ये कहानी है शिवाय , आर्या और रूद्र की दोस्ती की | तीनो ही एक दुसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए | ग्रेजुएशन खत्म होने के दिन आर्या की लाइफ में ऐसा कुछ हुआ जिससे आर्या अचानक ही लंडन चली गयी | अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन खत्म होने के बाद उसे पता चला क... ये कहानी है शिवाय , आर्या और रूद्र की दोस्ती की | तीनो ही एक दुसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए | ग्रेजुएशन खत्म होने के दिन आर्या की लाइफ में ऐसा कुछ हुआ जिससे आर्या अचानक ही लंडन चली गयी | अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन खत्म होने के बाद उसे पता चला की उसके दादा जी बीमार है इसलिए वो वापस इंडिया आई | इंडिया आने के बाद उसे पता चला की उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी रूद्र से फिक्स हो गयी | अपने दादा जी की आखिर ख्वाइश पूरी करने के लिए आर्या शादी के लिए मान गयी | पर शादी के दिन कुछ ऐसा हुआ की उसकी शादी रूद्र से न होकर शिवाय से हो गयी जिससे वो पीछे 3 साल से नफ़रत करने लगी है | वो शिवाय का चहेरा भी देखना नहीं चाहती | आखिर ऐसा क्या हुआ था कोलेज के दिन जिससे आर्या बिना किसी को बताये लंडन चली गयी ? और वापस इंडिया आने के बाद क्यों वो शिवाय से नफ़रत करने लगी ? क्या इस शादी से तीनो की दोस्ती खत्म हो जायेगी ? क्या तीनो की दोस्ती में दरार आ जाएगी ? आखिर आर्या की शादी रूद्र से न होकर शिवाय से क्यों हुई ?
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एक बड़े से मेंशन को दुल्हन की तरह सजाया गया था। रात का वक्त होने की वजह से उसकी खूबसूरती और भी निखर रही थी। वहाँ की सुरक्षा काफी कड़ी थी। हर आने वाले मेहमान की अच्छी तरह जाँच की जा रही थी। मेंशन के गेट पर लगी नेम प्लेट पर "जिंदल मेंशन" लिखा था।
यह जिंदल परिवार के इकलौते बेटे की शादी थी। जिंदल परिवार दुनिया के सबसे बड़े और अमीर खानदानों में से एक है। उनका इतना दबदबा है कि राह चलते लोग भी उन्हें देखकर सिर झुकाकर सम्मान देते हैं।
मेंशन के अंदर दूल्हा मंडप पर बैठा बेसब्री से अपनी दुल्हन का इंतज़ार कर रहा था। मंडप के ठीक सामने एक आदमी व्हीलचेयर पर बैठा था। उसे देखकर साफ़ पता चल रहा था कि वह कभी भी दुनिया छोड़कर जा सकता है। फिर भी उसके चेहरे पर एक सुकून था, शायद इसलिए कि वह जाने से पहले अपनी पोती का हाथ एक सुरक्षित हाथ में दे रहा था। इसलिए अब वह एक सुकून की मौत मरना चाहता था। वहीं, वहाँ खड़े सभी परिवार के सदस्यों के चेहरे पर खुशी साफ़ दिख रही थी।
मंडप पर बैठा दूल्हा रूद्र जिंदल था, जिंदल खानदान का इकलौता बेटा। उसकी शादी अपनी बचपन की दोस्त और अपने बचपन के प्यार से होने वाली थी। पर अभी तक रूद्र ने अपनी दिल की बात अपनी दोस्त से नहीं कही थी क्योंकि वह शादी के ठीक बाद अपनी दोस्त को प्रपोज करने वाला था और उसके लिए एक अच्छा सरप्राइज़ भी प्लान किया हुआ था।
रूद्र जिंदल, जिंदल इंडस्ट्रीज का सीईओ, एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी का मालिक, छह फीट लंबा, गोरा रंग, परफेक्ट जोलाइन, पच्चीस साल की उम्र में उसने बहुत बड़ा नाम कमाया था।
अचानक ही रूद्र को कुछ याद आया। उसने इधर-उधर अपनी नज़र घुमाई, लेकिन जिसे वह ढूँढ रहा था, वह कहीं दिखाई नहीं दिया। उसने अपने पास खड़े अपने असिस्टेंट को एक नज़र देखा।
असिस्टेंट को उसकी एक नज़र ही काफी थी। उसने रूद्र के कान में धीरे से कहा, "वह अभी ऑफिस में है।"
रूद्र ने उसे आदेश देते हुए कहा, "उसे अभी कॉल करके यहाँ बुलाओ।"
असिस्टेंट अपना फोन लेकर कोने में चला गया।
तभी दुल्हन शादी के जोड़े में मंडप की ओर आने लगी। रूद्र की नज़र उस पर टिक गई।
शादी के जोड़े में दुल्हन आसमान से आई परी लग रही थी। हल्का मेकअप, गोरी स्मूथ स्किन, पाँच फीट पाँच इंच लंबी, चौबीस साल की उम्र, दिखने में अप्सरा से कम नहीं, परफेक्ट बॉडी शेप, चेहरे पर मासूमियत, लेकिन आज उसकी शादी होने के बावजूद उसके चेहरे पर कोई खुशी का नामोनिशान नहीं था। बल्कि उसके चेहरे पर उदासी साफ़ दिख रही थी, जो वहाँ खड़े सभी समझ पा रहे थे, यहाँ तक कि दूल्हा भी।
यह आर्या सिंघानिया थी, सिंघानिया खानदान की इकलौती औलाद, सामने व्हीलचेयर पर बैठे विश्वास सिंघानिया की इकलौती पोती।
विश्वास सिंघानिया को ब्रेन कैंसर था। उन्हें अस्पताल से सिर्फ़ शादी अटेंड करने के लिए लाया गया था। वे अपनी आखिरी साँसें गिन रहे थे, फिर भी उन्होंने सबके मना करने के बावजूद शादी अटेंड करने के लिए आये थे।
उनके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था।
अपने दादाजी की ऐसी हालत देखकर आर्या की आँखों से आँसू की बूँद गिर गई।
आर्या को मंडप पर बैठाया गया।
शादी शुरू हुई। पहले दोनों ने वरमाला पहनाई।
और फिर दोनों शादी की रस्में करने लगे।
तभी एक तेज धमाके की आवाज़ आई, उसके साथ ही गोलियों के चलने की आवाज़ आई।
जिंदल और सिंघानिया परिवार के गार्ड्स बराबर की टक्कर दे रहे थे, पर इतनी टाइट सिक्योरिटी होने के बावजूद सामने वाले हमलावरों ने उनकी सिक्योरिटी को चकमा दे दिया और हमलावर सीधे मंडप तक पहुँच गए।
सामने खड़े दुश्मन के आदमियों ने शादी में आए सभी लोगों को बंदूक की नोक पर रखा।
तभी एक लीडर, जो दुश्मन की तरफ़ से था, सीधे मंडप की ओर बढ़ने लगा।
तभी रूद्र मंडप से खड़ा हुआ और अपनी कमर से गन निकालकर सीधे उस आदमी की ओर तान दी। वह गोली चला पाता उससे पहले ही उस आदमी ने अपने हाथ में पकड़ी मशीन गन से सीधे रूद्र के सीने पर गोली चला दी।
यह देखकर आर्या की चीख निकल गई।
वहाँ खड़े रूद्र के परिवार वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
तभी एक बार फिर से तेज गोलियों की आवाज़ सुनाई देने लगी। यह देखकर वहाँ खड़े लोगों ने चैन की साँस ली और रूद्र के माँ-बाप उसे अस्पताल ले गए।
वहाँ गोली चलाने वाला कोई और नहीं, रूद्र का बेस्ट फ्रेंड था, जिसके लिए रूद्र अपनी जान देने के लिए भी तैयार हो जाता और जान लेने के लिए भी।
दुश्मन को टक्कर का जवाब देने वाला कोई और नहीं, शिवाय अग्निहोत्री था। शिवाय के बारे में आगे जानेंगे।
शिवाय ने दुश्मन के सभी लोगों को गोली से छलनी कर दिया। अब वहाँ सिर्फ़ एक ही आदमी खड़ा था जिसने रूद्र पर गोली चलाई थी। शिवाय अपनी तीखी, खतरनाक आँखों से उसे घूर रहा था। उसने अपनी लेटेस्ट गन को सीधे उस आदमी के दोनों पैरों पर चला दी, साथ ही गन पकड़े हाथ पर भी।
शिवाय और उसके आदमियों ने सभी लोगों को मार दिया था, सिवाय एक लीडर के। उस लीडर को गार्ड लेकर चले गए।
शिवाय ने देखा कि अब सब ठीक हो गया है, तो उसने बिना किसी को देखे आगे कदम बढ़ाने ही वाला था कि तभी एक भारी आवाज़ उसके कानों पर पड़ी।
यह आवाज़ शिवाय के दादा जी की थी।
जो वे अभी भी वैसे ही खड़े थे, इतना सब होने के बावजूद उनके चेहरे पर एक लकीर भी नहीं बदली थी।
दादा जी ने शिवाय से गंभीर आवाज़ में कहा, "आप कहीं नहीं जाएँगे, अभी यहाँ आपकी ज़रूरत है।"
शिवाय ने खाली आँखों से मुड़कर अपने दादा जी को देखा। दादा-पोता दोनों ही एक जैसे थे।
शिवाय बिना कुछ कहे वैसे ही खड़ा रहा।
दादा जी ने एक नज़र आर्या को देखा जो बिना भाव के मंडप में बैठी थी, जैसे उसे किसी भी बात का होश ही न हो। फिर दादा जी ने आर्या के दादा जी विश्वास सिंघानिया को देखा, जिसकी साँसें अब तेज चल रही थीं।
वहाँ अब सिर्फ़ शिवाय के परिवार के कुछ लोग ही खड़े थे।
दादा जी ने अपनी भारी आवाज़ में शिवाय से कहा, "जाओ और मंडप में बैठ जाओ, अब आर्या की शादी तुम्हारे साथ होगी।"
TO BE CONTINUED
दादा जी ने अपनी भारी आवाज़ में शिवाय से कहा, "जाएँ और मंडप में बैठ जाएँ। अब आर्या की शादी आपके साथ होगी।"
ये सुनकर शिवाय हैरान भरी निगाहों से अपने दादा जी को देखने लगा।
तभी आर्या के दादा जी की आवाज़ शिवाय के कानों पर पड़ी। वे पृथ्वी जी से कह रहे थे, "पृथ्वी, कुछ भी हो जाए, पर आज ही आर्या की शादी हो जानी चाहिए, वो भी मेरे सामने। मैं अपनी अमानत अपनी आँखों के सामने सौंपना चाहता हूँ। अपने पोते से कहो, वो मेरी आर्या से शादी कर ले। मुझे शिवाय पर पूरा भरोसा है, वो मेरी बच्ची को सेफ रखेगा, उसे उसके दुश्मनों से बचाएगा।"
इतना बोलते ही उनकी साँसें तेज होने लगीं।
ये देखकर शिवाय का पूरा दिमाग हिल गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह यहाँ खड़ा रहे या फिर यहाँ से चला जाए।
तभी पृथ्वी जी ने शिवाय से कहा, "आपने सुना नहीं? हमने अभी क्या कहा? जाएँ और मंडप में बैठ जाएँ। आपकी शादी अभी इसी वक्त आर्या के साथ होगी।"
अब शिवाय के पास अपने दादा जी की बात मानने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था। जिसकी एक आवाज़ से पूरी दुनिया उसके सामने झुकती है, वही इंसान अपने दादा जी के सामने झुकता है। एक पृथ्वी जी ही ऐसे इंसान थे जिनकी हर बात शिवाय मानता था।
शिवाय ने अपने हाथ में पकड़ी मशीन गन अपने पास खड़े पर्सनल गार्ड को दी और फिर जाकर आर्या के बाजू में बैठ गया। आर्या अभी भी मंडप पर बैठी हुई थी।
उसकी आँखों से आँसू पानी की तरह बह रहे थे। उसे होश ही नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है। वहीं शिवाय को मंडप पर बैठे देख वहाँ खड़े सबके चेहरों पर एक सुकून दिखाई दिया। वहीं शिवाय की माँ ये देखकर काफी इमोशनल हो गईं। उसकी आँखों से आँसू बह गए। वहीं पास में खड़े शिवाय के पापा ने उसे सम्भाला।
पंडित जी ने मंत्रों का उच्चारण शुरू किया। धीरे-धीरे रस्में होने लगीं।
कन्यादान के वक्त पृथ्वी जी व्हीलचेयर पर बैठे अपने खास दोस्त को लेकर आर्या और शिवाय के पास आए। विश्वास जी के हाथ में अब जान ही नहीं थी, इसलिए पृथ्वी जी ने उनके हाथों को पकड़ा और शिवाय के हाथ पर आर्या का हाथ रखा और कन्यादान की रस्म निभाई। वहीं अब तक न शिवाय ने आर्या को देखा था और न आर्या ने शिवाय को।
शिवाय के मन में अभी बहुत कुछ चल रहा था। वह यहाँ इस वक्त बिना मन के बैठा था, जैसे उसे इन सारी चीजों से कोई मतलब ही न हो।
धीरे-धीरे दोनों के फेरे हुए और आखिर में शिवाय ने आर्या की मांग में सिंदूर भरा। जहाँ अब तक शिवाय की आँखों में कोई भाव नहीं थे, वो सिंदूर मांग में भरते वक्त कुछ भाव उसकी आँखों से होकर गुज़र गए और वो फिर से बिना भाव के वापस हट गया। आखिर में उसने आर्या के गले में मंगलसूत्र पहनाया। इसी के साथ पंडित जी की आवाज़ आई, "शादी सम्पन्न हुई। आज से आप दोनों पति-पत्नी हैं। बड़ों का आशीर्वाद लीजिये।"
जैसे इसी वक्त का इंतज़ार हो, शिवाय ये सुनकर सीधे खड़ा हुआ और आगे जाने को हुआ कि तभी उसके दादा जी ने उससे कहा, "पहले बड़ों का आशीर्वाद लीजिये शिवाय।"
शिवाय वापस आर्या के पास आया। दोनों ने सबसे पहले शिवाय के परिवार का आशीर्वाद लिया और आखिर में विश्वास जी के पास आए। विश्वास जी ने दोनों के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया ही था कि उनकी साँसें तेज चलने लगीं।
सब उसे उसी अस्पताल में ले गए जहाँ रुद्र को एडमिट किया गया था।
आखिर में विश्वास जी सुकून की आखिरी साँस ली और वो भगवान को प्यारे हो गए। ये सब देखकर आर्या खुद को संभाल नहीं पाई और टूट-टूट कर विश्वास जी के गले लगकर रोने लगी। आखिर यही तो एक इंसान थे, जिसको वो अपनी फैमिली कह सकती थी, पर आज वो भी चले गए। दूसरा, उसका सबसे अच्छा दोस्त भी मौत से लड़ रहा है।
आज आर्या खुद को अनाथ महसूस कर रही थी, जिसका इस दुनिया में कोई नहीं था।
शिवाय उसे अकेला छोड़कर खुद दूसरे वार्ड की ओर गया जहाँ रुद्र को रखा गया था।
उसका ऑपरेशन हो रहा था।
थोड़ी देर बाद डॉक्टर बाहर आए। शिवाय सीधे उसके पास गया। शिवाय को देखकर डॉक्टर एक पल के लिए डर से दो कदम पीछे हो गए।
शिवाय ने खतरनाक वॉइस में सिर्फ़ इतना ही कहा, "स्पीक।"
डॉक्टर ने डरते हुए कहा, "हमने पूरी कोशिश की उन्हें होश में लाने की, पर जैसे वो होश में नहीं आना चाहते। अगर उन्हें दो घंटे में होश नहीं आया तो वो कोमा में जा सकते हैं, क्योंकि उनका काफी ब्लड लॉस हो गया है।"
ये सुनते ही शिवाय ने गुस्से से उस डॉक्टर के कॉलर को पकड़ लिया और अपनी गुस्से भरी आवाज़ में बोला, "कुछ भी कर पर उसे होश में ला, वरना ये आखिरी मिनट तेरी ज़िन्दगी की आखिरी साँस होगी।"
तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर शांत आवाज़ में कहा, "शिवाय, खुद को शांत रखो। ये एशिया के सबसे बड़े डॉक्टर हैं। उन्होंने पूरी कोशिश की है।"
ये है शिवाय का बड़ा भाई अभय अग्निहोत्री।
ये सुनकर शिवाय एकदम शांत हो गया और उस डॉक्टर को धक्का देकर छोड़ दिया।
सब वार्ड में गए जहाँ रुद्र के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था। मशीनों से घिरे रुद्र को देखकर शिवाय के चेहरे पर कोई भाव नहीं आए। आखिर यही तो उसकी खास बात थी, किसी भी सिचुएशन में अपने इमोशन को वो बखूबी अंदर छिपा लेता है, जैसे उसके दिल में कोई इमोशन ही न हो।
शिवाय ने एक नज़र रुद्र को देखा और बाहर बेंच पर बैठ गया। उसने अपने सिर को आँखें बंद करके पीछे टेका दिया।
तभी पृथ्वी जी उसके पास आकर बोले, "आपको अभी मेरे साथ चलना होगा।"
ये सुनकर शिवाय ने एक गहरी साँस ली और पृथ्वी जी के पीछे चला गया।
दो घंटे बाद।
शिवाय, आकाश जी (शिवाय के पापा), किरण जी (शिवाय की माँ) सामने देख रहे थे जहाँ विश्वास जी की चिता जल रही थी। वहीं पृथ्वी जी के गले लगकर आर्या बिखर कर रो रही थी और सामने अपने दादा जी की जलती चिता को देख रही थी।
सब ख़त्म होने के बाद सब अग्निहोत्री मेंशन आए।
क्रमशः
एशिया की सबसे बडी कंपनी अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज जो दुनिया की टॉप one पोजीशन पर आती है और उसका सीईओ है शिवाय अग्निहोत्री, वही अग्निहोत्री खानदान एशिया की सबसे बडी रहिस फेमीली जिसके सामने बडे से बडे और छोटे से छोटे लोग उसके सामने sir जुकाते है, उसके बाद आती है सिंघानिया फेमीली और जिंदल फेमीली|
शिवाय के दादा जी पृथ्वी अग्निहोत्री, आर्या के दादा जी विश्वास सिंघानिया, रूद्र के दादा जी अमर जिंदल तीनो बेस्ट फ्रेंडस थे और इसी दोस्ती के चलते तीनो के बेटे भी बेस्ट Friend और बहु भी बेस्ट फ्रेंडस थी वही उनके भी बच्चे बेस्ट Friend थे|
वही वक्त के साथ रूद्र के दादा जी अमर जिंदल की मौत एक बीमारी के चलते हुए, वही जब आर्या दस साल की थी तब उसके पेरेंट्स की डेथ एक एक्सीडेंट में हो गयी उसके बाद सिंघानिया फेमीली में कहने को सिर्फ दो ही लोग थे एक विश्वास जी और दूसरी आर्या पर अब विश्वास जी भी चले गये|
इंट्रोडक्शन.
अग्निहोत्री फॅमिली.
पृथ्वी अग्निहोत्री शिवाय के दादा जी, शिवाय की दादी की डेथ हो गयी है| वो कैरक्टर ही नहीं है|
शिवाय के पापा आकाश अग्निहोत्री|
शिवाय की माँ किरण अग्निहोत्री|
शिवाय का बड़ा भाई अभय आकाश अग्निहोत्री|
शिवाय के चाचा राजेश अग्निहोत्री|
शिवाय की चाची माया अग्निहोत्री|
शिवाय के चाचा का बेटा युवान राजेश अग्निहोत्री|
शिवाय के चाचा की बेटी सुहा राजेश अग्निहोत्री|
जिंदल फेमीली.
अमर जिंदल रूद्र के दादा जी उसकी दादी नहीं है|
रूद्र के पापा राजीव जिंदल|
रूद्र की माँ रागिनी जिंदल|
इनके अलावा रूद्र की फेमीली में कोई नही है|
सिंघानिया फॅमिली.
आर्या के दादा जी विश्वास सिंघानिया|
अनुज सिंघानिया आर्या के पापा|
आकाश जी, राजीव जी और अनुज जी तीनो बेस्ट Friend है|
आर्या की माँ सीमा सिंघानिया|
सीमा, किरण और रागिनी तीनो कोलेज में साथ ही थी और तीनो ही बेस्ट Friend थी, वही उसी कोलेज में आकाश जी, राजीव जी और अनुज जी साथ में थे फिर साथ में रहते तीनो को ही अपनी पार्टनर्स मिल गयी, और अब तीनो के साथ तीनो की Wife भी बेस्ट Friend है|
सबका स्वभाव बहुत अच्छा है इसलिए तीनो फेमीली एक दुसरे के लिए कुछ भी छोडने के लिए तैयार हो जाती थी|
वही युवान, सुहा, अभय, आर्या, रूद्र और शिवाय बचपन से ही साथ में बडे हुए|
कोलेज के बाद आर्या अकेली लंडन पठाई के लिए चली गयी, जिससे शिवाय के सिवा सब उससे बहुत नाराज भी हुई थे क्युकी वो सब उसको बहुत Miss करते थे|
in सब में सबसे छोटी सुहा थी साथ ही सबकी लाडली भी थी|
वही आर्या के लंडन जाने के पीछे भी कई बडे राज थे जो सिर्फ आर्या ही जानती थी,
आर्या का मास्टर्स खत्म होने पर भी जब वो इंडिया वापस नहीं आई तब पृथ्वी जी के जरिये उसे पता चला की उसके दादा जी बहुत बीमार है, इसलिए दुसरे दिन ही आर्या लंडन से वापस इंडिया आई उसके दुसरे दिन ही उसकी शादी बिना उसकी मर्जी के रूद्र से तय कर दी गयी|
ये सुनकर आर्या पूरी तरह से टूट गयी थी, जैसे उसके सिने से दिल ही निकाल दिया हो पर अपने दादा जी की आखरी ख्वाइश के चलते उसने शादी के लिए हा कहा था, ठीक दो दिन बाद ही उसकी शादी थी|
अगर आर्या सबसे ज्यादा क्लोज किसी से थी तो वो था रूद्र पर उसके दिल में रूद्र के लिए कोई Feelings नहीं थी वो उसे अपने सबसे अच्छा दोस्त ही मानती थी|
वेसे तो शिवाय रूद्र और आर्या तीनो बेस्ट फ्रेंडस थे| पर लंडन जाने से पहले आर्या की लाइफ में कुछ ऐसा हुआ जिससे सब अनजान थे फिर आर्या अचानक ही लंडन चली गयी फिर आज तक किसी को भी उसके अचानक लंडन जाने की वजह पता नहीं चली|
BACK TO THE STORY.
सुबह के चार बज रहे थे अग्निहोत्री मेंशन में आर्या का गृह प्रवेश हुआ उसके सामने अभी सिर्फ और सिर्फ किरण जी खडी थी उसके सिवा सब Hospital में थे यहाँ तक की शिवाय भी मेंशन नहीं आया, वो सीधे Hospital चला गया था जिससे आर्या को अंदर से कुछ टुटा हुआ महसूस हो रहा था|
किरण जी ने बडे प्यार से आर्या का वेलकम किया|
किरण जी की आँखों में कुछ बाते गुजरने लगी.
जब रूद्र और शिवाय दस साल के और आर्या नौ साल की थी तब तीनो साथ में खेलते थे शिवाय बचपन से ही एरोगेंट और गुस्सेल था पर फिर भी वो रूद्र और आर्या को कुछ नहीं कहता था|
तीनो को साथ में देखकर रागिनी ने सीमा से कहा: सीमा तू मेरी बेस्ट Friend है न तो में जो कहुगी वो तू मानेगी?
सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा: तू मेरी जान है बोल तुझे क्या चाहिए?
वही पास में बेठी किरण ने दोनों को घूरकर देखकर कहा: क्या में तुम दोनों की खास दोस्त नहीं हु?
तभी सीमा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा: तुम तो मेरी सबसे बडी वाली जान हो बोल तुझे क्या चाहिए?
तभी रागिनी और किरण साथ में बोली: में आर्या को अपनी बहु बना ना चाहती हु”
ये बात दोनों साथ में बोली फिर दोनों ने ही एकदूसरे को घूरकर देखा|
फिर किरण बोली: में अपने बेटे रूद्र के लिए आर्या का हाथ मांग रही हु”
तभी रागिनी ने भी उसे कहा: में अपने बेटे शिवाय के लिए हाथ मांग रही हु”
दरसल तीनो ही अपने बच्चे को छोडकर अपने दोस्त के बच्चो को अपना बच्चा मानती थी, यही प्यार तीनो के बिच था जहा किरण का बेटा शिवाय होने के बावजूद रूद्र सबसे ज्यादा प्यार करती थी, तो वही रागिनी का बेटा रूद्र होने के बावजूद वो शिवाय से ज्यादा प्यार करती थी वही आर्या तो तीनो के लिए सबसे खास थी|
हमेशा से ही रूद्र और शिवाय दोनों में से आर्या किससे शादी करेगी ये सवाल हमेशा बिच में आता था पर कभी इस बात के लिए किसी के बीच बहस नहीं हुई थी, यही तो तीनो फेमीली के बिच का प्यार था|
आर्या अकेली ही घर के अंदर कदम रखा और अपने पैरो की छाप उस घर में छोड दी|
किरण जी ने आगे बढ कर उसे गले लगा लिया और कहा: मैंने कभी नहीं सोचा था की में अपनी सबसे अच्छी बच्ची का गृह प्रवेश ऐसे करुगी”
TO BE CONTINUE
किरण जी ने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया और कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपनी सबसे अच्छी बच्ची का गृह प्रवेश ऐसे करूँगी।"
ये सुनकर आर्या का सब्र का बांध टूट गया और वह किरण जी के गले लगकर रोने लगी।
पर उसके दिल का भार जैसे कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
तभी सुहा आर्या के पास आकर उसे अपने गले से लगाकर बोली, "तू क्यों रो रही है? क्या मैं कुछ नहीं हूँ तेरे लिए? हम सब हैं ना तेरे साथ?"
सुहा आर्या से सिर्फ एक साल ही छोटी थी। युवान और आर्या same ऐज के थे।
किरण जी ने आर्या को शांत करते हुए कहा, "सुहा, आर्या को शिवाय के कमरे में छोड़ आओ।"
ये सुनकर आर्या का दिमाग हिल गया। उसने नफ़रत भरी आँखों से कहा, "नहीं, मुझे उस डेविल के कमरे में नहीं जाना।"
ये सुनकर किरण जी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। उन्होंने आर्या की आँखों के भाव नहीं देखे थे। उन्होंने आर्या का चेहरा अपने हाथों में भरकर उसके सर पर किस करते हुए कहा, "बेटा, अब वो तुम्हारा पति है और अब से तुम्हें उसके साथ एक कमरे में ही रहना होगा। मैं जानती हूँ तुम शिवाय से बहुत डरती हो और वो क्यों, वो मैं तुमसे नहीं पूछूँगी। पर अब तुम्हें शिवाय को एहसास दिलाना होगा कि उसका जितना हक इस घर में है, उतना ही तुम्हारा भी है। समझ गई?"
आर्या को शिवाय का नाम सुनकर ही डर लग रहा था, साथ ही उसके नाम से ही उसे नफ़रत हो रही थी। पर वो अपने चेहरे पर डर की लकीरें नहीं आने दे रही थी। उसने धीरे से अपना सर हाँ में हिला दिया।
सुहा ने आर्या को शिवाय के कमरे में छोड़ दिया और खुद अपने कमरे में चली गई।
जब आर्या शिवाय के कमरे में आई तो वहाँ बिलकुल अँधेरा था। उसने किसी तरह लाइट्स ऑन कीं।
कमरे का ग्रे एंड ब्लैक कलर का इंटीरियर बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। वहाँ की हर एक चीज़ काफी कीमती थी। वहीँ वो कमरा बहुत बड़ा था, पर आर्या को उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा क्योंकि वो भी एक बड़े खानदान से बिलॉन्ग करती थी।
आर्या ने नफ़रत भरी नज़रों से कमरे को देखा। कमरे को देखकर उसके दिमाग में बार-बार किसी की आवाज़ गूंज रही थी, जैसे कोई उसे जलील कर रहा हो।
आर्या ने आँखें बंद करके खुद को कंट्रोल किया। उसकी आँखों में जो अब तक आँसू दबाकर रखे थे, वो बहते चले गए।
आर्या आज खुद को अकेला महसूस कर रही थी।
बचपन से ही उसे प्रिंसेस ट्रीटमेंट मिली थी और आज अचानक उसे ऐसे ट्रीट करने वाले उससे दूर हो गए थे।
पहले उसके माँ-बाप, फिर उसके दादा जी और अब रुद्र भी मौत से लड़ रहा है।
आर्या बेसुध सी अपनी खाली आँखों से कमरे को देखने लगी और धीरे-धीरे आगे बढ़ी और बेड के पास जाकर उस बेड को घूरकर देखने लगी। आखिर में वो बेड से टिककर नीचे जमीन पर बैठ गई और अपने घुटनों में अपना सर रखकर रोने लगी।
आर्या खुद से ही बोली, "क्यों? आखिर क्यों? जो भी मुझसे प्यार करते हैं वो दूर चले जाते हैं और जिससे मैं प्यार करती हूँ वो तो मुझे जलील करके छोड़कर चला गया। आखिर क्यों? ये सब मेरी वजह से ही हुआ है। पहले मेरे माँ-बाप मेरी वजह से चले गए और उसके बाद मेरे लंदन जाने से दादा जी की तबीयत बिगड़ गई और अब जब रुद्र की लाइफ़ में आने वाली थी तब रुद्र भी दूर हो गया। क्या मेरे यहाँ आने से इस घर के लोग भी..." वो आगे सोच भी नहीं पाई और अचानक से खड़ी होकर बोली, "नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूँगी। अगर मैं यहाँ रही तो..."
ऐसे बोलते हुए वो कमरे से बाहर निकलने लगी। कमरे से बाहर आकर देखा तो सब लोग सो गए थे। घर पर सिर्फ़ दादा जी, सुहा और किरण जी ही थे जो कमरे में सो रहे थे।
मौके का फायदा उठाकर वो मेंशन से बाहर निकली। वहाँ काफी सारे गार्ड्स थे। शादी में हमले होने के बाद शिवाय ने सिक्योरिटी बढ़ा दी थी।
पर आर्या इस मेंशन के हर एक जगह से वाकिफ़ थी। वो सीधे सर्वेंट क्वार्टर की ओर गई जहाँ एक छोटा सा दरवाज़ा था जो सीधे मेन रोड पर जाता था। वहाँ जाकर उसने गमले के नीचे से चाबी निकाली और धीरे से उस दरवाज़े को खोला और बाहर निकल गई।
इस वक़्त सुबह के 6 बज रहे थे। सूरज निकलने वाला था। थोड़ी बहुत रोशनी हो गई थी।
आर्या अपने लहंगे को सम्भालते हुए रोड पर आई और बिना इधर-उधर देखे सड़क पर चलने लगी।
करीब 7 बजे वो एक सुनसान जगह पर आकर रुकी। अब तक पूरी तरह से सूरज निकल गया था और अँधेरे को छुपा दिया था।
वहीं दूसरी ओर, हॉस्पिटल में रुद्र कोमा में चला गया इसलिए उसे हॉस्पिटल से सीधे जिंदल मेंशन में शिफ़्ट कर दिया गया।
अग्निहोत्री मेंशन के सामने ही जिंदल मेंशन था, और जिंदल मेंशन के बाजू में ही सिंघानिया मेंशन था। तीनों फ़ैमिली आमने-सामने ही रहती हैं।
वहीं अग्निहोत्री मेंशन में आकाश जी, अभय और युवान एंटर हुए। तीनों के चेहरे पर थकावट साफ़ दिख रही थी। वहीं किरण जी हॉल की ओर आईं, तभी तीनों उसके पास चले गए।
आकाश जी ने किरण जी से कहा, "आर्या कैसी है?"
किरण जी ने जवाब देते हुए कहा, "वो इस वक़्त कमरे में होगी।"
युवान परेशान होते हुए बोला, "माँ, क्या भाई घर आए थे?"
किरण जी: "नहीं, वो तो रात से ही घर नहीं आया।"
ये सुनकर सबके चेहरे पर परेशानी की लकीरें आ गईं।
अभय परेशान होते हुए बोला, "पर माँ, मैंने ही उसे हॉस्पिटल से घर भेजा था, आर्या को संभालने के लिए।"
ये सुनकर किरण जी थोड़े गुस्से में बोलीं, "क्या करूँ मैं इसका? हमेशा अपनी मन की करती है। बच्ची पूरी रात अकेली रही होगी। आज उसे किसी की ज़रूरत थी।"
ये सुनकर कि आर्या अकेली पूरी रात रही, ये बात याद आते ही युवान परेशानी से सीधे दौड़ते हुए शिवाय के कमरे में गया।
सामने देखकर उसके चेहरे पर डर की लकीरें आ गईं।
TO BE CONTINUED
युवान शिवाय के कमरे में आया, कमरे को देखकर उसके चहरे के भाव बदल गये|
वहा कमरा वेसे का वेसा ही था और पूरा कमरा खाली था|
युवान के पीछे पूरा परिवार आ गया था, सबने कमरे को अच्छे से Check किया आर्या कही भी नहीं थी, ये देखकर सब घबरा गये|
आकाश जी ने सीधे पुलिस कमिश्नर को Call किया, वही अभय कुछ सोचते हुए उसने किसी Call किया|
सामने से Call रिसीव हुआ पर कोई आवाज नहीं आई जिससे परेशान होकर अभय ने थोडे गुस्से भरी आवाज में कहा: वो घर पर नहीं है” उसने इतना ही बोला था की सामने से Call cut हो गया|
अभय के जबडे गुस्से से भींच गये और मन ही मन बोला: क्या करू में इसका? क्या अंजाम होगा इस शादी का, कही इसकी वजह से आर्या को कुछ हो न जाए”
वो सीधा दादा जी के कमरे में गया जहा दादा जी अपनी मोर्निंग excersize कर रहे थे|
दादा जी की उम्र सत्तर साल थी, फिर भी बहुत फिट थे, वो बिलकुल पचास साल के लगते थे|
अभय ने सीधे दादा जी से कहा: आर्या घर छोडकर चली गयी है”
ये सुनकर दादा जी की भोंहे जुड गयी वो खडे हुए और सीधे किसी को Call किया|
सामने से एक ही रिंग में Call रिसीव हुआ|
दादा जी ने अपनी एरोगेंट आवाज में कहा: मुझे आप दस मिनट में मेंशन में दिखने चाहिए”
इतना बोलकर ही उन्होंने ने Call कर कर दिया|
अभय ये सुनकर कंफ्यूज हो गया उसने दादा जी से कहा: आपको पता था की शिवाय मेंशन नहीं आया?
दादा जी सोफे पर बैठते हुए बोले: हा मुझे पता था जिस हालात में शादी हुई है शिवाय कभी नहीं मानेगे, पर हमें उसे उसकी जिम्मेदारी का अहेसास दिलाना होगा”
अभय परेशान होते हुए बोला: पर आप तो जानते है न की वो लोगो से या किसी से भी घुलता मिलता नहीं है, हमेशा सबसे दूर रहता है यहाँ तक की अपनी फेमीली से भी”
दादा जी बेफिक्र से बोले: हा जानता हु और वो आर्या से ज्यादा दिन दूर नहीं रह पायेगे, हमें सिर्फ कैसे भी करके दोनों को पास लाना है, इतना करते ही शिवाय ने जो गलती पास्ट में की है उसका अहेसास होगा”
ये सुनकर अभय पूरी तरह से कंफ्यूज हो गया उसे दादा जी की बात समाज नहीं आ रही थी उसने दादा जी से कहा: पास्ट? शिवाय ने पास्ट में क्या गलती की है दादा जी?
ये सुनकर दादा जी वेसे के वेसे बेठे रहे ना ही उन्होंने जवाब दिया और नाही अभय की और देखा|
ये देखकर अभय समज गया की दादा जी अब उसके कोई भी सवाल के जवाबा नहीं देने वाले|
पृथ्वी जी का दबदबा ही ऐसा था की कोई भी उसके सामने सवाल नहीं कर शकते नाही ऊँची आवाज में बात कर शकते|
शिवाय भी वेसा ही था बिलकुल अपने दादा की जैसा|
वही मेंशन में बहुत सारी कार आकर रुकी उसमे एक कार से शिवाय अपने एरोगेंट पर्सनालिटी के साथ मेंशन में एंटर हुआ और सीधे दादा जी के कमरे में चला गया|
दादा जी अभी भी वेसे ही आंख बंध करके बेठे थे|
शिवाय बिना कुछ बोले दादा जी के सामने खडा हो गया|
दादा जी को अहेसास था की शिवाय उसके पास खडा है|
दादा जी अपनी जगह से खडे हुए, शिवाय को पता था की उसके दादा जी अभी क्या कहने वाले है जो उसके लिए जरा भी मंजूर नहीं था|
दादा जी खिडकी के पास जाकर बोले: आपको अपनी जिम्मेदारी समजनी होगी, मेने अपने दोस्त को वादा किया था की में उसकी पौती का हमेशा ख्याल रखुगा, और आज ये वादा में आपको दे रहा हु की अब आर्या आपकी जिम्मेदारी है, हम जानते है आपको लोगो के करीब जाना अच्छा नहीं लगता पर अब आपको ये आदत डालनी होगी, आर्या घर से भाग गयी है इसका तो आपको पता ही होगा इतना हम जानते है, इसलिए हम चाहते है आप आर्या को लेकर आये और उसकी जिम्मेदारी उठाये हम अपने स्वर्गस्त दोस्त का वादा टूटते हुए नहीं देख शकते”
ये सुनकर शिवाय के सामने एक साथ काफी सारे लम्हे गुजरने लगे पर उसका दिमाग अभी भी अटल था जैसे उसने पहले सोचा था वो वेसा ही करने वाला है|
शिवाय ने अपना sir हां में हिला दिया और बहार निकल गया|
बहार अब तक राजेश और माया के साथ अभय, युवान और आकाश जी उसका ही इंतज़ार कर रहे थे|
शिवाय जैसे ही बहार आया अभय उसके पास आया पर शिवाय ने सबको इग्नोर कर दिया
और बहार निकल गया|
शिवाय को ऐसे जाते देख किरण जी की आँखों से आंसू बह गये और बोले: क्या कभी शिवाय अपने अकेलेपन से पीछा छुडा पायेगा?
आकाश जी ने किरण जी के कंधे पर हाथ रखकर कहा: आप फ़िक्र मत कीजिये आप जानती है न शिवाय सबसे दूर रह शकता है पर रूद्र और आर्या से नहीं, कुछ वक्त दीजिये सब ठीक हो जाएगा”
वही शिवाय अपनी कार में बेक सीट पर बेठ गया आगे उसका पर्सनल गार्ड रोनी था जो शिवाय को बिना बोले समज जाता था, उसने कार स्टार्ट की|
वही बेक सीट पर शिवाय अपनी आंखे बंध करके बेठा था उसके सामने एक लम्हा आने लगा|
जब शिवाय और रूद्र दस साल के थे और आर्या नौ साल की|
आर्या, युवान और सुहा के साथ Garden में खेल रही थी|
शिवाय का पूरा ध्यान सिर्फ आर्या पर था वही उसके पास बेठा रूद्र सामने आर्या को मुस्कुराते हुए प्यार भरी नजरो से देख रहा था|
तभी शिवाय के कानो में रूद्र की आवाज पडी जो उससे कह रहा था|
रूद्र आर्या को देखते हुए बोला: कितनी क्यूट है, क्यूटी”
ये सुनकर शिवाय ने सिर्फ हम में जवाब दिया|
रूद्र शिवाय को देखकर बोला: तुम्हे पता है मुझे क्युटी बहुत पसंद है में बडा होकर उससे शादी करना चाहता हु”
ये सुनकर शिवाय हैरान भरी नजरो से रूद्र को देखा जो आर्या को देखते हुए मुस्कुरा रहा था|
रूद्र की कही बात सुनकर शिवाय को अंदर से कुछ टूटता हुआ महसूस हो रहा था उसने कुछ नहीं कहा और आर्या को देखा तभी उसे रूद्र की बात याद आई उसने आर्या से अपनी नजरे फेर ली उसके बाद से ही शिवाय का रवैया आर्या के लिए पूरी तरह से बदल गया था|
ये सब याद करते हुए शिवाय के एक्सप्रेशन बिलकुल चेंज नहीं हुए|
थोडीदेर में उसकी कार के शांत जगह पर आ कर रुकी|
वही आर्या जहा इस वक्त थी वहा कोई नजर नहीं आ रहा था, वो सिटी से बहुत दूर आ गयी थी, ये वही जगह थी जहा उसके दादा जी का अंतिम संस्कार हुआ था|
वहा अभी राख से सिवा कुछ नहीं था वहा लोगो के लिए बेंच बनायीं हुई थी|
आर्या उस बेंच पर बैठकर सामने पडी राख को देख रही थी|
ज्यादा रोने से उसकी आंखे सूज गयी थी, उसके गालो पर आसू सूखने के निशाँन बन गये थे उसके बाल बिखर गये थे पैरो में भी उसने कुछ नहीं पहना था|
उसे होश ही नहीं था की वो इस वक्त कैसी हालत में है|
हाथ से भी उसने चुडिया निकालली थी|
घर से निकलते वक्त उसने अपने गले में पहना शिवाय के नाम का मंगलसूत्र भी निकालकर ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया था|
तभी उसे अपने पीछे किसी के होने का अहेसास हुआ और वो इस इंसान को अच्छे से पहचानती थी इसलिए उसने गुस्से से उस इंसान से कहा: क्यों आये हो यहाँ? तुम्हे यहाँ आने की कोई जरूरत नहीं है? वेसे भी तुमने तो मुझे तीन साल पहेले ही दूर कर दिया था तो फिर अब पास क्यों आये हो”
काफी वक्त गुजर गया पर कोई जवाब नहीं मिला तो आर्या चिड गयी वो गुस्से से खडी हुई और पीछे मूड कर देखा वहा शिवाय बिना भाव के अपने दोनों हाथ जेब में रखकर सामने की और देख रहा था, उसने एक नजर भी आर्या को नहीं देखा|
आर्या की बातो से उसे जरा भी फर्क नहीं पडा, वो वेसे का वेसे ही सामने देखते हुए खडा रहा|
शिवाय के ऐसे बिहेव से आर्या चिड गयी थी|
उसे अब शिवाय को कुछ भी कहना बेफिजूल लग रहा था|
उसने शिवाय को ताना मारते हुए कहा: हां तुम क्यों जवाब दोगे, तुम्हे तो कहा किसी से फर्क पडता है, मन हो तो जवाब दो न मन हो तो ऐसे ही सबको इग्नोर करो, इसीलिए में तुम्हे नफ़रत करती हु तुम सिर्फ नफ़रत के ही काबिल हो तुम्हारा यही नेचर तुम्हे हमेशा सबसे दूर रखता है तुम इसी के काबिल हो तुम्हे किसी की कद्र ही नहीं है, तुम्हे तो कुछ भी बताना भी बेफिजूल ही है, तुम कोई जवाब नहीं देने वाले”
आर्या की बात सही ही थी इतना सब बोलने के बावजूद शिवाय को कोई फर्क नहीं पडा|
आर्या पूरी तरह से चिड गयी थी|
वो शिवाय को पीछे छोडकर उस सुनसान सडक पर तेजी से आगे चलने लगी|
ये देखकर शिवाय ने एक गहरी साँस ली|
तभी आर्या के सामने एक ब्लैक मर्सिडीज़ आकर रुकी और उसमे से युवान बहार निकला|
युवान ने जब आर्या को देखा तो वो दौडते हुआ उसे गले से लगा लिया|
आर्या को भी एक सहारे की जरुरत थी उसने युवान को कसकर गले लगा लिया|
वही दूर खडा शिवाय ये सब देख रहा था, उसने ही युवान को मेसेज करके यहाँ बुलाया था|
युवान को वहा देखकर वो अपनी कार से चला गया|
युवान आर्या से अलग होकर बोला: तुम्हारा दिमाग खराब है क्या? कोई ऐसा करता है भला? तुम्हे पता भी है हमारी तो जान ही निकल गयी थी, वो तो अच्छा हुआ भाई ने मेसेज करके बुलाया”
ये सुनकर आर्या की भोंहे झुड गयी और मन ही मन बोली: शिवाय ने बुलाया, पर उसे मेरी फ़िक्र क्यों होगी? वो मुझसे दूर क्यों रहता है? क्या कभी मुझे इस सवाल का जवाब मिलेगा?
TO BE CONTINUE
आर्या को गहरी सोच में डूबता हुआ देख, युवान ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "कहाँ खो गई? चल अब घर, सब बहुत परेशान हैं।"
घर का नाम सुनकर आर्या की आँखों में दर्द दिखने लगा; वह दर्द जिसे सँभालने के लिए वह यहाँ आई थी, पर शायद वह दर्द अब कभी पीछा छोड़ने वाला नहीं था।
आर्या ने अपने कदम पीछे लेते हुए कहा, "नहीं, मैं वापस वहाँ नहीं जाऊँगी। नहीं, नहीं।"
वह अपनी ही धुन में यह सब बोलती जा रही थी और उसके कदम पीछे हट रहे थे। यह देखकर युवान हैरानी के साथ परेशान भी हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर आर्या ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है?
युवान आर्या के पीछे भागा। आर्या दौड़ते हुए जा रही थी, पर लहँगा भारी होने की वजह से उसके पैर उसका साथ नहीं दे रहे थे। अचानक ही उसका सर घूमने लगा। वह एक जगह खड़ी हो गई और बेहोश होकर गिरने लगी। तभी पीछे से आते युवान ने उसे संभाल लिया। आर्या को बेहोश देखकर युवान घबरा गया। उसने आर्या के गालों को सहलाते हुए, परेशानी भरी आवाज में कहा, "हेय क्युटी, उठो, क्या हो गया तुम्हें?"
युवान ने जल्दी ही अपने होश संभाले और आर्या को गोद में लेकर कार की बैक सीट पर बैठ गया। ड्राइवर ने कार सीधे मेंशन की ओर मोड़ दी।
वहीं दूसरी ओर, जंगल के बीच एक डार्क महल बना हुआ था। उसी महल के गेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, "हेल मेंशन।" उसके चारों ओर हाई सिक्यूरिटी थी। काले कपड़ों में बहुत सारे गार्ड्स अपने हाथ में लेटेस्ट गन लेकर खड़े थे।
वहीं हेल मेंशन के अंडरग्राउंड हॉल में किसी के तेज चीखने-चिल्लाने की आवाज आ रही थी; जैसे यहाँ किसी को मारा जा रहा हो। वह आवाज काफी डरावनी थी। अंधेरे हॉल में बहुत तेज खून की बदबू आ रही थी। वहाँ का नजारा दिल दहला देने वाला था; कमजोर दिल का इंसान अगर देख ले तो वह वहीं सीधे नरक के दर्शन कर ले।
वहीं एक आदमी चेयर से लोहे की चेन से बंधा था। उसके दोनों हाथ और पैर पर खून पानी की तरह बह रहा था। उसके ठीक सामने एक आदमी अपनी खतरनाक आँखों के साथ बैठा था। पास में खड़े उसके गार्ड्स भी डर से अपना सर झुकाकर खड़े थे। यह और कोई नहीं, शिवाय था। यह शिवाय पहले वाले शिवाय से बहुत ज्यादा अलग था; अभी शिवाय के चेहरे पर एक क्रिपी स्माइल थी। उसे इस अवतार में देख उसके गार्ड्स भी डर रहे थे, क्योंकि उन्हें पता था कि उनका बॉस एक शैतान है।
चेयर पर बंधे आदमी ने शिवाय को देखकर चिल्लाते हुए कहा, "तुम कितनी भी कोशिश कर लो, पर कभी उस तक नहीं पहुँच पाओगे। वह तुमसे दस कदम आगे की सोचता है। अगर उसने ठान लिया है कि वह तुम्हारी माशूका को अपना बनाकर रहेगा, तो वह ज़रूर ऐसा करेगा और तुम कुछ नहीं कर पाओगे।"
तभी उसके सीने में तेज दर्द हुआ और उसकी चीख निकल गई।
उस आदमी की बात सुनकर शिवाय को बहुत ज्यादा गुस्सा आया। उसकी आँखें गुस्से से खतरनाक लाल हो गईं। उसने अपने पास खड़े गार्ड्स के हाथ से तेज धार वाला खंजर लिया और उस आदमी के सीने पर घुसा दिया। शिवाय गुस्से में बहुत ज्यादा खतरनाक लग रहा था। उसने वही खंजर एक ही जगह पर दस से पन्द्रह बार वार किया।
उस आदमी ने वहीं पर दम तोड़ दिया। शिवाय ने गार्ड के हाथ से तौलिया लिया और अपने हाथ और चेहरा साफ किया और गार्ड्स को देते हुए बोला, "क्लीन दिस मेस।"
इतना बोलकर वह बाहर निकला। कार के पास उसका पर्सनल गार्ड, रोनी, खड़ा था। उसने बैक सीट का दरवाजा खोला। शिवाय बैक सीट पर बैठ गया और अपनी आँखें बन्द करके सीट पर सर टिकाते हुए रोनी से कहा, "उसका कुछ पता चला?"
रोनी यह सुनकर एक पल के लिए काँप गया। रोनी ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "हम उसका पता लगा रहे हैं बॉस, पर शायद वह बहुत ज्यादा शातिर है।"
यह सुनकर शिवाय के भाव बिल्कुल नहीं बदले। उसने ऐसे ही कहा, "पर मुझसे ज़्यादा नहीं। बैंगलोर जाने की तैयारी करो।"
यह सुनकर रोनी हैरान रह गया। वह मन ही मन बोला, "यह कैसा इंसान है? अभी इसकी शादी हुई है और यह आज ही बैंगलोर जाना चाहता है।"
शिवाय ने जैसे उसकी मन की बात सुन ली हो, उससे कहा, "अगर मुझे कोसना हो गया हो तो ऑफिस चलो।"
यह सुनकर रोनी सेंस में आया और कहा, "सर, दादा जी का कॉल आया था।"
शिवाय ने अब अपनी आँखें खोली और रोनी को घूरते हुए कहा, "तुम मेरे गार्ड हो या उनके? जो बोला है वह करो।"
यह सुनकर रोनी की रीढ़ की हड्डी काँप गई। उसने तेजी से कार अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज की ओर घुमा ली।
वहीं अग्निहोत्री मेंशन में युवान आर्या को गोद में लेकर हॉल में एंटर हुआ। वहाँ हॉल में सभी परेशानी से इधर-उधर टहल रहे थे। तभी उन्होंने युवान को देखा जो आर्या को गोद में लेकर आ रहा था। किरण जी घबराते हुए युवान के पास आकर, फ़िक्र भरी आवाज में बोलीं, "क्या हुआ आर्या को?"
युवान ने कहा, "माँ, आप शांत हो जाइए। यह चक्कर खाकर गिर गई है। मैंने डॉक्टर को इन्फॉर्म कर दिया है, वह आते ही होंगे।"
युवान आर्या को शिवाय के कमरे में लेकर गया और बेड पर लेटा दिया। तभी डॉक्टर आए और आर्या को चेक किया। आर्या को एक इंजेक्शन दिया और फिर आकाश जी की ओर देखकर बोले, "ज़्यादा दिन कुछ न खाने की वजह से वीकनेस आ गई है। थोड़ी देर में होश आ जाएगा। होश में आने के बाद कुछ खिला दीजिएगा और मेडिसिन दे दीजिएगा।"
युवान मेडिसिन लेने चला गया। डॉक्टर भी जा चुके थे। किरण जी आर्या के पास बेड पर बैठ गईं और उसके सर को सहलाते हुए बोलीं, "पता नहीं किसकी नज़र लग गई है मेरी बच्ची को। जब से लंदन से वापस आई है, इसकी आँखों से आँसू बंधने का नाम ही नहीं ले रहे।"
अभय ने अपनी माँ के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "आप फ़िक्र मत कीजिए। जब यह होश में आ जाएगी, तब हम इसे कहीं बाहर लेकर चलेंगे। शायद इससे इसका माइंड फ़्रेश हो जाए।"
किरण जी परेशानी भरी आवाज में बोलीं, "मुझे डर है कि कहीं आर्या इतना सब होने का जिम्मेदार खुद को न मान रही हो। अगर ऐसा हुआ तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी।"
तभी पीछे से भारी आवाज आई। यह आवाज दादा जी की थी जो किरण जी से कह रहे थे, "आप फ़िक्र मत कीजिए बेटा, ऐसा कुछ नहीं होगा। बस कैसे भी करके शिवाय को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाना होगा, तभी सब ठीक होगा।"
किरण जी: "पापा, आप तो जानते हैं ना शिवाय सबसे कितना दूर रहता है। अगर इस शादी में शिवाय का ऐसा ही रवैया रहा तो आर्या का क्या होगा?"
दादा जी ने किरण जी को शांत करते हुए कहा, "आप फ़िक्र मत कीजिए। शिवाय मेरी बात कभी नहीं टालेगा। देखो, शिवाय रिश्तों का मूल्य अच्छे से जानता है।"
क्रमशः
वही दूसरी ओर, रुद्र को उसके कमरे में शिफ्ट कर दिया गया था। उसके लिए एक पर्सनल डॉक्टर भी हायर किया गया था। यह सब शिवाय ने खुद करवाया था।
शिवाय अपनी जान से भी ज़्यादा रुद्र से प्यार करता था। दोनों के बीच भाई से भी बढ़कर प्यार था।
रुद्र के लिए शिवाय कुछ भी करने को तैयार हो जाता। रुद्र के पास उसके पेरेंट्स बैठे थे; रागिनी जी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था।
तभी कमरे में पूरा अग्निहोत्री परिवार एंटर हुआ। किरण जी को देखकर रागिनी ने उसे कसकर गले लगाकर रोना शुरू कर दिया।
"रागी, ऐसे रोते नहीं," किरण जी ने उसे शांत करते हुए कहा, "रुद्र की आँखें भले ही बंधी हैं, पर वो हमारी सारी बातें सुनता है। अगर उसने तुम्हें ऐसे रोते हुए सुना, तो क्या उसे अच्छा लगेगा?"
रागिनी ने ना में सर हिलाया।
राजीव जी कब से रागिनी जी को शांत करा रहे थे, पर रागिनी चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। और होगी भी क्यों? एक बच्चे को ऐसी हालत में देखकर एक माँ बहुत टूट जाती है। एक माँ के लिए दुनिया अलग और अपना बच्चा अलग होता है। एक बच्चा ही औरत को पूरा करता है; बच्चे के बिना एक औरत को ज़िन्दगी जीने लायक भी नहीं लगती।
किरण जी की बातों से रागिनी शांत हो गई थी। राजीव जी उसे अपने कमरे में आराम करने के लिए लेकर चले गए। वहीँ अग्निहोत्री परिवार रुद्र को देखकर वहाँ से चले गए।
रात का वक्त था। पूरे दिन बेहोश रहने के बाद, रात के बारह बजे आर्या की आँखें धीरे-धीरे खुलने लगीं। उसने देखा, युवान उसके पास ही बेड के नीचे बैठा सो गया था। वह आर्या की निगरानी कर रहा था। युवान और आर्या का बॉन्ड बहुत अच्छा था; दोनों बेस्ट फ्रेंड्स थे। हाँ, रुद्र और शिवाय भी उसके फ्रेंड्स थे, पर आर्या और युवान की फ्रेंडशिप टॉम एंड जेरी जैसी थी। पर जब भी दूसरा दुखी होता, तो पहला भी दुखी हो जाता।
अपने पास हलचल महसूस होते ही युवान की नींद खुल गई। उसने देखा, आर्या धीरे-धीरे आँखें खोल रही है। यह देखकर युवान ने एक सुकून की साँस ली। आर्या ने जब अपनी आँखें पूरी तरह से खोलीं, तो खुद को एक अनजान जगह पाकर हैरान रह गई। वह जल्दी से बेड पर बैठ गई। तभी उसकी नज़र युवान पर गई, जो उसे ही अपनी आँखों में चमक लेकर देख रहा था।
"मेरी जेरी को होश आ गया!" युवान ने आर्या को बैठे-बैठे ही हग करते हुए कहा, "क्या हो गया है तुझे? तुमने हम सबको डरा ही दिया था।"
"अरे यार, कोई छोटी बच्ची को चैन से साँस भी लेने नहीं दे रहा," आर्या ने युवान की नौटंकी देखकर हँसी आ गई। उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
"हाँ, अब ज़्यादा बोलने की ज़रूरत नहीं है," युवान ने कहा, "पता नहीं कितने दिन से तुमने कुछ खाया नहीं है, कितनी कमज़ोर हो गई हो। वेट, मैं अभी आया।"
आर्या कुछ बोलती, उससे पहले ही युवान तेज़ी से बाहर निकल गया। उसके गए हुए पाँच मिनट ही हुए थे कि किसी के भारी कदमों की आवाज़ सुनाई दी। आर्या ने दरवाज़े की ओर देखा, तो वहाँ से शिवाय अपने फ़ोन में कुछ देखते हुए अंदर एंटर हुआ।
वहीँ आर्या एक पल के लिए उसे देखते हुए खो ही गई। उसे होश ही नहीं था कि वह शिवाय को बेशर्मों की तरह घूर रही है।
शिवाय को अपने ऊपर किसी की तपती नज़र महसूस हुई। उसने फ़ोन से नज़रें हटाकर कमरे में देखा, तो उसकी नज़र आर्या की नज़रों से जा मिली। लंदन आने के बाद यह पहली बार था जब दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे; वर्ना शिवाय आर्या को देखता ही नहीं था। आर्या को देखते ही उसके दिमाग में एक बात रील की तरह गुज़रने लगी। उसने तुरंत ही अपनी नज़रें आर्या से हटा लीं।
आर्या कुछ बोलती, उससे पहले ही शिवाय अपना लैपटॉप लेकर स्टडी रूम में चला गया। शिवाय के रूम में सारी फैसिलिटी थीं; उसका रूम मेंशन के बाकी कमरों से बहुत बड़ा और अलग था। उसके कमरे में स्टडी रूम, जिम, स्विमिंग पूल सब मौजूद थे।
शिवाय के जाने के बाद आर्या ने बेडरेस्ट पर अपनी आँखें बन्द करके सर टिकाया, और उसके कानों में एक गुस्से से भरी आवाज़ सुनाई दी।
"कोई नहीं हो तुम मेरी।"
"मेरा तुमसे कोई वास्ता नहीं।"
"मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई फ़ीलिंग्स नहीं है, और वैसे भी तुम मेरे टाइप की बिलकुल नहीं हो।"
"मुझे शर्म आ रही है तुम्हें अपना दोस्त कहते हुए; तुम तो आवारा लड़की हो जो हर दिन अलग-अलग लड़के के साथ..."
तभी उसके कानों में किसी की आवाज़ सुनाई दी, जो उसे कब से बुला रहा था। आर्या ने अपनी आँखें खोलीं, तो उसके सामने माया जी खड़ी थीं; उसके हाथ में खाने की ट्रे थी।
माया जी ने बेड के साइड टेबल पर खाना रखा और आर्या का चेहरा अपने हाथों में भरकर उसके माथे को चूमते हुए कहा, "कैसे हो मेरी बच्ची?"
आर्या की आँखें नम हो गईं, और माया जी के गले लगकर बोली, "क्या कभी सब ठीक होगा?"
माया जी ने बड़े प्यार से उसके सर को सहलाते हुए कहा, "सब ठीक हो जाएगा बच्चा, हम सब हैं ना तुम्हारे साथ। अब दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर मत डालिए; आपको खाने की ज़रूरत है।"
फिर माया जी ने प्यार से आर्या को खाना खिलाया; उसके बाद मेडिसिन देकर उसे सुला दिया, और वह बाहर निकल गई।
माया जी के जाते ही आर्या सीधे बेड पर बैठ गई और मन ही मन बोली, "आखिर शिवाय का बिहेवियर इतना चेंज क्यों हो गया है? मुझे पता लगाना होगा कि ऐसा क्या हुआ कि उसने मुझसे अपनी दोस्ती ही खत्म कर ली; यह जानते हुए भी कि मैं उससे..."
वह आगे क्या बोलेगी, यह एहसास होते ही उसकी आँखों में अचानक नफ़रत ने जगह ले ली। "मैं अपनी इंसल्ट कैसे भूल सकती हूँ? इसका बदला तो मैं लेकर ही रहूँगी, मिस्टर शिवाय अग्निहोत्री! आप अब तक सिर्फ़ आर्या से मिले थे, पर अब आप असली आर्या सिंघानिया से मिलेंगे।"
तभी स्टडी रूम का दरवाज़ा ओपन हुआ। शिवाय के हाथ में लैपटॉप बैग था। उसने वह सोफ़े पर रखा और वॉर्डरोब के पास जाकर अपने कपड़े निकालकर एक बैग में भरने लगा। यह देखकर आर्या समझ गई कि शिवाय बाहर जा रहा है। वह खड़ी होकर शिवाय के पास जाकर अलमारी से टेक लगाकर अपने हाथ बांधते हुए ठंडी आवाज़ में कहा, "ओह्ह! तो मिस्टर शिवाय अग्निहोत्री अपनी ही वाइफ़ से दूर जा रहे हैं? क्या बात है? मैंने तो सुना था शिवाय अग्निहोत्री सामने से गेम खेलते हैं, पर आज पहली बार देख रही हूँ, वो डर से भाग रहे हैं।"
शिवाय ने ना ही आर्या को देखा, ना ही कोई जवाब दिया। अपने कपड़े निकाले और बैग में रखकर बैग पैक करके लैपटॉप बैग लेकर बाहर निकलने लगा। वह दरवाज़े के पास पहुँचा ही था कि आर्या की आवाज़ उसे सुनाई दी, जो उससे कह रही थी, "जब दूर ही भागना था, तो शादी क्यों की? मैं तो एक अय्याश..." वह इतना ही बोली थी कि उसके कानों में एक तेज आवाज़ गूंज उठी।
शिवाय ने आर्या के आखिरी शब्द सुनकर गुस्से से बौखला गया और पीछे मुड़कर उसने तेज गुस्से भरी आवाज़ में कहा, "जस्ट शट अप!"
उसकी तेज चीख से आर्या अंदर तक काँप गई। पर खुद को संभाला और शिवाय का मुँहतोड़ जवाब देते हुए कहा, "क्यों? अब क्यों मुँह बन्द करा रहे हैं? ये शब्द आपने ही तीन साल पहले मुझसे कहे थे, तो फिर आज यही शब्द सुन आपको गुस्सा क्यों आ रहा है?"
शिवाय कुछ नहीं बोला और तेज़ी से बाहर निकल गया; आर्या के पीछे फिर से छोड़ गया सवालों की बौछार। कितने ही सवाल थे आर्या के शिवाय से, पर शिवाय ने आज तक उसके एक भी सवाल के जवाब नहीं दिए। वह जब भी शिवाय से सवाल करती, शिवाय हमेशा ऐसे ही बिना जवाब दिए दूर चला जाता।
उसके जाते ही आर्या बेड के नीचे टेक लगाकर बैठ गई; उसकी आँखों से आँसू बहते चले गए। बेड पर अपना सर टेकाकर वह तीन साल पहले की बात को याद करने लगी।
तीन साल पहले...
आज आर्या का ग्रेजुएशन कम्प्लीट हुआ था; उसने पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था। आज वह बहुत खुश थी; वह अपनी ट्रॉफी लेकर कॉलेज के एंट्रेस गेट के पास खड़ी थी। तभी वहाँ युवान कार लेकर आया। आज दोनों का कॉलेज साथ में ही खत्म हुआ था; दोनों एक ही क्लास में थे। युवान सेकंड आया था।
आर्या पैसेंजर सीट पर आकर बैठ गई और युवान को देखा, जो कार ड्राइव कर रहा था। आर्या के दिमाग में अभी बहुत कुछ चल रहा था; तभी उसके कानों में युवान की आवाज़ आई, जो उसे कह रहा था, "जेरी, रुद्र भाई ने हम दोनों को ऑफ़िस बुलाया है।"
यह सुनकर आर्या का चेहरा मुरझा गया, जिसे युवान ने नहीं देखा।
"नहीं, आज मैं अपने दादा जी के साथ सेलिब्रेट करना चाहती हूँ," आर्या ने सफ़ेद झूठ बोलते हुए कहा।
आर्या ने अपनी जेब से फ़ोन निकाला और रुद्र को कॉल करके कहा, "रुडी, आज नहीं; आज मैं मेंशन जा रही हूँ; दादा जी मेरा वेट कर रहे हैं।"
आर्या सबकी बहुत ख़ास थी; इसलिए सब उसकी बात पर हमेशा भरोसा करते थे। रुद्र ने भी उसकी बात मान ली। युवान ने आर्या को सिंघानिया मेंशन छोड़ दिया और वहाँ से सीधा ऑफ़िस चला गया।
जब युवान की कार देखनी बन्द हो गई, तब उसने अपनी पर्सनल कार ली और खुद ड्राइव करते हुए एक फ़ाइव स्टार होटल के सामने आकर रुकी। यह होटल सिंघानिया का ही था; इसकी ओनर खुद आर्या थी; दादा जी ने उसके इक्कीसवें बर्थडे पर गिफ़्ट दिया था।
होटल का इंटीरियर खुद आर्या ने डिज़ाइन किया था। आर्या ने एक इंटीरियर डिज़ाइन की पढ़ाई की थी, जिसमें आज वह टॉप पर थी।
आर्या सीधे वीआईपी फ़्लोर पर गई, जहाँ तीन लग्ज़री कमरे हमेशा बुक रहते थे: एक सिंघानिया के लिए, एक जिन्दल के लिए और एक अग्निहोत्री के लिए।
आर्या एक लग्ज़री कमरे में आई, जिसको बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया था।
ये सब याद करते हुए ही आर्या को कार के हॉर्न की आवाज़ आई, जिससे आर्या अपने प्रेजेंट में आई। आर्या मन ही मन खुद से बोली, "मैंने कभी नहीं सोचा था, मेरे साथ कभी ये सब भी होगा।"
आर्या खड़ी हुई और बालकनी में जाकर देखा, तो एक लग्ज़री कार मेंशन में एंटर हो रही थी। यह कार किसकी थी, यह तो आर्या को समझ नहीं आया, और वह समझना भी नहीं चाहती थी, क्योंकि उसका दिमाग सब सोचते-सोचते बहुत थक गया था।
वह बेड पर आई और ब्लैंकेट से खुद को कवर करके सो गई। मेडिसिन की वजह से उसे नींद आ गई।
TO BE CONTINUED
शिवाय बेंगलोर पहुँच गया था। उसकी कंपनी हर एक स्टेट में थी और उन सबकी मेन ब्रांच मुंबई में थी। इसलिए सब मुंबई ही रहते थे और शिवाय वहीं से सब संभालता था।
पर आज शिवाय बिना वजह बेंगलोर आया था। वह अपने होटल के कमरे में बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था।
उसका पूरा फोकस अपने काम पर था, तभी उसके कमरे में कोई दनदनाता हुआ इंटर हुआ और सीधा शिवाय के सामने वाले सोफे पर पसर कर बैठ गया। शिवाय को पता था कि वह कौन है, इसलिए उसे कोई फर्क नहीं पड़ा।
यह शिवाय की हमउम्र का नौजवान था। यह शिवाय का बेस्ट फ्रेंड था, जो कॉलेज से उसके साथ था। कॉलेज में ही दोनों की दोस्ती हुई थी। यह वंश है, इसका कोई सरनेम नहीं है क्योंकि यह अनाथ है। वंश ने अपने टैलेंट के चलते अपनी पढ़ाई स्कॉलरशिप पर पूरी की। जब वह कॉलेज के फर्स्ट ईयर में आया, तब इसकी मुलाक़ात रुद्र और शिवाय से हुई थी।
फिर वंश दोनों का बेस्ट फ्रेंड बन गया। फिर शिवाय और रुद्र ने उसे बहुत सपोर्ट किया। रुद्र ने वंश को अपना बिज़नेस पार्टनर बना लिया।
और आज पाँच साल बाद वंश की खुद की एक कंपनी थी। वंश एक आर्किटेक्ट है। उसकी कंपनी का नाम "ड्रीम आर्किटेक" है।
शिवाय वंश को अपने दिल की सारी बात बताता था। दोनों बेस्ट फ्रेंड थे। रुद्र जितना शिवाय के लिए इम्पॉर्टेन्ट था, उतना ही वंश भी था।
पर शिवाय की कुछ ऐसी बातें थीं जो रुद्र को नहीं पता थीं, पर वंश को थीं। वंश बेहद हैंडसम लड़का था। हमारी कहानी में सब लड़के एक जैसे थे। आज तक किसी ने भी लड़कियों को आँख उठाकर नहीं देखा, सिवाय आर्या और सुहा के।
वंश सोफे पर बैठा एकटक शिवाय को देख रहा था।
शिवाय को पता था वंश उसे ही देख रहा है। फिर भी उसने कुछ नहीं कहा। ऐसे ही अपना काम करता रहा।
"अब बता, कैसे हुआ सब? मुझे सब जानना है," वंश ने अपनी कोल्ड वॉइस में शिवाय से कहा।
यह सुनकर शिवाय की उंगलियाँ लैपटॉप पर चलते हुए रुक गईं। उसने एक नज़र उठाकर वंश को देखा। अपना लैपटॉप साइड में रखा और खड़ा होकर बालकनी में चला गया। रेलिंग्स को पकड़कर बाहर के नज़ारे को देखने लगा।
अभी रात के दो बज रहे थे। फिर भी शहर की चहल-पहल काफी ज़्यादा थी।
वंश उसके बाजू में आकर खड़ा हो गया। उसने बाहर देखते हुए शिवाय से कहा, "कब तक दूर भागोगे?"
यह सुनकर शिवाय के हाथ रेलिंग से कस गए। वंश ने यह देख लिया।
"मुझे तेरे दिल का हाल साफ़ पता है, पर क्या उसे हर्ट करके तुम खुश रह पाओगे?" वंश ने शिवाय से कहा।
"उसे हर्ट पूरी लाइफ खुश देखने के लिए ही कर रहा हूँ," शिवाय ने भावहीन आँखों से कहा।
"तुझे रुद्र के दिल की बात पता है कि वह आर्या से प्यार करता है, पर आर्या का क्या? वह तो रुद्र से प्यार भी नहीं करती। यह बात हम दोनों जानते हैं," वंश ने एक सार्कैस्टिक स्माइल के साथ कहा।
शिवाय ने कुछ नहीं कहा। शायद वह इस बात का कोई जवाब देना नहीं चाहता था। वंश शिवाय की रग-रग से वाकिफ था। उसे पता था अगर शिवाय जवाब देना नहीं चाहता तो वह कुछ भी कर ले, शिवाय उसके सवाल का जवाब सुनामी भी आ जाए तब भी नहीं देगा।
इसलिए वंश ने गहरी साँस ली और कमरे में आया। उसने देखा शिवाय अपना तौलिया लेकर वाशरूम में जा रहा था। वंश ने कुछ नहीं कहा और वह सीधे अपने कमरे में चला गया।
वंश मुंबई में ही रहता है, पर वह बेंगलोर एक इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग के लिए आया था। और उसकी कंपनी में कुछ प्रॉब्लम आ गई थी जिसकी वजह से उसे बेंगलोर ही रहना पड़ा। और वह रुद्र की शादी को अटेंड नहीं कर पाया, पर शादी में क्या हुआ उसे सब मालूम था।
शिवाय को भी पता था वंश बेंगलोर है, इसलिए वह सब छोड़कर बेंगलोर आ गया ताकि उसे आर्या का सामना न करना पड़े। पर वह कब तक उससे दूर भागेगा?
सुबह-सुबह किसी की तेज आवाज से आर्या की नींद खुल गई। उसने देखा पूरा कमरा खाली था। मतलब शिवाय रात को घर नहीं आया था। यह महसूस करके न जाने क्यों आर्या को अच्छा नहीं लगा, पर उसने खुद को फिर से नफ़रत की आग में झोंक दिया।
वह फ्रेश हुई और सारा पहनकर रेडी हुई। लाइट वेट रेड साड़ी में वह बहुत सुंदर लग रही थी। वहीं नीचे हॉल से अभी भी आवाज़ें आ रही थीं।
आर्या पूरी तरह से रेडी हुई। अचानक ही उसकी नज़र वहाँ टेबल पर पड़े मंगलसूत्र पर पड़ी।
"कैसे भी यह रिश्ता जुड़ा हो, पर इस रिश्ते को मैं नकार नहीं सकती। पर शिवाय अग्निहोत्री, तुम्हें फिर भी नहीं छोड़ूंगी," वह मन ही मन बोली।
उसने मंगलसूत्र पहना और मांग में सिंदूर भरा। बालों को खुला छोड़ दिया।
फिर वह कमरे से निकलकर नीचे आई तो उसने देखा सोफे पर एक लेडी बैठी हुई थी। आर्या की तरफ सिर्फ़ उसकी पीठ थी। फिर भी वह अंदाज़ा लगा रही थी कि कौन है।
उस औरत ने हैवी साड़ी पहनी थी, गले में सोने के हार, चेहरे पर भर-भर के मेकअप किया हुआ था।
"यह औरत मुझे कुछ जाने-पहचानी क्यों लग रही है?" आर्या मन ही मन सोच रही थी।
तभी आर्या को नीचे आते देख किरण जी ने कहा, "गुड मॉर्निंग बेटा।"
तभी उस औरत ने किरण जी की आवाज सुनकर पीछे देखा। वहाँ आर्या को देख उसकी भौंहें जुड़ गईं। आर्या के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर देखकर वह हैरानी के साथ गुस्से से भी भर गई।
वह औरत सीधे आर्या के सामने खड़ी हो गई और गुस्से से उसे घूरने लगी।
आर्या ने जब उस औरत को देखा तो उसके मुँह से अचानक ही निकल गया, "कामिनी बुआ।"
यह है शिवाय, अभय, युवान और सुहा की बुआ। एक नंबर की लालची औरत, पैसे का इतना घमंड कि न पूछो बात।
"यह लड़की यहाँ क्या कर रही है?" कामिनी आर्या को गुस्से से घूरते हुए बोली।
TO BE CONTINUE
कामिनी की बात सुनकर आर्या को बहुत हर्ट हुआ। कई सालों से बुआ का बर्ताव आर्या के लिए ऐसा ही था; क्यों, वो तो आर्या को भी नहीं पता था।
किरण जी को कामिनी का आर्या से ऐसे बात करते देख बिलकुल अच्छा नहीं लगा। इसलिए उन्होंने कामिनी से कहा, "कामिनी, अपनी जुबान संभालकर बात करो। इसका नाम आर्या है, न कि 'ऐ लड़की'।"
कामिनी अपने दोनों भाइयों से छोटी थी, इसलिए किरण जी उसे नाम से बुलाती थीं।
वहीं युवान, सुहा, अभय नीचे आए। वहाँ का माहौल गरम देखकर सब समझ गए कि क्या हुआ होगा, क्योंकि सबको पता था कि कामिनी आर्या को बिलकुल पसंद नहीं करती थी। इसकी वजह सिर्फ़ बड़ों को पता थी; छोटों को कुछ भी मालूम नहीं था।
"भाभी, आपने इसको सर पर चढ़ा रखा है," कामिनी बोली, "और ये क्या? जब इसकी शादी हो चुकी है, तो ये यहाँ क्या कर रही है?"
तभी अभय गुस्से से कामिनी से बोला, "क्योंकि इसका पति शिवाय अग्निहोत्री है।"
यह सुनकर कामिनी डर से अंदर तक कांप गई, क्योंकि कामिनी सिर्फ़ और सिर्फ़ शिवाय से डरती थी। पर जब कामिनी को समझ आया कि आर्या की शादी शिवाय से हुई है, तब उसका दिमाग ठनक गया। वो हमेशा से ही आर्या को अग्निहोत्री परिवार से दूर करना चाहती थी, पर आज जो उसे डर था, वो सच हुआ।
कामिनी सबको देखकर गुस्से से बोली, "आप सबने इस मनहूस को अग्निहोत्री खानदान की बहु कैसे बनाया?" फिर उसने आर्या की ओर इशारा करते हुए कहा, "ये अपने माँ-बाप को और अब अपने दादा को खा गई। क्या पता वो अग्निहोत्री..." वो इतना ही बोली थी कि तेज चटाक की आवाज़ के साथ एक थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा।
यह थप्पड़ इतना तेज था कि कामिनी के गाल पर उस इंसान की पाँचों उंगलियाँ छप गई थीं।
वहीं आर्या कामिनी की बात सुनकर बहुत ज्यादा हर्ट हो गई थी। वो सीधे मेंशन से तेज़ी से बाहर निकल गई। अभय उसके पीछे भागा। वहीं युवान अपनी खतरनाक नज़रों से कामिनी को घूर रहा था।
कामिनी ने गुस्से से जैसे ही अपना सर उठाया, अपने सामने खड़े इंसान को देखकर उसका गुस्सा पल भर में गायब हो गया। क्योंकि जिसने कामिनी को थप्पड़ मारा था, वो और कोई नहीं, दादा जी थे। वो आर्या के खिलाफ़ कभी एक शब्द भी नहीं सुन सकते थे। फिर आज तो कामिनी ने सारी हदें पार कर दी थीं।
ऐसा नहीं था कि कामिनी ने ये सब आर्या को पहली बार कहा था। कामिनी आर्या को बचपन से ही पसंद नहीं करती थी। वो एक मौका नहीं छोड़ती थी आर्या को सुनाने का।
दादा जी गुस्से में बोले, "अगर यहाँ रहना है, तो आर्या से दूर ही रहना। वरना तुम शिवाय के गुस्से से बच नहीं पाओगी।"
इतना बोलकर दादा जी वहाँ से चले गए। वो अपनी लालची बेटी को अच्छे से जानते थे। वहीं युवान कामिनी को घूरकर देखते हुए बोला, "खैर मानो कि भाई इस वक़्त यहाँ नहीं है, वरना कल का सूरज आप देख नहीं पाती।"
वहीं किरण जी, माया जी सब वहाँ से चले गए। छोड़ गए कामिनी को अकेला। कामिनी गुस्से से पूरे मेंशन को देख रही थी, जो इस वक़्त खाली हो चुका था। वो हॉल में अकेली खड़ी थी।
"अगर इस घर की चहेती आर्या को मैंने मौत के मुँह में नहीं धकेला, तो मेरा नाम भी कामिनी नहीं," कामिनी मन ही मन गुस्से से बोली, "इसी लड़की की वजह से मेरा प्यार किसी और का हो गया और आज इसी लड़की की वजह से मेरा प्लान फ़्लॉप होता हुआ दिख रहा है। पर मैं ऐसा होने नहीं दूँगी।"
आर्या दौड़ते हुए मेंशन से बाहर निकल गई और सामने वाले जिंदल मेंशन में चली गई। जिंदल मेंशन में राजीव जी और रागिनी जी उदास होकर डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। सामने नाश्ता रखा गया था, पर दोनों में से किसी का भी मन खाने का नहीं था।
तभी उन्होंने हॉल के मेन गेट से आर्या को दौड़ते हुए अंदर आते देखा। तभी दोनों की नज़र उसके चेहरे पर गई, जो इस वक़्त रो रही थी। यह देखकर दोनों ही परेशान हो गए। उनकी बेटी नहीं थी, पर बचपन से ही दोनों ने ही उसे बेटी माना था।
दोनों उसके करीब जा पाते, आर्या ने सबको पीछे छोड़कर ऊपर चली गई और वो सीधे रुद्र के कमरे में गई। वहीं उसके पीछे अभय परेशान होते हुए आया। अभय को परेशान देख राजीव जी ने उसे रोककर पूछा, "क्या हुआ अभय? आरू ऐसी हालत में कैसे? क्या हुआ है?"
अभय ने नफ़रत भरी आँखों से राजीव जी से कहा, "कामिनी बुआ आज आई है।"
यह सुनकर दोनों को पता चल गया कि क्या हुआ होगा। यह सुनकर दोनों की आँखों में नफ़रत साफ़ दिखने लगी। उससे साफ़ जाहिर हो रहा था कि कोई भी कामिनी को पसंद नहीं करता। क्यों? वो तो आगे ही जानेंगे।
"पता नहीं कामिनी ने इस बार क्या किया होगा," रागिनी बोली, "पर अगर आरू को कुछ भी हुआ, तो इस बार मैं कामिनी को छोड़ूंगी नहीं। हर बार वो इस बच्ची को हर्ट करती है। मैं अभी देखती हूँ उसे।"
तभी अभय ने उसे रोकते हुए कहा, "नहीं मासी, आप मत जाइए। मैं देखता हूँ।"
दोनों ने अपना सर हिला दिया। वहीं आर्या दौड़ते हुए सीधे रुद्र के कमरे में गई। रुद्र की हालत देखकर आर्या को बहुत बुरा लगा। वो सीधे रुद्र के पास आई और उसे ऐसे ही लेटे हुए गले लग गई।
रुद्र की आँखें भले ही बंधी थीं, पर वो टच को फील कर सकता था। साथ ही उसके कानों में आवाज़ जा रही थी जो आर्या ने उसे नम आवाज़ में कहा, "रुडी उठो ना, क्यों ऐसे लेटे हो? आज तुम्हारे और दादू के बिना मैं खुद को अकेला महसूस कर रही हूँ। तुम्हें पता है, सब मुझे जिम्मेदार ठहराते हैं, पर सब सच ही कहते हैं। ये सब मेरी वजह से ही हुआ है। मैं ही मनहूस हूँ। मैं जहाँ जाती हूँ, सबको परेशान करती हूँ, सबको दूर कर देती हूँ।"
वहीं रुद्र के कमरे के दरवाज़े के पास अभय खड़ा था। उसकी आँखें नम थीं। बचपन से ही अभय ने आर्या को अपनी छोटी बहन माना था; सिर्फ़ माना ही नहीं, उसने एक बड़े भाई के सारे फ़र्ज़ निभाए थे। आर्या को हर सिचुएशन में उसे प्रोटेक्ट करता था। अगर युवान और आर्या मस्ती में कोई भी गड़बड़ करें, तो शिवाय से सिर्फ़ अभय ही बचाता था।
आज अपनी बहन की ऐसी हालत देख अभय को ऐसा फील हो रहा था जैसे उसने अपने भाई होने का फ़र्ज़ ठीक से नहीं निभाया। आर्या काफ़ी देर रुद्र के गले लग रोती रही।
तभी आर्या को एहसास हुआ जैसे रुद्र के हाथ हिल रहे हों। यह महसूस होते ही आर्या ने अचानक रोना बंद कर दिया और रुद्र को देखने लगी, जिसकी आँखें अभी भी बंधी थीं।
TO BE CONTINUED
आर्या ने देखा कि उसके हाथ पर रुद्र के हाथ की पकड़ कस गई थी। यह देखकर आर्या ने रुद्र को पुकारा, "रुडी, रुडी क्या तुम मेरी बात सुन रहे हो?"
उसकी बात से रुद्र की पलकें हिलती हुई दिखीं। यह देखकर आर्या सब भूलकर रुद्र को पुकारने लगी।
पर रुद्र वैसे का वैसा ही रहा। दूर से देख रहा अभय भी अब तक उसके पास आ गया था। उसे पता था कि रुद्र को क्या हुआ है।
डॉक्टर ने आर्या से कहा, "इनकी आँखें भले ही बंधी हैं, पर अपने आस-पास की हर एक बात को, टच को महसूस कर सकते हैं। इसलिए इन्होंने अभी रिस्पॉन्स दिया, इसका मतलब है इनकी तबियत में सुधार आ रहा है।"
तभी अभय ने आर्या के कंधे पर हाथ रखा। आर्या समझ गई थी कि कौन हो सकता है। वह खड़ी हुई और सीधे अभय के गले लग गई।
आर्या सिसकते हुए बोली, "भाई देखो न रुडी उठ नहीं रहा, आप कुछ करो न। आप उसे डाँटो, जैसे बचपन में डाँटते थे। जब भी वो मुझे रुलाता, आप कैसे उसे डाँटते थे, वैसे ही डाँटो। मैं देखती हूँ कैसे नहीं उठता ये।"
अभय ने उसके सर को सहलाते हुए कहा, "क्यूटी अब शांत हो जाओ। कल से तुमने रो-रो कर अपना बुरा हाल बना रखा है। अगर शिवाय ने ऐसे तुम्हें देखा तो क्या उसे अच्छा लगेगा?"
तभी आर्या को कुछ याद आया। उसने अभय से अलग होते हुए कहा, "उसे मुझसे कोई फर्क नहीं पड़ता।"
अभय ने आर्या को वहीं सोफे पर बैठाया और खुद उसके बगल में बैठकर उसके हाथों को पकड़कर कहा, "किसने कहा उसे तुमसे फर्क नहीं पड़ता? अगर शिवाय को किसी से फर्क पड़ता है तो वो सिर्फ तुम हो।"
आर्या तेज आवाज में कहा, "ये सब झूठ है, वो कोई नहीं लगता मेरा।"
अभय को इतना तो पता चल गया था कि ज़रूर आर्या और शिवाय के बीच कुछ तो ऐसा हुआ है जिससे दोनों एक-दूसरे से दूर रहते हैं।
अभय ने आर्या से कहा, "अगर शिवाय तुमसे अच्छे से बिहेव नहीं कर रहा तो उसके पीछे की वजह को ढूँढ़ो। मुझसे भी ज़्यादा अच्छे से तुम शिवाय को जानती हो। क्या कभी शिवाय अपनी बेबी गर्ल के साथ ऐसे बिहेव कर सकता है? शिवाय के लिए अपनी फैमिली, भाई से भी ज़्यादा इम्पॉर्टेन्ट तुम हो, ये तुम अच्छे से जानती हो। मैं देख रहा हूँ, जब से तुम लन्दन से आई हो तुम्हारा बिहेव शिवाय से काफी अलग रहा है। और जहाँ तक मेरा शक है, तुम शिवाय की वजह से ही लन्दन गई हो। बच्चा, अगर कोई प्रॉब्लम है तो उसे सामना करो। ऐसे दूर भागने से प्रॉब्लम का सोल्यूशन नहीं मिलेगा। अगर शिवाय ने कुछ गलत किया है तो उसे गलती का एहसास दिलाओ, पर उससे दूर मत भागो। तुम बचपन से जानती हो, शिवाय हमेशा अकेलेपन में रहा है। अगर वो सबसे ज़्यादा किसी से घुलता-मिलता है तो वो सिर्फ तुमसे और रुद्र से। आज रुद्र को ऐसी हालत में देखकर जो तुम्हारा हाल है वैसा ही शिवाय का है। वो तो कभी अपने इमोशन शो भी नहीं करता, तो सोचो उसके ऊपर क्या बीत रही होगी। तुम रिश्तों को अच्छे से समझती हो तो यही समझ तुम शिवाय को दिलाओ। अगर भगवान ने तुम दोनों को साथ में जोड़ा है तो उसके पीछे भी कोई तो वजह रही होगी। इसलिए इस रिश्ते को आगे बढ़ाओ, अपनी ज़िम्मेदारी निभाओ। ये सब मैं शिवाय के बड़े भाई के नाते नहीं, बल्कि तुम्हारा भाई और फ्रेंड होने के नाते कह रहा हूँ।"
अभय की सारी बातें सुनकर आर्या को एहसास हुआ कि शिवाय कितना तड़पा होगा रुद्र को इस हालत में देखकर। यही नहीं, आर्या को ये बात भी याद आ रही थी जो उसने शिवाय को न जाने कैसी-कैसी बातें सुनाई थीं। अब आर्या को गिल्ट महसूस हो रहा था कि क्यों उसने शिवाय को इतना कुछ सुनाया जबकि वो हमेशा से ही उसकी फ़िक्र करता था।
जब आर्या पाँच साल की और शिवाय सिर्फ़ छह साल का था, आर्या कभी भी बीमार पड़ती, शिवाय उसे बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ता था। छोटी उम्र में भी शिवाय बहुत ज़्यादा मैच्योर था। वो दिन-रात आर्या के पीछे साये की तरह रहा था। जब आर्या खाना खा लेती, उसके बाद ही शिवाय खाना खाता था।
ये सब याद करते आर्या को फिर से रोना आ गया।
अभय को अब हँसी आ गई। वो अपने सामने बैठी बच्ची को अच्छे से जानता था। उसका दिल बहुत सॉफ्ट था, वो बहुत इमोशनल थी।
पर साथ ही शरारती भी थी। जब वो शरारत पर उतर आती, तब घर के लोगों की शामत आ जाती थी।
आर्या रुद्र से मिलकर वापस नीचे हॉल में आ गई थी।
रागिनी जी ने उसे गले लगाया। उसके बाद उसने आर्या को अपने हाथ से नाश्ता कराया।
फिर सब हॉल में आ गए।
तभी वहाँ युवान और सुहा आ गए।
आर्या को ठीक देखकर युवान और सुहा ने चैन की साँस ली।
युवान अभय के पास आकर बोला, "क्यूटी को रुद्र भाई और शिवाय भाई के सिवा कोई संभाल सकता है तो सिर्फ आप ही हैं।"
अभय ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "आखिर उसका भाई कौन हूँ?"
ये सुनकर युवान अभय को घूरते हुए कहा, "तो मैं भी उसका बेस्ट फ्रेंड हूँ।"
सुहा ने बड़ी स्माइल के साथ चहकते हुए कहा, "आप दोनों रहने दो, वो मेरी बहन है।"
इतना बोलकर वो सीधे आर्या के पास आ गई। वही ये देखकर युवान खड़ा होकर सीधे आर्या की दूसरी साइड बैठ गया।
यही देखना था, फिर शुरू हुआ कि आर्या किसकी है। सुहा और युवान दोनों लड़ रहे थे। वहीं आर्या दोनों को कुत्ते-बिल्ली जैसे लड़ते देख हँस रही थी।
मौहौल काफी हल्का हो गया था। जहाँ रागिनी जी और राजीव जी उदास थे, इस वक्त उनके चेहरे पर भी एक मुस्कराहट थी।
आर्या का आज अग्निहोत्री मेंशन जाने का बिल्कुल मन नहीं था, फिर भी वो वापस अग्निहोत्री मेंशन आ गई। हॉल में देखा तो वहाँ किरण जी और माया जी मौजूद थीं। बाकी सब ऑफिस चले गए थे। दादा जी भी शिवाय की शादी की खुशी में NGO गए थे बच्चों को गिफ्ट्स देने।
आर्या के पीछे युवान और सुहा दोनों लड़ते हुए आ रहे थे। आर्या सीधे माया जी के पास बैठकर उसके गले पर हाथ बाँधते हुए युवान और सुहा से कहा, "ये मेरी माँ है, देखो वो मुझसे तुम दोनों से ज़्यादा प्यार करती है।"
ये सुनकर युवान और सुहा अपनी लड़ाई छोड़कर आर्या को घूरकर देखने लगे।
तभी आर्या जल्दी से किरण जी के पास जाकर उनके गले में हाथ बाँधकर कहा, "देखो मेरे पास दो माँ हैं।"
युवान और सुहा भी बीच में लड़ते हुए बोले, "हमारे पास भी दो माँ हैं।"
युवान और सुहा माया जी के गले से लिपट गए। इसी मस्तीभरे माहौल में बुआ कमरे से बाहर आई। उसे यहाँ देखकर युवान धीरे से आर्या के कान में बोला, "लो आ गई हमारी खुशियों को ग्रहण लगाने।"
ये सुनकर आर्या और सुहा की हँसी छूट गई।
वहीं उसकी बात पीछे खड़े अभय ने भी सुन ली।
फिर उसने सबसे कहा, "मैं ऑफिस जा रहा हूँ। शिवाय नहीं है तो काम ज़्यादा है।"
शिवाय नहीं है, ये सुनकर सब उसे सवालिया निगाहों से देखने लगे।
किरण जी: "नहीं है का मतलब? वो कहाँ गया है?"
अभय: "ओह, मैं बताना भूल गया माँ। शिवाय बैंगलोर गया है मीटिंग की वजह से। वो तीन-चार दिन बाद आएगा।"
ये सुनकर कामिनी के चेहरे पर एक कुटिल स्माइल आ गई। वहीं आर्या का मुँह ही लटक गया।
ये देखकर युवान ने फिर से सबको रिलैक्स करते हुए कहा, "ये तो अच्छी बात है। अगर भाई नहीं है तो हम कुछ भी कर सकते हैं, पार्टी, लॉन्ग ड्राइव, शॉपिंग।"
ये सुनकर आर्या और सुहा के चेहरे पर चमक आ गई।
तभी उसकी खुशी के बीच टपकते हुए कामिनी बोली, "ये क्या तुम यहाँ बैठकर जोर-जोर से हँस रही हो? अब तुम अग्निहोत्री खानदान की बहू हो तो कुछ मेनर्स सीखो। शादी के दो ही दिन हुए हैं, कुछ रस्म भी होती है, मुँह दिखाई की, पहली रसोई की, और तुम हो कि पार्टी, लॉन्ग ड्राइव के बारे में सोच रही हो।"
अब आर्या का दिमाग ठनक गया। आर्या कोई छुईमुई टाइप की नहीं थी। ईंट का जवाब पत्थर से देने की हिम्मत रखती थी।
ये सब उसे रुद्र और अभय ने ही सिखाया था कि अगर कोई तुम्हें परेशान करे, कोई वार करे, कोई तुम्हें छेड़े तो तुम उसके साथ कुछ भी कर सकती हो। बाद में जो होगा वो हम सब देख लेंगे। इसलिए आर्या बचपन से ही काफी स्ट्रॉन्ग थी। पर कामिनी की कुछ-कुछ बातें उसे बहुत हर्ट कर जाती थीं।
आर्या तेज़ी से खड़ी हुई। उसकी आँखों में गुस्सा साफ़ दिख रहा था। उसने कामिनी से कहा, "जब मैं कुछ बोल नहीं रही तो ये मत समझिएगा कि मैं कमज़ोर हूँ। मैंने कब कहा कि मैं बाहर पार्टी करने जा रही हूँ? क्या आपने मेरी आवाज़ सुनी? क्या आपने देखा कि मैं सज-धज कर बाहर जा रही हूँ? नहीं न, तो अपनी जुबान मेरे सामने कम ही चलाएँ, वरना मेरे भाई, मेरे हसबैंड और मेरे फ्रेंड ने मुझे फुल क्लीन चिट दे रखी है कि अगर कोई मुझे धमकाए तो उसे जान से मार भी सकती हूँ। बाद में जो होगा वो देख लेंगे।"
ये सुनकर कामिनी की रीढ़ की हड्डी काँप गई।
क्योंकि आर्या की आवाज़ पहले से ज़्यादा खतरनाक थी। उसने हर एक शब्द जोर देते हुए कहे थे। उसे देखकर साफ़ पता चल रहा था कि वो जो बोल रही है वो अभी कर देगी।
वहीं युवान, सुहा, अभय, किरण जी और माया जी मन ही मन हँस रही थीं।
वहीं आर्या को पहले जैसे बिंदास देखकर सब बहुत खुश हुए। वरना लन्दन से वापस आने के बाद असली आर्या तो कहीं गुम ही हो गई थी।
TO BE CONTINUE
आर्या की बात से कामिनी एक पल के लिए डर गई, पर अगले ही पल अपने असली अवतार में आते हुए कहा, "ये लड़की मेरे सामने अपनी जुबान संभालकर बात करे।"
पर आर्या ने उसे पूरी तरह से इग्नोर किया और खुद अपने कमरे में जाते हुए युवान और सुहा से कहने लगी, "हम अभी बाहर घूमने जाएँगे, अब तो अग्निहोत्री खानदान की बहु बाहर घूमने जाकर ही रहेगी।"
लास्ट लाइन उसने कामिनी को सुनाने के लिए बोली थी, जिससे वहाँ खड़े सबको बहुत हँसी आ रही थी।
किरण जी नहीं चाहती थीं कि शादी हो जाने के बाद आर्या बिलकुल बदल जाए, इसलिए उन्होंने अपनी बहु नहीं, बल्कि पहले जैसे बेटी की तरह ही व्यवहार किया। वे नहीं चाहते थे कि आर्या पर शादी की ज़िम्मेदारी आ जाए। वे उसे थोड़ा वक्त देना चाहती थीं। जिस हालात में शादी हुई थी, उसे आर्या भले ही न दिखाए, पर वह बहुत दुखी थी।
वहीं दूर, शिवाय बैंगलोर में बैठा अपने कमरे में फुल फोकस से काम कर रहा था। तभी उसके कमरे में रोनी आया।
शिवाय वैसे ही काम कर रहा था।
रोनी ने अपना सिर झुकाकर कहा, "सर, वो मुंबई में..."
वो इतना ही बोला था कि लैपटॉप पर थिरकती शिवाय की उंगलियाँ थम गईं और उसने सिर्फ़ "हम्म" में जवाब दिया।
फिर रोनी ने अग्निहोत्री मेंशन में जो भी हुआ, वो सब बता दिया।
उसके बाद रोनी वहाँ से चला गया।
उसके जाने के बाद शिवाय ने सोफ़े पर सिर टेकाकर खुद से ही कहा, "मुझे पता है तुम पर क्या बीत रही है, पर मैं भी मजबूर हूँ तुम्हें खुद से दूर रखने के लिए।"
वहीं दूसरी ओर, आर्या, सुहा और युवान लॉन्ग ड्राइव पर निकल गए थे। युवान ड्राइव कर रहा था, उसके बगल में आर्या बैठी थी, वहीं सुहा पीछे बैठी थी।
फुल वॉल्यूम में सॉन्ग बज रहा था और सुहा और आर्या फुल एन्जॉय मूड में थीं।
आर्या बाहर से खुद को खुश दिखा रही थी, पर वह अंदर से पूरी तरह से टूट चुकी थी। उसके दादा जी के जाने से उसे बहुत बड़ा झटका लगा था, पर वह भी अपने इमोशन्स को छुपाने में माहिर थी, सिवाय शिवाय के सामने। उसके सामने उसके हर एक इमोशन शो हो जाते थे।
तीनों मॉल की पार्किंग में रुके।
आज तीनों जमकर शॉपिंग करने वाले थे।
आर्या के पास खुद का क्रेडिट कार्ड था।
वे मॉल पहुँचे ही थे कि आर्या के सामने रोनी आकर रुका।
रोनी को देखकर आर्या कन्फ़्यूज़ हो गई कि शिवाय तो बैंगलोर में है, तो फिर रोनी यहाँ क्या कर रहा है? शिवाय जहाँ भी जाता, रोनी हमेशा उसके साथ रहता।
युवान ने रोनी को देखकर उससे कहा, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम बैंगलोर नहीं गए थे?"
रोनी: "वो सर ने मेम को क्रेडिट कार्ड देने के लिए भेजा है।"
ये सुनकर आर्या हैरान रह गई। उसने हैरानी से कहा, "इसका मतलब शिवाय ने तुम्हें सिर्फ़ मुझे क्रेडिट कार्ड देने के लिए मुंबई भेजा है?"
रोनी ने जवाब देते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया।
ये देखकर तीनों की आँखें हैरानी से फैल गईं।
सिर्फ़ क्रेडिट कार्ड देने के लिए शिवाय ने बैंगलोर से रोनी को मुंबई भेजा।
आर्या ने मन ही मन खुद से कहा, "क्या ये डेविल पूरी तरह से पागल हो चुका है?"
युवान आर्या को छेड़ते हुए: "हाय, भाई! कितने केयरिंग हैं, बैंगलोर बैठे हुए भी तुम्हारे मन की बात समझ जाते हैं।"
ये सुनकर आर्या पूरी तरह से चिढ़ गई। उसने गुस्से से युवान को घूरते हुए कहा, "टॉम, तू अपनी बकवास बंद रखो, वो डेविल बिलकुल वैसा नहीं है। मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है।"
युवान आर्या को रिलैक्स करते हुए बोला, "अरे यार, अब वो सब छोड़। भाई ने तुम्हें गोल्डन कार्ड दिया। तुम्हें अच्छे से पता है इनकी कोई लिमिट नहीं है, तो आज तुम जमकर शॉपिंग करो और अपने पतिदेव के पैसे उड़ाओ। कोई नहीं रोकेगा।"
ये सुनकर आर्या के दिमाग में एक खतरनाक आइडिया आया। उसने युवान की बात पर हामी भरते हुए आगे बढ़ गई।
सबसे पहले वे मेन्स सेक्शन में गए। वहाँ युवान ने अपनी फॉर्मल, नाइट वियर और पार्टी वियर के कपड़े लिए। उसके बाद वे तीनों लेडीज़ सेक्शन में गए। वहाँ पहले सुहा की शॉपिंग की गई। उसके बाद आर्या ने अपने लिए ढेर सारे कपड़े लिए, जैसे कि कुर्ती, जीन्स, क्रॉप टॉप्स, पार्टी गाउन। तभी युवान की नज़र एक स्टैचू में पड़ी, जिसमें एक रेड कलर का गाउन था। वो भी बहुत बड़ी महँगी ब्रांड का था।
युवान आर्या को उस स्टैचू के पास ले गया।
आर्या को भी वो गाउन बहुत अच्छा लगा। जब उसने प्राइस टैग देखा तो उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट आ गई।
वहीं जब सुहा और युवान ने उसका टैग देखा तो दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ा, पर कोई आम आदमी देखता तो उसकी आँखें ही बाहर निकल जातीं।
क्योंकि वो एलीगेंट ड्रेस की कीमत सत्तर लाख थी।
सुहा: "आर्या, जाओ और ट्राय करो। मुझे देखना है तुम इस ड्रेस में कैसी दिखती हो?"
आर्या भी वो ड्रेस लेकर ट्रायल रूम में चली गई।
थोड़ी देर बाद आर्या ट्रायल रूम से बाहर आई। उसे देखकर युवान और सुहा की आँखें हैरानी से फैल गईं। आर्या रेड कलर की स्लीवलेस ड्रेस में बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसके गोरे कंधे साफ़ दिख रहे थे, घुटनों से नीचे तक का एक कट था, जिससे उसका आधा पैर साफ़ दिख रहा था।
युवान ने चुपके से उसकी एक तस्वीर ले ली और किसी को भेज दी।
आर्या को भी वो ड्रेस पसंद आई, इसलिए उसने वो खरीद ली। उसके बाद आर्या ने अपने लिए स्लीपर, हील्स, शूज़, महँगे कपड़ों से मैचिंग ज्वेलरी, महँगे लिमिटेड एडिशन के पर्स लिए।
उसके बाद तीनों फ़ूड सेक्शन में गए। वहाँ पहुँचते ही सबकी नज़रें उस पर आ गईं। युवान अपने भाइयों की तरह बहुत हैंडसम था। वहीं लड़कियाँ उसे एकटक देख रही थीं। युवान का ध्यान किसी पर भी नहीं गया। वे तीनों एक टेबल पर जाकर बैठ गए।
कोई नहीं जानता था कि ये तीनों एक बहुत बड़े फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं।
क्योंकि तीनों फैमिली हमेशा लो प्रोफ़ाइल रही है।
फ़ूड सेक्शन में आर्या ने पिज़्ज़ा, पास्ता, सैंडविच, न जाने कितनी चीज़ें ऑर्डर कीं।
थोड़ी देर में वेटर लेकर आ गया। युवान ने देखा आर्या मस्त खाने में बिज़ी थी। उसने आर्या की फ़ोटो खींची और किसी को भेज दी।
वहीं कोने में एक लड़कों का ग्रुप बैठा आर्या को गंदी नज़रों से देख रहा था। युवान ने ये बात नोटिस की तो उसने आधे खाने को बीच में छोड़कर, आर्या और सुहा को लेकर बाहर निकल गया और किसी को फ़ोन से मैसेज किया।
आर्या को जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि क्या हुआ, पर अपना खाना आधा छोड़कर उठकर आने से वह युवान पर भड़क गई थी। क्योंकि आर्या को अगर कोई बात मनवानी हो तो उसे खाना लाकर दो, वह खाने को देखकर सब भूल जाती थी। ऐसा कहा जा सकता है कि आर्या की हॉबी खाना खाना है।
आर्या कार के पास आते हुए: "ये क्या था टॉम? तुमने हमें खाने क्यों नहीं दिया?"
सुहा: "भाई, आपने ऐसा क्यों किया? आपको पता है, कितने दिनों बाद ऐसा खाने का मौका मिला था। आप जानते हैं ना शिवाय भाई के रहते हम कभी ये सब नहीं खा पाते।"
आर्या उसका साथ देते हुए: "वही तो बात है। तुमने हमें खाने क्यों नहीं दिया? उस डेविल के बगैर हम कितने मज़े कर सकते हैं और तुमने सारा मूड खराब कर दिया।"
वहीं युवान किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था।
तभी वहाँ ढेर सारी कारें उसके सामने आकर रुकीं। बीच में से एक हैंडसम सा लड़का बाहर निकला, जिसकी उम्र युवान और आर्या के जितनी थी।
फ़ॉर्मल कपड़ों में वो डैशिंग लग रहा था।
आर्या ने जब उसे देखा तो उसके चेहरे पर चमक आ गई।
वह सीधे उस लड़के के पास गई और उसके गले लगते हुए कहा, "कहाँ गए थे तुम? जब से लंदन से आई तब से तुम्हें ढूँढती रही, पर तुम्हारा तो कोई अता-पता ही नहीं था।"
ये है राहुल कपूर, शिवाय का असिस्टेंट और साथ ही रुद्र के बुआ का बेटा। उसकी बुआ और फूफा अब इस दुनिया में नहीं हैं।
इसलिए रुद्र के पेरेंट्स ने उसे अपने बेटे की तरह माना और अपने घर पर रखा। राहुल की खुद की भी कंपनी है जो उसे वारिस में मिली थी, पर वह शिवाय को अपना आइडियल मानता था। उसने शिवाय से ही बिज़नेस की नॉलेज ली और अपनी कंपनी को अपने असिस्टेंट को संभालने दे दिया और खुद शिवाय का असिस्टेंट बन गया।
राहुल ने आर्या के सिर को सहलाते हुए अपने से अलग करते हुए कहा, "तुम तो जानती हो ना अपने उस डेविल को, उसने मुझे काम में इतना फँसा दिया था कि मैं निकल ही नहीं पाया।"
वहीं युवान की आँखों में इस वक्त डर दिख रहा था, क्योंकि राहुल कभी भी शिवाय को अकेला नहीं छोड़ता था। जब भी कोई प्रॉब्लम होती, तभी राहुल शिवाय को छोड़कर अग्निहोत्री फैमिली के पास आता था, उनकी सिक्योरिटी के लिए।
वहीं युवान ने राहुल की आँखों में एक अनजाना डर देख लिया था। उसे समझने में देर नहीं लगी कि बात क्या होगी।
वहीं राहुल ने युवान को एक नज़र देखा, युवान को उसकी एक नज़र ही काफी थी।
वहीं मॉल से थोड़ी दूर, एक बड़ी सी बिल्डिंग के टेरेस पर एक स्नाइपर अपना निशाना लगाए बैठा था, पर वह निशाना बार-बार चूक रहा था, क्योंकि उसका जो टारगेट था वो बार-बार हिल रहा था।
वहीं युवान ने आर्या से कहा, "जेरी, चलो इस वक्त घर जाना ज़रूरी है। तुम्हारे लिए पिज़्ज़ा पास्ता मैंने ऑर्डर कर दिया है, वो आता ही होगा। अगर लेट हुई तो वो ठंडा हो जाएगा।"
ये सुनकर आर्या ने सारे सवाल साइड में रखे और तेज़ी से कार में बैठ गई। सुहा भी उसके पास बैठ गई। राहुल ने ड्राइविंग सीट संभाली, युवान पैसेंजर सीट पर बैठ गया।
अब दोनों के चेहरों पर सीरियसनेस साफ़ दिख रही थी।
वहीं प्राइवेट जेट से निकल रहे वंश के हाथ में अपना फ़ोन था और फ़ोन में वो कुछ देख रहा था। उसके आगे शिवाय सीरियसनेस के साथ कार की ओर बढ़ रहा था।
उसका कोल्ड आउरा आसपास के लोगों को भी डरा रहा था।
वहाँ गार्ड्स की लाइन थी। चारों ओर गार्ड्स शिवाय को प्रोटेक्ट कर रहे थे। जितना उसका नाम था, दबदबा था, उससे भी बढ़कर उन पर हमेशा खतरा रहता था।
वंश शिवाय के साथ बैक सीट पर बैठ गया। वंश ने एक तस्वीर शिवाय को दिखाई। पहले तो शिवाय ने उसे देखा नहीं, पर जब उसने गौर किया तो वंश के हाथ से फ़ोन लेकर उस तस्वीर को ध्यान से देखने लगा।
वो तस्वीर आर्या की थी, जब उसने रेड कलर की ड्रेस पहनी थी। उस वक्त युवान ने वो तस्वीर वंश को भेजी थी शिवाय को दिखाने के लिए। वो अपने भाई को जानता था, अगर उसने वो तस्वीर भेजी तो उसका भाई उसका मैसेज ही नहीं देखेगा।
आर्या को उस ड्रेस में देखकर शिवाय का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। उसे अपने अंदर गर्मी महसूस होने लगी। उसने वो फ़ोटो साइड किया तो उसने आर्या पिज़्ज़ा का पीस हाथ में पकड़े खा रही थी। उसके होंठों पर सॉस लगा था जो उसे और भी ज़्यादा अट्रैक्टिव बना रहा था। उसे देखकर शिवाय की फ़ीलिंग्स बाहर आ रही थीं। तभी उसकी नज़र आर्या के साइड टेबल पर पड़ी। ये देखकर उसकी आँखों में गुस्से ने जगह ले ली। शिवाय के भाव बदलते देख वंश ने उसके हाथ से फ़ोन लेकर देखा तो वो समझ गया कि क्या हुआ।
शिवाय ने रोनी की ओर देखा, रोनी को शिवाय की एक नज़र ही काफी थी।
वहीं आर्या इस बात से अनजान कि शिवाय मुंबई आ गया है, वो तो अग्निहोत्री मेंशन के हॉल में बैठी पिज़्ज़ा का लुत्फ़ उठा रही थी। उसके साथ सुहा और युवान भी थे। राहुल उन्हें छोड़कर रुद्र के पास चला गया था।
तभी हॉल में कुछ लोग एंटर हुए। उसे देखकर आर्या ने कहा, "जैसा कहा है वैसा ही करना, समझ आई बात?"
वो लोग अपना सिर हाँ में हिलाकर ऊपर शिवाय के कमरे में चले गए।
अभी किरण जी, माया जी और दादा जी घर पर नहीं थे। वहीं युवान और सुहा को पता था कि आर्या क्या करने वाली है।
सुहा थोड़ा डरते हुए बोली, "आर्या, तुम्हें पता भी है जो तुम करने वाली हो उसका अंजाम क्या होगा? मेंशन में भूचाल आ जाएगा, भाई के गुस्से से तुम्हें कोई नहीं बचा पाएगा।"
ये सुनकर आर्या का हाथ रुक गया और वह सीरियस वे में बोली, "यही तो मैं चाहती हूँ कि शिवाय गुस्सा हो।"
ये सुनकर युवान समझ गया कि ज़रूर कोई बात है। दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं है।
सुहा अभी बाईस साल की थी। युवान नहीं चाहता था इस बात का कोई असर उस पर पड़े, क्योंकि सुहा आर्या के लिए बहुत पॉज़िटिव थी। वह आर्या को अपनी बहन से भी बढ़कर मानती थी।
युवान ने कुछ काम का बताकर सुहा को वहाँ से भेज दिया।
युवान ने आर्या से कहा, "क्या बात है जेरी? क्या तुम्हारे और भाई के बीच कुछ ठीक नहीं है?"
आर्या ने सीरियस वॉइस में कहा, "जब से लंदन से आई हूँ, तब से शिवाय ने एक बार भी मेरी तरफ़ नहीं देखा, ना ही मुझसे कोई बात की।"
युवान को एक बात खटकी। उसने आर्या से शक की निगाहों से देखते हुए पूछा, "क्या तुम्हारे लंदन जाने के पीछे की वजह भाई है?"
ये सुनकर आर्या की आँखों में नफ़रत दिखने लगी। उसके दिमाग में वो पल घूमने लगे जब वो उस कमरे में गई थी जिसको बहुत अच्छे से सजाया गया था। इस नफ़रत की कहानी भी तो वहीं से शुरू हुई थी।
तभी उसके कानों में युवान की आवाज़ आई।
युवान: "बोलो, क्या मैं जो कह रहा हूँ वो सच है?"
आर्या ने सफ़ाई से झूठ बोलते हुए कहा, "नहीं, वो सब छोड़ो और खाने को एन्जॉय करो। वैसे भी तुम्हारा वो खड़ूस भाई तीन दिन तक आने वाला नहीं है। कल हम पिकनिक पर जाएँगे, मज़ा आएगा।"
आर्या को फिर से चिल करते देख युवान ने उससे कुछ नहीं पूछा।
वहीं दूसरी ओर, शिवाय की कार ऑफ़िस के सामने आकर रुकी। शिवाय एरोगेंट आउरा के साथ ऑफ़िस में एंटर हुआ। उसे देखकर एम्प्लोयी ने डर के मारे सिर झुका लिया।
शिवाय लिफ़्ट तक पहुँचता उससे पहले ही उसके सामने एक लड़की आकर खड़ी हो गई। ये देखकर सबकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
TO BE CONTINUED
शिवाय लिफ्ट तक पहुँचने से पहले ही उसके सामने एक लड़की आकर खड़ी हो गई। यह देखकर सबकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
क्योंकि सबको पता था कि शिवाय कभी अपने करीब किसी भी लड़की को नहीं आने देता।
अपने सामने एक शॉर्ट ड्रेस पहनी लड़की को देखकर शिवाय की आँखें खतरनाक हो गईं। उसकी आँखें बर्फ की तरह ठंडी पड़ गईं।
वहीं, उसके पीछे वंश को जब अपने आसपास का माहौल ठंडा होता हुआ महसूस हुआ, तो उसने अपना सिर उठाया। उसकी आँखों में गुस्से के भाव आ गए।
वह लड़की सीधी शिवाय के करीब आकर रुक गई।
शिवाय ने उसे एक नज़र भर भी नहीं देखा। वह एकटक सामने ही देख रहा था।
क्योंकि उस लड़की ने काफी शॉर्ट ड्रेस पहनी थी, उसकी क्लिवेज साफ दिख रही थी। उसकी ड्रेस घुटनों से भी ऊपर तक ही आ रही थी।
उसे देखकर साफ जाहिर हो रहा था कि वह शिवाय को सिड्यूस करने के लिए आई है।
वह लड़की और कोई नहीं, शिवाय के प्रोजेक्ट पार्टनर विशाल खुराना की बेटी मोहिनी खुराना थी।
वह अपने पापा के प्रोजेक्ट को सिर्फ़ शिवाय के लिए संभालती थी। उसकी नज़र अग्निहोत्री खानदान पर थी। उसे पता था शिवाय को सिड्यूस करना आसान नहीं है। इसलिए उसने रूद्र को पटाने की कोशिश की। पर जब उसे पता चला कि रूद्र की शादी हो गई है, तो उसने शिवाय पर ट्राई करना शुरू कर दिया। पर उसे यह नहीं पता था कि वह जिस आग के साथ खेल रही है, वह उसे मौत तक पहुँचाने की हिम्मत रखती है।
मोहिनी शिवाय के करीब आकर जैसे ही उसके गले लगने को हुई, रोनी ने उसे हाथ दिखाकर दूर रहने को कहा।
तभी मोहिनी अपने पैसे का रौब दिखाते हुए बोली, "तुम जानते भी हो तुम किसे रोक रहे हो? तुम दो-कोड़ी के बॉडीगार्ड मुझे रोकने की हिम्मत कैसे हुई? मेरे सामने आने की भी औकात नहीं है तुममें।"
वहीं, रोनी भी कम नहीं था। उसे पता था उसके बॉस को यह लड़की एक पल भी नहीं भाती है। इसलिए उसने मोहिनी से कहा, "मेरी औकात तो आपसे भी ज़्यादा है। अगर सड़क पर नहीं आना चाहती तो यहाँ से चली जाए।"
मोहिनी अपने चापलूसी करते हुए अपने हाथ शिवाय के कंधे पर ले जाते हुए बोली, "शिवाय..."
उसने इतना ही बोला था कि उसकी चीख वहाँ गूंज उठी।
यह चीख किसी और की नहीं, मोहिनी की थी। रोनी के हाथ में धारदार खंजर था, जिसमें खून की बूँदें नीचे फ़र्श पर गिर रही थीं।
वहीं, मोहिनी फ़र्श पर गिरी, अपने से थोड़ी दूर अपनी कटी हुई उंगली को देख रही थी। उसकी आँखों में डर, दर्द, आँसू दिख रहे थे।
मोहिनी ने जिस उंगली से शिवाय को टच किया था, वही उंगली खून से लथपथ नीचे उसके हाथ से अलग दूर गिर गई थी।
मोहिनी की उंगली रोनी ने ही काटी थी। उसे पहले ही ऑर्डर दिया हुआ था कि अगर कोई लड़की जबरदस्ती उसके करीब आने की कोशिश करे, तो वह उसके साथ कुछ भी कर सकता है।
रोनी एक बहुत खतरनाक गार्ड था। जो भी लोग शिवाय को जानते हैं, वे रोनी से बहुत डरते हैं। रोनी बचपन से ही शिवाय के साथ रहा है। रोनी के पापा आकाश जी के गार्ड हुआ करते थे। उसके बाद रोनी शिवाय का गार्ड बना। वह सबसे ज़्यादा भरोसेमंद आदमी में से एक था।
शिवाय की हर एक बात, पर्सनल हो या प्रोफ़ेशनल, उसे सब मालूम रहता था।
यह सब देखकर एम्प्लॉई की आँखों में डर पैदा हो गया। उन्होंने आज तक सुना था कि उसके बॉस को जो भी लड़की टच करती है, उसका हाथ काट दिया जाता है, पर आज तक किसी ने देखा नहीं था। पर अपने बॉस का यह रूप देख सब डर गए। लड़कियाँ तो अपनी नज़रें उठाने की भी हिम्मत नहीं कर रही थीं।
शिवाय वहाँ से चला गया। वंश नीचे गिरी हुई मोहिनी को गुस्से से घूरते हुए बोला, "पहले ही वार्न किया था, दूर रहो। पर तुम जैसी घमंडी लड़की को कहाँ किसी की बात सुननी होती है। एंड वन मोर थिंग, ये जो रोनी को औकात दिखाने की बात कर रही थी न, उसकी औकात तो तुमसे भी कई ज़्यादा है। तुम तो उसकी पैरों की धूल बराबर भी नहीं हो। अगर आज के बाद यहाँ दिखी तो आज सिर्फ़ उंगली गई है, आगे पता नहीं तुम इस दुनिया में दिखोगी भी या नहीं।"
इतना बोलकर वंश वहाँ से चला गया।
वहीं, शिवाय गुस्से में आँखें बंद करके चेयर पर बैठा था। उसके सामने रोनी खड़ा अपने बॉस के ऑर्डर का वेट कर रहा था।
तभी शिवाय की कोल्ड आवाज़ उसके कानों में पड़ी, "विशाल खुराना के साथ डील कैंसल करो। साथ ही उसकी कंपनी के सारे शेयर्स खरीद लो। उसकी बेटी मोहिनी का करियर पूरी तरह से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्रीज़ से बैन करवा दो।"
रोनी ने "ओके बॉस" कहा और वहाँ से निकल गया।
तभी केबिन का डोर नॉक हुआ।
शिवाय ने "कम इन" कहा। तभी राहुल इंटर हुआ। शिवाय अभी भी आँखें बंद करके बैठा था। उसे पता था राहुल आया है।
शिवाय ने कहा, "स्पीक।"
राहुल ने कहा, "उसे पकड़ लिया है, पर अभी तक पता नहीं चला है कि उस स्निपर को किसने हायर किया है।"
यह सुनकर शिवाय के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट आ गई, जैसे वह जानता हो कि यह सब किसने किया।
शिवाय की स्माइल देखकर अब राहुल को अंदाज़ा हो गया कि यह किसका काम हो सकता है, पर वह बहुत कंफ़्यूज़ था। उसने शिवाय से कहा, "पर भाई ऐसा कैसे हो सकता है? वो तो..."
वह इतना ही बोला था कि शिवाय ने उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा, "वो अभी भी उसके पीछे पड़ा है। मैं उसे अच्छे से जानता हूँ। वो इतनी आसानी से उसका पीछा नहीं छोड़ेगा।"
राहुल ने कहा, "अगर आप एक बार आर्या से पूछें तो शायद आपको मालूम हो जाए कि वो दोनों एक-दूसरे को कैसे जानते हैं।"
यह सुनकर शिवाय की आँखों में ढेर सारे पल गुज़रने लगे। उसने कहा, "मैं आर्या से ये सब नहीं पूछ सकता।"
यह सुनकर राहुल को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर शिवाय आर्या से कुछ भी पूछने से क्यों खुद को रोक रहा था।
वो जहाँ तक जानता था, शिवाय और आर्या बेस्ट फ्रेंड थे, दोनों एक-दूसरे के काफ़ी करीब थे। तो फिर अचानक सब बदला कैसे गया? इस बात का जवाब उसे अभी तक नहीं मिला था।
थोड़ी देर बाद शिवाय अपने कार में बैठकर निकल गया। उसके साथ रोनी ड्राइव कर रहा था और राहुल पैसेंजर सीट पर बैठा था।
दूसरी ओर, मेंशन में आर्या पिज़्ज़ा खा रही थी। युवान उसके पास बैठा कोल्ड ड्रिंक पी रहा था।
तभी मेंशन में कार रुकने की आवाज़ आई। युवान को लगा शायद उसके पापा या भाई आए होंगे। वह मस्त से ड्रिंक पी रहा था। तभी उसने हॉल में किसी को एंटर होते हुए देखा। उसे देखकर युवान के मुँह से सारी की सारी ड्रिंक निकल गई। युवान का ऐसा बिहेवियर देख आर्या चिढ़ गई। वह युवान से बोली, "क्या पागल हो गए हो? कैसे छोटे बच्चों की तरह पी रहे हो? अपने कपड़े देखो, वो भी खराब कर दिया।"
आर्या युवान के सामने बैठी थी, इसलिए आर्या की पीठ मेन गेट की ओर थी। वहीं, हॉल के अंदर आते हुए शख्स की नज़र जब आर्या पर पड़ी, तो उसकी आँखें छोटी हो गईं।
वहीं, युवान एकदम फ़्रीज़ हो गया। वह एकटक अपने सामने आर्या के पीछे खड़े शख्स को देख रहा था।
युवान को अपने पीछे देख आर्या ने युवान से कहा, "क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहे हो?"
आर्या की आवाज़ से युवान सेंस में आया और वह एक पल में मिस्टर इंडिया की तरह गायब हो गया। युवान को इतनी स्पीड से भागता देख आर्या बोली, "ऐसे क्या भाग रहे हो? जैसे तुम्हारे पीछे कुत्ता पड़ा हो।"
यह सुनकर पीछे खड़े शख्स की आँखें और गहरी हो गईं।
आर्या ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, उसके मुँह से पिज़्ज़ा का पीस नीचे गिर गया।
क्योंकि उसके सामने उसका डेविल पति शिवाय अग्निहोत्री खड़ा था।
उसके एक साइड राहुल और एक साइड वंश खड़ा था। वंश मन ही मन आर्या के लिए प्रे करने लगा। वहीं, राहुल को आर्या की फ़िक्र होने लगी। साथ ही उसके चेहरे को देख हँसी भी आने लगी। शिवाय को देख आर्या के चेहरे का रंग उड़ गया।
आर्या हैरानी से कुछ बोल नहीं पा रही थी। वह अपने हाथ में पिज़्ज़ा लेकर दौड़ते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। तभी दौड़ने से उसका पैर मुड़ गया और जैसे ही गिरने को हुई, किसी ने उसकी कमर पकड़कर अपनी ओर खींच लिया।
डर की वजह से आर्या की आँखें बंद हो गईं। अभी उसके एक हाथ में पिज़्ज़ा का पीस था, वह नीचे गिर गया। जब उसे दर्द का एहसास नहीं हुआ, तब उसने आँखें खोलीं, तो उसकी आँखों में डर फैल गया।
वहीं, फ़र्स्ट फ़्लोर पर पिलर के पीछे से युवान और सुहा नीचे हो रहे एंटरटेनमेंट को देख रहे थे।
सुहा धीरे से युवान को डाँटते हुए बोली, "भाई आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप आर्या को अकेले छोड़कर कैसे आ सकते हैं?"
युवान: "अरे उस डेविल से कौन भिड़ना चाहेगा? आर्या तो वैसे भी उसे संभाल ही लेगी।"
सुहा: "भाई आपको पता है ना आर्या को यह खाना सूट नहीं करता। हमेशा ऐसे खाने से वह बीमार हो जाती है। अब पता नहीं भाई हम सबका क्या हाल करेंगे।"
यह सुनकर युवान को एहसास हुआ कि एन्जॉयमेंट में वह भूल ही गया था कि आर्या ऐसा खाना नहीं खा सकती। क्योंकि जब भी बाहर का अनहेल्दी खाना खाती है, वह बुरी तरह से बीमार पड़ जाती है।
इसलिए शिवाय उसे हमेशा से ही खाने के मामले में डाँटता था।
वहीं, अपने सामने शिवाय को देखकर आर्या तेज़ी से खड़ी हुई और शिवाय को धक्का देने को हुई कि अपने पैरों में उसे दर्द हुआ। उसकी आह निकल गई।
शिवाय ने गुस्से से उसे एक लुक दिया।
आर्या बुरी तरह से डर गई क्योंकि आज उसकी शामत आने वाली है।
शिवाय ने आर्या को गोद में उठाया। आर्या एकटक शिवाय को देख रही थी, पर शिवाय ने एक नज़र भी उसे नहीं देखा।
वहीं, कोने में खड़ी कामिनी यह सब देखकर जल रही थी।
वह अपने कमरे में गई, डोर को अच्छे से लॉक किया और किसी को कॉल किया।
सामने से कॉल रिसीव होते ही बोली, "मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि उस लड़की से पहले तुम शिवाय को अपनी ओर अट्रैक्ट करो। आज देखो वो दोनों एक-दूसरे की बाहों में ऐसे रहते हैं जैसे कभी अलग ही नहीं होंगे।"
सामने से एक लड़की की आवाज़ आई, "जो भी हो मुझे फ़र्क नहीं पड़ता कि उसकी शादी हो गई है। शादी टूट भी तो सकती है। आप भी जानती हैं रूद्र और शिवाय की फ़्रेंडशिप के बारे में। जब शिवाय को पता है कि रूद्र आर्या से प्यार करता है तो क्या वह रूद्र के प्यार को कभी कोई हक़ देगा? सोचिए।"
यह सुनकर कामिनी के चेहरे पर एक कुटिल स्माइल आ गई। वह बोली, "वाह, मेरी पार्टनर क्या बात कही है! वैसे यह छोड़ो और तुम यहाँ कब आ रही हो?"
सामने से: "जल्द ही।"
थोड़ी बहुत इधर-उधर की बातें करके कॉल कट हो गया।
वहीं, शिवाय आर्या को कमरे में लेकर आया और उसे सोफ़े पर बैठाया। खुद घुटनों के बल नीचे उसके पैरों के पास बैठ गया।
अभी कमरे में हल्का अँधेरा था। वहीं, आर्या आने वाले तूफ़ान को अच्छे से महसूस कर पा रही थी। वह मन ही मन प्रेय कर रही थी कि आज वह शिवाय का गुस्से से अच्छा जवाब दे पाए क्योंकि आज उसने अपने बदले का एक मुकाम आगे बढ़ाया था।
वहीं, शिवाय की आँखों में आर्या के लिए फ़िक्र साफ़ दिख रही थी। वो जैसे ही आर्या के पैरों को छूने को हुआ, आर्या ने अपना पैर पीछे लेते हुए शिवाय को ताना मारते हुए कहा, "कोई ज़रूरत नहीं है मेरी केयर करने की। तुम्हें कौन सा मेरे जीने-मरने..."
वो इतना ही बोली थी कि उसकी एक चीख निकल गई क्योंकि शिवाय को उसकी बातों से काफ़ी हर्ट हुआ था। उसने गुस्से से उसके पैर को मूव किया क्योंकि आर्या के पैर में मोच आ गई थी। मोडने से वह ठीक हो गया।
पर आर्या के वर्ड्स शिवाय को अंदर तक चुभ रहे थे।
पर वह कुछ नहीं बोला। आर्या ने अपना पैर हिलाया तो वह ठीक हो गया।
वह खड़ी हुई। वहीं, शिवाय आर्या को देख रहा था जो अपने पैर को ठीक होते देख इधर-उधर फुदक रही थी। शिवाय ने एक झटके में उसे गोद में उठाया और बेड पर बैठा दिया और कहा, "अगर यहाँ से जरा भी हिली तो कल पनिशमेंट के लिए रेडी रहना।"
यह पहली बार था जब शिवाय कुछ बोला था।
शिवाय ने साइड स्विच बोर्ड से लाइट्स ऑन कीं।
इसी के साथ आर्या ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं।
तभी शिवाय की नज़र अपने कमरे में गई। उसकी आँखें धीरे-धीरे कोल्ड हो गईं।
तभी कमरे में एक जोरदार आवाज़ निकली, "व्हाट द हेल!"
TO BE CONTINUED
कमरे में एक जोरदार आवाज निकली: "व्हाट द हेल!"
शिवाय की आवाज इतनी तेज थी कि आर्या डर के मारे कांप गई। नीचे आवाज पहुँचते ही वंश, युवान, सुहा और राहुल उसके कमरे में आ गए। कमरे का दरवाजा खुला ही था। जब सबने कमरे को देखा, वंश कन्फ्यूज होकर बोला, "ये किसका कमरा है? ये तो शिवाय का कमरा नहीं है।"
पर थोड़ी ही देर में उसे सारा मामला समझ आ गया, और उसके साथ ही वहाँ खड़े सबकी हँसी निकल गई। वहीं उसके पीछे दादा जी, किरण जी, सारे घरवाले खड़े थे। कमरे की हालत देख सब जोर-जोर से हँसने लगे।
वहीं शिवाय गुस्से से शैतान बन गया था। वह घूरते हुए आर्या को देख रहा था, जो उससे नज़रें चुरा रही थी।
शिवाय ने आर्या को देखते हुए ही, दाँत पिसते हुए सबसे कहा, "गेट आउट! मुझे इस शैतान लड़की से ज़रूरी बात करनी है।"
उसकी आवाज बहुत डरावनी थी। सब वहाँ से चले गए।
वहीं आर्या ने आँखें खोलकर सब जगह देखा। उसका डर पल में गायब हो गया।
शिवाय का कमरा, जहाँ ग्रे और ब्लैक इंटीरियर था, वहाँ सारी जगह बेबी पिंक कलर का इंटीरियर हो गया था। पूरे कमरे को एक छोटी बच्ची के कमरे जैसा बना दिया गया था। बेड पर पिंक बेडशीट बिछी थी। कमरे में ढेर सारे टेडी बेयर थे; कोई छोटा, कोई बड़ा, एक बड़ा टेडी बेड पर था।
ये सब देखकर शिवाय खुद को एक छोटा बच्चा समझने लगा।
कहाँ उसका एलीगेंट बेडरूम था, और कहाँ उसकी शैतान बीवी ने एक छोटे बच्चे का बेडरूम बना दिया था!
शिवाय गुस्से में हर एक वर्ड पर जोर देते हुए आर्या से कहा, "तुमने मेरे कमरे की क्या हालत की है? तुम्हें अंदाज़ा भी है?"
आर्या ने कोई जवाब नहीं दिया। वह शिवाय को पूरी तरह से इग्नोर कर रही थी।
उसे इग्नोर करता देख शिवाय को समझ आ रहा था कि आर्या क्या करने की कोशिश कर रही है।
शिवाय ने चिल्लाते हुए कहा, "स्पीक, डेम इट! वरना तुम मेरा वो रूप देखोगी जो तुम्हें हजम नहीं होगा।"
उसकी बात खत्म होते ही आर्या बोली, "दिखाओ वो रूप। अगर तुम गुस्से में भी मुझसे बात करने के लिए रेडी हो, तो मैं तुम्हें गुस्सा दिलाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ। जब से मैं लंदन से आई हूँ, तब से तुम मुझे ऐसे अवॉइड कर रहे हो जैसे हम कोई अजनबी हों। जो भी मेरा हाल करना है करो, कम से कम गुस्से में ही सही, पर तुम मुझसे कुछ तो बोलोगे।"
शिवाय उसके करीब आया, उसके कंधे को कसकर पकड़कर उसे खड़ा किया और उसके सर से सर जोड़कर खुद के गुस्से को कंट्रोल करने लगा। वह नहीं चाहता था कि वह गुस्से में आर्या को हर्ट कर दे, पर अनजाने में ही सही वह आर्या को हर्ट कर रहा था। उसके हाथ आर्या के कंधे पर कसते ही जा रहे थे, पर आर्या कुछ नहीं बोली। वह शिवाय के टच के अहसास में पूरी तरह से खो गई थी। आज 3 साल बाद उसे वो टच महसूस हुआ था। उस आवाज़ को सुनकर वो सुकून महसूस हुआ था, जिस आवाज़ को सुनने के लिए वो तड़पती थी।
शिवाय ने सख्त आवाज़ में कहा, "क्यों कर रही हो ऐसा? मत करो, कहीं गुस्से में मैंने तुम्हें हर्ट कर दिया तो?"
आर्या ने भी नम आवाज़ में कहा, "हर्ट होने के लिए भी तैयार हूँ, कम से कम तुम मुझसे दूर तो नहीं भागोगे।"
ये सुनकर शिवाय को कुछ याद आया और आर्या को झटके से छोड़ दिया और दूर हो गया। वह आगे जाने को हुआ कि आर्या ने उसका हाथ पकड़ लिया।
आज आर्या के टच से शिवाय को बहुत अच्छा लग रहा था, पर कुछ बातें उसे आर्या के करीब जाने से रोक रही थीं।
शिवाय ने उसका हाथ झटक दिया और गुस्से में उसकी ओर देखते हुए बोला, "सुना है आज तुमने बहुत एन्जॉयमेंट किया है और बहुत सारा अनहेल्दी खाना खाया है। प्रे करना कि तुम्हारी तबियत खराब न हो। अगर ऐसा कुछ हुआ तो अभी बच गई हो, पर आगे नहीं बच पाओगी और तुम्हें बहुत बुरी तरह से हर्ट करूँगा।"
आर्या ने शिवाय को गौर से देखते हुए कहा, "तुम्हें इतना क्यों फ़र्क पड़ता है?"
शिवाय ने सपाट लहजे में कहा, "क्योंकि तुम मेरी बचपन की दोस्त हो, बहुत करीबी दोस्त।"
आर्या शिवाय को घूर रही थी। उसने घूरते हुए कहा, "सिर्फ़ दोस्त? या इसे बढ़कर भी कुछ?"
वो इतना ही बोली कि शिवाय ने उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाकर बाहर निकल गया।
शिवाय को बिना जवाब दिए जाते देख आर्या को बहुत बुरा लगा।
वह बेड के किनारे नीचे बैठ गई।
तभी दरवाज़े खटखटाने की आवाज़ आई। आर्या ने सर उठाकर देखा तो वहाँ सर्वेंट खड़ा था।
सर्वेंट ने आर्या से कहा, "डिनर के लिए नीचे बुला रहे हैं।"
आर्या ने कहा, "मैंने पिज़्ज़ा खा लिया है, इसलिए मुझे कुछ नहीं खाना। बता देना सबको।"
सर्वेंट वहाँ से चला गया।
नीचे डाइनिंग टेबल पर सबको पता चल गया था कि आर्या को भूख नहीं है।
इसलिए सब डिनर करने लगे, पर शिवाय उसके न खाने की वजह जानता था।
उसने खाना खाते हुए युवान से कहा, "लगता है अपने मन से मेरा डर निकल गया है।"
ये सुनकर युवान के हाथ कांप गए, क्योंकि उसे पता था शिवाय उसे ही कह रहा है।
युवान ने शिवाय को देखा।
शिवाय ने गुस्से से कहा, "सबको अच्छे से पता है कि आर्या को बाहर का खाना सूट नहीं करता, फिर आप सबने उसे बाहर खाना खाने कैसे दिया?"
शिवाय की आवाज़ से वहाँ बैठे सब डर रहे थे, सिवाय दादा जी के।
दादा जी का फ़ोकस खाने में था, जैसे उन्होंने कुछ सुना ही न हो।
युवान ने सर झुकाकर कहा, "सॉरी भाई, मैं आर्या को उदास नहीं देख पाया, इसलिए उसे बाहर घुमाने ले गया। इसमें मुझे याद ही नहीं रहा और उसे खाना दिया।"
शिवाय ने आगे कहा, "याद कैसे नहीं रहा? आर्या को लेकर मैं एक भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं कर सकता। ये जानते हुए भी उसे खाना कैसे दिया?"
अब तक जो दादा जी खाना खा रहे थे, उन्होंने शिवाय को देखकर कहा, "अगर आपको उसकी इतनी ही फ़िक्र हो रही है, तो उसे अकेला छोड़कर क्यों गए थे?"
ये सुनकर शिवाय शांत पड़ गया, पर मन में अभी भी गुस्सा भरा पड़ा था।
दादा जी ने शिवाय को बोलता न देख कहा, "बोल क्यों नहीं रहे आप? मैंने आपको उसकी ज़िम्मेदारी सौंपी थी। आप दोनों की शादी हुई है, कोई मज़ाक नहीं है। अब आर्या बीमार हुई तो इसके ज़िम्मेदार सिर्फ़ आप होंगे, शिवाय।"
आज तक दादा जी ने कभी शिवाय को नहीं डाँटा था, क्योंकि शिवाय उनका परफेक्ट पोता था। वो जो भी करता, उसके पीछे वजह होती थी, पर आज शिवाय ने वाकई गलती की थी।
शिवाय ने दादा जी को सफ़ाई देते हुए कहा, "मेरी एक इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग थी, इसलिए मुझे जाना पड़ा।"
दादा जी को भी पता था कि शिवाय झूठ बोल रहा है, पर उन्होंने सबके सामने शिवाय को कुछ भी कहना सही नहीं लगा।
दादा जी: "डिनर के बाद मुझे मिले आप।"
शिवाय ने अपना सर हाँ में हिला दिया।
वहीं शिवाय ने युवान को देखकर सख्त आवाज़ में कहा, "पनिशमेंट के लिए रेडी रहना। और अगर आर्या को कुछ भी हुआ तो डबल पनिशमेंट, सिर्फ़ तुम्हें नहीं, उसे भी मिलेगी।"
ये सुनकर युवान ने दादा जी को देखा, जैसे कह रहा हो, आप ही कुछ करो।
पर दादा जी ने उसे टिस करते हुए एक स्माइल पास कर दी, जिससे युवान चिढ़ गया।
शिवाय डिनर के बाद दादा जी के कमरे की ओर चला गया।
दादा जी जैसे ही जाने को हुए, युवान ने उन्हें रोकते हुए कहा, "प्लीज़ दादू, आप ही अपने उस ख़डूस पोते को समझाइए ना, मैंने ये सब आर्या को खुश देखने के लिए किया था।"
तभी आकाश जी उसके पास आते हुए बोले, "अरे मेरे बच्चे, तुम्हारे दादा भी सिर्फ़ कुछ हद तक ही शिवाय को कंट्रोल कर सकते हैं, पूरी तरह से नहीं।"
ये सुनकर दादा जी चिढ़ते हुए अपने बेटे से बोले, "तुम्हें क्या लगता है, शिवाय मेरी बात नहीं सुनेगा? अभी भी वो मुझसे डरते हैं।"
आकाश जी अपने पापा को चिढ़ाना जारी रखते हुए बोले, "वो डरता है या फिर आप उसके गुस्से से डरते हैं।"
दादा जी ने गुस्से से कहा, "अच्छा बेटा, अब तुम मुझसे बहस करोगे?"
आकाश जी चिढ़ाने वाली मुस्कराहट के साथ: "आप ही का बेटा हूँ तो आप पर ही जाऊँगा ना।"
वहाँ खड़े सब दोनों को देखकर हँस रहे थे।
आकाश जी शांत आदमी थे, हमेशा मस्ती-मज़ाक करते रहते थे। अपने पापा को चिढ़ाने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे।
युवान ने आकाश जी से कहा, "बड़े पापा, आप ही कुछ करो ना, भाई मेरी जान ही निकाल देंगे।"
अभय ने युवान से कहा, "वो तो तुम्हें पिज़्ज़ा-पास्ता-बर्गर खाने से पहले सोचना चाहिए था ना, मुन्ना।"
युवान ने मुँह बनाते हुए अभय से कहा, "भाई आप भी, कोई तो मेरी हेल्प करो।"
तभी माया जी: "सिर्फ़ एक ही इंसान हेल्प कर सकता है। तुम रुद्र के पास जाओ, वही तुम्हें पनिशमेंट से बचा सकता है।"
बोलने के बाद माया जी को एहसास हुआ कि उन्होंने क्या बोल दिया। उनका चेहरा उतर गया।
किरण जी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "फ़िक्र मत करो माया, वो ठीक हो जाएगा। बस भगवान पर भरोसा रखो।"
वहीं घर का उदास माहौल देख कामिनी खुश हो रही थी। उसने अपना खाना कमरे में ही खाया था।
दादा जी के कमरे में,
दादा जी बेड पर बैठे थे। शिवाय खिड़की के पास बाहर की ओर देख रहा था।
शिवाय ने बाहर के नज़ारे को देखते हुए कहा, "वो वापस आ गया है।"
ये सुनकर दादा जी के चेहरे पर एक अनजान सा डर दिखने लगा।
शिवाय ने पलटकर उनकी आँखों में डर देख लिया। उसने कहा, "आप फ़िक्र मत कीजिये, मेरे होते हुए वो आर्या को नहीं ले जा पाएगा। आज उसने सिर्फ़ हमें डराने के लिए स्नाइपर को भेजा था।"
दादा जी ने कहा, "अगर उसने सच में आर्या को मारने की कोशिश की होती तो?"
शिवाय: "हाँ, वो गोली चलाने वाला था, पर आर्या पर नहीं, कार की ओर। जब मेरे गार्ड्स ने उस स्नाइपर को पकड़ा, तब उसने ही कहा कि वो सिर्फ़ सबको डराने के लिए गोली चलाने वाला था। वो आर्या को कभी कुछ नहीं करेगा।"
दादा जी ने शिवाय से कहा, "इसलिए मैंने आपको चुना था। एक बात और है जिसके बारे में आप अनजान हैं।"
ये सुनकर शिवाय सवालिया नज़रों से दादा जी को देखने लगा।
दादा जी ने आगे कहा, "जब विश्वास को पता चला कि वो कुछ महीनों का ही मेहमान है, तब उसने अपनी एक बात, या फिर कहें कि आख़िरी ख़्वाहिश मेरे सामने रखी थी। वो ये कि जाने से पहले वो आर्या की शादी देखते जाए। सबको यही पता है, पर उसकी एक और ख़्वाहिश थी। पूछोगे नहीं क्या?"
शिवाय ने दादा जी से कन्फ्यूज होकर कहा, "क्या?"
दादा जी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "वो बचपन से ही चाहता था कि आर्या की शादी रुद्र से न होकर शिवाय से हो, और देखो हुआ भी वही जो वो चाहता था।"
ये सुनकर शिवाय पूरी तरह से हैरान रह गया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं।
पर उसे सवाल भी हो रहे थे। उसने पूछ ही लिया, "तो फिर वो रुद्र से शादी क्यों करवा रहे थे?"
दादा जी ने शिवाय को देखा और कहा, "आप इतने हैरान होने का दिखावा क्यों कर रहे हैं? जबकि आपको तो सारा सच पता है।"
ये सुनकर शिवाय इधर-उधर नज़रें करने लगा।
दादा जी ने कहा, "आपको क्या लगा मुझे पता नहीं चलेगा? भूलिए मत, विश्वास मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, तो ज़ाहिर सी बात है मुझे उसने ही बताया कि जब वो आपसे मिलने आया तब आपने क्या कहा था। हाँ, आपको ये नहीं पता था कि उसकी आख़िरी ख़्वाहिश आर्या की शादी आपसे होते हुए देखने की है।"
शिवाय कुछ नहीं बोला। वो अब अपने असली अौरा में वापस आ गया था।
दादा जी ने शिवाय से कहा, "हम भी सालों से यही चाहते थे कि आर्या की शादी आपसे हो। हम खुश नहीं थे जब आर्या की शादी आपसे न होकर रुद्र से हो रही थी। हाँ, रुद्र को मैंने अपना ही पोता माना है, पर रुद्र आपसे अलग है और आप सिर्फ़ अकेलेपन में रहते हैं, ज़्यादा किसी से बात नहीं करते। आर्या ही एक ऐसी इंसान थी जिसके साथ आप खुलकर अपनी लाइफ़ जीते थे, मुस्कुराते थे, इसलिए मैं आर्या को आपकी लाइफ़ में लाना चाहता था और भगवान ने मेरी और विश्वास की सुन ली।"
शिवाय कुछ नहीं बोला। उसके दिमाग में क्या चल रहा है, बता पाना मुश्किल था।
उसके चेहरे पर कोई भी भाव नहीं थे।
दादा जी ने शिवाय से कहा, "आप जा सकते हैं। आई होप अब आप ऑफ़िस नहीं जाएँगे और अपनी वाइफ़ को वक़्त देंगे।"
शिवाय कुछ नहीं बोला और बाहर निकलकर सीधे गार्डन में चला गया।
गार्डन में स्विमिंग पूल के पास बेंच पर बैठ गया।
और पुरानी यादों में खो गया।
जब शिवाय 8 साल का और आर्या 7 साल की थी, तब तीनों फ़ैमिली घूमने के लिए शिमला गई थी।
बच्चे सब खेल रहे थे। वहीं आर्या को एक तितली दिखी तो वो उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगी।
किसी का भी ध्यान उस पर नहीं था। वो सब जंगल के पास ही में थे कि आर्या तितली के पीछे जंगल में जाने लगी।
TO BE CONTINUED
बच्चे सब खेल रहे थे। उसी वक़्त आर्या को एक तितली दिखी, तो वह उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगी।
किसी का भी ध्यान उस पर नहीं था। वे सब जंगल के पास ही थे कि आर्या तितली के पीछे जंगल में जाने लगी।
यह सब शिवाय ने देख लिया। वह आर्या के पीछे भागा।
आर्या एक पौधे के पास रुक गई, क्योंकि उस पौधे के फूल पर ही वह तितली बैठी थी।
आर्या उसे पकड़ने की कोशिश कर रही थी, पर जैसे ही उसने उसे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाया, तितली उड़ गई।
आर्या आगे जा पाती, उससे पहले ही शिवाय ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया।
"शिवू, जाने दो ना वो तितली कितनी खूबसूरत है, मुझे वो चाहिए," आर्या ने यह देखकर मुँह बनाकर शिवाय से कहा।
"बेबी गर्ल, जिद नहीं करते। वो किसी के हाथ में नहीं आती, वो हमसे डर जाती है," शिवाय ने आर्या के करीब जाते हुए प्यार से कहा।
आर्या जब छोटी थी, बहुत ही क्यूट और मासूम थी, साथ ही शैतान की नानी थी।
अगर कोई उसे संभाल सकता था, तो वह सिर्फ शिवाय था।
"क्या हमारे छूने से वो डर जाती है?" आर्या ने अपना छोटा सा क्यूट सा चेहरा बनाकर बोला।
शिवाय ने अपना सिर हाँ में हिला दिया।
जहाँ शिवाय की उम्र के बच्चे हँसते-खेलते थे, वहीं शिवाय शांत और सबसे अलग रहता था। वह उम्र से कई ज्यादा मैच्योर था। जब वह बात करता, तब ऐसा लगता जैसे कोई 27-28 साल का मैच्योर लड़का बात कर रहा है। वह हमेशा से सीरियस रहता था।
शिवाय ने उसका हाथ पकड़ा और जंगल से बाहर की ओर ले जाने लगा।
तभी आर्या उसके हाथ को खींचने लगी। शिवाय ने पीछे मुड़कर देखा, तो आर्या रोने का नाटक करते हुए बोली, "शिवू, बेबी गर्ल के पैरों में बहुत दर्द हो रहा है, वो चल नहीं पा रही है।"
यह सुनकर शिवाय के चेहरे पर स्माइल आ गई, क्योंकि उसके सामने खड़ी लड़की बहुत नौटंकीबाज थी। हमेशा अपना चेहरा मासूम बनाकर सबसे अपना काम निकलवा लेती थी।
शिवाय घुटनों के बल उसकी ओर पीठ करके बैठ गया।
यह देखकर आर्या के चेहरे पर 440 वोल्ट की स्माइल आ गई और वह शिवाय की पीठ पर लटक गई और अपने छोटे हाथ शिवाय की गर्दन पर लपेट दिए।
शिवाय ने उसके पैरों को अच्छे से पकड़ लिया और आगे चलने लगा।
आर्या अपनी क्यूट-क्यूट बातों से शिवाय को खुश कर रही थी।
तभी अचानक आर्या शिवाय से अपनी क्यूट आवाज में बोली, "शिवू, जब मैं बड़ी हो जाऊँगी और मेरी शादी हो जाएगी, तो तुम्हारी तरह मेरा ख्याल कौन रखेगा?"
यह सुनकर शिवाय के चेहरे पर गुस्सा दिखने लगा। वह आर्या को किसी के भी साथ नहीं देख सकता था।
"अगर मेरी शादी तुमसे हो जाए, तो फिर मुझे किसी की जरूरत ही नहीं। तुम हमेशा मेरी केयर करोगे, मेरी बात मानोगे, और मेरा एक ड्रीम भी पूरा करना। अरे पूछो तो सही क्या है मेरा ड्रीम?" आर्या अपने ही सवाल का खुद जवाब देते हुए बोली।
"हाँ, बोलो क्या है तुम्हारा ड्रीम?" शिवाय ने धीमी आवाज में कहा।
"मैं ना अपने पूरे कमरे को बेबी पिंक कलर से डिजाइन करवाना चाहती हूँ। फिर उसमें ढेर सारे टेडी होंगे, मेरी डॉल भी होगी। क्या तुम ये सब करोगे?" आर्या चहकते हुए बोली।
"तुम्हारे लिए तो मैं अपनी जान भी दे दूँ, फिर ये तो कुछ भी नहीं है बेबी डॉल," शिवाय मन ही मन बोला।
"शिवू, बोलो तो सही तुम करोगे कि नहीं," शिवाय का जवाब न मिलने पर आर्या ने चिढ़ते हुए कहा।
"येस बेबी गर्ल," शिवाय ने नर्म आवाज में कहा।
"फिर तो मैं तुमसे ही शादी करूँगी," आर्या खुश होते हुए बोली।
ये सब याद करके शिवाय की आँखों में एक अनकहा दर्द दिखने लगा।
उसने एक गहरी साँस ली और अपने कमरे की ओर कदम बढ़ा दिया।
वहीं आर्या बेड पर सो रही थी, पर उसकी आँखें खुली थीं। वह एकटक सीलिंग को देख रही थी और खुद से ही बोली, "बचपन से ही मैं तुमसे शादी करना चाहती थी और आज देखो हो भी गई तो किस हालात में! अब पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा, ना तुम, ना हमारी दोस्ती और ना मेरा..."
वह इतना बोलते ही अटक गई। तभी कमरे में शिवाय अंदर आया और दरवाज़ा बंद किया। उसे लगा आर्या सो गई है, वहीं आर्या को पता था शिवाय आया है, इसलिए उसने आँखें बंद कर दीं।
शिवाय ने लाइट ऑफ की और धीमे कदमों से आर्या के पास आया। आर्या की आँखें बंद थीं।
चाँद की रोशनी सीधे कमरे में आ रही थी। रोशनी में चमकता हुआ आर्या का चेहरा शिवाय के दिल को सुकून पहुँचा रहा था।
काफी देर तक उसके चेहरे को देखने के बाद वह उसके चेहरे के करीब गया और उसके सर पर हल्की सी किस कर दी।
शिवाय के गर्म होठों के स्पर्श से आर्या सिहर उठी। उसके दिल की धड़कनें तेज हो गईं।
पर अभी भी वह वैसी ही लेटी रही।
"आई एम सॉरी, मैंने तुम्हें बहुत हर्ट किया, पर मैं मजबूर हूँ," शिवाय ने धीमी आवाज में आर्या को देखते हुए कहा।
इतना बोलकर उसने उसके बालों को सहलाया और खड़े होकर टॉवल लेकर वाशरूम में चला गया। दरवाज़े की आवाज़ से आर्या ने आँखें खोलीं। उसके चेहरे पर बहुत सारे मिक्स्ड इमोशन्स आ गए। उसका हाथ अपने सर पर गया जहाँ शिवाय ने किस किया था और अनजाने में ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई।
"आखिर शिवाय किस मजबूरी की बात कर रहा था? उसने कहा कि हर्ट करने के लिए सॉरी, इसका मतलब साफ़ है कि वह जानबूझकर मुझे हर्ट करता है, पर क्यों? क्या 3 साल पहले जो भी हुआ, जो भी उसने कहा, क्या वो भी इसकी मजबूरी हो सकती है? मुझे पता लगाना होगा आखिर सच क्या है? जब 3 साल पहले शिवाय ने मुझे वो सब कहा, तब मुझे भी यकीन नहीं हुआ कि ये मेरा शिवाय है जो बचपन में मेरी इतनी केयर करता था। इसीलिए वो उस दिन बदला-बदला लग रहा था। ज़रूर कोई तो बात है जो शिवाय मुझसे छुपा रहा है। कोई तो ज़रूर होगा जिसे इन सब के बारे में पता होगा," वह खुद से ही बोली। तभी उसके दिमाग में एक नाम आया और उसके चेहरे पर चमक आ गई।
वहीं पानी की आवाज़ बंद हो गई। आर्या फिर से आँखें बंद करके लेट गई।
शिवाय टॉवल में बाहर आया और क्लोसेट में जाकर लोअर और टीशर्ट पहनकर बाहर आया।
क्लोसेट से ब्लैंकेट लिया और सोफे पर जाकर सो गया।
उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी। पता नहीं क्यों, पर उसका दिल बहुत बेचैन था।
उसने अपनी करवट ली और आर्या का चेहरा अब उसके सामने था।
उसके चेहरे को देखकर उसकी बेचैनी धीरे-धीरे कम होने लगी।
अपनी आँखों में ढेर सारे इमोशन्स लेकर शिवाय उसे देख रहा था और पता ही नहीं कब नींद आ गई।
अगली सुबह...
सूरज की रोशनी पर्दे से होकर सीधे आर्या के चेहरे पर पड़ी। सोते हुए उसका मासूम चेहरा देखकर कोई भी दिल हार जाए। अपनी नींद खराब होने पर आर्या ने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और उसकी नज़र सीधे सामने दीवार पर लगी घड़ी पर गई।
सुबह के 8 बज रहे थे। यह देख आर्या हड़बड़ा गई। उसने कमरे को देखा, फिर सोफे पर देखा, वहाँ कोई नहीं था। पूरा कमरा खाली था। इसका मतलब शिवाय सुबह ही चला गया।
"आर्या क्या कर रही है? बुआ जी सही ही कहती हैं शादी हो गई, पर कोई ज़िम्मेदारी उठाई नहीं है मैंने। अब तुम्हें जल्दी उठने की आदत डालनी होगी। पता नहीं सब क्या सोच रहे होंगे," आर्या खुद से ही बड़बड़ाते हुए उठी।
वह खड़ी हुई। उसे अपना सर थोड़ा भारी लगने लगा, पर उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
आर्या वाशरूम में गई, शावर लेकर क्लोसेट में आकर उसने कुर्ती-प्लाज़ो पहना। किरण जी ने उसे सभी कपड़े पहनने की छूट दे रखी थी।
तैयार होकर सीधे नीचे आई। सब हॉल में बैठे थे। इसका मतलब अभी नाश्ता नहीं लगा था।
किरण जी टेबल रेडी करवा रही थीं।
आर्या ने सबके पैर छुए, उसके बाद किचन में आ गई। तभी किरण जी ने डाँटते हुए उसे बाहर निकाला।
"आपका किचन में कोई काम नहीं है," किरण जी ने उसे प्यार से डाँटते हुए कहा।
"माँ, आप मना कर रही हैं, पर अगर बुआ ने ऐसे देखा ना, तो पता नहीं क्या-क्या प्रवचन सुनाने लग जाएंगी," आर्या ने कहा।
"बेटा, उनकी बात का बुरा मत मानना। वो ऐसी ही है। तुम बस उसे इग्नोर करो। किसी को भी वो पसंद नहीं है, पर वो इस घर की बेटी है, इसलिए हम उसे कुछ नहीं कह सकते," किरण जी ने प्यार से कहा।
"मैं भी जानती हूँ," आर्या ने कहा।
तभी अचानक आर्या को पेट में दर्द हुआ। उसने उसे इग्नोर किया।
और वह हॉल में आ गई, युवान के साथ बात करने लगी। तभी उसे वोमिटिंग जैसा लगा। वह दौड़ते हुए किचन में जाकर सिंक में वोमिट करने लगी।
वहीं सीढ़ियों से नीचे आ रहे शिवाय ने जब आर्या को दौड़ते देखा, तो वह हैरान रह गया। और जब उसे वोमिटिंग की आवाज़ आई, उसकी आँखों में फ़िक्र दिखने लगी। वह जल्दी से किचन में गया। उसके पीछे सब लोग गए।
आर्या फ़ेस वॉश किया, पर पता नहीं अब उसे अपना शरीर टूटता हुआ महसूस हो रहा था।
शिवाय ने उसे अचानक से गले लगा दिया और फ़िक्र भरी आवाज़ में बोला, "क्या हुआ है तुम्हें?"
पर उसे कोई जवाब नहीं मिला। उसे अपने ऊपर भार महसूस हुआ। उसने आर्या को अलग करके देखा, तो आर्या उसके बाहों में ढुल गई।
आर्या बेहोश हो गई थी। यह देखकर शिवाय बहुत डर गया। उसने सीधे आर्या को बाहों में उठाया और कमरे में लेकर गया।
बेड पर लिटाया और अभय से डॉक्टर को कॉल करने को कहा।
अभय ने डॉक्टर को कॉल किया। बेड पर किरण जी बार-बार आर्या को होश में लाने की कोशिश कर रही थीं। सब बहुत डर गए थे। वहीं युवान की आँखों में आज आँसू आ गए। सुहा भी रोने लगी थी।
"आरू को क्या हुआ पापा? वो ठीक तो हो जाएगी ना?" सुहा ने सिसकते हुए कहा।
"आर्या बहुत स्ट्रॉन्ग है बच्चा, उसे कुछ नहीं होगा," राजेश जी ने सुहा को गले लगाकर शांत करते हुए कहा।
"सब मेरी वजह से हुआ है। मुझे ही उसका ध्यान रखना चाहिए था। सब मेरी लापरवाही की वजह से हुआ है," युवान परेशान भरी आवाज़ में बोला।
"बेटा, ऐसा नहीं सोचते। तुमने कहा जानबूझकर ये सब किया था," आकाश जी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा।
वहीं शिवाय के चेहरे पर डर साफ़ दिख रहा था। आर्या को ऐसी हालत में देखकर उसे जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह आर्या के बालों को सहला रहा था, उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़ा हुआ था।
इतने टेंस भरे माहौल में दादा जी के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी। वो एकटक शिवाय को देख रहे थे, जिसके चेहरे पर कभी न दिखने वाले आज एक्सप्रेशन्स दिख रहे थे। वह बहुत डरा हुआ था।
तभी डॉक्टर आए। आर्या को चेक किया।
फिर उन्होंने शिवाय की ओर देखकर कहा, "आप इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं?"
यह सुनकर शिवाय की भौंहें जुड़ गईं। वह अपनी कोल्ड वॉइस में बोला, "माइंड योर टंग।"
डॉक्टर उसकी आवाज़ से डर गया। अभय ने बात संभालते हुए कहा, "क्या हुआ है डॉक्टर?"
डॉक्टर ने खुद को नॉर्मल करते हुए कहा, "आप जानते ही होंगे कि पेशेंट बाहर का खाना डाइजेस्ट नहीं कर पाती, फिर आपने उसे खाने कैसे दिया?"
"आखिर बात क्या है? साफ़-साफ़ बताएँ," आकाश जी चिढ़ते हुए बोले।
डॉक्टर अब बहुत डर गया, क्योंकि सब की आवाज़ में खौफ था।
"फ़ूड पॉइज़निंग हुआ है," डॉक्टर ने कहा।
यह सुनकर सब हैरान रह गए।
"तो खड़े-खड़े मुँह क्या देख रहे हो? इलाज करो! इसीलिए तो बुलाया है, ना कि प्रवचन देने के लिए!" शिवाय चिल्लाते हुए बोला।
डॉक्टर ने जल्दी से इंजेक्शन निकाला। और जैसे ही आर्या को देने वाला था, शिवाय अपनी आँखों में गुस्सा लिए बोला, "अगर उसे जरा सा भी दर्द हुआ, तो तुम दर्द सहने लायक नहीं बचोगे।"
वंश, जो कि शिवाय के पीछे बेड के पास ही खड़ा था, उसने शिवाय के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "शिवाय, काल्म डाउन। वो अपना काम ही कर रहे हैं। अगर तुम उसे डराओगे, तो वो अपना काम कैसे करेंगे?"
शिवाय ने डॉक्टर से नज़रें हटाकर आर्या पर टिका दीं।
डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया। उसके बाद कुछ मेडिसिन लिख दी।
फिर कहा, "अगर शाम तक होश न आए, तो इन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा। और होश आ गया, तो कोई घबराने वाली बात नहीं है। एक घंटे बाद फिर से एक इंजेक्शन लगेगा। मैं आपको लिखकर दे रहा हूँ, दे दीजिएगा।"
फिर डॉक्टर वहाँ से चला गया। सर्वेंट से कहकर सारी चीज़ें मंगवा ली गईं।
किसी ने भी अब तक नाश्ता नहीं किया था। सब शिवाय के कमरे में खड़े थे, एकटक आर्या को देख रहे थे, जिसका चेहरा नीला पड़ गया था। उसका चेहरा मुरझाया हुआ था।
"सब चलिए बाहर और नाश्ता कर लीजिए। आर्या को कुछ नहीं होगा, वो ठीक हो जाएगी। वो बहुत स्ट्रॉन्ग बच्ची है," दादा जी ने सबसे कहा।
कोई अपनी जगह से नहीं हिला। कोई भी आर्या को छोड़कर नहीं जाना चाहता था।
शिवाय ने जब यह देखा, तो उसने थोड़ी गुस्से भरी आवाज़ में कहा, "मैं यहाँ हूँ। आपको फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं। आप जाएँ, नाश्ता कीजिए।"
अब शिवाय की बात टालने की हिम्मत किसी में नहीं थी। सब वहाँ से चले गए, सिवा युवान के। युवान आर्या के पास आते हुए बोला, "पर मैं अपनी जेरी को छोड़कर नहीं जाऊँगा।"
शिवाय, युवान और आर्या के बॉन्ड को जानता था, इसलिए उसने कुछ नहीं कहा। और वह वहीं बेड पर लैपटॉप लेकर बैठ गया। युवान आर्या का हाथ थामे एकटक देखता रहा।
करीब एक घंटे बाद उसे फिर से एक इंजेक्शन देना था।
वंश और अभय कमरे में आए। अभय के हाथ में इंजेक्शन था।
"शिवाय, आर्या को इंजेक्शन देना है। तुम ही दे दो," अभय ने शिवाय से कहा।
यह सुनकर शिवाय के हाथ काँप गए। वह अपने डर को छिपाते हुए बोला, "आप दे दो भाई, मुझसे नहीं होगा।"
यह सुनकर वंश शिवाय को छेड़ते हुए बोला, "जो किसी को मौत के मुँह में भेजने से एक बार नहीं डरता, आज वो अपनी ही बीवी को इंजेक्शन देने से डर रहा है। कहीं उसकी बीवी को दर्द न हो।"
TO BE CONTINUED
वंश ने शिवाय को छेड़ते हुए कहा, “जो किसी को मौत के मुँह में भेजने से एक बार नहीं डरता, आज वह अपनी ही बीवी को इंजेक्शन देने से डर रहा है, कहीं उसकी बीवी को दर्द न हो।”
यह सुनकर शिवाय ने वंश को एक ठंडी निगाह दी।
वंश को उससे कोई फर्क नहीं पड़ा और उसने कहा, “मैं तुमसे कोई डरने वाला नहीं हूँ। तो सीधे से अपनी बीवी को होश में लाओ, हम उसे ऐसे नहीं देख सकते।”
शिवाय ने इंजेक्शन लिया और एक गहरी साँस ली। वह आर्या के हाथ की ओर अपना हाथ बढ़ा रहा था। उसके हाथ काँप रहे थे। शिवाय मन ही मन सोच रहा था, “Do it शिवाय, तुम कर सकते हो। वैसे भी तुमने उसे बहुत दर्द दिया है, उनके सामने यह तो कुछ नहीं।”
यह ख्याल आते ही शिवाय ने गहरी साँस ली और आर्या को इंजेक्शन दे दिया। आर्या को उससे कोई फर्क नहीं पड़ा, वह बेहोश लेटी हुई थी।
रात का वक्त था। सब डिनर करके एक बार आर्या को देखकर कमरे में चले गए थे। वहीं शिवाय ने आज डिनर भी नहीं किया था। उसका दिल बेचैन था, वह आर्या को इस हालत में नहीं देख पा रहा था। वह बेड पर बैठा आर्या के बालों को सहला रहा था।
फिर धीरे-धीरे आर्या की आँखें खुलीं। तभी उसे अपने सर पर किसी के हाथ का एहसास हुआ। उसने सर घुमाया तो देखा शिवाय उसे देख रहा था।
आर्या को होश में आते देख शिवाय की आँखों में चमक आ गई। उसने उसके सर पर किस करते हुए नर्म आवाज़ में कहा, “कैसा फील हो रहा है?”
आर्या अभी भी शिवाय के किस में खोई हुई थी। उसने धीरे से कहा, “बहुत अच्छा।”
फिर उसे अहसास हुआ कि वह क्या बोल रही है। उसने अपनी नज़रें घुमाईं और बैठने की कोशिश करने लगी।
शिवाय ने उसे सहारा देकर ठीक से बेड पर बैठाया और टेबल के पास रखे रिसीवर से सर्वेंट से कहकर खाना मँगवाया।
आर्या ने चारों ओर नज़र घुमाकर शिवाय से कहा, “सब कहाँ हैं?”
शिवाय की नज़रें अब उस पर नहीं थीं। वह बेड से खड़े होते हुए बोला, “सब डिनर करके सो गए हैं।”
यह सुनकर आर्या हैरान रह गई। उसने हैरानी से कहा, “क्या मैं पूरे दिन बेहोश थी?”
शिवाय ने उस पर ताना कसते हुए कहा, “हाँ, तुम्हारी मेहरबानी से।”
आर्या मुँह बनाकर बोली, “बच्ची बिचारी बेहोशी से होश में आई है और आप हैं कि उसे ताना मार रहे हैं।”
शिवाय ने तंज कसते हुए कहा, “तो फिर काम ही ऐसा क्यों करती हो जिससे ताने सुनने पड़ें?”
आर्या मुँह बनाकर बोली, “क्या किस्मत है मेरी? सास बहुत अच्छी है पर मेरा पति, पति होने के साथ एक खड़ूस सास भी है जो हर वक्त ताने मारता फिरता है और सुनाता रहता है।”
शिवाय क्लोसेट में जाते हुए बोला, “सबके लाड़-प्यार ने तुम्हें बिगाड़ दिया है।”
आर्या मुँह बनाकर दूसरी तरफ देखने लगी। थोड़ी देर में सर्वेंट खाना रखकर गया। शिवाय नाइट वियर में कमरे में आया और खाना लेकर बेड पर आ गया।
आर्या खड़े होने को हुई कि शिवाय ने उसे डाँटते हुए कहा, “अगर बेड से नीचे पैर रखा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”
आर्या चिढ़ते हुए बोली, “आपसे बुरा तो कोई होगा भी नहीं।”
शिवाय ने गहरी आवाज़ में कहा, “सुन रहा हूँ मैं।”
आर्या चिढ़ते हुए बोली, “हाँ, तो सुनाने के लिए ही बोला है।”
शिवाय ने उसे ठीक से बैठाया और खाने का निवाला लेकर उसकी ओर बढ़ा दिया। आर्या ने बिना नोक-झोक के खा लिया। उसका यही तो अच्छा काम है, खाने को देखकर वह सब भूल जाती है।
शिवाय ने उसे अपने हाथों से खाना खिलाया और आर्या एकटक अपने हैंडसम पति को देख रही थी, जो बहुत ही ज़्यादा हैंडसम था। हज़ारों लड़कियाँ उस पर दिल हारती थीं, पर यह जनाब कभी किसी को एक नज़र तक नहीं देखते।
आर्या मन ही मन सोच रही थी, “कितना हैंडसम हसबैंड है! क्या काम की इतनी हैंडसमनेस? जब पूरे दिन नाक पर गुस्सा लिए घूमते रहते हैं और खुद ही सबको अपनी ओर अट्रैक्ट करते हैं। देखो, कहाँ मैं इनसे नफ़रत करती थी, पर हमेशा की तरह यह मेरा गुस्सा पल भर में गायब कर देते हैं।”
शिवाय ने थोड़ी सख्त आवाज़ में कहा, “ज़्यादा दिमाग मत लगाओ, वैसे भी दिमाग की कमी है, इसलिए खाना खाओ और बिना जिद किए सो जाओ।”
आर्या हैरान रह गई कि शिवाय को कैसे पता कि वह क्या सोच रही है। पर फिर उसने कहा, “आपको कैसे पता कि मैं कुछ सोच रही हूँ?”
शिवाय ने सपाट लहजे में कहा, “जबसे पैदा हुई हो तब से जानता हूँ। तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ हूँ मैं, इसलिए अब ज़्यादा सवाल नहीं।”
खाना खिलाने के बाद शिवाय ने हैंडवॉश किया और सर्वेंट झूठे बर्तन लेकर चला गया। शिवाय ने आर्या को मेडिसिन दी और उसे सुला दिया। और शिवाय खुद सोफ़े की ओर जाने लगा।
तो आर्या ने उसे रोकते हुए कहा, “आप सोफ़े पर क्यों सो रहे हैं? यहाँ इतना बड़ा बेड है, यहाँ सो जाएँ।”
शिवाय ने मना करते हुए कहा, “नहीं, मैं सोफ़े पर कम्फ़र्टेबल हूँ।”
आर्या उसे चिढ़ाते हुए बोली, “ओह्ह हाँ, अब समझ आया। मेरे साथ सोने से आप खुद को कंट्रोल नहीं कर पाएँगे, इसलिए आप सोफ़े पर सो रहे हैं, ना? कोई बात नहीं, वहीं सोइए।”
आर्या की बेतुकी बात सुनकर शिवाय की भौंहें जुड़ गईं। वह खुद से ही सोच रहा था, “क्या मैं कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा? यह लड़की अभी भी वैसी की वैसी पागल है। पता नहीं कहाँ से दिमाग लाई है।”
ज़रूरत से ज़्यादा न बोलने वाला शिवाय आज बिना मतलब की आर्या से बहस कर रहा था। वहीं आज शिवाय को अपने साथ बात करते देख आर्या को बहुत अच्छा लग रहा था। जबसे उसे अपनी गलती का एहसास हुआ है, तब से उसकी नफ़रत धीरे-धीरे कम होने लगी थी।
आर्या मन ही मन खुद से बोली, “मैं आपसे नफ़रत करना चाहती हूँ, गुस्सा करना चाहती हूँ, पर आप हमेशा से मेरे लिए सॉफ्ट रहे हैं और आज भी वैसा ही हुआ। मेरी नफ़रत आपके लिए कम होने लगी, पर मैं आपको परेशान करना नहीं छोड़ूँगी। भले ही आपकी मजबूरी रही होगी मुझसे ऐसे बात करने की, पर इसकी सज़ा तो आपको देकर ही रहूँगी। बस आप देखते जाएँ क्या करती हूँ मैं।”
वहीं शिवाय सीधे बेड पर दूसरी तरफ़ आकर लेट गया। यह देखकर आर्या हैरानी से बैठ गई और बोली, “यह क्या? आप बेड पर क्या कर रहे हैं?”
शिवाय उसकी ओर पीठ करके लेटते हुए बोला, “तुमने ही कहा था ना कि मैं कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा, तो मैंने सोचा क्यों न ट्राई किया जाए कि मैं अपने आप को कंट्रोल कर सकता हूँ या नहीं?”
यह सुनकर आर्या हड़बड़ा गई और बोली, “मैं तो सिर्फ़ आपको चिढ़ाने के लिए बोली थी।”
शिवाय ने उसे और चिढ़ाते हुए कहा, “अब क्या फ़ायदा जब तीर कमान से निकल गया?”
आर्या मन ही मन खुद को कोसते हुए बोली, “क्या ज़रूरत थी तुझे इस डेविल को उकसाने की? अब भुगतो।”
फिर उसने पिल्लो से अपने और शिवाय के बीच लाइन बना दी। यह महसूस करके शिवाय ने आर्या की ओर चेहरा किया तो वह हैरान रह गया।
आर्या ने शिवाय को अपनी तरफ़ देखकर कहा, “मैं कोई रिस्क नहीं ले सकती। क्या पता आपका मूड कब चेंज हो जाए?”
शिवाय कुछ नहीं बोला। आर्या अपने और शिवाय के बीच पिल्लो की दीवार बनाकर उसकी ओर पीठ करके लेट गई। वहीं शिवाय को भी नींद आ गई।
आधी रात को अपने ऊपर भार महसूस हुआ और शिवाय की नींद खुल गई। उसकी आँखें खुलीं। उसने अपने सीने की ओर देखा, वह पूरी तरह से आर्या के कब्ज़े में था। आर्या ने शिवाय के सीने पर सर रखा हुआ था, उसका एक पैर शिवाय के पैर पर था, उसका हाथ शिवाय की कमर को लपेटे हुए था।
शिवाय मन ही मन खुद से बोला, “यह लड़की अभी भी ऐसे ही सोती है। बड़ी हो गई पर बचपना अब तक नहीं गया।”
वह खुद से आर्या को अलग करने लगा। आर्या कसमसाते हुए बोली, “टेडी, क्या हुआ है? आज तुम ज़्यादा हिल क्यों रहे हो? सो जाओ और मुझे भी सोने दो।”
इतना बोलकर वह शिवाय के सर पर थपकियाँ देने लगी। वह शिवाय को अपना टेडी समझ रही थी। शिवाय की आँखें छोटी हो गईं और खुद से ही बोला, “अच्छे खासे हैंडसम लड़के को इस लड़की ने टेडी बना दिया। क्या किस्मत है मेरी!”
पर शिवाय को उस पर प्यार भी आ रहा था। उसने आर्या को अलग नहीं किया और खुद उससे सिमट कर सो गया। आर्या के चेहरे पर भी सुकून आ गया।
अगली सुबह…
सुबह के 5 बजे शिवाय की आँखें खुलीं। उसने देखा पिल्लो नीचे गिर हुए थे और आर्या बिलकुल उसके ऊपर लेटी हुई थी। जिससे शिवाय के दिल की धड़कन बढ़ गई। आर्या को इतने करीब अपने ऊपर महसूस कर उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी, जो उसके अंदर की आग को भड़का रही थी।
उसने जैसे-तैसे करके खुद को संभाला और एक नज़र अपने ऊपर लेटी आर्या को देखा और उसे धीरे से खुद से अलग करके बेड के बीचो-बीच लेटाया और खुद खड़ा हुआ।
आर्या अपने हाथ बेड पर फेरने लगी जैसे कुछ ढूँढ रही हो। तभी शिवाय को समझ आ गया कि वह क्या खोज रही है। इसलिए उसने नीचे गिरे हुए बड़े टेडी को आर्या के पास रखा और आर्या के हाथ को उस टेडी पर रख दिया। आर्या फिर से टेडी को हग करके सो गई।
शिवाय के चेहरे पर आर्या को देखकर एक स्माइल आ गई। जो चेहरा हमेशा से सर्द रहता था, आज उस पर सुकून और स्माइल थी। पर अचानक ही उसे कुछ याद आया। उसका चेहरा फिर से सख्त हो गया, “नहीं, मुझे इससे दूर ही रहना होगा। मैं इसके करीब नहीं जा सकता।”
वह फ्रेश हुआ और जिम में चला गया जो उसके कमरे में ही था। सुबह के 9 बजे सब डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे, आर्या भी। अब उसकी तबियत काफी हद तक ठीक हो गई थी, इसलिए वह सबके साथ नाश्ता करने के लिए आ गई।
शिवाय ने आर्या, सुहा और युवान को देखते हुए कहा, “ज़्यादा उछल-कूद करने की कोशिश की तो नहीं बचोगे।”
फिर उसने युवान की ओर देखकर कहा, “तुम्हारे मास्टर्स ख़त्म हो चुके हैं। बहुत एन्जॉय कर लिया। अब से तुम मेरे साथ ऑफिस चलोगे, यही तुम्हारी पनिशमेंट है।”
यह सुनकर युवान शॉक हो गया। वह ऑफिस से हमेशा से दूर भागता था, उसे जरा भी पसंद नहीं था। युवान शिवाय से बोला, “प्लीज़ भाई, कोई और काम दे दो, पर ऑफिस का काम नहीं, प्लीज़।”
शिवाय ने बिना भाव के कहा, “यह तुम्हें गलती करने से पहले सोचना चाहिए था।”
आर्या युवान को सैड नहीं देख पाई, इसलिए उसने शिवाय पर भड़कते हुए कहा, “आप उसके साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? कोई फ़ीलिंग्स नाम की चीज़ है कि नहीं आपके अंदर? इसीलिए मैं आपको डेविल बुलाती हूँ।”
शिवाय ने उसे घूरते हुए कहा, “मतलब अब तुम्हें भी पनिशमेंट चाहिए? ठीक हो जाओ, फिर तुम्हारी बारी है।”
यह सुनकर आर्या की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। वह बिना इधर-उधर देखे नाश्ता करने लगी। आर्या की हालत देख सब मन ही मन हँस रहे थे।
नाश्ता खत्म होने के बाद वंश बाहर ही खड़ा शिवाय का वेट करने लगा। शिवाय आया, दोनों सामने जिंदल मेंशन में चले गए। शिवाय डेली ऑफिस जाने से पहले रुद्र से मिलकर जाता और ऑफिस से आने के बाद उससे मिलकर मेंशन आता था।
वहीं उनके जाने के बाद आर्या किरण जी से बोली, “माँ, मैं रुद्र से मिलकर आती हूँ।”
किरण जी बोलीं, “ठीक है बेटा, पर अपना ख्याल रखना और ज़्यादा उछल-कूद मत करना, वरना तुम्हारे डेविल से तुम्हें कोई नहीं बचा पाएगा।”
आर्या उसे कोसते हुए बोली, “वह डेविल तो पूरा का पूरा डेविल ही है। पता नहीं आपने उसके वक्त क्या खाकर पैदा किया था।” उसकी बात सुनकर किरण जी और माया जी ठहाके मारकर हँसने लगीं।
रुद्र के कमरे में…
शिवाय रुद्र के पास बैठा उसके चेहरे को देख रहा था। रुद्र का हाथ उसके हाथ में पकड़ा हुआ था। शिवाय ने डॉक्टर से कहा, “क्या रिजल्ट है?”
डॉक्टर बोला, “सर, इनकी हालत में सुधार आ रहा है।”
वंश जो वहीं खड़ा था, उसने कहा, “वह कोमा से बाहर कब तक आएगा?”
डॉक्टर ने जवाब देते हुए कहा, “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। इनकी हालत देखकर समझ आ रहा है कि वह खुद होश में आना चाहते हैं, इसलिए वह आपकी हर बात का रिस्पांस देते हैं। कोमा में होने की वजह से वह मूवमेंट नहीं कर पाते, पर जल्दी ही होश में आ जाएँगे।”
यह सुनकर शिवाय के चेहरे पर एक चमक आ गई। वंश ने उसके कंधे पर हाथ रखा और डॉक्टर को वहाँ से जाने का इशारा किया। डॉक्टर वहाँ से चले गए।
वंश ने शिवाय से कहा, “रुद्र होश में आ जाएगा, तब क्या करोगे तुम?”
शिवाय ने बिना भाव से रुद्र को देखते हुए कहा, “वह इसकी अमानत है, मैं इसे वापस लौटा दूँगा।”
To be continued
वंश ने शिवाय से कहा, "रुद्र होश में आ जाएगा तब क्या करोगे तुम?"
शिवाय ने कहा, "वह इसकी अमानत है, मैं इसे वापस लौटा दूँगा।"
यह सुनकर वंश हैरान रह गया। वह थोड़ा सख्ती से बोला, "तुम क्या बोल रहे हो? तुम्हें समझ भी आ रहा है? मुझे लगा था कि तुम्हें उसकी आदत लग गई है, उसके बिना तुम नहीं रह पाओगे, पर तुम यह क्या बोल रहे हो?"
शिवाय की आँखों में इस वक्त दर्द था। वह बिना भाव के बोला, "मेरे दिल में उसके लिए कोई फीलिंग्स नहीं है। जब रुद्र होश में आ जाएगा तब मैं उसे डाइवोर्स दे दूँगा और रुद्र को उसका प्यार लौटा दूँगा।"
यह सुनकर वंश गुस्से से पागल हो गया। वह शिवाय से बोला, "तुम्हारा दिमाग तो ठीक है? तुम जानते भी हो कि क्या बोल रहे हो? इन सब में तुमने एक बार भी आर्या के बारे में सोचा? तुम्हें पता है उसके दिल में क्या है, फिर भी तुम उसके साथ ऐसा कैसे कर सकते हो शिवाय?"
शिवाय ने सिर्फ इतना ही कहा, "रुद्र उससे प्यार करता है, और मैं रुद्र के प्यार को अपने पास नहीं रख सकता। मैं रुद्र के लिए कुछ भी कर सकता हूँ। रुद्र के होश में आने के बाद आर्या को डाइवोर्स दे दूँगा। उस दिन मैंने सिर्फ़ तीनों परिवार की इज़्ज़त बचाने के लिए यह कदम उठाया था।"
यह सुनकर वंश हैरान रह गया। वह जानता था शिवाय यह सब अपने दिल पर पत्थर रखकर बोल रहा है।
वहीं, दोनों इन सबसे अनजान थे। किसी ने उनकी सारी बातें सुन ली थीं।
शाम के 5 बजे, वंश अपने केबिन में बैठा काम कर रहा था। तभी उसका असिस्टेंट अंदर आया और बोला, "सर, बिग मैडम आई हैं।"
यह सुनकर वंश को पता था कि कौन आया होगा। उसने उसे अंदर भेजने को कहा।
थोड़ी देर में उसकी केबिन में आर्या इंटर हुई। उसके चेहरे पर आज सबसे अलग भाव थे। जहाँ मासूमियत, शरारत होती थी, आज उसके चेहरे पर कोल्डनेस थी।
यह देखकर वंश हैरान रह गया। वह अपनी चेयर से खड़ा हुआ और आर्या को गले लगाते हुए कहा, "क्या हुआ बड़ी? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना?"
आर्या ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा, "भाई, मुझे आपसे इम्पोर्टेन्ट बात करनी है।"
आर्या का ऐसा रवैया वंश को टेंशन में ला रहा था। वंश ने उसे सोफे पर बैठाया और खुद उसके पास बैठ गया। वंश ने कॉल से दो कॉफ़ी ऑर्डर कीं।
वंश ने आर्या से कहा, "क्या बात है, बताओ?"
आर्या ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, "पहले प्रॉमिस कीजिए कि जो मैं सवाल करूँ, उसके सही और सारे जवाब देंगे।"
यह सुनकर वंश को अब चिंता होने लगी थी। उसे अंदाजा होने लगा था कि आर्या क्या पूछने आई है। इसलिए उसने बात को संभालते हुए कहा, "तुम्हें अपने भाई पर भरोसा नहीं है कि वह तुम्हें जवाब नहीं देगा बड़ी?"
यह सुनकर आर्या को अहसास हुआ कि वह भावनाओं में आकर क्या कर रही है। इसलिए उसने खुद को संभाला और वंश से कहा, "3 साल पहले जो भी हुआ था, वह आपको पता ही होगा, क्योंकि मैं जानती हूँ शिवाय आपसे कभी कुछ नहीं छुपाएगा।"
वंश ने सिर्फ़ हाँ में सर हिला दिया।
आर्या ने बिना एक्सप्रेशन के कहा, "शिवाय की क्या मजबूरी है जो वह यह सब कर रहा है?"
यह सुनकर वंश हैरान रह गया। उसे हैरान देखकर आर्या ने कहा, "मैंने आप दोनों की बात सुन ली थी। अब आप बताएंगे कि क्यों शिवाय यह सब कर रहा है?"
हाँ, जब शिवाय और वंश कमरे में एंटर हुए, उसके पीछे ही आर्या आ गई थी। पर दोनों की बात सुनकर उसके कदम कमरे के बाहर ही ठहर गए। डोर ओपन था, इसलिए उसने सब सुन लिया था।
जब वंश को पता चला कि आर्या ने सब सुन लिया है, तो वह बहुत डर गया। वह आर्या को अपनी छोटी बहन मानता था। वह उसे हर्ट होते हुए नहीं देख सकता था।
उसने आर्या के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "बड़ी, ज्यादा टेंशन मत लो, सब ठीक हो जाएगा। अभी शिवाय अपनी ही बातों में उलझा हुआ है।"
आर्या को अब लगा कि वंश कुछ नहीं कहेगा। तो उसने कहा, "मुझे पता चल चुका है कि शिवाय यह सब सिर्फ रुद्र के लिए कर रहा है। वह मुझे रुद्र की अमानत मानता है, पर मेरा क्या?"
इतना बोलकर वह बाहर निकल गई, बिना वंश के जवाब का इंतज़ार किए।
वंश परेशान हो गया। वह उसके पीछे भागा, पर तब तक देर हो गई थी। आर्या अपनी कार से वहाँ से जा चुकी थी।
वंश ने डायरेक्ट शिवाय को कॉल किया और सब शिवाय को बता दिया।
यह सब सुनकर शिवाय के चेहरे पर एक अनकहा डर दिखने लगा। उसका दिल बेचैन हो उठा। उसे लगा था कि आर्या फिर से नॉर्मल हो जाएगी, पर आज उसने सारा सच जानने के बाद वह खुद को संभाल नहीं पाएगी।
कॉल पर वंश ने कहा, "तुम सुन रहे हो? तुम्हें आर्या के पास जाना चाहिए, उसने सब सुन लिया है।"
शिवाय ने खुद को नॉर्मल करते हुए कहा, "डरने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी आज नहीं तो कल उसके सामने सच आना ही था। मुझे पता था वह सारी बातें सुन रही थी, इसलिए मैंने सब कहा। क्योंकि उसके दिल में मेरे लिए नफ़रत कम होने लगी थी, इसलिए मुझे यह सब करना पड़ा ताकि उसके दिल में जो मेरे लिए फीलिंग्स हैं, वह बाहर न आ पाएँ।"
जब शिवाय सब बोल रहा था, तब उसकी नज़र सामने मिरर पर गई थी। मिरर में आर्या को देखकर उसने सब जानबूझकर यह सब कहा था।
वंश ने शिवाय पर चिल्लाते हुए कहा, "तू गलती कर रहा है शिवाय! वह टूटकर बिखर जाएगी, फिर उसे तुम समेट नहीं पाओगे।"
शिवाय ने बिना भाव से कहा, "भाई को भेज दो उसके पास, वह संभाल लेंगे। उसके पास बहुत लोग हैं उसे संभालने के लिए।"
इतना बोलकर उसने कॉल कट कर दिया और खुद ऑफिस से निकल गया। वैसे भी स्टाफ जा चुका था।
शिवाय खुद ड्राइव करके एक सुनसान जगह पर आ गया, जो पहाड़ी के ऊपर थी। उसने गार्ड्स को भी अपने साथ नहीं आने दिया था।
वह बाहर निकला, कोट को सीट पर रख दिया और कार की बोनट पर चढ़कर उस पर लेट गया। ऊँचाई से शहर का नज़ारा बहुत खूबसूरत दिख रहा था, लेकिन शिवाय के दिल में आज तूफ़ान उमड़ रहा था। वह फिर से 3 साल पीछे चला गया, जहाँ से यह सब शुरू हुआ था।
शिवाय ऑफिस से सीधे 5 स्टार होटल पहुँचा और VIP फ्लोर पर चला गया, क्योंकि थोड़ी देर पहले आर्या ने उसे कॉल करके यहाँ बुलाया था।
शिवाय उस कमरे में एंटर हुआ। पूरा कमरा अँधेरे से घिरा हुआ था। शिवाय के साथ आज रोनी भी था। वह कार के पास ही उसका वेट कर रहा था। तभी उसके फ़ोन पर वंश का कॉल आया। रोनी से उसे पता चला कि शिवाय होटल आया हुआ है, तो वह भी वहाँ जाने के लिए निकल गया।
शिवाय ने लाइट की स्विच ढूँढने की कोशिश की, तभी कमरे की लाइट ऑन हुई। कमरे को देखकर शिवाय की आँखें हैरानी से फैल गईं। पूरा कमरा बहुत ही खूबसूरती से सजाया हुआ था। नीचे फ्लोर पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछी हुई थीं। कमरे के बीचों-बीच एक टेबल सेट किया हुआ था, जिस पर अलग-अलग डिशेस रखी गई थीं। साथ ही ब्रांडेड वाइन और ग्लास रखे थे। उसके पास दो चेयर थीं।
सब बहुत ही खूबसूरती से सजाया हुआ था कि तभी शिवाय को किसी ने पीछे से हग कर लिया। उस टच को वह बखूबी जानता था, जो उसके दिल को हमेशा सुकून पहुँचाता था। पर आज यह कमरा और उस इंसान को यहाँ देख, उसे अंदाजा होने लगा था कि क्या होने वाला है, जिससे वह बेचैन हो उठा।
उसने अपने पेट तक पहुँचे हाथों को अपने हाथों में लिया और उस इंसान को अपने सामने किया। वह और कोई नहीं, आर्या थी। आर्या के चेहरे पर अभी चमक थी। वह आज बहुत खुश थी। उसने ब्लैक कलर की एक खूबसूरत गाउन पहना था, बालों को साइड बन किया था, कुछ लटें उसके चेहरे पर आ रही थीं। होंठों पर रेड लिपस्टिक, चेहरे पर हल्का मेकअप था। टोटल उसकी खूबसूरती को आज चार चाँद लगा रही थी। उसे इस लुक में देखकर शिवाय के जज़्बात बाहर आने को थे। उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी, लेकिन तभी उसे याद आया कि उसके सामने जो खड़ी है वह उसके सबसे खास दोस्त का प्यार है। यह याद आते ही उसने अपने सारे जज़्बातों को अपने दिल में ही दबा दिए।
आर्या को इतना खुश देखकर अब शिवाय परेशानी से घिर चुका था।
शिवाय ने सख्त आवाज़ में कहा, "यह सब क्या है?"
आर्या ने उसकी सख्त आवाज़ सुन, मुँह बनाते हुए कहा, "शिवू, ऐसे क्यों बात कर रहे हो? अब तो अपने खड़ूसपन को साइड करो, और देखो मैंने कितना खूबसूरत डेकोरेशन किया है।"
शिवाय ने कन्फ़्यूज़ होने का दिखावा करते हुए बोला, "पर क्यों किया है यह सब?"
तभी आर्या घुटनों के बल बैठकर उसके सामने 99 रोज़ेज का बुके उसकी ओर करते हुए बोली, "मुझे नहीं पता कि मैं तुम्हें कैसे अपने दिल की फीलिंग्स को शेयर करूँ? पर जो भी हो, तुम मेरे लिए बहुत मायने रखते हो शिवू। मैं तुम्हें बचपन से ही पसंद करती आई हूँ और आज वह पसंद कब प्यार बदल गई पता ही नहीं चला। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम्हारे साथ पूरी लाइफ़ जीना चाहती हूँ, तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनना चाहती हूँ, तुम्हारी वाइफ़ बनना चाहती हूँ, तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ और तुम्हारे साथ ही बूढ़ी होना चाहती हूँ। क्या तुम मेरे साथ अपनी पूरी लाइफ़ गुज़ारना चाहोगे?"
वहीं, यह सब सुनकर शिवाय के दिल में कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ। वह मन ही मन खुद से बोला, "नहीं, मैं इसके प्यार को एक्सेप्ट नहीं कर सकता। पर मैं आर्या को कैसे हर्ट कर सकता हूँ? नहीं, मुझे उसे हर्ट करना पड़ेगा। रुद्र के लिए... रुद्र का दिल टूट जाएगा। उसने बचपन से ही आर्या से प्यार किया है।"
यह सब ख्याल आते ही शिवाय ने आर्या के हाथ से बुके लिया। यह देखकर आर्या बहुत ज़्यादा खुश हो गई, पर अगले ही पल उसकी खुशी एक पल में ग़ायब हो गई, क्योंकि शिवाय ने उस बुके को टेबल पर फेंक दिया। और बुके तेज़ी से गिरने की वजह से वहाँ रखा काँच का ग्लास और वाइन की बोतल नीचे गिरकर टूटकर बिखर गई, बिलकुल आर्या के दिल की तरह।
शिवाय ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, "मैं तुमसे कोई प्यार नहीं करता। तुम सिर्फ मेरी एक दोस्त हो। तुम रुद्र के साथ रिलेशन में होते हुए मुझे प्रपोज़ कैसे कर सकती हो? क्या मुझ तक पहुँचने का ज़रिया रुद्र से होकर गुज़रा था? तुम उसके साथ होकर उसके साथ धोखा कैसे कर सकती हो? वह तुम पर अपनी जान छिड़कता है और तुम उसकी पीठ पीछे यह सब कर रही हो।"
यह सब सुनकर आर्या के दिल के टुकड़े हो गए। उसने खुद को संभालते हुए कहा, "पर शिवू, तुमने ही तो बचपन में कहा था कि तुम मुझसे शादी करोगे, मुझे पूरी ज़िन्दगी अपने साथ रखोगे।"
शिवाय ने गुस्से से तेज आवाज़ में कहा, "वह बचपन था। बड़े होने के साथ सब बदल जाता है और मैं भी बदल गया। पर मैंने तुमसे कभी कोई प्यार नहीं किया। तुमसे प्यार सिर्फ रुद्र करता है, और आज तुमने उसे भी धोखा दे दिया। न जाने उसकी पीठ पीछे तुम कितने ही लड़कों को घुमाती होगी। तुम जैसी लड़की के तो मैं मुँह भी न लगूँ। तुम एक ऐयाश लड़की हो, जो लड़कों को सिर्फ रिज़ाना जानती हो, उसके साथ हर रात हम..." वह इतना ही बोला था कि उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा।
TO BE CONTINUED
शिवाय ने गुस्से से तेज आवाज में कहा, “वह बचपन था, बड़े होने के साथ सब बदल जाता है और मैं भी बदल गया, पर मैंने तुमसे कभी कोई प्यार नहीं किया। तुमसे प्यार सिर्फ़ रुद्र करता है, और आज तुमने उसे भी धोखा दे दिया। न जाने उसकी पीठ पीछे तुम कितने ही लड़कों को घुमाती होगी। तुम जैसी लड़की से तो मैं मुँह भी न लगूँ। तुम एक करैक्टरलेस लड़की हो, जो लड़कों को सिर्फ़ रिझाना जानती हो, उसके साथ हर रात हम…”
वह इतना ही बोला था कि उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा।
शिवाय के हाथ की मुट्ठी कस गई। गुस्से से नहीं, बल्कि आर्या को हर्ट करने की वजह से।
आर्या की आँखों से बेतहाशा आँसू बह रहे थे। आज उसका दिल बुरी तरह से टूट गया था। क्योंकि उसके बेस्ट फ़्रेंड ने आज उसे एक करैक्टरलेस होने का टैग दिया था।
आर्या गुस्से से शिवाय पर भड़कते हुए तेज आवाज में बोली, “मैंने कभी नहीं सोचा था, मेरा ही दोस्त मेरे बारे में ऐसा सोचता है। मैं और रुद्र कोई रिलेशनशिप में नहीं हैं। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि वह मुझसे प्यार करता है, और तुमने मेरी फ़ीलिंग्स का और मेरी इज़्ज़त का तमाशा बना दिया। आज मुझे तुम्हें अपना दोस्त कहते हुए शर्म आती है कि दोस्ती की आड़ में तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते हो। मैं तो तुम्हें बचपन से प्यार करती आई, पर मुझे खुद पर शर्म आती है कि मैं जिससे प्यार करती हूँ वह इंसान मेरे बारे में ऐसे ख़्याल रखता है। तुम मेरी फ़ीलिंग्स की क़द्र नहीं कर सकते तो बेइज़्ज़त तो मत करो। ऐसे ही तुम भी एक दिन अपने प्यार के लिए तड़पोगे।”
इतना बोलकर आर्या तेज़ी से कमरे से निकल गई। वहीं कमरे का दरवाज़ा खुला था और वहाँ वंश खड़ा सब देख और सुन रहा था। उसने सब सुन लिया था। उसे नहीं पता था कि आर्या भी यहाँ होगी। उसने सोचा शिवाय अकेला गया है तो वह भी यहाँ आ गया था, पर यहाँ आकर उसे एक बहुत बड़ा झटका लगा था।
वंश सीधे कमरे में आया और सीधे शिवाय के मुँह पर एक तेज़ पंच मार दिया।
शिवाय के होंठों से ख़ून निकल गया।
शिवाय ने अपना सर उठाया तो उसका गुस्सा पल में ग़ायब हो गया और सीधे वंश के गले लग गया।
वंश ने उसे खुद से अलग किया और शिवाय पर भड़कते हुए कहा, “मुझे शर्म आती है तुझे अपना दोस्त कहते हुए। आर्या मेरी बहन है, तुम उसके बारे में ऐसा बोल भी कैसे सकते हो? तुम दोनों बचपन से साथ में बड़े हुए हो फिर भी तुमने उसे यह सब कहा, यह सोच रखते हो उसके बारे में तुम।”
वहीं शिवाय अपने ही कहे गए शब्द को याद करके टूट रहा था। उसका गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। उसने टेबल को अपने हाथ से गिराया। कुछ काँच के टुकड़े उसके हाथों पर लग गए और तेज़ी से ख़ून बहने लगा।
सारा सामान बिखेरते हुए वह चिल्लाते हुए बोला, “आज मैंने उसका दिल तोड़ा, उसे हर्ट किया, सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी वजह से उसकी आँखों में आज आँसू थे। मैं उसे बहुत ज़्यादा प्यार करता हूँ, आज से नहीं बचपन से, पर मैं उसे बता नहीं सकता।”
वंश यह सुनकर हैरान रह गया। उसने शिवाय को अपने सामने किया और कहा, “क्या बोला तू? तू पागल हो गया है क्या? शिवाय, जब तू उससे प्यार करता है तो उसके प्यार को एक्सेप्ट क्यों नहीं किया? क्यों उसका दिल तोड़ा और यही नहीं, तुमने उससे न जाने क्या-क्या नहीं बोला। शिवाय, मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं, कमीने, तुम उसे लड़कों को फँसाने वाली समझता है।”
वंश ने उसे दो-तीन मुक्के मारे, पर शिवाय कुछ नहीं बोला। उसकी मार खाता रहा।
आखिर में थक-हारकर वंश ने उसे अपने गले से लगाया। वह अपनी जान से भी ज़्यादा शिवाय से प्यार करता था, पर उतनी ही उसके लिए आर्या भी मायने रखती थी।
वंश ने कहा, “क्यों किया ऐसा तुमने?”
शिवाय की आँखों में आज आँसू बह गए। आज वह पूरी तरह से टूट चुका था। उसने खुद को काफ़ी चोट पहुँचाई थी। उसके सर से ख़ून बह रहा था, दोनों हाथों पर काँच लगे थे, पर दिल के दर्द के सामने चोट का दर्द कुछ नहीं था।
शिवाय उदासी आवाज़ में बोला, “रुद्र उसे बचपन से प्यार करता है। उसने खुद मुझसे कहा था कि वह बड़ा होकर उससे शादी करना चाहता है। यही नहीं, कल उसने खुद कहा था कि वह जल्द ही आर्या को प्रपोज़ करेगा। इसलिए मैंने आर्या का दिल तोड़ा क्योंकि मैं रुद्र को खुश देखना चाहता हूँ। उसे आज तक कभी किसी से प्यार नहीं हुआ। आज पहली बार उसने खुद के लिए कुछ सोचा है, वरना वह हर बार दूसरों की खुशी के बारे में सोचता है।”
वंश ने उसको ठीक से सोफ़े पर बैठाया और कहा, “तेरे दिल तोड़ने से क्या आर्या के दिल में रुद्र के लिए फ़ीलिंग्स आ जाएँगी? क्या तब भी आर्या के दिल से तेरे लिए प्यार कम हो जाएगा? तू कह रहा है आर्या से तू बचपन से प्यार करता है तो फिर तुमने उसे हर्ट क्यों किया? क्या आर्या रुद्र की तरह तेरे लिए मायने नहीं रखती?”
शिवाय ने नम आवाज़ में कहा, “मेरे लिए वह सबसे ज़्यादा मायने रखती है, पर रुद्र भी मेरे लिए इतना ही इम्पॉर्टेन्ट है। आज के बाद आर्या कभी मुझसे प्यार नहीं करेगी। उसके बाद रुद्र उसे प्रपोज़ करेगा तो वह खुद एक्सेप्ट कर लेगी। प्यार नहीं है तो क्या हुआ, धीरे-धीरे हो जाएगा, पर दोनों खुश तो रहेंगे।”
वंश ने शिवाय को समझाते हुए कहा, “तू जैसा सोच रहा है वैसा कुछ नहीं होगा। हम जिससे प्यार करते हैं उसके अलावा हम किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकते। क्या तू आर्या के अलावा किसी को अपनी लाइफ़ में आने देगा?”
शिवाय ने कहा, “कभी कोई नहीं आया, ना ही कोई आएगा।”
वंश ने कहा, “एक्जैक्टली। बिलकुल उसी तरह क्या आर्या अपनी लाइफ़ में तुम्हारे सिवा किसी को इमेजिन कर पाएगी? यही नहीं, तुम्हारे इतना कहने के बाद तो उसे प्यार से भरोसा ही उठ जाएगा। मेरे भाई, जो तू कर रहा है उससे तीन लोगों की ज़िंदगी ख़राब हो रही है। रुद्र की शादी आर्या से हो भी जाए तब भी आर्या खुश नहीं रहेगी, क्योंकि वह उसे प्यार नहीं करती। इन्फ़ैक्ट वह उस बारे में सोच भी नहीं सकती।”
शिवाय ने कुछ नहीं कहा और बाहर निकल गया।
वंश ने खुद से ही कहा, “पता नहीं शिवाय तू कब समझेगा। किसी को रिजेक्ट करने से वह दूसरों के पास नहीं चले जाते। तुम उसे रिजेक्ट कर सकते हो, पर उसके दिल की फ़ीलिंग्स को मिटा नहीं सकते।”
वहीं आर्या होटल से निकलकर सीधे सिंघानिया मेंशन आ गई थी। पूरे रास्ते रोने की वजह से उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था, उसकी आँखें लाल हो गई थीं।
वह सीधे कमरे में गई, अपना सारा सामान रखा। अब तक उसके फ़ोन में रुद्र, युवान, राहुल के कई सारे मिस्ड कॉल आ गए थे।
वह फ़्रेश हुई, खुद को ठीक किया, फिर अपने दादा जी के कमरे में चली गई।
अपनी बातों से उसने दादा जी को लंदन जाने के लिए मना लिया और रात के 12 बजे की फ़्लाइट से वह लंदन चली गई, बिना किसी को बताए। दादा जी को ही सिर्फ़ इसके बारे में पता था।
दूसरे दिन जब रुद्र को इस बारे में पता चला तो उसे एक बात खटकी कि अचानक आर्या ऐसे बिना बताए क्यों चली गई? उसने कॉल मिलाया पर कॉल रिसीव नहीं हुआ, क्योंकि आर्या ने फ़ोन बंद कर दिया था।
कुछ दिन बाद उसने सामने से सबसे बात की, सिवाय शिवाय से। सबको अपनी बातों से कन्विन्स कर लिया था और सब समझ भी गए कि उसे मास्टर्स करने थे, पर रुद्र को अभी भी शक हो रहा था।
3 सालों से आर्या ने शिवाय से कोई बात नहीं की, ना ही शिवाय ने उससे बात करने की कोशिश की, पर हाँ वंश हमेशा उससे बात करता। तब शिवाय उसके पास ही रहता। वंश स्पीकर पर फ़ोन रखकर आर्या से बात करता, तब शिवाय आर्या की आवाज़ सुनकर सुकून महसूस करता।
3 साल हो गए, पर रुद्र को कुछ पता नहीं चला। उसने होटल भी पता लगवाया, पर उसी दिन शिवाय ने वहाँ की CCTV फ़ुटेज डिलीट करवा दी और सबको धमकी दे दी। इसलिए उस दिन होटल में क्या हुआ उसके बारे में रुद्र को पता नहीं चला, पर उसका शक अभी भी जारी ही था।
बिन मौसम बारिश की कुछ बूँदें शिवाय के चेहरे पर पड़ीं और वह अपने अतीत से बाहर आया।
शिवाय आसमान की ओर देखते हुए बोला, “तुमसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ, बेबी गर्ल, पर मेरे लिए मेरा दोस्त सबसे ज़्यादा मायने रखता है, इसलिए मैं तुमसे दूर रहता हूँ। तुमने सही कहा था, आज मैं भी अपने प्यार के लिए तड़प रहा हूँ। मुझसे करीब होकर भी तुम मुझसे बहुत दूर जा चुकी हो। तुम्हारे दिल में मेरे लिए फ़ीलिंग्स फिर से जगने न लग जाएँ, वरना तुम बहुत हर्ट होगी और मैं भी तुम्हारे करीब नहीं आता, वरना मैं अपनी फ़ीलिंग्स को कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा।”
बारिश धीरे-धीरे तेज़ होने लगी। शिवाय खड़ा हुआ और कार में बैठकर मेंशन निकल गया।
रात के 3 बजे वह कमरे में आया तो पूरा कमरा खाली था। यह देखकर उसकी आँखों में परेशानी झलक उठी। इतनी रात को आर्या कहाँ चली गई? फिर उसे याद आया कि आर्या को सब कुछ पता चल गया है। कहीं उसने खुद को… यह ख़्याल आते ही उसके चेहरे की लकीरें बदल गईं और डर दिखने लगा।
वह कमरे से बाहर आया। फिर उसे सोचा कि किससे जाकर पूछे?
फिर उसे कुछ याद आया और वह अभय के कमरे में गया।
कमरे में झाँककर देखा तो उसके चेहरे पर सुकून आ गया। डर मिट गया और चेहरे के भाव नॉर्मल हो गए।
अभय के कमरे में सुहा और आर्या एक-दूसरे को लिपटकर सो रही थीं। वहीं अभय सोफ़े पर लेटा और युवान अभय के ऊपर लेटा था।
सोफ़ा बहुत बड़ा था इसलिए दो लोग सो सकते थे।
शिवाय कमरे में आया। उसने देखा आर्या आलती-पालती मारकर सो रही थी। उसके चेहरे पर आज उदासी साफ़ दिख रही थी।
उसका ब्लेन्केट नीचे गिरा था। शिवाय ने उसे उठाया और आर्या और सुहा को कवर कर दिया। फिर आर्या के चेहरे को देख, उसके बालों को सहलाया और उसके सर पर हल्की किस करके पीछे हो गया।
फिर वह कमरे से चला गया और खुद स्टडी रूम में गया। आज उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी। इसकी वजह थी आज फिर उसे 3 साल पहले के अपने खुद के शब्द याद आ गए, जिसके शब्द सीधे आर्या के दिल पर लगे थे।
उसने अपने काम पर फ़ोकस लगा दिया।
to be continue
नेक्स्ट मॉर्निंग...
शिवाय रेडी होकर हॉल में आया। वहाँ सब थे, सिर्फ़ आर्या नहीं थी।
यह देखकर उसकी भौंहें जुड़ गईं, पर अगर वह किसी से उसके बारे में पूछे तो उसका ईगो हर्ट हो जाएगा। इसलिए उसने किसी से कुछ नहीं पूछा।
वह डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता करने लगा। हमेशा की तरह, आज डाइनिंग टेबल पर कोई चहल-पहल नहीं थी; सब शांत थे। यह शांति आज शिवाय को खल रही थी, जैसे यह तूफ़ान आने से पहले की शांति हो।
किसी ने शिवाय से कुछ नहीं कहा कि आर्या कहाँ है।
शिवाय नाश्ता करके ऑफिस जाने के लिए हॉल से बाहर निकलने को हुआ कि पीछे से अभय की आवाज़ आई।
"कहिए," शिवाय ने बिना पीछे मुड़े कहा।
"मैं मीटिंग के लिए कुछ दिन सिंगापुर जा रहा हूँ। तुम मेरी ऑफिस संभाल लेना," अभय ने कहा।
"ठीक है," शिवाय ने कहा और वहाँ से निकल गया। युवान भी उसके पीछे ऑफिस चला गया।
किरण जी ने जब देखा कि अभय बाहर निकल रहा है, तो उसे रोकते हुए कहा, "अभय, मुझे तुमसे बात करनी है।"
अभय ने किरण जी की ओर देखा, जिसका चेहरा परेशानी से भरा हुआ था।
"क्या हुआ माँ?" अभय ने फ़िक्र भरी आवाज़ में कहा।
"तुमने शिवाय से कहा क्यों नहीं कि आर्या कहाँ है?" किरण जी ने परेशानी भरी आवाज़ में कहा।
अभय ने एक गहरी साँस ली और कहा, "आपने ही कहा था न कि शिवाय और आर्या को पास लाना है, तो मैं बस वही कर रहा हूँ। आप फ़िक्र मत कीजिए। वह रूद्र से मिलने गई है। बस आप वह कीजिए जो मैं कह रहा हूँ। आपको मुझ पर भरोसा तो है न?"
किरण जी के चेहरे पर स्माइल आ गई। उन्होंने अभय के गाल पर हाथ रखते हुए कहा, "ख़ुद से भी ज़्यादा। कौन सी माँ को अपने बेटे पर भरोसा नहीं होगा।"
"मुझे अभी कुछ काम है, तो मैं बाहर जा रहा हूँ। मेरी रात की फ़्लाइट है, तो प्लीज़ मेरी पैकिंग कर दीजिए," अभय ने कहा।
"ठीक है," किरण जी ने जवाब देते हुए कहा।
अभय वहाँ से बाहर निकल गया।
दूसरी ओर, जिंदल मेंशन में रागिनी जी परेशान सी हॉल में टहल रही थीं, तभी अभय वहाँ आया।
अभय को देखकर रागिनी जी ने घबराई हुई आवाज़ में कहा, "बेटा, देखो न, आर्या कब से रूद्र के कमरे में गई है। उसने कमरे को भी अंदर से लॉक कर लिया है और लगातार कब से रोने की आवाज़ आ रही है। कुछ करो, मुझे बहुत घबराहट हो रही है बेटा।"
"आप फ़िक्र मत कीजिए, मैं देखता हूँ," अभय ने रागिनी जी को शांत करते हुए कहा।
वहीं रूद्र के कमरे में आर्या रूद्र का हाथ पकड़कर रो रही थी और रूद्र की ओर देख रही थी जो अभी भी बेहोशी में लेटा हुआ था।
"रूडी, देखो शिवाय मुझसे दूर हो गया। मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ रूडी, पर उसने मुझे ठुकरा दिया। 3 साल बाद जब उसे शादी हुई तो मुझे लगा वह मुझे अपना लेगा, पर अब तो वह मुझसे डाइवोर्स लेना चाहता है। वह मुझसे प्यार नहीं करता। उसने मेरे प्यार को बेइज़्ज़त किया। उसने मुझे कैरेक्टरलेस लड़की कहा। उसने यह भी कहा कि मैं हर दिन लड़के बदलती हूँ। मैं क्या करूँ रूडी? मुझे उससे नफ़रत होने लगी है, पर उसे देखकर मेरी नफ़रत कम होने लगी है। वह कहता है कि तुम मुझसे प्यार करते हो इसलिए उसने मुझे छोड़ दिया, पर मेरा क्या रूडी? मेरी फ़ीलिंग्स का क्या? क्या मेरा कोई हक़ नहीं है अपने प्यार के साथ रहने का? जब भी मैं उसके करीब जाने की कोशिश करती हूँ, वह मुझे खुद से दूर कर देता है और अपनी बातों से बहुत हर्ट करता है," आर्या ने नम आवाज़ में बोला।
आज उसने अपने दिल के सारे दर्द रूद्र के सामने बयाँ कर दिए।
उसकी फ़ीलिंग्स, उसकी आवाज़, उसका रोना आज रूद्र के दिल को धड़कने पर मज़बूर कर गया।
आर्या आज भूल गई थी कि रूद्र भले ही बेहोश है, पर अपनी आसपास की आवाज़ को सुन सकता था।
वहीं दूसरी चाबी से अभय ने दरवाज़ा ओपन किया और वहीं खड़ा आर्या को देखता रहा। आज वह आर्या के दर्द को बाहर निकालना चाहता था, इसलिए वह उसके पास नहीं गया, उसे रोने दिया।
वहीं रूद्र की आँखें खुलने लगीं, पर वह खोल नहीं पा रहा था। उसकी आँखें फिर से बंद हो गईं।
उसके हाथ आर्या के हाथ पर कस गए।
"तुम सिर्फ़ हाथ ही पकड़ते हो। होश में कब आओगे? मुझसे बात कब करोगे रूडी?" आर्या रोते हुए बोली।
तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। आर्या ने पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ अभय खड़ा था।
"मैं हूँ न बच्चा? फिर आज तुम खुद को अकेला क्यों महसूस कर रही हो?" अभय ने आर्या को हौसला देते हुए कहा।
"तो क्या करूँ भाई? शिवाय ने मुझे बीच चौराहे पर खड़ा कर दिया है जहाँ से न मैं आगे जा पा रही हूँ और न ही पीछे जा पा रही हूँ," आर्या ने नम आवाज़ में कहा।
कल रात जब आर्या घर पर आई, तभी बाहर ही अभय उसे मिल गया था। वंश ने अभय को सारी बात बता दी थी, जिससे अभय को शिवाय पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आया था। वह तो शिवाय से बात करने भी जाने वाला था, पर आर्या ने उसे रोक दिया। इसलिए अभय ने ख़ुद के गुस्से को उसके सामने ज़ाहिर नहीं होने दिया।
अभय ने उसे खड़ा किया और कहा, "तुम क्या चाहती हो, वह बताओ।"
"मैं जितना हर्ट हुई हूँ, उतना मैं शिवाय को हर्ट करना चाहती हूँ, पर मैं उसे ऐसे नहीं देख पाऊँगी," आर्या ने अपने आँसू पोछते हुए कहा।
"ठीक है, जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा," अभय ने कहा।
दोपहर के करीब 3 बजे...
सुहा कॉलेज से निकलकर एक रेस्टोरेंट की ओर जा रही थी क्योंकि आज उसके दोस्तों ने पार्टी रखी थी। वह सब लोग मिलकर लंच करने जा रहे थे।
सब रेस्टोरेंट के बाहर खड़े दूसरे दोस्तों के आने का वेट कर रहे थे।
तभी रेस्टोरेंट के ठीक सामने एक कोर्ट था। वहीं सुहा की नज़र कोर्ट के बाहर आती हुई आर्या पर पड़ी।
यह देखकर सुहा हैरान रह गई, क्योंकि आर्या किसी लोयर के साथ कुछ बात कर रही थी और लोयर को कुछ डॉक्यूमेंट दिए और फिर आर्या वहाँ से निकल गई।
वहीं उस लोयर को देखकर सुहा और भी ज़्यादा हैरान थी क्योंकि वह लोयर उनकी फैमिली के हर केस को स्टडी करता था। कहा जा सकता है कि वह अग्निहोत्री फैमिली का पर्सनल लोयर था।
सुहा अपने फ्रेंड्स से एक्सक्यूज़ करके सीधे उस लोयर के पास गई।
वह लोयर अपनी केबिन में आ चुका था।
तभी उनके दरवाज़े पर किसी ने नॉक किया।
लोयर ने "कम इन" कहा।
सुहा अंदर आई। सुहा को देखकर लोयर हैरान रह गया। वह सुहा को अच्छे से जानता था।
"बेटा आप यहाँ? क्या कोई काम था? मुझे ही बुला लिया होता," लोयर ने नर्म आवाज़ में कहा।
"मुझे सिर्फ़ एक बात जाननी है," सुहा उनके सामने वाली चेयर पर बैठते हुए बोली।
"कैसी बात?" लोयर कन्फ़्यूज़ होकर बोला।
"आर्या यहाँ पर क्या करने आई थी?" सुहा ने सीधे सवाल करते हुए कहा।
यह सुनकर लोयर कन्फ़्यूज़ होकर बोला, "क्या आपको इस बारे में नहीं पता?"
"इसलिए तो आपके पास आई हूँ। साफ़-साफ़ बताएँ, वह क्यों आई थी? और वह किस चीज़ के डॉक्यूमेंट थे जो वह आपको दे रही थी?" सुहा ने सपाट लहज़े में कहा।
लोयर ने आर्या के दिए गए डॉक्यूमेंट सुहा को दिए और कहा, "यही डॉक्यूमेंट उसने मुझे दिए थे।"
सुहा ने वह डॉक्यूमेंट फ़ाइल ओपन की। सुहा ने जब वह डॉक्यूमेंट पढ़ा तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
"डाइवोर्स पेपर," सुहा हैरानी से खुद से बोली।
टू बी कंटिन्यू
सुहा ने लोयर के दिए डॉक्यूमेंट को खोला और पढ़ा। उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह अवाक् होकर बोली, "डाइवोर्स पेपर?"
लोयर ने डॉक्यूमेंट की ओर इशारा करते हुए सुहा से कहा, "यह डाइवोर्स पेपर मिसेस आर्या ने मुझे दिए हैं। वह शिवाय अग्निहोत्री से डाइवोर्स लेना चाहती हैं।"
यह सुनकर सुहा बहुत हैरान रह गई।
सुहा ने खुद को शांत किया और कहा, "और कुछ कहा उसने?"
लोयर ने कहा, "नहीं, सिर्फ़ इतना कहा कि जब वक़्त आएगा, वह मुझे कॉल करके बताएगी कि यह डॉक्यूमेंट शिवाय अग्निहोत्री को कब देना है।"
सुहा ने वह डॉक्यूमेंट वापस लोयर को दिए और बाहर निकल गई।
रात का वक़्त था...
शिवाय रात के 12 बजे घर आया। अब तक सब सो चुके थे। वह सीधे अपने कमरे में गया। पूरा कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था। सारी चीज़ें सलीके से वैसे ही थीं जैसे वह सुबह छोड़कर गया था। यह चीज़ उसे बहुत खटक रही थी।
उसने लाइट्स ऑन कीं। बेड पूरा खाली पड़ा था। और जहाँ उसके कमरे का पिंक इंटीरियर था, वहाँ फिर से ग्रे एंड ब्लैक इंटीरियर डिजाइन हो गया था। जहाँ जगह-जगह टेडी थे, वहाँ पर कुछ नहीं था। टेडी कहीं भी दिखाई नहीं दिए।
यह देखकर शिवाय शॉक्ड हो गया। उसे बहुत हैरानी हुई कि आर्या कमरे में नहीं है और कमरा बिलकुल पहले जैसा हो गया है।
उसने वाशरूम, क्लोसेट, स्टडी रूम, जिम सब चेक किया, पर आर्या कहीं भी नहीं थी। वह डायरेक्ट कमरे से निकल गया। अभी इस वक़्त कह पाना मुश्किल था कि वह क्या सोच रहा है, पर यह तय था कि वह अंदर से डरा हुआ था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आर्या अचानक कहाँ गायब हो गई।
तभी उसे कुछ याद आया। वह दूसरे फ्लोर पर गया और अभय के कमरे में देखा। तो उसे याद आया कि अभय तो अब तक सिंगापुर जा चुका था। उसका कमरा भी खाली था। सुहा के कमरे में झाँककर देखा तो वहाँ सुहा के अलावा कोई नहीं था। फिर आखिर में उसने युवान के कमरे में देखा; आर्या वहाँ भी नहीं थी।
वह तेज़ी से अपने कमरे में आ गया। उसके चेहरे पर टेंशन, डर साफ़ दिख रहा था। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसने कमरे में आकर डायरेक्ट रोनी को कॉल किया।
oncall.........
शिवाय ने रोनी से कहा, "आर्या कहाँ है? वह मेंशन में नहीं है।"
यह सुनकर रोनी हैरान रह गया। उसने कहा, "मैं गार्ड्स से पूछता हूँ।"
इतना कहकर उसने कॉल कट कर दिया। थोड़ी ही देर में रोनी का कॉल आया।
शिवाय बेचैन होकर कहा, "कुछ पता चला?"
रोनी ने थोड़ा डरते हुए कहा, "सर, मेम मेंशन से बाहर ही नहीं गई हैं।"
यह सुनकर शिवाय जम गया कि आखिर आर्या मेंशन के बाहर नहीं गई तो वह गई कहाँ? क्योंकि मेंशन में भी नहीं है।
शिवाय ने तेज़ी से कहा, "सिक्यूरिटी रूम में मिलो।"
थोड़ी देर में शिवाय, रोनी और राहुल तीनों सिक्यूरिटी रूम में थे। वहाँ मेंशन में लगे हिडन कैमरे चेक कर रहे थे। मेंशन में सब जगह कैमरे लगे हुए थे, पर हिडन कैमरे ऐसी जगह लगाए गए थे जिसके बारे में कुछ लोगों को छोड़कर किसी को नहीं पता था।
शिवाय हैरान रह गया जब उसने कैमरे चेक किए। रात के 11 बजे से 12 बजे की कोई रिकॉर्डिंग नहीं थी। लास्ट में अभय को मेंशन से बाहर जाते देखा। उसके बाद की सब फ़ुटेज डिलीट हो चुकी थी। यहाँ तक कि हिडन कैमरे की फ़ुटेज भी गायब थी।
शिवाय ने परेशान होकर कहा, "आखिर यह किसका काम है? जो भी है, मेंशन का ही है।"
फिर वह तेज़ी से खड़ा हुआ और मेंशन में गया। मेंशन की लाइट ऑन की और सबको आवाज़ देकर बाहर निकाला। सब गहरी नींद में थे, पर शिवाय की तेज़ गुस्से भरी आवाज़ सुनकर सबकी नींद उड़ गई। माया जी ने टाइम देखा तो इस वक़्त 2 बज रहे थे। वह हैरान रह गई कि आखिर इतनी रात को शिवाय सबको क्यों बुला रहा है? वहीं कामिनी तो शिवाय की तेज़ आवाज़ सुनकर सीधे बेड से नीचे गिर गई और उसके कमर में मोच आ गई।
कामिनी ने गुस्से से कहा, "आखिर इसे इतनी रात को कौन सा भूत चढ़ गया है जो ऐसे चिल्ला रहा है?"
सब हॉल में जमा हो गए थे। आकाश जी ने नींद भरी आवाज़ में कहा, "क्या बात है? इतनी रात को चिल्ला क्यों रहे हो?"
शिवाय ने सर्द आवाज़ में कहा, "आर्या कहाँ है?"
यह सुनकर सब हैरान रह गए। सबकी नींद पल में उड़ गई। माया जी ने शिवाय से कहा, "वह तो अपने कमरे में होगी, और कहाँ होगी?"
रोनी ने सबसे कहा, "लेडी बॉस सिर्फ़ कमरे में ही नहीं, पूरे मेंशन में नहीं है। यहाँ तक कि किसी ने सिक्यूरिटी कैमरा की फ़ुटेज भी डिलीट कर दी है। यह कोई छोटी बात नहीं है। ज़रूर लेडी बॉस ख़तरे में है, इसलिए आपसे पूछ रहे हैं।"
शिवाय गुस्से से इधर-उधर टहल रहा था। उसके दिमाग में क्या चल रहा है, कोई नहीं जान सकता। शिवाय ने गार्ड्स को देखा जो एक क़तार में हॉल में खड़े थे।
शिवाय ने चिल्लाते हुए कहा, "आखिर तुम लोगों को यहाँ रखा किस लिए है? तुम्हारी लेडी बॉस मेंशन से बाहर गई और किसी को भनक क्यों नहीं लगी?"
वहीं शिवाय अपनी फ़ैमिली की ओर देखकर बोला, "और आप, आप जानते हैं ना कि वह कुछ दिनों से कैसे रह रही है? आप उसे अकेला कैसे छोड़ सकते हैं?"
सब उसकी आवाज़ से डर गए थे, साथ ही सबको अब आर्या की फ़िक्र भी हो रही थी। वह अपनी फ़ैमिली के भरोसे ही आर्या को छोड़कर जाता था।
दादा जी ने कहा, "आप उसे ढूँढ़ने की कोशिश कीजिए, कुछ नहीं होगा उसे।"
तभी शिवाय ने दादा जी से गुस्से भरी आवाज़ में बोला, "मैं आपकी सारी बातें मानता हूँ दादा जी, पर आज नहीं। मैं उसे यहाँ सिर्फ़ आप लोगों के भरोसे अकेला छोड़कर जाता हूँ, क्योंकि उसकी जान को हर वक़्त ख़तरा रहता है।"
यह सुनकर सब हैरान रह गए। कोई कुछ पूछता इससे पहले ही शिवाय तेज़ी से बाहर निकल गया और अपनी कार में बैठ गया। ड्राइविंग सीट पर रोनी बैठा, राहुल पैसेंजर सीट पर बैठ गया। तभी युवान शिवाय की बैक सीट पर बैठ गया। युवान को देखकर शिवाय की आँखें छोटी हो गईं।
युवान ने कहा, "प्लीज़ भाई, अभी कोई बहस नहीं। मुझे आर्या की फ़िक्र हो रही है। मैं भी चलूँगा।"
शिवाय कुछ नहीं बोला। रोनी तेज़ी से कार ड्राइव करते हुए जंगल के बीच बने शिवाय के हेली महल में आया। वहाँ ऑलरेडी सेवन लड़के खड़े थे। यह है "सेवन स्काई"। यह सेवन लोगों की टीम बहुत ही ज़्यादा ख़तरनाक टीम है, क्योंकि उसमें वर्ल्ड का टॉप हैकर, वर्ल्ड का टॉप स्नाइपर, वर्ल्ड का टॉप फ़ाइटर, और बाकी की सर्च टीम जिसको सिर्फ़ शिवाय ने अपने लिए हायर किया है। सबको पहले ही बताया गया था। सब अपने काम पर लग गए थे। शिवाय सोफ़े पर बैठा था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। उसका दिल आज बहुत तड़प रहा था आर्या को देखने के लिए। उसे कोई तूफ़ान आने की आगाही हो रही थी।
तभी हैकर ने कहा, "बॉस, मेम की आख़िरी लोकेशन मेंशन में ही बता रही है। उसके सिवा वह लोकेशन कहीं भी नहीं दिख रही।"
यह सुनकर शिवाय भड़क उठा। उसने तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "तुम लोगों को मैंने किस लिए हायर किया है? क्या तुम सब अपनी लेडी बॉस को भी नहीं ढूँढ पा रहे हो? मुझे उसकी ख़बर अगले 20 मिनट में चाहिए, वरना तुम सब ऐसे गायब होगे जैसे कभी इस दुनिया में एक्ज़िस्ट ही नहीं करते।"
उसकी आवाज़ सुनकर सब डर गए। राहुल ने उसे शांत करते हुए कहा, "शांत दिमाग से सोचो कि वह कहाँ जा सकती है। क्योंकि वह किडनैप नहीं हुई है तो फिर वह कहाँ जा सकती है।"
शिवाय ने सीरियस आवाज़ में कहा, "किडनैप नहीं हुई है यह प्रूफ़ नहीं हुआ है। समय सक्सेना कहाँ है? पता करो।"
तभी सर्च टीम और हैकर ने 5 मिनट में पता करके कहा, "बॉस, समय सक्सेना इस वक़्त अमेरिका में है, अपने भाई के पास, जो पिछले 5 साल से बेडरेस्ट पर है। और समय पिछले 5 दिनों से उसके आसपास ही है। यहाँ तक कि वह अपने उस मेंशन से बाहर भी नहीं निकला, और वह बहुत शांत भी बैठा है।"
सर्च टीम, जो किसी भी केस को 5 मिनट में सॉल्व कर दे, उसने कहा, "बॉस, इससे साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि लेडी बॉस को समय ने किडनैप नहीं किया।"
शिवाय अब गहरी सोच में डूब गया। उसने सबको मेंशन जाने का ऑर्डर दिया और खुद कार ड्राइव करके एक जगह पर आकर रुका। यह जगह शहर से बहुत दूर थी, बिलकुल पहाड़ी के ऊपर। सुबह होने वाली थी। पहाड़ी की ऊँचाई की वजह से सूरज निकलता हुआ दिख रहा था। वहीं पहाड़ी की टोच पर एक लकड़ी का घर बना था।
शिवाय उस घर में गया। उसके कानों में पुरानी मीठी आवाज़ गूँजने लगी। "शिवू, मुझे पकड़कर दिखाओ।" वह बच्ची शिवाय को चिढ़ाते हुए आगे-आगे भाग रही थी और उसे चिढ़ाने के लिए न जाने कैसे-कैसे वर्ड कह रही थी। यह सब याद आते शिवाय का चेहरा उदास हो गया।
शिवाय वहाँ सोफ़े पर बैठ गया। अपने सर पर हाथ रखकर खुद से ही बोला, "तो तुम मुझसे दूर हो ही गई। मैं भी तो यही चाहता था कि तुम मुझसे दूर हो जाओ। और देखो, आज हो भी गई। पर आज मुझे अच्छा नहीं लग रहा। तुम्हें देखने के लिए मेरा जी मचल रहा है। मैं तुमसे दूर नहीं रहना चाहता, बेबी गर्ल।"
तभी उसके पॉकेट में रखा फ़ोन बज उठा। शिवाय का उस पर कोई ध्यान नहीं गया। न जाने कितनी ही बार फ़ोन बजकर कट गया। आख़िर में शिवाय अपनी गहरी सोच से बाहर आया और फिर से फ़ोन बजा। शिवाय ने फ़ोन को देखा, जहाँ युवान का कॉल आ रहा था। उसके करीब 50 मिस्ड कॉल हो चुके थे। उसके इतने सारे कॉल देखकर शिवाय ने जल्दी से कॉल रिसीव किया। सामने से कुछ कहा गया जिससे शिवाय के होश ही उड़ गए। उसका फ़ोन वहीं गिर गया। वह सदमे में था। तभी कॉल की दूसरी ओर से युवान की आवाज़ आई। शिवाय अपने सेन्स में आया और जल्दी से फ़ोन लेकर बाहर निकल गया।
1 घंटे का रास्ता उसने सिर्फ़ 30 मिनट में तय किया और सीधे जिंदल मेंशन के सामने उसकी कार रुकी। न जाने उसकी कार की स्पीड कितनी थी कि वह मरते-मरते बचकर यहाँ तक पहुँचा था। अब तक उसके हाथ पर, सर पर चोट लग गई थी, पर उसके चेहरे पर कोई दर्द की लकीरें नहीं थीं। वह जिंदल मेंशन में सीधे रुद्र के कमरे में गया, जहाँ जिंदल परिवार और अग्निहोत्री परिवार मौजूद था। कमरे के बाहर ही शिवाय के क़दम लड़खड़ा गए। सबके चेहरे पर परेशानी की लकीरें थीं।
शिवाय धीमे क़दमों से कमरे में आया। शिवाय को देखकर सब परेशान हो गए। उसकी चोट को देखकर सब उसकी फ़िक्र करने लगे, पर शिवाय ने किसी पर भी ध्यान नहीं दिया। वह सब को साइड करके रुद्र के पास आया। उसकी आँखों में कितने सारे इमोशन उतर आए! जहाँ वह आर्या को ढूँढ़ने के लिए ज़मीन-आसमान एक कर रहा था, वह ख़्याल एक पल में गायब हो गया। क्योंकि उसके सामने रुद्र अपनी आँखें खोले किसी को ढूँढ़ रहा था। तभी उसकी नज़र शिवाय से जाकर मिली। आज शिवाय को रुद्र की आँखों में उदासी, दर्द, नाराज़गी साफ़ नज़र आ रही थी, पर क्यों? वह शिवाय को समझ नहीं आ रहा था।
डॉक्टर ने रुद्र को अच्छे से चेक करने के बाद कहा, "अब यह पूरी तरह से ठीक है। अब यह नॉर्मल एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। पूरे 15 दिन कोमा में रहे हैं। अच्छी बात यह है कि इन्हें जल्दी होश आ गया, इसलिए रिकवरी में ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।"
डॉक्टर और नर्स वहाँ से चले गए। सब रुद्र से मिले। राघिनी बहुत भावुक हो गई थी अपने बेटे को होश में देखकर। वह उससे लिपटकर बहुत देर रोई। आख़िर में सब उससे मिले, पर रुद्र ने एक बार भी शिवाय की ओर नहीं देखा। यह बात शिवाय को समझ नहीं आ रही थी कि आखिर रुद्र क्यों उसे इग्नोर कर रहा है?
to be continue
सब रूद्र से मिले रागिनी बहुत भावुक हो गयी थी , अपने बेटे को होश में देखकर वह उससे लिपटकर काफी देर रोई |
आखिर में सब उससे मिले पर रूद्र ने एक बार भी शिवाय की और नहीं देखा , यह बात शिवाय को समज नहीं आ रही थी की आखिर रूद्र क्यों उसे इग्नोर कर रहा है ?
सब चले गए , आखिर में शिवाय वहा खडा रूद्र को देख रहा था , अपने दोस्त को कोमा से बहार आते देख शिवाय बहुत खुश था पर खुशी उसके चेहरे पर दिखाए यह कभी हो सकता था |
रूद्र ने उसे देखे बगैर खडे होने की कोशिश करने लगा , यह देखकर शिवाय उसे सहारा देने के लिए आगे बढा , पर यह क्या रूद्र ने उसे हाथ दिखा कर दूर ही रोक लिया |
यह देखकर शिवाय को बहुत दुख हुआ की आखिर उसका खास दोस्त उसके साथ इतना रुड बिहेव क्यों कर रहा है ?
तभी युवान कमरे में आया पर शिवाय ने उसे अपनी नजरो से ही वापस भेज दिया |
रूद्र ने अपनी तिरछी नजरो से शिवाय को देखा |
जिसके चेहरे पर उसके लिए फिक्र साफ दिख रही थी |
शिवाय ने जबरदस्ती उसके हाथो को पकडकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया |
और कमरे में टहलाने लगा इस बिच दोनों के बिच कोई बात नहीं हुई |
शिवाय उसे बेड के पास लेकर आया और अचानक ही उसे गले लगा लिया |
पर रूद्र ने उसके हग बेक नहीं किया |
शिवाय काफी इमोशनल हो गया था पर अपने चेहरे पर नहीं आने दिया |
शिवाय उसे हग करते हुए कहा : “क्या हुआ है रूद्र ? तुम मुझे ऐसे इग्नोर क्यों कर रहे हो ? किस बात की नाराजगी ? ”
रूद्र ने कोल्ड वौइस् में कहा : “नाराज होने की बहुत सी वजह दे रखी है तुमने , मेने सोचा था मेरे बाद तुम आर्या का अच्छे से ख्याल रखोगे , पर यह नहीं पता था की हर दिन उसे रुलाने के लिए तुमने उससे शादी की थी ”
यह सुनकर शिवाय बहुत ज्यादा शोक्ड हो गया |
वही वंश जो रूद्र से मिलने ही आया था पर दोनों को बात करता देख वह वापस चला गया , वह भी चाहता था की दोनों के बिच सारी प्रॉब्लम सोल्व हो जाए , उसे पता था रूद्र साफ दिल का है वह आर्या की खुशी के लिए कुछ भी कर जाएगा |
शिवाय ने हैरान होकर रूद्र से कहा : “तुम्हे कैसे पता की मेरी शादी आर्या से हुई है ? ”
रूद्र बेड पर बैठते हुए अपनी कोल्ड वौइस् में ही बोला : “में आँखे नहीं खोल सकता पर सब सुन सकता था , जबसे शादी हुई है तब से वह हर दिन मुझ से मिलने आती थी हर दिन रोया करती थी , पर मेरे शरीर में इतनी ताकत नहीं थी की उसके आंसू पोछू उसे सहारा दू , तुमने मुझे बहुत दिसपोइन्टेड किया है , क्या तू वही शिवाय है जो बचपन में अपने दोस्त के लिए कुछ भी कर जाता था ”
शिवाय ने उदासी भरी आवाज में कहा : “मेरे लिए तू बहुत इम्पोर्टेन्ट है किसने कहा की मुझे तुमसे कोई फर्क नहीं पडता ”
रूद्र ने उसे घूरते हुए कहा : “क्या आर्या तुम्हारी दोस्त नहीं है? ”
रूद्र उसकी आँखों में आँखे डाल कर पूछा था , वह शिवाय की आँखों में कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था |
शिवाय के पास कोई जवाब नहीं था |
रूद्र ने उसे और सवाल करते हुए कहा : “क्या तू आर्या के साथ इस शादी में खुश नहीं है ? , क्या तेरे दिल में कभी आर्या के लिए कोई फीलिंग्स नहीं थी ? , में भी तेरा दोस्त हु मेरी आँखों में देखकर तू सब समज जाता है तो क्या मुझे नहीं पता होगा की तेरे दिल और दिमाग में क्या चल रहा होगा ? , क्या तू ही अपने दोस्त के लिए सब कर सकता है ? में नहीं कर सकता ? क्या में तेरे लिए कोई नहीं हु ? ”
शिवाय तपाक से बोला : “तू ऐसा क्यों बोल रहा है ? मेरे लिए तू बहुत इम्पोर्टेन्ट है ”
रूद्र ने उसे ऐसे ही आँखों में आँखे डाल कर बिना भाव से कहा : “तो फिर तुम्हे क्या लगा की में अपनी खुशी के लिए आर्या की फीलिंग्स को इग्नोर कर दूंगा ? , में इतना सेलफिश नहीं हु शिवाय , मेरे लिए आर्या की खुशी मायने रखती है ,पर तुमने क्या किया 3 साल पहले उसे न जाने कैसी कैसी बाते सुनाकर उसे हर्ट किया ”
अब धीरे धीरे रूद्र को गुस्सा आने लगा था |
आर्या जब उसके पास आती , उसे सारी बाते बताती की क्या हुआ था , पर उसे लगा रूद्र बेहोश है पर उसे कहा पता था की रूद्र सब सुन सकता था महसूस कर सकता था |
शिवाय हैरानी से उसे देखने लगा , रूद्र ने थोडे तेज गुस्से में कहा : “ऐसे क्या देख रहे हो ? कोई दुश्मन भी अपने दुश्मन को ऐसे वर्ड्स नहीं कहता जो तुमने उसे हर्ट करने के लिए कहे थे , में तो पागल हो गया था की आखिर आर्या अचानक लंडन क्यों चली गयी , पर मुझे कहा पता था की मेरे इस पागल दोस्त ने मेरी खुशी के लिए उस मासूम बच्ची का दिल तोडा था , इसलिए वह सब छोडकर बिना किसी को बताए चली गयी , आर्या हमारी दोस्त होने से पहेले एक लडकी है , तुम एक लडकी के लिए ऐसी सोच कैसे रख सकते हो शिवाय , मुझे तो यकींन नहीं हो रहा की तू मेरा बचपन का दोस्त है ”
शिवाय रूद्र के कारबी बेड के पास घुटनों के बल बेठा था उसने सर जुका कर नम आवाज में कहा : “पर में क्या करता , तू उससे प्यार करता था उसके साथ सपने देखे थे तुमने , में कैसे तुम दोनों के बिच आ सकता हु ”
वह इतना ही बोला था की “चटाक ” की आवाज के साथ उसके गाल पर एक जोर का थप्पड पडा , वह थप्पड बहुत जोर का था |
शिवाय चेहरा एक तरफ झुक गया |
वही कमरे के बहार दोनों फेमीली के लोग खडे थे और सब देख सुन रहे थे | रूद्र के चिल्लाने की वजह से सब यहाँ आए थे |
शिवाय के चेहरे पर कोई भाव नहीं था नाही वह गुस्सा था |
शिवाय मन ही मन यही सोच रहा था की वह इसी लायक था उसने न जाने आर्या को कितना हर्ट कर दिया है |
रूद्र ने उसकी कोलेर पकडकर अपनी और खडा किया और खुद खडा होकर गुस्से से दांत पिसते हुए तेज आवाज में बोला : “तू इतना मेरे लिए इतना पोजेसिव कैसे हो सकता है शिवाय की तू यह भी भूल गया की तू मेरे लिए आर्या के साथ नाइंसाफी कर रहा है , उस मासूम दिल पर क्या बीत रही होगी , जब तुमने उसे ऐसी लडकी समजा जो हर दिन हर लडके के , अरे मुझे बोलते हुए भी शर्म आती है तो तुझे शर्म कैसे नहीं आई , वह तुझे बेइंतेहा प्यार करती है और तुमने उसकी फीलिंग्स का ऐसा मजाक बनाया की अब वह दूसरी बार किसी से प्यार करने से भी डरेगी ”
इतना बोलकर उसने शिवाय को कोलर को छोडकर उसे धक्का दे दिया |
आज शिवाय गिल्ट से भर चूका था |
रूद्र चिल्लाते हुए आगे कहा : “तू यहाँ तक उसे हर्ट करने के लिए पहोच गया की उसे डाइवोर्स देने के बारे में सोच रहा है , तू पागल हो गया है कमीने कम से कम अपने दिल की आवाज को सुनता ,तू उसे इतना प्यार करता है तो उसे हर्ट कैसे कर सकता है उसे डाइवोर्स देने के बारे में कैसे सोच सकता है ? ”
वह आर्या से प्यार करता है यह रूद्र के मुह से सुन कर शिवाय हैरान रह गया |
वह सवालिया कंफ्यूज नजरो से रूद्र को देखने लगा |
रूद्र उसके ऐसे भाव देखकर समज गया वह आगे बोला : “क्या तू ही मेरे मन की बात समज सकता है में नहीं ? जब आर्या इस दुनिया में आयी तभी से तुम उससे प्यार करते हो और जब मैंने अपने मन की बात कही तो तुमने खुद आर्या से दुरी बना ली और अपनी फीलिंग्स दिल में दबा दी ऐसे क्यों ? तुमने खुद के साथ नाइंसाफी की , क्यों शिवाय ? वह बिचारी तुमसे बहुत प्यार करती थी तुम्हारे हर बार दिल दुखाने पर भी वह तुमसे फिर भी प्यार करती रही बिना यह सोचे की तुमने उसे न जाने क्या क्या कहा उसके करैक्टर को निचा दिखा दिया फिर भी वह तुमसे प्यार करती रही , अब तडपो तुम अपने प्यार के लिए क्योंकि अब तो वह तुम्हे छोडकर चली गयी है न "
यह सुनकर शिवाय और सब और भी ज्यादा हैरान रह गए |
शिवाय ने हैरानी से कहा : “तुझे कैसे पता की वह चली गयी या किडनैप हो गयी ? ”
रूद्र ने तेज आवाज में कहा : “उसका कोई किडनैप नहीं हुआ , कल रात मुझसे मिलने आई थी तभी मुझे होश आ गया था पर मेने किसी को उसे बता ने से मना किया , वह कल रात ही कह रही थी की वह अब तुम्हे छोडकर हमेशा के लिए दूर चली जायेगी , में इतना सेल्फिश नहीं हु शिवाय की तुम दोनों के बिच आउगा इन्फेक्ट में तो बहुत खुश हु की तुम दोनों की शादी हुई , में तो खुद तुम दोनों की शादी करना चाहता था ”
यह सुनकर शिवाय शोक्ड हो गया वह रूद्र से बोला : “पर क्यों ? तुम तो उससे शादी करने वाले थे ”
रूद्र ने कहा : “ 3 साल पहेले ”
3 साल पहेले..............
विश्वास दादा जी , शिवाय की ओफिस के केबिन में बेठे थे |
उसके सामने शिवाय बेठा था |
विश्वास दादा जी ने भारी आवाज में कहा : “शिवाय में तुमसे कुछ माँगना चाहता हु क्या तुम मुझे वह दोगे ? ”
शिवाय विश्वास जी की बहुत रिस्पेक्ट करता था वह कभी उसकी बात नहीं टाल सकता था |
शिवाय ने कहा : “ कहिए दादा जी ”
विश्वास जी ने कहा : “में चाहता हु की मेरे मरने से पेहले आर्या की शादी तुमसे हो जाए ”
यह सुनकर शिवाय हैरान रह गया उसके हाथ की मुठ्ठी पिस गयी |
जब शिवाय का कोई जवाब नहीं मिला तो विश्वास जी बोले : “क्या हुआ ? क्या तुम आर्या से शादी करोगे ? में उसका हाथ तुम्हारे हाथ में देना चाहता हु , उसकी जान पर बहुत खतरा है में जाने से पहेले उसे एक सुरक्षित हाथो में देना चाहता हु ”
शिवाय ने अपने भाव नार्मल करते हुए कहा : “उस काबिल तो रूद्र भी है आप आर्या की शादी उससे क्यों नहीं करवाते ? ” ये बोलते हुए उसके मुठ्ठी कासी हुई थी |
विश्वास जी थोडा मुस्कुराते हुए बोले : “क्योंकि तुम्हारी आँखों में मेने हर वक्त आर्या के लिए बेइंतेहा प्यार देखा है ”
यह सुनकर शिवाय शोक्ड हो गया और बोला बिना विश्वास जी को देखे बोला : “ऐसा कुछ नहीं है , आर्या सिर्फ मेरी दोस्त है उससे ज्यादा कुछ नहीं है ”
विश्वास जी मुस्कुराते हुए बोले : “मेंने दुनिया देखि है मेरी बूढी आँखों कभी धोखा नहीं खाती ”
यह सुनकर शिवाय ने कहा : “ आप जैसा सोच रहे है ऐसा कुछ नहीं है , में तो चाहता हु की आप आर्या की शादी रूद्र से करा दीजिए रूद्र से अच्छा लडका आपको कभी नहीं मिलेगा ”
यह सुनकर विश्वास जी मुस्कुरा गए और बिना उसे देखे बहार निकल गए |
वह जैसे ही बहार आए वहा रूद्र खडा था |
विश्वास जी ने रूद्र से कहा : “तुमने कहा था की वह मान जायेगा , पर आज मेने तुम दोनों की दोस्ती देखली दोनों एक दुसरे की खुशी के लिए अपने प्यार को कुर्बान करने के लिए तैयार है ”
रूद्र ने कहा : “शिवाय बचपन से आर्या से प्यार करता है पर मेरे दिल की बात जानने के बाद वह अपनी फीलिंग्स से दूर भाग रहा है जब की मेरे दिल में आर्या के लिए कोई फीलिंग नहीं है में उसे सिर्फ दोस्त की तरह प्यार करता हु उससे ज्यादा नहीं , पर उसे ग़लतफहमी हो गयी है की मैंने आर्या को दिल में जगह दी है और इसी गलतफ़हमी की वजह से वह यह सब कर रहा है ताकि मुझे हर्ट न हो पर में भी उसका दोस्त हु ”
एक्चुअली रूद्र ने ही विश्वास जी को शिवाय के पास भेजा था की वह आर्या की शादी शिवाय से कराए वेसे भी विश्वास जी की ख्वाइश भी यही थी की आर्या की शादी शिवाय से हो पर रूद्र के कहने पर उसे एक राह मिल गयी शिवाय को कनवेंस करने की |
रूद्र ने आगे कहा : “आप शादी की तैयारी कीजिए आर्या की शादी तो होगी पर मुझसे नहीं शिवाय से , पर आप यह बात किसी को नहीं बतायेगे सबको यही लगना चाहिए की उसकी शादी मुझसे हो रही है ठीक मंडप में मेरी जगह शिवाय बेठेगा ”
वही रूद्र ने प्लान किया था की शादी के दिन मंडप में वह एक नकली हमला करवाएगा और वह जख्मी हो जायेगा और उसकी जगह शिवाय शादी करेगा |
पर हुआ सब उल्टा हमला तो हुआ पर वह नकली नहीं बल्कि सचमे हमला हुआ और सच में रूद्र बहुत जख्मी हो गया और कोमा में चला गया |
यह सब जानने बाद शिवाय और बाकी परिवार वाले हैरान रह गए |
शिवाय ने अवाक् होकर कहा : “तुमने यह सब क्यों किया रूद्र ? अपनी ही जान को जोखिम में डाल दिया सिर्फ मेरे लिए ”
too be continue