Novel Cover Image

तेरे पहलु में रह लु

User Avatar

Durga Pandey

Comments

0

Views

446

Ratings

23

Read Now

Description

नियती जिसने अपने शादी को लेकर कई अपने देखे थे जो हर लडकी देखती है वैसे भी नियती में कोई कमी नहीं थी वो जितनी सुंदर उतनी ही सरल व शांत सौभाव की लेकिन पता नहीं किस्मत को क्या मंजुर है जो उसके शादी वाले दिन ही उसके बहन की शादी उसके होने वाले पती से हो ग...

Total Chapters (7)

Page 1 of 1

  • 1. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 1

    Words: 1180

    Estimated Reading Time: 8 min

    एक मेरिज होल में सभी लोग आपस में कुछ बातें कर रहे थे उन्ही में एक औरत बोली - "  क्या हुआ दुल्हा इतनी समय से मंडप में बैठा है और अभी तक दुल्हन ही नहीं आईक्ष "  . . . .
    उसकी बात सुन कर दुसरी औरत कहती है - "  मुझे लगता है लड़की अपने किसी आशिक के साथ भाग गई  " . . . . . 
    तभी उसमें से एक औरत कहती है  - " ऐसी लगती तो नहीं है काफी सीधी दिखती है मैंने तो कभी उसे घुमते हुए भी नहीं देखा "  . . .
    उसकी बात सुन कर दुसरी औरत कहती है. - " . . बेहेन आज कल किसी का भरोसा नहीं है कौन क्या कर सकता है जो जितना सीधा दिखता है वो ही बडे बडे कांड कर देता है और पता भी नहीं चलता  " . . . . .
    ऐसे ही बातें पुरे होल में हो रही थी. . . . . . 

     
    तभी लडके का पापा लडकी के पापा के पास जा कर कहते हैं - "  समधी जी इतना समय हो गया और अभी तक दुल्हन आई नहीं लोग बात बना रहे हैं  "  . . . . . . . .
    तभी लडकी के पापा कहते हैं - "  देखिए पता नहीं क्यों पर उसका फोन नहीं लग रहा मै किसी को भेजता हु उसको लाने के लिए "   . . . . .
    तभी लडके के पापा कहती है  - "  पिछले 2 घंटे से भी ज्यादा हम इत्जार कर चुके अब तो लोग भी तरह तरह कि बातें बना रहे हैं अब तो हमारी सारी इज्जत का तमाशा बनेगा  "  . . . .
    तभी पिछे से किसी औरत की आवाज आती है और वो कहती है - "  देखिए भाइया मेरी बात का बुरा मत मानिए गा लेकिन मुझे लगता है दुल्हन भाग गई है वो तो आने से रही अगर कुछ बचा है तो वो ये है हमारी इज्जत का जुलुस निकला लेकिन आप दोनों चाहे तो आप दोनों कि ही इज्जत बच सकती है  "  . , . .
    और फिर कुछ समय चुप रह कर लडकी के पापा की तरफ पलट कर कहती है  - " आप ऐसा क्यों नहीं करते अपनी बड़ी बेटी की जगह छोटी बेटी को बिठा दे जिससे हम लोग भी दुल्हन ले जाएगे और आप भी बेटी बिदा कर देगे  "
    उनकी बात खत्म होते होते लडकी के पापा कहते हैं  - "  देखिए मेरी बेटी भागी नहीं है " . . . . .
    तभी लडके पापा कहते हैं - "  मुझे पता है की आपकी बेटी भागी नहीं है लेकिन इस समय मौके को समझिये सारे मेहमान आ गए हैं और अगर अब दुल्हन मंडप में नहीं गई तो समाज मै दोनों परिवारो कि बेज्जती होगी  "  . . . . . . . . . . .
     
    उनकी बात सुनने के बाद भी जब वो चुप रहे और कुछ नहीं कहे तब लडका के पापा कहते हैं  - " ठीक है सामधी जी आप पहले एक बार अपने परिवार से इस बारे में बात कर ले नहीं तो फिर हमें बारत वापस लेकर जाना पडेगा  " . . . . . . . .
    उनकी बात सुन कर वो कहते - " नही नहीं समाधी जी बारात  लेकर वापस मत जाइए मैं अपनी छोटी बेटी की शादी करने के लिए तैयार हु "   . . . . . . . . . 
    और फिर वहाँ से चले गए और कुछ ही समय में गुलाबी रंग के लेहेगे मै दुल्हन मंडप पर आई उसका चेहरा आधा डका हुआ था और शादी की रशमे सुरू हो गई वही लडकी तरफ के.  सभी का चेहरा उतरा हुआ था वही दुल्हा का चेहरा चमक रहा था और जैसे जैसे लक्त बितता गया वैसे ही शादी की रशम बडती गई . . . . . . . .
    वही मेरिज होल के दरवाजे पर दो लडकीया खडी थी उनमें से एक लडकी ने शादी का जोडा पहना हुआ था और उसके सर पर पाटी बंधी हुई थी और वही दुसरी लडकी ने साड़ी पहनी थी और उसके हाथ मैं भी चोट लगी हुई थी .  . . . . . . . . . . 
    वो दोनों जब मंडप के पास जाते हैं तो देखते है की आखिरी फेरा हो रहा है और पंडित जी माग में सिंदूर भारने को कह रहे हैं तभी वही मंडप के पास खंडे लडकी के पापा की नजर उन पर पडती और वो दौडते हुए आते हैं और कहते हैं  - " क्या हुआ बैठा तु कहाँ रह गई थी  " . . .
     और ये चोट तभी उसके साथ आई लडकी कहती है  - " अंकल पहले अंदर चलते हैं फिर मै आप को सब कुछ बताऊगी " . . . . . . . 
    उसके बाद सभी रूम में आ जाते हैं यहाँ लडका और लडकी वाले दोनों रहते हैं तभी वो लडकी कहती है  - " अंकल जब मैं और ये दोनों रेडी होकर यहाँ आ रहे थे तभी रास्ते में कुछ चोर ने हमारी गाड़ी रोक ली और हमसे गेहने मागने लगे जब हमने गहने नहीं दिये तो वो हमसे गहने छिनने लगे और इस सब मै नियति के सर पर बहोत चोट लग गई और वो बिहोस हो गई और मेरे हाथ पर भी चोट गई थी और खुन बहने लगा जिससे वो बदमाश डर कर भाग ये डायवर अकंल को तो बहोत चोट आई इस लिए वो अभी भी होस्पिटल में एडमिट है और फिर हम लोग वहाँ से होस्पिटल गए हम लोगो ने बहोत कोशिश कि जल्दी आ जाए लेकिन पहले नियति को होश नहीं आ रहा था फिर डायवर अंकल भी ठीक नहीं थे तो हम उन्हें छोड़ कर नहीं आ सकते थे और फिर होस्पिटल वालो ने पुलिस को भी बुला लिया था तो बयान देने में हमे इतना समय लग गया " . . . . . . .
    तभी लडके की बुआ कहती है  - " क्या भरोसा ये लोग सच कह रहे हो गई होगी अपने आशिक के पास जब उसने अपनाने से इनकार कर दिया होगा तो आ गई होगी यहाँ. " . . . . . .
    उनकी बात सुन कर लडकी के पापा कहते हैं  - " बस बेहेन जी आप मेरी बेटी पर झुटा इलज़ाम लगा रही है  " . . . . . . . 
     
    उनकी बात सुन कर वो कहती है - " चलो भाई साहब मान लेते हैं कि आप कि बेटी सच कह रही है लेकिन आप ही बताईये कौन इसकी बात पर भरोसा करे गा कौन इसे अपने घर की बहु बनाऐ गा जब एक बार बारात आने के बाद भी बिदा नहीं होगी "  . . . .
    उनकी बात सुन कर उनका चेहरा उतर जाता है और सर निचे हो जाता है तभी वो लडकी कहती है जो नियति के साथ ही गई थी. . . . . . 
    क्या कहती है वो लडकी और क्या होगा नियति की जिंदगी में कौन है राह चलेगी उसकी जिंदगी 
    आप लोग को कहानी कैसी लगी जरूर बताइये गा और रेटिंग और कमेंट भी किजिए गा  . . . . . 

  • 2. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 2

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    उनकी बात सुन कर वो कहती है - " चलो भाई साहब मान लेते हैं कि आप कि बेटी सच कह रही है लेकिन आप ही बताईये कौन इसकी बात पर भरोसा करे गा कौन इसे अपने घर की बहु बनाऐ गा जब एक बार बारात आने के बाद भी बिदा नहीं होगी  " . . . 
    उनकी बात सुन कर उनका चेहरा उतर जाता है और सर निचे हो जाता है तभी वो लडकी कहती है जो नियति के साथ ही गई थी. . . . . . 

    वो कहती है - " अगर आंटी आप को यकिन नहीं तो आप पुलिस से भी पुछ सकती है या फिर होस्पिटल से भी और नियति को से कोई शादी क्यों नहीं करेगा नियति ने कुछ लगत नहीं किया है "  . . .
    तभी वहाँ पर ही खडी़ एक औरत जिसकी उम्र लगभग 50 साल होगी वो अपने पति को एक साइड ले जा कर कहती है - "  देखो जी बहोत अच्छा मौका है हम नियति का हात अपने बेटे के लिए माग लेते हैं "  . . .
    उनकी बात सुन कर उनका पत्नी कहता है - "  पगाल हो गई हो कुछ भी कह रही हो " . . . . . . . 

    उन की बात सुन कर वो औरत कहती है - " देखिए मुझे लगता मत समझिये मै तो इस लिए कह रही थी कि इतनी अच्छी लडकी का जिंदगी बराबाद हो जाएगी मै जानती हु बैठी का दुख तो माँ बाप से नहीं दिखता आप ने देखा भाई साहब को लोग कैसी बातें सुना रहे हैं अगर नियति हमारे घर की बहु हो जाएगी  तो सभी के मुह बंद हो जाएगे "  . . .  . .
    उसकी बातों को सुन कर अब उनके पति को भी यह सही लग रहा था दोनों ही लडकी के पापा के   पास आ कर कहते हैं - "  भाई साहब आप बुरा ना माने तो मेरे  पास आप के लिए प्रस्ताव है  " . . . . . . . .
    " अगर आप चाहे तो हम नियति को अपनी बहु बनाना चाहे गे आप उसकी शादी मेरे बेटे से कर दे "  . . . .
    तभी उनकी पत्नी कहती है - "  वैसे भी भाई साहब आज जो हुआ उसके बाद तो इसकी शादी होना मुश्किल हो जाए गा और अगर आप आज ही इसकी शादी मेरे बेटे से करा देते हैं तो ना ही आप की बदनामी होगी और ना ही नियति बेटा को तकलीफ नहीं होगी "  . . . .
    आप सोच लिजीए फिर बताइये गा   अगर आप के तरफ से हा होगी तो इस ही मंडप में ही शादी कर लेगे ". . . . 

    तभी वहाँ पर बहोत ही हेंसम और गोरा लम्बा कद  और उम्र वही 26 -27 साल का होगा हल्का गुलाबी रंग का कुरता पहनने वहाँ आ जाता है और उस औरत से कहता है  - "माँ ये आप क्या कर रही है "  .  . . . . . 
    उसकी बात सुन कर उसकी माँ और पापा उसको भीड से दुर ले जाते हैं और कहते हैं  - " क्या है "  . . . . . 
    उनकी बात सुन कर वो लडका कहता है - " माँ मै शादी नहीं करूँगा " 
    तभी उसकी माँ गुस्से से कहती है - "  कैसे नहीं करेगा हा एक तो तेरी हरकतों से कोई अपनी लडकी नहीं देगा वो तो किस्मत अच्छी है जो इतना अच्छा रिश्ता बैठे बिठाए मिल रहा है लडकी इतनी पडी लिखी और सुंदर है और क्या चाहिए  "  . , . . .
    तभी उसके पापा कहते हैं - "अब ज्यादा ना नुकुर मत करो और चल कर मंडप मै बैठो "  . . . .
    वो लडका भी कुछ नहीं कर पाता और गुस्से में जा कर मंडप मे बैठ जाता है कुछ ही समय में नियति को भी मंडप में बिठाया जाता है और शादी की रसमे सुरू हो जाती है लेकिन पुरी शादी में दुल्हा के चेहरे पर गुस्सा था और वो एक बार भी नियति की तरह नहीं देखता वही नियति भी किसी कठपुतली जैसे नीचे सर कर पंडित जी जो कह रहे थे वो कर रहे थे  . . . . . . . 

    और जल्द ही दोनों की शादी सम्पन्न हो जाती है और विदाई की तैयारी सुरू हो जाती है दोनों बहने ही अपनी माँ और पापा के गले लगी हुई थी वही नियति का पति जा कर गाड़ी में बैठ गया था जब कि उसकी छोटी बेहेन का पति अभी भी उसी के पास खड़ा था जल्द ही विदाई हो गई और दोनों बेहने अपने ससुराल में थी दोनों के हो गृह प्रवेश की तैयारी हो चुकी थी . .

    दोनों जैसे ही दरवाजे पर पहुची तब नियति का पति  वही से बहार  चला गया उसकी माँ उसको आवाज देती ही रह गई जब उनकी बात नहीं सुना तो वो नियति की तरफ देख कर कहती है - "  बेटा थक गया है तुम परेशान मत हो तुम भी तो थक गई हो गी ना " नियति बस हल्का सा मुस्कुरा देती है. . . . . 
    और फिर अपनी जेठानी के तरफ देख कर कहती है - " भाभी दोनों बहु को अंदर लाओ थक गई होगी  " . . . .
    उसकी बात सुन कर वो भी दोनों का गृह प्रवेश करा कर घर के अंदर आती है और दोनों को उनके उनके रूम में ला कर छोड़ दिया गया नियति अपने बैड पर बैठे सोच रही थी कि ये क्या हो गया कुछ दिन पहले उसकी जिंदगी कितनी अच्छी थी. . . . . . . 

    , कौन थे वो गुंडे और क्या मकसत था उनका सिर्फ चोरी करना या फिर नियति को मंडप तक नहीं पहुंचने देना और अगर ऐसा था भी तो कौन कर सकता है और किससे हुई नियति की शादी जाने मेरे साथ इस काहानी में . . . . . . . . . 


    मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताइये और हाँ परेशान मत होइये यहाँ क्या हुआ और किस के साथ आप को आने वाले chepter मै पता चले गा और जल्दी जल्दी chepter चाहिए तो रेटिंग और कमेंट और सैर और फालो जरूर करे.  .  .  .  .  .  



    Thanks 💖❤🙏
    राम राम

  • 3. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 3

    Words: 1303

    Estimated Reading Time: 8 min

    कुछ दिन पहले. . . 


    रूम में एक लडकी जो सारे कपड़े समेटते हुए कह रही थी समझ नही आता ये लडकी चाहती क्या है कभी भी अपना रूम साफ नहीं करती और न ही मेरा रूम साफ रहने देती है यह है नियति तीवारी दिखने में जितनी खुबसूरत उतनी ही सिम्पल  और इनकी उम्र है 24 साल ये जाब करती है जिससे काफी अच्छा कमा लेती है और वही ये जिन पर गुस्सा हो रही है  . . . .   

    वो है इनकी छोटी बेहन अनुषा जिसे प्यार से लोग अनु भी कहते हैं और उसी घर की किचन में ऐसा लग रहा था कि तुफान आया है सारा किचन बिखरा हुआ था तभी अनुषा और नियति की माँ मंदिर से वापस आइ और किचन से आती आवाज सुन कर किचन में गई पर किचन की हालत देख कर वो अपने सर पर हाथ रख लेती है  . . . 

    और अनुषा के पास आते हुए उसके हाथ को पकड़ कर कहती है ये क्या हालत कर दि है हा बता आज निती को देखने लडके वाले आने वाले है और तुमने किचन कि कैसी हालत कर दि है तभी अनु मुह बनाते हुए कहती है मै तो आप की मदद करना चाहती थी ये कैक बना कर लेकिन रहने दे मै कुछ भी करु आप को तो गलत ही लगता है आप के लिए तो बस आपकी निती ही सही है तो ठीक है मै भी जा रही मेरी friend के साथ बहार तभी ममता जी ( निती और अनु की माँ है) उसका हाथ पकड कर कहती है ऐसे कैसे जाओगी आज कही नही जाता और किचन कि तरफ ईसारा कर के कहती है पहले ये सब साफ करो . . . 
    .

    तभी पिछे से आवाज आती है क्या हुआ माँ ये आवाज निती की थी. . . उसके बुलाने से ममता जी अनु का हाथ छोड़ निती की तरफ देखती है इसी बात का फायदा उठा कर वहाँ से भाग गई



    उसके भागते ही  ममता जी कहती है पता नहीं ये लडकी कब बड़ी होगी तभी निती किचन में काम कराने लगती है तभी ममता जी कहती है निती बेटा तुम कुछ मत करो तुम जा कर तैयार हो जाओ लेकिन निती कहती है नहीं मा मै आप की मदद करूगीं कुछ ही समय में नास्ता का सारा कुछ बन गया था तभी रवि तीवारी ( निती और अनुषा के पापा जो सरकारी ओफसर थे) अपने साथ जो समान लाए उसको किचन में रखते हुए कहते हैं ममता सब तैयारी हो गई ममता जी कहती है हा सारी तैयारी हो गई फिर निती की तरफ देख कर कहती है बेटा जा तु भी तैयार हो जा मै बाकी सब कर लुगी. . 
    .. 


    निती भी हा मैं अपना सर हिला कर वहाँ चली जाती है अपने रूम मैं जैसे ही जाती है वहाँ उसको अनुषा बैठे हुई थी वो जल्दी से निती के पास आते हुए कहती है निती तुम ना ये वाला सुट पहनो तुम इसमें बहोत ही अच्छी लगो गी लेकिन नियति कहती है नहीं अनु मै इतना हैवि कुछ नहीं पहनु गी फिर एक हल्का सा सुट निकाल कर कहती है मै ये पहनुगी तभी अनुषा कहती है तुमसे कुछ भी कहना फालतु है मैं जा रही हु अपने दोस्तों के साथ. और वहाँ से चली जाती है. . 




    वही नियति ने सिम्पल सा सुट पहन लिया तभी ममता जी उसके रूम में आई और नियति को देख कर बोली नियति आज तो ठोडा हेवि सुट पहन लेना था उनकी बात पर नियति कहती है माँ इस की कोई जरूरत नहीं है मै जैसी हु उन लोग के सामने भी ऐसे ही जाऊगी. . 




    वही दुसरी तरफ शुक्ला निवास में तीनऔरते बैठी बाते कर रही थी उसमें से एक औरत कहती है आज तो हम यश के लिए लडकी देखने जा रहे हैं ये है लडकी बहोत ही सुंदर संस्कारी और पडी लिखी है और तो नौकरी भी करती है   (ये जो कह रही है वो है  अनिता शुक्ला और इनके पति सुरेन्द्र शुक्ला जो सरकारी नौकरी में है.        ). . तभी उनके समाने बेटी और कहती है अच्छा है भाभी  की यश के लिए लडकी देख रहे हो कोई अच्छी सी लडकी हो या फिर आप जहाँ देखने जा रहे हैं उन्ही  की कोई छोटी बेटी हो तो मेरे आयान के लिए भी बात करो ना. . . .  ( ये है सुरेन्द्र जी के छोटे भाई की पत्नी राधिका शुक्ला और इनके पती राजेन्द्र शुक्ला जिनका कपड़े की दुकान है ) 

    तभी अनिता जी मुह बनाते हुए कहती है क्या बात कर रही हो राधिका तुम्हारे उस नालायक को कोन अपनी बेटी देगा तभी राधिका जी कहती है ऐसा नहीं है भाभी अब तो वो अपनी पढाई भी पुरी कर रहा है फिर कही नौकरी भी कर लेगा. . . .. 
     तब अनिता जी कहती है रहने दो राधिका मुझे पता है वो नालयक कितना सुधरा है तभी उनके पास बेटी तीसरी और जो शांत बेटी सेब खाते हुए उनकी बात सुन रही थी वो कहती है वैसे राधिका दिदि दि बिलकुल सही कह रही है ये है अनिता जी की छोटी बेहेन सुनिता दुबे इनके पति से इनकी नहीं बनती थी इस लिए इन्होंने उन्हें तालक दे दिया तब से ये अपनी बेहेन के  पास कुछ समय के लिए रहने आई है नहीं तो ये अपने मायके में रहती है लेकिन कभी कभी आ जाती थी  है. . . . 

    उनकी बातें सुन कर तो राधिका का जी का मुड ही खराब हो जाता है तभी वो उठते हुए कहती है अच्छा मै चलती हु लंच भी तैयार करना है और आप को भी तो काम होगा और वहाँ से ऊपर आ जाती है 
     

     

     
    दरसल शुक्ला निवास बहोत ही बड़ा व आलीशान पुसतेनी भवन है जिसमें निचे अनिता जी का परिवार और ऊपर राधिका जी का परिवार रहता है अब मैं आप लोग को थोड़ा इनके परिवार के बारे में बाता देती हुआ अनिता जी के परिवार में वो उनके पति और उनका बेटा रहता है जो कि किसी बडी कंपनी में हाई पोस्ट पर जोब करता है  . . वही राधिका जी के परिवार में वो उनके पति और उनके बेटा आयान और बेटी आशी और इनके साथ इनकी नंनद  ( नंनद का नाम पुजा शुक्ला है) और उनकी बेटी ( और उनकी बेटी का नाम राजी है) भी रहती है और वही सुनिता जी की भी एक बेटी थी जिसका नाम नव्या दुबे) . . . 
     

     

     

     

     
    जब राधिका जी अपने घर पर पहुची तो गुस्से में जा कर होल में बेट गई जहाँ पहले से ही आयान और आशी बैठे हुए थे तभी आयान  कहता है क्या हुआ माँ आप इतने गुस्से में क्यों है  . . . तब राधिका जी उस पर गुस्सा होते हुए कहता है सब तेरी वजह से आज भाभी ने मुझे कितनी बातें सुनाई सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से अगर आज तु भी यश की तरह मन लगा कर पड़ता तु भी आज बड़ी कम्पनी में काम कर रहा होता और मेभी कोई अच्छे घर से पडी लिखी बहु लाती. . . 
     

     

     

     
    उसकी बात सुन कर आयान परेशान होते हुए कहता है क्या जरूरत है आप को बड़ी माँ के पास जाने की और माँ मैं कोशिश कर तो रहा हूँ इंटरव्यू दे तो रहा हूँ अब नहीं लग रहा जोब तो क्या करु. . . . 
     

     

     

     
    तभी राजी कहती है हा मम्मी वो तो सुनिता मौसी अपनी बेटी नव्या कि शादी भाई कराना चाहती है उसकी बात सुन कर तो राधिका जी का पारा हाई हो जाता है वो कहती है मैं उस नलायक लड़की को कभी भी  अपनी बहु नहीं बनाएगी  तभी आयान कहता आप क्या मैं भी उससे शादी नहीं करूँगा भले ही सारी जंदगी कुवारा ही रह जाऊ. . .  . . 
     

  • 4. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 4

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    तभी राजी कहती है - "  हा मम्मी वो तो सुनिता मौसी अपनी बेटी नव्या कि शादी भाई कराना चाहती है "
    उसकी बात सुन कर तो राधिका जी का पारा हाई हो जाता है वो कहती है - " मैं उस नलायक लड़की को कभी भी  अपनी बहु नहीं बनाएगी  तभी आयान कहता आप क्या मैं भी उससे शादी नहीं करूँगा भले ही सारी जंदगी कुवारा ही रह जाऊ " . . .  . . 

    वही दुसरी तरफ नियति के घर में सारी तैयारी हो गई थी अब बस लडके वाले आने वाले थे तभी उनके घर के डोर बेल बजी जिसे सुन कर रवि जी दरवाजा खोलते हैं जहाँ पर करीबन 5 लोग आय हुए थे रवि जी उनका स्वागत करते हैं और ममता जी को आवाज लगाते हैं तो ममता जी भी किचन से बाहर आ जाती है 



      सभी आ कर होल में बेठ जाते हैं तभी सुरेन्द्र जी  अपने बाजु में इसारा करते हुए कहते हैं रवि जी ये है हमारी पत्नी अनिता शुक्ल और ये है इनकी बेहेन सुनिता दुबे और ये है में मेंरा बेटा यश शुक्ला तभी रवि जी ममता जी की तरफ इसारा कर के कहते हैं और ये है हमारी पत्नी और सभी बेट कर आपस में बातें करने लगते हैं तभी अनिता जी कहती है - " बेहेन जी नियति को तो बुलाईये अब उससे तो मिल ले " . . . . 

    तो ममता जी कहती है जी मै अभी ले कर आती हु और नियति के पास आ जाती है और कुछ ही समय में ममता जी वापस आ जाती है तब अनिता जी पुछती है क्या हुआ नियति कहाँ है तब ममता जी कहती है वो तो चाय बना रही है और कुछ ही समय में नियति चाय और नास्ता ले कर आ जाती है उसको देखकर अनिता जी और सुरेंद्र जी तो बहोत ही खुश होते हैं नियति सभी को चाय शव करती है फिर ममता जी के पास आ कर बैठ जाती है अनिता जी उससे पुछती है बेटा ये बताओ खाना बनाने आता है नियति उनकी तरफ देख कर कहती है जी आंटी आता है तभी ममता जी कहती है जी बेहेन जी नियति बहोत ही स्वादिष्ट खाना बनाती है बल्कि ये सारा नास्ता भी इसी ने बनाया है. .

    उनकी बात सुन कर अनिता जी बहोत ही खुश हो जाती है और फिर कुछ सवालों के जवाब के बाद सुरेन्द्र जी रवि जी की तरफ देख कर कहते हैं हमारी तरफ से तो रिस्ता पका समझिये और फिर यश की तरफ देख कर कहते हैं क्यो बेटा जिस पर यश कुछ नहीं कहता तब सुरेन्द्र जी रवि जी से कहते हैं आप भी एक बार बिटिया से पुछ लिजिए फिर  हम रिस्ता तेए कर देगे रवि जी कहते हैं जी बिलकुल आप सही कह रहे हैं और वो इसके आगे कुछ कहते उससे पहले ही ममता जी कहती है नहीं भाई सहाब हमारी नियति को इस शादी से कोई परेशानी नहीं है आप हमारी तरफ से भी रिस्ता तेए ही समजिए फिर नियति वहाँ से अंदर चली जाती है और ममता जी सभी को मिठाई खिला कर मुह मिठा कर रही थी. . . . . 
    तभी वहाँ अनुषा आ जाती है वो पहले तो सब को नमस्ते करती है तभी रवि जी सभी से उसको मिलाते हुए कहते हैं ये मेरी छोटी बेटी अनुषा है तभी अनुषा उन सभी तरफ देख कर कहती है महोल देख कर तो लग रहा है कि रिस्ता पक्का हो गया तब सुरेन्द्र जी कहते हैं हा बेटा वैसे अच्छा है फिर अनुषा यश की तरफ देख कर कहती है आप तो सच में बहोत हेडसम है मतलब मेहता आंटी सही कह रही थी नियति के तो भाग्य खुल गए उसको ऐसे बोलता देख कर ममता जी उसका हाथ पकड़ कर अनिता जी की तरफ देखते हुए कहती है माफ किजिए गा इस सौभाव ही चुलबुला सा है जिस पर अनिता जी हंसते हुए कहती है अरे ऐसी कोई बात नहीं है बलकि ऐसी बच्चीयों से घर में रौनक रहती है और खुशहाली भरा मौहाल रहता है. . .  

    उनकी बात सुन कर अनुषा अपना हाथ ममता जी से छुड़ा कर अनिता जी की तरफ देख कर कहती है आंटी आप बहोत अच्छी है मेरी मम्मी को लगता है कि मैं बहोत बात करती हु अनिता जी उसकी बात सुन कर हंस देती है तभी सुरेन्द्र जी कहते हैं हम लोग अब चलते हैं पंडित जी से पुछकर आप को सागई का मोहरत बताएगे. . . . . फिर सभी चले जाते हैं वही सभी के जाने के बाद ममता जी अनुषा को बहोत डाटती है  .

    वही दुसरी तरफ शुक्ला निवास में आयान अपने रूम में बैठ कर मुवी देख रहा था तभी उसके रूम में राधिका जी आ कर टिवी बंद कर देती है जिस पर आयान चिडते हुए कहता है मम्मी ये क्या है मैं देख रहा था ना जिस पर वो उस पर बारसते हुए कहती है हा तु बस घर में बैठ कर टिवी देख वहाँ भाभी यश का रिश्ता कितने अच्छे घर में कर के आई है और अब जल्द ही उनकी बहु भी आ जाएगी और वही तुम टिवी देखना छोडो और कोई नौकरी डुडो ताकि मैं भी तुम्हारी शादी कर अपनी बहु घर लाऊ.


    उनकी बात सुन कर आयान चिड कर कहता है माँ आप फिर सुरू हो गई और कर तो रहा हूँ कोशिश नौकरी डुडने की अब नहीं मिल रही तो क्या करू और वो यश की शादी हो रही है तो होने दो. . . . और अब आप मुझे और परेशान नहीं करेगी. . .  और फीर टि वी चालु कर के देखने लगता है उसकी हरकत देख कर राधिका जी और चिड जाती है और रूम से गुस्से से कुछ बडबडाते हुए आ जाती है. . . . . 


    उनकी बात सुन कर आयान चिड कर कहता है माँ आप फिर सुरू हो गई और कर तो रहा हूँ कोशिश नौकरी डुडने की अब नहीं मिल रही तो क्या करू और वो यश की शादी हो रही है तो होने दो. . . . और अब आप मुझे और परेशान नहीं करेगी. . .  और फीर टि वी चालु कर के देखने लगता है उसकी हरकत देख कर राधिका जी और चिड जाती है और रूम से गुस्से से कुछ बडबडाते हुए आ जाती है. . . . . 

    राम राम

  • 5. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 5

    Words: 925

    Estimated Reading Time: 6 min

    वही नीचे अनिता जी के यहाँ का मौहाल कुछ सही नहीं लग रहा था सुरेन्द्र जी यश पर गुस्सा करते हुए कहते हैं तुम पागल हो गए हो जो तुम्हे समझ नहीं आ रहा मैं रवि जी को कहुँ गा कि मेरे बेटे को आप की बड़ी बेटी नहीं छोटी बेटी पंसद आ गई है तुम्हें समझ भी आ रहा है यश की तुम क्या कह रहे हो.. . . तभी अनिता जी बीच में कहती है यश तुम्हारे पापा सही कह रहे है तुम्हे नियति से अच्छी लडकी नहीं , मिल सकती. . . .

    ओर वेसे भी मुझे उनकी छोटी बेटी कुछ ठीक नहीं लगी उनके ऐसे करते ही इतने समय से चुप बैठा यश कहता है माँ ये आप क्या कह रही है जब कि आपने ही वहाँ कहाँ था कि वैसी लडकिया से घर में रौनक रहता है और अब आप ऐसा कह रही है. . . . . जिस पर सुनीता जो चुप उन सब की बात सुन रही थी वो कहती है बैठा वैसी लडकिया मैएके को रौनक करती है ससुराल को नहीं उनकी बात सुन का यश अपनी जगह से खड़े हो कर सुरेन्द्र जी से कहता है पापा मै शादी करूगाँ तो अनु से जिस पर सुरेन्द्र जी भी कहते तो ठीक है तुम्हारा यही फैसला है तो मैं रवि जी को मना कर देता हूँ कि हम शादी नहीं करेगे जिस पर यश हडबडा कर कहता नहीं पापा आप एक बार तो उनसे बात करिये जिस पर सुरेन्द्र जी कहते हैं अगर वहाँ तुम्हारी शादी हुई तो सिर्फ नियति से नहीं तो नहीं करे गे



    उनकी बात सुन कर यश गुस्से से घर से चला जाता है और वही अनिता जी और सुरेन्द्र जी एक दुसरे को परेशानी भरी नजरों से देखते हैं और वही आरव जो अपने फोन में कुछ कर रहा था तभी उसको ऐसा लगा की कोई उसके बाजु में बैटा है जिससे उसका ध्यान अपने फोन से हट कर उस तरफ गया  तो वहाँ नव्या वहाँ उससे चिपक कर बैठी है जिससे आयान चिड जाता है और कहता है छिपकली तु यहाँ क्या कर रही हैं जिस पर नव्या उसको छेडते हुए कहती है तु जब भी मुझे ऐसे प्यार से छिपकली कहता है ना तो मैं बता नहीं सकती की मुझे कितना अच्छा लगता है जिस पर

    आयान उसको खुद से दुर करते हुए कहता है तु पागल हो गई है जिस पर नव्या हंस कर कहती है हा तु सही कह रहा है मैं तेरे प्यार में पागल हो गई हु जिस पर आयान अब खिजते हुए कहता है नव्या तु यहाँ से निकल रही है या मार कर भागऊ जिस पर नव्या कहती है अच्छा ठीक है गुस्सा मत हो मै तो तेरे को ये बताने आई थी कि यश भाई आज जो लड़की को देखने गए थे उसी की छोटी बहन को पंसद कर लिया और अभी मौसा जी से बेहेस कर के गुस्से में घर से निकले हैं. .   . . . . 
     


    उसकी सारी बात सुन कर आयान अपने रूम से बाहर आता है तो होल में राजी भी राधिका जी और राजेन्द्र जी को इसी बारे में बता रही थी आयान भी उनके बाजु में आ जाता है अब उसको बहोत मजा आ रहा था तभी राधिका जी कहती है ये यश भी पागल हो गया है जब आप देखने बड़ी बहेन को गया तो छोटी को कैसे पंसद कर सकता है जिस पर राजेन्द्र जी उनकी बात पर समर्थन देते हैं. . . . . . 

    आयान बात सुन कर होल से उठ कर जाने को होता है तभी राधिका जो उसको ठोकते हुए कहती है अब कहाँ जा रहा है तु जिस पर आयान कहता है माँ कितनी बार कहा पिछे से मत ठोका करो तभी राजेन्द्र जी कहते हैं तुम्हे घुमने के अलावा कुछ आता है ये नहीं की दुकान पर आ कर मेरी ही मदद कर दे नहीं यहाँ वहाँ बस घुमना है जनाब को घुमने के सिवा कुछ दिखता नहीं. . . . 

    उन दोनों की बात सुन कर आयान चिडते हुए कहता है माँ पापा में बस कुछ काम से ही बाहर जा रहा हु और वहाँ से चला गया बिना उन दोनों को कहने का मौका दिए. . . . 
     

    वही एक कैफे में दो लोग आमने समाने बैटे हुए थे उसमें से एक लडका कहता है तो क्या करने का सोचा है बडे़ पापा की मरजी से शादी कर लेगा जिस पर समाने वाला लडका कहता है मै किसी भी किमत पर ये शादी नहीं करूगाँ तभी समाने बेठा लडका कहता है तो ठीक है शाम के 7 : 00 बजे शालीमार जाती है तो तो तु उसी के नीचे आ जा या फिर जहर खा ले ये सब से बेस्ट होगा  उससे तुझे ज्यादा दर्द भी नहीं हो गा उसकी  बात सुन कर दुसरा लडका चिडते हुए कहता है आयान माजक मत मै ऐसे ही परेशान हु मेरे

    को समझ नहीं आ रहा क्या करू जिस पर आयान हसते हुए कहता है यश अब तु कुछ नहीं कर सकता क्यों की बडेपापा तो मानने से रहे अगर वो मान भी गए तो तो क्या भरोसा की वो लडकी भी मानेगी कोई भी लडकी ऐसे रिश्ते के लिए तैयार नहीं होगी जो उसकी बेहने के लिए आया हुआ हो. . . . 
     

    उसकी बात सुन कर यश अपनी जगह से खडा होते हुए कहता है तुम सही कह रहे हो पहले मुझे अनुषा से ही बात करनी चाहिए. . और वहाँ से चला जाता है आयान भी मुस्कुरा ते हुए उठता है और अपने बाइक की चाबी ले कर बाहर आ जाता है. . .  
     

    राम राम

  • 6. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 6

    Words: 1164

    Estimated Reading Time: 7 min

    उसकी बात सुन कर यश अपनी जगह से खडा होते हुए कहता है तुम सही कह रहे हो पहले मुझे अनुषा से ही बात करनी चाहिए. . और वहाँ से चला जाता है आयान भी मुस्कुरा ते हुए उठता है और अपने बाइक की चाबी ले कर बाहर आ जाता है. . .  


    दुसरे दिन सुबह के 10 : 00 बजे  नियति का घर 
    डोर बेल बजता है और अनुषा दरवाजा खोलती है और समाने यश को देख कर चोक जाती है लेकिन फिर हंसते हुए कहती है hello जीजु आप यहाँ पर नियति से मिलने आए हैं उसकी बात सुन यश कहता है नहीं वो इसके आगे कुछ कह पाता कि अनुषा कहती है तो आप मम्मी पापा से मिलने आए होगे लेकिन मम्मी पापा तो घर पर नहीं है और ना ही नियति वो भी अपने ओफिस गई तभी यश उससे कहता है वो मै तुमसे ही मिलने आया हु मुझे तुमसे ही कुछ बात करनी थी. . . . 


    जिस पर अनुषा हंसते हुए कहती है तो आप नियति की पंसद पुछने आए हैं ना यश इस बार उसकी बात काट कर कहता है अनुषा मै ये कहना चाहता हु कि मैं तुम्हारी बेहन से नहीं तुम से शादी करना चाहता था उसकी बात सुन कर तो अनुषा का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वो कहती मुझे लगता है आपका दिमाग खराब हो गया है तभी यश उसकी बात को काटते हुए कहता है देखो अनुषा मै जब तुम्हे कल देखा तुम मुझे पहली नजर मैं ही पंसद आ गई थी और तुम वैसी हो जैसी पत्नी मैं चाहता हूं उसकी बात सुन कर अनुषा गुस्से में कहती है अगर ये कोई माजक है तो मैं पहले ही बता देती हु मुझे ऐसे मजाक पंसद नहीं और अभी घर पर कोई नहीं है जब मम्मी पापा आए तब आइये गा कह कर जैसे ही दरवाजा बंद करने वाली थी तभी उसको यश के हंसने की आवाज आई और वो रूक कर यश को देख ने गली जैसे पुछ रही हो की क्यों हंस रहे हो. . . . . 

    तभी यश हंसते हुए कहता है मैने इतना अच्छा ऐक्टिंग किया लेकिन फिर भी तुम पहचान गई और वैसे भी तुम मेरी होने वाली साली हो थोड़ा तो हंसी माजक चलता है उसकी बात सुन कर अनुषा भी हल्के से मुस्कुरा देती है . . . . . 



    तभी यश कहता है मै चलता हूँ जब अंकल होगे तब आऊंगा और वहाँ से भारी मन और कदम के साथ वहाँ से निकल जाता है जब वो घर पहुचा तब तक सभी होल में बैठे हुए थे यश को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था इस लिए वो अपने रुम में जाने ही वाला था तभी सुरेन्द्र जी की आवाज आई जो कह रहे थे यश तुमने क्या फैसला लिया में रवि जी को क्या जवाब दु जिस पर यश बिना उनकी तरफ देखे कहता है हा कह दिजिए पापा और अपने रूम में चला जाता है उसकी बात सुन कर सभी बहोत खुश होते है. . . . 

    वही सुरेन्द्र जी भी रवि जी को सागई की दिन रखने के के पंडित जी को बुलाने को कहते हैं और जल्द ही सागई का दिन भी तय कर लिया जाता है और वही दोनों परिवारों में सागई की तैयारी भी सुरू हो गई थी और सभी बहोत खुश भी थे अगर कोई खुशखुश नहीं था तो वो था यश जो सागई में कोई भी रूचि नहीं ले रहा था. . . .

    वही नियति ना तो बहोत खुश थी और ना ही उदास उसके चेहरे पर खुशी तो सिर्फ अपने मम्मी पापा को खुश देख कर ही आ जाता है अब सागई का दिन पास आ रहा था पर नियति अभी भी ओफिस जा रही थी आज भी रोज की तरह वो घर का काम ममता जी के साथ करा कर ओफिस के लिए जैसे ही निकल ने वाली होती है तभी ममता जी उसको रोकते हुए कहती है निती कहा जा रही हो जिस पर नियति अपने सेंडल पहनते हुए कहती है माँ ओफिस जा रही  हु. . .

    ममता जी जल्दी से उसके पास आते हुए उससे उसका परस और लेपटाप लेते हुए कहती है कही नही जा रही है तु जब तक तेरी सागई नहीं हो जाती तब तक यही बैठ और आराम कर थोड़ी देर से तु और अनु पालर चले जाना और उसका समान ले कर अंदर चली जाती है वही नियति भी अपनी माँ के पिछे जाते हुए कहती है ठीक है मि मै कही नही जा रही अब तो मेरा लेपटाप दे दो कुछ जरूर मेल भेजने है. . .

    ममता जी जल्दी से उसके पास आते हुए उससे उसका परस और लेपटाप लेते हुए कहती है कही नही जा रही है तु जब तक तेरी सागई नहीं हो जाती तब तक यही बैठ और आराम कर थोड़ी देर से तु और अनु पालर चले जाना और उसका समान ले कर अंदर चली जाती है वही नियति भी अपनी माँ के पिछे जाते हुए कहती है ठीक है मि मै कही नही जा रही अब तो मेरा लेपटाप दे दो कुछ जरूर मेल भेजने है. .

    ममता जी उसके हाथ में लेपटाप पकडाते हुए कहती है ये लडकी कभी नहीं सुधरे गी हमेशा काम काम के सिवा तो कुछ दिखता ही नहीं की  अब तो मेरा सपना है कभी तो इस लड़की को मै खाली देख लो उनकी बात को सुन कर नियति कहती है माँ काम करना अच्छा होता है अपना सेहत भी अच्छी रहती है और फिर खाली बैठने का क्या फायदा उसकी बात सुन कर ममता जी उसके समाने हाथ जोडते हुए कहती है माफ कर दे मेरी माँ  मै कभी भी तेरे से नहीं जीत सकती उनको ऐसे देख कर नियति उसके गले लग जाती है और कहती है मेरी प्यारी माँ आप परेशान क्यों होती है तभी उतने समय से दोनों माँ बेटी को देख रहे रवि जी भी उनके पास आते हुई कहते हैं ममता आप क्यों चिंता कर रही है और जो नियति का करने का मन है करने दे उनकी बात सुन कर ममता जी चिडते हुए कहती है मुझे पता है आप भी अपनी बेटी की तरफ दारी करेगे तभी रवि जी नियति के सर पर हाथ रखते हुए कहते हैं क्यो ना करे हमारी बेटी हमारा गर्व है तभी पिछे से अनु की आवाज आती है जो कह रही थी और पापा मैं जिस पर रवि जी हंसते हुए उसको अपने पास बुलाते हुए कहते हैं आप तो हमारी जान है .


    आप दोनों से ही बहोत प्यार करते हैं तभी उनकी नजर ममता जी पर पडी जो तीनों को ही देख रही थी तभी रवि जी उनकी तरफ देख कर कहते और आप से तो हम सब से ज्यादा प्यार करते हैं उनकी बात सुन कर ममता जी शरमा जाती है और उनको ऐसे देख तीनों हंसने लगते हैं और तीनों को ऐसे हंसते देख ममता जी चिड जाती है और कहती है तुम तीनों इतना ही कहती है उनको समझ नही आ रहा था कि क्या कहे



    राम राम

  • 7. तेरे पहलु में रह लु - Chapter 7

    Words: 90

    Estimated Reading Time: 1 min

    आप दोनों से ही बहोत प्यार करते हैं तभी उनकी नजर ममता जी पर पडी जो तीनों को ही देख रही थी तभी रवि जी उनकी तरफ देख कर कहते और आप से तो हम सब से ज्यादा प्यार करते हैं उनकी बात सुन कर ममता जी शरमा जाती है और उनको ऐसे देख तीनों हंसने लगते हैं और तीनों को ऐसे हंसते देख ममता जी चिड जाती है और कहती है तुम तीनों इतना ही कहती है उनको समझ नही आ रहा था कि क्या कहे ।

    अब आगे