17 साल की उम्र में छह जानें छीन चुकी इनाया — अब एक कूल, खतरनाक और प्रोफेशनल असासिन है। वह Black Falcon नाम के सबसे बड़े माफिया ग्रुप की सबसे भरोसेमंद और जबरदस्त लीडर है। जब उसे अपने सबसे खतरनाक दुश्... 17 साल की उम्र में छह जानें छीन चुकी इनाया — अब एक कूल, खतरनाक और प्रोफेशनल असासिन है। वह Black Falcon नाम के सबसे बड़े माफिया ग्रुप की सबसे भरोसेमंद और जबरदस्त लीडर है। जब उसे अपने सबसे खतरनाक दुश्मन रिवान के साथ शादी करनी पड़ती है, जो उसे बेइंतहा प्यार करता है, तो सवाल उठता है — क्या वो अपनी मोहब्बत को चुनेगी या अपनी वफादारी और मिशन को? क्या दुश्मन बन सकते हैं प्यार के साथी? या क्या ये प्यार सिर्फ एक जाल है? क्या कर पाएगी इतना इस बार भी सही फैसला ? क्या होगा मोहब्बत के इस खतरनाक खेल का आखिर अंजाम ?
Rivan Shekhawat
Hero
Mafia Black Falcon
Villain
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'' Dedication ''
"To All Girls, Who Were Never Fragile
,just Misunderstood "
रात के ढाई बजे का समय था । ट्रेन अपने रफ़्तार में चल रही थी, खिड़कियों से बाहर अंधेरा दौड़ता हुआ नज़र आ रहा था । डिब्बे में ज़्यादातर लोग नींद के आगोश में खोए थे, पर सीट नंबर 72 पर बैठी वो लड़की... जगी हुई थी ।
उस लड़की के कपड़े मिट्टी से सने हुए थे और चेहरे पर उस ने एक शॉल लपेटा हुआ था, जिससे केवल उस की बड़ी- बड़ी पानीदार आंखें नजर आ रही थी । उस के हाथ हल्के कांप रहे थे । खून की बूंदें उंगलियों से हो कर उस की कलाई पर जम रही थीं ।
उस ने अपने बैग को कस कर पकड़ा, और खिड़की की ओर देख ने लगी । जब कि उस के चेहरे को छू के गुजरती हुई सर्द हवा से उस की आंखें बंद होने लगी थी ।
"क्लिंक!"
तभी अचानक एक चाकू उस के हाथ से फिसल कर नीचे गिरा—सीट के कोने में । जिस की आवाज से उस के ठीक सामने बैठे उस आदमी की नींद खुल गई ।
सामने बैठा वो आदमी चौंका । उस ने एक नज़र इनाया पर डाली, फिर उस चमकते हुए खून से सने चाकू पर ।
इनाया की नज़रें उस से मिलीं।
उस की आँखों में डर नहीं था, बल्कि एक सूनापन सा था, जो चाहे तो कलेजा चीर दे। उस ने बिना कुछ कहे धीरे से झुक कर चाकू उठाया और फिर एक झटके में उस की गर्दन की ओर चाकू की नोक घुमा दी—इतनी नज़दीक कि उस आदमी की सांसें टकराने लगीं ।
मगर वो आदमी डरा नहीं । इनाया ने कुछ देर उसे चेतावनी देते हुए, घूरा फिर चाकू नीचे कर लिया ।
तभी उस आदमी ने मुस्कुराकर पूछा, "कहाँ जा रही हो, लड़की? और ये खून... किस का है?"
इनाया ने उस के सवाल पर नजरें फेर ली । उस की सांस धीमी हो गई ।
फिर उस ने फुसफुसा कर कहा,"किस का नहीं... ये पूछो कितनों का खून किया है इसी चाकू से?"उस ने एक लंबा गहरा सांस लिया ।
वो आदमी एक पल के लिए उस की बात पर चौका मगर फिर एक सास भरते हुए उस ने पूछा, "चलों, ठीक है । बताओ तो—कितने खून किए हैं अब तक?"
"छह ।" इनाया ने सर्द भरे लहज़े में जवाब दिया ।
आदमी एक बार फिर उस की बात पर हैरान था । अब उसे विश्वास नहीं हुआ ।
उस ने इनाया की आंखों में झांक ने की कोशिश की। वहां कोई अफसोस नहीं था m । उस ने अंदाजा करते हुए बोला," अगर मेरा ख्याल सही है तो तुम बस सोलह या सत्रह साल की हो गी... छः खून ? किस-किस को मारा है तुम ने लड़की?"
इनाया ने अपना शॉल, चेहरे से हटा दिया और फिर एक थकी हुई सी उबासी ली । वो आदमी उस की तरफ़ देखते हुए इतना अंदाज़ा कर चुका था कि वो झूठ नहीं कह रही है । इनाया ने उस की बात का जवाब दिया "माँ को... बाप को... असल बाप' को भी और मुंह बोले बाप को भी । फ़िर बहन को... अपनी बेस्टफ्रेंड को... और अपने प्यार को भी, सब को ख़त्म कर दिया मैं ने ।"
आदमी अब पूरी तरह इस लड़की की बातों में इन्वॉल्व हो चुका था, पर उस की आवाज़ में जरा भी घबराहट नहीं थी । उसे इस लड़की में दिलचस्पी हो रही थी । इस की बाते वाकई बेबाक थी ।
"मगर तुम ने क्यों मारा सब को? अपनी पूरी दुनिया खुद क्यों उजाड़ी तुम ने?"आदमी ने सवाल किया
इनाया की पलकें झपकीं नहीं । चेहरा सख्त था । गुस्से से।
" उस दुनिया से तो दोज़ख़ बेहतर होता । यहां तो हर कोई कमीनेपन की एक से बढ़ कर एक मिसाल था कसम से ।" इतना कह कर वो चुप हो गई । मानो कुछ सोच रही हो ।
उस आदमी को और जानने की इच्छा हुई, " अच्छा, चलो ये कहो बाप को क्यों मारा?"
इनाया ने उस की आंखों में देख कर जवाब दिया, "वो साला ,खबख्तो जैसे शराब के नशे में, हर रात माँ को जानवर समझ कर मारता पीटता था । एक दिन वो जब मां को मार रहा था तो मैं ने उस के सर पर लोहे की रोड़ दे मारी । एक के बाद एक जब तक उस बिलबिलाना बंद नहीं किया ।"
"तो… माँ के लिए बाप को मार दिया । फिर माँ को क्यों मारा ?" वो थोड़ा confuse हो कर बोला ।
"क्योंकि वो कामिनी हमें— हम दोनों बहनों को कोठे पर कोठेवाली के हाथ बेचने वाली थी, ताकि पैसे ले कर आशिक के साथ रफूचक्कर हो सके । दोनों घनचक्करों को दुनिया से ही बाहर भेज दिया । "
इनाया की किसी सफाई में कोई अफसोस नहीं था ।
उस आदमी के सवाल अभी खत्म नहीं हुए थे । ये लड़की उसे बड़ी ही काम की लगी । अक्सर इस की उम्र की लड़कियां यूं बातें तो नहीं करती । और इस तरह एक के बाद एक खून की गवाही ये लड़की बेहद सफाई से कह रही थी । खून भी वो, जिन्हें इस ने खुद अंजाम दिया हो ।
उस ने कुछ देर रुक कर फ़िर पूछा, "और बहन? फ़िर उस ने क्या किया था ?"
"उस ने मुझ से मेरा प्यार छीना था । वरना उस की जिंदगी मैं कभी ना छीनती । " इनाया इतना कहते हुए पहली बार भीगी पलकों से बाहर देख ने लगी ।
तभी उसे उस के प्यार का ख्याल आया यानी वो लड़का जिस से ये दोनों बहने प्यार करती थी । उसे मारने की क्या जरूरत पड़ी होगी भला । बहन को रास्ते से हटाने के बाद वह उस के साथ चैन से रह सकती थी । ," फिर वो जिससे तुम प्यार करती थी...?" उस ने पूछ लिया ।
इनाया थोड़ी देर कुछ नहीं बोली," फ़िर उस ने आगे झुक कर कहा, "पहले वो मुझ से प्यार करता था, फिर मेरी बहन के पीछे चला गया । मैंने उस से कहा—‘मैंने अपनी बहन को उस के लिए मार डाला’ । तो… तो उस ने मुझे पागल कहा, पुलिस की धमकी दी । मैंने उस हलकट को भी टपका दिया ।"
अब आदमी की आँखें गहराती जा रही थीं । वो अब पागल हो जाने वाला था । इस लड़की के लिए किसी भी ग़लती की सज़ा केवल मौत होती है ।
"सब से latest ख़ून किस का किया ? वो आदमी भवें टेढ़ी कर के इनाया के हाथ और चाकू को देख ने लगा, "जिस का खून अभी इस छूरे पर है !"
"बेस्टफ्रेंड ।"
"लड़का या लड़की?"
"लड़का ।"
"अब ये भी बता दो उस का क्या कसूर था? क्यों मिली भाई उसे सज़ा ।" उस आदमी ने अपनी जिज्ञासा के आगे घुटने टेक दिए थे ।
इनाया काफी देर जो हुआ याद करने लगी फिर कोई हुई बोल पड़ी "मैं उसके घर रहने गई थी । जब तक कुछ इंतज़ाम हो जाए अपने ठिकाने का । वो साला मुझे मुफ्त की चीज़ समझता बैठा । मेरे साथ जबरदस्ती करना चाहता था ।"
"फ़िर?"
"फ़िर क्या फुर्र !!"
""मतलब"
" मतबल,मैंने किस्सा ही खत्म कर दिया । खलास । "
दोनों के बीच कुछ सेकंड का सन्नाटा पसरा । इनाया ने थक कर अपनी आँखें बंद कर ली और इतनी से बैठ गई ।
फिर अचानक उस आदमी के होंठों पर मुस्कराहट उभरी" वैसे एक बात बताओ तुम ने मुझे यह सब क्यों बताया ।"
"क्योंकि तुम ही हो बस जिस ने पूछा " इनाया ने बिना आँखें खोले बेपरवाही से मुस्कुराते हुए कहा ।
"तुम्हें डर नहीं लगता । अगर मैं यह सारी बात पुलिस को जाकर कह दूं और तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूं । फ़िर?" उस आदमी का लहज़ा ऐसा था मानो वो उसे धमका रहा हो ।
"अबे- ए खबरदार जो ऐसी कोशिश भी की तो । इधर इच बर्बाद कर देगी मैं तेरे को । मेरे को, हल्के में नहीं लेने का । इधर ही गेम ओवर कर देगी मैं तेरा ।"
इतना कह कर इनाया ने एक धीमी सांस ली और फिर आहिस्ता से बोली "तुझे मालूम, अपने 6 मर्डर्स में से पुलिस एक को भी मर्डर प्रूफ नहीं कर पाए । दूसरा में माइनर है ना ।"
इनाया का कॉन्फिडेंस टस से मस नहीं हुआ । कुछ देर तक इनाया के बारे में सोचते हुए उसे आदमी ने फिर हंसते हुए कहा,"तू तो ब्लॉकबस्टर निकली, रे! बोल मेरे साथ काम करेगी?"
इनाया ने चाकू एक बार फिर एक ही झटके में थोड़ी और गहरा उस की गर्दन पर चुभा दिया ।
"कोई उल्टा -पुल्टा काम कर ने को नहीं बोलेगा... तो सोचती है मैं ।"
वो उस लड़की की हिम्मत पर हस दिया । इनाया ने चाकू नीचे झुक कर अपनी जींस के नीचे फंसा दिया ।
“गंदगी नहीं रे…,” उसने गंभीरता से कहा, “बस ताक़त । मैं चाहता हूँ कि तू किसी से मिले…”
“कौन?”
“Black Falcons का King .”
उस का चेहरा गंभीर हो गया ।
वो आदमी आगे झुका, आवाज़ में फुसफुसाहट सी थी, “उन्हें हत्यारे नहीं, ऐसे ही राक्षस चाहिए । तू… बिलकुल फिट बैठेगी ।”
इनाया ने शफ़क़ की तरफ़ देखा । तो शफ़क़ ने सीधे बोला,"विष भाऊ ने जल्दी बुलाया है । "
इनाया ने सिर हिला दिया," मैं Change कर के आती है।"
" नहीं रहन दे अभी ऐसे चल । आजा बिल करा लेते है ।" शफ़क़ ने इतना कहते हुए ही उस का हाथ पकड़ा और सीधे बिलिंग काउंटर की तरफ़ जा ने लगा ।
शफ़क़ के अचानक उसे खींचने से इनाया, लड़खड़ा गई और झटका लग ने से उस का हाथ अचानक छूट गया, जिस से इनाया ने अपना बैलेंस खो दिया और पीछे की ओर ढल गई । मगर वो फ्लोर पर गिरती उसे पहले ही किसी ने उसे अपनी मज़बूत बाहों में थाम लिया । उस के हाथ इनाया की कमर पर कस कर जकड़े हुए थे ।
इनाया ने पलक झपकते ही सिर उठा के उस आदमी की तरफ़ देखा और अगले ही पल उस का चेहरा देख इनाया सुन्न पड़ गई । वो उस चेहरे से अपनी नज़रे कुछ पल के लिए हटा न सकी और फिर धीरे से उस के कंधे का सहारा ले ते हुए सीधी खड़ी हो गई ।
इतने में उस आदमी ने अपना फोन वापस कान पर लगाया और वहां से सीधा चला गया । इनाया अब भी उस तरफ उसे जाते हुए देख रही थी मानो इस दुनिया से कहीं दूर खड़ी हो, इतनी दूर की शफ़क़ की आवाज़ भी उस के दिमाग तक प्रोसेस के लिए नहीं जा पा रही थी ।
"विष, बोलेगी कुछ? तू ठीक है कि नहीं । विष... विष..." कहते हुए शफाक ने उस चेहरे के आगे चुटकी बजाई और इनाया अपनी दुनिया में वापस आ गई । वो आदमी अब सामने नहीं था , ज़ाहिर था वो वहीं खड़ी रह गई, और वो वहां से कहीं दूर जा चुका था ।
इनाया ने पास खड़े शफ़क़ को देखा और गुस्से में बोली , "तेरे को और बॉस को बोला था मैं ने ये झमेला नहीं संभलने का मेरे से । पर नहीं तुम लोगो को सुननी ही किधर होती है मेरी । अभी हो गया न लोचा ।"
शफाक समझ गया इनाया इस साड़ी और हील्स की शिकायत कर रही है । वो सिंपल जींस, टी - शर्ट जैसे बिल्कुल कैजुअल कपड़ों में रहती है ।
"अच्छा बस Atom bomb, तेरा गुस्सा ओवर हुआ तो चले अभी । वरना उधर बॉस का पारा चढ़ जाएगा ।" शफ़क़ ने कहा । इनाया ने मंजूरी में गर्दन धीरे से हिलाई ।
बिलिंग के बाद दोनों मॉल से बाहर आ गए और शफ़क़ गाड़ी लेने चला गया । पार्किंग एरिया में इनाया शफ़क़ का इंतजार कर रही थी , और साथ ही बड़बड़ाते हुए अपनी साड़ी की प्लेट्स ठीक करने में लगी हुई थी ।" जमाएला ये लेडीज़ लोग कैसे सारा झमेला हैंडल करती है । घनचक्कर जैसा बार-बार चप्पल में फसता है ये प्लेट्स ।"
तभी एक आदमी अचानक आ कर उस के आगे घुटनों पर बैठ गया । इनाया अचानक हैरानी से उसे देख ने लगी । "ए एक्सक़ुज़ मी यू मिस्टर माना मे छम्मकछलो लग रही है , but इधर दाल नहीं गलेगी ।" इनाया ने हंसते हुए कहा । जब कि उस आदमी ने उस तरफ एक बार भी सिर उठा के देखा तक नहीं और केवल उस की साड़ी की प्लेट्स नीचे से बराबर कर ने लगा ।
इनाया को अपनी अक्ल पर शर्म आई । उसे लगा था ये आदमी उसे प्रपोज कर ने के लिए आया है, जबकि वो इस वक़्त उस की मदद कर रहा था । इनाया इतना सोचते हुए मन ही मन खुद को किस रही थी । जब उस आदमी ने अपना हाथ उस की तरफ़ बढ़ा दिया । इनाया ने उसे ना समझी में देखा ।
तभी उस आदमी ने एक वर्ड में कहा,"सेफ्टी पिन!"
इनाया ने झट से पल्लू के नीचे लगी एक्स्ट्रा सेफ्टी पिन निकाला और उस के हाथ में थमा दिया । उस ने सेफ्टी पिन ले कर इनाया की प्लेट्स नीचे से सिक्योर कर दी । इनाया ने उसे , थैंक्यू कहना चाहा पर वो इस से पहले उठ कर वहां से चला गया ।
"अरे... अरे... सुनिए तो !" कहते हुए इनाया उस के पीछे जाने लगी कि इतने में शफ़क ने गाड़ी लाकर उस के आगे लगा दी । इनाया एकदम से रुक गई । शफ़क़ ने गाड़ी का शीशा डाउन किया और बोला," किस को ढूंढ रेली है चल बैठ गाड़ी में । सब तुझ को ही देख रेल हैं ।"
इनाया ने कुछ सोचते हुए कहा,"वो... उधर वो...?? कुछ नहीं ? मतबल किस को ढूंढेगी मैं?" इतना कहकर इनाया गाड़ी में बैठ गई ।
कुछ ही देर में गाड़ी राठौड़ हवेली के सामने जा कर रुकी । शफ़क़ ने कार से बाहर आकर इनाया के लिए दरवाज़ा खोला । इनाया ने घिर के उस को देखा और तमतमा हुए बोली ," मेरे को ये प्रिंसेस ट्रीटमेंट नहीं जमता जानता है रे तू ।"
शफ़क़ उस की बात पर हस पड़ा । इनाया ने गाड़ी से उतर ने से पहले हील्स उतारी और शफ़क़ के दोनों हाथ में कस के थमा दी । " ले पकड़ इस को । सारा वीक बर्बाद कर चुका है तू ये फोकट शॉपिंग और ट्रांसफॉर्मेशन के लिए । आज आठ दिन से न तो कोई गोली ठोकी न खून बहाया मेरा मूड की दही जम गई है बिलकुल । पता नहीं क्या खिचड़ी पक रैली है भाऊ के दिमाग़ में ।"
इतना बोल कर इनाया ने कार से अपनी रिवॉल्वर उठा कर कमर पर खोंसी और वहां से अंदर चली गई । शफ़क़ भी कुछ की बिना कहे उस के पीछे पीछे चला गया ।
इनाया, पाँव ज़मीन पर पटकते हुए हाल में पहुंची । उस की आंखों में गुस्सा और नाराज़गी थी । वो चुप- चाप वहां हॉल के बीचों बीच खड़ी थी ।
उस के सामने इस वक़्त सोफे पर एक अधेड़ उम्र का आदमी बैठा हुआ था । जिस ने सादा सफेद कुर्ता और गाढ़े भूरे रंग की पठानी सलवार, ऊपर से कंधे पर एक हल्का सूती शॉल डाला हुआ था । पैरों में चमड़े की चप्पलें, और हाथ में चांदी का कड़ा था । चेहरे पर रॉब, तनी हुई मूछें और, गहरी अंधेरी आँखें जो एक नज़र में इरादे पढ़ ले - नितेश राठौड़ ।
इनाया के वहां आते ही वो बिना उस की तरफ़ देखे बोले -" आओ विष आओ, बैठो, वहां क्यों रुक गई ।"
इतने में शफ़क़ पीछे से आ कर बोला," भाऊ को दिल
से सलाम । सफर कैसा रहा आप का?"
राठौड़ साहब ने शफ़क की तरफ़ एक नज़र उठाई फिर इनाया को देखा ," सफ़र अच्छा था, शफ़क । मगर यहां कुछ अच्छा नज़र नहीं आ रहा । हमारी विष इतनी शांत ये तो कोई बुरा ख्याल ही हो सकता है ।" राठौड़ साहब गहरी आवाज़ में बोले ।
शफ़क़ ने इनाया को देखा और बोला,"पूछ ले भाऊ से जो पूछ ने के लिए एक हफ्ते से तड़प रेली है?"
इनाया ने खा जाने वाली नजरों से शफ़क़ को देखा और गुस्से में अपने हाथों की मुट्ठी भींच ली ।
तभी राठौड़ साहब बोले," पूछो विष क्या पूछना चाहती हो? और भला हम से नाराज़ क्यों हो?"
राठौड़ साहब के इतना कह ने की देर थी कि इनाया बोल पड़ी ,"भाऊ मेरे को एक हफ़्ते से ना तो किसी का गेम बजाने दिया है, न ही किधर काम के लिए भेजा है । मैं इधर खून बहाने को आई थी बराबर फ़िर ये चिरकुट लोग काहे को मेरे पीछे पड़ा भाऊ मैं ये चपाती सेकने वाली लड़कियों में से नहीं है । चिता सेक सकती है बस हां और ये झमेला और क्या बोला ये शफ़क़ मे रे को बोलने स्टाइल चेंज करना पड़ेगा । मैं पूछती है क्यों करना है ये सब?"
राठौड़ साहब इनाया की पूरी बात बड़े ध्यान और गंभीरता से सुनते हैं, चेहरे पर हलकी सी मुस्कान और आँखों में वो पुराना, सोच-समझ वाला रॉब अब और गहराता है। फिर वो अपनी जगह से धीरे से उठते हैं, उसकी तरफ कुछ कदम बढ़ते हैं और इनाया की तरफ देख कर बेहद ठहराव भरी आवाज़ में जवाब देते हैं ।
"विष..."
"तू हमारी विष कन्या है । सबसे खतरनाक और कीमती हथियार है... पर हर हथियार को कब, कैसे और कहां इस्तेमाल करना है – ये तज़ुर्बा और टाइमिंग तय करती है।"
फिर वो धीरे-धीरे उस के चारों ओर चक्कर लगाते हुए कहते हैं, "अब तक तू गोलियों से खेली है, खून बहाया है । डर और मौत तेरे नाम से कांपती है । पर असली मिशन में ताक़त से ज़्यादा ज़रूरत होती है दिमाग़ और धैर्य की... और तेरे इस मिशन में दुश्मन को गोली से नहीं, उस के ही जाल में फंसा कर मारना है ।"
इनाया ध्यान से उनकी बात सुन रही थी भी शफ़क़ पीछे खड़ा कुछ सोच रहा था,"जो काम तू एक गोली से करेगी, वो काम एक नज़र, एक मुस्कान और एक सीधी-सादी लड़की की सूरत में जाकर कर सकती है – और यही दुश्मन की सब से बड़ी हार होगी ।"
फिर राठौड़ साहब ने एक पल ठहर कर, इनाया की आँखों में आँखें डाल कर कहा, "तू अब तक हमारी विष थी – ज़हर में लिपटा कत्ल, जिसे देख ने और जान ने वाला हर इंसान खत्म हो गया । जिसे कोई चेहरे से नहीं पहचानता सिर्फ नाम से थर्राते है । मगर अब तुझे बनना है वो फूल, जिसके नीचे ज़हर छिपा हो… ताकि सामने वाला सूंघे, सराहे… और फिर बिखर जाए, बिना ये जाने कि मौत कब और कैसे आई ।"
"ये स्टाइल चेंज, ये लड़की बनना, ये सब तेरा मेकअप नहीं है, ये तेरा नया हथियार है, विष । असली वार वही करता है जो छुप कर करता है । और ये मिशन वैसा ही है ।" राठौड़ साहब अब शांत हो कर वापस अपनी जगह पर बैठ गए । इनाया कुछ देर मन ही मन कुछ सोचती रही ।
इस के बाद वो मुस्कुराते हुए कहते हैं, "तो तू तय कर… तुझे अब भी गोलियों से खेलना है या खेल से गोलियां चलवानी है?"
इनाया ने उनकी तरफ़ देखा, और बेहद कश्मकश के साथ वापस कुछ सोचने लगी । राठौड़ साहब ने आगे समझाते हुए कहा,"क्योंकि इस बार तुझे दुश्मन के दिल में उतर कर उस का खेल खत्म करना है – और वो भी बिना उस के ये समझे कि खेल कब शुरू हुआ ।"
यह सुन कर इनाया के चेहरे पर तनी लकीरें पहली बार थोड़ी देर के लिए शांत हो जाती है… और राठौड़ साहब की बातों का मतलब धीरे-धीरे उस पर साफ़ होने लगा था ।
इनाया ने सवाल किया," ये मिशन क्या है और ये दुश्मन कौन है?"
राठौड़ साहब, इनाया की तरफ़ देख मुस्कुरा दिए और फिर बोले, "तुम्हारे पास सिर्फ दो हफ़्ते है । तुम्हे ख़ुद को विषकन्या से सीधी सादी इनाया वर्मा बनाना होगा । आगे क्या करना है कैसा करना सही वक्त आने पर समझ आ जाएगा । बस ये समझ लो तुम्हारे भाऊ के लिए ये मिशन बहुत जरूरी है ।"
इनाया ने इस के आगे राठौड़ साहब से कुछ नहीं पूछा, और अपने कमरे में चली गई ।
अगले दिन, दोपहर के वक्त, इनाया किचेन में खड़ी कुछ औरतों के साथ खाना बना ने में मदद कर रही थी । शफ़क़ किचेन के बाहर खड़ा उसे देख रहा था । इनाया के हाथ इस वक्त आटे में सने थे और वो आटे को पंचिंग बैग की तरह पटक पटक कर गूंद रही थी । तभी एक औरत ने उस से कहा,"आटे को प्यार से गूंदते है दीदी ।"
इनाया ने उस लड़की को घूर के देखा और फिर गुस्से में बोली,"अब उस में प्यार जैसा क्या है , सीधा नॉकआउट ही तो देना है ।"
शफ़क़ को उस की बात सुन कर ज़ोर से हंसी आई । इनाया ने आटा लगा कर बर्तन में रखा और बड़बड़ाते हुए हाथ साफ कर ने लगी ।
"मिशन अपनी जगह है but ये training इधर खाना पकाना से क्यों शुरू करनी है भाऊ को पता नहीं उन के दिमाग में क्या चल रहा है ।" इनाया खुद ही खुद में बोली ।
"क्योंकि मर्द के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है ।" शफ़क़ ने अचानक उस के पीछे आकार कहा । इनाया ने उसे देखा और फिर गुस्से में बोली ,"मेरे को लंबे रस्ते पसंद नहीं , मैं सीधे दिल में गोली उतार देगी ।"
शफ़क़ का जी चाहा वो अपना सिर लड़ा ले । "विष भाऊ ने तेरे को लड़कियों जैसे बोलने को कहा है लड़कियां मीठी बातें करती है । " शफ़क़ ने उसे याद दिलाया ।
"मैं क्या करूं मैं पैदा ही च मुंह में मिर्ची लेकर हुई थी ।" इनाया ने पलट के कहा," चल फूट अभी इधर से मेरे को वो रोटी बनानी है । "
""ये जो आटा लगाया है न तूने इसे रोटी तो पता नहीं किसी का सर जरूर फूटेगा । " शफ़क़ ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा ।
"तू निकल वरना तेरा ही सर फोडूंगी । "इनाया ने उसे बेलन दिखा कर दौड़ाते हुए कहा । शफ़क़ वहां से चला गया ।
राठौड़ साहब, हवेली के बाहर तैयार हो कर खड़े थे । उन के साथ उन का राइट हैंड, नवीन सोमानी , खड़ा वहीं क्यों सारे नौकर,काफ़ी सारे बड़े बड़े थाल, तोहफे और फलों के टोकरे गाड़ी में रखवा रहे थे । शफ़क़ अपनी कलाई पर घड़ी ठीक करते हुए वहां आया ।
"चलें भाऊ?" शफ़क़ ने कहा ।
राठौड़ साहब ने हां में गर्दन हिलाते हुए, नवीन और शफ़क़ दोनों की तरफ़ देखा और फिर कहा,"चल ने से पहले एक बात ध्यान में रख लो , दुश्मनों की चौखट पर आज दुश्मनी के लिए नहीं रिश्तेदारी के लिए जा रहे है । इसलिए कोई ऐसी हरकत या गुस्सा कर ने की जरूरत नहीं है जिस से शेखावत वाड़ा में कोई तमाशा हो । बेटी का रिश्ता ले कर जा रहे है, सर झुका कर रहना होगा । ताकि जब वो हमें गले से लगाए तो हम उनकी पीठ में छूरा खोंप सके ।"
राठौड़ साहब की बात सुन कर शफ़क़ के होंठ पर एक मुस्कान उभर आई । नवीन ने उन की बात पर हामी भरी और राठौड़ साहब के लिए गाड़ी का दरवाज़ा खोला ।
राठौड़ साहब अंदर बैठने ही वाले थे तभी अचानक हवेली के अंदर से एक जोरदार धमाके की आवाज़ आई ।
- To be Continued
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Author's Note:
“कहानी में गोलियां भी चलती है तो वक्त पर चलती हैं, पर अब चैप्टर्स थोड़े लेट हो गए । थोड़ा सब्र रखो, धमाकेदार वापसी हो ने वाली है । इनाया का सफर रुका नहीं, बस गियर चेंज हो रहा था । अब हर पन्ना बोलेगा—इंतजार के काबिल था ! बने रहो साथ ! अब चैप्टर्स हर रोज मिलेंगे । नो ब्रेक । रात नौ बजे ।
फॉलो करें इंस्टाग्राम पर अपडेट्स एंड स्पॉयलर के लिए ।
@authordivawrites
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Your Turn, Readers
आप क्या सोचते हैं, ये धमाका किस का इशारा है? क्या ये कहानी अभी से मोड़ लेने वाली है? क्या शेखावत वाड़ा वाकई राठौड़ों का स्वागत करेगा... या ये एक जाल है?
Comment कर के बताओ – क्या तुम्हें ये धमाका सुनाई दिया? या उस के पीछे की साज़िश समझ आई ?
Review जरूर दे और हमें हमारी गलतियों का एहसास कराएं।
राठौड़ साहब गाड़ी के अंदर बैठने ही वाले थे, कि तभी अचानक हवेली के अंदर से एक जोरदार धमाके की आवाज़ आई । इतनी तेज़ और भयानक आवाज़ मानो जैसे हवेली कांप उठी हो । शफ़क़ और नवीन ने नासमझी और घबराहट से पहले एक दूसरे की ओर देखा और फिर राठौड़ साहब की तरफ़ ।
""एक दूसरे का मुँह क्या ताक रहे हो , जाओ देखो ये धमाका कैसा था ।" राठौड़ साहब ने गुर्राते हुए कहा ।
नवीन ने कहा,"आवाज़ रसोई घर की तरफ़ से आई है ।" शफ़क़ के चेहरे पर भाव तन गए । वो दोनों उस तरफ़ दौड़ गए । राठौड़ साहब भी उसी तरफ चले आए । kitchen की खिड़कियां खुली हुई थीं और वहां से काला उठता धुआं नज़र आ था ।
नवीन और शफ़क जैसे ही किचेन में पहुंचे उन के होशो हवास के तोते उड़ गए । पूरा किचेन तबाह हो चुका था । एक तरफ़ रोटियों का, का कहें जले हुए दुनिया के नक्शों का ढेर लगा हुआ था तो दूसरी तरफ gas stove पर रखा कुकर और उस का ढक्कन उल्टी दिशाओं में बुरी हालत में पड़े थे । इनाया के साथ वहां इस दो कुक्स भी मौजूद थी, जो धुआं बाहर निकाल ने और आग बुझा ने की कोशिश कर रही थी ।
शफ़क़ ने फौरन वहां से सभी को एक एक कर के बाहर निकाला । नवीन ने अंदर जा कर गैस सिलेंडर बंद कर दिया ।
हादसे के कुछ घंटों बाद बाद सभी हॉल में राठौड़ साहब के सामने थे सिवाय इनाया के । सब इस वक्त वहां बस उसी के आने का इंतज़ार कर रहे थे ।
राठौड़ साहब निराशा से सिर पकड़ कर बैठे हुए थे और शफ़क़ उस की इनाया ने उम्मीद से भी ज्यादा बड़ा झटका दिया था ।
तभी इनाया वहां आ गई । सिंपल सी शर्ट जींस और एक कार्डिगन । शफ़क़ ने उसे देखते ही कहा," विष , ठीक है तू ? "
"कैसी दिख रैली है । बिल्कुल जबर्दस्त है मैं । टेंशन नॉट ।" इनाया ने बेपरवाही से कहा,"और सब इधर क्यों जमा हुए है । कोई मीटिंग चल रैली है । आप लोग तो किधर जाने वाले थे । नहीं भाऊ ?"
राठौड़ साहब और बाकी सभी को उस की बातों पर ज़रा सी भी हैरानी नहीं हुई । उन की विष ऐसी ही है । बड़ी से बड़ी और गंभीर से गंभीर सिचुएशन में भी वो हमेशा ऐसे ही और इतनी ही बेफिक्र रिएक्ट करती है ।
नवीन ने घूर कर इनाया की तरफ देखा और फिर कहा,"तू क्या बकलोल है । उधर किचेन में तूने खाली कुकर किस लिए चढ़ाया । शुक्र कर की किसी का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ । "
इनाया ने नाक चढ़ाते हुए कहा,"मेरे को ये खाना पकाना खेलने किसने भेजा था । आप लोग ने ना । मेरे को थोड़ी ना मालूम था कुकर खाली च रखा है । इस ने, रेखा ने ही बोला कि चने का कुकर चढ़ा दो तो मेरे को लगा चने इसमें ही च होगा ।" इनाया ने कुक को घूर के देखा ।
उस कुक ने कुछ कहा नहीं और फिर नजरें झुका कर धीरे से बुदबुदाई,"ये लड़की है या शैतान, गलती कर के मुझे ही कोस रही है ।" उस के साथ खड़ी दूसरी कुक ने हाथ जोड़ते हुए धीरे से कहा "शुक्र है बप्पा का हमारी जान बच गई ।"
तभी नवीन उस के इस बर्ताव पर नाराज़ होता हुआ राठौड़ साहब से बोला," भाऊ देख रहे हैं, आपने ही इसे सिर चढ़ा लिया है । अभी जान जाते जाते बची है इस की फ़िर भी ऐसे ऐठ रही हैं ।"
इनाया उस की बात पर गुस्से में बोली," ए.. नवीन , देख ले अब तेरा ज्यादा हो रहा है, मेरा भेजा फ्राई कर ने की जरूरत नहीं है ।""
शफ़क ने एक अफसोस भरी सांस बाहर छोड़ी और फिर धीरे से राठौड़ साहब की तरफ़ झुक कर कहा," भाऊ इसे सुशील और सर्वगुण संपन्न बनाने की ज़िद्द छोड़ ही दीजिए तो अच्छा है । आप की विष पूरा घर भी फूंक देगी तो भी इस के माथे पर एक शिकन तक नहीं होगी । "
राठौड़ साहब अब तक चुप चाप बैठे सब की बातें सुन रहे थे मग़र शफ़क़ की बात सुनने के बाद उन के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान उतर आई । उन्होंने शफ़क़ की ओर देखे बग़ैर बड़े ही इत्मीनान के साथ कहा," इसीलिए तो विष को इस काम के लिए चुना है हम नें, सिर्फ़ वही हैं जो शेखावत वाड़ा में रह कर , उन्हें अपना बनाकर, ऐसी आग में झोंक सकती है जिसका उन्हें अंदाज़ा भी ना हो । विष जज्बाती नहीं है, और हमारे मिशन के लिए, कोई और उस काबिल नहीं हैं, सिवाय विष के । "
शफ़क़ उन की बात पर सोच मे पड़ गया ।
इसके बाद राठौड़ साहब ने सब को हुक्म दिया," हम चाहते हैं इस वक्त सभी लोग यहां से चले जाए ।"
राठौड़ साहब के हुक्म पर सभी वहां से जाने को मुड़े ।
तभी राठौड़ साहब ने आवाज़ लगाई, " विष..., तुम ठहरो ।"
इनाया वहीं के वहीं रुक गई और राठौड़ साहब की तरफ़ पलटी । बाकी सभी वहां से जा चुके थे ।
राठौड़ साहब कुर्सी की पुश्त से पीठ टिकाए कुछ पल खामोशी में बैठे रहे, फिर इनाया को बैठ ने का इशारा किया और इनाया उन के सामने पूरे ठाठ से बैठी, जैसे कुछ खास हुआ ही ना हो ।
राठौड़ साहब ने धीरे, मगर ठोस आवाज़ में, कहा,"तुम्हें पता है न, हमारे किसी भी मिशन में मज़ाक की कोई जगह नहीं है, विष।"
इनाया ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, "कौन सा मज़ाक किया मैं ने भाऊ? कुकर की गलती थी... मैं ने तो सिर्फ़ गैस ऑन की थी ।"
राठौड़ साहब की नज़र गहरी हो गई, उन्होंने सीधे ही कहा,"हम अच्छे से जानते है ये तुम ने जान बूझ कर किया है और इस के पीछे छुपी वज़ह भी । तुम यही चाहती हो ना कि तुम्हे ये सब सीख ने पर मजबूर करने से पहले तुम्हे बदलने से पहले मिशन के बारे में तुम्हे सब कुछ बताए । "
इनाया के चेहरे पर मुस्कान आ गई । "मुझे पता था कि कम से भाऊ आप ये समझने में देर नहीं करेंगे । बिल्कुल यही च जानना है मेरे को । भला ऐसा इस बार क्या अलग है, जो मेरि को बदल ने में लग गए हो आप । गोलियां, चलवाने की जगह , रोटियां बिलवा रहे हो । साड़ी पहिना के, कैटरीना की तरह मॉडलिंग करवा रहे हैं । मेरे को जानना है, वरना मैं नहीं कर ने वाली ये सब ।"
राठौड़ साहब ने इनाया के आगे शर्त रखते हुए कहा,"ठीक है विष..., हम तुम्हेबताएंगे मगर पहले तुम्हे वादा करना होगा कि तुम इस मिशन से इनकार नहीं करोगी ।"
भाऊ आप के लिए विष की जान भी हाज़िर है । मैं मना की है क्या आज तक आप को जो अब करेगी, आप बोलो तो सही किस को ख़त्म करना है । भाऊ इधर मै आप ही के वज़ह से विष बनी च है । वरना इनाया को सब ने सिर्फ़ खत्म ही च करने कि कोशिश करी है ।"
किसी को खत्म करना सिर्फ़ इतना सा, मकसद नहीं है । विष तुम्हे हमारे सब से बड़े, दुश्मन से बदला लेना है, हमारे कुल हमारे वंश का नाश कर ने वाले मेरी बीवी और मेरे बेटे को मार डाल ने वाले, भुवन शेखावत से हमारा बदला लेना है , विष ।" कहते हुए राठौड़ साहब की आवाज भारी हो गई
इनाया गुस्से में बोली," भुवन शेखावत, उस को तो एक साल पहले ही च कोमा में भेज दिया था, बोलिए तो टपका डालते है साले को ।"
"नहीं विष !" राठौड़ साहब थोड़े कड़क अंदाज में बोले ," कुछ लोगों से दुश्मनी बड़ी खास होती है और उन से बदला भी खास लिया जाता है ।"
इनाया उन की बात पर कन्फ्यूज हो गई । "मतबल भाऊ?"
राठौड़ साहब ने एक मुस्कान के साथ कहा,"मतलब ये कि भुवन शेखावत पिछले ही महीने कोमा से बाहर आ चुका है और आज हम शेखावत वाड़ा, हमारी बेटी का दीवा का रिश्ता लेकर गए थे । उन के वारिस, भुवन शेखावत की इकलौते बेटे रिवान शेखावत के लिए । दुश्मनी खत्म कर के,दोस्ती का हाथ बढ़ाया है हम ने भुवन शेखावत की तरफ ।"
"और उन्होंने थाम लिया?" इनाया ने नाउम्मीद हो कर पूछा ।
तभी राठौड़ साहब बोले, "हाँ, थाम लिया उस ने हमारी दोस्ती का बढ़ाया हुआ हाथ और इस दुश्मनी को खत्म कर रिश्तेदारी के लिए तैयार है भुवन शेखावत और यही दोस्ती और रिश्तेदारी उस के लिए बदले का सबक बनेगी । शादी दीवा की तय हुई है पर अगले हफ्ते मंडप पर हमारी विषकन्या बैठेगी हमारे दुश्मन की दुल्हन बन कर और आगे क्या करना है वो तुम्हे शफ़क़ समझा देगा ।"
उसी दिन, रात के वक्त इनाया बड़ी देर तक जागती, राठौड़ साहब की बात के बारे में सोचती रही । बाकी लड़कियों जैसे उस ने कभी भी दुल्हन बन ने के और शादी के फूल से ख्वाब नहीं सजाए थे । इसलिए ये उस के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी कि वो राठौड़ साहब के कहने पर, और केवल उन की दुश्मनी के लिये रिवान शेखावत से शादी कर ले ।
मगर इनाया को ये समझ नहीं आ रहा था कि वो इतनी जल्दी अपने आप को इस हद तक कैसे बदलेगी कि कोई और तो दूर वो खुद भी खुद को न पहचान सके ।
ये ही सब सोचते हुए रात कब कट गई ये इनाया भी नहीं जान सकी । सुबह होने तक इनाया अपने कमरे की खिड़की पर बैठी आसमान ताकती रही , मगर आंखों में नींद का नामोनिशान तक नहीं था ।
हारकर इनाया ने laptop निकाल कर इंटरनेट से रिवान के बारे में सर्च किया । वो ठीक दो साल पहले इंडिया आया था । मगर politics में करीब एक साल से अपने बाप की कुर्सी संभाल रहा था, जिस बीच उसने बिजनेस से खुद को दूर कर लिया । काफी सारी और ऐसी जानकारी निकलने के बाद इनाया उसकी फोटो ध्यान से देखने लगी ।
उसे ये इंसान कुछ जाना पहचाना सा लगा," इस को देखा हई च में ने, पर किदर देखा च है याद नहीं आ रहा" । तभी अचानक इनाया को कल उस मॉल वाले लड़के का ख्याल आया जिसे देख कर इनाया थम सी गई थी जिस ने उसे अपनी बाहों की लपेट में जकड़ रखा था ।
"हा.. ये तो वो ही च है, पर ये मेरि को उधर मल में भी कुछ देखा हुआ सा लगा था । मगर उस से पहले कभी देखा ये क्यों याद नहीं आ रहा मेरे को ।"
कई घंटों तक इनाया रिवान से जुड़ी काफी सारी जानकारी जुटाती रही ।
इस वक्त सुबह का समय था, मगर इनाया की आंखों के सामने अंधेरा गहराता जा रहा था । वो एक अंधेरे
और सुनसान से वेयरहाउस में खड़ी थी । सामने उस ने दो आदमियों को रस्सियों से बांधकर उलटा लटका रखा था । उन के सिर के नीचे दो बड़े ड्रम थे जो पानी से भरे हुए थे ।
इनाया के चेहरे पर उन दोनों को इस तरह पसीने से लथ-पथ देख कर एक सकून नज़र आ रहा था । वो दोनों ही पिछले कुछ मिनट से ऐसे लटके हुए थे । जिस से उन की आँखें पलटने लगी थी और शरीर का सारा खून धीरे - धीरे सर में आ ने लगा था । इनाया ने अपने पास खड़े भाऊ के आदमियों में से एक को कुछ इशारा किया ।
वो दोनों आदमी जो उल्टे लटके हुए थे,अचानक उन की रस्सी में ढील दे दी गई और वो नीचे की तरफ लटक ने लगे । उन के सिर अब उस पानी से भरे ड्रम में डुबाए जा रहे थे ।
"“प्यारे भुवन शेखावत के वफादार कुत्ते हैं ये..."इनाया बुदबुदाई,“जान दे डालेगा तुम लोग, मगर रूट नहीं बताएगा ? चलो, जान ही ले लेती है मैं— रूट का ऐसे नहीं तो वैसे पता लगा लेगी मैं ।”
वो दोनों ही मुंह बंधे होने के कारण न तो," ऊ... ऊ..."" के अलावा कोई आवाज कर सकते थे और हाथ-पैरों से कोई हरकत । सिवाय छटपटाने के उन के पास कोई रास्ता नहीं था ।
मगर उन्हें छटपटाता देख इनाया के चेहरे पर खिली हुई सी मुस्कान थी । उसे अपने दुश्मनों, को तड़पते देखना बेहद पसंद है । इनाया उन की घुटती सांसे देख हँस रही थी ।
उसी वक़्त,
“धांय!”
“धांय!”
“धांय!”
“धांय!”
“धांय!”
“धांय!”
छह गोलियां लगातार चली ।
एक -एक कर उन दोनों के सिर फट गए ।
पानी लाल हो गया ।
और इनाया के चेहरे पर वो नफ़रत उभर आई जिसे देख कर मौत भी कांपे । उस की मुस्कुराहट फीकी हो गई और माथा लकीरों से तन गया ।
मगर... उस ने ट्रिगर नहीं दबाया था । ये गोलियां किसी और ने चलाई थी । क्योंकि उस की उंगलियां तो शांत थीं । उस की बंदूक अब भी उस की जांघ से लटकी थी ।
तो फिर...???
इनाया ने गुस्से में अपनी उंगली ट्रिगर पर कस दी और आंखों में खून सवार कर पलटते ही गन प्वाइंट कर दी ।उस के बाल एक झटके में खुल गए और तीखी नज़रे बंदूक सहित सामने खड़े उस शख़्स पर टिक गई ।
सफ़ेद कुर्ते-पैजामे में सामने एक दोहरे बदन का सजीला जवान खड़ा था । कपड़ों पर, और चेहरे पर खून की छीटें थी, राठौड़ साहब के आदमियों की जो बाहर पहरे पर थे । बिना किसी आहट के ये आदमी बाहर खड़े आठ लोगों को खत्म कर के आ या था । इस वक्त वो इनाया के सामने एक मुस्कान लिए, दिल हारी हुई नजरों से खोया हुआ ऐसे खड़ा था मानो अचानक ही अपनी सुधबुध खो बैठा हो ।
इनाया गर्जती हुई बोली ,"तेरी औकात क्या है बे, कि तू मेरी शिकार में दखल दे ? कौन भेजा तुझे? ”
वो शख्स एक टक सामने खड़ी अपनी मौत को निहारता रहा । वो उसे इतनी खूबसूरत लग रही थी, कि वो खड़ा- खड़ा उस की ज़हर जैसी आंखों में अपनी जगह तलाश ने लगा ।
इनाया ने गुस्से से ट्रिगर दबा के पहली गोली उस के पैर पर मारी । वो घुटनों पर आ गया । दूसरी गोली उस के हाथ पर मारी, उस की बंदूक छूट कर जमीन पर गिर गई ।
इनाया का गुस्सा अब भी काम न हुआ । इस आदमी का परसुकून चेहरा और होंठो पर अटकी मुस्कान से इनाया को चिढ़ हो रही थी । इनाया ने अगली गोली उस के पेट में मारी और अपने दर्द की इस खूबसूरत वजह को देखता रहा । चौथी गोली के साथ वो उस के सीने से उस के दिल में उतर गई ।
पांचवीं गोली कुछ ऐसी दिशा में लगी कि उस के फेफड़ों की निचली रेखा चीरती हुई गई... और अगले ही पल उस के होंठों के किनारे से खून की पतली धार टपक ने लगी ।
छठी गोली , उस के माथे को छूने ही वाली थी, कि वो बेतहाशा ज़मीन पर गिर गया। उस के खून से पूरी ज़मीन लाल हो चुकी थी। उसकी सांसे भारी हो चुकी थीं।
~To Be Continued
छठी गोली , उस के माथे को छूने ही वाली थी, कि वो बेतहाशा ज़मीन पर गिर गया । उस के खून से पूरी ज़मीन लाल हो चुकी थी । उस की सांसे भारी हो चुकी थीं । मगर आँखें वो अब भी इंकार कर रही थीं ।
वो बेजान सा, जमीन पर पेट के बल पड़ा शायद अपनी अपनी आखिरी सांसें गिनता हुआ, अब भी उसे देख रहा था — जैसे उस की आंखों में जन्नत थी, और मौत उस की सबसे हसीन ख्वाहिश ।"
इनाया ने गुस्से के साथ एक और बार ट्रिगर दबाया मगर उस की रिवॉल्वर खाली हो चुकी थी । उस ने दांत भींचते हुए, अपनी रिवॉल्वर फेंक कर उस के सर पर दे मारी और पैर पटकते हुए उस के पास आ कर खड़ी हो । राठौड़ साहब के आदमी भी इनाया के पीछे- पीछे वहीं आ कर रुके । इनाया झुक कर उस के पास बैठ गई ।
इनाया ने गर्दन से पकड़ कर उस का सिर उठाते हुए कहा,"विषकन्या को दुश्मन की जान तड़पा कर कलेजे से निकाल लेना पसंद है , और तू ने उन तड़पते हुए भेड़ियों को एक झटके में मार दिया । तो अब तेरी सजा की तू इधर तड़प तड़प के अपनी अखरी सांसे गिन और फिर मौत की गोद में चैन से सो जा... बाय चलती हैं च मैं ।"
उस ने इनाया की बात सुन कर दर्द के साथ मुस्कुराते हुए टूटे हुए अल्फाजों में और तड़पती सी आवाज में कहा,"अ.. अगर, मौत इत..तनी खू..ब..सूरत होती है, तो ये दीवाना, हर... रोज इतनी खूबसूरत मौ..त चाहता है ।"
उस की बात सुन कर इनाया के चेहरे के रंग उड़ गए । उस की धड़कने कुछ थम ने सी लगी और वो अचानक चौंक कर नींद से जाग गई । उस के सामने अब भी उस का लैपटॉप खुला हुआ था । रिवान से जुड़ी बीते एक साल की कई सारी खबरें स्क्रीन पर थी
इतना ने रिवान की फोटों पर क्लिक किया और अभी अभी उस ने जिस शख्स को सपने में देखा था उस की शक्ल याद करने की कोशिश की । इनाया हैरान थी । वो। सपना केवल सपना नहीं था । वो सपने ने अभी जो कुछ भी देख कर उठी थी वो दो साल पुरानी हकीकत थी, उस ने इसी शख्स को उन गोलियों से घायल किया था । उस वक़्त न तो अन्य उसे पहचानती थी न उसके साथ के बाकी लोग ।
मगर इनाया कुछ हैरान थी । उस ने मन ही मन सोचा , जब मैने दो साल पहले च इस का चेप्टर किलोज कर दिया था, तो ये अब तक जिंदा कैसे है । जमायला इंट्रेस्टिंग अब इस मिशन में मजा आएगा । "
तभी उसे ख्याल आया । " अगर ऐसा है और रिवान अगर वही छ शख्स है, तो वो मेरे को अपनी बाईको बना के काय को के जाएगा ? उस को याद होगा कि मैं क्या की थी तो भाऊ का ये सती सावित्री वाला प्लान पहले इच फैल हो जाएगा । अपनी कातिल से कोई शादी करता है क्या भला ?"
इनाया इतना सोच ही रही थी कि उस की नज़र घड़ी पर जा टिकी । इस वक़्त करीब साढ़े ग्यारह बज रहे थे और वो अब तक अपने कमरे में है । ये सोच कर इनाया सब से पहले नहा धो कर तैयार होने के लिए चली गई ।
कुछ देर बाद, वो एक ढीली डाली सी ट्राउज़र्स और ओवरसाइज टी शर्ट पहने कर नीचे आ गई । सीढियां उतरते वक़्त हॉलवे में उस की नज़र किसी ऐसे इंसान पर पड़ी जिसे देख कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । इनाया दौड़ती हुई सीधे हॉल वे में आई, और एक कड़की लगा कर बोली,"फाइनली अभी याद आई है भाऊ इस को हमारी ।"
उस के सामने भाऊ के ठीक पास वाले सोफे पर एक सुंदर सी लड़की पिंक कलर का गाऊन पहने बैठी थी । उस ने इनाया की आवाज़ सुनते ही उस ने अपने हाथ में पकड़ा चाय का कप नीचे रख दिया और उठ कर सीधे इनाया को गले लगा लिया ।
"विष, यार आई मिस्ड यू अ लॉट..." उस ने अलग होते हुए कहा । इनाया ने भी उसे एक बार जकड़ के गले से लगाया और फिर बोली,"किया रे, मैं ने भी ऐसा बहुत मिस किया, तुझे दीवा ।"
राठौड़ साहब ने दोनों सहेलियों को मिलते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए बोले,"दीवा, विष हमारे लिए बहुत बड़ा काम करने जा रही है, ये इस शादी और इस रिश्ते की आड़ में हमारे दुश्मनों को खत्म कर देगी । उन से तुम्हारी मां और तुम्हारे भाई की दर्दनाक मौत का ऐसा बदला लेगी, जिस के बाद शेखावत वाड़ा की एक -एक इट डर से काँपेगी ।"
दीवा ने राठौड़ साहब को देखते हुए एक मुस्कान दी और फिर इनाया के बाजुओं को पकड़ कर उस से कह ने लगी ," विष तुम वाकई हमारे लिए अब तक की सब से बड़ी जंग पर जा रही हो बाबा का ये मिशन ये बदला तुम्हारे बिना पूरा नहीं हो सकता था । बाबा ने मुझे बताया कि इन सब में कितना खतरा है पर फिर भी तुम.. । "
इनाया उन की बातें सुन तो रही मगर उस के दिमाग मे कुछ और ही चल रहा था ,"भाऊ को कैसे बताऊं कि भुवन शेखावत की इकलौती औलाद, मेरे को एक झलक देखते ही पहचान जाएगा । और भाऊ का सारा प्लान धरा का धरा ही च रह जाएगा । "
"विष तुम सुन रही हो ना । विष... घूंघट कर लो ताकि कोई तुम्हे देख ना सके । " दीवा की आवाज़ बार बार उस के कानो में गूंज रही थी । जिस से इनाया अपने ख्यालों की दुनिया से हक़ीक़त में लौट आई । आज शादी का दिन था । इनाया इस वक़्त लाल जोड़े दुल्हन बनी आइने के सामने बैठी थी । वहीं इनाया को सजा ने के बाद दीवा उस से कुछ कह रही थी । उस ने एक बार खुद को आईने में देखा और फ़िर दीवा की तरफ़ देख कर मुस्कुरा दी ।
दीवा कहना शुरू किया । "विष, जिस मिशन के लिए तुम ने इतनी तैयारी की है खुद को एक नई पहचान के नीचे जिस तरह छुपाया है, उस मिशन के लिए आज से तुम्हे एक नया रिश्ता और एक पुराना बदला शुरू करना होगा । उन्हें तुम शक नहीं होना चाहिए । विष आज तुम इनाया बन कर उस की जिंदगी में जाओगी ताकि विषकन्या अपना जहर घोल सके ।"
इनाया ने उसे देख कर अपनी गर्दन हां में हिला दी और फिर अपने सर पर दुपट्टा ओढ़ते हुए, दीवा को विश्वास दिलाते हुए कहा," भाऊ ने इनाया के लिए बहुत कुछ किया था जब 17 साल इनाया यहां मुंबई आई थी तो भाऊ ने उसे नई पहचान नई जिंदगी दी थी । उन के लिए आज इनाया वर्मा, शेखावत वाड़ा की चौखट एक बहु बन कर लांघेगी और विषकन्या उन के दुश्मनों की जिंदगी तबाह कर के ही लौटेगी ।"
दीवा उस की बात सुन कुछ बेफिक्र हो गई ।
अगले ही पल इनाया ने दराज़ में से अपना छूरा निकल कर अपने लहंगे के नीचे बड़ी ही सावधानी से छुपा लिया । फ़िर सामने रखी एक खूबसूरत चमकती हुई अंगूठी अपनी उंगली पर सजा ली और आखिर में अपनी पिस्टल को पर्स में सम्भाल कर रख लिया ।
इनाया ने दोबारा शीशे में अपने अक्स को देखा और तीखी आवाज़ में कहा,"तुम्हारी दुल्हन तुम्हारी मौत बन कर आ रही है रिवान शेखावत ।" इतना कह कर इनाया ने अपना चेहरा घूंघट के पीछे छुपा लिया ।
शेखावत वाड़ा में, इस वक़्त बारात निकल ने की तैयारी हो रही थी । चारों तरफ़ चहल पहल का माहौल था । पूरा शेखावत वाड़ा में दियों की रोशनी से जगमगाहट और फूलों की मीठी महक थी ।
रिवान इस वक़्त अपने कमरे में अपने असिस्टेंट के साथ था । वो बारात लेकर निकल ने के लिए बिल्कुल तैयार था । सफ़ेद रंग की शेरवानी पहने वो मिरर में खुद को देख रहा था ।
रिवान के पीछे खड़ा उस का असिस्टेंट शिविन उसे काफी देर से चुप चाप देख रहा था । रवान ने उसकी तरफ़ पलटे बिना ही कहा, " परेशान नज़र आ रहे हो । क्या हुआ शिविन? तुम कुछ कहना चाहते हो तो कहो? "
शिविन उतरे हुए चेहरे के साथ बोला, "सर आप अच्छे से जानते हैं, राठौड़ क्या करना चाहता? फिर भी ये शादी क्यों कर रहे । आप मुझे एक बार ये सब कुछ बड़े साहब को बताने की इजाज़त दे दीजिए । फिर मैं इस बारे में दोबारा कुछ नहीं कहूंगा । "
शिविन की बात पूरी होते ही रिवान उस की तरफ पलटा और थोड़ा कड़क लहज़े में बोला, "राठौड़ क्या कर ने वाला है, ये तुम ने मुझे बता दिया काफी है । बाबा साहब तक तक कोई बात गलती से भी नहीं पहुंचनी चाहिए । "
रिवान के इतना कह ने पर शिविन एक पल भी नहीं रुका और तड़ से बोला, "सर, मगर आप की जान को खतरा है । पॉलिटिक्स से बिजनेस और बिजनेस से ले कर अंडरवर्ल्ड तक आप के जान के दुश्मन कम नहीं हैं, जो आप उन की विष-कन्या को अपनी मौत बना कर ख़ुद ही घर लाना चाहते है ।"
रिवान, शिविन की उस के प्रति चिंता अच्छे से समझता था । उस ने शिविन के कंधे पर हाथ रखा , और कहा,"में उसे मौत नहीं अपनी जिंदगी का मकसद बना कर ला रहा हूं । अपनी बीवी बना कर ला रहा हूं ।"
शिविन का जी चाहा कि अपने बॉस को समझने से तो अच्छा वो इन्हें कहीं बांध कर बिठा दे । दो साल पहले जब पहली बार रिवान का सामना विष कन्या से हुआ था, तब रिवान को कुल पंद्रह मिनट के अंदर हॉस्पिटल पहुंचा कर, उस की जान बचा ने वाला शिविन ही था । विष कन्या तभी उसे वहां बेजान छोड़ कर बेफिक्री से चली गई थी । जिस के बाद भी रिवान खुशी- खुशी अपने ही गले में फंसी का फंदा डलवा ने जा रहा है ।
रिवान ने उस की तरफ़ से नज़रे घुमा ली, और दोबारा खुद को शीशे में देखते हुए अपनी शेरवानी में ब्रॉच लगा ने लगा । शिविन उसे गुस्से से घूर रहा था ।
फिर वो हार कर, बेहद परेशान दी आवाज़ में बोला, "सर वो आप को मार डालना चाहती है । उस ने पहले भी कोशिश की है और तो आगे भी... ।"
"शिविन... शिविन... शिविन, वो मुझे मारना नहीं चाहती ।" रिवान ने उसे बीच में रोकते हुए कहा, "मैं उस के हाथों वो खूबसूरत मौत मरना चाहता था । तब भी और आज भी । मैं हर रोज उसके हाथों से जहर खा सकता हूं ।"
"सर, सिर पे चोट लग ने पर आप की यादाश्त भले ही नहीं गई । मगर आप के दिमाग पर उस का बहुत गलत असर जरूर हुआ है । " शिविन ने अपनी आँखे छोटी करते हुए कहा ।
रवान ने शीशे में खड़े हो कर अपना फाइनल लुक देखा और फिर गहरी आवाज में कहा," जब मौत से मोहब्बत हो जाए, तो मौत भी खुशनसीबी लगती है ।"
शिविन को वाकई ये आदमी समझ नहीं आ रहा । उस ने एक ही वाक्य में कुछ गहरा खा था, मगर शिविन को उस से फर्क नहीं पड़ता । उस के लिए मोहब्बत जैसी चीज फ़ज़ूल है और इस वक़्त, उस के सामने खड़ा, रिवान शेखावत, फ़ज़ूलियत की मिसाल, "ये क्या कह रहे है? कैसी बहकी - बहकी बाते कर रहे है । आप का लॉजिक । आप का 120+ वाला आई, क्यू । कहां गया वो?"
रिवान ने उस की तरफ़ देख कर मुस्कुराया और अपनी पगड़ी सर पर सजाते हुए कहा,"शिविन, मोहब्बत में केवल दिल की सुनी जाती है ।"
उस ने तड़ से जवाब में कहा, "हां और मुसीबत में दिमाग की भी सुन लेनी चाहिए, ताकि बाद में पछताना न पड़े ।"
इस बार रिवान के चेहरे पर टेढ़ी सी मुस्कान आ गई । "मैं मुसीबतों से नहीं डरता । " उस ने कहा," मगर मुसीबतें न हो तो लाइफ काफी बोरिंग सी हो जाती है ।इस लिए एडवेंचर्स करते रह ने चाहिए । "
शिविन फिर कुछ कहना चाहता था मगर रवान ने उस के मुँह पर उंगली रख दी," शिविन, रिवान शेखावत कोई काम, सोचे समझे बिना नहीं करता था, मगर फ़िर भी उस एक झलक में इस खंबख्त ने मोहब्बत करने का गुनाह किया, और गुनाह की सज़ा कि इसे हर घड़ी हर लम्हा अपनी मौत का दीदार हो ।"
शिविन ने आखिरकार हार मान ली, और इस बेवकूफ को समझाना बंद कर दिया ।
वहीं भुवन राव शेखावत, इस वक़्त अपने कमरे में पैर पर पैर चढ़ाए, किसी गहरी सोच में डूबे थे । तभी उन की पत्नी, हर्षा जी कमरे में आई । शेखावत साहब को शून्य भाव के साथ बैठे देखा तो पूछे बिना रह नहीं पाई । उन्हों ने अपनी काजल की डब्बी उठाई और अपने आंखों में काजल भरते हुए कहा, "आप परेशान है, राव साहब ? कोई चिंता की बात है क्या? जो आप को शादी के कुछ पहर पहले इतना गंभीर होना पड़ रहा है ।"
शेखावत साहब ने उन की तरफ़ नज़र उठा कर देखा और उन की बात को नजरअंदाज करते हुए बोले," हमारी चिंता को छोड़िए हर्षा जी, मगर आप क्यों इतनी खुश नज़र आ रही है, अचानक इस शादी से?"
शेखावत साहब की बात पर, उन के हाथ अचानक रुक गए । वो थोड़ी भरी सी आवाज़ में बोली, "इस के अलावा कर भी क्या सकती हूँ, राव साहब एक लौते बेटे की शादी है मा तो खुश होगी ही । भले ही विषाद हो या दुश्मन से किया कोई सौदा । मग़र एक बात है, दुश्मन के घर की बेटी कभी इस घर की बहू बन कर भी यहां इस घर और इस परिवार का भला नहीं चाहेगी । मगर मुझ औरत को इस बारे में बोल ने की कहां इजाज़त राव साहब । बेटा तो सिर्फ आप का है आप ही भला जान सकते है । " हर्षा जी की बातों में सूई सी चुभन थी। वो गालों पर लुढ़कते आंसू लिए कमरे से बाहर चलीं गई।
शेखावत साहब को ज़रा भी फ़र्क न पड़ा। उन्हों ने अपने सामने पड़े लाइटर को उठाया और जेब से एक कागज़ निकाल कर, उस में एक कोने से आग लगा दी। कागज़ कुछ ही देर में पूरी तरह जलने लगा, तो उन्हों ने उसे वैसे ही जमीन पर गिरा दिया। उन के चेहरे पर तिरछी सी मुस्कान थी।
इसके बाद शेखावत साहब अपनी जगह से उठ कर आयने के सामने, पीछे की ओर हाथ बांध कर खड़े हो गए। "दुश्मनों से दोस्ती नहीं की जाती। राठौड़ से बदला अब इस नई रिश्तेदारी के ज़रिए लिया जाएगा। ये शादी, ये रिश्तेदारी और ये दोस्ती का बढ़ा या हुआ हाथ ज़रूर थारी कोई चाल सै राठौड़ मगर भुवन राव शेखावत, भी आज तक कच्ची गोलियां न खेलतो आयो है। तू जो कुछ भी कर ले, यो भुवन राव शेखावत थारी हर चाल के लिए तैयार सै। " इतना कह कर शेखावत साहब ने अपनी मूंछों को तांव दिया, और अपनी आंखों की गहराई में झांकने लगे।
~To Be Continued
शाम हो चुकी थी । शेखावत वाड़ा से बारात निकल ने का समय था । हवेली के बड़े बरामदे में इस वक़्त सिर्फ तीन लोग खड़े थे । शेखावत साहब, उन की मां बिंदु देवी और हर्षा जी । जो वक्त रिवान के आ ने का इंतजार कर रहे थे ।
कुछ ही देर में रिवान ऊपर सीढ़ियों से उतरता हुए, नीचे आया । शिविन भी उस के पीछे- पीछे चल रहा था । बिंदु जी की नज़र जैसे ही अपने पोते पर पड़ी उन्हों ने हर्षा जी से कहा, "जा जल्दी से अपने लाडले के लिए, आरती की थाल लेकर आ । "
हर्षा जी उन की बात पर, जल्दी से मंदिर की तरफ़ भागी चली गईं । रिवान ने नीचे आते ही सब से पहले बिंदु जी के पाँव छू कर उन का आशीर्वाद लिया और फिर अपने पिता जी के पांव छूने लगा । शेखावत साहब, ने रिवान के सिर पर हाथ रख कर कहा," खुश रहो, और खानदान की इज़्ज़त बनाए रखो । " रिवान एक मुस्कान के साथ उन की तरफ़ देखा ।
इतने में हर्षा जी आरती की थाल ले कर वहां आ गई । रिवान फ़ौरन अपनी मां के पांव छूने लगा । हर्षा जी ने नम आंखों और एक मुस्कान के साथ अपने बेटे को आशीष दिया । रिवान को उन की आंखों की नमी रास नहीं आई । उस ने उन के आंसू देखे और उन्हें अपने हाथों से साफ़ करता हुआ बोला," माँ, अब भला इस वक़्त रोने की क्या बात है । आप का बेटा शादी कर ने जा रहा है, किसी जंग पर नहीं, जहां से कभी लौट कर ही नहीं आएगा । "
रिवान की बात पर हर्षा जी उसे घूरने लगी । जब कि रिवान हँस रहा था । उन्होंने ने उस के माथे पर थपकी लगते हुए नाराज़गी भरे अंदाज में कहा, "हट, सांझ के समय और इतने अच्छे मुहूर्त पर ऐसी बातें नहीं करते, पगले ।"
इस के बाद हर्षा जी, ने रिवान को तिलक लगा कर उस की आरती उतारी और मुँह मीठा कराया ।
शिविन इस दौरान अपने फोन पर कुछ कर रहा था । उस का चेहरा इस वक़्त बेहद गंभीर नज़र आ रहा था ।
तभी अचानक उसे पीछे से किसी ठोकर लगी और उस का फोन हाथ से छूट कर नीचे गिर गया । शिविन गुस्से से चिल्लाया,"What the hell ! कौन है जिसे इतनी रोशनी में भी कम नज़र आ रहा है ।
सभी का ध्यान अचानक उस की तरफ़ चला गया । शिविन झुक कर अपना फोन उठा रहा था । जब कि उस के पीछे, एक अठारह - उन्नीस साल की लड़की अपना लहंगा पकड़े खड़ी थी । वो गुस्से से और बिल्कुल खा जाने वाली नजरों से उसे देख रही थी ।
सभी उसे देख कर बिल्कुल शांत मगर कुछ हैरान खड़े थे । शिविन उठा और गुस्से से उस की तरफ़ पलटा, और अगले ही पल शिविन का गुस्सा छू मंतर हो गया । उस के सामने खड़ी ये लड़की और कोई नहीं, बल्कि शेखावत खानदान की लाडली और रिवान के चाचा जी की बेटी थी, आर्या शेखावत थी । जो अपने एग्जाम्स ओवर हो ने के बाद, सीधे आज ही मुंबई आई थी ।
शिविन के होश उड़ चुके थे । उस के मुंह से निकला,"आ... आप?"
""जी, मैं " आर्या ने दांत भींचते हुए कहा ।
आर्या के चेहरे पर गुस्सा देखते ही शिविन का चेहरा भीगी बिल्ली जैसा हो गया था । उस ने आर्या के सामने सफाई देने की कोशिश की," जी वो मुझे लगा कि कोई शैतान बच्चा होगा । " अब आर्या हैरानी और गुस्से के मिले जुले भाव के साथ उसे और बुरी तरह घूरने लगी । शिविन ने मन ही मन सोचा ,"अबे गधे, ये क्या बोल रहा है, पहले आर्या जी गुस्से में हैं । इतने में आर्या नाराज़गी से बोली," पहले यू कॉल्ड मी ब्लाइंड एंड नाओ सम शैतान बच्चा , सीरियसली?"
आर्या को और ज्यादा नाराज़ होते देख शिविन बिना सोचे समझे रेल गाड़ी की रफतार से बिना सांस लिए बोलने लगा, "नहीं, नहीं आर्या जी मेरा वो मतलब नहीं, मैं ने कहा, मुझे ऐसा लगा । पता होता आप है तो मैं खुद ही रास्ते से हट जाता । खैर आप छोड़िए ये सब, मेरी ही गलती है । आप आ रही थीं, तो मुझे आप की तरफ़ मुड़ के खड़ा होना चाहिए था, फ़िर आप मुझे दिख जाती और ऐसा होता ही नहीं और ये फोन ये तो है ही निहायती गिरा हुआ ।" इतना कहते हुए शिविन बिल्कुल किसी चाबी भरे हुए खिलौने सा लग रहा था । फाइनली उसने इतना सब कह कर एक लंबी सांस ले कर धीरे से कहा,"एनीवे आई... एम... सॉरी ।"
आर्या को उस का बिहेवियर देख कर हंसी आ गई मगर किसी तरह अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए वो बोली ,"ठीक है, ठीक है, इट्स ओके, अब हटो भी , मुझे भईयू को सेहरा बांधना है । "
शिविन उस की बात पर फौरन आगे से हट गया ।
सभी उन दोनों की इस छोटी सी बहस पर हंस रहे थे । इसी बीच आर्या के मां-बाप भी वहां आ गए । निर्वान जी और शारदा जी ने आ कर बिंदु जी से आशीर्वाद लिया और फिर पूछ ने लगे ।" सभी किस बात पर इतना हँस रहे थे ।"
तभी आर्या जो रिवान के सर पर सेहरा सजा रही थी । शिविन को घूरने लगी । शिविन उस की नज़रे खुद पर महसूस होते ही इधर उधर देख ने लगा । हर्षा जी उन्हें ये सब बताते हुए बाते करने लगी । इस के बाद आर्या ने फ़ौरन रिवान से कहा चलिए लाइए मेरा नेग । रिवान ने फौरन अपने पर्स से एक कार्ड निकला और उसे पकड़ा दिया । ये आर्या के फेवरेट ब्यूटी सालों का वी आई पी मेंबरशिप कार्ड था । आर्या खुशी से उछल पड़ी । "थैंक यू, भईयू" कह कर उस ने रिवान को साइड से हग कर लिया ।
कुछ ही देर में सब बारात के लिए वाड़ा से बाहरी आंगन में आ गए । रिवान को घोड़ी पर चढ़ाते हुए, शिविन ने कहा," सर अभी भी वक्त है ।"
रिवान ने उसे घूर के देखा तो वो चुप हो गया ।
बाकी लोग अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ गए और बैंड बाजे के साथ बारात शेखावत वाड़ा से निकल गई । सड़कों पर पुलिस ने पहले ही खाली करवा दिया था । बारात में बैंड बाजे के अलावा गाड़ियों की लंबी कतार थी फैमिली, पॉलिटिशियंस, व्यापारियों और सुरक्षा कर्मियों की गाड़ियां ।
सफेद घोड़ी पर सवार था, दूल्हा रिवान शेखावत उस के आगे-पीछे Z+ सिक्योरिटी की कारें काले शीशों वाली, जिन के रेड और ब्लू सायरन की झलक बार-बार भीड़ को पीछे हटने को मजबूर कर रही थी । साथ ही चार चांद लगाने वाले डांसर्स, आतिशबाज, और कुछ बुलेट पर सवार हथियारबंद गनमैन भी थे । जिन के कंधे पर राइफलें लदी थी । इस के अलावा कुछ इवेंट प्रोफेशनल्स, फोटोग्राफर्स और वीडियोग्राफर्स भी मौजूद थे, जो इस पूरे इवेंट को कैप्चर कर ने में लगे हुए थे । जब कि अनवांटेड पब्लिसिटी और दोनों फैमिलीज़ के कंसर्न से मीडिया और पी आर टीम को इस पूरी शादी से दूर रखा जाने वाला था ।
इधर राठौड़ साहब हवेली की हवेली भी दुल्हन की तरह सजी थी । मंडप भी सज चुका था । जगह जगह सिक्योरिटी गार्ड्स, कमांडोज तैनात थे ।
राठौड़ साहब के मेहमान भी आना शुरू हो चुके थे । राठौड़ साहब, बहुत आदर सम्मान से सभी लोगों का स्वागत कर रहे थे । उन की हवेली भी आज कई बड़े नेताओं और व्यापारियों से भरी हुई थी ।
बहुत लंबे समय के बाद राजनैतिक संसार की एक बड़ी दुश्मनी खत्म हो कर एक रिश्तेदारी के रूप में एक राजनैतिक गठबंधन में बंध ने जा रही थी । जिस से ज़्यादातर लोग खुश नज़र आ रहे थे ।
कुछ ही देर बाद बारात का शोर कुछ दूर से आता सुनाई पड़ने लगा । राठौड़ साहब , उन के रिश्तेदार और कुछ सम्माननीय नेता गढ़ हवेली के मुख्य द्वार पर बारात स्वागत के लिए खडे हो गए ।
बैंड बाजा अपनी पूरी ऊंचाई पर था । ढोल की थाप और शहनाई की मधुर तानें पूरी तरह से उमंग का माहौल था । देखते ही देखते राठौड़ साहब की हवेली के बाहर, कारों की एक लंबी कतार थी । BMWs, Audis, Mercedes — जिन में बैठे थे, राज्य के बड़े - बड़े नेता, बिजनेसमैन, कैबिनेट मिनिस्टर्स, एमएलए और पार्टी के कई दिग्गज चेहरे ।
हर गाड़ी से उतरता एक चेहरा या तो सत्ता में था या सत्ता के बेहद करीब । कुछ युवा नेताओं ने स्टाइलिश कुर्ता-पयजामा के साथ जैकेट पहना था, तो कुछ पुराने नेताओं ने पारंपरिक धोती-कुर्ता और चश्मे के साथ रुतबा बरकरार रखा । हर किसी के चेहरे पर राजनीति की समझ और सत्ता का दंभ साफ झलक रहा था ।
राठौड़ साहब ने फूलों की माला के साथ तिलक लगा कर और मुंह मीठा करा कर, सम्मान पूर्वक अपने समधी, अपने हो ने वाले दामाद और बारात के सभी सम्माननीय सदस्यों का स्वागत किया ।
दोनों पक्षों के मिलन के बाद, कुछ समय बारातियों की खातिरदारी में गया । सभी खातिरदारी का आनंद ले रहे थे । विवाह विधि के शुरू हो ने से पहले कुछ प्रोफेशनल डांसर्स ने क्लासिकल डांस की एक खूबसूरत पेशकश की ।
रिवान इस दौरान काफी बोर हो रहा था । उस के मन में इस वक्त एक ख्याल बार- बार आ रहा था । शिविन ने उसे परफॉर्मेंस एंजॉय कर ने के बजाय कहीं घूम सा पाया तो पूछ लिया, "क्या हुआ सिर कोई बात है?"
रिवान ने अपनी गर्दन ना में हिला दी ।
शिविन कुछ देर के लिए चुप हो गया मगर रिवान फिर भी बहुत गहराई से कुछ सोच था । शिविन ने वापस उस से पूछा,"क्या सोच रहे है, सर आप?" रिवान ने कुछ नहीं कहा । शिविन ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा,"कहीं ऐसा तो नहीं कि आप ने पहले ही कुछ बड़ा प्लान कर रखा हो और अब तक मुझे भी नहीं बताया । आप ये शादी नहीं कर ने वाले हैं ना सर ।"
रिवान ने उसे थोड़ा इरिटेट होते हुए देखा, और फिर कहना शुरू किया," शिविन मैं सोच रहा था कि... अगर मैं, इतने बड़े खानदान किसी पॉलिटिकल या बिजनेस जैसे बड़े बैकग्राउंड से न होता तो कितना अच्छा होता ?"
उस की बात सुन कर शिविन का मूड खराब हो गया । ये इंसान इतना unpredictable क्यों है? शिविन उस से क्या एक्सपेक्ट कर रहा था, और ये क्या फालतू बातें सोच रहा है, वो भी तब जब वो जानता है कि उस के ससुर और हो ने वाली बीवी ने मिल कर क्या प्लान किया है ।
रिवान ने कहा," अब तुम कहां खो गए । सुन भी रहे हो मैं क्या कह रहा हूं । " शिविन ने बेमन से हां में सर हिला दिया । रिवान ने फिर से कहा, "सोचो फ़िर, मै एक आम आदमी होता, ये सब ताम- झाम कि जगह मैं अपनी हो ने वाली बीवी को भगा कर ले जाता और जल्दी से किसी मंदिर में जा कर शादी कर लेता । अभी देखो कितना इंतज़ार करना पड़ रहा है । It's Too Boring... यार " इस बार शिविन उसे घूर कर देख रहा था ।
तभी राठौड़ साहब, का एक आदमी शेखावत साहब के पास आया और शेखावत साहब के कान के पास झुक के कुछ बोला । शेखावत साहब ने हैरानी से उस आदमी को देखा और फिर रिवान को ।
शिविन ने उन की तरफ़ देखा और फिर रिवान के कान के पास हो कर बोला," सर लगता है, आप के ससुर जी ने अपना काम शुरू कर दिया है ।"
"हम्मम... देखो कितने thoughtful हैं मेरे ससुर जी, अभी मैं बोर हो रहा था और अभी इन्हों ने मेरे एंटरटेनमेंट का इंतेज़ाम कर दिया ।" रिवान ने एक तिरछी मुस्कान के साथ शिविन से कहा ।
शिविन कुछ बोल ने ही वाला था कि इतने में रिवान ने दोबारा कहना शुरू कर दिया । "ऐसे Thoughtful ससुर जी के लिए, मै भी कुछ करना चाहता हूं, एनीवेज़ उन्हें कर ने दो जो कर रहे हैं । तुम वो सुनो कि अब तुम्हें क्या कर ना है । " रिवान ने फ़टाफ़ट शिविन को उस का काम समझाया और फ़िर बिल्कुल आराम बैठ गया ।
शिविन उस की बात सुन कर वहां से बिना कोई सवाल किए चला गया । वहीं शेखावत साहब भी कुछ देर के लिए वहां नहीं थे । वो राठौड़ साहब के उसी आदमी के साथ गए थे , जो कुछ देर पहले उन कैंपस आया था ।
हर्षा जी रवान के पास ही किसी सोच में डूबी बैठी हुई थी । उन्हें सिर्फ एक ही चिंता थी कि उन के पति केवल राजनीति के लिए उन के बेटे की शादी, अपने ही दुश्मन की बेटी से कर रहे है ।
रिवान ने उन की तरफ़ देखा और कहा," मां, बाबा साहब कुछ परेशान लग रहे थे । मैं ज़रा देख के आता हूँ, बात क्या है ।" इतना कह कर रिवान वहां से चला गया ।
दूसरी तरफ़ राठौड़ साहब, हवेली के ऊपर वाले कमरे में इस वक्त शेखावत साहब का इंतेज़ार कर रहे थे । उन के चेहरे पर उभरती हुई मुस्कान इस बात का सबूत थी कि वो अपने प्लान के अंतिम छोर पे है ।
शेखावत साहब तक अब तक उनके पैरों तले जमीन खींच लेने वाली ख़बर पहुंचा दी जा चुकी थी और इंतेज़ार हो रहा था कि वो कब यहां गुस्से में तमतमाते हुए आए ।
राठौड़ साहब बिल्कुल तैयार थे अपनी आखिरी चाल चल ने के लिए । उन्हें शेखावत साहब के सामने एक लाचार और अपने बेटी के हाथों मजबूर और हारा हुए बाप की अदाकारी करनी थी ।
कुछ ही पल बीते और राठौड़ साहब का इंतेज़ार आखिर खत्म हुआ । शेखावत साहब गुस्से में दनदनाते हुए वहां चले आए और कठोर आवाज़ में बोले,"ये हमें क्या सुन ने मिला है राठौड़ साहब? भला क्यों नहीं हो सकती ये शादी? आखिरी अवसर पर ये कैसा उपहास कर रहे है आप हमारे साथ । "
राठौड़ साहब की आंखों में आंसू और चेहरे पर चित्त की लकीरें अब साफ देखी जा सकती थी । उन्होंने कुछ देर मौन रहने के बाद शेखावत साहब की बात का जवाब देते हुए कहा," उपहास तो हमारे साथ हो गया है, समझ नहीं आ रहा कैसे कहूं ज़ाहिर है जो हुआ है उसे जानने पर आप बेहद नाराज़ होंगे शेखावत साहब । मगर सच भी यही है कि बिना दुल्हन के तो ये शादी हो नहीं सकेगी ।"
"ये कैसी बातें कर रहे है आप? क्यों नहीं हो सकेगी शादी? और क्या हुआ है दुल्हन को?" शेखावत साहब ने धीमी मगर कड़क आवाज़ में पूछा ।
राठौड़ साहब मौन साधे खड़े थे । शेखावत साहब को उन पर गुस्सा आ रहा था । उन का खून बुरी तरह खौल रहा था । वो नाराजगी और झुंझलाहट के साथ बोले ,"कहीं समय को मौन साध के और अधिक कठिन बनाने के बजाय अगर हमें बताएंगे समस्या क्या हुआ तो हम उसका हल निकालेंगे ना । "
राठौड़ साहब एक वाक्य में अफसोस के साथ बोले,"दीवा... दीवा शादी से पहले ही हवेली से गायब हो गई है । किसी को बिना बताए ।"
~To Be Continued!