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Mysterious sister

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Description

यह कहानी है दो बहनों की—सनाया और पिया। सनाया, एक दिव्य वंश की राजकुमारी बनने वाली है, भेड़ियों की रहस्यमयी दुनिया में जिसकी किस्मत लिखी जा चुकी है। वही पिया—भविष्य से नहीं, बल्कि अतीत की छाया से आई बहन, जो समय की रेखा को चीरती हुई केवल एक मकसद के...

Total Chapters (40)

Page 1 of 2

  • 1. - Chapter 1 intro..!

    Words: 1540

    Estimated Reading Time: 10 min

    वार्निंग थिस कहानी कंटेन ए लोट ऑफ़ मिस्टी और ए लोट का लोप पोल जहां आपको कुछ पल के लिए लगेगा कि यह कहानी किसी और दिशा में जा रही है नहीं सारे पन्ने आपस में जुड़ेंगे पर वक्त के साथ अगर आपके पास इतना iq है समझने के लिए तो कहानी पढ़िए और बताइए कैसा लगा





    "हरियो!"

    "रामू, कहां जा रहा है इतनी सुबह-सुबह?"

    "थारी बेटी के वास्ते रिश्ता लाए हैं। अगर तू कहे तो बात कर लूं... देख भाई, लड़का अच्छा कमाता है। बिटिया को खुश रखेगा।"

    "हरिहर भैया, इसकी कोई जरूरत नहीं है। मेरी बेटी है — अभी 18 की ही हुई है।"

    "अरे रामू भाई, बच्ची का 18 में ही लगन कर दो, हाथ पीले कर दो। कल को कोई पूछेगा नहीं... और वैसे भी, बेटियां तो सर का बोझ हो गई हैं। कहां तक लेकर चल पाओगे? खर्च कैसे संभालोगे? विदा करो — अपने घर पर जाए। तुम भी अपना और अपने बीवी-बच्चों का ख्याल रखो। एक छोटा सा बच्चा है तुम्हारा — कल को तुम्हारा वंश वो संभालेगा। उसके बारे में सोचो।"

    "भैया, बेटा हो या बेटी — मेरे लिए दोनों बराबर हैं। जब तक मेरी बिटिया का मन नहीं होगा, मैं उसे शादी के जंजाल में नहीं धकेलूंगा।"

    "ठीक है भाई रामू, तेरी मर्जी। हमारे तो काम है सलाह देना। कल कुछ-कुछ नहीं छोड़ेगी तो हमें मत कहना।"

    "जीजी राम, जीजी भैया — आप टेंशन मत लीजिए। हम आपके पास नहीं आएंगे। चलिए अभी हम चलते हैं। बिटिया का शहर में एडमिशन कराना है। दाखिले के लिए पैसे चाहिए, तो जमींदार साहब के पास जा रहे हैं। गुड़िया के मम्मी के कुछ गहने थे, उसे गिरवी रख करके पैसे ले आएंगे।"

    यह कहकर हरिया से रामू विदा लेता है और वहां से चला जाता है। हरिया, रामू के जाते ही अपनी साइकिल उठाकर सीधा सरपंच की तरफ भागते हुए...


    ---

    "सरपंच साहब! गज़ब हो गया!"

    सरपंच जी अपने खाट पर बैठकर हल्के का आनंद ले रहे थे। हुक्के की गुड़गुड़ाहट उनके शान को बयां कर रही थी। सर पर पगड़ी, कुर्ता-पायजामा, और उनकी सफेद दाढ़ी उनकी शान-ओ-शौकत की रुतबे की बातें कर रही थी।

    हरिया की आवाज़ सुनकर सरपंच अपने हुक्के की गुड़गुड़ाहट को रोक देता है:

    "क्या हुआ हरिया? इतनी सुबह-सुबह कहां चिल्ला रहा है? आज सुबह-सुबह ठेके पर चला गया था का?"

    "सरपंच साहब! गज़ब हो गया है! बात ऐसी है कि सुनने के बाद बिना दारू के नशे होंगे आपको... और आपके भी होश उड़ जाएंगे।"

    "ऐसी भी क्या बात है हरिया?"

    "साहब, मुंह तो मारा वैसे बहुत चल से, पर इसको भी तो तेल-पानी की ज़रूरत होती है... तो थोड़ा इसके मरम्मत के लिए पैसे मिल जाते तो मैं पाठक-पातर सब बंद देता।"

    "समझ गया तारा विचार।"

    यह कहकर सरपंच अपनी जेब से ₹200 निकाल कर हरिया के हाथ पर रख देता है और उसे घूरते हुए बोलता है:

    "चल, अब बहुत जल्दी-जल्दी — क्या बात है?"

    "सरपंच साहब, रामू अपनी बेटी का दाखिला शहर में कर रहा है। आज रामू की बेटी जा रही है... कल और भी लड़कियां जाएंगी। फिर आपका राज खत्म समझो। कल को जब सब पढ़-लिख कर समझदार हो जाएंगे, तो आपके पास कौन ही आएगा? और शहर की हवा लग गई तो फिर तो आपको पता ही है ना... आपका सट्टा गया — सत्य का सत्यानाश होने में वक्त नहीं लगेगा।"

    "हरिया, ज़ुबान संभाल के बात कर... वरना जुबान खींच कर कुत्ते से बांध दूंगा!"

    "माफ़ी हुजूर! मैं तो वही कह रहा हूं जो पूरे गांव में बात हो रही है। अब रामू आपकी बेटी की बराबरी करेगा? छोटी रानी सा की बराबरी करेगा? राजकुमारी शहर पढ़ने गई है, तो उसकी भी बेटी जाएगी वह हुजूर!"

    "बा खैर, अब मैं चलता हूं। मुझे मेरे गले के लिए सोमरस लेना है। बाकी आपकी मर्जी, आपका हाथ, अपना आशीर्वाद ऐसे बनाए रखिएगा।"

    यह कहकर हरिया वहां से चला जाता है।


    ---

    हरिया के जाते ही सरपंच गुस्से में अपने हुक्के को लात मार देता है और चिल्लाता है:

    "मनोज! कटे मर गया? मेरे सामने आ!"

    मनोज — सरपंच का बड़ा बेटा। उम्र 28 साल। हब्सी, नालायक, दारूबाज, लौंडिया-बाज — जो भी कह लो। इसके लिए काम था, आपकी ताकत पर पूरे गांव में होला जमा कर रखा था।

    सरपंच की आवाज़ सुनकर मनोज दौड़ते हुए उसके सामने आ खड़ा होता है, अपने शर्ट के बटन को बंद करते हुए:

    "जी बाबू सा... आपने बुलाया?"

    "अरे साले, तुझे कितनी बार कहा है — अपनी हवस को एक तरफ रख, और गांव में पानी नजर बैठ के रख! चुनाव के दिन आ रहे हैं। कहीं सत्ता हाथ से चली गई ना... तो तुझे भी पता है और मुझे भी, क्या होगा!"

    "मुझे यह सब समझने की ज़रूरत नहीं है। रामू की बेटी शहर पढ़ने जा रही है — अगर वह लड़की शहर चली गई, तो गांव की बाकी लड़कियां भी शहर चली जाएंगी। और फिर हमारे गांव की हवा को बदलने में तीर नहीं लगेगा। जा जाकर समझा दे उन्हें — फुसला दे ऐसे कि किसी को पता न चले। हम नहीं चाहते कि हमारी तानाशाही में किसी और का हुकूमत चले।"


    ---



    ---
    – शिकारी की नजर]

    मनोज अपनी गर्दन झुकाए वहां से निकल जाता है।

    "अरे, वह... गाड़ी निकाल दो! चल, ज़रा देखते हैं इस रामू के बच्चे को — ज़्यादा ही शहर की हवा लग गई है ना। आज इसकी सारी हवा हम निकाल देंगे।"

    गजेंद्र गाड़ी निकालता है। मनोज अपने गुंडों के साथ रामू के घर की तरफ चल पड़ता है।

    रामू का घर गांव के अंतिम छोर पर था। उसके बगल में घना जंगल फैला हुआ था।

    मनोज गाड़ी को जंगल के दूसरी तरफ रोक देता है और जंगल के रास्ते होते हुए रामू के घर की तरफ बढ़ने लगता है।

    रास्ते में ही उसने अपने सामने देखा — एक 18 साल की लड़की जंगल में लकड़ी बीन रही थी।

    उसका गोरा बदन, धूप के पढ़ने से सुनहरे रंग में चमक रहा था। उसके लंबे-लंबे बाल कमर तक लहरा रहे थे। वह एक हाथ से लकड़ियां उठाती, तो दूसरे हाथ से अपने बालों को सवांर रही थी।

    मनोज यह देखकर मुस्कराता है...

    "तुम लोग चलो। मैं थोड़ी देर में आता हूं... समझ रहे हो ना, तुम्हें क्या करना है?"

    "हां-हां छोटे ठाकुर, हम समझ रहे हैं हमें क्या करना है।"

    मनोज दबे पांव धीरे-धीरे लड़की की तरफ बढ़ने लगता है। लड़की की खुशबू दूर से ही महसूस की जा सकती थी।

    वह अपने हाथों को मुंह से ले जाकर शरीर के निचले हिस्से तक ले जाता है और मुस्कुराते हुए बुदबुदाता है:

    "आज तो दिन बन जाएगा..."

    मनोज धीरे-धीरे लड़की की ओर बढ़ रहा था — तभी उसे एक आवाज़ सुनाई देती है:

    "गुड़िया बेटा, ज़रा इधर आना तो!"

    "हां मां, आई!"

    गुड़िया यह कहकर दूसरी तरफ मुड़कर आगे बढ़ जाती है।

    यह देखकर मनोज अपने दांत भींच कर वहीं रुक जाता है, और गुस्से में उस आवाज़ की दिशा में घूरते हुए कहता है:

    "इसी वक्त बुलाना था क्या? कोई बात नहीं... अब ये तुम्हारी निगाहों से नहीं बच सकती।"

    "मनोज, चल बेटा... अभी चलते हैं।"

    मनोज यह कहकर वापस गाड़ी की ओर लौट जाता है।


    ---

    [अध्याय 3 – शिकारी का वार]

    गाड़ी के पास पहुंचते ही सारे आदमियों ने रामू के घर पर हमला करने के लिए अपने हथियार तैयार कर रखे थे।

    मनोज उन्हें रोकते हुए कहता है:

    "रुको! ऐसे नहीं... हमें ऐसे हमला नहीं करना है।"

    "मुझे रामू की बेटी चाहिए — मेरे बिस्तर में।"

    "और मैं चाहता हूं कि बिना हल्ला हुए, सब काम हो जाए। एक बार बस उसको चख लूं — उसके बाद इस रामू के साथ जो करना है कर लेना!"

    "पर छोटे मालिक... अभी हम क्या करें?"

    "अभी? अभी चुपचाप यहां से चलो। ऐसे काम नहीं होगा।"

    मनोज सबको गाड़ी में बैठने को कहता है। सब उसकी बात मानकर चुपचाप बैठ जाते हैं।

    गाड़ी जैसे ही गांव से निकलती है, तभी मनोज की नजर सामने से आ रहे रामू पर पड़ती है।

    मनोज मुस्कराता है, फिर आदमियों की ओर मुड़कर कहता है:

    "सुनो... तुम्हें कुछ करना ही था ना? अब अपना मुंह बंद करो... और रामू की हड्डी-पसलियां तोड़ डालो!"

    "ऐसे तोड़ो कि उसका उठने का भी हौसला टूट जाए!"

    मनोज की बात सुनकर सभी आदमी गाड़ी से उतर जाते हैं। वे अपने गमछे से मुंह बांध लेते हैं, और गुस्से और हिंसा से भरे हुए रामू की ओर दौड़ते हैं।

    रामू कुछ समझ पाता, उससे पहले ही वे उसे जमकर पीटना शुरू कर देते हैं।

    रामू चिल्लाता है, तड़पता है... पर उसकी मदद के लिए वहां कोई नहीं था। गांव से दूर, जंगल के रास्ते पर रामू सड़क पर मार खाता पड़ा था।

    उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि उसकी गलती क्या थी...

    वे लोग रामू को पीट-पीटकर उसके सारे पैसे छीन लेते हैं।

    "मुझे मत मारो... मुझे छोड़ दो! अरे वो मेरी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी है! उसे मत ले जाओ — मेरे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा!"

    पर वे रामू की एक नहीं सुनते। उसका हाथ भी तोड़ देते हैं। पीड़ा, डर और दर्द की वजह से रामू वहीं बेहोश हो जाता है।

    रामू के बेहोश होते ही वे लोग उसे छोड़कर वहां से भाग जाते हैं।


    ---

    उधर मनोज...

    अपनी कार स्टार्ट करता है — और सीधा घर की ओर निकल पड़ता है।

    उसके चेहरे पर एक स्याह मुस्कान थी...
    एक वहशी साजिश... जो उसके मन में किसी ज़हर की तरह पल रही थी।

  • 2. - Chapter 2 मनोज की चाल

    Words: 1461

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब शाम होने को थी। रामू के परिवार वाले रामू के आने का इंतज़ार कर रहे थे। मंदाकिनी, गुड़िया और रामू की पत्नी सीता भी उसके राह देखते-देखते थक गई थीं। मोहन आकर कहता है, "माँ, मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को दे दो। बाबा तो गए थे, थोड़ी देर में आ जाएँगे, पर अभी तक वे नहीं आए।" "बेटा, आते ही होंगे। वो फिर सब साथ में खाना खाएँगे।"

    गुड़िया: "माँ, ये सब मेरी वजह से हो रहा है। मुझे शहर जाकर पढ़ने की ज़िद नहीं करनी चाहिए थी..."

    "नहीं बेटी, ऐसा नहीं है। और बुरा क्यों सोच रही है तू? ऐसा नहीं बोल। और कल को जब तू पढ़-लिखकर बड़ी अफ़सर बनकर आएगी, तो तेरे बाबा को सबसे ज़्यादा खुशी होगी... वो अभी थोड़ी देर में आते होंगे, देखना। वो आते ही तुम सब के लिए कुछ न कुछ ज़रूर लाएँगे!"

    "अरे सीता भाभी, कहाँ हो? बाहर आओ भाभी..."

    सीता ये आवाज़ सुनकर अपने सिर पर पल्लू करते हुए बाहर आती है और गाँव वालों को खड़ा देख उसे बड़ी हैरानी होती है। वो कहती है, "जी, कहिए...?"

    "भाभी, रामू भैया को किसी ने बुरी तरह से मारा है और उन्हें अभी हम पास वाले अस्पताल में ले जा रहे हैं। जल्दी चलिए!"

    ये सुनते ही सीता के तो पाँव ठंडे पड़ गए। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, बस आँखों में आँसू बह रहे थे।

    दरवाज़े के पीछे खड़ी मंदाकिनी ये सुन रही थी। गुड़िया मोहन को खाना देकर जैसे ही आई, मंदाकिनी उसे पकड़कर रोने लगती है। और मंदाकिनी को रोता हुआ देख गुड़िया चिल्लाकर कहती है, "क्या हुआ? क्यों रो रही है? पापा...? पापा...?" मंदाकिनी का एक भी शब्द नहीं निकल रहा था। मंदाकिनी अभी सिर्फ़ 8 साल की थी। उसने गुड़िया से इतना ही कहा था कि वह जैसे ही दरवाज़े के बाहर आती है, लोगों की लगी भीड़ और उसके मन को रोता देख वह कुछ समझ नहीं पाती। असहायता के चलते वह भागकर सीधा अस्पताल पहुँचती है। वहाँ पर पहुँचकर अपने पिताजी की हालत देख वह डॉक्टर के पैर पड़कर रोने लगती है। रोते हुए कहती है, "डॉक्टर साहब, हमारे बाबूजी को बचा लीजिए!" डॉक्टर गुड़िया को रोता देख उसे उठाते हैं और समझाते हुए कहते हैं, "बेटा, तुम्हारे बाबूजी को बहुत चोट लगी है। उनको शहर ले जाना पड़ेगा, वरना उनकी मृत्यु हो जाएगी। शहर ले जाने के लिए बहुत खर्च आएंगे, इतने पैसे आपके पास नहीं हैं।" दूर खड़ी मनोज की टोली उनको देख रही थी।

    डॉक्टर के माथे से पसीना आ रहा था क्योंकि उधर खड़ी टोली उनके ऊपर बंदूक ताने हुए थी। इधर सीता का बुरा हाल हो रहा था, पर रामू की कोई हालत नहीं देख पा रही थी। गाँव की औरतें सीता को चुप कराकर सांत्वना दे रही थीं। तब तक गुड़िया पूछ बैठती है, "कितना खर्च आएगा, डॉक्टर साहब?" "बेटी, यही कोई पाँच-छह लाख।" "डॉक्टर साहब, इतने पैसे तो नहीं हैं हमारे पास। आप तो भगवान हैं ना, आप तो सबकी जान बचाते हैं। हमारे बाबा की जान बचा लीजिए। हम कहीं न कहीं से करके आपको पैसे लौटा देंगे।" "बेटी, हमारे हाथ में कुछ नहीं है। अब ये जो होगा, शहर में ही होगा। तुम ऐसा क्यों नहीं करती, सरपंच जी के यहाँ चली जाओ और उनसे उधार ले लो। वे बड़े दयालु हैं, वे तुम्हें उधार ज़रूर देंगे। उनसे उधार लेकर आओ, हम शहर चलने की सारी प्रक्रिया शुरू करते हैं।" डॉक्टर की बात सुनकर के गुड़िया के मन में एक उम्मीद जगी। वह मंदाकिनी और मोहन को लेकर सरपंच के घर की तरफ़ जाने लगी। अपनी माँ को शांत दिलाने के बाद गुड़िया के मन में अब उम्मीद की लहर दौड़ पड़ी थी। वह नंगे पाँव रोते हुए सीधा सरपंच के घर की तरफ़ भाग रही थी। उसके पीछे-पीछे गुड़िया और मोहन भी उसका पीछा करते हुए चल रहे थे। गुड़िया को दूर से आता देख सरपंच के बेटे मनोज के मन में अब उसके ऊपर अपनी हवस पूरी होने की लहर दौड़ उठी थी। वह मुस्कुराता हुआ शीशे में खुद को देखता है। पास पड़े परफ्यूम की बोतल उठाकर खुद पर छिड़कते हुए कहता है, "उसे फूल की नाज़ुक कली को तो आज मैं मज़े लेकर खाऊँगा। कुछ भी हो जाए, आज मेरी प्यास मिट जाएगी।" इधर गुड़िया सरपंच के घर पर पहुँच चुकी थी और जोर-जोर से सरपंच जी का नाम लेकर चिल्ला रही थी। सरपंच की बहू बाहर आई, पर उसे कोई जवाब नहीं मिला। तब एक नौकर आकर बोलता है, "सरपंच जी तो नहीं हैं, मनोज बाबू हैं। दूसरे मोहल्ले पर। आप उनसे जाकर मिल लीजिए।" नौकर की बात सुनकर गुड़िया, मंदाकिनी और मोहन दौड़ते हुए सीधा मनोज के घर चले जाते हैं। दूसरे मोहल्ले पर खड़े होकर वे मनोज के दरवाज़े पर खटखटाने लगते हैं। मनोज उनको देखकर दरवाज़ा खोलता है और उन्हें अंदर आने को कहता है। गुड़िया पूरी पसीने से भीगी हुई थी। उसके शरीर पर पसीना मोतियों की तरह उभर कर चमक रहा था। जगह-जगह लिपटे बाल मनोज को और ज़्यादा मदहोश कर रहे थे। और गुड़िया के बालों को सहलाते हुए कहता है, "बेटा, तुम परेशान क्यों हो? बैठो। क्या हुआ, बताओ।" गुड़िया रोते हुए मनोज को सारा वाकया बताती है। मनोज गुड़िया की बात सुनकर उदास होकर कहता है, "रामू तो बड़ा भला इंसान था। उसके साथ गलत हुआ। तुम चिंता मत करो, हम जितना हो सकेगा, उतनी तुम्हारी मदद करेंगे।" यह सुनते ही गुड़िया समझ जाती है और वह मनोज के पैरों में गिर जाती है और जोर-जोर से रोते हुए कहती है, "आप मेरे पापा की जान बचा लीजिए। जो पैसे होंगे, हम देने के लिए तैयार हैं। हमें बस चार लाख रुपये उधार दे दीजिए।" मनोज यह सुनकर कहता है, "ये तो बहुत बड़ी रकम है, पर तुम चाहती हो तो हम दे देंगे, पर सब चीज़ों की कीमत होती है, इसकी भी कीमत लगेगी।" यह सुनते ही गुड़िया के मन में धक्का सा लगा। वह हक्का-बक्का होकर बोलती है, "कैसी कीमत?" "तुम्हारे जिस्म की कीमत!" यह सुनते ही गुड़िया गुस्से में मनोज को धक्का दे देती है। "पागल हो गए हैं क्या? क्या बोल रहे हैं? चलो मोहन, चलो मंदाकिनी, यहाँ से!" यह कहकर वह बाहर जाने लगती है। तब तक दो गुंडे आकर उसका रास्ता रोक देते हैं। वह चलते हुए कहती है, "हटो मेरे सामने से, वरना ठीक नहीं होगा!" दोनों गुंडे मंदाकिनी और मोहन को कसकर पकड़ लेते हैं और उनके हाथों में चाकू लेकर उनके गले पर चाकू रख देते हैं। यह देख मनोज जोर-जोर से हँसने लगता है और हँसते हुए कहता है, "अब कहाँ जाओगी गुड़िया रानी? चुपचाप मेरी बात मान लो, वरना ये दोनों भाई-बहन भी मर जाएँगे!" गुड़िया को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह मनोज की तरफ़ आगे बढ़ती है और अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए उससे माफ़ी माँगती है। "मुझे माफ़ कर दीजिए, कृपया करके हमें जाने दीजिए। हमारे साथ ऐसा मत कीजिए, हम ज़िंदा नहीं रह पाएँगे।" "अरे मेरी फूल कुमारी, ज़्यादा कुछ नहीं करेंगे, बस इतनी नाज़ुक कली का रस ही तो चखना है हमें। एक बार हमें दे दो जो हमें चाहिए, फिर तुम जाओ।" गुड़िया को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब तक उसके मन में एक ख्याल आता है। वह रोते हुए कहती है, "मेरे भाई-बहन को छोड़ दीजिए, उनको जाने दीजिए। आप जो कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूँ।" मनोज गुड़िया की बात मान लेता है और मंदाकिनी-मोहन को छोड़ने के लिए कहता है। गुड़िया दौड़कर मंदाकिनी और मोहन के गले लग जाती है और मंदाकिनी के कानों में कुछ फुसफुसाकर कहती है। इतना सुनते ही मंदाकिनी और मोहन वहाँ से भागने लगते हैं और वे सीधा भागते हुए अस्पताल की तरफ़ आ रहे थे। इधर मनोज अपने आदमियों को इशारा करता है और मंदाकिनी और मोहन को खत्म करने के लिए कहता है। गुड़िया भी अब समझ चुकी थी कि उसका यहाँ से बच पाना मुश्किल है। वह धीरे-धीरे पीछे की तरफ़ जाने लगी। मनोज उसके तरफ़ बढ़ रहा था और वह हँसता-चिल्लाता हुआ गुड़िया के सीने से उसका दुपट्टा खींचकर नीचे फेंक देता है। गुड़िया अपने हाथों से अपना शरीर ढकने लगती है और धीरे-धीरे पीछे हो रही थी। तब तक उसका हाथ पास में पड़े फ्लावर पॉट से टकराता है। वह उसे उठाकर सीधा मनोज के सिर पर मार देती है, जिसकी वजह से मनोज को हल्की सी चोट लग गई थी, पर वह दरिंदा अभी भी पीछे नहीं हट रहा था। मनोज गुस्से में चिल्लाकर कहता है, "तूने सही नहीं किया!" मनोज को दर्द हो रहा था, पर वह हैवानियत की सारी हदें पार कर चुका था। वह अपने कदम फिर गुड़िया की तरफ़ बढ़ा रहा था। गुड़िया भागकर दरवाज़े के पास जाती है, पर दरवाज़ा बाहर से बंद हो चुका था। मनोज उसके पास पहुँचकर उसके शरीर से उसके कपड़े नोचने लगता है...

    कैसी लगी हमारी कहानी? कृपया करके कमेंट करके बताइएगा। उम्मीद करते हैं कि आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।

  • 3. Chapter 3 सीता की सच्चाई गांव वालो का फैसला

    Words: 1493

    Estimated Reading Time: 9 min

    हाय! यह मेरी कहानी, "द ब्लडी लवर," आपको कैसी लगी? कृपया कमेंट में बताइएगा। आपके प्यार और सपोर्ट से मैं और बेहतर कर पाऊँगा। कृपया अपना सपोर्ट और प्यार बनाए रखें।


    अब आगे...!


    गुड़िया चिल्लाती और बिलखती हुई रहती है, "मुझे जाने दो! मुझे छोड़ दो!" पर मनोज उसकी एक नहीं सुनता। वह अपने कपड़े उतार देता है और गुड़िया के बालों को पकड़कर कसकर घसीटते हुए उसे अपने बिस्तर पर ले जाता है। वहाँ ले जाकर, वह उसे बिस्तर पर पटक देता है और देखते ही देखते गुड़िया के शरीर से सारे कपड़े अलग कर देता है। गुड़िया जोर-जोर से चिल्ला रही थी, पर मनोज उसकी एक नहीं सुन रहा था। वह पास में पड़े चाकू को उठाता है और उसके हाथों को बांध देता है। गुड़िया छटपटाती हुई बस आशाएँ खो रही थी। उसके आँखों से बहते आँसू उसकी तकलीफ को बयाँ कर रहे थे, पर मनोज को बिल्कुल भी दया नहीं आ रही थी। वह अपने सारे कपड़े उतार देता है और अपनी दरिंदगी की सारी हदें पार कर देता है। मनोज को इस कदर हैवान बनता देख, गुड़िया भी समझ चुकी थी कि उसका अब कुछ नहीं हो सकता। देखते ही देखते, गुड़िया का शरीर ठंडा पड़ जाता है, और मनोज थोड़ी देर बाद गुड़िया के ऊपर से उठ जाता है। इसी प्रकार, मनोज के कुछ दोस्त भी आकर उसके साथ वही सब करते हैं जो मनोज ने किया था। गुड़िया बेहोश हो चुकी थी। थोड़ी देर बाद, मनोज उसके ऊपर ₹400,000 फेंक देता है और उसे वहाँ से जाने के लिए कहता है। गुड़िया अपने कपड़े पहनती है और पैसों को लेकर अस्पताल की तरफ भागने लगती है। उसके एब्डोमिनल एरिया में दर्द हो रहा था; उसे चलना भी मुश्किल हो रहा था, पर वह भाग रही थी। थोड़ी दूर चलने के बाद, उसे कुछ लोगों ने घेर लिया। गुड़िया समझ गई थी कि ये मनोज के आदमी हैं। यह देखकर, वे सब हँसने लगे और हँसते हुए कहा, "क्या लगता है तुम्हें यहाँ से जाने देंगे? कभी नहीं! तुम्हारी गलतफहमी है कि तुम यहाँ से जा पाओगी।" दूसरी तरफ, मंदाकिनी और राहुल भी खतरे में थे। वह आदमी राहुल को मंदाकिनी से छीन लेता है और उसे तुरंत चाकू मार देता है। जैसे ही राहुल को चाकू लगता है, दूर बैठे उसकी माँ को यह एहसास हो जाता है। इधर, मंदाकिनी जोर-जोर से चिल्लाने लगती है और रो रही थी, पर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह आदमी मंदाकिनी की तरफ बढ़ रहे थे। मंदाकिनी चिल्लाते हुए, डरते हुए, धीरे-धीरे पीछे खिसक रही थी। वह शैतानों की तरफ आगे बढ़ रहे थे और तभी अचानक मंदाकिनी का पैर फिसल जाता है और वह पास के झरने में गिर जाती है। उसे गिरता देख, वे जोर-जोर से हँसने लगते हैं। उन्हें लगता है कि मंदाकिनी मर गई है। वे लोग मनोज को फोन करके बताते हैं कि उनका काम हो गया है। वे मोहन की लाश लेकर गुड़िया के पास आते हैं और उसे गुड़िया के सामने फेंक देते हैं। यह देखते ही गुड़िया जोर-जोर से चिल्लाने लगती है। वह मोहन को जमीन पर पड़ा देख, भागकर उसके पास जाती है और जोर-जोर से चिल्लाते हुए कहती है, "मोहन! ऊर्जा भाई! मेरे ऊर्जा!" पर मोहन अब मर चुका था। उसकी रुकी साँस को देखकर गुड़िया जोर से चिल्लाती है, "माँ!" गुड़िया की आवाज से पूरा जंगल गूंज गया था। जरा दूर अस्पताल में बैठी उसकी माँ को यह एहसास हो चुका था कि उसके बच्चे खतरे में हैं। वह सब कुछ छोड़कर सीधा जंगल की तरफ भागने लगती है, और उसके पीछे सारे गाँव वाले भी भाग रहे थे। सब लोगों ने गुड़िया को चारों तरफ से घेर लिया था। उसकी माँ और लोग भी जंगल की तरफ पहुँच चुके थे। गुड़िया पर खतरा देखकर, उसके मन का शरीर अपने आप बदलने लगता है, और वह देखते ही देखते भेड़िये में परिवर्तित हो जाती है। यह देखकर पूरे गाँव वाले डर जाते हैं। भेड़िया बनकर, गुड़िया वहाँ पर खड़े सारे आदमियों को पलक झपकते ही मार गिरा देती है, और फिर वह अपने असली रूप में आ जाती है। यह देखते ही पूरे गाँव वाले डर गए थे। अब गुड़िया भी मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई थी। उसकी माँ गुड़िया का सर अपने गोद में रखकर जोर-जोर से रोने लगती है। गुड़िया के शरीर पर पड़े जख्मों के निशान देखकर उसे समझ आ गया था कि उसके साथ क्या हुआ है। गुस्से से गाँव वालों की तरफ देखती है और चिल्लाकर पूछती है, "किसने किया है ये? इसे मैं ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी!" पूरे गाँव वाले डर रहे होते हैं। तभी गुड़िया के मुँह से धीरे से आवाज़ निकलती है, "मनोज..." यह सुनते ही उसकी माँ गुस्से में चिल्लाकर कहती है, "मनोज! तूने सही नहीं किया! तू ज़िंदा नहीं बचेगा! हम इतने वर्षों से बहुत शांत थे; हमने तुम सभी गाँव वालों के लिए क्या कुछ नहीं किया, और तुमने आज हमारी बेटी की जान ले ली! मैंने वचन दिया था कि मैं अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करूँगी, पर आज मैं तुम सबको नहीं छोड़ूँगी!" यह कहकर सीता जोर-जोर से रोने लगती है और भेड़िया बनने वाली होती है कि तभी उसके ऊपर एक तीर फेंक दिया जाता है। उसे जल के अंदर जाकर सीता की शक्तियाँ काम करना बंद कर देती हैं और वह छटपटाने लगती है। यह देखकर एक तांत्रिक जोर-जोर से हँसते हुए कहता है, "तुम्हें क्या लगा? तुम्हें शक्तिशाली हो? मैं तुम्हारा पहले से ही शिक्षक था, इसलिए मैंने सब कुछ पहले से तैयार रखा था। सीता, आज तुम हमारे चंगुल से नहीं बच सकती। गाँव वाले क्या देख रहे हो? यही है हमारे गाँव की सबसे डरावनी और खतरनाक चुड़ैल! हर अमावस्या को होने वाली मृत्यु का कारण यही है! यही हमारे गाँव के नवजात बच्चों को खाया करती थी, और इसी ने हमारे पूरे गाँव को तबाह किया है! और तुम सब खड़े होकर मुँह क्या बना रहे हो? अरे, ये और इसकी बेटी अगर ज़िंदा बच गईं, तो तुम सबको ज़िंदा नहीं छोड़ेंगी! ये राक्षसी प्रवृत्ति के लोग हमारी इंसानियत को खत्म करना चाहते हैं! जितना जल्दी हो सके, हमें इनको मार देना होगा!" पूरे गाँव वाले तांत्रिक की बातों से सहमत हो जाते हैं। तभी उसमें से सरपंच आगे आकर बोलता है, "तांत्रिक जी, ये बताइए इनका मारना कैसे है? ये तो काफी शक्तिशाली लग रही हैं।" "वैसे ही, बेटा, जैसे बहुत पहले हमने उस शैतानी, खूनी दरिंदे को मारा था। हर घर से एक-एक लकड़ी लो, हर घर से एक कटोरी घी, कुछ गाँव की मिट्टी और पेट्रोल लेकर आओ।" तांत्रिक की बात मानकर पूरे गाँव वाले घर से मिट्टी और पेट्रोल लेकर आते हैं। लाकर वे सब वहाँ पर एक चिता कुंड तैयार करते हैं। गाँव वालों को ऐसा करते देखा, सीता गिड़गिड़ाते हुए कहती है, "मुझे छोड़ दो! मुझे मार दो! मेरे बच्चों को छोड़ दो! उन्हें यहाँ से जाने दो! मैं कुछ नहीं करूँगी! मुझे जाने दो!" पर उसका गिड़गिड़ाना किसी को सुनाई नहीं दे रहा था। सीता रोते हुए कहती है, "इतने साल से हम यहाँ हैं; हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा! तो आप लोग समझते क्यों नहीं? हम आप लोग के दुश्मन नहीं हैं! असली दुश्मन वह है जो अभी इस जंगल के बीच सो रहा है! अगर वह जाग गया, तो आप सबको कोई नहीं बचा सकता!" पर सीता की बात हर कोई नज़रअंदाज़ कर रहा था। सीता रोती, बिलखती, गिड़गिड़ाती, उनसे जान की गुहार लगा रही थी। हर कोई तांत्रिक की बात मानकर सीता, उसके बेटे और गुड़िया, तीनों को एक पेड़ से बाँध देता है, और हर कोई उन्हें जलाने के लिए पत्थरों से मारने लगता है। और तांत्रिक की बातों में आकर हर कोई उनके ऊपर पेट्रोल-घी डालकर आग लगा देता है। देखते ही देखते, सीता चिल्लाते हुए बेहाल हो जाती है, और कुछ ही पलों में उनकी चिताएँ जलकर राख हो जाती हैं, और वह पेड़ भी पूरी तरह से झुलस गया था। उनको इस कदर जलते देख, पूरे गाँव वालों से तांत्रिक कहता है, "अब डरने की कोई बात नहीं है! अब इस गाँव से सारी बुरी शक्तियाँ समाप्त हो चुकी हैं!" तभी सरपंच आगे बढ़कर कहता है, "रामू? उसका क्या? और उसकी बेटी मंदाकिनी?" मनोज आगे बढ़कर बोलता है, "मंदाकिनी तो मर चुकी है; वह तो ऊँचे चट्टान के बगल वाले झरने में गिर गई, और उसकी मौत हो चुकी है; हमने खुद उसे मरते हुए देखा है।" "रामू? रामू को क्या करें? उसने हमारे साथ इतनी बड़ी गद्दारी की! क्या उसे छोड़ देना चाहिए? वह हमारे दुश्मनों को पनाह दे रहा था! अगर उसको छोड़ दिया, तो क्या पता कल को वो फिर से कुछ करे?" "नहीं, तुम उसकी चिंता मत करो; मुझे पता है रामू के साथ क्या करना है।" यह कहकर तांत्रिक एक डरावनी मुस्कान के साथ हँसने लगता है। उसकी हँसी से जंगल के तोते उड़ जाते हैं।


    आखिर क्या करने वाला था तांत्रिक रामू के साथ? और क्या सच में मर चुकी है मंदाकिनी...?


    जानने के लिए पढ़ते रहिए "द ब्लडी लवर्स," और अगर आपको कहानी पसंद आ रही है, तो कृपया लाइक, शेयर और कमेंट ज़रूर कीजिएगा।

  • 4. The bloody lovers - Chapter 4

    Words: 1468

    Estimated Reading Time: 9 min

    इधर, तांत्रिक रामू की धीमी होती साँसों को लेकर अपनी गुफ़ा में चला जाता है। काली माता की मूर्ति के सामने रामू के शरीर को रखकर कहता है, "इस पतनशील मनुष्य की शक्तियों से मैं बनाऊँगा ऐसा शास्त्र, जो मुझे ब्रह्मांड की सभी शक्तियों का मालिक बना देगा! हे माता, तू बस कृपा कर..." यह कहकर तांत्रिक अपनी साधनाओं को सिद्ध करने में लग जाता है। इधर, दूसरी तरफ, मंदाकिनी का शरीर पानी में बह रहा था। दूर से खड़ी एक बुज़ुर्ग भेड़िया यह देख रही थी। वह अपने मानव रूप में आती है, मंदाकिनी को उठाकर गोद में लेकर सीधा अपने घर की तरफ चली जाती है। अपने घर पहुँचकर, वह कबीले के लोगों को इकट्ठा करती है। कबीले के सभी लोग इकट्ठा होते हैं, और वह मंदाकिनी को एक पत्थर पर लिटा देती है। फिर, भेड़िया रानी एक जोरदार दहाड़ लगाती है। रानी की आवाज़ सुनकर आसपास के सभी बुज़ुर्ग, बच्चे और सभी भेड़िये इकट्ठा हो जाते हैं। वे मानव रूप में आकर उसकी तरफ देखते हुए कहते हैं, "रानी सा, आपने इसे क्यों बचाया? यह सीता की बेटी है! आप भूल गईं? सीता की वजह से मिला हमें सबको श्राप, और देखिए ना, मनुष्यों ने हमारा क्या हाल कर दिया है! हम ख़त्म होने के कगार पर हैं, और आपने इसे बचाया? यह भी एक मनुष्य है!" यह सुनते ही, रानी सा तेज आवाज़ में डाँटती हुई कहती है, "तुम लोगों को समझ भी आ रहा है कि तुम क्या बोल रहे हो? इंसान हैवान बन गए हैं, हम हैवान नहीं हुए हैं! हमारे अंदर अभी भी अच्छाई ज़िंदा है! और भूलो मत, यह सीता की बेटी है! सीता भी हमारी एक महान योद्धा थी! और उसे श्राप कैसे मिला? हम सब की वजह से! अगर हमने उसे वहाँ नहीं भेजा होता, तो आज यह सब नहीं होता! और जो कार्य सीता नहीं कर पाई, अब उसकी बेटी मंदाकिनी करेगी! इसका हमारे लिए ज़िंदा रहना बहुत ज़रूरी है! अगर यह ज़िंदा रहेगी, तभी जाकर हम कल को इन मनुष्यों से बदला ले पाएँगे और सबको सच्चाई बता पाएँगे कि असली गुनहगार हम नहीं, बल्कि वह ख़ाली परछाईं है जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा है!" "तो आप क्या चाहती हैं, रानी सा? हम क्या करें? इसकी साँस तो ख़त्म होने वाली है..." "हाँ, इसकी साँस ख़त्म होने वाली है। हमें इसे प्राणबूटी देनी होगी।" "प्राणबूटी?" प्राणबूटी का नाम सुनकर हर कोई डर जाता है और सब पीछे हो जाते हैं। यह देख रानी सा कहती है, "डरो मत! मुझे पता है तुम सबको प्राणबूटी से बहुत डर लगता है। प्राणबूटी की शक्तियाँ हर कोई काबू नहीं कर सकता, पर हमारे पास कोई दूसरा उपाय नहीं है। हमें इसे प्राणबूटी दिलाना ही होगा।" तभी एक बुज़ुर्ग आदमी आगे बढ़कर बोलता है, "माफ़ करिएगा, रानी सा, इस कबीले के वैद्य होने के नाते मैं यह सलाह दूँगा कि प्राणबूटी आप इसे मत दीजिए। यह अभी नन्ही सी जान है; यह प्राणबूटी की शक्तियाँ सहन नहीं कर पाएगी।" "वैद्य जी, हमें पता है आपको हमसे ज़्यादा जानकारी है, पर हम आपको बता दें कि प्राणबूटी की एक और भी ख़ासियत है: वह अपना मालिक अपनी इच्छा से चुनती है। एक बार उसे चुनने दीजिए ना। और वैसे भी, हमारे पास कोई और उम्मीद नहीं है। अगर मंदाकिनी ख़त्म हो गई, तो मंदाकिनी के साथ हमारी आज़ादी की भी सीमा पर रोक लग जाएगी।" हर कोई रानी सा के साथ सहमत था क्योंकि हर कोई इस वीडियो के श्राप से मुक्ति पाना चाहता था। रानी सा और सभी लोग मिलकर आसमान की तरफ़ देखकर भेड़ियों की आवाज़ में रुदन करते हैं। लगातार रुदन के बाद एक सफ़ेद बिजली प्रज्वलित होती है। सफ़ेद धुएँ में लिपटी बिजली धीरे-धीरे जमीन पर आती है। उसके आते ही पूरे जंगल में उजाला छा गया था। हर कोई उसे प्रणाम करता है। उसको देख कुछ लोग पीछे हट रहे थे। वह बिजली हँसकर बोलती है, "अरे मूर्खो, मुझे पीछे हटने की ज़रूरत नहीं! मुझे पता है तुममें से कौन अपना है, कौन विश्वासघाती! बोलो, मुझे क्यों बुलाया है यहाँ पर?" रानी सा अपने घुटनों के बल बैठकर उसे प्रणाम करते हुए बोलती है, "हे प्रकृति की महान देवी! आपसे तो पूरा संसार बना है! आप ही हमारी कुलदेवी हैं! हम चाहते हैं कि आप हमारी कल की रक्षा करें! इस बच्ची को प्राणबूटी दे दीजिए!" "तुम्हें पता है ना तुम क्या माँग रही हो?" "जी, मुझे पता है मैं क्या माँग रही हूँ। आपसे विनती करती हूँ कि इस बच्ची को प्राणबूटी दे दीजिए।" यह सुनकर वह बिजली जोर-जोर से हँसने लगती है। हँसते हुए कहती है, "हर चीज़ की अपनी कीमत होती है, इसकी भी कीमत लगेगी।" यह सुनते ही हर कोई पीछे हट जाता है क्योंकि सबको पता था कि बिजली की कीमत क्या होगी। रानी बड़ी चतुराई से कहती है, "कल आपका है; यहाँ पर बनाई हर एक चीज़ आपकी है! ऐसी क्या कीमत हम दें जो आपसे भारी हो? माता, आप चाहे तो जो भी ले सकती हैं।" रानी की बात सुनकर बिजली प्रभावित हो जाती है और मुस्कुराकर कहती है, "इस लड़की की यादें, आज से हुई सारी घटनाएँ, मैं इससे छीन लूँगी; इसका अपनापन छीन लूँगी! बोलो, मंज़ूर है तो मैं इसे प्राणबूटी दे दूँ?" बिजली की बात सुनकर रानी सा थोड़ी देर सोचने के बाद सर हाँ में हिलाती हैं। वह बिजली गरजना करती हुई एक प्राणबूटी सीधा मंदाकिनी के शरीर में डाल देती है। और जैसे ही प्राणबूटी मंदाकिनी के शरीर पर पड़ती है, वह चुपचाप से विलुप्त हो जाती है। मंदाकिनी का शरीर उस प्राणबूटी की शक्तियों के तालमेल को नहीं बिठा पा रहा था। हर कोई डर रहा था और भगवान से गुहार लगा रहा था। मंदाकिनी का शरीर अब अजीबोगरीब तरीके से रिएक्ट कर रहा था। रानी सा वैद्य की तरफ़ देखते हुए कहती हैं, "कुछ करिए, वैद्य साहब! वरना मंदाकिनी का शरीर फट जाएगा!" "मैंने आपसे पहले ही कहा था, रानी सा, उसे प्राणबूटी मत दीजिए! वह भी बच्ची है!" "कुछ करिए, वैद्य जी! हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है क्या?" तभी पीछे से आवाज़ आता है, "है रास्ता..." यह आवाज़ सुनते ही हर कोई उस आवाज़ की तरफ़ देखने लगता है। "सिम्बा? तुम यहाँ?" सिम्बा इस कबीले का एक पुराना और शातिर खिलाड़ी था जिसने बहुत वर्ष पहले इस कबीले को धोखा दे दिया था। हर कोई अपनी तलवार निकाल लेता है। रानी सा कहती है, "रुक जाओ, सिम्बा! एक कदम भी आगे मत बढ़ाना, वरना इस बार हम तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे! तुमने हमारे कबीले के साथ अच्छा नहीं किया! क्या चाहते हो तुम? हम तुम्हें फिर से वह सब करने देंगे?" सिम्बा आगे बढ़कर अपनी तलवार रानी सा के कदमों में रख देता है। यह देख हर कोई हैरान था। सिम्बा अपने हाथों को जोड़ते हुए कहता है, "रानी सा, मुझे पता है कि मैंने जो किया वह क्षमा योग्य नहीं है, पर मुझे मेरी गलतियों का पछतावा है। अगर एक बार आप मुझे मौका दें, तो मैं अपनी गलतियाँ सुधारना चाहता हूँ।" सिम्बा की बात सुनकर किसी को उस पर विश्वास नहीं हो रहा था। वैद्य चिल्लाकर कहता है, "दूर हो जा, सिम्बा! वरना यहीं तुम्हें भस्म कर दूँगा! तुम विश्वास के पात्र नहीं हो!" "रानी सा, इस पर विश्वास मत करिएगा! याद है ना, सीता की दफ़ा जब हमने इस पर विश्वास किया था, तो सीता को हमें खोना पड़ा था?" रानी सा के पास कोई और रास्ता नज़र नहीं आ रहा था। वह सिम्बा से कहती है, "ठीक है! अगर तुम्हें लगता है कि तुम इसे ठीक कर सकते हो, तो करो! पर याद रहे, अगर तुमने ज़रा सी भी चूक की, तो मेरी खड़्ग और तुम्हारा धड़ अलग होगा!" सिम्बा रानी सा की बात सुनकर प्रसन्नता से मुस्कुराता है। अपनी तलवार पीछे करते हुए कहता है, "आप सब अपने भेड़िया रूप में आ जाइए, और एक साथ अपनी आवाज़ चाँद की तरफ़ देखकर निकालिए, और उधर के साथ आप लोग अपनी थोड़ी-थोड़ी शक्तियाँ चाँद की तरफ़ फेंकिए। चाँद की रोशनी में लिपटकर शक्तियाँ दुगुनी हो जाएँगी और सीधा मंदाकिनी के शरीर में जा मिलेंगी, जिससे मंदाकिनी हम सबसे ज़्यादा ताकतवर और शक्तिशाली हो जाएगी।" सिम्बा की बात मानकर हर कोई भेड़िया रूप में आ जाता है और चाँद की तरफ़ देखकर रुदन करना शुरू कर देते हैं। धीरे-धीरे सबके शरीर से एक सफ़ेद ऊर्जा बाहर आती है और वह चाँद की रोशनी में लिपटना शुरू करती है। सभी भेड़ियों से आ रही सफ़ेद ऊर्जा एक केंद्र बनाकर सीधा मंदाकिनी के शरीर में जाने लगती है, जिसके बाद मंदाकिनी का शरीर धीरे-धीरे शांत होने लगता है। मंदाकिनी को इस कदर शांत होते देख रानी सा की आँखों से आँसू आ जाते हैं। थोड़ी देर बाद प्रक्रिया पूरी हो जाती है और हर कोई फिर से अपने मानव रूप में आ जाते हैं। यह देख रानी सा दौड़कर मंदाकिनी के पास आती है, और उसका शरीर पूरी तरह से चाँदनी की तरह नीला पड़ गया था। वह चिल्लाकर सिम्बा से कहती है, "तुमने क्या किया?"

  • 5. Chapter 5। कोई है यह ..?

    Words: 1035

    Estimated Reading Time: 7 min

    वन मोर लीड हीरोइन इस गोइंग टू कम इन थिस स्टोरी सो थोड़ा सा अभी आपको कन्ज्यूरिंग होगा बट यह तो चैप्टर के पास समझ आ जाएगा




    नदी के किनारे से थोड़ी दूर पर बना एक दो मंजिला घर जो लाइटों से जगमगा रहा था, और बारिश के होने की वजह से बत्तियां जल बुझ रही थीं। यह घर प्रिया का था, एक २२ साल की लड़की जो लोबर और टीशर्ट पहनी हुई सोफे पर बैठी होती है।
    प्रिया अपने घर पर आराम से बैठकर बाहर हो रही बारिश का लुफ्त उठाते हुए साथ में चाय और पकौड़े लिए टीवी पर चल रहे भारी भरकम तूफान का न्यूज़ देख रही थी कि तभी अचानक उसके दरवाजे की घंटी बजती है। प्रिया बेमन से दरवाजे की तरफ पहुंचती है।
    "कौन है यार, इतना घंटी कौन बजाता है, आई बाबा?" यह कहकर प्रिया दरवाजा खोलती है, और देखती है कि उसके सामने एक बूढ़ा व्यक्ति हाथ में छड़ी लिए और एक लंबी कोट टंगे हुए सर पर टोपी पहने हुए हैं। बूढ़े के चेहरे का पर्दा टोपी की वजह से सही ढंग से नहीं दिख रहा, पर उसकी दाढ़ी इतनी सफेद है कि प्रिया के कमरे से आ रही लाइट उस पर पड़ने की वजह से चमक रही है।
    "आप कौन हैं? जी, आप कौन? अरे!" वह मेरी गाड़ी खराब हो गई है, और अभी मैं कहीं पर जा नहीं सकता, मेरा फोन भी डेट हो गया है। क्या थोड़ी सी हेल्प मिल सकती है, जब तक बारिश रुक नहीं जाती? क्या मैं स्टे कर सकता हूं?
    "पर मैं आपको जानती तो नहीं हूं, कैसे अन्दर आने दूं आपको! पर इतनी बारिश से मैं आपको जान भी नहीं दे सकती।" 
    तब तक पीछे से एक आवाज आती है, "कौन है प्रिया? तूफान इतना तेज है, दरवाजा बंद कर दे, सारी गंदगी घर में भर जानी है। सुबह तुझे ऑफिस निकल जाना होता है, मैं अकेले परेशान हो जाती हूं। और देख, मैंने डिनर भी बना दिया है, आकर के डिनर कर ले।"
     
    "हां मां, बस आती हूं।" यदि प्रिया की मां सरस्वती देवी तब तक वह किचन से बाहर आती हैं और कहती हैं, "यह कौन है, मां? किसी अजनबी को अंदर लिए ना आप, मैं माफी चाहूंगी। आपसे ये बड़ी तो हो गई है, शादी की उम्र भी हो गई है, पर अभी हरकतें बच्चों वाली हैं। आप लिए, आप बैठ जाइए।"
    प्रिया अभी अपने आप को झुका कर उसे बूढ़े आदमी के चेहरे के देखने के पीछे पड़ी हुई थी, पर टोपी इतनी पड़ी थी कि उसका चेहरा नहीं दिख रहा था। बस उसकी सफेद दाढ़ी और उसके होंठ दिख रहे थे, और दाढ़ी मोतियों की तरह चमक रही थी। फिर सरस्वती जी अपने हाथ में एक टॉवल और कुछ कपड़े लेकर आती हैं, "सर, आप यह लीजिए टॉवल और कपड़े। जाकर कि आप कपड़े चेंज कर लीजिए, ठंड लग जाएगी हेल्थ खराब हो जाएगी। तो उधर साइड है बाथरूम।" वह उनको बाथरूम दिखा करके प्रिया के पास आती हैं।
    "क्या करती हो, उन्हें अंदर क्यों नहीं आने दे रही थी? देख रही हो, मौसम कितना डरावना हुआ पड़ा है?" सरस्वती देवी यह कहते हैं।
    "अरे, ऐसे किसी अनजान को कैसे घर में रख लें? हम तुम्हें जानते तक नहीं हैं, और घर में हम और तुम ही हैं। क्या कर लेंगे अगर कुछ हो गया? माना कि तेरा जब कुछ इस टाइप का है, तो इसका मतलब यह नहीं कि तू सब पर सब करेगी मानेगी। तो तू अपने ऑफिस की हेड है।"
    "पर घर में मेरी ही मर्ज़ी चलेगी। जो हुकुम मेरा, वो लॉर्ड। आप जैसा कहें।" यह कहकर प्रिया उनको गालों को दोनों हाथों से खींचती हैं। "भूख लगी है, उसे दे दो यार, खाने को।"
    "रुक जाना थोड़ी देर, उनको भी आ जाने दे, साथ में खाना खाते हैं।"
    फिर वह बूढ़ा कपड़ा बदलकर बाहर आता है। प्रिया अभी उसके मुंह को देखने के लिए बेताब थी। वह जैसे ही अपना टॉवल नीचे करता है, उसकी नीली आंखें सफेद भर और वह सफेद बाल झुरिया पड़े खाल दिखता है।
    "प्रीया झा, छत से सामने आकर, क्या फॉर्मेलिटी के लिए आपका आधार कार्ड मिल सकता है? मतलब, आपको हम अपने घर में रख रहे हैं, तो थोड़ी सी सिक्योरिटी चाहिए होगी ना?” यह सुनते ही बुरा व्यक्ति बिना कुछ बोले हल्की सी मुस्कान देखकर उसे अपने पॉकेट से आधार कार्ड निकाल कर दे देता है।
     
    सरस्वती जी कहती हैं, "लिए आप भी बैठी खाना खा लीजिए।" 
    वह जैसे ही डाइनिंग टेबल की तरफ आगे बढ़ता है, प्रिया मम्मी से कहती है, "मां, खडूस लग रहा है यार, कुछ बोलना नहीं है क्या? चुप कर जा, तू अनजान लोग हैं, थोड़ा सा टाइम लगता है।"
    सरस्वती प्रिया के सर पर टकली मारते हुए बोलते हैं, "पर मां, बच्चा थोड़ी ना है, कोई अच्छा, बस कर जा चल, अब डिनर कर ले।" फिर वह टेबल पर बैठे होते हैं। 
    सरस्वती जी सबको डिनर देने लगते हैं। वह आदमी बिना कुछ बोले हाथों से इशारा करते हुए बस डिनर थोड़ा सा मांगता है। यह देख प्रिया फिर थोड़ा सा अजीब सोचने लगती है, "क्या यह सच में नहीं बोलता है या इतना खड़ूस है ही फिर...।" तब तक उसके हाथ से चम्मच गिर जाता है, प्रिया वह चम्मच उठाकर धूल करके फिर से उनको देती है। 
    और इसमें कहता है, "शुक्रिया, बेटा।"
    "वह अंकल जी, आप बोलते भी हैं, मुझे तो लगा था क्या बोलते नहीं है।" यह कहते ही वह बुड्ढा व्यक्ति प्रिया को अपनी आंखों से देखकर हल्का सा मुस्कुरा देता है, और सरस्वती इशारा करके प्रिया को चुप बैठने के लिए बोलता है, "माफ करेगा भाई साहब, थोड़ी सी शरारती है, कोई नहीं, ऐसी मेरी भी पोती थी, वह भी ऐसे मुझे हमेशा मस्ती किया करती थी।"
    "होती थी का क्या मतलब, कहां है?" वह अभी सरस्वती जी से आश्चर्य से पूछता है। "बहुत लंबी कहानी है बहन, अभी आप बैठ करके डिनर कर लो, फिर मैं आराम से बताता हूं, जी हां, यह सही रहेगा।"
    प्रिया भी कहती है, "मुझे भी कब से भूख लग रही है, यार, चलो, डिनर भी कर लेते हैं ना।"
    फिर से डिनर खत्म करके सरस्वती जी सारे बर्तन किचन में रखकर आपकी सोफे पर बैठ जाती हैं, फिर प्रिया सरस्वती के गोदी में सर रखकर लेटी हुई होती हैं, तब तक वह दादा आते हैं।

  • 6. Chapter 6who r u ..?

    Words: 1403

    Estimated Reading Time: 9 min

     
     
     
    💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜
     
     
     
     
     
     
     
    आगे की कहनी......... 
     
     
     
     
     
     
     
    दादू आपका नाम क्या है?
     
    बेटा अपने आधार कार्ड में नहीं देखा ?
     
    अरे मतलब लड्डू आधार कार्ड से देखा तो ना हम तो आपका हरिश्चंद्र राय है इतना बड़ा नाम कौन बुलाएगा आपको मैं हर्षदत बुलाऊं हर्षद अरे मैं बुड्ढा हो गया हूं पागल फिर भी दादू मैं आपको हरसद से भी बुलाऊंगी !
     
     
     
     
    हंसते हुए कहता है जैसी तेरी इच्छा जिसमें तुझे खुशी मिले
     
     
     
     
     
     
     
    फिर सरस्वती जी पूछती हैं भाई साहब आप कहां से हैं?
     
    और आपका यहां आना कैसे हुआ ?
     
    और आपने बताया कि आपकी पोती थी क्या हुआ था उसको?
     
     
     
     
     
     
     
    हरिश्चंद्र जी बोलते हैं "हम एक राज घर आने के लोग हैं हमारे यहां हमारे दादा पर दादा राजा थे पर जहां पर राजा होते हैं उनके दुश्मन भी हजार होते हैं आज से जब मैं 25 30 साल का था मुझे याद है कि मेरे महल में एक लड़की आई थी आज जो मेरी पत्नी थी पर वह किसी राजघराने से ताल्लुक नहीं रखती थी तो मेरे घर वाले उसे मेरी शादी नहीं करना चाहते थे"
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और अगर उससे शादी करनी पड़े तुम मुझे राज परिवार छोड़ना पड़ जाता और मैं अपने राज परिवार को छोड़ भी ना सकता था क्योंकि अगर मैं अपने राज परिवार को छोड़ा तो मेरी मृत्यु हो जाती हमारे यहां ऐसा बंधु है कि अगर कोई राज परिवार का लड़का राज परिवार का त्याग करता है तो वह तुरंत स्वर्ग लोक को प्राप्त हो जाएग
     
     
     
     
     
     
     
    ओड़िया क्या बात कर रहे हो दादा प्रिया हैरानी से दादा की तरफ देखते हुए वैसे दादू घोड़े वगैरा भी होंगे आप लोग के पास
     
     
     
     
     
     
     
    हंसते हुए हंसते हुए हां बेटे घोड़े थे और दुश्मन भी और हमारे ही पिता के मित्र जिनकी बेटी से मेरा विवाह होना था वह थी राजकुमारी सुनैना सुनैना दिखने में बहुत सुंदर सुशील और संस्कारी थी पर किसी को नहीं पता था कि वह काली विद्या में भी बहुत निपुर थी।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    उनसे शादी करने के लिए तैयार न था पर फिर भी मुझे जबरदस्ती अपना दूल्हा बनना चाहती थी उन्होंने मेरे पिताजी के ऊपर काला जादू करके पूरे राज्य को अपने बस में कर लिया और जैसे ही मेरे पिताजी और मेरे सैनिक कमजोर पड़े राजकुमारी सुनैना के परिवार वालों ने हमारे महल को घेर लिया और उन्होंने हमसे शर्त रखी कि जब तक हम सुनैना से शादी नहीं करेंगे वह हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे और मेरे पूरे परिवार को भी मार देंगे ।
     
     
     
     
    परिवार के मोह में आकर के मुझे शादी करना पड़ा
     
    पर मैं सुनैना से प्रेम नहीं करता था मेरी प्रेम तो थी लक्ष्मी जो मेरे माली रामू काला की बेटी थी!
     
     
     
     
    हां वह इतनी सुंदर सुशील और इतनी शांत थी और ना कभी किसी का बड़ा अच्छा है उसने और ना ही मुझे कभी बुरा करने दिया पर मैं उससे प्रेम करता था उसको दुख में भी ना देख सकता था तो मैंने उसको अपने महल में ही रखने का निश्चय किया मैंने अपने पिताजी से एक साथ राखी कि अगर मैं सुनैना से शादी करूंगा तो मेरे साथ इस महल में लक्ष्मी भी रहेगी और अगर लक्ष्मी को किसी ने भी चोट पहुंचाने की कोशिश करी तो मैं या तो खुद को खत्म कर दूंगा या तो इस खानदान को और यह बात सुनकर मेरे पिताजी राजी हो गए,
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    आंखों में आंसू लिए मैं मंडप पर बैठा रहा बगल में बैठी सुनैना मुस्कुराते हुए मेरा हाथ पकड़ कर कहती है अब से जो कुछ भी है सब मेरा है तुम भी पर मुझे तब तक नहीं पता था कि राजकुमारी सुनैना काला जादू भी करती हैं।
     
     
     
     
     
     
     
    राजकुमारी की बात सुनकर के मैं थोड़ा सा खुद को समझने लगा और सामने खड़ी लक्ष्मी उसकी आंखों में आंसू देख मुझे खुद के ऊपर बुरा लग रहा था कि मैं सब कुछ जानते हुए भी मैं उसको क्यों ना रोक पाया क्यों उसको मैंने अपने इश्क में इतना प्रेम शुमार कर दिया कि अब उसे दूर होना इतना कष्टदाई हो क्या?
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    यह कहते कहते बाबा भावुक हो जाते हैं सरस्वती के पास से उठकर के प्रिया जाकर के उनके पास बैठ जाती है तभी आपने कहा कि मैं आपकी पोती के जैसे हूं तो आपकी पोती अभी कह रही है कि आप उदास मत होइए एक बात बताइए कि आपकी पोती आपको इस हालत में देख पाती यह सुनते ही हर्षद सर ऊपर करके प्रिया को निहारत हुए उसके सर पर अपने हाथ फेरते हुए सदा खुश रहो बेटी ।
     
     
     
     
     
     
     
    तो तू फिर क्या आगे हुआ शादी हो गई थी आप लोग की हां हमारी और सुनैना जी की शादी हो गई और हमने यह भी सोच कर रखा था कि हम सुनैना को कभी पता नहीं चलने देंगे कि हम लक्ष्मी से प्रेम करते हैं फिर हमारी शादी को 1 साल हुआ था की सुनैना ने एक बच्चे को जन्म दिया और यहां पर लक्ष्मी भी 9 महीने की गर्भवती थी यह बात मैंने सबसे छुपा कर रखी मैंने लक्ष्मी को अपने महल के पीछे एक खंडहर में 9 महीने तक रखा क्योंकि मुझे पता था कि अगर किसी को भनक लग तो लक्ष्मी को मार देंगे
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और यही सोच करके जब मुझे एक रात लक्ष्मी ने इशारे से बाहर बुलाया और मैं जब लक्ष्मी के पास गया तो लक्ष्मी ने बताया कि वह मेरे बच्चे की मां बनने वाली है उसने कहा कि उसके पीरियड्स आना बंद हो गए हैं और वह दाई मां के पास गई तो दी मां ने भी यही बोला कि वह प्रेग्नेंट है
     
     
     
     
    हमारे खानदान की सबसे वशिष्ठ गुरु थी मैंने दी मां से गुहार लगाई कि वह लक्ष्मी का ध्यान रखें जब तक उसको सही सलामत बच्चा नहीं हो जाता और मेरी बात मान करके लक्ष्मी का ध्यान उसे पीछे वाली खंडहर में रखने लगे समय बिता गया लक्ष्मी को भी एक बेटा हुआ अब इन दोनों भाइयों के बीच में एक महीने का फर्क था और जैसे ही लक्ष्मी ने बेटे को जन्म दिया वैसे ही वह दुनिया को अलविदा कहते मैं अब भी लक्ष्मी के लिए बहुत तड़पता हूं ढाई मां ने आंखें मुझे जब यह बात बताई की लक्ष्मी अब इस दुनिया में नहीं है मेरी तो सारी दुनिया उसी पल खत्म हो गई थी मैं खुद को खत्म करने जा रहा था क्योंकि जो हुआ था मेरी वजह से हुआ था
     
     
     
     
     
     
     
    पर दाई मां ने माने मुझे रोकते हुए कहा अगर मैं मर गया तो मेरे बच्चे का ध्यान कौन रखेगा और फिर मैं अपने बच्चों के लिए जीना शुरु कर दिया मैंने उसको घर लाया और सुनैना के सामने उसे रख दिया सुनैना ने जब उसको देखा तो उसने पूछा यह किसका बच्चा है तो वह मैंने उसको बहाना बनाते हुए बोला या बच्चा मुझे सड़क के किनारे एक टोकरी में मिला मैं वहां से अपने गाड़ी से घर आ रहा था इसकी रोटी आवाज सुनकर के मैं वहां पर रुक गया और मैंने इसको घर लाने का सोचा देखो सुनैना अभी हमारा बच्चा जैसे है उसी प्रकार यह भी है ठीक है तुम इसको भी अपना दूध पिलाना इसको भी अपने मन की तरह भी प्यार करना
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    उसे टाइम सुनैना ने कुछ सोचा और उसने हां कर दिया मुझे इतनी जल्दी उसके हां का जरा सा भी एहसास ना था मुझे तो लगा था कि वह इस चीज के लिए कभी हां नहीं करेगी पर उसके हा कहते ही मेरे जान में जान आई
     
     
     
     
     
     
     
    मैं सुनैना के गले लग गया पहली बार जब सुकून से मैं सुनैना के गले लगा तो उसको भी बहुत आनंद आया उसने मानव जैसे उसके खुशी का ठिकाना ही ना रहा हो फिर बात आए बच्चों के नाम करण की तो मैंने यह हक भी सुनैना को दिया कि तुम इन दोनों बच्चों की मन हो तो इनका नामकरण तुम करो तुम उन्हें सुनैना ने एक का नाम शौर्य रखा और दूसरे का नाम पृथ्वी पृथ्वी लक्ष्मी का बेटा था शौर्य सुनैना का फिर सुनैना ने अपने पोटली से दो धागे निकले एक लाल और एक कला उसने शौर्य के हाथों पर लाल धागे को बांध और सुनैना ने पोटली से निकला हुआ काला धागा पृथ्वी के हाथों पर बांध दिया
     
     
     
     
    कुछ समझ नहीं आया मैंने उसको वहां देखकर अनदेखा कर दिया फिर मैंने देखा कि जैसे-जैसे पृथ्वी बड़ा होता जा रहा था वह चिड़चिड़ा गुस्सा वाला और घमंडी होता जा रहा था और बाहर किसी से भी लड़ाई करके किसी का भी सर फोड़ के घर आताथा और जब रात के टाइम सुनैना शौर्य और पृथ्वी को खाना खिलाती थी
     
     
     
     
    आगे की कहनी जानने के लिए पढ़ते रहे """" रहस्य तारा """"
     
    Dhnywad 

  • 7. Chapter 7(रहस्यम मई कुंडली)

    Words: 1068

    Estimated Reading Time: 7 min

     
     
     
     
     
     
    💜💕💞🌼राधे कृष्ण 🌺💕💞💜
     
     
     
     
     
     
     
    आगे की कहनी ..........
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    कुछ समझ नहीं आया मैंने उसको वहां देखकर अनदेखा कर दिया फिर मैंने देखा कि जैसे-जैसे पृथ्वी बड़ा होता जा रहा था वह चिड़चिड़ा गुस्सा वाला और घमंडी होता जा रहा था और बाहर किसी से भी लड़ाई करके किसी का भी सर फोड़ के घर आता था और जब रात के टाइम सुनैना शौर्य और पृथ्वी को खाना खिलाती थी
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    शौर्य को खाना खिलाने के बाद सुनैना पृथ्वी को एक काला जामुन खिलाती थी तो प्रिया इस पर रोकते हुए कहती है क्या दिक्कत है दद्दू काला जामुन खिलाने से?
     
    हो सकता है कि भाई काला जामुन फल ही तो था नहीं बेटी वह फल नहीं था !
     
    काश मुझे यह चीज पहले पता होती तो आज पृथ्वी जिंदा होता!
     
    क्या मतलब पृथ्वी जिंदा नहीं है नहीं बेटी दुनिया में नहीं है ?
     
     
     
     
     
     
     
    "वह काला जादू कोई आम जामुन नहीं था उसे काला जामुन में प्रीति शक्तियां थी और वह उसे डेली काला जामुन खिलाता और शौर से ज्यादा उसे उसे प्रेम करती"
     
     
     
     
    शौर्य भी अभी बच्चा था उससे भी म के प्यार की जरूरत थी पर वह जब यह देखा तो उसे बुरा लगता कि उसकी मां उसे कम और पृथ्वी को ज्यादा प्यार करती हैं वह मेरे पास आकर के रोता और मेरे पास ही सो जाता मुझे एक तरफ खुशी थी कि चलो पृथ्वी को म का प्यार मिल रहा शौर्य रीभी तो मेरा ही बेटा था मैं कभी अच्छा पिता तो नहीं बन पाया !
     
     
     
     
     
     
     
    फिर ऐसे ही एक रात वह पृथ्वी को उठाकर अपने साथ कहीं ले जा रही थी और मेरी अचानक से नींद खुलती है ,
     
    तो मैं उसके पीछे-पीछे जाने लगता हूं तो मैंने देखा कि वह पृथ्वी को शमशान घाट लेकर के गई है यह देख मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई !
     
     
     
     
     
     
     
    मुझे रहा नहीं गया और मैं जाकर के उनसे पूछ बैठा की सुनैना पृथ्वी को आप यहां पर क्यों लेकर आई है?
     
    वह भी इतनी रात को सुनैना मुझे वहां देख करके डरने की बजाय मुस्कुराने लगे और मुस्कुराकर केहती है "आप टेंशन क्यों लेते हैं पृथ्वी मेरा भी बेटा है ऐसा है की मैं इसकी नजर उतारने के लिए यहां लेकर आई हूं"
     
     
     
     
     
     
     
    नजर कैसी नज़र?
     
     
     
     
    अरे होगी नजर शमशान घाट में कुछ कुछ ऐसे काली शक्तियां होती हैं उनका उपाय श्मशान घाट में होता है तब तक वहां पर तांत्रिक बाबा आते हैं और वह पृथ्वी को देखकर के मुस्कुराते हुए कुछ भभूत निकलते हैं और उसके चारो तरफ़ घूमा करपोटली में रख लेते हैं ।
     
     
     
     
     
     
     
    और फिर सुनैना पृथ्वी को लेकर के वापस महल की तरफ चलने लगती है ,मैं भी उनके पीछे-पीछे आश्चर्य में जा ही रहा था फिर जब यह दोनों 5 साल के होते हैं तो हमारे यहां के पंडित जी उन दोनों की कुंडली बनाने के लिए बोलते हैं ।
     
     
     
     
    यह सुनते ही सुनैना उनकी कुंडली बनवाने से मना कर देती है वह कहती है "देखिए ऐसे में अपने बच्चों की कुंडली नहीं बनवाऊंगी मुझे नहीं टेंशन लेना है कि भविष्य में उनके साथ क्या होगा और अगर भविष्य हमें अभी पता चल गया तो हम आज भी खुश नहीं रह पाएंगे"
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    पर सुनैना आपको पता है ना कि हमारे पूर्वजों का नियम है कि जब राज्य अभिषेक होता है तो कुंडली की आवश्यकता पड़ती है ,
     
    हां तो जब राज्य अभिषेक होगा तब बना लेंगे ना अभी रहने दीजिए मैं भी सुनैना से कहीं ना कहीं प्यार कर बैठा था और उसकी हर बात मानने लगा था और मैं पंडित जी को मना कर दिया मैंने अपने बच्चो की कुंडली ना बनवाई।
     
     
     
     
    एक रात मुझे याद है कि मैं अपने तहखाना में गया था वहां पर हमारे राज्य के सबसे वशिष्ठ गुरुजी गुरु "सखी "वहां पर रहते थे क्योंकि उन्होंने कुछ पाप कर दिया था इसलिए उन्हें पिताजी ने में कैद कर दिया था।
     
     
     
     
     
     
     
    फिर मैं उनको दूर से देख करके क्योंकि वह बहुत ही ज्ञानी थे मेरी हिम्मत ना हुई उनके पास जाने की एक दिन में कमरे में सोया हुआ था और मैंने देखा कि सुनैना ने अपने अलमारी के सारे कपड़े बाहर रखे हुए थे मैंने सोचा कि वह कपड़े उठाकर के अंदर रख दू।
     
     
     
     
     
     
     
    मै सारे कपड़े उठाकर जैसे ही अलमारी के अंदर रख ही रहा था मेरी निगाहें काली पोटली पर गई वह पोटली थोड़ी तो अजीब थी मैंने उसे पोटली को उठाया और खोला तो उसमें एक कुंडली थी मैं वह कुंडली देख करके थोड़ी देर सोच में पड़ गया कि अपने बच्चों की कुंडली बनी नहीं है तो यह कुंडली किसकी है? तब तक सुनैना के आने की आवाज सुनाई थी तो मैंने वह कुंडली छुपा ली और उसका अलमारी बंद कर दिया !
     
     
     
     
     
     
     
    अगले दिन मैं समय देखकर चुपचाप तहखाने  के अंदर गया और वहां बैठे गुरु सखी से उसे कुंडली के बारे में पूछने लगा गुरुजी कुंडली किसकी है? क्या आप बता सकते हैं ?
     
     
     
     
    गुरुजी व कुंडली देख कर चौक जाते हैं वह कहते हैं कि बेटा "यह कुंडली बहुत भाग्यशाली है यह जिसकी भी है अगर इसकी बलि दी जाए तो इंसान हमेशा हमेशा के लिए सुंदर रहेगा और वह कभी बूढ़ा नहीं होगा और साथ में अगर 97 बच्चों की इसके साथ हर अमावस्या या पूर्णिमा को बली को चढ़ाए व्यक्ति पिचास या पिचासनी बन सकती है"
     
     
     
     
     
     
     
    कुंडली सुनैना के पास क्या कर रही होगी मेरे मन में यह सवाल चल ही रहा था कि गुरु जी मुस्कुरा कर कहते हैं
     
     
     
     
     
     
     
    "यह राजसी महल है बालक यहां पर बहुत से राज छुपे हैं और अगर उन राज्यों को छुपे ही रहने दो तो सब की भलाई है वरना सब के सब मारे जाओगे!
     
    क्या कहना क्या चाहते हैं बाबा?
     
    मैं आश्चर्य से बाबा से पूछा पर वह हंसते हुए फिर से अपनी नींद अवस्था में प्रस्थान कर गए मैं उनको आवाज लगता रहा पर उन्होंने कुछ भी जवाब ना दिया
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    फिर फिर क्या हुआ दादू ?अपने राज का पता लगाया ?
     
    वह दादू की पोती तभी दादू से डर रही थी अभी दादू से दोस्ती हो गई सुबह तुझे ऑफिस भी जाना है और भाई साहब भी सफर से आए हैं तो उन्हें थोड़ा सा आराम करने दे  ।
     
     
     
     
    ठीक है मम्मी जैसा आप कहो ऐसे भाई साहब आप है कहां से?
     
    बहन जी मैं पुरोहित नगर से हूं अरे वह वहां तो
     
    मेरा ननिहाल है आप यहां पर किस लिए आए हैं दद्दू?
     
     
     
     
    क्या कुण्डली किसका है पता कर पाया होगा दद्दू ने ?
     
     
     
     
    और क्या अब लेने वाली है प्रिया की किस्मत नया मोड़?
     
     
     
     
     
     
     
    🙏🏼

  • 8. - Chapter 8 (जहरीला खेल)

    Words: 1507

    Estimated Reading Time: 10 min

     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और ऐसे भी उसे बहाने हम आपकी स्टोरी भी सुन लेंगे वह हंसते हुए कहते हैं ठीक है बाबा जैसा तुम लोग कहो,
     
    तो प्रिया उठो जल्दी और दादू को उनका कमरा दिखाओ और तुम भी अपने कमरे में चलो सोने जाओ और नो मोर वर्क .
     
    हां ठीक है मम्मी जा रही हूं, यह कहकर प्रिया दादू को अपने साथ उनके कमरे की तरफ लेकर चली जाती है लड्डू यह देखिए आपका कमरा आपको किसी चीज की जरूरत पड़े तो आप आवाज लगा दीजिएगा।
     
     
     
     
    मैं बगल के कमरे में हूं और मैं आपका फोन भी चार्ज लगा दिया है चार्ज होती मैं आपको दिए जाऊंगी 🤗 ठीक है बेटा बहुत-बहुत धन्यवाद गुड नाइट दद्दू गुड नाईट बच्चा कह कर दोनों अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं।
     
     
     
     
    अगली सुबह..........
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    जिंगा लाला हु दद्दू वेयर आर यू?
     
     
     
     
     
     
     
    गुड मॉर्निंग दादू कहां पर हो आप दिख नहीं रहे हैं बाथरूम में हो क्या ?
     
     
     
     
    लड्डू मैं आपके लिए चाय लाई हूं !
     
    हां बेटा बस में आया चाय तो टेबल पर है पर अप जल्दी आना हम आपका वेट कर रहे हैं दादा 😶
     
     
     
     
    बस आ गया भाई!
     
     
     
     
    हरिश्चंद्र जी अब बाथरूम से निकाल कर के तौलियों से अपना सिर पूछते हुए बाहर आते हैं दादू ये लीजिए चाय🤗
     
    और मैं आपके लिए कुछ कपड़े लेकर के आते हु प्रिय चाय द करके कमरे से बाहर चली जाती है
     
     
     
     
     
     
     
    थोड़ी देर बाद प्रिया कुछ कपड़े लेकर के उनके कमरे में आती है तो दत्तू पूछते हैं "बेटा इस घर में तुम और तुम्हारी मां रहते हैं और जितना मैं देखा है तुम्हारी मां सिंदूर नही लगती है और ना ही तो तुम्हारी मां के गले में मंगलसूत्र है इसका मतलब तुम्हारे पिताजी इस दुनिया में नहीं है ?
     
     
     
     
    तो यह कपड़े किसके हैं ?
     
    हतो यह कपड़े मेरे नाना जी के उनकी कुछ साल पहले डेथ हो गई प्रिय उदास हो करके कहती है 🥺
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    मैं मेरी मम्मी मेरे पापा और हम सब एक  गांव में थे पापा बहुत ज्यादा दारू पिया करते थे और दारु पीने के बाद मम्मी को बहुत मारते पीते थे और मम्मी के तीन बेटियां थी और पापा ने दो को जहर देकर मार दिया!
     
     
     
     
     
     
     
    और वह मम्मी को इसलिए मरते थे क्योंकि मम्मी से लड़का  नहीं हो रहा था और जब यह बात मेरे ननिहाल वालों को पता चली तो उन लोगों ने हमें वहां से बचकर एक रात को छुड़ा के हमें अपने यहां लेकर के आए !
     
     
     
     
     
     
     
    सुनते ही हरीश जी बेटा तुम लोगों ने कंप्लेंट क्यों नहीं किया ?
     
     
     
     
    कैसे करते  गांव में यह सब चीजों की सुविधा ही नहीं थी और मेरे दादा खुद सरपंच थे तो उनकी बातें कोई कैसे टालता,
     
     
     
     
    हो तो कई बार है मेरे मम्मी के ऊपर हमला भी कर चुके पर हमारा लक अच्छा था कि हम बच गए और हम कुछ सालों बाद यहां भाग गए यहां आने के बाद मम्मी घरों में सबके यहां काम करती और वह पूरी मेहनत से मुझको पढ़ाया,
     
     
     
     
    आई एम सॉरी बच्चे मुझे पता नहीं था !
     
     
     
     
    नहीं नहीं दादा सॉरी की कोई बात नहीं है यह लीजिए आप कपड़े पहन लीजिए और हम बारिश तो हल्की-फुल्की रुक गई है मेरा ऑफिस भी नहीं है तो मैं आपको यहां के पास के पास के जंगल की सैर कराते है थोड़ा सा बारिश हुआ है तो दिक्कत तो होगा पर सड़क पर चलेंगे,
     
     
     
     
    ठीक है बाबा मैं कपड़े पहन कर के आता हूं हां जल्दी आएगा दादा मैं मम्मी आपका डाइनिंग टेबल पर वेट कर रहे हैं।
     
     
     
     
     
     
     
    दादा थोड़ी देर बाद कपड़े पहन के नीचे आते हैं डाइनिंग टेबल पर प्रिया और सरस्वती जी उनका इंतजार कर रही होती है उनके आते ही प्रिया कुर्सी को पीछे खींचती है और वह बैठते हैं दादू कहते थैंक यू बेटा 🤗
     
    योर वेलकम लड्डू
     
     
     
     
     
     
     
     वैसे दद्दू लड्डू कहना अप को बुरा तो नहीं लगता ना? 
     
    ऐसा कुछ नहीं है बच्चे,
     
    यह सुनते ही सरस्वती जी कहते हैं पहले तो तू डिसाइड कर ले कि वह तेरे दद्दू है कि लड्डू है क्या है वह?
     
     
     
     
    मम्मी प्लीज हमारे बीच में आप मत आओ पता है अभी मेरी पार्टी स्ट्रांग है दद्दू मेरे साइड है ,
     
    यह कह के दादू और प्रिया दोनों हंसने लगते हैं फिर सरस्वती जी दत्तू को ब्रेकफास्ट सर्व करती हैं सब ब्रेकफास्ट करके जंगल की तरफ निकल जाते हैं
     
     
     
     
     
     
     
    वो गीली सड़के ठंडी हवाएं सड़को पर पड़े पेड़ों की चिपकी हुई पत्तियों
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया प्रिया एक गहरी सांस लेकर के कहती है
     
    " कितना सुकून है यहां पर काश वक्त ऐसा ही रहे वह तो ऐसा ही रहेगा पागल हम ऐसे जगह है ही यहां पर हमेशा बारिश होती रहती है!
     
     
     
     
    यह जवाब देते हुए यहसरस्वती जी उसको गर्म चादर से ढक देती है मौसम ठंडा है तूने गर्म कपड़े भी नहीं पहने हैं चुपचाप इसको ढक ले नहीं तो दांत खायेगा मुझसे ,,
     
    अच्छा दे दो प्रिया अपनी मां के हाथ से साल लेकर के खुद को ढक लेती है फिर वह हरीश जी से कहती है
     
     
     
     
     
     
     
    तो दद्दू आपने बताया नहीं कि कल आगे क्या हुआ कुंडली किसकी थी?
     
    और सुनैना दादी का क्या हुआ?
     
    हां बाबा बताता हूं
     
     
     
     
     
     
     
    मैं वह कुंडली लेकर के बाहर आता हूं और फिर से उसे चुपचाप उसके अलमारी में रख देता हूं फिर मुझे कुछ दिन बाद पता चलता है कि गांव से कुछ बच्चे गायब हो रहा है जिनकी उम्र 5 से 7 साल के बीच में यह सुनकर के मैं डर जाता हूं और मैं दौड़ करके घर आकर के सुनैना से कहता हूं की " दोनों बच्चों को कहीं मत जाने देना वरना कुछ हो गया तो हम कैसे जिएंगे आज कल गांव में बच्चे गायब हो रहे है "
     
     
     
     
     
     
     
     वो कहती है आप टेंशन ना लीजिए हम इनका पूरा ध्यान देंगे और इन्हे हम कहीं बाहर नहीं जाने देंगे।
     
     
     
     
    फिर उसी रात एक बच्चे की रोने की आवाज घर में सुनाई देती है मैं उठ करके देखता हूं तो वहां मेरे बगल सुनैना नहीं होती
     
     
     
     
    मैं सुनैना को आवाज लगाते हुए सुनैना कहां पर हो सुनैना और टार्च लेकर के स्विच बोर्ड की तरफ जा रहा था की तभी अचानक से किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज आती है ।
     
    नीचे आकर के देखते हैं तो वहां पर कोई भी नहीं रहता और जब मैं सुनैना से पुछा कहां चली गई थी तुम?
     
    वह कहती है की मैं किचन में पानी पीने गई थी अगर तुम किचन में पानी पीने गई थी तुमने वह आवाज नहीं सुनी?
     
     
     
     
    कौन सी आवाज मुझे तो कोई आवाज ही नहीं सुनाई दिया अरे अप को वहम हुआ होगा आपकी नींद नहीं पूरी हुई है वह यह कहकर यह बात टालने लगी फिर मैंने पूछा तुम्हारे गालों पर यह लाल लाल क्या लगा हुआ है ?
     
    और जैसे मैं उसको अपने 
     
    हाथों से छूने ही वाला था कि वह पीछे हट जाती है, "अरे कुछ नहीं यह मैं ना वह अनार का जूस पी रही थी तो वह लगा होगा वह लड़खड़ाते हुए शब्दों में कहती है यह बात सुनकर मुझे थोड़ा सा अजीब लगता है"
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    सुनैना इतनी रात को अनार का जूस कौन पीता है?
     
    अगर तुम्हारी हेल्थ खराब हो गई तो ?
     
    "अरे वह मेरा बहुत मन कर रहा था तो मुझे रहा नहीं गया मैंने पी लिया अच्छा रुको मैं किचन से पानी लेकर के चलता हूं, अरे नहीं रुकिए पानी मैं लेकर किचन से आ रही हूं अब चलिए ना नींद आ रही सोने,
     
    वह मुझे उसे रात किचन में नहीं जान देती तब तक मेरी अचानक से निगाह नीचे नौकरों पर पड़ती है सुनैना सारे नौकर कहां है ?
     
    कोई दिखाई नहीं दे रहा है "अरे वह सब को मैने छुट्टी में भेज दिया है क्योंकि आजकल सबके बच्चे गायब हो रहे हैं तो उन्हें भी उनके परिवार के साथ रहना है ना कल सुबह सब आ जाएंगे"
     
    अच्छा ठीक है मैं सुनैना का जवाब सुनकर के थोड़ा सा आश्चर्य में तो था मुझे सुनैना पर शक होने लगा था तो मैं उसका पीछा करना चालू कर दिया उस रात तो मैं चुपचाप सोने की कोशिश कर रहा था पर मुझे नींद नहीं आई सुनैना के सो जाने पर मैं उसे बिना अहसास दिलाए किचन में आया और मैं वहां पर देखा कि
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    सच में अनार कटे हुए छिलके पड़े हुए थे और गिलास में थोड़ा सा अनार जूस उसे देखकर मेरा शक तो कम हो गया फिर मैं चुपचाप सोने चला गया अगली सुबह पता चलता है कि हमारे नौकर का बेटा जो 7 साल का था वह गायब हो गया है।
     
     
     
     
     
     
     
    हम पुलिस के पास जाकर के इस चीज का कंप्लेंट दिखाते हैं और फिर पुलिस उसके तलाश में लग जाती है और अगले दिन उसे बच्चों की लाश हमें शमशान घाट में मिलती है !
     
    उसे बच्चों के गर्दन पर बड़े-बड़े नाखूनों के निशान थे साथ में उसके ऊपर कई  तरह के रंग डाले गए थे हाथ में काला धागा बांधा हुआ था माथे पर तिलक ऐसा लग रहा था जैसे उसके किसी ने बाली दिया हो !
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    किसने दीया उस बचे की बलि?
     
    क्या सच में सुनैना अनार का जूस पी रही थी ?
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    क्या पता चल पायेगा किसने दिया बलि?
     
    जनने के लिय पढ़ते रहे। """" रहस्य तारा। ...
     
    Dhnywad 

  • 9. Chapter 9(रहस्य मई औरत)

    Words: 1282

    Estimated Reading Time: 8 min

     
     
     
    💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    "हम पुलिस के पास जाकर के इस चीज का कंप्लेंट दर्ज कराते हैं और फिर पुलिस उसके तलाश में लग जाती है और अगले दिन उसे बच्चों की लाश हमें शमशान घाट में मिलती है ,उसे बच्चों के गर्दन पर बड़े-बड़े नाखूनों के निशान थे साथ में उसके ऊपर कई खेत तरह के रंग डाले गए थे हाथ में काला धागा बांधा हुआ था हस्त माथे पर तिलक ऐसा लग रहा था जैसे उसके किसी ने बाली दिया हो!
     
     
     
     
    गांव वाले वह देख करके डर जाते हैं और यह गांव का और यह गांव का 90 वहां बच्चा था उसमें से केवल एक बच्चे की लाश मिली अभी भी 89 का थे किसी को ना पता था ।
     
     
     
     
     
     
     
    इंस्पेक्टर साहब यह सब कैसे हुआ? कोई तो रास्ता होगा इन सबके पता करने का किसने किय
     
     
     
     
    "हां हम पूरी कोशिश करते हैं राजा साहब आप चिंता ना करिए हम इन सबको जरूर से जरूर ढूंढेंगे और सारे बच्चे को भी वापस लाकर के रहेंगे"
     
    यह कहकर पुलिस वहां से चली जाती है उस बच्चे का अंतिम संस्कार किया जाता है तब से गांव में और डर का माहौल बन गया गांव में शाम होते ही सब घरों से बाहर निकलना बंद कर देते थे और अपने बच्चों को भी घर से बाहर न निकलते थे।
     
     
     
     
     
     
     
    फिर कुछ दिन बीत जाने पर बच्चों का गायब होना कम हो गया एक दिन अचानक से गांव में एक शादी थी और शादी के लिए आए बाराती उनमें से पांच बच्चे गायब हो गया और शादी में आया एक बच्चा जो की 5 से 7 साल का बीच का था वह बच गया था अभी वह शादी शादी में काम और मातम में ज्यादा बदल गई सब इधर उधर बच्चों को ढूंढ रहे हैं पर कोई बच्चों का पता ना चला!
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और गांव के सारे मर्द ठंडा लाठी लेकर के शमशान की ओर चल गया गांव में बची थी सारी औरतें ही थी।
     
     
     
     
    तब तक वह चुड़ैल गांव पर हमला कर देती है वहां से वह बच्चा एक बच्चा भी उठा ले जाती है यह देख करके गांव की कुछ औरते वहां पर बेहोश हो जाती है और जो उसके रास्ते में आती है वह उसको भी मार देती है हर कोई चिल्लाहट सुनकर जब गांव में वापस भागने लागत ह जब गांव वापस आकर दिखते ही तो तो गांव आधा खून से लटपट था जो जिंदा थे उन्होंने बताया कि यहां पर क्या-क्या हुआ।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अगले दिन 95 बच्चों की लाश मिली और सबके साथ वही हुआ था माथे पर टिका गले में माला और सब की बलि दी गई थी और सबके हाथ में थी काली धागे  थे
     
     
     
     
    मेरी निगाह जब उसे काले धागे पर पड़ी और मैं वही धागा जब पृथ्वी के हाथों में देखा तो मैं पृथ्वी से वह धागा छोर देने को कहा पर उसकी मां ने उसे धागा को नहीं छोड़ने दिया उसने कहा कि  "नहीं यह धागा मन्नत का धागा है इसे ऐसे नहीं छोड़ना चाहिए तुम समझ क्यों नहीं रही हो सुनैना गांव में बस हमारे दो बच्चे बच्चे हैं अगर इन्हें कोई लेकर गया तो क्या करोगे गांव के लोग गांव छोड़कर के जा रहे हैं पर बिना कुछ जवाब दिए सुनैना पृथ्वी को लेकर वहां से चली जाती है।"
     
     
     
     
     
     
     
    रात का समय .......
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    रात का समय सब खाना पीना खाकर के अपने बिस्तर पर गए ही थे कि मुझे भी नींद नहीं आ रही थी तो मैंने देखा कि सुनैना उठकर कहीं जा रही थी ।
     
     
     
     
    मूझसे राहा ही न गया मैं सुनैना के पीछे जाने लगा ,
     
     
     
     
    सुनैना के पीछे-पीछे जा रहा था और मैंने देखा सुनैना श्मशान घाट की ओर बढ़ती चली जा रही थी और वहां पर कुछ अघोरियों का समूह बैठा हुआ था वह सब हाथ में खून का प्याला लिए यज्ञ के चारों तरफ बैठे हुए गले में कंकाल धारण किए हुए शरीर पर पूरा भभूत और वह सुनैना को देखते ही उसको प्रणाम करने लगते हैं !
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    मैंने यह देखा तो मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई!
     
     में परेशान था कि मैं इस टाइम करूं तो करूं क्या?
     
     
     
     
    मैं देखा कि तब तक वहां पर पृथ्वी भी आता है वह बेहोश था यह लोग पृथ्वी को चंदन लगाते हैं और उसके गले में माला पहना डालते हैं ,और तब तक मैंने देखा कि सुनैना भी उनके बीच बैठ करके कुछ मंत्रों का उच्चारण करने लगती है।
     
    और वह कहती है आज मुझे सुंदर होने से कोई नहीं रोक सकता आज मैं दीर्घायु हो जाऊंगी आज आखिरी बलि देते ही मैं अमर हो जाऊंगी।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अब यह देख करके मुझे रहा नहीं गया और मैं दौड़ करके गांव में गया और गांव के लोगों को  सारी बात बताते हुए मैंने उनको वहां चाल कर अपने बेटे को बचाने को कहने लगा ।
     
     
     
     
    सब गांव वाले अपने-अपने बच्चों के मृत्यु का बदला लेने चाहते थे सब गांव के औरतें आदमी मिलकर के शमशान घाट की ओर चलने लगते है और थोड़े टाइम में वह शमसान घट को घेर लेते हैं वह कहते हैं अगर आज चुड़ैल भी आ गई तो भी हमें नहीं डरेंगे हमरे जीने की उम्मीद हमरे बच्चे थे और जब बो ही नही तो क्या गम है ।
     
     
     
     
     
     
     
    लोगों को देख वहां पर बैठे सभी तांत्रिक भाग जाते हैं और सुनैना यह सब देखकर के डर के वहां से उठ जाती है हमें लगता है कि वह डर गई है पर वह डरती नहीं वह हंसने लगती है ,आओ आओ तुम्हारा ही इंतजार था शायद तुम भूल गए उस दिन की मृत्यु उसे दिन आधा गांव जब लाल खून में रंग था ।
     
     
     
     
     
     
     
    फिर भी तुम लोगों की हिम्मत हो गई यहां आने की तुम्हारे हिम्मत की सराहना करनी पड़ेगी रुको मैं अभी चुड़ैल को बुलाती हूं और सुनैना जैसे ही कुछ मत्रों का उच्चारण करती है
     
     
     
     
    पर वह चुड़ैल नहीं आ पाती यह देख सुनैना घबरा जाती है और एक जोर की दहाड़ लगती है मानो जैसे कोई शेर ने लगाया हे।
     
     
     
     
     मै सुनैना से कहता हूं सुनैना मुझे तो तुम पर शक था पहले से था पर तुम बहुत चालाक थी इसलिए मैं तुम्हें कभी पकड़ नहीं पाया काश मैं उस कुंडली को पाते ही तुमसे पूछ लिया होता तो शायद आज इतना कुछ ना होता क्या मिलेगा तुम्हें ऐसा करने से हां?
     
     
     
     
     
     
     
    मेरी बात सुनते ही वह जोर-जोर से हंसने लगी क्यों तुमने जो मेरे साथ किया वह सही था ? तुमने जो लक्ष्मी के बेटे को मुझे लाकर सौंप दिया वह सही था? क्या तुम्हें पता था कि पृथ्वी लक्ष्मी का बेटा है ?सुनैना हंसते हुए जवाब देती है" हां मुझे बहुत पहले से पता था और और मैं इसे उसी पल मार देती पर इसकी कुंडली में एक अलग ही जादू था इसलिए मैंने इसको 7 साल होने का इंतजार किया ताकि इसको मारते ही मेरी सारी बलि पूरी हो जाए !
     
     
     
     
     
     
     
    और मैं एक महान पिचासनी बन जाऊं
     
     
     
     
    पर अफसोस करो सुनैना क्योंकि बुरा के साथ हमेशा बुरा ही होता है
     
     
     
     
    100 दिन कोहार की एक दिन लोहार की कहावत तो सुनी होगी ?
     
     
     
     
    अब तो तुम्हें कोई भी नहीं बचा सकता सुनैना गुस्से में आकर के फिर से चुड़ैल को आवाज लगती है पर वह चुड़ैल वहां पर आ नहीं पाती
     
     
     
     
    यह बात सुनते ही
     
    प्रया बोलती है चुड़ैल शमशान घाट में आ क्यों नहीं पा रही थी?
     
     
     
     
    "क्योंकि वह चुड़ैल तो कहीं भी आ जा सकती थी और शमशान घाट तो उनका बसेरा होता है और जितना मैं जानती हूं चुड़ैल ने तो गांव में खून की बलि भी तो की थी फिर क्योंन
    हीं आ पा रही थी?"
     
     
     
     
    इसका जवाब देते हुए हर्षवर्धन कहते हैं
     
     वो भी बताता हु ।
     
     
     
     
     
     
     
    क्या राज था जो चुडैल शमशान घाट न आ पा रहि थी?
     
    क्या होगा सुनैना का हाल?
     
    आगे की कहनी जानने के लिऐ पढ़ते रहिए """" रहस्य तारा """""
     
     
     
     
     

  • 10. Mysterious wife's - Chapter 10

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜

    आगे की कहनी.....

    हप्रिया बोलती है चुड़ैल शमशान घाट में आ क्यों नहीं पा रही थी क्योंकि वह चुड़ैल तो कहीं भी आ जा सकती थी और शमशान घाट तो उनका बसेरा होता है और जितना मैं जानती हूं चुड़ैल ने तो गांव में खून की बलि भी तो की थी फिर क्यों नहीं आ पा रही थी इसका जवाब देते हुए हर्षवर्धन कहते हैं

    "वह इसलिए नहीं आ पा रही थी क्योंकि हम गांव से निकलने से पहले हनुमान जी की मूर्ति और मंदिर से भभूति और लाल रक्षा सूत्र को ले लिया था जो हमने शमशान के चारों तरफ बांध दिया था जिसकी वजह से वह चुड़ैल छह करके भी श्मशान में नहीं आ सकती थी वहां जितनी भी बुरी शक्तियों थी सब शांत हो गई थी। ।

    पर सुनैना भी काम न थी सुनैना ने कुछ मंत्र पढ़ना चालू किया इससे पहले वह मंत्र से दूसरों को हानि पहुंचती गांव वालों ने उसको पकड़ लिया पास के पेड़ में उसको बांध दिया उसको पेड़ में बांधने के बाद गांव के लोगों ने उसको पत्थरों से इतना मारा कि जब तक वह अधमरी ना हो गई और तब तक पृथ्वी और शौर्य वहां पहुंच जाते हैं और वह सुनैना को पेड़ बंदे देख मम्मी मम्मी करके चलाने लगते हैं और वह भाग के उसके पास जाकर उनके गले लग जाते हैं पर गांव वाले उन्हें पकड़ के खींच के सामने लेकर आते हैं तब तक गांव से ही एक आदमी निकाल करके

    शौर्यको  सुनैना के सामने लाता है और शौर्य को भी पेड़ में जबरदस्ती बढ़ने लगता है मैं यह देख के मैं दौड़ करके आगे जाता हूं अपने बेटे को खींचते हुए अरे इसकी क्या गलती है?
     
    क्या कर रहे हो छोड़ दो इसे मत करो!
     
    सभी गांव वालों ने मिलकर के मुझे भी एक पेड़ से बांध दिया और यह सब देखा दूर खड़ा पृथ्वी जो कुछ ना बोल रहा था गुस्से में सब कुछ देख रहा था।

    गांव वालों ने कहा जैसे तुमने मेरे बेटे को मारा है वैसे ही तुम्हारे सामने हम तुम्हारे बेटे को मारेंगे इस पर सुनैना कहती है नहीं उसे छोड़ दो उसकी क्या गलती है उसे तो कुछ पता भी नहीं था ।
     
    उसे मत मारो मत मारो उसके बदले तुम मेरी जान ले लो पर गांव वाले उसकी एक न सुनते हैं और वह सुनैना के साथ यश को बांधकर शौर्य के ऊपर भी पत्थरों से प्रहार करने लगते हैं यह जो अभी 7 साल का ही हुआ था उसके ऊपर पत्थर पड़ता देख मुझे भी रहा नहीं जाता पर मैं भी विवश था मुझे भी उन लोगों ने पेड़ से बांध रखा था मैं चिल्लाता बिल खिला रह गया और अपने सामने अपने बच्चे को दम तोड़ते हुए देखा!

    मेरे सामने मेरे बच्चे की मौत हो गई और यह देख सुनैना बहुत ज्यादा गुस्से में आ गई और उसने कहा कि मैं सबसे बदला लूंगी मैं वापस आऊंगी यह मत भूल जाना कि तुम में से कोई बचेगा यह पूरा गांव जब तक खत्म नहीं होगा मैं कहीं नहीं जाऊंगी यह बात सुनते ही गांव के कुछ लोगों ने उसके ऊपर मिट्टी का तेल डालकर उसे जिंदा जला दिया फिर गांव वालों ने हमें और पृथ्वी को गांव से दूर जाने के लिए कहा उन्होंने हमसे कहा कि हमारे परिवार वालों ने उनका बहुत गलत किया है और गांव का त्याग कर दें

    मैं पृथ्वी को लेकर के कहां जाता उसे टाइम कुछ समझ नहीं आ रहा था पर मैंने अपने राजमहल को बंद करके वहां से जाना ही उचित समझा फिर मैं कुछ सालों बाद तुम्हारे ननिहाल शास्त्रीय पुर में आ गया ।

    वहां पर पृथ्वी के नाना रहते थे उन्होंने हमें अपने यहां शरण दिया और मैं जब तक मेरी दाढ़ी बाल बड़े ना हो गए तब तक मैं लोगों से चुप करके रहता था जब मेरे दाढ़ी बाल बड़े हो गए तब मैं लोगों के सामने आता और दो वक्त के खाने के लिए मैं मजदूरी करता था फिर धीरे-धीरे पृथ्वी बड़ा हुआ पर पृथ्वी का बदला और पृथ्वी का गुस्सा शांत ना हुआ था पृथ्वी अपने भाई और मां की मृत्यु का बदला लेना चाहता था और पूरे गांव को तबाह करना चाहता था।

    वह भी बिना किसी को कुछ बताएं सुनैना की बात पर चलने लगा वह भी वहां के शमशान में चुपके से जाता और वहां के बैठे तांत्रिकों से काली विद्या सीखना चालू कर दिया फिर कुछ समय बाद गांव में एक अचानक विस्फोट हुआ जिसमें आधे गांव वाले मारे गए जिसे देख पृथ्वी का गुस्सा तो शांत हुआ पर अभी भी पूरे गांव वाले नहीं मारे थे और सबको खत्म करना चाहता था पर पृथ्वी इतना भी शक्तिशाली नहीं था कि वह सबका सामना कर सके फिर उसने अपने काली शक्तियों से खुद को अमीर बनने लगा धीरे-धीरे पैसे आने लगे तो बहुत कुछ ठीक होने लगा हमें लगता था कि वह कम कर रहा है काम का पैसा है पर वह पैसा किसी और की चीज का होता । किसी और चीज का किस चीज का भैया सरस्वती जी ने पूछा अरे बहन वह लोगों को लुटा मारता पिता और जहां पर भी वह देखा चोरी डकैती करता लेकिन यह बात का पता तब चला जब एक रात पृथ्वी घर से बाहर निकाला और वह सीधा जंगल की तरफ चला गया और उसके पीछे-पीछे हम और उसके नाना जी जाने लगे यह देखने के लिए कि वह काम क्या करता है? वह आधी रात को उठकर के कहां जाता ह ?

    हमने देखा कि वह जाकर के शमशान लोगों के बीच बैठा हुआ था और वह भी कई विधाओं का अध्ययन कह रहा था यह देख उसके नाना उसके पास के और उसे वहां से उठाकर खींच के थप्पड़ मारा और उन्होंने थप्पड़ मारते हुए कहा शायद तू भूल गया इन्हीं काली शक्तियों की वजह से तूने तेरे मां और भाई को खोया है!

    और तू फिर यह सब करने चल रहा है तुझे जरा सा भी अंदाजा है क्या कर रहा है तू तूने सोच कैसे लिया कि यह सब करने से सब कुछ ठीक हो जाएगा पर वह पृथ्वी उसे टाइम गुस्से में था और मैं भी उसके पास पहुंचकर मैं भी उसे एक थप्पड़ लगाए पृथ्वी गुस्से में आकर के मुझे हवन के पास फेंकते हुए पास पड़े चाकू को उठाकर के
       

  • 11. Mysterious wife's - Chapter 11

    Words: 964

    Estimated Reading Time: 6 min





    पास पड़े चाकू को उठाकर के मेरे ऊपर हमला कर दिया पर मैं एक हमले में तो बच गया फिर उसने गुस्से में कहा जो कुछ भी हुआ था आपकी वजह से हुआ था अगर आपने उस समय गांव वालों को कुछ बताया ना होता तो ऐसा कुछ भी ना होता और वह मेरे ऊपर चाकू मारने ही वाला था कि उसके नाना ने पीछे से उसे पर चाकू मार दिया जिसकी वजह से पृथ्वी की वहीं पर मौत हो गई और नाना ने कहा 

    ऐसे संतान से अच्छा है कि ऐसी संतान को मार करके ही मारो मान लूंगा कि मेरा कोई पोता ही नहीं थाऔर उसके बाद नाना ने सुबह जाकर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया और उनकी सारी रात और पृथ्वी का एक बेटा अभय सिंह मेरा पोता और मेरी एक पोती सोनाक्षी

    उनको को लेकर के मैं फिर उसे गांव में वापस चला गयावहा जाकर करके मैं फिर से अपना बिजनेस स्टार्ट किया और फिर मैं उन दोनों की देखभाल की और पृथ्वी की पत्नी वह कहां थी दादा?

    बेटा पृथ्वी की पत्नी पृथ्वी के वियोग में आकर के पागल सी हो गई थी वह भी हमारे साथ ही रहती थी पर दिनभर एक कमरे में बंद रहती थी ना किसी से बोलना ना बोलना बस शाम को टाइम खाना दे दिया जाता था उसे वक्त खाकर फिर कमरे में चली जाती थी।

    अच्छा अब आप लोग बस करते हैं देख रहे हैं शाम हो गई है और मौसम भी ठीक नहीं है चाहे जब बारिश होने लग जाएगा हमें जल्द से जल्द घर की तरफ निकालना चाहिए वैसे भी हम बहुत दूर आ गए हैं बातों में हमें पता ही ना चला सरस्वती जी प्रिया और हर्ष जी से कहते हैं हां बहन आप सही कह रही है हमें वापस चलना चाहिए ओके हम बहुत ज्यादा दूर आ गए हैं फिर यह कहकर सब घर की तरफ चले जाते हैं।

    घर पहुंचने के बाद .......

    घर पहुंचने के बाद रिया हर्षद के सर पर तेल रखते हुए हर्षद दादू कल आपको कहां पर काम है चल मैं आपको वहां पर ड्रॉप कर दूंगी और उसके बाद में ऑफिस निकल जाऊंगी और शाम के टाइम रिटर्न आते टाइम आपको पिक कर लूंगी हां बेटा वह मुझे शहर जाना था वहां पर काम है वह टेक्सटाइल इंडस्ट्री है ना हां वहीं पर जाना है हां ठीक है ना दादू उसके बगल में ही तो मेरा ऑफिस है।

    ठीक है फिर हम सुबह जल्दी निकलेंगे ठीक है दादा सब डिनर करके सब सोने चले जाते हैं

    अगली सुबह,,,,,,,,,,,

    अगली सुबह प्रिया और हर्षवर्धन जी अपने-अपने काम के लिए वहां से जल्दी निकल जाते हैं बारिश तो हो रही थी पर वह शहर तक पहुंच जाते हैं वहां पहुंचने पर पता चलता है कि प्रिया का ऑफिस आज बंद रहेगा तो प्रिया भी उनके साथ उनके टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के साइड चली जाती है फिर वहां पर जाने के बाद वह बैठे होते हैं कि तब तक टीवी पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ आती है।

    अब बारिश की वजह से फोन के भी सिग्नल सही न थे भीड़ थी तो रिया और दादू बाहर बैठे हुए थे और रिया बैठ पास है पड़े अखबार को पढ़ रही थी दादू सामने न्यूज़ देख रहे थे तब तक वहां पर न्यूज़ आता है कि पास के नदी के किनारे जितने भी घर थे नदी में बाढ़ आने की वजह से और भूकंप के झटके महसूस किए जाने की वजह से आसपास के कई घर गिर गए हैं और वहां पर अभी भी मौसम इतना स्थाई नहीं है कि किसी को भेजा जा सके यह सुनते ही रिया के पैरों के ताले की जमीन खिसक गई तो दद्दू यह तो अपने घर के पास का है।

    यह कह के रिया मम्मी के पास फोन करने लगती है और फोन स्विच ऑफ आउट ऑफ नेटवर्क एरिया बता रहा था जिससे रिया और घबरा जाती है और उसके हाथ पर डर से कांपने लगते हैं उसके सांस फूलना चालू हो जाती है उसको शांत करते हुए अरे कुछ नहीं हुआ होगा नहीं बारिश की वजह से फोन में नेटवर्क नहीं होगा सब ठीक है अरे कुछ नहीं हुआ होगा रिया काश करके दादू को गले लगा के अगर मम्मी को कुछ हो गया तो मैं भी मर जाऊंगी!

    कुछ नहीं हुआ प्रीया तुम इतना सोचो मत बेटा पर वहां दादू की एक भी ना सुनती है और अपनी गाड़ी निकाल लेती है दद्दू भी उसके साथ जाने लगते हैं।
     
    बेटा हम जाएंगे कैसे वहां पर पुलिस से और वह रास्ता बंद किया गया है क्योंकि वहां पर बाढ़ की अभी भी आशंका जताई जा रही है दादू अप जल्दी से बैठे हमें शॉर्टकट पता है आप बैठिए हम चलते हैं और वह गाड़ी में बैठी है प्रीया जंगल वाले रास्ते से होकर के अपने घर की तरफ निकल जाती है आधे रास्ते पहुंच करके पहाड़ के पानी के कारण गाड़ी आगे नहीं जा सकती थी तो प्रीया वह गाड़ी वहीं बंद करके वह अपने रास्ते के लिए पैदल ही चली जाती है दिया आगे आगे पीछे पीछे और जैसे प्रीया जाकर के देखी है उसका घर का कहीं अता-पता न था वह घर पूरी तरह से टूट चुका था पर देख करके वह जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाती है।

    और ऐसा लगता है मानो उसके होश ही ना हो वह एक जिंदा लाश की तरह हो जाती है तब तक वहां पर पुलिस की गाड़ी आ जाती है और ढेर सारे कर्मियों की गाड़ी आती है जो बल्बेमें दबे लोगों को निकालने के लिए आते हैं वह प्रिय और दादू को उठाकर के एंबुलेंस में डालते है।

    क्या होगा प्रिया का क्या दद्दू उसको समझा पाएंगे?
     
    क्या मलबे फसे लोगो में से प्रिया की मां जिन्दा होगी?
     
    क्या होगा प्रिया का अगला कदम

    आगे आगे की कहनी जनने के लिए पढ़ते रहिए """"" """"🙏🏼🫂

    Dhnywad

  • 12. Mysterious wife's - Chapter 12

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    आगे की कहनी...........
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और ऐसा लगता है मानो उसके होश ही ना हो वह एक जिंदा लाश की तरह हो जाती है तब तक वहां पर पुलिस की गाड़ी आ जाती है और ढेर सारे कर्मियों  की गाड़ी आती है जो बल्बेमें दबे लोगों को निकालने के लिए आते हैं वह प्रिय और दादू को उठाकर के एंबुलेंस में डालते 
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    दादाजी प्रिया को लेकर के वहां से चले जाते हैं
     
    प्रिया  को मानो ऐसा हुआ था जैसे उसके जीने की कोई उम्मीद ही ना हो बस वह एक जिंदा लाश की तरह होती है तब तक वहां पर पुलिस आती है, और वह बताती है कि मलबे में दबे लोगों की लाश को निकालने में असमर्थ है। 
     
     
     
     
     
     
     
    पुलिस एक नोटिस जारी करती है कि आसपास के लोगों को वहां से कहीं दूर हो जाने के लिए आदेश है और घटना हो उसे कुछ समय ही अप लोग दूर हो जाय।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    फिर से दादा हर्षवर्धन प्रिया को लेकर के अपने महल में चले जाते हैं हां वह प्रिया को वहां पर अकेला छोड़ता सही नहीं समझते और प्रिया को अपने साथ अपने महल लेकर के आते हैं उन्हें आते-आते शाम हो जाती है।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    शाम के समय महल के पास वाले मार्किट में .......
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    शाम के समय महल के पास वाले मार्केट में दादा अपनी गाड़ी रोक करके वहां से कुछ सामान लेने के लिए आगे निकल जाते हैं वह प्रिया से कहते हैं "बेटा तुम 2 मिनट यहां बैठो हम बस सामान लेकर के आते हैं " फिर प्रिया गाड़ी में बैठे हैं शीशे से बाहर देख रही होती है तभी उसे अचानक जैसे उसके मां की छवि दिखाई देती है वह उसे देखते ही गाड़ी से तुरंत उतरकर बाहर आ जाती है।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और वह रोड क्रॉस कर ही रही होती है कि तब तक एक लाल गाड़ी  सामने से उसकी तरफ आती दिखाई देती है प्रिया जैसे ही अपने सेंस में आती है वह गाड़ी उसके बहुत पास पहुंच गई थी पर गाड़ी वाले ने ब्रेक लगाया ।
     
    वह गाड़ी में कोई और नहि बल्कि अभय  सिंह रायजादा था।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अब अपने ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ और जैसे ही ब्रेक मारता है और जैसे ही वह सर ऊपर करता है तो गाड़ी के लाइट से सामने खड़ी लड़की उसको दिखाई देती है वह देखता है कि प्रिया के बाल उसके चेहरे को ढक रहे होते हैं एक पतली सी सोल ओढ़ हल्के से घबराई हुई उसका हाथ उसके गाड़ी पर लगा हुआ था डर से सिकुड़ी हुई यह देख जैसे अभय कुछ टाइम के लिए को सा गया ।
     
     
     
     
     फिर थोड़े देर बाद अभय गुस्से में आकर के गाड़ी से बाहर निकलता है।।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    "अगर तुम्हे मरने का इतना ही शौक है तो किसी और की गाड़ी के सामने जाकर मरो  ना मेरी गाड़ी मिली है तुम्हे मरने मरने के लिए"
     
     
     
     
    अभय को ऐसे अपने ऊपर चिल्लाता देख प्रिया हल्की सी आवाज में सॉरी बोलता है उसकी वह मधुर आवाज वह पतली आवाज वह सहमी हुई सी आवाज सुनते ही अभय शांत हो जाता है।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    और अभय जैसे ही शांत होता है वह बिना कुछ बोले अपने गाड़ी में बैठकर वहां से चला जाता है और यह बात तभी दादू को पता चलता है यह सुनते ही वह दौड़ करके प्रिया के पास आते हैं "बेटा तुम ठीक तो होना क्या हो गया कौन था वह ? 
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    नहीं लड्डू कुछ नहीं हुआ वह गलती मेरी थी मुझे ऐसा लगा कि वहां पर मां मुझे बुला रही है मैं उनकी तरफ जाने लगी थी यह कहते ही रिया दादू के गले लगा करके कस के रोने लगती है ।
     
     
     
     
    वह उसे को शांत करते हैं और फिर गाड़ी में बैठ के अपने महल की तरफ रवाना हो जाते हैं।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     महल के गेट पर पहुंचते हैं तब तक उन्हें देख वहां का एक नौकर दौड़ करके दरवाजा खोलता है जैसे अंदर जाते हैं वहां का नजारा देखते ही प्रीया की आंखें फटी की फटी रह जाती है!
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रीया देखती है की 6 फुट का 24 साल का जवान लड़का सफेद शर्ट और ब्लैक पैंट पहने हुए बगल में सोफे पर रखा हुआ सूट अपने हाथ से ताई को ढीली करते हुए  स्लीव्स को खोलकर हाथों के आधे तक मोड़ते हुए तब तक एक नौकर दौड़ करके उसको पानी ला करके देता है और वह पानी पीते ही गिलास उठाकर के वहीं पर पटक देता है।
     
     
     
     
    और दूसरे गिलास का पानी उठाकर सीधा नौकर के मुंह पर मार देता है पानी थोड़ा गर्म होने की वजह से नौकर का मुंह जलने लगता है और वह जोर  से चिल्ला करके बोलता है"कितना गम है यह इतना गर्म पानी कौन देता है पता चला कितना गम है। हो  रहा है जलन ?
     
     फिर वह गुस्से में ग्लास  तेजी से जमीन पर पटक देता है"
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    उसके ग्लास के पटकने की आवाज प्रिया दर करके दादू का कस के पकड़ लेती है फिर दद्दू कहते हैं शांत हो जाओ बेटा "अभय क्या हुआ क्यों गुस्सा कर रहे हो इतना गुस्सा भी अच्छा नहीं है "अभय पीछे मुड़कर के देखा है तो उसे हरीश चंद्र जी को देखकर बड़ी प्रसन्नता होती है दौड़ करके दादू के पर लगता है ,
     
     
     
     
     
     
     
    फिर अभय की निगाह दद्दू के पास खड़ी प्रिय पर जाती है उसे देखते ही अभय फिर गुस्से में आ जाता है तुम यहां क्या कर रही हो और वह भी मेरे दादू के साथ देखो यह से चली जाओ वरना अछा नही होगा और अप इसको अन्दर क्यू लेकर आए "आपको पता भी है आज उसने क्या किया है आप इसको लेकर यहां चले आए जानते भी हैं यह कौन है इन गरीब लोगों को हाथ दो तो सर पर चढ़ जाते हैं कितनी बारी अप से कहा है आपसे कि दान ना किया करिए और करना है तो दूर से ही उनसे कोई रिश्ता बनाने की जरुरत नही"
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अभय अपने जवान को लगाम दो तुम्हें अंदाजा भी है तुम क्या बोल रहे हो दादू की कड़क आवाज सुनते ही अभय शांत हो जाता है फिर दद्दू कहते हैं इस लड़की की वजह से मेरी जान बची है अगर यह लड़की ना होती तो शायद मैं भी जिंदा ना होता और इसका घर पूरा बाहर आने की वजह से डूब गया तो अब से यह ही रहेगी ! 
     
     
     
     
     
     
     
    पर दद्दू किसी अनजान को को कैसे रख सकते हैं देखो मैं इसके परिवार को जानता हूं यह मेरे एक दोस्त की बेटी है दादू अभय जैसे ही यह बोलता है अभय को रोकते हुए दादाजी कहते हैं मुझे इसमें कोई बहस नहीं चाहिए अभय इतना कहा है उतना करो या यही हमारे घर में रहेगी और हमारे साथ रहेगी और मेरा फाइनल डिसीजन है।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     

     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     

  • 13. Mysterious wife's - Chapter 13

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

     
     तब तक सीडीओ से एक 21 साल का लडका लाल कलर की टी-शर्ट और लोअर पहना हुए नीचे आता है भाई यार क्यों गुस्सा कर रहे हो रहने दो ना उसे बेचारी को "है माय नेम इस युग, हेलो युग माइसेल्फ प्रिया"
     
     
     
     
    युग फिर दादाजी कहते हैं प्रिया यह है छोटा भाई और तब तक सीईओ से उतरती एक 20 साल की लड़की आती है और वह जैसे ही उनके पास आती है
     
    क्या हो रहा है यहां पर दादू आप आपका कब आए दादू यह कहते हुए वह दादू के गले लग जाती है दादू भी उसे के लगे लगा कर कहते है अरे मेरा बच्च कैसा है तू
     
    मैं तो अच्छी हूं लड्डू पता है मैंने आपको बहुत मिस किया मैं भी तुझको मिस किया मेरे बच्चे
     
     
      की कहनी पढ़ने के लिए पढ़ते रहिए """""" """"😍🥰
     
     
     
     
     
     
     
    Dhnywad  यह कौन है यह कौन है मेरी एक फ्रेंड की बेटी है जिनकी फैमिली बाढ़ की वजह से अभी दुनिया में नहीं है वह हमारे साथ यही इस घर में रहेगी वह प्रिया की तरफ बढ़कर है "हाय माय नेम इस निधि हाय निधि माइसेल्फ प्रिया"
     
     
     
     
     
     
     
    तब तक अभय अपना जैकेट उठा करके अपने कमरे की तरफ चला जाता है देखो प्रिया अबे भाई की बातों का बुरा मत मानना वह थोड़े से खड़ूस है पर दिल के बहुत साफ है यह कहते हुए युग हंसने लगता है फिर दादा कहते हैं,
     
     
     
     
     
     
     
    बेटा निधि प्रिया को उसका कमरा दिखा दो या तो तुम और प्रिया एक कमरे में हो जाओ इसको कुछ कपड़े दे दो पहनने के लिए कल जाकर शॉपिंग करके इसके लिए कुछ कपड़े ले लेना और जल्दी से सब लोग फ्रेश होकर के डाइनिंग टेबल पर आ जाओ मैं भी फ्रेश होकर तुम लोगों का डाइनिंग टेबल पर इंतजार कर रहा हूं यह कहकर दद्दू भी वहां से चले जाते हैं फिर निधि प्रिया से चलिए प्रिया दिखाते हैं आपको हम हमारा कैमरा तो निधि योग प्रिया के साथ सीडीओ से नीति के कमरे में जाते हैं और फिर प्रिया वहां पर जाने के बाद वह बेड पर थोड़ी देर बैठ जाती है.।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    निधि उसे अलमारी से निकाल कर कुछ कपड़े देती है और उसे बाथरूम की तरफ इशारा करते हुए कहती है वह उधर रहा बाथरूम जाकर के जल्दी से फ्रेश हो जाओ फिर हम डिनर के लिए चलते हैं फिर इस पर योग भी कहता है। 
     
     
     
     
     
     
     
    जल्दी करना क्योंकि मुझे भी भूख लगी है हम आपका वेट कर रहे हैं प्रिया बिना कुछ कहे सर हिला के कपड़े लेकर के बाथरूम की तरफ चली जाती है।
     
     
     
     
     
     
     
    थोड़ी देर बाद प्रिया बाथरूम से निकलती है और वह सब डिनर करने के लिए सीधा नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ चले जाते हैं डाइनिंग टेबल पर पहुंचकर सब बैठे होते हैं फिर दादू कहते हैं की अभय कहां रह गया इसको डिनर नहीं करना क्या युग जाकर के देख करके आओ।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    दादू मुझे एक बात याद आई आज तो ऑफिस में भैया ने डिनर कर लिया था हां उनके किसी फ्रेंड का बर्थडे था तो वह वहीं से ही डिनर वगैरह करके आए थे अच्छा ठीक है एक कम करो यह खाना ले जाकर के अपनी मासी को देखकर के आओ।
     
     
     
     
    जी दद्दू यह कहते ही युग वहां से खाने का एक प्लेट उठना है उसमें खाना लेकर के वह सीडीओ के नीचे एक कमरे में चला जाता है फिर थोड़ी देर बाद उसे कमरे से बाहर आता है, और सब डिनर करके अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं प्रिया बहुत ज्यादा थकी हुई थी और उसे मां की बहुत ज्यादा याद आ रही थी वह निधि के बगल में लेते हुए तकिया को कसकर दबे हुए रोए जा रही थी।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    उसकी रोने की आवाज सुनकर के निधि उठ करके उसको पीछे से पकड़ लेती है नीति का हाथ लगते ही प्रिया अपना चेहरा साफ करते हुए क्या हुआ नीति प्रिया रोधूली आवाज में नीति से पूछता है, इस पर नीति
     
    कहती है घर की याद आ रही है ना प्रिया बिना कुछ कहे अपना सर झुका के सर हिलाती है फिर निधि इस पर कहती एक बात बताओ जब मेरी भी मम्मी पापा मर गए थे तो मैं और योग दोनों एकदम अकेले पड़ गए थे और हम वही 16 17 साल के थे कि फिर हमें वहां से अभय भैया ने अपने पास बुला लिया और हमें अपने भाइयों से ज्यादा मानते हैं
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    मैं समझ सकती हूं तुम्हारा दर्द की मां पापा को खोना कितना दुखता ही होता है एक हैकर निधि प्रिया को गले लगा लेती है निधि जैसे ही प्रिया को गले लगाती है प्रिया फूट-फूट करके रोने लगती है फिर वह निधि को थोड़े टाइम बाद खुद से दूर करके अच्छा अभी सो जाते हैं सुबह उठना भी होगा निधि तो सो जाती है पर प्रिया को रात भर नींद नहीं आती
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अगली सुबह.......
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया निधि के कमरे से उठकर के सीधा बाहर की तरफ आते हुए अपनी आंखों को हाथ से मिजाते हुए सीधा जा ही रही थी की दूसरी तरफ से अभय 
     
     
     
     
     अपने फोन में घुसा उसकी तरफ आ रहा था और अचानक से इन दोनों का टकराव हो जाता है और प्रिया जैसे ही गिरने वाली होती है अभय उसको पकड़ कर संभाल लेता है वह उसके कमर को पकड़ के फिर अभय जैसे ही प्रिया की आंखों में देखता है वह खुद को खो देता है प्रिया भी थोड़ी देर अभय को देखते ही रहती है फिर तभी अभय के फोन का रिंग बचता है दोनों सेंस में आ जाते हैं फिर इस पर "प्रिया कहती है छोड़ो मुझे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे पकड़ने की " प्रिया की बात सुनते ही अब है उसे छोड़ देता है "और "पिया जमीन पर गिर जाती है और अभय कहता है देखो छोड़ दिया मैंने एक
    तो बचाओ ऊपर से गुस्सा दिखाती है" यह कहते हुए वह वहां से चला जाता है।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया उसकी बातों को टेढ़ी तरीके से दोहराते हुए बताओ गुस्सा करके चली जाती
     
    है और अकडू खडूस कहीं का पाता नही खुद को क्या समझता है उठाती और खुद के कपड़ों को झड़ते हुए वह फिर से कमरे में वापस चली जाती है
     
     
     
     
    आगे आगे

  • 14. Mysterious wife's - Chapter 14

    Words: 1158

    Estimated Reading Time: 7 min

    💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜

    आगे की कहनी.....🙏🏼🙏🏼🙏🏼

    प्रिया उसकी बातों को टेढ़ी तरीके से दोहराते हुए बताओ गुस्सा करके चली जाती है और अकडू खडूस कहीं का पाता नही खुद को क्या समझता है उठाती और खुद के कपड़ों को झड़ते हुए वह फिर से कमरे में वापस चली जाती है।

    थोड़ी देर बाद सब डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट करने 
     
    लिए बैठे होते हैं फिर थोड़ी देर बाद नीति प्रिया को आवाज लगाते हुए "प्रिया दी जल्दी आ जाओ बब्रेकफास्ट करना है" प्रिया खुद का नेम सुनते ही ऊपर से चिल्लाते हुए कहती है हां हां बस आ गई प्रिया सीडीओ से भागते हुए आ रही थी ।

    उसने ब्लू कलर का लॉन्ग गाउन डाला हुआ था उसके कानों में लंबे इयररिंग और उसके ओपन हेयर डाइनिंग टेबल में बैठा अभय अचानक से उसकी तरफ देखता है उसे देखते ही अभय मानो फ्रीज हो गया हो !

    तब तक प्रिया का पैर सीडीओ से फिसल जाता है और वह चिल्ला के नीचे की तरफ गिरने लगती है उसे गिरता देख सब उसकी तरफ भागते हैं पर अभय तेजी से दौड़ करके उसको संभाल लेता हैऔर अभय उसे संभालते हुए कहता है "यह बताओ तुमने गिरने पर ट्रेनिग ट्रेनिंग ली है क्या जब देखो तब गिरती रहती हो"

    यह सुनते ही प्रिया अभय को घूरते हुए देखने लगती है और कहती है आपने सबको बचने का ठेका ले रखा है हां ठेका लिया था तभी तो आज तुम्हें बचा लिया वरना हाथ पैर तोड़ के बैठ जाती अभय प्रिया को यह कहते हुए मुस्कराने लगता है उसकी बात सुन प्रिया चीड़ करके वहां से आगे चली जाती है|

    उसे फिर दादू और सब पूछते हैं कि बेटा तुम ठीक तो हो ना तब तक नीति कहती है जिसका ऐसा सुपर भाई हो उसको कैसे चोट लग सकता है मेरे भाई सुपर हीरो जैसे वो मुझे बचा लेते वैसे आज उन्होंने प्रिया को भी बचा लिया फिर प्रिया यह सुनते ही धीरे से कहती है "सुपर भाई कम राक्षसों का अब्बा ज्यादा लगता है" और यह बात अभय को सुनाई दी जाती है तो अभय प्रिया की तरफ़ झुक कर कहता है "बात तो सही कही तुमने" यह सुनते ही प्रिया उसकी तरफ़ मुड़कर देखती है और अपने हाथ को मसलते हुए डाइनिंग टेबल पर बैठकर ब्रेकफास्ट खत्म करती है।

    ब्रेकफास्ट कब खत्म करने के बाद प्रिया कहती है दादा मुझे जॉब करना है और मैं आज जॉब करने के लिए इंटरव्यू देने जा रहि हु।

    प्रिया की बात सुनकर दादा कहते हैं ठीक है बेटा जैसा ठीक लगे पर समय से घर आ जाना और कोई दिक्कत हो तो एक बार अभय को कॉल कर लेना वह बात करें तो मैं तुम्हारी हेल्प कर देगा जॉब दिलाने में।
     
    यह सुनकर प्रिया धीरे से हां कह कर दादा से जाने के लिए पूछती है।

    दादाजी अभय को देखते हुए कहते हैं अब बेटा तुम भी ऑफिस जा ही रहे हो तो प्रिया को रास्ते में छोड़ दे जाओ अभय सुनते ही कहता है नो प्रॉब्लम दादा जा रहा हूं मैं इसको छोड़ दूंगा।

    मैं दादा जी इनके साथ पर मैं ऑटो कर लूंगी मैं पैदल चली जाऊंगी बट इसके साथ नहीं जाऊंगी वैसे भी ज्यादा दूर नहीं है ऑफिस में चली जाऊंगी बेटा प्रिया "क्या तुम मेरी इतनी सी भी बात नहीं मान सकती? क्या दिक्कत है अभी के साथ जाने में चली जाओ और तुम इस शहर में नई हो तो फिर इतना जानकारी नहीं है।

    प्रिया दादा जी की बात को ना टालते हुए उसके साथ जाने के लिए हां कर देती है फिर वह दोनों ऑफिस के लिए निकलते हैं।

    अभय प्रिया से कहता है तुम यहीं पर रुको मैं पार्किंग से कार लेकर आ गया कहकर अपने पार्किंग से कर की तरफ चला जाता है फिर वह कर को वहां से निकाल कर लेकर के आता है।

    अभय कर का फ्रंट गेट ओपन करता है और प्रिया को आगे बैठने के लिए कहता है पर प्रिया पीछे का गेट ओपन करके पीछे बैठ जाती है अब है यह देखकर के थोड़ा सा गुस्सा होता है पर फिर वह गेट बंद करके गाड़ी स्टार्ट करता है तब तक प्रिया रहती है देखो यहां से आगे जाने के बाद मुझे उतार देना मैं ऑटो से चली जाऊंगी वैसे भी मेरा दिन नहीं खराब करना तुम्हारे साथ रहकर

    अभय कहता है मैं भी मरा नहीं जा रहा हूं तुम्हारे साथ रहने के लिए और बस थोड़ी दूर जाकर के कर रोक देता है उतर जाओ मेरी कर से हां उतर रही हूं ना इतना गुस्सा क्यों रहे हो यह कह कर प्रिया कर से उतर कर चली जाती है और अभय अपनी कार से आगे बढ़ जाता है ।

    थोड़ी देर बाद प्रिया को एक ऑटो वाला दिखाई देता है
     
    जोर से चिल्लाती है ऑटो ऑटो प्रिया की आवाज सुनकर के ऑटो वाला रुक जाता है फिर प्रिया उसे ऑफिस का एड्रेस बताते हुए उसे चलने के लिए बोलती है थोड़ी देर बाद प्रिया ऑफिस के सामने पहुंच जाती है वह उतर के ऑटो से ऑटो वालों को पूछता भैया कितना हुआ ऑटोवाला कहते हैं मैडम ₹50 हुआ यह सुन प्रिय अपने बैग से 50 का नोट निकाल कर ऑटो वाले को देकर के आफिस की तरफ जाने लगती है।

    जैसे ऑफिस में इंटर करते से राधा कृष्ण जी की बड़ी सी मूर्ति दिखाई देती है वह उनके सामने हाथ जोड़कर के प्रार्थना करते हुए कहते हैं वह कान्हा जी आज तो जॉब दिला देना थोड़ी सी प्रार्थना करके आगे बढ़ जाती है फिर वह देखते कि वहां पर बहुत से लोग इंटरव्यू देने आए हुए होते हैं अभी लोगों के बीच में बैठ जाती है।

    थोड़ी देर बाद सबका इंटरव्यू हो जाता है पर पर प्रिया अपना नंबर आने का इंतजार कर रही होती है पर उसका नंबर नहीं आता उससे पीछे आए हुए लोगों का भी इंटरव्यू हो जाता है और सब इंटरव्यू देकर के वहां से चले जाते हैं।

    थोड़ा सा आश्चर्य में थी प्रिया यह सब देखकर के थोड़ा सा आश्चर्य में थी फिर वह पास के काउंटर पर जाकर के वहां पर बोलती है मैम मेरा इंटरव्यू नहीं हुआ मुझे किसी ने बुलाया नहीं।

    मुझे इंटरव्यू के लिए अप्रूवल मिल गया था फिर आज बिना इंटरव्यू लिए मुझे ऐसे यह सुनते ही रिसेप्शन पर खड़ी वह लेडी पूछता है मैम आपका नाम क्या ह?

    प्रिया प्रिया मेहरा नाम है हमारा एक सेकंड में मैं चेक करके आपको बताती हूं फिर रिसेप्शनिस्ट किसी के पास कॉल करती है फिर वह थोड़े देर बद वह प्रिया से कहती है , मैम हमारे बॉस ने आपको रिजेक्ट कर दिया है उनको आपका आइडिया वगैरा अच्छा नहीं लगा फिर प्रिया कहती है मुझे किस बेसिस पर रिजेक्ट किया गया है प्रॉपर मुझे इसकी क्लेरिफिकेशन चाहिए क्योंकि मेरे बायोमेट्रिक भी बहुत अच्छे खासे हैं मैं अच्छे से ग्रेड से अपने कॉलेजिंग की हुई है!

    एम सॉरी मैम बट यहां पर ऐसा नहीं होता यह सुन कर प्रिया कहती है कि मुझे आपके बॉस से मिलना है अगर आपको बॉस से से मिलना है तो फिर आपको अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा ।

  • 15. Mysterious wife's - Chapter 15

    Words: 1042

    Estimated Reading Time: 7 min

    अपॉइंटमेंट के बाद भी को मिलेंगे या नहीं अभी उनके ऊपर है यह सुनकर प्रिया गुस्से में पूछती आपका ऑफ बॉस का ऑफिस किधर है रिसेप्शनिस्ट इशारा करके बताते हुए मैं उधर साइड है प्रिया गुस्से में बॉस के केबिन की तरफ बढ़ने लगती है प्रिया को ऐसे ज्यादा देख रिसेप्शन चिल्लाते हुए मैं रुक जाइए रुक जाइए वरना बहुत बुरा हो जाएगा पर प्रिया किसी का भी ना सुनते हुए सीधा बॉस के केबिन में घुस जाती है।

    और प्रिया जैसे ही देखते हैं देखते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है और चिल्ला कर कहती है तुम?

    प्रिया देखती है कि उसके सामने अभय बैठा हुआ होता है ,

    प्रिया अभय से पूछता है कि तुमने मुझे किस बेसिस पर रिजेक्ट किया और तुमने रिजेक्ट क्यों किया इस पर अभय मुस्कुराते हुए कहता है मेरा ऑफिस मेरी मर्जी कौन काम करेगा कौन नहीं फिर इस प्रक्रिया गुस्से से कहती अगर तुम्हें इतना ही पता था तो तुमने मुझे कल क्यों अप्रूवल दिया जब कल मैंने अप्लाई किया था तो अप्रूवल क्यों दिया?

    अभय मुस्कुराते हुए अपने चेयर से उठकर के प्रिया की तरफ आता है और कहता है कि अगर कल ही रिजेक्ट कर देता तो आज यह सब देखने को नहीं मिलता ना और फिर तुम अपने आप को बहुत ओवर स्मार्ट समझती हो ना कर लो जो करना है।

    मिस्टर अभय सिंह रायजादा शायद आप भूल रहे हैं कि यहां इस सिटी में और भी ऑफिस है और भी कंपनियां है जहां मुझे जॉब मिल सकती है और आप जो चाहे जो मन में आए वह कर ले पर मैं जब तो लेकर के रहूंगी यह कहकर प्रिया केबिन से बाहर चली जाती है फिर थोड़ी देर में अभय केबिन से बाहर आता है और एक चोर की आवाज लगाते हुए अरे सुनती जाओ जब तक मैं अप्रूव नहीं करूंगा तुम्हें किसी भी कंपनी में जॉब नहीं मिलेगी जाओ जितना हाथ पैर मार सकती हो मार लो।

    यह सुनने के बाद प्रिया एक पल के लिए रुक जाती है पर वह फिर उसे कंपनी से बाहर निकल जाती है।

    प्रिया के जाते ही अभय गुस्से में वहां पर खड़े स्टाफ के ऊपर चिल्लाने लगता है कि तुम लोग एक लड़की को नहीं रोक सकते वह कैसे मेरे केविन में आ गई
     
    तुम लोग यहां पर रखा गया है लापरवाही की हद होती है या सब सुनकर सब अपने सर को झुका लेते हैं फिर अभय भी अपने केबिन में वापस चला जाता है उसे थोड़ी देर बाद अभय के केबिन का दरवाजा कोई खटखटा है अभय बिना ऊपर देख कम इन

    अंदर जाकर के एक आदमी कहता है सर कुछ डाक्यूमेंट्स थे उस रिलेटेड बात करना था वह आदमी अभय का सेक्रेटरी अंकित था अंकित बैठ जाओ मुझे एक छोटा सा वर्क है खत्म कर लूं इसके बाद मैं बात करता हूं ठीक है सर यह कहकर अमित पास पर पड़े चेयर पर बैठ जाता है थोड़ी देर बाद अमित कहता है

    " सर कल रात को एक लड़की ने जॉब के लिए अप्लाई किया था"
     
    इसका बायो देखा और उसके क्वालिटी को भी देखा वह इतनी ज्यादा अच्छी थी कि हमें ऐसे स्टाफ की जरूरत है पर आज आई थी आपने उसका इंटरव्यू के नहीं लिय

    तुम्हें उस मतलब तुम अपने काम से कम रखो तुम्हें जिस चीज की सैलरी मिलती है तुम बस इतना करो तुम्हें ज्यादा जानने की जरूरत नहीं है अभय की इतनी कड़क आवाज सुन अमित भी चुपचाप हो जाता है 

    अमित फाइल्स को अभय को दिखा करके वहां से चला जाता है , अभय थोड़ी देर सोचने के बाद प्रिया की फाइल को फिर से ओपन करता है और मैं उसको जब कंफर्म कर देता है और प्रिया के पास एक मेल सेंड कर कर देता है और उसे जब के लिए ऑफर दे देता है

    उसने उसे मेल में यह भी लिखाया था कि इसके बदले उसे कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ेगा और वह मेल प्रिया के पास सेंड कर देता है।

    शाम का समय.......

    शाम के समय जब अपने घर लौटता है वह घर पर आकर के देखा है तो सब नीचे बैठे परेशान और निराशा में अपने चेहरे को लटका कर बैठे हुए होते हैं और उनके पास जाकर के पूछता है क्या हुआ सब इतने उदास क्यों है इस पर नीति बोलती है भैया प्रिया अभी तक घर नहीं आई हमें लगा कि वह आपके साथ होगी हमने ऑफिस में भी कॉल किया पर वहां पर भी नहीं थी

    यह सुन कर अभय बोलता है कि प्रिया तो ऑफिस से सुबह ही निकल गई थी और वह अभी तक घर नहीं आई तो फिर वह कहां गई तब तक दादा जी

    बाहर से भागते हुए अंदर आते हैं और वह कहते हैं कि मौसम भी खराब हो रहा है बारिश होने को है और धीरे-धीरे रात भी हो रही और इस शहर का माहौल भी सही नहीं है अगर उसे कुछ हो गया तो हम क्या जवाब देंगे कि हमें लड़की को नहीं संभाल पाए बेचारी पता नहीं किसी हालत में कहां पर होगी हमें पुलिस कंप्लेंट करनी चाहिए पर दादाजी 24 घंटे के पहले कोई भी पुलिस हमारी कंप्लेंट नहीं दर्ज करेगी यह कहते हुए अभय दादा जी को सोफे पर बैठा देता है और फिर वह कहता है दादा जी आप चिंता ना करिए आप यही रुकिए मैं बाहर जाकर के उसको ढूंढ करके लाता हूं और मैं अपने फ्रेंडों से भी बात करके उसको ढूंढने की कोशिश करता हूं

    आपके पास प्रिया की कोई फोटो होगी इस बात को सुनते ही दादाजी कहते हैं नहीं फोटो तो नहीं है तब तो नीति कहती भैया इंस्टाग्राम प्रिया के इंस्टाग्राम हैंडल से हमें उसकी फोटोस मिल सकती हैं नीति तुरंत उसका इंस्टाग्राम ओपन करके उसके कुछ फोटोस का स्क्रीनशॉट लेकर के अभय के पास भेज देती है

    उन फोटोस को अपने फ्रेंड्स के पास भेज करके अभय उनसे प्रिया को ढूंढने के लिए बोलता है प्रिया को ढूंढने के लिए बोलता है

    थोड़ी देर बात करके बाहर
     
    तीन चार गाड़ियां आकर के खड़ी हो जाती है और उसमें से कुछ लोग बाहर आते हैं वह सब अभय के पास आकर के कहते हैं सर चलिए हम सब मिलकर के प्रिय को ढूंढते हैं

    अभय उनको सर हिला करके हां करते हुए उनके साथ चला जाता है

    आगे की कहनी जनने के लिऐ पढ़ते रहिए""""""""""😍🙏🏼🫂

    Dhnywad 8

  • 16. Mysterious wife's - Chapter 16

    Words: 1125

    Estimated Reading Time: 7 min

             💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜

    आगे की कहनी.......

    उन फोटोस को अपने फ्रेंड्स के पास भेज करके अभय उनसे प्रिया को ढूंढने के लिए बोलता है प्रिया को ढूंढने के लिए बोलता है ।

    थोड़ी देर बात करके बाहर तीन चार गाड़ियां आकर के खड़ी हो जाती है, और उसमें से कुछ लोग बाहर आते हैं वह सब अभय के पास आकर के कहते हैं सर चलिए" हम सब मिलकर के प्रिय को ढूंढते हैं" ।

    अभय उनको सर हिला करके हां करते हुए उनके साथ चला जाता है,

    अभय प्रिया को इधर-उधर ढूंढने लगता है पर वह पूरा शहर छान मारता है उसे प्रिया कहीं पर भी नजर नहीं आती,

    अभय अपने दोस्तों से कहता है कि उसे पुलिस में कंप्लेंट कर देना चाहिए उसके दोस्त पुलिस के पास मदद लेने के लिए जाते हैं वह कुछ लोगों के साथ पिया को ढूंढने के लिए जंगल के साइड चल जाता है ।

    अभय जंगल के साइड जा ही रहा होता है उसे किसी की चिल्लाने की आवाज सुनाई देती है वह आवाज सुनकर के अपनी गाड़ी रोक के वह सब लोग जंगल की तरफ भागने लागते है ।

    अरे अभय प्रिया का नाम बार-बार चिल्लाए जा रहा था ।

    और उधर से जवाब में बस हेल्प हेल्प की आवाज आ रही थी ,थोड़ी देर बाद आवाज आने बंद हो गई इसके बाद अभय और घबरा जाता है अभय जंगल के बीचों बिच भागने लगता है।

    अभी जैसे जंगल के बीच-बीच पहुंचाते हैं तो उसे कुछ भी दिखाइए नही देता उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जो आवाज आ रही थी उसे वह किधर गई तब तक अभय को अचानक से प्रिया के कपड़े का एक टुकड़ा कांटो के पेड़ से लिपटा दिखाई देता है।

    अभय उसे कपड़े के पास जाता है उसे जैसे हाथ में उठा कर देखता है तो उसे पर कुछ खून की बूंदे लगी हुई होती है!

    अभय उन खून के बूंद को देख करके थोड़ा सा घबरा जाता है कि प्रिया किस हाल में होगी ! तब तक उसे फिर से वह आवाज सुनाई देती है पर इस बार आवाज की गति बहुत धीमी थी अभय जैसे ही उसे आवाज को फॉलो करते हुए जाता है उसे सामने कुआं दिखाई देता है वह आवाज उसे कुएं में से आ रही होती है ।

    अब उसे कुएं में झांक करके देखता है तो उसे पता चलता है कि प्रिया कुएं में नीचे फंसी हुई है और वह बेहोश होने की हालत में प्रिया को वहां पर देखा अभि जोर से चिल्लाते हुए कहता है "कुछ नहीं होगा प्रिया तुम चिंता ना करो मैं आ गया हूं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा" यह कहकर अभय सबको तुरंत वहां पर बुलाता है और जैसे ही वह सब वहां पर आते है प्रिया को कुएं में देख सब डर जाते हैं प्रिया ने बेल की टहनियों को पड़कर कुएं में लटकी हुई थी पर उसके हाथ से वह उसके हाथ से छूट रही थी ।

    यह देखकर अभय बिना किसी को कुछ कहे बिना कुछ सोच कुएं में कूद जाता है और फिर बाहर खड़े लोग ये देख कर हैरान हो जाते है और जोर से चिल्लाते हुऐ अभय संभल कर 

    तब तक अंकित कर से रस्सी लेकर के भागता हुआ कुएं की तरफ आता है फिर वह रस्सी का सिर पकड़ करके दूसरे सिर को कुएं में डाल देता है।

    और फिर जैसे ही अभय उसे रस्सी को पकड़ता है सब लोग मिलकर के उसको ऊपर खींचने लगते हैं और थोड़ी टाइम में अभय प्रिया को लेकर के बाहर आ जाता है अभय प्रिया को लेकर बहार आ जाता है ।

    और उसे जमीज पर लेटा कर फिर उसके पेट पर अपने हाथों से दबाता है ताकि उसके अंदर गया हुआ सारा पानी बाहर आ जाए पर फिर भी उसकी सांस जैसे उखड़ सी रही हो यह देख करके अमित बोलता है सर उनको सीपीआर देना पड़ेगा माउथ ब्रीथ करना पड़ेगा !

    अभय यह बात सुनकर के थोड़ा सा हैरान तो होता है पर इस लिए समय प्रिया की जान सबसे महत्वपूर्ण थ। वह सीपीआर देने के लिए तैयार हो जाता है वह प्रिया क मुंह खोलते हैं और अपने मुंह से प्रिया के अंदर स्वश को प्रवेश करने की कोशिश करता है फिर थोड़ी देर बाद प्रिया को अचानक से होश आ जाता है और वह अपने सामने अभय को देख करके उसे कस के गले लगा लेती है।

    प्रिया जैसे ही अभय को कस के गले लगाती है अभय के तो मानो जैसे कि दिल की धड़कनें उसे काबू में ही ना रह रही हो वह इतना तेज हो जाती है कि अभय को अभय सोचने लगता है ऐसा पहले कभी ना हुआ था अब मैं इतनी लड़कियों को डेट किया था ऐसा पहली बार ही था कि जिसको गले लगने से उसका दिल इतना तेजी से धड़क रहा था।

     अभी भी धीरे-धीरे प्रिया के तरह हाथ बढ़ाकर उसे कस के गले लगा लेता है फिर थोड़ी देर में प्रिया उसके बाहों में ही बेहोश हो जाती है प्रिया को देखकर के अभय उसे अपने गोदी में उठाकर के कर की तरफ ले जाने लगता है।

    और जैसे ही कर का दरवाजा अमित खोलता है प्रिया को अभय अंदर की तरफ लेटने लगता है पर प्रिया ने अभय का हाथ कश करके पकड़ा हुआ था।

     अभय चहता तो हाथ छुड़ा सकता था पर उसकी हिम्मत ना हो रहा था उसे हाथ को छुड़ाने का तो वह भी प्रिया के बगल में बैठ जाता है और अमित से बोलता है की गाड़ी घर तक चलने को अमित सर हिला करके गाड़ी स्टार्ट करके वहां से निकल जाता है थोड़ी देर बाद में घर में पहुंच जाते हैं ।

    अभय प्रिया को गोद में उठाए हुए घर के अंदर लेकर के आता है प्रिया को बेहोश देख दादा निधि और यश घबरा जाते हैं और उसे पूछते हैं कि क्या हुआ है प्रिया को उसकी ऐसी हालत इस पर जवाब देते हुए अब कहता है अभी हमें भी इसके बारे में कुछ नहीं पता यह तो प्रिया ही होश में आकर के बता सकती है कि उसके साथ क्या हुआ है यह बस कुएं में पड़ी हुई थी हमउसे वहा स निकाल कर ला रहेहै।

    फिर निधि प्रिया के कपड़े चेंज करने के लिए भैया से बोलता है कि वह उसे वॉशरूम तक छोड़ दे फिर वह नौकरानी की हेल्प से प्रिया के कपड़े चेंज कर देती है।

    फिर थोड़ी देर बाद डॉक्टर आकर के प्रिया का चेकअप करते हैं और उसके बाद वह कहते हैं पूरी तरीके से नॉर्मल है थोड़ी सी वीकेंड से और किसी चीज का इन्हें स्ट्रेस ज्यादा है या डॉक्टर कुछ दवाइयां लिख करके देता है फिर योग डॉक्टर का बैग उठा करके उनको बाहर छोड़ने चला जाता है थोड़ी देर बाद प्रिया को जब होश आता है तो वह खुद को अपने कमरे में पाती है और
     

  • 17. Mysterious wife's - Chapter 17

    Words: 1122

    Estimated Reading Time: 7 min

    और उसे कुछ भी याद ना था कि उसे किसने बचाया और उसे यहां पर कौन लेकर आय तब तक निधि का ध्यान प्रिया के ऊपर जाता है और निधि जैसे ही प्रिया के आंखें खुली देखते हैं वह सबको बुलाने लगती है कि प्रिया को होश आ गया प्रिया को होश आ गया ।

    यहां बात सुनते ही दादाजी अभय और योग तीनों भाग करके उसे कमरे में आते हैं और आने के बाद दादा जी प्रिया के बगल में बैठते हुए बेटा तुम ठीक तो हो दादा जी की आवाज सुनकर के प्रिया सिर हिला कर के जवान दिया हां दादा जी मैं अभी ठीक हूं ।

    फिर इसमें दादाजी पूछते कि तुम वहां तक कैसे पहुंचे तो प्रिया इस पर जवाब देते हुए कहती है कि जब मैं ऑफिस से इंटरव्यू देकर के लौट थी तो मेरे पीछे कुछ गुंडे पड़ गए थे और उनसे बचते बचते मैं उसे जंगल में पहुंची और मैं उनसे बचने के लिऐ भाग रही थी मुझे कुवा है दिखाई n दिया और मैं उसमे गीर गई उन्हें लगा कि मैं डूब गई हूं वहां से चले गए पर लक अच्छा था कि मैं डूबी नहीं थी

    और यह बात सुनते ही अभय हाथ में जो उसका ग्लास लिए हुए उसे कस करके दबा देता है जिससे कि वह गिलास टूट जाता है और सारे कांच अभय के हाथों में चुभ जाता है और उसके हाथों से खून निकलने लगता है और और यह सबदेख करके वहां पर खड़े लोग बहुत चकित हो जाते हैं वह अभय की तरफ आगे बढ़ते पर अभय वहां से चुपचाप निकल जाता है

    और यह देखते ही नीति बोलती है कि मैं भैया के पास जा रही हूं नहीं नीति रुक जाओ यह कहते दादाजी नीति को रोक रोक लेते हैं ।

    अभी इस समय बहुत ज्यादा गुस्से में है और अगर अभी कोई उसके पास गया तो वह गुस्से में कुछ भी कर सकता है तुम्हें उसके गुस्से का अंदाजा तो है ना यह सुनते ही नीति ने अपने पैर पीछे कर लिया और दादाजी प्रिया को आराम करने के लिए बोलते हैं और इसके बाद दादाजी नीति और उसे कमरे से बाहर से आ जाते हैं

    प्रिया अपने कमरे में लेटी हुई होती है कि उसे वह दृश्य बार-बार दिखाई देता है जब अभय ने ग्लास को तोड़ा था और उसे रहा नहीं जाता वह उठकर के अभय के पास चली जाती है और पूरे कमरे में पूरे जगह ढूंढ ने लगाती है पर उसे अभि का कहीं कहीं भी पता नहीं चलता

    तो इस पर तभी अपनी तरफ़ आते नौकर से वह पूछते हैं की अभय कहां पर है प्रिया की यह बात सुनकर के नौकर मानो डर जाता है वह डरते हुए बताता है अभय सर इस समय छत पर होंगे लेकिन उनके पास अभी जाना खतरे से खाली नहीं है।

     क्योंकि जब वह गुस्से में होते हैं तो वह खुद पर काबू नहीं रख पाते और वह किसी को भी कुछ भी कर देते हैं प्रिया उसकी बात सुनते ही थोड़ा डर जाती है पर वह हिम्मत करके उसके पास जाने का सोचती है

    प्रिया अपने हाथ में फर्स्ट एड किट का बॉक्स लिए हुए छत पर चली जाती है और वह जैसे ही छत के गेट पर खड़ी होती वह देखती है कि अभय चांद को देखते हुए जमीन पर बैठा आंखों से आंसू आ रहे थे और हाथों से खून बह रहा था।

     अभी को इस हालत में देख प्रिया चुपचाप उसके बगल में डरते हुऐ जाकर के बैठ जाती है अभय प्रिया को देख करके बिना कुछ बोले चांद को ही एक तक देखे जा रहा था फिर थोड़ी देर बाद प्रिया अभय से कहती है लाख चोट तो इस चांद ने भी खाया था पर वह कभी पीछे नहि हटा और गुस्सा नहीं करता वह तो शीतल और शांत है

    उसकी बात सुनत ही अभय अब गुस्से से चीड़ करके खड़ा हो जाता है और चिल्ला करके बोलता है कि तुम यहां क्यों आई हो तुम्हें मना किया गया है तो तुम यहां पर क्यों आई हो और वह गुस्से में अपने हाथ को प्रिया की तरफ मारने के लिए उठना है प्रिया यह देखकर के अपने दोनों हाथों को आगे करते हुए अपने चेहरे को ढक लेती है और उसके खुले बाल हवाओं से तकरार रहे थे वह हल्का से उड़ने लगते हैं ।

    उसे सहमा डरा देख अभय अपना हाथ नीचे कर लेता है और उसे कहता है एम सॉरी मैं इस टाइम खुद पर काबू नहीं कर पता मुझे अकेला छोड़ दो इसके बाद प्रिया बिना कुछ बोले डरते हुए अभय का हाथ पकड़ लेती है

    वह उसका हाथ पकड़ कर जमीन पर बैठ जाती है और उसके चोट परधसे हुए कंचों को अपने हाथों से और कुछ मेडिकल चीजों से निकलने लगती है और जैसे ही वह से वह कंचों को खींचकर बाहर निकलते हैं।

     अभय तेजी से चिल्लाता है और कस करके प्रिया के पैर को पकड़ लेता है और जैसे-जैसे अभि की पकड़ मजबूत होती जा रही थी प्रिया के दिल की धड़कनें भी इतनी तेज होती जा रही थी पर प्रिया फिर भी खुद को हिम्मत जुटाते हुए उसके हाथ से सारे कांच को निकाल देती है।

     और कांच को निकालने के बाद उसे पर मरहम लगा करके उसके पटिया बांध देती है थोड़ी देर बाद अभय की हालत और खराब हो जाती है अभय प्रिया के गोद में सर रखकर के लेट जाता है

    और वह बिना कुछ बोले अपनी आंखें बंद कर लेता है मानो जैसे अभय इस टाइम किसी चीज का होसी ना हो और यह सब चीज गेट के पास खड़े दादाजी देख रहे होते हैं दादाजी हल्का सा मुस्कुरा करके नीचे चले जाते हैं।

     फिर थोड़ी टाइम बाद अभय फिर अपनी आंखें खोलता है और प्रिया से दूर हो जा करके बैठ जाता है और फिर वह प्रिया से बोलता है कि अब चलो नीचे तुम्हारी तबीयत सही नहीं है तुम्हें आराम करना चाहिए और वह यह कहकर छत से नीचे आ जाता है प्रिया यह देख करके थोड़ा सा परेशान तो होती है और वह धीरे से कहती है कितना खड़ूस है यार

    फिर प्रिया अभय के पीछे-पीछे उसके कमरे की तरफ जाती है है औ।

    र कमरे में आते ही यश जैसे अपना दरवाजा बंद करता है प्रिया यश का दरवाजा खोलती पर कमरे में यश होता ही नहीं यह देख करके प्रिया चौक जाती है वह उसके बाथरूम की तरफ़ जाति है
     
    और इधर-उधर उसका नाम पुकारने लगती है "अभय अभय कहां हो तुम पर उसे कहीं पर भी नजर नहीं आता उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था"

     कि अचानक कहां गया अभय कि वह कमरे में आते ही गायब हो गया फिर प्रिया वहां से यह सोचते हुए बाहर निकल जाती है

    आगे की कहनी जनने के लिऐ पढ़ते रहिए """"""🙏🏼🫂

    Dhynwad

  • 18. Mysterious wife's - Chapter 18

    Words: 1674

    Estimated Reading Time: 11 min

    💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜

    आगे की कहनी................

    और इधर-उधर उसका नाम पुकारने लगती है "अभय अभय कहां हो तुम पर उसे कहीं पर भी नजर नहीं आता उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था"

     कि अचानक कहां गया अभय कि वह कमरे में आते ही गायब हो गया फिर प्रिया वहां से यह सोचते हुए बाहर निकल जाती है

    प्रिया परेशान होकर के उसका कमरा का दरवाजा बंद करके बाहर जाने लगती है तब उसे कुछ आवाज सुनाई देती है

    प्रिया जैसे ही दरवाजा खोलती है तो देखते हैं वहां पर अभय खड़ा हुआ रहता है और वह फोन पर किसी से बात कर रहा होता है

     अभय को देख करके प्रिया थोड़ा सा चौक जाती है और अब ऐसे पूछता है "तुम यह कैसे तुम तो इस कमरे में थे ही नहि" प्रिया की बातों को सुनकर के अभय चौक जाता है फिर वह हंसते हुए कहता है कि "तुम्हारे दिमाग में भी चोट लगी थी क्या कुएं में गिरते टाइम तुम ऐसे बेहूदा सवाल कर रही हो मैं इसी कमरे में था"

    पर ऐसा कैसे हो सकता है मेने खुद तुम्हारे कमरे में हर जगह देखा तुम कही भी नही दिखे

    इस पर अभय कहता है तुमने बालकनी में देखा था प्रिय सिर हिलाते हुए नहीं देखा था वहां पर ह तो मैं वही था और फोन पर बात कर रहा था प्रिय यू नीड रेस्ट जाओ जाकर आराम कर लो ।

    अभय की बात सुनकर के सोचते हुए वहां से बाहर चली जाती है वह जाकर के निधि के बगल में लेट जाती है फिर थोड़े टाइम में उसको नींद आ जाता है

    अगली सुबह..........

    अब वर्कआउट करके अपने जिम से बाहर आ ही रहा था फिर वह प्रिया के रूम का दरवाजा खुला देखा है वह उसे दरवाजे की तरफ जाने का सोचता है तू कदम आगे बढ़कर फिर रुक जाता है फिर वह अपने मन से जीत नहीं पता और उसे दरवाजे की तरफ बढ़ जाता है वह धीरे से दरवाजे से झांकता है तो पता है कि निधि ने कंबल को लपेट के और रखा था और प्रिया बच्चों की तरह सिकुड़ करके सुबह के ठंड में कप रही थी

    यह देख करके अभय दबे पांव से अंदर घुस जाता है
     
    और वह जैसे ही अंदर घुसता है वह कपबोर्ड से धीरे से एक कंबल निकलता है और वह कंबल ले जाकर के प्रिया के ऊपर डाल देता है प्रिया के बाल उसके चेहरे को ढके हुए थे अभय का हाथ मानो जैसे उसे बालों को हटाने के लिए बेताब हुए जा रहा था और उसके दिल की धड़कन तो जैसे उसका साथ देना ही छोड़ दी थी अभय धीरे से उसके चेहरे से वह बाल हटता है

    जैसे ही वह बोल हटता है प्रिया अपना मुंह इधर से उसे साइड घूम लेती है और प्रिया को वह देख करके मुस्कराने लगता है तब तक निधि की आंख खुल जाती है और वह भैया को कमरे में देख करके अभय भैया आप ? इतनी सुबह सब ठीक तो है अभय निधि को देखते हुए मुंह पर उंगली रखकर s s s धीरे बोलो
     
    वो जाग जाएगी मैं बस तुम लोगों को देखने आ गया था

    और वैसे भी आज मम्मी को अस्पताल लेकर के जाना है तो मैंने सोचा तुम्हें भी उठा दूं तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ क्योंकि अपॉइंटमेंट मॉर्निंग की है और मेरी आज एक मीटिंग भी है तो उसके लिए भी जाना है या बात सुनकर निधि कहती है जी भैया बस में रेडी हो जाती हूं

    और तब तक प्रिया अभय का हाथ पड़कर कस के खींच लेती है और वह अभय प्रिया के ऊपर गिर जाता है और छत से प्रिया की आंखें खुल जाती है पर अब है कि गर्म सांसे प्रिया के दिल की धड़कनों को बढ़ा रही थी प्रिया उसे देखकर जोर से चिल्ला पड़ती है उसे चुप कर आते हुए अब है चुप चुप इतना तेज क्यों चिल्ला रही हो सब जाग जाएंगे तुम तो मेरे कमरे में क्या कर रहे हो तुम्हें जरा सा भी आईडिया है कि किसी लड़की के सोते हुए कमरे में नहीं आया जाता तुम्हरे अन्दर मैनर नाम की चीज़ है 

    अभय से गुस्सा हो करके बोलता है नहीं है मैनर नाम की चीज शायद तुम भूल रही हो कि तुम यहां पर मेहमान हो और तुम्हारे कमरे में मेरी बहन भी रहती है तुम्हें अकेले सोने में डर लगता है तो मेरी बहन के साथ सोती हो तो मुझे कभी उसी काम कम रहेगा तो मुझे इस कमरे में आना ही पड़ेगा

    यह सुनकर के प्रिया थोड़ा सा अपना सर इधर-उधर घूमने लगती है
     
    तब तक पीछे से निधि जोर से खसती है खांसी की आवाज सुनकर के अभी उठ खड़ा हो जाता है और अभय का ध्यान जब प्रिया के हाथों पर जाता है तो उसके हाथ लाल हो गए थे अब सोचने लगाता है है की यह कितनी सॉफ्ट है इसको हल्का सा टच किया तो निशान पड़ गया अभय यह दिखते पास पड़े ऑयलमेंट को उठाकर के उसके हाथों में लगा करके उसे घाव pr फुकने लगता है 

    सब इतनी तेजी से करता है कि प्रिया को कुछ समझ ही नहीं आता प्रिया बस एक तक अभय को देखे जा रही थी और इन दोनों की यह देखकर के निधि हल्का सा मुस्कुराते हुए फिर से कस्ती है और निधि की खांसी से अभय फिर सेंस में आ जाता है और एलिमेंट उसके हाथ में देखकर के बिना कुछ कहे चल जाता है

    फिर निधि प्रिया को कहती है कि एक कम करो हम मम्मी को दवा लेकर के आते हैं फिर हम चलते हैं शॉपिंग करने फिर तुम भी हमारे साथ चलो वैसे हॉस्पिटल हॉस्पिटल के बाद हम शॉपिंग करके फिर घर चले आएंगे वैसे भी आज तो तुम्हें ऑफिस जाना नहीं है तो मैं कहीं और इंटरव्यू देने जाना जाना पड़ेगा

    प्रिया निधि की बात सुनकर के सिर हीलाते हुए हां कहती है तब तक

    तब तक तब तक निधि रहती है क्यों ना तुम भैया के ऑफिस में ही जॉब कर लो मैं भैया से बात कर लेती हूं मेरी की बात सुनती ही प्रिया उसे ज़ोर से ना कहती है प्रिया की ना सुनकर के निधि उससे पूछता क्या हुआ वह कहती नहीं नहीं मुझे दूसरे कंपनी में जॉब करना है इससे रिलेटेड मुझे कोई वर्क नहीं आता यह सुनकर के बस चुपचाप आगे से बाथरूम में चली जाती है

    प्रिया रेडी होकर के बाहर आती है फिर के साथ ब्रेकफास्ट करने के लिए चली जाती है 

    फिर तब तक अभय कहता है कि प्रिया तुम आज रहने दो हमारे साथ जाने को हमे आने आने में टाइम लग जाएगा तब तक तुम योग के साथ जाकर सौपिंग कर लेना ये लो मेरा कार्ड

    प्रिया कार्ड देख करके कहति अभय ऐसे बोलती है मुझे इस कार्ड की कोई जरूरत नहीं है मेरे पास सफिशिएंट अमाउंट में पैसे हैं कि मैं अपने शॉपिंग कर सकूं और मैं एक इंडिपेंडेंस लड़कि हु मै अपने खर्च खुद उठा सकती हूं और सर कार्ड के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद पर आपका कार्ड नहीं चाहिए

    तो अभय कहता है तुमने आज मेल से किया तुम्हे तुम्हारा जॉब मिल गया है
     
     प्रिया रूड हो करके कहती है अभी तो नहीं बट मैं चेक कर लूंगी

    ठीक है अस योर विश पर ध्यान से चेक कर लेना उसमें कुछ चीज हैं उनको भी फुल कर देना अब यह बात करके उठकर वहां से चला जाता है फिर अभय नीति से कहता है कि तुम मन को लेकर के आओ मैं गाड़ी में वेट कर रहा हूं इतनी मां को लेकर के अभय के साथ बाहर की तरफ चली जाती है और फिर दादाजी और योग भी अपने-अपने काम में लग जाते हैं प्रिया अकेले पूरे महल को घूमने का सोचती है

    तब तक उसे कल वाला हादसा याद आता है वह फिर से अभय के रूम में जाती है पर वहां पर खड़े गार्ड प्रिया को रोक देते हैं वह प्रिया से कहते हैं कि अभय सर ने मना किया है किसी को उनके कमरे में जाने के लिए

    सुनकर वहां से चुपचाप लौट जाती है प्रिया रास्ते में जाते समय यह सोचने लग जाती है कि कोई अपने घर में ही अपने कमरे में क्यों पहरा लगवाएगा जहां पर उसके अपने ही रहते हो प्रिया की उत्सुकता और बढ़ जाती है उस कमरे के राज को जानने के लिए

    प्रिया उन गार्ड को डिस्ट्रैक्ट करने की कोषिश करती है 
     
    वह खंबे के पीछे छुप करके और पास थाली को सीधी से गिरा देती है

    और सीधी से गिरते थालियां की आवाज सुनकर के दोनों गॉड्स गेट छोर करके उस थालियां को देखने के लिए जाते हैं और जैसे ही वह दरवाजा छोड़कर शीधियो की तरफ बढ़ते हैं प्रिया मौका देखकर के कमरे में घुस जाती है

    यह तो उसे सब कुछ नॉर्मली नजर आता है प्रिया थोड़ा सा हैरान हो जाती है कि ऐसा क्या है इस कमरे में जो इतने गार्ड्स लगाए गए हैं प्रिया पूरा कमरा देख डालते हैं पर उसे कुछ समझ नहीं आता

    उसे कमरे के दीवाल पर एक बड़ी सी पेंटिंग थी जो की प्रिया को बहुत ज्यादा ही खटक रही थी क्योंकि वह पेंटिंग दिखने में बड़ी अजीब थी प्रियांशु पेंटिंग के पास नहीं जाना चाहती थी पर प्रिया कमरे को ढूंढते ढूंढते इतना व्यस्त हो जाती है कि वह पेंटिंग के ऊपर हाथ रख देती है और उसके पेंटिंग के ऊपर हाथ रखते ही प्रिया के गंदे हाथ के निशान पेंटिंग पर आ जाते हैं प्रिया यह देखकर के चौक जाती है अगर अभय को पता चला तो गुस्सा करेगा इस तरह से प्रिया पेंटिंग को नीचे उतर करके उसे साफ करने का सोचती है और जैसे ही पेंटिंग को नीचे उतरती है उसे पेंटिंग के पीछे एक तहखाना दिखता है हां इस्पे दरवाजा लगा हुआ था पर इसके पासवर्ड था 

    प्रिय बड़े हैरानी से इधर-उधर ढूंढने लगते हैं कि इसका पासवर्ड क्या होगा
     
    क्योंकि अगर गलत पासवर्ड डालने पर तुरंत हॉर्न की आवाज आने लगती और अगर सायरन की आवाज आती तो प्रिया पकड़ी जाती है तब तक प्रिया को कमरे की तरफ कोई आदमी की आहट सुनाई देती है ऐसा लगता है कि मानो अभय है वापस आ गया हो

    पढ़ते रहिए """"""""😍🙏🏼🫂

    Dhnywad 

  • 19. Mysterious wife's - Chapter 19

    Words: 1101

    Estimated Reading Time: 7 min

    💜💕💞🌼राधे कृष्णा 🌺💕💞💜
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    आगे की कहनी........
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिय बड़े हैरानी से इधर-उधर ढूंढने लगते हैं कि इसका पासवर्ड क्या होगा क्योंकि अगर गलत पासवर्ड डालने पर तुरंत हॉर्न की आवाज आने लगती और अगर सायरन की आवाज आती तो प्रिया पकड़ी जाती है तब तक प्रिया को कमरे की तरफ कोई आदमी की आहट सुनाई देती है ऐसा लगता है कि मानो अभय है वापस आ गया हो
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया उसे आवाज को सुनकर के उसके रूम में इधर-उधर छुपाने लग जाती है तो वह अभय के विंडो के पास पर्दों में घुस जाती है थोडी टाइम बाद अपने अंदर आता है अपने दरवाजा बंद कर लेता है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अपने रूम में कपड़े निकलने लगता है अभय अपना शर्ट निकाल कर रख देता है प्रिया या देख करके अपनी आंखें बंद कर लेती है टाइम बाद प्रिंस अपना पेट निकलना ही वाला होते की प्रिया जोर से चिल्ला देता है छिपकली प्रिया को चिल्लाता देख प्रिंस कर्टन के पीछे प्रिया के गर्दन को पकड़ लेता है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया के गर्दन को पकड़ते ही प्रिया को बाहर खिंच कर कहता है कौन हो तुम
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    जब वह प्रिया को खींच कर बाहर निकलता है तो वह देखा कहता है प्रिया तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो और जहां पर छपी क्यों हो 
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया अभय की बात सुनकर के हल्का सा घबराहट में बोलती है कि मैं यहां से गुजर रही थी और सोचा कि तुम्हारे कमरे से हो चलो कल मैं तुम्हारे कमरे में आई हुई थी ना तो मेरा एक फेवरेट क्लिप था वह मुझे मिल नहीं रहा था मुझे लगा कि तुम्हारे कमरे में गिर गया होगा तो मैं बस उसको ढूंढने आ गई थी और मैं उसका रिटर्न के पीछे दूर ही रही थी कि तुम्हारे रूम में किसी को आना माना है इसलिए मैं छुप गई कि तुम देखोगे तो मुझे दंतोगे
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया की बात सुनकर के अभय प्रिया को वहां से जाने के लिए कहता है फिर प्रिय भाई के कमरे से बाहर चली जाती है बट प्रिय तहखाने का दरवाजा देख लिया था और उसका पासवर्ड उसे ढूढना था
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया फिर से अभय के कमरे में जाने का सोचती है और इस बार अभय के कमरे से खाली हाथ वापस नही आयेगी ये भी ड्रीड निश्चय कर लेती है 
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया नीति से पुछती है कि अभय की सबसे पसंदीदा चीज क्या है प्रिया की बात सुनकर नीति अचानक से प्रिया से कहती है क्या आप अभय भैया को पसंद करती हो नीति की बात सुनते ही प्रिया के शब्द लड़खान आने लग जाते हैं वह कहती नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है बस मुझे उसका एहसान चुकाना है तो मैं उसके बारे में जान सकूं समझ सकूं तो मैं उसको उसे हिसाब से कुछ गिफ्ट कर सकूंगी ताकि जिसने मेरी जान बचाई उसका एहसान चुका सकू बस
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    ठीक है मैं आपकी हेल्प करूंगी मैं आपको सब कुछ बताऊंगी अभय भैया को क्या पसंद है क्या नहीं तुम वह कहती है कि अभय भैया को चीज थोड़ी सी भूलने की आदत है तो उनके जो इंपॉर्टेंट डेट्स और इन पर जो इंपॉर्टेंट नोट्स होते या तो अपने वह लैपटॉप में या तो फिर उनकी एक रेड कलर की डायरी है जिस पर एक हॉरर सा फेस बना हुआ है वह हमेशा उसमें लिखते रहते हैं पर वह डायरी रखी कहा है भी किसी को नहीं पता
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया नीति की बात सुनकर के थोड़ी देर सोचने लग जाती है फिर वह नीति से कहते अगर नीति तुम्हें अपना पसंदीदा चीज छुपाना हो तो तुम उसे कहां पर रखोगे नीति प्रिया की बात सुनकर रहती है की भाभी है तो बहुत सिंपल है मैं उसको ऐसी जगह रखूंगी जहां पर लोग पहुंचना सके और लोग अधिकतर अपने कमरा छोड़कर दूसरे को कमरे में चले जाते हैं मतलब कि मैं जैसे अगर मुझे किसी के ऊपर सक कि वह इन चीजों को चाहता है तो मैं उसे चीज को उसके कमरे में छुपा लूंगा ताकि वह छह करके भी उसे चीज को पा न सके
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    नीति की बात सुनकर के प्रिया रहती है आईडिया तो बहुत बढ़िया क्यों ना आज इसी से रिलेटेड डाइनिंग टेबल पर गेम खेला जाए फिर जब डाइनिंग टेबल पर सब बैठे होते हैं प्रिया दादा जी से कहती है दादाजी अगर हमारा कोई दुश्मन हमारे किसी चीज को चाहता है तो हम उससे बचने के लिए उसे चीज को कहां पर छुपाए ताकि वह सुरक्षित रहे और योग तुम्हें क्या लगता है तुम भी बताना तो 
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया की बात सुनकर के दादाजी ने जवाब दिया कि उसको हम लॉकर में सेव करके रख देंगे और उसकी की वगैरा अपने पास रखेंगे और ऐसे ही उसने भी एक साधारण सा जवाब दिया फिर तब तक प्रिया ने अभय से पूछ लिया अभय तुम कहां रखोगे
     
     
     
     
     
     
     
    तो अभय कहता है मैं उसे चीज को उनके सामने रखूंगा क्योंकि लोग हमेशा सरलता के पीछे नहीं कठिनाइयों के पीछे ज्यादा भागते हैं वह अपने सामने नहीं चेक करेंगे वह पहले दूसरे जगह देखते हैं और हर कोई अपने पास में देखा एक कहावत है ना कि दीपक तले अंधेरा अभय की बात समझ कर प्रिया थोड़ा सा आश्चर्य होती है पर फिर भी वह इन सब चीजों को सुनकर के थोड़ा सा शांत हो जाती है तब तक इस पर अभय बोल पड़ता है तुम्हें इस चीज की क्या जरूरत है तुम्हें क्या कैसे छुपाना है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया मुस्कुराते हुए कहती है छुपाया नहीं नहीं मुझे किसी से कुछ नहीं छुपाना है मैं तो बस ऐसे सब का पॉइंट ऑफ यू जान रही थी अच्छा ठीक है यह कहकर प्रिया वहां से चली जाती है प्रिया नीति के साथ लेटे-लेटे अभय के कमरे को इमेजिन करने लग जाती है फिर अभय के कमरे में सब कुछ तो ठीक था बट अभय के कमरे का मिरर वह हल्का सा उसे वियर्ड लगता है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया सुबह होने का इंतजार करती है और सोचती है कि कब सुबह हो और अभय के जाते हैं वह उसे कमरे में मौका देखकर के घुसे
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अगली मॉर्निंग अभय जैसे ही अपने कमरे से बाहर जाता है प्रिया सबके लिए मैंगो जूस बनती है और उसके बाद वह तो कब मैंगो जूस लेकर के अभय के कमरे की तरफ बढ़ जाती है वहां पर सामने खड़े दोनों गार्ड से कहती है भैया ये आप लोग भी प्लीज लेलो एक ग्लास मैने बनाया है वैसे भी अप लोग पूरा दिन खड़े रहते हो थक जाते होंगे और यह लो चेयर आप आराम भी कर लो
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    वगार्ड्स प्रिया की बात सुनकर के उसको मना कर देते हैं वह कहते नहीं प्रिय जी अगर हम कुर्सी पर बैठे और अभय सर ने हमको देख लिया तो वह हमको नौकरी से निकाल देंगे अगर उन्होंने नौकरी से निकाल दिया तो हमारा घर कैसे चलेगा
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     

  • 20. Mysterious wife's - Chapter 20

    Words: 967

    Estimated Reading Time: 6 min

     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया उनकी बात सुनकर क्यों नहीं मुस्कुराते हुए कहती है तुम टेंशन ना लो मैं अभय सर के आने से पहले तुम लोगों को उठा दूंगा और मैं खुद ही कुर्सी यहां से हटा दूंगी गॉड्स प्रिया की बात सुनकर के मुस्कुरा करके मैंगो जूस पी लेते हैं और कुर्सी पर जैसे ही वह बैठते हैं थोड़ी टाइम बाद वह सो जाते हैं प्रिया उनको सोता देख चुपचाप वह दरवाजा खोल करके अंदर चली जाती है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अभय के पूरे कमरे को खोज लेती हैं बट उसकी उसे कमरे में कहीं पर भी 
     
    कुछ नहीं मिलता फिर वह थकहार करके अभय के बेड पर बैठ जाती है तभी अचानक से प्रिया की आंखों में कुछ धूल का कर चला जाता है प्रिया उसको देखकर निकालने के लिए मिरर के सामने जाती है पर उसको अभय का मेरा थोड़ा सा अजीब लगता है क्योंकि मिरर के बीच में एक लाइन होती है जो की बेसिकली मिरर में रहता नहीं है प्रिया उसको देख करके चौक जाती है और वह मिरर को हाथ से इधर-उधर टच करने लगती है तभी उसको एक जगह से मिरर हल्का सा अजीब लगता है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया जैसे ही उसे मिरर को एक साइड से प्रेस करती है वह मिरर दुसरे साइड से खुल जाता है देखती है कि वह लाल डायरी का चित्र जो नीति ने उसके सामने किया था वह उसको निकलती है और उसमें इधर-उधर देखने लगती है तो उसे किताब से एक चाबी गिरती है प्रिया को चाबी उठा करके देखते हैं पर उसे समझ नहीं आता की चाबी लगेगा कहां प्रिया पूरी बुक छान डालती पर उसे पासवर्ड कहीं भी नहीं मिलता
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया दीवाल के पास आकर के फ्रेम को हटती है और वह दरवाजे को इधर-उधर से देखने लगती है तो तभी उसे दरवाजे के एक कोने में की लगने का निशान बना होता है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया उस की को उसमे ट्राई करती है और लकली वो को दरवाजा खुल जाता है और प्रिया सीडीओ से होते हुए अंदर कमरे में चली जाती है और वह अंदर जाकर के देखे तो वहां पर ढेर सारे लोगों के कंकाल पड़े होते हैं प्रिया उन्हें देखकर के डर जाती है और आगे जाती है तो उसे देखते हैं कि वहां पर कुछ लड़कियों के कपड़े होते हैं और कुछ लड़कियों के फोटो होते हैं जिन पर लाल खून चढ़ाई होती है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    प्रिया डरते हुए यह सब देख करके और डर जाती है प्रिया सारे लड़कियों की फोटोस अपने फोन में क्लिक करती है और इधर-उधर ढूंढने लगते हैं उसे कुछ समझ नहीं आता तब तक उसको वहां पर काली शक्तियों से जुड़े कई चीज दिखाई देती हैं वह काली शक्तियों से अनजान वहां पर नारियल को उठाकर के साइड कर देती और नारियल के साइड करते ही एक डरावनी आवाज प्रिया को सुनाई देती है प्रिया को सुनाई देती है वह आवाज प्रिया से कहती है कि तुम फिर आ गई तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता शायद तुम भूल रही हो कि तुम्हारा कल हूं मैं चली जाओ यहां से अभी समय नहीं आया तुम्हारा मरने का
     
     
     
     
     
     
     
    आगे की कहनी जनने के लिऐ पड़ते रहिए पिया dangerus thakyu ☺️☺️☺️
     
     
     
     
    प्रिया उसे आवाज को सुनकर के रहती है कौन-कौन कौन हो तुम और क्या कह रही हो और क्यों मरना है मुझे उसकी बात सुनकर के वह आवाज कहती है देखो तुम बहुत पवित्र लड़की हो और हम नहीं चाहते कि हमारे जैसे तुम्हारी भी हालत हो इसलिए जितना हो सके तुम अब ऐसे दूर रहो और देखो अब दोबारा इस कमरे में कभी मत आना तुम जितना जल्दी हो सके इस कमरे से निकल जाओ प्रिया यह सुन करके उसे कमरे से बाहर आ जाती है और प्रिया जैसे ही बाहर आती है वह कार्ड को उठाते हुए कहती भैया आप लोग सो रहे हैं बेकार आने का टाइम हो गया है प्रिया को पसीने से भीग देख कट कहते हैं प्रिय जी आप इतनी पसीने से क्यों भीगी हुई है
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    जैसे आपने किसी को देखकर के डर गए हो या फिर किसी ने आपको बहुत गंदे तरीके से डराया हो नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है प्रिया उनको मना करते हुए उसे कमरे से बाहर चली जाती है फिर प्रिया नीति के कमरे में बैठी होती है की नीति अपना इंस्टाग्राम चल रही होती है तो इस पर प्रिया रहती है कि लो मुझे भी दिखाओ अपने कुछ फोटोस प्रिया जैसे-जैसे नीचे स्क्रॉल करते जाती है वह जो जो लड़कियों की फोटो उसने उन गुफा में देखी थी वह सारी फोटोस वह प्रीति के इंस्टाग्राम अकाउंट में प्रीति को लड़कियों के साथ देखी है तो इस पर प्रिया उससे पूछता कि यह लड़कियां कौन है इस पर जवाब देते हुए नीति कहते हैं यह सब भैया की X है क्या अभय की x वाइफ और वो भी इतनी सारी
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    यह सुनते ही प्रिया थोड़ा सा डर जाती है फिर इसमें पनिधि हंसते हुए कहती है
     
    भैया की एक्स वाइफ नहीं है मैं मजाक कर रहा हूं पर हां यह सब भैया की क्लोज फ्रेंड रह चुकी है और एक टाइम पर यह सब भैया की वाइफ होने की जिक्र भी करती थी और घर पर य
     
    ह सब एक
    बार शादी के लहंगे में ही आ गई थी पर उसके बाद से इनका कुछ पता आता नहीं चला प्रिया यह बात सुनकर के बहुत ज्यादा हैरान हो जाती है और वह अभय का पर्दा पास करने के लिए सोचती ह
     
     
     
     
     
     
     
    उसके लिए प्रिया को अभय कैसे खिलाफ सबूत चाहिए होगा प्रिया यह सोचने लगते उसके खिलाफ सबूत कैसे इकट्ठा करें क्योंकि उसके कमरे में बार-बार जाना खतरे से खाली न था प्रिया को सच में देख निधि उसकी आवाज लगाते हुए प्रिया इस एवरीथिंग इस ओके हां हां निधि सब ठीक है प्रिया निधि की आवाज से सेंस में आकर के उसे जवाब देती है अभी प्रिया उन्हीं चीजों से जूझ रहीं होती है कि वह कैसे अभय का पर्दाफाश करें