एक खूबसूरत स्कूल लव स्टोरी जो शुरू होती है एकदम से दो विपरीत शख्शियत के बीच। अनुराग सिंह जिसने अपनी जिंदगी में सिर्फ आजादी ही देखी है। बंदिशों से तो जैसे कभी उसका पाला ही नहीं पड़ा बस ऊंची उड़ान ही सीखी है । सिंह खानदान का वारिस तो वही दूसरी तरफ है अ... एक खूबसूरत स्कूल लव स्टोरी जो शुरू होती है एकदम से दो विपरीत शख्शियत के बीच। अनुराग सिंह जिसने अपनी जिंदगी में सिर्फ आजादी ही देखी है। बंदिशों से तो जैसे कभी उसका पाला ही नहीं पड़ा बस ऊंची उड़ान ही सीखी है । सिंह खानदान का वारिस तो वही दूसरी तरफ है अक्षरा सेठी जिसने आज तक अपनी जिंदगी में सिर्फ बंदिशें ही देखी हैं जो है जर्रे जर्रे की मोहताज। आज पहली बार ग्यारहवीं कक्षा में उसे पहली बार मौका मिला है स्कूल जाने का। कैसी होगी इनकी कहानी जहां एक है आसमान में उड़ने वाला परिंदा तो दूसरा धरती पर खिला एक खूबसूरत फूल। आइए जानते हैं इस कहानी में।
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मार्च का महीना था और सुबह के करीब पांच बज रहे थे । हर तरफ चिड़ियों की आवाजें आ रही थीं। मौसम एकदम सुहाना हो गया था। सूरज अपनी लालिमा धीरे धीरे आसमान में बिखेर रहा था।
एक प्यारी सी लड़की जिसकी उम्र करीब 16 साल की होगी वो आराम से अपने बिस्तर पे सो रही थी । हालांकि वो बिस्तर इतना आरामदायक तो नहीं था पर वो लड़की.. उसके लिए तो जैसे वो ही जन्नत था। अपने सारे कष्ट और दुखों को भूल कर वो एकदम बेपरवाह सी सो रही थी। उसके लंबे बाल आधे बिस्तर को कवर किए हुए थे और उसका छोटा सा चेहरा बिल्कुल साफ दिख रहा था। उसने अपने सीने तक एक पतली चादर ओढ रखी थी। तभी उस कमरे में एक छोटी सी घड़ी जो बिस्तर के सिरहाने ही रखी थी उसमें अलार्म बज पड़ता है। अलार्म की आवाज सुन वो लड़की जो अबतक आराम से सो रही थी वो एकदम से उठ जाती है। आधी नींद में ही वो अलार्म बंद करने की कोशिश में वो बिस्तर के एकदम किनारे पर आ जाती है मगर अब भी घड़ी उसके पहुंच के बाहर थी। वो थोड़ा और आगे बढ़ती है कि तभी घड़ी के साथ साथ अपनी ही ओढ़ी चादर में एकदम से उलझ कर नीचे गिर जाती है" आह मां!! " उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकलती है क्योंकि उसके कमर में चोट आ गई थी। इसी के साथ उसकी नींद पूरी तरह से खुल जाती है। उसकी काली आंखे जिनमें अभी भी थोड़ी सी नींद शायद बाकी थी एक दम पानी की तरह साफ दिख रही थी। बिल्कुल बेदाग छोटा सा चेहरा उसपर उसकी वो काली आंखे ओर छोटे से पतले होठ । कोई देखे तो एक पल को जरूर देखता रह जाए।
वो धीरे से उठती है और सबसे पहले अपनी साइड की दीवार की तरफ जाती है जिसपर एक तस्वीर टंगी थी। वो उस तस्वीर पर अपने हाथ फिरा कर कहती है" good morning mumma papa" आपको पता है आज मैं फिर से गिर गई थी पर मुझे इतनी चोट नहीं आई और आज तो मैं बिल्कुल वक्त पर उठी हूं तो आज तो चाची जी बिल्कुल भी गुस्सा नहीं करेंगी। ये बोलते ही उसके चेहरे पर एक छोटी सी स्माइल आ जाती है। ये उसका रोज का काम था वो उठते के साथ सबसे पहले अपने मम्मा पापा के तस्वीर से बातें किया करती थी क्योंकि वो तो अब इस दुनिया में नहीं थे।
वो अभी कुछ और बोलती उससे पहले ही एक तेज आवाज उसके कान में पड़ती है " अक्षरा !! कहां हो तुम? उठी या नहीं अब तक? " ये सुन अक्षर एकदम से जैसे अलर्ट हो जाती है। वो जल्दी से जवाब देती है " आई चाची जी!! ठीक है मम्मा पापा अब मैं आपसे बाद में बात करती हूं आपको तो पता है न कि दो दिन बाद से मुझे स्कूल भी जाना है। तो उसकी भी तैयारी करनी है । ओके बाय। " इतना बोल वो जल्दी से अपने कमरे का दरवाजा खोलती है तो देखती है कि विभा उसकी चाची उसके कमरे के बिल्कुल सामने खड़ी थी। उसे देख अक्षरा थोड़ा सहमती हुई कहती है" गुड मॉर्निंग चाची जी !! आज में बिल्कुल टाइम पर उठी हु । आप चले मैं बस 20 मिनिट में किचेन में आती हूं।" विभा जो उसे गुस्से से घूर रही थी कहती है" सुन लड़की मै रोज रोज तुझे उठाने नहीं आने वाली। समझी। तो जल्दी से जाकर किचेन में जाकर काम कर । मेरी बेटियों को स्कूल भी जाना होता है । तेरी तरह घर में नहीं बैठी रहती वो लोग। और हां आज तेरे चाचा जी को ऑफिस जल्दी जाना है तो अपना हाथ जल्दी जल्दी चलाना । समझी।।" अक्षरा बस हां में अपना सिर हिला देती है। विभा इतना बोल उसे घूरते हुए वहां से चली जाती है। उसके जाते ही अक्षरा दरवाजा बंद करती है और दरवाजे से टिक कर गहरी सांस लेने लगती है। चाची जी से काफी डरती थी वो। अपने रूम में एक नजर डाल वो अपना फैला हुआ बिस्तर समेटने लगती है।
तो ये हमारी प्यारी सी नायिका अक्षरा । जो अपने चाचा चाची के साथ रहती है। उसके मम्मी पापा का देहांत जब वो तीन साल की थी तब ही हो गया था । तब से ही उसे उसके चाचा चाची ने पाला था। उसके चाचा जी सिंह एंटरप्राइजेज जो कि इंडिया की नंबर वन इंडस्ट्री थी उसमें एक अच्छे पोस्ट पर काम करते हैं और चाची जी एक हाउसवाइफ हैं। इनकी दो बेटियां है _ रिमी ओर नताशा। दोनों अपने शहर के सबसे बड़े स्कूल Stanford High में पढ़ती हैं। जिसके सबसे बड़े ट्रस्टी सिंह इंटरप्राइजेज ही है। ओर अब अक्षरा भी उसी स्कूल में जाने वाली थी। चाची जी ने उसे पाला तो था लेकिन एक बेटी की तरह तो बिल्कुल नहीं। वो उससे किचेन से जुड़े लगभग सारे काम करवाती थी क्योंकि उन्हें किचेन की गर्मी बिल्कुल नाकाबिले बर्दाश्त था।
उनकी बेटियों को तो बिल्कुल प्रिंसेस का दर्जा दिया जाता था लेकिन अक्षरा को बिल्कुल नहीं । उसे उनके पुराने कपड़े , पुराने खिलौने ओर पुरानी किताबों से ही हमेशा काम चलाना पड़ता था। उसे घर में रूम भी बिल्कुल एक स्टोर रूम के जैसा ही दिया गया था। जिसमें एक पुरानी लकड़ी की चौकी, एक मेज , एक पुरानी अलमारी , एक लोहे की शेल्फ जिसपर वो अपनी किताबें रखती थी, ... और बस इतना ही तो था उसके रूम में । उसके रूम में एक खिड़की भी थी जिसपर अक्षरा घंटों बैठ कर बाहर देखा करती थी क्योंकि बाहर की दुनिया से कभी उसके घरवालों ने उसे मतलब रखने ही नहीं दिया। यहां तक कि उन्होंने उसकी homeschooling करवाई दसवीं तक। लेकिन अब जब उन्हें ये पता चला कि अक्षरा के पापा ने काफी पैसे अक्षरा के नाम पर जमा कर रखे हैं और वो तब ही मिलेंगे जब अक्षरा लगभग 22 से 25 की हो जाएगी । उस पैसे को संभालने लायक हो जाएगी और भी ऐसी कई कानूनी करवाई है जिनसे अक्षरा को अकेले ही गुजरना पड़ेगा इसीलिए उसके चाचा चाची जी के जरूरत के हिसाब से अब अक्षरा का थोड़ा पढ़ लिख लेना जरूरी हो गया था। हालांकि वो उसे यूं ही छोड़ने वाले नहीं थे। उस पर पूरी लगाम कस कर रखने वाले थे। जितनी आजादी उन्होंने अपनी बेटियों को दी थी क्या उतनी वो अक्षरा को देने वाले थे....शायद कभी नहीं।।
वैसे तो अक्षरा पढ़ाई में काफी अच्छी थी इसीलिए उसने स्टेनफोर्ड हाय का स्कॉलरशिप टेस्ट पास कर लिया था जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। खैर अब जब उसने पास कर लिया था तो उसके चाचा जी ने एडमिशन भी करा दिया। यहां उसे पढ़ने देने की दो साफ वजहें थीं... पहली ये कि अक्षरा दिन भर अपनी बहनों की नजरों की सामने ही रहेगी और घर की बातें बाहर नहीं बता पाएगी। और दूसरी की वहां सिर्फ अमीर लोगों के बच्चे ही पढ़ते हैं जिससे अक्षरा को अपने कमतर होने का अहसास हमेशा होता रहेगा। अब वहां क्या होगा ये तो वहां जाके ही पता चलेगा। अक्षरा को नताशा की पुरानी ड्रेस भी दे दी गई थी जिसे अक्षरा ने अच्छे से साफ कर थोड़ा नया तो बना ही दिया था। अक्षरा के लिए ये सबसे बड़ा दिन होने वाला था क्योंकि वो भी अपनी दोनों बहनों की तरह स्कूल जाना चाहती थी।
अभी तक अक्षरा ने अपना रूम समेट लिया था फिर वो एक नजर घड़ी की तरफ देखती है जिसमें पांच बजकर 20 मिनट हो रहे थे। वो जल्दी से अपनी अलमारी से कपड़े निकाल कर कमरे की साइड में बने बाथरूम में नहाने चली गई। करीबन 15 मिनट बाद अक्षरा किचेन में थी और सबकी पसंद का अलग अलग नाश्ता बना रही थी । उसने ब्राऊन कलर की एक घुटनों तक आती फ्रॉक पहन रखी थी। हालांकि ये ड्रेस भी रिमी की ही थी जो अब उसे दे दी गई थी।
अभी अक्षरा नाश्ता बना ही रही थी कि तभी नताशा ओर रिमी स्कूल के लिए तैयार होकर डाइनिंग एरिया में आती हैं। नताशा बहुत नकचढ़े किस्म की लड़की थी जिसे अपनी खूबसूरती पे बहुत ज्यादा घमंड था वो अपने सामने किसी को कुछ समझती ही नहीं थी और अक्षरा तो उसके लिए सिर्फ एक नौकर ही थी जिससे वो अपने सारे काम करवाया करती थी। वो अक्षरा को थोड़ा डरा धमकाकर रखती थी ताकि अक्षरा कभी उसके उल्टे सीधे कामों के लिए ना नहीं बोल पाए। वहीं दूसरी तरफ रिमी वो अपने में मस्त रहने वाली लड़की थी उसे किसी से कोई मतलब नहीं था । कभी कभी वो अक्षरा की मदद भी कर दिया करती थी। ऐसा नहीं था कि उसे अक्षरा से हमदर्दी थी बल्कि अक्षरा तो उसके लिए exist ही नहीं करती थी। अक्षरा का कमरा ऊपर की तरफ था और बाकी सब के कमरे नीचे और बड़े थे।
नताशा जैसे ही डाइनिंग एरिया में आती है अक्षरा को देख कर उसका मुंह बन जाता है। नताशा को मन ही अक्षरा की खूबसूरती से बहुत जलन होती थी वो इतने ब्यूटी ट्रीटमेंट्स करवा कर भी उतनी खूबसूरत नहीं लग पाती थी जितना कि अक्षरा बिना किसी एफर्ट्स के लगती थी। नताशा भी ग्यारहवीं में ही थी मगर उसके शौक और हरकतें ग्यारहवीं वाली बिल्कुल नहीं थीं। वो डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए विभा यानी अपनी मां से कहती है " मॉम अपने इस गवार को सिखा दिया है न कि स्कूल में बिहेव कैसे करना है एंड please सबके सामने मुझसे बात करने की भी कोशिश न करे क्योंकि मैं नहीं चाहती कि किसी को मेरे और इसके रिश्ते के बारे में कुछ पता चले।" इसपर विभा थोड़ा मक्कारी से मुस्करा कर कहती है " yes baby dont worry!! मैंने सब सिखा दिया है "। अक्षरा सबकी बाते डाइनिंग टेबल पर नाश्ता रखते हुए सुन रही थी लेकिन बोल कुछ नहीं सकती थी।
तो ये थी हमारी प्यारी सी नायिका अक्षरा !!!!
आगे और भी किरदारों के बारे में जानेंगे ।।।
भाग समाप्त।।
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कहानी अब तक ।
अक्षरा एक 16 साल की प्यारी सी लड़की जो अपने चाचा चाची ओर उनकी दो बेटियों के साथ दिल्ली शहर में रहती है। उसके चाचा जी सिंह इंटरप्राइजेज में एक अच्छी पोस्ट पर काम करते है और कंपनी के मालिक के काफी करीबी भी है।अक्षरा की खूबसूरती से चाची ओर उनकी दोनों बेटियों को बहुत परेशानी होती थी । वैसे तो घर के काम के लिए नौकर थे लेकिन किचेन का सारा काम लगभग अकेले ही करना पड़ता था। उसको लगभग पांच बजे से उठ कर ही काम में लग जाना होता था। चाचा चाची ने उसे पाला जरूर है लेकिन एक बेटी की तरह नहीं बल्कि वो लोग तो उसे एक नौकरानी की तरह ही ट्रीट करते थे। अक्षरा ने दसवीं तक homeschooling ही की है मगर ग्यारहवीं में उसे कुछ कानूनी कारणों की वजह से पहली बार स्कूल जाने का मौका मिलने वाला है।
कहानी आगे।
दिल्ली के एक पॉश इलाके में बना एक बड़ा सा घर । इसे विला कहना गलत नहीं होगा । ये विला कई एकड़ में फैला हुआ था । सफेद और नक्काशीदार मार्बलो से बना ये विला एक रईसी वाइब्स देता था। इसके चारों तरफ एक खूबसूरत सा गार्डन बना हुआ था । पार्किंग में कई लक्जरियस गाड़ियां खड़ी थीं। कई सारे गार्ड्स का पहरा था वहां जिससे ये साफ पता चल रहा था कि ये घर किसी vvip पर्सनल का है। घर के बाहर एक बड़ा सा खूबसूरत नेम प्लेट बना था जिसपर साफ अक्षरों में लिखा था _ ""अनुराधा निलयम"" । ये घर था इंडिया के सबसे बड़े कंपनी के मालिक अविनाश सिंह और उनकी पत्नी अनुराधा सिंह का । इनके दो बेटे हैं जिनमें से बड़े बेटे का नाम "अनुराग सिंह" और छोटे बेटे का नाम "आर्यन सिंह" है।
घर को अनुराधा जी ने अंदर से काफी खूबसूरती से सजाया था। बड़े बड़े झूमर, एंटीक पेंटिंग्स , सुंदर मूर्तियां और खूबसूरत फूल जो घर की शोभा बढ़ाते थे। अनुराधा जी एक इंटीरियर डिजाइनर हैं और अपने इस टैलेंट का उपयोग उन्होंने अपने घर में बखूबी किया था। घर से दाईं ओर बने पूजा घर से एक महिला हाथ में पूजा की थाली जिसमें धूप जल रहा था, उसे लेकर बाहर निकलती है और पूरे घर में उसकी रोशनी करने लगती है। ये हैं अनुराधा जी जिनकी उम्र करीबन 42 साल है। हालांकि उन्होंने खुद को इतना फिट रखा हुआ है कि कोई उनकी असली उमर का अंदाजा नहीं लगा सकता। वो अपनी पूजा की थाली लेकर ड्राइंग रूम में आती हैं जहां अविनाश जी जिनकी उम्र करीबन 45 साल है वो सोफे पर बैठ कर न्यूजपेपर पढ़ रहे थे। अनुराधा जी को देख उनके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है और वो पूजा की थाली पर हाथ फेर आरती ले लेते हैं।
अनुराधा जी इसके बाद अपने बेटो के कमरे की तरफ बढ़ जाती हैं जो ऊपर की तरफ थे। सबसे पहले वो अपने छोटे लाडले आर्यन के कमरे में जाती हैं तो आर्यन को यूं बेतरतीबी से सोता देख उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। वो आर्यन के बालों में हाथ फेरकर उसे आरती दे वो बाहर निकल जाती हैं। क्योंकि आर्यन अभी आठवीं में ही था और उसके क्लासेज दो दिन बाद से स्टार्ट थे तो उसे अभी से उठाने की तो कोई जरूरत नहीं थी।
अनुराधा जी वहां से निकल कर अपने बड़े बेटे अनुराग के कमरे की तरफ बढ़ती हैं और उन्होंने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ। अंदर करीबन 16_ 17 साल का लड़का अपने कानो में earbuds लगा अपने रूम के साइड में बने जिम में पुशअप्स लगा रहा था । उसके शार्प फीचर्स, उसकी गहरी काली आंखे और चेहरे पर वो सीरियस भाव। पसीने में भीगे उसके बाइसेप्स जो उसे और भी हैंडसम बना रहे थे । अनुराधा जी कमरे में घुसते ही अनुराग को देख प्यार से कहती हैं " good morning sweety!!! " उनकी आवाज सुन अनुराग जो अभी तक पुशअप्स कर रहा था वो उठ कर खड़ा हो जाता है और थोड़ी भारी आवाज में कहता है " good morning मा"। अनुराधा जी आगे बढ़ उसे आरती दे देती हैं ।
""अनुराग क्या आपको आज कही जाना है" ? अनुराधा जी पूछती हैं। अनुराग जवाब में कहता है " yes मा ! एक्चुअली स्कूल तो परसो से स्टार्ट है बट आज से दो दिन इंट्रोडक्शन मीट है जिसे एक दिन अटेंड करना कंपलसरी है । सो मैं आज ही करने वाला हूँ। " अनुराधा जी ये सुन कहती हैं" ओके स्वीटी आप रेडी हो जाए मैं चीफ से बोलकर आपके लिए ब्रेकफास्ट रेडी करवाती हूं।" इतना बोल वो वहां से नीचे की तरफ चली जाती हैं।
अनुराग सिंह ... सिंह इंटरप्राइजेज का वारिस जिसके वजह से इसके आस पास काफी क्राउड भी रहता है। उमर करीबन 17 के होने वाले हैं , हेल्थ कॉन्शियस, जिम फ्रीक और हर काम को परफेक्शन के साथ करने वाले। हाइट करीबन 5 फीट 10 इंच। लुक्स के मामले में तो ये किसी एक्टर को भी पीछे छोड़ सकते हैं। बिजनेस में अपने पिता का अभी से हाथ बताते हैं , बिजनेस में इन्हें काफी रुचि है। ओर ये लड़कियों में अच्छे खासे मशहूर भी हैं जनाब। इनके एक बेस्ट फ्रेंड है जिनके बारे में हमें आगे पता चलेगा।
अनुराग को ज्यादा बातें करना पसंद नहीं । ये बस अपनी मां ओर अपने बेस्ट फ्रेंड के सामने ही खुल कर बातें कर पाते हैं। वरना हमेशा इनके चेहरे पर एक सीरियस एक्सप्रेशन ही होता है। अनुराग अपनी मां के नीचे जाने के बाद क्लोसेट रूम में जाते हैं और वहां से टॉवेल ले कर रूम में बने एक बड़े से बाथरूम में घुस जाते हैं।
अनुराग का रूम काफी बड़ा ओर luxurious था। रूम को चार पार्ट्स में डिवाइड किया गया था । इसकी डिजाइनिंग अनुराधा जी ने खुद करी थी। एक पार्ट में अनुराग का बेडरूम था , तो दूसरे पार्ट में जिम , तीसरे पार्ट में क्लोसेट ओर बाथरूम , वही चौथे पार्ट में एक बड़ी सी बालकनी जिसमें की एक पूल भी अटैच था। उसके कमरे में दीवार को लगती बड़ी बड़ी खिड़कियां थीं जिन्हें अनुराग लगभग बंद ही रखता था। रूम से अटैच ही एक ओर study room भी था जो अनुराग के कमरे के बगल में ही बना था।
थोड़े देर में वो closet room से रेडि होकर बाहर आता है और अपने रूम के बगल में ही बने study room में चला जाता है। थोड़ी देर बाद वो वहां से अपना स्कूल बैग लेकर नीचे की तरफ चला जाता है जहां डाइनिंग एरिया में उसके मां पापा ऑलरेडी उसका इंतजार कर रहे थे। अनुराग के नीचे आते ही अविनाश जी उसे गले लगा कर कहते हैं" good morning my boy!! आज से स्कूल स्टार्ट है न आपका ? तो चलिए जल्दी से ब्रेकफास्ट करते हैं और फिर मैं आपको स्कूल ड्रॉप करते हुए ही ऑफिस चला जाऊंगा।" अविनाश जी की बात सुन अनुराग कहता है" ओके डैड"। इतना बोल वो डाइनिंग टेबल पर बैठ कर अपने मॉम डैड के साथ नाश्ता करने लगता है। और फिर थोड़ी देर में वो दोनों स्कूल के लिए निकल जाते हैं।
अनुराग के उसके फैमिली से काफी अच्छी बॉन्डिंग थी।
वहीं उनके जाने के बाद अनुराधा जी भी अपने छोटे साहबजादे को उठाने उसके कमरे की तरफ चल पड़ती हैं।
उन्हें अनुराग के लिए कभी इतना सोचना नहीं पड़ता था क्योंकि अनुराग खुद ही बहुत डिसिप्लिन इंसान था मगर आर्यन तो बिल्कुल उसके ऑपोजिट था इसीलिए अनुराधा जी को उसपर खास ध्यान देना पड़ता था ।
कुछ ही देर में अविनाश जी अनुराग को stanford high drop करके office कि तरफ निकल जाते हैं। अनुराग जैसे जैसे स्कूल में अन्दर की तरफ जा रहा था वैसे वैसे सबकी निगाहें उसकी तरफ टिक सी जा रही थीं। अच्छी खासी पर्सनेलिटी , जेल से सेट किए उसके बाल , शार्प फीचर्स , गहरी काली आंखे, मजबूत बाइसेप्स, ओर चेहरे पर बरक़रार सीरियसनेस । अब उसका औरा ही कुछ ऐसा था। उसे निहारने वालों में से एक नताशा भी थी।
नताशा जो अभी अभी स्कूल पहुंच थी वो अपनी हसरत भरी निगाहों से अनुराग की तरफ देखे जा रही थी ।नताशा ने करीबन 7 साल की उम्र में अनुराग को पहली बार कंपनी की पार्टी में देख था और उसके बाद तो जैसे उसने उसे पाना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। उसे वो सारे ऐशो आराम चाहिए थे जो अनुराग के पास थे और ऊपर से अगर अनुराग जैसा बंदा उसे मिल गया तो वो तो रातों रात जैसे सेलिब्रिटी ही बन जाएगी क्योंकि सबको पता था कि आगे जाकर अनुराग ही सिंह इंटरप्राइजेज को संभालने वाला है। वो हर कोशिश करती की अनुराग की नजर में आ सके मगर शायद ही कभी अनुराग ने उसपर ध्यान दिया होगा। अनुराग अभी आगे बढ़ ही रहा था तभी एक लड़का पीछे से आकर अनुराग के कंधे पर हाथ रखकर कहता है " वाट्सअप buddy !!! misssed me??" ये है नयन अग्रवाल । अनुराग का इकलौता बेस्ट फ्रेंड । नयन के फादर सिटी के बेस्ट डॉक्टर्स में से एक हैं। ओर दोनों के फादर्स भी आपस में काफी अच्छे दोस्त हैं।
वैसे नयन भी अनुराग से कुछ कम नहीं था । उसके भी फेशियल फीचर्स बहुत शार्प थे , मस्कुलर बॉडी ओर चेहरे पर एक कातिल स्माइल जिसकी वजह से वो लड़कियों में काफी फेमस था। मगर वो अनुराग की तरह बिल्कुल नहीं था। उसे पता था कि लड़कियां उसकी फैन हैं और इस बात का फायदा वो बखूबी उठता भी था। नयन अपनी फैमिली के साथ छुट्टी मनाने स्विट्जरलैंड गया था और कल ही दिल्ली वापिस लौटा है। अनुराग ओर नयन दोनों बातें करते करते क्लास में चले जाते हैं।
भाग समाप्त।।।।🥰😊
कहानी अब तक।
अक्षरा और अनुराग दोनों बिल्कुल दो अलग तरह के पर्सनेलिटी हैं। जहां अनुराग को बचपन से ही सारे ऐशो आराम नसीब हुए हैं और इसे बचपन से ही कुछ इस तरह पाला गया कि उसे एक बड़े इंटरप्राइजेज को लीड करने के लिए ट्रेन किया जा रहा हो। वहीं दूसरी तरफ अक्षरा को जितना हो सके उतना दुनिया की नजरों से दूर ही रखा गया । उसे हर हद तक दबाने की कोशिश की गई और इस में बहुत हद तक उसके चाचा चाची कामयाब भी हुए थे। अक्षरा को किताबी ज्ञान तो बहुत था मगर उसे प्रैक्टिकल वर्ल्ड के बारे में ज्यादा पता नहीं था। इसी बात का फायदा उसका परिवार उठाता रहा था। अनुराग के लाइफ में उसकी फैमिली ओर नयन दोनों ही बहुत महत्व रखते थे और बाकी किसी का होना या न होना उसके लिए ना के बराबर ही था। अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि अनुराग ओर अक्षरा कैसे एक दूसरे को कॉम्प्लीमेंट करते हैं।
कहानी आगे।
अनुराग और नयन अपने क्लास में आकर बैठ जाते हैं। दोनों ने इलेवंथ में साइंस ऑप्ट करी थी। अनुराग ने अपने लिए मल्टी सब्जेक्ट्स चूज किए थे और वो था भी इतना शार्प माइंडेड कि वो आसानी से सब कवर कर सकता था ।अनुराग के बिजनेस मैनेजमेंट के भी क्लासेज होने थे मगर वो साइंस भी पढ़ना चाहता था इसीलिए उसने साइंस को भी चुना था।ओर नयन उसका तो सपना था अपने पिता के जैसा ही डॉक्टर बनना इसीलिए उसने साइंस चूस करा था। हालांकि नयन बहुत आर्टिस्टिक ओर पार्टी लवर भी था। अनुराग को देख कर नताशा ने भी साइंस चूस कर लिया था जबकि वो साइंस में बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। उसके अपने साइंस के सारे होमवर्क ओर प्रोजेक्ट्स तो वो अक्षरा से करवाया करती थी बस एग्जाम में किसी तरह रट्टा मार कर पास होती थी। उसकी असल दिलचस्पी तो फैशन डिजाइनिंग में थी मगर उसने अनुराग की तरह साइंस लिया ।खैर अनुराग के करीब रहने के लिए उसे ये भी मंजूर था।
अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि क्लास में टीचर इंटर करते हैं_" हेलो क्लास !! सो this is your first day of eleventh. and i am rakesh mehra your class teacher . i hope you are enjoying it .So now i want you guys to come at podium introduce yourself and take your id cards.." उनकी बात सुन कर सब बच्चे एक एक कर अपना इंट्रोडक्शन देने लगते हैं और अपने कार्ड्स कलेक्ट करने लगते हैं। सबको सबके रोल नंबर दे दिए जाते हैं। Mr. Mehra सभी बच्चों को उनके रोल नंबर के हिसाब से बैठने बोल देते हैं।
जिसमें अनुराग का रोल नंबर 1 था क्योंकि उसने पिछली क्लास में टॉप किया था और फिलहाल वो अकेला ही बैठा था क्योंकि उसका डेस्क पार्टनर प्रेजेंट ही नहीं था। वहीं नयन का रोल नंबर 4 था और उसके बगल में बैठी थी एक लड़की निधि जिसका रोल नंबर 3 था। नताशा का रोल नंबर 25 था और वो अनुराग के साथ न बैठ पाने के कारण बहुत दुखी थी। लेकिन तभी राकेश सर तेज आवाज में पोडियम के पास से अनाउंस करते हैं " who is this roll number 2 miss akshara sethi ?? miss akshra sethi are you present ? " जब उनके सामने से कोई जवाब नहीं आता तो वो समझ जाते हैं कि ये स्टूडेंट प्रेजेंट नहीं है । थोड़ी देर वो सभी बच्चों को रूल्स एंड रेगुलेशंस समझाते हैं और फिर वो पूरी क्लास को शोर न करने को बोल बाहर निकल जाते हैं। वहीं आज पूरे दिन में कुछ न कुछ एक्टिविटीज होने वाली थी जिसकी जानकारी सभी स्टूडेंट्स को पहले ही दे दी गई थी। हर स्टूडेंट अपने पसंद की किसी भी एक्टिविटी में पार्ट ले सकता था।
वहीं ये नाम सुन अनुराग एक बार अपने मन में दोहराता है" मिस अक्षरा सेठी तो तुम हो मेरी डेस्क पार्टनर। hmmm देखते हैं।" वो किसी लड़की के साथ बैठना नहीं चाहता था क्योंकि लड़कियों का उसके प्रति रवैया उससे छिपा नहीं था। नताशा के लिए तो जैसे बिजली ही गिरी जब उसने अक्षरा का रोल नंबर 2 सुना " तो इसका मतलब वो गवार मेरे अनुराग के साथ बैठेगी ये तो मैं होने नहीं दूंगी । ओह वैसे भी मुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है एक बार वो गवार आ जाए उसके बाद में उससे अपनी सीट चेंज कर लूंगी। ये सोच वो मन ही मन खुश हुए जा रही थी ।" तभी उसकी डेस्क पार्टनर जो एक लड़की ही थी उसने कुछ कहा और वो दोनों बाते करने में व्यस्त हो गई । वैसे तो आना अक्षरा को भी था क्योंकि उसने भी साइंस ही ऑप्ट किया था लेकिन नताशा ने उसे बताया ही था। वो नहीं चाहती थी कि किसी को उसके ओर अक्षरा के रिलेशन के बारे में पता चले।
मगर इन सब में सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो था नयन क्योंकि उसे जो डेस्क पार्टनर मिली थी वो उसके हिसाब से बड़ी इंट्रेस्टिंग थी। आज तक जितनी भी लड़कियां उसे मिली थी वो उससे चिपकने को हर वक्त रेडी होती थी पर ये लड़की तो जैसे उससे दूरी बनाने की पूरी कोशिश कर रही थी। वो अपने स्कर्ट को बार बार अपनी पतली उंगलियों से अपनी तरफ कर रही थी ताकि वो नयन से टच न हो और जैसे ही नयन ने उसे हाय कहा वो थोड़ा और खुद में सिमट गई और ये सब देख नयन को बड़ा मजा आ रहा था।
नयन ने धीरे से उसकी ओर झुक कर कहा " देखो अब थोड़ा ओर हिलेगी न तुम तो सीधा बेंच से नीचे गिरेगी ऑलरेडी किनारे पर हो तुम ।" ये सुन निधि झट से थोड़ा बीच में बैठ जाती है। नयन तो वैसे ही फ़ैल कर बैठा था। वो फिर उससे कहता है वैसे तुम्हारा नाम क्या है। उसने उसका नाम सुना था जब निधि अपना इंट्रोडक्शन दे रही थी। उसका यूं थोड़ा डरकर बोलना और बार बार अपने बाल को अपने कानो के पीछे करना नयन को बार बार उसे देखने को मजबूर कर रहा था। निधि धीरे से कहती है " मेरा नाम निधि मिश्रा है।" नयन ये सुन झट से अपना हाथ मिलाने के लिए उसके आगे अपना हाथ बढ़ाकर कहता है " हाय मैं नयन अग्रवाल !!" मगर निधि हाथ नहीं मिलाती तो वो वापिस अपना हाथ पीछे कर लेता है। नयन बार बार उससे कुछ न कुछ बोले जा रहा था जिसे निधि पूरी कोशिश कर इग्नोर कर रही थी।
नयन अभी कुछ कहने ही वाला था कि उसके मोबाइल की मैसेजिंग टोन बजती है वो चेक करता है तो देखता है कि अनुराग का मैसेज था। उसमें लिखा था " निधि मिश्रा !! अपने पहले की स्कूलिंग बिहार के एक गर्ल्स स्कूल से की है। इसके फादर एक बैंक एम्पलाई हैं जिनका अभी अभी ट्रांसफर दिल्ली हुआ है। ये पहली बार दिल्ली आई है। स्कूल में एडमिशन स्कॉलरशिप से मिला है। ओर स्कूल आते ही इसे तेरे बगल में बैठा दिया गया । इतना काफी है उसे अनकंफर्टेबल करने के लिए तो अब तू अपनी ये हरकते बंद कर।" दरअसल नयन अनुराग के बिल्कुल पीछे बैठा था इसीलिए उसकी सारी हरकते उसे साफ समझ आ रही थीं।
अनुराग के लिए किसी की इनफॉर्मेशन निकलना कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि एक तरह से इस स्कूल के शेयर का बड़ा हिस्सा सिंह इंटरप्राइजेज ही own करता है। उसे लगा कि अब नयन को रोकना ही पड़ेगा वरना ये अपनी हरकते बंद नहीं करेगा। वहीं ये पढ़कर नयन के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। वो वापस अनुराग को मैसेज करता है " अरे यार ये तो miss touch me not निकली। 😂😂 लेकिन हैं तो बड़ी प्यारी । "मेरे भाई !! मुझे लगता है मेरे दिन तो काफी अच्छे निकलने वाले हैं। वैसे तू बता तेरी पार्टनर कब आ रही है । कब तक तू यूं अकेला वक्त काटेगा । "" नयन ने अनुराग को छेड़ते हुए कहा। अनुराग ने नयन मैसेज पढ़ा लेकिन कोई रिप्लाई नहीं दिया । नयन अब भी उसे तरह तरह के इमोजी भेज रहा था।
वहीं नयन को यूं फोन में बिजी देख निधि थोड़ी चैन की सांस लेती है। दरअसल उसने कभी किसी लड़के से बात भी नहीं की थी ,साथ बैठना तो बहुत दूर की बात थी। उसके घरवाले इस मामले में बहुत स्ट्रिक्ट थे उसका किसी लड़के से बात करना भी मना था। उसका परिवार बहुत पुराने खयालात का था इसीलिए निधि ने भी अपनी पढ़ाई के अलावा कभी किसी ओर चीज पर ध्यान नहीं दिया था। मगर यहां आते ही उसे नयन के साथ बिठा दिया गया ऊपर से नयन का उससे यूं फ्री होकर बाते करना । ये सब उसके लिए बहुत नया था और वो एडजस्ट नहीं कर पा रही थी।
कुछ एक्टिविटीज होने के बाद राकेश सर क्लास में आकर अनाउंस करते हैं " सो क्लास आपका पहला दिन यही खत्म होता है। I hope आप सबने एंजॉय किया होगा। सो अब आप लोग अपने घर जा सकते हैं।" ये बोल राकेश सर बाहर निकल जाते हैं। ये सुन कर सब लोग जैसे ही जैसे ही बाहर जाने को होते हैं वैसे ही नयन जल्दी से कूद कर डेस्क के ऊपर खड़ा हो जाता है। ये देख एक पल को निधि डर ही जाती है। नयन ऊपर खड़ा हो चिल्ला कर कहता है " guys guy s!! i know it has been a while , since we have not experienced a nayan style party. So what say !! party... tonight . so you all are invited to my club." ये बोल वो झटके से कूद कर नीचे उतर जाता है और बेचारी निधि जो अभी तक उसे हैरान हो कर देख रही थी वो एकदम से बेंच से थोड़ी दूर खड़ी हो जाती है। ये देख नयन हस देता है।
वहीं पूरी क्लास में बस party party... ही गूंज रहा था। क्योंकि निधि को स्कूल बस से जाना था इसीलिए वो अपना बैग उठाकर जाने लगती है तो नयन उससे झट से पूछता है" मिस मिश्रा तुम पार्टी में आओगी न । तुम्हे क्लब का एड्रेस पता है? " उसकी बात सुन निधि धीरे से कहती है " मैं नहीं आ पाऊंगी मेरे घर में ये party sharty अलाउड नहीं है।" इतना बोल वो बाहर निकल जाती है अभी नयन उसके पीछे जाने ही वाला था कि तभी अनुराग उसके कंधे पर हाथ रख उसे रोक लेता हैं। नयन पीछे मूड कर अनुराग को कन्फ्यूज हो कर देखता है।
भाग समाप्त।।
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कहानी अब तक ।
अनुराग , नयन , निधि और नताशा ने अपना इंट्रोडक्टरी मीट कंप्लीट कर लिया था। लेकिन अक्षरा इसमें शामिल नहीं हुई थी दरअसल नताशा ने उसे इनफॉर्म तक करना जरूरी नहीं समझा था। विभा जी के भी सख्त आदेश थे कि अक्षरा को सिर्फ स्कूल पढ़ने ही जाना है और किसी other activities में उसे पार्टिसिपेट करने की इजाजत नहीं थी। जहां नयन एक पार्टी लवर , बिंदास और लड़कियों में फेमस लड़का था । उसका नेचर थोड़ा फ्लर्टी भी था। खूबसूरत लड़कियों से फ्लर्ट करने का मौका वो कभी भी नहीं छोड़ता था। जहां अनुराग शांत ओर गंभीर था वहीं नयन उससे एकदम ऑपोजिट। वहीं दूसरी तरफ निधि बिल्कुल introvert लड़की थी। उसने तो कभी लड़कों से कभी फेस टू फेस बात तक नहीं की थी फिर बगल में बैठना तो बहुत दूर की बात थी। उसे स्टैनफोर्ड हाय के इस खुले माहौल में एडजस्ट करने में काफी वक्त लगने वाला था। उसके घर के कुछ स्ट्रिक्ट रूल्स थे जिन्हें वो फॉलो करती थी।
कहानी आगे।
नयन " यार उसका मतलब क्या था ? घर में अलाउड नहीं है मतलब घर में थोड़ी न करनी है पार्टी। अरे ! पार्टी तो क्लब में है न?"
अनुराग उसके कंधे पर हाथ रख कहता है" होता है यार मॉम भी बताती हैं कि नाना नानी उन्हें भी ज्यादा घर से बाहर जाने को एलाऊ नहीं करते थे। कुछ लड़कियों के फैमिलीज थोड़ी ऑर्थोडॉक्स होते हैं । i think miss mishra की फैमिली भी ऐसी ही है।"
अनुराग की बात सुन नयन भी हां में सर हिला देता है। अब तक दोनों बात करते करते बाहर कंपाउंड में आ गए थे। नयन देखता है एक स्कूल बस में निधि खिड़की के पास ही बैठी है और अपने बगल में बैठी लड़की से खूब हंसकर बातें कर रही है। " तो इसका मतलब मिस touch me not को लड़कियों से बात करने में करने में कोई प्रॉब्लम नहीं हैं। चलो कोई नहीं अपने साथ कंफर्टेबल तो हम कर ही लेंगे। " इतना सोच वो मुस्कुराने लगता है। इतने में दोनों की गाड़ियां आ जाती हैं और दोनों अपनी अपनी गाड़ियों में बैठ कर निकल जाते हैं।
शाम का वक्त।
अनुराग का मेंशन।
""अरे यार जल्दी कर न वरना पता चला कि हमारी पार्टी में हम ही लेट हैं"" नयन ने आराम से तैयार होते अनुराग को देख कर कहा। अनुराग को देख ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कहीं से भी पार्टी में जाने में इंटरेस्टेड था मगर नयन दोपहर से ही उसके घर आ धमाका था उसे ले जाने के लिए। अनुराग थोड़ा इरिटेट होकर कहता है" अरे यार तुझे क्या मजा आता है इन पार्टियों में जो तू हर बार एक पार्टी organise कर देता है।" ये सुन नयन हंसते हुए कहता है " अरे मेरे भाई यही तो मजा है जिंदगी का , स्कूल लाइफ का ओर फिर दो साल बाद पता नहीं कौन कहां होगा इसीलिए तू बस चल।" अनुराग बस न में अपना सिर हिला नयन के साथ पार्टी में जाने के लिए निकल जाता हैं। उसने अपनी मां को पहले ही पार्टी के बारे में बता दिया था।
दूसरी तरफ ।
अक्षरा का घर।
अक्षरा kitchen मे डिनर की तैयारी कर रही थी वहीं नताशा ने पूरे घर को जैसे सर पर उठा रखा था क्योंकि उसे कोई अच्छी ड्रेस ही नहीं मिल रही थी पार्टी में पहन कर जाने के लिए। विभा जी ओर रिमी दोनों उसके साथ लग कर उसकी हेल्प कर रही थी। अक्षरा चुपचाप रोटियां सेकते हुए ये सब tantrum देख रही थी। वैसे तो घर के साफ सफाई के लिए नौकर थे लेकिन किचेन का काम उसे अकेले ही करना पड़ता था। आखिरकार नताशा को एक ड्रेस मिल ही गई । उसने बेबी पिंक कलर का एक स्ट्रेपलेस मिडी ड्रेस कैरी किया था । उसके साथ उसने अपने हेयर कर्ल किए थे और कुछ एक्सपेंसिव एक्सेसरीज कैरी की थी। कुल मिलाकर नताशा खूबसूरत ओर क्लासी लग रही थी।
वो मिरर के सामने खड़ी होकर कहती है " मॉम ये ड्रेस अनुराग को पसंद आएगी न, I mean मै उसे अच्छी लगूंगी ना?" ये सुनते ही विभा जी एकदम खुश होते हुए कहती हैं" yes baby!! you will . Just look at you. You are going to outshine in the party. Nobody is gonna look as beautiful as you are looking." ये कहना गलत नहीं होगा कि नताशा के अनुराग को पाने के पागलपन को विभा जी ने ही हवा दी थी।
वैसे तो ये पार्टी काफी छोटी सी थी मगर नताशा के लिए तो ये एक ऑपर्च्युनिटी थी अनुराग के नजरों में आने का। हर वो जगह जहां अनुराग के होने की जरा भी प्रोबेबिलिटी होती , नताशा वहां जरूर जाया करती थी। भले ही अनुराग उसे एक नजर देखे या न देखे। और इन सब में विभा जी अपनी बेटी का पूरा साथ दिया करती थी आखिर उन्हें भी अनुराग के दौलत का अंदाजा था। नताशा के इस पागलपन से विजय जी ( नताशा के पापा) भी वाकिफ थे मगर उन्होंने इसे बचपना समझ कर जाने दिया।
नताशा अभी घर से निकल ही रही थी कि तभी उसकी नजर अक्षरा की तरफ जाती है जो गर्मी से तर ब तर रोटियां सेक रही थी। उसे देख वो मन ही मन कहती है" यही औकात है तुम्हारी.. एक नौकर की।" इतना सोच अपने चेहरे पर एक घमंड भरी मुस्कान सजाए वो बाहर निकल जाती है।
लगभग सारे ही स्टूडेंट्स क्लब में पहुंच चुके थे। आखिर कोई भी नयन की पार्टी छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि सबको पता था कि नयन कितना बड़ा party lover है।उसकी पार्टी का मतलब था सबसे बेस्ट पार्टी। पार्टी में नताशा भी पहुंच चुकी थी । उसके हाथ में सॉफ्ट ड्रिंक थी और वो अपनी सहेलियों से बाते करने में लगी थी। उसकी फ्रेंड्स उसे अनुराग के नाम से चिड़ा रही थी। उसकी सारी सहेलियों को भी उसके पागलपन के बारे में अच्छे से पता था हालांकि उन्हें ये भी पता था कि नताशा का ये सपना शायद ही सच हो पाए। नताशा बार बार अनुराग का नाम सुन ब्लश किए जा रही थी।
तभी अनुराग ओर नयन एंट्री लेते हैं और सभी की नजर उनपर ही चली जाती है। अनुराग ने ऑलिव कलर के शर्ट के साथ ब्लैक जींस ओर ब्लैक शूज कैरी किया था साथ ही में हाथ में rado की घड़ी और आंखों में ब्लैक शेड्स, उन सबके ऊपर वो उसकी वूडी फ्रेगरेंस... उफ्फ इतना काफी था उसके सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनने के लिए। वहीं नयन ने ब्लैक टीशर्ट , ब्लैक रग्ड जींस के साथ लेदर का जैकेट कैरी किया था पैरों में वाइट स्नीकर्स , हाथ में एक महंगी सी घड़ी ओर आंखों में brown shades , और उसकी manly perfume जो उसे सबसे अलग बना रही थी। वो लोग जा कर सीधे साइड में लगे सोफे पर बैठ जाते हैं।
अभी कुछ देर बीते होंगे कि एक लड़का बीच में आकर म्यूजिक रोक देता है। सब लोग उसे देखने लगते हैं। तभी वो हाथों में माइक पकड़कर अनाउंस करता है " guys guys !! हमलोग काफी देर से डांस कर रहे हैं , अब जब सब लोग आ चुके हैं तो क्यों न कुछ गेम्स खेले जाए ? what say? " उसकी बात सुन सब जोर जोर से हूटिंग करने लगते हैं। तभी वो आगे कहता है " हमारे पास दो बॉल्स हैं जिनमें से एक में सारे लड़कों का नाम है वहीं दूसरी में लड़कियों के नाम । अब हम में से सब लोग एक एक चिट उठाएंगे और उसके साथ 5 मिनिट तक डांस करेंगे । अगर कोई उससे पहले ही डांस फ्लोर से उतर गया तो उसे एक पनिशमेंट झेलनी होगी। so are you ready to play this game ?" सब लोग ये सुन एक्साइटेड होकर जोर से yes बोलते हैं जिसमें नयन भी शामिल था। अनुराग वहां बैठा सिर्फ टाइम काट रहा था क्योंकि उसे कोई इंट्रेस्ट नहीं था इस पार्टी में । वो ज्यादा पार्टी टाइप पर्सन नहीं था । मगर नयन के पार्टी में वो जबरदस्ती ही सही मगर जरूर शामिल होता था।
थोड़ी ही देर में गेम शुरू हो जाता है और एक एक कर सभी डांस किए जा रहे थे। नताशा साइड में खड़ी मन ही मन बस ये मना रही थी कि किसी तरह उसे अनुराग के साथ डांस करने का मौका मिल जाए। थोड़ी देर बाद jars में सिर्फ चार चिट्स ही बचे थे जिसमें दो लड़कों के नाम थे और दो लड़कियों के। नताशा और अनुराग दोनों का नाम अभी तक नहीं आया था । गेम को होस्ट कर रहा लड़का अब चारो को सेंटर में आने के लिए कहता है। नयन जबरदस्ती अनुराग को धक्का दे सेंटर में भेज देता है । वहीं नताशा अभी थोड़ा कदम आगे बढ़ाती है ताकि वो अनुराग के बगल में खड़ी हो सके कि तभी एक लड़की जिसके हाथ में जूस का ग्लास था वो नताशा से टकरा जाती हैं और सारा जूस नताशा के ड्रेस पर गिर जाता है। नताशा को ये देख कर जोर का गुस्सा आता है वो अभी कुछ बोलने वाली ही थी कि वो देखती है सब उसकी तरफ ही देख रहे होते हैं इंक्लूडिंग अनुराग। ये देख वो उस लड़की को धीरे से इट्स ओके बोल देती है जो उससे लगातार माफी मांग रही होती है। उसे अनुराग की नजरों में हर हाल में अच्छा बनना जो था।
इससे पहले कि वो कुछ कहती की नयन बोल पड़ता है "ओह मिस नताशा !! आपकी तो ड्रेस ख़राब हो गई है but its okay आप इसे fix करके आए जब तक we will wait ." नताशा ये सुन बड़ी खुश होती है और कहती है हां मैं अभी इसे ठीक कर लूंगी जस्ट गिव में फिफ्टीन मिनिट्स। इतना बोल वो जल्दी से वॉशरूम एरिया की तरफ चली जाती है क्योंकि उसे जल्दी से अपने ड्रेस को fix करना था। वो किसी भी हाल में अनुराग के साथ डांस करने का मौका छोड़ना नहीं चाहती थी।
भाग समाप्त।।
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कहानी अब तक।
नयन ने पूरे क्लास को पार्टी के लिए इनवाइट किया था। सब लोग ये बात काफी एक्साइटेड थे क्योंकि सभी को पता था कि नयन कितना बड़ा पार्टी लवर है। नयन को पार्टीज का बहुत शौख था और वो अक्सर पार्टीज थ्रो करता रहता था । हालांकि अनुराग का पार्टीज में कही से भी कोई इंट्रेस्ट नहीं था लेकिन वो नयन की पार्टीज को हमेशा अटेंड करता था। नयन निधि को भी इनवाइट करना चाहता था लेकिन निधि ने उसे साफ मना कर दिया था। नयन को उसका मना करना बहुत अजीब लगा था क्योंकि उसे आज तक किसी ने कभी मना नहीं किया था। पार्टीज उसके लिए बहुत कैजुअल सी बात थी लेकिन निधि के लिए तो ये सब बिल्कुल नया था। इतना खुला माहौल तो उसने कभी एक्सपीरिएंस ही नहीं किया था। पार्टी के दौरान नताशा के साथ कुछ मिस हैपनिंग हो जाती है जिसे ठीक करने के लिए वो अपनी बहन अक्षरा को बुलाती है।
कहानी आगे।
नताशा जल्दी से वॉशरूम के मिरर में जा कर खुद को देखती है । उसे समझ आ जाता है कि ड्रेस पूरी खराब हो चुकी थी अब उसे fix तो बिल्कुल नहीं किया जा सकता। तभी उसे कुछ याद आता है और वो जल्दी से अपने घर के लैंडलाइन पर फोन लगा देती है। दरअसल उसका घर यहां से बिल्कुल पास में ही था।
अक्षरा जो अब खाना खा कर अपने कमरे में लौट ही रही थी कि तभी उसे फोन बजने की आवाज आती है। अक्षरा आस पास देखती है तो कोई नहीं था सारे लोग अपने कमरे में जा चुके थे। वो फोन के पास आती है और फोन उठाकर कहती है" हेलो कौन बोल रहा है ?
उधर से नताशा की आवाज आती है " मैं नताशा बोल रही हूं।"
अक्षरा: " हां नताशा बोलो"
नताशा: " अक्षरा सुनो एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है मेरी ड्रेस खराब हो गई । तो तुम अभी के अभी मेरे रूम मेरी एक ब्ल्यू कलर की सिक्विन ड्रेस लेकर क्लब आ जाओ।"
अक्षरा ये सुन एकदम हैरान हो जाती है " लेकिन नताशा मैं कैसे आ सकती हूं। तुम तो जानती हो न चाची जी डांटेगी मुझे लेकिन तुम चिंता मत करो मैं अभी रिमी से कहती हु वो तुम्हारा काम कर देगी।
नताशा उसकी बात एकदम फ्रस्ट्रेट होकर कहती है " तुम्हे समझ नहीं आ रहा क्या? मैने तुम्हे लाने को कहा है तो तुम ही लेकर आओगी । रिमी को फिर सबकुछ समझाने में टाइम लगेगा और मुझे ये पांच मिनट के अंदर चाहिए । समझी तुम । और हां mom कि फिकर मत करो। उन्हें मैं देख लूंगी लेकिन अगर तुमने मेरा काम नहीं किया ना तो i swear मैं तुम्हे छोड़ने वाली नहीं हूँ । समझी तुम अब आओ जल्दी मैं इंतेज़ार कर रही हूं। " इतना बोल नताशा ने फोन काट दिया ।
नताशा की इतनी गुस्से भरी आवाज सुन कर अक्षरा को समझ आ गया था कि वो नताशा की बात ना मानने की गलती नहीं कर सकती इसीलिए वो जल्दी से भाग कर नताशा के रूम की तरफ चली जाती हैं। नताशा के रूम में जाकर वो जल्दी से उसकी कही ड्रेस को खोज आकर एक बैग में रख कर धीरे से घर से बाहर निकल पड़ती है। वैसे तो वो बहुत कम ही बाहर आती जाती थी मगर क्लब का रास्ता पता था उसे क्योंकि वो उसके घर से बहुत नजदीक था। अक्षरा एक रिक्शा में बैठ कर क्लब की तरफ चल पड़ती है।
वहीं दूसरी तरफ क्लब में।।।
अभी लोग आपस में खड़े बाते कर रहे थे और गेम के रिज्यूम होने का वेट कर थे । अनुराग भी साइड में खड़ा नयन से बाते कर रहा था तभी उसका फोन बज पड़ता है। वो देखता है कि उसका छोटा भाई आर्यन उसे फोन कर रहा है। वो फोन रिसीव करने सबसे excuse लेकर बाहर की तरफ आ जाता है। अभी वो बात खत्म कर अंदर जा ही रहा था कि उसकी नजर एक लड़की पर जाती है जिसने घुटने तक व्हाइट कलर की फ्रॉक पहन रखी थी , उसके लंबे बाल हवा में उड़ रहे थे और वो एकदम भागती हुई क्लब के अंदर आ रही थी। उसके हाथ में एक बैग भी था। अभी वो गेट तक आई ही थी कि एक गार्ड उसे रोक देता है " मैडम अपना नाम बताइए और इस पार्टी के पास दिखाए। उसके बाद आप अंदर जा सकती है।"
अक्षरा थोड़ी परेशान सी हांफते हुए कहती है " देखिए मेरा नाम अक्षरा सेठी है और मेरे पास कोई पार्टी पास नहीं है। मैं तो बस यहां अपनी बहन को ये कपड़े देने आई हूं। वो अंदर है please मुझे जाने दीजिए वरना वो मुझ पर गुस्सा करेंगी।"
वहीं ये नाम सुन जैसे अनुराग के कान खड़े हो गए थे। वो एक बार अपने मन में दोहराता है "अक्षरा सेठी"। अनुराग की नजर जैसे अक्षरा के छोटे से मासूम और खूबसूरत चेहरे पर टिक सी गई थी। तभी अक्षरा की बाते सुन कर उसे इतना पता तो चल गया था कि अक्षरा नताशा सेठी की बहन है और जरूर उसी के लिए यहां आई है।
इससे पहले कि गार्ड अक्षरा को कुछ कहता उसकी नजर अक्षरा पे थोड़ा पीछे खड़े अनुराग पर जाती है जो इशारों से उसे अक्षरा को जाने देने बोल रहा था। अब गार्ड की इतनी हिम्मत तो थी नहीं कि वो अनुराग को मना कर दें क्योंकि ये क्लब भी तो सिंह इंटरप्राइजेज के अंडर ही आता था इसीलिए वो अक्षरा को अंदर जाने को एलाऊ कर देता है। ये देखते ही अक्षरा तुरंत अंदर की तरफ भाग जाती है। उसने तो अनुराग को नोटिस तक नहीं किया था मगर अनुराग की नज़रे तो जैसे अक्षरा का पीछा छोड़ ही नहीं रही थीं। वो भी उसके पीछे पीछे क्लब के अंदर चला जाता है। वहीं गार्ड को ये देख कर तो जैसे सदमा ही लग जाता है।
अक्षरा जल्दी से अंदर जाती है तो उसे आँखें ही चौंधियां जाती है। रंग बिरंगी लाइटें, तेज म्यूजिक ओर शोर करते लोग। कुछ पल को तो वो एक जगह ठहरकर सबकुछ एक नजर देखने लगती है। आखिर ये सब कुछ वो पहली बार ही तो देख रही थी। उसकी पकड़ उसके बैग पर कस जाती है। ये एक नई दुनिया थी उसके लिए क्योंकि उसे कहां कभी किसी पार्टी में ले जाया जाता था। अब तक अनुराग भी उसके थोड़े दूरी पर आ कर खड़ा हो चुका था और उसके डरे से चेहरे को देख रहा था। पता नहीं क्यों पर एक अजीब सी खुशी हो रही थी अक्षरा के बारे में जान कर। तभी क्लब में एकदम से लाइटिंग चेंज होती है और अक्षरा का ध्यान एकदम से टूटता है। वो एक नजर अपने बैग पर डाल थोड़ा आगे बढ़ती है। अब उसे तो पता नहीं था कि कहा जाना है। तो वो एक लड़की से वॉशरूम के बारे में पूछती है क्योंकि उसे याद था कि नताशा ने कहा था कि वो वॉशरूम में उसका वेट कर रही है।
वो लड़की खुद में मग्न उसे राइट साइड जाने को इशारा कर देती है। अक्षरा राइट साइड चली जाती है जहां उसे वॉशरूम मिल भी जाता है। वहां जाने के बाद वो धीरे से पुकारती है" नताशा ?"
नताशा जैसे ही इस आवाज को सुनती है वो एकदम खुश हो जाती है शायद ये पहली बार ही था जब नताशा को अक्षरा के होने से कोई खुशी हुई हो। वो एकदम से अक्षरा के पास आती है और बैग लगभग उसके हाथ से छीनते हुए चिल्ला कर कहती है " तुम...तुमसे एक काम तक ठीक से नहीं होता । क्या कहा था मैने तुमसे की जल्दी आना कहा था कि नहीं? फिर भी तुमने 25 मिनिट लगा दिए।अब जाओ यहां से खड़ी क्या हो। ओर हां घर में किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि तुम बाहर आई थी। समझी? क्योंकि अगर मॉम को पता चला तो वो फिर पता नहीं तुम्हारे साथ क्या करेंगी ? चलो जाओ अब ओर हां यहां पर किसी से बात करने की जरूरत नहीं है। सीधा सीधा घर के लिए निकलो समझी।"
नताशा की आखिरी कुछ बाते सुन कर अक्षरा की आँखें बड़ी हो जाती हैं वो एकदम से कहती है" लेकिन नताशा तुमने तो कहा था कि तुम मुझे चाची जी से..."।
उसने अभी इतना कहा ही था कि नताशा गुस्से में उसकी बाजू पकड़ उसे बाहर की तरफ धक्का दे देती है और चिल्लाते हुए कहती है" मैने कहा ना जाओ यहां से मतलब जाओ। मैं पहले से ही लेट हु और तुम मेरा टाइम वेस्ट कर रही हो। Just go to hell" इतना बोल वो दरवाजा जोर से बंद कर देती है। वहीं अक्षरा जो लगभग गिरने ही वाली थी मगर किसी तरह उसने खुद को संभाला । उसके बाजू पर नताशा के उंगलियों के निशान छप गए थे इतनी जोर से धक्का दिया था उसे। उसके आंखों से आंसू निकल आते हैं। उसके मन में चाची जी का डर बैठ गया था क्योंकि वो जानती थी कि उसकी चाची कितनी निर्मम है और उसे कैसी सजा मिलेगी। एक पल को वो ये सोच कांप सी गई थी। वहीं कुछ दूर खड़ा अनुराग भी ये सब देख रहा था हालांकि उसे सुनाई कुछ नहीं दे रहा था मगर दिखाई सब दे रहा था। उसके चेहरे पर एक सीरियस एक्सप्रेशन था।
अक्षरा एक लंबी सांस ले खुद को शांत करती है और फिर उसी रस्ते पर आगे चली जाती है जिससे वो यहां पर आई थी । अनुराग अभी उसके पीछे जाने ही वाला था कि तभी उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है।
भाग समाप्त।।🥰
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कहानी आगे।
जब अनुराग पीछे मूड कर देखता है तो नयन उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा था। नयन अपने चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन लिए कहता है " क्या भाई ? इधर खड़ा क्या कर रहा है ? और तू किसे इतने ध्यान से देख रहा है , मैं कब से तुझे आवाज लगा रहा था।" उसकी बात सुन अनुराग जल्दी से कहता है " मैने देखा उसे ..वो यही थी अभी।" नयन थोड़ा कन्फ्यूज हो कर पूछता है" किसे भाई और कौन आई थी" । अनुराग खोए हुए ही कहता है " अक्षरा ।"
नयन को अनुराग की कही कोई भी बात समझ नहीं आ पा रही थी वो थोड़ा फ्रस्ट्रेशन के साथ कहता है" कौन अक्षरा ?? " वो बोल ही रहा था कि तभी उसका ध्यान जाता है कि वो दोनों अभी बिल्कुल गर्ल्स वॉशरूम के बाहर खड़े हैं और आस पास से गुजरती लड़कियां उन्हें थोड़ी अजीब तरीके से देख रही थीं।
नयन अनुराग को थोड़ा खींचते हुए कहता है" पहले यहां से चल भाई हम बिल्कुल गर्ल्स वॉशरूम के बाहर खड़े हैं। तेरी अक्षरा मैडम को हम कहीं और चल के खोजते हैं। अगर यहां खड़े रहे ना तो जूते जरूर पड़ेंगे । चल भाई।" इतना बोल नयन अनुराग को खींचते हुए दूसरी तरफ लेकर चला जाता है।
वहीं दूसरी तरफ अक्षरा रोते हुए एक्जिट की तरफ दौड़े जा रही थी। उसकी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे जिसे वो अपनी उल्टे हाथ से पोछे जा रही थी। "मेरी ही गलती है मुझे इसकी बातों में आना ही नहीं चाहिए था । अगर चाची जी को पता लगा तो पता नहीं वो मेरा क्या करेंगी । कहीं उन्होंने मेरा स्कूल जाना कैंसिल करवा दिया तो? नहीं नहीं अक्षरा नेगेटिव मत सोच सब कुछ ठीक होगा । तुझे बस चाची जी से छिपकर अपने रूम में पहुंचना होगा ।" अक्षरा खुद में ही ये सारी बाते बड़बड़ाई जा रही थी। उसका डर उसपर हावी हो रहा था।
दरअसल विभा अक्षरा को बचपन में बात न मानने पर बहुत मारा पीटा करती थी तो कभी कमरे में बंद कर दिया करती थी। इन सब से अक्षरा के मन में बहुत गहरा डर बैठ गया था। अक्षरा के बड़े हो जाने पर भी विभा की आदतों में कोई ज्यादा बदलाव आया नहीं था। । वो आज भी अक्षरा को कभी भी किसी छोटी गलती पर भी मार दिया करती थी। विभा अक्षरा को काबू करने के लिए ऐसा करती थी और ये सारी आदतें रिमी में तो कम मगर नताशा में कूट कूट कर भरी थी। नताशा भी गुस्से में कभी कभार अक्षरा पर हाथ उठा दिया करती थी।
अक्षरा भागते हुए बाहर निकल जाती है और जल्दी से एक रिक्शे में बैठ कर घर के लिए निकल जाती है। अक्षरा जैसे ही घर पहुंचती है वो दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ती है तभी उसे समझ आ जाता है कि दरवाजा तो किसी ने अंदर से गेट बंद कर दिया है। ये महसूस होते ही अक्षरा की जान जैसे हलक में अटक जाती है। वो सोचने लगती है " जरूर चाची जी को पता लग गया होगा कि मैं घर से बाहर गई हु और उन्होंने ही गेट बंद कर दिया होगा । कुछ सोच अक्षरा किसी तरह तो घर के अंदर जाना ही होगा अब सारी रात यहां तो खड़े नहीं रह सकते।"
अक्षरा अपनी घड़ी में समय देखती है तो रात के करीब 11 बज चुके थे। इतनी रात तक वो कभी घर से बाहर रही नहीं थी इसीलिए वो हड़बड़ा रही थी और उसे डर भी लग रहा था । अक्षरा को एकदम से याद आता है कि उसने किचेन की खिड़की तो जल्दबाजी में बंद की ही नहीं थी। ये याद आते ही वो जल्दी से उस तरफ भागती है और जैसा उसने सोचा था बिल्कुल वैसा ही था किचेन कि खिड़की खुली ही थी। ये देख वो बिना समय गंवाए किचेन की खिड़की से घर के अंदर कूद जाती है और भागते हुए अपने कमरे में भाग जाती है।
इधर दूसरी तरफ क्लब में।
अनुराग और नयन क्लब के स्टेयरकेस पर बैठे थे । " मैने उसे देखा वो नताशा सेठी की बहन है। मैं उससे बात करने ही वाला था कि इतने में तू आ गया और वो अचानक से गायब हो गई ।" अनुराग अब तक नयन को तीन से चार बार सारी कहानी बता चुका था। उसने अक्षरा को कैसे पहली बार देखा , अक्षरा ने क्या कहा ... और भी सब कुछ। नयन बस उसके चेहरे पर बनते बिगड़ते एक्सप्रेशन देख रहा था। उसने पहली बार अनुराग को इतना बेचैन देखा था । वो शांति से उसके हर बिहेवियर को ऑब्जर्व कर रहा था। उसे यूं शांत बैठा देख अनुराग थोड़ा खिसियाते हुए कहता है" नयन मैं तुझसे कुछ बोल रहा हूं तू सुन भी रहा है।" नयन एकदम शांत भाव से कहता है " हां भाई सुन भी रहा हूं और देख भी रहा हूं । पहली बार मैने तुझे यूं किसी के लिए इतना परेशान देखा है। सच कहूं तो मैं बड़ा एक्साइटेड हूं तेरी अक्षरा से मिलने के लिए ।" आखिरी लाइन नयन ने अनुराग को थोड़ा टीज करते हुए कहा था। उसकी बात सुन अनुराग को एकदम से खयाल आता है कि वो कितना reckless बिहेव कर रहा था। उसका ये बिहेवियर उसकी पर्सनेलिटी से बिल्कुल अलग है। उसे तो याद भी नहीं की पहले कभी वो इतना बेचैन कब हुआ था। अनुराग का सेल्फ कंट्रोल बहुत अच्छा था वो यूं ही सिचुएशंस में इतना reckless कभी बिहेव नहीं करता था। ये realize होते ही अनुराग थोड़ा embarras हो जाता है । वो नयन से थोड़ा नज़रे चुराते हुए कहता है " वो मैने नताशा सेठी को उसके साथ मिसबिहेव करते हुए देखा इसीलिए मैं थोड़ा कंसर्न हो गया था otherwise you know me मुझे किसी से इतना फर्क नहीं पड़ता एंड मिस अक्षरा सेठी को तो मैं जानता भी नहीं। " उसकी बात सुन नयन हंसते हुए कहता है " हां भाई I know you but तू इतना एक्सप्लेन कब से करने लगा । इट्स ओके कभी कभी किसी के लिए कंसर्न हो जाना भी अच्छा होता है।"
अनुराग को नयन की बातों में तंज अच्छे से समझ आ रहा था । अनुराग स्टेयर केस से उठते हुए कहता है " बहुत लेट हो गया है इट्स ऑलरेडी इलेवन pm सो अब हमें घर जाना चाहिए ।" नयन भी खड़े होते हुए कहता है" हां भाई जाना तो चाहिए और फिर स्कूल जाने की तैयारी भी तो करनी है।" अनुराग नयन को इग्नोर कर आगे की तरफ बढ़ जाता है। नयन भी उसके पीछे पीछे पार्किंग एरिया के पास पहुंच जाता है। नयन के चेहरे पर एक कांस्टेंट स्माइल बनी हुई थी आज पहली बार था जब उसने अनुराग का ये रूप देखा था। उसे बड़ा मजा आ रहा था। अभी वो दोनों गाड़ी में बैठने ही वाले थे कि नयन अनुराग को रोकते हुए कहता है " भाई लेकिन ये तूने ठीक नहीं किया ।" अनुराग उसे थोड़ा कन्फ्यूजन में देखता है तो नयन आगे कहता है" भाई मिस नताशा सेठी डांस फ्लोर पर तेरा इतंजार कर रही होगी ओर तू यहां उसकी बहन को खोज रहा है । और तो और अब उसे see off किए बिना तू घर भी जा रहा है। अब ये तो गलत बात है ना । " इतना बोल नयन हसने लगता है। "। " इरिटेट मत कर नयन !! गुड नाइट !!" इतना बोल अनुराग गाड़ी में बैठ जाता है। हंसते हुए नयन भी अपनी गाड़ी में बैठ जाता है और दोनों अपने घर की तरफ निकल जाते हैं। अनुराग को नताशा में एक परसेंट भी इंटरेस्ट नहीं था उसे तो ये भी याद नहीं था कि उसे नताशा के साथ डांस करना था।
उसके दिमाग में तो अभी तक अक्षरा ही चल रही थी।
भाग समाप्त।।।।
कहानी आगे।
दूसरी तरफ क्लब पार्टी हॉल।
नताशा जैसे ही वॉशरूम से खुद को ठीक कर पार्टी हॉल में आती है तो उसे अनुराग और नयन दोनों ही नहीं मिलते। नताशा थोड़ी देर इधर उधर देखती है फिर एक लड़की से पूछ बैठती है " हे निशा !! तुमने अनुराग को देखा क्या ?
" इस पर वो लड़की निशा उसे जवाब देते हुए कहती है " अरे अनुराग ओर नयन तो चले गए और वैसे भी इट्स इलेवन pm तो अब पार्टी लगभग खत्म ही हो गई है तो हमलोग भी जा रहे हैं।"
" क्या अनुराग चला गया। अरे ऐसे कैसे चला गया !! हमें तो अभी गेम कंप्लीट करना था । उसे अभी मेरे साथ डांस करना था " नताशा एकदम से बौखलाई हुई बोलती है। इस पर निशा हंसते हुए कहती है " chill bro !! वो अनुराग है उसने कभी किसी के साथ डांस किया है जो अब करेगा । वो तो बस यहां नयन की वजह से था । उसे मौका मिला ओर वो यहां चला गया। " इतना बोल निशा भी बाहर की तरफ निकल गई । नताशा को एकदम से ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे आसमान से उठा कर जमीन पर पटक दिया हो। नताशा एकदम से झल्ला कर खुद से ही कहती है " अनुराग कब तक भागोगे मुझसे । तुम्हे तो मैं पा कर ही रहूंगी।"
अगला दिन।
सेठी निवास।
सुबह के करीब आठ बजे अक्षरा किचेन में रोटियां सेक रही थी और बाकी सारे फैमिली मेंबर्स डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहे थे। अक्षरा बड़े ध्यान से सबको ऑब्जर्व कर रही थी। उसे अजीब लग रहा था कि किसी ने अभी तक उसे कुछ कहा क्यों नहीं । तभी विभा उसे गर्म रोटियों के लिए पुकारती हैं। अक्षरा जल्दी से रोटियां लेकर डाइनिंग टेबल की तरफ चली जाती है ।
आज डाइनिंग टेबल पर नताशा काफी गुमसुम बैठी थी उसे तो जैसे अपने आस पास का ध्यान ही नहीं था और उसने अपनी नाश्ते की प्लेट को छुआ भी नहीं था। वहीं रिमी अपने कल स्कूल जाने को ले बहुत एक्साइटेड थी वो कुछ न कुछ कहे जा रही थी।
तभी रिमी बातों बातों में बता देती है कि कल रात जब वो पानी पीने आई तो उसने गेट खुला देखा और गेट लॉक कर दिया था। नताशा के पास एक स्पेयर की हमेशा रहती थी इसीलिए उसे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई थी अंदर आने में। मगर किसी ने रिमी की बातों पर ध्यान नहीं दिया था। विभा का पूरा ध्यान नताशा पर था वो उसे कंसोल करने की कोशिश कर रही थी और विजय जी अपने न्यूज पेपर में खोए थे। ये देख अक्षरा एक चैन की सांस लेती है। आज छुट्टी का दिन था तो उसके चाचा चाची अपनी दोनों बेटियों के साथ दोपहर में मूवी देखने जाने वाले थे।
थोड़ी देर बाद अक्षरा किचेन का सारा काम खत्म करके रूम में चली आती है और आते ही बिस्तर पर लेट जाती है। कल से ना जाने उसने सोच सोच कर खुद को कितना परेशान कर लिया था। थोड़ी देर बाद वो उठकर बैठती है अब जाकर उसे अच्छा फील हो रहा था। अक्षरा उठ कर अपने मां पापा के तस्वीर के पास जाकर खड़ी हो जाती है और नम आंखों से उन्हें देखने लगती है। वो थोड़ा भावुक होकर उन्हें कहती है " मम्मा पापा आप हमेशा कहते थे ना कि आप मुझे बहुत अच्छे से स्कूल में पढ़ाएंगे ओर मुझे डॉक्टर बनायेंगे तो देखिए देर से ही सही मगर मैं स्कूल जा रही हूं बहुत बुरा लगता थी जब मैं नताशा और रिमी को स्कूल जाते देखती थी लेकिन आज भगवान जी ने मेरी सुन ली है और अब मैं भी स्कूल जाने वाली हूं । कल मेरा पहला दिन है और मुझे काफी डर लग रहा है। मुझे नहीं पता है कि उधर के लोग कैसे होंगे बट मैं कर लूंगी।" अक्षरा की बातों में डर के साथ एक आत्मविश्वास भी साफ झलक रहा था। थोड़ी देर उनदोनों से अपनी मन की बात कहने बाद अक्षरा कल को स्कूल जाने की तैयारी करने लग गई थी। अब तक तो वो नताशा वाली बात भी भूल गई थी ।
अक्षरा बेड के नीचे से एक बैग निकालती है जो रिमी का पुराना बैग था । जब उसने नया ले लिया तो ये वाला अक्षरा को दे दिया था। लेकिन अक्षरा को इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी उसके लिए तो ये ही नया था। नताशा और रिमी कोई भी समान तब ही तक इस्तमाल करते थे जब तक उनका मन ना भर जाए । उसके बाद वो उसे या तो अक्षरा को दे देते या फिर फेक देते। उनका मन भी काफी जल्दी ही भर जाया करता था क्योंकि विभा की तरह उनकी दोनों बेटियों को भी शॉपिंग की आदत थी । हर महीने तीनों मां बेटियां शॉपिंग पर जरूर ही जाती थीं। अक्षरा के पास जो बैग था वो कहीं से भी पुराना नहीं लग रहा था। अक्षरा अपने बैग में अपने कुछ नोटबुक्स , पेंसिल केस वगैरह रख लेती है। उसे अभी अपनी किताबें नहीं मिली थी वो उसे कल ही मिलने वाली थी। क्योंकि अक्षरा स्कॉलरशिप स्टूडेंट है तो उसकी बुक्स वगैरह स्कूल की तरफ से स्पॉन्सर्ड थी। अक्षरा ने अपना सारा सामान जमा लिया था । तभी उसे अपनी चाची की आवाज आती है। अक्षरा झट से घड़ी की तरफ देखती है तो शाम के छ बज रहे थे। इसका मतलब था कि उसके चाचा चाची नताशा और रिमी घूम कर आ चुके थे। अक्षरा को तो समय का पता ही नहीं चला वो जल्दी से सब कुछ समेट कर नीचे की तरफ भागती है।
निधि का घर।
निधि के घर में पांच लोग रहते है। निधि की दादी , उसके पापा धीरज मिश्रा , उसकी मां उर्मिला मिश्रा और निधि का छोटा भाई अनय मिश्रा। निधि अपने कमरे की खिड़की पर बैठी अपने स्कूल के बारे में ही सोच रही थी। उसे बार बार नयन का उससे यूं फ्री होकर बात करना याद आ रहा था। पहले तो वो अपने नए स्कूल को लेकर बहुत कॉन्फिडेंट और एक्साइटेड थी मगर अब स्कूल का ये नया माहौल देखने के बाद और खास कर के नयन से मिलने के बाद अब उसे टेंशन सी होने लगी थी। " यहां के सारे लोग तो बहुत ओपन माइंडेड है और मुझसे बहुत अलग भी हैं ऐसे में कही में पीछे न हो जाऊ"। हालांकि वो बार बार खुद को समझा रही थी कि वो मैनेज कर लेगी मगर उसके मन में एक डर था। अभी वो सोच ही रही थी कि कमरे में उर्मिला जी उसे खाने को बुलाने आ जाती हैं।
उर्मिला जी का स्वभाव भी थोड़ा कड़क सा हो गया था। वो भी अपने उसूलों और नियमों को काफी मानती थीं इसीलिए निधि अपनी मन की बात अपनी मां से भी खुल कर शेयर नहीं कर पाती थी और उसके सारे दोस्त तो उसके पुराने शहर में ही छूट गए थे। निधि को कम बोलने की आदत थी क्योंकि उसके घर में ज्यादा बोलना अलाउड नहीं था। जब उर्मिला जी के एक दो बार आवाज लगाने पर भी निधि नहीं सुनती तो वो थोड़ा और कड़क आवाज में कहती हैं " निधि !! निधि!!"
उनकी तेज आवाज सुन निधि की तंद्रा एकदम से टूटती है" जी ! जी मां। आप यहां ।कहिए ।"
क्या बात है हम इतनी देर से तुम्हे बुला रहे हैं और तुम अपने आप में ही गुम हो । क्या हुआ कोई परेशानी है क्या तो हमसे बताओ। उर्मिला जी थोड़ा कंसर्न होते हुए कहती हैं मगर उनके आवाज में कड़कपन कायम था।
निधि थोड़ा झिझकते हुए कहती है " नहीं मां ऐसा कुछ नहीं है वो हम बस स्कूल के बारे में सोच रहे थे।"
" स्कूल के बारे में क्या सोच रही थी और कैसा रहा तुम्हारा पहला दिन ? पापा की सारी बाते याद है ना निधि । तुम स्कूल सिर्फ पढ़ने जा रही हो उसके अलावा और किसी भी चीज में तुम्हारा ध्यान नहीं जाना चाहिए ।" उर्मिला जी ने एक बार फिर से निधि को सारे नियम कायदे याद दिलाते हुए कहा जो कि उसके पापा धीरज मिश्रा ने उससे यहां दिल्ली आने से पहले कहा था।
" जी मां मुझे अच्छे से याद है । आप फिकर ना करे पापा ने जैसा कहा है मैं वैसा ही करूंगी । आपको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी । मेरा दिन बहुत अच्छा गया आज स्कूल में । वो मैं बस पढ़ाई के बारे में सोच रही थी और कुछ नहीं।" निधि ने अपनी तरफ से बात टालने की पूरी कोशिश की थी। ये सुन उर्मिला जी निधि के बालों में हाथ फेरती है और उसे खाने के लिए हॉल में आने का बोल उसके रूम से चली जाती हैं। उर्मिला जी स्वभाव से बुरी नहीं है मगर धीरज जी तरह उनका स्वभाव भी कड़क हो चुका है। वो अपने बच्चों से बहुत प्यार करती हैं पर कभी खुल कर प्यार नहीं जता पाती हैं। उन्हें भी धीरज जी की तरह नियम और कायदे की बातें सही लगती है। इतने साल से ये सब फॉलो करते हुए अब ये सब कुछ उन्हें नॉर्मल लगने लगा है ।
उनके जाने के बाद निधि को वो बाते फिर से याद आने लगती है जो धीरज जी ने यहां आने से पहले उससे कहा था।
भाग समाप्त!!।।
कहानी आगे।
अपनी मां के जाने के बाद निधि को वो बाते फिर से याद आने लगती है जो धीरज जी ने यहां आने से पहले उससे कहा था। "निधि तुम्हारा एडमिशन दिल्ली के एक बड़े स्कूल में हो गया है जिसकी तुमने स्कॉलरशिप टेस्ट पास करी थी। मगर वहां जाने से पहले मैं तुम्हे कुछ बातें क्लियर कर देना चाहता हूं। तुम अब तक यहां के गर्ल्स स्कूल में पढ़ी हो और यहां का माहौल भी काफी अच्छा है लेकिन दिल्ली बड़ा शहर है और वहां का माहौल भी काफी खराब है। वहां के स्कूलों में यहां जितनी सख्ती नहीं होती । वहां पढ़ाई के अलावा दूसरी चीजें भी बहुत होती हैं। लेकिन तुम हमारे घर के नियम कायदे अच्छे से जानती हो ।तुम्हे वहां जाकर सिर्फ पढ़ाई करनी है और कुछ नहीं । लड़कों से कोई दोस्ती नहीं करनी है सिर्फ लड़कियों और टीचर्स से ही बात चित करोगी तुम । जिस तरह तुमने यहां अपने परिवार का मान रखा है उसी तरह वहां भी रखना । और अगर मैने तुम्हे कोई भी गलत काम करते देखा तो वो स्कूल में तुम्हारा आखिरी दिन होगा । समझी !! " धीरज जी ने दिल्ली आने से पहले ही निधि को सौ हिदायते दे डाली थी।
दरअसल वो एक पुराने खयालात के व्यक्ति हैं और उनके हिसाब से लड़के और लड़कियों का बात करना या साथ घूमना फिरना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है।
निधि जब से दिल्ली आई थी उसने किसी से बात नहीं करी थी । उसका घर एक कॉलोनी में था जहां की अधिकतर बैंकर्स ही रहा करते थे। ये फ्लैट भी उन्हें बैंक की तरफ से ही मिला था। उसके घर के आस पास भी उसने सिवाय हाय हेलो के कुछ नहीं किया था। स्कूल में भी उसने एक दो लड़कियों से बात तो करी थी मगर उसे वो अपनापन महसूस नहीं हुआ था। निधि भले ही घर में कम बोलती हो मगर दोस्तो के सामने तो उसका मुंह बंद नहीं होता था । वो खूब बोलती थी और खूब हस्ती थी। उसे अपने दोस्तों की बहुत याद आ रही थी मगर उसके पास अपना पर्सनल फोन भी नहीं था। उसे किसी से बात करना हो तो अपनी मां का फोन इस्तमाल करना होता था। निधि थोड़ी देर बाद अपने खयालों से बाहर आती है और एक गहरी सांस लेकर हॉल की तरफ चल पड़ती है।
निधि नीचे आकर देखती है तो डाइनिंग टेबल पर उसके पापा , उसकी दादी , उसका भाई बैठकर खाना खा रहे थे और उसकी मां खाना परोस रही थी । वो भी चुपचाप आकर खाने की मेज पर चुपचाप बैठ जाती है।
अगला दिन।
स्टार स्पोर्ट्स क्लब ।
दोपहर के करीब तीन बजे अनुराग और नयन बोलिंग खेलने एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आए हुए थे। अनुराग को स्पोर्ट्स में बहुत इंट्रेस्ट था तो वो अक्सर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स विजिट करता रहता था। नयन थोड़ा आर्टिस्टिक नेचर का था उसे गिटार बजाना , गाना , पेंटिंग्स, का शौक था मगर वो भी अनुराग के साथ कंटीन्यूअसली स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आया करता था।
दोनों बोलिंग करने के बाद साइड के सीट्स पर बैठ कर थोड़ा relax कर रहे थे। अनुराग पानी पी रहा था तभी नयन थोड़ा अंगड़ाई लिए कहता है " भाई मुझे ना स्कूल जाने का वेट नहीं हो रहा । "
उसकी इस बात पर अनुराग उसे थोड़ा तिरछी नजरों से देखता है पर कहता कुछ नहीं। ये देख नयन उसके कंधे पर हाथ रख कहता है " ऐसे मत देख यार ! पता नहीं क्यों लेकिन मिस touch me not से मिलने का मन कर रहा है । आज तक जितनी भी लड़कियां देखी हैं ना ये उन सबसे अलग है । ट्रस्ट मि । "
अनुराग ये सुन कहता है " तू initially हर लड़की के बारे में यही कहता है कि ये वाली सबसे अलग है मगर कुछ दिन में तुझे उसमें अलग सा कुछ भी नजर नहीं आता है । मैं तुझे यही कहूंगा कि मिस मिश्रा तेरी टाइप की नहीं है or I should say की तू उसके टाइप का नहीं है। " अनुराग की बात सुन नयन एकदम से कहता है " तू ये कैसे बोल सकता है कि मैं उसके टाइप का नहीं हूं । अरे भाई!! मैं तो बस दोस्ती की बात कर रहा था । अब साथ में बैठना है तो थोड़ी बात चित तो करनी पड़ेगी न । तू ना कुछ ज्यादा ही आगे की सोच रहा है। "
नयन फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए कहता है" वैसे भाई!! इंतेज़ार तो तुझसे भी नहीं हो रहा । आखिर तुझे भी तो मिस अक्षरा.... से मिलना है । है ना....।" नयन अक्षरा पर जरा जोर देते हुए कहता है। " वैसे तू चिंता मत कर कल जैसे ही मिस अक्षरा स्कूल आएगी ना मै सबसे पहले उससे यही कहूंगा कि कैसे तू क्लब में उसके पीछे भाग रहा था और वो तुझसे मिले बिना ही चली गई "। ये बोल नयन जोर जोर से हसने लगता है।
अनुराग उसकी बात सुन उसे मारने के लिए जैसे ही मुक्का उठाता है नयन अपनी सीट से उठ कर भागने लगता है।अनुराग भी उसके पीछे भागता है। नयन भागते हुए स्पोर्ट्स complex से बाहर आता है और अपनी गाड़ी में बैठ जाता है । वो अपनी गाड़ी से सिर निकाल कर जोर से चिल्लाते हुए कहता " अनुराग मेरे भाई तू फिक्र मत कर तेरा ये दुख मेरे से देखा नहीं जा रहा । मैं जरूर तेरे लिए कुछ करूंगा । " इतना बोल नयन फिर जोर जोर से हसने लगता है। अनुराग जैसे ही थोड़ा ओर आगे बढ़ता है नयन जल्दी से अपना सिर वापिस से गाड़ी के अंदर लाता है और हड़बड़ाते हुए ड्राइवर से कहता है" अंकल जल्दी चलो । आज इस एंग्री बर्ड ने पकड़ लिया ना तो मेरा कचूमर बना देगा ।" ड्राइवर उसकी बात सुन गाड़ी आगे बढ़ा देता है। अनुराग complex की गेट पर खड़ा नयन को जाते देख रहा था वो खुद से ही कहता है" ये नयन भी न कब क्या कर दे कोई भरोसा नहीं है। मैं भी ना! क्या जरूरत थी इतना रिकलेस बिहेव करने की । खैर अब सो हुआ सो हुआ। I swear नयन अगर तूने कुछ भी ऐसी वैसी हरकत की ना तो मेरा मुक्का और तेरा सर । तेरा मुंह तोड़ देना है मैने ।" इतना बोल अनुराग भी अपनी गाड़ी में बैठबलर अपने घर की तरफ निकल जाता है।
दूसरी तरफ ।
सेठी निवास।
अक्षरा के कदम तो जैसे जमीन पर टिक ही नहीं रहे थे ।उसे कल स्कूल जाने की इतनी एक्साइटमेंट थी कि उसके चेहरे से स्माइल जा ही नहीं रही थी। वो जल्दी जल्दी किचेन का काम निपटा रही थी जिससे कि वो जल्दी से कमरे में जाकर कल के स्कूल जाने की तैयारी कर सके। हालांकि उसने सारी तैयारी कर रखी थी मगर बार बार वो उन चीजों को निकालती और फिर से ऑर्गेनाइज करती । ऐसा उसने दिन भर में ना जाने कितनी बार कर लिया था। उसकी ये खुशी उसकी चाची विभा से छुपी नहीं थी। अक्षरा की ये खुशी विभा को कांटो की तरह चुभ रही थी। आखिर वो कभी नहीं चाहती थी कि अक्षरा को पढ़ाया लिखाया जाए। मगर वो कुछ कर भी नहीं सकती थी। सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहा थे और अक्षरा साइड में खड़ी होकर सबको खाना परोस रही थी ।
रिमी ने आज केक ऑर्डर किया था ताकि वो नताशा का मूड लाइट कर सके । नताशा कल की पार्टी के बाद से ही frustrated थी इसीलिए रिमी ने उसका फेवरेट ब्लूबेरी चॉकलेट ग़नाश केक ऑर्डर किया था । सबलोग केक खा रहे थे मगर अक्षरा से किसी ने पूछा तक नहीं था। ऐसा हमेशा होता था घर में बाहर से कोई खाना ऑर्डर किया जाए या फिर पार्टीज हो मगर अक्षरा को वो खाना नहीं दिया जाता था । उसे अपने लिए खुद ही घर में बेसिक खाना बना कर खाना होता था। अक्षरा और रिमी की बर्थडे पार्टीज में भी उसे शामिल नहीं किया जाता था। दरअसल विभा ओर विजय नहीं चाहते थे कि ज्यादा किसी को अक्षरा के बारे में पता चले। इसीलिए अक्षरा के बारे में ज्यादा से ज्यादा बस पड़ोसियों को ही पता था और किसी को नहीं। विजय , विभा , नताशा और रिमी के फ्रेंड सर्किल में भी अक्षरा के बारे में कोई नहीं जानता था।
अक्षरा चुपचाप साइड में खड़ी हो ललचाई आंखों से केक को देख रही थी मगर मांगने की हिम्मत उसमें नहीं थी। थोड़ी देर में सबलोग खा कर के उठने लगते हैं । अक्षरा भी डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ती है ताकि वो झूठे प्लेट्स उठा सके । तभी विभा अपने पति को कुछ इशारा करती है। जिसे समझकर विजय जी अक्षरा को रोकते हुए कहते है " अक्षरा रुको ! मुझे तुमसे कुछ बात करनी है । " ये सुन अक्षरा की दिल एकदम धक्क से रह जाता है और एक अनजाना सा डर उसे घेर लेता है।
भाग समाप्त।।🥰😊
कहानी आगे।
थोड़ी देर में सबलोग खा कर के उठने लगते हैं । अक्षरा भी डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ती है ताकि वो झूठे प्लेट्स उठा सके । तभी विभा अपने पति को कुछ इशारा करती है। जिसे समझकर विजय जी अक्षरा को रोकते हुए कहते है " अक्षरा रुको ! मुझे तुमसे कुछ बात करनी है । " ये सुन अक्षरा की दिल एकदम धक्क से रह जाता है और एक अनजाना सा डर उसे घेर लेता है। वो धीरे से घबराते हुए कहती है " जी चाचाजी"।
विजय जी कहते है " बैठो यहां कल से तुम स्कूल जा रही हो इसके regarding मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। आओ यहां बैठो मेरे पास।"
ये सुन कर अक्षरा को डर सा लगने लगता है कि कहीं ये लोग उसका स्कूल जाना कैंसिल न करवा दे। विजय जी कभी यूं ही अक्षरा से बात नहीं किया करते थे मगर जब भी करते थे कोई बहुत जरूरी बात ही होती थी। अक्षरा के स्कूल जाने की बात भी विजय जी ने ही बताई थी। विजय जी को कभी अक्षरा से कोई खास शिकायत नहीं थी ।वो तो जल्दी अक्षरा पर ध्यान भी नहीं दिया करते थे। वो तो विभा ही थी जो विजय जी का नाम लेकर उसे डराया धमकाया करती थी इसीलिए अक्षरा के मन में अपने चाचा जी को लेकर एक डर बैठ गया था। अपने पापा की बात सुन कर नताशा और रिमी भी रुक जाती है। चाची विभा के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है। अक्षरा चुप चाप से अपने चाचा जी की सामने वाली कुर्सी पर जा कर बैठ जाती है।
विजय जी आगे कहना शुरू करते है" अक्षरा कल से तुम स्कूल जाने वाली हो तो कुछ चीजें हैं जो मैं तुम्हे बता देना चाहता हूं । तुम्हे स्कूल में अच्छे से बिहेव करना होगा ऐसे नहीं जैसे तुम घर में करती हो। और जैसा कि तुमने कहा है कि तुम्हे पढ़ाई करना पसंद है तो तुम्हारा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर ही होना चाहिए ना कि किसी और चीज पर। जिस स्कूल में तुम पढ़ने जा रही हो वो कोई आम स्कूल नहीं है वहां पर कई बड़े घरों के बच्चे आते हैं तो तुम्हे बेवजह किसी को परेशान नहीं करना है। अपनी बहनों को देखो वो लोग खुद को कैसे मेंटेन करती हैं स्कूल में। आज तक उनकी कोई भी कंप्लेंट घर नहीं आई है तो तुम्हे भी ऐसा ही करना है। और हां एक बहुत जरूरी बात तुम अपने घर की कोई भी बात बाहर स्कूल में कभी किसी से नहीं कहोगी । समझी ।।"
अपने चाचा जी बात सुन अक्षरा हां में सर हिला देती है।
" तो फिर ठीक है कल से तुम्हे अच्छे से स्कूल जाना है ।वहां जाने के बाद तुम स्टाफ रूम में मिस्टर राकेश मेहरा से मिल लेना वो तुम्हे तुम्हारी सारी किताबें दे देंगे। नताशा भी तुम्हारे क्लास में ही है तो कोई प्रॉब्लम हो तो उससे पूछ सकती हो। बाकी की बाते तुम्हारी चाची ने तुम्हे बता ही दिया होगा। " इतना बोल विजय जी डाइनिंग टेबल से उठ कर अपने कमरे की तरफ चले जाते हैं। रिमी भी अपने कमरे की तरफ चली जाती है उसे वीडियो गेम खेलना था। उसे वैसे भी अक्षरा से कोई खास मतलब नहीं था।
अब डाइनिंग हॉल में अक्षरा , चाची और नताशा बचे थे।
अपने चाचा जी को जाते देख अक्षरा एक चैन की सांस लेती है उसने तो न जाने क्या क्या सोच लिया था। तभी उसे महसूस होता है कि उसकी चाची ओर नताशा उसे घूर कर देख रहे हैं। अक्षरा चुप चाप उठ कर जाने लगती है तभी उसे अपनी चाची की एक कड़क आवाज सुनाई देती है " तुम्हारे चाचा जी ने जो कहा वो तो याद रखना ही और साथ में ये भी याद रखना कि तुम्हारे वजह से मेरी बेटियों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। और वहां जाकर नताशा से बात तक करने की कोशिश मत करना ।मैं नहीं चाहती कि तुम्हारी वजह से मेरी बेटियों का स्टैंडर्ड गिरे। और ये तो बिल्कुल मत समझना कि तुम स्कूल जा रही हो तो तुम्हे घर का काम नहीं करना पड़ेगा । सुबह और शाम का खाना तुम्हे ही बनाना है तो याद रखना और कल सुबह टाइम से उठ जाना ।समझी।।" इतना बोल विभा भी अपने कमरे में चली जाती है । अक्षरा को तो कुछ कहने का मौका भी नहीं मिला।
" देखो हम दोनों एक क्लास में जरूर हैं मगर किसी को भी मेरे ओर तुम्हारे रिलेशनशिप के बारे में कुछ भी पता नहीं लगना चाहिए। अगर तुमने एक भी गलती की न तो मैं मॉम को आकर बता दूंगी । उसके बाद मॉम तुम्हारा क्या करेंगी ये तुम अच्छे से जानती हो। " नताशा एक मजाकिया हसी के साथ कहती है और अपने बाल झटकते हुए वहां से चली जाती है।
सबके जाने के बाद अक्षरा एक गहरी सांस लेकर वापस कुर्सी पर बैठ जाती है। उसे सबकी बातों का बुरा लगा था वो जानती थी कि यहां कोई भी उसकी खुशी में शामिल होने वाला नहीं था मगर फिर भी एक उम्मीद तो उसने लगाई थी सबसे । क्योंकि वो पहली बार स्कूल जाने वाली थी तो वो भी वैसा ही एप्रिसिएशन चाहती थी जैसा आज तक उसने नताशा और रिमी को मिलते देखा था। थोड़ी देर बैठने के बाद, खुद को शांत करने के बाद वो एक ग्लास ठंडा पानी पीती है और फिर काम में लग जाती है। अपनी चाची जी के मुताबिक उसे सुबह का काम भी करके जाने था तो उसे बहुत सुबह ही उठना पड़ेगा। वैसे तो नताशा और रिमी दोनों कार से जाते थे मगर अक्षरा को स्कूल बस सर्विस दी गई थी क्योंकि विभा नहीं चाहती थी कि अक्षरा उसकी दोनों बेटियों के बराबर भी बैठे। उसे बस स्टॉप तक चलकर भी जाना था। थोड़ी देर बाद अक्षरा अपना सारा काम खत्म कर , थोड़ा बहुत खाना खा कर सोने चली जाती है।
अगली सुबह ।
सेठी निवास।
सुबह के सवा पांच बज रहे थे और अक्षरा जल्दी जल्दी अपने काम निपटा रही थी किचेन में खड़े होकर । उसने सब लोगों के लिए खाना बनाया, चाचा जी के लिए टिफिन पैक किया , सारे बर्तन धोए ओर सारा किचेन भी साफ कर दिया । जैसे ही वो बाहर जाने को मुड़ती है तो दरवाजे पर विभा खड़ी थी ।
अक्षरा चाची को देख डर जाती है वो थोड़ा घबराते हुए कहती है " चाची जी मैने सारा काम कर लिया है । अब मैं जाऊं ??" विभा किचेन के अंदर आकर एक नजर सारा काम देखती है । अक्षरा ने सब कुछ बहुत अच्छे से किया था । उसके बाद वो अपने उसी कड़क अंदाज में कहती है " ठीक है जाओ मगर मैने जो कहा है उसे याद रखना । समझी । अब जाओ ।"
अक्षरा हां में सर हिला कर किचेन से निकल कर जल्दी से अपने कमरे में भाग जाती है। इधर विभा भी अपनी बेटियों को उठाने उनके कमरे की तरफ चली जाती है ।
अक्षरा कमरे में पहुंच कर टाइम देखती है तो पौने छः बज गए थे। साढ़े छः बजे तक अक्षरा को बस स्टॉप तक पहुंच जाना था । अगर बस छूट गई तो वो जाएगी कैसे उसे तो रास्ता भी नहीं पता था। अक्षरा जल्दी जल्दी रेडी होने लगती है। वो रेडी होकर नीचे जाती है तो विजय जी अखबार पढ़ रहे थे और विभा अपनी बेटियों के कमरे में थी । नताशा ओर रिमी अपनी गाड़ी से जाते थे तो उन्हें जल्दी जाने की कोई जरूरत नहीं थी मगर स्कूल बस की टाइमिंग 1 घंटे पहले की थी इसीलिए अक्षरा को जल्दी जाना था। अक्षरा किचेन में जाके थोड़ा कुछ जल्दी से खा लेती है उसे टिफिन लेकर नहीं जाना था क्योंकि Stanford high में सभी स्टूडेंट्स को कैंटीन में ही लॉन्च मिलता था।
अक्षरा सकुचाते हुए धीरे से जाकर चाचा जी के सामने खड़ी हो जाती है। उसे यूं अपने सामने खड़ा देख विजय जी अपना अखबार नीचे रख उसे थोड़ी सवालिया नजरों से देखने लगते हैं । अक्षरा धीरे से झुक कर उनके पांव छू लेती है और फिर शांति से बाहर निकल जाती है। आशीर्वाद की कामना तो थी नहीं उसे और आज तक उसके चाचा चाची ने कभी आशीर्वाद दिया भी नहीं था उसे। अक्षरा के इस हरकत पर एक पल को विजय जी ठिठक जाते हैं। आज तक उनकी बेटियों ने भी कभी उनके पांव नहीं छुए थें ऐसा नहीं था कि विजय जी अक्षरा को मानते नहीं थे मगर विभा ने उनके इतने कान भरे थे कि उनके लिए अब अक्षरा का होना या न होना एक ही बराबर हो गया था । वो अभी बैठे ही थे कि तभी उनका फोन बजने लगता है। उनके ऑफिस से फोन था तो वो उसमें व्यस्त हो जाते हैं।
इधर अक्षरा बस स्टॉप पर पहुंच चुकी थी जो उसके घर के कुछ कदम की दूरी पर ही था। थोड़ी देर में बस भी आ जाती है। कंडक्टर तेज आवाज में अक्षरा से ID card मांगता है। अब तक तो अक्षरा ने खुद को संभाला हुआ था मगर अब उसका डर उसके चेहरे पर दिखने लगा था। वो जल्दी से अपना ID card कंडक्ट को देकर बस में चढ़ जाती है । बस में अभी कुछ लोग ही बैठे हुए थे और सब अपने में मगन थे। अक्षरा चुप चाप से एक कोने की सीट पर जा कर बैठ जाती है।
भाग समाप्त।।।
कहानी आगे ।
अक्षरा बस स्टॉप पर पहुंच चुकी थी जो उसके घर के कुछ कदम की दूरी पर ही था। थोड़ी देर में बस भी आ जाती है। कंडक्टर तेज आवाज में अक्षरा से ID card मांगता है। अब तक तो अक्षरा ने खुद को संभाला हुआ था मगर अब उसका डर उसके चेहरे पर दिखने लगा था। वो जल्दी से अपना ID card कंडक्ट को देकर बस में चढ़ जाती है । बस में अभी कुछ लोग ही बैठे हुए थे और सब अपने में मगन थे। अक्षरा चुप चाप से एक कोने की सीट पर जा कर बैठ जाती है।
अक्षरा शांति से बैठ कर बस की खिड़की से बाहर के नजारे देख रही थी । वह बीच बीच में बस के अंदर भी देख लेती । बस एक एक कर अपने सभी स्टॉपेज पर रुकती जा रही थी और बच्चे बस में चढ़ते जा रहे थे । बस में अब तक बहुत सारे बच्चे आ चुके थे । सारे लड़के लड़कियां आपस में हसी मजाक कर रहे थे , कोई अपने फोन में देख रहा था तो कोई किताब पढ़ रहा था । ये सब देख कर अक्षरा का दिल बैठा जा रहा था । उसने तो आज तक किसी से इंटरेक्ट ही नहीं किया था । उसका मन कर रहा था कि वो यहां से भाग जाए । अब तक उसके बगल में भी एक लड़का आकर बैठ चुका था जो चिंगम चबा रहा था और अपने हेडफोन पर गाने सुन रहा था। अक्षरा थोड़ी अनकंफर्टेबल हो गई थी मगर वो कुछ बोल भी नहीं सकती थी । अक्षरा शांति से बैठी हुई थी । हालांकि उसके चेहरे पर घबराहट साफ साफ दिख रही थी।
थोड़ी देर में कंडक्टर जोर से चिल्लाता है " चलो चलो सब उतरो स्कूल पहुंच गए हम । चलो आराम से उतरो सब लोग।" अक्षरा जो अब अब तक उधेड़बुन में लगी हुई थी वो कंडक्टर की बात सुन होश में आती है । अब तक सारे बच्चे एक एक कर बस से उतरने लगे थे । अक्षरा भी उनके पीछे पीछे बस से नीचे उतर जाती है।
सामने था Stanford High School जहां आने का सपना कभी अक्षरा ने देखा था । उसके चेहरे पर उस स्कूल की बड़ी सी इमारत को देख एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है । चारों तरफ हरियाली थी । बहुत सारे बच्चे आ जा रहे थे । अक्षरा अभी देख ही रही थी कि उसे बेल बजने की आवाज आती है । ये एक वार्निंग बेल थी जो बच्चों के लिए बजाई गई थी ताकि वो जल्दी अपने क्लास में जा सके । सारे बच्चे जल्दी से भाग कर अपनी क्लास में जाने लगते हैं । अक्षरा को अब याद आता है कि उसे तो उसकी क्लास पता ही नहीं है । वो मन में खुद से कहती है " मैं कहां जाऊं ? मुझे तो पता ही नहीं है मेरा क्लास किधर है । चाचा जी ने कहा था कि स्टाफ रूम में जा कर पहले Mr राकेश मेहरा से मिलना होगा । तो पहले स्टाफ रूम खोजती हूं । मगर किससे पूछूं। " वो थोड़ा आगे बढ़ती है तो उसे थोड़ी दूर में कॉरिडोर में दो लड़कियां खड़ी दिखती हैं। अक्षरा जल्दी से उनके पास भाग कर जाती है और हिम्मत कर पूछती है " सुनिए क्या आपको पता है कि स्टाफ रूम किधर है ।" मगर वो लड़कियां अक्षरा पर ध्यान भी नहीं देती और आगे बढ़ जाती हैं। अक्षरा एकदम से मायूस हो जाती है । तभी पीछे से एक आवाज आती है " स्टाफ रूम सेकंड फ्लोर पर है ।" अक्षरा पीछे मूड कर देखती है तो उसे एक हैंडसम सा लड़का उसके ठीक पीछे खड़ा दिखता है । उसके चेहरे पर एक चार्मिंग सी स्माइल थी । अक्षरा भी एक पल को उसे देखने लगती है । तभी वो लड़का वापिस से अपनी बात दोहराते हुए कहता है " स्टाफ रूम सेकंड फ्लोर पर है तुम्हे किससे मिलना है।" अक्षरा आस पास देखती है तो बहुत सारे रास्ते थे । स्कूल इतना बड़ा था कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि कीधर से जाया जाए । वो थोड़ा घबराते हुए थोड़ी धीमी आवाज में कहती है " वो क्या आप बता सकते है कि सेकंड फ्लोर पर किस तरफ से जा सकते हैं।"
अब नयन अक्षरा की तरफ थोड़ा ध्यान से देखने लगता है । हां ये नयन ही था जो अपनी क्लास की तरफ जा ही रहा था तभी उसने अक्षरा को लड़कियों से स्टाफ रूम का रास्ता पूछते हुए सुना तो वो रुक गया वैसे भी लड़कियों के मामले में नयन का हेल्पिंग नेचर कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है । वो अक्षरा को थोड़ा मुस्कुराते हुए कहता है " लगता है तुम्हारा आज फर्स्ट डे है स्कूल में । आओ मैं ले के चलता हूं तुम्हे स्टाफ रूम में । वैसे किस्से मिलना है तुम्हे ? " अक्षरा को भी नयन से पॉजिटिव वाइब आ रही थी । उसका इतने प्यार से बात करना और उसका हेल्पिंग नेचर भी उसे बहुत अच्छा लगा था तो अक्षरा उसके साथ चल देती है ।
" हां आज मेरा फर्स्ट डे है स्कूल में । वो मुझे स्टाफ रूम में मिस्टर राकेश मेहरा से मिलना है " अक्षरा नयन के साथ चलते चलते अपनी बात कहती है ।
नयन आगे कहता है " hmm but मिस्टर मेहरा से क्यों मिलना है तुम्हे , वो अभी स्टाफ रूम में नहीं होंगे क्योंकि बेल लग चुकी है तो सारे टीचर्स अपनी क्लास में जा चुके होंगे ।"
अक्षरा ये सुन परेशान हुए कहती है " ओह नो !! अब मैं क्या करूं फिर ? मुझे तो उनसे अपनी किताबें और ID card लेना था । "
नयन अब थोड़ा क्यूरियस हो गया था वो कहता है " वैसे तुम्हारा नाम क्या है और कौन से क्लास में हो तुम ? " अक्षरा वैसे ही उसके साथ चलते चलते जवाब देती है " मेरा नाम अक्षरा सेठी है और मैं इलेवंथ क्लास में हूं ।"
" अक्षरा सेठी" नयन ये नाम अपने मन में दोहराता है और एकदम से उसे कुछ याद आता है और वो चलते चलते रुक जाता है। उसे रुकता देख अक्षरा भी रुक जाती है " क्या हुआ आप रुक क्यों गए ।" अब नयन के चेहरे पर एक चौड़ी सी स्माइल आ चुकी थी । वो मुस्कुराते हुए कहता है " Hi ! मेरा नाम नयन अग्रवाल है और मैं भी इलेवंथ में ही हूं। " अक्षरा ये सुन बस हां में सर हिला देती है। नयन एक्साइटेड होते हुए कहता है तुम्हे मिस्टर मेहरा से मिलना है न चलो मैं मिलवा देता हूं । मुझे पता है वो कहां होंगे । नयन एकदम से आगे बढ़कर अक्षरा की कलाई पकड़ उसे अपने साथ ले जाने लगता है। नयन इतनी तेजी से चल रहा था कि अक्षरा को उसकी स्पीड मैच करने के लिए थोड़ा दौड़ना पड़ रहा था । अक्षरा को समझ ही नहीं आया कि अचानक से हुआ क्या ? आस पास के बच्चे भी नयन और अक्षरा की तरफ देखने लगते हैं लेकिन नयन को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था । उसे तो बस अनुराग का रिएक्शन देखना था । वो अपनी मस्ती में चले जा रहा था । अक्षरा नयन के साथ खींची चली जा रही थी । वो आस पास के एनवायरनमेंट को भी ऑब्जर्व करती जा रही थी । थोड़ी ही देर में वो लोग थर्ड फ्लोर पर अपनी क्लास में पहुंच जाते हैं।
नयन क्लास रूम के गेट पर खड़े होकर थोड़ा तेज आवाज में कहता है " May we come in sir ? "इतनी जल्दी जल्दी आने की वजह से दोनों की सांस फूल रही थी । दोनों गेट पर खड़े होकर लंबी लंबी सांसे भर रहे थे। नयन की तेज आवाज सुन कर सबकी नज़रे उन दोनों पर ही चली जाती हैं । अनुराग जो अब तक आराम से बैठा हुआ सामने मिस्टर नेहरा को अटेंडेंस लेते हुए देख रहा था । उसकी नजर जैसे ही क्लास रूम के गेट पर जाती है । उसकी आँखें बिल्कुल हैरानी से बड़ी हो जाती हैं । सामने गेट पर अक्षरा खड़ी थी वो भी नयन के साथ । दोनों हाफ रहे थे । नयन ने अक्षरा का हाथ भी पकड़ा हुआ था । ये देखते ही अनुराग की आंखे थोड़ी सर्द हो जाती हैं । नयन जो अभी तक अनुराग के एक्सप्रेशन समझने की कोशिश ही कर रहा था तभी उसका ध्यान mr मेहरा की आवाज से टूटता है ।
जो उसे फटकारते हुए कहते है " mr nayan agrawal आप एक बार फिर से क्लास में लेट हैं ।" ये सुन नयन अपने चेहरे पर दुनिया जहां की मासूमियत लाकर थोड़ा ड्रामैटिक अंदाज में कहता है " वो सर आज तो मैं बिल्कुल टाइम पे ही था । मुझे लेट तो इन न्यूकमर की हेल्प करने में हो गया और सर आपने ही तो सिखाया है कि मदद करना परम सेवा है ।" उसके बोलने के तरीके से क्लास रूम में सब हंसने लगते हैं , mr मेहरा के चेहरे पर भी एक स्माइल आ जाती है । अक्षरा भी अब तक नयन की वजह से इस नए एनवायरनमेंट में काफी कंफर्टेबल हो गई थी। वो एक नजर पूरे क्लास में दौड़ाती है । वहां बहुत सारे बच्चे बैठे थे तभी उसकी नजर फ्रंट बेंच पर अनुराग से जा मिलती है जो अपनी सर्द आंखों से उसे ही लगातार देखे जा रहा था। अक्षरा की नजर भी उस पर टिक सी जाती है ।
भाग समाप्त।
कहानी आगे ।
अनुराग अपनी सर्द नजरों से अक्षरा को एक टक देखे जा रहा था । अक्षरा की भी नज़रे उस पर जमी हुई थी । अब तक नयन भी अनुराग की नजरों को भांप चुका था मगर उसने अक्षरा की कलाई अब तक नहीं छोड़ी थी । अक्षरा अनुराग के यूं लगातार देखे जाने से थोड़ी अनकंफर्टेबल हो गई थी। वो चाह कर भी अनुराग से नज़रे हटा नहीं पा रही थी । एक अजीब सी कश्मकश ने घेर लिया था उसे ।
निधि भी शांति से बैठ कर नयन को ही देख रही थी तभी नयन की नजर उसपर जाती है और वो अपनी आईब्रो raise कर उसे इशारा करता है । उसका इशारा समझते ही निधि झट से अपनी नज़रे नीचे कर बुक में देखने लगती है । ये देख नयन के चेहरे पर एक टीजिंग स्माइल आ जाती है।
"May I come in sir " क्लास रूम में एक बार फिर एक आवाज गूंजती है और एक बार फिर सबका ध्यान गेट की तरफ चला जाता है। इस बार वहां नताशा खड़ी थी । नताशा को देख अक्षरा थोड़ी एक्साइट हो जाती है और एकदम से दो कदम उसकी तरफ बढ़ जाती है । अक्षरा के चेहरे पर एक ब्राइट स्माइल आ जाती है हालांकि नताशा ने उसे घर पर कम से कम सौ बार से भी ज्यादा चेताया था कि वो ऐसी कोई हरकत न करे जिससे क्लास में उन दोनों के रिश्ते के बारे में किसी को भी पता लगे । मगर अक्षरा को शायद ये याद ही नहीं रहा ।
नताशा हमेशा एक क्लीन गर्ल लुक में वेल maintained होकर स्कूल जाया करती थी । दरअसल अक्षरा को नताशा का स्टाइल हमेशा पसंद आता था। ओर वो नताशा जैसे ही खुद को मेंटेन करना चाहती थी । अब और किसी को उसने इतना ऑब्जर्व भी नहीं किया था । उसने तो नताशा को अपना स्टाइल icon माना हुआ था। हालांकि अक्षरा को नताशा जैसे स्टाइल की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि वो तो खुद ही एक प्यारी और ब्यूटीफुल पर्सनेलिटी कैरी करती है लेकिन अक्षरा ने कभी अपने आप पर गौर ही नहीं किया था अब तक।
अक्षरा के थोड़ा आगे बढ़ने से नयन का हाथ भी उसके हाथ से छूट गया था । मगर अक्षरा ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया ।
"मिस नताशा सेठी you are late today. may I know the reason ?" मिस्टर मेहरा की एक फर्म आवाज ने अक्षरा को वापस अपने सेंसेज में ला दिया ।
" I am really sorry sir वो एक्चुअली मेरी गाड़ी रास्ते में खराब हो गई थी तो उसी वजह से थोड़ी देर हो गई। and I promise this wont happen again. " नताशा ने politely कहा और एक प्यारी सी स्माइल देकर अपनी बात खत्म कर दी।
अक्षरा तो नताशा का ये रूप देख कर एकदम शौक ही हो गई । उसने नताशा को इतना जेंटल बिहेव करते हुए कभी नहीं देखा था । नताशा का ये रूप तो वो आज पहली बार देख रही थी।
"ओके मिस सेठी you may sit now" इतना बोल मेहरा सर उसे अन्दर आने की परमिशन दे देते हैं । नताशा आगे बढ़ती है और अक्षरा को लगभग इग्नोर करती हुई आगे बढ़ जाती है । अक्षरा खुद को ठगा सा महसूस करते हुए वही खड़ी रह जाती है ।
"गुड मॉर्निंग अनुराग" नताशा आगे बढ़ते हुए अनुराग को रोज की तरह विश करती है । उसने कहा तो धीरे से ही था मगर आगे खड़े होने की वजह से अनुराग के साथ साथ नयन ओर अक्षरा ने भी ये साफ सुना था। अनुराग ने सुना तो सही मगर उस ने नताशा की तरफ ना नजर उठा कर देखा और ना ही उसे विश किया । खैर नताशा को अनुराग का ये बिहेवियर एक्सपेक्टेड था तो वो शांति से आगे बढ़ जाती है।
तभी पहली क्लास की घंटी बज जाती है । नयन और अक्षरा अब भी सामने ही खड़े थे । मेहरा सर अक्षरा को आईडेंटिटी कार्ड देते हुए कहते है" मिस अक्षरा सेठी रिसेस में आप मुझसे स्टाफ रूम में मिलिए एंड यू हैव टू सीट ऑन थे फर्स्ट बेंच विद अनुराग । सो टेक योर सीट नाउ। मिस्टर नयन यूं also सीट now " इतना बोल मिस्टर मेहरा क्लास से बाहर निकल जाते हैं।
उन्हें जाते देख नयन उसकी तरफ झुक कर उसके कान में लगभग फुसफुसा कर कहता है " पता है तुम्हे.. बच गई तुम। वो तो फर्स्ट क्लास का टाइम हो गया वरना मेहरा सर अभी तुम्हारा अच्छा खासा इंट्रोडक्शन लेते "। अक्षरा ये सुन नयन को अपनी बड़ी बड़ी आंखों से देखती है । नयन अपनी पलके झपकाते हुए आगे कहता है " बाय थे वे तुम्हे फर्स्ट बेंच पर बैठना है और मैं तुम्हारे पीछे बैठूंगा यानी सेकंड बेंच पर ।"
नयन और अक्षरा को यूं करीब होकर फुसफुसाते हुए बात करते देख अनुराग की नज़रे थोड़ी और तीखी हो जाती है ।अक्षरा एक नजर अनुराग को देखती है जो अभी भी उसे ही घूर रहा था । अक्षरा को अजीब सा लगने लगता है । वो धीरे धीरे चल कर बेंच तक आती है और शांति से बैठ जाती है । वो एक नजर भी अनुराग को नहीं देखती लेकिन अनुराग की नजरों की तपिश को वो अच्छी तरह महसूस कर पा रही थी।
अक्षरा खुद को कंफर्टेबल करने की पूरी कोशिश कर रही थी मगर बार बार उसका ध्यान क्लास के बाकी बच्चों पर जा रहा था । सभी बच्चे आपस में व्यस्त थे ।वो कभी थोड़ा मुड़कर पीछे की तरफ देखती तो कभी अपने आजू बाजू । जैसे ही उसकी नजर अनुराग पर गई वो थोड़ा हड़बड़ा सी गई । अनुराग उसे सधी हुई नजरों से एक टक देखे जा रहा था मानो वो उसके चेहरे की एक एक बारीकी नोटिस कर रहा हो ।
अक्षरा जल्दी से नयन की तरफ पीछे पलटती है तो नयन उसे देख इशारों में ही उसे पूछता है " क्या हुआ ?" अक्षरा थोड़ा सकुचाते हुए कहती है " वो एक्चुअली मेरे पास बुक्स नहीं हैं । मुझे लेना था मगर टाइम ही नहीं मिला । सर ने मुझे रिसेस में बुलाया है । तो तब तक मैं क्या करूं ।" नयन को अब तक इतना समझ आ गया था कि अक्षरा एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट है क्योंकि उन्हीं लोगों को बुक्स स्कूल की तरफ से मिलती थी ।
अक्षरा की बात सुन नयन मुस्कुराते हुए कहता है " बस इतनी सी बात.... तुम चाहो तो मेरी बुक लेलो । मैं मिस मिश्रा की बुक से पढ़ लूंगा ।" इतना बोल वो एक नजर निधि की तरफ देखता है जो उसी की तरफ हैरान नजरों से देख रही थी। नयन उसपर ध्यान न देते हुए उसकी बुक बीच में खींच लेता है । निधि जो अबतक अक्षरा की बाते सुन रही थी वो नयन के इस मूव पर एकदम हैरान हो जाती है " कितना मौकापरस्त इंसान है ये । मैने इसको कब कहा मेरी बुक लेने को । बहुत इरिटेटिंग है । " निधि अपने मन में सोच रही थी । इससे पहले नयन अपनी बैग से बुक निकाल पाता। अनुराग थोड़ा गुस्से में अपनी बुक एकदम से अक्षरा के सामने दे पटकता है ।
भाग समाप्त ।।।।
कहानी आगे ।
अक्षरा जल्दी से नयन की तरफ पीछे पलटती है तो नयन उसे देख इशारों में ही उसे पूछता है " क्या हुआ ?" अक्षरा थोड़ा सकुचाते हुए कहती है " वो एक्चुअली मेरे पास बुक्स नहीं हैं । मुझे लेना था मगर टाइम ही नहीं मिला । सर ने मुझे रिसेस में बुलाया है । तो तब तक मैं क्या करूं ।" नयन को अब तक इतना समझ आ गया था कि अक्षरा एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट है क्योंकि उन्हीं लोगों को बुक्स स्कूल की तरफ से मिलती थी ।
अक्षरा की बात सुन नयन मुस्कुराते हुए कहता है " बस इतनी सी बात.... तुम चाहो तो मेरी बुक लेलो । मैं मिस मिश्रा की बुक से पढ़ लूंगा ।" इतना बोल वो एक नजर निधि की तरफ देखता है जो उसी की तरफ हैरान नजरों से देख रही थी। नयन उसपर ध्यान न देते हुए उसकी बुक बीच में खींच लेता है । निधि जो अबतक अक्षरा की बाते सुन रही थी वो नयन के इस मूव पर एकदम हैरान हो जाती है " कितना मौकापरस्त इंसान है ये । मैने इसको कब कहा मेरी बुक लेने को । बहुत इरिटेटिंग है । " निधि अपने मन में सोच रही थी । इससे पहले नयन अपनी बैग से बुक निकाल पाता। अनुराग थोड़ा गुस्से में अपनी बुक एकदम से अक्षरा के सामने दे पटकता है । अचानक इस हुई आवाज से अक्षरा के साथ नयन और निधि भी शौक हो जाते हैं। अक्षरा और निधि दोनों अनुराग की तरफ देखने लगते हैं जो अभी भी अपनी प्लेन फेस के साथ अक्षरा को देख रहा था ।
नयन अनुराग के एक्सप्रेशन देख समझ जाता है कि अब अनुराग बहुत ज्यादा इरिटेट हो चुका है इसीलिए वो बात संभालते हुए कहता है " अक्षरा ये अनुराग है मेरा दोस्त । तुम इससे सब कुछ पूछ सकती हो । वैसे ये इस क्लास का टॉपर भी है । " नयन की बात सुन अक्षरा अपना सर हां में हिलाती है । नयन अनुराग को अक्षरा से बात करने को इशारा करता है मगर अनुराग उसपर ध्यान न देते हुए सामने हो कर बैठ जाता है । दरअसल अनुराग चाहता था कि अक्षरा उससे भी वैसे ही बात करे जैसे वो नयन से कर रही है ।
कुछ मिनिट बीत जाने के बाद अनुराग को एक मीठी सी सकुचाई हुई आवाज सुनाई देती है " हाय मैं अक्षरा सेठी हूं ।" अनुराग के होठों पर एक छोटी सी स्माइल आ जाती है । वो भी धीरे से अपनी भरी हुई आवाज में कहता है " हाय मैं अनुराग ।" अब जाकर अनुराग ने इतने देर में कुछ बोला था और अक्षरा को उसकी आवाज में एक डॉमिनेशन अच्छे से फील हो पा रहा था। अभी वो कुछ आगे बात करते उसके पहले ही टीचर क्लास में इंटर करते हैं और सारे बच्चे अपनी सीट से खड़े हो जाते हैं । अक्षरा भी सबको देख खड़ी हो जाती है । अब इसे कुछ पता तो था नहीं तो बस वो सबको फॉलो करने की कोशिश कर रही थी ।
पहली क्लास इंग्लिश लिटरेचर की थी । मिसेज शुभा बनर्जी क्लास ले रही थी और बीच बीच में कुछ नोट्स भी लिखवा रही थी । अक्षरा ध्यान से उन्हें सुन रही थी और साथ ही साथी अनुराग को भी फॉलो कर रही थी । अनुराग जब कुछ अपनी अपनी नोटबुक में लिखता तो वो भी लिखती । वो जब कुछ हाइलाइट करता तो वो भी वही करती । अनुराग अच्छे से ये देख पा रहा था मगर उसे समझ नहीं आ रहा था कि अक्षरा उसे हु ब हु कॉपी क्यों कर रही है ।
अक्षरा पहले बस एग्जाम देने ही स्कूल गई थी तो उसे स्कूल्स के नियमों के बारे में पता ही नहीं था । उसके घर के पास ही एक छोटा सा सरकारी स्कूल था जिससे उसने दसवीं पास करी थी और उस ही स्कूल की एक टीचर अक्षरा को पढ़ाने भी आती थी । आज अक्षरा जो कुछ भी है वो उन्हीं की बदौलत है । उन्होंने उसे सब कुछ बताया तो था मगर इतने बड़े स्कूल में सब कुछ अलग था । यहां के बच्चे भी high सोसायटी के थे तो अक्षरा कही ना कहीं डर भी रही थी कि उससे कहीं कोई गलती ना हो जाए इसलिए वो अनुराग को फॉलो करी जा रही थी । ऊपर से जबसे उसने सुना कि अनुराग टॉपर है तबसे उसने सोच लिया था कि उसे भी अनुराग जैसे ही पढ़ाई करनी है ।
थोड़ी देर में टीचर पढ़ा कर चली जाती है और होमवर्क भी जाते जाते उन्होंने दे दिया था । अक्षरा ध्यान से होमवर्क नोट कर रही थी । अनुराग अक्षरा को काफी देर से ऑब्जर्व कर रहा था । आखिर में वो उससे पूछ ही देता है " तुम मुझे कॉपी क्यों कर रही हो ? "
अक्षरा जो ध्यान से अपने काम में लगी थी वो थोड़ा सहम जाती है मगर तुरंत ही खुद को संभालते हुए कहती है " वो मैं देख रही थी कि स्कूल में पढ़ाई कैसे करते हैं ।" अक्षरा ये बोल दोबारा अपने काम में लग जाती है ।
वहीं अनुराग को उसका जवाब समझ नहीं आता तो वो फिर से बोलता है " क्या मतलब है तुम्हारा ? तुम मुझसे पढ़ाई करना सीख रही हो ?"
अक्षरा जवाब देती है " नहीं । मुझे पढ़ाई करनी आती है मगर मैं ये देख रही थी कि स्कूल में कैसे पढ़ते हैं ।"
अनुराग थोड़ा शक करते हुए कहता है " क्यों तुम्हे स्कूल में पढ़ाई करनी नहीं आती क्या ? तुम तो ऐसे बिहेव कर रही हो जैसे तुम पहली बार स्कूल आई हो ? पहले स्कूल में कैसे पढ़ती थी तुम । जैसे पढ़ती थी वैसे ही पढ़ो ना यहां भी ।"
अक्षरा अब अनुराग की तरफ देखकर कहती है " हां मैं पहली बार ही स्कूल आई हूं । इससे पहले तो बस मैं एग्जाम देने ही जाती थी । तो इसीलिए मैं तुम्हे कॉपी कर रही थी । अगर तुम्हे परेशानी हुई हो तो मैं sorry बोलती हूं। तुम नाराज़ नहीं हो न मुझसे ।" अक्षरा थोड़ा डरते हुए कहती है । उसे डर था कि कहीं उससे कोई नाराज न हो जाए । उसे अपने चाचा चाची की हिदायते अच्छे से याद थी । वो किसी भी हालत में कोई गलती नहीं करना चाहती थी ।
अनुराग अक्षरा के जवाब से लगभग shock ही हो गया था इसीलिए वो बस नहीं में सर हिला कर चुप हो जाता है।
अनुराग को इतना तो पता था कि सेठी परिवार के साथ अक्षरा के रिलेशनशिप्स थोड़े suspicious है । मगर ये उसके लिए एक नई बात थी कि अक्षरा कभी स्कूल गई ही नहीं थी । अब अनुराग के मन में अक्षरा के बारे में जानने की क्यूरियोसिटी और ज्यादा बढ़ चुकी थी । इसके बाद इन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई । एक के बाद एक क्लासेज हो रही थी । लगभग चार पीरियड होने के बाद रिसेस की बेल बज जाती है । सारे बच्चे कैंटीन की तरफ भागने लगे थे । यहां लंच कैंटीन में मिलता था जिसके लिए एक कैंटीन कार्ड इश्यू करना होता था ।
अक्षरा नयन से स्टाफ रूम का रास्ता पूछने ही वाली होती है। इससे पहले ही अनुराग की आवाज उसके कानो में आती है " तुम्हे स्टाफ रूम जाना था न । चलो मेरे साथ । मुझे भी कुछ काम है उधर तो मैं भी चलता हूँ साथ में ।" इतना बोल अनुराग खड़ा हो कर आगे बढ़ जाता है । अक्षरा भी उसके पीछे पीछे क्लासरूम से बाहर निकल जाती है । वहीं कोई था जिसकी नजर सुबह से ही अक्षरा पर टिकी हुई थी । अक्षरा को अनुराग के साथ जाते देख उसकी नजरे तीखी हो गईं थीं ।
भाग समाप्त ।।।
कहानी आगे ।
लगभग चार पीरियड होने के बाद रिसेस की बेल बज जाती है । सारे बच्चे कैंटीन की तरफ भागने लगे थे । यहां लंच कैंटीन में मिलता था जिसके लिए एक कैंटीन कार्ड इश्यू करना होता था ।
अक्षरा नयन से स्टाफ रूम का रास्ता पूछने ही वाली होती है। इससे पहले ही अनुराग की आवाज उसके कानो में आती है " तुम्हे स्टाफ रूम जाना था न । चलो मेरे साथ । मुझे भी कुछ काम है उधर तो मैं भी चलता हूँ साथ में ।" इतना बोल अनुराग खड़ा हो कर आगे बढ़ जाता है । अक्षरा भी उसके पीछे पीछे क्लासरूम से बाहर निकल जाती है । वहीं कोई था जिसकी नजर सुबह से ही अक्षरा पर टिकी हुई थी । अक्षरा को अनुराग के साथ जाते देख उसकी नजरे तीखी हो गईं थीं ।
नताशा जो काफी देर से अनुराग और अक्षरा को ही ऑब्जर्व कर रही थी या फिर यूं कहो कि उसने इसके अलावा आज सुबह से कुछ किया ही नहीं था । आज उसका पढ़ाई पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था । वैसे तो वो रोज़ ही अनुराग को देखते रहती थी जिससे क्लास के लगभग सभी बच्चे वाकिफ थे और शायद अनुराग भी । मगर आज उसकी नज़रे कुछ ज्यादा ही टिकी थी ...अक्षरा की वजह से । जब उसने दोनों को साथ में बाहर जाते देखा तो उसे गुस्सा आ गया । वो तो पहले से ही अक्षरा के अनुराग के बगल में बैठने से खुश नहीं थी मगर यूं दोनों को धीरे धीरे बात करता देख ओर फिर साथ जाता देख उसकी त्योरियां चढ़ गई थी । वो अभी उठ कर उनके पीछे जाने ही वाली थी कि इतने देर में उसकी फ्रेंड्स उसे कैंटीन चलने को कहने लगती हैं। वैसे तो नताशा को अक्षरा से बात करनी थी मगर वो सबके सामने अक्षरा से बात कर भी नहीं सकती थी । ये सोचकर कि शायद अनुराग भी कैंटीन ही गया होगा वो भी अपनी सहेलियों के साथ कैंटीन जाने लगती है ।
वहीं निधि भी कैंटीन जाने लगती है । वो जैसे ही जाने लगती है तभी उसे नयन की आवाज आती है " मिस मिश्रा कैंटीन जा रही हो ना तो रुक जाओ थोड़ी देर... मेरे साथ ही चल लेना ।"
निधि ये सुन घूर कर नयन की तरफ देखती है तो नयन तुरंत ही बात संभालते हुए कहता है " आई मीन हमारे साथ चल लो । वो अभी अनुराग और अक्षरा अभी स्टाफ रूम में गए हैं । वो आ जाएंगे तब हम सब साथ में चलेंगे । वो एक्चुअली मैं तो अक्षरा के लिए बोल रहा था अब तुमने देखा न कि वो नई है और उसे कुछ ज्यादा पता भी नहीं है । तो आई थिंक की वो तुम्हारे साथ ज्यादा कंफर्टेबल रहेगी । बाकी तुम्हारी मर्जी वैसे हेल्प करना अच्छी बात होती है ।" नयन की बात सुन निधि सोच में पड़ गई थी हां उसने देखा तो था कि अक्षरा छोटी से छोटी चीज पूछ कर ही कर रही थी । तो वो उनका वेट करने का फैसला करती है और अपनी सीट पर दोबारा बैठी जाती है । ये देख कर नयन के चेहरे पर एक विनिंग स्माइल आ जाती है । उसने बड़ी आसानी से निधि को मैनिपुलेट कर लिया था ।
दरअसल नयन सुबह से ही निधि से बात करना चाह रहा था मगर निधि अपने पढ़ाई में पूरी तरह से मगन थी और उसकी तरफ देख भी नहीं रही थी । नयन बार बार निधि से बारे में जानने की कोशिश करता मगर निधि पूरी शिद्दत से उसे इग्नोर कर जाती । निधि की सोच में भी नयन ही छाया हुआ था । वो वक्त बेवक्त उसके बारे में सोचने लगी थी । उसे पता था कि ये गलत है इसीलिए वो नयन से दूरी बनाने की अपनी पूरी कोशिश कर रही थी ।
निधि नयन के कहने से बैठ तो गई थी मगर अब उसे अजीब सा लग रहा था । नयन उसे एफेक्ट करने लगा था । निधि को जब भी अपने पापा की बात याद आती तो वो थोड़ा डर जाया करती थी इसीलिए वो अभी भी नयन की तरफ देख भी नहीं रही थी । निधि बेसब्री से क्लासरूम के गेट पर नजरे गड़ाए अनुराग और अक्षरा का वेट कर रही थी ।
लगभग दो मिनट की चुप्पी के बाद नयन कहता है " वैसे तुम्हारा फेवरेट सब्जेक्ट क्या है ? अब तुम इतनी पढ़ाकू हो तो फेवरेट सब्जेक्ट तो होगा ही ।" नयन की आवाज सुन उसकी तरफ देखती है और धीरे से कहती है" फिजिक्स" ।
नयन ये सुन मुंह बना कर कहता है " क्या फिजिक्स भी किसी का फेवरेट सब्जेक्ट होता है ? " निधि बस हां में अपना सिर हिला देती है ।
निधि को यूं कुछ ना कहता देख नयन उससे थोड़ा क्यूरियस होकर पूछता है " क्या तुम हमेशा ही इतना कम बोलती हो या फिर तुम्हारे घर वालो ने लड़कों से बात करने के लिए मना किया है ? " ये सुन निधि एकदम से उसकी तरफ देखती है । वो थोड़ा सकपका जाती है जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गई हो । वो थोड़ा हकलाते हुए कहती है " वो ...वो ऐ....ऐसा कुछ नहीं है । मैं... मैं तो बस.....ऐसी ही हूं । " निधि के हैरानी भरे एक्सप्रेशन और हकलाती हुई जुबान ये बताने के लिए काफी थी कि नयन ने बिल्कुल सही गेस किया है ।
उसे यूं हड़बड़ाते देख नयन उसे शांत करते हुए कहता है " अरे relax इट्स ओके .... आई नो कुछ फैमिलीज स्ट्रिक्ट होती है । अनुराग की मोम की फैमिली भी बहुत स्ट्रिक्ट थी । उसने मुझे बताया था इस बारे में । बट यू नो मैं एक अच्छा लड़का हूं तो तुम मुझसे दोस्ती कर सकती हो । मैं तुम्हे परेशान नहीं करूंगा बल्कि मैं तुम्हारी हेल्प करूंगा ।तो क्या हम फ्रेंड्स बन सकते हैं ? " नयन इतना बोल उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ा देता है । उसने अपने तरफ से निधि का विश्वास जीतने की पूरी कोशिश की थी ।
निधि जो एक तक उसकी तरफ देख रही थी , न जाने क्या सोच कर वो हल्के से उससे हाथ मिला लेती है । उसने आज पहली बार किसी लड़के से हाथ मिलाया था तो वो थोड़ी असहज सी हो गई थी । नयन उसके हाथों में कंपन आसानी से महसूस कर सकता था ।
तभी उसे अक्षरा और अनुराग क्लास में आते दिखते हैं । अनुराग ने अपने हाथ में अक्षरा की सारी बुक्स कैरी करी थी वहीं अक्षरा के हाथ में सिर्फ एक स्कूल डायरी थी । ये देख नयन के चेहरे पर एक शैतानी स्माइल आ जाती है । जैसे ही निधि उसकी नजरों का पीछा करती है तो उसकी नजर भी अनुराग और अक्षरा पर चली जाती है और वो झट से खड़ी हो जाती है । उसके खड़े होते ही नयन के हाथ से उसका हाथ भी छूट जाता है । नयन कुछ पल अपने खाली हाथ को देखता है फिर वो भी अपनी जगह से खड़ा हो जाता है ।
भाग समाप्त ।।