Novel Cover Image

Devil's Crazy Love

User Avatar

Sanyogita

Comments

0

Views

1877

Ratings

79

Read Now

Description

सिद्धार्थ, एक 28 वर्षीय गंभीर और हैंडसम बिजनेसमैन, जिसे कॉर्पोरेट दुनिया में "डेविल" के नाम से जाना जाता है, अपनी सख्त और बेरहम छवि के लिए मशहूर है। उसे एक 18 साल के क्यूट रियांश से प्यार हो जाता है। वो उसे पागलपन की हद तक प्यार करता है। लेकिन फिर उस...

Total Chapters (45)

Page 1 of 3

  • 1. Devil's Crazy Love - Chapter 1

    Words: 666

    Estimated Reading Time: 4 min

    डेविल स्टार क्लब (मुंबई)

    ये सिटी का बहुत बडा और आलीशान क्लब था। बडे-बडे बिजनेस टायकून्स यहाँ मीटिंग करने आते थे। इस वक्त भी यहाँ के लग्ज़ीरियस रूम में एक मीटिंग चल रही थी।

    “आप शायद ये नही जानते कि मेरा और मेरे डैड का बिजनेस अलग है, इसलिए इस डील में उनका जिक्र नही होना चाहिए वरना ये डील कैंसल।”

    सोफे पर बैठा 28 साल का हैंडसम सिद्धार्थ अपनी ठंडी आवाज में ये सब कह रहा था। उसके साथ उसका सेकेट्री वरूण भी खडा था।

    सामने एक अधेड उम्र का शख्स बैठा हुआ था जो सिद्धार्थ की तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराते हुए बोला, “ओके सिंघानिया साहब, आपके डैड का जिक्र अब नही होगा, बट आप प्लीज़ ये डील कैंसल मत कीजिए।”

    तभी सिद्धार्थ के सेकेट्री वरूण ने कुछ कहने की इजाज़त मांगी तो सिद्धार्थ ने हल्के से सिर हिला दिया। वरूण ने सामने बैठे उस अधेड शख्स को देखकर कहा, “हाँ तो मिस्टर कटारिया, डील फाइनल करने से पहले आप जरा ये तो बताइए कि वो एंटोनियो रिज़ोर्ट आपने लिया कब था?”

    इस सवाल पर कटारिया थोडा हडबडा गया। सिद्धार्ड भी ठंडी नजरों से उसे घूर रहा था, वो बोला, “व्हॉट्स रोंग विद यू मिस्टर कटारिया! आप घबरा क्यों गए?”

    कटारिया जबरदस्ती मुस्कुराकर मना करते हुए बोला, “नही, वो मैं..घबरा नही रहा बस...ये सोच रहा था कि आप क्यों जानना चाहते हैं ये सब?”

    वरूण हल्के से हँसकर बोला, “कमाल करते हैं आप कटारिया साहब! इस डील का मेन पॉइंट तो वो एंटोनियो रिज़ोर्ट ही है, अब उसके बारे में सवाल नही करेंगे तो क्या आपकी बीवी के बारे में सवाल करेंगे?”

    उसके इस तंज पर कटारिया के जबडे भिंच गए। सिद्धार्थ ने भी वरूण को चुप रहने का इशारा किया और कटारिया से बोला, “देखो, मुझे इस डील से रिलेटिड सारी इन्फोर्मेशन चाहिए और..इस गलतफहमी में मत रहना कि अगर आप बताएंगे नही तो मुझे कुछ पता नही चलेगा, मेरे डैड से आपके कितने अच्छे रिलेशन हैं मुझे सब पता है, आपकी लालची बेटी ने कॉलेज टाईम पर मेरे आगे-पीछे कितने चक्कर लगाएं हैं ये भी मुझको अच्छे से याद है..”

    कटारिया अब गुस्से में खडा होकर बोला, “इन सबमें मेरी बेटी को बीच में मत लाओ।”

    सिद्धार्थ की नजरें सख्त हो गईं। वरूण तुरंत कटारिया के सामने आकर बोला, “सर किसी को बीच में नही ला रहे बल्कि जो सच है वो बता रहे हैं, और जहाँ तक हमें लगता है ये सच आप भी जानते हैं बस मानना नही चाहते। चलिए अब छोडिए इन बातों को, अगर आपको सचमुच हमारे साथ काम करना है तो ईमानदारी से कीजिए वरना यहाँ से दफा हो जाइए।” उसने कटारिया को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

    कटारिया ने सिद्धार्थ को गुस्से भरी लाल निगाहों से घूरा। सिद्धार्थ की नजरें भी लाल और सख्त थीं लेकिन वो खामोश था। उसकी ये खामोशी साधारण नही थी, लेकिन कटारिया इस बात से अंजान था। आखिर में वो वहाँ से चला ही गया।

    उसके जाने के बाद वरूण ने सिद्धार्थ की तरफ देखा और कहा, “काम डाउन सर, ऐसे लोगों पर ज्यादा ध्यान नही देना चाहिए।”

    सिद्धार्थ भी बेपरवाह होकर बोला, “मैं ध्यान दे भी नही रहा, तुम जाओ यहाँ से।”

    वरूण हल्की सी नजरें सिकोडकर बोला, “व्हॉट सर?”

    सिद्धार्थ उसकी तरफ देखकर थोडा तेज आवाज में बोला, “आई सेड लीव मी अलोन फोर दिस टाईम, अंडरस्टैण्ड!”

    वरूण जाना नही चाहता था इसलिए मना करने लगा, “नो सर मैं...”

    सिद्धार्थ ने उसे सख्त निगाहों से घूरा तो वरूण ने बेमन से सिर हिला दिया और वहाँ से चला गया। उसने दरवाजा भी बंद कर दिया।

    बाहर आकर वरूण को उस कटारिया पर बेहद गुस्सा आ रहा था।

    “उस बुड्ढे के कारण सर अपसेट हो गए, सोचा था यहाँ मीटिंग के बाद साथ में थोडा टाईम सर के साथ बिताऊँगा, लेकिन शायद मेरी किस्मत में ही ये सब नही है, हमेशा कुछ ना कुछ हो जाता है और सर खुद को अकेला छोड देने के लिए कह देते हैं, कभी ये नही देखते कि मैं भी तो अकेला हूँ।” आँखों में आँसू लिए वो वहाँ से चल दिया।

    जारी है......

  • 2. Devil's Crazy Love - Chapter 2

    Words: 907

    Estimated Reading Time: 6 min

    क्लब के दूसरे हिस्से में बडे से डांस फ्लोर पर कई लडके-लडकियां बाहों में बाहें डाले डांस कर रहे थे।

    “ये सब क्या है अहान?” एक 18 साल के क्यूट से लडके ने चारों ओर देखकर अपने दोस्त से पूछा।

    उसका दोस्त अहान जो कि उसी का उम्र का था, वो चारों ओर देखकर मुस्कुराते हुए बोला, “ये जन्नत है रिया।”

    “मेरा नाम रिया नही रियांश है।” वो लडका चिढकर बोला।

    अहान हँसकर उसके गले में हाथ डालकर कहने लगा, “क्या फर्क पडता है, तुझ पर रिया भी सूट करता है।”

    रियांश ने चिढकर उसका हाथ हटाया और कहा, “लेकिन मुझको ये क्लब सूट नही करेगा, चल यहाँ से।” वो जाने लगा तो अहान उसका हाथ पकडते हुए बोला, “अरे अरे, थोडी देर रुक तो सही, जब आए हैं तो कीमत वसूल करके ही जाएंगे।”

    रियांश नासमझी भरे भाव से उसे देखकर बोला, “कैसी कीमत?”

    अहान ने चारों तरफ नजरें घुमाते हुए कहा, “इस क्लब में आने की कीमत।”

    रियांश थोडा नापसंदगी भरे भाव से बोला, “तो मैंने तो नही कहा था तुझसे, तुझे ही फिजूलखर्ची करने का शौक चढा है, और चढे भी क्यों ना, तेरे पापा रिच हैं तुझे तो शौक होंगे ही, लेकिन मैं तो अनाथ हूँ ना...”

    अहान तुरंत उसके मुहँ पर हाथ रखते हुए बोला, “खबरदार जो खुद को अनाथ कहा तो, तेरा ये यार है तो सही तेरे पास, जो मेरा है वो सब तेरा है, यहाँ तक कि मैं भी...”

    रियांश ने उसका हाथ अपने मुहँ पर से हटाकर कहा, “नही अहान, मैं तुझे उस नजर से नही देखता, तू बस दोस्त है मेरा।”

    अहान भी अब थोडा मुस्कुराकर बोला, “अच्छा चल दोस्त ही सही, दोस्ती के नाते ही रुक जा मेरे साथ, थोडा इंजॉय करके चले जाएंगे।”

    अब जाकर रियांश भी उसकी बात मान गया। वो दोनों बार काउंटर पर चले गए। अहान ने जैसे ही वाइन मंगाई रियांश तुरंत बोला, “ये क्या कर रहा है, हम ड्रिंक नही करेंगे।”

    अहान हल्के से हँसकर बोला, “डोंट वरी रिया, तू नही ओनली मैं।”

    रियांश अब भी मना करते हुए बोला, “बिल्कुल नही, अगर तूने ड्रिंक की तो तेरी-मेरी दोस्ती खत्म।”

    अब अहान ने भी उसकी बात मान ली। तभी उसका फोन बजा। उसने नाम देखा और रियांश से बोला, “तू थोडी देर यहीं रुक मैं बहाने बनाकर आता हूँ।” वो फोन कान पर लगाए थोडी दूरी पर चला गया।

    रियांश ने ना में सिर हिला दिया, “ये और इसके बहाने, एक तो अंकल जी चिंता करते हैं और ये बहाने बना रहा है, यही बोलेगा कि दोस्त के साथ ग्रुप स्टडी कर रहा हूँ, जबकि दोस्त को तो जबरदस्ती यहाँ क्लब ले आया, ये आजकर बहुत बिगडता जा रहा है।”

    “बिगड तो हम भी रहे हैं आजकल” पीछे से किसी सनकी पियक्कड ने रियांश के कंधे पर सिर टिकाते हुए कहा।

    रियांश ने घबराकर उसका सिर झटका और सामने विहान को आवाज लगाने को हुआ लेकिन वहाँ तो विहान था ही नही। शायद म्यूजिक के शोर के कारण बाहर चला गया था।

    वो पियक्कड रियांश के करीब बढने की कोशिश करते हुए बोला, “मेरे को झटका दिया तूने, चिकने! अभी बताता हूँ तेरे को...” वो रियांश पर गिरने को हुआ तो रियांश साइड हट गया और वो पियक्कड काउंटर पर गिर गया। रियांश वहाँ से भाग गया। वो पियक्कड भी उसके पीछे भागा।

    उन दोनों के भाग जाने के बाद सिद्धार्थ का सेकेट्री वरूण उदास चेहरा लेकर खोया हुआ सा बार काउंटर पर आया और एक बीयर मांगी। इतने में ही अहान वहाँ पर आया और रियांश को ना पाकर वहाँ खडे वरूण से बोला, “ऐ मिस्टर, क्या तुमने मेरे दोस्त को देखा?”

    वरूण बीयर का गिलास मुहँ से लगाते हुए बोला, “मैं क्यों देखने लगा तुम्हारे दोस्त को?”

    अहान थोडा चिढकर बोला, “अरे देखने से मतलब, वो अभी यहाँ खडा था, अब तुम आ गए, वो कहाँ गया?”

    वरूण ने गिलास खाली करके काउंटर पर रखा और अहान से बोला, “वाह रे आजकल के नन्हे-मुन्ने लडकों! हैंडसम लडका देखा नही कि बात करने का बहाना ढूंढते हो।”

    “ज़बान संभालकर बात करो” अहान ने उसे उंगली दिखाई तो वरूण उसकी उंगली पकडकर बोला, “तू उंगली संभालकर बात कर वरना तोड दूंगा।” उसने उंगली मोडी तो अहान दर्द से चिल्ला दिया।

    तभी उस काउंटर पर शराब दे रहा लडका उससे बोला, “अरे आप लोग यहाँ मत लडो और वो लडका जिसके बारे में तुम पूछ रहे हो वो अभी एक पियक्कड से बचता हुआ भागा है।”

    अहान ने वरूण के हाथ पर काटा और अपनी उंगली उससे छुडाई। वरूण भी दर्द से अपना हाथ हिलाने लगा। अहान ने काफी चिंता और घबराहट में आकर उस लडके से कहा, “कहाँ भागा है वो?”

    उस लडके ने इशारा किया तो अहान भी उस तरफ भागने लगा लेकिन वरूण ने पीछे से अहान को कमर से पकडकर उठाया और काउंटर पर बिठा दिया।

    “मुझे इतनी आसानी से काटकर कैसे भाग रहा है? पहले हिसाब तो पूरा करके जा” उसने अहान के हाथ पर काटने की कोशिश की तो अहान ने अपने पैर से जोरदार लात वरूण के पेट में मारी। वरूण लडखडाकर पीछे हुआ और अहान काउंटर पर से उतरकर भाग गया।

    वरूण अपना पेट पकडकर काउंटर से टिक गया। उसे देखकर काउंटर पर खडा वो लडका बोला, “आप उस लडके से ज्यादा स्ट्रोंग हो लेकिन शराब पीकर आपने गलती कर दी, तभी वो आपको हराकर चला गया।”

    वरूण ने उस लडके को घूरा और कहा, “वरूण प्रताप नाम है मेरा, इतनी आसानी से हार नही मानूंगा।” ये कहकर वो भी लडखडाता हुआ उस दिशा में चला गया जहाँ अहान गया था।

    जारी है.......

  • 3. Devil's Crazy Love - Chapter 3

    Words: 528

    Estimated Reading Time: 4 min

    इधर रियांश तो उस पियक्कड से बचता हुआ एक कमरे के सामने आ गया और अहान को कोसने लगा, “ये भी ना जाने कैसे नर्क में ले आया है मुझे, आज के बाद कभी बात नही करूँगा तुझसे।” उसे रोना भी आ रहा था और अहान पर गुस्सा भी आ रहा था।

    तभी वो पियक्कड उसे आता हुआ दिखा जिसे देख रियांश बुरी तरह डर गया। इस कॉरिडोर में इस वक्त कोई था भी नही। वो जल्दी से कमरे का दरवाजा खोल अंदर ही घुस गया।

    अंदर सोफे पर बैठा सिद्धार्थ वाइन का गिलास मुहँ से लगाए हुए था। उसने निगाह उठाकर दरवाजे की तरफ देखा तो रियांश को देखकर उसकी नजरें उसी पर ठहर गईं।

    रियांश ने जब उसे देखा तो ओर भी डर गया। वो तुरंत अपने कान पकडते हुए बोला, “सॉरी, मैं जानबूझकर नही आया, एक गुंडा मेरे पीछे पडा हुआ है, आप मुझे कुछ देर यहीं रहने दो, प्लीज़।”

    उसकी ऐसी डरी हुई मासूम सूरत देखकर सिद्धार्थ के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई। वो सोफे पर से उठा और उसकी तरफ बढ गया। उसे अपनी तरफ आता देख रियांश की साँसे अटक गईं, वो पीछे होने लगा और दीवार से सट गया। सिद्धार्थ ने उसके करीब आकर दीवार पर हाथ टिकाए और उस पर हल्का सा झुकते हुए बोला, “कुत्ते से बचकर शेर की गुफा में आए हो प्यारे!”

    रियांश ने हैरानी से आँखें बडी कर लीं। सिद्धार्थ उसके चेहरे पर झुका तो रियांश ने चेहरा तिरछा कर आँखें मींच लीं। ये देख सिद्धार्थ तिरछी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए बोला, “इस शेर को तुमसे ज्यादा कुछ नही चाहिए, बस कुछ पल के लिए एक छोटा सा प्यार भरा अहसास, जो शायद तुम्हारे सिवाय कोई नही दे सकता।” ये कहते हुए वो गंभीर और उदास हो गया।

    रियांश ने फिर भी उसकी तरफ नही देखा और ना ही आँखें खोलीं। उसकी हालत तो आसमान से गिरे खजूर में अटके जैसी हो गई थी। सिद्धार्थ के मुहँ से आती शराब की स्मैल भी उसका जी खराब कर रही थी। सिद्धार्थ ने रियांश के गाल पर हल्के से हाथ रख उसका चेहरा अपनी तरफ किया। रियांश की आँखें बंद थीं और उसके गुलाबी होंठ कांप रहे थे। उन्हें देख सिद्धार्थ का दिल मचल उठा, उसने अपने होंठ रियांश के होंठों पर रख दिए।

    रियांश की आँखें खुलीं और हैरानी से बडी हो गईं। उसने सिद्धार्थ के सीने पर हाथ से दबाव बनाकर उसे दूर करने की काफी कोशिश की लेकिन सिद्धार्थ जैसे स्ट्रोंग बंदे के सामने उसकी एक ना चली।
    सिद्धार्थ ने रियांश की कमर पर अपने हाथ लपेटकर उसे अपनी बाहों में जकड लिया था।

    ***********

    यहाँ बाहर अहान भी रियांश को ढूंढता हुआ उस कमरे के बाहर तक आ गया था।

    “कहाँ चली गई मेरी रिया?..मेरे यार, कहाँ है तू?” वो चारों ओर देखने लगा तभी उसकी नजर सामने से आते वरूण पर पडी जो लडखडाता हुआ वहीं आ रहा था। वो अहान को ही ढूंढ रहा था। उसे देख अहान का दिमाग बुरी तरह खराब हो गया, “ये ऐडा फौकट में ही मेरे पीछे पडा है, अभी अगर इससे भिडूंगा तो रिया को नही ढूंढ पाऊँगा, क्या करूँ?” वो जल्दी से वहाँ लगे एक पर्दे के पीछे छिप गया।

    जारी है.......

     

  • 4. Devil's Crazy Love - Chapter 4

    Words: 673

    Estimated Reading Time: 5 min

    यहाँ बाहर अहान भी रियांश को ढूंढता हुआ उस कमरे के बाहर तक आ गया था।

    “कहाँ चली गई मेरी रिया?..मेरे यार, कहाँ है तू?” वो चारों ओर देखने लगा तभी उसकी नजर सामने से आते वरूण पर पडी जो लडखडाता हुआ वहीं आ रहा था। वो अहान को ही ढूंढ रहा था। उसे देख अहान का दिमाग बुरी तरह खराब हो गया, “ये ऐडा फौकट में ही मेरे पीछे पडा है, अभी अगर इससे भिडूंगा तो रिया को नही ढूंढ पाऊँगा, क्या करूँ?” वो जल्दी से वहाँ लगे एक पर्दे के पीछे छिप गया।

    वरूण चलते हुए रुका और सिद्धार्थ के उस बंद कमरे को देखकर बोला, “आप तो अकेला रहना चाहते हैं, ठीक है! रहिए अकेले, नही है न मेरी जरूरत, मुझे भी नही है आपकी जरूरत, आई हेट यू।”

    उसे इस तरह बोलते देख अहान ने पर्दे के पीछे से झांका और मन में कहा, “ये उस दरवाजे की तरफ देखकर क्या बोल रहा है? कहीं इसका अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप तो नही हो गया? शायद इसीलिए बेचारा अपसेट था और देवदास बना हुआ था। बट जो भी बना हो, मेरा दुश्मन तो बन ही गया, अब अगर मैं इसे सिंपेथी देने भी जाऊँगा तो भी ये मुझे मेरे काटने के बदले सबक तो जरूर सिखाएगा, इससे तो दूरी ही भली।” वो फिर से वरूण को देखने लगा जो अब उस कमरे के दरवाजे से टिक कर खडा हो गया था।

    उसे देख अब अहान को चिढ मचने लगी, “ये जा क्यों नही रहा यहाँ से?”

    दरवाजे से टिक कर खडा वरूण अब मुस्कुराते हुए बोल रहा था, “तुम चाहे कितना भी दूर भेजो लेकिन हम दूर कभी नही जाएंगे, साथी भले ही ना समझे लेकिन हम साथ तो जरूर आएंगे।” कहते-कहते वो नीचे सरकने लगा और आखिर में गिर ही गया।

    ये देख पर्दे के पीछे खडा अहान चौंक गया। वो तुरंत दौडकर आया और वरूण के गाल थपथपाकर बोला, “हेय! क्या हुआ तुम्हें?”

    वरूण आधे होश में था। उसने अधखुली आँखों से अहान को देखा और बोला, “आ गया तू, चल तुझे सबक सिखाता...” इतना कहकर वो पूरी तरह बेहोश हो गया।

    तभी एक सर्विस बॉय वहाँ आ रहा था। उसे देख अहान ने कहा, “प्लीज़ मेरी हेल्प करो, इन्हें इस कमरे में पहुँचा दो।”

    सर्विस बॉय उस कमरे को देखकर बोला, “नो सर, यहाँ नही..ये सिद्धार्थ सिंघानिया का बुक किया हुआ रूम है।”

    अहान ने सिद्धार्थ का नाम तो सुना था पर उसे कभी देखा नही था, फिर उसने बेहोश वरूण को देखा, अब किसी को ये थोडे ही पता था कि ये सिद्धार्थ का सेकेट्री है। फिर कुछ सोचकर अहान ने उस सर्विस बॉय से कहा, “ओके, फिर इसे इस बगल वाले रूम में ले चलते हैं, वो तो खाली है न?”

    उस सर्विस बॉय ने भी सिर हिला दिया और वो दोनों वरूण को लेकर उस बगल वाले रूम में चले गए। वरूण को बेड पर लिटा दिया गया। सर्विस बॉय तो वहाँ से चला गया। अहान भी जाने वाला था लेकिन तभी....

    “आई लव यू माय सीदू बेबी!”

    उसे सुनकर अहान रुक गया और वरूण की तरफ देखने लगा जो अब बेड पर लेटा हुआ ये बडबडा रहा था। अहान के मन में जिज्ञासा बढ गई और वो बेड की तरफ जाने लगा ताकि आगे कुछ ओर सुनने को मिले।

    तभी उसे ध्यान आया रियांश का, “ओह गॉड! इस ऐडे के चक्कर में मैं अपनी रिया को तो भूल ही गया, वो तुरंत कमरे से बाहर भाग गया।

    *******

    इधर सिद्धार्थ ने रियांश को छोडा और मुस्कुराते हुए बोला, “यू आर रियली सो स्वीट! माय क्यूट बेबी!” उसने प्यार से रियांश के गाल को पिंच कर दिया। लेकिन रियांश की शक्ल तो अजीब सी उल्टी जैसी हो रही थी। सिद्धार्थ ने नजरें सिकोडकर उसे देखा, वो कुछ कह पाता उससे पहले ही रियांश ने सिद्धार्थ के मुहँ पर ही उल्टी कर दी।

    सिद्धार्थ की आँखें मिंच गईं। ये देख रियांश घबरा गया और तुरंत उसे खुद से दूर धकेलकर दरवाजा खोलने लगा। उसने जल्दी से दरवाजा खोला और बाहर भाग गया। सिद्धार्थ भी अजीब सी शक्ल बनाए वॉशरूम की तरफ भाग गया।

    जारी है.......

     

  • 5. Devil's Crazy Love - Chapter 5

    Words: 823

    Estimated Reading Time: 5 min

    रियांश घबराकर कमरे से बाहर आ गया और उस कोरिडोर में भागने लगा। अहान भी उसी कोरिडोर में चल रहा था। जब पीछे उसने किसी को दौडने की आवाज सुनी तो रुक गया। उसने पलटकर देखा तो रियांश घबराया हुआ सा दौडकर आ रहा था। उसे देख अहान एक पल के लिए चौंका फिर राहत से मुस्कुरा दिया, “रिया!” वो दौडकर उसके पास गया और रियांश को गले से लगा लिया।

    रियांश की जान में जान तो आई लेकिन फिर उसे अहान पर गुस्सा आ गया। वो उसकी पीठ पर हाथ मारते हुए बोला, “मर गई रिया! छोड मुझे, आई हेट यू।” वो उसे खुद से दूर कर कॉरिडोर से बाहर निकल गया।

    अहान भी अफसोस भरे भाव से बोला, “लगता है उस पियक्कड ने काफी दौडाया है इसे, तभी मुझ पर गुस्सा उतार रहा है, मुझे मनाना पडेगा, रिया!” वो उसे पुकारता हुआ उसके पीछे भागा।

    इधर सिद्धार्थ वॉशरूम में से बाहर निकला और अपना चेहरा टॉवल से पोंछने लगा। सारा नशा एक झटके में उतर चुका था। उसने अपने बालों को हाथों से ही सेट किया और दरवाजे की तरफ जाते हुए बोला, “आखिर वो था कौन?”

    उसने दरवाजा खोला और बाहर आ गया। पूरा कोरिडोर खाली था। सिद्धार्थ ने अब कुछ सोचकर अपना फोन निकाला और वरूण को लगा दिया।

    देखा मैंने देखा जब से तुझको देखा

    कुछ भी ना सोचा ना समझा दिल दे दिया रे

    हो गया रे हो गया मुझको तो प्यार रे

    वरूण के फोन की ये रोमांटिक रिंगटोन सिद्धार्थ को आसपास ही कहीं सुनाई दे रही थी। वो कान पर से फोन हटाकर अपने चारों ओर देखते हुए बोला, “वरूण! यहीं-कहीं है क्या? वरूण!” वो रिंगटोन का पीछा करते हुए बगल वाले रूम के दरवाजे तक पहुँचा।

    “आवाज तो इस रूम के अंदर से आ रही है।”

    दरवाजा आधा खुला ही था इसलिए आवाज आ रही थी। सिद्धार्थ उस रूम के अंदर पहुँचा। सामने बेड पर वरूण नशे में बेहोश पडा हुआ था। जेब में रखा उसका फोन अब भी बज रहा था। सिद्धार्थ ने फोन कट करके फिर से अपनी जेब में डाला और ना में सिर हिलाकर बोला, “नही गया छोडकर, ये किसी दिन बहुत पछताएगा” वो बेड की तरफ आया और सोए वरूण को देखते हुए बोला, “सौतेला ही सही, भाई तो है! पता नही कब समझेगा?” उसने वरूण के बालों पर प्यार से हाथ फेर दिया और वहाँ रखी चादर उसे ओढा दी।


    रियांश काफी गुस्से में उस क्लब से बाहर निकला। पीछे-पीछे अहान भी उसे पुकारता हुआ आ रहा था।

    “रुक जा रिया! प्लीज़ मेरी बात तो सुन!”

    रियांश ने कुछ नही सुना और सडक किनारे आकर टैक्सी रुकाने के लिए हाथ दिखाने लगा। अहान ने आकर उसका हाथ पकडा और कहा, “मेरे होते हुए तू टैक्सी में क्यों जाएगा? हम अपनी बाईक से जाएंगे।” उसने वहाँ खडी बाईक की तरफ इशारा किया।

    रियांश अपना हाथ छुडाते हुए बोला, “नही, अब मैं तेरे साथ कहीं नही जाऊँगा, यहाँ आकर ही पछताया।”

    अहान अब उसके सामने कान पकडकर खडा हो गया, “सॉरी यार, इस बार माफ कर दे, तेरी कसम खाता हूँ अब तुझे यहाँ या फिर ऐसी किसी भी जगह लेकर नही जाऊँगा, जहाँ भी जाएंगे वो जगह तू डिसाइड करेगा।”

    रियांश दूसरी तरफ मुहँ किए खडा था और अहान कान पकडकर रिक्वेस्ट करने में लगा था, उससे माफी मांग रहा था। आखिर में रियांश ने उसे माफ करते हुए कहा, “ठीक है, माफ किया।”

    अहान खुश होकर उसके गले से लिपट गया, “मैं जानता था, मेरा यार ज्यादा देर तक मुझसे नाराज नही रह सकता, आई लव यू।”

    रियांश भी उस पर हाथ रखते हुए बोला, “अगर यार मानकर ही आई लव यू बोला है तो जवाब दूंगा, वरना नही।”

    अहान ने भी बोल दिया, “हाँ यार, यही समझ ले, तेरे साथ इस चीज के लिए जबरदस्ती ना तो कभी पहले की थी और ना ही कभी आगे करूँगा, अगर तेरा दिल मुझे चाहेगा तो तू अपने-आप मुझे मिल जाएगा।”

    रियांश उससे अलग होकर बोला, “दिल तो तुझे चाहता है लेकिन ये आँखें तुझे उस नजर से नही देखतीं जो तू चाहता है, मैं प्यार भी तुझसे बहुत करता हूँ लेकिन एक सच्चे दोस्त की तरह।” ये कहते हुए रियांश ने अहान का हाथ थाम लिया। अहान भी नम आँखों से मुस्कुरा दिया और फिर से उसके गले लग गया।

    उसके बाद वो दोनों बाईक पर बैठकर वहाँ से निकल गए।

    यहाँ सिद्धार्थ ने क्लब के अंदर सीसीटीवी फुटैज खंगालने शुरू कर दिए। उसे पता लगाना था कि आखिर वो कौन था जो उस पर उल्टी कर गया?

    उसे पता चल भी गया। उसने जूम करने को कहा और पूरी स्क्रीन पर रियांश की पिक्चर आ गई। उसे देख सिद्धार्थ के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ गई। सिद्धार्थ ने वहाँ खडे अपने बॉडीगार्ड से कहा, “मुझे इस लडके की पूरी इंफोर्मेशन चाहिए।”

    “ओके सर!” गार्ड ने सिर झुकाकर उसका हुक्म मान लिया और वहाँ से चला गया।

    आज की रात सिद्धार्थ इसी क्लब में रुका। वो उसी कमरे में चला गया जहाँ वरूण सोया हुआ था।

    जारी है.......

  • 6. Devil's Crazy Love - Chapter 6

    Words: 583

    Estimated Reading Time: 4 min

    आज की रात सिद्धार्थ इसी क्लब में रुका। वो उसी कमरे में चला गया जहाँ वरूण सोया हुआ था।

    इधर अहान ने रियांश को पहले उसके हॉस्टल छोडा फिर अपने घर को निकल गया। उसने रियांश से कई बार कहा था कि वो उसके घर में पेईंग गेस्ट बन जाए लेकिन रियांश ने ही मना कर दिया।

    रात के बारह बज रहे थे। रियांश जब हॉस्टल के अंदर आया तो वहाँ के वार्डन मिस्टर जेम उसके सामने खडे थे। उनकी नजरें काफी सख्त थीं। वे पैंतीस साल के थे और दिखने में काफी हैंडसम थे। नजर का गोल चश्मा भी लगाते थे। उन्हें देखकर रियांश सहम गया और जहाँ था वहीं रुक गया।

    “इतनी रात में कहाँ से आ रहे हो?”

    रियांश कभी झूठ नही बोलता था इसलिए उसने नजरें झुकाकर सच बोल दिया, “सर..वो..मेरा फ्रेंड आया था, उसने कहा कि आज कहीं घूमने चलते हैं, मैं जा भी नही रहा था पर उसने जबरदस्ती की....”

    “मुझे इन सब बातों से कोई लेना-देना नही, मेरे ऊपर इस पूरे हॉस्टल की रिस्पॉन्सिबिलिटी है, आठ बजे के बाद कोई भी स्टुडेंड यहाँ से बाहर नही जाएगा ऐसा रूल बनाया था मैंने लेकिन आज तुमने उसे तोड दिया, मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल नही थी।”

    “सॉरी सर!” रियांश ने सिर झुका लिया।

    “व्हॉट सॉरी! तुम रात के बारह बजे वापस आ रहे हो, अभी अगर कोई घटना हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा?..भले ही मुझे सुनाने के लिए तुम्हारे माँ-बाप ना हों लेकिन इस हॉस्टल का नाम तो खराब हो ही जाएगा, साथ में मेरा भी।”

    माँ-बाप नही हैं ये सुनकर रियांश की आँखों में आँसू आ गए। ये देख मिस्टर जेम थोडा नरम पड गए। वो उसके पास आए और बोले, “तुम जो लाईफ जी रहे हो वही लाईफ मैंने भी जी है, अकेले।”

    रियांश ने आँसू भरी नज़रें उठाकर उन्हें देखा तो मिस्टर जेम ने उसके आँसू पोंछते हुए कहा, “पिता, बडा भाई जो चाहे मानो लेकिन आज के बाद मेरे बनाए हुए रूल्स कभी मत तोडना वरना मुझे तुम्हें पनिश करना पडेगा।” इतना कहकर वो वहाँ से चले गए।

    रियांश उन्हें जाते देख अपनी नम आँखों से मुस्कुराने लगा। भले ही वो सख्त मिजाज के थे लेकिन जो कहते थे उसमें भलाई ही छिपी होती थी। रियांश भी जानता था कि गलती उसकी ही थी, अहान के साथ उसे नही जाना चाहिए था। लेकिन अब तो अहान भी सॉरी बोल चुका था फिर उसे क्या दोष देना?


    यहाँ अहान को दोष देने के लिए उसके पिता गजेन्द्र चौहान ही काफी थे।

    “पढाई-लिखाई तो कुछ करनी नही बस यूं आवाराओं की तरह घूमना है तुम्हें।”

    अहान बेपरवाही भरे भाव से बोला, “मैंने कहा तो था कि मैं ग्रुप स्टडी करने जा रहा हूँ।”

    गजेन्द्र ने उसे पकडकर अपनी ओर घुमाते हुए कहा, “मेरी शक्ल पर बेवकूफ नही लिखा हुआ, पिता हूँ तुम्हारा, तुम कहाँ गए थे मुझे सारी खबर मिल गई है?”

    अहान भी बोल पडा, “जब खबर मिल गई है तो पूछ क्यों रहे हैं?”

    “ये देखने के लिए कि तुम्हारे झूठ की कोई हद है या नही?”

    “अगर आप कैद करके रखना चाहेंगे तो झूठ तो बोलना ही पडेगा।”

    गजेन्द्र उसे झट से छोडते हुए बोले, “मैं कोई कैद करके नही रख रहा हूँ, बस हमेशा ये चाहता हूँ कि अच्छे से पढो-लिखो और....”

    “और आपका बिजनेस संभालूं, लेकिन मैं पहले ही कह चुका हूँ, मुझे उसमें कोई इंटरेस्ट नही है, आपका बिजनेस आपको ही मुबारक।” ये सब कहकर अहान सीढियों की तरफ बढ गया और ऊपर जाकर अपने कमरे में चला गया।

    गजेन्द्र निराश भाव से उसे देखते रहे।

    जारी है........

  • 7. Devil's Crazy Love - Chapter 7

    Words: 786

    Estimated Reading Time: 5 min

    अगली सुबह वरूण की आँखें खुली तो उसने देखा साइड में ही सिद्धार्थ बैठे-बैठे सो रहा था। उसे देख वरूण की आँखों में चमक आ गई और होंठों पर हैरानी भरी मुस्कान।

    “सीदू बेबी! यहाँ क्या कर रहे हैं?” वरूण ने उसे देखकर पूरे कमरे में नजर घुमाई क्योंकि ये वो कमरा तो नही था जहाँ वो सिद्धार्थ को छोडकर आया था।

    वरूण ने दिमाग पर जोर डाला और याद करने लगा कि कल रात वो इस कमरे में कैसे आया? उसे याद भी आने लगा कि कल रात उसकी एक लडके से लडाई हुई थी फिर वही लडका सर्विस बॉय की हेल्प लेकर उसे यहाँ लाया। हो सकता है सिद्धार्थ वरूण को ढूंढने निकला हो और यहाँ आ गया हो। यही सोचकर वरूण ने एक बार फिर सिद्धार्थ को देखा और नम आँखों से मुस्कुराते हुए बोला, “आप भले ही दिखाते नही हो लेकिन आपको मेरी बहुत परवाह है।” वो सिद्धार्थ की तरफ बढ गया।

    सिद्धार्थ अभी नींद में ही था। वरूण ने उसके चेहरे को प्यार से निहारा और उसके होंठों पर उसकी नजरें ठहर गईं। वरूण ने आगे बढकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।

    सिद्धार्थ ने एकदम से आँखें खोली और तुरंत उसे खुद से दूर कर दिया। वरूण कुछ बोलने को हुआ इतने में ही सिद्धार्थ ने उसे जोरदार चांटा लगा दिया।

    “ये क्या हरकत है?”

    वरूण का चेहरा तिरछा हो गया और उसकी आँखों से आँसू निकल आए। सिद्धार्थ बेड पर से उठा और उससे बोला, “आज मैं तुझसे साफ-साफ कह देता हूँ, तेरे और मेरे बीच वो रिश्ता नही बन सकता जो तू चाहता है, सौतेला ही सही लेकिन तू मेरा भाई है और मैंने हमेशा उसी नजर से तुझे देखा है, अब अगर फिर कभी तूने ऐसी बेहूदा हरकत मेरे साथ की तो मैं ये रिश्ता भी खत्म कर दूंगा।” काफी गुस्से में ये सब कहकर वो कमरे से बाहर निकल गया।

    वरूण की आँखों में आँसू भी थे और गुस्सा भी।
    “ये सब उस कुतिया के कारण हो रहा है, उसने हमेशा अपने बारे में सोचा और मेरी लाईफ बर्बाद कर दी।”

    तभी उसका फोन बजा। उस पर जो नंबर था उसे देख वरूण ने अपने आँसू पोंछे और कान पर लगा लिया।

    “हैप्पी बर्थ डे मेरे बच्चे!” दूसरी तरफ से आवाज आई।

    यह आवाज सुनकर वरूण नम आँखों से भी मुस्कुरा दिया, “थैंक्स नानी!”

    “आज अपनी नानी से मिलने आएगा न?”

    वरूण बडी मुश्किल से अपनी रुलाई को रोकते हुए बोला, “हाँ नानी, आऊँगा।”

    “आज मैं सब-कुछ तेरी पसंद का बनाकर रखूंगी।”

    वरूण ने भी मुहँ पर हाथ रखते हुए हाँ में सिर हिला दिया और बडी मुश्किल से बोला, “नानी यहाँ आवाज थोडा कट-कट के आ रही है, बाद में बात करते हैं।”

    “ओके बेटा!” नानी ने फोन काट दिया। वरूण ने भी फोन रख दिया। उसने अपने गाल पर हाथ लगाया और सिद्धार्थ को याद करके बोला, “बहुत अच्छा गिफ्ट दिया मुझे बर्थ डे का, इसी लायक हूँ मैं।”


    सिद्धार्थ उस क्लब से बाहर निकला और अपनी कार में जाकर बैठ गया। वरूण की गई हरकत से उसका दिमाग काफी खराब हो चुका था। उसने उस पर हाथ उठा दिया, इस बात का बुरा तो सिद्धार्थ को भी लगा लेकिन उसकी हरकत ही ऐसी थी, क्या करता सिद्धार्थ? आगे चलकर उसका दिल टूटे इससे तो पहले ही क्लीयर कर दो, जो आज सिद्धार्थ ने कर दिया था।

    सिद्धार्थ ने कार स्टार्ट की और सडकों पर भगा दी।

    “चाहे तू जैसे भी मिला हो लेकिन एक भाई की कमी तो पूरी हो ही गई थी, डैड का साथ कभी नही मिला, सोचा था भाई तो साथ देगा ही, साथ तो दिया तूने लेकिन भाई बनकर नही...क्यों नही समझता तू?” तभी उसका फोन बजा। सिद्धार्थ ने स्क्रीन पर देखा तो चेहरे पर कठोर भाव आ गए। उसने कॉल कट कर दिया और सामने देखकर ड्राईव करने लगा।

    तभी उसका फोन फिर से बजा। इस बार नोटिफिकेशन आया था। सिद्धार्थ ने उसे खोलकर देखा तो उसकी सौतेली माँ यानी वरूण की माँ का मैसेज था। उसमें लिखा था....

    “वरूण तुम्हारे साथ है क्या?”

    सिद्धार्थ ने उसमें नो लिखकर सेंड कर दिया। फिर से मैसेज आया जिसमें लिखा था.....

    “वो मेरा फोन नही उठा रहा, तुम उसे फोन करके मेरी तरफ से बर्थ डे विश कर दो, और अगर हो सके तो आज शाम को उसे घर ले आओ, प्लीज़।”

    ये मैसेज पढकर सिद्धार्थ की आँखें बडी हो गईं और उसने तुरंत कार रोक दी।

    “ओह गॉड! ये क्या किया मैंने?..आज वरूण का बर्थ डे है और मैंने उसे....” सिद्धार्थ को बेहद अफसोस हुआ कि आज वरूण के बर्थ डे वाले दिन उसे विश करना तो दूर की बात सिद्धार्थ ने उसे थप्पड मार दिया।

    सिद्धार्थ ने तुरंत कार को दुबारा घुमाया क्योंकि उसे उम्मीद थी कि वरूण अब भी उस क्लब में ही मिलेगा।

    जारी है.........

  • 8. Devil's Crazy Love - Chapter 8

    Words: 520

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिद्धार्थ ने तुरंत कार को दुबारा घुमाया क्योंकि उसे उम्मीद थी कि वरूण अब भी उस क्लब में ही मिलेगा।

    लेकिन ऐसा तो नही था। वरूण उस क्लब से बाहर निकल गया था और टैक्सी रुकवाकर अपनी नानी के घर जाने के लिए निकल गया था।

    इधर रियांश भी कॉलेज जाने के लिए हॉस्टल से बाहर निकला। उसने येलो टीशर्ट पर नीली जींस पहनी हुई थी जिसमें वो काफी क्यूट लग रहा था। तभी अहान का फोन आया, रियांश ने उसे उठाया तो दूसरी तरफ से विहान बोला, “सॉरी रिया, आज मैं आने में थोडा लेट हो जाऊँगा, पडोस वाली आंटी का डॉगी बीमार हो गया है और उनके घर में इस वक्त कोई है नही जो उसे डॉक्टर के पास ले जाए, मैं उनकी हेल्प करने जा रहा हूँ।”

    रियांश ने भी मुस्कुराकर कह दिया, “ओके! तू आराम से जा, और मेरी चिंता मत कर मैं कॉलेज चला जाऊँगा।”

    अहान भी बोला, “ध्यान से जइयो और कॉलेज पहुँचकर एक बार मुझे कॉल कर लेना, या फिर मैसेज ही कर देना।

    रियांश ने भी सिर हिलाकर ओके कह दिया और फोन अपनी जेब में रख लिया। उसे अहान की यही बात बहुत अच्छी लगती थी, वो चाहे कैसा भी बिगडा हुआ था लेकिन जरूरतमंद की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहता था। रियांश का कॉलेज उसके हॉस्टल से ज्यादा दूर तो नही था लेकिन बीच में सुनसान सडक पडती थी इसलिए विहान उसे अपने साथ बाईक पर ले जाता था। रियांश ने सोचा कि इतनी सी दूर के लिए क्या टैक्सी करना, पैदल ही चलते हैं।

    इधर सिद्धार्थ वापस क्लब की तरफ आ रहा था। तभी उसने मिरर में देखा एक ब्लैक कलर की कार काफी देर से उसका पीछा कर रही थी। सिद्धार्थ की नजरें छोटी हो गई और उसने कार की स्पीड बढा दी। उस कार की स्पीड भी बढ गई। सिद्धार्थ ने अपनी कार को आगे से राइट मोड लिया। ब्लैक कार भी उसे फोलो करते हुए मुड गई।

    “लगता है मरने की बहुत जल्दी है इन कमीनों को, मुझसे ये पाप करवाए बिना मानेंगे नही।” सिद्धार्थ ने मिरर में देखते हुए ही ये कहा और कार की स्पीड ओर भी तेज कर ली।

    ब्लैक कलर की कार भी फुल स्पीड में दौडते हुए उसकी कार के पास आ गई और उसे टेकओवर करते हुए आगे आकर खडी हो गई। सिद्धार्थ ने भी अपनी कार नही रोकी और फुल स्पीड में कार दौडाते हुए उस कार को टक्कर मार दी। वो कार रोल होती हुई कच्चे रास्ते पर उतर गई और एक पेड से टकरा गई।

    सिद्धार्थ ने कार रोकी और फीका सा मुस्कुरा दिया तभी अचानक से एक ओर कार ने आकर सिद्धार्थ की कार को टक्कर मार दी। सिद्धार्थ स्टेयरिंग संभालने की पूरी कोशिश करने लगा और संभल भी गया क्योंकि टक्कर ज्यादा तेज नही थी।

    तभी उस पीछे वाली कार का दरवाजा खुला और कुछ माफिया टाइप के लोग काले कपडे पहने बाहर निकले। सबके हाथ में बंदूके थीं। उन सबने मिलकर सिद्धार्थ की कार को चारों ओर से घेर लिया। आखिर में कटारिया बाहर निकला और सिद्धार्थ की कार के पास विंडो को नॉक करते हुए बोला, “मिस्टर सिद्धार्थ सिंघानिया!”

    जारी है........

  • 9. Devil's Crazy Love - Chapter 9

    Words: 677

    Estimated Reading Time: 5 min

    पीछे वाली कार का दरवाजा खुला और कुछ माफिया टाइप के लोग काले कपडे पहने बाहर निकले। सबके हाथ में बंदूके थीं। उन सबने मिलकर सिद्धार्थ की कार को चारों ओर से घेर लिया। आखिर में कटारिया बाहर निकला और सिद्धार्थ की कार के पास विंडो को नॉक करते हुए बोला, “मिस्टर सिद्धार्थ सिंघानिया!”

    सिद्धार्थ ने विंडो खोली। कटारिया अपने चेहरे पर जलील मुस्कान लाते हुए बोला, “तुम्हें क्या लगा था? मैं इतनी आसानी से तुम्हें जाने दूंगा, नेवर!”

    सिद्धार्थ ठंडी नजरों से उसे घूरते हुए बोला, “और तुम्हें क्या लग रहा है, मैं इतनी आसानी से तुम्हें छोड दूंगा।” उसने कटारिया का हाथ मजबूती से पकडकर विंडो को फिर से बंद कर दिया जिसमें उसका हाथ फंस कर रह गया।

    “आआआआ...!” कटारिया जोर से चींखा और सिद्धार्थ ने कार आगे भगा दी। कटारिया घिसटते हुए उसके साथ-साथ दौडने लगा। उसके आदमी भी गोलियां चलाते हुए उसकी तरफ दौडे। सिद्धार्थ भी ड्राईव करते हुए गोलियां चला रहा था। सामने से गोली चली तो उसकी कार का काँच फूट गया लेकिन सिद्धार्थ नीचे झुक गया। जिस तरफ कटारिया था उस तरफ कोई गोली नही चला रहा था इसलिए सिद्धार्थ भी बेफिक्र होकर दूसरी तरफ गोलियां चलाकर अपना बचाव कर रहा था।

    आखिर में सिद्धार्थ ने कार रोकी और बंदूक लिए बाहर निकला। उसने कटारिया की गर्दन में हाथ फंसाकर उसके सिर पर बंदूक रखी और तेज आवाज में बोला, “अब अगर किसी ने भी गोली चलाई तो मैं इसकी खोपडी उडा दूंगा।”

    कटारिया का हाथ अब भी उस विंडो में फंसा हुआ था और वो बेहोश जैसा हो गया था, उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे अभी किसी भी वक्त दम तोड देगा।

    बेचारा रियांश उसी रास्ते से कॉलेज के लिए जा रहा था लेकिन ये सब होता देख उसकी साँसे अटक गईं और वो वहीं एक खंभे के पास खडा हो गया। सिद्धार्थ को देखकर उसकी आँखें डर से बडी हो गईं और उसने अपने होंठों पर हाथ रख लिए, “ये तो वही है जिसने कल मुझे...”

    तभी सिद्धार्थ की नजर भी सामने खंभे के पास खडे रियांश पर पड गई। रियांश ने जब उसे अपनी तरफ देखता पाया तो उल्टे पैर वहाँ से भागने लगा।

    सिद्धार्थ ने सख्त आवाज़ में कटारिया के आदमियों से कहा, “अगर अपनी और अपने बॉस की खैरियत चाहते हो तो चुपचाप यहाँ से चले जाओ।”

    वो सारे अपने बॉस की हालत देखकर पहले ही डरे हुए थे और अब सिद्धार्थ की इस धमकी से ओर भी ज्यादा घबरा गए। वे सभी एक-एक करके वहाँ से जाने लगे। उनके जाने के बाद सिद्धार्थ ने कटारिया की तरफ देखा जो अधखुली आँखों से उसे देख रहा था। सिद्धार्थ ने उसके सिर पर बंदूक रखे हुए ही कहा, “जो एक बार में ना समझे सिद्धार्थ सिंघानिया उसे दूसरा मौका नही देता।” उसने ट्रिगर पर उंगली रखी जिसे देख कटारिया डर के मारे ना में गर्दन हिलाने लगा, “नहीईईईईईईई...!”

    उसकी चींख और गोली की आवाज एक-साथ उस सुनसान इलाके में गूंज गई।

    सिद्धार्थ ने उसका हाथ विंडो से बाहर निकाला और अपनी कार में ही उसे धकेल दिया। उसने कार में ना जाने क्या किया और वहाँ से चल दिया। कुछ देर बाद वो कार अपने-आप ही ब्लास्ट हो गई। पीछे आग का गुबार उठ रहा था और सिद्धार्थ एकदम बेपरवाह होकर चले जा रहा था।

    *************

    ऐसा नही था कि कटारिया ने केवल सिद्धार्थ पर ही हमला करवाया हो। वरूण के साथ भी उसने ऐसा ही किया। वो अपनी नानी के यहाँ जा रहा था लेकिन कटारिया ने रास्ते में ही अपने गुंडे उसके पास भेज दिए।

    वरूण और उन गुंडों के बीच जबरदस्ती फाईट चल रही थी। वे लोग गिनती में सात-आठ तो होंगे ही। सब के सब एक-साथ मिलकर वरूण को पीटे जा रहे थे। काफी हद तक वरूण घायल हो चुका था।

    तभी अहान वहाँ से बाईक लेकर गुजर रहा था लेकिन जब उसने वरूण को इस तरह पिटता देखा तो रुक गया और हैरत भरे भाव से बोला, “अरे ये तो वही देवदास है! इसे ये सब मिलकर मार क्यों रहे हैं?” अहान ने अपनी बाईक खडी की और उससे उतरकर उन लोगों की तरफ जाने लगा।

    जारी है......

  • 10. Devil's Crazy Love - Chapter 10

    Words: 937

    Estimated Reading Time: 6 min

    अहान वहाँ से बाईक लेकर गुजर रहा था उसने जब वरूण को इस तरह पिटता देखा तो रुक गया और हैरत भरे भाव से बोला, “अरे ये तो वही देवदास है, इसे ये सब मिलकर मार क्यों रहे हैं?” अहान ने अपनी बाईक खडी की और उससे उतरकर उन लोगों की तरफ जाने लगा।

    एक गुंडे ने वरूण के मुहँ पर जोरदार मुक्का मारा और वो पलटकर वहाँ आते अहान पर गिर गया। अहान लडखडा तो गया लेकिन उसने फिर भी वरूण को संभाल लिया। वो गुस्से में उन गुंडो पर चिल्लाया, “शर्म आनी चाहिए तुम लोगों को, इतने सारे मिलकर एक अकेले को पीट रहे हो, अरे अगर एक बाप की औलाद हो तो एक-एक करके आओ।”

    उसकी ये बात सुनकर उन गुंडों का खून खौल उठा। एक गुंडा अहान की तरफ बढते हुए बोला, “इस चूज़े के लिए तो एक ही काफी है।”

    अहान ने तुरंत वरूण को साइड किया और जोरदार लात उस गुंडे के प्राईवेट पार्ट पर दे मारी, वो चींखता हुआ पीछे हट गया। वरूण तो पहले ही घायल था इसलिए साइड में करने से अर्द्धबेहोश सा होकर नीचे गिर गया। दूसरा गुंडा अहान की तरफ बढा तो अहान फुर्ती से नीचे होकर साइड निकल गया और पीछे से उसकी पीठ पर जोरदार लात मारकर उसे नीचे गिरा दिया।

    अहान की फाइटिंग स्किल तो नही लेकिन उसकी स्पीड और फुर्ती जबरदस्त थी। वो उन गुंडों के हाथ नही आ रहा था। वो लोग एक-साथ उसे पकडने पीछे भागे तो अहान तुरंत वहाँ रखी कार पर चढकर दूसरी तरफ कूद गया और वहाँ एक खंभे पर लगी लोहे की छड को निकाल लिया।

    ये देख सारे गुंडे वहीं रुक गए। अहान वो लोहे की छड लेकर उनकी तरफ बढा और बोला, “आओ रुक क्यों गए? एक चूज़े से डर गए तुम लोग।”

    नीचे पडे वरूण ने हल्की सी आँखें खोलकर सामने देखा तो अहान को देखकर असमंजस में पड गया, “अरे ये तो वही है..ये क्यों यहाँ मरने आया है?”

    अहान के हाथ में लोहे की छड देखकर कोई भी उसके पास जाने की हिम्मत नही कर रहा था। तभी अचानक से उन गुंडों में से एक गुंडा ना जाने कैसे नजरें बचाकर अहान के पीछे आ गया और उसे पकड लिया।

    “अब बचकर कहाँ जाएगा?”

    अहान ने उसे कोहनी मारी तो वो हल्का सा पीछे जरूर हुआ लेकिन उसने अहान का वो हाथ बडी ही बेरहमी से पकड लिया जिसमें उसने लोहे की छड पकडी हुई थी।

    “आआआआआ...!” अहान दर्द से चींख दिया। सामने खडे सभी गुंडे जोर से हँस दिए तभी अचानक उनके पीछे से वरूण ने आकर सभी के सिर पर लोहे की छड से वार कर दिया। वहाँ पर ओर भी खंभे थे, उन्हीं में से निकाल ली होगी उसने भी। जिनके सिर पर डंडे पडे वो सब वहीं ढेर हो गए।

    वरूण लडखडाता हुआ सामने की तरफ गया जहाँ वो गुंडा अहान के हाथ को बेरहमी से दबाकर उसे ओर भी दर्द दे रहा था। वरूण ने उसे भी लोहे की छड से मारने की कोशिश की लेकिन उस गुंडे ने उसे छड को ही पकड लिया। वरूण ने भी उसकी कमर पर जोरदार लात मार दी जिससे उसकी पकड अहान पर पर ढीली पड गई और वो छूट गया।

    वरूण और अहान दोनों ने मिलकर उन गुंडों को धूल चटा दी। लेकिन ये सब करने के बाद वरूण जो कि पहले से ही घायल था, बेहोश होकर अहान पर गिरने लगा। विहान लडखडाया और बुरी सी शक्ल बनाकर बोला, “ओह गॉड! ये क्या मुसीबत है? जब भी मिलता है बेहोशी की हालत में ही मिलता है।” उसने वरूण को सीधा करने की कोशिश की लेकिन कर नही पाया आखिर में बेचारा बडी मुश्किल से उसके दोनों हाथ अपने कंधे पर लपेट अपनी पीठ पर उसे लादते हुए जैसे-तैसे अपनी बाईक तक ले गया। लेकिन बाईक पर उसे होस्पिटल कैसे पहुँचाता? उसने एंबुलेंस को फोन कर दिया।

    **************

    इधर रियांश घबराकर दौडा-दौडा अपने हॉस्टल की तरफ जा रहा था। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वो रुक गया और धीरे से मुडकर पीछे देखने लगा। वहाँ तो कोई नही था, उसने राहत की साँस छोडी लेकिन जब उसने फिर से आगे देखा तो चौंक गया।

    सामने सिद्धार्थ खडा था और होंठों पर तिरछी मुस्कान सजाए उसे देख रहा था।

    रियांश डर के मारे मरी हुई आवाज में बोला, “मम..ममम..मैं किसी को..कुछ नही बताऊँगा..प्लीज़ मुझे जाने दो।”

    सिद्धार्थ उसकी तरफ बढते हुए बोला, “तुम किसी को कुछ बताओ या ना बताओ लेकिन मैं तुम्हें जाने तो बिल्कुल नही दूंगा।”

    रियांश घबराकर पीछे होने लगा और मुडकर वहाँ से भागा। सिद्धार्थ भी उसके पीछे भागा, “हेय क्यूटी बेबी!..रुको! डोंट बी फीयर! आई जस्ट वान्ट टू टॉक यू!..रुको!”

    लेकिन रियांश ने कुछ नही सुना और दौडता रहा। आखिरकार सिद्धार्थ ने उसे पकड ही लिया, “मुझे मेरी बात ना मानने वाले बिल्कुल भी नही पसंद, चलो चुपचाप मेरे साथ।” उसने सख्ती से उसकी बाहँ पकडी।

    रियांश उससे छूटने की कोशिश करते हुए बोला, “नो..मुझे कहीं नही जाना तुम्हारे साथ, खूनी दरिंदे! राक्षस कहीं के! छोडो मुझे!”

    सिद्धार्थ ने कुछ ना कहकर उसे कंधे पर उठा लिया। रियांश अपने पैर हिलाकर चिल्लाता रहा। उसने सिद्धार्थ के कंधे पर काट भी लिया, सिद्धार्थ ने आँखें मींच कर दांत भींच लिए, पर उसने रियांश को नीचे नही उतारा और लेकर चलता रहा।

    *****************

    इधर अहान घायल वरूण को होस्पिटल ले आया था। डॉक्टर्स ने वरूण का ट्रीटमेंट स्टार्ट कर दिया। अहान ने अपना फोन चैक किया और बोला, “रिया ने ना तो कॉल किया और ना ही कोई मैसेज!..ये कॉलेज पहुँचा भी है या नही?”

    उसने रियांश को फोन लगाया जो उसी सुनसान सडक पर पडा हुआ बज रहा था लेकिन उसे उठाने वाला वहाँ कोई नही था।

    जारी है.......

  • 11. Devil's Crazy Love - Chapter 11

    Words: 519

    Estimated Reading Time: 4 min

    अहान ने रियांश को कई बार फोन लगाया लेकिन उसका फोन उसी सुनसान सडक पर पडा बजता रहा।
    अहान को टेंशन हो गई, "ये रिया फोन क्यों नही उठा रहा। उसने अब उसके हाॅस्टल में फोन लगाया।

    मिस्टर जेम ने फोन उठाया, "हैलो!"

    अहान तुरंत बोला, "हैलो सर, मैं अहान बोल रहा हूँ रियांश का दोस्त, वो अभी तक हाॅस्टल में ही है क्या?"

    मिस्टर जेम इसे खास पसंद तो नही करते थे लेकिन रियांश का दोस्त था इसलिए थोडी बात कर लेते थे। वो कहने लगे, "वो तो काॅलेज के लिए निकल गया, शायद तुम आज काॅलेज नही गए?"

    "अरे सर, मैंने उसे फोन किया था कि मैं लेट हो जाऊँगा, तू चले जाना, उसने भी ओके बोल दिया लेकिन अब उसका फोन लगा रहा हूँ तो उठा ही नही रहा, मुझे बहुत टेंशन हो रही है, आप एक बार पता करो न कि वो कहाँ पर है?"

    उसे सुनकर मिस्टर जेम को भी थोडी टेंशन तो हुई लेकिन वो पाॅजिटिव ही सोचते हुए बोले, "हो सकता है वो लाइब्रेरी में हो तभी फोन साइलेंट कर दिया हो, बट तुम टेंशन मत लो मैं पता करवाता हूँ।"

    "थैंक यू सर!" अहान ने कहा और दूसरी तरफ से मिस्टर जेम ने काॅल काट दिया।

    काॅल कटने के बाद अहान ने राहत भरी साँस छोडी और उस फोन को देखकर बोला, "ये हाॅस्टल के वार्डन इतने सीरियस क्यों होते हैं, बात करने में भी हालत खराब हो जाती है।"

    तभी उसे एक डाॅक्टर की आवाज सुनाई दी जो वरूण को देखकर बोल रहा था....
    "अरे ये तो फेमस बिजनेसमैन राजेंद्र सिंघानिया का स्टेप सन है।"

    अहान ने भी चौंक कर उस तरफ देखा और वरूण को देखकर बोला, "राजेंद्र सिंघानिया का स्टेप सन, मतलब उस सिद्धार्थ सिंघानिया का स्टेप ब्रदर!"
    तभी अहान को याद आया कि कल रात तो ये वरूण सिद्धार्थ के रूम के बाहर दरवाजे से सिर टिकाए खडा था। बेहोशी की हालत में सीदू बेबी को आई लव यू बोल रहा था।

    अहान हैरानी से मुहँ गोल किए बोला, "वाह! क्या गजब रिलेशन है! स्टेप ब्रदर होकर एक-दूसरे से...ब्रोमांस चल रहा है।" वो बेड पर बेहोश पडे वरूण को हैरानी से देखने लगा।

    ***********

    इधर मिस्टर जेम ने रियांश के काॅलेज में पता करवाया तो एक टीचर ने बताया कि रियांश तो आज काॅलेज आया ही नही।

    यह सुनकर मिस्टर जेम बेहद चिंता में आ गए, "रियांश का केवल एक ही दोस्त है अहान, उसे तो खुद नही मालूम कि रियांश कहाँ गया? ये लडका काॅलेज में भी नही है, फिर गया कहाँ?"

    ************

    "छोडो मुझे! ये कहाँ ले आए हो तुम?"

    रियांश के चिल्लाने से सिद्धार्थ को कोई फर्क नही पड रहा था। वो उसे अपने फार्म हाउस पर ले आया था जो शहर से दूर काफी एकांत में बना हुआ था और किसी को भी इसके बारे में मालूम नही था।

    सिद्धार्थ उसे अंदर लाते हुए बोला, "ये वो जगह है जिसके बारे में किसी को भी नही मालूम, मैं यहाँ अकेला रहता हूँ लेकिन अब तुम भी यहीं रहोगे।"

    रियांश घबराकर मना करते हुए बोला, "नही, मैं तुम्हारे साथ यहाँ बिल्कुल नही रहूँगा।"

    यह सुनकर सिद्धार्थ का गंभीर चेहरा कठोर हो गया।

    जारी है.......

  • 12. Devil's Crazy Love - Chapter 12

    Words: 631

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिद्धार्थ जबरदस्ती रियांश को अपने फार्म हाउस पर ले आया था जो शहर से दूर एकांत में बना हुआ था और किसी को भी इसके बारे में मालूम नही था।

    “छोड दो मुझे, ये कहाँ ले आए हो तुम?”

    सिद्धार्थ उसे कंधे पर उठाए फार्म हाउस के अंदर लाते हुए बोला, “ये वो जगह है जिसके बारे में किसी को भी नही मालूम, मैं यहाँ अकेला रहता हूँ लेकिन अब तुम भी यहीं रहोगे।”

    रियांश घबराकर मना करते हुए बोला, “नही, मैं तुम्हारे साथ यहाँ बिल्कुल नही रहूँगा।”

    सिद्धार्थ का गंभीर चेहरा कठोर हो गया। उसने रियांश को वहाँ रखे एक काउच पर पटक दिया। रियांश ने घबराकर उसकी तरफ देखा और सिमटकर पीछे होने लगा। सिद्धार्थ उस पर झुका और काउच पर उसके अगल-बगल दोनों हाथ रखते हुए बोला, “यहाँ तुम्हारी नही मेरी मर्जी चलेगी, तुम अब मेरे ही साथ ही रहोगे, गाॅट इट माय क्यूटी बेबी!” उसने रियांश के होंठों को छूना चाहा तो रियांश ने नफरत भरे भाव से चेहरा तिरछा कर लिया।

    तभी सिद्धार्थ ने अचानक उसके जबडे को पकड फिर से चेहरा अपनी तरफ करते हुए कहा, “और कल क्या हुआ था तुम्हें? मुझ पर वोमिट करके भाग गए!”

    इस बात से रियांश बुरी तरह डर गया मतलब इस डेविल को ये बात याद है कि कल रात वो रियांश ही था जो उसके कमरे में आया था और उस पर उल्टी कर गया।

    सिद्धार्थ सख्त निगाहों से उसे देख रहा था। रियांश ने घबराते हुए ही टूटी-फूटी आवाज में कहा, “तत..तुमने शराब पी हुई थी..मुझसे उसकी स्मैल...नही..” वो फिर नही नही ही करता रहा। सिद्धार्थ समझ गया कि शराब की स्मैल इससे बर्दाश्त नही हुई जिस कारण इसे उल्टी आ गई।

    सिद्धार्थ अब तिरछी मुस्कान चेहरे पर लाकर बोला, “पर अभी तो मैंने शराब नही पी हुई, फिर क्यों मुहँ फेरा तुमने?”

    रियांश को अब उस पर गुस्सा आ रहा था। क्या साइको बंदा है ये? अरे जिस लडके ने इसे अभी कुछ देर पहले लोगों का खून बहाते देखा है उसे कैसे अपने पास आने दे? रियांश अब उसके सीने पर हाथ रख उसे दूर करने की कोशिश करने लगा। सिद्धार्थ को कोई फर्क नही पडा और उसने रियांश को काउच पर लिटा दिया, खुद भी उसके ऊपर आ गया।

    रियांश अपने हाथ-पैर चलाते हुए चिल्लाया, “हटो मेरे ऊपर से, खूनी दरिंदे राक्षस! ये क्या कर...” इसके आगे उसकी आवाज नही निकली। सिद्धार्थ ने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया था।

    *****************

    इधर मिस्टर जेम ने पूरे हॉस्टल और पूरे कॉलेज में पूछताछ करवा ली लेकिन रियांश का कहीं पता नही चला। अब तो उन्हें पुलिस स्टेशन में ही रिपोर्ट दर्ज करानी थी इसलिए वो अपनी कार में बैठे और पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए।

    ड्राईव करते हुए उनके दिमाग में ख्याल आया कि, “हो सकता है ये अहान मुझसे झूठ बोल रहा हो, रियांश को गायब इसी ने किया हो लेकिन मुझे उलझाने के लिए पहले ही फोन कर दिया कि रियांश फोन नही उठा रहा, लेकिन ऐसा जरूरी भी नही है, अहान चाहे जैसा भी हो लेकिन रियांश के साथ..नही! मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूँ, अहान इतना नीचे तो नही गिर सकता।”

    (याद है न मैंने पिछले चैप्टर में विहान का नाम चेंज करके अहान किया था।)

    ****************

    अहान अब होस्पिटल से जाने वाला था। उसने सोचा आखिरी बार वरूण को देख लिया जाए। वो जब रूम में गया तो चौंक गया।

    “मुझे तुमसे कोई लेना-देना नही है, चली जाओ यहाँ से!”

    वरूण अपने सामने खडी एक औरत पर चिल्ला रहा था और वो वरूण को समझाने की उसके पास आने की कोशिश कर रही थी।

    “बेटा तुम इतना गुस्सा क्यों....”

    “शटअप! मेरा तुमसे कोई रिश्ता नही है, तुम कोई नही हो मेरी, चली जाओ यहाँ से।” वरूण ने फिर से तेज गुस्से में कहा और बेड पर दूसरी तरफ मुहँ फेरकर बैठ गया।

    जारी है......

  • 13. Devil's Crazy Love - Chapter 13

    Words: 878

    Estimated Reading Time: 6 min

    वरूण अपने सामने खडी एक औरत पर चिल्ला रहा था और वो वरूण को समझाने की उसके पास आने की कोशिश कर रही थी।

    “बेटा तुम इतना गुस्सा क्यों....”

    “शटअप! मेरा तुमसे कोई रिश्ता नही है, तुम कोई नही हो मेरी, चली जाओ यहाँ से।” वरूण ने फिर से तेज गुस्से में कहा और बेड पर दूसरी तरफ मुहँ फेरकर बैठ गया।

    वो औरत वरूण की माँ कल्पना थी जिसकी आँखों में आँसू आ गए थे। आज ही के दिन वो एक माँ बनी थीं, आज ही के दिन छोटा सा वरूण उसकी गोद में आया था जिसने माँ बनने का दर्जा उसे दिया था लेकिन आज वही बेटा उससे कोई रिश्ता नही रखना चाहता था। लेकिन इसमें गलती वरूण की भी नही थी, सब तकदीर का खेल था, जिसमें कल्पना कुछ नही कर सकती थी, उसके चेहरे से मजबूरी साफ झलक रही थी। आखिर में वो अपने आँसू पोंछकर बडी मुश्किल से खुद के इमोशंस को कंट्रोल करते हुए बोली, “ठीक है, मैं जा रही हूँ, लेकिन आज तुम्हारे बर्थ डे पर तुम्हारे लिए ये लेकर आई थी” उसने एक छोटा सा गिफ्ट का बॉक्स टेबल पर रखते हुए कहा, “जानती हूँ तुम मेरा दिया कोई भी गिफ्ट नही लोगे लेकिन ये केवल गिफ्ट नही बल्कि एक सच्चाई है जो अभी तक तुम्हें नही मालूम, शायद इसे जानने के बाद तुम्हारी नफरत कम हो जाए।” ये कहते हुए वो चलने लगी लेकिन फिर थोडा रुक कर वरूण को देखते हुए बोली, “हैप्पी बर्थ डे बेटा।” उसके बाद वो बडी मुश्किल से अपने आँसू रोकते हुए वहाँ से चली गई।

    दरवाजे पर खडा अहान हैरान सा उन दोनों को देखता रह गया। उसे तो अब जाकर पता चला कि वरूण का आज बर्थ डे है। वो बेड पर बैठे वरूण की तरफ दयनीय भाव से देखने लगा और मन में बोला, “सो सेड! आज बेचारे का बर्थ डे है और आज ही होस्पिटल में पहुँच गया, ऊपर से अपनी मॉम से इतनी नफरत, क्या वजह हो सकती है? क्या मैं जाकर पूछूं? पर मुझे क्या लेना-देना? जो इंसान अपनी मॉम से इस तरह बात कर सकता है, मुझे तो काटकर फेंक देगा।” उसने वरूण को देखकर डर के मारे गला तर कर लिया।

    ***************

    इधर रियांश भी काउच पर डरा हुआ सा खुद में ही सिमटकर बैठा था। सिद्धार्थ ने एक बार फिर उसकी मर्जी के बिना उसे किस किया। आगे वो बढ नही पाया क्योंकि उसका फोन बज उठा था जिस पर वो बात कर रहा था.....

    “हाँ नानी, बोलिए।”

    वरूण की नानी को सिद्धार्थ भी बहुत मानता था इसलिए उनका फोन उसने उठा लिया।

    दूसरी तरफ से नानी बोलीं, “सिद्धार्थ बेटा, आज उस वरूण का बर्थ डे है और वो आने भी वाला था यहाँ पर अभी तक आया नही, तुम्हें कुछ मालूम है?”

    सिद्धार्थ तो रियांश के चक्कर में फिर वरूण को भुला बैठा था। उसने परेशानी से अपना माथा मसला और बोला, “हाँ वो नानी..बात कुछ ऐसी है...वो हम दोनों एक इंपोर्टेंट मीटिंग में आए हैं, मैं उसे लेकर आपके पास पहुँच जाऊँगा, ओके।”

    नानी ने भी ओके कहकर फोन रख दिया। सिद्धार्थ ने रियांश की तरफ देखा और बोला, “जब तक मैं वापस ना लौट आऊँ यहाँ से भागने की कोशिश भी मत करना, वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा, समझ गए।”

    रियांश ने ना तो उसकी तरफ देखा और ना ही कोई जवाब दिया। फिलहाल तो सिद्धार्थ को वरूण की चिंता थी इसलिए वो फार्म हाउस को पूरी तरह लॉक करके चला गया। अंदर रियांश जल्दी से काउच पर से उठा और चारों तरफ देखने लगा कि कहीं से तो भागने का रास्ता मिल जाए।

    ************

    अहान अब चुपचाप वरूण के पास आया जो बेड पर काफी गुस्से में बैठा हुआ था।

    “हैप्पी बर्थ डे!”

    अहान की ये आवाज सुनकर वरूण ने उसकी तरफ देखा। अहान मुस्कुराकर बोला, “तुम्हें गिफ्ट देने के लिए अभी मेरे पास कुछ नही है, पहले पता ही नही था कि तुम्हारा बर्थ डे है।” उसने कंधे उचकाए।

    वरूण बस फीका सा मुस्कुराया और बोला, “बर्थ डे!..छोडो!” फिर उसने अहान को देखकर कहा, “और किसने कहा कि तूने मुझे बर्थ डे गिफ्ट नही दिया..”

    अहान नासमझी भरे भाव से बोला, “मैंने क्या दिया?”

    “एक नई ज़िन्दगी!” वरूण बोला।

    अहान का मुहँ हैरानी से खुल गया। वरूण ने आगे कहा, “अगर आज तू नही आता तो वो लोग शायद मुझे मार ही देते, मेरा बर्थ डे ही डेथ डे बन जाता लेकिन तूने आकर मुझे बचा लिया, इससे बडा गिफ्ट क्या होगा मेरे लिए?”

    यह सुनकर अहान भी मुस्कुरा दिया और बोला, “वैसे मैंने कभी सोचा नही था कि तुमसे दूसरी मुलाकात इस तरह होगी, मैं तुम्हें बचाऊँगा और तुम इसे अपना बर्थ डे गिफ्ट समझोगे। ठीक है, जब तुम इसे बर्थ डे गिफ्ट समझ रहे हो तो मैं भी मान लेता हूँ, अच्छा अब चलता हूँ कॉलेज के लिए बहुत लेट हो गया है, फिर भी जब तक तुम होस्पिटल में हो मिलने आता रहूँगा, बाय!” वो चल दिया। दरवाजे तक आकर रुका और उसकी तरफ घूमकर बोला, “हैप्पी बर्थ डे वन्स अगेन।”

    वरूण ने भी मुस्कुराकर उसे थैंक्स बोल दिया। अहान अब वहाँ से चला गया। वरूण उसे जाते हुए देखता रहा और सोचने लगा कि काश! अहान की जगह सिद्धार्थ होता तो कितना अच्छा होता, लेकिन वो तो सुबह थप्पड मारकर चला गया। वरूण ने उदास सा होकर अपने गाल पर हाथ रख लिया।

    जारी है.......

  • 14. Devil's Crazy Love - Chapter 14

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    सिद्धार्थ फिर से उसी क्लब में पहुँचा जहाँ उसे पता चला कि वरूण तो सुबह ही वहाँ से निकल गया। सिद्धार्थ ने बाहर आकर वरूण को फोन ट्राई किया लेकिन उसका फोन नही लगा, लगता भी कहाँ से, वो तो उन गुंडो से फाइट करते वक्त टूट गया होगा। उसने देखा उसके फोन पर वरूण की माँ कल्पना के भी मिस कॉल्स पडे हुए थे। सिद्धार्थ उनसे ज्यादा बात तो नही करता था लेकिन वरूण के बारे में जानना था इसलिए उसने कल्पना को फोन लगा दिया।

    कल्पना इस वक्त आँखों में आँसू लिए होस्पिटल से बाहर निकली थी और अपनी कार की तरफ जा रही थी। उसका फोन बजा तो उसने देखा, सिद्धार्थ का नाम फ्लैश हो रहा था। उसका चेहरा सख्त हो गया, उसने फोन उठाया और गुस्से में ही बोली, “अब क्यों फोन किया है तुमने?”

    दूसरी तरफ से सिद्धार्थ एकदम गंभीर होकर बोला, “मैंने बस वरूण के बारे में जानने के लिए फोन किया है, कहाँ है वो?”

    कल्पना को ओर भी गुस्सा आ गया, “जिस सवाल का जवाब जानने के लिए मैं तुम्हें इतनी देर से कॉल कर रही थी अब वही सवाल तुम मुझसे कर रहे हो, वरूण तो तुम्हारे साथ रहता है न, फिर कहाँ छोड दिया था उसे?”

    सिद्धार्थ को उसकी बातों से चिढ मचने लगी थी और गुस्सा भी आ रहा था, वो बडी मुश्किल से इस गुस्से को दबाते हुए बोला, “देखिए, मेरे पास आपकी इन बातों को सुनने का टाईम नही है, अगर आपको वरूण के बारे में कुछ पता हो तो बता दीजिए और अगर नही है....”

    “वो यहाँ होस्पिटल में है” कल्पना भर्राए हुए गले से बोली।

    सिद्धार्थ सकते में आ गया, “व्हॉट! वरूण होस्पिटल में...क्या हुआ उसे?”

    कल्पना अपने आँसू पोंछते हुए बोली, “मुझे तो वो कुछ नही बताता, तुम खुद ही यहाँ आकर पूछ लो उससे।” इतना कहकर उसने कॉल कट कर दिया और अपनी कार में बैठ गई।

    सिद्धार्थ तुरंत होस्पिटल के लिए निकल गया।

    ****************

    अहान अपने कॉलेज आया तो उसे पता चला कि रियांश तो यहाँ नही आया है। उसने पूरा कॉलेज छान मारा, क्लास लाईब्रेरी कैंटीन सब जगह देख लिया उसने। अब इन दोनों के कोई दोस्त तो थे नही, ये दोनों ही एक-दूसरे के साथ रहते थे इसलिए ओर किसी से पूछताछ वो कर ना सका। थक हार कर वो कॉलेज से बाहर निकला और मिस्टर जेम को फोन लगाने लगा।

    मिस्टर जेम इस वक्त पुलिस स्टेशन के बाहर खडे थे। वो अंदर जाने ही वाले थे कि तभी उनका फोन बज उठा। उन्होंने कान पर लगाया तो दूसरी तरफ से अहान बोला, “सर, रियांश तो कॉलेज में नही है, वो हॉस्टल में है क्या?”

    उसकी ऐसी चिंता भरी आवाज सुनकर मिस्टर जेम को थोडा विश्वास तो हो ही गया कि रियांश के गायब होने में अहान का हाथ बिल्कुल नही है। वो उससे कहने लगे, “बात ऐसी है कि रियांश हॉस्टल में भी नही है, मैंने उसे हर जगह ढूंढ लिया पर वो नही मिला इसलिए मैं अब पुलिस स्टेशन आ गया हूँ।”

    यह सुनकर अहान का दिल धक्क से रह गया। उसने कॉल कट किया और खुद में ही बुदबुदाने लगा, “रिया..कहाँ चला गया तू? कहीं मजाक तो नही कर रहा मेरे साथ...रिया!” उसकी आँखें भी नम होने लगी थीं। फिर उसने जैसे-तैसे खुद के मन को समझाया, “नही, रिया कहीं नही गया है, वो मिल जाएगा।” उसने अपने आँसू साफ किए और पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया।

    ***************

    सिद्धार्थ होस्पिटल पहुँच गया था। वो वरूण के रूम में आया जो इस वक्त बेड पर लेटा हुआ था। उसे इस हालत में देखकर सिद्धार्थ को बेहद दुख हुआ। वरूण ने उसे देखा तो खुश हो गया लेकिन जैसे ही उसका थप्पड याद आया उसने नाराजगी से दूसरी तरफ मुहँ फेर लिया।

    सिद्धार्थ उसके पास आकर बोला, “वरूण!..ये सब कैसे हो गया? किसने किया ये सब?”

    वरूण ने दूसरी तरफ मुहँ फेरे ही कहा, “आपको इससे क्या लेना-देना?”

    सिद्धार्थ ने गुस्से में उसकी कलाई को पकडते हुए कहा, “ये अकड दिखाना बंद कर और सीधी तरह बता किसने किया ये सब, मैं उसे ज़िन्दा नही छोडूंगा।”

    “कटारिया!” वरूण ने ये नाम लिया लेकिन सिद्धार्थ की तरफ नही देखा। लेकिन अब मरे हुए इंसान को सिद्धार्थ दुबारा थोडे ही मार सकता है। वो शान्त होकर वहीं बेड पर उसके पास बैठ गया।

    वरूण ने जब ये शान्ति महसूस की तो उसने सिद्धार्थ की तरफ देखकर कहा, “क्या हुआ? नाम सुनते ही आपका गुस्सा तो पानी की तरह बह गया, अब नही मारेंगे उस कटारिया को?”

    “मैं उसे एक ही बार मार सकता हूँ, बार-बार नही।” सिद्धार्थ ने गंभीर स्वर में जवाब दिया।

    वरूण आँखें बडी करके उसे देखने लगा, “क्या!..मतलब आपने उसे...”

    सिद्धार्थ ने हाँ में सिर हिलाया, “हाँ, उसने मुझ पर भी हमला किया था और मैंने उसे वहीं खत्म कर दिया।”

    यह सुनकर वरूण को उस पर गर्व तो हुआ लेकिन उसने चेहरे पर कोई खुशी नही जताई, नाराज तो वो अब भी था सिद्धार्थ से इसलिए फिर से दूसरी तरफ मुहँ फेर लिया। सिद्धार्थ ने कुछ पल उसे देखा और फिर उसके गाल पर हाथ रखते हुए बोला, “सॉरी!”

    “किस बात की?” वरूण ने बिना किसी भाव के पूछा।

    “आज तेरा बर्थ डे है और मैंने तुझ पर हाथ उठाया....”

    “बर्थ डे है इसलिए सॉरी बोल रहे हो, अगर ना होता तो नही बोलते” वरूण रूखे स्वर में बोला।

    सिद्धार्थ को अब उसके इस बिहेवियर पर गुस्सा आ गया। उसने वरूण का चेहरा सीधा किया और बोला, “ये कैसी बातें कर रहा है तू!.. ये तू भी अच्छे से जानता है कि मैंने थप्पड क्यों मारा था? अगर तूने वो हरकत ना की होती तो मैं तुझ पर कभी हाथ ना उठाता।”

    वरूण भी उसी लहजे में बोला, “हाँ तो बिल्कुल सही किया आपने, मुझे बता दिया कि मैं आपके लिए कोई मायने नही रखता, लेकिन आप क्या समझते हैं, आपके ये करने से मेरे दिल में आपके लिए जो फीलिंग्स हैं वो खत्म हो जाएंगी, नही!..वो तो शायद कभी खत्म नही होंगी क्योंकि वो फीलिंग्स मैंने जबरदस्ती नही बनाई हैं, सच में आपसे बहुत प्यार किया है मैंने, आई रियली लव यू!” उसकी आँखें भर आईं।

    जारी है.......

  • 15. Devil's Crazy Love - Chapter 15

    Words: 1287

    Estimated Reading Time: 8 min

    “ये कैसी बातें कर रहा है तू!..ये तू भी अच्छे से जानता है कि मैंने थप्पड क्यों मारा था? अगर तूने वो हरकत ना की होती तो मैं तुझ पर कभी हाथ ना उठाता।”

    वरूण भी उसी लहजे में बोला, “हाँ तो बिल्कुल सही किया आपने, मुझे बता दिया कि मैं आपके लिए कोई मायने नही रखता, लेकिन आप क्या समझते हैं, आपके ये करने से मेरे दिल में आपके लिए जो फीलिंग्स हैं वो खत्म हो जाएंगी, नही!..वो तो शायद कभी खत्म नही होंगी क्योंकि वो फीलिंग्स मैंने जबरदस्ती नही बनाई हैं, सच में आपसे बहुत प्यार किया है मैंने, आई रियली लव यू!” उसकी आँखें भर आईं।

    सिद्धार्थ उससे परेशान हो गया और उसे गुस्सा भी आने लगा। उसने अपनी मुट्ठियों को भींच लिया वरना वो इस वक्त भी वरूण पर हाथ उठा देता। सिद्धार्थ बेड पर से उठ गया और दरवाजे के पास आकर खडा हो गया। उसने जैसे-तैसे अपने गुस्से को कंट्रोल किया और वरूण की तरफ देखने लगा जो अब चुपचाप दूसरी तरफ मुहँ किए लेटा था लेकिन उसकी आँखों से आँसू फिर भी बह रहे थे।

    सिद्धार्थ उसकी इस हालत और बर्थ डे को ध्यान में रखते हुए फिर से उसके पास गया। उसने वरूण के बालों में हाथ फिराते हुए कहा, “नानी का फोन आया था मेरे पास, तेरे बारे में पूछ रही थी, तू तो अब जाने से रहा, कहे तो यहाँ बुला लूं उन्हें?”

    “आपको जो सही लगे वो करो।” ये कहकर वरूण ने नाराजगी से दूसरी तरफ करवट ले ली।

    सिद्धार्थ कुछ पल तो उसे देखता रहा फिर उसने नानी को फोन लगा ही दिया।

    ****************

    यहाँ पुलिस स्टेशन में मिस्टर जेम एक पुलिस इन्सपेक्टर के सामने बैठे थे।

    “लडका सुबह कॉलेज गया और फिर वहाँ से गायब हो गया।”

    मिस्टर जेम मना करते हुए बोले, “नही इन्सपेक्टर साहब! वो कॉलेज के लिए निकला था लेकिन वहाँ तक पहुँचा ही नही।”

    इन्सपेक्टर थोडा संशकित भाव से बोले, “आपके हॉस्टल और उस कॉलेज का नाम बताना जरा?”

    “एलविश हॉस्टल और विवेकानंद कॉलेज!”

    यह सुनकर इन्सपेक्टर आँखें बडी करके बोले, “अरे हमें अभी थोडी देर पहले ही ये खबर मिली थी कि एलविश हॉस्टल और विवेकानंद कॉलेज के बीच शॉर्टकर्ट सुनसान वाले इलाके में गोलीबारी, मारपीट और ब्लास्ट जैसी दुर्घटना हुई, कहीं आपका स्टुडेंट वहीं तो....”

    मिस्टर जेम का दिल धक्क से रह गया। अहान भी उसी समय वहाँ आया और यह सुनकर एकदम से बोला, “नही सर, ऐसा मत बोलिए।”

    इन्सपेक्टर और मिस्टर जेम दोनों ने ही हैरान होकर उसकी तरफ देखा। अहान चिंता में घबराया हुआ सा केबिन के अंदर आया और इन्सपेक्टर से बोला, “मेरे रिया को कुछ नही हुआ होगा, आप प्लीज़ उसे ढूंढिए।”

    “तुम्हारी तारीफ!” इन्सपेक्टर ने अहान का परिचय पूछा।

    मिस्टर जेम ने अहान की तरफ देखकर उनसे कहा, “ये रियांश का दोस्त है अहान।”

    इन्सपेक्टर की शक भरी नजरें अहान पर घूमी और वो बोले, “तो क्या रियांश आज तुम्हारे साथ कॉलेज नही गया था?”

    मिस्टर जेम कुर्सी पर से उठकर बोले, “वन मिनट इन्सपेक्टर साहब!”
    इन्सपेक्टर ने उनकी तरफ देखकर आँखें उचकाईं तो वो बोले, “इस अहान पर तो पहले मुझे भी शक था लेकिन ये ऐसा लडका नही है, इसे सचमुच रियांश के बारे में कुछ नही मालूम।”

    इन्सपेक्टर भौंहे ऊँची करके बोले, “किसको क्या मालूम है ये पता लगाना मेरा काम है, और आप मुझे मेरा काम करने दीजिए।”

    अहान भी मिस्टर जेम से बोला, “हाँ सर, पूछने दीजिए इन्हें जो ये पूछना चाहते हैं” ये कहकर उसने इन्सपेक्टर की आँखों में पूरे आत्मविश्वास के साथ देखकर कहा, “हाँ तो इन्सपेक्टर साहब, पूछिए क्या पूछना है आपको?”
    उसका ये आत्मविश्वास देखकर इन्सपेक्टर के होंठों पर हल्की सी मुस्कान तैर गई। जो लडका उसकी आँखों में आँखें डालकर पूरी निडरता से बात कर रहा है वो गलत हो ही नही सकता।

    इन्सपेक्टर ने अब मुस्कुराना बंद किया और पूछा, “हाँ तो ये बताओ कि आज सुबह तुम अपने दोस्त रियांश के साथ कॉलेज क्यों नही गए?”

    अहान ने साफ शब्दों में कहा, “मेरे पडोस में एक आंटी रहती हैं उनका डॉगी बीमार हो गया था, आंटी के घर में कोई था नही जो उसे होस्पिटल ले जाता इसलिए मैं लेकर गया, मैंने रिया को फोन करके बता भी दिया था इस बारे में।”

    बस अब इसके आगे इन्सपेक्टर ने कुछ नही पूछा। अहान की आँखों में सच्चाई और आत्मविश्वास तो पहले ही झलक रहा था इसलिए आगे कुछ पूछने का मतलब ही नही था। अहान ने एक नजर इन्सपेक्टर की वर्दी पर लगी नेम प्लेट पर डाली जिस पर उसका नाम चमक रहा था, राजवीर सिंह।

    “इंस्पेक्टर राजवीर सिंह! अगर आपकी पूछताछ पूरी हो गई हो तो क्या अब आप मेरे दोस्त को ढूंढेंगे?” अहान ने उससे पूछा।

    राजवीर उसके मुहँ से अपना नाम सुनकर मुस्कुराया और कुर्सी पर से उठकर कहने लगा, “ओके, ढूंढते हैं।”

    **************

    रियांश उस फार्म हाउस में अकेला चुपचाप काउच पर बैठा सुबक रहा था। उसने बाहर जाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे कहीं कोई रास्ता नही मिला। उसे अब यहाँ अकेले में बहुत डर लग रहा था। उसे अहान और मिस्टर जेम की बहुत याद आ रही थी। इस दुनिया में केवल वही दोनों तो थे जो उससे प्यार करते थे उसका ख्याल रखते थे।

    “अब तक तो अहान और सर को मेरे गायब होने की खबर लग चुकी होगी, वो जरूर मुझे ढूंढ रहे होंगे, प्लीज़ गॉड! उन्हें जल्दी से मेरे पास पहुँचा दो, प्लीज़।” उसने मन ही मन भगवान को याद किया और अपना चेहरा घुटनों में छिपा लिया।

    *************

    वरूण की नानी होस्पिटल पहुँच चुकी थी। वरूण की ऐसी हालत देखकर उन्हें भी बहुत दुख हुआ। वो बेड पर उसके पास ही बैठी थीं और अपने हाथों से उसे वो सब खिला रही थीं जो उन्होंने उसके बर्थ डे के लिए बनाया था।

    “मैंने तो कभी सोचा भी नही था कि तेरा ये बर्थ डे होस्पिटल में मनाना पडेगा।” नानी उसे खिलाती भी जा रही थीं और शिकायत भी कर रही थीं।
    उन्हें केवल इतना ही बताया गया था कि वरूण पर एक दुश्मन ने अचानक से हमला कर दिया। इसलिए नानी मन ही मन उस दुश्मन को हजार गालियां देकर उसके मरने की कामना कर चुकी थीं। लेकिन उसे तो सिद्धार्थ ने कब का मार दिया।
    नानी को देखकर वरूण को भी थोडा अच्छा लग रहा था इसलिए वो सब-कुछ सुनता हुआ खुशी-खुशी उनके हाथ से खाना खाए जा रहा था। उसे देखकर वहाँ खडा सिद्धार्थ भी थोडा राहत में दिख रहा था। वो जानता था कि नानी के आ जाने से ये थोडा बहुत खुश तो हो ही जाएगा इसलिए उसने नानी को बुला ही लिया।

    तभी नानी की नजर टेबल पर रखे उस गिफ्ट पर गई जो कल्पना लेकर आई थी। उसे देखकर नानी ने सिद्धार्थ से कहा, “बेटा ये गिफ्ट तुम लेकर आए हो?”

    सिद्धार्थ ने भी अब जाकर उस गिफ्ट पर ध्यान दिया और ना में गर्दन हिला दी। उसने वरूण की तरफ देखा जिसने दूसरी तरफ मुहँ फेर लिया था। उसे इस तरह देखकर सिद्धार्थ को याद आया कि कल्पना ने ही तो बताया था कि वरूण होस्पिटल में है, मतलब वो यहाँ आई थी और ये गिफ्ट भी उसी ने दिया है।

    सिद्धार्थ उस गिफ्ट की तरफ देखकर मन में बोला, “जब उन्हें पता है कि वरूण उनसे नफरत करता है फिर क्यों उसके लिए ये गिफ्ट लेकर आईं?” कुछ सोचकर सिद्धार्थ ने वो गिफ्ट उठा लिया और उसे लेकर चलने लगा।

    नानी उसे रोकते हुए बोली, “अरे बेटा कहाँ लेकर जा रहे हो उस गिफ्ट को?”

    सिद्धार्थ तो उस गिफ्ट को लेकर कमरे से बाहर जा चुका था। वरूण ने नानी से कहा, “मत रोको नानी, वैसे भी वो गिफ्ट आपकी बेटी लेकर आई थी।”

    नानी ने आँखें बडी करके उसे देखा लेकिन अब बोली कुछ नही, क्योंकि वो भी जानती थीं कि कल्पना की दी हुई किसी भी चीज को वरूण हाथ लगाना तो दूर उसे देखेगा भी नही।

    जारी है.......

  • 16. Devil's Crazy Love - Chapter 16

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    सिंघानिया मेंशन

    इस आलीशन बंगले के बाहर एक कार आकर रुकी। कल्पना उसमें से बाहर निकली और बंगले के अंदर चली गई।

    “आ गईं अपने लाडले से मिलकर।”

    यह आवाज सुनकर कल्पना ने सामने देखा तो सूट-बूट पहने आँखों पर नजर का चश्मा लगाए, काफी दमदार और आकर्षक पर्सनैलिटी का शख्स खडा था, जिसका चेहरा काफी हद तक सिद्धार्थ से मिलता-जुलता था। ये उसके पिता हैं, राजेश सिंघानिया।

    कल्पना ने नफरत भरे भाव से उन्हें देखकर कहा, “अब तुम्हें इसमें भी प्रोब्लम है कि मैं अपने बेटे से मिलने क्यों गई?..अरे उसका एक्सीडेंट हो गया है, होस्पिटल में है वो...”

    “हाँ तो इसमें कौनसी बडी बात हो गई, मर तो नही गया वो...” वो सीढियों से नीचे उतरते हुए बोले।

    “राजेश!” कल्पना गुस्से में चिल्लाई और उसकी तरफ आते हुए बोली, “तुम्हें अपने बेटे की परवाह भले ही ना हो लेकिन मुझे अपने बेटे की परवाह है, उसके प्यार पर तो तुमने बंदिश लगा ही दी है, अब क्या उससे जीने का हक भी छीन लेना चाहते हो?”

    राजेश ने कडवाहट भरे लहजे में उसकी तरफ देखकर कहा, “मैं कोई हक नही छीन रहा उससे, वो और सिद्धार्थ मिलकर किस-किस से दुश्मनी मोल लेते हैं ये मुझे क्या मालूम?”

    कल्पना ने गुस्से में उनका कॉलर पकडकर कहा, “इतने भी अंजान मत बनो, क्या तुम उस कटारिया को नही जानते थे?”

    राजेश ने उसकी दोनों कलाईयां पकडकर कहा, “जानने का मतलब ये तो नही कि उन दोनों पर हमला मैंने ही करवाया हो?”

    कल्पना ने उसके कॉलर पर पकड मजबूत करके कहा, “तुम्हारा कोई भरोसा नही, तुम्हारे सीने में दिल नही पत्थर है, तुम इंसान नही जानवर हो, जो किसी का भी जिस्म नोच सकता है और किसी का भी शिकार कर सकता है..” तभी तडाक्क की आवाज के साथ राजेश ने जोरदार थप्पड कल्पना को मार दिया, वो पलटकर नीचे फर्श पर जा गिरी।

    राजेश ने बेरहमी से उसके बालों को पकडकर कहा, “मैं बर्दाश्त कर रहा हूँ तो अपनी हद पार करती जा रही है, दो सेकंड भी नही लगेंगे मुझे..तुझे और तेरे लाडले को ठिकाने लगाने में।” कल्पना दर्द से सिसक गई और राजेश ने झटके से उसके बाल छोड दिए। उसे वहीं छोडकर वो मेन डोर की तरफ जाने लगे।

    वो मेन डोर की तरफ आकर रुके और गंभीर आवाज में बोले, “और एक बात कान खोलकर सुन ले, अब अगर फिर कभी अपने बेटे से मिलने गई तो अगली बार उस पर हमला मैं खुद करवाऊँगा जिसमें वो होस्पिटल नही सीधा श्मशान पहुँचेगा।” ये कहकर वो बाहर चले गए।

    कल्पना का दिल अंदर तक कांप गया। उसकी आँखों से आँसू बह निकले। वो कुछ पल तो वहाँ बैठी आँसू बहाती रही फिर आँखें बंद करके बोली, “बस एक बार वरूण उस गिफ्ट को खोलकर देख ले, बस एक बार!”

    **************

    वो गिफ्ट तो इस वक्त सिद्धार्थ के पास था जो अब अपने फार्म हाउस पहुँच चुका था। वो अपनी कार में से बाहर निकला, गिफ्ट उसकी कार में ही रह गया। वैसे उसे इस गिफ्ट से कोई खास मतलब नही था, वो जानता था कि वरूण अपनी माँ का दिया गिफ्ट कभी नही लेगा इसलिए वो इसे लेकर वापस कल्पना के पास जा रहा था, लेकिन रास्ते में उसे रियांश का ध्यान आया, उसने सोचा एक बार अपने क्यूटी बेबी को देखता हुआ चले, इसलिए अपने फार्म हाउस आ गया। वो दरवाजा खोलकर अंदर आया।

    रियांश वहीं हॉल में काउच पर लेटा हुआ था, शायद वो रोते-रोते सो गया था। सिद्धार्थ उसके पास आकर बैठा, रियांश खुद में ही सिमटकर सोया हुआ था, उसका मासूम चेहरा शान्त था और बाल माथे पर बिखरे हुए थे। उसे देखकर सिद्धार्थ मुस्कुरा दिया और इस पल में सब-कुछ भुला बैठा। उसने रियांश के दोनों तरफ हाथ टिकाए और उस पर हल्का सा झुकते हुए बोला, “ऐ क्यूटी बेबी!..तुम तो आराम से सो रहे हो, लेकिन मेरा क्या? मुझे सुकून भरी नींद कैसे आएगी?” वो उसके चेहरे पर झुकता जा रहा था तभी रियांश की पलकें हिली और उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं।

    सिद्धार्थ को अपने इतना करीब देख वो घबराकर चौंक गया, “तुम!..हटो मेरे ऊपर से..हटो!” वो सिद्धार्थ के कंधों को पकडकर उसे हटाने की कोशिश करने लगा। सिद्धार्थ ने हटने की बजाय उसे ही उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया, “छोडो मुझे, ये क्या कर रहे हो? प्लीज़ लीव मी...”

    सिद्धार्थ ने उसकी कमर पर बाहें कसते हुए कहा, “शशशश..अगर ज्यादा चिल्लाओगे तो मेरा रहा-सहा सब्र भी जवाब दे जाएगा और फिर मैं जो तुम्हारे साथ करूँगा उसके बाद तो तुम चिल्लाने लायक भी नही बचोगे” वो रियांश के होंठों के करीब अपने होंठ ले आया। रियांश ने घिन और नफरत भरे भाव से दूसरी तरफ मुहँ फेर लिया।

    सिद्धार्थ ने नजरें सिकोडीं और गंभीर स्वर में बोला, “मैं प्यार से तुम्हारे साथ पेश आ रहा हूँ तो तुम कुछ ज्यादा ही भाव खा रहे हो..”

    “मुझे तुम्हारा प्यार नही चाहिए, तुम बस मुझे यहाँ से जाने दो” रियांश ने गुस्से में सिद्धार्थ के कंधे पर मुट्ठी मारी लेकिन सिद्धार्थ पर कोई असर नही हुआ।

    सिद्धार्थ ने बेहद ठंडी आवाज में कहा, “तो क्या तुम मुझसे कभी प्यार नही करोगे?”

    “नही!” रियांश ने ज्यादा कुछ सोचे बिना तुरंत कहा और उसके कंधों पर मुट्ठी मारता रहा।
    सिद्धार्थ ने रियांश के कान के पास अपने होंठ लाकर गहरी आवाज में कहा, “क्यों? आखिर क्या कमी है मेरे अंदर? सब-कुछ तो है मेरे पास...”

    रियांश ने कडवाहट भरे भाव से कहा, “प्यार भरा दिल नही है तुम्हारे पास, तुम पत्थर दिल हो..जो निर्दोषों पर अत्याचार करते हो, उन्हें मार देते हो।”

    सिद्धार्थ हँस पडा। रियांश ने चेहरा सीधा कर हैरत भरी नजरों से उसे देखा तो सिद्धार्थ हँसकर ही बोला, “ओह माय क्यूटी बेबी! तुमने मुझे एक मर्डर करते हुए क्या देख लिया, पत्थर दिल ही समझ लिया, अरे अगर कोई मुझे मारने आएगा तो क्या मैं अपना बचाव भी नही करूँगा?”

    रियांश ओर भी हैरान हो गया, “मारने!”

    सिद्धार्थ ने सिर हिलाया, “हाँ मारने, जिसे मैंने मारा वो पहले मुझे मारने आया था, डील नही की थी न उसके साथ, इसलिए उसने मुझे मारने का प्लान बनाया लेकिन सिद्धार्थ सिंघानिया को मारना इतना भी आसान नही।” उसने रियांश के गाल को हल्के से पिंच कर दिया।

    रियांश आँखें बडी करके बोला, “तुम सिद्धार्थ सिंघानिया!”

    रियांश को तो उसका नाम ही अब पता चला था जिसे सुनकर उसके होश उड चुके थे। आँखों के सामने एक भयानक मंजर घूम गया था, गोलियों की आवाज उसके कानों में गूंज रही थी।

    जारी है.......

  • 17. Devil's Crazy Love - Chapter 17

    Words: 1305

    Estimated Reading Time: 8 min

    फार्महाउस के उस हॉल में अब एकदम शान्ति पसरी हुई थी। सिद्धार्थ अपने क्यूटी बेबी रियांश को गोद में लिए काउच पर ही बैठा था। रियांश की आँखें हैरत से खुली हुई थीं, उसे अब जाकर सिद्धार्थ का नाम पता चला था, जिसे सुनकर उसकी आँखों के आगे एक भयानक मंजर घूम गया था, गोलियों की आवाज उसके कानों में गूंज रही थी।

    “हमने आपका क्या बिगाडा है?” एक बेबस आदमी हाथ जोडकर अपने सामने खडे आदमी से जान की भीख मांग रहा था।

    सामने खडा आदमी ओर कोई नही बल्कि सिद्धार्थ के पिता राजेन्द्र सिंघानिया थे, वो उस पर बंदूक तानते हुए बोले, “तुम मेरे काम में सबसे बडी रुकावट बन रहे हो इसलिए तुम्हें तो मरना ही होगा।” गोली चल गई और उस आदमी का सीना छलनी हो गया।

    “आशीष!”
    उस आदमी जिसका नाम आशीष था, उसकी पत्नी दौडती हुई आई, अपने पति की लाश के पास बैठकर रोने लगी। उसने गुस्से भरी लाल आँखों से राजेन्द्र की तरफ देखा और कहा, “तुमने मेरे आशीष को मार दिया, तुम कभी सुखी नही रहोगे, कभी नही..मैं तुम्हें कभी चैन से नही रहने दूंगी...” वो बोले जा रही थी जिसे सुनकर राजेन्द्र बेपरवाही से अपना कान खुजा रहा था आखिर में उसने उसे भी गोली मार दी।

    “साली..चुप ही नही हो रही!” उसने गोली मारने के बाद कहा और वो बेबस औरत हमेशा के लिए चुप हो गई।

    थोडी दूरी पर कमरे की खिडकी पर खडा सात साल का रियांश आँखों में आँसू लिए ये सब देख रहा था। उसके रोने की आवाज तक नही आ रही थी। राजेन्द्र ने जिन दो पति-पत्नी को मारा था वो रियांश के माता-पिता थे।

    राजेन्द्र ने उन दोनों को मारने के बाद बेहद ठंडी आवाज में कहा, “राजेन्द्र सिंघानिया अपने काम के बीच आने वाली हर रुकावट को जड से उखाड फेंकता है।” ये कहते हुए वो वहाँ से चल दिया।

    इन सबके बीच उसकी नजर रियांश पर नही पडी इसलिए वो बच गया लेकिन राजेन्द्र सिंघानिया का नाम उसके दिमाग में कैद हो गया। बाद में पुलिस वालों ने उससे बहुत पूछा कि उसने क्या देखा, वो आदमी कैसा था? लेकिन रियांश ने किसी को भी कुछ नही बताया, फिर पडोसियों ने पुलिस को बताया कि गाँव में इसकी दादी रहती है, रियांश को उसकी दादी के पास भेज दिया गया, कुछ साल बाद दादी भी भगवान को प्यारी हो गईं, रियांश फिर से अनाथ हो गया लेकिन अब वो समझदार था, दुबारा इस शहर में पढाई के लिए आया और हॉस्टल में रहने लगा। न्यूज पेपर और मैगजीन में हर दिन राजेन्द्र सिंघानिया के बारे में पढता था तो उसका खून खौल उठता था, उसके परिवार के बारे में भी उसमें छपता था लेकिन सिद्धार्थ का केवल नाम ही छपता था, उसकी फोटो उसने कभी नही देखी थी और अगर कभी देखी भी होगी तो उसे अच्छे से याद नही होगी। लेकिन उसका नाम अच्छे से याद था।

    आज जब सिद्धार्थ ने अपना नाम बताया तो रियांश गुस्से भरी निगाहों से सिद्धार्थ को देखने लगा। उसके अंदर उसे राजेन्द्र सिंघानिया की ही झलक दिखाई दे रही थी क्योंकि वो अपनी जवानी के दिनों में सिद्धार्थ जैसा ही तो लगता था। अब तो रियांश को सिद्धार्थ से ओर भी नफरत हो गई। उसने गुस्से में आकर सिद्धार्थ को थप्पड लगा दिया। सिद्धार्थ का चेहरा तिरछा हो गया, उसकी मुट्ठियां भी भिंच गईं।

    “तुम उस राजेन्द्र सिंघानिया के बेटे हो न?” रियांश ने काफी गुस्से में कहा।

    सिद्धार्थ ने उसकी तरफ आँखें सिकोडकर देखा और ठंडी आवाज में बोला, “हाँ हूँ, तो?”

    रियांश ने उसकी कॉलर को पकडकर गुस्से में ही कहा, “तुम्हारे बाप ने मेरे मम्मी-पापा को मार डाला, मुझे अनाथ कर दिया और तुम चाहते हो कि मैं तुमसे प्यार करूँ।”

    सिद्धार्थ की आँखें ओर भी सिकुड गईं, “क्या! उन्होंने तुम्हारे माँ-बाप को मार दिया...”

    “हाँ, उन्होंने ही मेरे मम्मी-पापा को मारा, मैंने खुद देखा उन्हें गोली मारते हुए....”

    सिद्धार्थ ने रियांश की कलाईयां पकडी और शान्त भाव से उसे समझाते हुए बोला, “देखो क्यूटी बेबी, मेरा मेरे डैड से कोई लेना-देना नही, वो किसे मारते हैं और किसे नही मारते मुझे इस बात से भी कोई मतलब नही, मैं उनसे अलग हूँ और रही बात तुम्हारे मम्मी-पापा की तो..अब वो तो चले गए, वापस तो आने नही वाले इसलिए इस बारे में सोचना छोड दो, मेरे साथ रहो मैं तुम्हें ज़िन्दगी की हर खुशी दूंगा, तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूँगा..” उसने रियांश के गाल पर हाथ रखा तो रियांश ने फिर गुस्से में आकर उसे थप्पड लगा दिया।

    “तुम्हारे बाप तो घटिया हैं ही, तुम उनसे भी ज्यादा घटिया इंसान हो, कितनी आसानी से कह दिया तुमने कि मैं अपने मम्मी-पापा को भूल जाऊँ क्योंकि वो कभी नही आएंगे, ऐसी घटिया सोच वाले इंसान के साथ तो मैं कभी नही रहूँगा” उसने सिद्धार्थ की गोद में से उठने की कोशिश की लेकिन सिद्धार्थ ने उसकी कमर पर कसकर बाहें लपेट लीं।

    “छोडो मुझे..” रियांश उसकी बाहों में कसमसाया और उसके कंधों पर मुट्ठी मारने लगा।

    सिद्धार्थ ने गुस्से भरी लाल निगाहों से रियांश को देखा और कहा, “लगता है प्यार के बोल तुम्हें रास नही आ रहे, सीधी तरह मानोगे नही तुम, अब देखो मैं तुम्हारा क्या हाल करता हूँ!” वो इसी तरह रियांश को गोद में लिए उठ गया।

    “छोडो मुझे, कहाँ ले जा रहे हो, छोडो..” रियांश खुद को छुडाने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन सिद्धार्थ की पकड इतनी मजबूत थी कि वह चाहकर भी हिल नही पा रहा था।

    सिद्धार्थ उसे जबरदस्ती उठाकर कमरे में ले गया। उसने रियांश को बेड पर लाकर पटक दिया। रियांश ने गुस्से में उसकी तरफ देखा तो सिद्धार्थ अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए उसकी तरफ बढने लगा।

    यह देखकर रियांश की आँखें डर से बडी हो गईं। वो बेड पर ही पीछे खिसकते हुए कांपती आवाज में बोला, “नही, तुम ऐसा नही कर सकते।” उसने बेड के दूसरी तरफ जाने की कोशिश की तो सिद्धार्थ ने उसकी बाहँ पकडकर वापस बेड पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया।

    “छोडो मुझे..नहीईईई..!”

    रियांश चींखा लेकिन सिद्धार्थ ने उसकी परवाह नही की, उसने रियांश के दोनों हाथ कसकर पकड लिए और उस पर झुकते हुए उसकी आँखों में गहराई से देखा, सिद्धार्थ की साँसे इस वक्त गर्म और तेज थीं। रियांश की आँखों में डर और आँसू दोनों थे।

    सिद्धार्थ ने बेहद ठंडी और मदहोशी भरी आवाज में कहा, “डोंट बी शाउट माय क्यूटी बेबी! मैं तो सिर्फ तुम्हें अपना बना रहा हूँ।”

    यह सुनकर रियांश की साँसे अटक गईं। वो उससे छूटने के लिए संघर्ष करने लगा लेकिन सिद्धार्थ के मजबूत हाथों से खुद को छुडा नही पाया। वो आँखों में आँसू लिए नफरत भरे भाव से बोला, “तुम मेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हो, जो कि गलत है।”

    सिद्धार्थ के चेहरे पर पागलपन भरी हँसी आ गई।
    “गलत? ओह माय क्यूटी बेबी...मेरा प्यार तुम्हारे लिए वाकई बहुत गहरा है और एक बार मैं तुम्हें अपना बना लूं फिर तुम भी मेरे प्यार में कैद हो जाओगे, कभी यहाँ से जाने का नाम नही लोगे” ये कहते हुए वो रियांश के चेहरे पर पूरी तरह झुक गया।

    उसके नीचे रियांश अपने पैरों को हिलाकर छटपटाता रहा। उसकी चींख घुटकर रह गई। उसके दिल से यही आवाज आ रही थी....

    “मैं तुमसे नफरत करता हूँ, तुम इंसान नही शैतान हो, तुम जबरदस्ती मेरा जिस्म पा सकते हो लेकिन मेरी रूह को कभी नही छू पाओगे, तुम्हें मेरा प्यार कभी नही मिलेगा, कभी नही।”

    दूसरी तरफ सिद्धार्थ के दिमाग में चल रहा था.....

    "तुम अभी भले ही मुझसे नफरत करो लेकिन इस मिलन के बाद तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे रहोगे।”

    सिद्धार्थ ने जबरदस्ती रियांश के सारे कपडे उतारकर नीचे फर्श पर फेंक दिए थे। रियांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, वो खुद को असहाय महसूस कर रहा था, उसकी आत्मा चींख रही थी लेकिन उसे सुनने वाला वहाँ कोई नही था। कमरे की दीवारें उसकी बेबसी की गवाह बनी रहीं, उसकी दर्द भरी और घुटी चींखे दब कर रह गईं।

    जारी है......

  • 18. Devil's Crazy Love - Chapter 18

    Words: 775

    Estimated Reading Time: 5 min

    इधर अहान, मिस्टर जेम और पुलिस ऑफिसर राजवीर मिलकर रियांश की खोजबीन कर रहे थे। अभी तक उसके बारे में कोई खबर नही मिली थी।

    अहान का दिल काफी घबरा रहा था। उसे देख मिस्टर जेम ने पूछा, “क्या हुआ अहान?”

    अहान उनकी तरफ देखकर बेहद चिंतित और घबराए भाव से बोला, “मेरा दिल बहुत घबरा रहा है सर, पता नही रिया किस हाल में होगा?”

    राजवीर ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “डोंट वरी, हम जल्द ही उसे ढूंढ लेंगे।”

    अहान ने गुस्से में उसका हाथ हटाकर कहा, “कैसे चिंता ना करूँ मैं? हम कब से उसे ढूंढ रहे हैं लेकिन अभी तक कुछ पता नही चला, ना जाने कैसे पुलिस ऑफिसर हैं आप, कुछ नही कर पा रहे, मुझे तो अब आप पर भी शक होने लगा है कि कहीं आप उस किडनैपर से मिले हुए ना हों!” उसने गुस्से में कांपते हुए कहा और राजवीर पर उंगली पॉइंट कर दी।

    मिस्टर जेम उसे शान्त कराते हुए बोले, “शान्त हो जाओ अहान, इन्सपेक्टर साहब अपना काम कर रहे हैं।”

    राजवीर ने गंभीर लहजे में कहा, “आई अंडरस्टैण्ड मिस्टर जेम, इनका गुस्सा जायज़ है लेकिन हमें भी तो क्लू चाहिए...”

    तभी एक सब-इन्सपेक्टर दौडता हुआ राजवीर के पास आया और बोला, “सर, जिस इलाके में गोलीबारी हुई थी वहाँ से ये विजिटिंग कार्ड मिला है।”

    राजवीर ने उस कार्ड को देखा तो उसकी भौहें ऊँची हो गईं, “सिद्धार्थ सिंघानिया!”

    यह नाम सुनकर अहान भी हैरान हो गया, “सिद्धार्थ सिंघानिया!”

    मिस्टर जेम ने तो वो कार्ड अपने हाथ में लिया और उसे देखते हुए बोले, “तो क्या इसी ने हमारे रियांश को किडनैप किया है?”

    राजवीर वापस उस कार्ड को लेते हुए बोला, “ऐसा जरूरी तो नही लेकिन हो भी सकता है क्योंकि जिस रास्ते से रियांश कॉलेज जा रहा था वहाँ पर ये सिद्धार्थ मौजूद था।”

    मिस्टर जेम ने तुरंत कहा, “तो फिर अब इंतज़ार किस बात का? चलो इस सिद्धार्थ सिंघानिया के पास, कुछ तो पता ही होगा इसे?”

    अहान को अब वरूण का ध्यान हो आया जो इस वक्त होस्पिटल में है। सिद्धार्थ उसे देखने जरूर आएगा ये सोचकर वो कहने लगा, “हमें होस्पिटल चलना चाहिए, वहाँ इस सिद्धार्थ का भाई एडमिट है, हो सकता है ये हमें वहीं मिल जाए।”

    मिस्टर जेम और राजवीर थोडा असमंजस भरे भाव से उसे देखने लगे मतलब इसे कैसे पता चला कि सिद्धार्थ का भाई होस्पिटल में एडमिट है? अहान ने उन्हें सारी बात बताई जिसे सुनने के बाद वे दोनों उसके साथ होस्पिटल के लिए निकल गए।

    **************

    यहाँ होस्पिटल में तो वरूण के साथ केवल उसकी नानी ही थी। वरूण तो खाना खाकर सो गया था। उसके पास बैठी नानी उसके सिर पर हाथ फेर रही थीं। उसे देखकर वो बेहद दुखी मन से सोच रही थीं, “ना जाने कल्पना की ऐसी क्या मजबूरी थी जो उसने राजेन्द्र से शादी कर ली, और राजेन्द्र भी तो उसे पसंद नही करता फिर क्यों उसने कल्पना पर शादी करने का दबाव बनाया? और वो सिद्धार्थ!.. मेरे वरूण की परवाह तो करता है लेकिन उसका स्वभाव तो अपने पिता की तरह ही है, किसी की भावनाओं की उसे कोई कद्र नही।”

    तभी वरूण की नींद खुली और उठते ही उसने इधर-उधर देखकर नानी से पूछा, “सिद्धार्थ आए थे क्या?”

    नानी ने ना में गर्दन हिलाते हुए कहा, “नही बेटा, सिद्धार्थ तो नही आया।”

    वरूण के चेहरे पर निराशा भरे भाव आ गए। शायद उसने सपना देखा होगा कि सिद्धार्थ आया है।

    ***************

    सिद्धार्थ तो आराम से बेड के सिरहाने पर टेक लगाए बैठा था। उसने केवल कमर तक चादर ओढ रखी थी बाकी उसके तन पर कोई कपडा नही था। बाल बिखरे हुए से थे और शरीर पसीने में भीगा हुआ। उंगलियों के बीच सिगरेट, जो उसने होंठों से लगाई हुई थी। सिगरेट को होंठों से हटाकर उसने धुआँ छोडा और ठंडी आवाज में बोला, “अब ये रोना बंद करो, जो होना था वो हो चुका, अब तुम मेरे हो चुके हो, हमेशा के लिए।”

    बिस्तर के एक कोने में रियांश सिमटा हुआ सा पडा था, उसके ऊपर भी बस एक चादर ही थी, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे और वो सिसक रहा था। उसने नफरत भरे भाव से सिद्धार्थ को देखा और कहा, “तुम इंसान नही शैतान हो।”

    सिद्धार्थ के होंठों पर टेढी मुस्कान आ गई, उसने रियांश की तरफ देखकर कहा, “शैतान?..ओके! तो फिर यही समझ लो कि ये शैतान तुम्हारे प्यार में पड चुका है..दिस डेविल इन लव विद क्यूटी बेबी!” ये कहते हुए उसके होंठों पर शैतानी मुस्कान आ गई।

    इस वक्त रियांश की आँखों में दर्द और गुस्से का तूफान था। उसके दिल यही कह रहा था....

    “मैं तुमसे बदला जरूर लूंगा..तुम्हें तुम्हारी करनी की सज़ा जरूर मिलेगी, तुम कभी चैन से जी नही पाओगे।”

    जारी है.......

  • 19. Devil's Crazy Love - Chapter 19

    Words: 639

    Estimated Reading Time: 4 min

    अहान, पुलिस ऑफिसर राजवीर और मिस्टर जेम अब होस्पिटल पहुँच चुके थे। ये तीनों वरूण के कमरे में थे। वरूण की नानी वहीं पर थीं और वरूण बेड पर बैठा था। अहान को देखकर तो वो हल्का सा मुस्कुरा दिया, “अरे तुम!” उसने अपनी नानी की तरफ देखकर कहा, “नानी ये वही है, जिसने मेरी जान बचाई और होस्पिटल पहुँचाया।” उसने अहान की तरफ इशारा किया।

    नानी ने अहान की तरफ देखा और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “समझ नही आ रहा कैसे तेरा धन्यवाद करूँ? तूने मुझ बुढिया पर बहुत बडा अहसान किया है..”

    अहान भी भावुक होकर उनका हाथ पकडते हुए बोला, “आप ऐसा मत कहिए, मैंने तो जो किया इंसानियत के नाते किया लेकिन अब मैं बहुत परेशान हूँ, मेरा दोस्त रिया किडनैप हो गया है और हमें शक है कि उसे तुम्हारे भाई सिद्धार्थ ने ही किडनैप किया है।” उसने वरूण की तरफ देखा।

    वरूण नापसंदी भरे भाव से बोला, “सिद्धार्थ मेरे भाई नही हैं, और वो तुम्हारे दोस्त को किडनैप क्यों करेंगे, तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है।”

    अहान ने कुछ कहना चाहा तभी राजवीर ने वरूण से कहा, “हम ये नही कह रहे कि सिद्धार्थ ने ही रियांश का किडनैप किया है लेकिन जहाँ से रियांश किडनैप हुआ था वहाँ से हमें सिद्धार्थ की मौजूदगी का सबूत मिला है, उसका विजिटिंग कार्ड।” उसने सिद्धार्थ का कार्ड वरूण के आगे कर दिया।

    वरूण उसे देखकर बोला, “तो इससे ये तो साबित नही होता कि सिद्धार्थ ने ही इसके दोस्त रियांश का किडनैप किया हो..अरे किडनैप क्या, वो तो कभी मिले भी नही होंगे इसके दोस्त से, सिद्धार्थ जिन लोगों से भी मिलते हैं उन सबकी इन्फोर्मेशन मेरे पास रहती है और इस रियांश के बारे में तो मैं आज पहली बार सुन रहा हूँ फिर सिद्धार्थ का तो इससे कोई लेना-देना ही नही है।”

    अहान ने कुछ पल सोचकर कहा, “हम चारों ही डेविल स्टार क्लब में मौजूद थे, मैं रिया को ढूंढ रहा था तब तुमसे टकराया था” उसने वरूण की तरफ उंगली पॉइंट की तो वरूण ने भी सहमत होकर हल्के से सिर हिला दिया, अहान ने आगे कहा, “ऐसा भी तो हो सकता है कि तब सिद्धार्थ और रियांश की भी मुलाकात हुई हो?”

    मिस्टर जेम को भी याद आया कि रात में रियांश लेट भी तो आया था, वो इसी क्लब में गया था। उन्होंने अहान से पूछा, “तो क्या रियांश ने तुम्हें बताया था कि उसकी मुलाकात सिद्धार्थ से हुई?”

    ये बात तो रियांश ने किसी को भी नही बताई थी क्योंकि पहली ही मुलाकात में सिद्धार्थ के किस करने से वो शॉक रह गया था और घबरा भी गया था, इस घटना को भूल जाना चाहता था इसलिए उसने ये बात अहान को भी नही बताई।

    अहान ने मना करते हुए कहा, “नही सर, रियांश ने ऐसा तो कुछ भी नही बताया।”

    तभी वरूण एकदम से बोला, “जब उसने ऐसा कुछ बताया ही नही फिर तुम कैसे कह सकते हो कि उस क्लब में उसकी मुलाकात सिद्धार्थ से हुई थी, अरे सिद्धार्थ ने तो मीटिंग के बाद मुझे भी रूम से बाहर कर दिया था, वो अकेले रहना चाहते थे, जब मुझे ही निकाल दिया तो तुम्हारे दोस्त को क्यों रूम में आने देंगे?”

    अहान और वरूण की बातों को सुनकर राजवीर बीच में आकर बोला, “एक मिनट, पहले तुम दोनों शान्त हो जाओ, आपस में सिद्धार्थ को लेकर डिबेट करने से तो यही अच्छा है कि हम सिद्धार्थ को ही यहाँ बुला लें और उसी से सवाल-जवाब करें।”
    इस बात पर अहान, मिस्टर जेम, वरूण और नानी सभी सहमत थे।

    **********

    सिद्धार्थ वॉशरूम से बाहर आया। उसने केवल टॉवल लपेटी हुई थी, बालों से पानी टपक रहा था। उसने देखा बेड पर रियांश रोते-रोते सो गया था। सिद्धार्थ उसके पास आया और उसके बालों में हाथ फिराते हुए बोला, “क्यूटी बेबी..चलो अब अच्छे-बच्चों की तरह उठ जाओ और शावर ले लो।”

    जारी है.......

  • 20. Devil's Crazy Love - Chapter 20

    Words: 1263

    Estimated Reading Time: 8 min

    सिद्धार्थ वॉशरूम से बाहर आया। उसने केवल टॉवल लपेटी हुई थी, बालों से पानी टपक रहा था। उसने देखा बेड पर रियांश रोते-रोते सो गया था। सिद्धार्थ उसके पास आया और उसके बालों में हाथ फिराते हुए बोला, “क्यूटी बेबी..चलो अब अच्छे-बच्चों की तरह उठ जाओ और शावर ले लो।”

    बालों में उसके हाथ को महसूस कर रियांश ने चिहुँक कर आँखें खोलीं। सिद्धार्थ मुस्कुराकर बोला, “अब और कितना सोओगे तुम? चलो अब जल्दी से शावर लो, उसके बाद ब्रेकफास्ट...”

    रियांश ने उसके हाथ को झटकते हुए कहा, “मुझे कुछ नही खाना, तुम चले जाओ यहाँ से, मुझे तुम्हारी शक्ल से भी नफरत है।” उसने दूसरी तरफ चेहरा किया और करवट लेकर फिर से लेट गया।

    सिद्धार्थ अब गंभीर हो गया। वो उसके बगल में बैठ गया और पीछे से ही रियांश की गर्दन पर उंगलियां फिराते हुए बोला, “शक्ल मेरी इतनी भी बुरी नही है फिर भी तुम नफरत करते हो, खैर छोडो इस बात को, अब रही बात तुम्हारे नहाने और खाने की तो.. मैंने पहले भी कहा है कि अगर तुम प्यार से मेरी बात नही मानोगे तो मैं जबरदस्ती..” उसने रियांश को चादर समेत ही अपनी गोद में उठा लिया।

    “छोडो मुझे! नीचे उतारो!” रियांश ने गुस्से में चिल्लाकर कहा और सिद्धार्थ के कंधे पर मुक्के पे मुक्के बरसा दिए।

    सिद्धार्थ ने उसे लाकर बाथ टब में बिठा दिया और पानी से उसे भरने लगा। रियांश मजबूर होकर आँखों में आँसू लिए उसमें बैठा रहा। बाथटब जब पानी से भर गया तो सिद्धार्थ दरवाजे की तरफ जाते हुए बोला, “चुपचाप अच्छे से नहाकर बाहर आ जाओ वरना तुम जानते ही हो कि मैं क्या कर सकता हूँ!” इतना कहकर वो वॉशरूम से बाहर निकल गया।

    रियांश कुछ देर तो आँसू बहाता रहा लेकिन फिर कुछ सोचकर उसने अपने आँसू पोंछे और नहाने लगा।
    ********

    सिद्धार्थ का फोन उसकी कार में ही पडा-पडा बज रहा था। होस्पिटल में वरूण ने कान पर से फोन हटाकर अहान, राजवीर और मिस्टर जेम की तरफ देखा, “सिद्धार्थ फोन नही उठा रहे हैं।”

    अहान अब गुस्से में बोला, “तो फिर ये बताओ कि वो इस वक्त कहाँ मिलेगा?”

    वरूण की नानी को याद आया कि सिद्धार्थ वरूण की माँ कल्पना का दिया हुआ गिफ्ट लेकर गया था, कहीं वो गिफ्ट वापस करने कल्पना के पास तो नही गया? यही सोचकर वो कहने लगीं, “सिद्धार्थ कुछ देर पहले अपने पिता के घर गया है।”

    “यू मीन मिस्टर राजेन्द्र सिंघानिया!” राजवीर ने कहा तो नानी ने हाँ में सिर हिला दिया। वरूण ने नापसंदी भरे भाव से दूसरी तरफ मुहँ फेर लिया, उसे तो राजेन्द्र और कल्पना से कोई मतलब ही नही था।

    **************

    इधर राजेन्द्र गुस्से में घर के अंदर आए और तेज आवाज में चिल्लाने लगे।
    “कल्पना..कल्पना..!”

    कल्पना अपने कमरे में थी। उसके हाथ में जहर की शीशी थी जिसे वो पीने वाली थी लेकिन राजेन्द्र की आवाज सुनकर रुक गई। उसने जहर की शीशी वहीं ड्रॉवर में रख दी और अपने आँसू पोंछकर कमरे से बाहर निकल आई।

    “कल्पना!” राजेन्द्र उसे आवाज लगाते हुए सीढियों की तरफ आने लगे थे। तभी कल्पना भी सीढियों से नीचे आने लगी। उसे देखकर राजेन्द्र रुके और सख्त आवाज में बोले, “कंपनी के जो शेयर्स तुम्हारे नाम पर थे वो तुमने वरूण के नाम पर क्यों किए?”

    कल्पना ने सीधे और साफ शब्दों में कहा, “क्यों.. तुम भी तो अपने बेटे सिद्धार्थ के लिए काफी कुछ करते हो, मैंने तो बस कुछ शेयर्स ही अपने बेटे के नाम पर किए हैं, इसमें कौनसा पहाड टूट पडा?”

    राजेन्द्र ने कठोर स्वर में कहा, “मेरे पास मेरी अपनी प्रोपर्टी है, मैं अपने बेटे के लिए जो चाहे करूँ वो मेरी मर्जी है लेकिन तुमने जो शेयर्स अपने बेटे के नाम पर किए हैं वो तुम्हारी प्रोपर्टी नही है, वो भी मेरे ही हैं।”

    कल्पना सख्त चेहरा बनाकर उन्हें देखने लगी और बोली, “तो फिर तुमने वो शेयर्स मेरे नाम पर क्यों किए? पत्नी मानकर ही तो किए होंगे न, फिर तो वो मेरे ही हुए, अब मैं उन्हें जिसे चाहूँ उसे दे सकती हूँ, तुम्हें कोई ऑब्जेक्शन नही होना चाहिए।”

    राजेन्द्र ने जहरीले भाव चेहरे पर लाकर कहा, “पत्नी! और तुम!..किस गलतफहमी में जी रही हो, मैंने तुम्हें कभी अपनी पत्नी नही माना, वो शेयर्स तो मुझे मजबूरी में तुम्हारे नाम पर करने पडे थे।”

    कल्पना अच्छी तरह जानती थी कि ये मनी लॉन्ड्रिंग का काम करता है, काले धन को सफेद करना..सरकार इसकी संपत्ति जब्त ना कर ले इसलिए कल्पना को मोहरा बना लिया, उसे बिजनेस पार्टनर की तरह दिखाने के लिए उसके नाम पर कुछ शेयर ट्रांसफर कर दिए। उसने सोचा था कि बाद में जब सही समय आएगा तो वो कल्पना से ये शेयर वापस ले लेगा लेकिन कल्पना ने तो वो सारे शेयर वरूण के नाम पर ट्रांसफर कर दिए।

    कल्पना ने बिना किसी भाव के कहा, “तुम्हारी जो भी मजबूरी रही हो, मुझे उससे कोई लेना-देना नही, तुम मुझे पत्नी या मेरे बेटे को अपना बेटा मानो या ना मानो लेकिन कानून की नजरों में तो मैं तुम्हारी पत्नी ही हूँ, तुमने वो शेयर अपनी पत्नी के नाम पर किए थे, मैंने अपने बेटे के नाम पर कर दिए, आखिर मैं भी एक माँ हूँ, मुझे भी अपने बेटे का फ्यूचर सिक्योर करना है।”

    राजेन्द्र ने सख्ती से उसकी बाहँ पकडकर कहा, “फ्यूचर तो तुम तब सिक्योर करोगी न जब मैं उसे ज़िन्दा रहने दूंगा, बहुत बडी गलती हो गई मुझसे, उसे उसी समय मार देना चाहिए था जब मुझे ये पता चला था कि वो सिद्धार्थ से प्यार करता है लेकिन उसे सबक सिखाने के लिए मैंने तुमसे शादी कर ली, उसके बाद भी उसने सिद्धार्थ का पीछा नही छोडा।”

    कल्पना आँसू और गुस्से भरी निगाहों से उन्हें देखकर बोली, “तुमने एक माँ को उसके बेटे की नजरों में गिरा दिया। मेरे साथ जबरदस्ती की, मेरा रेप किया, मुझे शादी के लिए मजबूर किया, मैंने तुम्हारी हर बात मानी केवल अपने वरूण की खातिर, अरे मैंने तो हर चीज से समझौता कर लिया था, लेकिन तुम!..तुम कभी नही बदले, और ना ही कभी बदलोगे। तुम एक वहशी जानवर हो, जो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है, किसी भी हद तक जा सकता है...”

    राजेन्द्र ने उसके बालों को मुट्ठी में जकडते हुए कहा, “सही कहा तूने, मैं किसी भी हद तक जा सकता हूँ।” ये कहते हुए उसने कल्पना के मुहँ पर जोरदार थप्पड मार दिया। लेकिन इस बार कल्पना ने भी गुस्से में राजेन्द्र के पेट में पूरी ताकत से लात मार दी। राजेन्द्र सीढियों से नीचे गिर गया। कल्पना गुस्से में कांपती हुई सीढियों पर खडी रही।

    राजेन्द्र उठा और अपने माथे पर हाथ लगाकर देखा, खून बह रहा था। वो फिर से कल्पना की तरफ गुस्से में बढा, “मुझ पर हाथ उठाती है, आज मैं तुझे ज़िन्दा नही छोडूंगा।”

    कल्पना सीढियों पर ही भाग गई। ऊपर आकर उसने इधर-उधर देखा, टेबल पर रखा काँच का वॉस उठाकर उसने राजेन्द्र की तरफ फेंक दिया। राजेन्द्र नीचे झुक गया। वॉस सीढियों से होता हुए नीचे गिरकर चकनाचूर हो गया, उसके काँच के टुकडे सीढियों पर फैल गए।

    कल्पना दौडकर कमरे में चली गई, उसने दरवाजा बंद करने की कोशिश की तो राजेन्द्र ने उसे पकड लिया और इतना जोर से दरवाजा खोला कि वो कल्पना के मुहँ पर जा लगा, वो चिल्लाती हुई नीचे गिर गई। राजेन्द्र ने उसके पेट पर अपना घुटना टिकाया और उसके गले को पकडकर दबाने लगा।
    “मुझ पर वार करेगी...राजेन्द्र सिंघानिया पर...मेरे शेयर्स अपने बेटे के नाम पर कर दिए, अब ना तो तू रहेगी और ना ही तेरा बेटा, तुझे मारकर तेरे मर्डर का इल्ज़ाम मैं तेरे बेटे पर ही डाल दूंगा, फिर कानून उसे फांसी पर लटका देगा।” वो पागलपन भरी हँसी हँसने लगा।
    कल्पना का दम घुटने लगा था।

    जारी है......