यह कहानी है, एक ऐसे शख्स की जिसका दुश्मन कोई ' दुनिया का सबसे अमीर इंसान ' नहीं है, ना ही वह किसी बोहोत बड़ी आर्गेनाइजेशन का मालिक है और ना ही वह किसी देश का महाराज है। बल्कि इस शख्स का दुश्मन तो वह है, जिसके अंडर में यह सभी उपरोक्त लिखित विलेन्स काम... यह कहानी है, एक ऐसे शख्स की जिसका दुश्मन कोई ' दुनिया का सबसे अमीर इंसान ' नहीं है, ना ही वह किसी बोहोत बड़ी आर्गेनाइजेशन का मालिक है और ना ही वह किसी देश का महाराज है। बल्कि इस शख्स का दुश्मन तो वह है, जिसके अंडर में यह सभी उपरोक्त लिखित विलेन्स काम करते हैं। युवराज गुप्ता जिसकी यह कहानी है, उसकी जान के पीछे पड़ा हुआ है यह पूरा यूनिवर्स, ठीक से कहा जाए तो इस यूनिवर्स को चलाने वाला कानून। बेचारा युवराज गुप्ता जो गलती से ट्रांसमाइग्रेट करके इस यूनिवर्स में पहुंच चुका है। उसके पीछे आते ही इस यूनिवर्स का कानून हाथ धोकर पड़ चुका है। जो उसको इस दुनिया में देखना ही नहीं चाहता। इस वक्त जहाँ उसके यूनिवर्स के लोग ' एलियन बीस्टस ' के खिलाफ महायुद्ध लड़ रहे हैं। वहां बेचारा वह यूनिवर्स के आतंक से खुद को बचाने में लगा हुआ है। वैसे सोचा जाए तो वह शख्स कितना ज्यादा इंपॉर्टेंट होगा ना जिसका दुश्मन ' पूरा यूनिवर्स ' खुद है। चलिए साथ में देखते हैं, आखिर कैसे युवराज गुप्ता " द मिस्टर बैड बॉय " अपने आप को यूनिवर्स से बचाते हुए जीवित रख पाता है। जॉइन द अल्टीमेट फन सीरियस by रीडिंग " Mister Bad Boy " only on " Story Mania App "।
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इन सभी नोटिसिस को पूरी क्लास रूम के ईद-गिर्द चिपके देखकर, युवराज गुप्ता काफी ज्यादा हैरान था। उसके चेहरे पर कन्फ्यूजन साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
क्या वह कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम से पहले के समय में पीछे आ गया था? अगर ऐसा है तो, यह कल्टीवेशन कहाँ से आ गई? और यह नंबर 341B स्पेस पोर्टल क्या चीज है?
युवराज वहीं खड़ा हुआ यह सोचकर कन्फ्यूज्ड हो ही रहा था कि तभी उसके दिमाग में जाने-अनजाने कुछ यादें आकर उसकी खुद की यादों के साथ जुड़ गईं। हम्म, वह सच में समय में पीछे आ गया था। और आया भी कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम से पहले ही था। पर वह सिर्फ समय में ही पीछे नहीं आया था, बल्कि वह पैरेलल यूनिवर्स में आ चुका था। एक हाई सैन्य प्रधान दुनिया में!
इस हाई सैन्य प्रधान दुनिया में खतरा हर जगह था। सिटी के बाहर हर तरह के खतरनाक और भयानक एलियन बीस्टस मौजूद थे, जो हमेशा एक्शन लेने और मुसीबत खड़ी करने की चाह रखते थे। उनका लक्ष्य हमेशा सिटी की सिटी वॉल्स को क्रॉस करके, सिटी के अंदर पहुँचकर पूरी मानव जाति को खत्म करना होता था।
मानव जाति के पास कोई भी चॉइस नहीं थी सिवाय लगातार अपनी ताकत को बढ़ाते रहने और उससे मॉन्सटर्स को खुद से दूर रखने के। और बात रही कलचर, इकोनामी, पॉलिटिक्स, डेवलपमेंट और बाकी सब की… तो उन सभी चीजों को इस समय पर इग्नोर किया जा रहा था। सिर्फ ताकत ही मतलब रखती थी। वह ही सब कुछ थी।
जिसके कारण वॉरियर्स ही मानव जाति में सबसे ज्यादा हाई स्टेटस रखते थे। ज्यादातर, जब सबसे ज्यादा कमजोर लेवल का कल्टीवेटर, लेवल 1 का कल्टीवेटर जॉब के लिए किसी कंपनी में अप्लाई करता था, तो उसकी सैलरी 2,00,000 सालाना से बिल्कुल भी कम नहीं होती थी। और बात रही लेवल 2 कल्टीवेटर्स की तो उनकी सालाना सैलरी कम से कम मिलीयन डॉलर्स होती थी! लेवल 3, लेवल 4 के कल्टीवेटर्स और उससे हाई लेवल के कल्टीवेटर्स हमेशा से ताकतवर फोर्सिस के मेंबर्स रहते हुए आए थे।
और इस समय युवराज गुप्ता अपनी कल्टीवेशन क्लास का तीसरे साल का सीनियर था और कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में पार्टिसिपेट करने वाला था।
"यह… यह तो अविश्वसनीय है…"
"सच में अविश्वसनीय…"
[जफफ##. कहाँ**गल--]
[यह डिटेक्ट किया गया है कि इस आत्मा का इस अभी की दुनिया से कुछ भी लेना-देना नहीं है।]
[यह किसी एलियन की आत्मा की घुसपैठ है।]
[श्राप लागू किया जा रहा है…]
[चेतावनी!]
[आप जो कोई भी हैं कृपया करके इस अभी की दुनिया को छोड़कर चले जाएं वरना श्राप का असर बढ़ा दिया जाएगा।]
[चेतावनी! कृपया करके इस अभी की दुनिया को छोड़कर चले जाएं वरना श्राप का असर बढ़ा दिया जाएगा।]
[चेतावनी, कृपया करके यहां से चले जाएं…]
"श्राप?"
"कोई मुझे श्राप दे रहा है?"
जैसे ही युवराज गुप्ता को यह रोबोटिक आवाज अपने दिमाग में सुनाई दी, वैसे ही उसके चेहरे का रंग डर से पूरा सफेद हो गया।
[श्राप सक्सेसफुली लागू किया गया।]
[श्राप का असर: सभी चीजों का उल्टा असर।]
[चेतावनी! कृपया करके इस दुनिया को छोड़कर चले जाएं वरना इस श्राप का असर बढ़ा दिया जाएगा…]
"डैंग!"
अभी युवराज गुप्ता को यह भी नहीं पता चला था कि उसके साथ आखिर क्या हो रहा है कि ठीक उतने में अचानक से उसके सर के बिल्कुल बीचों-बीच एक उड़ता हुआ चॉक आकर लगा।
"आह…"
बेचारे युवराज गुप्ता के मुंह से ना चाहते हुए भी एक दर्द भरी चीख निकल गई, जिस दर्द के कारण वह अपने माथे को हाथ से ढक लेता है।
"केवल 33 दिन ही कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम को बचे हैं और तुम अभी भी क्लास में झपकी ले रहे हो? और कल्टीवेट नहीं कर रहे हो?!" पोडियम (हाई स्टेज) पर खड़ा हुआ हेड टीचर युवराज गुप्ता की तरफ उंगली करते हुए गुस्से से चिल्लाकर बोला, "पढ़ाई करना बिल्कुल बहाव के विरुद्ध नाव चलाने जैसा होता है; या तो तुम आगे बढ़ते हुए अपने आप को बना लो या तो पीछे रहकर अपने आप को डूबा लो!"
"अगर तुम ऐसे ही आलस करते रहे तो, तुम दूसरे एलिमेंट्री स्कूल के स्टूडेंट्स को भी नहीं हरा पाओगे!"
वहीं कक्षा में कल्टीवेट करते हुए बाकी सभी स्टूडेंट्स का ध्यान भी इस शोर के कारण टूट गया और वे भी अपने सर को घुमाकर युवराज गुप्ता की तरफ अपनी आँखों की एक भौं उठाकर देखने लगे। उनकी आँखों में घृणा के भाव साफ़-साफ़ देखे जा सकते थे। और यह घृणा वैसी नहीं थी जो कुछ टेंपरेरी थी, उनकी आँखों की यह घृणा तो ऐसी थी जो उनके दिलों की गहराइयों से निकल रही थी।
सिटी के बाहर जंगलों में, जो एलियन जगत का स्पेस पोर्टल खुला था, उसके अंदर किसी शख्स के जीने के चांसेस बहुत ही ज्यादा कम थे। जिसके कारण ऐसी जगहों पर रिसर्च करते दौरान जीने के लिए इंसानी कल्टीवेटर्स हमेशा ग्रुप बनाकर जाया करते थे। जिसमें एक-दूसरे का सहयोग सबसे ज्यादा जरूरी होता था। और इसी सहयोग की प्रैक्टिस करवाने के लिए एलिमेंट्री स्कूल्स के सभी स्टूडेंट्स को यूनिट्स में बाँट दिया गया था। फिर चाहे उन्हें कल्टीवेट करना हो, हमला करना हो या फिर एक-दूसरे की सुरक्षा करते हुए पीछे हटना हो। इन सभी चीजों के लिए सभी यूनिट्स के स्टूडेंट्स को एक-दूसरे पर डिपेंड करना पड़ता था।
और इस क्लास के सभी कल्टीवेटर्स की इस यूनिट में युवराज गुप्ता ही सबसे ज्यादा कम सक्षम स्टूडेंट था, जो एक्शन लेने में बहुत ही ज्यादा आलसी था और बाकी सभी की प्रोग्रेस में भी रुकावट पैदा करता था और उन सभी को पीछे खींचता था। जिसके कारण बीतते समय के साथ-साथ सभी की नफरत युवराज गुप्ता को लेकर बढ़ती ही जा रही थी।
पर इसमें गलती युवराज गुप्ता की भी नहीं थी क्योंकि उसका टैलेंट कल्टीवेशन में काफी ज्यादा लो था, पर वह अपनी तरफ से अपनी क्लास के साथ चलने की पूरी-पूरी कोशिश करता था। पर उसके टैलेंट और उसकी इंट्रोवर्ट पर्सनैलिटी के कारण वह जितनी मर्जी चाहे उतनी कोशिश कर लेता, पर अंत में वह सभी स्टूडेंट्स से पीछे ही रह जाता और अब तक वह क्लास का सबसे ज्यादा लो रैंकिंग का स्टूडेंट बन चुका था। और अब तो यह भी पक्का हो चुका था कि उसके सभी साथी स्टूडेंट्स अपने कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम को पास करके उसके सीनियर बन जाएँगे और वह इसी क्लास में रह जाएगा।
आखिर कोई भी दुनिया क्यों ना हो, हमेशा दुनिया में गरीब और कमजोर स्टूडेंट तो होते ही थे। और यह वर्ल्ड, जो मिलिटरी शासन में था, वह तो खासकर ऐसे बच्चों के प्रति काफी ज्यादा निर्दयी था।
…
"हिस्ससस!"
युवराज गुप्ता जो उसके माथे का हिस्सा अब तक सूज चुका था, उसको पकड़ते हुए वह अचानक से गुस्से से भड़क उठा। क्या उसे अभी सीधा यहाँ से जाकर इस हेड टीचर के पूर्वजों की खबर खोद देनी चाहिए? क्या इतनी जोर से मारना जरूरी था?
पर अब जब वह इस बारे में दूसरे नज़रिए से ध्यान से सोच रहा था, तो उसे यह एहसास हो रहा था कि यह एक कल्टीवेशन मिलिट्री प्रधान वर्ल्ड है, जिसका मतलब यह है कि उसके सामने खड़ा हुआ टीचर भी एक कल्टीवेटर है। जिसके कारण युवराज गुप्ता के पास अब अपने गुस्से को दबाने के सिवाय और कोई भी चॉइस नहीं बचती है और अब वैसे-वैसे वह अपनी इंटरनल स्ट्रैंथ को अपने शरीर में रोटेट करते जाता है, जैसे-जैसे उसने अपनी मेमोरी में देखा था।
[श्राप के एक इफेक्ट को एक्टिवेट किया जा रहा है!]
[सभी चीजों का नेचर उल्टा किया जा रहा है…]
[कल्टीवेशन की प्रगति: इंटरनल स्ट्रैंथ -1]
[कल्टीवेशन की प्रगति: इंटरनल स्ट्रैंथ -1]
युवराज गुप्ता, "..."
[कल्टीवेशन की प्रगति: इंटरनल स्ट्रैंथ -1]
[कल्टीवेशन की प्रगति: इंटरनल स्ट्रैंथ -2]
"...", बेचारा युवराज गुप्ता पूरा निशब्द हो चुका था।
"डैम! मैं तो सच में श्रापित हो चुका हूँ!"
"क्या सच में कल्टीवेशन करने से मेरी ताकत कम हो रही है? आखिर यह कैसे संभव हो सकता है?"
बेचारा युवराज गुप्ता तो अब मेंटल ब्रेकडाउन की सिचुएशन में पहुँच चुका था, उसे अपना फ्यूचर, अपनी जिंदगी चुल्लू भर पानी में डूबते हुए दिखाई दे रही थी। जिसके कारण उसका शरीर उसकी चेयर पर बिल्कुल पैरालाइज्ड सा हो चुका था। जितना ज्यादा वह कल्टीवेट करता, उतना ही कमजोर वह बनता जाता। अगर ऐसी ही बात है तो वह क्यों कल्टीवेशन करके इस टॉर्चर को सह रहा है?
वहीं युवराज गुप्ता को चेयर पर बैठे फिर से अलसाते देख हेडटीचर जोर से चिल्लाते हुए बोला, "युवराज गुप्ता!", और इतना चिल्लाने के बाद हेड मास्टर एक और चॉक का पीस जोर से युवराज गुप्ता के माथे के बिल्कुल बीचों-बीच मारता है और चिल्लाता है, "तुम्हारे लिए यही बेहतर रहेगा कि तुम अभी अपनी कल्टीवेशन पर ध्यान दो!"
"डैंग!"
इस बार का चॉक का पीस टीचर द्वारा बहुत ही ज्यादा जोर से मारा गया था, जो युवराज गुप्ता के माथे से बहुत ही ज्यादा क्रूरता से टकराया था।
[दर्द को डिटेक्ट किया गया: ऊर्जा और खून +2]
युवराज गुप्ता, "..."
"हम्म…"
एक गहरी सांस छोड़ने के बाद, युवराज गुप्ता निराश एक्सप्रेशंस के साथ बोला, "टीचर, मुझे अकेला छोड़ दो, मैं पूरी तरह से बर्बाद हूँ।"
"तुम… बिना टैलेंट के तुम जैसा एक स्टूडेंट काफी ज्यादा आशाहीन होता है! बकवास! तुम किसी भी काम के नहीं हो!"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +1]
आसपास के सभी स्टूडेंट्स भी उसको नफरत भरी आँखों से देखते हैं।
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +3]
युवराज गुप्ता, "...यह तो सच में काफी ज्यादा डिप्रेसिंग है!"
अगर ऐसी ही बात है, तो उसे इसी फ्लो में आगे बढ़ना चाहिए। जिसके चलते वह एक कांच के डब्बे को लेता है और उसे बीच क्लास में जमीन पर पटक कर तोड़ देता है, जिस कांच के डब्बे के टूटते ही वह उस कांच के डब्बे में पड़ी छोटी-छोटी टॉफिज़ को मुँह में डालकर चबाने और चूसने लगता है। जैसे वहाँ पर कोई मौजूद ही ना हो।
अब जब जिंदगी उसके साथ इतना ज्यादा गंदा खेल खेल रही थी और उसे जीने नहीं देना चाहती थी, तो वह भी अपने लिए एक बहुत ही ज्यादा कंफर्टेबल मौत को ढूंढ सकता था। इसलिए उसने अब मौत का इंतजार करते हुए मौत से पहले के बचे हुए पल पूरी तरह एंजॉय करने का ठान लिया था…
[खाने का समय: भूख का लेवल +1]
[खाने का समय: भूख का लेवल +2…]
युवराज गुप्ता, "...डैम!"
चलो यहाँ तक तो ठीक है कि अब जिंदगी उसे जीने का चांस नहीं दे रही थी, पर अब जिंदगी उसे मौत से पहले के पल ठीक से इंजॉय भी नहीं करने दे रही थी।
"बताओ खाने से किसी की भूख बढ़ती है!"
"युवराज गुप्ता! यहाँ से दफ़ा हो जाओ!"
अब हेड टीचर उसके इस बिहेवियर को और ज्यादा सहन बिल्कुल भी नहीं कर पा रहा था। वह चिल्लाता है, "जाओ बाहर सज़ा के तौर पर गलियारे में खड़े हो जाओ! तुम्हें आज के दिन वापिस क्लास में आने की इजाज़त बिल्कुल भी नहीं है!"
…
क्लास में से बाहर फेंके जाने के बाद, युवराज गुप्ता दीवार का सहारा लेकर खड़ा हुआ था और अपने साथ जो गलत हुआ है उसको लेकर काफी ज्यादा क्रोधित महसूस कर रहा था। एक और बार फिर से वह अपनी इंटरनल स्ट्रैंथ को अपने शरीर में फ्लो करवाने की कोशिश करता है और कल्टीवेशन शुरू करता है।
[कल्टीवेशन की प्रगति: इंटरनल स्ट्रैंथ -1]
"डैम! मैं अभी भी इस चीज़ पर विश्वास नहीं करता!"
युवराज गुप्ता वहाँ से घूम जाता है और एक बार टीचर और स्टूडेंट्स पर क्लासरूम में नज़र मारने के बाद वह वहाँ से झुककर स्कूल की बिल्डिंग से छुप-छुप कर बाहर निकल जाता है। और जब वह स्कूल के बाहर वाले ग्राउंड में पहुँचता है, तो उसे वहाँ पर मंकी बार्स दिखाई देती हैं, जिसको देखकर वह एक गहरी सांस लेता है और उसे पकड़कर एक्सरसाइज़ (पुल अप!) करने लगता है।
तो क्या हुआ अगर वह कल्टीवेट नहीं कर सकता तो… वह खुद को शारीरिक तौर पर ताकतवर बनाएगा जिसके कारण कम से कम वह इस जिंदगी में पूरा का पूरा बेकार तो नहीं रहेगा, है ना?
[बॉडीबिल्डिंग की प्रगति: मोटापा +1, कमजोरी +1, शारीरिक लुक -1, शारीरिक ताकत -1, सहनशक्ति -1…]
युवराज गुप्ता, "..."
"हूँ हूँ हूँ, मैंने ऐसा भी कौन सा पाप कर दिया!"
युवराज गुप्ता को उसकी लातें कमज़ोर होती हुई सी महसूस होती हैं और वह सीधा जमीन पर गिर जाता है। उसे बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था… वह बहुत ही ज्यादा गुस्से में था… वह इतने गुस्से में था कि वह ऊपर देखकर चिल्लाना शुरू कर देता है, "अरे किस्मत, तुम्हें मुझे ऐसे टॉर्चर करके क्या मिल रहा है? सीधा-सीधा उठा क्यों नहीं लेती…"
"..."
"..."
"..."
[आलसपन की प्रगति: इंटर्नल स्ट्रैंथ +1]
"...हैं?"
इस इलेक्ट्रॉनिक आवाज को अपने कानों में सुनते ही युवराज गुप्ता के कान अचानक से खड़े हो जाते हैं।
"यह श्राप…"
"डैम, ऐसा लगता है कि इस श्राप में एक बहुत ही ज्यादा बड़ा बग (फ़ॉल्ट) है?!"
तो रीडर्स आपको क्या लगता है, क्या होगा इस नॉवल में आगे? और अब युवराज गुप्ता इस इतने ज्यादा कठिन वर्ल्ड में इस खतरनाक श्राप के साथ कैसे जिंदा रहने वाला है?….. ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस नोवल के अगले चैप्टर्स सिर्फ और सिर्फ, 'Story Mania' app पर और हाँ अगर चैप्टर पसंद आया हो तो like और comment जरूर कर देना। इससे मुझे भी अगले चैप्टर्स को लिखने में मज़ा आता है।
बेचारा युवराज गुप्ता अपने पैरों पर खड़ा हुआ। खड़े होते ही उसे अपने शरीर में एनर्जी और ताकत का एहसास हुआ।
"हम्म, तो यह सच है…,"
"ऐसा लगता है मेरी ताकत सच में बढ़ी है…,"
"वट द हेल…,"
"ऐसा लगता है इस श्राप में सच में एक बहुत बड़ा बग है…,"
कुछ पल हिचकिचाने के बाद युवराज गुप्ता ने अपने हाथ ऊपर उठाए और मंकी बार्स को दोबारा पकड़कर पुल अप शुरू किए।
उसकी आंखें तेज़ चमक के साथ चमकने लगीं और वह अचानक अपने हाथ छोड़ बैठा!
ग्रेविटी चाचा अपना कमाल दिखाते हैं और वह बहुत ज़ोर से जमीन पर गिर गया।
"बैंग!"
युवराज गुप्ता की साँसें एक्साइटमेंट में तेज़ होने लगीं।
वह दर्द सहते हुए जल्दी से खड़ा हुआ और अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी झाड़ने लगा। फिर पास के पेड़ की छाया में शांति से खड़ा हो गया, बेवकूफों की तरह।
करीब 10 मिनट बाद…
"ऑसम!"
"तो यह सच में पॉसिबल है!"
अपनी बॉडी में एनर्जी को दोबारा महसूस करते ही युवराज गुप्ता का चेहरा एक्साइटमेंट से लाल हो गया। कुछ पल की हिचकिचाहट के बाद उसने अपनी एनर्जी के ऊर्जा भंडार के बीचों-बीच ज़ोर से मुक्का मारा!
"डोंग!"
"हाहाहा आआआ…,"
युवराज गुप्ता इतनी ज़ोर से हँस रहा था कि उसकी हँसी में से 'ह' शब्द ही गायब हो गया। उस पर युवराज गुप्ता ने ध्यान नहीं दिया और पागलों की तरह हँसता रहा।
इस श्राप नाम की चीज़ में एक बहुत ही बड़ा फॉल्ट (बग) है!
यह श्राप सभी चीज़ों के प्रभाव को बिल्कुल उल्टा कर देता है!
अगर ऐसी ही बात है तो हर नेगेटिव प्रभाव का असर भी तो उल्टा हो जाएगा ना, जो उसके लिए बहुत ही ज्यादा पॉजिटिव प्रभाव बन जाएगा, है ना?
जब दूसरे लोगों को कोई चाकू मारता है, तो वह बहुत ही ज्यादा गहरे रूप से घायल हो जाते हैं, भले ही मरें नहीं।
पर अगर कोई उसे चाकू मारता ही रहेगा, तो उसके शरीर में एनर्जी और उसकी हेल्थ लगातार बढ़ती ही जाएगी… हीहीही…
अगर दूसरे लोग पूरे साल आराम करें और कल्टीवेशन ना करें तो वह पूरे तरीके से बर्बाद हो जाएँगे।
पर अगर वह पूरे साल आराम फरमाता रहे, तो वह ताकतवर और ताकतवर होता ही जाएगा…
"हाहाहा, इससे तो मैं अब अपनी सिचुएशन पूरे तरीके से उलट दूँगा! यह सच में बहुत ही ज्यादा जादूई है…,"
युवराज गुप्ता खुशी से इतना पागल हो चुका था कि उसने अपने एनर्जी सेंटर पर एक और तेज़ मुक्का मारा।
"ऐसा मत करो!"
"क्या संतुष्टि है!"
"हाय, इससे कितना ज्यादा मज़ा आ रहा है!"
एनर्जी सेंटर असल में एक वॉरियर की ताकत की फाउंडेशन होता है।
जिसके कारण एनर्जी सेंटर में आई एक भी चोट से एक वॉरियर की इतनी मुश्किल से इकट्ठा की गई इंटरनल स्ट्रैंथ तुरंत ही शरीर से गायब होने लग जाती है।
पर उसके केस में इस चीज़ का प्रभाव बिल्कुल ही उल्टा था।
जितनी ज़ोर से वह एनर्जी सेंटर पर चोट कर रहा था, उतनी ही तेज़ी से उसकी इंटरनल स्ट्रैंथ इकट्ठा होते जा रही थी, गायब होने की बजाय…
"डोंग!"
"डोंग!"
और अभी जब वह मन लगाकर कल्टीवेशन कर ही रहा था, ठीक तभी एक शख्स उसके आगे प्रकट हुआ और उसके मुक्के को पकड़ लिया।
"हम्म?"
युवराज गुप्ता हैरानी से अपना सर ऊपर उठाया और पाया कि उसके सामने उसका हेड टीचर खड़ा हुआ है।
हेड टीचर, “… (निशब्द)”
युवराज गुप्ता, “… (निशब्द)”
हेड टीचर, “… (निशब्द)”
युवराज गुप्ता, “… (निशब्द)”
हेड टीचर ने अपनी आँखों में कॉम्प्लिकेटिड लुक लिए युवराज गुप्ता को देखा, "तुम आखिर खुद को टॉर्चर क्यों कर रहे हो?"
"अगर तुम यही टॉर्चर में इस्तेमाल करने वाला टाइम और ध्यान अपनी कल्टीवेशन में लगाते तो तुम्हारे लिए कितना ज्यादा अच्छा रहता।"
"मैं… मैं कल्टीवेशन कर रहा हूँ, हाँ मैं…"
"चलो मेरे साथ!"
युवराज गुप्ता की कलाई पकड़ते हुए हेड टीचर उसे लगभग खींचते हुए वापिस स्कूल की बिल्डिंग में ले आया और अपने ऑफिस में खींच कर ले गया।
"बैंग!"
हेड टीचर ने अपने ऑफिस के दरवाजे को कसकर बंद कर दिया और बिना किसी एक्सप्रेशंस के युवराज गुप्ता से बोला, "बैठो! चलो हम एक अच्छी और प्रॉपर डिस्कशन करते हैं।"
"टीचर आपको पक्का कोई गलतफहमी हुई है…"
"शट अप और मेरी बात को ध्यान से सुनो!"
"…अच्छा ठीक है, आप अपने मन की बात को आवाज दीजिए!" इतना बोलकर युवराज गुप्ता पास में पड़ी चेयर पर बैठ गया और पीछे अपनी पीठ टिकाते हुए, अपने दर्द कर रहे पेट को सहलाते हुए, कल्टीवेशन करने के दूसरे मेथड्स के बारे में सोचने लगा।
आखिर खुद की पिटाई करके कल्टीवेशन करने वाला मेथड, वह मेथड कैसे हो सकता था, जो वह अपनी इच्छा से करे।
क्योंकि ऐसे रोज-रोज खुद की पिटाई करना दूसरों के नजरिए में कुछ-कुछ… नहीं काफी ज्यादा घिनौना हो सकता है, फिर भले ही इसमें उतना ज्यादा दर्द ना होता हो…
अपनी पीठ के पीछे हाथ करते हुए हेड टीचर ने उस रूम के दो चक्कर लगाए और अपनी मन की बात को आवाज देते हुए सही शब्दों को चुनकर बोला, "युवराज गुप्ता, मार्शल आर्ट्स के मामले में, टैलेंट हर किसी का अलग-अलग होता है। यह सच बात है कि तुम उतने ज्यादा टैलेंटिड नहीं हो। पर टैलेंट वह चीज़ तो नहीं हो सकती ना जिस पर तुम्हारी स्ट्रैंथ पूरे तरीके से डिपेंड करे, तुम समझ रहे हो ना मेरे कहने का मतलब?"
"जी टीचर, मैं अच्छे से समझ रहा हूँ, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। तो फिर मैं अब यहाँ से पहले चलता हूँ…"
"यहाँ वापस आ जाओ!"
हेड टीचर अपनी आँखों की एक भौं उठाते हुए बोला, "मुझे पता है तुम्हें अंदर ही अंदर काफी ज्यादा आत्मग्लानी महसूस हो रही है पर तुम ऐसे तो अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व नहीं कर सकते हो ना, तुम्हारी प्रॉब्लम का अब तुम्हारे टैलेंट से कोई भी लेना-देना नहीं है बल्कि अब तुम्हारी प्रॉब्लम तुम्हारे व्यक्तित्व पर डिपेंड करती है। तुम काफी ज्यादा लेज़ी हो और सीरियस चीजों जैसे पढ़ाई और कल्टीवेशन को बिल्कुल भी सीरियसली नहीं लेते और तुम्हें पता है तुम्हारी क्लास में तुमसे भी ज्यादा कम टैलेंटिड बच्चे मौजूद हैं, आखिर वह कैसे…"
अभी हेड टीचर ने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि युवराज गुप्ता ने उसे बीच में टोकते हुए बोला, "क्या मेरी क्लास में मुझसे भी ज्यादा कम टैलेंटिड बच्चे मौजूद हैं? आखिर वह कौन हैं? मैं भी यह जानने के लिए काफी ज्यादा उत्सुक हो रहा हूँ।"
"ऑफ़ कोर्स ऐसे स्टूडेंट्स हैं! जैसे… जैसे… हम्म… अम…" और अपने इन शब्दों को बोलने के बाद हेड टीचर अचानक काफी ज्यादा गहरी सोच में डूब गया।
युवराज गुप्ता, "..." युवराज गुप्ता निशब्द था।
और अब उसका हेड टीचर भी, "..."
युवराज गुप्ता, "गुड बाय, टीचर"
हेड टीचर गुस्सा होते हुए बोला, "यहाँ वापस आ जाओ!"
"क्या हम यहां पर तुम्हारे टैलेंट को लेकर बात कर रहे हैं? नहीं हम यहां पर तुम्हारी मेहनत और तुम्हारे डाले गए एफर्ट्स के बारे में बात कर रहे हैं! अगर तुम एफर्ट ही नहीं डालोगे तो, तुम्हारे टैलेंटिड होने का भी क्या फायदा होता?"
युवराज गुप्ता ने अपने कान में एक उंगली डाली और उससे अपनी खुजली मिटाने लगा, "..."
अगर इस वक्त उसके इस जन्म की उम्र और उसके पिछले जन्म की उम्र को जोड़ा जाए तो वह इस वक्त अपने सामने खड़े हेड टीचर से भी ज्यादा बड़ा था। और अब यह तुच्छ टीचर उसे सीखाने की कोशिश कर रहा है कि जिंदगी में क्या करना ठीक है और क्या करना गलत है?
"..."
"...हम्म!"
कुछ पल की शांति के बाद हेड टीचर ने एक गहरी सांस छोड़ी और युवराज गुप्ता के कंधों को थपथपाते हुए बोला, "अगर मैं सच कहूँ तो अभी कुछ देर पहले तक तो मैं तुम्हें एक स्टूडेंट के रूप में देखकर काफी ज्यादा नफरत महसूस कर रहा था, पर जब मैंने तुम्हें प्लेग्राउंड में खुद के ऊपर ऐसे अत्याचार करते हुए देखा था तो उसका मुझ पर बहुत ही ज्यादा इम्पैक्ट पड़ा था। ऐसा लगता है कि तुम भी सीखना चाहते हो। इसलिए तुम्हारा हेड टीचर होने के नाते मैं तुम्हारी मदद अवश्य करूँगा।"
युवराज गुप्ता अपनी जगह पर जम सा गया, "हम्म?", इस वक्त उसे अपने अंदर से ही यह फीलिंग आ रही थी कि इन बातों में कुछ ना कुछ तो बहुत गलत है।
"अगली क्लास से तुम मेरे बिल्कुल सामने फर्स्ट रो में बैठोगे, मैं तुम्हारे ऊपर हमेशा नज़र रखूँगा और तुम्हें स्पेशली डिसिप्लिन तरीके से कल्टीवेशन करवाऊँगा। अब हम मिलकर तुम्हारे टैलेंट को बढ़ाएंगे!"
युवराज गुप्ता, "???"
"तुम जिस तरीके से निराश होते वक्त अपने आप को टॉर्चर करने में ध्यान लगा रहे थे। वैसे ही अब तुम्हें, वही बिहेवियर अपनी कल्टीवेशन करते वक्त भी अपनाना होगा।"
इतना बोलने के पश्चात हेड टीचर ने अपने चेहरे पर बिल्कुल सीरियस एक्सप्रेशंस ले आये और बोला, "और बात रही स्कूल के मामलों की तो तुम उसकी चिंता बिल्कुल भी मत करो, तुम्हारे बेहतर फ्यूचर के लिए मैं स्कूल में तुम्हारे आवास के लिए स्पेशली अप्लाई करूँगा। जिसकी वजह से तुम अब रोज मेरे कमरे में ही रह सकते हो और मेरे सामने ही कल्टीवेशन कर सकते हो।"
"??!"
"अभी कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में पूरे 33 दिन बचे हुए हैं। सोने के सिवाय हर दिन अब तुम्हें अपने जागने के समय हर घंटे कल्टीवेशन ही करनी होगी! और तुम चिंता मत करो तुम्हारा साथ मैं भी पूरे तरीके से दूँगा और मैं थकने से बिल्कुल भी नहीं डरता हूँ।"
युवराज गुप्ता की आँखें बिल्कुल बड़ी-बड़ी हो गईं, "भाई, प्लीज अब तुम अपना यह मज़ाक बंद करदो…"
हेड टीचर ने अपनी कमर को बिल्कुल सीधा कर लिया और सीरियस टोन में बोला, "मैं अब तुम्हें बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाला हूँ और मुझे आशा है कि तुम भी अपने आप को नहीं छोड़ोगे!"
"प्लीज मुझे जल्दी से जाने दो…"
"जाओ।"
हेड टीचर ने दरवाजे को खोल दिया और आर्डर देते हुए बोला, "क्लास में जाओ। हम क्लास में चलते हैं और तुम्हारी सीट को चेंज करते हैं।"
युवराज गुप्ता को अब जाकर यह एहसास हो रहा था कि हेड टीचर सच में काफी ज्यादा सीरियस है।
वह अपने टीचर के पीछे चलते हुए अपनी क्लास में एंटर किया और सबसे पहली चीज़ क्लास में एंटर करते ही वह पीछे से उठकर फर्स्ट रो के एक स्टूडेंट से अपनी जगह बदल ली।
यह जगह पोडियम के बिल्कुल सामने और टीचर की नज़रों के अंदर थी।
हेड टीचर ने अपने हाथ से युवराज गुप्ता को बैठने का इशारा किया और बोला, "बैठ जाओ!"
"क्या आपने मुझे यह नहीं कहा था कि मुझे आज क्लास में पनिशमेंट के तौर पर पूरे दिन घुसने का अधिकार नहीं है?"
"अब मैं तुम्हें खुद ही बोल रहा हूँ कि बैठ जाओ और कल्टीवेट करो। तुम्हें मेरी बात सुनाई दे रही है कि नहीं?" और इतना बोलने के बाद हेड टीचर ने अपने चश्मे को सही किया और उसे बोला, "अब तुम दूसरे स्टूडेंट्स को डिस्टर्ब मत करो।"
आसपास के सभी स्टूडेंट्स उसे नफरत भरी नज़रों से देख रहे थे।
युवराज गुप्ता, "..."
"ठीक है! ठीक है!" युवराज गुप्ता अपनी सीट पर बैठ गया और अपनी आँखें बंद कर लेता है और कल्टीवेशन पोजीशन में आ गया। वह इस वक्त बिल्कुल ऐसा नाटक कर रहा था कि वह कल्टीवेशन कर रहा है।
इस इलेक्ट्रॉनिक आवाज को अपने कानों में सुनते ही युवराज गुप्ता ने अपनी आँखें खोली और सामने हेड टीचर की ओर देखा। जो उसे ही बिना पलक झपकाए घूर रहा था।
"क्या तुम मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो?" इतना बोलने के पश्चात हेड टीचर युवराज गुप्ता की तरफ हल्के कदमों से बढ़ा और बोला, "तुम तो आध्यात्मिक ऊर्जा को भी अपने शरीर में इकट्ठा नहीं कर रहे हो!"
और इतना बोलते ही हेड टीचर ने युवराज गुप्ता के कंधे पर हल्के जोर से मारा।
"स्लैप!"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
"कल्टीवेट करो!"
"…डैम! हरा…"
युवराज गुप्ता ने अपने मुँह में धीरे-धीरे उसे जितनी गालियाँ पता थीं, वह सभी अपने हेड टीचर को दे दीं और फिर अपने ऊर्जा केंद्र को खोलते हुए अपने शरीर में एनर्जी को फ्लो करवाया।
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
"बिल्कुल सही, इसी तरीके से!"
हेड टीचर ने अपने सर को संतुष्टि में हां में हिलाया और उसे कंप्लीमेंट देते हुए बोला, "यह बिल्कुल भी बुरा नहीं है।"
"बुरा नहीं है? डैम!"
हेड टीचर उसे घूरते हुए बोला, "शट अप! और कल्टीवेट करो!"
"हाँ! हाँ! बिल्कुल ऐसे ही, ऐसे ही करते जाओ और रुकना मत!"
"मैंने कहा, रुकना मत!"
"स्लैप!"
"..."
"हाँ बिल्कुल ऐसे ही! ऊर्जा इकट्ठी करते जाओ!"
हेड टीचर खुश होते हुए बोला, "बहुत अच्छा। अगर तुम ऐसे ही कल्टीवेट करते रहे तो तुम सच में बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग बन जाओगे।"
युवराज गुप्ता, "...मैं दुनिया का सबसे बड़ा बेवकूफ होऊंगा, अगर मैंने तुम्हारी बात पर विश्वास किया तो…"
अगली घंटी बजने तक ‘उल्टी’ तरह की कल्टीवेशन सफलतापूर्वक करने के बाद, आखिरकार क्लास खत्म हो चुकी थी। जिसके खत्म होने के बाद युवराज गुप्ता ने चैन की साँस ली।
और जैसे ही उसे यह एहसास हुआ कि अभी भी उसका ऊर्जा केंद्र बचा हुआ है, वैसे ही वह काफी ज्यादा ‘संतुष्ट’ महसूस करने लगा।
यह सभी स्कूल लीडर्स और उसके हेड टीचर का धन्यवाद था कि अब वह एक साल और रिपीट कर पाएगा और अपने जूनियर्स के साथ पढ़ पाएगा।
इतने में हेड टीचर, जो क्लास के खत्म होते ही अपनी कुर्सी पर बैठ चुका था, युवराज गुप्ता को देखकर बोला, "तुम क्यों रुक गए?"
"अह?" इस सवाल से कन्फ्यूज्ड होते हुए युवराज गुप्ता ने अपने आसपास के स्टूडेंट्स को देखा। उसे आसपास के सभी स्टूडेंट्स दो और तीन बच्चों के ग्रुप में बाहर जाते हुए दिखाई दे रहे थे। इन्हें देखकर वह हैरान होते हुए अपने हेड टीचर से पूछा, "क्लास तो खत्म हो गई है, है ना? देखिए सब जा रहे हैं।"
"उन सभी ने आज की क्लास खत्म होने पर क्लास से बाहर जाने की आवश्यकताओं और शर्तों को पूरा कर लिया है, क्या तुमने किया?"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
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"तुम्हें कहीं पर भी जाने की इजाजत नहीं है। चुपचाप वहाँ अपनी जगह पर बैठो और अपनी कल्टीवेशन शुरू करो!"
" ... क्या तुम मुझे माफ़ नहीं कर सकते हो?"
"मैं तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ!" इस वक्त हेड टीचर युवराज गुप्ता से बहुत ही ज्यादा असंतुष्ट और गुस्से में था, जो उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा था। यह भावना महसूस करते हुए वह बोला, "तुम अपने आप को नुकसान पहुँचाने के काबिल हो, तो तुम्हारे लिए कल्टीवेशन करना कैसे मुश्किल हो सकता है?"
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कुछ गहन पल की शांति के बाद, युवराज गुप्ता खड़ा हुआ और बोला, "ठीक है, मैं तुम्हारी बात मानूँगा, पर अभी मुझे टॉयलेट जाना है।"
"क्या तुम कुछ और देर कंट्रोल नहीं कर सकते?"
"नहीं, मैं और देर कंट्रोल नहीं कर सकता।"
"ठीक है।" इतना बोलकर हेड टीचर भी खड़ा हो गया और बोला, "मैं तुम्हारे साथ जाऊँगा।"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
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"चलो चलते हैं! तुम यहाँ पर क्यों खड़े हुए हो? मैंने सोचा था कि तुम और कंट्रोल नहीं कर सकते हो?"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
हेड टीचर बोला, "असल में मैं भी काफी देर से कंट्रोल कर रहा हूँ और अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है, पर मुझे यह डर था कि जैसे ही मैं यहाँ से जाऊँगा तुम यहाँ से बिना कोई सबूत छोड़े गायब हो जाओगे, इसलिए मैं टॉयलेट नहीं जा रहा था, पर मैंने यह कभी भी नहीं सोचा था कि तुम्हें भी टॉयलेट जाना होगा। हाहा, अगर इस नज़रिए से देखा जाए तो, तुम काफी ज्यादा दूसरों की परेशानियाँ समझने वाले बच्चे हो…"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
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…
किसी बाथरूम की एक टॉयलेट सीट पर बैठे हुए युवराज गुप्ता काफी ज्यादा गहन सोच में डूब चुका था।
उसे यह साफ-साफ पता था कि अगर चीज़ें ऐसे ही चलती रहीं तो वह कभी भी अपनी जिंदगी में अपनी कल्टीवेशन में प्रोग्रेस नहीं कर पाएगा।
वह श्रापित था, जिसकी वजह से वह सामान्य तरीकों से कल्टीवेशन नहीं कर सकता था।
सिर्फ़ मन लगाकर आराम करने से ही वह अपनी कल्टीवेशन में प्रोग्रेस कर सकता था।
अगर वह ऐसे ही अपने इस अच्छे हेड टीचर की नज़र में रहता है तो यह पहली बार होगा कि कोई अच्छे से पढ़-लिखकर भी अपनी बर्बादी को ही प्राप्त करेगा।
और ऐसा तो पॉसिबल ही नहीं था कि वह खुलकर अपनी सिचुएशन सबको समझाए कि वह सबसे ज्यादा अलग है।
अगर उसने ऐसा किया भी, तो कोई भी उस पर विश्वास नहीं करेगा।
और अगर किसी ने उस पर विश्वास कर भी लिया, तो इसका मतलब यही होगा कि वह बहुत ही ज्यादा बड़ी मुश्किल में फंसने वाला है।
"मैं अभी भी यहाँ से बच निकलने की कोशिश करना चाहता हूँ।"
"यह स्कूल…हम्म, अगर मैं यहाँ पर पढूँ भी ना तो कोई बड़ी बात नहीं होगी!"
मन में इस फैसले के साथ, युवराज गुप्ता खड़ा होकर अपनी पैंट को ऊपर किया और फिर कुछ पल की हिचकिचाहट के बाद, उसे दोबारा नीचे कर दिया। टॉयलेट सीट पर बैठकर कुछ पल अपना कार्यक्रम करने के बाद उसने फ्लश किया, खड़ा हुआ और अपनी पैंट को दोबारा ऊपर कर लिया।
"फ्लश!"
और अब आखिरकार अपना नेचुरल कार्यक्रम खत्म करने के बाद उसने अपने टॉयलेट का गेट खोला। जैसे ही वह वहाँ से बाहर निकलकर भागना शुरू किया, वैसे ही वह अचानक से रुक गया…
वॉशरूम के बाहर हेड टीचर किसी गार्ड की तरह खड़ा हुआ था…
हेड टीचर, "हो गया?"
युवराज गुप्ता, "... क्या आपका हो गया?"
हेड टीचर, "हाँ मेरा हो गया, तुम बताओ अपना?"
युवराज गुप्ता, "मैंने तो अभी तक शुरू भी नहीं किया।"
हेड टीचर, "क्या बकवास कर रहे हो! मैंने अभी खुद ने पानी के फ्लश होने की आवाज़ सुनी।"
युवराज गुप्ता, "हाँ, वह मैंने ही किया था क्योंकि मुझे लगा था कि मेरा काम हो गया है पर वह मेरी गलतफ़हमी थी, जिसका एहसास मुझे अभी-अभी हो रहा है। पर तुम चिंता मत करो, अब जाकर मैं अपना काम आखिरकार खत्म करके आता हूँ…"
इतना बोलने के बाद युवराज गुप्ता अपने चेहरे पर डार्क एक्सप्रेशंस लिए वापिस अपने टॉयलेट में आ गया और दोबारा से पैंट नीचे करके बैठ गया।
"मैंने ऐसा भी कौन सा पाप कर दिया, जो मुझे यह सज़ा नसीब हो रही है…"
हेड टीचर उसके टॉयलेट के दरवाज़े के पास आकर नौक करते हुए बोला, "मैं तुम्हारा इंतज़ार बाहर ही कर रहा हूँ!"
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"हम्म…"
टॉयलेट में बैठा हुआ युवराज गुप्ता ऊपर की ओर देखा और एक गहरी साँस ली। और तभी गलती से उसे वहाँ पर एक वेंटिलेशन फैन नज़र आया। इसे देखते ही उसकी आँखें चमक उठीं।
वह जल्दी से अपनी पैंट को ऊपर करके खड़ा हो गया और अपने कान को टॉयलेट के दरवाज़े पर लगाकर बाहर की आवाज़ों को ध्यान से सुनने लगा। कुछ पल कोई भी आवाज़ ना सुनाई देने पर वह जल्दी से अपनी टॉयलेट सीट को बंद करके उसके ऊपर खड़ा हो गया और ऊपर के वेंटिलेशन फैन को इलेक्ट्रिकल सोर्स से जोर लगाकर अलग कर दिया!
"क्रैक…"
"डोंग…"
वेंटिलेशन फैन के उतरते ही उसे वहाँ से भागने के लिए एक बड़ा सा छेद दिखाई दिया।
वह छेद इतना बड़ा था कि वह वहाँ से रेंग कर भाग सकता था।
पर इससे पहले कि बेचारा युवराज गुप्ता वहाँ से रेंग कर बाहर निकलना शुरू भी कर पाता, उससे पहले ही उस बड़े छेद की दूसरी तरफ एक चेहरा सामने आ गया।
वह चेहरा हेड टीचर का था।
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
हेड टीचर एक्सप्रेशनलेस फेस के साथ उससे पूछा, "तुम क्या कर रहे हो?"
"...मुझे…मुझे लगा कि यहाँ से हवा अच्छे तरीके से वेंटिलेट नहीं हो रही थी…"
"स्कूल की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुँचाने के लिए तुम्हारे एंट्रेंस एग्ज़ाम के एक असेसमेंट पॉइंट काट लिए गए हैं। अब चलो मेरे साथ स्टाफ रूम में और अपना फाइन भरो।"
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…
फाइन भरने के बाद, युवराज गुप्ता हेड टीचर के साथ स्टाफ रूम से सीरियस एक्सप्रेशंस के साथ बाहर निकला।
हेड टीचर युवराज गुप्ता के सीरियस एक्सप्रेशंस को देखकर उससे बोला, "तुम जो कहना चाहते हो, बोलो।"
"क्या तुम मुझे वैसे रहने नहीं दे सकते, जैसे मैं रहना चाहता हूँ?"
"नहीं, मैं तुम्हें वैसे नहीं रहने दे सकता, जैसे तुम चाहते हो।"
"इस दुनिया में जहाँ अच्छे स्टूडेंट्स हैं, वहाँ पर कमज़ोर स्टूडेंट्स भी मौजूद हैं पर हम सभी चीज़ों का ध्यान ठीक से तो हमेशा नहीं रख सकते ना और हम सभी चीज़ों में बेस्ट भी हमेशा अचीव नहीं कर सकते, है ना, तुम मेरी बात समझ रहे हो ना?"
"पर…मैं तुम्हें इससे ज़्यादा बिगड़ने नहीं दे सकता।"
सर में दर्द महसूस करते हुए युवराज गुप्ता बोला, "मैं जैसा हूँ, मुझे वैसे ही अकेला छोड़ दो। मुझे मेरी आज़ादी देना ही सबसे अच्छी चीज़ है। वरना मैं बर्बाद हो जाऊँगा। मुझे बस अकेला छोड़ दो। मेरी ज़िंदगी मुझे खुद चलाने दो, फिर चाहे मैं डूबूँ या चाहे तैरूँ।"
इस बात को सुनते ही हेड टीचर अचानक से चलते हुए रुक गया।
पीछे चलता हुआ युवराज गुप्ता भी अचानक से टीचर को रुकता देख अपने पैरों पर ब्रेक लगाया और पूछा, "क्या हुआ?"
"तुम स्टूडेंट हो, टीचर नहीं।" इतना बोलने के बाद हेड टीचर युवराज वेदा की आँखों में देखा और बिना किसी इमोशन के बिल्कुल प्लेन आवाज़ में बोला, "तुम यह कभी सोच भी नहीं सकते कि उस टीचर पर आखिर क्या बीतता है जिसका स्टूडेंट रिजल्ट खराब होने पर खुद को चोट पहुँचाता है।"
युवराज गुप्ता का सर दर्द अचानक से बढ़ गया, "..."
"और तुम्हें खुद को ऐसे चोट पहुँचाता देख मुझे भी अपने टीचर होने पर काफी ज़्यादा शर्म महसूस हुई।" और इतना बोलने के बाद हेड टीचर अपनी आँखों में कॉम्प्लिकेटेड लुक लिए बोला, "इस वजह से मैं तुम्हें पढ़ाने की इतनी ज़्यादा कोशिश कर रहा हूँ। मैं तुम्हें एक भी पल आलस करने नहीं दूँगा। देखना तुम मुझे बाद में इसके लिए धन्यवाद बोलोगे।"
युवराज गुप्ता बोला, "तब तो मैं तुम्हारा सच में शुक्रगुज़ार होऊँगा।"
हेड टीचर, "कॉलेज एंट्रेंस एग्ज़ाम को केवल 33 दिन बचे हैं। इस महीने में सोने के सिवाय तुम्हें अपना हर जागने का घंटा कल्टीवेशन में लगाना होगा! वरना तुम यूनिवर्सिटी तक नहीं पहुँच पाओगे, हमें मिलकर यह पूरी तरह से सुनिश्चित करना होगा कि तुम यूनिवर्सिटी में नहीं तो किसी ना किसी लर्निंग इंस्टीट्यूट में तो ज़रूर एडमिशन ले पाओ!"
युवराज गुप्ता बोला, "आप चिंता मत करो, जिस प्रकार से आप मुझे पढ़ाने वाले हो, उस प्रकार से किसी जूनियर कॉलेज में एडमिशन लेना ही मेरे लिए काफी बड़ी उपलब्धि होगी।"
हेड टीचर, "अगर तब तक तुम मेरे पढ़ाने के बाद भी किसी लर्निंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन ना ले पाए तो एक टीचर होने के नाते मुझे यह संतुष्टि तो रहेगी कि मैंने अपना बेस्ट दिया।"
युवराज गुप्ता, "हम्म, तुम सही कह रहे हो, मुझे समझ में आ चुका है। तुमसे ज़्यादा बुरा… मेरा मतलब अच्छा टीचर ढूँढना आज के समय में सच में काफी ज़्यादा मुश्किल है।"
हेड टीचर, जिसे युवराज की बातों का सही मतलब बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था, खुद के ऊपर प्राउड फील करते हुए युवराज गुप्ता से बोला, "तुम कल से मेरे ही रूम में शिफ्ट करने वाले हो। ताकि मैं तुम्हारी कल्टीवेशन पर पूरा-पूरा ध्यान रख पाऊँ। चलो घर जाओ और अपने पेरेंट्स से इस बारे में बात करो।"
"मेरी माँ इसके लिए पक्का राज़ी नहीं…"
"अगर वह राज़ी नहीं होती हैं तो मैं तुम्हारे घर में स्वयं उन्हें समझाने के लिए आऊँगा। और अगर तब भी यह इम्पॉसिबल रहता है तो मैं तुम्हारे घर में ही शिफ्ट हो जाऊँगा।"
"..."
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +5]
…
ग्रीन सिटी के नंबर 2 मिडिल स्कूल में शाम के 7:00 बजे घंटी बजी।
युवराज गुप्ता जो अपनी सीट पर झुका हुआ था, वह बिल्कुल ऐसा लग रहा था, जैसे उसके शरीर में से उसकी ज़िंदगी को चूस लिया गया हो। उस बेचारे का दिमाग तो अब लगभग ढहने को ही था।
लगभग पूरे दिन इतनी ज़्यादा टॉर्चर भरी ट्रेनिंग करने के बाद आखिरकार वह सफलतापूर्वक अपने एक हफ़्ते पहले की कमज़ोर हालत में पहुँच चुका था…
"यह बिल्कुल भी बुरा नहीं था।"
हेड टीचर युवराज गुप्ता से काफी खुश होते हुए बोला, "अभी भले तुम जितने ही अनटैलेंटेड क्यों ना होओ। अगर तुमने इसी तरीके से मेहनत करनी जारी रखी तो, भले ही इस साल तुम किसी कॉलेज और किसी लर्निंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन ना ले पाओ, पर अगले साल जब तुम अपनी इस क्लास को दोबारा से रिपीट करोगे, तब तुम्हारे पास किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने की आशा ज़रूर होगी।"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +4]
आज जितनी मेहनत उसने की थी, उसकी वजह से उसके क्लासमेट्स की आँखों में उसके लिए नफ़रत तो कम ज़रूर हुई थी। फिर भले ही उन्होंने उससे कुछ ना कहा हो पर वह उनके चेहरे पर यह साफ़-साफ़ देख सकता था।
क्लास की मॉनिटर, जो क्लास की मॉडल स्टूडेंट थी, वह तो क्लास से बाहर जाने से पहले युवराज गुप्ता के पास आकर रुकी और अपनी आँखों के सामने बाहर जाते हुए पूरी क्लास के स्टूडेंट्स के सामने युवराज गुप्ता को थम्स अप देते हुए बोली, "जो मेहनत करते हैं, भगवान उनको इनाम ज़रूर देते हैं, तुम ऐसे ही मेहनत करना जारी रखो।"
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -2, कॉन्फिडेंस -1, किस्मत -1]
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
"क्लैप क्लैप…" हेड टीचर मुस्कुराते हुए युवराज गुप्ता के लिए तालियाँ बजाना शुरू किया, जिससे बाकी पूरी क्लास भी तालियाँ बजाना शुरू कर दी।
"क्लैप क्लैप क्लैप…"
और तुरंत ही पूरी क्लास में तालियों की आवाज़ गूंजने लगी।
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -4, कॉन्फिडेंस -2, किस्मत -1, प्रतिभा -1]
युवराज गुप्ता लगभग रोते हुए खुद से बोला, "...मैंने ऐसा भी कौन सा पाप कर दिया! हूँ हूँ हूँ!"
तो पाठकों आपको क्या लगता है, क्या होगा इस उपन्यास में आगे? और क्या युवराज गुप्ता की माँ उसे हेड टीचर के रूम में रहने के लिए भेजेंगी? और अब कैसे युवराज गुप्ता उस अच्छे ‘हेड टीचर’ के चंगुल से बचेगा?…..ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस उपन्यास के अगले अध्याय सिर्फ़ और सिर्फ़ ‘Story Mania’ ऐप पर। और हाँ अगर अध्याय पसंद आया हो तो लाइक और कमेंट ज़रूर कर देना। इससे मुझे भी अगले अध्याय लिखने में मज़ा आता है।
रात के समय, ग्रीन सिटी की चमचमाती लाइटें अंधेरे में बहुत ही ज्यादा चमकदार दिख रही थीं।
युवराज गुप्ता अपने घर की ओर जा रहा था। उसके चेहरे पर बहुत ही ज्यादा उदास एक्सप्रेशंस थे।
उस बेचारे की ज़िंदगी ट्रांसमाइग्रेशन के बाद अभी-अभी शुरू हुई थी कि उसकी ज़िंदगी में "हेड टीचर" नाम का एक बहुत बड़ा दुश्मन उसके पीछे पड़ चुका था।
अपने सर को नीचे किए, रास्ते पर चलते हुए युवराज गुप्ता अपने दिमाग में हेड टीचर से बचने के प्लान्स बना रहा था। उसने मन ही मन कहा, "यह कैसा रहेगा अगर मैं स्कूल से ही ड्रॉप कर जाऊँ तो?"
अभी जिस प्रकार की उसकी सिचुएशन थी, उसके लिए स्कूल जाना या ना जाना लगभग एक ही समान था।
2 साल घर पर आराम करते हुए गेम खेलना, 2 साल पूरी तरह से फिल्मों को इंजॉय करना, 3 साल तक सभी कोरियन ड्रामा सीरीज़ को खत्म करना और 3 साल सभी पॉपुलर नोवेल्स को पढ़ना। जब तक वह यह सब खत्म करके अपने घर से बाहर, इतने सालों के पश्चात, निकलेगा, तब तक वह इस दुनिया का बड़ा भाई बन चुका होगा।
"पर क्या इतने सालों तक उसकी फैमिली उसे सपोर्ट करेगी, यह तो लगभग इम्पॉसिबल सा था।"
"हम्म…"
और इसी तरह, उदास एक्सप्रेशंस को चेहरे पर लिए युवराज गुप्ता रास्ते के एक पत्थर को लात मार-मार कर उसे भी अपने घर की ओर ले जा रहा था।
"चलो मैं एक सिंपल मैथ्स करके देखता हूँ।"
"जिस तरीके का कमजोर टैलेंट मेरे पास मौजूद है, उसके चलते अगर मैं अच्छे तरीके से कल्टीवेशन करता हूँ, तो लगभग 1 मिनट के अंदर मैं अपनी एक इंटरनल स्ट्रेंथ को बढ़ाता हूँ।"
"पर अब जब मेरी आत्मा इस दुनिया में आ चुकी है और यूनिवर्स द्वारा श्रापित हो चुकी है, तो कल्टीवेशन करना मेरी इंटरनल स्ट्रेंथ को लगातार घटाता ही जाएगा। पर दोबारा से मेरा टैलेंट इतना ज्यादा बेकार है कि मेरी इंटरनल स्ट्रेंथ उतनी भी ज्यादा तेज़ी से नहीं गिरने वाली है।"
"तो इसका मतलब…"
"अगर कॉलेज एंट्रेंस एग्ज़ाम को 32 दिन पड़े हैं और मैं लगातार आज की तरह कल्टीवेशन करता जाता हूँ, तो मेरी कल्टीवेशन 32 दिनों के बाद…"
"…उस स्टेज पर पहुँच जाएगी, जब मैंने अपने हाई स्कूल को जॉइन किया था।"
यहाँ तक सोचने के बाद युवराज गुप्ता अचानक से रुक गया। उसने जिस पत्थर को इतनी दूर से मारते हुए आ रहा था, उसे लात मारकर दूर फेंक दिया और अपने हाथ से एक ताली बजाते हुए खुद से बोला, "यह उतना भी ज्यादा बुरा नहीं है।"
"मुझे अब बस एक ऐसे रास्ते को ढूंढना है, जिससे मेरी इंटरनल स्ट्रेंथ बढ़ती रहे। जो मुझे कल्टीवेशन बढ़ाने नहीं दे रही है, मुझे अब बस यही करना है।"
"एक स्टूडेंट होने के नाते मुझे यह अच्छे से पता है कि पढ़ाई करना आसान नहीं होता है, पर पढ़ाई ना करना तो हमेशा से ही काफी ज्यादा आसान रहा है, है ना?"
यहाँ तक सोचने के बाद युवराज गुप्ता ने अपने फोन को निकाला और अपने ब्राउज़र के सर्च बार में टाइप किया,
[ एक वॉरियर अपने कल्टीवेशन लेवल को कैसे घटा सकता है? ]
इतना टाइप करने के बाद युवराज गुप्ता ने सर्च बटन पर क्लिक कर दिया।
सर्च बटन पर क्लिक करते ही उसके सामने काफी सारी इनफॉरमेशन्स खुलकर आ गईं।
[ अभी सभी ऑनलाइन गेम्स को बंद कर दो! जिसके बाद वॉरियर अपने आप ही बेहतर कल्टीवेटर बनने की राह पर निकल पड़ेगा! ]
[ हाल ही की रिसर्च से यह पता चला है कि जो भी वॉरियर्स ज्यादा मैडमों के साथ ज्यादा डिंग डोंग में उलझते हैं, उनकी कल्टीवेशन ज्यादा जल्दी से नीचे गिरती है। ]
[ वॉरियर्स को प्यार नहीं करना चाहिए। ]
…
धीरे-धीरे युवराज गुप्ता ने सभी जगह से इकट्ठी की हुई इनफॉरमेशन को इंटरनेट से पढ़ लिया।
ऑफ़ कोर्स उसने सभी तरह की बेकार एडवरटाइजमेंट्स को इग्नोर कर दिया था और अपने सवाल के जवाबों को जल्द ही ढूंढ लिया था।
ज़हर!
ल…स्ट!
धूम्रपान! (स्मोकिंग!)
पहला ज़हर:-
जहरीली दवाइयाँ एक वॉरियर के ऊर्जा केंद्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं।
पर ऐसी चीज़ों को इस दुनिया में बैन किया हुआ है, क्योंकि जहाँ इस दुनिया में एलियन बीस्ट्स का आतंक छाया हुआ था, वहाँ ऐसी चीज़ें मानव जाति को खत्म करने का काम करती थीं। जिस कारण जिसके पास भी ऐसी दवाइयाँ मौजूद होती हैं और वह इसे बेचने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें सीधा-सीधा मौत की सज़ा सुना दी जाती है।
इस समय जहाँ मानव जाति खत्म होने की कगार पर थी, उस समय जिस भी कारण से मानव जाति खतरे में पड़ सकती है, उस कारण के पीछे के शख्स को बहुत ही ज्यादा कड़ी सज़ा मिलती है!
जिस कड़ी सज़ा के खिलाफ कोई अपनी आवाज़ भी नहीं उठाता था क्योंकि यह सज़ा बिल्कुल वाजिब सज़ा थी।
जिसके चलते अगर कोई भी ऑर्गेनाइज़ेशन ऐसी जहरीली दवाइयों पर रिसर्च करने की कोशिश करती है, तो उसे तुरंत ही पूरी तरह से खत्म कर दिया जाता था।
दूसरा तरीका था, ल…स्ट।
जो भी वॉरियर हो, चाहे वह औरत हो, चाहे वह मर्द हो, जो भी अपनी ल…स्ट के जाल में फँसता था, उसकी कल्टीवेशन बहुत ही ज्यादा तेज़ी से गिरती थी।
जिसके पीछे का कारण तो आज तक कभी पता नहीं चल पाया।
पर रिसर्च से इतना तो पता लग ही चुका था कि जो भी शख्स अपनी इच्छाओं में ज्यादा डूबता था, उसका ऊर्जा भंडार उतनी ही तेज़ी से गायब होता था।
जिसके चलते एक बार तो वॉरियर कम्युनिटी में सभी लोगों को शादी का डर सताने लगा था।
जिसके चलते एक ऑफिशियल अनाउंसमेंट की गई कि नॉर्मल एक आदमी और औरत के रिलेशनशिप का असर ऊर्जा भंडार पर बहुत ही ज्यादा कम पड़ता है। और इस ऑफिशियल अनाउंसमेंट के बाद कहीं जाकर वॉरियर जाति खत्म होने से बच पाई।
तीसरा तरीका धूम्रपान (स्मोकिंग)।
सिगरेट्स में बहुत ही ज्यादा जहरीली गैसें मौजूद होती हैं। जिनके शरीर में जाते ही इकट्ठा की गई इंटरनल स्ट्रेंथ अपने आप ही खत्म होने लग जाती है।
…
और अब उसके तीनों कल्टीवेशन करने के तरीकों को मध्य नज़र रखते हुए युवराज गुप्ता बिना शर्माए यह बोल सकता था कि उसको दूसरा कल्टीवेशन करने का तरीका सबसे ज्यादा पसंद आया था।
पर ऑफ़ कोर्स यह पॉसिबल बिल्कुल भी नहीं था।
इस समय वह केवल आखिरी कल्टीवेशन वाले मेथड को ही चुन सकता था जो कि स्मोकिंग था।
वह अपने फोन को अपनी जेब में डाल लेता है और अपने वॉलेट को खोल लेता है।
जिसमें एक 100 डॉलर का नोट, एक 10 डॉलर का नोट, एक 5 डॉलर का नोट और कुछ कॉइन्स पड़े हुए थे।
"क्या इतने सिगरेट खरीदने के लिए काफी होंगे?"
कुछ पल इधर-उधर ढूंढने के बाद उसको एक छोटी सुपरमार्केट नज़र आ जाती है। जिसके अंदर वह चला जाता है।
सुपरमार्केट का अटेंडेंट, उसके पास आता है और उससे बड़े ही प्यार से पूछता है, "सर आप क्या खरीदना चाहेंगे?"
"सिगरेट्स।" और अपने शब्दों को बोलने के बाद युवराज गुप्ता उस अटेंडेंट को 100 डॉलर का नोट पकड़ा देता है और आगे बोलता है, "मुझे एक पैक सिगरेट का लाकर दे दो।"
"सिगरेट्स?" वह शॉप अटेंडेंट अपनी जगह पर जम सा जाता है और युवराज गुप्ता को एक अजीब सी नज़र से देखने लगता है और उससे बोलता है, "हम भला सिगरेट्स को क्यों बेचने लगे?"
युवराज गुप्ता अपने माथे पर हाथ मारते हुए बोलता है, "ओह, सच हाँ!"
वह बेचारा अभी कुछ देर पहले ही इस दुनिया में आया था। जिस कारण इस शरीर की पुरानी यादें उसकी यादों के साथ अच्छी तरह से फ्यूज़ नहीं हुई थीं। वह यह भूल चुका था कि सिगरेट्स इस दुनिया में काफी ज्यादा स्पेशल मानी जाती थीं, जो कि स्पेशल सिगरेट्स स्टोर्स द्वारा ही हैंडल की जाती थीं।
इस दुनिया में भले ही सिगरेट्स एक वॉरियर को नुकसान पहुँचाती थीं, पर साथ में यह सिगरेट्स उन कुछ लौती चीज़ों में भी आ गई थीं जो एक वॉरियर के स्ट्रेस को दूर करने का काम करती थीं। जिस कारण यह केवल वही लोग बेच सकते थे जिनके पास गवर्नमेंट द्वारा दिया गया स्पेशल लाइसेंस मौजूद हो।
सुपरमार्केट से निकलने के बाद युवराज गुप्ता दोबारा से अपने फोन को निकाल लेता है और उसमें नेविगेटर खोल लेता है।
[ वेलकम टू दुष्ट मैप्स। ]
[ यह दुष्ट मैप्स आपको कहीं पर भी ले जा सकते हैं, यहां तक कि आपकी मौत के पास भी, इसलिए इनको संभाल कर इस्तेमाल कीजिएगा। ]
[ प्लीज अपनी इच्छा के अनुसार कोई जाने योग्य लोकेशन सर्च कीजिये। ]
"सिगरेट्स स्टोर्स।"
[ सबसे पास का सिगरेट स्टोर 300 मीटर की दूरी पर मौजूद है। क्या आप नेविगेशन को शुरू करना चाहेंगे? ]
"हाँ।"
[ दुष्ट मैप्स आपको आपकी लोकेशन तक पहुँचा रहा है। कृपया करके 65 मीटर्स सीधा चलकर दाईं ओर मुड़ें। ]
दुष्ट मैप्स की गाइडेंस में युवराज गुप्ता जल्द ही एक सिगरेट स्टोर के पास पहुँच जाता है।
उसके सामने मौजूद स्टोर की खिड़कियाँ बहुत ही ज्यादा अच्छे तरीके से साफ़ थीं, जो काफी ज्यादा चमकदार और पॉलिश्ड लग रही थीं।
यह स्टोर टोटल दो फ्लोर्स का था।
स्टोर के अंदर केवल एक फीमेल लेडी बॉस ही मौजूद थी।
उसके डेस्क के ऊपर और उसके साइड में बहुत सारे सिगरेट्स के बॉक्सिस पड़े हुए थे।
अपने फोन को वापिस जेब में डालकर युवराज गुप्ता अपनी ड्रेस को सही करता है और दरवाजा खोलकर अंदर पहुँचकर उस लेडी बॉस से बोलता है, "बॉस मैं कुछ पैक सिगरेट्स के खरीदना चाहता हूँ।"
वह फीमेल लेडी बॉस बिना अपने सर को ऊपर उठाए बोलती है, "मैं नहीं बेच रही।"
युवराज गुप्ता, "???"
युवराज गुप्ता के चेहरे के कन्फ्यूज्ड एक्सप्रेशंस को बिल्कुल इग्नोर करते हुए वह लेडी बॉस अपने सर को ऊपर उठाती है और युवराज गुप्ता को एक बिल्कुल खालीपन से एक्सप्रेशन्स देते हुए बोलती है, "तुम एक स्टूडेंट हो, तो तुम्हें अपनी मार्शल आर्ट्स की प्रैक्टिस करनी चाहिए। आखिर तुम्हारा और स्मोकिंग का भला क्या लेना देना?"
"मैं अपने पिता श्री के लिए खरीद रहा हूँ।"
"तो अपने पिता श्री को बोलो कि वह यहाँ पर अपना आइडेंटिफिकेशन कार्ड लेकर खुद आएँ।"
"मेरे पिता श्री काफी ज्यादा चोटिल हैं। इस वक्त वह अस्पताल में हैं। जिस कारण वह यहाँ पर खुद स्वयं चलकर नहीं आ सकते।"
"चोटिल हैं? और फिर भी उन्हें स्मोक करना है। उन्हें बोलो कि ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन ग्रहण करें।"
"क्या हम कुछ और देर डिस्कस नहीं कर सकते? क्या हो अगर मैं आपको ज्यादा पैसे दूँ तो?"
"दफ़ा हो जाओ, दफ़ा हो जाओ, दफ़ा हो जाओ यहाँ से।"
इस वक्त सिगरेट की दुकान से बाहर फेंके जाने की वजह से युवराज गुप्ता काफ़ी ज्यादा नाखुश था।
जिस कारण वह बाहर से स्पेशल पटाखे वाली माचिसें खरीद लाया, जिसमें से दो माचिसों को जलाने के बाद वह उनको सेकंड फ्लोर की खिड़की से अंदर फेंक देता है।
"बैंग!"
"बैंग!"
सेकंड फ्लोर पर दो ज़ोरदार धमाकों के कारण वह नीचे बैठी हुई फीमेल लेडी बॉस डर जाती है और शॉक के कारण अपनी जगह से उछलते हुए, जल्दी से सेकंड फ्लोर की सिचुएशन को चेक करने के लिए भाग जाती है।
"हुँ।"
युवराज गुप्ता जल्दी से रिएक्ट करता है और बिना किसी देरी के सिगरेट स्टोर में घुस जाता है और 10 डॉलर काउंटर पर रखकर एक रेड पगोड़ा सिगरेट के बॉक्स को उठाता है और वहाँ से भाग जाता है।
"हुँ, अगर तुम मुझे फ़ालतू में नखरे ना दिखाती तो ऐसा कुछ भी ना होता।"
और अपने इन शब्दों को मुँह में बड़बड़ाने के साथ ही युवराज गुप्ता सिगरेट के बॉक्स को खोल लेता है और उसमें से एक सिगरेट को निकालकर अपने मुँह में रखते हुए उसे अपने पटाखे वाली माचिस से जला लेता है और सिगरेट का एक लंबा कश अपने मुँह में भरता है।
"हिस्स…"
"बैंग!"
और ठीक इसी वक्त पर वह माचिस उसके हाथ में फट जाती है।
[ दर्द को डिटेक्ट किया गया: ऊर्जा और खून +2 ]
"पफ्फ़…"
वह धीरे-धीरे सिगरेट के धुएं को कंज्यूम करने लगता है।
[ शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +12 ]
{ राइटर नोट: देखो शरीर पर इसका कितना बुरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए नेवर एवर स्मोक! }
"ओह माय गॉड!"
इस इलेक्ट्रॉनिक आवाज़ को अपने कानों में सुनते ही युवराज गुप्ता काफ़ी ज्यादा हैरान हो चुका था, पर ठीक अगले ही पल वह बहुत ही ज्यादा खुश भी हो जाता है।
[ शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +16 ]
"पफ्फ़…"
[ शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +13 ]
"हा हा हा! हिस्स…"
[ शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +14 ]
"ओसम, ओसम!"
[ शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +15 ]
"डैम! यह तो बहुत ही ज्यादा ओसम है!"
[ शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ … ]
इस वक्त वह यह अच्छे से फील कर पा रहा था कि कैसे उसका ऊर्जा केंद्र एनर्जी से भरता ही जा रहा था!
इस वक्त उसके शरीर में इंटर्नल स्ट्रेंथ काफ़ी ज्यादा मात्रा से बढ़ चुकी थी। जिस कारण अचानक से उसका शरीर बहुत ही ज्यादा ताकतवर महसूस कर रहा था!
इस वक्त उसके शरीर की हर हड्डी, हर खून की बूँद, हर सिंगल सेल पूरी तरह से ताकत से भर चुका था!
"इस तरह की ग्रोथ…"
युवराज गुप्ता अपनी आँखें बंद करता है और खुद से बोलता है, "कम से कम मैं कल अपनी कक्षा में आखिरी लोएस्ट रैंकिंग स्टूडेंट तो नहीं रहूँगा…"…
युवराज गुप्ता कुछ पल बाद अपनी बढ़ती ताकत की खुशी को शांत किया और स्वयं को शांत किया। सिर नीचे करके, उसने अपने हाथ में पकड़ी रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट को देखा, मानो वह अपने मार्शल आर्ट्स के मार्ग को देख रहा हो। बिना हिचकिचाहट, युवराज गुप्ता ने सिगरेट के बॉक्स को फिर से खोला। इस बार उसने तीन सिगरेटें अपने मुँह में दबाकर एक साथ जलाईं।
"हिस्स…"
तीनों सिगरेटें तेज लाल रोशनी से जल उठीं, जिसकी रोशनी समय के साथ कम होने लगी। युवराज गुप्ता उन तीनों सिगरेटों के जहरीले धुएं को एक साथ अपने फेफड़ों में खींचने लगा।
[शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +34]
[शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: लंग हेल्थ +1, फिजिकल हेल्थ +1, लुक्स +1, इम्यूनिटी +1]
"पफ्फ…"
धुएं से फायदा लेने के बाद, युवराज गुप्ता ने अपने मुँह से बहुत घना काला धुआँ बाहर निकाला। धुआँ निकलते ही युवराज गुप्ता के शरीर में कपकपी सी छूट गई। उस वक्त युवराज गुप्ता अपने ऊर्जा केंद्र में बहुत अधिक ऊर्जा महसूस कर रहा था। इस ऊर्जा को महसूस करते ही उसका दिल संतुष्टि से भर गया। फिर उसने सिगरेट का बॉक्स खोला और दो और सिगरेटें निकालकर एक साथ जलाकर पीने लगा।
"हिस्स…"
"पफ्फ…"
[शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +47]
[शरीर पर जहरीली गैसों से हमला किया गया: लंग हेल्थ +1, फिजिकल हेल्थ +1, लुक्स +1, इम्यूनिटी +1, जिंदगी की उम्मीद +1...]
ठीक उसी वक्त, एक बूढ़ा आदमी युवराज गुप्ता के पास से गुजरा। उसकी नज़र पागलों की तरह सिगरेट पी रहे युवराज गुप्ता पर पड़ी तो वह हैरान रह गया।
"डैम। यह यंग लड़का…"
"क्या यह अपनी ज़िंदगी कुछ ज़्यादा ही लापरवाही से नहीं जी रहा है? माय गॉड…"
5 सिगरेटें खत्म करने के बाद, युवराज गुप्ता ने सिगरेट के टुकड़ों को सड़क पर फेंक दिया और एक दीवार के सहारे लगकर अपनी आँखें बंद कर लीं। आँखें बंद करते ही उसे एक डकार आई। वह यह दावे से कह सकता था कि 2 मिनट में जितनी उसकी इंटर्नल स्ट्रेंथ बढ़ी है, उतनी दुनिया का सबसे ज़ीनियस शख्स 2 मिनट में नहीं बढ़ा सकता। एक सिगरेट पूरी तरह से पीने पर उसकी इंटर्नल स्ट्रेंथ 150 पॉइंट से बढ़ती है।
"अगर मैंने लगातार 24 घंटे सीधा स्मोकिंग की तो…"
आँखें खोलते ही, युवराज गुप्ता ने अपनी सोच पर सिर हिलाया। बाकी सिगरेटें और माचिसें अपने बैग में डालकर वह घर की ओर चलने लगा। वह अब तक 6 सिगरेटें पी चुका था। इससे उसे अंदाज़ा हो गया था कि एक सिगरेट उसे कितनी इंटर्नल स्ट्रेंथ देती है। एक रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट उसके 10 दिन के सख्त कल्टीवेशन के बराबर थी। और एक पैकेट में 20 सिगरेटें होती थीं। अगर वह सब एक साथ पी ले तो…
"वह इससे अपनी आधी साल जितनी कल्टीवेशन प्राप्त कर सकता था…"
युवराज गुप्ता ने गहरी साँस छोड़ी। जब तक वह यह सिगरेट का पैकेट खत्म करेगा, तब तक उसकी स्ट्रेंथ क्लास में लो से मीडियम रेंज में पहुँच चुकी होगी। अगर इस स्ट्रेंथ को वॉरियर स्टैंडर्ड लेवल के हिसाब से देखा जाए तो वह लेवल 0.3 का वॉरियर बन चुका होगा। उसकी क्लास में जिसका लेवल 0.5 तक होगा, उसे क्लास का टॉप स्टूडेंट माना जाएगा। 0.8 लेवल के वॉरियर स्टूडेंट को पूरे स्कूल का टॉप स्टूडेंट माना जाएगा, जो कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में टॉप रैंकिंग स्टूडेंट्स में आ सकता है। अगर कोई लेवल 1 का वॉरियर बन जाता है तो बिना कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम दिए वह सोसाइटी में अपना कदम रख सकता है और हजारों डॉलर कमा सकता है। क्योंकि ज्यादातर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट स्टूडेंट्स केवल लेवल 1 के ही वॉरियर होते हैं।
"तो मतलब जब तक मेरे पास सिगरेट्स की सप्लाई आती रहेगी…"
इतना बोलते ही युवराज गुप्ता की आँखें छोटी हो गईं और वह बोला, "तब तक मैं लेवल 1 का वॉरियर कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम से पहले ही बन सकता हूँ।"
"अगर मैं ज्यादा से ज्यादा सिगरेट्स पर अपना हाथ जमा लेता हूँ, तो मेरा इस सिटी का राजा बाबू बनना बिल्कुल भी इम्पॉसिबल नहीं होगा…"
उसी वक्त, एक लोकल पुलिस थाने में…
सिगरेट स्टोर की लेडी बॉस गुस्से से पुलिस थाने में घुसी और लगभग आदेश देते हुए बोली, "जो ड्यूटी पर शख्स मौजूद है, वह कहाँ पर है? मुझे पुलिस चाहिए! मुझे एक रिपोर्ट फाइल करनी है।"
एक पुलिसमैन उसके पास आया और उसे ऊपर से नीचे तक देखने के बाद सीरियस टोन में बोला, "लेडी, तुम पहले शांत हो जाओ! और मुझे बताओ कि हुआ क्या है?"
"मेरे सिगरेट स्टोर से सिगरेटें चुरा ली गई हैं!"
वह पुलिसमैन अचानक चौंक गया, "सिगरेटें चुरा ली गई हैं?"
उस समय सिगरेटें काफी महंगी थीं, इसलिए उन्हें "लग्जरी आइटम्स" माना जाता था। और जब भी ऐसी चीज़ चोरी होती थी, तब इसमें बहुत अधिक पैसों की इंवॉल्वमेंट होती थी।
"कितने सिगरेटों के बॉक्स चोरी हो चुके हैं?"
"एक बॉक्स।"
"एक…एक बॉक्स?"
वह लेडी गुस्से से कांपते हुए बोली, "हाँ, एक रेड पगोड़ा माउंटेन का सिगरेट बॉक्स चोरी हो चुका है।"
"वैसे देखा जाए तो एक बॉक्स का चोरी होना उतनी भी कोई बड़ी बात नहीं है, पर…उस चोर ने मुझे जानबूझकर उकसाया है!"
"उसने तुम्हें उकसाया कैसे है?"
"वह मेरे पास उन सिगरेटों के बदले कुछ पैसे छोड़कर गया है!"
"..."
पुलिसमैन के चेहरे के भाव अजीब हो गए और वह बोला, "तो इसे चोरी तो नहीं कहा जा सकता, है ना? जब उसने तुम्हें उन सिगरेटों के बदले पैसे दिए हैं, तो उसने एक तरीके से उन सिगरेटों को खरीदा है।"
"एक रेड पगोड़ा माउंटेन के सिगरेट का पैक 1680 डॉलर का आता है और उसने जानबूझकर मेरे ऊपर 10 डॉलर फेंक कर मारे हैं। इसे चोरी नहीं कहा जाएगा? इसे उकसाना भी नहीं कहा जाएगा?"
पुलिसमैन, "..."
"मेरे पास उसका सीसीटीवी फुटेज है। मैं उसको पकड़ कर ही रहूँगी और उसे मेरी तरफ से एक जोरदार थप्पड़ दूँगी!"
"मैडम, अब जब आपके पास सीसीटीवी फुटेज है तो इस मामले को संभालना बहुत आसान है। मैडम, आप पहले शांत हो जाइए…"
जब तक युवराज गुप्ता अपने घर लौटा…
तब तक डिनर तैयार हो चुका था। युवराज की माँ उसके पास आई, उसका बैग लिया और भौंहें चढ़ाते हुए पूछा, "आज तुम इतना लेट कैसे हो गए?"
"मैं आज ज्यादा देर तक पढ़ने के लिए रुक गया था। इसलिए मैं थोड़ा सा लेट हो गया।" हाथ धोने के बाद वह डिनर टेबल पर गया और अपनी सीट पर बैठ गया। इधर-उधर देखते हुए उसने अपनी माँ से पूछा, "मेरी बहन कहाँ है?"
"तुम्हारी बहन तुम्हारा इंतज़ार करके थक गई थी, इसलिए वह अपने रूम में चली गई है।"
"तो ठीक है, मैं उसे ले आया।"
युवराज गुप्ता अपनी सीट से उठकर किचन से बाहर निकला और सीधा एक बेडरूम की तरफ गया और वहाँ पहुँचते ही गेट खोल दिया। गेट खुलते ही उसे बेड पर एक यंग, हॉर ग्लास फिगर की लड़की पीठ के बल लेटी हुई दिखी। उसकी खूबसूरत टांगें शॉर्ट्स में सीधी थीं और वह ऊपर देखते हुए किसी सोच में खोई हुई थी।
युवराज गुप्ता, "..." (अपनी बहन में खोया हुआ सा निशब्द)
स्वरा गुप्ता किसी को अपने कमरे में महसूस करते ही अपनी नज़र दरवाजे की ओर की और वहाँ खोए हुए युवराज गुप्ता को देखकर पूछा, "तुम मुझमें क्या देखने की कोशिश कर रहे हो?"
"...तुम्हें पता है अगर तुमने इस वक्त अपना मुँह खोलकर कुछ ना बोला होता, तब मैं शायद यह सोच भी लेता कि तुम कुछ खूबसूरत हो।"
"क्यों मेरे मुँह खोलने से कोई प्रॉब्लम है?"
युवराज गुप्ता अपने माथे पर हाथ मारते हुए बोला, "मेरी स्वीट सी दीदी, अब तुमने ऐसे इस तरीके से जवाब देना कैसे सीख लिया, तुम पहले तो कभी ऐसे नहीं…"
स्वरा गुप्ता अपने बेड से उठकर अपने कपड़े सही की और अपने बालों को सेट करके पीछे करते हुए बोली, "कल मेरे ऑफिस को एक टफ करेक्टर वाली लड़की ने जॉइन किया था, जो ऐसे ही सबको मुँह तोड़ जवाब देती है।"
"और तुमने एक ही दिन में उससे इतना सब कुछ सीख लिया?"
स्वरा गुप्ता जवाब देते हुए बोली, "हाँ बिल्कुल, तुम्हें तो पता ही है कि मैं कितनी इंटेलिजेंट हूँ और कितनी जल्दी चीजें सीख जाती हूँ…"
युवराज गुप्ता उसकी बातों को इग्नोर करते हुए बोला, "...डिनर टाइम।"
स्वरा गुप्ता उठकर जल्दी से बाहर जाते हुए बोली, "ठीक है, अब जल्दी से आ जाओ और अब ज्यादा और लेट मत करना।"
"..."
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +1]
स्वरा गुप्ता युवराज गुप्ता को अपने पीछे-पीछे किचन में ले आई और वे सभी डाइनिंग टेबल के इर्द-गिर्द बैठ गए। डाइनिंग टेबल पर बैठते ही युवराज गुप्ता ने चैन की साँस ली। आज घर आने से पहले वह काफी डर रहा था। उसे डर था कि अब जब वह पहले के समय में आ चुका है तो उसकी माँ और उसकी बहन बदल चुकी होंगी। पर भगवान का शुक्र है कि सिर्फ़ इस वक़्त अगर कोई चीज़ बदली थी तो वह उसकी फैमिली का "सोशल स्टेटस", बाकी कुछ भी नहीं बदला था…
श्रीमती गुप्ता अपने बाउल से एक चिकन का पीस निकालकर युवराज गुप्ता के बाउल में डालते हुए बोली, "जल्दी से खाना खा लो, वरना खाना ठंडा हो जाएगा।"
युवराज गुप्ता को अपने खाने में लहसुन बिल्कुल भी पसंद नहीं था, इसलिए उसने लहसुन के टुकड़े को अपने खाने से निकालकर स्वरा गुप्ता के बाउल में डालते हुए बोला, "दीदी, आप भी तो खाओ ना, खाना ठंडा हो जाएगा।"
स्वरा गुप्ता भी अपने चम्मच से उस लहसुन के टुकड़े के साथ-साथ अपनी नापसंद सब्जियां भी युवराज गुप्ता के बाउल में डाल देती है और बोलती है, "भाई, तुम पहले खाओ और अपने आप में जो न्यूट्रिएंट्स की कमी हो गई उसको पूरा करो!"
युवराज गुप्ता दोबारा से अपने चम्मच को उठा लेता है, "बहन अच्छा तो यह रहेगा कि तुम पहले खाओ।"
स्वरा गुप्ता वहीं पास में पड़े सलाद काटने वाले चाकू को उठा लेती है और स्माइल के साथ बोलती है, "भाई तुम्हारे बाद!"
युवराज गुप्ता उस चाकू से बिना डरे सीधा अपने पूरे बाउल को स्वरा गुप्ता के बाउल में पलटी करने के लिए उठा लेता है और साथ में एक प्लेट भी अपनी सुरक्षा करने के लिए उठा लेता है। स्वरा गुप्ता भी कहाँ हार मानने वाली थी, वह अपनी जगह से खड़ी होती है और जिस चेयर पर वह बैठी थी उसको उठाकर एक प्यारी सी स्माइल के साथ बोलती है, "भाई तुम खाना क्यों नहीं खा रहे?"
"बैंग!"
श्रीमती गुप्ता अपने हाथ को जोर से टेबल पर मारती हैं और बोलती हैं, "ठीक से इंसानों की तरह खाना खाओ!!"
अपनी बहन से तीन थप्पड़ और अपनी माँ से एक थप्पड़ खाने के बाद, और बहन को एक मुक्का मारने और माँ से डाँट पड़वाने के बाद, युवराज गुप्ता को आखिरकार एक घर, एक फैमिली की फीलिंग महसूस हुई।
"हम्म, जैसा कि मैंने सोचा था…"
"आखिरकार कुछ भी नहीं बदला है।"
युवराज गुप्ता अब लड़ाई से संतुष्ट होकर अपनी माँ के हाथ की बनी बिरयानी को अपने मुँह में डालकर चबाता है और उसके टेस्ट से संतुष्ट होने के बाद जैसे ही निगलता है, वैसे ही…
[खाने का समय: भूख का लेवल +5, लुक्स -1, फिजिकल हेल्थ -1…]
युवराज गुप्ता, "डैम, सब कुछ बदल चुका है…"
"प्लॉप"
उस इलेक्ट्रॉनिक आवाज को अपने कानों में सुनते ही युवराज गुप्ता का चम्मच उसके हाथ से छूटकर उसके बाउल में गिर गया। गिरते ही युवराज गुप्ता ने अपना सर नीचे कर लिया और धीमे से बोला, "मैं और नहीं खा रहा हूँ।"
"वाह क्या बात है!"
अभी युवराज गुप्ता ने ये शब्द बोले ही थे कि उसके साथ बैठी स्वरा गुप्ता ने तुरंत ही उसके बाउल में से अनछुए चिकन पीस को उठा लिया और अपनी पिंक क्यूट जीभ को अपने मुँह से बाहर निकालते हुए, उस पीस को चाटते हुए बोली, "मैंने इसको चाट लिया है, अब यह मेरा है।"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +4]
"मज़ाक करना बंद करो!" मिसेज़ गुप्ता ने अपना हाथ टेबल पर जोर से मारा। उनकी नाखुशी साफ़ दिख रही थी। उस नाखुशी में उन्होंने युवराज गुप्ता को देखा और अपनी आँखें छोटी करते हुए पूछा, "क्या तुम्हें खाना पसंद नहीं आया?"
युवराज गुप्ता खिड़की से बाहर देख रहा था और बोला, "नहीं, ऐसी बात नहीं है।" इस वक़्त उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स बिलकुल ऐसे हो गए थे जैसे वह जीना ही न चाह रहा हो। उन एक्सप्रेशन्स को अपने चेहरे पर लिए वह आगे बोला, "मुझे अचानक से एहसास हो रहा है कि मैं बिलकुल भी भूखा नहीं हूँ..."
"क्या तुमने स्कूल में कुछ खाया था?"
"नहीं, बस मुझे भूख नहीं है।"
मिसेज़ गुप्ता कुछ पल के लिए हिचकिचाईं और फिर पूछा, "क्या तुम्हारे दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा है, जो तुम्हें परेशान कर रहा है?"
स्वरा गुप्ता ने उस पीस को खाकर अपनी तेल में डूबी हुई उंगलियों को चाटा और अपने दाँत दिखाते हुए, तिरछी मुस्कान के साथ बोली, "इसके दिमाग में पक्का कुछ चल रहा है। अभी कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में केवल एक महीना ही बचा है और जिस तरीके की इसकी आउटस्टैंडिंग कैपेबिलिटीज़ हैं, उस हिसाब से इसको भूख ना लगना बहुत ही ज्यादा नॉर्मल बात है।"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +1]
स्वरा गुप्ता, "आखिरकार जो भी हो, इसे कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम के दौरान फाइटिंग रिंग में तो जाना ही पड़ेगा और वहाँ पर पब्लिक के सामने एक ही मुक्के में ढेर हो जाना काफी ज्यादा शर्मनाक होगा। जिसके कारण इसने अभी से भूख हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया है। किसको पता, शायद यह कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम से पहले ही अस्पताल में भर्ती हो जाए..."
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +3]
स्वरा गुप्ता, "मैंने तो यह भी सुना है कि मृत्यु के सामने कई जानवर अपनी भूख को भी खो देते हैं।"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +5]
स्वरा गुप्ता, "छोटे भाई, तुम्हें यह याद रखना होगा कि कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम से बचने का तरीका सिर्फ भूख हड़ताल ही नहीं है, और भी कई तरीके हैं। और उन तरीकों के कारण जब तुम पुलिस द्वारा पकड़े जाओ, तो तुम्हें पुलिस के सामने हमेशा ईमानदार रहना है और अपनी गलती को मानना है।"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +7]
स्वरा गुप्ता, "पर तुम्हारी बड़ी बहन होने के नाते, मैं तुम्हें यही एडवाइस दूँगी कि तुम जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा खाना खाओ और मोटे हो जाओ। जिसके बाद जब तुम्हें फाइटिंग रिंग में पीटा जाएगा, तब तुम्हें उतना दर्द महसूस नहीं होगा।"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +3]
स्वरा गुप्ता, "पर इसमें एक बात ज़रूर है, जब तुम्हारा दुश्मन तुम्हें मारेगा तब उन्हें भी कोई दर्द महसूस नहीं होगा। वह कितने ज्यादा लकी होंगे कि उन्हें तुम जैसा इतना फ्लफी दुश्मन मिलेगा, जो उन्हें रैंक पुश करने में मदद करेगा, काश उनकी जगह मैं होती।"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +11]
मिसेज़ गुप्ता अब और इन बातों को नहीं सुन पाईं और थोड़ी ऊँची आवाज़ में चिल्लाते हुए बोलीं, "स्वरा! तुम्हारे लिए यही अच्छा रहेगा कि तुम अपना मुँह बंद कर लो!"
स्वरा गुप्ता ने अपने सर को हाँ में हिलाया और जवाब दिया, "ठीक है, माँ।"
"..." अब तक स्वरा गुप्ता के इन शब्दों के कारण युवराज गुप्ता का मेंटल स्टेट काफी ज्यादा हाई हो चुका था। जिसके कारण उसे काफी ज्यादा अच्छा महसूस हो रहा था। और अब इस फीलिंग को और भी ज्यादा महसूस करने के लिए वह अपनी माँ से बोला, "माँ, उसको बोल लेने दीजिये। वह मुझे काफी ज्यादा अच्छे से मोटिवेट कर रही है!"
स्वरा गुप्ता ने अपने हाथ को ना में हिलाया और अपने हिस्से का मीट खाते हुए बोली, "मेरे पास और कुछ भी नहीं है, बोलने को! कुछ भी नहीं...म्म!" और इतना बोलने के पश्चात स्वरा गुप्ता ने टेबल के नीचे से अपने एक फ्री हाथ से छोटा सा गिफ्ट निकाल कर युवराज गुप्ता को दिया और बोली, "यह तुम्हारे लिए है।"
"यह क्या है?"
"यह तुम्हारे लिए मेरी तरफ़ से एक छोटा सा गिफ्ट है।"
"क्याआआ? तुम मुझे गिफ्ट दे रही हो? सूरज आज सही दिशा से तो निकला था ना?" और इतना बोलने के पश्चात युवराज गुप्ता बिल्कुल सतर्क होते हुए अपनी बहन से उस गिफ्ट को ले लिया और अपनी माँ, मिसेज़ गुप्ता को देते हुए बोला, "माँ, मैं यह गिफ्ट आपको दे रहा हूँ।"
मिसेज़ गुप्ता थोड़ी इमोशनल होती हुईं, "...मेरा बेटा कितना ज्यादा प्यारा है।"
युवराज गुप्ता, "वह तो मैं हूँ ही। पर माँ आपको इस गिफ्ट को बहुत ही ज्यादा सावधानी से खोलना चाहिए। किसको पता इसमें बॉम्ब हो?"
स्वरा गुप्ता ने अपनी आँखें गोल घुमाईं और बोली, "तुम्हें क्या लगता है कि तुम मेरे लिए इतने इम्पॉर्टेन्ट हो कि मैं तुम्हें खत्म करने के लिए एक बॉम्ब खरीदने तक की ज़हमत उठाऊँगी..."
मिसेज़ गुप्ता अपने पुत्र को डाँटते हुए बोलीं, "अपनी बहन के बारे में ऐसा मत सोचो। वह चाहे कितनी भी मतलबी क्यों ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता कि वह तुम्हें बॉम्ब गिफ्ट में दे।"
युवराज गुप्ता जवाब देते हुए बोला, "हम्म, अब तो मुझे भी लग रहा है कि आप बिलकुल सही बोल रही हैं। ज़्यादा से ज़्यादा वह मुझे कुछ ग्रेनेड्स गिफ्ट में दे सकती है।"
मिसेज़ गुप्ता भी सहमति में अपना सर हिलाते हुए बोलीं, "हम्म, वह तुम्हें कुछ ग्रेनेड्स गिफ्ट में दे सकती है। ऐसा होना पॉसिबल भी है।"
स्वरा गुप्ता, "..." (निशब्द)
...
युवराज गुप्ता ऑफ़ कोर्स स्वरा गुप्ता के गिफ्ट को खोल लेता है।
जिसे खोलते ही उसे एक मुट्ठी के साइज़ का लकड़ी का डब्बा दिखाई देता है।
उस लकड़ी के डब्बे के ढक्कन को खोलते ही उसे उसमें पाँच गोल भूरे रंग की पिल्स दिखाई देती हैं।
और उन पिल्स के साइड में, एक इंस्ट्रक्शन मैन्युअल को भी साथ में रखा गया था। जिसके टाइटल पर उस पिल का नाम लिखा हुआ था।
"यह तो...ऊर्जा बूस्टिंग पिल्स हैं!" मिसेज़ गुप्ता शॉक्ड होते हुए पूछती हैं, "स्वरा, तुम्हारे पास इसको खरीदने के पैसे कहाँ से आए?"
"ऑफ़ कोर्स मैंने पैसे सेव किये थे।" अपने इन शब्दों को बोलने के पश्चात स्वरा गुप्ता ने अपनी लातें क्रॉस कर लीं और अपने दोनों हाथों को अपने ऊपर वाले घुटने पर ऐसे रख लिया जैसे वह कहीं की सीईओ हो, जिसे पैसे उड़ाने की बिलकुल भी चिंता ना करनी पड़ती हो।
और फिर अगले ही पल वह एक और मीट का पीस उठा लेती है और उसे मुँह में भरते हुए लगभग ना समझ आने वाली भाषा में बोलती है, "एक पिल हर दो दिन में तब लेनी है, जब पहले वाली पिल शरीर में अच्छे से अब्जॉर्ब हो जाए!"
वहीं युवराज गुप्ता अपनी जगह पर पूरे तरीके से स्तब्ध हो चुका था।
अगर वह ठीक से याद कर पा रहा था तो बेसिक ऊर्जा बूस्टिंग पिल भी कम से कम 20,000 डॉलर्स की आती थी।
और इन पाँच ऊर्जा बूस्टिंग पिल्स की टोटल लागत 100,000 डॉलर्स से ज्यादा ही थी...
अपने कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में फेल होने के पश्चात, स्वरा गुप्ता को एक फीमेल मैन्युअल लेबर की जॉब ही, एक छोटी फैक्ट्री में मिली थी। जिसकी सैलरी 3000 डॉलर्स से कुछ ज्यादा ही थी। आखिर वह इन पिल्स को कैसे अफोर्ड कर सकती थी?
"दीदी..." इतना बोलने के पश्चात युवराज गुप्ता कुछ पल के लिए शांत रहता है और फिर सीरियस एक्सप्रेशंस के साथ उस लकड़ी के डब्बे को बंद करते हुए बोलता है, "क्या आपने कोई ऐसा काम किया है? जिसकी वजह से आपको अपने आपको धोखा देना पड़ा है..."
"बैंग!"
स्वरा गुप्ता का चेहरा पूरे तरीके से लाल हो गया। उस लाल चेहरे के साथ उसने अपना चम्मच युवराज गुप्ता के माथे की ओर फेंका और उसे डाँटते हुए बोली, "शट अप! अपनी बकवास बंद करो!"
"आउच!...तो फिर तुम आखिर इन ऊर्जा बूस्टिंग पिल्स को कैसे अफोर्ड कर सकती हो?"
"सेविंग्स, और कुछ इंस्टॉलमेंट्स! क्या इससे तुम्हें कोई प्रॉब्लम है?"
"...यह बहुत ही ज्यादा महंगी हैं।" युवराज गुप्ता ने अपना सर ना में हिलाया और बोला, "इन्हें वापिस कर दो।"
"नहीं।" स्वरा गुप्ता ने अपनी आँखों की एक भौं उठाई और बोली, "मैंने इन्हें तुम्हारे लिए खरीदा है। इसलिए तुम्हें इन्हें खाना ही होगा। कम से कम इनकी मदद से जब तुम कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में फाइटिंग रिंग में चढ़ोगे तो तुम एक से ज्यादा मुक्के तो सहन कर पाओगे और अपने दुश्मन को वार्म अप करने में तो मदद करोगे।"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
वैसे तो युवराज के दिल को स्वरा गुप्ता के इस जेस्चर ने काफी गहराई तक छू लिया था, पर स्वरा गुप्ता के इन शब्दों के कारण यह फीलिंग तुरंत ही गायब भी हो गई थी...
"स्वरा, तुम तब से इस चीज को खरीदने के लिए सेविंग कर रही थी?" मिसेज़ गुप्ता ने अपनी आँखों में बहुत ही ज्यादा कॉम्प्लिकेटिड लुक को लिए बोला, "तुम्हें पता तो है कि तुम्हारे भाई के टेलेंट क्वालिफिकेशन के चलते अगर वह ऐसी 10 पिल्स भी खा ले तो वह यूनिवर्सिटी में पार्ट नहीं ले पाएगा।"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +2]
युवराज गुप्ता, "...माँ बिलकुल सही कह रही हैं।"
"कम से कम इनको खाने के पश्चात मेरा भाई खुद की सुरक्षा तो कर पाएगा, मेरे लिए बस इतना ही काफी है।" स्वरा गुप्ता ने अपना चेहरा झुकाकर अपने खाने को खाते हुए आगे बोला, "कम से कम वह मेरी तरह तो नहीं होगा।"
और जैसे ही स्वरा गुप्ता के मुँह से ये शब्द निकले, वैसे ही पूरे कमरे में सन्नाटा सा छा गया।
2 साल पहले, कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम के फाइटिंग रिंग में, स्वरा गुप्ता के अपोनेंट ने जानबूझकर उसके ऊर्जा केंद्र पर घातक हमला किया था। जिसके कारण स्वरा गुप्ता का ऊर्जा केंद्र पूरी तरह से बर्बाद हो गया था और वह आम इंसानों में भी सबसे ज्यादा लो लेवल पर पहुँच गई थी।
और इसके चलते उसे काफी ज्यादा सीरियस चोटें भी आई थीं जो अभी तक पूरे तरीके से ठीक नहीं हुई थीं...
स्वरा गुप्ता ने उस लकड़ी के डिब्बे को वापिस ले लिया और उसमें से एक पिल निकाल कर युवराज गुप्ता को देते हुए बोली, "इसे खा लो।"
"मैं इसे खाने वाला नहीं हूँ, इसे वापिस कर दो।"
"मैं इसे वापिस नहीं कर सकती हूँ। मैंने इसे स्टोर से खरीदा है और पेमेंट करने के लिए इंस्टॉलमेंट्स के ऑप्शन को चुना है। जिसके चलते अगर मैंने रिफंड की मांगी तो मुझे पूरी अमाउंट का 25% कंपनसेशन के तौर पर देना पड़ेगा।"
"तो क्या हम इसे दूसरे को नहीं बेच सकते?"
स्वरा गुप्ता अब गुस्से से भड़कते हुए बोली, "अगर तुम इसको नहीं खाने वाले हो तो मैं इन्हें डस्टबिन में फेंक देती हूँ।"
वहीं मिसेज़ गुप्ता भी गहरी साँस छोड़ते हुए बोलीं, "युवराज, तुम्हारी बहन बस तुम्हारी मदद ही करना चाहती है। अब उसने इनको खरीद ही लिया है तो तुम इनको खा लो। वैसे भी इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि तुम यूनिवर्सिटी तक तो पहुँचने वाले नहीं हो। इनको खाकर तुम कम से कम बुरे तरीके से तो नहीं हारोगे और अपनी फैमिली का नाम तो नहीं डूबाओगे।"
"..."
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"क्या आप यूनिवर्सिटी के बारे में बात करना बंद कर सकती हैं?"
"तुम किसी छोटे लर्निंग इंस्टीट्यूट में भी नहीं सिलेक्ट हो पाओगे।"
"..."
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युवराज गुप्ता ना चाहते हुए भी उस पिल को एक्सेप्ट कर लेता है और खड़ा होकर वहाँ से जाते हुए बोलता है, "तुम इसको मुझे दे दो, मैं समय आने पर इनको खा लूँगा।"
"क्या तुम इन्हें बेचने के बारे में सोच रहे हो?" स्वरा गुप्ता युवराज गुप्ता के इंटेंशन को तुरंत ही अपनी एक नज़र से देख लेती है और बोलती है, "तुम मेरे भाई हो। मैं यह अच्छे से बता सकती हूँ कि तुम्हारे इरादे बिलकुल भी नेक नहीं हैं...भूल जाओ, अब मुझे इसके बारे में और बात नहीं करनी है। चुपचाप इसको लो और खाओ!"
"...तुमने क्यों इन पैसों से अपना इलाज नहीं करवा लिया? क्या इससे हमारी फैमिली को ज़्यादा फायदा ना हो जाता?"
"जल्दी करो और इसको खाओ। इससे बचने का तुम्हारे पास कोई रास्ता भी नहीं है। मैं तुम्हें इन्हें खिलाकर ही रहूँगी और बात रही इलाज की तो, तुम चिंता मत करो। मैं जल्द ही अपनी बीमारी की वजह से मरने वाली नहीं हूँ, पर अगर तुमने इनको ना खाया तो तुम रिंग से बाहर भी नहीं आ पाओगे।"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +2]
अपनी बहन के प्रेशर के चलते युवराज गुप्ता के पास कोई भी रास्ता नहीं बचता है। जिसके कारण उसे जबरदस्ती वह पिल खानी पड़ती है।
उस पिल को गले से नीचे निगलते ही युवराज गुप्ता को अपने ऊर्जा केंद्र में काफी ज्यादा गरम महसूस होता है। जिसके तुरंत पश्चात ही उसे अपने दिमाग में जानी-पहचानी सी एक इलेक्ट्रॉनिक आवाज़ सुनाई देती है।
[दवाई के असर को डिटेक्ट किया गया: इंटरनल स्ट्रैंथ -366, लुक्स -4, सहनशक्ति -2]
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +6]
वहीं युवराज गुप्ता को पिल को निगलते देख स्वरा गुप्ता के चेहरे पर संतुष्टि के एक्सप्रेशन्स आ जाते हैं।
युवराज गुप्ता उसका अकेला भाई था।
वह उसकी माँ के पश्चात उसका सबसे ज्यादा करीबी था।
अगर वह उसकी परवाह नहीं करेगी, उसे अच्छे से ट्रीट नहीं करेगी तो वह आखिर यह सब किसके लिए करेगी?
और इसी सोच के साथ वह बाकी सभी पिल्स को अपने पास संभाल कर रखते हुए बोलती है, "अभी चार और पिल्स पड़ी हैं। तुम इनको बेच ना दो इसलिए मैं इन्हें अपने साथ सेफ रखूँगी और अब से तुम एक पिल को हर 2 दिन में खाओगे। जब तुम इन सभी को खा लोगे, तब मैं तुम्हारी बहन, तुम्हारे लिए और पिल्स खरीद दूँगी।"
स्वरा गुप्ता के ये शब्द युवराज गुप्ता के दिल को इतनी ज्यादा गहराई से छू जाते हैं कि युवराज गुप्ता की आँखों के कोने से आँसू बहने लगते हैं।
"...तुम...तुम सच में मेरी सच्ची बहन हो और तुम्हारा और मेरा रिश्ता खून का रिश्ता है।" ...
तो रीडर्स आपको क्या लगता है, क्या होगा इस नॉवल में आगे? और अब बेचारा युवराज गुप्ता अपनी बहन की इस अच्छाई से कैसे बचेगा?.....ये जानने के लिये पढ़ते रहिये इस नोवल के अगले चैप्टर्स सिर्फ और सिर्फ, 'Story Mania' app पर और हाँ अगर चैप्टर पसंद आया हो तो like और comment जरूर कर देना। इससे मुझे भी अगले चैप्टर्स को लिखने में मज़ा आता है।
"तुम...तुम सच में मेरी सगी बहन हो।"
"मैं भला तुम्हारी सगी बहन क्यों नहीं होऊँगी?" स्वरा गुप्ता ने अपना सिर ऊपर उठाकर युवराज गुप्ता को देखते हुए कहा, "अगर तुम मेरे छोटे भाई ना होते तो मैं तुम्हारी इतनी परवाह भला क्यों करने लगती?"
"बेटा, तुम तो अपने छोटे भाई के प्यार में अंधी ही हो चुकी हो..."
वहीं दूसरी तरफ, बेचारा युवराज गुप्ता उदास होकर लगभग रोने की कगार पर पहुँच चुका था। अब उस बेचारे को केवल इस पिल के प्रभावों को कैंसिल करने के लिए ही दो रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट्स पीनी पड़ेंगी।
"दीदी, भविष्य में अगर आपके पास पैसे भी हुए तो प्लीज मेरे लिए कोई चीज़ मत खरीदना।"
स्वरा गुप्ता ने अपनी आँखें छोटा करते हुए कहा, "क्या तुम खुद पर विश्वास खो चुके हो? क्या तुमने संघर्ष से हार मान ली है?"
युवराज गुप्ता बोला, "मैं यूनिवर्सिटी में खुद की ताकत से एडमिशन लेना चाहता हूँ! ना कि किसी बाहरी हेल्प से।"
स्वरा गुप्ता ने जवाब में कहा, "तुम्हारे पास ताकत है?"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +1]
युवराज गुप्ता, "...बोलती जाओ।"
स्वरा गुप्ता ने अपने शब्द जारी रखते हुए कहा, "कुछ पूरे तरीके से बर्बाद हो चुकी यूनिवर्सिटीज़ के अलावा तुम्हें क्या लगता है कि बाकी यूनिवर्सिटीज़ में से कोई भी तुम्हें एक नज़र से ज़्यादा देखने वाली हैं?"
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +1]
युवराज गुप्ता, "...बोलती जाओ।"
स्वरा गुप्ता, "अब मेरे पास कुछ भी कहने को नहीं है।"
युवराज गुप्ता ने तुरंत उसे टोंकते हुए कहा, "क्या तुम अभी से हिम्मत हार चुकी हो? क्या यही तुम्हारी औकात है?"
स्वरा गुप्ता ने अपना बाउल उठाया और खाने का एक निवाला मुँह में रख लिया। फिर उस निवाले को चबाते हुए वह बोली, "तुम बस कुछ दिन इंतज़ार करो। तब तक मैं कुछ ऐसे शब्दों और लाइनों का इज़ाद कर लूँगी, जिससे तुम बहुत ही ज़्यादा उदास और आत्मग्लानि महसूस करने वाले हो..."
"मेरे लिए कुछ दिनों का इंतज़ार करना लगभग इम्पॉसिबल है।" युवराज गुप्ता ने कप के पानी से अपने मुँह में पिल के बेकार टेस्ट को गायब किया और बिल्कुल ऐसे नाटक किया, जैसे वह काफ़ी ज़्यादा पछतावा महसूस कर रहा हो। जिस नाटक को प्रस्तुत करते हुए वह बोला, "आने वाले महीने में मैं घर वापिस नहीं लौट पाऊँगा।"
यह बात सुनते ही स्वरा गुप्ता अपनी जगह पर जम सी गई।
वहीं दूर, दूसरी साइड चेयर पर बैठी हुई मिसेज़ गुप्ता भी इस बात से सरप्राइज़्ड होते हुए हैरानी से पूछती हैं, "भला ऐसा क्यों?"
"मुझे पता है कि आप लोग मुझे यहाँ से जाने नहीं देना चाहते और मैं भी आप लोगों को छोड़कर जाना नहीं चाहता, पर मेरा होम रूम टीचर मुझे कह रहा है कि मुझे उसके रूम में ही अगले महीने के आखिर तक, कल्टीवेट करने के लिए उसके पास रहना पड़ेगा।"
स्वरा गुप्ता ने अपना चम्मच नीचे रखते हुए, हैरानी से पूछा, "तो...तो इसका मतलब मैं तुम्हें अगले 1 महीने तक नहीं देख पाऊँगी?"
युवराज गुप्ता ने सीरियस एक्सप्रेशंस के साथ अपने सर को बार-बार हाँ में हिलाया और बोला, "हाँ, पर आप लोग होम रूम टीचर को कॉल करके इस ऑफ़र को डाउन कर सकते हो!"
यह बात सुनते ही स्वरा गुप्ता की आँखें चमक उठती हैं, "1 महीने तुम्हें नहीं देख पाऊँगी...यह तो बहुत ही ज़्यादा बढ़िया बात है। मैं आखिर इस ऑफ़र को क्यों मना करने लगी। माँ, इस खुशखबरी के मौके पर मुझे एक और बाउल राइस दो!"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +5]
मिसेज़ गुप्ता स्वरा गुप्ता को चावल देने के लिए उससे बाउल लेती हैं और उसे गुस्से से घूरती हैं। फिर वह युवराज गुप्ता की ओर देखती हैं और उससे बोलती हैं, "युवराज, तुमने बचपन से लेकर अब तक कभी भी अपने घर से बाहर रात नहीं गुज़ारी है। यह वह मामला है जो तुम्हारी माँ तुम्हारे होम रूम टीचर के साथ डिसाइड करेगी। मुझे उनका नंबर दो।"
"ठीक है!" अपनी माँ की इस बात को सुनकर युवराज गुप्ता काफ़ी ज़्यादा खुश हो जाता है। वह तुरंत ही अपने फ़ोन को निकालता है और होम रूम टीचर का नंबर डायल करते हुए बोलता है, "माँ, आप ही हैं जो मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करती हैं और मेरी यह अकेली बहन तो बस नाम की बहन है। मेरे किसी भी काम तो आती नहीं है।"
युवराज गुप्ता से फ़ोन लेने के पश्चात्, मिसेज़ गुप्ता सीरियस एक्सप्रेशंस के साथ युवराज के फ़ोन को अपने कान पर लगा लेती हैं और दूसरे साइड के इंसान के कॉल उठाने का वेट करने लगती हैं।
"रिंग..."
"रिंग..."
"हेलो, कौन बोल रहा है?"
मिसेज़ गुप्ता ने अपनी आवाज़ को थोड़ा बढ़ाते हुए कहा, "मैं युवराज गुप्ता की माँ बोल रही हूँ।"
फ़ोन की दूसरी तरफ़ से होम रूम टीचर की आवाज़ सुनाई देती है, "ओह...ओह, हेलो, हेलो।"
"जी सर, मैंने सुना कि आप युवराज गुप्ता को अगले महीने तक अपने ही रूम में रखने वाले हो?"
"जी हाँ, मैंने ध्यान दिया है कि यह बच्चा, युवराज गुप्ता सीखना तो सब कुछ चाहता है पर इसे ठीक से गाइडेंस नहीं मिल रही है। जिसके कारण अब मैंने इसे स्वयं 1 टू 1 पढ़ाने का फ़ैसला किया है।"
यह बात फ़ोन पर सुनते ही युवराज गुप्ता ने अपने हाथ से ना-ना के इशारे करने लगा और धीमी आवाज़ में बोला, "उनको मना कर दो! मना कर दो उनको! उनको मना कर दो..."
"तो फिर..." इन शब्दों को बोलने के पश्चात् मिसेज़ गुप्ता ने अपनी कमर को सीधा किया और अपने फ़ोन पर पकड़ कसते हुए हल्के से झुकते हुए बोला, "तो फिर टीचर मुझे आपको परेशान करना पड़ेगा।"
युवराज गुप्ता, "?"
मिसेज़ गुप्ता आगे बोलती हैं, "जी मुझे पता है कि मेरा यह लड़का काफ़ी ज़्यादा निकम्मा है, जिसकी वजह से आपको इतनी परेशानी उठानी पड़ रही है। प्लीज आप मुझे इसके लिए माफ़ करना और अगर यह ध्यान से नहीं पढ़ता है तो आप इसको ज़रूरत पड़ने पर मार भी सकते हैं!"
युवराज गुप्ता, "??"
मिसेज़ गुप्ता, "जी, जी मैं इसके बैग्स आज रात ही पैक कर देती हूँ, आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए। यह कल तक आपके पास पढ़ने के लिए पहुँच चुका होगा।"
युवराज गुप्ता, "???"
मिसेज़ गुप्ता, "आप मेरे युवराज गुप्ता की कितनी ज़्यादा केयर कर रहे हैं। एक माँ होने के नाते भला मैं आपके साथ कॉर्पोरेट कैसे नहीं करती, मैं सच में आपकी बहुत शुक्रगुज़ार हूँ..."
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
स्वरा गुप्ता, "होहो, हाहाहा, हाहाहा, खों, खों, हाहाहा, हीहीही..."
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +8]
...
अपने चेहरे पर डार्क एक्सप्रेशंस लिए युवराज गुप्ता वापिस अपने बेडरूम में आ जाता है और अपनी जैकेट को निकालकर बेड पर बिना हिले सीधा लेट जाता है।
"यह मेरे लिए सच में बहुत ही ज़्यादा मुश्किल होने वाला है..."
"मेरी यह फैमिली, हम्म..."
"चलो कोई बात नहीं, अगर मैं घर पर भी नहीं रहता हूँ तो, इससे ज़्यादा कुछ फ़र्क नहीं पड़ेगा!"
[आलस्पन की प्रगति: इंटर्नल स्ट्रेंथ +1]
[आलस्पन की प्रगति: इंटर्नल स्ट्रेंथ +1, हेल्थ +1]
[आलस्पन की प्रगति: इंटर्नल स्ट्रेंथ +1]
कुछ समय पश्चात् (भगवान जाने कितने समय पश्चात्)...
युवराज गुप्ता, जो बस अब गहरी नींद में सोना ही चाहता था, वह अचानक से उठ खड़ा होता है और अपने पेट पर हाथ फेरते हुए बोलता है, "मैंने आज सुबह से कुछ भी नहीं खाया है। मैं और अब बिल्कुल नहीं सह सकता।"
युवराज गुप्ता अपने बेडरूम से निकलता है और किचन की तरफ़ चलने लगता है।
किचन में पहुँचते ही वह खाने के लिए कुकीज़ निकाल लेता है और किसी भेड़िये की तरह उस पर टूट पड़ता है।
[खाने का समय: भूख का लेवल +5]
[खाने का समय: भूख का लेवल +9]
अब तक तो खाना खाने के बावजूद भी युवराज गुप्ता की भूख का लेवल इतना ज़्यादा बढ़ चुका था कि अब उसका पेट भूख की वजह से आवाज़ें निकालने लग गया था।
जिन आवाज़ों को सुनकर युवराज गुप्ता उदास होते हुए बोला, "ओह गॉड मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है..."
और वहीं ठीक इसी वक्त पर मिसेज़ गुप्ता किचन में हलचल को सुनते ही अपने मास्टर बेडरूम से बाहर निकलकर किचन में आ जाती हैं और उबासी लेते हुए बोलती हैं, "युवराज तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"
"खा रहा हूँ!"
"तुम्हें किसने अभी डिनर के वक्त खाने से मना किया था? अब तुम्हें भूख लगी हुई है, है ना?"
"नहीं, मेरा पेट अब काफ़ी ज़्यादा भर चुका है..."
कुछ समय पश्चात् अपने भूखे पेट पर हाथ रखते हुए युवराज गुप्ता वहाँ किचन से चला जाता है और बाहर आकर अपनी सिगरेट को जला लेता है।
"हिस्स।"
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +14]
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: फेफड़ों की हेल्थ +1, लुक्स +1, इम्यूनिटी +1]
"पफ्फ..."
"..."
"..."
"हम्म..."
अपनी सिगरेट को खत्म करने के पश्चात्, युवराज गुप्ता सिगरेट के बचे हुए हिस्से को भी चबाकर खा लेता है।
[ज़हरीली चीज़ को खाया जा रहा है: इंटरनल स्ट्रेंथ +52, पेट की हेल्थ +4, शारीरिक अवस्था +3, किडनी हेल्थ +5...]
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +1]
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट -1]
इस वक्त पर उस बेचारे को यह समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसे इस वक्त खुश होना चाहिए कि दुखी होना चाहिए...
काफ़ी देर नींद ना आने के कारण युवराज गुप्ता हार मानकर अपने स्टडी टेबल पर से गेमिंग कंसोल उठा लेता है और गेम खेलने लगता है। शायद इस दुनिया में उसके लिए सिर्फ़ गेम्स ही ऐसी चीज़ें थीं, जो उसके लिए नॉर्मल थीं क्योंकि गेम्स में चीज़ें जैसी होनी चाहिए, वह चीज़ें बिल्कुल वैसी ही हो रही थीं। चोट लगने पर हेल्थ कम हो रही थी और हीलिंग पोशन पीने पर कैरेक्टर की हेल्थ बढ़ रही थी।
[आलस्पन की प्रगति: इंटर्नल स्ट्रेंथ +1]
अब गेम्स खेलते हुए वह साथ में इन्जॉय करने के लिए कोला भी पीने लगता है।
[आलस्पन की प्रगति: इंटर्नल स्ट्रेंथ +2]
[अनजान लिक्विड का ग्रहण किया जा रहा है: हड्डी की मजबूती +1, शारीरिक स्वास्थ्य +1]
कुछ घंटे गेम्स में बिताने के पश्चात्, युवराज गुप्ता अपने फ़ोन के ब्राउज़र को खोल लेता है और सुंदर-सुंदर स्त्रियों की प्रशंसा करना शुरू कर देता है...
"..."
तो रीडर्स आपको क्या लगता है, क्या होगा इस नॉवल में आगे? और अब बेचारा युवराज गुप्ता कल से होम रूम टीचर के कमरे में कैसे रहने वाला है?.....ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस नॉवल के अगले चैप्टर्स सिर्फ़ और सिर्फ़ 'Story Mania' ऐप पर और हाँ अगर चैप्टर पसंद आया हो तो like और comment ज़रूर कर देना। इससे मुझे भी अगले चैप्टर्स को लिखने में मज़ा आता है।
रात भर तूफान मचाने के बाद युवराज गुप्ता को आखिरकार कुछ घंटों के लिए नींद आ गई।
अभी वह सो ही रहा था कि बाहर से स्वरा गुप्ता के चीखने की आवाज उसके कानों में पड़ी, "युवराज! खाने का समय हो गया है! क्या तुम अभी तक नहीं उठे हो?"
यह आवाज सुनते ही युवराज गुप्ता जाग गया और अपने ऊपर से चादर हटाकर जैसे ही उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किए और आसपास फैले अपने आर्टवर्क को देखा, तो वह एक गहरी सोच में डूब गया।
"तुम उठे कि नहीं!"
गहरी सोच में डूबा हुआ युवराज गुप्ता तुरंत होश में आया और छोटा सा जवाब देते हुए बोला, "मैं जाग चुका हूँ..."
और इतना जवाब देने के बाद युवराज गुप्ता ने अपने कमरे की खिड़कियाँ खोल दीं ताकि वह अपने मचाए तूफान की स्ट्रांग स्मेल को अपने कमरे से बाहर भेज सके। खिड़कियाँ खोलते ही वह अपने बेड से नीचे ज़मीन पर छलांग लगा दिया।
छलांग लगाते ही उसका पैर चारों तरफ फैले "टिश्यूज़ के महासागर" में डूब गया...
"अब मैं भला इसको साफ कैसे करने वाला हूँ..."
वहीं कुछ पल बाद भी युवराज गुप्ता को अपने कमरे से बाहर ना आता देख,
स्वरा गुप्ता और इंतज़ार नहीं कर पाई और अपने हाथ में चावल से भरे बाउल को पकड़कर युवराज गुप्ता के कमरे के बाहर पहुँच गई। जिसके बाद उसने दरवाज़ा खोलते हुए अंदर जाकर कहा, "क्या तुम जल्दी नहीं कर सकते, तुम अपने स्कूल के लिए लेट हो... जाओ... गे..."
"अंदर मत आना!"
"लेट... तुम लेट हो..."
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
स्वरा गुप्ता, "..." (निशब्द)
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
स्वरा गुप्ता, "...तुम अब अपने इस शक्ति प्रदर्शन को साफ कर सकते हो, ठीक है..."
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +8]
स्वरा गुप्ता चुपचाप युवराज गुप्ता के कमरे का दरवाज़ा बंद करके वापस अपने डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गई। वहाँ बैठते ही उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में पकड़ा हुआ चावल का बाउल अभी भी हल्के से कांप रहा था।
मिसिस गुप्ता अपना खाना खाते हुए पूछीं, "युवराज क्या कर रहा है? वह अभी तक बाहर क्यों नहीं आया?"
स्वरा गुप्ता ने जवाब में कहा, "वह अपनी ज़िंदगी के साथ खेल रहा है..."
ब्रेकफास्ट होने के बाद दोनों गुप्ता भाई-बहन घर से एक साथ बाहर निकले।
युवराज गुप्ता ने अपना बैग पीठ के पीछे लिया हुआ था और स्वरा गुप्ता ने अपने हाथ में एक सूटकेस लिया हुआ था।
दोनों में से कोई भी एक-दूसरे से कुछ नहीं बोला।
जैसे ही वे दोनों युवराज गुप्ता के स्कूल के गेट के बाहर पहुँचे, वैसे ही स्वरा गुप्ता ने युवराज गुप्ता को वह सूटकेस पकड़ाते हुए शांति को भंग करते हुए कहा, "टीचर के रहने का रूम तुम्हारे घर जैसा नहीं होगा, इसलिए समझदारी से अपने और सबके हाइजीन का ख्याल रखना और वहाँ पर किसी के गुस्से को ट्रिगर मत करना।"
"ठीक है, मैं समझ गया!"
इतना बोलने के बाद युवराज गुप्ता ने अपनी बहन से वह सूटकेस ले लिया और स्कूल की तरफ़ अपना सर नीचे किए हुए चलने लगा।
"रुको एक मिनट..."
"क्या कुछ और भी बाकी है?"
"हम्म..." स्वरा गुप्ता कुछ पल के लिए हिचकिचाई और फिर सही शब्दों का चयन करने के बाद अपने मन के ख्यालों को आवाज़ देते हुए बोली, "पहली बात तो यह है कि मैं तुम्हारा मज़ाक नहीं उड़ाना चाहती, बिल्कुल भी नहीं उड़ाना चाहती..."
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
स्वरा गुप्ता अपनी बात जारी रखते हुए बोली, "पर..."
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
अपने हाथों में अपना सूटकेस लिए और पीठ के पीछे बैग लिए युवराज गुप्ता का चेहरा ना चाहते हुए भी लाल होने लगा।
वहीं स्वरा गुप्ता के गाल भी लाल होने लगे।
पर उसकी बड़ी बहन होने के नाते यह उसका फर्ज़ बनता था कि वह अपने भाई की "फिजिकल और मेंटल" हेल्थ का ध्यान रखे।
जिसके कारण वह आखिरकार अपनी हिम्मत जुटा लेती है और बोली, "पर... पर हर चीज़ की एक लिमिट होती है। किसी भी चीज़ की अति फ़ायदे से ज़्यादा नुकसान कर सकती है..."
और ठीक इसी समय स्वरा गुप्ता ध्यान से युवराज गुप्ता के चेहरे को देखती है, जिस पर कमज़ोरी का तो नामोनिशान नहीं था, बल्कि उल्टा उसका चेहरा तो रोज़ से भी ज़्यादा एक्टिव, खून से भरा हुआ, हेल्दी नज़र आ रहा था और एक अलग ही नूर के साथ चमक रहा था।
जिसे देखते ही स्वरा गुप्ता अपने शब्दों को बदलते हुए बोली, "अगर अभी कोई इफेक्ट नज़र नहीं भी आ रहा है तो लंबे समय तक इसको करने से तुम्हारी बॉडी इसको बिल्कुल भी नहीं सहन कर पाएगी, तुम समझ रहे हो ना मेरे कहने का मतलब?"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
"चलो छोड़ो इस बात को, अब तुम बड़े हो चुके हो और मुझे लगता है कि तुम अपनी बड़ी बहन की बात को अच्छे से समझ पा रहे हो। इसलिए मैं अब तुमसे ज़्यादा कुछ नहीं बोलूँगी।" और इतना बोलने के बाद स्वरा गुप्ता अपने कदम पीछे ले लेती है और अपना हाथ हिलाते हुए बाय करती है और कहती है,
"अब अपने स्कूल जाओ और जब तुम्हें लगे कि तुम्हारे पास लंच को खरीदने के पैसे ना हो तो मुझे एक बार बता देना मैं आ जाऊँगी और हाँ एक दिन के बाद मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी ऊर्जा बूस्टिंग पिल्स को भी साथ लेकर ज़रूर आऊँगी।"
युवराज गुप्ता आखिरी बात सुनते ही घूम जाता है और जाते हुए बोलता है, "बाय!"
"बाय..."
फिर आखिरकार इस बात को कन्फर्म करते ही कि युवराज गुप्ता स्कूल के अंदर चला गया है, स्वरा गुप्ता एक चैन की साँस लेती है और अपना फ़ोन निकालकर उसमें कुछ टाइप करती है।
[आखिर एक नॉर्मल आदमी के लिए एक रात में कितनी बार मैस्टर**** करना नॉर्मल माना जाता है?]
और टाइप करने के बाद सर्च बटन पर क्लिक करते ही स्वरा गुप्ता के सामने वेब पेज पर हज़ारों की तादाद में इनफॉर्मेशन एक बार में ही प्रस्तुत हो जाती है।
पहले वेब पेज पर तो सारी मेडिकल ऑर्गेनाइजेशंस की एडवर्टाइजमेंट ही शो हो रही थी।
जिसमें से एक "फ़्री इंक्वायरी विद चीफ़ फ़िजिशियन" नाम की एडवर्टाइजमेंट पर स्वरा गुप्ता बस ऐसे ही क्लिक कर देती है।
[फ़िजिशियन राकेश: हेलो, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?]
"मैं यह पूछना चाहती हूँ कि एक यंग लड़के के लिए एक रात में 100 से भी ज़्यादा बार मैस्टर**** करना, क्या नॉर्मल माना जाता है?"
[फ़िजिशियन राकेश: इस लेवल की इंटेंसिटी से तो चिंगारियां निकल गई होंगी, है ना?]
स्वरा गुप्ता, "..." (निशब्द)
"जितना ज़्यादा मैं इस श्राप के बारे में जानता जा रहा हूँ, उतना ही ज़्यादा इस श्राप का खौफ बढ़ता जा रहा है।"
"भविष्य में अगर कभी मैंने गर्लफ्रेंड ढूँढनी शुरू की तो मुझे एक ताकतवर गर्लफ्रेंड ढूँढनी पड़ेगी..."
इस वक़्त सीधा टीचर्स के रूम बिल्डिंग की तरफ़ चलते हुए युवराज गुप्ता काफ़ी ज़्यादा चिंतित महसूस कर रहा था।
"यह काफ़ी ज़्यादा खौफनाक है..."
इस वक़्त भविष्य की कल्पना मात्र से युवराज गुप्ता को अपने शरीर में कपकपी छूटती हुई सी महसूस होती है। पर फिर कुछ पल बाद वह एक गहरी साँस छोड़ता है और अपने दिमाग में से फ़ालतू के ख्यालों को निकालकर अपनी स्पीड बढ़ाता है।
उसे टीचर्स के रहने की बिल्डिंग के सामने पहुँचने में ज़्यादा समय नहीं लगता है।
कुछ पल बाद अपने होम रूम (इंचार्ज) टीचर के रूम को ढूँढते ही वह उनके दरवाज़े पर खटखटाता है।
"नॉक-नॉक।"
"युवराज गुप्ता क्या तुम बाहर हो? आ जाओ अंदर।"
युवराज गुप्ता दरवाज़ा खोलकर अंदर जाता है। जहाँ अंदर जाते ही उसे नज़र आता है कि एक साफ़ कमरे में उसका होम रूम टीचर अपने साफ़ डेस्क पर बैठकर स्टूडेंट्स के टेस्ट पेपर्स को चेक कर रहा है।
इस वक़्त भले ही दुनिया मार्शल कल्टीवेशन के युग में पहुँच चुकी थी, पर सब्जेक्ट्स और एग्ज़ाम ने अभी भी यहाँ के स्टूडेंट्स का पीछा नहीं छोड़ा था। इस युग में भी ऐसे कई सब्जेक्ट्स थे, जिन पर ध्यान देना अति आवश्यक था।
डेस्क पर बैठा हुआ होम रूम टीचर जैसे ही युवराज गुप्ता को अंदर आते हुए महसूस करता है, वैसे ही वह युवराज गुप्ता की ओर देखता है। पर उसे देखने के बाद भी वह अपने हाथों को टेस्ट पेपर चेक करने से नहीं रोकता है और उसे बोलता है, "अपने सूटकेस को मेरे बेड के नीचे रख दो। जब हम दोनों स्कूल से आज रात वापिस आ जाएँगे तब मैं तुम्हारे लिए एक गद्दे का इंतज़ाम कर दूँगा।"
युवराज गुप्ता अपना सूटकेस नीचे रखता है और बोलता है, "टीचर चलिए ना, इस बारे में भूल जाते हैं। आपका रूम बहुत ही ज़्यादा छोटा है। दो लोगों के यहाँ रहने से यह काफ़ी ज़्यादा तंग हो जाएगा।"
"अगर यह बात तुम्हें मेरे कमरे में रहने से परेशान कर रही है, तो तुम मेरे बेड पर सो जाना और मैं नीचे फ़र्श पर सो जाऊँगा।"
"क्या आपको ध्यान में भी है कि कौन से शब्द आपके मुँह से बाहर निकल रहे हैं..." इस वक़्त युवराज गुप्ता काफ़ी ज़्यादा शर्मिंदा महसूस कर रहा था, जिस शर्मिंदगी के कारण वह बेड पर बैठ जाता है और बोलता है, "ठीक है मैं आपकी बात मानूँगा और यहीं ऊपर बेड पर ही सो जाऊँगा।"
"..." युवराज गुप्ता के इन शब्दों को सुनते ही होम रूम टीचर के हाथ में पकड़ा हुआ पेन रुक जाता है और हल्के से काँपने लगता है।
युवराज गुप्ता, "थैंक यू टीचर।"
होम रूम टीचर, "..." (निशब्द)
होम रूम टीचर अपनी जगह से खड़े होते हुए घूम जाता है और युवराज गुप्ता को साइड लुक देते हुए उससे पूछता है, "तुम्हें नहीं लगता है कि तुम उंगली पकड़ने की जगह पूरा हाथ पकड़ने की कोशिश कर रहे हो?"
"नहीं टीचर, आप गुस्सा मत होइए।" युवराज गुप्ता एक्सप्लेन करते हुए बोलता है, "मुझे तो बस बेड पर सोने की आदत है, और मेरी इस आदत ने मेरे लिए एक काफ़ी ज़्यादा ख़राब कंडीशन को जन्म दे दिया है। अगर मैं बेड पर नहीं सोता हूँ तो मुझे खांसी आने लगती है।"
"अगर तुम्हें बेड पर सोने की आदत है, तो तुम यहाँ से जा सकते हो!"
"जी ठीक है!" युवराज गुप्ता झुकता है और अपना सूटकेस उठाकर वहाँ से जाने के लिए दरवाज़े की ओर चलने लगता है।
होम रूम टीचर अर्थात क्लास का इंचार्ज तुरंत ही गुस्से से भड़क उठता है और चिल्लाते हुए बोलता है, "युवराज गुप्ता! अब तुम यहाँ से जाने की हिम्मत करोगे!"
ऑफ़ कोर्स युवराज गुप्ता वहाँ से जाने की हिम्मत करता है।
ना केवल वह वहाँ से जाने की हिम्मत करता है, बल्कि वह वहाँ से भागने की भी हिम्मत करता है...
दरवाज़ा खोलने के बाद वह अपनी लंबी टांगों से लंबे-लंबे कदम लेते हुए पलक झपकते ही 10 मीटर से भी ज़्यादा दूरी तय कर चुका था...
पर आखिरकार होम रूम टीचर तो असल में एक वॉरियर था, वह युवराज गुप्ता को तुरंत ही पकड़ लेता है और उसे किसी हलाल होने वाली मुर्गी की तरह पकड़ते हुए वापिस कमरे में ले जाता है।
"क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं तुम्हें छत से उल्टा टांग दूँगा?"
"जी मुझे विश्वास है।"
"तो, फिर क्या तुम अब बेड पर सोओगे या नीचे फ़र्श पर?"
युवराज गुप्ता अपनी नाक सिकोड़ते हुए बोलता है, "अब जब तुम मुझे बेड पर सोने ही नहीं देना चाहते हो तो यह फ़ालतू का सवाल क्यों पूछ रहे हो? और अच्छा बनने की व्यर्थ कोशिश क्यों कर रहे हो?"
"मैं तो तुम्हें फ़्री में वन टू वन ट्यूशन दे रहा हूँ और तुम्हें अपनी जगह पर सोने भी दे रहा हूँ और इन सब सहूलियतों के बाद भी तुम आखिरकार जिद्दी कैसे हो सकते हो?"
"पहली बात तो यह है कि मैं तुम्हारी जगह पर रहना ही नहीं चाहता, ठीक है? और दूसरी बात यह है कि अब जब तुमने मुझसे पूछा ही है तो - मेरा जवाब यही है कि मैं बेड पर सोना चाहता हूँ।"
"क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारा बेड बाथरूम में बना दूँ?" युवराज गुप्ता से कोई भी जवाब ना मिलने पर होम रूम टीचर युवराज गुप्ता को नीचे की ओर फेंक देते हैं और दरवाज़ा बंद करते हुए फ़्लोर की तरफ़ इशारा करते हैं और बोलते हैं, "तो मैं तुमसे अब और ज़्यादा नहीं पूछूँगा। भविष्य में मैं बेड पर सोऊँगा और तुम नीचे ज़मीन पर चादरें बिछाकर अपने खुद के लिए बेड बनाओगे।"
"..."
कुछ पल की शांति के बाद युवराज गुप्ता एक गहरी साँस छोड़ता है और बोलता है, "टीचर मैं आपको ईमानदार होकर यह बताना चाहता हूँ कि मैं ऐसा शख़्स हूँ जो आधी रात में सोते वक़्त बहुत ज़ोर के ख़राटे लेता हूँ। खुद में बड़बड़ाता हूँ, डकार लेता हूँ, फ़ार्ट करता हूँ और बाकी सभी चीज़ें जो आप रात में करने का सोच सकते हैं, मैं वह सब करता हूँ।"
"मुझे इससे कोई भी प्रॉब्लम नहीं है।"
होम रूम टीचर अपने हाथ को हवा में ना में हिलाते हुए अपने डेस्क पर बैठकर अपने सभी टेस्ट पेपर की चेकिंग को ख़त्म करता है और फिर बोलता है, "वह सभी प्रॉब्लम्स, जो तुमने अभी मेंशन की हैं। वह मुझे भी हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे को ना पसंद नहीं करना चाहिए।"
युवराज गुप्ता, "..." (निशब्द)
होम रूम टीचर आगे बोलता है, "और तो और मुझे एक और आदत है, मैं कभी-कभी रात में नींद में चलता भी हूँ।"
"..."
[मेंटल डैमेज को डिटेक्ट किया गया: मेंटल स्टेट +3]
"तुम मेरा बेड बाथरूम में ही क्यों नहीं बना देते हो..."
दूसरी कक्षा के अंतिम टेस्ट पेपर की जाँच करने के बाद, होम रूम टीचर ने अपना फ़ोन उठाकर समय देखा। समय देखते ही वह अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ, पीठ सीधी की, स्ट्रेचिंग की और बोला, "हमारे पास अभी भी क्लास शुरू होने से पहले 10 मिनट का समय बचा हुआ है..."
फिर उसका ध्यान युवराज गुप्ता पर गया, जिसे वह चेहरे पर गंभीर भाव के साथ ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला, "मुझे अभी-अभी यह एहसास हो रहा है कि तुम काफी अच्छी हालत में हो।"
युवराज गुप्ता ने बिना मन से जवाब दिया, "अब तक तो था अच्छी हालत में, पर आगे का कुछ कह नहीं सकते।"
युवराज के टोन को अनदेखा करते हुए, होम रूम टीचर ने अपने मन के सवाल को आवाज़ दिया, "क्या तुमने कल रात कल्टीवेशन की थी?"
"हाँ।"
"ओह, ऐसी बात है तो, आओ देखते हैं, तुम्हारी अभी की कंडीशन कैसी है?"
इतना बोलते ही होम रूम टीचर युवराज गुप्ता के पास पहुँचा और उसके पेट के नीचे के हिस्से, अर्थात् उसके ऊर्जा स्रोत पर हाथ रख दिया। कुछ पल बाद, आश्चर्यचकित भाव के साथ उसने पूछा, "इह? तुमने इतनी ज्यादा इंटरनल स्ट्रेंथ कैसे प्राप्त कर ली?"
"मैंने कल पूरी रात कल्टीवेशन की थी।"
"यह क्या बकवास कर रहे हो! तुम क्या सोचते हो कि तुम गॉड ऑफ वार हो?" अपने हाथ को पीछे खींचते हुए, होम रूम टीचर ने अपनी एक भौं उठाते हुए पूछा, "इंटरनल स्ट्रेंथ में इस तरह की बढ़ोतरी...हम्म... क्या तुमने ऊर्जा बूस्टिंग पिल खाई थी?"
"हाँ, मैंने खाई थी।"
"ओह, तो फिर तो तुम्हारी बढ़ी हुई इंटरनल स्ट्रेंथ का कारण समझ में आता है...वैसे...तुम्हारी फैमिली का बैकग्राउंड कैसा है?"
"मेरी फैमिली 'वर्किंग क्लास' की फैमिली है।"
"ज़रा देखो तुम्हारी फैमिली तुम्हारे लिए कितना कुछ त्याग कर रही है, क्या तुम अभी भी कल्टीवेट ना करना चुन सकते हो?"
"हाँ, हाँ, हाँ।"
"ज़रा तो अपनी फैमिली के त्याग को समझो और अपने अंदर मोटिवेशन लेकर आओ और किसी अच्छे कॉलेज या किसी अच्छे एजुकेशन इंस्टिट्यूट में जाने की कोशिश करो!"
"ठीक है, ठीक है, ठीक है।"
"मैं तुम्हें बिल्कुल ही बेस्ट होने के लिए नहीं बोल रहा हूँ, पर कम से कम तुम अपनी फैमिली के त्याग को तो अदा करने जितनी मेहनत करो। और देखो मैं भी अपना पर्सनल टाइम तुम्हें 1 टू 1 ट्यूशन देने में बर्बाद कर रहा हूँ। यह इतना अच्छा मौका है, पर फिर भी तुम इसको समझकर इसका फायदा उठाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हो?!"
"हाँ, हाँ तुम बिल्कुल सही कह रहे हो।"
"तो फिर तुम अभी फर्श पर सोओगे या बेड पर सोओगे?"
"बेड पर।"
"...तुम्हें समझाना तो सच में एक इम्पॉसिबल टास्क है! दफा हो जाओ यहाँ से! जल्दी से जाओ अपनी क्लास में!"
क्लास में प्रवेश करने के बाद, युवराज गुप्ता पहली पंक्ति में जाकर बैठ गया और आसपास अपनी निगाहें घुमाईं।
वह यह जानकर आश्चर्यचकित हो गया कि कल के मुकाबले आज क्लास में कोई भी उसे नफ़रत भरी नज़रों से नहीं देख रहा था।
इसका मतलब यह साफ़ था कि कल के 'वाइटवॉश' का प्रभाव सच में चमत्कारी था...
पर इससे खुश होने के बजाय, युवराज गुप्ता काफी दुखी महसूस कर रहा था और गहरी साँस छोड़ते हुए बोला, "यह कितनी ज्यादा बदकिस्मती की बात है।"
अभी युवराज गुप्ता ने इतना ही बोला था कि ठीक अगले ही पल क्लासरूम में होम रूम टीचर दाखिल हुआ। प्रवेश करते ही उसने युवराज गुप्ता पर पहली नज़र डाली और फिर अपना गला साफ़ करते हुए क्लास के 49 स्टूडेंट्स को देखकर ज़ोर से चिल्लाया, "गुड मॉर्निंग एवरीवन।"
48 स्टूडेंट्स एक साथ एक स्वर में खड़े होकर अपने टीचर को विश करते हुए बोले, "गुड मॉर्निंग, टीचर।"
"सभी कृपया करके अपनी सीट पर बैठ जाएँ।"
क्लासरूम के 48 स्टूडेंट्स तुरंत ही अपनी सीट पर बैठ गए।
जिसके पश्चात् होम रूम टीचर सीधा युवराज गुप्ता को देखता है, जो इस वक़्त बिलकुल किसी बेजान लाश की तरह अपनी सीट पर बैठा हुआ था। अपने गुस्से को दबाते हुए, वह दाँत पीसकर बोला, "जल्दी से, अपने पैरों पर!"
युवराज गुप्ता: "...गुड मॉर्निंग, टीचर।"
क्लास के सभी बाकी स्टूडेंट्स: "..." (निशब्द)
होम रूम टीचर: "..." (निशब्द)
होम रूम टीचर, जिसने अपने हाथ में चॉक पकड़ा हुआ था, अपना हाथ ऊपर उठाया, पर फिर अपने गुस्से को गहरी साँस लेकर शांत करते हुए उसने फिर से अपना हाथ नीचे किया। उसने यह तय किया कि उसे जितना हो सके युवराज गुप्ता की इन हरकतों को अनदेखा करना है। यह तय करते ही वह बाकी सभी स्टूडेंट्स को देखकर बोला, "स्टूडेंट्स, मेरे पास तुम लोगों के साथ शेयर करने के लिए एक बहुत ही अच्छी न्यूज़ है। हमारी क्लास का युवराज गुप्ता..."
वह बोलते-बोलते अचानक से रुका और फिर अपने हाथ की पाँचों उंगलियों से युवराज गुप्ता की ओर इशारा करते हुए आगे बोला, "एक दिन और रात की लगातार कठिन कल्टीवेशन के पश्चात् युवराज गुप्ता ने काफी ज्यादा इंटरनल स्ट्रेंथ प्राप्त की है। जो उसकी मेहनत को पूरी तरह से संतुष्ट करती है। अगर तुम्हें विश्वास नहीं है तो, तुम सभी युवराज गुप्ता को छूकर खुद ही फील कर सकते हो।"
युवराज गुप्ता के पीछे बैठा हुआ एक पुरुष स्टूडेंट तुरंत ही अपनी सीट से उठा और अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए, अपने मन के शक को दूर करने के लिए युवराज गुप्ता के पेट के नीचे के हिस्से को छुआ और उसकी इंटरनल स्ट्रेंथ को महसूस करने लगा। जिसे महसूस करते ही वह आश्चर्यचकित भाव के साथ बोला, "तुमने इतने कम समय में इतनी ज्यादा इंटरनल स्ट्रेंथ कैसे प्राप्त कर ली?"
युवराज गुप्ता, जिसे अभी तक यह भी समझ नहीं आया था कि उसके साथ क्या हो गया है, वह अचानक से अपने होश में आया और उस लड़के के हाथ को थप्पड़ मारकर दूर करते हुए बोला, "मुझे छुओ मत, तुम यह क्या करने की कोशिश कर रहे हो?!"
अभी युवराज गुप्ता ने इतना ही बोला था कि तभी एक लड़की आकर युवराज गुप्ता के पेट के नीचे के हिस्से को छूती है और हैरानी से बोलती है, "ओ माय गॉड! तुम्हारा तो मेरे वाले से भी ज्यादा बड़ा है!"
"क्या सच में? मैं तुम पर विश्वास नहीं करती!"
"मैं खुद वहाँ जाकर छूकर देखूँगी!"
"डैम! यह तो सच में बहुत ज्यादा बड़ा है!"
"ऑसम! फ़ैंटास्टिक।"
"मुझे भी देखना है! मुझे भी देखना है!"
"अरे मुझे धक्का तो मत दो, मुझे अच्छे से फील तो करने दो..."
युवराज गुप्ता: "(निशब्द)...डैम! तुम सभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ!"
युवराज गुप्ता अपने मुक्कों से सभी लड़कों के हाथ को अपने शरीर से हटाने लगा।
और बात रही लड़कियों के हाथ की तो...
सॉरी, वह उनके हाथ को हटाने के लिए काफी असहाय महसूस कर रहा था।
असल में बात तो यह थी कि वह सभी लड़कियाँ उसके नीचे के एरिया को कभी ऊपर तो कभी नीचे छू रही थीं, जिससे युवराज गुप्ता का छोटा भाई उसे उनके हाथ हटाने से रोक रहा था।
तभी अचानक से उसके मन में एक ख्याल आया, "बदला?"
"डैम, यह होम रूम टीचर ऐसा करके मुझसे बदला लेने की कोशिश कर रहा है।"
"हाहा!"
युवराज गुप्ता ने अपनी नाक सिकोड़ ली।
वह युवराज गुप्ता है, जो पैदा ही सब पर राज करने के लिए हुआ है, आखिर वह इतनी बेकार ट्रिक से कैसे परेशान हो सकता है?
'हुँ, अगर तुम बदला लेना चाहते हो और तुम में दम है तो इन सभी लड़कियों को रोज मेरे पास भेजो...'
"यहाँ पर भीड़ मत इकट्ठा करो, प्लीज़ मेरे लिए रास्ता छोड़ो।"
और ठीक इसी आवाज़ के पश्चात् क्लास की फीमेल मॉनिटर भीड़ में मौजूद सभी लड़कियों को साइड करते हुए युवराज गुप्ता के पास आती है और उसके पेट के नीचे के एरिया को छूकर चेक करने लगती है।
युवराज गुप्ता के ऊर्जा स्रोत में ऊर्जा को महसूस करते ही वह युवराज गुप्ता से बोलती है, "मैंने पिछले हफ़्ते टेस्ट के दौरान तुम्हारी इंटरनल स्ट्रेंथ को रिकॉर्ड किया था और पिछली बार से इस वक़्त तक तुम्हारी इंटरनल स्ट्रेंथ बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी है। क्या तुमने किसी तरह की पिल ग्रहण की है?"
युवराज गुप्ता: "हाँ, मैंने..."
अभी युवराज गुप्ता ने अपने शब्दों को पूरा भी नहीं किया था कि इतने में होम रूम टीचर तुरंत ही उसे टोकते हुए बोला, "इसने हाल ही में बहुत ही ज्यादा मेहनत की है। जिसका रिज़ल्ट तुम सब अभी देख पा रहे हो।"
फीमेल मॉनिटर अपनी एक भौं उठाते हुए बोली, "पर इस तरह की ग्रोथ तो बहुत ही ज्यादा इलॉजिकल है।"
"क्या यह तुम्हें इलॉजिकल ग्रोथ लग रही है?" होम रूम टीचर ने अपनी कमर सीधी की और गंभीर भाव के साथ बोला, "किसी ऐसे शख्स के लिए जिसने पूरा दिन और पूरी रात इस कंसंट्रेशन से कल्टीवेशन की हो कि वह सोना भूल गया हो, खाना भूल गया हो और पानी पीना भूल गया हो। उस शख्स के लिए क्या ऐसी ग्रोथ सच में इलॉजिकल है?"
"ओहोहोहो..."
होम रूम टीचर की इस बात को सुनते ही सभी लोग युवराज गुप्ता को हैरानी और आश्चर्य भरी नज़रों से देखने लगे।
[प्रशंसा की गई: कॉन्फिडेंस -2, वैभव -2, किस्मत -1...]
युवराज गुप्ता: "..." (निशब्द)
कुछ पल युवराज गुप्ता की इस मैजिकल ग्रोथ पर चर्चा करने के बाद, सभी स्टूडेंट्स को होम रूम टीचर की प्रोत्साहन देने वाली आवाज़ सुनाई दी,
"मैं तो अक्सर यही कहता हूँ कि जो शख्स मेहनत करता है, वह कभी भी फेल नहीं होता है। जितना ज्यादा तुम अपनी कमियों से लड़ने की हिम्मत करोगे, उतना ही ज्यादा तुम्हें इसका इनाम प्राप्त होगा! युवराज गुप्ता हमेशा से ही क्लास का सबसे ज्यादा खराब और कमज़ोर स्टूडेंट रहा है, पर देखो उसने अब हार्ड वर्क करना शुरू कर दिया है। जिसके कारण वह तुम तक जल्द ही पहुँच जाएगा!"
[प्रशंसा की गई: कॉन्फिडेंस -3, वैभव -2, किस्मत -1, मेंटल स्टेट -1...]
युवराज गुप्ता: "..." (निशब्द)
होम रूम टीचर आगे प्रोत्साहन देते हुए बोला, "इससे क्या प्रूफ होता है? इससे यही प्रूफ होता है कि तुम कौन हो इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है, तुम सभी का पोटेंशियल अनलिमिटेड है! जब तक तुम किसी चीज़ को चाहोगे और उसके लिए लड़ोगे, तब तक भले ही उस चीज़ को प्राप्त करने में समय लगेगा, पर तुम उस चीज़ को ज़रूर अंत में प्राप्त कर ही लोगे। तुम्हारी मेहनत कभी भी व्यर्थ नहीं जाएगी!"
वहाँ पर मौजूद सभी स्टूडेंट्स होम रूम टीचर की इन बातों से बहुत ही ज्यादा मोटिवेट हो गए।
इस वक़्त होम रूम टीचर को देखते हुए कई जोड़ी आँखें काफी ज़ोरों से चमक रही थीं।
"अभी भी कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम को 32 दिन का समय बचा हुआ है। तुम सभी 1 मिनट छोड़ो एक सेकंड को भी वेस्ट नहीं कर सकते हो! सोचो अगर तुम सभी अपने क्लासमेट, युवराज गुप्ता, से ही नहीं जीत पाओगे, तो क्या यह तुम्हारे चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ नहीं होगा?!"
युवराज गुप्ता से हारने की सोच मात्र से ही सभी स्टूडेंट्स के चेहरों पर गंभीर भाव आ गए।
"क्या तुम अपने आप को वह थप्पड़ खाता हुआ महसूस करना चाहते हो?"
42 स्टूडेंट्स की आवाज़ एक साथ सुनाई दी, "नहीं बिल्कुल भी नहीं!"
"ज़ोर से मुझे सुनाई नहीं दिया!"
45 स्टूडेंट्स की आवाज़ एक साथ सुनाई दी, "नहीं!!"
"ज़ोर से! ग्रीन सिटी के नंबर 2 मिडिल स्कूल में जब कोई टीचर यह कहता है कि उसको सुनाई नहीं दे रहा है तो इसका मतलब यही होता है कि उसको सच में कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है!"
48 स्टूडेंट्स की आवाज़ एक साथ सुनाई दी, "नहीं!!!"
सभी स्टूडेंट्स अपना फेफड़ा फाड़कर ज़ोर से चिल्लाए।
पूरी क्लास में केवल युवराज गुप्ता ही एक ऐसा शख्स था जो अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा हुआ था। इस वक़्त उस बेचारे के भाव बिलकुल उस बेचारे छोटे बच्चे की तरह उदास हो चुके थे, जिसका लॉलीपॉप (फ़ायदा) उससे बिना पूछे उठाकर किसी ने खा लिया हो...
"बहुत अच्छा। अब तुम सब, अपनी पूरी फ़ॉर्म में आ चुके हो।"
इतना बोलने के पश्चात् होम रूम टीचर अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे रखता है और संतुष्टि के साथ अपने सर को हाँ में हिलाते हुए बोलता है, "अपनी इस दृढ़ इच्छा को कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में तब तक के लिए बनाए रखो जब तक तुम फ़ाइटिंग रिंग में अपने दुश्मन का मुँह नहीं तोड़ देते!"
48 स्टूडेंट्स की आवाज़ एक साथ सुनाई दी, "हाँ!!!"
"और आखिर में..." होम रूम टीचर युवराज गुप्ता की ओर देखता है और बोलता है, "मैं चाहता हूँ कि तुम सभी अपनी इस बढ़ी हुई दृढ़ इच्छा के लिए युवराज गुप्ता की तारीफ़ करो। आखिर उसकी मेहनत ने ही तो तुम्हें इतनी ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित किया है। भगवान हमेशा उनको इनाम देते हैं, जो मेहनत करते हैं, इसलिए अच्छे तरीके से और सही तरीके से मेहनत करते जाओ!"
"क्लैप! क्लैप! क्लैप! क्लैप!... "
सभी स्टूडेंट्स युवराज के लिए एक साथ तालियाँ बजाने लगे।
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -6, कॉन्फिडेंस -3, किस्मत -2, वैभव -2]
"क्लैप! क्लैप! क्लैप!... "
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -4, कॉन्फिडेंस -1, किस्मत -1, वैभव -1]
"क्लैप! क्लैप! क्लैप! क्लैप!... "
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -5, कॉन्फिडेंस -3...]
युवराज गुप्ता ने अपना सिर पकड़ लिया और बोला, "बस मेरे लिए इतना काफी है। तुम सभी तालियाँ बजाना बंद कर सकते हो। चलो कल्टीवेशन पर ध्यान देते हैं..."
वहीं इस बात को सुनते ही होम रूम टीचर की आँखें चमक उठीं और वह खुद तालियाँ बजाने लगा और बोला, "इतनी बड़ी अचीवमेंट के पश्चात् भी कोई घमंड नहीं, कोई अहंकार नहीं। देखो यह कितना ज्यादा विनम्र है! बहुत अच्छा। बिल्कुल सही, एक छोटी सी अचीवमेंट को प्राप्त कर लेने से और दूसरों की तारीफ़ प्राप्त कर लेने से तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि तुम कौन हो! सभी स्टूडेंट्स, तुम्हें भी युवराज गुप्ता से सफलता के पश्चात् भी कैसे विनम्र रहा जाता है, यह सीखना चाहिए। बहुत अच्छा, बहुत ही ज्यादा अच्छा!"
पूरी कक्षा एक बार दोबारा से पूरे जोश के साथ युवराज वेदा के लिए तालियाँ बजाने लगी, "क्लैप! क्लैप! क्लैप!"
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -8, कॉन्फिडेंस -4, किस्मत -2, वैभव -3...]
युवराज गुप्ता: "..." (निशब्द)
इस वक़्त क्लास में मौजूद ज्यादातर फीमेल क्लासमेट्स की आँखें युवराज गुप्ता को देखकर एक बार फिर से चमक उठीं और वह एक बार फिर से जोर से तालियाँ बजाने लगीं।
[बढ़ावा दिया गया: मेंटल स्टेट -7, कॉन्फिडेंस -3, किस्मत -2, वैभव -2...]
[लेडिस की तारीफ़ों का सौभाग्य प्राप्त किया गया: मर्दानगी -4, वैभव -2, स्वभाव -2, मेल हारमोंस में बढ़ावा -3%...]
युवराज गुप्ता: "..." (निशब्द)
"हुँ, हुँ, मैंने कौन सा पाप कर दिया..."...
Mr. Bad Boy
Chapter 10 ( भाविका शर्मा!!! )
[ कल्टीवेशन की प्रगति : इंटरनल स्ट्रैंथ -1 ]
[ कल्टीवेशन की प्रगति : इंटरनल स्ट्रैंथ -2 ]
[ कल्टीवेशन की प्रगति : इंटरनल स्ट्रैंथ -1 … ]
घंटों का समय सदियों के समय की तरह बीतने लगता है।
होम रूम टीचर और बाकि सभी स्टूडेंट्स की नज़रों में होने के कारण युवराज बिल्कुल भी आलस नहीं कर पाता। उसे ना चाहते हुए भी कल्टीवेशन करनी पड़ती है और बार-बार अपने शरीर में इंटरनल स्ट्रैंथ को घुमाना पड़ता है।
जिसके कारण धीरे-धीरे उसके शरीर में से इंटरनल स्ट्रैंथ कम होने लगती है।
वह तो शुक्र था कि वह बिल्कुल भी टैलेंटिड नहीं था, वरना आज के कल्टीवेशन सेशन के बाद तो युवराज दो पैरों पर क्लास से बाहर नहीं जा पाता।
पर उसे इस थोड़ी सी इंटरनल स्ट्रैंथ के लॉस की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी क्योंकि वह इतनी खोई हुई इंटरनल स्ट्रैंथ को कभी भी एक या दो बार सिगरेट फूंक कर इकट्ठा कर सकता था।
इसलिए इस वक्त उसे जिस चीज़ की चिंता करनी चाहिए थी, वह लगातार सिगरेट्स की सप्लाई की चिंता थी।
उसकी पिछली जिंदगी में तो वह जब चाहे जितनी चाहे उतनी सिगरेट्स को खरीद कर पी सकता था। आखिर कोई खुद बर्बादी की राह पर चलना चाहता था, तो उसे भला कौन ही रोकने वाला था।
पर इस दुनिया में कोई किसी को बर्बादी की तरफ नहीं चलने देना चाहता था। जिससे वैसे तो युवराज गुप्ता को खुशी होनी चाहिए थी, पर अभी यही खुशी उसके गले के हड्डी बन चुकी थी।
और पिछली बार की तरह हर बार वह चुपके से सिगरेट्स को ले भी नहीं सकता था, है ना?
" हम्म … "
अभी युवराज गुप्ता इस प्रॉब्लम के बारे में सोचते हुए गहरी सोच में डूबा ही था कि उतने में होम रूम टीचर पीछे से उसके सर पर स्केल से मारते हुए उससे बोलते हैं, " तुम फिर से कहीं खो गए? कल्टीवेट करो! और इंटरनल स्ट्रैंथ को अपने शरीर में घुमाओ! बिल्कुल भी रुको मत! चलो, चलो जल्दी करो! "
" … और इस हरा…मी को मैं कैसे भूल सकता हूं। "
अपने मुंह में धीरे से होम रूम टीचर को कोसने के पश्चात युवराज सिगरेट्स के सारे ख्यालों को अपने दिमाग के पीछे फेंक देता है और बाहरी वर्ल्ड से इंटरनल स्ट्रैंथ को ग्रहण करके अपने शरीर में उस इंटरनल स्ट्रैंथ को घूमाने लगता है।
[ कल्टीवेशन की प्रगति : इंटरनल स्ट्रैंथ -2 ]
होम रूम टीचर संतुष्टि में अपने सर को हिलाता है और बोलता है, " यह बिल्कुल भी बुरा नहीं है, ऐसे ही करते जाओ! "
…
" रिंग, रिंग, रिंग … "
घंटी बज जाती है, जिसका अर्थ यह था कि यह सेशन खत्म हो चुका है।
पर कमाल की बात तो यह थी कि क्लास में एक भी शख्स बाहर जाने के लिए खड़ा नहीं होता है।
कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में सिर्फ 32 दिन ही बचे थे।
स्कूल के तीसरे वर्ष के सीनियर स्टूडेंट्स रिसेस को भूलकर लगातार कल्टीवेशन करने पर ध्यान दे रहे थे।
इस हाईली सैन्य प्रधान दुनिया में अगर तुम ताकतवर नहीं हो तो तुम चाहकर भी किसी और फील्ड में सक्सेसफुल नहीं हो सकते।
और जिस भी शख्स के पास थोड़ी सी भी बुद्धि थी। उसे यह अच्छे से पता था कि इस समय में " ताकत " का क्या अर्थ होता है।
अगर कोई शख्स यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं ले पाता है तो उसकी किस्मत सदा सदा के लिए सोसाइटी में सबसे नीचे रहने के लिए लिख दी जाती है। जो चाह कर भी कभी भी दुनिया में ऊपर उठकर सक्सेसफुल नहीं हो सकता था।
इस समय जैसे इंसानियत नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुकी थी, उस समय में सभी लोगों के ऊपर जीने का प्रेशर सदा ही बना रहता था और यह भी सबको अच्छे से पता था कि जब भी कोई बड़ी आपदा इंसानियत पर छाएगी तब सबसे पहले शहीद होने वाले यही सोसाइटी के सबसे नीचे रहने वाले लोग होने वाले हैं।
और वहीं जो शख्स कल्टीवेट करके सक्सेसफुली वॉरियर रैंक पर पहुंच जाता था, उसे सोसाइटी में हर तरह की स्पेशल सुविधाएं दी जाती थीं।
और इन सुविधाओं की सबसे ज्यादा डार्क साइड तो यह थी कि अगर कोई वॉरियर किसी भी तरह के क्राइम करता है तो उन्हें किसी भी रूल के अंडर कोई भी सज़ा नहीं दी जाती थी।
खासकर अगर कोई वॉरियर किसी आम शख्स को मार देता है, जिसने उस वॉरियर को गुस्सा दिलाया हो तो ज्यादा से ज्यादा गवर्नमेंट उससे एक स्मॉल फाइन ही वसूलेगी और कुछ भी नहीं होगा।
और यह आज की सोसाइटी में सही और लीगल भी माना जाता था।
और इसके पीछे कारण यह था कि सोसाइटी में मौजूद हर एक वॉरियर इंसानियत की प्रोटेक्शन के लिए एक इंपॉर्टेंट फोर्स माना जाता था।
और इसी धारणा के अनुसार किसी भी वॉरियर को सज़ा देकर मार देना, बिल्कुल इंसानियत को नुकसान पहुंचाने के बराबर माना जाता था!
किसी भी वॉरियर को तब तक मृत्यु दंड नहीं दिया जाता था, जब तक उसके द्वारा किया गया क्राइम उसके द्वारा सोसाइटी को दिए गए " बेनिफिट्स " से कहीं ज्यादा ना हो।
और यही कारण था कि इस वक्त सभी स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए लगातार पागलों की तरह मेहनत किए ही जा रहे थे, क्योंकि उनके लिए सिंपली यूनिवर्सिटी में पार्ट लेने का अर्थ " एक अच्छे जीवन को जीना " था।
जिसके कारण इस वक्त सिचुएशन यह हो गई थी कि बहुत सारे लोग एक बहुत ही ज्यादा कमज़ोर और पतले लकड़ी के ब्रिज को एक साथ पार करना चाहते थे।
इस वक्त सभी लोग अपने उज्जवल भविष्य के लिए मेहनत कर रहे थे।
वहीं दूसरी तरफ बेल बजने की आवाज को सुनते ही युवराज गुप्ता अपनी आंखों को खोलकर जैसे ही अपने आसपास के क्लासमेट्स को देखता है, तो वह गहरी सांस छोड़ते हुए बोलता है, " हम्म … यह सभी स्टूडेंट्स कितने ज्यादा बेचारे हैं। "
[ कल्टीवेशन की प्रगति : इंटरनल स्ट्रैंथ -1 ]
" … नहीं, इनसे ज्यादा बेचारा तो मैं हूं। "
…
" अटेंशन सभी टीचर्स और सभी स्टूडेंट ध्यान से सुनें! "
" अटेंशन सभी टीचर्स और सभी स्टूडेंट्स ध्यान से सुनें! "
" अभी, सभी क्लासिस के होम रूम टीचर्स अपने स्टूडेंट्स को लेकर अभी ग्राउंड में पहुंचें और उन्हें पोजीशन्स में खड़ा करें … "
" मैं अपने आप को एक और बार रिपीट करता हूं, अभी, सभी क्लासिस के होम रूम टीचर्स अपने स्टूडेंट्स को लेकर अभी ग्राउंड में पहुंचें और उन्हें पोजीशन्स में खड़ा करें … "
और स्पीकर से आने वाली आवाज को सुनते ही सभी कल्टीवेट कर रहे स्टूडेंट्स अपनी आंखों को खोल लेते हैं और अपने होम रूम टीचर को देखने लगते हैं।
होम रूम टीचर भी इस अनाउंसमेंट को सुनते ही स्कूल में लगे स्पीकर्स की ओर देखने लगता है और अपने हाथ से सभी स्टूडेंट्स को खड़े होने का इशारा करता है। जिस इशारे के पश्चात वह अपने फोन को निकाल कर अपने व्हाट्सएप ग्रुप में इस अनाउंसमेंट के पीछे के कारण को देखने लगता है।
जो देखने के पश्चात वह सभी के सामने खुद से बोलता है, " ओह! तो यह असेंबली कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम की प्रिपरेशन से रिलेटिड होने वाली है। " और यह जानने के पाश्चात वह अपने फोन को वापिस अपनी पैंट की पॉकेट में रख लेता है। और सभी को इंस्ट्रक्शंस देते हुए बोलता है, " सभी एक लाइन में अपनी हाइट के हिसाब से खड़े हो जाओ और ग्राउंड के ज़ोन C3 पर अपनी पोजीशन लेकर खड़े हो जाओ। "
जो सुनने के पश्चात युवराज गुप्ता सीधा खड़े होकर अंगड़ाई लेते हुए बोलता है, " आखिरकार अब मैं कुछ पल का ब्रेक ले पाऊंगा। "
क्लास के सभी स्टूडेंट्स क्लासरूम से बाहर निकल कर बाहर कॉरिडोर में आ जाते हैं।
जहां पहुंचते ही उन सभी को यह एहसास होता है कि तीसरे वर्ष के सभी दूसरे क्लास के सीनियर स्टूडेंट्स भी बाहर आ चुके हैं। जिससे ग्राउंड तक जाने का रास्ता कुछ भीड़ा सा हो जाता है।
और जैसे ही वह सभी नीचे पहले फ्लोर की लॉबी में पहुंचते हैं, तो वैसे ही उन्हें यह एहसास होता है कि पहले वर्ष के और दूसरे वर्ष के स्टूडेंट्स भी ग्राउंड में जाने के लिए अपनी कक्षा से बाहर निकल चुके हैं। जिसके कारण वहाँ और ज्यादा भीड़ हो जाती है।
और अब वह पहला समय आ चुका था, जिससे यह पता लगने वाला था कि किस में कितनी ज्यादा ताकत है।
इस भीड़ में ' सोल्जर्स ' ने अपनी जान को बचाने के लिए एक दूसरे को धक्का देना शुरू कर दिया था। पहले और दूसरे वर्ष की क्लासिस के बेचारे कमज़ोर स्टूडेंट्स तीसरे वर्ष के स्टूडेंट्स का मुकाबला एक्सपीरियंस और ताकत में बिल्कुल भी नहीं कर पा रहे थे। उन बेचारों को तो दबा दबा कर बाहर की ओर निकाला जा रहा था।
और जब तक सभी स्टूडेंट्स ग्राउंड में अपने-अपने लोकेटिड एरिया में जाकर प्रॉपर्ली खड़े होते हैं। तब तक ऑलरेडी 20 मिनट बीत चुके थे।
अपनी - अपनी जगह पर खड़े होने के पश्चात सभी स्टूडेंट्स सामने के स्टेज पर स्कूल के लीडर्स को देख सकते थे।
जिनके बीचों-बीच ग्रीन सिटी के नंबर 2 मिडिल स्कूल का प्रिंसिपल बैठा हुआ था।
जो कि लेवल 2 पीक ग्रेड का वॉरियर था।
जिसका ग्रीन सिटी के एजुकेशन सिस्टम में बहुत ही ज्यादा नाम था।
वहीं दूसरी तरफ सभी क्लासिस को ग्राउंड में पहुंचा देख स्कूल का डिसिप्लिन मास्टर माइक पर चिल्लाते हुए बोलता है, " सभी क्लासिस अपने-अपने नंबर को रिपोर्ट करें। "
" क्लास 1, पहला वर्ष! " सभी क्लास 1, पहले वर्ष के स्टूडेंट्स चिल्लाते हुए रिपोर्ट करते हैं।
" क्लास 2, पहला वर्ष! " सभी क्लास 2, पहले वर्ष के स्टूडेंट्स चिल्लाते हुए रिपोर्ट करते हैं।
" क्लास 3, पहला वर्ष! "
" क्लास 4, पहला वर्ष! "
" क्लास … "
…
" क्लास 1, तीसरा वर्ष! "
आखिरकार पहले और दूसरे वर्ष के स्टूडेंट्स की टर्न खत्म हो गई।थी। और अब बारी थी युवराज गुप्ता की क्लास के चिल्लाने की। जिनमें से युवराज गुप्ता नहीं चिल्लाता है, " क्लास 2, तीसरा वर्ष! "
पर युवराज गुप्ता भी अपने मुंह को खोलता है।
उबासी लेने के लिए …
" क्लास 3, तीसरा वर्ष! "
" क्लास 4, तीसरा वर्ष! "
" … "
सभी स्टूडेंट्स जैसे ही अपने क्लास नंबर को रिपोर्ट करना खत्म करते हैं वैसे ही डिसिप्लिन मास्टर अपने सर को संतुष्टि में हां में हिलाता है और वापिस अपने चेयर पर बैठने से पहले माइक प्रिंसिपल को पकड़ा देता है।
ऑफिशियल वॉरियर ड्रेस को पहने हुए प्रिंसिपल अपनी चेयर से बिल्कुल सीधा खड़ा हो जाता है और आगे बढ़कर माइक में बोलना शुरू करता है, " स्टूडेंट्स कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम का आखिरी समय काल शुरू हो चुका है। वह समय आ चुका है, जब तुम सभी बच्चे अपनी जीवन रूपी किताब में एक इंपॉर्टेंट पेज को पलटने जा रहे हो, जो तुम्हारी ज़िंदगी को बदल कर रख देने वाला है। "
" हो सकता है कि तुम्हारी जिंदगी एक मधुर संगीत की तरह हो जाए जिसे तुम अच्छे से एंजॉय करते हुए डांस करोगे। "
" या हो सकता है कि तुम्हारी जिंदगी एक कलरफुल रेंबो बन जाए और तुम सभी जिंदगी के सभी रंगों का लुत्फ़ उठा पाओ। "
" या हो सकता है कि तुम किसी पहाड़ की ऐसी चोटी पर पहुंच जाओ, जहां से तुम असीमित सुंदरता के दृश्य का मजा ले पाओ … "
" तुम्हारी तलवारों को पूरे तरीके से शार्प करने में 10 साल का समय … … "
" मुझे तुम स्टूडेंट्स पर पूरा विश्वास … "
( बला बला बला … )
( बलााााह बला बला … )
( बला बला बला … )
" अब मैं तुम लोगों का और समय बर्बाद ना करते हुए आखिर में यही कहना चाहूंगा कि जो भी शख्स मेहनत करने से डर … ( बला बला ) "
( बला बला … )
" और आखिर में … ( बला बला … )
" और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जब तक तुम अपना बेस्ट देते हो। तब तक हमारा नंबर 2 मिडिल स्कूल तुम पर हमेशा ही प्राउड करेगा! थैंक यू, एवरीवन! "
और प्रिंसिपल के इन आखिरी शब्दों के पश्चात तुरंत ही पूरे एरिया में ज़ोरदार तालियों की आवाज गूंजने लगती है।
" क्लैप क्लैप क्लैप!!! "
जिन आवाजों को सुनकर आखिरकार खड़े-खड़े सो चुका युवराज गुप्ता अपनी नींद से उठ जाता है।
वह अपनी नींद से भरी आंखों को खोल कर स्टेज की तरफ देखता है और एक उबासी लेता है।
…
सब की तालियों के शांत होने के पश्चात प्रिंसिपल सबसे आगे खड़े स्टूडेंट्स की रोस ( लाइनों ) की तरफ देखता है और बोलता है, " चलिए अब वेलकम करते हैं, सीनियर " भाविका शर्मा! " का जो नंबर 2 मिडिल स्कूल की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं और अब कैपिटल यूनिवर्सिटी की टॉप परफॉर्मर भी हैं। "
" कैपिटल यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट? "
" कैपिटल यूनिवर्सिटी, … अरे यह यूनिवर्सिटी तो टैरा यूनिवर्सिटी के बराबर की यूनिवर्सिटी है। "
" क्या सच में हमारे स्कूल के एक स्टूडेंट को कैपिटल यूनिवर्सिटी द्वारा चुन लिया गया है? "
" अरे हां भाई यह बिल्कुल सच है, जब सीनियर भाविका शर्मा को चुना जा रहा था, तब मैं इसी स्कूल में पहले वर्ष का स्टूडेंट था। "
अभी फिलहाल के लिए तो युवराज गुप्ता दोबारा से सोने ही जा रहा था, पर जैसे ही भाविका शर्मा का नाम उसके कानों में सुनाई देता है. वैसे ही उसकी आंखें तुरंत ही पूरेी की पूरी खुली रह जाती हैं।
जैसे ही प्रिंसिपल के नाम लेने के पश्चात भाविका शर्मा स्टेज पर चढ़कर पहुंचती है, तो वैसे ही युवराज गुप्ता को भाविका शर्मा सही से दिखाई देती है। जिसको देखते ही उसकी आंखें बिल्कुल छोटी हो जाती हैं और उसके एक्सप्रेशंस डार्क हो जाते हैं।
' भाविका शर्मा। '
नंबर 2 मिडिल स्कूल की पूर्व टॉप छात्रा।
जिसने 2 साल पहले अपने कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में ग्रीन सिटी से टॉप किया था।
और कैपिटल यूनिवर्सिटी द्वारा चुन ली गई थी …
युवराज गुप्ता को भाविका शर्मा इसलिए याद नहीं थी क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा टैलेंटिड थी बल्कि युवराज गुप्ता को वह इसलिए याद थी क्योंकि उसकी बहन " स्वरा गुप्ता " के भविष्य को बर्बाद करने वाली यही औरत थी …
तो रीडर्स आपको क्या लगता है, क्या होगा इस नॉवल में आगे?और क्या अब भाविका शर्मा के सामने आ जाने से युवराज गुप्ता उससे अपनी बहन स्वर्ग गुप्ता का बदला लेगा?….. ये जानने के लिये पढ़ते रहिये इस नोवल के अगले चैप्टर्स सिर्फ और सिर्फ,' Story Mania ' app पर और हाँ अगर चैप्टर पसंद आया हो तो like और comment जरूर कर देना। इससे मुझे भी अगले चैप्टर्स को लिखने में मज़ा आता है।
युवराज गुप्ता को भाविका शर्मा बहुत अच्छे से याद थी, पर यह भाविका शर्मा की अचीवमेंट्स के कारण नहीं था। बल्कि वह उसे उसकी बहन स्वरा गुप्ता के कारण याद थी...क्योंकि इसी भाविका शर्मा ने तो उसकी बहन स्वरा गुप्ता के फ्यूचर को पूरी तरह से बर्बाद किया था।
उसे उस दिन की अच्छे से याद था, जिस दिन वह पहले वर्ष के स्टूडेंट के तौर पर कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम के दौरान, फाइटिंग रिंग के ठीक नीचे मौजूद था। वहाँ से उसने भाविका शर्मा को उसकी बहन स्वरा गुप्ता के ऊर्जा स्रोत को उसकी आँखों के सामने खत्म करते हुए देखा था। भाविका शर्मा ने उसकी बहन के फ्यूचर और उससे रिलेटिड सभी चीज़ों को खत्म कर दिया था।
पर इसके बावजूद भी, इस वक्त युवराज गुप्ता जिन नज़रों से भी भाविका शर्मा को देख रहा था, उनमें पूरी तरह से नफरत नहीं भरी हुई थी। और ऐसा इसलिए था क्योंकि कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम का फाइटिंग रिंग में लड़ना, खुद में ही एक काफी ज़्यादा हाई रिस्की डेथ एग्जामिनेशन था। बिना ताकत के, अगर तुम हार मानने के लिए अनिच्छुक होते हो, तो चोट से बचना लगभग असंभव था। एग्जामिनेशन फाइटिंग रिंग से जिंदा बचकर बाहर निकलना भी काफी ज़्यादा लकी माना जाता था।
हर साल होने वाले एनुअल कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में अक्सर बहुत बड़े-बड़े एक्सीडेंट्स होते हैं, जिन एक्सीडेंट्स के मुकाबले तो उसकी बहन का एक्सीडेंट काफी नॉर्मल माना जाएगा। और तो और, उस वक्त भाविका शर्मा जानबूझकर इतने ज़्यादा खतरनाक हमले को स्वरा गुप्ता के ऊपर करना भी नहीं चाहती थी; वह सब कुछ उसकी बहन के साथ जानबूझकर नहीं किया गया था। असल में वह लड़की तो अपने नेचर से ही काफी ज़िद्दी और क्रूर थी, वह अपने हर दुश्मन के नाजुक अंगों पर वार करना पसंद करती थी। और ऐसे विलेन टाइप लोग तो वैसे भी बाकियों से लंबा जीते थे और उनके द्वन्दवी कम...
वहीं, इस वक्त अपनी जगह पर खड़ा हुआ युवराज गुप्ता, जो भाविका शर्मा की स्पीच को कुछ समय से सुन रहा था, वह इतना ज़्यादा बोर हो चुका था कि वह चुपचाप अपनी क्लास के ग्रुप से बाहर निकल गया और ग्राउंड को भी छोड़ दिया। ग्राउंड से बाहर चलते हुए वह एक बड़े पेड़ को ढूंढता है और उसी के पास जाकर बैठ जाता है। वहाँ पर बैठते ही वह अपनी जेब से सिगरेट को निकालता है, उसे जलाता है और अपने मुँह में डाल लेता है।
"हिस्स..."
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +14]
"पफ्फ..."
इस वक्त हवा तेज़ चल रही थी, जिसके कारण सिगरेट से उठता हुआ धुआँ ऊपर तेज़ हवा के कारण तुरंत ही गायब हो जा रहा था। सिगरेट को फूंकते हुए युवराज गुप्ता की आँखें छोटी हो जाती हैं और वह गहरी सोच में डूब जाता है।
"भाविका शर्मा..."
"कैपिटल यूनिवर्सिटी..."
"हम्म...कैपिटल यूनिवर्सिटी!"
"पफ्फ..."
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +16]
"पफ्फ..."
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +15]
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल...]
अपने मुँह की सिगरेट को खत्म करने के पश्चात्, जैसे ही युवराज गुप्ता अपने कान को ग्राउंड की तरफ करता है, तो उसे एहसास होता है कि भाविका शर्मा अभी भी अपनी स्पीच दे रही है। जिसके कारण वह अपने सिगरेट के डब्बे को अपनी जेब से निकाल लेता है और इस बार वह अपने सिगरेट के डब्बे में से पाँच सिगरेट्स को एक साथ निकालकर उन्हें जला लेता है और अपने मुँह में डाल लेता है।
"हिस्स..."
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: इंटर्नल स्ट्रेंथ +48]
[शरीर पर ज़हरीली गैसों से हमला किया गया: फेफड़े का स्वास्थ्य +2, फिजिकल हेल्थ +2, लुक्स +1, इम्यूनिटी +1, ज़्यादा जिंदगी के आसार +2]
"कैपिटल यूनिवर्सिटी..."
"डैम,"
और जैसे ही भाविका शर्मा अपनी स्पीच खत्म करके स्टेज को छोड़कर नीचे पहुँच जाती है, वैसे ही युवराज गुप्ता अपने क्लास के ग्रुप को दोबारा से जॉइन कर लेता है। युवराज गुप्ता को बाहर से आते देख होम रूम टीचर उसके पास चलकर आता है और धीमी आवाज़ में पूछता है, "युवराज गुप्ता, तुम अभी कहाँ थे?"
"बाथरूम में।"
"आधे घंटे से?"
युवराज गुप्ता अपने कंधों को उचकाते हुए बोलता है, "मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता!"
"मैंने जैसे ही उस औरत को स्टेज पर बोलते हुए सुना, वैसे ही मुझे टॉयलेट जाने की ज़रूरत महसूस हुई।"
होम रूम टीचर, "..." (निशब्द)
फिर युवराज गुप्ता चैन की साँस लेते हुए बोलता है, "शुक्र है उसने अपनी स्पीच को खत्म कर दिया, वरना मुझे तो लगा था कि मैं टॉयलेट में ही टॉयलेट करते-करते ही बेहोश हो जाऊँगा।"
"फुहाहाहा..."
जैसे ही आसपास के सभी स्टूडेंट्स युवराज की इस बात को सुनते हैं, तो वे सभी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगते हैं। होम रूम टीचर युवराज गुप्ता को गुस्से से घूरता है और ऑर्डर देता है, "स्कूल के पश्चात्, हज़ार शब्दों का आत्म ग्लानि निबंध मुझे लिख कर देना!"
"ज़रूर!" युवराज गुप्ता अपने सर को हाँ में हिलाता है और फिर आगे बोलता है, "और उस निबंध का टाइटल होगा कि 'सीनियर भाविका शर्मा जब स्पीच देने आई तो, तब तुम टॉयलेट नहीं जा सकते हो!'"
आसपास के सभी स्टूडेंट्स एक बार फिर से ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगते हैं, "हाहाहा..."
इस बार उनकी हँसी ने प्रिंसिपल के अटेंशन को अपनी ओर खींच लिया था, जिसके कारण वह उन्हें हर थोड़ी देर पर घूरते जा रहे थे। अपने ऊपर प्रिंसिपल की नज़रों को महसूस करते ही होम रूम टीचर अब और कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करता है और युवराज गुप्ता को गुस्से से घूरते हुए बिलकुल धीमी आवाज़ में खुद में ही बड़बड़ाता है, "तुम रुको, मैं तुम से आज रात निपटता हूँ!"
फिर कुछ बीस मिनट पश्चात् असेंबली खत्म हो जाती है। स्कूल के लीडर्स स्टेज से उतर जाते हैं और अपने-अपने ऑफिस की ओर बढ़ जाते हैं। वहीं स्टूडेंट्स भी मैनर्स के साथ अपनी-अपनी क्लासिस की ओर चले जाते हैं और वहाँ पहुँचकर अपनी कल्टीवेशन को स्टार्ट कर देते हैं।
वापिस क्लास में पहुँचते ही होम रूम टीचर युवराज गुप्ता को कुछ भी नहीं बोलता है...क्योंकि युवराज गुप्ता को कुछ भी बोलने से बाकी सभी कल्टीवेट करते हुए स्टूडेंट्स डिस्टर्ब हो सकते थे। यह बात चालाक और धूर्त युवराज गुप्ता को भी अच्छे से पता थी, जिसके कारण उसने होम रूम टीचर की पिछली धमकी को बिलकुल भी सीरियसली नहीं लिया था। वह तो शुरू से ही कभी हज़ार शब्दों का निबंध लिखने ही वाला नहीं था। क्या कोई दिमागदार स्टूडेंट ऐसे निबंध को लिखेगा?
पर स्कूल के खत्म होने से 2 घंटे पहले, निबंध से भी ज़्यादा बड़ी प्रॉब्लम युवराज गुप्ता तक पहुँच जाती है। युवराज गुप्ता की कक्षा का दरवाज़ा खुलता है और वहाँ से दर्जन भर लोग अंदर आते हैं। जिनमें प्रिंसिपल, डिसिप्लिन मास्टर, स्कूल के बाकी सभी लीडर्स, पुलिस की वर्दी में कुछ लोग और एक स्पेशल शख्स भी मौजूद था।
होम रूम टीचर जल्दी से प्रिंसिपल की ओर बढ़ता है और नर्वसली पूछता है, "प्रिंसिपल यहाँ पर हो क्या रहा है..."
पर प्रिंसिपल होम रूम टीचर को पूरी तरह से इग्नोर करता है और अपनी तीखी नज़रों से पूरे रूम को ध्यान से देखते हुए ज़ोरदार आवाज़ में बोलता है, "युवराज गुप्ता कौन है? वह सामने आए!"
वहीं, इस आवाज़ को सुनते ही युवराज गुप्ता अपनी कल्टीवेशन को रोकता है और दरवाज़े से अंदर आई भीड़ की ओर अपनी नज़रों को घुमाता है। जहाँ उसे भीड़ में उस दिन की सिगरेट स्टोर की लेडी बॉस दिखाई देती है।
"ओह नो!"
अब इस लेडी बॉस को पुलिस के साथ यहाँ पर आए देख, क्या युवराज गुप्ता इस सिचुएशन को समझने में फ़ेल हो सकता था? वह तुरंत ही अपने चेहरे पर आए हैरानी के भावों को नॉर्मल कर लेता है और इधर-उधर ऐसे देखने लगता है, जैसे वह भी 'युवराज गुप्ता' को ढूंढ रहा हो। पर उसकी कक्षा के बाकी सभी स्टूडेंट्स की नज़रों ने उसे एक्सपोज कर दिया था...जिसके कारण प्रिंसिपल, डिसिप्लिन मास्टर और बाकी सभी पुलिस की वर्दी में आए लोगों की नज़रे भी उसी पर जा टिकती हैं...वहीं सिगरेट स्टोर की लेडी बॉस भी उसी को घूरने लगती है...
"वह वही है!"
वह लेडी बॉस युवराज गुप्ता की तरफ़ उंगली करती है और बोलती है, "वह वही है! वही वही है!"
युवराज गुप्ता अपनी हिम्मत को जुटाता है और बिलकुल नॉर्मल चेहरे के साथ उस लेडी बॉस से पूछता है, "हैलो आंटी, मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूँ?"
"वह...वह अब मुझे आंटी कहने की भी हिम्मत कर रहा है!" वह लेडी बॉस अब पहले से भी ज़्यादा गुस्सा हो चुकी थी, जिसके कारण वह लगभग ऑर्डर देते हुए बोलती हैं, "उसको पकड़ लो! वह ही सिगरेट चोर है!"
और जैसे ही उस लेडी बॉस के मुँह से यह शब्द निकलते हैं, वैसे ही युवराज गुप्ता की कक्षा के होम रूम टीचर और सभी स्टूडेंट्स के चेहरों पर शॉक्ड एक्सप्रेशंस आ जाते हैं।
"चोर...सिगरेट चोर?" इस वक्त होम रूम टीचर बहुत ही ज़्यादा शॉक्ड हो चुका था। वह शॉकड और कन्फ़्यूज़्ड एक्सप्रेशन्स के साथ पूछता है, "क्या यहाँ पर कोई गलतफ़हमी हुई है? इस क्लास के स्टूडेंट्स स्मोक नहीं करते हैं? और मेरा स्टूडेंट युवराज गुप्ता भी स्मोक नहीं करता है। आख़िर आप लोग उस पर सिगरेट को चोरी करने का इल्ज़ाम कैसे लगा सकते हैं?"
युवराज गुप्ता भी सहमति में अपने सर को हाँ में हिलाते हुए बोलता है, "हाँ बिलकुल, मैं स्मोक नहीं करता हूँ।"
युवराज गुप्ता की इस बात को सुनते ही एक बूढ़ा पुलिस वाला युवराज गुप्ता के पास चलकर आता है और सबसे पहले अपने आइडेंटिफ़िकेशन कार्ड को निकालकर युवराज गुप्ता को दिखाता है और फिर एक बहुत ही ज़्यादा एक्सपीरियंस्ड मैनर में वह युवराज गुप्ता की पॉकेट्स को चैक करता है। जिस चैकिंग में युवराज गुप्ता की पॉकेट में से रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट का लगभग खत्म हो चुका पैक मिलता है। जो देखते ही पूरी क्लास एक साथ हैरान होती है, "ओह..."
युवराज गुप्ता अपनी आँखों की एक भौं उठाते हुए पूरे रूम में देखते हुए सबसे पूछता है, "आख़िर यह मेरी पॉकेट में किसने डाला?"
सभी स्टूडेंट्स, "..." (निशब्द)
होम रूम टीचर, "..." (निशब्द)
प्रिंसिपल, "..." (निशब्द)
किसी को भी उसकी बात पर रिस्पांस ना करते देख युवराज गुप्ता उस बूढ़े पुलिसमैन को देखता है और उससे बोलता है, "अंकल पुलिसमैन इस मामले को ध्यान से इन्वेस्टिगेट करना चाहिए, यह कोई छोटा मैटर नहीं है।"
वह बूढ़ा पुलिसमैन एक्सप्रेशनलैस चेहरे के साथ युवराज गुप्ता को देख कर बोलता है, "हमें मुर्ख मत बनाओ, इसका कोई भी फायदा नहीं है। तुम इस चोरी के लिए संदिग्ध पाए गए हो, तुम्हें हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा।"
वहीं जैसे ही होम रूम टीचर इस बात को सुनता है तो वह पैनिक करते हुए बोलता है, "सर, यहाँ...यहाँ पक्का कोई ना कोई गलतफ़हमी हुई है, यह तो बस एक स्टूडेंट ही है!"
वहीं तभी वह साइड में खड़ी हुई लेडी बॉस अपने पर्स से अपना टैबलेट निकाल कर उसमें स्टोर की सीसीटीवी फूटेज प्ले करके सबको दिखाते हुए बोलती है, "यह वही इंसान है, जिसने मेरी दुकान से सिगरेट्स चुराई हैं। अगर इसने सिर्फ़ सिगरेट्स चुराई होती तो, तब भी यह उतना ज़्यादा बड़ा मैटर नहीं होता, पर इसने मुझ पर 10 डॉलर फेंकने की ज़ुर्रत की है। यह कितना ज़्यादा शर्मनाक है। सॉरी पर अब मैं इस मैटर को बिलकुल जाने नहीं दे सकती!"
और जैसे ही सभी लोग उस वीडियो को देखते हैं, तो उसमें साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था कि युवराज गुप्ता ने सिगरेट्स को चुराया है।
होम रूम टीचर स्तब्ध होते हुए, "यह...यह..."
वहीं प्रिंसिपल, डिसिप्लिन मास्टर और स्कूल के बाकी सभी लीडर्स के चेहरों के रंग, इस मामले के सामने आने से स्कूल की रेपुटेशन पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को सोचते ही, उड़ जाते हैं।
वहीं इस वीडियो को देखकर युवराज गुप्ता अपने कंधों को उचकाते हुए नॉर्मली बोलता है, "ठीक है, मैं यह मानता हूँ कि मैंने उन सिगरेट्स को उस दुकान से उठाया है, पर इसका मेरे पास वाजिब कारण था, तुम मुझे सिगरेट्स बेचने के लिए तैयार ही नहीं थी, इसलिए मुझे यह कदम उठाना पड़ा और मैंने वहाँ से सिगरेट्स के बॉक्स को उठाने से पहले वहाँ पैसे भी रखे थे, आख़िर यह चोरी कैसे हुई?"
वह बूढ़ा पुलिसमैन पूछता है, "तुमने वहाँ पर पैसे छोड़े थे? क्या तुम उन 10 डॉलर्स की बात कर रहे हो?"
"हाँ! मैं उन्हीं पैसों की बात कर रहा हूँ, मैंने तो इस लेडी से बाकी का चेंज भी नहीं माँगा, आख़िर यह यहाँ पर मेरे पास पुलिस को लेकर कैसे आ सकती है? क्या तुम्हें नहीं लगता कि यह कुछ ज़्यादा ही हो रहा है? क्या इस शहर में पुलिस वालों की इतनी ज़्यादा मात्रा बढ़ चुकी है कि पुलिसमैन किसी के बुलाने पर, कभी भी, कहीं भी, अपनी ड्यूटी छोड़कर चले जाते हैं?"
उस लेडी बॉस को अपना ब्लड प्रेशर बढ़ता हुआ सा महसूस होता है, "मैं तुम्हें बाकी का चेंज दूँ? 'रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट्स' 1680 डॉलर्स की है और तुमने 10 डॉलर्स मेरी शॉप पर फेंके थे, तुम आख़िर मुझसे चेंज मांगने की हिम्मत कैसे कर सकते हो?"
युवराज गुप्ता हैरानी से लगभग अपनी जीभ को काटते हुए बोलता है, "माय गॉड! 1680 डॉलर्स?! तुम रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट्स बेच रही हो कि पूरा का पूरा रेड पगोड़ा माउंटेन?"
वहीं पास में खड़ा हुआ बूढ़ा पुलिसमैन युवराज गुप्ता के एक्सप्रेशंस में आए चेंजिस को देखकर इस बात को लेकर कन्फ़र्म हो जाता है कि इस वक्त युवराज गुप्ता कोई नाटक नहीं कर रहा है। जिस बात के कन्फ़र्म होते ही उसे समझ में आ जाता है कि आख़िर यहाँ पर हो क्या रहा है, जो समझ आते ही वह बोलता है, "तो तुम्हें सिगरेट्स की कीमत का कोई भी अंदाजा नहीं था, है ना?"
"मुझे कीमत का पता हो, चाहे पता ना हो, एक रेड पगोड़ा माउंटेन सिगरेट्स के पैक की कीमत 1680 डॉलर्स? क्या यहाँ पर सब पागल हो चुके हैं?, जो इस पागलों वाली कीमत पर कोई सवाल नहीं उठा रहा! और यह काले दिल के व्यापारी, अगर तुम्हें न्यू ईयर इतने ही अच्छे से मनाना है, तो तुम यह कीमत बढ़ाने का नाटक कर ही क्यों रहे हो? सीधा-सीधा लोगों को मार कर पैसे क्यों नहीं लूट लेते?!"
पूरी पब्लिक, "..." (निशब्द)