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पिया अलबेला !

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Neha Sayyed

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शादी के बाद शुरू हुआ यह सफर सिर्फ दो लोगों का नहीं , बल्कि दो परिवारों का मिलन है। यह कहानी पूजा और नरेन की है, जिनकी अरेंज मैरिज एक नए रिश्ते की शुरुआत बनती है। एक सजीव परिवार, संस्कारों से जुड़ा वातावरण और एक नई बहू की कोशिशें । इसमें रिश्तों की गर...

Total Chapters (85)

Page 1 of 5

  • 1. पिया अलबेला ! - Chapter 1

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page:1




    ऋषिकेश,
    रात का वक़्त!
    समय: 10: 30



    " पूजा बेटा "
    " पूजा बेटा "
    " पूजा ". . . . . . सुप्रिया जी किचन में आते हुये बोली।





    पूजा जो कि अपने ही ख़यालो में गुम सी किचन की स्लेब को साफ कर रही थी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि नई नई शादी हुयी है , मांग में सिंदूर , गले मे एक नेकलेस के साथ मंगलसूत्र , हाथों में भरी चूड़ियां। वो इस वक़्त एक सुहागन का रूप धारण किये हुये थी। सुप्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोली ," कहा खो गयी हो पूजा ?






    पूजा अपने होश में वापस आयी और सुप्रिया जी की तरफ देखकर ज़बरदस्ती मुस्कुरा के बोली ," अ... कही भी तो नही माँ ? आप कब आयी ? और आपको कुछ चाहिए था तो मै ले आती आपके कमरे में ही ? आपने यहाँ आने की क्यू तकलीफ की ?




    " अरे इंसमे तकलीफ कैसी बेटा ? और तुम ...तुम ये काम क्यू कर रही हो ? जानती हो ना कि अब तुम व्यास खानदान के बड़े बेटे की पत्नी हो ,,, यहाँ इतने नैकर काम करते है , तो तुम्हे ये सब करने की कोई ज़रूरत नही है पूजा ". . . . . . सुप्रिया जी थोड़ी नाराजगी से बोली। क्योकि उन्हें बिल्कुल पसंद नही आया कि पूजा जिसकी शादी को अभी मात्र 3 दिन ही हुये है वो ऐसे कामों में लगी हुयी है।





    पूजा ने अपने हाथ साफ किये और सुप्रिया जी को कंधों से पकड़ती हुयी प्यार से बोली ," अरे माँ , तो क्या हुआ मै काम कर रही हूं,,, मै अपनो के लिए ही तो ये सब कर रही हूं,,, आप सब कोई गैर है क्या ?,,,और वैसे भी मामा मामी के यहाँ भी तो मै काम करती थी,, और अगर मै एक दम से काम करना छोड़ दूँगी तो मै मोटी ना हो जाऊँगी ?
    ( फिर सोचने की एक्टिंग करते हुये बोली ) ना बाबा ना मुझे मोटी नही होना है,, वरना मयंक ( सुप्रिया जी का छोटा बेटा ) मुझे बहुत चिड़ायेगा,,,और आप तो जानती है ना अपने बेटे को एक बार चिडाना शुरू किये तो बस वो पीछे नहीं हटने वाला ,, इससे अच्छा है मै थोड़ा बहुत काम करती रहु।😏





    सुप्रिया जी ना में सर हिलाकर बोली ," तुम आज कल की लडकिया भी ना!( फिर अपने सर पर हाथ रखकर ) ओ हॉ मै भी भुल गयी कि मै यहाँ आयी क्यू थी ?




    " अच्छा!! फिर बता दीजिए कि क्यू आयी थी ". . .पूजा मासूमियत से बोली।





    सुप्रिया जी थोड़ा हिचकिचाते हुये बोली ," वो मठ से बाबू जी का फोन आया था बोल रहे थे कि कल उन्होंने वहाँ एक पूजा रखी है,,, तो तुम्हे और नरेन को वहाँ जाना होगा ,,तुम दोनो के लिए ही उन्होंने वो पूजा रखी है।




    पूजा मुस्कुरा के ," ये तो अच्छी बात है मै नरेन बाबू से बोल दूँगी,, हम सुबह ही यहा से निकल जाएगे।






    सुप्रिया जी हिचकिचाहट के साथ ," वो तो ठीक है पर मुझे तुमसे कुछ और कहना है !





    पूजा सुप्रिया जी के हाथ पर हाथ रखकर ," बोलिये क्या बात है माँ ? और आप इतनी हिचकीचा क्यू रही है ? आपने मुझे बेटी समंझा है तो अपनी इस बेटी के सामने जो भी बोलना है बोल दीजिए माँ।





    सुप्रिया जी ," वो इस पूजा के लिए पति पत्नी को पवित्र होना चाहिए , तुम समंझ रही हो ना कि मै क्या कहना चाहती हूं पूजा ?




    पूजा मुस्कुरा के बोली ," आप फिक्र मत कीजिये!




    सुप्रिया जी ने पूजा के सर पर हाथ फेराया और मुस्कुरा के वहाँ से चली गयी , उनके जाने के बाद पूजा के चहरे से मुस्कान गायब हो गयी
    उंसने एक गिलास में दूध डाला और किचन से निकलकर सीढियो की तरफ बढ़ गयी थी





    ऊपर आ कर वो एक कमरे में समाने रुक गयी , फिर धीरे से दरवाजे को अंदर की तरफ धकेल दिया , कमरे में इस वक़्त अंधेरा था
    वो धीरे से चलकर बेड के पास आयी और दूध का गिलास वही रखा
    उंसने देखा कि नरेन स्टडी टेबल के सामने बैठा हुआ है और कुछ फाइल्स को देख रहा है , स्टडी टेबल का लेम्प चालू था



    उंसने अपनी साड़ी को अपने हाथों में कस लिया और नरेन के पास आ गयी , वो बोली ," वो...वो आपका दूध ( बेड की साइड टेबल की तरफ इशारा करके ) वहाँ रख दिया मैने!



    " ह्म्म्म! ", नरेन जो कि फ़ाइल में देख रहा था वो बिना अपनी नज़रे उठाये बस इतना बोला।
    लगातार उसकी नज़रे फ़ाइल पर ही बनी हुयी थी,





    " मै कपड़े चेंज करके आती हूं "




    " ह्म्म्म! "




    पूजा वहाँ से कपड़े चेंज करने चली गयी , उसके जाने के बाद नरेन ने अपनी नज़रे उठाई और जहाँ पूजा अभी गयी थी उस तरफ देखा , फिर वो हल्का सा मुस्कुरा दिया।


    कुछ देर बाद जब वो कपड़े चेंज करके आयी तो उसने देखा कि नरेन बेड पर अपनी साइड लेटा हुआ है
    और सोने की कोशिश कर रहा था ,



    पूजा भी अपनी साइड आ कर लेट गयी , और नरेन की तरफ देखकर धीरे से बोली ," वो दादाजी का फोन आया था ,माँ के पास।




    " हम्म्म्म! " पूजा की तरफ करवट लेता हुआ वो बोला। अब दोनो एक दूसरे को ही देख रहे थे ,




    खुद पर नरेन की नज़रे महसूस करके उंसने अपनी पलके झुका ली और आगे बोली ," हमें कल मठ जाना है पूजा के लिए ,और उसके लिए हमे यहाँ से सुबह 3 बजे ही निकलना पड़ेगा तब हम सही समय पर पहुचेंगे।




    " और कुछ ? "




    " नही "




    " गुड नाईट! " ये बोलकर वो दूसरी तरफ करवट लेकर अपनी साइड का लेम्प बंद कर देता है और मुस्कुरा के आँखे बंद कर लेता
    है।




    " गुड नाईट " वो बुझी सी आवाज में बोली और आँखे बंद कर ली , कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ कि नरेन का हाथ उसके पेट पर आ गया है।




    उंसने झट से अपनी आँखे खोली और नरेन की तरफ देखा पर वो सो रहा था , वो हल्का सा मुस्कुराई और नरेन के हाथ पर ही अपना हाथ रख सो गयी।





    क्रमशः

  • 2. पिया अलबेला ! - Chapter 2

    Words: 1060

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page : 2




    सुबह का वक़्त
    समय 3: 00 am



    नरेन तैयार होकर बहार गाड़ी के पास खड़ा था चहरे पर हल्की झुंझुलाहट साफ दिखाई दे रही थी।




    वो गाड़ी के पास ही चहलकदमी करता हुआ बार बार दरवाजे की तरफ ही देख रहा था ,ताकि उसे पूजा आती हूं कि दिख जाये पर वहाँ वो तो क्या एक छोटी चींटी भी नही दिख रही थी।




    " खुद बोलकर की सुबह 3 बजे निकलना है और ये लड़की खुद तैयार नही हूं है अब तक ? " जैसे वो खुद में ही बड़बड़ाया।




    तभी उसके कानों में एक अलसाई हुयी सी आवाज पड़ी , उंसने अपनी नज़रे उठाकर दरवाजे की तरफ देखा तो वहाँ उसका छोटा भाई जो कि बहार आ रहा था।




    " अब इसे भी साथ लेकर जाना है क्या ? क्या मुसीबत है ? " . . . . . वो लाचारी से खुद में ही बुदबुदाया।




    " क्या है भाई ? आप अपनी बीवी को क्यु नही समझाते हो , आप जब जा ही रहे हो तो वो मुझे क्यु घसीट रही है , इतनी सुबह सुबह उठा दिया सारी नींद खराब कर दी हुँह ". . . मयंक नरेन से शिकायती लहजे में बोला।




    " मै कोई ज़बरदस्ती नही लेकर जा रही हूं देवर जी आपको ,रात को माँ ने मुझे कहा था कि आपको साथ लेकर जाना है ". . . .पूजा बहार आती हुयी बोली ,इस वक़्त उंसने अपने हाथों में बहुत सारे बैग्स पकड़े हुये थे।




    नरेन ने उसकी तरफ देखा , फिर उसकी नज़र उसके हाथों में पकड़े बैग्स पर गयी , वो थोड़ा भारी आवाज में बोला ," वहाँ सिर्फ पूजा के लिए जा रहे है हम और तुमने तो पूरा बोरिया बिस्तर ही पैक कर लिया लगता है।
    फिर मयंक की तरफ देखकर ," गाड़ी में रखो उन बैग्स को।



    ये बोलकर वो खुद गाड़ी में ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।




    मयंक पूजा के पास आया और उसके हाथों से बैग्स लेता हुआ फुसफुसाकर बोला ," एक नंबर के खड़ूस है आपके पति परमेश्वर।




    पूजा हल्का सा मुस्कुरा दी और बोली ," हम्म! शायद ?





    मयंक ," शायद नही! आई एम डैम श्योर।




    मयंक की बात पर वो हँस दी , पर कोई था जिसको उनदोनो का हँसना रास नही आ रहा था , वो और कोई नही बल्कि पूजा के नरेन बाबू थे
    जो गाड़ी में बैठे हुये बस उनदोनो की ही देख रहे थे ना ना ना देख नही रहे थे , घूर रहे थे ,और स्पेशली पूजा को।
    उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसे पूजा का हँसना अच्छा नही लग रहा था और वो किसी और के साथ अब चाहते वो उसका खुद का छोटा भाई ही क्यु ना हो



    नरेन ने हॉर्न बजाया तो दोनो ने बात करना छोड़ा और सारा सामान पीछे रखा और फिर गाड़ी में आ कर बैठ गये।
    पूजा नरेन के साथ आगे बैठी थी और मयंक पीछे बैठा था



    " इसी को क्यु सबको जगाकर अपने साथ ही ले आती " गाड़ी स्टार्ट करते हुये नरेन बोला। वो बेशक बोला धीरे था अगर कोई और होता तो बमुश्किल से सुन पता पर यहा पूजा मैडम थी अगर धीरे से भी बोलोगे उसको तो सुनाई दे ही जाएगा
    वो समंझ गयी थी नरेन को मयंक का उनके साथ आना पसंद नही आया इस लिए वो उसपर ताना मार रहा है
    पर वो बिना रियेक्ट करे बैठी रही जैसे उंसने कुछ सुना ही ना हो





    " क्या भाभी आप भी ना माँ की बात नही सुननी चाहिए थी आपको ? और माँ भी एक दम अजीब है बिना बात मुझे आप दोनो के बीच कबाब में हड्डी बना दिया खैर! कोई बात नही मै आप दोनो को ज़रा भी तंग नही करुगा औऱ आप दोनो भी अच्छा सा म्यूजिक लगाकर एन्जॉय कर सकते है , ये समझइये की मै यहॉ हूं ही नही! और ना मुझे कुछ सुनाई देगा , इस लिए मै हैंडफ़ोन लेकर आया हूं ". . . . अपने हेडफोन को अपने कानो पर लगाता हुआ मयंक बोला।





    पूजा मुस्कुराई और नरेन की तरफ देखा तो नरेन का चहरा एक्सप्रेशनलेस था
    जिसे देखकर पूजा के चहरे की मुस्कान भी गायब हो गयी , वो गाड़ी की विंडो से बहार देखने लगी।




    गाड़ी अपनी स्पीड से चल रही थी पर उनको मठ पहुँचने के लिए अभी 3 घंटे लगने वाले थे
    यही सोचकर पूजा ने अपने बैग से अपना मोबाइल फोन और बड्स निकाल लिए और फिर म्यूजिक सुनने लगी।



    पर नरेन को तो ये भी अच्छा नही लगा कि उसकी बीवी आराम से म्यूजिक सुन रही है और उसे इग्नोर रख रही है




    दोनो की अरेंज मैरिज थी ना एक दूसरे को जानते थे और ना पहचानते थे और शादी को सिर्फ 4 दिन ही हुये थे  और अभी भी दोनो एक दूसरे से अनजान थे पूजा काफी कोशिश करती थी कि नरेन से बात करे उसे थोड़ा जाने पर नरेन का चेहरा देख वो अपना ये विचार त्याग देती थी



    माँ पापा नही थे ,मामा मामी ने ही पाल पोसकर बड़ा किया
    मामा की तो लाडली थी पर मामी को तो सिर्फ अपनी आँख का काटा दिखती थी मामा जी मठ की समिति में कार्य करते थे जिससे उनका गुजारा हो रहा था,
    उनका एक बेटा भी है कुनाल जो पूजा से 3 साल छोटा है।
    दोनो सगे बहन भाई की तरह एक दूसरे से प्यार करते है।
    वही नरेन के दादा जी जिन्होंने मठ का निर्माण काफी साल पहले किया था यही कुछ 29-30 साल पहले
    जबकि नरेन के दादाजी ज्यादा मठ में ही रहते थे और उनकी बाकी फैमिली शहर में
    पूजा भी यही मठ में ही खेल कूदकर बडी हुयी , पूजा का स्वभाव एक दम पानी की तरफ था शांत,
    वही नरेन जिसे ना ज्यादा बोलना पसंद था और ना सबके साथ ज्यादा रहना , वो हमेशा अकेला अकेला सा रहता था।
    दादाजी को पूजा बहुत पसंद थी इसलिए पूजा के मामा जी से उसका हाथ मांग लिया और उन्होंने भी हॉ कर दी ,
    दादाजी ने सबसे अच्छे मुहर्त पर दोनो की शादी मठ में ही करवा दी।
    नरेन की फ़ैमिली से सिर्फ दादाजी , सुप्रिया जी , मयंक और नरेन के चाचाजी ही थे बाकी सब इस शादी के खिलाफ थे इसलिए वो शादी भी शामिल ही नही हुये।
    ना शामिल होने की सूची में नरेन के पापा हरीश व्यास , नरेन की चाचीजी नीलिमा व्यास और उनका एकलौता बेटा राहुल व्यास ( नरेन का चचेरा भाई ) थे।

  • 3. पिया अलबेला ! - Chapter 3

    Words: 1105

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page: 3


    नरेन , पूजा और मयंक तीनो सुबह 3 बजे ही मठ के लिए निकल गये थे
    वही वहा पहुचने में 3 धंटे तो लगने ही वाले थे , इस लिए पूजा ने अपने कानों में बड्स लगाये और म्यूजिक सुनने लगी।




    वही नरेन जो कि ड्राइव कर रहा था उसे बिल्कुल अच्छा नही लगा रहा था , काफी देर ड्राइव करने के बाद उसने एक चाय की टपरी पर गाड़ी रोकी।




    गाड़ी रुकने का अहसास होते ही पूजा ने अपनी आँखें खोली और सही से उठकर बैठ गयी , फिर फोन से म्यूजिक बंद कर नरेन की तरफ देखकर बोली ," क्या हुआ ? आपने गाड़ी क्यू रोक दी ?




    नरेन अपनी सीट बेल्ट उतारता हुआ सामने देखकर बोला ," मुझे चाय पीनी है।





    " पर अभी चाय कहा से बनाऊ आपके लिए "  पूजा मासूमियत से बोली और फिर कुछ सोचने लगी।




    नरेन ने पूजा को ऐसे देखा जैसे किसी पागल को देख रहा हो। फिर अपना सर झटक कर गाड़ी का दरवाजा खोलकर बहार चला गया , नरेन को बाहर जाता देख पूजा ने अपने बड्स को अपने कानों से निकाला और वही रख खुद भी गाड़ी से बहार निकल गयी।




    बहार आते ही उसकी नज़र सामने चाय की टपरी पर गयी , जिसे देखकर अब उसे अपनी बेवकूफी का एहसास हो चुका था।
    वो अपने सर पर चपत लगाकर बोली ," शादी के बाद तो थारो बुद्धि फिर गयो है पूजा,,दिमाग ही हिल गयो स,,,कमसेकम आग्य त्यौ देख लेती 🤦।




    फिर वो मुडी और मयंक के कंधे पर हाथ रख उसे हिलाती हुयी बोली ,"औए लालजी चाय पियोगे के ?





    " व्हाट ? लालाजी  " ,मयंक अपना हैंडफ़ोन कान से हटाता हुआ बोला।




    पूजा अपनी जीभ काटकर बोली ," आई मीन की देवरजी चाय पियेंगे क्या आप ?




    " नो,,,आप दोनो ही एन्जॉय कीजिये " अपने हेडफोन को वापस से कानो पर लगाता हुआ मयंक बोला और वापस से सीट से टेक लगाकर बैठ गया।



    फिर वो भी चाय की टपरी के पास ही आ गयी , नरेन ने उसकी तरफ चाय बढ़ा दी और खुद भी वही बैठकर पीने लगा। ऋषिकेश की सुबह वाली ठंड में वो अदरक की गरमागरम चाय 😍 दोनो बड़े ही मज़े से पी रहे थे।
    थोड़ी देर में ही दोनो ने अपनी अपनी चाय खत्म की और उसके बाद नरेन ने पैसे देने के लिए अपनी पॉकेट में हाथ मारा तो देखा कि उसका पर्स तो शायद! गाड़ी में ही रह गया ?
    वो पूजा की तरफ देखकर बोला ," मै पर्स लेकर आता हूं।



    पूजा बस मुस्कुरा दी। नरेन गाड़ी के पास आया और फिर गाड़ी का दरवाजा खोलकर अ अंदर झुककर अपना पर्स उठाने लगा कि तभी उसकी नज़र पूजा के फोन के पास रखे बड्स पर गयी जिन्हें देखकर उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गयी।



    उंसने पर्स उठाया और चाय वाले के पैसे देकर दोनो गाड़ी में आ कर वापस से बैठ गये और नरेन ने गाड़ी स्टार्ट की एक बार फिर से वो लोग मठ के लिए निकल गये।



    पूजा ने वापस से अपना फोन उठाया ताकि वो म्यूजिक सुन सके पर उसे अपने बड्स नही मिल रहे थे , इस लिये को इधर उधर देखने लगी कि कही यही गिर ना गये हो 🤔


    वो नीचे देखे की कोशिश कर रही थी , नरेन गाड़ी ड्राइव करते हुये बोला ," क्या हुआ ?




    पूजा अपनीं नज़रे इधर उधर दौड़ती हुयी बोली ," मेरे इयर बड्स नही मिल रहे ?यही फोन के पास रख कर गयी थी आपने देखे क्या ?
    ( नरेन की तरफ देखने लगी )🙁



    नरेन सामने देखता हुआ बोला ," मैने नही देखे! शायद गाड़ी से उतरते वक़्त गिर गये हो




    पूजा वापस से इधर उधर देखने लगी  और बस इतना ही बोली ," ह्म्म्म! शायद आप सही कह रहे हो , खैर कोई बात नही।




    ये बोलकर वो सही से बैठ गयी और विंडो से बहार देखने लगी ,
    वो बहार देखे हुये उदास होकर मन मे बोली ," मामाजी ने तीन हज़ार के दिलाये थे,,,और मुझसे खो गये🙁,,,जहाँ तक मुझे पता है मैने बड्स को यही फोन के पास रखा था🤔,, अचानक से कहा गायब हो गये ?🙁।



    नरेन ने तिरछी नज़रो से पूजा की तरफ देखा और फिर वापस से सामने देखकर ड्राइविंग करने लगा। अब कौन ही बताये की बेचारी पूजा के बड्स उसके खड़ूस पति देव के कोट की पॉकेट में है।😏
    अब वो तो उन्हें देने से रहा क्योकि वो उसे उनकी वजह से इग्नोर कर रही थी 😑😅और ये बात को कैसे बर्दास्त कर लेता 😎




    " इतनी उदास क्यू हो रही हो ? बड्स ही तो थे गुम गये तो नये आ जाएगे ". . . .नरेन बात शुरू करने के इरादे से बोला। ताकि पूजा का मूड भी थोड़ा ठीक हो जाये 😘 पर वो दिखा नही रहा था की वो खुद मरे जा रहा है उससे बात करने के लिए 😅🤣




    " मामाजी पूरे तीन हज़ार के लेकर आये थे,,,बड़े प्यार से,,,और आज मैंने उनको गुम कर दिया ". . . . पूजा उदास होकर उसकी तरफ देखकर बोली।



    पूजा को यू उदास देखकर एक पल के लिए नरेन का मन हुआ कि उसे वो बड्स निकालकर दे दे पर अगले ही पल उसने उस आईडिया को वही ड्राप कर दिया क्योकि को अच्छे से जानता था कि अगर अभी उंसने वो बड्स दिए तो उसकी ये बीवी उसे फिर से इग्नोर कर देगी और वो ये बिल्कुल नही चाहता था कि पूजा उसे उसे इग्नोर करें 😐



    " कोई बात नही मै नये लाकर दे दूँगा! " नरेन बोला।




    नरेन की बात सुनकर पूजा चहक कर बोली ," क्या आप मुझे नये लाकर देगे,,,पक्का ? 😃




    " पक्का "




    " थैंक यू नरेन बाबू "





    " ह्म्म्म! "



    तीन घंटे का सफर तय करने के बाद आखिर वो लोग मठ पहुच ही गये , नरेन ने गाड़ी रोकी और अपनी सीट बेल्ट उतारकर , पूजा के कंधे पर हल्का सा हाथ लगाकर बोला ," पूजा..पूजा उठो हम पहुच गये है ?



    पूजा जिसकी आँखे लग गयी थी वो नरेन की आवाज से उठ गयी और गाड़ी से बहार देखकर बोली ," ओह हम पहुच गये।
    फिर नरेन की तरफ मुडी पर वो तो बाहर निकल चुका था।

    वो भी जल्दी से गाड़ी से उतर गयी , मयंक भी उतर गया था ,



    " ओ टिगड़ी अठे आ , तड़कै स इंतजार करा री स,,,,म्हारे त पांव दुख गयो पर था ना आयो ". . . एक लड़की की थोड़ी ग़ुस्से वाली आवाज पूजा के कानों में पड़ी , जिसे सुनकर पूजा ने अपना थूक अंदर गटक लिया और मन मे बोली ," हो गयो कांड,,,बस इस बला से बचा ल्यो ठाकुर सा,,,एक सो एक का प्रसाद बाटुगी,,,ये म्हारो वादों है आपस।🤒







    जारी है

  • 4. पिया अलबेला ! - Chapter 4

    Words: 958

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page : 4






    "  ओ टिगड़ी अठे आ , तड़कै स इंतजार करा री स ,म्हारे त पांव दुख गयो पर था ना आयो ". . . एक लड़की की थोड़ी ग़ुस्से वाली आवाज पूजा के कानों में पड़ी , जिसे सुनकर पूजा ने अपना थूक अंदर गटक लिया और मन मे बोली ," हो गयो कांड,,,बस इस बला से बचा ल्यो ठाकुर सा,,,एक सो एक पिसा का प्रसाद बाटुगी,,,ये म्हारो वादों है आपस।🤒



    वो धीरे से पीछे मुडी और देखा कि एक लड़की उसकी ही हमउम्र की गुस्से में अपने एक हाथ को अपनी कमर पर रख तो वही दूसरे हाथ मे एक डंडा लेकर खड़ी थी। पूजा अब तक जहाँ वो नरेन और मयंक के बीच खड़ी थी,,,धीरे धीरे पीछे खिसकने लगी थी जैसे वो भागने की तैयार कर रही हो।





    वो लड़की पूजा की तरफ बढ़ती हुयी बोली ," जे तने भागण की ज़रो भी कोशिश की,,ते म्हारो डंडा होगो और थारो सर,,,अठे आ,,,मण्यो कहो अठे आ।




    पूजा पीछे होती हुयी ने ही ना में सर हिला दिया।




    नरेन कंफ्यूजन में कभी उस लड़की को देख रहा था तो कभी पीछे खिसकती हुयी पूजा को जिसकी हालात इस वक़्त कुछ ठीक लग कोणो रही थी🤣




    वो लड़की भागी तो उसे भागता देख अब तक पूजा भी अपने आप को बचाने के लिए दौड़ पड़ी थी। दोनो की दोनो चूहे और बिल्ली की तरह दौड़ रही थी।




    कभी गाड़ी के गोल गोल तो कभी नरेन के गोल गोल दोनो चक्कर लगा रही थी।
    मयंक और नरेन हैरान होकर दोनो को ही देख रहे थे। वहां पर बाकी लोग उनदोनो को भागता देख हँस रहे थे।



    तभी वहां नरेन के दादाजी आये और औऱ शिखा को आवाज लगाते हुये बोले ," ओ लड़ाकू विमान अब रुक भी जा , कितना दौडाएगी बिचारी पूजा को ?




    शिखा जो कि डंडा लेकर उसके पीछे भाग रही थी वो रुक गयी और दादाजी की तरफ देखकर हांफते हुये बोली ," आप तो रहने ही दीजिये बाबूजी , बचपन से लेकर बड़े होंने तक आपकी लाडली तो पूजा है इसलिये अब उसे बचा रहे है।




    शिखा को रुकता देख पूजा भी उससे कुछ दूरी पर रुक गयी , और वो भी हाँफते हुये ही बोली ," दूर से ही पाय लागू दादाजी।




    दादाजी मुस्कुरा के ," जीती रह, सदा सुहागन रह।




    नरेन और मयंक ने भी अपने दादाजी के पैर छू कर आशीर्वाद लिया। दादाजी जी शिखा की तरफ देखकर बोले ," बाद में लड़ लेना,,,फिलहाल पूजा का समय हो गया है उसे ( पूजा ) अंदर आने दे।




    शिखा ने डंडा वही फेक दिया और बोली ," आप बोल रहे है बाबूजी इस लिए छोड़ रही हूं,,,पर फिलहाल के लिए ही  ( पूजा को घूरती हुयी ) अभी हिसाब किताब बाकी स टिगड़ी समंझी या कोणा समंझी ?




    पूजा ने जल्दी से हॉ में सर हिलाया , शिखा ने अपनी बाहे फेला दी , जैसे वो उसे गले लगने के लिये बोल रही हो। पूजा मुस्कुराई और भाग कर उसके गले लग गयी।




    वो गले लग कर बोली ," मण्य थारो को घणो याद कइयों।




    शिखा ," चल झुट्टी! म्हारे को तो अपणी शादी में भी कोणो बुलायो और बोल री स की याद करो।😏




    पूजा उससे अलग हुयी और बोली ," सच्ची याद करो मण्य तेरे को,,,और शादी घणो जल्दी मै होई थी ( अपने कान पकड़ाकर ) माफ कर दे ईब।



    शिखा पहले तो मुँह बनाकर उसे देखती रही फिर वो भी मुस्कुराई और बोली ," अच्छा चल कइयों माफ थारे को।




    पूजा मुस्कुरा के एक बार फिर से उसके गले जा लगी।




    " ये क्या हो रहा है भाई ? ये भाभी को क्या हो गया ? और ये दोनो कैसे बात कर रही है ? ". . .नरेन के कान में फुसफुसाते हुये मयंक बोला।




    नरेन बस उनदोनो को ही घूर रहा था। तभी दादाजी बोले ," चलो आओ सभी अंदर पूजा का समय हो चला है बाते बाद में होती रहेगी।



    ये बोलकर वो अंदर की तरफ बढ़ गये। उसके पीछे पीछे बाकी सब।


    वो मठ एक आश्रम की तरह था,,,कुटिया बनी हुयी थी बिल्कुल पुराने तरीक़े से
    वहाँ लोग रहते थे,,, अनाथ बच्चे , वृद्ध लोग।
    उन्होने वहाँ एक अपनी छोटी सी दुनिया बना रखी थी।
    वहाँ सब हँसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।।।।



    पूजा की सारी तैयारियां हो चुकी थी,,,अंदर आते ही पूजा और नरेन पूजा के लिये बैठ गये थे
    बाकी सभी भी उनके पास पर थोड़ा पीछे बैठे थे।



    पंडित जी ने हवन कुंड जलाया और पूजा शुरू की,,,सभी अपने दोनो हाथों और आंखों को बंद किये बैठे थे,,,। करीब 2 घंटे तक पूजा अर्चना हुयी



    उसके बाद  मयंक , शिखा , पूजा और नरेन दादाजी के साथ उनकी कुटिया में आ गये थे,,दिखने में वो एक दम साधारण थी पर साफ सुथरी थी,,,हर एक चीज़ सलिखे से रखी गयी थी।




    नरेन का फोन आ गया इसलिए वो उसे अटेंड करने चला गया,,,शिखा को भी कोई ज़रूरी काम था इसलिये वो भी चली गयी।
    मठ से पांच किलोमीटर की दूरी पर ही एक टाउन था जहाँ पूजा के मामाजी का घर था और वही शिखा की फैमिली भी उनकी पड़ोस में ही रहती थी,,,दोनो ( पूजा और शिखा ) बचपन से अच्छी दोस्त थी।



    " वहा सब कैसे है पूजा बेटा ? " दादाजी जी नीचे बिछे बिस्तर पर बैठते हुये बोले।




    पूजा भी उनके पास ही बैठ गयी और मुस्कुरा के बोली," सब अच्छे है दादाजी,,,।



    " वहाँ हरीश या फिर नीलिमा ने कुछ कहा तो नही ?" दादाजी उससे सवाल करते हुये बोले।



    " उन्होंने तो अब तक मुझे बात ही नही की है तो बोलते क्या ही वो ". . बुझे मन से पूजा बोली,,



    " और राहुल ? "




    " राहुल मुझे कुछ ठीक नही लगता है दादाजी,,,वो मुझे बुरी नज़र........" वो आगे बोल नही पायी और बस नीचे गर्दन करके बैठ गयी।





    जारी है

  • 5. पिया अलबेला ! - Chapter 5

    Words: 887

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page: 5





    " वहा सब कैसे है पूजा बेटा ? " दादाजी जी नीचे बिछे बिस्तर पर बैठते हुये बोले।
    पूजा भी उनके पास ही बैठ गयी और मुस्कुरा के बोली," सब अच्छे है दादाजी,,,।




    " वहाँ हरीश या फिर नीलिमा ने कुछ कहा तो नही ?" दादाजी उससे सवाल करते हुये बोले।




    " उन्होंने तो अब तक मुझे बात ही नही की है तो बोलते क्या ही वो ". . बुझे मन से पूजा बोली,,




    " और राहुल ? "




    " राहुल मुझे कुछ ठीक नही लगता है दादाजी,,,वो मुझे बुरी नज़र........" वो आगे बोल नही पायी और बस नीचे गर्दन करके बैठ गयी।




    " राहुल ने कुछ किया क्या ? " दादाजी उसे ऐसे देखकर बोले।




    " किया कुछ नही दादाजी पर उसकी नज़र मुझे कुछ ठीक नही लगी,,,और मुझे गलत तरीक़े से छुआ भी " थोड़ा हिचकिचाहट के साथ पूजा ने बोल ही दिया।




    ये बात सुनकर दादाजी कुछ सोचने लगे पर दरवाजे पर खड़े नरेन की आखों में इसवक्त गुस्सा उतर आया था, हाथों को मुट्ठी कस चुकी थी ,, नसे भी उभर आयी थी।
    " उसकी इतनी हिम्मत की उंसने पूजा को छुआ " जैसे वो मन मे ही बोला।




    पूजा वही बैठी हुयी दो दिन पहले के बारे में सोचने लगी।


    दो दिन पहले


    नरेन ऑफिस जा चुका था , वही वो रूम में बैठी हुयी काफी बोर हो रही थी।
    वो उठी और रूम से बहार आ गयी,,,इधर उधर देखते हुये वो सीढियो से नीचे उतर आयी,,,वो घर काफी बड़ा था और बहुत ही सुंदर भी।
    बड़े होने की वजह से पूजा काफी आगे आ चुकी थी और उसे पता भी नही चला था




    " ऐसा घर तो मैने कभी सपनो में भी नही देखा,,,बिल्कुल महल की तरफ लग रहा है ,,,ये सब लोग गुम नही हो जाते क्या ? 😅 इनका पता नही पर तु ज़रूर गुम हो जाएगी पूजा,,,इससे अच्छा है वापस चल यहा से" पूजा वापस मुड़ती हुयी बोली।




    तभी उसके सामने राहुल आ खड़ा हुआ जिसे देखकर एक पल के लिए पूजा घबरा गयी।
    पर उंसने जल्दी से अपनी घबराहट छिपा ली और मुस्कुरा के बोली ," ओह! आप।




    राहुल अपने दोनो हाथ जोड़कर बोला ," जी भाभी जी! तो कैसे लगा हमारा ये छोटा सा घर ?




    पूजा चारो तरफ देखते हुयी बोली ," इसे आप छोटा बोल रहे है,,,ये तो बहुत बड़ा है। और बहुत सुंदर भी।




    राहुल हँस कर बोला ," शायद!




    पूजा ," अच्छा अब मै चलती हूं अपने रूम में।
    ( ये बोलकर वो वहाँ से जाने लगी तो राहुल ने उसका हाथ पकड़ लिया,,,जिसे देखकर पूजा चोक पड़ी )




    " ये आप क्या कर रहे है ? छोड़िये मेरा हाथ ? " पूजा अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश करती हुयी बोली।




    " ये लोजिये भाभी जी ! मैने तो बस आपको रोकने के लिए आपका हाथ पकड़ा था बाकी मेरा कोई गलत इरादा नही था "  राहुल ने पूजा का हाथ छोड़ा और मुस्कुरा के बोला।
    फिर थोड़ा रुककर ," अगर आपको बुरा लगा तो सॉरी!





    " नहीं ऐसा कुछ नही है मुझे बुरा नही लगा।" पूजा खुद को नार्मल करती हुयी बोली।
    ये बोलकर वो वहाँ से जाने लगीं तो राहुल ने जानबूझकर पूजा के आगे पैर अड़ा दिया
    जिसके कारण को लड़खड़ा गयी
    वो गिरती उससे पहले ही राहुल ने उसे कमर से पकड़ लिया और गिरने से बचा लिया।
    गिरने के डर से पूजा ने अपनी आँखें कसकर बंद कर ली तभी उसे महसूस हुआ कि हो गिरी नही।
    उंसने अपनी आँखें खोली तो राहुल उसे मुस्कुरा के देख रहा था




    " अरे भाभी जी आप थोड़ा संभलकर चलिये ना,,,अगर अब गिर जाती तो,,,एक दो हड्डी वड्डी टूट जाती अभी,,,अगर मै नही पकड़ता तो ? " राहुल टेढ़ी मुस्कान के साथ बोला।
    और अपने हाथों को उसकी कमर और पीठ पर घुमाने लगा, राहुल की नीयत पूजा को अच्छा नही लगी इसलिए वो जल्दी से ठीक से खड़ी हुयी और वहाँ से भाग गयी।




    " अरे भाभी जी,,,भाभी रुकिये तो " राहुल पूजा का भागता देखकर वो हँसता हुआ बोला।





    प्रेजेंट डे
    पूजा जैसे गुम सी हो गयी थी , नरेन वहाँ से जा चुका था। दादाजी बोले ," कोई बात नही,,,आगे से उससे दूर रहना और हॉ अगर वो आगे ऐसी वैसी कोई हरकत करे वो सुप्रिया बहु या फिर नरेन से बोल देना,,,बिल्कुल मत घबराना,,,ठीक है बेटा,,,।




    पूजा अपने ख्यालो से बहार आती हुयी मुस्कुरा के बोली ," ओके दादाजी।




    " आज तो तुम तीनो यही रुकते होंगे ? " दादाजी बोले।




    पूजा ," मेरा मन तो बहुत है दादाजी पर आप तो जानते है ना नरेन बाबू को!




    दादाजी पूजा के सर पर हाथ रखकर बोले ," अगर हमारी बहु चाहती है तो वो आज यही रुकेगी।।।





    पूजा ," थैंक यू दादाजी 😍 ( फिर मयंक की तरफ देखकर जो कि हेडफोन लगाये फोन में गेम खेल रहा था ) औए लालजी आई मीन देवर जी,,,सुनते हो।




    " क्या हुआ ? " अपने हैंडफ़ोन को हल्का सा हटाता हुआ मयंक बोला।




    " आज यही रुक रहे है अब मॉर्निंग में जाएगे घर " पूजा चहककर बोली। पूजा की बात सुनकर मयंक मुस्कुराया और बोला ," मुझे तो कोई प्रॉब्लम नही है पर हॉ एक बार अपने पतिपरमेश्वर से भी पूछ लेना।




    पूजा उठी और दादाजी की तरफ देखकर बोली ," मै एक बार बताकर आती हूं नरेन बाबू को की आज हम यही रुकने वाले है।
    ये बोलकर वो बहार चली गयी।






    जारी है

  • 6. पिया अलबेला ! - Chapter 6

    Words: 1044

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page : 6



    नरेन वहाँ से निकलकर एक शांत सी जगह पर एक पेड़ के नीचे बने चबुरते पर आकर बैठ गया।
    वहाँ
    का माहौल एक दम शुद्ध और हराभरा था। बड़े बड़े पेड़ औऱ अलग अलग प्रजातियों के पौधे और फूल वहाँ लगे हुये थे।




    नरेन ने एक गहरी सांस ली ताकि वो खुद के गुस्से को कंट्रोल कर सके जो इसवक्त राहुल की हरकत पर आ रहा था। अगर इसवक्त राहुल उसके सामने होता तो ना जाने नरेन क्या कर देता
    पर ऑफ़सोस वो था नही।




    " इस हरकत की कीमत चुकाने के लिए तैयार हो जाओ राहुल,,,," नरेन गुस्से में अपनी मुट्टीया बांधता हुआ बोला।
    और फिर अपनी आँखें बंद कर ली
    तभी उसके कानों में पूजा की आवाज पड़ी जो उसकी तरफ ही बढ़ रही थी।




    " नरेन बाबू! आप यहा क्या कर रहे है ? " पूजा उसके सामने आकर खड़ी हुयी और बोली।




    नरेन ने अपनी आँखें खोली और एक नज़र पूजा की तरफ देखकर दूसरी तरफ देखने लगा।
    पर बोला कुछ नही मानो उंसने मुँह पर ताला लगा लिया है 🤐।




    पूजा के चहरे पर अब तक जो हल्की मुस्कान थी को गायब हो गयी थी वो बस एक टक नरेन की तरफ देखने लगी।
    यही की अब तक तो नरेन ठीक था और अचानक क्या हुआ ?





    " क..क्या..क्या हुआ नरेन बाबू ? आप ठीक तो है ना ?" डरते हुये ही पर आखिरकार पूजा बोल उठी और फिर अपना सिर नीचे झुककर खड़ी रही।
    अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी उंगलियों में फसा लिया।




    " कुछ नही! " अपनी जगह से खड़ा होकर नरेन बोला और फिर अपनी कलाई पर बंधी घड़ी की तरफ देखकर बोला ," अब हमें चलना चाहिए ?




    " वो दादाजी ने कहा है कि आज यही रुक जाओ ? " पूजा जल्दी से बोली।
    पूजा की बात सुनकर नरेन उसकी तरफ देखने लगा।




    " क्या तुम्हारा मन है आज यही रुकने का ? " नरेन थोड़ा भारी आवाज में बोला। वही नरेन का सवाल सुनकर पूजा तो समंझ ही नही आ रहा था कि वो अब क्या जवाब दे अगर उंसने गलत जवाब दिया तो कही नरेन गुस्से ना हो जाये ?
    काफी देर सोचने के बाद उसने अपनी गर्दन हॉ में हिला दी।



    " ठीक है फिर हम आज यही रुकते है कल सुबह चलेगे घर " नरेन बोला और वहाँ से चला गया। पर जाते जाते पूजा के चहरे पर मुस्कना दे गया।




    " जितने ये खड़ूस बनते है उतने है नही " जाते हुये नरेन की तरफ देखकर पूजा बोली और खुद भी उसके पीछे हो ली।




    धीरे धीरे रात हो गयी। दादाजी , नरेन , पूजा और मयंक ने साथ मे खाना खाया और उसके बाद सोने के लिए बोलकर दादाजी मयंक को अपने साथ ले गये। पूजा और नरेन भी सोने के लिए उनके पीछे ही आ गये।




    " मै और मयंक यही बहार सो जाएगे और तुम दोनो अंदर सो जाओ " दादाजी कुटिया के अंदर ही बने एक कमरे की तरफ इशारा करके बोले।




    नरेन दोनो को गुड नाईट बोलकर अंदर चला गया। वही पूजा दादाजी की तरफ देखकर बोली ," दादाजी आपको कुछ चाहिए ?




    " हॉ बेटा! यहा पानी रखवा दो और उसके बाद जाकर सो जाओ ? " दादाजी बोले औऱ अपने बिस्तर पर जाकर लेट गये।



    पूजा वहा से बाहर चली गयी। कुछ टाइम में वो पानी का एक छोटा सा मटका अपने हाथों में लेकर आयी और उसे वही रख दिया।
    दादाजी सो चुके थे और मयंक जो कि उनके पास ही लेटा हुआ था और अभी सोया नही था।



    " क्या हुआ मयंक नींद नही आ रही है क्या ? " पूजा मुस्कुरा के बोली।




    " ह्म्म्म! आदत नहीं है ना ज़मीन पर सोने की बस इसलिए पर कोई नही भाभी आ ही जाएगी नींद आप सो जाइये जाकर " मयंक भी बदले में मुस्कुरा के बोला।




    "ओके " वो बोली और अंदर आ गयी। नरेन अभी सोया नही था
    वही लगातार बस ज़मीन पर बिछे बिस्तर की तरफ ही घूर रहा था।




    " क्या हुआ नरेन बाबू ? आप खड़े क्यों है सोनां नही है क्या ? " पूजा अपने कान में पहनी झुमकियो को निकालते हुये बोली।





    " हम दोनो के हिसाब से ये बिस्तर कुछ ज्यादा ही छोटा नही है ? " नरेन उसकी तरफ मुड़ता हुआ बोला।




    " ह्म्म्म! छोटा तो है पर आज के लिए एडजस्ट करना होगा! " पूजा बोली और बिस्तर पर बैठ गयी। नरेन भी उसके पास ही बैठ गया।




    " दोनो इसपर नही सो पाएगें पूजा ? " नरेन बोला।




    " ह्म्म्म! तो क्या करे ? " पूजा बोली औऱ कुछ सोचने लगी।



    " अच्छा उठो एक बार ? " नरेन अपने कोट को साइड में रखता हुआ पूजा से बोला तो वो वहाँ से उठ गयी।
    पूजा के उठने के बाद नरेन बिस्तर पर लेट गया और फिर पूजा की तरफ देखकर बोला," अब तुम ले जाओ।



    पूजा थोडी झिझक के साथ नरेन के हाथ पर अपना सिर रख लेट गयी।
    अब दोनो बिल्कुल करीब लेटे हुये थे दोनो के बीच इंच का भी फासला नही था।
    नरेन के इतना करीब होने से पूजा की धड़कने बढ़ने लगी थी।
    नरेन का भी कुछ यही हाल था उंसने धीरे से अपना हाथ पूजा के पेट पर रख दिया जिससे पूजा ने उसकी तरफ देखा
    दोनो की नज़रे मिली पर पूजा ने अपनी नज़रे झुका ली और हल्की सी मुस्कुरा के दूसरी तरफ देखने लगी।



    नरेन बस उसकी तरफ ही देख रहा था। उसे अब खुद पर प्राउड फील हो रहा था कि उसकी वाइफ कितनी स्वीट और ब्यूटीफुल है 😍
    पूजा अच्छे से महसूस कर पा रही थी खुद पर नरेन की नज़रो को। इस वक़्त उसे शर्म भी आ रही थी और खुशी भी हो रही थी।




    " नींद नही आ रही है क्या ? " काफी देर की चुप्पी के बाद नरेन बोला।




    " उम्म! नही आ रही है ? " पूजा धीरे से बोली अब वो उसके सामने कैसे बताये की उसके यानी नरेन के इतने करीब होने की वजह से उसकी तो नींद ही आँखों से गायब हो चुकी है
    फिर थोड़ा रुकर वो बोली ," कुछ इंटरेस्टिंग करे क्या नरेन बाबू ? 




    पूजा की ये लाइन सुनकर नरेन उसे थोड़ा हैरानी से देखने लगा। " कुछ इंटरेस्टिंग करे " वो अपने मन मे पूजा की बात को दोहराता हुआ बोला।





    जारी है

  • 7. पिया अलबेला ! - Chapter 7

    Words: 951

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page: 7




    " कुछ इंटरेस्टिंग करे क्या नरेन बाबू ?  "




    पूजा की ये लाइन सुनकर नरेन उसे थोड़ा हैरानी से देखने लगा। 😳 " कुछ इंटरेस्टिंग करे " वो अपने मन मे पूजा की बात को दोहराता हुआ बोला।



    " एक्सक्यूज़ मी! व्हाट इंटरेस्टिंग ? " नरेन उसकी तरफ देखकर बोला तो पूजा बोली ," इंटरेस्टिंग मतलब बाते,,,बाते करे इसी बहाने एक दूसरे को जानने का मोक भी मिलेगा " ये बोलकर वो मुस्कुरा दी




    " ओह! इसका मतलब ये था मुझे लगा खैर! कोई बात नही " नरेन अपने मन मे बोला और फिर पूजा से बोला ," हम्म! बाते करते है पर क्या ? "




    " उम्म! अच्छा आप अपने बारे में कुछ बताइये ना! " पूजा बड़ी सी स्माइल के साथ बोली 😃 तो नरेन सोचता हुआ बोला," पर क्या बताऊ ? 😕




    " कुछ भी बता दीजिये ना नरेन बाबू! क्या आपके पास कुछ नही है बताने के लिए। " 😐




    " उम्म! ( सोचते हुये ) ओके,,,,नाम तो तुम जानती हो,,,अब तो बाकी सभी फैमिली मेंबर्स को भी जानती हो,,,और ये भी जानती हो कि मै एक बिजनेसमैन हूं! पापा और चाचा भी मेरे साथ ऑफिस में ही काम करते है,,,और राहु,,,राहुल भी 😒। " ये बोलकर नरेन चुप हो गया था। तो पूजा ने अपने सिर पर हाथ रख लिया।।




    नरेन उसे कंफ्यूज़न में देखता हुआ बोला ," क्या हुआ ? बताया तो अब मैने! "




    " मुझे ये सब तो पहले से पता है,,,तो अपने बारे में कुछ बताओ ना मुझे आपके बारे में जानना है ना कि आपके बिजनेस के बारे में " पूजा चिड़ कर बोली।



    अब नरेन को समंझ नही आ रहा था कि वो उसके साथ क्या बात करे। काफी देर दोनो चुप चाप लेटे रहे।
    वहाँ की शांति को भंग करती हुयी पूजा नरेन की तरफ देखकर बोली ," क्या आप इससे पहले भी यहा आये है ?"




    " यहा कहा ? क्या तुम मठ की बात कर रही हो ? "




    " जी मै मठ की ही बात कर रही हूं। "




    " हॉ एक दो बार आया हूं! "




    " ओह! मैने मयंक को यहा बहुत देखा है पर वो भी सिर्फ दिन में आता था और रात में चला जाता था। मैने आपको तो कभी नही देखा यहाँ .. ? "




    " हॉ बचपन मे ही आया था एक दो बार माँ के साथ,,शादी के दिन आया था मै यहा बहुत सालों में,,,और आज यहां रुका हूं बस! "




    " तो क्या आपका यहा आने का मन नही करता था ? जो आप आते नही थे ? "




    " करता तो था दादाजी के मिलने का बहुत मन पर पढ़ाई की वजह से आ नही पाता था। और फिर फैमिली बिजनेस पापा ने सौप दिया मुझे,,,,फिर उंसमें बिजी हो गया,,,कभी कभार दादाजी ही घर आते थे तो ही मिलना होता था उनसे। "




    " ओह!,,,आप हमेशा ही ऐसे रहते है क्या ? "




    " कैसे ? "🤔




    " चुप चाप से,,,"




    " नही तो,,,क्या तुम्हें लगता है कि मै चुप चुप रहता हूं ? "




    " उम्म! हम्म! लगता है वो एक्चुअली जबसे शादी हुयी है तब से तो मैने आपको बोलते ही नही देखा है।,,,ज़रूरत के टाइम ही आप बोलते है बस,,,,"पूजा थोड़ी डरती हुयी बोल ही गयी अपने नरेन बाबू के सामने 😅😏



    " ऐसा नही है कि मै बोलता नही हूं,,,पर हॉ मुझे कम ही बोलना ज्यादा पसंद है,,,अकेले में रहना पसंद है,,,मुझे खामोशियों में बात करता ज्यादा पसंद है,,,क्योकि जो जज्बात खामोशिया बया करती है वो शब्द नही कर सकते कभी भी,,,,और,,,,
    और मै तुमसे भी यही उम्मीद रखता हूं पूजा की तुम मुझे ऐसे ही समझो और मै तुम्हे क्योकि अब हमारा रिश्ता बदल गया है,,,,पति पत्नी के बीच सब एक शिशे की तरफ साफ होना चाहिए क्योकि हल्की धूल भी रिश्ते को खराब करने के लिए काफी होती है,,,और मै नही चाहता कि को हल्की धूल भी हमारे रिश्ते को छुये,,,,तुम बहुत अंडरस्टैंडिंग हो मै ये जानता हूं,,,तो मै आशा करता हूं कि तुम हमेशा ऐसी ही सूझ बूझ से काम लोगी,,,तुम समंझ रही हो ना कि मै क्या कहना चाहता हूं! " ( वो पूजा की तरफ देखने लगा )



    " मै सब समंझ रही हूं नरेन बाबू की आप क्या कहना चाह रहे है। और मै इस बात से अग्री भी करती हूं,,,मै आपके हर सुख और दुःख में आपके साथ हूं और साथ ही रहूंगी,,,," पूजा नरेन की आँखों मे देखती हुयी बोली।



    नरेन ने पूजा के माथे को अपने होंटो से चूम लिया तो पूजा ने अपनी आँखें बंद कर ली और उस प्यारे से अहसास में खो सी गयी। उंसने अपना चेहरा उसके सीने में छुपा लिया और वो धीरे से मुस्कुरा दिया और फिर उसके बालो को अपने हाथों से धीरे धीरे सहलाने लगा।



    " मुझे पता है कि पापा और चाची बिलकुल खुश नही है इस शादी से और साथ में राहुल,,,राहुल को तो मै हैंडल कर लूंगा पर पापा और चाची को कैसे हैंडल कर पाऊंगा,,,मै नही चाहता कि उन दोनों में से किसी की बात भी पूजा को इफ़ेक्ट करे,,,मै हमेशा पूजा को प्रोटेक्ट करुगा,,,क्योकि पूजा के सिर से माँ का साया तो मेरी.....( अपनी आँखों में उठे दर्द को अंदर की दबा लिया और अपनी आँखें बंद कर ली ) नही जानता था पहले पर अब तो सब जान गया हूं,,,और अब तो पूजा मेरी वाइफ भी है,,,मै उसे हमेशा प्रोटेक्ट करुगा,,,,हमेशा। "



    ये सब मन मे बोलकर उंसने पूजा को कसके अपनी बाहो में भर लिया। पूजा को भी नरेन के हाथों की कसावट अपनी पीठ और कमर पर बढ़ती हुयी महसूस हो रही थी। वो कुछ नही बोली बस ऐसे ही उसके सीने से लगी रही। कुछ टाइम बाद ही दोनो नींद के आगोश और एक दूसरे की बाहो में सुकून के साथ सो गये।






    जारी है

  • 8. पिया अलबेला ! - Chapter 8

    Words: 1080

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page : 8

    सुबह का वक़्त
    पूजा की आँखे बहार से आ रही हल्की आवाजों से खुली। सबके पहले उसकी नज़र नरेन पर गयी जो उसे अपनी बाहो में भरकर सुकून से सो रहा था ... ।।।


    वो मुस्कुराई और मन मे बोली ," आप तो बहुत स्वीट भी है नरेन बाबू,,,,आई लव योर स्वीट साइड ... ।
    खुद ब खुद उसके हाथ नरेन के चहरे को सहलने लगे थे,,काफी देर सोते हुये नरेन को निहारने के बाद पूजा उठी और उठ कर बैठ गयी


    नरेन को अच्छे से कंबल ओढाने के बाद वो उठ खड़ी हो गयी। तभी उसकी नज़र नरेन के कोट पर गयी जो कि ज़मीन पर ही गिरा हुआ था,
    वो उसे उठाने के लिए नीचे झुकी और उसे उठा लिया तभी उसे कुछ महसूस हुआ , उंसने कोट की पॉकेट के अंदर हाथ डाला और फिर अपने हाथ से कुछ टटोलने लगी उसके बाद जब उसके हाथ मे कुछ लगा तो उसने अपना हाथ बहार निकाला।



    वो एक बार अपने हाथ को हैरानी से देखती और फिर सोते हुये नरेन को। फिर वो मुँह बनांकर बोली ," चोर कही के हुँह। मेरे बड्स चुराये और अपनी पॉकेट में छुपा लिए,,,,पूछने पर भी नही बताया कि बड्स कहा है,,,और बोल रहे थे कि नये लाकर देने मुझे,,,,बनते है बड़े बिजनेसमैन,,,
    और खुद तीन हज़ार के बड्स नही खरीद सकते 😏,,,मेरे चुरा लिए,,,,।
    ( नरेन के कोट को ऊपर रखा और फिर अपने बड्स को अपने बैग में डाला और वहाँ से बहार चली गयी )



    बहार आयी तो उसने देखा कि अभी मयंक भी सो रहा है पर दादाजी उठकर बाहर जा चुके है क्योकि वो हर रोज प्रकर्ति के बीच मे बैठकर ध्यान लगाते थे।



    पूजा ने वही साइड में रखे एक बैग से अपनी साड़ी निकाली और नहाने के लिए बाहर चली गयी .. ।



    कुछ टाइम में वो नहा कर वापस अंदर आयी को उंसने देखा कि नरेन लेटा हुआ ही कसमसा रहा है। जैसे वो अब उठने वाला हो।
    किसी की आहट से नरेन ने अपनी आँखें खोली। सामने पूजा को देखकर को हल्का सा मुस्कुरा दिया। पर पूजा ने उसका मुस्कुराना नही देखा क्योकि वो तो अपने गीले बालों को तालिये से सुखाने में बिजी थी। 😅



    " उठ गये आप,,,जल्दी से नहा लीजिये,,,कुछ देर में आरती होगी यहा,,,उसके बाद घर के लिए भी निकलना है " पूजा उसकी तरफ देखकर बोली और वापस से बालों को सुखाने लगी।



    " मेरे कपड़े ? "



    " ओह! एक मिनट मै अभी लेकर आती हूं,,,,"
    ये बोलकर पूजा ने अपने हाथ मे पकड़े तोलिये को वही एक खूंटी पर लटका दिया और वहाँ से बहार जाने लगी। पर नरेन ने जल्दी से उठकर उसका हाथ पकड़ लिया था।


    " क..क्या हुआ नरेन बाबू ? " पूजा चोक कर बोली। पर नरेन कुछ नही बोला और उसकी ठंडी कमर पर अपने गर्म हाथ रख दिये। जिससे पूजा के बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी उंसने कसके अपनी आँखें बंद कर ली। नरेन ने उसे पीछे की तरफ पलटा लेता है अब नरेन के सामने पूजा की पीठ थी .. । और पूजा ने अपनी आँखें कसके बंद कर रखी थी।
    थोड़ी देर बाद उसे नरेन के हाथ अपनी पीठ पर महसूस हो रहे थे .. । उसे महसूस हुआ कि नरेन उसकी ब्लाउज की डोरी बांध रहा है। वो बस मुस्कुरा दी।



    डोरी बांधने के बाद नरेन ने उसे दोनो कंधों से पकड़ा और उसे अपनी तरफ घुमा लिया। पूजा की आँखे अभी भी बंद थी।


    " अब तुम जा सकती हो .. ? वो एक्चुअली पीछे से तुम्हारी डोरी खुली हुयी थी और अगर तुम ऐसे बहार जाती तो अच्छा नही लगता ना ,,,तो इसलिए मैंने उसे खुद ही बांध दिया "



    " कोई बात नही। मै आपके कपड़े लेकर आती हूं " ये बोलकर वो वहा से शर्माती हुयी चली गयी। पर नरेन के चहरे पर कोइ भाव नही थे। वो वापस से वही बैठ गया। ना जाने क्यु पर उसके मन मे एक अजीब सी बेचैनी थी।


    तीनो पूजा के बाद ही घर के लिए निकल गये थे। करीब 9 बजे तीनो घर पहुँचे।


    मयंक तो गाड़ी से उतरकर पहले ही अंदर चला गया था। और फिर पूजा , नरेन अंदर आये।
    हॉल में ही नीलिमा , और सुप्रिया जी बैठी हुयी थी। नरेन को ऑफिस जाना था इसलिए वो तो रूम में तैयार होने चले गया था।



    पूजा नीलिमा और सुप्रिया जी के पास आयी और दोनो के पैर छू कर आशीर्वाद लिया।



    " कैसा रहा वहा सब .. ? " सुप्रिया जी पूजा की तरफ देखकर प्यार से पूछती हुयी बोली। तो पूजा भी मुस्कुरा के बोली," सब अच्छे से हो गया! दादाजी सबको प्यार दे रहे थे औऱ बोल रहे थे कि अगले महीने वो यहाँ आएगे। "


    " ये तो अच्छी बात है कि बाबूजी आएगे ,,, अच्छा ठीक है बाकी बाते बाद में कर लेंगे,,,,तुम जाओ और आराम करो,,, "
    सुप्रिया जी बोली। तो पूजा वहाँ से जाने लगी कि तभी नीलिमा जी जो कि उनदोनो को ही देख रही थी। वो पूजा को रोकती हुयी बोली ," रूको एक बार .. !



    " क्या हुआ चाची .. ? "
    पूजा मुड़ कर बहुत ही अपनेपन से बोली।



    " वो क्या है ना कि सुबह से बहुत तेज सिर दर्द हो रहा है,,सोचा था कि एक कप कॉफी पीने के बाद सिर के दर्द में थोड़ा आराम मिलेगा पर अभी तक कोई कॉफी नही लेकर आया मेरी,,,कबसे बोल रखा है,,,( झूठे गुस्से से ) ना जाने ये सभी सर्वेंट्स क्या कर रहे है मेरे लिए एक कप कॉफी भी नही लेकर आये है
    ( पूजा की तरफ देखते हुये ) तो क्या तुम बना दोगी,,,वो क्या है ना कि अगर ज्यादा सिर दर्द नही होता तो मै तुम्हे नही बोलती ,,,,,"
    नीलिमा जी एक रहस्यमय मुस्कान के साथ बोली। पर हमारी पूजा भोली सी वो कहा ही समंझा पायी उनकी मुस्कान के पीछे छुपी नफरत को ? जो उसके लिए ही थी।


    " जी,,,जी,,,चाची,,,मै अभी लेकर आती हूं बनांकर आपके लिए कॉफी,,,,और फिर मै आपके सिर पर चम्पी कर दूँगी,,,,सिर का दर्द एक दम ठीक हो जाएगा,,,"
    पूजा चहक कर बोली और वहाँ से किचन की तरफ चली गयी।


    " नोकरानी की बेटी छोटी नोकरानी हुँह,,,बाबूजी ने नरेन से शादी करवाके इसे घर की बहू तो बना दिया पर मै इसे कभी खुद के बराबर नही आने दूँगी "
    नीलिमा जी मन ही मन नफरत और कड़वेपन के साथ बोली। जो उन्होंने एक मुस्कान के पीछे छिपाया हुआ था पर उनके पास बैठी सुप्रिया जी उसके भावों को अच्छे से समंझ गयी थी।



    जारी है

  • 9. पिया अलबेला ! - Chapter 9

    Words: 1057

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page: 9




    सुप्रिया जी हॉल से उठकर अपने कमरे में जा चुकी थी। अब हॉल में सिर्फ नीलिमा जी ही बैठी थी।



    पूजा उनके लिए कॉफी बनांकर लायी और उनकी तरफ करती हुयी बोली ," ये लीजिये चाची आपकी कॉफी अब शायद! आपको कुछ बेटर फील होगा। ( पूजा मुस्कुरा के बोली )



    " नो,,,चम्पी रहने देना,,,,अभी मैने अपने हेयर्स की स्मूथनिंग करवाई है,,,और तुम चम्पी करके सब खराब कर दोगी,,,बस कॉफी से ही ठीक हो जाएगा,,,,,"
    नीलिमा जी कॉफी का मग हाथ मे पकड़ती हुयी बोली।



    " ठीक है चाची,,,,अगर कुछ और काम हो तो बोलना "




    " ठीक है,,,,ठीक है,,,,"



    पूजा वहाँ से जाने लगी कि तभी नीलिमा जी ने जान बूझकर हाथ मे पकड़ा कॉफी का मग नीचे फर्श पर गिरा दिया। कुछ टूटने की आवाज जब पूजा के कानों में पड़ी तो वो पीछे पलटी।



    " चाची,,,ये मग कैसे गिर गया .. ? "




    " बहुत गर्म था इसलिए हाथ से छूट गया। "




    " कोई बात नही चाची मै दूसरी बना कर लेती हूं "



    " अरे अब रहने देना,,,,तुम एक काम करो ये कॉफी साफ कर दो फर्श से,,,,वो क्या है ना कि सभी सर्वेंट्स कुछ ना कुछ काम कर रहे है,,,और अगर कोई गेस्ट आ गया तो,,,यू तो अच्छा नही लगता ना,,,इसलिए तुम साफ़ कर दो,,,और वैसे भी कोई छोटा बड़ा तो होता नही है,,,हमारा ही तो घर है,,,"
    नीलिमा जी भोली सी सूरत बनांकर बोली। तो पूजा ने मुस्कुरा के अपना सिर हिला दिया था। और वहाँ से चली गयी थी।



    कुछ देर बाद वो एक बाल्टी में पानी लेकर आयी और साथ मे पोछा भी।
    नीलिमा जी मन ही मन उसे उसकी औकात देखने के लिए खुश हो रही थी। पर सामने से वो दिखा नही रही थी।



    पूजा ने साड़ी के पल्लू को कमर में घुसाया और पोछे को पानी मे डूबकर उसे अच्छे से निचोड़कर,,,फर्श पर गिरी कॉफी को साफ करने लगीं।




    नीलिमा जी ने धीरे से अपना फोन निकाला और साइलेंटली उसकी ( पूजा ) कुछ फोटोज खिंच ली। वही आसपास काम कर रहे सर्वेंट्स पूजा को पोछा लगाते देख हैरान थे और कुछ हँस रहे थे।



    पर कोई था जो पूजा को पोछा लगाते देख गुस्से में उफन रहा था। वो और कोई नही बल्कि नरेन ही था जो कि ऑफिस के लिए तैयार होकर सीढियो से नीचे ही उतर रहा था।


    " पूजा,,,! "
    वो भारी आवाज में बोला। जब पूजा के कानों में नरेन की आवाज पड़ी तो एक पल के लिए वो डर गयी। यही कुछ हाल नीलिमा जी का भी था। उन्होंने नरेन की तरफ देखा जो कि सीढियो के पास खड़ा होकर उनको ही देख रहा था।
    वो जल्दी से अपनी जगह से उठी और पूजा की तरफ देखकर बोली ," अरे बेटा,,,,तुम रहने दो ना,,,,यहा कितने सारे सर्वेंट्स है,,,वो साफ कर देने,,,,नई नवेली दुल्हन ये सारे काम करती हुयी अच्छी थोड़ा ही लगती है .. ?छोड़ो इसे,,,छोड़ो,,,"



    पूजा ने हैरानी से नीलिमा जी की तरफ देखा क्योकि अभी उन्होंने ही तो उससे साफ करने के लिए कहा था और अब अचानक से वो अपनी बात से ही पलटी मार गयी थी। उंसने पोछे को बाल्टी में डाला।



    नीलिमा जी ," जाओ और अच्छे से हाथ धो लो अपने!,,,मै रूम में जा रही हूं अपने अगर सुप्रिया पूछे तो बता देना।
    (ये बोलकर वो वहा से अपने रूम की तरफ चली गयी )



    पूजा ने डरते हुये नरेन की तरफ देखा जो कि गुस्से में उसे ही घूर रहा था। नरेन बिना कुछ बोले वापस सीढियो से होता हुआ अपने रूम में चला गया।



    " अब ये एंग्री बर्ड क्यो बन रहे है .. ? किसी प्रैग्नेंट लेडी से ज़्यादा तो इनके मूड सविंग्स होते है 😏😅,,,,"
    वो खुद में बुदबुदाई और सबसे पहले उंसने अपने हाथ साफ किये और रूम की तरफ बढ़ गयी।
    उंसने डरते हुये रूम का दरवाजा खोला,,,और अंदर आयी। सामने का नज़ारा देखकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया।



    " ये सब क्या है नरेन बाबू ?  "
    वो कमरे में इधर उधर देखती हुयी बोली। पूरे कमरे में हर तरफ कागज ही बिखरे हुये थे। बेड भी अयस्त व्यस्त पड़ा था। पूरी तरह मिलाकर इस वक़्त कमरा किसी कचड़े के ढेर से कम नही लग रहा था।



    नरेन वही स्टडी टेबल के सामने रखी चेयर पर पैर के ऊपर पैर चढ़ाये बैठा था।
    " रूम को साफ करो "
    वो भारी आवाज में बोला। पूजा ने बस हॉ में सिर हिलाया और रूम को साफ करने लगी।



    नरेन बस उसे काम करता देख रहा था। उसे उसपर गुस्सा भी आ रहा था।
    कुछ टाइम में ही उंसने पूरे रूम में पहले जैसा कर दिया था एक दम साफ़। फिर नरेन के पास खड़ी होकर बोली ," हो गया सारा रूम साफ!,,,और कुछ करना है क्या..? "



    नरेन चेयर से उठा और पूजा को दोनो कंधों से पकड़कर वही दीवार से सटा दिया। अचानक हुयी इस हरकत से पूजा डर गयी। उंसने अपनी आँखें बंद कर ली।



    " क्या तुम यहा काम करने वाली हो .. ? "
    वो गुस्से में उसके कंधों पर दबाव बनाता हुआ बोला।



    " न. नही..नही तो! "
    पूजा वैसे ही खड़ी हुयी बोली।



    " क्या तुम्हे यहाँ काम करने के लिए लेकर आये है ? "



    इस बार पूजा ने बस अपना सिर ना में हिला दिया। " तो फिर,,,,फिर तुम ये क्यो कर रही हो ? इतने सर्वेंट्स है यहा उनसे बोल सकती हो ना,,,अब तुम इस घर ही बहु हो,,,और मेरी पत्नी समंझी,,,और मै नही चाहता कि मेरी पत्नी ये काम करे,,,,अगर आगे मैने तुम्हे ऐसे काम करते हुये देखा तो फिर एक काम करना अपना सामान पैक करना और वापस अपने मामा जी के यही चली जाना,,,समंझ आया कुछ या फिर सिर के ऊपर से गया सब ..? "



    " जी " पूजा नीचे नज़रे झुका कर बोली।



    " क्या जी ..? "



    " यही की,,,अब से साफ सफाई का काम नही करना है "



    " अगर साफ सफाई का काम करना है तो फिर अपनी मर्जी से करना है ना कि दूसरों के कहने पर,,,और असल मे तो करना ही नही है क्योकि यहा बहुत सारे सर्वेंट्स है जो इसी काम के लिए है "



    " ठीक है .. ! "



    " गुड ( पूजा को छोड़ दिया ) मै ऑफिस जा रहा हूं,,,और शायद! रात को लेट आऊँ "



    " जी "



    नरेन बिना उसकी तरफ देखे रूम से बहार चला गया और पूजा बस उसे जाते हुये देखती रही।





    जारी है

  • 10. पिया अलबेला ! - Chapter 10

    Words: 903

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page : 10




    रात के करीब 11 बज चुके थे। व्यास हाउस अंधेरे में डूब चुका था। जिसका साफ मतलब था कि सब सो चूके है।


    नरेन और पूजा के रूम में


    पूजा विंडो पर बैठी थी। रूम की लाइट्स बंद थी , चांद की चांदनी पूरे रूम में फैली हुयी थी।
    उंसने इस वक़्त नाईट गाउन पहना हुआ था और बालों को खुला कर रखा था जो उसकी कमर से भी नीचे तक लहरा रहे थे।और हवा के झोको के साथ इधर उधर झूम रहे थे।



    " यहा सब बहुत अजीब सा लगता है,,,पता नही क्यु ..?,,,कोई किसी से बात करके ही खुश नही है,,,सभी अपने अपने कमरों में रहते है,,,इतने बिजी होते है कि अपनी फैमिली के लिए ही टाइम नही है,,,,पर अब क्या कर सकते है पूजा,,,अब तो तुम्हे इनके साथ ही ढलना होगा,,,अब आदत डाल ही लो इस माहौल की,,,,"
    वो मन ही मन सोच रही थी क्योकि यहा ऐसा ही होता था।  उसे यू अकेले मे रहने की आदर भी तो नही थी। इसलिए ये माहौल उसके लिए अजीब था ,



    वो विंडो के बाहर उस अंधेरी रात को देख रही थी। कि तभी दरवाजे के खुलने की आवाज आयी। उंसने वही रखा शौल झट से खुद के ऊपर डाल लिए और दरवाजे की तरफ देखने लगी।



    एक काली सी परछाई कमरे में दाख़िल हुयी। अंधेरे में ही वो बता सकती थी कि ये नरेन था जो अभी ऑफिस से घर लौटा था।



    " नरेन बाबू आप आ गये। " पूजा अपनी जगह पर ही खड़ी बोली।



    " ह्म्म्म! "
    नरेन बस इतना ही बोला और अपना कोट निकालकर वही बेड पर रख दिया।



    " मै आपके लिए खाना लेकर आती हूं,,,तब तक आप कपड़े चेंज कर लीजिए। "
    ये बोलकर पूजा रूम से बहार चली गयी।


    नरेन ने रूम की लाइट्स ऑन की और अपने कपड़े चेंज करके बेड पर बैठ गया।
    कुछ देर बाद ही पूजा वापस रूम में आयी। नरेन के सामने उंसने खाने की प्लेट रख दी। तो नरेन भी चुप चाप खाने लगा।


    पूजा अभी भी वही खड़ी थी। नरेन ने खाते हुये पूजा की तरफ देखा जो चहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लिए उसे ही देख रही थी।



    " अब खड़ी ही रहोगी क्या जबतक मै खाना नही खा लूंगा ..?"
    नरेन भारी आवाज में बोला।


    " सॉरी! "
    ये बोलकर वो जल्दी से बेड पर बैठ गयी कि कही फिर से नरेन का मूड खराब ना हो जाये।



    " झल्ली कही की! "
    नरेन उसे कनखियों से देखता हुआ अपने मन मे बोला। और फिर से खाना खाने लगा।



    कुछ देर बाद दोनो रूम की लाइट्स बंद करके बेड पर अपनी अपनी साइड लेटे हुये थे।
    इस वक़्त दोनो के बीच बहुत दूरी थी। पूजा ने दूसरी तरफ करवट ली।
    नींद तो उसे आ नही रही थी। कुछ देर बाद ही उसे महसूस हुआ कि नरेन उसके पास आ गया हैं तो वो बस मुस्कुरा दी।
    " सॉरी वो सुबह थोड़ा गुस्सा आ गया था "
    नरेन पूजा के कान के पास फुसफुसाते हुये बोला।



    " कोई बात नही नरेन बाबू,,,और वैसे भी मुझे बुरा नही लगा। "
    पूजा वैसे ही लेटी हुयी बोली।


    अब नरेन ने उसे अपनी बाहो में भर लिए था। कुछ देर में ही पूजा को नरेन के होट अपनी गर्दन पर महसूस होने लगे थे , उंसने कसके बेडशीट को पकड़ लिया। उसका दिल तेज रफ्तार में धड़कने लगा था।


    नरेन ने भी धीरे से उसके शौल को उतारा और दूसरी तरफ रख दिया , तो पूजा ने शर्माकर अपनी आँखें मूंद ली।



    ! सुबह का वक़्त !

    कमरे में आती हल्की रोशनी से पूजा की आँखे खुली। उंसने अपनी दूसरी तरफ देखा तो पाया कि नरेन औंधे मुंह सो रहा है। वो भी शर्टलेस।
    ये देखकर वो हल्की शर्माई और उठकर बाथरूम में चली गयी।


    कुछ देर बाद वो तैयार होकर नीचे चली आयी। सुप्रिया जी किचन में नाश्ता बनवा रही थी सर्वेंट्स से।




    " गुड मॉर्निंग माँ "




    " गुड मॉर्निंग बेटा! "



    " कुछ हेल्प करवाऊ माँ ..?,,,"




    " नही बेटा,,,बस हो गया सब,,,कुछ देर बाद नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगा दूँगी,,,अच्छा नरेन उठ गया क्या ..? "



    " नही,,,वो अभी भी सो ही रहे है "



    " फिर जाओ और उसे उठा दो वरना आफिस के लिए लेट हो जाएगा और बाद मे गुस्सा करेगा कि किसी ने उसे उठाया नही। ( ये बोलकर वो हँस दी )।



    " जी मै उठाती हूं उन्हें "
    ये बोलकर वो किचन से बहार निकली और अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी।



    राहुल और नीलिमा जी दोनो अभी अभी ही हॉल में आ कर बैठे थे।
    दोनो ने पूजा को ऊपर जाता हूआ देख लिए था।



    " ये नोकरानी की बेटी देख रहे हो कि कितना फुदक रही है। नरेन से शादी क्या हो गयी है खुद को मालकिन ही समंझ बैठी है,,,पर मेरे होते हुये इसे ऐसा सोचने ही नही दूँगी 😏"
    नीलिमा जी मोक करते हुये बोली।



    " जो भी समझती हो मॉम पर ये बहुत भोली है "
    राहुल जाती हुयी पूजा को देखकर मुस्कुरा के बोला।


    " ओह रियली,,,ये कोई भोली नही है देख लेना बाबूजी की चहेती बनकर  सारी प्रॉपर्टी पर कुंडली मारकर बैठ जायेगी,,,और तुम बस देखे रह जाओगे,,,फिर बोलना इसे भोली। "



    " अरे मॉम आप कुछ ज्यादा ही सोच रही है। "



    " ज्यादा नही बस अपना फ्यूचर सोच रही हूं "



    " जो भी होगा देखा जायेगा, "
    राहुल बोला और उठकर डाइनिंग एरिया की तरफ बढ़ गया।
    नीलिमा जी कुछ सोचने लगी।








    जारी है

  • 11. पिया अलबेला ! - Chapter 11

    Words: 1122

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page : 11





    पूजा रूम में आयी तो उसने देखा कि नरेन अभी भी औंधे मुंह बेड पर लेटा हुआ सो रहा था।
    वो धीरे से चलकर विंडो के पास आयी और विंडो के परदे हटा दिये।
        जब नरेन के चहरे पर रोशनी पड़ी तो उसने वही रखा एक तकिया उठाया और अपने चेहरे के आगे कर दिया ताकि रोशनी उसके चेहरे पर ना आये।




    नरेन की हरकत पर वो मुस्कुराई और चलकर बेड के पास आ कर वही बेड पर बैठ गयी और धीरे से नरेन के हाथ से उसका तकिये लिया और खुद उसके करीब होकर बैठ गयी। नरेन नींद में ही कुनमुनाया और खुद के ऊपर चादर डाल ली,,,,ताकि वो और सो सके।




    " नरेन बाबू,,,नरेन बाबू उठ जाइये,,,"
    पूजा ने उसकी चादर भी उसके ऊपर से हटा दी।




    नरेन के कानों में जब पूजा की प्यारी सी आवाज पड़ी तो उसने धीरे से अपनी आँखें खोली सामने पूजा का खिला हुआ चहरा देखकर ना जाने क्यों पर उसे अंदर एक अलग सा सुकून मिला।



    वो धीरे से उठकर बैठ गया और अपने बालों में हाथ फेरा।
    " कितना टाइम हुआ है .. ? "




    " जी सात बज चूके है "




    " ओह! ( पूजा की तरफ देखकर ) क्या तुम ठीक हो,,,? "




    " कुछ भी तो नही हुआ..मै तो ठीक हूं!,,,पर आपने क्यो पूछा.. ? 🤔"




    " वो,,,वो सॉरी "
    नरेन पूजा के हाथ पर धीरे से अपना हाथ रख कर बोला। तो पूजा ने सावलिये नज़रो से उसकी तरफ देखा और  बोली ," पर किस लिये नरेन बाबू .. ?




    " कल रात,,,वो कल रात बिना तुमसे पूछे तुमपर हक जताया,,,"




    " आपका हक है मुझपर नरेन बाबू,,,और ( थोड़ी शर्माकर ) कल रात मेरी मर्ज़ी भी थी,,"
    नरेन साफ देख सकता था ये बोलते हुये पूजा का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। जिसे देखकर वो भी मुस्कुरा दिया और अपनी मुस्कुराहट छुपकर बोला ," अच्छा एक काम करो,,,मेरे लिए कपड़े निकल दो,,,तब तक मै शॉवर लेकर आता हूं,,,"




    " जी "
    पूजा उठी और वॉडरोब की तरफ बढ़ गयी और नरेन बाथरूम में चला गया।।




    कुछ टाइम बाद जब वो बहार आया तो पूजा ने उसके कपड़े निकाल दिए थे और वो वही बेड पर बैठी हुयी अपनी कुछ साड़ियों की तह जमा रही थी।
    नरेन चुप चाप से तैयार होने लगा। की तभी उनके रूम के डोर को किसी ने खटखटाया।



    " कम इन! "
    नरेन अपने बाल बनाते हुये बोला।



    तो दरवाजा खोलकर मयंक अंदर आया। उसके हाथ मे कुछ पेपर्स थे और चहरे पर कंफ्यूज़न दिख रही थी।




    " गुड मॉर्निंग भाई "





    " गुड मॉर्निंग!,,,क्या हुआ ..? "




    " वो भाई,,,कॉलेज वालो ने ना एक प्रोजेक्ट दिया है,,,ये स्टडी तो आपने भी की है,,,तो क्या आप बनावा दोगे मेरे प्रोजेक्ट .. ?"
    मयक नरेन के पास आ कर बोला।




    " सॉरी! बट मेरे पास टाइम नही नही है,,,तो इसलिए ये तुम्हे खुद से करना होगा ..! "




    " पर भाई!,,,आप जानते है ना कि ये प्रोजेक्ट कितना मुश्किल है तो मै अकेला नही कर सकता हूं,,,प्लीज ना हेल्प करवा दो ना ..? प्लीज भाई।,,,"
    मयांक बहुत रिक्वेस्ट करता हुआ बोला। पर नरेन का जवाब ना में ही था क्योकि सच्च में उसके पास टाइम नही था। तभी उसकी नज़र पूजा पर गयी जो कि उनदोनो को ही देख रही थी।



    नरेन पूजा की तरफ देखकर बोला ," पूजा!




    " जी कहिये क्या हुआ .. ? "




    " तुम मयक का प्रोजेक्ट बनवा दो,,औऱ वैसे भी तुम पूरा दिन तो खाली ही रहती हो,,,और बोर होती हो,,,इससे तुम्हारा अच्छा टाइम पास भी हो जायेगा,,ठीक है ना ""




    " जी ठीक है,,,,मै करवा दूँगी,,,,( मयंक की तरफ देखकर मुस्कुराई और बोली ) दिखाओ तो ज़रा कोन कोन से टॉपिक्स है ..? "



    " थैंक यू सो मच भाभी,,,( पेपर्स उसकी तरफ पास करके ) ये है टॉपिक्स,,,और इनमें से कोई दो पर बनाना है,,,"



    " हो जावेगा,,था फिक्र कोणो करो,,,( ये बोलकर वो धीरे से हँस दी )"




    " अच्छा ये सब बाद में करना,,,पहले मेरा नाश्ता लगवा दो,,,मुझे ऑफिस जाना है,,,"
    खुद को इग्नोर होता देख नरेन मुँह बनाकर बोला।




    " अरे भाई,,,नीचे माँ है ना वो ही तो लगाती है हर रोज नाश्ता,,,तो आप आज भाभी से क्यो कह रहे है ..? "
    मयंक बिना नरेन का इंटेंशन जाने बस बेपरवाही से बोला और बेड पर धम से गिर पड़ा,,,🤭अब वो क्या ही जाने की उसके बड़े भाई के मन मे क्या चल रहा था,,,वो तो बस तलवार लेकर बीच मे कूद पड़ा था दोनो के 😅। नरेन ने पूजा को देखा और उसी समय पूजा ने नरेन को देखा दोनो की नज़रे कुछ सेकण्ड्स के लिए आपस मे टकराई। पूजा ने शर्माकर अपनी पलके झुका ली।




    नरेन का मूड थोड़ा खराब हो गया,,वो अपना फोन उठाकर वहाँ से निकल गया। उसके जाने के बाद पूजा भी जल्दी से बेड से उठी और मयंक की तरफ देखकर बोली ," अच्छा तुम एक काम करो सारा मैटेरियल रूम में लेकर आओ,,,तब तक मै आती हूं,,,।"




    " आप जा कहा रही है .. ? "




    " बस यही हूं,,,अभी आती हूं।,,,"
    ये बोलकर वो जल्दी से रूम से बहार निकल गयी। मयंक ने अपने कंधे उचकाये और उठकर अपने रूम में चला गया।




    " नरेन बाबू रुकिये तो ज़रा,,"
    पूजा लगभग भागती हुयी अपने से आगे चल रहे नरेन से बोली।
    पूजा की आवाज जब उसके कानो में पड़ी तो उसके कदम अपनी जगह पर ही ठिठक गये। पर वो पीछे नही मुड़ा।



    पूजा उसके पास आ कर रुकी और धीरे से उसका हाथ पकड़कर बोली ," चलिये मै आपका नाश्ता लगा देती हूं।,,,मयंक छोटा है अभी इसलिए उसे ज्यादा कुछ पता नही है,,,।"




    " जानता हूं! "
    नरेन ने बस दो शब्द बोला और चुप हो गया पर उसका पूरा ध्यान अपने हाथ पर था जो अभी अभी पूजा ने पकड़ा हुआ था। वो बहार से दिखा नही रहा था पर उसे बहुत अच्छा लगा रहा था कि पूजा ने उसका हाथ पकड़ा हुआ है। 😅




    " आप नाराज तो नही है ना .. ? "




    " नही तो,,,नाराज किस लिए होऊंगा .. ? "




    " नही,,नही,,कुछ नही मै तो बस यूँही पूछ रही हूं,,,अच्छा आप आइये मै आपका नाश्ता लगाती हूं। "
    ये बोलकर पूजा मुस्कुराई और नरेन का हाथ छोड़कर खुद आगे बढ़ गयी।
    खुद नरेन भी उसके पीछे पीछे नीचे आ गया। सभी नाश्ता कर रहे थे,,,तो नरेन भी आ कर अपनी चेयर पर बैठ गया। पूजा ने उसे नाश्ता सर्व किया।
    नरेन ने उसे बैठने का कहा पर उसने मना कर दिया,,फिर उसने भी ज्यादा ज़िद नही की और चुप चाप अपना नाश्ता करने लगा। की तभी
    सुप्रिया जी सबकी तरफ देखकर बोली ," आज पूजा के मामाजी आयेगे,,,उसे पग फेरे के लिए ले जाने।,,"




    बाकी सब को कुछ भी दिलचस्पी नही थी। पर नरेन के हाथ बीच मे ही रुक गये थे।






    जारी है

  • 12. पिया अलबेला ! - Chapter 12

    Words: 856

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page : 12




    सुप्रिया जी सबकी तरफ देखकर बोली ," आज पूजा के मामाजी आयेगे,,,उसे पग फेरे के लिए ले जाने।,,"




    बाकी सब को कुछ भी दिलचस्पी नही थी। पर नरेन के हाथ बीच मे ही रुक गये थे।
    उंसने बिना भाव के सुप्रिया जी की तरफ देखा तो वो आगे बोली," कल रात ही उनका फोन आया था,,,अभी पूजा की ये वाली रसम रहती है तो वो आज पूरी करने आ रहे है,,वो पूजा को लेकर जायेगे और ( नरेन की तरफ देखकर ) तुम पूजा को कल वापस ले आना,,,"




    " मै कुछ दिन बहुत बिजी हूं तो,,,मै तो नही जा सकता हूं,,," नरेन वापस से अपना नाश्ता करने लगा। नरेन का जवाब सुनकर पूजा का चेहरा मुरझा गया पर फिर भी उंसने किसी को दिखाया नही की उसे बुरा लगा। इसलिए वो अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए खड़ी रही।




    " अच्छा ठीक है कोई बात नही,,,मै कल मयंक को भेज दूँगी,,ड्राइवर के साथ,,,"
    सुप्रिया जी कुछ सोचकर बोली।



    हरीश जी अपनी जगह से उठे और अपने छोटे भाई की तरफ देखकर बोले," चले ऑफिस..? "



    " जी भैया,,"



    दोनो ऑफिस के लिए निकल गये। नीलिमा जी और राहुल दोनो उठे और अपने अपने रूम्स में चले गये।



    सुप्रिया जी पूजा की तरफ देखकर बोली ," आओ बेटा तुम भी नाशता कर लो,,,"



    " आप भी आइये ना माँ साथ मे करते है,,,"
    पूजा मुस्कुरा के बोली और वही बैठ गयी। सुप्रिया जी भी उसके पास ही बैठ गयी और नाश्ता प्लेट में निकालने लगी।


    नरेन अभी भी अपना नाश्ता कर ही रहा था या फिर यू कहे कि नाश्ता करने का सिर्फ ड्रामा कर रहा था। अब तो उसकी भूख ही मर गयी थी 😂😅ये सुनकर की पूजा अपने मामाजी के घर जा रही है,,,।



    " आप कुछ और लेगे क्या नरेन बाबू ..? "



    " नही,,,मेरा हो गया है,,,मै ऑफिस जा रहा हूं,,"
    ये बोलकर उंसने टिशू पेपर से अपना मुँह साफ़ लिया और उठकर वहाँ से बाहर की तरफ चला गया।



    " अब इन्हें क्या हुआ ..? "
    नरेन के यू जाने से पूजा अपने मन मे बोली।




    " बेटा करो नाश्ता,,,"
    सुप्रिया जी पूजा के लिए जूस का गिलास भरती हुयी बोली।



    " जी माँ कर रही हूं!,,,"
    फिर दोनो नाश्ता करने लगी।



    पूजा जब अपने रूम में आयी तो वहाँ मयंक बैठा हुआ था और शायद! उसी का वेट कर रहा था।
    पूजा भी उसके प्रोजेक्ट का काम करवाने लगी।



    दोपहर तक पूजा के मामाजी उसे पग फेरे के लिए लेने आ गये थे। पूजा ने भी अपना सामान पैक किया और अपने मामाजी के साथ उनके घर के लिए निकल गयी।


    _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _



    वही दूसरी तरफ



    पूजा की मामीजी हल्के गुस्से में हॉल में रखे सोफे पर बैठी थी और बार बार दरवाजे की तरफ देख रही थी।
    उनके पास ही उनका एकलौता बेटा कुणाल बैठा हुआ था जिसके चहरे पर हल्की झुंझलाहट दिखाई दे रही थी।




    " अरे माँ क्या हुआ है ..? आप यू क्यो बैठी है ..? पूजा दी आने वाली होगी,,,जाइये ना उनके लिए खाना बनाइये,,,"
    कुणाल वहाँ से उठता हुआ बोला।



    " पूजा आने वाली है तो क्या हुआ ..?कही की महारानी तो नही है,,? या फिर महारानी विक्टोरिया है वो जो इसके स्वागत में मुझे फूल बिछाने चाहिए ..? फूलों की माला लेकर दरवाजे पर खड़ा होना चाहिए ..?,,,मै तो कह रही थी इन्हें की क्या ही ज़रूरत है पग फेरो के लिए लाने की,,,बिना बात ही इतना खर्चा करवायेंगे,,,?,,"
    पूजा की मामीजी अपनी नाक सिकोड़ती हुयी बोली।




    " माँ ये आप क्या बात कह रही है,,,? अरे खर्चा किस बात का वो तो हमारी बड़ी दी है और इस घर की बेटी है,,,तो आप ऐसी बाते मत किया कीजिये उनके बारे में,,,?"
    कुणाल नाराजगी से बोला। तो पूजा की मामीजी बोली ," बेटी नही है वो,,,बोझ है वो,,,जिसका भार आज तक हम उठा रहे है और ना जाने कब तक उठाना पड़ेगा,,,? अरे मै तो कहती हूं कि अब उसकी शादी हो चुकी है,,,छोड़ दो उसके हाल पर उसे,,,पर नही,,,अब कौन ही सुनता है मेरी,,,हर वक़्त तो उसकी ही चलती रहती है,,,!"




    " माँ बस कीजिये ना,,,"



    " तो तुम दोनो भी बस करो,,,उस पूजा की वकालत करनी वो भी मेरे सामने ,,,"



    कुणाल आगे बोलता उससे पहले ही बाहर से गाड़ी की आवाज आयी,,,
    वो खुश होकर बोला ," लगता है पापा आ गये है और पूजा दी भी,,,"


    ये बोलकर वो बहार की तरफ भागा,। पूजा की मामीजी का मुँह बन गया,,,वो अपने सिर पर एक दुपट्टा बांधकर बैठ गयी। और सिर दर्द की एक्टिंग करने लगी।



    पूजा अपना बैग लेकर मेन गेट पर आयी और सामने से कुणाल को आता देखकर वो मुस्कुरा दी। कुणाल पूजा के पास आ कर उसके गले से लग गया और फिर उससे अलग होता हुआ बोला ," आई मिस यु दी,,,।




    " आई मिस यु टू,,,"



    " पापा कहा रह गये ..? "



    " गाड़ी वाले का हिसाब किताब करने गये है आते ही होंगे,,,"



    " अच्छा ठीक है ये बैग मुझे दो और चलो अंदर चलते है बाकी बात अंदर चलकर करते है,,,पापा आ जायेंगे..."



    " ठीक है चल,,"
    दोनो अंदर की तरफ बढ़ गये।



    जारी है

  • 13. पिया अलबेला ! - Chapter 13

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    " हे ठाकुर सा,,,हाय मेरा सिर,,,दर्द से फटा जा रहा है,,,"
    कुसुम जी यानी पूजा की मामीजी पूजा को अंदर आते देखकर अपने सिर दर्द का नाटक करने लगी थी। मानो उनके सिर में वाक़ई बहुत दर्द हो रहा है।
    पर ऐसा था नही। 😑




    पूजा जिसने अभी अभी घर मे कदम ही रखा था कुसुम जी को दर्द में करहाते हुये उसे सुन गयी। उंसने अपना बैग जो कि उसने हाथ मे पकड़ा हुआ था वो कुणाल को पकड़ा दिया और अपनी मामीजी की फिक्र में वो उनके पास आयी और परेशान सी होकर बोली ," मामीजी क्या हुआ आपको,,,आप ठीक तो है ना,,,"





    " दिखाई नही दे रहा है क्या,,,सर में दर्द है,,,बहुत ज़्यादा।,,"कुसुम जी झल्लाकर बोली।




    " मामीजी मै आपके लिए चाय बनाकर लाती हूं,,,आप कमरे में जाकर आराम करिये।,,,"
    पूजा अपनी साड़ी का पल्लू कमर में घुसाकर बोली। और रसोई की तरफ बढ़ गयी।





    " वाह! माँ,,वाह क्या एक्टिंग की है आपने,,,अचानक से सिर दर्द अब तक तो एक दम भली चंगी थी आप,,,पूजा दी के भोलेपन का बहुत फायदा उठा रही है आप,,,"
    कुणाल अपनी माँ यानी कुसुम जी की तरफ देखकर नाराजगी से बोला और पूजा के बैग्स उसके कमरे में ले गया।




    " हुँह! आया बड़ा दी का चमचा,,,"
    ये बोलकर वो मुँह बनांकर अपने रूम में चली गयी।



    पूजा रसोई में आयी। पूरी रसोई फैली हुयी थी। बर्तनो का ढेर सिंक में लगा हुआ था धोने के लिए। हर चीज़ अयस्त व्यस्त पड़ी थी। कही पर चाय निकली हुयी है तो कही सब्जियों को छिलके पड़े है , कही आटा गिरा हुआ है।
    पूजा हैरानी से पूरी रसोई में देख रही थी। पर अगले ही क्षण वो काम मे लग चुकी थी। सबसे पहले उसने स्लैब को साफ दिया। और चाय का पतीला गैस पर चढ़ा दिया चाय बनाने के लिए फिर बाकी सब काम करने लगी।



    कुणाल के हाथों पूजा ने कुसुम जी के कमरे में ही चाय भिजवा दी थी। शाम का वक़्त देखकर वो रात के खाने की तैयारी करने लगी थी।





    " पूजा!,,,,"
    जैसे ही पूजा के कानों में ये जानी पहचानी आवाज पड़ी। एकाएक उसके मुंह से निकला ," शिखा!,,,"
    वो मुडी तो देखा रसोई के दरवाजे पर शिखा खड़ी है। उंसने अपना काम करना छोड़ा और उसके पास आ कर उसे गले लगा दिया। दोनो सहेलियां एक दूसरे के गले लगी खड़ी थी। फिर दोनो अलग हुयी तो शिखा अपनी कमर पर हाथ रखकर बोली ," ताऊ सा ने बताया के तू आयी है,,,तो आ गयी तुझसे मिलने,,,और तू है कि आते ही काम के लगी पड़ी है,,,ये क्या बात हुयी ?? और ये तेरी चुड़ैल मेरा मतलब है कि तेरी,,,मामीजी कहा है वो नही कर रही है क्या काम वाम,,,? "




    " मामीजी को सिर दर्द हो रहा है इसलिए वो आराम कर रही है अपने कमरे में,,,और वैसे भी अपने घर का ही तो काम है कौन सा मै छोटी हो जाऊँगी अगर करुँगी तो,,,"
    पूजा वापस से काम करती हुयी बोली।





    " रे म्हारी पूजा तू नीरि भोली स,,,तू कोणा समंझ पावे उस  चालक लोमड़ी को,,,तुझस काम करवाण का तरीका स यो सब,,कितौ सिर दर्द कोणो,,,"
    शिखा पूजा के पास आ कर फुसफुसाती हुयी बोली। ताकि सिर्फ पूजा ही सुन सके।




    " तू कुछ भी मत बोल,,,और चल हाथ बटवा मेरा काम मे,,,"
    पूजा शिखा की सारी बात को नजरअंदाज कर उसके साथ मे चावल से भरी थाली हाथों में थमाती हुयी बोली।




    शिखा वही रखी एक पटड़ी में बैठ चुकी थी और उन चावलों को साफ करने लगी थी जो अभी अभी पूजा ने दिये थे।





    " अच्छा ये सब छोड़ और मुझे अपने ससुराल के बारे में बता ?,,,"
    शिखा उत्सुकता से बोली। पूजा जो कि सब्जी काट रही थी वो उन्हें काटती हुयी ही मुस्कुरा के बोली ," हम्म सब बढ़िया है,,,तुझे पता है वो घर नही है,,सपनो में महल की तरह है,,,और उतना ही सुंदर भी ,,, और सब बहुत प्यारे है वहाँ पर,,,माँ , पापा , चाची , चाचा , मयक , और ये भी।




    " ये भी बोले तो ..? ये,,,ये का कुछ नाम भी होगा,,?"
    शिखा पूजा को छेड़ती हुयी अंजान बनकर उससे पूछती हुयी बोली।




    " नरेन बाबू की बात कर रही हूं मै!,,,"
    हल्की शर्माई सी पूजा बोली। तो शिखा अपनी जगह से उठी और पूजा के पास खड़ी होकर अपने कंधे को हल्का सा उसके कंधे पर मारती हुयी बोली ," आयै हायै,,देख तो कैसे लाल हो रही है,,नरेन बाबू के नाम से,,,"




    " धत पगली,,,,चल अब काम करने दे मुझे,,,"




    " औये,,,ये काम तो होता रहेगा पहले तू मुझे अपने नरेन बाबू के बारे में बता ?,,,"
    पूजा के हाथ से चाकू लेकर उसे वही रखकर शिखा उसे बहार हॉल में ले आयी। दोनो सहेलियां वही सोफे पर बैठ गयी।




    " क्या बताऊ उनके बारे में तुझे ?,,,"
    पूजा मासूमियत से बोली। तो शिखा बोली ," अच्छा चल तू मुझे अपनी शादी की फर्स्ट नाईट के बारे में बता।,,उस टाइम भी तू ऐसे ही शर्मा रही थी क्या ?? जैसे अब शर्मा रही है,,,हॉ,,हॉ,,बोल ना?"




    " चल बेशर्म कही की,,,"
    पूजा उसे आँखे दिखाती हुयी बोली। तो शिखा उसे उंगली दिखाते हुये बोली ," ऐ,,,अब ज्यादा बन मत और सब बता मुझे,,,मै भी तो बचपन से लेकर अब तक तुझसे सारी बात शेयर हूं ना तो अब तू भी मुझे बता,,,चल,,,और वैसे भी हम दोनो तो लड़की ही है तू बता सकती है।"




    " अब ये कौन सी बात हुयी,,,ये भी कोई बताने की बात होती है क्या भला,,,"
    पूजा शर्मा कर अपनी नज़रे नीची करके बोली।





    " हाऊ स्वीट ऑफ यु,,,यार तू कित्ती प्यारी लग रही है जब ऐसे शर्मा रही है,,,"
    शिखा शरारत से बोली तो पूजा उसकी तरफ देखकर बोली ," जैसा तू सोच रही है वैसा कुछ हुआ ही नही था,,,असल मे हुआ यू की मै कमरे में बैठी नरेन बाबू का इंतजार करते करते ही सो चुकी थी।,,,और वो कब आये मुझे ये भी पता नही था,,,जब मेरी सुबह आँख खुली तो देखा कि नरेन बाबू मेरे पास ही सो रहे है बस यही हुआ था,,,"




    " ओ कुंभकर्ण की सातवीं औलाद,,,शादी के बाद यही तो एक रात होंती है जिसे सो कर नही बल्कि जग कर बिताते है पर नही,,,तूझे तो सोना था,,,"
    शिखा चिड़ कर बोली तो पूजा ने अपना मुँह बना लिया।





    " अच्छा उस रात के बारे में छोड़ और बाकी रातों के बारे में बता,,,😏😉 और अब ये तो कहना ही नही की कुछ हुआ नही,,,तुम इत्ती ब्यूटीफुल है कि कोई तुमसे प्रभावित होये बिना रह ही नही सकता है,,,मै तो खुद एक लड़की हूं जब मै हो सकती हूँ ( पूजा के लाल हुये गालो को छू कर )और फिर वो तो एक लड़का है,,,हो ही नही सकता कि वो तुम्हारे करीब ना आया हो,,,"
    शिखा शरारत से उसे छेड़ती हुयी बोली और फिर ठहाके लगाकर हँस दी।




    " वही हुआ जो हर एक पति पत्नी के बीच होता है ( अपनी जगह से उठी और रसोई की तरफ बढ़ गयी )और अब ये उटपटांग सवाल किए तो यहा से भगा दूँगी,,,"
    ये बोलकर वो वापस से रसोई में चली गयी थी। शिखा भी उठी और पूजा के पीछे पीछे रसोई मे आ गयी थी।
    और एक बार फिर से नासमझ बनकर बोली ," अब मुझे क्या पता कि पति पत्नी के बीच होता क्या है ..? अब मेरी कौन सा शादी हुयी है,,,इसलिए तुझे तो मुझे बताना ही पड़ेगा ना,😛।





    पूजा ने वही रखा बेलन हाथ मे लिया और शिखा की तरफ बढ़ती हुयी बोली ," रुक तू,,,तुझे अच्छे से बताती हूं कि होता क्या है,,,रुक,,,।
    पर शिखा तो पूजा से बचने के चक्कर मे वहा से रफूचक्कर हो चुकी थी।




    " कित्ती पागल है यो,,"
    ये बोलकर एक बार फिर से वो अपने काम मे लग चुकी थी।







    जारी है

  • 14. पिया अलबेला ! - Chapter 14

    Words: 979

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page : 14




    रात का खाना खाने के बाद पूजा अपने कमरे में आ कर अपने बेड पर लेटी हुयी थी और सोने की कोशिश कर रही थी पर उसे नींद आ नही रही थी। वो बार बार करवट बदल रही थी।
    " यार ये नींद को क्या हुआ नींद ही नही आ रही है ..?पर क्यु ..? " पूजा थक हार कर उठकर बैठ गयी थी। उसने अपना फोन उठाया और और उसपर अपनी उंगलियां चलाने लगी।




    " रात के 11 बज चुके है,,,नरेन बाबू सो गये होंगे क्या ..? ",,,पूजा सोचती हुयी बोली।




    " शायद! सो चुके होंगे ..?,,,🤔 फोन करू क्या,,,अगर सो गये होंगे तो बेवजह परेशान होंगे,,,एक काम करती हूं मैसेज भेजती हूं!,,," पूजा नरेन को मैसेज टाईप करती हुयी बोली। पर तुरंत ही उंसने उस मैसेज को रिमूव कर दिया , वो यही सोच रही थी कि भेजे या नही ..? उंसने काफी बार मैसेज टाईप किया और हर बार रिमूव कर किया। कि तभी उसके फोन पर सामने से ही नरेन का मैसेज आया , नरेन का मेसेज देखकर पूजा का फोन उसके हाथ से ही छूट गया वो तो शुक्र था की वो बेड पर थी। वरना अब तक फोन टुकड़ो में बट चुका होता। उंसने जल्दी से फोन को उठाया और नरेन का मैसेज पढ़ा। जिसमें लिखा था
    " ऐसा क्या टाईप कर रही हो..? जो इतना टाइम लग रहा है या फिर टाइपिंग आती ही नही है ..? 🤔"



    नरेन का मैसेज पढ़कर पूजा का मुँह बन गया। फिर उसने टाईप किया और फिर सेंड कर दिया ,," ऐसा तो कुछ नही है! मुझे टाइपिंग आती है,,,वो मुझे लगा कि शायद! आप सो चुके है,,,"



    नरेन जो कि खुद भी बेड पर लेटा हुआ था। वो फोन में पूजा की डीपी देख ही रहा था कि उसे पूजा ऑनलाइन देखी और वो बहुत देर से कुछ टाईप कर रही थी। आखिर नरेन से रहा नही गया तो उसने खुद ही सामने से मैसेज भेज दिया।



    " सोया नही हूं,,,जग रहा हूँ!,,वहाँ सब कैसे है ..? "
    नरेन ने मैसेज भेजा जिसके जवाब में पूजा ने लिखा ,",,,,, सब ठीक है यहाँ तो,,आपने खाना खा लिया ..? "




    " ह्म्म! और तुमने ..? "




    " हॉ मैने भी,,,"




    " तो अब तक सोयी क्यो नही ..? "





    " नींद नही आ रही है। "




    " क्यु नही आ रही है,,,यहाँ तुम इस वक़्त तक तो सो ही जाती हो ..? तो आज क्या हुआ ..? "
    नरेन का ये मैसेज पढ़कर पूजा खुद सोचने लगी



    पूजा का मैसेज नही आया तो नरेन ने कॉल ही कर दी। पूजा का ध्यान टूटा उंसने कॉल रिसीव की तो सामने से नरेन की भारी सी आवाज उसके कानों में पड़ी जो कह रहा था। "कुछ हुआ है..? "




    " न...नही,,,नही तो,,कुछ भी तो नही हुआ है बस ऐसे ही नही आ रही है नींद .."
    पूजा बोली।




    " नींद तो मुझे भी नही आ रही है। आज तुम नही हो ना यहाँ शायद इसलिए। "
    नरेन इस बार थोड़ा सॉफ्ट आवाज में बोला। पूजा का दिल अचानक से तेज धड़कने लगा।




    " तो आप मुझे कल लेने आओगे ..? "




    " बिजी हूं तो टाइम नही है मेरे पास,,,शायद मयंक ही आये। "




    " अगर आपके पास टाइम हो तो देख लेना,,,नही तो फिर मयंक ही आ जायेगा ड्राइवर के साथ "




    " हम्म देखाता हूं,,,बाकी पक्का नही कह सकता। "




    " ठीक है,,,अगर आप आयेंगे तो मामाजी और मामीजी को अच्छा लगेगा। "



    " और तुम्हे ..? तुम्हे भी अच्छा लगेगा ..?"




    " हॉ मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा। "




    " गुड! मुझे मिस कर रही हो .? "
    नरेन सीलिंग की तरफ देखकर मुस्कुरा के बोला।



    " हम्म! "




    " और क्यो मुझे मिस कर रही हो ..? "




    " पता नही,,पर आपके बिना नींद नही आ रही है मुझे,,,"




    " कितना मिस कर रही हो ..? "




    " बहुत ज़्यादा और आप , क्या आपको भी मेरी याद आ रही है ..? "




    " हम्म! थोड़ी-थोड़ी "



    " पर मुझे ज्यादा आ रही है। "
    पूजा वापस से बेड पर लेटती हुयी अपनी आँखें बंद करके बोली। तो नरेन को हँसी आ गयी।




    " आप हँस क्यों रहे है ..? मै मज़ाक नही कर रही हूं नरेन बाबू,,,और आपको मेरी बातें मज़ाक लग रही है। "




    " अरे मै इसलिए नही हँसा "




    " तो फिर किस लिए हँसे ..? "




    " बस कुछ याद आ गया। " नरेन बात को टालते हुये बोला।



    " क्या याद आ गया आपको ..? मुझे भी बताइये ना "




    " यही की कल रात हम कितने करीब थे और आज देखो कितने दूर है। "




    कल रात का ज़िक्र आते ही पूजा का चेहरा लाल हो गया। उंसने धीरे से अपने होंटो पर उंगली रखी। कल रात ही तो पहले बार नरेन के लबो ने उसके लबो को छुआ था। कल रात ही तो वो दोनो एक हुये थे। उस एहसास को याद करके उसके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी।



    " अ. आप इतने बोलते भी है,,,मुझे तो आज पता चला।,," पूजा बातो को बदलते हुये बोली क्योकि उसे बहुत शर्म आ रही थी।




    " हम्म! डिपेंड करता है कि सामने कौन है ..? उसके अकॉर्डिंग मेरा बिहेवियर होता है। "




    " अच्छा अब सो जाना चाहिए मुझे नींद आ रही है। गुड नाईट। "



    " अ. गुड नाईट "


    पूजा ने फोन रख दिया और अपने दिल पर हाथ रखकर बोली ," अगर अब कोई मेरी हार्ट बीट नापे तो पक्का मशीन ही टूट जायेगी। 😅,, नरेन बाबू भी मेरे साथ खुलने लगें है,,,हम यूही बात करेगे खुल कर तभी तो एक दूसरे को जानेंगे,,,और वो धीरे धीरे हो रहा है,,,"



    वही दूसरी तरफ नरेन अपने फ़ोन को घूर रहा था। क्योकि नरेन को और बात करनी थी पूजा से पर पूजा ने तो गुड नाईट बोलकर फोन ही रख दिया था। नरेन ने फोन को धम से बेड पर रखा और खुद के ऊपर कंबल डालकर सो गया।






    जारी है

  • 15. पिया अलबेला ! - Chapter 15

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page : 15



    सुबह का वक़्त
    व्यास विला


    सभी नाश्ता कर रहे थे। सुप्रिया जी नरेन की तरफ देखकर बोली ," नरेन!



    " हॉ माँ "



    " पूजा को लाने के लिये मै मयंक को भेज दु या फिर तुम जाओगे ..? "




    नरेन कुछ बोला पता उससे पहले ही हरीश जी बोल पड़े ," नरेन नही जायेगा क्योकि ऑफिस में बहुत काम है।



    हरीश जी की बात सुनकर सब चुप चाप अपना नाश्ता करने लगे। और सुप्रिया जी भी चुप हो गयी। तभी राहुल जूस का गिलास उठाकर उसकी एक घुट पीता हुआ बोला ," आज ऑफिस में मुझे ज्यादा काम नही है अगर आप बोलो तो मै ले आओ भाभी को ..?




    राहुल की बात सुनकर हरीश जी और नीलिमा जी उसे घुरके देखने लगे। नरेन ने अपने हाथों की मुट्ठी बना ली थी राहुल की बात सुनकर।



    " हॉ ये भी सही रहेगा राहुल बेटा! फिर तुम एक काम करो,,,मयंक और तुम चले जाओ,,,इसी बहाने तुम्हारा घूमना फिरना भी हो जायेगा।,,," सुप्रिया जी मुस्कुरा के बोली।




    " ठीक है फिर ताईजी मै और मयंक ही चले जायेंगे।,,," राहुल अपना नाश्ता करके अपनी जगह से उठता हुआ बोला। और अपने रूम की तरफ बढ़ गया।




    " ये लड़का इतना उतावला क्यू हुआ जा रहा है,,कुछ समझ नही आ रहा है,,क्या चल रहा है इसके दिमाग मे,,,," नीलिमा जी राहुल को जाते देखकर मन मे बोली।



    नरेन भी उठा और अपने रूम में आ गया। उसके दिमाग मे पूजा की कल रात वाली बात चल रही थी। उंसने उससे कहा था कि " अगर आप आयेंगे तो मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा। " और उसका भी मन था पर अब जा ही नही रहा था। उंसने अपना कोट उठाया और बुझे मन से ऑफिस के लिए निकल गया।



    दोपहर के वक़्त मयंक और राहुल पूजा को लेने चले गये थे।




    वही दूसरी तरफ


    पूजा के मामाजी पूजा के कमरे में आये उनके हाथ मे कुछ बैग्स थे।



    " अरे मामाजी आप क्या हुआ ..?" पूजा जो कि अपना बैग पैक कर रही थी वो मामाजी को देखकर बोली। तो मामाजी ने उसकी तरफ वो बैग्स बढ़ा दिया जो उन्होंने अपने हाथ मे पकड़े हुये थे। वो बोले ," पूजा बिटियां ये तुम्हारे ससुराल वालों के लिये कुछ उपहार है।




    " पर मामाजी इसकी क्या ज़रूरत थी ..?"





    " बिटिया ये रसम होती है,,,तो बस मै भी रसम निभा रहा हूं,,," मामाजी पूजा के सिर पर हाथ फेरते हुये बोला। तो पूजा ने मुस्कुरा के उनके हाथ से वो बैग्स ले लिए और उन्हें बेड पर रख दिया।




    मामाजी बोले ," दामाद जी ही आयेंगे क्या ..?"




    " बोल तो यही रहे थे कि बाकी अगर उन्हें काम हुआ तो शायद! वो ना आये,,,"




    " तो फिर कौन आयेगा तुम्हे लेने। "




    " मयंक आयेगा माँ बोल रही थी। "




    " सब ठीक तो है ना पूजा वहाँ ..? मेरा मतलब है कि सब तुम्हारे साथ अच्छे से तो व्यवहार करते है ना ..? "




    " हॉ मामाजी सब अच्छे से ट्रीट करते है मुझे,,और माँ तो सबसे अच्छे से करती है।,,,"




    " और दामाद जी ..?"




    " हॉ वो भी अच्छे से बात करते है। ,,,"




    " हमेशा खुश रहना मेरी बच्ची और अगर कोई दिक्कत या फिर परेशानी हो तो सीधा अपने मामाजी से कहना,,,कोई संकोच मत करना,,,शादी हो गयी तो क्या हुआ,,,तू हमेशा हमारे लिए बहुत अज़ीज ही रहेगी,,समंझ रही है ना मै क्या कह रहा हूं ."



    " अरे मामाजी आप मेरी फिक्र मत कीजिये अब क्योकि मै खुश हूं वहाँ,,," पूजा मुस्कुरा के बोली तो मामाजी भी वहाँ से चले गये।



    मामाजी के जाने के बाद पूजा ने अपना बैग पैक किया उसे लेकर नीचे आ गयी। शिखा जो कि अभी अभी वहाँ आयी थी वो पूजा के पास आकर थोडी उदास आवाज में बोली ," जा रही है ..?"




    " हम्म! "




    " ठीक है अपना ध्यान रखना और अगर कोई कुछ कहे वहाँ तुझे तो सीधा जवाब दे देना किसी से दबने या फिर डरने की ज़रूरत नही है , ठीक है। "



    शिखा की बात पर सुनकर पूजा बस मुस्कुरा दी थी पर जब कुसुम जी ने उसकी ये बात सुनी तो वो मुँह बिगाड़ कर बोली ," जवाब देने के बाद कोई उसे वहाँ नही टिकने देगा,,,सीधा यही भेज देगे,,,समंझी,,,और तुम पूजा तुम्हे वहाँ ऐसे रहना है जैसे तुम्हारे मुँह में ज़ुबान ही ना हो,,,उल्टा जवाब तो किसी को देना ही नही है,,,सबकी हॉ में हॉ ही रखनी है,,,ना का कोई सवाल ही नही है।,,,"





    " जी मामीजी जैसा आप कहे " पूजा सिर झुकाये बोली। पर कुसुम जी की बात शिखा को पसंद नही आयी। तो वो मुँह बनाकर बैठ गयी। फिर कुछ सोचकर बोली ," पूजा मुझे ना थारे को एक घणी चोखी खबर देनी है,,,"




    " क्या ..?"




    " मै इंटर्नशिप के लिए ऋषिकेश आ रही हूं,,,वो भी पूरे 6 महीनों के लिए। ,,," शिखा ख़ुशी से बोली। तो पूजा भी लगभग खुशी से उछली पड़ी थी।
    " क्या सच्च में मै ना बहुत खुश हूं तेरे लिए।,,,"




    " अब तो जब मन होगा तब आ जाऊँगी तुझसे मिलने मेरी जान,,," शिखा पूजा की बाहो में बाहे डालकर बोली। तो पूजा मुस्कुरा दी।




    तभी बहार से गाड़ी रुकने की आवाज आयी। शिखा बहार की तरफ देखकर बोली ," लगता है आ गये तुम्हारे पिया जी,,,चलो अब मै चलती हूं,,,आज थोड़ा काम है इसलिए जाना पड़ेगा,,,बाय।



    " बाय "



    शिखा वहाँ से चली गयी। और पूजा किचन में आ गयी। मयंक और राहुल अंदर आये। और सबको ग्रीड करके सोफे पर बैठ गये। कुणाल किचन में आ कर बोला ," दी,,,जीजा जी तो नही आये,,,राहुल जी और मयंक जी आये है।,,,"




    ये सुनकर की नरेन नही आया पूजा का खिला हुआ चहरा मुरझा गया। वो कुणाल के हाथों में पानी के गिलासों की ट्रे देकर बोली ," कोई बात नही,,,अब तुम जाओ और पानी देकर आओ,,,तब तक मै चाय बनाती हूं।,,"




    " ओके दी "
    ये बोलकर कुणाल पानी लेकर बाहर चला गया। और पूजा की आँखे नम हो गयी। पर उस नमी को उंसने जल्दी से साफ कर दिया था।
    " आपने बोला था कि आप आयेंगे,,,पर फिर भी नही आये,,,आपको बहुत मज़ा आता है ना मेरा दिल दुखाने में,,,क्यु करते है आप ऐसा ..?उम्मीद भी नही रखने देते है,,,और जो उम्मीद मै रखती हूं उनको तोड़ देते है आप...क्यों नरेन बाबू,,,"
    पूजा अपनी आँखें बंद किये खुद में ही बोली।






    जारी है

  • 16. पिया अलबेला ! - Chapter 16

    Words: 1339

    Estimated Reading Time: 9 min

    Page: 16



    रात का वक़्त!
    करीब 10 बजे।
    नरेन घर आया और सीधा ही अपने रूम में आ गया। उसने देखा कि रूम में बिल्कुल अंधेरा था। उंसने रूम की लाइट्स ऑन की सबसे पहले उसकी नज़र बेड पर गयी जो एक दम खाली थी। वो थोड़ा हैरान हुआ क्योकि यहाँ पूजा को होना चाहिए था , मयंक ने उसे फोन पर बताया था कि वो और राहुल पूजा को घर ले आये है , तो उसे लगा कि यहा पूजा होगी। पर यहाँ तो वो थी ही नही ..? आखिर इत्ती रात को वो गयी कहा ..?




    " पूजा,,,पूजा,,,पू......"
    वो कमरे में अपनी नज़र घुमाता हुआ पूजा को आवाज लगाने लगा पर सोफे की तरफ देखते ही उसके शब्द मानो गले मे ही अटक गये थे और आँखे अचानक से छोटी हो गयी थी।



    " ये यहां क्यों सो रही है ..? वो भी इतने बड़े बेड को छोड़कर ..?" नरेन सोफे पर सो रही पूजा की तरफ देखकर अपने मन मे सोचने लगा।


    वो धीरे से उसके पास आया और उसे अपनी गोद मे उठाकर उसे बेड पर सुला दिया। और खुद कपड़े चेंज करने बाथरूम में चला गया। नरेन के जाने के बाद पूजा ने अपनी आँखें खोली। इसका मतलब था कि वो सो नही रही थी बल्कि सोने का सिर्फ एक नाटक कर रही थी , नरेन उसे लेने उसके मामाजी जी के घर नही आया था और यही बात उसके दिल को बहुत हर्ट कर गयी थी , उसका मन कर रहा था कि वो बहुत रोये। और नरेन से शिकायत करे कि आखिर वो आया क्यों नही ..? पर वो ऐसा कर भी तो नही सकती थी क्योकि नरेन ने तो उससे कहा था कि वो शायद! ही आ पायेगा उंसने तो उसको कोई झूठी उम्मीद नही दी थी पर पूजा!,,, पूजा ने तो लगाई थी उससे उम्मीद। और वही टूट गयी थी।




    एक बार फिर से उसकी आँखें पनीली हो गयी थी। ये सब सोचकर ही , उसका दिल एक बार फिर से भर आया था। तभी उसके कानों में बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज पड़ी। उंसने झट से अपनी आँखे बंद कर ली और एक बार फिर से सोने का नाटक करने लगी।




    खाना तो उसने बहार ही खा लिया था इसलिए वो भी लाइट्स बंद करके लेट गया बेड पर। थके होने की वजह से वो जल्दी ही सो गया पर पूजा अभी भी जग रही थी हा बस आँखे बंद करके लेटी हुयी थी। जब उसे नरेन की गहरी हुयी सासों की हल्की आवाज सुनी तो वो समंझ चुकी थी कि वो सो चुका है। वो धीरे से नरेन की तरफ मुडी और नरेन को देखने लगी।




    " ये तनहाई पहले भी थी मेरी इस ज़िंदगी मे नरेन बाबू! , आपके आने के बाद लगा जैसे अब मै खुल कर अपनी बात , अपनी पसंद नापसंद , अपनी शिकायते , अपना गुस्सा , अपनी खुशी आपके सामने ज़ाहिर कर सकूँगी , पर आपको तो शायद! मुझसे कोई मतलब ही नही है।  चाची एक दम ठीक कह रही थी दादाजी के दबाव में आ कर ही आपने ये शादी की है। , अगर मुझे ये बात पहले पता होती तो मै खुद मना कर देती इस शादी को। ,पर अब और आज से ही मै आपसे कोई उम्मीद ही नही रखूंगी। मै आप पर बोझ नही बनना चाहती थी पर शायद! बन गयी हूं! ,,," पूजा अपने मन ही मन मे बोली। और अपनी भीगी हुयी पलको को धीरे से बंद कर लिया।




    सुबह का वक़्त!
    आज संडे था इसलिए नीलिमा जी , विनीत जी और राहुल  सुबह ही बाहर चले गये थे। अपना संडे एन्जॉय करने। सुबह के ब्रेकफास्ट के बाद सब अपने अपने कामो में बिजी हो गये थे।
    सुप्रिया जी और पूजा किचन का बाकी काम कर रही थी। नरेन अपने रूम में था और ऑफिस का ही कुछ काम कर रहा था। हरीश जी को आज की फ्लाइट से पेरिस जाना था एक बिजनेस टूर पर कुछ दिनों के लिए इसलिए वो बस उसकी ही तैयारी कर रहे थे। मयंक अपने कॉलेज से मिला हुआ प्रोजेक्ट बना रहा था।



    कुछ टाइम बाद किचन में एक सर्वेंट आया और बोला ," बडी मालकिन नरेन बाबा ने कमरे में कॉफी मंगवाई है..!



    " ठीक है। मै भिजवा देती हूं!,,," सुप्रिया जी मुस्कुरा के बोली और फिर वही काम कर रही पूजा की तरफ देखकर बोली ," पूजा! तुम नरेन के लिए कॉफी बना दो और कमरे में ही दे आना! वो क्या है ना कि आज नरेन के पापा बिजनेस टूर पर जा रहे है तो मै सोच रही हूं कि उनकी एक बार पैकिंग देख लू की कही कुछ छूट तो नही गया है। बाकी काम तो हो ही गया है फिर तुम भी कमरे में जाकर आराम कर लेना।,,,"




    " जी माँ आप जाइये , मै देख लेती हूं। ," पूजा ज़बरदस्ती मुस्कुरा के बोली। सुप्रिया जी वहाँ से चली गयी।उनके जाने के बाद पूजा ने गैस पर नरेन के लिए कॉफी बननी रखी। कुछ देर बाद जब कॉफी बन गयी तो उसने एक सर्वेंट के हाथों वो कॉफी रूम में पहुचा दी और खुद मयंक के रूम में चली गयी। उसके प्रोजेक्ट्स बनवाने।




    कॉफी का मग हाथ मे पकड़े हुये नरेन का मूड थोड़ा खराब लग रहा था क्योकि वो सुबह से ही देख रहा था कि पूजा उसे इग्नोर कर रही है। पर किस लिए ..? आखिर उंसने किया क्या था ..? और इस के चलते नरेन ने कॉफी मंगवाई थी ताकि पूजा वो कॉफी लेकर आये। पर यहाँ तो वो खुद ना आकर सर्वेंट के हाथों वो कॉफी भिजवा दी थी उसके लिए।। आज सुबह से ही वो थोड़ा अजीब सा बर्ताव कर रही है। ना उसकी तरफ देख रही ..? ना उसके सामने आ रही ..? और ना उससे बात कर रही है ..?यही जानना चाह रहा था इस वक़्त नरेन पूजा से पर पूजा तो आई ही नही थी रूम में।


    अब उसे गुस्सा आने लगा था पूजा के बिहेव से। उंसने कॉफी का मग ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया। और फिर गुस्से में सर्वेंट को आवाज लगी। नरेन की आवाज सुनते ही दो तीन सर्वेंट्स उसके सामने खड़े हो गये थे। वही मयंक का रूम भी नरेन के रूम के पास ही था तो आवाज सुनकर पूजा और मयंक भी वहाँ आ गये।




    " क्या तुम लोगो को एक ढंग की कॉफी भी नही बनानी आती है ..? ये क्या बकवास सी बनाकर दी है ..? " नरेन उनपर भड़कते हुये बोला।




    " सॉरी! नरेन बाबा मै आपके लिए दूसरी कॉफी बनांकर लाता हूं! " ये बोलकर एक सर्वेंट वहाँ से चला गया तो बाकी दो भी उसके साथ ही बाहर निकल गये।



    मयंक नरेन के पास आ कर वही सोफे पर बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला ," क्या हुआ भाई ..? आपको , आप ऐसा बिहेव क्यों कर रहे है। एक कॉफी ही तो है वो दूसरी बनाकर ले आएगे।




    मयंक की बात का उंसने कोई जवाब नहीं दिया क्योकि उसकी नज़र तो वहीँ खड़ी पूजा को घूर रही थी।





    हरीश जी शाम को जा चुके थे। विनीत जी , नीलिमा जी और राहुल आज बहार ही रुकने वाले थे। सुप्रिया जी , मयंक , पूजा और नरेन ने डिनर किया। मयंक और नरेन तो अपने कमरों में चले गये थे।  सुप्रिया जी और पूजा रसोई का काम समेट रही थी जब सारा काम हो गया। तो पूजा सुप्रिया जी से बोली ," माँ क्या आज मै आपके पास सो जाओ ..?"




    " क्यु बेटा ..? क्या हुआ सब ठीक तो है ना ..? "





    " हॉ माँ सब ठीक है पर आज आपके पास सोने का बहुत मन कर रहा है ,," पूजा आँखों मे नमी लिए बोली तो सुप्रिया जी मान गयी और उसके सिर पर हाथ फिराती हुयी बोली ,"अच्छा ठीक है अगर तेरा मन कर रहा है तो सो जाना।




    " थैंक यू मॉ "




    " हम्म! चलो आओ फिर , क्योकि काम तो सारा हो ही चुका है ." सुप्रिया जी बोली और पूजा ने अपनी गर्दन हॉ में हिला दी। उसके बाद पूजा और सुप्रिया जी , सुप्रिया जी के कमरे में आ गयी सोने।





    जारी है

  • 17. पिया अलबेला ! - Chapter 17

    Words: 938

    Estimated Reading Time: 6 min

    Page; 17






    नरेन काफी देर से कमरे में पूजा का वेट कर रहा था पर वो नही आयी। जब उसका भी सब्र जवाब दे गया तो वो खुद ही उठा और जाकर पूजा को देखने लगा। पूजा किचन में तो थी ही नही ..? पूरा किचन एक दम खाली था और अंधेरे में डूबा हुआ था




    " पूजा यहा नही है तो कहा है वो इतनी देर से ..? " ये बोलकर वो वापस से ऊपर सीढियो की तरफ जाने लगा की तभी उसकी नज़र सुप्रिया जी के रूम में गयी जिसकी लाइट्स ऑन थी अभी तक , तो क्या पूजा वहाँ है ..? यही सोचकर उंसने अपने कदम कमरे की बढ़ा दिए।




    वही लगी खिड़की से वो अंदर झांकते हुये देखने लगा। तो उसने देखा कि पूजा अपना सिर सुप्रिया जी की गोद मे रखकर लेटी हुयी थी। और सुप्रिया जी उसके सिर पर हाथ  घुमा रही थी। दोनो कुछ कुछ इधर उधर की बाते भी कर रही थी।




    नरेन की आँखे अचानक से छोटी हो गयी। और हाथों की मुट्ठी बंद चुकी थी। वो गुस्से में अपने पैर पटकता हुआ अपने कमरे में चला गया।



    रूम में आ कर गुस्से में दरवाजा बंद किया और अपनी स्टडी टेबल पर जाकर बैठ गया और एक फ़ाइल खोल ली , उंसने सोचा कि कुछ देर काम कर लिया जाये पर अब गुस्से की वजह से कुछ भी करने का मन ही नही हो रहा था उसका , उंसने फ़ाइल को बंद करके टेबल पर पटका। और उठकर बेड पर आ कर लेट गया।




    अगली सुबह फिर से वही रूटीन था सबका , नरेन ऑफिस चला गया था वो भी बिना नाश्ता किये , पूछने पर उंसने बोल दिया था कि
    " मै ऑफिस में कुछ खा लूंगा , किसी को भी ज़रूरत नही है मेरी वजह से परेशान होने की। " नरेन ने कहा तो सुप्रिया जी की तरफ देखकर था पर ये पूजा के लिए था जो किचन में कॉफी के उबलने का वेट कर रही थी। नरेन की बात सुनकर उसकी आँखें फिर से नम हो गयी।



    ये बोलकर वो जा चुका था , सुप्रिया जी कन्फ्यूज्ड होकर उसे जाता हुआ देख रही थी। उसे कुछ समझ ही नही आया कि आखिर नरेन ने ऐसा क्यों बोला। वो धीरे से बोली ," क्या हुआ इसे ..?



    " माँ नाश्ता कर लीजिए! " कुछ देर बाद पूजा बहार आयी और आलू के परांठे की प्लेट टेबल पर रख दी।



    " आओ तुम भी कर लो "  सुप्रिया जी मुस्कुरा के बोली तो पूजा उन्हें मना करती हुयी बोली ," मेरा मन नही है अभी। "




    " क्या हुआ भाभी आपकी तबियत तो ठीक है ना ..?" वही बैठा मयंक पूजा की तरफ देखकर बोला तो पूजा मुस्कुरा के बोली ," हॉ तबियत तो ठीक है पर हल्का सिर दर्द है। रूम में दवाई रखी है वो लेकर थोड़ा आराम करुँगी तो ठीक हो जाऊँगी। "


    " ठीक है बेटा! जाओ फिर तुम आराम कर लो " सुप्रिया जी बोली। तो पूजा वहा से सीढियो की तरफ बढ़ गयी।



    " आज इन दोनों को क्या हुआ ..? " पूजा के जाने के बाद सुप्रिया जी मयंक की तरफ देखकर बोली , तो मयंक ने भी अपने कंधे उचका दीये थे।




    सुप्रिया जी ने नीलिमा जी को फोन किया। ताकि वो उनसे पूछ सकते कि वो कब और किस टाइम घर वापस आ रहे है ..? तो नीलिमा जी ने उनको बताया कि नरेन ने उन तीनों की हवाई की टिकेट्स कर दी थी तो वो तीनो अब वहाँ से सीधा ही एयरपोर्ट के लिए निकल रहे है। 10 दिन बाद ही आना होगा।
    नीलिमा जी की बात सुनकर एक पल के लिए वो हैरान रह गयी थी। पर अगले ही पल वो खुश होकर बोली ," ठीक है तुम सभी अच्छे से एन्जॉय करना , और अपना भी ध्यान रखना , हैप्पी जर्नी। "


    दोनो ने फोन रख दिया था। " आखिर ये नरेन कर क्या रहा है ..? कुछ समझ भी तो नही आ रहा ..? " सुप्रिया जी खुद में बुदबुदाई। तभी उन्हें याद आया कि बाबूजी के काम से उन्हें तो आज मंदिर जाना है।  वो जल्दी से तैयार होकर पूजा के रूम में आयी। उस टाइम पूजा गुमसुम सी बेड पर बैठी थी।




    " अब कैसी है तबियत ..? " सुप्रिया जी पूजा के सिर पर हाथ रखकर बोली।




    " जी,,,जी,,,अ,,,अब ठीक है "




    " पूजा! मुझे ना मंदिर जाना पड़ेगा वो बाबूजी का कुछ काम है , इसलिए मै तुम्हे बताने आयी थी। "




    " ठीक है आप जाइये और यहाँ की फिक्र मत कीजिये! मै सब सम्भाल लूँगी " पूजा मुस्कुरा के बोली। सुप्रिया जी वहा से चली गयी।




    पूजा उठी और मयंक के रूम में आ गयी। मयक कही जाने के लिए तैयार हो रहा था।
    " तुम कही जा रहे हो लालजी ..? "




    " हॉ वो एक फ्रेंड से मिलने जा रहा हूं भाभी! शाम तक आ जाऊँगा। "




    " ठीक है! ध्यान से जाना " पूजा मुस्कुराई और वापस अपने रूम में आ कर बैठ गयी। उसे बहुत रोना आ रहा था ,, और हुआ भी यही खुद ब खुद ही उसकी आँखों से आँसू झर झर बहने लगे। अपने घुटनों में अपना चेहरा छुपाकर को फफक कर रो पड़ी।



    तभी किसी ने रूम के दरवाजे को खटखटाया। उंसने जल्दी से अपने आंसू पोछे और उठकर दरवाजा खोला। सामने नरेन को खड़ा देखकर वो हैरान रह गयी। उंसने धीरे से दीवार घड़ी की तरफ देखा जिसमे 1 बजा चुका था। वो अपने मन मे बोली ," नरेन बाबू इतनी जल्दी ..?



    नरेन ने अंदर आते ही दरवाजा बंद किया और पूजा की तरफ देखकर घूरने लगा। जिससे पूजा सहम कर खुद में ही सिमट सी गयी।






    जारी है

  • 18. पिया अलबेला ! - Chapter 18

    Words: 1318

    Estimated Reading Time: 8 min

    Page : 18


    कमरे में अंदर आने के बाद नरेन ने दरवाजे को अंदर से बंद किया और पूजा की तरफ देखकर उसे घूरने लगा। नरेन की घूरती नज़रे खुद पर महसूस करते ही पूजा जैसे खुद में ही सिमटती जा रहीं थी।


    नरेन जाकर सोफे पर बैठ गया और अपना कोट निकालते हुये पूजा की तरफ देखकर बोला ," इधर आओ पूजा! "



    पूजा डरते हुये उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी। तो नरेन बोला ," यहाँ मेरे पास आ कर बेठो! "




    " क..कुछ काम...काम है...आ...आपको ..? "पूजा वही खड़ी थोड़ा डरती हुयी बोली। नरेन इस बार थोड़ा ऊची आवाज में बोला ," क्या तुमने सुना नही मैने क्या कहा है ..? मैने कहा है की मेरे पास आ कर बेठो .."



    पूजा ने सहमकर अपनी साड़ी को अपनी दोनो हाथों को मुट्ठियों में कसके पकड़ लिया था। वो अपना सिर झुकाये जाकर उसके पास ही बैठ गयी थी पर थोड़ी दूरी बरकरार करते हुये।



    जिसे देखकर नरेन की आँखे एक दम छोटी छोटी हो गयी थी। " थोड़ा पास आओ "




    पूजा हल्की सी नरेन की तरफ खिसक गयी। नरेन ने पूरे हक से उसका हाथ पकड़ा और एक हाथ से उसकी ठुडी को ऊपर करके उसकी आँखों मे झाँकता हुआ बोला ," क्या हुआ है जो तुम परसो से ही मुझसे दूरी बनाये हुये हो ..? कुछ हुआ है ..? किसी ने कुछ कहा है तुमसे ..?




    नरेन ने उससे बहुत ही प्यार से पूछा था क्योकि वो जानता था कि अगर पूजा को हैंडल करना है तो उससे बहुत ही प्यार से बात करनी पड़ेगी। क्योकि नरेन ने देखा था कि थोड़ा सा चिल्लाने पर ही वो सहम उठती थी। , डर जाती थी छोटी छोटी बातों पर ही , और रोने लगती थी।



    नरेन के इतना प्यार से पूछने पर पूजा की आँखे भर आयी वो झट से नरेन के सीने से लगकर रोने लगीं। नरेन हैरान , परेशान था। वो हैरान और परेशान इसलिए था कि आखिर पूजा रो क्यों रही है ..? और किस बात पर ..?



    " आ..आप..मु..मुझे..प..पसंद..नही..करते ना.. , ये..शादी आप..की मर्ज़ी के खिलाफ हुयी है ना ..?,,, इसलिए तो..आप..मुझे लेने तक नही आये..मामाजी के घर पर.." पूजा रोते हुये ही रुक रुक कर बोली। पूजा की बात सुनकर नरेन हैरान रह गया था।



    उंसने उसे दोनो कंधों से पकड़ा और खुद से दूर कर उसकी तरफ देखकर बोला ," किसने कहा कि ये शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुयी है ..?और ये किसने कहा कि मै तुम्हे पसंद नही करता ...? "



    इस बार नरेन की आँखों मे गुस्से झलक रहा था। " परसो जब मै घर आयी तो चाची ने मुझे बताया कि आप ये शादी ही नही करना चाहते थे दादाजी के आगे आपकी एक ना चली , और ना ही आप मुझ जैसी लड़की को पसंद कर सकते हो ..? क्योकि मुझमें तो कोई क्लास भी नही है , मै ठहरी एक छोटे से और मध्यमवर्गीय परिवार से,,,और आप.........."




    " व्हाट द हेल! क्या ये सब चाची ने कहा तुमसे ..? "





    पूजा ने अपनी गर्दन हॉ में हिला दी। और रोना जारी रखा। नरेन ने अपनी आँखें बंद की और मन मे बोला ," कही ना कही मुझे लग ही रहा था कि ज़रूर किसी ने कुछ तो कहा है पूजा को,,,और मेरा शक एक दम सही निकला,,,ये आपने सही नही किया चाची , अब इसकी सजा तो मिलेंगे आपको , अब चाहे कही भी मिले। " 😏😠



    उंसने पूजा के आँसू पोछे और बहुत प्यार से बोला ," लिसेन पूजा! ये शादी मेरी मर्जी से हुयी है,और रही दूसरी बात तुम्हे तुमहारे मामाजी के घर ना लेने आने की तो ऑफिस में बहुत काम था , तो नही आ पाया! जिसके बारे में मैंने तुम्हें पहले ही बता दिया था। तो इंसमे रोने की तो कोई बात ही नही है। "



    " पर मुझे बुरा लगा कि आप नही आये थे। , मै आपका वेट कर रही थी बहुत! " पूजा मासूमियत से बोली। फिर थोड़ा रुकी और नरेन की आँखे को देखती हुयी बोली ," क्या आप सच्च कह रहे है नरेन बाबू,,हॉ बिल्कुल आप सच्च कह रहे होंगे पर फिर चाची ने मुझसे झूठ क्यो बोला  ..? "




    " ये मुझे नही पता , पर अपने दिल और दिमाग मे एक बात फीट कर लो , कि अब तूम इस घर की बहू हो और मेरी पत्नी , और सिर्फ तुम ही रहोगी,,,ये शादी मेरी अपनी मर्जी से हुयी है,,,किसी ने भी मुझे फोर्स नही किया इसके  लिए। " नरेन उसके गाल को अपने अंगूठे से सहलाता हुआ बोला।



    नरेन की बात सुनकर अब पूजा के चहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गयी थी।🙂 नरेन आगे बोला ," अगर तुमहे किसी की बात का कोई डाउट है तो तुम सीधा मेरे पास आऊँगी उस बात को पूछने ना कि खुद से ही कुछ भी सोचोगी , जैसे अब सोचा। ठीक है,,? "




    " हम्म! " पूजा ने बस एक छोटा सा जवाब दिया और अपनी नज़रे झुका ली। नरेन ने अभी भी पूजा का हाथ पकड़ा हुआ था। नरेन ने पूजा की कमर में हाथ डाला और उसे खुद के करीब कर लिया। नरेन की इस हरकत पर पूजा थोड़ी सहम सी गयी। और कसके अपनी आँखें बंद करली।



    कुछ टाइम बाद उसे नरेन के होट अपनी गर्दन पर महसूस हुये तो उसके चेहरे पर शर्म की लाली उभर आयी। " नरेन बाबू,,,"




    " हम्म! "




    " अभी नही,,अभी मुझे कुछ काम है! "




    " क्या काम है ..? " नरेन उससे हल्का सा दूर हुआ और उसकी तरफ देखकर बोला तो पूजा को कुछ समझ ही नही आया कि अब वो क्या बोले ..? क्योकि कुछ काम तो था ही नही उसे ..? उंसने तो बस यूही बोल दिया था नरेन से।



    पूजा के हावभाव से वो सब समंझ गया था। पर फिर भी वो कहा पीछे हटने वाला था। वो सोफे से उठा हल्का सा झुककर पूजा को अपनी गोद मे उठा लिया। और फिर उसे लेकर बेड पर गया। धीरे से उसे बेड पर लेटा दिया । रूम की सभी खिड़कीयो पर परदे डाले और रूम की लाइट्स बंद करके खुद भी उसके पास ही लेट गया।




    " आप,,,आप,,,ये क्या कर रहे है,,नरेन बाबू,,,"




    " कुछ भी तो नही कर रहा 😚 " ये बोलकर उंसने पूजा के गाल पर किस कर दी थी।




    " अगर कोई आ गया तो ..? "




    " कोई नही आयेगा! "




    " आज आप इतनी जल्दी कैसे आये ऑफिस से ..? आप तो हर रोज लेट आते थे। " पूजा अपना मुँह दूसरी तरफ करते बोली। तो नरेन अपने नाक को उसकी गर्दन पर घुमाता हुआ धीरे से बोला ," आज मुझे तुम्हारी याद आ रही थी तो बस आ गया।




    " बस आज आयी और दिन नही आती थी क्या ..? "




    " आती थी , पर काम भी तो ज़रूरी है ना "




    " तो आज काम कहा गया आपका ..? "




    " उम्म! नाइस क्वेश्चन,,इसका जवाब मै तुम्हे बाद में दूँगा,,फिलहाल! के लिए इसे जाने देते है। "





    " नरेन बाबू "




    " अब क्या हुआ ..? " नरेन पूजा के कंधे पर अपना सिर रखकर बोला। तो पूजा धीरे से बोली ," वो,,,मुझे ना आपसे ये कहना था कि जिसे आप बहुत देर से हटाने की कोशिश कर रहे है,,,वो ऐसे नही हटेगा वहाँ , सेफ्टी पिन लगी हुयी है,,,पहले वो खोलनी होगी। "



    ये बोलते हुये पूजा का चेहरा लाल हो गया था। क्योकि नरेन काफी देर से उसके कंधे से उसकी साड़ी के पल्लू को हटाने की कोशिश कर रहा था पर वो हट नही रहा था। नरेन की कश्मकश को अच्छे से समंझ गयी थी पूजा।




    नरेन पूजा की बात सुनकर मुस्कुरा दिया था और पूजा का चेहरा अपनी तरफ घुमा कर धीरे से बोला ," तो थोड़ी हेल्प करो ना,,,"




    पूजा ने हॉ में गर्दन हिला दी थी। नरेन ने धीरे से पूजा के गुलाबी होंटो पर अपने होट रख दिये। पूजा ने कसके अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी मुट्ठियों में नरेन की शर्ट को पकड़ लिया था।





    जारी है

  • 19. पिया अलबेला ! - Chapter 19

    Words: 1192

    Estimated Reading Time: 8 min

    Page : 19








    शाम के करीब 7 बज चुके थे जब सुप्रिया जी घर आयी। वो आकर हॉल में बैठ गयी एक सर्वेंट आयी उनके लिए पानी लेकर।




    " डिनर की तैयारी हो चुकी है ..? " सुप्रिया जी पानी का गिलास उठाकर उसे अपने होंटो से लगाती हुयी बोली। तो रानी ( सर्वेंट ) सिर झुकाये बोली ," माफ कीजियेगा बड़ी मालकिन पर किसी भी सर्वेंट को आज कोई गाइडेन्स नही मिली , इसलिए अभी तक कुछ बनाया भी नही है। "




    " क्या ..? ( हाथ मे पकड़ा गिलास रानी को पकड़ा दिया ) तुम पूजा से पूछ लेती , वो तो थी यहाँ। वो भी बता देती।,,,( इधर उधर देखते हुये ) कहा है वो दिखाई नही दे रही है ..? " सुप्रिया जी बोली। तो रानी बोली ," पूजा बीबी तो कमरे में ही है वो नीचे नही आयी,,,( थोड़ा रुककर ) वो...वो....वो...




    " क्या बात है साफ साफ बोलो "




    " वो..दोपहर को नरेन बाबू आये थे घर,,और उन्होंने कहा था कि कोई भी उनके रूम में ना आये , और ना ही उनको डिस्टर्ब करे,,,इसलिए किसी ने कुछ नही पूछा,,," रानी अपना सिर झुकाये बोली।



    रानी की बात सुनकर सुप्रिया जी पहले तो हैरान हुयी पर फिर खुद को नॉर्मल दिखाते हुये बोली ," ठीक है , तुम एक काम करो डिनर ने,,,दाल , चावल , आलूगोभी की सब्जी औऱ चपातियां बना दो,,,पर थोड़ी जल्दी क्योकि आज पहले ही लेट हो चुका है।"




    " जी " ये बोलकर रानी वहाँ से चली गयी।



    सुप्रिया जी अपनी जगह से उठी और सीढियो से होती हुयी नरेन और पूजा के रूम के बाहर खड़ी हो गयी। वो थोड़ा हिचकीचाई , अपना हाथ आगे बढ़ाकर रूम के दरवाजे पर नॉक किया।



    वही अंदर , पूजा और नरेन सो रहे थे। नॉक की आवाज से पूजा की नींद टूटी , वो उठी और सबसे पहले रूम की लाइट्स ऑन की जो कि नरेन ने पहले ऑफ कर दी थी। अपनी साड़ी को ठीक किया और जाकर दरवाजा खोला। सामने सुप्रिया जी को देखकर पूजा की सारी नींद एक झटके में ही उड़ चुकी थीं।




    " माँ,,,माँ आप,,,आप कब आयी ..?" पूजा रुक रुक कर बोली। तो सुप्रिया जी हल्की मुस्कुराई और बोली ," बस अभी अभी आयी हूं,,,रानी ने बताया कि तुम सो रही थी तो सोचा कि डिनर के लिए बोल देती हूं।"



    " क्या डिनर ..? ( थोड़ा अंदर झुककर दीवार घड़ी की तरफ देखा जो 7:10 का इशारा दे रही थी ) इतना टाइम हो गया और मै सोती रही,,,किसी ने मुझे उठाया क्यु नही ..? आई एम सो,,सॉरी माँ,,,पता ही नही चला,,आई एम रियली सॉरी। "  पूजा अपना सिर झुकाये बोली। तो सुप्रिया जी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरती हुयी बोली ," कोई बात नही,,हो जाता है कभी-कभी,,तुम आओ कपड़े चेंज करके,,,नरेन को भी उठा दो,,,मै नीचे जा रही हूं। "




    " जी माँ मै अभी आती हूं! " पूजा ने जवाब दिया ,तो सुप्रिया जी वहा से नीचे चली गयी उनके जाने के बाद पूजा ने रूम का दरवाजा बंद किया और बेड की तरफ मुड़कर नरेन को देखने लगीं जो अभी भी आराम से औंधे मुंह सो रहा था। पूजा ने नीचे झुककर नरेन की शर्ट उठाई और उसके पास बैठ कर , उसकी पीठ पर हाथ घुमाती हुयी बोली ," नरेन,,बाबू नेरन,,बाबू उठइये,,हम बहुत देर से सो रहे है,,माँ नीचे बुला रही है डिनर के लिए।




    " तुम जाओ ,,,मै आता हूं।"  नरेन नींद में ही बोला। तो पूजा उठी और कपड़े चेंज करके नीचे चली गयी। वो सीधा ही किचन में आयी , वहाँ थोड़ा काम अभी भी बचा हुआ था। इसलिए वो भी काम मे लग गयी।
    कुछ टाइम बाद नरेन भी आ गया और मयंक भी जो कि कुछ देर पहले ही घर आया था। सबने डिनर किया और अपने रूम्स में चले गये सोने। आज पूजा अपने रूम में ही सोयी थी। वो बेड पर सो रही थी और नरेन स्टडी टेबल पर बैठा हुआ काम कर रहा था।


    तभी कुछ सोचकर उंसने फोन उठाया और किसी को फोन मिला दिया एक दो रिंग जाने के बाद सामने से आवाज आयी।


    " यस सर्!  "



    " देवीन! नीलिमा व्यास के क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक कर दो। " नरेन अपनी भारी आवाज में बोला



    " पर सर्....."




    " मैंने जो कहा है तुम बस वो करो और किसी को ये मत पता चलने देना की मैंने कहा है। "देवीन की बातों को बीच मे ही काटते हुये नरेन बोला।



    " श्योर सर्! कल सुबह तक हो जायेगा। "



    " हम्म " ये बोलकर नरेन ने फोन रख दिया और अपने सामने खुली उस फ़ाइल को बंद करके वो भी बेड पर आ कर लेट गया। उंसने पूजा की तरफ देखा जो कि गहरी नींद में सो रही थी।
    उंसने धीरे से उसके माथे को चूम लिया। तभी नींद में ही पूजा नरेन की तरफ मुड़ गयी और उसके सीने से लग गयी। ये देखकर नरेन के चहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गयी।




    वही दूसरी तरफ
    In Hawaii












    नीलिमा जी वही स्वीमिंग पूल के पास बैठी हुयी थी। और कुछ सोच रही थी। तभी वहाँ राहुल आया और उनके पास ही आ कर बैठ गया।
    " क्या सोच रही है आप ..? " राहुल उनकी तरफ देखकर बोला तो नीलिमा जी कुछ सोचते हुये बोली ," राहुल! तुमहे नही लगता कि कुछ गड़बड़ है ..?"





    " मै कुछ समझ नही मॉम! " राहुल नासमझी उसे उन्हें देखता हुआ बोला तो नीलिमा जी उसे जवाब देती हुयी बोली ," अचानक से नरेन! हम पर इतना मेहरबान हो गया कि सीधा हवाई की टिकेट्स करवा दी , हर चीज़ सब खुद से की , टिकेट्स से लेकर होटल बुकिंग तक। कुछ अजीब नही लग रहा।




    " आप अजीब की बात कर रहे है। मुझे तो बहुत ज्यादा ही अजीब लग रहा है ये सब,,,अचानक से इतना प्यार उमड़ आया भाई का,,,ये प्यार कुछ डाइजेस्ट नही हो रहा है मुझे। " राहुल भी कुछ सोचा हुआ बोला।




    " यही तो कुछ समझ नही आया,,,वही तो मै सोच रही हूं। " नीलिमा जी वापस से सोचने की मुदरा में जा चुकी थी। तभी वहा पर होटल स्टॉफ की एक मेम्बर आयी।



    " मैम वुड यु लाइक टू हैव समथिंग ..? "



    " उम्म! यस टू मॉकटेल एंड वन ऑरेंज जूस " नीलिमा जी उनकी तरफ देखकर बोली।



    " आई विल ब्रिंग इट नाउ मैम! " ये बोलकर वो वहाँ से चली गयी।



    " कुछ तो षड्यंत्र रचा जा रहा है , इसलिए तो हम सबको यहाँ भेज दिया नरेन ने। " नीलिमा जी राहुल की तरफ देखकर बोली तो राहुल  हल्की मुस्कान के साथ बोला ," उसका भी पता चल जायेगा मॉम,,,पर फिलहाल! एन्जॉय किया जाये। अब जब यहा आये है तो फुल एन्जॉय करके जाते है। "




    " यु आर राइट राहुल ( थोड़ा रुककर इधर उधर देखती हुयी ) तुम्हारे डैड कहा है ..? दिखाई नही दे रहे है। " नीलिमा जी राहुल से बोली तो राहुल उनके सावल का जवाब देता हुआ बोला ," वो..रूम में है कोल्ड हो गया है उन्हें,,शायद! यहाँ का टेम्परेचर सूट नही हुआ उनको।




    " कोई बात नही , उन्हें रहने दो रूम में ही हम ही एन्जॉय कर लेते है। " नीलिमा जी वहाँ से उठती हुयी बोली।






    जारी है

  • 20. पिया अलबेला ! - Chapter 20

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    Page : 20





    सुबह का वक़्त! पूजा टाइम से उठकर नहा धोकर नीचे आ गयी थी और नाश्ता बनवाने में थोड़ी बहुत हेल्प भी कर दी थी।
    जब सुप्रिया जी वहाँ आयी तो नाश्ता बनकर तैयार था। "गुड मॉर्निंग माँ " पूजा मुस्कुरा के बोली तो सुप्रिया जी ने भी बदले में मुस्कुरा के ही जवाब दिया था।



    " माँ नाश्ता तैयार हो गया है। मै नरेन बाबू को उठाने जाती हूं वो अभी भी सो रहे है , ऑफिस के लिए लेट हो जायेगे। "




    " ठीक है जा तू " सुप्रिया जी बोली तो पूजा किचन से बहार आ कर सीढियो से होती हुयी ऊपर आयी। नरेन अभी भी सो रहा था। उंसने धीरे से रूम में लगे खिड़कीयो के परदों को खोल दिया था जहाँ थोड़ी देर पहले कमरे में अंधेरा था अब वो रोशनी से भर चुका था।



    " नरेन बाबू गुड मॉर्निंग " पूजा उसके पास आ कर बोली तो नरेन कसमसाकर के रह गया। पर उंसने आँखे नही खोली।




    " नरेन बाबू! "




    " हम्म!"




    " उठना नही है क्या आपको ..? ऑफिस भी तो जाना है "




    " आज मेरा मन नही है जाने का तो छुट्टी! " नरेन वैसे ही लेटा हुआ बोला। तो पूजा खुश होकर नरेन के कंधे पर हाथ रखकर बोली ," सच्ची! आज आप आफिस नही जा रहे है ..?




    " मुच्ची! मै आज ऑफिस नही जा रहा हूं। " अब नरेन ने अपनी आँखे खोल ली थी और उसकी नज़र सबसे पहले पूजा के खिले हुये चहरे पर रुक गयी थी।




    " ऐसे ही नही जा रहे है या फिर कोई काम है आपको .. ? " पूजा नरेन की तरफ देखकर उससे सवाल करती हुयी बोली तो नरेन उसका जवाब देता हुआ बोला ," आज काम तो है पर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी काम आज मुझे घर पर है। "




    " क्या काम है आज आपको घर पर ..? "




    " तुम्हारे साथ वक़्त बिताना है और वैसे भी हमारी अभी ही तो शादी हुयी है उस हिसाब से हमे एक साथ वक़्त बिताना ही चाहिए। जैसे कल बिताया था " नरेन अब उठकर बैठ चुका था और पूजा के चहरे को गौर से देख रहा था।



    पूजा का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था , वो उठकर वहाँ से जाने लगी और बिना नरेन की तरफ देखे वो बोली ," आप जाइये ऑफिस! , साथ मे वक़्त तो हम रात को भी बिता सकते है , उसके लिए आपको अपना काम नही छोड़ना चाहिये। काम बहुत ज़रूरी है। "



    " ठीक है जब तुम्हे ही नही पसंद तो मै ऑफिस ही चला जाता हूं। " नरेन ने ये बात उदास होकर जानबूझकर कही थी। क्योकि उसे पता था कि अब खुद ही पूजा उसे ऑफिस ना जाने के लिए बोलेगी।




    " लगता है नरेन बाबू को बुरा लग गया , कोई बात नही आज अगर छुट्टी कर लेंगे तो कोई आफत नही आयेगी। " पूजा अपने मन मे बोली और नरेन की तरफ मुड़कर बोली ," नही,,,नही,,,नरेन बाबू आप गलत सोच रहे है , अच्छा ठीक है आप आज मत जाइये। आप नीचे आ जाइये नाश्ते के लिए।"




    " ठीक है तुम बोल रही हो तो छुट्टी ले ही लेता हूं! तुम चलो मै अभी आता हूं। "




    " हम्म! " बोलकर पूजा वहाँ से चली गयी और नरेन मुस्कुराने लगा। फिर वो भी उठा और बाथरूम में चला गया।




    कुछ देर बाद नरेन भी नीचे आ गया। और आ कर सीधा ही डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। पूजा ने सभी को नाश्ता सर्व किया और खुद भी बैठकर करने लगी।




    " माँ! "




    " हॉ बोलो नरेन ..? " सुप्रिया जी तुरंत बोली तो नरेन पूजा की तरफ देखकर बोला ," आज मेरे एक कॉलेज फ्रेंड की इंगेजमेंट पार्टी है! , तो इसलिए आज आफिस नही जाऊँगा। मेरा फ्रेंड बहुत ज़िद कर रहा था कि मै पूजा को भी साथ लेकर आऊ! तो इसलिए क्या मै पूजा को लेकर जाऊ ..?




    " हॉ बिल्कुल बेटा! इतनी छोटी सी बात मुझसे पूछने की ज़रूरत नही है तुम्हे। दोनो चले जाना , इसी बहाने थोड़ा घूमने फिरना भी हो जायेगा तुम दोनो का," सुप्रिया जी मुस्कुरा के बोली। पूजा नरेन की बात सुनकर मुँह बनांकर बैठ गयी। " जब मेने पूछा था तो मुझे भी तो बता सकते थे कि फ्रेंड की सगाई में जाना है ,पर नही इन्हें तो मेरी हार्ट बीट बढ़ाने में मज़ा आता है। " पूजा अपने मन मे बोली। पर उसकी वो दो बिल्ली जैसी आँखे नरेन को ही घूर रही थी। 🤭



    जिसे नरेन अच्छे से खुद पर महसूस कर सकता था। नाश्ते के बाद सब अपने अपने कामो में लग गये। पूजा और नरेन भी अपने रूम में ही आ गये थे।




    " नरेन बाबू! सुनियेना ..? " रूम में आते ही पूजा नरेन की तरफ देखकर बोली जो आते ही बेड पर बैठ चुका था।





    " क्या हुआ ..? "





    " मै कौनसी साड़ी पहनु ..? " पूजा वॉडरोब की तरफ बढ़ चुकी थी। नरेन भी उठा और पूजा के जस्ट पीछे आ कर खड़ा हो गया और सामने वॉडरोब में लगी साड़ियों को देखने लगा तभी उसकी नज़र वही रखे रेड नेट की साड़ी पर रुक गयी। उंसने अपना हाथ बढ़ाकर वो साड़ी निकाली और पूजा के कंधे पर लगाकर बोला ," ये बहुत अच्छी लगेगी। "




    " सच्च में "




    " हम्म! " नरेन बोला और खुद के लिए भी कपड़े देखने लगा। उंसने अपने लिए एक ब्लैक कलर का कोट निकाला और उसके साथ ही ब्लैक शर्ट औऱ ब्लैक पेंट।



    पूजा को जल्दी से तैयार होने का बोलकर वो खुद रूम से बहार चला गया था। इंगेजमेंट पार्टी बेशक शाम को थी पर पर आगरा में थी और ऋषिकेश से आगरा पहुचने में उन्हें लगभग 6 घंटे को लगने ही वाले थे।


    नरेन ने एक दो जोड़ी कपड़े पैक भी करवा लिये थे क्योकि इंगेजमेंट पार्टी खत्म होने में भी टाइम तो लगना ही था पर फिर वो वापस घर के लिए नही निकल सकते थे क्योकि देर रात जो होने वाली थीं , इसलिए नरेन ने वही एक होटल में रूम बुक करवा लिया था।
    दोनो तैयार होकर निकल गये अपनी मंज़िल यानी आगरा के लिए। आगरा के नाम से ही पूजा के चहरे पर एक अलग ही चमक थी। आज वो पहली बार जो आगरा जा रही थी। पर शायद! यही से ही उसकी जिंदगी एक अलग ही मोड़ लेने वाली थी जिसका पता ना नरेन को था और ना खुद पूजा को।









    जारी है