इशिका सिंघानिया, जिसे उसकी मां शादी करने के लिए मजबूर करती है, ताकि इशिका को चाहने वाला अमीर बिजनेस मैन नक्ष राजवंश उसकी बहन से शादी कर ले। जब इशिका अपनी शादी रजिस्टर करने के लिए कोर्ट गई, तो उसकी शादी पहले से ही किसी अभिमन्यु राजवंश के साथ रजिस्टर्ड... इशिका सिंघानिया, जिसे उसकी मां शादी करने के लिए मजबूर करती है, ताकि इशिका को चाहने वाला अमीर बिजनेस मैन नक्ष राजवंश उसकी बहन से शादी कर ले। जब इशिका अपनी शादी रजिस्टर करने के लिए कोर्ट गई, तो उसकी शादी पहले से ही किसी अभिमन्यु राजवंश के साथ रजिस्टर्ड थी। अभिमन्यु राजवंश, कोई नहीं नक्ष राजवंश का चाचा है, जिसके हाथ में पूरे राजवंश एम्पायर की बागडोर है। क्या अभिमन्यु राजवंश कभी इशिका को अपनी पत्नी का दर्जा देगा? क्या है इस अनजानी शादी का राज, जिसके बारे में अभिमन्यु और इशिका दोनों ही नहीं जानते। जानने के लिए पढ़िए, "unknown wife of billionaire"
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गोवा कोर्ट के मैरिज रजिस्ट्रेशन एरिया की एक सीट पर एक अधेड़ उम्र का आदमी बैठा हुआ था। उसने सामने की तरफ अजीब नज़रों से देखा और फिर सख्ती से बोला, “मिस सिंघानिया, क्या तुम नहीं जानती, एक से ज्यादा बार शादी करना इलीगल होता है? अगर तुम्हें दूसरी शादी करनी है तो पहले तलाक लो और बाद में किसी और से शादी करना। बोलते हुए उसने अपने सामने खड़ी उस दुबली पतली सी लड़की को देखा और फिर उसके साथ खड़े लड़के को।
“लेकिन... लेकिन ये कैसे हो सकता है? मेरी पहले शादी नहीं हुई है। उसके सामने खड़ी लड़की ने घबराई आवाज में कहा।
उसके ऐसा कहने पर उस आदमी ने उसे घूर कर देखा और फिर एक मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रिंट करके उसके हाथ में थमाते हुए कहा, “अगर शादी नहीं हुई है, तो तुम्हारी शादी पहले से रजिस्टर कैसे हो सकती है? इसे लो और अपने घर जाओ पता नहीं कहां कहां से आ जाते हैं, जो पति को छोड़े बिना ही किसी और से शादी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देने के साथ उसने उसको दो बातें अलग से सुना दी।
उस लड़की ने मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लिया और बाहर आ गई। वो लगभग 22 साल की थी। उसकी छोटी लाइट ग्रे आइज में निराशा के भाव थे।
वो कुछ समझ पाते उससे पहले उसके साथ आए लड़के ने कहा, “इशिका, अगर तुम पहले से शादीशुदा थी तो मुझे इस काम के लिए क्यों हायर किया? एक तो पहले ही मैं तुम्हारे साथ नकली शादी रजिस्टर करने के लिए पकड़ा जा सकता था, ऊपर से तुम पहले से शादीशुदा हो। देखो मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस नहीं देने वाला हूं।
उसका नाम इशिका था। इशिका ने उसे वहां से जाने का इशारा किया। फिर उसने गहरी सांस ली और अपने कमर से थोड़े ही छोटे हल्के भूरे बालों को रबर बैंड से बांध लिया था। इतनी परेशानी में भी वो लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही थी। 5 फुट 4 इंच हाइट, गोरा रंग, बराबर होठ और होठों के नीचे राइट साइड ठुड्डी से थोड़ा ऊपर एक तिल। उसने नॉर्मल पेंट और लूज टी-शर्ट पहना था और टीशर्ट को पैंट के अंदर इन कर रखा था। वो भी इंतेहा खूबसूरत लग रही थी।
इशिका ने गहरी सांस ली और धीरे से मन ही मन कहा, “ऐसा कैसे हो सकता है कि मेरी शादी पहले से रजिस्टर है? मेरा तो कभी कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं रहा, जिसने बदला लेने के लिए मेरे साथ ऐसा किया हो। सोचते हुए उसने एक नजर मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को देखा और फिर अपने हस्बैंड की फोटो को।
वो एक ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंट था। फिर भी लड़के की पर्सनैलिटी उस ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में भी छुप नहीं पा रही थी। गहरी काली आंखें, आंखों से थोड़ा नीचे एक तिल, परफेक्टली सेट किए हुए बाल, खूबसूरत नैन नक्ष के साथ वो उस छोटी फोटो में भी अट्रैक्टिव लग रहा था। लड़के की फोटो देखने के बाद इशिका ने अपनी तस्वीर को देखा। वो उसी की फोटो थी। उसका तिल भी वही पर था।
फिर इशिका उस पर लिखे अपने हस्बैंड के नाम को पढ़ते हुए धीरे से बोली, “अभिमन्यु राजवंश।
इशिका ने वापस उस लड़के की तस्वीर को गौर से देखा और फिर धीरे से कहा, “मैं अपनी जिंदगी में काफी लोगों से मिल चुकी हूं, लेकिन ना तो मैंने इसे देखा है और ना ही कभी इसका नाम सुना है। फिर हम दोनों की शादी कैसे रजिस्टर हो सकती है?”
सच का पता लगाने के लिए इशिका ने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की फोटो क्लिक की और किसी को भेजी। उसने साथ में मैसेज लिखा, "जल्द से जल्द इसके बारे में पता लगाओ। "
सामने से एक जवाब आने के बाद इशिका अपनी स्कूटी की तरफ गई और फिर वहां से कहीं जाने के लिए निकल गई। हालांकि वो अभी भी इस बात को लेकर हैरान थी कि अचानक उसकी शादी किसी अभिमन्यु राजवंश से कैसे रजिस्टर हो सकती थी, जिसे वो जानती तक नहीं थी।
वहां से इशिका गोवा के एक हाई क्लास एरिया में पहुंची। उसने अपनी स्कूटी एक विला के आगे रोकी और धीमी गति से चलते हुए अंदर जा रही थी। उसके बाहर बड़े-बड़े शब्दों में सिंघानिया विला लिखा हुआ था।
इशिका वहां काफी वक्त बाद आई थी और आने का कारण भी था। इशिका धीमे कदमों से अंदर की तरफ बढ़ रही थी तभी उसे पीछे कुछ हाउस हेल्पर के धीरे से फुसफुसाकर कर बातें करने की आवाज सुनाई दी।
“वो लड़की कौन है, ये तो आयशा बेबी से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है। एक ने बिल्कुल धीमी आवाज में कहा। वो इशिका को काफी गौर से देख रहा था। इतने सिंपल कपड़े में भी वो बिल्कुल मासूम और किसी प्रिंसेस की तरह लग रही थी।
उसकी बात सुनते ही दूसरे ने उसे डांटते हुए चुप कराते हुए कहा, “धीरे बोलो, किसी ने सुन लिया तो खामखा तुम्हें काम से निकाल देंगे। गलती से भी तुम्हारी बात आयशा मैडम के कान में नहीं जानी चाहिए।”
“लेकिन ये है कौन, ये तो बता दो?” उसने फिर से पूछा।
दूसरे वाले हाउस हेल्पर ने गहरी सांस ली और जवाब में कहा, “तुम नहीं जानते ये मिस्टर सिंघानिया की नाजायज औलाद है। ये यहां से दूर रहती है। अब तक नही आई, तो आज यहां क्या करने आई है?
दूसरे हाउस हेल्पर ने फिर से एक नजर इशिका को देखा और फिर दबी आवाज में बोला, “लेकिन ये यहां क्यों नहीं रहती जबकि मालविका मैडम तो यहीं पर रहती है? ये उन्हीं की बेटी है ना?”
“हां उनकी ही बेटी है और वो यहां पर जबरदस्ती रह रही है। वो एक शातिर औरत है। आदर्श सर से प्यार का दिखावा करती है, आयशा बेबी के आगे पीछे रहती है। उसने जानबूझकर हमारी राधिका मैडम का घर बर्बाद कर दिया। पता नहीं कैसे लेकिन उस औरत ने जानबूझकर अपनी बेटी को उसी दिन जन्म दिया, जिस दिन हमारी आयशा बेबी का जन्म हुआ था। दूसरे हाउस हेल्पर ने निराशा के साथ कहा।
वो सब इशिका को अब गुस्से से देख रहे थे। उनकी आंखों में नफरत थी लेकिन इशिका को इसकी आदत हो गई थी। यही वजह थी इशिका ने बहुत पहले ही घर छोड़ दिया था। आज काफी टाइम बाद वो मजबूरी में यहां आई थी। शायद तभी उनमें से किसी ने उसे पहचाना नहीं।
इशिका ने कुछ ही कदम आगे बढ़ाए होंगे कि उसे अपनी मां मालविका दास दिखाई दी। वो लगभग 48 के आसपास थी लेकिन इस उम्र में भी उन्होंने खुद को काफी अच्छे से मेंटेन कर रखा था। डिजाइनर साड़ी और चेहरे पर हैवी मेकअप के साथ उन्होंने इशिका को देखकर जबरदस्ती की मुस्कुराहट दी और कहा, “तुम्हें जो काम मिला था, तुमने कर दिया है ना? अगर तुमने किया है तभी मैं तुम्हें आयशा से मिलवाने के लिए लेकर जाऊंगी।
इशिका ने अजीब नजरों से अपनी मां की तरफ देखा और फिर हां में सिर हिला दिया। वो धीरे से बोली, “हां, अब से मैं शादीशुदा हूं। यही काम मिला था इशिका को कि वो जल्द से जल्द किसी से भी शादी कर ले। हां कोई फर्क नहीं पड़ता था चाहे दूल्हा कोई भी हो। मालविका यही चाहती थी कि इशिका की शादी हो जाए।
“चलो अच्छा है तुम्हें अपनी औकात पता है। भले ही तुम्हारे नाम के आगे सिंघानिया जुड़ जाए लेकिन तुम हो तो नाजायज औलाद ही... कभी मत भूलना, नक्ष राजवंश फैमिली का इकलौता बेटा है। सारी प्रॉपर्टी उसी के नाम पर है। वो तुम्हारे बहन का होने वाला पति है तो गलती से भी उस पर गलत निगाहें मत डालना। मालविका ने उसे देखकर गुस्से में कहा जैसे इशिका नक्ष और आयशा की सगाई तुड़वाना चाहती हो।
इशिका की आंखें नम हो रही थी। वो मन ही मन बोली, “अजीब बात है ना, मुझ पर नाजायज का ठप्पा भी इन्होंने ही लगाया और दिन में 10 बार नाजायज यही बोलती है। मैं उसे क्यों छीनना चाहूंगी जबकि वो तो मेरा ही था। कॉलेज में 3 साल तक वो मेरा पीछा करता था ताकि मुझे प्रपोज कर सके और जब मेरी बारी आई तो उन्होंने उसके सामने ये कह दिया कि मेरी शादी किसी और के साथ फिक्स है। क्यों मेरे हिस्से का हमेशा आयशा के पास चला जाता है? ये तो मेरी मां है लेकिन फिर भी आयशा से ज्यादा प्यार करती है। आज इनकी वजह से मैं एक अनजान इंसान के साथ शादी में बंध गई हूं, जिसे मैं जानती तक नहीं।
ये सच था। नक्ष राजवंश, राजवंश फैमिली की इस पीढ़ी का इकलौता बेटा था और सब कुछ उसी के नाम होने वाला था। इतना अच्छा लाइफ पार्टनर इशिका को कैसे मिल सकता था, बस यही सोचकर मालविका ने उसकी शादी आयशा के साथ फिक्स करवा दी, जो मिस्टर आदर्श सिंघानिया की जायज बेटी थी। उसकी इसी हरकतों की वजह से वो यहां पर रह पा रही थी।
“कौन हो तुम अभिमन्यु राजवंश...और क्यों तुमने मुझसे मेरी मर्जी के बिना शादी की? अगर तुमने ऐसा किया ही था। तो आकर एक बार बात तो करते? सबकी तरह तुमने भी मेरी जिंदगी के साथ खेला है। मैं तुम्हें ढूंढ कर रहूंगी माय अननोन हसबैंड..!” इशिका मन ही मन बोली। उसकी आंखों में दर्द था।
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कौन है अभिमन्यु राजवंश, जिसने इशिका के साथ बिना बताए शादी कर ली? क्या अभिमन्यु और नक्ष का बड़ा सरनेम होना सिर्फ एक इत्तेफाक है या छुपा है कोई बड़ा राज।
इशिका सिंघानिया कोर्ट में अपनी शादी रजिस्टर करवाने गई थी। वहां उसे पता चला कि उसकी शादी पहले ही किसी के साथ रजिस्टर हो चुकी थी। पति के नाम पर मिला उसे एक नाम, अभिमन्यु राजवंश। इसके बारे में ना तो उसने पहले कभी सुना था और ना ही वो उसे जानती थी।
अभिमन्यु राजवंश के साथ हुई शादी का अपनी मैरिज सर्टिफिकेट के साथ इशिका सिंघानिया मेंशन पहुंची। इशिका का अभी शादी करने का कोई इरादा नहीं था पर उसकी सौतेली बहन, जो उसके पिता आदर्श सिंघानिया की जायज औलाद थी, उसकी वजह से उसे पहले शादी करनी पड़ रही थी।
आयशा का होने वाला पति नक्ष सिंघानिया मुंबई के टॉप बिजनेसमैन का इकलौता बेटा था। सारी प्रॉपर्टी उसी के नाम होने वाली थी। शादी के लिए नक्ष ने इशिका को प्रपोज किया था लेकिन उसकी मां मालविका सिंघानिया ने पूरा मामला ये कहकर बदल दिया कि इशिका की शादी पहले से ही तय हो चुकी है।
इशिका आयशा के कमरे के बाहर खड़ी अपने ख्यालों में खोई हुई थी और अपनी किस्मत को कोस रही थी तभी मालविका ने अंदर से आवाज देते हुए कहा, “अब क्या पूरी उम्र यही बिताने का इरादा है? अंदर भी आ जाओ।”
इशिका ने गहरी सांस ली और मन ही मन कहा, “बस एक आखिरी बार उनकी बात माननी है। फिर मैं अपने तरीके से अपनी जिंदगी को जीने वाली हूं।
इशिका धीमे कदमों से चलकर अंदर आ रही थी। हालांकि वो जानती थी कि उसका यहां आना किसी को पसंद नहीं आएगा, खासकर उसकी सौतेली बहन आयशा को।
इशिका अंदर आई तो मालविका ने उसकी तरफ तिरछी निगाहों से देखा और उसे आयशा के पास आने का इशारा किया। आईने के सामने बैठी आयशा बिल्कुल किसी प्रिंसेस की तरह लग रही थी। उसने वाइन कलर का महंगा इवनिंग गाउन पहना हुआ था, जो काफी एक्सपेंसिव ब्रांड का लग रहा था।
आयशा की तरफ इशारा करके मालविका ने कहा, “आयशा, माय बेबी, तुम्हें किसी की नजर ना लगे। यू आर लुकिंग अमेजिंग।” बोलते हुए उसने उसके कानों के पीछे एक काला टीका लगा दिया।
आयशा ने एक नजर खुद को आईने में देखा और अपने बालों को सही करने लगी। उसके बालों को कर्ल करके खुला छोड़ गया था और अच्छी सी हेयर स्टाइल बनाकर उसमें डायमंड क्लिप लगाई हुई थी। एवरेज हाइट, हल्का गेरुआ रंग, जिसे उसने मेकअप करके काफी लाइट बना रखा था, बड़ी आंखों के साथ वो खुबसूरत लग रही थी। उसे देखकर साफ पता चल रहा था कि आयशा ने इस दिन के लिए खास मेहनत की है।
अचानक आयशा की नजर इशिका की तरफ गई, जो सिंपल से कपड़ों में भी बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसे देखकर आयशा मुंह बन गया। उसने तुरंत अपनी नज़रें घुमा कर कहा, “आज के दिन के बारे में तो सोच लेती। कम से कम कपड़े तो अच्छे पहन कर आ सकती थी। नहीं थे, तो मुझे बता देती। मैंमें काफी सारे कपड़े डोनेट करने के लिए रखे हैं। उनमें से तुम्हें कुछ अच्छा दे देती।”
“नो थैंक्स, मैं किसी और के कपड़े नहीं पहनती हूं।” इशिका ने सख्ती से कहा।
आयशा के पास इशिका से जलने के बहुत से कारण थे। वो खूबसूरत थी लेकिन उसकी खूबसूरती इशिका के सामने फीकी पड़ जाती थी। इशिका की हाइट भी उससे ज्यादा थी और बॉडी भी काफी फिट। इशिका की तुलना में आयशा का वजन थोड़ा ज्यादा था और हाइट भी कम। ऊपर से नक्ष भी आयशा के बजाय इशिका को पसंद करता था।
आयशा ने फिर इशिका की तरफ देखा और भौहें उठाकर बोली, “वैसे यू आर नॉट इनवाइटेड। फिर यहां क्यों आई हो तुम? पता है ना आज नक्ष आने वाला है।” उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आयशा नहीं चाहती थी कि इशिका और नक्ष एक दूसरे के आमने-सामने आए।
इशिका उसकी बात का कोई जवाब देती उससे पहले मालविका ने जल्दी से कहा, “तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है आयशा। इशिका यहां आज एक गुड न्यूज़ के साथ आई है। आज उसने शादी कर ली है।”
जैसे ही आयशा ने सुना, उसने हैरानी से आंखें बड़ी की और झट से पूछा, “क्या? इतनी जल्दी शादी कर ली? लेकिन किससे ? क्या वो नक्ष से अच्छा है? करता क्या है?” आयशा नहीं चाहती थी कि इशिका किसी भी मामले में उससे सुपीरियर दिखे तो उसने जल्दी-जल्दी इशिका के हस्बैंड के बारे में सवाल पूछने शुरू कर दिए थे।
आयशा की बात सुनकर मालविका हंसी और बोली, “तुम मजाक कर रही हो क्या? नक्ष सिंघानिया कौन है, ये सब जानते हैं। मुंबई के टॉप बिजनेसमैन का बेटा, गोवा में भी उसके काफी सारे बिजनेस हैं। इंटरनेशनल लेवल पर उनका काम है। इकलौता बेटा है वो.. ऊपर से दिखने में इतना हैंडसम है, बिल्कुल किसी मॉडल की तरह। उसके कंपैरिजन का कोई नहीं है।”
“फिर उसने किस से शादी की है और वो इसके साथ क्यों नहीं आया? मुझे उससे मिलना है? आयशा ने सिर हिला कर कहा।
इशिका इन सब में बिल्कुल चुपचाप खड़ी थी। मालविका ही जवाब में बोली, “होगा कोई इसी की तरह सड़क छाप, तभी यहां तक आने की हिम्मत नहीं कर पाया। देखो ये मेरी बेटी जरूर है लेकिन तुम्हें पता है ना ये हमसे अलग रहती है। अपने डिसीजन भी खुद लेती है, तो मैंने इस मामले में कोई इंटरफेयर नहीं किया। ये जाने और इसका फटीचर हस्बैंड जाने।”
आयशा को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि इशिका इतनी जल्दबाजी में अचानक से शादी करके आ जाएगी। फिर उसने इशिका की तरफ देखा, जो सिंपल से कपड़ों में भी वाकई काफी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
आयशा ने गहरी सांस लेकर कहा, “लेकिन ये कैसे हो सकता है? हमारी इशिका इतनी खूबसूरत है। याद है ना आंटी, नक्ष भी पहले इसी के पीछे था। फिर पता नहीं अचानक उसने मुझे प्रपोज क्यों कर दिया?” आयशा एक अच्छी बहन होने का दिखावा काफी अच्छे से कर लेती थी।
आयशा अभी भी इस सच से अनजान थी कि मालविका ने कौन सी चाल चली थी। मालविका ने नक्ष से पर्सनली मुलाकात की और अपनी ही बेटी के खिलाफ उसे भड़काया। उसके बाद उसने इशिका को शादी करने पर मजबूर किया।
मालविका ने मुंह बनाया और इशिका की तरफ एक नजर देखने के बाद बोली, “ऐसी खूबसूरती का क्या फायदा, जब आप किसी अमीर आदमी की नाजायज औलाद हो? देखो समाज के लोग देखेंगे तो आपको गलत नजरों से ही ना...।”
“लेकिन नक्ष 3 साल तक इसके पीछे थे।” आयशा ने मामला कुरेदते हुए पूछा।
मालविका बोली, “तुम नक्ष सिंघानिया को बीच में क्यों लेकर आ रही हो? एक पल के लिए उन्हें ये अच्छी लगी होगी पर है तो ये नाजायज बेटी ही ना। उनके स्टेटस से कहीं भी मेल नहीं खाती। सोचो इनकी शादी हो जाती तो वो इसे कहीं लेकर भी नहीं जा सकते थे। अब जाने भी दो, तुम अपने खास दिन पर ध्यान दो।”
आयशा ने आगे कुछ नहीं पूछा। वो मुस्कुरा दी। उसे कहीं ना कहीं इशिका के नए हस्बैंड को देखना था ताकि आज फिर खुद को सुपीरियर साबित कर सके।
आयशा इशिका की तरफ देखकर बोली, “ठीक है कम से कम एक फोटो तो दिखा ही सकती हो। तुम्हारे जितना अच्छा नहीं होगा दिखने में, पर अब वो तुम्हारा पति है।”
इशिका के पास कोई जवाब नहीं था। वो तो उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट तक नहीं दिखा सकती थी क्योंकि उस ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में भी वो आदमी काफी हैंडसम लग रहा था। मालविका ने जिस तरह से उसकी फीचर्स बताई थी, उससे तो वो दूर-दूर तक मेल नहीं खाता था।
“इसकी तरफ देखना बंद करो। तैयार हो जाओ... राजवंश फैमिली आती ही होगी।” मालविका ने बात बदलने के लिए कहा तो आयशा खुद का टच अप करने लगी।
फिर उसकी नजर नीचे पड़ी अपनी हील्स पर तरफ गई। आयशा अपनी ड्रेस के कारण झुक नहीं सकती थी। उसने पप्पी आईज बनाकर मालविका की तरफ देखा।
मालविका उसका इशारा समझ गई थी। उसने इशिका को उसकी तरफ धकेलते हुए कहा, “तुम्हें दिख नहीं रहा, तुम्हारी बहन को आज तुम्हारी जरूरत है। चलो उसे उसकी हील्स पहनने में हेल्प करो। झुका नहीं जा रहा है उससे।”
हमेशा यही होता था। मालविका जानबूझकर इशिका को नीचा दिखाने की कोशिश करती थी जबकि वो उसकी खुद की बेटी थी। इशिका काफी वक्त बाद मालविका और बाकी फैमिली से दूर रह रही थी। मालविका को लगता था कि जैसे वो बचपन में इशिका के साथ अत्याचार करती थी, वैसे अब भी कर पाएगी।
इशिका ने सर्द निगाहों से मालविका की तरफ देखा और सख्ती से बोली, “आप भी तो इसकी हेल्प कर सकती है ना? आप यहां किसके लिए हैं? जहां तक मुझे पता है, इसकी बेबी सिटिंग तो आप ही करती आई है ना।”
उसकी बात सुनकर मालविका को गुस्सा आया। मालविका ने इशिका की बाजू पकड़ते हुए कहा, “इशिका, ये बात करने का कौनसा तरीका हुआ तुम्हारा? तुम्हें ये लग रहा है तुम्हारी शादी हो गई तो अब तुम अपने पति के साथ खुशी-खुशी जिंदगी बिताओगी और हमारा तुमसे कोई लेना देना नहीं होगा? किसी गलतफहमी में मत रहो। जहां तक मैं तुम्हें जानती हूं, तुमने किसी ऐरे गेरे से ही शादी की होगी। कल को तुम्हारा पति और तुम दोनों पैसे मांगने के लिए इसी सिंघानिया हाउस में आओगे।”
मालविका का साथ देते हुए आयशा बोली, “मुझे लगा था कि आज मेरा खास दिन है तो तुम ठीक से पेश आओगी। कम से कम आज के दिन तो चुप रही। तुम हमारे क्लास को कभी मैच नहीं कर सकती हो लेकिन ड्रामा तो कर ही सकती हो। वो तो तुम्हें काफी अच्छे से आता है।”
आयशा और मालविका ऊंची आवाज में इशिका को डांट रहे थे तभी दरवाजे पर एक लगभग 55 साल का आदमी आया। उन्होंने ग्रे कलर का सूट पहना हुआ था। लंबी हाईट, चेहरे पर गहरी मूंछें और एक्सपेंसिव ग्लासेस। वो आदर्श सिंघानिया थे।
बाहर इस तरह चिल्लाने की आवाज सुनकर आदर्श ने दरवाजे से ही तेज और सख्त आवाज में कहा, “ये क्या लगा रखा है तुम सब ने? कम से कम आज के दिन तो इस घर में शांति बनाए रखो।” चलते हुए वो अंदर आ गए थे।
आदर्श को देखते ही मालविका ने तुरंत अपने चेहरे के भावों को बदल दिया। उसने खुद को लाचार दिखाया और धीमी आवाज में बोली, “ये सब इस लड़की की वजह से हुआ है। पहले इसके पैदा होने की वजह से सब मुझे समझ में गलत नजरों से देखते थे और आज इसने मुझे बिना बताए शादी कर ली। एक बदनामी कम थी क्या, जो दूसरी और बदनामी मेरे सिर पर ला कर रख दी।
जैसे ही आदर्श सिंघानिया ने शादी का सुना, उन्होंने इशिका की तरफ देखकर हैरानी से कहा, “तुमने शादी कर ली और हमें इस बारे में बताया तक नहीं? लाओ, तुम्हारा मैसेज सर्टिफिकेट दिखाओ, मैं भी तो देखूं वो कौन है, जिससे तुमने शादी की है। हमारे लायक है भी या नहीं।”
आदर्श को उससे कितना प्यार था या कितनी परवाह है, ये इशिका अच्छे से जानती थी। उनके कहने पर इशिका को अपना मैरिज सर्टिफिकेट निकाल कर उन्हें दिखाने के लिए आगे करना ही पड़ा। आदर्श उसे अपने हाथ में लेते उससे पहले मालविका ने उसे इशिका से छीनते हुए कहा, “लाओ, मैं भी तो देखूं, किस आवारा इंसान से शादी की है तुमने।”
मालविका को मैरिज सर्टिफिकेट देखने का मौका नहीं मिला उससे पहले ही इशिका ने वापस उससे ले लिया था। मालविका आदर्श के सामने इसके लिए उसे डांट भी नहीं सकती थी।
कोई कुछ बोलता उससे पहले आयशा ने आदर्श के चेहरे को नोटिस किया, जो नर्वस लग रहे थे। आयशा ने खड़े होकर आदर्श के पास आकर पूछा, “क्या हुआ डैड? आप नर्वस लग रहे हो? राजवंश फैमिली तो पहले भी यहां आ चुकी है फिर परेशान होने की क्या जरूरत है।”
उसने गहरी सांस ली और हल्की एक्साइटेड आवाज में कहा, “परेशान नहीं हूं बेटा, नर्वस हूं। एक्चुअली वो अभिमन्यु राजवंश भी आ रहे हैं ना, इसलिए।”
आदर्श के मुंह से अभिमन्यु राजवंश का नाम सुनकर इशिका चौक गई थी। शायद उसे आदर्श से उस अनजान पति के बारे में कुछ पता चल सकता था।
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इशिका सिंघानिया मेंशन आई हुई थी, जहां उसने अपनी शादी के बारे में अपने डैड मिस्टर आदर्श सिंघानिया को बताया। उन्होंने फॉर्मेलिटी के लिए इशिका से उसका मैरिज सर्टिफिकेट मांग लिया। उसके अलावा आदर्श को इशिका से कोई खास लगाव नहीं था। सालों से वो दोनों मिले तक नहीं थे।
आदर्श सिंघानिया थोड़े नर्वस नजर आ रहे थे और हल्के परेशान भी। उनकी परेशानी का कारण आयशा ने पूछा तो उन्होंने अभिमन्यु राजवंश का नाम दिया। उनके मुंह से अभिमन्यु राजवंश का नाम सुनकर इशिका गौर से उनकी बातें सुनने लगी। ये वही शख्स था, जिसकी शादी इशिका के साथ पहले से रजिस्टर्ड थी।
आयशा ने हैरानी जताते हुए कहा, “अभिमन्यु राजवंश? और ये कौन है? मैंने कभी इनका नाम नहीं सुना? ना ही नक्ष के मुंह से और ना ही किसी भी राजवंश फैमिली के मुंह से।”
आदर्श ने गहरी सांस लेकर कहा, “नाम तो तब सुनोगी ना, जब वो राजवंश फैमिली के साथ मुंबई में रहेंगे। एक्चुअली अभिमन्यु राजवंश नक्ष के चाचा है। रिश्ते में भले ही वो नक्ष से बड़े हो, लेकिन उम्र में 1 साल का ही फर्क है।”
“हां तो आने दीजिए। क्या फर्क पड़ता है? इसमें इतना नर्वस होने जैसा कुछ नहीं है। मालविका ने बेपरवाही से कहा।
उसकी बात पर आयशा ने भी सहमति जताई, तभी आदर्श ने सिर हिला कर कहा, “नर्वस इसलिए हो रहा हूं क्योंकि हमारा अगला प्रोजेक्ट राजवंश एंपायर्स के साथ होने जा रहा है।पूरे राजवंश एंपायर्स की सारी पावर्स अभिमन्यु राजवंश के पास ही है।”
जैसे ही मालविका और आयशा ने ये सुना तो वो दोनों हैरान रह गई। मालविका ने झट से कहा, “लेकिन नक्ष तो इकलौता बेटा है इस जेनरेशन का, फिर अभिमन्यु के पास सारी पॉवर्स कैसे हो सकती है।”
“हां सबको यही लगता है। राजवंश फैमिली को भी यही लगा था कि सारी प्रॉपर्टी इस जनरेशन में नक्ष के पास जाएगी और वही कंपनी का प्रेसिडेंट बनेगा लेकिन अभिमन्यु भी यंग है। उससे पहले अभिमन्यु का हक बनता है और अभी तक सब कुछ अभिमन्यु के पास ही है। दोनो भाइयों में प्रॉपर्टी का बराबर बंटवारा हुआ था, लेकिन नक्ष के डैड का बिजनेस नुकसान में गया तो अभिमन्यु ने ही सब संभाला था और उसके बाद सब उसी का है। सारे इंर्पोटेंट डिसीजन वही लेता है।” आदर्श सिंघानिया ने बताया।
उनकी बातें सुनकर इशिका को इतना तो पता चल गया था कि उसकी शादी किसी आम इंसान से नहीं हुई थी। जिस राजवंश फैमिली में पैसे के चलते उसकी मां मालविका ने उसका रिश्ता नक्ष के साथ नहीं होने दिया था, वहीं अब अनजाने में राजवंश खानदान की बहू बन चुकी थी। वो भी उस शख्स की पत्नी, जिसके पास पूरे राजवंश एंपायर की बागडोर थी।
मालविका के चेहरे पर अफसोस के भाव थे। वो धीरे से बोली, “मुझे लगा था नक्ष के पास ही सब कुछ है। क्या ऐसा नहीं हो सकता अभिमन्यु और आयशा की शादी करवा दी जाए?
मालविका के कहते ही आयशा ने भी उम्मीद भरी नजरों से उनकी तरफ देखा। आदर्श ने जवाब में कहा, “चाहता तो मैं भी यही था लेकिन मिस्टर अभिमन्यु सिंघानिया शादीशुदा है।
“तब तो उनकी पत्नी बहुत किस्मत वाली होगी। क्या वो यहां आज अपनी पत्नी के साथ आने वाले हैं? मालविका ने झट से पूछा।
“नहीं, उनकी पत्नी को कहीं बाहर जाना पसंद नहीं है। उन्हें कभी एक साथ नहीं देखा गया। मिस्टर अभिमन्यु राजवंश खुद अब ही इंडिया आए हैं। पहले वो लंदन से ही सारा बिजनेस संभाल रहे थे, तभी शायद लोगों को गलतफहमी हो गई कि राजवंश एंपायर्स का असली मालिक नक्ष राजवंश है।” आदर्श ने उन्हें सब बताते हुए कहा।
वो आपस में बातें कर ही रहे थे तभी एक हाउस हेल्पर आया और उसने दरवाजे पर से ही नजरे झुका कर हल्की तेज आवाज में बोला, “सर राजवंश फैमिली यहां पहुंचने वाली है, लगभग 15 मिनट में...”
“अच्छा ठीक है मैं आता हूं और सारे अरेंजमेंट देख लेता हूं।” आदर्श ने जवाब दिया और फिर वहां से जाने को हुआ, तभी उसकी नजर इशिका की तरफ गई। उसने इशिका की तरफ देखकर हल्के नरम लहजे में कहा, “हालांकि तुमने कोई अच्छा काम नहीं किया है, फिर भी इतने सालों बाद घर पर आई ही हो तो इस सेलिब्रेशन को इंजॉय करो। बेहतर होगा कि तुम उनके सामने अपने पति और शादी का जिक्र ना करो।”
इशिका ने हां में सिर हिलाया। आदर्श वहां से चले गए थे। उनके जाते ही मालविका ने आयशा की तरफ देखकर कहा, “अगर कंपनी का मालिक खुद यहां तक चल कर आ रहा है तो तुम्हारी ज्वेलरी इस हिसाब से बिल्कुल सही नहीं है। किसी भी मामले में हम कम नहीं लगने चाहिए।”
इतना कहने के बाद मालविका आयशा की ज्वेलरी चेंज करने लगी जबकि इशिका वहां चुपचाप खड़ी वो तमाशा देख रही थी।
तैयार होते हुए आयशा की नजर इशिका की तरफ गई तो वो पूरे एटीट्यूट से बोली, “तुम यहां खड़ी कुछ कर तो रही नहीं, ऐसा करो मेरे लिए एक गिलास फ्रेश लेमन जूस लेकर आओ।”
इशिका ने कुछ नहीं कहा और वहां से जाने लगी। वैसे भी उसे वहां रहकर अंदर ही अंदर घुटन महसूस हो रही थी। अगर इशिका अपनी मर्जी से जाती तो मालविका उसे ही दो बातें सुनाती कि वो अपनी बहन से जल रही है।
मालविका ने आयशा की ज्वेलरी बदली। तैयार होने के बाद आयशा का सारा ध्यान खुद को देखने में लगा था तो वही मालविका इमोशनल होकर उसकी तरफ देख रही थी।
वो मन ही मन बोली, “तुम ये सब डिजर्व करती हो मेरी जान...मेरी बेटी। अपनी बेटी पर मैं नाजायज होने का ठप्पा लगने भी कैसे दे सकती थी.. आज अगर वो राधिका मर्चेंट नहीं होती तो मैं और आदर्श की शादी कर चुके होते। किस्मत अच्छी थी जो मैंने डॉक्टर से बात की और जानबूझकर उसी दिन अपने डिलीवरी करवाई, जिस दिन राधिका अपने बच्चों को जन्म देने वाली थी। वो तो नर्स की मदद से मैंने तुम दोनों को बदल दिया वरना आज जो हालत इशिका की हो रही है, वो मेरी बेटी की होती। नहीं, मेरी बेटी सब कुछ अच्छा डिजर्व करती है। तुम एक अमीर लड़के के साथ शादी करके अच्छी लाइफ बिताओगी।”
मालविका दास एक शातिर औरत थी। बहुत साल पहले जब राधिका की डिलीवरी होने वाली थी तब उसने 15 दिन पहले अपने डिलीवरी करवाई। दोनों ने ही लड़कियों को जन्म दिया था और मालविका ने दोनों बच्चों को आपस में बदल दिया था। उसकी खुद की बेटी आज अच्छी जिंदगी बिता रही थी, जिससे वो काफी प्यार से पेश आती थी।
आयशा भी अपनी मां से ज्यादा मालविका से घुल मिलकर रहती थी। इन सब में सिंघानिया फैमिली की जायज औलाद इशिका सिंघानिया सफर कर रही थी।
वही इशिका नीचे पहुंची वो मन ही मन बड़बड़ा कर बोली, “थैंक गॉड इस नर्क से छुटकारा मिला। कभी-कभी लगता है कि मालविका दास मेरी मां नहीं है, वो आयशा की मां है, जो हमेशा उसकी फ़िक्र करती है। खैर मुझे क्या, मैं अपने साथ जीना और रहना सीख लिया है। उम्मीद है कि आज के बाद मुझे मालविका से कभी ना मिलना पड़े।”
इशिका को भी मालविका कुछ खास पसंद नहीं थी। पसंद करती भी क्यों, आखिर कभी मालविका उसके साथ प्यार से पेश नहीं आई। यहां तक कि वो बचपन में उसे ठीक से खाना तक नहीं देती थी।
इशिका को मजबूरी में सिंघानिया फैमिली के जूठे छोड़े हुए खाने को, जो जानवरों के लिए आता था, उसमें से लेकर खाना खाना पड़ता था। एक दिन उसे ऐसा करते हुए मिस्टर आदर्श सिंघानिया की रियल वाइफ राधिका मर्चेंट ने देख लिया था और तब से वो उसके लिए अलग से खाना भिजवाने लगी। राधिका एक अच्छी औरत थी, जिसने इशिका को कभी मालविका के किए की सजा नहीं दी।
इशिका खोई हुई चल रही थी तभी उसके कानों में किसी के खांसने की आवाज आई। इशिका ने जल्दी से दूसरी तरफ देखा तो वो राधिका थी, आदर्श सिंघानिया की पत्नी।
एक हाउस हेल्पर राधिका को बाहर लेकर आ रहा था। उसने बेबी पिंक कलर का सिंपल ड्रेस पहना हुआ था। एक दुबली पतली खूबसूरत महिला, जो बीमारी में भी अच्छी दिख रही थी।
हाउस हेल्पर उसे संभालते हुए बोली, “मैडम आप रहने दीजिए। आपकी तबीयत ठीक नहीं है। वो आपसे मिलने के लिए आपके कमरे में ही आ जाएंगे।”
“नहीं, मैं ठीक हूं। अपनी बेटी के इतने खास मौके को मिस नहीं कर सकती।” इतना कहकर राधिका बाहर की तरफ बढ़ने लगी, जिसमें हाउस हेल्पर उनकी मदद कर रहा था।
इशिका ने उन्हें देखकर हल्की सी मुस्कुराहट दी। वो धीरे से बोली, “राधिका आंटी को अचानक हो क्या गया, जो वो इतना बीमार हो गई। अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है।” इशिका को अपनी मां मालविका से ज्यादा राधिका से लगाव था।
इशिका उनकी तरफ देख रही थी तभी बाहर सभी हाउस हेल्पर जाने लगे। वो समझ गई थी राजवंश फैमिली आ गई है। इशिका ने भी अपने कदम बाहर की तरफ बढ़ा दिए, आखिर उसे अपने अननोन हसबैंड को जो देखना था।
इशिका ने थोड़ा दूर से देखा। एक बड़ी सी ब्लैक लग्जीरियस गाड़ी वहां आकर रूकी। उसमें से एक शख्स निकला, जिसे काफी सारे गार्ड्स ने घेर रखा था।
इशिका ने दूर से उसकी तरफ देखा और मन ही मन बड़बड़ा कर बोली, “तो तुम हो अभिमन्यु राजवंश।”
इशिका दूर से उसकी तरफ देख रही थी। वो उस ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में इतना अट्रैक्टिव लग रहा था, तो रियल में हैंडसम लगना ही था। लगभग 5 फुट 11 इंच हाइट, परफेक्ट मस्कुलर बॉडी, गोरा रंग, गहरी काली आंखें और ब्रांडेड नेवी ब्लू सूट में वो बिल्कुल किसी प्रिंस की तरह लग रहा था।
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कैसी होगी इशिका और अभिमन्यु की पहली मुलाकात? क्या अभिमन्यु इशिका के सामने इस सच को कबूल करेगा कि वो उसकी पत्नी है या इशिका उसे अपनी सच्चाई बता पायेगी?
इशिका को अपने अननोन हसबैंड अभिमन्यु राजवंश के बारे में पता चल चुका था। वो उसकी बहन आयशा के फियांसे नक्ष राजवंश का चाचा था, जिसके पास राजवंश एंपायर्स की पूरी ऑथोरिटी थी।
आज जब राजवंश फैमिली नक्ष और आयशा की शादी फिक्स करने के लिए आने वाले थे, तब अभिमन्यु राजवंश भी वहां आ रहा था। वो कुछ दिनों पहले ही इंडिया आया था। इन सब के चलते इशिका को अभिमन्यु से मिलने का मौका मिल गया।
इशिका सिंघानिया विला के गार्डन एरिया में खड़ी सामने की तरफ देख रही थी, जहां अभी-अभी राजवंश फैमिली आई थी। अभिमन्यु अपनी अलग ब्लैक लग्जरियस कार से बाहर निकला था।
“एक तो इसे ठीक से देख भी नहीं पा रही हूं। इतने सारे गार्ड्स के बीच में इसका चेहरा भी नहीं नजर आ रहा।” इशिका ने धीरे से कहा। वो अपने पंजों के बल खड़े होकर इधर-उधर अभिमन्यु को देखने की कोशिश करने लगी।
आदर्श सिंघानिया और राधिका सिंघानिया भी वहीं पर थे। वो गेस्ट को ग्रीट कर रहे थे। उनके बीच हल्की फुल्की बातचीत हो रही थी, जो इशिका इतनी दूर से सुन नहीं पा रही थी। उनके सबके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
लगभग 7 से 8 मिनट बाद जब वो अंदर आने लगे, तब इशिका ने अभिमन्यु को गौर से देखा। परफेक्ट हाइट, बॉडी और इंप्रेसिव पर्सनेलिटी का एक ऐसा लड़का, जिसे हर एक लड़की अपने ख्यालों में सोचती है। बिल्कुल वैसा ही था, अभिमन्यु राजवंश।
“हां ये वही है।” इशिका ने बिल्कुल धीरे से कहा। भले ही उसने अभिमन्यु की छोटी पासपोर्ट साइज ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देखी हो लेकिन वो उसे पहचान गई थी।
अभिमन्यु उनके साथ अंदर बढ़ रहा था तभी उसकी नजर वहां खड़ी इशिका पर गई। सिंपल से कैजुअल्स पहने एक अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी की लड़की। एक पल के लिए अभिमन्यु ने उसे गौर से देखा तो इशिका को लगा कि वो उसे जानता होगा। उन दोनों की नजरे आपस में टकराई तो इशिका के दिल की धड़कनें हल्की तेज हो गई।
लेकिन अगले ही पल अभिमन्यु ने अपनी नज़रें सामने की तरफ की और बिल्कुल सधे हुए तरीके से आगे बढ़ने लगा।
“उसने मेरी तरफ देखा, इसका मतलब ये मुझे जानता है? इसे बताना ही होगा कि इसने कब और कैसे मुझसे शादी की.. और मुझसे ही शादी क्यों की।” इशिका ने मन ही मन बड़बड़ा कर कहा और तेज कदमों से चलती हुई उनके पीछे जाने लगी।
इशिका को कुछ भी करके अभिमन्यु के बारे में जानना था इसलिए वो लिविंग रूम में आ गई थी। वहां राजवंश फैमिली और सिंघानिया फैमिली बैठी हुई थी। आयशा अभी नीचे नहीं आई थी। इन सब के बीच नक्ष ने एक नजर गुस्से से इशिका की तरफ देखा। वो इशिका का सीनियर था। उम्र लगभग 24 साल, पांच फीट ग्यारह इंच हाइट, दिखने में हैंडसम।
उससे नज़रें मिलते ही इशिका ने अपनी नजर चुरा ली थी। उसकी कोई गलती नहीं थी फिर भी नक्ष उसे नफरत से देख रहा था।
इशिका लिविंग रूम के अंदर पूरी तरह नहीं गई थी। वो दरवाजे के पास एक तरफ खड़ी हुई थी। उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया, इस बीच मालविका आयशा को लेकर वहां पहुंची।
“लो आयशा भी आ गई।” आदर्श ने आयशा की तरफ इशारा करके कहा।
आयशा उनके बीच में जाकर बैठ चुकी थी तभी मालविका का ध्यान इशिका की तरफ गया। उसने गुस्से से उसकी तरफ देखा और फिर इशिका के पास जाकर खड़ी हो गई।
मालविका दबी लेकिन गुस्से भरी आवाज में बोली, “तुम यहां क्या कर रही हो? मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि यहां खड़े होने की तुम्हारी हैसियत नहीं है।”
“मुझे मिस्टर सिंघानिया ने यहां रुकने के लिए कहा था।” इशिका ने शांत लहजे में जवाब दिया।
“उन्होंने कहा और तुम रुक गई?” मालविका बहुत चिढ़कर बोली, “वो तुम्हारे डैड है और तुम उन्हें मिस्टर सिंघानिया कहकर बुलाती हो...तुम कब से उनकी बात का मान रखने लग गई।”
इशिका ने मालविका की तरफ तिरछी निगाहों से देखा और वापस सामने की तरफ देखने लगी। उसने उन्हें पूरी तरह इग्नोर किया। इशिका के इस हरकत ने मालविका को और चिढ़ा दिया।
मालविका ने इशिका का हाथ कसकर पकड़ा और उसे दबाते हुए कहा, “मैं तुम्हें अच्छे से जानती हूं। तुम यहां नक्ष के लिए रुकी हुई हो ना? अब तो कम से कम उसका पीछा छोड़ दो। तुम्हारी शादी हो गई है, ऊपर से वो तुम्हारी बहन का होने वाला पति है।”
इशिका ने मालविका का हाथ झटका और गुस्से में जवाब दिया, “मुझे किसी शादीशुदा इंसान की गर्लफ्रेंड बनने का कोई शौक नहीं है।” इनडायरेक्टली इशिका ने मालविका को ताना मारा था। आखिर वो वही तो थी, मिस्टर आदेश सिंघानिया की गर्लफ्रेंड।
“तुम मुझ पर कीचड़ उछाल रही हो? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई।बाहर निकलो यहां से, इससे पहले कि कोई तमाशा खड़ा करो।” मालविका ने अपने गुस्से को कंट्रोल करके धीमी आवाज में कहा।
वो चिल्लाकर कोई सीन क्रिएट नहीं करना चाहती थी वरना इशिका ने अभी-अभी जो कहा था, उसके बाद वो उसके गाल पर एक थप्पड़ लगा देती।
इशिका ने गहरी सांस ली। वो मालविका की बात का कोई जवाब देती उससे पहले उसने देखा अभिमन्यु कॉल पर बात करता हुआ लिविंग रूम के दूसरे दरवाजे से निकल गया।
उसे वहां से जाते देखा इशिका ने जल्दी से कहा, “अच्छा ठीक है, मैं जा रही हूं यहां से।”
“यही बेहतर रहेगा।” मालविका ने जवाब दिया और इशिका का हाथ छोड़ दिया। मालविका वहीं पर थी और इशिका अब लिविंग रूम से निकल गई थी।
मालविका ने इशिका पर ध्यान नहीं दिया। वो बाहर जाने के बजाय अभिमन्यु के पीछे जा रही थी। वो बात करने के लिए विला के बैक डोर से गार्डन में पहुंचा। वहां आसपास कोई लोग नहीं थे।
इशिका तेज कदमों से उसके पास पहुंची। वो इंतजार करने लगी कि कब अभिमन्यु की बात खत्म हो और वो पलट कर देखें।
जैसे ही अभिमन्यु की बात खत्म हुई, वो दूसरी तरफ पलटा। उसने इशिका को सर्द निगाहों से देखा। उसका ओरा काफी शानदार था। फिर भी इशिका को कोई फर्क नहीं पड़ा।
इशिका पूरे एटीट्यूट से उसके सामने गई और अभिमन्यु की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए हल्का मुस्कुराकर कहा, “कैसे हो तुम डार्लिंग...।”
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अभिमन्यु राजवंश सिंघानिया हाउस आया हुआ था। वो कॉल पर बात करने के लिए गार्डन एरिया में आया, इस बीच मौका देखकर इशिका उसके पीछे पहुंच गई थी।
जैसे ही अभिमन्यु बात करके पीछे पलटा तो इशिका ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और सीधा उसे डार्लिंग कह कर बुलाया। इशिका उसके चेहरे के हर एक एक्सप्रेशन को नोटिस कर रही थी। वो देखना चाहती थी कि उसके डार्लिंग कहने पर अभिमन्यु क्या रिस्पांस करता है।
वही अभिमन्यु ने इशिका की तरफ सर्द निगाहों से देखा। वो कुछ पल उसके खूबसूरत चेहरे को गौर से देखता रहा, फिर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और सीधा दूसरी तरफ जाने लगा।
“क्या इसने मुझे इग्नोर कर दिया?” इशिका मन ही मन बड़बड़ाकर बोली और फिर जल्दी से दौड़कर उसके सामने जाकर खड़ी हो गई। इशिका ने अभिमन्यु का रास्ता रोक लिया था।
उसकी इस हरकत पर अभिमन्यु इरिटेट होकर धीरे से बोला, “मेरे रास्ते से हटो।”
ये पहली बार था, जब इशिका ने अभिमन्यु की आवाज सुनी थी। एक ऐसी आवाज, जो काफी गहरी और खूबसूरत थी। उसकी पर्सनेलिटी के साथ उसकी आवाज काफी मैच करती थी। इरिटेट होने पर भी वो काफी एलिगेंट लग रहा था।
इशिका ने गहरी सांस ली और फिर पूछा, “मिस्टर राजवंश रियली? आप मुझे नहीं जानते?” इशिका ने ऐसा इसलिए पूछा क्योंकि अभिमन्यु की आंखों से कहीं भी जाहिर नहीं हो रहा था कि वो उसे अच्छे से जानता हो।
अभिमन्यु ने उसे भौहें उठाकर देखा और कहा, “पर क्या मुझे आपके बारे में जानना चाहिए?”
अभिमन्यु का जवाब सुनकर इशिका एक पल सोच में पड़ गई थी। जब उसने घर में एंट्री ली थी तब अभिमन्यु ने इशिका को देख लिया था। उसके बाद लिविंग रूम में भी वो नजर बचाकर उसे देख रहा था।
लेकिन अभिमन्यु के देखने का नजरिया कुछ और था। इशिका उसे बात बाकी लड़कियों से अलग लगी। पहले भी लड़कियां इंप्रेस करने के लिए उसके पास आती थी, जो दिखने में खूबसूरत होती थी लेकिन इशिका अलग थी। उसने कोई एक्स्ट्रा एफर्ट नहीं डाले थे, ना कोई महंगे कपड़े पहने थे और ना ही अपने चेहरे पर बहुत सारा मेकअप थोप रखा था। शायद यही वजह थी कि अभिमन्यु उसे गौर से देख रहा था।
अभिमन्यु ने गहरी सांस ली और फिर कहा, “आपकी हिम्मत की दाद देनी होगी मिस। आज से पहले और भी लड़कियां मुझे इंप्रेस करने के लिए मेरे आगे पीछे घूमती रहती है लेकिन आपने तो सीधा ही मुझे डार्लिंग कह कर बुला लिया?”
“एक्सक्यूज मी? आपकी गलतफहमी है कि मैं आपको इंप्रेस करना चाहती हूं।” इशिका ने हड़बड़ा कर जवाब दिया। उसकी हरकतें कुछ ऐसा ही जाहिर कर रही थी।
“ठीक है फिर मेरी रास्ते से हटिए।” अभिमन्यु ने सिर हिला कर कहा और जाने को हुआ लेकिन इशिका वापस उसके सामने आ गई थी।
इस बार इशिका की हरकत ने सच में अभिमन्यु को थोड़ा ज्यादा इरिटेट कर दिया था। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स डार्क हो गए। वो इशिका की तरफ देखकर गंभीर आवाज में बोला, “बिहेव योरसेल्फ... मैं पहले से शादीशुदा हूं, तो तुम्हारी मुझे इंप्रेस करने की उल्टी सीधी हरकतें कोई काम नहीं आएगी।”
अभिमन्यु की बात सुनकर इशिका चौक गई। अभिमन्यु शादीशुदा होने का दावा कर रहा था और अपनी पत्नी को नहीं पहचान पा रहा था।
अभिमन्यु के चेहरे के एक्सप्रेशंस भी कुछ खास नहीं बता रहे थें। इशिका ने मन ही मन कहा, “तो क्या ब्यूरोक्रेसी वालों से कोई गड़बड़ हुई है? लेकिन उनसे गलती नहीं होती है।”
इशिका ने कुछ पल रुक कर सख्ती से कहा, “और आपकी वाइफ कौन है मिस्टर राजवंश?”
“इट्स नन ऑफ़ योर बिजनेस।” अभिमन्यु ने काफी बेरुखी और सख्ती से जवाब दिया।
उसकी बातें और हरकतें अब इशिका के सिर से ऊपर जा रही थी। वो भी अपने उस अननोन हस्बैंड के बारे में जानना चाहती थी लेकिन अब जब वो उसके सामने खड़ा था तो वो उनकी शादी तक को झुठला रहा था।
इशिका ने अपने बैग से मैरिज सर्टिफिकेट निकाला और अभिमन्यु के सामने कर दिया था। इशिका ने अभिमन्यु की फोटो पर उंगली लगाकर कहा, “तो क्या इस सर्टिफिकेट में ये आप नहीं है मिस्टर राजवंश?”
अभिमन्यु ने इशिका के हाथ से मैरिज सर्टिफिकेट की कॉपी ली और फिर उसे देखने लगा। वहां ब्राइड में इशिका की फोटो थी और साइड में मिस इशिका सिंघानिया लिखा हुआ था।
इशिका को लगा कि अब तो अभिमन्यु को उसकी बात पर यकीन हो ही जाएगा। अचानक अभिमन्यु के चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई, जो उसके होठों के बजाय उसकी आंखों में दिख रही थी। अभिमन्यु इशिका को ऐसे देखा रहा था, जैसे वो इशिका का मजाक बना रहा हो।
अभिमन्यु ने सर्टिफिकेट इशिका को देते हुए काफी रूडली कहा, “आपको नहीं लगता मिस सिंघानिया कि अगर आप इस प्रिंट को ब्लैक एंड व्हाइट ना बनवा कर थोड़े और पैसे खर्च करती तो ये ज्यादा रियल लगता? अगली बार ऐसे ही किसी अमीर आदमी के साथ में शादी का सर्टिफिकेट लेकर जाना हो तो किसी अच्छे आदमी को हायर करना, जो ये काम प्रोफेशनली करता हो।”
अभिमन्यु ने सिर हिलाया और इशिका का हाथ पकड़ कर उसमें मैरिज सर्टिफिकेट थमा दिया था। उसने सीधे-सीधे उनके मैरिज सर्टिफिकेट को फेक साबित कर दिया था। इशिका आगे कुछ कह पाती उससे पहले अभिमन्यु बाहर पार्किंग एरिया की तरफ जाने लगा। उसका मूड देखकर साफ था कि अब उसका फैमिली के बीच जाने का कोई इरादा नहीं था।
इशिका के पास यही मौका था, जब वो सच जान सकती थी। वो जल्दी से दौड़कर अभिमन्यु के पीछे गई और जोर से चिल्ला कर बोली, “मिस्टर राजवंश, आप चाहो तो इसकी जांच करवा सकते हो। ये सर्टिफिकेट फेक नहीं है, ये रियल है।”
अभिमन्यु ने उसकी तरफ पलट कर देखा तक नहीं और ना ही उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो सीधा अपनी गाड़ी में बैठा और वहां से चला गया। इशिका उस तक पहुंचती उससे पहले अभिमन्यु के गार्ड्स ने उसे रोक लिया था।
इशिका के चेहरे पर मायूसी के भाव थे और साथ ही परेशानी भी। एक तो अचानक से उसकी शादी हो गई थी, ऊपर से एक ऐसे शख्स से, जिसे वो जानते तक नहीं थी। ऊपर से जिससे शादी हुई थी, वो उसे जानता तक नहीं था। वो तो उनके मैरिज सर्टिफिकेट तक को भी झूठ ठहरा रहा था।
“मैं हार नहीं मानूंगी और सच जानकर रहूंगी।” इशिका ने मजबुती से कहा और फिर अपनी स्कूटी लेकर अभिमन्यु के पीछे जाने लगी।
वही दूर से आयशा इशिका और अभिमन्यु को देख रही थी। उसे इतनी दूर से कुछ सुनाई तो नहीं दे रहा था पर ये जरूर समझ आ रहा था कि इशिका अभिमन्यु के पीछे दौड़ रही थी। अभिमन्यु ने उसे पूरी तरह इग्नोर किया था और वहां से चला गया।
इशिका को अभिमन्यु के करीब जाते देखकर आयशा मन ही मन बोली, “ये लड़की नहीं सुधरने वाली है। पैसे वाला आदमी देखा नहीं और उसके पीछे दौड़ कर चली गई। ये भूल गई है क्या आज ही इसने एक सड़क छाप आदमी से शादी की है।”
आयशा वहां से उठी और गुस्से में बाहर आई। आयशा उन तक पहुंचती उससे पहले इशिका और अभिमन्यु दोनों ही जा चुके थे।हड़बड़ाहट में आयशा अभिमन्यु के हेड सिक्योरिटी गार्ड से टकरा गई।
“ओह आई एम रियली सॉरी।” आयशा ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा, “बाहर कुछ हुआ है क्या? आई मीन मैंने देखा कि मिस्टर अभिमन्यु राजवंश यहां से चले गए। क्या वो नाराज हैं या किसी ने उन्हें गुस्सा दिला दिया।”
“ऐसा कुछ नहीं हुआ, बस उन्हें कुछ जरूरी काम याद आ गया मिस। इस वजह से उन्हें जाना पड़ा। आप प्लीज अपनी फैमिली को इन्फॉर्म कर दीजिएगा। मैं भी बस यही बताने के लिए अंदर आया था।” हेड सिक्योरिटी गार्ड ने हल्का मुस्कुरा कर कहा और फिर वहां से चला गया। वो इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं बोला क्योंकि उसने अभिमन्यु को इशिका पर गुस्सा होते हुए नहीं देखा था।
इस बीच राजवंश फैमिली ने आयशा और नक्ष की शादी की डेट फिक्स की और वहां से चले गए। इन सब में आयशा काफी गुस्सा थी। एक तो उसकी वजह से अभिमन्यु वहां से चला गया था, ऊपर से नक्ष भी उसे कुछ खास भाव नहीं दे रहा था। वो इसका कारण भी अच्छे से समझती थी।
इशिका की वजह से आयशा अंदर से उबल रही थी। वो बाहर से वापस लिविंग रूम में पहुंची तो उसने देखा मिस्टर आदर्श सिंघानिया थोड़े परेशान वहां खड़े थे। उनके एक तरफ मालविका थी जबकि राधिका अपने कमरे में वापस जा चुकी थी।
आयशा वहां पर पहुंची तो आदर्श ने मालविका से कहा, “मुझे लगा था कि आज मैं मिस्टर अभिमन्यु राजवंश से अपनी डील की बात करूंगा लेकिन वो तो बीच में ही चले गए। वो अचानक से गए। क्या कुछ हुआ था यहां पर?”
मालविका कुछ कहती उससे पहले आयशा ने जल्दी से कहा, “मैंने उन्हें जाते हुए देखा था। इशिका उनके साथ थी। जाते वक्त उन्होंने एक मैसेज छोड़ा था। उन्होंने अपने बॉडीगार्ड से एक बात कहलाई थी।”
आयशा की बात समझते हुए मालविका ने कहा, “हां मैं तुम्हें पूछने वाली ही थी कि तुम उसके बॉडीगार्ड से क्या बात कर रही थी?”
आयशा ने मासूम चेहरा बनाया और फिर कहा, “डैड उन्होंने आपके लिए एक मैसेज छोड़ा है।”
“कैसा मैसेज?” आदर्श ने हैरानी से पूछा।
आयशा कुछ पल रुक कर बोली, “एक्चुअली उन्होंने कहा है कि आपको अपनी बेटी को थोड़े मैनर्स सीखने चाहिए। मैं तो पूरे टाइम राजवंश फैमिली के साथ बैठी हुई थी, वो इशिका के बारे में बात कर रहे थे। डैड मुझे तो कहते हुए भी शर्म आ रही है, उस लड़की का कोई ईमान धर्म नहीं है। उसे ये तक भी फिक्र नहीं कि वो सिंघानिया फैमिली से जुड़ी हुई है।”
“सीधे-सीधे कहो आयशा तुम क्या कहना चाहती हो।” मालविका गुस्से में बोली।
“मालविका आंटी, इशिका उन्हें सेड्यूस करने की कोशिश कर रही थी। पहले नक्ष तो अब अभिमन्यु... उसे पता जो चल गया कि राजवंश फैमिली की सारी पावर अभिमन्यु के पास है। पहले नक्ष के पास सारी पावर है, ये सोचकर वो उसके आगे पीछे घूमती थी और उसे अपने जाल में फंसा लिया। जब नक्ष को सब समझ में आया और उसने उससे पीछा छुड़ा लिया तो वो अभिमन्यु के पीछे पड़ गई। अभिमन्यु बिल्कुल अलग है तभी वहां से चले गए और इशिका के बारे में आपसे कंप्लेंट की है।” आयशा ने मौके का फायदा उठाकर इशिका के खिलाफ आदर्श सिंघानिया को अच्छा खासा भड़का दिया था।
आदर्श के चेहरे पर इस वक्त गहरे गुस्से के भाव थे। ऐसा ही हाल मालविका का था। बचपन से आयशा यही तो करते आई थी। खुद को ज्यादा अटेंशन देने के लिए वो इशिका को हमेशा नीचे गिरा देती थी और आज तो उसने अपनी हद पार कर दी थी। सबसे अनजान आदर्श की गुस्से से मुट्ठियां बंधी हुई थी और अब वो एक कड़ा फैसला लेने जा रहे थे।
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इशिका इस वक्त अपनी स्कूटी पर थी और वो अभिमन्यु राजवंश का पीछा कर रही थी। ट्रैफिक की वजह से अभिमन्यु आगे निकल चुका था, जबकि इशिका पीछे रह गई।
इशिका को अब खुद पर पछतावा हो रहा था क्योंकि उसने अभिमन्यु की गाड़ी को खो दिया था। उसने गहरी सांस लेकर कहा, “मैंने जल्दबाजी दिखा दी। मुझे आराम से पूछना चाहिए था। क्या जरूरत थी उसे सीधे-सीधे जाकर डार्लिंग कहने की?”
इशिका ने अब अभिमन्यु के पीछे जाने के बजाय अपनी स्कूटी घुमा ली। वो थोड़ी ही आगे पहुंची होगी कि उसके पास एक कॉल आया।
स्क्रीन पर दिशांक राठौर का नाम फ्लैश हो रहा था। इशिका ने अपने चेहरे के भाव सख्त किए और कॉल रिसीव किया।
सामने से दिशांक की धीमी आवाज आई और वो बोला, “मैम कुछ लोग डॉक्टर मर्चेंट के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।”
दिशांक की बात सुनकर इशिका ने इधर-उधर देखते हुए धीरे से पूछा, “तो क्या उन्हें पता चल गया?”
“अरे नहीं, मैंने बस अवेयर करने के लिए कॉल किया था।” दिशांक ने जवाब दिया। वो लगभग 28 साल के आसपास था, जिसके कर्ली हेयर थे। दिखने में हैंडसम और ज्यादा बोलने वाला लड़का। कुछ पल रुक कर वो हल्के तरीके से आगे बोला, “वैसे कोई कितना भी पता लगाने की कोशिश कर ले लेकिन ये आइडिया किसी को नहीं होगा, वो जिस डॉक्टर मर्चेंट को ढूंढ रहे हैं वो तो एक सीधी साधी कॉलेज स्टूडेंट है, जिसकी अभी-अभी ग्रेजुएशन पूरी हुई है और वो पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही है। सबको यही लगता होगा कि हाइड्रोजन फ्यूल पर जो इतनी बड़ी रिसर्च हो रही थी, उसके इशू को एक 22 साल की कॉलेज स्टूडेंट ने सॉल्व किया है। नाम सुनकर ऐसे लगता होगा कि कोई बड़ा बुजुर्ग एक्सपीरियंस्ड इंसान होगा। वो तो ये तक नहीं जानते कि वो आदमी है या औरत। बस एक नाम है डॉक्टर मर्चेंट और वो डॉक्टर मर्चेंट...”
दिशांक लगातार बोले जा रहा था। उसकी बकबक से इरिटेट होकर इशिका ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “कुछ और?”
दिशांक समझ गया था कि उसकी बॉस को उसका बढ़ा चढ़ा कर उसकी तारीफ करना पसंद नहीं आ रहा था। दिशांक ने अपने चेहरे के एक्सप्रेशंस को नॉर्मल किया और कहा, “हां, मैंने अभिमन्यु राजवंश के बारे में पता लगा लिया है।”
इशिका थोड़ा बहुत अभिमन्यु के बारे में जान चुकी थी, फिर भी वो दिशांक से बोली, “ठीक है बताओ, तुमने उसके बारे में क्या पता लगाया है।”
दिशांक के हाथ में एक फाइल थी। उसने जल्दी से उसे खोला और उसमें से देखते हुए बोला, “अभिमन्यु राजवंश प्रशांत राजवंश का छोटा बेटा है। हां उम्र काफी कम है क्योंकि वो बहुत बाद में पैदा हुआ था। इतना बाद में कि उसके बड़े भाई की शादी तक हो चुकी थी। बचपन से ही काफी एरोगेंट और जिद्दी होने की वजह से उसे बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया गया था। सुना है एक वक्त में राजवंश एम्पायर के ज्यादातर शेयर्स उसके पास है। कंपनी और फैमिली का हेड वही है। उसे यहां आए हुए लगभग 35 दिन ही बीते होंगे। अब वो लन्दन से काम संभालने के बजाय यही रह रहा है। इन 35 दिनों में उसने कंपनी के 50 एम्प्लोइज को काम से निकाल दिया है, काफी रूड और एरोगेंट है।”
दिशांक ने अभिमन्यु के बारे में जो भी जानकारी जुटाई थी, वो इशिका को बता दी। इशिका चुपचाप उसकी बातें सुन रही थी। कुछ बातें वो पहले से जानती थी तो कुछ उसे दिशांक से पता चली थी।
इशिका को चुप देखकर दिशांक फिर बोला, “वैसे बुरा मत मानना लेकिन आपको एक फेक शादी करने के लिए ऐसा ही रूड और एरोगेंट इंसान ही मिला था क्या? वैसे भी ये एक फेक शादी है, अगर किसी को पता चला तो हमारी कंपनी के शेयर्स पर बुरा असर पड़ेगा।”
दिशांक का कहना सही था। उसकी बातें सुनकर इशिका के चेहरे पर परेशानी के भाव थे। उसने गहरी सांस लेकर शांत लहजे में कहा, “ठीक है ऐसा करो कि उसके शेड्यूल और बाकी इनफॉरमेशन को कलेक्ट करो। मुझे उससे फिर से मिलना होगा।”
दिशांक ने उसकी बात पर हामी भरी तो फिर इशिका ने कॉल कट कर दिया था। कहीं ना कहीं अब इशिका को भी अपने फैसले पर अफसोस हो रहा था कि उसने मालविका की ऐसी बेफिजूल की बात को माना ही क्यों।
इशिका ने सिर पकड़ कर कहा, “मुझे उस औरत की बातों में आना ही नहीं चाहिए था जबकि मैं उससे सारे रिश्ते तोड़ चुकी हूं। अगर गलती से भी ये बात सामने आ गई कि मैं अभिमन्यु राजवंश की वाइफ हूं तो बात मेरी कंपनी की रेपुटेशन पर आ सकती है। नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। अभिमन्यु राजवंश जैसे इंसान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उसने तो इस शादी तक को झुठला दिया है। पहले उसके मुंह से सच एक्सेप्ट करवाना होगा और फिर जल्द से जल्द मुझे उससे पीछा छुड़ाना होगा।” बोलते हुए वो कुछ पल रुकी और फिर खुद को सख्त करके बोली, “डिवोर्स... हां मुझे उससे डिवोर्स लेना होगा।”
इशिका वापस अभिमन्यु से मिलना चाहती थी पर ये उसके लिए आसान नहीं था। वो पूरे टाइम गार्ड से घिरा रहता था, ऊपर से पिछली बार इशिका ने बातचीत की शुरुआत करने में ही गड़बड़ कर दी थी। उसने सीधा उसे डार्लिंग कहकर बुलाया था। शायद इस वजह से उसका उस पर इंप्रेशन काफी गलत पहुंचा था।
इशिका ने हल्की सी आह भरी और कहा, “ओह..कितना भी मुश्किल क्यों ना हो, उससे मिलना ही होगा।”
इशिका ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और फिर वहां से निकल गई। वो शहर के भीड़भाड़ भरे इलाके को छोड़कर गोवा के आउटर एरिया में पहुंच चुकी थी, जहां ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी और गांव टाइप का एरिया था।
इशिका अभिमन्यु की वजह से परेशान थी इसलिए उसका सामने की तरफ ध्यान नहीं था। अचानक उसके सामने एक लगभग 90 साल की औरत आई, जो उसकी स्कूटी से टकराकर गिरने की वाली थी कि इशिका ने सही वक्त पर ब्रेक लगा दिया था।
वो 90 साल की औरत अजीब तरीके से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देख रही थी।
उसके इस तरह मुस्कुराने पर इशिका ने धीरे से बड़बड़ा कर कहा, “अजीब मुसीबत है। पिछली बार भी एक औरत मेरी स्कूटी से टकराने वाली थी और मुझसे एक्सीडेंट बोलकर पैसे ऐंठने वाली थी। ये गोवा में इतने फ्रॉडस्टर्स बढ़ गए हैं।”
इशिका ने उस औरत को भी वैसा ही समझा और उतर के उसके पास गई लेकिन फिर उसने उसकी तरफ गौर से देखा। वो पिछली औरत से पूरी तरह अलग थी। वो लगभग 90 साल की थी और उस उम्र में भी उसके चेहरे पर एक एलिगेंस था। उसने महंगे कपड़े और रियल ज्वेलरी पहनी हुई थी।
अचानक इशिका की नजर उस औरत के साइड में लगे एक टैग पर गई। इशिका ने उसे गौर से पढ़ा, “अगर ये महिला आपको कहीं भी मिले, तो प्लीज आप इस नंबर पर कॉल करके हमें इनफार्मेशन दे। इन्हें भूलने की बीमारी है।”
उसे पढ़ते ही इशिका ने उस औरत की तरफ देखकर धीरे से कहा, “ओह तो इन्हें अल्जाइमर है। शायद इसी वजह से ये गलती से यहां पर आ गई।”
इशिका ने अपना मोबाइल निकाला और उन नंबर पर कॉल करने लगी तभी उसे बूढी औरत ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ दिया। वो इशिका को देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई। वो जल्दी से बोली, “तुम...तुम मेरी बहू हो ना? मेरे.. मेरे पोते की पत्नी हो तुम।”
उनके अचानक हाथ पकड़ने पर इशिका घबरा गई थी पर जैसे ही उन्होंने इशिका को अपनी बहू कहा तो अचानक इशिका हंस पड़ी।
वो सिर्फ 22 साल की थी, जिसकी दो ही दिन में दुनिया बदल गई थी। पहले तो उसकी मां ने उसे शादी करने के लिए फोर्स किया। उनकी बात मानते हुए इशिका ने फेक शादी करने का सोचा तो वो सच में एक अजीब और अनजान इंसान के साथ शादी के बंधन में बंध गई थी, ऊपर से अब एक औरत आकार उसे अपनी बहू बोल रही थी।
इशिका ने गहरी सांस ली और हंसते हुए धीरे से कहा, “लगता है आजकल पति फ्री में बेचे जा रहे हैं। सॉरी टू से दादी पर ऑलरेडी एक बंदा मेरे गले पड़ चुका है तो दूसरा मुझे नहीं चाहिए।”
इशिका ने इसे काफी हल्के में लिया। वो परेशान थी लेकिन वो अनजान मिली दादी की वजह से उसका मूड ठीक हो चुका था।
इशिका ने उनका हाथ पकड़ा और मुस्कुरा कर पूछा, “अच्छा ठीक है दादी पर आपके पोते का नाम तो बताइए। मुझे भी तो अपने नए पति का नाम चले।”
उन्हें भूलने की बीमारी थी, इस वजह से वो ठीक से याद नहीं कर पा रही थी। उसने अपने सिर को पकड़ा और धीरे से बड़बड़ा कर कहा, “अभिमन्यु... अभिमन्यु.. अभि.. मन्यु नाम है मेरे पोते का। तुम्हारे पति का नाम अभिमन्यु है।”
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इशिका इस वक्त गोवा के आउटर एरिया में एक बूढी औरत के साथ खड़ी थी। उसने उसे अपनी बहू कह कर बुलाया था। इशिका को खुद की सिचुएशन काफी फनी लगी तो उसने मस्ती में उसके पोते का नाम पूछ लिया था।
वो बूढी औरत बडबडाते हुए अभिमन्यु का नाम ले रही थी पर उनकी आवाज काफी धीमी थी और वो ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। ऊपर से अल्जाइमर होने की वजह से उन्हें कुछ याद नहीं आ पा रहा था तो उनके शब्द मुंह में ही अटक गए थे।
उन्हें इतना स्ट्रगल करते देखकर इशिका ने उनका हाथ सहला कर कहा, “डॉन्ट वरी दादी, आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। मैं अभी आपके दिए हुए नंबर पर कॉल करके आपके पोते को बुला देती हूं। वो आपको ले जाएगा।”
उस बूढी औरत ने मुस्कुरा कर इशिका की बात पर हामी भरी। वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु राजवंश इस वक्त अपनी गाड़ी में था। गाड़ी उसका हेड सिक्योरिटी गार्ड ड्राइव कर रहा था तो वही उसके बगल में अभिमन्यु का मैनेजर बैठा हुआ लैपटॉप में कुछ कर रहा था। बैक सीट पर अभिमन्यु बैठा था और इस वक्त काफी गुस्से में लग रहा था।
“मैने तुम्हें एक काम सौंपा था, वो भी तुम ठीक से नहीं कर पाए पृथ्वी।” अभिमन्यु ने अपने मैनेजर पृथ्वी चौहान की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा।
पृथ्वी ने धीमी आवाज में खेद जताते हुए कहा, “मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी सर पर आजकल उनकी बीमारी काफी बढ़ गई है। केयर गिवर को पता तक नहीं चलता और वो कब अपने ख्यालों में खोई हुई बाहर निकल जाती है।”
“तो तुम अपनी गलती का दोष किसी और पर डालना चाहते हो? तुम अच्छे से जानते हो मुझे ये पसंद नहीं है पृथ्वी ” अभिमन्यु ने सख्ती से जवाब दिया।
पृथ्वी को जैसे ही एहसास हुआ कि उसकी बातों ने अभिमन्यु को गुस्सा दिला दिया है, तो वो तुरंत अपनी गलती मानते हुए बोला, “मुझे माफ कर दीजिए सर। मैं आगे से उनकी सिक्योरिटी बढ़ा दूंगा। हां मेरी ही गलती थी, जिसकी वजह से आपकी दादी मिसेज वसुधा राजवंश अचानक से गायब हो गई। मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज वगैरा देख लिए हैं। ऐसे लग रहा है वो किसी ऐसे एरिया में पहुंच गई है जहां पर सीसीटीवी कैमरा नहीं है। आखिरी बार उन्होंने एक बस ली थी, हम उसी तरफ जा रहे हैं। ।”
पृथ्वी लैपटॉप में वसुधा राजवंश की लोकेशन ट्रैक करने की कोशिश कर रहा था। वो लोग बात कर रहे थे तभी अभिमन्यु के नंबर पर एक कॉल आया। अभिमन्यु के सभी कॉल्स वैसे भी सेफ्टी के लिए ट्रैक किए जाते थे। अभिमन्यु के पास कॉल आते ही पृथ्वी सतर्क हो गया।
अभिमन्यु ने कॉल रिसीव किया। वो अननोन नंबर से कॉल था इसलिए उसने स्पीकर ऑन किया। सामने से इशिका की आवाज आई, “आपकी दादी मेरे कब्जे में है।” इशिका ने थोड़ा मजाकिया तरीके से कहा क्योंकि उसका मूड दादी से मिलने के बाद काफी अच्छा हो चुका था।
वही उसकी एक छोटे से मजाक ने अभिमन्यु और पृथ्वी को टेंशन में डाल दिया था। हेड सिक्योरिटी गार्ड ने भी जल्दी से ब्रेक लगाए। अभिमन्यु ने इशारे से पृथ्वी को लोकेशन ट्रैक करने को कहा।
“कौन बोल रही हो तुम? देखो उन्हें कुछ मत करना। तुम्हें इसके लिए जितने पैसे चाहिए मिल जाएंगे।” अभिमन्यु ने हल्की घबराहट के साथ कहा, तभी दूसरी तरफ कॉल से इशिका के हंसने की आवाज आई। वो काफी खुशनुमा और प्यारी सी हंसने की आवाज थी।
इशिका ने आगे बोला, “अरे आप तो डर गए। मैं मजाक कर रही थी। आपकी दादी यहां घूम रही थी। मैंने इनके टैग को देखा तो आपको कॉल कर दिया। आपको अपने बड़े बुढो का ध्यान रखना चाहिए खास करके वो अल्जाइमर के पेशेंट हो तब, मैं आपको लोकेशन भेजती हूं, आप तब तक वहां पहुंच जाइए।”
इशिका ने जैसे ही नॉर्मली पूरी बात बताई तो अभिमन्यु ने राहत की सांस ली। ऊपर से इशिका ने लोकेशन भी भेज दी थी तो शक करने का सवाल ही पैदा नहीं होता था।
इशिका की आवाज सुनकर अभिमन्यु ने मन ही मन कहा, “मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे मैंने ये आवाज पहले भी सुनी है।”
अभिमन्यु ने ज्यादा नहीं सोचा और इशिका की बताई हुई लोकेशन पर पहुंच गए। लगभग 15 मिनट बाद वो मिसेज वसुधा राजवंश के पास पहुंच चुके थे। अपनी दादी को ठीक-ठाक पुलिस वाले के साथ देखकर अभिमन्यु ने राहत की सांस ली।
पुलिस ने आते ही वसुधा राजवंश को अभिमन्यु को सौंप दिया और फिर वहां से चली गई।
अभिमन्यु ने आंखें छोटी की और वसुधा जी को घूरते हुए कहा, “दादी आप कहां चली गई थी? यहां इतनी दूर नहीं आना चाहिए आपको।”
“मैं... मैं अपनी बहू से मिलने के लिए आई थ। तुम्हारी पत्नी.. वो यहीं आसपास रहती है। लेकिन वो बहुत बुरी है। उसने मुझे पुलिस के पास छोड़ दिया और खुद चली गई। उसे कहना आगे से ऐसा मत करें।” वसुधा जी ने बिल्कुल धीमी आवाज में जवाब दिया।
“कोई बहू नहीं है और आप आगे से यहां नहीं आएंगी।” अभिमन्यु ने थोड़ा सख्ती से कहा।
उसके ऐसा कहने पर वसुधा जी ने उसे घूर कर देखा और फिर कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो। मैं उससे मिली हूं और वो बहुत खूबसूरत है। छोड़ो.. मुझे अपना मोबाइल दो।”
वसुधा के अचानक मोबाइल मांगने पर अभिमन्यु हैरान था लेकिन फिर भी उसने अपना मोबाइल अनलॉक करके वसुधा के हाथ में दे दिया था। वसुधा ने कॉल हिस्ट्री से इशिका का नंबर लिया और उसे अपने नोटपैड में लिख लिया था। उनके पास एक बैग हमेशा रहता था। वो बातें भूल जाती थी लेकिन अगर पहले की बात करें तो उनके पर्सनेलिटी काफी रौबदार थी। जैसे ही उन्हें सब याद आता था तो वो बिल्कुल पहले की तरह हो जाती थी।
अपनी बहू का नंबर लेने के बाद वसुधा जी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। अभिमन्यु ने इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वसुधा जी को वहां से लेकर निकल गया।
वहीं दूसरी तरफ जब पुलिस वाले ने वसुधा जी को अभिमन्यु को सौंप दिया था, तब उसने इशिका को एक मैसेज छोड़ा। इशिका ने हीं उसे ऐसा करने के लिए कहा था।
मैसेज मिलते ही इशिका के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। वो बोली, “थैंक गॉड, वो क्यूट सी दादी सही सलामत पहुंच गई। पता नहीं मुझसे क्यों नहीं होता। नए लोगों से बात करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। वो तो अच्छा हुआ मुझे पास में पुलिस दिख गई और मैंने उन दादी को उसके पास छोड़ दिया।”
उसके बाद इशिका वहां से अपने घर पहुंच गई थी। उसका अलग छोटा सा घर था, जो गोवा के आउट एरिया में बना हुआ था। उसका घर बाहर से दिखने में किसी कॉटेज की तरह लगता था लेकिन अंदर उसमें सभी तरह की सुख सुविधा अवेलेबल थी।
अगली सुबह इशिका की जैसे ही आंख खुली, उसके यूनिवर्सिटी से मैसेज आया हुआ था, जिसमें उसे अर्जेंटली कॉलेज बुलाया गया था।
“अब इन्हें क्या हो गया, जो इतनी अर्जेंट में मुझे कॉलेज बुलाया है? मैं रिसर्च घर से ही कर रही थी। अब खामखा वहां गई, तो टाइम वेस्ट होगा। आई होप सब ठीक हो।” इशिका ने मन ही मन बड़बड़ा कर कहा और तैयार होने चली गई।
इशिका जल्दी से तैयार हुई। उसने व्हाइट कलर का घुटनों से थोड़ा सा लंबा फ्रॉक पहना हुआ था, जो स्लीवलेस था। बालों को पिगटेल में बांधकर और आगे के बालों को थोड़ा सा फैलाकर इशिका कॉलेज पहुंची। उसे अपने रिसर्च इंचार्ज मिस्टर मिलर के केबिन में जाना था लेकिन वहां जाते ही इशिका हैरान रह गई क्योंकि वहां मालविका और आयशा पहले से बैठी हुई थी।
आयशा और इशिका ओसियन यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी, जो कि गोवा की टॉप यूनिवर्सिटी थी।
उन्हें देखकर इशिका को समझते देर नहीं लगी कि वो कोई अच्छा काम करने तो वहां पर आई नहीं होगी। ऊपर से मालविका और आयशा के चेहरे पर एक अजीब मुस्कुराहट थी।
इशिका ने गहरी सांस ली और मन ही मन कहा, “पता नहीं कब तक मेरी किस्मत में इन्हें झेलना लिखा है।” इशिका धीमे कदमों से अंदर चली गई। उसने प्रोफेसर के चेहरे की तरफ देखा तो उनके चेहरे के भाव भी सख्त थे। इशिका पर एक नया बम फूटने वाला था, जिसके लिए वो खुद को तैयार कर रही थी।
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इशिका सुबह-सुबह उठी थी और अपना रूटीन फॉलो करने जा ही रही थी कि उसे उसकी यूनिवर्सिटी से उसके प्रोफेसर का मैसेज आया। उन्होंने अर्जेंटली इशिका को यूनिवर्सिटी बुलाया था।
इशिका सब कुछ छोड़कर तुरंत यूनिवर्सिटी पहुंची। वो जैसे ही प्रोफेसर मिलर के केबिन में गई, सामने मालविका और आयशा को देखकर इशिका समझ गई थी कि ये दोनों जरूर कोई गड़बड़ करने वहां आई होगी।
इशिका धीमे कदमों से चलकर अंदर आई और प्रोफेसर मिलर को गुड मॉर्निंग विश किया। प्रोफेसर ने गहरी सांस लेकर उसकी तरफ देखा और कहा, “इशिका तुम्हें पोस्ट ग्रैजुएशन करने के लिए जो भी रिकमेंडेशन मिली थी, उसे यूनिवर्सिटी द्वारा रद्द किया जा रहा है। तुम आगे यहां स्टडी नहीं कर सकती।”
जैसे ही इशिका ने सुना उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। उसने झट से पूछा, “लेकिन क्यों सर? मैं तो अपना काम अच्छे से कर रही थी।”
अचानक इशिका की नजर में आयशा पर गई। वो उसकी क्लासमेट थी। उसका वहां होना नॉर्मल था पर मालविका वहां क्या कर रही थी।
इशिका और आयशा पहले क्लासमेट नहीं थी। इशिका ने अपने मास्टर्स के लिए उस सब्जेक्ट को चुना, जो ज्यादा फेमस नहीं था। उसका फील्ड न्यू एनर्जी था। इशिका को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती और उनसे छुप कर अपनी कंपनी एस्टेब्लिश की थी। अगर वो स्टडी को टाइम देती, तो कंपनी को टाइम नहीं दे पाती इसलिए इशिका ने पढ़ाई पर ज्यादा मेहनत नहीं की जबकि आयशा स्टडी में अच्छी थी।
अचानक आयशा ने अपना सब्जेक्ट चेंज कर लिया क्योंकि इशिका ने एनर्जी और पावर को अपना मैन सब्जेक्ट चुना था। प्रेजेंट टाइम में उसकी इंपॉर्टेंस बढ़ गई थी तो आयशा ने भी अपना कैरियर उसी में बनाने का सोचा।
इशिका सोच ही रही थी तभी प्रोफेसर की आवाज से उसका ध्यान टूटा। प्रोफेसर ने कहा, “ये मेरी वजह से नहीं तुम्हारी मॉम की वजह से हैं। वो चाहती है कि तुम यहां आगे स्टडी ना करो। उनके हिसाब से तुम यहां पढ़ने के लायक नहीं हो।”
प्रोफेसर इशिका को अच्छे से जानते थे। वो कुछ पल रुक कर बोले, “अगर आप दोनों के बीच में कोई गलतफहमी हो गई है तो बात करके सॉर्ट आउट कर लो। मैं नहीं चाहता कि तुम एक छोटी सी गलतफहमी के चलते अपने फ्यूचर के साथ कोई भी खिलवाड़ करो। यू नो व्हाट आई मीन इशिका... यू आर ए ब्राइट स्टूडेंट।”
प्रोफेसर मिलर के मुंह से इशिका की तारीफ सुनना आयशा को बिल्कुल पसंद नहीं आया। वो तुरंत बीच में इंटरप्ट करते हुए बोली, “प्रोफेसर मुझे नहीं लगता कि आपको कुछ भी कहने की जरूरत है। इशिका की मॉम उसकी भलाई अच्छे से जानती है और आपसे बेहतर उसके बिहेवियर को भी। इट वुड बी बेटर कि आप फैमिली मैटर में इंटरफेयर ना करें।”
इशिका को समझ नहीं आ रहा था आखिर वहां चल क्या रहा था। अचानक मालविका और इशिका का उसके कॉलेज आना और फिर उसी के यूनिवर्सिटी से उसे एक्सपेल करवाना, ये सब काफी चौंकाने वाला था।
इशिका सवालिया नजरों से मालविका और आयशा की तरफ देख रही थी तभी आयशा बोली, “तुमने मिस्टर राजवंश के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है। वो तुम्हें अपने आसपास भी नहीं देखना चाहते हैं। अब तुम समझ सकती हो कि तुम्हें यहां से क्यों निकाला जा रहा है।”
इशिका समझ नहीं पा रही थी कि वो कौन से मिस्टर राजवंश की बात कर रही है, अभिमन्यु या नक्ष? वो धीरे से बड़बड़ा कर बोली, “नक्ष को मुझसे प्रॉब्लम होती तो वो पहले ही कॉलेज से एक्सपेल करवा चुका होता। ये जरूर अभिमन्यु का काम है लेकिन वो इतना नाराज नहीं लग रहा था कि मुझे एक्सपेल तक करवा दे। उसने तो ठीक से मेरी बात तक नहीं सुनी और ना ही जवाब दिया।”
इशिका परेशान हो गई थी। वो आगे कुछ बोलती उससे पहले आयशा ने अपने बैग से एक एनवेलप निकाला और इशिका को थमाते हुए कहा, “डैड नहीं चाहते कि तुम अब और यहां पर रहो। पहले भी तुम्हारी वजह से उन्हें काफी इंसल्ट फेस करनी पड़ती है। ऊपर से कल तो तुमने हद ही कर दी थी इशिका.. हमारी मुश्किल आसान करो और यहां से हमेशा के लिए चली जाओ। अगर तुम यहां पर रही तो राजवंश फैमिली से सिंघानिया फैमिली बार-बार तुम्हें बचा नहीं पाएगा।”
“सही है..!” इशिका बिल्कुल धीमी आवाज में खुद से बोली, “सिंघानिया फैमिली ने हमेशा मुझे गैर ही समझा है। वो यही चाहते है मैं उनकी फैमिली से दूर रहूं। उनसे दूर ही रहती हूं फिर ये करने की क्या जरूरत पड़ गई।”
इशिका आगे कुछ कहती उससे पहले आयशा ने जबरदस्ती उसके हाथ में प्लेन का टिकट पकड़ा दिया था। इशिका ने उसे चेक किया तो वो अर्जेंटीना का टिकट था, जो इंडिया से तो काफी ज्यादा दूर था।
इशिका ने गुस्से से आयशा को देखा और टिकट वापस उसे देते हुए कहा, “इसकी कोई जरूरत नहीं है।”
“ठीक है, मैं तुम्हारी प्रॉब्लम समझ सकती हूं। एक दूर देश में तुम सिर्फ एक टिकट के भरोसे नहीं जा सकती हो। मेरे अकाउंट में कुछ पैसे हैं। मैं ट्रांसफर कर दूंगी। जब तक तुम्हें कोई अच्छी जॉब नहीं मिल जाती, मैं तुम्हे पॉकेट मनी देती रहूंगी।” आयशा ने प्राउड के साथ जवाब दिया। उसने अपना मोबाइल उठाया और पैसे ट्रांसफर करने ही वाली थी कि मालविका ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“ये क्या कर रही हो तुम? इसे प्लेन का टिकट मिल तो गया है। वहां जाकर कोई जॉब ढूंढ लेगी। मैंने सुना है विदेश में आप पार्ट टाइम काम करते हो तो सैलरी उसी टाइम मिल जाती है।” मालविका ने आयशा को पैसे भेजने से रोक दिया था।
उसके बाद उसने इशिका की तरफ देखकर सख्ती से कहा, “यूनिवर्सिटी में से तुम्हारा नाम हटा दिया जाएगा। वैसे भी तुम्हारे ग्रेड्स इतने अच्छे नहीं है कि तुम्हें आगे पढ़ने की जरूरत पड़े। तुम जॉब करके पैसे कमाओ, वही सही रहेगा। अपना सामान पैक करो और अर्जेंटीना के लिए निकलो।”
“और आपको मेरे डिसीजन लेने का हक किसने दिया?” इशिका ने गुस्से से कहा।
“ये भी कोई पूछने की बात हुई? मैं तुम्हारी मां हूं और मेरे तुम्हें जन्म दिया है। अब क्या अपनी मां से तुम ऐसे बात करोगी? मैंने कहा ना, बाहर जाओ और पैसे कमाओ। पढ़ना लिखना तुम्हारे बस की बात नहीं है।” मालविका भौहें उठाकर बोली।
मालविका को यही लगता था कि इशिका पढ़ाई में काफी कमजोर है। जबकि ये सच नहीं था।
प्रोफेसर मिलर ने उनकी बात काटते हुए बोले, “मैडम आपको शायद कोई गलतफहमी हुई है। हमारे यहां यूनिवर्सिटी में ऐसे ही एडमिशन नहीं मिलता। इशिका के ग्रेड...।”
मालविका ने तुरंत उनकी बात बीच में काटते हुए कहा, “आपको उसका फेवर करने की जरूरत नहीं है प्रोफेसर। वो मेरी बेटी है मैं अच्छे से जानती हूं। ये यहां से पोस्ट ग्रेजुएट इसलिए हो रही है ताकि आयशा की बराबरी कर सके, जबकि इसे अच्छे से पता है आयशा और इसमें जमीन आसमान का फर्क है।”
प्रोफेसर समझ गए थे कि मालविका उसकी नहीं सुनने वाली हैं। फिर उन्होंने गहरी सांस ली और आयशा से कहा, “मैंने सुना है कि तुमने इस सेमेस्टर में अपना सब्जेक्ट चेंज किया है। तुम्हें पता है ना, मास्टर्स करने के लिए एक हाई रिकमेंडेशन की जरूरत पड़ती है। उसके बिना मैं तुम्हें आगे कंटिन्यू करने नहीं दूंगा।”
“उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। मेरे पास पहले से ही रिकमेंडेशन लेटर है।” आयशा ने मुस्कुरा कर कहा।
ओशियन यूनिवर्सिटी में यही होता था कि कोई प्रोफेसर या रिसर्चर अगर किसी स्टूडेंट को रिकमेंड करता था, तभी वो वहां पोस्ट ग्रेजुएशन कर पाता था। जहां तक उन्हें पता था, आयशा का रिकमेंडेशन किसी के द्वारा नहीं हुआ था।
“क्या मैं जान सकता हूं तुम्हें किसका रिकमेंडेशन मिला है?” प्रोफेसर ने सख्ती से पूछा।
आयशा ने सिर हिला कर कहा, “हां क्यों नहीं... मुझे डॉक्टर मर्चेंट का रिकमेंडेशन मिला है। डॉक्टर मर्चेंट कौन है आप तो जानते ही है ना? उनका हाइड्रोजन फ्यूल पर जो रिसर्च था, वो सक्सेसफुल रहा है। पिछले दिनों उन्होंने अपने किसी रिसर्च के लिए पेटेंट भी अप्लाई किया है। उनकी खुद की कंपनी है। और बताना काफी है या और बताऊं?”
इन सब के बीच इशिका हैरानी से आयशा की तरफ देख रही थी। डॉक्टर मर्चेंट को कोई और पहचाने या ना पहचाने, वो अच्छे से जानती थी कि वही डॉक्टर मर्चेंट है। फिर आयशा ने ये क्यों कहा कि उसे डॉक्टर मर्चेंट की तरफ से रिकमेंडेशन मिला है, जबकि उसने तो ऐसा कुछ नहीं किया था।
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ओके इशिका की एक सेकंड आईडी है। अब तक आपको पता चल चुका होगा कि वही डॉक्टर मर्चेंट है। आगे आगे आपको सब पता चल जाएगा, बस कहानी के साथ बने रहिए। मिलते हैं अगले पार्ट में।
इशिका प्रोफेसर मिलर के केबिन में आई हुई थी। मालविका और आयशा यही चाहते थे कि इशिका गोवा छोड़कर अर्जेंटीना चली जाए इसलिए मालविका ने इशिका का एडमिशन तक कॉलेज से कैंसिल करवा दिया था। हालांकि उसके प्रोफेसर यही चाहते थे कि इशिका वही पर रहकर पढ़े।
आयशा ने बीच में दखल देते हुए इशिका को वहां से हटाना चाहा तो इशिका के प्रोटेक्शन में प्रोफेसर ने बदले में उसी से उसका रिकमेंडेशन लेटर मांग लिया।
अचानक आयशा के मुंह से डॉक्टर मर्चेंट का नाम निकला, जो कि कोई और नहीं इशिका ही थी। आयशा को एडमिशन के लिए डॉक्टर मर्चेंट का रिकमेंडेशन मिला था। ये सुनकर इशिका सोच में पड़ गई। वो मन ही मन बोली, “लेकिन मेरी तो इस बारे में दिशांक से कोई बात नहीं हुई। मैंने तो इसे कोई रिकमेंडिशन लेटर नहीं दिया।”
इशिका बस वहां हो रही बातों को सुन रही थी। आयशा ने अपनी बात को कंटिन्यू करते हुए कहा, “डॉक्टर मर्चेंट मेरी मॉम राधिका मर्चेंट के रिलेटिव है, कोई बहुत दूर के। एक्चुअली बहुत साल पहले मेरी मॉम ने डॉक्टर मर्चेंट की स्टडी और बाकी चीजों में हेल्प की थी। बस इसी एहसान छुपाते हुए उन्होंने मुझे रिकमेंड किया है। वो तो मेरी मॉम की कंपनीज में भी उनकी हेल्प करते है। वैसे मैने डीन से बात की है। डॉक्टर मर्चेंट यहां पर आएंगे तो मैं उन्हें यहां लेक्चर लेने के लिए जरूर कहूंगी।”
डॉ मर्चेंट के नाम ने उन सब का मुंह बंद करवा दिया था। इशिका भी कुछ कह नहीं सकी क्योंकि बहुत साल पहले राधिका ने उसे बचपन में खाना देने से लेकर उसकी स्टडी वगैरह में हेल्प की थी। शायद यही वजह थी कि इशिका उनकी कंपनीज के इश्यूज में उनकी हेल्प करती रही। राधिका का सरनेम मर्चेंट होने की वजह से उसने अपनी सेकेंड आईडी भी इसी नाम से बनाई। इशिका का मिडिल नेम भी मर्चेंट लिखा गया था।
“ओह तो ये इस तरह अपनी मॉम के नाम का फायदा उठा रही है।” इशिका ने मन ही मन बड़बड़ा कर कहा।
प्रोफेसर मिलर ने आगे कुछ नहीं कहा। वो इशिका को देखकर बोले, “इशिका तुम्हारी रिसर्च भी बिल्कुल डॉक्टर मर्चेंट के लेवल को है। यही वजह थी कि मैंने तुम्हें रिकमेंड किया और हमेशा आगे बढ़ाया। प्लीज मामले को यहीं खत्म कर दो ताकि स्टडी कंटिन्यू रह सके।”
इशिका का पोस्ट ग्रेजुएशन में कोई इंटरेस्ट नहीं था। बस प्रोफेसर के कहने पर वो ये कर रही थी। प्रोफेसर इशिका की इतनी फेवर कर रहे थे, ये देखकर आयशा को अजीब लगा। वो अपने मन में बोली, “इस लड़की का कोई कैरेक्टर नहीं है। जरूर इस बुड्ढे को भी फंसा लिया होगा और ये भी इसकी अच्छी शक्ल के जाल में फंस गया होगा।”
इन सबके बीच में मालविका बीच में बोली, “चलो अब बहुत ड्रामा हो गया। अपनी बहन को सॉरी बोलो। तुम्हारी वजह से कल इसके ससुराल में इसकी नाक नीचे हो गई थी। मिस्टर राजवंश शादीशुदा है। ये जानते हुए भी तुम उन्हें पटाने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो। ये तो अच्छा हुआ आयशा ने हम सबको बता दिया।”
जैसे ही मालविका ने कहा इशिका समझ गई कि ये सब आयशा की चाल है।
“मैं किसी को सॉरी नही कहूंगी। आप यहां से जा सकती है। मैने आपसे एक आखिरी बात मानने को कहा था, और वो मैं कर चुकी हूं।” इशिका पूरी सख्ती से बोली।
वो मालविका की प्रोफेसर और आयशा के सामने इंसल्ट कर रही थी और ये मालविका को कभी गवारा नहीं था। इशिका, जो बचपन से उसकी हर एक बात मानती थी, उसकी मार तक सहती थी, वो आज दो लोगों के सामने उसकी इंसल्ट कर रही थी। मालविका को रास नहीं आया। वो बिना सोचे समझे इशिका के पास गई और उसके गाल पर एक कसकर थप्पड़ लगा दिया। उसका थप्पड़ इतना तेज था कि इशिका के गोरे गाल पर उंगलियां छप गई और एक साइड होठ का कोना सूज गया।
“आगे से मेरे सामने ऊंची आवाज में बात मत करना। अब सॉरी बोलो, मुझे भी और आयशा को भी।” मालविका उसी बेशर्मी से बोली।
उसने जो किया, वो देखकर प्रोफेसर हैरान थे तो आयशा के चेहरे पर स्माइल थी। आखिर इशिका को उसके किए की सजा जो मिल चुकी थी। बचपन में उसने इशिका को बहुत तंग किया था।
इशिका इस वक्त गुस्से में उबल रही थी। वो आयशा की तरफ पलटी आयशा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नही सोचा होगा। अचानक इशिका ने आयशा के बाल पकड़कर खींचे और उसके गाल पर एक कसकर तमाचा लगा दिया। वो यही नहीं रुकी, उसने आयशा के बाल छोड़कर उसके दूसरे गाल पर भी कसके थप्पड़ लगाया।
सब कुछ काफी अनएक्सपेक्टेड था। इशिका की इस हरकत पर मालविका उस पर पलट वार करना चाहती थी। लेकिन जैसे ही इशिका उसकी तरफ मुड़ी, उसके कदम वहीं पर जम गए थे। इशिका की आंखों में आग थी, जिसे देखकर एक पल के लिए मालविका भी घबरा गई। ऐसा लग रहा था कि अगर मालविका ने कुछ किया तो इशिका उसे भी वैसे ही तमाचा लगा देगी।
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सब करने की? कम से कम अहसानो को तो याद रखती। अगर तुम ठीक से बिहेव करती तो शायद मैं मिस्टर सिंघानिया को यूनिवर्सिटी में बात करने के लिए मना सकती थी। लेकिन तुम किसी चीज के लायक ही नहीं हो।” मालविका गुस्से में बोली।
“कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई माने या ना माने, मुझे यहां रहना ही नहीं है।” इशिका ने गुस्से में जवाब दिया। फिर वो प्रोफेसर की तरफ पलटी और काफी नरमी से कहा, “डोंट वरी सर, मैं यहां पर वापस जरूर आऊंगी। फिलहाल के लिए आई हैव टू गो...थैंक यू सो मच मुझे इनकरेज करने के लिए और हमेशा मेरी हेल्प करने के लिए।”
प्रोफेसर को थैंक यू बोलकर इशिका वहां से जा चुकी थी। जबकि प्रोफेसर को मन ही मन इस बात का मलाल था कि आज उनका एक ब्राइट स्टूडेंट चला गया।
इशिका के जाते ही मालविका ने आयशा की तरफ देखा, जो गुस्से से जल रही थी। अभी तक उसका हाथ अपने गाल पर था। मालविका उसके पास गई और उसे सहलाते हुए कहा, “तुम चिंता मत करो। उसने राजवंश फैमिली से पंगा लिया है। उनके होते हुए उसे पूरे गोवा में कोई काम नहीं देगा। वो लड़की है ही घटिया और केरैक्टरलेस, उससे तुम और कुछ उम्मीद भी क्या कर सकती हो।”
प्रोफेसर को मन ही मन हैरानी हो रही थी कि इशिका मालविका की सगी बेटी थी। फिर भी वो उसके लिए इतने घटिया शब्दों का इस्तेमाल कर रही थी।
वो हैरानी से उनकी तरफ देख रहे थे तभी एक पल के लिए उन्हें लगा कि मालविका और आयशा की फेशियल फीचर कुछ हद तक एक दूसरे से मिलती है। इशिका मालविका की सगी बेटी थी। फिर भी कहीं से भी वो मालविका जैसी नहीं लगती थी। उन्होंने इसे अपना मन का वहम समझ कर जाने दिया जबकि मालविका इशिका का हाथ पकड़ कर उसे वहां से ले जा चुकी थी।
वहीं दूसरी तरफ इशिका प्रोफेसर के केबिन से बाहर निकली। वो अपना गुस्सा शांत करने की कोशिश कर रही थी तभी उसके पास दिशांक का कॉल आया।
इशिका ने दिशांक का कॉल रिसीव करते ही कहा, “प्लीज कोई बुरी खबर मत देना, ऑलरेडी मैं काफी परेशान हूं।”
“मैंने आपको ये बताने के लिए कॉल किया है कि मैंने सब कुछ पता लगा लिया है।” दिशांक ने धीमी आवाज में जवाब दिया।
“क्या पता लगा लिया है?” इशिका ने हैरानी से पूछा।
दिशांक उसकी बात के जवाब में बोला, “यही कि अभिमन्यु राजवंश इस बात से इंकार क्यों कर रहा है कि आप उसकी पत्नी नहीं है। आपसे शादीशुदा होने के बावजूद वो आपको पहचान क्यों नहीं रहा है, इसके पीछे का कारण मुझे पता चल गया है।”
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चलिए जी, इस बात की गुत्थी तो अगले पार्ट में ही खुलेगी कि अभिमन्यु इशिका को जानता है या जानबूझकर उसे न जानने का दिखावा कर रहा है। कहानी के साथ बने रहिए। अगले पार्ट पर मिलते हैं।
इशिका यूनिवर्सिटी के दरवाजे पर खड़ी थी, तभी उसके पास दिशांक का कॉल आया। दिशांक ने उसे बताया कि उसने पता लगा लिया है आखिर अभिमन्यु उसकी और अपनी शादी के बारे में क्यों नहीं जानता है।
इशिका ने जल्दी से पूछा, “बताओ क्या कारण है इसके पीछे। क्या वो कोई ड्रामा कर रहा है?”
“नहीं, ये कोई ड्रामा नहीं है।” दिशांक ने शांति से जवाब देते हुए कहां, “राजवंश फैमिली जितनी संस्कारी और एथिक्स वाली बनती है, उतनी है नहीं। उनके घर में आपसी झगड़े चलते रहते हैं। जैसा कि मैं आपको बताया था अभिमन्यु राजवंश और नक्ष के डैड के बीच में एज गैप काफी ज्यादा है। अभिमन्यु राजवंश के भाई नकुल राजवंश हमेशा से जिम्मेदार रहे हैं तो अभिमन्यु के डैड प्रशांत राजवंश ने ज्यादातर प्रॉपर्टी उनके नाम करनी चाही। वो बचपन से ही काफी रूड, क्रुएल और एरोगेंट रहा है। ऐसे लगता है कुछ मिसिंग है। प्रशांत राजवंश अभिमन्यु को पसंद नहीं करते है। अभिमन्यु ने भी उन्हें इतनी इंपोर्टेंस नहीं दी, वो बड़ा हुआ तो वो उसे शादी के लिए फोर्स करने लगे और जानबूझकर ऐसी लड़कियों के रिश्ते लेकर आए जो उनके इशारों पर चलती हो। उनसे परेशान होकर अभिमन्यु ने एक दिन ये ऐलान कर दिया कि वो पहले से शादीशुदा है। आप समझ सकती हैं कि वो कितना प्रेशराइज रहा होगा, तभी उसने ये डिसीजन लिया।”
जैसे ही दिशांक ने पूरी बात बताई इशिका सोच में पड़ गई। उसकी हालत भी कुछ ऐसी ही थी। मालविका ने उसे शादी करने के लिए फोर्स किया। मजबूरन वो भी एक नकली शादी करने जा रही थी।
“आगे बताओ।” इशिका ने तुरंत ही खुद को संभाल कर शांत लहजे में जवाब दिया।
दिशांक आगे बोला, “दिलचस्प बात ये है कि आज तक उसकी वाइफ को किसी ने नहीं देखा। फैमिली मेंबर्स तक ने नहीं, ना ही वो राजवंश फैमिली के किसी ऑफिशल डिनर या फिर फेस्टिवल में शामिल हुई है। मेरे कहने का मतलब है कि...”
दिशांक की बात पूरी होने से पहले ही इशिका ने बीच में कहा, “उसकी बाकी की इनफॉरमेशन या शेड्यूल के बारे में कुछ पता चला?” इशिका पहले ही समझ गई थी कि दिशांक का इशारा किस तरफ था। वो ये कहना चाहता था कि इशिका ही उसकी पत्नी है।
“शेड्यूल का कुछ दिनों में पता लगाता हूं। पर्सनल नंबर नहीं मिले बाकी ऑफिशल नंबर मेरे पास है।” दिशांक ने बुझी हुई आवाज में कहा। वो सारी इनफार्मेशन कलेक्ट नहीं कर पाया था।
“ठीक है तुम रहने दो। मै जानती हूं मुझे उस तक कैसे पहुंचना है।” इशिका ने हल्का मुस्कुरा कर कहा। उसके दिमाग में काफी कुछ पक रहा था, तभी दिशांत जल्दी से बोला, “क्या आप इसके लिए कोई गलत तरीका अपनाने वाली है? पति है वो आपका। आप इस तरह उसे फोर्स नहीं कर सकती। ऊपर से वो तो एनी टाइम गार्ड्स से घिरा रहता है।”
उसकी बात सुनकर इशिका बोरियत भरे लहजे में बोली, “डॉन्ट वरी उसकी वाइफ जरूर हूं लेकिन मुझे एक स्टॉकर नहीं बनना है। मुझे कैसे करना है, मैं खुद देख लूंगी।”
दिशांक को उसकी बात समझ नहीं आई। वो कुछ पूछता उससे पहले इशिका ने कॉल कट कर दिया।
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लगभग 1 घंटे बाद इशिका राजवंश एंपायर के आगे खड़ी थी, जो कि गोवा की सबसे बड़ी बिल्डिंग थी। एक बहुमंजिला इमारत, जहां आसपास कुछ ज्यादा ही सिक्योरिटी की गई थी। इशिका ने इस वक्त एक कोरियर गर्ल की ड्रेस पहन रखी थी। उसके हाथ में एक बॉक्स था।
इशिका ने खुद को सख्त किया और अपने कदम अंदर की तरफ बढ़ा दिए। उसने जाकर रिसेप्शनिस्ट से कहा, “ये मिस्टर अभिमन्यु राजवंश के लिए है और मुझे उन्हें ही देने के लिए कहा गया है।”
“ओके मैम...” रिसेप्शनिस्ट ने जवाब दिया और फिर कॉल पर बात करके उसके ऊपर जाने की परमिशन मांगी। इशिका को ऊपर जाने की परमिशन मिल चुकी थी क्योंकि पहले भी इस तरह के कॉन्फिडेंशियल पार्सल आते रहते थे।
इशिका लगभग 10 मिनट लिफ्ट में बिताने के बाद ऊपर 30th फ्लोर पर अभिमन्यु के केबिन में पहुंची। वो पूरा फ्लोर उसी का था। इशिका को लगा वहां जाते ही उसकी मुलाकात अभिमन्यु से हो जाएगी लेकिन उसके सामने अभिमन्यु के बजाय उसका मैनेजर पृथ्वी खड़ा था।
पृथ्वी ने इशिका को देखते ही पहचान लिया। वो हल्के गुस्से में बोला, “मिस सिंघानिया मुझे नहीं पता था कि आप इतनी बेशर्म है कि सर के मना करने के बावजूद उनके पीछे यहां तक आ जाएंगी।”
“मैं बस अपना काम कर रही हूं। मुझे ये पार्सल उन तक पहुंचाना है और मैं उनके हाथ में ही इसे देने वाली हूं।” इशिका ने अपने गुस्से को काबू करके सिर हिला कर कहा।
पृथ्वी के चेहरे पर सारकास्टिक स्माइल थी। वो उसी अंदाज में बोला, “मानना पड़ेगा, काफी तैयारी के साथ आई हैं आप। मुझे अपना आईडी कार्ड दिखा सकती हैं?”
“हां, क्यों नहीं।” इशिका ने हल्की स्माइल के साथ कहा और अपना एक खास आईडी कार्ड उन्हें दिखा दिया, जो कोरियर कंपनी उन्हें देती थी।
इशिका जब पृथ्वी को अपना आईडी कार्ड दे रही थी तब पृथ्वी बोला, “जरूर आज ही ज्वाइन किया होगा। मैं आप जैसी लड़कियों को अच्छे से जानता हूं।” बोलते हुए उसने जब इशिका का आईडी कार्ड देखा तो वो हैरान रह गया। इशिका ने लगभग 6 साल पहले ज्वाइन किया था।
अब मुस्कुराने की बारी इशिका की थी। वो विक्ट्री स्माइल के साथ बोली, “स्टडी के साथ पार्ट टाइम जॉब करना मना है, ये कहां लिखा है मिस्टर मैनेजर? आई होप कि अब आप मुझे मेरा काम करने देंगे।”
पृथ्वी के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था। वो खुद इशिका को अभिमन्यु के केबिन तक लेकर गया। इशिका को अंदर छोड़कर पृथ्वी वहां से चला गया। अंदर आते ही उसने पूरे केबिन की तरफ गौर से देखा। वो एक ब्लैक, ग्रे और व्हाइट इंटीरियर का शानदार लग्जरियस केबिन था। फिर उसकी नजर सामने अभिमन्यु की तरफ गई, जो अपने काम में बिजी था और कुछ पेपर्स साइन कर रहा था। उसके चेहरे के भाव बिल्कुल स्ट्रेट थे।
अभिमन्यु ने उसकी तरफ देखा। इशिका उसके पास गई और एक पेपर को अभिमन्यु के सामने करते हुए कहा, “मिस्टर राजवंश, यहां साइन कीजिए।”
साइन करने से पहले अभिमन्यु ने कुछ पल इशिका की तरफ देखा। कोरियर बॉय की यूनिफॉर्म में भी वो काफी क्यूट और खूबसूरत लग रही थी। फिर अचानक उसकी नजर इशिका के गाल और होठ पर गई। वहां अभी भी मालविका की उंगलियों के हल्के निशान थे और होठ कोने से सूजा हुआ था। ये देखकर अभिमन्यु के चेहरे के भाव गहरे हो गए थे।
अभिमन्यु ने ज्यादा कुछ रिएक्ट नही किया और उसके हाथ से पेपर लेकर साइन करने लगा।
अचानक उसके हाथ रुक गए क्योंकि इशिका बीच में बोली, “मिस्टर राजवंश, आप असल में शादीशुदा नही है ना? आप लोगों के सामने शादीशुदा होने का दिखावा कर रहे हैं ताकि आपको किसी और लड़की से शादी न करने पड़े।”
अभिमन्यु ने गुस्से से इशिका की तरफ देखा पर इशिका के चेहरे पर डर का कोई भाव नहीं था। वो जानती थी कि वो सच्ची है। गलती अभिमन्यु की भी नहीं है। इशिका को लगा उसे शादी करने के लिए फोर्स किया गया था तो उसने पैसे देकर किसी को भी भेज कर अपनी शादी रजिस्टर करवा ली थी। वो खुद इस बारे में नहीं जानता था कि उसकी शादी जिसके साथ रजिस्टर हुई है, वो लड़की आखिर है कौन।
अभिमन्यु कुछ कहता उससे पहले इशिका जल्दी से बोली, “मुझे पता है आपको ये सुनकर अजीब लगेगा पर हम दोनों की शादी रजिस्टर्ड है। हम दोनों अनजान सही लेकिन हस्बैंड वाइफ है।”
अचानक अभिमन्यु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई। वो उठा और इशिका के पास आकर उसके बालों को कान के पीछे करते हुए धीरे से बोला, “मिस सिंघानिया, आपको नहीं लगता कि आप गलत जगह अपनी एनर्जी वेस्ट कर रही हैं? अगर मैं शादीशुदा नहीं भी होता तब भी मेरा आप में कोई इंटरेस्ट नहीं था। आपको क्या लगता है नक्ष को चिढ़ाने के लिए मैं आपसे शादी करूंगा?”
उसकी बात सुनकर इशिका के पैर वहीं पर जम गए थे। इसका मतलब अभिमन्यु इस बारे में जानता था कि नक्ष इशिका को पसंद करता है पर मजबूरी में उसे आयशा से शादी करने पड़ रही थी। अभिमन्यु को ये लग रहा था कि इशिका नक्ष को जलाने के लिए से शादी करना चाह रही है।
इशिका आगे कुछ बोलती उससे पहले अभिमन्यु फिर से बोला, “हमारी फैमिली में कितनी भी प्रॉब्लम क्यों ना रही हो लेकिन मैं उस लड़की से शादी कभी नहीं करूंगा, जिसमें मेरा नेफ्यू इंटरेस्टेड हो। यू मे गो नाउ।”
इशिका को लगा कि नक्ष की वजह से अभिमन्यु इस शादी को एक्सेप्ट नहीं करना चाह रहा होगा। इशिका ने गहरी सांस लेकर कहा, “मेरा नक्ष में कोई इंटरेस्ट नहीं है। अगर होता भी तो मैं बदला लेने जैसी छोटी हरकत नहीं करती।”
“आगे बोलिए।” अभिमन्यु बिना किसी भाव के बोला। वो बातों ही बातों में इशिका की इंसल्ट कर रहा था।
इशिका ने खुद को मजबूत किया और अभिमन्यु की आंखों में देखकर सख्ती से कहा, “आई वांट डिवोर्स मिस्टर राजवंश, मुझे आपसे तलाक चाहिए।”
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ये लो जी, अभिमन्यु तो शादी तक मानने के लिए तैयार नहीं है और यहां इशिका तलाक मांगने को खड़ी हो गई। देखते हैं अभिमन्यु डिवोर्स के लिए राजी होता है या नहीं। अगले पार्ट पर मिलते हैं। पढ़ कर समीक्षा कर दीजिएगा।
इशिका अभिमन्यु राजवंश के ऑफिस में आई हुई थी। पहले तो वो अपनी शादी प्रूफ करने की बात कर रही थी लेकिन अगले ही पल इशिका ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अभिमन्यु से डिवोर्स मांग लिया।
इशिका ने अपना पॉइंट रखते हुए कहा, “लिसन मिस्टर राजवंश, मैं इस शादी को निभाने में इंटरेस्टेड नहीं हूं, ना ही आपको फोर्स करूंगी। मुझे बस डिवोर्स चाहिए और कुछ नहीं।”
अभिमन्यु ने भौंहे उठाकर उसकी तरफ देखा और सख्त आवाज में बोला, “मुझे आपके साथ वो रिश्ता निभाने का कोई शौक नहीं है, जो कभी जुड़ा ही नहीं। कभी कोई रिश्ता था ही नहीं तो तोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता।”
वो अभी भी इस रिश्ते को मानने से इंकार कर रहा था। इशिका आगे कुछ बोलती उससे पहले अभिमन्यु ने जल्दी से उसके दिए हुए पेपर्स पर साइन किया और उसे देते हुए बोला, “मेरा पीछा करना बंद करो मिस सिंघानिया वरना अगली बार में नरमी से पेश नहीं आऊंगा। डॉन्ट हैरेस मी...अगर फिर से तुम मेरे पीछे आई तो मुझे कोई स्ट्रिक्ट एक्शन लेना होगा।”
अभिमन्यु की बात सुनकर अब इशिका को खुद के गुस्से पर कंट्रोल नहीं रहा। वो चिढ़ते हुए बोली, “ओ रियली मिस्टर राजवंश? कौन सा अब तक आप नरमी से या प्यार से पेश आ रहे थे? आपको जो करना था वो तो आप कर चुके हो।”
अभिमन्यु पूरी तरह अनजान था कि इशिका किस बारे में बात कर रही है। वो चौंकते हुए बोला, “और क्या कर दिया है मैंने मिस सिंघानिया?”
“आप ही ने मुझे मेरी यूनिवर्सिटी से बाहर निकलवाया है ना? क्या कहा था आपने कि आप मुझे इस पूरी सिटी तक में नहीं देखना चाहते हैं।” इशिका ने गुस्से में जवाब दिया। उसे आयशा की बात सच लग रही थी।
अभिमन्यु ने गहरी सांस ली और तुरंत ना में सिर हिला कर कहा, “अपनी इस गलतफहमी की दुनिया से बाहर निकलिए मिस सिंघानिया। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है। आप मेरे लिए इतनी भी इंपोर्टेंट नहीं है, जितनी इंपॉर्टेंस आप खुद को दे रही हैं।”
इशिका को उसकी बात का जवाब देने का मौका नहीं मिला क्योंकि अभिमन्यु के पास एक कॉल आ गया। ये कॉल उसकी दादी के मोबाइल से था तो अभिमन्यु ने तुरंत उसे रिसीव कर लिया।
सामने से अभिमन्यु की दादी वसुधा के केयरटेकर ने धीमी आवाज में कहा, “आई एम रियली सॉरी मिस्टर राजवंश लेकिन वसुधा जी फिर से कहीं चली गई है।”
वसुधा के गायब होने की बात सुनकर अभिमन्यु की गुस्से में मुट्ठियां कस गई। उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया और जल्दी से कॉल कट करके केबिन के बाहर जाने लगा। इशिका वहां भी उसके पीछे जाना चाहती थी लेकिन पृथ्वी बीच में आ गया।
उसने अपना हाथ इशिका के आगे करके कहा, “आपका काम हो गया है मिस सिंघानिया, यू मे गो नाउ।”
इशिका ने आह भरी। उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। वो तुरंत वहां से अपने घर जाने के लिए निकल पड़ी ताकि कुछ पल सुकून से अपने साथ बिता सके।
इशिका अपने घर के पास पहुंची ही थी कि तभी किसी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया। उसने मुड़कर देखा तो वो वसुधा जी थी, जो उसी के आने का इंतजार कर रही थी।
उन्हें वापस वहां देखकर इशिका बुरी तरह चौक गई। इशिका कुछ बोलने को हुई कि तभी वसुधा ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर खींचते हुए बोली, “मेरी बहू... मेरे पोते की पत्नी, तुमने एक बार फिर से मुझे पीछे छोड़ दिया। मैंने तुम्हें कहा था ना मुझे छोड़कर मत जाना।”
इशिका ने कुछ नहीं कहा। वो चुपचाप उसे अपने घर पर ले गई, जो उसने किराए पर ले रखा था। शहर से दूर एक शांत और छोटी सुंदर जगह।
वहां आते ही इशिका ने वसुधा जी को डाइनिंग टेबल पर बिठाया और उन्हें पानी पिलाया। उन्होंने एक-एक करके तीन गिलास पानी के खाली कर दिए थे मानो उन्होंने काफी देर से पानी ना पिया हो।
जब इशिका को लगा कि वो थोड़ी शांत हो गई है, तब वो धीमी आवाज में बोली, “मैंने आपसे कहा था कि मैं आपकी बहू नहीं हूं दादी।”
“नही, तुम ही मेरी बहु हो।” वसुधा ने सख्ती से कहा।
वसुधा काफी जिद्दी थी। इशिका इतनी ही देर में समझ गई थी कि उन्हें अपनी बात समझ पाना नामुमकिन था। उसने कुछ नहीं कहा और अपने मोबाइल में वही नंबर निकाला, जो पिछली बार उन्होंने वसुधा के टैग से निकाल कर कॉल किया था ।
परेशानी में अभिमन्यु ने तुरंत बिना नंबर देखे उसका कॉल रिसीव कर लिया और बोला, “हेलो...।”
इशिका के लिए ये आवाज जानी पहचानी थी। वो आगे कुछ कहती उससे पहले वसुधा ने उसके हाथ से मोबाइल छीन कर अपने कान पर लगा लिया था।
अभिमन्यु इस वक्त एक पूरी टीम के साथ मौजूद था और वसुधा की लोकेशन ट्रैक करने की कोशिश कर रहा था। वसुधा के गायब होने पर वो काफी घबरा गया था। उसकी दादी की उम्र हो गई थी। उसे अल्जाइमर ही नहीं था, बल्कि इस उम्र में शरीर के बाकी बॉडी पार्ट्स भी ठीक से काम नहीं करते है। वो उनसे काफी प्यार भी करता था तो उनके इस तरह दूर जाने पर वो परेशान हो गया था।
“तुम बहुत शैतान हो, बचपन की तरह, मैं अपनी बहू के साथ हूं और मुझे यहां लेने के लिए मत आना।” वसुधा गुस्सा दिखाते हुए बोली।
“बहू?” अभिमन्यु ने हैरानी से कहा, “कौन सी बहू?”
इतना कहकर अभिमन्यु ने नंबर चेक किया। उसे याद आया ये उसी लड़की का नंबर था, जिसके पास पिछली बार उसकी दादी चली गई थी।
अभिमन्यु के चेहरे के भाव सख्त हो गए थे। उसने खुद का गुस्सा कंट्रोल करके पूछा, “इस वक्त कहां है आप?”
“कहा ना मैं अपनी बहू के साथ हूं और अपना एड्रेस नहीं बताने वाली हूं।” वसुधा ने सख्त आवाज में कहा।
“और आपको क्या लगता है मैं आपको ढूंढ नहीं पाऊंगा?” अभिमन्यु ने भौहें उठाकर पूछा।
“तुम ढूंढ सकते हो लेकिन मैं तुम्हें वार्निंग दे रही हूं कि तुम मुझे यहां लेने के लिए नहीं आओगे और ना ही किसी और को भेजोगे।” वसुधा ने जवाब दिया।
वसुधा को जिद करते देखकर अभिमन्यु ने अपना सिर पकड़ लिया। कुछ पल सोचने के बाद उसने अपने पास बैठे वसुधा के पर्सनल डॉक्टर से पूछा, “क्या हम दादी को फोर्सफुली यहां पर ला सकते हैं?”
“ऐसा करना सही नहीं होगा। उन्हें स्ट्रेस से दूर रखना है और खुश भी रखना है। अगर हम उनके साथ जबरदस्ती करेंगे तो उन्हें फिर से पैनिक अटैक आने लग जाएगा। ये उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। कुछ दिन उन्हें इस लड़की के साथ रहने दीजिए। वो लड़की मुझे बुरी नहीं लगी।” डॉक्टर माथुर ने अपनी राय रखते हुए कहा।
अभिमन्यु ने कॉल पर कहा, “ठीक है फिर मैं आपकी दवाइयां लेकर आता हूं।”
“कोई जरूरत नहीं है आने की। मैं अब सारा सामान अपने साथ लेकर आई थी।” वसुधा ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा।
अभिमन्यु आगे कुछ कहता उससे पहले वसुधा ने कॉल कट कर दिया। उसने फिर मुस्कुराते हुए इशिका को मोबाइल देकर कहा, “हो गया।”
इशिका को गुस्सा आ रहा था कि उस दादी की फैमिली कितनी ईरिस्पांसिबल है। उनकी बीमारी में उनका ख्याल नहीं रख रही, ऊपर से वो बार-बार एक अनजान लड़की के घर चली आती है। इशिका वापस उस नंबर पर कॉल करने को हुई तभी उसे एक व्हाट्सएप मैसेज दिखाई दिया।
“मैं उस ओल्ड लेडी का पोता हूं।” मैसेज अभिमन्यु ने भेजा था।
इशिका ने तुरंत उसका नंबर सेव कर लिया। उसने अभिमन्यु का नंबर “अनजान दादी का इरिस्पांसिबल पोता" के नाम से सेव किया था।
अभिमन्यु का तुरंत दूसरा मैसेज आया। उसने लिखा, “क्या आप थोड़े दिन के लिए मेरी दादी की केयर कर सकती है? वो ठीक नहीं है और मैं उनके साथ जबरदस्ती करके उन्हें स्ट्रेस नहीं देना चाहता।”
इशिका को काफी गुस्सा आ रहा था। उसने काफी रूडली टाइप किया, “नहीं, मैं ऐसा नहीं करने वाली हूं। मैंने कोई चैरिटी नहीं खोल रखी है। आप आइए और अपनी दादी को लेकर जाइए।”
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क्या अभिमन्यु इशिका का ऐसा जवाब सुनकर गुस्सा करेगा और अपनी दादी को लेने आएगा? अगर ऐसा होगा तो इशिका और अभिमन्यु की एक और मुलाकात होगी। कहानी के साथ बने रहिए और पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा।
अभिमन्यु की दादी वसुधा राजवंश फिर से इशिका के घर पर आ चुकी थी। वो इशिका को अपनी बहू बोल रही थी और वहीं पर रहने की जिद कर रही थी। अभिमन्यु के इतना समझाने के बावजूद वसुधा अपनी जिद पर अड़ी थी, तो मजबूरन अभिमन्यु को इशिका को मैसेज करके ये कहना पड़ा कि वो कुछ दिनों के लिए उसकी दादी को अपने पास रख ले।
इशिका को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं आया। वसुधा अगर उसके साथ रहती तो उसका लाइफस्टाइल और बाकी रूटीन भी बिगड़ जाता। उसने काफी रुडली ये टाइप किया कि वो कोई चैरिटी नहीं चलाती है। अभिमन्यु अभी आए और अपनी दादी को लेकर जाए।
इशिका मैसेज सेंड करती उससे पहले उसे किचन में बर्तनों की खिटपिट की आवाज सुनाई दी। उसने सामने की तरफ देखा तो वसुधा उसके पास नहीं बैठी हुई थी। इशिका जल्दी से किचन के अंदर गई तो उसने देख वसुधा पानी बॉयल कर रही थी।
इशिका उनके पास जाकर बोली, “दादी आपको ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं खुद कर लूंगी, आप ठीक नहीं है। आपको आराम करना चाहिए।”
वसुधा ने मुस्कुरा कर इशिका की तरफ देखकर कहा, “किसी भी तरीके की सूजन पर अगर हॉट कंप्रेस दिया जाए तो दर्द कम होता है। तुम्हारे होठ सूजे हुए लग रहे हैं। दर्द हो रहा होगा ना बेटा।”
वसुधा ने काफी प्यार से इशिका को कहा था कि एक पल के लिए ना जाने इशिका को क्या हो गया। उसकी आंखें नम होने लगी थी। यही प्यार था, जिसके लिए वो उम्र भर तरसती रही। इशिका ने अपने होठों के कोनों पर हाथ रखा तो उसे हल्का दर्द महसूस हुआ। ये दर्द उसको उसकी खुद की मां ने दिया था। मालविका ने इशिका को गुस्से में बहुत जोर से थप्पड़ मारा था।
इशिका अपने ख्यालों में खोई हुई थी, तभी वसुधा ने फिर से कहा, “मैंने तुम्हें कुछ पूछा है। ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा ना तुम्हें।”
इशिका ने बिना कुछ कहे ना में सिर हिला दिया था। वसुधा पानी के बर्तन के साथ उसे बाहर ले आई थी और एक नैपकिन से उसके होंठों के कोनों पर हल्के हल्के सेक करने लगी। इशिका को इससे आराम मिल गया था।
इन सब के चक्कर में वो अभिमन्यु को जवाब देना भूल गई थी, तभी उसके मोबाइल की नोटिफिकेशन टोन बजी तो उसने देखा अभिमन्यु ने इशिका को दस लाख रुपए भेजे थे। साथ में उसने मैसेज लिखा था, “ये मेरी दादी के 10 दिनों के मेंटेनेंस के लिए है। अगर तुम्हें और चाहिए तो बता देना।”
इशिका ने तुरंत अपना पहले लिखा हुआ मैसेज देखा और उसे डिलीट कर दिया। उसने जवाब में सिर्फ ओके लिखा।
“अजीब आदमी है। अपनी दादी से इतना ही प्यार है तो उनकी केयर नहीं कर सकता क्या? लगता है कुछ ज्यादा ही अमीर है जो 10 दिनों के लिए दस लाख भेजे हैं। मुझे क्या? अगर बचेंगे तो वापस लौटा दूंगी।” इशिका ने मन ही मन कहा और फिर वो वसुधा के साथ व्यस्त हो गई।
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वहीं दूसरी तरफ सिंघानिया मेंशन में आयशा लिविंग रूम में बैठकर आंसू बहा रही थी। उसके दोनों गाल पर इशिका के उंगलियों के निशान थे और होठों के कोने सूजे हुए थे।
मालविका ने उसे समझाते हुए काफी प्यार से कहा, “इशिका को तुम्हें मारना नहीं चाहिए था, वो भी प्रोफेसर के सामने। मैं उसकी तरफ से माफी मांगती हूं। वो इस हद तक गिर जाएगी मैंने ये नहीं सोचा था। जलती है वो तुमसे।”
आयशा ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो कुछ पल रुक कर बोली, “उसने ऐसा जानबूझकर किया। जब से उसे पता चला है कि नक्ष और मेरी शादी हो रही है, तब से उसका बर्ताव बदल गया है।... देखो ना, अब मिस्टर अभिमन्यु राजवंश के पीछे जा रही थी।”
“हां वो तो है ही करैक्टरलेस। आज ही किसी लड़के से शादी करके आई थी और किसी अमीर आदमी के बारे में पता चला तो उसके पीछे दुम हिलाते हुए चली गई।” मालविका गुस्से में बोली।
राधिका उस समय वहीं से गुजर रही थी। उसने मालविका और आयशा की बातें सुनी तो वो उनके पास आ गई। राधिका ने धीमी और सॉफ्ट वॉइस में कहा, “क्या तुम दोनों इशिका की बात कर रहे हो? वो ऐसा कुछ नहीं कर सकती है।”
मालविका ने राधिका की बात का जवाब देते हुए कहा, “आपको गलतफहमी हो गई है। बचपन में वो एक अच्छी बच्ची थी लेकिन उसे घर छोड़े हुए काफी टाइम बीत चुका है। 13 साल की थी वो, जब पढ़ाई के चलते उसने घर छोड़ दिया था और उसके बाद से वापस नहीं आई। आज उसने आयशा को सबके सामने मारा और उसकी इंसल्ट की।”
“मालविका आंटी बिल्कुल ठीक कह रही है। इशिका पूरी तरह बदल गई है। उसे ये तक याद नहीं है कि मेरी मॉम यानी कि आपने बचपन में उसके ऊपर कितने एहसान किए थे।” आयशा ने उदास होकर कहा।
राधिका इस बात को आगे नहीं छेड़ना चाहती थी। वो वहां से जाने को हुई, तभी आयशा ने पीछे से कहा, “मॉम मुझे आपसे कुछ बात करनी है। एक्चुअली मैं चाहती हूं डॉक्टर मर्चेंट हमारी यूनिवर्सिटी में आकर काउंसलिंग क्लासेस ले।”
आयशा की बात सुनकर राधिका जल्दी से उसकी तरफ पलटी और हैरानी से बोली, “तुम जानती हो ना ऐसा पॉसिबल नहीं है। वो ऑलरेडी हमारी कंपनी के टेक्निकल इश्यूज पर काम कर रहे हैं। ऊपर से सैलरी भी नहीं लेते। उनका शेड्यूल बहुत टाइट है। फिर मैं कैसे उन्हें तुम्हारी यूनिवर्सिटी के लिए बोल दूं।”
“प्लीज मॉम, मुझे इसकी जरूरत है। क्या आप मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती?” आयशा ने इमोशनल होकर कहा।
मालविका ने उसका साथ देते हुए कहा, “आयशा बेबी बिल्कुल ठीक कह रही है। आज इशिका ने सबके सामने उसे मारा तो उसकी प्रोफेसर के सामने काफी इंसल्ट हो गई। अब डॉक्टर मर्चेंट आयशा की तरफ से कॉलेज में आएंगे तो उसकी इस इंसल्ट को सब भूल जाएंगे।”
राधिका को जवाब देने का मौका भी नहीं मिला कि आयशा फिर से बीच में बोल पड़ी, “ऐसा कीजिए कि कल रात आप उन्हें डिनर के लिए बुला लीजिए।”
आयशा के पास कोई रिकमेंडेशन लेटर नहीं था, जो उसे डॉक्टर मर्चेंट ने दिया हो। वो इसी बहाने सबके सामने डॉक्टर मर्चेंट का रिकमेंडेशन लेटर लेना चाहती थी और साथ ही उन्हें अपने कॉलेज में लेकर आती तो उसकी काफी इज्जत बढ़ती।
राधिका ने उसकी बात पर हामी भरी और फिर कमरे में आ गई। अंदर आते ही उसने इशिका यानी डॉक्टर मर्चेंट के लिए मैसेज छोड़ा, “ डॉ मर्चेंट क्या आप मुझसे मिलने के लिए कल मेरे घर आ सकते हैं।”
ऐसे ही दूसरी तरफ इशिका ने ये मैसेज पढ़ा। वो परेशान हो गई। उसने मन ही मन कहा, “राधिका आंटी इस तरह का मैसेज तभी भेजती है जब उन्हें मेरी जरूरत होती है। ऑफिशियल काम होता तो ऑफिस आने को बोलती लेकिन घर आने को बोला है तो क्या उनकी तबीयत खराब है?”
राधिका की तबीयत खराब होने का सुनकर इशिका परेशान हो गई थी। राधिका का सोच कर इशिका ने राधिका को मैसेज छोड़ा और उसे घर आने के लिए हामी भर दी थी। ये जानते हुए कि अगर वो सिंघानिया विला में गई, तो उसकी आइडेंटिटी सबके सामने आ सकती है।
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भाई आयशा को कुछ मत कहना। वो तो हैं ही कमीनी। चलो बाकी चीजें जाने देते हैं, क्या इशिका की आइडेंटिटी सबके सामने रिवील हो जाएगी? प्लीज आप रेगुलर पार्ट पढ़कर समीक्षा लाइक किया करो।
राधिका ने इशिका को मिलने के लिए बुलाया था। हालांकि इशिका उससे मिलना तो नहीं चाहती थी लेकिन राधिका की तबीयत अक्सर खराब रहती थी और उसी का सोचकर इशिका ने मिलने के लिए हां कह दी थी।
राधिका की तबीयत के आगे इशिका ने ये भी नहीं सोचा कि अगर वो डॉक्टर मर्चेंट बनकर सिंघानिया विला में गई तो उसकी आइडेंटटी सबके सामने रिवील हो जाएगी।
इशिका अपनी सोच में गुम थी, तभी राधिका का एक और मैसेज आया।
“ठीक है, फिर हम इस वीकेंड पर मेरे घर पर डिनर पर मिलते हैं। उम्मीद है आपके पास मेरे लिए टाइम होगा।” राधिका ने जवाब में कहा।
मैसेज देखने के बाद इशिका धीरे से बोली, “राधिका आंटी इतना लेट मिलना चाहती है, इसका मतलब कारण कुछ और है। नहीं मुझे सिंघानिया विला में उनसे नहीं मिलना। मुझे बेवजह उनकी लाइफ में प्रॉब्लम क्रिएट नहीं करनी है।” इशिका ने गहरी सांस ली और तुरंत राधिका को मैसेज टाइप करके लिखा, “हम कब से आपके साथ डिनर करने का सोच रहे थे। हम आपको लोकेशन सेंड करते हूं, हम बाहर किसी रेस्टोरेंट में मिल लेंगे।”
राधिका ने उसकी बात पर हामी भर दी थी। उसने जवाब में थम्स अप भेजा तो वहीं इशिका मोबाइल रखकर पुरानी बातें सोच रही थी।
इशिका खुद से बोली, “मैंने कभी आप लोगों को पूरी तरह छोड़ना नहीं चाहा। बेवकूफ थी तभी घर छोड़ने के एक हफ्ते बाद सबसे मिलने के लिए गई।”
सोचते हुए इशिका पुरानी यादों में खो गई। जब वो घर छोड़ने के एक हफ्ते बाद सिंघानिया विला पहुंची थी। वो अंदर जाती उससे पहले मालविका ने उसे पकड़ लिया था और उसे दूसरी तरफ लेकर गई। उसने कांच की खिड़की से सामने की तरफ इशारा किया।
अंदर की तरफ आदर्श और राधिका आयशा के साथ खेल रहे थे। वो दोनों काफी खुश थे।
मालविका ने इशिका का कंधा दबा कर कहा, “पहले कभी मिसेज सिंघानिया को इतना खुश देखा है तुमने?”
इशिका ने नम आंखों से ना में सिर हिला दिया।
मालविका आगे बोली, “देखोगी भी कैसे? तुम्हारी वजह से वो हंसना भूल गई थी। देखा, तुम्हारे जाते ही उनकी सारी प्रॉब्लम अपने आप खत्म हो गई। उम्मीद है तुम इतनी समझदार तो हो गई होगी। अब वापस यहां मत आना।”
इशिका उस दिन के बाद वहां वापस नहीं लौटी, जब तक खुद मालविका ने उसे वहां जबरदस्ती नहीं बुलाया। राधिका से वो इमोशनली कनेक्ट थी, इस वजह से वो हर बर्थडे पर उनके लिए गिफ्ट जरूर भिजवाती थी लेकिन उसका भी राधिका की तरफ से कभी कोई जवाब नहीं आया।
इशिका पुरानी बातें सोच कर खुद को हर्ट नहीं करना चाहती थी इसलिए टाइम पास करने के लिए उसने अपना मोबाइल ऑन किया। उसने देखा कि अभिमन्यु के काफी सारे मैसेज आए हुए थे।
“आप मेरी दादी का ख्याल तो रख रही है ना, देखिए उन्हें दिन में डॉक्टर के बताए अनुसार मेडिसिन लेने की जरूरत होती है। वो ठीक से सो भी नहीं पाती और गुस्से में काफी अग्रेसिव हो जाती है। कई बार वो बच्चों की तरह ज़िद करने लगती है तो कभी बड़ी बनकर आपको डांटने लगेगी। किसी भी तरह की कोई भी इमरजेंसी होगी तो आप सबसे पहले मुझे कॉल करेगी।” अभिमन्यु ने इतने सारे मैसेज भेज दिए थे, जिसे देखकर इशिका ने अपना सिर पकड़ लिया।
इशिका ने खुद से कहा, “अगर इतनी परवाह है तो खुद के पास क्यों नहीं रख लेता। लापरवाह कहीं का...” इशिका उठी और उसने वसुधा का एक वीडियो बनाकर अभिमन्यु को भेजा।
दूसरी तरफ राजवंश विला से कुछ दूर दो गाड़ियां खड़ी हुई थी। दोनों ही किसी तरह की वैनिटी वैन लग रही थी। एक के अंदर अभिमन्यु बैठा हुआ था। वो मिनी वैन किसी लग्जरियस घर से काम नहीं लग रही थी। दूसरी वैन एक मिनी हॉस्पिटल की तरह थी।
अभिमन्यु के सामने वसुधा के डॉक्टर बैठे हुए थे। जैसे ही इशिका का मैसेज आया, अभिमन्यु ने उसे देखा और हैरानी से उसकी आंखें बड़ी हो गई।
अभिमन्यु के चेहरे के एक्सप्रेशंस देखकर डॉक्टर माथुर ने पूछा, “मिस्टर राजवंश सब ठीक है ना?”
अभिमन्यु ने बिना कुछ बोले अपने मोबाइल की स्क्रीन डॉक्टर के सामने कर दी। डॉक्टर ने जब वो वीडियो देखा तो वो भी हैरान रह गए। उन्होंने कहा, “अजीब बात है, हम यहां एमरजैंसी सिचुएशन के लिए तैयार बैठे हैं और वहां कुछ और ही चल रहा है। जहां तक मुझे याद है वसुधा जी पिछले कई सालों से रात के दो बजे से पहले नहीं सोई है और इतने सुकून से तो मैंने उन्हें सोते हुए कभी नहीं देखा।”
अभिमन्यु को तसल्ली देने के लिए इशिका ने वसुधा का वीडियो बनाकर भेजा था, जिसमें वो सुकून से सो रही थी। इतने आराम से कि वो खर्राटे तक ले रही थी।
डॉक्टर आगे बोले, “वैसे मानना पड़ेगा। इस यंग लेडी के साथ में रहते हुए मिसेज राजवंश में काफी बदलाव आए हैं। अगर ये हमेशा उनके पास रहे तो इस उम्र में भी मिसेज राजवंश अच्छा इंप्रूव कर सकती है।”
अभिमन्यु ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वापस अपने काम पर लग गया।
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अगले दिन इशिका जल्दी ही तैयार हो गई। उसने ब्लू पैंट्स के ऊपर व्हाइट क्रॉप टॉप पहना और गले में स्कार्फ ले रखा था, जो ब्लैक एंड व्हाइट था। इशिका ने हमेशा की तरह अपने बालों को पिग टेल में बांधा और आगे से कुछ लटे उसके चेहरे पर बिखरी थी।
इशिका तैयार होकर ब्रेकफास्ट टेबल पर आई। उसने जल्दबाजी में कुछ टोस्ट बनाए और फिर वसुधा के लिए लेकर आई।
इशिका ने उन्हें ब्रेकफास्ट और दवाइयां देते हुए कहा, “आप इन्हें टाइम से ले लीजिएगा। थोड़ी देर बाद में दिशांक आ रहा है। वो आपका ख्याल रखेगा, अच्छा लड़का है। आपका उसके साथ मन लग जाएगा।”
वसुधा ने उसकी बात पर हामी भरी और कहा, “तुम कहीं जा रही हो बहू?”
वसुधा के मुंह से बहु सुनकर इशिका नाराजगी जताते हुए बोली, “दादी मेरा नाम इशिका है और आप मुझे प्लीज मेरे नाम से ही बुलाइए।”
“एक तो आजकल की लड़कियां, इनका कुछ नहीं हो सकता। अब बहु सुनने में क्या प्रॉब्लम है। मैं तो तुम्हें बहू ही कहूंगी।” वसुधा ने सख्ती से कहा और फिर कुछ पल रुक कर बोली, “अच्छा बताओ, कहां जा रही हो तुम?”
“एक बहुत बड़े आदमी के पास इंपॉर्टेंट मीटिंग पर जाना है।” इशिका ने जवाब दिया।
“बहुत बड़ा आदमी है तो रुको, मैं अपने पोते को बोलती हूं। वो तुम्हारी अपॉइंटमेंट फिक्स करवा देगा। उसकी काफी लोगों से जान पहचान है।” वसुधा ने मुस्कुरा कर कहा।
उनकी बात सुनकर इशिका के चेहरे पर भी स्माइल आ गई। वो सिर हिला कर बोली, “दादी आपका पोता भी इस मामले में कुछ नहीं कर पाएगा। आप ब्रेकफास्ट कीजिए और मेरी टेंशन मत लीजिए।”
वसुधा ने आगे कुछ नहीं पूछा और चुपचाप नाश्ता करने लगी। वही इशिका नाश्ता करते हुए अभिमन्यु के बारे में सोचने लगी। वो धीरे से बोली, “अब आपको कैसे बताऊं दादी कि आपका लापरवाह पोता कितना भी अमीर क्यों ना हो लेकिन वो अभिमन्यु राजवंश जितना अमीर नहीं हो सकता। मेरी अभिमन्यु से मीटिंग में आपका पोता मेरी कोई हेल्प नहीं कर सकता।”
इशिका अभिमन्यु से मिलने जा रही थी। दिशांक के आते ही इशिका वहां से निकली और अपनी स्कूटी स्टार्ट की। वो खुद से बोली, “जो भी हो जाए डिवोर्स के लिए तो मैं तुम्हें मना कर रहूंगी अभिमन्यु राजवंश।”
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इशिका वैसे है तो बहुत जिद्दी। अब कहा है तो अभिमन्यु को मना कर ही रहेगी। देखते हैं उनकी अगली मीटिंग कैसे रहती है। अगर कहानी अच्छी लग रही है तो प्लीज समीक्षा किया करो।
इशिका हार नहीं मनाना चाहती थी। वो एक फिर फिर अभिमन्यु से मिलने राजवंश एम्पायर जाने वाली थी। ना चाहते हुए भी इशिका के ऊपर अभिमन्यु की दादी वसुधा की जिम्मेदारी आन पड़ी थी। इशिका ने वसुधा को दिशांक के पास छोड़ा और खुद अपनी स्कूटी लेकर राजवंश एम्पायर पहुंच चुकी थी।
वहां पहुंचते ही अंदर जाने से पहले इशिका ने मन ही मन कहा, “मिस्टर राजवंश का शेड्यूल काफी टाइट रहता है। या तो वो काम कर रहे होते हैं या फिर मीटिंग में... दिशांक ने जो मेल भेजा था, उसके हिसाब से फिलहाल के वक्त वो ऑफिस में ही होंगे।”
इशिका ने खुद के चेहरे के भावों को सख्त किया और फिर अंदर चली गई। एक बार फिर उसे रिसेप्शनिस्ट की परमिशन लेनी थी। रिसेप्शनिस्ट ने उसकी तरफ देखा और भौहें उठाकर कहा, “आप फिर से यहां पर आ गई मिस सिंघानिया? जहां तक मुझे पता है आज कोई पार्सल नहीं आने वाला था। पृथ्वी सर ने साफ मना किया है आपके ऊपर भेजने के लिए।”
इशिका ने उसकी आंखों में देखा और कहा, “लेकिन आज मैं पार्सल देने नहीं आई हूं। मुझे वो...”
इशिका की बात पूरी होने से पहले ही रिसेप्शनिस्ट ने उसे बीच में काटते हुए कहा, “क्या मुझे वो? ये कोई मॉल नही है, जहां जब आपका मन करे, आप मुंह उठाकर चली आए।”
वो काफी बदतमीजी से बात कर रही थी। इशिका उसकी तरफ घूरकर देखने लगी।
रिसेप्शनिस्ट ने गहरी सांस ली और सिर हिला कर कहा, “ठीक है फिर अपना अपॉइंटमेंट लेटर दिखाइए। उसके बाद मैं आपके बिना किसी सवाल के ऊपर जाने दूंगी।”
इशिका के पास कोई अपॉइंटमेंट लेटर नहीं था। उसे अभिमन्यु से मिलना भी जरूरी था। इशिका ने ना में सिर हिलाकर कहा, “वो तो मेरे पास नहीं है।”
रिसेप्शनिस्ट इशिका से बात करते हुए काफी रूडली पेश आ रही थी लेकिन अचानक इशिका ने देखा उसके चेहरे पर चमक आ गई और चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कुराहट।
रिसेप्शनिस्ट ने उसी मुस्कुराहट के साथ तेज आवाज में कहा, “मिस सिंघानिया आप यहां? प्लीज कम...यू आर मोस्ट वेलकम।”
इशिका ने पीछे मुड़कर देखा तो वहां आयशा खड़ी थी। आयशा ने इशिका की तरफ देखकर आंखें छोटी की और फिर मुस्कुराते हुए रिसेप्शनिस्ट के पास आ गई।
आयशा ने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखकर कहा, “वो मैं यहां नक्ष से मिलने के लिए आई थी।” बोलते हुए उसने इशिका की तरफ देखा और सिर झटक कर कहा, “बट हां, मेरे पास कोई अपॉइंटमेंट लेटर नहीं है।”
“कैसी बात कर रही है मैम आप? आप तो राजवंश खानदान की होने वाली बहु है। आपको किसी तरह की अपॉइंटमेंट लेटर या परमिशन की जरूरत नहीं है। आप बस मेरे साथ आइए।” रिसेप्शनिस्ट ने काफी अदब से कहा और फिर अपने कार्ड से लॉबी के आगे का डोर ओपन किया।
जाने से पहले आयशा ने इशिका की तरफ देखकर तिरछी मुस्कुराहट दी। उसके चेहरे के एक्सपेक्टशंस यही जाहिर कर रहे थे कि उसे बिना किसी अपॉइंटमेंट लेटर के अंदर जाने दिया गया जबकि इशिका वहीं पर खड़ी थी। यही उसकी औकात थी।
लिफ्ट के अंदर जाने से पहले आयशा ने तेज आवाज में कहा, “तुम्हें कितनी बार समझाना पड़ेगा इशिका कि कहीं भी जाने से पहले एक बार जगह तो देख लिया करो। ये कोई पब्लिक प्लेस नहीं है जहां तुम मुंह उठा कर चली जाओगी। तुम्हें ऊपर नहीं जाने दिया जाएगा, उसके बावजूद तुम इस रिसेप्शनिस्ट को क्यों परेशान कर रही हो।”
“लेकिन मैंने इसे कब परेशान किया?” इशिका मन ही मन बड़बड़ा कर बोली। वो आयशा की आदतों को अच्छे से जानती थी इसलिए उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
आयशा ने आगे रिसेप्शनिस्ट से कहा, “मेरी बहन की तरफ से मैं आपसे माफी मांगती हूं। ये जिद्दी और बेशर्म है। ऐसे लोगो की वजह से आपका काम मुश्किल रहता होगा।”
रिसेप्शनिस्ट ने हां में सिर हिलाया। आयशा वहां से जा चुकी थी।
आयशा के सामने रिसेप्शनिस्ट काफी मुस्कुरा कर और नरमी से बात कर रही थी तो इशिका के सामने आते ही उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस फिर से सख्त हो गए और वो उसी अंदाज में बोली, “देखिए मैडम मेरा टाइम वेस्ट मत कीजिए। पृथ्वी सर ने साफ मना किया है कि आपके ऊपर नहीं जाने देना है। मैं उनकी इच्छा के खिलाफ आपके ऊपर नहीं भेज सकती हूं। आप प्लीज यहां से चली जाइए।”
इशिका समझ चुकी थी कि पृथ्वी ने ऐसा क्यों किया होगा। पिछली बार भी जब इशिका ऊपर गई थी, तब वो खुश नहीं था। शायद वो नहीं चाहता होगा कि इशिका अभिमन्यु के क्लोज जाए।
“मुझे उनसे काम है।” इशिका ने प्लीडिंग वे में कहा।
“अपॉइंटमेंट लेकर लेकर आइए, फिर जाने दूंगी। फिलहाल के लिए आप यहां से खुद जा रही है या मैं सिक्योरिटी को बुलाऊं?” रिसेप्शनिस्ट ने इस बार हल्के गुस्से में कहा।
“ठीक है फिर मैं वेटिंग एरिया में बैठकर मिस्टर राजवंश के आने का वेट कर लेती हूं।” इशिका ने शांति से जवाब दिया और फिर रिसेप्शन एरिया से कुछ दूर लॉबी में एक काउच पर जाकर बैठ गई।
इशिका ने गहरी सांस ली और अपना मोबाइल निकाला। उसके पास इंतजार करने के लिए और कोई रास्ता नहीं था। वो जानती थी कि अभिमन्यु से मिलना इतना आसान नहीं रहने वाला था।
वही इस बीच अभिमन्यु अपनी मीटिंग से फ्री हुआ था। उसने अपना मोबाइल चेक किया तो व्हाट्सएप चैट में सबसे ऊपर इशिका का नंबर था, जो उसने काइंड किडनैपर के नाम से सेव किया था। न जाने क्यों उसने इशिका को इतना अजीब नाम दिया था।
अभिमन्यु ने तुरंत इशिका को मैसेज करते हुए लिखा, “दादी क्या कर रही है! उनकी तबीयत तो नहीं बिगड़ी ना?”
इशिका भी टाइम पास करने के लिए अपना मोबाइल यूज कर रही थी। उसने ऊपर अभिमन्यु का मैसेज देखा तो जवाब में लिखा, “आखरी बार जब उन्हें घर पर छोड़ा था, तब वो बिल्कुल ठीक थी। उसके बाद मुझे नहीं पता।”
“क्या तुम अपने काम पर हो?” अभिमन्यु ने पूछा।
“और आपको ऐसा क्यों लगा कि मैं अपने काम पर हूं?” इशिका ने काफी रुडली जवाब दिया। वैसे भी रिसेप्शनिस्ट की वजह से उसका मूड उखड़ा हुआ था।
अभिमन्यु ने गहरी सांस ली और धीरे से बड़बड़ा कर कहा, “ये लड़की मुझसे इतनी बदतमीजी से बात कर भी कैसे सकती है? रिएक्ट तो ऐसे कर रही है जैसे कोई बहुत बड़ा एहसान किया है इसने मेरे ऊपर।” अभिमन्यु ने पानी पिया और फिर धीरे से बोला, “काम डाउन अभिमन्यु, ये दादी का ख्याल जरूर रख रही है लेकिन तुमने इसे हायर नहीं कर रखा है। थोड़ी बदतमीजी तो झेलनी ही पड़ेगी।”
अभिमन्यु ने दूसरा मैसेज टाइप करते हुए लिखा, “अच्छा ठीक है, मुझे बताओ तुम कहां हो। मैं अभी वहां पर आता हूं। हम दोनों मिलकर दादी के हेल्थ पर बात करेंगे ताकि आगे से तुम्हें और उन्हें दोनों को ही प्रॉब्लम ना हो।”
इशिका को मिलने से कोई एतराज नहीं था। उसने तुरंत एड्रेस भेज दिया था। एड्रेस देखकर अभिमन्यु को थोड़ी हैरानी हुई। अचानक उसकी नजर इशिका के भेजे हुए एड्रेस पर गई।
“ये राजवंश एम्पायर में क्या कर रही है?” अभिमन्यु हैरानी से बोला और जल्दी से दौड़ कर नीचे जाने लगा।
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शायद इसके बाद अभिमन्यु को पता चल जाए कि इशिका ही उसकी दादी का ख्याल रख रही है। देखते हैं दोनों की ये मीटिंग कैसे जाती है। पढ़ कर समीक्षा कर दीजिएगा।
आयशा लिस्ट से ऊपर पहुंच गई थी। नक्ष के फ्लोर तक जाने के लिए उसे काफी आगे तक चल कर जाना पड़ा। आयशा मिलने तो नक्ष से आई थी लेकिन उसके दिमाग में इशिका चल रही थी, जो थोड़ी देर पहले रिसेप्शनिस्ट से अंदर जाने की जिद कर रही थी।
आयशा मन ही मन बोली, “कितनी बेशर्म लड़की है। इतना सब कुछ हो गया, फिर भी यहां पर खड़ी होकर मिस्टर अभिमन्यु राजवंश से मिलने की जिद कर रही है। उसे क्या लगता है कि वो अपनी खूबसूरती से उसका दिल पिघल देगी। जैसे उसने नक्ष को अपने पीछे पागल किया था, वैसे अभिमन्यु राजवंश उसके पीछे नहीं आने वाला है। नक्ष ने भी एक मोमेंट के बाद उसे छोड़कर मुझसे शादी करने का डिसीजन लिया और वो अभिमन्यु राजवंश को अपने जाल में फंसाने का सोच रही है। बेवकूफ कहीं की...”
आयशा के चेहरे पर गुस्से के भाव थे। जैसे ही वो नक्ष के केबिन के सामने आई। उसने खुद के चेहरे के भावों को नॉर्मल किया और अपने चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट ओढ़ ली। नक्ष से मिलने के लिए आयशा खास तैयार होकर आई थी।
उसने ग्रे कलर का डिजाइनर वन पीस शॉर्ट ड्रेस पहना हुआ था। बालों को कर्ल करके उसमें अच्छा सा हेयर स्टाइल बनाया हुआ था। चेहरे पर हेवी मेकअप और आंखों में कॉन्फिडेंस के साथ आयशा ने नक्ष के केबिन के अंदर कदम रखा।
“इसे काम करने के अलावा और कोई काम नहीं है क्या।” नक्ष को देखकर आयशा ने धीरे से बड़बड़ा कर कहा।
नक्ष काम करने में बिजी था। वो भी दिखने में काफी हैंडसम था। लगभग 5 फुट 10 इंच के आसपास हाइट, गोरा रंग, मस्कुलर बॉडी, गहरी भूरी आंखें और वैसे ही गहरे भूरे सेट किए हुए बाल। नक्ष के होठों से थोड़ा ऊपर एक बड़ा सा तिल था।
अचानक नक्ष का ध्यान आयशा की तरफ गया। उसने कुछ खास खुशी नहीं दिखाई। दिखाता भी कैसे, उसे इशिका से प्यार था पर मजबूरी में आयशा के साथ आना पड़ रहा था।
“कैसे हो तुम बेबी?” आयशा ने मुस्कुराकर सिर हिला कर कहा।
नक्ष उठकर आयशा के पास आया। अचानक उसकी नजर आयशा के गालों पर पड़ी, जो सूजे हुए लग रहे थे।
नक्ष ने आयशा के होठों पर हल्के से हाथ रखकर भौंहे उठाकर पूछा, “ये सब क्या है?”
“इशिका ने मुझे बहुत बुरी तरह से मारा।” आयशा ने जवाब दिया। वो इशिका को नक्ष की नजरों में गिराना चाहती थी।
आयशा को लगा ये सुनकर नक्ष को गुस्सा आएगा पर नक्ष ने बिना किसी भाव के कहा, “मैंने तुम्हें पहले ही कहा था, उससे पंगा मत लेना। डिफेंस आर्ट में अच्छी है वह।”
नक्ष ने इशिका का काफी सालों तक पीछा किया था तो उससे इशिका से जुड़ी हुई बात छुपी कैसे रह सकती थी।
“हां मेरी ही गलती थी। उसके बारे में बात नहीं करते हैं ना...” आयशा ने मासूम बनते हुए कहा।
नक्ष ने हां में सिर हिला दिया। बातचीत का रुख बदलने के लिए आयशा ने कहा, “मुझे पता चला है कि तुम्हारा नया प्रोजेक्ट न्यू एनर्जी से रिलेटेड है। क्या तुम्हें पता है डॉक्टर मर्चेंट हमारे घर पर आने वाले हैं। मेरी मॉम ने उन्हें डिनर पर बुलाया है। अगर तुम कहो तो मैं उनसे बात करूं? वो तुम्हारे प्रोजेक्ट में ज्वाइन कर सके तो?”
“क्या तुम ऐसा कर सकती हो?” नक्ष ने भौहें उठाकर पूछा। उसकी आंखों में चमक आ गई थी।
“हां क्यों नहीं? तुम बस अपने बिजी शेड्यूल से थोड़ा टाइम निकाल लेना ताकि तुम भी उस डिनर में प्रजेंट रह सको।” आयशा ने खुश होकर बताया।
डॉक्टर मर्चेंट का प्रोजेक्ट में शामिल होने का सुनते ही नक्ष का बिहेवियर बदल गया था। उसने आयशा को कमर से पकड़ कर अपने करीब खींचा और उसके गाल को अपने गालों से सहलाते हुए कहा, “इशिका सच में बहुत बदतमीज और रूड है। उसे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।”
“हां अब क्या कर सकते हैं? अच्छा हुआ ना उसकी सच्चाई वक्त रहते सामने आ गई और तुम्हारी लाइफ बर्बाद नहीं हुई।” आयशा ने मुस्कुरा कर कहा।
नक्ष ने हां में सिर हिलाया। उसने फिर आयशा के होठों को अपने होठों से हल्का सा छूते हुए कहा, “तुम्हें पता है मेरे पास तुम्हारे इस दर्द का एक अच्छा सा इलाज है। एक प्यारा सा किस...जिसके बाद तुम्हारा सारा दर्द दूर हो जाएगा।”
किस करने से पहले नक्ष ने आयशा की परमिशन मांगी तो आयशा ने मासूम बनते हुए अपने पलके झपका दी थी। अगले ही पल नक्ष ने उसके होठों को अपने गिरफ्त में ले लिया। वो उसे काफी सॉफ्टली किस कर रहा था।
आयशा ने अपने मन में कहा, “क्या फर्क पड़ता है कि तुम किस से प्यार करते हो? फर्क इस बात से पड़ता है कि हमारी शादी होने वाली है और उससे भी बड़ी बात मैं तुम्हारे ड्रीम प्रोजेक्ट में तुम्हारी मदद करने वाली हूं। देखा तुमने इशिका, अमीर लोगों के लिए प्यार का कोई मतलब नहीं होता है। उन्हें बस अपनी सक्सेस से लेना देना होता है। जो लड़का कल तक तुम्हारे पीछे पागलों की तरह घूमता था, आज वो डॉक्टर मर्चेंट का नाम सुनते ही मेरा दीवाना होकर खुद से किस करने की पहल कर रहा है।”
आयशा को भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि कभी नक्ष इशिका से प्यार करता था। उसे मतलब था तो राजवंश खानदान की बहू बनने से। वो बहुत अमीर थे। उनकी लाइफ स्टाइल काफी लग्जीरियस थी और आयशा को वही चाहिए था।
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वही नीचे लॉबी में इशिका आराम से काउच पर बैठी हुई थी। उसने अभिमन्यु को अपना एड्रेस भेज दिया था। वो काफी देर से वहां पर बैठी थी। जब रिसेप्शनिस्ट की नजर वापिस उस पर पड़ी तो वो गुस्से में आग बगुला हो गई।
रिसेप्शनिस्ट ने सिक्योरिटी गार्ड को अपने साथ आने का इशारा किया और इशिका के पास लेकर पहुंची। वो इशिका को देखते हुए काफी एटीट्यूड से बोली, “मिस सिंघानिया आप यहां से गई नहीं अभी तक? आपकी वजह से मुझे डिस्टर्बेंस हो रहा है। बेहतर होगा कि यहां से चली जाइए वरना ये लोग आपको धक्के मार कर निकाल देंगे?”
इशिका ने हैरानी से रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखा। वो तो चुपचाप बैठी हुई थी। वेटिंग एरिया में कोई भी आकर बैठ सकता था। ऊपर से इशिका तो शोर भी नहीं बचा रही थी, फिर वो उसका काम कैसे डिस्टर्ब कर रही थी, ये उसे समझ नहीं आया।
इशिका ने बोरियत भरे लहजे में रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखकर कहा, “लगता है आपका अपने काम पर फोकस नहीं है, तभी काम करते वक्त बार-बार आपकी नजरे मुझ पर आ रही थी। आप ऐसा क्यों नहीं करती कि यहां पर अपने लिए एक अलग से केबिन बनवा लीजिए। फिर आपको डिस्टर्बेंस नहीं होगा।”
“अब तुम अपनी लिमिट क्रॉस कर रही हो और बहुत हो गया।” रिसेप्शनिस्ट गुस्से में बोली। फिर उसने सिक्योरिटी गार्ड को ऑर्डर देते हुए कहा, “इस लड़की को यहां से धक्के मार कर बाहर निकाल दो। वैसे भी पृथ्वी सर ने मना किया था कि इसे यहां नहीं आने देना है।”
रिसेप्शनिस्ट के ऑर्डर देते ही सिक्योरिटी गार्ड्स हरकत में आ गए थे। वो कुछ करते तभी अचानक पूरी लॉबी शांत हो गई, क्योंकि प्राइवेट लिफ्ट के रुकने की आवाज आई। वो प्राइवेट लिफ्ट सिर्फ अभिमन्यु के यूज के लिए थी, तो सिक्योरिटी गार्ड अपना काम छोड़कर बिल्कुल सीधे खड़े हो गए।
लिफ्ट में से अभिमन्यु पृथ्वी के साथ बाहर निकला। वो चारों तरफ इधर-उधर देख रहा था, मानो किसी को ढूंढने की कोशिश कर रहा हो।
जैसे ही अभिमन्यु की नजर नजर इशिका पर गई, वो आईज रोल करके बोला, “नॉट अगेन... ये लड़की फिर से यहां पर आ गई।”
पृथ्वी ने उसकी नजरों को फॉलो करके इशिका को देखा तो उसे भी बहुत गुस्सा आया। उसने अभिमन्यु से कहा, “मैं देखता हूं उसे।”
अभिमन्यु फिर से इशिका से उलझना नहीं चाहता था इसलिए वो वहीं पर खड़ा रहा, जबकि पृथ्वी इशिका के पास आ गया।
पृथ्वी को देखकर रिसेप्शनिस्ट घबरा गई। वो जल्दी से अपना पक्ष रखते हुए बोली, “सर मैंने आपके ऑर्डर्स अच्छे से फॉलो किए थे और इसे अंदर नहीं जाने दिया। ये फिर से पार्सल देने का बहाना बनाकर आई थी लेकिन मैंने फिर भी इसे अंदर नहीं जाने दिया। मैंने इसे यही कहा कि आज हमारा कोई पार्सल नहीं आने वाला है।”
इशिका थे रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखकर बेपरवाही से कहा, “लेकिन मैंने कब कहा कि मैं कोई पार्सल देने के लिए आई हूं?”
“देखा सर आपने, कितनी बेशर्मी से ये मान भी रही है कि ये यहां बेवजह आकर बैठ गई है। इसे फिर से ऊपर जाकर किसी से मिलना था। खामखां हंगामा मचा रही है, बस तभी मैंने सिक्योरिटी गार्ड्स को बुला लिया।” रिसेप्शनिस्ट ने मासूम बनते हुए कहा।
इशिका ने उसकी तरफ देखकर कंधे उचकाकर कहा, “अच्छा तो मैं यहां चुपचाप बैठ कर तुम्हारा काम डिस्टर्ब कर रही थी? मुझे नहीं पता था कि यहां लॉबी में बैठना अलाउड नहीं है। वेटिंग एरिया में चुपचाप वेट करना इतना बड़ा गुनाह हो गया। हंगामा मैं नहीं, तुम कर रही थी।”
इशिका और रिसेप्शनिस्ट की फाइट से पृथ्वी इरिटेट हो गया था। वो बीच में तेज आवाज में बोला, “ठीक है, इसे जितनी देर बैठना है बैठे रहने दो। वैसे भी इस पर कोई ध्यान नहीं देने वाला है।” इशिका के मामले को निपटाकर उसने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखकर कहा, “मैंने तुम्हें कहा था कि मिस्टर राजवंश के प्राइवेट कंप्यूटर में कुछ ग्लिच आ गया है। मैंने इंजीनियर को कॉल किया था तो तुम्हें किसी को ठीक करने के लिए भेजने वाला था। वो अब तक आया क्यों नहीं है? मैंने इंजीनियर को कॉल किया तो उसने कहा कि उसका भेजा हुआ टेक्नीशियन यहां आ चुका है और उसे अंदर नहीं आने दिया गया। क्या इसका जवाब है तुम्हारे पास?”
“लेकिन यहां तो कोई नहीं आया?” रिसेप्शनिस्ट ने हैरानी से कहा, “मेरा यकीन मानिए सर, मैं अपना काम बहुत सीरियसली करती हूं और यहां पर कोई नहीं आया, जिसे मैने रोका हो।”
“तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं या वो झूठ बोल रहा है?” पृथ्वी गुस्से में बोला और अपना मोबाइल निकाला। वो इंजीनियर को कॉल करने ही वाला था कि तभी उसे इशिका की आवाज सुनाई दी।
इशिका ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा, “हां इसने मुझे रोका था। मेरी बात तक नहीं सुनी कि मैं यहां पर क्यों आई हूं। मुझ पर इल्जाम लगाया कि मैं यहां हंगामा मचा रही हूं और न जाने क्या कुछ नहीं कहा मुझे?”
पृथ्वी हैरानी से इशिका की तरफ देख रहा था। कल वो यहां पर एक पार्सल डिलीवर करने के लिए आई थी तो आज एक टेक्नीशियन बनकर। ऐसा कैसे पॉसिबल था? वो कुछ पूछता उससे पहले इशिका ने उसके हाथ में एक पेपर थमा दिया। जो पेपर उसने पृथ्वी को दे दिया, उस पेपर के हिसाब से वो उस इंजीनियर के अंडर पिछले 5 सालों से काम कर रही थी।
रिसेप्शनिस्ट की तरह इशिका ने भी सब कुछ काफी बढ़ा चढ़ा कर बताया था। फिर उसकी नज़रें अभिमन्यु पर टिकी हुई थी। उसे देखना था कि अभिमन्यु क्या फैसला लेता है।
सब कुछ सुनने के बाद अभिमन्यु ने सर्द निगाहों से रिसेप्शनिस्ट को देखा और तेज आवाज में कहा, “यू आर फायर। अभी तक की अपनी जितनी भी सैलरी है, लो और निकलो यहां से।”
“लेकिन निकालने की क्या जरूरत है सर? इससे एक छोटी सी गलती हुई है। इसे कुछ दिनों के लिए सस्पेंड कर दीजिए। ये अपना काम काफी अच्छे से कर रही है।” पृथ्वी ने रिसेप्शनिस्ट का साथ देते हुए कहा, जबकि रिसेप्शनिस्ट की तो हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी कि इतनी बड़ी गलती के बाद वो सॉरी बोल सके।
रिसेप्शनिस्ट के बाद अभिमन्यु ने गुस्से से पृथ्वी की तरफ देखा, मानो वो आगे कुछ और बोला तो अभिमन्यु उसे भी काम से निकाल देगा।
इशिका इन सब में काफी ज्यादा हैरान थी। अब तक उसने सुना था कि अभिमन्यु काफी क्रुएल है लेकिन आज उसने देखा भी लिया। एक छोटी सी गलती पर उसने रिसेप्शनिस्ट को काम से निकाल दिया था, जो न जाने कितने सालों से उनके यहां काम कर रही थी।
इशिका ने मन ही मन बड़बड़ा कर कहा, “कम ऑन इशिका, तुम्हें इससे डरना नहीं है। तुम्हारी असली पहचान भी कुछ कम पावरफुल नहीं है पर मुझे इसका बिहेवियर देखकर अजीब क्यों लग रहा है।”
इशिका ने रिसेप्शनिस्ट का साथ देने के लिए कुछ कहना चाहा लेकिन अभिमन्यु फिर से बीच में बोल पड़ा, “अपना काम करो और निकलो यहां... मुझे तुम्हारी शक्ल भी नही देखनी है मिस सिंघानिया।”
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भाई इशिका का पाला सच में एक ऐसे इंसान से पड़ा है, जो क्रुएल, रूड और एरोगेंट है पर अभी असली बातें सामने आई ही कहां है। पार्ट पढ़ कर समीक्षा कर दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते हैं। देखते हैं आज इशिका अपनी बात अभिमन्यु से कह पाती है या नहीं।
इशिका फिर से राजवंश एम्पायर में अभिमन्यु से मिलने के लिए आई हुई थी। इस बार वो उसके कंप्यूटर में आए टेक्निकल इश्यू को ठीक करने के बहाने से आई थी। पृथ्वी के ऑर्डर मिलने की वजह से रिसेप्शनिस्ट ने उसे ऊपर नहीं जाने दिया और इस बात का पता जब अभिमन्यु को लगा तो उसने रिसेप्शनिस्ट को तुरंत जॉब से निकाल दिया था।
रिसेप्शनिस्ट ने कुछ नहीं कहा और अपना सामान समेटने के लिए रिसेप्शन डेस्क की तरफ जाने लगी। वही अभिमन्यु ने इशिका की तरफ देखा, एक मासूम सी दिखने वाली बेहद खूबसूरत लड़की।
अभिमन्यु ने मन ही मन कहा, “बहुत कम उम्र में तुमने सिंघानिया विला छोड़ दिया था। पृथ्वी ने जहां तक तुम्हारे बारे में बताया था, तुमने बहुत स्ट्रगल किया है, लेकिन क्या तुमने अपनी जिंदगी इस तरह अलग-अलग पार्ट टाइम जॉब्स करके बिताई है? तुम्हारी फैमिली ने तुम्हारे लिए कुछ क्यों नहीं किया इशिका सिंघानिया? तुम वाकई काफी अजीब हो लेकिन इतनी भी अजीब नहीं कि तुम्हारे साथ इतना बुरा हो।”
अभिमन्यु अपने ख्यालों में खोया हुआ था, तभी उसने देखा कि इशिका उसी की तरफ ही आ रही थी। इशिका को अपनी तरफ आते देखकर अभिमन्यु ने फिर से अपने चेहरे के भाव सख्त कर लिए थे। कुछ देर पहले उसके मन में इशिका के लिए सॉफ्ट कॉर्नर पैदा हुआ था लेकिन अगले ही पल वो फिर से वही रूड और एरोगेंट अभिमन्यु राजवंश बन चुका था।
इशिका के पास आते ही अभिमन्यु ने भौहें उठाकर पूछा, “अब तो खुश हैं ना आप मिस सिंघानिया? आपकी यहां इंसल्ट हुई है, तो उसके बदले रिसेप्शनिस्ट को उसके काम से निकाला जा चुका है।”
“मैंने आपको ऐसा करने के लिए नहीं कहा था?” इशिका ने सिर हिला कर कहा। इशिका ने बातों ही बातों में सारा ब्लेम उस पर डाल दिया था।
“हां लेकिन आपकी आंखें तो कुछ और ही कह रही थी। खैर जाने दीजिए, उम्मीद है आप जिस काम के लिए आई है, वो अच्छे से करेगी।” अभिमन्यु ने इशिका को घूरते हुए पूछा। उसे देखकर लग नहीं रहा था कि वो किसी कंप्यूटर ग्लिच को सही कर पाएगी। अभिमन्यु खुद से उसे सही करने के लिए काफी मेहनत कर रहा था लेकिन फिर भी उससे नहीं हो पाया।
इशिका ने बिना कुछ कहे हां मे सिर हिला दिया। फिर वो कुछ पल रुक कर अभिमन्यु की आंखों में देखते हुए बोली, “मिस्टर राजवंश क्या आपने सिविल अफेयर्स ब्यूरोक्रेसी में चेक करवाया? आई मीन मैं सच बोल रही हूं ना.... हम दोनों शादीशुदा...”
इशिका क्या कहना चाहती थी, अभिमन्यु समझ गया था। उसकी बात पूरी होने से पहले ही अभिमन्यु ने इशिका की बात बीच में काटकर पृथ्वी से तेज आवाज में कहा, “पृथ्वी इन्हें ऊपर मेरे फ्लोर पर लेकर जाओ और नजर रखना कि ये अपना काम ठीक से कर रही है या नहीं। उम्मीद है कि मुझे इसका चेहरा दोबारा देखने को ना मिले।”
इशिका के बार-बार शादी के बारे में पूछने की वजह से अभिमन्यु इतनी बुरी तरह से चिढ़ गया था कि वो उसका चेहरा तक नहीं देखना चाहता था।
इशिका जवाब में कुछ बोल पाती उससे पहले अभिमन्यु थोड़ा आगे चला गया।
पृथ्वी उसके पास आकर बोला, “चलिए मिस सिंघानिया, आपका जो काम है वो कीजिए, बाकी सब जानते हैं कि आप यहां बार-बार क्यों आती हैं? आप को एक बात क्लियर कर दूं, आप चाहे दिखने में कितने भी खूबसूरत क्यों ना हो लेकिन हमारे बॉस कभी भी आपको उस नजर से नहीं देखेंगे, जैसे आप चाहती हैं। आप जैसी खूबसूरत लड़कियां उनके पास आने की कोशिश करती है, पर कोई फायदा नहीं होता। उम्मीद है आप समझ जाएंगी और अपनी बेइज्जती करवाने के लिए बार-बार यहां नहीं आएंगी।”
पृथ्वी ने इशिका को बड़ा सा लेक्चर सुना दिया और फिर उसे वहां से ले जाने लगा। वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु इस वक्त अपने काइंड किडनैपर को ढूंढ रहा था, जो उसकी दादी का ख्याल रख रही थी। इधर-उधर देखने के बाद भी अभिमन्यु को कोई नहीं दिख तो उसने काइंड किडनैपर को कॉल किया और ठीक उसी वक्त इशिका का मोबाइल बजा।
इशिका ने नोटिस किया अभिमन्यु का कॉल आ रहा है, तो वही लॉबी में जब इशिका का मोबाइल बजा तो अभिमन्यु का ध्यान भी उसकी तरफ चला गया।
अभिमन्यु ने खुद से कहा, “मैंने काइंड किडनैपर को कॉल किया और मिस सिंघानिया का मोबाइल रिंग हुआ? इसका मतलब कहीं दादी इन्हीं के पास तो नहीं है?” सोचते हुए अभिमन्यु ने जल्दी से अपना मोबाइल कान के लगा लिया।
अभिमन्यु वेट कर रहा था कि उसे इशिका की आवाज सुनाई देगी लेकिन उसका नंबर बिजी जा रहा था। इशिका ने कॉल कट कर दिया था। फिर अभिमन्यु की नजर लॉबी में बैठे बाकी लोगों की तरफ गई तो उनमें से काफी लोगों के मोबाइल उसके कान पर लगे हुए थे।
अभिमन्यु ने गहरी सांस लेकर कहा, “मैं भी क्यों इतना सोच रहा हूं। ये सिर्फ एक इत्तेफाक है। एक तो ये लड़की बार-बार मेरे सामने आ जाती है कि मैं इसके बारे में सोचने पर मजबूर हो गया हूं।”
इशिका ने कॉल रिसीव नहीं कर पाई तो उसने अभिमन्यु को मैसेज छोड़ दिया कि वो उसे बाद में बात करेगी।
पृथ्वी ने इशिका को अभिमन्यु के कंप्यूटर के पास छोड़ दिया था। पृथ्वी बाहर चला गया था। वसुधा के बारे में पूछने के लिए इशिका ने दिशांक को कॉल किया।
इशिका ने कॉल पर धीमी आवाज में कहा, “दादी ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया ना? आई मीन बीमारी की वजह से वो थोड़ा बेड बिहेव करने लग जाती हैं।”
“नहीं, अब तक तो ठीक है। मैंने उन्हें गेम्स में बिजी कर रखा है।” दिशांक ने मुस्कुरा कर कहा और फिर वसुधा की तरफ देखा, जो उसके टैबलेट में गेम खेल रही थी। फिर दिशांक ने इशिका से पूछा, “अच्छा काफी टाइम बाद आप किसी कंप्यूटर को ठीक करने के काम पर गई है। सब कुछ ठीक तो चल रहा है ना? अभिमन्यु से बात हुई आपकी?”
“अभी कहां? वो तो बात करने के लिए तैयार भी नहीं है।” इशिका ने गहरी सांस लेकर कहा, “तुम मुझे उसके प्राइवेट नंबर अरेंज करवा दो ना ताकि मुझे बार-बार अलग-अलग काम के बहाने से उसके सामने ना आना पड़े। उसके नंबर मिल जाए तो रोज कॉल करके उसे ब्यूरोकेसी में चेक करवाने के लिए बोल दूं। ऐसे रोज रोज सामने आना अच्छा नहीं लगता।”
“हां लेकिन उसके प्राइवेट नंबर मिल पाना बहुत मुश्किल है मैम...मैंने आपको पहले ही कहा था।” दिशांक ने धीमी आवाज में कहा।
“मुश्किल है लेकिन नामुमकिन तो नहीं ना दिशांक। मुझे कुछ भी करके अभिमन्यु के नंबर चाहिए और वो मैं हासिल करके रहूंगी।” इशिका ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा और फिर कॉल कट कर दिया।
कॉल कट करके जैसे ही वो दूसरी तरफ पलटी, उसके सामने पृथ्वी खड़ा था। वो उसे अजीब नजरों से घूर रहा था। वो इशिका के पास आकर बोला, “हमारे बॉस के प्राइवेट नंबर गिने चुने लोगों के पास है। उनके प्राइवेट नंबर उनकी फैमिली मेंबर तक के पास नही होंगे और आप यहां उनके नंबर पाने की कोशिश कर रही है। मिस सिंघानिया आखिर चल क्या रहा है आपके दिमाग में?”
“जो भी चल रहा है, वो मैं आपको नहीं बता सकती। रही बात नंबर पाने की तो वो मैं लेकर रहूंगी।” इशिका ने बिना डरे सख्ती के साथ कहा।
“अच्छा ख्वाब है, देखते रहिए। कभी पूरा नहीं होगा ” पृथ्वी ने उसका मजाक बनाते हुए तिरछा मुस्कुरा कर कहा।
इशिका ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिय। पृथ्वी इशिका को वहीं पर छोड़कर कुछ फाइल्स समेटने लगा। इशिका के पास तभी अभिमन्यु का मैसेज आया। उसने लिखा था कि जब भी फ्री हो मुझसे बात करना।
इशिका ने मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया। बस उसे सीन करके छोड़ दिया था। लगभग आधे घंटे में उसने अभिमन्यु के कंप्यूटर को ठीक कर दिया था।
इशिका ने क्लैप करके कहा, “ये हो गया है। आप अपनी फाइल्स को कॉन्फिडेंशियल रखते हो लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप उसके लिए अनऑथोराइज्ड सॉफ्टवेयर यूज करो। ये आपके कंप्यूटर और प्राइवेसी को बुरी तरह क्रश कर सकता है।”
पृथ्वी ने जल्दी से कंप्यूटर चेक किया तो वो बिल्कुल ठीक था। वो इशिका के काम से काफी इंप्रेस हुआ। उसने ज्यादा टाइम नहीं लिया और उसे ठीक कर दिया था।
“बिल्कुल... चलिए मैं आपको नीचे तक छोड़ देता हूं।” पृथ्वी ने कहा। उसने इशिका को पेमेंट किया और फिर उसके साथ नीचे जाने लगा। वो नहीं चाहता था कि इशिका गलती से भी अभिमन्यु से वापस टकराए।
नीचे दरवाजे के पास आते ही पृथ्वी भौहें उठाकर कहा, “मिस सिंघानिया, आगे हमारा कोई पार्सल नहीं आने वाला और ना ही हमारा कंप्यूटर खराब होगा।”
इशिका पृथ्वी की बातों का मतलब समझ रही थी। वो सीधे-सीधे यही कहना चाह रहा था कि इशिका यहां ना आए।
इशिका ने गहरी सांस ली और फिर हल्का मुस्कुरा कर बोली, “ठीक है, फिर दोपहर में मिलते हैं मिस्टर पृथ्वी चौहान।”
इशिका मुस्कुराते हुए वहां से चली गई जबकि पृथ्वी हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था। इशिका की आंखों में कॉन्फिडेंस था।
“ये लड़की बेवजह की बकवास करती रहती है। जैसे दोपहर में हम इसके लिए फ्री ही बैठे हैं।” पृथ्वी ने घबराहट के साथ सिर हिलाया और फिर अंदर चला गया। इशिका की बातें उसे बेतुकी जरूर लगी थी पर साथ ही उसके माथे पर परेशानी से पसीने की बूंदे आ गईं थी।
वही इशिका अपनी स्कूटी स्टार्ट करते हुए बोली, “उम्मीद है दोपहर की मुलाकात अच्छी होगी, मिस्टर अभिमन्यु राजवंश।”
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ये इशिका है भाई, जो कहीं ना किसी न किसी तरीके से अपना दिमाग लगाकर अभिमन्यु से मिल ही लेगी। इशिका और अभिमन्यु की मुलाकात कहां पर होती है, कोई आइडिया है आपको? बाकी उसकी हरकतें देखकर बेचारा अभिमन्यु बुरी तरह चिढ़ गया है। पार्ट पढ़ कर समीक्षा कर दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते हैं।
इशिका राजवंश एंपायर से वापस आ गई थी। इशिका तो वहां से चली गई थी, लेकिन उसकी बातों ने पृथ्वी को परेशान कर दिया था।
जाने से पहले, इशिका ने उसे कहा था, "दोपहर को वापस मिलते हैं।"
पृथ्वी को अभिमन्यु का स्ट्रिक्ट ऑर्डर मिला था कि वो इशिका की शक्ल भी नहीं देखना चाहता। ऐसे में, इशिका के आत्मविश्वास और बातों ने पृथ्वी को उलझन में डाल दिया।
पृथ्वी ने अपनी ओर से इशिका को नजरअंदाज करने की पूरी कोशिश की। दोपहर को अभिमन्यु की एक लंच पार्टी थी, जिसमें उसके खास क्लाइंट्स एक प्राइवेट रेस्टोरेंट में मिलने वाले थे। लंच से पहले, रेस्टोरेंट को पूरी तरह खाली करवा दिया गया था। वो रेस्टोरेंट अपनी खास ऑथेंटिक क्यूजिन के लिए मशहूर था।
लगभग दोपहर 1 बजे अभिमन्यु और पृथ्वी सिक्योरिटी गार्ड्स के साथ वहां पहुंचे। सिक्योरिटी गार्ड्स बाहर रुक गए, जबकि अभिमन्यु और पृथ्वी अंदर आ गए।
अंदर आते ही पृथ्वी ने चारों ओर देखा और मन ही मन बड़बड़ाया, “इस लड़की का कोई भरोसा नहीं है। उसने दोपहर को मिलने को कहा था। वो इतनी सारी पार्ट-टाइम जॉब्स करती है, कहीं ऐसा तो नहीं कि वो इस रेस्टोरेंट में भी पार्ट-टाइम काम करती हो, इसलिए उसने मिलने का वक्त दोपहर का रखा हो।”
अपनी तसल्ली के लिए, पृथ्वी हर वेटर को ध्यान से देख रहा था, लेकिन उनमें से कहीं भी इशिका नहीं थी। उसने राहत की सांस ली और धीरे से बोला, "भगवान का शुक्र है, वो लड़की यहां नहीं है। उसकी बातों ने मुझे डरा ही दिया था। अब मैं आराम से इस लंच पार्टी का मजा ले सकता हूं।"
पृथ्वी को अपनी हरकतों पर मन ही मन हंसी आ रही थी कि वो एक साधारण लड़की से डर गया था। अभिमन्यु ने पृथ्वी का अजीब व्यवहार देखा, तो सिर हिलाकर बोला, "तुम जानते हो ना, ये मीटिंग कितनी इंपोर्टेंट है? और तुम यहां बेवकूफों की तरह वेटर्स को देख रहे हो? चुपचाप गेस्ट्स का ध्यान रखो।"
"जी सर," पृथ्वी मुस्कुराते हुए बोला।
इसके बाद, सभी गेस्ट्स प्राइवेट रूम में आ गए। वो एक खास तौर से डिजाइन किया गया डाइनिंग एरिया था, जहां एक बड़ी और लग्ज़री डाइनिंग टेबल रखी थी। अभिमन्यु सामने हेड ऑफ द टेबल की चेयर पर बैठा जबकि बाकी गेस्ट्स उससे थोड़ा दूर आमने सामने मुंह करके बैठे थे।
"एंजॉय योर मील, जेंटलमेन। खाने के बाद बाकी बातें करेंगे।” अभिमन्यु ने खाना शुरू करने से पहले कहा।
जैसा कि उस रेस्टोरेंट का रिचुअल था, खाने से पहले हेड शेफ को ऑनर देने के लिए बुलाया गया। सबकी निगाहें वहां रखी डिशेज़ पर थीं, जो देखने में लाजवाब लग रही थीं। तभी, हेड शेफ की एंट्री हुई।
"उम्मीद है कि आप लोगों को आज का खाना पसंद आएगा," एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी।
पृथ्वी और अभिमन्यु ने जल्दी से उस आवाज़ की तरफ देखा। ये कोई और नहीं, बल्कि इशिका सिंघानिया थी, जिसने शेफ की कैप पहन रखी थी। इशिका आगे बोली, "ये खाना मैंने ही हेड शेफ के इंस्ट्रक्शंस पर बनाया है। असल में, वो एक बुजुर्ग आदमी हैं, तो खुद से काम नहीं कर सकते। उन्हें मेरे अलावा किसी पर यकीन नहीं है। आप अपना मैसेज उन्हें दे सकते हैं। बाकी, उम्मीद है कि आज का लंच यादगार रहेगा।"
इशिका की स्पीच के बाद, अभिमन्यु और पृथ्वी उसे देखने लगे, जबकि बाकी लोग मुस्कुराकर उसकी तारीफ कर रहे थे। इतनी कम उम्र में वो इस मुकाम पर पहुंच गई थी, उससे वो सब काफी इंप्रेस हुए थे।
पृथ्वी ने कुछ देर अपने गुस्से को काबू में रखा और फिर उठकर इशिका से बोला, "तुमने ये खाना बनाया है? क्या तुम्हारे पास इसका कोई सर्टिफिकेट है?"
पृथ्वी सीधे-सीधे इशिका पर सवाल उठा रहा था। इशिका ने हाँ में सिर हिलाया और अपना सर्टिफिकेट आगे कर दिया। पृथ्वी ने उसे देखा और इशिका की हरकतों से परेशान होकर बोला, "मिस सिंघानिया, क्या कोई ऐसा काम है, जो तुम नहीं कर सकती?"
"मुझे अपने मुंह से अपनी तारीफ करना पसंद नहीं है। बाकी, हां, मैंने काफी सारी पार्ट-टाइम जॉब्स की हैं और बहुत कुछ सीखा है।" इशिका ने कहा और फिर अभिमन्यु की ओर देखते हुए धीरे से बोली, "मैं बार-बार आपके सामने आकर आपको परेशान नहीं करना चाहती। बेहतर होगा कि आप मेरी बात मानकर सिविल अफेयर्स ब्यूरो में जांच करवा लें। शायद फिर आपको मेरी बात पर यकीन हो जाए कि हम दोनो की शादी हो चुकी हैं।"
अभिमन्यु अब तक शांत था, लेकिन इशिका की बातें उसे चिढ़ा रही थीं। उसने गहरी सांस ली और सख्त आवाज़ में कहा, "जाकर इसकी जांच करो।"
जैसे ही अभिमन्यु ने जांच करने की बात कही, इशिका के चेहरे पर चमक आ गई, लेकिन तुरंत ही उसका चेहरा उतर गया। अभिमन्यु ने आगे कहा, "मैं ये जानना चाहता हूं कि मेरा शेड्यूल किसने लीक किया है। बिना मेरे शेड्यूल का पता लगाए, ये लड़की हर बार मेरे सामने नहीं आ सकती।"
मामला ज्यादा ना बिगड़ जाए इसलिए पृथ्वी इशिका के पास गया और धीमी आवाज़ में बोला, "मिस सिंघानिया, प्लीज यहां से चली जाइए। अब आपकी हरकतें सच में हमें इरिटेट कर रही हैं, और हमें कोई लीगल एक्शन लेना होगा। मैं नहीं चाहता कि इतने लोगों के सामने आपको यहां से धक्के मारकर निकालना पड़े।"
इशिका ने गहरी सांस ली और वहां से बाहर चली गई। उसे भी गुस्सा आ रहा था। वो शांत स्वभाव की थी, लेकिन अभिमन्यु के बिहेवियर ने उसका सब्र तोड़ दिया था।
बाहर आते ही उसने खुद से कहा, "आखिर ये आदमी मेरा यकीन क्यों नहीं कर रहा? क्या होगा अगर एक बार चेक करवा ले, सच तो सामने आ ही जाएगा। लेकिन नहीं, इसे तो वही एरोगेंट और चाइल्डिश हरकतें करनी हैं।"
अभिमन्यु के बारे में जितना इशिका सोच रही थी, उसे उतना ही गुस्सा आ रहा था। इस वक्त इशिका के पास कोई बात करने वाला नहीं था, इसलिए उसने अपनी भड़ास निकालने के लिए अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर कुछ लिखा।
वहीं दूसरी तरफ, इशिका की हरकतों से परेशान अभिमन्यु का लंच करने का मन नहीं कर रहा था। उसने फोन निकाला और इशिका की व्हाट्सएप स्टोरी देखी। उसने लिखा था, "काम डाउन। कई बार छोटे बच्चों के सामने पेशेंस रखना पड़ता है।"
इशिका की स्टोरी देखकर अभिमन्यु के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने तुरंत इशिका को मैसेज करके पूछा, "तुम्हारी उम्र कितनी है? तुम्हारी बातों से लग रहा है कि तुम्हारे बड़े-बड़े पोते-पोतियां होंगे। किस बच्चों के सामने इतना पेशेंस रखना पड़ रहा है?"
इशिका को अभिमन्यु के सवाल का मतलब समझ नहीं आया। पहले उसने "?" लिखकर भेजा, और फिर जब समझ आया, तो अगले मैसेज में लिखा, "ओह, आप मेरी स्टोरी के बारे में बात कर रहे हैं? असल में, मैं बहुत गुस्से में हूं। एक ऐसे इंसान पर, जो मेरी बात सुनना भी नहीं चाहता।"
अभिमन्यु ने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ देर बाद, इशिका ने सोचा, "मैं एक अनजान शख्स को अपनी प्रॉब्लम क्यों बता रही हूं?" उसने गहरी सांस ली और फिर लिखा, "कुछ लोगों को लगता है कि वो बहुत इंटेलिजेंट हैं, जबकि उनकी हरकतें बताती हैं कि उनका दिमाग उन्होंने किसी को उधार दे रखा है।"
इशिका अनजाने में अभिमन्यु की बुराई कर रही थी, और उसकी बातों पर अभिमन्यु को हंसी आ गई। उसने लिखा, "हां, ऐसे लोगों का कुछ नहीं हो सकता। बेहतर होगा कि उन्हें नजरअंदाज करो।"
अभिमन्यु से बात करके इशिका को थोड़ा राहत महसूस हुआ। उसने कहा, "तुम्हारी बातें रिलैक्सिंग हैं। तुमने मेरे लिए इतना किया है, तो बदले में मैं तुम्हारी दादी के लिए कुछ खास बनाऊंगी। उन्हें क्या पसंद है?"
अभिमन्यु ने कहा, “डॉक्टर ने उन्हें ज्यादा मीठा खाने से और स्पाइसी फूड खाने से मना किया है। उसके अलावा वो कुछ भी खा सकती हैं। बस उन्हें कुछ स्पेसिफिक चीजों से एलर्जी भी है।”
जिस इशिका को अभिमन्यु इतना इग्नोर कर रहा था, उसी के साथ बातें करके उसके दिल को ठंडक महसूस हो रही थी। ना जाने क्यों उसका दिल कर रहा था कि वो इशिका से मिले।
उसने तुरंत अगले मैसेज में पूछा, “अच्छा आज रात को हम मिल सकते हैं? मैं आपको दादी के बारे में पूरी डिटेल्स भी दे दूंगा और आपका स्पेशल खाना मुझे भी टेस्ट करने को मिल जाएगा। अगर आपको ऐतराज ना हो तो आज रात मैं आ जाऊं?”
अभिमन्यु के दिल की धड़कने तेज थी। ना जाने इशिका उसे क्या जवाब देगी। वो बेसब्री से उसके जवाब का इंतजार कर रहा था।
इशिका को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं थी। उसने जवाब में लिखा, “यस... व्हाई नॉट? यू आर मोस्ट वेलकम”
इसी के साथ इशिका ने अभिमन्यु को अपना पूरा एड्रेस भेज दिया था। अभिमन्यु भी इस बोरिंग लंच के खत्म होने का वेट कर रहा था ताकि मीटिंग वगैरह खत्म करके रात को वो इशिका से आराम से मिल सके। एक अनजानी सी शख्स ना जाने क्यों उसके दिल में एक मीठी सी हलचल पैदा कर रही थी।
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आज के लिए इतना ही... अगले पार्ट पर मिलते हैं। जहां शायद लकिली इशिका और अभिमन्यु की मुलाकात हो जाए। सोचो अभिमन्यु को जिस दिन पता चलेगा कि जिस इशिका को वो बुरी तरह इग्नोर करना चाहता है, वही उसके दिल में अनजाने में जगह बना रही है तो उसे कैसा लगेगा? पढ़कर प्लीज समीक्षा कर दीजिएगा। थैंक्स फॉर योर लव एंड सपोर्ट।
अभिमन्यु ने जब अपनी दादी से मिलने की इच्छा जताई, तो इशिका ने उसे अपना पूरा पता भेज दिया था। इशिका का पता मिलते ही अभिमन्यु के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
अगले ही पल उसे एहसास हुआ कि वो बार-बार इशिका से मिलने की बात कर रहा था। अभिमन्यु ने तुरंत टाइप करके लिखा, “दरअसल, दादी के डॉक्टर ने उनकी हेल्थ के लिए कुछ इंस्ट्रक्शंस दिए हैं और वो चेकअप करना चाहते हैं, इसलिए मैं मिलने का सोच रहा हूँ। उम्मीद है कि मेरे आने से आपको कोई परेशानी नहीं होगी।”
अभिमन्यु ने अपनी तरफ से बहाना बनाया, लेकिन इशिका ने उसके मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया। जब इशिका ने जवाब नहीं दिया, तो अभिमन्यु ने गहरी सांस लेते हुए धीमी आवाज़ में कहा, “ये भी सही है, मैडम को फॉर्मलिटी पसंद नहीं है। आगे से ध्यान रखूंगा कि किसी चीज़ की सफाई नहीं दूंगा।”
कहीं न कहीं, अभिमन्यु को इशिका अच्छी लगने लगी थी। वो उसके बर्ताव और बात करने के तरीके को ध्यान से देखता और जब भी समय मिलता, सबसे पहले इशिका को मैसेज करता था।
इशिका से बात करते हुए अभिमन्यु के चेहरे पर मुस्कान थी, जिसे उसके आसपास के लोगों ने नोटिस कर लिया था। उनमें से एक आदमी ने कहा, “मिस्टर राजवंश, लगता है आप मिसेज़ राजवंश से बातें कर रहे हैं, तभी आपके चेहरे पर मुस्कान है।”
अभिमन्यु ने तुरंत अपने चेहरे के भावों को कंट्रोल किया और मोबाइल साइड में रख दिया। जब ये खबर बाहर निकली थी कि अभिमन्यु शादीशुदा है, हर कोई उसकी पत्नी को देखना चाहता था। आज तक वो अभिमन्यु के साथ कभी बाहर नहीं आई थी, इसलिए लोगों को शक था कि अभिमन्यु सच में शादीशुदा है या नहीं।
अभिमन्यु ने हाँ में सिर हिला दिया ताकि लोगों को शक न हो। उसके हाँ कहते ही दूसरा आदमी बोला, “वैसे मानना पड़ेगा, मिसेज़ राजवंश काफी लकी हैं। आप उनके लिए काफी लॉयल हैं। थोड़ी देर पहले जो लेडी शेफ आई थी, उसकी खूबसूरती देखने के बाद भी आपने उसकी बदतमीजी पर गुस्सा किया। हममें से कोई होता तो ये नहीं कर पाता।”
उस आदमी की बात खत्म होते ही तीसरा आदमी बोला, “हां, अब मिसेज़ राजवंश आपकी वाइफ हैं, तो वो खास तो होंगी ही, दिखने में भी खूबसूरत होंगी और ज़रूर वसुधा जी उन्हें पसंद करती होंगी।”
“हाँ, दादी को भी वो बहुत पसंद हैं।” अभिमन्यु ने ज़बरदस्ती मुस्कुराकर कहा। अभिमन्यु के अपने परिवार के साथ रिश्ते कैसे थे, इससे सब वाकिफ़ थे। ऐसे में उसकी दादी ही थीं, जो उसके सबसे करीब थीं। वसुधा जी की हाँ या ना, अभिमन्यु की जिंदगी में बहुत मायने रखती थी।
अभिमन्यु ने ज्यादा कुछ नहीं कहा और चुपचाप खाना खाने लगा। वो मन ही मन बोला, “लोगों के सवालों के जवाब देना इतना मुश्किल क्यों है? इन्हें क्या लेना-देना है कि मेरी वाइफ कौन है या उसे कोई पसंद करता है या नहीं?” अभिमन्यु को उन सबके बर्ताव से काफी चिढ़ हो रही थी, पर वो मजबूरी में वहां बैठा था।
वहीं बाहर खड़ी इशिका, अभिमन्यु के लंच पार्टी खत्म होने का इंतजार कर रही थी। इशिका की निगाहें दरवाजे पर टिकी हुई थीं, तभी उसे एक जानी-पहचानी आवाज सुनाई दी।
“इशिका...”
इशिका ने पलट कर देखा तो नक्ष खड़ा था। उसे देखकर इशिका ने गहरी सांस ली, मानो उसे नक्ष का यहां आना पसंद न आया हो।
नक्ष नेवी ब्लू सूट में काफी हैंडसम लग रहा था। हर कोई जानता था कि उसका बर्ताव अभिमन्यु से काफी अलग था। वो अभिमन्यु की तरह रूड और एरोगेंट दिखने के बजाय अपनी इमेज काइंड और लविंग पर्सन के तौर पर बना कर रखता था।
नक्ष ने अपने कदम इशिका की तरफ बढ़ाए और उसे देखकर भौहें उठाकर कहा, “ तो तुम भी यहां पर हो।”
“तुम्हें कुछ चाहिए, नक्ष?” इशिका ने सख्त लहजे में कहा। जब से उसकी और आयशा की सगाई हुई थी, तब से इशिका नक्ष की शक्ल तक नहीं देखना चाहती थी।
इशिका का ये व्यवहार देखकर नक्ष कड़वाहट से मुस्कुराकर बोला, “अजीब बात है। पहले तो तुमने मुझसे ऐसा नहीं कहा कि मैं तुमसे बात करने के लिए क्यों आ रहा हूँ। याद है ना, इशिका, हम अच्छे दोस्त थे। असल में दोस्त से भी कुछ ज़्यादा था मेरे दिल में।”
“देखो नक्ष, मैं यहां कोई सीन क्रिएट नहीं करना चाहती। वो रिश्ता तुम्हारी तरफ से खत्म हुआ था। तुमने आयशा से शादी करने का फैसला लिया था, फिर अब मुझे क्यों ब्लेम कर रहे हो?” इशिका ने शांत लहजे में जवाब दिया।
अब तक नक्ष अपने गुस्से को कंट्रोल किए हुए था, लेकिन अब वो सख्त आवाज में बोला, “हाँ, क्योंकि तुमने मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर किया था। तुमने मुझसे सच छुपाया, इशिका। तुम आदर्श सिंघानिया की नाजायज औलाद हो। तुम्हारी मां ने उनके घर को बर्बाद किया है। मुझे अमीर आदमियों की मिस्ट्रेस और उनकी नाजायज औलादों से सख्त नफरत है।”
नक्ष की बातें सुनकर इशिका की मुट्ठियां बंध गईं। वो बोली, “अच्छा, तो इसलिए तुमने मुझसे रिश्ता तोड़ा था। जब रिश्ता तोड़ ही दिया है, तो अब यहां आकर मुझसे बात क्यों कर रहे हो?”
इशिका को नक्ष पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था।
यूनिवर्सिटी में नक्ष उसका सीनियर था, फिर भी उन दोनों के बीच दोस्ती हो गई। नक्ष की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी वो अक्सर उससे मिलने आता था, किसी न किसी बहाने। नक्ष उसके आसपास ही रहता था और कॉलेज के बाद भी वे एक-दूसरे से मिलते रहे। उनका रिश्ता काफी अच्छा था। देखा जाए तो सिंघानिया परिवार छोड़ने के बाद, अगर इशिका ने किसी को दिल से दोस्त माना था, तो वो नक्ष था।
नक्ष इशिका की बात का जवाब देते हुए बोला, “हाँ, मैंने रिश्ता तोड़ दिया, क्योंकि आयशा ने मुझे तुम्हारी सच्चाई बताई थी। मैं ऐसी लड़की से शादी कैसे कर सकता हूँ, जिसकी माँ ने किसी और औरत की जिंदगी खराब की हो? तुम्हें पता है, मेरी माँ के साथ भी यही हुआ था। मेरी भी एक स्टेप सिस्टर है, इसलिए मैं नहीं चाहता कि मेरी फैमिली में एक और ऐसी लड़की शामिल हो, जिसकी माँ ने ऐसा किया हो।”
नक्ष की बातें इशिका को बहुत हर्ट कर रही थीं। उसने गहरी सांस ली और खुद को मजबूत किया। बिना कोई जवाब दिए, इशिका पलटने लगी, तभी नक्ष ने उसका हाथ पकड़ा और जोर से कहा, “तुम्हारे पास कोई एक्सप्लेनेशन है कि तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?”
इशिका ने उसका हाथ झटका और उसकी आँखों में देखते हुए बोली, “नहीं, मेरे पास कोई एक्सप्लेनेशन नहीं है और ना ही मुझे तुम्हें कुछ एक्सप्लेन करना है। मैं किस बात की सफाई दूं? क्या इस बात की कि मैंने अपनी किस्मत खुद लिखी थी? मेरी माँ ने किसी का घर बर्बाद किया और मुझे जन्म दिया, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, नक्ष राजवंश। इसलिए मुझसे किसी सफाई की उम्मीद मत करो।”
इशिका जाने के लिए मुड़ी, लेकिन उसे अचानक कुछ याद आया। वो नक्ष की ओर मुड़ी और बोली, “अगर तुम्हारी सोच इतनी घटिया है, नक्ष राजवंश, तो मुझे अफसोस है कि हम कभी दोस्त थे। अब हमारे रास्ते अलग हैं, तो जाकर उस हाई क्लास की लड़की से शादी कर लो। किसी की नाजायज औलाद से रिश्ता रखने के लिए तुम्हें कोई नहीं कह रहा है।”
इशिका की बातों ने नक्ष के गुस्से को और बढ़ा दिया। वो वैसे भी इस बात से खफा था कि उसका प्यार उसे नहीं मिल रहा था।
इशिका ने वहां से चले जाने में ही भलाई समझी, लेकिन नक्ष उसके सामने आ गया। उसने दोनों हाथों से इशिका को पकड़ कर उसकी आँखों में देखा और कहा, “तुम इस तरह नहीं जा सकती हो।”
“तो कैसे जाना है, तुम ही बता दो।” इशिका ने सख्त आवाज में जवाब दिया। वो नक्ष से दूर होने की कोशिश कर रही थी, पर नक्ष ने उसे कसकर पकड़ रखा था।
जैसे-तैसे, इशिका ने खुद को नक्ष से अलग किया और आखिरी चेतावनी देते हुए बोली, “मुझे छोड़ने का फैसला तुम्हारा था, नक्ष। ऐसे बर्ताव मत करो, जैसे मैंने तुम्हें छोड़ा हो। डॉन्ट प्ले द विक्टिम कार्ड।”
इशिका की बातों के बाद, नक्ष के पास कहने को कुछ नहीं बचा। उसने गौर से देखा कि इशिका ने वहां की स्टाफ यूनिफॉर्म पहन रख़ी थी। उसने उससे कहा, “तुम अब भी यहां काम कर रही हो, इसका मतलब है तुम्हें अभी तक कोई परमानेंट जॉब नहीं मिली। ऐसा करो, मेरी कंपनी जॉइन कर लो। तुमने पहले भी मेरी मदद की है।”
“मुझे नहीं लगता कि मैं ये कर पाऊंगी और न ही मैं करना चाहती हूँ। थैंक यू सो मच, जो तुमने मुझे जॉब ऑफर की, पर आई एम नॉट इंटरेस्टेड।” इशिका ने साफ-साफ मना कर दिया।
नक्ष किसी भी तरह इशिका को अपने पास रखना चाहता था। उसने कहा, “तुम्हें कुछ नहीं करना होगा। ऑफिस के पास मेरा अपार्टमेंट है, वहां आकर रह लो। बस मेरा ख्याल रखना। मैं वादा करता हूँ कि तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होगी, इशिका।” बोलते हुए नक्ष की आवाज थोड़ी इमोशनल हो गई, वो प्यार में पागल एक आशिक लग रहा था।
इशिका उसकी बातों का मतलब समझ गई थी। उसने सिर हिलाया और गंभीर आवाज में कहा, “तो तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी मिस्ट्रेस बन जाऊं, तुम्हारी फिजिकल नीड्स पूरी करूं और बदले में तुम मुझे पैसे दो? यानी तुम मुझे खुद को बेचने के लिए कह रहे हो?”
“हाँ, तो इसमें गलत क्या है? तुम्हारी माँ भी तो यही करती थी, उन्होंने तुम्हें बहुत कुछ सिखाया होगा। मुझे यकीन है कि तुम इसे प्रोफेशनली करोगी और तुम्हारी जिंदगी...”
नक्ष बोल ही रहा था कि इशिका ने उसे जोरदार थप्पड़ मार दिया। अब वो उसकी बातें और नहीं झेल सकती थी।
इशिका गुस्से में गहरी सांसें ले रही थी। तभी उसने देखा कि पीछे अभिमन्यु और पृथ्वी खड़े थे, जो उन्हें अजीब नजरों से देख रहे थे। इशिका को खुद पर शर्म आ रही थी, क्योंकि अभिमन्यु के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उन्होंने नक्ष और उसकी सारी बातें सुन ली थीं। थोड़ी देर पहले नक्ष ने उसे जो ऑफर किया था, वो भी उन्होंने सुन लिया था।
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अब देखते हैं कि अभिमन्यु क्या कदम उठाता है। पार्ट पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते है।
इशिका को वहां पर देखकर नक्ष अपने होश को बैठा था। वो उसे अपने पास आने के लिए फोर्स कर रहा था। नक्ष चाहता था कि इशिका शादी के बाद भी उसकी मिस्ट्रेस बन कर रहे। ये बात इशिका को अच्छी नहीं लगी तो उसने नक्ष के गाल पर कसकर तमाचा लगा दिया।
इशिका आगे कुछ कहना नहीं चाहती थी क्योंकि उसकी नजर पीछे खड़े अभिमन्यु पर चली गई थी। वही नक्ष अपने गाल पर हाथ रखकर जलती हुई निगाहों से इशिका को देख रहा था।
इशिका के थप्पड़ मारने के बाद भी नक्ष पर कोई असर नहीं हुआ। वो उसी बेशर्मी से बोला, “एक बार फिर सोच लो। मेरे साथ आने में ही तुम्हारी भलाई है। पूरे गोवा में कोई तुम्हें काम नहीं देगा और ना ही कोई तुमसे शादी करेगा। तुम्हारा वो नया बॉयफ्रेंड भी तुम्हें छोड़कर चला जाएगा। ऐसे में सिर्फ मैं ही हूं, जो तुम्हारी लाइफ को थोड़ा बेहतर बना सकता हूं। तुम्हारा पुराना दोस्त हूं। मेरे दिल में तुम्हारे लिए फिलिंग्स भी थी... अब सोच लो तुम्हें क्या करना है?” नक्ष को अभी इशिका की झूठी शादी के बारे में कोई खबर नहीं थी।
इशिका ने गहरी सांस ली और जोर से चिल्ला कर बोली, “गेट आउट नक्ष राजवंश..।”
नक्ष ने कुछ पल उसके चेहरे को घूरा और फिर वहां से चला गया। नक्ष के जाते ही इशिका की नजर फिर से अभिमन्यु और पृथ्वी के ऊपर गई। उन दोनों की नज़रे उन पर ही थी। अभिमन्यु की आंखों में कोई भाव नहीं था।
इशिका उनसे ज्यादा दूर नहीं थी। वो उनकी बातों को आसानी से सुन सकती थी। पृथ्वी ने इशिका को देखकर तरस खाते हुए कहा, “मैं सोच रहा था कि इस लड़की की स्टडी कंप्लीट होने के बाद भी इसने कोई परमानेंट जॉब क्यों नहीं की और ये बार-बार अलग-अलग जगह पर पार्ट टाइम जॉब क्यों करती हैं? तो इन सब का कारण नक्ष था। नक्ष राजवंश ने इसे कहीं काम लगने ही नहीं दिया होगा। आप तो जानते हैं राजवंश फैमिली के खिलाफ जाकर कोई भी किसी अमीर आदमी की नाजायज औलाद को क्यों काम देगा?”
पृथ्वी की बातों से जाहिर था कि उसके दिल में इशिका के लिए दया की भावना पैदा हो रही थी। इशिका उनकी बातें सुनकर हैरान रह गई। इशिका बस अभिमन्यु की तरफ देख रही थी। उसे अभिमन्यु के जवाब का इंतजार था।
पृथ्वी इशिका के पास आया और उसे देखकर धीरे से बोला, “क्या तभी तुम बार-बार मिस्टर अभिमन्यु राजवंश से मिलने की कोशिश कर रही थी? देखो फैमिली में कितने भी डिस्प्यूट क्यों ना हो लेकिन मिस्टर राजवंश कभी भी उनके पर्सनल मामलों में बीच में नहीं बोलते हैं। वो तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाएंगे।”
पृथ्वी को लगा कि इशिका अभिमन्यु के पास नक्ष की शिकायत लगाने के लिए आती है। इशिका ने हां में सिर हिला दिया। पृथ्वी अभिमन्यु की तरफ पलटा और तेज आवाज में बोला, “सर इसकी हालत बहुत खराब लग रही है। हमें इसकी मदद करनी चाहिए।”
इशिका ने उम्मीद भरी नजरों से अभिमन्यु की तरफ देखा। वो जानना चाहती थी कि अभिमन्यु क्या जवाब देगा।
इशिका मन ही मन बोली, “हां मेरी हालत बहुत बुरी है। प्लीज मेरी हेल्प कर दो और जाकर सिविल अफेयर्स ब्यूरो में चेक करो। मुझे अपनी कंपनी को पब्लिक करना है और इसके लिए तुमसे तलाक होना बहुत जरूरी है। आई होप आज मुझ पर तरस खा कर ही सही, पर तुम मेरी बात सुनोगे मिस्टर राजवंश।”
इशिका उम्मीद से अभिमन्यु की तरफ देखकर उसके जवाब का इंतजार कर रही थी, तभी अभिमन्यु इशिका की आंखों में देखते हुए बिना किसी भाव के बोला, “तुम्हें पता है ना कि मैं उनके पर्सनल मैटर्स में इंटरफेयर नहीं करता हूं। ऊपर से ये लड़की इतनी भी इंपोर्टेंट नहीं है कि इसके लिए मैं राजवंश फैमिली के एक मेंबर से दुश्मनी मोल लूं। ये खुद ही देख लेगी। इतनी भी सीधी नहीं है ये, जितना तुम इस पर तरस खा रहे हो।”
अभिमन्यु को इशिका पर जरा सा भी तरस नहीं आया और वो अपनी बात खत्म करके उसके पास से गुजर गया। इशिका की आंखों में अभिमन्यु के लिए चिढ़ साफ नजर आ रही थी। अभिमन्यु के मना करने के बाद पृथ्वी भी कुछ कर नहीं पाया।
उनके जाते की इशिका ने मन ही मन कहा, “इसके बारे में सब बिल्कुल ठीक कहते हैं। इसके दिल में बिल्कुल भी किसी के लिए फीलिंग नहीं है। इतना सब कुछ देखने के बाद भी इसने नक्ष के खिलाफ कुछ नही कहा। उसका असली चेहरा इसकी आंखों के सामने आ गया, फिर भी ये उसके खिलाफ कुछ नहीं कर रहा। पूरी राजवंश फैमिली ही एक जैसी है... घटिया कहीं के।”
इशिका को इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। ऊपर से अभिमन्यु वहां से चला गया।
इशिका वहां से चली गई क्योंकि अब अभिमन्यु वहां नहीं रहा था, तो उसका भी कोई काम नहीं था।
दूसरी तरफ रात को अभिमन्यु वसुधा के डॉक्टर के साथ इशिका के दिए हुए एड्रेस पर पहुंचा, इस उम्मीद के साथ कि आज तो उसकी इशिका के साथ मुलाकात हो ही जाएगी। अभिमन्यु अपने साथ वसुधा के पर्सनल डॉक्टर को साथ लेकर गया था। उसके हाथ में एक बुके और फ्रूट बास्केट थी।
“आज तो मैं तुमसे मिलकर रहूंगा काइंड किडनैपर। थैंक यू सो मच मेरी दादी का इतना ख्याल रखने के लिए। तुम सच में अलग हो, उस बेवकूफ लड़की से तो बिल्कुल अलग हो, जो बार-बार मेरे सामने आकर मुझे इरिटेट करती रहती है।” अभिमन्यु ने अपने मन में कहा।
दरवाजे की घंटी बजाने से पहले वो कुछ पल सोच रहा था। उसने डॉक्टर की तरफ देखा और फिर इधर-उधर नजरे दौड़ाई। इशिका का घर ज्यादा बड़ा नहीं था पर दिखने में खूबसूरत लग रहा था।
डॉक्टर माथुर ने अभिमन्यु के चेहरे पर नर्वसनेस देखकर कहा, “मिस्टर राजवंश अगर आपको शर्मिंदगी महसूस हो रही है तो मैं अंदर चला जाता हूं। मिसेज राजवंश के प्रॉपर चेकअप के बाद मैं आपको उनकी हेल्थ अपडेट दे दूंगा।
“नहीं, उसकी कोई जरूरत नहीं है। मैं खुद कर लूंगा।”अभिमन्यु ने ना में सिर हिला कर कहा और फिर डोर बेल बजाई। डोर बेल के बजते ही अंदर से एक जानी पहचानी आवाज आई।
वो वसुधा की आवाज थी। डोर बेल बजते ही वो तेज आवाज में बोली, “आ रही हूं।”
वसुधा दरवाजा खोलने के लिए बाहर की तरफ बढ़ रही थी। इसी के साथ अभिमन्यु के दिल की धड़कनें तेज हो रही थी। ना जाने क्यों इसका कारण वो खुद भी नहीं समझ पा रहा था। शायद उसके दिल में इशिका से मिलने की एक्साइटमेंट थी॥
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अब तो इशिका और अभिमन्यु की मुलाकात अगले पार्ट पर ही होगी। पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते हैं
अभिमन्यु इशिका से मिलने के लिए काफी बेचैन हो रहा था। इशिका के एड्रेस देने के बाद वसुधा के चेकअप के बहाने साथ में डॉक्टर को लेकर गया। अभिमन्यु दरवाजा खोलने से हिचकिचा रहा था। फिर भी उसने डोर बेल बजाई तो अंदर से वसुधा की आवाज आई।
वसुधा ने बाहर आकर अभिमन्यु के लिए दरवाजा खोला और उसे देखते ही मुस्कुरा कर बोली, “तुम आ गए यहां मुझसे मिलने के लिए? मुझे पता था तुम जरूर आओगे।”
उसके बाद वसुधा अभिमन्यु से अलग हुई तो उसकी नजर डॉक्टर माथुर पर गई। वसुधा ने उन्हें देखकर आंखें छोटी की और सख्त अंदाज में कहा, “ये एक फैमिली मीटिंग है, जहां मैं अपने पोते और बहू के साथ टाइम स्पेंड करना चाहती हूं। बीच में इनका क्या काम है। तुम इन्हें क्यों लेकर आए हो लड़के।”
गुस्से में वसुधा का बर्ताव काफी एग्रेसिव हो जाता था। उनकी तबीयत खराब ना हो इसलिए अभिमन्यु ने बात संभालते हुए कहा, “ये बस आपको देखना चाहते हैं। आप जानती है ना, आपका रेगुलर चेकअप करना जरूरी है।”
“मुझे इससे कोई चेकअप नहीं करवाना है।” वसुधा ने हल्के गुस्से में कहा। उन्होंने अभिमन्यु का हाथ पकड़ा और उसे भी बाहर की तरफ ले जाने लगी।
अभिमन्यु तुरंत वहां पर रुका और काफी प्यार से कहा, “अच्छा ठीक है दादी, हम डॉक्टर माथुर को वापस भेज देते हैं। मैं आपका चेकअप कर लूंगा। अब तो आप मुझे अंदर आने देंगी ना?”
वसुधा ने हां में सिर हिलाया और कहा, “ठीक है लेकिन मुझे इस आदमी से चिढ़ है। ये अंदर नहीं आ सकता है।”
अभिमन्यु ने डॉक्टर माथुर की तरफ देखा तो उसने लाचारी से अपने कंधे उचका दिए। डॉ माथुर ने कुछ जरूरी इक्विपमेंट अभिमन्यु को दिए और खुद बाहर जाकर बैठ गए।
अभिमन्यु वसुधा के साथ उनके कमरे में आया। रूम में उसे पानी चलने की आवाज आ रही थी, इसका मतलब कोई बाथरूम में था और नहा रहा था। वो कोई और नहीं इशिका ही थी।
अभिमन्यु ने बाथरूम की तरफ देखा तो वसुधा ने मुस्कुरा कर उसका चेहरा अपनी तरफ करके कहा, “उधर क्या देख रहे हो? तुम्हारी पत्नी ही बाथरूम में है। थोड़ी देर पहले ही आई थी। खाना बना दिया है उसने, बस नहाने के लिए गई है।”
“ठीक है चलिए मैं आपका चेकअप कर लेता हूं।” अभिमन्यु बोला और फिर वसुधा को पकड़ कर बेड पर बिठाया।
वो उनके सामने चेयर पर बैठा था। अभिमन्यु ने वसुधा के चेहरे की तरफ देखा तो वो पहले के मुकाबले काफी स्वस्थ और चमकदार लग रहा था। फिर उसने इधर उधर नजरें दौड़ाई। घर काफी साफ सुथरा लग रहा था। इंटीरियर भी काफी एसथेटिकली सेट किया गया था।
अभिमन्यु धीरे से बड़बड़ा कर बोला, “इसका मतलब वो आपका अच्छे से ख्याल रख रही है।” अचानक ही अभिमन्यु के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई। उसे एक ऐसी ही लड़की चाहिए थी, जो उसकी दादी का ख्याल रखें वरना आजकल के टाइम में बड़े बुजुर्गों पर कौन ध्यान देता था।
अभिमन्यु ने वसुधा के कुछ जरूरी चेकअप करने शुरू कर दिए, जैसे उनके हार्ट रेट नापना और बीपी चेक करना। सारे टेस्ट बिल्कुल नॉर्मल थे। ब्लड शुगर भी काफी बैलेंस्ड था। ये देखकर अभिमन्यु ने राहत की सांस ली।
वसुधा के सारी रीडिंग्स नॉर्मल देखकर अभिमन्यु बोला, “आप बिल्कुल ठीक है। अब मुझे यहां से चलना चाहिए।”
“अरे ऐसे कैसे चले जाओगे? बहू कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी। इतना कुछ बनाया है और तुम्हारे आने से पहले नहाने तक के लिए गई थी ताकि अच्छे से तैयार हो जाए। तुम उससे बिना मिले नहीं जा सकते हो।” वसुधा ने उसे प्यार से डांटते हुए कहा।
“नहीं दादी, मुझे काम है और जाना पड़ेगा।” अभिमन्यु ने जवाब दिया और जाने से पहले मेडिकल इक्विपमेंट की तरफ देखा। उसने वसुधा से कहा, “मैं इन्हें यहीं पर छोड़कर जा रहा हूं। अपनी बहू को कहिएगा कि आपका टाइम टू टाइम चेकअप करती रहे।”
“अरे उसे ये सब कहां आता होगा? वो तो मासूम सी दिखने वाली लड़की है। ऐसा करो कि तुम ही रोज आकर मेरा चेकअप करना और उस अजीब से दिखने वाले आदमी को मत लेकर आना।” वसुधा ने सिर हिला कर कहा।
अभिमन्यु ने कोई जवाब नहीं दिया। वसुधा ने उसका हाथ पकड़ा और उसकी आंखों में देखते हुए सख्ती से कहा, “तुम आओगे ना लड़के यहां पर?” अल्जाइमर होने की वजह से वसुधा को किसी का नाम याद नहीं रहता था। वो अभिमन्यु को कुछ भी कह कर बुला देती थी।
“हां ठीक है आ जाऊंगा पर आप अपना ख्याल रखिएगा।” अभिमन्यु ने जवाब दिया और फिर वसुधा के फोरहेड पर किस कर दिया।
जाने से पहले उसने एक बार फिर बाथरूम की तरफ देखा तो पानी की आवाज लगातार आ रही थी, जिससे साफ था कि इशिका को बाहर आने में टाइम लगने वाला था।
अभिमन्यु की एक मीटिंग होने वाली थी इसलिए उसने ज्यादा इंतजार नहीं किया और वहां से चला गया।
उसके जाने के बाद वसुधा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी वो मन ही मन बोली, “आजकल के बच्चे ना...उनमें बिल्कुल भी पेशेंस नहीं होता है। थोड़ी सी लड़ाई क्या हो गई, दोनों पति-पत्नी अलग रहने लग गए। खैर, जो भी हो, रोजाना आएगा तो सुलह हो ही जाएगी। क्या पता फिर जल्द ही मुझे मेरे परपोते का मुंह देखने को भी मिल जाए।”
वसुधा अपने ख्यालों में खोई हुई थी तभी इशिका बाहर आई। उसने अपने गीले बालों को तौलिए में बांध रखा था। वसुधा को वहां अकेले देखकर इशिका ने हैरानी से पूछा, “अरे दादी, आपका पोता कहां गया? मैंने अंदर से सुना था आप दोनों बातें कर रहे थे।”
“उसे काम था, तो वो चला गया।” वसुधा ने जवाब दिया। उन्हें लगा कि इशिका अभिमन्यु के जाने से परेशान हो गई होगी। ये सोचकर वसुधा ने इशिका का हाथ पकड़ कर धीरे से कहा, “मैं जानती हूं कि तुम उसके इस तरह जाने से उदास हो। वो थोड़ा अलग टाइप का है। बचपन से अकेला रहा है, तो जिद्दी और गुस्सैल है। तुम उसके साथ थोड़ा प्यार से पेश आओगी तो वो खुद को बदल लेगा। तुम ऐसा करोगी ना बहू?”
वसुधा के मुंह से एक बार फिर अपने लिए बहू शब्द सुनकर इशिका इरिटेट होकर बोली, “दादी मैं आपकी बहू नहीं हूं। आपको कितनी बार समझाऊं।”
“मैंने कहा ना, तुम ही मेरी बहू हो।” वसुधा ने सख्त आवाज में कहा। तुरंत ही उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस गंभीर हो गए थे।
इशिका ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और हार मानते हुए कहा, “अच्छा ठीक है। मैं आप ही की बहू हूं लेकिन आप मेरी बात माना करें। चलिए हम खाना खाते हैं, फिर आपको दवाइयां भी लेनी है।”
वसुधा ने उसकी बात पर हामी भरी। उन्हें खाना खिलाने के बाद इशिका ने उन्हें सुला दिया और रूटीन की तरह उनका वीडियो बनाकर अभिमन्यु को भेज दिया था।
वसुधा को वीडियो में खुश और स्वस्थ देखकर अभिमन्यु को दिल ही दिल में बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी काइंड किडनैपर का एहसान किस तरह चुकाएं।
अभिमन्यु ने तुरंत ही इशिका को मैसेज भेजते हुए कहा, “थैंक यू सो मच, मेरी दादी का इतना ख्याल रखने के लिए। सुबह तुम किसी छोटे बच्चों को लेकर परेशान थी। क्या उस मामले में मैं तुम्हारी कोई हेल्प कर सकता हूं?”
“उसकी कोई जरूरत नहीं है।” इशिका ने जवाब दिया। वो मन ही मन बोली, “तुम मेरी कोई हेल्प नहीं कर पाओगे। हर इंसान तुम्हारी तरह अच्छा नहीं होता है। अगर मेरी तलाक लेने में कोई हेल्प कर सकता है तो वो खुद अभिमन्यु है, जो कि जाकर चेक तक नहीं करना चाहता।”
“फिर भी कभी भविष्य में जरूरत पड़े तो बताना, बिना किसी हिचकिचाहट के।” अभिमन्यु ने जवाब दिया। इशिका की तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया था तो अभिमन्यु समझ गया था कि वो उसे मदद नहीं लेना चाहती है।
अभिमन्यु अपना सारा काम छोड़कर उस काइंड किडनैपर के बारे में सोच रहा था, तभी उसके दिमाग में इशिका का ख्याल आया। अचानक ही उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस काफी हार्श हो गए थे।
वो मन ही मन बोला, “कितना फर्क है ना तुम दोनों में..! तुम मेरी पहचान को नहीं जानती हो, फिर भी मेरी दादी का ख्याल रख रही हो। तुम्हें मुझसे कोई मदद नहीं चाहिए और दूसरी तरफ वो इशिका सिंघानिया है। वो न जाने क्यों खुद को मेरी पत्नी साबित करना चाहती है। मैं अच्छे से जानता हूं, वो ये सब नक्ष को नीचा दिखाने के लिए कर रही है। मेरा नाम यूज करके वो दुनिया के सामने खुद को स्ट्रांग साबित करना चाहती है। ऐसा कभी नहीं होगा इशिका सिंघानिया।”
वही इशिका के दिमाग में भी वसुधा जी का पोता ही चल रहा था। उसे नींद नहीं आ रही थी तो वो सीलिंग की तरफ देखते हुए अपने मन में बोली, “अजीब बात है, वहां वो अभिमन्यु राजवंश है, जो सच सुनने को तैयार नहीं है, तो दूसरी तरफ इन दादी का पोता है, जो बेचारा किसी न किसी तरह से मेरी हेल्प करना चाहता है। उसे कैसे बताऊं कि मेरी हेल्प करने में वो कुछ नहीं कर सकता है। राजवंश फैमिली कुछ ज्यादा ही स्ट्रांग है। अभिमन्यु जैसे शख्स से डील करना दुनिया का सबसे महान काम है, पर कैसे भी करके मुझे उसे मनाना ही होगा। कुछ दिनों में मेरी कंपनी पब्लिक होने की कगार पर है। ऐसे में हमारा डिवोर्स नहीं हुआ, तो मेरे लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।”
अभिमन्यु और इशिका दोनों ही एक दूसरे की पहचान से अनजान एक दूसरे की तारीफ कर रहे थे। अभिमन्यु के लिए उसकी काइंड किडनैपर तो इशिका के लिए वसुधा जी का पोता काफी दयालु और अच्छे इंसान थे, जबकि वैसे एक दूसरे से वो दोनों इतनी नफरत करने लगे थे।
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देखते है इनकी नफरत जीतती है या प्यार? ये तो वक्त ही बताएगा। पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते हैं। थैंक्स फॉर योर लव एंड सपोर्ट और प्लीज समीक्षा किया करो। यार अच्छा लगता है आप सबके समीक्षा पढ़ कर और कहानी तभी सक्सेसफुल होती है, जब कोई उस पर अच्छा सा रिस्पांस देता है। आई होप यू विल अंडरस्टैंड।