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बेदर्दी से प्यार का

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आख़िर क्यों भरी अद्यांश ने बदुक की नोक पर मासूम विधवा महक की मांग ! ये कहानी है महक सहाय ओर अद्यांश धनराज की !"महक जिसकी शादी के दो साल बाद उसके पति की मौत हो गई थी ओर उसके ससुराल वालों ने महक से अपना पीछा छुड़ाने के लिए उसका सौदा एक 50साल के बूढ़े क...

Total Chapters (54)

Page 1 of 3

  • 1. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 1

    Words: 610

    Estimated Reading Time: 4 min

    एक बड़े से ऑफिस में, एक आदमी सिगरेट के कश लेते हुए नीचे आती-जाती गाड़ियों को एकटक देख रहा था। उसका एक हाथ जेब में था, और उसकी गहरी, ठंडी निगाहें सड़क पर टिकी हुई थीं। यह था हमारी कहानी का नायक, अद्यांश धनराज – देश का एक शीर्ष बिज़नेसमैन, और साथ ही एक सेना अधिकारी। उसका रंग गोरा, आँखें गहरी काली, और होंठ हल्के गुलाबी थे। देखने में वह किसी फ़िल्म के एक्शन हीरो से कम नहीं था।

    अद्यांश गाड़ियों को देख ही रहा था कि अचानक उसका पीए, राजवीर, उसके पीछे आते हुए बोला, "बॉस, आपके कहे अनुसार सारा काम हो चुका है, पर..." इतना कहकर वह चुप हो गया।

    उसके चुप रहने पर अद्यांश ने सर्द आवाज़ में कहा, "जो भी कहना है, कहो राजवीर। मुझे अधूरी बातें पसंद नहीं।"

    राजवीर झिझकते हुए बोला, "बॉस... मेरा मतलब था कि यह सब करना ज़रूरी है क्या?"

    अद्यांश ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसके सामने एक दृश्य उभरा – एक लड़का सीढ़ियों के पास अधमरा पड़ा था, और कोई भी उसकी मदद करने के लिए नहीं आ रहा था। इस सोच ने उसकी आँखों में लालिमा भर दी। उसने राजवीर को एक तीखी नज़र से देखा।

    राजवीर डर गया, पर उसने यह दिखाने से परहेज़ किया।

    अद्यांश ने गहरी आवाज़ में कहा, "तुम्हें उसकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं। उसके लिए मैं हूँ। उसे रुलाने का, सज़ा देने का हक़ सिर्फ़ मेरा है, और किसी का नहीं।"

    थोड़ी देर सोचने के बाद, शांत पर गहरी आवाज़ में उसने कहा, "राजवीर, आज ही जाने की तैयारी करो। अब वक़्त आ गया है कि सबको पता चले कि जंगल का राजा सिर्फ़ शेर ही होता है।"

    "ठीक है, बॉस," राजवीर ने कहा।

    राजवीर के जाने के बाद अद्यांश ने एक शैतानी मुस्कान के साथ खुद से कहा, "बहुत कर ली तुमने आसमान की सैर, अब वक़्त आ गया है तुम्हारी कैद का, बटरफ्लाई!"


    दूसरी ओर, एक घर में एक आदमी अपने हाथों में नोटों की गड्डियाँ सुँघते हुए अपनी सामने खड़ी पत्नी से बोला, "मालती, देखा था ना मैंने तुम्हें? उस महक के कारण हमें कितना बड़ा मुनाफ़ा होने वाला है!"

    मालती ने उसके हाथ से नोटों की एक गड्डी उठाते हुए कहा, "अभी इतने में ही खुश हो गए? अभी तो और भी पैसा आने वाला है। एक तीर से दो निशाने – उस मनहूस विधवा महक से छुटकारा, और उसके बदले ढेर सारा पैसा।" उसके चेहरे पर लालच साफ़ झलक रहा था।

    वे दोनों नोटों को देख ही रहे थे कि तभी उनका बेटा मेहुल और बेटी किरण आ गए। उन्होंने झट से पैसे छिपा लिए। "वाह, मॉम-डैड!" बच्चों ने एक साथ कहा।

    मालती ने एक शैतानी मुस्कान के साथ कहा, "पता है ना ये पैसे कैसे मिले हैं हमें? और भी आएंगे। बस एक बार उस मनहूस की शादी उस बूढ़े कृपाल सिंह से हो जाने दो।"

    किरण ने नफ़रत से कहा, "हाँ माँ, बहुत इंतज़ार किया है हमने इस दिन का, उस मनहूस को इस घर से निकालने का।"

    मेहुल मन ही मन सोच रहा था, "एक बार तो चख लेने देते हैं उस... औरत को। माँ कसम, एक बार मिल जाए ना, तो एक हफ़्ते तक बिस्तर से उठने नहीं दूँगा।"

    उसकी ये बातें उसकी माँ और बाप ने मानो सुन ली हों। उन्होंने एक साथ ज़ोर से कहा, "मेहुल, अगर तुम्हारे कारण आज उसकी शादी उस बूढ़े से नहीं हुई, तो तुम्हें इस जायदाद से बेदखल कर दिया जाएगा!"

    वे दोनों चले गए। मेहुल अपनी छाती पर हाथ फेरते हुए खुद से बोला, "उसके लिए घर से बेदखल होने में कोई हर्ज नहीं। उसके लिए तो मैं आप लोगों को भी छोड़ सकता हूँ!" उसके चेहरे पर एक घिनौनापन साफ़ दिखाई दे रहा था!"

  • 2. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 2

    Words: 1065

    Estimated Reading Time: 7 min

    महक अपने कमरे में दुल्हन के रूप में इस वक्त साजी हुई थी। महक इस वक्त एक परी के समान लग रही थी! पर महक में एक कमी दिखाई दे रही थी, और वह कमी थी उसकी मुस्कान। महक शुरू से ही एक खुशमिज़ाज लड़की थी! पर जब से उसके बॉयफ्रेंड अद्यांश की मौत की खबर उसने सुनी थी, तब से महक पूरी तरह से टूट चुकी थी! उसने दुनिया से अपने सारे रिश्ते-नाते तोड़ ही दिए थे, लेकिन उसके अपनों के कारण उसे मजबूरी में अनिकेत अवस्थी से शादी करनी पड़ी। अनिकेत ने भी महक के साथ कभी कोई रिश्ता जबरदस्ती का नहीं रखा, बल्कि उसके लिए महक सिर्फ़ एक अच्छी दोस्त की तरह थी! सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन दो साल पहले अनिकेत की अचानक मौत से वह इस हद तक टूट चुकी थी कि उसे दर्द का एहसास होना बंद हो गया! महक को अपने पुराने दिन याद आने लगे, कैसे वह अपने प्यार के साथ थी, और जब वह अपने प्यार से शादी करने वाली थी, लेकिन जब उसकी मौत हुई तो... महक ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया था। काफ़ी दिनों बाद जब उसने कमरे का दरवाजा खोला, तो अनिकेत उसके सामने खड़ा था! अनिकेत ने महक के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि उसकी कुछ मजबूरियाँ हैं, जिसके कारण उसे यह शादी महक से ही करनी पड़ेगी, क्योंकि अगर उसने मालती की पहचान की लड़की से शादी की तो... वह लड़की अनिकेत के माँ-बाप की प्रॉपर्टी ले लेगी! क्योंकि वे लोग अनिकेत के चाचा-चाची थे, जिनकी नज़र बस उनकी प्रॉपर्टी पर थी!

    महक की आँखें इस वक्त लाल हो चुकी थीं। महक ने आईने में खुद को देखते हुए कहा, "कितने सपने देखे मैंने और अद्यांश ने, और अब देखो क्या हो गया! मुझे बेचा जा रहा है, लेकिन मेरे घर वालों ने एक बार भी मेरी खबर तक नहीं ली! आखिर क्यों उन्होंने मुझे इन लोगों के हवाले छोड़ दिया? क्यों किया मेरे साथ ऐसा...?" महक ने वहीं पास रखी एक ज़हर की शीशी को अपने पास छुपाते हुए कहा, "अगर मैं अनिकेत की विधवा हूँ, तब भी मैं उसकी विधवा रहूँगी! मैं इन लोगों को इनके मकसद में कभी कामयाब नहीं होने दूँगी। अपनी ज़िंदगी से अच्छा है एक इज़्ज़त भरी मौत! मेरे मरने पर मेरे घर वालों को कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा, वैसे भी उनके लिए तो मैं पहले ही मर चुकी हूँ!" इतना बोलकर उसने वह ज़हर की शीशी उठाई और आँखें बंद कर जैसे ही पीने वाली थी, तभी एक तेज़ थप्पड़ उसके गालों पर लगा! महक के मुँह पर जैसे ही वह थप्पड़ पड़ा, महक बेड पर गिर पड़ी। इससे पहले कि महक और कुछ समझ पाती, एक और थप्पड़ उसके गालों पर पड़ा! वह थप्पड़ इतना जोर का था कि महक के मुँह से खून तक निकलने लगा था। पर महक ने जैसे ही सामने देखा, तो पाया कि उसे थप्पड़ किसी और ने नहीं, बल्कि उसकी चाची सास ने मारा था!

    मालती ने महक के गालों पर अपनी पकड़ कसते हुए कहा, "क्यों रे... ज़हर खाकर हमें जेल भेजने का इरादा है तेरा, हाँ! एक तो वह मनहूस अनिकेत खुद तो मर गया, और तुझे हमारी छाती पर मोर रख दिया। तुझ मासूम को रखकर! हम लोगों ने तो गलती कर दी तुझे यहाँ रखकर..." महक की आँखों में आँसू बहने लगे। भले ही शारीरिक तौर पर उसे उनके थप्पड़ का कोई असर न पड़ता हो, पर मानसिक तौर पर तो महक बहुत बेबस महसूस कर रही थी! आखिर जो घाव वे लोग उसके मन पर लगाने वाले थे, वे घाव तो उसके तन पर लगे घावों से कहीं ज़्यादा गहरे थे!

    महक ने अपनी भरी हुई आवाज़ में कहा, "माँ जी, आप लोग क्यों मेरे साथ ऐसा कर रहे हो? मैं भी तो आपकी बेटी के जैसे हूँ!" यह सुन मालती ने उसके बालों को कसकर पकड़ते हुए कहा, "तुझ में और मेरी बेटी में फ़र्क है, समझी! मेरी बेटी के पेट में किसी गैर-मर्द का बच्चा नहीं है तेरे जैसे। तुझे उस दिन भी कहा था इस बच्चे को मार दे, लेकिन तू नहीं मानी! हम लोग अपनी इज़्ज़त पर दाँग नहीं लगा सकते।" यह सुन महक ने अपने आँसू साफ़ करते हुए कहा, "लेकिन माँ जी, माँ कैसे बन सकती हूँ, जबकि अनिकेत जी को मरे पूरे दो साल हो चुके हैं!" यह सुन मालती ने तंज भरी मुस्कान के साथ कहा, "वह हमें क्या मालूम, तुमने किसके साथ अपना मुँह काला किया होगा!" यह सुन महक की आँखों में दो महीने पहले का सीन चलने लगा...

    दो महीने पहले... महक को अपनी तबीयत कुछ दिनों से सही नहीं लग रही थी, तो वह एक डॉक्टर के पास चेक करने के लिए गई! महक के सामने इस वक्त डॉक्टर ने रिपोर्ट पकड़ते हुए कहा, "यह कोई बीमारी नहीं है महक, बल्कि ऐसा हर किसी के साथ होता है!" यह सुन महक नासमझी में उसे देखते हुए बोली, "यह बीमारी नहीं है और हर किसी के साथ होता है!" "आप कहना क्या चाहती हैं?" डॉक्टर यह सुन उस डॉक्टर ने हलकी मुस्कान के साथ खुश होते हुए कहा, "मतलब कि तुम माँ बनने वाली हो।" महक के पैरों तले जैसे ही ज़मीन निकल गई! उसे ख़ामोश देख उस डॉक्टर ने अपनी फ़िक्र भरी हुई आवाज़ में कहा, "Is everything okay, Mahk?" यह सुन महक ने फ़ीकी मुस्कान के साथ कहा, "जी, डॉक्टर!" महक इस वक्त सड़क पर अपनी सुध-बुध भूल बस चली ही जा रही थी। महक के दिमाग़ में बस उस डॉक्टर की बातें ही गूँज रही थीं जो डॉक्टर ने उसे कहीं थीं! महक के दिमाग़ में बस एक चीज़ गूँज रही थी कि वह माँ बनने वाली है। इसी अटकल-बाज़ी में महक कब घर आ गई, उसे खुद ही पता नहीं चला! महक ने सोफ़े पर बैठी उन माँ-बेटी को देखा जो आराम से सोफ़े पर बैठ टीवी देख रही थीं! महक ने उन लोगों को एक नज़र देख अपने कमरे की ओर चल पड़ी!

    उसे यूँ सदमे में देख निशा ने अपनी माँ से कहा, "मोम, यह आज ऐसे हो क्या गया है? पहले तो काम से जैसे ही घर आती थी तो यह सीधे किचन में घुस जाती थी, पर आज... आज ऐसे हो क्या गया है?" यह सुन उसकी माँ ने कहा, "तू एकदम सही कह रही है बेटा, इसके चाल-चलन तो पहले से ही ठीक नहीं लगते मुझे तो! चल, चलकर देखते हैं।" महक अपने हाथों में उस रिपोर्ट को एकटक देखे जा रही थी!

  • 3. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 3

    Words: 1152

    Estimated Reading Time: 7 min

    महक एकटक उस रिपोर्ट को देख रही थी। अपनी परेशानी भरी आवाज़ में उसने खुद से कहा, "नहीं, नहीं... यह सच नहीं हो सकता! मैं मां कैसे बन सकती हूं? क्या दो महीने पहले हुई वह गलती इसका कारण है?"

    महक अभी भी रिपोर्ट में खोई हुई थी कि एक तेज आवाज के साथ दरवाजा खुला। महक का ध्यान अभी भी रिपोर्ट पर ही था, इसलिए उसने दरवाजे की तरफ ध्यान नहीं दिया।

    तभी एक थप्पड़ की आवाज से महक अपने होश में आई। जब महक ने अपने सामने देखा, तो पाया कि मालती और निशा दोनों उसे गुस्से में एकटक देख रहे हैं।

    यह देखकर महक ने उन दोनों को देखा और फिर उस रिपोर्ट को अपने पीछे छिपाते हुए अपनी धीमी आवाज में कहा, "मां जी, आप दोनों यहां मुझे बुला लिया होता!"

    यह सुनकर मालती ने उसे ताना मारते हुए कहा, "क्यों, हम यहां नहीं आ सकते?" यह सुनकर महक ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, मां जी। ऐसी कोई बात नहीं है। मैं बस इसलिए कह रही हूं क्योंकि आपको यहां आने में जो परेशानी हुई, वह ना होती।"

    यह सुनकर महक की सास ने एक तंज भरी मुस्कान के साथ कहा, "अब ये बहाने किसी और के सामने लगाना! तू ये बता कि तेरे पीछे ये रिपोर्ट कैसी है? तू तो काम पर गई थी, ना फिर!"

    यह सुनकर महक ने अपनी अटकती हुई आवाज में कहा, "वो... मां जी... मैं... ये वो... हां, वो मां जी, मैं बीमार थी, तो आज काम नहीं जा पाई। इसलिए हॉस्पिटल गई थी।"

    यह सुनने के बाद महक की सास उसे कुछ बोलने ही वाली थी कि पीछे से निशा ने उस रिपोर्ट को छीन लिया।

    महक ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, "निशा, प्लीज इसे मुझे दे दो!"

    यह सुनकर निशा ने अपनी मां से कहा, "मां, देखो ये कहां-कहां गुल खिला रही है! हमें तो बोलती है, पर काम पर जाने की बजाय ये ना जाने कितने मर्दों को खुश करने जाती है! ये देखो, इनकी बीमारी की रिपोर्ट! ये प्रेग्नेंट है!" यह सुनकर मालती ने उस रिपोर्ट को देखना शुरू कर दिया।

    यह देखकर मालती ने महक के दो थप्पड़ मारते हुए कहा, "तू वहां काम करने जाती है या गुल खिलाने?" फिर उसने महक के बालों को कस के पकड़े हुए कहा, "बता, किसका बच्चा है तेरी कोख में?"

    यह सुनकर महक रोते हुए बोली, "नहीं, मां जी! मैंने कुछ भी नहीं किया। मुझे नहीं पता ये कैसे हुआ!"

    यह सुनकर निशा ने उसका मजाक उड़ाते हुए अपनी मां से कहा, "देखा, मां! ये कैसे सती-सावित्री होने का ढोंग करती है! अब सारे लोग हमें ही दोष देंगे कि हमने बहू पर जुल्म ढाए हैं!"

    उसकी बात पर उसकी मां ने गुस्से में कहा, "आज इसकी वो हालत करूंगी कि ये फिर से ऐसी गलती करने की कोशिश नहीं करेगी!"

    इतना बोलकर उसने अपने पति को कॉल करते हुए कहा, "निलेश, जल्दी से घर आ जाओ! देखो, कांड करके बैठी है तुम्हारी बहू!"

    तभी सामने से निलेश ने कहा, "पहली बात, वो मेरी बहू नहीं; और दूसरी बात, तुम मां-बेटी को मैं फ्री दिखाई देता हूं जो जब देखो मुझे अपने मामलों में घसीटती रहती हो! अगर आज तुम घर नहीं आईं, तो देख लेना, ये मनहूस हमारी नाक कटवाकर रख देगी!"

    निलेश ने हैरानी से कहा, "अब क्या कर दिया उसने?"

    यह सुनकर मालती ने कहा, "निलेश, तुमसे जितना कहा जाए, उतना करो! अभी के अभी 15 मिनट में तुम मेरे सामने दिखाई देने चाहिए, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"

    यह सुनकर निलेश भी एक पल डर गया। उसने मन में सोचा, "अगर मैं घर नहीं गया, तो ये पता नहीं कौन सा भूचाल ला देगी मेरी ज़िंदगी में!" "सुन रहे हो ना आप?" यह सुनकर उसने हड़बड़ाते हुए कहा, "हां, सुन रहा हूं मैं। मैं बस घर आ ही रहा था, रास्ते में था। अभी बस 5 मिनट में घर आ पहुंच जाऊंगा!"

    यह सुनकर उसने थोड़ी तेज आवाज में कहा, "ठीक है!" इतना बोलकर उसने कॉल काट दिया।

    थोड़ी देर में वह भागते हुए वहां आया और उन दोनों की तरफ देखते हुए कहा, "अब क्या कर दिया इसने?" यह सुनकर मालती ने वह रिपोर्ट उसके मुंह पर फेंकते हुए मारा और गुस्से से कहा, "खुद ही देखो, तुम्हारी ये बहू एक विधवा होते हुए एक बच्चे को अपने पेट में लिए घूम रही है!"

    यह सुनकर उन्होंने अपने दिमाग़ में शातिर प्लान बनाते हुए महक से प्यार से कहा, "महक, बेटा!"

    उनकी बात को सुनकर तो जैसे उन तीनों पर बिजली गिर पड़ी हो! किसी को भी अपनी-अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था!

    निशा ने नफरत भरी आवाज में कहा, "डैड, आप इसे मार क्यों नहीं रहे हो? इसने इतनी बड़ी गलती कर दी है!"

    यह सुनकर निलेश ने उसे डांटते हुए कहा, "निशा, तुमने जितना कहा जाए, उतना किया करो! ये तुम्हारी भाभी है। अब हो गई गलती, इसमें इसका क्या दोष है, हां?"

    फिर महक की तरफ देखकर प्यार से बोले, "महक, बेटा, अब जो होना था, वो तो हो गया। हम नहीं रोक सकते थे। पर अब ये समाज, बेटा, हमें जीने नहीं देगा। इसलिए मैंने सोचा है कि तुम्हारी एक बार फिर से शादी करवा दूं। इससे हमारे खानदान की इज्ज़त बच जाएगी।"

    यह सुनकर मालती की आंखें चमक उठीं और उसने भी उनकी बातों में अपनी हां मिलाते हुए कहा, "हां, महक, बेटा। ये ठीक कह रहे हैं। तुम तो हमारी बेटी जैसी हो! पर ये समाज के लोग तुम्हारा जीना मुश्किल कर देंगे अगर उन्हें पता चला कि तुम्हारे पेट में एक बच्चा है। अपना नहीं, तो इस नन्ही सी जान का तो फ़िक्र करो जो तुम्हारे पेट में पल रहा है!"

    महक ने यह सुनने के बाद कुछ सोचते हुए कहा, "ठीक है, मैं तैयार हूं इस शादी के लिए!"

    महक की हां सुनकर वो दोनों पति-पत्नी एक-दूसरे की आंखों में देखते हुए बोले, "मछली जाल में फंस ही गई आखिरकार!"

    फ्लैशबैक एंड।

    निशा की मां मालती ने कहा, "जल्दी से इसे ठीक करके लेकर आओ नीचे!" यह सुनकर निशा ने कहा, "ठीक है, मॉम। आप जाइए और दूल्हे को देखिए। मैं अभी लेकर आती हूं इसे।"

    वहीं दूसरी तरफ नीचे एक मोटा सा आदमी, जिसकी तोंद गेंद की तरह निकली हुई थी, वो निलेश से उत्सुकता से बोला, "निलेश, इतनी देर कहां लग गई? हां, महक को!"

    यह सुनकर निलेश ने उसे समझाते हुए कहा, "बस थोड़ी देर और। लो, देखो वो आ ही गई।" उस मोटे आदमी का ध्यान महक पर गया। उसने महक को देखते हुए कहा, "निलेश, तुम्हारा काम हो गया समझो अब!"

    वहीं महक ने जैसे ही उस आदमी को देखा, उसके कदम वहीं रुक गए। निशा ने एक नकली मुस्कान देते हुए धीरे से कहा, "चलो, महक, हमारी इज्ज़त का तमाशा मत बनाओ यहां!"

    इतना बोलकर वह जबरदस्ती उसे अपने साथ मंडप में ले गई। वह मोटा आदमी महक में ही खोया हुआ था!

    जैसे ही उन दोनों का गठबंधन हुआ, एक तेज आवाज उस पूरे हॉल में गूंज उठी, "ये शादी नहीं हो सकती!"

  • 4. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 4

    Words: 1323

    Estimated Reading Time: 8 min

    जैसे ही सब लोगों ने वह आवाज़ सुनी, सब अविश्वास से उस ओर देखने लगे!

    उन्होंने देखा कि एक लड़का काले टक्सीडो सूट में, काले जूते पहने, हाथ में महँगी घड़ी और एक हाथ में बंदूक पकड़े हुए महक के पास आने लगा!

    महक का चेहरा इस वक्त घूंघट में छिपा हुआ था। महक ने उस आवाज़ को सुनकर मन ही मन कहा, "ये आवाज़ तो... ये आवाज़ तो मेरे अद्यांश की है! लेकिन वो यहां कैसे हो सकता है? उसे तो मरे हुए पूरे पाँच साल हो चुके हैं!"

    इतना सोचते हुए उसकी आँखों में नमी छा गई। उसके दिमाग में वो पल घूमने लगे जो उन्होंने साथ बिताए थे!

    **फ्लैशबैक (पाँच साल पहले):**

    दिल्ली, आरके कॉलेज।

    महक को कुछ लड़कियों ने घेर रखा था। एक लड़की ने महक को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, "उस अद्यांश ने इस बहन जी में आखिर ऐसा क्या देखा जो हर वक्त इसके आगे-पीछे मजनू बनकर घूमता रहता है!"

    दूसरी लड़की ने महक पर टोन्‍ट मारते हुए कहा, "तुम्हें देखकर लगता है कि अद्यांश को इसमें इंटरेस्ट होगा।" तीसरी ने उन दोनों को देखते हुए कहा, "मुझे तो लगता है इसने उसे ब्लैकमेल किया होगा। नहीं तो तुम लोगों ने भी सुना होगा, अद्यांश अपने आस-पास किसी लड़की को आने नहीं देता। आज तक उसने शिवांगी (जो उसकी दोस्त है) से भी तो दूर रहता है, पर इस महक के पीछे-पीछे कैसे सब कुछ भुलाकर घूमता है!"

    यह सुनकर पहली लड़की ने धमकी देते हुए कहा, "ए... लड़की! तुम हमारे अद्यांश से जितना हो सके उतना दूर रहो।" पहली वाली लड़की ने भी उसका साथ देते हुए कहा, "हाँ, और वैसे भी न तो तुम्हारी शक्ल इतनी अच्छी है और न ही बैंक बैलेंस जिसके कारण कोई तुम्हें भाव दे!"

    यह सुनकर महक की आँखें गीली हो गईं। उसने अपनी धीमी आवाज़ में कहा, "लेकिन इसमें मेरा क्या दोष? ये बातें आप लोग मुझसे क्यों कर रही हो? जाकर अद्यांश जी से क्यों नहीं करतीं? उन्हें जाकर समझाएँ कि वो मेरा पीछा न करे!"

    यह सुनकर उन तीनों लड़कियों के चेहरे गुस्से से लाल हो गए और उन्होंने महक पर भड़कते हुए कहा, "तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अद्यांश को अपना कुत्ता पुकारो!"

    महक ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था। मैं तो बस समझा रही थी कि आप उनसे बात करें।" इतना कहते हुए उसकी आवाज़ धीमी हो गई!

    उन तीनों लड़कियों ने एक-दूसरे को आँख का इशारा करते हुए कहा, "आज हम तेरे साथ ऐसा कुछ करेंगे कि तू कभी इस कॉलेज में नहीं दिखेगी।" इतना बोलकर एक लड़की ने महक की किताबें नीचे फेंक दीं। महक अपनी किताबें जमीन पर पड़ी देखकर रो रही थी। महक ने रोते हुए उन तीनों से कहा, "प्लीज़, मेरी बुक्स! इन्हें कुछ मत करिए।" लेकिन उन तीनों ने बड़ी बेरहमी से महक की आँखों के सामने उसकी किताबें आग में जला दीं!

    महक का यह दर्द अभी ख़त्म नहीं हुआ था कि वे तीनों महक को अपने साथ खींचते हुए लेडीज़ वॉशरूम में ले गईं! और सारी लड़कियों को वहाँ से जाने को कह दिया। सारी लड़कियों ने जब उन तीनों की बातें सुनीं और महक की हालत देखी तो उन्हें तरस आया! पर वे कुछ भी नहीं कर सकती थीं क्योंकि वे तीनों काफ़ी बड़े ख़ानदानों से आती थीं। किसी का बाप आईपीएस अधिकारी और किसी का हाई कोर्ट में वकील था तो कोई माफ़िया था!

    उन तीनों ने महक को वॉशरूम में ले जाकर उसके दुपट्टे को दूर हटाते हुए कहा, "उस अद्यांश को ही नहीं, आज सब लोगों को सब कुछ दिखेगा जो भी इस दुपट्टे के नीचे है।" महक ने उन लोगों के सामने हाथ जोड़ते हुए रोते हुए कहा, "प्लीज़, मेरे साथ ऐसा कुछ मत करो। प्लीज़, मैं यह जगह ही छोड़ दूंगी।" उसकी बात पर पहली लड़की बोली, "क्यों? तुम्हें हमारे सिर पर पागल लिखा है दिख रहा है? अरे भई! इतना बढ़िया मौका मिला है हमें आज तुमसे बदला लेने का! अगर अद्यांश कुछ दिनों के लिए अपनी बुआ के पास अमेरिका नहीं जाता तो हमें तो यह मौका नहीं मिलता।" इतना बोलकर उसने महक के सूट को सामने से फाड़ दिया और साइड से भी थोड़ा सा!

    महक बुरी तरह से रोते हुए अपनी छाती पर हाथ रखकर खुद को कवर कर रही थी!

    तभी पहली वाली लड़की ने दूसरी उन दोनों लड़कियों से बोली, "नित्या, अदिति! तुम दोनों इसके हाथ पकड़ो, मैं इसकी वीडियो बनाती हूँ।" उसकी बात को सुनकर वे दोनों ने एक साथ कहा, "ठीक है शीतल! जो भी करना जल्दी करना।" इतना बोलकर उन दोनों ने उसके हाथों को पीछे की ओर कर दिया। शीतल ने महक की गलत तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं!

    वहीं दूसरी तरफ अद्यांश काफ़ी दिनों बाद कॉलेज आया था। उसके हाथों में गुलाब का गुलदस्ता था और कुछ चॉकलेट्स भी। उसने फूलों और चॉकलेट्स की तरफ़ देखते हुए कहा, "अब महक की पसंद तो मुझे पता चल गई। देखता हूँ आज वो कैसे मना करती है।" इतना बोलकर वो जैसे ही जाने को हुआ कि उतने में उसे वहाँ की लड़कियों की बातें सुनीं!

    दो लड़कियाँ महक की बातें करते हुए एक-दूसरे से बोल रही थीं, "देखा तुमने उस बेचारी महक के साथ कितना बुरा किया? पहले तो बेचारी की किताबें जला दी और अब ना जाने उसके साथ क्या करेगी!"

    तभी पहली वाली लड़की ने लाचारी से कहा, "सही कहा तुमने! कुछ दिनों पहले उसने महक का चश्मा तोड़ दिया था और इतने से भी मन नहीं भरा तो सब वॉशरूम में ले जाकर उसकी वीडियो बना रही है! मुझे तो बड़ा तरस आ रहा है उस पर।" अद्यांश ने जैसे ही वो बातें सुनीं उसने उन लोगों का रास्ता रोकते हुए पूछा, "क्या कहा तुम दोनों ने? क्या हुआ महक को?"

    ये सुनकर उन दोनों ने उसे सब कुछ बता दिया। यह सुनकर अद्यांश ने उन फूलों और चॉकलेट्स को उन दोनों को देते हुए कहा, "ये तुम दोनों रखो। मैं महक के लिए कोई और लेकर चला जाऊँगा। मैं इन्हें वेस्ट नहीं जाने दे सकता।" यह सुनकर उन दोनों ने खुशी से उन फूलों और चॉकलेट्स को लिया और निकल गईं!

    वहीं महक की उन तीनों ने गलत वीडियो बना दी और जैसे ही वो उसे अपलोड करने वाली थी, एक तेज आवाज़ के साथ अद्यांश ने दरवाज़ा खोला। उसने उन तीनों के फोन को ज़ोर से नीचे पटक दिया क्योंकि उसने वे आवाज़ें सुन ली थीं और महक को भी देखा था!

    उसने उन तीनों को पहले पाँच थप्पड़ मारे। उसके बाद उसने उन तीनों के फोन को फ्लश में बहा दिया। यह देखकर वे तीनों गुस्सा करने लगीं! कि तभी अद्यांश ने अपने कुछ बॉडीगार्ड से कहा, "इन्हें दूसरों की फिल्म बनाने का बड़ा शौक है तो इनका यह शौक पूरा कर दो!" और ध्यान रहे पूरा कॉलेज इन तीनों का तमाशा देखे। इतना बोलकर उसने अपना कोट महक को पहनाते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो महक। मुझे आने में थोड़ी सी देर हो गई।" यह सुनकर महक ने अद्यांश को देखा और फिर रोते हुए उसके सीने से जा लगी! और सिसकते हुए बोली, "तुम बहुत बुरे हो! मुझसे प्यार करते हो फिर भी तुम मुझे छोड़कर चले गए!"

    यह सुनकर अद्यांश ने उसके आँसुओं को बड़े प्यार से साफ़ करते हुए कहा, "बटरफ्लाई, प्लीज़ रो मत। देखो मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूँ और मैं वादा करता हूँ आज के बाद तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊँगा!"

    इतना बोलकर उसने महक को अपने सीने से लगाकर रखा हुआ था। दोनों की आँखों में हल्के आँसू थे!

    **फ्लैशबैक एंड**

    अद्यांश ने उस मोटे आदमी को लात मारते हुए कहा, "तुम्हारी इतनी हिम्मत? मेरी महक से शादी करो?!" अद्यांश ने तेज आवाज़ में कहा!

    उसकी तेज आवाज़ सुनकर वहाँ खड़े सब लोग डर से काँप गए! पर किसी की भी हिम्मत नहीं हुई उसे कुछ कहने की क्योंकि उसका ओरा काफ़ी खतरनाक लग रहा था!

    महक के ससुराल वालों की तो जैसे बोलती ही बंद हो गई उसे देखकर क्योंकि अद्यांश के साथ एक बॉडीगार्ड की फौज थी और अद्यांश की बंदूक उस मोटे आदमी पर थी!

  • 5. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 5

    Words: 1131

    Estimated Reading Time: 7 min

    अद्यांश ने उस मोटे आदमी के सिर पर बंदूक तानते हुए गुस्से से कहा, "तेरी इतनी हिम्मत? तू मेरी बटरफ्लाई से शादी करेगा?" जैसे ही महक के कानों में यह आवाज़ आई, उसने अपने लहंगे को कसकर पकड़ लिया।

    महक के कानों में एक आवाज़ बार-बार गूंज रही थी, "बटरफ्लाई, तुम सिर्फ़ मेरी हो। अगर किसी ने बीच में आने की कोशिश की, भले ही वो इंसान हो या कोई भी, उसे मरना होगा!" और एक बात हमेशा याद रखना, "You belongs to me."

    महक ने अपने मन में कुछ सोचते हुए कहा, "नहीं, ये सच नहीं हो सकता। ये अद्यांश... नहीं हो सकते!" पर अगर सच में हुआ तो मेरी वजह से एक आदमी की मौत होगी, एक नहीं, ना जाने कितनी लाशें बिछ जाएंगी यहाँ! नहीं, नहीं। मैं ऐसा नहीं होने दे सकती।" इतना सोचकर महक उस मोटे आदमी के सामने किसी चट्टान की तरह खड़ी हो गई और अपनी मुट्ठी कसकर बंद करते हुए अपनी धीमी आवाज़ में अद्यांश से कहा, "आप ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते, आप किसी की जान नहीं ले सकते!"

    यह सुनकर अद्यांश की नज़र उस पर चली गई। अद्यांश अभी महक में खोया हुआ ही था कि तभी एक बार फिर महक ने अपनी धीमी और मधुर आवाज़ में कहा, "ये गलत है, आप ऐसा नहीं कर सकते। अगर आप किसी को मरना ही चाहते हैं तो मुझे मारो!"

    यह सुन अद्यांश ने एक डेविल स्माइल लिए कहा, "ओह!" अपने होने वाले पति की इतनी फिक्र! कहते हुए उसका दिल पूरी तरह से जल रहा था।

    महक ने कुछ पल की चुप्पी के बाद कहा, "नहीं, मुझे किसी की फिक्र नहीं है यहाँ, बल्कि मैं नहीं चाहती कि यहाँ मेरी वजह से कोई खून-खराबा हो!"

    यह सुन अद्यांश ने मज़ाक में हँसी उड़ाते हुए कहा, "ओह, इसलिए अपनी जान दे रही हो? ठीक है फिर।" इतना बोलकर उसने महक का घूंघट थोड़ा सा ऊपर उठाया। महक ने आँखें बंद कर लीं और अद्यांश की बंदूक को अपने सिर पर रखते हुए कहा, "लीजिए, कर लीजिए अपना बदला पूरा!"

    यह सुन अद्यांश ने उसके कानों में अपनी धीमी आवाज़ में कहा, "वो तो मैं वैसे भी करूँगी, मिसेज़ महक अद्यांश धनराज!"

    महक ने जैसे ही यह बात सुनी, उसने शोक होते हुए अपनी आँखें खोलीं। महक की आँखों में एक दर्द, एक तड़प थी, वहीं दूसरी तरफ अद्यांश की आँखों में गुस्सा और नफ़रत थी!

    महक को इस तरह देखकर अद्यांश ने आगे कहा, "सारी गलती तुम्हारी है, पर इन लोगों की गलती बस इतनी है कि तुम्हारी शादी मेरे रहते हुए किसी और से करवाने की कैसे सोच सकते हैं! ये तो गलत बात है ना?" उसकी बात को सुन महक कुछ कहना चाहती थी कि पीछे से महक की सास ने अपनी तेज आवाज़ में कहा, "तुम कौन हो इस तरह से शादी में तमाशा करने वाले?"

    यह सुन अद्यांश कुछ कहता कि उससे पहले ही राजवीर ने उन लोगों की तरफ़ देखते हुए कहा, "आप जिनके बारे में ये बकवास बातें की जा रही हैं, जानती भी हैं वो कौन है?"

    महक की सास ने मुँह बनाते हुए कहा, "होगा कोई सड़क छाप गुंडा!"

    यह सुन राजवीर को मन ही मन उस औरत पर हँसी आ रही थी, लेकिन वह हँस नहीं सकता था। यह सोचकर उसने कहा, "ये कोई गुंडा नहीं, बल्कि AD कंपनी का मालिक, मिस्टर अद्यांश धनराज है!"

    जैसे ही उसने अपनी बात पूरी की, तो महक की सास ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। अगर महक की शादी नहीं हुई तो हमारी समाज में कितनी बदनामी होगी! मैं ऐसा नहीं होने दूँगी।"

    राजवीर ने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा, "ओह, लगता है आपको समाज की इतनी चिंता है, पर कोई बात नहीं, इसका भी सोल्यूशन है मेरे पास!"

    यह सुन महक की सास ने अपनी आँखों में चमक लिए कहा, "क्या?"

    तो जवाब में राजवीर ने कहा, "क्यों ना आप अपनी बेटी की शादी उस मोटे आदमी से करवा दें, इससे आपकी बदनामी भी नहीं होगी और आपकी इज़्ज़त भी रह जाएगी!"

    यह सुन उन दोनों माँ-बेटी ने अपनी तेज आवाज़ में कहा, "नहीं!"

    यह सुन निशा ने फिर से कहा, "मैं उस मोटे आदमी से शादी नहीं करूँगी, महक को ही उससे शादी करनी होगी!"

    अपनी बेटी का साथ देते हुए निशा की माँ ने कहा, "हाँ, मेरी बेटी बिल्कुल सही कह रही है। अभी इसकी उम्र ही क्या है?"

    यह सुन राजवीर ने उनका मज़ाक उड़ाने के अंदाज़ में कहा, "खुद की बेटी से इतना प्यार और उस बेचारी महक के साथ इतना गलत करने जा रही हो!"

    उसकी बात पर उन दोनों माँ-बेटी की ज़ुबान को जैसे ताला लग गया, पर फिर भी वो दोनों हार नहीं मानीं। वो दोनों चीखने-चिल्लाने लगीं और मेहुल और उसके बाप, वो दोनों भी उन्हें बोलने लगे, "नहीं, आप लोग ऐसे गुंडागर्दी नहीं कर सकते!"

    यह सुन राजवीर ने अपने बॉडीगार्ड को इशारे से बुलाया और अपनी सर्द आवाज़ में कहा, "इन लोगों का अच्छा से ख्याल रखो!" आखिर इन लोगों ने बॉस से हमारी होने वाली लेडी बॉस को दूर रखा!

    इतना सुनते ही उन बॉडीगार्ड ने उन लोगों को पीटना शुरू कर दिया!

    वहीं महक के पास खड़े उस मोटे आदमी ने कहा, "तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते। इस लड़की को पाने की कीमत दी है मैंने पूरी दो करोड़!"

    यह सुन अद्यांश की आँखें लाल, किसी ज्वाला की तरह चमकने लगीं। उसने उस मोटे आदमी के हाथ में गोली मारते हुए कहा, "यही हालत होगी उस हर शख्स की जिसने मेरी महक की तरफ़ आँख उठाकर देखा!" दरअसल, अद्यांश जब महक के पास वहाँ पहुँचा था तो उसने उस आदमी का हाथ महक की तरफ़ बढ़ते हुए देख लिया था।

    अपने हाथ में गोली लगते ही वह मोटा आदमी जमीन पर गिर पड़ा, पर अद्यांश को इस वक़्त इतना गुस्सा आ रहा था कि उसने अपने जूते उसके गोली लगे हाथ पर रखते हुए कहा, "यही हालत होगी..." फिर उसने महक को अपनी बाहों में उठाया और पंडित से कहा, "पंडित जी, आप मंत्र शुरू करो, मैं अभी इसी वक़्त शादी करूँगा!"

    वो पंडित जी उसे रोकना चाहते थे, पर अद्यांश का ओरा इतना खतरनाक था कि कुछ बोल ना सके!

    महक ने अद्यांश के सीने में अपने छोटे-छोटे हाथों को मारते हुए कहा, "मुझे तुमसे शादी नहीं करनी।" यह सुन अद्यांश ने अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए कहा, "तो क्या इस मोटे आदमी से करनी थी शादी?"

    यह सुन महक ने कहा, "नहीं, बिल्कुल नहीं, मुझे किसी से शादी नहीं करनी।" पर अद्यांश ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए फेरे लिए, फिर उसके गले में एक लॉकेट पहना दिया जो कि एक हीरे का था, जिस पर एक तितली और एक बाघ के नाखून बने हुए थे। उस पर AD लिखा हुआ था। फिर उसने महक की मांग में सिंदूर भर दिया, जिससे वह सिंदूर महक की नाक पर भी आ गिरा।

  • 6. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 6

    Words: 649

    Estimated Reading Time: 4 min

    अद्यांश ने जब महक की मांग में सिंदूर भरा, तो महक की आँखें खुशी से बंद हो गईं और सिंदूर उसके नाक पर आ गिरा।

    महक ने अपनी मांग के सिंदूर को जैसे ही अपने हाथों से छूकर देखा, उसकी आँखों में खुशी के आँसू आ गए।

    अद्यांश ने उसे एक नज़र देखकर मन में बोला, "जितना खुश होना है, हो जाओ महक। क्योंकि इसके बाद ये खुशी के आँसू ही तुम्हारे लिए ज़हर बन जाएँगे!"

    ये मंगलसूत्र ही तुम्हारे गले का फंदा होगा, और ये हाथ और पैर के कंगन और पायल, ये वो बेड़ियाँ होंगी जो तुम्हें कभी मुझसे दूर नहीं जाने देंगी। वेलकम टू हेल, मिसेज़ महक अद्यांश धनराज!


    वहीं राजवीर ने महक की शादी होते ही उस मोटे आदमी को छोड़ दिया। उसके छूटने के बाद, वो मोटा आदमी लड़खड़ाते हुए महक के ससुर के पास जाकर दर्द से कराहते हुए बोला,

    "तुम...तुमने ये ठीक नहीं किया, अवस्थी! अगर तुझे पता था इस महक का कोई चक्र चल रहा है, तो मुझे पहले ही मना कर देता। पर अब तुमने जो गलती की है, उसकी सज़ा तुम्हारी बेटी भुगतेगी!"


    "मैं तुम्हारी बेटी निशा से शादी करूँगा, वो भी अभी इसी वक्त!" ये बात सुनकर निशा के माँ-बाप गुस्से से तेज आवाज़ में एक साथ बोले,

    "नहीं! ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता! ये हमारी बेटी है, और तुमने अपनी उम्र देखी है?" वहीं निशा अपनी माँ के पीछे जाकर छिप गई।


    ये देख उस मोटे आदमी ने कहा, "अच्छा, और महक? वो तुम दोनों की बेटी नहीं थी क्या? तब याद नहीं आया? हाँ!"

    ये सुनकर उन दोनों के पास बोलने को कुछ नहीं था। फिर महक की सास ने कहा, "हाँ, क्योंकि उसकी बात अलग थी। क्योंकि वो हमारी बहू थी। उसके माँ-बाप ने उसे उसके पति के मरने के बाद यहीं हमारे यहाँ छोड़ दिया था!"

    "वैसे भी, अगर उसकी शादी तुमसे होती, तो उसका घर बस्ता। मुफ्त का खाकर तो वैसे भी वो भेष बनने वाली थी, तो इसमें हमारी क्या गलती? ये तो इसके माँ-बाप को सोचना चाहिए था! बिना दहेज के उनकी बेटी को इतना अच्छा ससुराल मिला!"


    "तो हमें भी कुछ फ़ायदा चाहिए था। हमने कौन सा गलत किया? एक विधवा बहू, जिसकी कोख में जा जाने किसका खून है, उसका घर ही तो बसा रहे थे हम लोग!"

    ये बातें अगर अद्यांश सुनता, तो पक्का उन लोगों की जान ले लेता, पर वो उनसे दूर था, तो सुन नहीं पाया। वहीं उस आदमी ने गुस्से में आकर निशा का हाथ पकड़ा और अपने दर्द को बर्दाश्त करते हुए उसे मंडप में जबरदस्ती ले जाने लगा। तभी अचानक से उसकी माँ महक के आगे आकर उसके पैरों में गिरते हुए बोली,

    "मेरी बेटी! वो मेरी बेटी की ज़िंदगी बर्बाद कर देगा!" महक ने ये सुनकर अपनी भरी आवाज़ में कहा, "और मेरा क्या? मेरी ज़िंदगी बर्बाद नहीं होती?" उसकी सास ने कहा, "तुम दोनों की बात अलग है..." तुम कहते-कहते उनके होठ कुछ पल खामोश हो गए।

    क्योंकि वहाँ अद्यांश था, और उसके सामने वो कोई भी लड़ाई नहीं करना चाहती थीं। इसलिए उसने शांति से कहा, "बेटा महक, तुम प्लीज़ अपने पति से कहो, वो आदमी मेरी बेटी को छोड़ दे!"

    महक ने आशा भरी नज़रों से अद्यांश को देखा, तो अद्यांश ने बिना महक की तरफ़ देखे कहा, "अब इनसे तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं, महक। इसलिए इन्हें छोड़ो और चलो मेरे साथ!"

    ऐसा बोलकर वो आगे चलने लगा। पीछे महक ने अपनी सास से कहा, "अब मैं इसमें कुछ नहीं कर सकतीं। ये आपके परिवार का मामला है।" ये सुनकर उसकी सास ने नफ़रत में उसके फ़ेस पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा,

    "मैंने तुझ जैसी अहसान फ़रामोश लड़की पूरी दुनिया में नहीं देखी होगी! जिस थाली में खाया, उसी में छेद कर दिया! हाँ!"

    "इससे तो अच्छा होता तुम भी मर जाती अपने पति के साथ!" इतना बोलकर उन्होंने अपना हाथ जैसे ही उठाया, वैसे ही महक ने डर से अपनी आँखें बंद कर लीं।

  • 7. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 7

    Words: 753

    Estimated Reading Time: 5 min

    वो हाथ महक को छूता उससे पहले ही अद्यांश ने उसकी सास के हाथ को जोर से झटकते हुए दूर कर दिया। अद्यांश की आँखें गुस्से से लाल हो गई थीं। उसने एक-एक शब्द चबाते हुए कहा,

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी महक को मारने की? हाँ, वो तुम लोगों की बेटी नहीं, बल्कि अब से मेरी बीवी है। समझी? उस पर हाथ उठाना तो दूर, सोचना तक गुनाह है!"

    ये सुनकर महक की सास हकलाती हुई बोली, "ये...ये...महक को मैं मारना नहीं चाहती थी, पर ये मेरी बेटी की शादी उस बूढ़े आदमी से रोक नहीं रही। इससे कहो ना कि ये मेरी बेटी की शादी रुकवा दे!"

    "उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी," ये सुनकर महक ने अपने गाल पर हाथ रखते हुए कहा, "इसमें मेरी क्या गलती, माँ जी? आप लोगों ने ही उस आदमी से मेरी शादी करवाने की कोशिश की!"

    "अब जब मेरी शादी नहीं हुई, तो वो आपकी बेटी से ही शादी करेगा ना? मेरे साथ ऐसा करने से पहले आप लोगों ने एक बार भी नहीं सोचा, तो मैं क्यों सोचूँ आप लोगों के बारे में!"

    फिर उसने अद्यांश से कहा, "चलिए अद्यांश जी, यहाँ से!"

    ये सुनकर अद्यांश ने महक का हाथ छोड़ते हुए कहा, "चलते हैं, पर पहले इस औरत को सजा तो दे दूँ। आखिर इसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी को मारने की!"

    ये सुनकर महक ने मना करते हुए कहा, "नहीं अद्यांश जी, मुझे इनसे कोई शिकायत नहीं है, इसलिए चलिए यहाँ से।" वो जैसे ही जाने लगी, एक तेज़ थप्पड़ की आवाज़ उसके कानों में पड़ी!

    ये आवाज़ सुनकर महक ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वो थप्पड़ अद्यांश ने महक की सास को मारा था। इससे पहले कि महक कुछ बोल पाती, अद्यांश ने लगातार उसकी सास को जोर से पाँच थप्पड़ जड़ दिए!

    और फिर नफ़रत से कहा, "आज के बाद अगर तुमने कुछ करने की कोशिश की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा तुम लोगों के लिए!"

    इतना बोलकर वो महक का हाथ थामे आगे बढ़ गया। उसके जाने के बाद राजवीर भी उनके पीछे चला गया।

    वहीं उस मोटे आदमी ने निशा से कहा, "ओह मैडम, इसमें इतना रोने-धोने की क्या बात है? तुमसे शादी करके अपनी रानी बना रखूँगा तुम्हें!"

    "तू राज़ करेगी?" ये सुनकर निशा रोते हुए बोली, "नहीं...मुझे नहीं शादी करनी तुमसे।" इतना बोलकर वो हिचकियाँ लेने लगी।

    उसकी माँ उसे सम्भालने को आई, कि उस मोटे आदमी ने नफ़रत से कहा, "एक तो मेरा पैसा ले लिया, उसके बाद तुम लोगों ने उस आर्मी ऑफ़िसर अद्यांश से महक की शादी करवा दी!"

    ये सुनकर महक की सास और ससुर ने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा, "देखिए, इसमें हमारी कोई गलती नहीं थी! हमने तो आपसे ही शादी करानी चाही, पर अब महक इसमें बीच में आ गई, तो हम लोग क्या ही कर सकते थे इसमें!"

    ये सुनकर उस मोटे आदमी ने कहा, "तो जब तुम इसमें कुछ नहीं कर सकती थीं, तो मेरे पैसे, वो जितने भी लिए तुम लोगों ने, अभी के अभी वापिस करो!"

    वो हकलाती हुई बोली, "पै...पै...पैसे...वो नहीं हैं मेरे पास, कोई पैसा नहीं है हमारे पास!"

    ये सुनकर निशा रोते हुए बोली, "माँ, दे दो इस आदमी के पैसे और आज़ाद करवा दो!"

    ये सुनकर उसकी माँ ने कहा, "वैसे ये कुछ ग़लत तो नहीं बोल रहा, तुमसे शादी करके अपना घर ही तो बसाना चाहता है, इसमें इतना रोने की क्या बात है!"

    "एक बार तू खुद सोच, तेरी इससे शादी होगी तो तू राज़ करेगी। अरे किसी की भी हिम्मत नहीं होगी तुम्हारे आगे!"

    ये सुनकर निशा के पापा और भाई ने कहा, "ये आप क्या कर रही हैं? इससे हमारी निशा का क्या होगा?"

    ये सुनकर उसकी माँ गुस्से से चीख़ते हुए बोली, "तो इसके अलावा आप लोगों को कोई रास्ता दिखाई दे रहा है तो बताओ तुम दोनों!"

    उनकी बात पर उन दोनों के पास कोई जवाब नहीं था। फिर उसने आगे कहा, "अगर तुम लोगों के पास पैसे हैं तो लेकर आओ और बचा लो इसे, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकती!"

    उस मोटे आदमी ने ज़बरदस्ती निशा से शादी कर ली और उसे गुस्से में ले जाने लगा। पीछे से मेहुल, उसका भाई, उसका पीछा करना चाहता था, तो महक की सास ने उसे पकड़ लिया और गुस्से से बोली, "जाने दो उसे!"

    वहीं दूसरी तरफ, एक काफ़ी बड़ा काफ़िला मुंबई की सड़कों पर तेज़ी से बढ़ रहा था। ये कोई और नहीं, बल्कि अद्यांश और महक थे! जैसे ही वो दरवाज़े तक पहुँचे, महक की आँखें भर आईं। उसने भरे गले से कहा, "ये नहीं हो सकता!"

  • 8. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 8

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 9. बेदर्दी से प्यार का(ख़ून से सने पैरो से गृहप्रवेश )Chapter -9

    Words: 633

    Estimated Reading Time: 4 min

    महक ने जैसे ही वहाँ कदम रखा, उसने पाया कि अद्यांश सीधे अंदर चला गया। उसके जाने के बाद महक ने राजवीर की तरफ़ देखा, तो राजवीर ने अपने हाथ नीचे करते हुए कहा,

    "वह मेरा साथ आप लोगों के साथ यहीं तक था।" इतना बोलकर वह ख़ामोश हो गया। वहीं, उसके ऐसे कहते ही, महक जैसे ही अंदर जाने को हुई, उसके सामने एक औरत आते हुए बोली,

    "पहले बहू-बेटा, हमें स्वागत तो करने दो।" इतना बोलकर उसने एक प्लेट आटे की आगे कर दी। महक ने उस औरत को जैसे ही देखा, तो उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें आ गईं!

    पर उसने एक नकली मुस्कान उस औरत को दी और आगे चलने लगी। जैसे ही उसने उस आटे में पैर रखा, तो उसके पैर में काँच घुस गया!

    यह देखकर उस औरत ने डेविल स्माइल के साथ कहा,

    "क्या लगा था तुम्हें, हाँ? कि तुम शादी करके यहाँ इस महल में आओगी और राज करोगी? मैं ऐसा सपने में भी नहीं होने दूँगी, समझी! यह सब मेरी बेटी और मेरा है।"

    महक ने जैसे ही यह सुना, उसकी आँखों में हल्का पानी आ गया। यह देखकर उस औरत ने नाटक करते हुए कहा, "अरे बेटा, जल्दी करो। कितनी देर लगाओगे तुम?"

    महक ने अपना पैर आटे से निकाला तो उसने एक चावल से भरा कलश, जो काफ़ी गर्म था, आगे रख दिया! जैसे ही उस कलश पर उसका पैर पड़ा, उसकी चीख निकल गई!

    यह देखकर अद्यांश जल्दी से उसकी तरफ़ भागकर आया। यह देखकर उस औरत ने उस कलश को दूसरे कलश से बदल दिया!

    अद्यांश ने उसके पास आते हुए कहा, "क्या हुआ? तुम इतना चीखी क्यों?"

    यह सुन महक ने रोते हुए कहा, "मेरे पैर पर गर्म कलश लग गया!"

    यह सुनकर अद्यांश ने उस औरत की तरफ़ देखते हुए कहा, "दाई माँ, यह महक क्या बोल रही है? यह कलश भला क्यों गरम था?"

    यह सुनकर उस औरत ने एक नकली मुस्कान के साथ कहा, "क्या बेटा अद्यांश, तुम भी यह गरम कह रहे हो? तुम खुद ही चेक कर लो अगर यकीन ना हो।"

    यह सुन अद्यांश ने जैसे ही उस कलश को चेक किया, तो वह सामान्य था। यह देख उसने गुस्से से कहा,

    "तुम कभी नहीं सुधर सकती!"

    वहीं सोफ़े पर बैठी एक लड़की ने कहा, "अद्यांश जी, माँ आप दोनों कहाँ हो?"

    यह सुनकर वे दोनों उसके पास आ गए। उस लड़की ने जैसे ही महक को देखा, वह रोते हुए बोली,

    "अद्यांश, तुमने मुझे धोखा दिया! तुम शादी कैसे कर सकते हो, हाँ?"

    महक ने उस लड़की को जैसे ही देखा, तो उसके दिल में एक तेज़ दर्द की लहर दौड़ गई। वहीं उस लड़की ने महक की तरफ़ देखते हुए कहा,

    "अद्यांश, मुझे अपने रूम में जाना है। क्या तुम मुझे छोड़ दोगे?"

    यह सुन अद्यांश कुछ कहता, इससे पहले ही उस लड़की ने ड्रामा करते हुए कहा,

    "कोई बात नहीं, मैं खुद ही चली जाती हूँ।" इतना बोलकर जैसे ही वह जाने को हुई, वह यूँ ही नीचे गिर पड़ी!

    उसे यूँ गिरा हुआ देखकर अद्यांश ने उसे अपनी बाहों में उठाया और ऊपर रूम में ले जाने लगा। उसके जाने के बाद उस औरत ने एक डेविल स्माइल के साथ महक से कहा,

    "देखा तुमने? अद्यांश को कितनी फ़िक्र है मेरी बेटी की! और उन दोनों की जोड़ी भी देखो कितनी अच्छी लग रही है साथ में, बिल्कुल राजा-रानी की!"

    महक ने उनकी बात काटते हुए कहा, "नहीं, उनकी जोड़ी बिल्कुल भी राजा-रानी की नहीं, बल्कि एक राजा और उसकी दासी की जैसी है! तुम दोनों कितनी भी कोशिश कर लो, वह अब मेरा पति है, तो तुम लोगों की चालें अब मैं कामयाब नहीं होने दूँगी!"

    वहीं अद्यांश ने महक के पैरों में लगा ख़ून देख लिया था। उसने गुस्से में...
    aage ka kl vo bhi to agar कॉमेंट karoge tb etni कंजूसी bhi achi nahi 😑

  • 10. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 10

    Words: 965

    Estimated Reading Time: 6 min

    सोफे पर बैठी लड़की ने अद्यांश से कहा, "अद्यांश बेबी, तुम मुझे धोखा कैसे दे सकते हो? तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे धोखा देने की?"

    ये सुनकर अद्यांश ने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा, "लिसन टू मी शैफाली, ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम सोच रही हो!"

    ये सुनकर शैफाली ने महक को देखकर नफ़रत से कहा, "तुम अद्यांश, इस महक को लेकर हमारे इस बंगले में ले आए? तुम जानते भी हो इसने क्या किया था तुम्हारे साथ! पर तुम्हें याद भी कैसे होगा क्योंकि उसके कारण तो मेरे पैर गए ना! मैं ज़िंदगी भर के लिए अपाहिज बन गई हूँ। तुमने सोचा होगा ये अच्छा मौका है मुझे अपनी ज़िंदगी से बाहर निकालने का!"

    ये सुनकर अद्यांश ने अपनी आँखें बंद कर सख्त आवाज़ में कहा, "शैफाली, बस करो तुम! तुम्हें कितनी बार एक ही बात बताऊँ? मैंने महक से शादी प्यार के लिए नहीं, बल्कि नफ़रत के लिए की है! तुम्हारी हालत देखो, कैसे हुई है इस महक के कारण और तुम चाहती थी कि मैं इससे शादी ना करूँ!"

    ये सुनकर शैफाली ने अपनी तेज़ आवाज़ में कहा, "तो और भी तरीके थे ना?" ये सुनकर अद्यांश ने अपनी मुट्ठी कसते हुए कहा, "शैफाली, मुझे जो तरीका सही लगा मैंने वो किया। इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था मेरे पास!"

    ये सुनकर शैफाली ने एक तंज भरी मुस्कान के साथ कहा, "तुम्हारे दिल में जो इसके लिए प्यार का सागर था, वो नहीं वापिस उमड़ पड़ा, हाँ?" अद्यांश ने तेज़ आवाज़ में कहा, "बस बहुत हुआ!"

    उसकी आवाज़ सुनकर शैफाली की रीढ़ की हड्डी में सिहरन सी दौड़ पड़ी! वहीं हाल महक का भी था। उसके भी हाथ-पैर काँपने लगे!

    शैफाली ने अपनी व्हीलचेयर को अपने तरफ़ करते हुए उस पर बैठने की कोशिश करते हुए कहा, "मैं होती कौन हूँ तुम्हारी अद्यांश, तुमसे सवाल-जवाब करने की? तुम्हें जो सही लगे वो करो।" इतना बोलकर वो जैसे ही बैठने को हुई, एकदम से गिर पड़ी। उसे गिरता देख अद्यांश ने उसे अपनी बाहों में उठाया और उसके रूम की तरफ़ दौड़ पड़ा। पर जाते हुए उसकी नज़र महक के पैरों में थी। उसने महक के पैरों में खून देख लिया था!

    रूम में जाकर अद्यांश ने शैफाली से कहा, "देखो शैफाली, जो कुछ भी होना था वो हो चुका है। उसे हम बदल नहीं सकते! मैंने तुमसे पहले भी कहा था और अब भी बोल रहा हूँ, मैं महक से बदला लेकर उसे अपनी ज़िंदगी से बाहर निकाल दूँगा! और फिर तुमसे शादी करूँगा!"

    ये सुनकर शैफाली ने डरने का नाटक करते हुए कहा, "पर महक ने अगर फिर से कोई चाल चली और या उसने तुम्हें अपने बस में कर दिया तो क्या होगा?"

    ये सुनकर अद्यांश ने कहा, "मैं क्या कोई छोटा बच्चा दिखता हूँ तुम्हें, जिसे जो कोई भी कहानी सुना देगा उसकी तरफ़ हो जाऊँगा? नहीं... मैं उस महक से नफ़रत करता हूँ और उसकी ज़िंदगी नर्क जैसी कर दूँगा।" इतना बोलकर वो जैसे ही जाने को हुआ, कि तभी अचानक शैफाली ने उसका हाथ पकड़ रोकते हुए कहा, "अब कहाँ जा रहे हो तुम?"

    ये सुनकर अद्यांश ने कहा, "उस महक को उसकी असली जगह दिखाने। उसने सोचा होगा कि मुझसे शादी करके वो रानी बनकर राज करेगी यहाँ, पर उसका ये सपना मैं अभी चूर-चूर कर दूँगा।" ये सुनकर शैफाली ने कहा, "ठीक है अद्यांश, मुझे तुम पर पूरा ट्रस्ट है। तुम मुझे धोखा नहीं दोगे!"

    ये सुनकर अद्यांश ने वहाँ से जाते हुए कहा, "बस ये ट्रस्ट बनाए रखना।" इतना बोलकर अद्यांश ने अपने कदम स्टोर रूम की तरफ़ बढ़ा दिए। महक के पैरों में बहुत ज़्यादा दर्द होने लगा। महक ने डरते हुए अपने पैर से एक काँच का टुकड़ा निकाला। वैसे ही उसकी सिसकी निकल गई! और आँखों में पानी भर आया। जिसे देख अद्यांश जो अब तक बाहर था, उसने तेज़ी से एक मेडिसिन बॉक्स लेकर महक के पास आया!

    महक ने उसे देखकर अपने पैर छुपाते हुए कहा, "क्यों आए हो आप यहाँ अब? हाँ! जाओ यहाँ से अपनी शैफाली के पास! कहीं वो तुमसे नाराज़ ना हो जाए।"

    ये सुनकर अद्यांश ने हलके गुस्से से कहा, "जस्ट शट अप, महक! मुझे मेरा काम करने दो!" इतना बोलकर उसने महक के पैरों से एक काँच का टुकड़ा निकाला। जिसके निकलते हुए महक ने रोते हुए कहा, "आह! बहुत दर्द हो रहा है!" ये सुनकर अद्यांश ने उसके मुँह पर हाथ रखते हुए कहा, "चुप! कितना शोर करती हो तुम!" ये सुनकर महक की आँखों में आँसू आ गए, पर अद्यांश ने उसके आँसुओं को अनदेखा करते हुए उसके पैरों का काँच निकाल वहाँ पट्टी बाँधकर कहा, "अब ठीक हो जाएँगे जल्दी ही! अब ये मत सोचना कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। ये तो मैंने बस इसलिए किया क्योंकि तुम्हें दर्द देने का हक़ सिर्फ़ मेरा है।" अद्यांश ने महक के करीब आकर कहा, जिससे महक की साँसों में अद्यांश की गरम साँसें मिल रही थीं!

    ये देख अद्यांश महक से दूर हुआ और अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद महक ने अपने दिल पर हाथ रखते हुए कहा, "ये क्या हो गया था तुझे महक? भले ही वो तेरा पहला प्यार हो, पर अब वो तुमसे नफ़रत करता है।" इतना बोलकर वो फिर से उदास हो गई!

    वहीं दूसरी तरफ़ अद्यांश के रूम में; अद्यांश ने दीवार पर ज़ोर से मुक्का मारते हुए कहा, "तुम मेरी लाइफ़ को कंट्रोल नहीं कर सकती महक अवस्थी! मुझे तुमसे बस नफ़रत है! और हमारे बीच जो तुमने नफ़रत की दीवार खड़ी कर दी, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि वो अब कभी ख़त्म ना हो। पर उससे पहले जिसके कारण तुम्हारे पैरों में चोट लगी, उसे तो सज़ा दूँ।" इतना बोलकर उसने एक कॉल करते हुए कहा, "सब कुछ हो जाना चाहिए। किसी को भी मुझ पर शक नहीं होना चाहिए, स्पेशली उस महक को! क्योंकि मैं नहीं चाहता वो खुद को स्पेशल फील करे!"

  • 11. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 11

    Words: 1414

    Estimated Reading Time: 9 min

    महक को अद्यांश ने रहने के लिए स्टोर रूम वाले कमरे में रखा था। महक के दिल में एक तूफ़ान चल रहा था। उसके दुखी होते हुए कहा, "हमारे बीच इतनी दूरियाँ कब से बढ़ गईं अद्यांश! आप तो मुझसे इतना प्यार करते थे। फिर एक बार, बस एक बार, जब मेरी शादी हो रही थी, तब आ गए होते, तो आज हमारी ज़िंदगी इस मोड़ पर नहीं पहुँची होती! मैं आपकी बीवी होती, पर अब सब कुछ बदल चुका है। आपकी नफ़रत, आपका गुस्सा, सब सहन कर सकती हूँ, पर ये नहीं कि आप मेरी जगह उस शैफाली को दो!" इतना बोलकर वो उदास हो गई।

    वहीं दूसरी तरफ़, अद्यांश इस वक़्त अपने कमरे में बने एक किंग साइज़ सोफ़े पर बैठा था। अद्यांश ने डेविल स्माइल के साथ अपनी सामने खड़ी औरत से कहा, "दाई माँ, मैंने आपको माँ कहा ही नहीं, बल्कि माना भी है! पर आपने ग़लत किया महक के साथ!"

    यह सुनकर दाई माँ ने हकलाते हुए कहा, "क...क...क्या कह रहे हो तुम अद्यांश बेटा? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा!"

    यह सुनकर अद्यांश ने अपने सिर पर हाथ रखकर कुछ सोचते हुए कहा, "दाई माँ, मैं आखिरी बार बोल रहा हूँ। आपने जो कुछ भी महक के साथ किया, उसका जवाब दीजिए। आपको क्या ज़रूरत पड़ गई महक के पैरों में काँच के टुकड़े और गरम कलश रखने की? जानती हो ना आप, उसकी स्किन कितनी सेंसिटिव है, पर आपने फिर भी किया। मैं पूछ सकता हूँ, क्यों...?"

    यह सुनकर दाई माँ ने देखा कि अद्यांश इस वक़्त काफ़ी गुस्से में है, तो उन्होंने अपना गुनाह कबूल करते हुए तेज आवाज़ में कहा, "हाँ-हाँ, मैंने किया ये महक के साथ! क्योंकि उसने कारण तुम दो साल तक कोमा में थे। जानते हो क्या हालत हो गई थी हमारी! हाँ, मानती हूँ मैं कि मैं आपकी जन्म देने वाली माँ नहीं हूँ, लेकिन आपकी दाई माँ तो हूँ। कैसे सह सकती हूँ मैं उस लड़की को, जिसके कारण आप ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे!"

    यह सुनकर अद्यांश ने तेज आवाज़ में कहा, "तो क्या मैंने पहले ही नहीं बताया था आपको कि आप या शैफाली महक के साथ कुछ भी नहीं करेंगी? मना किया था ना आपको!"

    यह सुनकर दाई माँ ने गुस्से में कहा, "अद्यांश! तो क्या हो गया? इतना बड़ा पहाड़ थोड़ी गिर पड़ा? उसका पैर थोड़ा सा ही जला होगा और थोड़ा सा ही कट लगा होगा। इतना भी सह नहीं सकती वो लड़की, और मेरी शिकायत लगा दी तुम्हारे पास!"

    यह सुनकर अद्यांश ने सख्त आवाज़ में कहा, "महक को सज़ा कैसे और कब कौन सी देनी है, ये मैं तय करूँगा, आप या कोई और नहीं! ये हक़ मैंने किसी को भी नहीं दिया, पर आपने ग़लती कर दी उसे हर्ट करके। इसकी सज़ा तो आपको ज़रूर मिलेगी!"

    सज़ा का नाम सुनते ही दाई माँ के होश उड़ गए। उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा, "अद्यांश बेटा, मुझे माफ़ कर दो, आगे से नहीं होगा ये सब! बस एक मौका दो मुझे!"

    यह सुनकर अद्यांश ने अपनी आँखें बंद कर घर की एक मेड को बुलाया और उसे कुछ इशारों से कहा... दाई माँ को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था, पर कहीं ना कहीं उसे पता चल गया था कि अद्यांश के दिमाग़ में कुछ तो ख़तरनाक चल रहा है!

    तभी वो एक कपड़ा लेकर आईं। मेड कुछ सामान लेकर आई। अद्यांश ने उस मेड से कहा, "शुरू करो अपना काम!"

    दाई माँ ने डरते हुए कहा, "क्या कर रहे हो तुम ये अद्यांश?" पर अद्यांश ने उनकी बातों को अनसुना करते हुए कहा, "महक को सज़ा देने का हक़ आपने मुझसे छीना है, इसलिए आपको आपकी सज़ा मिल रही है!"

    इतना बोलकर अद्यांश ख़ामोश हो गया। उसे ख़ामोश देख उस मेड ने दाई माँ के पैरों में काँच के टुकड़े लगा दिए। उसके बाद उसके गरम सलाखे भी मार दी! जिसके कारण दाई माँ की चीख निकल गई। उन्होंने दर्द से तड़पकर कहा, "आह! अद्यांश बेटा! बहुत पैन हो रहा है। प्लीज़ मत करो ऐसा मुझसे। और सह नहीं जाएगा!"

    यह सुनकर अद्यांश ने एक मज़ाकिया हँसी के साथ कहा, "दाई माँ, अभी तो आप बोल रही थीं कि आपने छोटा सा दर्द दिया था महक को! इसमें इतनी बड़ी बात नहीं थी, तो अब आप क्यों चीख रही हो? मैंने उससे ज़्यादा थोड़ा मारने को कहा था मेड को!"

    यह सुनकर मेड ने अद्यांश को देखा जो उसे सब ले जाने को बोल रहा था! वहीं उसको गुस्से में देख वो मेड वहाँ से चली गई। उसके जाने के बाद, शैफाली, जो अपने कमरे में सो रही थी, वो वहाँ पर आ गई क्योंकि उसका कमरा अद्यांश के कमरे के साथ ही था। वो इसलिए आई क्योंकि उसने देखा अद्यांश के कमरे से उसकी माँ की आवाज़ें आ रही थीं, जैसे वो किसी दर्द में हो बहुत! शैफाली जब अंदर गई, तो उसने देखा उसकी माँ के पैरों पर काफ़ी गहरी चोट लगी थी! यह देख उसे सारा मामला समझ आ गया!

    उसने मन में ख़ुद से कहा, "अगर मैंने अभी कुछ नहीं किया, तो ये अद्यांश कहीं मेरी मॉम को ना मार दे!" इतना सोचकर उसने अद्यांश से कहा, "अद्यांश, बात क्या है? तुमने मेरी माँ को इतना दर्द दिया? वजह जान सकती हूँ मैं इसकी!"

    यह सुनकर अद्यांश ने उसे अपनी सख्त नज़रों से देखते हुए कहा, "इन्होंने मेरी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए महक को सज़ा दी! जबकि मैंने पहले ही कहा कि महक को सज़ा देने का हक़ मेरा ही था, इसलिए!"

    यह सुनकर शैफाली ने कहा, "तो क्या हुआ अद्यांश? सज़ा तुम दो या मेरी माँ, बात तो एक ही है ना!"

    यह सुनकर अद्यांश ने उस पर चीखते हुए कहा, "बात एक नहीं है! मैं उसका पति हूँ, पर ये उसकी कुछ भी नहीं लगती!"

    यह सुनकर शैफाली को अंदर ही अंदर गुस्सा आ रहा था, पर अपने चेहरे के एक्सप्रेशन दुःखी होकर कहा, "अद्यांश, माँ ने जो किया उसका अफ़सोस है मुझे, पर तुम इन्हें छोड़ दो! मैं वादा करती हूँ, ये आगे से ऐसा कुछ भी नहीं करेंगी! बस तुम एक लास्ट चांस दे दो, सिर्फ़ मेरे लिए!"

    यह सुनकर अद्यांश ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा, "ठीक है।" यह सुनकर शैफाली जैसे ही खुश होने को हुई, तभी अद्यांश ने आगे कहा, "मैंने दाई माँ को माफ़ तो कर दिया है, पर अब से हमारे साथ नहीं रह सकती! इन्हें यहाँ से जाना होगा!"

    यह सुनकर शैफाली ने उदास होने का ड्रामा करते हुए कहा, "लगता है तुमने अभी तक माँ को माफ़ नहीं किया, तभी तुम ऐसा बोल रहे हो! जानते हो अद्यांश, तुमने मेरे साथ इतना ग़लत किया, पर फिर भी मैंने तुम्हें सज़ा नहीं दी, पर तुमने आज साबित कर ही दिया! तुम्हारे लिए कोई सबसे ज़रूरी है, तो वो है महक। उसके आगे तुम्हें दिखाई नहीं देता! अगर तुमने उसे अपनी ज़िंदगी में शामिल करना ही था, तो मुझे क्यों रखा यहाँ अपने पास!"

    फिर उसने अपनी माँ को देखते हुए कहा, "माँ, चलिए यहाँ से। यहाँ हमारा कोई काम नहीं! जब अद्यांश को ही हमारी फ़िक्र नहीं, तो क्या फ़ायदा यहाँ रहने का!"

    यह सुनकर अद्यांश ने उसकी बात को काटते हुए कहा, "तुम यहाँ से नहीं जा सकती शैफाली! तुम्हारी माँ की यहीं सज़ा है कि जब तक मैं ना कहूँ, तब तक ये तुमसे नहीं मिलेगी! और रही बात इन्हें सज़ा देने की, तो तुम भी जानती हो मेरी सज़ा मौत से भी बदतर होती है। ये तो उसके आगे सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा! और लास्ट में तुम्हें एक बात कहता हूँ, मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूँगा, भले ही मुझे तुमसे प्यार ना हो, लेकिन जो ग़लती मुझसे हुई, वो सुधारूँगा! तुम्हें इसकी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं!"

    यह सुनकर शैफाली ने अद्यांश के हाथ को पकड़ते हुए कहा, "थैंक्स अद्यांश, मेरी मॉम को माफ़ करने के लिए!" ऐसा उसने जानबूझकर कहा क्योंकि बाहर महक खड़ी थी। उसने ज़्यादा बात तो नहीं सुनी, पर उसने इतना सुना कि अद्यांश ने उसे ये कहा कि वो उसे कभी धोखा नहीं देगा। ये बात और उसकी माँ को माफ़ करने वाली बात सुनी और रोते हुए अपने कमरे में जाकर बेड पर रोते हुए घुट गई और रोते हुए कहा, "आपके दिल में उसकी माँ के लिए इतनी फ़िक्र? उन्होंने मुझे चोट पहुँचाई, पर फिर भी इतनी आसानी से माफ़ कर दिया! अगर उसे धोखा नहीं दे सकते, तो मुझे क्यों दिया आपने!"

    वहीं दूसरी तरफ़, अद्यांश ने अपना हाथ छुड़वाते हुए कहा, "मुझे जाना होगा ऑफ़िस, कुछ काम है, पर तुम अपनी माँ को अच्छे से समझा देना, मेरे घर आने के बाद ये दिखनी नहीं चाहिए!"

  • 12. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 12

    Words: 1345

    Estimated Reading Time: 9 min

    अद्यांश ने शैफाली से बिना भाव के कहा, "अपनी माँ को यहाँ से दूर भेज देना। यह दिखनी नहीं चाहिए।" शैफाली को यह सुनकर मन ही मन गुस्सा आ रहा था, पर वह अपना गुस्सा दिखा नहीं सकती थी; वरना जो हालात उसकी माँ की हुए, वही हालात उसकी होते, और शायद वह उसे इस विला से भी बाहर निकाल देता। वह ऐसा बिल्कुल नहीं होने दे सकती थी! इस शानदार विला में रहने का हक़ सिर्फ़ उसका ही है; उसे कोई नहीं छीन सकता। इतना मन में सोचकर उसने विनम्रता से कहा, "तुम माँ की फ़िक्र मत करो। मैं माँ को भेज दूँगी यहाँ से।"

    यह सुनकर अद्यांश ने उसे कुछ भी नहीं कहा और वहाँ से अपने ऑफ़िस चला गया। दरअसल, अद्यांश एक आर्मी ऑफ़िसर के साथ-साथ एक बिज़नेसमैन भी था! उसने आर्मी को कुछ साल देने के बाद अपने फैमिली बिज़नेस को चुना और उसे आगे बढ़ाने की सोची, पर देश के लिए उसका प्यार, उसका जोश आज भी कम नहीं हुआ था। वह आज भी इंडियन आर्मी और अपने देश की सेवा में लगा है, भले ही वह बॉर्डर पर ना हो, पर फिर भी वह अपने ऑफ़िस से सारे देशद्रोहियों पर, और देश को अंदर से खा रहे लोगों पर नज़र बनाए हुए था।

    अद्यांश के जाने के बाद, शैफाली की माँ ने उसकी कलाई पकड़कर उसे अपनी ओर करते हुए कहा, "क्या कहा तुमने अद्यांश से? तुम अपनी माँ को उस अद्यांश के कारण अब इस घर से निकालोगी? इतनी हिम्मत तुम्हारी? मैंने तुम्हारे कारण उस महक के पैर जला दिए, और तुम अब मुझे अपनी माँ को दूध में गिरी मक्खी की तरह निकालना चाहती हो? देखो, मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने दूँगी, समझी!"

    यह सुनकर शैफाली ने उन्हें टोकते हुए कहा, "तो आप क्या चाहती हैं कि आपके साथ मैं भी यहाँ से निकल जाऊँ और आपके साथ धक्के खाऊँ? मॉम, बात को समझो! अगर मैं यहाँ से गई, तो उस महक को मौका मिल जाएगा अद्यांश के पास जाने का। क्या आप यह चाहती हैं कि वह महक यहाँ पर राज करे और हम उससे गुलाम बनें?"

    यह सुनकर उसकी माँ ने देखा कि वह उसकी बेटी को साफ़ कर रही थी, जैसे आटे में नहा ली हो। और महक उन दोनों को ताना मारते हुए उसकी माँ को जोर से मारा, जिससे वह सीढ़ियों से नीचे गिरने लगी। यह सीन याद करके शैफाली की माँ ने चीखते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं! मैं उस महक की गुलाम बनने से अच्छा मरना पसंद करूँगी!"

    यह सुनकर शैफाली ने कहा, "माँ, समझने की कोशिश करो! तुमने महक के साथ ऐसा करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी है! अब अगर मैं भी वही ग़लती करूँगी, तो अद्यांश मुझे भी इस विला से बाहर निकाल देगा।"

    यह सुनकर उसकी माँ ने कहा, "तो क्या तुम मुझे यूँ ही जाने दोगी? हाँ! तुम क्या यह चाहती हो कि मैं सड़कों पर भीख माँगूँगी?"

    यह सुनकर शैफाली ने कहा, "नहीं, माँ! अभी तुम यह मेरा क्रेडिट कार्ड रख लो। इसमें अभी पचास लाख तक की लिमिट तो होगी। आप किसी अच्छे से होटल में रह सकती हो! बस कुछ समय के बाद, मैं खुद अद्यांश का गुस्सा शांत होते ही उससे बात करके आपको फिर से अपने पास बुला लूँगी। पर उससे पहले हमें इस महक नाम के काँटे को उखाड़ फेकेंगे!"

    "जितना दर्द आपको हो रहा है, उतना ही मुझे भी हो रहा है, और मैं आपसे वादा करती हूँ कि उस अद्यांश की नज़रों में महक को इतना गिरा दूँगी कि वह खुद ही महक को इस विला से बाहर निकाल देगा, और वह उससे इतनी नफ़रत करेगा कि महक अगर मर भी रही होगी, तो भी वह उसकी तरफ़ एक नज़र भी नहीं देखेगा!"

    उसकी माँ ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा, "सही कहा तुमने! अगर तुम भी मेरे साथ चलने लगीं, तो हमारा सपना बस सपना ही रह जाएगा! पर तुम ध्यान रखना, उस महक जैसी सीधी वह दिखती है, वैसी है नहीं! अद्यांश को अपने प्लू से बाँधकर रखेगी वह, अगर तुमने कुछ किया नहीं!"

    यह सुनकर शैफाली ने कहा, "उसकी फ़िक्र तुम मत करो, माँ! तुम बस जाने की तैयारी करो! ऐसा सोचो जैसे पिकनिक पर जा रही हो!"

    यह सुनकर उसकी माँ ने कुछ सोचते हुए कहा, "अद्यांश के कारण मैं यहाँ से जा रही हूँ, यह बात तो उस महक को भी पता चल जाएगी। फिर तो वह यह सोचेगी कि अद्यांश ने उसके कारण किया!"

    यह सुनकर शैफाली ने कहा, "उसकी फ़िक्र तुम मत करो! उसके लिए मेरे दिमाग़ में एक आइडिया है।" ऐसा बोलकर वह कुछ अपनी माँ के कान में कहने लगी।

    जिसे सुनकर उसकी माँ ने कहा, "वाह! तू तो मुझसे भी दस कदम आगे निकली!"

    इतना सुनकर शैफाली ने कहा, "आखिर बेटी किसकी हूँ!"

    इतना बोलकर वह दोनों माँ-बेटी हँसने लगीं। थोड़ी देर बाद, वह दोनों नीचे गेट के पास खड़ी थीं। महक, जो अभी-अभी पानी पीने के लिए जैसे ही बाहर आई, वैसे ही शैफाली और उसकी माँ ने बातें करना शुरू कर दिया।

    शैफाली की माँ नाटक करते हुए बोली, "वाह, शैफाली बेटा! तुमने तो कमाल ही कर दिया! तुमने एक बार अद्यांश से क्या कहा, मुझे बाहर दूसरे देश भेजने को! उसने तो उसी वक्त मेरे लिए फ़्रांस की टिकट भी बुक कर ली, और तो और उसने फ़्रांस का एक सात स्टार होटल भी बुक कर दिया है! कितनी बात मानता है तुम्हारी!"

    यह सुनकर शैफाली भी नाटक करते हुए बोली, "हाँ, माँ! आपको पता है, वह मेरी बात कभी नहीं टालते हैं! अब कल की बात ही ले लो। कल मुझे एक रिंग पसंद आ गई थी, वह पता है उन्होंने उसी वक्त मँगवा भी दी! कितना प्यार करते हैं वह मुझसे!"

    यह सुनकर उसकी माँ ने महक की तरफ़ देखकर उसे ताना मारते हुए कहा, "नज़र लगे तुम्हें किसी की! मेरी बेटी रानी है, इस घर की रानी! अब हर किसी की किस्मत में ऐसा प्यार करने वाला थोड़ी मिलता है! अब यहाँ कुछ लोगों को ही देख लो! अद्यांश से शादी करने के बाद सपना देखा होगा रानी बनने का, पर रानी बनना तो दूर की बात, वह तो घर के नौकरों से भी बुरी हालत में है!"

    महक ने उन दोनों को गुस्से में एक नज़र देखा और वहीं सोफ़े पर न्यूज़ पढ़ने लगी।

    शैफाली की माँ अपनी बेटी से गले लगकर बोली, "मुझे टाइम टू टाइम इसकी ख़बर देती रहना। अब मैं चलती हूँ।" इतना बोलकर वह वहाँ से चली गई।

    उनके जाने के बाद, शैफाली महक के पास आते हुए बोली, "क्या लगता है तुम्हें, महक? तुम्हारी अद्यांश से शादी हो गई, तो तुम राज करोगी? नहीं! अद्यांश ने तुमसे शादी अपनी नफ़रत के चलते की है, प्यार वह सिर्फ़ मुझसे करता है! तुम्हें पता है, कल पूरी रात वह मेरे पास था, मेरी बाहों में। उफ़्फ़! पर तुम... तुम्हें देखकर तो मुझे तुम पर दया आती है! अब कल तुम्हारी नई-नई शादी हुई, और तुम्हारा पति तुम्हें छोड़कर मेरे पास रहा था! और उसने जिस औरत ने तुम्हारे पैर जलाए, उसे तक माफ़ कर दिया मेरे कारण!"

    यह सुनकर महक ने उस पर हँसते हुए कहा, "शैफाली, सच क्या है और क्या नहीं, यह बात तुम भी जानती हो और मैं भी। भले ही अद्यांश ने तुम्हारी माँ को कुछ नहीं किया, और भले ही वह मेरे पास ना आए हों, लेकिन मैं यह नहीं मान सकती कि वह तुमसे प्यार करता है या उसने तुम्हें छुआ है। इतना विश्वास तो है मुझे उन पर कि वह मेरे अलावा किसी और को छूना तो दूर, देखना भी पसंद नहीं करेंगे! और रही बात तुम्हारी उनके साथ रहने की, तो एक शादीशुदा पति के साथ बिना रिश्ते के उसके घर में रहने वाली औरत को क्या कहते हैं, मिस...?"

    "मेरे कहने का मतलब तो तुम समझ गईं ना?" इतना बोलकर महक अपने रूम में चली गई। उसके जाने के बाद शैफाली ने उस न्यूज़पेपर को फाड़ते हुए गुस्से और नफ़रत से कहा, "महक! मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं! इसका अंजाम तुम्हें भुगतना होगा!" ऐसा बोलते हुए उसके दिमाग़ में कुछ न कुछ तो ख़तरनाक चल रहा था, और यह आने वाले वक़्त में पता चलेगा कि वह किसके लिए ख़तरनाक होगा—शैफाली के लिए या महक के लिए!

  • 13. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 13

    Words: 1529

    Estimated Reading Time: 10 min

    महक ने शैफाली को अच्छे तरीके से उसकी औकात बता दी थी! कि भले ही अद्यांश उसे अपनी पत्नी नहीं मानता, पर फिर भी समाज में उसके साथ खड़े रहने का हक सिर्फ़ उसका है और किसी का नहीं! शैफाली कितना भी इतरा ले अद्यांश के नाम पर, पर सच तो ये है कि लोगों की नज़रों में उसकी हैसियत एक कोठे वाली होगी, जो भले ही एक आलीशान बंगले में रहे, लेकिन एक पत्नी का हक़ उन्हें नहीं मिलता! उन्हें समाज में एक गृहस्थ जीवन में स्वीकार नहीं किया जाता! महक ने उसे सच्चाई का एक आईना दिखा दिया था! महक की बातों ने शैफाली के दिल में उसके लिए नफ़रत और भी गहरी कर दी!

    शैफाली नफ़रत से बोली, "तुमने जो सारी बातें मुझे कहीं हैं ना, इसका बदला मैं तुमसे ज़रूर लेकर रहूँगी महक, बस तुम देखती जाओ!" ऐसा बोलते हुए उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी!

    वहीं दूसरी तरफ़, अद्यांश के ऑफिस में अद्यांश अपनी मीटिंग ख़त्म करके अपने केबिन में बैठे सोच रहा था। आखिर सच ही तो कहा था शैफाली ने, उसने खुद ही तो उसके साथ इतना गलत किया और अब उसने महक से, उस लड़की से शादी कर ली, जिसके कारण वो दो साल तक कोमा में रहा! जब वो कोमा में था, तो महक नहीं थी उसके पास जो उसका ख्याल रख रही थी, वो शैफाली थी! और जब वो दो महीने पहले ठीक हुआ, तो उसने शैफाली के साथ इतना गलत कर दिया कि अब वो चाहकर भी खुद से नज़रें नहीं मिला पा रहा था!

    ऐसा मन में सोचते हुए उसने फिर से कहा, "क्या मैं गलत कर रहा हूँ शैफाली के साथ?" खुद ये सवाल करते हुए वो आज से दो महीने पहले के पल में घूमने लगा। अद्यांश एक होटल में रुका हुआ था, तभी उसके किसी दुश्मन ने उसे ड्रग्स दे दिया और उसी नशे में वो एक कमरे में गलती से चला गया और नशे की हालत में एक लड़की के करीब जाने लगा। उस लड़की की खुशबू उसे उसके प्यार यानी कि महक के जैसी लगी! उसने उस लड़की से अपनी नशीली आवाज़ में कहा, "महक, प्लीज़ मेरी हेल्प करो। आई लव यू, आई नीड यू, वरना मैं मर जाऊँगा!" वो लड़की उसे मना करती रही, गिड़गिड़ाती रही, "मुझे छोड़ दो, ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो मेरे साथ! तुम बहुत पछताओगे।" पर अद्यांश की बॉडी इस वक्त ड्रग्स के नशे में थी। अगर वो होश में होता, तो ऐसा करने से पहले मरना पसंद करता, पर वो खुद मजबूर था, उसकी हिम्मत नहीं थी वहाँ से जाने की!

    अगले दिन सुबह जब अद्यांश खुश होते हुए उठा कि उसने अपनी पहली रात किसी और लड़की को नहीं, बल्कि महक को दी होगी, उस महक को जिसे वो अब भले ही नफ़रत करता हो, पर फिर भी वो किसी और के करीब नहीं गया उसके अलावा। लेकिन उसका ये भ्रम बहुत जल्द टूटने वाला था!

    अद्यांश ने जब एक लड़की के सिसकने की आवाज़ सुनी, तो उसके कान खड़े हो गए। उसने जब अपने सामने देखा, तो उसके होश उड़ चुके थे। उसके सामने कोई और नहीं, बल्कि शैफाली बिस्तर पर बैठी थी! उसे देख अद्यांश ने एक तेज आवाज़ के साथ कहा, "तुम… तुम यहाँ हो? पर कैसे?" ये सुन शैफाली ने अपनी आँखों में आँसू लिए कहा, "मैं तो यहाँ कुछ टाइम अकेले टाइम स्पेंड करने आई थी! क्योंकि मुझे ये बेजान पैर मुझे मेरे दर्द का एहसास करवाते हैं। मुझे मेरा वो छोटा सा घर काटने को दौड़ता है। लोगों के ताने अब और नहीं सुने जाते, लोगों का ये कहना कि तुम शादी के लायक़ नहीं हो, कोई भी तुझ अपाहिज से शादी नहीं करेगा! उन तानों को सुनने के बाद, मैं यहाँ कुछ पल शांति पाने के लिए आई थी, लेकिन तुम्हारे कारण वो भी नहीं नसीब हुई।" इतना बोल वो फूट-फूट कर रोने लगी!

    फिर उसने आगे कहना शुरू किया, "पहले तो लोग मुझे अपाहिज कहते थे और अब तुम्हारे कारण मुझे लोग मर्दों के साथ सोने वाली बुलाएँगे! पहले थोड़ा बहुत चांस तो था, पर अब वो भी नहीं रहा। मेरी माँ बीमार रहती है, उन्हें ये जानकर कहीं हार्ट अटैक ना आ जाए!"

    ये सुन अद्यांश ने कुछ सोचते हुए कहा, "लेकिन मैं तुम्हारे साथ कैसे हो सकता हूँ? मैं तो कल महक के साथ…" इतना कहते-कहते वो खामोश हो गया!

    उसे खामोश होते देख शैफाली ने एक मज़ाकिया हँसी के साथ कहा, "कल पूरी रात तुम मेरे साथ रहे, पूरी रात मेरे साथ गलत करने के बाद अब तुम ये बोल रहे हो कि तुम महक के साथ हो! तुम्हारे कारण मेरे पैर अपाहिज हो गए, अब मैं ठीक से चल भी नहीं पाती, मुझे इस व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ता है! और तुम ये बोल रहे हो कि महक थी? तुम जानते नहीं हो, उस महक ने एक तुम्हें जान से मारने की कोशिश की! वो भला यहाँ क्यों आने लगी!"

    अद्यांश ने उसे रोकते हुए कहा, "पर तुम कैसे हो सकती हो वो लड़की जिसके साथ मैं को रात था?"

    ये सुन शैफाली एक तंज भरी मुस्कान के साथ बोली, "अब तुम्हें कैसे याद रहेगा? तुम पर तो उस महक के नाम की पट्टी जो बंधी है! तुम ये तक भूल गए कि उसे तुम्हारी ज़िंदगी से गए पूरे दो साल हो चुके हैं और रही बात मेरे साथ तुम्हारे होने की, तो तुम मानो या ना मानो, उससे मुझे क्या? मेरी तो ज़िंदगी बर्बाद हो चुकी है।" ऐसा कहते हुए उसने अपनी गर्दन और हाथों के निशानों की ओर इशारा किया, जिन्हें देखकर ही ये लगता था कि किसी ने गलत किया हो!

    अद्यांश ने पछतावे के साथ कहा, "देखो शैफाली, कल रात जो भी हुआ वो अनजाने में हुआ! अगर मुझे पता होता वो तुम हो तो मैं कभी भी तुम्हारे पास नहीं जाता। ये मुझसे जो गलती हुई है, उसकी सज़ा मैं भुगतने को तैयार हूँ। तुम कहोगी तो मैं अपनी सारी प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम कर दूँगा, अपना बिज़नेस, रुपया-पैसा, सब कुछ! पर मैं तुम्हें स्वीकार नहीं कर सकता, मेरे दिल में महक की जो जगह है वो मैं किसी और को नहीं दे सकता! अब… तुम मुझे जो चाहे सज़ा दे सकती हो।"

    ये सुन शैफाली ने उस पर हँसते हुए कहा, "कितनी आसानी से तुमने ये बात बोल दी अद्यांश, भले ही तुम अपना रुपया-पैसा, बिज़नेस सब मेरे नाम कर दो, तब भी क्या तुम इस बात की गारंटी ले सकते हो कि तुम मेरी शादी किसी ऐसे घर में करवा सकते हो जो ये जानते हुए भी कि मैं एक अपाहिज हूँ, और उसके साथ मैंने अपनी फ़र्स्ट नाइट किसी और को दे दी? अब बताओ कौन करेगा मुझसे शादी ये सब जानकर?"

    उसकी बातों को सुन अद्यांश को गिल्ट फील हो रहा था। शैफाली ने व्हीलचेयर पर बैठते हुए दरवाज़े की तरफ़ देखते हुए कहा, "ये समाज मुझे जीने नहीं देगा तुम्हारे कारण अद्यांश जी, इसलिए मैं जी तो नहीं सकती, पर मर ज़रूर सकती हूँ!"

    ये सुन अद्यांश ने उसकी व्हीलचेयर को पकड़ा और अपने तरफ़ घुमाते हुए कहा, "तुम क्यों मरने की बातें कर रही हो शैफाली?"

    ये सुन शैफाली ने उसे ताना मारते हुए कहा, "तो क्या तुम अब ये चाहते हो कि तुम्हारे कारण मेरी माँ को हार्ट अटैक आ जाए? वो ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाएगी, इससे तो अच्छा है मैं अपनी जान दे दूँ!" ऐसा बोल उसने आगे कहा, "अब जाने दो मुझे, रास्ता दो, तुमने जो करना था वो कर लिया कल रात! अब मुझे यहाँ से जाने दो!"

    अद्यांश को शैफाली की बातों से ऐसा लगा जैसे वो कोई अपराधी हो! उसने एक लंबी आह भरी और अपने दिल पर पत्थर रखते हुए ये कहा, "आगे की लाइन कहीं ठीक है शैफाली, मैं तुम्हारी शादी एक अच्छे इंसान से करवाऊँगा, ये मेरी ज़िम्मेदारी है, और अगर तुम मेरी शादी किसी और से नहीं करवा पाए तो क्या तुम मुझे अपनी पत्नी बनाओगी?"

    ये सुन अद्यांश कुछ पल की ख़ामोशी के बाद बोला, "हाँ, मैं तुमसे शादी करूँगा!"

    ये सुन शैफाली अपनी आँखों में चमक लिए बोली, "ठीक है फिर, अगर तुम इन दोनों कामों में से एक भी काम कर दो, तो मैं तुम्हें माफ़ करने को तैयार हूँ।" ये सुन अद्यांश खुश हो गया, उसकी माफ़ी पाने के लिए उसे कुछ भी करना पड़े वो करेगा!

    (फ़्लैशबैक एंड)

    अद्यांश ने अपनी चेयर से उठते हुए खुद से सवाल किया, "ठीक ही तो कहा शैफाली ने, मैंने उसके साथ कितना गलत किया, अब भी वो बेचारी मुझे कुछ भी नहीं बोलती! नहीं, मैं उसे दुखी नहीं कर सकता, मैं उसे अपनी बीवी ज़रूर बनाऊँगा और उस महक के सामने शादी करूँगा! उससे पहले मैं महक को तलाक दूँगा।" ये मन ही मन में अद्यांश ने सोच लिया था कि अब उसे क्या करना चाहिए। दिल और दिमाग़ के इस खेल में जीत उसके दिमाग़ की हुई!

    वहीं दूसरी तरफ़, महक किचन में खाना बना रही थी और तभी शैफाली ने कुछ सोचते हुए मन में खुद से कहा, "अब देखो तुम्हारे साथ क्या होता है महक! मुझे तुमने गलत कहा था ना! अब देखना अद्यांश कैसे तुम्हें इस विला से बाहर निकाल फेकेगा! तुम्हारे कारण मेरी माँ और मेरी जो बेइज़्ज़ती हुई, इसकी सज़ा तुम्हें इसी मिलेगी कि तुम ज़िंदगी भर याद रखोगी!" इतना बोल उसने अपनी व्हीलचेयर को किचन की तरफ़ मोड़ दिया!

  • 14. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 14

    Words: 1692

    Estimated Reading Time: 11 min

    शेफाली ने जैसे ही देखा महक किचन में गई है ये देख उसने खुद से कहा, "सब बारी है तुम्हारी महक , तुम्हें सजा देंने कि ओर ये सजा ख़ुद तुम्हें
    अद्यांश देगा ऐसा बोलते हुए उसने घड़ी पर देखा जहां अब शाम के 7बज रहे थे, ये टाइम बिल्कुल सही था अपने प्लान को अजनाम देने के लिए क्योंकि ये समय अद्यांश के ऑफिस से आने का था !

    उसने अपने फैस पर एक शैतानी मुस्कान ली ओर उसके साथ किचन में बध गई !

    किचन में जाकर उसने देखा महक ने आधा खाना बना दिया था क्योंकि वो शायद सो रही होगी तब महक चली गई होगी ये सोच उसने महक से कहा,

    महक तुम कितनी जिंदी लड़की हो ना अद्यांश तुमसे प्यार नहीं करता उसके लिए ये शादी सिर्फ़ एक बदला है !

    ओर तुम हो उसके लिए खाना बना रही हो !

    ये सुन महक ने उसे देख अनदेखा करते हुए कहा,"ये एक पति पत्नी के बीच की बात है, तो तुम तो पड़ो ही मत ओर मेरे मामलों से दूर रहो !

    ये सुन शैफाली ने मासूम होने का दिखावा करते हुए कहा,"महक मुझे नहीं पता तुम मुझसे क्यों इतनी नफ़रत करती हो,मैंने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे तुम्हें बुरा लगा हो !

    हां इतना कहते हुए उसने मासूम फैस बनाया ओर उससे कहा, मै तो तुम्हे अपनी छोटी बहन मानती हूं !"

    ये सुन महक ने अपने होठों को हल्के से दबाया ओर शैफाली से कहा," तुम मुझे अपनी बहन मानती हो तो ये बताओ कोन सी बहन अपने ही बहन के पति के पास बिना रिश्ते से रहती है वो भी तब जब मेरी शादी एक नफ़रत की दीवार पर टिकी हैं !

    तुम मेरी बहन होना तो दूर की बात है तुम मेरी बहन के पैरो कि धूल के बराबर भी नहीं हो सकती समझी ओर तुम से बात करना मुझे इंसल्ट वाला फील होता है !

    क्योंकि तुम मुझे ये अहसास करवाती रहती हो की अद्यांश की जिंदगी में सबसे इंपोर्ट्स है तो वो तुम हो !

    प्लीज़ यहां से चली जाओ ओर बार बार मेरे सामने भी मत आया करों !

    ये सुन शैफाली ने महक को देखा जिसने खीर बना दी थी ये देख शेफाली ने मासूम बनने का दिखवा करते हुए कहा," कल पूरी रात अद्यांश ओर मै ऐसा कहते हुए धीरे से अपने कलाई को दिखाया जो हलकी लाल थी !

    जिसे देख साफ़ पता चल रहा था कि ये किस चीज़ की निशानी होगी !

    महक का अंदर ही अंदर दिल जल रहा था, पर उसने उसे अनदेखा करते हुए काम करने लगी !

    ये देख शेफाली को गुस्सा आ रहा था उसने अपने गुस्से को शांत करते हुए महक से कहा, महक तुम मुझे खीर दोगी थोड़ी सी खाने को !

    ये सुन महक ने उसे ताना करते हुए कहा,"क्या हुआ तुम्हारे अद्यांश ने तुम्हें खाने को नहीं दिया अभी तक जो तुम ऐसे किचन में मुंह उठाकर चली आईं !"

    ये सुन शैफाली ने हलकी मुस्कान के साथ कहा,"हां वो नोकरों के हाथ से तो बहुत खा लिया आज सोचा तुम्हारे हाथ का भी टेस्ट कर लूं !

    सब नौकर जो वहीं काम करते थे एक दूसरे से धीमी आवाज़ में बोले",ये महक मेम कुछ ज्यादा ही गुस्से वाली नहीं है, मेरा मतलब था कि ये शैफाली जी कितने अच्छे से बात कर रही है ओर ये महक !

    ये इतने गुस्से में तभी दूसरा नौकर बोला हां तुम सही बोल रही हो,अब हमारे अद्यांश सर कोई छोटे मोटे आदमी तो है नहीं उनका सिक्का पूरे देश में चलता है तो गुस्से वाली तो होगी ही ओर घमंडी भी !मुझे तो बुरा शैफाली के लिए लग रहा है बेचारी को कितना बुरा लग रहा होगा !एक तो उसके पैर, वो अपने पैरो पर खड़ी नहीं हो सकती ओर ऊपर से महक मेम उन्हें ताना मार रही है !
    पर महक mam ये भूल गई है कि जब उनकी शादी अद्यांश sir से नहीं हुई थी तब शैफाली ही हमारी लेडी बॉस बनने जा रही थी पता नहीं कहा से ये महक बीच में आ गई !
    उन दोनों नौकर की बाते महक ओर शैफाली के कानों में जा रही थी, महक को उन लोगो के उसके खिलाफ बाते करते हुए देख उसने उन लोगो को अनदेखा कर दिया क्योंकि उस पता था ये लोग ऐसे ही है जिन्हे दूसरे की तकलीफ़ में मज़ा आता था जो घाव पर नमक छिड़कने का काम करते है ! वहीं शैफाली उसे तो अंदर ही अंदर ख़ुद पर बड़ा घमंड हो रहा था !शेफाली की बात सुन महक ने उसे एक कटोरी में थोड़ी सी खीर डालने के बाद उसे जैसे ही देने को हुईं तभी अचानक से शैफाली ने बड़ी चालाकी से उस महक के सामने अपना पैर कर दिया जिससे महक के हाथ में पड़ी हुई वो खीर महक के हाथ में गिरी ओर शैफाली के कपड़ो पर भी !

    ये देख महक को उस पर गुस्सा आने लगा उसके कारण महक का पूरा हाथ जल चुका था पर वही वो उसे कुछ कहने वाली थी कि तभी उसने देखा शैफाली ने रोते हुए महक से कहा,"महक तुम मुझे जलाना चाहती

    हो क्या ?

    महक मै जानती हूं कि तुम मुझे पसंद नहीं करती पर मै तुमसे वादा करती हूं कि मै तुम दोनों की जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए चली जाऊंगी अगर तुम्हें मेरे रहने से यहां इतनी तकलीफ़ है !

    मै सड़कों पर भीख मांग लूंगी पर तुम मुझे जान से मत मारो !

    सभी नौकरों को महक पर गुस्सा आ रहा था कि वो उनके साथ ऐसा कैसे कर सकती है ,एक अपाहिज लड़की को परेशान करना कहा था सही है उनकी नज़रों में महक जैसे ही गुस्से में उसे कुछ कहने वाली थी तभी ......

    अचानक से वहा अद्यांश की एंट्री हुई उसने बिना कुछ सोचे समझे, महक को एक तरफ़ धकेल दिया ओर शैफाली से बड़े प्यार से कहा,"तुम ठीक तो हो ना शैफाली ये सुन शेफाली ने रोते हुए कहा,"

    वो मेरे कपड़ो में गरम खीर गिर गई मुझे बहुत दर्द हो रहा है अद्यांश प्लीज़ कुछ करो !

    ये सुन अद्यांश ने उसे व्हील चेयर से उठाया ओर उसे अपनी बाहों में उठाकर अपने रूम में ले गया उसके जाने के बाद सारे नौकर बोलने लगे !

    देखा तुम लोगो ने अद्यांश सर को कितनी फ़िक्र है शैफाली mam की !,

    कोई चाहें कुछ भी कर ले कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन वो अद्यांश sir की ज़िन्दगी में नहीं आ सकता !


    उनके दिल ओर दिमाग़ में बस शैफाली है, महक को उनकी बातो को सुन इतना गुस्सा आ रहा था कि उसका मन कर रहा था इन लोगो का सिर फोड़ दे !

    आख़िर ये लोग ऐसी बाते बोल भी कैसे सकते है,उसके बारे में !

    क्या ये लोग नहीं जानते एक पत्नी को कैसा लगता है जब उसका पति उसकी जगह उसके दुश्मन की इतनी परवाह करता है कोई भी पत्नी ये कैसे सेह सकती है, ऐसा सोचते हुए महक ने अपने हाथ को देखा जो खीर के ऐसे गिरने से लाल हो चुका था, उसने ठन्डे पानी को अपने हाथ पर गिराया !

    वहीं दूसरी तरफ़ अद्यांश शैफाली से पूछा,"कहा जल रहा है मुझे बताओ ये सुन शैफाली ने कहा,
    वो मुझे घुटनों के ऊपर बहुत ज्यादा जल रहा है !

    ये सुन अद्यांश ने उसे कुछ कपड़े ओर दवाई देते हुए कहा,"तुम ये दवाई लगा लो, मैं अभी नीचे जाकर आता हूं ये सुन शैफाली ने उसे रोकते हुए कहा,अद्यांश जो कुछ भी हुआ उसमें महक का दोष नहीं था वो बस मेरी ही गलती थी मुझे ध्यान रखना चाहिए था !

    ये सुन अद्यांश जो वहा से जा रहा था उसके कान में जैसे ही ये बाते पड़ी उसने सवाल करते हुए शैफाली से पूछा ,"क्या कहा तुमने ये सब महक के कारण हुआ है !


    ये सुन शैफाली ने बात बदलते हुए कहा,"नहीं वो कुछ नहीं हुआ !

    ये सुन अद्यांश ने अपनी तेज़ आवाज़ में कहा,"मुझे सच सच बताओ शैफाली बात क्या है ?
    महक ने क्या किया है ये सुन शेफाली नाटक करते हुए बोली",

    मैंने उससे खीर मांगी तो उसने मेरे कपड़ो पर गिरा दी नहीं नहीं शायद गलती से गिरी होगी तुम उसे कुछ भी मत कहना पर हां मुझे भी यहां से भेज देना मेरी मां के पास !

    हम मां बेटी सड़कों पर भीख मांग लेंगे पर यहां पर अगर ओर रही तो मुझे पता नहीं क्या क्या सुनने को मिलेगा !

    ये सुन अद्यांश ने कहा,"क्या कहा महक ने।तुम्हे जो तुम ऐसी बाते कर रही हो !

    ये सुन शेफाली ने दुखी होकर कहा,"महक ने ये कहा कि भले ही तुम मुझे महेगे 2 गिफ्ट्स तो लेकिन मै कभी भी महक की जगह नहीं ले सकती ओर तो ओर उसने ये तक कहा,

    "कि वो तुम्हारी पत्नी है, ओर मै तुम्हारी म*हूं !

    लोगो की नज़रों में मै एक ऐसी लड़की हूं जो किसी का घर बरबाद कर रही हूं ओर मुझे तुम्हारे साथ नहीं बल्कि कोठे पर होना चाहिए ऐसा बोल वो रोने लगी ओर उसने फ़िर आगे कहा",

    अगर तुमने मुझसे शादी नहीं करनी थी तो...

    मुझे क्यों बचाया अद्यांश अपनी बीवी के ताने सुनने के लिए, अद्यांश एक लड़की सब सेह सकती है पर अपनी इज्ज़त पर आया दांग नहीं !

    मै बस ये चाहती हूं कि तुम अब महक के साथ खुश रहो !
    हां जानती हूं मैंने ही तुम्हे कहा था मुझसे शादी करने को पर ....
    अब जब तुमने महक से शादी कर ली है तो मेरा यहां रहने का कोई मतलब नहीं !

    बस तुम महक को कुछ भी नहीं बोलना वरना उसे
    लगेगा मै उसके खिलाफ तुम्हारे कान भर रही हूं !

    अद्यांश ने अपनी मुट्ठी कसते हुए कहा,"उसकी फ़िक्र तुम मत करो तुम अपना ख्याल रखो !

    ऐसा बोल अद्यांश तेज़ी से रूम से बाहर निकल गया उसके जाने के बाद शैफाली ने अपने आसुं की बुद को अपनी उंगली में लेते हुए कहा, उफ़ ये बेचारी बनने का नाटक करना भी कितना मुश्किल है अब देखो महक मुझे ताना मारा था अब देखो तुम अद्यांश तुम्हारे साथ क्या करना है इतना बोल वो पागलों के जैसे हंसने लगी !

    वहीं महक अभी अपने हाथो पर ठन्डे पानी को डाल ही रही थी कि तभी उसे अपने हाथो पर किसी की पकड़ महसूस हुई !

  • 15. बेदर्दी से प्यार का(महक को पड़ा थप्पड़)Chapter 15

    Words: 1338

    Estimated Reading Time: 9 min

    महक किचन में खड़ी होकर अपने लाल पड़ चुके हाथ को देख, उसे ठंडे पानी डालकर जलन दूर कर रही थी। तभी उसे अपने हाथों में किसी की मज़बूत पकड़ महसूस हुई। जिसे देख उसने अपने पीछे खड़े अद्यांश को देखा और उसने उससे कहा, "क्या हुआ अब?"

    महक को ऐसे बात करते देख अद्यांश ने अपनी पकड़ उस पर और मज़बूत करते हुए कहा, "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई शैफाली को चोट पहुँचाने की? एक खीर ही तो मांग रही थी तुमसे, कौन सा पहाड़ मांग रही थी तुमसे?"

    ये सुन महक ने फ़ीकी मुस्कान के साथ कहा, "हाँ, बिल्कुल सही कह रहे हो तुम। पहाड़ तो नहीं माँगा उसने, पर मेरे पति को तो छीन लिया ना मुझसे! तुम उसके लिए इतने पागल हो गए हो कि उसके आगे तुम्हें ये तक नहीं दिखाई दिया कि मेरे हाथों में भी उसकी वजह से चोट लगी थी! अगर वो अपने पैर को आगे ना करती तो खीर गिरती नहीं!"

    ये सुन अद्यांश ने अपनी तेज़ आवाज़ में कहा, "अपनी गलतियों को दूसरों पर थोपना, बस यही आता है तुम्हें महक! उसके पूरे कपड़ों पर तुम्हारी गरम खीर गिर गई! समझ रही हो? वो अंदर तड़प रही है और तुम यहाँ बकवास बोल रही हो!"

    ये सुन महक की आँखों में आँसू आ गए। उसका भी तो हाथ जला था, पर उसके बारे में उसने क्यों नहीं कहा कुछ? ये सोच उसने अपने हाथ को आगे करते हुए भरे गले से कहा, "मेरा भी तो हाथ जला था, तुम्हें वो नहीं दिखा, दिखा तो बस अपनी शैफाली!"


    ये सुन अद्यांश ने उस पर अपना हाथ उठाते हुए कहा, "महक!" ऐसा बोल उसने अपने हाथ को नीचे रख दिया। जिसे देख महक के चेहरे पर एक फ़ीकी मुस्कान आ गई!

    उसने उसे ताना मारते हुए कहा, "क्यों? क्या हुआ? रुक क्यों गए तुम्हारे हाथ?" ऐसा बोलते हुए उसने अद्यांश के हाथों को पकड़ अपने चेहरे पर मारते हुए कहा, "मारो ना मुझे! रुक क्यों गए!"

    ये देख अद्यांश ने अपने हाथों को पीछे खींच लिया! ये देख महक ने वहाँ से जाना ज़रूरी समझा!

    वहीं अद्यांश ने उसे जाते देख कहा, "वो माँ बनने वाली है, मेरे बच्चे की! दो महीने प्रेग्नेंट है वो!"

    ये कहते हुए उसका सिर शर्म से झुक गया!

    ये देख महक ने उसे नफ़रत से कहा, "तो मुझसे शादी क्यों की? मत करते मुझसे शादी! मेरी ज़िंदगी बर्बाद क्यों की?"

    ये सुन अद्यांश ने उसकी कलाई को कसकर पकड़ते हुए कहा, "तो क्या चाहती थी तुम? मैं तुम्हें वहाँ उस आदमी से शादी करने देता? जो ना जाने कितनी लड़कियों के साथ सो चुका है और कितनी लड़कियों को उसने कोठे पर बिठाया है?" ये सुन महक ने भी अपनी आवाज़ तेज़ करते हुए कहा, "तो क्या हुआ? तुमसे शादी करने से अच्छा वो आदमी मुझे कोठे पर बिठा देता! कम से कम तुम्हारी ये धोखेबाज़ की शक्ल तो नहीं देखनी पड़ती!"

    महक की बातों को सुन अद्यांश को गुस्सा आ गया। उसने एक ज़ोर का थप्पड़ महक के गालों पर जड़ दिया! आखिर वो उसका प्यार थी, वो कैसे ऐसे सोच सकती थी अपने बारे में! चाहे वो उससे नफ़रत करता हो, पर किसी भी लड़की को कोठे पर बिठाना, ये करना तो दूर की बात है, सोचना भी पाप है उसके लिए! और वो तो उसका प्यार थी, कैसे होने देता उसकी ज़िंदगी बर्बाद!

    उसने गुस्से में महक को घूरा और वहाँ से जाने लगा। तब महक ने पीछे से आवाज़ देते हुए कहा, "अगर कल को मैं किसी और के बच्चे की माँ बनने वाली हुई तो..."

    ये सुन अद्यांश उसकी आँखों में देखने लगा। तो महक ने मुस्कुराकर कहा, "तब क्या करोगे तुम?"

    ये बात सुन अद्यांश ने गुस्से से कहा, "जान ले लूँगा तुम्हारी और उस आदमी की! मुझसे धोखा देने का अंजाम बहुत बुरा होगा तुम्हारे लिए!"

    ये सुन महक का हाथ अपने पेट पर चला गया। उसके अपने हाथों की मुट्ठी कसते हुए कहा, "फिर तो मुझे तुम्हें और तुम्हारी शैफाली को मार देना चाहिए! मतलब खुद करो तो अच्छा, हम करें तो धोखेबाज़!"

    "धोखेबाज़ मैं नहीं, तुम हो अद्यांश! तुमने सोचा होगा कि इसे तो महक को आज़ादी मिल जाएगी। इससे तो अच्छा है मैं उससे भी शादी करके उसे भी अपने घर का नौकर बना लूँगा और उसके साथ शैफाली को अपनी गर्लफ्रेंड। दोनों हाथों में लड्डू, यही सोच रहे थे तुम!"

    महक की ऐसी कड़वी बातों को सुन अद्यांश का दिल भारी हो गया। पर उसने खुद को सख्त दिखाते हुए उससे कहा, "तुमने ठीक कहा, मैं तुम्हें यहाँ नौकर बनाने के लिए लाया हूँ। तो अब तुम्हारा फ़र्ज़ है अपने काम से मुझे खुश करना! आज से पूरे दो दिन तक तुम इस घर का सारा काम करोगी बिना किसी नौकर की हेल्प लिए। और हाँ, तुम्हें खाना बिल्कुल भी नहीं मिलेगा दो दिन, समझी!"

    ऐसा बोल वो गुस्से से अपने रूम की तरफ़ बढ़ गया। दो दिन, पूरे दो दिन वो कैसे रहेगी? उसके पेट में एक नन्ही सी जान पल रही है!

    ये देख महक ने खुद के लिए खाना निकाला और अपने पेट पर हाथ रखते हुए मन में अपने बच्चे से कहा, "मेरे बच्चे, बस तुम दो दिन भूखा रह लेना। तुम्हारी मम्मा तुम्हें भरपेट खाना देगी। आज खा लो तुम ये जी भर के, अब दो दिन बाद मिलेगा तुम्हें!"

    महक को खुद से बातें करते देख शैफाली जो वहाँ से गुज़र रही थी, उसने महक के गालों पर पड़े थप्पड़ को देख ये अंदाज़ा लगाया कि महक को अद्यांश ने उसकी वजह से मारा है। जबकि बात तो ये थी कि उसने उसे इसलिए मारा क्योंकि उसने खुद के लिए ये शब्द यूज़ किए कि वो कोठे पर बैठ जाती! कोठा, वो दलदल जहाँ ना जाने कितनी लड़कियों को वो हवसी दरिंदे निगल जाते हैं! भले ही उसे महक से नफ़रत हो, पर वो उसके लिए ये सज़ा सोच भी नहीं सकता था। पर शैफाली जैसे लोगों को ये बातें समझ नहीं आ सकती थीं, वहीं महक भी उसे ही दोष दे रही थी! जबकि गलती इसमें कुछ महक की भी थी। भले ही वो गुस्से में थी, लेकिन उसे तो सोच-समझकर बोलना चाहिए था अद्यांश से! हो सकता था उसकी कुछ मजबूरी रही हो!

    तो वहीं शैफाली वो मन ही मन खुश हो रही थी। उसने मन ही मन खुद से कहा, "ये तो कुछ भी नहीं है महक, बस अब तुम देखती जाओ तुम्हारी क्या हालात होती हैं इस घर में! अद्यांश और तुम्हें मैं कभी एक नहीं होने दूँगी। तुम दोनों के बीच की दूरियाँ इतनी बढ़ा दूँगी कि तुम दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाओगे!"

    तो वहीं दूसरी तरफ़ अद्यांश अपने रूम में। उसने अपने रूम में जाकर खुद को कोड़े मारने शुरू कर दिए! अद्यांश घुटनों के बल बैठ गया। तभी वहाँ पर राजवीर जो कुछ काम से आया था, उसने जब अद्यांश को ऐसे इस हालत में देखा तो उसने उसे बेड पर लिटाया। तब अद्यांश ने उसे रोकते हुए कहा, "मेरी सज़ा अभी बाकी है राजवीर!"

    राजवीर ने हैरान होते हुए कहा, "किस बात की सज़ा दे रहे हो आप बॉस? खुद को?" ये सुन अद्यांश ने कहा, "मैंने आज अपने प्यार पर हाथ उठा दिया। इसकी सज़ा तो मिलनी चाहिए थी ना मुझे!"

    ये सुन राजवीर नासमझी में उसे देखते हुए बोला, "पर बॉस, लेडी बॉस ने ऐसा क्या किया कि आपने उन्हें मारा?"

    तब अद्यांश ने उसे सारी बातें बताईं। जिसे सुनने के बाद राजवीर ने उसे समझाते हुए कहा, "बॉस, आपने कुछ भी गलत नहीं किया। भले ही वो लड़की हो, पर उन्हें ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी!"

    ये सुन अद्यांश ने उसे रोकते हुए कहा, "बस करो राजवीर! गलती चाहे उसकी हो, पर मुझे अपने गुस्से को कंट्रोल में रखना चाहिए था! उस पर अपना हाथ उठाकर अपनी मर्दानगी नहीं साबित करनी चाहिए। आज मुझे खुद पर शर्म आ रही है। ऐसा करो, तुम मुझे 100 कोड़े मारो!"

    राजवीर ने मना करते हुए कहा, "नहीं बॉस, मैं ऐसा नहीं कर सकता बॉस!"

    अद्यांश ने उसे गुस्से से कहा, "It's my order, Mr. राजवीर!"

    राजवीर को कुछ तो करके अपने बॉस का ऑर्डर पूरा करना था। उसने काँपते हाथों से उस चाबुक को उठाया!

  • 16. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 16

    Words: 1208

    Estimated Reading Time: 8 min

    अद्यांश की हालत देखकर किसी को भी तरस आ जाता! राजवीर ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, पर वह नहीं माना। हार मानकर उसने उस कोड़े को पकड़ा। जैसे ही वह अद्यांश को मारने वाला था, तभी वहाँ पर एक आवाज़ आई। जब दोनों ने देखा, तो वहाँ शैफाली थी। उसने तेज आवाज़ में राजवीर से कहा, "राजवीर, जाओ यहाँ से!"

    ये सुनकर राजवीर अपने बॉस को देखने लगा। अद्यांश ने उसे जाने का इशारा कर दिया। ये देखकर राजवीर ने वहाँ रहना ज़रूरी नहीं समझा।

    उसके जाने के बाद शैफाली अपनी व्हीलचेयर के सहारे उसके पास आई और अद्यांश से अपनी उदास भरी आवाज़ में कहने लगी, "अद्यांश, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? हाँ, वो भी उस लड़की के लिए?"

    ये सुनकर अद्यांश ने बिना उसकी तरफ़ देखे कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं!"

    ये सुनकर शैफाली ने नफ़रत से कहा, "तो कैसा है? हाँ, अद्यांश! फिर तुम बताओ। अपनी एक्स-गर्लफ्रेंड को अपनी बीवी बनाकर रखा है, और मुझसे कहते हो 'कोई बात नहीं'! उसके लिए आज तुमने खुद को ज़ख्मी कर दिया। तुम बताओ, ये प्यार नहीं तो और क्या है? तुम आज भी उस महक से प्यार करते हो?" ऐसा बोलते हुए उसने अद्यांश की तरफ़ देखा, जो किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था।

    ये देखकर शैफाली ने मन ही मन खुद से कहा, "मुझे अपना निशाना लगाना होगा। नहीं, तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ नहीं सकती मैं, अद्यांश।" मन ही मन ये खुद से बोलते हुए उसने आगे कहा, "अद्यांश, अब हमारा साथ यहीं तक था। मैं अपने बच्चे को यहाँ से दूर ले जाऊँगी, पर इस जगह का साया भी अपने बच्चे पर नहीं पड़ने दूँगी! कल को जब वो बच्चा बड़ा होगा, तब क्या सोचेगा मेरे बारे में? कि मेरी माँ एक मिस्ट्रेस है, जो बिना रिश्ते के तुम्हारे साथ रह रही है!"

    ये सुनकर अद्यांश ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा, "महक को यहाँ पर मैं बस टॉर्चर करने के लिए लेकर आया हूँ, समझी!"

    ये सुनकर शैफाली उस पर हँसने लगी और फिर आगे कहा, "किसे मूर्ख बना रहे हो तुम? मुझे या उसे? तुम अगर उससे प्यार नहीं करते, तो उसके लिए खुद को क्यों मारा तुमने? हाँ?"

    ये सुनकर अद्यांश ने एक ठंडी आह भरी और कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है। तुम प्लीज़ यहाँ से जाने की बात ना करो! अपने नहीं, कम से कम अपने पेट में पलने वाले बच्चे के लिए ही सही!"

    ये सुनकर अद्यांश ने कहा, "ठीक है, जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा। अब खुश?" ये सुनकर शैफाली खुशी से उसके गले लग गई। वह बैठी थी, वहीं बाहर महक को ये सब देखकर गुस्सा आ रहा था!

    अगले दिन सुबह महक ने घर का सारा काम कर दिया, लेकिन उसकी तबीयत उसे ठीक नहीं लगी। उसने राजवीर से कहा, "भाई, आप मुझे हॉस्पिटल छोड़ देंगे आज? मुझे अपनी तबीयत ठीक नहीं लग रही।"

    ये सुनकर शैफाली ने ऐसे उसकी परवाह करते हुए कहा, जैसे कि उससे ज़्यादा तो किसी और को महक की परवाह हो ही नहीं सकती। "महक, क्या तुम ठीक हो? तुम्हारी तबीयत को क्या हुआ है?" ये सुनकर महक ने बात बदलते हुए कहा, "कुछ भी नहीं! बस मुझे ऐसे लगा जैसे कुछ ठीक नहीं।" ऐसा बोलते हुए उसने राजवीर को देखा, जो अद्यांश से परमिशन माँग रहा था।

    ये देखकर अद्यांश ने अपनी पलकें झपका दीं। ये देखकर राजवीर ने कहा, "ओके, मैम। चलिए।" वो जैसे ही खड़ा हुआ, तभी उसके कानों में अद्यांश की एक सख्त आवाज़ गूँजी, "तुम्हारी मेम नहीं है ये लड़की, अंडरस्टैंड!"

    ये सुनकर राजवीर ने अपना सिर झुकाते हुए महक को हॉस्पिटल ले गया। रास्ते में उसने गाड़ी चलाते हुए महक से कहा, "आपको बॉस से सब बातें नहीं करनी चाहिए थीं।"

    महक अपनी नीची आँखों से उसे देखने लगी। ये देखकर राजवीर ने हड़बड़ी में कहा, "आई मीन, कोठे वाली। ऐसे आप नहीं जानती क्या? हर साल कितनी लड़कियों को उस नरक में धकेला जाता है? हाँ, सॉरी। पर मुझे नहीं लगता आपकी उस बात पर बॉस ने आप पर थप्पड़ उठाकर गलत किया। आपको खुद सोचना चाहिए, आप एक लड़की होकर ये बातें कैसे बोल सकती हो?"

    ये सुनकर महक ने अपने होंठ धीरे से दबाए और उससे कहा, "सॉरी। आज के बाद नहीं बोलूँगी उन्हें कुछ।" फिर कुछ देर बाद उसने सोचने के बाद कहा, "मैं आपका नाम नहीं ले सकती। आप मुझसे बड़े हो, तो क्या मैं आपको भैया कह सकती हूँ?"

    ये सुनकर राजवीर ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है। वैसे भी मेरी कोई बहन नहीं है, तो मुझे बहुत खुशी होगी कि मुझे एक छोटी बहन मिल गई।"

    ऐसे बातें करते-करते कब वो दोनों हॉस्पिटल पहुँच गए, पता ही नहीं चला! हॉस्पिटल पहुँचने के बाद डॉक्टर महक को टेस्ट के लिए ले गई। थोड़ी देर बाद डॉक्टर के केबिन में महक राजवीर के साथ बैठी थी। उसने काफ़ी कोशिश की थी राजवीर को भेजने की, पर वह नहीं माना!

    ये देखकर महक अंदर ही अंदर घबरा रही थी कि वह कैसे रिएक्ट करेगा!

    डॉक्टर ने उन दोनों की तरफ़ देखते हुए कहा, "दोनों बच्चे तो बिल्कुल ठीक हैं, पर आप अपनी बॉडी पर ध्यान नहीं दे रही महक! आपकी बॉडी काफ़ी कमज़ोर है, जिसके कारण बेबी को ग्रोथ होने में थोड़ी दिक्कत आ रही है! इसलिए आप प्रॉपर रेस्ट कीजिए। और आप, मिस्टर राजवीर! आपकी बीवी इतनी कमज़ोर है, आपको ख़बर नहीं उसकी?"

    ये सुनकर राजवीर कुछ कहना चाहता था, तभी उस डॉक्टर ने गुस्से में उससे कहा, "शर्म नहीं आती? एक तो बेचारी माँ बनने वाली है, और ऊपर से तुम उन्हें एक वक़्त का खाना नहीं देते!"

    ये सुनकर राजवीर ने कहा, "सॉरी, डॉक्टर। आगे से नहीं होगा ऐसा।" ये सुनकर डॉक्टर ने उसे बस अपनी तीखी नज़रों से घुरा। राजवीर बेचारा वहाँ और नहीं रह सकता था!

    वह महक के साथ जैसे ही घर वापस आने वाला था, तभी रास्ते में उसने महक से पूछा, "तुम प्रेग्नेंट हो? ये बात बॉस को मालूम है?"

    ये सुनकर महक ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं! भाई, प्लीज़ आप उन्हें कुछ मत बताइएगा!"

    ये सुनकर राजवीर ने कहा, "पर उसका हक़ बनता है ये जानने का!"

    ये सुनकर महक ने एक फ़ीकी मुस्कान के साथ कहा, "वो हक़ वो किसी और को दे चुके हैं, भाई! अगर उन्हें पता चला कि मैं माँ बनने वाली हूँ, तो वो मेरे बच्चे को मार डालेंगे!"

    ये सुनकर राजवीर ने धीरे से कहा, "नहीं, वो ऐसा नहीं कर सकता, महक!"

    ये सुनकर महक ने उसे अपनी ओर अद्यांश की सारी बातें बताते हुए कहा, "...अब बताओ भाई आप! क्या आपको लगता है वो ये जानकर खुश होंगे कि मैं एक ऐसे बच्चे की माँ बनने जा रही हूँ जिसका मुझे नाम तक मालूम नहीं? भाई, मैं चाहती तो इन बच्चों को मार सकती थी, पर एक माँ ने मुझे रोका ये करने से। प्लीज़, अगर आपने उन्हें बताया तो वो इन्हें मार डालेंगे। प्लीज़ ऐसा मत करना, वरना मैं खुद को ख़त्म कर दूँगी!"

    ये सुनकर राजवीर ने कहा, "ख़बरदार जो तुमने ऐसे मरने की बात की! भले ही ख़ून का ना हो, लेकिन एक रिश्ता तो बन चुका है भाई-बहन का। तो मैं कोशिश करूँगा तुम्हें वो सारी खुशियाँ मिलें जिसकी तुम हक़दार हो। एक भाई का वादा है।" ऐसा बोलते हुए उसने फ्रूट्स की दुकान पर गाड़ी रोकते हुए कहा, "चलो, पहले कुछ फ्रूट्स ले लो खाने के लिए!"

  • 17. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 17

    Words: 1508

    Estimated Reading Time: 10 min

    राजवीर महक को एक वेजिटेबल ओर फ्रूट्स शॉप पर ले आया उसने महक के लिए वहा से उसने महक के लिए कुछ हेल्थी फ्रूट्स ओर वेजिटेबल्स लिए जैसे,टमाटर,शिमला मिर्च, ब्रॉकली,केला, आम ओर dry फ्रूट्स उसके साथ उसने नारियल ओर थोड़ा सा केसर भी ले लिया !

    महक ने राजवीर से कहा,
    इतना सब लेने की क्या ज़रूरत थी आपको भाई वैसे भी मेरे पास बहुत हो जाएगा कैसे ख़तम करूंगी मै ये सब !

    ये सुन राजवीर ने कार की तरफ़ अपने क़दम बड़ाते हुए कहा,तुम भी ना महक एक तो भाई बोलती हो, ऊपर से बोल रही हो कि क्यों लिया लगता है तुम मुझे अपना भाई नहीं मानती हो तभी तो नहीं ले रही !

    ये सुन महक ने उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए कहा,ऐसा नहीं है भाई मै बस इस लिए कह रही हूं क्योंकि मुझे लगता है ये कुछ ज्यादा ही हो गया, मै इतना सब कैसे खा पाऊंगी ओर वैसे भी घर में तो वहा अद्यांश जी के रोटी सब्जी तो मिलती है ना तो ये सब लेने की क्या ज़रूरत थी आपको !

    ये सुन राजवीर ने कहा,हां मिलती है देखा है मैने तुम्हे वो सुखी रोटी ओर एक प्याज़ खाते हुए अपनी पसंद का कहा मिलता है तुम्हें !

    ठीक है तुम्हे नहीं खाना मत खाओ मै वापिस ले लेता हूं पर इसका मतलब ये होगा की तुम मुझे अपना भाई नहीं मानती हो !

    ये सुन महक ने उसे समझाते हुए कहा,भाई ऐसी बात नहीं है !

    जिसे सुन राजवीर ने कहा, ठीक है अगर ऐसी बात नहीं तो अगर तुम्हारा अपना भाई होता तब तो तुम ले लेती पर मै तुम्हारा अपना भाई नहीं हूं इसलिए शायद तुम नहीं ले रही हो, ओर मै तुम्हें सिर्फ़ इसलिए नहीं दे रहा की मै तुम्हें अपनी बहन मानता हूं बल्कि इसलिए भी दे रहा हूं क्योंकि मै तुम्हें अपनी बहन मानता हूं !

    ये सुन महक ने एक ठन्डे स्वर के साथ कहा,
    ठीक है, मै ले लेती हूं पर मै रखूंगी कहा, क्योंकि अगर किचन में रखा तो शेफाली कुछ गड़बड़ ना कर दे i mean, मेरे खाने के साथ छेड़छाड़ ना कर दे तो !

    ये सुन राजवीर ने हंसते हुए कहा, बस इतनी सी बात तुम्हारे रूम में मैंने अपने एक आदमी से कह कर एक छोटा फ़्रीज रख दिया है ओर उसके साथ मैने तुम्हारे लिए एक डस्टबिन भी रख दिया जिसमें एक प्लासिटक का लीफाहा लगाया हुआ है जो दरवाज़े के साइड में होगा तुम इन के छिलकों को वहा डाल देना बाकि का काम मेरी एक नौकरानी सभाल लेगी !

    पर हां महक तुम्हें खाना सुबह के 6बजे ओर दोपहर के 1बजे ओर उसके बाद रात के 7बजे मिला करेगा दो दिन क्योंकि दो दिन अद्यांश ने मना किया हुआ है तुम्हे कुछ भी देने से तो !

    ये सुन महक ने कहा,खाना नहीं मिलेगा से आपका क्या मतलब है भाई ?

    जिसे सुन राजवीर ने गाड़ी का दरवाज़ा खोल धीमी आवाज़ में कहा,वो अद्यांश ने तुम्हे दो दिन की सजा दी है, तुमने शैफाली के कपड़े पर गर्म सब्ज़ी गिरा दी थी ऐसा बोल वो गाड़ी में बैठ गया !

    महक बेख्याली से गाड़ी के दूसरे तरफ़ बैठती हूं बोली,पर इसमें गलती मेरी नहीं थी ओर दूसरी बात वो खीर दी सब्ज़ी नहीं !

    राजवीर ने गाड़ी चलाते हुए कहा, हां हां वही !

    जो भी हो पर तुम्हें अब से सबसे उठने से पहले खाना चाहिए, ओर जब शैफाली सो जाएगी दोपहर को तब मै ख़ुद आया करूंगा तुम्हारे रूम में !

    पर तब तक भूल से भी उन दोनों के सामने मत शो करना की तुम्हें खाना मिल रहा है वरना दो दिन की जगह एक वीक का ना हो जाए !ये सुन महक ने विंडो से बाहर देखते हुए कहा, ठीक है मै कोशिश करूंगी की मै उनके सामने ना आऊ खाने के टाइम !
    गाड़ी में हलका हलका music लगा हुआ था लेकिन महक ध्यान इस वक़्त उसके पेट पर था जिसे राजवीर ने एक नज़र देख सामने की तरफ़ वापिस अपना ध्यान करते हुए कहा,

    तुमने सोचा है,जब अद्यांश को इसके बारे में पता चलेगा तो क्या अंजाम होगा इसका !
    मेरा मतलब जहां तक मै उसे जानता हूं तो वो तुम्हारे बच्चे को मारेगा तो नहीं पर ....

    पर क्या भाई,महक ने घबराई हुए आवाज़ में कहा !

    जिसे सुन राजवीर ने कहा,हो सकता है वो तुम्हें तुम्हारे बच्चे से दूर कर दे या तुम्हे कहीं अपनी जिंदगी से बाहर निकाल दे क्योंकि कोई भी आदमी अपनी जिंदगी में किसी ओर का बच्चा तो बिल्कुल भी नहीं चाहेगा !

    जिसे सुन महक ने अपने पेट पर हाथ रख अपनी उदास आवाज़ में कहा,तो फ़िर मै क्या करूं भाई मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है !


    अगर उन्हें बताऊं तो वो ये ना सोचे कि मैंने कुछ ग़लत किया है, या मेरे करेक्टर पर कोई सवाल करे या ऊंगली उठाए !

    जिसे सुन राजवीर ने कहा,नहीं जितना मै जानता हूं तो वो ऐसा इंसान नहीं जो किसी लड़की से बदला लेने के लिए उस पर ये इलज़ाम लगाए !

    तभी वो दोनों घर पहुंच गए, घर आते ही उन्होंने देखा सारे नौकर अपना काम ख़तम कर अपने अपने रूम में रेस्ट करने चले गए ये देख राजवीर ने महक से कहा,

    तुम ऐसा करो ये सब्जियां मुझे दे दो मै तुम्हारे लिए अभी कुछ बना कर लाता हूं जिसे सुन महक ने कहा,

    पर भाई आप कैसे ?

    ये सुन राजवीर ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा, भाई भी कहती हो ओर हेल्प भी नहीं करने देती हो !

    ये सुन महक ने हलकी मुस्कान के साथ कहा,ठीक है भाई आप जल्दी कीजिए मै एक नाइफ को लेकर फ्रूट्स को कट कर देती हूं, ऐसा बोल महक अपने रूम में चली गई !

    राजवीर ने किचन में खाना बनाना शुरू किया ओर इस तरीक़े से बनाना शूरू किया ताकि किसी को भी उसकी आवाज़ सुनाई ना दे !

    थोड़ी देर में उसने महक के लिए खाना तैयार किया ओर उसके रूम की ओर बढ़ गया उसने महक के दरवाज़े पर दस्तक दी !

    दरवाज़े पर आने वाली आवाज़ को सुन महक ने राजवीर को अंदर बुलाया !
    उसने अपनी प्यारी आवाज़ में कहा,भाई आप भी अब खाना खा लो मेरे साथ !

    ये सुन राजवीर ने मना करते हुए कहा,नहीं बिल्कुल भी नहीं पहले तुम खा लो उसके बाद में खा लूंगा क्योंकि अगर मै खाने बैठा तुम्हारे साथ तो कोई ना कोई नौकर अद्यांश को बता देगा इसलिए मुझे तुम्हारे दरवाज़े के पास पहरा देना होगा ऐसा बोल वो महक के दरवाजे के पास खड़ा हो गया !

    महक जानती थी कि उसे कुछ भी कहना सही नहीं होगा क्योंकि उस वक़्त एक बहन से ज्यादा दो छोटे बच्चो को उनकी मां की ज़रूरत थी !


    राजवीर के बाहर जाते ही महक ने वो खाना 15 min में ख़तम करते हुए बाहर खड़े राजवीर से कहा हो गया मेरा खाना !"


    जिसे सुन राजवीर ने कहा ठीक है अब ये मेडिसिन भी लो ओर जिस वक़्त भी तुम्हे एक भाई की ज़रूरत हो बेझिजक होकर कहना तुम्हारे साथ तुम्हारा ये भाई हमेशा ही तेयार होगा इतना बोल राजवीर वहा से चला गया !
    थोड़ी देर बाद,
    महक रूम से बाहर पानी पीने के लिए निकली तब उसने शैफाली के कमरे का दरवाज़ा खुला देख तो वो उसके कमरे से अंदर की ओर देखने लगी तभी उसने देखा शैफाली ने अपने लिए एक शॉर्ट ड्रेस ली ओर आयने के सामने खड़ी होकर ख़ुद से बोलने लगी आज अद्यांश चाह कर भी मुझसे दूर नहीं हो पाएगा बस एक बार वो मेरा हो जाए तो उसका सब कुछ मेरे नाम हो जाएगा !
    तभी महक ने उसकी बातों को सुन ख़ुद से कहा, तो ये क्या अपाहिज़ नहीं है,क्या ?

    सोच उसने वो दरवाज़ा खोलते हुए अपनी गुस्सैल आवाज़ के साथ कहा,तो तुम अपाहिज नहीं हो !

    महक की आवाज़ को सुन शेफाली एक पल के लिए तो चोक गई पर अगले ही पल अपने चेहरे एक डेविल स्माइल लिए कहा,
    ओह तो अब क्या तुम अद्यांश से मेरी शिकायत लगाने वाली हो !

    जिसे सुन महक ने गुस्से से कहा, हां आख़िर अद्यांश जी को भी पता होना चाहिए कि जिसे वो अपाहिज समझ रहा है आख़िर में वो कितनी बड़ी धोखेबाज है !

    फिर देखना वो तुम्हे कैसे बाहर निकालता है, ये सुन शैफाली ने डेविल स्माइल के साथ कहा,

    तुम्हे सच में लगता है, कि वो तुम्हारी सुनेगा हां जिसे सुन महक सोच में डूब गई !

    जिसे देख शैफाली आयने के सामने खड़ी होकर ख़ुद महक से बोली",

    वो तुमसे नफ़रत करता है भला वो तुम्हारी बात क्यों सुनेगा,ये सुन महक ने कहा,

    मेरी नहीं सुनेंगे तो भी मै उन्हें तुम्हारे बारे में सबूत देकर रहूंगी तभी शैफाली ने हसंते हुए कहा,
    ओह come on महक वो
    अद्यांश मेरी ही बात सुनेगा तुम्हारी नहीं इतना भी नहीं जान पाई !


    तभी कुछ कदमों की आहट सुनाई दी ये सुन शैफाली जो अपने पैरो पर खड़ी थी वो एक दम से महक के पैरों में गिर पड़ी ओर ड्रामा करते हुए बोली,महक मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गई,तुम प्लीज़ मुझे छोड़ दो मत करो ऐसा मेरे साथ !...

  • 18. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 18

    Words: 1156

    Estimated Reading Time: 7 min

    शेफाली रोते हुए बोली, "मुझे मत मारो, महक! तुम जो बोलोगी, मैं करूंगी। प्लीज़, तुम जानती हो ना, मैं अपने पैरों पर ठीक से खड़ा भी नहीं हो सकती। फिर भी तुम मेरे पीछे क्यों पड़ी हो? छोड़ दो, मुझे जाने दो!"

    यह सुनकर महक को उस पर शक होने लगा क्योंकि पहले तो वह खुद ही सामने से कबूल कर रही थी, यह सब। और अब यह एकदम से उसका गिरना और यह सारी बातें बोलना, महक को कुछ हजम नहीं हो रहा था।

    तभी महक की नज़र उसकी मुस्कान पर गई, जो काफ़ी ज़हरीली लग रही थी महक को इस वक़्त।

    तभी किसी ने पीछे से महक से गुस्से में कहा, "क्या कर रही हो तुम यहां? और यह क्या किया तुमने शेफाली के साथ? बताओ मुझे!"

    अद्यांश की तेज़ आवाज़ के कारण महक एक पल के लिए तो जैसे पूरी कांप उठी, पर उसने अपने डर को कम करते हुए कहा, "यह शेफाली ड्रामा कर रही है। इसे कुछ भी नहीं हुआ है। यह अपाहिज है ही नहीं, बल्कि तुम्हें यह गिल्ट में डालकर तुम्हारे साथ रहना चाहती है। बड़ी बेशर्म है यह! एक शादीशुदा आदमी के घर रह रही है, उसी की बीवी के सामने!"

    यह सुनकर अद्यांश ने तेज़ आवाज़ में कहा, "यह तुम क्या बकवास बातें किए जा रही हो, महक! जानती भी हो तुम किसके लिए बोल रही हो यह सब?"

    "अच्छी तरह से जानती हूं मैं क्या और किसके लिए बोल रही हूं। मैं एक ऐसी लड़की जो अपाहिज बनने का नाटक करती है ताकि वह मेरे पति को गिल्ट में डालकर उससे शादी करे! और तुम, अद्यांश, इस लड़की के लिए जो जिसके ईमान का पता नहीं। कॉलेज में ना जाने कितने लड़कों के साथ इसने अपना मुंह काला किया होगा। याद है या भूल गए?"

    "महक, तुम क्यों मेरे पुराने घावों को ताज़ा कर रही हो? हां, मैं मानती हूं कि कॉलेज के टाइम में मेरे बारे में लोगों ने काफ़ी झूठी अफवाहें फैलाई हुई थीं। पर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं बिल्कुल वैसी ही हूं! और आज तुमने यह साबित कर दिया कि मेरी यहां इस घर में कोई कीमत नहीं। ठीक है, मैं ही चली जाती हूं यहां से।" इतना बोलकर वह व्हीलचेयर पर बैठने की कोशिश करने लगी, लेकिन वह जानबूझकर नीचे गिर जा रही थी।

    यह देख अद्यांश ने हल्के गुस्से के साथ महक से कहा, "क्या तुम्हें अब भी लगता है यह नाटक कर रही होगी?" यह सुनकर महक ने तेज़ आवाज़ में कहा, "ड्रामा कर रही है यह, मैं अभी साबित करके दिखाती हूं!" इतना बोलकर महक एक तेज़ धार वाला चाकू लेकर आई और अद्यांश की तरफ़ देखते हुए बोली, "अभी देखना तुम कैसे यह अपने पैरों पर खड़ी होती है!" इतना बोलकर उसने उस चाकू की नोक से शेफाली के हाथों पर बार किया।

    शेफाली का खून बहने लगा, लेकिन उसने अपना वह ड्रामा जारी रखा ताकि अद्यांश को उस पर शक न हो सके। उसका मन तो महक को मारने का था, पर अद्यांश के सामने वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी। उसके सामने उसकी छवि एक मासूम सी भोली लड़की की थी।

    महक ने उस चाकू को दूर करते हुए आगे कहा, "अब भी नहीं बताना चाहती तुम?"

    "महक, तुम मेरी जान ही ले लो क्योंकि मैं भी थक गई हूं तुम्हें सफ़ाई देते-देते! आह! कितना ख़ून बह रहा है मेरा! मुझे खुद ही यह घाव ठीक करने होंगे।" ऐसा बोलते हुए वह बेड पर घुटनों के बल चलने लगी। यह देख अद्यांश ने आगे बढ़कर उसे उठाया और बेड पर बिठाकर उसके हाथ में पट्टी बाँध दी।

    शेफाली ने मासूम होने का दिखावा करते हुए कहा, "अद्यांश प्लीज़, जो कुछ भी हुआ तुम उसे भूल जाओ। महक ने यह सब जलन से किया। इसका इरादा मुझे चोट पहुँचाने का नहीं था, बिल्कुल भी!"

    अद्यांश ने उसकी बात पर गुस्से से कहा, "ओह! कोई इरादा नहीं था इसका? यह तुम्हें मार डालती अगर मैं ना होता यहां! और ख़ून करना तो इसका खानदानी पेशा है। पहले भी एक बार इसने किसी मासूम का ख़ून किया है! अब भी करती, लेकिन फ़र्क बस इतना सा है कि वह यह ख़ून मेरे सामने होता! बस, महक, बहुत हुआ। जो कुछ भी तुमने आज किया है, उसकी सज़ा तो तुम्हें मिलकर ही रहेगी।" इतना बोलकर उसने महक के बालों को मुट्ठी में पकड़कर अपने साथ ले जाने लगा, तो पीछे से शेफाली ड्रामा करते हुए बोली, "अद्यांश, रुक जाओ! कहाँ जा रहे हो तुम महक को लेकर? देखो, जो कुछ भी हुआ उसमें महक की कोई गलती नहीं थी। प्लीज़, तुम रुक जाओ!"

    यह सुन अद्यांश ने गुस्से में कहा, "नहीं, शेफाली, आज बिल्कुल भी नहीं। यह हर बार अपनी ज़िद के चलते अपनी मनमानी करती रहती है! आज ऐसे सज़ा देने से मुझे कोई भी नहीं रोक सकता!" इतना बोलकर अद्यांश ने महक का हाथ पकड़कर तेज़ी से नीचे लेकर आया। वहीं उसने महक को सबसे सामने लाने से सारे नौकर-चाकर उन्हें ही देख रहे थे। अद्यांश ने महक से कहा, "मुझे तुमसे अब और भी ज़्यादा नफ़रत हो रही है कि मैंने तुम जैसी एक घमंडी, ज़िद्दी लड़की से प्यार किया, जो अपनी ज़िद, मनमानी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।" इतना बोलकर उसने घर के नौकर से एक कैंची मँगवाई। कहीं ना कहीं महक को इसका अंदाज़ा पहले से ही हो गया कि उसके साथ क्या होगा अब? महक रोते हुए बोली, "प्लीज़, यह मत करना! मेरे बालों को मत काटो! मैं माफ़ी माँगती हूँ तुमसे, प्लीज़ ऐसा मत करो!"

    तभी राजवीर, जो घर के बाहर खड़ा था, महक को देखकर उससे रहा नहीं गया। वह भागते हुए अद्यांश के पास गया और उसने अद्यांश को समझाते हुए कहा, "यह तुम ठीक नहीं कर रहे हो, अद्यांश, महक के साथ! प्लीज़, रुक जाओ! मत करो इसके साथ ऐसा!"

    यह सुन अद्यांश ने राजवीर को गुस्से से धक्का देते हुए कहा, "तुम एक नौकर हो और वहीं बनके रहो! मुझे इसे सज़ा देनी है आज जो मैं देकर रहूँगा, समझे!" इतना बोलकर अद्यांश ने महक के थोड़े से बाल काटे, उसके घुटनों तक आने वाले बालों को उसने उसकी गर्दन तक कर दिया। और फिर तेज़ आवाज़ में सबसे कहा, "आज से यह इस घर की नौकर है, तो इसके साथ कोई भी रेहमदिली नहीं दिखाएगा, समझे! और इसे घर का सारा काम समझा देना बाद में।" इतना बोलकर उसने महक को अपने साथ शेफाली के रूम की ओर बढ़ाया।

    शेफाली अपने रूम में एक्टिंग करते हुए बोली, "अद्यांश जी, प्लीज़ महक को कुछ भी मत करना! आहाहा! महक, अब पता चलेगा तुम्हें मुझसे उलझने का क्या अंजाम होता है!" इतना बोलकर वह पागलों की तरह हँसने लगी।

    वहीं महक को अद्यांश ज़बरदस्ती लेकर शेफाली के रूम की तरफ़ बढ़ रहा था। महक के शरीर में तो जैसे उसके प्राण ही ना बचे हों! महक ने दिल ही दिल नफ़रत से कहा, "अब मुझे तुमसे नफ़रत हो रही है, अद्यांश! पहले तो मैंने सोचा था कि तुम्हारी ज़िंदगी से दूर चली जाऊँगी, तुम्हें इसके सच को बताकर, पर अब नहीं!"

  • 19. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 19

    Words: 1526

    Estimated Reading Time: 10 min

    जब अद्यांश ने महक के बालों को बड़ी बेरहमी से काट दिया, और उसे ज़बरदस्ती शैफाली के कमरे में ले जा रहा था, महक के मन में उनके लिए नफ़रत और भी बढ़ गई। आखिर क्यों ना बढ़ती नफ़रत? अद्यांश ने उसके सिर्फ़ बालों को ही नहीं, बल्कि उसके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुँचाई थी। महक ने नफ़रत से मन में खुद से वादा किया कि वह अब अद्यांश से कभी भी शैफाली के बारे में बात नहीं करेगी और ना ही उसे शैफाली का सच पता चलने देगी।

    अद्यांश ने उसे शैफाली के सामने पटक दिया, जिससे महक सीधे शैफाली के पैरों में गिर पड़ी। यह देख शैफाली ने मासूम होने का दिखावा करते हुए कहा, "यह क्या कर रहे हो तुम अद्यांश? वह तुम्हारी बीवी है। प्लीज़, अपने लिए ना सही, मेरे लिए ही सही, इसे माफ़ कर दो! गलती मेरी थी अद्यांश। इसमें अगर मैं चल सकती तो महक को कुछ भी ऐसा करने नहीं देती। गलती मेरी है इन सब में, इसलिए तुम प्लीज़ किसी अनाथ आश्रम का इंतज़ाम करवा दो मेरे लिए। मैं वहीं कुछ ना कुछ काम करके अपनी ज़िंदगी गुज़ार दूँगी। वैसे भी रोज़-रोज़ यहाँ पर मैं अपनी इंसल्ट नहीं करवा सकती।"

    अद्यांश ने उसकी बात सुनकर कहा, "नहीं! शैफाली ने जो गलती की थी, उसके लिए मैंने इसे सज़ा दे दी। मैंने इसके बाल ही काट दिए! बड़ा घमंड था ना इसे अपने बालों पर? आज वही घमंड मैंने तोड़ के रख दिया!"

    यह सुन शैफाली ने महक से माफ़ी माँगते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो महक, मेरे कारण अद्यांश जी ने तुम्हारे बाल काटे!" ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर एक जीतने वाली मुस्कान छा गई, जिसे उसने कुछ ही पल में छिपा भी दिया।

    अद्यांश ने महक के हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, "तुम्हें माफ़ी माँगने की कोई ज़रूरत नहीं है शैफाली, बल्कि माफ़ी तो अब महक को माँगनी होगी तुमसे।" ऐसा कहते हुए उसने महक से कहा, "माफ़ी माँगो शैफाली से महक!"

    यह सुन महक ने अद्यांश के हाथ को झटकते हुए नफ़रत से कहा, "क्या कहा? माफ़ी? और वो भी मैं इस बाज़ारू औरत से? बिल्कुल भी नहीं माँगने वाली माफ़ी मैं!"

    यह सुन अद्यांश ने तेज़ आवाज़ में कहा, "मैंने कहा, माफ़ी माँगने को तो माँगो माफ़ी शैफाली से!"

    महक ने ना में गर्दन हिलाते हुए कहा, "नहीं!"

    "ठीक है महक, फिर इसकी सज़ा तुम्हारे भाई को मिलेगी बाहर। तुमने अगर माफ़ी नहीं माँगी तो मैं तुम्हारे मुँह बोले भाई राज को भी अपाहिज बना दूँगा!... फिर करती रहना यहाँ यह ड्रामा!" ऐसा बोल वो जैसे ही जाने को हुई, तभी महक ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "नहीं, तुम राजवीर भाई के साथ यह सब नहीं कर सकते!"

    अद्यांश ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "और वो क्यों नहीं कर सकता मैं? हाँ?"

    "क्योंकि वो आपके बॉडीगार्ड होने के साथ-साथ आपके दोस्त भी हैं!"

    यह सुन अद्यांश ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "तुम अभी तक मुझे जान नहीं पाई हो महक! मैं दो मिनट में राजवीर को भगवान के पास भेज सकता हूँ। इसलिए अगर अगले दो मिनट के अंदर माफ़ी नहीं माँगी, तब... तुम अपने भाई को दोबारा ज़िंदा नहीं देख पाओगी!"

    महक ने अद्यांश से नफ़रत में कहा, "आज मुझे तुमसे नफ़रत हो रही है अद्यांश! एक बे* के लिए तुम अपने भाई जैसे दोस्त तक को भी मारने के लिए तैयार हो गए! वाह! और कितना गिरोगे मेरी नज़रों में हाँ!"

    यह सुन अद्यांश ने तेज़ आवाज़ में कहा, "नफ़रत तो मुझे तुमसे हो रही है महक! तुम इतना कैसे गिर गई? एक अपाहिज लड़की को मारने की कोशिश की, वो भी उस लड़की की जो ठीक से अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो सकती! पहले मुझे लगा था कि मैं ग़लत कर रहा हूँ, लेकिन अब मुझे इस बात का कोई भी अफ़सोस नहीं है और ना ही कभी होगा! तुम माफ़ी तो माँगने से रही, इसलिए मैं राजवीर को आज इसी वक़्त सज़ा दूँगा, वो भी सबके सामने!"

    महक ने जैसे ही यह सुना कि वो राजवीर को सज़ा देगा, उसकी एक गलती की सज़ा राजवीर को मिलेगी, यह नहीं होने दे सकती मैं, ऐसा मन में सोचते हुए उसने तेज़ आवाज़ में कहा, "मुझे माफ़ कर दो शैफाली! मुझे तुम्हारे साथ यह सब नहीं करना चाहिए था!"

    अद्यांश के क़दम, जो उसने बाहर की तरफ़ बढ़ाए थे, वो वहीं रुक गए।

    शैफाली ने नाटक करते हुए कहा, "क्या कहा तुमने महक? मैंने सुना नहीं!"

    यह सुन महक ने थोड़ा तेज़ आवाज़ में कहा, "मैंने कहा मुझे तुम्हारे साथ वो सब नहीं करना चाहिए था! मुझे माफ़ कर दो!"

    अद्यांश ने महक से कहा, "जितनी माफ़ी माँगनी थी तुमने माँग ली। अब जाकर पूल एरिया को साफ़ कर देना अच्छे से!" यह सुन महक ने अपने क़दम बाहर की ओर बढ़ा दिए।

    अद्यांश ने शैफाली से कहा, "देखो शैफाली, मैं अभी ऑफ़िस जा रहा हूँ। हो सके तो मेरे जाने के बाद तुम महक से दूर रहना अब!"

    "लेकिन अभी तो आए हो तुम अद्यांश! अभी इतनी जल्दी क्यों जा रहे हो? वैसे भी अब तो रात बहुत हो गई! अब क्या काम रह गया तुम्हें?"

    "वो मैं बस फ़ाइल लेने आया था। इसे एक बार चाचा जी को दे दूँ तो वो आगे खुद देखेंगे। मुझे बस यह फ़ाइल देने जाना होगा। तुम मानकर चलो एक-दो घंटे की बात है।" यह सुन शैफाली ने कहा, "ठीक है अद्यांश, पर तुम अपना ख़्याल रखना। ठीक है!"

    इतना कहने के बाद अद्यांश वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद शैफाली ने दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद करते हुए अपनी माँ को कॉल करते हुए कहा, "हेलो मॉम!"

    "हाँ शैफाली बेटा!"

    "तुम तो मेरे वहाँ से आने के बाद भूल ही गई हो कि तुम्हारी एक माँ भी है। तुमने तो सारे रास्ते बंद कर दिए मेरे लिए उस घर में जाने के!"

    यह सुन शैफाली ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "माँ, पता है आज क्या हुआ?"

    यह सुन उसकी माँ ने कहा, "मुझे कैसे पता होगा वहाँ क्या हुआ और क्या होगा हाँ?"

    "माँ, अद्यांश ने उस महक के बाल काट डाले आज!"

    "क्या?" एक तेज़ आवाज़ में उसकी माँ ने कहा! "मुझे तुम पूरी बात बताओ शैफाली बेटा। हुआ क्या ऐसा जो अद्यांश ने ऐसा किया महक के साथ?"

    यह सुन शैफाली ने उन्हें सारी बात बता दी। जिसे सुन उसकी माँ के चेहरे पर एक अजीब सी स्माइल आ गई। उन्होंने शैफाली से कहा, "यह तो कुछ भी नहीं शैफाली बेटा। बस जैसे-जैसे मैं तुम्हें बता रही हूँ, वैसे-वैसे करो, तब तो अद्यांश महक को उससे भी बड़ी सज़ा देगा! उस महक के लिए मेरे दिमाग़ में एक ख़तरनाक प्लान है।"

    "अच्छा मम्मी, क्या प्लान है आपका उस महक के ख़िलाफ़?" यह सुन उन्होंने शैफाली से अपना सारा प्लान कह सुनाया। जिसे सुन शैफाली ने डेविल स्माइल के साथ कहा, "ठीक है मम्मी, मैं अभी इस प्लान को अंजाम देती हूँ। उस महक को इस घर से बाहर ना सही, ऊपर वाले के पास पहुँचाकर ही दम लूँगी!"

    "हाँ, पर उससे पहले मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो तुम। उसके साथ जो कुछ भी करना, सोच-समझकर करना। और हाँ, मुझे भी जितनी जल्दी हो सके अपने पास बुला लेना। अद्यांश को बोलकर उसकी चिंता आप मत करो मॉम। आप बस देखते जाओ मैं क्या हालत करती हूँ उस महक की!"

    यह सुन उसकी माँ ने कहा, "हाँ, और इस हादसे की एक वीडियो बनाकर भेजना मत भूलना ताकि मैं मालिक को भी दिखा सकूँ!"

    "हाँ मॉम, वो भी भेज दूँगी, पर उससे पहले मैं महक को सबक तो सिखा दूँ। उसके बाद अद्यांश के दिलों-दिमाग़ में बस हमारा राज़ होगा और मालिक उसकी रानी मैं बनूँगी और फिर अद्यांश होगा हमारा नौकर।" इतना बोल उसने कॉल कट कर दी।

    वहीं दूसरी तरफ़ महक ने पूल एरिया को साफ़ कर दिया था। वहीं राजवीर सबसे छिपते हुए महक के पास खाने का सामान लेकर आया और उसे देते हुए यहाँ-वहाँ देखते हुए कहा, "महक, जल्दी से तुम यह खाना ख़त्म कर दो, इससे पहले कोई यहाँ आ जाए।" राजवीर ने देखा था घर के सारे नौकरों को जो वहीं अंदर आराम फरमा रहे थे। महक ने उस खाना लेते हुए कहा, "भाई, अगर उन्हें पता चल गया तो...?"

    "तो चलने दो पता! वैसे भी मैं अपनी बहन को दे रहा हूँ, कौन सा उसके पैसे लूटकर दे रहा हूँ! तुम्हें...?"

    "ठीक है भाई, पर आप भी खाओ मेरे साथ।" यह सुन राजवीर मना करते हुए कहा, "यह कैसी बात हुई महक! मैं ऐसे कैसे खा सकता हूँ? यह मेरी ड्यूटी का टाइम है।" यह सुन महक ने कहा, "ठीक है, तो फिर मैं भी नहीं खाने वाली। अगर मेरा भाई भूखा रहेगा तो मैं भी कैसे खा सकती हूँ!"

    "ठीक है, लाओ खाना। तुम भी खाओ मेरे साथ!"

    महक ने खुशी से कहा, "यह हुई ना मेरे भाई वाली बात! चलो अब जल्दी से खा लेते हैं। पहले बाकी बातें फिर होती रहेंगी!"

    शैफाली वहीं कुछ दूर छिपकर उन्हें खाना खाते हुए देख रही थी। कुछ सोचकर उसने उन दोनों के खाते हुए की फ़ोटो निकालकर अद्यांश के नंबर पर भेज दी! फिर अपने फ़ोन को अपने मुँह के पास अपने हाथों में दबाते हुए कहा, "अब देखो महक, तुम्हारा यह सारा खाना कैसे निकलेगा बाहर और तुम्हारे साथ यह बेचारा राजवीर का भी यही हाल होगा।"

  • 20. बेदर्दी से प्यार का - Chapter 20

    Words: 1331

    Estimated Reading Time: 8 min

    महक ओर राजवीर बड़े प्यार से एक साथ खाना खा रहे थें की तभी उन पर शैफाली की नज़र पड़ गई,उसे महक को ख़ुश देख बड़ा गुस्सा आ रहा था उसने उन दोनों की फोटो निकाल कर अद्यांश को send तो कर दी,अब उसके मन में ये चल रहा था कि कैसे अपने प्लान को अंजाम दे !

    ऐसा सोचते हुए उसने राजवीर की तरफ़ देखा जो खाना खाकर अभी उठने वाला ही था ये देख वो जल्दी से अपनी व्हीलचेयर को उनकी तरफ़ ले आईं, उसे अपने सामने देख राजवीर डर गया ओर उसने वो खाने का लिफाहा अपने हाथ पीछे कर लिया !

    शेफाली ने शातिर मुस्कान के साथ कहा, "राजवीर जी,आप मेरे लिए क्या दवाई लेकर आ सकते हो, ऐसा कहते हुए उसने एक दवाई की खाली शीशी उसे दे दी !

    महक ने थोड़े गुस्से में कहा,घर में ओर नौकर मर गए है क्या जो तुम अब भाई को परेशान कर रही हो !

    शेफाली ने राजवीर को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, है तो ये भी नौकर ही !

    तुम !
    नहीं महक तुम जाने दो, ऐसे वैसे भी इस पागल का कोई भरोसा नहीं ओर सच ही तो कहा इसने मै नौकर ही तो हूं इन लोगो का !

    महक ने नम आवाज़ में कहा,नहीं भाई प्लीज़ आप किसी ओर को भेज दीजिए,मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा !

    तुम यूहीं टेंशन ले रही हो महक मै यूं जाऊंगा ओर यू आऊंगा ऐसा कहते हुए वो बाहर की ओर चला गया शैफाली ने मन इविल स्माइल के साथ कहा,

    अब ये आधे घण्टे तक वापिस नहीं आएगा यहीं टाइम है, अपने प्लान को पूरा करने का इतना सोच उसने महक से कहा,

    देखो ना महक, कल बिना गलती के अद्यांश ने तुम्हारे बाल काट दिया, बड़ा दुःख हो रहा होगा ना तुम्हें, इनके कटने पर !


    नहीं बिल्कुल भी नहीं मुझे ये मेरे छोटे बाल अद्यांश की नफ़रत को सहने ओर तुम्हारे षड़यंत्र को दिखाते है कि कैसे तुम्हारे कारण मेरे बाल काटे गए महक ने आत्मविश्वास के साथ कहा।

    शेफाली का उसे देख ख़ून खोल रहा था उसने अपनी मुठ्ठी को कसते हुए महक को सीधा पूल में धक्का दिया !


    महक उसके ऐसा करने पर सभल नहीं पाईं थी,इससे पहले महक खुद को बचाने की कोशिश करती शेफाली ने उसके सिर पर हाथ रखकर उसे पानी के अंदर धकेलने लगी !

    महक ने कम से कम दो min तक ख़ुद को रोक रखा था उसके काफ़ी कोशिश की बाहर आने की पर वो नहीं आ पा रही थी !


    उसका दम घुटने लगा तभी उसने बाहर की तरफ़ देखा जहां से अद्यांश वापिस आ रहा था ये देख वो जल्दी से पानी में डूब गई,महक तो पानी में अब डूबने लगी थी तो उसे कोई भी होश नहीं था तभी वहा पर अद्यांश ने जैसे ही शैफाली को डूबते हुए देखा, वो भागते हुए पुल में कूद कर उसने शैफाली को बचाया !

    उसने थोड़ा ईधर उधर देख कर कहा, ये महक कहा गई वहीं राजवीर भी उन दोनों के पास आया उसने शैफाली को दवाई देते हुए कहा,


    ये लो तुम्हारी दवाई जो तुम्हारे किसी काम नहीं । पर फ़िर भी तुमने मुझे जान बुझ कर यहां से दूर भेजा था !

    क.. क...क्या बोल रहे हो आप राजवीर जी,

    मै भला ऐसा क्यों करूंगी !

    तभी राजवीर की नज़र पुल के पास पड़ी महक की सलीप्पर पर गई उसने अपने आस पास देखते हुए कहा,

    अगर महक की सिलप्पर यहीं है तो फिर महक को भी यही कहीं होना चाहिए था !

    अद्यांश के दिल में भी महक को खोने का डर होने लगा पर उसने अपनी एगों के चलते ये उससे पूछा नहीं !


    राजवीर की नज़र पानी में पड़ रहे बुलबुलों पर पड़ी उसे अजीब लगा क्योंकि शेफाली उस पानी के बुलब्लो से काफ़ी घबरा रही थी तभी राजवीर के दिमाग़ में एक बात क्लिक हुईं अगर शैफाली यहां है, ओर महक की सिलिप्पर भी तो महक भी यही आस पास होनी चाहिए थी पर वो यहां पर नहीं दिखाई दे रही ओर शैफाली भी डर रही है इस पानी को देख कहीं महक पानी में तो नहीं !

    ओह शिट ऐसा बोलते हुए उसने बिना कुछ सोचे समझे पानी में छलाक़ लगा दी अद्यांश बाहर गुस्से से चीख़ते हुए उस पर बोला,
    ये क्या बतमीजी है राजवीर हां !
    तो वहीं राजवीर को तो उन लोगो से कोई भी मतलब नहीं था उसने जब पुल के अंदर देखा तब वो पानी में डूब रही थी ये देख राजवीर ने महक को पकड़ते हुए पूल से बाहर लेकर आया, अद्यांश गुस्से से उसे कुछ कहने वाला था कि तभी उसकी नज़र महक पर गई जिसकी स्किन थोड़ी रूखी पड़ गई थी !

    ये देख अद्यांश ने अपनी फ़िक्र भरी आवाज़ में कहा,महक को क्या हुआ हां ये ऐसे क्यों लेटी है क्या हुआ ?

    पर राजवीर का ध्यान सिर्फ़ महक की तरफ़ था महक को ऐसे ये देख राजवीर ने महक के पेट पर अपने हाथों से दबाते हुए पानी को निकाला बाहर निकाला लेकिन महक अभी भी बेहोश थी !

    ये देख राजवीर ने महक को अपनी बाहों में उठाया ओर बाहर की तरफ बढ़ ने लगा तब पीछे से अद्यांश ने आवाज़ लगाते हुए कहा, राजवीर रुको मेरी बात सुनो !

    नहीं बॉस जितना सुनना था सुन लिया अब ओर नहीं आप इसके लिए चाहे मुझे जॉब से निकाल दे लेकिन मै महक को ऐसी हालत में ऐसे नहीं छोड़ सकता !

    पर तुम अद्यांश के कुछ भी बोल ने से पहले राजवीर अपनी गाड़ी हॉस्पिटल की तरफ़ घुमा चुका था !ये देख अद्यांश भी उसके पीछे जाने लगा शैफाली ने ड्रामा करते हुए कहा,अद्यांश ऐसा बोल वो जैसे ही गिरने को हुई तभी
    अद्यांश ने उसे पकड़ लिया ओर पास खड़े अपने एक नौकर से कहा,

    इसे इसके रूम में छोड़ दो मुझे महक के पास जाना होगा !

    शेफाली ने नफ़रत से कहा, नहीं मै महक के पास नहीं जाने दे सकती तुम्हें इतना सोच वो घबराते हुए बोली,
    अद्यांश !

    लेकिन अद्यांश के दिमाग़ में तो बस महक का मुरझाया हुआ फैस ही घूम रहा था उसके कानों में शेफाली कि आवाज़ पड़ी नहीं वो भागते हुए गाड़ी में बैठा ओर हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ा !

    पीछे से शेफाली अब उठ चुकी थी उसने उस नौकर से कहा मेरी व्हीलचेयर पर बिठा दो मुझे, मै ख़ुद अपने रूम में चली जाऊंगी !


    उस नौकर ने उसे अजीोग़रीब नज़रों से देखा क्योंकि इस वक़्त शेफाली किसी पागल जानवर से कम नहीं लग रही थी वो काफ़ी गुस्से में थी !


    उसका ये रूप कभी किसी नौकर ने आज तक नहीं देखा था क्योंकि वो सबके सामने अच्छे होने का नाटक करती थी पर आज वो अपने असली रंग दिखा रही थी !

    शेफाली ने जब उस नौकर को देखा कि वो कैसे घुर रहा था उसे तब उसने नकली मुस्कान के साथ कहा,

    आप मुझे यहीं छोड़ दीजिए मै ख़ुद अपने रूम में जा सकती हूं,भले ही वो प्यार से बोलने का दिखावा कर रही थी लेकिन उसकी आखों में गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था उस नौकर को !

    उसने व्हीलचेयर पर शैफाली को बिठाया ओर मन में कहा,ये जितनी सीधी दिखाई देती है उतनी है नहीं, बहुत शातिर औरत है ये !

    मुझे इससे दूर रहने में ही भलाई है इतना मन में बोल वो विला के अंदर चला गया उसके जाने के बाद, शैफाली ने उस नौकर के जाने के बाद अपने पैरो में खड़ी हुईं ओर पुल के पानी को अपने हाथों में लेकर अपनी बॉडी को साफ़ करते हुईं बोली,
    Hmmm ये गंदा नौकर कहीं का मेरी पूरी बॉडी खराब कर दी इनसे !


    ओर उस महक को तो मै छोडूंगी नहीं किमिनी कहीं की फिर से अद्यांश के क़रीब आ रही है वो नहीं अब मै फ़िर से महक को अपनी जगह नहीं लेने दूंगी !

    अरे वो जगह महक की थी ओर रहेंगी, पर शैफाली इस वक़्त महक को ही दोष दे रही थी !
    तो वहीं दूसरी तरफ हॉस्पिटल में राजवीर डॉक्टर डॉक्टर चिल्लाते हुए महक को अपनी बाहों में उठाए लेकर आया !