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Dark side of revenge

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Description

ये कहानी है रुहांशी श्रीवास्तव और वृशान कश्यप की दोनों एक दूसरे से बिलकुल अलग है । वृशान अपने बिजनेस और परिवार केलिए किसी भी हद्द तक जा सकता है उसे कोई रिश्ते जरुरी नहीं होते न उसके लिए रिश्ते मायने लगते है तो वहीं रुहांशी पेशे से लॉयर है वह बस सच और...

Characters

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Vrushaan kashyap

Hero

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Ruhanshi Shrivastava

Heroine

Total Chapters (91)

Page 1 of 5

  • 1. Dark side of revenge - Chapter 1

    Words: 1462

    Estimated Reading Time: 9 min

    "मुंबई को हम सपनों का शहर नाम से जानते है यहां जो भी कोई आता है उसके सपने पूरे होते है वोह शाहरुख खान का डायलॉग "अगर किसी चीज़ को तुम दिल से चाहो तोह पूरी कायनात तुम्हें उसे मिलाने के कोशिश में लग जाती है"। कुछ ऐसा ही होता है यहां इतनी भीड़ शोरों में भी हर कोई अपने सपने को पूरा करने के पिछे भागता है तोह कोई तूत कर फीर से खड़े होके शुरुवात करते है मुंबई की हवा में जैसे कुछ पाने का जुनून है वैसे ही खोने का और किसीको बरबाद करने का भी जुनून है यहां हर शक्श की कहानी है कोई अपनी तकदीर को एक चांस देना चाहता है। तोह कोई अपनी जिंदगी को बदलना चाहता है जितने भी हस्ते चहरे है उनके पिछे उनके राज और जज़्बात छुपे हुए काफी कहानियां यहां हुई कुछ कहानियां पूरी हुई तोह कुछ नही। कुछ राज दुनिया के सामने आए तोह कुछ राज इंसानों के साथ ही दफन हुए।

    ऐसे ही हमारी ये कहानी है। कहा जाये तोह ये कहानी इश्क और बदले की कहानी है पर देखना ये है की आंखीर में किसकी जीत होगी प्यार जीतेगा याह फीर बदले की आग "।








    मुम्बई शहर,
    सन एंड मून कैफे।


    28 साल का नौजवान एक टेबल पर बैठकर कब से किसी का इंतेजार कर रहा था। उसने फॉर्मल कपड़े पहने हुए थे बिजनेस सूट उसकी हाइट करीब 6.1 के आस पास होगी और साथ ही में उस लडके ने अपने बाल सलगी तरीके से सेट किये हुऐ थे दिखने में तोह वोह कोई अमीर घर का लडका लग रहा था। गोरा चेहरा लंबी नाक उसकी एक झलक देखकर ही कोई लङकी उसपर फिदा हो जाती कैफे की बहुत सी लड़कियां उसकी प्रेजेंस को देखकर और वहा बैठे हुए देखकर लट्टू हो गई थी। बहुत लड़कियों को उसे अपना बॉयफ्रेंड बनाना चाहती थी खैर पर उस लडके को ये पूछने की किसीने हिम्मत नहीं की। वैसे यहां वोह लडका बार बार कैफे के डोर को देख रहा था। वोह साथ ही में अपने लेपटॉप पर भी कुछ काम कर रहा था पर उसकी नजरे बार बार कैफे के डोर पर जाती थी और अपनी कलाई के वॉच को देखता ऐसा लग रहा था कि वह किसिका का इंतेजार कर रहा था बहुत वक्त से वैसे उसे कैफे में आये हुए 1 घंटा हों गया था।

    उस लडके को किसी लड़की की आवाज आती है इसलिये वोह अपना सिर उपर करके देखता है।

    "हाय वृषाण"।
    एक लङकी की आवाज आती है। वोह लङकी उसके ही उमर की थी 28 साल की। उसके चेहरा काफी हद तक खूबसूरत था पर 1 पिस और ब्रैंडेड कपड़े और असेसरिस पहने थे ।

    वोह लड़का मुस्कुराहटें हुए खडा होता है और कहता है।

    "हाय प्रत्युषा यार कितनी देर हुई तुम्हे आने में कब से इंतेजार कर रहा हूं में तुम्हारा"।

    प्रत्युषा ने अपने कान पकड़ते हुए उसे कहा।

    "सॉरी वोह थोड़ा काम आगया था "।

    वृषाण बोलता है।

    "इट्स ओके कोई बात नही बैठो में कॉफी ऑर्डर करता हु तुम्हारे लिए"।

    प्रत्युषा ने ना में सिर हिलाया और बैठते हुए बोली।

    "अरे नही उसकी कोई जरूरत नहीं है में ब्रेकफास्ट करके आई हु वोह तोह तुमने मुझे सुबह कॉल करके अर्जेंट बुलाया इसलिए मैं जल्दी आगये बोलो क्या हुआ?"

    वृषाण ने उसे अजीब नज़रों से देखते हुऐ कहा।

    "एक्सक्यूज मि शायद आप भूल रही हो की आज हमारी कॉफी डेट का प्लान किया था "।

    प्रत्यूषा ने अपने माथे को हाथ मारते हुए कहा।

    "ओह एम सो सॉरी वृषान में काम के वजेसे भूल गए थी "।

    वृशान ने मुस्कुराहटे हुऐ और उसका चेहरा सेहलाते हुऐ उसे बोलता है।

    "कोई बात नहीं अब याद आगया है ना तोह चलो आज का दिन एन्जॉय करते है। इतना कहकर वोह वेटर को बुलाके ऑर्डर देने लगा और यहां प्रत्यूषा अपने मोबाइल में बिजी हो गई।

    सच कहें तोह वृशान और प्रत्युषा दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे वोह 5 साल से रिलेशनशिप में थे। वृशान मुंबई शेहर का फेमस बिजनेस मन और बिसीनेस की दुनिया जानामाना चेहरा वृशान कश्यप। कश्यप खानदान का छोटा बेटा और मुंबई के हेंडसम लड़को में से एक वृशान भी आता था उसकी तोह लड़कियों में बहुत ही क्रेज होती थी साथ ही में उसके साथ शादी करने का हर लङकी का सपना था। कश्यप खानदान नामी और रिच फेमिली में के लिस्ट में से एक थी उनका रूतबा बहुत ही बडा था और बिसीनेस की दुनिया में उनका नाम बहुत बडा होने के साथ साथ कश्यप परिवार के मुखिया मानव कश्यप ये राजनिति का जानामाना चेहरा थे उन्होंने भारत के विकास केलिए काफी काम भी किया था। इंडिया की economically आगे जानें मैं कश्यप इंड्रस्ट्रीज का बडा हाथ था।

    यहां दूसरी तरफ प्रत्युषा शहा प्रकाश शाहा की बड़ी बेटी। वोह भी बिजनेस वर्ल्ड में फेमस थे पर वृशान के परिवार के इतने नही थे वृशान और प्रत्युषा कॉलेज में एक साथ पड़ा करते थे वोह तब से दोस्त थे और उसके बाद वोह दोनों रिलेशनशिप में आगये।

    वेटर ने वृशान की टेबल पर उनकी ऑर्डर कॉफी और सैंडविच रख दी। फीर वृशान और प्रत्युषा अपना ब्रेकफास्ट करते करते बाते करने लगे।

    यहां कैफे के दूसरी ओर काउंटर पर एक 28 साल का लड़का खडा बिल और हिसाब चेक कर रहा था और अपने टीम को जो कैफे में काम करते थे उन्हें इंस्ट्रक्शन दे रहा था। ये करो वोह करो आज उस लडके का मूड जरा खराब ही था उसने थोड़ा परेशान होते हुए एक लडके से पुछा जो उसके कैफे में काम करता था।

    "नवीन रुहांशी अभी तक क्यू नही आई उसने तुझे कुछ बताया था क्या"।

    "नहीं अविनाश भाई रुहांशी दी का मुझे तोह कोई कॉल नही आया और नाही मेसेज पर आजायेगी वोह ट्रैफिक में फसी होगी आपको तोह पता है ना मुंबई की ट्रैफिक कितनी होती है "। नवीन ने उसे देखते हुए कहता है।

    अविनाश ने हा में अपना सिर हिलाते हुए बोला।

    "हा सही कह रहे हो तुम शायद ट्रैफिक में फसी हो..... अच्छा सब को ऑर्डर्स ले लिए ना और टाइम पे सर्व किया ना"?

    नवीन हा में सिर हिलाते हुए कहता है।

    "हा भाई सब की ऑर्डर ले ली है और सर्व भी किया है और भी आयेंगे तोह जग्गी देख लेगा"।

    "ठीक है कस्टमर्स हमारे भगवान होते है उनके साथ अच्छे से पेश आओ और सारी जो उन्होंने ऑर्डर फूड किया है उसे टाइम पे दो "। अविनाश ने उसे कहा

    नवीन उसे देखते हुए बोलता है।

    "हा भाई समझ गई हम और वैसे भी हमारा सारा स्टाफ कस्टमर्स से अच्छे से ही तोह पेश आता है ना फिकर ना करे आप "।

    "ठीक है में एक राऊंड मारकर आता हु तब तक तू कांउटर संभाल ले "। अविनाश नवीन को इतना कहकर वहा से चला जाता है।

    यहां वृशान और प्रत्युषा अपना ब्रेकफास्ट खतम हो गया था प्रत्युषा अपनी कॉफी पी रही थी उसने कॉफी के सिप लेते लेते एक बार कैफे को ध्यान से देखा कैफे ज्यादा लक्जिरियस और बाकी होटेल्स रेस्टोरेंट की तरह हायफाय नही था जहा प्रत्युषा जाया करतीं थीं पर कैफे को बहुत ही सलगी तरीके से बनाया था उसका इंटिरियर भी आंखों को देखने पर शांती दे रहे थे ऐसे रंग वहा यूज किए हुऐ थे। पर प्रत्युषा को ये ज्यादा भाया नही।

    वोह मन में ही बोली।

    "ये वृशान भी कहा बुलाता रहता है इस कैफे का तोह कोई क्लास ही नही है.... कहीं भी कॉफी केलिए चलने केलिए बोलता है अरे हम रिच फेमिली से बिलॉन्ग करते है जैसा स्टेटस हों वैसे ही रहना चाहिए"। पर इसे कोन समझाये?"

    वृशान ने प्रत्युषा को देखा जो कैफे को स्कैन कर रही थीं उसे पूछता है।

    "जान तुम्हे ये कैफे पसंद नहीं आया क्या ऐसे क्यू देख रही हो?"

    प्रत्युषा जो कैफे को देख रही थी वोह वृशान को देखते हुए कहती है।

    "अ ऐसा कुछ नहीं है वैसे तुमने यही जगह क्यू चूज की?"

    वृशान ने उसे देखते हुए सपाट लहजे में कहा।

    "बस ऐसे ही...."
    उसका जवाब सुनकर प्रत्युषा कुछ नहीं बोलती। वोह चुप हो जाती है। उसी वक्त अविनाश वहा आता है और वृषान के टेबल के पास आकर उसे पूछता है।

    "सर आपको और कुछ चाहिए?"

    वृशान ने उसे एक स्माइल देते हुए कहा।
    "जी नहीं आप बिल दीजिए"।

    "ओके सर में देता हु " अविनाश इतना कहता है और वहा का टेबल साफ करने लगता है साफ करते करते अविनाश के हाथ से गलती से कॉफी का कप प्रत्युषा के ड्रेस पर गिर जाता है।

    प्रत्युषा जोर से चिलाती है।

    "You idiot ठीक से काम नहीं कर सकते क्या? पूरी ड्रेस खराब कर दी तुमने"।

    अविनाश थोड़ा डर जाता है वोह इधर उधर देखकर प्रत्युषा को माफी मांगते हुए बोलता है।

    "सॉरी mam गलती से हुआ मैंने कोई जानबूझ के नही किया"।

    वृशान जो किसीका कॉल आने के कारण साइड में जाकर बात कर रहा था वोह प्रत्युषा की आवाज सुनकर वहा आता है। और पूछता है।

    "क्या हुआ?"

  • 2. Dark side of revenge - Chapter 2

    Words: 1475

    Estimated Reading Time: 9 min

    पिछले चैप्टर में हम ने देखा की वृषान और उसकी गर्लफ्रेंड प्रत्युषा कैफे में आते है और एकदूसरे के साथ टाइम स्पेंड करते है उसी वक्त अविनाश आता है और टेबल साफ करते समय उसका धक्का प्रत्युषा को गलती से लगता है।

    अब आगे.....

    वृषान वहा आता है और प्रत्यूषा से पूछता है।

    "क्या हुआ तुम ठीक तो हो?"

    प्रत्युषा वृशान को आया हुआ देखकर खुश हो जाती है और रोने लगती है और रोते हुए कहती है।

    "वृशान देखो ना इस.... इस लडके ने जानबुझ कर मेरे ड्रेस पर कॉफी गिराए और गलत तरीके से छूने की कोशिश भी की "।

    अविनाश जो इतने देर से चुप था वोह अब गुस्सा आगया क्यूंकि उसने ऐसा कुछ किया ही नही था बस उसके हाथ से गलती से कॉफी का कप गिर गया और थोड़िसी कॉफी इस लङकी पर गिर गए फीर भी उसपे ऐसे घिनोने इल्जाम लगा रही है।

    यहां वृशान शॉक होके प्रत्युषा को देखता है और अविनाश को घूरने लगता है पर वोह कुछ नही बोलता बट अविनाश अपने आप को डिफेंड करने केलिए और क्लियर करने केलिए गुस्से से कहता है।

    "क्या बकवास कर रही है आप मैने ऐसा कुछ नही किया है हा बस गलती से कॉफी का कप आपके उपर गिर गया उस में कुछ था भी होगा तोह कुछ सिप होंगे कॉफी के "।

    "झूठ मत बोलो तुमने गलत तरीके से टच किया मुझे.... तुम मिडल क्लास लड़को की यही औकात होती है कोई अमीर लङकी क्या देख ली तोह उसे पताने में लग जाते हो याह फीर ऐसी घिनोनी हरकत करते है अपना स्टैण्डर्ड देखकर कुछ किया करो समझे "।

    Ye सब सुनने के बाद अविनाश को बहुत गुस्सा आता है मन तोह उसका कर रहा था की अभी इस लड़की को सबक सिखाये..... और एक थप्पड़ दे पर वोह अपनी लिमिट्स क्रॉस नही करना चाहता था एलरेडी कैफे के लोग ये तमाशा देख रहे थे उसने एक बार हर जगह नजर दोराही सब उन लोगो का तमाशा देख रहे थे।

    वृषान जो अब तक शांत था वोह सर्द और कठोर आवाज में प्रत्यूषा से कहता है।

    "कुछ भी क्या बोल रही हो तुम"?

    प्रत्यूषा थोड़ा हैरान होती है और मन ही मन में बोलती है।
    [मुझे लगा ये मेरी साइड लेगा पर ये तोह इस लडके की साइड ले रहा है हो क्या गया है वृशान को आज इस 2 कौड़ी लडके की साइड ले रहा है।]

    प्रत्यूषा ने अपनी आवाज थोड़ी ऊंची करते हुए कहा।

    "तुम मेरी साइड लेने के बजाय इस सड़क छाप लडके की साइड ले रहे हो वृशान इसलिए मैं बोलती हु ऐसे आउटडेटेड कैफे में मत आया करो इन लोगों ना कस्टमर्स की इज्जत करने आती है और नाही कोई स्टेटस है इनका देखो कैसे पुराने कपड़े पहने है इस लडके ने....

    प्रत्यूषा आगे कुछ बोलती उससे पहले ही वृशान उसकी बात को काटते हुए बोलता है।

    "अपनी बकवास बंद करो जरा इतना भी कुछ नही हुआ जो इतना बडा ड्रामा कर रही हो में यही से ही देख पा रहा हु की ज्यादा ड्रेस खराब नही हुआ है तुम्हारा "।

    प्रत्यूषा वृशान की बाते सुनकर शॉक हो गई उसने उसे कुछ नही कहा पर अविनाश की तरफ़ धमकी देने के अंदाज में  और उसकी तरह कहा।

    "तुम जानते नही हो में कोन हु .... एक मिनिट नही लगेगा तुम्हारी जिंदगी खतम करने में और ये कैफे है ना वोह भी यहां से हटा सकती हु समझे "।

    अविनाश अब अपनी इक आईब्रो उपर करता है और वृषान की तरफ़ देखता है फीर वापस प्रत्यूषा की तरफ़ देखता है और अपने हाथ फोल्ड करके कहता है।

    "मिस शाह आप अपनी लिमिट्स क्रॉस कर रही हो ऐसा नहीं लगता आपको ....."

    "किसकी जिंदगी खतम करने में 1 मिनिट नही लगेगा?" पिछे से एक लड़की की आवाज आती है सब लोग उस आवाज की तरफ़ देखते है पिछे एक लङकी खड़ी थी उसने व्हाइट t-shirt और ब्लेक पेंट पहनी हुई थी उसका देखने से लग रहा था की वोह लॉयर थी।

    ( गोरा चेहरा ,लंबे बाल , गेहरी भूरी आंखें उन आंखों में अगर देखो तोह पूरी दुनिया जितने का साहस और उसे जो चाहिए वही पाने की हिम्मत रखने की ताकद ऐसा महसूस हो रहा था। उसकी उमर करीब 25 याह 26 साल की होगी)

    वोह लङकी कॉन्फिडेंटली आगे आती है और फिर से पूछती है।

    "बताओ ना किसकी जिंदगी खतम करने में 1 मिनिट नही लगेगा "?

    उसका सवाल सुन के कोई जवाब नही देता इवन कैफे में जो लोग ये तमाशा देख रहे थे वोह भी अब एक दूसरे से खुसरफुसर करने लगे थे । और अविनाश बस प्रत्यूषा को घूर रहा था और आंखो ही आंखों से कुछ कहने की कोशिश कर रहा था जो प्रत्यूषा समझ नही पा रही थी ।

    जग्गी जो चुप बैठा था वोह आगे आकर बोलता है।

    "रुहांशी दीदी इन maddam का कहना है की अविनाश भाई ने उनपर जानबूझ के कॉफी गिराई और साथ ही में उन्हें बुरी तरीके से छूने की कोशिश की इसलिए ये सब हो रहा है"। जग्गी ने पूरा मेटर रुहांशी को बताया और रुहांशी उसकी बाते बहुत ही ध्यान से सुन रही थी।

    उसकी बाते सुनने के बाद रुहांशी ने चारो तरफ अपनी एक नजर डाली सब कस्टमर्स ये तमाशा देख रहे थे और साथ ही में अब उसे देख रहे थे जैसे की अब वोह क्या करने वाली है इसका इंतेजार कर रहे हों।

    रुहांशी ने सब को देखते हुऐ कहा।

    "Ok ठीक है हम CCTV देख लेते है दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा"।

    "कोई जरूरत नहीं है इसकी हम चले जाते है यहां से ऑलरेडी बहुत ड्रामा हों गया है "। वृशान कहता है वृषान ये सब प्रत्यूषा को देखते हुए बोलता है।

    रुहांशी उसे देखते हुए और सपाट लहजे में बोलती है।

    "सही कह रहे हैं आप.... आपको समझना चाहिए था यहां इतना बडा ड्रामा करने की कोई जरूरत थी ही नही गलतियां तोह सबसे होती है नजरंदाज कर देते इतने छोटी बात को बड़ाने की कोई जरूरत नहीं थी.... उपर से मेरे कैफे कस्टमर्स और वर्कर्स का टाइम वेस्ट हो गया "।

    प्रत्यूषा रुहांशी की बात सुनके भोकला जाती है वोह कहती है।

    "What do you mean"

    रुहांशी वृशान से रिक्वेस्ट करते हुऐ कहती है। "मिस्टर कश्यप मुझे लगता है अब आपने जाना चाहिए और हा जो भी कुछ हुआ उसके लिए में माफी मांगती हु"। रुहांशी ने प्रत्युषा को पूरी तरह से इग्नोर किया था।

    अब वृषान भी वहा से चले जाना था वोह प्रत्युषा को लेके कैफे से चला जाता है। रुहांशी अब कैफे में जो भी कस्टमर्स थे उन्हें देखकर कहती हैं।

    "अब आप अपना मील कंटिन्यू कर सकते है आज का एंटरटेनमेंट इतना ही था 😂 " रुहांशी ये सब नॉर्मल और हंसते हुए बोल रही थी पर अविनाश को अजीब लग रहा था क्यूंकि रुहांशी इतनी शांती से हैडल नही करती थी अगर कोई उसे बोले बाहर का याह फीर इस कैफे के बारे में भी बोले तोह वही सुना देती है। पर इस बार वोह चुप रहीं ये अविनाश को बहुत खाये जा रही थी।

    यहां नवीन के चेहरे से मुस्कुराहट हट नही रही थी उसे ऐसा लग रहा था की वोह नाचे उसके ऐसे मुस्कुराने के वजेसे गौतम जी जो बहुत सालो से इस कैफे में काम कर रहे थे वोह उससे पूछते हैं।

    "ऐसे क्यू मुस्कुराहा है तू कुछ हुआ है क्या?"

    नवीन उनकी तरफ़ देखता है। और ना में सर हिलाते हुए कहता है।
    "कुछ भी तोह नही में कहा मुस्कुरा रहा हु"

    गौतम जी उसका कान पकड़ते हुए कहते हैं।
    "ज्यादा होशियार मत बन कुछ तोह कांड किया है तूने जो ऐसे मुस्कुरा रहा है बता क्या किया है तूने?"

    "आउच अंकल धीरे ना बहुत दर्द हो रहा है छोड़िए मुझे" नवीन करहाते हुए कहता है।

    गौतम जी और तेजी से उसका कान पकड़ते हुए कहते है।

    "अगर तू नही बतायेगा तोह देख"।

    नवीन ने उनसे कहा।

    "हा हा बताता हु वोह रूही दीदी को मैंने वीडियो कॉल करके यहां का सब तमाशा दिखाया था इसलिए वोह जल्दी आगये उन्होंने तोह कहा है इसका बदला लेगी वोह उस प्रत्युषा और वृषान कश्यप से "।

    गौतम जी ने चौंकते हुए नवीन से कहा।

    "पर रूही ने तोह उन्हे कुछ कहा ही नही और नाही कुछ सुनाया ऐसे ही जाने दिया उन दोनो को "।

    नवीन ने अपना कान को सहलाते हुए कहा।

    "अब मुझे ये सब इतना पता नही की उन्होंने अभी कुछ क्यू नही कहा बट वोह तोह ये सब बोली मुझसे"।

    गौतम जी ने अपने माथे को हाथ लगाते हुऐ बोलते है।
    "हे भगवान अब तोह रुहांशी छोड़ेगी नही उन दोनो को जरूर कुछ तोह करेगी"।

    नवीन ने अपने कंधे उचकाते हुऐ उन्हे कहता है।
    "मुझे क्या जो करना है करे वोह वैसे भी उस लङकी की गलती थी ज्यादा कुछ नहीं हुआ था उपर से झूठे इल्जाम भी लगाई अविनाष भाई पे तोह रूही दी ले एक्शन उसपर में तोह यही चाहता हूं"।

    गौतम जी ने फिर नवीन से कुछ कहा नहीं क्यूंकि वोह सच ही कह रहा था।

  • 3. Dark side of revenge - Chapter 3

    Words: 1203

    Estimated Reading Time: 8 min

    कश्यप इंड्रस्ट्रेस ।

    यहां वृषान जब से कैफे से लौट आया था वो तब से मीटिंग में ही बिजी हो गया था उसने प्रत्युषा से कोई बात नही की थी प्रत्युषा ने उसे बात करने की कोशिश की थी और वोह अपनी साइड भी बताने की कोशिश की पर वृशान ने उसे कुछ कहा ही नही। वोह फॉरन आफिस आया और क्लाइंट के साथ मीटिंग करने लगा।।3 घंटे के बाद वृशान अपने केबिन वापस आता है वोह बहुत थक भी गया था उसके चेहरे पर थकान साफ दिखाई दे रही थी।

    जब वृषान केबिन में आता है तोह उसे एक लडका चेयर पर बैठा हुआ दिखा उसका वोह वेट कर रहा था शायद। वृषान जब अपने डेस्क पर जाता है और बैठता है तोह वोह चौक जाता है। वोह उस लडके को चौंकते हुए कहता है।

    "भाई आप कब आए यहां?"

    उसके सामने बैठा हुआ लडका मुस्कुराते हुए कहता है।
    "जब तू मीटिंग में बिजी था तब"।

    वृषान कहता है।

    "तोह भाई मेरे असिस्टेंट को बोल देते ना की आप आए हों नही तोह मुझे ही कॉल करते आजाता में .... आपको इतना वेट नही करना पड़ता "।

    सामने बैठने वाला वृशान का बडा भाई वैभव कश्यप था। वैभव कश्यप ये कश्यप परिवार का बडा बेटा था और एक आर्मी ऑफिसर । वोह वृशान से 3 साल बडा था अब उसकी उमर 31 साल की थी । वैभव ने अपने आर्मी के सफर में बहुत अचीवमेंट और अवॉर्ड्स जीते थे। वृशान अपने बड़े भाई को बहुत मानता था उसकी हर एक बात उसके लिए आख़िरी थी याह यू कहे तोह वैभव का एक डिसीजन उसके लिए कमांड जैसे था।

    वैभव ने कहा।

    "इसकी कोई जरूरत नहीं थी वैसे भी काम के टाइम काम फोकस करना चाहिए यहां नही मिलता तोह हम घर मिल लेते उस में क्या है"।

    वृषान ने बस हा में सिर हिलाया उसे भी पता था की उसका बडा भाई काम केलिए बहुत ही सख़्त और पोटेंशियल है काम के टाइम काम यही उसका रूल होता था। इसलिए वृशान ने उसे कुछ कहा नहीं। वृषान वैभव को देखते हुए कहता है।

    "भाई अब चलते हैं घर अभी कोई काम तोह है नही और शाम भी हो रही है तोह हमे चलना चाहिए"।

    वैभव ने भी उसे हा कहा वैसे भी वैभव ने लीव ली थी और अभी वोह आया था पहले वोह घर जानें वाला था पर उसने सोचा कि वृषान को भी साथ चला जाय।

    वृषान और वैभव दोनो कश्यप इंड्रस्ट्रेस के बाहर आते हैं और अपने घर केलिए निकल पड़ते है कार में दोनो यहां वहा की बाते कर रहे थे वृशान भी अब जरा रिलेक्स हो गया था बातो मे उन्हे कश्यप निवास कब आया पता ही नहीं चला।





    कश्यप निवास।

    वृषान और वैभव दोनों घर आने के बाद मानव कश्यप और ललिता जी अपने पोटो को आया देखकर बहुत खुश हो जाते है । खुश हो भी क्यों ना वैभव बहुत टाइम बाद आया था घर ललिता जी अपनी बहु उर्मिला जी यानी वैभव और वृशान की मां को देखते हुए कहा। " बहु वैभव बहुत दिनों बाद घर आया है आज उसके सारी मनपसंद का खाना बनाना ठीक है "।

    उर्मिला जी ने मुस्कुराते हुए उन्हे कहा।
    "मां जी मैने पहले ही सब रेडी कर दिया है वैभव ने मुझे कॉल किया था"।

    ललिता जी उन्हे कहती है।

    "अच्छा हुआ बना दिया "।

    उसी दौरान वंश कश्यप भी वहा आते है और वैभव को देखकर बस मुस्कुरा देते है वैभव भी उन्हें देखकर बस मुस्कुरा देता है और उनके पैर छूता है। सब लोग लिविंग रूम में बाते कर रहे थे।

    मानव जी ने वैभव से पुछा।

    "और बताए कैसा चल रहा है काम आपका सब ठीक है ना"।

    "सब ठीक चल रहा है दादा जी " वैभव उन्हे जवाब देता है।

    मानव जी ने कहा।

    "अच्छी बात है अब आए है तोह लम्बी छुट्टी निकाल के ही आए है ना?"

    "जी हां दादा जी में इस बार लंबी छुट्टी निकालकर ही आया हु " वैभव ने उन्हें जवाब दिया।

    वंश जी ने उसे देखते हुए कहा।
    "वोह एक पार्टी तुमसे मिलना चाहती है कल उनके साथ तुम्हारी मीटिंग फिक्स कराऊ अगर कुछ काम ना हो तोह "।

    ललिता जी वंश जी को फटकार लगाते हुए बोलती है।
    "ओह नालायक अभी अभी तो आया है ना वोह आते आते ही उससे काम की बाते करने लग गए थोड़ा तोह उसे आराम करने दे हा तू उसका बाप है याह दुश्मन अपने बेटे की चेहरे की ठकावट भी नही दिखती तुझे देख तोह कितना सुख गया है मेरा बच्चा "।

    वंश जी ने ललिता जी से सपाट लहजे में कहा।

    "मां ऐसा नही है वोह पार्टी बस वैभव से ही मिलना चाहती है वृषान ने उनसे बात करने की कोशिश की पर कुछ फायदा नहीं हुआ उन्हे तोह बस वैभव से ही मिलना उन्होंने तोह सीधा कहा है अगर वैभव से उनकी मुलाकात नही होगी तोह वोह ये डील कैंसल कर देंगे और ये डील बहुत ही इंपोर्टेंट है कंपनी केलिए.... नही तोह वृशान और हम ही हैंडल कर लेते ना "।

    ललिता जी ने उन्हे मुंह बनाते हुए कहती है।

    "हा हा सब पता है मुझे"।

    वैभव ने उन दोनो को रोकते हुए कहा।

    "अरे दादी पापा सही कह रहे है मुझे उन्होंने ही इसके बारे में बताया था और ये तोह कंपनी की बात है तोह मुझे कोई प्रोब्लम नही है "।
    और वैभव ने वंश जी को देखते हुऐ कहता है।
    "पापा में कल उस पार्टी से मिलूंगा और वोह जरूरी फाइल्स दीजिए एक बार पड़ लेता हु"।

    वृशान जो इतनी देर से सब लोगों की बाते सुन रहा था वोह कहता है।
    "भाई में वोह आपको फाइल्स देता हु "।
    वैभव उसे बस हामी भर देता है।

    मानव जी कुछ सोचते हुए कहते है।
    "बड़ी अजीब बात है कंपनी के लोगो को वैभव से मिलने की इतनी दिलचस्पी क्यू है अगर वोह होगा तो ही डील साइन करेंगे ये कहा"।
    वंश जी ने उन्हे कहा।
    "पापा वोह डील साइन करने केलिए मान गए है वहीं बड़ी बात है बहुत बड़ी कंपनी है और उपर से उन्हें हमारा प्रोजेक्ट पसंद आया ये अच्छा हुआ अब कल देखते हैं क्या होता है "।

    मानव जी ने कहा।
    "हा सही कह रहे हों "।
    उर्मिला जी कहती है।
    "अब डिनर कर ले खाना ठंडा हो रहा है"।
    वृषाण कहता है।

    "हा चलो मुझे तो बहुत भूख लगी है"।
    इतना कहकर वोह डाइनिंग टेबल के पास चला जाता है।



    यहां दूसरी तरफ एक कमरे में.....

    ऋहांशी लेपटॉप के सामने बैठी कुछ काम कर रही थी। हर मिनिट में उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल रहे थे और उसके चेहरे का सीरियस भाव तोह अलग ही दिख रहे थे पता नहीं वोह क्या कर रही थी पिछले 2 घंटो से वोह लैपटॉप पर काम कर रही थी। जब उसका काम हो जाता है तोह उसके चेहरे पे विक्ट्री वाली स्माइल आती है और किसीको कॉल करती है ।

    "मैंने एक वीडियो तुम्हे सेंड किया है वोह कल तक वायरल हो जाना चाहिए और साथ ही में कुछ इनफॉर्मेशन है वोह सब न्यूज पर आना चाहिए जब तक मैं नही कहती तब तक वो न्यूज हटनी नही चाहिए समझे"।
    इतना बोलकर वोह कॉल रख देती है। और कमरे के खिड़की की तरफ़ आकर बाहर देखने लगती है फिर अपने आप से कहती है।

    "कल बहुत मजा आने वाला है"।

  • 4. Dark side of revenge - Chapter 4

    Words: 1084

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक बड़े से लिविंग रूम में लङकी सोफे पर बैठी थी। और सोफे पे बैठकर वो कॉफी के सिप लेकर उसका आनंद ले रही थी सच कहा जाएं तोह वोह लङकी जिस लिविंग रूम में बैठी थी उस रूम का इंटीरियर डिजाइन बहुत ही एलिगेंट और खूबसूरत था बहुत ही सादगी से वोह रूम डेकोरेट किया गया था। अगर कोई भी यहां आए तोह वही रहेगा वोह घर बहुत बडा था बाहर बगीचा था और अंदर बहुत सारे कमरे थे वोह भी इंटीरियर डिजाइन से अच्छे थे और वेल फर्निश । जैसे लिविंग रूम मे था वैसे ही।

    वही सोफे पर बैठी लङकी कॉफी पीने का आनंद लें रहि थी तोह उसके सामने एक 30 साल का बडा हेंडसम सा लडका बैठा हुआ लैपटॉप पर काम कर रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन काफी कोल्ड थे उसने उस लङकी को देखा तोह थोड़ा हैरान हुआ। उसने उस लङकी से प्यार से पूछा।
    "छोटी क्या हुआ आज तुम बहुत खुश नजर आरही हो कुछ बात है क्या?"

    उस लङकी ने उस लडके की तरफ़ देखा और ना में अपना सिर हिलाते हुए बोली। "नही तोह भाई ऐसा कुछ नही है"। इतना कहकर उस लङकी ने अपना चेहरा फेर लिया

    उस लड़के ने उसे देखते हुए कहा।
    "ठीक है कोई बात नहीं"।
    वोह लङकी आगे कुछ कह पाती उससे पहले चिलाने की आवाज़ आती है।

    रुहांशी.... रुहांशी कहा हों? रुहांशी

    जी हां वोह और कोई नही हमारी रुहांशी ही थी। रुहांशी समझ जाती है ये किसकी आवाज है इसलिए वोह अपने बड़े भाई अजिंक्य के पास जाकर बैठ जाती है। उसे ऐसे अपने पास आकर बैठा हुआ देखकर वोह उसे सावली नजरो से धीरे से पूछता है।

    "तुमने कुछ किया है क्या अविनाश क्यू इतना चिला रहा है"।

    ऋहांशी हा और ना दोनों में अपना सिर हिलाती है। अजिंक्य कन्फ्यूज हो जाता है उसे ऐसे कन्फ्यूज हुआ देखकर रुहांशी उसके कान में कहती है। "मैने कुछ किया भी नही है पर शायद कुछ हो सकता है भाई में आपको सब बाद में बता दूंगी बस अभी मुझे बचाओ इस चूहे से pls"।

    तब ही अविनाश वहा आता है और गुस्से से अपने दात पिस्ते हुए कहता है।
    "पागल लङकी ये क्या किया तुमने?"

    रुहांशी एटीट्यूड के साथ कहती है।

    "क्या किया मैने"?
    "बोल तोह ऐसे रही हो जैसे तुझे कुछ पता ही नही"। अविनाश ने रुहांशी को घूरते हुए कहा।

    अजिंक्य अविनाश को पूछता है।
    "क्या हुआ क्या किया रूही ने?"

    अविनाश अजिंक्य की तरफ़ देखकर कहता है।
    "आप खुद देख लिजिए न्यूज पर क्या दिखा रहे हैं"।

    अजिंक्य ने चौंकते हुए कहा।
    "न्यूज पे?"
    अविनाश ने TV स्टार्ट करते हुए कहा।
    "हा आज की ब्रेकिंग न्यूज है "।


    TV पे दिखा रहे थे।
    एक वीडियो को दिखा के ऐंकर बोल रही थी। मिस्टर रजत श्रीवास्तव के छोटे बेटे अविनाश के साथ किया गया बुरी तरीके से व्यवहार और साथ ही में उन्हें धमकी देने की कोशिश की गए है ये कोई और नही प्रत्युषा शाह ने की है। The Shah empire की ceo ने मिस्टर अविनाश श्रीवास्तव को जलील किया और साथ ही में हमारे सूत्रों को ऐसे इनफॉर्मेशन मिली है की शाह एंपायर बहुत से इलीगल काम में हाथ है "।

    ऐसे बहुत सारे इल्जाम प्रत्युषा शाह और उसके कंपनी लगाए जा रहे थे साथ ही में कश्यप इंड्रस्ट्रीस का भी उस में हाथ ऐसा कहा गया था।

    ये न्यूज देखने के बाद अविनाश और अजिंक्य रुहांशी की तरफ़ देखने लगे यहां ऋहांशी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी उसके चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी और अलग सा सुकून दिख रहा था।
    अजिंक्य ने उसके पास आते हुऐ पूछा।
    "क्यू किया ये सब रूही?"

    "रिवेंज" ऋहांशी ने अपनी जलती आंखो से कहा।

    अविनाश ने उसे समझाते हुए बोला।
    "पर इसकी क्या जरूरत थी हमने तोह सब सॉर्ट आउट किया था ना वहा तुम वहा कुछ बोली भी नही"।

    रुहांशी ने उसकी बातों को इग्नोर करते हुए अजिंक्य से कहा।
    "भाई आपको मेरे साथ आना होगा प्रेस कॉन्फ्रेंस में "। इतना कहकर वोह वहा से चली गए।

    अब उस रूम में बस अविनाश और अजिंक्य ही थे। अविनाश ने हताश होकर अजिंक्य की तरफ़ देखा। अजिंक्य ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा।
    "डोंट वरी में हु वहा उसके साथ और उसे कुछ नही होगा "। इतना बोलकर वोह भी वहा से चला गया।

    यहां पूरे शहर में ये न्यूज फैली हुई थी शाह और कश्यप दोनों को इस न्यूज के वजेसे बहुत इफेक्ट पड़ रहा था कंपनी के शेयर्स निचे गिर रहे थे और लॉस भी बहुत हो रहा था प्रत्युषा को तोह ये न्यूज देखकर झटका ही लग गया था ये हुआ कैसे क्यूंकि रजत श्रीवास्तव जानीमानी हस्ती थी एक समय पहले वोह बॉलीवुड के सक्सीफुल एक्टर हुआ करते थे और उनकी बहुत सी फैंस थे फैंस में से उनकी ज्यादा लड़किया ही फैंस थी ।
    पर कुछ पर्सनल इश्यू के कारण उन्होंने ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कहा और बिसीनेस की दुनिया में आगये और उनका बडा बेटा अजिंक्य वोह अपने पिता की कंपनी संभालता था साथ ही में उसके रूड बिहेवियर से तो सब वाकिफ थे पर प्रत्युषा को अविनाश के बारे में ज्यादा पता नहीं था इसलिए वोह पहचान नहीं पाई।

    प्रत्यूषा अपने ऑफिस के केबिन में टेंशन में यहा से वहा चक्कर लगा रही थी। उसे समझ नहीं आरहा था की अब क्या करे अगर इसे जल्द से जल्द रोका नही गया तोह उसकी कंपनी बरबाद हो जायेगी। उसे अब वृषान कॉल करना पड़ेगा ऐसा लगने लगा वोह वृशान को कॉल करती है।

    यहां कश्यप निवास में किसीको भी आज के न्यूज के बारे में पता नहीं था वृशान अपने जिम रूम में exercise कर रहा था। उसका मोबाइल बजने लगा वृशान ने उसे इग्नोर किया पर बार बार बजने पर वोह इरिटेट होकर बिना देखकर ही उठाता है। और कहता है।
    "हा बोलो क्या हुआ कितनी बार फोन करोगे एक बार नही उठाया मतलब बीसी है ये समझ नहीं आता क्या"।

    सामने वाले की बाट सुनकर वृशान का चेहरा सख़्त हो जाता है। और गुस्से में कहता है।
    "What a hell is this going on" इतना कहकर वोह कॉल कट कर देता है और कपड़े पहनकर लिविंग रूम मे आजाता है। और TV ऑन कर देता है वहीं न्यूज दिखा रहे थे। वृषान अपनी मुठिया कसते हुए बोलता है।

    "ये सब जिसने भी किया है ना उसको में छोडूंगा नही"। वृषाण की आंखें गुस्से में लाल हो गई थी और साथ ही में उसके चेहरे के एक्सप्रेशन काफी डरावने लग रहे थे उसे देखकर तो यही लग रहा था की वोह किसीको जान से मार ही डालेगा। और उसकी हाथ की नसे भी बाहर आरही थी।

  • 5. Dark side of revenge - Chapter 5

    Words: 1312

    Estimated Reading Time: 8 min

    कश्यप इंड्रस्ट्रएस मैं.....

    वृषाण वैभव और वंश जी ये तीनो इंड्रस्ट्रेस में आगये थे। इस न्यूज का असर उन्हे ज्यादा नही पड़ा था पर फिर भी शाह अंपायर के साठ उनके बहुत सारे प्रोजेक्ट और डील्स थे और साथी में उनके काले धंधे में कश्यप इंड्रस्ट्रेस का भी हाथ है ये कहने के बाद उन्हे नुकसान होना ही था अब कोई भी कंपनी अपने ऐसे लॉस तोह नही होने देगी जरूर कुछ ना कुछ करती वैसे ही इस पर क्या किया जाएं और ये समस्या कैसे हल होगी ये सब सोच रहे थे।

    उनके साथ शाह के चेयरमैन प्रकाश शाह भी मोजूद थे उन्होंने वंश जी को देखते हुए कहा।
    "मिस्टर कश्यप आपने कुछ सोचा है इस बारे में क्या करेंगे?"

    वंश जी ने बिना भाव के साथ कहा।
    "नही अभी तक तो मैने भी कुछ नहीं सोचा पर मुझे लगता है आपके बेटी ने उनसे माफी मांग लेनी चाहिए रजत श्रीवास्तव को हलके में नही लेना चाहिए "।

    प्रकाश शाह ने शर्मिंदा होते हुए उन्हे कहा।
    "जी मुझे माफ कीजिए मिस्टर कश्यप मेरी बेटी के बचकानी हरकतों के वजेसे आपको प्रॉब्लम हो रही है"।

    वंश जी ने उनसे कुछ नहीं कहा वैसे कहा जाए तोह ये सब प्रत्यूषा के बचकानी हरकतों और अहंकार के वजेसे ही हुआ था अगर वोह ऐसा कुछ नही करती तोह ये सब कुछ नही होता।

    वैभव ने मिस्टर शाह को पूछा।
    "वैसे जिसके वजेसे हुआ है आपकी बेटी कहा है दिखाई नही दे रही"।

    प्रकाश जी ने धिरे से कहा।
    "हा वोह आती ही होगी "। और मन में कहा।
    [ अगर मेरी बेटी ने ये सब किया नही होता तोह मुझे इस वंश के सामने गिरगड़ाने की जरूरत नहीं पड़ती और नाही इस वैभव की बाते सुने पड़ते पर क्या करे इसका सहारा लेना जो पड़ रहा है वोह किसिने सही कहा है गधे को भी बाप बनाना पड़ता है ]

    उसी दौरान डोर पे कोई नॉक करता है। वैभव अंदर आने की परमिशन देता है। अंदर प्रत्युषा आती है और सब को ग्रीट करती है वैभव उसे जब देखता है उसे देखकर तोह बहुत गुस्सा आता है और अपनी मुठिया भींच लेता है पर कुछ बोलता नही। यहां वृषान ऑफिस के खिड़की के सामने खडा होकर सिगारेट के कश ले रहा था वो किसी सोच में गुम था उसने अभी तक कोई बात नही की थी किसीसे। प्रत्यूषा वृषाण की तरफ़ देखती है उसे बस उसकी पीठ दिख रही थी जो खिड़की के सामने खडा था वोह उसे कुछ नही कहती और ये कहने का भी कोई समय नहीं था प्रत्युषा चुपचाप अपने पापा के पास जाके बैठ जाती है।

    वंश जी ने उसे देखते हुए कहा।
    "आपने कुछ सोचा है इस समस्या का हल कैसे निकाले?"

    प्रत्यूषा ने अपना सिर निचे करते हुऐ शर्मिंदगी से कहा ।
    "नही अंकल एंड एम वेरी सॉरी मेरी वजेस ये सब कुछ हुआ"।

    वंश जी ने उसे देखते हुऐ सपाट लहजे में कहा।
    "कोई बात नहीं आगे से ऐसा कुछ मत करना जिसे हमारी रेप्यूटेशन और बिजनेस पर बात आए"।

    "ओके अंकल "। प्रत्यूषा ने हा में सिर हिलाते हुए कहा।

    वैभव वृषाण को देखते हुए से पूछता हूं।
    "तुम्हारे पास कोई सॉल्यूशन है अब हम हाथ पर हाथ रखकर तोह नही बैठ सकते हमे जल्दी कुछ करना होगा वोह क्लाइंट ने भी ये न्यूज को देखकर मना कर दिया है"। जो मुझसे मिलने की जिद्द कर रही थी"।

    वृशान अब उन सब के पास आकर कुछ सोचते हुए कहता है।
    "भाई मेरे सामने तोह अब एक ही ऑप्शन दिख रहा है "।
    वृशान का जवाब सुनकर सब उसकी तरफ़ उम्मीद से देखते हैं। वंश जी ने जरा क्यूरियस होते हुए उससे पूछा।
    "और वोह क्या है?"
    वृषाण ने वंश जी की तरफ़ देखा और फिर प्रत्युषा की तरफ़ देखते हुए बोलता है।
    "प्रत्यूषा को अविनाश से माफी मांगनी होगी"।
    उसकी बात सुनकर प्रत्युषा को ये सुझाव पसंद नहीं आता पर बाकी सब को ये पसंद आता है। प्रत्यूषा ना में सिर हिलाते हुए बोलती है।
    "में और माफी वोह क्यू उसकी ही गलती थी उसको देखना चाहिए था ना हा मैने माना की मुझे उसके असली पहचान पता नहीं थी पर इस छोटे से एक्सिडेंट पर में उसे सॉरी बोलू मुझे सही नहीं लगता "।
    वृषान ने उसे देखते हुए सख़्त आवाज़ में कहा।
    "तुम्हारी इसी एटिट्यूड के कारण कंपनी बंद होने के कगार पर है कल शायद बैंकक्रेप्ट भी हो जाएं इसलिए कह रहा हु की चुपचाप उससे माफी मांगो .... वोह कोई साधारण लड़का नहीं है रजत श्रीवास्तव का छोटा बेटा है अगर वोह चाहें तोह एक मिनिट में यहां की दुनिया वहा कर देंगे "।
    प्रत्यूषा वृषान की बाते सुनकर हैरान हो जाती है आज तक कभी भी वृषाण ने उसपर चिलाके याह ऊंची आवाज़ में बात नही की थी। केबिन के अंदर सब शांत थे वंश जी और वैभव भी क्यूंकि उन्हे वृशान की बात सही लग रही थी। वोह चाहते तोह ये सब झूठ है और मामला रफा दफा भी कर सकते थे पर रजत श्रीवास्तव और अजिंक्य श्रीवास्तव के गुस्से को भली भांति जानते थे और वोह तोह अच्छा हुआ कि रजत जी और उनकी पत्नी यहां इंडिया में नही है। अगर वोह यहां होते तोह इससे भी और बडा हो जाता शायद शाह अंपायर के मालिक रास्ते में आजाते।

    प्रत्यूषा को चुप देखकर वृशान का गुस्सा और बड़ जाता है उसे वार्निंग देने के अंदाज में कहता है।
    "ऐसा समझो मत की ये तुम्हे बता रहा हु ये मेरी ऑर्डर है.... अगर नही करना है तोह मुझे बताओ में तुम्हारी कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दूंगा "।

    वृशान की बात सुने के बाद प्रकाश जी हड़बड़ाहट में खड़े हो जाते हैं और उसे कहते हैं।
    "वृषाण क्या कर रहे हो तुम ऐसे छोटी बात पर कोई डील थोड़ी कैंसल करता है"।

    वृषाण कहता है।
    "जब बिजनेस की बात हो तोह हम यही करते हैं और वैसे भी बिजनेस में रिश्ते नही देखे जाते बस प्रॉफिट देखा जाता है मुझे मेरे बिजनेस से बडकर कुछ नही है.... वृषाण कश्यप को दो ही चीजें मेटर करती है एक उसकी कंपनी और दूसरा उसका परिवार "।
    वृषाण की बाते सुनकर प्रकाश जी वंश जी की तरफ़ देखते हैं। और कहते हैं।
    "आप समझाए उसे कुछ "।

    वंश जी ने उन्हे देखकर कहा।
    "सही तोह कहा उसने क्या गलत कहा माफी तोह मागनी है"।

    "ठीक है में माफी मांगती हु " । प्रत्यूषा ने वृशान को देखते हुए कहा। इतना कहकर वोह अपने असिस्टेंट को कॉल करती है।
    हेलो मुझे अविनाश श्रीवास्तव का मोबाइल नंबर 15 मिनिट में दो "।
    इतना बोलकर वोह कॉल कट कर देती है। 5 मिनिट में उसके मोबाइल पर अविनाश का नो आजाता है। वोह फॉरन अविनाश को कॉल करती है।

    यहां अविनाश अजिंक्य और ऋहांशी साथ ही में ऑफिस के केबिन में बैठे थे। ऋहांशी को पता था की प्रत्युषा जरूर अविनाश को कॉल करेगी इसलिए उसने उसे आज श्रीवास्तव कॉर्पोरेशन में बुला लिया था।

    अविनाश का मोबाइल रिंग करने लगता है उसके कॉल आईडी पर अनकाउन नो फ्लैश हों रहा था। ऋहांशी उस नंबर को देखते हुए कहा।
    "बड़ी फास्ट है ये तोह उठा और स्पीकर पर डालो"।
    अविनाश कॉल उठाता है और कहता है।
    "हेलो "।
    सामने से प्रत्युषा की आवाज आती है।
    "हेलो मिस्टर अविनाश में प्रत्यूषा शाह बोल रही हूं"।

    अविनाश ने कहा।
    "जी कहिए "।
    प्रत्यूषा बड़ी प्यार से बोलती है।
    "सॉरी वोह उस दिन के मेरे बरताव केलिए मुझे पता नहीं था कि आप अविनाश श्रीवास्तव है उपर से मेरा मूड भी थोड़ा खराब था तोह सारा गुस्सा आप पर निकल गया "।

    अविनाश आगे कुछ कह पाता ऋहांशी उसके हाथ से फोन खींचती है और खुद बोलती है।
    "मिस शाह जैसे आपने मेरे भाई की इंसल्ट पब्लिक प्लेस पर की थी वैसे ही उससे सॉरी भी पब्लिक याह फीर प्रेस कांफ्रेंस लेके सामने से कीजिए गा क्यूंकि बेजती भी आपने सामने से ही की थी तोह सॉरी भी ऐसा ही बोले तोह अच्छा होगा "। इतना कहकर ऋहांशी प्रत्युषा का कोई जवाब सुने बिना ही कॉल कट कर देती है।

  • 6. Dark side of revenge - Chapter 6

    Words: 1024

    Estimated Reading Time: 7 min

    अविनाश उसे घुरकर देख रहा था। ऐसे अपने तरफ़ उसे देखते हुए ऋहांशी उसे कहती है।
    "मुझे ऐसे घूरने से कुछ नही होने वाला जैसा बोला है वैसा करो उसे भी तोह समझ आना चाहिए की हर इंसान के साथ इज्जत से ही पेश आना चाहिए चाहे वह अमीर घर से हो याह फिर साधारण घर से सब की इज्जत होती है.... अब तुम्हे पसंद है साधारण रहना कल जाके किसिके साथ वोह यही करेगी इसलिए उसे ये सबक सिखना ही होगा "।

    अजिंक्य ने उसके बात को समर्थन देते हुए अविनाश से कहा। "बात तोह सही कह रही है रूही और वैसे भी उसने श्रीवास्तव के बेटे को बेइज्जत किया है इसकी सजा तोह मिलनी चाहिए उसे"।

    अविनाश को भी उनकी बाते ठीक लग रही थी वोह ये सब करना नही चाहता था पर इससे प्रत्युषा को सबक तोह मिल जायेगा ये सोचते हुए वोह मान गया। उसने अपने भाई और बेहन को देखते हुए कहा।
    "ठीक है.... पर तुम्हे लगता है वोह प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर माफी मांगेगी क्यूंकि उसे घमंड तोह बहुत है "।

    अजिंक्य ने एविल स्माइल देते हुए उसे कहा।
    "वोह करेगी अपने कंपनी को बचाने केलिए तोह जरूर करेगी "।

    "और अगर नही किया तोह हमारे पास और भी तरीके है ये सब करवाने केलिए.... अभी तोह वृशान कश्यप उसे ये सब करने केलिए कहेगा "। ऋहांशी ने कहा।



    यहां कश्यप इंद्रुस्त्री में....
    यहां केबिन के अंदर ऋहांशी के ऐसे बात पर प्रत्युषा को बहुत गुस्सा आरहा था पर फिर भी उसने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और वृषान की और देखने लगी। वृषाण ने सारी बाते सुन ली थी यहां तक कि सब लोगों ने सुन ली थी उन्हें तोह हैरानी इस बात पर हो रही थी की ऋहांशी ने मूंह पर ही सब बोल दीया और तोह और उसकी ये डिमांड नही लग रही थी ऑर्डर लग रहा था वंश जी  ने अपने असिस्टेंट को बुलाया। और उसे ऑर्डर देते हुए कहा।

    "1 घंटे के बाद हमारी प्रेस कांफ्रेंस होगी मिडिया वालो को बुलाओ और साथ ही में अजिंक्य श्रीवास्तव और उनके टीम को भी इनवाइट करना उनसे वही माफी मांग लेंगे "।

    असिस्टेंट ने उन्हे अपना सिर हिलाते हुए कहा।
    "ओके सर "। इतना कहकर वोह वहा से चला जाता है।

    सब उन्हे देख रहे थे प्रकाश जी ने कुछ कहा नहीं क्यूंकि उनको भी यही एक रास्ता सही लग रहा था पर वृशान के मन में कुछ और ही चल रहा था।
    वैभव ने वंश जी ने कहा।
    "पापा हमारे पास और कोई ऑप्शन नहीं है क्या"?

    वंश जी ने उसे देखते हुए कहा।
    "नही यही है अब चलो प्रेस कॉन्फ्रेंस की तयारी करते हैं।
    उसके बाद सब डिस्कस करने लगे प्रत्युषा भी अब प्लान के थ्रू ही बोलने वाली वोह इतनी भी बेवकूफ नही थी की वंश जी को मना कर दे।


    1 घंटे बाद

    एक हॉल में पूरी मिडिया आई हुई थीं उन्हे कुछ सवाल पूछने थे और साथ ही कश्यप इंद्रुस्त्री का हाथ सच में काले कामों में है क्या ये सब जानना था इसलिए वोह बहुत उत्सुक थे आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस केलिये । और अविनाश के साथ जो बदतमीजी प्रत्युषा ने की थी उसका भी तोह जवाब चाहिए था उन्हे। कुछ ही देर में ऋहांशी अजिंक्य और अविनाश तीनो भाई बहन वहा आते हैं अजिंक्य और अविनाश ने फॉर्मल बिजनेस सूट पहना था। तोह ऋहांशी ने भी फॉर्मल बिजनेस सूट ही पहना था और अपने बालों की हाय पोनी टेल बनाई थी जो उसे हमेशा से पसंद थी। और चेहरे पे हलका सा मेकअप।

    अविनाश को वहा आया देखकर रिपोर्टर्स ने उसे एक साथ ही सवाल पूछने शुरू कर दिया ।

    पहले ने पूछा।
    "मिस्टर अविनाश श्रीवास्तव आपके साथ उस दिन क्या हुआ था?

    दूसरे ने पूछा।
    "मिस्टर श्रीवास्तव आपको मिस प्रत्युषा ने क्यू बेइज्जत किया क्या आप उनके खिलाफ कंप्लेंट करने वाले हैं "?

    तीसरे ने पूछा।
    "मिस्टर श्रीवास्तव आपकी इस स्केंडल पर क्या राय है "?

    उसी वक्त एक लडके की सख़्त आवाज़ आती है।
    "आपके सारे सवाल के जवाब मिल जायेंगे थोड़ा तोह इंतेजार करो"।
    सब पिछे देखते है अविनाश अजिंक्य और ऋहांशी भी वही उसी तरफ़ देखते जहा से आवाज़ आई थी।
    एक 28 साल का जो दिखने में किसी ग्रीक गॉड से कम नहीं लग रहा था और साथ ही में ब्लैक कलर बिजनेस सूट पहना था दिखने में बहुत ही हेंडसम था और उसके प्रेसेंस से ही सब पर उसके पर्सनेलिटी की छाप पड़ जाती है। वोह और कोई नहीं वृशान कश्यप था। यहा ऋहांशी भी एक पल केलिए वृशान की आंखो में खो सी गई थीं।
    वृशान आगे बढ़ता है उसके साथ साथ कश्यप इंद्रुस्त्री और शाह एंपायर के ओनर प्रकाश शाह और वंश कश्यप भी आते है। ऋहांशी जो वृशान में खो गई थी उसकी नजर वंश कश्यप और वैभव कश्यप पर पड़ते ही चेहरा सख़्त हो जाता है और ग्रुना से अपनी नजर वहा से हटा के सामने देखती है ।

    वंश वैभव प्रकाश शाह और प्रत्युषा वृषाण के पिछे आते हैं और स्टेज पर चले जाते हैं और वहा के चेयर्स पर बैठ जाते है वहा ऑलरेडी ऋहांशी और बाकी लोग मौजूद थे ही। प्रत्यूषा आगे आती है और अविनाश की तरफ़ देखते हुए बोलती है।

    "मेरे नादानी के कारण मिस्टर श्रीवास्तव को बेइज्जत होना पड़ा मुझे पता नहीं था की ये अविनाश जी है और गलती से कुछ ज्यादा ही ओवररेक्ट किया.... आम वेरी सॉरी जो भी कुछ हुआ उसके लिए आई होप आप मुझे माफ कर देंगे अविनाश जी "।

    अविनाश जो प्रत्यूषा को देख रहा था और उसकी बाते सुन रहा था वोह कुछ नहीं कहता बस उसे घूर के देखने लगा । हॉल में जो लोग मौजूद थे वोह ऐसे अविनाश को चुप देखकर आपस में खुसरफुसर करने लगे उनका कहना था की अविनाश कुछ बोल क्यू नही रहा है। वैसे अविनाश मिडिया के सामने ज्यादा आया नही था और नाही उसे बाकी लोगों की तरह ग्लेमर की दुनिया पसंद थी उसे साधारण और ज्यादा बाते ना करने वाला लड़का था।
    इसके अपोजिट अजिंक्य हमेशा किसी ना किसी खबरों में हमेशा रहता था कभी प्रोडक्ट लांच तोह कभी फोटोशूट याह रयूमर्स के वजेसे तोह वहा ऋहांशी को ज्यादा लोग जानते नही थे पर उसके खडूस नेचर और कोल्ड बिहेवियर के बारे में सब जानते थे ।

  • 7. Dark side of revenge - Chapter 7

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    अविनाश को चुप देखकर वैभव ने उसे देखते हुए पूछा।
    "क्या हुआ अविनाश आप कुछ बोल क्यू नही रहे आपने प्रत्युषा को माफ किया ना"।

    अविनाश ने वैभव को देखते हुए उसे एक स्माइल दी और कहा। "में इन्हे माफ तोह कर दू पर क्या ये आगे से किसीके साथ ऐसा बरताव नही करेंगी इसकी कोई गारंटी है आज मेरी असलियत जानने के बाद ये मुझसे माफी मांग रही है अगर में नॉर्मल इंसान होता तोह शायद इनके कहने पर मेरी ज़िंदगी 1 मिनिट में बरबाद कर देती है ना?

    वैभव ने अविनाश को समझाते हुए कहा।
    "ऐसा कुछ नही होगा वोह ऐसा कुछ नही करेंगी "।

    प्रत्यूषा भी वैभव का साथ देते हुए बोलती है।
    "आई प्रोमिस में ऐसा कुछ नही करूंगी मुझे अब मेरे किए पर पछतावा हो रहा है"।

    अविनाश ने कहा।
    "ठीक है आगे से मेरे रास्ते में आप नही आयेंगी मोहतरमा नही तोह इसका अंजाम बहुत बुरा होगा " ।
    इतना कहकर अविनाश वहा से किसिकी बात ना सुने वहा से चला जाता है। अजिंक्य और ऋहांशी उसे रोकते नही है क्यूंकि उन्हे उसका नेचर पता था वोह वही रुके क्यूंकि आगे का प्रोग्राम उन्हे देखना था।

    वैभव प्रत्युषा प्रकाश शाह और वंश कश्यप उसे ऐसे वार्निंग देकर जाते हुऐ हक्का बक्का देख रहे थे। वृषाण ने अपना गला साफ़ करते हुए रिपोर्टर्स का ध्यान अपनी तरफ करते हुए कहा।
    "अब मिस्टर अविनाश ने प्रत्युषा को माफ कर दिया है सो हम बाकी चीजों को क्लियर करना चाहेंगे की कश्यप इंड्रस्ट्रीज़ और शाह एंपायर के ओनर का किसी भी इलीगल कामों में हाथ नही है ..... ये हमारे दुश्मन है जिन्होंने जलील करने केलिए ये रूमर्स फैलाए है और साथ ही में....

    उसी टाइम रिपोर्टर्स के मोबाइल पर एक वीडियो आजाता है और वोह देखकर सब शॉक हो जाते हैं। ये वीडियो वैभव वंश जी और प्रकाश शाह के मोबाइल में भी आता है वोह उस वीडियो को देखकर उनकी आंखें गुस्से से लाल हो जाती है और प्रत्युषा को देखने लगते हैं। साथ ही में वंश जी का भी यही सिमिलर रिएक्शन था। रिपोर्टर्स उस वीडियो को देखकर वृशान की और देखते है वृषान सब को अपनी तरफ देख रहे है ये देखकर वोह रिपोर्टर्स को सवाली नजरो से पुछता है।

    "क्या हुआ ऐसे क्यू देख रहे हो सब"?
    वैभव वृशान के असिस्टेंट ध्रुव को इशारा करता है उसका इशारा मिलते ही ध्रुव वृशान के हाथ में टैबलेट देता है। वृषान वोह वीडियो देखता है वोह वीडियो  प्रत्यूषा का था उस वीडियो में वोह एक लडके के साथ इंटीमेट हो रहि थी और उसे अपने प्यार का इजहार कर रही थी।

    वृशान ने ये वीडियो देखता है तोह उसके पैरो तले जमीन खिसक जाती है उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वोह जो ये देख रहा है ये सच है उसने गुस्से में अपनी मुठिया भींच ली और प्रत्युषा की तरफ़ देखते हुए चिलाते हुऐ कहा।

    "ये सब क्या है?"
    प्रत्यूषा जो वृशान के थोड़ी दूर खड़ी थी वोह खुद हैरान और कन्फ्यूज थी उसे तोह समझ ही नहीं आराहा था की क्या चल रहा है उसने वीडियो देखी नही थी प्रत्युषा ने कन्फ्यूज होते हुए वृशान से पूछा।
    "क्या हुआ ऐसे क्यू चिला रहे हो मुझपर?"

    वृशान ने अपने दात पिस्ते हुए उसे कहता है।
    "तुम खुद देख लो"
    इतना बोलकर वोह अपना टेबलेट प्रत्युषा के हाथ थमा देता है। प्रत्यूषा टेबलेट अपने हाथ में लेती है और वोह वीडियो देखने लगती है वीडियो देखने के बाद उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है प्रत्युषा थोड़ी सी वृशान से दूर होते हुए बोलती है।

    "वृशान ऐसा कुछ नहीं है मेरी बात सुनो एक बार"।
    तब वृशान उसपर चिलाते हुए कहता है।
    "ऐसे बात नहीं है तोह कैसे है "?

    तब ही एक रिपोर्टर खडा होके वृषाण से पुछता है।
    "मिस्टर वृषान कश्यप आपको आपकी गर्लफ्रेंड चिट कर रही थी और आपको पता भी नही चला?"

    दूसरे रिपोर्टर ने प्रत्युषा से पूछा।
    "मिस शाह आप मिस्टर कश्यप के साथ उनके पैसों केलिए रहती थी क्या?"
    ऐसे बहुत अजीब और तिखे सवाल प्रत्युषा और वृषान को पूछे जानें लगे।

    यहा दूसरी तरफ अजिंक्य और ऋहांशी बैठकर इस ड्रामे का मजा उठा रहे थे उनके चेहरे पर तोह कोई भाव नहीं थे पर एक दूसरे को देखकर ही आंखों से इशारे कर रहे थे और मन ही मन मुस्कुरा रहे थे ऋहांशी ने अजिंक्य के कान में और धिरे से कहा ताकी किसीको उनकी आवाज़ ना जाएं।
    "इसको कहते है असली बदला.... अब हुआ मेरे भाई के बेजति का बदला पूरा"। इतना कहकर वोह वृषाण और प्रत्युषा को देखने लगी अजिंक्य ने उसे देखते हुए कहा।

    "मुझे पता था की तू ऐसा ही कुछ करेगी इतनी आसानी से नहीं छोड़ोगी तुम किसिको "।
    ऋहांशी ने अजिंक्य को बस एक स्माइल दी ।

    यहां वृषान ने सब के सवालों को इग्नोर करते हुए प्रत्युषा को सवाल करते हुए पूछा।
    "तोह ये वीडियो झूठी है क्या?"
    इस वक्त वृशान बहुत गुस्से में नजर आराहा था और उसकी आंखें लाल हो गई थी प्रत्युषा ने उसका कोई जवाब नहीं दिया उसका कोई जवाब ना मिलते देखकर वोह प्रत्युषा का हाथ पकड़कर उस हॉल से खींचकर चला जाता है प्रकाश जी भी अपनी बेटी की इस बरताव पर बहुत शर्मिंदा थे उन्होंने वंश जी को बिना कुछ कहे ही वहा से चले गए।

    वैभव ने सब रिपोर्टर्स को रिक्वेस्ट करते हुऐ बोला।
    "अब आपसे रिक्वेस्ट करता हू की आप जाएं आज की कॉन्फ्रेंस यही खतम होती है "।
    वही अजिंक्य और ऋहांशी वैभव के पास आते हैं वैसे भी अब उनका वहा रुकने का कोई मतलब था ही नहीं.... फिर अजिंक्य वैभव को देखकर कहता है।
    "मिस्टर कश्यप अब हमे भी चलना चाहिए"।

    वैभव ने मुस्कुराते हुए और उसे हाथ मिलाते हुए कहा।
    "जी हां वैसे am very sorry for this all but we meet again"।
    अजिंक्य ने हा में सिर हिलाया।

    "आपके छोटे भाई को संभाले दिल टूट गया है उसका क्या पता कबीर सिंग बन जाए "। ऋहांशी ने वैभव से कहा ऋहांशी ने कबीर सिंग शब्द पर ज्यादा जोर दिया था और उसके कहने का मतलब क्या है ये वैभव समझ गया उसने बस हा में अपना सिर हिला दिया।

  • 8. Dark side of revenge - Chapter 8

    Words: 1209

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब इस वक्त वृशान और प्रत्युषा पार्किंग एरिया में एक दूसरे के सामने खड़े थे वृषाण हॉल से प्रत्युषा को यही इस जगह ले आया था। वृषाण अभी प्रत्युषा की तरफ़ देख रहा था उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही थे बस उसकी आंखें ही बता रही थी की उसे कितना गुस्सा आया है उसकी आंखें लाल हुई थी कहते है ना अकसर बार हमारा चेहरा नही हमारी आंखें ही सब कुछ बताती है.... वही प्रत्युषा की नजरे निचे थी उसे बार बार यही लग रहा था की वृषाण उसके साथ गुस्से में कुछ कर ना दे। क्यूंकि उसका गुस्सा बहुत ही खतरनाक होता है।

    वृषाण ने उसे देखते हुए सर्द आवाज में पूछा।
    "तुम कुछ कहना चाहोगी इस बारे में"?

    प्रत्यूषा ने वृशान को देखते हुए कहा।
    "वोह वीडियो झूठ है ऐसा कुछ नही हुआ था हमारे बिच "।

    वृषाण ने उसे sarcastically देखा और कहा।
    "हा वोह वीडियो झूठ है ना तुम्हे फसाने की कोशिश कर रहे है दुश्मन हमे अलग करना चाहते है ?"

    प्रत्यूषा ने अपनी नम आंखों से कहा।
    "हा राइट सही कहा "।
    प्रत्यूषा के ऐसे एक्सक्यूजिस देखकर अब वृषान अब पक गया था वोह अपनी गलती मानने के बजाए एक्सक्यूजिस दे रही थी उपर से ये झूठ है बोल रही थी।

    वृषाण ने प्रत्युषा को देखते हुए और उसकी तरफ उंगली करते हुए बोला।
    "Let's break-up हम दोनो के रास्ते अब अलग हुए है आइंदा से मुझे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश मत करना नही तोह मुझे भी नही पता की में गुस्से में तुम्हारे साथ क्या करूंगा"!
    इतना कहकर वृशान वहा से जानें लगता है प्रत्युषा रोते हुए उसका हाथ पकड़कर उसे रोकती हैं और कहती है।

    "ऐसा मत करो वृषाण मुझे एक मौका दो अगली बार ऐसा कुछ नहीं करूंगी"। प्रत्यूषा उसके सामने अपने हाथ जोडके माफी मांगती है गिरगिराती हैं पर इसका उसपर कोई फरक नहीं पड़ता।
    वृशान उसकी कोई बात नहीं सुनता वोह अपनी कार में बैठकर वहा से चला जाता है। आज वृषाण का दिल टूटा था उसने जिस लड़की से सच्चा प्यार किया था उसने आज उसे धोका दे दिया .... क्या क्या नही किया था उसने प्रत्युषा केलिए उसके कहने पर उसके कंपनी को अपना पार्टनर बनाया।
    यहां तक कि बहुत सारे डील्स उनके बेहाल्फ में लेता था पर प्रत्युषा ने क्या किया किसी और लडके के साथ रात बिताई मतलब एक ही साथ दोनो के साथ अफेयर। इसी सोच में गुम वृशान कार में बैठा था।

    वही दूसरी तरफ क्लब में.....

    रुहांशी यहां अपने दोस्तो के साथ पार्टी करने आई थी वैसे उसे यहां आने का मन नही था पर उसके जिगरी दोस्त कैवल्य और जिज्ञासा ने उसे जबरदस्ती यहां क्लब में लेके आए। रुहांशी साइड के टेबल पर बैठी हुई थी और कोल्डड्रिंक पी रही थी जिज्ञासा और कैवल्य डांसिंग लॉज पर डांस कर रहे थे। जिज्ञासा ने उसे बुलाया पर वोह नही गए।

    तब ही पिछे से एक लडके की आवाज़ आई।
    "हमारी दबंग गर्ल यहां क्या कर रही हैं"?
    ऋहांशी ने अपनी नजरे उठाई और उपर करके देखा तो वहा एक 26 साल का उसी के उमर का हेंडसम लड़का खडा था उसे देखकर रुहांशी खुशी से चेयर से उठकर गले लगाते हुए बोलती।

    "तनवीर तुम"

    तनवीर ने उसे गले लगाते हुए कहा।
    "हा में आगया तुम यहां कैसे ?"
    ऋहांशी ने उसे अलग होते हुए कहा।
    "अरे में कैवल्य और जिज्ञासा के साथ आई हु" और अपनी उंगली कैवल्य और जिज्ञासा की तरफ़ पॉइंट करते हुए बोली।

    "वोह देखो दोनो वहा डांस कर रहे हैं "।

    "अच्छा वैसे ये दोनो अभी भी साथ ही में है क्या 😅 " तनवीर ने उन्हे देखते हुए हंसते हुए कहा।

    ऋहांशी ने उसे मुंह बनाते हुए कहती है।
    "हा अभी भी साथ ही में है "। और तनवीर को घूरते हुए कहती हैं।"तुम कब आऐ अमेरिका से और आए तोह मुझे बताया क्यू नही?"

    तनवीर ने लंबी सांस लेते हुए कहा।
    "हुऊऊह पिछले हफ्ते ही आया हु यहां कॉल करने वाला था पर वोह ऑफिस के कामों में व्यस्त हो गया इसलिए भूल गया सॉरी "।
    तनवीर ऋहांशी कैवल्य और जिज्ञासा ये चारों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे ग्रेजुएशन के बाद हर कोई अपने अपने करियर में बिजी हो गया तनवीर अपनी आगे की पढ़ाई करने केलिए अमेरिका चला गया और वहीं जाके सेटल हुआ वोह छुटिया में यहां इंडिया आता था और इन सब से मिलकर जाता था।

    ऋहांशी ने उसे पूछा।
    "अच्छा ठीक है कितने दिन केलिए यहां रुके हुए हो.... इस बार ज्यादा देर केलिए रुकना ढेर सारी बातें और मजे करेंगे तू भी बहुत साल बाद आया है यहां "।

    तनवीर ने ऋहांशी के बाल बिगाड़ते हुए कहा।
    "हा हा जरूर वैसे भी में अपना बिजनेस यहां भी सेटअप करने वाला हु तोह मिला करेंगे "।

    ऋहांशी ने तनवीर को हल्की से मारा और अपने बाल ठीक करते हुए बोली।
    "मेरे बाल बिगाड़ो मत अभी भी मुझे परेशान करने की आद्दत नही गए तुम्हारी 🙄"

    तनवीर ने उसे अपने दात दिखाते हुए कहा।
    "मुझे तुम्हे परेशान करना पसंद है ना इसलिए और तू भी किया करती थी भूल गई "।

    "ह.... हा.... समझ गई में "। ऋहांशी ने जबरदस्ती खासते हुए उसे कहा।
    तब ही कैवल्य और जिज्ञासा वहा आते हैं और तनवीर को देखकर कैवल्य बहुत खुश हो जाता है और उसे देखते हुए कहा।
    "ओह डार्लिंग फाइनली तू आगया"। इतना कहकर वोह उससे गले लग जाता है कैवल्य थोड़ा सेंटी हो गया था। जिज्ञासा और ऋहांशी उसे ऐसा करता देखकर अजीब नजर से देखने लगती है जिज्ञासा कहती है।
    "लगता है मैंने गलत लड़के को डेट किया है रूही 😭"।

    ऋहांशी जिज्ञासा का मतलब समझ जाती है इसलिए वोह भी उसे साथ देते हुए कहती हैं।
    "मैंने तोह तुझे पहले से ही कहा था इसके बारे में पर नही तुझे तोह मेरी बात माननी ही नही थी ना अब ले हो गया कांड "।

    जिज्ञासा रोने की एक्टिंग करते हुए ऋहांशी के कंधे पर अपना सर रखके बोलती है।
    "हाय मेरी ज़िंदगी बरबाद हो गई अब मैं क्या करूंगी 😭😭😭"।

    यहां तनवीर और कैवल्य जो एकदूसरे से गले मिल रहे थे वोह जिज्ञासा और ऋहांशी को देखने लगे उन्हे तोह समझ ही नही आराहा था की ये दोनो ऐसी बातें क्यू कर रही है। वोह दोनो कभी उन्हे देखते तोह कभी एक दूसरे को तनवीर को फिर कैवल्य की बात याद आती है और उससे दूर होते हुए झल्लाते हुए कहा।

    "में स्ट्रेट हु मुझे लड़किया ही पसंद है मैंने तोह 1 लड़की को भी डेट किया है.... अबे बोलने से पहले सोचा कर क्या बोल रहा है बेवकूफ "।

    कैवल्य को भी अब याद आया कि क्या हुआ है उसने सब को समझाते हुए कहा।
    "अरे में as a friend कहा था हर बार डबल मीनिंग नही लेते तुम लोगों का कुछ नही हो सकता positively सोचा करो जरा 😤"

    उसकी बाते सुनकर ऋहांशी और जिज्ञासा एकदूसरे को ताली देते हुए हसने लगती है और कैवल्य और तनवीर उन्हे बुरी तरीके से घूरने लगते हैं।

    जिज्ञासा ने अपनी हसी को कंट्रोल करते हुए कैवल्य से कहा।
    "तुम दोनो को उल्लू बनाना बहुत आसान है"।
    तनवीर और कैवल्य को अब ये समझ नहीं आराहा था की उन दोनो को क्या जवाब दे क्यूंकि हमेशा की तरह उनकी फ्रेंड्स ने उल्लू बनाया है जैसे वोह कॉलेज में किया करती थी तनवीर ने इनका कुछ नहीं हो सकता ऐसा कहकर कैवल्य को इशारों ही इशारों चुप रहने बोला था।

  • 9. Dark side of revenge - Chapter 9

    Words: 1116

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह का वक्त श्रीवास्तव विला ....

    आज सुबह ही रजत जी और नंदिनी जी फॉरेन से आए थे उन्हे आया देख के अजिंक्य और अविनाश बहुत खुश हो गए थे वोह लिविंग एरिया में बैठकर बातें कर रहे थे.... ऋहांशी कल रात तक क्लब में थी इसलिए उसे घर आने में देर हो गई थी इसी कारण ऋहांशी अभी तक सोई हुई थी ... अजिंक्य ने उसे उठाया नही था उसे वैसे ही सोने दीया। नंदिनी जी ने  रूहांशी को वहा ना देखकर यहां वहा देखते हुए अजिंक्य से सवाल करते हुए पूछा।
    "अजिंक्य ऋहांशी कहा है वोह कही दिखाई नही दे रही"?
    अविनाश जो अपनी मां का लाडला बेटा था उसने ऋहांशी की नंदिनी जी के पास चुगली करते हुए कहा।

    "अरे मॉम महारानी घोड़े बेचकर सो रही है कल maddam क्लब गए थी दोस्तों के साथ तोह रात में आने में देर हो गई इसलिए अभी तक सो रही है लगता है कल का हैंग ओवर अभी तक उतरा नही है उसका"।

    अविनाश की बात सुनकर नंदिनी जी आंखें बड़ी हो गए और अजिंक्य की तरफ़ देखने लगी और उसे पूछा।
    "ये क्या सुन रही हु में सच है ये"?

    अजिंक्य जो अविनाश को खा जानी वाली नजरो से देख रहा था वोह मन ही मन में बोला।
    "इसको हमेशा रूही को डाट लगवानी रहती है... क्यू मेरी बच्ची के पिछे पड़ा रहता है पता नहीं"।
    अजिंक्य ने कहा।
    "
    अरे मॉम वोह मैंने ही कहा था उसे की थोड़ी देर जाओ अपने दोस्तों के साथ हर दिन काम करती रहती है कंपनी और कोर्ट का तोह इसलिए बोला मैंने थोड़ी फ्रेश हो जायेगी ना वोह "।

    नंदिनी जी ने अपनी आंखें छोटी करते हुए उसे बोली।
    "हा तुम्हारे ही वजेसे वोह बिगड़ रही है और लाड प्यार करो उसके"।

    अविनाश ने नंदिनी जी को समर्थन करते हुए कहा।
    "सही कहा आपने मॉम भाई के वजेसे ही वोह बिगड़ने लगी है भाई हमेशा उसकी साइड लेते हैं "।

    रजत जी जो इन तीनो की बाते सुन रहे थे वोह नंदिनी जी से कहते हैं।
    "नंदिनी गुड़िया पार्टी केलिए ही तोह गए थी और ये तोह उमर है दोस्तों के साथ एंजॉय करने की अभी नही करेगी तोह कब करेगी वोह अविनाश और अजिंक्य भी तोह जाते है ना अपने दोस्तो के साथ उन्हे कभी मना नही किया तुमने "।

    नंदिनी जी ने उनसे कहा।
    "तोह मैंने कहा मना किया है बस इतना है की लेट तक ना सोये कोई "।
    तब ही उसी टाइम पिछे से आवाज़ आती है।
    "किसने कहा की में घोड़े बेचकर सो रही हूं?"
    सब लोग जहां से आवाज़ आई वहा देखने लगे तोह उन्होंने देखा कि सीडियो पर ऋहांशी खड़ी थी। उसे देखकर तोह अविनाश शॉक हों गया वोह खुद से ही बड़बड़ाते हुए बोला।

    "अरे ये तो सोई हुई थी ना फिर कैसे उठ गई मैंने खुद इसके रूम में जाके देखा था ये सो रही थी फिर उठी कैसे उपर से तयार भी हों गए"।
    अजिंक्य ने उसके आवाज़ सुन ली थी उसने उसके कान के पास धिरे से बोला।
    "वोह कब की जग गए थी महाशय बस थोड़ा आराम कर रही थी और उसने उपर से तेरी सारी बातें सुन ली है "।

    अजिंक्य की बात सुनकर अविनाश अपने नाखून चबाने लगा क्यूंकि अब उसकी ऋहांशी बहुत पिटाई करने वाली थी इस में तोह उसकी मॉम डेड क्या भगवान भी बचा नही सकते थे 😂 उसने मन ही मन कहा।

    "अब तो ये डायन मुझे खा जायेगी हे प्रभु मेरी रक्षा करना "।

    ऋहांशी ने निचे आते हुए नंदिनी जी से कहा।
    "मॉम आपका लाडला बेटा हमे फसाने केलिए हमारी झूठी कंप्लेंट कर रहा है पहले आप देख तोह लेती ऐसे ही आंख बंद करके किसी पे भरोसा नहीं करते "।

    रजत जी ने उसे देखा तोह वोह पूरी तयार हुई थी उन्होंने ने नंदिनी जी को देखते हुए कहा।
    "देखा वो तयार हो गई है अब ताना मारना बंद करो " और ऋहांशी से बोले।
    "आओ बिटिया बैठो "।

    नंदिनी जी ऋहांशी को देखा और मुस्कुराते हुए कहा।
    "अरे वोह तुम मुझे यहां दिखी नही ना इसलिए पूछा"।

    ऋहांशी ने अपने स्लिव्स को फोल्ड करते हुए बोली।
    "हा मैंने यहां की सारी बाते सुन ली "।
    और रजत जी के पास जाकर बैठ गई और अविनाश को घूरने लगी। अविनाश जो उसे ही देख रहा था उसने हड़बड़ाहट में कहा।
    "अरे में जब आया था तब तुम सो रही थी ना इसलिए मुझे लगा की तुम सो गई हो "।

    ऋहांशी ने उसपर कताश करते हुए कहा।
    "आंखो दिखने वाली हर चीज़ सच हों ऐसा नहीं होता "।

    रजत जी को कुछ याद आता है वोह ऋहांशी और अविनाश को रोकते हैं और पूछते हैं।
    "अच्छा ये बताओ वोह कल क्या न्यूज आरही थी प्रत्युषा ने अविनाश को बेइज्जत किया क्या मसला है वोह "?
    उनके इस सवाल पर अजिंक्य ऋहांशी और अविनाश एक दूसरे को देखने लगते हैं । नंदिनी जी को भी याद आया की कल न्यूज पे ये खबर आई थी और एक विडियो भी दिखा रहे थे साथ ही में ये इंडिया की ब्रेकिंग न्यूज हो गई थी। उन्होंने ने भी तीनों को देखते हुए पूछा।

    "हा क्या हुआ था मैंने वोह न्यूज पड़ी थी पर मुझे कुछ समझ नहीं आया अविनाश के साथ क्या किया था?"
    अजिंक्य ने एक गेहरी लंबी सांस ली और उन दोनो को पूरी बात बता दी अजिंक्य की बात सुनकर नंदिनी जी चौक जाती हैं और अपने दिल पर हाथ रखकर बोलती है।
    "हे राम इतना सब कुछ हों गया और तुम तीनों ने बताया भी नही हमे.... "

    ऋहांशी ने कहा।
    "आप बाहर गए थे ना मॉम और आपको परेशान करना ठीक नहीं लगा इसलिए हम ने बताया नही आपको but don't worry now everything is alright.

    नंदिनी जी ने मुस्कुराते हुए ऋहांशी को देखते हुए कहा।
    "ऐसा कुछ नहीं है बेटा अब तुम कह रही हो की सब ठीक है तोह अच्छी बात है.... वैसे भी मुझे पता था की अगर ऐसा कुछ हो जाता है तोह तू उन लोगों को छोड़ोगी नही"।

    ऋहांशी नंदिनी जी को देखकर बस मुस्कुरा देती है। रजत जी ये सब सुनने के बाद गेहरी सोच में चले जाते हैं उन्हें खोया हुआ देखकर अविनाश ने रजत जी से कहा।

    "डेड आप क्या सोच रहे हैं?"
    रजत जी जो अपने खयालों में गुम थे उनका ध्यान टूटता है और अविनाश को देखते हैं। ना में अपना सिर हिलाते हुए कहते हैं।

    "नहीं कुछ नही बस ऐसे ही"। उसी दौरान उनका मोबाईल बजने लगता है रजत जी अपने पॉकेट से मोबाइल निकालकर देखते हैं तोह उनके एक्सप्रेशन सख़्त हो जाते है वोह जल्दबाजी में उठकर लिविंग रूम से बाहर चले जाते हैं सब उनको ऐसे जाता हुआ देखकर देख रहे थे उन लोगों को समझ ही नहीं आया की रजत जी ऐसे जल्दबाजी में उठकर बाहर क्यू चले गए?

  • 10. Dark side of revenge - Chapter 10

    Words: 1159

    Estimated Reading Time: 7 min

    रजत जी जब बाहर आके कॉल रिसीव करते हैं तब कॉल के सामने से एक कड़क और दमदार आवाज आती है।
    "हेलो कैसे है आप मिस्टर श्रीवास्तव"?

    "में.... में थी..... ठीक हु "। रजत जी अदखड़ते हुए बोले।

    सामने से आवाज़ आई।
    "अरे क्या हुआ आप ठीक तोह है ना आपकी आवाज़ ऐसे क्यू आरही है?"

    रजत जी की पूरी बॉडी कांप रही थी और उनका हाथ भी बहुत कांप रहा था उन्होंने खुद को शांत किया और बोले।
    "नही ऐसा कुछ नहीं है बोलिए आप आज कैसे कॉल किया "?

    सामने से एक आदमी की आवाज़ आती है।
    "नही बस ऐसे ही कॉल किया मुझे याद आगये तोह कर लिया वैसे मेरी राजकुमारी कैसे है?"

    रजत जी ने हड़बड़ाते हुए कहा।
    "ठीक है वोह आप टेंशन मत लिजिए उसे कुछ नही होगा वोह सेफ है यहां "।

    उस आदमी ने कहा।
    "सच में सेफ है क्या?"
    उसके सवाल पर रजत जी कोई जवाब नहीं देते उनका कोई जवाब ना सुनकर वोह आदमी फिर अपनी कड़क आवाज में पुछता है।

    "वैसे वोह उससे मिली याह नही?"


    "हा ऋहांशी मिली उससे और कल शायद उसका किसी लड़की के साथ रिलेशनशिप था वोह भी उसने तोड़ दिया.... है "।
    रजत जी ने उस आदमी को इनफॉर्मेशन देते हुए कहा।

    उस आदमी ने खुश होते हुए कहा।
    "Wow good फिर तोह हमारा काम और आसान हो गया है "।
    रजत जी ने कहा।
    "हा हमारे लिए तोह आसान हो गया है "।

    उस आदमी ने उन्हे वार्निंग देते हुए कहा।
    "हा वोह तोह है पर इन सब में ऋहांशी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे अगर उसे कुछ भी हुआ तोह तुझे और तेरी कंपनी को उड़ा दूंगा समझे फिर मत कहना की मैंने बताया नही"।

    रजत जी ने उसे समझाते हुए कहा।
    "ऐसे कोई नोबट आयेगी ही नहीं वोह मेरी भी बेटी है में उसका खयाल रखूंगा.... और तुम उसको इतना कमजोर समझते हों क्या वोह शेरनी है उसे पता है कैसे शिकार करनी है और कैसे लड़ना है "।

    उस आदमी ने कहा।
    "हा पर मुझे उन लोगों पे भरोसा नहीं है ना "।

    रजत जी ने उसे आश्वासन देते हुए कहा।
    "वोह लोग इस बार उसके साथ कुछ नहीं गलत नहीं कर पायेंगे"।

    उस आदमी ने कहा।
    "वोह तोह आने वाले समय में पता चल ही जायेगा मेरी नजर है तुम सब पर"। इतना कहकर उस आदमी ने कॉल कट कर दीया रजत जी अपने फोन को ही घूरने लगे और किसी सोच में घूम हों गए। ये रजत जी केलिए कोई नई बात नही थी हर मेहने ये आदमी उनको कॉल करता था और धमकी देता याह फिर ऋहांशी के बारे में पुछता था और वहा का हाल पुछता।

    पिछे से किसीकी आवाज़ आती हैं।
    "किसका कॉल था?"

    रजत जी पीछे मुड़कर देखते हैं पर वोह कुछ नहीं बोलते बस एक गहरी सांस लेते हैं और सामने की तरफ़ देखने लगते हैं। वोह और कोई नहीं नंदिनी जी थी.... नंदिनी जी और अजिंक्य थे दोनों जब रजत जी बाहर जल्दबाजी में जाते है तब वोह अविनाश और ऋहांशी को नॉर्मल बात बोलते हैं फिर दोनो भी उनके पीछे बाहर आते जहा.... रजत जी मोबाईल पे बात कर रहे थे वहा से थोड़ी दूर ही खड़े हो गए थे। उनकी खामोशी को नंदिनी जी और अजिंक्य ने पड़ लिया इसलिए वोह दोनो रजत जी के पास आते हैं।

    नंदिनी जी रजत जी को देखते हुए कहा।
    "उसका ही कॉल था ना?"

    रजत जी बस हा में अपना सिर हिला देते हैं। अजिंक्य ने उनसे पूछा।
    "अब क्या हुआ क्यू कॉल किया था उसने आपको?"

    रजत जी ने सामने देखते हुए उसे जवाब दिया।
    "वही सब ऋहांशी के बारे में पूछ रहा था "।

    अजिंक्य ने जरा गुस्से में कहा।
    "क्या प्रोब्लम है इसकी हर बार कॉल करके हमे धमकी देता है उपर से रूही के बारे में पुछता है अगर इतनी ही फिकर है तोह यहां आजाये ना "।

    रजत जी ने उसे देखा और बोलते हैं।
    "अगर वोह यहां आया ना अजिंक्य तोह मुंबई को खतम कर देगा इसलिए यही सही रहेगा की वोह यूरोप में ही रहे वोह विधवंस कुछ भी कर सकता है"।

    नंदिनी जी ने रजत जी की बातों का समर्थन करते हुए कहा।
    "हा अजिंक्य वोह कोई ऐसा वैसा आदमी नही है.... कुछ भी कर सकता है वोह यही ठीक है की वोह इंडिया वापस ना आए अगर आया तोह बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जायेगी हमे बस ........ ऋहांशी का खयाल रखना है उसे कुछ नही होना चाहिए नही तोह वोह हमे छोड़ेगा नही "।

    अजिंक्य ने नंदिनी जी से क्यूरियस होते हुए कहा।
    "इतना खतरनाक आदमी है वोह "। और अपनी बात कंटिन्यू करते हुए आगे बोला।
    "Don't worry mom ऋहांशी को कुछ नहीं होगा हम कुछ होने ही नही देंगे में तोह हमेशा से उसे ही सपोर्ट करता हूं "।

    नंदिनी जी ने स्माइल देते हुए कहा।
    "हा हमे पता है "।

    अजिंक्य ने रजत जी और नंदीनी जी को देखते हुए सवाल पूछा।
    "मॉम डैड रूही के असली मां पापा कोन है?

    उसका सवाल सुनकर रजत जी और नंदिनी जी शॉक में अजिंक्य को देखने लगे उन्हे ये समझ नहीं आराहा था की अजिंक्य ने ऐसे अचानक क्यू सवाल किया क्यूंकि उसने कभी भी ऋहांशी के बारे में पूछा नही था वोह दोनो एक दूसरे को देखने लगे। फिर रजत जी ने उसे कहा।
    "जब टाइम आयेगा तब में बता दूंगा अभी ये सही वक्त नही है"।
    अजिंक्य ने फिर कुछ नही पूछा और बोला।
    "ओके में चलता हूं ऑफिस केलिए टाइम हो रहा है "।

    नंदिनी जी ने कहा।
    "टाइम पे लंच करना "।

    अजिंक्य ने मुंह बनाते हुए कहा।
    "मॉम में टाइम पे ही लंच करता हूं "।

    नंदिनी जी ने उसके कान पकड़कर कहा।
    "ज्यादा झूठ बोलने की जरूरत नहीं है मुझे पता है तू ठीक से और टाइम पे लंच नही करता "।

    "आउच धिरे मॉम में कोई बच्चा नहीं हु आप जो मेरे कान पकड़ रही हो बडा हो गया हु "। अजिंक्य ने अपने कान को पकड़ते हुए कहा।

    नंदिनी जी ने उसे कहा।
    "हा पर मेरे लिए तोह तू अभी भी बच्चा ही है"।

    रजत जी मां बेटी की के नोक झोंक को देखकर बस मुस्कुरा रहे थे। अजिंक्य ने कहा।
    "हा ठीक है समझ गया अब तोह छोड़ दो मेरा कान बहुत दर्द हो रहा है"।

    नंदिनी जी ने अजिंक्य के कान छोर दिये ऐसा करते ही अजिंक्य वहा से तुरंत भाग गया । यही उसके लिए अच्छा मौका था की वोह वहा से भाग जाएं नही तोह आज उसकी बैंड बजने ही वाली थी उसे ऐसा भागते हुए जाता देखकर नंदिनी जी और रजत जी हसने लगे फिर नंदिनी जी ने रजत जी की तरफ़ देखा तोह वोह उन्ही की तरफ़ देख रहे थे उन्होंने रजत जी के कंधो को पकड़ते हुए कहा।

    "फीकर मत करो ऋहांशी की असलियत दुनिया के सामने नही आयेगी हम आने ही नही देंगे"।

    रजत जी ने भी फर्म आवाज में कहा।
    "ऐसा ही होना चाहिए ऋहांशी हमारी ही बेटी है रजत श्रीवास्तव की बेटी है वोह"।

    नंदिनी जी ने मुस्कुराकर सिर हिलाते हुए कहा।
    "हा "।

  • 11. Dark side of revenge - Chapter 11

    Words: 1251

    Estimated Reading Time: 8 min

    श्रीवास्तव कॉर्पोरेशन

    ऋहांशी अपने केबिन में काम कर रही थी। आज का दिन उसके लिए काफी हेक्टिक होने वाला था .... उसने अपना चश्मा अजेस्ट करते हुए खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहा।
    "काम ज्यादा है और टाइम कम इतने कम टाइम में कैसे सब होगा"।
    फिर वोह फाइल्स देखने में जुट गई। उसी समय उसके डोर पर कोई नॉक करता है ऋहांशी उसे देखें बिना ही कहती हैं।
    "कम इन "।
    कैवल्य अंदर आते हुए रुहांशी को विष करते हुए कहता है।
    "गुड मॉर्निंग मोहतरमा आपका आज का दिन अच्छा जाए"।

    रुहांशी ने उसे बिना देखते ही जवाब दिया।
    "हा गुड मॉर्निंग "।

    कैवल्य ने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा।
    "कितनी अकडू है ये ठीक से गुड मॉर्निंग भी नही किया मुझे"।

    ऋहांशी ने उसे कहा।
    "मुझे सुनाई दे रहा है तुम क्या बोल रहे हो मेरे बारे में "।

    कैवल्य ने जबरदस्ती हस्ते हुए कहा।
    "अरे कुछ नही वोह बस ऐसे ही बोल रहा था मजाक कर रहा था में "।

    रुहांशी ने उसकी तरफ देखा और चश्मा हताते हुए बोली।
    "कुछ काम है क्या याह यहां टाइमपास करने आए हो खुद भी अपना समय बरबाद कर रहे हो "।

    कैवल्य ने अपने हाथ की फाइल्स ऋहांशी की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा।
    "ये कुछ फाइल्स दिए हैं अजिंक्य सर ने उन्होंने कहा है दोपहर में एक मीटिंग है वोह आप हैंडल करे "।

    ऋहांशी ने वोह फाइल देखते हुए कहा।
    "पर ये मीटिंग तोह वोह हैंडल करने वाले थे ना...

    कैवल्य ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा।
    "मुझे नही पता सर ने वोह नही बताया"।

    "ओके में उनसे मिलकर डिस्कस कर लूंगी" ऋहांशी ने कुछ सोचते हुए कहा।

    कैवल्य ने उसे पूछा।
    "तोह में जाऊ?"

    ऋहांशी ने उसे देखा और अपनी आंखें छोटी करते हुए बोली।
    "हा जाओ.... और काम के टाइम पे काम ही करो कंप्यूटर पर गेम मत खेलो नही तोह अगली बार रिजिनिशन लेटर तुम्हारे हाथ में होगा "।

    ऋहांशी की बात सुनकर वोह उसे शोक में देखा जा रहा था उसे पटा नही था की ऋहांशी को उसके गेम खेलने की अद्दात पता है। वोह हकलाते हुए कहा।
    "ह.... हा.... नेक्स्ट टाइम ऐसा.... नही होगा"। इतना बोलकर वोह वहा से चला जाता है।

    कैवल्य श्रीवास्तव कॉर्पोरेशन में अपने स्किल्स के कारण सिलेक्ट हुआ था ऋहांशी ने उसे कोई हेल्प नही की थी और तोह और वोह बहुत ही इमानदार एंप्लॉय था बस उसकी एक ही अद्दात थी वोह कभी कभी वर्किंग हॉर्स में ही कंप्यूटर पर गेम खेलने लगता था। जो की रूल के खिलाफ था। ऋहांशी उसे ऐसे जाता हुआ देखकर  अपना सिर को हिलाते हुए बोलती है।
    "कुछ नही हो सकता इसका"।

    फिर रुहांशी अपने चेयर से उठकर केबिन से बाहर चली जाती है उसे अजिंक्य से बात करनी थी इसलिए वोह अजिंक्य के ऑफिस में जाती है जब वोह अंदर आती है तब अजिंक्य विडियो कॉल पे था उसकी कोई इंपोर्टेंट मीटिंग चल रही थी अजिंक्य ने उसे आंखो से ही सोफे पर बैठने का इशारा किया.... ऋहांशी सोफे पर बैठकर उसके मीटिंग खतम होने का वेट करती है वोह अपना मोबाईल पॉकेट से निकालती हैं और अपना सोशल मीडिया अकाउंट चेक करने लगती है। ऐसे ही उसकी नजर एक पिक्चर पर पड़ी उस पिक्चर में वृशान की फोटो थी। उस फोटो में वृशान ने केजुअल हाफ शर्ट पहनी थी और शॉर्ट्स वोह एयरपोर्ट का लुक था जो पापाराजी ने खींचा था।

    उस में वृषान हेंडसम दिख रहा था उसकी मस्कुलर बॉडी और बाइसेप दिखाई दे रहे थे सच में वृशान की पर्सनेलिटी ऐसे थी जो उसे देखकर कोई भी लड़की फिदा होगी.... ऋहांशी उसके पिक्चर को ऐसे ही घूरने लगती है और वोह किसी सोच में गुम हो जाती है।

    अजिंक्य अपनी मीटिंग खतम करके उसके पास आकर बगल में बैठ जाता है और देखता है की ऋहांशी अपने मोबाईल में वृशान की फोटो को घूर रही थी उसने अपना गला साफ़ करते हुए उसके कान के पास जाकर कहा।
    "अगर तुम्हे वृषाण कश्यप पसंद है तोह बताओं में पापा से बोलकर वंश कश्यप से तुम.... दोनो के रिश्ते की बात करवाता हूं"।

    ऋहांशी जो अपने खयालों में गुम थी वोह अजिंक्य के ऐसे बात पर उसे हैरानी से देखने लगती है और बोलती है।
    "क्या?"

    अजिंक्य अपनी एक आंख मारते हुए उसे कहता है।
    "तुम्हे वृषाण पसंद है क्या?"

    उसकी बात सुनकर ऋहांशी उसे खा जानी वाली नजरो से घूरने लगती है।
    " जैसे कह रही हो की ये क्या बकवास कर रहे हो आप भाई "

    अजिंक्य उसकी तरफ ऐसा घूरते हुए देखकर वोह हसने लगता है और कहा।
    "अरे चिल ड्यूड i was kidding"।

    ऋहांशी मुंह बनाते हुए कहा।
    "क्या भाई आप भी "।

    अजिंक्य हसने लगा उसने अपनी हसी को कंट्रोल किया और ऋहांशी से पूछा।
    "अच्छा वोह छोरो तुम क्यू आई थी यहां पे कुछ पूछना था"।

    ऋहांशी को याद आया और उसने उसे पूछा।
    "हा वोह मुझे ये पूछना था की दोपहर की क्लाइंट की मीटिंग... आप नही करने वाले मुझे करने केलिये कहा आपने "।

    "क्यूंकि मुझे जरूरी एक काम आगया है एक दोस्त को मिलने जाना है तोह तुम हैंडल करोगी मेरे बजाए "।

    ऋहांशी ने कहा।
    "ठीक है भाई में अटेंड करती हूं अभी ही निकलना होगा लेट हो जायेगा "।

    अजिंक्य ने अपनी घड़ी को देखते हुए कहा।
    "हा जाओ जल्दी"।

    ऋहांशी अजिंक्य से अलविदा कहकर जहा मीटिंग फिक्स की गए थी उस हॉटल केलिए जाती है.... ड्रीम पैलेस में ऋहांशी पोहोच जाती है उसके साथ उसका असिस्टेंट भी था। वोह जब होटल के अंदर आती है तब उसकी नजर एक शक्स पर पड़ती है उसे वोह लड़का जानापहचाना लग रहा था ..... वोह श्योर नही थी की वोह वही लड़का है याह नही ऋहांशी उस लड़के के करीब जाकर देखती है तोह उसे देखकर वोह चौक जाती हैं और उसकी आंखें बड़ी हो जाती है। और उसने उस लड़के को कहा।
    "मिस्टर कश्यप आप"।
    वोह और कोई नहीं वृशान था बेसुध सा और नशे में धुत पड़ा हुआ था उसके टेबल पर वाइन की बोतल पड़ी हुई थी और वोह अभी भी एक वाइन का ग्लास पी रहा था.... उसने ऋहांशी की तरफ़ देखा और मुस्कुराते हुए नशे में कहा।
    "Hell.... Hello mi.... Mi... मिस श्री.... श्रीवास्तव कैसे है आप?"
    ऋहांशी वृषाण की ऐसे हालात देखकर थोड़ी शोक हों गए पर उसके बाद उसे याद आया कि उसका ब्रेकअप हुआ है तोह इसलिए ये सब हो रहा है ।

    वृशान ने  लड़खड़ाते हुए उसे कहा।
    "क्या आप भी मुझपर हसने केलिए आई हो? याह ये देखने आई हो की मेरी हालत कैसे है....

    "नही में तुम्हारा मजाक उड़ाने नही आई हु" । ऋहांशी ने उसे देखते हुए कहा।
    फिर ऋहांशी ने अपनी कलाई की घड़ी की तरफ़ देखा तोह मीटिंग का वक्त हो गया था उसने अपने असिस्टेंट संकेत को ऑर्डर देते हुए कहा।
    "तुम यही इसके पास रहो जब तक मेरी मीटिंग खतम नही होती तब तक इस पर नजर रखो अगर इसे घर जाना है तोह चले जानें दे.... वैसे भी मुझे नही लगता की इसकी अकेले घर जानें तक की भी हालत है "।

    संकेत ने कहा।
    "ओके mam "।
    रुहांशी अपने असिस्टेंट को जरूरी इंस्ट्रक्शन देने के बाद मीटिंग केलिए चली जाती है.... वृषाण एक के बाद एक पेग पी रहा था उसने रुकने का नाम ही नही ले रहा था वृषाण ने खुद को पूरी तरीके से नशे की दुनिया में डूबा दीया था और नशे में ही कुछ बडबडा रहा था.... उसे प्रत्युषा और उसके बिताये हुए पल याद आने लगे थे । वृशान वही सोफे पर पीते पीते लेट गया उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल गई और दर्द भरी आवाज़ में बोला।

    "Pratyusha why u cheat me?  What is my fault.....?

  • 12. Dark side of revenge - Chapter 12

    Words: 1161

    Estimated Reading Time: 7 min

    2 घंटे बाद....

    ऋहांशी जब मीटिंग खतम करके आती है तब उसकी उसी जगह जाती हैं जहा पे वृषाण बेसुध सा पड़ा हुआ था उसने अपने असिस्टेंट को देखा तोह उसने उसे देखा और ना में सिर हिलाया.... ऋहांशी समझ गई की वृषाण घर नही गया यही वाइन पीते पीते सो गया था उसे भी इसकी ही उम्मीद थी । ऋहांशी वृशान के पास जाती है और उसे उठाने की कोशिश करते हुए कहा।
    "मिस्टर कश्यप उठिये.... "
    पर वृषान उठ ही नही रहा था ऑलरेडी बहुत टाइम हो गया था शाम हो चुकी थी उपर से ऋहांशी को वृषाण को ऐसे ही होटल में छोड़कर जाना कुछ ठीक नहीं लगा इसलिए उसने वृषाण के कपड़े चेक करने लगी कही उसके पॉकेट में उसका मोबाईल हो तोह वोह उससे वैभव याह वंश श्रीवास्तव को कॉल करके यहां बुला लेती।
    फायनली वृषाण का मोबाईल उसे मिल जाता है। वोह मोबाईल हाथ में लेते हुए कहती हैं।
    "Thank God इसका मोबाईल तोह मिल गया अब में कॉल कर सकती हु"।
    ऋहांशी मोबाईल ऑपरेट करने की कौशिश करती है तोह उसे पता चलता है वृषाण के मोबाईल को पासवर्ड लगा हुआ है इसलिए उसका मुंह बन जाता है और वृषान को देखने लगती है ।

    संकेत उसे देखते हुए कहा।
    "Mam अब क्या करे इन्हे कैसे ले जाय नही तोह हम इन्हे इनके घर ही छोड़ देते हैं"।

    ऋहांशी ने उसे मना करते हुए कहा।
    "नही ऐसा कुछ नहीं करेंगे हम... इसे मेरे बोरीवली के फ्लेट में लेके चलते है वहा ज्यादा पापाराजी भी नही होंगे किसीको पता नहीं चलेगा"।
    संकेत को ऋहांशी का आइडिया सही लगा वोह भी एग्री हो गया। ऋहांशी ने उसे देखते हुए ऑर्डर दी।
    "इसे उठाओ और कार में लेके जाओ"।

    तब ही वृशान की आंखें खुलती है अभी भी उसका नशा उतरा नही था उसे ऋहांशी में भी प्रत्युषा ही दिख रही थी उसने अपनी आंखों को मसलते हुए देखा तोह उसे प्रत्युषा ही नजर आरही थी वोह उठा और फर्श पर बैठ गया.... ऋहांशी जो अपने असिस्टेंट से बात कर रही थी उसके पैर पकड़कर छोटे बच्चे की तरह रोने लगा और बोला।
    "बेबी तुम मुझे क्यू छोर के चली गई.... मैंने क्या क्या किया था तुम्हारे लिए"
    वृषाण की आवाज़ सुनकर ऋहांशी यहां वहा देखने लगी फिर उसकी नजर निचे गए तोह उसने पाया वृशान उसके पैर को पकड़कर छोटे बच्चो की तरह रो रहा है और कुछ तोह बडबडा रहा है । ऋहांशी ने उसे खुद से दूर करते हुए कहा।
    "क्या कर रहे हो ये वृषाण उठो"।

    वृशान ने क्यूट सा फेस बनाते हुए कहा।
    "प्रत्यूषा तुमने मुझे क्यू धोका दिया i hate u प्रत्युषा"। इतना कहकर वोह बच्चो की तरह रोने लगा उसके ऐसे बिहेवियर से होटल के सारे मोजूद लोग उन दोनो की तरफ अजीब नज़रों से देख रहे थे और ऋहांशी एंब्रास्मेंट के मारे अपनी नजरे चुरा रही थी अब और वोह ये सब हैंडल नही कर सकती थी उसने संकेत को ऑर्डर देते हुए कहा।
    "इसे जल्दी से यहां से ले जाओ तमाशा नही बनाना मुझे यहां"।

    संकेत ने हा में सिर हिलाते हुए कहा।
    "ओके mam "।
    और बॉडीगार्ड्स के मदत से वृषाण को ऋहांशी से अलग किया और उसे कार में बैठा दिया यहां ऋहांशी वृषाण के वाइन का बिल पे करके कार में बैठ गए उसकी नजर फिर से वृषाण पर गए जो कुछ तोह बडबडा रहा था और बच्चो जैसे रो रहा था उसे ऐसे देखकर ऋहांशी को हसी आरही थी पर उसने कंट्रोल कर लिया ।
    उसने मन ही मन कहा।
    "लोग प्यार में किसी भी हद्द तक जाते.... है कोई किसीको बरबाद करता है तोह किसीको आबाद करता है तुम्हारा प्यार तोह झूठा था "।
    और सामने देखने लगती है।



    बोरीवली  ऋहांशी का फ्लेट.....

    ऋहांशी ने वृशान को गेस्ट रूम में सुला दिया था और नहाने चली गए। वृषाण वही सो गया था ऋहांशी नहाकर आती है और वृषान का हैंगोवर उतरने केलिए लिंबू पानी बनाके ले आती है ऋहांशी रूम के अंदर आती है तोह वहा का नजारा देखकर शॉक हों जाती है वृषाण ने अपने सारे कपडे उतारकर इधर उधर फेक दिए थे और पूरे रूम खराब कर दिया था अपने रुम की ऐसे हालत देख के ऋहांशी को गुस्सा आता है और वोह दात पिस्ते हुए कहती हैं।

    "ये क्या हालत बना रखी है मेरे रुम की.... पूरा कबाड़ खाना कर दिया है "।
    इतना कहकर वोह पूरा रुम साफ़ करने लगती है उसके बाद वोह वृषाण के पास जाती है और उसे देखने लगती है .... वृषाण ने कपड़े उतार दिए थे उसके 6 pack abs साफ दिखाई दे रहे थे उसका चेहरा किसी मासूम बच्चे की तरह दिख रहा था उसे ऐसे देखकर ऋहांशी उसको छुने से कंट्रोल नही कर पा रही थी ऋहांशी की सांसे अब और तेज हो गई थी। उसे अजीब खयाल आने लगे थे इसलिए ऋहांशी ने अपना सर झटका अपने खयालों को दूर झटकर वोह वृषान को उठाने की कोशिश करते हुए बोली।

    "वृषाण उठो तुम्हारे लिए ज्यूस लाया है वोह पियो"।

    वृषान अपनी आंखे खोलता है और ऋहांशी को देखने लगता उसकी अभी भी आंखें लाल थी, उसने ऋहांशी को अपने तरफ खिंचा ऋहांशी उसके बाहों में गिर गई और उसे हैरानी में देखने लगीं उसे पूछा।
    "ये क्या कर रहे.... ऋहांशी आगे कुछ बोले वृषाण अपने हाथ उसके होठों पर रखता है और कहता है।
    "Shhhhh कुछ मत कहो बस मुझे महसूस करो"।

    ऋहांशी उसके कहने का मतलब समझ नहीं पाती उसे सवाल करती है।
    "What u mean?"

    "Uff कितने सवाल पूछती हो तुम इतने तोह इंटरव्यू में भी कोई नही पुछता जितना तुम पूछने लगती हो"। वृषाण ने ऋहांशी के सामने आए बालों को ठीक करते हुए कहा फिर ऋहांशी कुछ समझ पाती उसके पहले ही वृशान अपनी पोजीशन चेंज कर देता है अब इस वक्त ऋहांशी निचे थी और वृषान उसके उपर था .... वृषान ने अपने होठ ऋहांशी के होठों पर सता दिए और उसे passionetly किस करने लगता है। ऋहांशी वृषाण के ऐसे sudden किस से उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती उसे ये समझ नही आराहा था की उसके साथ चल क्या रहा है।

    वोह वृशान को अपने से दूर करने की कोशिश करती है पर वृषाण उसपर और अपना वजन डालता और इंटेंस kiss करने लगता है अब ऋहांशी हारकर झटपटाना बंद कर देती है क्यूंकि अब वोह वृषान की ताकड के आगे हार गई थी वोह भी उसे किस करने लगती है धिरे धिरे रुम के अंदर का माहोल गरम हो गया और वहा सासों की आवाज़ आने लगती है वृषान और ऋहांशी एक दूसरे को चूमने लग जाते हैं ऐसे ही पूरी रात गुजर जाती है।



    अगली सुबह....

    ऋहांशी और वृशान एकदुसरे को हग करके सोए हुए थे तब ही वृशान की आंख खुल जाती है उसका सिर अब भारी लग रहा था वृषाण को ऐसे लग रहा था की अभी उसका सिर दर्द से फट जायेगा वोह अपना सिर पकड़कर उठता है और आस पास देखता है अनजान कमरा देखकर वोह थोड़ा सरप्राईज होता है फिर वहा का माहोल देखकर चौक जाता है। और अपना सिर झटकते हुए कहा।
    "में कहा हु?"

  • 13. Dark side of revenge - Chapter 13

    Words: 1163

    Estimated Reading Time: 7 min

    वृषाण रूम को स्केन करता है और कल क्या हुआ था उसे याद करने की कोशिश करता है पर उसे याद नही आता की कल क्या हुआ था वोह अपने साइड एक नजर डालता है तोह वहा उसे लड़की सोई हुई दिखती है वोह उसका चेहरा नही देख पाता क्यूंकि उस लड़की ने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया था।

    ऋहांशी पूरी सोए नही थी वोह वृषाण के आवाज़ से ही जाग गई थी वोह उठकर बैठ जाती और वृषान की तरफ़ देखते हुए पूछा।
    "तुम्हारा हैंगओवर उतर गया क्या?"

    "तुम यहां.... क्या कर रही हों"? वृषाण ने एकदम से शॉक होते हुए कहा उसे बिलकुल भी उम्मीद नही थी ऋहांशी यहां होगी वोह भी उसके साथ।

    ऋहांशी ने अपनी एक आईब्रो उपर की और उसे देखते हुए कहा।
    "जरा ध्यान से देखो तुम कहा हो "।
    वृषाण ने फिर से अपनी आंखे मसली और ध्यान से देखने लगा तोह वहा सारी फोटोज फ्रेम्स सामान ऋहांशी का ही था उसे समझने में देर नहीं लगी कि वोह ऋहांशी के कमरे में है। वोह अपने माथे पर हाथ लगा लेता है ऋहांशी उसके हर एक्सप्रेशन को गौर से देख रही थी। वोह बेड से उठती है और निचे पड़ा हुआ शर्ट पेहन लेती है और जाने लगती है।

    तब ही वृशान उसे रोकते हुए बोलता है।
    "रुको कल हमारे बीच कुछ हुआ था क्या?"

    ऋहांशी पीछे मुड़कर उसे घूरने लगती हैं और पूछती है।
    "तुम्हे सच में कल का कुछ भी याद नही है....

    वृशान उसे ना में सिर हिला देता है उसे सच में कुछ याद नहीं था की कल क्या हुआ था बस धुंधली तस्वीर और इंसिडेंट याद आरहे थे उसके अलावा कुछ नहीं।
    ऋहांशी फिर कुछ नही कहती उसे ऐसे अपने सवाल का जवाब ना देते हुए ऐसे ही जाता हुआ देखकर वृशान को गुस्सा आता है वोह झट से बेड से उठता है और ऋहांशी का हाथ पकड़ता है और अपने करीब खींचता है। ऋहांशी इसके लिए तयार नही थी उसका बैलेंस बिगड़ने लगता है पर वोह खुद को संभाल लेती है और वृषान को देखने लगती है।
    वृशान ने कहा।
    "मुझे ऐसे मत देखो मेरे सवाल का जवाब दो"।

    ऋहांशी को हसी आती है और उसे देखते हुए कहा।
    "मुझे लगा the business tycoon vrushaan kashyap को इतना तोह समझ आया होगा की जब उनके साथ कोई लड़की बिना कपड़ो के सोए हुई है तोह जाहिर सी बात है ना हुआ ही होगा सब "। और वृशान को खुद से दूर करते हुए बोली।
    "अपनी लिमिट्स क्रॉस मत करो समझे "।

    वृषाण को ऋहांशी का ये बरताव पसंद नहीं आया उसने अपने दात पिस्ते हुए कहा।
    "में तुम्हे सड़क का लड़का दिखता हु क्या?"

    ऋहांशी ने कहा।
    "पर कल तुम्हारी हरकते वैसे ही थी "।
    वृशान को कल का थोड़ा थोड़ा याद आने लगता है उसने होटल में ऋहांशी के साथ कैसे बाटे की थी और उन दोनो वोह याद आते ही  अपनी नजरे यहां वहा डोराने लगा क्यूंकि उसे ही अपने ऐसे बरताव पर एंब्रेसमेंट हो रही थी हा वोह बहुत ही पत्थर दिल इंसान था और रूड था पर ऐसे हरकत उसने किसी भी लड़की के साथ नही की थी। वोह हमेशा से लड़कियों से दूर रहता था बस प्रत्यूषा और उसके कुछ दोस्त होंगे उनके साथ ही बाते करता था वरना वो लड़कियों से कभी बात ही नहीं करता। ऋहांशी जो उसके सामने खड़ी होके उसे घूर रही थी .... उसे रुम के बाथरूम की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।

    "वहा देखो बाथरूम है फ्रेश होकर आओ में ब्रेकफास्ट का कुछ देखती हूं"।  और वहा से चली जाती हैं

    "ये क्या हो गया मुझसे ये नही होना चाहिए था बहुत बड़ी गलती की है मैंने"। वृषाण ने अपने बालो को खींचते हुए कहा। उसे समझ नहीं आराहा था की वोह अब क्या करे पर खुद को जैसे तैसे शांत करके नहाने केलिए चला गया।


    लिविंग रूम में....

    डाइनिंग टेबल पर वृषाण और रुहांशी एक दूसरे के सामने बैठे अपना नाश्ता कर रहे थे ऋहांशी बड़े आराम से अपना नाश्ता कर रही थी तोह वृषाण कल उसने ज्यादा पी ली थी उसका असर अभी भी कम नहीं हुआ था और ये जो वन नाइट स्टेंड हुआ उसपर भी वोह सोच रहा था वृषाण ऋहांशी को ऐसे आराम से नाश्ता करते हुए देखकर हैरान था। वोह खुद से ही पर धीमे आवाज में कहा।
    "ये इतनी टेंशन फ्री क्यू है इसे कोई टेंशन नही है कल हम दोनो के बीच ये सब हुआ और इसे पड़ी ही नही है अजीब लड़की है ये "।

    ऋहांशी ने वृशान की तरफ़ देखा तोह वोह उसे ही देख रहा था उसे समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि वोह सोच क्या रहा है। उसने अपना गला साफ़ करते हुए कहा।
    "ज्यादा सोचो मत हमारे बीच जो भी कुछ कल रात हुआ उसके बारे में किसीको पता नहीं चलेगा .... और don't worry मैने सुबह ही मेडिसिन ले ली थी सो आगे जाके कोई प्रोब्लम नही होगी "।
    ऋहांशी ये सब बहुत ही शांत से बोल रही थी वृषाण को ये देखकर बहुत ही ताजूब हो रहा था की ऋहांशी उसपर ना चिलाई याह कुछ किया।

    उसने उसे देखते हुए सवाल किया।
    "तुम इतनी नॉर्मल से कैसे बात कर रही हो तुम्हे गुस्सा नही आराहा"।

    "उस में गुस्सा होने की क्या बात है रात गए बात गए ये सब नशे में हुआ था सो never mind "।
    ऋहांशी बहुत ही सोरटेड और प्रेक्टिकल किस्म की लड़की थी वोह दिल से नही दिमाग से सोचती थी।
    ऋहांशी का जवाब सुनकर वृशान उसे कुछ नही कहता बस हा में सिर हिला देता है।

    ऋहांशी ने उसे देखते हुए कहा।
    "बुरा ना मानो तोह एक बात कहे"।

    वृषाण ने कहा।
    "हा बोलो"।
    "किसी को अपने करीब इतना भी मत आने दो की वोह तुम्हे बरबाद कर दे... प्यार में लोग तोह खुद को फना कर देते हैं वैसे भी मुझे तुम दोनों का प्यार खोकला लगता था उससे भी बेहतर लड़की मिल जायेगी एक लड़की के गलती के वजेसे अपना आज मत खराब करो "। ऋहांशी ने वृशान की आंखों को देखते हुए कहा।

    ऋहांशी की बाते वृषाण को ठीक लग रही थी उसने उसे कहा।
    "हा शुक्रिया मुझे एडवाइस देने केलिए"।

    ऋहांशी उसे देखकर बस मुस्कुरा दी। और उसके हाथ पैन किलर की दवाई थमाते हुए बोली।
    "ये लो इससे तुम्हे आराम मिलेगा"।

    वृषाण ने वोह मेडिसीन ली और उसे देखते हुए कहा।
    "Thanks मुझे अपने घर रखने केलिए अगर घर ले जाती तोह शायद प्रोब्लम हो सकती थी"।

    ऋहांशी ने उसे कोई एक्सप्रेशन ना देते हुए कहा।
    "वेल में तुम्हारे बड़े भाई को कॉल करने वाली थी पर तुम्हारा मोबाईल को पासवर्ड लगा हुआ था तोह मुझे मेरे घर में ले आना ही ठीक लगा "।

    वृशान ने कहा।
    "अच्छा किया.... और उसे हाथ मिलाने केलिए आगे बदाते हुए कहा।
    "फिर मिलते हैं"।
    ऋहांशी उसको हाथ मिलाते हुए कहती है ।
    "जरूर"। और मन ही मन में बोलती है।
    "तुम्हारे परिवार ने मेरा सब कुछ छीना है अब इस बार तुम सब से छीना जायेगा Just wait and watch"

    वृशान उसके बाद वहा से चले जाता है और ऋहांशी ऑफिस केलिए निकलती हैं ।

  • 14. Dark side of revenge - Chapter 14

    Words: 1253

    Estimated Reading Time: 8 min

    कश्यप इंद्रुस्त्री....
    वृषाण अपने केबिन में बैठा फाइल्स पड़ रहा था उसी दौरान उसका एसिस्टेंट रुद्र वहा आता है और उसे कहा।
    "सर आपको वंश सर ने बुलाया है"।

    वृषाण उसे बिना देखते हुए कहा।
    "ठीक है में थोड़ी देर में आता हु "।

    रुद्र उसे ओके कहकर वहा से चला जाता है। वृशान अपना काम करके वंश जी के केबिन में जाता है जहा वंश जी काम कर रहे थे और उनके साथ वैभव भी वही आया था। वृशान ने अंदर आते हुए उनसे कहा।
    "आपने बुलाया मुझे"।
    "हा वोह जरूरी बात करनी थी आओ बैठो यहां... " वंश जी ने उसे देखते हुए कहा।

    वृषाण वंश जी के सामने की चेयर पर बैठ जाता है और उनकी तरफ देखने लगता है। वंश जी के चेहरे पर चिंता की लकीर थी उसे देखकर वृशान उनसे पुछता है।
    "पापा क्या हुआ आप टेंशन में लग रहे है कुछ हुआ है क्या?"


    "वोह लंडन के को क्लाइंस्ट हैं ना उनको हमसे जो कॉन्ट्रैक्ट किया था वोह ब्रेक करना है और उपर से हमारे लंडन के ब्रांच में कुछ छोटी सी प्रोब्लम आई है तोह उसका भी थोड़ा टेंशन है में खुद वहा जाने वाला था पर यहां के स्केंडल के कारण हम पर असर हो गया है तोह मुझे यहां रहने की जरूरत है "। वंश जी ने अपने माथे को पकड़ते हुए कहा।

    वृषाण ने सोचते हुए कहा।
    "तोह हम एक काम करते हैं आप और भाई यहां देख लो में वहा देखता हूं में आपको वहा की अपडेट देता रहूंगा "।

    वंश जी ने उसका समर्थन करते हुए कहा।
    "ठीक है तुम अभी जाओ और हा वैभव भी तुम्हारे साथ आराहा है दोनों साथ में ही जाओ अभी ही लंडन केलिए निकलो तुम दोनो"।

    वृषाण हा में सिर हिलाकर ऑफिस से बाहर निकलता है और वैभव कॉल करके लंडन जाने केलिए बोलता है।


    सन एंड मून कैफे में.....

    ऋहांशी जिज्ञासा और तनवीर के सामने बैठी थी। जब ऋहांशी ऑफिस केलिए निकली थी तब जिज्ञासा ने उसे कॉल करके urgently सन एंड मून कैफे में आने केलिए कहा था उसे जरूरी बात करनी है इसलिए ऋहांशी कैफे में आई।

    जिज्ञासा ने एक बडा सा सैंडविच मुंह में डालते हुए उसे कहा।
    "अच्छा सुन तुम हमारे साथ लंडन आराहि हो ना?"

    "नही में नही आरही तुम लोग जाओ "। ऋहांशी ने साफ़ मना करते हुए कहा।

    जिज्ञासा ने उसको घूरकर देखा और कहा।
    "क्यू नही आओगी तुम तुम्हे आना पड़ेगा.... कैवल्य भी आराहा है तोह तू भी आजा"।

    ऋहांशी ने उसे कहा।
    "तुम दोनो कपल के बीच में मुझे कबाब का हड्डी नही बना सो में नही आरही that's final"।

    जिज्ञासा मुंह बनाते हुए बोली।
    "अरे तोह तनवीर है ना साथ में उसको पकड़ लेना वैसे भी हम वहा कुछ नहीं करने वाले सो जस्ट चिल "।

    तनवीर ने उसे देखते हुए कहा।
    "Excuse me में वहा बिज़नेस के वजेसे जा रहा हूं घूमने नही जा रहा "।
    ऋहांशी उसकी बात सुनकर स्माइल करने लगती हैं क्यूंकि वो भी जानती है की बिज़नेस में आदमी बहुत बिजी हो जाता है और बहुत चीजे हैंडल करनी पड़ती है।

    "फिर भी तुम दोनो आओगे हमारे साथ बात खतम "। जिज्ञासा ने अपना फैसला सुनाया।
    ऋहांशी और तनवीर एक दूसरे को देखने लगे जैसे कह रहे हो की कहा फस गए हम इन दोनों के बिच।
    ऋहांशी ने उसे कहा।
    "उसके लिए कैवल्य को छुट्टी मिलनी चाहिए मुझे नही लगता भाई इतने जल्दी देगा और अभी तक तोह उसने मना भी कर दीया होगा.... " और अपने दात दिखाने लगी।

    जिज्ञासा ने उसे एविल स्माइल देते हुए कहा।
    "बेटा में भी तेरी ही दोस्त हु तू शेर है तोह में सव्वा शेर हु मैंने हम दोनों के एंगेजमेंट की प्रिपरेशन और पेरेंट्स को मिलने का रीजन दीया था अजिंक्य भाई को इसलिए वोह मान गए "।

    उसकी बात सुनकर तनवीर और ऋहांशी दोनो भी हैरानी से एक साथ बोले।
    "What engagement 😳"

    "हा ये बस छुट्टी मिलने केलिए एक रीजन दीया गया है don't worry हमे टाइम है एंगेजमेंट केलिए पर जल्दी ही करेंगे"। जिज्ञासा ने शांती से उन दोनो को कहा।

    तनवीर ने उसको कटाश करते हुए कहा।
    "तू गलत फील्ड में आगये है डॉक्टर बना ही नही चाहिए था तूझे.... लॉयर बन के अपनी बाते प्रूव करती और एक से बडकर एक जुगाड करती ऋहांशी टोह ऐसा कुछ नही करती वकालत के साथ साथ कंपनी भी संभालती हैं पर तू तोह अफलातून है"।

    जिज्ञासा ने खुद को शाबाशी देते हुए कहा।
    "में हु ही इंटेलिजेंट सब प्रॉब्लम्स सॉल्व कर सकती हु में एक चुटकी में वैसे सही कह रहे हो तुम मुझे दूसरी फील्ड ही चूस करनी चाहिए थी पर कोई नही...

    तनवीर ने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा।
    "देखो इसे अपनी ही तारीफ करनी है हद्द है मतलब"।

    जिज्ञासा उसे देखते हुए कहती है।
    "वोह सब छोरो तुम दोनो को आना ही होगा में कुछ नही जानती"।

    ऋहांशी जो इतनी देर से चुप थी वोह ना चाहते हुए कहा।
    "अच्छा ठीक है फाइन में आऊंगी"।

    उसकी बात सुनकर जिज्ञासा खुश होते हुए उछलती है और एक्साइटेड होते हुए कहा।
    "ओके मैंने पहले ही टिकट्स निकाल ली थी तोह हम जा रहे है तुम दोनो अपनी बैग्स पैक करके आजाना शाम की फ्लाइट है।

    तनवीर जो ऋहांशी को अविश्वास से देख रहा था। उसने कहा।
    "तू इतने जल्दी मान भी गई"।

    ऋहांशी ने लंबी सांस ली और उसे जवाब दिया।
    "अब उसकी बात माननी पड़ेगी नही तोह पूरे साल मुझे ताना मार मार के घायल कर देगी तू तेरा देख ले तेरी तोह मीटिंग है ना वहा पे "।
    तनवीर ने कहा।
    "हा उसके लिए ही जा रहा हूं चलो शाम को एयरपोर्ट में मिलते हैं "। और इतना कहकर तनवीर वहा से चला गया।

    अब ऋहांशी भी ऑफिस केलिए तोह जिज्ञासा ने उसे रोका और उसको ऑब्जर्व करते हुए कहा।
    "कुछ हुआ है क्या रूही? कुछ बदली बदली सी लग रही हो तुम्हारे चेहरे पे इतना ग्लो और बदलाव कभी देखने नही मिला कुछ हुआ है?"।

    "नही तोह.... रोज जैसे ही तोह दिख रही हु में कहा ग्लो आराहा है तू कुछ ज्यादा ही सोच रही है "। ऋहांशी ने अपने चेहरे को हाथ लगाते हुए कहा।

    जिज्ञासा ने अपनी एक आईब्रो उपर की और उसको कहा।
    "सच में पर मुझे ऐसा क्यू लग रहा है की कुछ हुआ है.... क्या हुआ है तू मुझे बता सकती है रूही में किसी को नही बताऊंगी अजिंक्य भाई को भी नही बताऊंगी.... हम तोह कॉलेज के टाइम के दोस्त है ना और में तोह तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड हु "।

    ऋहांशी ने उसके सिर पर चपेट लगाते हुए कहा।
    "ओह मेरी बिलो रानी कुछ नही हुआ है वोह में कुछ दिनों से योगा और जिम join की है ना इसलिए शायद निखार दिखाई दे रहा होगा.... बॉडी के साथ साथ चेहरे पर भी तोह ग्लो आता है ना.... कितना सोचती हो यार तुम "।

    जिज्ञासा को गले लगाते हुए ऋहांशी ने उसे कहा।
    "चल में चलती हु ऑलरेडी बहुत टाइम हो गया है ऑफिस जाने केलिए....
    इतना कहकर ऋहांशी वहा से चली गई पर जिज्ञासा उसे जाते हुए देख रही थी। और खुद से ही कहा।
    "जरूर तुम कुछ छुपा रही हो रूही बस बता नही रही कुछ तोह हुआ है तुम्हारे साथ कुछ तोह चेंज हुआ है तुम्हारे अंदर लेकिन क्या?" जिज्ञासा तब तक ऋहांशी को देखने लगीं जब तक ऋहांशी कैफे से बाहर नही जाती और वोह कार में नही बैठती ।

    ऋहांशी कार ड्राइव कर रही थी उसने जिज्ञासा को टाल दीया था पर वोह अब आगे का सोच रही थी उसने अपने दिल पर हाथ रखकर कहा।
    "Thank God बच गई में इससे नही तोह सवाल पूछ पूछ के सब उगलवा लेती ये....

  • 15. Dark side of revenge - Chapter 15

    Words: 1530

    Estimated Reading Time: 10 min

    एयरपोर्ट में.....
    जिज्ञासा कैवल्य और ऋहांशी तनवीर एयरपोर्ट पर खड़े अपने बैग्स की चेकिंग कर रहे थे... उनके फ्लाईट्स को थोडा टाइम था सारी फॉर्मेलिटीज हो जाने के बाड़ वोह आगे बड़ने लगे तब ही पीछे से किसी लड़के की आवाज़ आती है।

    "मिस्टर तनवीर अहूजा आप यहां?"
    जिज्ञासा कैवल्य और तनवीर ऋहांशी उस आवाज़ की और देखने लगते हैं वोह आवाज वैभव कश्यप की थी जो तनवीर को देखकर स्माइल कर रहा था उसके साथ वृषाण भी था पर वोह चेकिंग में बिजी था इसलिए उसका ध्यान नही गया।

    उसे देखकर तोह ऋहांशी सरप्राईज हो जाती है। उसने मन ही मन में कहा।
    "तोह ये दोनो यहां भी आगये हमारा पीछा करते करते.... हु"

    तनवीर ने उसे देखा तोह उसने उसे मुस्कुराते हुए कहा।
    *मिस्टर कश्यप कैसे है आप बहुत दिनों बाद मिल रहे हैं ड्यूटी से कब आए आप"?

    वैभव ने उसके पास आते हुए कहा।
    "कुछ दिन पहले ही आया यहां में "।

    तनवीर ने कहा।
    "अच्छा"।

    वैभव ने ऋहांशी जिज्ञासा और कैवल्य को देखा वोह तीनों तनवीर के साथ ही आए थे उन्हे देखते हुए कहा।
    "आप कही जा रहे है क्या?"
    और ऋहांशी को देखते हुए और ग्रीट करते हुए कहा।
    "मिस ऋहांशी गुड इवनिंग हमारी फिर मुलाकात हुई देखिए किस्मत हमे बार बार मिलवा रही है "।

    ऋहांशी का नाम सुनते ही वृषाण सामने देखने लगता है उसने देखा तोह ऋहांशी अपना लगेज के साथ खड़ी थी उसकी नजरे उसके चेहरे से हट ही नहीं रही थी वृषाण ने गौर से देखा तोह ऋहांशी ने फूल हाथ के स्लीव्स पहने थे जिसे उसकी पूरी बॉडी कवर हो गए थी शायद उसने इसलिए किया होगा क्यूंकि उन दोनो के बीच मेकआउट हुआ था और मार्क्स उसने नशे में छोड़े थे उसे कवर करने केलिए ही ऋहांशी ने ऐसा ड्रेस पहना था।

    ऋहांशी ने मुस्कुराते हुए वैभव से कहा।
    "वोह हम वक्त पर ही छोड़ देते है की हमे हमारी किस्मत क्यू बार बार बुला रही है"।

    और मन ही मन में बोली।
    "हा तुम्हारी किस्मत भी अब मुझे मिलवाने केलिए बार बार चांस दे रही है "।

    तनवीर ने क्यूरियस होते हुए वैभव से पुछा।
    "आप कही जा रहे है मिस्टर कश्यप "।

    वैभव ने कहा।
    "हा हम लंडन जा रहे है काम के सिलसिले के वजेसे"।

    कैवल्य जो इन लोगों की बात सुन रहा था वोह कहता है।
    "आप भी दोनो लंडन जा रहें हैं हम सब भी जा रहें"।

    वैभव ने कहा।
    "अच्छी बात है हम सब साथ जायेंगे "।

    "उसके लिए पहले फ्लाइट के अंदर जाना पड़ता है.... ऑलरेडी टाइम हो गया है guys चलो जल्दी यही बाते नहीं करनी हमे हम बाद में भी बाते कर सकते हैं "। जिज्ञासा जो टाइम को देखते हुए झलाते हुए बोली।

    कैवल्य ने मुंह बनाते हुए कहा।
    "यही में कब से बताने की कोशिश कर रहा हू पर तुम लोगों को सुनना कहा होता है मेरा "।

    तनवीर ने कहा।
    "हा अब चलो जल्दी.... "।
    सब लोग फ्लाइट केलिए जाने लगते है वृषाण की आंखे अभी भी ऋहांशी को ही देख रही थी माना की उसका हाली में ही ब्रेकअप हुआ था पर ऋहांशी केलिए उसके दिल में अलग सी जगह बन गए थी एक अलग सा एहसास जग गया था वोह क्या था उसे खुद समझ नहीं आराहा था। ऋहांशी को ऐसा मेहसूस हुआ की उसे कोई तोह देख रहा है... उसने यहां वहा देखा तोह वृशान ने अपनी नजरे उससे हटा दी और सामने देखने लगा। 5 घंटे बाद फ्लाइट लंडन लेंड होती है जिज्ञासा.... ने ऑलरेडी उन चारों केलिए होटल में रुम बुक कर दिए थे तनवीर और कैवल्य एक रुम शेयर करने वाले थे और रुहांशी जिज्ञासा एक रुम में रहने वाली थी वृषाण और वैभव ने भी उसी होटल में रुम लिया था जहा रुहांशी और उसके दोस्त रह रहने वाले थे । सब लोग बहुत थक गए थे इसलिए रुम में जाके सो गए



    अगली सुबह लंडन में.....

    रुहांशी की निंद जल्दी खुल गई वोह फ्रेश होकर रुम के बाहर गए। सुबह के 8 बजे थे लंडन का मौसम आज अच्छा था धूप भी निकल आई थी रुहांशी होटल के गार्डन एरिया में जाती है और वहा तहलने लगती है वहीं उसे दूर से बालकनी से कोई उसे देख रहा था वोह और कोई नही वृषान था वोह सुबह ही उठ चुका था और ऑफिस का काम करने केलिए बालकनी में आया और वही बैठकर लैपटॉप पर काम करने लगा .... उसकी ऐसे ही नजर रुहांशी पर गए जो गार्डन में टहल रही थी।

    रुहांशी तहल रही थी की तब उसे सामने से तनवीर आता हुआ नजर आया वोह उसे देखकर मुस्कुराई तनवीर ने उसे गले लगाते हुए कहा।
    "कैसे है मेरी दबंग गर्ल निंद अच्छी हुई ना तुम्हारी"।

    रुहांशी उससे अलग होते हुए बोली।
    "हा अच्छी गए "।

    तनवीर ने उसे उपर से नीचे तक देखते हुए कहा।
    "हा लग तोह रहा है अच्छी ही गए होगी.... "।

    "दिख रहा है ना तोह पूछ क्यू रहा है "। रुहांशी ने मुंह बनाते हुए कहा।

    तनवीर ने अपने दात दिखाते हुए कहा।
    "बस ऐसे ही सोचा तुम्हारे साथ कुछ टाइमपास हो जायेगा जब तक कैवल्य नही आता तब तक"।
    उसकी बात सुनकर रुहांशी उसे बुरी तरीके से घूरने लगी और तनवीर ने उसे ऐसे देखने पर चिदाते हुए बोला।
    "ऐसे मत देखो... आंखे बाहर आयेगी "।

    रुहांशी ने उसे धक्का देते हुए कहा।
    "तोह आने दे मेरी आयेगी तेरी तोह नही आयेगी ना हु "।
    तनवीर इसके लिए रेडी नहीं था इसलिए वोह अपने आप को संभाल नही पाया और निचे गिर गया उसे ऐसे गिरने पर रुहांशी उसपर हसने लगती हैं और कहती है।
    "इतने चुईमुई से कैसे हो तुम"।

    तनवीर उसे देखते हुए अपने दात पिस्ते हुए कहा।
    "क्यूंकि तुमने मुझे धक्का दीया मुझे क्या पता था ऐसे ही धक्का देगी पागल औरत"। और इतना कहकर वोह उठता है और अपने कपड़े साफ़ करने लगता है

    "इसलिए बोलती हु मुझसे पंगा मत लिया करो और ना तंग किया करो नही तोह ऐसा ही होगा" रुहांशी ने अपने हाथ फोल्ड करते हुए कहा।

    तनवीर ने हु करके अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया। उसी वक्त उसे कुछ याद आता है और सीरियस होते हुए कहा।
    "मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है"।

    रुहांशी ने भी अब अटेंशन होते हुए उसे कहा।
    "हा बोलो"।

    तनवीर ने आस पास देखते हुए कहा।
    "यहां नहीं अंदर चलते हैं"
    इतना कहकर उसने रुहांशी का हाथ पकड़कर उसे होटल के अंदर लेके गया। यहां वृषान को अपनी बालकनी से रुहांशी और तनवीर को देख रहा था उसने खुद से ही कहा।
    "इन दोनों के बीच चल क्या रहा है? पता करना होगा"।
    वृषाण को उनकी बाते तोह सुनाई नही दी पर हावभाव से पता चल रहा था की हसी मजाक चल रहा है।

    अभी इस वक्त रुहांशी और तनवीर एक दूसरे के सामने बैठे थे वोह भी होटल के रेस्टोरेंट में रुहांशी ने उसे देखते हुए कहा।
    "बोलो तुम्हें क्या जरूरी बात करनी थी?"

    तनवीर ने उसे कहा।
    "मुझे डिसुजा कंपनी से कॉन्ट्रेक्ट साइन करना है अगर उनके साथ हमारा कॉन्ट्रेक्ट साइन होता है तोह मेरे कंपनी केलिए अच्छा होगा आगे जाके कोई प्रोब्लम नही होगी तुम्हे तोह पता है की मुझे कितने दुश्मन है वोह मुझे मारना चाहते हैं और साथ ही.... में मेरी कंपनी को भी बंद कराना चाहते हैं सो क्या तुम मुझे उनके प्रपोजल देने में हेल्प करोगी "।

    रुहांशी ने उसे शांती से कहा।
    "तोह तुम क्या चाहते हो तुम्हें मेरी कोनसी हेल्प चाहिए "।

    "तुम मेरे प्रोजेक्ट में हेल्प करो मुझे गाइड करो... जैसा तुम कहोगी वैसे में करूंगा और हमारी कंपनी को तोह वैसे भी तुम्हारे साथ काम करना ही है तोह इस से ही शुरू करते है"। तनवीर ने रुहांशी को ऑफर देते हुए कहा।

    रुहांशी ने कहा।
    "मतलब पूरा प्रोजेक्ट में ही हैंडल करू "।

    तनवीर ने हा में सिर हिलाते हुए कहा।
    "हा कर सकती हो तुम.... मुझे तुम पर पूरा भरोसा है "।

    रुहांशी ने उसे कहा।
    "किसी पे आंख बंद करके भरोसा नहीं करते तनवीर "।

    तनवीर ने सपाट लहजे में कहा।
    "में कुछ नही जानता मुझे बताओ तुम करोगी याह नही "।

    "उसके बदले मुझे क्या मिलेगा " रुहांशी ने अपनी एक आईब्रो उपर करते हुए कहा।

    तनवीर ने अपनी आंखे छोटी करते हुए कहा।
    "अब क्या चाहिए तुझे"।

    रुहांशी के आंखों में चमक आई और उसने अपना हाथ आगे करते हुए कहा।
    "अगर ये प्रोजेक्ट सक्सेसफुल होता है तोह तू मुझे ट्रीट देगा ठीक है.... "।

    तनवीर ने अपना माथा पीट दिया और कहा।
    "हा क्यू नही "। इतना कहकर उसने रुहांशी से हाथ मिलाया।

    रुहांशी ने चहकते हुए कहा।
    "डील "।
    तनवीर ने उसे कहा।
    "वृषाण कश्यप और वैभव कश्यप भी इसलिए ही आए है डिसूजा ने उनके साथ का कॉन्ट्रैक्ट.... कैंसल करने की बात कही तोह वोह लोग उसे मनाने केलिए आए है"।

    रुहांशी के चेहरे पर अब जो मुस्कुराहट थी और आंखों में चमक थी वोह अब सख्त और आंखे डार्क हो जाते है और कोल्ड वॉइस में पूछती है।
    "तोह वोह इसलिए आए है पर तुम्हें इस बारे में कैसे पता?"

    तनवीर के चेहरे पर एक एविल स्माइल आई और कहा।
    "Baby you don't know who I am मेरे लिए किसी की information निकालना मतलब 2 मिनिट का काम है"।

    रुहांशी ने उसे sarcastically स्माइल करते हुए कहा।
    "I know तुम अंडरवर्ल्ड में भी काम करते हो यहां तक की तुम्हारी उपर तक पोहोछ हैं..."।

  • 16. Dark side of revenge - Chapter 16

    Words: 1175

    Estimated Reading Time: 8 min

    रुहांशी की बात सुनकर तनवीर को कुछ हैरानी नही होती.... रुहांशी एक लॉयर थी और साथ ही में बिज़नेस भी संभालती थी तोह जाहिर सी बात है उसे उसके बारे में पता लगाने में ज्यादा टाइम नही लगेगा.... तनवीर बस मुस्कुरा देता है।
    "तोह ठीक है हम ये प्रोजेक्ट जितेंगे ही ये मेरा वादा है तुमसे" रुहांशी उसे कॉन्फेडेंस के साथ कहा।

    तनवीर उसे चिंता जताते हुए कहा।
    "जितना तुम्हें ये आसान लगता है उतना है नहीं रूही"।

    "जब तक तुम एक बार कोशिश नही करते तब तक तुम्हे ये डिफिकल्ट ही लगेगा तुम्हें खुद पर भरोसा चाहिए अगर खुद पर भरोसा करोगे तोह पूरी दुनिया जीत सकते हो "। रुहांशी ने उसे मोटिवेट करते हुए कहा।

    तनवीर ने उसके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा।
    "हा मेरी मां जैसा आप कहेंगी वैसा ही होगा "।

    उसी वक्त जिज्ञासा और कैवल्य वहा आते हैं और उन दोनो को देखकर कैवल्य कहता है।
    "क्या हुआ तू इसके आगे हाथ क्यू जोड़ रहा है "।

    रुहांशी ने कहा।
    "मैंने इसको कुछ एडवाइज दी इसलिए बिज़नेस के रिलेटेड तूझे चाहिए क्या कुछ मुझसे एडवाइस चाहिए हो तोह बताना "।

    कैवल्य ने कहा।
    "जब चाहिए होगी तब बता दूंगा "। इतना कहकर वोह तनवीर के साइड बैठ गया जिज्ञासा भी रुहांशी के साइड बैठ गए उसने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा।
    "Guy's जल्दी ऑर्डर करो मुझे बहुत भूख लग रही है मेरे पेट में तोह चूहे डोरने लगे है अब....

    तनवीर ने उसे ताना मारते हुए कहा।
    "हा हम इसलिए ही यहां आएं है.... वैसे भी तुम्हें खाने के सिवा कुछ आता कहा है"।

    जिज्ञासा ने अपनी आंखे छोटी करते हुए उसे कहा।
    "तोह तूझे भी टांग अड़ाने के सिवा और कुछ आता नही है ना तुम्हारी अद्दत अभी तक गए नही "।

    रुहांशी ने दोनो को रोकते हुए कहा।
    "तुम दोनो फिर शुरू हो गए बच्चे हो क्या चलो जल्दी ऑर्डर करो "।

    "हा उसके लिए ही में देख रहा हू झगड़ा करने बजाए यहां ध्यान दोगे तोह अच्छा होता जल्दी नाश्ता आता कुछ लोगों को समझ ही नही आता ये"। कैवल्य ने मेन्यू कार्ड को देखते हुए कहा ।

    जिज्ञासा ने उसे घूरते हुए कहा।
    "तुम कहना क्या चाहते हो मतलब में झगड़ा करती हूं"।

    कैवल्य ने उसे बिना देखते हुए कहा।
    "नही तोह मैंने ऐसा नहीं कहा मैंने तुम्हारा नाम भी नही लिया "।

    जिज्ञासा ने उसे घूरते हुए कहा।
    "पर मुझे ऐसा क्यू लगा की ये taunt मेरे लिए ही था...

    तनवीर ने आग में घी डालते हुए कहा।
    "हा मुझे भी ऐसा ही लगा की कैवल्य ये सब इंडिरेक्टली तुम्हें ही कहना चाहता है"। ये बोलते हुए तनवीर की नजर कैवल्य की तरफ़ थी और उसे दात दिखा रहा था।

    कैवल्य ने अब जिज्ञासा को देखा और ना में सिर हिलाते हुए कहा।
    "नही तुम गलत समझ रही हो जान में ऐसे तुम्हें भला क्यू कहूंगा "।

    "मुझे क्या पता पर ये taunt मेरे लिए ही था " जिज्ञासा ने अपने दात पिस्ते हुए कहा।
    कैवल्य जो उसे खुद समझ नहीं आराहा था की ऐसे अचानक क्या हो गया की जिज्ञासा को उसके बातो का बुरा मान गए और वोह खुद को taunt मारा है ऐसे बोल रही थी।

    उसने मन ही मन में कहा।
    "इसे क्या हुआ....? उपर से ये तनवीर आग में घी डालने का काम कर रहा है इसे तोह में छोडूंगा नही... बड़ी हसी आरही हैं ना मेरे उपर रुको देखता हूं तूझे में"।
    यहां कैवल्य तनवीर और जिज्ञासा को देखकर ही मन ही मन में बाते कर रहा था वहा रुहांशी को इन तीनो के मेलो ड्रामा में कोई इंट्रेस्ट नहीं था उपर से उसे जोर की भूख लगी थी रुहांशी ने अपना एक हाथ जोर से टेबल पर मारा और गुस्से में कहा।
    "अपनी बकवास बंद करो और ऑर्डर करो मुझे भूख लगी है.... नहीं तो में चली जाऊंगी यहां से चुप रहो..... मेरे अंदर के ज्वालामुखी को जगाओ मत 😤"।

    जिज्ञासा ने उसे शांत करते हुए कहा।
    "हा ठीक है हम ऑर्डर कर रहे हैं शांत हो जाओ "।

    तनवीर ने कैवल्य से मेन्यू कार्ड छिनते हुए कहा ।
    "हा अभी कर रहा हू दे यहा तुझसे कुछ नही होगा भाई रहने दे तू"।

    रुहांशी के टेबल पर मारने से पूरा होटल के बैठे हुए लोग उन लोगों को देखने लगे थे पर रुहांशी को इससे कोई फरक नहीं पड़ रहा था उसे तोह जोर से भूख लगी थी और गुस्सा भी बहुत आराहा था उसके दोस्तो पर। इस इंसिडेंट के विटनेस खुद वृशान और वैभव भी थे वोह दोनो resturant में एंटर हुए तोह रुहांशी के चिलाने की आवाज़ आई इसलिए वोह भी उस जगह देखने लगे जहा से आवाज़ आई।

    वैभव ने शॉक होते हुए कहा।
    "बापरे ये तोह बहुत ही डेंजर लड़की है"।

    वृषाण ने भी हैरान होते हुए कहा।
    "डेंजर नही खतरनाक लड़की है ये "।

    But I like her attitude वैभव ने स्माइल करते हुए कहा। और रुहांशी तनवीर जिज्ञासा कैवल्य के टेबल के तरफ बड़ गया वृशान को तोह यकीन ही नहीं हुआ की उसके भाई ने अभी क्या कहा उसने खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहा।
    "रुहांशी का attitude पसंद आया वोह भी उसका इन्हे भी कैसे कैसे लड़किया पसंद आने लगीं उपर से वोह गुस्सा कर रही थी attitude कहा दिखा रहीं थीं"।

    "अरे मोहतरमा आप इतना गुस्सा करते हुए अच्छी नही लगती शांत हो जाए आप "। वैभव ने रुहांशी को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा।

    उसकी ऐसे शक्कर जैसे बातें सुनकर रुहांशी उसे बुरी तरीके से घूरने लगती है।

    वैभव ने फिर से स्वीट वॉयस में कहा।
    "इतने गुस्सा सेहत केलिए अच्छा नहीं होता रुहांशी जी एक तोह आप इतनी खूबसूरत उपर से आपका लाल चेहरा गुस्से वाला टमाटर जैसा लग रहा है"।

    रुहांशी ने उसे कोल्ड आवाज़ में पूछा।
    "मतलब में टमाटर जैसे दिखती हू "।

    कैवल्य ने अपने सिर को पकड़ते हुए धिरे से कहा।
    "अब तोह ये गया काम से छोड़ेगी नही ये"।

    वैभव ने ना में सिर हिलाते हुए कहा।
    "नहीं तोह मैंने ये कहा आपके गुस्से के कारण आपके गाल लाल हो गए हैं"।
    उसकी बात सुनकर रुहांशी को और गुस्सा आने लगा पर वोह कुछ नही बोली उसने पिछे से वृषाण को देखा जो उसे ही देख रहा था उसने फिर अपनी आंखे दूसरी तरफ फेर ली और आंखे बंद करके बैठ गए वोह अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी। उसे अपने बातो पर कोई रिएक्ट ना करते हुए देखकर वैभव को थोडा अजीब लगा वोह और कुछ कहने केलिए मुंह खोलता उससे पहले ही तनवीर ने उसे कहा।
    "मिस्टर कश्यप आप आए हमारे साथ ब्रेकफास्ट करे"।

    वैभव हा में सिर हिलाता है और तनवीर के पास आकर बैठ जाता हैं। वृषाण भी उनके साथ जॉइन हो जाता है सब लोग हसी मजाक से अपना breakfast करते है रुहांशी चुपचाप बैठे अपना नाश्ता कर रही थी वृशान उसको चुप के से ही देख रहा था उसे रुहांशी की खामोशी का रीज़न पता नहीं चल रहा था। वोह बस तनवीर के सवालों के हा याह ना में जवाब दे रही थी.... जिज्ञासा और कैवल्य ने भी उसको कुछ कहा नहीं। उन्हे भी पता था की रुहांशी नाराज हैं और इसका कारण वोह दोनो खुद है।

  • 17. Dark side of revenge - Chapter 17

    Words: 1188

    Estimated Reading Time: 8 min

    नाश्ता करने के बाद रुहांशी वहा से किसी से बात करे बिना ही बाहर चली जाती हैं कैवल्य ने कहा।
    "इसे क्या हों गया ये इतने जल्दी नाराज और गुस्सा नही होती"।

    जिज्ञासा ने रुहांशी को जाते हुए कहा।
    "रुको में देखती हूं "।

    तनवीर ने उसे रोकते हुए कहा।
    "रुको उसे जानें दो अकेले रहेगी तोह अपने आप सब ठीक हो जाएगा"।

    वैभव और वृशान को कुछ समझ नहीं आता वृशान थोडा हिचकिचाते हुए पुछता है।
    "कुछ हुआ है क्या मिस रुहांशी को "।

    तनवीर ने उसे एक सेकंड केलिए देखा और कहा।
    "कुछ नही बस शायद उसकी तबियत ठीक नहीं है"।

    वैभव ने उसकी फिकर करते हुए कहा।
    "क्या हुआ उन्हे सब ठीक है ना...."

    तनवीर ने उसे कहा।
    "ज्यादा कुछ नहीं हुआ है बस कुछ ज्यादा ही एक्सर्शन हुआ ना मीटिंग और फिर लंडन केलिए यहां आगये इसलिए चिंता करने की जरूरत नहीं है"।

    वृषाण ने कहा।
    "अच्छा तो उन्हे आराम करना चाहिए वोह तोह सीधा बाहर चली गई"।

    तनवीर ने उसे देखते हुए कहा।
    "आजाएगी उसकी अद्दात है "।

    वृषाण फिर उससे कुछ नही कहता उसने सोचा की वोह खुद रुहांशी से मिल लेगा।
    तनवीर ने वैभव और वृशान से कहा।
    "हम अब चलते हैं फिर मिलेंगे एक जरूरी काम है तोह... "।

    तनवीर उसकी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही वैभव उसे कहता है।
    "No problem हम फिर मिलेंगे वैसे भी हम एक ही होटल में रहते है तोह मुलाकात होती रहेगी वैसे... मिस रुहांशी का खयाल रखियेगा "।

    तनवीर ने उसे मुस्कुराते हुए कहा।
    "हा क्यू नही रुहांशी मेरी खास दोस्त है इसलिए मुझे उसकी फिकर है डोंट वरी "। इतना बोलकर तनवीर जिज्ञासा और कैवल्य को अपने साथ लेके चला जाता है।

    "भाई में एक क्लाइंट से मिलने जा रहा हू थोड़ी देर में आजाऊंगा ok"। वृशान ने उसे इनफॉर्म करते हुए कहा।

    वैभव ने कहा।
    "ठीक है जाओ मेरी अभी मीटिंग है तोह में भी चलता हूं "।

    वृषाण हा में अपना सिर हिलाते हुए होटल से बाहर निकलता है और बाहर आकर यहां वहा देखने लगता है उसकी नजरे किसी को ढूंढ रही थी वोह रास्ते से आगे चलता है तोह उसकी नजरे एक लड़की पर पड़ती है वोह और कोई नही रुहांशी थी। वोह उसे आवाज देता है।

    "रुहांशी.... रुहांशी ...

    रुहांशी कोई उसे आवाज दे रहा है ये सुनकर पीछे मुड़कर देखने लगती है तोह उसे वृषाण दिखता है वोह खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहती है।
    "ये क्यू मुझे बुला रहा अब क्या काम है इसको मुझसे?"  इतना कहकर वोह वही रुक गई। वृषाण उसके पास आता है और उसे कहता है।
    "तुम कही जा रही हो क्या"?

    रुहांशी उसे सपाट लहजे में कहती है।
    "घूमने जा रही हु तुम्हें आना है क्या?"

    वृषाण उसे देखता है और ना में सिर हिलाते हुए कहता है।
    "नही.... मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी"।

    रुहांशी ने कहा।
    "तोह बोलो क्या बात करनी है ?"

    वृषाण यहां वहा देखते हुए कहता है।
    "यहां नही कही और बात करते है"।

    रुहांशी उसे घूरते हुए कहती है।
    "अब क्या बात करनी है तुम्हें?"

    वृशान उसके ऐसे घूरने पर जरा सकपका जाता है पर वोह अपना गला साफ़ करते हुए उसे कहा।
    "Don't worry में तुम्हें खाने नही वाला और नाही तुम्हारे साथ कुछ गलत करने का मेरा इरादा है "।

    रुहांशी ने उसे कहा।
    "कर भी नहीं पाओगे... चलो यहां पास में ही गार्डन है वहा बैठकर बात करते है "।

    वृषाण उसकी बाते सुनकर गुस्से में आजाता हैं पर अपने गुस्से को कंट्रोल करता है और उसे कहता है।
    "चलो फिर" ।


    गार्डन में....

    रुहांशी और वृषान एक दूसरे के सामने खड़े थे वृशान ने अपने हाथ पेंट के पॉकेट के अंदर रखे हुए थे और रुहांशी को देख रहा था और रुहांशी उसे देख रही थी उसने उसे पूछा।
    "बोलो क्या बात करनी है?"

    "तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?"

    रुहांशी उसका सवाल सुनकर उसे देखने लगती है और फिर सामने देखते हुए बोली।
    "में कहा कर रही हु तुम्हें इग्नोर.... वैसे भी हम ना दोस्त है और ना  हमारा कोई बिज़नेस में रिलेशन है "।

    वृषाण ने उसे देखते हुए कहा।
    "मुझे तुम्हारी कंपनी के साथ डील करनी है करोगी "।

    रुहांशी उसकी बात सुनकर चौक जाती हैं और उसे पुछती है ।
    "सच में तुम्हें हमारी कंपनी के साथ डील साइन करनी है वोह क्यू मतलब ऐसे अचानक क्यू?

    वृषाण ने कहा।
    "वोह इसलिए क्यूंकि प्रत्युषा के स्कैंडल के वजेसे हमारे बीच के रिलेशन खराब हो गए है तोह कॉन्ट्रेक्ट से हम एक हो जाएं फेमिली हमारे बीच के missunderstanding दूर हो जाएगी "।

    रुहांशी को हसी आगये उसने कताश करते हुए कहा।
    "इसके पिछे भी कोई फायदा ही होगा तुम्हारा क्यूंकि तुम कोई भी चीज अपने फायदे में देखकर ही करते हो जहा तक मुझे पता है तुम अपने बिज़नेस केलिए किसी भी हद्द तक जा सकते हो .... "

    रुहांशी की बात सुनकर वृशान के चेहरे पर एक एविल स्माइल आती है और वोह उसके थोडा करीब आते हुए और कान में कहता है।
    "अरे वाह तुमने तोह मेरे बारे में इतना सब कुछ पता कर भी लिया कही तुम्हें मुझसे प्यार तोह नही हुआ ना मिस रुहांशी श्रीवास्तव "।

    रुहांशी उसकी तरफ अब देखने लगी अब दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे बस 2 इंच का फासला था दोनो के बिच रुहांशी थोडा पिछे होते हुए कहती हैं।
    "मिस्टर वृषान कश्यप तुम बिज़नेस वर्ल्ड के राजा हो और मुंबई के हेंडसम लड़को में से तुम्हारा नाम इवन तुम.... मानव कश्यप के पोते हो तुम्हारा राज चलता है यहां तोह obviously तुम्हारे बारे में सब को पता ही होगा ना और में क्यू करू तुम्हारे बारे में पता करू "।
    वृषाण को हसी आती है पर वोह हस्ता नही उसका चेहरा अभी भी सख़्त और बिना भाव का ही था जो हमेशा रहता है उसने कहा।
    "तोह कॉन्ट्रेक्ट कर लेते हैं मुझे डिसूजा कंपनी केलिए तुम्हारी हेल्प भी मिल जायेगी श्रीवास्तव कॉरपोरेशन भी तोह बिज़नेस वर्ल्ड में फेमस कंपनी है आपका भी तोह अच्छा खासा असर और पॉवर है "।

    "डिसूजा कंपनी में तोह में तुम्हारे अपोजिट रहूंगी क्यूंकि तनवीर की कंपनी को में हैंडल कर रही हु.... इस प्रोजेक्ट केलिए सो सॉरी बाकी प्रोजेक्ट्स और डील केलिए हम तयार है "।

    वृशान की आंखे शॉक से फेल जाती हैं पर झट से नॉर्मल करने के बाद वोह कहता है।
    "ओके हम बाकी डील्स पर फोकस करते हैं"। इतना कहकर वोह अपना हाथ रुहांशी की तरफ़ बढ़ाता है रुहांशी उसका हाथ उससे मिलाते हुए कहती है।
    "ठीक है हम बिज़नेस फ्रेंड्स और पार्टनर्स बन गए हैं भाई .... से में बात करती हूं फिर मिलते हैं "।

    वृषाण रुहांशी को रोकना चाहता था उसे रुहांशी से बाते करनी थी पर उसने उसे रोका नहीं वोह कहता है।
    "जी हां जरूर "।

    उससे bye बोलकर रुहांशी वहा से जल्दी में चली जाती हैं और वृषाण उसे तब तक देखते रहता है जब तक वोह उसके आंखों से गायब नही होती वोह खुद से ही कहता है।

    "रुहांशी तुम बहुत ही खास हो पता नहीं तुम जब होती हो तोह दिल में सुकून क्यू मिलता है.... तुम्हारे बारे में जानना बहुत ही असंभव है क्या हो तुम तुम कभी समझ में नहीं आती में तुम्हारे तरफ attract क्यू हो रहा हू I don't know"।

  • 18. Dark side of revenge - Chapter 18

    Words: 1055

    Estimated Reading Time: 7 min

    होटल रुम में....

    अभी जिज्ञासा कैवल्य और तनवीर सब तनवीर के रुम में बैठे हुए थे तनवीर लेपटॉप पर अपना काम कर रहा था तोह कैवल्य मोबाईल पर कुछ देख रहा था और जिज्ञासा यहां से वहा चक्कर मार रही थी उसे रुहांशी की बहुत चिंता हो रही थी ।

    जिज्ञासा ने तनवीर ने पूछा।
    "तनवीर रूही कहा गए होगी ऐसी अचानक तुम उसे कॉल करो ना वोह तुम्हारा कॉल उठायेगी?"
    जब से रुहांशी होटल से बाहर गए थी तब से वोह वापस नहीं आई थी और जिज्ञासा को उसकी फिकर हो रही थी उसने कैवल्य से भी कहा की वोह उसे कॉल करे पर उसने उसे साफ़ मना किया उपर से रुहांशी को लंडन आना नही था पर जिज्ञासा के जिद्द के कारण वोह उनके साथ यहां आगये थी।

    तनवीर अभी लेपटॉप पर काम कर रहा था उसने उसे बिना देखें ही जवाब दिया।
    "वोह आजाएगी यही कही होगी और वोह क्या बच्ची है जो रास्ता भूल जायेगी तू फिकर मत कर उसकी "।

    कैवल्य ने भी तनवीर का साथ देते हुए कहा।
    "हा बेब तुम उसकी टेंशन मत लो वोह आजाएगी और ये पहली बार नही है की रुहांशी यहां आई है वोह हमेशा आती रहती है बिज़नेस के सिलसिले केलिए "।

    जिज्ञासा ने उन दोनों को देखते हुए कहा।
    " पर वोह नाराज होकर चली गई है ना इसलिए

    तनवीर ने उसकी बात काटते हुए कहा।
    "आजाएगी अब तुमने उसे इतना फोर्स किया तोह क्या करती वोह "।

    कैवल्य चौंकते हुए पुछता है।
    "क्या तुमने उसे जबरदस्ती यहां आने केलिए कहा... वोह क्या करती यहां आके उपर से अजिंक्य भाई उसे अकेला नहीं छोड़ते कभी "।

    जिज्ञासा ने कहा।
    "मुझे लगा कि वोह यहां आयेगी तोह उसका मूड अच्छा होगा थोडा चेंज आयेगा वैसे भी हर रोज तोह ऑफिस कोर्ट और अविनाश भाई का कैफे भी तोह देखती है इसलिए मैंने उसे यहां ले आई "।

    कैवल्य ने उसे कहा।
    "हा पर उसे पुछती तोह की कोई काम है याह नही "।

    तनवीर ने उन दोनो से कहा।
    "Guy's relax आजाएगी वोह और अच्छा हुआ वोह यहां आई है तोह में उसे अपने कंपनी का प्रोजेक्ट हैंडल करने केलिए दीया है तोह मन लगा रहेगा उसका वोह मेरी ही कंपनी को रिप्रेजेंट कर रही है "।

    कैवल्य ने उसकी बात सुनी तोह उसे कहा।
    "अच्छी बात है "।

    उसी वक्त डोर पर कोई नॉक करता है कैवल्य कहता है।
    "में देखता हूं "।
    ये बोलकर कैवल्य रुम का डोर ओपन करता है उसके सामने रुहांशी खड़ी थी उसे देखकर वोह उसे कहता है।
    "कहा गए थी?"

    रुहांशी अंदर आते हुए कहती हैं ।
    "घूमने केलिए "।

    उसे अंदर आता हुआ देखकर जिज्ञासा खुश हो जाती हैं और दोरदते हुए उसके पास जाकर उसे हग करती है और कहती हैं।
    "कहा गए थी तू.... इतना नाराज हो गए मेरे से की ऐसे ना बताये ही चली गई तू"।

    रुहांशी ने जरा कंफ्यूज हो गए वोह इशारों से ही कैवल्य और तनवीर को पूछ रही थी पर दोनों ने इशारों से ही कहा कि इतनी बड़ी बात नहीं है। रुहांशी ने उसे कहा।
    "किसने कहा की में नाराज हु तुमसे में तुमसे कोई नाराज नही हु....

    जिज्ञासा रुहांशी से अलग होते हुए कहती है।
    "फिर ऐसे बिना बताए क्यू चली गई और ब्रेकफास्ट के टाइम भी कुछ बोल नहीं रही थी.... बस तनवीर के ही सवालों का जवाब दे रही थी "।

    रुहांशी ने उसके गाल खींचते हुए कहा।
    "वोह में कुछ सोच रही थी.... और थोड़ी तबियत भी खराब लग रही थीं तोह बस ऐसे ही"।

    जिज्ञासा ने उसके माथे को चेक करते हुए कहा।
    "क्यू क्या हुआ तू ठीक है ना.... बुखार तोह नही लग रहा तूझे "।

    रुहांशी ने हस्ते हुए उसे कहा।
    "में बिलकुल ठीक हु वैसे मैंने तुम दोनो केलिए डिनर डेट रखी है सो तुम जाओ और शॉपिंग करो मजे कर लो फ़िर इंडिया में जाकर अगर ज्यादा काम दीया गया तोह फिर मुझे मत कहना...."
    रुहांशी ये सब कैवल्य को देखते हुए कहती है।

    कैवल्य को उसका इंडिरेक्टली कहने का मतलब समझ आया और उसने मुंह बनाते हुए कहा।
    "तू है ही खडूस बॉस हमेशा हम बिचारे एंप्लॉयज पर हुकुम चलाती है और तंग करती है"।

    रुहांशी ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए बोली।
    "में भाई को बता दूंगी ये सब तू उन्हे बोला "।

    कैवल्य की आंखे ये सुनकर फेल गए और जिज्ञासा को देखते हुए कहता है।
    "चलो इससे बात करने से कोई फायदा है ही नही हु"। इतना बोलकर वोह रुम से चला जाता है

    जिज्ञासा रुहांशी को देखते हुए कहती है।
    "क्यू परेशान करती है उसे?"

    रुहांशी जो उसे जाता हुआ देखकर एक एविल स्माइल दे रही थी वोह मुंह बनाते हुए कहती है।
    "क्यूंकि मुझे पसंद है सुकून मिलता है"।

    जिज्ञासा अपना माथा पीट देती हैं। तनवीर उसे कहता है।
    "जा जल्दी नही तोह इसका मूड चेंज हुआ तोह उसे लगा देगी काम पे" ये सुनकर जिज्ञासा तुरंत वहा से भाग जाती है।

    रुहांशी अब सीरियस होते हुए कहती है।
    "हमे जल्द ही तुम्हारा प्रोजेक्ट डिसूजा को सबमिट करना होगा तनवीर"।

    तनवीर ने उसे सवाली नजरो से देखते हुए पूछा।
    "क्यू ऐसे अचानक क्यू हम तोह कल करने केलिए डिसाइड किया था ना?"

    रुहांशी कहती हैं।
    "क्यूंकि वृशान कश्यप आज ही अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर देगा क्यूंकि डिसूजा कंपनी ने उससे पहले ही कॉन्ट्रेक्ट किया था उन्हे मनाने केलिए वोह किसी भी हद्द तक जा सकता है उसके लिए उसने मुझसे मदत मांगी है तोह अब आज ही सबमिट कर देगा "।

    तनवीर ने लंबी सांस ली और कहा।
    "मतलब तुम अभी उससे मिली थी वोह तूझसे मिलने केलिए ही आया होगा शायद बहुत ही चालाक आदमी है वोह " ये कहते हुए तनवीर की आंखे लाल हो गए थी उसे बहुत गुस्सा आरहा था।

    रुहांशी ने उसे शांत करते हुए कहा।
    "अब ये गुस्सा करने से कुछ नही होगा पहले प्रोजेक्ट तयार करो उसे अच्छा प्रेजेंट करो में जानती हू.... मिस्टर डिसूजा को उनको क्या पसंद है क्या नही उसके अकॉर्डिंग ही बनायेंगे फिर रिजेक्ट नही होगा चलो काम में लगते हैं "।

    तनवीर ने हा में सिर हिलाया और दोनो प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस करने लगे फाइल्स देखने लगे रुहांशी उसे कुछ इंपोर्टेंट बदलाव करने केलिए कह दी क्यूंकि वोह उसे प्रोजेक्ट के अकॉर्डिंग नही लग रहे थे .... वैसे भी रुहांशी ने तनवीर को प्रॉमिस किया था की वोह ये कॉन्ट्रैक्ट साइन करके ही देगी और जब रुहांशी ने कोई वादा किया हो तोह वोह पूरा भी करती थी

  • 19. Dark side of revenge - Chapter 19

    Words: 1243

    Estimated Reading Time: 8 min

    वृशान अभी कश्यप इंद्रुस्त्री के सब ब्रांच के ऑफिस में था। ऑफिस में बैठकर सिगरेट की कश लगाते हुए कुछ सोच रहा था । तब ही वैभव उसके ऑफिस में एंटर होता है और देखता है की उसका छोटा भाई किसी गहरी सोच में डूबा हुआ है। वोह उसे पुकारता है।

    "वृषाण.... "
    पर वृशान उसकी बात सुनता ही नहीं वोह उसके ही खयालों में गुम था इसलिए वैभव ने उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए और जरा ऊंची आवाज़ में कहा।
    "वृषाण कहा खोये हुए हो?"

    वैभव की आवाज़ से वृशान उसके खयालों से बाहर आता है और उसे देखते हुए पुछता है।
    "भाई आप कब आए यहां?"

    वैभव ने उसे कहा।
    "जब तू अपने खयालों में बिजी था कब से आवाज़ दे रहा हू तूझे कहा खोया है तू"।

    वृषाण ने उसे देखते हुए कहता है।
    "वोह डिसूजा के प्रोजेक्ट के बारे में सोच रहा था"।

    वैभव ने उसके सामने चेयर पर बैठते हुए कहता है।
    "अच्छा वैसे हुआ क्या है पापा ने कुछ और ही कहा था हमे.... की वोह डील cancel कर रहे है फिर ये क्या है?"

    वृषाण ने उसके हाथ में एक फाइल थमाते हुए कहता है।
    "ये फाइल आप पड़े इस में सब डिटेल में है दरसल डिसूजा कंपनी को न्यू कंपनी के साथ काम करना है मैंने उनसे बात की थी की हमारे डील पर उसका कोई असर तोह नही पड़ेगा ना.... पर उन्हे हमारे प्रोजेक्ट खास पसंद नही आया तोह रिजेक्ट किया गया इसलिए कल फिर से न्यू प्रोजेक्ट डाल रहा हूं "।

    वैभव ने फाइल देखते हुए कहता है।
    "अच्छा है फिर उस में इतनी चिंता करने की क्या बात है "।

    वृषाण ने कहा।
    "क्यूंकि रुहांशी और तनवीर अहूजा के पहले हमे ये प्रोजेक्ट सबमिट करना होगा हमारे लिए ये डील बहुत ही important है आपको भी पता है ना "।

    वैभव ने हा में अपनी गर्दन हिलाई और बोला।
    "हा सही कह रहे हो तुम "।

    इतना कहकर वृशान और वैभव दोनों प्रोजेक्ट पर काम करने लगते हैं दोनो तरफ से प्रोजेक्ट की तयारिया चल रही थी बस अभी देखना ये था की ये प्रोजेक्ट की डील किसको मिलेंगी। रुहांशी अभी भी लेपटॉप पर काम कर रही थी उसने घड़ी की तरफ़ देखा तोह रात के 12 बजने केलिए 5 मिनिट बाकी थे फिर उसने तनवीर की तरफ देखा जो काम करते करते वही सोफे पर सो गया था उसे देखते हुए वोह मन ही मन में कहती है।

    "तुम्हारी कंपनी को ही कल कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा don't worry ये तुम्हारे साथ साथ मेरे बदले का पहला कदम रहेगा ... वृषाण कश्यप को ये डील नही मिलेगी "। इतना कहकर वोह फिर से लेपटॉप की तरफ देखने लगती है।





    अगली सुबह....

    रुहांशी की आंख जल्दी ही खुल गए थी वोह फ्रेश होकर तनवीर के साथ डिसूजा के ऑफिस में चली गई वैसे सच कहें तोह रुहांशी ने कल रात को ही अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर दिया था पर उन्हे प्रेजेंटेशन भी करना था और वहीं डील किसके साथ फाइनल होगी ये जल्द ही डिसीजन होने जा रहा था।

    तनवीर ने नर्वस होते हुए उसे कहा।
    "तुम्हे क्या लगता है हमारा कॉन्ट्रेक्ट साइन होगा की नही"।

    रुहांशी ने उसे देखते हुए कहा।
    "हा क्यू नही तुमने इस प्रोजेक्ट केलिए बहुत मेहनत ली थी वैसे सच कहें तोह तुम्हारा प्रोजेक्ट अच्छा है मैंने बस तुम्हें गाईड किया है "।

    "हा पर तू ही प्रेजेंटेशन देगी में नही करूंगा तूने वादा किया था याद है ना तूझे "। तनवीर उसे मुंह बनाते हुए कहता है

    रुहांशी ने उसे कहा।
    "तोह में करूंगी ही मैंने ना नहीं कहा उसके लिए"।

    तनवीर ने उसके गाल खींचते हुए कहता है।
    "I know की तुम ये ज़रूर करोगी "।

    "आउच.... मेरे गाल को खींचना बंद करो हमेशा ऐसा ही करता है"। रुहांशी ने अपने गाल को सहलाते हुए कहा।

    उसी दौरान वृषाण और वैभव भी वहा आते हैं वृषाण तनवीर को गाल खींचते हुए देख लेता है उसे वोह पसंद नही आता वोह गुस्सा हो जाता है पर अपने गुस्से को कंट्रोल कर लेता है।

    रुहांशी की नजर वैभव और वृशान की ओर जाती हैं और उन दोनो से ग्रीट करते हुए कहती है।
    "All the best आपको भी मिस्टर कश्यप आपने भी अपना प्रोजेक्ट सबमिट किया है ना"।

    वृषाण कहता है।
    "आपको भी all the best मिस रुहांशी और मिस्टर अहूजा "।

    तनवीर ने स्माइल करते हुए कहता है।
    "Thanks "।

    डिसूजा के ऑफिस में ऐसे बहुत कंपनी के ceo आए थे जो प्रोजेक्ट सबमिट किए थे और अब प्रेजेंटेशन देना था डिसूजा के चिफ मिस्टर डिसूजा आते और कहते हैं।
    "हेलो एवरीवन हम जल्दी ही कॉन्फ्रेंस लेने जा रहें हैं तोह आप सब रेडी है आपके प्रेजेंटेशन केलिए "।

    तोह भीड़ से आवाज़ आती है। हा

    डिसूजा ने स्माइल करते हुए कहा।
    "ठीक है चलिए मिलते हैं फिर "। इतना कहकर वोह वहा से चले जाते है तनवीर रुहांशी और बाकी सब कॉन्फ्रेंस रुम में जाते है



    कॉन्फ्रेंस रुम में....

    डिसूजा का एसिस्टेंट जॉन कहता है।
    "हेलो लेडीज एंड जेंटलमैन अब हम प्रेजेंटेशन की शुरुवात करते है शुरुवात हम मिस श्रीवास्तव और मिस्टर अहूजा का प्रेजेंटेशन से करते है "।

    रुहांशी का नाम सुनते ही वृशान रुहांशी की तरफ़ देखता है वोह तनवीर के साथ थी उसे देखकर वृशान की धड़कने बढ़ जाती हैं उसकी खूबसूरती पर वोह सच में फिदा हुआ था क्या?

    रुहांशी आगे आती है और गहरी सांस लेकर वोह प्रोजेक्टर को सेट कर देती हैं.... और कॉन्फ्रेंस रुम में जो बैठे हुए लोग मौजूद थे उन्हे देखती है और प्रेजेंटेशन स्टार्ट करती है वोह एक एक पॉइंट को क्लियर करती है डिसूजा कंपनी के सीईओ ओनर रुहांशी की बातो को ध्यान से सुन रहे यहां तक की वृषाण और वैभव भी उसके प्रेजेंटेशन में खो गए थे।

    "So this is our project I hope you this thank you" रुहांशी स्माइल करते हुए अपना प्रेजेंटेशन बंद कर देती हैं उसका प्रेजेंटेशन सुनकर सब तालियां बजाते है तनवीर आस पास देखने लगता और खुद भी तालिया बजाने लगता है और स्माइल करने लगता है

    डिसूजा रुहांशी देखते हुए कहते है।
    "आपने अच्छा प्रेजेंटेशन किया"।

    " शुक्रिया"। रुहांशी स्माइल करते हुए कहती है और तनवीर के साइड बैठ जाती है उसके बाद हर एक अपने अपने प्रोजेक्ट की प्रेजेंटेशन देता है वृषान के तरफ से वैभव प्रेजेंटेशन करता है। सब के प्रेजेंटेशन हो जाने के बाड़ डिसूजा कहते हैं।

    "हमे सबके प्रेजेंटेशन पसंद आए पर उस मे से किसी एक का चूज करना पड़ेगा.... और वोह कंपनी का नाम है अहूजा ग्रुप ऑफ कंपनी "।
    ये अनाउंस होते ही रूम के मोजूद लोग तनवीर और रुहांशी को congratulations करने लगते है वृषाण और वैभव भी उन्हे congratulations करते है रुहांशी वृषान के चेहरे को देख रही थी उसके चेहरे पर तोह कोई एक्सप्रेशन नही थे पर उसके मन में तोह तबाही मची हुई थी।

    तनवीर आगे जाता है और डिसूजा से हाथ मिलाता है और कहता है। "Thanks sir"

    डिसूजा कहते है।
    "हम जल्द ही आपके पास प्रॉजेक्ट केलिए आयेंगे तब तक केलिए आप कॉन्ट्रैक्ट पर साइन कर दीजिए "।
    तनवीर कॉन्ट्रेक्ट पर साइन कर देता है वृषान अभी भी वहा मोजूद था वैभव उसे देखते हुए कहता।
    "तू ठीक है ना "।

    वृषाण कहता है।
    "हा ठीक हु में this is normal"।

    वैभव ने मुस्कुराते हुए कहा।
    "Yah you are right"।

    रुहांशी दूर से ही वृशान और वैभव को देख रही थी वोह उन दोनो के पास जाती हैं और वृषाण को कहती हैं।
    "मिस्टर वृषान आज लगता है आपकी किस्मत आपके साथ नही थी"।

    वृषाण उसे उपर से नीचे तक देखता है और कहता है।
    "क्यूंकि आप मिस्टर अहूजा के साथ थी ना "।

  • 20. Dark side of revenge - Chapter 20

    Words: 1261

    Estimated Reading Time: 8 min

    रुहांशी ने अपना गला साफ़ करते हुए कहती है।
    "मैंने बस एक दोस्ती के खातिर किया और रही बात तनवीर की तोह तनवीर और में अच्छे दोस्त हैं इसलिए बिज़नेस में अगर उसे मेरी जरूरत पड़ी तोह में जरूर आऊंगी"। इतना कहकर वोह एक मिस्टीरियस स्माइल देती है

    वैभव उसके हर एक्सप्रेशन को नोटिस कर रहा था साथी में वृषाण भी पर वृषाण उसके हर एक हरकत पर चौक जाता था। वोह उसे कहता है।
    "कभी कभी डेस्टिनी हमारा साथ नही देती मिस रुहांशी और अगली बार इससे अच्छी opportunity आयेगी उसे हम लेने की कोशिश करेंगे जरूर "।

    रुहांशी ने उसे देखते हुए कहा।
    "जी क्यू नही"।

    वैभव ने मुस्कुराते हुए कहा।
    "सच कहें ना रुहांशी जी आपने बहुत ही अच्छा प्रेजेंटेशन दीया आज में तोह खो ही गया था"।

    रुहांशी ने उसे मुस्कुराते हुए कहती है।
    "जी शुक्रिया "।

    उसी समय तनवीर वहा उनके पास आता है और रुहांशी से कहता है।
    "चले सब काम हों गया है"।

    रुहांशी ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहती है।
    "हा पर मुझे बहुत भूख लगी है चलो होटल में जाकर खाना खाते हैं"।

    तनवीर अपनी आंखे छोटी करते हुए उसे कहता है।
    "हैं.... अभी प्रेजेंटेशन के पहले तोह तूने खाया था ना फिर से भूख लगी "।

    "तूझे पता है ना मुझे टेंशन में ज्यादा भूख लगती है "। रुहांशी ने तनवीर को जवाब दिया।

    वृषाण ने रुहांशी की बात सुनी तोह उसे हसी आई और हंसते हुए कहा।
    "बड़ी अजीब आद्दात है तुम्हारी टेंशन में किसको भूख लगती है"।

    "हा मुझे लगती है कोई प्रॉब्लम है क्या? में तुम्हारे जैसे तोह हु नही की टेंशन में सिगरेट के धुआं उदाऊ याह फिर ब्रेकअप होने के बाद बार में जाके लगातार पेग नही मारती में "।

    रुहांशी की बाटे सुनकर वृशान वैभव और तनवीर उसे हैरान होकर देखने लगते हैं और वृषाण उसे घुरकर देख रहा उसने अपने दात पिस्ते हुए कहा।
    "तुम कहना क्या चाहती हो में नशेड़ी हु?"

    रुहांशी ने उसे सपाट लहजे में कहा।
    "मैंने ऐसा कुछ कहा क्या ये सब तोह तुम खुद ही बोल रहे हों"।

    वैभव ने बात को संभालने की कोशिश करते हुए कहता है।
    "फ्रेंड्स हम चलते है होटल में कुछ खा लेते है मैंने भी सुबह से कुछ खाया नही है "।

    रुहांशी ने चहकते हुए कहा।
    "अच्छा तोह चलो इस खडूस और सदु आदमी को रहने दो यहां ... पगला कही का "।

    वृषाण ने अपने दात पिस्ते हुए उसे कहता है।
    "कुछ ज्यादा नही बोल रही तुम पता भी है किसे बोल रही हो"।।

    "इंसान से बात कर रही हु" रुहांशी ने उसे अपने दात दिखाते हुए कहा।

    तनवीर ने उसे खींचते हुए उनसे दूर ले जाते हुए कहता।
    "तूझे भूख लगी है ना चलो में खिला देता हूं शांत हो जाओ क्यू उससे लड़ रही है"।

    रुहांशी ने भी तनतनाते हुए उसे कहती हैं।
    "तोह वोह मुझ पर हसा क्यू कोई बात थीं क्या हसने वाली "।

    वही वृषाण उसे खा जानी वाली नजरो से देख रहा था वैभव ने अपना माथा पीटते हुए उसे कहा।
    "क्यू लडाई कर रहा था उसके साथ होता है ऐसा तूझे पता नहीं है क्या? में जा रहा हू उनके साथ होटल मुझे भी भूख लगी है हु "।

    वृषाण ने उसे हैरानी से पूछा।
    "आपको मेरी साइड लेनी चाहिए भाई आप मेरे भाई हो याह उसके?"

    वैभव ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है।
    "तुम्हारा ही बडा भाई हु पर इस टाइम तुमने अच्छा नही किया क्यू उसे परेशान कर रहे थे.... वैसे में जा रहा हूं तोह अगर तुम्हें आना हो तोह आजाना "। इतना कहकर वोह वहा से चला जाता है।

    वृषाण उसे जाते हुए देख रहा था और खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहा।
    "कभी कभी मुझे लगता है मेरा भाई मेरा नही दूसरे का भाई है जब देखो तब दूसरे की साइड लेता है..... हद्द है मतलब मेरी कोई इज्जत है की नही "। ऐसा बोलकर वोह भी उसके पीछे पीछे जानें लगा।

    तनवीर और रुहांशी कार में बैठने जा रहें थे तब ही वैभव उन्हे रोकते हुए कहता है।
    "अरे रुको हम भी आराहे है.... यही कुछ दूरी पर मेरे दोस्त का कैफे है हम वहा चलते है"।

    रुहांशी और तनवीर एक दूसरे को देखने लगते हैं उन दोनो को कोई response ना देते हुए वैभव उनसे पुछता है।
    "क्या हुआ आप ऐसे क्यू देख रहे हो कुछ प्रॉब्लम है क्या"?

    वृषाण ने रुहांशी को देखते हुए कहता।
    "क्या हुआ हम तुम्हारे खाने में जेहर नही मिलाएंगे don't worry "
    रुहांशी अपने हाथ को फोल्ड करते हुए उसे कहती हैं।
    "मुझे उसकी कोई टेंशन नही है बस इसकी टेंशन है की तुम्हारे जबान से हमेशा जहरीली ही बाते क्यूं निकलती रहती है कही ये तुम्हारी सारी बाते सच ना हो "।

    वृषाण ने स्माइल करते हुए उसे कहा।
    "नही.... ऐसा कुछ नहीं होगा इतना भी बुरा नहीं हु में "।

    तनवीर ने अब इरीटेट होते हुए कहा।
    "अरे चुप हो जाओ.... चलो अब होटल में मिस्टर वैभव चले अब"।
    वैभव तनवीर रुहांशी और वृषान चारों एक साथ आगे बड़ गए पर पता नहीं रुहांशी को कुछ अजीब लग रहा था.... उसे ऐसा लग रहा था की कोई उनपर नजर रख रहा है रुहांशी ने यहां वहा देखा और पीछे देखने लगीं पर उसे कोई नजर नहीं आराहा था ।

    तनवीर ने उसे बार बार पिछे देख रही है ये देखा तोह उसने उसे पूछा।
    "क्या हुआ ऐसी क्यू पिछे देख रही हो?"

    "नही .... मुझे वोह वहा कोई लगा.... ऐसा लगा की कोई हमारा पीछा कर रहा है हम पर नजर रख रहा है"।

    तनवीर भी एक बार पिछे नजर डालता है पर उसे कोई दिखाई नही देता और वोह रुहांशी को कहता है।
    "कोई नही है वहा पे तुम्हारा वहम होगा चलो"।

    रुहांशी कहती हैं।
    "शायद ऐसा हो "। इतना बोलकर वोह आगे बड़ गए।

    रुहांशी का दिल बहुत घबरा रहा था पता नही किसी अनहुनी होने का अंदाजा हो रहा था पर वोह क्या थी ये समझ नही पा रही थी वोह मन ही मन बोली।
    "मेरा दिल इतना क्यू बैचेन है कुछ होने वाला है क्या? God pls सब संभाल लेना "।

    वृषाण रुहांशी के एक्सप्रेशन को नोटिस कर रहा था उसने उसे पूछा।
    "कुछ बात है क्या रुहांशी तुम ठीक तो होना ? तुम शेयर कर सकती हों"।

    रुहांशी जो अपने सोच में खोई थी वोह वृषान के सवाल से अपने सेंस में आती है और उसे मुस्कुराते हुए कहती है।
    "नही ऐसी कोई बात नहीं है "।

    रुहांशी और बाकी सब वैभव के दोस्त के होटल में पोहोच गए थे अपनी अपनी ऑर्डर देने के बाद सब एक दूसरे से बात करने लगे थे रुहांशी भी उनके साथ जॉइन हो गई थी .... सब का हसी मजाक चल रहा था।

    रुहांशी ने हंसते हुए वैभव से पूछा।
    "वैभव जी आप अभी तक सिंगल ही हो कोई लड़की आपको पसंद नहीं आई आपको?"

    "जी नहीं मुझे कोई ल़डकी पसंद नहीं आई याह यू कहो तोह मुझे मेरा अभी तक परफेक्ट पार्टनर मिली ही नही "। वैभव ने ये बात चेहरे पर बिना एक्सप्रेशन से कहा था।

    रुहांशी ने सरप्राईज होते हुए उसे कहा।
    "What that's strange आपको अभी तक परफेक्ट लाइफ पार्टनर मिली नही आप इतने हेंडसम हो दिल के अच्छे हो इवन आर्मी ऑफिसर भी हो.... फिर भी आपको कोई ल़डकी मिली नही "।

    वैभव ने हा में सिर हिलाते हुए कहा।
    "हा अब क्या कर सकते हैं? कोई अच्छी ल़डकी मिली ही नही"।

    रुहांशी के चेहरे पर एक कड़वी मुस्कुराहट आई और अपने कोल्ड ड्रिंक के ग्लास पर उसके हाथ की उंगलियां कसने लगी। उसका फोर्स इतना ताकड़वर था की वोह कांच का ग्लास टूट जाए पर रुहांशी ने समय रहते ही अपने इमोशन्स को कंट्रोल कर लिया।