ये कहानी है एक ऐसी लड़की आभा मेहता की जो बहत ही इनोसेंट है । सभी को खुश करने के लिए कुछ भी कर देती है । वहीं रेयांश खुराना, जो करता है लड़कियों से नफरत । रेयांश और आभा की शादी हुई, जहां आभा अपने पिता के इज्जत के लिए कर रही है शादी वही रेयांश अपने मां... ये कहानी है एक ऐसी लड़की आभा मेहता की जो बहत ही इनोसेंट है । सभी को खुश करने के लिए कुछ भी कर देती है । वहीं रेयांश खुराना, जो करता है लड़कियों से नफरत । रेयांश और आभा की शादी हुई, जहां आभा अपने पिता के इज्जत के लिए कर रही है शादी वही रेयांश अपने मां की कसम की वजह से ? क्या होगा इस शादी का असर ? क्या दोनों इस जबरदस्ती के शादी को निभा पाएंगे ? आभा की दूसरी आइडेंटिटी क्या है ? season 2 कुछ रिश्ते किस्मत से नहीं, बल्कि मजबूरी से बनते है। ऐसी ही कहानी है राज खुराना और काव्या तिवारी की। काव्या की किस्मत उस मोड़ पर आ खड़ी हुई थी, जहां उसे एक कांट्रेक्ट पर साइन करने पड़े। वहीं दूसरी तरफ, राज की जुड़वां बहन कीर्ति खुराना, जिसे उसके ब्वॉयफ्रेंड से धोखा मिला। जिस बजह से वो अब प्यार पर भरोसा नहीं करना चाहती थी। पर कोई था जो कीर्ति के खूबसूरती और स्वभाव से आकर्षित हो गया था। क्या राज और काव्या की ये कॉन्ट्रैक्ट कभी प्यार में बदल पाएगी? क्यों कर रहे है राज और कीर्ति कॉन्ट्रैक्ट मैरेज? क्या कभी कोई कीर्ति को प्यार पर भरोसा दिल पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए "contract marriage season 2" ...... जो कि इसी में कंटिन्यू होगी।
Raj khurana
Hero
Kavya Tiwari
Heroine
Kirti Khurana
Heroine
Yuvraj Sahgal
Hero
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एक सुंदर घर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। वहाँ एक ४२ वर्षीय आदमी इधर-उधर भागकर घर की सभी चीज़ें देख रहा था। अरे भाई, देखे भी क्यों नहीं? उनकी इकलौती बेटी की शादी थी।
थोड़ी देर बाद बारात आई। एक ७० वर्षीय बुज़ुर्ग महिला आस-पड़ोस की महिलाओं के साथ दूल्हे की आरती उतारने गई। बारात का स्वागत के बाद दूल्हे को लाकर मंडप में बिठाया गया।
एक लड़की शादी के जोड़े में अपने कमरे में बैठी थी। उसे नीचे से बुलावा आया।
"आभा, नीचे आ जा!" उसकी दोस्त बानी और कुछ लड़कियाँ उसे लेकर नीचे गईं।
सभी मेहमान उस लड़की को एकटक देखने लगे। क्योंकि वह शादी के जोड़े में बहुत सुंदर दिख रही थी। वैसे भी कहते हैं ना कि लड़कियाँ अपनी शादी के जोड़े में सबसे सुंदर दिखती हैं।
आभा अपनी घूँघट के नीचे से देखती है कि उसका दूल्हा कहीं नहीं है। वह घबरा गई। उसके हाथ-पैर काँपने लगे। यह देख बानी उसे आश्चर्य से देखकर बोली,
"आभा, क्या हुआ? तुम घबरा क्यों रही हो?"
"वो रोहन कहीं दिखाई नहीं दे रहा है! वो अब तक क्यों नहीं आया है?" आभा बोली।
"ऐसा कुछ नहीं है, वो आ जाएगा। तुम बैठो।" इतना कहकर बानी उसे मंडप के पास वाले सोफ़े पर बिठा देती है जहाँ वरमाला पहनाने के लिए तैयार किया गया था।
तभी वहाँ एक लड़का एंट्री करता है। सभी उस लड़के को देखकर चौंक जाते हैं। क्योंकि वह और कोई नहीं, आभा का दूल्हा रोहन था।
आभा के पापा रोहन के पास जाकर बोले,
"रोहन, ये क्या है? आपकी शादी तो आभा से होने वाली थी। फिर आप किससे शादी करके आए हैं?"
रोहन हँसते हुए बोला,
"अरे ससुर जी, सॉरी-सॉरी! आई मीन, कभी न होने वाले ससुर जी। मैं कभी आभा से शादी नहीं करना चाहता था। न ही मैं कभी उसे प्यार करता था।"
"तो तुमने मुझसे शादी क्यों करने की बात की थी?" आभा अपनी जगह से उठकर आई और बोली।
"और स्वीटहार्ट, वो तो मुझे तुमसे बदला लेना था। इसलिए ये सब कर रहा था। याद है तुम्हें? तुमने पूरे कॉलेज के सामने मुझे थप्पड़ मारा था। और इसी का बदला लेने के लिए मैं तुम्हारे आगे-पीछे घूमता था। ताकि तुम मुझसे प्यार करने लगो। फिर मैं तुम्हारा दिल तोड़कर तुमसे बदला लेना था। पर तुम तो इतने में मानी ही नहीं। इसलिए मुझे तुम्हारे घर तुम्हारा रिश्ता लेकर आना पड़ा। फिर अब तुम तो जानती हो, मैं क्या कर रहा हूँ। अब तुमसे कोई शादी नहीं करेगा। सभी जगह तुम्हारी बदनामी होगी। हा...हा...हा..." कहकर वह हँसने लगा।
आभा के पापा ने रोहन को एक थप्पड़ मारा। फिर गुस्से से बोले,
"इतनी घटिया हरकत तुमने मेरी बेटी के साथ कैसे की? चले जाओ यहाँ से, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
तो रोहन अपने घरवालों के साथ वहाँ से चला गया।
उसके बाद आभा के पापा आभा के पास गए और हाथ जोड़ते हुए बोले,
"मुझे माफ़ कर दे बेटा, मैंने तेरे लिए ऐसी जीवनसाथी चुनी।"
आभा उनके हाथ को नीचे करके बोली,
"नहीं पापा, आप गलत नहीं थे। आपने तो उसे अच्छा समझकर उसके साथ मेरी शादी करने का सोचा था। इसलिए आपको गिल्टी फील करने की कोई ज़रूरत नहीं है।"
आभा के पापा सभी की तरफ़ मुड़कर बोले,
"अभी यहाँ कोई शादी नहीं होगी। आप सब जा सकते हैं।"
तो सभी लोग एक-एक करके घर से निकल गए। थोड़ी देर बाद बाहर से Mr. खुराना (जो कि बिज़नेस किंग के पापा हैं) की आवाज़ आई,
"राम, क्या हुआ? शादी क्यों नहीं हो रही है? और सभी मेहमान कहाँ जा रहे हैं?"
"वो लड़का आभा से शादी नहीं करना चाहता था। वो बस आभा से बदला लेना चाहता था।" राम जी बोले।
"क्या मैं तुझसे कुछ माँगूँ? तू देगा मुझे?" Mr. राजेंद्र खुराना बोले।
राम जी उदास होकर बोले,
"तुझ जैसे आदमी को मैं भला क्या दे सकता हूँ?"
राजेंद्र जी बोले,
"मुझे तेरी बेटी का हाथ अपने बेटे के लिए चाहिए। क्या तू देगा तेरी बेटी का हाथ?"
राम जी चौंक गए। फिर एक बार आभा की तरफ़ देखते हैं और रेयांश के बारे में सोचते हैं। फिर राजेंद्र जी को हाँ में सर हिलाकर अनुमति दी। तो राजेंद्र जी के साथ उनकी पत्नी अंजली जी भी खुश हो गईं।
थोड़ी देर बाद रेयांश वहाँ आया। अंजली जी ने उससे कुछ बात की। रेयांश जबरदस्ती इस शादी के लिए मान गया क्योंकि अंजली जी ने उसे अपनी कसम दे दी थी।
शादी शुरू हुई। दोनों ने सात फ़ेरे लिए। फिर सिंदूर लगाने के लिए पंडित जी ने कहा तो रेयांश ने सिंदूर आभा के मांग में भर दिया। उसके बाद मंगलसूत्र भी पहना दिया।
थोड़ी देर में दोनों की शादी की विधि पूरी हो गई। फिर विदाई की तैयारी हुई। विदाई के समय आभा राम जी के गले लगकर बहुत रोई। फिर उसके दादी और दादा जी के गले लगकर भी रोई।
अंत में फिर से राम जी के गले लगकर रोने लगी। राम जी उसे लेकर कार के पास आए और कार में बिठाने लगे, पर आभा उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी।
राम जी ने जैसे-तैसे आभा को कार में बिठाया। फिर कार अपनी रफ़्तार में चलने लगी। रेयांश ने अब तक एक बार भी आभा की तरफ़ नहीं देखा था।
उसके दिल में तो उसका प्यार था जिसे वो कभी नहीं भूल सकता था। घर पहुँचते समय बहुत रात हो गई थी इसलिए गृहप्रवेश करके दोनों को जल्दी रेयांश के कमरे में छोड़ दिया गया।
रेयांश का एक कॉल आया था इसलिए वह साइड में खड़े होकर बात कर रहा था। थोड़ी देर बाद वह अपने कमरे में गया तो आभा को बेड पर बैठा हुआ देखा।
वह उसके पास गया और जो उसे बोला, उससे आभा एकदम टूट गई।
आज के लिए इतना ही......
THE LOVE BOND: PYAR KA BANDHAN
रिश्ते जब मजबूरी में बनते हैं, तो क्या उनमें कभी मोहब्बत पनप सकती है?”
प्रियल, एक अनाथ लड़की, जिसने अपना बचपन एक आश्रम में गुजारा। सपनों को पूरा करने की चाह में वह आती है मुंबई — जहां उसे मिलता है सिर्फ तन्हाई और संघर्ष।
वहीं उसकी मुलाकात होती है श्रेयस अग्निहोत्री से — एक बेरहम और भावहीन बिज़नेस टाइकून, जिसकी दुनिया सिर्फ उसकी नन्हीं बेटी रूही के इर्द-गिर्द घूमती है।
रूही की मुस्कान को बचाने के लिए श्रेयस को करनी पड़ती है प्रियल से कॉन्ट्रैक्ट मैरिज। प्रियल, जो हमेशा सच्चे प्यार के बाद शादी का सपना देखती थी, अब बिना प्यार के शादी करने पर मजबूर है।
क्या इस मजबूरी के रिश्ते में कभी प्यार पनपेगा?
क्या प्रियल सिर्फ रूही की मां बनकर रह जाएगी या श्रेयस के दिल तक भी उसकी पहुंच होगी?
लास्ट में फिर से राम जी के गले लग गई और रोने लगी। राम जी उसे लेकर कार के पास आए और कार में बिठाने लगे, पर आभा उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं थी।
राम जी ने जैसे-तैसे आभा को कार में बिठाया। फिर कार अपनी रफ्तार में चलने लगी। रेयांश ने अब तक एक बार भी आभा की तरफ नहीं देखा था।
उसके दिल में तो उसका प्यार था, जिसे वो कभी नहीं भूल सकता था। घर पहुँचते समय बहुत रात हो गई थी, इसलिए गृह प्रवेश कर दोनों को जल्दी रेयांश के रूम में छोड़ दिया गया।
रेयांश का एक कॉल आया था, इसलिए वो साइड में खड़े होकर बात कर रहा था। थोड़ी देर बाद वो अपने रूम में गया तो आभा को बेड पर बैठा हुआ देखा।
तो वो उसके पास जाकर जो उसे बोला, उससे आभा एकदम टूट गई।
रेयांश उसके बाहें पकड़कर बेड से उठाया और बोला, "ए लड़की सुनो, मैं किसी और से प्यार करता हूँ। उसे ही ढूँढ रहा हूँ। इसलिए इस रूम के अंदर हमारा कोई रिश्ता नहीं है। इस रूम के बाहर तुम मेरी पत्नी होगी, पर इस कमरे में नहीं। इस कमरे के अंदर हम दोनों सिर्फ अजनबी हैं और एक बात याद रखो, मुझे मेरा प्यार मिल जाने के बाद मैं तुम्हें डायवोर्स दे दूँगा। इसलिए मुझसे और मेरे सामानों से दूर रहना।"
इतना बोलकर वो रूम से attached स्टडी रूम में जाने के लिए मुड़ा। फिर रुककर बोला, "और याद रखना, इसके बारे में घर में किसी को पता नहीं चलना चाहिए। और मेरे स्टडी रूम में आने की कोशिश भी मत करना। और वहाँ ड्रॉअर में एक फाइल रखा है, उस पर साइन कर देना।"
इतना बोलकर बिना पीछे मुड़े ही वो स्टडी रूम में चला गया।
वहीं आभा ये सब सुनकर बिलकुल टूट गई। उसने सोचा था इस शादी से पति का प्यार मिले या न मिले, पर एक दोस्त तो बनकर रह सकते हैं। पर रेयांश के बातों से एक बात क्लियर हो चुकी थी कि वो उसे अपना कुछ नहीं मानता।
फिर वो अपने बैग से कपड़े निकालकर चेंज करने चली गई। चेंज करने के बाद आकर सोफे पर सो गई। थोड़ी देर बाद थकान के कारण उसकी आँख लग गई।
वहीं रेयांश स्टडी रूम में आया। और वहाँ के एक ड्रॉअर के पास गया। उसमें से वो एक झुमका निकाला और बोला, "मैं तुम्हें जल्दी से ढूँढ लूँगा।"
फिर वो भी फ़्रेश होकर अपने काम में लग गया। करीब 2 बजे वो लैपटॉप ऑफ किया और सोने के लिए बेड पर गया। थोड़ी देर बाद उसे भी नींद आ गई।
अगली सुबह,
आभा 5 बजे उठी और नहाकर एक red कलर की साड़ी पहनी। माँग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र और होठों पर lip balm, इतने में वो बहुत सुंदर दिख रही थी।
वह तैयार होकर नीचे गई। तो हॉल में रेयांश के दादा जी और पापा बैठे हुए मिले। तो वो उन दोनों के पैर छुई। तो दोनों ने उसे सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया।
आभा अंजली जी के बारे में पूछी तो राजेंद्र जी ने उसे मंदिर की तरफ इशारा किया। तो आभा मंदिर में चली गई।
वहाँ जाकर अंजली जी और रेयांश की दादी जी के पैर छुई। तो उन दोनों ने भी सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया।
अंजली जी बोलीं, "बेटा तुम इतनी जल्दी उठ गई?"
तो आभा बोली, "नहीं आंटी, मैं रोज़ सुबह इतने बजे ही उठती हूँ।"
तो अंजली जी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं, "ये क्या आंटी-आंटी बोल रही हो? माँ बोलो या मॉम या जो तुम्हें अच्छा लगे।"
तो आभा की आँखों में आँसू आ गए। उसके आँखों में आँसू देख अंजली जी घबरा गईं।
और बोलीं, "अरे बेटा, मैं तो मज़ाक कर रही थी। मैं गुस्सा नहीं हूँ तुमसे। प्लीज़ माफ़ कर दो।"
तो आभा बोली, "नहीं-नहीं माँ, वो माँ की याद आ गई। इसलिए थोड़ा इमोशनल हो गई।"
तो अंजली जी उसे अपने गले लगा लिया। तभी दादी बोलीं, "तुम्हारा मिलन हो गया हो तो आरती करो।"
तो अंजली जी और आभा अलग हुईं। तो अंजली जी बोलीं, "आज की आरती आभा करेगी, क्या सही बोला ना?"
तो दादी ने भी हाँ बोला, तो आभा आरती करने लगी। उसकी आवाज इतनी मधुर थी कि सभी घर वाले आ गए।
रेयांश भी अपने रूम से मंदिर में चला आया। थोड़ी देर बाद आरती खत्म हुई। तो आभा सभी को आरती दी।
सबसे लास्ट में रेयांश खड़ा था, जिसे देखकर सभी चौंक गए। रेयांश एकटक आभा को देख रहा था। वो इतनी सुंदर लग रही थी कि रेयांश उससे नज़र ही नहीं हटा पा रहा था। वो आभा में खो गया था क्योंकि वो कल आभा को नहीं देखा था। रेयांश जब उसके पास गया था तो वो अपनी घूँघट में बैठी थी। आभा ने उसे भी आरती दी। तो रेयांश ने आरती ली।
उसके बाद सभी हॉल में आ गए। आभा भी अपने रूम में चली गई।
कुछ देर बाद,
सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। आज आभा की पहली रसोई थी। इसलिए आभा ने आज सब खाना बनाया था।
रेयांश भी आया। तो सर्वेंट सभी को खाना सर्व किया। खाना खाने के बाद सभी ने आभा को गिफ्ट्स दिए। फिर रेयांश की तरफ देखा।
तो रेयांश बोला, "मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता था। मैं उसे बाद में दे दूँगा।"
तो कोई कुछ नहीं बोला। सभी अपने-अपने रूम में चले गए। रेयांश रूम में जाकर जैसे ही बाहर निकला, कुछ ऐसा हुआ जिससे रेयांश की धड़कन बढ़ गई।
सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। आज आभा की पहली रसोई थी, इसलिए आभा ने आज सारा खाना बनाया था।
रेयांश भी आया। सर्वेंट सभी को खाना सर्व किया। खाना खाने के बाद सभी ने आभा को गिफ्ट्स दिए। फिर सबने रेयांश की तरफ़ देखा।
"मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता था। मैं उसे बाद में दे दूँगा," रेयांश बोला।
कोई कुछ नहीं बोला। सभी अपने-अपने कमरों में चले गए। रेयांश कमरे में जाकर जैसे ही बाहर निकलने वाला था, कुछ ऐसा हुआ जिससे रेयांश की धड़कन बढ़ गई।
रेयांश जैसे ही कमरे से बाहर निकलने वाला था, आभा अंदर आ रही थी। दोनों में से किसी ने भी एक-दूसरे को नहीं देखा था। इसलिए दोनों की टक्कर हो गई और दोनों जमीन पर गिर गए।
जिससे दोनों के होंठ एक-दूसरे से मिल गए। आभा तो शौक से अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके रेयांश को घूर रही थी।
वहीं रेयांश का आभा के होंठों के स्पर्श से उसकी धड़कन बढ़ गई। उसे कुछ अनकहे एहसास दिल में आ रहे थे। इसलिए उसने आभा को जल्दी से खड़ा किया और फाइल उठाकर जल्दी से ऑफिस के लिए निकल गया।
वहीं आभा भूत बनी खड़ी थी। जब उसके मोबाइल का रिंगटोन बजा, तब उसका ध्यान टूटा और वह अपने मोबाइल की तरफ़ चली गई।
वह मोबाइल देखती है तो उसमें बानी का नाम शो हो रहा था। इसलिए उसने जल्दी से कॉल रिसीव की। उधर से आवाज़ आई, "इतनी देर कहाँ लगा दी? तुझे कब से फ़ोन कर रही हूँ, पर तू है कि उठा नहीं रही।"
"शांत हो जा मेरी माँ। मैं नीचे थी, अभी ही ऊपर आई हूँ," आभा बोली।
"अब बता, कल तेरे और जीजू के बीच कुछ हुआ?" बानी उत्साहित होकर बोली।
आभा अपने और रेयांश की कल की बात के बारे में सोचती है तो उसके चेहरे पर एक उदासी आ जाती है। पर वह खुद को संभालकर बानी से बोली, "नहीं, कुछ नहीं हुआ। तू पागल हो गई है, कुछ भी पूछती है।"
"अच्छा ठीक है, ये सब छोड़। तुझे याद तो होगा दो दिन बाद तेरी जॉइनिंग है?" बानी बोली।
"मैं माँ से पूछकर बताती हूँ तुझे," आभा बोली।
उसके बाद दोनों थोड़ी देर इधर-उधर बातें करती हैं। फिर कॉल रख देती हैं। उसके बाद आभा राम जी को कॉल लगाती है।
राम जी थोड़ी देर बाद कॉल रिसीव करते हैं। आभा बोली, "पापा नमस्ते। आप क्या कर रहे थे?"
"वो मैं ऑफिस में हूँ अभी। आप कैसी हैं और वहाँ सभी अच्छे से बात करते हैं ना तुझसे? और बेटा दामाद जी कैसे हैं?" राम जी बोले।
"अरे पापा, एक साथ इतनी सारी बातें आप पूछेंगे तो मैं कैसे आपको बताऊँगी?" आभा बोली।
राम जी हँस देते हैं और बोलते हैं, "अच्छा ठीक ठीक है, बोल अब।"
"घर में सब अच्छे हैं पापा और आपके दामाद जी भी। सब मुझे बहुत प्यार करते हैं," आभा बोली।
थोड़ी देर बाद आभा कॉल रख देती है और कमरे को अच्छे से देखने लगती है। क्योंकि कल थके होने के कारण वह अच्छे से नहीं देख पाई थी, इसलिए आज अच्छे से देख रही थी।
कमरा बहुत अच्छे से सजा हुआ था। एक-एक चीज़ बहुत महँगी लग रही थी। बेड के ऊपर एक बड़ा सा रेयांश का फ़ोटो लगा हुआ था।
उसे देख आभा बोली, "मैं सोच रही थी इस शादी को एक मौका दूँगी। पर आप तो अभी से मुझे नकार दिया। आप अपने प्यार से मिलने के बाद मुझे दूर कर देंगे। तो ठीक है, मैं भी आपके करीब आने की कोशिश नहीं करूँगी। ना ही आपकी कोई चीज़ को हाथ लगाऊँगी। जब आप बोलेंगे, आपको तलाक दे दूँगी।"
ऐसे बोलते-बोलते वह बेड पर बैठ जाती है। ऐसे ही रेयांश के फ़ोटो के साथ बातें करते हुए उसकी आँखें लग जाती हैं।
रेयांश अपने ऑफिस में काम में मन नहीं लगा पा रहा था। उसे बार-बार आभा के होंठों का स्पर्श याद आ रहा था। मन कर रहा था एक बार और उस चेरी जैसे होंठों को छू ले।
तभी वह सोचता है, "मेरी जान के सिवा मेरी ज़िन्दगी में और कोई नहीं आ सकता। मैं किसी को अपनी ज़िन्दगी में आने नहीं दूँगा।"
फिर अपने पॉकेट से झुमका निकालकर उसे देखते हुए उसे किस कर लेता है। वह आभा से दूर जाने के लिए चेन्नई से आए एक डील के बारे में सोचता है, वहाँ चले जाने का। और अपने असिस्टेंट को बोलकर अपनी प्राइवेट जेट रेडी करवाता है।
वह जाते वक़्त राजेंद्र जी को बोलकर जाता है। राजेंद्र जी बोले, "तुम्हारा अभी-अभी शादी हुआ है, तुम ऐसे बहू को अकेले कैसे छोड़कर जा सकते हो? तुम्हें जाना है तो आभा को भी साथ लेकर जाओ।"
"पापा, मैं उसे साथ में लेकर नहीं जा सकता। डील बहुत इम्पॉर्टेंट है, नहीं तो मैं नहीं जाता। वहाँ मुझे खुद को टाइम नहीं मिलेगा, तो आभा को ले जाकर क्या करूँगा? वह वहाँ बोर हो जाएगी," रेयांश बोला।
राजेंद्र जी को भी रेयांश की बात सही लगती है। इसलिए वे रेयांश को जाने की अनुमति दे देते हैं।
रेयांश वहाँ से सीधा एयरपोर्ट चला जाता है और चेन्नई के लिए निकल जाता है।
वहीं शाम 5 बजे आभा की आँखें खुलती हैं तो वह जल्दी से उठ जाती है और अंजली जी के कमरे की तरफ़ चली जाती है।
वहाँ जाकर जैसे ही दरवाज़ा खटखटाने वाली थी, उसे कुछ बात सुनाई देती है जिससे उसे एक झटका लगता है और वह रोते हुए जल्दी से अपने कमरे में चली जाती है।
आज के लिए इतना ही... तो आप सबको क्या लगता है आभा ने ऐसा क्या सुना जिससे उसे एक झटका लगा? और वह रोते हुए अपने कमरे में चली गई? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी।
रेयांश ने कहा, "पापा, मैं उसे साथ नहीं ले जा सकता। डील बहुत इम्पॉर्टेंट है, नहीं तो मैं नहीं जाता। वहाँ मुझे खुद को समय नहीं मिलेगा, तो आभा को ले जाकर क्या करूँगा? वो वहाँ बोर हो जाएगी।"
राजेंद्र जी को भी रेयांश की बात सही लगी। इसलिए उन्होंने रेयांश को जाने की अनुमति दे दी।
रेयांश वहाँ से सीधा एयरपोर्ट गया और चेन्नई के लिए निकल गया।
वहीं, शाम 5 बजे आभा की आँखें खुलीं। वह जल्दी से उठ गई और अंजली जी के कमरे की तरफ चली गई।
वहाँ पहुँचते ही, जैसे ही वह दरवाज़ा खटखटाने वाली थी, उसे कुछ बात सुनाई दी। उसे झटका लगा और वह रोते हुए जल्दी से अपने कमरे में चली गई।
आभा जैसे ही अंजली जी के कमरे के बाहर पहुँची, उसके कानों में आवाज़ आई, "आपने रेयांश को ऐसे कैसे जाने दिया? और अगर इतनी ही ज़रूरी थी, तो आभा को ले जाता।"
दूसरी तरफ से कुछ बोला गया। फिर अंजली जी बोलीं, "ठीक है, पर आभा को कितना बुरा लगेगा। शादी के दूसरे दिन ही उसका पति उसे छोड़कर चला गया।"
दूसरी तरफ से राजेंद्र जी अंजली जी को समझा रहे थे।
आभा ने जैसे ही रेयांश का चेन्नई जाना सुना, उसे झटका लगा। वह रोते हुए अपने कमरे में चली गई।
आभा ने दरवाज़ा बंद कर दिया और दरवाज़े से सटकर बैठ गई। और रोने लगी। उसे समझ आ गया था कि रेयांश उससे दूर जाने के लिए ही चेन्नई गया है।
इसलिए उसने यह तय कर लिया कि जितनी जल्दी हो सके, वह रेयांश के जीवन से चली जाएगी।
थोड़ी देर बाद उसने खुद को संभाला।
तभी उसे याद आया कि रेयांश ने उसे ड्रॉअर में रखी फ़ाइल पर साइन करने के लिए कहा था। उसने ड्रॉअर खोला, फ़ाइल निकाली और जैसे-जैसे वह फ़ाइल पढ़ती गई, उसके आँखों से आँसू निकलने लगे।
वह फ़ाइल एक कॉन्ट्रैक्ट पेपर थी। उसमें लिखा था, "एक साल बाद दोनों का तलाक हो जाएगा। तब तक कोई एक-दूसरे के पर्सनल लाइफ में इंटरफ़ेयर नहीं करेगा।"
उसने उस पेपर पर साइन किया और उसे फिर वहीं ड्रॉअर में रख दिया।
फिर आभा बाथरूम गई और अपना मुँह साफ़ किया। फिर नीचे आई तो देखा कि अंजली जी हॉल में सोफ़े पर बैठी थीं।
वह उनके पास गई और बोली, "माँ, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"
अंजली जी बोलीं, "हाँ, बोलो ना बेटा।"
आभा बोली, "वो माँ, मैं क्या जॉब ज्वाइन कर सकती हूँ?"
अंजली जी बोलीं, "इसमें पूछने वाली क्या बात है? तुम अपने घर में जैसे रह रही थीं, वैसे ही यहाँ रहो। तुम भी इस घर की बेटी हो। ठीक है।"
आभा मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाई। फिर दोनों मिलकर बातें कर ही रही थीं कि एक लड़के की आवाज़ आई।
वह बोल रहा था, "स्वीटहार्ट, स्वीटहार्ट कहाँ हो?"
अंजली जी मुस्कुराते हुए बोलीं, "लो आ गया हमारे घर का ड्रामेबाज़।"
आभा उन्हें कन्फ्यूज़्ड देख रही थी। अंजली जी बोलीं, "वो तुम्हारा देवर आदित्य है।"
आभा मुस्कुराई। तभी आदित्य आकर अंजली जी को गले लगाते हुए बोला, "आई मिस यू स्वीटहार्ट।"
अंजली जी बोलीं, "आई मिस यू टू।"
तभी आदित्य ने आभा को देखा और पूछा, "वैसे मॉम, ये ब्यूटीफुल गर्ल कौन है?"
अंजली जी बोलीं, "तेरी भाभी।"
आदित्य चिल्लाते हुए बोला, "क्या? भाई की शादी हो गई? और मुझे कोई नहीं बताया? मेरे कितने सपने थे भाई की शादी के लिए!"
इतना बोलकर वह झूठा-मुँह रोने लगा। अंजली जी ने उसके सर पर चपत लगाते हुए कहा, "नौटंकी कहीं का।"
फिर अंजली जी आदित्य के लिए पानी लाने चली गईं। आदित्य आभा के चारों तरफ घूमते हुए बोला, "वैसे भाभी, आपको भाई में क्या पसंद आ गया कि आप उनसे शादी कर ली?"
आभा मुस्कुराते हुए बोली, "आप बैठिए देवर जी। मुझे आपके भाई में कुछ पसंद नहीं आया। बल्कि हमारा अरेंज मैरेज हुआ है।"
आदित्य बोला, "इसलिए मैं सोच रहा था कि मेरे खड़ूस भाई को इतनी सुंदर लड़की कैसे मिल गई?"
आभा 'खड़ूस' सुनकर हँस दी। फिर अंजली जी कुछ स्नैक्स और पानी लेकर आईं। फिर तीनों मिलकर बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद आदित्य अपने कमरे में चला गया। अंजली जी को भी उनके फ्रेंड का कॉल आया, तो वे भी अपने कमरे में चली गईं।
आभा सोचने लगी, "क्यों ना सभी के लिए रात का डिनर बना लूँ।" यह सोचकर वह किचन में चली गई।
वहाँ सर्वेंट्स अपनी छोटी मालकिन को किचन में देखकर रिस्पेक्ट के साथ बोले, "छोटी मालकिन, आपको कुछ चाहिए था क्या?"
आभा बोली, "नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए। वो, मुझे डिनर बनाना था। और एक बात, आप मुझे मेरे नाम से बुलाइए। ऐसे 'छोटी मालकिन' मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। आप मुझसे बड़ी हैं, तो आप प्यार से 'दीदी' या 'बेटी' या फिर नाम से पुकारिए। मुझे अच्छा लगेगा।"
वह सर्वेंट हाँ में सिर हिला दिया। और एक सर्वेंट को वहाँ आभा की मदद के लिए छोड़कर बाहर चला गया।
आभा उस सर्वेंट से, जिसका नाम गीता था, बोली, "तुम मुझे जो-जो मैं माँगूँ, मुझे देते जाना।"
गीता बोली, "जी मालकिन।"
आभा उसे घूरती है। गीता डरते हुए हकलाते हुए बोली, "मुझसे कोई गलती हो गई मालकिन?"
आभा गीता को खुद से डरते देख उसे प्यार से बोली, "नहीं, तुमने कुछ नहीं किया। मैं इसलिए गुस्सा थी कि तुम मुझे 'मालकिन' बोल रही हो। मुझे 'दीदी' या नाम से पुकारो। मुझे अच्छा लगेगा।"
गीता मुस्कुरा दी और बोली, "जी दीदी।"
आभा भी मुस्कुरा दी। फिर गीता की मदद से आभा सभी के लिए खाना बना देती है।
पूरे घर में खाने की खुशबू फैल गई थी। उसके बाद जो हुआ, उससे आभा चौंक गई।
वो सर्वेंट हाँ में सर हिला देता है। और एक सर्वेंट को वहाँ आभा की हेल्प के लिए छोड़कर बाहर चला जाता है।
आभा उस सर्वेंट, जिसका नाम गीता था, उसे बोलती है, "तुम मुझे जो-जो मैं माँगू, मुझे देते जाना।"
"जी मालकिन," गीता बोलती है।
आभा उसे घूरती है। गीता डरते हुए, हकलाते हुए बोलती है, "मुझसे कोई गलती हो गई मालकिन?"
आभा गीता को खुद से डरता देख, उसे प्यार से बोलती है, "नहीं, तुमने कुछ नहीं किया। मैं इसलिए गुस्सा थी कि तुम मुझे मालकिन बोल रही हो। मुझे दीदी या नाम से पुकारो। मुझे अच्छा लगेगा।"
"जी दीदी," गीता मुस्कुरा देती है और बोलती है।
आभा भी मुस्कुरा देती है। फिर गीता की मदद से आभा सभी के लिए खाना बना देती है।
पूरे घर में खाने की खुशबू फैल गई थी। उसके बाद जो होता है, उससे आभा चौंक जाती है।
आदित्य अपने रूम से भागते हुए नीचे आता है और डाइनिंग टेबल पर खाने को देखकर बोलता है, "वाह! आज क्या खाना बना है! मस्त खुशबू आ रही है।"
फिर आभा को देखता है, जो बर्तन लेकर किचन से आ रही थी। वो आभा को बोलता है, "भाभी, क्या आज का खाना आपने बनाया है?"
आभा हाँ में सर हिलाती है। आदित्य आभा को गले लगा लेता है और गाल पर किस कर देता है। आदित्य के इस एक्शन से आभा चौंक जाती है।
वहीं घर के सभी लोग हँस देते हैं, क्योंकि उन्हें आदित्य के ऐसे एक्शन की आदत हो गई थी।
आभा सबके हँसने से अकवर्ड फील करती है। अंजली जी बोलती हैं, "तुम्हें अकवर्ड फील करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आदित्य ऐसा ही है।"
आभा हाँ में सर हिला देती है। फिर सभी मिलकर खाना खाते हैं और अपने-अपने रूम में चले जाते हैं।
ऐसे ही एक महीना बीत जाता है। इन एक महीने में आदित्य और आभा की बहुत अच्छे से दोस्ती हो गई थी। दोनों मिलकर बहुत मस्ती करते थे।
घर में भी सभी आभा को बहुत प्यार करते थे। पर आभा को रेयांश की कमी ज़रूर खलती थी, पर वो ये बात किसी को दिखाती नहीं थी।
एक दिन शाम को सभी घर के हॉल में बैठे थे, सिवाय राजेंद्र जी के। वो अब तक ऑफिस से नहीं आए थे। वहीं आभा और आदित्य किसी बात पर झगड़ा कर रहे थे।
सभी घरवाले उनको ऐसे देख मुस्कुरा रहे थे। तभी रेयांश अचानक घर लौटकर आता है, पर किसी का भी ध्यान इस बात पर नहीं था।
सभी आदित्य और आभा को देख रहे थे। ऐसे ही झगड़ा करते-करते आभा आदित्य से नाराज़ हो जाती है। आदित्य उसे बोलता है, "अच्छा, सॉरी-सॉरी भाभी। अब देखो तो सही, मैं क्या लाया हूँ आपके लिए?"
आभा उसकी तरफ देखती है। उसके हाथों में ढेर सारा डेयरी मिल्क चॉकलेट देख वो जल्दी से आदित्य के गले लग जाती है और बोलती है, "थैंक यू आदित्य।"
सभी घरवाले उनका ऐसा प्यार देख मुस्कुरा देते हैं। वहीं रेयांश की आँखें लाल हो गई थीं, पर वो बिना किसी को कुछ कहे अपने रूम में चला जाता है।
उसे आदित्य और आभा का ऐसे साथ में रहना अच्छा नहीं लग रहा था। उसे आदित्य से जलन हो रही थी, पर ये बात वो मानना नहीं चाह रहा था।
वहीं, रेयांश को ऐसे अचानक आने से पूरा हॉल शांत हो गया, क्योंकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि रेयांश ऐसे अचानक आ जाएगा।
तभी अंजली जी आभा से बोलती हैं, "जाओ बेटा, तुम उसे कॉफी दे आओ।"
आभा हाँ में सर हिलाते हुए किचन की तरफ चली जाती है।
थोड़ी देर में आभा रेयांश के लिए कॉफी बनाती है और रूम की तरफ चल पड़ती है। रूम के पास पहुँचकर वो बाहर रुकती है।
और खुद को हिम्मत देकर अंदर चली जाती है। तो देखती है रेयांश कमरे में नहीं है। वो स्टडी रूम की तरफ जाकर नॉक करती है।
थोड़ी देर में रेयांश बाहर आता है। आभा उसे बिना देखे ही कॉफी का कप बढ़ा देती है।
रेयांश कॉफी का कप लेता है। आभा वहाँ से जाने के लिए मुड़ जाती है और जल्दी से रूम से बाहर आती है और गहरी साँसें लेती है।
फिर नीचे चलती है और रात के लिए खाना बनाती है। इन एक महीनों में वो जॉब के लिए जाती है, फिर रात के लिए खाना बनाती है। ऐसे ही उसका दिन गुज़र जाता है।
रात को सभी खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आते हैं। आभा सभी को खाना सर्व करती है और खुद भी खाने के लिए बैठ जाती है।
सभी खाना खाकर अपने-अपने रूम में चले जाते हैं। वहीं आभा किचन साफ़ करती है। फिर सभी के रूम में पानी का जग देने के लिए जाती है।
सभी काम खत्म करके अपने रूम में जाती है। रेयांश उसे नहीं दिखता, इसलिए वो अपने कपड़े लेती है और बाथरूम में चली जाती है।
थोड़ी देर में वो फ़्रेश होकर बाहर आती है और सो जाती है। रेयांश जैसे ही स्टडी रूम से अपने रूम में आता है और कपड़े लेने के लिए लाइट ऑन करता है, तो चौंक जाता है।
आज के लिए इतना ही...
रात को सभी डाइनिंग टेबल पर खाने के लिए आए थे। आभा ने सभी को खाना परोसा और खुद भी खाने के लिए बैठ गई।
सभी ने खाना खाकर अपने-अपने कमरों में चले गए। आभा ने किचन साफ किया। फिर सभी के कमरों में पानी का जग देने गई।
सारे काम खत्म करके वह अपने कमरे में गई। रेयांश उसे नहीं दिखा। इसलिए उसने अपने कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई।
थोड़ी देर में वह फ्रेश होकर बाहर आई और सो गई। जैसे ही रेयांश स्टडी रूम से अपने कमरे में आया और कपड़े लेने के लिए लाइट ऑन की, वह चौंक गया।
क्योंकि बेड पर कोई नहीं था। जैसे ही वह पीछे मुड़ा, सोफे पर आभा को सोता देखकर वह और चौंक गया।
रेयांश को आभा पर बहुत गुस्सा आ रहा था। पर उसने कुछ नहीं किया और अपने कपड़े लेकर स्टडी रूम में चला गया।
फ्रेश होने के बाद वह स्टडी रूम के बेड पर सोने लगा। पर उसे नींद नहीं आ रही थी। बार-बार उसे आभा का सोफे पर सोना याद आ रहा था।
उसे और रहा नहीं गया। इसलिए वह स्टडी रूम से निकला और सोफे के पास गया। फिर आभा को अपनी गोद में उठाकर उसे बेड पर लिटा दिया।
फिर एक नज़र उसे देखकर वापस स्टडी रूम में चला गया। वह ऐसे ही आभा के बारे में सोचते हुए सो गया, उसे पता ही नहीं चला।
अगली सुबह, आभा जब उठी तो खुद को बेड पर सोता देखकर चौंक गई। फिर उसने अपना दिमाग वहाँ से हटाकर बाथरूम में चली गई।
थोड़ी देर बाद वह बाहर आई और नीचे मंदिर में गई। वहाँ आरती की। फिर किचन की तरफ चल पड़ी।
खाना बनाया, फिर कॉलेज के लिए रेडी होने अपने कमरे में चली गई। वह जल्दी से रेडी हुई और बिना ब्रेकफास्ट किए ही ऑफिस के लिए निकल गई।
वह सोच चुकी थी कि अब से वह रेयांश के सामने नहीं आएगी। इसलिए वह जल्दी से कॉलेज के लिए निकल गई।
ऐसे ही आज का दिन खत्म हो गया। रात को भी आभा कमरे में बहुत लेट से गई। फिर सोफे पर सो गई।
ऐसे ही तीन-चार दिन गुजर गए। आभा जितना हो सकता था, रेयांश को इग्नोर कर रही थी। जितना हो सके, वह रेयांश के सामने जाने से बच रही थी।
वहीं रेयांश आभा के इस बिहेवियर से और गुस्से में रहने लगा था। वह ऑफिस में सभी से छोटी-छोटी बात के लिए डाँटने लगा था।
एक दिन रेयांश को अपने कॉलेज में एनुअल फीस देने जाना था। इसलिए वह आज 10 बजे कॉलेज के लिए निकला।
वैसे तो रेयांश कभी कॉलेज नहीं जाता था। जो भी फीस देने होते थे, अपने असिस्टेंट के हाथों भेजवा देता था। पर इस बार उसे किसी चीज़ के बारे में प्रिंसिपल से बात करना था। इसलिए वह खुद कॉलेज आया था।
रेयांश कॉलेज में पहुँचकर प्रिंसिपल सर के ऑफिस में गया। वहाँ कॉलेज के लिए फीस दी। फिर आदित्य के ज्वाइनिंग के बारे में बात की।
रेयांश प्रिंसिपल सर से बोला, "आप ये ध्यान रखिएगा कि आदित्य की आइडेंटिटी के बारे में कॉलेज में किसी को पता नहीं चलना चाहिए। नहीं तो आप जानते हैं मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। और ध्यान रहे उसकी सिक्योरिटी में कोई कमी नहीं होना चाहिए।"
इतना बोलकर वह प्रिंसिपल सर के ऑफिस से बाहर चला गया। वहीं प्रिंसिपल सर अपने सर पर आए पसीने को पोछते हैं और एक गहरी साँस लेते हैं।
रेयांश पार्किंग की तरफ जा रहा था कि उसे आभा दिखी। जो किसी लड़के से हँस-हँस कर बात कर रही थी। वह लड़का आभा के कंधे पर हाथ रख रहा था।
दोनों बहुत ही क्लोज होकर बैठे थे। तभी वहाँ एक लड़का और लड़की आए। दोनों ही आभा को एक-एक करके गले लगाते हैं।
फिर वह लड़का आभा के माथे पर किस करता है। तो आभा मुस्कुरा देती है। फिर चारों मिलकर बात करने लगते हैं।
ये तीनों आभा के कॉलेज के बहुत अच्छे फ्रेंड्स थे। वह लड़की थी बानी, उसके साथ जो लड़का आया था वह बानी का कज़िन ब्रदर आकाश था।
वह आभा को अपनी बहन की तरह ही मानता था। बहुत दिनों बाद आभा से मिल रहा था। इसलिए आते ही वह उसे माथे पर किस कर देता है।
वह लड़का जो पहले आभा के साथ बैठा हुआ था, वह वीर है। इन चारों का ग्रुप पूरे कॉलेज में बहुत फेमस था।
रेयांश को आभा का किसी लड़के से ऐसे हँसकर बात करना, फिर किसी का उसे किस करना अच्छा नहीं लग रहा था। उसे जलन हो रही थी जिसके बारे में वह खुद जान नहीं पा रहा था। पर उसे यह सब देख बहुत गुस्सा आ रहा था।
इसलिए उसने अपने कदम आभा की तरफ बढ़ा दिए और आभा के पास पहुँचकर उसे खींचकर अपने साथ ले जाने लगा।
रेयांश आभा को खींचकर अपने साथ कार में बिठाकर कहीं ले गया। आभा बार-बार पूछने की कोशिश करती है। पर रेयांश उसका कोई जवाब नहीं देता और एक घर के आगे अपनी कार रोकता है।
फिर आभा को खींचकर अपने साथ उस घर के अंदर ले जाता है। फिर जो होता है, उससे आभा की रूह काँप जाती है।
आज के लिए इतना ही…
रेयांश को आभा का किसी लड़के से हँसकर बात करना, फिर किसी का उसे किस करना अच्छा नहीं लग रहा था। उसे जलन हो रही थी, जिसके बारे में वह खुद जान नहीं पा रहा था। पर उसे यह सब देख बहुत गुस्सा आ रहा था।
इसलिए उसने अपने कदम आभा की तरफ़ बढ़ाए और आभा के पास पहुँचकर उसे खींचकर अपने साथ ले जाने लगा।
रेयांश आभा को खींचकर अपने साथ कार में बिठाकर कहीं ले गया। आभा बार-बार पूछने की कोशिश करती रही। पर रेयांश उसका कोई जवाब नहीं देता था और एक घर के आगे अपनी कार रोक दी।
फिर आभा को खींचकर अपने साथ उस घर के अंदर ले गया। फिर जो हुआ, उससे आभा के रूह काँप गए।
रेयांश आभा को लेकर एक रूम में गया और उसे उठाकर बेड पर फेंक दिया। फिर अपने शर्ट के बटन खोलने लगा।
"तुम्हें बहुत लड़कों के साथ मज़े करने हैं ना, चलो मैं तुम्हारी इस इच्छा को पूरा कर देता हूँ।"
इतना बोलकर वह आभा के ऊपर आ गया और उसे जबरदस्ती किस करने लगा। इस टाइम रेयांश बिल्कुल भी सॉफ्ट नहीं था।
वह गुस्से और जलन से बार-बार आभा के होठों को काट रहा था। वहीं आभा उसे रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। पर कहाँ रेयांश और कहाँ आभा। आभा कमज़ोर सी थी, पर रेयांश का 6 पैक्स बॉडी। वह कैसे भला रेयांश को हटा पाती।
इसलिए वह बार-बार उसके सीने पर मार रही थी। पर रेयांश को इन सब से कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था। वह आभा को जबरदस्ती किस करता रहा।
थोड़ी देर बाद जब उसे एहसास हुआ कि आभा साँस नहीं ले पा रही है, तो उसने उसके होठों को छोड़कर उसके गले को काटने लगा।
जिससे आभा को बहुत दर्द हो रहा था। वह नामुमकिन कोशिश कर रही थी रेयांश को रोकने की। पर रेयांश के दिमाग में तो बस आभा का उसे इग्नोर करना, फिर आभा का किसी लड़के से हँसकर बात करना, किसी लड़के का उसे गले लगाना, किस करना, ये सब याद आते ही वह गुस्से से भर उठता था।
और वैसे ही आभा का शर्ट फाड़ दिया। अब आभा और सह नहीं पा रही थी और जोर-जोर से रोने लगी। तब जाकर उसे होश आया कि वह क्या कर रहा है।
तो वह उसे वैसे ही छोड़कर जल्दी से रूम से बाहर चला गया और कार लेकर वहाँ से बाहर चला गया। उसने एक सुनसान जगह पर कार रोकी और आज के बारे में सोचा।
वह वहीं बैठा था कि उसे उसके असिस्टेंट का कॉल आया। तो उसने कॉल रिसीव किया। तो दूसरी तरफ़ से उसका असिस्टेंट बोला, "सर, अमेरिका के क्लाइंट आए हैं। आपको जल्दी से आना होगा। वे आज ही मीटिंग करेंगे क्योंकि वे आज शाम को वापस चले जाएँगे। क्योंकि उनकी वाइफ़ का तबियत ठीक नहीं है।"
तो रेयांश बोला, "ठीक है, मैं आता हूँ। तुम मीटिंग की तैयारी करो।"
इतना बोलकर वह जल्दी से ऑफिस में चला गया और मीटिंग में बिज़ी हो गया। शाम हो गई, पर रेयांश एक के बाद एक मीटिंग में बिज़ी हो गया था। वह आभा के बारे में पूरी तरह भूल चुका था।
थोड़ी देर बाद उसे घर से कॉल आया। तो उसने कॉल उठाया।
तो दूसरी तरफ़ से अंजली जी बोलीं, "बेटा, वह आभा अब तक घर नहीं आई है। हमने कॉल किया पर वह कॉल भी उठा नहीं रही है। क्या तुम थोड़ा देख लोगे, वह कॉलेज में है क्या?"
तब जाकर रेयांश को याद आया कि वह आभा को वैसे ही छोड़कर आ गया था। इसलिए उसने फ़ोन पर अंजली जी से बोला, "जी मॉम, मैं देखता हूँ।" बोलकर कॉल काट दिया।
वह जल्दी से सभी फ़ाइल्स और लैपटॉप बंद करता है और अपनी कार की चाबी लेकर जल्दी से वहाँ से निकल गया। थोड़ी देर बाद वह उस घर में पहुँचा।
जल्दी से कार पार्क करके जैसे ही अपने रूम के अंदर गया, वह चौंक गया। क्योंकि आभा वहाँ कहीं भी नहीं थी। वह जैसे ही रूम से बाहर जाने के लिए मुड़ा, उसके पैरों के नीचे कुछ आया।
तो वह नीचे झुककर देखा तो उसे आभा का फ़ोन मिला। उसने उसे अपने पॉकेट में रख दिया। फिर उसने पूरे घर में खोजा, पर उसे कहीं भी आभा नहीं मिली।
तो वह जल्दी से घर से निकलकर उसे पूरे रास्ते भर ढूँढता जा रहा था। पर आभा उसे कहीं भी नहीं मिल रही थी। वह थोड़ी देर तक आभा को ढूँढता रहा, जब उसे आभा नहीं मिली,
तो उसने अपने आदमियों से कहकर आभा को ढूँढना शुरू कर दिया। बहुत देर तक आभा जब नहीं मिली, तो रेयांश को बेचैनी होने लगी। उसने थोड़ी देर के लिए कार रोकी और अपना टाई लूज़ किया।
फिर से कार स्टार्ट करके आभा को ढूँढने लगा। तभी उसे मेन रोड पर भीड़ दिखाई दी। तो उसने कार रोकी क्योंकि वहाँ से गाड़ी जाने के लिए रास्ता नहीं था।
वह कार से नीचे उतरा और वहाँ से भीड़ हटाने के लिए गया। पर जैसे ही वहाँ पहुँचा, उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
जल्दी से कार पार्क करके जैसे ही रेयांश अपने कमरे में गया, वह चौंक गया। क्योंकि आभा वहाँ कहीं नहीं थी। जैसे ही वह कमरे से बाहर जाने के लिए मुड़ा, उसके पैरों के नीचे कुछ आया।
नीचे झुककर देखने पर उसे आभा का फ़ोन मिला। उसने उसे अपनी जेब में रख दिया। फिर उसने पूरे घर में आभा को खोजा, पर उसे कहीं नहीं मिली।
वह जल्दी से घर से निकल गया और पूरे रास्ते आभा को ढूँढता रहा, पर आभा उसे कहीं नहीं मिल रही थी। वह थोड़ी देर तक आभा को ढूँढता रहा, जब उसे आभा नहीं मिली,
तो उसने अपने आदमियों से कहकर आभा को ढूँढना शुरू करवा दिया। बहुत देर तक आभा नहीं मिली तो रेयांश को बेचैनी होने लगी। उसने थोड़ी देर के लिए कार रोकी और अपना टाई ढीला किया।
फिर से कार स्टार्ट करके आभा को ढूँढने लगा। तभी उसे मेन रोड पर भीड़ दिखाई दी। तो उसने कार रोकी क्योंकि वहाँ से गाड़ी जाने का रास्ता नहीं था।
वह कार से नीचे उतरा और वहाँ से भीड़ हटाने गया। पर जैसे ही वह वहाँ पहुँचा, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
रेयांश जैसे ही भीड़ हटाकर आगे गया, तो आभा को खून से लथपथ देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह बेसुध सा आभा के पास बैठ गया।
थोड़ी देर बाद कॉल आने से उसे होश आया। उसने बिना कॉल उठाए ही आभा को अपनी गोद में उठाया और अपनी कार की तरफ़ चल दिया।
आभा को कार की पीछे की सीट पर सुला दिया और जल्दी से कार रास्ते पर दौड़ा दी। उसने 30 मिनट के रास्ते को 15 मिनट में ही कवर कर लिया।
हॉस्पिटल पहुँचकर वह आभा को अपनी गोद में लेकर जल्दी से अंदर की तरफ़ भागते हुए चिल्लाया, "डॉक्टर! डॉक्टर!"
तो एक डॉक्टर जल्दी से आया और आभा को लेकर आईसीयू के अंदर गया। उनके पीछे-पीछे रेयांश भी गया, पर नर्स ने उसे बाहर रोक लिया और आईसीयू का दरवाज़ा बंद कर दिया।
रेयांश बेचैनी से इधर-उधर आईसीयू के बाहर घूम रहा था।
वहीं रेयांश के गार्ड्स घर में सभी को इन्फॉर्म कर चुके थे। सभी थोड़ी देर में हॉस्पिटल आ गए।
रेयांश का आभा के लिए इतना परेशान होता देख उनके मन को एक तसल्ली मिली कि रेयांश इस शादी को मानता है।
अंजली जी रेयांश के पास गईं और उसे वहीं रखी एक कुर्सी पर बिठा दिया। उसने आदित्य को कुछ इशारा किया तो आदित्य जल्दी से पानी लाया और अंजली जी को दिया।
तो अंजली जी ने रेयांश को पानी पिलाया। 2 घंटे बाद आईसीयू की लाइट ऑफ हुई और डॉक्टर बाहर आ गए।
तो रेयांश जल्दी से उनके पास गया और पूछा, "डॉक्टर, मेरी बीवी कैसी है? वो ठीक तो है ना? उसे कब तक होश आएगा?"
ऐसे ही लगातार उसने कई सवाल कर लिए थे, जब अंजली जी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। तो वह चुप हो गया।
तभी डॉक्टर बोले, "हमने उनका ऑपरेशन कर दिया है। उनके दिमाग को बहुत जोर से चोट लगी है। जिससे उनके कोमा में जाने के चांस बहुत ज्यादा हैं। पर अगर उन्हें 24 घंटे में होश आ जाता है तो वो खतरे से बाहर होंगी।"
इतना सुनते ही रेयांश अचानक से उस डॉक्टर का कॉलर पकड़ लिया और बोला, "ज़ुबान काट दूंगा तुम्हारा। मेरी वाइफ को कुछ नहीं हो सकता। नहीं तो इस हॉस्पिटल को आग लगा दूंगा।"
तभी राजेंद्र जी आकर रेयांश से उस डॉक्टर का कॉलर छुड़ाया। तो रेयांश उन्हें देखने लगा। तो राजेंद्र जी ने उसे आँखों से शांत रहने के लिए कहा।
तो रेयांश वहाँ से आईसीयू के ग्लास के थ्रू आभा को देखने लगा। उसकी आँखों में एक बेचैनी सी थी। थोड़ी देर बाद डॉक्टर आभा को वीआईपी रूम में शिफ्ट कर दिया।
रेयांश आभा के पास जाकर बैठा और बोला, "मैं जानता हूँ आभा, मेरे वजह से ही ये हुआ है। सॉरी, इस बार माफ़ कर दो। मैं अगली बार ऐसा कभी नहीं करूँगा। Please होश में आ जाओ।" बोलकर वह उसके हाथों को पकड़कर बैठ गया।
ऐसे ही वक़्त बीतता जा रहा था, पर अभी तक आभा को होश नहीं आया था। सभी घरवाले उसके लिए परेशान हो गए थे। उधर आभा के घरवालों को भी इस बारे में पता चल गया था।
वो लोग जितनी जल्दी हो सके हॉस्पिटल आ गए। कोई भी खाना नहीं खा रहा था। सभी को बस आभा की चिंता थी। पर आदित्य ने सभी को थोड़ा बहुत जबरदस्ती से खिला दिया था।
आदित्य वैसे तो बहुत चंचल स्वभाव का था। सभी के साथ मस्ती करता था। पर अपने परिवार को सबसे ज़्यादा प्यार करता था। सभी का हमेशा ख्याल रखता था।
ऐसे ही 20 घंटे बीत गए, पर आभा को होश नहीं आया था। डॉक्टर ने उम्मीद ही छोड़ दी थी।
तभी रेयांश अचानक से रूम से बाहर निकला और कहीं चला गया। सभी लोग उसे हैरानी से देख रहे थे।
ऐसे ही वक्त बीतता जा रहा था। पर अभी तक आभा को होश नहीं आया था। सभी घर वाले उसके लिए परेशान हो गए थे। उधर, आभा के घर वालों को भी इस बारे में पता चल गया था।
वह लोग जितनी जल्दी हो सके अस्पताल आ गए। कोई भी खाना नहीं खा रहा था। सभी को बस आभा की चिंता थी। पर आदित्य ने सभी को थोड़ा-बहुत जबरदस्ती से खिला दिया था।
आदित्य वैसे तो बहुत चंचल स्वभाव का था। सभी के साथ मस्ती करता था। पर अपने परिवार को सबसे ज़्यादा प्यार करता था। सभी का हमेशा ख्याल रखता था।
ऐसे ही २० घंटे बीत गए। पर आभा को होश नहीं आया था। डॉक्टर ने उम्मीद ही छोड़ दी थी।
तभी रेयांश अचानक से रूम से बाहर निकला और कहीं चला गया। सभी लोग उसे हैरानी से देख रहे थे।
उसके पीछे-पीछे आदित्य भी चला। क्योंकि वह जानता था कि उसका भाई आज बहुत परेशान है।
रेयांश अस्पताल से बाहर निकलकर जल्दी से अपनी कार में बैठा और कार तेज़ी से भगाई। उसके पीछे-पीछे आदित्य भी आया। रेयांश एक मंदिर में आकर कार रोका।
और जल्दी से मंदिर के अंदर चला गया। रेयांश मंदिर में महादेव को देखकर बोला, "आज तक मैंने आपसे कभी कुछ नहीं माँगा है क्योंकि मुझे आप पर भरोसा नहीं है। पर माँ, दादी और आभा के भरोसे पर भरोसा है। इसलिए मैं आज यहाँ आया हूँ। आभा की ज़िंदगी लौटा दीजिए।"
फिर मंदिर की घंटी बजाते हुए बोला, "जब तक आभा को होश नहीं आ जाता तब तक मैं आपके मंदिर की घंटी बजाता रहूँगा।"
बोलकर वह लगातार घंटी बजाने लगा। उसके हाथों से लगातार खून बह रहा था पर रेयांश को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। उसे ऐसे देख आदित्य की आँखों से आँसू निकल रहे थे।
वहीं, आभा की हार्ट बीट धीमी हो रही थी। उसके हाथ-पैर काम करना बंद कर रहे थे कि तभी अचानक वह रेयांश का नाम चीखकर बोली और उठकर बैठ गई।
डॉक्टर जल्दी से अंदर आए और आभा को चेक किया। फिर बाहर आए तो सभी घर वाले उन्हें पूछने लगे, "डॉक्टर, आभा कैसी है? और वह ऐसे क्यों चीखी?"
तो डॉक्टर बोले, "वह अब खतरे से बाहर है। उन्हें कोई बुरा सपना आया होगा, इसलिए वह चीखी होगी। हमने अब उन्हें बेहोशी का इंजेक्शन दे दिया है। इसलिए उन्हें कल सुबह तक होश आ जाएगा।"
डॉक्टर की बात सुनकर सभी चैन की साँसें लीं। डॉक्टर उन्हें एक्सक्यूज मी बोलकर दूसरे पेशेंट्स को देखने के लिए चले गए।
राजेंद्र जी जल्दी से आदित्य को कॉल लगाया और आभा की कंडीशन के बारे में बताया। तो आदित्य जल्दी से रेयांश के पास गया।
आदित्य रेयांश के कंधे पर हाथ रखा और बोला, "भाई, भाभी अभी खतरे से बाहर है। उन्हें कल सुबह तक होश आ जाएगा।"
तो रेयांश एक बार महादेव को देखा। फिर हाथ जोड़कर जल्दी से मंदिर से निकल गया। आदित्य भी उसके साथ निकल गया।
आदित्य और रेयांश थोड़ी देर बाद अस्पताल पहुँचे। रेयांश सीधा आभा के वार्ड की तरफ़ गया। जल्दी से वार्ड के अंदर गया और आभा का हाथ पकड़कर बैठ गया। फिर उसके हाथों को चूमा।
वैसे ही बैठे-बैठे रेयांश की आँख लग गई और वह वहीं आभा के पास बैठे-बैठे सो गया।
अगली सुबह,
आभा की आँखें खुलीं तो उसे अपने ऊपर कुछ भारी सा महसूस हुआ। तो अपने साइड देखा तो रेयांश को अपना हाथ पकड़ सोता हुआ देखा। तो एक पल के लिए वह रेयांश में खो गई।
पर जैसे ही उसे रेयांश की बातें याद आईं, वह अपनी नज़र रेयांश से हटा ली। पानी पीने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया, उसकी हलचल से रेयांश की आँखें खुल गईं।
आभा को होश में देख रेयांश बोला, "क्या हुआ? क्या चाहिए तुम्हें? मुझे बताओ?"
तो आभा उसे देखे बिना बोली, "वो... पानी चाहिए थी।"
तो रेयांश उसे पानी पिला दिया। उसके बाद नर्स आई तो रेयांश वार्ड से बाहर चला गया। वह नर्स ध्यान से आभा को स्पोंज बाथ दिया। क्योंकि इस एक्सीडेंट में उसके हाथ पर और लेफ्ट पैर पर फ्रैक्चर आए हुए थे। फिर उसके कपड़े बदले, उसके बाद बाहर निकल गई।
नर्स के जाने के बाद रेयांश अंदर आया। तो आभा उसे एक नज़र देख अपनी नज़रें दूसरी तरफ़ फेर ली। रेयांश को आभा का ऐसा करना अपने सीने पर किसी खंजर की तरह बार-बार लग रहा था। पर वह आभा को कुछ नहीं बोला क्योंकि गलती उसका ही था।
और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया। दरअसल, ये कपड़े वह जब बाहर गया था तो उसका असिस्टेंट लाकर दिया था।
थोड़ी देर बाद वह बाहर आया और एक व्हिसल बजाया। तो एक नर्स वहाँ आई। रेयांश उसे देख बोला, "जाओ, खाने के लिए लाओ।"
तो वह नर्स वहाँ से चली गई। थोड़ी देर में वह अपने साथ एक बाउल लाई। जिसमें सादा खिचड़ी था। उसे देख आभा मुँह बना दी और नर्स को बोली, "मुझे ये नहीं खाना। कुछ चटपटा ले कर आओ।"
तो नर्स उसे समझाने की कोशिश करते हुए बोली, "नहीं मैम, आपकी तबियत ठीक नहीं है। इसलिए आपको यही खाना पड़ेगा।"
तो आभा बच्चों की तरह नहीं-नहीं-नहीं बोली। तो रेयांश नर्स को कुछ इशारा किया। तो वह नर्स खिचड़ी का बाउल वहीं टेबल पर रखकर चली गई।
रेयांश धीरे-धीरे आभा के करीब आया और अपने हाथ में बाउल लेकर आभा की तरफ़ खिचड़ी का स्पून पास किया।
तो आभा अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर दी। ऐसे ही दो-तीन बार किया। तो अब रेयांश को गुस्सा आने लगा।
वह गुस्से से बोला, "तुम ये खिचड़ी खा रही हो या नहीं?"
तो आभा कुछ नहीं बोली और अपना मुँह दूसरी तरफ़ ही रखा। तो रेयांश उसे ऐसा देख कुछ ऐसा किया जिसकी उम्मीद आभा को नहीं थी।
आज के लिए इतना ही.....
तो आभा बच्चों की तरह नहीं-नहीं-नहीं बोलती थी। रेयांश ने नर्स को इशारा किया। नर्स खिचड़ी का बाउल टेबल पर रखकर चली गई।
रेयांश धीरे-धीरे आभा के करीब आया और अपने हाथ में बाउल लेकर आभा की तरफ खिचड़ी का स्पून पास किया।
" "
तो आभा अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेती थी। ऐसा ही दो-तीन बार करने पर रेयांश को गुस्सा आने लगा।
वो गुस्से से बोला, "तुम ये खिचड़ी खा रही हो या नहीं?"
तो आभा कुछ नहीं बोली और अपना मुँह दूसरी तरफ ही रखा। रेयांश ने उसे ऐसा देखकर कुछ ऐसा किया जिसकी आभा को उम्मीद नहीं थी।
रेयांश दूसरी तरफ जाकर उसके आगे चम्मच बढ़ाया। तो आभा फिर दूसरी तरफ अपना मुँह फेर लेती थी। अब रेयांश को गुस्सा आने लगा था।
इसलिए वो चम्मच से खिचड़ी अपने मुँह में डाली। फिर आभा का चेहरा पकड़कर जबरदस्ती अपनी तरफ किया और उसके होठों को अपने होठों से कैद कर लिया।
फिर अपनी जीभ से आभा के मुँह में खिचड़ी पहुँचाई। आभा उसे हैरानी से देख रही थी। उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था।
रेयांश उसे ऐसे देखकर मुस्कुराया, जो आभा देख नहीं पाई। फिर आभा से बोला, "आगे का तुम हाथों से खाओगी या....."
"नहीं-नहीं, हाथ से खाऊँगी।" आभा अपने होश में आकर जल्दी से बोली।
आभा की ऐसी जल्दबाजी देखकर रेयांश मुस्कुरा दिया, पर आभा के देखने से पहले अपनी मुस्कान छिपा ली। रेयांश आभा को चम्मच से खिलाने लगा। आभा भी बिना कोई बात किए खाती रही।
उसके बाद रेयांश उसे दवा दी। आभा चुपचाप दवा खा गई। फिर रेयांश उसे बिस्तर पर आराम से लिटा दिया और वो सोफे पर बैठकर काम करने लगा।
जब आभा ने देखा कि रेयांश कुछ नहीं खाया है तो वो बोली, "आप खाना खाकर आइए, मैं यहाँ हूँ। कुछ जरूरत पड़ने पर नर्स को बुला लूँगी।"
रेयांश को आभा का उसका ख्याल रखना अच्छा लगा, पर वो अपने चेहरे पर नहीं दिखाया। फिर बिना किसी भाव के बोला, "थोड़ी देर बाद आदित्य आ जाएगा। उसके बाद मैं खाने के लिए जाऊँगा।"
तो आभा कुछ नहीं कहती और बिस्तर पर चुपचाप लेटी रही। थोड़ी देर बाद आभा को दवा के असर से नींद आ गई और वो सो गई।
जब रेयांश ने देखा कि आभा सो चुकी है तो वो आभा के पास गया और उसके हाथ को पकड़कर थोड़ी देर बैठा। फिर उसके माथे को चूम लिया।
ऐसे ही वक्त बीतता जा रहा था। एक हफ्ता हो गया था। इस बीच रेयांश आभा का बहुत अच्छे से ख्याल रखता था। आभा सब कुछ देख रही थी, पर रेयांश से ना ही बात करती थी, ना ही उसे देखती थी।
रेयांश के होते हुए भी वो उसे पूरी तरह इग्नोर कर रही थी। वहीं रेयांश को आभा का ऐसा व्यवहार बहुत दुख देता था। पर वो कुछ नहीं कह पा रहा था।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि यदि वो अपनी चिकी को अब भी प्यार करता है तो आभा के लिए जो फील करता है वो क्या है? आभा का उसका इग्नोर करना उसके दिल में सौ सुइयाँ फोड़ने जैसा क्यों लगता है? ऐसे ही वो अपनी फीलिंग के साथ कन्फ्यूज़ में था।
एक हफ्ते बाद, आज आभा का डिस्चार्ज होना था। नर्स उसका सामान पैक कर रही थी। वहीं रेयांश डिस्चार्ज के पेपर साइन करने गया था। थोड़ी देर बाद जब वो आया तो आभा को रेडी देखता है।
उसके पीछे उसका असिस्टेंट राहुल भी आया हुआ था। तो वो उसे आभा का सामान पकड़ने को बोला और वो खुद आगे बढ़कर आभा को अपने गोद में उठा लिया। क्योंकि आभा के पैर की फ्रैक्चर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था और दो दिन बाद उसकी प्लास्टर हटाने वाले थे।
इसलिए रेयांश उसे अपने गोद में उठा लिया और बाहर निकल गया। आभा ने यह देखकर रेयांश से कहा, "ये आप क्या कर रहे हैं? सभी हमें ही देख रहे हैं।"
"तो क्या हुआ? देखने दो जिसे देखना है। मैं किसी और को अपने गोद में उठाकर ले जा रहा हूँ? खुद की ही बीबी को उठाया हूँ।" रेयांश आभा को ले जाते हुए बोला।
तो आभा कुछ नहीं बोली और उसके गले में अपनी बाहें डाल दीं। रेयांश उसे लेकर हॉस्पिटल से बाहर आया और आभा को कार के पिछले सीट में बिठाया। फिर खुद भी उसके पास बैठ गया। तब तक उसका असिस्टेंट राहुल भी कार के अंदर बैठ चुका था।
फिर कार घर की तरफ निकल पड़ी। करीब एक घंटे बाद दोनों सिंह मेंशन में पहुँच गए। रेयांश आभा को फिर से अपने गोद में उठा लिया और घर के अंदर ले गया।
की उसे दादी जी की आवाज़ आई, "वहीं रुक जाओ।"
तो रेयांश आभा को लेकर वहीं खड़ा रहा। थोड़ी देर में एक मैड आरती की थाल लेकर आई तो अंजली जी ने आभा की आरती उतारी। फिर रेयांश को उसे रूम में ले जाने को बोला।
तो रेयांश उसे लेकर अपने रूम में चला गया। फिर आभा को बिस्तर पर लिटाकर बोला, "मैं ऑफिस जा रहा हूँ, जरूरी मीटिंग है।" बोलकर वो उसका माथा चूमा और रूम से बाहर चला गया।
वहीं आभा भी थोड़ी देर आराम करने का सोचा और सो गई। दोपहर को जब उसकी आँखें खुलीं तो सामने का नज़ारा देख वो चौंक गई।
आज के लिए इतना ही ....
तो आप सबको क्या लगता है आभा ने ऐसा क्या देखा किससे वो चौक गई ? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी " contract marriage" .....
Please please story kaisa lag raha hai comment karke jarur बताइएगा ।
By by guys मिलते हैं नेक्स्ट चेप्टर में ...
उसे दादी जी की आवाज़ आई, "वहीं रुक जाओ।"
तो रेयांश आभा को लेकर वहीं खड़ा रहा। थोड़ी देर में एक मैड आरती की थाल लेकर आई तो अंजली जी ने आभा की आरती उतारी। फिर रेयांश से उसे रूम में ले जाने को कहा।
तो रेयांश उसे लेकर अपने रूम में चला गया। फिर आभा को बेड पर लिटाकर बोला, "मैं ऑफिस जा रहा हूँ। ज़रूरी मीटिंग है।" बोलकर उसने उसका माथा चूमा और रूम से बाहर चला गया।
वहीं आभा भी थोड़ी देर आराम करने का सोचा और सो गई। दोपहर को जब उसकी आँखें खुलीं तो सामने का नज़ारा देख वो चौंक गई।
आभा की जब आँख खुली तो उसके साइड में बहुत सारे डेयरी मिल्क की चॉकलेट थीं। ये देख वो चौंक गई। तभी रेयांश की आवाज़ उसे सुनाई दी।
रेयांश बोला, "मैंने मेरा वादा पूरा किया। अब खुश?"
तो आभा जल्दी-जल्दी हाँ में सर हिला दी। दरअसल, जब हॉस्पिटल में आभा को बोर लगने लगा तो वो घर जाने की ज़िद करने लगी थी। तो रेयांश ने उसे चॉकलेट का लालच देकर उसे पूरे एक हफ़्ते हॉस्पिटल में रुकाया था।
उसके बाद रेयांश फ्रेश होने चला गया। जब वो वापस आया तो देखा आभा चॉकलेट खोलकर बच्चों की तरह खा रही है। तो उसे आभा पर बहुत प्यार आया।
रात के समय आभा आज मेडिसिन के असर से जल्दी सो चुकी थी। रेयांश स्टडी रूम में बैठकर काम कर रहा था।
रात के 12 बजे उसका काम ख़त्म हुआ। तो वो आभा को देखने रूम में आया। तो उसने देखा आभा बेड के पूरा साइड में सो रही है, जिससे वो नींद में नीचे गिर सकती थी।
इसलिए वो जाकर जल्दी से आभा को पकड़ा। फिर आभा को अच्छे से सुला दिया। वो जैसे ही जाने को हुआ, आभा ने उसका हाथ पकड़ लिया और नींद में ही बोली, "प्लीज़ मत जाओ ना, मुझे छोड़कर।"
रेयांश ये सुनकर रुक गया और आभा को देखने लगा।
वो आभा का हाथ अपने हाथ से छुड़ाना चाहता था, पर आभा ने उसका हाथ बहुत टाइटली पकड़ रखा था। जिससे वो चाहकर भी आभा का हाथ नहीं छुड़ा पाया। क्योंकि वो यदि अपनी ताक़त लगाता तो आभा की नींद ख़राब हो जाती।
इसलिए वो आभा के बगल में सो गया। तो आभा एकदम से आकर उसे गले लग गई और उसे पकड़कर सो गई।
रेयांश भी उसे पकड़कर सो गया। आज दोनों शादी के बाद पहली बार एक ही बेड पर साथ में सो रहे थे।
थोड़ी देर बाद रेयांश को भी नींद आ गई। दोनों ही आज बहुत सुकून से सो रहे थे, जो दोनों के चेहरे से पता चल रहा था।
सुबह सबसे पहले रेयांश की नींद खुली। रेयांश अपनी बाहों में सो रही अपनी क्यूट सी बीवी को देखा। फिर धीरे से उसे सुलाया और एक पिलो को उसके साइड में रख दिया।
तो आभा उस पिलो को हग करके सो गई। रेयांश उसे ऐसे बच्चों की तरह सोता देख मुस्कुरा दिया और उसके माथे पे किस करके जिम में चला गया।
आभा की भी थोड़ी देर बाद नींद खुली। वो उठी और धीरे-धीरे बाथरूम गई और फेस वॉश करके आई। आभा ठीक से नहीं चल पा रही थी, पर थोड़ी दूर जाने के लिए अब वो किसी को परेशान भी नहीं करती थी।
फेस वॉश करके आकर बेड पर बैठ गई और फ़ोन देखने लगी। थोड़ी देर बाद रेयांश कमरे में आया तो आभा उसे देखते ही रह गई। क्योंकि रेयांश पसीने से पूरी तरह भीग चुका था।
रेयांश जब देखा आभा उसे ही देख रही है तो वो मुस्कुरा दिया और आभा के पास जाकर खड़ा हो गया।
आभा जब रेयांश को अपने सामने खड़ा देखा तो उसे होश आया। पर वो कुछ कहती उससे पहले रेयांश उसके तरफ़ झुकने लगा।
तो आभा पीछे-पीछे झुकती गई। आखिर में वो बेड पर पूरी तरह से लेट चुकी थी। रेयांश को अपने पास आता देख आभा अपनी आँखें बंद कर दी। थोड़ी देर बाद जब उसे अपने पास किसी का एहसास नहीं हुआ तो वो अपनी आँखें खोलीं।
तो देखा रेयांश उसे एक स्माइल के साथ देख रहा था। जब आभा आँखें बंद करती है तो रेयांश बेड पर से कुछ सामान लेकर उससे दूर हो गया था।
पहले तो वो रेयांश के स्माइल में खो गई थी। पर थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो उसकी गाल शर्म से लाल हो गए।
वो अपनी नज़रें इधर-उधर करने लगी। तो रेयांश उसे चिढ़ाने के लिए बोला, "तुम ऐसे आँखें क्यों बंद किए हुए थीं? क्या सोच रही थीं तुम?"
तो आभा हकलाते हुए बोली, "कुछ भी नहीं। मैं क्या सोचूंगी?"
बोलकर जल्दी से अपना ध्यान फ़ोन में लगा दिया। तो रेयांश उसे एक नज़र देख बाथरूम चला गया। तो आभा एक गहरी साँस ली और सोची, "ये मुझे क्या हो रहा है? उनका पास आने पर मैं क्यों उन्हें रोक नहीं पाती?"
ऐसे ही अपने सोच में गुम थी कि कुछ ऐसा हुआ जिससे उसकी धड़कन बढ़ गई।
रेयांश की मुस्कान देख आभा पहले तो मंत्रमुग्ध हो गई थी। थोड़ी देर बाद उसे होश आया, और उसके गाल शर्म से लाल हो गए। वह अपनी निगाहें इधर-उधर भटकने लगीं। रेयांश ने उसे चिढ़ाने के लिए कहा, "तुम आँखें क्यों बंद किए हुए थीं? क्या सोच रही थीं तुम?"
"कुछ भी नहीं," आभा ने हकलाते हुए कहा, "मैं क्या सोचूंगी?"
वह जल्दी से अपना ध्यान अपने फ़ोन में लगाने लगी। रेयांश ने उसे एक नज़र देखा और बाथरूम चला गया। आभा ने गहरी साँस ली और सोचा, "ये मुझे क्या हो रहा है? उनके पास आने पर मैं उन्हें क्यों नहीं रोक पाती?"
वह अपने ख्यालों में खोई हुई थी कि अचानक कुछ ऐसा हुआ जिससे उसकी धड़कन बढ़ गई।
रेयांश बाथरूम से बाहर आ चुका था। उसने केवल एक तौलिया पहन रखा था; उसका पूरा ऊपरी शरीर नग्न था।
यह देखते ही आभा की धड़कन बढ़ गई। उसका चेहरा लाल हो गया। रेयांश ने आभा को शर्माते हुए देखा और मुस्कुराते हुए चेंजिंग रूम में चला गया।
आभा एकटक रेयांश को देखती रही। रेयांश के चेंजिंग रूम में जाते ही उसे होश आया। उसने अपने दाहिने हाथ से खुद को थप्पड़ मारा और कहा, "तू पागल हो गई है आभा! माना कि तेरा पति हॉट है, तो क्या तू उसे ऐसे देखेगी?"
वह खुद को डाँटती रही। फिर उसने फ़ोन देखना शुरू कर दिया। रेयांश बाहर आया और आभा को अपना ख्याल रखने को कहा, और उसके माथे पर किस कर दिया।
आभा को समझ नहीं आ रहा था कि इन दिनों रेयांश उससे ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है। पर वह अभी भी रेयांश से नाराज़ थी, इसलिए उसने कुछ नहीं कहा।
रेयांश आभा का इतने दिनों से अनदेखा करना अब सहन नहीं कर पा रहा था। इसलिए वह ऑफिस के लिए निकल गया।
ऑफिस में रेयांश इधर-उधर घूम रहा था। उसे नहीं पता था कि आभा का अनदेखा करना उसे क्यों अच्छा नहीं लग रहा था। वह क्यों बेचैन था?
वह इसी उलझन में 3-4 सिगरेट खत्म कर चुका था, पर उसकी बेचैनी खत्म नहीं हो रही थी।
तभी उसका असिस्टेंट, राहुल, बिना केबिन का दरवाज़ा खटखटाए अंदर आ गया। रेयांश पीछे मुड़ा। राहुल ने उसे परेशान देखकर पूछा, "क्या हुआ रेयांश? तुम इतने परेशान क्यों हो?"
राहुल रेयांश का कॉलेज का दोस्त था। रेयांश उसे सब कुछ बताता था। ऑफिस के समय दोनों बॉस और असिस्टेंट की तरह रहते थे, पर बाकी समय दोनों दोस्तों की तरह रहते थे।
"कुछ नहीं यार," रेयांश ने कहा, "बोल, क्या काम है?"
राहुल ने उसे सोफ़े पर बिठाया और कहा, "अब बोल, क्या हुआ है?"
रेयांश ने उसे अपनी समस्या बताई। राहुल मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था। रेयांश ने एक भौं उठाकर उसे घूरते हुए देखा, मानो कह रहा हो, "तुम ऐसे क्यों हँस रहे हो? मैंने कोई जोक तो नहीं मारा?"
राहुल मुस्कुराते हुए बोला, "वो क्या है ना दोस्त, तुझे प्यार हो गया है आभा से।"
"नहीं, ऐसा नहीं हो सकता," रेयांश ने कहा, "मैं अपनी जान से प्यार करता हूँ।"
"तू उसे करता था प्यार," राहुल ने कहा, "पर अब तू आभा से प्यार करने लगा है। जिसे तू खुद अच्छे से जानता भी नहीं है। फिर उसकी शादी हो गई होगी तो तू क्या करेगा बोल? ऐसे ही रहेगा जीवन भर उसके जाने के दुःख में? अभी भी वक़्त है, अपना ले आभा को। कहीं देर न हो जाए या कोई और उसे ले ना जाए।"
इतना बोलकर वह रेयांश के केबिन से बाहर चला गया। रेयांश के दिमाग में राहुल की बातें घूम रही थीं। राहुल की आभा को कोई और ले जाएगा, यह बात उसे बेचैन कर रही थी।
रेयांश ने काम में ध्यान लगाने की कोशिश की, पर वह इन बातों को अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रहा था।
तंग आकर उसने लैपटॉप बंद कर दिया और कुर्सी पर सिर टिकाकर बैठ गया। उसके सामने पहले आभा का हँसता हुआ चेहरा आया, फिर उसका खून से भीगा हुआ चेहरा।
यह देखकर उसने जल्दी से अपनी आँखें खोलीं। आभा को देखकर उसकी साँसें भारी हो गईं। उसने टेबल पर रखे ग्लास में रखा पानी एक ही घूंट में पी लिया।
उसे आभा को देखने की इच्छा होने लगी थी। अब आभा को देखे बिना चैन नहीं मिल रहा था। इसलिए उसने जल्दी से अपनी कार की चाबी उठाई और केबिन से निकल गया।
थोड़ी देर बाद वह घर पहुँच चुका था। वह सीधा अपने कमरे में चला गया। रेयांश के घर आने की बात किसी को नहीं पता थी क्योंकि सभी अपने-अपने कमरों में आराम कर रहे थे।
रेयांश अपने कमरे में गया, तो जो देखा, देखता ही रह गया।
तंग आकर उसने लैपटॉप बंद कर दिया और चेयर पर सिर टिकाकर बैठ गया। उसके सामने पहले आभा का हँसता हुआ चेहरा आया, फिर उसका खून से भीगा हुआ चेहरा।
यह देखते ही उसने झट से अपनी आँखें खोलीं। आभा को इस तरह देखकर उसकी साँसें भारी हो गईं। उसने टेबल पर रखे ग्लास में रखा पानी एक ही घूंट में पी लिया।
उसे आभा को देखने की इच्छा होने लगी थी। अब आभा को देखे बिना चैन नहीं मिल रहा था। इसलिए उसने झट से अपनी कार की चाबी उठाई और केबिन से निकल गया।
थोड़ी देर बाद वह घर पहुँच चुका था। वह वहाँ से सीधा अपने कमरे में चला गया। रेयांश के घर आने की बात कोई नहीं जानता था क्योंकि सभी अपने-अपने कमरों में आराम कर रहे थे।
रेयांश अपने कमरे में गया तो जो देखा, देखता ही रह गया।
रेयांश जैसे ही अपने कमरे में गया, आभा को सोता हुआ देखा। उसे देखते ही उसके चेहरे पर सुकून की मुस्कान आ गई।
पर जैसे ही उसकी नज़र उसकी कमर पर गई, उसकी आँखें वहीं ठहर गईं और वह एकटक आभा को देखने लगा।
थोड़ी देर बाद जब उसका फ़ोन रिंग हुआ, तो उसे होश आया। उसने झट से फ़ोन साइलेंट कर बालकनी में चला गया। फ़ोन पर बात करने के बाद वह कमरे के अंदर आया।
फिर आभा की तरफ़ अपने कदम बढ़ा लिए। उसके पास जाकर पहले उसे सही से सुलाया। फिर उसके माथे पर किस करके बाथरूम में चला गया।
फ्रेश होकर वह लैपटॉप लेकर सोफ़े पर बैठ गया। पर उसका काम में मन नहीं लग रहा था। उसे सिर्फ़ आभा को देखने की इच्छा हो रही थी। इसलिए वह बार-बार आभा को देख रहा था।
जब उससे और काम नहीं हुआ, तो वह उठकर आभा के पास आया और उसके साइड बैठ गया।
फिर आभा को देखते हुए बोला, "सायद राहुल सही कह रहा था। कब कैसे में तुमसे प्यार करने लगा हूँ यह मैं नहीं जानता। पर अब यह दिल तुम्हारे बिना कहीं नहीं लगता। अब तो तुम्हें देखे बिना रहा नहीं जाता। किसी के साथ तुम्हें इमेजिन करने से ही (दिल पर पॉइंट करके बोला) यहाँ दर्द होता है।"
फिर आभा के बालों में हाथ चलाते हुए बोला, "जानती हो, जब तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था ना, ऐसा लग रहा था मानो मेरी जान ही चली जाएगी। मैं जानता हूँ वो एक्सीडेंट की वजह भी मैं हूँ। इसलिए मैं प्रॉमिस करता हूँ, आज के बाद तुम्हें कभी तकलीफ़ नहीं दूँगा।"
फिर उसके माथे को चूमते हुए बोला, "मैं तुम्हें अपने दिल की बात बताऊँगा, पर उससे पहले मुझे तुम्हारे मन में अपने लिए फीलिंग जगाने होंगे। तुमसे माफ़ी माँगकर अपनी गलती को सुधारना होगा। फिर तुम्हें अपने दिल की बात बताऊँगा।"
इतना बोलकर वह उसी के साइड पर उसे पकड़कर सो गया। आभा भी उससे चिपककर सो गई। यह देखकर रेयांश के फेस पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।
रेयांश भी उसे देखते हुए कब सो गया, पता नहीं चला। 4 बजे जब आभा की नींद खुली, तो वह किसी के बाहों में थी। यह महसूस करते ही वह चौंककर अपने साइड पर देखती है। तो रेयांश को देख एक चैन की साँस ली।
वह एकटक रेयांश को देखने लगी। आभा पहली बार रेयांश को इतने करीब से देख रही थी। आभा रेयांश में खोई हुई ही उसके माथे पर बिखरे बालों को संवारती है। फिर उसकी उंगलियाँ उसके गालों को सहलाती हैं। ऐसे ही वह रेयांश के सारे फेस पार्ट को एक-एक करके सहला रही थी।
ऐसे ही वह उसके होठों तक आती है और उसे सहलाने लगती है। वह रेयांश में ऐसे ही खोई हुई थी कि रेयांश अचानक उसका हाथ पकड़ लेता है। तो आभा चौंक जाती है।
रेयांश उसे देखते हुए शरारत से बोला, "क्या हुआ बीबी, मेरे सोते हुए फायदा उठा रही हो?"
तो आभा हड़बड़ाते हुए बोली, "नहीं तो मैं क्यों आपका फायदा उठाऊँगी?"
फिर रेयांश जैसे ही कुछ बोलने वाला था, आभा उसे धक्का देकर बाथरूम में चली जाती है। उसकी आँखें भीगी हुई थीं, जो कि रेयांश ने देख लिया था।
पहले तो रेयांश को आभा का ऐसे धक्का देना गुस्सा दिलाता है। पर जैसे ही वह आभा की आँखों में आँसू देखता है, तो उसे समझ नहीं आता है कि आभा रो क्यों रही है?
इसलिए वह उठकर सोफ़े पर बैठ जाता है और आभा का इंतज़ार करने लगता है। थोड़ी देर बाद जब आभा बाहर आती है, तो रेयांश उसके पास जाता है और पूछता है, "क्या हुआ बीबी, तुम ऐसे क्यों चली गई?"
तो आभा उसका जवाब कुछ नहीं देती है और वहाँ से रेयांश को इग्नोर करके जैसे ही जाने को हुई, रेयांश उसे पकड़ लेता है और थोड़ा गुस्से से बोलता है, "मैंने कुछ पूछा है, उसका उत्तर दो?"
तो आभा बोली, "और नहीं दिया तो क्या कर लेंगे? पहले की तरह जबरदस्ती करेंगे।"
तो रेयांश चुप हो जाता है। तो आभा बोली, "बोलिए ना।"
तो आभा रेयांश का हाथ झटककर जैसे ही जाने को हुई, कुछ ऐसा होता है जिससे आभा चौंक जाती है।
आज के लिए इतना ही...
पहले तो रेयांश को आभा का धक्का देना गुस्सा दिलाया। पर जैसे ही उसने आभा की आँखों में आँसू देखे, उसे समझ नहीं आया कि आभा रो क्यों रही है?
इसलिए वह उठकर सोफे पर बैठ गया और आभा का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद जब आभा बाहर आई, तो रेयांश उसके पास गया और पूछा, "क्या हुआ बीबी? तुम ऐसे क्यों चली गई?"
आभा ने उसका जवाब नहीं दिया और वहाँ से रेयांश को इग्नोर करते हुए जाने लगी। रेयांश ने उसे पकड़ लिया और थोड़े गुस्से से बोला, "मैंने कुछ पूछा है, उसका उत्तर दो?"
"और नहीं दिया तो क्या कर लेंगे? पहले की तरह ज़बरदस्ती करेंगे?" आभा बोली।
रेयांश चुप हो गया। "बोलिए न," आभा ने कहा।
आभा रेयांश का हाथ झटककर जाने लगी, तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे आभा चौंक गई।
आभा जैसे ही जाने लगी, रेयांश ने उसका हाथ पकड़कर अपने घुटनों पर बैठ गया और बोला, "सॉरी प्लीज़ माफ़ कर दो। गलती हो गया था। आगे से ऐसा कभी नहीं होगा। जानता हूँ उस दिन गुस्से में मैंने कुछ ज़्यादा रिएक्ट कर दिया। प्लीज़ माफ़ कर दो। मैं हमारे रिश्ते को एक मौका देना चाहता हूँ। प्लीज़ मुझे एक मौका दे दो।"
ऐसा बोलते वक्त उसके आँसू निकल गए। आभा रेयांश के इस पछतावे और आँसुओं को देखकर चौंक गई क्योंकि वह जानती थी कि रेयांश इतना सख्त आदमी है कि उसकी आँखों से आँसू निकलना बहुत बड़ी बात थी।
रेयांश आभा को ऐसे सोच में डूबा देख बोला, "आभा प्लीज़ मुझे एक चांस दे दो। मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूँगा। कभी कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगा।"
"मुझे सोचने के लिए कुछ वक्त चाहिए," आभा बोली।
"ठीक है। तुम जितना समय लेना चाहती हो लो," रेयांश ने कहा।
इतना बोलकर वह उसके सामने से उठा और आभा के माथे पर एक किस करके रूम से निकल गया और ऑफिस चला गया क्योंकि आभा के जाने के बाद राहुल का कॉल आया था एक ज़रूरी मीटिंग के लिए।
उसके जाने के बाद आभा रेयांश के इस एक्शन के बारे में ही सोच रही थी।
रात को जब रेयांश आया तो सभी घर वाले सो चुके थे। रेयांश कमरे में गया तो देखा आभा सो चुकी थी। इसलिए रेयांश फ़्रेश होने बाथरूम गया और बाहर आकर नाइट सूट पहन लिया।
फिर बिना खाए आभा को अपनी बाहों में लेकर सो गया।
ऐसे ही दो दिन बीत गए। इसी बीच आभा ने रेयांश को पहले की तरह ही इग्नोर किया। दिमाग कह रहा था रेयांश को एक मौका नहीं देना चाहिए और दिल कह रहा था रेयांश को एक चांस देना चाहिए।
वह जब भी रेयांश को एक मौका देने के बारे में सोचती, रेयांश की बदतमीज़ी याद आ जाती। इसलिए वह रेयांश को एक चांस नहीं दे रही थी।
वहीं रेयांश बहुत बेचैन रहने लगा था, साथ ही उसे गुस्सा भी आ रहा था पर वह खुद को कंट्रोल करके रखा हुआ था। वह आभा से बात करने की कोशिश करता रहता था पर आभा उसे इग्नोर कर देती थी।
इन दो दिनों में रेयांश को कुछ ऐसी बात पता चली थी कि वह चाहकर भी आभा को कुछ नहीं बोल पा रहा था, न ही गुस्सा कर पा रहा था।
2 दिन बाद, रात के समय आज रेयांश को घर आने में बहुत देर हो गई। वह रूम में गया तो देखा आभा उसके इंतज़ार में बैठे-बैठे ही सो गई थी। तो रेयांश उसे देख मुस्कुरा दिया और फ़्रेश होने चला गया।
गेट बंद करने की आवाज़ से आभा उठ गई और बाथरूम की तरफ़ देखती है तो उसे पानी की आवाज़ आई। तो वह समझ गई कि रेयांश आ चुका है। इसलिए वह नीचे खाना लाने चली गई।
रेयांश जब बाहर आया तो आभा उसे कहीं भी नहीं दिखी। तो वह कपड़े पहनने चेंजिंग रूम में चला गया। जब वह बाहर आया तो देखा आभा उसके लिए खाना लेकर आ चुकी है।
तो वह सोफे पर बैठ गया। तो आभा उसे खाना दे दिया और जैसे ही बेड पर जाने के लिए मुड़ी, रेयांश ने उसका हाथ पकड़ लिया।
तो आभा उसकी तरफ़ देखती है तो रेयांश बोला, "मेरे पास थोड़ी देर बैठो। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
"आप खाना खा लीजिए। मुझे नींद आ रही है। हम कल बात करते हैं," आभा ने बिना भाव बोला।
आभा की ऐसी बेरुखी रेयांश सहन नहीं कर पाया और उसे गुस्सा भी आ रहा था। पर वह जैसे-तैसे करके अपने आप को शांत रखने की कोशिश करने लगा।
फिर आभा से बोला, "ठीक है, बात नहीं करनी तो मत करना, पर मेरे खाने तक तो बैठ सकती हो न?"
"मुझे नींद आ रही है। मुझे सोना है। आप तो हमेशा अकेले ही खाते हैं तो आज भी खा लीजिए," आभा ने बेरुखी से कहा।
बस इतना सुनते ही रेयांश का गुस्सा बम की तरह फूटने को पूरी तरह तैयार हो गया। अब तक जो हाथ आभा के हाथों को पकड़ रखा था उसे छोड़ दिया।
फिर गुस्से से बोला, "ठीक है। तुम्हें नींद आ रही है न? ठीक है। तुम जाओ सो जाओ।"
यह सुनते ही आभा भी बेड की तरफ़ बढ़ी। तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे आभा के कदम अपने आप रुक गए।
आज के लिए इतना ही...
फिर आभा से बोला, "ठीक है, बात नहीं करनी तो मत करना, पर मेरे खाने तक तो बैठ सकती हो ना।"
तो आभा ने उसे बेरुखी से कहा, "मुझे नींद आ रही है, मुझे सोना है। आप तो हमेशा अकेले ही खाते हैं, तो आज भी खा लीजिये।"
यह सुनते ही रेयांश का गुस्सा बम की तरह फूटने को तैयार हो गया। उसने आभा के हाथों को पकड़े हुए हाथ छोड़ दिए।
फिर गुस्से से बोला, "ठीक है, तुम्हें नींद आ रही है ना, ठीक है, तुम जाओ सो जाओ।"
यह सुनते ही आभा बिस्तर की ओर बढ़ी। तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे आभा के कदम रुक गए।
तभी उसके कानों में कांच के टूटने की आवाज आई। यह सुनकर उसके कदम रुक गए। वह पीछे मुड़कर देखती ही चौंक गई।
क्योंकि रेयांश ने खाने की प्लेट नीचे फर्श पर तोड़कर गिरा दी थी। रेयांश का हाथ मुट्ठी में बंद था। वह गुस्से से कांप रहा था।
वह गुस्से से बोला, "तुम जो मुझे इतने दिनों से इग्नोर कर रही हो, अच्छा नहीं होगा। जब मैं तुमसे दूर चला जाऊँगा, तभी तुम्हें एहसास होगा कि किसे खोया है तुमने।" इतना बोलकर वह गुस्से से कमरे से बाहर निकल गया।
आभा हैरानी से रेयांश को देख रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि रेयांश किस बारे में बोल रहा है।
तभी उसने कुछ देखा जिससे उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। क्योंकि आभा ने देखा कि नीचे गिरे काँच में खून लगा हुआ था और कमरे के दरवाजे तक खून से सने हुए पैरों के निशान थे।
यह देखते ही वह बेचैन हो गई। वह जल्दी से कमरे से बाहर निकल गई और रेयांश को ढूँढने लगी। उसने रेयांश को चारों तरफ ढूँढा। फिर पार्किंग में जाकर देखा कि कहीं रेयांश बाहर तो नहीं चला गया है।
पर वहाँ रेयांश की कार थी। तो वह समझ गई कि रेयांश घर पर ही है। तो वह सोचने लगी, "मैंने तो सभी जगह देख चुकी हूँ। पर वह तो कहीं पर नहीं है। कहाँ गए होंगे वह?"
तभी अचानक उसे कुछ याद आया तो वह जल्दी से छत की ओर भागी। जब आभा छत पर पहुँची तो देखा कि रेयांश छत पर एक तरफ खड़ा हुआ था।
उसकी नज़र नीचे उसके पैरों की ओर गई। तो उसकी आँखों से आँसू बह निकले। वह जल्दी से रेयांश की ओर भागी।
वह जल्दी से जाकर रेयांश को खींच कर बोली, "ये आप क्या कर रहे हैं? आपके पैरों में कितनी जोर से लगी है! जल्दी चलिए, नीचे मैं दवाई लगा देती हूँ।"
तो रेयांश गुस्से से बोला, "अब ऐसे झूठी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है। तुम जाओ, तुम्हें नींद आ रही थी ना? जाओ सो जाओ।" बोलकर उसने उसका हाथ जोर से झटक दिया।
तो आभा गिर गई। पर उसने खुद को संभालकर उठाया और रेयांश से रोते हुए बोली, "प्लीज, चलिए, आपके पैरों में जोर से चोट लगी है। चलिए ना, प्लीज। कितना खून बह गया है आपका।"
तो रेयांश झूठी मुस्कराहट के साथ बोला, "तुम जाओ, मैं खुद लगा लूँगा। वैसे भी मुझे कुछ होने से क्या हो जाएगा? बल्कि तुम्हें तो खुशी होगी जो तुम्हारे साथ बदतमीज़ी करता था उसे सज़ा मिलेगी।"
तो आभा रोते हुए बोली, "प्लीज, ऐसे मत बोलिए। मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रही थी। प्लीज, चलिए ना, पहले आप चोट पर दवाई लगा लीजिये। फिर आप को जो बोलना है बोलिएगा।"
तो रेयांश बोला, "तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है मुझे कुछ हो जाने से?"
तो आभा रोते हुए बोली, "क्योंकि आप मेरे पति हैं।"
तो रेयांश बोला, "तो मुझे मेरे पति होने का हक दोगी?"
तो आभा बोली, "हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे।"
तो रेयांश बोला, "ठीक है, तुम भी चली जाओ, मुझे अकेला छोड़ दो।"
तो आभा उसके पैरों से बह रहे खून को देख रही थी, फिर जबरदस्ती बोली, "ठीक है, मैं आपको पति होने का हक देने को तैयार हूँ, पर पहले आप नीचे चलिए, दवाई लगा दूँगी।"
तो रेयांश बोला, "ठीक है, चलो।"
फिर दोनों मिलकर नीचे आए। उसके बाद आभा ने रेयांश के पैरों पर दवाई लगाई, साथ ही साथ फूँक भी रही थी।
रेयांश आभा के हर एक हरकत को देख रहा था। उसे खुशी हो रही थी कि आभा उसके लिए खुद की इज़्ज़त को भी मुझे देने को तैयार है।
दवाई लगाने के बाद आभा हाथ धोकर आई तो रेयांश बोला, "तो बीबी, तैयार हो मुझे मेरे हक देने के लिए?"
तो आभा हकलाते हुए बोली, "क्या यह हम बाद में नहीं कर सकते हैं?"
तो रेयांश बोला, "तो फिर तुम उस वक्त वह क्यों नहीं बोली कि तुम मुझे अब नहीं दोगी?"
तो आभा बोली, "वो आप दवाई लगाने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए मैंने बोला।"
तो रेयांश बोला, "ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा, मैं तुमसे जबरदस्ती नहीं करूँगा, पर तुम हमारे रिश्ते को एक मौका तो दोगी ना?"
तो आभा हाँ में सिर हिला देती है। तो रेयांश खुश हो जाता है।
फिर बोला, "तुम मुझसे बात तो करोगी ना?"
तो आभा बोली, "हाँ, करूँगी। अब चलिए सो जाइए।"
तो रेयांश उठकर बिस्तर की ओर चल पड़ा। पर रेयांश को चलने में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही थी। इसलिए आभा उसे पकड़कर अपने साथ बिस्तर पर ले जाती है। रेयांश को बिस्तर पर बिठाकर जैसे ही वह जाने को हुई, कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में आभा ने कभी सोचा नहीं था।
रेयांश ने कहा, "तो फिर तुम उस वक्त वो क्यों नहीं बोली कि तुम मुझे अब नहीं दोगी?"
आभा ने उत्तर दिया, "वो आप दवाई लगाने के लिए तैयार नहीं थे इसलिए मैंने बोला।"
रूद्र ने कहा, "ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा। पर तुम हमारे रिश्ते को एक मौका तो दोगी ना?"
आभा ने सिर हिलाकर हाँ में उत्तर दिया। रेयांश खुश हो गया।
"तुम मुझसे बात तो करोगी ना?" रेयांश ने पूछा।
"हाँ, करूंगी। अब चलिए सो जाइए," आभा ने कहा।
रेयांश उठकर बेड की तरफ चल पड़ा, पर उसे चलने में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही थी। आभा ने उसे पकड़कर अपने साथ बेड पर ले जाया। रेयांश को बेड पर बिठाकर जैसे ही वह जाने लगी, कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में आभा ने कभी सोचा नहीं था।
आभा जैसे ही जाने लगी, रेयांश ने उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया। फिर उसने आभा के होठों को अपने होठों से चूमा। आभा चौंक गई क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि रेयांश ऐसा भी करेगा।
आभा बिलकुल स्तब्ध होकर रेयांश के ऊपर ही थी। रेयांश उसे बहुत प्यार से किस कर रहा था। थोड़ी देर बाद, जब रेयांश को आभा खोई हुई दिखी, तो उसने आभा के होठों को हल्का सा काटा।
आभा की आह निकल गई और वह रेयांश को घूरने लगी। रेयांश भी उसे घूरते हुए उसकी आँखों में देखकर उसे फिर से किस करने लगा।
थोड़ी देर बाद, जब आभा को साँस लेने में दिक्कत हुई, तो रेयांश ने उसे छोड़ा। आभा ने उसे घूरते हुए कहा, "आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी पहली किस लेने की?"
रेयांश ने शरारत से कहा, "जैसे तुमने मेरी पहली किस ली।"
"पर आपने ही किस किया, मैंने थोड़ी किया," आभा ने कहा।
"तो तुम भी मुझसे बदला ले लो, मुझे किस करके," रेयांश ने कहा।
"हम्म, आपने ठीक कहा, मैं भी आपको…" आभा बोलते-बोलते रुक गई। उसके गाल लाल हो गए।
रेयांश ने उसे छेड़ते हुए कहा, "क्या? उसके बाद भी… तो बोलो।"
रेयांश की बात सुनकर आभा का मन कर रहा था कि कहीं धरती में समा जाए। पर ऐसा तो कभी नहीं होने वाला था।
यह सब सोचते हुए वह अपने चेहरे के भाव बार-बार बदल रही थी। रेयांश ने उसका ऐसा चेहरा देखकर आभा को फिर से किस करने की इच्छा होने लगी।
वह आभा के गले को पकड़कर अपने करीब किया और उसके होठों को अपने होंठों से चूमा, बहुत ही प्यार से किस करने लगा।
रेयांश के किस से आभा पिघलने लगी थी। वह भी धीरे-धीरे अपने होठों को चलाने की कोशिश कर रही थी। जब रेयांश को आभा का साथ मिला तो वह आक्रामक तरीके से आभा के होठों को चूमने लगा।
10 मिनट बाद आभा को साँस लेने में दिक्कत होने लगी, तो रेयांश को, न चाहते हुए भी, उसे छोड़ना पड़ा। रेयांश ने उसे अपने बाजू में सुला दिया और कहा, "चुपचाप सो जाओ। कल तुम्हें मेरे साथ शॉपिंग पर जाना है। फिर हमें कहीं और भी जाना है।"
जैसे ही आभा कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला, रेयांश ने कहा, "अब एक और शब्द नहीं। नहीं तो मैं अपने तरीके से तुम्हारा मुँह बंद करूँगा।"
थोड़ी देर पहले के किस को याद करते हुए आभा ने जल्दी से अपनी आँखें बंद कर लीं। रेयांश के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई।
दोनों एक-दूसरे की बाहों में सो गए।
अगली सुबह, रेयांश की नींद जल्दी खुल गई। उसने अपनी बाहों में सो रही अपनी प्यारी पत्नी को देखा और उसके माथे पर किस किया, फिर उसके होठों पर हल्का सा किस करके उठ गया।
वह फ्रेश होकर जिम चला गया। रेयांश के जाने के 30 मिनट बाद आभा की नींद खुली। उसने चारों तरफ देखा, रेयांश कहीं नहीं था। वह समझ गई कि रेयांश जिम चला गया है, इसलिए वह नहाने चली गई।
थोड़ी देर बाद जब आभा बाहर आई और चारों तरफ देखती है, तो रूद्र कमरे में कहीं नहीं दिखाई दिया। इसलिए वह जल्दी से चेंजिंग रूम में चली गई क्योंकि वह अपना साड़ी लेना भूल गई थी। थोड़ी देर बाद वह साड़ी पहनकर बाहर आई।
और शीशे में देखकर अपनी ब्लाउज की पीछे की डोरी बांधने लगी। पर बार-बार कोशिश करने पर भी आभा का हाथ वहाँ तक नहीं पहुँच पा रहा था क्योंकि डोरी थोड़ी नीचे थी।
तभी उसे अपनी पीठ पर किसी के ठंडे हाथ का एहसास हुआ। वह डर गई, पर जैसे ही उसे रेयांश का एहसास हुआ, वह शांत हो गई, पर उसकी धड़कन बढ़ गई थी।
रेयांश आभा की ब्लाउज की डोरी बांधने लगा। उसकी उंगलियाँ आभा की पीठ को छू रही थीं, जिससे आभा खुद में सिमटती जा रही थी।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे आभा की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं।
आज के लिए इतना ही…
तो आप सबको क्या लगता है? ऐसा क्या हुआ जिससे आभा की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ।
थोड़ी देर बाद, जब आभा बाहर आई और चारों तरफ देखा, तो रूद्र कमरे में कहीं भी दिखाई नहीं दिया। इसलिए वह जल्दी से चेंजिंग रूम में चली गई। क्योंकि वह अपनी साड़ी लेना भूल गई थी। थोड़ी देर बाद वह साड़ी पहनकर बाहर आई।
और शीशे में देखकर अपनी ब्लाउज़ की पीछे की डोरी बाँधने लगी। पर बार-बार कोशिश करने पर भी आभा का हाथ वहाँ तक नहीं पहुँच पा रहा था। क्योंकि डोरी थोड़ी नीचे थी।
तभी उसे अपनी पीठ पर किसी के ठंडे हाथ का एहसास हुआ। जिससे वह डर गई। पर जैसे ही उसे रेयांश का एहसास हुआ, वह शांत हो गई। पर उसकी धड़कन बढ़ गई थी।
रेयांश आभा की ब्लाउज़ की डोरी बाँधने लगा। जिससे उसकी उंगलियाँ आभा की पीठ को छू रही थीं। जिससे आभा खुद में सिमटती जा रही थी।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे आभा की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं।
तभी रेयांश धीरे से उसके कमर में हाथ डाला और आभा को खुद से चिपका दिया। फिर शीशे में देखते हुए आभा की पीठ पर अपने होंठ रख दिए।
जिससे आभा की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। वह हैरानी से रेयांश को देख रही थी। रेयांश लगातार उसके पीठ पर किस कर रहा था। आभा कुछ बोलना चाह रही थी, पर कुछ बोल नहीं पा रही थी।
तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया और आवाज़ आई, "दीदी, आपको बड़ी मालकिन ने बुलाया है नीचे पूजा करने के लिए।"
"आप नहाने जाइए। मैं नीचे जा रही हूँ।" आभा जल्दी से रेयांश से होते हुए बोली।
रेयांश आभा के ऐसे अचानक दूर होने से गुस्सा हो गया और वह आभा को घूरने लगा। तो आभा बोली, "प्लीज़ गुस्सा मत होइए। हम तो शॉपिंग पर जा रहे हैं ना? बाद में, प्लीज़। अभी माँ बुला रही है, मैं जाती हूँ।"
"ठीक है बीबी, पर आज का पूरा वक़्त मेरा होगा।" रेयांश उसे पकड़कर अपने तरफ़ खींचते हुए बोला।
"ठीक है, मैं जाती हूँ अब।" आभा बोली।
तो रेयांश उसे छोड़ देता है और आभा नीचे चली गई। आभा नीचे आकर पूजा शुरू करती है।
थोड़ी देर बाद, जब नाश्ता तैयार हो गया, तो आभा रेयांश को बुलाने गई। सभी ने नाश्ता किया। उसके बाद रेयांश आभा से बोला, "तुम 11 बजे तक रेडी रहना। मैं आ जाऊँगा। अभी एक मीटिंग है।"
तो आभा ने हाँ में सिर हिला दिया। तो रेयांश आभा के माथे पर किस कर देता है और ऑफिस के लिए चला जाता है।
वहीं आभा भी कमरे में चली गई और रेडी होने लगी। ऐसे ही 11 बज गए। आभा के फ़ोन पर रेयांश का मैसेज आया।
आभा ने अपना फ़ोन देखा तो उसमें रेयांश का मैसेज आया हुआ था, "बाहर आ जाओ, मैं इंतज़ार कर रहा हूँ।"
तो आभा जल्दी से अपना पर्स और फ़ोन लेती है और नीचे की तरफ़ चल पड़ती है। आभा जब बाहर आई तो देखा कि रेयांश कार से टेक लगाकर खड़ा हुआ था।
वह जल्दी से रेयांश की तरफ़ आई तो रेयांश उसके लिए दरवाज़ा खोल देता है। तो आभा भी बैठ गई। फिर रेयांश भी ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
रेयांश कार को मॉल की तरफ़ ले गया। थोड़ी देर बाद मॉल की पार्किंग में कार रोक दी। फिर दोनों मॉल के अंदर गए।
दोनों जैसे ही मॉल के अंदर गए, मॉल का मालिक वहाँ आया और रेयांश और आभा को ग्रीट करते हुए बोला, "गुड मॉर्निंग सर। आपका बहुत-बहुत स्वागत है।"
तो रेयांश ने उसे एक नज़र देखा और अपना सिर हिला दिया। फिर दोनों शॉपिंग करने लगे। रेयांश आभा के लिए बहुत सारे कपड़े चुन लेता है। फिर आभा के लिए एक बहुत ही सुंदर सा ड्रेस चुनता है जो कि red स्लीवलेस गाउन था। जिसमें सोने की कारीगरी की गई थी।
दोनों फिर घर के लिए निकल गए। रास्ते में दोनों बाहर ही लंच करते हैं। रेयांश आभा का पसंदीदा खाना मँगवाता है। तो आभा उसे चौंक कर देखती है।
तो रेयांश उसकी नज़रों को देखकर बोला, "ऐसे मत देखो मुझे। तुम्हारे बारे में सब पता है।"
"पर मैंने तो आपको नहीं बताया।" आभा बोली।
"तुम उसकी चिंता मत करो। उसके बारे में तुम बाद में खुद जान जाओगी। अभी तुम खाने पर फ़ोकस करो।" रेयांश बोला।
तो आभा रेयांश से कुछ नहीं बोली। दोनों खाना ख़त्म करके घर के लिए निकल गए।
घर पहुँचकर आभा जैसे ही कार से उतरने लगी, रेयांश ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला, "6 बजे तक तैयार रहना। तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है।"
तो आभा ने हाँ में सिर हिलाया। तो रेयांश उसके माथे पर किस करता है, फिर उसके लिप्स पर एक छोटी सी किस करके उसे छोड़ देता है। तो आभा जल्दी से कार से निकलकर घर के अंदर चली जाती है।
रेयांश भी ऑफिस के लिए चला जाता है।
शाम को, रेयांश अपने ऑफिस में बैठकर फ़ाइल देख रहा था कि उसे याद आया कि आज उसे जल्दी आभा के पास जाना था। इसलिए वह फ़ाइल बंद करता है और अपना लैपटॉप लेकर नीचे की तरफ़ चल पड़ता है।
वह खुद ही ड्राइव कर रहा था। रास्ते में वह किसी को कॉल करता है और उसे कुछ निर्देश देता है।
थोड़ी देर बाद वह सिंह मेंशन में पहुँच जाता है। वह अपने कमरे में जाता है तो चौंक जाता है।
आज के लिए इतना ही...
शाम को रेयांश अपने ऑफिस में बैठकर फाइलें देख रहा था। उसे याद आया कि आज उसे जल्दी आभा के पास जाना था। इसलिए उसने फाइलें बंद कीं और अपना लैपटॉप लेकर नीचे चला गया।
वह खुद ड्राइव कर रहा था। रास्ते में उसने किसी को कॉल किया और कुछ निर्देश दिए।
थोड़ी देर बाद वह सिंह मेंशन पहुँच गया। अपने कमरे में पहुँचकर वह चौंक गया।
जैसे ही रेयांश अपने कमरे में पहुँचा, आभा को देखकर वह चौंक गया। आभा स्लीवलेस ब्लैक लॉन्ग गाउन पहने हुए थी, जो पीछे से डोरी से बंधा हुआ था। आगे से डीप नेक था और घुटने के नीचे से लेफ्ट साइड कट था। जिससे आभा की गोरी टाँगें दिख रही थीं।
उसने कोई मेकअप नहीं किया था। Only काजल, माथे पर बिंदी, सिंदूर, गले में मंगलसूत्र और कानों में झुमके पहने थे। इतने में भी वह इतनी खूबसूरत दिख रही थी कि कोई भी उससे नज़र नहीं हटा पाता।
आभा आईने के सामने लिपस्टिक लगा रही थी। रेयांश एकटक आभा को देख रहा था। आभा के लिपस्टिक लगाते हुए देखकर रेयांश उस लिपस्टिक की जगह खुद के होठों को होने के बारे में सोच रहा था।
वह खुद को रोक नहीं पाया और आभा की ओर अपने कदम बढ़ाने लगा। आभा के पास पहुँचकर उसने उसके कमर में हाथ डाल दिया।
"आप कब आए?" अचानक इस हरकत से आभा चौंक गई। और जैसे ही उसने आईने में देखा और रेयांश को देखा तो वह शांत हुई, पर उसकी धड़कन बढ़ गई।
"अभी-अभी आया।" रेयांश उसके कंधे पर अपना चेहरा टिकाते हुए बोला।
"ठीक है, आप जाइए, फ्रेश हो जाइए। मैं तब तक आपके लिए कॉफी लेकर आती हूँ। फिर निकलेंगे।" आभा बोली।
"ठीक है।" रेयांश ने कहा।
इतना बोलकर वह फ्रेश होने चला गया।
आभा भी नीचे गई और रेयांश के लिए कॉफी बनाकर लाई। थोड़ी देर बाद दोनों ही घर से निकल गए।
रेयांश ड्राइव कर रहा था और आभा उसके बगल में बैठी थी।
थोड़ी देर बाद रेयांश कार रोकता है। आभा देखती है कि वे दोनों एक विला के पास आकर रुके हैं। वह रेयांश को सवालिया निगाहों से देखने लगी।
पर रेयांश उससे कुछ नहीं बोला और कार से बाहर निकल गया और आभा के बगल में जाकर कार का दरवाज़ा खोला। उसके बाद रेयांश ने आभा के आगे अपना हाथ रखा तो आभा ने भी उसके हाथ में अपना हाथ रख दिया।
फिर बाहर निकली तो विला को देखकर वह हैरानी से देख रही थी। क्योंकि विला बहुत खूबसूरत था। एक बड़ा सा गार्डन, उसमें एक आर्टिफिशियल झरना था। लाइट्स लगे हुए थे। ऐसे ही विला बहुत खूबसूरत दिख रहा था।
रेयांश ने आभा की आँखों पर पट्टी बाँध दी।
"आप ये क्या कर रहे हैं?" आभा बोली।
"थोड़ी देर ऐसे ही रहो, सरप्राइज़ के लिए आँखें बंद करना पड़ता है।" रेयांश बोला।
फिर आभा को गोद में उठाकर अंदर ले गया। थोड़ी देर बाद आभा को अपने गोद से उतारा और बोला, "मैं जब तक न कहूँ अपनी आँखें नहीं खोलना।"
फिर वह आभा से दूर हो गया। थोड़ी देर बाद उसने आभा को पट्टी खोलने के लिए कहा। जैसे ही उसने आँखें खोली, उसने खुद को छत पर देखा। चारों ओर अंधेरा था। वह थोड़ा डर गई और रेयांश को आवाज देने लगी।
पर रेयांश उसे कुछ नहीं बोला। थोड़ी देर बाद लाइट ऑन हुई तो आभा ने सामने की डेकोरेशन देखी तो देखती ही रह गई। आगे एक टेबल और चेयर पड़ा हुआ था, जिसमें बहुत सुंदर से डिनर रेडी किया गया था।
साइड में एक बिस्तर बिछाया गया था, साथ में तकिए रखे गए थे। वहाँ सुंदर से लव में आभा और रेयांश लिखा गया था। पूरी छत को कैंडल से सजाया गया था। बीच-बीच में फूल बिछाए हुए थे।
आभा अपने चारों तरफ देख ही रही थी कि किसी ने उसका नाम पुकारा। वह पीछे मुड़ी तो चौंक गई। क्योंकि रेयांश अपने घुटनों के बल बैठा हुआ था। वह रेयांश को आश्चर्य से देखने लगी।
रेयांश ने अपने पॉकेट से एक रिंग निकाली और आभा के सामने करके बोला, "बचपन से ही मैं अपनी दिल की बात किसी को नहीं कह पाता था। न ही मेरे ज़ज्बातों को बता पाया। मुझे अपने दिल की बात बताना नहीं आता। पर मैं तुमसे बेहद मोहब्बत करने लगा हूँ। कब, कैसे हुआ मैं ये नहीं जानता। पर I love you, I love you too बीवी।"
और उसने अपनी हाथ की अंगूठी आभा के सामने कर दी। आभा ने बिना कुछ कहे अपना लेफ्ट हैंड आगे कर दिया। रेयांश पहले उसका चेहरा देखता है। उसे उम्मीद थी कि आभा कुछ तो बोलेगी। पर आभा के कुछ न बोलने पर वह थोड़ा निराश हो गया और उसे रिंग पहना दी।
रिंग पहनने के बाद आभा ने रेयांश को खड़ा किया।
"चलो खाना खा लेते हैं।" रेयांश बोला।
फिर दोनों टेबल के पास गए। रेयांश पहले आभा के लिए चेयर खींचा और आभा को वहाँ बिठाया। फिर आभा के लिए खाना सर्व किया। सब कुछ आभा के पसंद का था।
फिर खुद आभा के आगे वाले चेयर में बैठ गया। रेयांश ने पहली बाइट आभा को खिलाई। फिर दोनों ने अपना खाना खत्म किया।
उसके बाद आभा छत के किनारे पर खड़ी होकर पूरे शहर को देख रही थी कि रेयांश उसके पास आकर खड़ा हुआ और आभा से कुछ पूछा।
आज के लिए इतना ही...
आभा का लव कन्फेस
रेयांश ने अपना हाथ जोड़कर अपनी अंगूठी आभा के सामने कर दी। आभा ने बिना कुछ कहे अपना बायाँ हाथ आगे कर दिया। रेयांश ने पहले उसका चेहरा देखा। उसे उम्मीद थी कि आभा कुछ बोलेगी, पर आभा के कुछ न बोलने पर वह थोड़ा निराश हुआ और उसे अंगूठी पहना दी।
अंगूठी पहनने के बाद आभा ने रेयांश को खड़ा किया। रेयांश बोला, "चलो खाना खा लेते हैं।"
फिर दोनों टेबल के पास गए। रेयांश ने पहले आभा के लिए कुर्सी खींची और आभा को वहाँ बिठाया। फिर आभा के लिए खाना परोसा। सब कुछ आभा के पसंद का था।
फिर वह आभा के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। रेयांश ने पहला निवाला आभा को खिलाया। फिर दोनों ने अपना खाना खत्म किया।
उसके बाद आभा छत के किनारे खड़ी होकर पूरे शहर को देख रही थी कि रेयांश उसके पास आकर खड़ा हुआ और आभा से कुछ पूछा।
रेयांश आभा के चेहरे को देखते हुए पूछा, "क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो?"
आभा ने वैसे ही आसमान को देखते हुए कहा, "पता नहीं कब कैसे, पर मुझे आपसे प्यार हो गया है। I love you।"
रेयांश ने उसे गले लगा लिया और उसे लेकर बिस्तर पर गया। आभा को बिठाकर वह उसके बगल में बैठ गया।
दोनों मिलकर चाँद को देख रहे थे कि आभा ने पूछा, "आपको कब एहसास हुआ कि आप मुझे प्यार करते हैं?"
रेयांश ने उसे देखा। फिर उसके गालों को पकड़कर बोला, "उसका एहसास मुझे तुम्हारे एक्सीडेंट के बाद हुआ था।"
फिर उसने आभा का माथा चूमा। आभा ने रेयांश के एहसास को पाकर आँखें बंद कर लीं।
फिर रेयांश ने आभा से पूछा, "तो फिर क्या हम हमारे रिश्ते को आगे बढ़ाएँ?" और अपनी आशा भरी नज़रों से आभा को देखने लगा।
आभा कुछ नहीं बोली। रेयांश को लगा कि आभा अभी इन सब के लिए तैयार नहीं है। इसलिए वह उदास हो गया और आभा से बोला, "चलो घर चलते हैं।"
उसके आवाज़ में एक उदासी झलक रही थी जो आभा महसूस कर पा रही थी। आभा अपने मन में सोची, "ये तो मेरे पति हैं। कभी न कभी तो हमें हमारा रिश्ता आगे बढ़ाना ही है। क्या करूँ, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।"
आभा अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी कि रेयांश खड़ा हुआ और आभा को हिलाते हुए बोला, "चलो।"
आभा ने रेयांश का हाथ पकड़ लिया और खड़ी होकर बोली, "प्लीज रेयांश, मुझे कुछ टाइम चाहिए। उसके बाद मैं खुद आपको खुद को सौंप दूंगी।"
फिर उसने रेयांश के चेहरे को पकड़कर उसके होंठों को अपने होंठों से कैद कर लिया। आभा को अच्छे से किस करना नहीं आता था, पर वह रेयांश के होंठों को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
रेयांश को बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि आभा ऐसा कुछ करेगी, इसलिए वह एकटक आभा को देख रहा था। थोड़ी देर बाद रेयांश को होश आया तो वह भी आभा को किस करने लगा। उनका किस एक पैशनेट किस में बदल गया।
आभा को जब साँस लेने में तकलीफ़ हुई तो रेयांश ने उसे छोड़ा और बोला, "ठीक है, मैं तुम्हें कुछ वक़्त देता हूँ। पर तुम प्लीज जल्दी से तैयार हो जाना। क्योंकि मैं और नहीं रुक पाऊँगा।"
आभा के गाल लाल हो गए और वह अपना सिर नीचे करके हाँ में सिर हिलाई। फिर दोनों वहीं बिस्तर पर लेट गए और चाँद तारों को देखने लगे। ऐसे ही दोनों एक-दूसरे की बाहों में कब नींद के आगोश में चले गए, दोनों को पता ही नहीं चला।
अगली सुबह,
रेयांश की आँखें जैसे ही खुलीं, वह चौंक गया।
आज के लिए इतना ही…
अब तक,
रेयांश को बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि आभा ऐसा कुछ करेगी इस लिए वो एक टक आभा को देख रहा था । थोड़ी देर बाद रेयांश को होश आया तो वो भी आभा को किस करने लगा । उनकी किस एक पैशनेट किस में चेंज हो गया ।
आभा को जब सांस लेने में तकलीफ हुई तो रेयांश उसे छोड़ता है और बोलता है ," ठीक है में तुम्हे कुछ वक्त देता हूं । पर तुम प्लीज जल्दी से तैयार हो जाना । क्यू की में और नही रुक पाऊंगा ।"
तो आभा के गाल लाल हो जाते है और वो अपना सर नीचे कर के हां में सर हिलाती है । फिर दोनों वहीं बिस्तर पर लेट जाते है । और चांद तारों को देखने लगते है । ऐसे ही दोनों एक दूसरे के बाहों में कब नींद के आगोश में चले गए दोनो को पता ही नही चला ।
अगली सुबह ,
रेयांश की आखें जैसे ही खुलता है वो चौक जाता है ।
अब आगे,
अगली सुबह ,
रेयांश की आखें सूरज की किरणों से खुलती है । उसे अपना चेहरा किसी सॉफ्ट चीज पर महसूस होता है । तो चौक जाता है और अपनी आखें जल्द से खोल देता है । पर सामने आभा को देख कर राहत की सांस लेता है ।
वो एक टक आभा को देख रहा था की आभा के आखें हिलने लगती है तो रेयांश समझ जाता है की अब आभा उठने वाली है । तो झट से अपनी आखें बंद कर देता है और अपने हाथ आभा के पेट पर रख देता है ।
धीरे धीरे आभा अपनी आखें खोलती है । तो उसके सामने रेयांश का हैंडसम सा चेहरा दिखता है ।
आभा ने पहली बार रेयांश को इतने करीब से देखा था । इस लिए वो उसके फेस में को जाति है । यूं ही रेयांश में खोए हुए वो रेयांश के फेस पर अपनी उंगलियां चलाने लगती है ।
फिर आभा रेयांश के चहरे के करीब जाने लगती है और उसके माथे पे अपना होठ रख देती है । फिर उसके नाक पर । फिर गालों पर । फिर उसके होठ पर अपने होठ रख जैसे ही अपने होठ अलग करने को हुई रेयांश आभा के गर्दन पे हाथ रख कर उसे अपने तरफ खींच लेता है ।
और उस छोटे किस को long and passionate kiss में चेंज कर देता है । आभा पहले तो चौक जाति है । फिर रेयांश का साथ देने लगती है । करीब 15 मिनट बाद दोनों को सांस लेने में दिक्कत हुई तो रेयांश ने आभा के होठों को छोड़ा ।
फिर शरारत से आभा को बोला ," बीवी तुम तो अपने पति का सोते हुए फायदा उठा रही थी । "
रेयांश की बात सुन कर आभा के गोरे गाल लाल हो गए । वो शरमाते हुए बोली," नही ऐसा कुछ नही है ।"
तो रेयांश उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए बोलता है ," तुम यदि ऐसे ही मुझे सोते हुए प्यार करोगी तो में तो हमेशा ऐसे ही सो सकता हूं ।"
रेयांश का ऐसी बेशर्म बाते सुन कर आभा का मन कर रहा था कहीं जा कर छुप जाने को । पर रेयांश तो उसे पकड़ कर रखा था जिससे वो हिल भी नहीं पा रही थी ।
आभा बोलती है ," चलिए घर पर सभी हमे ढूंढ रहे होंगे । "
तो रेयांश बोलता है ," कोई हमे ढूंढ नही रहा होगा । क्यू की मैने आदित्य को बोल दिया है हम दोनो दो दिनों के लिए बाहर गए हुए है ।"
तो आभा बोलती है ," ठीक है पर नीचे तो चलिए मुझे जोरो की भूख लगी है । "
तो रेयांश उसे शरारत से देखते हुए बोलता है ," मैने कुछ नही किया और तुम्हे इतनी भूख लगी है । और जब में ....."
रेयांश ने इतना ही बोला था की आभा उसके होठों पर अपना हाथ रख देती है और बोलती है ," आप तो ऐसे नही थे । ऐसे क्यू बेशर्म जैसे बात कर रहे है । "
तो रेयांश कुछ नही कहता और उसके हाथ को चूम लेता है । तो आभा हड़बड़ी में अपना हाथ रेयांश के होठों से दूर कर देती है ।
फिर रेयांश उठाते हुए बोलता है ," ठीक है चलो नीचे चलते है । "
फिर दोनों नीचे आ जाते है । आभा को रेयांश का रूम पता नही था । इस लिए वो रेयांश के पीछे पीछे ही जा रही थी । पर रेयांश उसे अपने गोद में उठा लेता है और कमरे के तरफ चल पड़ता है ।
कमरे में पहंच कर रेयांश कुछ ऐसा करता है जिसकी उम्मीद आभा को नही थी ।
आज के लिए इतना ही ....
तो आप सबको क्या लगता है रेयांश ने ऐसा क्या किया होगा? जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ और मेरे कहानी के साथ.......
Thank you for reading this chapter.
meri dusri kahani aap ko mere profile me mil jayega।
plz plz plz chapter अच्छा लगा हो तो like और comment कीजिये जिससे मुझे लिखने के लिए motivation मिलेगी ।
By by and take care guys मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में ।