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इश्क जुनून और किस्मत

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KUSUM DHARA

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Description

खुबसूरत अनाया अपनी परेशानियो के चलते पहुची बनारस और वहां उसकी मुलाकात हुई माधव से ! जो कि है बनारस का एक नामी बिजनेसमैन ! पहली नज़र में, अनाया माधव के दिल में, उतर गई और अंजाने में, बन गई उसकी पत्नी ! लेकिन अनाया जिसका है एक रा...

Characters

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Madhav singh thakur

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Aarav suryvanshi

Hero

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Anaya

Heroine

Total Chapters (113)

Page 1 of 6

  • 1. accident- Chapter 1

    Words: 1142

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के 10 बजे,

    एक लड़की दुकान में ताला लगाकर बस घरके लिए निकल ही रही थी, कि एक बच्चा उसके पास आते हुए बोला ,"दीदी, कुछ खाने के लिए दो ना बहुत भूख लगी है ।"

    वो लड़की उस बच्चे के सर को सहलती हुई बोली ,"भूख लगी है। "

    वो बच्चा हा मे सर हिलाने लगा। वो लड़की आस पास नज़र घुमाइ ,लेकिन लगभग सारी दुकान बंद हो चुकी थी, तभी उसकी नज़र एक छोटी सी दुकान पर गई ,जो दुकानदार बंद ही करने वाला था। वो लड़की जल्दी से उस दुकान दार के पास जाके बोली ,"भैया एक मिनट pls मुझे कुछ लेना है ।"

    दुकानदार बोला ,"ठीक है जल्दी करो। "

    वो लड़की  बच्चे को सामने करते हुए बोली," बेटा तुम्हें जो चाहिए ले लो।"

    वो बच्चा एक बार लड़की को देखा ,तो वो मुस्कुरा कर हा मे सर हिला दी । वो बच्चा भी जल्दी से दो तीन चिप्स के पैक और  बिस्किट ले लेता है ,वो लड़की दुकानदार को पैसे दे कर और धन्यवाद बोल कर चली जाती है ।

    वो लड़की यहाँ वहा देखती है ,तो रोड के वो पार एक लड़का बाइक के पास खड़ा था, वो लड़की रोड क्रॉस करके उसके पास चली जाती है और बोलती है ,"जलदी चलो रवि भैया हम लेट हो गए हैं ।"

    तो रवि उसके सर पर चपत लगाते हुए बोला ,"अच्छा देर हो रही है ,और जब तू दुकान से वो बच्चे को सामान दिला रही थी तो देर नहीं हो रही थी।"

    वो लड़की अपनी जीभ को दांतों के बीच दबते हुए बोली ,"आपने देखा लिया।" 

    रवि बोला ,"हा" 

    वो लड़की रवि को एक तरफ इशारा करती है तो ,रवि उस तरफ देखता है तो ,वहा दो तीन बच्चे वो वेफर और बिस्किट बैठ कर खा रहे थे। उनको देखने के बाद रवि उस लड़की से बोला ,"अनाया मैं जानता हूं कि, तुझे उन बच्चों को देख कर बुरा लगता है, लेकिन हम क्या कर सकते हैं।"

    रवि की बात पर Anaya बोली ,"कर सकते हैं ना रवि भैया हम उनको पैसे के बदले कुछ खाने के लिए, कुछ कपड़े देदे ,जिसे उनकी भूख भी मिट जाए और उनको पहनने के लिए कपड़े भी मिल जाएं।"

    रवि ना मे सर झटकते हुए," समझ गया मेरी मां, तू और तेरे फडे अब चले।"

    अनाया ,"हा।"

    दोनो वहा से बाइक पर बैठ के निकल जाते हैं । तो ये थी हमारी Anaya , उम्र 20 साल, बड़ी बड़ी भूरी आंखें, कमर तक लंबे काले बाल, स्लिम फिगर, गोरा रंग । एकदम शांत, परिवार से बढ़कर उसके लिए कुछ नहीं।

    वही दूसरी तरफ,

    मुंबई के एक महंगे क्लब में एक लड़की डांस फ्लोर पर डांस कर रही थी, और उसके हाथ में वाइन की बोतल, उसकी दोस्त उसको वहां से खींचते हुई ,"श्रीदा चल बहुत देर हो गई है ,चल ना ।"

    श्रीदा बोली ,"यार अंजू क्या ,तू मम्मी की तरह  करती है, रुक ना थोड़ा ।" 

    अंजू श्रीदा की दोस्त या ,ये कहना गलत नहीं होगा एकलौती दोस्त।"

    अंजू बोली,"बिलकुल भी नहीं हम अभी चलेंगे।" 

    उसपर श्रीदा बोली ,"यार तू इतना डरती क्यू है ,और इतना डरती है तो , फिर मेरे साथ आती क्यू है " श्रीदा नशे में बोली !

    तो अंजू मुस्कुराती हुई _"""तेरे लिए और सबको तेरे गुस्से से सबको बचाने के लिए  ।"

    अंजू की बात सुन श्रीदा मुँह बनाती हुई बोली ,"मैं कब गुस्सा करती हूं, वो तो वो सब ही मुझसे लड़ाई करने आ जाती है ,तो मैं बिचारी क्या करू ।"

    अंजू बोली,"हा मुझे पता है ,तू बिल्कुल शरीफ है। "

    तो श्रीदा पप्पी आइज़ बनाते हुए बोली ,"है ना ।"

    अंजू को श्रीदा की हरकतें देख हंसी आ जाती है, लेकिन कैसे भी करें वो उसे क्लब से बाहर ले आती है और कार में बिठा देती है । श्रीदा ने बहुत ड्रिंक कर ली थी ,इसलिए अंजू कार चला रही थी। लेकिन श्रीदा उसको बार-बार परेशान कर रही थी ,तभी सामने से आती बाइक से कार की टक्कर हो गई।

    कुछ घंटों बाद श्रीदा अपनी आंखें खोलती है तो, अपने आप को अस्पताल के बिस्तर पर पाती है, और अंजू ठीक उसके सामने बैठी थी उस के भी माथे पर पट्टी लगी हुई थी। अंजू को देखते ही श्रीदा जल्दी से उठती हैं ,लेकिन नर्स श्रीदा को मना करते हुई बोली ,"मैडम आप कृपया लेटे रहें अभी आप की हालत ठीक नहीं है " श्रीदा को भी चोट आई थी लेकिन इतनी नहीं कि वो बिस्तर से उठ भी ना पाये !

    श्रीदा नर्स की बात नहीं सुनती और जैसे तैसे उठ के अंजू के गले लग जाती है और बोलती है ,"भगवान का शुक्र है तू ठीक है ।"

    लेकिन अंजू उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती, जब श्रीदा को एहसास हुआ कि अंजू कुछ भी नहीं बोल रही है, तो वो अंजू को पकड़ के हिलाते हुए बोली,"क्या हुआ है अंजू, सब ठीक है ना ,तू ऐसे क्यों बैठी है कुछ बोल क्यों नहीं रही है।"

    अब जाकर अंजू को होश आया और वो रोते हुए बोली ," श्रीदा बहुत बड़ी समस्या हो गई है ।"

    अब श्रीदा को भी डर लगने लगा वो अपने माथे पर आए पसीने को पोछते हुई बोली ,"क्या हुआ है बता मुझे, देख कुछ भी छुपा मत सब बता ।"

    अंजू पहले आस पास देखती है फिर रोते हुए बोली," हमारी कार से एक्सीडेंट हो गया है, और उसकी हालत बहुत गंभीर है।"

    अंजू की बात सुनके श्रीदा अपने आप में बड़बने लगती है।" हे भगवान क्या हो गया ,अब मुझे पुलिस पकड़ लेगी ।"

    अंजू श्रीदा को चुप कराते हुए बोली ,"please श्रीदा शांत हो जा, please शांत हो जा, फिर कुछ सोचते हुए एक काम करते हैं ,चल उसे मिलते हैं फिर देखते हैं आगे क्या करना है।"

    दोनो चुपचप अपने वार्ड से निकल कर ढूंढते हुए एक्सीडेंट वाली लड़की के कमरे Room तक चले जाते हैं, दोनो दरवाजा खोलकर अंदर जाते हैं तो, देखते हैं कि, एक लड़की को ऑक्सीजन मास्क लगाया है, और उसके सर पर पट्टी भी बंधी हुई है, हाथो में glucose की सुई लगी है।" 

    श्रीदा और अंजू धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ती है, और उसके चेहरे के पास जा कर उसे देखने लगती है ,जैसा ही वो उसका चेहरा देखती है , श्रीदा दो कदम पीछे हो जाती है, अंजू को भी जैसे झटका लग जाता है ।

    तभी उस कमरे में एक लड़का आ जाता है ,उसके भी सर पर काफी चोट आई थी, लेकिन उसकी हालत वो लड़की जैसी नहीं थी । वो लड़का श्रीदा को देखते हुए शौक हो जाता है ,उसे भी समझ नहीं आ रहा था, कि जो वो देख रहा है वो सच है या सपना ।

    फ़िर उसकी नज़र बिस्तर पर लेटी हुई लड़की के ऊपर जाती है, और और वो लड़की को देखते ही वो लड़के का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच जाता है ।

    आख़िर ऐसा क्या हुआ जो श्रीदा और अंजू के होश उड़ गए...?

    जानने के लिए बने रहिये ......

  • 2. छह महीने बाद - Chapter 2

    Words: 1122

    Estimated Reading Time: 7 min

    6 महीने बाद,

    रामपुर,

    गांव के घर में, चहल पहल मची हुई थी, तभी एक औरत जिसकी उमर लगभग चालीस के आस पास होगी, वो बाहर आई और किसी को जोर से  बोली _"अरे क्या कर रही हो सब"!

    तभी उनमे से एक औरत बोली_" अरे नीता क्या हुआ ,ऐसे चिल्ला क्यू रही है"!

    नीता जी _"गुस्सा नहीं हो तो क्या करे ,शादी बियाह का घर लेकिन देखो सब ऐसे आराम से बैठे हैं और तो और  ये लड़की का भी कुछ  पता  नहीं है"!

     उनकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि एक रोबदार आवाज आई _"हा क्या फ़र्क पड़ता है उसे, अब तो वो अच्छा कमाने भी लगी है तो, उसकी नज़र में तो हम कुछ भी नहीं हैं"!
     
      उस आदमी की बात सुनकर नीता जी का मुंह उतर गया, वो थोड़ा उदास होते हुए बोली _"आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं " उन्होंने इतना ही बोला था कि वो चुप हो गई,
     क्योंकि उस आदमी ने अपना हाथ दिखा के वहां से चले गए थे !

    तभी एक लड़का नीता जी पास आते हुए बोला _"अरे चाची आप जानती हो ना चाचा जी ऐसे ही है,और वो जल्दी ही अनाया दी से भी अच्छे से बात करने लगेंगे"!

    उसकी बात पर नीता जी मुस्कुराती हुई उसके सिर पर हाथ फेरते हुये  अपने आप से बोली" जल्दी आ जा अनाया, नहीं तो तेरे पापा ना जाने क्या क्या सुना देंगे तुझे"!

      जी हां ये है, अनाया के माता-पिता ,मां नीता सिंह और पिता जगदीश सिंह। अनाया के घर में उस्के माता-पिता और बड़े पापा और बड़ी मां ,अनाया के माता पिता का नाम आपको बता दिया, अब रही बात उनके बड़े मम्मी पापा की तो उनका नाम मनोज सिंह और सुमन सिंह और इनके तीन बच्चे बड़ा बेटा रवि ,बेटी सुनीता और छोटा बेटा नमन!

    अनाया अपने माँ बाप की अकेली बेटी थी ,जैसा कि ज्यादा होता है ,लड़की होने की वजह से उसके पापा उससे हमेशा दूर रहते थे !

    वो कहते हैं ना कभी सब अच्छा होते हुए भी अच्छा नहीं होता बेटा ना होने की वजह से लोग जगदीश जी को सुनाते थे,पहले पहले तो उनको फर्क नहीं पड़ता था ,लेकिन वक्त के साथ-साथ उनको सबकी बातें चूभने लगी थी, और ये चुभन कब कड़वाहट में बदल गयी, उनको खुद पता भी नहीं चला।

    रेलवे स्टेशन पर, रवि सामान उतारते हुए बोला _"हम लेट हो गए हैं, मैंने कहा था ना कि तू दो दिन पहले ही छुट्टी लेले"!




    अनाया_" रवि भैया मैंने कहा था ऑफिस में, लेकिन अर्जेंट मीटिंग आ गई ,और प्रेजेंटेशन मैंने ही बनाया था इसलिए मुझे जाना पड़ा "!




    रवि _"ठीक है ,लेकिन अब चाचा जी का क्या, एक तो वैसे वो तुझसे नाराज़ रहते है, ऊपर से तेरा काम मैंने कहा है ना ,मैं संभल लूंगा "!

    अनाया_"मुझे पता है भाई ,आप संभल लेंगे, लेकिन जब तक सब ठीक नहीं हो जाता, तब तक तो कर लेने दिजिये"!

     रवि बात को टालते हुए बोला_" अच्छा अच्छा चल ठीक है ,अभी पहले घर पहुंचते है', ठीक है"!और दोनों घर के लिए निकल गए !

    वही अनाया के घर पर एक लड़की यहां से वहा चक्कर काट रही थी, तभी नमन अपने कमर पर हाथ रखकर वो लड़की के सामने खड़े होकर उसको घूरते हुए बोला_" दीदी आप ये क्या कर रही हो"!
     ये लड़की कोई और नहीं नमन की बड़ी बहन सुनीता थी !

    सुनीता नमन को आँखे दिखाते हुए बोली_"ओए छोटे तू ऐ से क्यों खड़ा है !

    तो नमन अपनी बहन की नकल करते हुए बोला_" मैं तो तेरी प्यारी बहन का इंतजार कर रहा हूं ,पता नहीं कहां रह गई "!

    नमन की हरकत देख सुनीता आँखे छोटी करते हुये बोला _"और कहा होगी"!

    "आपके दिल में दी " आवाज़ सुनकर सुनीता पलट के देखी  तो वहा रवि और अनाया खड़े थे ! उनको देख कर सुनीता भाग के गई और अनाया के गले लगते हुये  बोली_"तू  तो मेरी जान है"!




    "और मैं"  रवि दोनों को देखते हुए पुछा तो  वो दोनों साथ में रवि को गले से लगा लेती है , नमन भी आगे उनके गले से लग जाता है।

    तभी किसी की आवाज आई "हो गया मिलाप तो, हमसे भी मिल लो, या फिर "तभी अनाया उनकी तरफ जाते हुए बोली "नहीं बड़े पापा, आपको कैसे भूल जाएंगे हम"!




    अनाया उनके पैर छूती  है ,और उनके बगल में खड़ी अपनी बड़ी मां के भी ,दोनो उसके सिर पर प्यार से हाथ रख के आशीर्वाद देते हैं!

    तभी अनाया की माँ आती हुई बोली _"अनु जा एक बार पापा से मिल ले "और आँखों से ही इशारा कर देती है, अनाया वो इशारा समझ के अपने पापा के कमरे की तरफ चली गई !

    अनाया अंदर जाके देखी तो उसके पापा कुर्सी पर बैठ के कुछ हिसाब कर रहे थे!

    वो जाके उनके पैर छुती है, जगदीश जी  अनाया को बिना देखे हि बोले_" कितने दिन के लिये आई हो"!

     अनाया _"पापा एक हफ्ते के लिए"!

    जगदीश जी _"ठीक है लेकिन ,याद रखना तुम्हारी वजह से किसी को समस्या नहीं होनी समझी "अपनी बात पूरी करके वो वहां से चले गए !




    अनाया को अपने पिता का खुद के लिए ऐसा व्यवहार बहुत तकलीफ़ पहुचता था और ऐसा नहीं था कि ये पहली बार था!

    अनाया भी अपने आंसू छुपा के बाहर आ गई !

    रात हो चली थी, कल से हल्दी का प्रोग्राम चालू होने वाला था ,इसलिए घर की औरतें तैयारियाँ देख रही थी, खाना खाने के बाद अनाया छत पर चली गई, अनाया ने सफ़ेद और नारंगी रंग का सूट पहना था ,अपने लंबे बालों की चोटिया बनाके उनको  आगे लिया हुआ था ,उसके चेहरे पर पड़ती चांद की रोशनी उसकी खुबसूरती को और निखार रही थी !

    अनाया अपनी भूरी आँखों से चाँद को देख रही थी ,जैसे उनमे हज़ारो सवाल हो जिनका जवाब उसे चहिए था ,तभी उसे  अपने पास कीसी की प्रेसेंस फिल हुई , उसने पलट के देखा तो रवि था ,अनाया रवि को देखते हुए बोली _"अरे भाई आप"!

    रवि_" हा ,तुम किसी और की उम्मीद कर रही थी " इसपर अनाया ने ना मे सर हिला दिया !

    रवि अनाया की तरफ देखते हुए बोला _"मैंने सुना चाचा जी ने जो कहा, उनकी तरफ से मैं माफी मांगता हूं "!

    अनाया रवि की बात पर ना मे सर हिलाते हुए बोली _"नहीं भाई आपको माफ़ी माँगने की जरुरत नहीं, जब दोष खुद अपनी किस्मत का हो ,तो कोई कुछ भी कर नहीं सकता है "!

    रवि ने कुछ नहीं बोला और अनाया को साइड हग कर लिया! 

    दोनो अभी बात कर ही रहे थे ,तभी अनाया का फोन बजता है, फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देख कर दोनो परेशान हो गए !
     

    आख़िर कौन था जिसका नाम अपने फ़ोन पर देख कर अनाया  परेशान हो गई ...?जानने के लिए पढ़ते रहिये ..... Ishq joonun aur kismat .....















    ...

  • 3. अनाया की परेशानि - Chapter 3

    Words: 1295

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे, 




    अनाया और रवि छत पर बैठे थे, तभी उसका फोन बजा , फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देख कर रवि और अनाया ने पहले एक दूसरे को देखा फिर अनाया ने कॉल रिसीव कर ली और सामने से कोई कुछ बोलता उसके पहले हि अनाया और रवि एक साथ परेशानी भरे लहजे में बोले _"क्या हुआ सब ठीक है ना  "!




    दोनो की परेशानि भरी आवाज़ सुन के सामने वाला इंसान बोला _"हा सब ठीक है, तुम दोनो टेंशन मत लो "सामने वाले की बात सुनके ये दोनो ने राहत की सास ली !




      और रवि अनाया को बात करने का बोल के वहां से निकल गया, अनाया भी थोड़ी देर बात करती है और फिर वो भी कॉल कट करके नीचे आ जाति है और अपने कमरे में जा कर जैसे ही सोने जाती है की उसका इंतज़ार करती हुई सुनीता उससे बोली _" अनु कहा थी तू  "?




    अनाया_" कुछ नहीं दी, बस थोड़ी देर के लिए छत पर थी"!




    सुनीता _"सब ठीक ना अनु ,तू क्या रो रही थी "!




    अनाया जब फोन पर बात कर रही थी, तो उसकी आंखे नम हो गई थी, अनाया अपनी नज़रे चुराते हुए बोली _"कुछ नहीं दीदी लगता है कुछ चल गया, और आपकी शादी भी तो हो रही है ,आप भी तो हम सबको छोड़ कर कर ससुराल चली जायेगी इसलिए लगा रहा कि सारे आसु एक साथ निकल रहे हैं "!




    अनाया की बात सुनके सुनीता भावुक होते हुए अनाया के गले लग गई ,थोड़ी देर वैसे हि रहने के बाद दोनों सो गई !




    सुबह का वक्त 




    सूरज भगवान अपनी लालिमा बिखरे सब पर अपना आशीर्वाद बरसा रहे थे, लेकिन नीचे नीता जी सब पर अपना गुस्सा बरसा रही थी, शादी तो उनकी जेठानी की बेटी हो रही थी ,लेकिन तैय्यारियों को लेकर ने नीता जी परेशान थी !




    नीता जी अनाया को आवाज लगाते हुए बोली _"अनू उठी की नहीं ,जल्दी उठ और सुनीता को भी उठा आज हल्दी है उसकी "!




    अनाया_"हा मा हम उठ गए हैं, थोड़ी देर में आ रहे हैं "!




    नीता जी गुस्सा करते हुए बोली _"क्या होगा इनका सुबह इनको आवाज देके उठाना पड़ता है,ना जाने ससुराल जाके क्या करेगी "ऐसे ही बड़बड़ाते हुए अपने काम मे लग गई !







    रवि बाहर से आते हुए बोला _"चाची आपने जो फूल और पूजा के लिए जो सामान लाने के लिए बोला था ,वो मैं लेकर आ गया हूँ ,आप एक बार देख लीजिये"!







    नीता जी रवि के हाथ से सामान लेके चेक करते हुए बोली _"हा अभी तो सब ठीक लग रहा है, एक बार पंडित जी से पूछ लेती हूं फिर बताती हूं "तो रवि ने हा मे सर हि दिया देता !







    जगदीश जी बाहर जाते हुए नीता जी से बोले _"नीता जी सब अच्छे से चेक कर लीजियेगा ,कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए " तो नीता जी हा मे सर हिला दिया और फिर से सब चेक करने लगती है!




    समान को चेक करते हुए नीता जी सुमन जी से बोली _"जीजी हल्दी तो लड़के वालो की तरफ से आयेगी ना, आपकी बात हुई कब तक आयेगी हल्दी "!




    सुमन जी _"हा मेरी बात हो गई, वक़्त पर आ जायेगी तू चिंता ना कर" !




    नीता जी _"कैसे ना करू जीजी लड़की वाले हैं, कोई गड़बड़ ना हो।" और फिर से काम में लग गई !




    सब देखने के बाद नीता जी थोड़ी देर के लिए बैठ गई, तभी उनके सामने अनाया पानी का ग्लास देते हुए बोली _"इसे पियो मा, कबसे यहां से वहा कर रही हो ,तबियत खराब हो गई तो "!




    तो  नीता जी मुस्कुराते हुए बोली _"कुछ नहीं होगा ,अभी तो मुझे तेरी भी शादी देखनी है इसलिए तु मेरी चिंता ना कर समझी "!




    नीता जी की बात पर अनाया फिका सा मुस्कुराइ और उनके हाथ से ग्लास लेके चली गई ! रवि भी दूर खड़ा सब देख रहा था ,वो भी अच्छे से समझ रहा था की अनाया  ये वक्त क्या महसूस कर रही होगी !




    देखते-देखते दोपहर हो गई, और लड़के वालो के तरफ से हल्दी भी आ गई, लड़की वालो ने लड़के वालो का अच्छे से स्वागत किया चाय नास्ता हो जाने के बाद वो लोग भी निकल गये !




    हल्दी की रस्म चालू हो चुकी थी, सुनीता को पाट पर बैठा दिया गया और उसकी माँ को उसके पीछे  खड़े करके रस्म की शुरुआत हुई ! सबसे पहले सुहागनो ने सुनीता को हल्दी लगाई, उसके बाद कुंवारी लड़कियों ने, कुछ देर तक रस्म हुई उसके बाद सुनीता को नहला के उसके, कपड़े चेंज करके उसको एक लोहे का चीज दिया और अकेली कही भी जाने के लिए मना करके उसे उसके कमरे में ले गए !




    सारी रस्मो में अनाया नहीं थी ,उसने दूसरे कामो में अपने आप को व्यस्त कर लिया था, और हल्दी मे मोहले की औरत भी आई थी, घर में भीड होने की वजह से किसी का ध्यान भी नहीं गया !




    शाम हो चली थी, सब बैठ के नाच गाना कर रहे थे, अनाया भी सुनीता के पास बैठी थी , सुनीता की दोस्त, अनाया की दोस्त भी आई हुई थी, सुनीता की दोस्त तो उसके साथ अच्छे से मिलकर नाच गाना कर रही थी, लेकिन अनाया जयादा किसी से बोल नहीं रही थी, वो सुनीता के साथ ही रह रही थी, तभी उनमे से एक आगे आके बोली _"क्या हुआ अनु, तू हम सब से नाराज है क्या"! 




    अनाया_"अरे ऐसा कुछ नहीं और तुम सबको ऐसा क्यों लगा"! 




    तभी उनमे से एक लड़की बोली _'माना कि तू हमेशा शांत रहती है, लेकिन पहले जब तू हमारे साथ रहती थी तो ,बहुत बातें करती थी, तो अब ऐसे चुप चुप क्यू"! 




    अनाया अपने माथे पर आये पसीने को पोछते हुए बोली _"अरे ऐसा कुछ भी नहीं है, मैं अभी अपनी दीदी के साथ रहना चाहती हूँ कल उनकी शादी हो जायेगी ना इसलिये" !




    अपनी बात पूरी करके अनाया एक नजर रवि को देखी, जो वही थोड़ी दूर पर बैठा था ! रवि आंखो से हि उसे शांत रहने का इशारा किया लेकिन कोई था ,जो ऊपर छत से ये सब देख रहा था !




    सुनीता भी अनाया को देखती हुई बोली _'अनु तू सच में ठीक  है ना जब से आई है, बदली बदली सी लग रही है "!




    उसपर अनाया मुस्कुराती हुई बोली _'ऐसा कुछ नहीं है दीदी, आप अपने संगीत पर ध्यान दो ना  !




    अपनी बात पूरी करके अनाया अपने कमरे में चली गई, और अपने फ़ोन मे फोटो को देखते हुए' बोली _"और कितना इंतजार कराओगी जल्दी आ जाओ ना ,मैं नही संभल पा रही हूं "!




    अनाया जब रूम की तरफ आ रही थी तो रवि ने उसको देखा लिया था, इसलिए सबसे नजरे चुराके वो भी आ गया! अनाया को उदास देख वो उसके सर पर हाथ रख कर बोला _'तुमने बहुत अच्छा से  संभाला है", रवि  को अपने सामने देख अनाया उसके गले लग कर रोने लगी  इस बात से अंजान की कोई उन्हें देख रहा है !




    अनाया रोते हुए बोली _"नहीं भाई नहीं संभल पा रही हूं,आप कितना भी कहो लेकिन हमेशा ऐसा कुछ हो जाता है ,जिस से ऐसा लगता है. की बस अभी पकड़ी जाऊँगी"!




    रवि_"देखो ऐसा नहीं है, बस कुछ दिन की बात और है "!




    अनाया_"नहीं भाई बात उसकी जगह लेने की नहीं है, सच तो ये है कि मैं उसके जैसी कभी भी बन नहीं पाऊंगी, आपने सच कहा था मैं मैं हूं और वो वो है "!




    जब रवि को लगा कि अनाया भावनाओ मे बेहकार सब बोलने वाली है तो वो उसको चुप कराते हुए बोला _"बस करो शांत हो जाओ वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी, और हमारे साथ होगी !




    तभी उनको कुछ गिराने की आवाज़ आयी, जब दोनो पलट के  देखा तो उनकी आंखें बड़ी हो गई !




    आख़िर क्यों थी, अनाया इतनी परेशान!

    जानिये  next chepter me....pls read and do like comment and share......

    Tc....

  • 4. शादी - Chapter 4

    Words: 1144

    Estimated Reading Time: 7 min

    आगे,




    अनाया रवि के गले रो रही थी,और जो उसके मन में इतने दिनों से तकलीफ़ थी, उसको अपने आशुओ से बाहर निकल रही थी !




    रवि अनाया को चुप करवाते हुए बोला _"देख अनु please चुप हो जा, कोई देख लेगा तो हम क्या जवाब देंगे "!




    अनाया को कुछ भी नहीं सूझ रहा था, वो तो बस अपना मन हल्का करना चाहती थी, लेकिन उसको ये नहीं पता था कि कोई कब से उनकी बाते सुन रहा था !




    सबसे अंजान अनाया  रोते हुए बोली _"भाई pls मुझे माफ कर दीजिए मैं अपना वादा नहीं निभा पाई ,आपने सही कहा था वो वो है, और मैं मैं हू ,मैं कभी उसके जैसी नहीं बन सकती !




    रवि को अब डर लग रहा था कि ,कहीं कोई उनकी बात ना सुन ले! तभी उनको कुछ गिरने की आवाज आई, आवाज सुनकर दोनो ने जब पलट के देखा तो नीता जी दरवाजे पर खड़ि दोनो को हैरानी से देख रही थी !




    नीता जी ने जब अनाया को अंदर आते हुए देखा तो वो, उसके लिए खाना लेके आ रही थी, लेकिन उनका बैलेंस बिगड गया और सारा खाना गिर गया और उसकी आवाज से अनाया होश में आई !




    नीता जी अपने सर पर हाथ रखते हुए _"हे भगवान रुक मैं दूसरा लाती हूं" और  वो जाने लगी ,उनको जाते देख अनाया और रवि ने राहत की सास ली ,लेकिन अगले पल वही सास फिर से अटक गई !




    नीता जी जाते जाते रुक गई और पलट के उन दोनो के पास आके बोली _"किसकी बात कर रहे थे तुम दोनों, और किसके जैसी नहीं बन सकती तू ,और तू इतना रो क्यों रही थी!




    नीता जी अनाया के चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोलीं ! नीता जी के सवाल का जवाब दोनों के पास नहीं था, अब दोनों ब्लैंक हो चुके थे, नीता जी को देख के अनाया को बहुत बुरा लग रहा था !




    इसलीये अनाया उनसे नज़रे चुराने लगी ,अनाया को ऐसे करते देख रवि झट से बोला _" चाची ये सुनीता की बात कर रही है ,कल उसकी शादी हो जाएगी और वो अपने ससुराल चली जाएगी और वो कितने अच्छे से सब संभाल लेती है ना सब कुछ, इसलिए ये बोल रही थी कि उसके जैसी नहीं बन सक्ती" !




    नीता जी को रवि की बात सुनकर अजीब लगा, फिर भी वो अनाया के सिर पर हल्के से चपत लगाते हुए बोली _"पागल कही की तू बिल्कुल उसके जैसी ही है ,एकदम झल्ली"!




    नीता जी की बात पर तीनो हंस दिए,अनाया को फिर से हंसता देख नीता जी बाहर चली गई ! उनके जाते ही अनाया फिर से उदास हो गई !




    नीता जी को तो रवि ने बहाना दे दिया था और वो मान भी गई थी लेकिन कोई और भी था ,जिसको कुछ गड़बड़ लग रही थी !




    अनाया को शांत कराके रवि उसको लेकर बाहर आया अनाया अब काफ़ी हद तक ठीक महसूस कर रही थी ,




    बाहर भी सब नाच गाना कर रहे थे, नमन ने जब अनाया को देखा तो उसका हाथ पकड़ के सबके बीच लाके उसके साथ डांस करने लगा !सबको खुश देख कर अनाया भी खुश हो रही थी और अनाया को खुश देख कर रवि भी खुश था !




    देखते-देखते संगीत का फंक्शन  हो गया !




    गांव की रस्म के हिसाब से शादी के फंक्शन मे हल्दी और संगीत के फंक्शन अपने अपने घर पर होते थे !




    सुबह हुई ,आज रात बारात आने वाली थी, घर मे जोर शोर से तैय्यारिया चल रही है,कहीं मिठाईया बन रही थी, तो कही सजावट चालू थी




    कहीं बारातियों के स्वागत के लिए पकवान बन रहे थे,आज सबको उनके हिस्से का काम को दे दिया गया था, अनाया सुनीता की मदद कर रही थी ,उसके  जरूरत के सामान को पैक करने के लिए, अचानक से अनाया उठी और अपना बैग लेकर आई और उसमें से एक बैग निकाल के सुनीता को दे दि!  जब सुनीता ने उस बैग का सामान देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गईं !




    सुनीता हैरानी से बोली _"अनु ये तो बहुत महंगी लग रही है, मैंने टीवी पर देखा है ,इसका दाम बहुत ज़्यादा होता है!




    सुनीता की बात पर अनाया बोली _"ऐसा नहीं है दी,जो टीवी पर दीखता है ,वैसा ही कम रेट में भी मिलता है !




    अनाया की बात पर सुनीता चौकते हुए बोली _"ऐसा भी होता है क्या" तो अनाया ने हा मे सर हिला दिया और फिर दोनो अपनी तैयरियो पर ध्यान देने लगी!




     देखते-देखते शाम हो गई, सुनीता को अनाया  तैयार कर रही थी  ! उसके तैयार करने के तरीके को देख कर सुनीता बोली _"अरे वाह अनु कितने अच्छे से किया तूने ,लेकिन तूने ये सब सिखा कब "!




    अनाया _"अरे दी ये तो कुछ भी नहीं है, ऑफिस में तो सब इससे भी ज्यादा तैयार होती है ! 




    सुनीता_"इतना “अनाया ने हम्म्म मे जवाब दिया !




    सुनीता का रंग-रूप अनाया के मुकाबले थोड़ा कम था, लेकिन जिस तरह से आज उसने सुनीता को तैयार किया था, उसका कोई जवाब नहीं, अगर उसको कोई देखे तो अपना दिल हार बैठे !




    अनाया ने सुनीता को उसकी नेचुरल खूबसूरती के साथ ही मेकअप किया था, लाल कलर की साड़ी, बालों की चोटी करके उसमें फूल, गले में खुबसूरत सा हार, माथे पर मांगटीका, कानो में बड़े बड़े झुमके ,दुल्हन की चूनर ,हाथो में भरी भरी लाल और हरी चुड़िया ,पैर में पायल कुल मिला कर बहुत सुन्दर! 




    नीता जी और सुमन जी सुनीता को चेक करने आ रहे थे, क्योंकि बारात बस थोड़ी ही देर में आने वाली थी ,और उनको ये भी परेशानी थी कि वो तैयार हुई या नहीं क्यूकी अनाया ने सबसे कहा था कि वो सुनीता को तैयार करेगी !लेकिन अब उनको ये डर था की ,अनाया दुल्हन की तरह तैयार कर पाएगी या नहीं !




    नीता जी और सुनीता आपस में बात करते हुए आ रही थी, कमरे में आकार सुमन जी सुनीता को बिना देखे  बोली_" तैयार हुई या नहीं और कितना वक्त लगेगा"!




    अपनी मां की बात सुनके सुनीता उनके सामने आके खड़ी हो गई  ! सुनीता को तैयार देख दोनो अपने मुँह पर हाथ रख कर एकटक उसको देखने लगी !




    अपनी मां के ऐसे देखने से सुनीता ने एक बार अनाया को देखा फ़िर अपनी माँ से बोली _"क्या हुआ माँ मैं अच्छी नहीं लग रही हू "!













    सुनीता की आवाज़ से नीता जी और सुमन जी उसकी बलैया लेते हुए बोली_"किसने कहा तू अच्छी नहीं लग रही"!




    इसपर सुनीता ने झट से कहा _"तो फिर आप सब ऐसा क्यों देख रही हो!"




    सुनीता की बात पर नीता जी और सुमन जी मुस्कुराते हुए बोलीं _"झल्ली कहीं की हमे तो पता हि नही था ,की हमारी बेटी इतनी खूबसूरत है"! 




    उनकी बात सुनके अनाया और सुनीता दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गई!




    तभी बाहर से किसी के चिल्लाने की आवाज आई ...




    So readers milte hai next chepter me....aaj ka chepter aapko kaise laga comment mei batana jarur ......




    Tc....

  • 5. खुबसूरती विरासत में मिली - Chapter 5

    Words: 1300

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे,

    नीता जी और सुमन जी सुनीता की नजर उतार रही थी ! सुनीता को देखते हुए सुमन जी के आंखों में आंसू आ गए, और उन्होंने आंखों से हि अनाया को धन्यवाद बोला !

    अनाया ने भी बस अपनी पलकें झपका दी तभी नीता जी बोलीं _"चलो अच्छा है ,जीजी अनु ने अच्छे से सुनीता को तैयार कर दिया"!

    और फ़िर अनाया को देखते हुए बोली _"अनु तू भी जल्दी से तैय्यार हो जा, बारात बस आने ही वाली होगी "!

    अनाया मुस्कुराती हुई बोली _"हा माँ अभी जाती हूँ, बस ये सब समेट लू "जिसपर नीता जी ने बस सिर हिला दिया !

    सब समेटने के बाद अनाया खुद तैयार होने चली गई!

    बाकी वह दोनों सुनीता को समझा रही थी ,तभी बाहर से नमन चिल्लाते हुए आया  और बोला _"माँ, चाची बारात चौराहे तक आ गई है, पापा ने कहा है ,सब तैयार रखने के लिए "नमन की बात सुनके नीता जी और सुमन जी सुनीता के सिर पर हाथ रख कर दूल्हे के स्वागत की तयारी देखने चली गई !

    वही सुनीता अपने कमरे में शीशे के सामने खड़ि होकर अपने आने वाले जीवन के सपने सजा रही थी !

    थोड़ी ही देर में बारात दरवाजे तक आ गई! 

    सुनीता की मां आगे आके, दूल्हे की आरती उतार के उसकी नजर उतारी, फिर उसको थोड़ा सा मीठा खिला के पानी पिलाई ,अब बारी आई नाक खींचने की ,तो सुनीता की मां ने दूल्हे की बलैया लेते हुए उसकी नाक खींच ली!

    उन्होंने ये सब इतनी जल्दी मे किया कि दूल्हे को पता भी नहीं चला और उसकी नाक भी खिच गई ! सुमन जी के ऐसे करते ही ,लड़की वाले खुश हो गए और लड़के वालो का मुंह बन गया !  

    फिर वो दोनों दूल्हे को अंदर ले गए, और जगदीश जी और उनके बड़े भाई माला पहना के बारातियों का स्वागत करने लगे ! रवि अंदर की सारी व्यवस्था देख रहे था !

    घर के सारे लोग बढ़ चढ़ कर शादी के काम कर रहे थे ! लेकिन जगदीश जी ने अनाया को दूर-दूर से ही करने के लिए बोला था ,उनकी नज़र मे उसका आना या ना आना एक बराबर था ! लेकिन अगर वो नहीं आती तो भी उनको तकलीफ थी, और आ गई तो भी है !  

    थोड़ी देर में दूल्हा मंडप में बैठा था, और पंडित जी वर पूजा कर रहे थे ! सुनीता के माता पिता मंडप के पास ही बैठे थे, रवि और जगदीश जी बारातियों में लगे हुए थे ,सुनीता के साथ उसकी सहेलियां बैठी थी ! क्यूकी अनाया तैयार होने गई थी, और नीताजी घर की बाकी की चीज़ों में लगी थी! 

    सुनीता को उसकी एक सहेली छेड़ते हुए बोली _"सुनीता तेरे होने वाले वो तो बहुत handsome है, तेरी तो चांदी है "!

    तभी एक और सहेली छेड़ती हुई बोली _"अरे ये तो अब हमको भूल जायेगी "!

    तभी दरवाजे से आवाज आई _"अरे बस भी करो कितना परेशान करोगी ,मेरी दीदी को "!

    अनाया की आवाज़ सुन के सब कुछ बोलने के लिए पल्टी ही थी कि, सब की सब आँखे फाड़ के अनाया को देख ने लगी ! अनाया ने बनारसी लहंगा पहनना था ,गुलाबी और तोता हरा मिक्स, चेहरे पर हल्का सा मेकअप, कानों में छोटे-छोटे बुंदे, बालो को आगे से डिज़ाइन करके चोटी किया था, हाथो में गुलाबी चुड़िया, और उसकी भूरी आँखों में काजल !

    अनाया बिना मेकअप के भी बहुत खुबसूरत लगती थी ,और आज तो वो तैयार हुई थी  ! उसकी और सुनीता की सहेलीया उसको देख के कुछ बोल ही नहीं पा रही थी !

     और वही नीता जी सुनीता को लेने आ रही थी ,और उनकी नज़र अनाया पर पड़ी और उसको देखते ही उनके चेहरे पर छोटी सी लेकिन प्यारी सी मुस्कुराहट आ गई ,लेकिन अगले ही पल चली भी गयी !

    वो अपने मन में बोली_" जिसका डर था, वही हुआ कहीं इसकी खुबसूरती सुनीता के शादी के  आड़े ना आ जाए" ,इसलिए वो खुद अनाया के साथ वही रुककर सुनीता को उसकी सहेली के साथ मंडप में भेज दि !

    नीता जी अनाया को कुर्सी पर बिठाते हुए बोलीं _'देख बेटा मुझे गलत मत समझ, लेकिन तू शादी होने तक मंडप की तरफ नहीं जाएगी "! 

    अपनी मां की बात सुनकर अनाया आगे बोली _"मां मैं जानती हूं ,आप ज्यादा मत सोचो ,मैं तो इसमें ही खुश हूं कि, कम से कम दीदी की शादी का हिसा बन पाई ,दूर से ही सही, और आप चिंता मत करो ,मेरी वजह से कोई समस्या नहीं होगी  "नीता जी बेबसी से एक नज़र अनाया को  देखी और फ़िर  वो भी कमरे से बाहर चली गई!

    (लोग कहते हैं, ना जब एक लड़की किसी की पत्नी बनती है तो ,उसके लिए उसका पति सब कुछ बन जाता है ,और जब वह मां बनती है तो उसका बच्चा उसके लिए सब, लेकिन कभी-कभी मां की ममता के आगे पत्नी का फर्ज ज्यादा जरूरी हो जाता है, वही हाल यहां नीता जी का था  ,वो भी  एक ऐसी पत्नी थी जो ,अपने पति का साथ तो दे रही थी, लेकिन अपने बच्चे के लिए कुछ नहीं कर सकती थी )

    मंडप में शादी शुरू हो गई थी, पंडित जी जैसे जैसे बोल रहे थे ,सुनीता और उसका पति वैसा वैसा कर रहे थे !  पहले दोनों ने एक दूसरे को माला पहनाई , उसके बाद सुनीता के माता पिता ने उसका कन्यादान किया , कन्या दान होने के बाद वो दोनों फेरो के लिए खड़े हुए, फेरे होने के बाद सिन्दूरदान और मंगल सूत्र के साथ शादी संपन्न हुई !

    यहां शादी की रस्म हुई और वहा अनाया छत पर खड़ी होकर चांद को देखा रही थी, और हमेशा की तरह उसकी आंखो में हजारो सवाल जिसका जवाब तो छोड़ो खुद सवाल ही अपने आप में सवाल था !





    यहां रामपुर में तो शादी हो रही थी, लेकिन सबके होते हुए भी अनाया अकेली थी !

    वही मुंबई के एक आलीशान घर में, एक लड़की बेसुध सी बेड पर पड़ी हुई थी ,उसके बेड के आस पास अस्पताल के उपकरण, हाथो में मशीन लगी हुई थी, जो उसे के दिल की धड़कन  को गिन रहे थे और उसके पास बैठी एक लड़की उसको को देखते हुए बोल रही थी_"अब बस भी कर यार कब तक ऐसे रहेगी ,तुझे पता भी है, यहां कितनी जरूरत है तेरी ,और कितनी सजा देना चाहती है तू , plz वापस  ना आ जा "बोलते हुए उसके आँखो में आंसू आ गये थे !

    वही दरवाजे पर खड़ि एक औरत जो उसकी बात सुनकर अपने आंसुओं को छुपाने की कोशिश कर रही थी वो अंदर आते हुए बोली _"अच्छा है और डाट इसे तभी ये झगड़ने वापस आएंगी कब से कह रही हूं बस हो गया, इतना मत सो, उठ जा, बहुत हो गया उठ भी. " बोलते बोलते वो औरत रो देती है !

    वो लड़की अपनी जगह से उठ के वो औरत को संभालते हुई बोली  "आंटी प्लीज मत रोइए ना वो नहीं उठेगी ,कुछ ज्यादा ही नाराज़ हो गई है वो हमसे "!

    वो औरत उस लड़की को देखते हुए _"अंजू बोल ना इसे कि मुझे माफ़ कर दे, मैं फ़िर कभी इसे नहीं डांटुगी बोल ना इसे"!

    अंजू वो महिला को पानी का गिलास देकर " plz आप शांत हो जाएं नहीं तो, आपकी तबीयत खराब हो जाएगी "!

    ये औरत कोई और नहीं नीलम अवस्थी है, उम्र लगभाग 40  और बिस्तर पर लेटी हुई लड़की है श्रीदा !

    "नीलम जी की भी आँखे श्रीदा की तरह है ,और खुबसूरती भी श्रीदा को उनसे ही मिली है  ,ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि श्रीदा को ख़ूबसूरती उसको विरासत में मिली उसकी माँ से " !

    नीलम जी अंजू के गले लगी रो रही थी कि, उनकी नज़र श्रीदा के हाथ पर पड़ी और वो एक दम से खुश हो गई !

    So milte hai next chepter me..... Pls friends read and do like comment and share....

    Tc..

    Gn....

  • 6. रवि ने दिखाया आइना - Chapter 6

    Words: 1279

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे,





    अंजू नीलम जी को गले लगा के समझा रही थी ,और अंजू उनको दिलासा दे रही थी, क्योंकि इसके अलावा वो भी कुछ नहीं कर सकती थी !

    अंजू उनको दिलासा देते हुए बोली _"प्लीज आंटी आप शांत हो जाइएं ना ,नही तो आपकी तबीयत खराब हो जाएगी, प्लीज आंटी शांत हो जाएं ना "!

    अंजू उनको तो समझ रही थी ,लेकिन वो खुद भी श्रीदा को ऐसे देख के खुश नहीं थी ! एक श्रीदा ही तो उसके पास थी, जो उसको प्यार भी करती थी ,और उससे लड़ाई भी करती थी ,उसके अलावा अंजू पास कोई दोस्त भी नहीं था !

    अंजू वैसे ही नीलम जी को गले लगाये  हुए अपने मन में बोली _" वापस आ जाना तेरे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता " अंजू अपने मन में सोचते हुए अपनी आंखें बंद कर ली और उसकी आँखों से आसू की एक बूँद उसके गालो पर आ गए !

    नीलम जी वैसे हि अंजू के सीने से लगी रो रही थी, कि अचानक उनकी नज़र श्रीदा के हाथों पर चली गई ! ,नीलम जी ख़ुशी से अंजू से अलग होते हुए बोली _ "अंजू ,अंजू देख देख श्रीदा के हाथो में मूवमेंट हो रही है, देख ना "!

    नीलम जी की बात सुनके अंजू श्रीदा के हाथों को देखने लगती है तो पाती है कि सच में श्रीदा अपनी उंगली हिला रही थी ,अंजू खुश होते हुए नीलम जी तरफ देखती है, और कमरे से बाहर चली जाती है !

    रामपुर मे,

    अनाया छत पर खड़ि होकर चांद को देख रही थी इस बात से अंजान की कोई उसे ही देख रहा है ! 

    आंगन में शादी पूरी हो चुकी थी, अब सब घर वाले खाने बैठे थे ! रवि अपनी खाने की थाली लेकर छत की तरफ चला गया !  उसको जाता देखा जगदीश जी अपने मन में बोले _"पता नहीं दोनो का क्या चलता रहता है ,जो भी हो वो बस जल्दी से वापस चली जाए और उसके साथ यह घर की समस्या भी "वही उनके बगल में बैठे मनोज जी उनकी बात सुनकर ना में सर हिलाने लगे !

    वही छत पर रवि अनाया के आगे खाने की थाली रखते हुए बोला _"भूख नहीं लगी है तुम्हें"!

    तो अनाया रवि के हाथ से थाली लेकर बगल में रखे टेबल पर रख दी और उसके हाथ को पकड़ के खुशी से बोली _"भाई लगता है ,आज कुछ अच्छा होने वाला है "!

    रवि उसको काफ़ी दिन बाद ख़ुश देख रहा था ! उसको खुश देख कर रवि को भी खुशी हो रही है वो उसके हाथ को और मज़बूती से पकड़ते हुए बोला_" और तुझे ऐसा क्यों लग रहा है "!

    अनाया _'पता नहीं क्यों भाई ,बस मन से आ रहा है कि कुछ अच्छा होने वाला और इतने दिनों बाद लग रहा है ,तो जरूर अच्छा होगा "! 

    तो रवि अनाया के सर पर हाथ रखते हुए बोला_" मैं तो हमेशा ही चाहूंगा कि तू खुश रहे और ऐसे ही मुस्कुराते रहे , अब चल जल्दी से कुछ खा ले काफी देर से तूने कुछ खाया नहीं है  "!

    अनाया भी मुस्कुराते हुए हा मे सर हिला दी और थाली से एक निवाला तोड़ के रवि के आगे कर दी !

    तो रवि वो निवाला खा लेता है फिर वो भी वैसे ही एक निवाला तोड़ के अनाया के आगे कर दिया तो अनाया ने भी वो ख़ुशी से खा ली !

    अनाया दूसरा निवाला खाने के लिए उठाइ हि थी कि, उसका फोन रिंग करने लगा ,फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देखकर अनाया एक बार रवि को देखी और रवि भी उसको !

    फ़िर एक लंबी सांस लेने के बाद अनाया फोन रिसीव की, और सामने वाले की बात सुनकर वो बहोत खुश हो गई ! फ़ोन स्पीकर पर होने की वजह से रवि ने भी सुन लिया था ,वो भी खुश होते हुये अनाया को साइड हग कर लिया!

    कुछ देर बात करने के बाद वो फोन रख दि और ख़ुशी से खाने लगी !

    रवि कुछ पल रुक कर अनाया को देखा, फिर वहां से निकल गया ,वो सीढ़ियों तक पहुंच ही था कि नीता जी उसको वही खड़ी मिली !

    नीता जी ने एक बार अनाया को देखा जो बैठ के आराम से खाना खा रही थी ,फिर रवि की ओर देखा और उसका हाथ पकड़ कर बोली _"तुम्हारा धन्यवाद बेटा, अनु का इतना साथ देने के लिए ,उसका ख्याल रखने के लिए,  तुमने हमेशा उसका ख्याल रक्खा, लेकिन पिछले कुछ महीने में तुमने उसे बहुत अच्छे से संभाला है ,जो मुझे करना चाहिए था "बोलते वक्त उनकी आंखे नम हो गई थी !

    जो हाथ नीता जी ने रवि का पकड़ा था, रवि उसी हाथ पर अपना दूसरा हाथ रख कर बोला _"वो तो मैं हमेशा रखूंगा, आप उसकी चिंता मत कीजिए ,लेकिन एक बात आपसे जरूर कहना चाहूंगा ,पिछले कुछ महिनो मे जितनी जरूरी आपकी थी उसको, शायद किसी  और नहीं थी, लेकिन आप नहीं थी उसके साथ ,जो आपको होना चाहिए था"  अपनी बात पूरी करके रवि चला गया और नीता जी वही खड़ी उसको देखती रह गयी ! 

    रवि की बात उनको किसी खंजर की तरह लगी थी अपने दिल पर !

    वो एक बार अनाया की तरफ देखी और फिर वो भी चली गई ! काफ़ी देर के बाद अनाया भी अपने कमरे आई तो देखा कि सुनीता अपने बिस्तर बैठी थी !

    शादी पूरी हो चुकी थी, और कुछ घंटे बाद सुबह हो जाती और विदाई सुबह होनी थी !

    तब तक पुरुषों के आराम करने के लिए अलग से जगह बनाई गई थी, और महिलाओं के लिए अलग!

    सुमन जी और नीता जी उनके काम में लगी थी ! सुनीता को बिदाई के वक्त जो चिजेे देनी थी, वो चेक कर रही थी!  

    और यहाँ अनाया और सुनीता अपने रूम में लेटे हुए बात कर रहे हैं !

    अनाया _"आप खुश हो, ना दीदी"! 

    सुनीता थोड़ी हैरान होकर _"क्या हुआ तुझे, आज ये तू तीसरी बार पूछ रही है, जब बात हुई तो, तू थी ना सामने, तो फिर और शादी होना हर लड़की का सपना होता है ,तो वो खुश होगी ना, अपनी शादी हो जाने पर "!

    अनाया सुनीता की तरफ करवट लेकर बोली_"मैं जानती हूं दीदी, बस ऐसे ही पूछ रही थी "!

    सुनीता _" अनु मेरी छोड़ क्या तू ठीक है, और ये बता तू फ़ेरो के वक्त कहा थी"! 

    अनाया_" दीदी मैं ठीक हूं, और आपको पता है ना मुझे आपकी शादी में आने की इजाजत कैसे मिली थी "! 

    अनाया की बात पर सुनीता अपने सर पर चपत लगाते हुए बोली _"अरे हा सॉरी अनु ,मैं तो अपनी खुशी में ये भूल ही गई थी, plz sorry "!

    अनाया _"कोई बात नहीं दीदी"  अब आप थोड़ा आराम कर लीजिये, सुबह आपकी विदाई है "सुनीता भी हम्म करके आँखे बंद कर लेती है और अनाया भी आंखें बंद कर लेती है और थोड़ी ही देर में दोनों की आंख लग गई !

    ऐसा नहीं था कि ,सिंह परिवार ने अपने बच्चों को पढ़ाया नहीं था, लेकिन उन्होन अपने बच्चों को कभी उनकी खुद की मर्जी से कुछ नहीं करने दिया था!

    अनाया का मुंबई जाकर नौकरी करना भी ,जगदीश जी बेरुखी थी ,और घर की जरूरत भी , बस ये कोई मनाना नहीं चाहता था ! उनको लगता था कि ये अनाया की जिद है , लेकिन रवि अच्छे से जानता था कि अनाया की क्या मजबूरी थी !





    कुछ लोग को छोड़ कर बाकी के सारे लोग सो गए थे,  वही कमरे में बैठे नीता जी और सुमन जी , सुनीता के साथ जाने वाले सामान को चेक कर रही थी ,तभी कमरे में कोई आया और उनको देखते ही उनकी आंखो में आसू आ गए !







    Pls friends like comment and share jarur kare...




    और आगे Jaanege next chepter me.......




    Tc...

    Bye.....

  • 7. बुरा सपना - Chapter 7

    Words: 1392

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे,

    श्रीदा की बॉडी में हलचल होता देख नीलम जी की ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा !

     इस दिन का वो पिछले छह महीने से इंतज़ार कर रही  थी, इस बीच तो कितनी बार डॉक्टर ने उन्हें ना उम्मीद ही कर दिया था ! वही अंजू जल्दी से कमरे के बाहर गई और नीचे हाल में श्रीदा के पिता श्रीमान अभय अवस्थी डॉक्टर से श्रीदा की हालत के बारे में बात कर रहे थे!

    तभी अंजू अभय जी को आवाज देते हुए बोली _"अंकल जल्दी ऊपर आइये और डॉक्टर को लेते आइये, श्रीदा की उंगलियों में मूवमेंट हुई है "और वो वापस से श्रीदा के पास चली गई !





    डॉक्टर अजय वर्मा अभय अवस्थी के फैमिली डॉक्टर और दोस्त भी थे ! इस्लिए दिन में कम से कम एक बार आके श्रीदा को चेक कर लेते थे, और उसकी स्थिति के बारे में  सबको बताते भी थे ! आज भी वो अपने हॉस्पिटल से सीधे यहीं आ गये थे,  और  श्रीमान अवस्थी से श्रीदा की रिपोर्ट के बारे में बता रहे थे!  

    जब दोनो ने अंजू के मुंह से सुना कि श्रीदा की बॉडी में मूवमेंट हो रही है तो, दोनो जल्दी से ऊपर आए ,कमरे में पहुच कर दोनो ने देखा कि नीलम जी श्रीदा का हाथ अपने हाथ में लेकर बैठी थी , और वो जैसे बोल रही थी, श्रीदा की उंगलियां हिल रही थीं !

    डॉक्टर अजय ,श्रीदा को जांच करने लगे कुछ देर जांच करने के बाद वो मिस्टर अवस्थी से बोले _"अभय ये बहुत अच्छा इशारा है, श्रीदा की बॉडी रिकवर हो रही है ,सुधार अच्छा है ऐसा लगता है अब श्रीदा जल्द ही होश में आ जाएंगी"!

    डॉक्टर वर्मा की बात सुनके नीलम जी और अभय जी दोनों खुश हो गए अंजू भी खुशी से डॉक्टर वर्मा के गले लग गई  ,और उनसे बोली _'थैंक यू पापा थैंक यू सो मच "!

    डॉक्टर वर्मा भी प्यार से अंजू का सर सहलाते हुए बोले_"कोई नहीं बच्चा मैं जानता हूं ,श्रीदा तुम्हारी दोस्त है और तुम उसके लिए बहुत परेशान हो, लेकिन अब जल्दी ही वो होश में आ जाएगी" अपने पापा की बात सुनकर अंजू मुस्कुराती हुये हा मे सर हिला देती है, जैसे डॉक्टर वर्मा और मिस्टर अवस्थी दोस्त हैं ,वैसे उनकी बेटियां भी बहुत अच्छी दोस्त है !

    जब श्रीदा कोमा में गई थी, अंजू अपना जयदातर वक्त श्रीदा के साथ ही निकालती थी, उससे बातें करती थी, सवाल करती थी, हंसी मज़ाक सब करती, इस यकीन से कि एक दिन तो श्रीदा उठ के बोलेगी "अब बस भी कर अंजू  ,कितना पकायेगी कभी-कभी तो अंजू रो देती थी "!

    श्रीदा की हालत में सुधार से सबको एक नई उम्मीद मिल गई थी ,अब इंतजार था तो बस उसके होश में आने का "!

    क्या होगा जब  श्रीदा को होश आएगा, खुलेंगे कुछ नए पन्ने या फिर से उलझ जाएगा सब कुछ "!

     रामपुर गांव मे,

    नीता जी और सुमन जी  सुनीता की विदाई की सारी तैयारी को एक बार फिर से  चेक कर रही थी, कि तभी उनके कमरे का दरवाजा खुला और सामने खड़े इंसान को देख कर नीता जी की आंखो में आंसू आ गए !

    वो जल्दी से उठकर उस इंसान के पास गई और उसको गले लगा के बोली _"अनु क्या हुआ तुझे ,ये सब कैसे हुआ और तेरे सर से इतना खून क्या हुआ, मेरी बच्ची "!

    उनके सामने अनाया खून से लट्ठपथ खड़ि थी ,उसके सर से बहुत खून निकल रहा था, और उसके कपड़े कुछ-कुछ जगह से फटे थे, बाल बिखरे हुए उसकी आँखे पूरी लाल थी ,और वो उस हालत में नीता जी से बोली_"आप कहा थी मा, जब मुझे आपकी गोद चाहिए थी ,तो आप कहा थी "कहते हुए वो उनकी आँखों से ओझल होने लगी और नीता जी उसको पकड़ ने कोशिश करने लगी !

    लेकिन तब तक वो उनकी आँखों से ओझल हो चुकी थी, नीता जी  चिल्लाकर बोली" अनु" और उठ के बैठ गई और अपने आस-पास कुछ ढूंढने लगी ,जब उनको वो चीज नहीं मिली तो, वो  कमरे से निकल गई!

    रात को काम करते हुए उनकी आंख लग गई ,इसलिए नीता जी थोड़ी देर के लिए लेट गयी !

    उनके जाते ही उनके पीछे सुमन जी भी उनके पीछे गईं ,नीता जी जल्दी से अनाया के रूम में गई और बेड के पास आके अनाया के चेहरे को देखने लगी !

    अनाया चादर ओढ़ कर सोई थी, वोह अनाया को चेक करने के लिए उसकी चादर हटाने हि वाली थी कि सुमन जी उनका हाथ पकड़ के  धीरे से बोलीं _" क्या हुआ नीता, अनु सो रही और तू इतनी घबराई हुई क्यू है "बोलते हुए उन्होंने नीता जी के चेहरे को देखा जो पूरी तरह से पसीने से भीगा हुआ था! उनको देख कर सुमन जी समझ गईं कि नीता जी ने अनु को लेकर कोई बुरा सपना देखा है!

    वो नीता जी को चुप रहने का इशारा करके अपने कमरे में ले गईं और उनको कुर्सी पर बैठाते हुए बोली_"नीता ये ले पानी, तू पानी पी ,और शांति से बता क्या हुआ।"

    नीता जी पानी का गिलास साइड में रखे हुए बोली _"जीजी वो मैंने अनु को "वो अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में सुमन जी को सब बता देती है, सुमन जी ,नीता जी को गले लगाते हुए उनसे बोली _"शशशश नीता सब ठीक है ,तूने कोई बुरा सपना देखा है शांत हो जा "!

    नीता जी जब थोड़ी शांत हुई तो सुमन जी उनका चेहरा अपने हाथ में भर्कर बोली _"तूने देखा ना ,वो ठीक है और अपने कमरे में सो रही है तुम शांत हो जा ,एक काम कर तू थोड़ी देर सो जा ,बाकी की चीज मैं देख लुगी "!

    नीता जी अब काफी हद तक ठीक महसूस कर रही थी, इसलिए वो ना में सर हिलाते हुए बोली _"नहीं जीजी मैं ठीक हूं और थोड़ी देर मे रस्में शुरू हो जाएंगी, मैं तैयार होकर आती हूं !

    दअरसल उन्हें डर था कि अगर वो वापस से सोइ तो उनको वो सपना वापस आएगा इसलिए वो अपना ध्यान ,वो सपने से हटाना चाहती थी ,इसलिए वो फिर अपना ध्यान काम में लगाने लगी, सुमन जी भी अच्छे से समझ रही थी की वो ऐसा क्यों कर रही है ! 

    कुछ घण्टो बाद,

    सब उठ चुके थे, मनोज जी और जगदीश जी सुनीता के ससुराल वालों से बात कर रहे थे ,सुनीता बिदाई के लिए तैयार हो रही थी, और अनाया उसकी मदद कर रही थी !

    रवि भी बाकी की चीज में लगा था ,चाय पानी होने के बाद बिदाई सुरु हुई, सुनीता अपनी मां के गले लगे रो रही थी, और सुमन जी उसको संभाल रही थी !

    मनोज जी सुनीता के पति के सामने हाथ जोड़कर बोले _"दामाद जी मेरी बेटी से अगर कोई गलती हो जाए तो कृपया उसे माफ कर दीजिएगा"  सुनीता का  पति भी मनोज जी का हाथ पकड़ कर हा मे सर हिला दिया ! 

    और इसी तरह सुनीता की विदाई हो गई,सारे बाराती भी चले गले जहां कल तक चहल पहल थी,  आज वही शांति थी !

    अनाया और रवि को आए हुए भी चार दिन हो चुके थे ,और तीन दिन बाद उनको भी निकालना था, अनाया रूम में अपना सामान समेटे रही थी, और बाकी सामान ठीक से रख रही थी, बाहर आंगन में अभी भी कुछ  रिश्तेदार थे जो शादी के लिए आये थे , और सुबह वो भी चले जाने वाले थे !





    देखते देखते दोपहर हुई और दोपहर से शाम अनाया किचन में अपनी माँ की मदद कर रही थी, और नीता जी बार-बार उसको पूछ रही थी _" अनु तू ठीक है ना "वो अभी भी अपने सपने की वजह से परेशान थी !

    अनाया भी उनको हा मे जवाब दे रही थी ,ऐसे हि कुछ देर मे खाना तैयार हो गया  ,इनके यहां नियम था कि पहले घर के सारे जेंट्स खाएंगे बाद में सभी महिलाएं !

    सब खाना खाने बैठे थे, और अनाया सबको परोस रही थी , जब वो जगदीश जी को परोसने गयी तो ,उन्हेंने हाथ दिखा के रोक दिया और नीता जी को परोसने के लिए कहा ,नीता जी ने भी हा मे सर हिलाया और परोसने लगी !

    खाना होने के बाद मनोज जी, रवि, नमन और जगदीश जी बैठे थे ,तभी जगदीश जी ने जो कहा वो सुनके सबके होश उड़ गए और अनाया के हाथ से थाली छूट के गिर गई !

    ऐसा क्या कह दिया जगदीश जी ने ....

    Janane ke liye padhate rahiye ... Ishq joonun aur kismat......

    Tc ...

  • 8. बहुत बड़ी गलती हो गई - Chapter 8

    Words: 1293

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे ,




    रात में खाना खाने के बाद मनोज जी, जगदीश जी, रवि बैठे कर कुछ बात कर रहे थे ,थोड़ी देर में सुमन जी और नीता जी भी आ गईं, वो सब बैठे थे ! और अनाया थालियो को समेट कर किचन में रख  रही थी,तभी मनोज जी बोले _"बुआ दादी का फोन आया था, उनकी तबीयत खराब है वो हमसे मिलना चाहती है"!

    उसपर सुमन जी बोलीं _'लेकिन अभी कैसे जा सकते हैं, दो दिन बाद सुनीता पगफेरे के लिए आएंगी हम उसके बाद चलेंगे" सुमन जी की बात पर नीता जी ने भी हमी भरी !

    उनकी बात सुनकर मनोज जी बोले _"मेरी बात हुई है उसके ससुर जी से वो दस दिन के बाद आएगी, क्योंकि उसकी सास की कोई मन्नत थी, उसके लिए वो लोग अपनी कुलदेवी की पूजा के बाद ही उसको आने देंगे"!

    मनोज जी की बात पूरी होते ही वो जगदीश जी की तरफ देखने लगे अपने बड़े भाई को समझकर जगदीश जी ने एक बार किचन की तरफ देखा फिर सबके सामने होकर बोले _"हम बुआ दादी के घर जायेंगे और उन्होंने अनाया के लिए कोई लड़का पसंद किया, उससे भी मिल लेंगे, हम कल शाम को ही निकलेंगे "!

    अनाया के लिए लड़का ये सुनते ही रवि अपनी जगह से खड़े होते हुए बोला _"लेकिन चाचा आपको पता है ना, वो अभी शादी नहीं करना चाहती "!

    कोई कुछ बोलता उसके पहले, किचन से बर्तन गिरने की आवाज आई सबको समझने में देर नहीं लगी, कि अनाया ने सब सुन लिया! 

    कोई कुछ बोलता उसके पहले हि जगदीश जी अपना हाथ दिखा के अपने कमरे की तरफ चले गए, उनके जाते ही मनोज जी रवि को समझाते हुए बोले _"एक बार मिलने में क्या हर्ज़ है "!

    रवि समझ चुका था कि अभी अगर उसने कुछ बोला तो बात बिगड़ जाएगी ,इसलिए वो चुप हो गया ! मनोज जी अपनी बात को जारी रखते हुए बोले _"हम बनारस पहुंच कर पहले गंगा स्नान करेंगे, उसके बाद बुआ दादी के घर जायेंगे "!

    नीता जी और सुमन जी के पास अपने पति की बात मानने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी, इसलिए वो दोनों ने ही में सर हिला दिया !

     और रवि वहा से किचन की तरफ आ गया, वो किचन में आके देखता है की, नीचे सारी थालिया गिरी हुई  हैं और अनाया एक तरफ बूत बनके खड़ी है, रवि अनाया के कंधे को हिलाते हुए बोला _"अनु तू ठीक है ना "!

    रवि के हिलने से अनाया अपने सेंस में आई और रवि के गले लगते हुए बोली_" भाई शादी ,शादी मैं नहीं कर सकती शादी, आप प्लीज़ पापा को समझाइये ना "!

    रवि अनाया को शांत कराते हुए बोला _"शात हो जा, मैं बात करता हूं चाचाजी से ,पहले तू शांत हो "!

    रवि जल्दी जल्दी सभी थालियो को समेटता और अनाया का हाथ पकड़ के छत पर ले गया और उसको कुर्सी पर बिठाते हुए बोला _" देख तू ऐसे मत कर नहीं तो सबको पता चल जाएगा "!

    तभी पीछे से आवाज आई _"क्या पता चल जाएगा " रवि और अनाया पलट के देखते हैं ,तो वहा रवि के पापा खड़े थे !

    वो उन दोनों को देखते हुए बोले _"बोलो ना क्या पता चल जाएगा सबको ,और सच बोलना ,मैं कुछ दिन से देख रहा हूं, जरूर तुम दोनों कोई खिचड़ी बना रहे हो "! जी हा इतने दिनों से जिसमें वो दोनों पर नज़र बनाई थी वो रवि पिता जी ही थे !

    अपने पापा की घुस्से भरी आवाज़ सुनके रवि और अनाया दो पल के लिए डर गये, अनाया कुछ बोलने के आगे आई हि थी की ,तभी रवि उसको रोकते हुए बोला _"नहीं अनु कब तक छुपाएंगे हम, इस घर में कोई और भी तो होना चाहिए जिसको ये सब पता हो"!

     अनाया ना मे सर हिलाते हुए रवि का हाथ पकड़ लेती है, तो रवि उसके हाथ को छुड़ाकर हा मे सर हिला देता है !

    मनोज जी दोनो के एक्सप्रेशन देख के समझ जाते हैं कि कोई बड़ी बात है, रवि अनाया के आगे आते हुए बोलना चालू करता है ,और जैसे ही वो बोलता है मनोज जी की आंखों से आसू झरते की तरह बहने लगते हैं, वो कभी अनाया को देखते हैं तो कभी रवि को !और जैसे ही रवि की बात पूरी हुई मनोज जी ने रवि को खिच के एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दीए!

    और दांत पिस्ते हुए बोलते हैं_"  हम सब मर गए थे क्या, तुझे हम सबको बताते नहीं हुआ ,क्या समझते हो खुद को तुम दोनों रुको अभी सबको बताता हूँ "!





    रवि के थप्पड़ खाने के बाद अनाया सहम सी गई ! जब वो सुनती है ,कि मनोज जी सबको बताने जा रहे हैं तो वो जल्दी से उनके पैर पकड़ ली और रोते हुए बोली _"plz बड़े पापा, जैसे ही वो बड़े पापा बोलती हैं तो मनोज जी उसको घूर के देखने लगे !

    उनके ऐसे देखने से अनाया अपनी नजर झुका के बोली _'मैं जानती हूं मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई है, और मैं जानति हूं कि , मेरी गलती माफ़ी के लायक नही है ,लेकिन आपसे वादा करती हूं जब तक मैं यहां हूं , मेरी वजह से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी, बस कुछ दिनों की बात है, और उसके बाद सब पहले जैसा हो जाएगा"!





    मनोज जी गुस्सा तो थे !लेकिन वो ये भी जानते थे कि जब से अनाया यहां आई थी, तब से वो अपने पिता की बेरूखी झेल रही थी ! बदले मे कभी भी उसने उनको उल्टा जवाब नहीं दिया !

    सब कुछ सोचते हुए मनोज जी बोले _"ठीक है ,जब तक सब ठीक नहीं हो जाता ,सिर्फ तब तक के लिए"!

    इतना बोलकर वो जाने लगे तो अनाया फिर से बोली _"बड़े पापा मैं ये शादी नहीं कर सकती "! 

    मनोज जी अनाया की तरफ पलटते हुए बोले _"इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता क्योंकि ,ये रिश्ता हम ने नहीं बुआ दादी ने ढूंढा है "!

    मनोज जी का जवाब सुनके अनाया परेशान हो गई की तभी मनोज जी बोले _"लेकिन तुम कर सकती हो " मनोज जी बात सुन के अनाया के आंखो में चमक आ गई !

    मनोज जी आगे बोले_"बुआ दादी तुमसे बहुत प्यार करती है, इसलिए मैं कहूंगा कि तुम एक बार उस लड़के से मिल लो और उसको अपनी बात बता दो,  अगर उस लड़के ने मना कर दिया तो कोई तुम्हें कुछ नहीं बोलेगा "अपनी बात पूरी करके मनोज जी वहां से चले गए !

    अपने पापा की बात सुनके रवि ने भी अनाया को हा मे इशारा कर दिया ! और अनाया को भी एक उम्मीद मिल गई थी !

    नीता जी अपने कमरे में बैठी अभी भी अपने सपने के बारे  में सोच रही थी ,कुछ सोचते हुए वो खुद से बोली _"एक काम करती हूं, अनु की कुंडली ले लेती हूं, वहां के बड़े पंडित जी को दिखा दूंगी ,अगर कुछ होगा तो उसका उपाय भी पुछ लुंगी "!

    छत से मनोज जी अपने कमरे में आए तो देखा कि सुमन जी सो रही थीं वो ,भी जाके बेड के दूसरी साइड लेट गए और अनाया की बचपन से लेकर अभी तक की यादो को याद करने लगे! 

    कभी कभी उनको बहुत बुरा लगता था, कि जगदीश जी उसके साथ इस तरह से  व्यवहार करते है ,लेकिन वो अपने भाई की कसम की वजह से कुछ नही बोलते थे !

    आज रवि और अनाया को भी बहुत दिनो बाद उनका मन हल्का लग रहा था, अनाया ने भी सोच लिया था की जैसा मनोज जी ने कहा वो उस लड़के से बात करके शादी के लिए मना कर देगी, लेकिन क्या सच में ऐसा होने वाला था  ,वो तो भगवान ही जाने !










    क्या होगा इनकी जिंदगी में जानने के लिए पढते रहिए ... इश्क जुनून और किस्मत....

    और कृपया पढ़कर लाइक  कमेंट  और जरूर शेयर करें ....,.


    Tc...,.

  • 9. मन्नत- Chapter 9

    Words: 1390

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे,

    अगली सुबह ,

     शादी के लिए आए हुए सारे मेहमान चले गए ,और शाम मे ये लोग भी बनारस के लिए निकलने वाले थे !

    रवि और अनाया जानते थे, कि मनोज जी उनको जल्दी माफ नहीं करने वाले ,लेकिन फिर भी अनाया को उम्मीद थी कि वो उनको मना के रहेगी और वो भी तो अनाया से कितना नाराज़ हो सकते थे वो प्यार भी तो उतना ही करते थे उसे! 

     सब लोग कम से कम एक सप्ताह के लिए बनारस जाने वाले थे ! इसलिए रवि ने अपनी कंपनी में कॉल करके अपनी दो दिन की छुट्टी बढ़ा ली थी, लेकिन अनाया को एक्स्ट्रा छुट्टी नहीं मिली !

    वो किचन में दोपहर की खाने की तैय्यारी कर रही थी, क्योंकि उसके बाद उसको रात के सफर के लिए भी खाना बनाना था, वो किचन में थी ,तभी रवि रसोई में आते हुए बोला _" अनु तूने छुट्टी की बात कर ली ना"!

    तो अनाया उदास होते हुये बोली _"नहीं भाई ऑफिस से मना कर दिया है ,और छुट्टी के लिए "!

    रवि अनाया के हालात को समझते हुए बोला _" कोई बात नहीं तू टेंशन मत ले ,अभी फ़िलहाल हमें वो लड़के के बारे में सोचना है, एक बार उसने शादी के लिए ना बोल दिया, तो तू वही बनारस से हि ,मुंबई वापस चले जाना"!

    अनाया रवि की बातों को सोचते हुए बोली_" लेकिन भाई अगर उसने ना बोला तो ,मतलब सब जानने के बाद भी शादी के लिए हा बोल दिया तो "!

    तो रवि अनाया को चुप करवाते हुए बोला_" शुभ, शुभ, बोल और वैसे भी हमने, सबकी भलाई के लिए हि तो ये डिसाइड किया है ना"!

    अनाया ने हा मे सर हिला दिया और रवि वहां से चला गया!

    रवि के जाते ही सुमन जी रसोई में आई और अनाया का हाथ पकड़ कर बोली _"अनु मुझे माफ़ कर दे, मैने जानबूझ कर वो शर्त रखी तेरे सामने ,क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि पिछली बार जो हुआ वो इस बार भी हो इसलिए मैंने तुझे शादी में होने वाली रस्मो से थोडा दुर दुर रहने के लिये कहा "!

    अनाया सुमन जी के हाथ पर हाथ रख के बोली _"कोई बात नहीं बड़ी मां मैं समझती हूं, आप please खुद को दोष मत दीजिए"!

    तो सुमन जी अपनी बात रखते हुए बोली_"मैं जानती हूं अनु कि तुम ये कभी नहीं कहोगी ,कि हम गलत हैं ,लेकिन हम सब तो जानते हैं ना कि ना चाहते हुए भी हमने तुम्हारे साथ गलत किया ,क्या तुम हमें कभी माफ कर पाओगी"! 

    अनाया_" plz बड़ी माँ ऐसा मत बोलिए "!

    सुमन जी अनाया को रोकते हुए बोलीं _"  नहीं अनु मुझे बोल लेने दे, और एक बात ऐसा नहीं है कि हम तुमसे प्यार नहीं करते हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं "हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं ये सुनाते ही अनाया दो पल के लिए उनको देखने लगी ! 

    फिर अनाया उनके मुँह पर हाथ रखते हुए बोली _"बस बड़ी मां शांत हो जाइए और  देखिए  तो सुनीता दीदी की शादी कितने अच्छे से  हो गई और हा मैं जानती हूं, की आप सब अपनी अनाया से बहुत प्यार करते हैं  ,इसलिए आप इस बात को भूल जाइए ठीक है "!

    बोलकर अनाया स्माइल कर दी ! अनाया को स्माइल करता देख सुमन जी भी स्माइल कर देती हैं "!

    ऐसे ही दोपहर और दोपहर से शाम हो गई सब समान लेकर रेलवे स्टेशन  के लिए निकल गए ,और थोड़ी देर में स्टेशन भी पहुंच गए कुछ देर के इंतज़ार के बाद ट्रेन आई और सब ट्रेन में बैठ गए !

    जगदीश जी ने अनाया की टिकट उसी बोगी में ली ,लेकिन सबसे अलग करवा दी थी ! जब रवि को पता चला तो उसने भी अपना टिकट अनाया के साथ हि करवा लिया !

    सुबह तक सब बनारस पहुंचें जाने वाले थे ,इसलिए जगदीश जी ने सबको थोड़ी देर के लिए आराम करने को बोल दिया, क्योंकि सुबह गंगा स्नान के बाद वही पर भगवान शिव के मंदिर मे सब  पूजा करने वाले थे, और वो नहीं चाहते थे कि नींद ना पूरी हो और वजह से किसी को थकावत महसूस हो,  इसलिए जल्दी से खाना खा कर सबको आराम करने के लिए कह दिया !

    अनाया भी अपनी सीट पर आराम कर रही थी और उसके ऊपर वाली सीट पर रवि था! अनाया को उम्मीद तो थी कि वो कैसे भी करके शादी ना करने  के लिए वो लड़के को मना लेगी, लेकिन फिर भी पता नहीं क्यू उसे बेचैन हो रही थी !

    अनाया को इस तरह बेचैन देखकर रवि बोला_" क्या हुआ अनु तू ठीक है "अनाया रवि को और परेशान नहीं करना चाहती थी ,इसलिए उसने ना में सर हिला दिया ! 

    अपने ख़यालो में उलझी अनाया और ट्रेन की रफ़्तार दोनों ही सुबह के साथ बनारस पहुची !बनारस स्टेशन से गाड़ी करके सब पहुंचे गंगा घाट !

    मुंबई 

    अवस्थी विला, हमेशा की तरह अंजू आज भी जल्दी आ गई थी ,और श्रीदा के पास बैठके उससे बात कर रही थी, आज अंजू श्रीदा को अपने  जोक सुना रही थी ! तो दरवाज़े से नीलम जी अंदर आते हुए बोलीं _"अंजू क्या है ये, सुबह-सुबह वो भी इतना bad joke !

    इसपर अंजू स्माइल करते हुए बोली_" नो आंटी बुरा जोक नहीं है, आपको पता नहीं मेरी बेस्टी के लिए ये जोक परफेक्ट है ,आपको पता है क्यू "!

    इसपर नीलम जी ने ना मे सर हिला दिया ! तो अंजू खड़ि होकर नीलम जी को पीछे से पकड़ते हुये बोली _"क्यों कि इसी मजाक पर आपकी बेटी मुझे भगा-भागा कर मारती थी"! 

    अंजू की बात सुनकर नीलम जी हंसते हुये बोली _"क्यू नहीं मारेगी, अब इतना गंदा मजाक सुनायेगी, तो किसी को भी गुस्सा आएगा "बोलकर दोनों पहले एक दूसरे को देखती है फ़िर श्रीदा को !

    श्रीदा को देखते हुए दोनों की आंखों में आंसू आ गए  फ़िर जल्दी से अपने आसु साफ़ करते हुए नीलम जी अंजू से बोली _"अंजू बेटा क्या दो दिन के लिए तू यहां श्रीदा के पास रुक जाएगी"! 

     नीलम जी की बात पर अंजू बोली_" क्यों नहीं आंटी रुक जाउगी ,आप क्या कोई मीटिंग के लिए बाहर जा रही हैं "!

    नीलम जी_" बाहर तो जा रही हूं ,लेकिन मीटिंग के लिए नहीं मन्नत के लिए "!

    उसपर अंजू बोली_" ओह्ह sorry आंटी, वैसे कहा जा रही हैं आप "!

    नीलम जी_" बनारस" नीलम जी के मुँह से बनारस सुन के अंजू जो अभी तक ख़ुशी से बात कर रही थी ,अचानक ही उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आने लगे! 

    अंजू को ऐसे परेशान होता देखा नीलम जी बोलीं_" क्या बात है अंजू, तू इतनी परेशान क्यों है"! 

    अंजू अपनी परेशानी छुपाते हुये बोली_" नहीं, कोई बात नहीं है आंटी ,वैसे आपने ये बनारस की मन्नत कब मांगी "!

    नीलम जी अंजू के सिर पर चपत लगाते हुये बोली _"पागल, मन्नत क्या जगह देख के मांगते हैं ,कुछ दिन पहले हमारे घर के पंडित जी ने कहा कि अगर मैं बनारस जाके श्रीदा के नाम की पूजा कराउ तो ,महादेव की कृपा से वो ठीक हो जाएगी, और देख जब मैंने वहां जाने की मन्नत मांगी तो श्रीदा की सेहत में सुधार भी होने लगा "!

    तो अंजू हकलाते हुये बोली _"लेकिन आंटी आप कब से अंधश्रद्धा मे विश्वास करने लगी ,मतलब भगवान तो आप की बात यहां से भी तो सुन सकते हैं ना ,वहा जाने की क्या जरूरत है "!

    अंजू की बात सुनके नीलम जी उसको समझाते हुई बोली _" हा मैं अंधश्रद्धा पर यकीन नहीं करती हूं ,और अभी भी नहीं करती हूं  ,लेकिन एक मन्नत की वजह से मुझे मेरी बेटी वापस मिलती है तो ठीक है ना, और वैसे भी मैं तो सिर्फ पूजा करने जा रही हूं ,ताकि आगे चल के मेरे मन में ये ना आए कि, काश मैंने ये कर लिया होता "!

    अंजू भी नीलम जी के मन की बात को समझ सकती थी, आखिर जिसकी बेटी 6 महिनो से कोमा मे हो, उसके लिए तो वो कुछ भी कर जाने को तैयार हो जाए, ये तो फिर भी बनारस जा कर महाकाल की पूजा करनी थी !

    अंजू चाहती तो नहीं थी की वो जाए, लेकिन वो कुछ कर भी नहीं सकती थी, इसलिए उसने हा मे सर हिला दिया !




    क्या महाकाल सुनेंगे नीलम जी की.......? क्या होगा अनाया का...... क्या शादी के लिए वो लड़के को मना कर पायेगी.....? 

    जानने के लिए बने रहिए और कृपया लाइक कमेंट और शेयर जरूर करें ......




    Tc ....

    Bye....

  • 10. सिंदूरी अनाया - Chapter 10

    Words: 1412

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे,

     नीलम जी ने मन्नत श्रीदा के ठीक होने के लिए मांगी थी, इस लिए वो बनारस जाना चाहती थी ,और अंजू नहीं चाहती थी कि वो बनारस जाए लेकिन वो कुछ कर भी नहीं सकती थी !

     क्योंकि अगर अंजू उनको मना करती है तो उसे जवाब भी देना पड़ता है कि वो क्यों मना कर रही है ये सब सोचते हुए अंजू बोली_" ठीक आंटी आप जाइये वैसे आप कब निकलने वाली है"!

    अंजू की बात पर नीलम जी मुस्कुराती हुई बोलीं _"बेटा वैसे तो पंडित जी हिसाब से आज का दिन सुबह है, तो सोच रही थी कि आज ही निकल जाती हू ,इसलिए मैंने एजेंसी वाले को बोल दिया कि वो आज की फ्लाइट  की टिकट करा दे "!

     नीलम जी की बात पर अंजू तपाक से बोली_"क्या आज "!

     उसपर नीलम जी बोलीं_" हा, आज का पूरा दिन अच्छा है, वो पूजा करने के लिए"!

     और वहां से पैकिंग करने के लिए अपने कमरे में चली गई !




    अंजू को ना अब कुछ बोलते बन रहा था, ना कुछ करते ! इसलिए वो अपने मन में भगवान को याद करते हुए बोली _" भगवान जी अब सब आपके हाथ में है, pls सब संभल लेंना "!

    बनारस मे ,

    अनाया और उसका परिवार बनारस पहुच गए थे !

    वो सब गाड़ी करके स्टेशन से गंगा घाट पहुचे ,जगदीश जी के कहे मुताबिक रवि ने घाट के पास ही एक कमरा ले लिया था ! 

    वह लोग पूजा के बाद निकलने वाले थे, इसलिए कमरा सिर्फ आज के लिए ही लिया था!

    जगदीश जी ने पहले ही कहा था, कि कमरे में पहुंच कर सब अपना सामान रख के जल्दी घाट के लिए निकल जायेंगे!

    इसलिए सबने वैसा ही किया घाट पर पहुंच कर सब गंगा में नहाने के लिए जा ही रहे थे कि, अनाया का फोन बज गया अनाया कॉल रिसीव करके वहां से थोड़ी साइड हो गई बात करने के लिए , उसके वहा से जाते ही  जगदीश जी ने गुस्से में ना मे सर हिला के सबसे बोले _"किसी को किसी का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है, अगर फोन पूजा से ज्यादा जरूरी है तो, उसे करने दो हम अपना काम करेंगे"!

    जगदीश जी की बात पर रवि बोला _"चाचा जी आप सब स्नान करिये मैं देखता हूँ ,ये सब सुनकर मनोज जी कुछ बोलने को हुए लेकिन रवि को देखते हुए चुप हो गए !

    रवि जब अनाया के पास पहुंच तो देखा अनाया अभी भी फोन पर किसी से बात कर रही है ,लेकिन वो थोड़ी घबराई हुई थी, रवि जाके उसके कंधे पर हाथ रखा अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस होकर अयाना ने पलट के देखा तो पाया की वो रवि है !

    रवि को देख कर अनाया ने राहत की सास ली उसे ऐसे देख रवि बोला _"क्या हुआ कोई समस्या है अनु,..!

    रवि की बात पर अनाया झूठी मुस्कान के साथ बोली_" नहीं भाई कोई बात नहीं "!

    रवि शक भरी नज़रो के साथ बोला _"सच में न अनु"!

    अनाया अपनी स्माइल कायम रखते हुए हा में सर हिला देती है ,और अपने मन में बोली_" कब तक आप मेरी वजह से परेशान होंगे भाई ,अब मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आप परेशान हों ,आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है लेकिन अब मैं खुद की वजह से आपको परेशान नहीं करुंगी "!

    अनाया को खुद में ऐसे गुम देख कर रवि उसे हिलाते हुए बोला _"कहां खो गई ,चल देर हो रही है "!

    अनाया बोली_" हा भाई चलो" और वो रवि के साथ जाने लगी ,वही एक आदमी अभी अभि गंगा स्नान कर मंदिर की तरफ जा रहा था !

    6 फीट की हाइट, थोड़े लंबे बाल, काली आंखें, परफेक्ट बॉडी ,गरदन में त्रिशूल और डमरू वाला लॉकेट , गोरा रंग !

    वो अभी धोती पहने हुए था , और गंगा से स्नान कर के मंदिर की तरफ  जा रहा था, लेकिन रास्ते में ऐसा कोई नहीं था जो उसे देखे ना , कुवारी तो कुवारी शादी सुदा भी उसे देख रही थी !

    वो आदमी जा ही रहा था, कि एक बूढ़ी औरत से टकरा गया और उस औरत के हाथ में पूजा की थाली थी ,जो गिरने को हुई ही थी कि, उस आदमी ने पकड़ लिया ,लेकिन उस आदमी के हाथ से सिन्दूर की डिब्बी गिर गई उस आदमी ने उस बूढ़ी औरत से पूछा _"क्या आप ठीक हैं !

    वो औरत बोली_" हा बेटा मैं ठीक हूँ ,लेकिन मेरी सिन्दूर की डिबिया "! 

     वो उतना ही बोली थी उस औरत की नज़र उस आदमी के पीछे गई और वो बस उसे देखते रह गई ,जब उस आदमी ने देखा कि वो औरत चौक कर उसके पीछे देख रही है, तो वो भी बूढ़ी औरत की नज़र का पिछा  करते हुए पलटा तो देखा कि एक लड़की  खड़ि थी और उसका पूरा चेहरा सिन्दूरी हो गया था !

    उसकी पूरी मांग में सिन्दूर लगा हुआ था ,और चेहरे पर भी सिन्दूर फैल गया था और चारो ओर घंटो और शंख का शोर हो रहा था ,रवि अनाया के पास आते हुए बोला _"तू ठीक है अनु "!

    अनाया जैसे ही रवि की तरफ पलटी तो रवि उसको देखते हुए बोला_" अनु ये सिन्दूर कहा से आया "रवि की बात सुनके अनाया ने अपने माथे पर हाथ लगा के देखा तो वहा सिन्दूर था !

    वो आदमी कभी रवि को देखता तो कभी अनाया को और जब उसने सिन्दूर सूना तो वो अपने हाथ को देखने लगा  !

    उस आदमी के हाथ पर भी सिन्दूर लग गया था, उस आदमी ने जिस औरत को गिरने से बचाया था वो औरत अपने मुँह पर हाथ रख के बोली _"हे महादेव ये तो बिहाता हो गयी, ये सिन्दूर तो महादेव के आशीर्वाद वाला था "!

    उस औरत की बात सुनके अनाया की आँखो में आँसू आ गए, अनाया ने उसके चारो तरफ नज़र घुमाई तो देखा की सब उसे हि देख  रहे  है ,सबको अपनी तरफ ऐसे देखता पाकर अनाया को तकलीफ हो रही थी !

    वो औरत कुछ और बोलने वाली थी, कि रवि बीच में बोला _"बस करिये अम्मा बहुत हुआ ये बस गलती से हुआ "! 

    सब अनाया को घूर के देख रहे थे ,लेकिन उस आदमी ने जब से अनाया के सिन्दूरी चेहरे को देखा, वो बस उसे देखता ही रह गया था!

      रवि वो बूढ़ी औरत से बात कर रहा था ,लेकिन वो आदमी जैसे हि अनाया से बात करने के लिए उसकी तरफ बढ़ा अनाया सीढ़ियों से अपने कदम पीछे लेते हुए गंगा जी की तरफ बढ़ गई और कोई कुछ करता उसके पहले हि वो गंगा जी में कूद गई !

    उसके ऐसे करते ही रवि जो अनाया को वहां से ले जाने के लिये उसका हाथ पकड़ने जा रहा था ,लेकिन अनाया को वहा ना पाकर वो पलटा तो देखा कि अनाया गंगा जी में कूद चुकी है !

    वो आदमी कुछ करता उसके पहले ही रवि जोर से चिल्लाया अनु और उसके पीछे कूदने वाला था लेकिन, तभी अनाया पानी से बाहर आ गई !

    वो आदमी चुप चाप बस अनाया को ही देख रहा था , अनाया पानी से बाहर आई उसके चेहरे और माथे पर सिन्दूर हल्का हो गया था लेकिन पूरी तरह से नहीं गया था !

    और मांग मे सिन्दूर तो और दिख रहा था, अनाया बाहर आई तो रवि ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसने रवि का हाथ पकड़ लिया और उसके साथ जाने लगी !

    अनाया का रवि का हाथ पकड़ना उस आदमी को अच्छा नहीं लगा ,उसको गुस्सा आने लगा !  अनाया जैसे ही उसके आगे से जाने लगी, वो बस अनाया को बहुत ही प्यार से देखने लगा अनाया ने उसको एक नजर देखा और रवि के साथ वहीं से आगे चली गई !

    उसके आगे जाते ही वो आदमी भी पलटा और जब तक वो उसके सामने से ओझल नहीं हो गई तब तक देखता रहा !

    उसके जाने के बाद कुछ आदमी आए और वो आदमी के सामने सिर झुका के खड़े हो गए ,उस आदमी ने हाथ आगे किया तो उन आदमियों में से एक ने उसके हाथ पर रुमाल रखा दिया !

    वो आदमी रुमाल से अपने सिन्दूर वाले हाथ को साफ किया! 

    और वह आदमी को वापस से रुमाल देते हुए बोला  _"संभल के रखना इसे "बोलते वक्त उस आदमी के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी, वो आदमी फिर मंदिर की तरफ चला गया !







    आख़िर क्यों नहीं चाहती थी अनु की नीलम जी बनारस जाये.... और कौन था वो आदमी जिसके हाथ से अनाया सिन्दूरी हुई .....!

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    Tc....

    Bye....

  • 11. शिव पूजा - Chapter 11

    Words: 1489

    Estimated Reading Time: 9 min

    11
    आगे,

    वो आदमी अनाया को तब तक देखता रहा जब तक वो उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गई !

    अनाया के जाने के बाद  कुछ लोग आये और उस आदमी के सामने सिर झुका के खड़े हो गये ,वो आदमी ने अपना हाथ आगे किया तो उनमे से  एक आदमी ने एक कपडा निकल के दिया, वो आदमी ने अपना सिन्दूरी वाला हाथ वो कपडे में पोछा और उस आदमी को वापस देते हुए बोला _"संभल के रखना "और खुद मंदिर की ओर चला गया!

    रवि अनाया को वहा से थोड़ी दुर पर ले गया और होटल के कमरे की चाभी देते हुए बोला _"अनु एक काम कर तू कमरे में जा कर फ्रेश हो जा "!

    क्योंकि वो नहीं चाहता था कि जगदीश जी अनाया को फिर से कुछ सुनाएं !

    अनाया ने भी वो चाभी लि और होटल रूम की तरफ आ गई  ,और रवि परिवार वालों के पास वापस चला गया !

    रवि परिवार वाले दूसरी तरफ थे, इसलिए उनको पता नहीं चला, लेकिन कहते हैं जो बाते अपने परिवार को पता नहीं चलनी चाहिए वो पहले पता चल जाती है !

    लोगो की आपस में खुसुर पुसूर  से अनाया के परिवार वालों को पता चल गया, लेकिन उनको सिर्फ इतना पता चला कि किसी लड़की की मांग में किसी लड़के के हाथ से सिन्दूर गिर गया, वो लड़की कौन है वो किसी को पता नहीं चला !

    रवि जब सबके पास आया तो सुमन जी ने उसे पूछा _"तुम कहा थे रवि ,और अनु कहा है "?

    रवि थोड़ा हकलाते हुए बोला_" मैं अनु को होटल के कमरे तक छोड़ के आया हूं ,वो कुछ सामान भूल गई थी इसलिए" बोलते वक्त वो इधर उधर देख रहा था!

    तभी नीता जी की नजर रवि के कलाई पर गई वहा पर थोड़ा सा सिन्दूर लगा था और उसकी टी शर्ट पर भी  !

    नीता जी उसको शक भरी नजरों से बोली _"तुम्हें पता है रवि, अभी अभी हमने यहां कुछ लोगो को बात करते सुना है कि किसी लड़के के हाथ से किसी लड़की की मांग में सिन्दूर गिर गया है "!

    नीता जी मुँह से सिन्दूर का जिक्र होते ही रवि उनको देखने लगा फिर हकलाते हुए बोला_"  क्या चाची कुछ भी ,चलो अगर ऐसा हुआ भी तो क्या उनकी शादी हो गई ,नहीं ना "?

    रवि ने अपनी बात पूरी भी नहीं की और जगदीश जी बोले _"कैसी बात कर रहे हो,अगर एक लड़के के हाथ से किसी लड़की के मांग में सिन्दूर लग जाता है, तो वो लड़की उसकी बिहाता हो जाती है ,क्या  तुम्हें  इतना भी नहीं पता "जगदीश जी की बात सुनकर रवि दो पल के लिए शौक हो जाता है!

    लेकिन जल्दी ही वो अपने आप को नॉर्मल कर लेता है, क्योंकि उसकी हरकतें उस को मुसीबत में डाल देती हैं और उसके साथ अनाया को भी ,लेकिन नीता जी को तो उसके ऊपर शक हो जाता है !

    होटल के कमरे में अनाया मिरर के सामने खड़ि थी, उसकी मांग में अभी भी सिन्दूर लगा था, वो मिरर में खुद को देखते हुए अपनी मांग में लगे सिन्दूर को हाथ लगती है और सिन्दूर को छूते हि उसकी आंख से आंसू की एक बूंद गिर जाती है !

    वो जल्दी से अपने सर पर पानी डाल के उसको साफ करने लगती है, थोड़ी देर बाद वो सारी बातों को इग्नोर करते हुए जल्दी से तैयार होके मंदिर के यहाँ आ जाती है !

    बाकी सब भी अपने कपडे बदल चुके थे ,और वो मंदिर में जा ही रहे थे कि जगदीश जी और मनोज जी मंदिर को देखते हुए कहते हैं _"कितना सुंदर लग रहा है ,महादेव का मंदिर ,लेकिन आज तो कुछ है भी नहीं तो ये सब "! 

    तभी उनके पास गुजरता हुआ एक आदमी उनकी बात सुन लेता है और उनसे कहता है_" ये सब ठाकुर साहब ने करवाया है , उनकी कोई मन्नत थी ,जो पूरी हुई और आज वो उसकी ही पूजा करवा रहे है"!

    उस आदमी की बात सुनके जगदीश जी बोले _"आज भी इस दुनिया में ऐसे लोग हैं ,जो भगवान और मन्नत पर यकीन रखते हैं ,सुनकर अच्छा लगा" और वो लोग मंदिर की ओर बढ़ जाते हैं! 

    उनके जाते ही अनाया भी आ गई थी, और वो भी रवि के साथ आगे बढ़ गई ,रवि उसको देखते हुए बोला_" अनु तू ठीक है ना "! 

    रवि की बात पर अनाया  बोली _"हां  मैं ठीक हूं अगर आप वो सिन्दूर  वाली घटना के बारे में पूछ रहे हैं, तो please आप टेंशन मत लीजिए,  ये सब  पर मै भरोसा नहीं रखती, तो आप बेफिकर रहिए "!




    अनाया की बात सुनकर रवि ने राहत की सास ली और वो उसके साथ जाने लगा!  

    मंदिर में प्रवेश करने पर  सबने देखा कि एक आदमी शिवलिंग की आरती कर रहा था और आस पास धूप जल रहे थे, इसलिए कुछ साफ साफ नहीं दिखाई दे रहा था और उसके आदमियों ने सबको बाहर ही रोक रखा था ,देखने से ही लग रहा था कि कोई बहुत बड़ा आदमी है !

    उस आदमी ने धोती पहना था और गले में गमछा लिया था , और शिवलिंग की आरती  के साथ भजन भी गा रहा था!

    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
    कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
    सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।
    सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।




    इतना गाते ही वो आदमी धुए की वजह से खासने लगता है, जब अनाया देखती है कि वो आदमी धुए  वजह से गा नहीं पा रहा है ,तो वो आगे गाना शुरू करती है !



    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।
    सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।
    वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।
    वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।


    मंत्र सुनके सब अनाया को देखने लगते हैं, लेकिन धुए की वजह से कोई उसे देख नहीं पा रहा था और वो रवि के साथ अपने परिवार से भी दूर खड़ी थी, इसलिए उनको भी पता नहीं चलता है की, अनाया ही गा रही है !
    अनाया  मंत्र बोलना चालू रखति है !



    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
    अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
    अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।
    अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।






    वो आदमी भी अनाया की आवाज में कहीं खो जाता है और अनाया मंत्र पूरा करती है, वो आदमी आगे आरती करते हुये गाने लगता है, अनाया जब देखती है कि आगे वो आदमी गा रहा है ,तो वो चुप हो जाती है !







    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा
    शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेव
    नगेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
    नगेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
    नित्याय शुध्दाय दिगंबराय तस्मै नकाराय नमःशिवाय
    नित्याय शुध्दाय दिगंबराय तस्मै नकाराय नमःशिवाय




    आरती और मंत्र के साथ-साथ वो आदमी बार-बार अनाया का चेहरा देखने की कोशिश करता है लेकिन उसको सिर्फ अनाया के सूट का रंग दिखता है,  जो बेबी पिंक कलर का अनारकली सूट था !



    हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू शिव महादेवा शंभू शंभू
    शंभू शंभू शिव महादेवा हर हर शंभू शंभू शंभू शंभू
    शिव महादेवा शंभूशंभू शंभू शंभू शिवमहादेवा

    आख़िर में सब एक साथ बोलते हैं और इसी के साथ वो आदमी की पूजा पूरी होती है !

    जगदीश जी भी तारीफ किये बिना नहीं रह पाते हैं और सबसे बोलते हैं _" कितना अच्छा गया है ना ठाकुर साहब ने और उस लड़की ने भी" उनकी बात पर सब हा में सर हिला देते हैं !

    पूजा घर के बाद अनाया शिवलिंग को नमस्कार करके मंदिर के बाहर आ जाती है और रवि भी उसके साथ !

    अनाया का परिवार भी मंदिर के बाहर आ जाता है और वो लोग होटल की तरफ जाने लगते हैं ,तभी नीता जी कुछ याद करते हुई बोलीं _"आप लोग आगे चलिए मैं पंडित जी से बुआ दादी के लिए बिभूति लेकर आती हूं "!

    सुमन जी उनको जल्दी से  आने के लिए बोलती है और सबके साथ होटल की तरफ चली जाती है !

    वो आदमी भी गुलाबी ड्रेस वाली लड़की को ढूंढते हुए  घाट की तरफ आ जाता है, कुछ देर बाद  जाके उसको रवि दिखता है, और उसके साथ वही गुलाबी ड्रेस वाली लड़की  उसको समझने में देर नहीं लगती कि गाना गाने वाली और सिन्दूर वाली लड़की दोनों एक ही लड़की है ,वो डेविल स्माइल करते हुए अपने मोबाइल में उनकी फोटो ले लेता है !

    यहां नीलम जी भी बनारस एयरपोर्ट पहुंच जाती हैं .....




    ना जाने क्या करवट लेने वाली है ,अनाया की जिंदगी  इसमें मिलेगी उसको उसकी ख़ुशी, या फिर से उलझ जाएगी उसकी किस्मत ...!

    जानने के लिए पढ़ते रहिये और कृपया लाइक कमेंट और शेयर करें 

    Milte hai next chepter me.,..

    Tc..

  • 12. नीलम जी पहुची बनारस - Chapter 12

    Words: 1481

    Estimated Reading Time: 9 min

    12
    आगे,





    वो आदमी अपनी पूजा करके घाट पर आया और हर जगह गुलाबी ड्रेस वाली लड़की को ढूंढने लगा, लेकिन वो उसको नहीं दिखी, इसलिए वो वहां से जाने लगा !


     वो पलट के जा ही रहा था कि ,कुछ सोचते हुए वो फिर से पलटा और उसकी नज़र एक जगह पर जा कर ठहर गई! उसने देखा कि एक लड़की जो वैसी ही गुलाबी ड्रेस पहने के एक लड़के के साथ सीढ़ियों पर बैठी थी !


     वो लड़की को किसी और से  हँसते हुये बात करते देख उस इंसान की भौंह सिकुड़ गई ,लेकिन जब उसने थोड़ा ध्यान से देखा तो उस लड़की को पहचान गया और उसको समझने में देर नहीं लगी ,कि सिन्दूर वाली और मंदिर में उसके साथ गाने वाली एक ही लड़की है!




    अनाया को देखते हुए वो इंसान बोला _"मुझे यकीन था कि तुम वही हो"और वो इंसान ने डेविल स्माइल करते हुए उनकी फोटो ले ली !उसमें अनाया का चेहरा ठीक से नहीं दिख रहा था, लेकिन रवि का चेहरा एक दम साफ साफ दिख रहा था ,फोटो लेकर वो इंसान वहां से चला गया !





    वही नीता जी सबसे बहाना बना के वापस से मंदिर में आई, वहा पर एक पंडित जी बैठे थे, लेकिन देखने से  लग रहा था कि कोई सिद्ध महात्मा है ,नीता जी उनको अनाया की कुंडली देते हुए बोली _बाबा, ये मेरी की कुंडली है एक बार देख लीजिये सब ठीक है ना "! 




    फिर अपने मन में बोली "बाबा आख़िर बार जब उसपर  मुसिबत आने वाली थी तो, आपने हि उपाय बताया था फिर भी मैं उसे बचा  नहीं पायि ,अब फिर से मेरी बच्ची पर कोई मुसिबत आने वाली है,शायद अब मैं उसे बच पाउ "

    और फ़िर अपनी सोच से बाहर आते हुए  वो अपने सपने वाली बात बाबा को बता देती है !

     बाबाजी उनसे कुंडली लेकर देखने लगते हैं ,और जैसे जैसे अपने हाथों से कुछ जोड़ते हैं, वैसे वैसे उनके चेहरे के भाव बदलने लगते हैं!

    नीता जी देख पा रही थीं की बाबाजी  कुंडली देखते हुए परेशान हो रहे हैं ,इसलिए वो घबराहट से बोली _"क्या हुआ बाबा सब ठीक है ना "बोलकर वो बाबाजी के बोलने का इंतजार करने लगती है !


     बाबाजी आंख बंद करके बोले _"शिव शिव शिव शिव शिव"!

    फिर अपनी आंख खोलकर नीता जी को देखते हुए बोले _"जिस कन्या की ये कुंडली है ,वो पहले से ही विपदाओ से घिरी हुई है, और मुसीबत भी ऐसी वैसी नहीं है, ये समय उसके लिए बहुत हानिकारक है "!

    बाबाजी की बात सुन के  नीता की का दिल धक से रह गया है ,वो लगभग रोते हुए बोली_" तो बाबा इसका कोई उपाय तो होगा"!





      बाबा जी अपना सिर हिलाते हुए बोले _"हा है उपाय, उसको ये समय किसी का साथ ही बचा सकता है "!

    नीता जी समझ नहीं पा रही थी, इसलिए वो समझने की कोशिश करते हुए बोली _"किसी के साथ से आपका क्या मतलब है बाबा"!


    बाबा जी बोले_" मतलब शादी ',शादी सुनके नीता जी परेशान हो जाती है क्योंकि, अनाया अभी शादी नहीं करना चाहती थी !

     नीता जी अभी सोच रही थी कि बाबाजी फिर से बोलें _"जहां तक ​​कुंडली बता रही है, उस इंसान को अब तक उसकी जिंदगी मे आ जाना चाहिए, लेकिन कोई बात नहीं जो होता है शिव की मर्जी से होता है "!

    नीता जी आगे कुछ बोलती उसके पहले हि बाबाजी फिर से अपने ध्यान में लग गए ,और ना चाहते हुए भी उनको वहां से वापस आना पड़ा !

    वो बाबाजी को नमस्कार करके और मंदिर से विभूति लेकर होटल की तरफ जाने लगी !

     वो जा ही रही थी कि, उनकी नजर अनाया और रवि पर पड़ी जो आपस में बात करते हुए हंस रहे थे , अनाया को ऐसे खुश  देख कर नीता जी अपने मन में बोली _"महादेव करे की तू हमेशा ऐसे ही खुश रहे, मेरी बच्ची !  और जल्दी से वो इंसान भी तेरी जिंदगी में आ जाये, जो तुझे हमेशा खुश रखेगा "!

     और वो वहा से चली गई, अनाया और रवि भी वहा से जाने लगे !  चलते हुए रवि बोला_" अनु तू इतना अच्छा गाति है मुझे तो पता ही नहीं चला"!

     तो उसपर अनाया बोली _" भाई ज्यादा कुछ नहीं वो कॉलेज में जब भक्ति नाटक होता था तो ,मैं उसमें नाटक करती थी, और ये सब भी मैंने तभी सिखा था"!
     





    अनाया की बात पर रवि बोला_" ओह चलो अच्छा है, कारण चाहे जो हो कुछ अच्छा तो सिखा तुमने ,वैसे जब चाचा जी को पता चलेगा , तुमने मंदिर में सबके सामने गाया तो उनको कितना अच्छा लगेगा और शायद हो सकता है वो अपनी नाराजगी भूल जाए"!


    अनाया रवि को मना करते हुए बोली_" नहीं भाई कृपया आप पापा को मत बताना ,नाराज़गी दूर होने का तो पता नहीं ,लेकिन अगर वो और गुस्सा हो गए तो मैं क्या करुगी"!

     रवि को भी अनाया की बात सही लगी ,क्योंकि अनाया के लिए जगदीश जी के मन में जो नाराजगी थी ,वो सबकी कोशिश के बाद भी कम नहीं हुई थी ,उलटा छोटी से छोटी बात पर उनकी नाराजगी बढ़ जाती थी ,इसलिए उसने अनाया की बातों से सहमति जताई और वो दोनों होटल के लिए निकल गए !

    होटल का कमरा,

    सब निकलने वाले थे, क्योंकि उनको वहां से अभी दो घंटे और लगने  वाले थे, बुआ दादी के घर पहुंचने के लिए ,रवि ने पहले ही बड़ी कार बुक कर दी थी ,थोड़ी देर में वो कार भी आ गई और वो लोग निकल गए !


    Banaras airport,


     नीलम जी भी बनारस एयरपोर्ट पहुंच गई थी,  उन्होंने अंजू से कहा तो था कि वो दो दिन तक श्रीदा के पास रुके लेकिन वो चाहती थी, कि आज ही पूजा करके जल्दी से वापस चली जाए!

     जब से डॉक्टर वर्मा ने श्रीदा की हालत  देखते हुए उम्मीद दी कि वो ठीक हो रही है ,तब से नीलम जी चाहती थी कि श्रीदा जब भी आंखें  खोले वो उस्के पास रहे ,इसलिए वो पूजा करके जल्दी से श्रीदा के पास पहुंचना चाहती थी !


     एयरपोर्ट से कार लेकर नहीं नीलम जी  गंगा घाट के  लिए निकल गईं ,उनकी कार कुछ देर तक जाने के बाद रुक गई। नीलम जी ने ड्राइवर से पूछा_" क्या हुआ भैया गाड़ी क्यू रोक दी "!

     तो ड्राइवर सामने दिखाते  हुए बोला_" मैडम ट्रैफिक जाम हो गया है"!

    नीलम जी ट्रैफिक देखते हुए बोली _"जगह चाहे जो भी हो ट्रैफिक जाम होना तो आम बात हो गई है "!

     करीब आधे घंटे बाद उनकी गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ी और फिर से रुक गई, नीलम जी अब तो परेशान हो गई, वो इधर उधर देख रही थी की,तभी उनकी नज़र कार में बैठी एक लड़की पर गई ,नीलम जी वो लड़की को देखती रह गई और देखते देखते वो लड़की की कार दूसरी दिशा में मुड़ गई !

    कुछ देर तक उस कार को देखने हुए नीलम जी ने किसी को फोन लगाया !

    लगभाग दो घंटे की दुरी तय करके अनाया और उसके परिवार वाले बुआ दादी के घर पहुंचें , बुआ दादी का घर बहुत आलीशान नहीं था ,लेकिन वो गाँव में सबसे बड़ा घर उन्हीं का था, उनके घर के बाहर नेम प्लेट लगी थी ,उसपर लिखा था "जमुना निवास"!

    अनाया काफ़ी सालो के बाद आई थी इसलिए रवि उसको समझते हुए बोला_" तू घबराना मत ,सब ठीक है और जैसा जैसा मैं करू और जैसे नाम से बुलाऊं तू भी वैसा ही करना" रवि की बात पर अनाया ने हा मे सर हिला दिया !

    कार से उतर कर सब लोग अंदर गए ,तभी एक औरत और एक आदमी आए जिनकी उमर लगभग 50 से 55 के बीच होगी ,जगदीश जी और मनोज जी उनके पैर छूते हुए बोले_" कैसे हैं, आप भाई साहब  "और नीता जी और सुमन जी वो औरत के पैर छूटे हुए बोली _"कैसी है आप दीदी"!

    जगदीश जी और मनोज जी के बोलने से पता चला कि वो दोनों  उस्के बड़े मम्मी पापा हैं  ,रवि और अनाया ने भी उनके पैर छुये !

    जगदीश जी और मनोज जी के बुआ का बेटा राम निवास सिंह और उनकी पत्नी लाजवंती सिंह !

    लाजवंती जी अनाया को आशीर्वाद दी और उसकी नज़र उतारती हुई बोली _" नीता हमारी अनु कितनी बड़ी हो गई है, और खूबसूरत भी उनकी बात पर जगदीश जी को छोड़  कर सबने स्माइल कर दी !

    तभी नमन आगे आते हुए बोला _"क्या मैं खुबसूरत नहीं हूं, उसपर लाजवंती जी और रामनिवास जी दोनों मुस्कुराते हुए बोले_" अरे तुम कहां खुबसूरत हो ,तुम तो वो हो क्या कहते है, हैंडसम हो  "!

    हैंडसम वाली बात सुनके नमन अपने बालो में हाथ फेरते हुए बोला_" वो तो है बड़े पापा "नमन की बात पर बाकी सब हंस दिए!

      तभी राम निवास जी बोले_" चलो सब अंदर चलो या यही सारी बात करनी है, मा कबसे तुम सबका इंतजार कर रही है, तो सब सहमती जताते हुए अंदर चले गये !








    Guys please read this novel and share your review and do like comment and share ..............




    Tc..

    Bye...

  • 13. बुआ दादी और शादी - Chapter 13

    Words: 1601

    Estimated Reading Time: 10 min

    13
    आगे ,

     जगदीश जी की बुआ के दो बच्चे हैं लड़का रामनिवास और लड़की नीलम !

    नीलम जी शादी के बाद बहुत ही कम आ पाति थी ,और एक छोटी सी गलत फहमी की वजह से वो कई सालों से नहीं आई थी ! या यू कहे की बात चित बंद हो चुकी थी !

    ऐसा नहीं था कि सब उनसे नफ़रत करने लगे थे, लेकिन आपस में  मनमुटाव जरूर हो गया था, जिसे मिटाने के लिए भी दोनों मे से कोई नहीं मिला था !

    रहा उनका बेटा रामनिवास, अभी वो ही अपने पिता के गुज़रने के बाद सब संभलता है ,उनके तीन बच्चे हैं दो लड़के और एक लड़की!

       उनकी लड़की बड़ी थी और उसकी भी शादी हो गई थी, और दो बेटो मे से एक की शादी हो गई थी और एक की बाकी थी ,उनके बच्चों के व्यवहार भी उनकी तरह है, एक दम सरल ,लेकिन समझदार !

    अनाया भी सभी के साथ अंदर गई !  रामनिवास जी ने उन सबको उनका कमरा दिखाया और समान रख के वो सब बुआ दादी से मिलने उनके कमरे में चले गए !

     अनाया जब बुआ दादी के कमरे में गई तो, देखा कि एक बड़े से बिस्तर पर लगभग  70 साल के आसपास एक बूढ़ी औरत लेटी थी, और उनके बगल में एक 25 साल की जवान और खुबसूरत औरत बैठी थी !




    लाजवंती जी वो औरत से बोली_" मेघा इनसे मिलो ये तुम्हारे चचेरे सास ससुर लगेंगे "!

    और अनाया रवि नमन को दिखाते हुए बोली _" ये तुम्हारा देवर और ये तुम्हारी ननद"!

    लाजवंती जी मनोज जी और जगदीश जी और नीता जी और सुमन जी से बोली _"ये है हमारे बड़े बेटे अजय की पत्नी''!

    रामनिवास जी के बड़े बेटे का नाम अजय है और छोटे बेटे का नाम विजय है!

     मेघा ने जगदीश जी और मनोज जी के पैर छुए और नीता जी और सुमन जी के भी , सबने मेघा को आशीर्वाद दिया !

     जगदीश जी और मनोज जी बुआ दादी के बगल में बैठ गए , और बुआ दादी को आवाज देते हुए बोले_" बुआ क्या हाल बना रखा है आपने ,देखो तो कितनी तबीयत खराब कर ली"

    बुआ दादी को देख के हि लग रहा था ,कि उनकी तबीयत बहुत खराब है !

    मनोज जी की आवाज सुनके बुआ दादी ने अपनी आंखे खोली और सबको देख के मुस्कुराते हुए _"बोली आ गए मेरे बच्चे ,कैसे हो तुम सब "और अपना एक हाथ आगे बढ़ा दी !

    नीता जी वो हाथ को पकडते हुए बोली _"हम ठीक हैं बुआ जी, लेकिन आप ठीक नहीं हैै "!




     बुआ जी नीता जी के हाथ के सहारे उठते हुए इधर उधर देखने लगी ! जैसे किसी को ढूंढ रही हो ,सुमन जी समझ गई थी कि बुआ जी कीसे ढूंढ रही है, इसलिए वो अनाया को आगे लाते हुए बोली_" ये रही आपकी अनु ,जिसे आप ढूंढ रही है"!

    जब सुमन जी अनाया को आगे ला रही थी ,तो वो पलट के एक बार रवि को देखी तो रवि ने अपनी पलकें झपका दी जैसे कह रहा हो "तुम फिकर मत करो मैं यहीं हूं"!




     बुआ दादी जी अनाया को अपने सामने देख के खुश हो गई और खुशी से उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोली _"मेरी बच्ची " बोलते वक्त उनकी आंखो में आसू आ गए थे !

     अनाया भी बस उन्हें गौर से देख रही थी, बुआ दादी उसके हाथो को चूमते हुए बोली_" एक दाम चाँद का टुकड़ा है मेरी बच्ची "!

    अनाया भी छोटी सी मुस्कान करके बोली _"आप भी किसी चाँद के टुकड़े से कम हो क्या "!




     अनाया की बात सुनके बुआ दादी दो पल के लिए उसको देखती रह गई ! जैसे वो किसी की याद दिलाती हो , बुआ दादी का अनाया को इस तरह से प्यार करना जगदीश जी को अच्छा नहीं लग रहा था !

     कुछ देर  ऐसे ही रहने के बाद अनाया बोली _"बुआ दादी आप क्या मुझे प्यार नहीं करतीं "!

    अनाया की बात पर बुआ दादी बोली _"ऐसे क्यों बोल रही हैं, मेरी बच्ची "!

    उसपर अनाया बोली _" तभी तो आप ने अपनी तबीयत खराब कर ली, अब मुझे मेरी पसंद की चीज कौन खिलाएगा "!

     अनाया की बात पर बुआ दादी खुशी से बोलीं _"तू चिंता क्यों करती है ,मैं हूं ना अभी तो फिर "!

    अनाया उनके हाथ पर हाथ रख के बोली _"तो जल्दी  से ठीक हो जाइए और मुझे मेरी पसंद की चीजें खिलाइये " अनाया की बात पर बुआ दादी जी आंखो में आसू लिए खुशी से हा मे सर हिला देती है !


     रवि अनाया को देख के हैरान था ! वो अपने मन में बोला _"यहां आने से पहले तो ये कितना घबरा रही थी, और अभी देख के तो ऐसा लग रहा है कि, सालो से यही रहती है" !

     वही बुआ दादी अनाया का हाथ पकड़ के अपने पास बिठाते हुये बोली_" मुझे अनु से कुछ बात करनी है ,तुम सब थोड़ी देर के लिए बाहर रुको "!


    बुआ दादी की बात मान कर सब बाहर चले जाते हैं और अनाया दरवाजा बंद कर के बुआ दादी के पास बैठ जाती है ! 

    वही दूसरी तरफ नीलम जी घाट  र पहुंच गई थी और अपनी पूजा खत्म करके वही बाबाजी के पास बैठी थी, जिनके पास सुबह नीता जी बैठी थी !

    बाबा जी नीलम जी की दी हुई कुंडली को देखते हुए बोले_" ये आज की दूसरी कुंडली है, जो एक जैसी है "!

    बाबाजी की बात सुनके नीलम जी बोली_" लेकिन बाबा ये तो मेरी बेटी की कुंडली है "!




    नीलम जी की बात पर बाबा जी बोले _"हा मैं जानता हूं तभी तो कह रहा हूं, दोनों कुंडली एक समान है ,और इनका उपाय भी एक है शादी "!

    शादी सुनके नीलम जी बोली _"शादी"!

    नीलम जी को अश्चर्य चकित  होते देख बाबाजी बोले _"हा शादी बच्ची मुसिबतों के भाव में है, उसे किसी के साथ की जरूरत है ,या ये कहू की ये बच्ची को संभालने वाला इसकी जिंदगी में आ चूका है "!अब तो नीलम जी की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था !

    बाबाजी अपनी बात पूरी करते हुए बोले _"जयादा सोचो मत, जो होता है शिव की मर्जी से होता है ,और ये बच्ची को मुसिबत से इसका जीवनसाथी हि निकल सकता है !

    अपनी बात करके बाबा जी ध्यान में लग गए!

    नीलम जी भी अपने मन में सवाल लेके मंदिर से निकल के होटल में आ गई, और वो अपने आप से बोली _"बाबा ने ऐसा क्यु कहा कि श्रीदा की जिंदगी में कोई आ गया है, लेकिन श्रीदा तो छह महीने से तो कोमा में है, और अगर उसकी जिंदगी में कोई है ,तो वो उसके होश में आने पर ही पता चलेगा ,लेकिन पिछले छह महीने से कोई उसे मिलने भी तो नहीं आया, एक कम करती हू, मुंबई जाके अंजू से बात करती हूं "!

    कुछ सोचते हुए वो अंजू को फोन लगाने लगती है, लेकिन उसका कॉल नहीं लगता!

    फ़ोन ना लगने पर वो अंजू पर गुस्सा करते हुए बोली_" ये लड़की भी ना, कार में भी इसको कॉल कर रही थी ,लेकिन इसका कॉल ही नहीं लग रहा था ना जाने कहा है ये "!

    नीलम जी  कॉफी टेबल पर अपना फोन रखते हुए बोली _"वो लड़की कौन थी ,एकदम श्रीदा जैसी लग रही थी ,क्या वो श्रीदा थी ,लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है, अगर उसको होश आया होता तो मुझे पता चल जाता और उसने कपड़े भी कितने अलग पहने थे, श्रीदा को तो वैसे कपड़े पसंद हि नहीं है "!

    बोलते हुए वो कार में हुई घटना के बार में सोचने लगी ! कार के ट्रैफिक में फंसने की वजह से नीलम जी इरिटेट हो गई थी, इसीलिये वो कार की खिड़की से बाहर देखने लगी, कि किस वजह से ट्रैफिक है, तभी विपरीत दिशा में एक कार आके रुकी और जैसी हि कार चलने लगी, उनकी नजर कार में बैठी लड़की पर गई, जो खिड़की के पास बैठी थी !

    वह लड़की ने पिंक कलर का सूट पहना हुआ था, बालो को चोटि डाल के आगे लिया हुआ था ,माथे पर छोटी सी बिंदी, होठो पर हल्की पिंक लिपस्टिक एकदम ना के बराबर ,आंखो में काजल ,उसने अपने हाथ को  कार की खिड़की पर टीका कर रखा था, इसलिए उसके हाथों में मेटल की चूड़ियाँ भी दिख रही थी !

    नीलम जी उसी वक्त को याद करते हुए बोली _" भोले , पता नहीं वो कौन है, लेकिन एक दम मेरी श्रीदा जैसी थी " और उसके बारे में सोचते हुए वो मुस्कुराने लगी !

    थोड़ी देर बाद उन्होंने कॉफी टेबल से फोन उठा लिया और फिर से अपना सर हिलाते हुए बोली _"नहीं मुझे अंजू से बात करनी हि होगी"!

    उन्होंने के लिए कॉल लगाया हि था कि उनका फोन बजा  फोन पर फ्लैश हो रहे नंबर को देख कर अपनी आंखे सिकोड़ते हुए बोली _"घर से फोन" और उन्होंने कॉल रिसीव कर लिया! 

    और सामने वाले की आवाज सुनकर बोली_" ये क्या है अंजू, मैं तुम्हें दोपहर से कॉल लगा रही हूं, और तुम अब कॉल कर रही हो "!




    नीलम जी की नॉनस्टॉप गुस्से भरी आवाज सुनकर अंजू बोली_" आप plz शांत हो जाइएं आंटी ,मेरा फोन गिर गया था ,और तब से ऑन नहीं हो रहा है ,और फिर पापा भी आ गए थे, श्रीदा को चेक करने के लिए इसलिए मैं आपको कॉल नहीं कर पाई , वैसे आंटी आपके लिए अच्छी खबर है "!

    अच्छी खबर सुनके नीलम जी सब भूल गई और खुश होते हुए बोली _"बता ना बेटा क्या अच्छी खबर है"!




    क्यों बुआ दादी अनाया से अकेले मे बात  करना चाहती थी....... और क्या अच्छी खबर थी नीलम जी के लिए......




    दोस्तों कृपया पढ़कर लाइक  कमेंट 

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    Tc

  • 14. तुम मेरी हो - Chapter 14

    Words: 1243

    Estimated Reading Time: 8 min

    14

    आगे,

     नीलम जी फोन पर अंजू को गुस्सा कर रही थी ,क्योंकि अंजू ने दोपहर से उनका फोन नहीं उठाया था ,नीलम जी की गुस्से भरी आवाज सुनकर अंजू बोली _"सॉरी आंटी मेरा फोन गिर के टूट गया था, इसलिए मैं आप को वापस  फोन नहीं लगा पाई और पापा भी आ गए थे, श्रीदा को चेक करने के लिए, इसलिए आपको कॉल बैक भी नहीं कर पायी!




    अपनी बात जारी रखते हुए अंजू बोली _"वैसे ये सब छोड़िए आंटी आपके लिए अच्छी खबर है "!

     अच्छी खबर सुनके नीलम जी खुश होते हुए बोलीं_" क्या बात है अंजू ,जल्दी बता ना plz और इंतजार मत करा ,जल्दी बता क्या अच्छी खबर है"!




     नीलम जी की बेकरारी भरी आवाज सुनके अंजू बोली, _"आंटी आराम से ,मैं बताती हूं पापा जब श्रीदा को चेक कर रहे थे तो ,श्रीदा होश मैं आ रही थी , पापा ने चेक करके बताया कि श्रीदा अब कभी भी होश में आ सकती है "!


    अंजू की बात सुनकर नीलम जी की आंखों मे आंसू आने लगे, वो भरे हुए गले से बोली _"तू सच कह रही है ना अंजू, देख मेरे साथ मज़ाक मत कर "!

    अंजू समझ पा रही थी कि, नीलम जी ऐसा क्यों बोल रही है, और नीलम जी की बातों से ये भी समझ पा रही थी कि ,इस वक्त वो रो रही है ,क्योंकि उनकी बातों में भारीपन अंजू फोन पर सुना पा रही थी !


     इसलिए अंजू बहुत हि शांत लहज़े में बोली _"नहीं आंटी मैं आपसे कोई मजाक नहीं कर रही हूं ,सच में पापा ने कहा है कि उसके शरीर में सुधार हो रहा है, और वह कभी भी होश में आ सकती है "!

     श्रीदा के होश में आने की बात  सुनकर नीलम जी सब भूल गई ,यहां तक ​​कि वो ये भी भूल गई कि, उनको दोपहर में श्रीदा के जैसी दिखने वाली लड़की के बार में  अंजू से बात करनी थी !

    नीलम जी खुश होतेेे हुए बोली _"आपका धन्यवाद भोले नाथ जी, आप मेरी बेटी को ठीक कर रहे हैं, बस ऐसे ही जल्दी से उसे पूरी तरह से ठीक कर दीजिए"!





     नीलम जी के होटल के कमरे की खिड़की से घाट का पूरा दृश्य दिख रहा था ,उन्होंने खिड़की से दिख रहे मंदिर को नमस्कार किया और कमरे के अंदर चली गई !


     वही दूसरी तरफ सब लोग बुआ दादी के कमरे के बाहर खड़े थे!  उनसे दो लोग कुछ ज्यादा ही परेशान थे !पहले जगदीश जी और दुसरा रवि!

    बाकी सब तो फिर भी सिर्फ ये सोच कर परेशान हो रहे थे, कि ऐसी क्या बात करनी थी बुआ दादी को अनाया से की उन्होन सबको बाहर जाने के लिए कह दिया !





    वही जगदीश जी इधर से उधर चक्कर काट रहे थे, उनको ये परेशानी थी कि कहीं अनाया उनको कुछ ऐसा ना बोल दे, जिसकी वजह से बुआ दादी को कुछ हो जाए !

    और रवि परेशान था कि, अनाया को तो कुछ पता ही नहीं है, अगर बुआ दादी अनाया से कुछ पूछेगी तो वो क्या जवाब देगी, रवि चुप चाप एक साइड में खड़े होकर अपने दिमाग की पेंच लगाने की कोशिश कर रहा था, और आगे आने वाले सवालो के लिए खुद को तैयार कर रहा था !







     बुआ दादी के कमरे का दरवाज़ा बंद था, ये देख कर जगदीश जी का ब्लड प्रेशर बढ़ता हि जा रहा था!

     मनोज जी उनको ऐसे अपनी तबीयत खराब करते देख बोले_" ये क्या है जगदीश हम यहां बुआ जी के लिए आए हैं, और एक तू है जो ,अपनी हि तबीयत खराब करने पर लगा है !

     उनको परेशान देखकर नीता जी और सुमन जी भी अब  परेशान होने लगीं थी ,मनोज जी की बातों पर जगदीश जी बोले _"नहीं भैया मुझे उस लड़की पर भरोसा नहीं है, हमें उसको बुआ जी के पास छोड़ना ही नहीं चाहिए था ,मैं अभी जा रहा हूं उनके पास "!







     जगदीश जी का अनाया के लिए ऐसा व्यवहार देखकर  राम निवास जी , नीता जी से बोले _"छोटी बहू जे का है, जगदीश अभी भी अनु बिटिया के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है"!

     राम निवास जी की बात पर नीता जी ने अपनी नज़रे नीचे करके हा मे सर हिला दिया ! सब जानने के बाद राम निवास जी और लाजवंती जी ने अपना सर पिट लिया !

      राम निवास जी जगदीश जी की बाते सुनकर उनसे कुछ कहने जा रहे थे, तभी कमरे का दरवाजा खुला, दरवाजे पर अनाया खड़ी थी, उसकी आंखे थोड़ी लाल थी, और चेहरा उतरा हुआ था!

    वहा से सीधे वो अपने कमरे की ओर चली गई और जगदीश जी जल्दी से बुआ जी के कमरे में, उनके पीछे सब लोग बुआ जी के कमरे में आए ,लेकिन रवि अनाया के पीछे चला गया!

      सबने कमरे में देखा तो बुआजी सिरहाने सर टीका के बैठी थीं, सबको ऐसे अचानक से अंदर आते देख के बुआजी बोली _"क्या हुआ सबको ,ऐसे अचानक से क्यु आये "!

     उसपर लाजवंती जी बोली _"नहीं मा कुछ नहीं वो, हमने अनु बिटिया को उदास देखा तो थोड़ा डर गए और कुछ नहीं"!

    लाजवंती जी की बात पर बुआ दादी बोली _"मैं ठीक हूं ,कुछ नहीं हुआ मुझे " तभी नीता  जी अनाया के पास जाने लगी!

    तो बुआ दादी उनको रोकते हुए और सबकी तरफ देखते हुए बोली _"कोई नहीं जाएगा अनु के पास ,कुछ देर के लिए उसे अकेला छोड़ दो, वो ठीक है"!

    फिर जगदीश जी को देखते हुये_" मैं भी ठीक हूं"!

    लेकिन रवि अनाया के पास पहुंच गया था, उसने अनाया के कमरे में जाके देखा था तो, अनाया पीठ के बल बिस्तर पर लेट  थी ,  और उसके पैर बिस्तर से लटक रहे थे ,और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे ,वो रो नहीं रही थी लेकिन, ऐसा लग रहा था कि उसकी आंखों से किसी और का दर्द आंसू बनकर बह रहा था !

     रवि धीरे-धीरे उसके करीब आया और प्यार से उसके  पास  बैठ के उसके सर पर हाथ रखते हुए बोला_" तू ठीक है और तेरी आंखो में आसु क्यू "!

    अनाया अपना सर ना में हिलाते हुए  बोली _"कुछ नहीं भाई मैं तो बस ये जानने की कोशिश कर रही हूं कि , एक छोटी सी गलती की  कैसे कोई जिंदगी भर उसकी सजा पाता है"!

     रवि उतना ज्यादा भी नहीं समझ पा रहा था, लेकिन इतना जरूर समझ रहा था कि बुआ दादी ने अनाया को जरूर कुछ ऐसा बताया है जो उसको अंदर तक हिला के रख दिया है!

    अनाया अभि भी वैसे ही लेटी थी ,और रवि उसके बगल में बैठा था ,ये सोच कर कि, कहीं अनाया को उस्की जरूरत हो और वो उसके पास न हो !





    अचानक से अनाया उठी और रवि कंधे पर एक साइड से सिर रख दि ,रवि भी चुप चाप बस वैसे ही बैठा रहा ! क्योंकि उसको भी लग रहा था कि अभी  उसको भी किसी की जरूरत है ,इसलिए वो चुप चाप वैसे ही उसके पास बैठा रहा !

     एक बड़े से आलीशान घर में ,एक आदमी अपने फोन में किसी की फोटो देखते हुए बोला __"हमारे बीच कनेक्शन था या नहीं मैं नहीं जानता, लेकिन अब जुड़ चुका है और मैं ये कनेक्शन को कभी भी टूटने नहीं दूंगा ,मैं तुमसे वादा करता हूं कि तुम सिर्फ मेरी हो, बोलते हुए वो आदमी डेविल स्माइल करने लगा !




    आख़िर क्या कहा बुआ दादी ने अनाया से..... और वह आदमी कौन से कनेक्शन की बात कर रहा था....जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ..... और कृपया पढ़कर लाइक कमेंट और जरूर शेयर करें .....







      milte hai next chepter me...

  • 15. i promise you- Chapter 15

    Words: 1208

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे,

    वो इंसान अपने फोन में किसी की फोटो देखते हुए बोला _"हमारे बीच पहले से कोई कनेक्शन हो या ना हो ,लेकिन अब तो कनेक्शन बन गया है ,और उसकी वजह से बहुत जल्दी तुम मेरे साथ होगी ,सिर्फ पास होगी I promise you !





     वो इंसान अपनी बड़ी सी विंडो के पास खड़े होकर बाहर से आती हुई हवा को महसूस कर रहा था, और फोन में photo देखता हुआ, कहीं खोया हुआ था!

    तभी उसके कमरे में एक आदमी आया, उनकी उम्र लगभग 65 आस पास  , रोबदार चेहरा, सफारी सूट पहने हुये , बाल हल्के काले और बाकी के सफेद ,बुड्ढे तो हो गए ,लेकिन अभी भी वैसे ही ताकत जो अखाड़े में 2 पहलवानों को अकेले धूल चटा दे !

    वो आदमी अंदर आते हुए बोले _"माधव आपको याद है ना  कल हमें कावेरी निवास जाना है तो plz कोई काम लेके मत बैठ जाना "!

    उनकी बात सुनकर माधव बोला_" आप जानते हैं ना, दादा जी अभी मुझे शादी नहीं करनी है,  फिर भी आप "?

     तो ये हैं माधव के दादाजी वीर सिंह ठाकुर, वो अपने पोते की बात पर बोले _"क्यों नहीं करनी ,और वैसे भी हम तुम्हारा  रिश्ता, कोई ऐसी वैसी लड़की से तो नहीं करा रहे हैं ना, तो फिर मिलने मे क्या हर्ज है "!

    अपने दादाजी की बात सुनकर माधव_" बोला ठीक है दादाजी ,अगर आपको ऐसा लगता है तो मैं वो लड़की से मिल लूंगा, लेकिन उसके आगे मैं जो कहूंगा वो होगा और उसके लिए आप मुझसे जबरदस्ती नहीं करेंगे "!

    वीर सिंह जी बोले _"ठीक है"!

    क्योंकि वो जानते थे कि, अगर उनका पोता कोई चीज़ के लिए मना करता है ,तो वो ना हि होता था ,इसलिए ना चाहते हुए भी वीर सिंह जी ने माधव की बात मान ली और वहा से चले गए !


     उनके जाते हि माधव डेविल स्माइल करते हुए बोला _"बस दादा जी कल आपकी बात मान लूंगा ,और वहां पहुच  के आप से अपनी बात मनवा लूंगा "और फिर से वो फोन में देखने लगा !

     और डेविल स्माइल करते हुए बोला _"एक बार ये देख लू , उसके बाद तुम्हें अपने पास लाने की तैयारी शुरू करूंगा , और उसके बाद तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगा "!







    वही नीलम जी ने जब अंजू के मुंह से सुना कि श्रीदा कभी भी होश में आ सकती है ,तब से उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं था !







     वो पूजा तो बनारस पहुंच कर हि कर चुकी थी ,और बाबाजी से भी मिल चुकी थी !  अब वो अपनी पैकिंग कर रही थी, उन्होंने एजेंट से कहकर अपनी रिटर्न टिकट करवा ली थी, और वो थोड़ी देर में होटल से चेक आउट करके निकलने वाली थी ! वो जतना जल्दी हो सके उतना जल्दी वापस जाने का सोच रही थी, ताकि श्रीदा जब अपनी आंखें खोले वो, उसके सामने रहे !

    वो अपनी पैकिंग करके निकल रही थी, कि उनको गंगा घाट से घंटियो की आवाज आने लगी ,इतनी घंटियो की आवाज सुन के वो खिड़की के पास आके देखी तो गंगा घाट पर संध्या आरती हो रही थी !

    नीलम जी ने हाथ जोड़ कर दर्शन किये और आरती पूरी होते ही वहा से निकल गयी !थोड़ी देर में नीलम जी बनारस एयरपोर्ट पर थीं ,और बहुत खुश भी थीं !

    कावेरी निवास मे,

     अनाया रवि के कंधे पर सिर रख के बैठी थी, और रवि भी अनाया के लिए वैसे ही बैठा था, काफी देर तक वैसे ही ठीक बैठने के बाद अनाया बोली _"भाई हमें सबको सच बता देना चाहिए"!


     अचानक अनाया के मुंह से सच जिक्र सुनके रवि बोला _"लेकिन तू हि तो नहीं चाहती थी कि, किसी को भी इस बारे में पता चले ,तो फिर अभी क्यों "!

    उसपर अनाया बोली_" मुझे लगा था कि, बात बस हमारे घर तक हि रहेगी ,लेकिन बात शादी तक पहुंच गई और बुआ दादी भी चाहती है कि, मैं ये शादी कर लू ,अब आप हि बताओ मैं क्या करू "!

     अनाया की बात सुनके रवि बोला_" ठीक है ,जैसा तुमको ठीक लगे और वैसे भी कभी ना कभी सबको पता चलना हि था "!





     उनकी बात भी पूरी नहीं हुई थी कि मनोज जी  अंदर  आते हुए बोले_" तुम दोनों का दिमाग खराब हो गया है" मनोज जी को ऐसे अचानक देख वो भी गुस्से में दोनों चौक गए !

     मनोज जी दरवाजा बंद करते हुए बोले _"अब तक मैं कुछ नहीं बोला, क्योंकि मुझे यकीन था कि तुम दोनों की वजह से किसी को कोई तकलीफ नहीं होगी, लेकिन यहां तो धमाका करने की तैयारी हो रही है"!


     मनोज जी को इतने गुस्से में देख कर और उनकी बातें सुनकर रवि और अनाया ने अपना सर झुका लिया !

    मनोज जी  उनको ऐसे देख कर अनाया के सामने आये और बोले _"क्या तुम किसी और प्यार व्यार करती हो "!

    तो अनाया ने ना में सर हिला दिया !

     मनोज जी अपने सर पर हाथ रखते हुए बोले _"तो मामला क्या है ,मैंने कहा था ना कि लड़के से मिलो और उसको कुछ भी ऐसा बहाना दो, कि वो खुद शादी से मना कर दे, लेकिन नहीं तुमको तो अब सबको सच बताना है ,तो तुम्हारे अंदर की सच्चाई 6 महीने से कहा गई थी "!

    अब तो अनाया को रोना आ रहा था, और वो रोने भी लगी थी, उसको रोता हुआ देख के मनोज जी को एहसास हुआ कि उन्होंने  कुछ ज्यादा हि बोल दिया !

    वो वही रखी कुर्सी पर बैठ गए और अपने माथे पर हाथ रखते हुए बोले _"मैं जानता हूं ,मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था ,लेकिन तुम भी समझो की ये वक़्त हम अपने घर नहीं है, बुआ दादी के यहाँ है ,और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है "!

    मनोज जी बोलना जारी रखते हुए _"इसलिए कह रहा हूं, लड़के से मिल लो ,जिससे किसी के भी मन में भी कोई सवाल न आए और बुआजी की बात का मान भी रह जाए  और रही बात जगदीश की तो उसको मैं संभाल लूंगा !

    मनोज जी की बात सुनके अनाया उनके पास बैठ के ,उनके हाथ को पकडते हुए बोली_" ठीक है बड़े पापा ,जैसा आप कहे ,मैं मिलूंगी उस लड़के से"!

    रवि को भी कुछ नहीं समझ आ रहा था वो अपने मन में बोला _"जैसा सोचा था ,उससे उल्टा हि हो रहा है ,महादेव कृपया जल्दी से सब ठीक कर दीजिए "!

     अनाया की बात सुनके मनोज जी ने उसके सर पर प्यार से हाथ रखा, लेकिन कुछ कह नहीं पाए और वहां से चले गए ! कुछ देर में मेघा आई और सबको खाने के लिए बोली !





     कुछ देर के बाद सब खाने की टेबल पर थे,  और खाना होने के बाद बुआ दादी बोली_" कल जो लड़का अनु को देखने आ रहा है, वो राम निवास के पिता जी के दोस्त का पोता है ,बहुत हि रईस और खानदानी लोग हैं ,लड़का भी बहुत अच्छा है, उसने अपने कारोबार को बहुत अच्छे से संभाला है ,एक बार उसको हमारी अनु पसंद आ जाए ,तो कोई चिंता की बात नहीं है !

    सबने ने बुआ दादी की बात पर हा मे सर हिला दिया !







    आखिर क्या करने वाली थी अयाना ,और क्या वो लड़का भी मना कर देगा शादी के लिए अनाया को !

    जानने के लिए पढ़ते रहिए और लाइक कमेंट और शेयर करना मत भूलिए.....




    Tc ...

  • 16. makeup की दुकान- Chapter 16

    Words: 1511

    Estimated Reading Time: 10 min

    16
     आगे,





    बुआ जी ने जैसा लड़के के बारे में बताया वो सुनके सब खुश थे ,वही अजय और विजय भी काम से घर आ गए थे, लेकिन सब से मिलकर वो दोनों भी सभी के साथ वही बैठे थे !




    बुआ दादी सबको उनकी जिम्मेदारी देते हुए बोली _"नीता बहू, सुमन बहू तुम दोनों लाजवंती के साथ मिलकर नास्ता पानी का इंतजाम कर लेना "तो बुआ दादी की बात पर उन तीनो ने हा मे सर हिला दिया !




     फिर बुआ दादी अपने बेटे से बोली _"राम निवास तुम लोग बाहर का सारा इंतजाम देख लेना और अगर कुछ जरूरत पड़ी तो अजय से बोल देना ,क्योंकि रवि को यहां का ज्यादा कुछ पता नहीं है , इसलिए वो अजय के साथ उसकी मदद कर देगा "!

    उसपर दोनों ने एक साथ कहा_" जी दादी जैसा आप कहे "!

     फिर सबसे आखिरी में मेघा को देखती हुई बोली _"मेघा बहू तुम अनु को तैयार कर देना , लेकिन हिसाब से "बुआ दादी की बात सुनके मेघा का मुंह बन गया, क्योंकि वो खुबसूरत तो थी ,लेकिन मेकअप का कुछ जायदा इस्तेमाल करती थी !

     या ये कहे कि जरूरत से ज्यादा ,इसलिये बुआ दादी ने मेघा से ऐसा कहा था ,क्योंकि वो जानती थी कि अगर वो नहीं बोलेगी तो मेघा पूरा मेकअप अनाया को थोप देती !


      बुआ दादी की बात पर उनके परिवार वाले हस दिए लेकिन, अनाया के परिवार  वालो को कुछ समझ नहीं आया तो, नमन बोला _"बुआ दादी आप लोग हंस क्यों रहे हैं "तो बुआ दादी ने हस्ते हुए ना में सर हिला दिया !

    तो नीता जी और सुमन जी लाजवंती जी को देखने लगे, लाजवंती जी उनकी बात समझकर बाद में बताने का इशारा कर दी ! वही बुआ दादी के ना में सर हिलाने से बाकी कोई कुछ नहीं बोला !




     बुआ दादी की बात मेघा हर वक्त मजाक में लेती थी ,लेकिन बुआ दादी ने आज सबके सामने बोल दिया जिस के कारण मेघा को बुआ लग गया !

    वो अपने मन में बोली_" घर तक तो ठीक था ,लेकिन दादाजी ने अब तो रिश्तेदारों के सामने भी बोलना शुरू कर दिया" और वो वहां से झूठी smile करते हुए चली गई !

     उसके जाते हि लजवंती जी समझ गई कि ,उसको बुरा लगा, इसलिए वो उससे बात करने के लिए उसके पीछे चली गई !

     लाजवंती जी मेघा के कमरे में गई तो देखा कि मेघा उदास होकर कुर्सी पर बैठी थी ! मेघा की उदासी देख कर उन्होंने उसके  कंधे पर हाथ रखा और उसके सामने बैठते हुए बोली _"क्या हुआ मेघा, तुम ऐसे क्यों चली आई"!


    लाजवंती जी को पता था, लेकिन फिर भी वो उसके मुँह से सुनाना चाहती थी ,इसलिए मेघा से पूछा तो मेघा ने पहले तो वैसे मुँह लटकाए हुए ना में सर हिला दिया !


      लेकिन लाजवंती जी के दोबारा पूछने पर बोली _"देखिये ना मां, दादी जी तो सबके सामने बोलती हैं लेकिन आज रिश्तेदारों के सामने भी कहा" और मेघा मुँह फूला के बैठ गई !


     मेघा की बात सुनकर लाजवंती जी मुस्कुराती हुई बोली, _"यही तो फर्क है मेघा " अब उनकी ये बात पर मेघा चौक गई!

    लाजवंती जी फिर से बोली _" मैं जानती हूं कि तुम क्या सोच रही हो ,और मैं भी तुमको वही समझाने की कोशिश कर रही हूं "!

     मेघा को कुछ समझ नहीं आया, वो फिर से बोली _"मैं समझी नहीं मां "!

    तो लाजवंती जी बोली _" बेटा, फर्क ये है ,जिसको तुम रिश्ते में बोल रही हो, वो मां के बहुत करीब है , उनके अपने तो ,वो रिश्तेदार कैसे हुए, वो तो अपने हुए ना और जो सिर्फ रिश्ते से अपने होते है, जो सिर्फ रिश्ता निभाने के लिए आते है, रिश्तेदार तो वो होते हैं ना "!




     मेघा को अब जाके लाजवंती जी की बात समझ आई वो अपना सर हा मे हिलाते हुए बोली  _"मैं समझ गई मा ,लेकिन एक बात और समझ मे नहीं आई दादी जी को अनु से इतना लगाव क्यों है "!

    फिर कुछ देर रुक कर बोली _" जबकी जगदीश चाचा उसको , बिल्कुल भी पसंद नहीं करते ऐसा क्यू "?


     मेघा की बात सुनकर लाजवंती जी पहले तो थोड़ी उदास हो गई फिर छोटी सी मुस्कुराहट के साथ बोली  _"क्यूकी अनु एक दम उनकी बेटी के जैसी है, वही सूरत ,भाव ,समझदारी लेकिन उनके जैसी शरराती नही ,अभी के लिए तुम इतना ही जान लो!

    बुआ दादी का अनु को इतना पसंद करने कारण अब जाके मेघा को समझ आया था !

    क्योंकि जब से अनाया आई  थी, मेघा को लग रहा था कि सब उसको उसकी खुबसूरती के कारण पसंद करते हैं , लेकिन असली वजह तो कुछ और थी "!

     बोलते हुए लाजवंती जी कहीं खो गई थी, फिर अपना सर ना में झटकते हुए बोली _" बेटा अब तुम सो जाओ ,सुबह जल्दी उठना है ,बहुत काम है, मेघा ने हा मे सर हिला दिया और लाजवंती जी वहा से चली गई !




    बाहर भी सब अपने कमरे में चले गये थे !

    अनाया बिस्तार पर लेट कर कल क्या और कैसे करना है, सोच रही थी और अपने आप से बोली _" बड़े पापा ने सही कहा कि, घुटनों को टेक देने से अच्छा है  की मैं उसका सामना  करूं ,कल मैं वो लड़के को मना कर दूंगी चाहे ,जो हो जाए "!

     ऐसे ही सोचते हुए अनाया नींद की आगोश में चली गई ! लेकिन रवि को अभी भी चिंता हो रही थी ,उसको पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था, कि कल जरूर कुछ होने वाला है अनाया के साथ  !

      .बुआ दादी भी भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि बस ये रिश्ता पक्का हो जाए।

     इसी सोच उलझ के फेर में सुबह हो गई ,

    चिड़ियो की आवाज और सूरज की हल्की हल्की रोशनी ! अनाया को देख के ऐसा लग रहा था, कि बहुत वक्त बाद वो चेन की नींद सो रही थी , चेहरे पर हल्की सी मुस्कान के साथ वो अंगड़ाई लेते हुए उठी तो बुआ दादी को अपने सामने पायी !

    वो डरी तो नहीं लेकिन , थोड़ा सोचने जरूर लग गयी वैसे ही अंगड़ाई लेके उठतेे हुये बोली _" बुआ दादी आप यहां "!







    बुआ दादी जी जब अनाया सो रही थी ,तब से उसके सिरहाने बैठी थी और उसको देख रही थी, जैसे कोई नवजात शिशु को सोते हुए निहारता है ,अनाया की आवाज से बुआ दादी अपने होश में आती है !

    अनाया की बात पर बुआ दादी बोली_" हा वो सुबह जल्दी उठ गई थी, इसलिए सोचा की तुमसे मिल लू ,लेकिन यहां आई तो देखा की तुम सो रही थी ,इसलिए तुम्हारे उठने का इंतजार करने लगी "!

    अनाया उनकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए उनके दोनों चिक को पकड़ के बोली _"बुआ दादी आप बहुत क्यूट हैं "अनाया की हरकत पर बुआ दादी अपनी आइब्रो सिकोड़ के उसको देखने लगी !

    बुआ दादी के देखने पर अनाया  ने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और अपनी नजरें इधर उधर करके देखने लगी ! अनाया की इस हरकत पर बुआ दादी जोर से हस दी ,बुआ दादी को हसते हुये  देख कर अनाया को  भी हंसी  आ गई !

    बुआ दादी बिस्तर से उठते हुए बोली _" जल्दी से तैयार हो जाओ अनु ,थोड़ी देर में लड़के वाले आ जायगे "!

    अनाया जहां अभी खुश थी वही, अब उसके चेहरे पर थोड़ी  उदासी आ गई! वो अपनेआप को ठीक करते  हुए बोली _"नहीं उदास होने का वक्त नहीं है ,और अनाया तू कबसे किसी बात से sad होन लगी !

    और वो उठ कर वॉश रूम चली गई, थोडी देर के बाद सब डाइनिंग टेबल पर नाश्ता कर रहे थे ,और मेघा बार-बार अनाया को हि देख रही थी, मेघा को ऐसा करता देख लाजवंती जी ने ना में सर हिला दिया !

     जब अनाया ने देखा तो वो बोली  _"क्या बात है भाभी ,आप मुझे ऐसे क्यों देख रही है, अब मेघा आकर्षण का केंद्र बन गई !

    मेघा ने बात घुमाने के लिए कहा _" वो मैं तो तुम्हारा नास्ता पूरा होने का इंतजार कर रही थी, तुम्हें तैयार करना है ना ,बस इसलिए " मेघा की बात भी सही थी!

    अनाया भी अपनी जगह से उठते हुई बोली _"मेरा हो गया भाभी ,चलो "और वो मेघा के साथ चली गई !





    देखते देखते 10 बज गए और लड़के वालो का आने का टाइम भी हो गया, घर में जोर शोर से तय्यारी चालू थी ,औरते किचन में काम कर रही थी ,आदमी लोग बाहर की व्यवस्था में लगे हुए थे !

    मेघा अनाया को तैयार कर रही थी ,थोड़े ही समय में सब हो भी गया !

    काम अभी पूरा ही हुआ था, कि बाहर से कार का हॉर्न सुनाई दीया !

    वही  काफी इंतजार के बाद नीलम जी मुंबई पहुची !

    कुछ दिक्कत होने की वजह से उन्हें थोड़ी देर हो गई , नहीं तो अब तक वो अपने घर पर होती !

    वो एयरपोर्ट से निकल ही रही थी कोई उनके सामने आ गया , और उनको देखते ही नीलम जी आंखें बड़ी हो गईं !





    Aage kya hoga jaanane ke liye padhate rahiye .... Aur pls like comment and share jarur kijiye.....

    Milte hai next chepter me....





    Tc...

    Bye.....

  • 17. अनाया को देखने आये देखने लड़के वाले-- Chapter 17

    Words: 1463

    Estimated Reading Time: 9 min

    17
    आगे,




     नीलम जी को मुंबई पहुंचने में देर हो गई थी  ! क्योंकि कोई तकनीकी दिक्कत की वजह से उनकी फ्लाइट लेट हो गई थी ! नहीं तो जिस वक्त वो बनारस से निकली थी ,उसके हिसाब से तो वो अभी अपने घर पर होती !




     मुंबई पहुंच कर नीलम जी बस एयरपोर्ट से बाहर निकली हि थी कि, सामने उनको मिस्टर अवस्थी दिखे ,उनको देख कर वो खुशी से उनके पास गई और उनके गले  से लगते हुई बोली _"आपको पता है, श्रीदा कभी भी होश मे आ सकती है !




    श्रीमान अवस्थी भी नीलम जी को वैसे ही गले से लगाये  हुए बोले _" मैं जानता हूं " डॉक्टर वर्मा का कॉल आया था, उन्होंने सब बता दिया है, तुम्हें भी डॉक्टर वर्मा ने बताया है ना "!




     नीलम जी श्रीमान अवस्थी से अलग हुई और ना में सर हिलाते हुए बोली _"नहीं , मेरी अंजू से बात हुई थी ,उसने मुझे श्रीदा की हालत के बारे में बताया "!










    नीलम जी का सामान उनका ड्राइवर कार में रख चूका  था, नीलम जी श्रीमान अवस्थी के साथ कार में बैठते हुए बोली _"आपको पता कैसे चला कि मैं कब आ रही हूं "!




     तो श्रीमान अवस्थी मुस्कुराते हुए बोले _" तुम भूल जाती हो, हम कहीं भी जाते हैं तो एक ही ट्रैवल एजेंट से टिकट बुक कराते हैं ,वहीं से मैंने पता कर लिया "!




     नीलम जी अपने सर पर हल्के मारते हुए बोली _" हां, मैं तो भूल ही गई थी "और  वो लोग वहां से घर के लिए निकल जाते हैं !




    वही बनारस मे ,

    कावेरी निवास,




    अनाया रेडी हो चुकी थी ! मेघा उसको देखते हुये हैरानी बोली _"अनु तुम कितनी खुबसूरत लग रही हो, जब की तुमने तो कोई मेकअप भी नहीं किया !




    मेघा की बात पर अनाया मुस्कुराती हुई बोली _"सब आपकी वजह से भाभी, आखिर आपने हि तो मुझे तैयार किया  है " अनाया की बात सुनकर मेघा बस मुस्कुरा कर देती है !




     बाहर सब अभी तैयारि करके के लड़के वालो के आने का इंतजार कर रहे थे, कि उनको कार की हॉर्न सुनाई दी और उनके घर के आगे दो बड़ी सी गाड़ी आके रुकी !




     बुआ दादी जो घर के मंदिर में बैठी थी ,वो हॉर्न की आवाज सुनकर अपनी आंखे खोली और उठकर बाहर आने लगी !  बाहर आके वो आगे खड़ि थी, और बाकी के लोग उनके पीछे खड़े थे !




      कार से पहले दो लोग उतरे ! उन्मे से एक आदमी ने जा के पहली कार का दरवाजा खोला, और उस कार से वीर सिंह ठाकुर निकले और उनके साथ एक औरत , जिसने सिंपल सी लेकिन महँगी साड़ी पहनी थी, उसके भी चेहरे पर एक रोब था !




     वीर सिंह ठाकुर जी आगे आते हुए बोले_" कैसी हो तुम कावेरी" (कावेरी बुआ दादी का नाम है) !




     बुआ दादी आगे आते हुये बोली _" मैं ठीक हूं भाई साहब, आप कैसे है "!




    फिर उनके साथ आई औरत को देखते हुए बोली _"रोहिणी बेटा कैसी हो तुम" दादाजी के साथ जो औरत आई है, उनका नाम है रोहिणी !

    वीर सिंह ठाकुर जी की बहू ,बहोत हि सरल ! लेकिन खानदानी रईस होने के कारण उनके चेहरे पर रोब दिख कर आता है, जिससे उनके चेहरे पर अलग ही भाव दिख कर आता है !

    रोहिणी जी अपना हाथ जोड़ते हुए बोली_" मैं ठीक हूं मा जी , मैंने सुना है ,की आपकी तबीयत ठीक नहीं है, आप अपना ख्याल क्यों नहीं रखती "!

    तो बुआ दादी बोली_' उम्र हो चली है बेटा, ये तो लगा ही रहेगा, वैसे माधव बेटा कहा है "?

    माधव का जिक्र होते ही रोहिणी जी मुस्कुराती हुई पलटी तो उनके पीछे की कार से एक 26 साल का लड़का बाहर आया ,उसके काले थोड़े बड़े काले बाल, काली काली आंखें, 6 फिट की हाइट ,रोबदार चेहरा, परफेक्ट बॉडी वो आगे आते हुए अपनी मां के पास खड़ा हो गया!




    बुआ दादी उसको देखते हुए बोली_" कैसे हो माधव " तो छोटी सी मुस्कुराहट के साथ उसने हा में सर हिला दिया !




    माधव का व्यवहार देख के रोहिणी जी बुरा लगा ,वो बुआ  दादी से  बोली _"आप जानती है ना ,माजी ये बचपन से ऐसा हि है !




     बुआ दादी मुस्कुराती हुई बोली _"तुम चिंता मत करो ,मैं जानती हूं, और हो भी क्यों ना ,अपने पापा पर जो गया है"!

    फिर आगे बोली "सारी बातें यहीं हो जाएंगी क्या ,चलो  चलो अंदर चलो सब "!

     बुआ दादी की बात पर सब अंदर जाने लगे ! और माधव इधर उधर देखते हुए अंदर जाने लगा ! ऐसा लग रहा था की उसको जबरदस्ती यहां लाया गया हो ,और कहीं ना कहीं ये सच भी था !




     अंदर जाके सब बैठते हैं, उनके बैठते ही नीता जी और सुमन जी नास्ता लाकर टेबल पर रख देती हैं ,और सबको पानी दे देती हैं ,माधव बस जल्दी से जाना चाहता था ,लेकिन अपनी माँ और दादा जी के वजह से वहा बैठा हुआ  था !




     वही रवि अजय के साथ घर का कुछ सामान लेने के लिए मार्केट गया था ! वीर सिंह ठाकुर जी और रोहिणी जी पानी पीते लेकिन माधव मना कर देता हैं !




    तभी रोहिणी जी बोली_" माज़ी, बातें तो होती रहेंगी ,आप अनाया को बुला दीजिए"!

    तो बुआ जी हा मे सर हिला देती है, और अपने पास खड़ि लाजवंती जी कहती हैं,_" बहू मेघा को कहो की अनु को लेकर आए "अनु सुनके माधव के कान खड़े हो जाते हैं और वो उनको देखने लगता है , जैसे उसको कुछ याद आया हो !




    वही रोहिणी जी बोली _"लेकिन मा जी हम तो अनाया"!




    रोहिणी जी ने इतना कहा था कि बुआ दादी बोलीं_" हम अनाया को हि प्यार से अनु बुलाते हैं "बुआ दादी की बात सुनके  रोहिणी जी ने हा मे सर हिला दी ! वही माधव को उसको देखने की इच्छा होने लगी ! 




    तभी अजय और रवि भी मार्केट से आ गए, घर के अंदर आते हुए उनको पता चल गया कि लड़के वाले आ गए है , इसलिए दोनों पहले एक दूसरे को देखा फिर घर के अंदर आ गए!

     अंदर आते ही बुआ दादी उनको सबसे मिलाते  हुये बोली _"अजय को तो आप जानते हैं ,और ये हैं रवि अनाया का बड़ा भाई "!







     रवि ने भी सबको हाथ जोड़कर नमस्कार किया ,लेकिन अगले ही पल वो एक टक माधव को देखने लगा ,उसे ऐसे देख कर मनोज जी बोले  _"क्या हुआ रवि" तो उसने ना में सर हिला दिया , वही माधव के चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान आ गई !




    कुछ देर पहले माधव ने जब  रवि को देखा तो उसकी भौये सिकुड गई वह अपने मन में बोला_" ये कौन है ,और यहां पर भी, मतलब वो भी यहीं है "तब तक बुआ दादी ने उसको  अनाया का भाई बताया, और रवि को अनाया का भाई जानकर माधव के चेहरे पर मुस्कान आ गई !




    तभी मेघा अनाया को लेकर आ गई, और अनाया को देखते हि बुआ दादी खुश होते हुये अनाया से बोली_" आजा मेरी बच्ची ,मेरे पास बैठ, अनाया जाके उनके पास बैठ गई !




    अब अनाया माधव के एक दम सामने थी ,उसकी नजरें नीचे  थी ,इसलिए उसने माधव को नहीं देखा ,लेकिन माधव उसकी तो नजर ही नहीं हट रही थी अनाया से !




    अनाया ने अभी गहरे गुलाबी रंग का चूड़ीदार सूट पहना था, कानो में छोटी सी बाली ,माथे पर बिंदी ,होठो पर लिपबम और बालो को आगे डिजाइन केरके पीछे खुला छोड़ा था,चेहरे पर कोई मेकअप नहीं बस काजल और आईलाइनर !  




    रोहिणी जी और माधव के दादाजी को अनाया बहुत पसंद आयी, वही अनाया जो पहनी थी, वो छोड़ कर माधव को वो वही घाट वाली सिन्दूरी अनाया दिख रही थी !




     जी हा गंगा घाट पर जिसके हाथ से अनाया के मांग में सिन्दूर गिरा था, वो इंसान माधव ही था!




    अनाया के बारे में पूछने के लिए जैसे ही रोहिणी जी ने माधव की तरफ देखा तो वो उसका रिएक्शन देख कर मुस्कुरा दी!




     माधव के दादाजी जितना मंजुरी लड़के के बात को देते थे, उतनी मंजुरी लड़की की भी बात देते थे ,इसलिए वो बोले _"मुझे लगता है कि जिनको जिंदगी साथ बिताना है, उनको भी बात कर लेनी चाहिए "!




     बुआ दादी को भी माधव के दादा जी की बात ठीक लगी, इसीलिये वो मेघा से बोली_" मेघा बेटा अनु को छत पर ले जाओ, और अजय से _"तुम माधव बेटे को"!




    अनाया भी खुश थी कि ,उसे लड़के से अकेले मे बात करने को मिलेगा, तो शायद वो उसको समझा पाए "इसलिए वो वैसे ही मेघा के साथ छत की तरफ चली गई और माधव अजय के साथ !




    वही रवि की टेंशन बढ़ने लगी ,वो भी अपने रूम की तरफ चला गया !




    क्या होगा जब अन्या माधव को  देखेगी.....

    जानने के लीए बने रहिए मेरे साथ और पढ़कर लाइक कमेंट और शेयर जरूर करें ......

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  • 18. कोई बीवी नहीं हु मै Chapter 18

    Words: 1357

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे,




     रवि परेशान होकर अपने कमरे की तरफ चला गया !शायद वो जान चुका था कि अनाया के लिए अब कितनी मुश्किल होने वाली थी !




     मनोज जी भी रवि के एक्सप्रेशन को देख के समझ रहे थे, की कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है !प्रॉब्लम जनाने के लिए मनोज ने रवि से बात करने की सोची इसलिए उन्होंने रवि के पीछे जाने के लिए एक कदम बढ़ाया हि था, कि जगदीश जी उनको रोकते हुए बोले _"भाई साहब आप कहा जा  रहे हैं, आपको हि तो , बुआ जी साथ मिलकर आगे की बात करनी है , क्योंकि मैंने तो पहले ही कहा था कि, मुझे वो लड़की पर जरा भी भरोसा नहीं है और उसके लिए मैं कुछ करने वाला भी नहीं हूं "!













     ये सुनकर मनोज जी कुछ सोचते हुए अपने मन में बोले _"शायद ये दुनिया का पहला बाप होगा, जो अपनी औलाद से दुश्मनो जैसा बर्र्ताव करता है "सोचते हुए ना मे सर हिला दिए !




     जगदीश जी तो यहां रुकना भी नहीं चाहते थे, लेकिन बुआ दादी की वजह से उनको रुकना पड़ा था ,इसलिए उन्होंने अपनी जिमेदारी मनोज जी को दे दी थी ! और ना चाहते हुए भी मनोज जी ना मे सर हिलाते हुए वही रुक गए !




    छत पर अनाया माधव के सामने पीठ करके खड़ि थी, माधव कुछ बोलता उसके पहले अनाया बोली_" देखिये मैं जानती हूं , कि आप यहां मुझे देखने आये हैं, आप कुछ बोले उसके पहले मैं कुछ कहना चाहती हूँ"!




     अनाया की बात पर माधव ने सिर्फ हम्म में जवाब दिया !




     अनाया अपनी बात जारी रखते हुए बोली_' मैं ये शादी नहीं करना चाहती हू , और अगर ये बात मैं अपने घर वालों से कहूंगी तो वो  मेरी बात नहीं मानेगे, इसलिए मैं चाहती हूं कि आप ये शादी के लिए मना कर दें ,अगर आप ने ऐसा किया  तो आपका बडा उपकार होगा मुझ पर "!




     माधव तो बस अनाया की बात सुने जा रहा था , लेकिन जब उसने अनाया के मुंह से शादी ना करने वाली बात सुनी तो वो अपनी आइब्रो सिकोडते हुए बोला _"क्यों क्या तुम किसी और से प्यार करती हो "!




     अनाया को कुछ समझ नहीं आया कि ,वो क्या बोले तभी उसे  गंगा घाट का वाकया याद आया और वो तुरंत बोली _"हां मैं किसी और से प्यार करती हूं " ये सुनकर माधव के दिल में एक दर्द सा उठा , वो अपने कदम पीछे लेने लगा !




     तभी उसको फिर से आवाज आई अनाया आगे बोली _"हां मैं उसको बहुत प्यार करती हूं, और कल सुबह ही मेरी उसके साथ गंगा घाट पर शादी हो गई !आप please ये शादी से मना कर दीजिए "!

    और पलट के माधव की तरफ देख कर बोली _"क्या आप शादी सुदा लड़की से शादी करेंगे और वैसे भी मैं अपने घरवालो को अपनी शादी के बारे में आज हि बताने वाली हूं , कृपया मेरी समस्या समझने की कोशिश कीजिए "!अनाया को लगा की अगर वो अपने आप को शादी सुदा बताएगी, तो लड़का शादी से मना कर देगा और शादी सुदा लड़की से कौन शादी करना चाहेगा !







      अनाया माधव को देख कर बात कर रही थी ,लेकिन उसको माधव की पीठ दिख रही थी, क्योंकि जब अनाया ने कहा था कि, वो किसी और से प्यार करती है ,तो माधव वापस जाने के लिए पलट गया और जाने लगा ,लेकिन अनाया की बात सुनके उसके कदम वही रुक गए और उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई !







    वो वैसे ही पोजीशन में वो बोला _"क्या तुम अकेले बताओगी , तुम्हारा पति कहा है ? मेरे ख्याल से अगर तुम दोनों साथ में बताओगे तो ज्यादा इफेक्ट गिरेगा "!




     माधव की बात सुनके अनाया मुंह बनाने लगी ,फिर हकलाते हुए बोली_" हा,हा मैं भी तो यहीं कहने वाली थी ,वो थोड़ी देर में आ जाएगा उसके बाद हम सबको सब बता देंगे "!




     अनाया की बात पर माधव वैसे ही बोला _"तो ठीक है चलो साथ में बताते हैं"!




    माधव की बात सुनके अनाया कन्फ्यूजन में बोली _" हा क्या कहा आपने "!




    उसने इतना ही कहा था कि ,माधव उसकी तरफ पलट के बोला _"चलो बताते हैं, और मेरे पास तो सबूत भी है , तो किसी को हमारी बात पर यकीन ना करने का सवाल ही नहीं होगा ,तो क्या सोचा है चले "!




    माधव को देखते ही अनाया की तो हवाईया उड गई ,वो मुंह  खोले बस माधव को देखती रह गयी, उसे ऐसे देख माधव उसका हाथ पकड़ के अपने साथ ले जाने लगा !




     अनाया जहा सेंसलेस हो चुकी थी, माधव के छूने से वो अपने सेंस में आते हुए बोली _"" नहीं मैं नहीं बता सकती " और माधव से अपना हाथ छुड़ाने लगी !




     अनाया के ऐसे करने पर माधव बोला _"क्या हुआ क्यों नहीं बताना, अब तो तुम्हारा पति भी तुम्हारे साथ है ,फिर क्यों डर रही हो और  हमारी किस्मत भी देखो ना बीवी , कल हमारी शादी हुई और आज मैं तुमको लेने भी आ गया "बोलकर वो डेविल स्माइल करने लगा !




     माधव की बात सुनके अनाया को गुस्सा आने लगा और उसका चेहरा लाल होने लगा , एक तो वो ऐसे ही एकदम गोरी थी ,ऊपर से गुस्से की वजह से उसकी नाक और चिक दोनों और लाल हो गए !




    वो गुस्से में अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली _" कोई बीवी नहीं हू मैं तुम्हारी ,वो मुझे शादी नहीं करनी थी ,इसलिए बोल दिया "!




    फिर माधव को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली _"मुझे नहीं पता था कि तुम वही हो और तुम शकल और  कपड़ो से तो पढ़े लिखे लगते हो ,फिर तुम्हारी सुई ऐसे सिन्दूर वाली बात पर कैसे अटक गई , मैंने तो शादी से मना करने के लिए कह दिया, लेकिन तुम ,तुम्हारी क्या मजबूरी है ,जो मेरी हां में हां मिला रहे हो "!







     अनाया की बात सुन के माधव ने  गुस्से में अनाया का हाथ पकड़ के उसकी पीठ से लगा दिया और उसको अपने करीब खींच लिया ,जिसने अनाया एक दम से उसके सीने से जा लगी, अनाया अपने आप को छुडाने की कोशिश कर रही थी, वही माधव उसको और जोर से पकड़ रहा था !




     माधव अनाया की आँखों में आखे डाल कर बोला  _"तुम्हारे लिए ये मज़ाक या अंधविश्वास हो सकता है ,लेकिन मेरे लिए नहीं समझी , हमारी शादी के महादेव गवाह हैं ,तो उस हिसाब से मेरा तुम पर अधिकार है ,और मुझे अपना अधिकार लेना बहोत अच्छे से आता है "!




     माधव की बात सुनकर और उसकी पकड़ की वजह, अनाया को दर्द हो रहा था, उसकी आँखों से आसु बहाने लगे ! माधव को अनाया की आँखों में आँसू देखकर माधव के दिल में दर्द होने लगा ,इसलिए उसने उसको छोड़  दिया और पलट के बोला _"तुम जब तक खुद नहीं चाहोगी मैं किसी को नहीं बताऊंगा ,और रही बात आज की तो मैं कुछ करता हूं " और वो वहा से जाने लगा !




    थोड़ी दूर जाके वो रुक कर बोला _"रही बात ये रिश्ते से मना करने की तो ,भूल जाओ, तुम मेरी हो और तुम मेरी ही रहोगी "!




    अनाया अपने हाथ को मसलते हुए माधव को हि देख रही थी , उसको इस वक्त अपने दर्द से ज्यादा माधव की बातों पर गुस्सा आ रहा था ,वो ऊपर देखते हुए बोली_" महादेव यही मिला था, मेरी झोली में डालने के लिए, फिर सामने देखते हुए बोली_" छोड़ूंगी नहीं इसे मैं " इस बात से अंजान की कोई उसकी बात छत की सीढ़ियों पर खड़े होकर सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था !

    वही मुंबई मे,

     नीलम जी और मिस्टर अवस्थी विला पहुच गए थे, नीलम जी श्रीदा के बगल में बैठी और उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर चूमते हुए बोली ‍_"मेरी बच्ची कितना इंतजार कराएगी अपनी मां को, तेरे ‍मुंह से अपना नाम सुन ने के लिए मेरे कान तरस गए !




    वो वैसे बैठी हुई श्रीदा से बात कर रही थी ,कि अचानक से जोर जोर से  श्रीमान अवस्थि को बुलाने लगी !




    आख़िर क्या करेगी अनाया कैसे माधव से पिछा छुड़ायेगी....... और क्या हुआ नीलम जी को...... जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ !और पढ़कर लाइक कमेंट और शेयर जरूर करें .........

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  • 19. ड्रैकुला - Chapter 19

    Words: 1375

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे,

    नीलम जी श्रीदा के साथ बैठकर बात कर रही थीं , कि अचानक से उनको बनारस की घटना याद आ गई और वह श्रीदा को बताने लगी !


    नीलम जी श्रीदा का हाथ पकड़ के बोली _"तुझे पता है श्रीदा मैंने ना बनारस में एक दम  तुम्हारे जैसी लड़की देखी, हुबहु  तुम्हारे जैसी, अगर तुम देखती ना तो बोलती माँ ये तो मेरी कार्बन कॉपी है "!







     नीलम जी तो  अपने मन की बात श्रीदा से कर रही थी , लेकिन उन्हें पता नहीं था ,कि कोई है जो उनकी बात सुना रहा था,नीलम जी बात सुनके तो  उसकी जान जैसी हलक में अटक गई थी !

     ये सबसे बेखबर नीलम जी श्रीदा से अपने मन से बात किए जा रही थी , वो अपनी बातें जारी रखते हुए बोली _"और जानती  हो , श्रीदा वो तुम्हारी तरह तो दिख रही थी ,लेकिन  उसने वैसे कपड़े पहने थे, जैसे मे  मैं तुमको हमेशा से देखना चाहती थी, मेरी बस एक हि ख्वाहिश थी ,तुमको इंडियन कपड़ो मे देखना , लेकिन तुमने कभी पहना ही नहीं , खैर ये सब छोड़ो "!

     नीलम जी अभी श्रीदा को बनारस के मंदिर और पूजा के बारे में रही थी और उसके हाथ को बार-बार चूम रही थी ! की अचानक उनको एहसास हुआ की श्रीदा ने अपने हाथों में movement की नीलम जी ने जब उस्के हाथों को देखा तो  सच में  movement हो रही थी !




     फिर नीलम जी श्रीदा के चेहरे को देखने लगी तो पाया कि श्रीदा अपनी आंखें खोलने की कोशिश कर रही है ,नीलम जी की खुशी का तो कोई ठिकाना हि नहीं रहा !


     नीलम जी ख़ुशी से श्रीमान अवस्थी को आवाज़ देते हुए बोलीं _" सुनिये जल्दी आइये ,अरे जल्दी से आइये ना "!


     नीलम जी की आवाज सुनके श्रीमान अवस्थी भागे भागे आए और नीलम से बोले _"क्या हुआ नीलम तुम ठीक हो "! श्रीदा ठीक है " नीलम जी के ऐसे जोर से चिल्लाने पर अवस्थ जी भागते हुए आये , जिससे वो हाफने लगे थे ! 

     वही नीलम जी उनको देख के मुस्कुरा रही थी !

    उनको ऐसे  मुस्कुराते और रोते हुए देख के मिस्टर अवस्थी बोले _" क्या हुआ तुम रो भी रही हो, और मुस्कुरा भी रही हो, आख़िर बात क्या है "!

     तो नीलम जी खुशी से अपनी चहकती हुई आवाज में बोली _'ये देखो ना श्रीदा को होश आ रहा है "! नीलम जी बात सुन के श्रीमान अवस्थी खुश होते हुए श्रीदा को देखने लगे !

    और  अपना फोन निकाल के डॉक्टर वर्मा को कॉल करते हुए बोले  _"वर्मा जल्दी से घर आ जाओ ,शायद श्रीदा को होश आ रहा है "बोलकर उन्होंने फ़ोन रख दिया !


     श्रीमान अवस्थी के कॉल करने के  कुछ आधे घंटे में डॉक्टर वर्मा अवस्थी विला पहुच गए और उनके साथ अंजू भी डॉक्टर वर्मा के आते हि वो जल्दी से श्रीदा को चेक करते हुए बोले _"श्रीदा कब से होश में आने की कोशिश कर रह रही है "!







    उसपर नीलम जी बोली _"यहीं कोई आधे घंटे से ,मैं उससे बात कर रही थी कि, अचानक से उसके शरीर में मूवमेंट होने लगी , लेकिन ये अभी तक होश मे क्यों नहीं आई " और उनके चेहरे पर ख़ुशी के साथ परेशानी की लकीरे भी आने लगी !

    उनको ऐसे परेशान देख कर मिस्टर अवस्थी उनको शांत करते हुए बोले _"शांत हो जाओ नीलम, वर्मा चेक कर रहा है, ना "!

     अंजू भी खुश थी ,लेकिन थोड़ी परेशानी भी !

    डॉक्टर वर्मा श्रीदा को चेक करते हुए एक इंजेक्शन लगाते हैं , और सबकी तरफ देख ते हुए बोले _"बधाई हो, श्रीदा ठीक हो गई ,उन्होंने इतना बोला था कि, श्रीदा ने अपनी आंखें खोली !

     उस के आंखें खोलते ही नीलम जी उसके माथे को चूमते हुए बोली _" मेरी बच्ची आखिर तुझे होश आ ही गया , भगवान तेरा लाख लाख सुक्रिया जो मेरी  बच्ची को ठीक कर दिया" वो बोले जा रही थी और श्रीदा उनको बस देखे जा रही थी, सब खुश थे ,अंजू ,मिस्टर अवस्थी ,डॉक्टर वर्मा सब !
     

      श्रीदा को कुछ ना बोलता देख नीलम जी उसके चेहरे को अपने हाथों में भर के बोली _" क्या हुआ मेरी बच्ची ,तू कुछ बोल क्यों नहीं रही "!

    उनके बोलने पर जब श्रीदा  अपने टुटेफ़ुटे शब्दो में बोली तो सब शौक लगा गया  !





     वही बनारस में,

     अनाया भगवान जी से नाराज़ होते हुए बोली _"क्या भगवान जी यहीं मिला था ,मेरी झोली में डालने के लिए, ड्रैकुला कहीं का , जो मेरी जिंदगी में मेरा खून चूसने आया है"!


    फिर सामने गुस्से से देखते हुए बोली _"इसको तो मैं छोड़ूंगी नहीं "वो तो अपने मन की बोले जा रही थी , यह बात अंजान की माधव वही सीढ़ियों पर खड़े होके उसकी ड्रैकुला वाली बात सुन लिया था !

     माधव मुस्कुराता हुआ बोला _" मैं भी तो नहीं चाहता कि , तुम मुझे छोड़ो और जब भगवान ने मुझे तुम्हारी झोली में डाल हि दिया है,तो झेलना भी तुम्हे ही है ,वैसे नाम अच्छा है -ड्रैकुला "!




     और वो मुस्कुराते हुए हुए नीचे आ गया और जाके रोहिणी जी के पास बैठ गया, थोड़ी देर में अनाया भी आ गई और बुआ दादी के पास बैठ गई !

    माधव जो छत से आने के बाद खुश लग रहा था, वही अनाया अब गुस्से में लग रही थी, लेकिन ये बात सिर्फ मेघा नोटिस कर पा रही थी !

     वो अपने मन में बोली  _"माधव जी जब आए थे ,तो लग रहा था कि बेमन से आए हैं ,और अब  कैसे मुस्कुरा रहे  हैं , वही अनाया  पहले  ठीक थी , लेकिन अब गुस्से में, आखिर बात क्या है " मेघा तो अपने हि सवालो के हेर फेर में थी !

     वही माधव को देख कर उस्के दादाजी बोले  _"कावेरी जी मुझे तो लग रहा है कि माधव को आपकी अनाया पसंद आई और आपकी अनाया को हमारा माधव कैसा लगा "?

     अनाया को तो उम्मीद थी ,कि वो लड़के को मना लेगी लेकिन हुआ उसका उल्टा क्योंकि अगर वो मना करेगी तो जगदीश जी फिर से महाभारत खड़ि कर देंगे और माधव ने भी उससे कहा था कि , उसके पास शादी के सबूत हैं , इसलिए उसने झूठी मुस्कान के साथ अपना सर हा मे हिला दिया !

     अनाया का जवाब सुनके सब खुश हो गए दो लोगो  को छोड़ कर एक जगदीश जी ,क्योंकि उनको कोई लेना देना नहीं था ,और दूसरे मनोज जी क्योंकि वो जानते थे कि, अनाया शादी नहीं करना चाहती है,  फ़िर उसने हा क्यू बोला !

    वही अनाया का जवाब सुनके माधव के चेहरे पर जंग जितनेे वाली मुस्कान आ गई !

     सब एक दूसरे को मिठाई खिलाने लगे, तभी माधव बोला _"मैं ये शादी नहीं कर सकता " ये सुनके सबके हाथ जो पोजीशन में थे, वैसे ही रुक गए और अनाया के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई, जो माधव देख सकता था !

     कोई कुछ बोलता उसके पहले हि माधव बोला _" आप सब गलत समझ रहे हैं ,मेरा मतलब अभी नहीं कर सकता ,अभी मैं एक प्रोजेक्ट पर  काम कर रहा हूं और वह बहुत जरूरी है, इस को  पूरा करने में 6 महीने का वक्त लग जाएगा ,अगर यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ तो मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा  मैं उम्मीद करता हूं कि आप सब समझेगे "!

     वो ये सारी बातें अनाया को देखते हुए कर रहा था  !जहां माधव के ना करने पर उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आई थी ,वही उसकी  पूरी बात सुनके वो स्माइल छुम्मंतर हो गई !

    माधव की बात पर दादाजी भी बोले _" बात तो सही कर रहा है माधव ,इस के बारे में तुम क्या कहोगी , कावेरी "!

    बुआ दादी भी कुछ सोचती हुई बोली _" जी भाई साहब काम जरूरी है ,कोई बात नहीं , जब बच्चों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया है , तो कोई समस्या नहीं है "!

     अनाया भी खुद से बोली  _"चलो अच्छा है ,मेरे पास वक्त है " और वो अपने दिल पर हाथ रख देती है, लेकिन रोहिणी जी बात सुनके उसको तो लगा कि उसको हार्टअटैक हि आ जाएगा !



    ऐसा क्या कहा  रोहिणी जी ने ......

    और श्रीदा के होश में आने पर क्या हुआ .....

    जानने के लिए पढाते रहिये .. इश्क जुनून और किस्मत  !और पढ़ें लाइक कमेंट और शेयर जरूर करें ........

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    .....

  • 20. अनाया और माधव का रिश्ता पक्का होना - Chapter 20

    Words: 1156

    Estimated Reading Time: 7 min

    Aage,

     सब ख़ुशी से एक दूसरे को मिठाई खिला के रिश्ता पक्का होने की ख़ुशी मना रहे थे, लेकिन तभी माधव बोला  _"मैं शादी नहीं कर सकता" ये सुनते ही जैसे सबको सदमा लग गया !

     और अनाया उसको तो जैसे ख़ुशी से नाचने का मन होने लगा, माधव को समझ  आ रहा था कि अनाया क्या सोच रही है ,इसलिए वो फिर से बोला_" आप लोग गलत समझ रहे हैं , मेरा मतलब है  कि अभी शादी नहीं हो सकती क्योंकि अभी एक प्रोजेक्ट को लेकर व्यस्त हूं ,और इसको पुरा करने में लगभग छह महीने लग जायेंगे "!


    तो माधव के दादाजी बोले _'कोई बात नहीं हम शादी छह महीने बाद कर देंगे "!

    दादा जी की बात सुनके अनाया खुश हो गई ,उसको लगा  की उसके पास छह महीने हैं ,ये शादी टालने के लिए !

     तभी रोहिणी जी बोली _"कोई बात नहीं शादी हम छह महीने बाद की तारीख में करवा देंगे , लेकिन सगाई तो करा सकते है ना, और वैसे भी मैं अनाया को जल्दी से जल्दी अपने घर का हिस्सा बनाना चाहती हूं "बोलते वक्त ख़ुशी उनके चेहरे पर झलक रही थी !

     जहा अनाया खुशी मना रही थी कि उसके पास वक्त है , लेकिन वो खुशी भी ज्यादा देर तक नहीं रही, उसको तो लग रहा था कि, उसको जैसे दिल का दौरा  हि आ जाएगा ,वही माधव के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गयी !

    अनाया वहां से उठ के अंदर चली गई , उसके ऐसे जाने से सबको अजीब लगा ,तो मनोज जी बात को संभालते हुए बोले _"लगता हैं शर्मा गई ,लड़की है ना ,अपनी शादी पक्की  होते देख शर्मा के चली गई "!


      सबको मनोज जी बात भी सही लगी, किसी ने कुछ रिएक्ट नहीं किया, सब होने के बाद माधव और उसके परिवार ने वहा से विदा लिया !

     उनके जाने के बाद बुआ दादी खुश होती हुई बोली _" आपका धन्यबाद भोलेनाथ", सब अच्छे से हो गया "!

    फिर मनोज जी को देखते हुए बोली _"तू एक बार अनाया से बात कर ले, वो ऑफिस जाती है ना ,और छुट्टी पर है तो उसको पुुुछ वो अपने काम  को लेकर क्या करना चाहती है "!

     बुआ दादी की बात पर मनोज जी बोले _"ठीक है बुआ जी मैं बात करता हूं "और वो वहां से अनाया से बात करने के लिए चले गए !


     अनाया सिधा वहा से रवि के पास आई तो देखा कि वो अपने फोन पर कुछ कर रहा था !अनाया उसके पीछे खड़ि होकर रवि के फ्री होने का इंतजार करने लगी !

    रवि जानता था कि अनाया उसके पीछे ही खड़ि है तो बिना पीछे पलटे  बोला _"क्या हुआ शादी पक्की हो गई ना "?

    रवि की बात सुनके अनाया बोली _" भाई आपको कैसे पता कि, शादी पक्की हो गई"!

    तो रवि अपना फोन साइड में रखते हुए बोला _"क्यूकी  मैंने उसको बैठक में उसे देखा था, और मुझे याद आया कि ये, वही गंगा घाट वाला लड़का है ,और जिस तारिके से मुझे देख रहा था, मुझे लगा हि की वो ये शादी करके मानेगा "!

     अनाया रवि के पास बैठते हुए बोली _"अब क्या होगा भाई जैसा मैंने सोचा था, वैसा तो हुआ नहीं ,अब क्या होगा '?

     रवि अनाया को देखे जा रहा था, जैसे वो उसको समझने की कोशिश कर रहा हो !

     रवि एकदम से बोला _"अनु एक बात बता घाट पर उसके हाथ से तेरे ऊपर सिन्दूर गिरा कैसे "!

    रवि को इस तरह  सवाल भारी नज़रो से खुद को देखता पाकर अनाया इक लंबी सास लेते हुए बोली _" भाई आपको याद है जब आप मुझे बुलाने आए थे ,तो मैं फोन पर किसी से बात कर रही थी और आप के आते ही मैं फोन रख  के आप के साथ जाने लगी ,बात करते करते आप आगे निकल गये थे, और मैं आपके पीछे थी ,कि मैंने देखा कि एक बूढ़ी दादी का पैर फिसल गया था और वो गिराने वाली थी ,उनका समान भी गिर गया था ,मैंने आपको देखा तो आप थोड़ा आगे चले गए थे, वो गिराती उसे पहले मैंने उनको पकड़ लिया और उनका सामना उठाने के लिए झुकी थी की कुछ मेरे ऊपर  गिरा ,मैं देखने वाली थी तभी आप आगे आए और उसके आगे तो आपको तो पता ही है क्या हुआ था "!

    अनाया से सारी बात जानने के बाद रवि बोला _"तेरा क्या मानना है ,क्या तू वो एक्सीडेंट को शादी मानती है !

    रवि की बात सुनके अनाया चिढ़ते हुए बोली _"भाई वो सिर्फ एक एक्सीडेंट था ,मैं वैसा कुछ नहीं मानती ,वो मेरा पति no way !

     अनाया के मुँह से पति सुनके रवि बोला_" तू उसको पति बोल रही है "तो अनाया गुस्से में देखने लगी !

     और बोली _" मैं पति नहीं मानती, बल्की वो मुझे अपनी पत्नी मानता है "!

    रवि कन्फ्यूजन होकर बोला_" मतलब "?
     
     तो अनाया बोली _" वो बुआ ने छत पर बात करने के लिए भेजा था ना ,तो मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था, उसको मैंने शादी से मना करने के लिए सब बता दिया और सब बोलने के  बाद मैंने उसे देखा तो, उसने मुझे बोला कि वो ये रिश्ते को मानता है और उसके हिसाब से मैं उसकी बीवी हूं "!

     अनाया की सारी बात सुनके रवि बोला_" तूने उसको समझा क्यों नहीं "!

    तो अनाया बोली _" मैंने कोशिश की, लेकिन वो कह रहा था कि, उसके पास सबूत है कि मैं उसकी बीवी हूं और वो मुझसे शादी करके मानेगा " !

    सबूत सुनके रवि के तो होश उड़ गए ,क्योंकि घाट पर जगदीश जी ने कहा था, कि एक बार अगर किसी लड़के के हाथ से किसी लड़की के ऊपर सिन्दूर गिर जये तो, वो लड़की उसकी बिहाता हो जाती है ,और अगर जगदीश जी को पता चल जाता तो वो अनाया को सुनाने का एक मौका नहीं छोड़ते !

    रवि तो अपनी सोच में था ,लेकिन अनाया रवि को देखते हुए अपने मन मैं बोली _"सॉरी भाई मैंने छत क्या हुआ, वो पूरा नहीं बताया, लेकिन अगर बता भी देती तो शिवाय परेशान होने के ,आप कुछ नहीं कर पाते ! अब मुझे ही कुछ करना होगा" बोलते वक़्त उसके चेहरे पर एक कॉन्फिडेंट नज़र आ रहा था !

    तभी तो मनोज जी अनदर आते हुए बोले _"ये क्या कर दिया शादी के लिए हा "मनोज की आवाज से दोनों अपने होश में आए!

    अनाया उनको देख के बोली _"बड़े पापा मैंने पूरी कोशिश की ,लेकिन वो सुनने को तैयार  हि नहीं था और आपने कहा था ना हम अभी बुआ जी के घर हैं, कोई तमाशा नहीं ,इस्लिए बाहर भी मैंने कुछ नहीं कहा  !

    अनाया की बात सुनके मनोज जी को याद आया की उनहोने  यहां कोई भी तमाशा करने के लिए मना किया था ! और अनाया की बात सच भी ,थी अगर वो बाहर कुछ बोलती तो तमाशा तो होना ही था ,लेकिन अब तो समस्या और बड़ी हो गई थी ,क्या करेगी अनाया !







    Janane ke liye padhate rahiye meri book ..... इश्क़ जुनून और किस्मत....



    Tc...

    Bye....