Novel Cover Image

माय बॉसी वाइफ

User Avatar

Ravi s

Comments

57

Views

7124

Ratings

132

Read Now

Description

राही खन्ना एक डॉमिनेटिंग सीईओ जिसने अपने एम्प्लॉय अहान सिंह के साथ कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कर ली। आखिर राही ने अहान से कॉन्ट्रैक्ट मैरिज क्यों की? अहान की कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के पीछे की वजह क्या थी? आपको क्या लगता ह...

Characters

Character Image

राही

Heroine

Character Image

अहान

Hero

Total Chapters (120)

Page 1 of 6

  • 1. माय बॉसी वाइफ - Chapter 1

    Words: 1503

    Estimated Reading Time: 10 min

    ब्लैक कार तेज गति से आते हुए कंपनी के सामने रुकी। कार देखकर गेट पर खड़े गार्ड तुरंत सतर्क हो गए और अपनी कैप उतारकर पीछे कर ली। ड्राइवर कार से बाहर उतरकर कार का दरवाज़ा खोला। एक लम्बी कद-काठी वाली महिला (लगभग 5.8 फीट) कार से बाहर निकली। लेडी को देखकर गार्ड्स ने उन्हें गुड मॉर्निंग कहकर अपना सर झुकाया। वह महिला उन्हें घूरकर देखती हुई कंपनी के अंदर चली गई।

    उनके जाने के बाद, कंपनी के गेट के बाहर एक लाल और सफ़ेद रंग की बाइक रुकी। एक हैंडसम लड़का, जिसकी ऊँचाई लगभग 6 फीट होगी, बाइक को किनारे पार्क करके अपनी शर्ट अंदर करके कंपनी के अंदर आ गया।

    "विध्व इंडस्ट्रीज में आपका स्वागत है, मिस्टर अहान सिंह।"
    रिसेप्शन पर बैठी एक प्यारी लड़की ने अहान को रोका।

    अहान रिसेप्शन पर आ गया। वह प्यारी लड़की मुस्कुराकर उसे देख रही थी।

    "मैं आज लेट हूँ, शशि?"
    अहान के चेहरे पर हल्का डर था। शशि ने मुस्कुराकर हाँ में सर हिलाया।

    "आज क्या बहाना बनाना है?"

    अहान कुछ सोचते हुए अपने सर पर उंगली फेरने लगा।

    "आज तो कोई बहाना नहीं है, सीरियसली मेरी बाइक का टायर निकल गया था, डू यू बिलीव मी?"

    शशि हँसी।

    "गुड वन! आई बिलीव यू फॉर श्योर।"

    अहान और शशि ने मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को हाई-फाइव दिया।

    "अब जाओ!"
    शशि प्यार से अहान को देखते हुए बोली।

    "mmm 😋 मीठी है तुम्हारी आवाज़।"
    अहान ने प्यार से कहा। यह देख शशि शर्मा गई!

    अहान उसे हल्का सा बाय कहकर अपनी ऑफिस डेस्क की ओर चल पड़ा। यहाँ सभी कर्मचारी काफी मेहनत से काम कर रहे थे। साइड में दो लिफ्ट थीं जो ऑफिस की ऊपरी मंज़िल पर जाती थीं जहाँ मीटिंग रूम और यहाँ की चेयरमैन और सीईओ राही का केबिन था। इस समय राही, चीनी बिज़नेसमैन मिस्टर टिंग के साथ मीटिंग कर रही थी!

    विध्व इंडस्ट्री फैशन क्लोथिंग के क्षेत्र में कई नामी इंडस्ट्रीज में से एक थी, और इकलौती भारतीय कंपनी थी जो चाइना में हज़ारों करोड़ों का मुनाफ़ा कमा रही थी। इस वजह से मिस्टर टिंग इस इकलौती भारतीय कंपनी को खरीदना चाहते थे।

    मिस्टर टिंग और राही आमने-सामने बैठे हुए थे। उन दोनों की निगाहें एक-दूसरे को घूर रही थीं। राही पेपरवेट घुमा रही थी।

    "मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है, मिस्टर टिंग। आप उठकर जा सकते हैं।"
    राही अपनी जगह से उठी।

    "सोच लो! मैं तुम्हें दुगनी कीमत देने को तैयार हूँ! तुम इंडिया में ऐसी 100 कंपनियाँ खड़ी कर सकती हो।"
    राही के कदम वहीं रुक गए। वह मुड़ी। उसने अपने चश्मे उतारकर वहीं टेबल पर रख दिए और अपनी सीट पर बैठ गई। यह देख मिस्टर टिंग मुस्कुराए।

    "तो आप साइन कर रही हैं?"
    उसने कुछ पेपर्स और पेन निकालकर टेबल पर रख दिए। राही ने एक नज़र उन पेपर्स को देखा और मुस्कुराई।

    "मैंने सोचा था आप अपनी रिस्पेक्ट को साथ लेकर जाएँगे।"

    टिंग ने कुछ अजीब सा चेहरा बनाया।

    "आप कहना क्या चाहती हैं?"

    राही के चेहरे के भाव गंभीर हो गए।

    मिस्टर टिंग राही को इतना सीरियस देख डर गए।

    "मिस राही, मैं चाइना से हूँ। अगर आपने कुछ भी किया तो आपके लिए अच्छा नहीं होगा।"
    मिस्टर टिंग अपनी जेब से रुमाल निकालकर अपना पसीना पोछने लगे।

    "अच्छा! मुझे आपने बताया आप चाइना से हैं! हम्म, आप कॉफ़ी पियेंगे?"
    राही टेढ़ी मुस्कान लिए उठकर वहीं लगी कॉफ़ी मशीन के पास आई।

    अचानक से राही के बदले हुए रवैये को देख मिस्टर टिंग को लगा कि राही उनकी धमकी से डर गई है।

    "मिस राही, बस आपके एक साइन की देर है, फिर हम साथ में बैठकर कॉफ़ी पियेंगे! विध्व इंडस्ट्री के एक चीनी कंपनी बनने के बाद!"

    राही ने अपने जबड़े कस लिए। उसके हाथ कॉफ़ी मग पर कस गए थे। अचानक वह मुड़ी और तेज कदमों से मिस्टर टिंग की ओर बढ़ने लगीं।

    राही को अपनी ओर आता देख मिस्टर टिंग अपनी जगह से उठ गए।

    "वहीं रुकिए! आप मेरी तरफ क्यों आ रही हैं?"
    वह आगे बोल पाता कि ईशानवी ने उसके सर पर गरम कॉफ़ी डाल दी! मिस्टर टिंग चिल्लाते हुए पीछे की ओर गिर गए।

    "ये तुमने क्या किया इंडियन चुड़ैल?"
    मिस्टर टिंग अपना सर सहलाते हुए अपनी जगह पर कूदने लगा। राही उसकी हरकतें देख मुँह दबाकर हँस दी, फिर अगले ही पल गुस्से में टिंग को घूरते हुए मग को जोर से टेबल पर रखी घंटी पर मारा जिससे घंटी टिंग की आवाज़ के साथ बजने लगी। घंटी की आवाज़ सुनकर अहान, शशि और कर्मचारी दूसरी मंज़िल पर आ गए।

    राही ने अपने मज़बूत हाथों में मिस्टर टिंग की कॉलर पकड़ी और उन्हें खींचते हुए सभी कर्मचारियों के बीच ले आई। मिस्टर टिंग की यह हालत देख शशि, अहान और सभी कर्मचारी घबरा गए।

    मिस्टर टिंग खुद को सबके बीच देख अपमानित महसूस कर रहे थे।

    "ये तुमने अच्छा नहीं किया, मिस राही।"
    वह गुस्से और अपमान के दर्द से चिल्लाया।

    राही ने मिस्टर टिंग की कॉलर पकड़ उन्हें आगे की ओर धकेल दिया। मिस्टर टिंग अहान और शशि के कदमों में जा गिरे। अहान, शशि और बाकी सब कर्मचारी यह देख हैरान थे, उन्हें नहीं पता था राही मिस्टर टिंग के साथ ऐसा क्यों कर रही है।

    अहान इस पर ईशानवी को कुछ बोलने वाला था कि शशि ने उसका हाथ पकड़ उसे रोक दिया।

    "मिस्टर टिंग, अपनी यह घटिया डील उठाओ और दुबारा विध्व इंडस्ट्री के बारे में सोचा तो आज की इस अपमान को याद रख लेना! विध्व इंडस्ट्री को तुम जैसे कभी नहीं खरीद सकते! निकलो।"
    राही ने एक नज़र अपने कर्मचारियों को देखा और अपने केबिन की ओर बढ़ गई। सब अभी भी चौंक गए थे! मिस्टर टिंग राही के केबिन को घूरते हुए चले गए।

    कुछ पल तक सब इसी घटना के बारे में बात कर रहे थे कि तभी फिर से राही बाहर आई। राही को देख सभी फिर से चुप हो गए। राही ने उन्हें अपनी उंगलियों से मीटिंग रूम में आने का इशारा किया तो सब राही के पीछे मीटिंग रूम में आ गए।

    राही अपने हाथ मोड़ते हुए सबसे आगे वाली कुर्सी खिसकाकर बैठ गई। अहान और शशि के साथ सभी कर्मचारी राही के पीछे मीटिंग रूम में आकर खड़े हो गए।

    राही ने अपनी भौंहें उठाकर सबको देखा।

    "नए कर्मचारी आगे आओ।"

    अहान इधर-उधर उसके साथ के कुछ लोग आगे जा रहे थे।

    "जाओ!"
    शशि ने उसे घूरते हुए आगे धकेल दिया।

    अहान अपना संतुलन नहीं बना पाया जिससे उसका हाथ कुर्सी पर लगा और घूमते हुए कुर्सी के साथ नीचे गिर गया।

    "हे भगवान!"
    शशि ने अपना सर पीटा, वहीं बाकी लोग मुँह दबाकर हँस रहे थे, सिवाय राही के जो अहान को घूरते हुए अपना पेपरवेट घुमा रही थी।

    अहान उन सबको घूरकर उठा और राही की ओर मुड़ा। अहान को देखते ही राही के हाथ से पेपरवेट छूटकर गिर गया।

    "मैम,"
    अहान तुरंत राही के पास आया और उसका पेपरवेट उठाकर वापस टेबल पर रख दिया।

    "सॉरी मैम।"

    "बैठो।"
    अहाना ने उसे घूरकर देखा और फिर बाकी सबकी ओर देखने लगी।

    अहान चुपचाप एक कुर्सी पीछे खिसकाकर बैठ गया।

    "एनी क्वेश्चन?"

    "नो मैम।"
    अहान को छोड़कर सबने ना में सर हिलाया।

    राही ने अहान की ओर देखा।

    "एनी क्वेश्चन?"

    अहान एकदम से चौंक गया। राही उसे देखे जा रही थी।

    "एनी क्वेश्चन?"
    राही ने अपना सवाल दोहराया।

    "मैम ने पहली बार अपने शब्द दोहराए।"
    कर्मचारी आपस में फुसफुसाने लगे।

    शशि को यह सुनकर कुछ खास अच्छा नहीं लगा, पर करती भी क्या? मुँह फुलाकर चुपचाप खड़ी रह गई।

    "यस मैम।"
    अहान ने उठकर अपना एक कदम राही की ओर बढ़ाया। अहान को आगे जाते देख शशि ने अपना सर पीटा।

    "अहान!!!"

    "मैम वो कौन था? और वो आदमी विध्व इंडस्ट्रीज़ को क्यों खरीदना चाहता था?"

    राही के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई। उसने बाकी कर्मचारियों के सबके चेहरे देखे। उनके मन में भी यही सवाल चल रहे थे। वह कुर्सी से उठकर अहान के सामने आई।

    "वो आदमी मीन टिंग था, चीनी सरकार का पालतू!"
    राही ने अब कुछ गंभीर भावों के साथ अहान और बाकी कर्मचारियों को देखा।

    "विध्व इंडस्ट्री खतरे में है! टिंग विध्व इंडस्ट्री को एक प्राइवेट इंडियन कंपनी से चीनी सरकार की कंपनी बनाना चाहता है।"

    यह सुनकर सब हैरान होकर एक-दूसरे की ओर देखने लगे।

    "दैट मीन्स मैम हमारी कंपनी और प्रॉफिट चीनी सरकार का होगा?"
    शशी ने घबराकर अपने दाँतों तले उंगली दबा ली।

    "ऐसा कुछ नहीं होगा!"
    अहान ने तुरंत सबकी ओर देखकर कहा।

    राही ने अहान को देखा। वह अभी भी उसे देखे जा रही थी।

    शशि अहान की बात काटते हुए आगे आई।

    "ये तुम कैसे कह सकते हो अहान! इंडिया और चाइना की कोई बराबरी नहीं है, चीनी फैशन क्लोथिंग ब्रांड्स यहाँ बहुत फेमस हैं।"

    राही शशि को घूर रही थी! राही को खुद को घूरते देख शशि घबराकर पीछे हट गई।

    "मैं नए कर्मचारियों को पहली और आखिरी बार क्लियर कर रही हूँ, विध्व इंडस्ट्रीज़ मेरे लिए मेरी माँ के बराबर है, यहाँ काम करने वाला हर एक कर्मचारी ईमानदारी से विध्व इंडस्ट्री को आगे ले जाने में मेहनत करेगा।"

    "यस मैम!"
    अहान के साथ सबने एक सुर में कहा।

    राही ने एक नज़र अहान को देखा और फिर अपना सर झटककर चली गई। अहान राही को देख हल्का सा मुस्कुरा दिया।

  • 2. माय बॉसी वाइफ - Chapter 2

    Words: 566

    Estimated Reading Time: 4 min

    राही एक अंधेरे कमरे में बैठी अहान के बारे में सोच रही थी। बार-बार अहान का चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम रहा था।

    "ये कैसे पॉसिबल है जिस लड़के को मैं रोज अपने सपनों में देखती हूँ, आज मेरे सामने खड़ा था?"

    कुछ सोचते हुए राही ने अपने होठों पर अंगुली फिराई।

    "वो लड़का मुझे अपने पास चाहिए।"

    राही के चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान आ गई। उसने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया और किसी को फोन किया।

    "यस मैम।"

    "मैनेजर, मेरी PS को फायर कर दो। उसकी जगह उस नए लड़के, क्या नाम था उसका, जो आज मीटिंग में गिर गया था?"

    "मैम, अहान।"

    "अहान," राही मुस्कुराई। "उसे कल ही PS का काम समझा देना।"

    राही ने फोन काट दिया। अहान का नाम उसके कानों में गूंज रहा था, जिसने उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ला दी।

    तभी कमरे की लाइट्स ऑन हो गईं। राही चौंक कर उस दिशा में देखी तो उसके पिता विध्वजीत खड़े थे।

    "डैड!" राही सोफे से उठकर विध्व के पास आई और उसके गले लग गई।

    "दादी कहाँ है?"

    "कल आएगी। तुम्हें माँ को लेने जाना है।"

    राही ने हाँ में सर हिलाया। विध्व ने राही के सर पर हाथ रखा। "अंधेरे में मत बैठा करो, नेगेटिव थॉट आते हैं।"

    राही ने हँस कर सर हिलाया।

    "अंधेरा मुझे हील करता है डैड, आई एम हैप्पी विथ इट।"

    विध्व यह सुनकर कुछ दुखी हो गया और बिना कुछ बोले चला गया। राही ने एक लंबी गहरी साँस छोड़ते हुए लाइट्स ऑफ कर दीं। राही की आँखों के सामने फिर से अहान का चेहरा घूम गया, जिसने राही के होठों पर हल्की सी मुस्कान ला दी।


    अगली सुबह, अहान तेजी से अपनी बाइक दौड़ाते हुए ऑफिस जा रहा था। उसने टाइम देखा।

    "फिर लेट हो गया अहान! अब फिर एक नया बहाना सोच।"

    अहान ने साइड में बाइक रोक दी और अपनी बाइक से पीठ लगाकर खड़ा हो गया।

    "अब लेट हो ही गया हूँ तो थोड़ा और सही, एक अच्छा सा बहाना सोचकर ही जाऊँगा।"

    अहान ने अपनी बाइक को देखकर अपने बाल खुजलाए और फिर खुद को देखा। अचानक उसकी नज़र एक बूढ़ी औरत पर चली गई जो सड़क पार करने की कोशिश कर रही थी, पर गाड़ियों के चलते आगे नहीं बढ़ पा रही थी।

    अहान ने इधर-उधर देखा और अपने हाथों से इशारे कर उसकी तरफ़ आती गाड़ियों को रोकते हुए दादी के पास आ गया।

    "दादी, आपका हीरो आ गया है आपको बचाने, चलिए मैं आपको सड़क पार करा देता हूँ।" अहान ने अपने बालों को झटका, उसके कुछ बाल उसके चेहरे पर आ गए।

    दादी उसे देख मुस्कुरा दी।

    "बेटा! मेरी कार आती ही होगी।"

    "अच्छा!" अहान ने अपना सर खुजलाया। "आपको जाना कहाँ है? मैं आपको छोड़ देता हूँ।"

    दादी ने हँसकर सर ना में हिलाया।

    "अगर मैं ड्राइवर के साथ टाइम से घर नहीं पहुँची तो मेरी पोती तूफ़ान खड़ा कर देगी।"

    "ओह! सच में?" अहान सोच में पड़ गया।

    तभी दादी की कार आ गई।

    "बाय दादी! किस्मत में लिखा होगा तो फिर मिलेंगे।"

    दादी मुस्कुरा दी। दादी ने जाते हुए अहान को बाय किया तो अहान के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। अहान दादी की जाती हुई कार को देखते हुए अपनी बाइक के पास आया और अपना हेलमेट पहन खुद से बोला।

    "मदद के बहाने देरी का बहाना तो मिल गया, यही बोलूँगा उस चमन चम्पू को।"

    अहान ने अपनी बाइक को घुमाया और स्पीड में दौड़ा लिया।

  • 3. माय बॉसी वाइफ - Chapter 3

    Words: 867

    Estimated Reading Time: 6 min

    राही अपनी अंगुलियों पर पेपरवेट घुमाते हुए, अपना पूरा वजन अपनी चेयर पर डाले बैठी थीं। वे अपने सामने खड़े मैनेजर को घूर रही थीं।


    मैनेजर एक साउथ इंडियन था, जो काफी घबराया हुआ लग रहा था। उसने अपने एक तरफ चिपके हुए बालों पर हथेली फिराई। "मैडम, मैंने उससे कहा था जल्दी आए! फिर भी लेट हो गया। रोज ही लेट आता है, उसके साथ हर रोज कुछ गड़बड़ होती है। मैं तो कहता हूँ आप किसी और को अपना सेक्रेटरी बना लो।"


    राही ने यह सुनते ही अपनी अंगुलियों में पकड़ा पेपरवेट गुस्से में मैनेजर पर फेंका। पेपरवेट मैनेजर की बाजू पर जा लगा। मैनेजर दर्द से बिलबिलाया। "सॉरी मैडम! सॉरी मैडम!"


    "मैं बॉस हूँ! यहाँ क्या होगा और क्या नहीं, मैं डिसाइड करूँगी। अगर तुमने दुबारा मुझे सलाह देने की कोशिश की, तो, वह इस ऑफिस में तुम्हारी आखिरी गलती होगी।"


    मैनेजर ने अपनी बाजू को सहलाते हुए सर हिला दिया।


    "निकलो!", राही ने अपने दाँत पीसते हुए मैनेजर को बाहर जाने का इशारा किया और खुद किसी गहरी सोच में अपनी चेयर घुमाकर पीठ करके बैठ गईं।


    मैनेजर चुपचाप अपना हाथ सहलाते हुए बाहर निकल आया। तभी उसकी नज़र अहान पर गई। उसे देखते ही मैनेजर के तन-बदन में आग लग गई। "अहान सिंह!" मैनेजर गुस्से में चिल्लाया। मैनेजर के चिल्लाने की आवाज सुनकर अहान अपनी चेयर पर बैठते-बैठते लड़खड़ाकर गिर गया। "क्या मुसीबत है यार!"


    शशि आवाज सुनकर भागते हुए अहान के पास आ गई। "उठ अहान! अब क्या कर दिया तूने?"


    "वही रोज का नाटक होगा इसका! लेट क्यों आए! वगैरह, अरे यार! सिंगल बंदे को 100 काम होते हैं, ये चमन चम्पू क्या जाने!"


    "अहान बस!", शशि ने मैनेजर को करीब आते देख उसे चुप रहने का इशारा किया। अहान मैनेजर को अपने सामने देखकर तुरंत सीधा खड़ा हो गया।


    "लेट क्यों आए?"


    अहान ने अपना थूक गटकते हुए कहा, "सर, मैंने एक ओल्ड लेडी को देखा, सड़क पार करने में प्रॉब्लम फेस कर रही थी। मैंने उनकी मदद की, इसमें थोड़ा लेट हो गया।"


    मैनेजर ने अहान को गुस्से से अंगुली दिखाते हुए अपने दाँत पीसे। मैनेजर को गुस्सा तो काफी आ रहा था, पर फिर राही खन्ना का गुस्सा याद कर उसका गुस्सा ठंडा हो गया। "तुम आज से राही खन्ना के पर्सनल सेक्रेटरी हो। जाओ, मैम ने तुम्हें अंदर बुलाया है।"


    "व्हाट!", अहान चौंक गया। उसके होश उड़े हुए थे। बाकी एम्प्लॉयी भी अहान को देखने लगे।


    "मैं तो एक डिजाइनर हूँ! मैं PS की जॉब नहीं कर सकता।"


    मैनेजर ने अपने दाँत पीसते हुए उसे घूरा। "ये मेरा डिसीजन नहीं, मैम का डिसीजन है। उनसे जाकर पूछो।"


    मैनेजर अपनी बाजू सहलाते हुए अहान को गुस्से से घूरकर चला गया।


    "मैं अभी जाकर पूछता हूँ।" अहान काफी गुस्से में मुट्ठी भींचने लगा कि शशि ने उसकी बाजू पकड़ उसे रोक लिया। "अहान शांत रहना! गुस्सा नहीं करना।" अहान ने सर हिलाया और आगे बढ़ गया।


    अहान केबिन के पास आया और लंबी गहरी साँस छोड़ते हुए उसने केबिन का दरवाजा खटखटाया। "मे आई कम इन मैम।"


    अहान की आवाज सुनकर राही के चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान आई। "कम इन।" अहान अंदर आया, उसकी नज़र नीचे गिरे पेपरवेट पर गई। उसने उसे उठाकर टेबल पर रख दिया।


    "मुझे आपसे कुछ कहना है!"


    राही ने अपनी चेयर घुमाई और अहान को देखने लगीं। "बैठो!" "थैंक यू मैम! बट नो थैंक्स!"


    राही की मुस्कान कुछ पल के लिए गायब हो गई। "तुम्हें बताया नहीं गया कि मेरे ऑर्डर्स को ना फॉलो करना एम्प्लॉयीज पर कितना भारी पड़ सकता है?"


    अहान ने अपना सर झुका लिया। "मैम! मैं एक डिजाइनर हूँ, आप मुझे अपना पर्सनल सेक्रेटरी कैसे बना सकती हैं?"


    राही ने अपनी भौंहें उठाईं। "मुझसे क्वेश्चन कर रहे हो?"


    अहान ने कुछ नहीं कहा। राही अपनी चेयर से उठीं और अहान को घूरते हुए चलकर उसके सामने आईं। अहान भी अब थोड़ा-थोड़ा घबराने लगा था। उसने राही को देखने के लिए अपनी नज़रें तक नहीं उठाईं। अहान को खुद से डरते देख राही के होठों पर शैतानी मुस्कान थी। राही ने अपनी अंगुली के नाखून से अहान के चेहरे को अपने सामने किया। अहान की दिल की धड़कनें घबराहट की वजह से कुछ तेज हो गईं। उसकी नज़रें नीचे जाते हुए राही के नुकीले लंबे नाखूनों पर टिक गईं। उसने राही को देखा और फिर घबराहट में कसकर अपनी आँखें मीन लीं।


    राही अहान को ही देखे जा रही थीं। "इस ऑफिस में सिर्फ एक ही पोस्ट वेकेंट है। या तो तुम मेरे सेक्रेटरी बन जाओ या रिजाइन कर दो।" राही इतना बोलकर अहान को छोड़ थोड़ा दूर हो गईं। अपने हाथ को टेबल के सहारे रखे हुए हल्की सी मुस्कान के साथ अहान को देख रही थीं।


    अहान ने धीमे से अपनी आँखें खोलीं। "मुझे इस जॉब की अर्जेंटली बहुत जरूरत है। मेरा रेंट ड्यू है, मेरी बाइक की EMI पे करनी है। अगर ये जॉब चली गई तो मेरे लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएँगी।" अहान परेशान होकर बोला।


    "जानती हूँ; इसलिए तो तुम्हें अपनी पर्सनल सेक्रेटरी की जॉब दे रही हूँ।" राही ने टेबल पर रखा ज्वाइनिंग लेटर अपनी अंगुली से अहान की तरफ सरका दिया।


    अहान अपना पसीना पोंछते हुए उस ज्वाइनिंग लेटर को देखे जा रहा था, शायद किसी गहरे द्वंद से लड़ रहा था।


    राही उसे कन्फ्यूजन में देख मुस्कुरा दीं।


    क्या फैसला करेगा अहान?

  • 4. माय बॉसी वाइफ - Chapter 4

    Words: 785

    Estimated Reading Time: 5 min

    अहान के सामने ज्वाइनिंग लेटर रखा हुआ था। मन एक अलग ही द्वंद्व में फँसा हुआ था; उसका डिजाइनर बनने का सपना और उसकी ज़रूरतें, दोनों उसका मुँह ताक रही थीं। अहान ने अपनी आँखें मूँदकर एक गहरी साँस ली और ज्वाइनिंग लेटर उठा लिया। राही के होठों पर हल्की सी मुस्कान खिल गई।

    "ग्रेड डिसीजन, अहान!"

    अहान ने आँखें खोलीं और अपने ज्वाइनिंग लेटर को देखा। उसकी आँखों में हल्की सी नमी उतर आई।

    "अहान! तुम्हारा काम आज से मेरे साथ, मेरे केबिन में है! तुम आज से 24 घंटे मेरी नज़रों के सामने चाहिए।" राही इतना बोलकर गंभीरता से अपनी चेयर पर बैठ गई और अपने लैपटॉप में अपनी डिज़ाइन्स पर काम करने लगी।

    अहान ने राही को देखा; उसकी आँखों में नमी थी और उसकी बॉस कितनी आसानी से मूव ऑन होकर अपने काम में लग गई थी। अहान के चेहरे पर राही को देखकर हल्का सा गुस्सा उभर आया। उसने ज्वाइनिंग लेटर पर नाखून भींच लिए। अहान अपने मन में सौ बार राही के सामने ज्वाइनिंग लेटर फाड़कर फेंक कर जाने का सीन इमेजिन कर चुका था। फिर अपनी औक़ात याद करके, ना चाहते हुए भी उसे बाहर जाना पड़ा।

    अहान को जाते देख राही ने सर हिलाया और फिर से अपने काम में लग गई।

    अहान चुपचाप अपनी डेस्क पर आया और अपना लैपटॉप और कुछ ज़रूरी सामान उठाने लगा।

    "क्या हुआ? बॉस ने कुछ कहा? बॉस मानी?"

    अहान ने शशि को देखा। उसकी आँखों में नमी उतर आई।

    "ओह! प्लीज़ अहान," शशि ने घबराकर अहान के चेहरे पर हाथ रख लिया।

    "नहीं मानी! मेरे पास ऑप्शन तक नहीं छोड़ा।" अहान ने शशि से दूर होते हुए राही के बारे में सोचकर अपने दाँत भींच लिए।

    शशि ने एक लम्बी गहरी साँस लेते हुए अहान के कंधे पर हाथ रखा, "बस कुछ महीनों की बात है। एक बार तुम्हारी लाइफ़ थोड़ी स्टेबल हो जाए, मैं खुद तुम्हें एक अच्छी जॉब ढूँढने में मदद करूँगी।"

    अहान शशि की तरफ मुड़ा और उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मुस्कुराया, "थैंक यू, शशि! अगर तुम नहीं होती तो इस विध्व इंडस्ट्रीज़ और चम्पू मैनेजर के नीचे मेरा एक दिन भी टिक पाना मुश्किल था।"

    शशि थोड़ा सा शर्मा गई। उसने अपने कान के पास आ रहे बालों को पीछे किया।

    "तो आज रात का डिनर मेरे घर पर! क्या कहते हो?" शशि ने हल्का सा हँसकर अपनी भौंहें उचकाईं।

    "डील!" अहान खुश होकर बोला।

    शशि हँस दी, "ये कोई डील थोड़ी है अहान, तुम ये मेरी मदद के बदले में नहीं कर रहे हो।"

    अहान ने कुछ न समझते हुए अपने बाल खुजला दिए।

    "सॉरी यार।"

    "इट्स ओके," शशि हँसकर चली गई।

    अहान ने मुस्कुराकर एक लम्बी गहरी साँस छोड़ी और राही के केबिन की तरफ बढ़ गया।

    राही अपने लैपटॉप से अहान और शशि को देख रही थी। उसकी भौंहें हल्की सी ऊपर उठ गईं। राही के चेहरे पर भयानक गुस्सा उभर आया; पेपरवेट उसकी मुट्ठी में कस गया।

    तभी अहान ने केबिन का दरवाज़ा खटखटाया, "मे आई कम इन, मैम!"

    राही अहान की आवाज़ सुनकर अपनी चेयर से उठी और अपना कोट उतारकर अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए। एक लम्बी गहरी साँस लेते हुए बोली,

    "कम इन।"

    अहान अंदर आया।

    "मैम, मुझे क्या काम करना है?"

    राही ने अहान की तरफ़ नज़रें उठाईं, "उस लड़की के साथ क्या कर रहे थे?"

    "लड़की?" अहान थोड़ा चौंक गया।

    "कौन लड़की, मैम?"

    राही की मुट्ठी कस गई। वह तेज़ी से कदम बढ़ाते हुए अहान के पास आई और अहान की शर्ट खींचकर उसे सोफ़े पर गिरा दिया। अहान बुरी तरह शॉक में था।

    "वही लड़की! जिसने तुम्हारे चेहरे को छुआ, तुम्हारे हाथों को छुआ, तुम्हारे कंधे को छुआ!" राही अहान के ऊपर आ गई। उसने अहान के कंधे, हाथों और चेहरे को छुआ।

    "बोलो, वरना!" राही ने अहान का जबड़ा भींच लिया।

    अहान ने अपना थूक निगल लिया; वह काफी घबरा गया था। केबिन में आते ही अपनी बॉस का यह रूप देखने की उसने जरा भी उम्मीद नहीं की थी।

    "वो... वो... मेरी दोस्त है!... शशि," अहान लड़खड़ाती जुबान में बोला।

    राही अहान को घूरते हुए उसके चेहरे पर झुकी; उसके नाखून उसके सर से उसके होठों पर घूम रहे थे, आँखें तो जैसे आग उगल रही थीं। अहान की जो हालत थी, शायद ही कोई इमेजिन कर सकता था।

    "इस ऑफिस में तुम्हारी दोस्ती सिर्फ़ तुम्हारे काम से होनी चाहिए! अगर दुबारा मैंने तुम्हें शशि के साथ, उसे तुम्हें छूते देखा, आई वार्न यू! उसके साथ मैं क्या करूँगी मुझे पता नहीं, पर तुम्हारी लाइफ़ हेल कर दूँगी।" राही अहान को सोफ़े पर छोड़कर उठकर अपनी चेयर पर आ गई और फिर से अपना काम करने लगी।

    अहान अभी भी सोफ़े पर था। वह इतना शॉक्ड था कि सिचुएशन को प्रोसेस ही नहीं कर पा रहा था।

  • 5. माय बॉसी वाइफ - Chapter 5

    Words: 502

    Estimated Reading Time: 4 min

    अहान सोफे पर लेटा हुआ, अपनी स्थिति के बारे में सोच रहा था। अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ था, वह किसी बड़े झटके से कम नहीं था।


    "अहान!"

    अपनी बॉस की आवाज़ सुनकर अहान तुरंत उठ खड़ा हुआ।


    "मेरी अगले एक घंटे में! हमारी मॉडल डिंपल आहुजा के साथ एक मीटिंग! नेक्स्ट फैशन शो में वो हमारी शोज टॉपर होगी! हमें अभी भी एक मेल मॉडल की ज़रूरत है, मैं तुम्हें कुछ कॉन्टैक्ट डिटेल दे रही हूँ, इनसे कॉन्टैक्ट करो, और किसी दो को अगली मीटिंग के लिए टाइम दो!" राही ने कुछ टाइप करते हुए अहान को देखा। अहान की दिल की धड़कनें कुछ तेज हो गईं। उसने तुरंत अपना सिर हिला दिया।

    "यस मैम।"

    राही ने गंभीरता से अहान को घूरते हुए, अहान के लैपटॉप में एक ईमेल ट्रांसफ़र किया और अपने कंधे को पीछे चेयर पर टिकाकर अहान को देखने लगी।

    अहान मेल मिलते ही वहाँ से भागने को हुआ, कि राही की आवाज़ सुनकर डर के मारे उसकी आँखें मचल गईं।

    "इधर आओ।"

    अहान के चेहरे के सामने थोड़ी देर पहले का वाक्या घूम गया, जिसने उसके दिल की धड़कनों को तेज कर दिया।

    "मैं दुबारा अपने शब्दों को दोहराना पसंद नहीं करती! इधर आओ!"

    राही अपनी अंगुलियों से टेबल पर पेपरवेट घुमा रही थी, पर उसकी निगाहें अभी भी अहान की पीठ पर टिकी हुई थीं।

    अहान ने अपना थूक निगला और हिम्मत करके राही की तरफ़ मुड़ा। "वो मैम! आपका काम!"

    राही अहान को देख मुस्कुरा दी।

    अहान ने तुरंत घबराकर अपनी नज़रें झुका लीं।

    राही अपनी चेयर से उठी, कि अहान ने कुछ कदम पीछे कर लिए।

    राही ने एक नज़र अहान को देखा और अपने सामने रखी चेयर को खिसकाकर अहान की तरफ़ बढ़ गई।

    अहान सिर झुकाए पीछे हटते-हटते दरवाज़े से टकरा गया। उसने घबराकर सामने देखा।

    राही अहान के सामने आकर रुक गई।

    राही और अहान की नज़रें आपस में टकराईं, जो जैसे एक-दूसरे में खो गईं! कोई पुराना सा चेहरा दोनों की आँखों में नज़र आने लगा! कोई टूटा ख्वाब, जो शायद पूरा न हुआ हो।

    राही और अहान की आँखों में नमी आ गई, पर अगले ही पल अपनी स्थिति महसूस कर राही अहान से पीठ कर खड़ी हो गई। उसने अपनी आँखों में आँसू महसूस किए, पर उसका कारण वह खुद नहीं समझ पाई।

    अहान लगातार अपनी पलकें झपक रहा था। "मुझे इतना बुरा क्यों लगा!"


    "तुम आज से यहीं मेरे सामने बैठकर अपना काम करोगे!"


    राही इतना बोलकर आगे बढ़ी और अपनी चेयर पर आ गई। उसने अब अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगा लिया।


    अहान ने अपना सिर झटका और चुपचाप राही के सामने वाली चेयर पर आकर बैठ गया। अहान बार-बार नज़रें बचाकर राही को देख रहा था, वहीं राही अहान से नज़रें चुरा रही थी।


    "मेरी मीटिंग है; चलो!" कुछ पल बाद राही उठी और अपनी शर्ट के बटन बंद कर अपना कोट पहनकर बाहर की तरफ़ बढ़ गई।

    अहान ने एक लम्बी, गहरी साँस छोड़ी और उठकर राही के पीछे चला गया।

  • 6. माय बॉसी वाइफ - Chapter 6

    Words: 623

    Estimated Reading Time: 4 min

    डिंपल आहुजा! फैशन इंडस्ट्री में सबसे ज़्यादा डिमांडिंग मॉडल। उसकी खूबसूरती, उसका फिगर एकदम परफेक्ट था। डिंपल को इस बात का काफ़ी घमंड था। लोग कहते थे, जब वो रैंप पर चलती थी तो जैसे बिजलियाँ गिरती थीं।

    डिंपल आहुजा मिनी स्कर्ट पहने अपने दो बॉडीगार्ड के बीच अपना सर पकड़ बैठी थी। शायद कुछ परेशान लग रही थी।

    "मैडम, पानी लाऊँ?"

    "मुझे कुछ नहीं चाहिए! अभी तक विघ्व इंडस्ट्री की सीईओ आई क्यों नहीं?"

    "आ गई मैम!" बॉडीगार्ड ने सामने देखा तो बस देखता ही रह गया। राही का एटीट्यूड और उसकी पर्सनैलिटी कुछ अलग ही थी। रेस्टोरेंट में बैठा हर शख्स राही को देख रहा था। डिंपल आहुजा को ये बात कुछ खास पसंद नहीं आई।


    अहान ने राही के लिए चेयर खिसकाई। यह देख हल्की सी मुस्कान के साथ राही ने अहान को देखा और फिर बिना कुछ कहे उसके लिए भी अपने पास रखी चेयर खिसका दी।

    "बैठो!"

    "नो मैम, मैं ठीक हूँ।"

    राही ने उसे घूर कर देखा, "बैठो!"


    अहान ने सर हिलाया। पर जैसे ही उसने बैठने के लिए अपनी चेयर खिसकाई, डिंपल आहुजा हँसते हुए बोली,

    "एम्प्लॉय कब से बॉस के साथ बैठने लगे! इनकी औकात पीछे खड़े रहने लायक है, जैसे मेरे बॉडीगार्ड!"


    डिंपल के बॉडीगार्ड्स का चेहरा उतर गया! अहान बुरा मानकर पीछे हटने लगा कि राही ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    "ये मैं डिसाइड करूँगी कि कौन कहाँ, कैसे बैठेगा।"


    राही ने डिंपल को घूरा! डिंपल की मुट्ठी कस गई। वो गुस्से से अपनी जगह से उठ गई।

    "तुम जानती हो किससे बात कर रही हो? तुम्हारे जैसे 100 सीईओ मेरी डेट्स लेने के लिए मेरे आगे-पीछे घूमते हैं!"


    राही ने डिंपल पर अपनी नज़रें टेढ़ी कर लीं।

    "ओके देन! निकलो!"


    डिंपल हैरान रह गई। "तुम मुझे जाने के लिए बोल रही हो! तुम्हारा पूरा फैशन शो बर्बाद हो जाएगा।"

    अहान ये सुन परेशान हो गया।

    "मैम, आप मेरे लिए अपना नुकसान मत कीजिए, मुझे पीछे खड़े रहने में कोई दिक्कत नहीं है।"


    डिंपल ने मुँह बना लिया, "तुमसे ज़्यादा तो तुम्हारे इस दो-कौड़ी के एम्प्लॉय को अक्ल है।"


    राही हँसकर अपनी चेयर से उठी और अगले ही पल टेबल पर रखा पानी का गिलास उठाया और पानी डिंपल आहुजा पर फेंक मारा।


    अहान ने घबराकर राही का हाथ पकड़ लिया।

    "ये आपने क्या किया?"

    डिंपल आहुजा का मेकअप उसके चेहरे से उतर पानी की तरह बह गया।


    "मैं तुम्हें बर्बाद कर दूँगी!" डिंपल आहुजा ने अपने पैर पटके और अपना चेहरा छुपाते हुए अपने बॉडीगार्ड के साथ वहाँ से भाग गई।


    अहान उसे जाते देख काफ़ी परेशान था। उसके चेहरे पर हल्की नाराज़गी के भाव उतर आए।

    "आप जानती हैं डिंपल आहुजा हमारे लिए कितनी ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट थीं।"


    राही अहान की तरफ़ मुड़ी। उसने एक नज़र अपने हाथ की तरफ़ देखा जो अभी भी अहान ने पकड़ा हुआ था।

    "मैम, आपको बिल्कुल ऐसा नहीं करना चाहिए था।"

    राही अहान का कंसर्न देख मुस्कुरा दी। अचानक राही ने अहान की टाई पकड़ उसे अपने करीब खींचा। अहान एकदम से चौंक गया। अहान के दोनों हाथ बैलेंस बनाने के चक्कर में टेबल पर टिक गए। वो बिल्कुल राही के ऊपर था। धड़कने कुछ पल दोनों की बढ़ीं।

    "लंच! लंच करते हैं।" राही ने अहान के चेहरे को छुआ और उसे देखने लगी।

    "अ...हाँ!" अहान मना नहीं कर पाया।

    राही ने मुस्कुराकर अहान को छोड़ दिया। अहान चुपचाप अपनी टेबल पर बैठ गया। उसकी चोर नज़रें अभी भी राही को देख रही थीं। राही ने तुरंत खाना ऑर्डर किया और अहान को देखने लगी। अहान झेंपकर दूसरी दिशा में देखने लगा।

    लंच खत्म हो गया और अहान ने एक बार भी राही से अपनी नज़रें नहीं मिलाईं। राही को कहीं ना कहीं ये बात बेचैन कर गई।

  • 7. माय बॉसी वाइफ - Chapter 7

    Words: 715

    Estimated Reading Time: 5 min

    हल्के धीमे म्यूजिक की आवाज में कपल डांस कर रहे थे। बाकी सब उन्हें एंजॉय कर रहे थे, सिवाय दो लोगों के—राही और अहान! अहान, राही से अपनी नज़रें चुरा रहा था और राही अहान को देख रही थी।

    "चले मैम!", अहान जाने के लिए उठ गया।
    "कहाँ?", राही ने अहान को घूर कर देखा।
    "मैम, ऑफिस!", अहान परेशानी से बोला।

    राही ने अपनी भौंहें ऊपर उठाईं। राही के चेहरे पर गुस्सा था।

    "तुम्हें यहाँ कोई दिक्कत है? या मेरी कंपनी पसंद नहीं आ रही?"

    "नहीं मैम! मुझे यहाँ कोई दिक्कत नहीं है।" अहान ने अपनी नज़रें झुका लीं।

    राही ने यह सुनकर अपने दाँत पीसते हुए अपने नाखूनों को देखा। "तो आज तुम्हारी उस दोस्त के साथ डिनर डेट है; कहीं ये वजह तो नहीं?" राही अपनी चेयर से उठकर एकदम से अहान के सामने आ गई।

    अहान कुछ घबरा गया। "आपको! मेरी और शशि के डिनर प्लान के बारे में कैसे पता चला?"

    राही मुस्कुराई। "मेरे ऑफिस में सीसीटीवी कैमरे हैं। कोई क्या करता है, क्या बोलता है, सब मेरी आँखों के सामने ही होता है।" राही ने अहान की गर्दन पर अपनी अंगुली रखी। अहान पीछे हट गया।

    "सॉरी मैम! मैं आपका एम्प्लॉय हूँ, आप मेरी पर्सनल लाइफ में दखल नहीं दे सकती।" अहान ने अपने हाथों को पीछे की तरफ बाँध लिया। बहुत हिम्मत करके उसने अपने लिए कुछ कहा था, यह जानते हुए कि शायद उसकी नौकरी जा सकती थी।

    राही की मुट्ठी कस गई।

    "ठीक है, प्रोफेशनल बातें करते हैं! मैं घर जा रही हूँ, तुम मेरे साथ चलोगे! मेरी बनाई कुछ ड्रेसेज़ हैं, उनका मेज़रमेंट लेना तुम्हारा आज का काम है।"

    अहान का मुँह हैरानी से खुल गया।
    "मैम! मैं ये नहीं...", अहान अपने लिए खड़ा हो पाता कि राही ने जाते हुए उसका हाथ पकड़ लिया और अपने साथ खींचते हुए उसे बाहर ले आई।

    "मैम! आप मुझे बुलि कर रही हैं!" राही ने कार का गेट खोला और अहान को अंदर धकेल दिया। अहान सीट पर जा गिरा। अहान ने उठने की कोशिश की, पर राही ने उसे फिर से धकेलकर अंदर आ गई।

    "तुम मेरे साथ चल रहे हो! मुझे मजबूर मत करो कि मैं इससे आगे जाऊँ!"

    अहान की मुट्ठी भींच गई।
    "क्या करेंगी आप?"

    राही मुस्कुराई और कार स्टार्ट कर उसे 100 की स्पीड से दौड़ाने लगी।

    अहान ने हैरानी से राही को देखा। "आप मुझे स्पीड से डराएँगी?"
    "तुम्हें डर नहीं लगा?", राही ने अहान को मुस्कुराकर देखा।
    अहान जो अब तक हैरान हो रहा था, उसे हँसी आ गई।
    "मैं जिस स्पीड से बाइक चलाता हूँ, उसके आगे ये कुछ भी नहीं है।"

    राही ने सर हिला दिया और अगले ही पल ब्रेक मारकर कार एक तरफ रोक दी। अहान अचानक ब्रेक लगने से डैशबोर्ड से टकरा गया।

    "अहान! यू शीट बास्टर्ड! डैशबोर्ड!", राही ने काफी गुस्से में अपनी हील से डैशबोर्ड पर मारा कि डैशबोर्ड पर स्क्रेच आ गया। अहान, राही को गुस्सा देख सीट से चिपक गया। राही अहान की तरफ मुड़ी और उसका चेहरा अपने हाथों में फिक्र से देखने लगी।

    "तुम्हें कोई चोट तो नहीं लगी!"
    "नहीं!", अहान ने ना में सर हिला दिया।

    राही ने खुद को संभाला। "मुझे तुमसे कुछ कहना था।" अहान बिना पलक झपकाए राही को अभी भी शॉक में देख रहा था। राही ने पीछे रखे अपने पर्स को उठाया और एक एग्रीमेंट पेपर और पेन निकालकर अहान की तरफ बढ़ा दिए। "अच्छे से पढ़कर साइन कर दो।"

    अहान होश में आया और उन पेपर्स को देखने लगा। जैसे-जैसे वो उन्हें पढ़ रहा था, उसके होश उड़ रहे थे।

    "ये क्या है?", अहान ने गुस्से से राही को देखा।
    "तुमने पढ़ लिया है तो तुम अच्छे से जानते हो कि ये क्या है?"

    ये सुनते ही अहान ने गुस्से में पेपर्स वहीं फेंक दिए, कार का दरवाजा खोला और बाहर निकल गया। राही उसे देख रही थी। अहान ने एक ऑटो पकड़ा और वहाँ से चला गया। राही की मुट्ठी भींच गई। उसने किसी को फोन किया।

    "अहान सिंह की ज़िंदगी में इतने दुख भर दो कि उसके पास मेरे पास लौटने के सिवा और कोई रास्ता ना बचे।" राही ने फोन काटकर कार की स्पीड बढ़ाते हुए अहान के ऑटो के सामने से गुज़र गई।

    "नौकरी छोड़ता हूँ तुम्हारी!", अहान पीछे से अपनी पूरी तेज़ आवाज़ से चिल्लाया।

  • 8. माय बॉसी वाइफ - Chapter 8

    Words: 694

    Estimated Reading Time: 5 min

    अहान अपने घर आया तो देखा कि घर के बाहर ताला लगा हुआ था। "ये लैंडलॉर्ड आंटी चाहती क्या है?", अहान गुस्से में अपने पास वाले घर की तरफ बढ़ा। घर के पास आकर एक गहरी साँस ले, घर के दरवाजे को देखा और जोर से बजाने लगा।

    एक अधेड़ उम्र की औरत, जिसने मैक्सी पहनी हुई थी, अपने पति के साथ दरवाजा खोलकर बाहर आई।
    उसका पति एकदम से आगे आया और अहान को पीछे धकेल दिया। "अबे! ओय! अपने बाप का माल समझ रखा है मेरे डोर को?"

    "तुम लोगों ने मेरे घर पर ताला कैसे लगाया?", अहान ने अपने हाथों की मुट्ठी भींच ली।

    "तेरा घर? भूल गया क्या? रेंट पर दिया है तुझे, तू तो रेंट भी नहीं भर पाया", लैंडलॉर्ड आंटी ने मुँह बना लिया।

    अहान हैरानी से उन दोनों को देख रहा था।
    "कहा तो मैं रेंट दे दूँगा! अभी नई-नई जॉब!", बोलते हुए बीच में ही अटक गया, उसे आज का वाक्या याद आ गया।

    "रेंट बढ़ गया है आज से; कैसे भरोसा करूँ तू दे देगा? तुझसे बेहतर किरायदार लाइन में लगे हैं, फिर तुझ पर इतनी मेहरबानी करके मुझे क्या मिलेगा!"

    "आंटी मैंने कहा ना, मैं दे दूँगा!"

    "चल बहुत देखे तेरे जैसे!"

    लैंडलॉर्ड के पति ने अहान को काफी जोर से धकेल दिया। अहान लड़खड़ा कर गिरने वाला था कि किसी ने उसे पीछे से पकड़ लिया।

    अहान ने मुड़कर देखा, "शशि!"
    "थैंक गॉड तुम आ गई!"

    शशि ने बहुत प्यार से अहान को देखा। "तुम्हें यहाँ रहने की कोई ज़रूरत नहीं है, तुम मेरे घर चलो!"

    "शशि तुम्हारे पेरेंट्स?"

    शशि मुस्कुराई। "उन्हें तुम्हारे घर पर आने से कोई दिक्कत नहीं होगी।"

    "थैंक यू शशि!", अहान ने शशि का हाथ अपने हाथों में ले सर पर लगा लिया।

    "इट्स ओके अहान! हम दोनों दोस्त हैं, और दोस्ती में इतना तो कर ही सकती हूँ।"

    अहान की आँखें नम हो गईं। तभी शशि की नज़र अहान की बाइक पर गई जिसे कोई ले जा रहा था।
    "तुम्हारी बाइक अहान!"

    "ओय रुक!", अहान उस आदमी के पीछे दौड़ा और उसकी कॉलर पकड़ उसे बाइक से नीचे गिरा दिया।

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बाइक को हाथ लगाने की?", उसने देखते ही देखते उस आदमी को दो-तीन मुक्के जड़ दिए। तभी दो-तीन आदमी और आए, उन्होंने अहान को पकड़कर पीछे खींच लिया।

    "तुम लोग मुझे पकड़ रहे हो जबकि मेरी बाइक ये चोरी कर रहा था।"

    "चोरी!", उस आदमी ने अपना खून थूका और उठकर अपना आईडी कार्ड अहान को दिखा दिया। "ये जो तुम बाइक ईएमआई पर लेकर आए थे इसकी किश्त अभी तक तुमने नहीं भरी है।"

    अहान ये सुनकर परेशान हो उठा।
    "पर मैंने लास्ट किश्त भरी थी", अहान गुस्से से बोला।

    "कब? हमारे डाटा में तो नहीं है! झूठ बोल रहे हो, ले चलो इसकी बाइक को।"

    "नहीं! प्लीज, नहीं", अहान ने पूरी कोशिश की उन्हें रोकने की, पर नहीं रोक पाया। आखिरकार घुटनों के बल गिरकर रोने लगा। शशि भागकर अहान के पास आई।

    "तुम मेरे घर चलो अहान!"

    अहान अपने आँसू पोछ उठा और शशि के साथ जाने लगा कि तभी अहान का फोन बजने लगा। अहान ने फोन उठाया।

    "मैंने कहा था तुम्हें इस लड़की ने तुम्हें छुआ तो मैं तुम्हारी लाइफ हेल बना दूँगी।"

    अहान घबराकर शशि का हाथ अपने कंधे से झटक, उससे दूर हो गया।
    "क्या हुआ अहान?"

    अहान चारों तरफ देख रहा था तभी उसे सामने थोड़ी ही दूरी पर सड़क के किनारे एक कार दिखाई दी। अहान की मुट्ठी भींच गई।
    "चुपचाप मेरी कार में आ जाओ! वरना मैं आऊँगी तो... ये दोस्ती भी नहीं बच पाएगी।"

    अहान ने शशि की तरफ देखा। "तुम घर जाओ!"

    "मैं अकेले नहीं आऊँगी, तुम भी साथ आओगे!"

    "मैंने कहा ना जाओ! मुझे तुम्हारी कोई मदद नहीं चाहिए!", अहान शशि पर चिल्ला दिया।

    शशि कांप गई, उसकी आँखों से आँसू फूट पड़े।
    "अगर तुम्हें नहीं चाहिए, तो अब मैं तुम्हारी मदद नहीं करूँगी।" वो वहाँ से रोते हुए भाग गई।

    अहान ने अपनी नम आँखों को पोछा और काफी गुस्से से सामने खड़ी कार को देखा। वह वहीं से दो-तीन पत्थर उठा, कार की तरफ तेज़ी से बढ़ गया।

  • 9. माय बॉसी वाइफ - Chapter 9

    Words: 873

    Estimated Reading Time: 6 min

    अपने होठों पर अंगुली रखे, राही ने अहान को हाथ में पत्थर लिए उसकी तरफ आते देख मुस्कुरा दिया।

    “उफ्फ! इसका गुस्सा भी प्यारा लगता है, बिल्कुल वैसा है जैसा मेरे सपनों में है।”

    कुछ सोचकर, राही अपनी कार का दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गई।


    अहान राही के सामने आया। “मेरे पीछे क्यों पड़ी हो?” अहान ने अपने हाथों में पकड़े पत्थरों को पीछे की तरफ कर छिपा लिया।


    राही ने अपनी मुस्कान छुपाते हुए हल्के से अहान के चेहरे को छुआ। “वो लड़की शशि! उसका हाथ पकड़ा तुमने?”


    “मैं पकड़ूँगा! दोस्त है मेरी, और तुम अब मेरी बॉस नहीं हो!”

    “मैं हूँ! अब भी।” राही अहान के चेहरे के करीब आ गई। अहान की साँसें भारी हो गईं। दोनों की निगाहें मिलीं, तो जैसे एक साया आँखों के सामने घूम गया, एक वक़्त जो बीत चुका था पर फिर भी कहीं न कहीं ज़िंदा था। दोनों की आँखों में नमी उतर आई। राही ने अपनी हथेली अहान के चेहरे को सहलाने लगी। अहान के हाथ से पत्थर छूट गए। आँखों की नमी आँसुओं में बदल गई। दोनों चेहरे करीब आने लगे, साँसें पहले से कहीं और गहरी हो गई थीं कि पीछे से लैंडलॉर्ड आंटी की आवाज़ आई और दोनों ने चौंककर एक-दूसरे को खुद से अलग कर दिया।


    अहान ने अपना सर सहलाया, और सोचने लगा कि उसे एक पल क्या हो गया था। राही हैरानी से अहान से पीठ कर घूम गई। उसने अपनी आँखों को छुआ। “ये आँसू! क्यों?” तभी उसे लैंडलॉर्ड आंटी की आवाज़ सुनाई दी जो काफी गुस्से से अहान का सामान फेंकते हुए उसे गालियाँ दे रही थी। राही ने अपनी मुट्ठी कस ली।


    “तेरी औकात है फुटपाथ पर रहने की! पैसे हैं नहीं, आ जाते हैं मुँह उठा के!”


    अहान गालियाँ सुनते हुए चुपचाप अपना सामान उठा रहा था, उसे लैंडलॉर्ड आंटी की गालियाँ सुनाई ही नहीं दे रही थीं। “मैं इस लड़की के इतने करीब चला गया! जिसने मेरा आज का दिन नर्क से भी बदतर बना दिया, कैसे? क्या हो गया था मुझे?” वो ये सोच ही रहा था कि अचानक लैंडलॉर्ड आंटी के चीखने की आवाज़ आई। अहान ने सर उठाकर ऊपर देखा तो सकते में आ गया।


    राही ने एक हाथ में लैंडलॉर्ड आंटी की गर्दन पकड़ी हुई थी और दूसरे हाथ में लाइटर पकड़े उसके बालों के करीब ले जा रही थी।


    उसका पति भागते हुए आया कि राही को घूरती आँखें देख रुक गया।

    “माफ़ी मांगो मेरे अहान से, वरना तुम्हारी पत्नी के बाल जलाकर खाक कर दूँगी।”


    “माफ़ कर दो! बेटा!” लैंडलॉर्ड आंटी का पति काँपते हुए घुटनों पर आ गया।


    “छोड़ो आंटी को!” अहान गुस्से से चीखा।


    राही ने अपने दाँत पीसते हुए आंटी को छोड़ दिया और अहान की तरफ़ मुड़ी।

    “अपना सामान उठाइए! और मेरी गाड़ी में डालो!”


    “नहीं! मैं तुम्हारे घर नहीं जाऊँगा!”

    “तुम्हें जाना पड़ेगा! तुम्हारे पास ऑप्शन नहीं है!”


    अहान ने अपने दाँत भींच लिए। “मैं सड़क पर रह लूँगा! पर तुम्हारे घर नहीं जाऊँगा!”


    राही ने हल्के गुस्से से अपने होठों पर जीभ फिराई और आंटी के पति की तरफ़ देखा।

    “अहान का सामान मेरी गाड़ी में डालो।”


    “जी!” उसने तुरंत हाँ में सर हिलाकर अहान की तरफ़ बढ़ गया। अहान ने हैरान होकर अपने बैग्स कसकर पकड़ लिए।

    “तुम ऐसा क्यों कर रही हो?”


    राही का सब्र का बाँध टूट चुका था, वो काफी गुस्से में अहान की तरफ़ आई। अहान कुछ घबरा गया कि अगले ही पल राही ने उसका जबड़ा पकड़ लिया।

    “तुम्हें एक बात कहीं समझ नहीं आती है!”

    “नहीं आती है!” अहान ने ज़िद करते हुए राही का हाथ पकड़ उसे मरोड़ दिया और राही को अपने करीब खींच लिया।

    “मैं तुम्हें छू नहीं रहा! मुझे भी हाथ मत लगाओ!”


    राही अहान से अपना हाथ छुड़ाकर काफी गुस्से में अहान की तरफ़ मुड़ी। “वो लड़की तुम्हें हाथ लगा सकती है, ऐसा क्या है उसमें! उसके हाथों को अपने माथे से लगा रहे थे और मैं तुम्हें छू भी नहीं सकती।” राही ने अहान के कंधे को छुआ। अहान चिढ़ में दूसरी दिशा में देखने लगा।


    “हो गया मैडम।” आंटी का पति अहान का सामान कार के अंदर डालकर पीछे हो गया।


    अहान की मुट्ठी कस गई। “मुझे सामान की ज़रूरत ही नहीं है, मैं बिना कपड़ों के फुटपाथों पर रातें काट लूँगा।”


    “अच्छा!” राही ने अपनी गर्दन टेढ़ी की और अपनी अंगुलियों से लैंडलॉर्ड के पति को इशारा किया।


    लैंडलॉर्ड का पति काफी बलशाली आदमी था। उसने आगे बढ़कर अहान को अपने कंधे पर उठा लिया। अहान हैरानी से चिल्लाने लगा पर उसकी चिल्लाने का असर किसी पर नहीं हुआ। लैंडलॉर्ड के पति ने उसे किसी सामान की तरह गाड़ी के अंदर डाल दिया।

    “थैंक यू!” राही ने उसे कुछ पैसे थमाए और अपनी कार का दरवाज़ा खोलकर अंदर बैठ गई। उसने अहान को देखा जो मुँह फुलाए चुपचाप बैठा हुआ था।

    “मेरे घर जा रहे हो! खुश हो जाओ, मेरा घर किसी महल से कम नहीं है।”


    “तुम्हारे साथ मुझे कहीं भी नहीं जाना! तुम मुझे जबरदस्ती ले जा रही हो! पर वजह क्या है वो भी नहीं बता रही, मैं क्या समझूँ इसे! किडनैपिंग!”


    “सीधा मैम से तुम पर आ गए! अच्छा लगा, कुछ करीबी बढ़ी हमारे बीच।” राही ने हल्की सी मुस्कान के साथ अहान के हाथ पर अपना हाथ रख दिया। अहान बेचारा कुछ कह भी नहीं पाया।

  • 10. माय बॉसी वाइफ - Chapter 10

    Words: 773

    Estimated Reading Time: 5 min

    विध्वजीत परेशानी से हॉल में इधर-उधर चक्कर काट रहा था। उसने रात का नाइट सूट पहना हुआ था।

    "बेटा! मैंने आरती की थाल तैयार कर ली है।" दादी चहकते हुए आरती की थाल लेकर आईं।
    "पता नहीं किसे हमारा दामाद बनाने के लिए ला रही है।" विध्व ने सर हिला दिया।

    "तू चिंता मत कर, जो होगा अच्छा ही होगा! मेरी पोती हीरे से कम कुछ चुन ही नहीं सकती।"

    "माँ, आपको कुछ ज़्यादा ही भरोसा है उस पर! सुबह यह कहकर ऑफिस से निकली थी कि वह शाम तक हमारे दामाद को घर ले आएगी, पर अब रात हो चुकी है और अभी तक ना हमारा दामाद आया, ना ही मेरी बेटी!"

    "आ जाएगा! आ जाएगा!" दादी ने विध्वजीत को सांत्वना दी और एक चावल का कटोरा आरती की थाल के आगे रख, वहीं सोफे पर बैठ अपने दामाद का इंतज़ार करने लगीं।

    वहीं दूसरी तरफ, राही की कार का चार्ज खत्म हो गया था। वह काफी परेशानी से अपना सर पकड़ अहान को देख रही थी, जो बस मुँह फुलाए सामने की तरफ देख रहा था। उसे किसी चीज़ से कोई मतलब ही नहीं था।

    राही ने किसी को कार भेजने के लिए मैसेज किया।

    "तुमने आज मुझे इतना अपने पीछे भगाया है कि मेरी कार बंद पड़ गई।"

    "अच्छा ही हुआ!" अहान ने दूसरी तरफ मुँह कर लिया।

    राही हल्की सी मुस्कान के साथ अहान को देखने लगी।
    "तुम मेरे सपने में क्यों आते हो?"

    अहान ने चौंक कर राही को देखा। "मैं तुम्हारे सपने में आता हूँ?"

    "रोज़; मेरी रातों की नींद तुमने ले रखी है।" राही अहान के चेहरे के करीब आ गई।

    अहान की साँसें कुछ भारी हो गईं।
    राही ने प्यार से उसके होठों को छुआ। "अब तुम्हें मेरे साथ ही रहना है। अच्छा होगा कि हम कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कर लें! मेरी डेथ के बाद तुम आज़ाद हो जाओगे।"

    अहान ने मुँह फेर लिया।
    "सच में! मैं जल्दी मर जाऊँगी, मेरे इतने दुश्मन हैं, मैं गिन नहीं सकती। कोई ना कोई ज़रूर सक्सेस होगा, पर उससे पहले," राही ने अहान के चेहरे पर अपनी हथेली रख, उसके सामने किया।
    "मैं अपने सपनों के लड़के के साथ कुछ अच्छे पल बिताना चाहती हूँ।"

    अहान एकटक राही को देखने लगा।

    "मैं तुमसे प्यार नहीं करता! और बिना प्यार की शादी, जबरदस्ती तुमसे कर भी लूँ, तुम्हें खुश नहीं रख पाऊँगा।"

    राही के चेहरे के भाव कुछ गंभीर हो गए। "इसलिए कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कर रही हूँ! अगर मैं नहीं मरी और मेरा तुमसे इंटरेस्ट खत्म हो गया तो तुम्हें फ़्री कर दूँगी। जाकर उस लड़की से शादी करनी है, कर लेना।"

    अहान हैरान रह गया। उसे कुछ बुरा सा लगा, जैसे कुछ गहरा चुभ गया हो।

    "मैं साइन करूँगा ही नहीं।" अहान ने राही की बाज़ू पकड़, उसे अपने करीब खींच लिया।

    राही और अहान की आँखें मिलीं और फिर कुछ भूली-बिसरी धुंधली यादें आँखों के सामने दस्तक देने लगीं।

    "तुम युद्ध से कब आओगे? मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।" एकदम राही ने कुछ कहा। अहान बस उसे देखता रह गया।
    "पता नहीं! मैं भी तुम्हें याद करूँगा।"

    चेहरे दोनों के करीब आए। होठों ने बस प्यार से एक-दूसरे को छुआ और फिर एकदम से दोनों ने एक-दूसरे को दूर धकेल दिया।

    अहान ने अपना सर पकड़ लिया। "यह क्या था?"

    राही ने अपना सर झटका। "साइन कब करोगे? मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकती।" राही ने बिना अहान की तरफ़ देखे पेपर्स अहान की तरफ़ फेंक दिए।

    "मैं कॉन्ट्रैक्ट मैरिज नहीं करूँगा! अगर असली शादी करनी है तो मैं तैयार हूँ।"

    राही ने हैरानी से अहान को देखा। "तुम सिर्फ़ कुछ दिनों की ज़रूरत हो मेरी, तुमसे मैं शादी करके अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करूँगी।"

    "मैं भी इन पर साइन नहीं करूँगा।" अहान एग्रीमेंट राही की तरफ़ फेंक, दूसरी तरफ़ देखने लगा।

    राही ने उसे घूरकर देखा। तभी राही की कार आ गई। राही उतरी और अहान की बाज़ू पकड़, उसे कार से बाहर खींच, बिल्कुल उसी तरह उसे दूसरी कार में धकेल दिया, पर इस बार अहान ने विद्रोह नहीं किया।

    राही के ड्राइवर ने अहान का सामान दूसरी कार में शिफ्ट कर दिया।

    अहान किसी गहरी सोच में राही और अपने बारे में सोच रहा था। "वह क्या था? क्यों मैं अपना अस्तित्व भूल गया? राही खन्ना इतनी बेताबी से मुझसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज क्यों करना चाहती है?" ना जाने कितने सवाल उसके दिलो-दिमाग में गूंज रहे थे।

    शांत तो राही भी नहीं थी। वह खुद नहीं समझ पा रही थी कि उसे सालों से आ रहे सपनों का राज़ क्या था। उसके सपनों का लड़का उसके सामने था। राही खन्ना की अकड़ उसके सामने झुकती जा रही थी।

  • 11. माय बॉसी वाइफ - Chapter 11

    Words: 865

    Estimated Reading Time: 6 min

    दादी वही टेबल पर सर रखकर सो गई थीं, पर विध्वजीत की आँखों में नींद गायब थी।

    “रात के बारह बज रहे हैं और मेरी बेटी सुबह से गायब है!”, विध्वजीत परेशान होकर उठा और अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। तभी उसे हॉर्न की आवाज़ आई, जो राही अक्सर गेट के अंदर प्रवेश करने से पहले अपने आगमन की सूचना देने के लिए बजाती थी।

    दादी भी चौंक कर उठ गईं।

    “बेटा, हमारा दामाद आ गया”, दादी ने खुश होते हुए आरती की थाल उठा ली और तेज कदमों से दरवाजे की तरफ़ बढ़ गईं।

    विध्वजीत अभी भी अपने हाथ बांधे पीछे की तरफ़ खड़ा था। एक बेटी का बाप था, ऐसे कैसे बिना परखे किसी को भी अपना दामाद मान सकता था? पर राही खन्ना के आगे हर किसी को झुकना पड़ता है, उसका फैसला अंतिम था, अब उसका बाप भी कुछ नहीं कर सकता था। पर मन में गुस्सा तो था। अब यह कैसे निकलेगा, किस पर निकलेगा? क्या पता?

    राही, अहान का हाथ थामे दरवाज़े पर आई।

    अहान, राही के आलीशान घर को देख मन ही मन खुद को और राही को कंपेयर कर रहा था। आख़िर राही जैसी सुंदर, अमीर लड़की ने उस जैसे नॉर्मल से लड़के में ऐसा क्या देख लिया था, जो वह उसे अपने घर ले आई थी?


    “अरे बेटा तुम!”, दादी एकदम से खुशी से चहक उठीं।

    अहान ने दादी को देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

    “दादी आप? यहाँ कैसे?”

    दादी ने प्यार से अहान के चेहरे पर हाथ रखकर कहा, “मेरी पोती ने सच में हीरा चुना है।”

    अहान ने यह सुनकर चौंक कर राही को देखा, जो उन दोनों को ही घूर रही थी।

    “एक-दूसरे को जानते हैं?”

    “हाँ! यह मेरी खड़ूस बॉस है, यह मेरी स्वीट दादी! अब मुझे यहाँ रहने में कोई तकलीफ नहीं है।” अहान ने प्यार से दादी को गले लगा लिया।

    राही ने मुँह फेर लिया और सामने काफी गुस्से में खड़े अपने पिता को देखने लगी।

    “डैड! आपका दामाद।”

    “दामाद!”, अहान ने अपना थूक गटककर सामने खड़े विध्वजीत को देखा, जो उसे घूरकर अपने कमरे में चला गया।

    राही ने सर झटककर अहान को देखा, “तुम्हें डैड को इम्प्रेस करना होगा! वरना तुम्हारी खैर नहीं।”

    अहान यह सुनकर चौंक गया। तभी दादी ने राही को घूरकर देखा, “अपनी अकड़ अपने बाप को दिखाओ, मेरे दामाद को नहीं।”

    “सच है दादी! इतनी अकड़ कहाँ से लाती है, मैं तो तंग आ गया हूँ।”

    “ओह मेरे प्यारे बच्चे! सुबह से परेशान हो गया होगा ना, मैं जल्दी से तेरी आरती उतार देती हूँ और तू ग्रह प्रवेश करके राही के साथ जाकर आराम कर ले।”

    “गृह प्रवेश! दादी यह रस्म तो लड़कियाँ करती हैं।”

    दादी मुस्कुराईं, “हमारे यहाँ यह रस्म दामाद के साथ की जाती है, यह बताने के लिए कि जैसे हमारी बेटी अब आपकी पत्नी हुई, तो आप भी हमारे दामाद हुए! यानी बेटे के समान हुए, हम आपको पूरे दिल से अपनाते हैं।”

    अहान अब कुछ-कुछ परेशान नज़र आने लगा। उसने नज़रें उठाकर देखा, राही के तो सिर्फ़ चुपचाप खड़े होने में भी उसकी अकड़ दिखती थी।

    अहान को अपना पूरा भविष्य अंधकार में नज़र आ रहा था, पर सिर्फ़ दादी की खुशी के लिए अहान मुस्कुरा दिया।

    अहान ने दादी की कही हर रस्म की और चावल का लौटा गिरा, आँगन में पैर रखकर घर के फर्श पर अपनी छाप छोड़ते हुए अंदर आ गया।

    “राही बेटा, अपने पति को अंदर ले जा।”

    राही ने यह सुनकर अहान का हाथ पकड़ लिया। अहान ने घबराकर दादी को देखा।

    “दादी हमारी”, वह आगे बोल पाता कि राही उसे अपने साथ लिफ्ट में खींच ले गई।

    लिफ्ट बंद होते ही अहान काफी गुस्से में राही की तरफ़ मुड़ा, “बिना शादी के तुम और मैं एक कमरे में कैसे रह सकते हैं?”

    “साइन कर दो! शादी सम्पन्न! फिर हमें साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं होगी!”

    “कभी नहीं!”, अहान मुँह बनाकर दूसरी दिशा में देखने लगा।

    लिफ्ट एक अंधेरे, डार्क फ्लोर पर आकर रुकी। अंधेरा देख अहान की चीख निकल गई।

    “मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता है, प्लीज़ लाइट करो।”

    अहान ने अपनी आँखों पर हाथ रख लिया। राही ने उसे देखा और उसका हाथ खींचकर लिफ्ट से बाहर ले आई।

    “अब यही तुम्हारी ज़िन्दगी है! मुझे अंधेरे में रहना पसंद है, तो तुम्हें भी अंधेरे से प्यार करना होगा।”

    “प्लीज़ लाइट्स ऑन कर दो।” अहान घबराहट में ज़मीन पर गिर पड़ा। डर के मारे वह अपनी आँखें तक नहीं खोल रहा था।

    “प्लीज़! प्लीज़!”

    अहान को इतना परेशान होते देख राही ने गहरी साँस ली, “ठीक है।” उसने अगले ही पल चुटकी बजाई और पूरे फ्लोर की लाइट्स ऑन हो गईं।

    बाहर बैठे गार्ड्स विला के सबसे ऊपरी फ्लोर पर लाइट्स देखकर चौंक गए।

    लाइट्स ऑन होने के बाद अहान ने धीरे से अपनी आँखें खोलकर चारों तरफ़ देखा और एक सुकून से भरी साँस ली।

    “चलो।” राही ने अहान की तरफ़ हाथ बढ़ाया, पर अहान ने राही का हाथ एक तरफ़ झटक दिया।

    “मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊँगा।”

    राही अहान को गुस्से में देख मुस्कुराई, “तो ठीक है, यहीं शुरू हो जाते हैं।”

    अहान कुछ समझ पाता कि राही ने अहान की कॉलर पकड़ उसे दीवार से लगा दिया।

  • 12. माय बॉसी वाइफ - Chapter 12

    Words: 762

    Estimated Reading Time: 5 min

    राही ने अहान को दीवार से लगाकर एकटक घूर रहा था। अहान ने अपनी आँखें मूँद रखी थीं।

    “मुझे देखो।”

    “नहीं!”

    राही की भौंहें हल्की सी ऊपर उठ गईं।

    “अगर अब तुमने अपनी आँखें खोलीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”

    अहान ने हैरान होकर अपनी आँखें खोलीं। “तुम मुझे ऐसे धमकी नहीं दे सकती!”

    राही मुस्कुरा दी। “मैंने कहा था आँखें मत खोलना!”

    “क्या कर लोगी तुम!”, अहान अपनी घबराहट छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।

    राही ने सिर हिलाया। “तुम देखो! मैं क्या कर सकती हूँ।”

    “मैं देख रहा हूँ।”

    राही ने अहान का कॉलर छोड़ा और अपना हाथ अहान के सीने पर रखा।

    “ये क्या कर रही हो?” अहान को हल्की गुदगुदी सी होने लगी, शरीर में जैसे करंट दौड़ गया हो।

    अहान ने राही का हाथ पकड़ उसे एक तरफ झटक दिया।

    “आई वार्निंग यू मिस राही खन्ना! मुझसे दूर रहो।”

    “मुझे धमकी! अहान, राही खन्ना को धमकियाँ पसंद नहीं।”

    राही ने अपनी ब्लेज़र उतारकर एक तरफ फेंक दी और अपने शर्ट के बटन खोलने लगी।

    “ये क्या कर रही हो! नहीं,” अहान ने अपनी आँखों पर हाथ रख लिया।

    राही अहान की तरफ बढ़ने लगी। अहान के कदम अपने आप पीछे जा रहे थे कि अचानक राही ने अहान का हाथ पकड़ उसे अपने करीब खींचते हुए उसका हाथ अपने सीने पर रख दिया।

    अहान ने हैरानी से अपना हाथ पीछे खींच लिया। उसकी साँसें भारी हो गई थीं।

    राही उसकी हालत देख हँसने लगी।

    राही को हँसते देख अहान राही के करीब आया और उसे अपनी बाँहों में खींचकर दीवार से सटा दिया।

    राही ने हँसना बंद कर दिया और अहान को घूरने लगी।

    अहान ने राही को देखते हुए उसके चेहरे को छुआ। अहान की अंगुलियाँ राही की कमर पर गुदगुदी करने लगीं।

    राही की धड़कनें तेज होने लगीं। राही का खुद पर से कण्ट्रोल छूटता जा रहा था। दोनों की आँखें मिलीं तो एक पल सब कुछ थम गया। कुछ पुरानी यादें दो जवान दिलों में फिर से अपनी दस्तक देने लगीं।

    अहान ने राही के ईयर लॉब को चूमा। राही ने अपनी आँखें बंद कर लीं।

    अहान ने राही के चेहरे को ऊपर उठाया। “मुझे देखो,” अहान उसके होठों के पास आकर फुसफुसाया।

    राही ने लंबी गहरी साँसें भरते हुए धीमे से अपनी आँखें खोलीं और अगले ही पल अहान को खुद से दूर धकेल वहाँ से चली गई।

    अहान ने दीवार का सहारा लेकर खुद को संभाला। चेहरे पर गुस्सा उभर आया। “समझती क्या है खुद को! मुझे अपने करीब आने पर मजबूर किया, फिर मुझे दूर करने की हिम्मत कैसे की!”, अहान का दिमाग उसकी अपनी भावनाओं को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था।

    तभी लिफ़्ट खुली और एक नौकर अहान का सामान लेकर ऊपर आया।

    “सर! मैडम ने आपके लिए कमरा तैयार करने को कहा है। चलिए!”

    अहान खुद को संभालकर नौकर के साथ चला गया।

    वहीं राही शॉवर के नीचे खुद को भीगो रही थी। “मैं उस लड़के को खुद को डोमिनेंट कैसे करने दे सकती हूँ? वो भी तब जब वो किसी और से प्यार करता है। ना जाने कितनी बार उस लड़की ने उसे छुआ होगा,” शशि का चेहरा याद कर राही ने गुस्से में अपना हाथ दीवार पर मारा। उसका गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हुआ था।

    “मुझे अहान को मजबूर करना होगा ताकि वो जल्द से जल्द कांट्रेक्ट पेपर पर साइन कर दे! पर कैसे? मैं पैसे का रौब दिखाकर उससे अपनी बात नहीं मनवा सकती! उस जैसे बेवकूफ़ लड़के दिल से सोचते हैं। मुझे उसके दिल का सहारा लेना होगा।”

    राही ने अपने बाल खोल दिए और अच्छे से शॉवर लेने लगी।

    इधर अहान अपना कमरा देखकर खुश था। उसे सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी कि राही इस कमरे में नहीं होगी। वो अकेला इस कमरे में सो सकता है, पर उसका भ्रम जल्दी ही टूट गया जब उसने उस कमरे में राही की तस्वीरें देखीं। तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और राही अपना बाथरोब पहन बाहर आई।

    अहान राही को देख चौंककर बिस्तर से उतरा।

    “तुम मेरे कमरे में?”

    राही मुस्कुराई। “ये मेरा कमरा है।”

    “मैं यहाँ नहीं रहूँगा।” राही ने लाइट्स का बटन दबाकर लाइट ऑफ कर दी।

    अहान एकदम से घबराकर पीछे हट गया।

    “तुम मेरी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा रही हो।”

    “मुझे अंधेरा पसंद है! मैं तुम्हारे लिए अपनी पसंद नहीं बदलने वाली।” राही ने सिम्पल नाइटी पहन ली और अहान को ऐसे ही छोड़ अपने बिस्तर पर आकर सो गई।

    अहान को अंधेरे में वैसे ही कुछ दिखाई नहीं दे रहा था सिवाय कुछ आकृतियों के जो ऐसे लग रही थीं जैसे उसे मारने आ रही हों।

  • 13. माय बॉसी वाइफ - Chapter 13

    Words: 1125

    Estimated Reading Time: 7 min

    “राही! प्लीज लाइट्स ऑन कर दो।” अहान पीछे हटते हुए बेड पर आकर बैठ गया।

    “राही!” अहान ने बेड की तरफ देखते हुए राही को ढूँढने की कोशिश की।
    “तुम यही हो ना!”

    अचानक लाइट्स ऑन हो गईं। अहान चौंक कर चारों तरफ देखा और फिर सामने खड़ी राही को देखा। नाइटी में क्या गज़ब ढा रही थी वो! अहान एक पल अपना अंधेरे का डर भूल, राही को देखने लगा।

    “अहान! तुमने मेरी नींद बर्बाद कर दी, अब तुम्हें कुछ करना होगा।” राही अहान के पास आई।

    अहान हैरानी से अपना मुँह खोले राही को देखे जा रहा था। राही अहान के कंधों पर अपने हाथ रख, उस पर झुक गई। अहान खोया हुआ सा राही को देखे जा रहा था।
    “अहान, कल हमें ऑफ़िस जाना है। तुम मेरे पर्सनल सेक्रेटरी हो? तो तुम्हें ये अच्छे से मालूम होना चाहिए कि मुझे लेट होना पसंद नहीं।”

    अहान ने राही के सीने की तरफ देखा और फिर राही को देखा। राही ने जब ये नोटिस किया तो अहान के चेहरे को सहलाते हुए मुस्कुराई। “कर क्यों नहीं देते साइन!”

    अहान ने तुरंत हड़बड़ा कर अपना चेहरा फेर लिया। “कभी नहीं! और मैं अब तुम्हारा कोई सेक्रेटरी नहीं हूँ, मैं तुम्हारी जॉब छोड़ चुका हूँ! यहाँ भी मुझे तुम जबरदस्ती लाई हो।”

    “अहान! बहुत जिद्दी हो तुम!” राही ने अहान को बेड पर धकेल दिया और उसके ऊपर आ गई। अहान की धड़कनें उसका साथ छोड़ चुकी थीं। उसने राही को खुद दूर करने की कोशिश तक नहीं की।

    “तुम्हें डर नहीं लग रहा अहान! मैं तुम्हारा चीरहरण कर सकती हूँ।” राही ने अहान की शर्ट पर अँगुली फिराई।

    अहान कुछ भी नहीं बोल पाया। राही अहान के होठों के करीब झुकने लगी। उसने अहान को देखा; उसकी आँखें बंद हो गई थीं।

    राही ये देख अहान से दूर हो गई। अहान ने अपनी आँखें खोलीं तो राही को सोफ़े पर लेटे देख उठ कर बैठ गया।
    “ये क्या नया नाटक है तुम्हारा?”

    राही अहान की तरफ मुड़ी। “तुम्हें मेरे करीब आना है! राही खन्ना हूँ मैं! ऐसे ही किसी ऐरे-गैरे के साथ बिस्तर शेयर नहीं करूँगी।”

    राही ने अपने सर के पीछे हाथ रख अपनी आँखें बंद कर लीं। अहान ने अपने दाँत भींच लिए।
    “अगर मैं इतना ही ऐरा-गैरा हूँ तो मुझे यहाँ जबरदस्ती लाई ही क्यों थी?” अहान बिस्तर से उठ गया।

    “साइन नहीं किए तुमने अभी तक! साइन कर दो, फिर तुम राही खन्ना के पति बन जाओगे, फ़िलहाल तुम कुछ भी नहीं हो।” राही ने उसे चिढ़ाने के अंदाज़ से कहा।

    “मुझे तुम्हारा पति बनने का कोई शौक नहीं है!” अहान गुस्से से चिल्लाया कि उसकी पेट से आवाज़ें आने लगीं। अहान ने पेट पर हाथ रख लिया और थोड़ी शर्म से राही की तरफ देखा जो उसे ऐसे देख रही थी जैसे उसने कोई गुनाह कर दिया हो।

    “ये तुम्हारे पेट में क्या है? कोई मॉन्स्टर!” राही चौंक कर उठ बैठी।

    अहान ने अपना पेट सहलाया। “महलों की राजकुमारी को भूख की आवाज़ कैसे समझ आएगी?”

    “भूख!” राही ने अपना सर सहलाया।
    “तुम्हारी दोस्त शशि ने तुम्हें डिनर पर इनवाइट किया था! उसके पास जाओ! तुम्हें अच्छा खाना देगी! शायद प्यार से भी खिलाए।” शशि के बारे में सोच कर राही के चेहरे पर गंभीर भाव आ गए।

    अहान ने अपना सर हिलाया। “मुझे भूख लग रही है! इसलिए मैं जा रहा हूँ।”

    “कहाँ? उस लड़की शशि के पास! भूलो मत, मैं तुम्हारी लाइफ़ हेल बना दूँगी।”
    “तो कौन सा अब तुमने मेरी ज़िन्दगी में फूल खिला दिए हैं!”

    अहान जाने के लिए मुड़ा कि शशि और अहान को साथ में इमेजिन कर राही तुरंत उठी और तेज़ी से आगे बढ़, अहान को पीछे से हग कर लिया। अहान चौंक गया।

    “मैं तुम्हें खाना खिलाऊँगी!”

    अहान के होठों पर हल्की मुस्कान आ गई, पर अगले ही पल उसने अपनी मुस्कान छुपा, राही को खुद से अलग किया।
    “ठीक है! मुझे भूख लगी है, वरना मैं तुम्हारे हाथ से पानी भी नहीं लेता!”

    राही का चेहरा भावहीन सा हो गया।
    “यहीं बैठो, मैं आती हूँ!” राही बाहर चली गई। अहान ने राही के बाहर जाते ही अपना फ़ोन निकाला। उसके फ़ोन के वॉलपेपर पर राही की कार का गेट खोलते हुए एक तस्वीर लगी हुई थी।

    “पता नहीं है क्या है तुम में? पर जब से ऑफ़िस ज्वाइन किया है बस तुम्हें ही देखे जा रहा हूँ, ऐसा लगता है जैसे जानता हूँ तुम्हें वर्षों से! मैंने कभी सोचा नहीं था राही खन्ना मुझे नज़र उठा कर देखेगी! पर उस दिन जब मीटिंग में तुमने मुझे नोटिस किया वो मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था, पर फिर!” अहान ने अपना फ़ोन बंद कर दिया; उसे वो पल याद आ गया जब राही ने उसे उसका सेक्रेटरी बनने के लिए मजबूर किया और फिर ये झूठी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज! वो राही से कुछ महीनों की झूठी शादी कैसे कर सकता था, वो भी तब जब राही ने उसकी सोच से विपरीत जाकर उसके साथ जबरदस्ती की।

    राही खाना लेकर कमरे में दाखिल हुई।
    “तुम क्यों आई? अपने किसी नौकर को भेज देती!” राही ने खाना अहान की टेबल पर पटक दिया।
    “तुम किस्मत वाले हो जो तुम्हें मेरे हाथ से खाना मिल रहा है। खा लो, और प्लीज़ सो जाओ।”

    अहान के चेहरे पर दुःख के भाव उभर आए।
    “मैं अब बिलकुल नहीं खाऊँगा!”
    “क्यों?” राही उसे घूरते हुए उसके सामने आई कि अहान की आँखों में नमी देख ठिठक गई।

    “तुम्हारी आँखों में आँसू!” राही ने उसकी आँखों को छुआ तो एक पल फिर से पुरानी यादें दस्तक देने लगीं। दोनों एक-दूसरे में इस कदर खो गए जैसे सुध-बुध खो बैठे।
    “आपके लिए खाना लाई थी, खा लीजिए।” राही की आँखों से आँसू की बूँद अहान की हथेली पर गिर गई।

    “युद्ध पर जा रहा हूँ! इतना सूखा-सूखा खाना खिलाओगी?” अहान ने राही को अपने करीब खींच लिया और उसकी नाक को अपने होठों से छू दिया।

    “आप दूर रहिए मुझसे! मेरी कोख में पलने वाले बच्चे की चिंता नहीं, युद्ध पर चले हैं, वहीं रहिएगा। अब लौट कर मत आइएगा!”
    “कहीं ये सच ना हो जाए।” अहान ने राही के चेहरे को नम आँखों से सहलाते हुए मुस्कुराया।

    राही की आँखों में भी एक अजीब सा दर्द उभर आया।

    कुछ पल की चुप्पी के बाद राही ने अपने चारों तरफ़ देखा और फिर चौंक कर पीछे हट गई।

    “जल्दी खाना खाओ और सो जाओ, कल सुबह वक़्त पर तुम मुझे ऑफ़िस में चाहिए!” राही ने उसकी अँगुली दिखाई और परेशानी से अपने ही विचारों से लड़ते हुए बाहर चली गई। अहान ने खुद को संभाला। “ये जो भी था, अजीब था।”

    अपना खाना खत्म कर अहान तो आराम से गहरी नींद में सो गया, पर राही की आँखों की नींद जैसे गायब हो गई। पूरी रात वो डिज़ाइन्स बनाती रही, ताकि फिर उसे अहान अपने सपने में नज़र ना आए।

  • 14. माय बॉसी वाइफ - Chapter 14

    Words: 937

    Estimated Reading Time: 6 min

    विध्वजीत सुबह से ही हॉल में चक्कर काट रहे थे।
    "आज तक मेरी बेटी को कभी इतना लेट नहीं हुआ। हर रोज़ वक्त पर डाइनिंग टेबल पर पहुँच जाती है, पर आज? कर क्या रही है राही, मैं जाकर देखकर आता हूँ," विध्वजीत लिफ्ट की तरफ़ बढ़े, कि दादी की गंभीर आवाज़ ने उनके क़दम रोक लिए।
    "बेटा, तेरी बेटी की शादी हो गई है, अपने पति के साथ होगी। अब तू थोड़ी शर्म कर और उन्हें अकेला छोड़ दे।"


    विध्वजीत की मुट्ठी भींच गई। "पता नहीं किसको उठा लाई है! मुझे वो लड़का बिल्कुल पसंद नहीं।"


    दादी विध्वजीत का गुस्सा देख मुस्कुराई।
    "बेटा! तेरी बेटी ने हीरा चुना है, तू मेरी पारखी नज़रों से देखेगा, तब तुझे समझ आएगा!"
    "मुझे बस एक काँच का टुकड़ा दिख रहा है जो इस वक्त मेरी आँखों में चुभ रहा है। मेरी बेटी अभी तक नीचे क्यों नहीं आई?" आखिरकार विध्वजीत का गुस्सा फूट पड़ा।


    इधर, अहान आईने के सामने मुँह बनाए बैठा हुआ था। राही तैयार हो चुकी थी, पर अब अहान के बाल सेट कर रही थी।
    "तुम्हारी वजह से पहली बार आज मैं लेट हूँ!"
    "तो किसने कहा तुम्हें मेरे बाल बनाने के लिए? जाओ तुम ऑफ़िस, मैं वैसे भी नहीं आऊँगा।"


    "तुम बालों की केयर क्यों नहीं करते हो? सूख गए हैं।" राही ने अहान के बालों को छूते हुए चिढ़ से कहा।
    "मेरे बाल हैं, मैं इन्हें जैसे चाहूँ वैसे रखूँगा।"
    अहान ने आईने में देखा तो राही को खुद को घूरते हुए पाया।
    "मेरे डैड को इम्प्रेस करना है तुम्हें; इससे आज से तुम अपने कपड़ों को आग लगा दो।"


    "आग लगा दूँ! तो पहनूँगा क्या?" अहान ने हैरानी से राही को देखा। राही ने उसे घूरकर उसका चेहरा पकड़ा, फिर से आईने की तरफ़ मोड़ दिया।
    "चुपचाप बैठे रहो।"
    राही ने उसके बालों को बिल्कुल एक तरफ़ सेट कर दिया।
    अहान ने खुद को देखकर चिढ़ा सा मुँह बना लिया।
    "मुझे उस चमन चम्पू मैनेजर की तरह बना दिया है। मुझे तुम्हारे साथ कहीं जाना ही नहीं है।"
    अहान गुस्से से उठकर जाने लगा, कि राही ने उसका हाथ पकड़ लिया। "अपने कपड़े उतारो।"
    "पागल हो गई हो?" उसने चौंकते हुए अपने कपड़े पकड़ लिए।
    राही एक पुतले के शरीर से उसका ब्लेज़र और ग्रे रंग की शर्ट उतारने लगी।
    अहान उस पुतले में खुद को इमेजिन कर रहा था। जैसे ही राही उसकी पैंट उतारने को हुई, अहान चिल्ला दिया।
    "नहीं, रुको।"


    राही ने उसे घूरकर देखा। "जल्दी पहनो।" राही ने ब्लेज़र और शर्ट उसकी तरफ़ फेंक दी।


    अहान ने उसे कैच कर लिया, पर अभी भी उसकी नज़र राही के हाथ पर थी जो पुतले की पैंट को पकड़े हुए था।
    "तुम्हें शर्म नहीं आती!"
    राही के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गए। "मुझे शर्म क्यों आनी चाहिए?"


    "वो! पुतला।"
    अहान आगे कुछ बोल नहीं पाया।
    राही ने पुतले को देखा, उसके होठों पर हल्की मुस्कान आ गई। "तुम्हें जलन हो रही है?"


    अहान झेंप गया। "नहीं! पर तुम्हें उसकी पैंट नहीं खोलनी चाहिए! मैंने जो पहना है वो बेस्ट है।"


    राही ने अहान की जीन्स देखी।
    "तुम्हें कुछ फ़ॉर्मल पहनना चाहिए! जैसे मैंने पहना है।" राही ने अपनी ब्लैक पैंट की तरफ़ इशारा किया।


    "मैडम, मैं बॉस नहीं, एम्प्लॉय हूँ! मैं कुछ भी पहन सकता हूँ।" अहान आईने के सामने आया और अपने करीने से सेट बालों को मैसी कर लिया।


    उसने अपनी हाफ़ बाज़ू फूलों वाली शर्ट उतारी।


    राही ने अपनी नज़रें चुरा लीं। अहान आईने से उसे ही देख रहा था। उसने जानबूझकर शर्ट राही के सामने उतारी थी, ये देखने के लिए राही कितनी बोल्ड थी! पर राही के नज़रें चुराते ही अहान को अंदाज़ा हो गया था कि राही खुद को जितना मॉडर्न दिखाती थी, उतनी थी नहीं।
    अहान ने राही की दी हुई शर्ट उठाई और पहन ली और उसके ऊपर राही का दिया ब्लेज़र! वो काफ़ी क्यूट और हैंडसम लग रहा था।


    "अब तुम मुझे देख सकती हो।" अहान ने अपने माथे पर आते बालों को थोड़ा और मैसी कर लिया।
    राही ने अहान को ऊपर से नीचे तक देखा, उसके चेहरे पर गंभीर भाव आ गए।


    "मेरे डैड को ये सब पसंद नहीं है! उन्हें सिम्पल, इनोसेंट लड़के पसंद आते हैं! चालाक, ज़्यादा बोलने वाले लड़कों से उन्हें चिढ़ मचती है।"


    "अच्छा आइडिया दिया!" अहान ने जानबूझकर राही को चिढ़ाने के अंदाज़ से कहा। राही ने उसके साथ जो किया था, वो चाहता था कि राही को उसका पछतावा हो।


    राही ने अपनी गर्दन को सहलाते हुए गहरी साँस ली, साँस छोड़ी। "तुम क्या चाहते हो? मैं तुम्हारी जान ले लूँ?"
    "धमकियाँ किसी और को देना। तुम्हें मुझे मारना होता, तो तुम मुझे अपने घर नहीं लाती।"


    अहान अभी भी आईने में राही के चेहरे को देख रहा था जो गुस्से से तमतमाया हुआ था।
    अहान खुद में ही हँस दिया।


    अचानक राही ने उसके सामने एग्रीमेंट पेपर रख दिए। "आखिरी बार प्यार से बोल रही हूँ! आज रात से पहले इन पर साइन हो जाने चाहिए।"
    "वरना!" अहान राही पर झुका।
    राही के माथे पर बल पड़ गए। "वरना," और अगले ही पल राही ने अहान की गर्दन पकड़ उसे दीवार पर लगा दिया।
    "तुम्हारी उस शशि का आखिरी दिन होगा।"


    शशि के बारे में सोच अहान घबरा गया। मुसीबत में शशि ने काफ़ी मदद की थी उसकी। शशि अहान की सबसे करीबी दोस्तों में से एक थी। अगर अहान की वजह से शशि किसी मुसीबत में आई, तो अहान कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाएगा। पर वो चाहकर भी इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के एग्रीमेंट पर साइन नहीं करना चाहता था। उसे डर था कि राही उसका इस्तेमाल करेगी और इस कॉन्ट्रैक्ट के दम पर बहुत आसानी से उसे फेंक देगी।

  • 15. माय बॉसी वाइफ - Chapter 15

    Words: 657

    Estimated Reading Time: 4 min

    अहान ने कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के एग्रीमेंट पेपर उठाए और एक नज़र राही की ओर देखी। राही की आँखों में हल्की सी चमक उभरी।

    “इतनी बेसब्री से मुझसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करना चाहती है, आखिर क्यों?” अहान को राही पर काफी गुस्सा आ रहा था।
    “तुम मुझसे शादी कर सकती हो, मैं तैयार हूँ! पर इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए नहीं!”

    यह सुनकर राही ने गहरी साँस ली, अपने हाथ बाँधे और अहान को टेढ़ी मुस्कान देते हुए बोली,
    “तुम्हें मेरा आलीशान घर, ये शानो-शौकत देखकर लालच आ गया होगा। इसलिए मेरे परमानेंट पति बनकर इन सब पर ऐश करना चाहते हो!”

    यह सुन अहान हैरान होकर राही को देखने लगा। उसने तो ऐसा सोचा तक नहीं था। अहान ने अपना सिर झुकाया और अगले ही पल सिर उठाकर, काफी गुस्से में, कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के पेपर्स उसके मुँह पर दे मारे। राही की मुट्ठी कस गई। उसने पेपर पकड़े और अहान के करीब आ गई।

    “इस बदतमीजी की सज़ा मिलनी चाहिए।”

    “मैं तुमसे नहीं डरता।” अहान की आँखें आँसुओं से भर गईं। “इनफैक्ट मुझे अब तुमसे नफ़रत हो गई है।”

    राही की आँखें हैरानी से फैल गईं।
    “नफ़रत करते हो? मुझसे?” राही ने अहान के चेहरे पर हाथ रखा।
    “बहुत।” अहान शिद्दत से बोला।

    “कितनी?” राही अहान को एकटक देख रही थी।
    “इतनी!” अहान ने हाथ फैलाए। राही ने अहान के होठों को अपने होठों से कैद कर लिया। अहान एक पल सकुचाया, पर फिर राही की कमर पकड़, उसे दीवार से लगाकर बेताबी से चूमने लगा। अहान अपनी भावनाओं के चरम पर था कि राही ने किस करना बंद कर दिया।

    अहान ने राही के चेहरे पर हाथ रखकर उसे देखा। “क्या चाहती हो मुझसे?” उसकी आँखों में आँसु बनकर उसका गुस्सा और दर्द बाहर छलक आया।
    “पता नहीं! बस साइन कर दो?”
    “तुम्हें मुझ पर तरस नहीं आता?”

    राही अहान की नज़रों का सामना नहीं कर पा रही थी। उसने अपनी नज़रें चुराने की कोशिश की, पर अहान ने दोनों हाथों से राही का हाथ पकड़ उसे अपने चेहरे के करीब कर लिया।

    “तुम मुझसे प्यार नहीं करती! फिर ये कॉन्ट्रैक्ट मैरिज मुझसे ही क्यों?”

    राही अहान को अपने सपनों और अपनी नींद न आने की परेशानी के बारे में बताना चाहती थी।
    “शायद तुम मुझे हील कर सकते हो?”
    “हील! मुझे लाखों दर्द देकर मुझसे हील होना चाहती हो?”
    “हाँ!”

    राही के इस एक शब्द ने अहान को तोड़कर रख दिया। वह राही को छोड़, उससे अलग हो गया।
    “मैं नहीं जानता तुम्हें क्या दिक्कत है, पर अगर तुम्हें मुझे बर्बाद करके ही सुकून पाना है तो ठीक है।”

    अहान ने राही के हाथ से पेपर ले लिया। राही उसे हैरानी से देख रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो बंदा कल से इतना सहने के बाद भी जिद पर अड़ा हुआ था, आज अचानक से साइन करने के लिए मान गया।

    “पेन! एक मिनट।” अहान ने इधर-उधर देखा। तभी उसकी नज़र फ्रूट बास्केट में रखे चाकू पर गई। उसने उसे उठाकर तुरंत अपनी अंगुली काट ली।

    राही का दिल एक अजीब से दर्द से भर गया। उसके कदम अहान की तरफ़ बढ़े, कि रुक गए। अहान ने राही की सर्द निगाहों को देखा।

    “तुम्हें फ़र्क नहीं पड़ता! मेरे खून से भी नहीं, फिर भी मैं अपने खून से अंगूठा लगा रहा हूँ! आई होप तुम्हें तुम्हारी खुशी मिल जाएगी।”

    अहान ने अपने दाँत भींच लिए। उसने तुरंत पेपर पर, राही के साइन के सामने, अपने खून से भरा अंगूठा लगा दिया।

    “बधाई हो! आज से हम टेंपरेरी पति-पत्नी हैं।” अहान ने अपने अंगूठे को दाँतों तले दबाया और गुस्से से बाहर निकल गया।

    राही की सर्द आँखें ठंडी पड़ गईं। हल्के से कदम लड़खड़ा गए, पर जल्दी ही उसने खुद को संभाला और अपने कोल्ड ओरा में वापस आते हुए, कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के पेपर उठाए, हल्की मुस्कान के साथ उन्हें देखकर अपने पर्स में रख लिए और अहान के पीछे चल दी।

  • 16. माय बॉसी वाइफ - Chapter 16

    Words: 656

    Estimated Reading Time: 4 min

    “तुम्हें लालच आ गया है।” अहान के कानों में ये बात गूंज रही थी। लिफ्ट का दरवाजा खुला और अहान बाहर आया। दादी उसे देखकर खुश होकर उसकी ओर बढ़ीं। विध्वजीत का तो अहान को देखते ही मुँह बन गया।

    "मेरे बच्चे! इधर आ, नाश्ता कर ले।"

    अहान अपनी जगह ठहरा हुआ था। दादी की आवाज़ सुनकर अहान ने अपने आँसू, अपने जज़्बात दबा लिए और हल्की सी मुस्कान लिए दादी के पैर छूकर उनके गले लग गया। दादी के गले लगकर अहान को थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था।

    "दादी, मैं पहले ही लेट हो गया हूँ! मैं जल्दी जाना चाहता हूँ, क्या मैं जा सकता हूँ? मैं वहाँ कुछ नाश्ता कर लूँगा।"

    दादी मुस्कुराईं, "कोई बात नहीं! राही दिखाई नहीं दे रही, तेरे साथ जाएगी ना वो भी।"

    राही का नाम सुनकर अहान की मुट्ठी बँध गई।

    "नहीं दादी! मैं आपकी पोती की लाइफ में उसकी अकड़ की जगह नहीं लेना चाहता।"

    दादी कुछ समझ नहीं पाईं और अहान अपनी ब्लेज़र झटकते हुए चला गया।

    "ये क्या बोल रहा था?" विध्वजीत उठकर दादी के पास आया।

    "तू सुन लेता ना!"

    "सुना मैंने!" विध्वजीत ने अपने दाँत पीस लिए। "ये विध्व इंडस्ट्री के लायक भी है! इतने अच्छे लड़कों को रिजेक्ट करके राही ने एक सड़कछाप को हमारा दामाद बना दिया।"

    दादी ने गुस्से से विध्व को घूरा।

    "तुझे मेरे पति ने जीते जी कोई कमी नहीं होने दी! पर तेरे इस गुस्से को कम नहीं कर पाया! तेरी और राही की ज़िंदगी की सारी मुसीबत की जड़ ये गुस्सा है।"

    "गुस्सा नहीं माँ, कंसर्न है!"

    "डैड! अहान अब मेरा पति है और इस घर का दामाद! आप ये जल्दी एक्सेप्ट कर लें।"

    राही पीछे खड़ी अपनी सर्द आवाज़ में बोली।

    विध्व अपनी बेटी की ओर मुड़ा, "वो लड़का कहीं से हमारी बराबरी का नहीं है।"

    राही अपने डैड विध्वजीत के पास आई।

    "डैड! वो खुद को बदल देगा! आप सब्र रखें।"

    विध्वजीत शांत हो गया। उसने प्यार से राही के सर पर हाथ रखा।

    "खाना खाकर जाना!"

    "जी डैड!"

    राही के पिता बस इतना कहकर अपने कमरे में चले गए।

    राही ने सर्द निगाहों से खाने को देखा और फिर अपनी चेयर खिसकाकर खाने के लिए बैठ गई।

    "हमारे यहाँ पति और पत्नी साथ में खाना खाते हैं!" दादी राही को देखते हुए उसके पास वाली चेयर पर बैठ गईं।

    "दादी, वो यहाँ नहीं है और मैं उसके लिए भूखी नहीं रहने वाली।"

    दादी चुप हो गईं। वैसे भी राही से बहस करना बेकार था, आखिर में वही होता था जो राही चाहती थी।

    अहान को आज बस से ऑफिस आना पड़ा। वह काफी चिढ़ा हुआ था, पर उस वक़्त उसकी जेब में सिर्फ़ कुछ रुपये थे, वह सिर्फ़ बस का किराया अफ़ोर्ड कर सकता था।

    अहान के अंदर आते ही मैनेजर गुस्से में तमतमाते हुए उसके सामने आया।

    "आज फिर तुम लेट हो अहान?"

    अहान आज कोई बहाना नहीं बनाना चाहता था, इसलिए चुप था। तभी शशि भागकर आई।

    "सर! अहान काफी प्रॉब्लम में है, उसका घर और बाइक कल ही उससे छीन गए हैं, ऐसे में उसकी मेंटल स्टेट क्या होगी आप समझ भी नहीं सकते हैं।"

    मैनेजर को यह सुनकर अहान पर तरस आ गया। "आज आखिरी मौका दे रहा हूँ, कल से लेट हुए तो अपना सारा सामान समेट लेना।"

    शशि अहान के पास आई और उसका हाथ अपने हाथों में पकड़कर, आँखों में हल्की नमी लिए बोली।

    "सॉरी यार! मैंने तुम्हारी मेंटल हेल्थ को समझे बिना तुझे वहाँ अकेला छोड़ आई, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।"

    अहान ने शशि के हाथ पर अपना हाथ रखा, "कोई बात नहीं, मैं ठीक हूँ।"

    "मैम!" शशि राही को खुद को घूरते देख तुरंत वहाँ से अपनी जगह पर चली गई।

    अहान ने पीछे मुड़कर देखा तो राही को खुद को घूरते पाकर अहान सामने देखने लगा। राही अपनी मुट्ठी बँधे अहान को घूरते हुए अपने केबिन में चली गई। उसे जाते देख अहान के होठों पर तंज भरी मुस्कान खिल गई।

  • 17. माय बॉसी वाइफ - Chapter 17

    Words: 643

    Estimated Reading Time: 4 min

    मैनेजर राही के सामने खड़ा, लगभग कांप रहा था।

    “अहान से ऊंची आवाज से बात नहीं करोगे? वो मेरा सेक्रेटरी है।” राही अपने हाथ में पेपरवेट घुमा रही थी।
    मैनेजर ने तुरंत सर हिला दिया।

    राही ने अपनी चेयर घुमाई। शशि और अहान को साथ में देखकर उसका खून खौल रहा था।
    “शशि का टर्मिनेशन लेटर बनाओ!”

    मैनेजर चौंक गया, पर राही से सवाल पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी। पिछली बार ही उसे काफी जोर की पड़ी थी। इस बार उसे बिल्कुल रिस्क नहीं लेना था।

    “ओके मैम!”
    “अहान को अंदर भेजो, और अगले एक घंटे में शशि का टर्मिनेशन लेटर उसे मिल जाना चाहिए।”

    “ओके मैम!” मैनेजर तुरंत बाहर चला गया। राही अभी भी काफी गुस्से में थी। उसकी अंगुलियाँ पेपरवेट पर कस गई थीं।

    अहान, शशि के साथ ब्रेकफास्ट कर रहा था।
    “अहान, तुम कल रात कहाँ थे? आई डोंट नो हाउ आई स्पेंड माय होल नाइट, आई वास सो वरिड फॉर यू।”

    अहान के पास इसका जवाब नहीं था।
    “इट्स ओके, आई कैन अंडरस्टैंड! कहाँ ही हो सकते हो सड़क के अलावा।” शशि ने अहान के हाथ पर अपना हाथ रखा।
    “मेरे घर क्यों नहीं चलते!”

    अहान बस चुपचाप अपना खाना खा रहा था।
    “अहान, प्लीज जिद्द मत करो! जब तक कोई घर नहीं मिल जाता, तुम्हें मेरे साथ मेरे घर चलना है।”

    “नहीं शशि!” अहान ने शशि की तरफ देखा। शशि अहान को काफी फिक्र से देख रही थी।
    “तुमने मेरी इतनी मदद कर दी है, मैं तुम्हें और परेशान नहीं कर सकता।”
    “तुम मुझे परेशान नहीं कर रहे हो अहान! तुम अपने पेरेंट्स, अपना घर, सब छोड़कर यहाँ आए हो किसलिए? अपना सपना पूरा करने के लिए। मैं बस इसमें तुम्हारी मदद कर रही हूँ।”

    अहान अपने पेरेंट्स को याद कर थोड़ा दुखी हो गया।
    “मैं उन्हें दुखी करके, उनसे लड़कर यहाँ आया था। शायद उसी की सजा भुगत रहा हूँ।”
    “ऐसा नहीं बोलते!” शशि ने अहान के गालों को छुआ।

    अहान के फोन पर कुछ बीप किया। अहान ने एकदम से चौंककर अपना फोन देखा। राही ने उसे धमकी भरा मैसेज किया था।
    “मैंने तुमसे कहा था! अगर इसने तुम्हें दुबारा छुआ तो मैं तुम्हारी लाइफ हेल बना दूँगी! गेट रेडी अहान।”
    अहान ने अपना थूक गटक, बेचारगी से शशि को देखा। वह एकदम से टेबल से उठ गया। शशि उसे परेशानी से देखने लगी।

    “क्या हुआ?”
    “कुछ नहीं! मुझे कुछ काम याद आ गया था।” अहान जाने के लिए मुड़ा, कि मैनेजर उसके सामने आ गया। उसके हाथ में टर्मिनेशन लेटर था।

    “तुम्हें मैम ने अंदर बुलाया है अहान।” अपने स्वभाव के विपरीत, मैनेजर बड़े प्यार से बोला। अहान बुरी तरह शॉक में देखने लगा।

    मैनेजर हल्के गुस्से से अब शशि की तरफ मुड़ा।
    “तुम यहाँ अपना काम छोड़कर तफरी कर रही हो।”
    “नहीं सर, वो बस थोड़ा नाश्ता!” शशि ने अपना सर झुका लिया।
    “ये नाश्ता अपने घर ले जाओ! वहीं तसल्ली से बैठकर करना।”
    शशि को कुछ समझ नहीं आया।
    “सर!”
    “ये पकड़ो, तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर! और दफ़ा हो जाओ।” मैनेजर टेबल पर टर्मिनेशन लेटर रख, गुस्से से निकल गया।

    अहान अभी भी मैनेजर को हैरानी से देख रहा था, कि उसे शशि के सिसकने की आवाज आई। वह तुरंत शशि के पास आया। शशि अपना टर्मिनेशन लेटर देख रही थी। उसकी आँखें बुरी तरह आँसुओं से भीग गई थीं।

    “मेरा करियर खत्म हो गया अहान?”
    “नहीं शशि! ऐसा नहीं बोलते।” अहान ने शशि के आँसू पोछे।
    “मैं बात करूँगा! राही से!”
    “राही मैम बोलो! कहीं अगला नंबर तुम्हारा ना हो।” शशि ने हल्के से उसके सीने पर मारा और फिर अपना सर पकड़ रोने लगी। अहान को शशि के लिए काफी बुरा लग रहा था।

    “मैं अभी आता हूँ! तुम कहीं जाना मत।”

    वहीं राही, हाथ में पेपरवेट घुमाते हुए, सब कुछ देखकर काफी बेसब्री से अहान का इंतज़ार कर रही थी।

  • 18. माय बॉसी वाइफ - Chapter 18

    Words: 1123

    Estimated Reading Time: 7 min

    अहान ने राही के केबिन का दरवाज़ा जोर से खोला और अंदर आया। "तुम्हें दिक्कत मुझसे है तो तुमने शशि को नौकरी से क्यों निकाला?"

    राही की आँखें ठंडी हो गईं। अगले ही पल उसने अपना पेपरवेट उठाकर अहान पर फेंका। अहान ने उसे पकड़ लिया।

    "उसकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हें छूने की?" राही जैसे पागल हो गई थी। उसने एक फाइल उठाई और अहान पर दे मारी।

    अहान अपना कंधा सहलाते हुए पीछे हट गया।

    राही ने अपना लैपटॉप उठाया और अहान पर फेंक दिया। अहान दूसरी तरफ सोफे पर कूद गया। अहान राही का गुस्सा देख बुरी तरह घबरा गया।

    राही ने अपने टेबल का सारा सामान अहान पर फेंक दिया था। वह अब भी कुछ ढूँढ़ रही थी। अहान और राही की नज़र एक साथ सामने रखे गमले पर गई। दोनों ने एक-दूसरे को देखा और तेज़ी से उसकी तरफ दौड़ पड़े। अहान और राही ने एक साथ उस गमले को पकड़ लिया।

    "छोड़ो अहान!"
    "राही! तुम छोड़ो इस गमले को!"
    "मैंने कहा पीछे हट जाओ!" राही ने गमला छोड़ा और अहान को धक्का दे दिया। अहान के हाथ से गमला छूटकर राही के पैरों पर गिर गया।

    राही दर्द से लड़खड़ा गई, पर अहान ने आगे बढ़कर उसे हवा में उठा लिया।

    "छोड़ो मुझे! आज तुम्हारी खैर नहीं!" राही ने अहान की कॉलर पकड़ ली।

    अहान ने राही के पैर की अंगुली देखी। खून बह रहा था।

    "मैं तुम्हारी तरह क्रुएल नहीं हूँ जो किसी की चोट देख मुँह फेर लूँ।"

    राही ने अहान के चेहरे को छुआ। "क्यों छुआ उसने तुम्हें?"

    अहान ने राही को जवाब नहीं दिया और उसे बांहों में उठाकर सोफे तक लाया और आराम से सोफे पर लेटा दिया। राही गुस्से में उठकर बैठ गई। वह अभी भी गुस्से में गहरी साँसें ले रही थी। अहान और शशि की करीबी उसे दिल ही दिल में चोट पहुँचा रही थी।

    अहान बिना कुछ बोले फर्स्ट एड बॉक्स लेकर उसके पास बैठ गया।

    "अपने पैर दो।" राही चिढ़ में दूसरी तरफ देखने लगी।

    अहान ने राही को घूरते हुए खुद ही उसके पैरों को अपनी गोद में ले लिया। राही की चोट देख अहान की नमी उतर आई। "क्यों करती हो इतना गुस्सा?"

    "मेरे मना करने के बाद तुमने उस लड़की को खुद को छूने दिया!" अभी भी राही काफी गुस्से में थी।

    अहान ने राही के पैरों में बैंडेज लगाया और राही को देखा। "वो मुझे छू सकती है, ये मेरा शरीर है, मुझे उसके छूने से कोई प्रॉब्लम नहीं तो तुम्हें भी नहीं होनी चाहिए।"

    राही की मुट्ठी कस गई।

    "ग्रेट! अब उस लड़की को कहीं जॉब नहीं मिलेगी।" राही ने अपने पैर पीछे खींचे और उठने लगी कि अहान ने उसे पकड़ लिया।

    "तुम्हें चोट लगी है, ध्यान से।"
    "तुम उस लड़की के पास जाओ, रो रही होगी, संभालो उसे!" राही ने अहान का हाथ अपने कंधे से झटक दिया।

    अहान को यह सुनकर काफी बुरा लगा।

    "मैं बस इतना कहने आया था कि उसे जॉब से मत निकालो!"

    राही अहान की तरफ मुड़ी। उसके चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान थी, जैसे वह अहान को चिढ़ा रही हो।

    "मैं निकाल चुकी हूँ! तुमने नहीं देखा टर्मिनेशन लेटर?"

    अहान ने अपने दाँत भींच लिए। "अगर शशि यहाँ से जाएगी तो मैं भी यहाँ काम नहीं करूँगा।"

    राही ने अपनी भौंहें उठाईं। "इतना प्यार करते हो उससे! उसके बिना मन नहीं लगेगा ना तुम्हारा यहाँ! समझ सकती हूँ।"

    अहान की आँखों में नमी उतर आई।

    "सही सोचा तुमने! प्यार करने लगा हूँ उससे।"

    राही यह सुनकर हँस दी।

    "भूल गए हो! हमारी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज!"
    "मैं इन सब में नहीं मानता!"
    "ठीक है, जाओ! उस लड़की के साथ, तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर भी तुम्हें तुम्हारे हाथ में मिल जाएगा।" राही ने भावहीन चेहरा बना लिया।

    अहान ने अपनी नमी को पोंछा और पेपरवेट टेबल पर रखकर बाहर चला गया।

    राही ने अपनी आँखें मसल लीं।

    "तुम कमज़ोर नहीं पड़ सकती राही! अहान ने पेपर्स पर अंगूठा लगा दिया है, उसके पास मुझसे दूर जाने का ऑप्शन ही नहीं है।"

    राही ने अपने मैनेजर को फोन कर अपने केबिन में बुलाया।

    मैनेजर घबराते हुए केबिन के अंदर आया। अंदर का हाल देख उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।

    "अहान का टर्मिनेशन लेटर तैयार कर उसे दे दो! मेक श्योर, अहान और उस लड़की शशि को कहीं जॉब ना मिले।"

    मैनेजर ने अपना थूक निगला। "मुझे पता था यही होगा! अहान जैसे लापरवाह लड़के को मैम एक पल नहीं झेल सकती।" मैनेजर सर हिलाते हुए बाहर चला गया। उसने अहान को देखा जो अपनी डेस्क पर गुमसुम बैठा हुआ था।

    मैनेजर ने काफी गुस्से से डेस्क पर हाथ मारा तो अहान चौंककर उठ गया। "क्या हुआ सर?"

    "मैम ने तुम्हें फायर कर दिया है बेवकूफ!"
    "मुझे पता है!"

    अहान ने अपनी नज़रें चुरा लीं।

    "वैसे क्या किया तुमने? जो मैम ने इतने गुस्से में अपना सामान तुम पर फेंककर मारा?"

    अहान कुछ भी नहीं बोल पाया।

    "कुछ तो कहा होगा! जो मैम को इतना गुस्सा आ गया।"

    अहान बिल्कुल चुप सब सुन रहा था। वही जानता था कि वह कैसे अपनी भावनाओं को कंट्रोल कर रहा था।

    "अहान, तुम्हें भी फायर कर दिया गया है।" शशि भागते हुए अहान के पास आई।

    अहान ने कुछ नहीं कहा।

    "क्या किया तुम्हें अहान? तुमने मेरे लिए मैम से लड़ाई कर ली, जबकि इस वक्त तुम्हें जॉब की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी! अब तुम इस शहर में कैसे रहोगे?"

    शशि ने अहान को छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया कि अहान पीछे हट गया। शशि समझ नहीं पाई कि अहान इतना परेशान क्यों हो गया।

    "मैं जा रहा हूँ! मैं अच्छा डिज़ाइनर हूँ, मुझे काम के लिए किसी के तलवे चाटने की ज़रूरत नहीं है।" अहान ने राही को आते देखा जो थोड़ी तेज आवाज में बोला।

    राही को देख शशि और मैनेजर भी घबराकर पीछे हट गए।

    "मेरी एक मीटिंग है! दिलीप चलो!"

    मैनेजर ने सर हिला दिया। राही ने अहान को देखा और मैनेजर का हाथ पकड़ लिया। मैनेजर एक पल हैरान रह गया। वहीं अहान ने अपनी मुट्ठी भींच ली।

    "सॉरी! मैंने तुम पर गुस्से में पेपरवेट फेंककर मारा, जबकि तुम मेरे सबसे आज्ञाकारी एम्प्लॉयी रहे हो।"

    "ये तो मेरा फ़र्ज़ था।"

    राही ने अहान के गुस्से से लाल चेहरे को देखा। "तुम दोनों दुबारा ऑफ़िस में नज़र मत आना।"

    शशि ने घबराकर अपना सर झुका लिया। राही मैनेजर के साथ चली गई।

    अहान ने गुस्से में अपना हाथ टेबल पर मारा। "इस चमन चंपू की तो!"

    "क्या कर रहे हो अहान! बस करो अब, चलो यहाँ से!"

    अहान ने बाहर की तरफ देखते हुए अपनी कमर पर हाथ रखा। "तुम जाओ, मैं आता हूँ।"

    "बिल्कुल नहीं! तुम मेरे साथ मेरे घर चल रहे हो।"

    अहान शशि को इग्नोर कर उनके पीछे चला गया। शशि हैरान रह गई। "इसे क्या हो गया है!"

  • 19. माय बॉसी वाइफ - Chapter 19

    Words: 524

    Estimated Reading Time: 4 min

    अहान चिढ़ा हुआ सा घर आया। वह काफी गुस्से में था क्योंकि राही मैनेजर के साथ निकल गई थी और वह उनका पीछा तक नहीं कर पाया था।

    अहान देखते-देखते सामने खड़े विध्वजीत से टकरा गया। अहान ने अपने सामने विध्वजीत को देखकर मुस्कुरा दिया। "आप कैसे हैं! मैंने आपसे तो मुलाकात नहीं की, मुझे माफ़ कर दे! मैं अभी आपसे सारी बातें करूँगा।" अहान ने विध्वजीत का हाथ पकड़ा, पर विध्वजीत ने उसका हाथ झटक दिया और अहान को घूरते हुए वहाँ से चला गया।

    अहान ने लंबी गहरी साँस छोड़ी। "इन्हें इम्प्रेस करना सच में काफी मुश्किल है।"

    तभी दादी आईं। "बेटा, तूने खाना खा लिया था ना!" दादी ने प्यार से उसका सर सहला दिया।

    "हाँ दादी।"

    "राही ने तुझे तंग तो नहीं किया?" दादी ने उसे साथ में बैठा लिया और पूछने लगीं। अहान के पास अच्छा मौका था कि वह दादी को सच बता दे और राही को दादी की नज़रों में गिरा दे, पर अहान ने ऐसा नहीं किया।

    "दादी, आपकी पोती ने मुझे बिल्कुल तंग नहीं किया।"

    "अच्छा, फिर तू परेशान क्यों लग रहा है?"

    अहान चुप हो गया।

    "अपनी दादी ही समझ मुझे! तेरी कोई भी दिक्कत है तो तू मुझे बता सकता है।"

    "दादी, मैंने राही की कंपनी में जॉब छोड़ दी है, पर इस वक्त मेरी ऐसी हालत है कि मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं हैं।"

    दादी ने अहान के सर पर हाथ फेरा।

    "बस इतनी सी बात! तू मुझसे पैसे ले लेता!"

    "नहीं दादी! मैं काम करना चाहता हूँ! आप मुझे इतने बड़े घर में साफ़-सफ़ाई का कोई काम दे दो! मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं यहाँ काम करके रह रहा हूँ तो मुझे यहाँ रहने में ज़्यादा सुकून मिलेगा।"

    "मेरे घर का दामाद! घर के काम करे!" दादी थोड़ी सी दुखी हो गईं।

    "दादी, प्लीज़ मुझे काम की सख्त ज़रूरत है!"

    दादी ने सर हिलाया। "मैं कुछ सोचकर बताती हूँ।" इतना कह वो उठकर चली गईं।

    अहान अब भी परेशान था। उसने अपना फ़ोन निकाला और राही को कॉल लगा दिया।

    राही कुछ मॉडल्स के साथ मीटिंग में थी। उसे कुछ मॉडल्स सिलेक्ट करनी थीं जो डिंपल आहुजा के साथ रैंप पर बराबरी कर सकती थीं, पर उसे कोई भी मॉडल पसंद नहीं आ रही थी। उसकी अगली मीटिंग दो मेल मॉडल्स के साथ थी जिन्हें अहान ने शॉर्टलिस्ट किया था। अहान का फ़ोन आया तो राही ने देखकर इग्नोर कर दिया। वह जानबूझकर अहान को परेशान कर रही थी।

    राही ने सभी मॉडल्स को रिजेक्ट कर दिया और काफी गुस्से में मैनेजर की तरफ़ मुड़ी।

    "तुमसे अभी तक एक अच्छी मॉडल नहीं ढूँढी गई।"

    "वो डिंपल आहुजा की बराबरी कर सके; ऐसी मॉडल मिली नहीं।" राही ने मैनेजर की कॉलर पकड़ ली।

    "मुझे एक्सक्यूज नहीं सुनने हैं!"

    "सॉरी मैम।" मैनेजर काँपते हुए सर झुका लिया।

    आखिरकार राही दो मेल मॉडल से मिली! उसे दोनों ही पसंद आ गए! मन ही मन वह अहान की पसंद की दाद दे रही थी।

    "अहान का टर्मिनेशन लेटर कैंसिल कर दो, और इन दोनों को फ़ाइनल करो।"

    मैनेजर हैरान रह गया, पर राही उसे इग्नोर करके चली गई।

  • 20. माय बॉसी वाइफ - Chapter 20

    Words: 545

    Estimated Reading Time: 4 min

    अहान पूरे मेंशन में घूम चुका था; उसके साथ एक नौकर था जो उसे घुमा रहा था।

    "अच्छा, तुम्हें इन सब की कितनी सैलरी मिलती है?" अहान ने जिज्ञासा से पूछा क्योंकि वह सोच चुका था कि वह इस महल जैसे मेंशन की साफ-सफाई का काम करेगा।

    "सर! कुछ 15,000 + बोनस।"

    अहान ने 15,000 सुनकर अपने पूरे महीने का अनुमान लगा लिया था।

    "अच्छा, तो तुम पूरे महल की साफ-सफाई का ध्यान रखते हो?"

    "नहीं सर! मैं साफ-सफाई नहीं करता, उसके लिए दूसरे नौकर हैं! मैं चीजों को अरेंज करता हूँ, जैसे कि विध्वजीत सर को अपने कमरे में बड़ा बेड चाहिए; तो उसे अरेंज करना मेरी जिम्मेदारी है। दादी को कुछ चाहिए होता है, उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी मेरी है।"

    "तो तुम्हें इतना करने के लिए सिर्फ 15,000 मिलते हैं?"

    "सर! मेरा बाकी का मेडिकल बिल, रहने का खर्चा, खाने का खर्चा, यहां तक कि मेरे बच्चों की स्कूल फीस, सब फ्री मिलता है! इतनी सुविधाओं के बाद 15,000 बहुत होते हैं।"

    अहान यह सब सुन मन ही मन खुश हो रहा था। "चलो, यह तो अच्छा है कि अब मैं यहां रह सकता हूँ।"

    "सर, आपको कुछ चाहिए तो मैं अरेंज कर देता हूँ!"

    "नहीं! तुम जाओ! और अब से मुझे सर नहीं, सिर्फ अहान बुलाओ क्योंकि अब मैं भी अब तुम्हारी तरह यहां काम करूँगा।"

    "क्या? सर आप मज़ाक कर रहे हैं?" नौकर चौंक कर बोला।

    अहान ने मुँह बनाया। "अभी नौकरी पक्की नहीं हुई है तो मज़ाक ही समझ लो।"

    "आपको नौकरी की ज़रूरत ही क्यों है?" नौकर ने हैरानी जताई।

    "इसलिए!" अहान ने अपना पर्स निकाल कर उसके सामने कर दिया, जिसमें बस कुछ बीस रुपये और चिल्लर बची थी।

    नौकर को भी यह देख अहान पर तरस आ गया।

    "सर, आप मुझसे पैसे ले लीजिए।"

    "नहीं भाई," अहान ने उसे एकदम से पैसे निकालने से रोक दिया। "हाथ है! हिम्मत है, कमा लूँगा।"

    "मैडम आपको पैसे नहीं देतीं! यह गलत है।" नौकर दुखी होकर बोला।

    "देतीं तब भी कौन सा ले लेना था मैंने! नहीं लेता, साला अपनी भी कोई इज़्ज़त है! तू चिंता मत कर, यह नौकरी पक्की हो ही जाएगी।"

    "ठीक है सर!" नौकर सर हिलाकर चला गया।

    उस नौकर ने यह बात घर के सारे नौकरों को बता दी। फिर तो जैसे गॉसिप का सिलसिला ही चल पड़ा। सब आपस में बातें बना रहे थे; राही कितनी कठोर है, अपने पति को पैसे नहीं देती, इसलिए उसके पति को घर की साफ-सफाई जैसे काम करने पड़ेंगे। राही जब लौटी तो यह सब सुन उसके भी कान खड़े हो गए।

    "यह सब क्या है?" उसने एक नौकरानी को बुलाकर पूछा।

    नौकरानी ने उसे सब कुछ कह सुनाया। सब जानकर राही का पारा हाई था; उसने सोचा भी नहीं था कि अहान घर का नौकर बनने की सोच लेगा। वह तुरंत अहान से मिलने लिफ्ट की तरफ बढ़ गई।

    अहान इन सब से अनजान, फल खाते हुए सोच रहा था, मेंशन के एक फ्लोर की सफाई करने के लिए 15,000 मिलेंगे; अगर वह मेंशन के तीनों फ्लोर की साफ-सफाई करेगा तो उसे कितने मिलने चाहिए, कि तभी राही आ गई। राही को देख अहान उठ खड़ा हुआ। राही ने अहान को घूरते हुए कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया।