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My Cute Wifey

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Sadhana Agarwal

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प्यार न उमर देखता है न जात प्यार तो बस हो ही जाता है ऐसा ही कुछ हुआ हमारे हीरो को जो एकदम रुड एरोगेंट थे किसी ने उन्हें कोई लेना देना ही नहीं था आज तक वो किसी लड़की को अपने आस पास भी नहीं भटकने दिए थे मगर एक दिन उनकी जिंदगी में उनकी सोलमेट आई जिसक...

Total Chapters (50)

Page 1 of 3

  • 1. My Cute Wifey - Chapter 1

    Words: 1079

    Estimated Reading Time: 7 min

    ठाकुर सदन  विला काफी बड़ा और आलीशान था विला के हर तरफ गार्ड और सर्वेंट थे विला को देख कर कोई भी आसानी से बता सकता था की ये देश के सबसे अमीर और पावरफुल इंसान का घर है

    ठाकुर सदन उजले संगमरमर के पत्थरों से बना था और बहुत ही खूबसूरत और नायाब रोशनी बिखेर रहा था विला के बीचों-बीच एक सड़क जैसी पगडंडी बनी हुई थी जिससे गाड़ियां अंदर आ सकती थीं उस पगडंडी के दोनों ओर खूबसूरत बगीचे थे इन बगीचों में रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे

    ठाकुर मुंबई की वन ऑफ द मोस्ट फेमस और पावरफुल फैमिली है पॉलिटिक्स हो या बिजनेस हर जगह इनकी पकड़ बहुत मजबूत है पर कभी भी इनकी फेमिली में से किसी भी शख्स ने कोई गलत काम नहीं किया वजह है इनकी परवरिश और संस्कार 

    इस फैमिली में सबसे बड़े हैं सज्जन सिंह ठाकुर  जिन्हें सब ठाकुर साहब कह कर बुलाते हैं अपने वक्त के एक बहुत बड़े बिजनेसमैन और पॉलीटिशियन रह चुके हैं ना कभी गलत करते हैं ना कभी गलत बर्दाश्त करते हैं अपने संस्कारों और परवरिश दोनों के लिए जाने जाते हैं हमेशा से थोड़े गर्म दिमाग के जरूर है पर क्या करें हमारे हीरो के डैड जो है गर्म दिमाग तो होना लाज़मी है घर में सभी इनकी बात मानते हैं इसलिए नहीं क्योंकि इन से डर लगता है पर इसलिए क्योंकि इनकी इज्जत करते हैं इनके कोई भी फैसले कभी गलत होते ही नहीं है उम्र का तजुर्बा जो ऐसा है अब आते हैं नेक्स्ट मेंबर पर

    लक्ष्मी ठकुराइन सज्जन सिंह ठाकुर यानी कि ठाकुर साहब की पत्नी  इनके मिजाज बहुत सरल है सबसे प्यार से बात करती है और सब में खुशियां बांटती है अगर कोई है जो सुशांत सिंह के अलावा ठाकुर साहब से नहीं डरता तो एक यही है अरे भाई बीवी है कुछ रोब तो बनता है पूरे घर की भागदौड़ इन्हीं के हाथों में है जिसे यह बहुत शिद्दत और प्यार से निभाती हैं अपने घर में अपने बेटों और बहू को बहुत प्यार करती हैं और इनके  पोते और पोति तो इनके जिगर के टुकड़े है

    ठाकुर साहब और लक्ष्मी ठकुराइन के तीन बेटे और एक बेटी हैं बड़े बेटे विजय सिंह उम्र 34 उनकी पत्नी अंजू उम्र 30 और उनके दो बच्चे अंशु 10 साल का और पायल 8 साल की
    घर का बड़े बेटे होने के कारण फेमिली बिजनेस ही संभालता है अपने डैड का आज्ञाकारी बेटा स्वभाव का सरल और समझदार

    ठाकुर साहब अब इन सब चीजों से रिटायर हो चुके हैं तो वह अपनी रिटायरमेंट का लुफ्त उठाते हैं घर में सब कुछ उनके हिसाब से ही चलता है सिवाय एक शख्स को छोड़कर वो है  सुशांत सिंह  उम्र 26 साल
    उसकी हाइट कुछ 6 फुट 3 इंच के करीब होगी कद-काठी  मजबूत चौड़ा सीना परफेक्ट बॉडी और दिखने में बेहद दिलकश  हैंडसम और बॉडीबिल्डर

      ठाकुर साहब और सुशांत कि कभी आपस में नहीं पटी एक East है तो दूसरा West  सुशांत सिंह वो शेर है जो सिर्फ अपनी शर्तों पर जीता है उसकी आंखों में बगावत है और मनमर्जी उसका जुनून

    आज भी सुशांत वही करता है जो उसे करना होता है घर के सारे नियमों के परे वो खुद के नियम बनाकर चलता है जिसे सब को मानना होता है ठाकुर साहब को भी ऐसा नहीं है कि बाप बेटे  में प्यार नहीं है बात बस इतनी है कि दोनों का ही गुरुर एक दूसरे के आगे झुकने को नगांवारा है 

     लक्ष्मी ठकुराइन को हमेशा सुशांत की चिंता सताती रहती है वो बाकी सब से इतना अलग जो है बचपन से ही गंभीर कम बोलना अपने दिल की बात लोगों को ना बताना और खुद में ही रहना यही खूबिया थी उसकी बचपना तो उसमें बचपन में भी नहीं था अभी भी उम्र केवल 26 है और सोचने समझने की ताकत और तरीका किसी अव्वल नंबर के तजुर्बे दार इंसान की तरह है लक्ष्मी ठकुराइन बस इतना चाहती हैं सुशांत को कोई ऐसा हमसफ़र मिले जो उसे संभाले उसका साथ दें पर सुशांत तो शादी ना करने की ज़िद पकड़ बैठा है  

    और तीसरा बेटा दिशांत उम्र 22 साल के  मस्तमोला  न कोई टेंशन ना कोई जिम्मेदारी बस कॉलेज दोस्त और मस्ती  और अब ठाकुर सदन की सबसे छोटी और सबकी लाडली बेटी आरती उम्र 20 साल दोनों पूरा टाइम आपस में बस लड़ते रहते हैं पर उन दोनों में प्यार भी बहुत है जो घरवालों से छुपा नहीं है पर छोटे होने के कारण शैतानियां भी खूब करते हैं  

    और अब बारी है तनु की तनु उम्र 21 साल विजय सिंह की साली अंजु की छोटी बहन जो कि ठाकुर सदन में अपनी बहन के साथ ही रहती है

    तनु सुशांत सिंह के साथ अपनी शादी के सपने देखती है और दिशांत के साथ जिसकी बिल्कुल भी नहीं  पटती है


    साक्षी एक मासूम चुलबुली लड़की है साक्षी के परिवार मे उस की सौतेली छोटी बहन और सौतेली मां और उसके पापा है  साक्षी की माँ बचपन मे हीं गुजर गई थी साक्षी एक  मिडिल क्लास family से आती है वो अपनी छोटी सी दुनिया में खुश थी मगर अपनी जिन्दगी में आने वाले तूफान ने उसकी जिंदगी बदल दी साक्षी काफी खूबसूरत है उस का दूध जैसा गोरा रंग बड़ी बड़ी झील सी गहरी आँखे जिन में अगर कोई एक बार देख ले तो डूबता ही चला जाए गुलाब की पंखुडियो से भी मुलायम होठ कमर से नीचे तक आते हुए उस के सिल्की बाल उस की खूबसूरती मे चार चांद लगाते है साक्षी अभी 17 साल की है  उसकी बेस्टफ्रेंड अनु है

    सुशांत 10 साल से फोरन में था आज  उसने अपनी मॉम को कॉल किया और इंडिया आने के लिए बोला उसकी मॉम ने उसे मना करना चाहा तो सुशांत ने कहा आप लोग क्यों नहीं चाहते कि में इंडिया आऊ में जब भी इंडिया आने की बात करता हु आप कोई ना कोई बहाना बनाकर मुझे रोक देते हो लेकिन में अब आपकी एक बात नहीं मानने वाला में कल ही इंडिया आ रहा हु इतना कहकर फोन रख दिया

    उसकी मॉम ये बात ठाकुर साहब को बताती है ठाकुर साहब कहते है उसने कह दिया तो अब वो किसी की बात नहीं मानने वाला आने दो उसको

    उसकी मॉम कहती है लेकिन सालों पहले जो  हादसा हुआ अगर उसकी वजह से फिर से उसे वही दर्द वही तकलीफ हुई तो

    ठाकुर साहब कहते है उस बात को सालों बीत गए जरूर नहीं अब भी वैसा ही हो और वो लड़की का भी तो कुछ  पता नहीं है इसलिए तुम परेशान ना हों अब वैसा कुछ नहीं होगा

  • 2. My Cute Wifey - Chapter 2

    Words: 1077

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगले दिन सुशांत इंडिया पहुंच जाता है एयरपोर्ट  से निकलकर अपने असिस्टेंट के साथ कार में जाकर बैठ जाता है उनके बैठने के बाद ड्राइवर कार  स्टार्ट करके वहां से निकल जाता है तो वहीं दूसरी तरफ साक्षी और अनु अपनी स्कूटी से जा रहीं थी तभी उन की स्कूटी किसी black BMW से टकरा जाती है खुशकिस्मती ये थी कि साक्षी और अनु को कोई चोट नहीं आयी थी पर उनकी स्कूटी की हालत खराब हो गई थी जिसे देख कर अनु को बहुत गुस्सां आ रहा था और वो अपने गुस्से को रोक ना सकी 

    अनु ने गुस्से में कार के सामने जाकर जोर से चिल्लाते हुए कहा अंधे हो क्या दिखाई नही देता क्या

    तभी कार का दरवाजा खुला और पहले ड्राइवर ने बाहर आकर कहा  सॉरी मैडम हम थोडे जल्दी में हैं  हमें माफ कर दिजिए

    मगर अनु तो अब तक अपने गुस्से पर कंट्रोल खो चुकी थी उसने ड्राइवर की बात को सुनकर ड्राइवर से कहा "what do you mean कि जल्दी में हैं अगर जल्दी में हो तो देख कर गाड़ी नहीं चलाओगे और किसी को भी ठोक दोगे

    ड्राइवर ने घड़ी में बार बार देखते हुए कहा देखिए मैडम please हमें जाने दिजिए हम लेट हो रहे हैं

    अपनी जिद्द पर अड़ते हुए अनु ने ड्राइवर से कहा अरे ऐसे कैसे जाने दें

    तभी driver को किसी से बहस करता देख अमन सुशांत
    का असिस्टेंट बाहर आता है अमन  driver से पूछता  है क्या हुआ नकुल

    इस से पहले driver कुछ बोलता उससे पहले ही अनु ने अमन से थोड़ी कड़क आवाज में कहा क्या हुआ है ये देखिए

    अपनी स्कूटी की तरफ इशारा कर के दिखाती है अमन ने अनु से थोड़े सॉफ्ट टोन में कहा देखिए मैडम हमें जाने दीजिए हम लेट हो रहे हैं

    अनु ने गुस्से में अमन से कहा अरे ऐसे कैसे जाने दें तुम जैसे लोगों को मैं अच्छी तरह से जानती हूँ तुम जैसे लोग हम मिडील क्लास लोगों को कुछ समझते ही नहीं हो मैं तुम्हे ऐसे नही जाने दूंगी मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ

    वो अपना फोन निकाल ने लगती है इधर गाड़ी में बैठे सुशांत को बहुत गुस्सा आ रहा था और अब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो बाहर निकल कर आता है

    सुशांत ने अपनी रिस्ट वॉच में देखते हुए अमन से पूछा क्या हुआ

    अमन ने सुशांत से कहा सर इन मैडम की स्कूटी हमारी कार से टकरा कर damage हो गई है और ये मैडम हमें यहां से जाने नही दे रही है

    तो सुशांत ने बिना अनु की तरफ देखकर कहा  एक काम करो उस ड्रामा गर्ल को स्कूटी ठीक करवाने के लिए पैसे दे दो वैसे भी ये इतना ड्रामा पैसो के लिए ही कर रही है

    इतना सुनने के बाद तो जैसे अनु और साक्षी के तन बदन मे आग सी लग जाती है

    साक्षी ने भडकते हुए सुशांत से कहा क्या मतलब है तुम्हारा ये सब हम पैसो के लिए कर रही है

    सुशांत साक्षी की तरफ देखता और एक पल के लिए तो जैसे उसे देखता ही रह जाता है

    सुशांत ने होश में आकर साक्षी  से कहा तुम  जैसी लड़कियों को मैं अच्छी तरह से जानता हूँ जो पैसो के लिए कुछ भी कर सकती है

    सुशांत की बात सुनकर तो साक्षी का गुस्सा जैसे सातवे आसमान पर पहुंच जाता है

    साक्षी ने फिर से सवाल करते हुए सुशांत से कहा - "what do you mean हम जैसी लड़कियां पैसो के लिए कुछ भी कर सकती हैं

    सुशांत ने साक्षी के हाथ में नोटो की गड्डी रखते हुए कहा "यही की तुम ये जो कुछ भी कर रही हो वो पैसो के लिए ही तो कर रही हो

    साक्षी ने सुशांत  से चिल्लाते हुए कहा -"how dare you तुम कहना क्या चाहते हो ये सब मैं पैसो के लिए ही कर रही हूँ

    सुशांत ने साक्षी को चुप करते हुए कहा shhhhhhh धीरे बोलो मुझे ज्यादा चिल्लाने वाले लोग पसंद नही है

    साक्षी ने सवाल करते हुए कहा o really और मुझे तुम जैसे अक्ल से पैदल लोग पसंद नही है

    ये सुनने के बाद तो  driver और अमन दोनो की हालत खराब हो रही थी वो लोग मन ही मन सोच रहे थे इस लड़की को मरना है क्या जो ये सब बकवास बातें बोल रही है

    साक्षी के मुंह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर सुशांत का पारा हाई हो जाता है सुशांत ने साक्षी से गुस्से में दांत पीसते हुए कहा  क्या कहा तुम नेअक्ल से पैदल और वो भी मैं

    साक्षी ने भी फुल ऑन एटिट्यूड में कहा हां आप आप बिना किसी के बारे मे जानें कैसे कोई गलत राय बना सकते हैं ऐसा काम तो अक्ल से पैदल ही इंसान करेगा ना

    अब तो सुशांत के सब्र का बांध टूट गया था सुशांत ने गुस्से में दांत पीसते हुए साक्षी के हाथ में नोटो की गद्दी रखते हुए कहा ये लो पैसे और दफा हो जाओ यहाँ से और दुबारा मेरे सामने मत आना वर्ना मैं तुम्हारी वो हालत करूंगा जो तुमने सपने में भी नहीं सोचा होगा

    साक्षी उन पैसो को लेकर थोडी दूर जाती है और वहां से एक बडा सा पत्थर उठाकर लाती है उस पत्थर को उठाकर वो सीधा उसे सुशांत की गाडी के सामने वाले शिशे पर पूरी ताकत से मारती है जिससे उस की गाडी का सामाने वाला कांच बुरी तरह टूट जाता है

    और सुशांत को देखते हुए attitude के साथ एक हाथ से अपने बालों पीछे झटकते हुए उसके सामने जाकर खडी हो जाती है

    साक्षी ने सुशांत का हाथ पकड़कर उसके दिए हुए पैसे उस के हाथ में रखते हुए कहा ये लिजिए पैसे और जाइए जाकर अपनी गाडी ठीक करवा लिजिए अगर कम पड़ जाएं तो बता दीजिएगा और हां आप भी दुबारा मेरे सामने मत आइएगा वर्ना अभी तो कांच तोड़ा है अगली बार पूरी गाड़ी ही उड़ा दूंगी

    ये देखकर सुशांत का गुस्सा आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है वो साक्षी का हाथ पकड़ के पीछे की तरफ करके उसे जोर से अपनी तरफ खींचता है और गुस्से से उसे देखता है

    लेकिन साक्षी के चेहरे पे डर या दर्द के कोई एक्सप्रेशन नहीं थे वो अभी भी एटिट्यूड से सुशांत को देख रही थी
    सुशांत ने उसके हाथ पे अपनी पकड़ और मजबूत कर दी
    लेकिन फिर भी साक्षी के चेहरे पे कोई दर्द कोई डर नहीं आया

    अबकी बार सुशांत ने उसका हाथ छोड़ते हुए उसे पीछे धकेला

    साक्षी ने अनु के पास आकर थोड़े सख्त लहजे में  चल अनु यहां से और दोनों वहाँ से चली जाती हैं 

  • 3. My Cute Wifey - Chapter 3

    Words: 1083

    Estimated Reading Time: 7 min

    साक्षी सुशांत के हाथ में पैसे थमा कर वहां से निकल जाती है सुशांत गुस्से में वहीं खड़ा होकर आग बबूला हो रहा था सुशांत ने अपने हाथ को एक बार देखा और कस कर अपनी मुठियां भींच लीं  सुशांत के हाथ पकड़ने से साक्षी को तो दर्द नहीं हुआ लेकिन शायद सुशांत के हाथ में थोड़ा दर्द जरूर हुआ लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और  अमन से गुस्से में कहा  अमन मुझे इस लड़की की सारी information चाहिए किसी भी कीमत पर मुझे इस की information लाके  दो और दूसरी गाडी  मंगवाओ अमन ने थोड़ा घबराते हुए कहा यस सर मैं अभी कॉल कर के गाड़ी मंगवाता हूं अमन जल्दी से दूसरी गाड़ी के लिए फोन करता है लगभग 15 minutes में दूसरी गाडी वहां आ जाती है सुशांत अमन के साथ जा कर कार में बैठ जाता है उनके बैठते ही ड्राइवर गाड़ी स्टार्ट करके वहां से  सीधा ठाकुर सदन  के लिए निकल जाता है


    दूसरी तरफ अनु अपनी टूटी हुई स्कूटी लेकर पैदल घर की तरफ जा रही थी और साक्षी सुशांत की बुराई कर रही थी लेकिन अनु तो किसी और ही दुनियां में खोयी हुई थी उस के मन में अभी भी सुशांत का चेहरा घूम रहा था अनु साक्षी की बातों पर कोई ध्यान ही नही दे रही थी बस हूं हूं हूं बोले जा रही थी  जब साक्षी ने अनु की तरफ ध्यान दिया तो उसे बहुत गुस्सा आया

    साक्षी  अनु के कान के पास जाकर जोर से चिल्लाते हुए कहती है अनूनूनून तो अनु हडबडा जाती है और अनु ने साक्षी की तरफ देखकर कहा क्या हुआ साक्षी तू इतना चिल्ला क्यों रही है  तू ठीक तो है ना  साक्षी ने उल्टा अनु से सवाल करते हुए कहा ये बात तो मुझे तुझ से पूछना चाहिए कि तू ठीक तो है ना मैं कब से तुझ से बात कर रही हूं लेकिन मैडम पता नही कहां खोयी हुई हैं मेरी बात का कोई जवाब ही नही दे रहीं

    अनु ने कहा चल अब घर चलते हैं बहुत लेट हो रहा है और तू आंटी को call  करके बोल देना कि आज तू मेरे ही घर पर रुकेगी

    साक्षी ने अनु के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा नहीं यार तू तो जानती है ना मॉम को

    अनु ने कहा यार तेरी भी क्या जिंदगी है रोज बस अपनी मॉम और बहन से मार खाती है

    साक्षी एक बहुत ही बोल्ड लड़की हुआ करती थी

    पर उसकी मां के मरने के बाद उसकी सौतेली मां और सौतेली बहन ने मिलकर साक्षी को एक डरपोक लड़की बना दिया था

    साक्षी को उसकी सौतेली बहन और मॉम का बहुत डर लगता था
    अनु साक्षी को उसके घर तक छोड़कर उसे बाय बोलकर वहां से अपने घर के लिए निकल जाती है

      साक्षी अपने घर के अंदर जाती है तो उसकी बहन टिया उसे देखते ही डांटने लगती है और कहती है इतना टाइम कहा लगा दिया इतना टाइम लगता क्या समान लाने में में कब से चाय के लिए वेट कर रही हु अब खड़ी होकर मुझे क्या देख रही है जाकर मेरे लिए चाय बना

    साक्षी बिना कुछ कहे किचन में चली जाती है और चाय बनाने लगती है साक्षी को अब इन सब कड़वी बातों की आदत हो चुकी थी उससे प्यार से बात करने वाला अनु के अलाव कोई था ही नहीं

    उधर सुशांत ठाकुर सदन पहुंच जाता है और अपनी फैमिली से मिलता है ज्यादा वो किसी से बात नहीं करता है ये उसकी आदत है सबके हालचाल पूछकर अपने रूम में चला जाता है

    रात को सुशांत अपने रूम में गहरी नींद में सो रहा था अचानक उसे लगा जैसे किसी ने उसे मारा हो वो अचानक से हड़बड़ी में उठ जाता है उसे सोचा है शायद कोई सपना देखा होगा

    लेकिन ये फिर होता है जागते हुए भी उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसे मार रहा है वो जल्दी से उठकर बैठ जाता है और लाइट ऑन करता है लेकिन वहां कोई नहीं था

    कुछ देर तक ऐसा होता है उसे लगता है जैसे कोई उसे मार रहा हो कभी हाथ पे कभी पैर में उसे बहुत दर्द होता है कुछ देर बाद वो सिलसिला रुक जाता है लेकिन अभी भी उसे हाथ पैर में दर्द हो रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है वो पैन किलर लेता है और वापस सो जाता है

    अगले दिन अमन का कॉल आता है वो सुशांत को बताता है सर उस लड़की का नाम साक्षी शर्मा है उम्र 17 साल उसकी सौतेली मॉम और सौतेली बहन है जो उसे बहुत टॉर्चर करती है कल रात को भी उसे बहुत मर पड़ी थी

    सुशांत कहता है हम अभी उसके घर जा रहे है
    अमन कहता है जी सर

    थोड़ी देर में वो लोग उसके घर के बाहर होते है

    घर के अंदर देखते है साक्षी टिया और उसकी मॉम के लिए चाय बनाकर लाती है टिया चाय टेस्ट करते हुए कहती है क्या बकवास चाय बनाई है और चाय साक्षी के ऊपर गिरा देती है जिससे साक्षी जल्दी से पीछे होती है
    और चाय उसके हाथ पे गिर जाती है तभी सुशांत घर के अंदर आता है और टिया को साक्षी पे चाय गिराते हुए देखता है सुशांत जैसे दर्द से अपनी आँखें बंद कर लेता है  जैसे वो चाय साक्षी के हाथ पे नहीं गिरी सुशांत के हाथ पे गिरी हो

    अमन सुशांत को देखता है और सोचता है सर को क्या हुआ ऐसे तो सर किसी की परवाह नहीं करते है फिर आज साक्षी के दर्द को देखकर सर को क्यों दर्द हो रहा है


    तभी टिया साक्षी के पास जाकर कहती है तुम्हे एक चाय बनानी नहीं आती है सुबह सुबह मेरा मूड ऑफ कर दिया ये कहते हुए साक्षी पे अपना हाथ उठाती है लेकिन उसे एहसास होता है किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया है

    साक्षी भी डर से अपना मुंह छिपा लेती है लेकिन जब उसे थप्पड़ नहीं पड़ा तो वो भी धीरे से नजर उठाकर देखती है

    सुशांत ने टिया का हाथ पकड़ रखा था सुशांत को देखकर उसकी मॉम भी वहां आ जाती है और उसे कहती है तुम कौन हो और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी का हाथ पकड़ने की

    सुशांत टिया का हाथ छोड़ देता है और साक्षी का हाथ पकड़ के कहता है चलो मेरे साथ

    साक्षी बस एक टक उसे देखती है तभी उसकी मॉम कहती है तुम कौन हो और तुम मेरी बेटी को कहा ले जा रहे हो

    सुशांत कहता है अब ये यहां नहीं रहेगी में इसे अपने साथ ले जा रहा हु

  • 4. My Cute Wifey - Chapter 4

    Words: 1051

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुशांत कहता है अब ये यहां नहीं रहेगी में इसे अपने साथ ले जा रहा हु

    उसकी मॉम ने कहा तुम होते कौन हो इसे यहां से ले जाने वाले किस हक से तुम इसे लेकर जा रहे हो

    सुशांत ने साक्षी का हाथ छोड़ दिया और थोडा रुक कर कहा  शादी करेगी आप मुझसे

    सुशांत के यह कहते ही साक्षी shock हो गई उसने कभी अपने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था की सुशांत कुछ ऐसा कहेगा वो कैसे उस से शादी कर सकती है साक्षी तो उसे जानती भी नहीं है पर उसके पास कोई और ऑप्शन भी तो नहीं है अगर वो ऐसा नहीं करेगी तो जिंदगी भर अपनी मॉम और बहन से मार खाती रहेगी

    ना जाने क्या क्या उसके मन में चल रहा था सुशांत उसके चेहरे पर आते-जाते भाव को देखकर उसके विचारों को समझने की कोशिश कर रहा था

    सुशांत ने कहा देखें मैं समझ रहा हूं कि आप क्या सोच रही होंगी पर इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है अगर आप मेरे पास रहेंगी तो महफूज भी रहेंगी और ख़ुश भी  मैं आपकी हिफाजत भी कर पाऊंगा और इसके अलावा मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं है आप वक्त लीजिए और कल सुबह तक सोच कर मुझे बता दीजिएगा चलता हूं  Please take care

    इतना कहकर सुशांत  जाने लगा वो अभी दो कदम चला ही था कि उसके कानों में एक प्यारी सी आवाज़ आई जिसे सुनकर उसकी आंखें अपने आप बंद हो गई और चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

    साक्षी ने कहा हम तैयार है

    साक्षी का यह कहना सुशांत को ना जाने कितनी खुशी दे गया

    सुशांत ने बिना पलटे कहा  कल  हमारी  शादी  है तैयार रहिएगा

    इतना कहते ही वह बिना कुछ सुने वहां से चला गया
    साक्षी अपने ही ख्यालों में गुम थी  उसे  समझ ही नहीं आ रहा था कि ना जाने क्यों दिल के हाथों मजबूर होकर उसने इतने बड़े फैसले के लिए हां कह दी वो तो सुशांत को जानती भी नहीं है

    अपनों से इतने मार खाने के बाद आज वो जिंदगी के जिस मोड़ पर खड़ी है  किसी अंजान पर भरोसा करना मुश्किल लग रहा था   अब एक दफा किसी अजनबी पर भी भरोसा करने का दिल कर रहा था
    तभी उसकी मॉम की आवाज आई वो तो चला गया अब तू भी जाकर बाजार से सब्जियां ले आ

    शादी करेगा आया बड़ा हूं उसकी मॉम खुद से बड़बड़ाई

    साक्षी बाजार चली गई वह वहां अनु से मिली अनु ने मिलने का बस यही रास्ता है न तो अनु साक्षी से मिलने उसके घर जा सकती थी ना साक्षी बाजार के अलावा कही जा सकती थी इसलिए साक्षी जब भी बाजार जाती उसकी मुलाकात अनु से हो जाती थी

    साक्षी कुछ खोई खोई सी थी तो अनु ने साक्षी से पूछा क्या हुआ है तुम्हे तू इतनी चुपचाप क्यों है क्या फिर से तेरी मॉम या बहन ने तुझे मारा है 

    साक्षी ने कहा वो कौनसी नई बात है वो तो रोज ही मारती है लेकिन आज जो हुआ वो

    क्या हुआ आज अनु ने बीच में बोला

    साक्षी ने कहा तुम्हे याद है कल जिसकी गाड़ी से हमारी स्कूटी टकराई थी

    अनु ने खुश होते हुए कहा है उसे कैसे भूल सकती हु कितना हैंडसम था वो

    साक्षी ने कहा आज वो हमारे घर आया था और उसने

    अनु ने चौंकते हुए कहा क्या तुम्हारे घर आया था वो घर तक आ गया तुम्हे मारा  तो नहीं ना उसने

    ये कहते हुए साक्षी को चारों तरफ से देखने लगी

    साक्षी ने अनु को पकड़ के सीधा करते हुए बोली मारा नहीं बल्कि मार से बचाया था

    क्या मार से बचाया था अनु ने फिर चौंककर कहा

    साक्षी ने कहा हा और उसने मुझसे पूछा मुझसे पूछा साक्षी से बोला भी नहीं जा रहा था

    अनु ने कहा क्या पूछा तू तो ऐसे डर रही है जैसे उसने तुमसे शादी करने के लिए कह दिया हो

    साक्षी ने कहा हा शादी के लिए बोला

    शादी के लिए तेरा मतलब है वो तेरे से शादी करना चाहता है अनु ने कहा

    साक्षी ने हा में सर हिला दिया

    अनु ने कहा बेचारा पहली नजर में मेरी फ्रेंड पे दिल हार गया और हो भी क्यों ना ऐसा मेरी फ्रेंड है ही इतनी सुंदर
    अनु ने फिर कहा तो तुमने क्या कहा तुमने मना तो नहीं कर दिया ना

    साक्षी ने कहा मैने उसे हा कह दिया उससे शादी होगी तो कम से कम मॉम और टिया की मार तो नहीं खानी पड़ेगी

    अनु ने कहा सही किया तुमने कितना हैंडसम और अमीर है वो तू बहुत खुश रहेगी

    साक्षी ने कहा लेकिन कही वो मुझसे इसलिए शादी तो नहीं कर रहा क्योंकि मैने उसकी गाड़ी का सीसा तोड़ दिया था कही वो उसका बदला लेने के लिए तो मुझसे शादी नहीं कर रहा

    अनु ने कहा पागल है क्या तू वो इतना अमीर है अगर बदला लेना होता तो वो तुम्हारी मॉम को रुपए देता और तुम्हे मारने के लिए कहता मार से बचाता नहीं और  शादी तो कभी नहीं करता

    साक्षी कुछ सोचने लगती है तभी अनु कहती है शादी कब है

    साक्षी  ने कहा उसने कल के लिए बोला है

    कल अनु ने कहा कही वो मजाक तो नहीं कर रहा तुम्हारे साथ

    साक्षी ने कहा उसे कुछ और काम नहीं है क्या जो वो हमारे घर का अता पता करके हमारे घर हमारे साथ मजाक करने आयेगा

    अनु ने कहा वो तो सही है लेकिन कल वो तुमसे मिला कल इतने गुस्से में था आज तुम्हारे घर आया और तुम्हे शादी करने के लिए बोला और कल ही शादी भी कर रहा है ये समझ नहीं आ रहा

    साक्षी ने कहा वो मुझे टिया और मॉम की मार से बचाने के लिए शादी कर रहा है वो जब घर आया तो उसने टिया को मुझे मारते हुए देख लिया इसलिए मुझे अपने साथ ले जाने लगा लेकिन मॉम ने कहा किस हक से इसे ले जा रहा है तो उसने मुझसे शादी करने के लिए कहा

    अनु ने कहा तुम्हारी मॉम ने कुछ नहीं कहा

    साक्षी ने कहा उसने मॉम को पूछा ही नहीं उसने मुझसे पूछा मैने हा कहा तो उसने कहा कल हमारी शादी है तैयार रहना

    अनु ने कहा क्या एटिट्यूड है और क्या प्यार है तुम्हे और मार न खानी पड़े इसलिए कल ही शादी कर रहा है  काश कोई ऐसा प्यार मुझे भी करे

  • 5. My Cute Wifey - Chapter 5

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनु ने कहा क्या एटिट्यूड है और क्या प्यार है तुम्हे और मार न खानी पड़े इसलिए कल ही शादी कर रहा है  काश कोई ऐसा प्यार मुझे भी करे

    दोनों बाते करते हुए सब्जियां और अन्य समान लेती है और घर चली जाती है घर पे जाते ही साक्षी काम में लग जाती है घर का सब काम वही करती थी साक्षी को अभी भी नहीं पता था उसके साथ क्या होने वाला है सुशांत शादी के लिए बोलकर तो चला गया लेकिन क्या सच में वो कल आयेगा और उससे शादी करेगा और अगर उससे शादी भी करेगा तो उसके पीछे की वजह क्या है ये सब सोचते हुए वो स्टोर रूम में नीचे सो जाती है

    स्टोर रूम ही उसका रूम था जहां वो हमेशा सोती थी साक्षी अनु के साथ बस हंस बोल लेती थी बाकी उसके घर में तो बस वो सबकी डांट फटकार सुनती थी शायद यही वजह थी कि उसने सुशांत से शादी के लिए तुरंत हा कह दी वो इस नरक से निकलना चाहती थी लेकिन क्या सुशांत उस का ख्याल रखेगा

    अगली सुबह

    साक्षी आज सुबह से दरवाजे को देखे जा रही थी 
    इंतजार करते करते अब तो साक्षी को अजीब सी बेचैनी होने लगी

    तभी मुस्कुराते हुए अनु उसके पास आईं और उसे एक पेपर बेग थमाया और कहा यह लो और फ्रेश हो कर जल्दी से तैयार हो जाओ अभी थोड़ी देर में तुम्हें जाना है ना

    साक्षी को उसकी बात समझ नहीं आई उसे कहां जाना है  उसने पेपर बेग देखा तो उसमें एक बहुत खूबसूरत रेड लहंगा चुन्नी था वह कुछ पूछने को हुई पर तब तक  वहां टिया आ गई  बहुत सारे सवालों के साथ उसने वो बेग उठाया और वॉशरूम में नहाने चली गई

    करीब 20 मिनट बाद बाथरूम का दरवाजा खुला और वो बाहर आई वो लाल रंग लहंगा  उस पर बहुत अच्छा लग रहा था चेहरे पर कोई मेकअप नहीं फिर भी वो बहुत खूबसूरत दिख रही थी उसके लंबे सुनहरे  बाल कमर से नीचे तक लहरा रहे थे पानी की बूंदों के कारण अभी वो हल्के से गीले थे जिन्हें वो तौलिए से सुखा रही थी कानों में छोटी सी सोने की बालियां जो उसकी मॉम की निशानी थी वो बाल सुखाते सुखाते बाहर आ गई उसका पूरा ध्यान अपने बालों को सुखाने में था इस बात से अनजान कि कोई उसे कितनी शिद्दत से देख रहा है दरवाजे पर खड़ा सुशांत दीवार से टेक लगाकर बस उसे ही निहारे जा रहा था  इस बात पर विश्वास करना उसके लिए बड़ा मुश्किल था कि कोई सादगी में भी इतना खूबसूरत कैसे लग सकता है वो सब कुछ भुला कर बस उसकी मासूमियत का दीदार किए जा रहा था

    कुछ देर बाद जब साक्षी को लगा कि कोई उसे बहुत देर से देख रहा है तो उसने अपनी नजरें उठाकर दरवाजे की तरफ देखा और उसे वो दिखा जिसे देखने के लिए वह सुबह से बेचैन थी अब जाकर उसकी नजरों को एक सुकून मिला था कुछ पल के लिए तो दोनों की ही नज़रे आपस में एक दूसरे पर ठहर गई कुछ क्षण बाद साक्षी ने इन नजरों के बंदिश को तोड़कर अपनी नजरें उस पर से हटाई और पलके झुका ली उसके ये करते ही सुशांत होश में आए और उसकी तरह आते हुए कहा  आप तैयार हो गई चले हमें चलना है आज हमारी शादी है

    साक्षी  - आ प आप जी जी आप मुझे लगा

    सुशांत - क्या लगा कि मैं नहीं आऊंगा

    साक्षी - जी  मतलब वो

    सुशांत - अगर आप सोच रही हैं कि मैं वादे कर कर पीछे हटने वालों में से हूं तो शायद आप गलत है आपका हाथ छोड़ने के लिए नहीं थाम रहा हूं बल्कि निभाने के लिए थाम रहा हूं

    यह कहते हुए अपना हाथ साक्षी की तरफ बढ़ा देता है

    साक्षी अंदर रूम की तरफ देखती है जहां उसकी सौतेली मॉम और टिया थी

    सुशांत साक्षी का डर भाप गया और बोला अब तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है तुम बस मेरे साथ चलो

    अनु ने साक्षी के पास आकर कहा साक्षी अब चलो इससे पहले वो बाहर आए और कुछ हंगामा हो

    कुछ देर तक उसके हाथ को देखने के बाद साक्षी भी अपना हाथ उसके हाथ में दे देती है

    सुशांत उसे लेकर घर से बाहर आता है जहां उसकी ब्लैक चमचमाती कार खड़ी थी उसका दरवाजा खोल कर पहले वो साक्षी को बैठाता है फिर उसकी सीट बेल्ट लगाकर खुद अपनी ड्राइविंग सीट पर बैठकर कलेक्ट्रेट ऑफिस की तरफ गाड़ी घुमा देता है रास्ते भर वो दोनों खामोश थे किसी ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा साक्षी का तो पूरा ध्यान गाड़ी के खिड़की से बाहर नजारे देखने में था और करीब आधे घंटे बाद वो लोग कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंच गए

    सुशांत का असिस्टेंट अमन उन्हीं का इंतजार कर रहे थे सब कुछ पहले से ही तैयार था  उन दोनों को आमने सामने बैठाया गया और फिर लिगली दोनों की मेरिज रजिस्टर्ड की गई

    (क्योंकि साक्षी की उम्र सिर्फ 17 साल की थी इसलिए लिगली उसकी शादी नहीं हो सकती थी पर सुशांत ने जो डाक्यूमेंट्स बनवाए थे उन सब में उसकी ऐज बढ़ा दी थी)



    अमन- congratulations sir and mam

    सुशांत- thanks अमन

    साक्षी तो बिचारी सदमे में ही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो करें क्या आखिर में उसने कुछ कहा ही नहीं बस अपनी नजरें झुका ली  सुशांत उसकी परेशानी समझ रहे थे आखिर इतनी छोटी जो थी वो माहौल को नार्मल करने के लिए सुशांत ने कहा -  चलिए अब साक्षी के घर चलते हैं वहां की फॉर्मेलिटीज भी पूरी करनी है फिर ठाकुर सदन भी तो जाना है

    उसकी बात से सहमत होते हुए वो घर के लिए रवाना हो गए
    वो दोनों घर पहुंचे तो देखा उसकी मॉम साक्षी को ढूंढ रही थी उसकी मॉम खुद से ही बोल रही थी कहा है कर्मजली आजकल बहुत पर निकल गए है नाश्ता बनाया नहीं और चली गई बाजार अब क्या हम भूखे मरे तभी उसकी नजर सुशांत और साक्षी पे जाती है उनको देखकर वो चौक जाती है तभी सुशांत उनके पास जाता है और उनको मैरिज  सर्टिविकेट दिखाता है टिया भी वहां आ जाती है वो सर्टिविकेट देखकर कहती है आप ऐसा नहीं कर सकते है आप ने जोर जबरदस्ती की है आप हमारी मर्जी के बिना साक्षी से शादी नहीं कर सकते है

    सुशांत ने कहा ये शादी साक्षी की मर्जी से हुई है मैने कोई जबरदस्ती नहीं की है

    दोनों साक्षी की तरफ देखती है उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि सच में सुशांत ने साक्षी से शादी कर ली

  • 6. My Cute Wifey - Chapter 6

    Words: 1035

    Estimated Reading Time: 7 min

    दोनों साक्षी की तरफ देखती है उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि सच में सुशांत ने साक्षी से शादी कर ली

    इधर सुशांत वापस साक्षी के पास आए और उसे चलने के लिए कहा उसके चेहरे पर थोड़ी सी घबराहट थी जिसे समझते हुए उन्होंने उसका हाथ थामा और कहा - मुझ पर विश्वास रखिए सब अच्छा होगा मैं हूं आपके साथ

    साक्षी ने फिर एक दफा उस पर भरोसा किया और चल पड़ी अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करने

    सुशांत साक्षी को लेकर ठाकुर सदन पहुंचता है
    सुशांत साक्षी का हाथ पकड़कर अंदर दाखिल होने ही वाला था कि एक रौबदार आवास ने उसे वही रोक दिया 

    'वहीं रुक जाओ

    यह आवाज ठाकुर साहब की थी जो पूरी फैमिली के साथ हॉल में ही बैठे थे पर जब उन्होंने सुशांत को किसी अनजान लड़की के साथ आते देखा तो वहीं रोक दिया और खड़े होकर उसकी तरफ जाने लगे ठाकुर साहब को जाता देख सभी लोग भी उनके पीछे पीछे जाने लगे 

    साक्षी तो अपने सामने इतने सारे अनजान लोगों को देखकर डर से सहम गई उसने झट से सुशांत की शर्ट पकड़ी और उसके पीछे छिप गई जैसे उसे पता हो कि उसके साथ वो महफूज़ है   

    सुशांत को एक अनजान लड़की के साथ देख कर सभी घरवाले shock थे क्योंकि सब जानते थे सुशांत लड़कियों से कितना दूर रहता है 

    ठाकुर साहब (रौबदार आवाज में)  यह कौन है जिसे तुम हमारी इजाजत के बगैर घर में लेकर आ रहे हो क्या हम जान सकते हैं

    सुशांत (बिना किसी एक्सप्रेशंस के)  -  यह हमारी पत्नी है मिसेज सुशांत सिंह ठाकुर और यह कोई अनजान नहीं है बल्कि इस घर की बहु हैं और यह हमारे साथ यही रहेंगी

    सुशांत ने इतनी बड़ी बात ऐसे कह दी थी जैसे वो कोई छोटी मोटी अनाउंसमेंट कर रहा हो और घरवाले वो तो ऐसे शौक में थे जैसे ना जाने उन्हें क्या सुन लिया हो यहां तक की ठाकुर साहब भी कुछ पल के लिए तो सदमे में चले गए थे क्योंकि सुशांत और शादी यह तो इंपॉसिबल जैसा था ना जाने कितनी कोशिश की थी सब लोगों ने कि वो शादी के लिए हां कह दे या वो कोई लड़की पसंद कर ले पर उसका एक ही कहना था कि वो कभी शादी नहीं करेगा फिर अचानक पत्नी कहां से आ गई वो भी उससे उम्र में इतनी छोटी ऐसे ही कई सवाल घर वालों के और ठाकुर साहब के दिमाग में चल रहे थे कुछ देर के लिए तो वहां पर एकदम शांति छा गए फिर कुछ सोचते हुए ठाकुर साहब  बोले - यह लड़की इस घर में बहू की तरह नहीं रहेगी

    ठाकुर साहब का फैसला सुनकर सब उनकी तरफ देखने लगे क्योंकि सबको लग रहा था कि कहीं ठाकुर साहब उस लड़की को अपनाने से मना ना करदे और अगर ऐसा हुआ तो सब जानते थे की सुशांत भी कुछ ना कुछ तो जरूर करेगा क्योंकि वो कभी किसी की नहीं सुनता था उसकी ज़िद ही उसके लिए मायने रखती थी 

    सुशांत (तेडी मुस्कुराहट के साथ) - और आपको लगता है कि मैं आपकी इजाज़त का मोहताज हूं

    ठाकुर साहब - भूलो मत बरखुद्दार यह हवेली आज भी हमारी है और यहां कौन रहेगा कौन नहीं इसका फैसला भी हमारा ही रहेगा 

    सुशांत- सही कहा आपने ठाकुर साहब की हवेली आपकी है यहां के नियम कानून भी आपके है पर भूले मत मेरे अंदर भी आपका ही खून दौड़ता है और सुशांत सिंह किसी के नियमों और कानूनों की कैद से परे है और अगर मेरी पत्नी यहां नहीं रहेगी तो मैं भी यहा नहीं रहूंगा मेरा फ़र्ज़ था आपको inform करना जो मैं कर चुका हूं अब आपका फैसला मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता मैं अपनी  पत्नी के साथ यह घर छोड़कर जा रहा हूं क्योंकि जहां मेरी पत्नी नहीं रहेगी मैं भी नहीं रहूंगा इतना कहकर वो साक्षी का हाथ थामे जाने के लिए मुड़ा वो अभी कुछ दो कदम ही चला था कि उसके कानों में ठाकुर साहब की आवाज आई 

    ठाकुर साहब - हमने कहा कि वो बहू बनकर इस घर में नहीं रहेगी पर हमने यह नहीं कहा कि वो घर में रहेगी ही नहीं

    उनकी बात सुनकर सुशांत के जाते कदम वहीं रुक गए और घर वालों की आंखों में फिर एक उम्मीद आ गई कि सुशांत कहीं नहीं जाएगा 

    सुशांत वापस आया और ठाकुर साहब के सामने गया और असमझ में उन्हें देखने लगा 

    ठाकुर साहब साक्षी के पास गए और कहां - क्या नाम है आपका

    साक्षी तो उन्हें अपने पास आता देख डर से सहम गई और सुशांत के पीछे छुप गई जब ठाकुर साहब को लगा कि वो कुछ नहीं बोल रही तो उन्होंने सुशांत की तरफ देखा तो सुशांत ने प्यार से साक्षी के सिर पर हाथ फेरा और उसे अपना नाम बताने का इशारा किया उसका इशारा पाते ही साक्षी ने सहमी सी आवाज में कहा  साक्षी

    सभी सुशांत का इतना प्यार देखकर हैरान रह गए क्योंकि वो कभी किसी से इतनी प्यार से बात नहीं करता था वो किसी से बात कर ले वही बड़ी बात है प्यार से बात करना तो दूर की बात है 

    ठाकुर साहब (मुस्कुराते हुए) - बहुत प्यारा नाम है और आपकी उम्र

    साक्षी  - 17

    ठाकुर साहब मुस्कुराते हुए उसके सर पर हाथ फिरने के लिए हाथ बढ़ाते हैं पर हो डर से जल्दी से सुशांत के पीछे छिप जाती हैं तो उनका हाथ हवा में ही रुक जाता और वो अपना हाथ नीचे कर लेते और सुशांत की तरफ मुड़कर  कहते हैं - हमने यह नहीं कहा कि वो यहां नहीं रहेंगी वो यही रहेंगी पर आप की पत्नी बन कर नहीं इस घर की बेटी बनकर जरा देखिए इनकी तरफ 17 साल की उम्र में क्या आपको लगता है कि तैयार है एक रिश्ता निभाने के लिए वो भी उम्र भर का हम किसी के भी साथ ज्याती नहीं होने दे सकते और ना ही साक्षी के साथ होने देंगें जिस उम्र में बाकी लोग कॉलेज जाते हैं मस्ती करते हैं जिंदगी जीते हैं आप उन्हें एक रिश्ते में बांधना चाहते हैं और हमें यह मंज़ूर नहीं आपके लिए तो कानून मायने नहीं रखता पर हमारे लिए मायने रखता है इसलिए हम यह फैसला लेते हैं कि साक्षी यही रहेंगी पर आपकी पत्नी बनकर नहीं इस घर की बेटी बनकर 

  • 7. My Cute Wifey - Chapter 7

    Words: 1023

    Estimated Reading Time: 7 min

    बाबा साहेब के आदेश पर यह फैसला लिया जा चुका था की साक्षी इस घर में बहू बनकर नहीं बेटी बनकर रहेगी सुशांत को भी ठाकुर साहब की बात सही लगी इसलिए वो भी उनके फैसले में कोई इनकार ना किया

    ठाकुर साहब - बड़ी बहू जाइए और बच्ची को कुछ खिला दीजिए ना जाने कब से कुछ खाया या नहीं और हां सुशांत के बगल वाला कमरा भी खाली कराकर साफ करवा दीजिएगा

    अंजू  - जी

    अंजू भाभी आगे बढ़कर साक्षी के पास जाती हैं वो उसका हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाती है कि साक्षी फिर सहम कर सुशांत के पीछे छुप जाती है अब तक सब यह तो समझ चुके थे की साक्षी किसी वजह से बहुत डरी हुई है और फिलहाल सुशांत के अलावा कोई और उससे शायद संभाल भी ना पाए अंजू  भाभी ने सुशांत की तरफ इशारा किया कि वो साक्षी को सब से मिला दे जिससे वो थोड़ा खुल मिल जाए


      सुशांत  साक्षी को अपने भैया भाभी से मिलाता है वह भी बहुत प्यार से उससे मिलते हैं अंजू भाभी  वो तो साक्षी को गले लगाना चाहती थी पर उसकी हालत देखकर अपनी ख्वाहिश दिल में ही दबा ली

    दिशांत और आरती से तो अपनी बारी आने का इंतजार ही नहीं हो रहा था इसलिए वो खुद आगे आ गए और साक्षी से मिलने के लिए आरती से तो अपनी एक्साइटमेंट समहाली ही नहीं गई उसने झट से आगे बढ़कर साक्षी को गले लगा लिया और खुश होते हुए बोली - ohhh my god bhabhi i am so happy to meet you finally सुशांत भाई ने शादी कर ली वरना मुझे तो लगा था कि मैं कभी उनकी वाइफ से मिल ही नहीं पाऊंगी क्योंकि वो तो कभी शादी करते ही नहीं

    आरती के अचानक गले लगने से साक्षी सम्भल नहीं पाई उसके लिए यह सब बहुत नया था और आरती का एकदम से गले लगना उस नन्ही सी जान ने एक्सपेक्ट नहीं किया था रिश्ते में भले ही वो आरती से बड़ी हो पर उम्र में तो वो उससे भी छोटी थी ऊपर से उसका दर्दनाक  past जो उसे चाह कर भी यह सब एक्सेप्ट करने नहीं दे रहा था जब आरती को एहसास हुआ कि साक्षी ने उसके हक का कोई रिस्पांस नहीं दिया है तो वो उससे थोड़ा दूर हुई और उसकी तरफ देखा तो वो घबराऐ हुए एक्सप्रेशन से उसे ही देख रही थी

    आरती को देखकर उसे टिया की याद आ गई जो उससे छोटी थी लेकिन कभी भी उससे इज्जत से या प्यार से बात नहीं की थी वो अपने ख्यालों में थी तभी

    दिशांत ने कहा  हाय भाभी मैं आपका छोटा सा प्यारा सा देवर वैसे तो आप मुझसे भी छोटी है पर कोई बात नहीं हम साथ में मिलकर बहुत मजे करेंगे

    साक्षी उन सभी को गौर से देख रही थी यह पहली बार था जब किसी ने उससे इतने प्यार से बात की थी कितना अपनापन था यहां हां थोड़ी हिचक थी पर फिर भी उससे कहीं ज्यादा स्नेह था अपनों का

    सबसे मिलने के बाद आखिर में  सुशांत उसे अपनी मॉम के पास ले गया और कहा  यह मेरी मॉम हैं

    सुशांत की मॉम ने कहा तुम्हारी ही क्यों मैं तो अपनी साक्षी की भी मॉम हूं यह कहते हुए उन्होंने साक्षी के सिर पर हाथ फेरा और फिर प्यार से उसके माथे को चूम लिया

    मॉम यह शब्द ना जाने कब तक उसके मन ने दोहराया क्योंकि उसकी मॉम ने उसे आज इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां उसके पास अब कुछ नहीं बचा  आज जब लक्ष्मी जी ने इतने प्यार से उसे मॉम कहने के लिए कहा तो एक पल के लिए तो उसके दिल को लगा जैसे बस उसे सब कुछ मिल चुका है कहीं ना कहीं आज उसके दिल में सुकून था उसके पास भी अब शायद परिवार है हालांकि दिमाग में एक डर भी था कि क्या होगा अगर ये परिवार भी उसे छोड़ दे तो

    साक्षी की आंखों से कुछ बूंद आंसुओं के निकल गए और उसके होठों ने बड़े धीमे से  कहा  मॉम

    एक मां का हाथ सिर पर होना कितना सुकून दायक होता है शायद आज उसे पता चला था लक्ष्मी जी को भी उसकी हालत शायद समझ आ गई थी इसलिए आंगे बढ़कर उन्होंने उसे अपनी ममता की आगोश में भर लिया और गले से लगा लिया उनके गले लगते ही जैसे उसे एक आशियाना मिल गया हो और वो फफक कर रो पड़ी

    यह पहली बार था जब सुशांत ने भी उसे रोते हुए देखा था उसे अंदाजा तो था कि उसके साथ बहुत बुरा हुआ है पर आज उसको यू रोता देखकर भी उसे जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा

    लक्ष्मी जी ने उसे बड़े ही मुश्किल से शांत किया और सुशांत से कहा  बेटा तुम अभी इसे आरती के कमरे में ले जाओ हम जल्द ही ऊपर वाला कमरा खाली करवा कर सफाई करवाते हैं तब तक ये वहां कुछ देर आराम कर लेगी और हम इसके लिए कुछ खाने के लिए लाते हैं

    सुशांत साक्षी को सीढ़ियों से होते हुए फर्स्ट फ्लोर पर बने आरती के कमरे में लेकर चला गया आरती का कमरा बहुत ही खूबसूरत था जैसे कि एक रहीस घर की बेटी का होना चाहिए था सुशांत ने उसे प्यार से बेड पर बिठाया और कहा - आप यहां आराम से बैठो मॉम अभी आती होगी वो आपको आपकी जरूरत का सारा सामान दे देगी मैं चलता हूं मुझे कुछ काम है

    इतना कहकर वो वहां से जाने के लिए पलटा ही था की साक्षी ने उसका हाथ पकड़ लिया सुशांत ने जब उसकी तरफ देखा तो वो उसे ही देख रही थी जैसे कहना चाह रही हो कि वो उसे छोड़कर ना जाए

    साक्षी सुशांत को बड़े ध्यान से देख रही थी वो कुछ कहती  उससे पहले ही लक्ष्मी जी खाने की थाली लेकर कमरे में दाखिल हुई और कहा चलो बच्चों बातें तो बहुत हो गई अब कुछ खा लो और सुशांत तुम भी जा कर fresh हो जाओ और नीचे डिनर के लिए आ जाओ साक्षी को मैं खाना खिला दूंगी

     सुशांत भी उन्हें हां कहकर वहां से चला गया हालांकि जाने से पहले  उसने एक दफा पलट कर साक्षी को देखा जरूर था

  • 8. My Cute Wifey - Chapter 8

    Words: 1081

    Estimated Reading Time: 7 min

    लक्ष्मी जी साक्षी को अच्छे से खिला पिलाकर सुला देती है और प्यार से उसके माथे को चूम कर कमरे से चली जाती है

    दूसरी तरफ सुशांत भी फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर आता है डाइनिंग टेबल बहुत ही बड़ी और खूबसूरत तरीके से सजाई गई थी दो आमने-सामने मेन चीयर्स थी और बाकी साइड में रखी चेयर्स सब लोग आकर बैठते हैं और पास खड़ी maids सबको खाना परोसती हैं और सबने खाना शुरु कर दिया ठाकुर सदन का एक रूल था कोई पूरे दिन कितना भी बिजीं हो रात का डिनर सब साथ में ही करते थे

    ठाकुर साहब - साक्षी ने कुछ खाया या नहीं

    लक्ष्मी जी - जी  मैंने उसे अच्छे से खिलाकर सूला दिया है वो बहुत थकी  हुई सी लग रही थी इसलिए जितना आराम करें उतना अच्छा है

    ठाकुर साहब (सुशांत को देखते हुए ) - हां बिचारी अभी है भी तो कितनी छोटी  उस नाज़ुक सी गुड़िया को ना जाने क्या क्या झेलना पड़ा होगा पर कुछ लोगों को तो बस अपने मन की करनी होती है बिना किसी की कोई राए मानें बस जो  अच्छा लगे वही करना है

    सुशांत को अच्छे से समझ में आ रहा था की यह सारे taunt उसे ही मारे जा रहे हैं पर वो बेफिक्री से अपना ध्यान बस खाने में दे रहा था जैसे उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता कौन क्या कह रहा है क्या सोच रहा है

    पर घर में बाकी सब को यह बात अच्छे से समझ में आ रही थी और आए भी क्यों ना पिछले इतने सालों से यही तो होता आ रहा है ठाकुर साहब और सुशांत के बीच की इनविजिबल कोल्ड वॉर

    ठाकुर साहब -बहु हमारे घर की रौनक अंशु और पायल  कब आ रहे हैं

    अंजू ने कहा जी डैड वो कल शाम तक आ जायेगे

    दरअसल अंशु और पायल अपनी मौसी तनु के साथ अपनी ननिहाल गई हुए थे

    ठाकुर साहब - चलो अच्छा है घर में चहल-पहल फिर से होने लगेगी बच्चों को देखकर साक्षी का भी दिल बहल जाएगा आखिर वो है ही इतने प्यारे बच्चे

     यूं ही बातों बातों में सबका डिनर हुआ और सब अपने अपने कमरे में चले गए

    सुशांत अपनी आदत से मजबूर छत पर टहलने आ गया था जब भी उसका मन अशांत होता तो वो यूं ही छत पर आ जाया करता था आज भी वो छत से एक टक चांद को निहारें जा रहा था उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था पर मन में हजारों सवाल चल रहे थे  तभी उसे लगा कोई उसके बगल में आकर खड़ा हुआ है उसने गर्दन घुमा कर देगा तो विजय उसके भाई खड़े थे वो भी एक टक चांद को ही देख रहे थे दोनों के बीच कई देर तक खामोशी छाई रही
    फिर विजय ने कहा क्या में अचानक शादी की वजह जान सकता हु

    सुशांत ने विजय को देखकर कहा ये समझ लीजिए मेरी मजबूरी थी और साक्षी के लिए जरूरी थी

    फिर विजय ने कहा हमें तुम पर भरोसा है और हमें ही नहीं सबको पूरे परिवार को तुम पर भरोसा है तभी तो किसी ने तुमसे कोई सवाल नहीं किया कि साक्षी कौन है तुमने क्यों उस से शादी की इतनी छोटी है वो अभी क्योंकि हमें पता है तुम जो भी करोगे सही करोगे

    विजय जी जाने के लिए मुडे फिर कुछ सोचकर रुके और सुशांत की तरफ देख कर उन्होंने कहा - एक बात पूछूं तुमसे सच-सच जवाब दोगे

    सुशांत - आप जानते हैं मैं झूठ नहीं बोलता

    विजय जी - प्यार हो गया है तुम्हें उससे?

    सुशांत ने कहा आप जानते हैं ना मैं इन सब चीजों पर विश्वास नहीं रखता और रही बात उससे तो बहुत छोटी है वो मुझसे हमारे बीच कभी यह सब हो ही नहीं सकता प्यार तो अपने हम उम्र से करते हैं ना

    विजय जी  ने कहा प्यार में फासले जरूरी है और यह जो तुम कह रहे हो ना कि उम्र के फासले के कारण कभी तुम्हें प्यार नहीं हो सकता देखना एक दिन यह उम्र का फासला ही तुम्हें उससे प्यार करने पर मजबूर कर देगा और इसकी शुरुआत हो चुकी है बस अभी तुम्हें  खबर नहीं है जब खबर होगी तो बताना जरूर मुझे

    सुशांत बहुत देर तक सोचने के बाद उसने ख्याल ही छोड़ दिया और नीचे अपने कमरे की  तरफ मूड गया ‌ वो कमरे की तरफ जा ही रहा था की  उसकी नजर  साक्षी के कमरे के दरवाजे पर पड़ी दिल हुआ कि एक बार उसे देख ले

    वो मासूम जिसने उसकी जिंदगी में इतने सारे सवाल लाकर खड़े कर दिए थे सबसे बेखबर सुकून से सो रही थी इस बात से अनजान कि उसने किसी के दिल में कितनी बेचैनी पैदा कर दी है सुशांत ने एक नजर उसे देखा फिर उसका ध्यान ब्लैंकेट पर गया जो जमीन पर पड़ा था फिर आगे बढ़कर उसने उसे जमीन से उठाया और वापस साक्षी को उड़ा दिया और एक नजर उसे देख कर उसके कमरे से चला गया

    अपने कमरे में आने के बाद उसने खुद के सहन पर कोई सवाल हावी ना होने दिया और बेड पर जाकर सो गया

    अगली सुबह

    लक्ष्मी जी सबसे पहले साक्षी के कमरे में गई उन्होंने देखा वो उठ चुकी थी और बेड के क्राउन से टेक कर सीधे खाली दीवार को घूर रही थी

    लक्ष्मी जी उसके पास जाती हैं और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर कर उसके माथे को चूमते हुए कहती हैं - कैसा है मेरा बच्चा अच्छे से सोया ना नींद तो आ गई थी ना ढंग से

    साक्षी बस सिर हिला कर हां कह देती है लक्ष्मी जी उसे  कपड़े देते हुए कहती है कि - जाओ जाकर नहा लो और नीचे चलो सब साथ में मिलकर ब्रेकफास्ट करेंगे और तुम्हारी जरूरत का थोड़ा बहुत सामान हमने मंगवा दिया है बाकी तुम्हें जो चाहिए वो हमें कह देना या तो हम मंगा लेंगे या तुम खुद आरती के साथ जाकर ले आना

    उनकी बात मान कर साक्षी कपड़े लेकर बाथरूम में चली जाती है और लक्ष्मी जी नीचे ब्रेकफास्ट की तैयारी करने के लिए आ जाती हैं

    ठाकुर सदन के गेट पर एक चमचमाती काली-काली आकर रूकती है कार में से तनु अंशु और पायल तीनों मुस्कुराते हुए घर के अंदर आते हैं अंजू जी उन्हें देखते ही बहुत खुश हो जाती है और कहती हैं अरे तनु तुम लोग शाम को आने वाले थे ना सुबह-सुबह कैसे ‌

    तनु कहती है जो खबर आपने  दी थी उसके बाद तो एक-एक पल गुजारना मुश्किल हो रहा था तो पायल ने भी जिद की कि हम अभी चलते हैं

  • 9. My Cute Wifey - Chapter 9

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    तनु कहती है जो खबर आपने  दी थी उसके बाद तो एक-एक पल गुजारना मुश्किल हो रहा था तो पायल ने भी जिद की कि हम अभी चलते हैं  जब हम गए थे तब तो सब सही था और इस ब्रह्मचारी के मन में अचानक शादी का ख़्याल कहां से आ गया और केवल खयाल ही नहीं इसने कर भी लिया

    अंजू जी ने कहा  यह तो हमें भी नहीं पता और तुम तो जानते हो उससे कुछ पूछना अभी ठीक नहीं है

    तनु  ने कहा दीदी  मैं समझती हूं वैसे कहां है वो और साक्षी

    अंजू जी - साक्षी अभी  फ्रेश हो रही है और सुशांत भी आता होगा ‌


    तभी पायल और अंशु भागकर अपने दादी के पास गए
    पायल (बच्चों वाली आवाज में) - दादी हमारी दोस्त कहा  है

    लक्ष्मी जी असमंजस में - आपकी दोस्त यहां कियू होगी भला वो तो स्कूल में होगी ना

    पायल - नहीं मम्मा स्कूल वाली नहीं वो दोस्त जो चाचू लाए हैं हमारे लिए ‌

     जब किसी को भी उसकी बातें समझ नहीं आई‌ तो अंजू जी बोली - मम्मीजी वो साक्षी के लिए पूछ रहा है


    अंशु - कोई हमे हमारी दोस्त से मिलवा क्यों नहीं रहा है

    लक्ष्मी जी - आपकी दोस्त उपर है आप अपनी मौसी के साथ जा कर उनसे मिल लिजिए

    दूसरी तरफ साक्षी जब बाथरूम से बाहर निकल कर आती है तो बेड पर एक लड़की को बैठा देखती है और उसके साथ दो बच्चे भी थे उन बच्चों की नजर जैसे ही उस पर पड़ी वो दौड़ते हुए उसके पास आए और इससे पहले वो बच्चे उसे पकड़ते उन बच्चों को किसी ने पकड़ लिया

    वो कोई और नहीं सुशांत था
    सुशांत ने बच्चो से कहा आराम से उसको लग जाती तो
    बच्चे घूरकर सुशांत को देखने लगे जैसे कह रहे हो बच्चे हम है और फिकर आपको उनकी है

    सुशांत को साक्षी की फिकर करता देख तनु को गुस्सा आता है और तनु वहां से बाहर चली जाती है

    अब बच्चों को क्या मालूम फिकर साक्षी की नही फिकर सुशांत को खुद की है वो साक्षी को हर उस चोट से बचना चाहता है जिसका दर्द सुशांत को होता है साक्षी को कोई भी चोट लगे उसके दर्द का एहसास सुशांत को होता है

    जब पहली बार वो साक्षी से मिला और उसने साक्षी का हाथ पकड़ा तब भी साक्षी को कोई दर्द नहीं हुआ लेकिन सुशांत को वो दर्द महसूस हुआ लेकिन उस टाइम उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया

    फिर रात को उसे लगा जैसे कोई उसे मार रहा है फिर सुबह जब अमन ने बताया कि साक्षी को रात में बहुत मार पड़ी तो सुशांत को इस बात पर डाउट हुआ इसलिए वो उसके घर गया

    और उसके घर पे जब टिया ने साक्षी पे गरम चाय गिराई तब भी सुशांत को अपने हाथ पे जलन महसूस हुई वो समझ गया कि ये सब साक्षी का दर्द उसे महसूस हो रहा है इसलिए उसने टिया का हाथ पकड़ लिया वरना थप्पड़ का दर्द भी सुशांत को होता

    और आगे भी साक्षी के मॉम और टिया के मार का दर्द सुशांत को ना झेलना पड़े इसलिए वो साक्षी को वह से ले जरा रहा था लेकिन बिना कोई हक या रिश्ते के वो उसे उस घर से नही निकल सकता था इसलिए उसने साक्षी से शादी कर ली लेकिन ये बात सुशांत के अलावा कोई नही जानता साक्षी भी नहीं

    साक्षी के चोट का दर्द सुशांत को क्यों होता है ये तो आगे जाकर पता चलेगा

    वैसे तो सुशांत साक्षी से नफरत करता  है क्योंकि जब वो उससे पहली बार मिला था तो साक्षी ने उसे इतना सब सुना दिया था लेकिन अब सुशांत उसे कोई सजा भी नहीं दे सकता है

    दिल में नफरत रखकर क्या सुशांत साक्षी का ख्याल रख पाएगा

    फिर अंशु ने साक्षी की तरफ देखा और कहा हम कब से आपका इंतजार कर रहे है

    सुशांत की नजर साक्षी पर जाती है एक पल के लिए रूक जाती है बहुत सिंपल से सूट में भी बहुत प्यारी लग रही थी सादगी में भी कोई इतना खूबसूरत कैसे लगता है उसे समझ नहीं आता था वह साक्षी को देखता है उसके बाल हल्के से गीले थे चेहरे पर कोई मेकअप नहीं फिर भी  इतनी खूबसूरत

    तभी वहां अंजू जी आ जाती है

    आप लोग कितनी देर कर रहे हो मम्मी जी बुला रही है खाने के लिए ब्रेकफास्ट का टाइम हो गया है सब आप लोगों का ही वेट कर रहे ह जल्दी चलिए

    उसकी बात पर सब लोग नीचे हॉल में डाइनिंग टेबल की तरफ जाने लगते हैं सुशांत भी जा ही रहा था कि उसे एक इंपॉर्टेंट कॉल आया और वो साइड में बात करने चला गया

    नीचे जब साक्षी डायनिंग हॉल में पहुंची तो सबका ध्यान उसकी तरफ चला गया ठाकुर साहब ने उसे अपने पास बुलाया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा  कैसी हैं आप कोई परेशानी तो नहीं हुई यहां

    साक्षी ने ना मैं अपनी गर्दन हिला दी

    सभी लोग उसे नार्मल करने की कोई ना कोई कोशिश कर रहे थे क्योंकि जब से वो यहां आई थी उसने मुश्किल से तीन या चार ही शब्द बोले थे वो ना जाने कब से बस खामोश थी जो सब समझ रहे थे

    ठाकुर साहब - बेटा यह आपका ही घर है आप आराम से यहां कंफर्टेबल हो जाओ और किसी भी चीज की जरूरत हो तो किसी से भी कह देना जैसे आरती हमारी बच्ची है आप भी इस घर की ही बेटी है और आप तो उससे भी ज्यादा स्पेशल है क्योंकि आप बेटी भी है और बहू भी

    उनकी बात पर साक्षी ने हां मैं अपनी गर्दन हिलाई और पलके झुका ली इस वक्त उसके चेहरे पर क्या भाव थे किसी को समझ नहीं आया पर वो खुद अपने जज्बातों से अनजान ना रह सकी उसके आंखों में कुछ आंसू जरूर रुखे थे उसे परिवार क्या होता है शायद अब समझ आ रहा था अपने अतीत से आगे बढ़कर एक नई जिंदगी की शुरुआत करने की हिम्मत अब शायद उसमें थी पर डर अभी भी लाजमी था

    सुशांत फोन रख कर एक गहरी सांस लेते हुए डाइनिंग टेबल की तरह जाने लगा वहां पहुंच कर उसने जो नजारा देखा उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गई

    डाइनिंग टेबल पर साक्षी का एक हाथ अंशु ने पकड़ रखा था और एक हाथ पायल ने दोनों ही किसी बात पर झगड़ा कर रहे थे और साक्षी को अपनी अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे थे बाकी सब ये शो देखकर इंजॉय कर रहे थे

    पायल - वो मेरी दोस्त है तो मेरे साथ बैठेगी ना आपके साथ नहीं

    अंशु- अरे ऐसे कैसे तुम्हारे साथ बेठेगी वो मेरी भी दोस्त है तो वो मेरे साथ बैठेगी और मैं तुमसे बड़ा हूं ना तो मेरी बात मानो

    पायल- नहीं नहीं नहीं चाची मेरे पास ही बैठेगी आपके पास नहीं वो मेरी है

    साक्षी को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे  दोनों उसे अपनी अपनी तरफ खींच रहे थे और कुछ कहने का मौका ही नहीं दे रहे थे वो तो बस ना समझ में दोनों को देख रही थी

  • 10. My Cute Wifey - Chapter 10

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुशांत जो अभी अभी वहां आया था जब उसकी नजर साक्षी के हाथ पर पड़ी जिसे एक तरफ से अंशु ने और दूसरी तरफ से पायल ने पकड़ा हुआ था तो उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गई  साक्षी के हाथ से पहले अंशु का हाथ छुड़ाया फिर पायल का और उसका हाथ मजबूती से अपने हाथ में पकड़ते हुए उसे अपनी डाइनिंग चेयर के बगल वाली चेयर पर बैठा दिया सबके लिए उसका यह मूव अनएक्सपेक्टेड था

    अंशु को जब समझ आया कि क्या हुआ है तो वो रोनी सी शक्ल बनाकर बोला - चाचू आप तो चाची को मेरे लिए लाए होना तो उसे मेरे साथ बेठाओ ना आपने उसे अपने पास क्यों बेठाया है

    सुशांत - तुमसे किसने कहा कि हम इसे तुम्हारे लिए लाए हैं हम उसे अपने लिए लाए हैं इसलिए वो हमारे साथ बैठी हैं अब तुम लोग भी अच्छे से बैठो और नाश्ता करो समझे

    सुशांत के यह  कहते ही सबकी नजरें उसकी तरफ चली गई यहां तक कि साक्षी ने भी नजरें उठाकर उसे देखा जब सब की नज़रे उसे अपने ऊपर महसूस हुई तब उसे ख्याल आया कि शायद वो कुछ गलत कह गया है बात बदलने के इरादे से उसने कहा - भाभी  वो भाई कहा है दिख नहीं रहे अभी तो यही थे

    अंजू जी - कुछ काम था इसलिए वो थोड़ी देर पहले ऑफिस चले गए

    ऐसे ही बातों बातों में सबने अपना-अपना ब्रेकफास्ट फिनिश किया सुशांत ने खुद भी ढंग से खाया और साक्षी की भी प्लेट में बारी बारी सब डालकर उसे अच्छे से ब्रेकफास्ट कराया सब यह ची़ज नोटिस कर रहे थे कि सुशांत भले ही कहे ना पर केयर तो बहुत करता है साक्षी की

    ब्रेकफास्ट के बाद ठाकुर साहब किसी फंक्शन को अटेंड करने चले गए दिशांत और आरती को भी कॉलेज जाना था तो वो भी चले गए घर में सिर्फ लक्ष्मी जी अंजू जी तनु और साक्षी ही थे

    अंजू जी और तनु  को अंशु और पायल  का कोई हॉलिडे होमवर्क कराना था तो उसे लेकर अपने कमरे में चली गई और लक्ष्मी जी लंच की तैयारी करने लगती है साक्षी  अपने कमरे में आ चुकी थी उसका कमरा बहुत ही खूबसूरत था आज जब उसने नज़रे घुमाकर अपने कमरे को देखा  तो यह वाक्य एक बहुत ही खूबसूरत कमरा था बीच में एक बड़ा सा गोल शेप का बेड जिनमें पर्दे लगे हुए थे पलंग के राइट साइड में एक बड़ा सी अलमारी उसके बगल में खूबसूरत था ड्रेसिंग टेबल जो बाकी फर्नीचर को कंप्लीमेंट कर रहा था लेफ्ट साइड में एक बड़ी सी खिड़की जिसके बगल में स्टडी टेबल था उस खिड़की से पीछे का पूरा गार्डन साफ दिखाई दे रहा था इतना ही नहीं उसके कमरे में एक दरवाजा था जब उसने उसे खोल कर देखा तो वहां एक छोटी सी मगर बेहद प्यारी बालकनी थी जिसमें एक झूला भी लगा था और कई सारे इनडोर प्लांट्स भी लगाए गए थे जिससे कमरा और फ्रेश लगे यह था पूरा कमरा किसी लड़की के रहने के लायक ही डिजाइन किया गया था

    साक्षी बेड पे आकर बैठ गई और अपनी आंखें बंद करके अपने अतीत को याद करने लगी आंखें बंद करते ही उसके  सामने वो  मंजर आया जब टिया ने उसका हाथ जला दिया था  यह सब याद करते ही उसकी आंखों में से बेतहाशा आंसू बहने लगे और उसका पूरा शरीर कंपकंपाने लगा

    वह यह सब याद कर ही रही थी कि अचानक किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा किसी का स्पर्श महसूस करते ही उसने घबराकर आंखें खोली और पलट कर देखा तो वहां लक्ष्मी जी खड़ी उसे ही देख रही थी उसने झट से उन्हें गले लगा लिया और  सिसकने लगी

    लक्ष्मी जी लगातार उसकी पीठ सेला रही थी और उसे शांत करने की कोशिश कर नहीं थी बहुत देर तक हो बस रोती रही बड़ी मुश्किल से लक्ष्मी जी ने उसे शांत किया और वापस बेड पर बिठाया और उसी के बगल में बैठ कर अपनी गोद में उसका सर रखा और उसके सिर को सेहलाते हुए का - साक्षी मेरी बच्ची शांत हो जाओ देखो मैं हूं ना कुछ नहीं होगा और मेरी बात सुनो जिस शख्स से तुमने शादी की  है ना वो तुम्हें इस पूरी दुनिया से बचाने की ताकत रखता है तो तुम अपने खौफ को अलविदा कह दो जानती हूं तुम्हारे कल मैं कुछ बहुत बुरा हुआ है जिसे शायद तुम अभी हमें बताना भी नहीं चाहती पर हम तुम्हें फोर्स भी नहीं करेंगे बस इतना चाहते हैं कि तुम अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करो हम सबके साथ , अच्छा एक बात बताओ तुम मुझे अपनी मॉम मानती हो कि नहीं

    साक्षी ने नम आंखों से उनकी तरफ देखते हुए जल्दी से हा में गर्दन हिलाई

    लक्ष्मी जी - तो बस अपनी मॉम के लिए ही सही तुम इतना तो कर सकती हो ना, और मैं वादा करती हूं हम सब तुम्हारा इसमें साथ देंगे तुम कोशिश कर कर तो देखो बेटा तुम मुझे बताओ क्या तुम नहीं चाहतीं, आगे बढ़ना कुछ करना चाहती हो ना बोलों


    साक्षी- हां हम चाहते हैं मॉम पर हमें डर लगता है अगर फिर से सब वैसा हुआ तो हम क्या करेंगे एक बार तो खुद को संभाल भी लिया पर फिर सब ऐसा हुआ तो शायद जी भी ना पाए  यह कहते हुए उसकी आंखों से बेतहाशा आंसू बहे जा रहे थे

    लक्ष्मी जी - तब शायद तुम अकेली थी बेटा पर अब तुम्हारा पूरा परिवार तुम्हारे साथ है और एक ऐसा शख्स तुम्हारा हमसफर है जो तुम्हारे लिए पूरी दुनिया से लड़ सकता है मुझ पर ना सही उस पर तो भरोसा रखो सुशांत तुम्हें कुछ नहीं होने देगा कभी भी यह बात याद रखना इतना कहकर वह फिर से उसे अपने गले से लगा लेती हैं

    ना जाने कब तक साक्षी उनके गले से लगी रहती है उसके आंसू तो थम गए थे पर यह सुकून जो उसे एक मां के आंचल में मिल रहा था उसके मोह ने उसे लक्ष्मी जी के गले लगे रहने पर मजबूर कर दिया

    दोनों का ध्यान तब टूटा जब उनकी नजर दरवाजे पर गई जहां अंजू जी को अपनी भीगी पलकों से उन दोनों को ही देख रही थी लक्ष्मी जी ने मुस्कुराते हुए  अपने हाथ से उसे अंदर आने का इशारा किया और लक्ष्मी जी भाग कर गई और उनके गले लग गई और तीनों ने एक अच्छा ग्रुप  हग किया

  • 11. My Cute Wifey - Chapter 11

    Words: 1102

    Estimated Reading Time: 7 min

    ऐसे ही वो सब आपस में बातें करते रहे और कब लंच टाइम हुआ पता ही नहीं चला इसलिए उन सब ने साथ में लंच किया और लक्ष्मी जी ने साक्षी को खाना खिलाकर  सुला दिया

    शाम को

    सुशांत ने घर में दाखिल होते ही लक्ष्मी जी से पूछा - मॉम कहां है वो वो ठीक तो थी कुछ प्रॉब्लम तो नहीं हुई

    उसकी बेचैनी सब को समझ आ रही थी और सब को दिख भी रहा था कि वो बदल रहा है पर फिलहाल किसी ने कुछ ना कहना ही सही समझा क्योंकि सबको पता था वो मानेगा तो कभी नहीं

    लक्ष्मी जी - अरे आराम से एक गिलास पानी तो पी पहले अभी घर आया है और वो ठीक है मैंने लंच कर दिया था आराम कर रही है और तू भी जा जाकर पहले फ्रेश हो जा मैं कॉफी भिजवाती  हूं

    सुशांत को उनकी बात सुनकर अंदाजा हुआ कि शायद अपनी बेचैनी में उसने कुछ जल्दबाजी करदी है उसे महसूस हुआ कि सब की नज़रे उस पर ही है इसलिए बिना कुछ कहे वो सीधा सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे की तरह बढ़ गया और पीछे सब उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा उठे

    अपने कमरे की तरफ जाने से पहले एक दफा वो साक्षी के कमरे मैं गया दरवाजा खुलते ही उसकी नज़रें उस मासूम चेहरे पर ठहर गई उसने अपने कदम बढ़ाए और बेड के पास जाकर खड़ा हो गया उसकी नजरें एक टक उस मासूम को देख रही थी अनाया ही उसकी नजर ब्लैंकेट पर गई जो एक बार फिर नीचे पड़ा था वो मुस्कुराया और ब्लैंकेट उठाकर उसे उड़ा दिया और अपने कमरे की तरफ चला गया

    शाम 6:30 के करीब साक्षी की आंख खुली वो धीरे से उठी और पलंग से टेक लगाकर बैठ गई जब नजर घड़ी पर गई तब एहसास हुआ कि वो ना जाने कब से सो रही है कुछ सोच कर वो बाथरूम में फ्रेश होने गई और फिर नीचे चली गई हॉल में सब बैठे थे

    लक्ष्मी जी और अंजू जी किचन में डिनर की तैयारियां कर रहे थे

    साक्षी किचन की तरफ चली जाती है  साक्षी को वहां देख कर लक्ष्मी जी मुस्कुराते हुए उसके पास आती है और कहती है - अरे मेरा बच्चा उठ गया चलो जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए भेजती हूं  डिनर से पहले कुछ खा लो

    साक्षी - मॉम अभी मन नहीं है वो हम बहुत बोर हो रहे है आपकी कोई हेल्प करा दे

    लक्ष्मी जी - कोई जरूरत नहीं है अभी तुम आराम करो जाओ डाइनिंग टेबल पर बैठो मैं कुछ खाने के लिए भेजती हूं

    साक्षी- मॉम प्लीज ना यह केहकर वो मासूम सी शक्ल बना लेती हैं

    अंजू जी प्यार से साक्षी के सिर पर हाथ फेरते हुए-मम्मी जी रहने दीजिए ना यही उसे कोई छोटा-मोटा काम दे दीजिए इतने प्यार से कह रही है और उसका खुद का घर है अपने घर में काम करने से ध्यान भटकता है थकान नहीं होती

    अंजू जी की बात सुनकर लक्ष्मी जी भी हार मान लेती है और कहती है - पर बाकी का काम तो लगभग हो गया है अब केवल बड़े-बड़े काम बचे हैं तुम क्या करोगी

    अंजू जी कुछ सोचते हुए - अरे मम्मी जी आप ना साक्षी को सेलेड कट करने के लिए दे दीजिए इससे उसका काम भी हो जाएगा और आराम भी

    अंजू की बात मानकर लक्ष्मी जी साक्षी को सेलेड कट करने के लिए दे देती और वो वही किचन में टेबल पर बैठकर सेलेड कट करने लगती है सब कुछ ना कुछ बातें कर रहे थे पर वो खामोशी से बस सबकी सुन रही थी कोई कुछ सवाल करता तो जवाब दे देती

    सब अपनी बातों में बिजी थे की दिशांत और आरती किचन में दाखिल होते हैं और आरती साक्षी को पीछे से पकड़ते हुए कहती है लो कर लो बात तुम यहां हो और हम तुम्हें पूरे घर में ढूंढ रहे है

    आरती के यू अचानक साक्षी को पकड़ने से साक्षी के हाथ में चाकू से कट लग जाता है लेकिन साक्षी किसी को बताती नही है

    सुशांत अपने कमरे के अटैच स्टडी रूम पे बैठकर कोई इंपॉर्टेंट कॉन्फ्रेंस मीटिंग अटेंड कर रहा था  तभी उसे अपने हाथ में कट के दर्द का एहसास होता है वो अचानक अपना हाथ देखने लगता है

    जूनियर कुछ सवाल कर रहे थे पर वो अपने होश में था जो कुछ जवाब दे पाता बहुत देर तक उसे आवाज लगाने के बाद एक जूनियर ने थोड़ा जोर से कहा - सुशांत सर आप सुन रहे है

    उसके यू ज़ोर से कहने पर सुशांत का ध्यान उसकी तरफ गया और उसने बिना कुछ सोचे समझे कहा मीटिंग इज ओवर

    उसका यूं अचानक मीटिंग ओवर कर देना सबके लिए बड़ी हैरत की बात थी क्योंकि सुशांत एक ऐसा है ना किसी और को जाने देता था पर आज तो उसने यूं ही बीच में मीटिंग को ओवर कर दीया यह ज़रा हैरत की बात थी पर कोई क्या कर सकता था इसलिए सबने मीटिंग ओवर करना ही सही समझा

    मीटिंग ओवर करते ही सुशांत का ध्यान एक बार फिर अपने हाथ पर चला गया

    फिर अपनी फोन को अपनी पोकिट में डाल कर कमरे से बाहर निकल गया साक्षी के कमरे की तरफ पर जब उसके कमरे में पहुंचा तो वो खाली था एक पल को तो वो घबरा गया कि साक्षी कहां चली गई क्योंकि अक्सर वो अपने कमरे में रहती थी तभी उसका ध्यान अपने हाथ पे गया तो उसे याद आया कट लगा है मतलब वो किचन में होगी  यह याद आते ही वो तेज़ी से किचन की तरह बढ़ गया सुशांत  को इतनी तेजी से सीढ़ियों से उतरता देख विजय जी ने उससे पूछा - क्या हुआ इतना तेजी में कहां जा रहे हो सब ठीक तो है

    सुशांत -  सब ठीक है वो प्यास लगी थी और हमारे कमरे में पानी नहीं था बस वही लेने जा रहे थे

    इतना कहकर वो बिना किसी सवाल के इंतजार में किचन की तरफ बड़ा ही था कि पीछे से उसके प्यारे भाई दिशांत ने उसे आवाज लगाते हुए का - अरे भाई आपको किचन में जाने की जरूरत नहीं है यह डाइनिंग पर भी तो पानी रखा है लाइए मैं आपको निकाल कर देता हूं आखिर मैं आपका छोटा भाई जो हूं

    वो एक गिलास पानी निकालकर सुशांत की तरह बढ़ा देता है  इस बात से अनजान कि उसकी नेक नियत में उसने एक बहुत बड़ी गलती कर दी है बेचारा सुशांत मजबूरी में उसे पानी पीना पड़ता है वो पानी पीते पीते यही सोच रहा था कि क्या सोचकर किचन में जाए क्योंकि अगर ऐसे ही चला गया तो सभी घरवाले उसका मजाक उड़ाएंगे खासकर आरती

  • 12. My Cute Wifey - Chapter 12

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुशांत कुछ सोच ही रहा था की किचन से लक्ष्मी जी हाथ में सब्जी का कटोरा लेते हुए आई  जब उनकी नज़र सुशांत पर गई तो वो ज़रा चोकते हुए बोली  अरे आज तू खुद से आ गया वैसे तो रोज तुझे चार चार बार बुलाना पड़ता है ‌तब भी बड़ी मेहरबानी होती है कि तू आ जाए

    उनकी बात का सुशांत कोई जवाब दे पाता उससे पहले ही आरती शरारती मुस्कान के साथ बोलती है  अरे मॉम यह आपके लिए थोड़ी ना आए हैं

    लक्ष्मी जी नासमझी में अरे मेरे लिए नहीं आया तो किसके लिए आया है

    सुशांत जो आरती को घूर कर देख रहा था वह बात पलटते हुए बोला अरे मॉम आप छोड़े इसे मुझे भूख लगी है जल्दी खाना लगाएं

    आरती अरे भाई आप तो ऐसे घबरा रहे हैं जैसे ना जाने मैंने क्या कह दिया मैं तो बस यह कह रही थी कि भाई यहां खाने के लिए आए हैं तो जल्दी से खाना खाते हैं आप तो बेवजह घबरा रहे हैं

    सुशांत आरती को घूरते हुए  तुमसे किसने कहा मैं घबरा रहा हूं पर मैं तुम्हें जरूर घबराहट का एहसास करा सकता हूं अगर अपने पर आया तो जरा ध्यान से मेरे साथ मजाक महगा ना पड़ जाए

    वो दोनों बहस कर ही रहे थे कि बाकी सब भी अपनी अपनी चेयर पर बैठ जाते हैं पर अभी भी वहां अंजू और साक्षी गायब थी जो सुशांत को बेचैन कर रही थी वो कुछ पूछना तो चाहता था पर पूछ नहीं पा रहा था

    ठाकुर साहब ने सवाल किया - अरे बड़ी बहु अंजू और साक्षी कहां है

    लक्ष्मी जी -  वो आते ही होंगे किचन में कुछ काम रह गया था वही कर रही हैं शायद

    उन्होंने इतना कहा ही था कि साक्षी और अंजू भी वहां आ जाती है आज उसका चेहरा बाकी वक्त से कुछ अलग लग रहा था कुछ तो रौनक थी आज उसके उस बेजान चेहरे पर जो सुशांत से छिपी नहीं वह उसके बगल में आकर बैठी और सब ने खाना शुरू किया सुशांत का ध्यान तो बस साक्षी के हाथ पे था साक्षी जैसे ही खाना खाने को हुई सुशांत ने कहा रुको में खिलाता हु सुशांत जानता था अगर साक्षी खाना खाएगी तो उसके हाथ पे लगे कट का दर्द उसे ही होने वाला है इसीलिए वो अपने हाथ से साक्षी को खाना खिलाने लगता है

    जिसे देखकर सब लोग चौक जाते है ऐसा तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि सुशांत में इतना चेंज आ जाएगा वो किसी से इतना प्यार भी कर सकता है

    सुशांत का साक्षी को अपने हाथ से खाना खिलाते देखकर तनु को बहुत बुरा लगता है उसका मुंह उतर जाता है कही न कही तनु को साक्षी से नफरत होने लगी थी

    सबका खाना खत्म होने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए सुशांत और विजय को कुछ बिजनेस से रिलेटेड बात करनी थी इसलिए वह दोनों स्टडी रूम में चले गए


    लक्ष्मी  जी और अंजू मिलकर किचन का बाकी काम समेटने लगे साक्षी ने उनकी मदद करनी चाही तो लक्ष्मी जी ने उसे यह कहकर मना कर दिया कि अब उसे आराम करना चाहिए और उसे उसके कमरे में छोड़कर सोने को कह कर आ गई

    साक्षी बहुत देर तक सोने की कोशिश करती रही पर जब हार कर उसे नींद नहीं आई तो उठ कर बैठ गई उसकी नजर घड़ी पर गई तो अभी रात के 10:30 हो रहे थे कुछ सोच कर वह अपने कमरे की बालकनी में बने झूले पर बैठ गई और आसमान को देखने लगी

    सुशांत और विजय की मीटिंग कुछ 2 घंटे तक चली उसके बाद वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए पर सुशांत पहले साक्षी को देखने उसके कमरे में गया पर जब उसने बेड खाली देखा तो वो ज़रा परेशान हो गया वो बाथरूम के तरफ चेक करने जा ही रहा था कि उसकी नजर बालकनी के खुले दरवाजे पर कई और जब उसने वहां जाकर देखा तो साक्षी एक टक खाली आसमान को अपनी खाली आंखों से देखते हुए किसी सोच में गुम थी जब उसे लगा की साक्षी शायद उस पर ध्यान नहीं देंगी तो कुछ सोचते हुए उसने कहा - आप सोई नहीं अभी तक

    यूं अचानक अपने पीछे से आवाज़ आने पर एक पल के लिए साक्षी डर गई पर जब उसने पलट कर देखा और सुशांत को पाया तो जल्दी ही नॉर्मल हो गई और धीरे से जवाब दिया नींद नहीं आ रही थी तो

    सुशांत उसी के पास झूले पर उससे थोड़ी दूरी बनाते हुए बैठ गया और कहा नींद क्यों नहीं आ रही

    साक्षी - हम आज दोपहर को काफी वक्त तक सोते रहे तो शायद इसलिए

    सुशांत  अपना हाथ आगे करो

    साक्षी जी साक्षी को कुछ समझ नहीं आया

    सुशांत ने कहा तुम्हारे हाथ में लगा है ना अपना हाथ आगे करो में दवा लगा देता हु सुबह तक ठीक हो जाएगा

    साक्षी ने कहा लेकिन आपको कैसे पता मुझे लगा है

    सुशांत ने कहा बस पता है अब अपना हाथ दोगी

    साक्षी ने कहा इसकी जरूरत नहीं है थोड़ा लगा था बस हमें बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा है

    सुशांत ने कहा वो मुझे पता है कितना लगा और दर्द तुम्हे नहीं हो रहा लेकिन मुझे हो रहा है अपना हाथ आगे करो इस बार सुशांत ने थोड़ा गुस्से में कहा तो साक्षी ने अपना हाथ आगे कर दिया

    सुशांत उसके हाथ में दवा लगाने लगा साक्षी बस एक टक उसे देख रही थी

    जैसे ही सुशांत ने दवा लगाकर साक्षी को देखा उसने अपनी नजर फिरा ली

    सुशांत ने कहा क्या जरूरत है तुम्हे किचन में काम करने की अभी तुम्हारी उम्र नहीं है वो सब काम करने की

    साक्षी ने कहा तो हम क्या करे पूरा दिन बोर हो जाते है

    सुशांत ने कुछ सोचा और फिर कहा आप पढ़ना चाहती हैं

    सुशांत  के इस सवाल पर साक्षी जो  सामने देख रही थी अचानक आंखों में चमक लिए हुए उसे देखने लगी  ज़ाहिर था यह सवाल उसने एक्सपेक्ट नहीं किया था

    सुशांत अपनी बात जारी रखते हुए - देखिए इंसान की जिंदगी में चाहे कुछ भी हो पर उसे अपनी बेसिक एजुकेशन हमेशा पूरी करने की कोशिश करना चाहिए मैं आपको भी सलाह दूंगा कि आप भी अपनी एजुकेशन पूरी करे मुझे पता तो नहीं है आप कहां तक पढ़ी है पर ...

  • 13. My Cute Wifey - Chapter 13

    Words: 1372

    Estimated Reading Time: 9 min

    वह कुछ कहता उससे पहले ही साक्षी ने उसकी बात को काटते हुए कहा  हमने ट्वेल्थ बोर्ड टॉप किया है ऑल ओवर इंडिया इसी साल

    जैसे ही सुशांत ने यह सुना एक पल के लिए वह हैरान हो गया  फिर आप आगे क्या करना चाहती हैं मेरा मतलब है कुछ ख्वाब तो होंगे ना

    साक्षी- ख़्वाब तो थे पर

    सुशांत - पर

    साक्षी - मेरी मॉम मुझे डॉक्टर बनाना चाहती थी और वही ख्वाब मैने भी देखा था लेकिन  ‌ट्वेल्थ के बाद मेरी सौतेली मॉम ने मेरी पढ़ाई बंद कर दी लेकिन क्या अब में डॉक्टर बन सकती हु

    सुशांत - हां आप बिल्कुल बन सकती हैं मुझे भरोसा है  मैं कल ही आपके मार्कशीट वगैरा निकलवाता हूं उसके बाद देखते हैं क्या करना है और हा अब रात बहुत हो गई है आपको सो जाना चाहिए इतना कहकर सुशांत वहां से चला जाता है साक्षी खुशी से अपने बेड पे जाकर सो जाती है

    अगले दिन

    साक्षी की जब आंख खुली तो वो फ्रेश होकर नीचे हॉल में आ गई अब वो कोशिश कर रही थी कि धीरे-धीरे सबके साथ कंफर्टेबल हो जाए और जब से सुशांत ने उसे अपनी पढ़ाई पूरी करने की बात कही थी तब से उसकी आंखों में एक अलग ही चमक थी जो आज सबको दिख रही थी और सब बहुत खुश हुए थे

    सारी लेडीस ने मिलकर ब्रेकफास्ट तैयार किया साक्षी के बहुत कहने पे लक्ष्मी जी ने उसे एक जगह बैठकर फ्रूट्स काटने के लिए सहमति दी थी

    लक्ष्मी जी - वेसे साक्षी तुम ना अपनी कुछ आदतें आरती को भी सिखा दो

    आरती- अरे भाई मैं कहां से बीच में आ गई और ऐसी भी क्या खराबी है मुझमें

    लक्ष्मी जी -  ज़रा देखो साक्षी को तुम से 3 साल छोटी है फिर भी उसे पता है कि घर वालों की मदद करनी चाहिए और तुम बस यहां से वहां मस्ती करवा लो कोई काम मत करना तुम ना जाने ससुराल जाओगी तो क्या होगा मुझे तो डर लगता है ससुराल वाले अगले दिन तुम्हें घर वापस ना छोड़ जाए कि लक्ष्मी जी रखी अपनी बेटी को क्योंकि इसे तो कुछ आता नहीं है

    आरती  नौटंकी करते हुए- या खुदा यह दिन दिखाने से पहले तूने मुझे उठा क्यों नहीं लिया मेरी खुद की मॉम मेरे बारे में क्या क्या कह रही हैं हाय यह सुनने से पहले मेरे कान फट क्यों नहीं गए इससे अच्छा तो कयामत ही आ गई होती

    साक्षी तो उसकी नौटंकी देखकर जोर जोर से हंसने लगती है और बाकी सब का ध्यान उसकी हंसी पर चला जाता है कितनी खूबसूरत थी वो मुस्कान उसके चेहरे पर जो अब जाकर उन्हें देखने को मिली थी उसकी वो सादगी और आंखों का वो छोटा हो जाना जब वो हस्ती थी और गाल पर पड़ने वाले  डिंपल जो  उसकी मुस्कान को और दिलकश बनाते हैं पूरा किचन उसकी हंसी से तो गूंज रहा था इस वक्त साक्षी को मुस्कुराता देख आरती चुपचाप से अपने फोन में उसकी एक फोटो खींच लेती है

    साक्षी को जब एहसास होता है कि सब उसे ही देख रहे हैं तो उसकी हंसी एक पल में गायब हो जाती है और नज़रे शर्म से झुक जाती हैं

    उसको यूं घबराता देख लक्ष्मी जी उसके पास जाती हैं और कहती हैं  भगवान  करें तुम पूरी जिंदगी यूं ही मुस्कुराते रहो

    दिशांत - हां  छोटी भाभी आप ना हंसते हुए बहुत क्यूट लगती हो बिल्कुल मेरी तरह

    साक्षी उन सब की बातों पर मुस्कुरा देती है

    आरती झूठा नाराज होते हुए - हद है जिसके कारण आपकी साक्षी मुस्कुरा रही है उसकी तो आप कोई वैल्यू ही नहीं कर रहे हो कभी कभी तो मुझे लगता है मुझसे कोई प्यार ही नहीं करता  सब मेरे साथ ज्यात्ती कर रहे है

    उसकी इस प्यारी शिकायत पर लक्ष्मी जी उसका भी प्यार से माता चूमते हुए कहती है - हम तुमसे प्यार नहीं करते ऐसा कभी मत कहना हम तुमसे भी उतना ही प्यार करते हैं जितना अपने बाकी बच्चों से करते हैं समझी तो चलो अब नौटंकी बंद करो और साक्षी की मदद करो फ्रूट्स
    कट करने में बहुत हो गई तुम्हारी नौटंकी

    आरती - जो हुकुम मेरे आका

    आरती साक्षी की मदद करने लगती है और बाकी सब ऐसे ही हंसी मजाक करते हुए अपने काम में लग जाते हैं

    ब्रेकफास्ट के वक्त जब ठाकुर साहब को सुशांत की चेयर खाली दिखी तो उन्होंने लक्ष्मी जी से सवाल किया - आज आपके लाड साहब कहां हैं अब क्या सबके साथ नाश्ता करना भी उन्हें पसंद नहीं

    लक्ष्मी जी - नहीं वो सुबह 6:00 बजे ही ऑफिस चला गया था इंपॉर्टेंट काम आ गया है कह रहा था दोपहर तक फ्री होकर आ जाएगा और लंच साथ ही करेगा

    उनकी बात सुनकर सबने नाश्ता किया और अपने अपने काम पर चले गए अंशु और पायल को भी स्कूल जाना था तो विजय उन्हें भी अपने साथ लेकर  गया आरती और दिशांत कॉलेज चले गए और जो लोग घर में बचे वो अपनी अपनी बातों में लग गए

    साक्षी और अंजू दोनों मिलकर साक्षी का कमरा सेट कर रहे थे आज ही अंजू ने साक्षी के लिए बहुत सारी चीजें  मंगाई थी और उनकी डिलीवरी भी हो गई थी तो वो सारी चीजें उसके कमरे में सेट कर रहे थे कि तभी वहां लक्ष्मी जी आती है

    लक्ष्मी जी - बस अब बहुत हो गया काम लंच का टाइम हो गया है तो साक्षी तुम भी fresh हो जाओ और अंजू बेटा तुम भी आ जाओ और सुशांत भी आ ही रहा है मैंने कॉल करके पूछा था उसे

    सुशांत भी घर आ गया था जब वह हॉल में आया तो लक्ष्मी जी वही ठाकुर साहब के साथ कुछ बातें कर रही थी उसे आता देख वो उसके पास जाती है और कहती है - तू आ गया चल जल्दी से जा कर फ्रेश हो जा मुझे पता है तूने सुबह से कुछ नहीं खाया सब साथ में लंच करेंगे ठीक है ‌

    सुशांत सर हिलाकर अपने कमरे की तरफ चला जाता है वह सीढ़ियां चढ़कर अपने कमरे की तरफ जा ही रहा था की सामने से आती साक्षी से उसकी टक्कर हो जाती है साक्षी गिरती इससे पहले ही सुशांत उसे थाम लेता है

    सुशांत गुस्से में कहता है तुम्हारा ध्यान कहा है देख कर नहीं चल सकती अभी गिर जाती तो

    साक्षी -  वो हमारा ध्यान सामने नहीं था ना इसलिए गलती हो गई

    सुशांत उसे छोड़ते हुए कहता है अपना ख्याल रखा करो और अपने रूम में चला जाता है

    साक्षी को अच्छा लगता है सुशांत का उसकी परवाह करना आज से पहले उसे इतनी अच्छी डांट नहीं पड़ी थी
    सुशांत ने भले गुस्से में कहा लेकिन गुस्से में उसकी परवाह थी और ये परवाह क्यों थी ये तो साक्षी जानती ही नहीं थी वो तो बस स्माइल करते हुए नीचे आ रही थी

    कुछ देर में सब लोग डाइनिंग टेबल पे लंच कर रहे थे सुशांत ने सबके सामने साक्षी की पढ़ाई की बात रखी सब ये बात सुनकर खुश हो गए

    साक्षी डर रही थी कही ठाकुर साहब मना न कर दे उसे अपनी मॉम की आखिर ख्याइश पूरी करने की एक उम्मीद दिखी थी वो मन ही मन भगवान से प्राथना कर रही थी कि ठाकुर साहब हा कह दे

    ठाकुर साहब ने कहा हम भी ये बात सोच रहे थे तुमने हमारे मुंह की बात कह दी  आज पहली बार ऐसा हुआ था जब एक बात पे ठाकुर साहब और सुशांत की सहमति हुई थी

    ठाकुर साहब की हा सुनकर सब खुश हो गए सबसे ज्यादा तो साक्षी खुश थी

    साक्षी ने खुशी से कहा धन्यवाद पापा जी

    उसकी बात सुनकर ठाकुर साहब ने तुरंत सवाल किया  क्या, क्या कहा तुमने हमें

    साक्षी- जी धन्यवाद

    ठाकुर साहब - नही यह नहीं तुमने हमें क्या बुलाया

    साक्षी- पापाजी  सॉरी वो हम

    खुशी में अपने आप ही साक्षी के मुंह से पापा जी निकल गया

    साक्षी के मुंह से पापा जी सुनकर ठाकुर साहब खुश हो गए उनके अपने बच्चे तो उनको डैड ही कहते थे लेकिन ठाकुर साहब को तो पापा कहलाना पसंद था जो आज साक्षी ने उन्हें कहकर वो खुशी दे दी

    ठाकुर साहब ने कहा सॉरी क्यों हमे तो बहुत अच्छा लगा आज से तुम हमे पापाजी ही बुलाओगी

    साक्षी ने स्माइल करते हुए हा में सर हिला दिया

    लंच करने के बाद सब अपने अपने काम में लग गए

  • 14. My Cute Wifey - Chapter 14

    Words: 1116

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात को डिनर पे सब लोग साथ में बैठकर डिनर कर रहे थे  तभी सुशांत ने सबको बताया कि साक्षी का एडमिशन मेडिकल कॉलेज में हो गया है आज पूरे दिन से सुशांत उसी के एडमिशन में लगा था

    ये सुनकर सबके चेहरे पे खुशी आ जाती है

    लेकिन लक्ष्मी जी कुछ चिंतिंत होकर कहती है

    लेकिन साक्षी वहां अकेले कैसे जाएगी आरती के साथ तो दिशांत भी उसके कॉलेज जाता है तो उसकी तो फिकर नहीं रहती है लेकिन साक्षी तो अकेली होगी मुझे तो सोचकर ही चिंता होती है

    सुशांत कहता है अकेली कहा होगी वहां और भी स्टूडेंट्स होगे

    लक्ष्मी जी कहती है लेकिन यहां से तो अकेली जाएगी ना और वह किसी को जानती भी नहीं है

    सुशांत कहता है वहां जाएगी तभी तो जानेंगी ना और सब अकेले ही कॉलेज जाते है कोई अपने पेरेंट्स को तो साथ में लेकर जाता नहीं है इसमें इतनी डरने की क्या बात है

    तभी दिशांत कहता है मॉम तो ऐसे डर रही है जैसे साक्षी कॉलेज नहीं बॉर्डर पे जा रही हो

    इसी तरह बाते करते हुए सबका डिनर हो जाता है और सब अपने रूम में चले जाते है साक्षी तो बहुत खुश थी उसका मन कर रहा था ये खुशखबरी वो अनु को सुनाए लेकिन कैसे

    अगले दिन

    आज सुबह से ही ठाकुर सदन  में बहुत चहल कदमी थी और हो भी क्यों ना आज से साक्षी का कॉलेज स्टार्ट होने वाला था वो सपना जो उसकी मॉम ने उसके लिए देखा था आज उसकी तरफ अपना पहला कदम बढ़ाने जा रही थी वो

    लक्ष्मी जी किचन मैं ब्रेकफास्ट बनाते हुए अंजू से कहती हैं - बेटा तुम देख तो आई ना साक्षी को किसी और चीज़ की जरूरत तो नहीं है आज पहला दिन है उसका कहीं देर ना हो जाए एक काम करो एक बार और देख लो

    अंजू मुस्कुराते हुए - मम्मी जीआप यही बात सुबह से 5 बार कह चुकी है और मैं पांचों बार उसे देखकर भी आई हूं और उस से पूछ कर भी आई हूं कि उसे क्या चाहिए और फिलहाल उसे कुछ भी नहीं चाहिए तो आप फिक्र ना करें तैयार होकर आती होगी

    लक्ष्मी जी - क्या करूं डर लग रहा है मुझे पहली बार जाएगी घर से बाहर समझ नहीं आ रहा क्या करूं

    अंजू जी उनके कंधे पर हाथ रखते हुए - कुछ मत कीजिए सिर्फ उसकी खुशी में खुश रहिए और उसके लिए प्राथना कीजिए ताकि वो बहुत तरक्की करें

    लक्ष्मी जी उनकी बात पर मुस्कुरा देती है और वापस से ब्रेकफास्ट की तैयारी करने लगती है

    दूसरी तरफ साक्षी के कमरे में वो तैयार हो गई थी और अपने बैग में जरूरी सामान रख रही थी आज पहला दिन था तो कोई क्लास नहीं लगने वाली थी बस थोड़ी बहुत फॉर्मेलिटीज और इंट्रोडक्शंस इसके अलावा आज कुछ नहीं होना था उसने इस वक्त एक सिंपल सा वाइट कलर का सूट पहना हुआ था क्योंकि मेडिकल में ट्रेडिशनल पहनना कंपलसरी है लड़कियों के लिए तो उसने उस बात को ध्यान में रखते हुए एक सिंपल सा कुर्ता फॉर्मल पैंट्स और दुपट्टा कैरी किया हुआ था चेहरे पर थोड़ा मेकअप किया था आज वो बहुत खुश थी इसलिए आज वो मन से तैयार हुई थी वो बड़ी प्यारी लग रही थी, वो तैयार होकर सुशांत के कमरे में जाती है

    जिसमें वो आज तक कभी नहीं गई थी यहां आए हुए उसे मुश्किल से 2 हफ्ते ही हुए थे पर उसने पूरा घर इन दो हफ्तों में अच्छे से देख लिया था शिवाय इस कमरे के जहां ना तो कभी जाना हुआ और ना ही कोई उसे लेकर गया क्योंकि उसने सबसे सुन रखा था की सुशांत को बिल्कुल पसंद नहीं है कि कोई उसके कमरे में जाए ‌ यही सब बातें सोचते सोचते वो कमरे तक तो आ गई पर अंदर जाने की हिम्मत उसके कदमों में हो ही नहीं रही थी बहुत देर तक दुनिया जहां के सोच विचार के बाद उसने बड़ी हिम्मत कर कर दरवाजा नोक किया पर अफसोस किसी ने कोई जवाब ही नहीं दिया

    जवाब देता भी केसे सुशांत तो स्टडी रूम में था और वो  अपने नाजुक से हाथों से हल्का सा नोक कर दरवाजा खोलने के इंतजार में थी जो जरा मुमकिन कम था

    बहुत देर तक जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो फिर वो जाने के लिए मुड़ी पर फिर कुछ सोच कर वापस दरवाज़े की तरफ अपना चेहरा कर कर एक बार दरवाजा हल्के से खोलने की कोशिश की तो पाया कि दरवाजा खुला ही था अपनी ही बेवकूफी पर उसका मन खुद को एक चपेट लगाने का हुआ पर फिर अपने ख्यालों को दर किनारे कर कर कमरे में दाखिल हुई तो वो एकदम चौक गई इतना खूबसूरत कमरा शायद ही उसने अपनी पूरी जिंदगी में देखा होगा उसे तो अपना खुद का कमरा ही इतना बड़ा लगता था और यहां सुशांत के कमरे में आकर तो उसे अपना कमरा उसके आधे से भी आधे लगने लगा था

    पूरा कमरा अंदर से बेहद सिंपल पर फिर भी मॉडल और एलीगेंट लग रहा था कमरे के बीचो बीच एक बड़ा सा गोल किंग साइज बेड, बेड के एक साइड की पूरी दीवार कांच की बनी हुई थी जिससे ना जाने कितने दूर तक का नजारा देखा जा सकता था दूसरी तरफ एक बड़ी सी बुक शेल्फ जिसमें ना जाने कितनी किताबें रखी थी, बेड के सामने एक बड़ा सा सोफा सेट और राउंड टेबल और भी बहुत कुछ था कमरे में जो उस कमरे को बहुत ही खूबसूरत बना रहा था कुछ पेंटिंग्स शोपीस और बहुत सारे इनडोर  प्लांट्स कमरे में दो दरवाजे भी थे एक शायद बाथरूम का और दूसरा स्टडी रूम का

    कई पलो तक वो यू ही पूरा कमरा निहारती रही तब जाकर उसे होश आया की सुशांत तो यहां है ही नहीं एक बार फिर उसके चेहरे पर निराशा आ गई और वो जाने के लिए पलटी ही थी कि उसकी नजर स्टडी रूम पर गई जहां का दरवाजा खुला था और सुशांत लैपटॉप पे कुछ काम कर रहा थ

    वो वापस जा ही रही थी कि उसके कानों में सुशांत कि शांत आवाज़ आई - वापस क्यों जा रही हो

    साक्षी ने पलट कर देखा तो सुशांत स्टडी रूम से अंदर आ रहा था वो उसे आता देख कहती है - आपसे मिलने आए थे आप मिले नहीं तो वापस जा रहे थे कहिए क्यों बुलाया था आपने

    दरअसल सुशांत ने ही उसे थोड़ी देर पहले बुलाया था


    सुशांत एक नजर उसे देखता है और कहता है  बाल बांधों अपने

    साक्षी - पर क्यूं अच्छे तो लग रहे हैं ऐसे

    सुशांत तुम कॉलेज जा रही हो कोई ब्यूटी कॉन्टेस्ट में नहीं

    वो मना नहीं कर पाई उसने अपने बाल बांधे और फिर कहा - कोई और काम  है या जाऊं देर हो रही है मुझे

  • 15. My Cute Wifey - Chapter 15

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    वो मना नहीं कर पाई उसने अपने बाल बांधे और फिर कहा - कोई और काम  है या जाऊं देर हो रही है मुझे

    सुशांत - हां एक काम था तुमसे

    साक्षी - क्या

    सुशांत  टेबल की तरफ इशारा करते हुए - वो  टेबल  पे एक बॉक्स रखा है उसे लेकर आओ

    साक्षी टेबल के पास जाती है वहां एक गिफ्ट पेपर से पैक बॉक्स रखा है उसे उठाकर सुशांत की  तरफ करते हुए कहती है ये गिफ्ट किसके लिए है

    सुशांत कहता है ये तुम्हारे लिए है

    फिर सोचता है ये अमन को इसे गिफ्ट पैक करने की क्या जरूरत थी
    साक्षी गिफ्ट देखकर खुश हो जाती है और सुशांत से कहती है क्या है इसमें

    सुशांत उसके हाथ से वो बॉक्स लेता है और पेपर हटाकर उसको देता है

    बॉक्स देखकर साक्षी खुश हो जाती है दरअसल वो एक स्मार्ट फोन था

    साक्षी के पास फोन नहीं था और आज वो कॉलेज जा रही थी तो सुशांत ने उसके लिए फोन मंगाया था ताकि उसे लेकर उसके मॉम को कोई चिंता ना हो

    साक्षी खुशी से सुशांत को थैंक्यू कहती है

    उसके इस तरह कहने पर साक्षी कि नज़रे उसकी नजरों से जा टकराती है  सुशांत कहता है - वो..जाना ..नहीं है college नहीं तो लेट ..हो जाएंगी

    वो चुपचाप अपना बैग लेने चली जाती है

    नीचे ब्रेकफास्ट के वक्त भी सब लोग साक्षी को कोई ना कोई राय दे रहे थे कि कॉलेज में कैसे रहना है, जिन्हें जानते नहीं है उनसे दूर रहना है, हर किसी से बात नहीं करनी, अगर अच्छा ना लगे तो तुरंत घर पर कॉल करना है, और वगैरा-वगैरा सब उसे ऐसे समझा रहे थे जैसे वो कोई कॉलेज गोइंग गर्ल नहीं बल्कि एक 5 साल की बच्ची है जो पहली बार स्कूल जा रही है

    सभी ने उसे कुछ ना कुछ जरूर समझाया और वो शांति से सबकी बातें सुनती रही कहीं ना कहीं उसे बहुत अच्छा लग रहा था सबको उसकी इस तरफ फिक्र करता देख और अच्छा लगे भी क्यों ना लगे कितने वक्त तक तरसी थी वो इस अपनेपन के लिए जो अब उसे मिल रहा था

    नाश्ते के बाद सुशांत साक्षी को लेकर उसकी कॉलेज की तरफ निकल जाता है रास्ते भर दोनों में खामोशी थी किसी ने कोई बात नहीं करी साक्षी खिड़की से बाहर देखती रही

    जल्दी ही उनकी कार मुंबई के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज P G मेडिकल कॉलेज एंड इंस्टीट्यूट के सामने आकर रुकी यह मुंबई का सबसे बड़ा कॉलेज ही नहीं बल्कि इंडिया का भी one of the best  मेडिकल कॉलेज था यहां हर किसी को एडमिशन नहीं मिलता था कोई कितना भी पैसे वाला हो यहां एडमिशन सबको सिर्फ उनकी काबिलियत पर ही दिया जाता था और यही कॉलेज की खासियत थी इस कॉलेज में हर कोई प्रोफेसर भी नहीं था  फेमस डॉक्टर्स यहां ऐज़ आ प्रोफेसर पढ़ाया करते थे

    साक्षी कोलेज के गेट पर खड़ी बड़े से दरवाज़े को देख रही थी और  उसे उसके चेहरे पर डर और घबराहट देख वो कोलेज कि तरफ़ देखकर कहता है - डर लग रहा है

    साक्षी कोलेज कि तरफ़ देखते हुए - शायद

    सुशांत कहता है - तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है ना किस्मत से ना जिंदगी से ना लोगों से और ना ही वक्त से क्योंकि अब यह सब कुछ तुम्हारे खुद के हाथ में होगा आगे बढ़ो और अपने ख्वाबों के लिए लड़ो

    साक्षी एक पल उसे देखती है फिर कॉलेज की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगती है कॉलेज के गेट के पास पहुंचकर वो एक बार पीछे पलट कर सुशांत को देखती है तो वो उसे ही देख रहा था वो उसे आंखों ही आंखों से आगे बढ़ने का इशारा करता है

    साक्षी मुस्कुराकर कॉलेज के अंदर चली जाती हैं

    और सुशांत अपनी कार में बैठकर ऑफिस के लिए निकल जाता है

    इधर साक्षी जब कॉलेज के अंदर आती है तो उसे बड़ा अकेलापन सा लगने लगता है चारों तरफ हजारों बच्चे जो यहां से वहां दौड़ रहे थे कोई फॉर्म के लिए कोई किसी चीज के लिए वहां का माहौल बहुत अलग था पर एक पॉजिटिविटी थी जो हर कोई फील कर सकता था वो यहां वहां चारों तरफ अपनी नजर घुमा कर देखती है फिर मेन एंट्रेंस की तरफ चल पड़ती है

    उसका ध्यान यहां वहां देखने में था कि सामने से आते एक लड़के से वो टकरा गई  जिसने जींस और टीशर्ट पहन रखी थी और ऊपर से एक चेक शर्ट carry करी हुई थी और आंखों पर बड़े बड़े मोटे चश्मे, बाल बिखरे हुए थे पर वो बड़ा क्यूट लग रहा था उसके चेहरे पर बड़ी मासूमियत थी

    साक्षी उसे ही देख रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी कि अभी क्या हुआ है तभी उसके कानों में उस लड़के की आवाज पड़ती है

    उसकी तरफ देखकर कहता है - ज़रा सामने देख कर भी चल लिया करो

    वैसे कौन से ईयर में हो तुम

    साक्षी- first year

    उसके मुंह से फर्स्ट ईयर सुनकर वो लड़का बड़ा एक्साइटेड हो जाता है और- अरे तुम तो हमारी ही हमराही निकली चलो अच्छा है अब कोई जान पहचान वाला तो मिला तब से एक भी फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट नहीं मिला इसी खुशी में आज से हम दोस्त

    साक्षी  खुद को ज़रा दूर करते हुए कहती है - आप दूर से बात कीजिए और ऐसे-कैसे दोस्त हैं  हम तो आपको जानते भी नहीं है

    लड़का - चिंता मत करो मुझे तुम में कोई इंटरेस्ट नहीं है  और रही बात जानने की तो मेरा नाम सौरव है

    चलो हमें ऑडिटोरियम जाना है वहीं पर सारे सीनियर से आज हमारा इंट्रोडक्शन है ना क्लासेज तो कल से शुरू होंगे

    सौरव उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ऑडिटोरियम की तरफ ले जाने लगता है
    ऑडिटोरियम पहुंचते ही वहां बहुत भीड़ थी पर सारे बच्चे एक लाइन में खड़े हुए थे और कुछ लोग जो थे तो कम उम्र के हैं पर उनसे थोड़े बड़े थे स्टेज पर खड़े हुए थे उनमें से 5 लोग जो एक ग्रुप की तरह लग रहे थे

    साक्षी आसपास देखकर सौरव से कहती है - यह स्टेज पर  कौन लोग खड़े हैं

  • 16. My Cute Wifey - Chapter 16

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    सौरव - अरे यही तो है सीनियर्स और यह जो 5 लोग देख रही हो ना यह पांचो थर्ड ईयर के है और हम सब के मेन सीनियर है इन्हें सब लोग सर और मैम कैह कर बुलाते हैं ये है टोनी इन सब के हेड कॉलेज में इनका बड़ा नाम है एक तो यह बहुत इंटेलिजेंट है दूसरा बहुत हैंडसम भी है और जो इनके लेफ्ट साइड खड़े हैं वो निशा मैम और अमित सर है यह दोनों भी सीनियर है और जो राइट साइड खड़े हैं वो प्रेम सर और संजू सर है इन पांचों का ग्रुप बड़ा फेमस है फूल कॉलेज में किसी की हिम्मत नहीं होती फालतू मै इनसे उलझने की

    वो दोनों बातें कर ही रहे थे कि अमित सौरव को देखकर आवाज़ लगाकर कहता है - oye बच्चू

    सौरव उस तरफ देख कर साक्षी को अपने साथ लिए उन पांचों के सामने जाकर खड़ा हो जाता है

    अमित उसे देखकर कहता है - तुझसे कुछ मंगाया था

    सौरव कुछ पेपर उसे थमआते हुए कहता है - सर मेरे मां बाप ने मुझे इतना अच्छा नाम दिया है प्लीज मुझे बच्चू तो ना कह कर बुलाएं

    अमित उसकी बात पर हंसते हुए -  फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स बच्चे होते हैं वैसे यह लड़की कौन है

    सौरव मुस्कुराते हुए - सर यह अभी 2 मिनट पहले मिली

    अभिषेक - क्या नाम है इसका

    सौरव- सर इसका नाम ... इतना कहकर वो रुक जाता है कहता भी क्या उसे उसका नाम पता ही नहीं था फिर साक्षी की तरफ देख कर आगे कहता है  - तुम्हारा नाम क्या है तुमने मुझे बताया ही नहीं अभी तक

    साक्षी - तुमने पूछा ही नहीं

    अमित कंफ्यूज हो कर - अब तुम ही बता दो क्या नाम है तुम्हारा

    साक्षी

    साक्षी नाम सुनकर निशा उसके पास आती है और कहती है ये बहनजी टाइप लोगो के लिए कॉलेज नहीं है उसकी बंधे बालों को हाथ लगाकर कहती है

    साक्षी निशा के हाथ को गुस्से से परे हटा देती है
    जिसे देखकर अमित को गुस्सा आता है और वो साक्षी के पास आकर उसके हाथ की कलाई पकड़ के कहता है बहुत हाथ चलता है क्या तुम्हारा अब अपना हाथ छुड़ा के दिखाओ

    साक्षी अपना हाथ छुड़ा ने की कोशिश करती है लेकिन उसने बहुत कसकर साक्षी का हाथ पकड़ रखा था

    साक्षी पूरी ताकत से अपना हाथ छुड़ा ने कोशिश करती है सब लोग बस उन्हें ही देख रहे थे और निशा साइड में खड़ी जोर से हंस रही थी

    सौरव को ये सब देखकर बुरा लग रहा था लेकिन अमित के सामने बोलने की उसकी हिम्मत नहीं थी

    साक्षी अभी भी बस अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश में लगी थी वो कैसे भी अपना हाथ छुड़ाना चाहती थी वो बार बार अपने हाथ को मरोड़ रही थी क्योंकि उसे कोई दर्द तो हो नहीं रहा था बस उसका ध्यान तो अपना हाथ छुड़ाने में था

    लेकिन ऑफिस में बैठे सुशांत को वो दर्द महसूस हो रहा था वो कोई मीटिंग में बैठा था उसका ध्यान मीटिंग में ना होकर अपने हाथ में था जब बात उसके बर्दाश्त से बाहर हो गई तो उसने विजय के पास जाकर धीरे से कहा आप मीटिंग कंटिन्यू कीजिए में अभी आता हु

    विजय ने कहा क्या हुआ सब ठीक तो है

    सुशांत ने कहा सब ठीक है में बस आता हु इतना कहकर वो वहां से चला गया

    उसने गाड़ी निकाली और साक्षी के कॉलेज की तरफ निकल गया उसने इतनी फास्ट गाड़ी चलाई कि वो 5 मिनट में ही साक्षी के कॉलेज पहुंच गया

    ऑडिटोरियम में उसने देखा एक लड़का साक्षी का हाथ पकड़ रखा है और साक्षी अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही है

    सुशांत गुस्से में वहां गया तो उसने सुना वो लड़का साक्षी को कह रहा है क्या हुआ इतनी भी ताकत नहीं है क्या जो अपना हाथ छुड़ा सको

    सुशांत गुस्से में उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ के बोला देखते है तुम्हारे में कितनी ताकत है सुशांत ने इतना कसके उसका हाथ पकड़ा कि उसने साक्षी का हाथ छोड़ दिया और उसका ध्यान सुशांत की तरफ गया

    साक्षी सुशांत को वहां देखकर चौक गई उसने खुद से कहा ये यहां कैसे आ गया

    लेकिन सुशांत का पूरा फोकस अमित पे था वो गुस्से से उसे देख रहा था और उसके हाथ पे अपनी पकड़ मजबूत कर रखी थी

    अब अमित सुशांत से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी सब कोशिश बेकार गई

    सुशांत ने इतनी मजबूती से अमित का हाथ पकड़ रखा था कि अमित को बहुत पेन हो रहा था जो उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था

    सुशांत ने उससे कहा क्या हुआ अब तुझमें इतनी भी ताकत नहीं है क्या जो तू अपना हाथ छुड़ा सके एक लड़की पे अपनी ताकत दिखा रहा था अब क्या हुआ

    अमित ने शर्म से अपना सर झुका लिया सुशांत ने उसका हाथ छोड़ते हुए उसे पीछे धक्का दिया जिससे वो नीचे गिर गया

    सुशांत ने चारों तरफ नजर घुमाई सब लोग उसे ही देख रहे थे सुशांत ने चारों तरफ देखकर साक्षी का हाथ पकड़ के कहा आज के बाद अगर साक्षी को किसी ने हाथ लगाया तो उसका हाथ तोड़कर दूसरे हाथ में दे दूंगा

    साक्षी तो बस उसे देखे जा रही थी और अपने मन में बोली मेरा बॉडीगार्ड और खुश हो गई

    सुशांत ने साक्षी का हाथ छोड़ा और वहां से जाने लगा साक्षी उसे रोकना चाह रही थी उसे कुछ कहना था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था वो कैसे सुशांत को आवाज दे

    सुशांत सामने से जा रहा था और साक्षी उसके पीछे भागते हुए बोली सुनिए जी

    साक्षी की आवाज सुनकर सुशांत वही रुक गया साक्षी भागकर उसके पास गई

    इससे पहले साक्षी कुछ कहती सुशांत ने कहा ये सुनिए जी क्या है मेरा सुशांत नाम है तो मुझे मेरे नाम से बुलाओ

    साक्षी ने कहा जी और चुप हो गई

    सुशांत ने उसे घूरकर देखा और कहा जी क्या मुझे आवाज क्यों दी कुछ काम था

    साक्षी ने कहा जी वो आपका धन्यवाद आप आ गए वरना हम तो आज हमारा हाथ उसके हाथ से छुड़ा ही नहीं पाते थे

  • 17. My Cute Wifey - Chapter 17

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    साक्षी ने कहा जी वो आपका धन्यवाद आप आ गए वरना हम तो आज हमारा हाथ उसके हाथ से छुड़ा ही नहीं पाते थे

    सुशांत _हाथ छुड़ाना बाद की बात है तुमने उसे अपना हाथ पकड़ने क्यों दिया

    साक्षी_ वो हम क्या करते उसने जबरदस्ती हमारा हाथ पकड़ लिया जैसे आपने उसका हाथ पकड़ा था

    सुशांत तुम मुझे उससे कम्पेयर कर रही हो

    साक्षी नहीं नहीं हमारा मतलब वो नहीं था हम तो बस

    सुशांत गुस्से में साक्षी को घूरते हुए कहता है आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई मुझे हाथ लगाने की और आज तुम्हारे वजह से मुझे

    सुशांत को अमित का साक्षी का हाथ पकड़ना जैसे खुद का हाथ पकड़ने जैसा लग रहा था क्योंकि वो दर्द तो उसे ही महसूस हो रहा था और कोई सुशांत को चोट पहुंचा दे ये तो सुशांत के बर्दाश्त के बाहर था सुशांत को हाथ लगाने की तो किसी की हिम्मत नहीं थी लेकिन आज साक्षी की वजह से उसे किसी से चोट मिली थी ये उससे सहन नहीं हो रहा था

    इसलिए वो साक्षी पे गुस्सा हो गया और वहां से चला गया
    साक्षी उसे जाते हुए देखती है और खुद से कहती है मुझे बचाता भी है और गुस्सा भी करता है अगर परवाह करता है तो प्यार से बात भी तो कर सकता है हमेशा गुस्सा ही करता है

    साक्षी ये सब सोच रही थी तभी उसके पास सौरव आता है और उसको कहता है तुम ठीक तो हो ना

    साक्षी हा में ठीक हु

    सौरव तुम्हारा हाथ दिखाओ तुम्हे पेन हो रहा होगा ना

    साक्षी खुद का हाथ देखती है उसका हाथ रेड हो गया था लेकिन उसे बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा था

    साक्षी का हाथ देखकर सौरव शॉक्ड हो जाता है और कहता है तुम्हारा हाथ इतना रेड हो रहा है तुम्हे बहुत दर्द हो रहा होगा

    साक्षी भी अपना हाथ देखकर अचंभित होती है और कहती है मुझे बिल्कुल भी पेन नहीं हो रहा है

    सौरव कहता है तुम तो बहुत स्ट्रॉन्ग हो

    साक्षी भी यही सोच लेती है कि में बहुत स्ट्रॉन्ग हु इसलिए मुझे बिल्कुल भी पेन नहीं हो रहा है

    उधर सुशांत ऑफिस पहुंचता है तो विजय उसे पूछता है क्या हुआ है तुम्हे तुम यू अचानक मीटिंग छोड़कर चले गए

    सुशांत अभी भी गुस्से में था सुशांत ने कहा आपको पता है ना कोई मुझे हाथ भी लगाए मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है

    विजय आश्चर्य से सुशांत को देखता है और कहता है लेकिन तुम तो मीटिंग में  मेरे सामने थे किसने तुम्हे हाथ लगाया और तुम कहा गए थे

    सुशांत के पास अब कोई जवाब नहीं था सुशांत ने कहा कोई पहले का हिसाब था इतना कहकर वो अपने केबिन में चला गया

    शाम का समय

    ठाकुर सदन में लक्ष्मी जी अभी भी साक्षी को लेकर परेशान थी कि वहां कॉलेज में सब ठीक तो है ना


    लक्ष्मी जी ने अंजू से कहा साक्षी आई नहीं अभी तक
    इतने में ही साक्षी आ जाती है साक्षी के चेहरे पे खुशी साफ झलक रही थी

    क्योंकि सुशांत के जाने के बाद अमित ने साक्षी से माफी मांगी थी

    साक्षी को देखकर लक्ष्मी जी उसे अपने पास सोफे पे बैठाती है और कॉलेज के बारे में पूछती है कि कैसा रहा कॉलेज का पहला दिन

    साक्षी कुछ कहती उससे पहले अंजू ने कहा कि साक्षी को कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं है साक्षी का चेहरा सब बता रहा है कितनी खुश लग रही है

    साक्षी को खुश देखकर लक्ष्मी जी भी खुश हो जाती है
    तभी आरती और दिशांत भी कॉलेज से आ जाते है

    वो दोनों भी साक्षी के पास बैठकर कॉलेज की बात पूछने लगते है उनको बात करते देख लक्ष्मी जी और अंजू किचन में चली जाती है उनके लिए कुछ नाश्ता बनाने के लिए

    आरती साक्षी से कहती है मुझे सब बताओ कॉलेज में क्या हुआ तुम किस से मिली क्या बात करी सब कुछ

    साक्षी भी आरती और दिशांत को सब कुछ बता देती है जो भी कॉलेज में हुआ


    साक्षी की बात सुनकर दिशांत और आरती शोकड हो जाते है दिशांत कहता है भैया ने बहुत अच्छा किया जो उस लड़के को सबक सिखा दिया

    वहीं आरती कहती है अब किसी की हिम्मत नहीं होगी तुम्हे कुछ भी कहने की हाथ लगाना तो बहुत दूर की बात है

    तभी अंजू उनको आकर कहती है तुम लोग अभी यही बैठे हो जाओ जाकर फ्रेश हो जाओ और आकर नाश्ता कर लो

    अंजू की बात पे वो उठकर अपने अपने रूम में चले जाते हैं और थोड़ी देर में फ्रेश होकर नीचे आते है

    अभी हॉल में ठाकुर साहब बैठे थे जो थोड़ी देर पहले वहां नही थे साक्षी को देखकर वो भी साक्षी को पूछते है कैसा है तुम्हारा कॉलेज

    साक्षी कहती है अच्छा है पापा जी

    ठाकुर साहब कहते है तुम्हारा कोई दोस्त बना या नहीं
    साक्षी कुछ कहती इससे पहले सुशांत वहां आ जाता है और सबकी नजर सुशांत पे जाती है

    सब उसको देखकर हैरान हो जाते है कि आज वो इतना जल्दी ऑफिस से कैसे आ गया

    तभी लक्ष्मी जी की नजर सुशांत के हाथ में जाती है उसके हाथ में दवा का पैकेट देखकर हो वो जल्दी से सुशांत के पास जाती है और पूछती है ये दवा क्या हुआ है तुम्हे तुम्हारी तबीयत तो ठीक है

    सुशांत कहता है में ठीक हु मॉम ये दवा साक्षी के लिए है

    लक्ष्मी जी _साक्षी के लिए साक्षी को क्या हुआ ये कहते हुए वो साक्षी के पास आ जाती है

    आरती कहती है वो मॉम आज कॉलेज में एक लड़के ने साक्षी का हाथ पकड़ लिया था तो उसकी वजह से शायद

    इतना सुनते ही लक्ष्मी जी साक्षी का हाथ देखने लगती है अभी भी साक्षी का हाथ थोड़ा रेड हो रखा था

    ठाकुर साहब कहते है कौन है वो लड़का क्या नाम है उसका लगता है उसको अब और कॉलेज में नहीं पढ़ना है
    सुशांत कहता है उसकी जरूरत नहीं मैने सबक सिखा दिया है उसे अब आगे से वो ऐसा कुछ नहीं करेगा

    तभी अंजू कहती है साक्षी तुमने अच्छा किया जो सुशांत को कॉल कर दिया और उसे बुला लिया

    साक्षी ने कहा लेकिन हमने तो कॉल नहीं किया था ये कहकर साक्षी भी सोचने लगती है

  • 18. My Cute Wifey - Chapter 18

    Words: 1067

    Estimated Reading Time: 7 min

    साक्षी ने कहा लेकिन हमने तो कॉल नहीं किया था ये कहकर साक्षी भी सोचने लगती है

    तभी अंजू कहती है तो फिर किसने कॉल किया
    जवाब के आस में सब लोग सुशांत की तरफ देखने लगते है सबको अपनी तरफ देखता हुआ देखकर सुशांत कुछ सोचता है और कहता है वो कुछ डॉक्यूमेंट्स रह गए थे बस वही देने गया था वो सब देखा तो

    इतना कहकर चुप हो गया सुशांत का जवाब सुनकर सबने उसकी बात पर यकीन कर लिया

    दवा का पैकेट सुशांत आरती को देते हुए बोला साक्षी को दवा लगा देना आरती ने वो पैकेट ले लिया वो वहां से डाइनिंग टेबल पे आ गई उसके साथ दिशांत और साक्षी भी चले गए

    सुशांत वही हॉल में सोफे पे बैठ गया और टी वी पे न्यूज देखने लगा टी वी के स्क्रीन में एक घर को दिखा रहे थे जो देखने में बहुत ही छोटा और बहुत ही प्यार था उस घर के चारों तरफ बस हरियाली थी उस घर को ग्रीन हाउस के नाम से बुलाया जा रहा था सुशांत बहुत ध्यान से वो न्यूज देख रहा था और उस घर को भी

    तभी वहां साक्षी आरती और दिशांत भी अपना नाश्ता कंप्लीट करके वहां हॉल में आकर बैठ जाते है लक्ष्मी जी और अंजू अभी भी किचन में थी

    न्यूज में उस घर की नीलामी के बारे में दिखा रहे थे कल ही ग्रीन हाउस की नीलामी थी ग्रीन हाउस को देखकर साक्षी को कुछ याद आने लगता है उसकी आंखों के सामने एक छोटी बच्ची उस घर में घूमते हुए दिखती है
    जिसको एक लेडी पकड़ती है और उस बच्ची को प्यार करती है अचानक ही साक्षी की आंखों में पानी आ जाता है और वो वहां से उठकर अपने रूम में चली जाती है

    उसके पीछे पीछे आरती और दिशांत भी चले जाते है साक्षी उदास होकर बेड पे बैठी थी साक्षी को उदास देखकर आरती उससे पूछती है क्या हुआ तुम अचानक यह क्यों आ गई

    साक्षी ने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही

    आरती ने कहा में आपको दवा लगा देती हु ये कहकर आरती साक्षी का हाथ अपने हाथ में लेती है और उसे दवा लगाती है साक्षी अभी भी कुछ उदास लग रही थी

    साक्षी का मूड ठीक करने के लिए दिशांत कहता है आप ऐसे गोल गोल घूम सकते है क्या

    दिशांत खुद गोल गोल घूम के दिखाता है

    आरती कहती है ऐसे तो कोई भी घूम सकता है इसमें क्या है

    दिशांत कहता है इतना आसान नहीं है चक्कर आने लगते है

    तभी आरती साक्षी के दवा लगा चुकी थी आरती घूमने लगती है थोड़ी देर में उसे चक्कर आने लगता है और वो बेड में बैठ जाती है

    दिशांत कहता है क्या हुआ बहुत आसान लग रहा था ना तुमको इतनी जल्दी चक्कर आ गया मेरे से ज्यादा देर तक कोई नहीं घूम सकता है

    तभी साक्षी खड़ी होकर कहती है हम बहुत देर तक घूम सकते है और घूमने लगती है और सच में साक्षी बहुत देर तक घूमती है

    उधर हॉल में बैठा सुशांत ऑफिस जाने के लिए खड़ा होता है तभी उसे चक्कर आ जाता है और वो वही सोफे पे गिर जाता है

    सुशांत को यू अचानक सोफे पे गिरता देख ठाकुर साहब घबरा जाते है और उसके पास जाकर पूछते है क्या हुआ तुम्हे

    सुशांत कहता है पता नहीं कैसे चक्कर आ गया चक्कर का नाम सुनकर ठाकुर साहब लक्ष्मी जी को आवाज देते है ठाकुर साहब की आवाज सुनकर लक्ष्मी जी और अंजू हॉल में आते है

    लक्ष्मी जी घबराते हुए पूछती है क्या हुआ
    ठाकुर साहब कहते है जल्दी डॉक्टर को कॉल करो

    डॉक्टर को ये सुनकर लक्ष्मी जी और अंजू घबरा जाती है और कहती है क्या हुआ

    ठाकुर साहब सुशांत ऑफिस जा रहा था उसे चक्कर आ गया

    चक्कर का सुनकर लक्ष्मी जी सुशांत के पास आती है और कहती है क्या हुआ बेटा तुम ठीक तो हो

    सुशांत कहता है पता नहीं कैसे मुझे चक्कर आ रहा है

    लक्ष्मी जी में अभी डॉक्टर को कॉल करती हु ये कहते हुए पास में रखे फोन को उठाती है और डॉक्टर को कॉल करने लगती है

    तभी सुशांत कुछ सोचता है और लक्ष्मी जी को कहता है मॉम डॉक्टर को रहने दीजिए आप साक्षी को बुलाए

    सुशांत समझ गया ये सब कुछ कही न कही उसकी वजह से हो रहा है

    लक्ष्मी जी अंजू की तरफ साक्षी को बुलाने का इशारा करती है अंजू सीढ़ियां से जल्दी जल्दी साक्षी के रूम की तरफ जाती है और बाहर से ही आवाज देती है साक्षी साक्षी

    अंजू की आवाज सुनकर साक्षी आरती और दिशांत रूम से बाहर आते है और अंजू को पूछते है क्या हुआ

    अंजू कहती है सुशांत को चक्कर आ रहे है वो साक्षी को बुला रहे है
    ये सुनकर सब नीचे की तरफ आते है दिशांत धीरे से आरती को कहता है कमाल है घूम हम रहे थे और चक्कर भैया को आ रहे है

    आरती दिशांत को चुप रहने का इशारा करती है

    वो सब नीचे हॉल में पहुंच जाते है सोफे पे बैठे सुशांत को देखकर साक्षी कहती है क्या हुआ

    साक्षी को देखकर जैसे सुशांत के जान में जान आती है वो थोड़ा रिलेक्स होता है

    लक्ष्मी जी साक्षी को कहती है पता नहीं कैसे अचानक सुशांत को चक्कर आ गया

    साक्षी ये सुनकर वहां से चली जाती है और कुछ ही देर में एक टब में पानी लेकर आती है और सुशांत के पैरों के पास रखकर कहती है इसमें अपने पैर रख लीजिए आपको चक्कर आना बंद हो जाएगा

    सुशांत साक्षी की तरफ देखता है और उसका हाथ पकड़ के उसे वही अपने पास सोफे पे बैठा देता है और उसके पैर उठाकर टब में रख देता है

    ये देखकर सब लोग चौक जाते है और एक दूसरे को देखते है उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि सुशांत ये क्या कर रहा है

    लक्ष्मी जी कहती है ये तुम क्या कर रहे हो साक्षी वो टब तुम्हारे लिए लाई है तुम अपने पैर उसमें रख लो

    सुशांत कहता है उसकी जरूरत नहीं है मॉम में अभी ठीक हु आप बस मुझे एक कप कॉफी पिला दीजिए

    सुशांत सोचता है जब तक साक्षी अपने पैर पानी में रखेगी तो उसे चक्कर आना बंद हो जाएगा

    कॉफी का सुनकर साक्षी टब में खड़ी होकर कहती है में बना कर लाती हु कॉफी इतना कहकर वो अपना पैर टब से बाहर निकालने लगती है तभी सुशांत फिर से उसका हाथ पकड़ के उसे सोफे पे बैठा देता है

  • 19. My Cute Wifey - Chapter 19

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    दिशांत धीरे से आरती से कहता है ये सब कुछ क्या हो रहा है तुम्हे कुछ समझ आ रहा है

    आरती कहती है बुद्धू तू समझा नहीं भैया को कोई चक्कर वक्कर नहीं आ रहे थे

    ये सब तो बस एक बहाना था
    भाभी को अपने पास बुलाना था

    दिशांत वाह क्या बात कही है

    आरती तू ही सोच अगर भैया को चक्कर आ रहा था तो डॉक्टर को बुलाना था भाभी को क्यों बुलाया बुलाया तो बुलाया अपने पास क्यों  बैठाया

    दिशांत सही कह रही है तू वरना अगर चक्कर भैया को आ रहे थे तो पानी में पैर भाभी का क्यों रखा खुद का क्यों नहीं

    आरती ताकि साक्षी उनके पास बैठी रहे वरना तो फिर से उनसे दूर चली जाती

    दिशांत इसीलिए भाभी कॉफी बनाने के लिए जा रही थी तब भी भैया ने उन्हें जाने नहीं दिया

    आरती मुझे तो लगता है भैया ऑफिस से जल्दी भी भाभी के लिए ही आए थे दवा तो बस बहाना था और हमारी भाभी है कि उठकर  अपने रूम में चली गई अब भाभी को अपने पास बुलाने के लिए कुछ तो करना था न भैया को

    दिशांत कहता है भैया दिल के मामले में भी इतना दिमाग लगाएंगे ये तो सोचा ही नहीं था

    आरती कहती है मुझे तो लगता है भैया भाभी के कॉलेज भी भाभी को देखने गए थे डॉक्यूमेंट्स बस तो एक बहाना था

    दिशांत हमारे भैया प्यार में इतने पागल हो गए यकीन ही नहीं हो रहा कल तक भैया ही कहते थे प्यार व्यार सब बकवास है और खुद को देखो

    आरती धीरे धीरे गाना गाते हुए तुम बैठे रहो पास मेरे की ये दिल बस तुम्हे देखता रहे

    दोनों इतने धीरे धीरे बात कर रहे थे कि किसी को भी कुछ सुनाई नहीं दिया

    तभी सामने से तनु आती है जो अब तक बाहर गई हुई थी सुशांत और साक्षी को यू साथ में बैठे देखकर उसको बहुत गुस्सा आता है

    तनु आरती और दिशांत के पास आकर साक्षी की तरफ इशारा करके बोलती है ये सब क्या हो रहा है
    दिशांत धीरे धीरे गाना गाते हुए दो दिल मिल रहे है मगर चुपके चुपके
    तभी आरती सबको हो रही है खबर मगर चुपके चुपके

    तनु को उनके गाने पे और गुस्सा आता है वो गुस्से में कहती है साक्षी ने अपने पैर पानी में क्यों रखे है क्या हुआ उसको

    आरती कहती है सुशांत भैया को चक्कर आ रहे थे तो

    तनु तो तो साक्षी ने पैर पानी में क्यों रखे है

    दिशांत क्योंकि इसी को तो कहते है दिल से बंधी एक डोर चोट एक को लगती है दर्द दूसरे को होता है अब भाभी ने पैर पानी में रखे है और चक्कर भैया के बंद हो जायेगे

    दिशांत तो ये सब मजाक में कह रहा था लेकिन उनके साथ तो सच में ऐसा था

    तभी अंजू कॉफी लेकर हॉल में आई सुशांत को कॉफी देकर जाने लगी तभी तनु ने अंजू से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है

    अंजू ने कहा सुशांत को पता नहीं कैसे चक्कर आ गए

    तनु को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था

    तनु ने गुस्से में कहा तो फिर साक्षी ने अपने पैर पानी में क्यों रखे वो क्या समझती है उसके ऐसा करने से सुशांत के चक्कर ठीक हो जायेगे क्या

    अंजू ने कहा साक्षी के पैर टब में सुशांत ने ही रखे है

    तनु सुशांत ने ऐसा क्यों किया

    अंजू अरे तुम तो सुशांत को जानती हो ना उसे ये सब पसंद नहीं साक्षी जब टब लेकर आई तो सुशांत ने उसके ही पैर टब में रख दिए अब इसमें क्या हो गया हसबैंड वाइफ है इतना मजाक तो चलता है ना

    इतना कहकर अंजू किचन में चली गई उसे डिनर की तैयारी भी करनी थी

    सुशांत अपनी कॉफी पी रहा था और बेचारी साक्षी चुपचाप से पानी ने पैर रखे सोफे पे सुशांत के पास बैठी थी

    तनु को ये सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था इतने दिन से तनु उस घर में थी सुशांत ने कभी तनु से बात तक नहीं की और साक्षी के साथ वो हंसी मजाक कर रहा है

    तनु गुस्से से वहां से चली जाती है तभी वहां अंशु और पायल आते है और साक्षी को कहते है चाची हमारे साथ खेलो ना

    साक्षी तो बेचारी कुछ बोलती उससे पहले तो सुशांत हड़बड़ी में नहीं कोई जरूरत नहीं है

    पायल लेकिन क्यों चाचू

    सुशांत चोट लग जाएगी

    पायल लूडो में कैसे चोट लगती है

    सुशांत ओह लूडो क्या साक्षी की तरफ देखते हुए ठीक है तुम जाओ इनके साथ लूडो खेलो

    साक्षी हमे नहीं खेलना लूडो हम क्या बच्चे है

    सुशांत गुस्से में तुम्हे तो वो करना है जिसमे चोट लगे या चक्कर आए वैसे तुम अभी कुछ देर पहले क्या कर रही थी

    साक्षी वो हम गोल गोल घूम रहे थे

    सुशांत और वो बच्चों वाले काम नहीं थे वो तो बड़े लोग करते है

    साक्षी ने दिशांत और आरती की तरफ देखा

    सुशांत दिशांत को तुमने कहा था इसको गोल गोल घूमने के लिए

    दिशांत नहीं भैया हम तो बस खेल रहे थे

    सुशांत आज के बाद तुम बस लूडो खेलोगे अभी जाओ और लूडो खेलो

    दिशांत जी भैया और वहां से जाने लगा साक्षी भी टब से पैर बाहर निकलकर टब लेकर चली गई
    सब लोग ऊपर साक्षी के रूम में जाने लगे साक्षी टब रखकर आ रही थी इसलिए वो पीछे थी

    साक्षी को तनु ने रोका और कहा अगर तुम इस गलतफहमी में हो कि सुशांत तुम्हे प्यार करता है या तुम्हारी परवाह करता है तो ये बात अपने दिमाग से निकाल दो सुशांत से तुमसे शादी किसी मजबूरी की वजह से की है वरना तुम जैसी लड़की को सुशांत अपने पास भी ना बैठाए

    साक्षी तो बस आश्चर्य से उसे देख रही थी उसे तो ये भी समझ नहीं आ रहा था कि तनु ऐसा कह क्यों रही है

    तभी वहां दिशांत आ जाता है वो तनु की बात सुन लेता है

    दिशांत कहता है तुम सबको अपनी तरह क्यों समझती हो तुम ये क्यों सोचती हो अगर भैया तुम्हारी परवाह नहीं करते तो साक्षी भाभी की भी परवाह नहीं करते है साक्षी भाभी से भैया प्यार करते है इसीलिए भैया ने इनसे शादी की है वरना तुमसे शादी नहीं की तुम तो कब से भैया के पीछे पड़ी हो

    दिशांत ने आगे कहा और तुम भी अच्छे से जानती हो भैया को कोई भी किसी चीज के लिए मजबूर नहीं कर सकता है

  • 20. My Cute Wifey - Chapter 20

    Words: 1032

    Estimated Reading Time: 7 min

    तो मजबूरी में शादी करने का तो सवाल ही नहीं है भाभी भैया को अच्छी लगती है इसीलिए भैया ने भाभी से शादी की और भैया भाभी की परवाह भी करते है वो तो तुम देख ही चुकी हो

    तनु ने कहा में ये साबित कर दूंगी कि सुशांत ने ये शादी किसी मजबूरी में की है सुशांत इससे प्यार नहीं करता है



    दिशांत ने कहा देखते है और साक्षी की तरफ देखकर कहा चलो भाभी चलते है सब आपका इंतजार कर रहे है इतना कहकर साक्षी और दिशांत वहां से चले गए

    तनु को बहुत गुस्सा आ रहा था सुशांत ही नहीं सब लोग भी साक्षी से इतना प्यार करते है

    साक्षी ने जाते हुए दिशांत से कहा तनु ने ऐसा क्यों कहा

    दिशांत क्योंकि तनु भैया से शादी करना चाहती थी और भैया ने आपसे शादी कर ली इसलिए वो आपसे जलती है आप तनु का ध्यान रखना वो कुछ भी कर सकती है आपको भैया से दूर भी कर सकती है

    साक्षी ने कहा लेकिन अंजू भाभी तो कितनी अच्छी है क्या अंजू भाभी को भी पता है तनु आपके भैया से शादी करना चाहती थी


    दिशांत नहीं सिर्फ मुझे और आरती को पता है इन सब चीजों के लिए हमारी नजर बहुत तेज है हमे पता चल जाता है किसके मन में किसके लिए क्या है

    साक्षी दिशांत की बात सुनकर मुस्कुरा देती है और अपने रूम में आ जाती है जहां आरती अंशु और पायल पहले से उनका इंतजार कर रहे थे

    वो सब साक्षी के रूम के बेड पे लूडो खेलने लगते है वहीं हॉल में सुशांत भी घड़ी देखता है और सोचता है अभी लेट हो गया अब ऑफिस जाकर क्या करूंगा और किसी को फोन करता है और कहता है मुझे ग्रीन हाउस के बारे में सारी इन्फोर्मेशन चाहिए और फोन रख देता है

    आरती दिशांत अंशु पायल और साक्षी अपने रूम में लूडो खेल रहे होते है अंशु हारने लगता है तो वो रोने लगता है और पूरा गेम बिगाड़ देता है

    अंशु पायल से तुमने चीटिंग की है इसलिए में हारा हु

    पायल तुम हर बार यही करते है जब हार जाते हो तो चीटिंग का नाम लेते हो इसलिए कोई तुम्हारे साथ नहीं खेलता है

    अंशु तुम भी हर बार चीटिंग करके ही जीतती हो लड़कियां को बस चीटिंग करना आता है

    इस बार साक्षी ने कहा अंशु ये गलत बात है लड़कियां चीटिंग नहीं करती है बल्कि लड़कों को अपनी हार बर्दास्त नहीं होती है

    दिशांत ने कहा अंशु सही कह रहा है लड़कियां जब हारने लगती है तो चीटिंग करती है

    इस बार आरती ने कहा जी नहीं लड़कियां चीटिंग नहीं करती है बल्कि लड़के हारने पे रोने लगते है

    इन सब बातों बातों में सब में लड़ाई हो जाती है और लड़ाई  में पिलो एक दूसरे पे फेंकने लगते है

    साक्षी सबको रोकने की कोशिश करती है लेकिन उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता है उनको रोकने के चक्कर में साक्षी का सर जोर से दीवार से टकरा जाता है लेकिन उसे तो कोई फर्क नहीं पड़ता है वो फिर से उनको रोकने की कोशिश में लग जाती है

    उधर हॉल में बैठा सुशांत ग्रीन हाउस के इन्फोर्मेशन देख रहा होता है तभी उसके सर में चोट लगने जैसे एहसास होता है एक पल के लिए तो वो अपने आस पास देखता है कि किस चीज से उसे चोट लगी फिर उसको साक्षी का ख्याल आता है

    सुशांत गुस्से में खुद से कहता है ये लड़की कोई काम बिना चोट खाए नहीं कर सकती है क्या कोई इतना लापरवाह कैसा हो सकता है

    सुशांत को कभी खुद को एक खरोच भी नहीं लगने देता था अब और साक्षी की वजह से उसे कोई न कोई चोट लग ही रही थी

    सुशांत गुस्से में साक्षी के रूम की तरफ जाता है और रूम में देखता है सब लोग बेड पे खड़े लड़ रहे है रूम में सब समान बिखरा पड़ा है जिसके हाथ में जो आ रहा है वो उसे फेक के मार रहा है

    साक्षी रोकने की कोशिश कर रही है इससे पहले सुशांत कुछ कहता वो देखता है साक्षी बेड के बिल्कुल साइड में खड़ी है जैसे ही सुशांत की नजर उसपे जाती है साक्षी उनको रोकने के चक्कर में पीछे होती है और वो गिरने को होती है तभी सुशांत भागकर उसे अपने गोद में उठा लेता है

    साक्षी को लगा वो नीचे गिर गई इसलिए उसने अपनी आँखें बंद कर ली

    सब ने सुशांत को देखकर एकदम से लड़ाई बंद कर दी और जहां थे वही मूर्ति बन बस देख रहे थे

    धीरे धीरे सब शराफत से रूम से बाहर आकर गेट पे खड़े होकर देखने लगे

    साक्षी ने धीरे से अपनी आँखें खोली तो सामने सुशांत का चेहरा था जो उसे घूर के देख रहा था सुशांत को देखकर डर के उसने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली जैसे उसके आंखे बंद करने से सुशांत वहां नहीं होगा

    सुशांत ने गुस्से में कहा क्या हो रहा है ये सब

    सुशांत की आवाज इतनी तेज थी जिसे सुनकर दिशांत आरती अंशु और पायल वहां से सीधे भागकर हॉल में आ गए और चुपचाप से वहां बैठकर टीवी देखने लगे

    साक्षी ने धीरे से आंखे खोली और खुद को संभालते हुए नीचे खड़ी हुई और कहा ये सब

    इतना कहकर बेड की तरफ देखी लेकिन वहां कोई नहीं था साक्षी ने सोचा सब कहा गए

    सुशांत ने गुस्से से फिर से कहा तुम कोई भी काम ठीक से नहीं कर सकती जब देखो गिरती पड़ती रहती हो तुम खुद को कोई चोट पहुंचाए बिना एक दिन भी रह सकती हो

    साक्षी ने कहा वो हमने तो कुछ नहीं किया वो सब लड़ रहे थे हम तो बस उनकी लड़ाई रोकने की कोशिश कर रहे थे

    सुशांत ने कहा और तुम खुद गिरने वाली थी अगर में नहीं आता तो

    तुम्हे पता भी है कितनी चोट लग जाती तुम्हे आगे से ऐसा कुछ मत करना जिससे तुम्हे कोई भी चोट लगे

    इतना कहकर सुशांत वहां से चला गया साक्षी खुश होते हुए खुद से बोली कितना ख्याल रखता है मेरा

    आज तक सबने बस मुझे चोट दी है अनु के बाद यही है जो नहीं चाहता कि मुझे कभी कोई चोट लगे

    क्या सच में ये मुझसे प्यार करता है जैसा कि अनु ने कहा था