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Tu junoon mera

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Divya Sharma CHIKKU

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कबीर राठौर,  राठौर company का CEO,  6.2  height, गोरा रंग, musculler body,  brown आंखे और 28 साल उम्र। कबीर एक दम किसी हीरो जैसा दिखता था। दीवानी है लड़कीयाँ। आए दिन मैगजीन पर इनके इंटरव्यू फोटोस छपते रहते है। कबीर को प्यार नाम की चीज से सख्...

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Rebirth A Ginius Girl

Heroine

Total Chapters (22)

Page 1 of 2

  • 1. Tu junoon mera - Chapter 1

    Words: 1412

    Estimated Reading Time: 9 min

    कबीर राठौर, राठौर कंपनी का CEO, 6.2 फीट लंबा, गोरा रंग, मस्कुलर बॉडी, भूरी आँखें और 28 साल का था। कबीर एकदम किसी हीरो जैसा दिखता था।

    इंडिया के टॉप 10 बिज़नेसमैन में से एक होने के साथ ही, उसका बिज़नेस पूरे एशिया में फैला हुआ था।

    लड़कियों के दिलों की धड़कन, कबीर की झलक की दीवानी थीं लड़कियाँ। आए दिन मैगज़ीन में उसके इंटरव्यू और फ़ोटो छपते रहते थे।

    कबीर को प्यार नाम की चीज़ से सख्त नफ़रत थी। साथ ही उसे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता था, और यह गुस्सा एकदम राक्षस का रूप ले लेता था।

    काफ़ी वक़्त पहले, कबीर के माता-पिता की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। उस वक़्त कबीर केवल 15 साल का था। छोटी सी उम्र में उसने अपना फ़ैमिली बिज़नेस संभाल लिया था।

    ज़िम्मेदारियों के चलते कबीर कभी भी किसी के करीब जा ही नहीं पाया था। इसलिए वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी दादी के करीब था। वह अपनी दादी के लिए अपनी जान दे भी सकता था और ज़रूरत पड़ने पर ले भी सकता था।


    वहीं दूसरी ओर रुही राजावत। उम्र 22 साल, एकदम दूध जैसा रंग, नीली आँखें, 5.5 फ़ीट हाइट, कमर तक बाल, गुलाबी होंठ। होंठ के पास छोटा सा तिल। रुही हीरोइन्स को भी पीछे छोड़ देती थी। जो एक बार देखे, बस देखता ही रह जाता था रुही को। रुही की माँ रूही को जन्म देते ही इस दुनिया से चल बसी थी। रुही की माँ के जाने के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। रुही की दूसरी माँ रुही को बहुत प्यार करती थी। रुही अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। रुही ने अभी-अभी अपना कॉलेज पूरा किया था।


    सुबह के 7:30 बज गए थे। रुही अभी आराम से सो रही थी। रुही की माँ, जानवी राजावत, बोली, "रुही उठ जाओ बेटा! देखो, आज तुम्हारे ऑफ़िस का पहला दिन है। पहले दिन ही लेट हो जाओगी!"

    "क्या? 7:30 बज गए?" रुही जल्दी से उठ गई।

    "गुड मॉर्निंग Maa 😘"

    "गुड मॉर्निंग बच्चा! जाओ जल्दी से रेडी हो जाओ। मैं तुम्हारा ब्रेकफ़ास्ट लगाती हूँ।"

    "Ok Maa" रुही जल्दी से नहाने के लिए चली गई।

    जानवी जी डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफ़ास्ट लगा रही थीं। रुही के पापा अख़बार पढ़ रहे थे सोफ़े पर बैठकर।

    "अब उठेगी आपकी प्रिंसेस, अब तो मिलेगा हमें नाश्ता। क्या आप भी सुबह-सुबह शुरू हो जाओगे?"

    "और नी तो क्या करूँ? आप तो बस अपनी बेटी पर ध्यान देती हैं। हमारा तो कोई ध्यान ही नहीं है आपको।"

    इतने में रुही आ गई रेडी होकर।

    "क्या हुआ पापा? क्यों मेरी मम्मा को सता रहे हो?"

    "अरे मेरी प्रिंसेस! गुड मॉर्निंग 😘"

    "गुड मॉर्निंग पापा।"

    "रुही, अपने पापा से कहो, क्यों मम्मा को सता रहे हो?"

    "अरे बेटा, तुम्हारी मम्मा सुबह से आज किचन में तुम्हारे लिए कुछ स्पेशल बना रही है। और मुझे चाय तक नहीं दी 😢" उसने उदास चेहरा बनाकर कहा।

    इतने में जानवी जी ब्रेकफ़ास्ट लगा देती हैं।

    "आप बाप-बेटी जल्दी से नाश्ता कर लो, वरना ठंडा हो जाएगा।"

    "रुही, वाह मम्मा! खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है। क्या बनाया है आपने?"

    "जानवी जी: प्रिंसेस, खुद ही देख लो।"

    "चलो पापा, नाश्ता करते हैं।"

    "चलो बेटा जी 🙂🙂"

    "वाह! आलू के पराठे 😋😋 मेरे फ़ेवरेट!" रुही जल्दी से एक पराठा ले लेती है और खाने लगती है।

    "मम्मा, इट्स टू यम्मी!"

    रुही अपना ब्रेकफ़ास्ट करती है।

    "मम्मा, मुझे देर हो रही है। जल्दी से टिफ़िन दे दो।"

    जानवी जी: "लो बेटा, और ध्यान से अपना टिफ़िन खा लेना। और यह दही-शक्कर खाकर जाओ, आज तुम्हारा पहला दिन है काम पर।"

    "ओके मम्मा! बाय बाय पापा! लव यू!" इतना कहकर रुही अपनी स्कूटी लेकर अपनी मंज़िल की ओर, यानी कि राठौर कंपनी की ओर चल पड़ती है।


    वहीं दूसरी ओर, कबीर अभी-अभी अपने जिम से बाहर निकला था। कबीर जल्दी से रेडी होकर नीचे आता है। कबीर ने थ्री-पीस सूट पहना हुआ था, जेल से सेट किए हुए बाल, एकदम परफेक्ट लग रहा था। कबीर अपनी दादी के पास आकर उन्हें गुड मॉर्निंग विश करता है और उनका आशीर्वाद लेता है।

    कबीर की दादी ने आवाज़ लगाई, "रुको कबीर! नाश्ता तो करके जाओ।"

    "नहीं दादी माँ, मैं ऑफ़िस में कर लूँगा। आज मेरी एक ज़रूरी मीटिंग है। मैं आपसे शाम को आकर मिलता हूँ।" कबीर की दादी कुछ बोल नहीं पाई थी कि इतने में कबीर बाहर निकल गया अपने ऑफ़िस के लिए। घर से बाहर निकलते ही उसने अपनी आँखों पर ब्लैक शर्ट चढ़ा ली। कबीर जाकर अपनी कार में बैठता है और अपनी फ़ाइलें चेक करने लगता है। कबीर के आगे दो कार और पीछे दो कार चलने लगती हैं। कबीर के बॉडीगार्ड वेल-ट्रेंड थे। जल्दी से गाड़ियों का काफ़िला चल पड़ता है और आधे घंटे में ही राठौर कंपनी पहुँच जाते हैं। कबीर गाड़ी से नीचे उतरता है और अपनी कंपनी में अंदर चला जाता है।

    कबीर जैसे ही अंदर आता है, सारा स्टाफ़ स्टैंडिंग पोज़िशन में आ जाता है। कबीर लिफ़्ट की ओर जाता है और अपने फ़्लोर का बटन प्रेस करता है। कबीर अपने केबिन में पहुँचकर आज की मीटिंग देखने लगता है। कबीर का केबिन अंदर से बहुत ही सुंदर था। कबीर का केबिन 39वें फ़्लोर पर था, जहाँ से मुंबई का सारा नज़ारा दिखता था। कबीर के केबिन का मटेरियल सारा यूनिक था। इधर रुही भी ऑफ़िस पहुँच चुकी होती है और अपने बॉस के केबिन में जाती है, यानी कि कबीर के केबिन में। बाहर से वह कहती है, "मैं आई? कम इन सर?"

    "यस, कम इन।"

    तभी कबीर उसे देखता है और देखता ही रह जाता है क्योंकि वह बहुत सुंदर थी। आज रुही ने ब्लैक अनारकली सूट पहना था, कानों में छोटे इयररिंग्स, आँखों में काजल, होंठों पर लिप-ग्लॉस और खुले बाल। कबीर उसे देखता ही रह गया। रुही दो बार आवाज़ देती है, "सर? सर?"

    "हाँ हाँ, मिस रुही, बोलिए।"

    "सर, आज आपकी एके सिंघानिया इंडस्ट्रीज़ के साथ मीटिंग है, होटल ब्लू हेवन में, दोपहर 2:00 बजे। और अभी आपकी कॉन्फ़्रेंस रूम में सभी वेट कर रहे हैं।"

    "ओके, मिस रुही। मैं आता हूँ।"

    कबीर कॉन्फ़्रेंस रूम की ओर जाता है। वहाँ सभी बोर्ड मेंबर बैठे हुए थे, जो कबीर को देखकर खड़े हो जाते हैं। सभी कबीर को गुड मॉर्निंग विश करके अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाते हैं। रुही, जो कबीर की सेक्रेटरी थी, उसके बगल में खड़ी हो जाती है। आज का प्रेज़ेंटेशन शुरू होता है। तक़रीबन 2 घंटे तक मीटिंग चलती है।

    कबीर गुस्से में कहता है, "भारद्वाज कंपनी हमारा कॉन्टैक्ट कैसे ले जा सकती है? कोई तो है जो हमारी कंपनी में रहकर ग़द्दारी कर रहा है!" सबके होश उड़ जाते हैं और एक-दूसरे का मुँह देखने लगते हैं।

    कबीर गुस्से में कहता है, "जो भी हो, मैं उसका पता लगा ही लूँगा!" और अपने केबिन में चला जाता है, और रुही भी उसके पीछे-पीछे चली जाती है।

    "कबीर: रुही, मेरे लिए एक ब्लैक कॉफ़ी लेकर आओ।"

    "जी सर।" रुही कबीर के लिए ब्लैक कॉफ़ी बनाने के लिए कैफ़ेटेरिया एरिया में चली जाती है और कबीर के लिए कॉफ़ी बनाने लगती है। वह कॉफ़ी लेकर उसके केबिन में आती है।

    "मैं आई? कम इन सर?"

    "यस, कम इन।"

    रुही कॉफ़ी की जगह कैप्पुचीनो, सैंडविच और जूस ले आती है।

    "मिस रुही! मैंने आपको ब्लैक कॉफ़ी बोला था लाने के लिए, ना कि सैंडविच, जूस और कैप्पुचीनो!"

    "सर, आपकी दादी का कॉल आया था रिसेप्शन एरिया में। उन्होंने ही आपके लिए यह सब बोला था लाने के लिए।"

    "ओके, रख दो। अब तुम जाओ यहाँ से।" कबीर अपना ब्रेकफ़ास्ट करता है। तभी रुही आ जाती है।

    "मैं आई? कम इन सर?"

    "यस, कम इन।"

    "सर, यह मेडिसिन..."

    "यह मेडिसिन किस चीज़ के लिए?"

    "सर, यह टेंशन की मेडिसिन है।"

    "तुम्हें कैसे पता कि मेरे सर में दर्द है?"

    "सर, वह..." वह क्या बोलती इससे पहले ही कबीर अपनी चेयर से उठकर रुही के पास आने लगता है। कबीर रुही को कुछ नहीं कहता और चुपचाप मेडिसिन ले लेता है और टेबल पर रखे गिलास से पानी पी लेता है। रुही अपने केबिन में चली जाती है।

    कबीर अपने मन में बोलता है, "कुछ तो है मिस रुही! आपने जो है, बार-बार मुझे अपनी तरफ़ खींच रहा है। आज पहली मुलाक़ात में ही आप कुछ जादू सा कर गई हैं।"

  • 2. Tu junoon mera - Chapter 2

    Words: 2421

    Estimated Reading Time: 15 min

    रुही और कबीर 12:30 बजे अपनी कार में बैठकर ब्लू हैवन होटल के लिए निकल गए थे। मीटिंग ब्लू हैवन होटल में थी। ऑफिस से होटल तक का रास्ता 20 मिनट का था। कबीर समय का पाबंद इंसान था, जिसकी वजह से उसे देर से आने वाले लोग लापरवाह और कामचोर नज़र आते थे। और ऐसे लोगों को वह अपने काम के लिए बिल्कुल पसंद नहीं करता था।

    न्यू हैवन होटल पहुँचते ही कबीर पहले से बुक किए गए प्राइवेट रूम की ओर चल दिया। जैसे ही वह रूम में पहुँचा, वहाँ ए.के. ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ का मालिक तुषार सिंह पहले से बैठा हुआ था। उसके साथ उसका असिस्टेंट भी था।

    जैसे ही उन दोनों ने कबीर को अंदर आते देखा, वे अपनी जगह से खड़े हो गए। हाथ मिलाने के लिए कबीर ने आगे बढ़कर उनसे हाथ मिलाया। तभी तुषार की नज़र रुही प्रजापति पर पड़ी। जिसे वह देखता ही रह गया।

    कबीर से हाथ मिलाने के बाद, तुषार ने रुही को भी हैलो बोला।
    "हैलो," रुही ने जवाब में कहा।

    तुषार एक प्लेबॉय था। तुषार रुही को लास्ट भरी नज़रों से देख रहा था। उसे ऐसा करते देख कबीर को गुस्सा आ गया और वह एकदम गुस्से में बोला, "मिस्टर तुषार, क्या मेरी सेक्रेटरी को देखने आए हैं या मीटिंग करने?"

    जैसे ही तुषार कबीर की बात सुना, वह घबरा गया।
    "मिस्टर कबीर, आप गलत समझ रहे हैं।"
    "तो चलिए मिस्टर तुषार, मीटिंग शुरू करते हैं।"
    "जी, ज़रूर।"

    तुषार का सेक्रेटरी मीटिंग के सारे नियम बता रहा था, पर तुषार की नज़र तो रुही पर ही थी। कबीर एकदम गुस्से से खड़ा हुआ और बोला, "बस, मीटिंग ओवर।"

    पता नहीं क्यों, पर तुषार का रुही को देखना कबीर को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था।
    "मिस्टर कबीर, आपने तो अभी कॉन्ट्रैक्ट साइन ही नहीं किया।"
    "मिस्टर तुषार, हम कल बैठकर टर्म्स एंड कंडीशन्स देख लेंगे। अभी मुझे एक ज़रूरी मीटिंग में जाना है, इसलिए मैं चलता हूँ।"
    "पर आपने तो अभी तक कुछ लिया ही नहीं, मिस्टर कबीर। लंच टाइम हो गया है। लंच करके चलते हैं।"
    "नहीं नहीं मिस्टर तुषार, मुझे जल्दी काम है। आप तो जानते हैं, मुझे देर से आने वाले लोग और अपने काम में लापरवाह लोग बिल्कुल पसंद नहीं हैं।"

    तुषार कुछ नहीं बोला और कबीर रूम से बाहर निकल गया। कबीर के पीछे-पीछे रुही भी बाहर निकल गई। कबीर और रुही कार में बैठे और कार ऑफिस की तरफ़ निकल पड़ी।

    ऑफिस पहुँचकर कबीर रुही से बोला, "मिस, आप मेरे केबिन में आइए।"
    "जी सर," रुही ने कहा।

    कबीर रुही से बोला, "यह आज के प्रोजेक्ट की फाइल है। मुझे इसमें सारे आउटपुट आज शाम तक क्लियर चाहिए और कल आप इसका प्रेजेंटेशन देंगी।"
    "सर, हमने आज तक कभी प्रेजेंटेशन नहीं दिया, तो हम कैसे...?"
    "मिस रुही, मैं आपसे पूछ नहीं रहा हूँ, आपको बता रहा हूँ। आ..आ..आप कर सकती हैं। सर, मैंने कहा, जस्ट गो।"

    रुही चुपचाप अपने केबिन में आ गई और काम देखने लगी। रुही मन में सोच रही थी, "कितना खड़ूस बॉस है यह!"

    उधर कबीर ना जाने क्यों बेचैन सा हो रहा था। मीटिंग से आकर कबीर रह-रह कर तुषार पर गुस्सा आ रहा था। जिस तरह वह रुही को देख रहा था, कबीर को यह बर्दाश्त नहीं था। कबीर अपने आप से सोच रहा था, "मुझे क्या हो गया है? आज पहली बार मैं रुही से मिला हूँ। ना जाने क्यों दिल में एक अजीब सी बेचैनी हो रही है।"

    उधर रुही अपने काम में व्यस्त थी। उसके पास राज गया।
    "हेलो मिस रुही। मैं राज, यहाँ का मैनेजर हूँ।"
    "हेलो सर।"
    "कॉमन रुही, तुम मुझे सर मत बुलाओ।"
    "लेकिन क्यों?"
    "तो तुमने ही तो कहा था कि हम दोस्त हैं।"
    "ओ सॉरी, मैं भूल गई थी। चलो यह सब छोड़ो, लंच करने चलते हैं।"
    "नहीं राज, आज मैं नहीं जा सकती। मुझे कल की प्रेजेंटेशन तैयार करनी है।"

    राज और रुही ऐसे ही आपस में हँस-हँस कर बातें कर रहे थे। कबीर उन्हीं के पास गया। रुही का केबिन कबीर के सामने वाला केबिन था। जैसे ही कबीर रुही और राज को देखता है, तो उसके गुस्से में आग लग जाती है। वह तुरंत अपनी चेयर से उठता है और रुही के केबिन की ओर चला जाता है।

    "मिस रुही, आप यहाँ काम करने आती हैं या बातें करने? और तुम राज, तुम्हारे पास और कोई काम नहीं है? तुम्हें यहाँ बातें करने के लिए पैसे नहीं दिए जाते।"
    "सर, मैं तो बस रुही को लंच के लिए बुलाने आया था।"
    "तुम जाओ और मेहरा वाली फाइल कंप्लीट करके मेरे केबिन में लेकर आओ।"

    राज वहाँ से तुरंत चला जाता है। कबीर रुही के पास जाता है और उसे एक झटके में पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लेता है।
    "रुही...रुही जी, आप क्या कर रहे हैं? छोड़ो मुझे!"

    रुही खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश करती है। रुही कुछ बोलने ही वाली होती है कि तभी कबीर रुही के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और उसे किस करता है। कबीर रुही को तब तक किस करता है जब तक उसका मन नहीं भर जाता। रुही दूर जाने की कोशिश करती है, लेकिन कबीर को गुस्सा आ जाता है और वह किस के साथ-साथ रुही के होंठों पर बाइट भी कर लेता है जिससे रुही की आह निकल जाती है। कबीर देखता है कि रुही को साँस लेने में दिक्कत हो रही है, तब जाकर रुही को छोड़ता है।

    रुही कबीर की इस हरकत से एकदम स्तब्ध थी। रुही अपनी बढ़ती हुई साँसों को कंट्रोल करती है।
    "सर, यह क्या हरकत थी? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह मेरी पहली किस थी जो मैंने अपने हसबैंड के लिए रखी थी।"

    रुही की बात सुनकर कबीर को हँसी आ जाती है। रुही कबीर की हँसी देखकर चिढ़ जाती है। रुही के गुस्से में गाल बिलकुल लाल टमाटर की तरह लग रहे थे। कबीर इस बार उसके दोनों गालों पर किस कर देता है और अपने केबिन में चला जाता है। रुही अपनी जगह पर फ्रीज़ ही हो गई थी। जैसे ही रुही के फ़ोन की घंटी बजती है, तब कहीं जाकर रुही अपने होश में वापस आती है। कॉल कंपनी वालों का था। रुही को अभी भी कबीर का किस याद आ रहा है, उसके दोनों गाल टमाटर की तरह लाल हो जाते हैं।

    उधर कबीर अपने काम में बिज़ी था। जैसे ही उसे अपनी ओर रुही का किस याद आता है, उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। ऐसा ही शाम 6 बजे गए, सभी एम्प्लॉयी अपने घर के लिए निकल जाते हैं। वहीं रुही भी जल्दी से अपना काम ख़त्म करके अपने घर निकल जाती है। वहीं कबीर भी अपने घर की ओर चल पड़ता है।

    देव का घर राठौर मेंशन था। देव जैसे ही अंदर एंटर करता है, तो देखता है कि उसकी दादी सोफ़े पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही है। देव दादी के पास जाता है और उन्हें गुड इवनिंग विश करता है। दादी बड़े प्यार से कहती हैं, "देव, 23 वर्ष हो गए, आओ फिर आकर साथ में डिनर करते हैं।"
    "जी दादी, मैं अभी आया, फ्रेश होकर।"

    देव जल्दी से अपने रूम की तरफ़ जाता है और फ्रेश होकर नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ़ आता है, जहाँ शादी पहले से ही देव का वेट कर रही थी। देव और दादी दोनों मिलकर डिनर करते हैं। देव दादी से थोड़ी देर बात करता है और फिर दादी को मेडिसिन देकर उन्हें सुलाकर अपने रूम में आ जाता है। कबीर को रह-रह कर रुही और अपनी किस याद आ रही थी। कबीर के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है।

    वहीं दूसरी तरफ़ रुही अपने घर पहुँचती है, तो उसके माँ-पापा सोफ़े पर ही बैठे मिलते हैं। वह जल्दी से अपने माँ-पापा को गले लगाती है और गुड इवनिंग विश करती है। उसके माँ-पापा उसके सर पर हाथ फिरते हैं और बोलते हैं, "जाओ रुही, पहले फ्रेश हो आओ और फिर मिलकर हम डिनर करेंगे।"

    रुही भी जल्दी से हाँ में सिर हिला देती है और अपने कमरे की ओर चल पड़ती है। यूँ ही चलती है, फ्रेश होकर नीचे आती है और डाइनिंग टेबल की ओर चली जाती है। वहाँ पहले से ही उसके माँ और पापा उसका वेट कर रहे थे। वहीं अपने माँ-पापा के साथ अपना डिनर करती है और थोड़ी देर अपने माँ-पापा से बात करके अपने रूम में चली जाती है।

    रुही जैसे ही अपने बेड पर लेट जाती है, उसे सच में आज बहुत नींद आ रही थी। रुही सच में आज बहुत थक गई थी। जैसे ही रुही सोने वाली होती है, तो उसके फ़ोन पर कॉल आता है। वह अपना फ़ोन चेक करती है, तो अननोन नंबर से कॉल आ रहा होता है। पहले तो वह फ़ोन कट कर देती है, जब फिर दोबारा फ़ोन बजता है, तो रुही उठा लेती है और बोलती है, "हेलो? कौन?"

    सामने से एक आवाज़ आती है, "तुम मुझे इतनी जल्दी भूल गई?"

    रुही कबीर की आवाज़ को पहचान लेती है और बोलती है, "सर? आप? आपने मुझे इस वक़्त क्यों कॉल किया है?"
    "क्यों? मैं तुम्हें कॉल क्यों नहीं कर सकता?"
    "सर, मेरा नंबर आपको कहाँ से मिला?"

    फ़िर वही बातें सुनकर कबीर मुस्कुरा देता है और बोलता है, "शायद तुम भूल गई होगी, तुम मेरी कंपनी में जॉब करती हो।"

    रुही को याद आता है कि सर ने ज़रूर मेरी फ़ाइल में से मेरा नंबर लिया होगा। वह फिर से सवाल करती है, "सर, आपने इस वक़्त मुझे कॉल क्यों किया?"
    "रुही, तुम्हें कल एक इम्पॉर्टेन्ट प्रेजेंटेशन देनी है। क्या तुम्हारी प्रेजेंटेशन कंप्लीट हो गई है?"

    रुही बोलती है, "जी सर, मेरी प्रेजेंटेशन कंप्लीट है। मैं कल सुबह आपको चेक करवा दूँगी प्रेजेंटेशन देने से पहले।"

    इतना बोलकर रुही फ़ोन कट कर देती है और कबीर कुछ बोल नहीं पाता कि उसके फ़ोन पर वाइब्रेशन की आवाज़ सुनाई देती है। वह फ़ोन को घूर कर देखता है, फ़ोन को साइड पर रखता है और अपने बेड पर लेट जाता है। कबीर रुही के बारे में सोच-सोच कर नींद आ जाती है। उसे कुछ भी नहीं पता चलता।

    मॉर्निंग में रुही जल्दी-जल्दी रेडी होकर अपने ऑफिस की तरफ़ निकलने लगती है, तो माँ पीछे से आवाज़ देती है, "बेटा, कुछ खाकर जा।"
    "माँ, आज एक इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग है, मुझे जल्दी जाना होगा। मैं ऑफिस कैंटीन से कुछ खा लूँगी।"
    "अच्छा बाबा, अपना टिफ़िन तो ले जा।"
    "अच्छा, वाला टिफ़िन दो।"

    रुही जल्दी से अपनी स्कूटी उठाती है और अपनी कंपनी की ओर निकल पड़ती है। वहीं दूसरी ओर कबीर उठता है और अपना ब्रेकफ़ास्ट करके अपनी दादी से मिलकर अपने ऑफिस की ओर निकल पड़ता है। वह जैसे ही ऑफिस पहुँचती है, वह सबसे पहले कबीर के केबिन में जाती है, पर केबिन में कबीर नहीं आया होता। रुही अपने केबिन की ओर चली जाती है। जैसे ही कबीर ऑफिस में आता है, वह सबसे पहले रुही को ही देखना चाहता था।

    जैसे ही कबीर अपने केबिन में जाकर अपनी चेयर पर बैठता है, तो सामने उसे रुही का चेहरा दिखाई देता है, क्योंकि रुही का केबिन बिलकुल सामने वाला केबिन था। रुही जल्दी से कबीर के केबिन की ओर आती है और उसे गुड मॉर्निंग विश करती है। कबीर रुही को देखता है, तो देखता ही रह जाता है। कबीर सोचता है, "क्यों ना? हमारी रुही लगी आज इतनी प्यारी।" रुही ने आज येलो कलर का पटियाला सूट पहना हुआ था, कानों में टॉप्स, काजल से भरी आँखें, होंठों पर लिपस्टिक, बालों में जुड़ा, आगे गिरते हुए बाल... कुल मिलाकर रुही किसी परी से कम नहीं लग रही थी।

    रुही जब कबीर को खुद को घूरता पाती है, तो बोलती है, "सर, यह आज की प्रेजेंटेशन और आपकी कॉफ़ी।"

    जैसे ही कबीर रुही की आवाज़ सुनता है, तो वापस अपने होश में आता है। कबीर चेयर से उठकर रुही के पास जाता है। कबीर को अपनी ओर आता देख रुही पीछे की ओर हटने लगती है।

    कबीर रुही के एकदम पास चला जाता है। कबीर को अपने पास देख रुही अपनी आँखें बंद कर लेती है। रुही को लगता है कि कबीर कहीं फिर से उसे किस करने वाला है, पर कबीर ऐसा कुछ नहीं करता। कबीर तो बस रुही को बड़े प्यार से देख रहा होता है और अपने एक हाथ से रुही का जुड़ा खोल देता है और जाकर अपनी चेयर पर बैठ जाता है। जब रुही को कोई हरकत महसूस नहीं होती कबीर की तब वह अपनी आँखें खोलकर देखती है कबीर जो अब अपनी जगह बैठा था।

    रुही जब कबीर को अपनी चेयर पर बैठा देखती है, तो हैरान हो जाती है। तभी कबीर की आवाज़ रुही के कानों में पड़ती है, "रुही, यह कॉफ़ी में तुमने मीठा बिलकुल भी नहीं डाला।"

    तभी रुही झट से बोलती है, "नहीं, मैंने खुद इसमें मीठा डाला था।"
    "अच्छा? तो यह कड़वी क्यों है? क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ? तुम खुद ही पीकर देख लो।"

    रुही झट से कॉफ़ी पीकर देखती है। "ठीक तो है, मीठा।"
    "अच्छा? तो दिखाओ मुझे।"

    कबीर कॉफ़ी को पीने लगता है। "Hmmm, अब ठीक है।"

    रुही कबीर की इस हरकत पर हैरान हो जाती है। रुही कुछ बोलने ही वाली होती है, तभी कबीर बोलता है, "तुम्हारे खुले बाल ज़्यादा अच्छे लगते हैं। इन्हें मत बाँधा करो।"

    रुही अपने बालों की तरफ़ देखती है जो कबीर ने अभी खोले थे। रुही की नज़रें शर्म से नीचे हो जाती हैं। कबीर रुही की इस हरकत पर हल्का सा मुस्करा देता है। "जाओ, मीटिंग की तैयारी करो।"

    जैसे ही रुही कबीर की बात सुनती है, झट से अपने केबिन की ओर चल देती है। कबीर खुद से सोचता है, "पता नहीं रुही, तुम्हें ऐसा क्या है जो मुझे तुम्हारी ओर खींचता है? मुझे तुमसे इश्क़ हो गया है। जब तुम पास होती हो तो शांति मिलती है। मैं तुम्हें किसी और के साथ बिलकुल बर्दाश्त नहीं कर सकता। तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ कबीर की हो, रुही। तुम मेरी ज़िंदगी बन गई हो, रुही। कबीर की रुही। आई लव यू रुही। आई लव यू।"

    कबीर हल्का सा मुस्करा देता है और वापस अपने काम करने लगता है। उधर रुही कबीर की बातों को याद करके हँस रही होती है। रुही खुद से सोच रही है, "ना जाने ऐसा क्या हो जाता है मुझे कबीर सर के पास आते ही जो मैं सब कुछ भूल जाती हूँ? नहीं रुही, तू कैसे उनके बारे में ऐसा सोच सकती है? बॉस है वो तेरा, तू क्या है उसकी?"

    रुही सारे सवालों को दिमाग से निकालकर वापस काम करने लगती है।

  • 3. Tu junoon mera - Chapter 3

    Words: 1022

    Estimated Reading Time: 7 min

    ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए। कबीर और रुही में अब प्यार बढ़ने लगा था। रुही भी कहीं न कहीं कबीर को पसंद करने लगी थी। रुही के मन में भी अब कबीर के लिए फीलिंग्स आने लगी थीं। ऐसे ही हँसी-खुशी दिन बीत रहे थे। एक दिन कबीर की दादी का जन्मदिन आया। कबीर ने अपने सभी एम्प्लॉयीज़ और रुही को भी जन्मदिन के लिए इनवाइट किया। कबीर रुही से कहता है, "वह आज उसे अपनी दादी से मिलवाएगा।" शाम 7:00 बजे रुही पार्टी में जाने के लिए तैयार हुई। आज वह बहुत ही सुंदर लग रही थी। रुही ने आज ऑफ-शोल्डर रेड कलर का गाउन पहना हुआ था। ऊपर से खुले बाल और आगे कर्ल किए हुए बाल, आँखों में काजल, डार्क रेड लिपस्टिक, पैरों में हाई हील सैंडल। कुल मिलाकर, आज वह बहुत सुंदर लग रही थी। वह पार्टी हॉल में गई और कबीर की दादी से मिली। रुही ने कबीर की दादी को बर्थडे विश किया और अपने साथ लाया हुआ गिफ्ट दिया। ऐसे ही केक कटिंग हुआ। रुही और कबीर पार्टी एन्जॉय कर रहे थे।

    तभी अचानक से एक लड़की पीछे से आकर कबीर के गले लग गई। रुही कबीर को हैरानी भरी नज़रों से देखने लगी। कबीर जैसे ही पीछे मुड़ा, तो उसकी बचपन की दोस्त माया वहाँ थी। माया दिखने में काफी सुंदर थी। माया विदेश में पढ़ी-लिखी थी। माया कबीर को बचपन से ही प्यार करती थी, पर कबीर के डर से उसने कभी नहीं बताया था कि वह कबीर से प्यार करती है, कहीं कबीर यह जानकर उससे अपनी दोस्ती न तोड़ दे। जैसे ही कबीर ने माया को देखा, तो उसे गले से हटा दिया और बोला, "तुम्हारी आज भी आदत नहीं हटी, माया।" वह दोनों आपस में बातें करने लगे। कबीर अपनी और माया की बातों में इतना बिज़ी हो गया कि उसे अपने साथ खड़ी रुही दिखाई नहीं दी। रुही कबीर और माया को बातें करता देख अंदर ही अंदर जल रही थी। रुही वहाँ से जाकर बार काउंटर पर बैठ गई और ड्रिंक करने लगी। जैसे ही कबीर पीछे मुड़कर देखा, उसे रुही कहीं दिखाई नहीं दी। जैसे ही कबीर की नज़र सामने बार काउंटर पर गई, जहाँ रुही शॉट पे शॉट लगा रही थी, तो कबीर की आँखें गुस्से से लाल हो गईं। कबीर माया को बाय बोलकर रुही के पास गया और उसे काउंटर से खड़ा करके अपने साथ अपने रूम में ले गया।

    वहाँ रुही ने कबीर के रूम को देखते ही रह गया। कबीर बोला, "रुही, तुमने ट्रेन किया है?" जैसे ही रुही के कानों में कबीर की आवाज़ पड़ी, तो उसे माया का गले लगाना याद आया, किस तरह माया ने कबीर को गले लगाया था और उसके गालों पर किस किया था। रुही धीरे-धीरे करके कबीर के पास आई और उसके कानों को साफ़ करने लगी। कबीर ने रुही के हाथ पकड़कर कहा, "तुम क्या कर रही हो, रुही?" रुही बोली, "तुम्हें तो बहुत अच्छा लगा होगा न, जब माया ने तुम्हें किस किया होगा।" रुही टेढ़े-मेढ़े मुँह बनाकर बोल रही थी। कबीर बोला, "वह मेरी सिर्फ़ दोस्त है और कुछ नहीं, तुम इससे ज़्यादा मत सोचो।" रुही बोली, "अच्छा, तो वह आपकी दोस्त है, तो उसने आपको किस क्यों किया?"

    कबीर रुही को समझाते हुए बोला, "वह मेरी एक अच्छी दोस्त है, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।" रुही बोली, "तो ठीक है, मेरे दोस्त या कर मुझे किस करें, तो आपको बुरा नहीं लगेगा?" जैसे ही कबीर ने रुही की यह बात सुनी, तो कबीर की आँखों में गुस्सा आ गया। उसने एक झटके से रुही को कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ़ खींच लिया और बोला, "तुमने मेरे सिवा कोई कुछ नहीं कर सकता। किस तो दूर की बात, तुम्हें मेरे सिवा कोई और देखे यह मुझे बर्दाश्त नहीं।" और वह एक झटके से रुही के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और उसे किस करने लगता है। यह किस सॉफ्टनेस की जगह काफी ज़बरदस्त था। कबीर अपना गुस्सा उतार रहा था। वहीं पर रुही भी इस किस पर कबीर का साथ देने लगी। धीरे-धीरे कबीर का गुस्सा ठंडा हो गया। 💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋 रुही के किस करने से कबीर अपना कंट्रोल खो देता है। कबीर अब रुही को kiss करते हुए उसके नेक तक आ जाता है और धीरे-धीरे किस करते-करते रुही को bite भी करने लगता है, जिससे रुही की आह निकल जाती है। कबीर रुही की आह सुनकर काफी वाइल्ड हो जाता है। वह उसे लगातार किस कर रहा था। रुही भी अब पूरी तरह नशे में थी। कबीर रुही को 💋 करते-करते बेड पर ले जाता है। कबीर अपना हाथ रुही की चेस्ट पर ले जाता है। जैसे ही उसका हाथ रुही की ड्रेस पर लगता है, कबीर एक झटके में रुही की ड्रेस उतार देता है।

    रुही सिर्फ़ इनरवियर में थी। कबीर जैसे ही रुही को देखता है, पागल सा हो जाता है। वह रुही की ब्रा भी अलग कर देता है। रुही अब बिल्कुल न्यूड उसके सामने थी, जिससे कबीर पागलों की तरह रुही की चेस्ट पर किस और bite करने लगा था। कबीर एक झटके में रुही के बॉडी में इंटर करता है, जिससे रुही की चीख निकल जाती है। रुही कबीर से छूटने की कोशिश करती है, पर कबीर उसे नहीं छोड़ता। ऐसा रुही का दर्द कम होता है। कबीर रुही की सिसकियों से पागल सा हो रहा था। वह अपनी स्पीड बढ़ा देता है। करीब सुबह 4 बजे कबीर रुही से अलग होता है और उसे टाइट 🤗🫂 करके सो जाता है। रुही तो कब से सो गई थी। सोती भी क्यों ना, कबीर ने इतना थका दिया था।🤪🤪🤪🤪🤪🤪🤪🤪🤪🤪🤪

  • 4. Tu junoon mera - Chapter 4

    Words: 1034

    Estimated Reading Time: 7 min

    रुही सुबह 8 बजे उठी। उसे सिर में दर्द हो रहा था। जैसे ही उसकी आँख खुली, उसने खुद को एक अनजान शख्स की बाहों में पाया। इससे वह घबरा गई। जिस आदमी के साथ वह सो रही थी, उसे देखकर रुही हैरान हो गई। उसके पूरे शरीर में दर्द हो रहा था।

    कमरे में एक नज़र डालते ही उसे जगह-जगह अपने और कबीर के कपड़े बिखरे हुए दिखे। रुही जल्दी से अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर उसने शॉवर चालू किया और पानी के नीचे खड़ी हो गई।

    अपने दिमाग पर ज़ोर लगाकर वह पिछली रात की बात याद करने लगी। उसे सब कुछ याद आ गया कि कैसे उसने कबीर के साथ रात बिताई थी।

    रुही के गाल शर्म से लाल हो गए। शॉवर बंद करके जब उसने आईने में खुद को देखा, तो उसे कबीर का दिया हुआ लव बाइट दिखा। अपनी बॉडी देखकर वह फिर से शर्माने लगी। जल्दी से कपड़े पहनकर वह बाथरूम से बाहर निकली। कबीर को देखकर वह चुपचाप कमरे से बाहर निकल गई और अपने घर के लिए ऑटो में निकल पड़ी।


    दूसरी ओर, कबीर की नींद 10 बजे खुली। बेड पर रुही को न पाकर वह एकदम से उठ बैठा। वह जल्दी से बाथरूम में गया, लेकिन रुही वहाँ भी नहीं थी। कबीर जल्दी से अपने बाथरोब पहनकर बाहर निकला और नीचे जाकर मैड से रुही के बारे में पूछा। मैड ने बताया कि रुही घर चली गई है।

    कबीर अपने रूम में आया। उसकी नज़र बेड की तरफ गई। बेडशीट पर खून के निशान थे। उसे रुही और अपनी पिछली रात की सारी घटना याद आ गई। कबीर के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह जल्दी से फ्रेश होकर नीचे हाल में आया और नाश्ता किया। अपनी दादी से मिलकर वह ऑफिस के लिए निकल गया। वह जल्दी से जल्दी रुही से मिलना चाहता था।

    अपने ऑफिस पहुँचते ही वह जल्दी से अपनी प्राइवेट लिफ्ट में गया और अपने फ्लोर पर जाकर सीधा अपने केबिन में चला गया। वह रुही का इंतज़ार करने लगा, लेकिन रुही ऑफिस ही नहीं आई थी। यह जानकर कबीर का मूड ऑफ हो गया।


    वहीं दूसरी ओर, रुही घर पहुँची। उसे देखकर उसके माता-पिता उसके पास आए और पूछने लगे, "रुही, तुम रात घर क्यों नहीं आई? कम से कम फोन करके तो बता सकती थी ना। तुम्हारा फोन तो स्विच ऑफ था। कम से कम एक मैसेज ही कर देती। तुम्हें पता है हम कितने परेशान हुए थे?"

    रुही जल्दी से अपनी माँ-पिता को गले लगाकर बोली, "सॉरी। पार्टी काफी लेट खत्म हुई और फोन की बैटरी लो थी, इसीलिए आपसे कांटेक्ट नहीं कर पाई। हम अपनी दोस्त के घर रुक गए थे क्योंकि उसके माता-पिता आउट ऑफ स्टेशन थे। सॉरी, आगे से ध्यान रखूँगी।"

    "ठीक है बेटा, बस हमें तुम्हारी चिंता हो रही थी। जाओ, फ्रेश होकर आओ, नाश्ता करते हैं।"

    "जी, हम अभी आती हूँ।"

    रुही अपने रूम में जाकर फ्रेश हुई और नीचे हाल में नाश्ता करने के लिए आई। वह अपने माता-पिता के साथ नाश्ता करके अपने रूम में चली गई। वह अपने बेड पर लेट गई और कबीर के साथ पिछली रात की बात याद करने लगी। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह सो गई।


    दूसरी ओर, कबीर रुही का इंतज़ार कर रहा था, लेकिन वह ऑफिस नहीं आई थी। उसकी एक इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग थी। वह मीटिंग के लिए चला गया। उसका मन कहीं नहीं लग रहा था। वह जल्दी से मीटिंग खत्म करके वापस अपने केबिन में आया। उसे रुही की बहुत याद आ रही थी। वह जल्दी से रुही को कॉल करने लगा। रुही गहरी नींद में सो रही थी। कबीर लगातार फोन कर रहा था। अब उसे गुस्सा आने लगा।

    बार-बार फोन बजने से रुही की नींद खुली। उसने अपने फोन में कबीर के छह मिस कॉल देखे। जैसे ही वह फोन रखने वाली थी, फोन फिर बजने लगा। रुही मन ही मन सोचने लगी, "अब क्या हुआ इनको? मुझे सोने नहीं दे रहे?"

    रुही गुस्से में फोन पिक कर के बोली, "हेलो।"

    कबीर ने जैसे ही रुही की आवाज सुनी, उसका गुस्सा शांत हो गया। वह बोला, "आज तुम ऑफिस क्यों नहीं आई? तुम्हें नहीं पता आज मेरी कितनी इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग थी और उसका प्रेजेंटेशन तुमने देना था? और तुम फोन भी नहीं उठा रही हो? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?"

    रुही कबीर के इतने सारे सवाल सुनकर हैरान हो गई। उसने कहा, "सर, मुझे आज ऑफिस नहीं आना था। और रही बात आपके प्रेजेंटेशन फाइल की, वह आपके टेबल के सेकंड ड्रॉअर में पड़ी है, आप देख सकते हैं। आज मुझे अपनी माँ के साथ कहीं जाना है।" इतना कहकर उसने बिना बात सुने कबीर का फोन काट दिया।

    कबीर सोचने लगा, "शायद कल रात की वजह से रुही ज़्यादा थक गई होगी, इसीलिए वह नहीं आई। चलो कोई नहीं, कल तो आ ही जाएगी। फिर देखता हूँ मुझसे कैसे बचेगी।" इतना बोलकर कबीर के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह खुद से बोला, "तुम्हें एक दिन ही हुआ है ऑफिस में नहीं आए हुए और देखो मेरा क्या हाल हो गया है। तुम मेरा जुनून बन चुकी हो रुही, तुम मेरा सुकून हो। आई लव यू रुही।"

  • 5. Tu junoon mera - Chapter 5

    Words: 1628

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह, रूही समय से ऑफिस पहुँच गई। वहीं दूसरी ओर, कबीर पहले से ही ऑफिस में मौजूद था। आखिर होता भी क्यों न, उसने कल रूही को नहीं देखा था। रूही को देखने के लिए ही वह समय से पहले ऑफिस आ गया था। रूही ऑफिस पहुँचकर अपने केबिन में गई और काम पर लग गई। जैसे ही कबीर का ध्यान रूही के केबिन पर गया, उसे पता लग गया कि रूही आज ऑफिस आई है। कबीर झट से रूही को अपने पास बुलाता है।

    जैसे ही कबीर रूही को अपने पास बुलाता है, रूही अपनी चेयर से उठकर कबीर के केबिन की ओर चलती है। रूही अंदर ही अंदर बहुत घबरा रही थी कि कबीर कल रात के बारे में उससे कुछ पूछेगा। जैसे ही रूही कबीर के केबिन के पहुँचती है, वह केबिन का दरवाज़ा खटखटाती है, "मैं आई, सर।"

    "यस, कम इन," कबीर कहता है।

    रूही अंदर जाती है तो कबीर उसे देखने लग जाता है। "जी सर, आपने मुझे बुलाया था? कुछ काम था?"

    वह कबीर कोई जवाब नहीं देता, बस रूही को देखने में ही व्यस्त था। रूही एक बार फिर से अपनी बात दोहराती है, "सर, आपने मुझे बुलाया था?"

    कबीर हड़बड़ा कर, "हाँ, मैं...मिस्स रूही..." इतना बोलकर कबीर अपनी चेयर से उठकर रूही के पास जाने लगता है।

    रूही कबीर को अपने पास आता देख पीछे हटने लगती है। जैसे ही रूही दीवार से टकराने वाली थी, कबीर रूही को उसकी कमर से पकड़ कर अपने से सटा लेता है।

    रूही कबीर की बाहों से छूटने की कोशिश करती है, लेकिन निकल नहीं पाती। "सर, आप ये क्या कर रहे हो? प्लीज़ छोड़ दो!"

    कबीर को तो जैसे रूही की किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह तो बस रूही के होठों की ओर ही देख रहा था। रूही इससे पहले कुछ बोलती, कबीर ने रूही के होठों को चूम लिया। कबीर रूही को बहुत सॉफ्ट तरीके से किस कर रहा था। रूही कबीर के किस में पिघलने लगी थी। रूही भी कबीर के किस का जवाब दे रही थी। जिससे कबीर अब वाइल्ड हो गया था। कबीर रूही को तब तक चूमता है जब तक रूही को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। जैसे ही कबीर देखता है कि रूही को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तब जाकर कबीर रूही को छोड़ता है।

    कबीर रूही के कान के पास जाकर धीरे से बोलता है, "ये तुम्हारी पनिसमेंट थी।" इतना बोलकर कबीर रूही के कान पर काट लेता है जिससे रूही की आह निकल जाती है। रूही घूरकर कबीर को देखती है, जैसे पूछना चाहती हो, "किस बात की पनिसमेंट?" जैसे ही कबीर रूही के चेहरे को देखता है, कबीर समझ जाता है कि रूही क्या पूछना चाहती है। "कल तुम ऑफिस नहीं आई और मुझसे कॉल पर बात भी नहीं की। बस इस बात की पनिसमेंट।"

    रूही बस घूर रही थी। रूही कुछ बोलने ही वाली थी, तभी कबीर बोल देता है, "जाओ, कल के प्रोजेक्ट की तैयारी करो। कल मीटिंग है हमारी।"

    जैसे ही रूही जाने लगती है, तभी कबीर रूही को बोलता है, "1 कप कॉफी लेकर आओ पहले मेरे लिए।"

    रूही चुपचाप कॉफी बनाने कैफेटेरिया में चली जाती है और मन ही मन में कबीर को कोसती है कि किस तरह वह बिना मेरी परमिशन के मुझे चूम सकता है। रूही को कबीर के किस की याद आते ही रूही के गाल टमाटर की तरह लाल हो जाते हैं। रूही खुद से सोचती है, "मैं इतना क्यों शर्मा रही हूँ? क्या मुझे इस मॉन्स्टर से प्यार हो गया है? ये मैं क्या सोच रही हूँ?" ऐसा सोचते ही रूही के गालों पर लाली आ जाती है। रूही अपने सारे ख्याल झटक कर अपना काम करने लगती है। काम करते-करते रूही को टाइम का पता ही नहीं चलता कब लंच टाइम हो जाता है।

    कबीर जैसे ही रूही के केबिन की तरफ देखता है, तो रूही बड़े ध्यान से अपना काम कर रही होती है। कबीर अपने और रूही के लंच का ऑर्डर देता है। प्योन कबीर के केबिन में लंच रखकर चला जाता है। कबीर रूही को कॉल करके अपने केबिन में बुलाता है। जैसे ही रूही कबीर के केबिन का दरवाज़ा खटखटाती है और बोलती है, "मै आई, सर।"

    "यस, कम इन," कबीर कहता है।

    रूही कबीर से पूछती है, "सर, आपने बुलाया?"

    कबीर, "हम्म, आओ बैठो।" कबीर रूही को सोफ़े पर बैठने का इशारा करता है। रूही बिना कोई सवाल किए सोफ़े पर बैठ जाती है। टेबल पर खाने की बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। कबीर चेयर से उठकर रूही के पास आता है और रूही के पास सोफ़े पर बैठ जाता है। अपना और रूही का खाना प्लेट में डालता है और रूही की तरफ एक बाइट करता है खाने का।

    रूही झट से, "नहीं सर, मुझे भूख नहीं है। आप खा लीजिए।"

    "रूही, मैं तुमसे नहीं पूछ रहा हूँ, बोल रहा हूँ खाना खाओ। वरना मेरे पास और भी तरीका है तुम्हें खिलाने का।"

    रूही एकटक लगाकर बस कबीर को ही देख रही थी। "कौन सा तरीका?" रूही को अपनी ओर घूरता देख कबीर एक झटके में रूही को अपनी गोद में बिठा लेता है और उसके मुँह में निवाला डाल देता है। रूही चुपचाप खा लेती है। रूही को सच में बहुत भूख लगी हुई थी।

    कबीर रूही से कहता है, "अब तुम मुझे भी खिलाओ।"

    रूही कुछ नहीं बोलती, चुपचाप कबीर को खाना खिलाने लगती है। दोनों एक-दूसरे को खाना खिलाते हैं। खाना खाने के बाद कबीर कहता है, "मुझे कुछ मीठा खाना है।"

    रूही जल्दी से कबीर को खीर खाने को देती है। "मुझे खीर नहीं, और कुछ मीठा खाना है।"

    रूही हरनारी से, "और कुछ नहीं है मीठे में। आप बता दो, मैं लेकर आती हूँ।"

    कबीर बात करते वक्त सिर्फ़ रूही के होंठों की ओर देख रहा था। "बताइए सर, क्या खाना है आपको?"

    कबीर रूही से, "मुझे स्ट्राबेरी खानी है।"

    रूही इतना ही बोलती है कि कबीर रूही के लिप्स पर अपने लिप्स रखकर रूही को गहराई से चूमने लग जाता है। पहले तो रूही कबीर से छूटने की कोशिश करती है, पर रूही कबीर के किस में पिघलने लगती है। रूही भी अब कबीर के किस का जवाब देने लगती है। जिससे कबीर और एक्साइटेड हो जाता है। कबीर रूही को किस करते-करते रूही की गर्दन पर चूम रहा है। रूही भी कबीर के बालों में अपने हाथ घुमा रही होती है। कबीर को अब कंट्रोल करना खुद को मुश्किल हो जाता है। कबीर रूही को फिर से होंठों पर चूमने लगता है। कबीर रूही को किस करते हुए ही अपनी गोद में उठाकर अपने केबिन में बने बेडरूम में ले जाता है। कबीर ने यह रूम स्पेशली अपने लिए बनवाया था। जब भी कबीर काम करते-करते थक जाता तो यहीं सो जाता था। कबीर रूही को रूम में लेकर जाता है। इस रूम में एक छोटा सा बेड था जो 2 लोगों के लिए कम्फ़र्टेबल था। कबीर अब भी रूही को किस कर रहा था। कबीर रूही को बेड पर लेटा देता है और रूही के ऊपर आ जाता है। कबीर रूही की गर्दन पर, कॉलरबोन पर किस ही किस किया जा रहा था। किस के साथ-साथ रूही को काट भी रहा था जिससे रूही की आह निकल जाती है, जिसे कबीर और ज़्यादा एक्साइटेड हो जाता है। कबीर और रूही के कपड़े कुछ ही देर में ज़मीन पर पड़े होते हैं। रूही की सिसकियों की आवाज़ ही कमरे में आ रही होती है, जिसे कबीर और ज़्यादा एक्साइटेड होकर रूही से प्यार कर रहा होता है। रूही भी कबीर का पूरा साथ देती है। 4 घंटे लगातार प्यार करने से रूही थक चुकी होती है, वहीं कबीर का मन अभी भी नहीं भरा था। कबीर रूही की तरफ़ देखता है जो थककर पहले ही सो चुकी थी। कबीर रूही को फ्री करता है और रूही को गोद में उठाकर रूम के साथ अटैच्ड बाथरूम में लेकर जाता है। कबीर रूही को शावर देकर बाथरोब पहना देता है और रूही को आराम से बेड पर लिटा देता है। खुद भी फ्रेश होकर रूही के साथ लेट जाता है। कबीर रूही के फोरहेड पर किस करता है और मन में बोलता है, "रूही, मुझसे दूर मत जाना, वरना मुझे भी नहीं पता मैं क्या कर बैठूँगा। तुम मेरा सुकून हो, जिंदगी हो, तुम मेरी।" इतना बोलकर कबीर रूही को सॉफ्ट सी लिप्स पर चूम देता है। जिससे नींद में भी रूही के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    शाम करीब 5 बजे रूही की नींद खुलती है। रूही खुद को कबीर की बाहों में देखकर हैरान हो जाती है। रूही को कुछ समय पहले की बात याद आती है जिससे उसके चेहरे पर क्यूट सी स्माइल आ जाती है। रूही बड़े गौर से कबीर को देख रही थी। रूही मन में सोचती है, "कितने हैंडसम हैं सर।" रूही को खुद को ऐसा देखता हुआ कबीर बोलता है, "तुम्हारा ही हूँ, नज़र लगाओगी क्या?"

    रूही एकदम से हड़बड़ा जाती है। जैसे ही रूही उठने वाली होती है, कबीर तुरंत उसका हाथ खींचकर ले लेता है और खुद रूही के ऊपर आ जाता है जिससे रूही की साँसे ही गले में अटक जाती हैं। कबीर झुककर रूही के फोरहेड पर किस करता है और बोलता है, "जाओ रेडी हो जाओ। डिनर करने चलेंगे।" इतना बोलकर कबीर साइड हो जाता है।

    रूही ऐसा भागती है जैसे कोई भूत पड़ा हो पीछे। रूही को ऐसा भागता देख कबीर मन में, "पागल कहीं की," और हल्का सा हँस देता है और रूम से बाहर निकल आता है। रूही भी फ्रेश होकर बाहर आ जाती है। कबीर रूही को लेकर अपनी प्राइवेट लिफ्ट में जाता है। ग्राउंड फ्लोर पर आकर सीधा अपनी कार में बैठ जाता है। आज कबीर खुद ड्राइव कर रहा था।

  • 6. Tu junoon mera - Chapter 6

    Words: 1545

    Estimated Reading Time: 10 min

    जैसे ही कबीर रुही रेस्टोरेंट पहुँचा, उसने रुही को कार से बाहर निकलने को कहा। खुद अपनी कार पार्किंग करके, कबीर रुही के पास आया और उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गया। होटल का मैनेजर भागकर कबीर के पास आया और कबीर और रुही का स्वागत किया। मैनेजर रुही और कबीर को उनके टेबल तक ले गया। "एन्जॉय," कहकर मैनेजर VIPs की तरह चला गया। रुही ने अपने आस-पास का नज़ारा देखा और देखती ही रह गई। रेड रोज़ से बना एक बड़ा सा हार्ट था, जिसमें "I love you" लिखा हुआ था। साइड पर रोमांटिक सॉन्ग बज रहा था। जैसे ही रुही पीछे मुड़ी,

    कबीर घुटनों के बल बैठकर, हाथ में रिंग लेकर बोला, "रूह, विल यू मैरी मी?"

    रुही कबीर का कन्फेशन सुनकर शॉक्ड हो गई। रुही की आँखों में आँसू आ गए।

    रुही जल्दी से कबीर को उठाती है और उसे "हाँ" बोलती है। कबीर रुही का "हाँ" सुनकर खुश हो गया। कबीर ने रुही को गले लगा लिया।

    "आई लव 💕💕💕💕💕💕❤️ यू रुही! आई 💕💕💕 यू सो मच!"

    "आई 💕❤️❤️❤️❤️ यू टू, स्वीटी..."

    रुही का कन्फेशन सुनकर कबीर खुश हो गया। कबीर ने रुही को गले लगा लिया और होंठों पर एक कोमल चुंबन किया। इतने में वेटर दोनों का ऑर्डर किया हुआ खाना लेकर आ गया। दोनों बैठकर खाना खाने लगे। कबीर ने सारी डिशेज़ रुही की मनपसंद मँगवाई थीं। रुही अपनी मनपसंद डिशेज़ देखकर कबीर से पूछती है, "आपको कैसे पता लगा ये सारी डिशेज़ मेरी फेवरेट हैं?" कबीर बोला, "मुझे सब कुछ पता है जान, तुम्हें क्या पसंद है और क्या नहीं।" उसकी बात सुनकर रुही थोड़ा मुस्कुरा दी।

    कबीर और रुही खाना खाकर रेस्टोरेंट से बाहर आ गए। अपनी कार में बैठकर वे घर की ओर निकल पड़े। कबीर ने रुही को उसके घर के बाहर छोड़ा। जैसे ही रुही कार से बाहर निकलने लगी, कबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    "गुड नाइट तो बोल दो," कबीर ने कहा।

    "गुड नाइट," रुही ने कहा, पर कबीर ने उसे जाने नहीं दिया। रुही उसे सारी नज़रों से देख रही थी।

    "इतना फ़ीका-फ़ीका गुड नाइट? गुड नाइट कैसे बोलता है?" कबीर ने पूछा।

    कबीर ने रुही के गालों पर हाथ रखा, अपने मुँह के करीब लाया और अपने होंठों को रुही के कोमल होंठों पर रख दिया। उसने रुही को धीरे से चूमा। रुही भी कबीर को चूमने लगी। कुछ देर तक ऐसा चलता रहा। कबीर तब रुही को छोड़ा जब रुही को साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी। कबीर और रुही की साँसें तेज़ चल रही थीं। रुही कबीर को छोड़कर कार से बाहर निकल गई और अपने घर की ओर दौड़ लगा दी। कबीर हँसने लगा। रुही मानो ऐसे दौड़ रही थी जैसे उसके पीछे कोई भूत पड़ गया हो। कबीर तब तक वहाँ खड़ा रहा जब तक रुही घर के अंदर नहीं चली गई।

    रुही जैसे ही घर के अंदर गई, कबीर अपनी गाड़ी अपने घर की ओर मोड़कर चला गया। उसकी माँ ने उसे खाना खाने को कहा, लेकिन रुही ने मना कर दिया।

    "माँ, मैं बाहर खाना खाकर आई हूँ," इतना कहकर रुही अपने कमरे में चली गई। बाथरूम जाकर फ्रेश होने के बाद, वह बेड पर लेट गई। आज दिनभर जो कुछ हुआ, उसके बारे में सोचकर रुही के चेहरे पर मुस्कान आ गई। और रुही नींद के आगोश में सो गई।

    वहीं दूसरी ओर, कबीर घर पहुँचकर सबसे पहले अपनी दादी के कमरे में गया। कबीर की दादी आराम से सो रही थीं। कबीर ने दादी को देखकर अपने कमरे में जाकर जल्दी से फ्रेश होकर अपने बेड पर लेट गया और रुही को याद करने लगा। कबीर ने रुही को कॉल किया। पहली बार में रुही ने कॉल नहीं उठाया क्योंकि वह गहरी नींद में सो रही थी। कबीर ने दोबारा रुही को कॉल किया, पर रुही ने फिर भी कॉल नहीं उठाया। अब कबीर को गुस्सा आने लगा। कबीर जल्दी से अपनी कार में बैठकर रुही के घर की ओर निकल गया। वहीं रुही आराम से सो रही थी। उसे पता भी नहीं था कि कबीर उसके घर आने वाला है। कबीर रुही के घर के सामने खड़ा हुआ। कबीर जल्दी से रुही के घर की किचन की खिड़की से अंदर कूद गया और सीढ़ियों से रुही के कमरे में दाखिल हो गया। जब कबीर ने रुही को देखा, तो उसे देखता ही रह गया। येलो डिम लाइट में रुही का चेहरा चमक रहा था। रुही किसी छोटे बच्चे की तरह सिकुड़ी हुई सो रही थी। रुही सोते हुए बहुत क्यूट लग रही थी। कबीर रुही के फोन पर नज़र दौड़ाई और देखा कि रुही का फोन साइलेंट पर था। कबीर रुही के पास आकर उसके माथे पर किस किया। रुही नींद में करवट बदली, जिसे कबीर ने देखा। तभी रुही ने नींद में कबीर के हाथ को पकड़कर कहा, "अरे वाह्ह! किट्टू, तू तो बहुत वार्म है!" कबीर ने अपने कान को रुही के पास ले जाकर उसकी बात सुनी, तभी रुही ने उसके बालों को पकड़ लिया। "अरे वाह्ह! किट्टू, तू तो बहुत सॉफ्ट है! लव यू!"

    जैसे ही कबीर ने रुही के मुँह से किसी और के लिए "लव यू" सुना, उसकी आँखों में आग लग गई। कबीर एक झटके में रुही के होंठों पर किस करने लगा। जैसे ही रुही को एहसास हुआ, उसकी आँखें खुल गईं। रुही कबीर को देखकर डर गई। वहीं, कबीर का किस बहुत वाइल्ड था, जैसे वह अपना गुस्सा उतार रहा हो। रुही को कुछ समझ नहीं आ रहा था। रुही ने कबीर से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, पर रुही की ताकत कबीर के आगे कुछ नहीं थी। कबीर ने रुही को तब छोड़ा जब रुही को साँस लेने में दिक्कत होने लगी। कबीर रुही के कान के पास जाकर बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे होते हुए किसी और को देखने की?" रुही कबीर की बात सुनकर शॉक हो गई। कबीर ने रुही को उठाकर पूछा, "किट्टू कौन है? जिसे तुम 'लव यू' बोल रही थी?" नींद में रुही ने कबीर के मुँह से "किट्टू" नाम सुनकर हँसना शुरू कर दिया। कबीर को रुही की हँसी से चिढ़ होने लगी।

    "तुम बताओगी कौन है ये?" कबीर ने कहा।

    रुही कबीर का चेहरा देखकर समझ गई कि कबीर को गुस्सा आ रहा है। रुही ने जल्दी से अपने पास रखे टेडी को उठाकर कबीर से बोला, "ये है किट्टू, मेरा टेडी।"

    जैसे ही कबीर को पता चला कि किट्टू एक टेडी बियर है, उसे टेडी बियर से चिढ़ होने लगी। कबीर ने उसे ज़मीन पर फेंक दिया। इससे रुही को गुस्सा आ गया। जैसे ही रुही टेडी को उठाने के लिए बेड से नीचे उतरने लगी, कबीर ने रुही का हाथ पकड़कर उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। कबीर ने रुही के कान में बहुत धीरे से कहा, "मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कि तुम मेरे सिवा किसी और को पसंद करो।" रुही घूर-घूर कर कबीर को देखने लगी। कबीर ने रुही को हल्का सा किस किया और उसके बगल में आकर लेट गया। रुही कुछ बोलने ही वाली थी कि कबीर बोला, "मुझे नींद आ रही है। अब तुम सो जाओ।"

    "आप अपने घर जाकर सो जाइए। ये मेरा घर है," रुही ने कहा, पर कबीर पर रुही की किसी बात का कोई असर नहीं हुआ। कबीर ने रुही को हग करके सो गया। रुही ना चाहते हुए भी अपनी आँखें बंद कर लीं और नींद के आगोश में चली गई। कबीर भी रुही को हग करके सो गया।

    जब रुही सुबह सोकर उठी, तो उसे अपने पास कबीर नहीं मिला। कबीर सुबह ही उठकर चला गया था और साथ में रुही का फेवरेट टेडी बियर, किट्टू, भी ले गया था। रुही को लगा कि शायद वह सपना देख रही थी। जैसे ही उसकी नज़र अपने टेडी बियर पर पड़ी, तो वह वहाँ नहीं था। रुही के पास के टेबल पर एक चिट्ठी पड़ी थी, जिस पर लिखा था, "गुड मॉर्निंग जान! टाइम से ऑफिस पहुँच जाना। और मैं तुम्हारी किट्टू को अपने साथ ले जा रहा हूँ। ऑफिस आकर ले लेना।" रुही को कबीर की बात पर गुस्सा आया कि कैसे वह उसका सबसे प्यारा टेडी बियर ले जा सकता है, लेकिन फिर वह हल्का सा मुस्कुरा दी कि किस तरह कबीर उसके टेडी बियर से छेड़ रहा है। रुही बहुत खुश हुई कि कबीर उसके लिए कितना पॉसेसिव है।

  • 7. Tu junoon mera - Chapter 7

    Words: 1507

    Estimated Reading Time: 10 min

    रुही सुबह जल्दी से तैयार होकर नीचे आई। उसने अपने माता-पिता के साथ बैठकर नाश्ता किया और उन्हें अलविदा कहकर अपने ऑफिस के लिए निकल गई। वहीं कबीर अपनी दादी के साथ मिलकर नाश्ता करता है और अपने बॉडीगार्ड्स के साथ ऑफिस के लिए निकल गया। कबीर अपने ऑफिस पहुँचकर अपने केबिन की ओर गया और अपनी चेयर पर बैठकर काम करने लगा। वहीं रुही ऑफिस पहुँचकर जल्दी से कबीर के केबिन में गई और 9:00 बजे केबिन में पहुँचकर बोली, "मैं आई, कम इन सर।" रुही की आवाज़ सुनकर कबीर बोला, "या, कम इन रुही।" रुही जल्दी से अंदर गई और कबीर के सामने खड़ी हो गई। उसने अपने किट्टू के बारे में पूछा, "आप कैसे मेरे किट्टू को ले सकते हैं? मुझे मेरा किट्टू वापस चाहिए।"

    कबीर रुही के पास गया और बोला, "तुम्हें बिल्कुल मैनर्स नहीं हैं क्या? पहले अपने सर को गुड मॉर्निंग तो विश करो।"

    वही कबीर की बात सुनकर रुही शर्मा गई और बोली, "सॉरी सर, गुड मॉर्निंग..." कबीर रुही से ऐसा गुडमॉर्निंग सुनकर रुही को अपनी ओर देखते हुए बोला, "चलो कोई बात नहीं, मैं तुम्हें सिखा देता हूँ। फिर तुम याद रखना कि किस तरह गुड मॉर्निंग बोलते हैं।" कबीर अपनी चेयर से उठकर रुही के पास आया और उसके लिप्स पर सॉफ्ट किस कर दिया। सॉफ्ट किस, किस में बदल गया। कबीर को पता ही नहीं चला। कबीर उसे तब छोड़ा जब उसे साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी। कबीर ने कहा, "अब तुम्हें पता लग गया होगा कि किस तरह गुड मॉर्निंग विश की जाती है।"

    रुही कबीर को घूर रही थी। कबीर ने कहा, "तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो? अगर तुम चाहती हो तो तुम ट्राई कर सकती हो, मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा।"

    रुही कबीर की बात सुनकर शर्मा गई। रुही ने कहा, "आपने मेरा टीटू कहाँ छुपा रखा है? आप ऐसे कैसे कर सकते हो? आप बिना पूछे मेरा टेडी कैसे ले जा सकते हो? क्या आपको पता है वह मुझे बहुत पसंद है? प्लीज़ मुझे मेरा टीटू वापस कर दो, मुझे उसके बिना नींद नहीं आती।"

    जैसे ही कबीर ने सुना कि रुही टीटू के लिए परेशान है, उसे गुस्सा आ गया। कबीर को अब टीटू से चिढ़ होने लगी थी। कबीर ने कहा, "तुम्हें टीटू की क्या ज़रूरत है जब तुम्हारे पास मैं हूँ?" रुही उसे घूर कर देखती रही।

    "अच्छा, मेरी बात सुनो। मैंने उसे संभाल कर रखा है। जब तुम मेरे पास नहीं होती तो मैं उसे तुम्हें समझकर गले लगाकर सो जाऊँगा।"

    इससे पहले कि रुही कुछ बोल पाती, कबीर बोला, "हमें वालिया कॉरपोरेशन के प्रोजेक्ट पर काम करना है। यह प्रोजेक्ट तुम्हारे लिए बिल्कुल नया है और बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी है। इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं है।" ऐसा बोलते वक़्त कबीर काफी सीरियस लग रहा था। आखिर लगे भी क्यों ना, प्यार अपनी जगह और काम अपनी जगह है। कबीर ने रुही को बताया कि वालिया वाले प्रोजेक्ट पर पिछले 6 महीने से काम चल रहा है। यह प्रोजेक्ट उनकी कंपनी के लिए बहुत ज़रूरी है, उसका ड्रीम प्रोजेक्ट है। रुही कबीर की बात बड़े ध्यान से सुन रही थी। कबीर ने कहा, "तुम इसकी प्रेजेंटेशन तैयार करोगी।" रुही ने बस हाँ में सर हिला दिया।

    जैसे ही रुही अपने केबिन की ओर जाने लगी, कबीर ने उसे रोक लिया। "कहाँ जा रही हो अब?"

    "अपने केबिन में।"

    "तुमने ठीक से नहीं सुना। हम दोनों इस पर काम करेंगे। यहीं बैठकर अपना काम करो।"

    रुही कुछ नहीं बोली और जाकर कबीर के सामने वाली चेयर पर बैठ गई और अपना काम शुरू कर दिया। रुही प्रेजेंटेशन बनाने में इतनी बिजी हो गई कि उसे टाइम का पता ही नहीं चला कि कब लंच टाइम हो गया। वहीं दूसरी ओर कबीर भी अपने काम में बिजी था। जैसे ही कबीर के फ़ोन पर लंच टाइम होने का मैसेज आया, उसकी दादी का मैसेज आया कि उसने आज कबीर के लिए लंच बनाया है, तो वह टाइम से लंच कर ले। कबीर ने टाइम देखा तो 2:00 बज गए थे। इतने में केबिन में पीऑन नॉक करता है और लंच लेकर अंदर आता है। कबीर ने उसे टेबल पर रखकर जाने के लिए बोल दिया। कबीर ने रुही को लंच करने के लिए बोला पर रुही ने मना कर दिया। "मैं बाद में खा लूँगी। आप कर लीजिये, मेरा अभी काम काफी पड़ा है।" कबीर रुही की कोई बात नहीं सुना और सीधा जाकर रुही का लैपटॉप बंद कर दिया। इससे रुही को गुस्सा आ गया। रुही कुछ बोलने ही वाली थी तभी कबीर रुही का हाथ पकड़कर उसे टेबल के पास ले गया और बड़े प्यार से बोला, "टाइम से खाना नहीं खाओगी तो काम कैसे करोगी?" रुही कुछ नहीं बोली। कबीर ने रुही को एक बाइट खाना खिलाया। जैसे ही रुही ने खाना खाया, बोली, "वाह! कितना स्वादिष्ट खाना है! किसने बनाया है?" कबीर ने बड़े प्यार से कहा, "मेरी दादी ने। वो हमेशा दोपहर का खाना मेरे लिए बनाकर भेजती हैं, क्योंकि उन्हें पता है मुझे बाहर का खाना ज़्यादा पसंद नहीं है। मैंने कितनी बार मना किया है सर्वेंट को बोल दिया करो बनाने को, पर वो मेरी सुनती ही नहीं। Hmmm, बहुत ही अच्छा बनाती हैं खाना। चलिए आप भी खाओ।" ऐसे ही दोनों ने लंच किया और दोबारा अपने काम पर लग गए।


    वहीं दूसरी ओर, एक लड़का अपनी चेयर पर बैठकर टेबल पर स्माइल कर रहा था। एक हाथ से अपने फ़ोन में कुछ कर रहा था और एक खतरनाक हँसी हँसते हुए बोला, "कबीर, आई एम बैक। अब तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता। तुम्हारा सब कुछ मैं तुमसे छीन लूँगा। बहुत जी लिए तुम अपनी खुशी। अब तुम्हारी ज़िन्दगी में सिर्फ़ और सिर्फ़ दर्द होगा। तुम्हारी ज़िन्दगी में मैं हर वो चीज़ ले लूँगा जो तुम्हें जान से ज़्यादा प्यारी है, खास करके वो जिससे तुम प्यार करते हो। अब वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी होगी, मेरी देव रायचंद की।" वहीं दूसरी ओर कबीर अपने आने वाले खतरे से बेखबर, अपने और रुही के लिए आगे की ज़िन्दगी सोचकर खुश हो रहा था कि अब उनकी ज़िन्दगी में कोई कमी नहीं होगी और बहुत जल्द वो रुही से शादी कर लेगा। पर उसे क्या पता था कि उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा तूफ़ान तेज़ी से उसकी लाइफ़ में वापस आ चुका है।


    वहीँ देव अपने असिस्टेंट को बोलता है, "मेरी मिस्टर वालिया के साथ मीटिंग फ़िक्स करो। और एक बात याद रखना, किसी भी कीमत पर कबीर सिंघानिया को यह प्रोजेक्ट नहीं मिलना चाहिए। अगर यह प्रोजेक्ट कबीर के पास गया तो तुम सीधा भगवान के पास चले जाओगे।" उसकी बात सुनकर उसका असिस्टेंट रवि डर जाता है और हकलाते हुए बोलता है, "सर, हमारी कंपनी ने भी बहुत अच्छा प्रेजेंटेशन तैयार किया है। हमारी पूरी कोशिश है कि यह प्रोजेक्ट हमारी कंपनी को ही मिले।" इतने में देव बोलता है, "मुझे कोशिश नहीं, परिणाम चाहिए। कबीर को मैं बर्बाद करके रख दूँगा।" असिस्टेंट भी जल्दी से हाँ मिलाकर मिस्टर वालिया के साथ देव की मीटिंग फ़िक्स करने के लिए चला जाता है। देव ओबरॉय, बिज़नेस की दुनिया में सेकंड नंबर पर आता है। इसे कबीर से बहुत चिढ़ है क्योंकि यह हमेशा पहले नंबर पर आना चाहता था, पर कबीर ने कभी ऐसा होने नहीं दिया। क्योंकि देव का एक ही सपना है, कबीर को बर्बाद करना। देव कबीर को बर्बाद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। देव की उम्र 28 साल, हल्की ग्रे आँखें, मस्कुलर बॉडी, देखने में किसी हीरो से कम नहीं, पर दिमाग बिल्कुल शैतानी वाला। देव की फैमिली में सिर्फ़ उसकी एक बहन है जो अब लंदन में रहती है और वहाँ अपनी स्टडी पूरी कर रही है। वहीँ देव अपनी बहन से बहुत प्यार करता है। देव की फ़्रेंड है निशा चतुर्वेदी। निशा देव को मन ही मन बहुत पसंद करती है, इनफ़ैक्ट वो देव से प्यार करती है, लेकिन देव की दोस्ती को नाराज़ न करने की वजह से उसने आज तक देव को कभी नहीं बताया। निशा देव के हर सही-गलत काम में उसकी मदद करती है। यूँ कहें तो वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है। एक तरफ़ा प्यार में पागल है निशा और वहीँ देव सिर्फ़ और सिर्फ़ निशा को अपना एक अच्छा दोस्त मानता है, इससे ज़्यादा कुछ नहीं। क्या होगा जब कबीर को पता चलेगा कि उसका सबसे बड़ा दुश्मन उसके प्यार रुही को उससे छीनना चाहता है? तो क्या करेगा कबीर? देव का और क्यों देव कबीर से इतनी नफ़रत करता है, जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी स्टोरी। थैंक यू।

  • 8. Tu junoon mera - Chapter 8

    Words: 1030

    Estimated Reading Time: 7 min

    कबीर की मीटिंग थी इसलिए वह आज समय से ऑफिस पहुँच गया। रुही भी समय से ऑफिस पहुँच गई थी। रुही कबीर के केबिन में जाकर उसे ग्रीट करती है। रुही को कबीर का प्रेगनेंसी देखा देता है। कबीर को रुही पर ग्ले लगता है। मीटिंग के लिए दोनों स्टार होटल चले गए। वहीं पर मीटिंग रखी गई थी।

    दूसरी तरफ, देव अपने केबिन में बैठा हुआ था। तभी उसका असिस्टेंट आया, "सर, हमें मीटिंग के लिए निकलना होगा। आज की मीटिंग स्टार होटल में रखी गई है।" देव ने उसे ओके बोला और उसके साथ मीटिंग के लिए निकल पड़ा। ऑफिस से बाहर निकलते वक्त उसकी दोस्त निशा मिल गई। निशा देव को देखकर बोली, "हेलो।" देव ने भी निशा को देखकर हेलो का जवाब दिया। निशा ने देव से कहा, "मैं तो तुम्हें मिलने आई थी, पर लगता है तुम कहीं जल्दी में हो।" देव ने कहा, "निशा, आज मेरी एक बहुत इम्पॉर्टेन्ट प्रोजेक्ट की मीटिंग है। अगर यह प्रोजेक्ट मुझे मिल गया, तो तुम्हें जो मन करेगा, वही गिफ्ट मिलेगा। बट अभी मेरे पास टाइम नहीं है और मुझे समय से वहाँ पहुँचना है।" निशा देव की बात सुनकर खुश हो गई और बोली, "मुझे पूरा विश्वास है कि यह प्रोजेक्ट तुम्हें ही मिलेगा।" फिर उसने देव को बाय बोला। देव जल्दी से अपने असिस्टेंट को लेकर अपनी कार में बैठ गया और स्टार होटल की तरफ निकल पड़ा। देव को आगे-पीछे से उसके बॉडीगार्ड्स ने कवर किया हुआ था। देव अपनी कार में अपना फोन चला रहा था और मन ही मन सोच रहा था, "आज से तुम्हारी बर्बादी शुरू है, Mr. Kabir Rathor।" इतने में देव की कार होटल के सामने रुकी। देव जल्दी से बाहर निकला और बुकिंग हाल की तरफ निकल गया। देव का असिस्टेंट उसके पीछे ही था।

    इतने में कबीर की कार भी होटल के सामने रुकी। देव और रुही जल्दी से नीचे उतरे और बुकिंग हाल की तरफ चले गए।

    जैसे ही देव ने हाल में एंटर किया, सबकी निगाहें उसकी ओर चली गईं। सब लोग देव को ग्रीट कर रहे थे। कुछ कॉम्पिटीटर्स को पता था कि डील देव या कबीर में से किसी एक को ही मिलेगी। उनका कोई चांस ही नहीं था। देव Mr. वालिया से मिला और अपनी चेयर पर बैठ गया। इतने में कबीर रूम में एंटर किया। कबीर के पीछे-पीछे रुही भी अंदर आई। सभी ने कबीर को ग्रीट किया। सबकी नज़र तो रुही पर ही थी। सभी शॉक थे क्योंकि आज से पहले कभी कबीर को किसी लड़की के साथ नहीं देखा गया था। कबीर जाकर Mr. वालिया को ग्रीट करता है और अपनी सीट पर जाकर बैठ जाता है। कबीर और देव एक-दूसरे को ग्रीट करते हैं और आँखों ही आँखों में एक-दूसरे को घूर रहे होते हैं। कबीर अपने मन में सोच रहा था, "अब देखते हैं क्या नया तोहफ़ा लेकर आया है, पर मैं भी कबीर राठौर हूँ, इससे डरने वाला नहीं। इसकी औकात दिखाकर ही रहूँगा।" दोनों एक-दूसरे को देखकर मुँह बना लेते हैं। मीटिंग शुरू हो जाती है। Mr. वालिया बारी-बारी से सबकी प्रेजेंटेशन देखते हैं। लास्ट में कबीर को ही कॉन्ट्रैक्ट मिलता है। यह देखकर देव का खून खौल उठता है।

    डील साइन होते ही कबीर वहाँ से निकल जाता है। देव जो कब से रुही को देख रहा था, अपने मन में बोलता है, "डील तो तुम ले गया, Mr. Kabir, पर तुम्हारी सबसे कीमती चीज, तुम्हारी कमज़ोरी को कैसे बचाओगे?" ऐसा बोलते ही देव एक डेविल स्माइल करता है। बाहर निकलते ही देव को कबीर दिख जाता है। देव कबीर के पास चलकर जाता है। इस वक़्त कबीर किसी से फ़ोन पर बात कर रहा होता है। कबीर देव को देखकर फ़ोन काट देता है। देव कबीर के पास जाकर बोलता है, "मुझे पता है मुझे यह देखकर तुम्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा होगा।"

    कबीर बोलता है, "अगर तुम्हें पता ही है तो क्यों बोल रहे हो? मुझे भी पता है तुम हर बार हारकर फिर आ जाते हो मुँह उठाकर।" देव अपनी इंसल्ट देखकर चिढ़ जाता है। "बोलो मत तुम कि मैं कौन हूँ!" कबीर कुछ बोलने ही वाला होता है कि तभी वह रुही को आता देखता है। कबीर रुही को देखकर चुप हो जाता है। कबीर रुही को वहाँ से लेकर निकल जाता है। वहीं देव रुही को जाता हुआ देखता है। देव को रुही की खूबसूरती से लगाव हो गया था। देव अपना फोन निकालकर किसी को कॉल करता है और बोलता है, "मुझे देव और उसकी असिस्टेंट की सारी इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए, छोटी से छोटी, बड़ी से बड़ी। सिर्फ़ 24 घंटे का टाइम है तुम्हारे पास, समझे?" फ़ोन की दूसरी तरफ़ से ओके का आन्सर मिलता है। देव के फ़ेस पर डेविल स्माइल आ जाती है।

    वहीं दूसरी ओर, कबीर रुही के साथ अपने ऑफिस पहुँच जाता है। आज कबीर काफी खुश था, जो उसके फ़ेस से साफ़ पता चल रहा था। कबीर अपने ऑफिस में पहुँचकर रुही को गले लगा लेता है और बड़ी सिद्दत से रुही को किस करने लगता है। रुही भी कबीर के किस में उसके साथ देने लगती है। आखिरकार 20 मिनट बाद दोनों अलग होते हैं। दोनों की साँसें तेज़ चल रही थीं। दोनों अपनी साँसें कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। कबीर के फ़ेस पर स्माइल आती है। वहीं रुही शर्माने लगती है। रुही कबीर को कॉफ़ी बनाने के लिए कॉफ़ी रूम में चली जाती है। कबीर भी अपने काम में लग जाता है। वहीं उसे रह-रहकर देव की आँखें याद आ रही थीं, किस तरह वो रुही को घूर रहा था। कबीर जल्दी से अपना फ़ोन निकालकर किसी को कॉल करता है, "देव पर नज़र रखो।" वहाँ से हाँ का जवाब मिलता है। कबीर फ़ोन काटकर सोचता है, "देव इतनी आसानी से हार मानने वाला नहीं, कुछ तो करेगा अब।"

    आगे देखते हैं कि किस तरह देव कबीर से बदला लेगा।

  • 9. Tu junoon mera - Chapter 9

    Words: 1379

    Estimated Reading Time: 9 min

    वालिया ने अपनी नई प्रोजेक्ट पार्टनरशिप की खुशी में एक पार्टी रखी थी। उन्होंने सभी बिज़नेस मैन को पार्टी में इनवाइट किया था। पार्टी न्यू स्मोक स्टार होटल में थी। वालिया ने देव और वंश को भी इनवाइट किया था।

    रात 8 बजे पार्टी शुरू हो चुकी थी। वालिया सभी से मिल रहे थे। वालिया की नज़र एंट्री गेट की तरफ़ ही थी। वालिया देव का इंतज़ार कर रहे थे। तभी वहाँ वंश अपनी कार से आकर रुकता है। वंश आज अपनी दोस्त निशा के साथ आया था। जैसे ही दोनों रेड कार्पेट पर चलकर अंदर एंट्री करते हैं, सबकी नज़र उन दोनों की तरफ़ चली जाती है। आज वंश ने ब्लैक फॉर्मल सूट पहना हुआ था, जिसमें वंश किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। वहीं निशा ने ब्लैक कलर का गाउन पहना था, जिसकी स्लीव्स कटी हुई थीं। रेड डार्क लिपस्टिक, गले में डायमंड नेकलेस, बालों को कर्ल किया हुआ— कुल मिलाकर निशा किसी परी से कम नहीं लग रही थी। सभी लड़के निशा को ताड़ने में ही लगे हुए थे। जैसे ही वंश देखता है कि कैसे सब निशा को घूर रहे हैं, ख़ासकर लड़के, वंश को न जाने क्यों जलन होती है। वंश निशा की कमर पर हाथ रखकर अपनी ओर खींच लेता है, जैसे सबको दिखाना चाहता है कि निशा उसके साथ है। वंश निशा को लेकर वालिया के पास जाता है और उन्हें निशा से भी मिलवाता है। निशा, जो काफी देर से शॉक थी कि कैसे वंश ने पहली बार उसे अपने करीब किया है, मन ही मन बहुत खुश होती थी। वंश और वालिया बिज़नेस रिलेटेड बातें करने लगते हैं।

    तभी वहाँ हमारे हीरो कबीर की एंट्री होती है। कबीर ने आज व्हाइट फॉर्मल सूट पहना था, जिसमें कबीर किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। वहीं रुही ने व्हाइट लॉन्ग गाउन पहना था। आँखों में काजल, लाइट पिंक लिपस्टिक, डायमंड नेकलेस, हाई हील्स— कुल मिलाकर रुही किसी परी से कम नहीं लग रही थी। जैसे ही दोनों अंदर एंट्री करने लगे, दोनों को मीडिया ने रोक लिया। मीडिया ने कुछ सवाल कबीर से पूछे, जिसका जवाब कबीर ने दो-टूक में ही दिया। कबीर के बॉडीगार्ड्स ने उन्हें वहाँ से हटाया और कबीर ने रुही के लिए रास्ता बनाया। दोनों रेड कार्पेट पर चलकर अंदर एंट्री करते हैं, सबकी नज़र रुही और कबीर पर ही थी। लड़के तो ऐसा रुही को देख रहे थे जैसे कभी कोई लड़की ही नहीं देखी हो। लड़कियों का भी यही हाल था; लड़कियाँ बस कबीर को ताड़ रही थीं। कबीर रुही का हाथ पकड़कर वालिया की ओर जाता है और रुही को वालिया से मिलवाता है।

    ऐसे ही पार्टी अपने जोश में थी कि तभी वालिया ने अपने नए प्रोजेक्ट पार्टनर और प्रोजेक्ट की मैनेजमेंट टीम को पेश किया। सभी ने वालिया और कबीर के लिए तालियाँ बजाईं। कबीर भी सभी बिज़नेस पार्टनर्स से मिला। वहीं, वंश और कबीर दोनों ही अपने बिज़नेस की बातें करने में इतने बिज़ी हो गए कि दोनों को अपने साथ आईं निशा और रुही का ध्यान ही नहीं रहा। वही दोनों लड़कियाँ साइड में खड़ी थीं। दोनों एक-दूसरे से बात करने लगी हुई थीं। अब क्या करें बेचारी, कोई ऑप्शन ही नहीं है! तभी रुही को कॉल आता है। वह 2 मिनट में बात करके चली जाती है। जैसे ही कबीर को ध्यान आता है कि रुही उसके पास नहीं है, वह रुही को ढूँढ़ने के लिए अपनी नज़र चारों तरफ़ घुमाता है। रुही कबीर को साइड टेबल पर दिख जाती है, जो किसी से फोन पर बात कर रही होती है। कबीर रुही की तरफ़ अपने कदम बढ़ाता है।

    वहीं दूसरी ओर, जब वंश को रियलाइज़ होता है कि निशा उसके पास नहीं है, वह निशा को चारों तरफ़ देखने लगता है। तभी उसकी नज़र निशा पर पड़ती है, जो किसी लड़के के साथ हँस-हँसकर बातें कर रही होती है। वंश तो उस लड़के को देखकर ही जल जाता है। वंश जल्दी से अपने कदम निशा की ओर बढ़ा देता है। जितने में वंश निशा के पास पहुँचता है, उतने में वह लड़का निशा को लेकर डांस स्टेज पर आ जाता है, जहाँ पहले से ही कपल्स डांस कर रहे थे। बहुत ही रोमांटिक सॉन्ग चल रहा था। निशा भी उसके साथ डांस करने लगती है। वंश निशा को किसी और के साथ देखकर बहुत बुरी तरह से जल जाता है; पता नहीं क्यों, निशा को किसी और की बाहों में देख वंश को जलन ही हो रही थी।

    वंश वहीं बार काउंटर पर बैठकर ड्रिंक करने लगता है। जैसे-जैसे उनके डांस स्टेप मूव हो रहे थे, वैसे-वैसे वंश का गुस्सा बढ़ रहा था। क़रीब आधी बोतल पी चुका था वंश। वंश से अब बर्दाश्त नहीं हुआ, वह सीधा चलकर डांस स्टेज पर आ गया और एक ही झटके में निशा को उससे अलग कर दिया। निशा एकदम से घबरा गई कि क्या हुआ। निशा ने जब वंश को देखा, तब उसने स्माइल पास की। निशा ने वंश की आँखों में देखा, जो इस वक़्त गुस्से में लाल थीं। वंश निशा का हाथ पकड़कर डांस करने को बोला; तभी निशा को रियलाइज़ हुआ कि वंश ने ड्रिंक की है। निशा झट से अपना हाथ छुड़ाकर नीचे स्टेज पर आ गई, जिससे वंश को और गुस्सा आया। वंश भी निशा के पीछे-पीछे नीचे उतर आया। वंश ने निशा का हाथ पकड़ लिया और बोला, "मुझे भी तुम्हारे साथ डांस करना है।" तभी वह लड़का बीच में बोला, "तुम्हें एक बार समझ नहीं आता कि निशा तुम्हारे साथ डांस नहीं करना चाहती।" निशा ने अपना सर झुका लिया। वंश उस लड़के को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था, जिस हाथ से उसने निशा का हाथ पकड़ा हुआ था। जैसे ही निशा ने वंश की नज़रों का पीछा किया, निशा ने झट से अपना हाथ छुड़वा लिया। निशा झट से बोली, "वंश, यह है अमन, मेरा कॉलेज फ़्रेंड। अमन, यह है वंश, मेरा दोस्त, सबसे अच्छा वाला।" अमन वंश से जैसे ही हाथ मिलने के लिए आगे बढ़ता है, वंश उसके हाथ को इतनी ज़ोर से दबा देता है मानो उसका हाथ ही तोड़ देगा। अमन जल्दी से अपने हाथ छुड़वाता है वंश से। अमन निशा से बोलता है, "चलो हमारा डांस कंटिन्यू करते हैं, वैसे भी तुम्हें डांस करना बहुत पसंद है, निशु।" जैसे ही वंश अमन की बात सुनता है, उसके अंदर हुआ गुस्सा फिर से बढ़ जाता है। निशा उसके साथ चली जाती है। तभी वंश एक वेटर से दो ग्लास वाइन लेकर पी जाता है और निशा के पीछे चला जाता है। वंश झट से निशा का हाथ पकड़ लेता है और बोलता है, "एक बार मेरे साथ भी डांस कर लो।" निशा हाँ कर देती है। वंश निशा को लेकर स्टेज पर आ जाता है। वंश निशा के साथ बहुत ही रोमांटिक सॉन्ग पर डांस करता है—यहाँ यूँ कहो कि ज़बरदस्ती निशा को डांस करवाता है। वंश ने निशा पर अपनी पकड़ हद से ज़्यादा मज़बूत बना रखी थी, मानो वह उसे सज़ा दे रहा हो। जैसे-तैसे डांस पूरा होता है, निशा स्टेज से नीचे आ जाती है, जहाँ पहले से ही अमन खड़ा था। निशा अमन को अनदेखा करके आगे बढ़ गई और सीधा जाकर बार काउंटर से पानी का गिलास लेकर पीती है, जिसे वह पानी समझकर पी रही थी, असल में वह पानी नहीं, वो ड्रिंक थी। निशा को काफी प्यास लगी थी, इस जल्दबाज़ी में उसे गलत ड्रिंक मिल गई। वंश भी निशा के पास आ गया था। वंश निशा का हाथ पकड़कर पार्टी से बाहर आ जाता है। वंश निशा को कार में बिठा देता है और ड्राइवर को घर चलने के लिए बोलता है।

    वहीं दूसरी ओर, कबीर रुही के पास पहुँचता है। रुही कॉल पर किसी से बात कर रही होती है। कबीर पीछे से जाकर रुही के कंधे पर हाथ रखता है, जिससे रुही पीछे मुड़कर कबीर को देखती है। रुही कबीर को घर चलने को बोलती है। कबीर रुही से पूछता है, "ऐनी प्रॉब्लम?" रुही बताती है, "पापा की तबीयत थोड़ी सी खराब हो गई है, बस।" कबीर "ओके" बोलकर रुही को अपने साथ लेकर पार्टी से निकल जाता है।

    वहीं वंश और निशा पूरी तरह नशे में धुत थे। जैसे ही वंश घर पहुँचता है, वह निशा को भी अपने साथ अंदर ले जाता है।

    कबीर रुही को उसके घर छोड़ देता है और अपने घर की ओर चल जाता है।

  • 10. Tu junoon mera - Chapter 10

    Words: 1070

    Estimated Reading Time: 7 min

    वश और निशा घर आ गए। वश निशा को अंदर ले गया। उस वक्त दोनों ही नशे में थे। वश निशा के करीब जाने लगा, कि तभी अमन का कॉल आ गया।

    निशा जैसे ही कॉल पिक करने लगी, वश उससे फ़ोन छीन लिया और खुद अमन की बात सुनने लगा। अमन, बिना निशा की आवाज़ सुने, अपनी ही धुन में बोलता रहा।

    "अमन की बातें सुनकर वश को गुस्सा आ गया।" वश झट से फ़ोन काट दिया और गुस्से में निशा पर बढ़ने लगा। कि तभी फिर से अमन फोन करने लगा, जिससे वश को बहुत गुस्सा आ गया। वश सीधे फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया। एक झटके में निशा को अपनी ओर खींच लिया।

    "आज के बाद तुम इससे न मिलोगी, ना ही बात करोगी," वश ने निशा से कहा।

    "अगर ना मानो तो मेरी बात," निशा ने मज़ाक में बोल दिया।

    निशा की बात सुनकर मानो वश पागल सा हो गया। उसे लगा निशा उसकी बात मानने लगी। वश एक झटके में निशा को अपनी ओर खींच लिया, जिससे निशा उसके सीने से जा लगी। निशा उसकी बाहों से आज़ाद होने की कोशिश करती रही, जिससे वश की पकड़ और मज़बूत हो गई। वश धीरे से, पर गुस्से में, निशा के कान में जाकर बोला, "मुझे माफ़ करना की आदत बिल्कुल नहीं है।"

    निशा कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी वंश निशा को अपनी गोद में उठाकर अपने कमरे की ओर गया। नशे में होने की वजह से वश के पैर डगमगा रहे थे। वश जैसे-तैसे निशा को रूम में ले गया। वश निशा को बेड पर लिटा दिया और खुद निशा के ऊपर आ गया। वंश निशा की आँखों में बड़े ही प्यार से देखता रहा। वश की नज़र निशा के गुलाबी होंठों की तरफ़ गई। वश से कंट्रोल नहीं हुआ और वश झट से निशा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वश निशा को पहले तो सॉफ्ट किस करता रहा, बाद में वश का किस ज़्यादा वाइल्ड हो गया। वश अब किस के साथ निशा के होंठ पर बाइट भी कर लेता था। वश पागलों की तरह निशा के होंठों का रस पी रहा था। निशा को जब साँस लेने में दिक्कत हुई, तब जाकर वश निशा को छोड़ा। वश और निशा दोनों ही अपनी बढ़ती सनसनी को कंट्रोल कर रहे थे। निशा की बड़ी साँसों की वजह से निशा की चेस्ट ऊपर-नीचे हो रही थी, जिसे वश देख रहा था। वश का तो गला ही सूख गया था। निशा लग ही बहुत कामुक लग रही थी।

    निशा जब वश की नज़रों का सामना करती है, तो झट से अलग होने लगती है। लेकिन वंश निशा को एक बार फिर से किस करने लगा। निशा पहले वश से छूटने की कोशिश करती है, पर बाद में वश के किस में शामिल हो जाती है। वश निशा को किस करते-करते निशा के कॉलरबोन तक आ गया था। वंश निशा को किस के साथ-साथ बाइट भी कर रहा था, जिससे निशा की आह निकल जाती है। निशा की आह वश को और एक्साइटेड बना रही थी। वश एक झटके में निशा की ड्रेस उतार देता है। निशा इस वक्त ब्लैक इनरवियर में वश के सामने थी। निशा को अपने सामने ऐसा देख वश से कंट्रोल नहीं हुआ और वश निशा को पीठ के बल लिटा देता है। निशा की गोरी पीठ वश के सामने थी। वश निशा की पीठ पर किसों की बारिश ही कर देता है। वश अपने दांतों से निशा की ब्रा खोल देता है। वश निशा को सीधा करता है। वश निशा के ब्रेस्ट देख पागल सा हो जाता है। वश निशा के ब्रेस्ट पर किस के साथ-साथ बाइट भी कर रहा था। वश के हाथ से निशा का प्राइवेट पार्ट भी सहला रहा था, जिससे निशा की सिसकियाँ निकल रही थीं। वश निशा की पैंटी भी उतार देता है। वश निशा के पेट पर किस करता है और अपने प्यार की निशानियाँ भी छोड़ देता है। वश निशा में एंटर होता है, जिससे निशा की चीख निकल जाती है। निशा की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वश निशा का ध्यान हटाने के लिए निशा को सॉफ्ट किस करने लगता है, लिप्स पर। थोड़ी देर बाद निशा को भी अच्छा लगने लगता है। निशा भी वश का साथ देने लगती है। वश अपनी स्पीड बढ़ा देता है। निशा की आह और सिसकियों से सारा कमरा गूंज रहा था। निशा और वश पूरी रात एक-दूसरे को प्यार करते हैं। सुबह 4 बजे दोनों एक-दूसरे की बाहों में सो जाते हैं। दोनों को अहसास भी नहीं था कि नशे की हद में दोनों सारी हदें पार कर चुके हैं।


    वहीं दूसरी ओर, रुही घर आ जाती है। रुही सीधा अपने मम्मी-पापा के रूम में जाती है। रुही के पापा मेडिसिन लेकर सो चुके थे। रुही की मम्मी अभी तक जागकर रुही का वेट कर रही थी। रुही सीधा अपनी मम्मी से पूछती है, "क्या हुआ था पापा को?"

    रुही को घबराया देख, रुही की मम्मी रुही को शांत करती है, "रुही, तुम पहले शांत हो जाओ। रुही, तुम्हारे पापा ने आज बीपी की गोली नहीं खाई थी, इसी वजह से वो बेहोश हो गए। घबराने की कोई बात नहीं है। डॉक्टर ने इंजेक्शन लगा दिया है। कल तक ठीक हो जाएँगे।"

    अपनी मम्मी की बात सुनकर रुही रिलैक्स हो जाती है। लेकिन रुही को अपने पापा पर बहुत गुस्सा आता है कि वो इतने केयरलेस कैसे हो सकते हैं। "अब सो जाओ मम्मी, मैं सुबह पापा की देखभाल लूँगी। आज से पापा को मैं खुद अपने हाथों से मेडिसिन दूँगी।"

    रुही अपनी मम्मी को बाय बोलकर अपने कमरे में आ जाती है। रुही अपने वॉर्डरोब से अपने कपड़े निकालकर सीधा फ्रेश होने के लिए अपने बाथरूम में चली जाती है। रुही फ्रेश होकर अपने बेड पर आकर लेट जाती है। रुही आज बहुत थक गई थी। सोने से पहले रुही कबीर को गुड नाईट का मैसेज💋💋 इमोजी भेज देती है।

    वहीं कबीर, जो इतनी देर से रुही के कॉल का वेट कर रहा था, रुही का मैसेज पढ़कर कबीर के फेस पर स्माइल आ जाती है। कबीर भी रिप्लाई में रुही को Love 💕💕💕 you और 😘💋💋💋 इमोजी लिखकर भेज देता है और खुद रुही के सपनों में खो जाता है। उसे कब नींद आ जाती है, खुद कबीर को पता नहीं लगा।

  • 11. Tu junoon mera - Chapter 11

    Words: 1434

    Estimated Reading Time: 9 min

    अगली सुबह, 10 बज चुके थे। वंश और निशा एक-दूसरे की बाहों में सो रहे थे। अचानक वंश का फ़ोन बजता है। फ़ोन की आवाज़ से निशा की नींद खुल जाती है। फ़ोन बजकर बंद हो चुका था। निशा अभी हलकी नींद में थी। निशा को अपने ऊपर भार महसूस हुआ। निशा ने आँखें खोलीं। निशा को कल रात की सारी बातें याद आने लगीं। निशा को कुछ-कुछ याद आने लगा। निशा बहुत डर गई। निशा ने अपनी गर्दन हिलाकर अपने साथ सोए हुए शख्स का चेहरा देखने की कोशिश की। वंश पेट के बल लेटा हुआ था। वंश का चेहरा दूसरी तरफ था। वंश का एक हाथ निशा की कमर पर था। निशा ने अपनी हालत देखी। निशा के ऊपर सिर्फ़ ब्लैंकेट था। निशा के कपड़े ज़मीन पर गिरे हुए थे। निशा को समझने में देर नहीं लगी कि रात को उसके साथ क्या हुआ है। निशा ने झट से सारा ब्लैंकेट अपने ऊपर खींच लिया और खुद को कवर कर लिया। एकदम ब्लैंकेट खींचने की वजह से वंश बेड से नीचे गिर गया। नीचे गिरने की वजह से वंश की आह निकल गई। वंश की आह सुनकर निशा को अपने किए पर पछतावा होने लगा। वंश ने जैसे ही बेड की ओर देखा, वंश की आँखें खुली की खुली रह गईं। वंश ने पहले अपनी हालत देखी, फिर बेड पर बैठी निशा को देखा जिसने खुद को ब्लैंकेट से कवर कर रखा था और रो रही थी। वंश ने एक नज़र कमरे की तरफ़ डाली तो अपने पैंट को उठाकर जल्दी से पहन लिया। वंश रात की बात याद करने लगा कि किस तरह वंश और निशा नशे की हालत में एक-दूसरे के करीब आ गए थे। वंश को अब अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा था। ऊपर से निशा का रोना भी बढ़ गया था। निशा जैसे ही खुद को ब्लैंकेट से कवर करके बेड से नीचे उतरी, अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में चली गई। निशा को बॉडी में बहुत दर्द हो रहा था। निशा ने मिरर की मदद से खुद को देखा तो हैरान ही रह गई। निशा की बॉडी पर जगह-जगह लव बाइट के निशान थे जो निक पड़ चुके थे। निशा को अपनी और वंश की करीबी याद आ जाती है, जिससे निशा के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। निशा नहाकर बाहर रूम में आ गई थी। वंश पहले से दूसरे रूम में फ्रेश होकर आ गया था। वंश निशा का इंतज़ार कर रहा था। निशा जैसे ही बाहर निकली, वंश की नज़र निशा पर चली गई। निशा के गले पर वंश के दिए लव बाइट साफ़ दिख रहे थे। निशा वंश के सामने आकर खड़ी हो जाती है। निशा कुछ बोलती इससे पहले वंश बोल पड़ता है।

    "देखो निशा, कल रात हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वो बस नशे की हालत में हुआ। मैं तुमसे प्यार नहीं करता, वो बस एक वन नाइट स्टैंड था। हो सके तो मुझे माफ़ कर दो।"

    वंश के मुँह से ये बातें सुनकर निशा का मानो दिल ही टूट गया था।

    "तुम फ़िक्र मत करो, आज के बाद इस बात का ज़िक्र भी नहीं होगा।"

    निशा अपना फ़ोन उठाकर रूम से बाहर निकल जाती है। वंश बस निशा को जाते हुए देखता है। वंश की नज़र बेड पर जाती है जहाँ निशा का हाथ का ब्रेसलेट पड़ा हुआ था। वंश उसे उठा लेता है। वंश की नज़र बेडशीट पर पड़े ब्लड के निशान पर जाती है। वंश समझ जाता है। निशा वर्जिन थी। वंश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वंश को अपने बोले शब्दों पर बहुत बुरा लगता है। वंश अपने रूम से निकलकर सीधा अपने स्टडी रूम में चला जाता है। वहीं निशा रोते हुए अपने घर पहुँचती है। निशा एक फ़्लैट में रहती थी। निशा अपने रूम में जाकर बहुत रोती है। रोते-रोते ही निशा सो जाती है।


    वहीं दूसरी ओर, कबीर ब्रेकफ़ास्ट टेबल पर अपनी दादी से बातें कर रहा था। आज कबीर की दादी अच्छे मूड में बिलकुल नहीं थीं। कबीर की दादी कबीर को बोलती है, "तुम सारा दिन बस काम में ही बिज़ी रहा करो, मेरे लिए तो तुम्हारे पास टाइम नहीं है।" कबीर अपनी दादी को समझाने की कोशिश में लगा हुआ था। "दादी, मेरे पास सच में बहुत काम होता है।"

    "ठीक है, फिर मुझे बहू लाकर दो।"

    कबीर झट से हाँ बोल देता है। दादी खुशी से उछल पड़ती है। "सच? तुम मुझे बहू लाकर दोगे?" कबीर जब ध्यान से बात सुनता है, तो हड़बड़ा जाता है। "दादी, अब आप कैसी ज़िद लेकर बैठ गई हो?" कबीर की दादी बच्चों की तरह मुँह फुला लेती है। "अच्छा, ठीक है, मैं शादी करूँगा, बस आप नाराज़ मत हो।" कबीर की दादी कबीर की बात सुनकर खुश हो जाती है। कबीर और दादी एक साथ ब्रेकफ़ास्ट करते हैं।

    कबीर अपने स्टडी रूम में चला जाता है। आज संडे था, ऑफ़िस की छुट्टी थी। आज कबीर घर से ही अपना पेंडिंग काम कंप्लीट कर रहा था। वहीं रुही आज जल्दी उठ जाती है। संडे के दिन रुही खुद ब्रेकफ़ास्ट बनाती थी। रुही ने आज बहुत ही हेल्दी और स्वादिष्ट ब्रेकफ़ास्ट बनाया था। रुही के मम्मी-पापा नीचे डाइनिंग टेबल पर आ जाते हैं। रुही के पापा तो बिलकुल चुपचाप थे। उन्हें पता था रुही से आज उन्हें कोई नहीं बचा सकता। ब्रेकफ़ास्ट करने के बाद रुही अपने पापा के सामने मेडिसिन देती है। मेडिसिन को देखकर रुही के पापा बुरा सा मुँह बना लेते हैं। रुही उन्हें गुस्से से देखती है। रुही के डर से पापा चुपचाप मेडिसिन खा लेते हैं।

    "मेडिसिन खा लेने के बाद क्या था?"

    पिछले 1 घंटे से रुही नॉनस्टॉप अपने पापा को सुना रही थी और रुही के पापा मुँह बंद करके आराम से सुन रहे थे। सुन भी क्या रहे थे, मूँगफली खा रहे थे। रुही की मम्मी बोलती है, "बस रुही, आज के लिए इतना बहुत है। अब मुझे नहीं लगता ये ऐसा दोबारा करेंगे।" रुही गुस्से से अपने पापा की ओर देखती है। वो बेचारे सा मुँह बनाकर हाँ कर देते हैं। रुही वहाँ से उठकर सीधा अपने रूम में चली जाती है और अपना काम करने लगती है। तभी रुही का कॉल बजता है। कबीर रुही को मिलने के लिए बुलाता है। रुही हाँ बोल देती है। रुही तैयार होकर नीचे आती है। रुही अपनी मम्मी से बोलकर चली जाती है कि वो शॉपिंग करने जा रही है अपनी फ्रेंड के साथ। रुही की माँ ओके बोल देती है। रुही घर से बाहर निकलती है। थोड़ी दूर चलने पर उसे कबीर की गाड़ी दिखती है। रुही उसमें जाकर बैठ जाती है। कबीर रुही को मिलकर उसे किस करता है और कार स्टार्ट करके निकल जाता है।


    वहीं निशा सोकर उठ चुकी थी। निशा बाथरूम में जाकर फ्रेश हो चुकी थी। रोने की वजह से निशा की आँखें लाल थीं। निशा फ्रेश होकर बाहर निकलती है कि तभी निशा के घर की घंटी बजती है। निशा जाकर दरवाज़ा ओपन करती है। सामने अमन को देखकर हैरान हो जाती है।

    "क्या बात है? आज दरवाज़े पर ही खड़ा रहोगे? अंदर आने को नहीं बोलोगी?"

    निशा अमन की बात सुनकर दरवाज़े से साइड हो जाती है। अमन अंदर जाकर हाल में रखे सोफ़े पर बैठ जाता है। निशा अमन के लिए पानी लेकर आती है। अमन पानी पी लेता है।

    "अमन, तुम यहाँ कोई काम था क्या?"

    निशा की बात सुनकर अमन बोलता है, "मैं तुम्हें लेने आया था।"

    "लेने? कहाँ जाने के लिए?"

    "ओह निशा, तुम भी कितने सवाल करती हो! जाओ, जल्दी से तैयार हो जाओ।"

    निशा अमन को मना कर देती है। "मेरा कहीं जाने का मन नहीं है। तुम जाओ।"

    निशा की ना सुनकर अमन ड्रामा करने लग जाता है। "हाँ, भी तुम क्यों मेरे साथ चलोगी? मैं अब तुम्हारा दोस्त नहीं रहा, ठीक है, चला जाता हूँ।"

    निशा अमन की बातें सुनकर बुरा लगता है। "अच्छा, तुम रुको, मैं अभी आती हूँ, फिर चलते हैं।"

    अमन भी खुश हो जाता है। निशा जल्दी से तैयार होकर बाहर आती है। निशा ने अनारकली गाउन पहना था। निशा इसमें बहुत सुंदर लग रही थी। निशा अमन के पास आकर बोलती है...


    तब जाकर अमन शांत होता है क्योंकि वो कब से निशा को घूर रहा था। निशा और अमन घर से बाहर निकलते हैं। अमन निशा के लिए कार का दरवाज़ा ओपन करता है। निशा कार में बैठ जाती है। अमन भी ड्राइविंग सीट पर आकर कार ड्राइव करने लग जाता है।

  • 12. Tu junoon mera - Chapter 12

    Words: 1351

    Estimated Reading Time: 9 min

    कबीर रुही को लेकर अपने फार्म हाउस गया। कबीर को फार्म हाउस बहुत ही सुंदर लगा। कबीर रुही को लेकर गार्डन में गया। कबीर ने अपने और रुही के लिए पहले से ही अरेजमेंट करवा रखा था। गार्डन में बहुत ही प्यारे हर्ट शेप में गुलाबों से बना "I love you" लिखा हुआ था। साथ में दो कुर्सियाँ भी रखी हुई थीं। गार्डन गुलाबों और फूलों से सजा हुआ था। कबीर ने रुही का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ कुर्सी पर बिठाया।

    रुही को यह सब बहुत अच्छा लगा। कबीर ने उसके लिए इतनी अच्छी डेकोरेशन करवाई थी।

    वहीं दूसरी ओर, अमन निशा को लेकर रेस्टोरेंट गया। "तुम मुझे यहाँ क्यों ले आये हो?" निशा ने अमन से पूछा। अमन ने निशा की बात का जवाब नहीं दिया, बस कार पार्किंग में लगाकर नीचे उतर गया। जब निशा को अमन से कोई जवाब नहीं मिला, वह भी कार से उतर गई। अमन निशा का हाथ पकड़कर रेस्टोरेंट में ले गया। निशा भी किसी अच्छे बच्चे की तरह उसका साथ चली गई क्योंकि उसे पता था कि अमन को बोलने का कोई फायदा नहीं है।

    अमन निशा को अंदर ले गया। अमन ने निशा को पहले से बुक की हुई टेबल पर बिठाया। वहीं, वंश भी उसी रेस्टोरेंट में आया हुआ था। वह अपने किसी दोस्त से मिलने आया था और निशा के अपोजिट सीट पर बैठा हुआ था, जिसे निशा नहीं देख पाई। अमन ने निशा के लिए ब्रेकफास्ट ऑर्डर किया। वेटर दोनों का ऑर्डर किया हुआ खाना लेकर आ गया। अमन और निशा हँस-हँसकर बातें कर रहे थे।

    वहीं, वंश को निशा की आवाज़ सुनाई दी। वह पीछे मुड़कर देखता है और निशा को अमन के साथ बैठा देखता है। अमन निशा के होठों से सॉस साफ़ करता है जो सैंडविच खाते हुए लग गया था। वंश जब दोनों को करीब देखता है तो उसके दिल में बहुत जलन होती है। वंश का दोस्त उससे बातें कर रहा था, लेकिन वंश का ध्यान सिर्फ निशा और अमन पर था। वंश अमन को निशा के करीब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। वंश की आँखों में गुस्सा साफ़ दिख रहा था। वहीं, अमन वंश को देख लेता है और उसे आवाज़ देता है। वंश बिना देरी किए उनके साथ वाली कुर्सी पर आकर बैठ जाता है। वंश का दोस्त उसे बाय बोलकर निकल जाता है।

    वंश निशा को घूर रहा था, मानो कह रहा हो, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इसके साथ आने की?" निशा को वंश की आँखों में गुस्सा साफ़ दिख रहा था, पर निशा को समझ नहीं आ रहा था कि वंश गुस्सा किस बात पर है क्योंकि वंश ने खुद ही कहा था कि वह उससे प्यार नहीं करता। निशा वंश को पूरी तरह से इग्नोर कर रही थी, जिससे वंश को और गुस्सा आया। वंश का बस चलता तो वह अभी के अभी निशा को सबक सिखाता, लेकिन वह अमन की वजह से चुप था। वहीं, अमन निशा से और फ्लर्ट करने लगा, जिससे वंश का बचा-कुचा सब्र भी खत्म हो गया। वंश जानबूझकर निशा के ड्रेस पर जूस गिरा देता है।

    "सॉरी निशा, गलती से गिर गया है। जाओ जल्दी से वॉशरूम में जाकर धो लो, वरना दाग रह जाएगा।"

    निशा जल्दी से हाँ बोलकर वॉशरूम में चली जाती है। वंश भी दो मिनट बाद वहाँ से चला जाता है। अमन बेचारा फोन में गेम खेलने लगता है। वहीं, निशा वॉशरूम में जाकर ड्रेस साफ़ करती है। जैसे ही वह बाहर निकलती है, दो मजबूत हाथ उसे अपनी ओर खींच लेते हैं। निशा घबरा जाती है। जैसे ही निशा उसका चेहरा देखती है, वह गुस्से में बोलती है, "यह क्या बदतमीज़ी है वंश? छोड़ो मुझे!" वंश निशा पर अपनी पकड़ और मजबूत बना देता है। निशा उसे छूटने की कोशिश करती है, लेकिन वंश की ताकत के आगे निशा की ताकत कुछ नहीं थी। निशा स्ट्रगल करना छोड़ देती है, जिससे वंश की पकड़ भी थोड़ी ढीली हो जाती है।

    वंश निशा को धीरे से गुस्से में बोलता है, "तुम यह क्या कर रही हो इसके साथ? मैंने मना किया था ना तुम्हें कि तुम अमन से नहीं मिलोगी। फिर तुम यहाँ क्यों आई हो?" वंश की बात सुनकर निशा को गुस्सा आता है। "तुम कौन होते हो डिसाइड करने वाले कि मैं किसके साथ रहूँगी, किसके साथ नहीं? छोड़ो मुझे!" निशा की बात सुनकर वंश को गुस्सा आता है। वंश दो बार अपनी गर्दन घुमाता है और निशा को अपनी ओर खींचकर निशा के होंठों पर किस करने लगता है। वंश का किस काफी ज़ोरदार था, जैसे वह निशा को सज़ा दे रहा हो। वंश निशा को किस करने में इतना मग्न हो गया कि वह निशा को खा ही जाना चाहता था। निशा अपना पूरा ज़ोर लगाकर वंश को धक्का दे देती है, जिससे वंश की पकड़ निशा से ढीली पड़ जाती है। इसी बात का फायदा उठाकर निशा भाग जाती है। निशा सीधा अमन के पास आकर रुकती है और उसे यहाँ से चलने के लिए कहती है। ऐसा अचानक निशा के बोलने पर अमन शॉक हो जाता है। "अरे बैठो तो निशा! क्या हुआ तुम्हें? तुम इतनी हफ़ीफ़ क्यों हो रही हो? लो पहले पानी पियो।" निशा अमन के हाथ से पानी लेकर पीने लगती है। उतने में वंश भी वहाँ आ जाता है। निशा अमन को चलने के लिए कहती है। अमन बिल पे करके निशा को अपने साथ लेकर चला जाता है। वंश एक बार फिर अपनी गर्दन दो बार घुमाता है और किसी को कॉल लगाता है। "सुनो, मुझे निशा की हर एक पल की खबर चाहिए, समझे?" दूसरी साइड से "यस बॉस" की आवाज़ आती है और कॉल कट हो जाता है।

    वहीं, कबीर रुही को शादी के लिए प्रपोज करता है, जिसे रुही खुशी से एक्सेप्ट कर लेती है। कबीर अपने फार्म हाउस से निकलकर रुही को मॉल में लेकर जाता है, शॉपिंग करवाता है और रुही को उसके घर छोड़ देता है।

    कबीर की दादी कब से कबीर का इंतज़ार कर रही थी। जैसे ही कबीर घर आता है, कबीर की दादी उसे अपने पास बुलाती है। "क्या हुआ दादी अब?" कबीर की दादी बहुत सारी लड़कियों की फ़ोटो कबीर के सामने रख देती है। "देख, कबीर, इनमें से कोई चुन ले।" "दादी, यह सब क्या है? अभी सुबह ही हाँ बोली है आपको शादी के लिए, और इतनी सारी लड़कियों की फ़ोटो भी ले आयीं।" कबीर की दादी बच्चों जैसा मुँह बना लेती है। कबीर बोलता है, "दादी, मैंने आपकी बहू चुन ली है।" जैसे ही कबीर की दादी यह बात सुनती है, उनकी आँखें खुशी से चमक उठती हैं। दादी जल्दी से बोलती है, "अच्छा, क्या नाम है लड़की का? कहाँ रहती है? क्या करती है? कैसी दिखती है?" कबीर अपनी दादी के इतने सारे सवाल सुनकर बोलता है, "दादी, रिलैक्स।" कबीर अपने मोबाइल से रुही की फ़ोटो दादी को दिखाता है। "दादी, यह रुही है।" दादी जल्दी से बोलती है, "अरे, यह तो मेरे बर्थडे पार्टी में भी थी। वही है! अरे, बहुत ही प्यारी बच्ची है यह।" दादी कबीर का कान पकड़कर मरोड़ देती है। "अरे बदमाश! पहले से ही बहू पसंद कर रखी थी तो बताया क्यों नहीं?" "दादी माफ़ कर दो, कान तो छोड़ दो, मेरा दर्द होता है।" कबीर की दादी कान छोड़ देती है और कबीर के सर पर प्यार से हाथ फेरती है। "अच्छा बता, कब मिला रहा है रुही से?" कबीर जल्दी से बोलता है, "बहुत जल्दी दादी।" दादी हँस देती है। कबीर दादी को लंच करवाकर उनके रूम में छोड़कर आता है। "दादी अब आप दवाई लेकर आराम करो।" दादी हाँ में सर हिला देती है।

    कबीर अपने रूम में आकर फ्रेश होता है और अपने स्टडी रूम में जाकर ऑफिस का काम करने लगता है।

    वहीं, निशा अमन को घर छोड़ने के लिए कहती है। अमन भी मान जाता है। अमन निशा को घर छोड़कर अपने घर की ओर निकल जाता है।

  • 13. Tu junoon mera - Chapter 13

    Words: 1251

    Estimated Reading Time: 8 min

    निशा घर पहुँचकर सीधा अपने कमरे में गई। निशा आज जो कुछ भी होटल में हुआ, उसे सोचकर काफी परेशान थी।

    निशा खुद से ही बोलती है, "क्यों वंश, तुम खुद तो मुझसे प्यारवानी करते फिर तुम्हें क्यों फर्क पड़ता है? कौन मेरे करीब आता है, कौन नहीं? क्यों वंश, क्यों?"

    इतना बोलकर निशा फूट-फूट कर रोने लगी। निशा खुद से बोली, "वंश, तुम्हें मैं अपने साथ अब कुछ नहीं करने दूँगी। ना अब तुम मेरे दोस्त हो, ना ही प्यार। मेरी लाइफ में अपने तरीके से जियूँगी। किससे बात करूँगी, किससे नहीं, यह फैसला मेरा होगा, तुम्हारा नहीं। बस अब बहुत रो लिया, अब और नहीं, निशा।"

    इतना बोलकर वह बाथरूम में चली गई। फ्रेश होने के लिए। निशा फ्रेश होकर बाहर आई और किचन में अपने लिए कुछ बनाने चली गई।


    वहीं वंश अपने विला पहुँचकर सीधा अपने विला में बने जिम में चला गया। वंश ने अपने बॉक्सिंग ग्लव्स पहनकर पंचिंग बैग पर काफी पंच मारे। वंश पसीने से तर हो चुका था। वंश के दिमाग में बस अमन और निशा के क्लासेस ही चल रहे थे।

    वंश खुद से बोला, "मुझे पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ उसके लिए, लेकिन अब मैं नहीं देख सकता उसे किसी और के साथ। मन करता है जान से मार दूँ।"

    "अहह्ह्ह्ह्ह्ह... नहीं, बस बहुत हुआ। वो सिर्फ मेरी है, सिर्फ मेरी। मुझे कोई दुश्मनी नहीं भानी, मुझे मेरा सुकून चाहिए, जो सिर्फ मेरी निशा है।"

    वंश ने किसी को कॉल लगाया। "मेरी आज शाम की मीटिंग फिक्स करो, कबीर सिंघानिया के साथ।" सामने से "ओके" बोलकर फ़ोन कट हो गया।

    वंश सनकी की तरह हँसा। अपने फ़ोन में से निशा की फ़ोटो निकालकर निशा की फ़ोटो देखते हुए बोला, "तुम्हें पता है? मैं कभी तुम्हारे करीब नहीं आया। मुझे पता था तुम मुझे पसंद करती हो, फिर भी तुमसे सिर्फ दोस्ती रखी। लेकिन उस नशे की रात में... अब तुम दोस्त नहीं, जान हो, इस वंश की जान। तुम्हें मुझसे कोई नहीं दूर कर सकता, कोई नहीं, तुम खुद भी नहीं।"

    इतना बोल वंश निशा की फ़ोटो को चूम लेता है और अपने रूम में चला जाता है।

    वहीं कबीर और वंश की आज इवनिंग की मीटिंग फिक्स हो चुकी थी। होटल का लक्ज़री प्राइवेट रूम वंश ने बुक किया था। कबीर भी टाइम से पहुँच गया था। कबीर और वंश दोनों आमने-सामने बैठे हुए थे।

    कमरे में बिल्कुल शांति थी। कबीर वंश से बोला, "मुझे यहाँ किस लिए बुलाया है?"

    वंश बोला, "देखो कबीर, मुझे घुमा-फिराकर बात करने नहीं आती, सीधा मुद्दे पर आता हूँ।"

    वंश कबीर से बोला, "देखो, मेरी तुम्हारी जो भी दुश्मनी थी, मैं उसे खत्म करना चाहता हूँ। मैं तुम्हारी तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाता हूँ।"

    कबीर "ओके" बोल देता है। "ठीक है, फिर आज के बाद हम दोनों के दूसरे के किसी काम में टांग नहीं अड़ाएँगे।" दोनों हाथ मिलाते हैं। ऐसी ही दोनों की बातें होती हैं, फिर दोनों अपने-अपने रास्ते निकल जाते हैं।

    वहीं कबीर कल रुही को सरप्राइज़ देने वाला था।

    दूसरी तरफ़ वंश निशा के फ्लैट पर पहुँचता है, लेकिन निशा तो घर थी नहीं। निशा कुछ काम से बाहर गई थी। वंश निशा को कॉल लगाता है, लेकिन निशा फ़ोन नहीं उठाती।

    वंश अपने आदमी को कॉल लगाता है। तब उसे पता लगता है निशा मार्केट में है। वंश निशा को लेने के लिए चला जाता है।

    वहीं कबीर रुही को कॉल लगाता है। रुही कॉल उठा लेती है। कबीर रुही से काफी देर तक बातें करता है।

    वंश मार्केट में जाकर निशा को ढूँढ़ने लगता है। निशा घर के लिए कुछ सामान खरीद रही थी। निशा मार्केट से निकलकर रोड पर चलने लगती है, तभी उसकी साइड पर कार का अचानक हॉर्न बजता है। निशा पीछे मुड़कर देखती है तो उसे वंश दिखता है।

    वंश कार का मिरर नीचे करके उसे कार में बैठने के लिए बोलता है। निशा मना करके आगे जाकर ऑटो रोकने लगती है।

    वंश कार से उतरकर निशा का हाथ पकड़कर उसे कार में जबरदस्ती बिठा देता है। निशा बाहर निकलने की कोशिश करती है तो वंश कार को लॉक कर देता है।

    वंश खुद ड्राइविंग सीट पर आकर कार ड्राइव करने लगता है। निशा गुस्से में बोलती है, "यह क्या बदतमीज़ी है वंश? उतारो मुझे नीचे! सुना नहीं तुम्हें? मैं नीचे उतरूँगी!" वंश को निशा की किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता। वंश निशा को अपने विला में ले जाता है। निशा फिर से बोलने लगती है, "तुम मुझे अपने घर क्यों लेकर आए हो? मुझे मेरे घर जाने दो।"

    वंश अपने विला में एंटर करके कार से नीचे उतरता है। वंश निशा की साइड का कार का डोर ओपन करके निशा को नीचे उतरने के लिए बोलता है, लेकिन निशा मना कर देती है। वंश निशा को अपनी गोद में उठाकर अंदर चला जाता है। निशा बहुत स्ट्रगल करती है, वंश की बाहों से छूटने की, लेकिन कुछ फायदा नहीं होता। वंश निशा को सीधा अपने रूम में ले जाता है। निशा को अपने बेड पर बड़े प्यार से बिठाता है।

    निशा फिर गुस्से में बोलती है, "वंश, तुम मुझे यहाँ क्यों लाए हो?" वंश निशा के करीब जाता है। वंश निशा को उसकी कमर से पकड़कर अपनी ओर खींच लेटाता है। वंश निशा के कान में बड़ी सेंसिटिव वॉइस में बोलता है, "आज के बाद तुम यहीं रहोगी, मेरे पास।" इतना बोल वंश निशा के कान पर बाइट कर लेता है, जिससे निशा की आह निकल जाती है। निशा वंश को धक्का देती है और गुस्से में बोलती है, "मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी! समझे?"

    निशा के झटके में बेड से उतरकर बाहर जाने की कोशिश करती है, तभी वंश निशा का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लेता है। एकदम खींचे जाने की वजह से निशा का सीना वंश की चेस्ट पर लगता है। वंश अपनी नेक को दो बार राउंड में घुमाता है। वंश की पकड़ निशा पर बहुत मज़बूत हो जाती है, जिससे निशा को दर्द होने लगता है। "यह क्या कर रहा हो वंश? मुझे दर्द हो रहा है! छोड़ो मुझे!" लेकिन वंश निशा को दीवार से सटा देता है। वंश गुस्से में निशा से बोलता है, "तुम्हें एक बार समझ में नहीं आता कि तुम यहाँ से कहीं नहीं जा सकती हो!" निशा वंश की आवाज़ सुनकर डर जाती है। निशा को खुद से डरता देख वंश को बुरा लगता है। वंश निशा को अपने सीने से लगा लेता है। वंश निशा को लेकर बेड पर बिठाता है। वंश निशा को बड़े प्यार से समझाता है, "निशा, तुम मुझसे दूर नहीं रह सकती। मैं तुम्हें किसी का साथ नहीं देख सकता, मेरे सिवा। तुम्हें कोई और देखे, मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता। अगर इसे प्यार बोलते हो तो निशा, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। बस तुम मुझसे दूर जाने की बात मत करो।" निशा चुपचाप वंश की बातें सुन रही थी। वह भी हैरान हो जाती है कि वंश उससे प्यार करता है। निशा बड़ी मासूमियत से पूछती है, "सच तुम मुझे प्यार करते हो?"

    वंश बस हाँ में सर हिला देता है। निशा वंश को गाल पर खुशी के मारे पता नहीं कितनी बार किस कर लेती है। निशा बहुत खुश होती है क्योंकि उसे उसका प्यार मिल गया था। लेकिन उसे क्या पता था, वो सोए हुए शेर को जगा रही है।

  • 14. Tu junoon mera - Chapter 14

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    निशा वंश को 😘💋 करके पीछे हटने ही वाली थी कि वंश ने उसे पकड़कर अपने नीचे कर लिया। निशा इस अचानक हुए एक्शन से हैरान हो गई। वह वंश से छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन वंश ने उसे नहीं छोड़ा। वंश बड़े ही सेंसिटिव वॉइस में निशा से बोला, "I need you sweetheart ❤️❤️❤️❤️"

    जैसे ही निशा ने वंश की बात सुनी, उसके गाल टमाटर की तरह लाल हो गए। वंश ने, निशा को इतना शर्माता देखकर, उसके गालों पर किस कर दिया। फिर आगे बढ़कर, उसने निशा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वंश ने निशा को बहुत ही सोफ्टली किस किया। वह निशा के होंठों के रस को पूरी तरह पी जाना चाहता था। निशा ने वंश के किस का रेस्पॉन्स दिया जिससे वंश अब वाइल्ड हो गया। वंश अब निशा को कॉलरबोन पर 😘 करने लगा। वह निशा के गले पर किस करते-करते उसे बाइट भी कर रहा था जिससे निशा की आह निकल गई। वंश ने निशा की ड्रेस एकदम से उतार दी। निशा अब वंश के सामने ब्लैक इनरवियर में थी। वंश निशा को ऐसे देखकर अपना सारा कंट्रोल खो बैठा। उसने निशा की ब्रा भी उतार दी और निशा की चेस्ट पर किस और सहलाना शुरू कर दिया।

    निशा ने वंश के बालों में अपना हाथ फेर दिया जिससे वंश और एक्साइटेड हो गया। वह निशा की चेस्ट को प्रेस करने लगा जिससे निशा की आह निकल गई। वंश निशा के पेट पर भी किस करने लगा और धीरे-धीरे निशा के प्राइवेट पार्ट को सहलाने लगा। फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए। निशा वंश को देखकर शर्मा गई। वंश ने धीरे-धीरे निशा में एंटर किया। निशा को पहले थोड़ा दर्द हुआ, फिर बाद में अच्छा लगने लगा। वंश ने अपनी स्पीड बढ़ा दी जिससे पूरे कमरे में निशा की सिसकियाँ ही आवाज़ आ रही थीं। 4 घंटे बाद वंश ने निशा को छोड़ा। निशा काफी थक चुकी थी और वंश की बाहों में ही सो गई। वंश ने निशा को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया, उसे साफ नहलाया, नया इनरवियर पहनाया और बेड पर अच्छे से लिटा दिया। उसने निशा के फोरहेड पर किस किया और खुद के कपड़े चेंज करके निशा को अपनी बाहों में भरकर सो गया।

    निशा के उठने से पहले ही वंश उठ चुका था। जब निशा की आँख खुली तो उसे थोड़ी देर पहले हुई बातें याद आ गईं जिससे उसके गाल टमाटर की तरह लाल हो गए। कमरे में नज़र घुमाकर देखा तो वंश बड़े ही ध्यान से सोफे पर बैठकर अपने ऑफिस का काम कर रहा था। निशा बेड से उठकर सीधे जाकर वंश की गोद में बैठ गई। वंश ने निशा को अपनी गोद में देखकर अपना लैपटॉप बंद कर दिया और उसके गालों पर किस किया। उसने निशा से पूछा, "भूख लगी है?" निशा ने बड़ी ही मासूमियत से अपने पेट पर हाथ फेरते हुए हाँ में सर हिला दिया। वंश बोला, "अच्छा, जाओ चेंज कर लो, फिर साथ में डिनर करेंगे।" निशा बोली, "पर मैं तो अपने कपड़े लेकर ही नहीं आई हूँ।" "पहले देखो तो सही वॉर्डरोब में," वंश ने कहा। निशा ने वॉर्डरोब खोलकर देखा तो उसमें बहुत तरह-तरह के स्टाइलिश कपड़े थे। निशा जल्दी से अपने लिए एक कम्फ़र्टेबल ड्रेस लेकर चेंज करने के लिए वॉशरूम में चली गई। जब वह चेंज करके बाहर आई तो बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसने एक क्यूट टेडी बियर वाला नाइट सूट पहना हुआ था जिसमें वह बिल्कुल टेडी बियर लग रही थी। वंश निशा के पास आया, उसे गले लगाया और किस किया। "तुम बहुत क्यूट लग रही हो। मुझे तुम पर प्यार आ रहा है।"

    निशा जो अभी नहाकर आई थी, उसकी खुशबू वंश को मदहोश कर रही थी। निशा ने वंश को खुद से अलग करते हुए पूछा, "क्या तुम...?" वंश फिर से निशा को 🤗 कर लेता है। निशा बड़ी मासूमियत से बोली, "वंश, मुझे बहुत भूख लगी है।" वंश बोला, "मुझे भी लगी है। मैं तो तुम्हें खाना चाहता हूँ।" निशा गुस्से में बोली, "वंश, मुझे भूख लगी है!" वंश जल्दी से निशा को छोड़ता है, "अच्छा, चलो, गुस्सा क्यों हो रही हो?" वह निशा का हाथ पकड़कर डाइनिंग टेबल पर ले गया। सारी डिशेज़ निशा की पसंद की बनी हुई थीं, जिन्हें देखकर निशा के मुँह में पानी आ गया। वंश निशा को अपनी गोद में बिठाकर खाना खिलाता है। निशा कहती भी है, "मैं खुद से खा सकती हूँ," पर वंश उसकी कोई बात नहीं सुनता और दोनों एक-दूसरे को खाना खिलाते हैं।

    खाना खाने के बाद वंश निशा को गार्डन में ले गया। दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गार्डन में घूमते हैं। निशा वंश से कहती है, "मैं थक गई हूँ।" वंश निशा को अपनी गोद में उठाकर अपने बेडरूम में ले जाता है और उसे बड़े ही आराम से बेड पर लिटा देता है, जैसे कोई गुड़िया हो। वह निशा के करीब लेट जाता है। अभी निशा को नींद नहीं आ रही थी, लेकिन वंश उसे बार-बार सर सहलाकर सुलाने की कोशिश कर रहा था। निशा वंश से कहती है, "मुझे नींद नहीं आ रही। कोई अच्छा सा सॉन्ग सुनाओ।" वंश बोलता है, "मुझे गाना नहीं आता।" ऐसे ही दोनों बातें करते रहते हैं और निशा वंश की बाहों में सो जाती है। वंश निशा को आराम से अलग करके लेटा देता है। निशा नींद में भी वंश के हाथ को पकड़ लेती है, जैसे उसे कहीं छोड़कर जा रहा है। वंश निशा की इस हरकत पर हल्का सा मुस्कुरा देता है और उसे अपनी बाहों में भरकर सो जाता है।

  • 15. Tu junoon mera - Chapter 15

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    कबीर आज खुश था क्योंकि वह रुही को सरप्राइज़ देने वाला था। रुही को पता ही नहीं था कि कबीर उसे क्या सरप्राइज़ देने वाला है।

    रुही जो अभी तक सो रही थी, उसकी माँ उसके कमरे में आकर उसे उठाती है। "उठो बच्चा, सुबह हो गई है।" रुही अपनी माँ को गले लगाकर उठ जाती है। रुही की मम्मी उसे एक बहुत प्यारी ड्रेस देती है। "रुही, जाओ जल्दी से तैयार हो जाओ और यह पहन कर आओ, मैं तुम्हें रेडी कर देती हूँ।"

    रुही अपनी मम्मी से सारी लेकर पूछती है, "क्या बात है मम्मी? आज हम कहीं घूमने जा रहे हैं क्या?" रुही की मम्मी बोलती है, "नहीं।" रुही फिर कहती है, "मुझे ऑफिस भी जाना है। मुझे तो पता ही नहीं है कि आज कोई खास दिन भी नहीं है।"

    "बेटा, आज ऑफिस से छुट्टी ले ली है। घर पर मेहमान आ रहे हैं। जाओ जल्दी से रेडी हो जाओ।" रुही को थोड़ा अजीब तो लगता है, पर वह अपनी मम्मी से बहस नहीं करती और फ्रेश होकर बाहर निकलती है। रुही की मम्मी रुही को अच्छे से तैयार करके अपने साथ नीचे हॉल में ले आती है।

    रुही के पापा पहले से ही रेडी थे। रुही अपने पापा के पास जाती है और पूछती है, "कौन आने वाला है पापा? खाने की खुशबू भी बहुत अच्छी आ रही है।"

    रुही की मम्मी रुही के पास जाकर कहती है, "तुम्हें देखने लड़के वाले आ रहे हैं।"

    रुही जैसे ही अपनी माँ की बात सुनती है, तो वह हैरान हो जाती है। "माँ, आपको पता है ना मुझे अभी शादी नहीं करनी।" रुही अपने पापा से कहती है, "मैं नहीं मिलने वाली किसी लड़के से। उन्हें बुलाने से पहले मुझसे एक बार पूछ तो लेते। मुझे अभी नहीं करनी शादी।" रुही की मम्मी कहती है, "शादी नहीं कर रहे हैं, बस देखने को बोल रहे हैं। नहीं पसंद आया लड़का तो मना कर देना। वैसे भी बहुत ही अच्छे घर का लड़का है।"

    रुही कुछ बोलती उससे पहले ही रुही की मम्मी कहती है, "बस एक बार मिल लो। हमारी इज़्ज़त रह जाएगी। तुम्हारा साथ कोई जबरदस्ती नहीं है, रुही।" इतने में, बाहर दरवाज़े की घंटी बजती है। "लगता है वो लोग आ गए। तुम रुही को अंदर ले जाओ, मैं मेहमानों को अंदर ले आती हूँ।"

    रुही की मम्मी रुही को अंदर कमरे में ले जाती है और खुद मेहमानों के आने-जाने में लग जाती है। वहीं, रुही टेंशन में पागल हो रही थी। कबीर फोन नहीं उठा रहा था, ऊपर से माँ-पापा ने बिना पूछे लड़के वाले घर पर बुला लिए थे।

    रुही के माँ-पापा को लड़का और उसका परिवार बहुत पसंद आता है। लड़के वाले रुही को बुलाते हैं। रुही की मम्मी रुही को लेकर आती है। लड़के वालों को भी रुही पसंद आ जाती है। लड़के की दादी रुही से पूछती है, "तुम्हें क्या करना पसंद है बेटा?" रुही को आवाज़ जानी-पहचानी लगती है। रुही अपनी नज़रें उठाकर देखती है तो सामने कबीर और उसकी दादी बैठे हुए थे।

    रुही कबीर को देखकर हैरान हो जाती है। रुही के मम्मी-पापा मुस्कुरा देते हैं। रुही सबकी तरफ हैरानगी से देखती है। रुही के माँ-पापा ने रुही का हाथ पकड़कर कहा, "तुम हमें नहीं बताओगी तो क्या हमें पता नहीं चलेगा? हमें पता है तुम दोनों बच्चे एक-दूसरे से प्यार करते हो।" रुही अपनी नज़रें चुरा रही थी।

    कबीर की दादी कबीर का कान मरोड़ देती है जिससे कबीर की आह निकल जाती है। "दादी, छोड़ो मेरा कान! नालायक! खा चुप क्यों रखा था? मेरी बहू को मुझे तो यह समझ नहीं आता इतनी प्यारी बहू मिल गई तुम्हें।"

    कबीर की दादी की बात सुनकर सब हँसने लगते हैं। सभी मिलकर कबीर और रुही का रिश्ता पक्का कर देते हैं। पंडित एक हफ़्ते बाद शादी की तारीख निकालते हैं। उसके बाद छह महीने तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं था। रुही के पापा बोलते हैं, "इतनी जल्दी सब कैसे होगा?"

    फिर दोनों परिवार के लोग मान जाते हैं। ऐसे ही सब आपस में बातें कर रहे थे। रुही कबीर को अपना रूम दिखाने ले जाती है। रुही कबीर के गले लग जाती है। कबीर भी उसे टाइट गले लगा लेता है। "कैसा लगा मेरा सरप्राइज़?"

    "बहुत ही अच्छा था। बस अब तुम आधिकारिक तौर पर मेरी हो जाओ।" सिर्फ़ इतना कहकर रुही मुस्कुरा देती है। कुछ देर बाद दोनों नीचे हॉल में आ जाते हैं। कबीर की दादी दोनों को बोलती है, "शादी होने तक तुम दोनों एक-दूसरे से नहीं मिलोगे, समझे?"

    रुही हाँ कर देती है। लेकिन कबीर बोलता है, "दादी, यह क्या बात हुई? हम क्यों नहीं मिल सकते?"

    "नालायक! यह रिवाज है।" कबीर बोलता है, "किस पागल ने यह रिवाज बनाया? मेरे सामने लेकर आओ। ज़रूर उसे कोई नहीं मिली होगी।" कबीर की बात सुनकर सभी हँसने लगते हैं। वहीं, कबीर रुही को गुस्से से देखता है। रुही जैसे ही अपनी गाड़ी रोक लेती है और मन ही मन हँस रही थी। कबीर और कबीर की दादी सब से अलविदा कहकर अपने विले से निकल पड़ते हैं।

    रुही अपने माँ-पापा को ज़ोर से गले लगा लेती है। रुही के पापा रुही से पूछते हैं, "तुम खुश तो हो ना बच्चा?" रुही जल्दी से बोलती है, "मैं बहुत खुश हूँ पापा। कबीर बहुत ही अच्छे इंसान हैं। मुझसे बहुत ही प्यार करते हैं।" रुही के पापा बोलते हैं, "देखो, कल तक जो छोटी सी हमारी रुही थी, आज देखो कितनी बड़ी हो गई है।" सभी की आँखें नम हो जाती हैं। रुही की मम्मी बोलती है, "बस, भी करो अब। शादी की तैयारी भी करनी है। देखो, वक़्त कम है और काम ज़्यादा।"

    रुही के पापा बोलते हैं, "अप फिक्र मत करो, सब हो जाएगा। हमें शादी की शॉपिंग भी करनी है। चलो, जल्दी सब तैयार हो जाओ फिर शॉपिंग पर चलते हैं। ठीक है?"

    "चलते हैं।"

    "हम सब कुछ रुही के पसंद का ही लेंगे, ओके?" रुही बस हाँ में सर हिला देती है।

  • 16. Tu junoon mera - Chapter 16

    Words: 1189

    Estimated Reading Time: 8 min

    रूही अपनी मम्मी और पापा के साथ मॉल गई थी। रुही के पापा कुछ काम कहकर दोनों को मॉल में छोड़कर चले गए थे। रुही ने कबीर को मैसेज करके बता दिया था कि वह सगाई की शॉपिंग के लिए मॉल आई है। कबीर ने अपने गार्ड्स से रुही को प्रोटेक्ट करने के लिए कह दिया था।

    रुही अपनी मम्मी के साथ अपने लिए अच्छी-अच्छी ड्रेस चुन रही थी। रुही ने काफी शॉपिंग कर ली थी। रुही अपनी मम्मी को लेकर मॉल में बने कैफे में गई। रुही ने वहाँ अपने लिए कुछ खाने का ऑर्डर किया। रुही की मम्मी वॉशरूम जाने के लिए वहाँ से चली गई। रुही अपने मोबाइल में कबीर से मैसेज पर बात कर रही थी। तभी उसने देखा कि तीन-चार लड़के एक वेटर के साथ बदतमीज़ी कर रहे थे।

    रुही पहले इग्नोर कर रही थी। हद तब हुई जब उनमें से एक ने उस पर हाथ उठाने की कोशिश की। रुही झट से अपनी चेयर से उठी और उस वेटर को साइड करके सामने वाले लड़के के मुँह पर खींचकर तमाचा मार दिया।

    इतनी जल्दी में सब कुछ हुआ कि किसी को पता ही नहीं चला। जैसे ही बॉडीगार्ड्स ने देखा कि रुही पर कोई अटैक करने की कोशिश कर रहा है, झट से सब आकर रुही को प्रोटेक्ट करने के लिए खड़े हो गए।

    इतने में कैफे का ओनर भी आ गया। "जिस लड़के को रुही ने थप्पड़ मारा था, वो बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर हाथ उठाने की? तुम जानती नहीं हो मैं कौन हूँ?"

    रुही झट से बोली, "ये बिगड़े हुए घर की औलाद हैं, जिन्हें आपसे छोटे लोगों को इंसल्ट करने में मज़ा आता है।"

    बात बिगड़ती देख मैनेजर झट से बोला, "मैम, क्या बात है? क्या प्रॉब्लम है?"

    रुही ने बताया कि किस तरह ये लोग वेटर के साथ इंसल्ट कर रहे थे, यहाँ तक कि हाथ भी उठा दिया था, सिर्फ़ इसलिए कि वो गरीब है।

    मैनेजर भी जानता था कि ये चारों कितने बदमाश हैं। अपने बाप के दम पर ये आकर उधम मचाते हैं।

    जैसे ही वो लड़का रुही को मारने के लिए आगे बढ़ा, कबीर के बॉडीगार्ड्स ने उस पर गन पॉइंट कर दी, जिससे सभी वहाँ डर गए।

    रुही ने उस लड़के से कहा, "जिंदा रहना चाहते हो तो माफ़ी मांगो, अभी इसी वक़्त।"

    लड़के ने वेटर से माफ़ी माँगी और गुस्से से रुही को देख रहा था, जैसे जान से मार देगा। रुही ने बॉडीगार्ड्स से उन्हें जाने के लिए कहा। बॉडीगार्ड्स ने उन्हें जाने का रास्ता दे दिया।

    इतने में रुही की मम्मी आ गई। "क्या हुआ था? रुही, सब ऐसा क्यों खड़े हैं? कुछ नहीं हुआ, आओ, हमारा ऑर्डर आ गया है।"

    मैनेजर ने सभी को उनकी सीट पर जाने के लिए कहा। जैसे ही रुही अपनी टेबल पर जाने लगी, उस वेटर ने हाथ जोड़कर रुही का धन्यवाद किया। रुही बस मुस्कुराकर अपनी सीट पर चली गई।

    वहीं वो लड़के अपनी कार में बैठकर मॉल से निकल गए। कार में दक्ष अपने गाल पर हाथ रखकर बैठा हुआ था। "ये तुमने ठीक नहीं किया, दक्ष कपूर! हाथ उठाकर... तुम्हें इसकी सज़ा मिलेगी, और बहुत जल्दी मिलेगी।" ऐसा बोल वो एक गंदी हँसी हँसने लगा।

    तभी उसके साथी बोले, "पागल मत बन, दक्ष! वो कोई आम लड़की नहीं लग रही थी। देखा नहीं उसके बॉडीगार्ड्स को?"

    "हम सब तुझसे बोल रहे हैं, भूल जा यार।" दक्ष उनके गुस्से से देखता है। सभी चुप हो जाते हैं। "मैं भी कोई मामूली सा इंसान नहीं हूँ। दक्ष कपूर हूँ, समझा?" दक्ष उन्हें वहीं रास्ते में उतार देता है और खुद कार में जाकर बैठ पीने लगता है।

    वहीं रुही अपनी माँ के साथ शॉपिंग करके बाहर निकली, उसे उसका पापा मिल गया। "हो गया पापा आपका काम?" "हाँ बेटा, हो गया।" इतना बोल तीनों अपने घर की ओर चले गए।

    वहीं बॉडीगार्ड्स ने मॉल में सारी घटनाएँ कबीर को बता दीं। कबीर ने उन लड़कों की सारी जानकारी निकलवाने के लिए कहा।

    वहीं दूसरी ओर, रुही के पापा ने बताया कि २ दिन बाद सगाई की तारीख निकली है पंडित जी ने।

    कबीर की दादी चाहती थी कि सगाई का फंक्शन उनके विला में हो। दोनों परिवार मिलकर सारी तैयारी करने लगे। रुही की मम्मी हाँ बोल देती है। "चलो जाकर पैकिंग करो, हमें शाम को निकलना है।"

    रुही "ओके" बोलकर अपने रूम में चली जाती है। उधर, कबीर ने दक्ष की सारी जानकारी निकलवा ली थी।

    वहीं दूसरी ओर, वंश को काम के सिलसिले में बाहर जाना था। निशा मुँह फुलाकर सोफ़े पर बैठी हुई थी। निशा उठकर वंश के पास आती है। "मैं भी चलूँ क्या?"

    निशा बड़ी ही मासूमियत से वंश से बोलती है। वंश आगे बढ़कर निशा के lips पर kiss करके बोला, "ओके, चलो।"

    निशा "हाँ" सुनकर बहुत खुश हो जाती है। वंश निशा की खुशी देख सकता था। शाम को दोनों लंदन चले जाते हैं। वंश का वहाँ पर भी बिज़नेस था। कुछ प्रॉब्लम की वजह से वंश को वहाँ जाना पड़ा था। निशा फ्लाइट में ही सो गई थी। वंश उसे अपनी बाहों में लेकर बैठा हुआ था।

    फ्लाइट की लैंडिंग होने पर भी निशा सोई हुई थी। वंश निशा को नहीं उठाता। वंश निशा को अपनी गोद में लेकर ही नीचे उतरता है। वंश के बॉडीगार्ड्स आगे चलकर दोनों को कवर कर लेते हैं। एयरपोर्ट से बाहर निकलकर वंश अपनी कार में बैठ जाता है। वंश के पीछे गाड़ियों का काफ़िला चल पड़ता है वंश के विला की ओर।

    वंश का यहाँ भी बहुत ही सुंदर विला था। वहीं वंश के विला में कोई बेसब्री से वंश का इंतज़ार कर रही थी। बार-बार दूर की तरफ़ देख रही थी। "मिनी, बैठ जाओ, आते ही होंगे वो लोग ना? मासी, मुझसे अब और वेट नहीं हो रहा।" तभी बाहर गाड़ियों के रुकने की आवाज़ आती है। मिनी भागकर बाहर देखती है। मिनी भागकर वंश की गोद में चिपक जाती है। "मिस यू भाई! इतना कौन टाइम लगता है आने में?"

    तभी निशा भी बाहर निकलती है। मिनी उसे भी जाकर गले लगती है। "भाभी आई, मिस यू!" निशा भी मुस्कुराकर मिनी को गले लगा लेती है। मिनी, वंश और निशा के साथ अंदर आती है। निशा घर को देखकर काफ़ी सरप्राइज़्ड थी। विला सच में बहुत ही सुंदर बना हुआ था। वंश मिनी को बहुत प्यार से अपने पास बिठाता है।

    मिनी भी वंश को देखकर बहुत खुश थी। फ़ाइनल में दोनों को मिल ही गया, मेरा लिए। वंश बस चुपचाप मिनी की शिकायत सुन रहा था। वहीं मिनी पूरा पिटारा लेकर बैठी थी।

    "चल बच्चा, बस भी कर। माफ़ कर दे अपने भैया को। प्रॉमिस अब हम सब साथ में रहेंगे, खुश।"

    मिनी सुनकर खुश हो जाती है। "सच भाई? है सच्ची?" ऐसा ही सब अपने डिनर ख़त्म करते हैं और अपने रूम में चले आते हैं रेस्ट करने के लिए।

  • 17. Tu junoon mera - Chapter 17

    Words: 1512

    Estimated Reading Time: 10 min

    रुही और सबने अपना सामान पैक कर लिया था। तभी डोरबेल बजी। रुही जाकर दरवाज़ा खोला।

    बाहर दरवाज़े पर कबीर का ड्राइवर खड़ा था, जो सबको पिक करने आया था। सभी जाकर कार में बैठ गए।

    कुछ ही देर में सब कबीर के विला के अंदर खड़े थे। कबीर की दादी सभी का वेलकम करती है। रुही के मम्मी-पापा विला के अंदर आते ही उनकी आँखें खुशी से बड़ी हो गईं। कबीर का विला किसी महल से कम नहीं था।

    रुही के मम्मी-पापा भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं कि उनकी बेटी को इतना अच्छा घर और परिवार मिला।

    कबीर की दादी सर्वेंट से बोलकर सभी का सामान उनके कमरे में रखवा देती है। कबीर की दादी सभी के साथ हल्की-फुल्की बातें करने लगी। कबीर की दादी बोली, "कबीर को सिम्पल सी शादी चाहिए।" सभी हाँ में सर हिला देते हैं।

    सभी के मेहमान आने लगे थे। वहीं कबीर रुही को ढूँढ़ रहा था, कि थोड़ी देर रुही से बात करेगा। सुबह इम्पॉर्टेंट मीटिंग थी। जब घर आया तो दादी ने रुही के पास नहीं जाने दिया। ऐसा सोचते हुए कबीर के दिमाग में एक आइडिया आया।

    कबीर चोरी-छुपके से रुही के रूम के बाहर पहुँचा। इस वक़्त रुही नहाकर बाहर आई थी। कबीर ने डोर नॉक किया। रुही ने अंदर से ही पूछा, "कौन?" कबीर ने बोला, "रुही, दरवाज़ा खोलो, मुझे तुमसे मिलना है।"

    रुही ने तुरंत ही जवाब दिया, "हम अभी नहीं मिल सकते, दादी ने मना किया है।" कबीर बोला, "दादी नहीं हैं, प्लीज़ दरवाज़ा खोलो।" कबीर आगे कुछ बोलता, कि कबीर की दादी पीछे से आकर कबीर का कान पकड़ लिया। कबीर तुरंत बोला, "कौन है?"

    "नालायक, तेरी दादी है! तू यह क्या कर रहा है बहू के कमरे के बाहर?" दादी ने तो बस देखने आया था। रुही को किसी चीज की ज़रूरत तो नहीं। "अच्छा, अपनी दादी को पागल समझता है क्या? 1 दिन में तुझसे इंतज़ार नहीं होता!" दादी कबीर को डाँटकर वहाँ से भगा देती है। कबीर रोती सी सूरत बनाकर अपने कमरे में आ जाता है।

    वहीं रुही दादी के साथ खिल-खिलाकर हँस रही थी।

    वहीं कबीर और सभी मेहमान पार्टी हॉल में थे। बस गिने-चुने लोग ही शामिल हुए थे सगाई में। कबीर नहीं चाहता था कि रुही के पापा पर किसी भी तरह का बोझ हो, इसलिए उन्होंने ज़्यादा लोग नहीं बुलाए थे।

    कबीर कब से रुही का इंतज़ार कर रहा था। रुही कुछ लड़कियों के साथ सीढ़ियों से नीचे उतरती नज़र आई। कबीर तो बस रुही को देखता ही रह गया। सभी मेहमान रुही को ही देख रहे थे। देखे भी क्यों ना, रुही लग ही रही थी परी।

    रुही ने ब्लू कलर का एम्ब्रॉयडरी गाउन, 🔵 और 🤍 कलर का डायमंड का नेकलेस, डार्क ❤️ लिपस्टिक, आँखों में काजल, कर्ल किए हुए बाल, एक दिन किसी राजकुमारी की तरह लग रही थी। कबीर रुही को तब तक घूरता रहा जब तक रुही उसके पास आकर नहीं खड़ी हुई।

    वहीं कबीर भी आज किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। कबीर ने ब्लू कलर का 3-पीस सूट पहना था। ऊपर से सेट किए हुए बाल, मस्कुलर बॉडी, एकदम किसी राजकुमार की तरह लग रहा था। तभी पंडित जी ने कहा, "मुहूर्त का वक़्त हो गया है। लड़का-लड़की एक-दूसरे को 💍 पहनाइए।"

    कबीर ने रुही को बहुत ही प्यारी डायमंड की 💍 पहनाई। रुही ने भी कबीर को 💍 पहनाई।

    सभी ने तालियों से रुही और कबीर को कांग्रेचुलेट किया। दोनों ने अपने बड़ों का आशीर्वाद लिया। इसी तरह पार्टी ख़त्म हुई। सभी VIPs घर आ गए।

    रुही पार्टी से आकर काफी थक चुकी थी। रुही अपने कपड़े चेंज करके सीधा बेड पर लेट गई। तभी उसे लगा कि कमरे में कोई और भी है। रुही एकदम से खड़ी हो गई। रुही ने बालकनी के पास किसी की परछाई देखी, जो उसकी तरफ़ ही बढ़ रही थी।

    रुही का तो डर से आवाज़ ही बंद हो गई थी। ऊपर से कमरे में हल्की लाइट ऑन थी। रुही को उसका चेहरा भी ठीक से नहीं दिख रहा था। रुही एकदम से चिल्लाने लगी थी, कि उस परछाई ने रुही के मुँह पर हाथ रख दिया।

    "पागल हो क्या? क्यों चिल्ला रही हो? मैं हूँ, तुम्हारा होने वाला हस्बैंड। अपने पति से कौन डरता है?"

    रुही बस ऊँ-ऊँ की आवाज़ निकाल रही थी। रुही कबीर के हाथ पर कांपती हुई लेटी है। जिसे कबीर का हाथ रुही के मुँह से हट जाता है। रुही लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।

    कबीर रुही से बोला, "ऐसे कौन हाथ काट देता है? जंगली बिल्ली?"

    रुही बोली, "इस वक़्त आप यहाँ क्या कर रहे हो? और अपने ही घर में कौन चोरों की तरह घुसता है?"

    "अरे, मुझे आना पड़ा, दादी मिलने नहीं देती तुमसे। मुझे तुम्हारा साथ, टाइम स्पेंड करना था।"

    रुही कुछ बोलने ही वाली होती है, कि कबीर रुही के 👄 पर अपने लिप्स रख देता है। कबीर रुही को बड़े ही passionately kiss करता है। कबीर रुही के कान में बड़ी ही सेंसिटिव वॉयस में बोलता है, "तुम बहुत ही सुंदर लग रही थी आज।" इतना बोलकर कबीर रुही के कान पर बाइट कर लेता है, जिससे रुही की आह निकल जाती है। कबीर रुही से अलग होता है।

    दोनों बाहर खिड़की में खड़े होकर चाँद को देखने लगते हैं। रुही कबीर की बाहों पर अपना सर रख देती है।

    रुही कबीर से बोली, "मुझे आपको कुछ बताना था। मुझे टाइम ही नहीं मिला, वरना बता देती।" कबीर बस "हम्म" बोलता है।

    क्योंकि कबीर को पहले से ही पता था रुही मॉल वाला लड़ाई वाला बात कर रही है।

    रुही कबीर को सब कुछ बता देती है। "आप मुझसे गुस्सा तो नहीं हो कि मैंने उन लोगों से लड़ाई की?" कबीर रुही की बात सुन मुस्कुरा देता है। "मुझे पहले वहीं पर लग गया था। तुम टेंशन मत लो। चलो, बहुत रात हो गई है, जाकर रेस्ट करो।" कबीर रुही को बेड पर लेटाकर उसके पास बैठ जाता है। कबीर रुही के सर पर हाथ रखकर सुला देता है।

    फ़्लैशबैक: कबीर उन सभी लड़की की डिटेल्स निकलवा लेता है। कबीर को पता चल जाता है देवश के बारे में। कबीर अपने बॉडीगार्ड्स से बोलकर उसे उठवा लेता है। इस वक़्त वह काफी नशे की हालत में था। कबीर के बॉडीगार्ड्स उसे लेकर कबीर के बने बेसमेंट में बंद कर देते हैं। कबीर अंदर रूम में एंटर करता है तो अपने बॉडीगार्ड्स को इशारा करता है उसे जगाने का। कबीर के बॉडीगार्ड्स उस पर बर्फ से भी ठंडा पानी की बाल्टी पूरी फेंक देते हैं, जिससे वह उछलकर खड़ा हो जाता है। "कौन हो? टाइम वेस्ट मत करो। मुझे क्यों लाए हो यहाँ? मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा? देखो, तुम जो कोई भी हो, बहुत पछताओगे, जानते नहीं तुम कौन हूँ मैं?"

    कबीर उसकी बातों से इरिटेट हो जाता है और ज़ोर से उसके मुँह पर थप्पड़ मारता है। थप्पड़ इतना ज़ोर का मारा था कि उसके होंठों से खून निकलने लगा था। कान भी सुन पड़ गया था। कबीर उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर देता है, जिससे वह आधी मरी हालत में पहुँच जाता है। "मुझे क्यों मार रहे हो? मैंने क्या किया है? छोड़ दो मुझे प्लीज़।"

    कबीर बिल्कुल कोई नरक का देवता लग रहा था। उसके आस-पास खड़े लोग भी कबीर का यह रूप देखकर डर गए थे।

    कबीर गुस्से में बोला, "हद कर दी! मेरी रुही को धमकाया, मेरी रुही पर हाथ उठाने वाला था!" तभी कबीर उसके हाथ पर अपने पैर रख देता है जिससे उसकी चीख निकल जाती है। कबीर उसकी चीख सुनकर साँप की तरह हँस रहा था। कबीर उसके बाल पकड़कर बोलता है, "जिस वेट्रेस का तूने बेइज़्ज़ती की थी, उसी से तेरी शादी होगी। अगर तूने उस लड़की को थोड़ा सा भी परेशान किया तो सीधा यमलोक में जाएगा। बहुत शौक है ना दूसरी को नीचा दिखाने का? तू तो जयगा, तेरा परिवार बाहर रोड पर भीख माँगते नज़र आएगा।" देवश जल्दी से हाँ में सर हिला देता है। "मैं आज के बाद कभी किसी की बेइज़्ज़ती नहीं करूँगा।" कबीर अपने बॉडीगार्ड्स से कहकर उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवा देता है और वहाँ से निकलकर अपनी कार में बैठ जाता है।

    कबीर खुद से कहता है, "इसे सिर्फ़ कम सज़ा इसलिए मिली क्योंकि वह अपनी माँ का एकलौता सहारा है। वरना इसकी सज़ा मौत थी। तुम मेरे जुनून हो रुही! मेरे सिवा तुम पर कोई आँख उठाकर भी देख ले, तो उसे मैं इस दुनिया से ही अलविदा कह दूँगा।" फ़्लैशबैक एंड। कबीर रुही के सर पर हल्के से किस कर देता है जिससे नींद में भी रुही के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    कबीर वहाँ से उठकर अपने रूम में आ जाता है और रुही और अपनी होने वाली ज़िन्दगी के बारे में सोचता-सोचता ही सो जाता है। वहीं रुही को इस बात की भनक तक नहीं थी कि कबीर ने उस लड़के के साथ क्या किया था।

  • 18. Tu junoon mera - Chapter 18

    Words: 1556

    Estimated Reading Time: 10 min

    आज कबीर और रुही की हल्दी थी। पूरे घर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। वहीँ, हल्दी की सारी अरेंजमेंट बाहर गार्डन में की गई थी।

    पूरे घर में नाच-गाना चल रहा था। शाम के वक्त सभी ने रुही और कबीर को हल्दी लगाई।

    रात तक सभी थक चुके थे। सभी अपने-अपने डिनर के कमरे में आराम करने लगे थे। वहीँ, हमारे कबीर बाबू रुही से मिलने का कोई जुगाड़ ढूँढ़ रहे थे।

    क्योंकि आज सुबह से कबीर ने रुही को नहीं देखा था। बस फ़ोन पर बात की थी।

    कबीर खुद से बोला, "क्या दिन आ गया है! अपने ही घर में अपनी ही होने वाली वाइफ़ से नहीं मिल सकता! जिस कबीर सिंघानिया को मिलने के लिए लोगों को एक-एक महीने पहले अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है, वहीँ आज अपनी बीवी से मिलने के लिए इधर-उधर घूम रहा है!"

    वहीं, कबीर को पता चला रुही आज अपनी मम्मी के साथ सोई है।

    कबीर हारकर अपने रूम में आ जाता है।

    कबीर खुद से बोला, "तुमसे मिले बिना तो नींद नहीं आने की, sweetheart ❤️❤️।"

    कबीर अपने रूम से बाहर निकलते ही रुही के कमरे के बाहर खड़ा हो गया। कबीर ने बड़े ही ध्यान से कमरे का लॉक खोला और रूम में एंटर किया। उसने बेड की तरफ देखा, रुही बेड पर नहीं थी।

    कबीर खुद से बोला, "इतनी रात को कहाँ गई?"

    कबीर दबे पाँव कमरे से बाहर निकला और रुही को ढूँढ़ने लगा।

    वहीं, रुही को प्यास लगी थी। जब उसने देखा कमरे में पानी नहीं है, तो वह किचन में पानी लेने चली गई।

    रुही पानी पीकर मुड़ी ही थी कि कबीर ने रुही को पीछे से गले लगा लिया। रुही एकदम से डर गई। रुही चिल्लाने ही वाली थी कि कबीर धीरे से बोला, "मैं हूँ जान।"

    रुही पीछे मुड़ी और बोली, "इतनी रात को आप यहाँ क्या कर रहे हो?"

    "मुझे नींद नहीं आ रही थी, बस इसलिए तुमसे मिलना चाहता था। तुम्हारे कमरे में भी गया, वहाँ तो तुम नहीं थीं।"

    "और फिर किचन में गया, तुम मिल गईं। सुबह से नहीं मिली मुझे तुम। अपने अपने कमरे में जाकर सो जाओ। दादी की भी शादी से पहले हम मिले हैं, तो वह गुस्सा करेंगी।"

    "अच्छा, चलो जाओ। पहले मुझे एक किस चाहिए।" रुही कबीर के गाल पर किस कर देती है। "अब जाओ।"

    कबीर रुही के दोनों हाथ पकड़ लेता है। "नेक्स्ट टाइम कोई बच्चा लगता हूँ मुझे। दूसरी वाली किस चाहिए।"

    रुही सोचने का नाटक करते हुए बोली, "कौन सी दूसरी वाली?"

    "चलो कोई नहीं, मैं खुद ही ले लेता हूँ।" रुही कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी कबीर रुही के होठों पर अपने होठ रख देता है। कबीर रुही को किस करते-करते बाइट भी कर लेता है। कबीर रुही के मुँह में अपनी जीभ डालने की कोशिश करता है, पर रुही ने अपने दाँत बीच रखे थे। कबीर रुही से अलग होकर बोलता है, "ओपन इट।"

    रुही ना में सर हिला देती है। कबीर के फ़ेस पर डेविल स्माइल आ जाती है। कबीर रुही के होंठों को फिर से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। कबीर अपने एक हाथ को रुही के ब्रेस्ट पर लेकर उसे प्रेस करता है, जिससे रुही की आह निकल जाती है। इसी बात का फ़ायदा उठाकर कबीर रुही की जीभ से खेलने लगता है। कबीर रुही के होठों को चूसने लगता है। कबीर रुही की किस पन्द्रह मिनट तक चलती है। कबीर रुही को छोड़ता है जब उसे साँस लेने में दिक्कत होने लगती है। रुही गुस्से से कबीर को घूर रही थी।

    रुही के होंठों से खून भी निकल आता है। रुही गुस्से में कबीर से बोली, "देखो यह आपने किस किया। दर्द ही रहा है और ब्लड भी निकल आया।"

    कबीर रुही को सॉरी बोलता है और एक बार फिर से रुही को लिप्स पर किस करने लगता है। कबीर थोड़ी देर रुही के लिप्स पर चूसता है जिससे खून आना बंद हो जाता है। कबीर रुही से अलग होता है। रुही अपनी साँसें कंट्रोल करने में लगी हुई थी।

    रुही कुछ बोलने ही वाली थी कि कबीर बोला, "चलो बाय, सो जाओ जाकर। मुझे नींद आ रही है। कितना परेशान करती हो अपने हसबैंड को।"

    रुही की बात सुने बिना ही कबीर अपने रूम की ओर निकल जाता है।

    रुही खुद से बोली, "अच्छा, हम परेशान करते हैं। कोई नहीं, शादी हो जाने दो, एक डर है।" गुस्सा होकर अपने कमरे की ओर चली जाती है और सीधा बेड पर लेट जाती है। रुही को कब नींद आ जाती है उसे पता ही नहीं चलता।

    नेक्स्ट 🌄। आज कबीर और रुही की मेहंदी और संगीत दोनों थे।

    रुही के हाथों पर बहुत ही प्यारी मेहंदी लगी हुई थी, उसी में कबीर का नाम भी छुपा कर लिखा हुआ था ताकि कबीर ढूँढ़ता ही रह जाये। शाम को लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग अरेंजमेंट किये हुए थे।

    वहीं लड़कियाँ नीचे नाच-गा रही थीं।

    वहीं सभी लड़के आज पीने में लगे हुए थे।

    आज कबीर ने भी खुशी में ड्रिंक की हुई थी। सभी लड़के अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड की बातें बता रहे थे, घूँ कहो अपना दुखड़ा रो रहे थे।

    एक लड़का बोलता है, "मेरी वाली तो मुझे हाथ ही लगने देती है, खुद को बस शॉपिंग करवा लो जितनी मर्ज़ी।"😫😫😫😫 वहीँ दूसरा बोलता है, "यह तो कुछ नहीं, मेरी वाली को रोमांस के नाम से ही चिढ़ है।😫😫😫 बोलती है, 'तीन बच्चों के बाप बन गए हो, हरकतें अब भी नहीं छूटती।' कौन समझाए उसे? लगता है जब इतनी हॉट है तो कौन खुद को कंट्रोल करे?"

    तभी कबीर पीछे से बोलता है, "चुप करो सब! मेरी वाली तो किस तक नहीं देती मुझे! 😫😫😫😫" कबीर भी फ़ुल टाइट था पीकर।

    सभी इन बातों से बेखबर थे कि उनकी पार्टनर्स पीछे खड़ी उनकी सारी बातें सुन रही थीं। रुही कबीर के पास जाकर बोली, "अच्छा, तो यहाँ हमारी चुगली हो रही है।" कबीर रुही को देखकर शॉक हो जाता है। "तुम यहाँ? देखो सभी, मेरी sweetheart ❤️ आ गई।"

    कबीर को पता ही नहीं था कि क्या हरकतें कर रहा है। रुही गुस्से में बोली, "जब सब लोग देख रहे हैं तब भी इतनी हिम्मत?" दूसरी लड़की जाकर गाना बंद कर देती है। "अरे, गाना क्यों बंद किया? चलो अभी पार्टी बाकी है।"

    रुही कबीर से बोली, "अब कोई पार्टी नहीं होगी। चलो नीचे। नहीं, मुझे नहीं जाना। तुम पहले किस करो, फिर जाओगे।"

    रुही जैसे-तैसे कबीर को मना कर नीचे ले आती है। रुही कबीर को उसके बेड पर लिटा देती है। कबीर भी आराम से सो जाता है। रुही मन में बोली, "कोई नहीं, अब सो जाओ। कल रात तो आपको कमरे से बाहर ही रहना है।" इतना बोलकर रुही के फ़ेस पर डेविल स्माइल आ जाती है।

    वहीं कबीर की आँख सुबह खुलती है। कबीर का सर बहुत भारी लग रहा था। इतने में कबीर के रूम के बाहर से किसी ने नॉक किया। कबीर ने "कमिंग" बोला। एक सर्वेंट हाथ में नींबू पानी और मेडिसिन लेकर खड़ा था। "सर, यह रुही मैडम ने भेजा है और बोला है इससे आपको बेटर फ़ील होगा।" कबीर "हम्म" का जवाब देता है। सर्वेंट नींबू पानी और दवाई रखकर कमरे से बाहर चला जाता है। कबीर नींबू पानी पी लेता है और दवाई खा लेता है, जिससे कबीर को बेटर फ़ील होता है। कबीर वॉशरूम में जाकर रेडी होने लगता है।

    वहीं दूसरी तरफ़ रुही भी आज दुल्हन के लिबास में बहुत ही सुन्दर लग रही थी।

    कबीर रेडी होकर बाहर आता है। कबीर भी आज किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। कबीर भी शेरवानी में राजकुमार लग रहा था।

    वहीं कबीर के रूम पर कोई नॉक करता है। कबीर "कमिंग" बोल देता है। कबीर की दादी अंदर आती है। कबीर को देखकर बोलती है, "किसी की नज़र ना लग जाए मेरे पोते को।" दादी सर्वेंट को बोलकर नज़र उतरने का सामान अंदर मँगवाती है। दादी कबीर की नज़र उतरने लगती है।

    कबीर कुछ नहीं बोलता, उसे पता था दादी मानने वाली है। वैसे भी आज के दिन वह दादी को नाराज़ नहीं करना चाहता था। दादी कबीर की नज़र उतारकर कबीर के कान के पीछे काला टीका लगा देती है।

    वहीं रुही की मम्मी रुही की नज़र उतारती है।

    वहीं दूसरी ओर कबीर सबके साथ अपनी दुल्हन को लेने के लिए निकल गया था। सभी ने कबीर का स्वागत किया। लड़की वाले आशीर्वाद में लगे हुए थे। पंडित जी ने कहा, "दुल्हन को बुलाओ।" रुही की सहेली रुही को अपने साथ लेकर मंडप में बिठा देती है। कबीर तो बस रुही को ही देख रहा था। फिर दोनों को हार माला पहनाई जाती है। फिर पंडित जी दोनों के साथ फेरे करवा देते हैं, फिर सिंदूरदान, मंगलसूत्र पहनने की रस्म होती है। दोनों ही आज से पति-पत्नी बन चुके थे। दोनों अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। रुही और कबीर दोनों कोर्ट मैरिज भी करते हैं। रुही अपने विदाई के वक्त रोती है। रुही के पापा भी रुही को गले लगाकर रोते हैं। रुही के पापा कबीर की दादी के आगे हाथ जोड़कर बोलते हैं, "अगर हमारी बेटी से कोई गलती हो जाए तो उसे माफ़ कर दीजिएगा।" रुही की दादी उनका हाथ पकड़कर बोलती है, "हम बहू को बेटी समझकर घर ले जा रहे हैं।" ऐसे ही विदाई की रस्म पूरी की जाती है। कबीर और रुही अब चल पड़े अपनी नई ज़िन्दगी की ओर।

  • 19. Tu junoon mera - Chapter 19

    Words: 1699

    Estimated Reading Time: 11 min

    वहीं दूसरी ओर, निशा सुबह उठकर सभी के लिए ब्रेकफास्ट बना रही थी। वश भी फ्रेश होकर नीचे डाइनिंग टेबल पर आ गया। निमी भी डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट का इंतज़ार कर रही थी।

    "निमी," वश ने कहा, "भाई, कितनी अच्छी खुशबू आ रही है! क्या बनाया है भाभी ने? ज़रूर कुछ स्पेशल बनाया है।"

    "हाँ," वश ने कहा, "लगता तो यही है।" इतने में निशा दोनों के लिए ब्रेकफास्ट लगाती है।

    "वाह, भाभी! आलू के पराठे बनाए हैं!" वश ने कहा और ज़्यादा खा गया।

    वश की आज कोई मीटिंग नहीं थी। वह बस घर से ही काम करने वाला था।

    निशा को ब्रेकफास्ट करने के बाद कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। वश स्टडी रूम में जाकर अपना ऑफिस वर्क कर रहा था।

    निशा वश के लिए काफी बनाकर स्टडी रूम में ले गई। वश निशा को अपने पास बुला लेता है। वश निशा को अपनी गोद में बिठाकर किस करने लगा। इतने में निशा को उल्टी होने लगी। निशा वश को धक्का देकर जल्दी से अपने रूम की ओर भाग गई और सीधा वॉशरूम में जाकर उल्टी करने लगी। निशा को ऐसा होते देख वश घबरा गया। वश निशा के पीछे उसके रूम में जाकर निशा को ढूँढने लगा। वॉशरूम से पानी गिरने की आवाज़ आती है, तो वश वॉशरूम के दरवाज़े के पास जाकर निशा को आवाज़ मारने लगा।

    "निशा, क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?"

    निशा ने वश की आवाज़ सुनकर कहा, "हाँ, मैं ठीक हूँ।"

    निशा वॉशरूम से बाहर निकली तो वश उसका हाथ पकड़ लेता है। "क्या हुआ? तुम ऐसा क्यों भागकर आई?"

    "कुछ नहीं वश, बस थोड़ी सी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी, शायद थकावट है।" इतना बोलते ही निशा को चक्कर आ गया। निशा गिरने ही वाली थी कि वश ने उसे अपनी बाहों में सम्भाल लिया।

    "निशा, तुम ठीक नहीं हो। रुको, डॉक्टर के पास चलते हैं।"

    निशा ने मना किया, पर वश उसकी कोई बात नहीं सुनता। वश निशा को डॉक्टर के पास ले गया। हॉस्पिटल पहुँचकर भी निशा डॉक्टर के पास अंदर नहीं जाना चाहती थी। वश निशा को जबरदस्ती अंदर ले गया। अंदर डॉक्टर निशा का चेकअप कर रही थी।

    वश बाहर निशा का वेट कर रहा था।

    डॉक्टर वश को अंदर बुलाती है। वश डॉक्टर से पूछता है कि निशा को क्या हुआ है।

    डॉक्टर बताती है, "मिस्टर वश, घबराने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि खुशी की बात है, आप पापा बनने वाले हैं।"

    वश "ओके" बोल देता है। वश जब डॉक्टर की बात पर गौर करता है, तो शॉक हो जाता है। क्या सच में? वश खुशी से निशा से गले लग जाता है।

    "थैंक्यू निशा, मुझे ज़िन्दगी की इतनी बड़ी खुशी देने के लिए।"

    निशा बस मुस्कुरा देती है।

    डॉक्टर वश को बताती है, "निशा अभी काफी वीक है। इनका डाइट और मेडिसिन का ध्यान रखें। जितना हो सके, रेस्ट करें।"

    वश निशा को लेकर घर आ जाता है। वश निशा को अपने रूम में ले जाता है। निशा काफी उदास लग रही थी। निशा वश का हाथ पकड़ लेती है और उससे अपने पास बैठने के लिए बोलती है।

    "वश, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"

    "हाँ, बोलो निशा, क्या बात है?"

    "वश, मैं अभी बेबी के लिए रेडी नहीं हूँ।"

    वश निशा की बात सुनकर शॉक हो जाता है।

    "निशा, ये तुम क्या बोल रही हो? देखो, तुम ज़्यादा मत सोचो, आराम करो।"

    निशा फिर से यही बात बोलती है। "वश, तुम क्यों नहीं समझ रहे? मैं अभी मेंटली और फिजिकली स्ट्रांग नहीं हूँ, प्लस..."

    वश को अब गुस्सा आने लगता है। निशा की कंडीशन देख वश अपने गुस्से को शांत करता है।

    "अच्छा ठीक है। तुम जैसा चाहोगी, वैसे ही होगा। चलो, तुम रेस्ट कर लो। हम शाम को बात करेंगे। अभी रेस्ट करो तुम।"

    निशा बस हाँ में सर हिला देती है।

    वश निशा को सुलाकर अपने स्टडी रूम में आ जाता है। वश के कानों में बस निशा की यह बात ही गूंज रही थी कि अभी वह बच्चे के लिए रेडी नहीं है। वश गुस्से में आकर अपना हाथ दीवार पर जोर से मारता है। वश बाहर खड़े होकर स्मोकिंग करने लगता है। वश निशा की बातों को ही सोच रहा था।

    आखिरकार वश फैसला ले ही लेता है।

    शाम को निशा सोकर उठती है। निशा रूम में एक नज़र डालती है। वश सोफे पर बैठा निशा को ही देख रहा था। निशा उठकर वश के पास जाती है, उसकी गोद में बैठ जाती है और अपनी बाहें वश की गर्दन पर लपेट देती है। निशा वश के गाल पर किस कर उसे गुड इवनिंग विश करती है। वश भी निशा को हल्का सा किस करता है।

    "जाओ, जाकर फ्रेश हो जाओ। थोड़ी देर बाहर घूमने चलते हैं।"

    निशा भी "ओके" बोलकर फ्रेश होने चली जाती है। निशा फ्रेश होकर आती है तो वश निशा को कॉफी और कुछ स्नैक्स खाने को देता है। दोनों बैठकर स्नैक्स खाते हैं। वश निशा को अपने साथ लेकर पार्क में जाता है। वहाँ कई बच्चे खेल रहे थे। वहाँ काफी शांति थी। निशा वश की तरफ़ सवालिया निगाहों से देखती है कि हम यहाँ क्यों आए हैं? वश निशा को बोलता है, "हम काफी टाइम से ऐसी जगह नहीं आए थे, बस इसलिए।" तभी कुछ बच्चे आपस में लड़ पड़ते हैं। वश उनके पास जाता है।

    "क्या बच्चों, ऐसे क्यों लड़ रहे हो?"

    बच्चे बोलते हैं, "हमें क्रिकेट खेलना है।" तभी उनमें से आधे बोलते हैं, "पहले हम हिडन सिक खेलेंगे।" ऐसे ही बोलते-बोलते बच्चे एक-दूसरे से लड़ पड़ते हैं। वश उन बच्चों को अलग-अलग करता है और बोलता है, "हम दोनों गेम ही खेलेंगे।" बच्चे खुश हो जाते हैं। वश उन सबके साथ खेलता है। निशा भी काफी देर से बैठकर उन सबको देख रही थी।

    निशा और वश अब घर आ जाते हैं। निशा रात का डिनर करके अपने रूम में जाकर रेस्ट करने लगती है। वहीं वश स्टडी रूम में अपना ऑफिस वर्क करता है। निशा बस पार्क में बच्चों के साथ बिताया वक़्त ही याद कर रही थी।

    निशा अपने पेट पर हाथ रख मुस्कुराने लगती है। कुछ ही देर में निशा को नींद आ जाती है।

    वश रूम में आता है तब निशा सो चुकी होती है। वश फ्रेश होकर बेड पर आकर निशा के पास लेट जाता है। वश निशा के पेट पर किस कर देता है।

    वश निशा को अपनी बाहों में भरकर सो जाता है।

    नेक्स्ट मॉर्निंग... निशा और वश नीचे बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे। इतने में निमी आ जाती है।

    "भाई, क्या कर रहे हो? मुझे कुछ काम था आपसे।"

    "हाँ, बोल निमी, क्या काम है?"

    "भाई, हम इंडिया जब गए थे... मुझे अब इंडिया जाना है।"

    वश बोलता है, "ठीक है, मैं 1 वीक बाद की टिकट बुक कर देता हूँ।"

    निशा तुरंत बोलती है, "वश, क्या हो गया है आपको? मैं इस हालत में बिल्कुल ट्रैवल नहीं कर सकती। डॉक्टर ने बताया था, मैं काफी वीक हूँ। फिर भी आप मुझे इंडिया जाना चाहते हो?"

    निमी जैसे ही सुनती है, वह खुशी के मारे अपने भाई के गले लग जाती है।

    "क्या सच में? मैं बुआ बनने वाली हूँ?" निमी खुशी से उछलने लगती है।

    वश बोलता है, "ज़्यादा खुश मत हो।"

    "निशा, तुम तो बोल रही थी कल तुम्हें अभी मां नहीं बनना, फिर अब क्या हुआ? रेडी हो जाओ, हम डॉक्टर के पास चल रहे हैं।"

    निशा वश की बात सुनकर चुप हो जाती है।

    "सॉरी, मैं बस डर गई थी। लेकिन मैं इस बेबी को नहीं खोना चाहती। यह हमारे प्यार की निशानी है।" इतना बोलते हुए निशा रोने लगती है। "प्लस, मुझे माफ़ कर दो।"

    वश जल्दी से जाकर निशा को गले लगा लेता है। "पागल, मैं तो बस मज़ाक कर रहा था। तुम रो मत, प्लीज़।"

    निशा बड़ी मासूमियत से बोलती है, "सच्ची?"

    तभी निमी बोलती है, "और नहीं तो क्या, भाभी? यह हमारा हिडन प्लान था। आपको समझाने का कि आप डर रहे हैं, डर के आगे अपनी खुशी नहीं देख पा रहे हैं।"

    निशा सवालिया निगाहों से पूछती है, "मतलब?"

    "मतलब यह, भाभी, मुझे तो कल ही पता चल गया था कि आप प्रेग्नेंट हैं। जब मैं भाई से मिलने स्टडी रूम में गई तो भाई उस वक़्त काफी टेंशन में लग रहे थे। मेरे फ़ोर्स करने पर ही भाई ने बताया था। फिर क्या, मैंने उन्हें आइडिया दिया आपको बच्चे के बीच ले जाएँ और देखो आपका मन ठीक होगा।"

    निशा बस हँस देती है।

    वहीं दूसरी ओर, रुही और कबीर का घर प्रवेश होता है। रुही सभी रस्में निभा रही थी। वहीं कबीर भी मन मारकर सभी रस्मों में हिस्सा ले रहा था। दादी रुही को उसके कमरे में रेस्ट करने के लिए बोलती है क्योंकि कुछ देर में मुँह दिखाई की रस्म थी। वहीं दादी कबीर को कुछ काम से बाहर भेज देती है।

    शाम के वक़्त रुही तैयार होकर नीचे उतरती है तो सब उसे देख आँखें ही झपकना भूल गए थे। रुही लग ही इतनी खूबसूरत रही थी। रुही ने रेड नेट की साड़ी, हाथों में लाल चूड़ा, माँग में सिंदूर, डायमंड नेकलेस और मंगलसूत्र पहना था। आँखों में काजल, होंठों पर डार्क रेड लिपस्टिक... बिल्कुल न्यू ब्राइड लग रही थी। रुही सीढ़ियों से उतरकर नीचे कबीर के पास जाकर खड़ी हो जाती है। कबीर धीरे से रुही के कान में बोलता है, "तुम बहुत सुंदर दिख रही हो। लगता है जान लेकर ही मानोगी।" रुही कबीर की बात सुनकर ब्लश करने लगती है।

    रुही को ब्लश करते देख कबीर का तो मन कर रहा था कि वह रुही को छुपाकर रख ले।

    सभी मेहमान आ जाते हैं और मुँह दिखाई की रस्म शुरू हो जाती है। सभी रुही की सुंदरता की तारीफ़ करते ही रह गए थे। कुछ देर में मुँह दिखाई की रस्म ख़त्म हो जाती है। दादी रुही को अपने रूम में जाकर रेस्ट करने के लिए बोलती है। रुही भी बहुत थक गई थी। रुही तो बस सोना चाहती थी। वहीं कबीर ने रुही के लिए कुछ सरप्राइज़ प्लान किया हुआ था।

  • 20. Tu junoon mera - Chapter 20

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    रुही जैसे ही अपने कमरे में गई, वहाँ उसे कबीर नहीं मिला। रुही की नज़र बेड पर पड़े एक बॉक्स पर गई। रुही उस बॉक्स को उठा लेती है। रुही बॉक्स को उठाकर देखती है तो उसमें बहुत ही सुंदर, ब्लैक नेट की साड़ी थी। साथ ही उस बॉक्स में एक नोट भी लिखा हुआ था।

    "स्वीटहार्ट, जल्दी से तैयार होकर ऊपर टेरेस पर आ जाओ। तुम्हारा एक सरप्राइज़ है।"

    रुही साड़ी लेकर बाथरूम में चली जाती है। रुही तैयार होकर ऊपर टेरेस पर चली जाती है। रुही टेरेस पर जाकर कबीर को आवाज़ लगाती है। जैसे ही रुही कबीर को आवाज़ लगाती है, वहाँ सारी रोशनी हो जाती है। रुही के पैरों के नीचे गुलाब के फूलों से रास्ता बना हुआ था। रुही उस पर चलकर थोड़ी आगे जाती है तो साइड में एक टेबल सजाया हुआ था। साथ ही बड़े-बड़े अक्षरों में "आई लव यू" लिखा हुआ था।

    तभी कबीर रुही को पीछे से आकर गले लगा लेता है।
    "केसा लगा तुम्हें यह जान?"
    "सच में बहुत ही सुंदर है सब।"

    तभी आसमान में आतिशबाजी होती है। रुही यह सब देखकर बहुत खुश हो जाती है। कबीर उसे टेरेस पर बने रूम में ले जाता है। पूरा रूम गुलाबों के फूलों से सजाया हुआ था। बेड पर भी पंखुड़ियाँ पड़ी थीं, गुलाबों की। रूम की छत ऑटोमेटिक थी, जिसे खोलकर तारे देखे जा सकते थे। रुही यह सब देखकर बहुत खुश हो जाती है।

    कबीर रुही को पीछे से गले लगा लेता है। कबीर रुही की गर्दन पर किस करने लगता है। रुही अपनी साड़ी में अपनी मुट्ठी कस लेती है। कबीर के हर एक किस से रुही खुद में ही सिमटी हुई रहती है। कबीर रुही को अपनी ओर मोड़ता है। रुही की आँखें शर्म से नीचे झुकी हुई थीं।

    कबीर बड़े ही सेंसिटिव वॉइस में रुही के कान में बोलता है, "जान, मुझसे क्या शर्माना? आज तो हमारी 1st वेडिंग नाईट है।"

    रुही कबीर की बात सुनकर और ज़्यादा ब्लश करने लगती है। रुही के गाल पूरे टमाटर की तरह लाल हो चुके थे। कबीर बारी-बारी रुही के दोनों गाल चूम लेता है। कबीर रुही के सॉफ्ट होंठों पर अपने होंठ रखकर रुही को किस करने लगता है। रुही कबीर का पूरा साथ दे रही थी, जिसे कबीर अब कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। कबीर रुही को एक झटके में उठा लेता है। कबीर रुही के ब्लाउज़ के डोरियाँ खोल देता है। रुही की गोरी पीठ कबीर के सामने थी। कबीर रुही को किस करना स्टार्ट कर देता है। कबीर रुही को अपनी गोद में उठाकर बेड पर लेटा देता है, खुद रुही के ऊपर आ जाता है।

    कबीर रुही को डीप किस करता है, साथ-साथ अपने एक हाथ से रुही की ब्रा प्रेस कर रहा था, जिससे रुही की सिसकियाँ निकल रही थीं। रुही की आहें सुनकर कबीर अपना कंट्रोल खो देता है। कबीर रुही की गर्दन पर किस के साथ-साथ बाइट भी कर रहा था। कबीर रुही की साड़ी निकाल देता है। कबीर रुही के सारे बॉडी पर लव बाइट बनाता है। रुही भी कबीर का पूरा साथ दे रही थी। कबीर अपने भी कपड़े उतार देता है।

    कबीर रुही के बॉडी में एंटर करता है, जिससे रुही की हलकी चीख निकल जाती है। कबीर रुही का दर्द से ध्यान हटाने के लिए रुही को सॉफ्ट किस करने लगता है। थोड़ी देर बाद रुही का दर्द कम होता है। कबीर भी अपनी स्पीड बढ़ा देता है। दोनों ऐसे ही एक-दूसरे को पूरी रात प्यार करते हैं। दोनों थककर एक-दूसरे की बाहों में आराम से सो जाते हैं।

    नेक्स्ट मॉर्निंग, रुही की आँखें धीरे-धीरे खुलती हैं। रुही को अपनी बॉडी पर बार महसूस होता है। अपना सर हिलाकर देखती है, कबीर ने रुही को अपनी बाहों में जकड़ रखा था। रुही कबीर के फेस को देखती है तो उसके फेस पर स्माइल आ जाती है। रुही कबीर के फेस पर हाथ रखकर कबीर को बड़े ही प्यार से देख रही थी। रुही को कल रात की याद आती है, रुही के फेस पर स्माइल आ जाती है।

    रुही कबीर की बॉडी पर अपने हाथ फेरने लगती है। रुही खुद से सोते हुए कितने हैंडसम लगते हैं। रुही को क्या पता था, सोए हुए शेर को जगा रही है।

    कबीर जब से रुही की हरकतें एन्जॉय कर रहा था, आँखें बंद करके। रुही कबीर को सोया हुआ ही समझ रही थी। रुही के मन में पता नहीं क्या आया, रुही ने अपने होंठ कबीर के होंठों पर रख दिए। रुही कबीर को किस करके जैसे ही पीछे हटने लगी, कबीर ने रुही की कमर पर अपना हाथ रखकर रुही की सॉफ्ट किस को डीप किस में बदल दिया। कबीर ने तब जाकर रुही को छोड़ा जब उसे लगा रुही को साँस लेने में प्रॉब्लम हो रही है। वहीं रुही अपनी बढ़ी साँसों को कंट्रोल करने में लगी थी। वहीं कबीर के फेस पर डेविल स्माइल थी।

    "रुही, गुस्से में मत आ जाओ, सोने का नाटक कर रही थीं?"
    "मैं तो तब ही जाग गया था जब तुम मेरी तारीफ़ कर रही थीं।"

    रुही कुछ नहीं बोलती, "आप मुझे नीचे लेटा दो, वो भी आपकी वजह से।"

    रुही बेड से नीचे उतरती है। तभी कबीर उसका हाथ पकड़ लेता है, "ऐसे नहीं, पहले मॉर्निंग किस दो।"

    रुही हैरानगी से कबीर को देखती है। रुही बड़ी ही मासूमियत से बोलती है, "अभी तो दी थी।"

    "नीचे जाना है तो किस तो देना पड़ेगी, वरना तुम यहीं रहो मेरे पास। मुझे कोई दिक्कत नहीं है।"

    रुही हरमन लेती है, "अच्छा, आप पहले अपनी आँखें बंद करो।" कबीर झट से अपनी आँखें बंद कर लेता है। रुही कबीर के गालों पर किस करके वहाँ से भाग जाती है। कबीर बस देखता ही रह जाता है। "कबीर, तुम नहीं बचोगी जान। देखो मैं क्या करता हूँ।" रुही भी हँसती हुई नीचे चली जाती है।