम्हें समझ नहीं आ रहा क्या?"
रूही डर से कुछ नहीं बोलती है। एकांश देखता है कि रूही उससे डर गई है। क्योंकि उसे घर में सभी प्रिंसेस की तरह परखते थे। कभी कोई उसे डांटता नहीं था और ये बात अब तक एकांश को नहीं पता थी। उसे पहले रूही का ऐसे थोड़ा गुस्से से कुछ बोलने से डर जाना समझ नहीं आता। पर उसे ऐसे खुद से डरता अच्छा नहीं लगता। इसलिए वो रूही के चेहरे को एक हाथ से पकड़ता है और रूही के चेहरे को ऊपर उठाते हुए दूसरे हाथ से अपने कान पकड़ कर सॉरी बोलता है।
ये देख रूही हैरान हो जाती है। उसने कभी सोचा नहीं था कि एकांश उसे ऐसे कान पकड़ कर सॉरी बोलेगा। हैरानी से उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं।
"ऐसे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से देखने की ज़रूरत नहीं है।"
फिर रूही के करीब जाकर पहले रूही का सीटबेल्ट लगाता है। फिर रूही के माथे पर किस कर देता है। जिसका एहसास पाते ही रूही अपनी आँखें बंद कर देती हैं। एकांश रूही के माथे पर किस करके जैसे ही रूही का चेहरा देखता है, तो उसके बंद आँखें देख उसके होठ उन बंद आँखों को चूम लेते हैं। उसके बाद वो रूही को एकटक देखने लगता है। रूही को उसके होठों पर एकांश के साँसें महसूस हो रहे थे। वहीँ एकांश के साँसों को महसूस कर रूही अपनी पकड़ अपने ड्रेस पर कस रही थी। एकांश रूही के घबराए हुए चेहरे को देखकर उससे अलग होता है। फिर एक नज़र रूही को देखकर एकांश गाड़ी स्टार्ट कर देता है। गाड़ी स्टार्ट कर वो रूही से पूछता है,
"तुम्हारा घर का एड्रेस बताओ।"
रूही अचानक एकांश की आवाज़ सुन अपनी आँखें खोल कर देखती है। एकांश को कार चलाता देख शांत सा उसे देखती है।
"तुम बोल रही हो अपना एड्रेस या मैं तुम्हें अपने घर में ही ले चलूँ?"
रूही हड़बड़ा कर जल्दी से अपना एड्रेस बोलती है। एकांश कार रूही के घर की तरफ मोड़ देता है। आधे घंटे बाद रूही के घर के कुछ दूरी पर अपना कार रोकता है। फिर रूही को देखकर बोलता है,
"जाओ, तुम्हारा घर आ गया है।"
रूही जैसे ही कार से उतर कर जाने वाली थी, एकांश उसका हाथ पकड़ लेता है और बोलता है,
"कल से हर दिन मैं ही तुम्हें घर से कॉलेज और कॉलेज से घर ड्रॉप करूँगा।"
"नहीं नहीं, ऐसे मैं घर में क्या बोलूँगी।"
"मुझे नहीं पता, वो तुम समझो।"
"सर प्लीज समझिए, मैं ऐसे कैसे आऊँगी आपके साथ? मैं हमेशा ही स्कूटी से जाती हूँ कॉलेज। आज स्कूटी पंचर हो गई थी, इसलिए नहीं ले पाई।"
एकांश कुछ देर कुछ सोचता है।
"ठीक है, तुम्हारी प्रॉब्लम का मेरे पास एक सॉल्यूशन है।"
"क्या है सर?"
एकांश रूही को अपने तरफ खींच लेता है और बोलता है,
"तुम्हें हर दिन मेरे साथ एक घंटा बिताना है। नहीं तो मेरे साथ ही कॉलेज जाओगी। अगर इन दोनों में से कोई भी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हें तुम्हारे घर से ही पिकअप कर लूँगा।"
"नहीं नहीं सर, इसकी नौबत ही नहीं आएगी। मैं आपके साथ एक घंटे बिताऊँगी।"
"ठीक है। अपना फ़ोन दो।"
"क्यों?"
"मैंने बोला ना दो अपना फ़ोन।"
रूही अपना फ़ोन अनलॉक करके दे देती है। एकांश उसका फ़ोन ले कर अपना नंबर रूही के फ़ोन में सेव करता है। फिर उसके फ़ोन से ही अपने फ़ोन पर कॉल करता है। रूही का नंबर अपने फ़ोन में आ जाता है। फिर रूही को किस करके छोड़ देता है।
रूही जल्दी से कार से निकल कर घर के अंदर भाग जाती है जैसे उसके पीछे कोई शेर पड़ा हो। एकांश उसे ऐसे भागता देख मुस्कुरा देता है और बोलता है,
"जितना भागना है भाग लो जान, पर आना तो तुम्हें मेरे ही पास है।"
फिर अपना कार लेकर सिंघानिया विला की तरफ चल देता है। वहीँ रूही जो अपने कमरे की तरफ दौड़ कर जा रही थी, अचानक उसके कदम रुक गए।
अब तक,
तो रूही पूछती है ," क्यू ?"
तो एकांश बोलता है ," मेने बोला ना दो अपना फोन । "
तो रूही अपना फोन अनलॉक कर दे देती है । तो एकांश उसका फोन ले कर अपना नंबर रूही के फोन में सेव करता है । फिर उसके फोन से ही अपने फोन पर कॉल करता है ।
तो रूही का नंबर अपने फोन में आ जाता है । फिर रूही को किस कर छोड़ देता है ।
तो रूही जल्दी से कार से निकल कर घर के अंदर भाग जाति है जैसे उसके पीछे कोई शेर पड़ा हो ।
वही एकांश उसे ऐसे भागता देख मुस्कुरा देता है और बोलता है ," जितना भागना है भाग लो जान । पर आना तो तुम्हे मेरे ही पास है । "
फिर अपना कार ले कर सिंघानिया विला के तरफ चल देता है ।
वही रूही जो अपने कमरे के तरफ दौड़ कर जा रही थी अचानक उसके कदम रुक गए ।
अब आगे,
वही रूही के घर में हॉल में रीता जी बैठे थे । वो ऐसे रूही को भाग कर आता देख बोलती है ," अरे रूही बेटा ऐसे क्यू भागे आ रही हो ?"
तो रूही रीता जी की आवाज सुन कर रुक जाति है और रीता जी को देख कर बोलती है ," वो मम्मी मुझे जोरो की भूख लगी है । इस लिए जल्दी से मुंह हाथ धो कर खाने के लिए अपने रूम में भाग कर जा रही थी । "
तो रीता जी बोलती है ," ठीक है बेटा तुम जाओ मुंह हाथ धो लो । में तुम्हारे लिए खाने के लिए कुछ लाती हूं । "
तो रूही हां बोल कर अपने रूम में चली जाति है । वो अपने रूम का दरवाजा बंद कर गेट से लग कर खड़ी हो कर जोर जोर से सांसे ले रही थी । कुछ समय बाद खुद को संभाल कर वो फ्रेश होने बाथरूम में जाती है ।
वो जैसे ही मुंह धोने जा रही थी । उसकी नजर अपने होठों पर पड़ी । जिसे देख उसे एकांश की किस की याद आ जाति है । जिससे रूही के गाल लाल हो जाते है । उसे अपने मुंह जलता हुआ महसूस हो रहे थे । उसके हाथ अपने आप ही अपने होठों को सहलाने लगते है ।
वो मिरर में देख कर खुद को बोलती है ," पता नही क्यू पर एकांश सर के करीब आने से मुझे कुछ बुरा नही लगता । उनका छूना गलत नही लगता है । बल्कि उनके छूने से मेरे पेट में बटरफ्लाई उड़ने जैसा फील होता है । ये क्या हो रहा है पता नही । "
फिर अपने दिल पर हाथ रख कर बोलती है ," उनके करीब आते ही धड़कन का ऐसे सो स्पीड में भागना । कभी कभी तो ऐसा लगता है मेरा दिल ही बाहर आ जायेगा । "
फिर एक बार अपने आखें बंद कर एकांश को याद कर बोलती है ," मुझे पता है में आप को पसंद करती हूं । पर ये मेरा अट्रैक्शन है या प्यार ये तो मुझे भी नही पता । "
फिर रूही एकांश के आखों के बारे में सोचते हुए बोलती है ," आज मुझे आप के आखों में मेरे लिए एक अलग ही फीलिंग देखा था । पर वो आपका मेरे प्रति अट्रैक्शन हुआ तो । नही पहले मुझे कन्फर्म करना होगा आप का मेरे प्रति प्यार है या अट्रैक्शन । उसके बाद ही में अपनी फीलिंग को आगे बढ़ाऊंगी । नही तो बाद में मुझे ही तकलीफ होगी और में पहली बार ही प्यार में ब्रेक अप नही चाहती । "
फिर अपना चेहरा पानी से धो देती है और फ्रेश हो कर बाथरूम से निकलती है ।
तभी उसके डोर में कोई नॉक करता है । तो वो दरवाजा खोलती है । तो रीता जी एक प्लेट ने स्नैक्स ले कर खड़ी थी । तो रूही डोर से साइड होते हुए बोलती है ," आइए मम्मी । "
तो रीता जी अंदर आती है और प्लेट बेड पर रखते हुए बोलती है ," ये ले तेरे फेवरेट समोसे बना दिए । खा ले जल्दी नही तो ठंडी हो जायेगी । "
तो रूही बोलती है ," मम्मा इतनी जल्दी बना दिया आप ने । मुझे बुला लिया होता । में हेल्प कर देती । "
तो रीता जी बोलती है ," तू थक कर कॉलेज से आती है । तुझे फिर से परेशान करने का दिल नहीं करता । "
तो रूही उनके गले लग बोलती है ," मेरी प्यारी मम्मा मेरी कितनी फिकर करती है । "
तो रीता जी उसके सर पर चपत लगाते हुए बोलती है ," चुप चाप खाना खा । मक्खन लगाने की जरूरत नही है । "
तो रूही वैसे ही गले लग बोलती है ," में क्यू मक्खन लगाऊंगी मम्मा ।"
तो रीता जी बोलती है ," अच्छा बाबा ठीक है । तू खा फिर तुझे पढ़ाई भी करनी है न । "
तो रूही हां में सर हिला देती है ।
वहीं दूसरी तरफ,
एकांश घर पहुंचता है और फ्रेश होने लगता है । फिर अपना काम कर रहा था । तभी उसके पास एक ईमेल आता है । तो वो ईमेल देखता है तो उसमें रूही की इनफॉर्मेशन थी ।
वो वो ईमेल खोलता है और पढ़ने लगता है ,
" पूरा नाम - रूही शर्मा
पापा का नाम - निहाल शर्मा ( ये एक बैंक मैनेजर है । )
मां का नाम - रीता शर्मा ( ये एक हाउसवाइफ है । )
रूही का एक भाई भी है । जिसका नाम रोहन शर्मा ।
उसके बाद रूही की कई सारे पिक्चर थे । रूही को उसके मां पापा बहत प्यार से बड़े किए थे । उसे गलती करने पर कभी कोई डांटता नही था बल्कि उसे प्यार से समझाते है । ऐसे ही रूही के पसंद नापसंद के बारे में लिखा था । "
तभी उसे किसी की आवाज आता है । जिससे वो हड़बड़ा जाता है ।
आज के लिए इतना ही.......
तो आप सब को क्या लगता है किसकी आवाज आती है जिससे एकांश हड़बड़ा जाति है ? जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ और मेरे कहानी के साथ.......
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THE LOVE BOND: PYAR KA BANDHAN
रिश्ते जब मजबूरी में बनते हैं, तो क्या उनमें कभी मोहब्बत पनप सकती है?”
प्रियल, एक अनाथ लड़की, जिसने अपना बचपन एक आश्रम में गुजारा। सपनों को पूरा करने की चाह में वह आती है मुंबई — जहां उसे मिलता है सिर्फ तन्हाई और संघर्ष।
वहीं उसकी मुलाकात होती है श्रेयस अग्निहोत्री से — एक बेरहम और भावहीन बिज़नेस टाइकून, जिसकी दुनिया सिर्फ उसकी नन्हीं बेटी रूही के इर्द-गिर्द घूमती है।
रूही की मुस्कान को बचाने के लिए श्रेयस को करनी पड़ती है प्रियल से कॉन्ट्रैक्ट मैरिज। प्रियल, जो हमेशा सच्चे प्यार के बाद शादी का सपना देखती थी, अब बिना प्यार के शादी करने पर मजबूर है।
क्या इस मजबूरी के रिश्ते में कभी प्यार पनपेगा?
क्या प्रियल सिर्फ रूही की मां बनकर रह जाएगी या श्रेयस के दिल तक भी उसकी पहुंच होगी?
वो ईमेल देखता है जिसमें रूही की इनफॉर्मेशन थी।
वो ईमेल खोलकर पढ़ने लगा।
"पूरा नाम - रूही शर्मा
पापा का नाम - निहाल शर्मा (ये एक बैंक मैनेजर हैं।)
मां का नाम - रीता शर्मा (ये एक हाउसवाइफ हैं।)
रूही का एक भाई भी है, जिसका नाम रोहन शर्मा है।
उसके बाद रूही की कई सारी तस्वीरें थीं। रूही को उसके माता-पिता बहुत प्यार से पाला था। उसे गलती करने पर कभी कोई डांटता नहीं था, बल्कि प्यार से समझाते थे। ऐसे ही रूही के पसंद-नापसंद के बारे में लिखा था।"
तभी उसे किसी की आवाज़ आई। जिससे वो हड़बड़ा गया।
तभी अनीता जी उसके पास आते हुए बोलीं, "ले बेटा, तेरा कॉफी।"
एकांश हड़बड़ाते हुए अपना फ़ोन बंद कर देता है।
"आप क्यों परेशान हो रही हैं मॉम? सर्वेंट्स को बोल देतीं, वो ला देते मेरे लिए कॉफी।" एकांश बोला।
"ठीक है, ठीक है। मुझे तो मेरे बेटे के पास आने का हक ही नहीं है।" अनीता जी मुँह बनाते हुए बोलीं।
"ऐसा नहीं है मॉम। आप जब चाहे मेरे पास आ सकती हैं।" एकांश उनके गले लगते हुए बोला।
अनीता जी मुस्कुराते हुए एकांश को गले लगा लेती हैं।
"तुम मेरे आते ही हड़बड़ा गए और अपना फ़ोन छुपा दिया। क्या बात है?" अनीता जी बोलीं।
"कुछ नहीं मॉम, मैं कहाँ हड़बड़ा रहा था।" एकांश अपनी नज़रें चुराते हुए बोला।
"तो अपनी नज़रें क्यों चुरा रहा है मुझसे?" अनीता जी बोलीं।
"मॉम, आप क्यों आई थीं यहाँ? कुछ काम था क्या?" एकांश बात टालते हुए बोला।
अनीता जी समझ रही थीं कि एकांश बात टालना चाह रहा है। इसलिए वो भी कुछ नहीं कहती हैं। क्योंकि वो जानती थीं अगर कोई बात होगी तो एकांश उन्हें अभी नहीं तो कुछ दिनों बाद खुद ही बता देगा।
यही सब सोच ही रही थीं कि एकांश बोला, "मॉम, क्या हुआ बताइए ना?"
अनीता जी अपने ख्यालों से बाहर आती हैं और बोलती हैं, "हाँ बेटा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी। इसलिए ही आई थी तेरे पास।"
"हाँ, बोलिए ना मॉम।" एकांश बोला।
"बेटा, तुम कब शादी करोगे? क्या कभी हमें हमारे पोते-पोतियों का मुँह देखने को मिलेगा या नहीं?" अनीता जी बोलीं।
"क्या है मॉम, आप हमेशा अपनी बातें लेकर लास्ट को यहीं रुक जाती हो? मुझे जब कोई पसंद आ जाएगी तो मैं बोल दूँगा आपको।" एकांश इरिटेट होते हुए बोला।
अनीता जी एकांश की पहली बात सुनकर दुखी हो जाती हैं। पर जैसे ही उन्होंने एकांश की दूसरी बात सुनी, वो खुश हो जाती हैं, पर उन्होंने अपने चेहरे पर वो खुशी नहीं दिखाई। क्योंकि एकांश हमेशा ऐसे बात पर कभी भी शादी नहीं करेगा बोलता था। पर आज पहली बार बोला है अपने पसंद की लड़की से शादी करने के लिए।
इसलिए अनीता जी खुश होते हुए एकांश को अपना काम करने को बोलकर वहाँ से चली जाती हैं।
वो अपने रूम में आती है। तो देखती है बिहान जी अपना कोट के बटन खोल रहे थे। बिहान जी जैसे ही अनीता जी के चेहरे पर खुशी देखते हैं, वो पूछते हैं, "क्या हुआ श्रीमती जी? आज आपके चेहरे पर इतनी बड़ी स्माइल है? बात क्या है?"
"आपको पता है हमारा एकांश को कोई लड़की पसंद आ गई है।" अनीता जी खुश होते हुए बोलीं।
बिहान जी उन्हें चौंक कर देखते हैं और बोलते हैं, "क्या कह रही हैं आप?"
फिर उनके माथे को चेक करते हुए बोलते हैं, "आपकी तो तबियत भी ठीक है। तो ऐसे बहकी-बहकी बातें क्यों कर रही हैं?"
अनीता जी बिहान जी के एक्शन से चिढ़ जाती हैं और बोलती हैं, "ये क्या कर रहे हैं आप?"
"आप वैसी बातें कर रही हैं जो कभी पॉसिबल ही नहीं है? एकांश और लड़की इम्पॉसिबल।" बिहान जी बोले।
अनीता जी उन्हें घूरते हुए अपने कमर पर हाथ रखती हैं और बोलती हैं, "तो आपको लगता है मैं झूठ बोल रही हूँ?"
बिहान जी नकली हँसी हँसते हुए बोलते हैं, "ऐसी बात नहीं है श्रीमती जी। बोलिए आप क्या बोल रही थीं?"
अनीता जी खुशी-खुशी उन्हें बेड पर बिठाती हैं और खुद उनके साइड में बैठते हुए बोलती हैं, "आपको पता है जब मैं एकांश के कमरे में उसे कॉफी देने गई, तभी वो हड़बड़ा गया और अपना फ़ोन छुपा दिया।"
"तो इसमें कौन सी बड़ी बात है? वो कुछ देख रहा होगा जो आपको नहीं दिखाना चाहता।" बिहान जी बोले।
"आप पहले मेरी पूरी बात सुनेंगे।" अनीता जी उन्हें घूरते हुए बोलीं।
"हाँ हाँ जान, बोलिए मैं सुन रहा हूँ।" बिहान जी बोले।
"उसके बाद मैंने उसे शादी के बारे में पूछा तो उसने क्या जवाब दिया पता है आपको!" अनीता जी बोलीं।
"हाँ, एकांश हमेशा की तरह बोला होगा मुझे कभी शादी नहीं करनी है।" बिहान जी बोले।
"यही तो बात है। एकांश ने इस बार कुछ और बोला।" अनीता जी बोलीं।
बिहान जी उन्हें कन्फ्यूज होकर देखते हैं। तो अनीता जी बोलती हैं, "नहीं, उसने बोला जब उसे कोई पसंद आ जाएगा तो वो मुझे बोल देगा। इसका मतलब क्या है आप समझ रहे हैं ना!"
बिहान जी उन्हें कन्फ्यूजिंग लुक देते हैं। तो अनीता जी बोलती हैं, "अरे बाबा, पहले उसका इस तरह अपना फ़ोन छुपाना। फिर मेरे सवाल का ऐसा जवाब देना। इसका मतलब ये क्लियर है कि उसे कोई लड़की पसंद है।"
बिहान जी भी खुश हो जाते हैं और बोलते हैं, "अरे ये बात तो मैंने सोचा ही नहीं।"
उसके बाद बिहान जी फ़्रेश होने चले जाते हैं। कुछ देर बाद सभी डिनर करते हैं और अपने रूम में चले जाते हैं।
रूही भी डिनर कर चुकी थी और सोने के लिए बिस्तर तैयार कर रही थी कि तभी उसे किसी का कॉल आता है।
वो जैसे ही अपना फ़ोन देखती है, फ़ोन उसके हाथ से गिरते-गिरते बचता है।
विहान जी उन्हें कन्फ्यूज़ होकर देखते थे। अनीता जी बोलीं, "नहीं, उसने बोला जब उसे कोई पसंद आ जायेगा तो वो मुझे बोल देगा। इसका मतलब क्या है आप समझ रहे हैं ना!"
विहान जी उन्हें कन्फ्यूज़िंग लुक देते थे। अनीता जी बोलीं, "अरे बाबा! पहले उसका इस तरह अपना फ़ोन छुपाना, फिर मेरे सवाल का ऐसा जवाब देना। इसका मतलब ये क्लियर है कि उसे कोई लड़की पसंद है।"
विहान जी भी खुश हो गए और बोले, "अरे ये बात तो मैंने सोचा ही नहीं।"
उसके बाद विहान जी फ्रेश होने चले गए। कुछ देर बाद सभी डिनर करके अपने कमरों में चले गए।
दूसरी तरफ, रूही भी डिनर कर चुकी थी और सोने के लिए बिस्तर तैयार कर रही थी कि तभी उसे किसी का कॉल आया।
वो जैसे ही अपना फ़ोन देखती है, फ़ोन उसके हाथ से गिरते हुए बचता है।
रूही अपना बेड तैयार कर रही थी कि अचानक उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी। रूही अपने मन में बोली, "इतनी रात को किसकी कॉल आया है?"
फिर वो अपना फ़ोन उठाने के लिए गई। फ़ोन पर किसी "स्वीटहार्ट" नाम का कॉल दिखाई दे रहा था।
रूही के हाथ से फ़ोन गिरते-गिरते बचा था। वो बोली, "ये किसका नंबर है और मेरे फ़ोन में "स्वीटहार्ट" बोलकर किसने सेव किया है?" ये सब सोच ही रही थी कि उसका फ़ोन कट गया।
वो अपना फ़ोन रखकर बेड साइज़ करने के लिए जा रही थी कि फिर से उसका फ़ोन बजने लगा।
वो फ़ोन पर वही कॉलर आईडी देखती है। फिर कुछ सोचकर फ़ोन उठाती है। दूसरी तरफ की आवाज़ सुनकर रूही जड़ हो जाती है। उसके मुँह से आवाज़ ही नहीं निकलती है।
रूही की आवाज़ न सुनकर दूसरी तरफ से आवाज़ आता है, "हेलो जान, मेरी आवाज़ आ रही है ना?"
रूही अपने होश में आती है और बोलती है, "जी जी, बोलिए सर। इतनी रात को कॉल क्यों किया?"
एकांश बोलता है, "बस ऐसे ही।"
रूही बोलती है, "क्या ऐसे ही सर? मुझे नींद आ रही है, मैं फ़ोन रख रही हूँ।"
एकांश बोलता है, "ठीक है, तुम सो जाओ पर कॉल नहीं काटना।"
रूही कन्फ्यूज़ होते हुए बोलती है, "पर सर, जब बात नहीं करूंगी तो कॉल क्यों नहीं काटूंगी?"
एकांश बोलता है, "क्यूँकि मुझे तुम्हारी साँसें सुनना है।"
एकांश की ऐसी बात सुनकर रूही के गाल लाल हो जाते हैं। वो हकलाते हुए बोलती है, "पर सर..."
रूही के इतना बोलते ही एकांश बोलता है, "मुझे कोई बहस नहीं चाहिए। तुम सो जाओ, मुझे मेरा काम करने दो।"
रूही बोलती है, "मैं आपकी बात नहीं सुनने वाली।"
एकांश बोलता है, "तो ठीक है, कल सुबह कॉलेज के लिए मैं तुम्हें पिक करने तुम्हारे घर आ जाता हूँ।"
रूही अपने मन में एकांश को कोसते हुए बोलती है, "ये आदमी मुझे कभी चैन से जीने नहीं देगा। हमेशा धमकी देकर ही अपनी बात मनाता है।"
रूही की आवाज़ न सुनकर एकांश बोलता है, "अगर तुम्हारा मेरा कोसना हो गया हो तो सो जाओ जाकर और फ़ोन अपने मुँह के पास ही रखना।"
रूही मन मारकर हाँ बोल देती है और बेड पर लेट जाती है। थोड़ी देर में रूही की नींद आ जाती है।
जब दूसरी तरफ एकांश को रूही के साँसों की आवाज़ सुनाई देती है, तो उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था।
वो अपने मन में बोलता है, "जान, तुम्हें पता है मैं अब तुम्हारे पीछे पागल हो गया हूँ। जल्द से जल्द तुम्हें अपना बनाने का सोच रहा हूँ। पर तुम अभी बहुत छोटी हो।"
इतना बोलकर उसका मुँह उतर जाता है।
वो ऐसे ही रूही की साँसें सुनते-सुनते नींद के आगोश में चला जाता है।
अगली सुबह, दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ से रूही की नींद खुलती है। वैसे तो रूही कभी अपना दरवाज़ा बंद नहीं करती थी, पर एकांश के कल कॉल करने की वजह से वो दरवाज़ा बंद कर दिया था।
रीता जी बोलती हैं, "बेटा उठ जाओ, 7 बज गए हैं।"
रूही बोलती है, "जी मम्मा, उठ गई हूँ मैं।"
रीता जी बोलती हैं, "अच्छा ठीक है, जल्दी तैयार होकर नीचे आजा।"
वहीँ रूही की तेज आवाज़ सुन एकांश की नींद खुल जाती है। वो अपनी आँखें मलते हुए उठता है। तभी उसकी नज़र अपने फ़ोन पर जाती है, तो वो फ़ोन उठा लेता है।
वहीँ रूही भी अपना फ़ोन उठाकर देखती है। उसमें अब भी एकांश का कॉल था। वो जैसे ही फ़ोन को अपने कान में लगाती है, दूसरी तरफ़ से एक अट्रैक्टिव आवाज़ आती है, "गुड मॉर्निंग जान।"
रूही बोलती है, "गुड मॉर्निंग सर। Ok bye sir, मैं कॉल रखती हूँ, कॉलेज के लिए रेडी होना है।"
इतना बोलकर, बिना एकांश का उत्तर सुने, रूही फ़ोन काट देती है।
दूसरी तरफ़ एकांश रूही की ऐसी जल्दबाजी देख मुस्कुरा देता है।
तभी वो कुछ देखता है जिससे वो चौंक जाता है।
वही रूही की तेज आवाज़ सुनकर एकांश की नींद खुल गई। उसने आँखें मलते हुए उठा। तभी उसकी नज़र अपने फ़ोन पर गई। उसने फ़ोन उठा लिया।
वही रूही ने भी अपना फ़ोन उठाकर देखा। उसमें एकांश का कॉल था। उसने फ़ोन कान में लगाया।
दूसरी तरफ़ से एक आकर्षक आवाज़ आई, "गुड मॉर्निंग जान।"
"गुड मॉर्निंग सर। Ok bye सर, मैं कॉल रखती हूँ, कॉलेज के लिए रेडी होना है।"
इतना बोलकर, एकांश का उत्तर सुने बिना ही, रूही ने फ़ोन काट दिया।
दूसरी तरफ़, एकांश रूही की इस जल्दबाजी को देखकर मुस्कुरा दिया।
तभी उसने कुछ ऐसा देखा जिससे वह चौंक गया।
तभी उसकी नज़र समय पर गई। वह चौंक गया क्योंकि उसे ज़्यादा देर तक सोने की आदत नहीं थी। वह जल्दी उठ जाता था।
पर आज वह ७ बजे तक सोया रहा।
वह मन ही मन बोला, "जान देखो, तुम्हारे एहसास से ही मुझे कितनी सुकून की नींद आई है आज। अब तो तुम मेरे सिवा किसी और की नहीं हो सकती हो।"
फिर वह बेड से उठा और मुस्कुराते हुए बाथरूम में चला गया। फ्रेश होने के बाद वह जिम गया।
घंटे बाद वह जिम से आया और नहाने चला गया। उसके बाद रेडी होकर ब्रेकफ़ास्ट करके कॉलेज के लिए निकल गया।
वही रूही भी कॉलेज के लिए निकल गई। आज वह थोड़ी जल्दी निकल गई थी। उसे आज लाइब्रेरी में कुछ काम था। वह पहले लाइब्रेरी गई। फिर अपने क्लास की तरफ़ बढ़ी।
वह क्लास में एंट्री करती ही एकांश भी आ गया। वह आकर पहले सभी का अटेंडेंस लिया। फिर पढ़ाना शुरू किया।
ऐसे ही उसका पहला क्लास ख़त्म हुआ। उसके बाद उसने टास्क दिया। फिर रूही को नोट्स ले आने को बोला।
"सर, इसके बाद खन्ना सर की क्लास है।"
"ब्रेक में सभी के नोट्स ले आ जाना।"
इतना बोलकर, रूही की बात सुने बिना ही, एकांश चला गया। एकांश का ऑर्डर सुनकर रूही का मुँह बन गया।
वही सभी लड़कियाँ रूही से जल रही थीं।
रूही की क्लास की एक लड़की, जिसका नाम तारा था, बोली, "ये लड़की सर को अपनी सुंदरता में फँसा रही है। पर मैं ऐसा नहीं होने दूँगी। सर सिर्फ़ मेरे होंगे। तुम्हें तो मैं अपने रास्ते से हटाकर ही रहूँगी।"
इतना बोलकर वह कुटिलता से मुस्कुरा दी।
वही प्रीता, रूही को चिढ़ाते हुए बोली, "क्या बात है? आजकल बहुत एकांश सर के केबिन में जाना हो रहा है?" बोलकर रूही के कंधे को अपने कंधे से मारा।
"ऐसा कुछ नहीं है जैसा तू सोच रही है।"
रूही की बात सुनने से पहले ही खन्ना सर आ गए। उन्होंने अपना सब्जेक्ट पढ़ाना शुरू कर दिया।
रूही और प्रीता दोनों पढ़ाई पर ध्यान देने लगीं।
उसके बाद एक छोटा सा ब्रेक हुआ। रूही सभी के नोट्स कलेक्ट करके एकांश के केबिन में चली गई।
वही एकांश रूही का ही इंतज़ार कर रहा था। रूही जैसे ही एकांश के केबिन के अंदर गई, जब उसने अंदर देखा तो एकांश नहीं था।
"अच्छा हुआ खड़ूस सर नहीं हैं। मैं जल्दी से जल्दी नोट्स रखकर चली जाऊँगी।"
इतना सोचकर वह जल्दी से अंदर आई और टेबल पर नोट्स रखकर जैसे ही पीछे मुड़ी,
रूही चौंक गई। क्योंकि उसके पीछे एकांश खड़ा होकर उसे घूर रहा था। रूही खिसियाते हुए बोली, "आ... सर आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"
"तो मुझे और कहाँ होना चाहिए था?"
"कहीं नहीं सर, वो बस मुँह से फिसल गया था।"
फिर वह अपना डाँट दिखाती, एकांश ने उसके कमर को पकड़कर अपने तरफ़ खींच लिया।
रूही ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखें करके एकांश को देखा। एकांश भी उसकी आँखों में देखने लगा। दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में खो गए।
एकांश के फ़ोन के रिंग से दोनों का ध्यान टूटा। रूही अपनी नज़रें इधर-उधर करने लगी और अपने हाथों से एकांश को दूर करने की कोशिश करने लगी।
एकांश ने उसके हाथ को पकड़ लिया और पीछे कर दिया। पर उसने उसे पीछे से ऐसे पकड़ा जिससे रूही को दर्द न हो।
फिर उसने अपने पैंट पॉकेट से फ़ोन निकालकर देखा। उसमें राहुल नाम के किसी का कॉल आ रहा था। उसने अपना कॉल उठा लिया और फ़ोन कान में लगा दिया।
दूसरी तरफ़ से राहुल कुछ बोला। इसके जवाब में एकांश बोला, "ठीक है, तुम सब तैयार कर देना। मैं आज यहाँ से निकल रहा हूँ।"
दूसरी तरफ़ से कुछ कहा गया। एकांश ने "ओके" बोलते हुए फ़ोन काट दिया। फिर उसने अपने सामने खड़ी रूही को देखा। वह उसे ही टकटकी लगाकर देख रही थी।
एकांश ने अपने दूसरे हाथ से रूही के गालों को पीछे किया। फिर धीरे-धीरे उसके हाथ रूही के गालों को सहलाने लगे। इससे रूही की आँखें बंद हो गईं और उसके होंठ काँपने लगे।
इसे देखकर एकांश को अपने बदन में गर्मी बढ़ने लगी। उसने रूही के होंठों पर अपनी अंगुली रखकर उसे सहलाने लगा।
रूही की पकड़ एकांश पर कस गई। एकांश अपना चेहरा रूही के करीब लेने लगा।
एकांश के गरम साँसों को अपने चेहरे पर महसूस करके रूही काँप गई। उसे अपने पेट में गुदगुदी होने लगी। रूही एकांश को रोकना चाहती थी, पर वह उसे दूर नहीं कर पा रही थी।
उसे अजीब सा लग रहा था। रूही के करीब कभी कोई लड़का इस तरीके से करीब नहीं आया था। आज पहली बार एकांश उसके इतने करीब आया था। इसलिए उसे कुछ अजीब सा लग रहा था।
एकांश रूही की हर हरकत को नोटिस कर रहा था। आख़िरकार उसने रूही के मुलायम होंठों पर अपने सख्त होंठ रख दिए और बड़ी शिद्दत से रूही के होंठों को चूसने लगा।
वही रूही भी एकांश के किस से पिघल रही थी। एकांश ने किस करते हुए रूही के हाथों को छोड़ दिया था। रूही के हाथ अब एकांश के बालों को सहला रहे थे।
५ मिनट बाद रूही को साँस लेने में दिक्कत हुई, पर एकांश उसे छोड़ ही नहीं रहा था। वह उसे अपने छोटे-छोटे हाथों से रोकने लगी। पर एकांश रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
तभी अचानक एकांश बिना मन के रूही को छोड़ देता है और उसे घूरने लगता है। क्योंकि साँस न ले पाने की वजह से रूही ने एकांश के होंठ को काट लिया था।
एकांश उससे अलग हुआ और उसे घूरते हुए बोला, "ये क्या था?"
रूही छोटे बच्चों की तरह मुँह फुलाकर बोली, "मुझे साँस नहीं आ रही थी और आप थे कि मुझे छोड़ ही नहीं रहे थे। इसलिए मैंने आपको काट लिया।"
"अब देखो कैसे काटते हैं।"
बोलकर, रूही को कोई चांस दिए बिना, एकांश ने रूही की गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और जोर से काट दिया। रूही की चीख निकल गई।
रूही कुछ कहती, उससे पहले ही बेल बज गई। रूही जल्दी से एकांश को धक्का देकर केबिन से भाग गई। एकांश की पकड़ ढीली थी, जिसका फ़ायदा रूही ने उठा लिया था।
रूही को ऐसे भागते देख एकांश मुस्कुरा दिया और अपने बालों में हाथ फेरते हुए अपने चेयर पर बैठ गया।
वही रूही भागते हुए पहले वाशरूम गई। वहाँ खुद को देखकर शर्मा गई। तभी उसकी नज़र अपनी गर्दन पर पड़ी जहाँ एकांश के काटने से हल्का सा दाग आ गया था। जिसे दूर से देखने पर तो दिखाई नहीं देता, पर पास से देखने पर दिखाई देगा।
इसलिए उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे जिससे यह निशान छुप जाए। तभी उसके दिमाग की बत्ती जली और उसने अपने बाल खोल दिए। जिससे उसके निशान छुप गए। वह वहाँ से क्लासरूम में चली गई।
वही एकांश रूही के लाए हुए नोट्स चेक करता है। उसने एक-एक कर सभी नोट्स चेक किए। फिर रूही को एक मैसेज किया। पर रूही क्लास में होने के कारण नहीं देख पाई। एकांश भी अपना काम करने लगा।
ऐसे ही रूही के क्लासेज़ ख़त्म हो गए। रूही का लाइब्रेरी का काम अधूरा रह गया था। इसलिए वह लाइब्रेरी गई। वहाँ का काम ख़त्म करके जैसे ही वह लौट रही थी, कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही की चीख निकल गई।
रूही एकांश को कुछ कह पाती, इससे पहले ही बेल बज गई। रूही जल्दी से एकांश को धक्का देकर केबिन से भाग गई। एकांश की पकड़ ढीली थी, जिसका फायदा रूही ने उठा लिया था।
एकांश रूही को भागते हुए देख मुस्कुराया और अपने बालों में हाथ फेरते हुए अपने चेयर पर बैठ गया।
रूही भागते हुए पहले वाशरूम गई। वहाँ खुद को देखकर वह शर्मा गई। तभी उसकी नज़र अपनी गर्दन पर पड़ी। जहाँ एकांश के काटने से हल्का सा दाग आ गया था। जिसे दूर से देखने पर तो दिखाई नहीं देता, पर पास से देखने पर दिखाई देता।
इसलिए उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे जिससे यह निशान छुप जाए। तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आया और उसने अपने बाल खोल दिए। जिससे उसके निशान छुप गए। वह वहाँ से क्लास रूम में चली गई।
वहीं एकांश रूही के लाए हुए नोट्स चेक करने लगा। उसने एक-एक करके सभी नोट्स चेक किए। फिर उसने रूही को एक मैसेज किया। पर रूही क्लास में होने के कारण उसे नहीं देखा। तो एकांश भी अपना काम करने लगा।
ऐसे ही रूही के क्लासेज खत्म हो गए। रूही का लाइब्रेरी का काम अधूरा रह गया था। इसलिए वह लाइब्रेरी गई। वहाँ का काम खत्म करके जैसे ही वह लौट रही थी, कुछ ऐसा हुआ जिससे रूही की चीख निकल गई।
रूही लाइब्रेरी से बाहर निकली ही थी कि कुछ ही दूरी पर उसके हाथ को किसी ने पकड़कर खींच लिया। जिससे रूही की चीख निकल गई।
इस समय पूरा कॉलेज खाली था। इसलिए कोई भी रूही की आवाज नहीं सुन पाया। वही वह आदमी, जिसने रूही को खींचा था, रूही को लेकर एक कमरे में गया। वह कमरा दिखने में लग्ज़ीरियस लग रहा था।
वह आदमी रूही को पीछे से पकड़े हुए था। इसलिए रूही अब तक उस आदमी का चेहरा नहीं देख पाई थी। इसलिए वह उस आदमी से छूटने की कोशिश कर रही थी।
कमरे में आने के बाद रूही के कानों में एक जानी-पहचानी आवाज पड़ी। जिसे सुनकर रूही ने एक चैन की साँस ली और हिम्मत करके उस आदमी के हाथों को काट दिया।
फिर जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, एकांश को देखकर वह चौंक गई और बोली, "सर आप यहाँ! आपने मुझे इस तरह क्यों लाया यहाँ पर?"
"पागल लड़की, मैं तुम्हारा कब से इंतज़ार कर रहा था। पर तुम हो कि आ ही नहीं रही थीं।" एकांश ने अपने हाथों को सहलाते हुए कहा।
"पर सर आपने तो मुझे ऐसा कुछ नहीं कहा था।" रूही कन्फ्यूज़ होकर बोली।
"मैंने तुम्हें मैसेज किया था। और तुम्हें कल की बात याद नहीं है क्या?" एकांश ने उसे घूरते हुए कहा।
"कौन सी बात सर?" रूही अनजाने में बोली।
"तुमने कल वादा किया था कि तुम मेरे साथ रोज़ एक घंटा बिताओगी।" एकांश ने उसे घूरते हुए कहा।
रूही ने अपनी जीभ दांतों से दबा ली और अपना चेहरा नीचे कर लिया।
"अभी याद आ गया ना!" एकांश ने रूही को ताना मारते हुए कहा।
रूही ने अपना सर नीचे झुकाए हुए ही सर हां में हिला दिया।
"अब तुम पनिशमेंट के लिए तैयार हो जाओ।" एकांश बोला।
बोलकर बिना वक्त गँवाए एकांश ने रूही के होठों पर अपने होठ रख दिए और पैशनेटली किस करने लगा।
रूही चाहकर भी एकांश को कभी नहीं रोक पा रही थी। उसे एकांश का ऐसे छूना कभी गलत नहीं लगा था। धीरे-धीरे रूही भी एकांश के किस से बहक रही थी। उसके हाथ एकांश के बालों को सहला रहे थे।
जब रूही को साँस लेने में दिक्कत हुई तो एकांश उसके होठों को काटकर उससे अलग हुआ।
"ये आपने क्या किया?" रूही ने उसे घूरते हुए पूछा।
"ये तुम्हारा पनिशमेंट था बेबी।" एकांश ने कहा।
रूही मुँह फुला लेती है। ऐसे में वह बहुत ही क्यूट लग रही थी। उसके फूले हुए गाल को देखकर एकांश खुद को उसके गालों को सहलाने से रोक नहीं पाया।
वहीं एकांश के ऐसे रूही के गालों को सहलाने से रूही के पेट में कुछ उड़ता हुआ महसूस हो रहा था। वह कसकर आँखें बंद कर लेती है।
वहीं एकांश अपने मन में सोच रहा था, "इसके गाल कितने सॉफ्ट हैं। मन कर रहा है अभी इसे खा लूँ।"
पर वह खुद को कंट्रोल करता है। फिर रूही का हाथ पकड़कर कॉलेज के पार्किंग में जाता है। फिर जैसे ही वह कार में रूही को बिठाने वाला था,
"सर मेरा स्कूटी..." रूही बोली।
"ठीक है, चलो तुम्हारे स्कूटी से चलते हैं। फिर तुम मुझे लाकर कॉलेज में छोड़ देना। मैं कार से चला जाऊँगा।" एकांश बोला।
"ठीक है चलिए।" रूही बोली।
रूही अपनी स्कूटी चला रही थी और एकांश उसके पीछे बैठा था।
"सर कहाँ जाना है?" रूही ने पूछा।
"तुम मेरी फेवरेट जगह पर जाना चाहोगी!" एकांश बोला।
"ठीक है सर आप बताइए।" रूही बोली।
एकांश जैसे-जैसे रास्ता बता रहा था, रूही वैसे-वैसे चला रही थी। अचानक एकांश को क्या सूझा, उसने रूही के कमर को पकड़ लिया।
रूही को एक झटका लगा। उसने अचानक स्कूटी रोक ली और एकांश को हकलाते हुए बोली, "सर आप ऐसे मत पकड़िए मुझे।"
एकांश उसके और करीब होकर उसके कंधे पर अपना चेहरा रखता है और रूही के कमर पर अपनी पकड़ कसकर बोलता है, "नहीं, मैं तो ऐसे ही पकड़ने वाला हूँ।"
रूही हार मानते हुए स्कूटी चलाने लगी।
कुछ ही वक्त में दोनों एकांश के बताए हुए जगह पर पहुँच गए। वह एक शांत जगह था। चारों ओर हरियाली पेड़ नज़र आ रहे थे। वहाँ नेचर बहुत सुंदर दिख रहा था।
शाम का वक्त था इसलिए वहाँ चिड़ियों की आवाज आ रही थी। शांत जगह होने के कारण चिड़ियों की आवाज और भी खिलकर गूंज रही थी। जिसे सुनकर किसी का भी अशांत मन शांत हो जाए और मन को सुकून मिल जाए।
एकांश स्कूटी से उतरा। रूही स्कूटी को साइड में पार्क करके एकांश के पास आई। एकांश रूही का हाथ पकड़कर थोड़ा आगे ले गया।
आगे का नज़ारा देख रूही की आँखें चमकने लगीं। आगे पूरा गार्डन था। जिसमें छोटे-छोटे फूलों के पौधे लगे हुए थे। उसमें तितलियाँ एक फूल से दूसरे फूल पर जा रही थीं। साथ में सनसेट का नज़ारा गार्डन के नज़ारे को और खूबसूरत बना रहा था।
रूही अपना हाथ एकांश से छुड़ाकर गार्डन में गई। वह थोड़ा आगे गई तो देखा, वहाँ एक छोटा सा झरना भी था। जहाँ से पानी गार्डन से होते हुए गुज़र रहा था।
रूही उसे देख बहुत खुश हो गई और उसने अपने पैर पानी में डुबो दिए। उसे ऐसे खुश देख एकांश भी खुश हो गया। वह उसके पीछे-पीछे आया और रूही के बगल में बैठ गया।
दोनों के बीच खामोशी छा गई थी। एकांश खामोशी को तोड़ते हुए बोला, "तुम्हें ये जगह कैसी लगी?"
"बहुत सुंदर। आपकी पसंद तो बहुत सुंदर है।" रूही खुश होकर बोली।
"मुझे पता है मेरी पसंद खूबसूरत है।" एकांश ने उसे गहरी नज़रों से देखते हुए कहा।
रूही एकांश की तरफ देखती है। तो उसके इंटेंस नज़रों को खुद पर पाकर रूही के दिल की धड़कन सौ गुना तेज़ धड़कने लगी।
रूही अपना चेहरा नीचे कर लेती है। उसके गाल लाल होने लगते हैं। जिससे वह बहुत ही क्यूट लग रही थी।
उसे ऐसे शर्माता देख एकांश उसे खींचकर अपने ऊपर करीब कर लेता है और उसके होठों को अपने होठों से कैद कर लेता है।
एक लॉन्ग और डीप किस के बाद वह रूही को छोड़ता है। रूही जोर-जोर से साँसें लेने लगती है। जिससे उसका सीना बार-बार ऊपर नीचे हो रहा था।
एकांश की नज़र जैसे ही वहाँ पड़ी उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा। उसका गला सूखने लगा। वहीं रूही इस बात से अनजान जोर-जोर से साँसें ले रही थी।
तभी एकांश अचानक रूही को अपने गोद में उठा लेता है और पास के एक वुडन हाउस में ले जाता है। जो दिखने में बहुत खूबसूरत दिख रहा था। अब तक शाम हो चुकी थी। जिससे उस घर का लाइट बाहर गार्डन में पड़ रहा था।
वह वहाँ जाकर दरवाज़ा खटखटाता है। तो एक बुज़ुर्ग आदमी आकर दरवाज़ा खोलता है। एकांश अंदर आ जाता है। वहीं रूही एकांश के गोद से उतरने की कोशिश करती है।
पर एकांश उसे छोड़ नहीं रहा था। वह उसे लेकर अपने रूम की तरफ़ बढ़ते हुए बोलता है, "काका आप कुछ खाने के लिए बना दीजिए और हमारे रूम में भेज दीजिएगा।"
"ठीक है बाबा।" वह काका बोलते हैं।
एकांश रूही को लेकर रूम में चला जाता है। उसके बाद रूही जो करती है, एकांश उसे घूरने लगता है।
उसे ऐसे शर्माता देख एकांश ने उसे खींच कर अपने ऊपर करीब कर लिया और उसके होठों को अपने होठों से कैद कर लिया। एक लॉन्ग और डीप किस के बाद उसने रूही को छोड़ा। रूही जोर-जोर से साँसें लेने लगी। जिससे उसका सीना बार-बार ऊपर नीचे हो रहा था। एकांश की नज़र जैसे ही वहाँ पड़ी, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा। उसका गला सूखने लगा। वहीं रूही इस बात से अनजान जोर-जोर से साँसें ले रही थी। तभी एकांश ने अचानक रूही को अपने गोद में उठा लिया और पास के एक वुडन हाउस में ले गया। जो दिखने में बहुत खूबसूरत दिख रहा था। अब तक शाम हो चुकी थी। जिससे उस घर की लाइट बाहर गार्डन में पड़ रही थी।
वह वहाँ जाकर दरवाज़ा खटखटाया। एक बुज़ुर्ग आदमी आकर दरवाज़ा खोला। एकांश अंदर आ गया। वहीं रूही एकांश के गोद से उतरने की कोशिश करने लगी। पर एकांश उसे नहीं छोड़ रहा था। वह उसे लेकर अपने रूम की तरफ़ बढ़ते हुए बोला, "काका आप कुछ खाने के लिए बना दीजिए और हमारे रूम में भेज दीजिएगा।"
"ठीक है बाबा," वो काका बोले।
एकांश रूही को लेकर रूम में चला गया। उसके बाद रूही जो करती है... एकांश उसे घूरने लगा।
क्योंकि रूम में आने के बाद रूही एकांश के सीने में मार रही थी, जिसे देख एकांश घूर कर देखकर बोला, "ये क्या कर रही हो?"
"आप बिलकुल बेशर्म हो! ऐसे कौन लाता है काका के सामने!" रूही बोली और अपना मुँह फूला लिया।
एकांश ने उसे बेड पर किसी काँच की गुड़िया की तरह आराम से सुला दिया। फिर उसके ऊपर आ गया। रूही को अचानक समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो गया।
वह बड़ी-बड़ी आँखें करके एकांश को देखने लगी।
वहीं एकांश ने रूही की बड़ी-बड़ी आँखों को इग्नोर कर दिया और उसके होठों को अपने होठों से कैद कर लिया। एक लंबी और पैशनेट किस के बाद एकांश ने अपने होठ रूही से अलग किए और अपना चेहरा रूही के गर्दन में रख दिया। फिर उसे किस करने लगा। जिससे रूही की बॉडी में करंट जैसे लगने लगा था।
पहले तो वह समझ नहीं पाई। पर जैसे ही उसे होश आया, तो उसने एकांश को खुद से अलग करने की कोशिश की। पर वह एकांश को अलग नहीं कर पाई।
इसलिए हार मानकर एकांश को अपना मन का करने दिया। एकांश धीरे-धीरे रूही के कमर को सहला रहा था। अब उसके होठ रूही के कॉलर बोन को चूम रहे थे, जो उसने रूही के ड्रेस को थोड़ा नीचे करने से दिख रहे थे।
एकांश के हाथ अब रूही के कमर से धीरे-धीरे ऊपर जा रहे थे। एकांश रूही के ऊपर बॉडी के हर एक कोने को अपने हाथों से अच्छे से माप रहा था।
धीरे-धीरे उसके हाथ रूही के चेस्ट तक पहुँच गए। उसे वो जैसे ही टच करने वाला था, रूही ने उसका हाथ पकड़ लिया। जिससे एकांश उसे सवालिया नज़रों से देखने लगा। जैसे पूछ रहा हो, रोका क्यों तुमने?
"अभी ये सब करना ठीक नहीं है," रूही ने अपनी नज़रें इधर-उधर करते हुए कहा।
एकांश को भी रूही की बातें ठीक लगीं। तो उसने रूही के गले में अपना चेहरा छुपा लिया और गहरी-गहरी साँसें लेने लगा।
एकांश के ऐसे अचानक मुँह छुपाने से रूही पहले घबरा गई। पर बाद में उसे समझ आ गया कि एकांश अपने आप को संभालने की कोशिश कर रहा है। तो वह उसके बालों को सहलाने लगी।
जिससे एकांश को एक अलग ही सुकून मिल रहा था। थोड़ी देर बाद वह उससे अलग हुआ और रूही के माथे पर किस करके उसके साइड में लेट गया।
थोड़ी देर दोनों ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहे। उसके बाद नीचे हॉल में आ गए। थोड़ी देर बाद काका उनके लिए कुछ स्नैक्स ले आए। रूही और एकांश मिलकर खाए। फिर एकांश और रूही कॉलेज के लिए निकल गए।
इस बार आगे एकांश बैठा हुआ था। वहीं रूही उसके पीछे। रूही एकांश से थोड़ा दूर होकर बैठी थी। इसलिए एकांश ने अचानक ब्रेक लगा दिया।
जिससे रूही का सीना एकांश की पीठ से आकर लग गया। जिससे दोनों की ही धड़कन बढ़ गई। रूही जैसे ही एकांश से अलग होने वाली थी, एकांश ने उसका हाथ पकड़ लिया।
फिर अपने व्हिस्की वॉइस में बोला, "जान मुझे ऐसे ही पकड़े रहो।"
एकांश की आवाज़ सुनकर पता नहीं क्यों, पर रूही अपना हाथ एकांश के कमर से नहीं हटा पाई और वह एकांश को पकड़कर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद दोनों ही कॉलेज में पहुँच गए। एकांश और रूही स्कूटी से उतरे। फिर एकांश ने रूही के माथे पर किस करके रूही को अपने घर जाने के लिए भेज दिया।
रूही भी अपनी स्कूटी से अपने घर चली गई। उसके बाद एकांश कॉलेज के एक रूम के अंदर गया। वहाँ करीब 5 से 6 लोग बैठे थे। वहाँ देखकर लग रहा था कि सभी कोई बहुत इम्पोर्टेन्ट बात पर डिस्कस कर रहे हैं।
एकांश जैसे ही अंदर गया, सभी खड़े हो गए और एकांश को विश करते हुए बोले, "गुड इवनिंग सर।"
एकांश ने अपने कोल्ड चेहरे के साथ अपनी सीट में बैठ गया। उसके बाद सभी कुछ इम्पोर्टेन्ट बात पर डिस्कस करने लगे।
2 घंटे बाद उनकी मीटिंग खत्म हुई। एकांश ने आखिर में सभी को सतर्क करते हुए कहा, "प्लान में कोई गड़बड़ नहीं होना चाहिए।"
"जी सर," सभी ने एकांश की बातों पर कहा।
उसके बाद एकांश अपना कोल्ड चेहरा लेकर रूम से बाहर चला गया।
दूसरे तरफ़,
रूही जैसे ही अपने घर पहुँची, रीता जी बोलीं, "बेटा तुम्हें आज इतना लेट क्यों हो गया?"
"माँ वो मैं प्रीता के साथ थी। कॉलेज में कुछ असाइनमेंट दिए हैं। तो उसे पूरा कर रही थी," रूही हकलाते हुए बोली।
"ठीक है जा बेटा, बहुत थक गई होगी। फ्रेश हो जा, मैं कुछ खाने के लिए ला देती हूँ," रीता जी बोलीं।
"नहीं माँ, मैं प्रीता के साथ खाकर आई हूँ अब," रूही बोली।
"ठीक है तुम जाओ पढ़ाई करो," रीता जी बोलीं।
रूही भी जल्दी से अपने रूम में चली गई। पहले वह फ्रेश होने बाथरूम में गई। वह जैसे ही मुँह धोने मिरर के सामने गई,
तो उसे एकांश के किस का ख्याल आया। जिससे रूही के गाल लाल हो गए। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।
वह खुद से ही बोली, "पता नहीं ये कैसा एहसास है? पर सर का करीब आना मुझे बहुत पसंद आ रहा है। जब भी वो मेरे करीब आते हैं, मैं उन्हें अपने करीब आने से रोक ही नहीं पाती।"
उसके बाद वह नहाकर बाहर आई। उसे आदत थी शाम को नहाने की, इसलिए वह नहाकर बाथरोब पहनकर बाहर आई।
वह बाहर आकर मिरर के सामने खड़े होकर बॉडी लोशन लगा रही थी कि अचानक उसकी नज़र अपने कंधे पर बने निशान पर गई। जिसे देख उसे कुछ याद आया।
फ्लैशबैक स्टार्ट.....
रूही जब एकांश को आगे बढ़ने से रोकती है, तो एकांश अपना चेहरा रूही के गर्दन में घुसा देता है। थोड़ी देर बाद जब वह उससे अलग होता है, तब रूही के गर्दन पर काट लेता है। जिससे रूही की आह निकल जाती है।
उसके बाद एकांश उससे अलग होता है, तो रूही मुँह बनाते हुए बोली, "आपने मुझे काटा क्यों?"
"इसे काटना नहीं, लव बाइट कहते हैं," एकांश ने शरारत से कहा।
"इसे जो भी कहते हैं पर मुझे दर्द हुआ ना," रूही ने मुँह बनाते हुए कहा।
"ये मेरे प्यार की निशानी है। जिसे देखकर तुम कभी नहीं भूलोगी कि तुम सिर्फ मेरी हो," एकांश ने उसके माथे को चूमते हुए कहा।
फिर उससे अलग होकर साइड में लेट गया।
फ्लैशबैक खत्म.......
उसके हाथ अपने आप उस लव बाइट पर चले गए। जिससे उसकी हल्की सी आह निकल गई। उसके शरीर में एक मीठा सा दर्द का लहर खिल गया। वह शर्माते हुए जल्दी से अलमारी की तरफ़ चली गई। फिर ड्रेस पहनकर पढ़ाई करने लगी।
रात को रूही, रीता जी और निहाल जी मिलकर नाश्ता करते हैं। उसके बाद सभी अपने-अपने रूम में चले जाते हैं।
रूही अपने रूम में जाकर नाइट ड्रेस पहनती है। फिर सो जाती है। आधी रात को अचानक रूही की नींद खुल जाती है।
आज के लिए इतना ही.......
तो आप सब को क्या लगता है आधी रात को अचानक रूही की नींद क्यों खुल जाती है? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ और मेरे कहानी के साथ.......
उसके बाद एकांश उससे अलग हुआ। तो रूही मुंह बनाते हुए बोली, "आपने मुझे काटा क्यों?"
तो एकांश शरारत से बोला, "इसे काटना नहीं, लव बाइट कहते हैं।"
तो रूही वैसे ही मुंह बनाते हुए बोली, "इसे जो भी कहते हैं, पर मुझे दर्द हुआ ना।"
तो एकांश उसके माथे को चूमते हुए बोला, "ये मेरे प्यार की निशानी है। जिसे देखकर तुम कभी नहीं भूलोगी कि तुम सिर्फ मेरी हो।"
फिर वह उससे अलग होकर साइड में लेट गया।
फ्लैश बैक खत्म.......
उसके हाथ अपने आप उस love bite पर चले गए। जिससे उसकी हल्की सी आह निकल गई। उसके शरीर में एक मीठा सा दर्द का लहर खिल गया। वह शरमाते हुए जल्दी से अलमारी की तरफ चली गई। फिर ड्रेस पहनकर पढ़ाई करने लगी।
रात को रूही, रीता जी और निहाल जी मिलकर नाश्ता किया। उसके बाद सभी अपने-अपने कमरों में चले गए।
रूही अपने कमरे में जाकर नाइट ड्रेस पहनी। फिर सो गई। आधी रात को अचानक रूही की नींद खुल गई।
आधी रात को रूही की नींद अचानक एक सपने की वजह से खुली। वह गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। उसने हाथ जोड़कर भगवान से pray किया, "हे प्रभु सर को सही-सलामत रखना।"
बोलकर अपनी आँखें बंद कर ली।
दरअसल, रूही सपने में देख रही थी कि एकांश कितने लोगों के साथ लड़ाई कर रहा था। सभी पर एकांश अकेला भारी पड़ रहा था। तभी कोई एकांश को पीछे से मारने की कोशिश कर रहा था। तभी रूही एकांश का नाम पुकारकर जोर से उठी।
तो उसके सामने फिर से वही सपना घूमने लगा। तो वह उठकर बैठ गई। वह कमरे में इधर-उधर घूमकर अपने मन को शांत करने की कोशिश कर रही थी। पर उसका मन बहुत बेचैन हो रहा था।
तो वह आखिरकार एकांश को कॉल ही लगा देती है। पर एकांश कॉल रिसीव नहीं करता। तो रूही को बहुत घबराहट होने लगती है। वह कमरे में इधर-उधर घूमते हुए बोली, "पता नहीं जब कोई काम नहीं होता है तो मुझे फोन करके परेशान करते रहते हैं। पर अभी मुझे बेचैनी हो रही है। पर ये है कि मेरा फोन नहीं उठा रहे हैं।"
बोलकर मन ही मन एकांश को कोस रही थी। ऐसे ही रूही दुबारा एकांश को कॉल लगा देती है। थोड़ी देर बाद कॉल रिसीव हो जाता है।
दूसरी तरफ से शरारत भरी आवाज आती है, "क्या बात है मेरी जान को आधी रात को मेरा याद आ रहा है? क्या मेरे बिना तुम्हें नींद नहीं आ रही है?"
तो रूही एकांश की आवाज सुनकर अपनी आँखें बंद कर लेती है। उसके बेचैन दिल को अब थोड़ी सी ठंडक मिलती है। पर अभी भी उसका मन थोड़ा-थोड़ा बेचैन था। जो शायद सिर्फ एकांश को सही-सलामत देखने के बाद ही खत्म होने वाला था। तभी उसका ध्यान एकांश की आवाज से टूटता है।
जो बोल रहा था, "जान क्या हुआ? कहाँ खो गई!"
तो रूही थोड़ा गुस्से में बोली, "कॉल क्यों नहीं उठा रहे थे? पता है मैं कितना डर गई थी।"
तो एकांश उसे बोला, "शांत जान। पहले एक गहरी साँस लो। फिर बताओ क्या हुआ जो इतना डर गई थी।"
तो रूही भी एकांश के कहे अनुसार लंबी-लंबी साँसें लेती है। फिर बोली, "अच्छा सर, अब मैं रखती हूँ। कल सुबह कॉलेज भी जाना है।"
बोलकर जल्दी से कॉल काट देती है।
वह अभी कुछ भी एकांश को कहना नहीं चाहती थी जिससे एकांश को लगे कि रूही भी उसे पसंद करती है। क्योंकि रूही को एकांश के साथ रहते हुए इतना तो समझ में आ गया था कि वह एकांश को पसंद करती है। वह उसके पर्सनेलिटी से अट्रैक्ट हो रही है। पर वह एकांश से प्यार करती है या नहीं, क्लियर नहीं था।
इसलिए वह कुछ भी एकांश को गलत hope नहीं देना चाहती थी।
वहीं एकांश रूही की आवाज में उसकी बेचैनी को महसूस कर चुका था। वह खुद से बोला, "जान, आज तुम्हारी आवाज से साफ पता चल रहा था कि तुम बेचैन हो। पर तुमने मुझे अपनी बेचैनी का कारण नहीं बताया। इसलिए मैं आ रहा हूँ तुमसे उसका कारण जानने।" बोलकर वह जैसे ही अपने कमरे से बाहर निकलने वाला था,
तभी उसकी नज़र घड़ी पर गई। तो सुबह के 4 बज चुके थे। वह अभी रूही के पास नहीं जा सकता था। इसलिए खुद से ही बोला, "जान, तुम्हें क्या बेचैन कर रही है ये तो मैं कॉलेज में जान ही लूँगा।"
फिर फ्रेश होकर जिम में चला गया। एक घंटे बाद वह जिम से आया। फिर नहाने चला गया। थोड़ी देर में जब वह बाहर आया तो उसके कमर पर एक तौलिया लपेटा हुआ था।
उसके बालों से गिरता पानी एकांश को और हॉट बना रहा था। जो भी उसे देखता, उसके ऊपर फ़्लैट हो जाता। वह दूसरे तौलिये से अपना बाल पोछ रहा था। उसके बाद वह चेंजिंग रूम में ड्रेस चेंज करता है।
वह अब सिंपल सा व्हाइट टीशर्ट और ब्लैक पैंट पहना था। फिर बाहर आकर अपना बाल सेट करता है। फिर परफ्यूम लगाकर अपना लैपटॉप लेकर कुछ काम करता है।
ऐसे ही 8 बज जाते हैं। तो वह नीचे जाकर ब्रेकफास्ट करके कॉलेज के लिए निकल जाता है। कॉलेज में पहुँचकर अपने केबिन में जाता है। थोड़ी देर बाद जब क्लास का टाइम होता है तो वह जाता है।
जैसे ही एकांश वहाँ पहुँचता है, तो सभी उसे विश करते हैं। सभी लड़कियों की नज़र एकांश पर ही थी।
रूही के पीछे बैठी एक लड़की अपने साइड वाली लड़की से बोली, "यार रीना, सर क्या हैंडसम दिख रहे हैं आज! काश मैं सर की गर्लफ्रेंड होती! तो उन्हें कभी नहीं छोड़ती। हमेशा उन्हें प्यार करती। उनकी बॉडी आह...।"
बोलकर वह लड़की, मीना, आहें भर रही थी।
जब यह बात रूही के कानों में पड़ती है, तो उसे पता नहीं क्यों उन दोनों लड़कियों पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसे जलन हो रही थी कि एकांश को सब ऐसे बोल रहे थे।
वह मन ही मन एकांश को कोसते हुए बोली, "क्या ज़रूरत थी इतना सज-धज के आने की? सिंपल में भी तो आ सकते थे ना। पर ऐसे कैसे आ जाते हैं? ये मधुमक्खियाँ इनके ऊपर कैसे लाइन मारती हैं।"
बोलकर वह तरह-तरह के मुँह बना रही थी।
अचानक एकांश की नज़र रूही पर जाती है। जो तरह-तरह के मुँह बनाकर उसे ही देख रही थी। जिससे वह बहुत क्यूट दिख रही थी। उसे रूही पर प्यार आ रहा था।
पर वह खुद के जज़्बातों को कंट्रोल कर रूही को एक नज़र घूरकर देखता है। फिर अपनी पढ़ाने लगता है।
वहीं रूही इस बात से अनजान थी कि एकांश उसका तरह-तरह का मुँह बनाना देख चुका है। क्योंकि रूही देख तो एकांश की तरफ रही थी। पर उसका ध्यान एकांश पर नहीं था। वह बाकी लड़कियों के बारे में सोच रही थी।
रूही अपना चेहरा क्लास के चारों तरफ देखती है। तो देखती है कि सभी लड़कियाँ एकांश को बिना पलक झपकाए एकटक देख रही थीं। उसे सभी लड़कियों से जलन होने लगती है।
वह मन ही मन बोली, "इनको इतनी हिम्मत कैसे हुई? ये मेरे एकांश को ऐसे देख रही हैं।" रूही को ध्यान नहीं रहा था कि वह अभी-अभी एकांश को "मेरे एकांश" बोल चुकी हैं। उसे तो सिर्फ सभी लड़कियों से जलन हो रही थी। वह सभी को घूर-घूरकर देख रही थी।
एकांश जो स्टूडेंट्स को पढ़ा रहा था, पर उसकी नज़र रूही पर ही थी। वह रूही को ऐसे चारों तरफ घूरते हुए देखकर वह भी धीरे से अपनी नज़र चारों तरफ करता है। तो देखता है सभी लड़कियाँ उसे अपनी लालसा से भरी नज़रों से देख रही हैं।
यह देख एकांश को समझ आ जाता है कि रूही चारों तरफ क्यों घूर-घूर के देख रही थी। तो वह एक नज़र रूही को देख मन ही मन में मुस्कुरा देता है।
ऐसे ही उसका लेक्चर खत्म होता है। वह टास्क देकर आज जानबूझकर रूही के बजाय किसी और रोल नंबर को नोट्स कलेक्ट करने के लिए कहता है। वह रोल नंबर मीना का था। जो रूही के पीछे बैठकर एकांश के बारे में बात कर रही थी।
एकांश की बात सुनकर रूही को एकांश पर बहुत गुस्सा आ रहा था। एक तो ये लड़कियाँ उसके एकांश के ऊपर मधुमक्खियों की तरह घूम रही थीं। साथ में अभी एकांश उसके बजाय किसी और को नोट्स कलेक्ट करने को बोल दिया था। यह रूही के जलन और गुस्से को और हवा दे रहा था।
वह लड़की मीना भी खुशी-खुशी सभी के नोट्स कलेक्ट करती है। जब वह रूही के नोट्स लेने के लिए आती है, तो रूही नोट्स के ऊपर अपना नोट धड़ाम से आवाज़ करके रखती है। जिसकी आवाज़ ज़्यादा तेज़ तो नहीं थी, पर पास खड़े लोग उसे सुन सकते थे।
मीना रूही को एक नज़र हैरानी से देखती है। फिर रूही को इग्नोर करके प्रीता से उसका नोट मांगती है। उसके बाद बाकी के नोट्स मांगती है।
प्रीता रूही के इस तरह के बिहेवियर को देख रूही से पूछती है, "रूही, तुझे क्या हुआ? तू आज सुबह भी डिस्टर्ब थी। फिर अभी एकांश सर के पीरियड में भी तुम्हारा ध्यान कहीं और था। अब तुम मीना के साथ ऐसा रूड बिहेवियर कर रही थी।"
जिसके जवाब में रूही बोली, "मैं तुझे बाद में बताती हूँ। तू रुक, मैं थोड़ी देर में आती हूँ।" बोलकर वह जल्दी से क्लास से बाहर चली जाती है।
वहीं प्रीता अपने आप से बोली, "पता नहीं इस लड़की को क्या हो गया है? सुबह से पागल वाली हरकतें करने लगी है।"
आज के लिए इतना ही.......