देश का मशहूर डॉक्टर जिसने ये शपथ ली थी कि वो हर किसी की जान बचाए गा मगर उसकी एक गलती के कारण चली गई किसी की जान जिसके कारण छोड़ दिया उसने अपना काम और बन गया एक मामूली वेटर एक छोटे से कैफे में मगर तभी उसकी जिंदगी में आई एक छोटी लड़की जिसे उस डॉक्टर के... देश का मशहूर डॉक्टर जिसने ये शपथ ली थी कि वो हर किसी की जान बचाए गा मगर उसकी एक गलती के कारण चली गई किसी की जान जिसके कारण छोड़ दिया उसने अपना काम और बन गया एक मामूली वेटर एक छोटे से कैफे में मगर तभी उसकी जिंदगी में आई एक छोटी लड़की जिसे उस डॉक्टर के बारे में सब पता था वो भी जो वो खुद भी नहीं जानता होगा मगर वो लड़की सिर्फ उस डॉक्टर को ही दिखती थी उस लड़की से मिलने के बाद डॉक्टर को पता चले इसे राज जिनके बारे में जानकर वो भी हैरान रह गया
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PART-1
जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल में एक महिला को लाया गया। उनकी आयु लगभग 40 वर्ष थी और वे पूरी तरह जल चुकी थीं। महिला के साथ एक आदमी था, जो डॉक्टर को बुलाने लगा। डॉक्टर वहाँ आए और महिला की हालत देखकर बोले, "हमारे अस्पताल में आज सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं हैं। आप इन्हें दिल्ली ले जाएँ।"
"दिल्ली जाने में तो बहुत समय लगेगा, और मरीज़ की हालत ऐसी नहीं है कि उनको इतना दूर ले जाया जाए। आप कुछ कीजिए," डॉक्टर के पैर पकड़ते हुए वह आदमी बोला।
डॉक्टर ने कहा, "I am sorry, मैं कुछ नहीं कर सकता।" तभी वहाँ एक लड़का आया, जो अस्पताल के सामने बने रेस्टोरेंट में वेटर था और किसी का ऑर्डर डिलीवरी करने आया था।
तभी उस लड़के के पास एक 13 वर्षीय लड़की आई, जो उससे बोली, "कृपया मेरी मॉम को बचा लो।"
लड़का उसको देखकर चौंक गया और बोला, "मैं कैसे...?"
लड़की आगे कुछ बोल पाती, इससे पहले ही उसने कहा, "मैं जानती हूँ आप ही मेरी मॉम को बचा सकते हो। कृपया मेरी मदद करो।"
लड़का उस बच्ची के साथ उसकी माँ के पास गया और डॉक्टर से पूछा, "क्या हुआ?"
डॉक्टर ने बताया कि वह महिला पूरी तरह जल गई है और आज अस्पताल में सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। यह सुनते ही वह लड़का तुरंत उस महिला को ऑपरेशन थिएटर में ले गया। यह सब देखकर सब लोग अचंभित हो गए। डॉक्टर उस लड़के के पीछे गया। डॉक्टर यह देखकर चौंक गया कि लड़का ऑपरेशन की तैयारी कर रहा है। डॉक्टर ने उससे पूछा, "तुम कौन हो और यह क्या कर रहे हो?" लड़का कोई जवाब नहीं दिया, बस अपने काम में लगा हुआ था। ऑपरेशन की तैयारी करने के बाद वह लड़का उस महिला का ऑपरेशन करने लगा। उसे देखकर डॉक्टर को समझ में आया कि यह कोई सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर है। फिर डॉक्टर ने भी ऑपरेशन करने में उसकी मदद की। कुछ देर बाद ऑपरेशन सफल रहा। वह लड़का ऑपरेशन थिएटर से बाहर आया तो वह बच्ची उसके पास आई और बोली, "धन्यवाद, आपने मेरी मॉम को बचाया।" तभी वह लड़का एक बार फिर से चौंक गया और सोचा कि इसको कैसे मालूम कि ऑपरेशन सफल रहा? और मैं तो अभी ऑपरेशन थिएटर से बाहर आया हूँ। क्या वह जानती है कि मैं कौन हूँ? तभी वह लड़का उस बच्ची से बोला, "क्या तुम जानती हो मैं कौन हूँ?" वह बच्ची हाँ में सर हिलाई। इससे पहले वह लड़का आगे कुछ बोल पाता, डॉक्टर उस महिला को ऑपरेशन थिएटर से बाहर लेकर आए और ICU में ले गए। तभी वह लड़का और वह छोटी बच्ची भी उनके पीछे ICU में गए। उस महिला को ऑक्सीजन मास्क पहनाया जा रहा था। तभी वह लड़का डॉक्टर से कहता है, "इनका पूरा ख्याल रखना, कोई लापरवाही ना हो।" उसकी बात सुनकर वह बच्ची कहती है, "तुम चिंता मत करो, दिल्ली के जैसे यहाँ ऑक्सीजन मास्क हटाने की लापरवाही नहीं होगी।"
यह सब सुनकर वह लड़का एकदम से सन्न रह गया। यह बच्ची क्या कह रही है? इसको दिल्ली में हुई लापरवाही के बारे में कैसे पता? और यह बच्ची उसे ऑपरेशन करने के लिए ही क्यों कहा? तभी वह लड़का पीछे मुड़कर उस लड़की की तरफ देखता है, लेकिन वह लड़की वहाँ नहीं है। वह लड़का दंग रह गया। अभी तो वह बच्ची वहीं थी, कहाँ चली गई? वह लड़का डॉक्टर से पूछता है, "वह बच्ची कहाँ है?" डॉक्टर बोलता है, "कौन सी बच्ची?" वह लड़का कहता है, "जो वह लेडी पेशेंट के साथ थी।" तभी डॉक्टर बोलता है, "उनके साथ तो कोई बच्ची नहीं थी।" वह लड़का हैरान हो जाता है। अभी तो वह यहीं थी! उसने ही तो उसे ऑपरेशन करने के लिए कहा था। उस लड़के को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह अस्पताल से बाहर आ जाता है और रेस्टोरेंट में जाता है। तभी उस रेस्टोरेंट का मैनेजर उसको गुस्से में बोलता है, "इतनी देर से तुम कहाँ थे? इतना समय लगता क्या है ऑर्डर डिलीवरी करने में?"
वह लड़का कुछ नहीं कहता है और अपने काम में लग जाता है, लेकिन अभी भी वह लड़का उस बच्ची के बारे में सोच रहा होता है कि वह बच्ची कहाँ से आई और कहाँ चली गई और उसे दिल्ली में हुई लापरवाही के बारे में कैसे पता? अभी वह यही सब सोच रहा था कि उसे याद आया कि उस बच्ची ने उसे कहा था, "मेरी मॉम को बचा लो।" इसका मतलब है कि वह उस लेडी पेशेंट की बेटी है। अब सब उसकी माँ ही बता सकती है, लेकिन उस लेडी पेशेंट को होश आने में कम से कम 1 घंटा लगेगा।
लड़का अपने काम में लग जाता है और बार-बार घड़ी देखता है। 1 घंटे के बाद लड़का फिर अस्पताल में जाता है। वह लेडी पेशेंट को होश आ चुका था। वह लड़का उसके पास जाता है और उससे पूछता है, "क्या आपके 13 साल की कोई लड़की है?" वह लेडी यह सुनकर हैरान हो जाती है और बोलती है, "आपको कैसे पता?" तभी वह लड़का कहता है, "अभी वह बच्ची कहाँ है?" उसकी बात सुनकर उस लेडी की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह कहती है, "अब वह इस दुनिया में नहीं है।"
यह सब सुनकर वह लड़का घबरा जाता है और सोचता है, यह कैसे हो सकता है? अभी तो वह उसके पास थी, उससे बात कर रही थी और उसी ने उसकी माँ को बचाने के लिए कहा था। इसका मतलब वह बच्ची जानती थी कि वह कौन है और दिल्ली में जो हादसा हुआ उसके बारे में वह क्या जानती है।
तभी वह लड़का उस लेडी पेशेंट से पूछता है, "क्या आप मुझे बता सकती हैं आपकी बेटी को क्या हुआ था?"
वह महिला कहती है, "आज से 1 महीने पहले मेरी बेटी भी मेरे साथ एक हादसे में जल गई थी। हम लोग तब दिल्ली में थे। हम लोग उसे दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल में ले गए, जहाँ डॉक्टर रोहन खन्ना, जो कि सर्जरी स्पेशलिस्ट हैं, ने उसका ऑपरेशन किया। ऑपरेशन सफल भी रहा, लेकिन उनकी लापरवाही की वजह से मेरी बेटी की जान चली गई।"
यह सब सुनकर वह लड़का, जिसका नाम रोहन है, पत्थर बन गया। इसका मतलब उसकी लापरवाही से जिसकी जान चली गई थी, वह वही छोटी बच्ची थी। लेकिन उसका रोहन को दिखना, इसका क्या मतलब था? क्या वह रोहन से अपनी मौत का बदला लेना चाहती है? रोहन यह सब सोचता हुआ अस्पताल से बाहर आ गया। वह रेस्टोरेंट में जाकर बैठ गया। उसे तो कोई होश ही नहीं था कि वह कब अस्पताल से बाहर आया और कब रेस्टोरेंट में।
तभी उसे कोई आवाज़ सुनाई दी, "हेलो, डॉक्टर।" तभी रोहन ने चौंककर ऊपर नज़र उठाकर देखा तो सामने वही लड़की बैठी थी।
जिसको देखकर रोहन एकदम से घबरा गया। उसको ऐसे घबराते हुए देखकर उस बच्ची ने कहा, "डरो मत, मैं तुमसे अपनी मौत का बदला लेने नहीं आई हूँ, क्योंकि मेरी जान तुम्हारी लापरवाही की वजह से नहीं गई। मुझे तो किसी ने जानबूझकर मारा है, उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। उसी ने मेरी मॉम को मारने की कोशिश की, लेकिन तुमने उन्हें बचा लिया और अब आगे भी तुम ही उन्हें बचा सकते हो। उनकी जान को खतरा है, उनको बचा लो और मेरी बहन को भी।"
उसकी बातें सुनकर रोहन हैरान हो जाता है और कहता है, "तुम मुझे बताओ, तुमको किसने मारा और तुम्हारी मॉम को कौन मारना चाहता है? मैं अभी पुलिस को बोलकर उसे पकड़वा देता हूँ।" तभी वह बच्ची कहती है, "तुम जितना सोच रहे हो, उतना सिम्पल नहीं है। तुमको मेरे घर जाना होगा, और वो भी लड़की बनकर।"
PART -2
पिछले भाग में हमने देखा था कि रोहन को उस लड़की ने बताया था कि उसकी जान उसकी लापरवाही से नहीं गई थी, उसे किसी ने मारा था और अब वह उसकी माँ को मारना चाहता है। उसने रोहन से उसकी मदद करने के लिए कहा था। उसने रोहन को उसके घर पर लड़की बनकर जाने के लिए कहा था।
रोहन उसकी बात सुनकर गुस्से में बोला, "तुम पागल हो क्या? मैं और लड़की? कभी नहीं! ये कोई फिल्म नहीं है। तुम मुझे बताओ, तुम्हें किसने मारा? बाकी सब मैं ठीक कर दूँगा।"
तभी वह लड़की, जिसका नाम रिया था, बोली, "क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है कि मुझे किसने मारा?"
"तुम पुलिस को क्या कहोगे? कि तुम्हें मरी हुई रिया ने बताया कि उसे किसने मारा है? क्या पुलिस तुम्हारा विश्वास करेगी?"
रोहन सोचते हुए बोला, "लेकिन तुम मुझे तो बता सकती हो ना कि वो कौन है जिसने तुम्हें मारा?"
रिया कुछ देर चुप रहकर बोली, "मेरी दीदी ने।"
रोहन चौंक कर खड़ा हो गया और बोला, "ये तुम क्या कह रही हो? तुम्हारी दीदी? तुम्हें और तुम्हारी माँ को मारना चाहती है? लेकिन क्यों?"
इतने में रोहन को मैनेजर की आवाज सुनाई दी। रोहन ने उधर देखा तो मैनेजर उससे बोला, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो? जाकर अपना काम करो।" रोहन रिया की तरफ देखा, लेकिन रिया वहाँ नहीं थी। रोहन वहाँ से चला गया और काम में लग गया। लेकिन उसके दिमाग में...
...रिया घूम रही थी। वो यही सोच रहा था कि रिया की दीदी ने उसे क्यों मारा होगा? वह तो इतनी छोटी है।
अब ये सब तो रिया ही बता सकती थी, लेकिन वो तो गायब हो गई। क्या अब रिया वापस रोहन के पास आएगी?
रोहन यही सब सोच रहा था। रोहन अपना काम पूरा करके खाना खाने बैठा ही था कि उसके सामने रिया आ गई।
रोहन एकदम से रिया को देखकर थोड़ा डर गया और उसके मुँह से जोर से निकला, "तुम!"
वहाँ बैठे सब लोग उसे देखने लगे। रोहन ने "sorry" कहते हुए वहाँ बैठ गया।
रोहन ने धीरे से रिया से कहा, "तुम कहाँ चली गई थी?"
"माँ के पास," रिया ने जवाब दिया।
रोहन ने कहा, "कैसी तबियत है अब तुम्हारी माँ की?"
"ठीक है वो अभी, लेकिन पता नहीं कब तक ठीक रहेगी।"
ये सुनकर रोहन ने कहा, "तुम ऐसा क्यों कह रही हो? तुम्हारी दीदी ऐसा क्यों करेगी? क्या वो तुम्हारी सौतेली बहन है?"
"नहीं नहीं, मेरी दीदी मेरी अपनी सगी बहन है और वो मुझसे बहुत प्यार भी करती है।"
"तो फिर उसने तुम्हें मारा क्यों?" रोहन हैरान होकर बोला।
"और अभी तुमने थोड़ी देर पहले कहा था कि मेरी माँ और मेरी दीदी को बचा लो।"
"तुम्हारी दीदी ने तुम्हें मारा और तुम उसे बचाना चाहती हो?"
रिया बोली, "मेरी दीदी ने मुझे मारा जरूर है, लेकिन उसके पीछे कोई और है। मेरी दीदी को किसी ने अपने वश में कर रखा है। मेरी दीदी को तो कुछ मालूम भी नहीं है। मेरी दीदी बहुत मुश्किल में है। उनकी मदद करो।"
रोहन कुछ सोचने लगा। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
तभी रिया बोली, "सोच लो। दो जिंदगियाँ हैं। या तो तुम उन्हें बचा लो या छोड़ दो। तुमने अपने आप से वादा किया था कि तुम लोगों की जान बचाओगे।"
रोहन को याद आया कि उसने अमेरिका में सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर की पढ़ाई की थी। उसे अमेरिका में बहुत ऑफर भी मिले थे, लेकिन वह भारत में ही काम करना चाहता था। उसने अपने आप से वादा किया था कि वह लोगों की जान बचाएगा, चाहे कोई अमीर हो या गरीब। इलाज न होने की वजह से किसी की जान नहीं जाएगी। उसने बहुत लोगों की जान बचाई थी, लेकिन उसकी एक लापरवाही की वजह से एक बच्ची की जान चली गई थी, जिसकी वजह से उसने डॉक्टर की जॉब छोड़ दी थी। और अब वही बच्ची उसके सामने बैठी है जो उससे कह रही है कि उसकी वजह से उसकी जान नहीं गई।
तभी रिया उसके सामने चुटकी बजाती है और कहती है, "क्या हुआ Mr. खो?"
तभी रोहन एकदम से उसे देखता है और कहता है, "Mr. खो? ये क्या है? मेरा नाम रोहन है।" तभी रिया कहती है, "तुम बात-बात पे पता नहीं कहाँ खो जाते हो, इसीलिए मैंने तुम्हारा नाम 'खो' रखा है।" रोहन एक छोटी सी स्माइल देता है तो रिया भी देखकर मुस्कुरा देती है।
"तो फिर तुम मेरे घर चल रहे हो ना?" रिया ने कहा। तो रोहन फिर सोचने लगा कि ऐसे वह किसी के घर कैसे जा सकता है और वो भी लड़की बनकर।
तभी रिया कहती है, "ओफ्फो! फिर से खो गए?" रोहन उसकी तरफ देखता है, उसे समझ नहीं आ रहा वह क्या करे।
रिया समझ जाती है कि रोहन कन्फ्यूज़ है। तभी रिया कहती है, "कोई बात नहीं। मेरी तरह मेरी दीदी और मेरी माँ भी मर जाएँगी। वो भी मेरी तरह भटकती रहेंगी। लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? तुम बस वादा करते हो लोगों की जान बचाने का।"
रोहन रिया की तरफ देखता है और बोलता है, "नौटंकी।"
रिया मुस्कुरा देती है और कहती है, "मतलब तुम मान गए? तुम मेरे घर आ रहे हो?" रोहन हाँ में सर हिला देता है और कहता है, "बोलो क्या करना है मुझे?" तो रिया मुस्कुरा के कहती है, "अपना खाना खाओ। मैं कल वापस आती हूँ।"
रोहन कुछ कहता, उससे पहले ही रिया गायब हो गई।
रोहन अपने मन में सोचता है, "ये लड़की भी ना..."
और अपना खाना खाने लगता है और सोचता है कि वह लड़की बनकर उसके घर में कैसे जाएगा? पता नहीं इस पागल लड़की ने क्या सोचा है।
PART 3
पिछले भाग में आपने देखा कि रिया ने रोहन को बताया कि उसकी दीदी ने ही उसे मारा है। लेकिन रिया की दीदी ने ऐसा क्यों किया, यह जानने के लिए रिया ने रोहन को उसके घर जाने के लिए कहा और रोहन मान गया। अब आगे...
सुबह का समय था। रोहन रेस्टोरेंट में रिया का इंतज़ार कर रहा था। उसने अपने चारों ओर देखा। पता नहीं रिया कहाँ थी। काफी समय बाद भी जब रोहन को रिया नहीं दिखी, तो रोहन सोचने लगा कि वह कहाँ चली गई। कल से तो वह उसके पीछे ही पड़ी थी, उसके घर जाने के लिए। अब जब वह राज़ी हो गया है, तो उसका कुछ पता ही नहीं।
तभी रोहन को याद आया कि शायद वह अपनी माँ के पास हो। रोहन अस्पताल गया। सामने ही रिया बैठी थी। रोहन उसके पास गया और कहा, "तुम कहाँ थी? मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।"
रिया ने कहा, "आज माँ को डिस्चार्ज किया जा रहा है। तुम्हें भी माँ के साथ ही घर जाना होगा।"
रोहन ने कहा, "मैं कुछ समझा नहीं।"
रिया ने कहा, "तुम्हें माँ का ख्याल रखने के लिए नर्स बनकर उनके साथ जाना होगा। और यह तुम कैसे करोगे, यह तुम्हें अच्छे से पता है।"
रोहन ने कहा, "समझ गया।"
रोहन वहाँ के डॉक्टर के पास गया और अपना ID कार्ड दिखाया। देखते ही डॉक्टर हैरान हो गया। "यह तो डॉक्टर रोहन खन्ना हैं! इंडिया के सबसे अच्छे सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर!"
डॉक्टर ने रोहन से कहा, "आप कहाँ चले गए थे? न्यूज़ में सुना था आप अचानक से कहीं गायब हो गए थे। कहाँ चले गए थे आप?"
रोहन ने कहा, "वह सब मैं आपको बाद में बताऊँगा। अभी मुझे आपकी मदद चाहिए।"
डॉक्टर ने कहा, "बोलिए। मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?"
रोहन ने कहा, "आपके अस्पताल में जो लेडी पेशेंट हैं, मैंने जिनका ऑपरेशन किया था, मुझे उनके साथ नर्स के रूप में उनका ख्याल रखने के लिए हायर करना है।" यह सब सुनकर डॉक्टर हैरान हो गया और फटी आँखों से रोहन को देखने लगा। रोहन ने कहा, "किसी की ज़िंदगी का सवाल है। मुझ पर विश्वास रखिए।"
डॉक्टर ने कहा, "मुझे आप पर पूरा विश्वास है। जैसा आप कहें, वैसा ही होगा।" रोहन बोला, "यह बात बस हम दोनों के बीच में रहनी चाहिए। किसी और को पता नहीं चलना चाहिए।"
डॉक्टर ने कहा, "आप निश्चित रहें।" रोहन डॉक्टर को धन्यवाद कहकर वहाँ से चला गया।
रोहन और रिया मेकओवर स्पेशलिस्ट के पास बैठे थे। रोहन लड़की बनने की तैयारी में था। उसे देखकर रिया मुस्कुरा रही थी। तभी रोहन बोला, "तुम अगर ऐसे हँसने वाली हो, तो प्लान कैंसिल।"
रिया जल्दी से बोली, "नहीं-नहीं!" और अपने दोनों हाथ अपने मुँह पर रख लिए।
थोड़ी देर में मेकओवर स्पेशलिस्ट ने कहा, "You are ready." रोहन ने अपने आप को आईने में देखा। वह खुद भी अपने आप को नहीं पहचान पा रहा था। डॉक्टर रोहन अब सिस्टर रोहिणी बन चुका था।
उसे देखकर रिया ने कहा, "तुम तो मुझसे भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो।" उसकी बात सुनकर रोहन मुस्कुराते हुए कहा, "तो तुम खूबसूरत हो?" रिया ने कहा, "कोई शक?"
तो रोहन बोला, "बंदरिया लगती हो। बंदरिया नाम लॉन्ग है, इसीलिए लोग तुम्हें बस रिया कहते हैं।" यह सुनकर रिया रोहन को घूरने लगी। तभी रोहन बोला, "अब चलें? लेट हो रहा है।" तो रिया कहती है, "अगर तुम्हारी बकवास हो गई तो चलो।"
सब लोग रिया के घर में थे। रिया की माँ बेड पर लेटी थी। रिया के अंकल, रोहन और रिया उसी कमरे में बैठे थे। तभी...
वहाँ पर रिया की दीदी आई और अपनी माँ के पास जाकर बोली, "आप ठीक हो ना, माँ?" उसकी आँखों में पानी था। उसकी माँ ने कहा, "मैं बिल्कुल ठीक हूँ। तुम्हारे सामने हूँ।"
रोहन रिया की दीदी को देखता है और उसे याद आता है जब उसने रिया का ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के बाद रिया को ICU में शिफ्ट करके रोहन दूसरा ऑपरेशन करने के लिए चला गया था। ऑपरेशन करने के बाद जब वह रिया को देखने गया तो उसने देखा कि रिया के मुँह पर ऑक्सीजन मास्क नहीं है। इससे पहले कि वह कुछ करता, रिया मर चुकी थी।
तभी रिया की दीदी ने ही रोहन को कहा था, "तुम्हारी लापरवाही की वजह से मेरी बहन मर गई। पता नहीं तुम्हें किसने डॉक्टर बनाया। तुम तो कोई वेटर बनने के लायक हो। छोड़ दो अपनी यह डॉक्टरी, नहीं तो पता नहीं और कितने लोगों की जान लोगे तुम।"
रोहन को भी यही लगा कि उसकी लापरवाही की वजह से ही रिया की जान गई। वह यह बात सह नहीं पाया और दिल्ली छोड़कर जयपुर अपने दोस्त के पास आ गया। जैसा कि रिया की दीदी ने कहा था कि तुम कोई वेटर बनने के लायक हो, तो रोहन ने उसे अपनी सजा मानकर वेटर का काम करने लगा।
लेकिन अभी रोहन को समझ आ गया था कि उस दिन उससे कोई लापरवाही नहीं हुई थी। वह ऑक्सीजन मास्क रिया की दीदी ने निकाला था।
लेकिन उसने ऐसा क्यों किया, यह जानना अभी बाकी था।
रोहन यह सब सोच ही रहा था कि रिया की दीदी ने रोहन की तरफ देखा और अपने अंकल से इशारे में पूछा, "यह किसलिए?" तो उसके अंकल ने कहा, "जब तक तुम्हारी माँ ठीक नहीं हो जाती, यह हमारे साथ ही रहेगी।" और उसके अंकल ने कहा, "उसे अपने रूम में ले जाओ।"
यह सुनकर रोहन चौंक गया। वह रिया की दीदी के रूम में कैसे रह सकता है? लेकिन अभी वह क्या करे? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह रिया की तरफ देखकर ना में सर हिलाता है। तभी रिया कहती है, "चले जाओ। दीदी से जानने के लिए उसके साथ रहना ज़रूरी है।" तभी रोहन रिया को बाहर आने का इशारा करता है।
दोनों बाहर चले जाते हैं। रोहन थोड़ा गुस्से में रिया से कहता है, "तुम्हारे घरवालों को तो नहीं पता मैं कौन हूँ, लेकिन तुम्हें तो पता है ना? फिर भी तुम बोल रही हो।"
रिया कहती है, "आप गुड बॉय हो, मैं जानती हूँ। और मेरी दीदी भी अच्छी है। और आप उनके पास रहोगे, तभी तो सच जान पाओगे।"
रोहन कहता है, "पता नहीं और क्या-क्या करवाओगी तुम।"
रिया कहती है, "तुम्हें दीदी से दोस्ती करनी पड़ेगी, तभी वह तुम्हें सब सच बताएगी।"
तभी वहाँ रिया की दीदी आ जाती है और रोहन से कहती है, "तुम्हें अपना रूम दिखा देती हूँ, सिस्टर।"
रिया की दीदी के मुँह से "सिस्टर" सुनकर रोहन कहता है, "मेरा नाम रोहिणी है, तो तुम मुझे मेरे नाम से बुलाओ। सिस्टर नहीं।" यह सुनकर रिया हँसने लगती है। रोहन उसे आँख दिखाता है। तभी रोहन रिया की दीदी से उसका नाम पूछता है। इससे पहले कि वह बताती, रिया बोल देती है, "सिया।"
तो रोहन के मुँह से भी निकलता है, "सिया?" तो रिया की दीदी, सिया, कहती है, "खुद ही नाम पूछती हो और खुद ही बताती हो?" तो रोहन रिया की तरफ देखता है। रिया कहती है, "माँ ने बताया। बोल दो।" तो रोहन हड़बड़ी में बोल देता है कि, "माँ ने बताया।" सिया कहती है, "क्या?"
रोहन जल्दी से बात संभालते हुए कहता है, "मेरा मतलब तुम्हारी माँ ने बताया था। एक बार मैं भूल गई थी, इसीलिए तुमको पूछा। फिर याद आ गया।" सिया कहती है, "ठीक है। चलो, तुम्हें रूम दिखा दूँ।" रोहन सिया के साथ चला जाता है।
रात में सिया के रूम में रोहन आया। उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। वह सिया को देखता है, जो कि सो चुकी थी। पास में रखे सोफे पर रोहन सो जाता है।
रात के लगभग 12 बजे सिया के जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती है। आवाज़ सुनकर रोहन उठ जाता है। वह देखता है कि सिया डरी हुई है और चिल्लाते हुए कह रही है, "मुझे छोड़ दो! और चले जाओ यहाँ से!"
PART 4
पिछले भाग में आपने देखा, रोहन रिया के साथ उसके घर आ गया था। वह रिया की दीदी, सिया के कमरे में सो रहा था। तभी रोहन को सिया के चिल्लाने की आवाज़ आई।
रोहन ने देखा, वहाँ कोई नहीं था। सिया बहुत डरी हुई थी। उसे देखकर लग रहा था कि कोई उसे पकड़ रहा है और वह छुड़ाने की कोशिश कर रही है। यह सब देखकर रोहन डर गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह धीरे-धीरे सिया के पास गया और सिया के पास बिस्तर पर बैठ गया। सिया अभी भी चिल्ला रही थी और अपने हाथ ऊपर-नीचे कर रही थी। रोहन डरता हुआ उसके हाथ पकड़ लेता है। सिया रोहन की तरफ देखती है और उसके गले से लग जाती है। सिया बहुत डरी हुई थी; उसकी दिल की धड़कन बहुत तेज चल रही थी।
"वो मुझे मार देगा!" सिया बोल रही थी।
रोहन ने उसे संभालते हुए उसके सर पर अपना हाथ रखकर कहा, "कुछ नहीं होगा, मैं हूँ ना तुम्हारे पास।"
वह धीरे-धीरे सिया का सर सहलाता रहा। सिया चुप हो गई। रोहन सिया को उसके कंधों से पकड़कर उसे अलग करने की कोशिश करता है, लेकिन सिया उसे नहीं छोड़ रही थी। वह बहुत डरी हुई थी। तो रोहन उसका सर सहलाते हुए कहता है,
"मैं तुम्हारे पास ही हूँ। कुछ नहीं होगा। तुम सो जाओ।"
रोहन की बात सुनकर सिया खुद को रोहन से अलग करती है और उसकी गोद में सर रखकर सो जाती है। थोड़ी देर बाद उसे नींद आ जाती है। तो रोहन उसे देखता है और धीरे से बिस्तर पर लिटा देता है। रोहन घड़ी में समय देखता है, तो 3 बज रहे थे। रोहन सोफ़े पर जाकर सो जाता है और सोचता है कि रिया ने जो कहा, क्या वह सच है कि उसकी दीदी कोई मुश्किल में है? या फिर सिया यह सब नाटक कर रही है? उसने जानबूझकर रिया को मारा है? लेकिन वह ऐसा क्यों करेगी? रिया से उसकी क्या दुश्मनी? वह तो इतनी छोटी है और इतनी अच्छी भी।
यह सब सोचते हुए उसे कब नींद आ गई, उसे पता ही नहीं चला। सुबह सिया ने उसे आवाज़ दी, "रोहन उठ जाओ! 8 बज रहे हैं। मॉम की दवा का समय हो गया।"
रोहन धीरे से आँखें खोलता है, तो सामने सिया खड़ी थी। उसे देखकर रोहन को वह सब याद आ गया जो रात को हुआ था। लेकिन वह यह देखकर अचंभित था कि सिया बिल्कुल नॉर्मल है। उसे देखकर बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि रात को उसके साथ वह सब हुआ था। एक बार के लिए तो रोहन भी सोच में पड़ गया कि जो हुआ, वह उसका कोई ख्याल था या हकीकत।
रोहन रिया की मॉम के पास जाता है और उन्हें दवा देता है। रोहन इधर-उधर देख रहा था; वह रिया को ढूँढ़ रहा था। तभी उसकी मॉम कहती है, "किसे ढूँढ़ रहे हो?"
"रिया को," रोहन के मुँह से निकल गया।
यह सुनकर उसकी मॉम आश्चर्य से रोहन की तरफ देखती है। तभी रोहन को याद आता है। वह संभलते हुए कहता है, "कहाँ है सिया? मुझे कॉफ़ी पीनी थी।"
उसकी मॉम को लगता है शायद उसने ही गलत सुना होगा। वह सिया ही बोली होगी। तभी सिया वहाँ आ जाती है। रोहन उसको कॉफ़ी का बोलकर बाहर चला जाता है। वह रिया को ढूँढ़ रहा है। रिया बाहर हॉल में ही बैठी थी। रोहन उसके पास जाता है, तो रिया कहती है, "तुम इतना लेट तक उठते हो? कितनी बार मैं कमरे में जाकर आई, तुम तो उठने का नाम ही नहीं ले रहे थे।"
"तुमको पता भी है कल रात को क्या हुआ?" रोहन कहता है।
"हाँ, पता है। और वह कल रात को ही नहीं हुआ, रोज़ रात को होता है। इसीलिए तो मैंने तुम्हें दीदी के कमरे में सोने के लिए कहा था।" रिया कहती है।
उसकी बात सुनकर रोहन कहता है, "तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"
"अगर बता देती, तो शायद तुम दीदी के कमरे में सोने से मना कर देते। तो फिर कैसे पता चलता कि रोज़ रात को दीदी ऐसे चिल्लाती क्यों है? उनके साथ क्या होता है?" रिया कहती है।
"पता तो अब भी नहीं चला कि वह क्यों चिल्लाती है," रोहन बोलता है।
रिया खड़े होकर कहती है, "तो तुमने दीदी को पूछा नहीं कि उनको क्या हुआ? वहाँ कौन है?"
"कैसे पूछता? वह इतनी डरी हुई थी। मैंने सोचा सुबह आराम से पूछ लेंगे, लेकिन..." रोहन कुछ कहता है, रिया बोल पड़ती है, "अब दीदी को कुछ याद नहीं, रात को उनके साथ क्या होता है। वह सुबह सब भूल जाती है। मेरा ऑक्सीजन मास्क दीदी ने निकाला था, अब उनको वह सब भी याद नहीं।"
रोहन कुछ सोचता है और रिया से पूछता है, "तुम आग में कैसे जल गई थी? तुम्हारे साथ वह हादसा कैसे हुआ?"
तो रिया बताती है, "मैं किचन में गई थी मॉम के पास। मुझे भी खाना बनाना सीखना था। मॉम मुझे मैगी बनाना सिखा रही थी। तभी फ़ोन रिंग हुआ, तो मॉम वहाँ से चली गई। फिर पता नहीं कैसे किचन में आग लग गई और मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं बहुत डर गई थी; मेरे मुँह से आवाज़ भी नहीं निकल रही थी। फिर मुझे चक्कर आने लगा और मैं बेहोश हो गई।"
तभी रोहन ने कहा, "उस वक़्त सिया कहाँ थी?"
तो रिया सोचते हुए कहती है, "जब मैं किचन में जा रही थी, तो दीदी..." इससे पहले रिया कुछ कहती, सिया कॉफ़ी लेकर वहाँ आ जाती है। उसके हाथ में दो कप कॉफ़ी के थे। सिया रोहन को कॉफ़ी देती है, तो सिया से कॉफ़ी रोहन के हाथ पर गिर जाती है, जिससे रोहन जल जाता है। यह देखकर रिया बहुत घबरा जाती है, जैसे वह कॉफ़ी रोहन पर नहीं, उसी पर गिरी हो। सिया भी "sorry" कहते हुए कॉफ़ी साफ़ करने लगती है।
"मैं ठीक हूँ," रोहन कहता है।
"मैं ice लगा देती हूँ," सिया कहती है।
"मैं ठीक हूँ," रोहन कहता है।
फिर सिया वहाँ से चली जाती है, तो रिया कहती है, "क्या ठीक हूँ? कितना जल गया है! रेड हो गया पूरा हाथ! Ice लगवा सकते थे ना? अब जाओ और खुद लगाओ।"
"कुछ नहीं हुआ, थोड़ी कॉफ़ी तो गिरी थी बस। मैं ठीक हूँ। मैंने तुमसे जो पूछा, उसका जवाब तो दो अब तो तुम्हारी दीदी भी चली गई।" रोहन कहता है।
"जब तुम मेरी बात नहीं मान रहे, तो मैं क्यों तुम्हारी कोई बात का जवाब दूँ?" रिया कहती है।
रोहन तिरछी नज़रों से रिया को देखता है और कहता है, "हो गई नौटंकी चालू?"
रिया भी तिरछी नज़रों से रोहन को देखती है और कहती है, "तुम ice लगा रहे हो या मैं जाऊँ यहाँ से?"
"तुम तो पीछे ही पड़ गई..." रोहन कहता है। इतने में सिया ice लेकर आ जाती है और रोहन के हाथ में ice लगाने लगती है।
"बहुत दर्द हो रहा है क्या?" रिया कहती है।
रोहन सिया के सामने रिया को जवाब न देते हुए सिया से कहता है, "मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा था। तुमने फ़ालतू में तकलीफ़ की।" और रिया की तरफ़ देखता है।
"जब मैं जली थी, तो मुझे बहुत दर्द हुआ था," रिया कहती है।
यह सुनकर रोहन को जले के दर्द का एहसास होता है। रिया की तकलीफ़ का सोचकर ही उसकी आँखों में पानी आ जाता है। वैसे तो रोहन ने कितने ही ऑपरेशन किए थे, कितने लोगों को रिया से भी ज़्यादा जला हुआ देखा था, पर कभी उसे उस दर्द का एहसास नहीं हुआ। आज रिया के दर्द से उसे भी दर्द हो रहा था। रोहन रिया की तरफ़ देखता है और अपने आप से वादा करता है कि जिसकी भी वजह से रिया को वह दर्द हुआ, उसको भी वह वही दर्द का एहसास कराएगा।
PART - 5
पिछले भाग में आपने देखा, सिया रात को बहुत चिल्लाई, लेकिन सुबह उसे कुछ भी याद नहीं रहा। रोहन के हाथ में कॉफी गिरने पर उसे रिया के जलने के दर्द का एहसास हुआ और उसने अपने आप से वादा किया कि रिया को जिसने भी जलाया था, उसे भी जलना होगा।
सिया किचन में नाश्ता बना रही थी। तभी वहाँ रोहन आया और सिया से कहा, "मैं कुछ मदद करूँ क्या तुम्हारी?" सिया ने कहा, "अरे नहीं, ये तुम्हारा काम नहीं है। तुम यहाँ मॉम का ख्याल रखने के लिए हो।" रोहन बोला, "अभी मैं फ्री हूँ और बोर भी हो रहा हूँ अकेले बैठे-बैठे।"
रोहन सोचता है, जितना वो सिया के साथ रहेगा, उतना ही वो सिया को जान पाएगा और पता लगा पाएगा कि सच क्या है। सिया ने कहा, "ठीक है, तुम पूरियाँ बना लो, मैं तेल में से निकाल दूँगी।" इतना कहकर वो बाहर चली गई। रोहन अपने आप से कहता है, "फँस गया आज तो!" वो लड़की बना है।
इसका मतलब ये नहीं कि उसे लड़कियों के काम भी आते हैं। क्या ज़रूरत थी उसे सिया को मदद करने के लिए बोलने की? अब फँस गया न! रोहन ने तो कभी किचन में पैर भी नहीं रखा था, फिर भी वो पूरियाँ बनाने लगा। लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी रोहन पूरियाँ नहीं बना पाया। तभी सिया वहाँ आई, लेकिन रोहन का पूरा ध्यान बस पूरियाँ बनाने में लगा था। उसे ये भी पता था कि सिया किचन में आ गई है। सिया रोहन को देखती है और जोर से हँसने लगती है, क्योंकि रोहन के मुँह पर आटा लगा हुआ था, उसके कपड़े भी आटे से सने हुए थे। लेकिन रोहन अभी भी गोल पूरियाँ बनाने में लगा था। सिया के हँसने की आवाज़ सुनकर रोहन का ध्यान सिया की तरफ़ गया। सिया बहुत मासूम लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई छोटा बच्चा हँस रहा हो। सिया बहुत सुंदर थी, लेकिन उसकी हँसी ने उसकी खूबसूरती को और बढ़ा दिया था। रोहन सिया की तरफ़ ही देख रहा था कि सिया ने हँसते हुए कहा, "तुम जाओ यहाँ से और खुद को एक बार आईने में देखना। ये सब मैं कर लूँगी।" रोहन बिना कुछ कहे वहाँ से बाहर आ गया। बाहर सामने ही रिया बैठी थी, जो उसे ऐसे हालत में देखकर जोर से हँसने लगी। उसे हँसता हुआ देखकर रोहन ने चिढ़कर कहा, "तुम दोनों बहनों को बस हँसना आता है क्या?"
रिया ने अपनी हँसी को रोककर पूछा, "क्या हुआ? तुम्हारी ये हालत कैसे हुई?" तो रोहन ने उसे सब बताया। तो रिया बोली, "जब तुमको खाना बनाना आता ही नहीं, तो दीदी को बोला ही क्यों?" तो रोहन ने कहा, "मैंने सोचा इसी बहाने तुम्हारी दीदी से दोस्ती हो जाएगी और फिर मैं सच जान पाऊँगा।" तो रिया ने कहा, "ये तो सही है, तुमको सच पता करने के लिए दीदी से दोस्ती करनी पड़ेगी, लेकिन दोस्ती करने के लिए कोई और रास्ता निकालो।" तभी रोहन कहता है, "और क्या रास्ता? तुम्हारी दीदी हमेशा काम में ही लगी रहती है। वो ज़्यादा बात भी नहीं करती, बस अपने में ही खोई रहती है।"
सिया सच में ज़्यादा किसी से बात नहीं करती थी। वो अपनी मॉम से भी उतना ही बोलती थी जितना बस ज़रूरी हो। सिया बस अपने काम में ही लगी रहती थी। वो ज़्यादा कहीं बाहर भी नहीं जाती थी।
तभी रोहन बोलता है, "मिल गया आइडिया!" तो रिया पूछती है, "मुझे भी तो बताओ क्या आइडिया है?" तो रोहन कहता है, "वेट एंड वॉच।"
थोड़ी देर में सब लोग डाइनिंग टेबल पर नाश्ता कर रहे थे। रिया की मॉम का नाश्ता पहले ही उनके रूम में हो चुका था। रोहन के पास में रिया बैठी थी, सामने सिया थी। रोहन सिया से कहता है, "बहुत अच्छे आलू पूरी बनाई हैं तुमने। क्या मुझे भी सिखा दोगी?" तो सिया स्माइल करते हुए कहती है, "बिल्कुल।" तो रोहन बोलता है, "मैं कुकिंग में कितनी कच्ची हूँ, ये तो तुम देख ही चुकी हो। मुझे चाय बनानी भी नहीं आती है। तो मुझे सब सिखा दोगी क्या तुम?" तो सिया कहती है, "ठीक है।"
तभी रिया इशारे से रोहन की तारीफ़ करती है, "क्या आइडिया लगाया है दीदी के पास रहने का, उनसे दोस्ती करने का!" तभी रोहन का कॉल आता है, उसके दोस्त का कॉल था। वो रोहन को कहता है, "तुम कहाँ हो?"
रोहन उसको कहता है, "मैं कुछ काम से बाहर आया हूँ। मुझे कुछ दिन लग जाएँगे यहाँ।" तो उसका दोस्त आकाश कहता है, "एक बार यार बता तो देता, रात से परेशान हूँ। तू कहाँ चला गया? तेरा कॉल भी नहीं लग रहा था।"
रोहन रिया के कहने पर यहाँ आ गया था। उसे अपने दोस्त को बताना भी याद नहीं रहा। वो तो बस रिया और सिया में ही खो गया था।
रोहन कहता है, "यार, अचानक से प्रोग्राम बना, तुम्हें बताने का टाइम ही नहीं मिला।"
आकाश कहता है, "तुम हो कहाँ अभी?" तो रोहन बोलता है, "अभी कुछ नहीं बता सकता, बाद में मिलूँगा तब बताऊँगा।" इतना कहकर रोहन फ़ोन रख देता है।
रोहन सिया के रूम में जाता है। सिया किसी का फ़ोटो देख रही थी और रो रही थी।
रोहन उसके पास जाता है और पूछता है, "क्या हुआ? तुम रो क्यों रही हो?" रोहन की आवाज़ सुनकर सिया जल्दी से फ़ोटो को एक डायरी में रख देती है और अपने आँसू पोछने लगती है। रोहन कहता है, "किसका फ़ोटो था?" सिया कहती है, "किसी का नहीं। तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हें तो मॉम के पास होना चाहिए। तुम यहाँ मॉम का ख्याल रखने के लिए हो, ना कि..."
इतना कहकर वो चुप हो गई। रोहन भी चुपचाप वहाँ से चला गया। रोहन को समझ नहीं आ रहा था कि वो सच का पता कैसे लगाए।
रोहन रात होने का इंतज़ार कर रहा है ताकि जो कल हुआ, वो आज भी हो और वो सिया से पूछ सके कि वहाँ कौन है और कौन उसे मारना चाहता है और क्यों मारना चाहता है।
PART-6
पिछले भाग में हमने देखा कि रोहन सिया से दोस्ती करना चाहता था, लेकिन सिया ज़्यादा किसी से बात नहीं करती थी। रोहन रात होने का इंतज़ार करता रहा ताकि वह सिया से सच जान सके।
सिया किचन में डिनर बना रही थी। रोहन सिया से खाना बनाना सीख रहा था। रिया भी वहीं बैठी सब देख रही थी। रोहन को बिल्कुल भी किचन का काम नहीं आता था। उसे तो कुछ सब्जियों के नाम भी नहीं पता थे। सिया ने कहा, "तुम लड़की होकर भी तुम्हें कुछ नहीं आता?" रोहन ने सोचा, "अभी लड़की बना ही हूँ, तो लड़कियों के काम भी सीख लूँगा।" रोहन सोच रहा था, तो सिया को लगा शायद वह उससे नाराज़ है। उसने थोड़ी देर पहले रोहन को डाँट दिया था।
लेकिन सिया कुछ नहीं कहती। तभी रिया रोहन से कहती है, "तुमसे ज़्यादा तो मुझे किचन का काम आता है। तुम्हें तो मैग्गी बनाना भी नहीं आता।" रोहन ने कहा, "मैग्गी के अलावा भी तुम्हें कुछ आता है? और मैं कैसे मान लूँ तुम्हें मैग्गी बनानी आती है? मैंने तो कभी तुम्हारी बनाई हुई मैग्गी खाई ही नहीं।" तभी रिया उदास मन से कहती है, "मैं तुम्हें ज़रूर खिलाती, लेकिन मैं अभी..."
रोहन उसे उदास देखकर कहता है, "तो क्या हुआ? मैं बनाता हूँ। तुम मुझे बताओ कैसे बनाते हो?" रिया खुश हो जाती है और खुशी से उसके पास आकर उसे बताती है। रोहन जैसे ही मैग्गी निकालता है, सिया कहती है, "तुम क्या कर रही हो?" रोहन कहता है, "मैग्गी बना रहा हूँ।" तो सिया कहती है, "अभी नहीं, कल बना लेना।"
रोहन रिया की तरफ़ देखता है। रिया फिर उदास मन से दूर जाकर बैठ जाती है। तो रोहन इशारे से कहता है, "कोई बात नहीं, बाद में बना लेंगे।" तो रिया भी मुस्कुरा देती है। लेकिन रोहन को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। कितनी खुश हुई थी वह यह सोचकर कि वह उसे मैग्गी बनाना सिखाएगी! रोहन सोच रहा था, तभी सिया की नज़र रोहन पर जाती है। रोहन को उदास देखकर सिया कहती है, "ठीक है, अभी बना लो मैग्गी।"
यह सुनकर रोहन और रिया दोनों खुश हो जाते हैं। रिया फिर से रोहन के पास आकर उसे मैग्गी बनाना सिखाती है। रोहन को भी बहुत अच्छा लग रहा था रिया से सीखने में। रोहन साथ में रिया से मस्ती भी कर रहा था। रिया दो गिलास पानी कहती तो रोहन चार गिलास डालता। तो रिया कहती, "ओफ़्फ़ो! तुम्हें तो कुछ नहीं आता!" रोहन बस मुस्कुरा देता। रोहन को रिया को छेड़ना बहुत अच्छा लगता था। वह खुश होती तो रोहन भी खुश हो जाता था। सिया रोहन को मैग्गी बनाते हुए देख रही थी। सिया ने सोचा, "कम से कम मैग्गी तो बना लेता है।" सिया और रोहन मैग्गी खाते हैं। सिया रोहन से कहती है और रोहन रिया से कहता है, "मैग्गी बहुत अच्छी बनी है।" तो रिया कहती है, "बनाई किसने है?" तो रोहन बोलता है, "मैंने।" तो रिया कहती है, "लेकिन सिखाई तो मैंने है ना?" तो रोहन भी हाँ में सर हिला देता है। कुछ देर बाद सिया अपने रूम में जाकर सो जाती है। रोहन भी उसकी मॉम को मेडिसिन देकर सोने चला जाता है। रोहन को रात को सोचकर थोड़ा डर लग रहा था, क्या होगा?
रोहन अपने सोफ़े पर जाकर लेट जाता है और टाइम देखता है। अभी 10:30 बज रहे थे। रोहन सिया को देखता है, वह सो चुकी है। लेकिन रोहन नहीं सोता। वह 12:00 बजने का इंतज़ार करता है। जैसे-जैसे टाइम निकलता है, रोहन का दिल ज़ोर से धड़कने लगता है। 12:00 बज चुके हैं। रोहन अपने दिल पर हाथ रख लेता है। उसे डर लग रहा था। और जैसा कि उसने सोचा था, सिया ज़ोर से चिल्लाने लगती है। सिया के चिल्लाते ही रोहन जल्दी से सिया के पास चला जाता है और उसके हाथ पकड़ लेता है। सिया डर से उसके गले लग जाती है। जैसा रिया ने कहा था, रोहन सिया से पूछता है, "कौन है यहाँ?" तो सिया डरते हुए कहती है, "टोनी।" रोहन जल्दी से बोलता है, "टोनी कौन है? और वह तुम्हें क्यों मारना..." इससे पहले कि रोहन अपनी बात पूरी करता, सिया एकदम से रोहन से दूर बेड के नीचे जा गिरती है और चिल्लाते हुए कहने लगती है, "मैं कुछ नहीं बताऊँगी! मुझे छोड़ दो!" रोहन यह सब देखकर एकदम अचंभित हो जाता है। सब इतना जल्दी हुआ, उसे कुछ समझ नहीं आया। वह जल्दी से सिया के पास जाता है और डरता हुआ सिया को पकड़ लेता है। सिया भी उसे देखकर गले लग लेती है। सिया बहुत डरी हुई है और उसकी हालत भी बहुत खराब हो रही थी। रोहन भी उसे कुछ नहीं कहता। रोहन से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी। रोहन धीरे से उसे उठाता है और बेड पर लिटा देता है। लेकिन सिया उसका हाथ पकड़ लेती है और उसकी तरफ़ देखती है, जैसे कह रही हो, "मुझे छोड़कर मत जाओ।" लेकिन उसके मुँह से आवाज़ नहीं निकलती। रोहन समझ जाता है और वहीं उसके पास बैठ जाता है। सिया ने अभी भी रोहन का हाथ पकड़ रखा था।
रोहन को रात भर नींद नहीं आई। जो कुछ हो रहा था, उसकी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा था। रोहन सोचता है, "इसका मतलब रिया जो कह रही थी, वह सच था। सिया मुसीबत में है। और यह टोनी कौन है? शायद रिया को पता हो। रिया ही बता सकती है।"
PART - 7
पिछले भाग में हमने देखा कि रोहन रिया को उदास नहीं देख सकता था। उसने रिया के लिए मैग्गी बनाना सीखा। उसी रात में सिया फिर चिल्लाई। रोहन के पूछने पर कि कौन है, सिया ने बताया टोनी, लेकिन इसके आगे और रोहन को कुछ पता नहीं चला।
रोहन पूरी रात बैठा रहा। सिया ने अभी भी रोहन का हाथ पकड़ रखा था। रोहन ने समय देखा, 6:30 हो रहे थे। रोहन ने धीरे से सिया से अपना हाथ छुड़वाया और फ्रेश रूम में गया। कुछ देर में तैयार होकर बाहर आया। सिया अभी भी सो रही थी। रोहन बाहर हॉल में आया। रिया वहीं हॉल में सोफे पर बैठी थी। रोहन को आता देखकर रिया ने कहा, "आज तो क्या बात है, इतना जल्दी उठ गए?" रोहन जल्दी से उसके पास आकर बैठ गया।
रिया ध्यान से उसकी आँखों में देखती है और कहती है, "तुम सोए नहीं क्या?" रोहन उसकी बात अनसुनी कर देता है और कहता है, "ये तो पता लग गया कि किसी टोनी की वजह से तुम्हारी दीदी की ये हालत है। क्या तुम जानती हो टोनी कौन है?" रिया सोचने लगती है और कहती है, "नहीं। तुम्हें दीदी को ही पूछना चाहिए था, न कि टोनी कौन है।" रिया की बात सुनकर रोहन कहता है, "तुम्हें पता भी है तुम्हारी दीदी की क्या हालत हुई थी?" रिया सवाल भरी नजर से रोहन को देखती है। रोहन उसे सब बताता है जो भी रात को हुआ था। वो सब सुनकर रिया भी डर जाती है और रोहन से कहती है, "मेरी दीदी को बचा लो।" रोहन कहता है, "मुझे समझ नहीं आ रहा, सच का पता कैसे चलेगा? क्या तुम्हारी मॉम को सब बता दें?" रिया कहती है, "मॉम दीदी से पूछेगी, और दीदी को तो कुछ याद नहीं रहता है, तो वो तो यही कहेगी कि ऐसा कुछ नहीं है। फिर मॉम तुमको ही गलत समझेगी।" तभी रोहन कुछ सोचता है और रिया से कहता है, "अगर हम सिया को कैसे भी तुम्हारी मॉम के रूम में सुला दें, तो खुद तुम्हारी मॉम सब देख लेगी।" रिया खुश होकर कहती है, "हाँ, ऐसा ही करते हैं।" रोहन कहता है, "तो फिर सोचो, ऐसा क्या करें कि तुम्हारी दीदी तुम्हारी मॉम के रूम में सोने को तैयार हो जाए?" रिया सोचने लगती है। तभी वहाँ सिया आती है और रोहन से कहती है, "आज तुम इतना जल्दी उठ गई और तैयार भी हो गई?" रोहन कहता है, "आज तुम्हारी मॉम को चेकअप के लिए हॉस्पिटल लेकर जाना है ना?" तो सिया को याद आता है, "आज तो उसकी मॉम का चेकअप है! वो भूल कैसे गई?" सिया का पूरा शरीर दर्द कर रहा था। उसको देखकर ही लग रहा था। सिया भी सोफे में आकर बैठ गई। रोहन कहता है, "तुम ठीक हो?" सिया मुस्कुराते हुए कहती है, "मुझे क्या हुआ है?" वो अपना दर्द छिपाती है। रोहन को आज पहली बार सिया से हमदर्दी हो रही थी। रोहन जानता था कि कैसे वो बेड से नीचे गिरी थी, पक्का उसे दर्द हो रहा है, लेकिन वो बता नहीं रही है। तभी सिया कहती है, "मैं कॉफी बना के लाती हूँ।" इतना कहकर जैसे ही वो उठने को होती है, रोहन कहता है, "तुम बैठी रहो, कॉफी मैं बनाता हूँ।" सिया कहती है, "तुम बना लोगे?" तो रोहन रिया की तरफ देखता है। रिया बोलती है, "मुझे आती है, मैं बता दूँगी।" तो रोहन कहता है, "मुझे कॉफी बनाना आता है।" और वहाँ से उठकर किचन में चला जाता है। रिया भी उसके साथ थी। रिया उसको बताती है और रोहन कॉफी बना लाता है। 2 कप कॉफी, एक सिया के लिए, एक अपने लिए। वो सिया को कॉफी देता है। तभी देखता है सिया के हाथ में चोट लगी है। रोहन सिया से पूछता है, "ये क्या हुआ?" सिया अपना हाथ देखती है और कहती है, "पता नहीं कैसे हुआ। शायद नींद में बेड से लग गई होगी।" रोहन को पता था ये चोट कैसे लगी। रोहन सोचता है, "मुझे जल्दी सच का पता लगाना होगा। सिया कब तक ये सब सहती रहेगी? क्या मुझे सिया से टोनी के बारे में पूछना चाहिए?" तभी रोहन खुद से कहता है, "नहीं, उस दिन फोटो के बारे में पूछा था तो सिया गुस्सा हो गई थी। अब अगर पूछा तो उल्टा वो मुझे सवाल करेगी और शायद उसको मुझपे शक भी हो जाए। नहीं नहीं, ये सही नहीं है। मुझे ही पता लगाना होगा।" रोहन कॉफी पीते हुए ये सब सोच रहा था कि तभी सिया ने कहा, "कॉफी अच्छी बनी है।" और उठकर वहाँ से चली गई।
थोड़ी देर में वो लोग हॉस्पिटल के लिए निकले। रास्ते में ट्रैफिक रहा। तभी रोहन अपने दोस्त आकाश को देखता है। आकाश उसकी बराबर की गाड़ी में बैठा है। रोहन जल्दी से अपना मुँह छिपाता है, लेकिन आकाश उसे देख लेता है।
आकाश उसे पहचान नहीं पाता है क्योंकि रोहन लड़की बना हुआ था, लेकिन आकाश को ऐसा लगता है कि वो उस लड़की को जानता है। आकाश याद करने की कोशिश करता है कि वो लड़की कौन है। तभी सिग्नल हो जाता है। रोहन की गाड़ी निकल जाती है और आकाश उसका पीछा करता है। रोहन उसको पीछा करते हुए देख लेता है। रोहन सोचता है, "कहीं आकाश ने उसे पहचान तो नहीं लिया?" रोहन आकाश को फोन करता है। रोहन का फोन देखकर आकाश साइड में गाड़ी लगाता है और फोन उठाता है। रोहन उसको बोलता है, "तू कहाँ है अभी तो?" आकाश कहता है, "यार, एक लड़की का पीछा कर रहा था और तुम्हारा फोन आ गया।" रोहन बोलता है, "सुधर जा, तू कब तक लड़कियों के पीछे भागता रहेगा?" आकाश कहता है, "ऐसी बात नहीं है। अभी मैंने एक लड़की को देखा, मुझे ऐसा लगा पहले भी मैंने उसे देखा है।" तो रोहन कहता है, "इसमें कौन सी नई बात है? हर लड़की को देखकर तुम्हें ऐसा ही लगता है।" रोहन की बात सुनकर आकाश मुस्कुरा देता है और कहता है, "तुम कब वापस आ रहे हो?" तो रोहन बोलता है, "कुछ दिन और लगेंगे।" और फोन रख देता है। रोहन पीछे देखता है। अब उसकी गाड़ी पीछे नहीं आ रही थी। उधर आकाश सोचता है, "रोहन ने उसे फोन क्यों किया था? बिना कोई काम के तो रोहन फोन नहीं करता है। कुछ तो गड़बड़ है। मैं पता लगाकर ही रहूँगा। रोहन, तू कहाँ है और क्या कर रहा है?"
PART - 8
पिछले भाग में हमने देखा कि रिया की माँ को चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया। रास्ते में आकाश ने रोहन को देखा, लेकिन उसे पहचाना नहीं। आकाश रोहन की गाड़ी का पीछा करने लगा, जिसे रोहन ने देख लिया। रोहन ने आकाश को फोन किया। आकाश गाड़ी किनारे खड़ी करके रोहन से बात की, और रोहन निकल गया। आकाश को रोहन पर शक हुआ।
आकाश सोचने लगा, "मैं पता लगाकर रहूँगा रोहन कहाँ है और क्या कर रहा है। लेकिन इससे पहले मुझे उस लड़की का पता लगाना है।" रोहन इस बात से बेखबर था कि आकाश ने उसकी गाड़ी का नंबर नोट कर लिया था। आकाश ने किसी को फोन किया और कहा, "मैंने तुम्हें गाड़ी का नंबर भेजा है। मुझे उसका पता चाहिए।" आकाश फोन रखकर वहाँ से चला गया।
अस्पताल में रिया की माँ का चेकअप होने के बाद डॉक्टर रोहन को अलग ले गया और कहा, "मैं ज्यादा दिन आपको यहाँ नहीं रख सकता।" रोहन बोला, "बस कुछ दिन और।" डॉक्टर रिया के अंकल के पास गए और उनसे कहा, "अभी पेशेंट को देखरेख की ज़रूरत है। सिस्टर रोहिणी इनके साथ ही रहेंगी। बाकी घबराने की कोई बात नहीं, सब नॉर्मल है।"
रिया के अंकल डॉक्टर से बात कर रहे थे, तभी रोहन ने देखा कि रिया वहाँ नहीं है। रोहन रिया को ढूँढने लगा। तभी उसकी नज़र सामने रेस्टोरेंट में गई। रिया वहीं बैठी थी। रोहन वहाँ गया और रिया से पूछा, "क्या हुआ? तुम यहाँ क्या कर रही हो?" रिया ने अपने हाथ से सामने इशारा किया। सामने की टेबल पर एक कपल पिज़्ज़ा खा रहा था। रोहन को कुछ समझ नहीं आया। वह रिया को घूरकर देखने लगा। रोहन को यूँ घूरते हुए देखकर रिया ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा, "मेरा भी मन किया पिज़्ज़ा का।" रोहन बोला, "लेकिन तुम पिज़्ज़ा कैसे खा सकती हो?" रिया ने कहा, "खा नहीं सकती, मगर खुशबू तो ले सकती हूँ ना।" रोहन आश्चर्य से बोला, "पिज़्ज़ा की खुशबू?" रिया ने कहा, "हाँ। खाने की खुशबू से ही तो मेरा पेट भरता है। आज मेरा पिज़्ज़ा की खुशबू का मन था, तो मैं यहाँ आ गई।" रोहन रिया को छेड़ते हुए बोला, "तुम्हारा अच्छा है। कहीं भी जाकर कुछ भी खा लो, मतलब खुशबू ले लो।" रिया ने कहा, "मैं अकेली कहीं नहीं जाती। मुझे डर लगता है। यहाँ तो सामने आप सब थे, तो आ गई।" रोहन बोला, "तुम्हें किस चीज़ का डर?"
रिया ने कहा, "मैं वही छोटी बच्ची हूँ। बस अब लोग मुझे देख और सुन नहीं सकते, फिर भी मुझे डर लगता है। अगर किसी ने मुझे देख लिया, तो। इसीलिए मैं माँ के साथ ही रहती हूँ।"
रोहन भी सोच में पड़ गया। सच में वह तो छोटी बच्ची ही ना? मर गई तो क्या? उसके सपने, उसका डर, उसका बचपना, सब तो वही है। उसकी माँ उसे देख नहीं सकती, लेकिन फिर भी वह अपनी माँ के पास खुद को कितना सुरक्षित महसूस करती है। और सच में माँ अपनी जान भी दे देती हैं अपने बच्चों के लिए। रोहन को भी अपनी माँ याद आ गई। वह 4 साल का था। उसने स्कूल जाना शुरू ही किया था। एक दिन उसके स्कूल में आग लग गई थी। रोहन अंदर ही रह गया था। आग बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी। किसी की भी हिम्मत नहीं थी अंदर जाने की। तभी उसकी माँ भागते हुए अंदर गई और रोहन को अपने शॉल में लपेटकर ले आई, लेकिन खुद बुरी तरह से जल गई थी। उनकी सर्जरी नहीं होने की वजह से उनकी मौत हो गई थी। इसीलिए उसके Dad ने उसे सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनाया था ताकि फिर कभी इलाज ना होने की वजह से किसी की मौत न हो। और यही वादा रोहन ने खुद से भी किया था। रोहन को ये सब याद तो नहीं था, लेकिन उसने अपने Dad से सुना था, और शायद यही वजह थी कि उस दिन रिया की मौत रोहन सह नहीं पाया।
रोहन की आँखों में पानी आ गया। रिया रोहन को आँसू छिपाते हुए देख लेती है और कहती है, "अगर रोना आ रहा है, तो रो लेना चाहिए। लेकिन तुम्हें रोना क्यों आ रहा है? क्या तुम्हें भी पिज़्ज़ा खाना है?" रिया की मासूम बात पर रोहन को हँसी आ गई। तो रिया कहती है, "ये हुई ना बात! तुम हँसते हुए ही अच्छे लगते हो। रोते हुए तो सच में लड़की दिखते हो।" रोहन कुछ कहता, तभी रिया बोल पड़ी, "दीदी आ रही है।" रोहन सामने देखा। सिया उसकी तरफ ही आ रही थी। रोहन थोड़ा घबरा गया। सिया पास आकर कहती है, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?" रोहन कहता है, "पिज़्ज़ा खाने आई थी। तुम खाओगी?" सिया कहती है, "ठीक है।"
रिया बोलती है, "क्यों नहीं खाएगी? दीदी को बहुत पसंद है पिज़्ज़ा।" रोहन ऑर्डर करता है। थोड़ी देर में पिज़्ज़ा आ जाता है, लेकिन रोहन नहीं खाता है क्योंकि रोहन को चीज़ से एलर्जी है। सिया रोहन को पिज़्ज़ा खाने के लिए कहती है। रोहन मना नहीं कर पाता है क्योंकि उसी ने सिया को बोला था। वह खा लेता है। थोड़ी देर में वे लोग अस्पताल से घर आ जाते हैं। एलर्जी की वजह से रोहन की तबियत खराब होने लगती है। उसके पूरे शरीर में रेड चकत्ते हो जाते हैं, जिससे रोहन को जलन होने लगती है। वह सिया के रूम में आ जाता है। पहले भी बहुत बार रोहन को ऐसा हुआ है। उसे पता है क्या करना है। वह ice लेकर आता है और खुद को लगाने लगता है। तभी वहाँ सिया आती है। वह देख लेती है। सिया कहती है, "ये क्या हुआ तुमको? अभी तो तुम ठीक थीं। अचानक से ये सब?" रोहन बोलता है, "कुछ नहीं। मुझे चीज़ से एलर्जी है। उसी की वजह से हुआ है। ठीक हो जाएगा। ice लगा के रखूँगा तो।" सिया कहती है, "अगर तुमको पता था तो तुमने पिज़्ज़ा खाया ही क्यों?" रोहन के पास कोई जवाब नहीं था। रोहन को चुप देखकर सिया कहती है, "मुझे दो ice दो। मैं लगाती हूँ।" इससे पहले रोहन कुछ कहता, सिया ice लेकर रोहन को लगाने होती है कि रोहन पीछे हट जाता है और कहता है, "मैं लगा लूँगा।" सिया कहती है, "पीछे तुम कैसे लगाओगी? मैं लगा देती हूँ।" रोहन घबराते हुए कहता है, "नहीं नहीं, मैं कर लूँगी। तू जा यहाँ से।" सिया बोलती है, "तुम तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे मैं कोई लड़का हूँ।"
रोहन सोचता है, "तुम नहीं, लेकिन मैं तो लड़का हूँ।" रोहन सिया को बोलता है, "मैं कर लूँगा। ये पहली बार नहीं है। पहले भी बहुत बार हुई है मुझे एलर्जी। ice लगाऊँगा तो ठीक हो जाएगी।" सिया बोलती है, "जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।" और वहाँ से चली जाती है।
PART -9
पिछले भाग में हमने देखा था कि रोहन रिया को ढूँढते हुए उस रेस्टोरेंट में गया था जहाँ रिया की बात से उसे अपनी माँ की याद आ गई थी। रोहन चार साल का था तभी उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी। रोहन रेस्टोरेंट में सिया के साथ पिज़्ज़ा खा रहा था, जिससे उसे एलर्जी हो गई।
रोहन ने Ice लगाकर उसी सोफ़े पर सो गया क्योंकि उसे बहुत जलन हो रही थी। तभी सिया कुछ दवा लेकर आई और रोहन को देते हुए बोली, "इसे ले लो, जलन नहीं होगी।" रोहन ने देखा कि यह वही दवा है जो वह लेता है। रोहन ने वह दवा ले ली और उसी सोफ़े पर सो गया। कुछ देर में उसे नींद आ गई। जब रोहन उठा, तो उसे कुछ आवाज़ सुनाई दी। वह सोचा, "ये आवाज़ तो कुछ जानी-पहचानी है।" वह बाहर हॉल में आया। यह देखकर उसके होश ही उड़ गए। सामने सोफ़े पर आकाश बैठा था। रोहन सोचा, "ये यहाँ क्या कर रहा है?" तभी आकाश उसके पास आया और उससे कहा, "क्या मैं आपको जानता हूँ?" तो रोहन खुद को छुपाते हुए बोला, "नहीं।"
आकाश ने कहा, "लेकिन मैंने आपको पहले कहीं देखा है।" तो रोहन गुस्से में बोला, "लेकिन मैंने आपको कभी नहीं देखा और आप मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?"
आकाश ने कहा, "तुम्हारा पीछा मैं क्यों करूँगा? क्या समझा है मुझे? मैं ऐसा-वैसा लड़का नहीं हूँ। तुम अभी सामने आईं तो मैंने बस पूछ लिया। बाकी तुम जो समझ रही हो, वह गलत है।"
रोहन ने अपने मन में सोचा, "तुम कैसे लड़के हो? मुझसे ज़्यादा कौन जानता है?"
दोनों को ऐसे लड़ते हुए देखकर सिया के अंकल ने रोहन से कहा, "बेटा, तुम गलत समझ रही हो। आकाश तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा है, वह तो यहाँ सिया से मिलने आया है।"
"सिया से मिलने आया है? क्या आकाश सिया को जानता है?" रोहन एकदम हैरान हो गया।
तभी सिया वहाँ आई। आकाश ने उसे हेलो किया। सिया ने भी बेमन से उसे हेलो कहा। तभी आकाश ने कहा, "तुम अचानक से कहाँ चली गई थीं? मैंने तुम्हें कितना ढूँढा, न कोई कॉल किया, न कुछ बताया, बस गायब हो गई। कल मैंने तुम्हें अचानक गाड़ी में देखा। मैंने तुम्हारा पीछा भी किया, लेकिन तुम निकल गई थीं। मैंने तुम्हारी गाड़ी का नंबर नोट किया था और उसी से यहाँ का एड्रेस मिला।"
रोहन सोचा, "तो यह सिया का पीछा कर रहा था। मैं तो कुछ और ही समझ लिया था। लेकिन यह सिया को कैसे जानता है?"
तभी आकाश ने कहा, "तुम अपना प्रोजेक्ट ऐसे बीच में कैसे छोड़ सकती हो? तुम्हें पता है न, मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं कर सकता। वह प्रोजेक्ट अभी भी अधूरा पड़ा है, उसे पूरा करना है। हम लोग दिल्ली जा रहे हैं।"
सिया ने कहा, "मैं कहीं नहीं जा रही हूँ और मुझे अब उस प्रोजेक्ट में कोई दिलचस्पी नहीं है। तुम यहाँ से चले जाओ और फिर कभी मुझसे मिलने की कोशिश मत करना।"
आकाश ने कहा, "लेकिन वह प्रोजेक्ट तुम्हारा सपना था। मैं जानता हूँ तुम यह सब उस टोनी की वजह से कह रही हो।"
टोनी का नाम सुनकर रोहन चौंक गया। सिया ने उस रात भी टोनी का नाम लिया था। रोहन सोचा, "आकाश टोनी को जानता है। अब आकाश ही सब सच बता सकता है टोनी के बारे में।"
तभी सिया ने कहा, "प्लीज़ चले जाओ यहाँ से, मुझे कुछ नहीं सुनना।" और वह वहाँ से चली गई। तभी सिया के अंकल ने कहा, "तुम्हें तो पता है टोनी ने क्या किया था सिया को? उसके हाल पर उसे छोड़ दो।"
आकाश भी बेमन से वहाँ से चला गया। तभी रोहन आकाश के पीछे गया और उससे पूछा, "टोनी कौन है और उसने क्या किया था?" आकाश ने उसे घूर कर देखा और कहा, "तुम कौन हो?"
रोहन को कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या कहे। रोहन भी उसे घूरता हुआ वापस आ गया। रोहन सिया के रूम में गया। सिया रूम में बैठी रो रही थी।
रोहन को मालूम था सिया उसे कुछ नहीं बताएगी। अब तो आकाश से ही उम्मीद थी। रोहन ने सिया को पानी दिया और बाहर आ गया। उसे रिया कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। वह सोचा, "रिया कहाँ चली गई? वह अकेली तो कहीं नहीं जाती है। कहीं वह कोई प्रॉब्लम में तो नहीं है?"
रोहन ने उसे सब जगह देखा, लेकिन वह कहीं नहीं थी। रोहन डर गया। "कहाँ जा सकती है वह?" तभी उसे याद आया कि आकाश जब आया था तो वह वहीं थी। कहीं वह आकाश के साथ तो नहीं गई?
यह सोचकर रोहन जल्दी से आकाश के घर गया। आकाश उसे देखकर चौंक गया और कहा, "तुम यहाँ?"
रोहन कुछ नहीं कहा। वह बस इधर-उधर देखने लगा। तभी आकाश ने कहा, "तुम क्या ढूँढ रही हो और यहाँ क्यों आई हो? तुम्हें मेरे घर का एड्रेस कैसे मालूम?"
रोहन ने कहा, "तुम्हारा पीछा करते हुए आई हूँ।" आकाश ने कहा, "तुम मेरा पीछा क्यों कर रही हो?" रोहन ने कहा, "क्योंकि तुम मेरा पीछा कर रहे थे।" रोहन आकाश से बात करते हुए घर में इधर-उधर घूम रहा था। वह रिया को ढूँढ रहा था। तभी आकाश ने कहा, "मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा था। मैं सिया का पीछा कर रहा था और यह तुम इधर-उधर घूम क्यों रही हो? एक जगह रुक कर बात करो।" तो रोहन आकाश के सामने खड़े होकर कहा, "तो तुम सिया का पीछा क्यों कर रहे हो और यह टोनी कौन है?" आकाश ने कहा, "तुम्हें क्या करना है?" तो रोहन ने कहा, "मैं सिया की दोस्त हूँ, इसलिए पूछ रही हूँ।" आकाश ने कहा, "दोस्त हो तो अपनी दोस्त से ही पूछ लेना, वह बता देगी। मेरा पीछा छोड़ दो।" रोहन ने कहा, "जब तक तुम नहीं बताओगे, मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली।"
"अगर तुम मुझे बताओगे तो मैं तुम्हारी सिया से दोस्ती करा दूँगी।" आकाश ने कहा, "सिया मेरी दोस्त ही है।" रोहन ने कहा, "अच्छा, इसीलिए तुमसे बात तक नहीं की।" आकाश ने कहा, "वह परेशान है, इसीलिए। बस। बाकी सिया मुझे लाइक करती है।" तो रोहन ने कहा, "क्या हम मिलकर सिया की परेशानी दूर नहीं कर सकते? क्या सिया के लिए हम दोस्त बन सकते हैं?" आकाश भी कुछ सोचते हुए रोहन की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
PART - 10
पिछले भाग में आपने देखा, आकाश सिया के घर आया था। आकाश सिया से किसी प्रोजेक्ट की बात कर रहा था। उसने टोनी का नाम भी लिया, जिसे सुनकर रोहन हैरान हो गया। रोहन ने आकाश से टोनी के बारे में पूछा, लेकिन आकाश ने उसे कुछ नहीं बताया। तभी रोहन, रिया को ढूँढते हुए आकाश के घर गया और दोनों की दोस्ती हो गई।
रोहन और आकाश बात कर रहे थे, तभी वहाँ रिया आ गई। रोहन ने रिया को देख लिया। रिया बहुत परेशान लग रही थी। उसने रिया को अपने साथ चलने का इशारा किया और आकाश को कल मिलने के लिए कहा।
रोहन ने कैब की। रिया भी उसके साथ थी, लेकिन वह एकदम चुप थी, कुछ भी नहीं बोल रही थी। रोहन ने उसे उदास देखकर कहा, "क्या हुआ? और तुम आकाश के घर क्यों गई थी?"
रिया कुछ नहीं बोली। रोहन बस रिया को देखता रहा। वह बहुत सहमी हुई लग रही थी। रोहन सोचने लगा कि जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर वह डर गई होगी। शायद बच्ची ही तो है, इतने सब में तो बड़े लोगों की हालत खराब हो जाती है।
रोहन ने कहा, "क्या हुआ तुम्हें? अब तो हमें खुश होना चाहिए। जल्दी ही टोनी का पता चल जाएगा, फिर सब ठीक हो जाएगा।"
"तुम मेरी दीदी से शादी कर लो।" रिया ने कहा। यह सुनकर रोहन चौंक गया। इसको अचानक क्या हुआ? यह शादी की बात क्यों कर रही है?
रोहन ने कहा, "क्या हुआ है तुम्हें? यह शादी की बात तुम्हारे दिमाग में कहाँ से आई?" रिया ने कहा, "पहले तुम बोलो, मेरी दीदी से शादी करोगे?"
रोहन जानता था कि यह तो कुछ नहीं बताएगी। लेकिन अगर मैंने अभी इससे बात की, तो यह मुझसे शादी के लिए हाँ जरूर करवा लेगी, जैसे उस दिन लड़की बनने के लिए मुझसे हाँ करवा लिया था।
रोहन सोचने लगा कि इसका ध्यान शादी की बात से हटाना पड़ेगा। उसने रिया से कहा, "हम शॉपिंग के लिए चलें?" रिया ने कहा, "किसकी शॉपिंग?" रोहन बोला, "मेरी।" जल्दी ही वे लोग एक शॉपिंग मॉल में थे। रिया अपने लिए ड्रेस देख रही थी। उसने रोहन से कहा, "ये देखो, कितना अच्छा ड्रेस है! वो देखो, उसका डिज़ाइन कितना अच्छा है!" रिया हर एक ड्रेस को देख रही थी। तब रोहन ने कहा, "क्या तुम यह पहन सकती हो?"
रिया उदास मन से बोली, "नहीं।" और फिर बोली, "तुम्हें अपने लिए शॉपिंग करनी थी ना? चलो, तुम्हारे लिए देखते हैं।" रोहन का मन नहीं कर रहा था। रोहन ने कहा, "यह अच्छा नहीं है, मुझे पसंद नहीं आया। बाद में कहीं और से ले लेंगे।"
रोहन ने कहा, "अच्छा, अभी तुम्हारा कुछ खाने का मन है? हम लोग खाना खाने चलें?" रिया रोहन को घूर रही थी। रोहन ने कहा, "अरे, खुशबू लेने का तो मन होगा? तो खुशबू लेने चलें?" रिया खुश होते हुए बोली, "हाँ, चलो।"
दोनों एक रेस्टोरेंट में गए। रोहन ने रिया से पूछा, "तुम्हें क्या पसंद है?" तो रिया ने कहा, "अभी मेरा मन छोले-भटूरे का है।" रोहन ने ऑर्डर किया। रोहन जानता था कि किस उम्र में रिया की मौत हो गई थी। यही उम्र में खाने का, पहनने का, घूमने का, खेलने का शौक होता है। लेकिन रिया की तो सब ख्वाहिशें अधूरी रह गईं। रोहन ने रिया से पूछा, "तुम्हें क्या-क्या करना अच्छा लगता है?"
रिया ने कहा, "मुझे खेलना, घूमना, तैयार होना, मेकअप करना बहुत पसंद है। मुझे शादी करना बहुत पसंद है। मैं तुम्हारी तरह डॉक्टर या दीदी की तरह साइंटिस्ट नहीं बनना चाहती। मैं तो बस दुल्हन बनना चाहती हूँ। लेकिन अब मेरी शादी नहीं होगी ना।"
रोहन के पास उसकी बात का कोई जवाब नहीं था। तभी वेटर ऑर्डर लेकर आ गया। रिया ने एक लंबी साँस ली। उसने एक साँस में ही छोले-भटूरे की खुशबू ले ली। रोहन बाहर देखा, अँधेरा होने लगा था। थोड़ी देर में वे घर आ गए। घर आते-आते उन्हें रात हो गई।
सिया ने रोहन से पूछा, "तुम कहाँ गई थे?" तो रोहन बोला, "हॉस्पिटल। डॉक्टर ने बुलाया था, कुछ काम था।" सिया बोली, "खाना खा लेना, मैं सोने जा रही हूँ।" तो रोहन ने कहा, "आज तुम अपनी मॉम के पास सो जाना। डॉक्टर ने बोला है।"
सिया को कुछ समझ नहीं आया, तो रोहन ने कहा, "डॉक्टर ने बोला है, रात को उनका टेस्ट करना है। वह कितना सोती हैं, कितनी बार उठती हैं, या रात में उनको कोई तकलीफ तो नहीं होती ना।"
सिया ने कहा, "यह काम तो तुम्हारा है ना? इसीलिए तुम यहाँ हो। तुम मॉम के पास सो जाओ।" तो रोहन कुछ सोचता है और कहता है, "उनका कोई टेस्ट भी करना है, उसमें मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत पड़ेगी। बस आज रात की बात है।"
सिया ने कहा, "ठीक है, मैं मॉम के रूम में जा रही हूँ।" थोड़ी देर में रोहन भी उसकी मॉम के रूम में गया। उसने देखा, बेड के एक साइड सिया की मॉम थी, दूसरी साइड सिया थी, और बीच में रिया सो रही थी। वह बहुत खुश थी। आज अपनी मॉम और दीदी के साथ सोकर। वैसे तो वह हमेशा अपनी मॉम के साथ ही सोती है, पर आज उसकी दीदी भी उसके पास है। रिया ने रोहन को देखा और उसे अपनी खुशी दिखाई। रिया को खुश देखकर रोहन भी खुश हो गया।
रोहन ने अपने आस-पास देखा। उसकी मॉम के रूम में सोफा नहीं था। रोहन सोचने लगा कि वह कहाँ सोएगा? उसका सिया के पास होना भी जरूरी है। तभी सिया ने भी रोहन से वही सवाल किया, "तुम कहाँ सोओगे?" रोहन बोला, "मैं नीचे सो जाऊँगा।" सिया ने बेड के पास में नीचे गद्दा लगा दिया। रोहन सो गया। रोहन जैसे ही करवट लिया, वह डर गया। वह रिया थी। ऐसे अचानक से रिया को देखकर वह थोड़ा डर गया था। तभी रिया जोर-जोर से हँसने लगी। रोहन ने कहा, "पागल! डरा दिया मुझे! और तुम यहाँ क्या कर रही हो?" तो रिया बोली, "मैं तुम्हारे पास सोऊँगी।" रोहन बोला, "बिल्कुल नहीं! तुम ऊपर बेड पर जाओ, अपनी मॉम और दीदी के पास।" तो रिया ने कहा, "मुझे डर लगता है। रात को दीदी चिल्लाएगी, तो मैं तुम्हारे पास ही सोऊँगी।" रोहन ने कहा, "ठीक है, सो जाओ, लेकिन डरना नहीं।"
तो रिया ने कहा, "तुम मेरे पास होते हो, तो मुझे डर नहीं लगता।" तो रोहन बोला, "और तुम मुझे डराती हो, उसका क्या?" तो रिया मुस्कुरा दी। रिया ने रोहन से कहा, "तुम सोने वाले हो?" तो रोहन ने कहा, "नहीं, तुम्हारी दीदी का ख्याल रखना है। रात को 12 बजे क्या होगा?"
रिया ने कहा, "ठीक है। तब तक तुम मुझे कोई कहानी सुना दो।"
PART-11
पिछले भाग में हमने देखा, सिया, रिया और रोहन उसकी माँ के कमरे में सो रहे थे। तभी रिया ने रोहन को कहानी सुनाने के लिए कहा।
रोहन ने रिया को कहानी सुनाई।
"एक लड़का था, जब वह 4 साल का था, तभी उसकी माँ की मौत हो गई थी। उसके पिता हमेशा अपने बिज़नेस में बिजी रहते थे। उन्होंने लड़के को पालने के लिए एक आई रखी थी। जब वह लड़का 10 साल का हुआ, तो उसके पापा ने उसे पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज दिया। पढ़ाई के अलावा उसके पास और कुछ भी नहीं था; न वह खेलता था, न उसका कोई दोस्त था, न ही वह कहीं बाहर घूमने जाता था। उसके पापा उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे। उसके पापा ही अमेरिका में जाकर उससे मिलते थे; वह इंडिया नहीं आता था। जब वह डॉक्टर बन गया, उसके बाद वह इंडिया आया। उसके बाद उसे अस्पताल में एक दिन एक छोटी सी, प्यारी सी परी मिली। वह बहुत अच्छी और बहुत क्यूट थी। वह लड़का उस परी के साथ रहने लगा, उसके साथ हँसने-खेलने लगा, खुश रहने लगा। उसे एक बहुत अच्छी दोस्त मिल गई थी। वह परी उस लड़के के अलावा और किसी को दिखाई नहीं देती थी। उस परी ने उसके लड़के की ज़िन्दगी में रंग भर दिए थे। वह लड़का हमेशा उस परी के साथ रहना चाहता था।"
तभी रिया बोली, "और वह परी भी हमेशा उस लड़के के साथ रहना चाहती है।" रिया समझ गई थी कि रोहन जिस परी की बात कर रहा है, वह रिया है और वह लड़का रोहन है।
रिया ने मासूमियत से कहा, "तुम्हारी माँ नहीं है, मेरी माँ को तुम अपनी माँ समझना।" रोहन की नज़र घड़ी पर गई; 1:00 बज रहा था। रोहन ने रिया से कहा, "1:00 बज गया और तुम्हारी दीदी को कुछ नहीं हुआ।" दोनों ने सिया को देखा जो बेड पर आराम से सो रही थी। दोनों ने एक-दूसरे को देखकर खुश होकर फिर सो गए।
अगले सुबह सिया जल्दी उठ गई। उसने रोहन को देखा जो अभी भी सो रहा था। सिया सोची, "यह रात को कोई टेस्ट करने वाला था।" सिया ने रोहन को उठाया और पूछा, "कि रात को तुम माँ का टेस्ट करने वाले थे ना?" तो रोहन को याद आया और उसने कहा, "तुम गहरी नींद में सो रही थी इसीलिए मैंने तुम्हें नहीं उठाया। मैंने खुद ही टेस्ट कर लिया।"
रोहन को याद आया कि आज उसे आकाश से मिलना है और टोनी के बारे में जानना है। वह जल्दी से तैयार होकर आकाश से मिलने गया। आकाश अपने घर पर ही था। रोहन को देखकर आकाश बोला, "इतनी जल्दी आ गए तुम?"
रोहन बोला, "मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं है। मुझे सब कुछ सच-सच बताओ, जो भी तुम जानते हो।"
आकाश ने उसे बताना शुरू किया, "जब मैं दिल्ली कॉलेज में साइंटिस्ट की पढ़ाई कर रहा था, सिया ने भी वही कॉलेज ज्वाइन किया था। पहले दिन जब सिया कॉलेज आई थी, उसने रेड कलर का कुर्ती-चूड़ीदार पहना हुआ था और बालों की चोटी बना रखी थी। पहली बार मैंने कॉलेज में किसी लड़की को ऐसे देखा था। सब लड़कियाँ जीन्स-टॉप पहनकर ही आती थीं, बाल भी खुले रहते थे। उसे देखकर मेरी नज़र उसी पर रुक गई। ऐसा नहीं है कि वह अच्छी नहीं लग रही थी, परन्तु सबसे अलग ही दिख रही थी। मैं उसको ही देख रहा था, तभी उसकी नज़र भी मुझ पर गई। मुझे देखकर भी उसने अनदेखा करके मेरे सामने से निकल गई। जहाँ कॉलेज में सब लड़कियाँ मुझ पर मरती थीं, उसका मुझे अनदेखा करना कुछ अच्छा नहीं लगा। थोड़ी देर में मैं क्लास में गया तो देखा कि वह मेरी ही क्लास में बैठी थी। मैं उसे देखकर खुश हो गया। मैं उसके पास बैठना चाहता था, लेकिन उसके पास जगह खाली नहीं थी, इसलिए उसके पीछे की सीट पर जाकर बैठ गया। उसने एक नज़र मुझे देखा तक नहीं था। वह पास में बैठी अनु से बात कर रही थी। मैंने अनु को पीछे आकर मेरे पास बैठने के लिए कहा। यह सुनकर अनु खुश हो गई और खुशी-खुशी वह मेरे पास आकर बैठ गई थी।"
तभी मैं सिया के पास आगे जाकर बैठ गया। यह देखकर अनु मुँह बनाने लगी। इससे पहले कि मैं सिया से कुछ बात करता, सिया पीछे अनु के पास जाकर बैठ गई। यह देखकर अनु खुश हो गई। थोड़ी देर बाद क्लास ख़त्म होने पर सब लोग कैंटीन में बैठे थे। सिया भी अनु के साथ वहीं बैठी सैंडविच खा रही थी। मैं सीधा उसके पास जाकर बैठ गया, लेकिन फिर भी उसने एक बार मेरी तरफ देखा तक नहीं। तभी अनु मुझे हाथ पकड़कर साइड में ले गई और बोली, "सिया ऐसी लड़की नहीं है, उसका पीछा मत करो।" मैंने कहा, "ऐसी लड़की नहीं है से क्या मतलब है? और मैं उसका पीछा क्यों करूँगा भला? कॉलेज में और भी बहुत लड़कियाँ हैं। मैं तो बस ऐसे दोस्ती करना चाहता था।" तो अनु ने कहा, "वह लड़कों से दोस्ती नहीं करती है।"
तो मैंने कहा, "कि लड़कों से दोस्ती नहीं करती होगी, लेकिन आज तक आकाश को किसी ने दोस्ती के लिए मना नहीं किया।" तो अनु ने कहा, "तो फिर आजमाकर देख लो।"
मैंने अनु से कहा, "तुम मुझे चैलेंज कर रही हो? तो ठीक है, दोस्ती क्या, तुम देखना, एक दिन वह मुझे पूरी कॉलेज के सामने आई लव यू कहेगी।"
अनु ने कहा, "वह दिन कभी नहीं आएगा। तुम्हारे पीछे-पीछे आने वाली वह स्टुपिड लड़कियाँ कोई और ही हैं। अनु उनमें से नहीं है।" मैंने कहा, "अगर ऐसा हो गया तो..."
"...तो फिर तू कॉलेज का लीडर, तू जो कहेगा वही होगा।" पीछे से आवाज़ आई। मैंने और अनु ने पीछे मुड़कर देखा, वहाँ टोनी खड़ा था।
टोनी कॉलेज का लीडर था, लेकिन मेरी टोनी के साथ बिल्कुल नहीं जमती थी। मैं जहाँ लड़कियों के पीछे-पीछे भागता था, वहीं टोनी किसी लड़की की तरफ़ देखता तक नहीं था। सिया का चैलेंज टोनी ने मुझे क्यों दिया, वह मुझे समझ नहीं आ रहा था।
टोनी ने कहा, "अगर सिया ने तुम्हें सारे कॉलेज के सामने आई लव यू नहीं कहा तो तुम क्या करोगे?" मैंने भी जोश में कह दिया, "मैं यह कॉलेज छोड़ दूँगा।"
PART - 12
पिछले भाग में हमने देखा कि रोहन आकाश के घर गया और आकाश ने उसे सिया और टोनी के बारे में बताया।
आकाश ने कहा, "सिया को हमारे बीच हुई चैलेंज के बारे में कुछ नहीं पता था। शाम को कॉलेज से घर आने के बाद, मैं सिया को पटाने के बारे में ही सोच रहा था। वैसे तो लड़की पटाना मेरे लिए बाएं हाथ का खेल था, लेकिन अभी बात चैलेंज की थी और सिया भी जिस तरह से मुझे इग्नोर कर रही थी, और अनु ने भी कहा था कि वह लड़कों से दोस्ती नहीं करती। मुझे थोड़ा डर लग रहा था। मैंने जोश में कॉलेज छोड़ने की बात तो कह दी थी, लेकिन अगर सच में सिया ने मुझे इग्नोर किया तो मेरा तो पूरा करियर ही खराब हो जाएगा। सिया को पटाना अब मेरे लिए बहुत जरूरी हो गया था।"
मैंने गूगल पर भी लड़की पटाने के तरीके देखे। उसमें सबसे पहला तरीका लड़कियों की तारीफ करना था। दूसरे दिन मैं कॉलेज गया और बेसब्री से सिया का इंतजार कर रहा था। मेरी नज़र कॉलेज के गेट पर थी। तभी मुझे सामने से सिया आती हुई दिखाई दी। उसने ब्लैक कलर का ड्रेस पहन रखा था जिसमें वह कोई खास नहीं लग रही थी। वह अनु के साथ ही थी। इससे पहले कि मैं सिया के पास जाता, मैंने देखा टोनी सिया के पास पहुँच गया था और उससे कुछ बात कर रहा था। थोड़ी दूर होने की वजह से मुझे उनकी बात सुनाई नहीं दी। थोड़ी देर में वह चला गया।
उसके जाने के बाद मैं अनु और सिया के पास गया। मैंने उनको हेलो किया। जवाब में उन्होंने भी मुझे हेलो कहा। मैंने अनु की तरफ देखते हुए कहा, "अनु, अगर तुम जींस टॉप की जगह कुर्ती-चूड़ीदार पहनो तो बहुत अच्छी लगोगी। एक बार ट्राई करके देखना।" अनु ने कुछ नहीं कहा, बस मेरी तरफ देख रही थी। मैं सीधा वहाँ से चला गया। मैंने एक बार सिया की तरफ ना देखा, ना उससे कोई बात करने की कोशिश की।
क्लास में भी मैंने एक बार भी सिया से बात करने की कोशिश नहीं की, उसे इग्नोर किया। तभी अनु मेरे पास आई और बोली, "क्या हुआ? हार मान लिए क्या?" मैंने कुछ नहीं कहा।
अगले दिन, जैसा मैंने सोचा था, अनु कुर्ती-चूड़ीदार पहनकर आई थी। येलो कलर का कुर्ती और रेड कलर की चूड़ीदार, उस पर रेड कलर का दुपट्टा। सच में वह बहुत ज़्यादा सुंदर लग रही थी। मैंने पूरी क्लास के सामने अनु की तारीफ की। मैंने सब लड़कों से पूछा कि अनु जींस टॉप में ज़्यादा अच्छी लग रही है या आज इस ड्रेस में? सब लोगों ने मेरी बात का समर्थन किया। अनु बहुत खुश थी।
अगले दिन कॉलेज में मेरी क्लास की लड़कियों ने ज़्यादा जींस टॉप के बजाय कुर्ती-चूड़ीदार पहन रखी थीं। जहाँ सिया सिर्फ़ कुर्ती-चूड़ीदार में नज़र आ रही थी, वहीं अब क्लास की ज़्यादा लड़कियाँ कुर्ती और चूड़ीदार में नज़र आ रही थीं। वह सब देखकर सिया को अच्छा लग रहा था कि वह अब सबसे अलग नहीं दिख रही है। लेकिन ना सिया ने मुझसे कोई बात की और ना मैंने सिया से कोई बात करने की कोशिश की।
अगले दिन अनु का जन्मदिन था। उसने शाम को अपने घर में पार्टी रखी थी। उसका घर इतने अच्छे से सजाया गया था जैसे कोई जन्मदिन की पार्टी नहीं, किसी की शादी हो। पूरा डेकोरेशन लव थीम था। गुलाब के फूल और रेड बैलून, दिल शेप से पूरा हॉल सजा हुआ था। डेकोरेशन को देखकर लग नहीं रहा था कि यह किसी का बर्थडे है, ऐसा लग रहा था कि वैलेंटाइन डे है। सबकी ड्रेस कोड भी रेड था। मैंने रेड कलर का कुर्ता और व्हाइट कलर का पजामा पहन रखा था जो मुझ पर बहुत फब रहा था। सब लोगों ने रेड कलर में कुछ ना कुछ पहन रखा था। अनु ने रेड कलर की गाउन पहन रखी थी जिसमें वह बहुत अच्छी लग रही थी।
सब लोग आ चुके थे। टोनी भी था, लेकिन सिया कहीं नज़र नहीं आ रही थी। मैंने अनु से सिया के बारे में पूछा। उसने कहा, "बस आ ही रही है, रास्ते में ही है।" मैं बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहा था।
मैं गेट के आसपास ही घूम रहा था। मेरे हाथ में गुलाब के फूल की पंखुड़ियों का बाऊल था। तभी सिया अंदर आई।
मेरी नज़र उस पर गई। उसने रेड कलर की साड़ी पहन रखी थी। रेड कलर के झुमके पहन रखे थे, एक हाथ में रेड कलर की चूड़ियाँ थीं, रेड कलर की माथे पर छोटी सी बिंदी और रेड कलर की लिपस्टिक लगा रखी थी। उसमें बहुत ही प्यारी लग रही थी। आज शायद वह पार्लर से तैयार होकर आई थी, बिल्कुल अलग दिख रही थी।
जैसे ही मैं सिया से मिलने आगे बढ़ा, सिया पता नहीं कैसे लड़खड़ा गई। शायद उसने हील पहना था और उसको उसकी आदत नहीं थी। वह गिरने को हुई कि मैंने उसे पकड़ लिया। मेरा हाथ उसकी कमर में था। मेरे हाथ में जो गुलाब की पंखुड़ियाँ थीं, वो मेरे हाथ से छूटकर ऊपर उछल गईं जो नीचे आकर हम पर बरस गईं। वो मेरे बहुत करीब थी। आज से पहले कोई लड़की कभी मेरे इतने करीब नहीं आई थी। लड़कियों के साथ घूमना-फिरना, घंटों बात करना, उनके साथ मूवी देखना, शॉपिंग करना ये तो मेरे लिए आम बात थी, लेकिन सिया को अपने इतने करीब महसूस करके मेरी तो जान ही अटक गई थी। मैं बेसुध सा सिया को देख रहा था। तभी सिया ने गुस्से से मुझे देखा। मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया। तभी वहाँ अनु आ गई और बोली, "कितना लेट हो गई हो तुम! मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी।" सिया ने सॉरी बोला और अनु उसे अपने साथ लेकर हॉल में आ गई। मैं बस उसे ही देखे जा रहा था। तभी अनु ने मुझे आवाज़ दी। मैं वहाँ उसके पास जाकर खड़ा हो गया। अनु ने केक काटा। अनु कन्फ्यूज़ हो रही थी। वह सबसे पहले केक सिया को खिलाए या फिर मुझे।
आखिर में अनु ने सबसे पहले केक मुझे खिलाया और मैं भी एक बाइट उठाकर अनु को खिलाया और थोड़ा उसके फेस पर लगा दिया। उसके बाद अनु ने सिया को केक खिलाया और सिया ने अनु को। मैंने एक केक का बाइट लेकर सिया की तरफ बढ़ाया।
सिया ने मुझे घूर कर देखा, लेकिन उसने बिना कुछ कहे बेमन से केक खा लिया। मैंने सोचा शायद सिया भी मुझे केक खिलाए। मैं उम्मीद से उसकी तरफ देख रहा था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
थोड़ी देर में अनु ने कहा, "आज मेरा बर्थडे है और आज के दिन मैं तुम सब लोगों के सामने अपने प्यार का इज़हार करने वाली हूँ। मुझे किसी से प्यार हो गया है और आज के दिन अपने बर्थडे पर मैं उसे प्रपोज करने वाली हूँ।"
यह सब सुनकर सब लोग चौंक गए। सब लोग एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे। सबके मन में यही सवाल था कि कौन है वह लड़का? तभी सिया ने अनु से कहा, "तुमने मुझे भी कुछ नहीं बताया।" अनु ने कहा, "मैं सबसे पहले उस लड़के को बताना चाहती थी और इसके लिए मेरे बर्थडे से ज़्यादा अच्छा दिन और क्या हो सकता था? इसीलिए मैंने किसी को नहीं बताया, उस लड़के को भी नहीं मालूम।"
सब लोग जोर से चिल्लाने लगे, "कौन है वह लड़का? जल्दी बताओ!"
PART - 13
पिछले भाग में आपने देखा, अनु का बर्थडे था। उसने अपने घर पर पार्टी रखी थी। अनु अपनी पार्टी में कहती है, "मुझे किसी से प्यार हो गया है और आज मैं उसे प्रपोज करने वाली हूँ।"
सब लोग अनु की तरफ देखते हैं। सब उसके बोलने का इंतज़ार कर रहे थे। सब के दिलों में यही बात थी कि वह किसका नाम लेगी। तभी अनु धीरे-धीरे मेरी तरफ आती है और मेरे सामने आकर मेरी तरफ देखकर कहती है, "वह तुम हो, आकाश।" यह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। ऐसा तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। ना मैंने कभी अनु के बारे में ऐसा सोचा था और ना कभी मुझे यह लगा कि अनु मेरे बारे में ऐसा सोचती है।
अनु ने आगे कहा, "मैं जानती हूँ कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो, लेकिन मैं चाहती हूँ यह बात तुम सबके सामने कहो।" सब लोग हमें ही देख रहे थे। मैंने एक नज़र अनु को देखा जो मेरी तरफ इस उम्मीद से देख रही थी कि शायद मैं सबके सामने उसे प्रपोज करूँगा। मैंने दूसरी नज़र से सबको देखा; सबकी नज़र मुझ पर ही थी। मैंने बिना किसी से कुछ कहे वहाँ से चला गया।
घर आने में मुझे रात के 1:00 बज गए थे। मैं अपने घर आकर सोफे पर बैठ गया और जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचने लगा। एक तरफ तो सिया और मेरे बीच जो हुआ उसके बारे में सोच रहा था, तो दूसरी तरफ अनु ने जो कहा था।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अनु ने सबके सामने ऐसा क्यों कहा। उसे तो मेरी और सिया की चैलेंज के बारे में पता था। फिर वह सबके सामने, खासकर सिया के सामने ऐसा क्यों कहेगी कि वह मुझसे प्यार करती है?
मैं इस बात से बिल्कुल अनजान था कि अनु को यह सब करने के लिए टोनी ने बोला है ताकि सिया को लगे अनु मुझसे प्यार करती है और वह कभी मुझसे प्यार करने के बारे में सोचे भी नहीं और मैं चैलेंज हार जाऊँ।
मैं वहीं सोफे पर सो गया था। सुबह मेरी मॉम ने मुझे उठाया और पूछा, "तुम यहाँ क्यों सो रहे हो? अपने रूम में क्यों नहीं गए? और अनु की बर्थडे पार्टी कैसी रही?"
मॉम अनु को अच्छे से जानती थी। मेरी फ्रेंड होने के नाते अनु कई बार मेरे घर आ चुकी थी।
"अच्छी थी।" मैंने बस इतना कहा और उठकर फ्रेश होने के लिए अपने रूम में चला गया।
थोड़ी देर बाद मैं रेडी होकर ब्रेकफास्ट करने के लिए आया तो डाइनिंग टेबल पर डैड ने फिर वही सवाल किया, "अनु की बर्थडे पार्टी कैसी रही?"
मैंने कहा, "अच्छी थी।" उनको देखकर यही लग रहा था वो कुछ और भी सुनना चाहते थे, लेकिन कुछ पूछा नहीं और मैंने भी कुछ बताया नहीं।
मैं ब्रेकफास्ट करके कॉलेज चला गया। वहाँ सामने ही अनु और सिया खड़े थे। वो मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे। मुझे देखते ही दोनों मेरे पास आए और अनु ने कहा, "क्या हुआ आकाश? तुम कल पार्टी से ऐसे चले आए और तुमने मेरे प्रपोजल का कोई जवाब भी नहीं दिया। सब ठीक तो है ना?"
मैंने अनु का हाथ पकड़कर उसे साइड में ले गया और मैंने उनसे कहा, "तुम पागल हो गई हो क्या? तुमने यह सोचा भी कैसे? तुम मेरी एक अच्छी दोस्त हो। मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा और ना मैंने कभी तुम्हारी आँखों में वह सब देखा। फिर अचानक से यह सब क्यों कहा तुमने?"
अनु ने कहा, "अचानक से नहीं, बहुत पहले से मैं तुमसे प्यार करती हूँ, लेकिन मैंने तुम्हें कभी बताया नहीं। और तुम भी तो मुझसे प्यार करते हो, इसीलिए तुमने उस दिन मुझे जींस टॉप पहनने के बजाय कुर्ता-चूड़ीदार पहनने के लिए कहा था।"
मैंने अनु से कहा, "वह सब मैंने सिया के लिए किया था और मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूँ। मैं सिया से प्यार करता हूँ।"
"सिया से प्यार?" अनु ने कहा, "लेकिन वह तो सिर्फ़ एक चैलेंज है तुम्हारे लिए और मैं जानती हूँ कि तुम वह चैलेंज हारने वाले हो क्योंकि सिया कभी पूरी कॉलेज के सामने नहीं कहेगी कि वह तुमसे प्यार करती है।"
मैंने कहा, "मुझे अब उस चैलेंज की कोई परवाह नहीं है। मैं सच में सिया से प्यार करता हूँ और मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वह मुझसे प्यार करे या नहीं।"
अनु ने कहा, "लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ।" तो मैंने कहा, "ठीक है, तुम मुझसे प्यार करती हो तो करती रहो, लेकिन बदले में मुझसे अपने लिए प्यार की कोई उम्मीद मत रखना और यह बात किसी के सामने फिर कभी मत कहना।" इतना कहकर मैं वहाँ से चला गया।
सिया ने अनु से पूछा, "क्या हुआ?" तो अनु ने उससे कहा कि आकाश मुझसे प्यार तो करता है, लेकिन उसने सबके सामने मुझे प्रपोज करने से मना कर दिया।
सिया ने कहा, "ठीक है ना। तुम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हो तो फिर सब लोगों के सामने बोलने की ज़रूरत भी क्या है? वैसे भी प्यार तो बस एक एहसास है जिसे सिर्फ़ महसूस किया जाता है, बोलने की ज़रूरत भी नहीं है।"
थोड़ी देर बाद हम सब लोग क्लास में थे। तभी हमारे क्लास में टीचर आए और उन्होंने पूछा कि हम लोग किस चीज़ का आविष्कार करना चाहते हैं। सबने एक-एक करके अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताया।
सिया ने कहा कि वह टाइम स्पेस वॉच बनाना चाहती है जिससे हम अपने पास्ट और फ़्यूचर में आ जा सकते हैं या हमारे पास्ट में हुई हमसे कोई गलती हम वापस जाकर सुधार सकते हैं।
मुझे सिया का आइडिया बहुत अच्छा लगा। जब सर ने मुझसे पूछा तो मैंने यही कहा कि जो सिया ने कहा, मैं उसी के प्रोजेक्ट में उसकी हेल्प करना चाहता हूँ।
यह सुनकर सिया खुश हो गई और उसने मेरी तरफ देखकर स्माइल किया। मुझे उस दिन बहुत खुशी हुई। जहाँ सिया मुझे एकदम से इग्नोर कर रही थी, कम से कम आज उसने मुझे देखकर स्माइल तो किया।
हमारे सर ने कहा, "इससे पहले आप लोग अपना प्रोजेक्ट शुरू करो। हम लोग कल शहर के बाहर घने जंगल में जा रहे हैं। तुम लोगों को वहाँ पर बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। जो भी वहाँ जाना चाहता है, चल सकता है। कल सुबह 6:00 बजे हम लोग कॉलेज से निकलेंगे और रात के 9:00 बजे तक वापस आ जाएँगे।"
PART-14
पिछले भाग में हमने देखा कि अनु ने आकाश को प्रपोज किया, लेकिन आकाश ने कहा कि वह सिया से प्यार करता है। आकाश ने सिया के प्रोजेक्ट में उसकी मदद करने की बात कही। क्लास में जंगल जाने की बात हुई।
सभी स्टूडेंट्स आपस में बात करने लगे। कोई कहता, "बहुत मज़ा आएगा!" कोई कहता, "मैं तो पहली बार किसी जंगल में जा रहा हूँ।" तो कोई उदास होकर कहता, "मैं तो नहीं आ पाऊँगा।"
सिया ने भी उदास मन से अनु से कहा, "मैं भी नहीं जा पाऊँगी यार, मम्मी परमिशन नहीं देंगी।" अनु बोली, "चल ना यार, मैं बोर हो जाऊँगी।" सिया ने कहा, "मन तो मेरा भी बहुत है जाने का। मैं कभी ऐसे लोकेशन में नहीं गई, लेकिन मैं जानती हूँ मम्मी कभी परमिशन नहीं देंगी।"
अगले दिन सुबह 6:00 बजे हम सब लोग कॉलेज में थे। मैंने देखा सिया कहीं नज़र नहीं आ रही थी। मैं अनु के पास गया और उससे पूछा, "सिया नहीं जा रही क्या?" तो अनु ने कहा, "नहीं, उसकी मॉम ने मना कर दिया है।" मैं जानता था कि सिया का बहुत मन था जाने का। इसीलिए मैं अपने सर के पास गया और सर से रिक्वेस्ट करने लगा, "प्लीज़ सर, आप सिया की मॉम से बात कीजिए। सिया का बहुत मन था जाने का। अगर आप उनकी मॉम को पर्सनली बोलेंगे तो शायद वो सिया को भेज देंगी। प्लीज़ एक बार आप सिया की मॉम से बात कीजिए ना।"
सर ने मेरी बात मान ली और उन्होंने सिया की मॉम को फ़ोन किया। उन्होंने कहा, "सब स्टूडेंट्स जा रहे हैं। सिया को भी जाने दें। हम टीचर्स साथ में हैं। किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। स्टूडेंट्स को कुछ सीखने को मिलेगा। आप हम पे विश्वास कीजिए। सिया को जैसे लेकर जाएँगे, वैसे वापस लेकर आएँगे।"
सिया की मॉम ने सर की बात मान ली। उन्होंने कहा, "ठीक है सर, सिया आ रही है।" सर ने जब फ़ोन रखकर मुझे यह बात बताई, तो मैं बहुत खुश हो गया। सर को थैंक्यू कहकर मैं बेसब्री से सिया का इंतज़ार करने लगा। कुछ देर में सिया वहाँ आ गई। वह बहुत खुश थी। उसकी खुशी उसके चेहरे से ही झलक रही थी। सिया ने आते ही सर को थैंक्यू कहा। सर ने कहा, "थैंक्यू कहना है तो आकाश को कहो। उसी के कहने पर मैं तुम्हारी मॉम को कॉल किया है।" सिया ने मेरी तरफ़ देखा और मेरे पास आकर मुझे थैंक्यू कहा।
मैंने कुछ नहीं कहा और वहाँ से जाने के लिए जैसे ही मैं मुड़ा, तो सिया ने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, "फ़्रेंड।" मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ। मैंने भी खुशी से अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मैं बहुत खुश था। एक तो सिया से दोस्ती हो गई थी और दूसरा उस लोकेशन पर सिया के साथ जाने के लिए मैं बहुत खुश था।
तभी हमारी बस वहाँ आ गई और हम सब लोग बस में बैठने लगे। मैं जिस सीट पर बैठा था, सिया भी मेरी सीट पर मेरे पास आकर बैठ गई। यह देखकर मुझे बहुत ज्यादा आश्चर्य हुआ और मैं बहुत खुश भी था। तभी वहाँ अनु आ गई और उसने सिया से इशारे में मेरे पास खुद को बैठने के लिए बोला। सिया ने "ओह हा! लवर्स," कहते हुए वहाँ से दूसरी सीट पर चली गई। मेरा मन तो हुआ सिया को हाथ पकड़ के बैठा लूँ और उसे कह दूँ कि मेरे और अनु के बीच ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन मुश्किल से तो सिया ने बात करना चालू की थी और आज तो फ़्रेंड भी कहा था।
कहीं वो फिर से बात करना ही ना बंद कर दे, इसलिए मैं भी चुप रहा। अनु मेरे पास बैठ चुकी थी। मैंने अनु से कहा, "तुमने सिया को बताया नहीं कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूँ?" अनु ने कहा, "नहीं बताया। इसीलिए वो तुमसे बात कर रही है क्योंकि उसे लगता है तुम मुझे लाइक करते हो, इसलिए उस पर लाइन नहीं मारोगे। इसलिए उसने तुमसे दोस्ती की है। अगर मैं अभी उसको जाकर बता दूँ कि तुम मुझे नहीं, उसे लाइक करते हो, तो बात भी नहीं करेगी वो तुमसे।"
अनु ने कहा, "तो बता दूँ उसे?" मैंने जल्दी से कहा, "नहीं।" अनु हँसने लगी। उसने मुझसे कहा, "ये सब मैंने तुम्हारे लिए ही तो किया है।"
मेरे लिए मतलब मैं कुछ समझा नहीं। मैंने कहा, "तो...?" अनु ने इधर-उधर देखा और कहा, "टोनी ने मुझसे तुमसे सबके सामने प्रपोज करने के लिए कहा ताकि सिया को लगे कि मैं तुम्हें लाइक करती हूँ, तो सिया कभी तुम्हारे करीब आने के बारे में सोचे भी नहीं।" तभी मेरे दिमाग में भी आया कि सिया ऐसे तो कभी तुमसे दोस्ती नहीं करेगी। लेकिन अगर उसे लगे कि मैं तुम्हें और तुम मुझे लाइक करते हो, हम रिलेशनशिप में हैं, तो उसे तुमसे कोई झिझक नहीं होगी और वो तुमसे दोस्ती कर लेगी। और अगर एक बार दोस्ती हो गई तो तुम उसे प्यार करने के लिए भी मजबूर कर ही लोगे। इतना तो मैं जानती हूँ तुम्हें। और एक बार वो तुम्हारे करीब आ जाए, उसे तुमसे प्यार हो जाए, तो मैं उसे सच बता दूँगी कि हमारे बीच कुछ नहीं है, हम बस फ़्रेंड हैं।
लेकिन तब तक हमें उसके सामने यही दिखाना है कि तुम भी मुझे लाइक करते हो और उसे बस एक फ़्रेंड मानते हो। उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि तुम उसे लव करते हो। समझे?" अनु ने धीरे से मेरे सर पर मारते हुए कहा। मैंने खुशी से उसे गले लगा लिया।
सामने से सिया हमें देख रही थी। मेरी नज़र उस पर गई तो सिया मुझे देखकर थोड़ी मुस्कुरा दी। मैं जल्दी अनु से दूर होकर सीधा बैठ गया। अनु ने पूछा, "क्या हुआ?" मैंने कहा, "सिया देख रही है।" तो उसने कहा, "ये तो अच्छा ही है ना? उसे यकीन हो जाएगा कि हम रिलेशनशिप में हैं।"
अनु ने कहा, "टोनी को पता नहीं चलना चाहिए। मैंने तुम्हें सब बता दिया है। उसे भी यही लगेगा कि तुम मेरे जाल में फँस गए हो, तो फिर वो कोई और चाल नहीं चलेगा तुमको सिया से दूर करने की।"
PART-15
पिछले भाग में आपने देखा, अनु ने आकाश को उसे प्रपोज करने की सच्चाई बताई। वह सब सुनकर आकाश खुश हो गया और अनु को गले लगा लिया, जो सिया ने देख लिया।
अनु ने कहा, "अभी मैं सिया के पास जाती हूँ। वह अकेली बैठी बोर हो रही होगी। उसका मेरे अलावा कोई दोस्त भी नहीं है।"
आकाश ने कहा, "हाँ, ठीक है। तुम उसके पास जाओ।"
अनु ने कहा, "तुम चिंता मत करो। मैं थोड़ी देर में सिया को तुम्हारे पास बैठा दूँगी, जिससे तुम्हें उससे बात करने का, उसको जानने का मौका मिलेगा और सिया को तुम्हें जानने का मौका मिलेगा।"
मैंने अनु से कहा, "यू आर माई बेस्ट फ्रेंड।"
अनु ने कहा, "तुम भी मेरे बेस्ट फ्रेंड हो और सिया भी। तुम दोनों अगर रिलेशनशिप में आ गए तो सबसे ज़्यादा खुशी मुझे ही होगी। अब मैं सिया के पास जाती हूँ।" इतना कहकर अनु सिया के पास चली गई।
थोड़ी देर में हमारी बस एक ढाबे के आगे रुकी। मैंने टाइम देखा, 10:00 बज रहे थे। ब्रेकफास्ट का टाइम हो रहा था। तभी हमारे टीचर ने कहा कि सब लोग यहाँ पर ब्रेकफास्ट कर लो। हम सब लोग बस से नीचे उतरकर चले गए। मैं, सिया और अनु साथ में बैठे थे। हमने अपना ऑर्डर किया। ऑर्डर आने के बाद हम लोगों ने खाना शुरू कर दिया। हमारे बीच बिल्कुल खामोशी थी। तभी मैंने सिया से पूछा कि उसे टाइम स्पेस वॉच के बारे में कहाँ से आइडिया आया? उसने स्पेस टाइम वॉच बनाने का क्यों सोचा? तो इस पर सिया ने बताया कि उसकी बहन रिया 1 साल की थी, तभी उसके पापा एक एक्सीडेंट में उन्हें छोड़कर चले गए थे। उसकी बहन रिया पापा को बहुत याद करती है। इसलिए मैंने टाइम स्पेस वॉच के बारे में सोचा, जिससे रिया पास्ट में जाकर पापा को देख सके। मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करती हूँ, उसे हर खुशी देना चाहती हूँ। उसी के लिए मैं टाइम स्पेस वॉच बनाना चाहती हूँ।
सिया की बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि वह अपनी बहन से इतना प्यार करती है। मैंने भी सोच लिया था कि मैं सिया की हेल्प करूँगा टाइम स्पेस वॉच बनाने में।
तभी अनु ने कहा, "मैं भी टाइम स्पेस वॉच से अपने फ्यूचर में घूम के आऊँगी, जिससे मुझे पता चल जाएगा कि मेरी शादी किससे होगी।" उसकी बात सुनकर सिया ने कहा कि उसके लिए फ्यूचर में जाने की क्या ज़रूरत है? तुम आकाश से प्यार करती हो तो तुम्हारी शादी आकाश से ही होगी।
यह सुनकर मैं और अनु एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे। अनु ने बात संभालते हुए कहा, "हाँ, वही देखना है। मेरी शादी आकाश से ही होगी।"
उनकी बात सुनकर मेरे मन में भी ख्याल आया कि मैं भी टाइम स्पेस वॉच की मदद से फ्यूचर में जाकर देख सकूँ कि क्या मेरी शादी सिया से होगी? क्या सिया भी मुझसे प्यार करेगी?
तभी मैंने सिया से कहा, "हम दोनों का तो फ़िक्स है, लेकिन क्या तुम्हारा मन नहीं करता कि तुम देखो कि तुम्हारी शादी किससे होगी? तुम्हारा लाइफ़ पार्टनर कौन होगा? या फिर तुम्हें भी पता है? तुम भी किसी से प्यार करती हो? तुम्हारी ज़िंदगी में भी कोई है क्या?"
"ऐसा कुछ नहीं है। मैं किसी से प्यार नहीं करती। मेरे लिए जिसे मेरी मॉम चुनेगी, मैं उसी से शादी करूँगी और मैं अभी यह नहीं जानना चाहती कि वह कौन होगा, कैसा होगा। यह सब मैं अपने फ्यूचर के लिए रखना चाहती हूँ।"
हम लोगों का नाश्ता कंप्लीट हो गया। हम लोग वापस बस में चले गए। अनु ने सिया से कहा, "तुम आकाश के पास बैठ जाओ। मुझे अपने किसी फ्रेंड से कुछ बात करनी है, तो मैं उसके पास जा रही हूँ। तुम आकाश पर नज़र रखना, वह किसी को लाइन नहीं मार रहा है ना?" अनु की बात सुनकर सिया मुस्कुरा देती है और कहती है, "ठीक है।" और सिया मेरे पास आकर बैठ जाती है। मैं समझ जाता हूँ कि अनु यह सब कुछ क्यों किया। मैं इशारे से अनु को थैंक यू कहता हूँ। बदले में अनु भी मुझे वेलकम बोलकर चली जाती है।
सिया खामोश बैठी थी। मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं उससे क्या बात करूँ। तभी मैंने सिया से कहा कि तुम्हें कैसा लड़का पसंद है? तो सिया ने कहा कि सच्चा और अच्छा हो, जो सिर्फ़ मुझसे प्यार करे, जो लड़कियों के पीछे-पीछे ना घूमता हो, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करता हो और मुझसे कभी भी किसी बात को लेकर कोई झूठ ना बोले। सच्चा और बस अच्छा हो और मुझे बहुत सारा प्यार करे।
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा उदास हो गया क्योंकि जैसा उसने कहा, शायद मैं वैसा नहीं हूँ। मैंने अपने प्यार की शुरुआत झूठ से की है, लेकिन यह सच है कि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ।
थोड़ी देर में हम लोग जंगल में पहुँच गए। बहुत घना और गहरा जंगल था। बहुत डरावना भी लग रहा था। अगर कोई अकेला वहाँ चला जाए तो शायद कभी वापस भी न आ पाए। सब लोग अपने फ़ोन से फ़ोटो क्लिक करने लगे। तभी एक साथ सबकी आवाज़ आई, "ओह शिट! यहाँ तो नेटवर्क ही नहीं है!" तभी हमारे सर ने बताया, "यहाँ नेटवर्क नहीं आता है। सब लोग साथ में रहना, कोई भी ग्रुप से अलग नहीं जाएगा क्योंकि यह जंगल बहुत गहरा है। एक बार खो गए तो मिलना मुश्किल हो जाएगा।"
हम सब लोग थोड़ा घबरा गए। हमें घबराते हुए देखकर सर ने कहा, "डरने की कोई बात नहीं है। बस सब साथ में रहना।" यह कहते हुए हम लोग आगे बढ़ गए। बहुत ऊबड़-खाबड़ रास्ता था। चलते हुए सिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया। उसके हाथ पकड़ने से मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मैं सिया की तरफ़ देख रहा था। उसने मेरी तरफ़ देखकर हाथ छोड़ते हुए कहा, "सॉरी।" इतना कहकर वह इधर-उधर देखने लगी। वह अनु को ढूँढ रही थी, लेकिन अनु आगे जा रही थी। सिया ने अनु को आवाज़ दी, लेकिन उसने सुना नहीं। सिया घबराई हुई लग रही थी। एक तो वह पहली बार ऐसे अकेली आई थी, दूसरी अनु भी उसके साथ नहीं थी। मैंने बहुत हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया। सिया ने मेरी तरफ़ देखा, लेकिन मैं दूसरी साइड देखते हुए बोला, "जल्दी चलते हैं। सब लोग आगे निकल गए, हम ही पीछे हैं।" बस उसने पीछे मुड़कर देखा, हमारे पीछे कोई नहीं था। यह देखकर वह जल्दी चलने लगी।
PART-16
पिछले भाग में हमने देखा कि सिया ने आकाश को बताया कि वह टाइम स्पेस वॉच अपनी बहन रिया के लिए बना रही है।
जंगल में घूमते हुए, हम लोग पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर पहुँचे। वहाँ से सब कुछ देखने में बहुत अच्छा लग रहा था। हम लोग फोटो लेने लगे। वहाँ थोड़ी दूर में एक झरना बह रहा था, जिसका पानी नीचे बने तालाब में जा रहा था। सब लोग झरने को देखकर खुश हो गए। हम सब झरने के पास चले गए। कुछ स्टूडेंट्स फोटो ले रहे थे, तो कुछ पानी में एन्जॉय कर रहे थे। सिया और अनु भी पानी में एन्जॉय कर रही थीं, एक-दूसरे पर पानी डाल रही थीं, और मैं उनका वीडियो बना रहा था। सिया बहुत खुश थी। पानी में खेलते-खेलते वह काफी आगे आ गई थी, जहाँ से झरना नीचे बह रहा था। तभी मैंने जोर से चिल्लाया, "सिया, आगे नहीं!" जैसे ही सिया ने आगे देखा, उसका पैर फिसल गया और वह झरने के साथ बहने लगी। यह सब देखकर सब स्टूडेंट्स और टीचर्स डर गए।
उसे ऐसे देखकर मुझे कुछ समझ नहीं आया, और मैं भी उसके पीछे झरने में कूद गया। वह आगे-आगे और मैं उसके पीछे था। थोड़ी देर में हम लोग तालाब में थे। सिया डूब रही थी। मैं जल्दी से उसके पास गया और उसे तालाब से बाहर लेकर आया।
वह बेहोश थी। मैंने जल्दी से उसके मुँह से पानी निकाला। तब तक सब लोग वहाँ आ गए थे। सिया को भी होश आ गया था। सिया ने अपनी आँखें खोलीं। वह अजनबी की तरह सबको देख रही थी। तभी अनु उसके पास आई और बोली, "तुम ठीक हो ना? हम सब तो कितना घबरा गए थे! हमें तो कुछ समझ नहीं आया क्या करें! लेकिन आकाश भी तुम्हारे पीछे कूद गया, नहीं तो पता नहीं क्या हो जाता! तुम्हें तो तैरना भी नहीं आता है। तुम अभी ठीक हो ना?"
"मैं ठीक हूँ," सिया ने कहा और अनु को पकड़कर खड़ी हो गई और सर से बोली, "चलिए सर, मैं अभी बिल्कुल ठीक हूँ।" सब लोग आगे चले गए। अनु सिया के साथ पीछे धीरे-धीरे चल रही थी। सिया थोड़ी घबराई हुई थी। मैं उसके पास गया और बोला, "बड़े-बड़े जंगलों में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। भूल जाओ और एन्जॉय करो।"
सिया पूरी भीग चुकी थी। वह अपने में ही सिमटी हुई थी। मैंने अपना जैकेट निकाला और उसकी तरफ़ बढ़ा दिया। उसने जैकेट ले लिया और पहन लिया।
थोड़ी दूर आगे चलने के बाद हमने देखा कि आगे आम के पेड़ लगे हुए थे। उन पर बहुत सारे आम लगे हुए थे। हम सब आम तोड़ने लगे, लेकिन सिया अलग ही खड़ी थी। मैंने उससे पूछा, "तुम्हें आम पसंद नहीं क्या?"
"पसंद हैं," सिया ने कहा, "लेकिन पहले ही सब लोग मेरी वजह से इतना परेशान हो गए। अभी अगर मैंने आम तोड़े, तो फिर कोई प्रॉब्लम खड़ी कर दूँगी। इसीलिए मैं ऐसे ही ठीक हूँ।"
मैंने सिया से कहा, "मैं पेड़ के ऊपर जाकर आम तोड़ता हूँ, तुम नीचे से पकड़ लेना।" सिया ने हाँ में सर हिला दिया। मैं आम के पेड़ पर चढ़ गया। कुछ आम तोड़कर सिया की तरफ़ फेंके। सिया ने कैच कर लिए। मैं और आम तोड़ने लगा, तभी मेरा पैर फिसल गया और मैं सिया के ऊपर जा गिरा।
सबकी नज़र हमारी तरफ़ ही थी, लेकिन मैंने किसी को नहीं देखा। मेरी नज़र बस सिया पर थी। मैं तो अपना होश ही गँवा बैठा था। तभी टोनी ने कहा, "अब तो आकाश की खैर नहीं!" सिया ने जल्दी से मुझे धक्का दिया। मैं दूर जा गिरा। सिया जल्दी से खड़ी हो गई। मैं अब भी जमीन पर गिरा था। मुझे भी लगा शायद सिया मुझे गलत समझेगी। टोनी दूर खड़ा हँस रहा था। तभी सिया मेरे पास आई। मैं जल्दी से खड़ा हो गया और नज़रें झुका लीं। टोनी ने कहा, "अब आएगा आकाश के गाल पर तमाचा!"
मुझे भी लगा शायद सिया मुझे थप्पड़ मार दे। मैं नज़रें झुकाए उसके थप्पड़ का इंतज़ार करने लगा। तभी मुझे उसकी आवाज़ सुनाई दी। उसने धीरे से कहा, "तुम ठीक हो ना?" इतना सुनते ही मैंने नज़रें उठाकर सिया को देखा। उसकी नज़रों में अपने लिए फ़िक्र देखकर मैं बहुत खुश हो गया। मेरा मन किया मैं उसे गले लगा लूँ।
लेकिन मैं कुछ नहीं बोल पाया। मैंने बस हाँ में सर हिला दिया। तभी अनु ने मेरी तरफ़ इशारा किया कि सिया भी तुम्हें चाहने लगी है। यह सुनकर मैं खुश हो गया। मैं अनु के पास जाकर धीरे से बोला, "क्या अभी मैं सिया को प्रपोज कर दूँ?"
"नहीं, अभी नहीं। सिया को और करीब आने दो अपने। फिर देखना, तुम्हें प्रपोज करने की ज़रूरत नहीं, सिया खुद तुम्हें प्रपोज करेगी। तुम देखना," अनु ने कहा।
हम सब एक जगह बैठकर आम खाने लगे। थोड़ा अंधेरा होना लगा था। सर ने कहा, "अभी हमें चलना चाहिए। यहाँ बहुत जंगली जानवर हैं जो अंधेरा होने पर बाहर निकलते हैं।"
हम सब वापस आने लगे। तभी मैंने सोचा कि क्या सच में सिया मेरी फ़िक्र करती है? यह देखने के लिए मैं पीछे रह गया और एक पेड़ के पीछे छुप गया। सिया ने जब मुझे नहीं देखा तो वह मुझे इधर-उधर ढूँढने लगी। यह देखकर मुझे यकीन हो गया कि सिया भी मुझसे प्यार करने लगी है।
तभी मैं सामने आ गया। मुझे देखकर सिया भागते हुए पीछे मेरे पास आ गई और बोली, "तुम पीछे क्या कर रहे हो? जल्दी चलो, सब लोग आगे निकल गए।"
मैंने कहा, "तुम मेरे लिए वापस क्यों आई हो?" सिया ने कुछ नहीं कहा। मैंने सिया का हाथ पकड़ लिया और कहा, "बोलो, तुम मुझे क्यों ढूँढ रही थी?" सिया ने हाथ छुड़ाकर भाग गई। तभी उसके चिल्लाने की आवाज़ आई। मैं जल्दी से भागकर गया और देखा कि वह एक खाई में गिर गई है। मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी तरफ़ बढ़ाया, मैं भी नीचे जाकर गिर गया। हम दोनों ने निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं निकल पाए। हमने अपने सर और फ़्रेंड्स को भी बहुत आवाज़ लगाई कि हम यहाँ फँस गए हैं, लेकिन हमारी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी। सब लोग आगे निकल चुके थे।
PART - 17
पिछले भाग में हमने देखा कि कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स जंगल में गए थे। वहाँ सिया झरने के साथ बह गई थी, जिसे आकाश ने बचा लिया था। फिर वे दोनों जंगल में एक गड्ढे में गिर गए थे।
आकाश ने रोहन को बताया कि उसने सिया को ऊपर उठाकर गड्ढे से बाहर निकालने की कोशिश की थी। तभी किसी जंगली जानवर की आवाज आई, जिसे सुनकर वे दोनों डर गए थे।
"सिया मुझे कसकर पकड़ लेती है, और मैं भी बहुत डर गया था। मैंने भी सिया को कस के पकड़ लिया था।" सिया ने कहा, "आज तो हम नहीं बचेंगे। पक्का यह जानवर हमें खा जाएगा। अब हम जिंदा नहीं बचेंगे।"
तभी आकाश ने सिया का हाथ पकड़कर उसे अपने सामने खड़ा किया और कहा, "पता नहीं आज हम लोग फिर जिंदा रहें या न रहें, लेकिन मरने से पहले मैं तुम्हें अपने दिल की बात बताना चाहता हूँ। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।"
यह सब सुनकर सिया हैरान होकर आकाश को देखने लगी और बोली, "यह तुम क्या कह रहे हो? तुम तो अनु से प्यार करते हो ना? फिर यह सब तुम मुझे क्यों कह रहे हो?"
आकाश ने कहा, "नहीं, मैं अनु से प्यार नहीं करता हूँ। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, और अनु भी मुझसे प्यार नहीं करती है। उस दिन पार्टी में उसने सबके सामने झूठ कहा था।"
"लेकिन अनु झूठ क्यों बोलेगी? उसने खुद मुझे बताया था कि तुम भी उससे प्यार करते हो, बस सबके सामने प्रपोज नहीं करना चाहते। तो फिर अनु मुझसे झूठ क्यों बोलेगी? और पार्टी में तो उसने सबके सामने तुम्हें प्रपोज किया था! तो वह ऐसा क्यों करेगी? तुम यह सब कुछ क्यों कह रहे हो? मुझे समझ में नहीं आ रहा है," सिया ने कहा।
आकाश ने कहा, "मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ। मैं तुमसे सच कह रहा हूँ। तुम चाहो तो अनु को पूछ सकती हो। मैं सच में तुमसे प्यार करता हूँ, और सिर्फ़ तुमसे प्यार करता हूँ। क्या तुम भी मुझसे..." इतना कहकर वह रुक गया।
तभी उन्हें कुछ स्टूडेंट्स और सर की आवाज़ सुनाई दी। वे लोग उन्हें ढूँढते हुए वहाँ आ गए थे। वे लोग भी उनकी आवाज़ सुनकर उन लोगों को आवाज़ देने लगे कि वे लोग वहाँ नीचे गड्ढे में फँसे हुए हैं। तभी सब लोग गड्ढे के पास आ गए और उन्होंने मिलकर उन्हें गड्ढे से बाहर निकाल दिया। उनके सर ने उनसे पूछा, "तुम दोनों यहाँ कैसे गिर गए?" सिया ने कहा, "सर, मैं गड्ढे में गिर गई थी। आकाश मुझे निकाल रहा था, तो उसका भी पैर फिसल गया और वह भी गिर गया। हम लोगों ने आपको बहुत आवाज़ भी लगाई, लेकिन शायद आप लोगों को हमारी आवाज़ नहीं सुनाई दी।"
तभी उनके सर ने कहा, "चलो अब यहाँ से। और सब लोग ध्यान से चलना। एक-दूसरे का हाथ पकड़ लो।" तभी आकाश ने सिया का हाथ पकड़ लिया। सिया ने आकाश की तरफ़ देखा और उसने अपना हाथ छुड़ाकर अनु का हाथ पकड़ लिया।
वे सब बस में आकर बैठ गए। सिया अनु के पास ही बैठी थी। आकाश उनके पीछे वाली सीट पर बैठा था। सिया ने अनु को कहा, "मैं तुमको एक बात पूछती हूँ। प्लीज़ तुम मुझे सच-सच बताना। क्या तुम सच में आकाश से प्यार करती हो?"
अनु ने आश्चर्य से सिया को देखा और फिर आकाश की तरफ़ देखा। सिया ने अनु से कहा, "बोलो, सच क्या है?" तो अनु ने कहा, "नहीं, मैं आकाश से प्यार नहीं करती हूँ, और न ही आकाश मुझसे प्यार करता है।"
"लेकिन उस दिन अपने बर्थडे पार्टी में तुमने सबके सामने आकाश को प्रपोज किया था। वह सब क्या था?" सिया ने कहा।
अनु ने सिया का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा कि वह सब कुछ बस एक मज़ाक था और यह बात आकाश को भी मालूम है। "आकाश और मैं बस अच्छे दोस्त हैं। और वैसे भी, आकाश तो किसी और से प्यार करता है।"
"किसी और से प्यार? किससे?" सिया ने एकदम से चौंककर कहा।
"तुम्हें नहीं मालूम क्या?" अनु ने कहा। "आकाश ने तुमसे कुछ नहीं कहा क्या?" अनु समझ गई थी कि आकाश ने सिया को प्रपोज कर दिया है, इसलिए सिया उसे आकाश और उसके बारे में पूछ रही है। अनु यह भी समझ गई थी कि सिया भी आकाश से प्यार करती है।
अनु ने कहा, "वह लड़की बहुत किस्मत वाली होगी जिसे आकाश का प्यार मिलेगा। आकाश सच में बहुत अच्छा और केयरिंग है।"
यह सब सुनकर सिया के चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी। उसने शर्माते हुए अपनी नज़रें झुका लीं।
तभी अनु ने उसके चेहरे को देखकर कहा, "क्या बात है? आज तो किसी का चेहरा बहुत ग्लो कर रहा है! जंगल में ऐसा क्या हो गया? हमें भी बताओ।"
सिया ने शर्माते हुए कहा, "ऐसा कुछ नहीं है। तुम भी न, बस कुछ भी सोचती हो।"
"अच्छा, तो फिर तुम मुझे मेरे और आकाश के बारे में क्यों पूछ रही थी? और मैं यह भी जानती हूँ कि आकाश जिस लड़की से प्यार करता है, वो तुम हो," अनु ने कहा। "बताओ ना, आकाश ने तुम्हें प्रपोज किया ना?"
सिया ने शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया। यह सुनकर अनु ने खुशी से सिया को गले लगा लिया और धीरे से कहा, "तुमने क्या कहा?"
सिया ने अनु से अलग होते हुए कहा, "कुछ नहीं कहा।"
"क्या तुम्हें आकाश पसंद नहीं है? तुम्हारी आँखों में साफ़ दिख रहा है कि तुम भी आकाश को लाइक करती हो। अभी जाकर आकाश को अपने दिल की बात बता दो," अनु ने कहा। तो सिया ने घबराते हुए कहा, "अभी सबके सामने ना! बाबा ना! मैं कल कॉलेज में बता दूँगी।"
"पक्का?" अनु ने कहा।
"हाँ बाबा, पक्का। प्रॉमिस।"
यह सुनकर आकाश खुश हो गया। उसे उन दोनों की बात साफ़ सुनाई दे रही थी। वह कल के सपने देखने लगा कि कैसे सिया उसे सबके सामने प्रपोज करती है।
तभी उसे सर की आवाज़ सुनाई दी, "आकाश, तुम्हारा घर आ गया।" वह बस से नीचे उतरा तो एक नज़र उसने सिया को देखा। वह भी उसे ही देख रही थी। उसने इशारे से उसे बाय कहा तो उसने शर्माते हुए अपनी नज़रें झुका लीं। तभी बस आगे निकल गई।
वह बहुत खुश था। वह नाचते हुए घर के अंदर गया तो सामने ही सोफ़े पर मॉम-डैड बैठे थे। उसे इतना खुश देखकर मॉम ने कहा, "इतनी खुशी किस बात की है? क्या कोई हीरा मिल गया क्या जंगल में?"
PART-18
पिछले भाग में हमने देखा था कि आकाश ने सिया को प्रपोज किया था, लेकिन सिया ने कोई जवाब नहीं दिया था। आकाश अपने घर आ गया था। उसकी माँ ने कहा, "इतने खुश क्यों हो? क्या कोई हीरा मिल गया जंगल में?"
मैंने माँ से कहा, "हीरा नहीं, हीरोइन मिल गई है।" यह सुनकर मेरे डैड गुस्से में बोले, "लगता है इसे फिर कोई खूबसूरत लड़की मिल गई है। यह कोई खास बात तो नहीं है। यह तो अब इसकी आदत बन गई है, लड़कियों के पीछे-पीछे घूमने की। शादी के लिए बोलो तो जनाब मना कर देते हैं, 'अभी शादी नहीं करनी है।'"
"लेकिन अभी मुझे शादी करनी है," मैंने कहा। तो माँ-डैड खुश हो गए। माँ ने कहा, "तू सच कह रहा है? कौन है वो लड़की?"
मैंने कहा, "उसका नाम सिया है। वह दिल की बहुत अच्छी है, बहुत सिंपल और संस्कारी, घरेलू लड़की है; जैसी माँ आपको पसंद है, बिल्कुल वैसी ही है।"
"ऐसी लड़की तुम्हें कहाँ मिल गई?" डैड ने हँसते हुए कहा।
माँ ने कहा, "हमें कब मिलवा रहे हो उससे?"
मैंने कहा, "कल घर लेकर आऊँगा। आज मैंने उसे अपने प्यार का इज़हार किया है। मैं जानता हूँ कि वह भी मुझे पसंद करती है, और कल वह भी मुझे अपने प्यार का इज़हार कर देगी। उसके बाद में कल उसको अपने घर लेकर आऊँगा और आप दोनों से मिलवा दूँगा।"
माँ ने कहा, "मुझे तो कल तक सब्र नहीं हो रहा है। उसका कोई फ़ोटो है तो दिखा दे।" तभी मैंने अपने फ़ोन से उसका फ़ोटो माँ-डैड को दिखाया। माँ-डैड को भी वह बहुत पसंद आई। डैड ने कहा, "उसके पापा का क्या नाम है? वह कहाँ रहती है? तो मुझे बता दो। मैं उसकी माँ-पापा से तुम्हारे रिश्ते की बात कर लूँगा।"
मैंने डैड से कहा, "डैड, प्लीज़ कल तक तो रुक जाइए। पहले सिया को तो अपने मन की बात मुझसे कहने दीजिए। उसके बाद में उसको घर लेकर आ जाऊँगा, आप दोनों से मिलवा दूँगा। आप उसे देख लो, पसंद कर लो; बाकी आगे की बात तो बाद में होती ही रहेगी।"
माँ ने भी मेरी बात का समर्थन किया और कहा, "आकाश सही कह रहा है। बाकी बातें तो बाद में होती ही रहेगी। चलो, अभी हम लोग खाना खा लेते हैं। बहुत लेट हो रहा है।"
खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और कल के बारे में सोचने लगा। मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी। मैं कल को लेकर बहुत एक्साइटेड था कि कल मुझे सिया अपने मन की बात बताएगी, उसके बाद मैं उसे माँ-डैड से मिला दूँगा। सोचते-सोचते मैं शादी तक पहुँच गया कि फिर हमारी शादी हो जाएगी। लेकिन होना तो कुछ और ही था।
अगली सुबह मैं कॉलेज गया। मैं बेसब्री से सिया का इंतज़ार कर रहा था। काफ़ी टाइम निकल गया, लेकिन सिया और अनु नहीं आए। कुछ देर बाद मुझे अनु अकेली नज़र आई। मैं जल्दी से उसके पास गया और उससे पूछा, "सिया कहाँ है?" अनु ने कहा, "पता नहीं, सिया नहीं आई। मैंने उसका फ़ोन भी ट्राई किया, लेकिन उसका फ़ोन नहीं लग रहा था। पता नहीं वह क्यों नहीं आई और उसने मुझे कॉल करके भी नहीं बताया कि वह आज नहीं आ रही है। मैं कब से उसका वेट कर रही थी, लेकिन वह नहीं आई, तो फिर मैं अकेली ही कॉलेज आ गई।"
मैंने कहा, "क्या उसका कोई और नंबर है तुम्हारे पास?" अनु ने कहा, "उसकी माँ का नंबर है मेरे पास। मैं अभी कॉल करती हूँ।" अनु ने सिया की माँ को फ़ोन किया। उसके बाद अनु ने मुझे बताया कि उसकी माँ ने कहा कि सिया तो बहुत पहले ही कॉलेज के लिए निकल चुकी है।
यह सुनकर मैं बहुत घबरा गया। मैं जल्दी से कॉलेज के बाहर आ गया। अनु मेरे साथ थी। हम दोनों जिस रास्ते से सिया कॉलेज जाती थी, उस रास्ते में उसे ढूँढने लगे। हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि अगर सिया कॉलेज के लिए निकल चुकी है, तो वह कॉलेज क्यों नहीं पहुँची।
हम दोनों बहुत देर तक रास्ते में सिया को ढूँढते रहे। मैंने अनु से कहा, "क्या करें? अभी उसकी माँ को तो बता देते हैं कि वह कॉलेज नहीं पहुँची है। उसके बाद देखते हैं क्या करना है।"
अनु जैसे ही उसकी माँ को कॉल करने वाली थी, सामने से उसकी माँ का कॉल आ गया।
अनु ने कॉल उठाया, तो अनु एकदम घबरा गई। बस घबराते हुए इतना कहा, "हम अभी वहाँ आते हैं," और फ़ोन रख दिया।
मैंने अनु से पूछा, "क्या हुआ? क्या कहा सिया की माँ ने? तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो?"
अनु ने मेरे हाथ पकड़ते हुए कहा, "कि सिया को टोनी ने किडनैप कर लिया है। वह शिव मंदिर के पीछे वाले खंडर में ले गया है सिया को। हमें जल्दी वहाँ जाना होगा। सिया की माँ भी वही आ रही है।"
हमने जल्दी से ऑटो किया और शिव मंदिर जाने को बोला।
मैंने रास्ते में अनु से पूछा, "टोनी ने ऐसा क्यों किया? उसकी सिया से क्या दुश्मनी? सिया ने क्या बिगाड़ा था उसका?"
अनु ने कहा, "सिया से नहीं, लेकिन तुमसे तो दुश्मनी है उसकी। उसको पता चल गया होगा कि सिया तुम्हें प्रपोज करने वाली है, तो अपनी हार के डर से उसने ऐसा किया होगा। पूरी कॉलेज के सामने तुम जीत जाओ और वह हार जाए, यह तो वह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसीलिए तो टोनी ने मुझे तुम्हें प्रपोज करने के लिए कहा था, लेकिन वह इस हद तक गिर जाएगा, यह मैंने कभी नहीं सोचा था।"
मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक तरफ़ टोनी पर गुस्सा आ रहा था, तो दूसरी तरफ़ खुद को कोस रहा था कि मैंने क्यों टोनी से शर्त लगाई। मेरी वजह से आज सिया इतनी मुसीबत में फँस गई।
मेरा मन बहुत घबरा रहा था। कहीं टोनी सिया के साथ कुछ गलत ना कर दे। अगर सिया को कुछ भी हुआ, तो उसका ज़िम्मेदार मैं हूँ। मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा। टोनी को तो मैं जान से मार दूँगा।
PART-19
पिछले भाग में हमने देखा था कि टोनी ने सिया का अपहरण कर लिया था। आकाश और अनु वहाँ गए थे।
आकाश ने रोहन से कहा, "मैं और अनु शिव मंदिर के पास ऑटो से उतरे थे।" तभी सिया की माँ भी वहाँ आ गई और अनु से कहा, "सिया का कॉल आया था। उसने बताया कि टोनी ने उसे शिव मंदिर के पीछे खंडर में बंद कर रखा है।" हम दिन में मंदिर के पीछे खंडर में जाने लगे थे। तभी मुझे खंडर से निकलता हुआ टोनी दिखाई दिया। उसने भी मुझे देख लिया था। वह मुझे देखकर वापस खंडर में भाग गया। मैं उसके पीछे दौड़ा और उसे पकड़ लिया। मैंने उसे बहुत मारा। तभी वहाँ अनु और सिया की माँ आ गए। अनु ने मुझे पकड़ लिया और कहा, "सिया कहाँ है?"
मैंने टोनी को फिर मारकर पूछा, "सिया कहाँ है?" उसने सामने के कमरे की तरफ इशारा किया। मैं टोनी को उसकी कॉलर से पकड़कर अंदर ले गया। टोनी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। उसे खून भी आ रहा था। मैंने टोनी को सिया के सामने फेंक दिया। वह जमीन पर गिर गया। सिया उसे देखकर डर गई। तभी अनु और सिया की माँ आ गईं। सिया अपनी माँ के गले लगकर रोने लगी।
मैंने टोनी से कहा, "यह सब क्यों किया तुमने? सिर्फ एक शर्त जीतने के लिए तू इतनी हद तक गिर सकता है? मैंने सोचा भी नहीं था।"
तभी सिया मेरे पास आई और गुस्से से बोली, "कौन सी शर्त?"
मैंने कहा, "वह मैं तुम्हें बताने ही वाला था कि..." इससे आगे मैं कुछ कहता, सिया ने अपना हाथ मेरे आगे कर दिया। मैं चुप हो गया।
सिया ने कहा, "कुछ कहने की जरूरत नहीं है। टोनी ने सब बता दिया है मुझे।"
"मैं ही पागल हूँ जो उसकी बात पर यकीन नहीं कर रही थी," मैंने कहा।
सिया ने कहा, "एक बार मेरी बात सुनो।" तो सिया ने फिर मेरे सामने अपना हाथ कर दिया और कहा, "कुछ कहने की जरूरत नहीं। तुम टोनी को कह रहे हो कि एक शर्त जीतने के लिए उसने क्या किया और तुमने जो किया, वह सब भी तो शर्त जीतने के लिए ही किया ना तुमने? तुम यहाँ भी इसीलिए आए ताकि तुम मुझे कॉलेज ले जा सको और मैं सबके सामने तुम्हें प्रपोज करूँ और तुम शर्त जीत जाओ? क्या फ़र्क है तुझमें और टोनी में? तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुई मुझ पर शर्त लगाने की? समझा क्या है मुझे? पहले शर्त लगा ली और फिर शर्त जीतने के लिए मुझे इस तरह से..."
आगे सिया कुछ कहती, मैंने कहा, "मैंने शर्त जरूर लगाई थी, लेकिन मैं सच में तुमसे प्यार करता हूँ और पहले दिन से करता हूँ। पहली बार जब मैंने तुम्हें देखा था तो मेरी नज़र बस तुम पर ही रुक गई थी।"
"ओह अच्छा! तो अब तुम्हें यह डर है ना कि तुम्हारी सच्चाई मेरे सामने आ गई तो अब मैं तुम्हें पूरी कॉलेज के सामने प्रपोज नहीं करूंगी तो तुम हार जाओगे और तुम्हें कॉलेज भी छोड़ना पड़ेगा। इसलिए यह सब कह रहे हो ना? लेकिन अब मैं तुम्हारी बातों में नहीं आने वाली। चले जाओ यहाँ से और फिर कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना। और अगर तुम कॉलेज नहीं छोड़ सकते तो मैं कॉलेज छोड़कर चली जाऊंगी।" सिया ने कहा। तो ऐसा लगा जैसे सारी दुनिया रुक गई हो।
मैंने सिया से कहा, "प्लीज, एक बार बस मेरी बात सुन लो। उसके बाद जो तुम कहोगी मुझे मंजूर है।"
सिया ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "कुछ नहीं सुनना मुझे! चले जाओ यहाँ से! तुम्हारी शक्ल से भी नफ़रत है मुझे!"
सिया की माँ ने मुझसे कहा, "बेटा, अभी यहाँ से चले जाओ। सिया बहुत परेशान और गुस्से में है। बाद में आराम से बात कर लेना। अभी कुछ नहीं सुनेगी वह और समझेगी भी नहीं। तुम जाओ, मैं उसे बाद में समझा दूँगी।"
सिया की माँ के कहने पर मैं वहाँ से आ गया। उसके बाद सिया कॉलेज नहीं आई। मैंने उसका फ़ोन भी ट्राई किया, लेकिन फ़ोन भी बंद आ रहा था। मैंने अनु से पूछा तो उसने भी यही कहा कि अब वह मुझसे भी बात नहीं करती। उसे लगा कि मैंने भी तुम्हारा साथ दिया उसे हर्ट करने में। मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी। कहा कि, "तुम तो उसकी फ्रेंड हो तो उसकी साइड लोगी।"
उसके बाद से टोनी भी कॉलेज नहीं आया। बहुत दिन हो गए जब सिया का कोई पता नहीं चला तो मैं उसके घर गया। उसका घर बंद था। पड़ोस में पूछने से पता चला कि वह शहर छोड़कर चले गए हैं अपने अंकल के पास जयपुर।
मैं भी जयपुर आ गया उसे मिलने के लिए। मैंने बहुत कोशिश की उसे ढूँढने की, लेकिन वह मुझे नहीं मिली। फिर उस दिन अचानक से मैंने उसे देखा।
"आगे तुम्हें पता ही है जो हुआ," आकाश ने कहा। तो रोहन ने पूछा, "और टोनी? उसका क्या हुआ? वह कहाँ है अब?"
आकाश ने कहा, "उस दिन के बाद मैंने उसे नहीं देखा और मैंने जानने की कोशिश भी नहीं की कि वह कहाँ गया। मुझे क्या लेना उससे?"
रोहन ने कहा, "सिया अभी भी रात को टोनी का नाम लेकर चिल्लाती है, जैसे अभी भी टोनी उससे जुड़ा हुआ हो।" रोहन ने आकाश को उस रात की पूरी घटना बताई और यह भी बताया कि सुबह उसे कुछ भी याद नहीं रहता है।
यह सब सुनकर आकाश हैरान हो गया। "ऐसा क्या हुआ था उस दिन जो सिया टोनी से इतनी डरी हुई है और उन्होंने दिल्ली क्यों छोड़ दिया? सिया की पढ़ाई, उसका करियर, सब बर्बाद हो गया।"
आकाश ने कहा, "टोनी के बारे में पता करने के लिए मुझे दिल्ली जाना होगा। वहीं जाकर पता चलेगा कि टोनी कहाँ है और क्या कर रहा है।" आकाश ने रोहन को धन्यवाद कहा सिया के बारे में बताने के लिए।
रोहन वहाँ से हॉस्पिटल गया और डॉक्टर से मिला। डॉक्टर ने सिया के अंकल को फोन किया और कहा कि अब से सिस्टर रोहिणी वहाँ नहीं आ पाएगी। रोहन ने डॉक्टर को धन्यवाद कहा और आकाश को फोन किया।
PART-20
पिछले भाग में हमने देखा कि सिया को आकाश और टोनी के बीच लगी शर्त के बारे में पता चल गया था जिसकी वजह से सिया आकाश से नफरत करने लगी थी। आकाश टोनी को ढूँढने के लिए दिल्ली जाने की बात करता है।
रोहन ने आकाश को फ़ोन किया और उसे बताया कि वह थोड़ी देर में घर आ रहा है।
रोहन अपने गेटअप में वापस आया और आकाश के घर गया। आकाश ने उसे देखकर कहा, "अच्छा हुआ तू वापस आ गया। कल मैं दिल्ली जा रहा हूँ।" रोहन ने कहा, "मुझे भी कल दिल्ली जाना है। साथ में चलेंगे।" आकाश ने हाँ में सर हिला दिया।
रात को रोहन अपने कमरे में सोने गया तो रिया बेड पर बैठी थी। रोहन ने रिया को देखकर कहा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो? अपने घर जाओ, अपनी मॉम के पास।" रिया बोली, "क्या करूँगी वहाँ? ना कोई मुझे देख सकता है, ना सुन सकता है। क्या मैं तुम्हारे साथ रह सकती हूँ? मुझे तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है।"
रोहन ने कहा, "मैं तो कल दिल्ली जा रहा हूँ। तुम्हें अपनी दीदी के पास रहना चाहिए। अगर तुम्हारी दीदी को फिर से प्रॉब्लम होगी तो..." रिया बोली, "आप दीदी को फोन कर दो कि वह मॉम के पास सो जाएगी। उस दिन मॉम के पास सोने से उनको कुछ नहीं हुआ था। वह अच्छे से मॉम के पास सो जाएगी तो दीदी को कुछ नहीं होगा।"
कुछ देर रुककर रिया धीरे से बोली, "क्या मैं तुम्हारे साथ दिल्ली आ सकती हूँ?" रोहन बोला, "मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन वहाँ तुम्हारी दीदी और मॉम नहीं रहेंगे। तो तुम्हें डर तो नहीं लगेगा? तुम अपनी मॉम के बिना क्या मेरे साथ दिल्ली आ जाओगी?" रिया बोली, "मैं तुम्हारे साथ रह सकती हूँ। जब मैं तुम्हारे पास होती हूँ, तब भी मुझे ऐसा ही लगता है कि मैं अपनी मॉम के साथ हूँ। मुझे तुम्हारे साथ डर नहीं लगता है। तुम चले जाओगे तो मैं किससे बात करूँगी? मेरा मन नहीं लगेगा। प्लीज, मुझे अपने साथ लेकर चलो। और फिर तुम टोनी को ढूँढने के बाद वापस तो आओगे ना?"
रोहन ने कहा, "ठीक है। फिर कल सुबह हम लोग दिल्ली के लिए निकलेंगे। अभी मैं सिया को फोन करके बोल देता हूँ कि वह तुम्हारी मॉम के पास ही सो जाएगी।" इतना कहकर रोहन अपना फोन उठाता है और सिया को फोन करता है और बोलता है, "मैं रोहिणी बोल रही हूँ। तुम्हारी मॉम को रात को थोड़ी बेचैनी रहती है और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती है, तो जब तक तुम्हारी मॉम पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती, तुम रात में अपनी मॉम के पास ही रहना।" इतना कहकर रोहन फोन रख देता है।
रोहन रिया से कहता है, "अभी सो जाओ। सुबह जल्दी उठना है। हमें जल्दी दिल्ली के लिए निकलना है।" रिया खुश होकर बेड की एक साइड सो जाती है। वह दिल्ली जाने के लिए बहुत खुश थी, अपने घर, अपने शहर वापस जा रही थी। वह खुशी से सो जाती है।
अगली सुबह रोहन और आकाश दिल्ली के लिए निकलते हैं। रिया भी उनके साथ थी। आकाश गाड़ी ड्राइव कर रहा था और रोहन उसके साथ आगे की सीट में बैठा था, और रिया पीछे बैठी थी। आकाश के पास होने से रोहन रिया से बात नहीं कर पा रहा था। रिया अकेले पीछे बोर हो रही थी। वह रोहन को बोल रही थी, "तुम भी पीछे आ जाओ।" लेकिन रोहन उसे कोई जवाब नहीं देता है।
रोहन सोचता है, "क्या मैं आकाश को सब सच बता दूँ कि मैं ही रोहिणी थी? लेकिन नहीं, आकाश क्या सोचेगा? मैं एक लड़की बनकर किसी के घर में रहा। और अगर आकाश को पता चला कि मैं रोहिणी बनकर सिया के रूम में उसके साथ रहा तो...नहीं-नहीं, मुझे आकाश से सच छुपाना होगा।"
लेकिन आकाश को बिना सच बताए मैं टोनी के बारे में भी नहीं जान सकता। अब हम दोनों की मंजिल एक है, हमें साथ चलना है।
रोहन यह सब सोच ही रहा था कि आकाश ने कहा, "मैंने तो अपने दोस्त को सब सच बता दिया, लेकिन मेरा दोस्त अभी भी मुझे सच बताने से डर रहा है।"
यह सुनकर रोहन आकाश की तरफ देखता है। आकाश कहता है, "तू क्या समझता है? तू मुझे बेवकूफ़ बना सकता है? अब चल, सब सच बता। तू सिया के घर रोहिणी क्यों गया था?"
रोहन ने कहा, "तुझे कैसे पता चला?" आकाश कहता है, "डाउट तो मुझे जब मैंने पहली बार तुझे गाड़ी में देखा था, तब ही हुआ था कि मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है। फिर उस दिन जब मैं सिया के घर गया था, तब भी तुम्हें देखकर मुझे ऐसा लगा कि मैं तुम्हें जानता हूँ। लेकिन उस टाइम पर मुझे तेरा याद नहीं रहा कि तुम रोहन भी हो सकता है। लेकिन कल जब तू मेरे घर आया और मुझे सब कुछ पूछ रहा था, तो तेरे बात करने के स्टाइल से मुझे लगा कि तुम रोहन हो। लेकिन मेरे घर से जाने के बाद तुमने मुझे रोहन बनकर फोन किया और कहा कि तुम घर पर आ रहे हो और यह भी कहा कि तुम मेरे साथ दिल्ली जा रहे हो, तो मेरा शक यकीन में बदल गया कि तुम रोहन ही हो। उसके बाद मैंने सिया के अंकल को फोन किया और उनको रोहिणी के बारे में पूछा कि क्या वो अभी घर पे है? तो अंकल ने बताया अब वो नहीं आएगी। तब मुझे पक्का यकीन हो गया।"
"अब तुम कुछ बताओगे? वो सब क्या था? तुम्हारा सिया के घर लड़की बनके जाना, मुझे समझ नहीं आया।" आकाश ने कहा। तो रोहन ने कहा, "ये तो तुम जानते हो कि कुछ दिन पहले मैंने एक ऑपरेशन किया था, जिसमें मेरी लापरवाही की वजह से एक बच्चे की जान चली गई थी, जिसकी वजह से मैं दिल्ली छोड़कर जयपुर, तुम्हारे पास आ गया था। वह बच्ची कोई और नहीं, सिया की बहन रिया थी।"