जरूरी नही हैं कि सब की लाइफ में हीरो की ही एंट्री ही लिखी हो, किसी किसी की लाइफ में हीरो नहीं विलेन लिखा होता है, जो आपकी जिंदगी में कुछ इस तरह कदम रखता है कि आपकी जिंदगी पूरी तरह तबाह हो जाती है, और आपको पता भी नहीं चलता कुछ ऐसा ही हुआ तरान्या के स... जरूरी नही हैं कि सब की लाइफ में हीरो की ही एंट्री ही लिखी हो, किसी किसी की लाइफ में हीरो नहीं विलेन लिखा होता है, जो आपकी जिंदगी में कुछ इस तरह कदम रखता है कि आपकी जिंदगी पूरी तरह तबाह हो जाती है, और आपको पता भी नहीं चलता कुछ ऐसा ही हुआ तरान्या के साथ मुसिबतों से लड़ती तरान्या की जिंदगी में मुसिबतों की कमी नहीं थी,जब उसपर एक और मुसिबत टूट पड़ी और उस मुसिबत का नाम था ध्रुवंश सिंह राठौड़ जो उसकी जिंदगी में कुछ इस तरह आया कि उसकी पूरी जिंदगी पलट कर रख दी और फ़स कर रह गई उसकी जाल में क्या तरान्या ध्रुवंश की जाल से बाहर निकल पायेगी? आखिर क्यों ध्रुवंश ने फंसाया तरान्या को अपने जाल में ? जाने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी "Trapped by villain"
ध्रुवंश सिंह राठौड़
Villain
तरान्या सिन्हा
Heroine
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बैंगलोर शहर ,
रात के अंधेरे में घिरा बेंगलुरु शहर जहां रोशनी से पूरा शहर जगमगा रहा था l रोड पर गड़ियां तेजी से आ जा रही थी l
तभी एक कैब एक बड़े से रिसॉर्ट के पास आकर रुकी , कैब के रुकते ही उस कैब की पिछली सीट से एक लड़की बाहर निकली, लड़की ने हरे रंग की खुबसूरत गाउन पहन रखी थी उसने अपने बालों का एक मेस्सी बन बना रखा था पैरो में सिल्वर कलर की हील्स पहन रखे थे l
दिखने में वो बहुत खूबसूरत थी नीली आंखें, गहरे भूरे बाल, गोरा रंग, ऊंचाई 5 फुट 4 इंच थी l
उसने अपने हैंडबैग से पैसे निकल कैब ड्राइवर को दिया और फिर रिसॉर्ट की तरफ बढ़ गई l
रिज़ॉर्ट के अंदर ,
बड़े जोरो शोरो से पार्टी चल रही थी,वो लड़की रिसॉर्ट के अंदर आई और चारो तरफ अपनी नज़र घुमाने लगी l
वो लड़की खुद से ही बोली "अंदर तो आ गई अब बस कोई एक्सक्लूसिव न्यूज मिल जाए नहीं तो यहां आना बर्बाद हो जाएगा ऊपर से सर से अलग डाट सुने को मिलेगा l
बोल वो चारो तरफ़ अपनी नज़र घुमा रही थी,तभी उसके पास एक वेटर आया l
मैम drink
लड़की ने वेटर के हाथ में पकड़े ट्रे को देखा और ट्रे में से एक वाइन का ग्लास उठा लिया l
वो वाइन का ग्लास पकड़े हुए ही एक कोने में जा कर बैठ गई ताकि वो किसी की नज़र में ना आ सके l
उससे बैठे हुए लगभग 30 मिनट से ज्यादा हो गया था वो लड़की इरिटेट हो चुकी थी, एक ही जगह पर बैठे बैठे वो अपने आप से बोली "तरान्या एक ही जगह पर बैठे रहने से कुछ भी पता नहीं चलेगा चल उठ और जिस काम के लिए आई हैं वो कर अबीर मल्होत्रा की वी वीआईपी गेस्ट लिस्ट ढूंढ नहीं तो कल ऑफिस की ब्रेकिंग न्यूज तू बन जाएगी l
तरान्या खुद में बड़बड़ाते हुई उठी और सब की नज़रो से बचते हुए वो रिसॉर्ट के दूसरी तरफ जाने लगी l
वो एक वी वीआईपी लॉन्च में आ चुकी थी वहां पर इतने वी वीआईपी को देख बोली "अरे वाह ये हुई ना बात इतने वी वीआईपी आये हुए हैं , इन लोगो को ही कवर करने के लिए तो मैं यहां आई थी, "भगवान का शुक्र है" अबीर मल्होत्रा की वी वीआईपी गेस्ट मिल गए अब जल्दी से इनको कवर कर लेती हूं फिर यहां से निकलती हूं l
बोल वो अपनी ड्रेस में लगे स्टोन के बटन को दबाती है वो एक छिपा हुआ छोटा कैमरा था वो उसके कैमरे से छुपते छुपाते वहां आये गेस्ट को अपने कैमरे में कवर करने लगती है l
तरान्या खुद से हो गया अब निकलती हूं इससे पहले किसी की नजर में आ जाउ बोल वो जैसे आई थी वैसे ही जाने लगी वो इस बार पीछे के रास्ते से जा ही रही थी कि उसे एक आवाज सुनाई दी ,
तुम समझ क्यों नहीं रही हो हम सबके सामने ऐसे नहीं मिल सकते, सबको शक हो जाएगा एक काम करो तुम ऊपर आओ में तुमसे वही पर मिलता हूं l
तरान्या ने आवाज की दिशा की तरफ जा कर देखा तो एक आदमी फोन पर किसी से बात कर रहा था l
तरान्या "ये कौन है अँधेरे की वजह से कुछ ठीक दिख नहीं रहा कोन है" तभी वो आदमी एक कॉरिडोर में चला गया उसको जाता देख तरान्या खुद से बोली "क्या मुझे भी जाना चाहिए , क्या पता कुछ खबर मिल जाए पर ये गलत है" वो अभी अपनी ही सोच में थी कि उसको जाना चाहिए की नहीं
बहुत सोच विचार करने के बाद वो बोली "जाती हूं एक बार देखु तो क्या बात है"कवर करना है कि नहीं ये बाद में देखुगी बोल वो भी उस कॉरिडोर की तरफ चल दी l
वो जल्दी जल्दी चल रही थी उसने देखा वहा आसपास कोई भी नहीं था, "वो आदमी कहा गया" बोल वो उसको ढूंढने लगी तब भी उसको एक आदमी सीधीयों पर जाता हुआ दिखा वो भी उसके पीछे हो ली l
थोड़ी देर बाद वो रिज़ॉर्ट की छत पर थे, तरान्या "ये छत पर क्या करने आया है" बोल वो एक दीवार के पीछे छुपकर उसे आदमी पर नजर रखने लगी l
वो अभी भी अपनी नज़र उस पर बनी हुई थी तभी उसने देखा एक लड़की भागते हुए उस लड़के के पास आई और उसके गले लग गई l
तरान्या ये देख बोली "लगता है प्यार का मामला है" बोल वो मुस्कुरा दी फिर खुद से ही वह आगे बोली "शायद मुझे यहां आना नहीं चाहिए था"l वो जाने ही वाली थी कि उसको उस लड़की की आवाज सुनाई दी
तरुण हम कब तक ऐसे सब से चुप-चुप कर मिलेंगे मुझसे अब और ऐसे नहीं मिलना हैं l
उस लड़की की आवाज़ सुनकर तरान्या के कदम अपनी जगह पर रुक गए वो फिर से दिवाल के पीछे छुपकर उन लोगों को देखने की कोशिश करने लगती हैं l
पर वो देख नहीं पाती इस्लीये वो थोड़ा आगे जा कर देखती है तो चौंक कर उसकी आँखें बड़ी बड़ी हो जाती हैं l
तरान्या खुद के मन में ही बोली "तरुण खुराना और ये साशा अग्रवाल पर ये तो इस की पत्नी नहीं है,क्या इनका अफेयर चल रहा है, oh god ये तो चीटर निकला सबके सामने तो ऐसा बनता है जैसे अपनी पत्नी से कितना प्यार करता है,और उसके पीठ पीछे देखो क्या कर रहा है, क्या इसकी बीवी को पता है बिचारी और ये साशा अग्रवाल ये तो इसकी कंपनी की मॉडल है ना oh god क्या हो रहा है l
बोल वो अपना मिनी कैमरा फिर से चालू करती है और उन दोनो को रिकॉर्ड करने लगती है, अब पूरी दुनिया को पता चलेगा कि तुम आदर्श पति नहीं धोखेबाज पति हो l
वो दोनों आपस में बात कर रहे थे जो तरान्या साफ सुन पा रही थी उसके अपने फोन में भी वॉयस रिकॉर्डर स्टार्ट कर दिया था जिसे उनकी बात भी रिकॉर्ड हो सके l
तरूण साशा की बात पर बोला "कुछ वक्त और बेबी फिर मैं खुद उस दिया को तलाक दे दूंगा पर अभी नहीं अभी उसके घर वाले अपनी कंपनी के 30% शेयर मुझे देने वाले हैं अगर मैंने अभी उसे तलाक ले लिया तो मेरे हाथ वह शेयर नहीं लगेंगे और तुम जानती हो उस शेयर की कीमत मार्केट में कितनी ज्यादा है l
साशा "मैं जानती हूं पर क्या करूं तुमको उस दिया के साथ देख मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता,मैं तुमको उसके साथ बिल्कुल भी नहीं देख सकती इसलिए बेबी प्लीज तुम ये सब जल्दी खत्म करो ताकि हम दोनों साथ रह सकें l
तरूण "तुम चिंता मत करो और अभी दिया की बात छोड़ो और मुझ पर ध्यान दो जब हम मिल ही गए हैं तो क्यों ना इस पल को एन्जॉय किया जाए l बोल वो साशा के होठों पर अपने होठों को टीका दिए और उसको किस करने लगा l
और इधर तरान्या ने जब दोनों को किस करते देखा तो अपना मुंह बना लिया और वो वहां से जाने के लिए मुड़ गई कि उसके हाथ से उसका फोन छूट कर नीचे गिर गया l
और गिरने की आवाज हुई आवाज तेज नहीं थी पर मोहोल शांत होने की वजह से वो आवाज़ तरुण और साशा को भी सुनाइ दे गया दोनो जल्दी से एक दूसरे से अलग हुए l
ये देख तरान्या ने अपना फोन उठाया और वहां से भागी l
तरूण "कौन हैं वहां पर ? तभी उसको एक लड़की भागते हुए दिखी वो वहीं से बोला " हे रुक जाओ नहीं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा"l
पर तरान्या उसकी आवाज सुनकर भी नहीं रुकी और तेजी से वहा से भागी l
साशा "बेबी कौन थी वो कहीं उसने हमारी बाते सुन तो नहीं ली उसने घबराये हुए कहा उसके चेहरे पर एक डर नज़र आ रहा था l
तरूण उसके एक गाल पर हाथ रख बोला "तुम फ़िक्र मत करो हम उस लड़की को पकड़ लेंगे, बोल उसने अपना फ़ोन निकला और अपने बॉडीगार्ड को ऑर्डर दिया कि वो एक लड़की को पकड़े जो अभी-अभी छत पर से नीचे को भागी हैं l
कहीं न कहीं उसको भी डर था की उस लड़की ने कही उसकी बाते सुन तो नहीं ली और रिकॉर्ड तो नहीं कर लिया l
ऑर्डर मिलते ही सभी बॉडीगार्ड तरान्या को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागे क्यों की उसके कुछ बॉडीगार्ड छत पर भी मौजुद थे l
और इधर तरान्या जब अपने पीछे बॉडीगार्ड को देखती हैं तो डर जाती हैं और तेजी से भागती हैं वो भागते हुए ही खुद से बोली "अरे यार अब ये क्या परेशानी आन पड़ी, मेरे साथ ही ऐसा होना था अगर पकड़ी गई तो बहुत बड़ी समस्या हो जाएगी l
वो सीढियों से उतरते हुए भाग रही थी वो अभी चौथे मंजिल पर थी वो इधर उधर देखते हुए सीढिया छोडकर एक गलियारे की तरफ भाग जाती है l
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इधर तरान्या जब अपने पीछे बॉडीगार्ड को देखती हैं तो डर जाती हैं और तेजी से भागती हैं वो भागते हुए ही खुद से बोली "अरे यार अब ये क्या परेशानी आन पड़ी, मेरे साथ ही ऐसा होना था अगर पकड़ी गई तो बहुत बड़ी समस्या हो जाएगी l
वो सीढियों से उतरते हुए भाग रही थी वो अभी चौथे मंजिल पर थी वो इधर उधर देखते हुए सीढिया छोड़कर एक गलियारे की तरफ भाग जाती है l
वो भागते हुए अपने पीछे देखती हैं तो कोई भी बॉडीगार्ड उसको अपने पीछे नहीं दिखे ये देख वो अभी चेन की सास ले ही रही थी कि उसको आवाज सुनाई पड़ी जो कदमो की आहट की आवाज थी जो उसकी तरफ वह तेजी से बढ़ रहा था l
तरान्या ने आवाज सुना तो इधर उधर देख वो आगे को भागी तभी उसे कॉरिडोर के बालकानी के पास एक आदमी दिखा जो फोन से बात करते हुए बाहर की तरफ देख रहा था l
तरान्या खुद को बचाने के लिए उस आदमी के सामने जाकर खड़ी हो गई l
अचानक से किसी लड़की को अपने सामने देख वो कुछ हैरान सा हो गया पर जल्दी ही उसकी हैरानी गंभीरता में बदल गयी l वो अभी तरान्या से कुछ बोलता की तरान्या ने उसके कोट को पकड़ अपनी तरफ से खिचा l
खिंचे जाने की वजह से वो उसके ऊपर थोड़ा सा झुक गया था और इधर तरान्या ने थोड़ा सा सिर निकल कर उस आदमी के पीछे देखा तो दो बॉडीगार्ड उधार ही खड़े थे l
और अब उस तरफ ही अपने कदम बढ़ा दिये थे l
तभी उसके कानों में एक दमदार आवाज पड़ी ''ये क्या बेहुदा हरकत है तुम.... वो अभी बोल ही रहा था कि तरान्या ने अपना एक हाथ उसके होठों पर रखा और अपने पैरों को उचका कर उसके होठो पर रखे अपने हाथ पर अपने होठ रख दिये l
वो आदमी तरान्या की इस हरकत पर हैरान हो कर उसको ही देख रहा था जिसकी नज़र उस पर ना हो कर उसके पीछे थी l
वही वो बॉडीगार्ड जो उनकी तरफ आ चुके थे जब उन्होने अपने सामने ये नजारा देखा तो अपनी नज़र फेर ली क्यों कि उसको देख ऐसा लग रहा था कि वो दोनों एक दूसरे में खोए हुए एक दूसरे को किस कर रहे हैं l
और इधर तरान्या ने एक्टिंग भी ऐसी ही की थी कि कोई भी मात खा जाए l
तभी एक बॉडीगार्ड ने दूसरे बॉडीगार्ड से कहा लगता नहीं है वो लड़की इधर आई होगी हमें नीचे जाकर देखना चाहिए l
दूसरे बॉडीगार्ड ने भी हा कहा और वहा से चले गए l
और इधर उस आदमी को सारा माजरा समझ में आ चुका था क्यूं कि उसने बॉडीगार्ड की बाते सुन ली थी, इसलिए वो अभी चुप चाप खड़ा था और तरान्या की सभी हरकतों को ध्यान से नोटिस कर रहा था l
बॉडीगार्ड को जाते देख तरान्या ने चैन की सास ली और तभी उसको ख्याल आया कि वो अभी एक आदमी के बेहद नजदीक खड़ी है l
ये ख्याल आते ही वो बिना एक पल गवाये पीछे हट जाती हैं, और अपनी नज़रे झुकाये हुये माफ़ी मांगते हुए बोली मुझे माफ़ कर दीजियेगा मेरी वजह से जो भी आपको परेशानी हुई उसके लिए मैं दिल से सॉरी बोलती हूं l
बोल उसने अपनी पलकें उठा कर उस आदमी को देखा तो उसकी आंखें उस पर एक पल को ठहर सी गई वहा की पीली रोशनी में भी आदमी की पर्सनैलिटी काफी दमदार थी गोरा रंग greenish blue eyes colour तीखी नाक थोड़े गुलाबी होंठ और ऊंचाई 6 फीट 2 इंच और इस वक्त उसने एक काली शर्ट, काली पैंट और काला ब्लेज़र पहन रखा था l
वो सच में काफी ज्यादा हैंडसम था उसपर से नज़र हटाना भी मुश्किल हो जाये पर वो जितना हैंडसम था ,उसके आस-पास से निकलने वाला औरा उतना ही ज्यादा खतरनाक था l
पहले तो तरान्या कि नजर का उस व्यक्ति पर थाम गई थी पर उसके आसपास का औरा महसुस कर उसको डर सा लगने लगा था अब वो और ज्यादा देर वहा नहीं रुक सकती थी क्यू की उस आदमी की घुरती नज़र उस पर थी जो उसको और भी ज्यादा डरा रही थी l
उसने एक बार और सॉरी कहा और तेजी से वहा से भाग गई l
और इधर वो आदमी तरान्या को ऐसे भागते देख आपनी एक भौं उठा लिया और फिर अपने गर्दन के पीछे अपना एक हाथ फेरते हुए बोला "इतनी आसानी से तुम मुझसे बच नहीं सकती,आज तक किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई बिना मुझसे पूछे मुझे हाथ लगाने की और तुम तो सिधे मेरे इतने पास आ गई, और बिना मेरी इजाज़त के तुम भाग भी गई l
और फिर अपनी होठों को छुते हुए बोला ''तुम्हें तुम्हारे किये की सजा तो देना ही पड़ेगा मिस unknown
और इधर तरान्या छुपते हुए रिसोर्ट के बाहर आ गई और जल्दी से अपने लिए कैब बुक कर छुप कर कैब का इंतजार करने लगी l
वो खुद से ही बोली ''आज तो बच गई नहीं तो बुरी फसी होती मैं अब जल्दी से कैब आ जाये और यहाँ से निकलु में'' बोल वो फोन में अपने कैब का लोकेशन देखने लगी और थोड़ी ही देर में एक कैब वहां आकर रुकी l
तरान्या उसमे बैठ वहा से निकल गई l
अगले दिन सुबह का वक्त,
एक छोटे सा घर जो था तो छोटा सा, पर देखने में बहुत प्यारा था 2 मंजिल का घर था एक हाल जहां पर सोफा लगा हुआ था उसे थोड़े दूर पर किचन और दो कमरे जो ना तो ज्यादा बड़े थे और ना तो ज्यादा छोटे थे और हाल से ही दूसरी मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी l
उस घर के किचन में एक मध्य आयु की औरत खाना बना रही थी तभी उनको एक आदमी की आवाज सुनाई पड़ी ''छाया मेरी चाय''
अंदर किचन से छाया जी ने आवाज़ लगाते हुए कहा ''हां ला रही हूं'' l
वो आदमी हॉल में आ कर सोफ़े पर बैठ गए और टेबल पर रखे न्यूज़ पेपर को उठा कर पड़ने लगे l
वो अभी न्यूज़ पेपर पढ़ ही रहे थे की उनकी तरफ एक चाय की प्याली आई उनके होठों पर एक छोटी सी मुस्कान आई और उनहोने चाय की प्याली ली और अपने सामने देखा तो छाया जी खड़ी थी l
छाया जी "क्या आपने तरान्या से बात की"
सामने बैठे आदमी कोई और नहीं तरान्या के पापा रवि सिन्हा थे और वो महिला छाया रवि सिंह तरान्या की माँ थी l
रवि जी ने चाय की कप को टेबल पर रखा और बोले "अभी नहीं वो कल रात काफी देर से घर आई थी और काफी थकी हुई सी लग रही थी इस लिए मैंने बात करना सही नहीं समझा" l
छाया जी "हम्म'' पर आप उसे एक बार और बात करके देखिये मुझे उसके लिए बहुत डर लगता है" l
रवि जी ''आप फ़िक्र मत कीजिए हम उससे बात कर लेंगे'' l
वो लोग बात कर ही रहे थे कि सीधीयों से उतरते हुए एक लड़की नीचे आई l और छाया जी के पास आ बोली ''माँ मैं ऑफिस जा रही हूँ'' l
छाया जी ने उस लड़की को देख थोड़े गुस्से से कहा "तरान्या तुम्हें इतनी जल्दी क्या है अभी तो 8:30 बजे हैं तुम्हारा ऑफिस तो 9:30 बजे से शुरू होता है न"l
अपनी माँ को गुस्से में देख "तरान्या ने कहा माँ आज मुझे बहुत ज़रूरी काम है ऑफिस में इस्लीये जल्दी जा रही हूँ" l
छाया जी "मैं तुम्हें ऑफिस जाने से मना नहीं कर रही लेकिन कम से कम तुम नाश्ता तो करके जाओ तुम रोज बिना नाश्ता किये ही घर से निकल जाती हो" चलो अब चुप चाप चल कर पहले नाश्ता करो फिर ऑफिस चली जाना'' l
तरान्या "पर माँ''
छाया जी " तरान्या मैने कहा न'' l
तरान्या ने छाया जी को गुस्से से खुद को घूरते देखा तो चुप हो गई तभी रवि जी ने भी कहा ''हा बेटा जाओ पहले नाश्ता करो तुम ऐसे रोज रोज अपना नाश्ता छोड़ो नहीं सकती हो,चलो पहले नाश्ता करो फिर हम दोनों साथ में निकलेगे'' l
तरान्या ने अपने माँ पापा की बात सुन हा कहा और डाइनिंग टेबल के पास जाने लगी l
छाया जी ने रवि जी को देख कहा "आप भी चलिए''l
रवि जी ने भी हा कहा और नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल की तरफ चल दिए l
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अब आगे,
एक बड़े से बिल्डिंग के पार्किंग मे एक स्कूटी आ कर रुकी तरान्या ने स्कूटी पार्क किया और फिर बिल्डिंग के अंदर जाने लगी उस बिल्डिंग के ऊपर बड़े बड़े शब्दों में वेव मीडिया लिखा हुआ था l
बिल्डिंग के अंदर आ वो अपनी मंजिल की तरफ बढ़ गई जो 5वीं मंजिल पर थी अपने फ्लोर पर आ वो अपने डेस्क के पास आई और अपनी सीट पर बैठे हुए उसने अपना सिस्टम ऑन किया और अपना फोन अपने सिस्टम से कनेक्ट कर वो कुछ करने लगी उसकी उंगली कीबोर्ड पर तेजी से चल रही थी l
15 से 20 मिनट के बाद उसने कीबोर्ड से अपना हाथ हटा लिया और एंटर का बटन दबा दिया और सामने मॉनिटर की स्क्रीन को देखती हुई बोली ''हो गया'' अब आएगा मजा जब पूरी दुनिया के सामने तुम्हारा सच आएगा खास कर तुम्हारी पत्नी के सामने जिसे तुम अब तक धोखे में रखते आये हो मिस्टर तरुण खुराना'' l
बोल वो एक तक सामने स्क्रीन को देख मुस्कुराने लगी थी वो अभी अपने ही ख्याल में गुम थी और उस ख्याल में वो तरुण खुराना को बर्बाद होते देख रही थी और मीडिया रिपोर्टर से बच कर भागते हुए भी देख रही थी वो ये सोच सोच कर मुस्कुरा ही रही थी कि तभी उसके कंधे पर किसी ने अपना एक हाथ रख उसको आवाज देते हुए बोली ''तरान्या क्या हुआ है तुम इतना मुस्कुरा क्यों रही हो मुझे भी बताओ क्या बात है'' l
आवाज़ सुनकर तरान्या ने अपना गर्दन घुमा कर देखा तो उसकी दोस्त सावी शर्मा खड़ी थी उसने उसको देखा कहा ''तुम कब आई''?
सावी ''जब तुम स्क्रीन को देख मुस्कुरा रही थी तब'' बोल वो उसके बगल में रखी कुर्सी पर बैठ गई l फिर वो स्क्रीन को देख बोली ''तूने कुछ अपलोड किया है क्या'' ?
तरान्या ने स्क्रीन पर घूम रहे अपलोडिंग सर्कल को देख कहा ''हाँ''
सावी "क्या अपलोड किया है तूने'' फिर खुद ही आगे बोली ''क्या कल की पार्टी में तुझे कोई ब्रेकिंग न्यूज मिली है" l
तरान्या ने उसकी बात सुन उसकी तरफ देख, टेढ़ी मुस्कुरा दिया तो सावी झट से बोली ''क्या है मुझे भी बता'' l
तरान्या "बस कुछ सेकंड और रुक जा उसके बाद तू सब अपनी आँखों से देख लेना" l
सावी ने उसकी बात पर हा में सिर हिलाया और वो भी तारान्या के साथ स्क्रीन को देखने लगी और उनका इंतजार जल्दी ही खत्म हो गया और स्क्रीन पर एक वीडियो से साथ साथ एक लंबा चौड़ा कैप्शन भी लिखा हुआ दिखा l
सावी ने जल्दी जल्दी कैप्शन पढ़ा और वीडियो देख हैरान हो कहा ''ये सब क्या था'', ये तरूण खुराना हैं ना और इसके साथ उसकी कंपनी की सुपर मॉडल साशा अग्रवाल हैं न'' फिर वो तरान्या की तरफ देख आगे बोली क्या इन दोनों का अफेयर चल रहा है l बोल अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर तरान्या को देखने लगी l
तरान्या ''क्या ये वीडियो और कैप्शन देख तुझे समझ नहीं आया'' बोल उसको घुरने लगी l
सावी "ऐसा नहीं है मैं तो बस कन्फर्म कर रही थी", फिर वो थोड़ा रुक कर आगे बोली ''तुझे कैसे पता चला दोनों के बारे में तू तो कल अबीर मल्होत्रा के वीआईपी लिस्ट के लोगो का पता करने गई थी फिर ये'' !
तरान्या ने उसकी बात सुन उसको कल के बारे में बताने लगी l
इधर दूसरी तरफ,
जंगल के बिचो बिच बने बड़े से घर में जो बाहर और अंदर से देखने में जितना खुबसूरत था उसके अंदर का वातावरण फ़िलहाल उनता ही ख़तरनाक लग रहा था l
वही उसी घर के एक कमरे में एक आदमी एक बड़े से किंग साइज़ सोफ़े पर एक पैर के ऊपर दूसरा पैर चढ़ा कर बैठा हुआ था l और उसका एक हाथ सोफे के आर्म रेस्ट पर फेल हुआ था तो वही दूसरे हाथ में उसने बंदूक पकड़ रखी थी और वो अपने सामने एक घायल पड़े आदमी को अपनी ख़तरनाक नज़रों से घूर रहा था और वह आदमी अपने दोनो हाथों को जोड़े उसे अपनी जान की भीख मांग रहा था l
''किंग मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे गलती हो गई आगे से ऐसा नहीं होगा'' गिड़गिड़ाते हुए एक बात बार बार दोहरा रहा था l
तभी सोफे पर बैठे आदमी ने अपने हाथ में पकड़े बंदूक को घुमाने लगा और अचानक से एक गोली चलने की आवाज आई और एक दाम से वहा पर शांति पशर गई l
वो आदमी सोफे पर से उठते हुए उस मरे हुए आदमी के पास आया और बोला "मुझे धोखा देने वालो से सख्त नफ़रत है और ये जानते हुए भी तूने मेरे साथ खेल खेलने की कोशिश की है तो इसका ख़मियाज़ा तो भुगताना ही पड़ेगा l
उसने ये सभी शब्द काफी खतरनाक तरीके से कहा था जो वहा मोजूद उसके आदमियों को भी डरा गया था l
तभी वहां पर खड़ा उसका एक आदमी उसके पास आकर बोला किंग विहान सर आपका बहार इंतजार कर रहे हैं l
उस आदमी ने एक नज़र उसको देखा तो वो उसे थोड़ा दूर खड़ा होकर अपनी नज़र झुका लेता हैं'' l
वो आदमी अपने सामने खड़े आदमी को देख बोला ''clean up the mess here". बोल वहा से चल गया l
वो आदमी सिर झुकाये ही बोला ''yes king''. बोल उसने सर उठा कर देखा तो वो वहां से जा चूका था l
इधर उस घर के हॉल में एक आदमी खड़ा था जो किसी का इंतज़ार कर रहा था वो कोई और नहीं विहान राजपूत था तभी उसको कदमों की आवाज आई, उसने अपना सिर घुमा कर देखा तो सीधीयों से एक आदमी नीचे को ही आ रहा था वो वहा आकर बोल "जो भी कहना है कार में कहना'' l
बोल वो घर से बाहर निकल गया उसको घर से बाहर जाता देख वो भी उसके पीछे भागा और जल्दी से जाकर कार के पीछे का दरवाजा खोल दिया वो आदमी पिछली सीट पर जाकर बैठ गया और विहान ड्राइविंग सीट पर बैठ कार स्टार्ट कर वहां से निकल गया l
इधर वेव मीडिया के ऑफिस में,
सावी ने चौंकते हुए कहा "क्या उस आदमी ने तेरे पीछे अपने बॉडीगार्ड लगा दिए थे l
तारान्या "हां वो तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे वो आदमी मिल गया नहीं तो मैं बुरी तरह फस जाती" l
सावी अपनी आंखें बड़ी करते हुए बोली ''कौन आदमी'' ?
तारान्या "मुझे नहीं पता वो कौन था ,मैं तो उन बॉडीगार्ड से बचने के लिए उसके पास चली गई थी फिर उसने उसको सब कुछ बता दिया l
सावी उसकी बात सुन बोली "क्या सच में इतना हैंडसम था'' फिर अपने कंधे से उसके कंधे पर मरते हुए बोली, क्या अब तुझे अफ़सोस हो रहा है कि इतना अच्छा मोका तूने अपने हाथ से गवा दिया" बोल शरारत भरी मुस्कान उसको देने लगी l
तारान्या ने कन्फ्यूज्ड हो उसको देख कहा ''मुझे भला क्यों अफ़सोस होगा'' l
सावी ने शरारती मुश्कान लिया कहा ''क्युकी तूने किस करने का इतना अच्छा मोका जो गवा दिया'' l
तारान्या ने उसको मुँह बना कर देखा और थोड़े गुस्से से बोली "अपनी फालतू बकवास अपने पास रख, और अब जा यहां से अपना काम कर बोल उसकी कुर्सी अपने पास से दूर कर देती हैं l
टेस्क कुर्सी होने की वजह से वो उसे थोड़ा दूर हो जाती है वो अभी कुछ बोलती कि तभी वहा पर एक आदमी की आवाज गूंजी "तरान्या सिन्हा"
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अब आगे,
टेस्क कुर्सी होने की वजह से वो उसे थोड़ा दूर हो जाती है वो अभी कुछ बोलती कि तभी वहा पर एक आदमी की आवाज गूंजी "तरान्या सिन्हा"
तरान्या अपना नाम सुन अपनी कुर्सी पर से खड़ी हो जाती हैं और आवाज़ की तरफ देखती हैं तो एक 37 से 38 की उम्र का एक आदमी गुस्से से तारान्या को ही देख रहा था l
सावी भी उस आदमी को देख मुँह बना कर थोड़े गुस्से में तरान्या से बोली "इस आदमी ने नाक में दम कर रखा है", अपने तो कोई काम नहीं करता है और दूसरे के काम का क्रेडिट खुद ले लेता है पता नहीं कैसे इसको हम लोगों की टीम का लीडर बना दिया गया मेरा तो इसको देख कर ही खुन खोल जाता है, अब पता नहीं इसको क्या चाहिए तुझसे जो ऐसा अपना गला फाड़ रहा है l
सावी उसको देख धीरे धीरे से बड़बड़ा रही थी जो सिर्फ तरान्या को ही सुनायी दे रहा था l
और इधर तरान्या उस आदमी को अपने पास आता देख अपने मन में बोली "तैयार हो जा तरान्या इस दानव की बकवास सुनने के लिए", बोल उसने एक लम्बी सास छोड़ी l
वो आदमी तरान्या के पास आ गुस्से से बोला "तुमने बिना मेरे परमिशन के फिर से न्यूज़ अपलोड कर दिया तुम्हें वो खबर पहले मुझे लाकर देना चाहिए था", इतनी बड़ी खबर इतने बड़े बिजनेस मैन और मॉडल की न्यूज़ तुम बिना अपने लीडर के परमिशन के कैसे पब्लिश कर सकती हो तुमको ये हक किसने दिया हैं l
उसके ऐसे चिल्लाने पर ऑफिस के सभी एम्प्लोयी आपस में बात करने लगे एक एम्प्लोयी दूसरे एम्प्लोयी से बोला ''ये मिस्टर सुमित की प्रॉब्लम क्या है ये हर वक्त बस अपने टीम के सदस्य पर चिल्लाते ही क्यू रहते हैं'' l
तभी दूसरा एम्प्लोयी बोला "इनकी समस्या बस ये है कि ये लोगो को खुद से नीचे समझते हैं और कोई इनसे आगे निकल जाता है तो ये बात इनसे हजम नहीं हो पाती है अगर कोई इनकी बात नहीं सुनता तो वो ऐसे ही सबके सामने उसको परेशान करते रहते हैं, हमें तो शुक्र मनाना चाहिए कि हम इनकी टीम में नहीं हैं वरना हमारा भी इन लोगो जैसा ही हाल होता l
पहला एम्प्लोयी बोला "सही कहा तुमने", फिर कुछ सोच वापस बोला ''पर इस बार तरान्या ने क्या कर दिया जो ये इतना भड़का हुआ है'' l
दूसरा एम्प्लोयी ''पता नहीं, पर ये कोई बिजनेस मैन और मॉडल की बात कर रहे हैं बोल दोनो ने एक दूसरे को देखा और अपने सिस्टम पर तरान्या की latest पोस्ट देखने लगे और जल्दी तरुण खुराना और साशा अग्रवाल के अफेयर की न्यूज़ पुरे ऑफिस में फेल हो गई'' और लोगो उनकी ही बातें करने लगे l
और इधर सुमित भारद्वाज तरान्या पर गुस्से से चिल्लाये जा रहा था वो गुस्से से बोला "अब कुछ बोलोगी भी कि तुमने ऐसा कैसे किया, क्या तुम ये बात नहीं जानती की जब तक आपका लीडर आपको को परमिशन नहीं देता आप कोई भी न्यूज़ वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर सकते,क्या तुम ये नौकरी खोना चाहती हो, जो बार-बार एक ही गलती दोहराती रहती हो'' l
तरान्या जो उनकी बात कब से चुप चाप सुन रही थी वो बोली "सर मैने परमिशन ली है" l
सुमित गुस्से से ''तुमने कब मुझसे परमिशन ली''? मुझे तो कुछ भी याद नहीं l
तरान्या "सर मैने किसी और से परमिशन ली हैं'' l
सुमित गुस्से से चिलाते हुए बोला "किसी की परमिशन ली हैं तुमने किसके बोलने पर किया है तुमने ये सब नाम बताओ मुझे उसका आखिर किसकी इतनी हिम्मत हो गई जो मेरे और मेरी टीम के सदस्यों के काम में अपनी नाक घुसाने लगा एक बार मुझे उसका नाम बताओ फिर में उसको बताता हूँ '' l
तरान्या मासूम सा चेहरा बना कर बोली ''सर मुझे इस न्यूज़ को पब्लिश करने की परमिशन आय.. वो अभी बोल ही रही थी कि सुमित को अपने पीछे से एक भारी आवाज़ सुनी पड़ी "मैने दी है इसको परमिशन, मैने की है हिम्मत"
सुमित ने आवाज सुन पलट कर देखा तो एक 29,30 साल का आदमी उनकी तरफ ही बढ़ रहा था सावी ने उस आदमी को देखा तो तरान्या के पीछे जा खड़ी हो बोली "हाये अपना हीरो आ गया, इस शैतान से बचने के लिए, अब देखना इस शैतान का मुह कैसे बंद होता हैं बहुत बोल लिया इस दानव ने, बोल मुस्कुरा रही थी l
तो वही वो आदमी सुमित के सामने आ खड़ा हो गया और उसको घूरते हुए बोला "मैने हिम्मत की है, मैने अपनी नाक घुसाई है अब बोलो क्या करोगे तुम" ?
सुमित अपने सामने लड़के आदमी को देख हकलाते हुए बोला "स स स र सर"
वो आदमी "आगे भी बोलिए मिस्टर सुमित आप मुझे क्या बताने वाले हैं मुझे भी तो पता चले'' l
सुमित उस आदमी की बातों से घबरा गया था वो जल्दी से अपना बचाव करते हुए बोला ''सर मैं तो बस यह कह रहा था कि जिसने भी ये खबरें पब्लिश करने की परमिशन दी हैं, उसने काफी अच्छा काम किया है, इस न्यूज की वजह से हमारी कंपनी और न्यूज चैनल को काफी फायदा होने वाला है'' l
वो आदमी अपनी भौंह उचकाते हुए बोला "अच्छा पर मैंने तो मैं आपको कुछ और बोलते हुए सुना आप तो.."
वो अभी बोल ही रहा था कि सुमित बोला "नहीं सर आप गलत सोच रहे हैं, मैं तो अभी तरान्या को इतनी बड़ी खबरें लाने के लिए शाबाशी देने वाला था पर मैं थोड़ा सा निराश हो गया था कि तरान्या ने मुझे बताया नहीं इस बारे में," वो जबरदस्त अपनी होठों पर मुस्कान के लिए अपने सामने खड़े आदमी को देख रहा था जो उसकी कंपनी का एमडी था l
एमडी ने सुमित के कंधे पर अपना एक हाथ रख कहा "मिस्टर सुमित मैं अच्छे से जानता हूं आप क्या कह रहे थे और अब क्या कह रहे हैं पर मैं आपको एक बात साफ़ कर दूं कि मुझसे किसी की भी कोई बात छुपी नहीं है तो सब के लिए ये ही अच्छा होगा कि आप सब अपने काम पर ध्यान दें'', उसने आखिरी की लाइन सब को देख फिर मिस्टर सुमित की आखों में देख कहा था l
फिर उसने थोड़ी आवाज़ तेज़ कर कहा "क्या आज कोई काम नहीं है किसी के पास जो ऐसे खड़े हैं सब लोग", उसकी बात सुनते ही सब जल्दी जल्दी अपनी जगह पर चले गए l
एमडी ने फिर तरान्या को देख कहा 'good job तरान्या अच्छा काम किया'', l
तरान्या एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए बोली "thank you सर" l
एमडी ने भी एक मुस्कान दी और फिर अपने केबिन की तरफ चल दिया l
एम डी के जाते ही सुमित ने गुस्से से पर धीरे से कहा "तुमने मुझे जंबुझकर नहीं बताया ना कि तुमको ये ऑर्डर मिस्टर आयुष ने दिया था'' l
तरान्या "नहीं सर ऐसा नहीं है मैं तो आपको बताने ही वाली थी पर तब तक सर आ गए और फिर.. वो बोल ही रही थी कि मिस्टर सुमित उसकी बात को बीच में कटते हुए बोले ''बस करो तुम मैं अच्छे से जानता हूं, तुमने ये सब कुछ जानबुझकर ही किया है ताकि सब लोगो के सामने तुम मेरी बेइज्जती कर सको फिर उसको अपनी एक उंगली दिखते हुए बोले "पर याद रखना तरान्या में तुमको इसके लिए छोड़ूंगा नहीं" बोल गुस्से से वहां से चले गए l
तरान्या ने उसके जाते ही मुंह बना कहा ''मैं तुमको छोडूंगा नही'', फिर थोड़े गुस्से से बोली "छोडूंगी तो मैं भी नहीं", बड़े आये मुझे धमकी देने वाले l
सावी जो तरान्या के पास ही खड़ी थी वो बोली "अरे छोड़ इस दानव को चल अपना काम करते हैं" l
तरान्या ने भी हा कहा और वापस से दोनो अपनी अपनी कुर्सी पर बैठ कर अपना काम करने लगी l
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सुबह का वक़्त बैंगलोर शहर,
बैंगलोर शहर के रोड पर कार का काफिला लगा हुआ था एक कार जो काले रंग की BMW XM थी वो सभी कार के बीच में चल रही थी और उस कार के आगे पीछे भी 2,2 कार चल रही थी जैसे बिच वाले कार में बैठे व्यक्ति को प्रोटेक्ट कर रही हो ।
कुछ 10, 15 मिनट के बाद कार का काफ़िला एक ऊंची सी बिल्डिंग के ठीक सामने आकर रुकी और आगे की और पीछे की कार से काले कपड़े पहने बॉडीगार्ड बाहर आए सभी के कपड़े एक जैसे थे जो उनके वर्दी लग रहे थे और उनके वर्दी के बाजू पर एक सिंबल बना हुआ था जो उनकी पहचान कराता था कि वो किसके बॉडीगार्ड हैं ।
बॉडीगार्ड एक लाइन से खड़े हो गए और इधर बिच वाली कार की ड्राइविंग सीट से विहान बहार आया और कार की पिछली सीट का दरवाज़ा खोल खड़ा हो गया तभी एक आदमी कार की पिछली सीट से बाहर निकला उसने काले रंग का थ्री पीस सूट पहन रखा था जो उसकी पर्सनैलिटी पर काफी सूट कर रहा था, गोरा रंग, बड़ी बड़ी greenish blue आँखें तीखी नाक थोड़े गुलाबी होंठ और हाईट 6 फीट 2 इंच जो भी देखे दोबारा खुद को देखने से रोक ना पाए ।
वो आदमी बहार आते अपने सामने वाली बिल्डिंग में बिना इधर उधर देखे सीधी अपने कंपनी के अंदर चला जाता है और उसके पीछे विहान और 5 बॉडीगार्ड भी चले गए ।
अपने फ्लोर पर पहुंचते ही वो अपने पीछे चल रहे विहान को फाइल देते हुए बोला ''मिस्टर दत्ता को बोलो अगर उनको हमारे टर्म एंड कंडीशन मंजूर नहीं हैं तो मैं ये डील नहीं करने वाला'', ''अगर वो ये डील किसी और के साथ करना चाहते हैं तो शोक से करे'', फिर वो चलते हुए रुक गया उसके रुकते ही उसके पीछे चल रहे विहान और बॉडीगार्ड भी अपनी जगह पर रुक गए वो विहान की तरफ देख अपनी गंभीर और सख्त आवाज़ में आगे बोला "पर अंजाम के लिए तैयार रहें''।
विहान अपना लार गटकते हुए बोला "जी जी सर मैं बोल दूंगा'' बोल वो आगे आ उसके केबिन का दरवाजा खोल देता है वो आदमी बिना आगे कुछ बोले अपने केबिन के अंदर चला जाता है उसके अंदर जाते ही वो भी केबिन के अंदर चला जाता है और इधर बॉडीगार्ड उसके केबिन के बाहर चुप चाप अपनी पोजीशन लेकर खड़े हो जाते हैं ।
और इधर दूसरे तरफ,
तरान्या और सावी कार की पिछली सीट पर बैठी हुई थी और उनकी कार रोड पर अपनी स्पीड से चल रही थी तरान्या अपने फ़ोन में कुछ देख रही थी तो वही सावी कुछ घबराई हुई सी लग रही थी l
सावी वैसे ही घबराहट भरी आवाज में बोली "तरान्या तूने क्या कसम खा रखी है कि जितने भी काम हमें हमारी मौत की तरफ लेकर जाएंगे, वही काम तुझे करना है, तू मना नहीं कर सकती थी'' उसने आखिरी बात बोलते हुए रोना शुरू कर दिया था हा उसकी आंखों से आशु तो नहीं बह रहा था पर वो अपने मुंह से रोने जैसा आवाज जरूर निकाल कर रो रही थी l
तरान्या जो अपने फोन में घुसी हुई थी वो सावी के ऐसे रोने पर इरिटेट होती हुई बोली "आआ तू पहले अपनी ये इरिटेटिंग आवाज निकालना बंद कर, कान के परदे फाड़ देंगे तेरे ये ''आआ ऊऊ'' चुप कर, छोटे बच्चे भी तेरे से अच्छा रोते होंगे''।
सावी उसके ऐसे डाटने पर अपना मुंह बना बोली "तुझे मेरा रोना इरिटेटिंग लग रहा है, और तुझे ये नहीं दिख रहा कि मैं कितनी ज्यादा डरी और घबराई हुई हूं" उसने अपना मासूम सा चेहरा बना रखा था ।
तरान्या ने उसका एक गाल खींचते हुए प्यार से कहा “हाय रे मेरी सावी कितना डर और घबरा रही हैं, है न''
सावी ने भी अपना मासूम सा चेहरा बना गर्दन हा में हिला दिया तो तरान्या ने उसके उसी गाल पर एक चपेत लगा बोली "अपनी नौटंकी बंद कर समझी तेरा हर बार का यही नाटक होता है कभी तो कुछ और बोला और किया कर, बोर नहीं हो जाती हैं हर बार वही चीज़ रिपीट करके'' ।
उसकी बात सुन आगे की सीट पर बैठा व्यक्ति हंसने लगता है उसकी हंसी सुन सावी नाराज़गी और गुस्से से बोली ''अनीश चुप हो जा नहीं तो मैं तेरा सिर तेरे ही कैमरे से फोड दूंगी'', जब देखो तब मेरे पर हंसता रहता है''।
सावी को गुस्से से अपने पर फटता देख अनीश अपनी हंसी कंट्रोल कर लेता है तभी तारान्या उसको फिर से फटकर लगाते हुई बोली "उसपर क्यू चिल्ला रही है जो बोलना है मुझे बोल''।
सावी "बोल तो रही हूँ तुझे, ''क्या जरूरत थी तुझे सर को हाँ बोलने की तुझे क्या मजा आता है खुद के लिए मुसीबत मोलने मैंने तुझे पता भी है तूने क्या किया है,"।
तरान्या "क्या किया है मैंने जो तू इतना हाइपर हो रही है" ।
सावी "मैं हाइपर हो रही हूं मैडम आप जिसके प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए जा रही हैं ना वो कोई ऐसा वैसा व्यक्ति नहीं है'',एशिया का ही नहीं बल्कि यूरोप का भी टॉप बिजनेसमैन है''।
तरान्या "हा तो हम तो ऐसे बहुत से बिजनेसमैन के प्रेस कॉन्फ्रेंस जाते रहते हैं तो इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से तुझे इतनी problem क्यों हो रही है"।
इस बार सावी के कुछ बोलने से पहले अनीश बोल पड़ा तरान्या सावी का डरना जायस हैं तुम शायद नहीं जानती पर वो बिजनेसमैन काफी सख्त, rude ,arrogant और खतरनाक है वो जल्दी इंटरव्यू ,प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए तैयार नहीं होता है और अगर वो तैयार हो भी जाता है तो उसमें भी उसके टर्म एंड कंडीशन होते हैं जिसे फॉलो करना पड़ता है''।
सावी अनीश की बात पर आगे बोली ''वो अपने पिक्चर नहीं लेने देता है, इसलिए तो आज तक बहुत कम लोगों को ही पता है ''ध्रुवंश सिंह राठौर" कौन है और कैसा दिखता है इंटरव्यू और प्रेस कॉन्फ्रेंस के टाइम भी वो सिर्फ़ वॉयस इंटरव्यू ही देता है और वो भी कुछ गीने चुने सवाल का ही जवाब देता हैं'', और तुने ऐसे व्यक्ति के प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए हाँ किया तो किया ही साथ में उसका पर्सनल इंटरव्यू के लिए भी हाँ बोल दिया तूने सर को''।
तरान्या उनकी बात सुनकर भी बिना घबराए बोली "तो क्या हो गया हम भी उसके टर्म एंड कंडीशन फॉलो कर लेंगे, जो हमें ठीक लगेगा और जो नहीं लगेगा वो हम नहीं फॉलो करेंगे, सिंपल''।
सावी उसकी बात सुनकर चिढ़ जाती हैं जो वैसे ही चिढ़ते हुई बोली "अरे पागल लड़की तू हमारी बात समझ नहीं रही है और तू क्या बोल रही है कि तुझे जो सही लगेगा तू वो फॉलो करेगी और जो नहीं लगेगा वो नहीं करेगी, ''अरे मरना चाहती है क्या तू"।
सावी की बात पर तरान्या confused हो बोली "तुम दोनो कहना क्या चाहते हो साफ साफ बोलो इतना घुमा कर मत बताओ मुझे समझ नहीं आ रहा है कुछ भी'' ।
अनीश "तरान्या साफ साफ बस इतना समझ जाओ कि अगर तुमने उस व्यक्ति से कुछ भी ऐसा सवाल कर दिया जो करना मना है और अगर तुम्हारा कोई भी सवाल उसको पसंद नहीं आया तो तुम्हारा वो दिन आखिर दिन बनते देर नहीं लगेगा''।
तरान्या उसकी बातों को समझ रही थी तभी सावी बोली "मतलब मौत'' अब तुझे समझ आया होगा कि हम क्या बोल रहे हैं''।
तरान्या को भी अब डर लगना शुरू हो गया था उसके चेहरे पर भी अब थोड़ा डर दिख रहा था तभी अनीश वापस से बोला "तरन्या इस बार सावी का डरना जायस है मुझे भी डर लग रहा है तो please तुम इस बात का ध्यान रखना कि तुम जो सवाल उससे पूछो वो उसको गुस्सा ना दिलाये उसको गुस्सा दिलाना मतलब खुद की कब्र खोदना हैं'' ।
तरान्या ने अनीश की बात पर हाँ में सर हिलाया तो सावी फिर से बोली "मैं तो बोलती हूं तू कुछ पूछना ही मत हम बस चुप चाप बैठे रहेंगे और लोगो को उनसे सवाल करने देंगे",क्या फ़र्क पढ़ता है कि सवाल कौन पूछ रहा है'',और इंटरव्यू का भी तू भूल ही जा तो अच्छा रहेगा'' ।
तरान्या ने उसकी बात सुन उसको अपनी आंखें छोटी कर घूरा फिर मुंह बना बोली "तू बस अपना मुँह बंद रखना, नहीं तो तेरे मुंह खोलने पर पक्का हम सब की बैंड जरूर बज जाएंगी''l
सावी ने उसकी बात पर अपना मुंह फुला लिया और अपना दोनो हाथ अपनी सीने पर बाँधे बैठ गई ।
तरान्या ने उसको देख अपना सर ना में हिला दिया तभी उनकी कार एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास आकर रुकी "अनीश'' ''चलो हम आ गए राठौर इंडस्ट्रीज", ।
तीनो कार से बाहर आये और अनीश कार की डिग्गी से अपना सामान निकालने लगा और फिर ड्राइविंग सीट के पास आ ड्राइविंग सीट पर बैठे आदमी से बोला "तुम कार पार्क कर आओ हम अंदर जा रहे हैं'' ।
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अब आगे,
एक बड़े से हॉल में तरान्या, सावी, अनीश और भी रिपोर्ट्स के साथ बैठे हुए थे। सभी वहाँ पर ध्रुवंश सिंह राठौड़ का इंतजार कर रहे थे। वे सभी जाना चाहते थे आखिर ऐसा क्या हो गया जो ध्रुवंश सिंह राठौड़ ने आज ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रख ली। मीडिया रिपोर्ट्स से दूर रहने वाला आज खुद मीडिया को इनवाइट किया है।
आखिर क्यों? सबके मन में फिलहाल ये ही सवाल चल रहे थे। सभी आपस में बातें कर रहे थे जो तरान्या को भी सुनाई पड़ रहा था। वह थोड़ा पीछे बैठी हुई थी और उसके पीछे सीट पर बैठे लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे।
एक आदमी दूसरे आदमी से बोला "ये ध्रुवंश सिंह राठौड़ इंडिया कब आया? ये तो ऑस्ट्रेलिया में था ना, और वहीं से अपनी सभी कंपनी को हैंडल करता था तो अचानक से इंडिया आ जाना कुछ समझ नहीं आया", और आते ही ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रखना क्या कुछ ज़रूरी बातें हैं जो वे हमें बताना चाहते हैं"।
उसकी बात पर उसके बगल में बैठा आदमी बोला "मुझे भी नहीं पता और रही बात उनका कुछ हमें बताने का तो वे बताते नहीं हैं, ऑर्डर देते हैं जो लोग को पूरा करना ही पड़ता है"।
"सही कहा तूने" वे दोनों इधर बात कर रहे थे और उसकी बातें तरान्या के कान में भी पड़ रही थी और अब उसके दिमाग में भी यही बात चल रही थी कि आखिर क्यों ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई है?
तभी वहाँ कुछ बॉडीगार्ड आए और अपनी पोजीशन लेकर खड़े हो गए। हॉल में बॉडीगार्ड को आता देख सभी बात करना बंद कर देते हैं और कुछ ही पल में वहाँ विहान की एंट्री होती है। विहान को आता देख अब सब ध्रुवंश के आने का इंतज़ार करते हैं पर वे उनको नहीं दिखता है।
विहान वहाँ बने स्टेज पर जा माइक के सामने खड़ा हो जाता है।
और बोलना शुरू करता हैं "आप सभी को यहाँ आने के लिए धन्यवाद, राठौर इंडस्ट्रीज में आप सबको कुछ जरूर जानकारी देने के लिए बुलाया गया है, जो आप सभी को और पूरी दुनिया को पता होना चाहिए"।
तभी एक आदमी जो एक रिपोर्ट था बोल पड़ा "सर क्या मिस्टर राठौर इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आने वाले हैं"? ये सवाल वहाँ बैठे सभी के मन में था पर वे ये बात भी जानते थे कि वे मीडिया और रिपोर्ट्स से दूर ही रहता है।
विहान "जी नहीं", उसने उस रिपोर्ट की आँखों में देखते हुए कहा और फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला "आप सभी ये जानना चाहते होंगे कि आज ये प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों और किस वजह से रखी गई है और आप सबको अब तक ये भी पता चल गया होगा कि राठौड़ इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट यानि कि "ध्रुवांश सिंह राठौड़" अब इंडिया आ चुके हैं"।
सभी ने हाँ कहा और फिर विहान आगे बोला "मैं आप सबको बताना चाहता हूं कि अब हमारे प्रेसिडेंट इंडिया से ही अपने सभी बिजनेस को संभालने वाले हैं"।
तो अब तक जो भी प्रेसिडेंट के ना होने पर कंपनी में अपनी मन मनी कर रहे थे, हेर फेयर कर रहे थे अब से वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्यूंकि अब से ऐसा करने वालों पर स्ट्रिक कार्यवाही की जाएगी चाहे वह कोई भी क्यों ना हो और जो भी प्रोजेक्ट अब तक रुके हुए थे उन्हें भी फिर से शुरू किया जा रहा है।
विहान यहाँ मीडिया के जरिये सबको ये खबर दे रहा था की ध्रुवंश इंडिया की कंपनी को संभालने वाला है तो वहीं एक बड़े से विला के हॉल में एक औरत और लड़का टीवी के सामने चल रही राठौड़ इंडस्ट्रीज की प्रेस कॉन्फ्रेंस को देख गुस्से से आग बबुला हो रहे थे।
वह लड़का गुस्से से वहाँ पर रखे flower vase को उठा टीवी पर दे मार और देखते ही देखते टीवी की स्क्रीन चकनाचूर हो जाती है।
तभी वहाँ बैठी औरत लड़के को गुस्से में देख बोली "अपने गुस्से को कंट्रोल करो, अगर ऐसे ही गुस्से से काम लोगे तो सब कुछ हमारे हाथ से फिसल जाएगा"।
वह लड़का अपने हाथ की मुट्ठी बंधते हुए बोला "और कब तक mom और कब तक हमें ये सब कुछ झेलना और देखना पड़ेगा, आप कुछ करती क्यों नहीं हैं, मुझसे अब ये सब और बर्दाश्त नहीं होगा", बोल वह गुस्से से वहाँ से निकल गया।
तो वहीं वह औरत अभी भी शांत बैठी थी और वैसे ही शांत भाव से बोली "तो आखिरकार तुम इंडिया आ ही गए "ध्रुवांश सिंह राठौड़" बोल वह शातिर मुस्कान मुस्काई। उसको देख ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिमाग में कुछ तो बड़ा चल रहा है पर क्या, वह तो अब वक्त बताने वाला था"।
और इधर प्रेस कॉन्फ्रेंस ख़तम हो चुका था और सभी वहाँ से जा रहे थे। तरान्या सावी और अनीश को देख बोली "तुम दोनों जाओ मैं कुछ देर बाद आती हूँ", बोल वह वहाँ से तुरंत निकल गई।
उसको ऐसे जल्दी में जाता देख सावी और अनिश उसको देखने लगे। अनीश "ये इतनी जल्दी में कहाँ जा रही है"?
सावी “पता नहीं बस ये इस बार कुछ कांड ना करे जिसकी वजह से लेने के देने पड़ जाएं, अभी तक तरुण खुराना और साशा अग्रवाल का मामला हल नहीं हुआ है। उसके आदमी उस रिपोर्ट को ढूंढ रहे हैं, जिसने ये खबर अपलोड की है, वह बहुत गुस्से में हैं। वह तो आयुष सर की वजह से तरान्या का नाम अभी सामने नहीं आया है, पर अगर उसको कोई खबर लगी तो तरान्या बहुत बड़ी मुश्किल में फंस जाएगी।
अनीश "हाँ सही कहा तुमने बस इस बार कोई न्यूज़ पाने के चक्कर में कोई मुसीबत ना बुलाए अपने पास", बोल दोनों अपना अपना सामान समेटने लगे।
और इधर तरान्या कॉन्फ्रेंस रूम से निकल कर विहान को ढूँढने लगी। वह इधर उधर देखते हुए बोली "किधर गए विहान सर एक बार उनसे मिस्टर राठौड़ के इंटरव्यू के लिए बात कर लूं, अगर मुझे पता होता तो मैं कभी भी मिस्टर राठौड़ के इंटरव्यू के लिए सर को हाँ नहीं बोलती ये सब उस दानव ने जंबुझकर किया है"।
वह बड़बड़ाते हुए विहान को खोज रही थी तभी उसको विहान लिफ्ट की तरफ जाता दिखा।
विहान को लिफ्ट में जाते देख वह दौड़ते हुए उसके पास जाने लगी पर तब तक लिफ्ट बंद हो चुका था। उसने हताश होकर कहा "अरे यार" अब कैसे पता करूँ वह कहाँ और किस फ्लोर पर गए होंगे", वह खुद से बात कर सोच ही रही थी कि तभी वहाँ से गुजर रहे एक आदमी को रोक उसने पूछा "सुनो क्या आप बता सकते हैं कि मिस्टर विहान का केबिन कौन से फ्लोर पर होगा दरअसल मुझे फाइल उनको देना था"?
वह आदमी तरान्या को देखने लगा तो तरान्या जबरदस्ती मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाती है। वह आदमी तरान्या को कुछ शक भरी निगाहों से देखते हुए बोला "पर फ़ाइल कहाँ है मुझे तो नहीं दिख रही कोई भी फ़ाइल"।
तरान्या हँसते हुए अपने पैंट की जेब से एक पेन ड्राइव निकाल बोली "ये रहा फ़ाइल" क्या अब आप बता सकते हैं असल में विहान सर ने ही मुझे बोला था ये फाइल देने को, वह अभी तरान्या से और भी कुछ पुछ पता तभी एक आदमी की आवाज़ आती है जो उसको ही बुला रहा था उसने जाते हुए ही तरान्या को विहान का फ्लोर नं. बता दिया।
और इधर तरान्या फ्लोर नं. पता चलते ही झट से लिफ्ट के अंदर चली गई और 20वीं मंजिल का बटन दबा कर खड़ी हो गई, कुछ ही देर में 20वीं मंजिल पर आ गई और कॉरिडोर मैं चलते हुए विहान का केबिन ढूँढने लगी।
वह इधर उधर देखते हुए चल रही थी कि अपने सामने से आ रहे आदमी से उसकी जोरदार टक्कर हुई और वह धम की आवाज के साथ नीचे फ्लोर पर गिर पड़ी और दर्द से कहराने लगी। वहीं वह आदमी जिसे उसकी टक्कर हुई थी वह अभी भी वैसे का वैसे ही खड़ा तरान्या को गुस्से से घूरे जा रहा था क्यूंकि उसका फोन तरान्या के टकराने की वजह से हाथ से छुटकर नीचे जमीन पर गिर पड़ा था।
वह गुस्से से अपने दांत पिस्ते हुए बोला"आंखें ख़राब है क्या तुम्हारी, देख कर नहीं चला जा रहा है, और तुम इस फ्लोर पर कैसे आई"?
उसके गुस्से भरी आवाज सुन तरान्या को भी उसपर गुस्सा आ गया। उसने अपने चेहरे पर से अपने बाल हटाये जो गिरने की वजह से उसके चेहरे पर आ गये थे और बिना उस आदमी को देखे ही बोल पड़ी "मेरी आंखें तो सही है पर तुम्हारी आंखें लगता है खराब है, तभी तो तुम्हें मैं दिखी नहीं और रही बात मैं फ्लोर पर कैसे आई तो वह मैं अपने इन पैरों से चलकर आई हूं" वह ये सब बातें अपने कपड़े झाराते हुए बोल रही थी।
वही आदमी ने जब तरान्या का चेहरा देखा तो उसके सामने एक सीन आकर गुजर गया और उसकी भौंए सिकुड़ गई।
और इधर सामने से कोई जवाब ना आने पर तरान्या मुस्कुराते हुए बोली "क्या हुआ मिस्टर आवाज़ नहीं निक ए, पर इस बार उसकी आवाज नहीं निकली क्यूंकि उसकी नज़र तो अपने सामने खड़े आदमी को देख के उसके शब्द गले में ही जो अटक गए थे और इधर उस आदमी के चेहरे पर कोई भी expression नहीं थे।
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अब आगे,
पिछले अध्याय में, आपने देखा कि तरान्या, सावी, अनीश और अन्य रिपोर्टर एक हॉल में ध्रुवंश सिंह राठौड़ का इंतज़ार कर रहे थे। विहान प्रेस कॉन्फ्रेंस में आता है और घोषणा करता है कि ध्रुवंश सिंह राठौड़ अब भारत में ही रहेंगे। इसके बाद, एक महिला और एक लड़का ध्रुवंश के भारत आने पर गुस्सा करते हैं। तरान्या विहान को ढूंढती है, टक्कर के कारण एक आदमी से उसकी बहस हो जाती है।
अब आगे,
तरान्या उस आदमी को देख शॉक्ड हो गई थी वो अपने मन में बोली "क्या ये वही हैं?, जो उस दिन मुझे पार्टी में मिला था", पर ये यहाँ क्या कर रहा है, क्या ये मेरा पीछा कर रहा है पर क्यूँ मैंने ऐसा क्या कर दिया जो ये मेरा पीछा करेगा", वो खुद से ही अंदाज़ा लगाये जा रही थी।
तभी एक भारी आवाज़ उसके कानों में पड़ी "आज किससे बच कर भाग रही हो ''मिस अननोन''?
तरान्या उसकी भारी आवाज़ सुन अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आते हुए बोली, "क्..या क्या बोल रहे हो तुम, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा और भला मैं क्यों किसी से बच कर भागूंगी, मैं तो अपने काम से आई हूँ यहाँ"।
वो आदमी अपने एक हाथ को पैंट की जेब में डाल एटीट्यूड से बोला, "और क्या काम है तुम्हे यहाँ?"
तरान्या ने उसका एटीट्यूड देख खुद भी एटीट्यूड से बोली, "तुम्हें क्यों बताऊँ तुम क्या कोई टीटी हो जिसको मैं अपने आने जाने का पता बताती फिरूँ"।
उसकी बात सुन सामने खड़े आदमी की भौंहें तन गईं वो उसे अपनी आँखें छोटी करके घूरने लगा पर तरान्या को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा।
हाँ वो पहले थोड़ा घबरा गई थी पर अब वो ठीक थी क्योंकि उसका मानना था कि अगर तुम किसी चीज़ से डरोगे तो वो चीज़ तुम्हें और डराएगी इसलिए उसने अपने डर को गोली मार दी।
तरान्या उसे इग्नोर करते हुए वहा से निकल गई और उस आदमी ने उसे रोका भी नहीं वो तो बस उसे जाते हुए देख रहा था वो उसकी पीठ को देख बोला, "तुम्हें इसका खमियाजा भुगतना होगा मिस अननोन" आख़िर तुम्हें भी तो पता चले तुम किसे एटीट्यूड दिखा कर गई हो, "बहुत महंगा पड़ेगा तुम्हें "ध्रुवंश सिंह राठौड़" से पंगा लेना"।
वही तरान्या कुछ देर कॉरिडोर में इधर-उधर घूमने और नेम प्लेट्स पढ़ने के बाद आखिरकार तरान्या को “Mr. Vihaan Rajput” लिखा हुआ केबिन नज़र आया।
उसने गहरी साँस ली और दरवाज़े पर दो बार नॉक किया।
अंदर से एक गंभीर पर सहज आवाज़ आई,
“Come in.”
तरान्या ने दरवाज़ा खोला और शालीनता से अंदर कदम रखा। सामने विहान अपनी टेबल पर फाइलें देख रहा था। उसने सिर उठाकर देखा और हल्की मुस्कान दी।
“जी आप कौन मिस…?”
“तरान्या सिन्हा,” उसने नम्र स्वर में कहा।
“जी, मिस सिन्हा, बैठिए।” विहान ने सामने वाली कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा, "मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ"?
तरान्या बैठ गई, और सीधे मुद्दे पर आते हुए बोली,
“सर, मैं द वेव मिडिया से आई हूँ। क्या मुझे मिस्टर ध्रुवंश सिंह राठौर का एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू मिल सकता सर मना मत कीजियेगा, प्लीज।”
विहान हैरान हो बोला, "मिस सिन्हा क्या आपको पता नहीं है कि बॉस कभी भी इंटरव्यू देना पसंद नहीं करते हैं और अगर वो कोई इंटरव्यू देते हैं तो अपने टर्म और कंडीशन पर देते हैं आप उन्हें जब चाहिए तब कवर नहीं कर सकती सॉरी, लेकिन मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता।"
तरान्या विनती स्वर में बोली, "सर मैं आपकी बात समझ रही हूं प्लीज मेरी मदद कर दीजिए मेरे जॉब का सवाल है वरना मैं आपसे इतना रिक्वेस्ट नहीं कर रही होती।"
विहान तरान्या को इतना रिक्वेस्ट करता देख बोला, "सॉरी मिस सिन्हा, मैं चाह कर भी आपकी मदद नहीं कर सकता, आप बॉस को जानती नहीं हैं, आपकी तो नौकरी जाएगी पर मेरी जान चली जाएगी प्लीज मेरी बात को समझिए।"
तरान्या "पर सर एक बार आप बात तो कीजिये मिस्टर राठौड़ से।"
विहान अपनी कुर्सी से उठते हुए बोला, "मुझे और भी बहुत काम हैं मिस सिन्हा" बोल उसको हाथ के इशारे से जाने को कहा
तरान्या उदास चेहरे के साथ कुर्सी से उठते हुए बोली, "थैंक यू सर", और केबिन से बाहर आ खुद में ही बड़बड़ाई, "तरान्या क्या ज़रूरी थी तुझे हाँ करने की वो सुमित शैतान तो है ही तेरे लिए मुसीबत देख फंसा दिया ना नई मुसीबत में इस बार तो नौकरी भी दांव पर लग गई और मेरा भी दिमाग खराब था जो मैंने उसकी बात मान ली" आआआ.... इरिटेट होकर चिल्ला दी।"
इस वक्त उसके चेहरे पर मायूसी साफ़ झलक रही थी वो धीरे-धीरे कदमों से चले जा रही थी।
तो वही विहान इस वक़्त ध्रुवंश के केबिन में अपना सिर झुकाए खड़ा था।
ध्रुवंश अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था और अपने एक हाथ से टेबल पर रखे पेपर वेट को गोल गोल घुमा रहा था।
ध्रुवंश अपनी गंभीर और भारी आवाज़ में बोला, "ऐसे ही खड़े रहोगे कि कुछ बोलोगे भी"।
विहान धीरे से अपनी नज़र ऊपर कर बोला, "सर आप सही थे इस सब के पीछे मल्होत्रा ग्रुप ही है, उसने ही उस आदमी को बोला था हमारी जानकारी उस तक पहुंचाने के लिए, लेकिन वो कोई जानकारी उसको दे पाता उसे पहले ही वो पकड़ा गया"।
ध्रुवंश ने टेढ़ी मुस्कान के साथ कहा,"मल्होत्रा को बहुत शौक है ना खेल खेलने का अब उसे पता चलेगा असली खेल किसे कहते हैं।"
विहान "सर आगे क्या करना है क्या आप अभी मल्होत्रा ग्रुप जाना चाहेंगे"?
ध्रुवंश "आज मल्होत्रा ग्रुप ने पार्टी रखी है ना नये प्रोजेक्ट के मिलने की ख़ुशी में",
विहान "जी सर और उन्होंने इनविटेशन कार्ड भी भेजा है बोल एक इनविटेशन कार्ड उसकी तरफ बढ़ा दिया,
ध्रुवंश ने कार्ड को पकड़ा और उसे अपनी ख़तरनाक आँखों से घूरते हुए कहा, "तो तैयारी करो पार्टी में जाने की आखिर हमारा भी हक़ बनता है उन्हें बधाई देने का", बोल उसने स्मर्क किया
विहान सिर हिलाते हुए बोला, "जी सर", और अपने मन में बोला, "बधाई देने का कि मौत देने का बॉस", फिर अफ़सोस के साथ बोला, "मल्होत्रा आज तो तेरा खेल ख़तम ये तेरी जिंदगी की आखिरी पार्टी होगी जी ले अपनी कुछ वक़्त की जिंदगी क्योंकि तू जल्दी ही नरक सिधारने वाला है"।
इधर तरान्या के ऑफिस में,
वो अपनी कुर्सी पर अपना सिर पकड़ कर बैठी हुई थी और सावी उसका पीठ थपथपा रही थी तभी तरान्या झट से सीधी बैठते हुए बोली, "मैं ऐसे हार नहीं मान सकती, मैंने इस नौकरी के लिए बहुत मेहनत की हैं और जब मैं कुछ वक़्त बाद परमानेंट होने वाली हूँ, तो मैं एक इंटरव्यू के चलते खुद की नौकरी नहीं गवा सकती।"
सावी "तो तू क्या करेगी उनके सेक्रेटरी ने तो इंटरव्यू लेने से मना कर दिया है"।
तरान्या "चाहे कुछ भी करना पड़े मैं ध्रुवंश सिंह राठौड़ का इंटरव्यू लेकर रहूंगी"।
सावी “पर कैसे"? उनसे मिलना भी इतना आसान नहीं है"।
तरान्या कुछ सोच कर स्माइल करते हुए बोली, "आज मल्होत्रा ग्रुप की पार्टी है और इस पार्टी में बड़े से बड़े बिजनेसमैन आने वाले हैं तो ध्रुवंश सिंह राठौर भी पार्टी में आएंगे ही"।
सावी भी सोचते हुए बोली, "हो सकता है लेकिन कन्फर्म नहीं है मैंने सुना है वहां ऐसी पार्टी जल्दी अटेंड नहीं करते"।
तरान्या सावी का हाथ पकड़ बोली, "देख सावी मुझे जोखिम लेना ही होगा अगर मुझे अपनी नौकरी बचानी है तो मुझे जोखिम लेना ही होगा, और ये तो पार्टी में जाकर पता चलेगा कि वो आ रहे हैं कि नहीं", तू मेरी हेल्प करेगी ना प्लीज"।
सावी "पागल है क्या तू मेरी दोस्त है मैं तेरी मदद नहीं करूंगी तो किसकी मदद करूंगी"।
तरान्या ख़ुशी से बोली, "थैंक यू सावी"।
सावी "अच्छा अब हट और चल पार्टी की तैयारी करते हैं आखिर हमें भी वहां जाना है और मल्होत्रा की पार्टी को कवर भी तो करना है"।
तरान्या "हा हा चल"।
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अब आगे,
रात का वक़्त,
घड़ी में सात बज चुके थे और पार्टी शुरू हो चुकी थी। एक-एक करके मेहमान आना शुरू हो गए थे। तरान्या, सावी और अनीश भी बाकी मीडिया रिपोर्टर्स के साथ मल्होत्रा की पार्टी में पहुँच चुके थे। अनीश अपने कैमरे को संभाले हर पल कैप्चर कर रहा था, जबकि सावी और तरान्या मेहमानों से सवाल-जवाब करने में लगी हुई थीं।
अनीश ने अब तक हर बिज़नेस टायकून, एक्टर, एक्ट्रेस और बड़े-बड़े सेलिब्रिटी को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया था। ये सिलसिला लगभग डेढ़ घंटे तक चला और उसके बाद सभी मेहमान पार्टी हॉल की तरफ़ बढ़ गए।
पार्टी शुरू हो चुकी थी और पार्टी हॉल के अंदर मीडिया की मौजूदगी भी थी। आखिर मीडिया को बुलाया ही इसलिए गया था ताकि मिस्टर मल्होत्रा अपने नए प्रोजेक्ट की चर्चा हर जगह पहुँच सके। लेकिन सबको सख़्त हिदायत थी कि वे मेहमानों को पार्टी के दौरान परेशान नहीं करेंगे।
तरान्या और सावी चुपचाप खड़ी थीं, जबकि अनीश पूरी पार्टी को अपने कैमरे से कवर कर रहा था। तरान्या की नज़रें चारों ओर घूम रही थीं। अचानक वह धीमे स्वर में बोली,
“ये मिस्टर ध्रुवंश सिंह राठौड़ कहाँ हैं? क्या वो पार्टी में नहीं आ रहे?”
सावी ने कंधे उचका दिए,
“मुझे क्या पता। मैंने तुझसे पहले ही कहा था, मिस्टर राठौड़ ऐसी पार्टियाँ अटेंड ही नहीं करते।”
तभी अनीश कैमरा एडजस्ट करता हुआ बोला,
“तुम दोनों मिस्टर राठौड़ के पीछे क्यों पड़ी हो?”
फिर उसने तरान्या को देखते हुए शक़ से पूछा, “कहीं तू… उनसे मिलने का प्लान तो नहीं बना रही?”
तरान्या ने मुँह बनाते हुए कहा,
“अरे, तू ऐसे पूछ रहा है जैसे तुझे पता ही नहीं कि मैं क्यों मिलना चाहती हूँ।”
अनीश की आँखें फैल गईं,
“मतलब! तू यहाँ उनका इंटरव्यू लेने आई है?”
तरान्या ने बड़े आराम से जवाब दिया,
“नहीं… मैं तो बस उन्हें इंटरव्यू के लिए मनाऊँगी, और अगर वो मान गए तब इंटरव्यू लूँगी।”
अनीश ने तुनक कर कहा, “वही तो मैंने कहा।”
तरान्या ने अपने गाल पर उंगली से हल्का-सा टैप करते हुए मुस्कराकर कहा, “अच्छा…”
सावी दोनों की बातों से चिढ़ गई।
“अरे तुम दोनों क्या बकवास कर रहे हो? जिस काम के लिए आए हो, उस पर ध्यान दो।”
तरान्या ने अपनी नज़रें पार्टी हॉल के एंट्रेंस पर टिकाईं और बुदबुदाई,
“ये मिस्टर राठौड़ आएँगे भी कि नहीं…”
अनीश कैमरा घुमाते हुए बोला,
“वो इंसान खुद की पार्टी में जल्दी नहीं आता, यहाँ क्या आएगा।”
तरान्या ने रोनी सूरत बनाते हुए आसमान की ओर देखा,
“क्या अजीब आदमी है। इसकी वजह से मेरी नौकरी दाँव पर लगी है… कहाँ फँसा दिया आपने, शिव जी।”
हॉल के बाहर अचानक शोरगुल थम गया।
बड़ी, काली, चमचमाती luxurious कार आकर रुकती है। उसके ठीक आगे पीछे एक और कार, जिसमे से बॉडीगार्ड्स तेज़ी से बाहर निकलते हैं। उनका अंदाज़ ही बता रहा था कि कोई खास शख़्स वहा आये हुआ है।
कार की ड्राइविंग सीट से पहले विहान उतरा, हमेशा की तरह सधा हुआ, आत्मविश्वास से भरा। उसने तुरंत पिछली सीट का दरवाज़ा खोला।
कार की पिछली सीट से बाहर निकला एक पैर चमकते काले जूते, हल्की रोशनी में और भी चमक उठे।
फिर जैसे ही ध्रुवंश बाहर आया, हवा में एक अलग-सी गंभीरता घुल गई, जो उस और भी ज्यादा ख़तरनाक और डैशिंग बना रही थी।
उसने एक हाथ से अपने कोट का बटन बंद किया, और बिना किसी ओर देखे सीधे पार्टी हॉल की ओर बढ़ गया।
आगे-पीछे चल रहे बॉडीगार्ड्स ने चारों तरफ़ ऐसा घेरा बना रखा था कि किसी की हिम्मत नहीं थी उनके करीब जाने की।
हॉल के अंदर उसके एंट्र करते ही पूरा माहौल बदल गया।
लोगों की बातचीत थम गई।
हर नज़र उसी एक शख़्स पर टिक गई, ध्रुवंश सिंह राठौड़।
मगर जैसे ही कुछ रिपोर्टर्स और फोटोग्राफ़र्स ने अपने कैमरे उठाने चाहे, बॉडीगार्ड्स ने हाथ से इशारा कर सबको रोक दिया।
“नो फ़ोटोग्राफ़्स।” उनकी कड़क आवाज़ ने सबकी हरकतें थाम दीं।
एक-एक कर सभी कैमरे नीचे रख दिए गए।
अब हॉल में सिर्फ़ ध्रुवंश था, एक रहस्य की तरह, सबकी नज़रों का केन्द्र।
तरान्या ने गर्दन उठाकर देखने की कोशिश की, भीड़ के बीच से वो उसकी एक झलक पाना चाहती थी।
लेकिन उसके और ध्रुवंश के बीच खड़े बॉडीगार्ड्स दीवार बन गए थे।
वो हल्के-हल्के कदम आगे बढ़ाता रहा और तरान्या का दिल धड़कता रहा।
“क्या यही है वही शख़्स…?” उसने खुद से पूछा। मगर उसकी आँखें साफ़-साफ़ कुछ देख ही नहीं पा रही थीं।
हॉल का माहौल धीरे-धीरे और भव्य होता जा रहा था। सबकी निगाहें अब भी उसी शख़्स पर थीं जो अभी-अभी अंदर आया था। "ध्रुवंश सिंह राठौड़"
बॉडीगार्ड्स ने उसे घेरे में लेकर सीधे VIP सेक्शन तक पहुँचाया। वहाँ पहले से रिज़र्व की हुई जगह पर उसके लिए कुर्सी लगी थी।
ध्रुवंश ने बिना किसी ओर देखे अपनी जगह संभाली।
उसके चारों ओर की सीटें खाली रखी गई थीं ताकि कोई उसके बेहद क़रीब न आ सके।
हॉल के बाकी मेहमान धीरे-धीरे अपनी बातचीत में लग गए, मगर उनकी निगाहें बार-बार ध्रुवंश पर ही टिक जातीं।
तरान्या ने गर्दन ऊँची करके देखने की कोशिश की, वो भीड़ के बीच से उसकी एक झलक पाना चाहती थी, लेकिन सामने बॉडीगार्ड्स की मोटी दीवार खड़ी थी, उसकी आँखें बस ध्रुवंश के चेहरे का थोड़ा-सा साइड प्रोफ़ाइल पकड़ पाईं।
वो सावी से झुंझलाकर बोली,
“यार! ये बॉडीगार्ड लोग बीच में क्यों खड़े हो जाते हैं? मुझे तो ठीक से दिख ही नहीं रहा।”
सावी ने उसकी ओर देखकर ठंडी साँस भरी,
“इसलिए तो इन्हें बॉडीगार्ड कहते हैं मेरी जान । ऐसे लोग आम भीड़ का हिस्सा नहीं होते।”
अनीश कैमरा एडजस्ट करता हुआ हँस पड़ा,
“अब तो भूल जा इंटरव्यू वगैरह, देख ही ले तो बहुत है।”
तरान्या ने होंठ भींच लिए,
“नहीं… मुझे इससे बात करनी ही है, चाहे जो हो जाए।”
उसकी आँखों में वही जिद थी, उसे ये अंदाज़ा तक नहीं था कि जिस शख़्स को देखने के लिए वो इतनी बेचैन है… वही वो आदमी है, जिससे उसका टकराव आज ही ऑफिस के कॉरिडोर में हो चुका है।
उधर VIP सेक्शन में बैठा ध्रुवंश भीड़ के पार कहीं देख रहा था, उसकी नज़रें क्षण भर को तरान्या पर टिकीं, लेकिन तरान्या, उसकी उस नज़र को पकड़ ही नहीं पाई।
उसके होंठों पर हल्की-सी मुस्कान आई और धीमी आवाज़ में उसने बुदबुदाया,
“तो… तुम यहाँ भी पहुँच गई, Miss Unknown।”
भीड़ के शोर-शराबे में वो आवाज़ सिर्फ़ उसी तक पहुँची थी।
इधर तरान्या ने सावी और अनीश से धीरे से कहा, “मैं अभी आई।”
सावी चौंकी, “कहाँ जा रही है”
पर वो वाक्य पूरा भी नहीं कर पाई थी कि तरान्या भीड़ के बीच से निकल चुकी थी।
वो धीरे-धीरे लोगों के बीच से गुज़रती हुई, सबकी नज़रों से बचकर VIP सेक्शन के पास पहुँची।
उसकी धड़कनें तेज़ थीं।
“बस एक बार… बस एक बार सीधे सामने से देख लूँ।”
वो जैसे ही ध्रुवंश तक पहुँचने की कोशिश करती है, तभी ध्रुवंश अचानक अपनी सीट से उठ गया।
बॉडीगार्ड्स ने उसे घेरे में लिया और वह VIP सेक्शन से बाहर निकलने लगा।
तरान्या ठिठक गई।
अब उसके सामने ध्रुवंश का चेहरा नहीं, सिर्फ़ उसकी चौड़ी पीठ और सधा हुआ अंदाज़ था।
फिर भी उसकी नज़रें उसी पर टिकी रहीं।
बिना सोचे-समझे उसने क़दम बढ़ा दिए।
धीरे-धीरे, सबकी निगाहों से बचते हुए वो उसके पीछे-पीछे निकल पड़ी।
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अब आगे,
तरान्या ध्रुवंश का पीछा करते-करते पार्टी हॉल से निकलकर एक सुनसान कॉरिडोर में आ चुकी थी। चारों तरफ़ शांति थी, बस दूर से आती पार्टी की हल्की-सी गुनगुनाहट सुनाई दे रही थी।
वो इधर-उधर नज़रें दौड़ाते हुए झुँझलाहट में बुदबुदाई,
“कहाँ गए ये मिस्टर राठौड़… क्या कोई जादूगर हैं जो यूँ गायब हो गए? अभी यहीं तो आए थे, फिर इतनी जल्दी कहाँ निकल लिए?”
अचानक पीछे से एक गहरी, ठंडी आवाज़ गूँजी,
“Miss Unknown… इतनी बेसब्री से किसे ढूँढ रही हो?”
तरान्या चौंक गई और झटके से पलटकर देखा तो ध्रुवंश पीछे खड़ा था।
वो उसे देखते ही और चिढ़ गई और कुछ कहे बिना मुड़कर आगे बढ़ने लगी।
लेकिन अगले ही पल ध्रुवंश ने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ़ खींच लिया। उसके इस तरह अचानक से खींचने पर तरान्या की पीठ उसकी चौड़ी छाती से जा लगी।
वो पूरी तरह से हिल गई थी।
ध्रुवंश उसके कान के पास झुकते हुए फुसफुसाया,
“मुझे पसंद नहीं कि कोई मुझे इस तरह नज़रअंदाज़ करे।”
तरान्या, जो अभी तक शॉक में थी, झटके से अपना हाथ छुड़ाने लगी।
“और मुझे भी पसंद नहीं कि कोई मुझे इस तरह छुए… समझे मिस्टर! छोड़िए मेरा हाथ… वरना आपके लिए अच्छा नहीं होगा।”
उसकी चेतावनी पर ध्रुवंश की पकड़ और कस गई।
“आह्ह…” दर्द से उसके मुँह से आवाज़ निकली।
वो गुस्से और तकलीफ़ से चिल्लाई,
“छोड़ो मुझे, पागल इंसान! दर्द हो रहा है।”
ध्रुवंश ने उसे झटके से अपनी तरफ़ घुमा लिया, लेकिन उसका हाथ नहीं छोड़ा।
उसकी नज़रों में गुस्से की ठंडक थी।
“मुझसे तमीज़ से बात किया करो… वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, Miss Unknown।”
तरान्या भी उसकी आँखों में झाँकते हुए, ज़िद से बोली,
“अरे मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी… तो तमीज़ कहाँ से आएगी? बदतमीज़ इंसान! छोड़ नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूँगी।
जानते नही हो मैं ब्लैक बेल्ट हूँ… धूल चटा दूँगी तुम्हें।”
ध्रुवंश ने भौंहें उठाईं और होंठों पर तिरछी मुस्कान लाते हुए बोला,
“हूँ… देख रहा हूँ तुम कौन-सी बेल्ट हो।”
उसको अपना मज़ाक उड़ते देख तरान्या के दाँत गुस्से से भींच गए।
“यू बदतमीज़ ! एक बार मेरा हाथ छोड़ दो… फिर बताती हूँ मैं क्या हूँ।”
ध्रुवंश ने जैसे खेल-खेल में कहा,
“लो, इतना कह रही हो तो छोड़ देता हूँ।”
और उसने उसका हाथ छोड़ दिया।
तरान्या ने झटके से अपना हाथ पीछे किया। वो लाल पड़ चुका था उसकी पकड़ से।
गुस्से में उसने उस पर झपटना चाहा पर इस बार भी नाकाम रही।
ध्रुवंश ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और उसे पास की दीवार से टिका दिया।
अब वो बिल्कुल उसके करीब था।
उसकी गहरी आवाज़ फिसलकर गूँजी,
“पहले ही बहुत ग़लतियाँ कर चुकी हो अब और मुसीबत मत बुलाओ, Miss Unknown।”
तरान्या की साँसें उसके नज़दीक आने से अटकने लगीं वो उसे देखे बिना रह नहीं पा रही थी।
और ध्रुवंश की नज़रें भी उसके चेहरे पर घूम रही थीं,
उसकी नीली आँखें, जो गुस्से और डर के बीच चमक रही थीं…
उसकी नाक, जो गुस्से से लाल हो गई थी…
उसके गाल, जिनमें हल्की-सी लाली थी…
और उसके काँपते हुए होंठ, जो बहुत आकर्षक लग रहे थे कि उसकी नज़र भी उसके होठों पर अटक गई ।
वो और झुका। उसके होंठ उसके होंठों के बिल्कुल पास आ गए।
तरान्या अटकते हुए बोली,
“आ…आ… क्या कर रहे हो? दूर हटो।”
ध्रुवंश की आवाज़ में गहरा ठंडा व्यंग्य था,
“हमारी पहली मुलाक़ात याद है? तब तुम बिना मेरे इजाज़त के इतने पास चली आई थी, आज मेरी बारी है हिसाब बराबर करने की।”
तरान्या की आँखें बड़ी हो गई और उसके आँखों के सामने वही पल तैर गया जब वो उसकी बाहों में आ गिरी थी।
और अगले ही पल ध्रुवंश ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
तरान्या की आँखें फैल गईं। उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, पर उसके दोनों हाथ उसके क़ाबू में थे।
वो सिर हिलाकर उससे बचने की कोशिश करती रही, लेकिन ध्रुवंश ने उसके हाथ ऊपर की ओर दबा दिए और एक हाथ से उसकी गर्दन थामकर उसे आपने और पास खींच लिया।
उसके होंठों पर ध्रुवंश का जुनूनी कब्ज़ा था और तरान्या चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।
काफ़ी देर तक उसकी कोशिशें जारी रहीं लेकिन आख़िरकार थककर उसने आँखें बंद कर लीं।
कुछ पलों बाद,
ध्रुवंश ने उसके होठों को अपने होठों से आज़ाद किया।
तरान्या हाँफ रही थी, उसकी साँसें तेज़ और बेकाबू थीं।
वो दीवार से लगी खड़ी थी, आँखें बंद और चेहरा लाल पड़ा हुआ।
ध्रुवंश अब भी उसके बेहद करीब खड़ा था। उसकी साँसें तरान्या के चेहरे को छू रही थीं।
वो धीमे, भारी स्वर में बोला,
“आगे से याद रखना… मेरे साथ उलझने का नतीजा कैसा होता है Miss Unknown।”
उसने उसके गाल को हल्के से थपथपाया और ठंडी मुस्कान के साथ वहाँ से चला गया।
तरान्या वहीं खड़ी रह गई, साँसें भारी, आँखें भीगी और चेहरा लाल अब ये लाली ग़ुस्से की थी या ध्रुवंश की हरकतों की ये तो सिर्फ़ तरान्या ही जानती थी।
कुछ पल बाद उसने गहरी साँस ली, अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खुद को सम्भालने की कोशिश की।
“पागल आदमी! बिल्कुल बदतमीज़… इससे तो दूर ही रहना चाहिए, बेशरम वो गुस्से में तमतमाई हुई थी।”
मन ही मन बड़बड़ाती हुई वो तेज़ क़दमों से पार्टी हॉल की तरफ़ लौट गई।
जैसे ही वो अंदर पहुँची, सावी और अनीश ने तुरंत उसे घेर लिया।
सावी ने चिंता से पूछा,
“कहाँ चली गई थी तू अचानक? इतनी देर कहाँ थी?”
अनीश ने भी कैमरा नीचे किया और शक़ भरी नज़रों से देख कहा,
“चेहरा इतना लाल क्यों है? सब ठीक तो है? हुआ क्या था?”
तरान्या ने गुस्से से दाँत भींचे और झुंझलाते हुए बोली,
“कुछ नहीं! बस… एक बदतमीज़ इंसान टकरा गया था रास्ते में।”
अनीश ने भौंहें चढ़ाईं,
“कौन था?”
तरान्या ने हाथ उठाकर इशारा किया मानो बात वहीं ख़त्म करना चाहती हो,
“छोड़ो ना! कोई अजीब-सा आदमी था… मिल जाएगा तो बताऊँगी। अभी सच में बात मत करो इस बारे में।”
उसकी आँखों में अब भी गुस्से की चिंगारियाँ थीं, साँसें भारी थीं, पर वो कोशिश कर रही थी नॉर्मल दिखने की।
सावी और अनीश ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा, लेकिन तरान्या की जिद देखकर दोनो ही चुप हो गए।
पार्टी हॉल की रौनक अपने चरम पर थी। अचानक रोशनी हल्की-सी मंद हुई और स्पॉटलाइट सीधे मंच पर जा ठहरी।
Mr. Malhotra बड़े आत्मविश्वास और मुस्कान के साथ स्टेज पर आए।
“Ladies and gentlemen,” उनकी गूंजती हुई आवाज़ ने पूरा हॉल खींच लिया,
“आज की इस पार्टी की असली वजह है Malhotra Group का नया प्रोजेक्ट हैं।”
पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
Mr. Malhotra ने हाथ उठाकर सबको शांत किया और आगे बोले,
“यह प्रोजेक्ट हमारे लिए ही नहीं, पूरे बिज़नेस जगत के लिए एक नया अध्याय साबित होगा। हम अपने vision और मेहनत से इसे बुलंदियों तक ले जाएंगे, और वो आगे इस प्रोजेक्ट के बारे में कुछ थोडे बहुत डिटेल देकर अपनी बात ख़त्म करते हैं।”
उनकी बात ख़त्म होते ही भीड़ एक बार फिर तालियों और चीयर्स से गूंज उठी।
तरान्या, सावी और अनीश भी बाकियों की तरह इस ऐलान को कवर कर रहे थे।
Malhotra ने मुस्कुराकर समापन किया,
“अब आप सभी इस जश्न का हिस्सा बनिए, पार्टी का आनंद लीजिए। Thank you.”
पार्टी हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था।
Mr. Malhotra ने मंच से उतरते हुए मुस्कुराकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।
वो अभी दो कदम ही चले थे कि अचानक चारों ओर सन्नाटा छा गया जैसे हवा भी रुक गई हो।
भीड़ अपने आप दो हिस्सों में बंट गई।
VIP सेक्शन से एक शख़्स भारी क़दमों से आगे बढ़ रहा था।
लंबा कद, तेज़ चाल, काली शर्ट पर थ्री-पीस ब्लेज़र और आँखों में ऐसी ठंडक कि देखने वालों की रूह काँप जाए।
वो और कोई नहीं, ध्रुवंश सिंह राठौड़ था।
तरान्या वहीं खड़ी रह गई, उसकी साँसें रुक गईं।
“ये… ये वही है?!”
उसकी आँखों के सामने अभी कुछ देर पहले का कॉरिडोर वाला मंजर घूम गया।
इधर Mr. Malhotra ने झूठी मुस्कान ओढ़कर कहा,
“Mr. Rathore… welcome.”
ध्रुवंश उनकी ओर बढ़ा और कुछ सेकंड तक खामोश खड़ा रहा। उसकी आँखें सीधे Mr. Malhotra की आँखों में धँसी हुई थीं।
फिर उसने धीमे मगर ठंडे स्वर में कहा,
“Congratulations… आपके इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए।”
Malhotra ने राहत की सांस ली ही थी कि अचानक ध्रुवंश और करीब आया।
उसने हल्की झुककर उनके कान के पास फुसफुसाया,
“लेकिन… याद रखिएगा मिस्टर मल्होत्रा, जितनी ऊँचाई पर चढ़ोगे गिरने का दर्द उतना ही ज़्यादा होगा। देखते हैं कितने दिन ये प्रोजेक्ट आपके नाम पर टिक पाता है।”
उसकी आवाज़ धीमी थी लेकिन इतनी धारदार… कि Mr. Malhotra का चेहरा उतर गया और उनके चेहरे पर डर उतर आया था।
ध्रुवंश ने सीधा होकर चारों ओर नज़र दौड़ाई।
उसकी निगाहें इतनी ठंडी और दबंग थीं कि हॉल में सैकड़ों लोग होने के बावजूद किसी की हिम्मत नहीं हुई कि आँख मिलाए।
फिर उसने हल्की-सी मुस्कान दी, लेकिन वो मुस्कान बर्फ़ जैसी ठंडी और चुनौती भरी थी।
उसने आख़िरी बार Mr. Malhotra की ओर देखते हुए कहा,
“Game शुरू हो चुका है, Mr. Malhotra. अब देखना ये है किसका नाम आख़िरी तक बचा रहता है।”
इतना कहकर वो शेर की तरह सीधा आगे बढ़ने लागा।
भीड़ अब भी सन्नाटे में थी।
तरान्या वहीं जमी रह गई, उसके हाथ अनजाने में काँप रहे थे। वो अपने मन में बोली,
“हे भगवान… क्या ये ध्रुवंश सिंह राठौड़ हैं ये बदतमीज़ आदमी नहीं ऐसा नहीं हो सकता।”
तभी धुवंश तरान्या ने पास से गुजरते हुए उसे देख शैतानी मुस्कान दी उसकी मुस्कान देख तरान्या का चेहरे उतर गया था"।
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कहानी कैसी लग रही है कमेंट करके जरूर से बताएं।
अब आगे,
ध्रुवंश के जाते ही पार्टी का माहौल तो फिर से पहले जैसा हो गया, लेकिन दो चेहरों का रंग पूरी तरह उतर चुका था।
पहले मिस्टर मल्होत्रा और दूसरी तरान्या जिसने अब तक ध्रुवंश का इंटरव्यू लेने के लिए कितनी मशक्कत कर ली थी और जब उसे पता चला कि वही आदमी जिसे वो हर बार बदतमीज़, घमंडी और न जाने क्या-क्या समझती आई थी… वही असल में ध्रुवंश सिंह राठौड़ है, उसका दिल बैठ गया।
उसका रोने का मन कर आया।
वो पास की एक कुर्सी पर अपना सिर पकड़के बैठ गई और धीरे से बुदबुदाई, “हो गया इंटरव्यू… अब तो लुट गई मेरी नौकरी।”
कहते ही उसके गले से सिसकी निकल गई और आँसू गालों पर लुढ़क आए।
सावी और अनीश, जो पास खड़े थे, उसे इस हालत में देख घबरा गए।
सावी फौरन झुककर बोली, “क्या हुआ तुझे? क्यों रो रही है?”
अनीश ने भी हैरानी से कहा, “अरे, हुआ क्या है? इतनी परेशान क्यों हो?”
तरान्या रोते हुए दोनों की तरफ देखी और फिर फूट पड़ी,
“मेरे साथ ही क्यों होता है? मेरी ही लाइफ़ में एक के बाद एक प्रॉब्लम क्यों आती हैं? एक से निकलूँ भी नहीं कि भगवान दूसरी मेरी तरफ फेंककर मार देते हैं।”
उसकी रुलाई थमने का नाम ही नहीं ले रही थी।
फिर सिसकियों के बीच बोली, “बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल्स में तो रोज़ के कस्टमर्स को डिस्काउंट दे देते हैं… लेकिन भगवान जी तो मुझे वो भी नहीं दे रहे।”
ये कहकर फिर से आँसू बहाने लगी।
सावी ने उसका चेहरा देखा, और उसकी बातें सुनकर माथा पकड़ लिया।
“अरे ये डिस्काउंट-शॉपिंग क्या बक रही है? ठीक से बता तो।”
उधर अनीश ने देखा कि आसपास खड़े लोग तरान्या को घूर रहे थे।
उसने झट उसके हाथ पकड़कर उठाया और सावी से कहा,
“इसको वॉशरूम ले जाओ। सब लोग इसी को देख रहे हैं… नहीं तो पूरी पार्टी में इसका तमाशा बन जायेंगा।”
सावी ने भी ये नोटिस किया और सिर हिलाते हुए तरान्या को अपने साथ वॉशरूम की ओर ले गई।
इधर मिस्टर मल्होत्रा एक कमरे में किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे। उनके चेहरे पर साफ़-साफ़ झलक रहा था हताशा, तनाव और गुस्सा।
“वो ध्रुवंश सिंह राठौड़ मुझे धमकी देकर गया है… और तुम बोल रहे हो कि मैं परेशान ना होऊँ?” उनकी आवाज़ ग़ुस्से से काँप रही थी।
फ़ोन के दूसरी ओर से कुछ कहा गया, जिस पर उनका ग़ुस्सा और भड़क गया।
“मेरी बात याद रखना! अगर मैं बरबाद हुआ… तो तुम्हें भी साथ डुबो दूँगा।”
इतना कहकर उन्होंने गुस्से में कॉल काट दिया।
कुछ गहरी साँसें लेकर खुद को सँभाला और हल्की-सी मुस्कान ओढ़कर वापस हॉल की ओर बढ़ गए।
पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी लोग हँस रहे थे, बातें कर रहे थे, और म्यूज़िक की धुन पर झूम रहे थे।
उधर मीडिया वालों का भी पैक-अप का समय आ गया था, रिपोर्टर्स और कैमरा-टीम अपना सामान समेटने लगे।
अचानक पूरा हॉल अंधेरे में डूब गया, लाइट्स एक झटके से चली गईं हॉल में हलचल मच गई। लोग इधर-उधर देखने लगे, कुछ ने चौंककर कहा,
“इतनी बड़ी पार्टी में लाइट कैसे जा सकती है?”
तरान्या ने भी अंधेरे में चारों तरफ़ देखते हुए सावी से कहा,
“ये क्या हुआ? इतनी बड़ी पार्टी में… लाइट चली गई?”
भीड़ में बेचैनी बढ़ने लगी थी।
तभी अचानक स्टेज पर लगी विशाल स्क्रीन अपने आप जल उठी।
सभी नज़रें वहीं टिक गईं और फिर स्क्रीन पर एक-एक कर तस्वीरें और वीडियो चलने लगे…
तस्वीरें मल्होत्रा इंडस्ट्रीज से जुड़ी हुईं, वीडियो खुद मिस्टर अखिल मल्होत्रा से संबंधित।
पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया।
हर कोई अपनी साँसें रोके उस स्क्रीन की तरफ़ देख रहा था…
हॉल अभी भी अंधेरे में डूबा था।
बस स्टेज पर लगी उस विशाल स्क्रीन की रोशनी पूरे माहौल को रहस्यमयी बना रही थी।
सबसे पहले स्क्रीन पर मल्होत्रा इंडस्ट्रीज का लोगो को चमका देने की एक-एक करके तस्वीरें आने लगीं।
पहले स्लाइड पर कागज़ात की कॉपीज़।
कॉन्ट्रैक्ट्स और डील्स, जिन पर साफ लिखा था—फ़र्ज़ी सिग्नेचर, फर्जी पेपर्स।
लोगों में खुसर-पुसर शुरू हो गई।
अगले ही पल स्क्रीन पर वीडियो चला, किसी मीटिंग रूम का फुटेज।
जहाँ मिस्टर मल्होत्रा अपने मैनेजर्स से कह रहे थे, “डुप्लीकेट मैटेरियल यूज़ करो… क्लाइंट्स को पता भी नहीं चलेगा। असली का दाम मिलेगा, नकली से मुनाफ़ा।”
हॉल में एक साथ हॉरर और हैरानी की आवाज़ गूँजी। कुछ ही देर में हॉल की लाइट जल उठी,
मीडिया वाले तुरंत चौकन्ने हो गए उन लोगो ने अपना कैमरे ऑन कर दिए गए, रिकॉर्डिंग शुरू हो गई।
एक रिपोर्टर धीरे से फुसफुसाया,
“ये तो बड़ा घोटाला लग रहा है…!”
स्क्रीन पर अगला सबूत चला।
एक अकाउंट स्टेटमेंट, जहाँ करोड़ों का पैसा किसी ऑफ़शोर अकाउंट में ट्रांसफर होता दिख रहा था।
नीचे साफ लिखा था—Beneficiary: Malhotra.
भीड़ में ग़ुस्से और हैरानी की लहर दौड़ गई तरान्या ने भी सावी का हाथ कसकर पकड़ लिया। उसकी आँखें चौड़ी हो गई थीं,
“ये… ये सब तो सीधा-सीधा धोखाधड़ी है!” बोल वो भी सावी को खींच कर भिड़के पास जा अपना माइक निकल सवाल पूछना शुरू कर दिया,
मीडिया अब सवालों की बौछार करने को तैयार था कई कैमरे सीधे मिस्टर मल्होत्रा की ओर घूम गए।
ईधर मिस्टर मल्होत्रा… उनके चेहरे का तो पुरा रंग उड़ चुका था।
पहले उन्होंने खुद को संभालने की कोशिश की हल्की मुस्कान ओढ़ते हुए कहा, "ये सब झूठ हैं कोई मुझे फ़साने की कोशिश कर रहा हूँ मैंने कोई....,
लेकिन जैसे-जैसे नए सबूत आते गए, उनके माथे पर पसीना छलकने लगा।
अब स्क्रीन पर मज़दूरों की तस्वीरें आने लगीं,जो मल्होत्रा इंडस्ट्रीज के नाम पर बिना सुरक्षा, बिना सुविधा, नारकीय हालात में काम कर रहे थे, कितने की तो हालत ख़राब थी कोई वहा काम करे की वजह से बहुत बुरी तरह ज़ख्मी हुई थे वो भी अपनी हालत पर रो रहे थे।
उनमें से कुछ कैमरे पर रोते हुए कह रहे थे,“हमारी मज़दूरी रोक ली… महीनों से पैसे नहीं दिए…”
हॉल में सन्नाटा गाढ़ा हो गया लोगों की नज़रें अब मिस्टर मल्होत्रा पर टिकी थीं।
कहीं से आवाज़ आई, “ये है तुम्हारा सच?”
मिस्टर मल्होत्रा की साँसें तेज़ हो चुकी थीं उन्होंने घबराकर सिक्योरिटी की तरफ इशारा किया, “बंद करो ये सब! तुरंत बंद करो!”
लेकिन तब तक मीडिया वाले हंगामा मचा चुके थे।
फ्लैशेस, कैमरे, सवाल हर तरफ शोर गूँजने लगा।
“मिस्टर मल्होत्रा, ये सबूत क्या कह रहे हैं?”
“क्या आपने जनता को धोखा दिया है?”
“क्या ये सच है कि आपने अरबों का घोटाला किया है?”
क्या आपने अपने कर्मचारियों की सैलरी रोक दी ?" एक के बाद एक सवालो की झड़ी उन पर लग चुकी थी।
मल्होत्रा इंडस्ट्रीज का नाम जो अभी तक शान से लिया जाता था अब पूरे हॉल में घोटाले के नाम से गूँज रहा था।
मिस्टर मल्होत्रा वहीं खड़े रहे पसीने में भीगे, आँखों में डर और चेहरा पूरी तरह सफ़ेद, पसीना साफ़ दिख रहा था। वो इधर-उधर देखकर जल्दी से हॉल से बाहर निकल गए।
रात भर यही खबर टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर चलती रही “मल्होत्रा इंडस्ट्रीज का बड़ा फ्राॅड उजागर”। लोगों ने तरह-तरह की बातें करनी शुरू कर दीं हर बड़े से छोटे न्यूज़ चैनल पर बस मिस्टर मल्होत्रा की धोखेबाज़ी की कहानी चल रही थी।
सुबह होते-होते कंपनी के शेयर धड़ाम से नीचे गिर गए। बड़े-बड़े निवेशकों ने अपना पैसा निकाल लिया, जिस प्रोजेक्ट को मिलाने की ख़ुशी में पार्टी रखी थी वह प्रोजेक्ट भी उनके हाथ से चली गई। बैंक और सप्लायर ने भी हाथ पीछे खींच लिए।
न्यूज़ पर सिर्फ मल्होत्रा इंडस्ट्रीज की बर्बादी की चर्चा थी। हर जगह यही हेडलाइन चमक रही थी।
दिन चढ़ते ही इनकम टैक्स का छापा पड़ गया और कंपनी का पूरा मार्केट बैठ गया।
वो शान-शौकत वाली मल्होत्रा इंडस्ट्रीज अब एकदम बर्बादी के कगार पर पहुँच चुकी थी। सभी रिपोर्टर मिस्टर मल्होत्रा को कैप्चर करने के लिए उनके घर और मल्होत्रा इंडस्ट्रीज के बाहर खड़े उनका इंतजार कर रहे थे, पर उनका कोई अता पता नहीं चल रहा था।
वही राठौर इंडस्ट्रीज के बहार,
तरान्या राठौड़ इंडस्ट्रीज के बाहर खड़ी ध्रुवंश का इंतजार कर रही थी, वो अंदर गई थी पर जब रिसेप्शनिस्ट को पता चला वो रिपोर्टर है तो उसे बाहर निकाल दिया गया।
वो गुस्से में इधर से उधर घुमते हुए बार बार राठौड़ इंडस्ट्रीज की तरफ देख रही थी वो खुद में बड़बड़ाई, "इस ध्रुवंश सिंह राठौड़ ने मेरा दिमाग खराब कर दिया है पता होता ये बदतमीज आदमी ही ध्रुवंश सिंह राठौड़ हैं तो कभी भी इसके इंटरव्यू के लिए हाँ नहीं बोलती"।
"मेरे जीवन में एक शैतान कम था जो भगवान जी आपने दूसरा भी भेज दिया, क्या करु कैसे लू इसका इंटरव्यू ?, ऊपर से उस सुमित कमीने ने अगल ही नाक में दम कर रखा है" "आआह" वो गुस्से से अपना बाल खींचते हुए चिल्लाई।
की आसपास के लोग उसे अजीब नज़रों से देखने लगे उसने लोगो की अजीब नज़र खुद पर महसुस कर नकली हंसी हंसी और वहां से आगे को भाग गई ।
वो कुछ सोच पार्किंग स्थल में आ गई तभी उसको एक आवाज सुनाई पड़ी,"जी सर मैं कार लेकर बाहर आ रहा हूँ हाँ बॉस के आने से पहले पहुंच जाऊंगा"।
अचानक तरान्या की आँखें उसकी बात सुन चमक उठी, और वो टेडी मुस्कान के साथ बोली, "हो गया जुगाड़ तुमसे मिलने का ध्रुवंश सिंह राठौड़"।
To be continue ✍️
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अब आगे,
ध्रुवंश की कार BMW XM सड़क पर तेज़ रफ्तार से चल रही थी। पीछे की सीट पर ध्रुवंश सिर टिका कर आँखें बंद किए बैठा हुआ था और कार का मोहोल शांत और गंभीर था ।
वही डिग्गी के अँधेर में तरान्या खुद को सिकोड़ कर बैठी थी। वह गुस्से में बुदबुदा रही थी, “इस बदतमीज आदमी के चलते मुझे आज क्या से क्या करना पड़ रहा है आज तो मुझे सामान बनाकर डिग्गी में भी बैठना पड़ गया क्या से क्या दिन आ गये हैं मेरे”, “अरे बददिमाग बदतमीज आदमी अगर इतना कुछ करने के बाद भी तुमने इंटरव्यू देने से मना किया ना तो मैं तुम्हारा इस बार सच में सर फोड दूंगी”। बोल वह गहरी-गहरी साँसें ले रही थी।
करीब 30 मिनट के बाद कार एक जोरदार झटके से रुकी। उस झटके से डिग्गी में बैठी तरान्या को चोट लग गई। उसने दर्द से आँखें बंद कर लीं और मुँह पर हाथ रख लिया ताकि उसकी आवाज़ बाहर न जाए।
कार जंगल जैसे इलाके वाले बड़े घर के पास रुक गई। ड्राइवर उतरकर जल्दी से धुवंश के लिए दरवाजा खोला और ध्रुवंश कार से बाहर आ सीधे घर के अंदर चला गया।
तरान्या ने करीब पाँच मिनट इंतजार किया। फिर धीरे-धीरे डिग्गी खोली और बाहर निकल आई। उसने सावधानी से आपने कदम आगे को बढाये और चारों तरफ अच्छी तरह देखा। फिर वह घर के अंदर जाने की सोचते हुए धीरे-धीरे चुपके से आगे बढ़ी।
उसने एक खुली खिड़की देखी। उसने उसे हल्का सा धक्का दिया खिड़की खुल गई। उसकी आँखों में बड़ी-सी मुस्कान छा गई। वह खुशी से बोली, "क्या बात है भगवान जी आज तो आप बड़ा मेहरबान हो रहे हो, कोई ना ऐसे ही मेहरबान हो जाया करो"।
खिड़की से कूदकर वह एक कॉरिडोर में आ पहुंची। वो जल्दी से पास के पिलर के पीछे छिप गई और चारों तरफ निगाहें घुमा-घुमा कर देखने लगी। फिर धीरे-धीरे अंदर बढ़ते हुए ध्रुवंश को ढूँढने लगी कुछ दुर आगे आने के बाद वो खुद में बड़बड़ाई, “अंदर तो आ गई अब ये मिस्टर बदतमीज़ को कहां से ढूंढ”।
वही दूसरी तरफ एक बड़े से कमरे में,
ध्रुवंश सोफ़े पर बैठा था एक हाथ में बंदूक पकड़े और दूसरे हाथ से आपने गर्दन के पीछे सहला रहा था, शायद वह गुस्सा काबू में रखने की कोशिश कर रहा था।
फर्श पर मिस्टर अखिल मल्होत्रा ज़ख्मी हालत में पड़े थे वे दर्द से कराह रहे थे। ध्रुवंश ने गुस्से में अपने हाथ में पकड़ी बंदूक को चला दिया गोली मिस्टर मल्होत्रा के पैरों पर जा लगी । गोली लगते ही मिस्टर मल्होत्रा दर्द से चीख पड़े।
वही गोली की आवाज़ सुनकर तरान्या, जो दूसरी मंज़िल पर पहुंची थी, पहले डर गई पर फिर हिम्मत करके आवाज़ की दिशा की ओर बढ़ने लगी।
ध्रुवंश गुस्से से मल्होत्रा के पास आकर पैरों के बल बैठ गया और बोला, “तेरी हिम्मत कैसी हुई मेरे साथ चालबाजी करने की तुझे क्या लगा था मुझे पता नहीं चलेगा तेरे करतूतो के बारे में मेरे ही कंपनी के कर्मचारी को ख़रीद मुझे धोखा देगा”, “पर तु भूल गया था कि तू किसे उलझ रहा है”।
"ध्रुवंश सिंह राठौर एक ऐसी आग है जो लोगो को जला कर राख कर देता है और तूने इस आग को छेड़ा नहीं हैं बाल्की भड़कया है तो अब तू भी इस आग में जल कर भस्म होगा पुरी तरह”।
ध्रुवंश के इतना कहते ही कमरे में खामोशी छा गई। मल्होत्रा की साँसें तेज़ थीं चेहरा डर की वजह से सफ़ेद पड़ गया।
तरान्या जो कुछ मिनट पहले ही वहाँ पहुँची थी वो ध्रुवंश की इतनी ख़तरनाक आवाज़ सुनकर स्तब्ध रह गई, उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो उठीं, चेहरे पर मल्होत्रा की हालत देख डर उभर आया आँखें नम हो गईं और वो डर से काँपने लगी।
अचानक ध्रुवंश ने एक झटके में बंदूक की सारी गोलियाँ मिस्टर मल्होत्रा पर उतार दीं। गोलियों की बौछार और मल्होत्रा की दर्दभरी चीख सुन तरान्या के मुँह से भी ज़ोर की चीख निकल गई।
अचानक एक लड़की की आवाज़ गूँजी तो सबकी नज़र दरवाज़े की ओर गई। वहाँ तरान्या खड़ी थी अपने दोनों कानों पर हाथ रखे, आँखों से आँसू बहते हुए।
ध्रुवंश ने उसे देखा, पहले तो चौंका, फिर गुस्से से दहाड़ा,
“मिस अननोन?”
तरान्या अब भी हैरान और डरी खड़ी थी। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। लेकिन ध्रुवंश की खतरनाक आवाज़ सुनकर होश में आई और पीछे हटते हुए भागने लगी।
ध्रुवंश ने आँखें गुस्से में कसकर बंद कीं और फिर झटके से खोलते हुए अपने आदमियों पर चिल्लाया,
“खड़े क्या हो? पकड़ो उस लड़की को! इस घर से बाहर नहीं निकलनी चाहिए।”
इतना सुनते ही उसके आदमी तरान्या के पीछे भागे। वह डर से बेतहाशा दौड़ रही थी, पर समझ नहीं पा रही थी कि किस तरफ भाग रही है। कुछ ही देर में ध्रुवंश के आदमियों ने उसे पकड़ लिया।
तरान्या छूटने की कोशिश करती रही, पर उसकी कोशिशें नाकाम रहीं। आखिरकार दो आदमियों ने उसे एक कमरे में धकेलकर बंद कर दिया।
वह कमरा वह नहीं था, जहाँ ध्रुवंश ने मल्होत्रा को मारा था, बल्कि घर का कोई दूसरा कमरा था।
कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद होते ही अंदर सन्नाटा छा गया।
तरान्या ने तुरंत हैंडल पकड़ा और ज़ोर से खींचा, धक्का दिया, पर दरवाज़ा बहार से बंद हो चुका था। वो चिल्लाई, "खोल मुझे जाने दो प्लीज़ मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी प्लीज मुझे जाने दो" वो बार-बार दरवाजा पिट रही थी पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
उसकी साँसें तेज़ हो चुकी थी उसने कमरे में इधर-उधर नज़र दौड़ाई। हल्की-सी पीली रोशनी जल रही थी। लकड़ी की अलमारी, खिड़की पर मोटे परदे और कोने में रखी कुर्सियाँ… सब कुछ डरावना लग रहा था।
वो धीरे-धीरे पीछे हटती हुई कमरे के बीच खड़ी हो गई और खुद से बड़बड़ाई,
“हे भगवान… ये मैं कहाँ फँस गई… ये आदमी तो सच में खतरनाक है… और मैंने इसे दिन-रात बदतमीज़ बोल-बोलकर सर खा लिया। अगर इसे पता चल गया कि मैं कौन हूँ… तो मेरा क्या होगा?”
उसकी आँखों में आँसू भर आए। उसने अपने हाथ काँपते हुए चेहरें पर रख लिए। दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था जैसे कभी भी बाहर निकल आएगा।
कुछ सेकंड बाद उसे बाहर से किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। तरान्या ने तुरंत परदे के पीछे जाकर खुद को छिपा लिया।
दरवाज़ा धीरे से खुला… और बाहर की हल्की रोशनी कमरे में फैली। भारी कदमों की आवाज़ भीतर आई।
“कोई फ़ायदा नहीं है, मैं देख सकता हूँ… तुम कहाँ छिपी हो,” ध्रुवंश की ठंडी और भारी आवाज़ गूँजी।
तरान्या के हाथ परदे को और कसकर पकड़ गए। उसकी साँसें थम सी गईं।
ध्रुवंश ने धीरे-धीरे चारों तरफ नज़र दौड़ाई। उसकी आँखों में गुस्सा भी था और एक अजीब-सी चमक भी। वह कुछ कदम और अंदर आया और सीधा परदे के सामने जाकर रुक गया।
“निकालो उसे…” ध्रुवंश ने आदेश दीया।
और अगले ही पल उसके दो आदमी अंदर घुसे और परदा खींचकर तरान्या को बाहर घसीट लाए।
तरान्या की आँखें डर से फैल गईं। वो काँपते हुए बोली,
“प- प्लीज़… मुझे जाने दो… मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी…”
ध्रुवंश ने उसकी ओर घूरते हुए धीरे से कहा,
“ऐसे कैसे अब तो तुम बहुत कुछ देख चुकी हो… मिस अननोन।”
उसकी आवाज़ में ऐसी ठंडक थी कि तरान्या का खून जैसे जम गया।
तरान्या काँपते हुए ध्रुवंश के सामने खड़ी थी। उसके चेहरे पर आँसू थे, होंठ सूखे हुए और आँखों में डर साफ़ झलक रहा था।
ध्रुवंश ने अपनी बंदूक मेज़ पर रखी और धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ा। हर कदम की आवाज़ तरान्या के दिल पर हथौड़े की तरह पड़ रही थी।
वो बुदबुदाई, “प्लीज़… प्लीज़ मुझे जाने दो… मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।”
ध्रुवंश उसके बेहद क़रीब आकर रुका। उसकी ठंडी हरी नीली आँखें सीधे तरान्या की नीली आँखों में जमीं थीं। वो झुकी हुई काँपती आवाज़ में बोल रही थी, पर ध्रुवंश का चेहरा बिल्कुल सख़्त था।
उसने धीमी लेकिन खतरनाक आवाज़ में कहा,
“तुम्हें लगता है… मैं इतना बेवक़ूफ़ हूँ कि तुम्हें यूँ ही जाने दूँ? तुमने सब देखा है, सब सुना है… और अब तुम्हारी ज़ुबान बंद रहेगी या नहीं, ये फ़ैसला मैं करूँगा।”
तरान्या का गला सूख गया। उसने हिम्मत जुटाकर थोड़ा पीछे हटने की कोशिश की, पर ध्रुवंश ने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी पकड़ मज़बूत थी।
तरान्या चीख पड़ी, “छोड़ो मुझे… तुम खुनी हो…!”
ध्रुवंश उसकी आँखों में देखते हुए हल्की-सी मुस्कान के साथ बोला,
“खुनी ? सही कहा। लेकिन याद रखो… ये खुनी अगर चाहे, तो एक सेकंड में तुम्हारी साँसें रोक सकता है।”
तरान्या की आँखों से आँसू बह निकले। वो रोते-रोते बोली,
“मैंने सच में कुछ नहीं देखा… मैं बस यहाँ गलती से आ गई थी…”
ध्रुवंश ने उसके चेहरे की ओर झुकते हुए बहुत धीमी आवाज़ में कहा,
“झूठ बोलने की आदत मत डालो मिस अननोन… तुम्हारी आँखें साफ़ कह रही हैं कि तुमने सब देखा है। और अब… तुम मेरी नज़रों से बचकर नही निकल सकती।”
कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया। कमरे में बस तरान्या की धड़कनों और उसके काँपते हुए साँसों की आवाज़ थी।
फिर ध्रुवंश ने उसका हाथ छोड़ा और अपनी गर्दन को टेड़ा कर उसने अपनी आँखें उसकी ओर गड़ाए हुए कहा, “अब तुम मेरी कैदी हो… जब तक मैं चाहूँ। और
फिर उसका चेहरा अपने एक हाथ से पकड़ अपनी तरफ कर बोला, "हाँ, यहाँ से बहार निकलने का सपना भी मत देखना।” बोल एक झटके से उसके चेहरे को छोड़ दिया और वहां से बाहर निकल गया।
तरान्या वहीं खड़ी अपनी जगह पर झट से बैठ गई, वो पूरी तरह से टूट चुकी थी और डर से सिहरती हुई अपने आशू बहती रही।
To be continue ✍️
कहानी कैसी लग रही है कमेंट करके जरूर से बताएं।
अब आगे,
ध्रुवंश कमरे से जा चुका था और तरान्या अब भी उसी कमरे में कैद थी। उसके आँसू थम चुके थे, लेकिन उसकी आँखों में डर साफ़ झलक रहा था। वो अभी भी सदमे में थी आखिर उसने अपनी आँखों के सामने किसी को गोली खाते और मरते देखा था। यह पहली बार था जब उसकी आँखों के सामने को ऐसे मारा था।
वो एक कोने में बैठी रही, घुटनों को सीने से लगाकर। साँसें कभी तेज़, कभी धीमी हो रही थीं। कई बार उसने दरवाज़े की ओर देखा, पर बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं था।
उधर उसी घर के सबसे बड़े और आलीशान कमरे में,
ध्रुवंश अपने सोफ़े पर फैला हुआ बैठा था, बिल्कुल राजा की तरह।
कमरे का इंटीरियर काला और ग्रे थीम में था। दीवारों पर बड़े-बड़े abstract पेंटिंग लगी थीं, जिनका रंग भी काले और सफ़ेद शेड्स में था। हर चीज़ royal और unique थी, महंगे शोपीस, क्रिस्टल के लैंप, और एक विशाल बुकशेल्फ़ जिसमें leather bound किताबें करीने से रखी थीं।
एक कोने में बार काउंटर था, जहाँ golden और silver bottles सजी थीं। कमरे में हल्की, तीखी परफ्यूम जैसी खुशबू फैली हुई थी।
ध्रुवंश की personality की तरह यह कमरा भी खामोश, खतरनाक और शाही आभा से भरा था।
वो अपनी बंदूक को टेबल पर रखकर पीछे टिक गया। उसकी आँखें गहरी सोच में डूबी थीं, लेकिन चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी। मानो उसने मल्होत्रा को ख़त्म करके अपना बदला पूरा कर लिया हो, और अब उसके मन में अगला कदम सोचने की शांति आ गई हो।
ध्रुवांश अपनी आँखें बंद किए किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था। तभी अचानक उसके ज़ेहन में तरान्या का वो रोता हुआ चेहरा उभर आया। उसने झट से आँखें खोलीं और छत की ओर देखने लगा।
उसके मन में ख्याल आया,
"अब तक जब-जब भी मैं इस लड़की से मिला, ये हमेशा मज़बूत, निडर और तेज़-तर्रार ही दिखी। लेकिन आज… आज मैंने इसे रोते, काँपते और डरते देखा। और ऐसा होना भी जायज़ था। आखिर किसी भी आम इंसान के सामने अगर खून हो जाए, तो उसका यूँ डरना-घबराना और टूट जाना लाज़मी है।"
ध्रुवांश बुदबुदाया,
"मिस अननोन… तुम यहाँ आई ही क्यों थी? क्या करने?"
वो अपने ही सवालों में उलझा था कि तभी दरवाज़े पर हल्की-सी दस्तक हुई।
"अंदर आओ।" ध्रुवांश ने बिना देखे ठंडे लहज़े में कहा।
दरवाज़ा खुला और भीतर आया विहान राजपूत उसका सेक्रेटरी, पर कम पीए ज़्यादा।
विहान ने सामने खड़े होकर कहा,
"बॉस, माल्होत्रा पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। उसने जो जानकारी हमें दी थी, उसके हिसाब से तो इसमें व.."
लेकिन उससे पहले ही ध्रुवांश ने उसकी बात बीच में काट दिया,
"अभी उस पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं। वैसे भी उसे सामने से वार करने की आदत नहीं, हमेशा परदे के पीछे छिपकर वार करता है। करने दो… देखते हैं कब तक ऐसे ही कुदरता रहता है।"
विहान ने सिर झुका कर कहा, "ठीक है बॉस।"
वो जाने ही वाला था कि पीछे से ध्रुवांश की आवाज़ ने उसे रोक दिया,
"आज जो लड़की यहाँ आई थी… उसकी पूरी जानकारी चाहिए मुझे। नाम, काम, बैकग्राउंड, सब।"
विहान ने गंभीरता से सिर हिलाया, "ओके बॉस।"
और फिर बाहर निकल गया।
बाहर जाते हुए उसके चेहरे पर भी सवाल थे,
"ये लड़की है कौन? अचानक यहाँ कैसे आ गई? और सबसे बड़ी बात… उसने अपनी आँखों से सब कुछ देख लिया है, अब बॉस उसके साथ क्या करने वाले हैं?"
सोचता हुआ वो तुरंत अपने काम पर लग गया।
उधर, कमरे में तरान्या अब भी बंद थी। कुछ देर पहले वो रो रही थी, लेकिन अब वो इधर-उधर चक्कर काट रही थी। उसकी आदत थी बात-बात पर बड़बड़ाने की और वो अभी भी बड़बड़ा रही थी,
"इस ध्रुवांश सिंह राठौर ने मेरी ज़िंदगी में तूफ़ान मचा दिया है। मैं आई थी एक इंटरव्यू के लिए… और यहाँ तो खुद का इंटरव्यू देने की नौबत आ गई।"
उसके सामने फिर से वही खौफ़नाक मंजर घूम गया, जब ध्रुवांश ने बेरहमी से गोली चलाई थी। उसने झट से आँखें बंद कर लीं और सिर झटक दिया, जैसे उस ख्याल को अपने दिल-दिमाग से उखाड़ फेंकना चाहती हो।
कुछ देर बाद वो खुद से बुदबुदाई,
"मुझे कैसे भी करके यहाँ से निकलना होगा। वरना ये खून-ख़राबा करने वाला कहीं मेरा भी खून न कर दे। पुलिस को बताना होगा… वही मेरी मदद कर सक...।"
फिर अपनी बात रोक खुद ही सोच पर कड़वी हँसी हँसी,
"मैं भी क्या सोच रही हूँ… पुलिस? जो बड़े नाम सुनते ही मुँह बंद कर लेती है, हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाती है। और ये ये तो फिर भी ध्रुवांश सिंह राठौर है, इसके खिलाफ़ तो कोई कुछ करने वाला ही नहीं।"
कहकर वो माथा पकड़कर बैठ गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि करे तो क्या करे।
30 मिनट बाद,
विहान फिर से ध्रुवांश के सामने खड़ा था उसके हाथ में एक फाइल थी और चेहरा गंभीर।
"बॉस…" उसने धीरे से कहा। फिर विहान ने फाइल पकड़ाते हुए आगे कहा,
"लड़की का नाम तरान्या सिन्हा है। उम्र 23 साल। मिडिल क्लास फैमिली से है। वेव मीडिया में काम करती है एक न्यूज़ चैनल में बतौर रिपोर्टर, लेकिन अभी तक पर्मानेंट नहीं हुई हैं।"
ध्रुवांश ने बिना हाव-भाव बदले फाइल थामी। उसकी आँखें कुछ देर तक उन पन्नों पर टिकी रहीं, फिर उसने फाइल टेबल पर पटक दी।
उसके लहज़े में ठंडापन था,
"तो ये कोई खास नहीं है… बस एक मामूली लड़की हैं?"
विहान शांत भाव से बोला, "जी सर जानकारी के हिसाब से तो यही लगता है।"
ध्रुवंश ने अपनी नज़र उसपर कर आगे कहा, "तो फिर वो अचानक से यहाँ कैसे आ गई उसे कैसे पता कि मैंने मल्होत्रा को यहां रखा है"।
विहान ने हल्की झिझक के साथ कहा, ''बॉस मुझे लगता है वो मल्होत्रा के लिए नहीं बल्कि आप के लिए यहां आई थी,
ध्रुवंश की भौंह आपस घर में सिकुडे तो वही विहान अपनी बात को जारी रखते हुए आगे बोला, "वो आपका इंटरव्यू चाहती थी और उसके लिए वो राठौड़ इंडस्ट्रीज भी आई थी और मुझसे कहा कि आपका इंटरव्यू चाहिए पर मैंने मना कर दिया कि आप कोई भी इंटरव्यू नहीं करना चाहते हैं, मुझे लगता है वो आज भी इसके लिए ही यहाँ तक आ गयी होगी"।
ध्रुवंश ने कुछ सोचते हुए कहा, "सिर्फ एक इंटरव्यू के लिए इतना बड़ा जोखिम"।
विहान ने उसकी बात पर आगे कहा, "बॉस वो बोल रही थी कि आप का इंटरव्यू उसके लिए बहुत ज़रूरी है नहीं तो वो अपनी जॉब खो देगी"।
विहान ने उसे जितना भी तरान्या के बारे में पता था उसने सब ध्रुवंश को बता दिया,
ध्रुवंश ने ये सुन evil smile दी और बोला, "जॉब दिलचस्प"।
विहान ने हल्की झिझक के साथ पुछा, "लेकिन बॉस… इसने सब कुछ अपनी आँखों से देखा है। तो क्या इसे.."
ध्रुवंश ने सोफे से पीछे टिकते हुए ठंडी मुस्कान दी,
"अगर ये मेरी ज़िंदगी में गलती से आई है… तो इसे पता होना चाहिए कि यहाँ गलतियाँ महँगी पड़ती हैं।"
उसकी आँखों में पलभर को अजीब-सी चमक आई।
"फिलहाल के लिये इसे चुपचाप यहीं रहने दो। देखते हैं…ये क्या करती है।"
विहान ने सिर झुका कर "यस बॉस" कहा और बाहर निकल गया।
कमरे में अब सन्नाटा था। ध्रुवंश की उंगलियाँ टेबल पर लय में बज रही थीं जैसे वो किसी गहरे खेल की बिसात बिछा रहा हो।
उसकी अपनी ठंडी आवाज में खुद से कहा, "तुम सच में गलती से मेरी जिंदगी मैं आई हो ये किसी ने तुम्हें मेरी जिंदगी में भेजा है "मिस अननोन" उफ़्फ़ "तरान्या सिन्हा"?
तो वही वेव मिडिया के ऑफिस में,
सावी और अनीश बार-बार तरान्या को कॉल कर रहे थे पर उसका फोन लग ही नहीं रहा था सुबह से शाम से रात होने को आई थी पर तरान्या का कुछ भी पता नहीं था, की वो कहा पर है, कैसी हैं, और ना ही वो उनको कुछ बता कर गई थी जिसे दोनों कुछ पता लगा सके।
सावी टेंशन में बोली, "ये लड़की कहां चली गई है और फ़ोन क्यों नहीं उठा रही"।
अनीश सावी को टेंशन लेता देख बोला, "सावी शांत हो जाओ इतना टेंशन मत लो तरान्या जहां भी होगी ठीक होगी, हो सकता है उसके फोन की बैटरी खत्म हो गई हो, इस लिए उसका कॉल नहीं लग रहा है"।
सावी फ़िक्र से बोली, "कैसे टेंशन ना लू एक तो ये लड़की इतने पंगे लेकर बैठी है कि क्या ही बोलू, और अब उसे ध्रुवंश सिंह राठौड़ के पीछे पड़ी है", ये बोलते ही दोनों ने एक दूसरे को देखा और एक साथ बोल पड़े, "कहीं वो राठौड़ इंडस्ट्रीज तो नहीं गई है"।
दोनों जल्दी से उठे और अपना अपना जरूरी सामान लेकर वहा से निकल गए।
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अब आगे,
कमरा अँधेरे और सन्नाटे से भरा हुआ था।
दरवाज़ा चरमराकर खुला और ध्रुवांश अंदर आया। उसके कदम धीमे थे पर आवाज़ इतनी भारी कि तरान्या की साँसें अटक गईं।
वो अब भी कमरे के कोने में बैठी थी। जैसे ही ध्रुवांश अंदर आया, उसने घबराकर अपने घुटनों को और कसकर पकड़ लिया।
ध्रुवांश ने बिना कोई हड़बड़ी किए टेबल पर रखी कुर्सी खींची और बैठ गया। फिर उसकी ठंडी, गहरी आवाज़ गूँजी—
ध्रुवांश:
“तो मिस अननोन… या कहूँ तरान्या सिन्हा। आखिर तुम यहाँ क्यों आई थीं?”
तरान्या ने काँपते हुए देखा, उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन होंठ कांपते हुए भी शब्द निकालने की कोशिश कर रहे थे।
तरान्या:
“मैं… मैं बस… इंटरव्यू के लिए आई थी।”
ध्रुवांश हल्की-सी मुस्कान हँसा, लेकिन उस हँसी में दहशत थी।
वो आगे झुकते हुए बोला—
ध्रुवांश:
“सिर्फ एक इंटरव्यू के लिए? इतना बड़ा रिस्क… मेरी गाड़ी की डिक्की में घुसना… मेरे प्राइवेट स्पेस तक पहुँचना… और फिर सब अपनी आँखों से देख लेना।”
उसकी आवाज़ हर लफ्ज़ के साथ और ठंडी होती गई।
ध्रुवांश:
“बताओ तरान्या… क्या वाकई इंटरव्यू की इतनी कीमत होती है? या तुम्हें किसी ने भेजा है?”
तरान्या हड़बड़ा गई।
तरान्या:
“न-नहीं! ऐसा कुछ नहीं है… मुझे किसी ने नहीं भेजा। मैं बस… मेरी जॉब… वो चली जाती अगर इंटरव्यू ना मिला तो…”
ध्रुवांश ने अपनी कुर्सी से टेक लगाई, उसकी आँखें गहरी हो गईं।
उसने धीमे स्वर में कहा—
ध्रुवांश:
“तुम्हारे शब्द डर से भरे हैं, लेकिन सच छुपाना तुम्हारी आँखों से आसान नहीं।”
कमरे में सन्नाटा छा गया।
तरान्या की धड़कनें इतनी तेज़ हो गईं कि उसे खुद सुनाई दे रही थीं।
ध्रुवांश ने आख़िरी बार ठंडी मुस्कान दी और खड़ा होकर बोला—
ध्रुवांश:
“ठीक है। अगर तुम सच कह रही हो… तो तुम्हारे पास वक्त है इसे साबित करने का। वरना…”
उसकी आवाज़ अचानक खतरनाक हो गई—
ध्रुवांश:
“गलत जगह, गलत वक्त पर आई हो तरान्या… और गलतियाँ, मेरे सामने… ज़्यादा देर तक ज़िंदा नहीं रहतीं।”
ये कहकर वो बाहर निकल गया।
तरान्या वहीं जमी खड़ी रह गई। उसका दिल अभी भी धड़क रहा था, जैसे किसी ने उसे मौत का अल्टीमेटम दे दिया हो।