नजर, जो सब बर्बाद कर दे, बड़ी सच्चाई होती है इस नजर में। बिल्कुल इसी तरह बर्बाद हुई ज़हन की जिंदगी... सिर्फ एक नजर से । ज़हन रावल जो अपने नाम की ही तरह थी... किसी के भी ज़हन में उतर जाए , खूबसूरत थी वो.... बेहद। इसी खूबसूरती को नजर लगी दर्श आर्यन की,... नजर, जो सब बर्बाद कर दे, बड़ी सच्चाई होती है इस नजर में। बिल्कुल इसी तरह बर्बाद हुई ज़हन की जिंदगी... सिर्फ एक नजर से । ज़हन रावल जो अपने नाम की ही तरह थी... किसी के भी ज़हन में उतर जाए , खूबसूरत थी वो.... बेहद। इसी खूबसूरती को नजर लगी दर्श आर्यन की, इसी खूबसूरती पर पागल था दर्श आर्यन। खूबसूरती जिसका पहला नशा और बर्बादी उसकी एक नजर... और इसी एक नजर से दर्श के ज़हन में कैद हो गई ज़हन । फिर क्या था... सिर्फ और सिर्फ बर्बादी। क्या ज़हन निकल पाएगी दर्श की कैद से? या खत्म हो जाएगी उसी कैद में? क्या दर्श के दिल में वो उतर पाएगी उसका प्यार बनकर? या होगा सिर्फ एक पागलपन?
Darsh aaryan
Villain
Zahan raval
Villain
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मुंबई,इंडिया
शाम का वक्त
swaras institute of music therapy ,के बाहर एक लगभग 20 साल की लड़की रोड के किनारे खड़ी थी, शायद रोड क्रॉस करने के लिए।
तभी उसके बगल में एक लड़का आकर खड़ा हुआ। कुछ पल रुककर वो मुस्कुराते हुए बोला," तुमने टेस्ट में काफी अच्छे मार्क्स स्कोर किए, ज़हन! I'm proud of you baby..."
ज़हन उसे घूरते हुए बोली," बकवास बंद करो अपनी, मुझे बिना बताए यानी तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड को बिना बताए , गायब थे तुम व्योम मलिक, वो भी इतने दिनों से।"
व्योम उसका हाथ पकड़ते हुए बोला," अब sorry तो बोला मैंने, कब तक गुस्सा रहोगी तुम, zahan raval !"
ज़हन उसका हाथ झटकते हुए बोली," जब तक मेरा मन करेगा !"
बोलते हुए वो आगे बढ़ गई।
उसने ध्यान ही नहीं दिया, दो ब्लैक कार्स आमने सामने, मतलब उसके अगल बगल थोड़ी दूर पर थीं।
उस पहली कार के अंदर बैठा आदमी ज़हन को देख धीरे से बोला, "ख़ूबसूरत हो तुम ज़हन...!"
दूसरी कार के सामने ही एक डेविल का साइन था, अंदर बैठा वो शख्स, उसकी नजर भी ज़हन पर ही टिकी हुई थी। उसकी गहरी काली आंखें, खतरनाक लग रही थी।
हल्का सा सर टेढ़ा कर वो गौर से ज़हन को देखते हुए बोला," ज़हन भी मेरी,ज़हन की खूबसूरती भी मेरी "
15 दिन बाद...
रात का वक्त
एक घर, न ज्यादा बड़ा था न ज्यादा छोटा। वो घर काफी अच्छे तरीके से सजाया हुआ था, घर के बाहर बोर्ड पर रावल हाउस लिखा था।
उसी घर के एक कमरे में एक लड़की ड्रेसिंग मिरर में खुद को देख रही थी, उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज में आंसू थे इस वक्त । उसने एक रेड कलर का लहंगा पहना हुआ था, ये ज़हन ही थी।
वो खुद से ही बोली," मुझे ये शादी नहीं करनी, क्या करूं मैं!"
बोलते हुए उसकी आंखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे।
तभी उसके पीछे से आवाज आई," मम्मा ने मुझे तुम्हें रेडी करने के लिए भेजा है zahan!"
रूम के गेट पर ज़हन की बड़ी बहन रितिका खड़ी थी । वो चुपचाप ज़हन को देख रही थी, उसने कुछ पल उसे उसी तरह देखा, ज़हन अभी भी अपनी जगह पर खड़ी थी।
रितिका ने रूम का गेट बंद किया और अंदर आकर ज़हन को हग कर लिया। उसके गले लगते ही ज़हन तेज तेज रोने लगी थी।
रितिका उसे शांत कराते हुए बोली," ज़हन , प्लीज चुप हो जाओ ।"
ज़हन रोते हुए बोली," मुझे ये शादी नहीं करनी, रितिका, तुम समझ रही हो न मैं क्या बोल रही हूं ... मैं...."
उसके गले से आवाज नहीं निकल रही थी, रोने की वजह से । रितिका की आंखें भी अब आंसुओं से भर चुकी थीं। वो जहां का चेहरा अपने हाथ में लेकर बोली," हम कुछ भी नहीं कर सकते ज़हन, कुछ भी हमारे हाथ मे नहीं है"
वो उसे शांत करा रही थी, तभी बाहर से दरवाजा नॉक हुआ," रितिका जल्दी करो हमें वैन्यू के लिए निकलना है, बाहर कार्स वेट कर रही हैं"
रितिका तेज आवाज में बोली," येस मम्मा..."
बाहर साक्षी खड़ी थी, रितिका और ज़हन की मां। उनके चेहरे पर परेशानी और आंखें भी नम थी, उन्हें पता था अंदर क्या हो रहा था।
वो खुद से ही बोली," मेरे हाथ में कुछ होता तो मैं ऐसा कभी नहीं होने देती ज़हन!"
वो अपने आंसू साफ करते हुए वहां से चली गई।
अंदर ज़हन अभी भी रितिका से लिपटी हुई थी, उसका चेहरा आंसुओं से भरा हुआ था। उसकी आंखें लाल हो चुकी थी अब तक।
उसकी ये हालत देख रितिका धीरे से बोली," तुम्हें नहीं करनी न ये शादी , ठीक है मत करो"
ये सुनते ही ज़हन ने उसे एकदम से देखा। रितिका अपनी पलकें झपकते हुए बोली," यहां से चली जाओ ज़हन"
ज़हन ने कुछ पल उसे देखा और धीरे से बोली," पर कैसे?"
रितिका ने उससे कुछ कहा और ज़हन कुछ पल रुककर बोली," are you sure, तुम ये करोगी रितिका।"
रितिका उसे देखते हुए बोली,"बहन हो तुम मेरी ज़हन, तुम्हारे लिए इतना करना बहुत छोटी बात है, अब जो मैंने कहा वो जल्दी से करो ।"
ज़हन ने कुछ पल उसे देखा और एकदम से उसके गले से लग गई।
to be continued...
mumbai, india
एक बड़े से वैन्यू पर मंडप सजा था, पूरी जगह काफी अच्छे से डेकोरेट की गई थी, एक साइड से ज़हन, साक्षी के साथ आ रही थी, उसने पूरा घूंघट लिया हुआ था।
वहीं मंडप के पास कोई खड़ा था, जो बिल्कुल गौर से ज़हन की तरफ देख रहा था, उसकी एक एक मूव ऑब्जर्व कर रहा था। एक व्हाइट कलर की शेरवानी पहनी थी उसने, जिसमें डायमंड की कॉफ्लिंग्स थी।
उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट थी , दर्श आर्यन।
उसकी नजर जैसे बेताब थी, ज़हन को देखने के लिए।
ज़हन को मंडप तक लाने के बाद साक्षी धीरे से थोड़ा दूर हुई, वो दोनों दर्श के सामने खड़े थे। दर्श ने उसे देखते हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाया, वहीं धीरे धीरे ज़हन ने अपना हाथ उसके हाथ में रख दिया।
पर जैसे ही ये हुआ, दर्श के एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए। उसने एकदम से उसके हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा," धोखा, दर्श आर्यन के साथ धोखा ।"
बोलते हुए उसने साक्षी की तरफ देखा, वहीं साक्षी कुछ बोलती उससे पहले ही एक चीख वहां गूंज उठी।
साक्षी धीरे से बोली," रितिका"
उसने उसका घूंघट हटाया, और उसका शक सही था, रितिका थी वो। साक्षी ने एकदम से दर्श की तरफ देखा, वहीं रीतिका की आंखों से आंसू बहने लगे थे, दर्श की पकड़ उसके हाथ पर काफी मजबूत थी।
दर्श उन दोनों को देखते हुए बोला," ऐसा नहीं करना चाहिए था, तुम दोनों को । मेरी ज़हन की जगह लेकर सबसे बड़ी गलती की है तुमने रितिका रावल।... और उससे भी बड़ी गलती... तुमने ये सोच लिया कि मुझे पता भी नहीं चलेगा, एक्चुअली इसे गलती नहीं बेवकूफी कहते है।"
बोलते हुए उसने रितिका को देखा और उसके होठों पर एकदम से तिरछी मुस्कुराहट आ गई।
जो साक्षी और रितिका को डराने के लिए काफी थी। सारे गेस्ट आपस में बातें कर रहे थे, पर दर्श को किसी से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
रितिका एकदम से बोली," ज़हन का पीछा छोड़ दो प्लीज"
दर्श ने अपने कदम बढ़ाए और उसके पास आकर रुका, वो कुछ पल रुककर बोला," मैं क्यों मानूं तुम्हारी बात। वेल ...... ज़हन की चिंता छोड़ो और अपनी चिंता करो , ज़हन को तो मैं देख लूंगा, तुम्हें मुझसे कौन बचाएगा ?"
उसकी बात सुन साक्षी जल्दी से बोली," दर्श प्लीज! अब और नहीं । तुम मेरी दोनों बेटियों की जिंदगी के साथ ऐसे नहीं खेल सकते । "
दर्श इविल स्माइल के साथ बोला," ये बात पहले सोचनी चाहिए थी न मिसेज रावल, जब आप मेरी ज़हन की जगह अपनी इस बेटी को लेकर आ गईं ।
"
साक्षी जैसे ही कुछ बोलने को हुई दर्श आगे बढ़ गया , उसने अपने असिस्टेंट ध्रुव को कुछ इशारा किया। वो दोनों ही आगे एंट्रेंस की तरफ बढ़ गए।
दर्श को पता था पूछने का कोई फायदा नहीं था, इसलिए वो ज़हन को खुद ही ढूंढने वाला था।
दूसरी तरफ, ज़हन इस वक्त एक अपार्टमेंट में थी, वो सोफे पर बैठी हुई थी। तभी पीछे से किसी की आवाज आई," तुम ठीक हो न ज़हन।"
ज़हन ने पीछे मुड़कर देखा, एक लड़का खड़ा था, ज़हन सिर हिलाते हुए बोली," मैं ठीक हूं वीर"
वीर ,रितिका का बॉयफ्रेंड था, उसे रितिका ने ही कॉल करके ज़हन को ले जाने के लिए बुलाया था। उसे पूरी बात पता नहीं थी, पर इतना पता था कि ज़हन की शादी दर्श आर्यन से हो रही थी, पर वो ये शादी नहीं करना चाहती थी।
वीर उसके पास बैठते हुए बोला," तुम इतनी टेंशन मत लो, रितिका संभाल लेगी सब ।"
उसकी बात सुन ज़हन चुपचाप फ्लोर को घूर रही थी, वो मन ही मन बोली," अगर इसे पता चलेगा कि रितिका क्या करने वाली है, तो पता नहीं कैसे रिएक्ट करेगा? क्या हो रहा होगा वहां?"
ज़हन वीर को देखते हुए बोली," मुझे यहां से निकलना है , वो यहां पहुंच गया तो ?"
वीर टाइम देखते हुए बोला," इतनी रात को तुम कहां जाओगी ज़हन? वैसे भी रितिका ने मुझे तुम्हारा ध्यान रखने के लिए कहा है, तो मैं कोई रिस्क नहीं ले सकता। रिलैक्स, 4 बजे दिल्ली की फ्लाइट है और अभी एक ही बजे हैं। "
ज़हन ने अपनी आंखें बंद कर एक गहरी सांस ली और सोफे से सर टिकाकर बैठ गई। उसके दिमाग में कुछ फ्लैशेस आने लगे।
फ्लैशबैक
10 दिन पहले
ज़हन अपने रूम में बेड पर लेटी हुई थी, वो कुछ देर पहले कॉलेज से आई थी। नींद से उसकी आंखें लगभग बंद ही हो चुकी थीं।
तभी उसे कुछ आवाजें सुनाई दी। ज़हन ने तुरंत अपनी आंखें खोली और उठकर रूम से बाहर चली गई। नीचे आते ही उसकी आंखें बड़ी हो गई। वो धीरे से बोली," पापा...!"
सामने दर्श आराम से सोफे पर बैठा हुआ था, उसके सामने आकर्ष रावल यानी ज़हन के फादर चुपचाप खड़े हुए थे। साक्षी और रितिका एक साइड खड़े हुए थे।
दर्श सर्द आवाज में बोला," मिस्टर रावल, मैंने जो बोल दिया वो बोल दिया.... अगर वो नहीं हुआ तो गई तुम्हारी जॉब, एंड पूरे मुंबई ही नहीं , इंडिया के किसी भी कोने में जॉब नहीं मिलेगी । न तुम्हें, न तुम्हारे किसी फैमिली मेंबर को, एक्सेप्ट मि ।"
कुछ पल रुककर वो एकदम से मुस्कुराते हुए बोला," मेरी ज़हन बच जाएगी, क्योंकि उससे शादी तो मैं करूंगा । अगर अब भी मेरी बात समझ न आई हो, तो तुम्हें बर्बाद करने के और भी तरीके है मेरे पास , और सबसे बड़ी बात दर्श आर्यन की वार्निंग है ये ,पहली और आखिरी ।"
उसकी बात सुनते ही ज़हन की दिल की धड़कने तेज हो चुकी थीं।
आकर्ष रावल, आर्यन इंडस्ट्रीज में जॉब करते थे, एक अच्छे पोस्ट पर थे वो। पर ऐसा नहीं था कि इस वक्त वो दर्श से डर रहे थे। उन्हें पता था ये गलत था और गलत का साथ वो कभी नहीं देने वाले थे।
कुछ पल रुककर वो बोले," मिस्टर आर्यन , ज़हन अभी पढ़ाई कर रही है और सबसे बड़ी बात वो शादी के लिए रेडी नहीं है, तो मैं उसे फोर्स नहीं कर सकता।"
इतना सुनकर दर्श के हाथों की मुठ्ठी कस गई थी। उसकी चारकोल ब्लैक आईज में गुस्सा उतर आया था। पर उसका चेहरा बिल्कुल शान्त था।
वो सोफे से उठते हुए बोला," तो तैयार हो जाओ, बर्बाद होने के लिए , मिस्टर रावल ।"
उसके होठों पर एकदम से तिरछी मुस्कुराहट आ गई। उसकी नजर एकदम से ज़हन पर गई, जो एक कोने में चुपचाप खड़ी थी, उसे ही देख रही थी।
दर्श ने सीधे उसकी आंखों में देखा और उसकी मुस्कुराहट और गहरी हो गई। कुछ देर में वो वहां से जा चुका था।
इसके दूसरे ही दिन से आकर्ष गायब थे, उनका कोई पता नहीं था, साक्षी का सीधा शक दर्श पर ही था, न चाहते हुए भी उन्हें शादी के लिए मानना पड़ा।
फ्लैशबैक एंड
ज़हन ने एकदम से अपनी आंखें खोली। वो इस चीज के बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी। वो जानती थी , वो इस चीज में सेल्फिश हो रही थी, पर फिर भी वो ये कर रही थी।
वो मन ही मन बोली," I'm sorry papa , पर मुझे ये शादी बिल्कुल नहीं करनी।"
ज़हन की नजर वॉल क्लॉक पर गई, इस वक्त 3 बज रहे थे। थोड़ी देर में उन्हें निकलना था, उसने वीर को देखा, जो उसके बगल में ही सोफे से टिककर सो रहा था।
ज़हन उसे उठाते हुए बोली," वीर....!"
अगले ही पल डोरबेल बजी।
to be continued.....
मुंबई, इंडिया
रात का वक्त
अपार्टमेंट में डोरबेल की आवाज सुनकर ज़हन अपनी जगह पर फ्रीज हो गई। उसके दिमाग में सिर्फ एक ही नाम आया - दर्श।
उसने कभी उससे बात नहीं की थी, पर जिस तरह से वो उसे देखता था, उसके रोंगटे खड़े हो जाते थे, डर लगता था उसे।
उसकी नजरें ही ऐसी होती थी, जो ज़हन को अंदर तक सिरहने पर मजबूर कर देती थी।
ज़हन की नजर अचानक से वीर की तरफ चली गई। अब उसका दिल खुद उससे सवाल कर रहा था, कि अगर वीर को जब सब कुछ पता चलेगा तो क्या होगा? उसकी खुद की ही नहीं, उसके साथ कई और जिंदगियां भी बर्बाद हो रही थी।
वो वीर को देखते हुए खुद से बोली," I promise, मैं तुम्हें ऐसे धोखे में बिल्कुल नहीं रखूंगी, मैं तुम्हें सब सच बताऊंगी और बहुत जल्द बताऊंगी।"
ज़हन को अच्छे से पता था कि इन सारी चीजों में वीर के साथ गलत हो रहा है, पर इस वक्त वो चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकती थी।
वीर उसके ब भाई की तरह था , वो ज़हन का ख्याल भी उसी तरह रखा करता था , रितिका और वीर काफी टाइम से साथ थे, तो ज़हन वीर से पहले भी कई बार मिली थी।
वो अपने ही ख्यालों में गुम थी, तभी एकबार फिर से डोरबेल बजी। एक बार फिर उसके दिल की धड़कने तेज हो गईं।
इसी के साथ ही वीर की आंखें खुल गई। वो ज़हन को देखते हुए बोला," इस वक्त कौन होगा?"
ज़हन धीरे से बोली," दर्श !.... मेरा मतलब वो हुआ तो?"
वीर सिर हिलाते हुए बोला," रिलैक्स ज़हन, मैं देखता हूं।"
वो सोफे से उठ गया , तभी ज़हन उसका हाथ पकड़ कर बोली," प्लीज! डोंट गो.... अगर वहीं हुआ तो क्या करोगे तुम?"
वीर कुछ पल रुककर बोला," ज़हन हो सकता है वो न हो, एक बार देख कर आता हूं मैं , ओके ! रिलैक्स, तुम टेंशन मत लो।"
ज़हन ने चुपचाप उसका हाथ छोड़ दिया और सीधे बैठ गई, उसने गेट की तरफ मुड़कर देखा भी नहीं।
वीर ने जाकर गेट खोला, वहां कोई भी नहीं था । कुछ पल इधर उधर देखने के बाद वो जैसे ही मुड़ा, किसी ने उसके गर्दन की नस दबा दी, वो तुरंत बेहोश हो चुका था।
इधर ज़हन चुपचाप सोफे पर बैठी थी, कुछ देर बाद भी उसे कोई आवाज नहीं आई, वो खुद से ही बोली," ये अभी तक क्यों नहीं आया है?"
ज़हन सोफे से उठी और गेट की तरफ मुड़ी। वो तेज आवाज में बोली," वीर! कहां हो तुम?... वीर।"
अबतक वो गेट के पास आ चुकी थी, गेट खुला हुआ था, उसने बाहर देखा तो कोई भी नहीं था। उसके शरीर में डर की एक लहर दौड़ गई। कहीं उसका डर सच तो नहीं था ।
वो इस बार फिर बोली," वीर कहां हो ? देखो ,प्लीज कोई प्रैंक मत करो, मुझे डर लग रहा है। वीर ......"
तभी उसके पीछे से आवाज आई," ज़हन !"
बस इतना काफी था, ज़हन के रोंगटे खड़े करने के लिए। उसके माथे पर ठंडी पसीने की बूंदे उभर आई।
वो धीरे धीरे पीछे मुड़ी, दर्श सोफे पर आराम से बैठा हुआ था। उसके दोनों पैर एक के ऊपर एक ,कॉफी टेबल पर थे।
वो स्माइल के साथ उसे देख रहा था। वो कोई नॉर्मल स्माइल तो बिल्कुल नहीं थी, बेहद खतरनाक थी।
दर्श उसे देखते हुए बोला," तो मेरी ज़हन को डर लग रहा है? किससे डर लग रहा है ज़हन? मुझे बताओ ....."
ज़हन अपनी कांपती आवाज में बोली," तु..तुम अंदर क....कैसे आए? "
उसके मुंह से शब्द बाहर नहीं आ रहे थे।
दर्श बिल्कुल नॉर्मल होकर बोला," यहां एक ही दरवाजा है अंदर आने का ज़हन, मैं भी उसी से अंदर आया हूं !"
ज़हन जल्दी से बोली," वीर कहां है? तुमने उसके साथ क्या किया? प्लीज उसे...."
दर्श के एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए, वो बीच में ही सर्द आवाज में बोला," बड़ी फिक्र है तुम्हें उसकी ज़हन ! मैं तुम्हारे सामने हूं, और तुम्हारी जुबान पर नाम किसी और का..... इट्स टू बैड! ऐसा नहीं करना चाहिए तुम्हें ज़हन ।"
ज़हन फिर से बोली," उसे कुछ मत करना प्लीज, उसने कुछ नहीं किया है ...."
दर्श बीच में ही बोला," सारी गलती उसकी है ज़हन , तुम उसकी साइड क्यों ले रही हो ? सब कुछ उसी ने किया है, उसे तुम्हे यहां रखना ही नहीं चाहिए था न!"
ज़हन सर हिलाते हुए बोली," नहीं, उसकी कोई गलती नहीं है .... तुम"
दर्श एकदम से सोफे से उठा और उसकी तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए सर्द आवाज में बोला," तुम मानती क्यों नहीं ज़हन, उसकी ही गलती है ।"
उसे अपने पास आता देख ज़हन अपने कदम पीछे लेने लगी थी। उसके हाथ पैर ठंडे पड़ चुके थे। उसने तिरछी नजरों से गेट की तरफ देखा, जो कि खुला था। वो एकदम से मुड़ी और गेट बाहर भागी, जैसे ही वो बाहर आई, किसी से टकरा गई।
उसने खुद को संभाला और सिर उठाकर सामने देखा, ध्रुव अपना सर झुकाए चुपचाप खड़ा था ,वो आगे बढ़ पाती इससे पहले ही दर्श ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया , ज़हन की पीठ उसके सीने से जा लगी थी। ज़हन एकदम से ब्लैंक हो चुकी थी।
दर्श ने ध्रुव को कुछ इशारा किया और ध्रुव कुछ ही पल में वहां से जा चुका था।
दर्श उसकी कमर पर हाथ रखते हुए बोला," मुझसे भागकर कहां जाएगी मेरी ज़हन ? "
ज़हन का दिल अब जैसे बाहर आने को था, वो फ्रीज हो चुकी थी अपनी जगह पर।
दर्श उसके बालों को स्निफ करते हुए बोला," I guess अब मेरी ज़हन अपने घर जाएगी, है न ? ..... पर क्या घर पर कोई होगा? ......again I guess no .... सोचो सब कहां होंगे ज़हन?"
ज़हन की आंखों में नमी उतर आई थी।
वो धीरे से बोली," उन्हें कुछ मत करना, सब मेरी गलती है तुम...."
दर्श ने एकदम से उसकी कमर पर अपनी पकड़ तेज कर दी, वो लगभग चिल्लाते हुए बोला," बिल्कुल भी नहीं! तुम गलती नहीं कर सकती ज़हन, तुमसे कोई गलती नहीं हो सकती.... कभी भी नहीं , सुना तुमने? "
उसके ऐसे चिल्लाने से ज़हन और ज्यादा डर चुकी थी। बिल्कुल किसी पागल की तरह लग रहा था वो उसे।
ज़हन कुछ पल रुककर बोली," तुम क्यों कर रहे हो ये सब? मैंने क्या किया है? "
दर्श उसके कंधे पर अपना चिन टिकाते हुए बोला," तुमने कुछ नहीं किया ज़हन, तुम कभी कुछ नहीं कर सकती , पता है मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं ......?"
ज़हन कुछ नहीं बोली। दर्श ने उसे छोड़ा और उसके सामने आते हुए बोला," क्योंकि ...... तुम्हारी खूबसूरती मुझे बहुत प्यारी है ..."
ज़हन ने एकदम से उसे देखा। वो हल्का सा मुस्कुराया और उसके चेहरे के बिल्कुल पास आकर बोला," मेरे ज़हन में हो तुम ज़हन !!!!!"
ज़हन ने एकदम से अपनी नजरे झुका ली, वो ज्यादा देर उसकी काली गहरी आंखों में नहीं देख सकती थी। इस वक्त जो उसने उसकी आंखों में देखा, वो सबसे अलग था, शायद बर्बादी थी उसकी।
ज़हन की बर्बादी, जो अब शुरू हो चुकी थी।
to be continued....
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ज़हन इस वक्त कार में थी, उसका सिर दर्श के कंधे पर था, बेहोश थी वो और बेहोश करने वाला भी दर्श ही था।
दर्श की नजर उसके चेहरे पर ही टिकी हुई थी, उसने ज़हन के हाथ को ऐसे पकड़ कर रखा था, जैसे अगर उसे छोड़ा तो वो कहीं चली जाएगी।
वो उसके चेहरे को देखते हुए बोला," देखो, कुछ भी पाना दर्श आर्यन के लिए मुश्किल नहीं है, फिर तुम तो मेरी ज़हन हो ।"
ज़हन के गाल को सहलाते हुए उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट आ गई।
कुछ देर बाद, कार बड़े से विला के आगे रुकी। वो विला काफी बड़ा और खूबसूरत था। इस वक्त 4 बज रहे थे सुबह के।
दर्श, ज़हन को विला के अंदर लेकर आया और ऊपर रूम में लेकर बेड पर लिटा दिया।
वो काफी देर तक ज़हन को बस यूं ही देखे जा रहा था, न जाने कितनी देर?
अगला दिन
विला में, ज़हन की ने धीरे धीरे अपनी आंखें खोली। वो एकटक सीलिंग को देख रही थी। उसे रियलाइज हुआ वो इस वक्त एक अंजान जगह पर थी।
वो एकदम से उठकर बैठ गई, उसे बेहोशी के पहले हुई सारी बातें याद आने लगी।
" मेरे ज़हन में हो तुम ज़हन!"
ये लाइन उसके दिमाग में छप चुकी थी। उसे याद आ रहा था, जब उसने दर्श को धक्का देकर एक बार और भागने की कोशिश की थी , तब दर्श ने सीधे उसके गले की नस दबा दी थी।
ज़हन ने देखा, रूम का डोर लॉक था, दर्श तो रूम में था ही नहीं ।
वो खुद से ही बोली," इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगी मैं , दर्श आर्यन । आजादी चाहिए मुझे न कि तुम्हारी कैद , मैं यूं ही हार नहीं मानूंगी, कभी नहीं।"
वो आस पास देखने लगी , रूम काफी बड़ा और लग्जरियस था। हर चीज परफेक्ट थी वहां पर, या कह सकते हैं, हर चीज खूबसूरत थी वहां पर । एक से बढ़कर एक एंटीक पीसेज रखे थे।कुछ भी ऐसा नहीं था उस रूम में जो किसी को पसंद न आए। ये कह सकते हैं कि दर्श आर्यन को सिर्फ खूबसूरत चीजें पसंद आती थीं।
पर फिर भी ज़हन को जो चीज पसंद नहीं आई थी वो था रूम का कलर, पूरा रूम का थीम ब्लैक एंड डस्टी रेड कलर था और ये काफी क्रिपी लग रहा था।
ज़हन बेड से एकदम से उठते हुए बोली," निकलना है मुझे यहां से , मम्मा और रितिका के पास जाना है।"
उसके दिमाग में वीर का ख्याल आया, वो रूम को देखते हुए बोली," वीर को भी ढूंढना है।"
वो जल्दी से विंडो की तरफ बढ़ी और झांककर नीचे देखने लगी। नीचे कोई भी नहीं था, पर कुछ गार्ड्स गेट के पास थे।
ज़हन इस वक्त सेकंड फ्लोर पर थी, उसने रूम से एक बेडशीट ली और बांधकर नीचे लटका दिया।
वो धीरे धीरे नीचे उतरने लगी, तभी उसे कांच टूटने की आवाज आई ।
ज़हन धीरे से बोली," shit! लगता है कोई रूम में आ गया। "
वो जैसे तैसे नीचे पहुंच चुकी थी। इस वक्त उसने पैरों में स्लीपर्स भी नहीं पहनी थी। वो जल्दी से एक कोने में छिप गई।
ज़हन ने आज पास देखा और सीधे एक छोटा सा पत्थर उठाकर दूसरी तरफ फेंका। सारे गार्ड्स का ध्यान उस तरफ जा चुका था ।
ज़हन तेजी से गेट की तरफ भागी। वो गेट पर पहुंच पाती उससे पहले ही एक आवाज आई," don't you dare ज़हन !"
ज़हन ने अपनी आंखें बंद कर ली, पर वो रुकी नहीं। गेट के पास आकर उसने गेट खोलने की कोशिश की, ठीक उसी वक्त एक गार्ड ने उसका हाथ पकड़ लिया।
ज़हन चीखते हुए बोली," लीव मि, जाने दो मुझे।"
वो गार्ड बस चुपचाप उसका हाथ पकड़ कर खड़ा था, उसकी ग्रिप काफी मजबूत थी, इतना की अब उसके हाथों पर निशान पड़ने लगे थे।
ज़हन ने एक झटके से उसे धक्का दिया और गेट खोलकर जाने लगी,पर इससे पहले वो गेट क्रॉस कर पाती, कुछ चीज़ उसके पैर में चुभी।
उसकी एक आह निकल गई, अब तक उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज में आंसू आ चुके थे। वो अपना पैर पकड़े गेट के सहारे टिककर खड़ी थी।
तभी उसकी नजर दर्श पर पड़ी, वो चुपचाप उसे देख रहा था। वो ज्यादा दूर नहीं था उससे।
वहीं वो गार्ड जिसने ज़हन को पकड़ रखा था, वो साइड हो चुका था।
दर्श उसके पास आते हुए बोला," क्या हुआ ज़हन? तुम्हे चोंट लग गई देखो"
बोलते हुए उसने उस गार्ड की तरफ देखा। अगले ही पल उसने उसके चेहरे पर एक पंच मर दिया।
ज़हन की आंखें बड़ी हो गई, वो चुपचाप उस गार्ड की तरफ देख रही थी, जो अब भी सिर झुका कर खड़ा था।
दर्श, ज़हन के पास आते हुए बोला," तुम भाग क्यों रही थी ज़हन, अब इसकी वजह से तुम्हें चोट लग गई, उसकी भरपाई तो इसे करनी ही पड़ेगी है न? "
ज़हन की आंखों से एक कतरा आंसू बह गया। वो उस गार्ड को देखते हुए बोली," पर उसने किया क्या है?"
दर्श हल्का सा झुककर उसके पैर को देखते हुए बोला," उसने तुम्हें चोट दी है ज़हन"
बोलते हुए उसकी मुट्ठियां कस गई। जो ये बता रही थी कि उसे गुस्सा आ रहा था काफी तेज।
ज़हन धीरे से बोली," मुझे जाना है यहां से, मुझे मेरे घर जाना है , मुझे जाने दो प्लीज!"
दर्श ने उसे गोद में उठाया और मुस्कुराते हुए बोला," हम घर ही तो जा रहे हैं न ज़हन, मेरा घर, तुम्हारा घर, मतलब हमारा घर।"
ज़हन के मुंह एकदम से निकला," नहीं "
दर्श उसको फिर से उसी रूम में लेकर आया, जहां वो पहले थी , abviously ये दर्श का ही रूम था। वो उसे किसी दूसरे रूम में नहीं रखने वाला था।
वो उसे काउच पर बैठाते हुए बोला,"ऐसे भागने की जरूरत नहीं थी, ज़हन । तुम मुझे बता देती, मैं तुम्हें बाहर ले चलता।"
अब तक जो आंखें डर में थी वो एकदम से हैरानी में फैल गई।
ज़हन जल्दी से बोली," तुम जानते हो मैं तुमसे क्यों भाग रही हूं , तुम ऐसे इस चीज को नजरअंदाज नहीं कर सकते दर्श। मुझे मेरे घर जाना है, तुम क्यों ऐसे बिहेव कर रहे हो जैसे हम एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं? आखिर प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी?"
दर्श कुछ बोलता उससे पहले ही रूम में नॉक हुआ, दर्श तेज आवाज में बोला," कम इन!"
एक लेडी डॉक्टर अंदर आई, और ज़हन को देखने लगी।
ज़हन ने एक नजर डॉक्टर को देखा और अपनी चोट को। उसकी चोट उतनी भी बड़ी नहीं थी कि उसके लिए डॉक्टर की जरूरत पड़े।
दर्श उस डॉक्टर को घूरते हुए बोला," क्या मैंने तुम्हें यहां शक्ल दिखाने के लिए बुलाया है?"
वो डॉक्टर जल्दी से न में सर हिलाते हुए ज़हन के पास बैठ गई, उन्होंने उसका पैर चेक किया और उस पर अच्छे से बैंडेज कर दिया।
वो दर्श से बोली," मैंने mam का बैंडेज कर दिया है, उस पर पानी न पड़े इसका ध्यान रखिए , और कुछ दिन में चोट पूरी तरह ठीक हो जाएगी।"
दर्श सर्द आवाज में बोला," आउट!"
वो डॉक्टर तेज कदमों से बाहर निकल गई।
उसके जाते ही दर्श ने ज़हन को देखा जो खुद उसे ही देख रही थी। दर्श के एक्सप्रेशन पूरी तरह चेंज हो हुए।
वो एकदम से मुस्कुराते हुए बोला," तो क्या बोल रही थी मेरी ज़हन?"
ज़हन कुछ बोलती उससे पहले ही दर्श उसके चेहरे पर झुका और धीमी आवाज में बोला," मैंने सुना है फैमिली सब को प्यारी होती है, है न ज़हन?"
बोलकर वो उसे देखने लगा।
ज़हन कुछ नहीं बोली, वो बस चुपचाप उसकी आंखों में देख रही थी। उसे समझ आ रहा था दर्श क्या बोलने की कोशिश कर रहा था।
दर्श फिर बोला," जवाब दो ज़हन, हां या न !"
ज़हन और झुका कर बोली," हां !"
दर्श उसका चेहरा ऊपर करते हुए बोला," और फैमिली की जान तो उससे भी ज्यादा प्यारी होती है, है न ज़हन?"
ज़हन झट से बोली," कुछ मत करना उन्हें प्लीज!"
दर्श ने उसका राइट हैंड उठाया और एकदम से उसपर किस कर लिया।
ज़हन ने अपनी ड्रेस को मुट्ठी में भर लिया था,उसकी इस हरकत से।
ये वहीं हाथ था जिसे उस गार्ड ने पकड़ रखा था, उस पर हल्के लाल निशान अभी भी थे।
दर्श ने ज़हन का हाथ सहलाया और बोला," तुम्हें पता है मैं तुम पर दाग नहीं देख सकता ज़हन ! गुस्सा आता है मुझे ...... अगर किसी भी वजह से तुम पर दाग आया, तो मैं उस वजह को खत्म कर दूंगा ज़हन ।"
ये सुनते ही ज़हन के रोंगटे खड़े हो चुके थे। वो हिम्मत करके बोली,"तुम मेरी फैमिली को कुछ नहीं करोगे न?"
दर्श उसके गाल पर हाथ रखकर बोला," वो तो तुम पर डिपेंड करता है न ज़हन, अगर तुम मेरे साथ रहोगी, तो मैं तुम्हारी फैमिली को क्यों कुछ करूंगा।"
ये सुनते ही ज़हन की आंखें एक बार फिर आंसुओं से भर गई। वो अब खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रही थी। कुछ भी नहीं कर सकती थी वो।
वो अपनी भरी आवाज से बोली," मैं....."
दर्श बीच में ही बोला," कल हमारी शादी है ज़हन"
अब एक बार फिर ज़हन की आंखें हैरानी से फैल गई।
उसने दर्श को ध्यान से देखा, उसके चेहरे पर एक अलग ही सेटिस्फेक्शन था।
Mumbai, india
शाम का वक्त,
विला में,
ज़हन इस वक्त बेड पर बैठी हुई, एकटक फ्लोर को देख रही थी, उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज रोने की वजह से लाल हो चुकी थी।
दर्श रूम में नहीं था, वो रूम पूरी तरीके से लॉक्ड था, न खिड़की खुली थी, न बाल्कनी। दरवाजा तो बंद ही था।
ज़हन खुद से ही बोली," घुटन हो रही है मुझे यहां!इस तरह पागल हो जाऊंगी मैं ।"
उसकी आंखों से एकबार फिर आंसू बहने लगे। उसके पास उसका फोन नहीं था, वो कल अपार्टमेंट में ही छूट चुका था।
वो रो रही थी, तभी एकदम से रूम का गेट खुला और दर्श अंदर आया।
ज़हन ने उसे देखा और जल्दी से बोली," मैं यहां ऐसे नहीं रह सकती प्लीज जाने दो मुझे, I beg you ... please!"
दर्श उसे देखते हुए बोला," क्या कर रही हो तुम मेरी ज़हन, ऐसे दिनभर रोती रहोगी तो तबियत खराब हो जाएगी और मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता ज़हन। वेल..….. मैं तुम्हें बाहर ले जाने ही आया हूं, चलोगी न मेरे साथ ।"
ज़हन ने कुछ पल उसे देखा और धीरे से हां में सिर हिला दिया, यहां बैठने से अच्छा था कि वो बाहर ही चली जाए।
दर्श उसके पास आते हुए बोला," आर यू श्योर तुम जाना चाहती हो न ?"
ज़हन धीरे से बोली," हां"
दर्श एकदम से मुस्कुराया और उसे अपनी गोद में उठा लिया।
ज़हन एकदम से बोली," मैं चल सकती हूं ।"
दर्श उसकी आंखों में देखते हुए बोला," पर मैं चलने नहीं दूंगा, ....... तुम्हे हमेशा मेरी जरूरत पड़ेगी ज़हन , हर पल, हर घंटे, हर दिन ....... सिर्फ मेरी जरूरत!"
ज़हन उससे नजरे फेरते हुए बोली," ऐसा कभी नहीं होगा।"
दर्श उसे गौर से देखते हुए बोला," पर ऐसा हो रहा है ज़हन।"
उसकी इस बात पर ज़हन बिल्कुल चुप हो गई, कुछ चल रहा था उसके दिमाग में।
दर्श रूम से बाहर, उसे लेकर नीचे हॉल में आया, ज़हन चुपचाप हर जगह अच्छी तरीके से देख रही थी।
इधर दर्श उसे लेकर बेसमेंट में आ चुका था। वहां पर एक येलो लाइट जल रही थी, उसके अलावा कुछ नहीं था।
एक साइड में ध्रुव खड़ा हुआ था, वहां कुछ लोग बंधे हुए थे।
दर्श में ज़हन को एक चेयर पर बैठाया।
ज़हन कन्फ्यूजन से चारों तरफ देख रही थी । उसकी नजर उन बंधे हुए दो लोगों पर पड़ी, उसकी आंखें डर से फैल गईं।
वो दर्श को देखते हुए बोली," ये सब क्या है?"
दर्श उसके गाल पर हाथ रखकर बोला," जस्ट एंजॉय इट ज़हन!"
ज़हन को अब डर लगने लगा था, दर्श उसे किसी पागल से कम नहीं लग रहा था ।
दर्श ज़हन के पीछे से चेयर के दोनों आर्मस्ट पर हाथ रखकर, उसके कान में झुककर बोला," ध्यान से देखो ज़हन, पता है, कौन है ये दोनों ? "
ज़हन चुप थी, उसे अपने कान पर दर्श के होठ चलते हुए महसूस हो रहे थे।
वो दो लोग,उन में से एक वो गार्ड था, ज़हन उसे पहचान चुकी थी, पर दूसरी वो मेड थी, ज़हन ने उसे नहीं देखा था।
दर्श फिर बोला," इनकी गलती है ज़हन ! पता है क्या ? इसने तुम्हें निशान दिया।"
दर्श ने उस गार्ड की तरफ इशारा किया । वहीं ज़हन हैरानी से दर्श को देख रही थी, सिर्फ निशान देना उसकी गलती।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
दर्श ज़हन का वहीं निशान वाला हाथ पकड़ते हुए बोला," तुम्हें निशान देने का हक मैने खुद को भी नहीं दिया ज़हन, तो ये तुम्हें निशान कैसे दे सकता है? इसे सजा तो मिलनी चाहिए न?"
उसकी बात सुन ज़हन फ्रीज हो चुकी थी, इतनी सी बात पर सजा?
दर्श उस मेड की तरफ इशारा करते हुए एक बार फिर बोला," और इसकी गलती क्या है?..... पता है ज़हन, तुम भाग रही थी, इसने देखा था.... पर फिर भी तुम्हें रोका तक नहीं...!"
ज़हन की नजर अब उन दोनों पर जाकर टिक गई, उसका दिमाग काम करना बंद कर चुका था।
तभी एक जोरदार चीख वहां गूंज उठी। दर्श ने उस गार्ड के हाथ में चाकू घुसा दिया था, उसने जैसे ही चाकू निकला, उस गार्ड के हाथ से खून पानी की तरह बह रहा था।
ज़हन तुरंत खड़ी हो गई, उसके पैर में दर्द की एक लहर उठी, पर वो भागने को हुई उससे पहले ही दर्श ने उसे रोक लिया।
वो उसे देखते हुए बोला," कहां जा रही हो तुम ज़हन ? मैंने परमिशन नहीं दी तुम्हें जाने की!"
ज़हन रोते हुए बोली," ऐसा मत करो, उनकी कोई गलती नहीं ही, प्लीज ! I beg you!"
दर्श उसका चेहरा अपने हाथ में लेकर बोला," बिल्कुल भी नहीं ज़हन, तुम्हें पता है दर्श आर्यन को गलतियां पसंद नहीं , जो गलती करता है उसे सजा जरूर मिलती है , ज़हन।"
ज़हन अब बुरी तरह रो रही थी, वो भाग जाना चाहती थी यहां से, पर शायद उसकी किस्मत ये नहीं चाहती थी।
उसने रोते हुए उन दोनों को देखा, उनके चेहरे पर डर था मौत का डर। बड़ी अजीब बात थी, एक को उसे रोकने की सजा मिल रही थी तो दूसरे को न रोकने की।
दर्श ने इस बार चाकू उस मेड की आंख में घुसा दिया, उसके चेहरे पर एक शिकन तक नहीं थी।
ज़हन की एक चीख निकल गई, .......खून। उसकी सबसे बड़ी कमजोरी। उसकी सांसे तेज होने लगी थी खून देखकर, पूरा चेहरा आंसुओं से भीग चुका था।
उसे vomit फील हो रही थी, चक्कर आ रहे थे। सिर्फ खून देखने की वजह से.....।
दर्श ने फिर वो चाकू उस मेड की दूसरी आंख में घुसा दिया ।
एक चीख के साथ आखिर में ज़हन बेहोश हो चुकी थी।
to be continued......
Mumbai, India
अगली सुबह
ज़हन ने धीरे से अपनी आँखें खोली, वो एकटक सामने देख रही थी, तभी उसके कानों में आवाज पड़ी, "good morning zahan!!"
ज़हन ने अपनी नजरे घुमाई और उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज दर्श की चारकोल ब्लैक आईज से जा मिली।
वो उसके बगल में ही लेटा उसे ऐसे देख रहा था जैसे कोई जोहरी किसी हीरे को।
उसे देखते ही ज़हन के दिमाग में कल की यादें ताजा हो गई थीं, डर से उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था।
दर्श हल्का सा मुस्कुराकर उसकी आंखों में देखते हुए बोला," खुद को देखो ज़हन.... कितनी खूबसूरत हो तुम, हर चीज से ऊपर , तुम्हारे जैसा कोई नहीं हो सकता ज़हन..."
ज़हन ने अपनी आंखों में डर लिए उसे देखा और अपनी नज़रे फेर ली।
दर्श ने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी तरफ करते हुए कहा," तुम्हारी आंखें सिर्फ मुझे देखने के लिए बनी है ज़हन.... तुम्हारा जिस्म, वो भी सिर्फ मेरे लिए बना है, तुम्हारी रूह, वो भी सिर्फ मुझसे जुड़ने के लिए बनी है ,तुम सिर्फ मेरे लिए बनी हो ज़हन.... सिर्फ मेरे लिए।"
इस वक्त वो किसी पागल की तरह बात कर रहा था, ज़हन को उसकी बातों से डर लग रहा था, उसके ऊपर उसकी नजरें जिनमें सिर्फ एक पागलपन था, उसे खुद में कैद कर लेने का पागलपन।
दर्श कुछ पल रुककर बोला," आईज ऑन मि ज़हन, तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा? मुझे गुस्सा आता है जब कोई मेरी बात न सुने, मुझे गुस्सा मत दिलाओ ज़हन..."
बोलते हुए अब तक वो उसके ऊपर आ चुका था। ज़हन धीरे से बोली," I'm sorry"
दर्श उसके चेहरे पर झुकते हुए, धीरे से बोला," अ आ... सॉरी तुम नहीं बोल सकती मेरी ज़हन... पता है क्यों?"
ज़हन के मुंह से एकदम से निकला," क्यों?"
दर्श इविल स्माइल के साथ उसके कान के पास अपने होठ ले जाते हुए बोला," क्योंकि तुम कोई गलती नहीं कर सकती ज़हन, you are perfect.... न गलतियां तुम्हारे लिए बनी हैं, न तुम गलतियों के लिए ...... है न ज़हन"
उसकी बात सुनकर ज़हन के रोंगटे खड़े होने लगे थे, ऊपर से दर्श उसके इतने करीब था, उसकी दिल की धड़कने शोर कर रही थीं। डर तो था ही पर उसके साथ दर्श की करीबी उसे काफी अजीब सी लग रही थी।
दर्श के होंठ धीरे धीरे उसके गाल पर चलने लगे थे, ज़हन ने बेडशीट को मुठ्ठी में भर लिया था ।
वो धीरे से बोली," दर्श "
दर्श का एक हाथ अब उसके गाल पर आ चुका था।
उसने एकदम से अपना चेहरा ऊपर किया और चुपचाप उसके चेहरे को देखने लगा, ज़हन की क्रिस्टल ग्रे आईज, उसकी बड़ी बड़ी पलकें, छोटी सी नाक और उसके रेड लिप्स, जो नेचुरली रेड थे। दर्श उसकी खूबसूरती को जैसे अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था, पूरी दुनिया से बचाना चाहता था वो उसे।
दर्श बेहद इंटेंसिटी से बोला," आईज अप ज़हन.... मैं खुद को देखना चाहता हूं तुम्हारी आंखों में ।"
ज़हन ने अपने हाथों की मुठ्ठी बना ली, उसने एक गहरी सांस ली और धीरे से अपनी नजरे उठाकर दर्श को देखा।
दर्श के होठों पर एक दिलकश मुस्कान तैर गई।
उसने बिना कुछ बोले अपना चेहरा झुकाया और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। धीरे धीरे वो अपने लिप्स मूव कर रहा था।
ज़हन बिल्कुल सीधे लेटी हुई थी, उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि दर्श को रोक सके। उसके होठों को महसूस करते हुए एक बार फिर उसके रोंगटे खड़े हो चुके थे।
दर्श उसे पैशनेटली किस कर रहा था, बस किए जा रहा था, जैसे उसमें ही खो चुका था।
ज़हन की सांसे अब तेज हो चुकी थी, उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, उसने एकदम से दर्श के सीने पर अपना हाथ रखा और उसे हल्का सा पुश किया।
दर्श जैसे अब होश में आया हो, वो उससे अलग हुआ और उसका चेहरा देखने लगा, ज़हन लंबी लंबी सांसे ले रही थी। उसके माथे पर पसीना था, चेहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था।
उसका ऐसा चेहरा देख दर्श के होठों पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई।
वो उसका गाल अंगूठे से रब करते हुए बोला," I love it , I Just love it....you know what ...... पागल करती हो तुम ज़हन !!!"
ज़हन अब जाकर नॉर्मल हुई, उसने जैसे ही दर्श को देखा, अपनी नजरे नीची कर ली। शर्म आ रही थी उसे....।
दर्श ने कुछ पल उसे देखा, बेड से उठ गया।
वो बिना कुछ बोले वॉशरूम के अंदर चला गया।
उसके जाते ही ज़हन ने एक गहरी सांस ली और उठ कर बैठ गई, उसने वॉशरूम के गेट की तरफ देखा।
उसकी मुट्ठी कस गई, वो धीरे से बोली," ये गलत है दर्श , मैं ऐसे कैद नहीं हो सकती, न ही तुम मुझे कैद कर सकते हो, ....... पर मैं क्या करूं? कैसे निकलूं यहां से? अगर बाहर गई तो कहीं मेरी फैमिली...."
बोलते हुए उसे कल की बातें फिर से याद आ गई जब दर्श उसे बेसमेंट लेकर गया था। ज़हन की आंखों में नमी उतर आई।
कुछ देर बाद दर्श वॉशरूम से बाहर आया, उसने बस एक ब्लैक ट्राउजर पहना हुआ था, बिखरे गीले बाल और उसकी शर्टलेस बॉडी, उसके 8 पैक एब्स।
बेहद हैंडसम था वो, पर उतना ही खतरनाक भी था।
ज़हन इस वक्त ग्लास विंडो के पास खड़ी थी, बाहर देख रही थी वो, तभी किसी ने उसके दोनों तरफ हाथ रख लिया।
ज़हन से एकदम से दर्श को देखा, जो मुस्कुराहट के साथ उसे देख रहा था।
दर्श उसके कंधे पर चिन टिकाते हुए बोला," आज शाम को हमारी शादी है ज़हन.... do you remember?"
ज़हन कुछ बोलती उससे पहले ही उसे के ठंडे हाथ अपनी कमर पर महसूस हुए । उसने अपनी ड्रेस को मुट्ठी में भर लिया और कुछ पल रुककर बोली," मेरी फैमिली कहां है?"
दर्श ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ मजबूत की और उसके गर्दन पर अपनी नोज रब करते हुए बोला," इट्स सरप्राइज़ ज़हन ......बाद में पता चल जाएगा, I Just want you to focus on me, सिर्फ मुझे देखो ज़हन, सिर्फ मुझे सोचो , मेरी फिक्र करो, सिर्फ मेरी ...."
ज़हन एकदम से बोली," तुम मेरी फीलिंग्स को कंट्रोल नहीं कर सकते दर्श , कभी नहीं , एक इंसान हूं मैं, तुम मुझे कभी भी कंट्रोल नहीं कर सकते।"
दर्श की बन्द आंखें एकदम से खुली और उसने सर्द नजरों से ज़हन को देखा। अगले ही पल उसके होठों पर एक एविल स्माइल आ गई।
उसकी पकड़ ज़हन की कमर पर काफी ज्यादा मजबूत हो गई, ज़हन को अब दर्द होने लगा था, उसके मुंह से एक आह निकल गई।
दर्श उसकी कमर पर अपने नाखून धंसाते हुए बोला," मुझे गुस्सा आता है जब कोई मेरी बात नहीं सुनता ज़हन, क्यों नहीं सुनती तुम मेरी बात , मुझे गुस्सा आ रहा है ज़हन !"
उसके नाखून अब और भी ज्यादा तेजी से ज़हन की कमर पर धंस रहे थे, ज़हन की आंखों से अब आंसू बहने लगे थे।
वो रोते हुए बोली," दर्द हो रहा है, लीव मि ..."
to be continued......
मुंबई, इंडिया
दर्श बिना किसी भाव के ज़हन को देख रहा था, जो बेड पर बैठी हुई थी, दर्श उसके सामने घुटनों के बल बैठा, उसके पेट को देख रहा था, उसके नाखूनों के हल्के निशान थे, साथ ही कुछ उंगलियों के भी। हल्की खून की धारियां भी बन चुकी थी।
दर्श ने उसका टॉप थोड़ा और ऊपर किया और उसे देखते हुए बोला,"मेरी गलती है ज़हन! मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं ? तुम्हें कोई दाग दे ये मुझे बर्दाश्त नहीं, पर मैंने तुम्हें खुद ये दिया .......!"
बोलते हुए उसने उसके चहरे को देखा।
वो चुपचाप उसे देख रही थी, वो मन में ही बोली," कितने रंग बदलता है ये?"
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, की दर्श करना क्या चाहता था, एक तरफ वो बिल्कुल नॉर्मल होकर अपनी गलती मान रहा था, पर अब से कुछ ही देर पहले वो कुछ और ही था।
दर्श ने उसके निशान को कुछ पल देखा और उन पर ऑइंटमेंट लगाने लगा, बेहद ही आराम से। जैसे जहां कोई कांच की गुड़िया हो।
ज़हन को शर्म आ रही थी, कोई भी आजतक उसके इतने करीब नहीं आया था, जिस तरीके से दर्श आ रहा था, बिना उसकी परमिशन के, बिना उसकी मर्जी के।
कुछ देर बाद, दर्श ने ऑइंटमेंट लगा दिया था, वो सीधे होकर ज़हन का चेहरा देखने लगा, ज़हन कुछ बोल नहीं रही थी, वो बस दर्श के हर मूव को देख रही थी।
वो उसके चेहरे पर झुका और धीरे से बोला," अगर तुमने मुझे इस तरह से देखना बंद नहीं किया, तो I sware zahan, I will loose my f**king control!"
उसकी बात सुन ज़हन ने तुरंत नजरें झुका ली। दर्श तिरछी मुस्कान से बोला," मेरी ज़हन डर गई क्या?"
ज़हन धीरे से बोली," तुम डरा रहे हो!"
दर्श उसका चेहरा ऊपर करते हुए बोला," सामने वाला डरता है तो उसमें मैं कुछ नहीं कर सकता ज़हन, बट I don't want की तुम मुझसे डरो !"
ज़हन कुछ नहीं बोली,उसे फिर से चुप देख दर्श ने एकदम से उसके लिप्स पर एक किस कर ली, और उतनी ही जल्दी अलग भी हो गया ।
वो ज़हन का चेहरा दोनों हाथों में भरकर आराम से बोला," लुक ज़हन.... शादी है न आज हमारी"
वो एकदम से मुस्कुराया। वहीं ज़हन ने कसकर अपने हाथों की मुट्ठियां बना लीं।
दर्श उसकी आंखों में देखते हुए बोला," be ready ... I'll be back "
बोलकर फिर से उसके होठों पर उसने हल्की सी किस कर ली और क्लोसेट में चला गया।
ज़हन अपने होठों को टच करते हुए बोली," ये अचानक से बदल कैसे गया? इतना नॉर्मल बिहेव।"
वो समझ नहीं पा रही थी आखिर उसे साथ हो क्या रहा है,एक झटके में सब बदल गया था। सिर्फ दर्श आर्यन के आने की वजह से।
ज़हन सोच रही थी कि दर्श उसे की वार्निंग देगा, पर सब उल्टा था, दर्श ने ऐसा कुछ नहीं किया। दर्श ने उसे कोई वार्निंग नहीं दी क्योंकि वो मानना ही नहीं चाहता था कि ज़हन कोई गलती कर सकती थी।
कुछ देर बाद वो रेडी होकर बाहर आया, उसने एक व्हाइट टी शर्ट के साथ, ग्रे कलर का ब्लेजर और ग्रे पेंट पहना था। शायद ऑफिस जा रहा था।
रेडी होते हुए भी उसकी नजरे ज़हन पर ही थीं, ज़हन बस सिर झुकाए बैठी हुई थी।
थोड़ी देर बाद दर्श जा चुका था ।
दर्श की कार एक बड़ी सी बिल्डिंग के बाहर रुकी, आर्यन इंडस्ट्रीज।
आर्यन इंडस्ट्रीज का चेयरमैन था दर्श, एक पावरफुल कंपनी, जो दर्श की थी।
दर्श जैस ही केबिन में आया, ध्रुव जल्दी से बोला,"मॉर्निंग बॉस"
दर्श बिना कुछ बोले अपनी चेयर पर बैठा।
ध्रुव फिर बोला," मैंने वो डील वाली फाइल चैक कर ली है, बस आपका साइन चाहिए , एंड आज कोई मीटिंग नहीं है"
दर्श उसे देखते हुए बोला," गुड, वैसे कहां है वो?"
ध्रुव जल्दी से बोला," he is out of india , आज उनका आना कन्फर्म नहीं है, कल आ सकते हैं ।"
दर्श के होठों पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई, वो पेपरवेट घुमाते हुए बोला," that's great.... आते ही एक banger मिलेगा उसे ।"
दूसरी तरफ, ज़हन फ्रेश होकर बेड पर बैठी हुई थी, उसके सामने ब्रेकफास्ट रखा हुआ था, पर भूख मर गई थी उसकी, एक रूम में कैद हो चुकी थी उसकी जिंदगी।
ज़हन ने अपने सिर पर हाथ रखकर एक गहरी सांस ली और बोली,"नहीं, ऐसे ही सब कुछ खत्म नहीं हो सकता, मुझे कुछ करना होगा , क्या सब ऐसे ही खत्म हो जाएगा ?"
बोलते हुए उसकी आंखें एक बार फिर भर चुकी थीं।
शाम के लगभग 4 बजे थे, ज़हन बेड पर लेटी हुई थी, उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था, बस लेटी हुई थी, उसके रूम का गेट एकदम से खुला।
एक सर्वेंट अंदर आते हुए बोली,"मैडम!"
ज़हन जल्दी से उठकर बैठ गई और कन्फ्यूजन से उसे देखने लगी।
उसके साथ तीन ब्यूटीशियंस थी।
वो मुस्कुराते हुए बोली," सर ने हमें आपको रेडी करने के लिए कहा है , आप प्लीज फ्रेश हो जाइए।"
ज़हन ने कुछ पल उसे देखा और एकदम से बोली," मुझे निकलना है यहां से , हेल्प कर सकती हो?"
वो सर्वेंट सिर हिलाते हुए बोली," I'm sorry mam, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकती!"
ज़हन ने लाचारी से अपनी आंखें बंद कर ली।
वो चुपचाप फ्रेश होने वॉशरूम में चली गई। अंदर आते ही वो चारों तरफ देखने लगी, कुछ ढूंढना चाहती थी वो, जो उसकी मदद कर सके,पर सब बेकार था।
एकदम से उसकी नजर एक छोटी विंडो बंद गई, जो बहुत ज्यादा छोटी नहीं थी, पर बहुत बड़ी भी नहीं थी, एक चीज उसके दिमाग में आई, की वो यहां से निकल सकती थी, उसे मालूम नहीं था वो कहां जाएगी, पर उसे निकलना था।
वो गहरी सांस लेते हुए खुद से बोली," बस ये लास्ट ऑप्शन"
ज़हन झट से स्लैब पर चढ़ गई और विंडो से बाहर झांकने लगी।
जैसा वो चाहती थी, कोई नहीं था वहां, उसने एक राहत की सांस ली, उसकी ऊंचाई थोड़ी ज्यादा थी, हाथ पैर टूटना तो पक्का था, अगर यहां से कूद जाती तो।
वो बिना कुछ सोचे समझे, बस उस विंडो पर अपना हाथ अच्छे से टिकाया और अपना पैर जैसे ही उठा पाती, किसी ने उसका पैर पकड़ लिया।
एक गहरी और सर्द आवाज," मेरी ज़हन भागना चाहती है?"
ज़हन के रोंगटे खड़े हो चुके थे।
to be continued.........
Mumbai, India,
शाम का वक्त,
स्लैब पर चढ़ी ज़हन दर्श की आवाज सुनकर फ्रिज हो चुकी थी, उसने मुड़ कर दर्श को देखा।
उससे नजरे मिलते ही दर्श के होठों पर एक इविल स्माइल आ गई, वो उसकी तरफ देखते हुए बोला," what happened zahan?"
ज़हन धीरे से बोली," दर्श प्लीज!"
उसे खुद भी नहीं पता था वो प्लीज क्यों बोल रही है, उसे इतना पता था कि दर्श उसे कुछ नहीं करेगा , पर कही दर्श एक बार फिर किसी और को ब्लेम न कर दे।
दर्श सर टेढ़ा करके बोला," प्लीज व्हाट ज़हन?"
ज़हन कुछ बोलती उससे पहले ही दर्श ने उसका पैर पकड़कर एकदम से खींचा, ज़हन की एक चीख निकल गई । वो सीधे दर्श की बाहों में गिरी, दर्श ने उसे पकड़ लिया।
दर्श उसका चेहरा गौर से देखते हुए बोला," ज़हन, मेरी ज़हन, take is as an example....... तुम जहां भी जाओगी, मैं तुम्हारे पीछे आऊंगा, अगर तुम गिर भी गई, तो मेरी बाहों में कैद हो जाओगी, पर कभी नीचे नहीं गिर पाओगी , ज़हन ,।"
उसकी आंखें ज़हन को ऐसे देख रही थीं जैसे वो उसे उन आंखों में ही कैद कर ले, पर ये पॉसिबल नहीं था ।
ज़हन ने आंखें बंद की और एक गहरी सांस ली, वो धीरे से नीचे उतरी, दर्श ने उसे नीचे उतार दिया।
ज़हन एकदम से उसे देखते हुए बोली," तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते दर्श, तुम किसी इंसान को कैद नहीं कर सकते, तुम मुझे अपने पास इस तरह से रखना चाहते हो, बस इसलिए क्योंकि मैं खूबसूरत हूं, सिर्फ इसलिए कि मैं तुम्हें अच्छी लगती हूं, ये पागलपन है दर्श, पागलपन कहते है इसे, तुमने अपने पागलपन में मेरी फैमिली तक को नहीं छोड़ा , तुमने अपने पागलपन में इनोसेंट लोग की जान ली है, तुम इंसान हो कोई भगवान नहीं, तुम्हें किसी की जिंदगी के साथ इस तरह खेलने का हक किसी ने नहीं दिया दर्श, किसी ने नहीं , you are a devil !....."
ज़हन की सांसे तेज हो चुकी थी, वो काफी ज्यादा चिल्ला रही थी, उसने गुस्से भरी नजरों से दर्श को देखा, जो बिल्कुल शांति से बिना किसी भाव के उसे देख रहा था ।
वो एकदम से मुस्कुराया कर बोला," रुक क्यों गई मेरी ज़हन? थक गई क्या? "
ये सुनते ही उसे हैरानी से देखने लगी। उसकी आंखें आंसुओं से भर गई।
वो चीखते हुए बोली," I hate you darsh, I just hate you, नहीं रहना चाहती मैं तुम्हारे साथ ।"
उसकी बात सुनते ही दर्श के एक्सप्रेशन चेंज हो गए, उसने ज़हन के दोनों कंधों को एकदम से पकड़ा और उसे देखते हुए बोला," say that again zahan!"
बोलते हुए उसकी पकड़ मजबूत होती जा रही थी।
ज़हन उसकी आंखों में देखते हुए बोली," I hate you, शक्ल नहीं देखनी मुझे तुम्हारी।"
बस उसके इतना कहने के बाद उसके मुंह से एक चीख निकल गई।
दर्श ने इतनी मजबूती से पकड़ा था, की अब ज़हन को अपने हाथ फील नहीं हो रहे थे।
वो रोते हुए बोली," लीव मि"
दर्श उसे अपने पास खींचते हुए बोला," क्यों ज़हन? दर्द हो रहा है तुम्हें ? पर मुझे भी दर्द हो रहा है...... मेरी वजह से ....... तुमने जो बात बोली, वो मैंने सुन ली ज़हन, मुझे मेरी वजह से दर्द हो रहा है।"
ज़हन बुरी तरह रोने लगी।
वो अपना हाथ छुड़ाते की कोशिश कर रही थी, पर दर्श उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं था।
ज़हन एकदम से चीखी," तुम मुझे निशान दे रहे हो दर्श!"
उसकी बात सुन एकदम से दर्श जैसे होश में आया। उसने एक झटके से उसे छोड़ा और एक लंबी गहरी सांस ली। उसकी आंखें लाल हो चुकी थी।
उसने एक पल ज़हन के चेहरे को देखा और अगले ही पल उसकी नजर उसके हाथ पर चली गई, उसके दोनों बाजुओं पर लाल निशान पड़ चुके थे।
दर्श ने अपने फोरहेड पर आ रहे बालों को दोनों हाथों से पीछे किया और उसे एकदम से अपनी गोद में उठा लिया।
ज़हन बुरी तरह रो रही थी।
वो उसे रूम से बाहर लेकर आया और बेड पर बैठा दिया, इस वक्त रूम में कोई नहीं था, वो सर्वेंट और ब्यूटीशियंस पहले ही जा चुकी थी।
वो जल्दी से उन निशानों पर ऑइंटमेंट लगाने लगा।
कुछ देर बाद वो अपना काम कर चुका था पर ज़हन अभी भी सिसक रही थी।
दर्श उसका चेहरा हाथों में भरकर बोला,"तुम्हारे जिस्म पर एक खरोच भी नहीं आने दूंगा ज़हन , मेरी ये गलती दोबारा कभी नहीं होगी । "
बोलते हुए उसने ज़हन के एक गाल पर पर अपने होठ रख दिए ।
ज़हन की आंखों से एक बार फिर आंसू बह गए।
कुछ देर बाद वो नॉर्मल हो चुकी थी, दर्श उसके सामने ही बैठा अपनी ऑब्सेसिव नजरों से उसे देख रहा था।
वो मुस्कुराते हुए बोला," तुम रोते हुए खूबसूरत लगती हो ज़हन !"
ज़हन चुपचाप उसे देखने लगी।
दर्श एकदम से खड़ा हुआ और बोला," मेरी बात इग्नोर मत करो ज़हन, तुम्हारी फैमिली को भारी पड़ेगा, मुझसे शादी करो और खुश रहो।"
वो उसके चेहरे पर झुकते हुए बोल रहा था, ज़हन ने कोई जवाब नहीं दिया।
दर्श उसके गाल को सहलाते हुए बोला," रहोगी न ज़हन?"
ज़हन ने उसे एक नजर अपनी आंसू भरी नजरों से देखा और धीरे से सर हिला दिया।
दर्श उसे देखते हुए सिर टेढ़ा कर बोला," वर्ड्स ज़हन ......"
ज़हन आंखें बंद करते हुए बोली," understood, रहूंगी मैं !"
दर्श एकदम से मुस्कुराते हुए बोला," beautiful zahan....."
उसे देखते हुए ही वो तेज आवाज में बोला," come in"
उसके कहते ही वो ब्यूटीशियंस अंदर आ गई। ज़हन ने एक नजर उनको देखा और फिर नजरे झुका ली, उसके मन में सिर्फ एक ही बात थी," क्या यही उसकी किस्मत थी?"
उसने लाचारी से अपनी आंखें बंद कर ली।
दर्श उसके हर एक एक्सप्रेशन गौर से देख रहा था, उसने जैसे उसके सवाल सुन लिए थे, वो उसके चेहरे पर झुकते हुए उसके कान के पास ठहर कर बोला," यही तुम्हारी किस्मत है मेरी ज़हन, मैं हूं तुम्हारी किस्मत , दर्श आर्यन। अपनी किस्मत जितनी जल्दी एक्सेप्ट करोगी, उतनी ही जल्दी खुश रहोगी , क्योंकि तुम्हारी किस्मत मैं लिखूंगा ज़हन। आज शादी है हमारी.......!"
ज़हन ने अपने हाथों की मुट्ठी बना ली। वो मन में ही बोली," I hate you darsh....you are sach a devil....."
वहीं दर्श के दिमाग में कुछ और था, कुछ बहुत अलग। उसकी गहरी नजरे ज़हन को बेहद शिद्दत से देख रही थी।
to be continued.....
ज़हन इस वक्त ड्रेसिंग मिरर के सामने खड़ी थी, वो खुद को देख रही थी , जिस चीज से वो कुछ दिन पहले भागी थी, आज वहीं दिन फिर उसके सामने था।
उसने इस वक्त एक ब्राइडल लहंगा पहना हुआ था, वो पूरी तरीके से सजी हुई थी, रेडी हो चुकी थी वो उसी रेड ब्राइडल लहंगे के साथ। उसकी खूबसूरती में कोई कमी नहीं थी, पर आज फिर उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज आंसुओं से भरी थी।
वो अपनी लाल आंखों से खुद को देखते हुए बोली," ये नहीं चाहिए था मुझे , मैं उससे शादी करने जा रही हूं , जो मुझे एक ट्रॉफी की तरह देखता है, मुझे क्लेम करना चाहता है.....!"
इससे आगे उसके मुंह से कुछ और नहीं निकला।
उसे लेने वहीं सर्वेंट आई, जो उसे रेडी करने आई थी, दिशा नाम था उसका।
कुछ ही देर में वो कार में थी, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था।
लगभग आधे घंटे बाद कार एक ओपन वैन्यू पर आकर रुकी, काफी खूबसूरत थी वो जगह।
वो दिशा के साथ ही मंडप तक पहुंची, और उसने दर्श को देखा, जो बिल्कुल नॉर्मल होकर, मुस्कुराहट से उसे देख रहा था।
वहां मीडिया नहीं थी, न ही बहुत ज्यादा लोग थे, सिर्फ वहीं थे जो दर्श के बिजनेस पार्टनर्स थे, या वो जिन्हें दर्श ने इनवाइट किया था।
ज़हन आगे बढ़ी और दर्श के सामने खड़ी हो गई, दर्श ने उसका हाथ पकड़ लिया।
थोड़ी ही देर में दोनों हवन कुंड के सामने अपनी जगह पर बैठ चुके थे।
कुछ मंत्र पढ़ने के बाद पंडित जी ने उन्हें फेरो के लिए खड़ा होने को कहा।
दर्श तो उठ गया, लेकिन ज़हन चुपचाप उस हवन कुछ की आग को देख रही थी।
दर्श अपना हाथ आगे किया और धीरे से बोला," उठो ज़हन, तुम्हारी फैमिली हमें देख रही है।"
ये सुनते ही ज़हन ने उसके हाथ की तरफ देखा, वो अपने आस पास देखती उससे पहले दर्श फिर से बोला," उनकी आंखे निकाल लूंगा।"
ये सुनते ही ज़हन ने चुपचाप अपना हाथ आगे किया और खड़ी हो गई। वो समझ चुकी थी दर्श क्या कहना चाहता था।
कुछ ही देर में फेरे पूरे हो चुके थे, दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई, और एक बार फिर हवन कुंड की के सामने बैठे।
मंगलसूत्र पहनाने के बाद अब सिंदूर की बारी थी, दर्श के हाथ में सिंदूर था, उसने जैसे ही ज़हन ज़हन की मांग में सिंदूर भरा।
ज़हन की आंखें बंद हो गई, वो आंसू जो उसने इतने वक्त से थाम कर रखे थे, वो बह गए । उसकी दिल धड़कने तेज हो चुकी थी।
पंडित जी उन्हें देखते हुए बोले," शादी संपन्न हुई।"
ये सुनते दर्श की काली गहरी आंखों में चमक आ गई।
वो ज़हन के कान में झुकते हुए बोला," अब तुम मेरी हुई ज़हन , मेरी ज़हन ।"
ज़हन ने अपने हाथों की मुट्ठी बना ली।
अगले ही पल, उसकी नजर साक्षी और आकर्ष पर पड़ी, जो थोड़ी ही दूर में खड़े उसे नम आंखों से देख रहे थे।
कुछ घंटे बाद ,
विला में , ज़हन घर आ चुकी थी, दर्श उसके साथ ही आया था पर वो रूम में नहीं था, आते ही वो स्टडी रूम में चला गया था ।
इधर ज़हन चुपचाप रूम की बाल्कनी में खड़ी थी जो आज खुली हुई थी, ज़हन सामने देखते हुए बोली," यहां तो सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है।"
तभी किसी ने पीछे से रेलिंग पर अपने दोनों हाथ रखते हुए कहा," मैं तुम्हें सांसे दूंगा ज़हन !"
ज़हन धीरे से बोली," कुछ नहीं दे सकते तुम मुझे, तुम बस लेना जानते हो।"
दर्श के हाथ अब उसकी कमर पर आ चुके थे, वो उसके कंधे पर चिन रखते हुए बोला," इसका मतलब तुम मुझसे कुछ चाहती हो, है न ज़हन?..... टेल मि क्या चाहिए तुम्हें?"
ज़हन एकदम से बोली," मेरी फैमिली सेफ रहे, बस यही चाहती हूं, क्या तुम रहने दोगे ?"
दर्श उसके बालों में अपना चेहरा छुपते हुए बोला," बिल्कुल मेरी ज़हन, पर तब तक जब तक तुम मेरे पास हो, जब तक तुम यहां से जाओगी नहीं, तुम सिर्फ मेरे पास रहोगी..... रहोगी न ज़हन?"
ज़हन की बस एक धीमी सी आवाज आई," hmm"
दर्श ने एकदम से उसे पलटा और उसके चेहरे को देखते हुए बोला," वर्ड्स ज़हन !"
ज़हन आंखें बंद करते हुए बोली," रहूंगी मैं तुम्हारे पास ।"
ये सुनते ही दर्श के होठों की मुस्कुराहट और गहरी हो गई।
उसने कुछ पल उसे देखा और एकदम से उसके होठों को कैप्चर कर लिया।
ज़हन चुपचाप खड़ी थी , पर दर्श जैसे उसमें ही खो गया था।
लगभग 20 मिनट बाद वो उससे अलग हुआ, ज़हन गहरी सांसे ले रही थी।
दर्श ने उसे गोद में उठाया, और अंदर रूम में ले जाते हुए बोला," I Will Make you mine today, from every inch of your body...."
ज़हन की धड़कने तेज हो गई थी।
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to be continued.....
ज़हन इस वक्त बेड पर लेटी हुई थी और दर्श उसके ऊपर था, वो उसके चेहरे पर झुकने लगा, तभी ज़हन ने एकदम से अपना हाथ उसके सीने पर रखकर उसे रोक दिया।
वो उसकी आंखों में देखते हुए बोली," I'm not ready... मैंने तुम्हें एक्सेप्ट नहीं किया है दर्श... डोंट..."
इसके आगे ज़हन कुछ बोलती उससे पहले ही दर्श ने उसके होठों पर उंगली रखकर उसे चुप करा दिया, वो बड़ी ही बेफिक्री से बोला," मेरी ज़हन.... यहीं कहता हूं न मैं तुम्हें... तो ज़हन तुम मेरी हो.... और इसके आगे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता यू आर रेडी ऑर नॉट ...... डिड यू गॉट इट मेरी ज़हन?"
ये सुनते ही ज़हन की मुट्ठी बन गई, उसने लाचारी से आंखे बंद कर लीं।
दर्श कुछ पल रुककर बोला," I think you did!"
उसके होठों पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई।
उसने उसकी आंखों पर किस किया और फिर बोला," तुम्हारी नजर मुझसे नहीं हटनी चाहिए ज़हन.... no means no!"
ज़हन ने अब भी अपनी आंखें बंद कर रखी थी, दर्श उसकी दूसरी आंख पर किस करते हुए बोला," वर्ड्स babe!!"
ज़हन ने धीरे से अपनी आंखें खोली और कुछ पल रुककर बोली," ओके !"
इसके बाद दर्श ने सीधे उसके होठों को कैप्चर कर लिया, वो उसे काफी hungryly kiss कर रहा था। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था जहां उसका साथ दे रही है या नहीं, वो आज बस उसमें ही खो जाना चाहता था।
जैसे जैसे दर्श आगे बढ़ रहा था ज़हन की सांसे तेज होती जा रही थी। दर्श उसकी गर्दन पर किस करते हुए नीचे बढ़ा और उसकी नाइट ड्रेस उतर कर एक तरफ फेंक दी । दोनों के कपड़े फ्लोर पर आ चुके थे।
दर्श ने ज़हन की कमर पर एक तेज बाइट किया जिससे उसकी एक आह निकल गई। पर दर्श रुकने को तैयार नहीं था, वो पूरी बॉडी पर बाइट किए जा रहा था।
कुछ पल बाद, उसने जहां के पैरों को अच्छे से अलग किया और उसके पैरो के बीच आ गया।
ज़हन की सांसे तेज होने लगी थी, उसे शर्म भी आ रही थी, उसकी आंखें बंद होने को थी तभी दर्श उसे देखकर बोला,"eyes on me zahan!"
ज़हन ने धीरे से आंखे खोली और इसी के साथ दर्श ने अपना चेहरा झुका लिया, कुछ ही देर में ज़हन की सिसकिया चीखने में बदल गई, वो चिल्ला रही थी, उसका चेहरा पसीने से भीग चुका था, उसके पैर कांपने लगे थे।
काफी देर बाद वो गहरी सांसे लेते हुए बोली ," दर्श प्लीज़!!"
इसी के साथ दर्श की ग्रिप उसकी थाईज़ पर कस गई, वहीं ज़हन का चिल्लाना और तेज हो गया।
थोड़ी देर बाद दर्श एक बार फिर उसके ऊपर आया और उसके चेहरे को देखते हुए बोला," you are beautiful zahan!!"
इतना बोलते हुए उसने उसके पैरो को हल्का सा उठाया और ज़हन की निकलती चीख को अपने होठों के बीच दबा लिया ।
ज़हन की आंखों से आंसू निकल गए। कुछ ही देर में वो दोनों पूरी तरह से एक दूसरे ने खो चुके थे।
लगभग 4 बजे दर्श गहरी सांसे लेते हुए जहां के बगल में लेट गया, ज़हन की आंखें पहले ही लग चुकी थी। उसने ज़हन का चेहरा देखते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया ।
अगली सुबह
इस वक्त सुबह के 10 बज रहे थे , ज़हन की आंखें खुली, उसे अपनी बॉडी फील नहीं हो रही थी। कुछ पल सीलिंग को देखने के बाद वो धीरे से उठी, उठते ही उसकी बॉडी में जैस दर्द की एक लहर दौड़ गई।
उसने इस वक्त दर्श की एक शर्ट पहनी हुई थी, जो उसके मिड थाई से थोड़ा नीचे था।
ज़हन की आंखो में आंसू आ चुके थे, वो धीरे से बोली," दर्द हो रहा है....क्या करूं मैं ?"
उसने कुछ पल बाद बेड से पैर नीचे रखा और बेड के सहारे ही खड़ी हो हो गई।
जैसे तैसे वो वाशरूम में गई और शावर के नीचे खड़ी हो गई। कुछ देर बाद वो वाशरूम से बाहर आई, इस वक्त उसने सिर्फ एक टावल लपेट रखा था।
वो चुपचाप बेड पर बैठी हुई फ्लोर को देख रही थी तभी रूम का गेट खुला, दर्श अंदर आते हुए बोला," good morning zahan!"
ज़हन उसे देखते ही बेड से उठ गई, वो धीरे से बोली," morning!"
वो क्लोसेट की तरफ बढ़ रही थी, वो दर्श की आंखों के सामने आना ही नहीं चाहती थी, उससे नजरे मिलना तो दूर की बात थी।
दर्श उसका हाथ पकड़ते हुए बोला," मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है , ज़हन!"
ज़हन ने एक नजर उसे देखा और बोली," कपड़े पहनने है मुझे"
दर्श उसे अपने पास खींचते हुए बोला," मैं पहना दूं"
ज़हन के मुंह से अब कुछ निकला ही नहीं।
दर्श उसके कंधे पर अपनी नोज रब के हुए बोला," मेरी ज़हन शर्मा रही है।"
बोलते हुए उसके होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई।
उसने उसका चेहरा ऊपर किया, बेहद ही गौर से उसे देखने लगा। ज़हन की क्रिस्टल ग्रे आईज झुकी हुई थी।
दर्श कुछ पल रुककर बोला," do you even know how beautiful you are zahan!"
वो किसी पागल की तरह उसे देख रहा था, बस देखे जा रहा था।
ज़हन आंखें बंद करते हुए बोली," लीव मि"
दर्श हल्का सा सर टेढ़ा कर बोला," नेवर"
अगले ही पल उसकी नजर ज़हन के कंधे पर गई, जिस पर डार्क पर्पल निशान पड़ चुके थे। उसने उन निशानों को अब तक नोटिस नहीं किया था।
उसकी आंखें बिल्कुल सर्द हो गई।
to be continued.....
मुम्बई, इंडिया,
ज़हन इस वक्त दर्श के सामने खड़ी हुई थी, दर्श ने उसके कंधे पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी थी, उसे वो बाइट मार्क्स दिख रहे थे जो कल रात उसने दिए थे ।
उसने बिना कुछ बोले एकदम से ज़हन की टॉवेल खींच लीं।
ज़हन थोड़ी तेज आवाज में बोली ,"दर्श....!"
उसने अपनी आंखों में हैरानी लिए खुद को कवर करने की कोशिश की पर सब बेकार था।
उसकी टॉवल नीचे गिर चुकी थी, वो दर्श के समाने नेकेड खड़ी हुई थी, उसकी आंखों में नमी तैर गई।
उसने अपना सर नीचे झुका लिया ।
वहीं दर्श बिना किसी भाव के उसे देख रहा था । उसके हाथ अभी भी ज़हन के कंधों पर थे ।
वो उसे देखते हुए बोला," मैंने फिर से तुम्हें निशान दिया ज़हन"
बोलते हुए उसकी नजर उसकी पूरी बॉडी पर घूम रही थी , जिस पर हर जगह बाइट मार्क्स थे।
ज़हन की अब हिम्मत नहीं थी कि वो उसे नजर उठा कर कुछ बोल भी सके।।
दर्श ने कुछ पल उसे देखा और उसे बेड पर बैठा दिया ।
उसने जल्दी से हर जगह उसके मार्क्स पर ऑइंटमेंट लगाया।
अपना काम खत्म करके वो उसे देखते हुए बोला," I will never do this again zahan "
zahan चुपचाप बैठी थी अपने आंसुओं को रोककर।
दर्श उसका चेहरा उठते हुए बोला," I said I will never bite you again, like this zahan ...... तुम पर दाग बर्दाश्त नहीं , फिर भी मुझसे ये गलती हुई ,पर डोंट वरी दोबारा कभी नहीं।"
बोलते हुए वो उठा , और क्लोसेट की तरफ बढ़ गया। वो जब आया तो ज़हन के कपड़े उसके हाथ में थे।
उसने खुद ही जहन को कपड़े पहना दिए।
अब जाकर ज़हन ने एक गहरी सांस ली, और खुद को थोड़ा नॉर्मल किया । वो खुद से ही बोली," भूख लगी है मुझे , पर इसे कैसे बताऊं?"
दर्श अपने फोन में कुछ करते हुए बोला," बता सकती हो ज़हन... तुम्हारा हसबैंड हूं राइट? ....तो तुम मुझे बता सकती हो कि तुम्हें क्या चाहिए क्या नहीं .... लाइक तुम्हें भूख लगी है ...am I right?"
ज़हन आंखें फाड़े उसे देख रही थी। वो धीरे से बोली," तुम्हें कैसे पता मैं यही सोच रही हूं?"
दर्श उसके होठ अपनी उंगली से सहलाते हुए बोला," मेरी ज़हन की बाते तो मुझे ही पता होंगी न... है न ज़हन ?"
ज़हन अब कुछ नहीं बोली, तो दर्श फिर बोला," वर्ड्स ज़हन "
ज़हन सिर हिलाते हुए बोली," हां.!"
दर्श कुछ पल रुककर बोला," शाम को हमें कहीं जाना है, सो बी रेडी! एंड तुम्हारा ब्रेकफास्ट आता ही होगा।"
बोलकर उसने ज़हन के फोरहेड पर किस किया और रूम से बाहर चला गया।
उसके जाते ही दिशा रूम में आई, वो ब्रेकफास्ट लेकर आई थी।
ज़हन ने अपना ब्रेकफास्ट किया और एक बार फिर से बेड पर लेट गई।
वो खुद से ही बोली," क्या बस यही सब है, जो मुझे करना है ? मेरी पढ़ाई , मेरी फैमिली....बोलते हुए उसकी आंखों के किनारों से आंसू बह गए।"
दोपहर का वक्त
ज़हन न कितनी देर से बेड पर लेटी हुई थी, अचानक उसके दिमाग में कुछ आया ।
वो बेड से उठी और धीमे कदमों से दरवाजे की तरफ बढ़ गई। वो दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली," कोई नहीं है इस वक्त, एक बार जगह घूमने में क्या है ?"
सोचते हुए उसने धीरे से गेट खोला, और बाहर आई।
उसकी आंखें चौड़ी हो गई, इतने दिनों से उसका दिमाग इतना उलझा था कि उसने विला को नोटिस ही नहीं किया था।
वो पूरी जगह देखते हुए बोली," ऐसा क्या ऑब्सेशन है इसे खूबसूरत चीजों से ?"
इस वक्त वो फर्स्ट फ्लोर पर थी , हॉल बिल्कुल खाली था, वो स्टेयर्स से नीचे पहुंची।
उसकी नजर सीधे किचन की तरफ गई। कुछ पल में वो किचेन के पास आकर रुकी , दिशा काम कर रही थी , उसके साथ एक और मेड भी थी ।
उसे देखते ही दिशा जल्दी से बोली," मैडम आप यहां? आप को कुछ चाहिए?"
ज़हन सर हिलाते हुए बोली," नहीं, मैं बस ऐसे ही आई थी ।"
दिशा जल्दी से बोली," अगर सर को पता चलेगा, तो पता नहीं क्या करेंगे, आप प्लीज रेस्ट कीजिए"
ज़हन दिशा से बोली," मैं कर चुकी हूं, मुझे बस विला देखना था । "
बोलते हुए वो किचेन के अंदर आ गई।
दिशा को काफी ज्यादा डर लग रहा था , पर वो ज़हन को ज्यादा कुछ बोल भी नहीं सकती थी ।
ज़हन बस चुपचाप खड़ी कुछ सोच थी, तभी एकदम से कुछ उसके पैरों में आकर गिरा।
ज़हन की एक चीख निकल गई ।
गर्म पानी गिरा था उसके पैरो पर, जो उस दूसरी मेड ने गलती से गिरा दिया था।
वो डरते हुए बोली," I'm sorry madam, मुझसे गलती से हुआ , मैंने जानबूझकर कुछ नहीं किया ।"
ज़हन के पैर पूरी तरीके से लाल हो चुके थे , उसे काफी ज्यादा दर्द हो रहा था। दिशा जल्दी से बोली," आप प्लीज बैठ जाइए"
उसने ज़हन को पास के ही चेयर पर बैठा दिया , ज़हन अपना दर्द कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी न, चाहते हुए भी उसकी आंखों से आंसू निकल गए।
दिशा जल्दी से आइस क्यूब्स लेकर आई और जहां के पैरों पर लगाने लगी, डर तो उसे भी लग रहा था।
ज़हन उस मेड को देखते हुए बोली," इट्स ओके तुम अपना काम करो "
उसने ये बोल तो दिया था , पर अगर दर्श को पता चला तो....क्या वो उसे छोड़ेगा?.... शायद नहीं।सोचते हुए ज़हन ने अपने सिर पर हाथ रख लिया।
to be continued.....
मुंबई, इंडिया,
विला में,
ज़हन रूम में काउच पर बैठी हुई थी, उसके एक पैर टेबल पर रखा था, पानी, जो उसके पैर पर गिरा था वो काफी गर्म था इतना की अब उसके पैर में छाले पड़ चुके थे, और उसका एक पैर लाल हो चुका था। जिस पर पानी ज्यादा गिरा था।
दिशा ने टाइम पर ऑइंटमेंट तो लगा दिया था, पर फिर भी एक पैर काफी ज्यादा लाल पड़ चुका था।
ज़हन वॉल क्लॉक की तरफ देखते हुए बोली,"अगर दर्श को पता चला तो?"
सोचते हुए उसे पिछली बार का इंसिडेंट याद आ गया जब दर्श ने उस मेड और बॉडीगार्ड की जान ली थी, ये सब सोचते हुए जहां अंदर तक कांप गई।
वो धीरे से बोली," उसे बताएगा कौन....? कोई नहीं।..... तो कुछ नहीं होगा।"
सोचते हुए उसने एक गहरी सांस ली और ठीक उसी वक्त रूम का दरवाजा खुला।
ज़हन ने तुरंत अपना पैर नीचे किया, तभी दिशा अंदर आई, वो उसे देखते हुए बोली," मैडम, सर ने ये भेजा है।"
उसने एक पैकेट उसके पास ही सोफे पर रख दिया , ज़हन ने एक नजर उसे देखा और फिर बोली," ये क्या है? "
ज़हन ने धीरे से उस पैकेट को लिया और देखा, उसमें एक येलो कलर की साड़ी थी।
दिशा जल्दी से बोली," सर ने आपको रेडी होने के लिए कहा है।"
ज़हन ने अपना सर हां में हिलाया और काउच से उठी।
उठते ही उसके पैर में एक दर्द की लहर दौड़ गई, उसने उसे इग्नोर किया और वॉशरूम में चली गई।
उसे साड़ी पहननी आती थी , कई बार उसने कॉलेज के फंक्शंस पर पहनी थी, तो उसे अच्छे से आता था।
लगभग एक घंटे बाद वो मिरर के सामने खड़ी थी, वो पूरी तरह से रेडी थी।
येलो साड़ी, जो उस पर काफी खिल रही थी , लाइट मेकअप... और उसकी वो क्रिस्टल ग्रे आईज, जो बेहद खूबसूरत थी। ज़हन सच में प्यारी लग रही थी।
उसने भी किसी भाव के खुद को देखा और जैसे ही मुड़ी, किसी से टकरा गई।
ज़हन एकदम से बोली," दर्श .....!"
दर्श ने उसकी कमर पर हाथ रखा और अपने और पास खींच कर बोला," मेरे अलावा और कौन हो सकता है मेरी ज़हन?"
ज़हन उससे धीरे से अलग हुई और सिर झुका कर खड़ी हो गई।
दर्श उसे ऊपर से नीचे देखते हुए बोला," मेरी ज़हन.... तुम कुछ भूल रही हो!"
ज़हन ने कन्फ्यूजन से उसे देखा और बोली," क्या ?"
दर्श ने बिना कुछ बोले ड्रेसिंग के सामने से एक डिब्बा उठाया, वो सिंदूर का ही डिब्बा था , दर्श ने खुद उसका चेहरा देखते हुए, उसकी मांग भर दी।
उसने सिंदूर वापस उस जगह रखा और उसे कमर से पकड़ते हुए बोला," मेरी जहां भूल जाती है कि वो मेरी है... है न ज़हन?"
ज़हन ने पलके झपकते हुए उसे देखा और बोली," पता नहीं कैसे... मेरे दिमाग से निकल गया ।"
दर्श उसकी आंखों में देखते हुए बोला," यू आर ब्यूटीफुल...."
वो हल्का सा मुस्कुराया।
उसने उसकी खुली कमर पर अपनी उंगलियां चलाते हुए , धीरे धीरे पैटर्न बनाने लगा ।
उसका बिहेवियर आज फिर काफी अलग था।
वो कुछ पल रुककर बोला," आज क्या क्या हुआ ज़हन?"
ज़हन के दिमाग में सीधे आज वाला इंसिडेंट आ गया ।
ज़हन के दिल की धड़कने तेज हो गई, डर, उसे फिर से डर लगने लगा था।
दर्श फिर बोला," व्हाट हैपेंड ज़हन? कुछ हुआ है क्या?"
ज़हन जल्दी से बोली ,"कुछ भी नहीं.... कुछ नहीं हुआ है दर्श ...."
दर्श एक अजीब सी मुस्कुराहट से उसे देख रहा था, ज़हन फिर बोली," हम कहीं जाने वाले थे न?"
दर्श उसके गाल पर हाथ रखकर बोला," माय ब्यूटीफुल ज़हन.....हम जरूर चलेंगे.... मैं बस ये देख रहा था , कि मेरी ज़हन कुछ छुपा तो नहीं रही न ?"
ज़हन एकदम से बोली," नहीं !"
दर्श ने उसका चेहरा ऊपर किया और एक बार फिर उसका चेहरा गौर से देखने लगा।
उसने एकदम से झुककर उसके होठों को कैप्चर कर लिया।
ज़हन के हाथ उसके सीने पर आ गए।
दर्श उसे काफी पैशनेटली किस कर रहा था। कुछ देर बाद वो उससे अलग हुआ , जहां गहरी गहरी सांसे ले रही थी।
दर्श ने झुककर एक बार उसकी गर्दन पर अपने होठ रखे और उसे मिरर की तरफ मोड़ते हुए बोला," फरेबी तेरी नजरें, जैसे झूठ छिपा हो"
ज़हन ने एकदम से उसे देखा।
दर्श मुस्कुराहट से बोला," व्हाट happend zahan !"
zahan धीरे से बोली,"कुछ नहीं।"
दर्श ने आंख बंद की और एक लंबी गहरी सांस लेकर बोला," अगर हम ऐसे ही रहे , तो I will loose my control , let's go"
ज़हन बिना कुछ बोले उसके पीछे पीछे चली गई।
वो दोनों इस वक्त कर में थे, दर्श खुद ही ड्राइव कर रहा था। ज़हन काफी दिनों बाद खुलकर सांस ले रही थी।
बाहर देखते हुए उसके होठों पर एक स्माइल आ गई।
एक घंटे बाद कार एक मेंशन के सामने रुकी। दर्श कार से बाहर आया और ज़हन के साइड का गेट खोला।
दोनों मेंशन के अंदर गए , तभी एक आवाज आई," मेरा बेटा सीधे बहु लेकर आया है ।"
दर्श और ज़हन की नजर स्टेयर्स से नीचे आते एक शख्स पर गई। उनका चेहरा दर्श से काफी मिलता था , उन्हें देखकर कोई भी बता दे, ये बाप बेटे थे ।
रजत आर्यन, दर्श के फादर थे।
रजत दर्श के सामने आकर रुक गए और मुस्कुराहट से दोनों को देखने लगे। उनकी नजर पर गई जो बिना किसी भाव के उन्हें ही देख रहा था।
रजत हल्का सा हँस कर बोले," बाप हूं तुम्हारा , मुझे बिना बताए शादी कर ली तुमने? अगर मैं बुलाता नहीं तो आते भी नहीं तुम ...."
दर्श कुछ पल रुककर बोला," मेरी मर्जी"
to be continued.....
मुंबई, इंडिया,
मेंशन में,
रजत, दर्श के सामने खड़े उसे देख रहे थे, दर्श बिना किसी एक्सप्रेशन के बोला," I can do whatever I want....right dad! तो यहां आना न आना मेरी मर्जी है !"
रजत आई रोल करते हुए बोले," मैं कुछ नहीं कर सकता.... वेल तुम्हारा बाप हूं और तुमने शादी कर ली, तो अपनी बहु से एक बार मिलना तो बनता है।"
बोलते हुए उन्होंने एक नजर ज़हन पर डाली और मुस्कुराए।
ज़हन चुपचाप कभी दर्श को देख रही थी तो कभी रजत को। उन दोनों का रिलेशन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था । सबसे बड़ी बात वो कभी भी रजत मिली भी नहीं थी, तो वो क्या ही बोलती।
दर्श हल्का सा सर टेढ़ा करते हुए बोला," पर मेरी ज़हन को देखने के लिए मैं हूं ...... you know what I mean!"
रजत हल्का सा हँस कर बोले," your husband is possessive zahan!"
उन्होंने ज़हन को मुस्कुराते हुए देखा ।
वो फिर बोले," वैसे नाम बड़ा प्यारा है तुम्हारा बिल्कुल तुम्हारी तरह!"
उन्होंने ज़हन के सर पर हाथ रखने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया और ठीक उसी वक्त दर्श ने अपना हाथ जहां के सिर के आगे कर दिया ।
वो रजत को रोक रहा था, ये बात समझते हुए उन्हें और ज़हन दोनों को देर नहीं लगी ।
रजत ने सर हिलाकर अपना हाथ पीछे ले लिया।
ज़हन को रजत से कोई नेगेटिव वाइब नहीं आ रही थी, वो मन में ही बोली," क्या इन्हें बता दूं दर्श ने मेरे साथ क्या किया है ? क्या ये मेरी हेल्प करेंगे ?"
सोचते हुए उसने फिर रजत को देखा।
दर्श कुछ पल रुककर बोला," आप मेरी ज़हन means मेरी वाइफ मिल चुके, राइट! अब मुझसे ये एक्सपेक्ट मत करिए कि मैं यहां रुकूंगा डैड"
रजत गहरी सांस लेकर बोले," मैं तुम्हें नहीं रोक रहा .... तुम्हारी शादी अभी तक सबके सामने नहीं आई है, बस कुछ लोग जो इनवाइटेड थे , उनके अलावा.... मैं चाहता हूं कि सबको पता चले, इस शादी बारे में, कल शाम एक पार्टी है , इसी मेंशन में होगी, और वहां मीडिया भी होगी, तुम समझ रहे हो न , ये पार्टी तुम दोनों के लिए ही है, रिसेप्शन पार्टी समझ लो.....!"
दर्श कुछ पल रजत को देखा और सिर हिलाते हुए बोला," ऑलराइट, समझ गया मैं।"
बोलते हुए उसने ज़हन को देखा।
कुछ देर बाद दर्श और ज़हन कार में बैठे हुए थे। ज़हन खिड़की से बाहर देख रही थी, दर्श एकदम से बोला," जो सोच रही हो, वो कभी नहीं हो पाएगा मेरी ज़हन.....!"
ज़हन ने अगले ही पल उसे देखा और धीरे से बोली," मैंने क्या...."
दर्श बीच में बोला," झूठ नहीं ज़हन..... तुम्हे पता है मुझे झूठ पकड़ना कितने अच्छे से आता है ....."
ये सुनते ही ज़हन के हाथों की मुट्ठी बन गई।
दर्श मुस्कुराते हुए बोला," मेरी जहां झूठ बोलेगी तो मुझे तो पता चलेगा ही न ....."
ज़हन उसे देखते हुए बोली," मैने बस सोचा था कि तुम्हारे फादर मेरी हेल्प करेंगे...."
दर्श तिरछी मुस्कुराहट से बोला," कोई कुछ नहीं कर सकता ज़हन....जब तक तुम्हारा दर्श न चाहे..."
ज़हन धीरे से बोली," मेरा दर्श....."
दर्श ने एक नजर उसे देखा और कहा," बिल्कुल तुम्हारा दर्श , ज़हन का दर्श.....!"
ज़हन मुंह फेरते हुए बोली," तुम मेरे नहीं हो ......"
दर्श कुछ पल रूककर बोला," फिर भी मैं तुम्हारा हूं ..."
ज़हन ने एक गहरी सांस ली और बोली," मेरी फैमिली कहां है? वो लोग safe तो हैं न ? तुमने....."
दर्श बीच में बोला," रिलैक्स मेरी ज़हन..... बस मेरे पास रहो..... मेरी कैद में , सबकुछ अच्छा होगा...."
ज़हन ने लाचारी से अपनी आंखें बंद कर ली, फंस चुकी थी वो.... दर्श की कैद में ।
दर्श ने अपनी अजीब सी मुस्कुराहट के साथ उसे देखा, उसके दिमाग में कुछ तो चल रहा था, क्या पता नहीं...?
थोड़ी देर में दोनों विला पहुंच चुके थे, दर्श ज़हन का हाथ पकड़े अंदर आया , लेकिन वो उसे रूम में ले जाने की जगह बेसमेंट की तरफ बढ़ गया ।
ज़हन जल्दी से बोली," कहां रहे हो तुम? बेडरूम में..."
दर्श ने उसे एकदम से गोद में उठाया और बोला," सरप्राइज़ ज़हन!!"
उसके ये कहते ही जहां के दिल की धड़कने तेज हो गई, पिछली बार की बात अब उसके दिमाग में घूमने लगी थी। उसके हाथ पैर कांपने लगे थे।
कुछ देर में दर्श उसे बेसमेंट में लेकर आया और उसे उतारकर चेयर पर बैठने का इशारा किया।
ज़हन उसका हाथ पकड़ते हुए बोली," दर्श प्लीज कुछ मत करो ...... प्लीज"
दर्श उसके गाल पर हाथ रखते हुए बोला," मैं क्या कर रहा हूं ज़हन.....?"
ज़हन उसे देखते हुए बोली," तुम कुछ मत करो किसी के साथ कुछ भी करने की जरूरत नहीं .....दर्श"
दर्श उसके बालों से खेलते हुए बोला," पर ये तो बताओ मैं किसी के साथ कुछ क्यों करूंगा....तब जब कोई तुम्हारे साथ कुछ करे.... है न ज़हन....?"
ज़हन जल्दी से बोली," मेरे साथ किसी ने कुछ नहीं किया है, सच में..."
दर्श मुस्कुराहट से बोला," मैने तुमसे क्या कहा था मेरी ज़हन.... जब तुम झूठ बोलोगी तो मुझे पता चल जाएगा... है न ?"
ज़हन ने कुछ पल उसे देखा और एकदम से बोली," तुम्हें सब पता है न दर्श?"
दर्श सर टेढ़ा कर बोला," क्या ज़हन...?"
ज़हन को अब समझ आने लगा था कि दर्श उसके मुंह से सब सुनना चाहता था, वरना वो बार बार ऐसी बातें नहीं करता।
ज़हन ने अपने हाथों की मुट्ठी बना ली, वो आंखें बंद करके बोली," ये की एक मेड ने मेरे पैरो में पानी गिरा दिया.... बस। पर ये बहुत छोटी बात है दर्श .....इस चीज के लिए तुम किसी को पनिश नहीं कर सकते .....उससे गलती से हुआ था।"
दर्श एक बार फिर मुस्कुराते हुए बोला," तो तुमने मुझसे उसकी वजह से ये बात छिपाई ज़हन...."
ज़हन ने एकदम से दर्श को देखा।
दर्श उसके गाल पर पैटर्न बनाते हुए बोला," ये मत सोचना कि मेरा ध्यान तुम्हारे पैरो पर नहीं गया, उसने गलती की ज़हन, वो छोटी बात नहीं थी, मेरे लिए कभी नहीं हो सकती ..... मैं तुम्हारे ऊपर अपना दिया कोई निशान बर्दाश्त नहीं कर सकता.... तो मैं किसी और को ये हक तो दे ही नहीं सकता न ज़हन... और मुझे गलतियां तो बिल्कुल पसंद नहीं ..... गलती की सजा देने के लिए मैं...."
ज़हन बीच में ही बोली," दर्श नहीं.... कुछ मत करो .... I beg you!"
दर्श ने बिना कुछ बोले उसे चेयर पर बैठा दिया और मुस्कुराहट से बोला," सरप्राइज़....."
एक झटके से लाइट ऑन हुई और सामने देखते ही ज़हन की चीख निकल गई।
मुंबई, इंडिया,
ज़हन चुपचाप अपनी सहमी नजरों से सामने देख रही थी जहां वहीं मेड पानी से उबलते एक टब में पड़ी हुई थी । वो मर चुकी थी , टब का वो पानी खौल रहा था , ज़हन के हाथ पैर ठंडे पड़ चुके थे , उसके मुंह से कुछ भी निकल नहीं रहा था ।
दर्श मुस्कुराते हुए बोला," व्हाट हैपेंड...... ज़हन?"
दर्श पंजों के बल बैठ गया और जहां का चेहरा हाथ में लेकर बोला," मेरी तरफ देखो ज़हन....."
ज़हन ने धीरे से अपनी नजरे दर्श की तरफ घुमाई, उसकी आंखों में आंसू थे, उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज लाल हो चुकी थी, जैसे ही दर्श की चारकोल ब्लैक आईज से ज़हन की आंखें मिली, वो धीरे धीरे सिसकने लगी ।
दर्श उसका गाल सहलाते हुए बोला," तुम्हें लेकर लापरवाही मुझे बर्दाश्त नहीं ज़हन, मरना होगा उस हर एक शख्स को , जो तुम्हें लेकर लापरवाह हो।
समझ गई न ज़हन..... तुम खुद भी लापरवाह नहीं हो सकती ।"
ज़हन रोते हुए बोली," मुझे बाहर जाना है प्लीज जाने दो ......."
दर्श उसके बालों से खेलते हुए बोला," मुझे नहीं जाना ज़हन, बिल्कुल नहीं..... मैं तो यहां तुम्हें दिखाने लाया था कि दर्श आर्यन गलतियां माफ नहीं करता , चाहे गलती छोटी हो या बड़ी । गलती, गलती होती है.....तो अब तुम मुझसे कुछ भी नहीं छुपाओगी न ज़हन.....तुमने इसकी वजह से मुझसे कुछ छिपाया ....."
ज़हन उसका हाथ हटाते हुए बोली," I'm sorry..... प्लीज चलो यहां से ....."
दर्श जहां के होठों पर उंगली रखकर बोला," मेरी ज़हन..... तुम sorry क्यों बोल रही हो.... तुम्हें मन किया था न , तुम sorry के लिए बनी ही नहीं हो ज़हन, तुम गलतियां नहीं कर सकती..... कभी नहीं, समझ आई मेरी बात...!"
ज़हन की आंखों से आंसू अब और तेजी से बहने लगे थे । वो धीरे से बोली," क्या मुझसे गलती हुई तो तुम मुझे मार दोगे....."
दर्श हल्का सा सर टेढ़ा कर तिरछी मुस्कुराहट से बोला," कहा न मेरी ज़हन तुम गलतियों या sorry के लिए नहीं बनी हो..... अगर भी तुमसे कभी गलती हुई तो..... मैं तुम्हें नहीं मारूंगा.....पता है क्यों? ......"
ज़हन बस चुपचाप उसे देख रही थी ।
दर्श उसके सर से सर जोडकर बोला," क्योंकि मुझे तुम्हें संभाल कर रखना है ज़हन...... तुम पर दाग बर्दाश्त नहीं मुझे , तुम्हें कैसे मार सकता हूं ......"
ज़हन की नजर एक बार फिर उस टब की तरफ चली गई। उस लाश को देखकर एक बार फिर उसके दिल में डर की लहर दौड़ गई।
वो दर्श से अलग होकर बोली," मुझे जाना है यहां से , मैं नहीं रह सकती यहां, प्लीज ......"
उसकी आंखों से आंसू अब और भी तेजी से बह रहे थे । दर्श ने एक बार मुड़कर उस लाश की तरफ देखा और ज़हन को देखते हुए बोला," लेट्स गो।"
बोलकर उसने ज़हन को गोद में उठाया और बेसमेंट बाहर निकल गया।
ज़हन ने अपने हाथों की मुट्ठी बना ली थी, उसे डर लग रहा था हर उस चीज से, जो उसके आसपास थी , सबसे ज्यादा दर्श से डर लग रहा था उसे ...... वो नॉर्मल तो बिल्कुल नहीं था , कहीं से भी नहीं.....।
कुछ देर बाद वो दोनों रूम में आए, दर्श के नीचे उतारते ज़हन बिना कुछ बोले वॉशरूम में भाग गई।
वो जल्दी से आकर शावर के नीचे खड़ी हो गई, उसे रोना आ रहा था , और वो बुरी तरह रोने लगी थी, वो वहीं वॉल से टिककर रोते हुए बोली," ये एक मर्डरर है, मैं एक मर्डरर साथ पूरी लाइफ...... कैसे?"
वो और तेज तेज रोने लगी थी , उसका पूरा चेहरा लाल हो चुका था , पानी की बूंदे भी उसके आंसू छिपा नहीं पा रहे थे।
ज़हन ने आंखें बंद कर ली और शुरू से अब तक हुई सारी चीजों को याद करने लगी।
तभी किसी की गर्म सांसे उसे अपनी गर्दन पर महसूस हुई । ज़हन ने झट से आंखे खोलकर दर्श को देखा, जो उसके बिल्कुल पास खड़ा था । वो इस वक्त शर्टलेस था।
वो अपनी इंटेन्स नजरों से ज़हन को ही देख रहा था । ज़हन अपनी नजरे नीची करते हुए बोली," तुम ......"
दर्श बीच में बोला," किस से शिकायत कर रही हो तुम ज़हन ?"
ज़हन ने एकदम से उसे देखा, दर्श तिरछी मुस्कुराहट से उसे देख रहा था।
ज़हन जल्दी से बोली," किसी से नहीं...."
दर्श उसकी कमर पर हाथ रखते हुए बोला," तुम्हें पता है तुम यहां क्यों हो?"
ज़हन सवालिया नजरों से उसे देखने लगी।
दर्श उसके चेहरे को देखते हुए बोला," ख़ूबसूरत हो तुम......और तुम्हारी खूबसूरती सिर्फ मेरी है ज़हन....इस पर में हक है , तुम पर मेरा हक है, तुम्हारी सोच पर भी.....मेरे बारे में सोचो ज़हन.... सिर्फ मेरे बारे में ......"
ज़हन ने अब वापस अपनी नजरे झुका लीं, वो नीचे देखने लगी , दर्श उसके गाल पर हाथ रखते हुए बोला," कुछ कहा मैंने ज़हन...."
ज़हन कुछ पल रुककर बोली," तुम मेरी सोच पर काबू नहीं कर सकते , मैं....."
दर्श एकदम से मुस्कुराते हुए बोला," मैं कर सकता हूं ज़हन.... मै चाहता हूं कि तुम मेरे बारे में सोचो ..... सोचोगी न?"
ज़हन ने कुछ पल उसे देखा और बोली," नहीं पता ।"
दर्श ने कुछ पल उसे देखा और एकदम से उसके होठों पर अपने होठ रख दिए।
उसके इस अचानक मूव से ज़हन के हाथ उसके कंधे पर आ चुके थे।
दर्श उसे पैशनेटली किस कर रहा था , ज़हन एक बार फिर चुपचाप खड़ी थी , वो उसका साथ नहीं दे रही थी,पर इससे दर्श को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था ।
कुछ देर बाद जब ज़हन की सांसे भारी होने लगी तब जाकर दर्श ने उसे छोड़ा।
ज़हन गहरी सांसे ले रही थी, उसकी आंखें बंद थी।
दर्श ने उसको गौर से देखा, उसके भीगे खुले बाल जो उसकी बॉडी से चिपके हुए थे, उसकी लंबी घनी पलके जो भीगी हुई थीं, उसके लाल होठ जो और ज्यादा लाल हो चुके थे ।
ज़हन की साड़ी उसकी बॉडी से पूरी चिपक गई थी, भीगे होने की वजह से उसकी बॉडी बेहद अट्रैक्टिव लग रही थी ।
दर्श से अब और कंट्रोल नहीं हुआ, उसने ज़हन की गर्दन पर अपने होठ रखे और hungrily kiss करने लगा।
ज़हन ने महसूस किया कि इस बार दर्श बाइट नहीं कर रहा था ।
दर्श ने एकदम से उसकी साड़ी खींची और उसे निकलना शुरू कर दिया, कुछ देर में ज़हन की साड़ी एक किनारे पर पड़ी हुई थी, उसने बस अपना ब्लाउज और शॉपवेयर पहन रखा था।
दर्श के हाथ उसकी खुली कमर से होते हुए पीछे जाने लगे, और अगले ही पल उसने ब्लाउज की डोरी पकड़कर खींच ली।
ज़हन उसे रोकते हुए बोली," मत करो..... प्लीज!"
दर्श तिरछी मुस्कुराहट से बोला," मुझे रोक रही हो..."
ज़हन की बोलती बंद हो चुकी थी, उसे पता था अब दर्श रुकने वाला नहीं था, उसकी नजरें कुछ ऐसी थी कि ज़हन कुछ बोल ही नहीं पाई।
to be continued......
मुंबई, इंडिया,
अगला दिन,
ज़हन ने धीरे धीरे अपनी आंखें खोली, उसने खुद को देखा, इस वक्त वो सिर्फ बेडशीट में लिपटी हुई थी। उसने जैसे ही नजरे घुमा कर देखा , उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज, दर्श की चारकोल ब्लैक आईज से जा मिली।
दर्श सर हाथ पर रखे, एकटक उसे ही देख रहा था , वो हल्का सा मुस्कुरा कर बोला," good morning zahan!!"
ज़हन ने कुछ नहीं कहा और धीरे से बेड से उठी, इस वक्त उन दोनों ने कुछ भी नहीं पहना था, रात में दर्श ने उसे फिर नहीं छोड़ा था , पर आज ज़हन की बॉडी में किसी तरह का कोई निशान नहीं था, पर इसका ये मतलब नहीं था कि दर्श सॉफ्ट था , उसकी रफनेस कम नहीं हुई थी ।
ज़हन बेड से उठी और बेडशीट को खींचने लगी, उसने आधा बेडशीट खुद पर अभी भी रैप कर रखा था। पर दर्श उसे छोड़ने के मूड में नहीं था , वो हल्का सा सर टेढ़ा कर बोला," व्हाट बेबी....? ये क्यों खींच रही हो?"
ज़हन सिर झुका कर बोली," वाशरूम जाना है मुझे!"
दर्श कुछ पल रुककर बोला," तो तुम चाहती हो मैं तुम्हें ले जाऊं !"
ज़हन जल्दी से बोली," नहीं...! मैं चली जाऊंगी....मुझे बस ये बेडशीट चाहिए । "
दर्श ने कुछ पल उसे देखा और बेड से खड़ा हो गया, उसने एक लोवर पहना था , वो ज़हन के पास आया और एकदम से बेडशीट खींच कर नीचे गिरा दिया।
ज़हन ने लाचारी से आंखे बंद कर ली , कल भी तो यही हुआ था, शायद अब रोज होने वाला था , वो कुछ नहीं कर सकती थी ।
दर्श ने उसे उठाया और सीधे वॉशरूम की तरफ बढ़ गया। ज़हन बस चुपचाप उसे देखने लगी ।
पूरा दिन बीत गया, आज ज़हन और दर्श दोनों को पार्टी में जाना था , दर्श, ज़हन के साथ ब्रेकफास्ट के बाद ऑफिस चला गया था, पर वो ज़हन को पिक करने आने वाला था ।
शाम के वक्त, ज़हन रेडी होकर बेड पर बैठी हुई थी, दर्श ने खुद ही उसके लिए ड्रेस भेजी थी।
कुछ देर बाद दिशा रूम में आई और बोली," मैडम, सर आपका नीचे वेट कर रहे हैं ।"
उसकी बात सुन ज़हन ने धीरे से सर हिलाया और नीचे चली गई, ज़हन चलते हुए खुद से बोली,"कल दर्श से बात करुंगी, कि मुझे एक बार मम्मा, पापा और रितिका से मिलने दे ..... होप वो मान जाए।"
ज़हन बाहर पहुंच चुकी थी , जहां दर्श ऑलरेडी कार से टिककर खड़ा अपने फोन में कुछ कर रहा था ।
ज़हन ने जैसे ही उसे देखा , कुछ पल के लिए ठहर गई। दर्श ने इस वक्त ऑल ब्लैक कलर का कस्टम मेड सूट पहना था , जेल से सेट किए बाल और हाथों में एक एक्सपेंसिव वॉच, वो काफी हैंडसम लग रहा था, एक और चीज जो ज़हन ने आज नोटिस की थी , उसके लेफ्ट ईयर में एक सिल्वर स्टड, जो उसे और डैशिंग लुक दे रही थी।
ज़हन कुछ पल के लिए उसे देखती रह गई।
वो कुछ पल उसे देखते रहने के बाद आगे बढ़ी और उसके सामने जाकर खड़ी हो गई।
दर्श ने अपना फोन लॉक किया और नजर उठा कर ज़हन को देखा ,उसकी नजरे को अपने ऊपर फील हो रही थी। दर्श की आंखें उसे स्कैन कर रही थीं।
उसने कुछ पल ज़हन को देखा और उसके होठों पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई।
एक ब्लडी रेड कलर की ड्रेस , जो वन शोल्डर थी, उसमें एक हाइ थाई slit थी, ज़हन के ऊपर एक दम परफैक्ट लग रही थी । उसके साथ ज़हन के डार्क रेड पेंटेड लिप्स, हल्का सा मेकअप और उसके खुले लंबे वेवी हेयर।
ज़हन बेहद खूबसूरत लग रही थी, पर उसकी क्रिस्टल ग्रे आईज, जिनकी चमक गायब थी, उसमें लाचारी के अलावा कुछ नहीं था।
दर्श उसके पास झुके हुए बोला," माय ब्यूटीफुल ज़हन, I'm gonna ravish you tonight....!"
उसकी तिरछी मुस्कुराहट बरकरार थी।
ज़हन ने उसकी बात सुन अपनी ड्रेस को मुट्ठी में भर लिया ।
कुछ देर बाद, वो दोनों कार में बैठे हुए थे , दर्श खुद ही ड्राइव कर रहा था, उसके हाथ ज़हन की थाइ पर रखे थे, वो सामने देखते हुए बोला," मेरे साथ रहना है तुम्हें पार्टी में , ज़हन । किसी बात करने की जरूरत नहीं है....... अंडरस्टैंड।"
ज़हन ने बस एक hm में जवाब दिया , दर्श उसकी थाई पर ग्रिप मजबूत करते हुए बोला," वर्ड्स ज़हन"
ज़हन सर हिलाते हुए बोली," अंडरस्टूड!"
दर्श एकदम से मुस्कुराया और बोला," my zahan is too obedient...!"
कुछ पल बाद उसने ब्रेक लगाया और इस वक्त दोनों आर्यन मेंशन के अंदर थे ।
ये एक ग्रैंड पार्टी थी , कई बड़े बड़े बिजनेस मैन, पॉलिटिशियंस आए हुए थे।
ज़हन पूरे वक्त दर्श के साथ ही थी, दर्श उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं था ।
कुछ घंटे बाद पार्टी अपने एंड पर थी , पर दर्श अभी भी कुछ लोगों से बात करने में बिजी था , उसने जहां का हाथ पकड़ रखा था ।
बात ही बात में एक आदमी जो करीब अपनी 40s में था, ज़हन को देखते हुए दर्श से बोला," मिस्टर आर्यन.... आपकी वाइफ काफी beautiful हैं.... कहां से ढूंढा है इन्हें?"
वो हल्का हसकर बोले, पर उसकी नजरे ज़हन की बॉडी पर थी।
दर्श ने ज़हन के हाथ को अच्छे से पकड़ा और उसे देखते हुए बोला," खूबसूरती का नशा है दर्श आर्यन को.... कोई बड़ी बात नहीं है मेरे लिए, खूबसूरती ढूंढना..... पर मुझे गुस्सा आता है अगर इन सब पर कोई अपनी नजर उठाकर देखे..... आंखें निकालने से लेकर औकात दिखाना भी अच्छे से आता है मुझे ....... एक्सेप्ट मि! "
ये जवाब नहीं एक वार्निंग थी।
वो आदमी, जो अबतक हस रहा था उसके एक्सप्रेशन बिल्कुल बदल चुके थे, उसके चेहरे पर डर दिखने लगा था, वो हकलाते हुए बोला," मैं बस मजाक कर रहा था , मिस्टर आर्यन...."
दर्श हल्का सा हँस कर बोला," दर्श आर्यन से मजाक.... अपनी जिंदगी का मजाक बनाना चाहते हो क्या ?"
वो आदमी खड़ा होते हुए बोला," I'm sorry mr aaryan ..... मैं "
दर्श की आंखों में अबतक जैसे खून उतर आया था, वो दांत पीसते हुए बोला," the deal is cancelled , दोबारा अपनी शक्ल मत दिखाना! गेट लॉस्ट.."
वो आदमी तेज कदमों से वहां से चला गया।
ज़हन ने एक बार दर्श को देखा , जिसके हाथों की मुट्ठी बनी हुई थी, वो मन में ही बोली," इतना पागल है क्या ?"
कुछ देर बाद, दर्श, रजत से बात कर रहा था, तभी ज़हन, दर्श से बोली," मुझे वॉशरूम जाना है।"
दर्श ने कुछ पल उसे देखता रहा , अगले ही पल उसने एक तरफ इशारा किया, ज़हन सर हिलाकर सीधे उस तरफ चली गई।
वहीं रजत दर्श से बोले," तुमने उसे डरा रखा है ......"
दर्श आसपास देखते हुए बोला," जरूरी है....."
रजत कुछ पल रुककर बोले," एक हद तक..."
दर्श ने ऐसे रिएक्ट किया जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं।
रजत फिर बोले," मैं चाहता हूं तुम उससे मिलो..."
दर्श ने आंखें बंद कर एक गहरी सांस ली और बोला," मुझे किसी की चाहत पूरी करने का कोई शौक नहीं mr aryan urf dad ! it's better वो मेरे सामने न आए।"
रजत चुपचाप दर्श को देखने लगे।
वहीं ज़हन वाशरूम का गेट खोलकर बाहर आने को थी, किसी ने उसे हाथ पकड़कर एक बार फिर अंदर खींच लिया और गेट बंद कर दिया।
ज़हन एकदम से घबरा गई और वो चिल्लाने को हुई, पर उस शख्स ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।
अब ज़हन छूटने की कोशिश कर रही थी, तभी वो शख्स बोला," रिलैक्स ज़हन..."
ज़हन शांत हुई और आंखे बड़ी करके उस शख्स को देखा, उस शख्स ने धीरे से अपना हाथ हटाया और बोला," निकलना है तुम्हें यहां से ....."
ज़हन जल्दी से बोली," तुम कौन हो? मेरा नाम कैसे पता तुम्हें?"
वो शख्स एकदम से बोला," सार्थ.....!"
to be continued....
मुंबई, इंडिया
आर्यन मेंशन
ज़हन अभी भी कन्फ्यूजन से अपने सामने खड़े इंसान को देख देख रही थी, वो घबराते हुए बोली," मैं तुम्हें नहीं जानती...."
सार्थ जल्दी से बोला ," पर मैं तुम्हें जानता हूं ज़हन। निकलना है तुम्हें दर्श की कैद से ......"
ज़हन जल्दी से बोली," मैं ऐसे ही किसी पर भरोसा कैसे करूं ? मैं तुम्हें जानती तक नहीं हूं , तुम क्यों मेरी हेल्प करना चाहते हो?"
सार्थ उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर बोला," लुक एट मि ज़हन.... इन सब बातों का वक्त नहीं है । मैं तुम्हें सब बताऊंगा..... पर अभी तुम्हें निकलना है यहां.... समझ रही हो न मैं क्या कह रहा हूं... ज़हन !"
उसकी बात सुन ज़हन गहरी सांस लेकर बोली," he is very dangerous.... मेरी वजह से ऑलरेडी बहुत जाने जा चुकी है , मेरी फैमिली उसकी कैद में है ..... अगर मैंने बिना सोचे समझे कुछ भी किया , तो किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा।..."
सार्थ बीच में बोला," डोंट थिंक अबाउट anyone zahan.....just think about you.... अगर तुम यहां से निकल जाती हो तो तुम्हारी फैमिली बच सकती है.... I will help you zahan! "
ज़हन के दिल की धड़कने तेज हो चुकी थीं, डर लग रहा था उसे....क्या होगा अगर दर्श ने उन दोनों को ऐसे देख लिया?
वो sarth को धक्का देते हुए बोली," देखो, मैं नहीं जानती तुम्हें, तुम अपनी जान खतरे में डाल रहे हो... प्लीज जाओ यहां से ...!"
वो गेट खोलने को थी तभी sarth उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमाते हुए बोला," पागलपन मत करो ज़हन....हर बार मौका नहीं मिलेगा तुम्हें.... तुम खुद सोचो, पूरी जिंदगी एक कैद में रह पाओगी तुम? तुम्हारी फैमिली से मिले बिना.... एक खिलौने की तरह.... सिर्फ एक मौका है ज़हन!"
ज़हन अपनी जगह पर जम गई । सच कह रहा था , sarth, बिल्कुल सच। एक ही मौका था उसके पास , या तो वो वापस कैद हो जाए या फिर आजाद।
ज़हन ने sarth को गौर से देखा और बोली," मेरी फैमिली का क्या?"
sarth कुछ पल रुककर बोला," they are safe.... trust me!"
ज़हन कुछ बोलती उससे पहले ही sarth बोला," जल्दी चलो यहां से !"
ज़हन ने एक गहरी सांस ली और सिर हिला दिया। उसे नहीं पता था वो गलत कर रही थी या सही, इसका अंजाम उसे खुद भी पता नहीं था , पर एक hope थी कि वो इस कैद से आजाद हो जाएगी।
sarth ने उसका हाथ पकड़ा और वॉशरूम से बाहर लेकर आया, वो दोनों तेज कदमों से अंधेरे कॉरिडोर की तरफ चल रहे थे।
कुछ ही देर में वो दोनों मेंशन के पीछे वाले गेट पर खड़े थे। एक कार वहां पहले से खड़ी हुई थी, sarth ने कार की तरफ इशारा किया और जल्दी से ज़हन के लिए कार का गेट खोला। वो खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
थोड़ी देर बाद उनकी कार रात के अंधेरे में सड़क पर दौड़ रही थी। ज़हन sarth को देखते हुए बोली," हम कहां जा रहे हैं?"
sarth ने एक नजर ज़हन को देखा और कहा," मैं नहीं तुम...."
ज़हन बीच में बोली," क्या?"
sarth गहरी सांस लेकर बोला," यहां से तुम सीधे थाईलैंड जा रही हो, पटाया ।"
ज़हन की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। वो हैरानी से बोली," are you serious!!"
sarth सर हिलाते हुए बोला," fu*king serious !"
बोलते हुए उसने एक नजर ज़हन को देखा और कार की स्पीड बढ़ा दी।
कुछ देर बाद, सार्थ ने कार एयरपोर्ट पर रोकी। दोनों कार से बाहर आए । sarth ज़हन को देखते हुए बोला," listen zahan! तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है, I will handle everything..... मेरे प्राइवेट जेट से जा रही हो तुम, मेरा असिस्टेंट अक्ष तुम्हारे साथ जाएगा, पर वो तुम्हें एक safe प्लेस पर लेकर जाएगा, वहां तुम्हें एक लड़की मिलेगी मेरी फ्रेंड है वो रीम , वो तुम्हारे साथ रहेगी फिलहाल ।"
ज़हन जल्दी से बोली," दर्श को पता चलेगा तो वो ....."
sarth उसका चेहरा हाथों में भरकर बोला," ज़हन इस सब के बारे में सोचने का वक्त नहीं है, I told you before, I will handle it, just go...."
ज़हन ने कुछ पल उसकी आंखों में देखा, कोई झूठ नजर नहीं आ रहा था उसे, सिवाय फिक्र के।
ज़हन धीरे से बोली," thank you! मेरी फैमिली...."
sarth बीच में बोला," कुछ नहीं होगा...."
ज़हन ने सर हिलाया और जाने के लिए मुड़ गई।
sarth उसे तब तक देखता रहा जब तक ज़हन उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।
उसने किसी को कॉल किया और स्ट्रिक्ट टोन में बोला," जितनी भी फुटेज कैप्चर हुई हैं , सब हटा दो, hack all the cameras , कुछ भी नहीं बचना चाहिए, नॉट इवन अ सिंगल थिंग...."
बोलकर उसने कॉल कट कर दिया ।
आंखें बंद कर उसने गहरी सांस ली और धीरे से बोला," तुम्हारे लिए जान भी हाजिर है ज़हन!"
उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गई।
दूसरी तरफ, दर्श इस वक्त अपने विला के हॉल में बने बार काउंटर पर बैठा हुआ था, उसकी आंखें इस वक्त सुर्ख लाल हो चुकी थी।
उसके बगल में ध्रुव खड़ा था, और सामने कई सारे गार्ड्स सिर झुकाए खड़े थे, लगभग 15 से 20 ।
दर्श ने एक झटके में अपनी हाथ में पकड़ी वाइन खत्म की और एकदम से वो ग्लास सामने फेंक दिया ।
पूरा कांच बिखर चुका था, गार्ड्स कुछ कदम पीछे हट गए।
दर्श गुस्से से बोला," तुम सब बाहर थे राइट.....than how? मेरी ज़हन कहां गई?..... तुम सब का हिसाब बाद में होगा, पर उससे पहले मुझे मेरी ज़हन चाहिए.... I want her back at any f*cking cost....!"
ध्रुव जल्दी से बोला," बॉस ऑलमोस्ट पूरी मुंबई हमारे कंट्रोल में आ चुकी है .....mam कहीं भी होंगी पता चल जाएगा ।"
दर्श की आंखों में अब तक जैसे खून उतर आया था, वो अपने फोरहेड पर आए बालों को पीछे करते हुए बोला," चल जाना चाहिए ध्रुव, वरना किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा ।"
वो इस वक्त इतने गुस्से में था, कि कुछ भी कर सकता था , वो बिल्कुल किसी साइको की तरह लग रहा था। शायद ज़हन के लिए उसका पागलपन बेहद खतरनाक साबित होने वाला था ।
to be continued.....
ज़हन इस वक्त sarth के प्राइवेट जेट में थी, वो चुपचाप एक जगह पर बैठी हुई थी , उसके दिमाग में डर इस कदर बैठ गया था कि दर्श के अलावा उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था।
उसे खुद भी पता नहीं था , की उसकी आंखों से आंसू बहे जा रहे थे, न जाने कब से ?
तभी किसी की आवाज आई," आप ठीक हैं मिस?"
ज़हन ने अपनी धुंधली आंखों से सर घुमाकर अक्ष को देखा , जो वहीं खड़ा था।
ज़हन धीरे से बोली," hm, मैं ठीक हूं...!"
उसने सफेद झूठ कहा, अक्ष समझ गया कि ज़हन कुछ और बोलना नहीं चाहती, वो चुपचाप उससे थोड़ी दूर बैठ गया।
लगभग 5 घंटे बाद, जेट ऑलरेडी थाईलैंड, पटाया में लैंड हो चुकी थी। ज़हन इस वक्त एक घर के सामने खड़ी थी, न ज्यादा छोटा था न ज्यादा बड़ा था, पर काफी लग्जरियस था, आसपास उस घर में अलावा और कोई घर नहीं था ।
ज़हन के साथ अक्ष भी था , वो उसे देखते हुए बोला," सर ने आपको बता दिया होगा, की आपको यहां रहना है.... मुझे यहां से जाना है , मतलब मैं पटाया में ही किसी दूसरी जगह पर रहने वाला हूं। "
ज़हन ने धीरे से सर हिला दिया । अक्ष वहां से चला गया था, ज़हन अकेले ही अंदर आई।
वो इधर उधर देख रही थी, तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।
ज़हन एकदम से डर गई और पीछे मुड़कर देखा, रीम ,लगभग 26- 27 साल की, या आसपास की थी।
ज़हन को डरते देख वो जल्दी से बोली," मैंने डरा दिया क्या ?"
ज़हन न में सर हिलाते हुए बोली," नहीं.... मतलब थोड़ा सा , डर गई थी मैं!"
रीम मुस्कुराहट से बोली," इट्स ओके, सार्थ ने मुझे पहले ही बता दिया था, तुम्हारे बारे में ज़हन!.....anyways तुम फ्रेश हो जाओ , यू आर लुकिंग टायर्ड!"
उसने ज़हन को एक रूम की तरफ इशारा किया।
अगली सुबह
मुंबई, इंडिया
दर्श वॉशरूम में मिरर के सामने स्लैब पर हाथ रखकर खुद को देख रहा था, उसने कुछ देर पहले ही शावर लिया था, उसकी शक्ल देखकर साफ समझ आ रहा था, रात भर से वो सोया नहीं था ।
उसकी आंखें अभी भी लाल थीं, वो बिना किसी भाव के बस खुद को देख रहा था, तभी उसका फोन रिंग हुआ, उसने कॉल पिक किया और थोड़ी देर बाद, सामने वाले की बात सुन उसने कॉल कट कर दिया।
अगले ही पल वो जोर से चीखा, उसने फोन मिरर पर दे मारा, पूरा मिरर टूट कर बिखर चुका था।
वो अपने दोनों हाथों से फोरहेड पर आए बालों को पीछे करते हुए बोला," sarth, गलती की है तुमने!"
उसने गुस्से से आंखें बंद कर लीं।
थोड़ी देर बाद वो अपनी कार में था , काफी स्पीड से ड्राइव कर रहा था वो।
लगभग 20 मिनट बाद ही उसने अपनी कार, आर्यन मेंशन में रोकी, और गुस्से से अंदर गया ।
अंदर आते ही उसकी नजर एक तरफ गई , जहां sarth कॉल पर बात कर रहा था, दर्श ने सीधे जाकर उसके चेहरे पर एक मुक्का जड़ दिया।
सार्थ इस चीज के लिए बिल्कुल भी रेडी नहीं था, वो सीधे नीचे गिर गया । sarth हैरानी से दर्श को देखने लगा, उसे ऐसे देखता पाकर दर्श के एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए, उसके होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई, पर उसकी आंखें हद से ज्यादा डार्क हो चुकी थी।
वो sarth का कॉलर पकड़ कर बोला," सार्थ आर्यन.... अपने ही भाई के साथ चूहे बिल्ली वाला खेल खेल रहे हैं !"
बोलते हुए वो हंसने लगा , पर उसकी हंसी नॉर्मल तो बिल्कुल नहीं थी , बेहद खतरनाक थी ।
sarth ने उसका हाथ अपनी कॉलर से हटाया और खड़ा होते हुए बोला," खेलना पड़ता है , अपने भाई के साथ ही तो खेलूंगा!"
दर्श ने एक बार गर्दन टेढ़ा करते हुए बालों पर हाथ फेरा और अचानक ही एक बार फिर सार्थ के चेहरे पर पंच मारा।
सार्थ का चेहरा एक बार फिर एक तरफ झुक गया , उसके होठों के किनारे पर कट लग गया था , जिसमें से खून बह रहा था।
उसे संभालने का मौका दिए बिना , दर्श ने इस बार घुटने से उसके पेट पर तेजी से मारा।
sarth के मुंह से एक आह निकल गई। पर उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया।
दर्श ने एक बार फिर उसके गाल पर पंच किया, अगले ही पल sarth के मुंह से खून बाहर आ गया।
पर दर्श नहीं रुका, वो उसे मारता ही जा रहा था ।
तभी एक तेज आवाज हॉल में गूंजी, " दर्श....!"
ये रजत की आवाज थी, वो स्टेयर्स से नीचे आते हुए बोले," बड़ा भाई है वो तुम्हारा, दर्श .....!"
दर्श उसे घूरते हुए बोला," तो मैं क्या करूं डैड? इसके काम वैसे नहीं है , बड़ा भाई....f*ck!"
रजत थोड़े गुस्से से बोले," दर्श अभी के अभी छोड़ो उसे ।"
उनकी बात सुनते ही दर्श ने एक और पंच sarth के पेट पर फिर से मारा।
वो रजत की तरफ देखते हुए बड़े आराम से बोला,"आपने क्या कहा डैड, रिपीट इट..!"
रजत ने उसकी बात सुनकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली, वो फिर बोले," किया क्या है उसने?"
दर्श की आंखें ये सुनते ही बेहद डार्क हो चुकी थीं, वो sarth की गर्दन को पकड़ते हुए बोला," मेरी ज़हन इसके पास है, मिस्टर आर्यन!"
ये सुनते ही रजत की आंखें बड़ी हो गई, वो धीरे से बोले , " व्हाट?"
सार्थ ने एकदम से उसका हाथ झटका और हल्का सा हँस कर दर्श से बोला," अपनी हार का गुस्सा निकालने आई हो , दर्श आर्यन?"
दर्श हल्का सा सर टेढ़ा कर बोला," दर्श आर्यन का हार से कोई कनेक्शन नहीं है ,ये तुमसे ज्यादा अच्छे से कौन जान सकता है , बिग ब्रदर!"
ये सुनते ही सार्थ ने अपने हाथों की मुट्ठी बना ली।
उसका रिएक्शन देख दर्श के होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई, वो फिर बोला," भूल गए मैंने तुमसे क्या लिया है ? जो अभी तुम्हारे पास होकर भी नहीं है , क्योंकि वो सिर्फ मेरी है , मेरी ज़हन.... शादी की है मैंने उससे !"
सार्थ दांत पीसते हुए बोला," इसे लेना नहीं छीनना कहते हैं! दर्श...."
दर्श हल्का सा हँस कर बोला," लेना कहो या छीनना.... पर सच्चाई तो यही है न बिग ब्रदर.... ज़हन अब मेरी है , कुछ दिन दूर रहने से ये सच्चाई नहीं बदलने वाली ।"
उसके इतना कहते ही रजत तेज आवाज में बोले," कोई मुझे बताएगा चल क्या रहा है यहां पर ?"
सार्थ गुस्से से बोला," वो तो यही बताएगा न डैड , आपका छोटा बेटा ....!"
रजत दर्श को देख कर बोले," क्या है ये सब दर्श ?"
ये सुनते ही दर्श एकदम से sarth के पेट पर एक पंच मारा और उसे धक्का देते हुए बोला," बात ये है डैड, की अगर ये किसी और चीज को हार्म करता तो चलता, पर इसने मेरी ज़हन को मुझसे दूर किया है , इसकी वजह से मेरी जहां मेरे पास नहीं है !"
रजत ने sarth को देखा और बोले," sarth?"
sarth उठा और इस बार उसने दर्श को एक पंच मारा, वो गुस्से से बोला," हां , मैंने उसे दूर किया तुमसे, यू डोंट डिजर्व हर, ....... मैं प्यार करता था उससे ...."
उसके इतना कहते ही दर्श की आंखें गुस्से से भर गईं, उसने एक पंच sarth की नाक पर मारा।
वो एक बार और मारता उससे पहले ही sarth ने उसका हाथ रोक लिया, वो रजत की तरफ देखते हुए बोला," सुना आपने डैड, मैं प्यार करता हूं ज़हन से , इसे जैसे ही ये पता चला, बस मुझसे नफरत की वजह से इसने अपनी नजर ज़हन पर डाली, मैं 20 दिनों के लिए कंट्री से बाहर क्या गया , इसने उससे शादी कर ली , जबरदस्ती डैड ......!"
रजत हैरानी से दोनों को देख रहे थे।
sarth आगे बोला," मैं इंडिया का बिजनेस हैंडल नहीं करता , पर एक साल पहले जब मैं इंडिया आया था, तब से ही मैं ज़हन से प्यार करता हूं डैड.... इसने सब जानते हुए उससे शादी की। एक कैद में थी वो डैड, मैंने उसे आजाद किया , बिल्कुल सही किया , पूरी जिंदगी उसे इस तरह नहीं देख सकता मैं, मेरी ज़हन...."
उसके इतना कहते ही दर्श जो अभी तक उसकी बातें सुन रहा था , उसने एक झटके से उसे धक्का दिया, sarth दो कदम पीछे हट गया ।
उसे ये नहीं पता था कि उसकी वो बात दर्श को किस हद तक ट्रिगर कर गई थी। दर्श बिना कुछ सोचे समझे उसे पंच मारता गया , ऐसे जैसे वो उसकी जान ही ले लेगा। पर sarth शांत था, वो ज्यादा रिएक्ट नहीं कर रहा था, क्योंकि पहले ही उसकी हालत ठीक नहीं थी ।
रजत तेज आवाज में बोले," दर्श रुको....!"
पर दर्श को जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था, वो उसे मारते हुए बोला," व्हाट डिड यू से ? मजाक है क्या? मेरी ज़हन है वो...."
रजत उन दोनों की तरफ बढ़ते हुए बोले," दर्श मैंने कहा रुको...!"
इस बार उनकी आवाज इतनी तेज थी, दर्श के हाथ रुक गए।
रजत दर्श से बोले," तुमने गलत किया है दर्श....sarth के साथ भी और ज़हन के साथ भी... दोनों के बीच में ज़हन को लाना , उसकी जिंदगी बर्बाद करना सबसे बड़ी गलती है, तुम....."
दर्श खड़ा हुआ और अपनी लाल आंखों से रजत को देखते हुए बोला," मैं यहां सही गलत सुनने नहीं आया हूं मिस्टर आर्यन....आपका बेटा बार बार ये क्यों भूल जाता है कि अगर वो सामने वाले से नफरत निभाएगा, तो सामने से भी उसे यहीं मिलेगा, यही मिला है उसे , मुझसे उलझने की सजा। और ज़हन तो मेरी है , कोई बीच में आया तो जान से जायेगा ...... ये वार्निंग है मेरी।"
उसकी आंखों में बेहिसाब गुस्सा था । रजत बहुत कुछ बोलना चाहते थे , पर बोल नहीं पाए , दर्श का गुस्सा वो अच्छे से जानते थे।
वहीं sarth अब तक खड़ा हो चुका था, दर्श उसकी तरफ मुड़ते हुए बोला," गलती तो तुमने की है बिग ब्रदर, तुम्हारा दुनिया में आना ही गलत है ...... ज़हन को तो मैं ढूंढ लूंगा, क्योंकि दर्श आर्यन की पहुंच कहां तक है, ये तुमसे अच्छा कौन जान सकता है? बिग ब्रदर, अपनी बर्बादी के लिए रेडी रहना....."
sarth कुछ बोलता उससे पहले ही दर्श गेट की तरफ बढ़ गया।
to be continued......
1 महीने बाद,
थाईलैंड, पटाया
रात के वक्त, ज़हन उसी घर में अपने रूम की बालकनी में खड़ी चुपचाप बाहर देख रही थी, ठंडी हवा से उसके लंबे बाल उड़ रहे थे, इस एक महीने में ज़हन यहां से बाहर नहीं निकली थी, वो इसी घर में थी, पर फिर भी उसे इस बात की खुशी थी, कि वो एक रूम में तो बंद नहीं थी , उसे किसी की लाश तो नहीं देखनी पड़ रही थी।
पर वो डर जो अब तक उसके दिल में बैठा था, वो था दर्श का डर। कितनी कोशिश के बावजूद ये डर वो अपने दिल से निकल नहीं पा रही थी।
वो सोच ही रही थी तभी पीछे से रीम की आवाज आई," डिनर रेडी है ज़हन!"
ज़हन ने पीछे मुड़कर देखा तो रीम मुस्कुराहट से उसे देख रही थी, इतने दिनों में ज़हन रीम के साथ काफी कंफर्टेबल हो चुकी थी।
रीम उसके पास आते हुए बोली," क्या सोच रही हो?"
ज़हन हल्का सा मुस्कुरा कर बोली," कुछ नहीं!"
रीम उसे देखते हुए बोली," तुम्हारे मुंह से हमेशा यही सुनने को मिलता है, वेल ...... तुम अपने बारे में कुछ बताओ, इतने दिनों में भी मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं तुम्हारे बारे में , बस जितना sarth ने बताया था, उसके अलावा कुछ नहीं !"
ज़हन सामने देखते हुए बोली," क्या जानना है तुम्हें?"
रीम धीरे से बोली," किस से छिप रही हो तुम?"
ये सुन ज़हन की पकड़ रेलिंग पर कस गई।
रीम ने ये नोटिस किया और धीरे से बोली," मुझे अपनी बड़ी बहन मानती हो तुम, तो बता सकती हो!"
ज़हन ने एक गहरी सांस ली और बोली," दर्श!"
रीम जल्दी से बोली," दर्श मतलब दर्श आर्यन...."
जहां ने धीरे से सर हिलाया, तो रीम आगे बोली," पर क्यों?"
ज़हन ने कुछ पल उसकी आंखों में देखा और पूरी बात उसे बता दी ।
रीम हैरान थी , साथ ही उसके चेहरे पर टेंशन भी थी, वो कुछ पल रुककर बोली," मुझे इसका कोई idea नहीं था कि ऐस कुछ होगा , मैं और sarth काफी अच्छे फ्रेंड्स हैं, कॉलेज टाइम से , वो मेरा सीनियर था , इस बीच मैंने दर्श के बारे में भी सुना था एक्चुअली देखा भी था एक दो बार , पर वो sarth की तरह बिल्कुल नहीं है , उन दोनों की हमेशा लड़ाई होती रहती है , रीजन तो नहीं पता पर जो भी है , दर्श sarth से नफरत करता है , और सबसे बड़ी बात तुम्हें पता है क्या ...."
ज़हन सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखने लगी, रीम कुछ पल रुककर बोली," they are twins.... शायद, उनके झगड़े की वजह से ही दोनों एक कॉलेज में नहीं थे । उन दोनों में sarth बड़ा है।"
ज़हन चुपचाप रीम को देख रही थी, इतने दिनों में उसे इतना पता चल चुका था कि दर्श, sarth का भाई था ।जो बातें उसने बताई थी वो उसे कन्फ्यूज कर रही थी, कोई अपने ही भाई से नफरत क्यों करेगा ?
ज़हन कुछ सोचते हुए बोली," उनकी शक्ल नहीं मिलती!"
रीम कुछ बोलती उससे पहले ही डोरबेल बजी।
रीम जल्दी से बोली," मैं देखती हूं !"
वो तुरंत नीचे चली गई। ज़हन कुछ सोच रही थी , तभी उसे रीम के चीखने की आवाज आई।
काफी तेज चीख, जिससे ज़हन खुद डर गई। वो जल्दी से नीचे हॉल में पहुंची, रीम हॉल के बीच घुटनों के बल बैठी बुरी तरह हाफ रही थी।
ज़हन जल्दी से उसके पास आई और बोली," क्या हुआ?"
रीम डरते हुए बोली," dead body..... बाहर एक dead body है।"
ज़हन के रोंगटे खड़े हो गए, उसने तिरछी नजरों से खुले गेट की तरफ देखा , उसकी हिम्मत नहीं थी, बाहर जाने की।
कुछ देर बाद , वहां पर बिल्कुल शांति थी, रीम धीरे से बोली," यहां dead body कैसे आ सकती है ? मैं जानती तक नहीं वो कौन है ? "
ज़हन के दिमाग में एकदम से दर्श की कुछ बातें घूम गई, " जब तक तुम मेरे पास हो , तुम्हारी फैमिली safe है ज़हन!!"
ज़हन के शरीर में डर की एक लहर दौड़ गई, वो कांपती आवाज में बोली," मेरी..... फैमिली..."
इसके बाद उसके दिमाग में कुछ और नहीं था , वो जल्दी से उठी और बाहर भाग गई।
उसने गेट के बाहर देखा और अपने कदम आगे बढ़ाने लगी।
बाहर कुछ भी नहीं था , उसकी जान में जान आई।
वो भागते हुए अंदर गई , उसने सीधे रीम की तरफ देखकर कहा," कुछ भी नहीं है , बाहर तुम ऐसे ही डर रही हो !"
उसके इतना कहते ही एक गोली चलने की आवाज आई।
ज़हन अंदर तक कांप गई। उसके सामने ही रीम वहीं फ्लोर पर बेजान पड़ी हुई थी।
एक गोली सीधे उसके सिर के बीचों बीच लगी थी, मतलब headshot!
ज़हन की एक जोरदार चीख निकल पड़ी, वो धीरे से बोली," रीम !"
तभी पीछे से किसी ने उसकी कमर पर हाथ रख लिया, " ज़हन!"
अब ज़हन की बोलती बंद हो चुकी थी , उसने तिरछी नजरों से पीछे देखा, तो दर्श अजीब सी मुस्कुराहट से उसे देख रहा था।
उसकी आंखों से अब आंसू बहने लगे थे, माथे पर ठंडे पसीने की बूंदे और उसका शरीर जैसे जम चुका था।
दर्श उसके गाल पर किस करके बोला," did you miss me zahan!"
बोलते हुए उसने अपनी गन ज़हन के हाथों से धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू किया , वो उसकी गर्दन पर आकर रुक गया, ठीक उसी वक्त ज़हन ने अपनी आँखें बंद कर ली।
दर्श ने एकदम से उसे घुमाया और उसका चेहरा देखते हुए बोला," आंखें खोलो ज़हन , मुझे देखो , मुझे तुम्हारी आंखों में खुद को देखना है ।"
ज़हन ने और कसकर अपनी आंखें बंद कर ली।
अगले ही पल दर्श तेज आवाज में बोला," open your fu*king eyes zahan!"
दर्श की ये आवाज बेहद खतरनाक थी , ज़हन ने एक झटके से अपनी आंसुओं से भरी क्रिस्टल ग्रे आईज खोलीं।
उसकी आंखें दर्श की काली गहरी आंखों से जा मिलीं।
दर्श उसकी आंखों में झांक रहा था। वो एकदम से मुस्कुरा कर बोला," मेरी ज़हन।"
to be continued.....
थाईलैंड, पटाया
रात का वक्त,
दर्श का हाथ अभी भी ज़हन की कमर पर था, वो उसकी कंपकपाहट महसूस कर सकता था, उसने गन ज़हन के गले पर पर प्वाइंट कर रखा था।
वो उसके चेहरे को देखते हुए बोला," आंसर मि ज़हन, did you miss me?"
बोलते हुए उसने अपनी ग्रिप उसकी कमर पर मजबूत कर दी , वो उसकी आंखों में गहराई से देख रहा था। वहीं ज़हन कुछ बोलना चाहती थी , पर उसके मुंह से कुछ नहीं निकल पाया।
निकलता भी कैसे , एक dead body उसके सामने पड़ी थी, खून देखा था उसने ।
उसके कुछ न बोलने पर दर्श तिरछा मुस्कुराते हुए बोला," क्या हुआ ज़हन? मैं कुछ पूछ रहा हूं तुमसे , did you miss me or not? पर मेरी ज़हन तो जवाब ही नहीं दे रही।"
बोलते हुए उसकी नजरें सर्द होने लगी थी, ज़हन ने अपनी कांपती हुई आवाज में धीरे से कहा," द.... दर्श , मैं...."
दर्श हल्का सा सर टेढ़ा कर बोला," तुम.... यहीं बोलना चाहती हो न ज़हन.... की तुमने मुझे धोखा दिया ......!"
ज़हन ने अपनी आंखें बंद कर लीं, वो कुछ देर बाद बोली," I'm sorry .......!"
उसकी बात सुन दर्श एकदम तेज आवाज में बोला," f*ck your sorry zahan.....just fuck it!"
बोलते हुए उसने एकदम से जहां को धक्का दिया ।
ज़हन सीधे नीचे जा गिरी, उसके मुंह से एक आह निकल गई। वो अपनी सहमी नजरों से दर्श को देख रही थी ।
दर्श उसके पास घुटने के बल बैठा और गन उसकी गर्दन पर रखते हुए धीमी आवाज में बोला," sorry .....this time your sorry will not gonna work zahan.... और तुम sorry क्यों बोल रही हो ज़हन? क्या तुम भूल गई मैंने तुमसे क्या कहा था? ......sorry तुम्हारे लिए बना ही नहीं है ज़हन, तुम गलती नहीं कर सकती, तुमने कोई गलती नहीं की है..... समझ गई न ?"
ज़हन अपनी आंसू भरी आंखों से दर्श को चुपचाप देख रही थी, उसके मुंह से कुछ नहीं निकला। निकलता भी कैसे , गन उसकी गर्दन पर था।
दर्श ने उसे चुप देखकर धीरे से उसकी बालों को मुट्ठी में भर लिया और बोला," वर्ड्स ज़हन!"
ज़हन अब भी चुप थी, अगले ही पल दर्श ने एकदम से अपनी पकड़ मजबूत कर दी, उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि ज़हन का पूरा सर दर्द करने लगा था ।
ज़हन ने दर्श के हाथ पर अपना हाथ रखा और अपने बालों को छुड़ाते हुए बोली," दर्श प्लीज, दर्द हो रहा है !"
दर्श की पकड़ और मजबूत हो गई, वो उसके चेहरे के करीब आकर बोला," I said words zahan!"
ज़हन जल्दी से बोली," समझ गई मैं!"
बोलते बोलते उसका गला भर आया था ।
उसके कहते ही दर्श ने उसके बालों को छोड़ दिया और उसके स्कैल्प की मसाज करने लगा ।
वो कुछ पल उसे देखता रहा , उसके चेहरा पर कोई भाव नहीं थे, अगले ही पल उसने ज़हन के जबड़े को पकड़ लिया और दबाते हुए बोला," मेरी ज़हन , I promise, जिसने भी तुम्हारी भागने हेल्प की उन सबको , अपनी जिंदगी पर पछतावा होगा । "
ज़हन रोते हुए बोली," प्लीज ऐसा मत करना दर्श , किसी की कोई गलती नहीं है, सच में , दर्श प्लीज ।"
दर्श उसके चेहरे को अपने हाथों में भरकर बोला," गलती है मेरी ज़हन, सबकी गलती है....."
उसका बिहेवियर अब काफी अलग था , पर उसकी आंखें बता रही थी वो खुद को कितना कंट्रोल कर रहा था, उसे गुस्सा आ रहा था, इतना गुस्सा की वो कुछ भी कर सकता था।
ज़हन अब बुरी तरह रो रही थी, सब कुछ अब एक महीने पहले जैसा लग रहा था ।
वहीं दर्श चुपचाप उसे देख रहा था, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था ज़हन के रोने से ।
कुछ पल उसे देखने के बाद दर्श ने एकदम से ज़हन के गर्दन की नस दबा दी। ज़हन बेहोश हो चुकी थी।
उसने उसे गोद में उठाया और वहां से बाहर चला गया, अब तक रीम का खून फैल चुका था , पर डर ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया ।
दर्श बाहर आकर उस लाश के पास से गुजरा, जो कुछ देर पहले रीम ने देखा था।
अगली सुबह,
इस वक्त सुबह के दस बजे थे , ज़हन ने धीरे धीरे अपनी आंखें खोली, उसकी नजर सीधे सीलिंग की तरफ थी, वहीं घर, वहीं रूम, जहां से भागने की कोशिश अब नाकाम थी । इस वक्त वो रूम में अकेली थी।
उसने महसूस किया उसकी लोअर रीजन में अच्छा खासा दर्द था, वो धीरे से उठी और अपनी आंसू भरी आंखों से खुद को देखा।
न कोई निशान, न कोई बाइट मार्क, कुछ भी नहीं था , पर उसकी बॉडी बेतहाशा दर्द कर रही थी। उसके ऊपर सिर्फ एक बेडशीट थी, उसके अलावा उसने कुछ भी नहीं पहना था ।
उसे समझते देर नहीं लगी , कि दर्श ने उसके साथ क्या किया था, वो अंदर ही अंदर खुद को तैयार करने लगी थी, क्योंकि उसे पता था, दर्श इस बार उसे नहीं छोड़ने वाला था।
वो हेडरेस्ट से सिर टिकाकर बैठ गई, उसके दिमाग में इस वक्त sarth की बातें घूम रही थी , वो धीरे से बोली," उसने मुझे प्रॉमिस किया था..... फिर भी ये सब क्यों? मैंने किया क्या है? जो मुझे ये सब झेलना पड़ रहा है? क्यों?"
उसने आंखें बंद कर ली , हर चीज अब बर्बादी सी लग रही थी उसे ।
अचानक वो कुछ सोचने लगी, वो मन में बोली,"
.....क्या मम्मा, पापा और रितिका ठीक होंगे....."
जवाब उसे पता नहीं था, अब उसे बस इतना पता था , कि वो अब कहीं भी भाग नहीं सकती।
वो खुद इस गिल्ट में थी कि उसकी वजह से कितनी जानें चली गई, वो बस देखती रह गई।
वो अपनी ही सोच में गुम थी कि तभी रूम का गेट खुला, दर्श कॉल पर बात करते हुए अंदर आ रहा था , वो ऑन कॉल बोला," सारी मीटिंग्स कैंसल करो ध्रुव, आज मैं बिजी हूं...."
बोलकर उसने कॉल कट कर दिया।
बोलते हुए उसने ज़हन को देखा और तिरछा मुस्कुराया।
ज़हन समझ चुकी थी, उसकी बातों का मतलब, वो सिर झुकाकर बैठी हुई थी।
दर्श उसके पास आते हुए बोला," मेरी ज़हन, उठ गई....look zahan, हम हमारे रूम में हैं!"
बोलते हुए उसने harshly ज़हन के बालों को मुट्ठी में भर लिया और उसका चेहरा ऊपर किया।
जहां के मुंह से एक आह निकल गई।
वो मुस्कुराते हुए बोला," मुझे पता है तुमने इस रूम को भी मिस किया ज़हन, पर हमारी दूरी अब खत्म हो गई, आज मेरा पूरा दिन तुम्हारा है , you know what I mean !"
ज़हन चुपचाप उसे देख रही थी, वो धीरे से बोली," मेरी फैमिली को कुछ मत करना प्लीज़!"
ज़हन को sarth की बात याद थी, उसने उसकी फैमिली को प्रोटेक्ट करने की बात कही थी, पर अब उसे लग रहा था, की अगर darsh ने उसे ढूंढ लिया, तो उसकी फैमिली को भी ढूंढ ही लिया होगा।
उसकी बात पर दर्श एकदम से मुस्कुराते हुए बोला," मुझे देखो ज़हन, मुझे सोचो, सिर्फ मेरी फिक्र करो , मैंने 1 महीने पहले भी तुमसे थी कहा था न ज़हन, भूल गई क्या ?"
बोलते हुए उसकी पकड़ ज़हन के बालों पर कस गई, ज़हन के मुंह से आह निकल गई। अब उसने कुछ भी नहीं कहा।
दर्श ने कुछ पल बाद उसे छोड़ा, उसने एकदम से वो बेडशीट ज़हन के ऊपर से खींच ली, और उसे देखने लगा ।
ज़हन ने तुरंत अपने दोनों हाथों से खुद को ढकने की नाकाम कोशिश की।
दर्श उसका हाथ हटाते हुए बोला," मेरी ज़हन, कितनी बार देखा है मैंने तुम्हें , कुछ भी नया नहीं है ।"
बोलकर उसने ज़हन को हल्का सा बेड के कॉर्नर पर खींचा, जिससे ज़हन का पैर नीचे लटक रहा था, वो अब कन्फ्यूजन से दर्श को देख रही थी।
दर्श तिरछी मुस्कुराहट से बोला," I told you, मेरा पूरा दिन तुम्हारा है, मेरी ज़हन!"
बोलते हुए उसने अगले ही पल अपना बेल्ट निकल दिया, ज़हन को शायद अंदाजा हो चुका था, कि अब वो क्या करने वाला है।
वो जल्दी से बोली," क्या कर रहे हो तुम दर्श?"
दर्श ने बिना कुछ बोले, अपनी पैंट की जिप ओपन की, और इसी के साथ ज़हन ने अपनी आंखें बंद कर ली।
दर्श उसके बालों को मुट्ठी में भरते हुए बोला," मेरी ज़हन, आंखें खोलो"
ज़हन ने और कसकर अपनी आंखें बंद कर लीं, वो ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी ।
तभी दर्श ने एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत कर दी, ज़हन की आंखें खुल गई, उसके मुंह से एक चीख निकलने को थी , पर अगले ही पल वो उसके मुंह में ही दब चुकी थी।
दर्श की पकड़ उसके बालों पर मजबूत होती चली गई, ज़हन की सांसे तेज हो रही थी, उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
लगभग 10 मिनट बाद, दर्श ने ज़हन के बालों को एकदम से छोड़ा, और ज़हन सीधी बेड पर पीठ के बल गिर गई।
उसे बुरी तरह खांसी आ रही थी, उसके मुंह पर कुछ लगा हुआ था, आंखें भी आंसुओं से भरी हुई थी।
उसकी ये हालत देखकर दर्श के होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई।
वो तुरंत ज़हन के ऊपर आया, और उसका चेहरा देखते हुए उसके होठों को कैप्चर कर लिया ।
दर्श उसे पागलों की तरह किस करने लगा था, किस करते हुए ही वो गर्दन की तरफ आया और नीचे बढ़ने लगा।
उसके हाथ ज़हन की पूरी बॉडी पर चल रहे थे, ज़हन उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे रोकते हुए बोली," दर्श .... मत करो!"
पर दर्श सुनने को तैयार ही नहीं था, ऐसा लग रहा था, वो सिर्फ गुस्सा निकाल रहा था, जो इस एक महीने से उसके अंदर भरा पड़ा था।
अब ज़हन में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो उसे रोक सके, उसने अब हिलना डुलना छोड़ दिया और आंखे बंद कर ली, दर्श को करने दिया वो उसे करना था। उसे फील हो रहा था, दर्श जो कर रहा था , वो किसी टॉर्चर से कम नहीं था ।
to be continued....
मुंबई, इंडिया,
रात का वक्त,
सार्थ इस वक्त अपने रूम के बार काउंटर पर बैठा हुआ था, उसके हाथ में वाइन का ग्लास था, उसके चेहरे को देखकर ही पता चल रहा था, की वो कितनी टेंशन में था।
उसने फ्रस्ट्रेशन से अपनी आंखें बंद की और धीरे से बोला," I'm sorry zahan ! मैंने अपना प्रॉमिस तोड़ दिया , मैं तुम्हें प्रोटेक्ट नहीं कर पाया ज़हन, चाहकर भी तुम्हें उससे बचा नहीं पाया..... I'm sorry.... शायद ये भी मैं डिजर्व नहीं करता ......."
बोलते हुए उसने अपनी आंखें खोली। इस वक्त उसकी आंखें सुर्ख लाल हो चुकी थी । एक गिल्ट नजर आ रहा था उसकी आंखों में , ज़हन को प्रोटेक्ट न कर पाने का।
हां, वो नहीं कर पाया, ज़हन को प्रोटेक्ट, उसकी लाख कोशिशों के बावजूद दर्श ने उसे ढूंढ लिया। गुस्सा आ रहा था उसे खुद पर।
पर एक चीज थी कि उसकी फैमिली को सार्थ ने सेफ रख लिया था। जगह तो सिर्फ वो जानता था पर वो सब safe थे , कब तक? पता नहीं....!
दूसरी तरफ, ज़हन अब भी बेड पर लेटी हुई थी, उठने की हिम्मत नहीं बची थी उसमें , फ्रेश होने के बाद,से वो बेड से उठी नहीं थी।
वो दर्श के बदले बिहेवियर के बारे में सोच रही थी, जो पहले से काफी अलग हो चुका था। हालांकि उसे अब भी ज़हन को निशान देना पसंद नहीं था, उसने दिया भी नहीं था।
वो सब कुछ सोच रही थी, उसके अलावा वो कुछ और कर भी नहीं सकती थी ।
तभी रूम का गेट खुला, दर्श अंदर आते हुए बोला," मेरी ज़हन, you have to eat...."
ज़हन तिरछी नजरों उसकी तरफ देखने लगी, आज जो कुछ भी हुआ था, उसके बाद से उसकी दर्श से नजर मिला ने तक की हिम्मत नहीं थी ।
वो बिना कुछ बोले , उठकर बैठ गई। दर्श ने उसके सामने एक मिनी टेबल रखा और उस पर खाने की ट्रे रखकर ज़हन को देखते हुए बोला," तुमने बहुत मेहनत की है, है न? तो उसके बदले तुम्हें अच्छे से खाना है।"
ज़हन ने धीरे से सर हिलाया। उसकी इसी बात पर दर्श के एक्सप्रेशन चेंज हो गए।
वो उसकी चिन ऊपर करते हुए बोला," वर्ड्स ज़हन! मुंह खोलो अपना, वरना मैं अपने तरीके से तुम्हारा मुंह खोलूंगा..... तुम चाहती हो, ऐसा कुछ हो?"
ज़हन जल्दी से बोली," नहीं प्लीज, अभी नहीं!"
दर्श तिरछा मुस्कुराया और उसके सामने सूप के बाउल का ढक्कन खोल दिया।
वो उसे स्पून पकड़ाते हुए बोला," eat it zahan!"
ज़हन ने नम आंखों से एक नजर उसे देखा और अच्छे से बैठ गई।
आज दर्श उसे खुद खाना नहीं खिला रहा था, आज से पहले वो उसे खुद ही खाना खिलाता था, इस बात को ज़हन ने नोटिस किया, पर इग्नोर भी कर दिया, ये उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।
ज़हन ने सूप में हल्की सी फूंक मारी, और उसने चम्मच चलाने लगी, उसे कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही थी।
दर्श चुपचाप उसकी तरफ देख रहा था।
वो अचानक बोला," टेस्ट इट, ये मैंने स्पेशली तुम्हारे लिए बनाया है, बताओ कैसा है?"
ज़हन ने उसकी तरफ देखते हुए ही, एक चम्मच सूप लिया।
अगले ही पल जब उसकी नजर उस तरफ गई, उसके मुंह से एक चीख निकल गई, उसने जल्दी से वो चम्मच फेंक दिया, साथ ही वो बाउल भी।
पूरा सूप फ्लोर पर बिखर चुका था, ज़हन ने हैरानी और डर के भाव लिए उस एक नजर उस तरफ देखा और कसकर अपनी आंखें बंद कर ली।
वहीं उसकी हालत देख दर्श एकदम से मुस्कुराया, वो उसके कान के पास झुकते हुए बोला,"व्हाट हैपेंड ? ज़हन, क्यों नहीं खाया तुमने?"
ज़हन कांपती हुई आवाज में बोली," तुम.... ऐसा.... कैसे?....."
दर्श हल्का सा सर टेढ़ा कर बोला," दर्श आर्यन, कुछ भी कर सकता है, मेरी ज़हन....!"
उसने एक इविल स्माइल के साथ फर्श को देखा, जहां सूप बिखरा हुआ था, वो कोई नॉर्मल सूप नहीं था, उसमें दो आंखें थी, इंसान की आंखें।
ये किसी भी नॉर्मल के लिए देख पाना मुश्किल था, वो आंखें फर्श पर गिरी हुई थी।
ज़हन का दिल जोरों से धड़क रहा था, आंखें खोलने की हिम्मत नहीं थी उसकी।
ज़हन एकदम से चीखी, वो तेज आवाज में बोली," मत करो दर्श, प्लीज! मैं ये नहीं देख सकती, प्लीज़....!"
बोलते हुए अब वो तेज तेज रोने लगी थी।
दर्श अब बिना किसी भाव के देख रहा था, वो कुछ पल रुककर बोला," तुम्हें पता है ये किसकी आंखें है, ज़हन....?"
ज़हन अब भी रो रही थी, दर्श उसके कान के पास झुककर बोला," तुम्हारी न्यू फ्रेंड ...... रीम।"
ये सुनने के बाद ज़हन ने एकदम से दर्श की तरफ देखा, वो उसे धक्का देते हुए बोली," तुम इंसान नहीं हो.... you are devil ...... दिल नहीं है तुम्हारे पास।"
दर्श एकदम से हँस पड़ा, जैसे ज़हन ने उसे कोई जोक सुनाया हो।
वो ज़हन की आंखों में देखते हुए बोला," yes, सही नेम चूज किया तुमने, devil.... I like it..... actually love it.....you are perfect zahan...."
उसने धीरे से ज़हन के लिप पर एक हल्की सी किस कर ली।
उसे ऐसे करता देख ज़हन ने गुस्से भरी नजरों से उसे देखा। वो बड़ी मुश्किल से अपने आंसू कंट्रोल कर रही थी।
वो मन ही मन बोली," एक और जान चली गई, मेरी वजह से।"
अन्दर ही अंदर उसे एक घुटन हो रही थी, सब मौतों का जिम्मेदार वो अब खुद को मान रही थी, दर्द हो रहा था उसे इसी बात से।
वहीं दर्श गौर से उसके चेहरे को देख रहा था, वहीं हो रहा था जो वो चाहता था .....