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War of the dark world

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Shivangi Gupta

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Description

कहते हैं जादू जैसी कोई चीज नहीं होती दुनिया में, कुछ लोगों को इस पर यकीन है तो कुछ लोग इसे सिर्फ एक कल्पना समझते हैं ,कुछ यही माना है तनिका का भी जादू असल जिंदगी में होती ही नहीं वह सिर्फ एक कल्पना है, पर वह खुद ही अंजान हैं अपनी शक्तियों से तो वही...

Characters

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तनिका

Heroine

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त्रयक्ष राणावत

Knight

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सरताज

Villain

Total Chapters (13)

Page 1 of 1

  • 1. War of the dark world - Chapter 1

    Words: 1146

    Estimated Reading Time: 7 min

    आधी रात का वक्त,

    एक छोटी लड़की जो देखने से 10, 11 साल की लग रही थी वो नंगे पाँव रोड पर भागी जा रही थी वह काफी घबराई हुई सी लग रही थी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था फ़िर भी वह बिना रुके भागे जा रही थी वह भागते-भागते एक जंगल में जा पहुंची और एक पहाड़ी के पास आकर वहां रुक गई क्योंकि आगे जाने का कोई रास्ता नहीं था वो घबराए हुए पीछे पलट कर देखती है तो कुछ लोग उसकी तरफ बढ़ रहे थे फिर वो अपना गर्दन घुमाकर पीछे देखती है जहां पर रास्ता ख़तम हो गया था और पीछे खाई थी तभी कुछ लोगो हाथों में तलवार लिए उसके सामने खड़े हो जाते हैं l

    तभी उन सब में से एक आदमी बोलता है ''बहुत बच लिया तूने अब तेरा अंत तय हैं बोल कर वो जोर जोर से हंसने लगा अपने लीडर को हंसता देखकर वह सब भी हंसने लगे'' l

    वो छोटी बच्ची उन सबको खुद पर हस्ता देख कर अभिव्यक्तिहीन चेहरे के साथ बोली "तुम्हें क्या लगता है तुम सब मुझे ख़तम कर सकते हो"फिर थोड़ा रुक कर आगे बोली "सही कहा तुमने अंत तय हैं पर किसका यह वक्त बताएगा l"

    वह आदमी फिर से बोला "रस्सी जल गई पर बल नहीं गया"तुझे क्या लगता है तू अब बच सकती है नही अब तेरी बारी है ख़तम होने की" बोलकर वह उसके नजदीक आने लगा l

    उस लड़की ने उसको खुद के नज़दीक आते हुए देखा तो वैसे ही भावशून्य चेहरे के साथ बोली "तुम मुझे हाथ भी नहीं लगा सकते ख़तम करना तो दूर की बात है", "बोल देना अपने उस शरताज से मैं जल्दी उसका सम्राज्य खत्म करने आउंगी उसके साम्राज्य को धूल बना दूंगी हर एक के आंसुओं का बदला लुगी उसे खून के आंसू न रुलाये तो कहना l"

    वह आदमी उसकी बात सुनकर हंस दिया उसने अपना हाथ उसको पकड़ने के लिए आगे किया ही कि वह लड़की अपने कदम पीछे लेते हुए खाई में गिर गई पर गिरते हुए भी उसने नफ़रत और गुस्से की आग मे जलते हूए कहा "इंतज़ार करना मेरा" "इंतज़ार करना अपनी बर्बादी का" उसकी यह आवाज़ पुरे जंगल में गूंज उठी l

    वो आदमी ये देख कर घबरा गया फिर "हंसते हुए बोला इसने तो खुद ही अपने आप को मौत के गले लगा लिया " और झाखते हुए उस खाई को देखने लगा जहां सिर्फ पेड़ ,पत्थर घने जंगल के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था फिर अपने आदमियों को देख कर बोला "चलो शरताज को बाते हैं की वो लड़की मर गई ये सुनकर वो बहुत खुश हो जायेंगे"l

    कह कर वो सब वहां से निकल गये l

    कुछ समय बाद ,

    एक अँधेरे से घिरा बड़ा सा हॉल जहाँ चारो तरफ़ अँधेरा ही अँधेरा था रोशनी के नाम पर वहां सिर्फ दो मसाले जल रही थी l

    वो आदमी एक आदमी के सामने सर झुकाये बैठा हुआ था उसने कहा शरताज वो लड़की अब मर चुकी है वो आदमी जिसके सामने वह सर झुकाए बैठा हुआ था वो उन लोगो का शरताज था वो एक बड़े से सिंहासन पर बैठा हुआ था और उसका चेहरा अँधेरे की वजह से दिख नहीं रहा था और उसके एक हाथ पर एक बड़ा सा बाज बैठा हुआ था जो देखने से ही बहुत खुंखार और डरावना लग रहा था l

    शरताज ने उस बाज के पीठ को सहलते हुए कहा ''मैने उस लड़की का सर तुम्हे लाने को कहा था कहां है उस लड़की का सर उसकी आवाज़ भरी और डरवानी थी'' l

    वो आदमी हकलाते हुआ बोला ''शर... ताज हम लोगो उसको मारते उससे पहले ही वो खुद ही खाई में कूद गई'' बोल कर वो चुप हो गया l

    ये सुनकर शरताज बोल ''मतलब तुम लोगो ने उस लड़की को नहीं मारा'' l

    वो आदमी घबराते हुए बोला ''नहीं नहीं शरताज वो मर गयी हैं वो हमारी आँखों के सामने ही खाई में गिरी हैं l और खाई बहुत ज्यादा गहरी थी की ऊपर से गिरने के बाद कोई भी बच नहीं सकता उसका बचाना नामुमकिन है'' l

    शरताज अपनी सिंहासन पर से उठा उसके उठते ही वो बाज भी उड़ गया उसने अपने कदम उस आदमी की तरफ बढ़ा दिए l वो धीरे धीरे अँधेरे से निकलते हुए अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाते जा रहा था और शरताज को आपने नजदीक आते देख वह आदमी घबरा रहा था उसका सर अभी भी नीचे की तरफ झुका हुआ था l

    शरताज उसके पास आकर रुका ''तो तुम लोगों को लगता है वह लड़की मर चुकी है'' l

    वो आदमी ''हां हां शरताज वो मर चुकी हैं'' l

    ये सुनकर शरताज जोर जोर से हंसने लगा उसको हंसता देख कर वह आदमी पहले तो घबराया फिर वो भी हंसतेे में हुआ बोला "शरताज " वो इसके आगे कुछ बोला पता की उसकी एक दर्द नाक चिख निकल गई l

    शरताज के बाज ने उस आदमी की आंखें नोच ली थी वो दर्द से ज़मीन पर तड़प रहा था l

    शरताज उसको देख कर बोला "मेरे सामने कोई भी अपनी नज़रे ऊंची करे मुझे पसंद नहीं "l "मेरे सामने जो अपनी नजरें उठाता है मैं उसको दुनिया से उठा देता हूं पर मैं तुझे छोड़ रहा हूं क्यू की तूने मुझे इतनी अच्छी खबर जो सुनाई है "l बोल कर वो जाने लगा l

    पर वहा पर अभी भी उसका बाज उड़ रहा था शरताज के जाते ही उस बाज़ ने उस आदमी को नोचना शुरू कर दिया और आदमी की चिखे उस हॉल में गूंजने लगी l

    शरताज वो चलते हुए रुका और बोला ''मैने तुम्हे छोड़ा है पर तुम्हारी ये गुस्ताखी मेरे राका को पसंद नहीं आई और मैं उसे रोक नहीं सकता'' बोल कर वो जोर जोर से हंसता हुआ वहां से चला गया l

    और वही हाल के पास खड़े आदमी अपनी आंखें नीचे किये हुए ये आवाज सुन रहे थे पर वो अपने जगह टस से मस नहीं हुए l और ना ही उसको बचाने के लिए आये l

    कुछ ही क्षण में वहा पर एक दम से शांति पसर गई वो आदमी मौत को गले लगा चूका था l

    आखिर कौन थी वो लड़की और क्यों पड़ा था शरताज एक छोटी सी मासूम लड़की के जान के पीछे, क्या वो लड़की सच में वापस आएगी जिसने खुद को ही लगा लिया है मौत के गले ? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ''War of the dark world'' सिर्फ और सिर्फ story mania पर'' l

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  • 2. War of the dark world - Chapter 2

    Words: 1670

    Estimated Reading Time: 11 min

    13 साल बाद,

    देहरादून शहर में,

    रात के 8 :30 बजे,

    शहर से दूर एक शांत जगह पर जहा आस पास पेड़ पौधा के बिच एक बड़ा सा घर था जो घर कम महल ज्यादा लग रहा था वो देखने में बहुत खुबसूरत था l उस घर के आस पास बहुत से आदमी काला सूट पहने खड़े थे देखने से लग रहा था कि वो उस घर के बॉडी गार्ड हैं l

    वही घर के अंदर काफी शांति पसरी थी देख कर लग रहा था जैसा यहां पर कोई रहता ही ना हो l

    तो वही किचन में एक लड़की चुप चाप बिना शोर किये अपना काम कर रही थी l वो जल्दी जल्दी अपना हाथ चला रही थी तभी वहा पर एक औरत आई और उस लड़की से बोली ,

    "तनिका बेटा जल्दी करो मालिक आते ही होंगे हमें जल्दी ही यहां से निकलना होगा सभी सरवेंट जा चुके है अपना काम पूरा करके हमें भी निकालना होगा मालिक के आने से पहले नहीं तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी" l

    उस लड़की का नाम तनिका था वो यहाँ पर एक कुक का काम करती है और वो औरत उसकी काकी थी जिनका नाम उमा हैं l

    तनिका ने उमा जी की बात सुनी तो उनकी तरफ देखते हुए बोली "काकी बस हो गया"

    बोल कर अपने सर पर रखें दुपट्टे को उसने सही किया l उसने उस दुपट्टे से अपना फेस कवर कर रखा था उसके सिर्फ होंठ ही दिख रहे थे जो एक दम गुलाब की तरह गुलाबी थे उसके होंठ भी लोगो को अपनी तरफ खिंचने की इतनी क्षमता रखती थी कि जो उसके होठों को देखे वो उसकी तरफ आकर्षित हो जाये l

    उमा जी "तो जल्दी चलो बोल कर वो और तनिका किचन से निकल गए और महल के पीछे बने एक छोटे से घर की तरफ चल दीए l"

    इधर दूसरी तरफ ,

    उनके जाते ही महल के अंदर बड़ी सी रोल्स रॉयस की कार महल के अंदर आती है उस कार के पीछे 4 कार और भी थी महल के मेन गेट से कार को महल तक पहुंचने में 10 से 15 मिनट लगता है l

    थोड़ी ही देर में कार महल के गेट के पास रुकता है उस कार के रुकते ही पीछे आ रही कार भी रुक जाती है और उस कार में से काफी सारे बॉडीगार्ड निकले और लाइनें से खड़े हो गए फिर एक बॉडीगार्ड कार के पास आ कर कार के पीछे साइट का दरवाजा खोलता है,l

    और दरवाजा खुलते ही एक लम्बी चौड़ी पर्सनैलिटी वाला आदमी बाहर निकलता है , वो देखने में काफी हैंडसम और आकर्षक था उसकी आंखें गहरी नीली और बड़ी बड़ी थी काले बाल , perfect face features , height 6,4 age 29

    पर उसके चेहरे पर कोई भी अभिव्यक्ति नहीं नजर आ रही थी वो कार से निकलते ही सीधे अपने घर के अंदर चला गया l

    वो महल के अन्दर आते ही अपने कमरे की तरफ चल दिया जो दूसरी मंजिल पर था वो अपने कमरे में पाहुंच कर अपना कोट निकाल कर सोफ़े पर रखता है और बाथरूम की तरफ चल देता है l

    इस समय पुरे महल के अंदर उसके इलावा कोई भी नहीं था l

    इधर उस छोटे से घर में ,

    वो लड़की अपने छोटे से कमरे में स्टडी टेबल पर बैठे पढाई कर रही थी और उसके काले लम्बे घने बाल ने उसका चेहरा कवर कर रहा था l

    कि उसको अपने पैरों के पास कुछ मुलायम मुलायम-सा महसूस हुआ l उसने अपने पैरों के पास देखा तो एक छोटा सा भेड़िया का बच्चा था जो पूरा सफेद रंग का था l और वो उसके पैरों के पास अपना शरीर रब कर रहा था वो बहुत प्यारा लग रहा था तनिका ने उस छोटे से भेड़िये को अपने गोंद में उठा लिया उस भेड़िये की आँखें लाल रंग की थी जो बहुत चमक रही थी l

    फिर उसने अपने झुके सर को ऊपर किया तो उसका चेहरा दिखा वो बला की खुबसूरत थी उसकी बड़ी बड़ी आँखें जिसका रंग हल्का हरा था उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी जो लोगो को अपनी तरफ खिंचने की अलग ही क्षमता रखती थी l दूध सा गोरा रंग पतला शरीर वो पूरी तरह एक परी की तरह थी जो उसको देख ले वो कुछ ही पल में उसका दीवाना हो जाए l

    उसने उस भेड़िया के पीठ को अपने एक हाथ से सहलते हुए कहा "काया तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो किसी ने तुमको देख लिया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी l"तुम यहाँ पर क्यों आये ! तुम्हें इस समय यहाँ पर नहीं होना चाहिए था l

    काया उस भेड़िये के बच्चे का नाम था काया तनिका की बात सुनकर उसको एक तक देखने लगा और फिर अपना छोटा सा सर उसके कंधे पर रख दिया l

    तनिका ने जब उसको ऐसे करते देखा तो वो बोली "तुमको मेरे पास रहना है" ये सुनकर काया ने अपना सर जोर जोर से हां में हिलाने लगा l

    तनिका ने फिर कहा "ठीक है" पर तुम कोई भी आवाज़ नहीं करोगे" तनिका की बात सुनकर काया फिर से अपना सिर हिला देता है l उसके व्यवहार से ऐसा लग रहा था कि वो तनिका की सभी बातों को अच्छे से समझ रहा है की तनिका उसे क्या बोल रही है l

    इधर महल के अंदर,

    वो आदमी सीधीयों से नीचे उतरता हुआ डाइनिंग एरिया में आता है वहा पर पहले से ही एक आदमी खड़ा था जो उसका ही इंतज़ार कर रहा था l

    वो आदमी आकर हेड चेयर पर बैठ जाता है उसके बैठते वो आदमी उसकी प्लेट मैं डिनर सर्व करने लगता हैं l सर्व करने के बाद वो कुछ कदम पीछे हो जाता है l

    फिर थोड़ा देर रुक कर बोलना शुरू करता है l "boss हमारे लोग उस लड़की को ढूंढ़ नहीं पाए "l

    उसके ये बोलते उस आदमी के हाथ खाना खाते हुए रुक जाते हैं

    उसके हाथ को रुका देख कर वो अपना थूक निगलता है और आगे बोला "उनका कहना है कि उन लोगो को वो लड़की नहीं मिली वो सिर्फ एक निशान से एक लड़की को नहीं ढूंढ सकते हैं"l इतना बोल कर वो चुप हो गया और अपने बॉस के कुछ कहने का इंतज़ार करने लगा l

    वो आदमी ये सुनकर भी कुछ नहीं बोला और फिर से अपना खाना खाने लगा l

    10 मिनट के बाद,

    उसने अपना खाना ख़त्म किया और कुर्सी पर से उठ गया और चलते हुए उस आदमी के पास आया और बोला "तो तुम भी यही सोचते हो कि एक निशान से किसी लड़की को नहीं ढूंढा जा सकता" उसकी आवाज गंभीर और डरावनी थी l

    अपने बॉस की बात सुनकर वो तुरंत ही बोला "नहीं बॉस ऐसा नहीं है"l

    "तो फिर कैसा है "

    बॉस हम उस लड़की को ढूंढ़ लेंगे बस कुछ और वक्त दे दीजिए इस बार आपको निराश होने का मौका नहीं देंगे l उसने घबराये हुए कहा l

    "और कितना वक्त तुम लोगों को चाहिए 5 साल का वक्त क्या कम होता हैं "l उसने थोड़ी गुस्से से भरी तेज आवाज में कहा

    उसकी गुस्से भरी आवाज़ सुनकर वो आदमी बोला "नहीं बॉस पर हम कोशिश कर रहे हैं उस लड़की को ढूंढने की पर हमे उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा है "l

    बॉस "तो पता करो क्या कर रहे हो" तुम सब जो 5 साल से एक लड़की को नहीं ढूंढ पा रहे हो l उसका गुस्सा धीरे-धीरे और बढ़ता ही जा रहा था l

    वो आगे कुछ बोलता ही की एक लड़के की आवाज आई "अमन अब तुम जा सकते हो"l

    वो आदमी का नाम अमन था वो उस आदमी का व्यक्ति सहायक P. A था l

    अमन आए हुए लड़के की तरफ देखता है और फिर से अपने बॉस की तरफ देखता है जो अब वहां से अपने स्टडी रूम की तरफ बढ़ रहा था l

    अपने बॉस को जाता देख वो चेन की सांस लेता है और उस लड़के के तरफ देखते हुए बोला "thank you पार्थ सर आज अपने मुझे बचा लिया नहीं तो मुझे लगा था की आज मेरा इस दुनिया में आखिरी दिन है "l

    पार्थ "आज तो बच गए पर हर बार बच जाओ ऐसा बार-बार नहीं होगा" l "तुम अच्छे से जानते हो अगर उसका गुस्सा उसके नियंत्रण से बाहर हुआ तो तुम को इस दुनिया से बाहर होने में समय नहीं लगेगा l इस लिए कोशिश नहीं परिणाम लाओ" l

    अमन "जनता हूँ" "सर पर वो लड़की पता नहीं कहा है और है भी कि नही कुछ भी नहीं पता" "किसी को एक निशान से ढूंढना इतना आसान नहीं होता" "इस पूरी दुनिया में हम उस लड़की को एक निशान से कैसे ढूंढ सकते हैं? हमने ना तो उसका नाम पता है, और ना ही हमने उसका चेहरा देखा है" l "हमें तो छोड़िये बॉस को भी नहीं पता कि वह लड़की दिखती कैसी है और उसका नाम क्या है" और हम इस दुनिया के भीड में इतनी लड़कियों मैं से कैसे उस लड़की को पहचानेंगे l

    पार्थ "जानता हूँ तुम्हारे लिए आसान नहीं है पर तुम को ये करना ही होगा "l

    अमन ने इसके आगे कुछ नहीं कहा और चुप हो गया l

    पार्थ "अभी ये सब छोड़ो और जाओ तुम भी घर जाओ "l

    अमन ने पार्थ को गुड नाइट बोला और वहा से निकल गया l

    इधर अमन के जाते ही पार्थ भी स्टडी रूम की तरफ चल दिया l

    कौन हैं वो आदमी और क्यू वो ढूंढ रहा है वो एक निशान वाली लड़की को जिसका चेहरा और नाम तक उसको नहीं पता फिर भी हैं उसको उसकी तलाश क्यो ?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी "War of the dark world"

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  • 3. War of the dark world - Chapter 3

    Words: 1559

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे ,

    स्टडी रूम के पास पहुंच कर उसने एक गहरी सांस छोड़ी और दरवाजा खटखटा करके अंदर चला गया l

    उसने अन्दर आ कर देख तो वो आदमी विंडो के पास खड़ा चाँद को ही देख रहा था जो आज बादलों के साथ लुका छुपी खेल रहा था l

    पार्थ ने उसको विंडो के पास देख कर उसको आवाज दीया "त्रयक्ष क्या तुम मुझे ये बताओगे की आखिर तुम उस लड़की को ही क्यू ढूंढ रहे हो, जिसे ना आज तक तुमने देखा है और ना ही तुम उसको जानते हो l

    बोल कर उसके पास आ गया l

    त्रयक्ष ने पार्थ की बात सुनी पर वो वैसे ही चांद को देखते हुए बोला "पार्थ तुम इस चाँद को देख रहे हो कैसे ये बादलों के साथ लुका छिपी का खेल खेल रहा है" l

    पार्थ "मैं तुमसे क्या पूछ रहा हूं और तुम मुझे क्या बोल रहे हो"l

    त्रयक्ष ने अब भी अपनी नजर चांद पर से नहीं हटाई थी l और वो चाँद को देखते हूए आगे बोला "जैसे ये चाँद बादलों के साथ लुका छुपी का खेल खेल रहा है वैसी ही वह लड़की मेरे साथ लुका छुपी का खेल खेल रही है , पर ज्यादा दिन तक वह छुप नहीं पाएगी उसको मेरे पास आना ही होगा"l

    पार्थ "ये मेरा सवाल का जवाब नहीं है त्रयक्ष" l

    त्रयक्ष'' और ये सवाल पूछने का भी सही वक्त नहीं है पार्थ"

    पार्थ "तो सही वक्त कब आएगा तुम कब से मेरे सवाल का जवाब नहीं दे रहे हो और मुझे जाना है आख़िर तुमको वही लड़की ही क्यों चाहिए अपने लिए" l

    त्रयक्ष "क्यूंकि वो मेरी सोलमेट हैं बोल कर वो डेविल स्माइल करने लगा l

    पार्थ "क्या" वो हैरान होकर बोला फिर थोड़ा रुक कर आगे बोला "तुम कब से ऐसी बातें करने लगे" l

    त्रयक्ष "तब से जब से मैं उसे मिला हूं"l

    पार्थ "त्रयक्ष तुम क्या कहना चाहते हो मैं समझ नहीं पा रहा हूं 'पर मैं तुमसे एक बात साफ़ कर दूं तुमको जल्दी ही शादी करनी होगी क्यूँकी तुम्हारे पास वक़्त कम है l"और तुमने उस लड़की को ढूंढने में काफी वक्त लगा दिया है 5 साल बहुत होता है त्रयक्ष अब उसे लड़की को छोड़ दो और ध्वनि से शादी कर लो l

    त्रयक्ष "अभी भी वक्त हैं, और मुझे किससे शादी करनी है ये मेरा फैसला होगा किसी और का नहीं"उसने अब जा कर पार्थ की आँखों में देखा हुए कहा l और फिर अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया और एक फ़ाइल उठा कर पढने लगा l

    पार्थ ने जब त्रयक्ष को फाइल पढ़ते देखा तो अब वह समझ गया कि अब इसके आगे त्रयक्ष कुछ नहीं बोलने वाला वो अब इस टॉपिक पर आगे कुछ नहीं बोलेगा l

    वो भी आ कर कुर्सी पर बैठ गया और वो भी अपना काम करने लगा l और बिच बिच में वो दोनो कुछ चर्चा भी कर रहे थे l

    इधर दूसरी तरफ,

    उस छोटे से घर में,

    तनिका अपनी काकी के साथ मिल कर अपने लोगो के लिए डिनर बना रही थी l

    तभी "उमा काकी बोली कल तेरा इंटरव्यू है ना"

    तनिका "हाँ "

    उमा काकी "तो तू ये सब क्यों कर रही है जा जाकर उसकी तैयारी कर'

    तनिका "काकी में अभी तैयारी ही कर रही थी, और थोड़ा सा ही तो काम है ये करके में वापस पढ़ने चली जाउंगी आप इतना टेंशन मत लो'' l

    उमा काकी "मैं टेंशन नहीं ले रही पर मैं नहीं चाहती कि तेरे पढाई पर कोई असर हो, वैसे भी तुमको मालिक के लिये खाना बनाने जाना होता है और तेरा काफी टाइम चला जाता है और मैं नहीं चाहती कि तू घर आ कर काम करे बेटा, तू अपनी पढ़ाई कर और अपना सपना पूरा कर l

    तनिका "काकी मैं अपना सपना ही तो पूरा कर रही हूं इसलिए ही तो वह काम करती हूं और आप देखना आपकी तनिका जल्दी ही अपना सपना पूरा करेगी l"

    उमा काकी "हाँ मेरी बच्ची मैं जनती हूँ "तू जल्दी ही अपना सपना पूरा करेगी और देखना भगवान तेरा इसमे पूरा साथ देगे l बोल कर प्यार से उसके गालो को सलाह दीया l

    तनिका ने भी एक प्यारी सी मुस्कान दी और दोनो लोग फिर से अपने काम में लग गए l

    रात का वक़्त,

    तनिका का कमरा,

    अभी रात के 2:30 बज रहे थे और तनिका अपने बिस्तर पर छोटे से काया के साथ सो रही थी l कि तभी काया उठा और तनिका की तरफ देखने लगा तनिका अभी गहरी नींद में सो रही थी उसको नींद में देख वो बिस्तर से नीचे उतारा और खिड़की के पास आकर रुक गया उसने बंद खिड़की को अपनी आँखों से देखा तो खिड़की अचानक से खुल गई और वो विंडो से कूद कर बाहर चला गया l

    इधर महल में,

    त्रयक्ष के कमरे में,

    त्रयक्ष अपने कमरे की बालकनी में खड़ा था l और उसके एक हाथ में वाइन का ग्लास तो दूसरे हाथ में कुछ पत्थर जैसा था जिसके वो अपने हाथ में घुमा रहा था और वो पत्थर उसके हाथ की हथेली पर हवा में ही घुम रहा था l

    उसने वाइन की एक घूंट लेते हुए कहा , "कहा हो तुम" "5 साल से तुमको ढूंढ रहा हूं और तुम ऐसे गायब हो जैसे इस दुनिया में ही नहीं हो," जैसे इस दुनिया से तुम्हारा वजूद ही मिट गया हो,"या फिर तुम जानती हो कि मैं तुम्हें ढूंढ रहा हूं और तुम मुझसे छिप कर बैठी हो",l

    फिर थोड़ा रुक कर वो आसमान की तरफ देख कर बोला , "तुम चाहे जितना भी छिप लो पर मैं तुमको ढूंढ कर रहूँगा , तुम्हारी किस्मत मुझसे जूड़ चुकी हैं और तुम इससे भाग नहीं सकती"l

    बोल कर उसने उस पत्थर को अपने हाथ के हथेलियों में कस लिया l

    अगले दिन,

    सुबह का समय,

    अभी सुबह के 5 बजे थे और तनिका जल्दी जल्दी महल की तरफ जा रही थी वो खुद से बोलते हुए चल रही थी "अरे नहीं मैं आज लेट हो गई पता नहीं क्यू मेरी आँखें नहीं खुली" वो खुद से बात करते हुए महल के अंदर चली गई l उसने अभी भी अपना चेहरा अपने दुपट्टे से ढका रखा था l

    वो किचन में जा कर फटाफट अपना काम करने लगी क्यू कि वहा के सभी नौकर को ज्यादा देर महल में रुकने की इजाज़त नहीं थी l

    और त्रयक्ष को बिल्कुल भी यह पसंद नहीं था कि कोई उसके आसपास भी रहे इसलिए त्रयक्ष के आने से पहले ही सभी नौकर महल से चले जाते थे l अगर गलती से भी कोई ये रूल तोड़ता था तो वो इंसान दोबारा कभी नजर नहीं आता था l

    तनिका त्रयक्ष के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी वो यहा पर 4 साल से काम कर रही थी l इसे पहले वो महल के बगीचे में फूलों की देखभाल करती थी और उमा जी त्रयक्ष के लिए खाना बनाती थी l लेकिन एक दिन उमा जी की तबीयत खराब हो जाने के करण तनिका ने त्रयक्ष के लिए खाना बनाया था l

    उस दिन त्रयक्ष ने तनिका के हाथ का खाना खाया तो उसे ये बात तुरन्त पता चल गया था कि ये खाना उमा जी ने नहीं किसी और ने बनाया है , उसने तुरंत ही उमा जी को बोलाया और उमा जी भी त्रयक्ष के बोलाने से डर गई थी वो ये बात अच्छे से जानती थी कि त्रयक्ष को ये बिलकुल भी पसंद नहीं था, कोई भी बिना उसकी इजाजत के उसके लिए खाना बनाये l

    उस दिन जब उमा जी त्रयक्ष के पास गईं तो उनको लगा कि वो उनकी जिंदगी का आखिरी समय है पर त्रयक्ष ने जो कहा वो सुनकर वो हैरान हो गई थी l क्यू की त्रयक्ष ने उनसे कहा था कि जो भी आज उसके लिए खाना बनाया है अब से रोज वो ही उसके लिए खाना बनाएगा l

    ये सुनकर उमा जी ने बिना कुछ कहे अपना सर हां में हिला दिया और तब से लेकर अब तक तनिका ही त्रयक्ष के लिए खाना बनाती आ रही हैं पर आज तक ना ही त्रयक्ष ने तनिका को देखा है और ना ही उसको उसका नाम पता है l

    तनिका ने जल्दी से त्रयक्ष का नाश्ता तैयार किया और डाइनिंग टेबल पर लगा दिया और अपने कदम महल से बाहर के तरफ बढ़ा दी वो अपने सर पर रखे दुपट्टे को सही करते हुए आगे बढ़ रही थी की ध्यान न होने पर वह सामने से आ रहे व्यक्ति से टकरा गई l

    वो उस व्यक्ति से टकराने की वजह से पिछे की तरफ गिरने लगी गिरने की डर से उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी की उस व्यक्ति ने उसे पकड़ लिया, वो उस व्यक्ति की बाहों में झूल रही थी l

    आख़िर तनिका अपना चेहरा क्यों घूंघट से ढक कर रखती हैं और वो आख़िर किसे टकराई हैं, क्या त्रयक्ष खोज पायेगा अपनी सोलमेट को ? सवाल बहुत है और जवाब आपको मिलेगा स्टोरी में इसलिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ''War of the dark world'' सिर्फ़ story mania पर l

    Hello my lovely readers 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आपको यह कहानी पसंद आएगी l

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  • 4. War of the dark world - Chapter 4

    Words: 1532

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब तक,

    वो उस व्यक्ति की बाहों में झूल रही थी जो कोई और नहीं त्रयक्ष ही था l

    त्रयक्ष ने अपने भावहीन चेहरे के साथ तनिका की तरफ देखा तो उसको बस तनिका के गुलाबी होंठ दिखाई दिए, वही तनिका को जब ये महसुस हुआ कि वह गिरी नहीं हैं तो उसने जल्दी से अपनी आंखें खोली और सामने देखा तो उसने अपने दुपट्टे में से ही त्रयक्ष की हल्की-हल्की झलक देखी l

    उसने जल्दी से खुद को त्रयक्ष से दुर किया और अपना सिर झुका कर खड़ी हो गई , क्यू की वो जानती थी कि उसके सामने कौन खड़ा है, उसने त्रयक्ष को दूर से ही पर देख रखा था l

    त्रयक्ष ने तनिका को देख कर कहा "कौन हो तुम और इस वक्त महल के अंदर क्या कर रही हो" ,उसने अपनी कड़क आवाज़ में कनिका से पूछा l

    तनिका कुछ बोलती की उससे पहले उमा जी की आवाज आई "मालिक ये यहाँ पर काम करती है" l

    त्रयक्ष ने तनिका पर से नजर नहीं हटाई वो उसको देखते हुए ही उमा जी से बोला "क्या ये यहाँ के नियम नहीं जानती हैं" ! उसकी आवाज गंभीर और भारी थी l

    तनिका तो बस ये सुनकर ही डर गई थी वो जल्दी से जल्दी वहां से जाना चाहती थी पर वो बिना त्रयक्ष के परमिशन से वहां से हिल भी नहीं सकती थी l

    उमा जी ने अपना सर झुकाये हुए ही कहा "माफ़ करना मलिक इससे गलती हो गई आगे से ये ध्यान रखेंगी l

    त्रयक्ष ने उमा जी की बात सुनी तो वो तनिका को अपनी गहरी नीली आँखों से घूर कर देखने लगा l

    तनिका को त्रयक्ष की घुरती नज़रे खुद पर महसूस हो रही थी वह डर रही थी पर फिर भी वो त्रयक्ष के सामने पूरी हिम्मत से खड़ी थी l

    त्रयक्ष ने तनिका से कहा क्या "तुम बोल नहीं सकती?

    तनिका ने ये सुनाकर अपना सर हां में हिलाया फिर ना मैं वो कन्फ्यूज हो गई थी l

    त्रयक्ष ने ये देख कर कहा "हां या ना" उसकी आवाज़ मैं गुस्सा झलक रहा था l

    उमा जी "मलिक"

    त्रयक्ष "मैं इस लड़की से बात कर रहा हूँ" फिर अपनी नज़र उमा जी की तरफ करके बोला ना कि आप से उसकी बातों में एक चेतावनी थी, कि आगे वो कुछ भी नहीं बोल सकती हैं l

    तनिका ने ये सुनकर कहा "मुझे माफ़ कर दीजिये"l

    त्रयक्ष ने तनिका की आवाज़ सुनी तो वो उसकी आवाज़ में ही खो गया था वो खोये हुए ही उसकी तरफ बढ़ा ही था की पार्थ की आवाज़ आई "आप दोनो जा सकते हैं पर आगे से ध्यान रखिएगा आगे से कि ये गलती दोबारा ना हो'' l

    उमा जी ने तुरंत अपना सर हा में हिलाया और तनिका का हाथ पकड़ कर वहां से जल्दी जल्दी निकल गई l

    अब जा कर तनिका को सास आई थी जो त्रयक्ष से टकराने के बाद थम सी गई थी l

    उमा जी तनिका की फ़िक्र करते हुए बोली "बेटा तुम ठीक तो हो ना " तनिका "हाँ काकी "

    उमा जी "चलो जल्दी चलो " बोल कर वो उसको ले जाने लगी l

    इधर महल के अंदर,

    पार्थ "तू अभी क्या कर रहा था"l

    त्रयक्ष ने अपनी नज़र उस पर की और बिना कुछ बोले अपने कमरे की तरफ चल दिया l

    पार्थ ने त्रयक्ष को जाता देख कहा "कभी तो मेरे सवाल का जवाब दे दिया कर"l

    सुबह 10 बजे ,

    त्रयक्ष की कार एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास आ कर रुकी l और ड्राइवर के बगल में बैठे अमन ने कार से निकल कर तुरन्त त्रयक्ष के लिए दरवाज़ा खोला l

    और त्रयक्ष आपने कोल्ड पर्सनैलिटी के साथ कार से बाहर निकला और बिल्डिंग के अंदर जाने लगा l

    ये बिल्डिंग देहरादून की सब से ऊंची इमारत थी और हो भी क्यों ना आखिर ये त्रयक्ष की कंपनी जो थी जिस पर बड़े-बड़े अक्षरो में लिखा हुआ था "राणावत इंडस्ट्रीज"l

    त्रयक्ष ने रोज की तरह अपना प्राइवेट लिफ्ट का यूज किया जो उसके केबल में जाकर खुलता था l

    अपने केबिन में पहुंचते ही उसने एक आदमी दिखा जो उसका ही वहा पर इंतजार कर रहा था, उस आदमी का नाम ऋषि था l

    त्रयक्ष के आते ही ऋषि ने उसको greet किया "Good morning सर "

    त्रयक्ष अपनी अभिव्यक्तिहिन चेहरे के साथ जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया l

    त्रयक्ष के बैठते ही ऋषि ने उसको अपडेट देना शुरू किया "सर मिस्टर मल्होत्रा डील करने से मना कर रहे हैं l हमारे समझने पर भी वो समझना नहीं चाहते हैं "l "और..

    वो आगे बोल ही रहा था की त्रयक्ष कि गंभीर आवाज सुनकर वह रुक गया "ऋषि क्या हमारा काम लोगों को समझना है"! बोल कर वो अपने भावहीन चेहरे के साथ उसको देखने लगा l

    ऋषि ने भी बिना किसी भाव के त्रयक्ष से कहा "नहीं सर",

    त्रयक्ष "तो वो काम करो जो तुम डील ना होने पर करते हो"l लोगों को समझना हमारा काम नहीं है समझने के लिए उनके पास उनका खुद का दिमाग है l

    बोल कर उसको जाने का इशारा किया l

    त्रयक्ष अपनी कुर्सी पर बैठा अपने लैपटॉप पर कुछ कर रहा था कि उसके केबिन के दरवाजे पर दस्तक की आवाज आई l

    त्रयक्ष "come in"

    त्रयक्ष की आवाज सुनकर बाहर खड़ा अमन अंदर आया और त्रयक्ष की तरफ एक फाइल बढ़ता हुआ बोला सर आज कुछ कॉलेज स्टूडेंट इंटर्नशिप के लिए आये हैं और ये उन स्टूडेंट्स की detail है l

    त्रयक्ष ने उसको फाइल रखने का इशारा किया l

    अमन फाइल को टेबल पर रख कर चला गया l

    इधर राणावत बिल्डिंग के बाहर , एक कैब आकर रुकी और उसमे से एक लड़की बहार आयी l

    उसने फॉर्मल शर्ट और पैंट पहन रखा था l उसकी आँखों पर नज़र का चश्मा लगा हुआ था और बालों का उसने एक टाइट पोनी कर रखा था l उसके चेहरे पर कुछ छोटे-छोटे काले दाग थे वो देखने में एक औसत लड़की जैसी थी l

    वो कैब वाले को पैसे दे कर बिल्डिंग के अंदर चली गई l

    वो लड़की रिसेप्शनिस्ट के पास आई और बोली "एक्सक्यूज़ me मैम आप क्या बता सकती हैं इंटर्नशिप के लिए आएं स्टूडेंट को किधर जाना है l

    रिसेप्शन पे बैठी लड़की ने उस लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा और बोली 5 मंजिल पर जाओ बाकी के स्टूडेंट वहां पर मिल जायेंगे तुम्हे l

    लड़की ने रिसेप्शनिस्ट को , धन्यवाद बोला और 5th फ्लोर की तरफ चल दी l

    वो लड़की जब 5th फ्लोर पर आई तो अपनी नजर चारो तरफ दौड़ने लगी जैसे वहां किसी को ढूंढ रही हो l

    तभी उसको एक आवाज सुनाई दी "तनिका"" इधर मैं इधर हूं"l

    तनिका ने आवाज की दिशा में देखा तो उसको एक लड़की दिखी जो अपने हाथ को हवा में लहराते हुए उसी को आपने पास आने का इशारा कर रही थी l

    तनिका उसको देख कर मुस्कुराई और उसके पास चली गई l

    तनिका उसे पास पाहुंच कर बोली "तुम कब आई भव्या"l

    भव्या "बस कुछ देर हुआ है"l ये सब छोड़ो तुम्हें पता है ये लोग अभी हम सबका इंटरव्यू लेने वाले हैं l और इंटरव्यू के बाद फैसला होगा कि कौन कहां पर और किस पोजीशन पर काम करेगा कौन नही l फिर अपना क्यूट सा मुंह बनाकर वह बोली "मुझे तो डर लग रहा है तनिका " कहीं मैं रिजेक्ट हो गई तो !

    तनिका ने उसका क्यूट सा चेहरा देखा तो प्यार से उसके गालो को खिचते हुए बोली "don't worry Bhavya तुम सेलेक्ट हो जाओगी देखना" , बोल कर उसने एक प्यारी सी मुस्कान दी l

    भव्या "मेरा छोड़ तू अपना बता क्या तुझे भी डर लग रहा है" फिर खुद ही आगे बोली "अगर डर लग रहा है तो डर मत मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है तू कर दिखाएगी , "मैं सेलेक्ट हूं या ना हूं पर तुझे जरूर सेलेक्ट होना है याद रखना मेरी बात नहीं तो मैं तुझे छोड़ूंगी नहीं l उसने आखिरी लाइन थोड़ी गुस्से से बोली थी l

    तनिका अपनी दोस्त को अपने लिए इतना चिंता करते देख कर बोली "तुम फिक्र मत करो मैं जरूर सेलेक्ट होगी और मैं ही नहीं तुम भी हम साथ में यहां पर काम करेंगे"आख़िर तुम्हारा भी तो यही सपना है कि तुम राणावत इंडस्ट्रीज में काम करो l

    ये सुनकर भव्या ने अपना सिर हा मे हिलाया और दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया l

    अभी वह दोनो गले लगी हुई थी कि तभी उन्हें एक आवाज सुनाई दी l एक लड़की फॉर्मल ड्रेस पहनने हुए सभी से कह रही थी "आप लोग तैयार हो जाएं एक एक करके आप सभी इंटरव्यू के लिए बुलाएं जाएंगे " l

    सभी ने यश मैम कहा तो वो लड़की सबकी हा सुनकर अपने सामने बने एक कमरे में चली गई l

    और थोड़ी ही देर में इंटरव्यू का सिलसिला शुरू हो गया l

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  • 5. War of the dark world - Chapter 5

    Words: 2038

    Estimated Reading Time: 13 min

    अब आगे,

    इंटरव्यू के लिए आए सभी कैंडिडेट को धीरे-धीरे बुलाया जा रहा था और तनिका और भव्या अपने टर्न का इंतजार कर रही थी तभी एक कैंडिडेट इंटरव्यू रूम से बाहर निकल कर आता है l

    और वो लड़की फिर से बाहर आकर अगले कैंडिडेट का नाम लेती है l

    "मिस भव्या"

    अपना नाम सुनकर भव्या तुरंत खड़ी हो कर बोली "यश मैम "बोल कर उस लड़की के पास आई l और दोनो इंटरव्यू रूम में चले गए l

    इधर तनिका भी अब अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी वो चुप चाप इंटरव्यू रूम की तरफ ही देख रही थी कि तभी वहां पर एक लड़की भागते हुए आई l

    और घुटने पर हाथ रखकर गहरी गहरी सांस लेने लगी और अपना सर ऊपर कर वहां पर आये लोगो से उसने पूछा "क्या इंटरव्यू ख़त्म हो चुका है"l

    सभी लोग उस लड़की को अपनी आंखें बड़ी किये देखे ही जा रहे थे चाहे लड़का हो या लड़की सब उस लड़की को देख कर खो गए थे l

    वो लड़की सभी को अपनी तरफ ऐसे देखता देखती है तो बोली "क्या हुआ क्या कोई प्रॉब्लम है आप लोग मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं "l

    इधर तनिका भी उस लड़की को देख रही थी जो दिखने में बाला की ख़ूबसूरत थी बड़ी बड़ी काली आंखें लम्बे घने बाल गोरा रंग और होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान जो लोगों को अपनी तरफ खींच रहा था l पर पता नहीं क्यों तनिका को उससे देख कर कुछ अजीब सी फीलिंग महसूस हो रही थी l

    उसने खुद से ही कहा "ये कैसी फीलिंग महसूस हो रही हैं मुझे"और उसने अपना सिर जोर से झटका l

    वो लड़की सभी की तरफ देख कर सवाल कर ही रही थी कि उसको एक आवाज सुनाई दी "मिस इरा"

    वो लड़की आवाज की दिशा में देख कर बोली "yes I am Ira"चलिए अगला टर्न आपका ही है l

    इरा ने हाँ कहा और आई हुई लड़की के साथ इंटरव्यू रूम मे चली गई l इरा के जाते ही भव्या इंटरव्यू रूम से बाहर आई और तनिका के पास चली गई l

    इधर इरा के जाते ही सभी अपने होश में आये जो इरा को देख कर खो गये थे, और फिर आपस में बात करने लगे थे l

    तनिका भव्या को अपने पास आते देख कर उसने बोली "कैसा गया तुम्हारा इंटरव्यू" ,"क्या तुम सेलेक्ट हो गई' "बताओ ना l"

    भव्या "relax तनिका"' पहले तुम शांत हो जाओ और यहाँ पर बैठो" भव्या के बोलने पर तनिका चुपचाप बैठ गई और उसके बोलने का इंतज़ार करने लगी l

    "मैंने तो अपना बेस्ट दिया हैं" "पर"

    तनिका "पर'क्या

    भव्या "मैं सेलेक्ट हुई की नहीं ये हमे बाद में पता चलेगा, वह सेलेक्ट किये गये कैंडिडेट को ईमेल के जरिए बताएंगे, की वो इस कंपनी में काम करेंगे की नहीं और करेंगे तो उनकी क्या पोजीशन होगी ये सब ईमेल के जरिए हमें बताया जाएंगा l

    तनिका "ओह"

    और थोड़ी ही देर में तनिका की भी बारी आई इरा के बहार आते ही तनिका का नाम पुकार गया "मिस तनिका"

    अपना नाम सुनकर तनिका इंटरव्यू रूम की तरफ जाने के लिए उठी तो भव्या ने उसको ऑल द बेस्ट कहा तो तनिका ने भी एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए उसको थैंक यू बोला l

    ऐसे ही इंटरव्यू का सिलसिला चलता रहा और तनिका इंटरव्यू देकर बाहर आई, तनिका के चेहरे पर एक संतुष्टि थी l

    भव्या ने तनिका के चेहरे पर संतुष्टि देखी तो बोली "तुम्हें देखकर लग रहा है तुम्हारा इंटरव्यू काफी अच्छा गया है" l

    मैंने तो अपना बेस्ट दिया है तुम्हारी तरह अब देखो क्या होता है l

    भव्या "जो होगा अच्छा होगा अब चलो हमें घर जाना चाहिए काफी देर हो गई है l"

    तनिका ने भी उसकी बात पर हां कहा और दोनों वहां से निकल गई l

    रात का वक़्त,

    तनिका अपने कमरे में बैठे एक किताब पढ़ रही थी की तभी उसके दरवाज़ा पर खटखटाने की आवाज़ आई l

    तनिका बेटा क्या तुम अंदर हो !

    तनिका ''जी काकी'' बोल कर वो दरवाजा खोलने चली गई l

    डोर पर उमा जी खड़ी थी डोर खुलते ही उमा जी ने तनिका से पूछा "कैसा गया तुम्हारा इंटरव्यू "

    तनिका पहले आप आराम से बैठिए बोल कर उनका हाथ पकड़ कर अन्दर लाई और बिस्तर पर बैठा कर बोली "बहुत अच्छा अब बस इंतज़ार है तो ज्वाइनिंग लेटर का फिर आपकी तनिका अपने सपने की तरफ पहला कदम बढ़ायेगी l" बोल कर उनकी गोद ने अपना सिर रख दिया l

    उमा जी ने भी प्यार से उसका सर सहलते हुए कहा "हा बेटा" देखना तू ऐसे ही तू अपने सपने की तरफ बढती ही जायेगी और एक दिन तू अपना सपना भी पूरा कर लेगी l

    काकी की बात सुनकर तनिका के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई थी l

    और इधर महल में,

    त्रयक्ष अपने स्टडी रूम में सोफे पर बैठा था और लैपटॉप पर कुछ कर रहा था उसने अपना पूरा फोकस अपने लैपटॉप पर ही किया हुआ था और उस रूम में शांति फ़ेली हुई थी तभी उस शांति को थोड़े हुए एक आवाज आई l

    ये आवाज दरवाजे पर दस्तक देने की थी l

    त्रयक्ष ने लैपटॉप पर से बिना ध्यान हटाये कहा "come in'

    उसकी आवाज़ सुनकर बाहर खड़ा अमन अन्दर आया l और त्रयक्ष के पास जाकर खड़ा हो गया l उसको पता था कि उसका बॉस कुछ बोलेगा नहीं इसलिए वो आगे से खुद ही बोला "बॉस उस निशान वाली लड़की के बारे में पता चल गया l"

    त्रयक्ष जो अभी भी अपने लैपटॉप की तरफ देखते हुए अपना काम कर रहा था कि अमन की बात सुनकर उसके हाथ लैपटॉप पर चलते-चलते रुक गए l

    उसने अपनी नज़र उठा कर अमन की तरफ देखा तो अमन उसकी नज़रों को देखते समझ गया कि वो अपनी बात जारी रखे l

    अमन ने आगे बोलना शुरू किया "बॉस वो लड़की देहरादून में ही है"l आज सुबह ही हमारे आदमी ने उस निशान वाली लड़की को देखा है जैसा निशान आपने हमने बताया था मुझे लगता है आप जिस लड़की को ढूंढ रहे हैं शायद वही वह लड़की है l

    त्रयक्ष अमन की बात सुने के बाद बोला "कहां हैं वो लड़की अभी' 'अमन सर हमारे लोग उसे लड़की का पिछा कर रहे थे कि अचानक से वह लड़की गायब हो गई l

    त्रयक्ष ने अमन को देखा और बोला "गायब होने से तुम्हारा क्या मतलब है"l

    अमन "सर वो लड़की लोगों की भीड़ में चली गई थी और फिर हमारे आदमियों को दिखी नहीं l"

    त्रयक्ष "ढूंढ़ो उस लड़की को जल्द से जल्द '

    अमन हाँ बॉस बोल कर वो वहाँ से चला गया l

    अमन के जाने के बाद त्रयक्ष सोफ़े पर से उठा और बालकनी के पास जा कर खड़ा हो गया वो चाँद को देखते हुए ही बोला

    "आखिर इंतज़ार ख़त्म हुआ तुम मुझे मिल ही गई कुछ वक़्त और फिर तुम मेरे सामने होंगी "l बोल कर वो डेविल स्माइल करने लगा उसकी मुस्कान में कुछ तो छुपा था जो समझे से बाहर था l

    अगले दिन,

    इधर उस छोटे से घर में,

    तनिका आईना के सामने तैयार हो रही थी उसने अभी एक फॉर्मल शर्ट और पैंट पहन रखी थी l और अपनी हल्की हरी आँखों पर काले लेंस लगा रखा था और चेहरे पर उसने मेकअप से कई सारे दाग बना रखे थे l खुद को आइने में एक बार अच्छे से देख कर उसने टेबल पर रखा चश्मा उठाया और अपनी आंखों पर चढ़ा लिया अब वह खुबसूरत लड़की से औसत लड़की बन गई थी l

    वो बिस्तर के पास आई और बिस्तर पर रखा अपना हैंडबैग और एक फाइल लेकर कमरे से बाहर निकल गई l

    वो अपने घर के छोटे से हाल में आई तो उमा जी तनिका का ही इंतजार कर रही थी l

    वो उमा जी के पास आकर झुक कर उनका पैर छूती है l

    उमा जी "खुश रहो भगवान तुम्हारी सभी मनोकामना पूरी करें और तुम ऐसे ही अपनी जिंदगी में आगे बढ़ती जाओ" "उन्होंने तनिका के गालो को प्यार से छूते हुए कहा l

    तनिका "काकी सारी आशीर्वाद क्या आज ही दे देंगी आप"अगर आपकी सारी आशीर्वाद ख़तम हो गई तो मुझे आगे आशीर्वाद कैसे देंगी आप इसलिए अपने आशीर्वाद को थोड़ा सा बचा कर रखिए" बोल कर वो मुस्कुराई

    उमा जी "धत पागल ऐसा थोड़ी होता है"l "अच्छा तू यहीं पर रुक मैं अभी आई जाना नहीं"l बोल कर वो अपने घर के छोटे से किचन में चली गयी l

    तनिका उमा जी की बात मानते हुए वही पर उनका इंतजार कर रही थी l

    तनिका फिर अपने हाथ में पहने घड़ी में समय देखते हुए बोली "काकी कहा हो आप मुझे लेट हो जाएगा जल्दी आइए l'

    तभी उमा जी रसोई से बाहर निकलते हुए बोली "आ रही हूं बाबा'' तनिका ने उनकी आवाज सुनकर उनकी तरफ देखा तो उनके हाथ में एक बाउल था l

    उमा जी तनिका के पास आ कर उसकी तरफ चम्माच बढ़ते हुई बोली आज तेरा ऑफिस में पहला दिन हैं तो उसकी शुरुआत तू ये खाकर कर'' l

    तनिका ने दही शक्कर खाते हूए कहा "आप कभी भी मुझे ये खिलाना नहीं भूलती हैं ना"

    उमा जी हाँ क्यू की कुछ भी अच्छा करने से पहले दही शर्करा खाना शुभ माना जाता है इसलीये समझी अब जा नहीं तो लेट हो जाओगी l

    तनिका ने उमा जी को प्यार से गले लगाया और घर से निकल गयी l

    तनिका महल से बाहर निकाल कर थोड़ी आगे जाती है तभी उसे वहां पर भव्या नजर आती है जो अपनी स्कूटी लिए उसका इंतजार कर रही थी l

    तनिका तेज कदमो से उसके पास पाहुंच कर बोली "तुमको क्या जरूरत है मुझे लेने आने की मैं खुद से भी आ जा सकती हूँ'' l

    भव्या "जानती हूं मैडम कि आप खुद से आ जा सकती है" पर इस दिल का क्या करूं जो आपको पिक किये बिना मानता ही नहीं है"l उसने थोड़े शायराना अंदाज़ में कहा l

    तनिका "बस कर अपनी नौटंकी"चल अब लेट हो जाएगे हम पहले ही दिन"l

    भव्या "हा हा चल बैठ" तनिका स्कूटी पर बैठ जाती है और भव्या अपनी स्कूटी रोड पर दौड़ा देती है l

    भव्या स्कूटी चलती हुई ही तनिका से बोली ''मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की मुझे राणावत इंडस्ट्रीज़ में काम मिल गया है और तुझे भी अब हम दोनों कॉलेज के साथ-साथ ऑफिस में भी साथ होंगे l

    yaaaa hooooo!

    तनिका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी l

    वो भी बहुत खुश थी एक तो उसका सपना पूरा हुआ और दुसरा उसकी दोस्त भी उसके साथ होगी l

    कुछ 30 मिनट के बाद उनकी स्कूटी राणावत इंडस्ट्रीज के इमारत के पास आ कर रुकी तनिका स्कूटी से नीचे उतारी

    भव्या "तू यहीं पर रुक मैं स्कूटी पार्किंग स्थल में पार्क करके आती हूं तू जाना नहीं हम साथ में अंदर चलेंगे l

    तनिका " हाँ तुम जाओ मैं तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ" l

    भव्या की जाते ही थोड़ी देर में वहां एक कार आकर रुकती है और उसे कार में से इरा बहार आती है l

    तनिका ईरा को देख अपने मन में बोली "तो इसका भी सिलेक्शन हो गया है", फिर वो इरा अच्छे से देखती हैं उसने भी एक formal dress पहन रखी थी, जो सफेद और काले रंग की थी काली trouser सफेद शर्ट और उसके ऊपर काला कोट पहन रखा था और पैरो में उसके काले रंग की हील सैंडल थी l कुल मिलाकर वह इस लुक में काफी ज्यादा खुबसूरत और आकर्षक लग रही थी l

    ईरा अपनी कार से निकल सीधा ऑफिस बिल्डिंग के अंदर चली जाती हैं l

    तनिका इरा को जाते देख रही थी तभी भव्या की आवाज उसको सुनाई पड़ी "चल मैं आ गई" बोलते हुए भव्या उसके पास आई और दोनो ऑफिस बिल्डिंग के अंदर चली गई l

    रिसेप्शन के पास आकर उन दोनो ने अपना ज्वाइनिंग लेटर दीया और कॉन्ट्रैक्ट पेपर साइन कर दोनो रिसेप्शनिस्ट के द्वार बताए गए फ्लोर पर जाने लगी l

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  • 6. War of the dark world - Chapter 6

    Words: 1336

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे,

    तनिका और भव्या इस समय 7 मंजिल पर मोजुद थी वो अपने आस-पास देखते हुए चल रही थी l

    भव्या ''तनिका यहाँ पर कितनी शांति है, कोई किसी से बात ही नहीं कर रहा है सभी अपने काम में ही लगे हुए हैं'' l

    तनिका ने भी आस पास देख हा कहा और कंपनी के H.R. के केबिन की तरफ जाने लगी l

    वो थोड़े आगे आई कि उसको एच.आर का केबिन दिख गया डोर पर ही HR office लिखा हुआ था तनिका ने दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर से एक लड़की की आवाज आई ''come in''

    आवाज़ सुनकर दोनो दरवाजा खोल अंदर को चली गई "तो उनके सामने एक लड़की कुर्सी पर बैठी हुयी थी वो दिखने से 31,32 की लग रही थी, जिसका पूरा ध्यान अपने सामने खुले एक फाइल पर थी" l

    तनिका और भव्या उस लड़की के सामने जा कर खड़ी हो गई और उसको greet करते हुए बोली ''Good morning मैम'' l

    उस लड़की ने फ़ाइल पर से अपनी नज़र हटा कर अपने सामने देखा और दोनो को देख मुसकुराते हुए बोली "Good morning"और एक हाथ से इशारा करते हुए बोली ''please have a seat''.

    उसके बोलने पर दोनों कुर्सी खींचकर उस लड़की के सामने बैठ गई उस लड़की ने दोनों के बैठने पर बोलना शुरू किया "मेरे नाम विधि झा है और मैं यहां की एच.आर हूं" l

    दोनो ने विधि के बोलने पर अपना परिचय देते हुए कहा ''मेरा नाम तनिका है'' , ''और मेरा नाम भव्या हैं हमने आज से ही कंपनी ज्वाइन की है'' l

    विधि "हम्म तो आप लोगो को पता ही होगा आप दोनो को किसी पोस्ट पर काम करना है" l

    तनिका "हां मैम ईमेल में हमारे पोस्ट का भी जिक्र किया गया था''

    विधि ''good'' ''फिर आप लोग इस पेपर पर अपने signature कर दीजिए और फिर अपने काम पर लग जाइए'' विधि ने दोनों की तरफ कॉन्ट्रैक्ट पेपर बढ़ते हुए कहा था l

    दोनों ने कॉन्ट्रैक्ट पेपर पर अपने अपने हस्ताक्षर किये विधि ने भव्या को देख कहा "मिस भव्या आप finance department में जाएं और वहां के हेड से मिल, उनसे अपना काम समझ लें'', फिर आगे बोली finance department 8 मंजिल पर हैं l

    भव्या हाँ में सिर हिलाते हुए बोली ''yes मैम" l

    भव्या इतना बोला वहां से निकल गई , भव्या के जाते ही विधि ने तनिका की तरफ देख कहा "मिस तनिका आपको भी पता ही होगा आप यहा किस पोस्ट पर काम करने वाली हैं'' l

    तनिका "yes मैम'' , ''मैं यहां पी.ए. के पोस्ट के लिए सेलेक्ट की गई हूं" l

    विधि "जी आप यहां बॉस के असिस्टेंट की पर्सनल असिस्टेंट होगी, तो आप को अमन सर खुद ही बताएंगे कि आपको क्या काम करना है, l

    तनिका विधि की बात पर हा में सिर हिलाती हैं तो विधि अपनी बात को जारी रखते हुए आगे बोली "अमन सर का ऑफिस 18 floor पर है" l

    तनिका ने हा कहा और फिर वो भी 18 मंजिल के लिए लिफ्ट की तरफ बढ़ गई l

    तनिका लिफ्ट से बाहर आई और अमन के ऑफिस की तरफ जाने लगी कुछ ही मिनट में वो अमन के ऑफिस रूम में उसके सामने खड़ी थी अमन अपने सामने तनिका को देख बोला "मिस तनिका आप एक कॉलेज going girl हैं" सही कहा न मैने'' l

    तनिका ने अमन की बात पर कहा "जी सर, मैं अभी BBA last semester की student हूँ l

    अमन "तो ये आपका last year है'' l

    तनिका ने हाँ में सिर हिलाया तो अमन आगे बोला ''मिस तनिका अब मैं आपको, आपका काम बता रहा हूँ, तो आप मेरी हर एक बात ध्यान से सुनिएगा अगर आप अपनी भलाई चाहती हैं तो गलती से भी कोई गलती मत कीजियेगा'', नहीं तो देर नहीं लगेगी आपको इस ऑफिस से बाहर निकलने में क्युकि आप राणावत इंडस्ट्रीज में काम कर रही हैं, जहां गलती की कोई गुंजारिश नहीं है '' l

    तनिका को अमन की बात सुन डर लगने लगा था उसको समझ नहीं आ रहा था कि अमन उसको ये सब बता रहा है की डरा रहा है, क्या यहाँ पर गलती से भी गलत हो जाना पाप हैं'' l वो अभी ये सोच ही रही थी कि उसके कानों में एक बार फिर अमन की आवाज़ पड़ी "तुम्हारा काम बस मुझे assist करने का है मेरी गैर मौजुदगी में तुम्हे ही बॉस के काम करने होंगे" l

    ''उनका शेड्यूल बाना उनकी कॉफी उनका मीटिंग टाइम एडजस्ट करना, ऐसे ही वो उसको उसका काम बताता गया, और तनिका ध्यान से उसकी बातें सुनती रही l

    उसका काम समझाने के बाद अमन ने उसे एक फाइल पकड़ाते हुए कहा ''इस फाइल को अच्छे से चेक करो और जो भी गलती हो तुम उसे अंडर लाइन करो'', l

    तनिका ने उसके हाथ से फाइल लिया तो अमन आगे बोला "तुम्हारा केबिन मेरे ऑफिस से just बगल में है अब तुम जा सकती हो'' l

    तनिका ने ठीक है कहा और उसके केबिन से निकल अपने केबिन की तरफ चली गई तनिका ने जब अपने केबिन का दरवाजा खोल अंदर आई तो वो अपने केबिन को चमकती आँखों से देखने लगी उसने अपनी होंठ पर मुस्कान सजाते हुए कहा "तनिका आज तूने अपने सपने की तरफ एक और कदम बड़ा लिया है", बस ऐसे ही अपने कदम बढ़ाते जा फिर देखना तेरा सपना एक दिन सच हो जाएगा'' l

    वो अपने कदम, अपनी डेस्क की तरफ बड़ा दी और अपने डेस्क को छूते हुए बोली ''मेरा डेस्क'' और फिर अपने केबिन को देख बोली ''मेरा अपना केबिन'' आज वो बहुत खुश थी जो उसके चेहरे को देख साफ नजर आ रहा था l

    तभी उसका ध्यान अपने हाथ में पकडे फाइल पर गया और वो अपने सिर पर हल्के से मरते हुई बोली "तनिका पहले तू अपना काम कर नहीं तो तू सच में आज ही राणावत इंडस्ट्रीज से बाहर हो जाएगी, पहला ही दिन तेरा आखिरी दिन बनकर रह जाएगा'', l

    फिर कुछ याद करते हुए वो आगे बोली "भूल गई तू अमन सर ने क्या कहा था कि बॉस को लपरवाही और काम में गलतियाँ और देरी बिल्कुल भी पसंद नहीं है'',तो चल बेटा काम पर लग जा'' बोल वो कुर्सी खिच अपनी डेस्क पर बैठ कर काम करने लगी जो अमन ने उसको दिया था l

    और इधर त्रयक्ष के केबिन में,

    अमन और ऋषि दोनो ही उसके सामने सर झुका कर खड़े थे और त्रयक्ष उसको अपनी ख़तरनाक नज़रों से घूरे जा रहा था वो इस वक़्त गुस्से से भरा था और उसके हाथ की नशे तनी हुई थी जो ये साफ बया कर रही थी कि वो इस वक्त कितने गुस्से में है l

    उसने गुस्से से अपने दांत पिस्ते हुए कहा "तुम लोगो की आँखों के सामने से एक लड़की गायब हो गई और तुम लोगो को पता भी नहीं चला कि वो कहा गई", क्या कर रहे थे तुम लोग'' l

    त्रयक्ष की गुस्से भरी आवाज सुन दोनों के डर की वजह से रोए खड़े हो गए थे l

    ऋषि ने अपना गला तार किया जो त्रयक्ष को गुस्से में देख सुखा जा रहा था और बोला "बॉस हमें लड़की मिल गई हैं और जल्दी ही वो आपके सामने होगी, हमारे आदमी ने वहा का सी.सी.टीवी कैमरा चेक किया है और उसने उस निशान वाली लड़की को लोकल बस में चढ़ते हुए देखा है'', l

    अमन ने ऋषि की बात पर आगे कहा "बस हमें बस के सभी स्टॉपेज का पता लगाना है कि वो लड़की किस जगह पर बस से उतरी है", बोल वो चुप हो गया l

    तभी.........

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  • 7. War of the dark world - Chapter 7

    Words: 1552

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे,

    अमन ने ऋषि की बात पर आगे कहा "बस हमें बस के सभी स्टॉपेज का पता लगाना है कि वो लड़की किस जगह पर बस से उतरी है", बोल वो चुप हो गया l

    तभी त्रयक्ष की गुस्से से भरी आवाज दोनों को सुनाई पड़ी "तो कब पता करोगे हा, किस चीज़ का इंतज़ार कर रहे हो तुम लोग उसके फिर से गायब होने का या फिर ये सोच रहे हो कि वो खुद चल कर तुम लोग के पास आयेंगी" l

    ऋषि "नहीं बॉस ऐसा नहीं है हम बस जा ही रहे हैं'' उसने डरते हुए कहा था

    त्रयक्ष गुस्से से "तो जाओ भी कि अब मुहूर्त निकलवाऊ तुम दोनो के जाने का" l

    उसकी बात सुन दोनों डर से हड़बड़ाते हुए केबिन से बाहर निकल गए l

    केबिन से बाहर आते ही दोनों ने चेन की सास ली अमन तो गहरी सास लेते हुए बोला "आज तो यमराज के दर्शन हो ही जाते हैं भाई वो तो भगवान की कृपा है कि हम बच गए, नहीं तो अभी यमराज के दूत हमसे पूछ रहे होंते किधर जाना पसंद करोगे नरक में की स्वर्ग में'' l

    अमन की ऐसी बातें सुन ऋषि उसको गुस्से से घूरते हुए बोला "आपनी ये काली जुबान बंद कर जब बोलता है बस मरने की ही बात बोलता है", चुप जो जा साले'' l बोल वो आगे को बढ़ गया और इधर अमन अपना मुंह बना आंखें छोटी कर उसको ही घूरता रहा तभी उसको ऋषि की आवाज सुनाई पड़ी "अब आ भी की वही पर खड़ा हो कर यमराज के दूत का इंतज़ार करता रहेगा",

    उसकी बात सुन वो भी उसके पीछे भागा l

    त्रयक्ष के केबिन में,

    उनको जाता देख वो अपनी कुर्सी से उठ कर अपने ऑफिस में बने बड़े से कांच की खिड़की के पास जा खड़ा हो जाता है जहां से उसको आधा देहरादून शहर दिख रहा था वो अपनी पैंट की पॉकेट से सिगरेट निकलता है और उसको जला कर लम्बे लम्बे कस लेने लगता हैं l वो अपना गुस्सा शांत करने की कोशिश कर रहा था जो उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वो इस वक्त कितने गुस्से से भरा पड़ा है l

    और इधर तनिका के केबिन में,

    वो फ़ाइल चेक कर रही थी तभी उसने पेन टेबल पर रखते हुए कहा "हो गया, अब जाकर अमन सर को ये फ़ाइल दे आती हूँ'', बोल वो अपनी कुर्सी से उठ खड़ी हुई और अमन के केबिन की तरफ चली गई जो उसके केबिन के बगल में था l

    उसने दरवाज़ा खटखटाया पर अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई उसने फिर से दस्तक दिया पर इस बार भी कोई आवाज़ नहीं आई तो उसने आवाज़ देते हुए हल्का सा दरवाज़ा खोल अपना सिर अंदर कर के देखा तो वहा पर कोई भी नहीं दिखा उसने पूरा दरवाजा खोल दिया और अंदर आ गई और अमन को आवाज लगाने लगी "अमन सर'', ''अमन सर'' पर उसको ना अमन दिखा और ना ही उसकी आवाज़ आई तो वो जाने लगी l

    वो केबिन से निकल दरवाजा बंद करते हुए खुद से ही बोली "ये सर कहाँ चले गए,उन्होंने तो कहा था कि फाइल जल्दी चेक कर उनको दे दूं, पर वो तो अपने केबिन में ही नहीं हैं अब मैं क्या करूँ'' वो वही पर खड़ी होकर सोच रही थी कि उसको क्या करना चाहिए l

    तभी उसको वहा एक employee दिखा जो एक केबिन से बाहर आ रहा था तनिका ने उसको देखा तो वो उसको आवाज देती हुई बोली "सुनिये सर" उसकी आवाज़ काफ़ी प्यारी थी l

    वो आदमी जो 27,28 का लग रहा था वो आवाज सुन अपने पीछे देखता है तो तनिका उसके पास ही चल कर आ रही थी तनिका उसके सामने कुछ कदम की दूरी पर दूरी बना कर खड़ी हो जाती है l

    वो आदमी तनिका को देख बोला "हां बोलिए।"

    तनिका "क्या आप बता सकते हैं कि अमन सर किधर होगे असल में मुझे उनको ये फाइल देनी थी," l

    वो आदमी तनिका के हाथ में पकडे फाइल को देखता है फिर तनिका को जो दिखने में बहुत सुंदर तो नहीं लग रही थी पर उसकी आवाज उसको उसकी तरफ खिंच रही थी वो उसको देखते हुए बोला "तुम ये फाइल अमन सर के केबिन में ही रख दो वो आएंगे तो देख लेंगे'' l

    तनिका "ठीक है" फिर वो उसको एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए बोली ''thank you सर''

    वो आदमी भी एक मुस्कान के साथ बोला "it's my pleasure''.

    तनिका ने हा में सर हिलाया और जाने के लिए मुड़ी की वो आदमी उसको रोकते हुए बोला ''तुम नई आई हो ऑफिस में'' l

    तनिका फिर से उसकी तरफ मुड़ी और बोली "जी मैंने आज से ही ज्वाइन किया है, मैं अमन सर की पी.ए. हूं'' l

    वो आदमी "ooo वो तुम हो, हाय मेरा नाम नीरव माने हैं, और मैं ऋषि सर का पी.ए. हूँ" उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुआ कहा l

    तनिका उसके बड़े हुए हाथ को देख रही थी तभी नीरव उसको अपने हाथ को देखता देख बोला "क्या हुआ कोई problem है" फिर अपना हाथ खींचे हुए बोला ''कोई बात नहीं अगर तुम हाथ नहीं मिलाना चाहती होतो ''it's not a big deal''. उसने मस्कुराते हुए काफी विनम्र तरीके से कहा था l

    तनिका को उसका व्यवहार अच्छा लगा और उसे उसे कोई negative Vibe भी नहीं आ रही थी इसलिए उसने अपना एक हाथ बढ़ाते हुआ कहा "हैलो सर मेरा नाम तनिका केसरवानी हैं''l

    नीरव ने जब उसका हाथ आगे बढ़ते देखा तो उसने भी अपना हाथ वापस से आगे कर हाथ मिलाया l

    नीरव "ठीक है मैं चलता हूं तनिका तुमसे ब्रेक में मिलूंगा" l

    तनिका ने मुस्कुराते हुए हा में सिर हिलाया और वो भी अपने केबिन की तरफ चली गई l

    इधर अमन और ऋषि एक कमरे में मौजुद थे और दोनों के सामने लैपटॉप रखा हुआ था जिसमे बस स्टॉप की वीडियो चल रही थी और दोनो ध्यान से उस वीडियो को देख रहे थे तभी बस वहा पर आ कर रुकी और उसमे से पैसेंजर बहार निकलने लगे तभी अमन बोला ''पता नहीं कौन से स्टॉप पर ये लड़की उतरी है अभी तक हमने 5, 6 बस स्टॉप देख लिया पर वो लड़की नहीं दिखी'', वो काफी इरिटेट लग रहा था l

    तभी ऋषि जिसका पूरा ध्यान लैपटॉप की स्क्रीन पर था वो अचानक से तेज आवाज़ में बोला ''अबे pause कर'' l

    अमन उसके ऐसे चिल्ला कर बोले पर हड़बड़ाते हुए वीडियो को रोक देता है और उसकी तरफ देख बोला ''क्या हुआ चिल्ला क्यू रहा है मेरे कान के परदे फड़ेगा क्या'' अपने कान में एक उंगली डाल हिलाते हुए बोला l

    तो ऋषि उसका सिर लैपटॉप की तरफ घूमते हुए बोला "ये देख" लैपटॉप की स्क्रीन को वो ध्यान से देखता है तो उसकी भी आंखें बड़ी हो जाती हैं और वो अपनी आँखें वैसे ही बड़ी किये हुए ही बोला "ओओओ तेरे की.."

    और इधर त्रयक्ष के फ्लोर पर,

    त्रयक्ष अपने केबिन से निकल लिफ्ट की तरफ जा रहा था वो अपनी पर्सनल लिफ्ट का इस्तेमाल कर रहा था जो उसके फ्लोर पर भी उसके लिए बनाया गया था जिसका इस्तेमाल उसके अलावा कोई नहीं करता था सिवाए अमन ,ऋषि और पार्थ के वो अपनी लिफ्ट के जरिए 9 फ्लोर पर पहुंचता है और लिफ्ट से बाहर निकल जाता है l

    त्रयक्ष को अचानक से वहां देख सभी employee घबरा जाते हैं क्यों कि उनको इसका बिल्कुल भी आइडिया नहीं था और जल्दी से होश में आते हुए अपनी सीट से खड़े हो कर उसको greet करने लगते हैं त्रयक्ष बिना उन पर ध्यान दिए c.o.o (chief operating officer) के केबिन की तरफ जाने लगता है l

    वो एक शांत कॉरिडोर से जा रहा था जहां ज़्यादा लोग नहीं थे वो आगे बढ़ ही रहा था कि अचानक से एक लड़की जल्दी जल्दी में जो आ रही थी वो उससे टकरा गई उसका ध्यान अपने हाथ में पकड़े फाइलस पर था इसलिए उसने अपने सामने से आ रहे त्रयक्ष पर ध्यान ही नहीं दिया था और उसकी जोर दार टक्कर हो गई थी और उसके हाथ से फाइल छूट कर गिर गया था और वो भी पीछे को गिरने लगी थी कि त्रयक्ष ने उसका एक हाथ पकड़ उसको गिरने से बचा लिया था l

    वो लड़की हवा में झूल रही थी और त्रयक्ष ने उसका हाथ पकड़ रखा था वो गुस्से से भर चूका था उस लड़की के ऐसे टकराने की वजह से वो गुस्से से उसको कुछ बोलता की उसकी नज़र उस लड़की के हाथ पर पड़ी और उसकी आँखों में हैरानी उतर आई थी और वो एक तक उसके हाथ को देख रहा था l

    आख़िर क्या देख लिया त्रयक्ष ने जो वो है इतना हैरान ?

    क्या अमन और ऋषि ढूंढ पाएंगे निशान वाली लड़की को ? जानने के लिए पढ़ते रहिए "War of the dark world"

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  • 8. War of the dark world - Chapter 8

    Words: 1488

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे,

    लड़की हवा में झूल रही थी और त्रयक्ष ने उसका हाथ पकड़ रखा था वो गुस्से से भर चूका था उस लड़की के ऐसे टकराने की वजह से वो गुस्से से उसको कुछ बोलता की उसकी नज़र उस लड़की के हाथ की कलाई पर पड़ी और उसकी आँखों में हैरानी उतर आई थी और वो एक तक उसके हाथ को देख रहा था l

    वही लड़की को गिरने का एहसास नहीं होता है तो वो अपनी आंखें खोल देखती है, जो उसने गिरने के डर से बंद कर लिया था ''सामने खड़े आदमी ने उसका हाथ पकड़ उसको गिरने से बचा लिया था'', वो अभी उसको कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोल ही रही थी कि त्रयक्ष ने उसको अपनी तरफ खींचा और वो लड़की उसके खिचने पर उसके पास खिंची चली गई थी उसके दोनो हाथ त्रयक्ष के सीने पर आकर रुक गए थे l

    लड़की की निगाहें त्रयक्ष पर ही आकर रुक गई थी तो वही त्रयक्ष ने उसके दाहिने हाथ को छोड़ उसके बाएं हाथ को पकड़ लिया और उसके बाएं हाथ को ऊपर कर देखने लगा उसके बाएं कलाई पर एक निशान था जो टैटू जैसा लग रहा था, उसने अपने दूसरे हाथ से उस निशान को छुआ और अपनी वही ख़तरनाक सख्त आवाज़ में बोला "ये निशान तुम्हारे हाथ पर कब से हैं" l

    वो लड़की जो पहले त्रयक्ष को देख रही थी वो उसकी आवाज़ से अपने होश में आते हुए बोली "ये निशान नहीं हैं"l

    त्रयक्ष ने उसके ये बोलने पर कि ये निशान नहीं है उसकी तरफ देखने लगा अब जाकर उसने उस लड़की का चेहरा ठीक से देखा था वरना उसकी नज़र तो उसके हाथ के बने निशान पर ही ठहर गई थी उसने उसको expressionless चेहरे के साथ देखा और अपने वही सख्त अंदाज में बोला "क्या मतलब है, ये निशान नहीं है',क्या तुमने इसे बनवाया है'' l

    वो लड़की उसकी स्ट्रिक आवाज से थोड़ी घबरा गई थी पर उसने खुद को संभालते हुई कहा "नहीं सर ये मेरा बर्थ मार्क है मेरे जन्म से ही ये निशान मेरे हाथ पर हैं'' l

    त्रयक्ष जो उसको ही देख रहा था जैसे वो उसके चेहरे के भाव से पता कर रहा हो कि क्या वो सच बोल रही है या फिर झूठ फिर उसका हाथ छोड़ा और थोड़ी दुरी बना अपने पैंट की जेब में अपने दोनो हाथ की डाल खड़ा हो गया l

    और उसको देखते हुए त्रयक्ष ने आगे पूछा "तुम्हारा नाम क्या है'' ?

    लड़की ने अपना सर जो उसने झुका रखा था वो थोडा ऊपर उठा त्रयक्ष को देखते हुए बोली "जी ''इरा'' ''इरा नाम है मेरा'' l

    त्रयक्ष ''पूरा नाम क्या है तुम्हारा'' ''पूरा नाम बताओ अपना''

    वो लड़की जो कोई और नहीं इरा थी वो त्रयक्ष को देखते हुए बोली "मेरा नाम सिर्फ इरा है'', फिर थोड़ी उदासी भारी आवाज़ में आगे बोली "मैं एक अनाथा लड़की हूं" इसलिए मुझे अपना पूरा नाम नहीं पता है'' l

    त्रयक्ष ने उसकी बात सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और उसके बगल से निकल सी.ओ.ओ के केबिन की तरफ जाने लगा इरा ने अपनी गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ देखा जिधर त्रयक्ष गया था उसको जाता देख इरा ने खुद से ही कहा "कितना हैंडसम हैं ये।" बोल वो मुस्कुराने लगी और जमीन पर गिरी फाइल को उठा वहा से चली गई l

    और इधर अमन और ऋषि एक दूसरे को ख़ुशी से देख रहे थे तभी अमन सोफ़े पर से उठते हुए बोला "ऋषि चल जल्दी चल बॉस को बताते हैं कि हमें लड़की का पता चल गया है"l

    ऋषि "अरे पहले तू रुक तो जा थोड़ी देर अभी कन्फर्म नहीं हुआ है उसके घर का पता, पता तो कन्फर्म हो जाने दे', 'फिर बॉस के पास चलते हैं, अगर फिर से आधी अधूरी जानकारी लेकर गए तो इस बार बॉस सच में ही हम दोनों को भगवान के पास से प्यार कर देंगे, तो थोड़ी देर और सबर रख''l

    अमन "अरे यार और कितना इंतज़ार करना पड़ेगा'', बोल वो धम से सोफ़े पर बैठ गया ऋषि ने उसको देख अपनी गर्दन ना में हिलाई और लैपटॉप पर कुछ करने लगा l

    और इधर त्रयक्ष सी ओ.ओ. के केबिन में सोफ़े पर किंग की तरह बैठा हुआ था और उसके सामने वाले सोफ़े पर पार्थ बैठा हुआ था जो उसे बोल रहा था "आज तू मेरे केबिन में कैसे आ गया''l

    त्रयक्ष वैसे ही बैठे हुए बोला "जैसे सब आते हैं वैसे।"उसने बिना किसी भाव के कहा था

    पार्थ "कभी तो मेरी बात का सीधा जवाब दिया कर''

    त्रयक्ष "तू सवाल ढांग के किया कर मैं भी जवाब सीधा दूंगा'' l

    पार्थ ने उसकी बात पर अपनी आंखें घुमा दी और फिर गहरी सास भर बोला "क्या तुझे कुछ पता चला उस लड़की के बारे में वो कहा पर है", देख त्रयक्ष अगर वो लड़की नहीं मिली तो छोड़ दे उसको ढूँढना , तेरे पास वक़्त कम बचा है तू इस महीने के आखिरी में 30 साल का हो जाएगा, और अगर तूने शादी नहीं की तो तू जाता है तू क्या कुछ खोल सकता है तो मेरी बात मान और शादी करले ज़रूरी नहीं है कि तू ध्वनि से ही शादी करे अगर तुझे ध्वनि से शादी नहीं करनी है तो मत कर पर किसी और से करले''l

    त्रयक्ष ''हो गया तेरा, या और भी कुछ बोलना रह गया है तो वो भी बोल ले'',l

    पार्थ ने त्रयक्ष की बात पर अपना मुँह बिगाड़ लेता है और थोड़ा चिढ़ के साथ बोला "हा हो गया मेरा''

    त्रयक्ष सोफ़े पर से उठा और पार्थ के केबिन के कांच के दरवाजे से बाहर का नजारा देखते हुए बोला "मुझे वो लड़की मिल गई है पार्थ''

    पार्थ जिसका मूड त्रयक्ष के व्यवहार से थोड़ा ख़राब था वो उसकी बात पर ध्यान न देते हुए बोला "हा तो वो लड़की मिल गई तो क्या.. फिर उसने अपनी बात पर गौर किया और त्रयक्ष की बात को भी याद करते हुए वो तेजी से चिल्लाते हुए बोला "क्या ,''क्या कहा तूने फिर से कहना तो''l

    त्रयक्ष ने घूर कर उसकी तरफ देखा तो वो हरबड़ाते हुए बोला "मेरा मतलब है कि वो लड़की मिल गई तुझे'' फिर वो भी सोफे से उठ उसके पास आते हुए आगे बोला "कब और कहाँ मिली'' l

    त्रयक्ष "आज और कुछ देर पहले वो भी इसी ऑफिस में" l

    पार्थ फिर से शॉक्ड होकर तेज आवाज में बोला "क्या''?

    त्रयक्ष ने अपनी आंखें उसकी तेज आवाज सुनकर बंद करली और उसके चुप होते ही आँखें खोल गुस्से से उसको देखते हुए बोला "तू इतना चिल्ला क्यू रहा है मुझे सुनायी देता है तो अपना ये गला फड़ना बंद कर'' l

    पार्थ "ओह सॉरी सॉरी "मैं हैरान हूँ कि वो लड़की जिसको तू पूरी दुनिया में ढूंढ रहा था वो तुझे मिली भी तो कहां मिली तेरे खुद के ऑफिस में", फिर कुछ सोच वो आगे बोला "क्या तुझे पूरा यकीन है कि वो वही लड़की है जिसे तू खोज रहा था, ''क्या संयोग है'' l

    त्रयक्ष "मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैं जिसको 5 साल से ढूंढ रहा था वो खुद चल कर मेरे पास आ गई, इसलिए मुझे पहले उसके बारे में पता करना होगा कि वो वही लड़की है कि कोई और हैं'' l

    पार्थ "और तू पता कैसे करने वाला है" l

    त्रयक्ष ''वो तू मुझे पर छोड़ दे मैं पता कर लूँगा'' l

    पार्थ "अगर वो वही लड़की निकली तो तू अपनी मकसद में कामयाब हो जाएगा जो तू पाना चाहता है वो तुझे मिल जाएगा'' l

    त्रयक्ष "पर ये इतना आसान नहीं होने वाला,और उस लड़की को पा लेना ही सिर्फ मेरा मकसद नहीं है तू जानता है मैं ऐसा क्यों और किस लिए कर रहा हूं''l

    पार्थ ने उसके कंधे पर अपना एक हाथ रख कहा "मुझे बेहतर कौन जानता है कि तू ऐसा क्यों कर रहा है, और तू फिक्र मत कर तू जल्दी ही अपनी मंजिल के करीब होगा, और उससे पूरा भी करेंगा आख़िर तू कोई आम इंसान थोड़ी ना है "तू तो एक रक्षक है वो ऐसा वैसा नहीं बल्की"...

    वो अभी अपनी बात पूरी करता है कि त्रयक्ष ने अपने कंधे पर से उसका हाथ हटाते हुए कहा "पार्थ मैंने तुझसे कितनी बार कहा है मुझे ये मत बोला कर'' बोल वो गुस्से से उसके केबिन से बाहर चला जाता है l

    पार्थ अपने केबिन का बंद दरवाजा देख बोला "पता नहीं तू क्यों इस चीज से भाग रहा है जो तेरी हकीकत और किस्मत दोनो है''l



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  • 9. War of the dark world - Chapter 9

    Words: 1660

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे ,

    अगली सुबह, 8:00 बजे,

    तनिका के कमरे में तनिका अपना बाल पोछते हुए बाथरूम से बाहर आई इस वक्त उसने सफेद शर्ट के साथ क्रीम कलर का फॉर्मल पैंट पहन रखा था ।

    नहाने की वजह से उसकी त्वचा काफी glow और शाइन कर रही थी वो चल कर मिरर के पास आई और खुदको मिरर में देखने लगी उसके आँखों के सामने कुछ यादें आ गई जो सोच उसके चेहरे पर थोड़े उदासी सी छा गई वो अभी उस पलो के बारे में सोच ही रही थी कि ''उमा काकी'' की आवाज आई "तनिका बेटा तैयार हो गई तुम'', बोलते हुए वो कमरे में आई तो तनिका उनकी आवाज सुन उनकी तरफ पलट कर देखते हुए बोली "काकी बस 5 मिनट फिर में रेडी हो जाउंगी''।

    उमा काकी तनिका को देखती हैं जो इस वक़्त अपने असली चेहरे के साथ खड़ी थी बिना मेकअप के जो वो अपने चेहरे को छुपाने के लिए किया करती हैं उमा काकी चल कर उसके पास आई और उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो में थामते हुए कहा "कितनी प्यारी लग रही है तू किसी की नजर ना लग जाए मेरी बच्ची को'' बोल उसके माथे को चूम लिया ।

    तनिका अपने होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान लिए बोली "फिक्र मत कीजिए काकी आपकी बच्ची को किसी की नजर नहीं लगेगी'', क्योंकि आपकी बच्ची खुद को अच्छे से छुपा कर बाहर जाती हैं'', उसने ये बात काफी हल्के तारिके से कहा था ।

    तनिका की बातों को समझ उमा काकी के चेहरे पर मयूसी छा जाती हैं और वो वैसे ही मयूस हुए बोली "काश तेरे साथ वो हादसा ना हुआ होता तो "आज तुझे ऐसे आपने आपको छुपाकर नहीं रहना पड़ रहा होता,'' फिर वो उसका दोनो हाथ अपने हाथों में थाम बोली "तनिका बेटा उस बात को बिते 5 साल हो गया है और तू उन सब से बहुत दुर भी तो आ चुकी है तो तुझे अब ऐसे रहने की कोई ज़रूरत नहीं है,''तू खुद को छुपाना छोड़ दे और अपनी जिंदगी आज़ाद परिंदे की तरह जी ''जैसा तू चाहती है मेरी बच्ची'', बोल एक हाथ से उसका सिर प्यार से सहला दिया l

    उमा काकी ने तनिका को प्यार से अपनी बात समझाते हुए कहा वो नहीं चाहती थी कि तनिका अपनी जिंदगी ऐसे डर के साये में गुजार दे, अपनी जिंदगी ऐसे लोगो से छुपते छुपाते हुए बिता दे l

    तनिका ने उनका हाथ जो उसके सिर को सहला रहा था उसे अपने दोनों हाथों से थमते हुई प्यारी सी मुस्कान के लिए हुई बोली "काकी मैं जानती हूं आपको मेरा इस तरह रहना पसंद नहीं हैं, और मैं खुद भी ऐसे नहीं रहना चाहती हूं पर आप ये भी जानती हैं मैं ऐसा क्यों और किस लिए कर रही हूं, मैं उन लोगो से डरती नहीं हूं पर मैं और आप अकेले उनका सामना नहीं कर सकते, इसलिए आपको और खुद को बचाने के लिए अगर मुझे पूरी जिंदगी ऐसे ही गुजारनी पड़ी तो मैं ख़ुशी ख़ुशी गुजार लुंगी, पर आप पर कोई भी आँच नहीं आने दूंगी'' ।

    उमा काकी नम आँखों के साथ बोली "तुझे मेरी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है,बेटा तू अपनी'', वो भी अपनी बात पूरी करती की उससे पहले तनिका बोल पड़ी "तो आपको भी मेरी फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है, छोड़ देती आप मुझे मेरे हाल पर क्यू बचाया आपने मुझे", उसकी भी आँखें नम हो चली थी अपने अतीत को याद कर वो भर आये गले से आगे बोली "मेरी जिंदगी आप की दी हुई है काकी अगर आप नहीं होती तो मैं कहाँ होती, कैसी होती, जिंदा भी होती की नहीं, पता नहीं, ''आप मेरे लिए मेरा सब कुछ है, जब से होश सम्भाला है आपको ही अपने पास पाया है, मुझे तो याद भी नहीं कि मैं कौन हूं, कहां से आई हूं, मेरे मां बाप कौन हैं, मेरा नाम क्या है , कुछ भी पता नहीं है मुझे, पता है तो बस इतना कि आप मेरी काकी हैं जो मेरी माँ भी है, मेरी पिता भी है मेरी ख़ुशी भी है और मेरी ताकत भी है'',।

    जब रोई हूं तो आपने मुझे चुप कराया है, जब टूटी के बिखरी हूं तो आपने मुझे संभाला है, जब रातों को डर से जागी हूँ तो अपने मुझे अपने गोद मैं सुलाया हैं मेरे हर तकलीफ और गम में आप मेरे साथ खड़ी रही हैं मुझे हौसला दिया मेरे लिए लड़ी मुझे अपने आंचल में महफूज और सुरक्षित रखा मेरी ख़ुशी के लिए आपने तकलीफ़ साहा, तो ऐसे कैसे मैं आपकी फ़िक्र और परवा ना करु अब मेरी बारी है आपको सुरक्षित और महफूज रखने की आपको हर एक ख़ुशी देने की'' बोलते हुए उसकी आँखों से आशू झर झर बहने लगे उमा काकी की आँखों से आशू बह चले थे ।

    काकी ने तनिका को गले से लगा लिया दोनो ही एक दूसरे के गले लग अपने आशू बहा रही थी थोड़े देर वैसे ही एक दूसरे के गले लग अपना मन हल्का किया फिर काकी तनिका को खुद से अलग कर उसकी आँखों से आशु पोछते हुए बोली "अब बस बहुत हो गया रोना धोना, तुमको आज ऑफिस नहीं जाना है जो मेरे साथ बातों में टाइम बर्बाद कर रही हो, क्या चलती हो काम के दूसरे ही दिन तुमको काम से निकल दिया जाये", उन्होंने तनिका को डांट लगते हुए कहा तो तनिका ने अपना मासूम सा चेहरा बना अपनी गर्दन ना में हिला दी ।

    उमा काकी "तो चलो जल्दी से तैयार हो कर आओ मैं तब तक तुम्हारे लिए नाश्ता लगाती हूं", तनिका ने हा में सिर हिलाया और तैयार होने लगी और काकी भी कमरे से बाहर आ किचन की तरफ चली गई ।

    राणावत इंडस्ट्रीज सुबह के 10: 30 बजे,

    त्रयक्ष के केबिन में ऋषि और अमन त्रयक्ष के सामने खड़े थे और त्रयक्ष एक फाइल पड़ रहा था, तो ये लड़की यहां और इस घर में रहती है''।

    ऋषि "जी सर हमने पता किया है वो यहीं पर रहती है'',अपने ही कहा था कल कि हम खुद जा कर चेक करे तो हम कल खुद गये थे उसके घर वो वही रहती है उसने घर किराया पर लिया हुआ है और वो अकेली वहां रहती है'',।

    अमन "जी सर और उसने कल से ही राणावत इंडस्ट्रीज़ ने ज्वाइन किया है ये रही उसकी फाइल, उसका नाम ''इरा कश्यप हैं'', वो अनाथालय में पाली बड़ी हैं अनाथालय का नाम ''उम्मीद की नई उड़ान'' हैं और वो वहाँ के इंचार्ज मुकेश कश्यप का सरनेम इस्तेमाल करती हैं सिर्फ वो ही नहीं बहुत से बच्चे उनका सरनेम इस्तेमाल करते हैं'',।

    त्रयक्ष "वो क्या इस शहर में नही थी"।

    ऋषि "नहीं सर हमने पता किया तो पता चला वो 4 साल से वहाँ नहीं रह रही थी वो अपनी आगे की पढ़ाई के लिए इंडिया से बहार गई थी वो पढ़ने में अच्छी थी जिसकी वजह से उसको बहार की कॉलेज से स्कॉलरशिप मिल रही थी इसलिए वो कनाडा अपने आगे की पढ़ाई के लिए गई थी वो अभी 1 महीने पहले ही इंडिया वापस आई है'',l

    त्रयक्ष ने आगे कुछ नहीं कहा और अमन की दी फाइल पढ़ने लगा

    और इधर अमन और ऋषि एक दूसरे को आँखों की आँखों में कुछ इशारा कर रहे थे, इधर त्रयक्ष ने जब दोनो को अभी भी अपने केबिन में खड़ा पाया तो बोला "कुछ और भी कहना है'' त्रयक्ष की कड़क आवाज सुन दोनो हड़बड़ा जाते ऋषि अपनी गर्दन ना में हिला देता है तो वही अमन हा में

    त्रयक्ष अमन के हाँ में गर्दन हिलाने पर अपनी भौंहें उठाते हुए बोला "कहो क्या कहना चाहते हो'', अमन त्रयक्ष के बोलने पर थोड़ा घबरा जाता है फिर डरते हुए अपनी बात बोलता हैं "बॉस, मैं ये जानना चाहता था कि आपको कैसे पता चल कि वो लड़की यहां इस ऑफिस में है, जिसे हम इतने सालों से ढूंढ रहे थे'',l

    त्रयक्ष ने अमन को अपनी सख्त आँखों से देखा तो वो अपना सिर झुका कर खड़ा हो गया l

    त्रयक्ष ने उसको और ऋषि को देखा तो वो भी त्रयक्ष के जवाब का इंतज़ार कर रहा था वो भी जाना चाहता था कि इरा के बारे में उसे कैसे पता चला l

    त्रयक्ष ने दोनों को देख कहाँ "ऐसा समझ लो वो खुद मेरे पास चल कर आई है'',l

    त्रयक्ष कि ये बात सुन अमन झट से बोला "बॉस पर आपने कहा था कि वो खुद चल कर अपने पास थोड़ी आएंगी, तो अब कैसे आ गई"l

    अमन की बात सुन ऋषि ने अपना सर पिट लिया, तो वही त्रयक्ष उसको गुस्से से घूर कर देखने लगा त्रयक्ष की घूरती नज़र खुद पर पा कर उसको समझ आया कि उसने किसके सामने क्या कह दिया है अब उसको डर लग रहा था कहीं वो आज सच में भगवान को प्यारा ना हो जाये वो मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि त्रयक्ष उसकी जान आज बख्श दे l

    त्रयक्ष ने गुस्से से अपनी कड़क आवाज़ में कहा "दफा हो जाओ यहां से इस पहले कि मैं तुम्हें दफा करूं"l

    त्रयक्ष कि कड़क आवाज सुन दोनो ही तेजी से वहाँ से भाग गये दोनों को ऐसा भागता देख त्रयक्ष ने ना में अपनी गर्दन हिलाई और फिर से इरा की फाइल देख कुछ सोचने लगा l

    और इधर केबिन के बाहर ऋषि अमन को मरते हुए बोला "अपना मुँह ना बंद रखा कर", नहीं तो किसी दिन बॉस से पहले मैं तुम्हें जान से मार दूंगा'',बोल गुस्से से बड़बड़ाता हुआ वहां से अपने केबिन की तरफ चला गया l

    तो वही अमन अपनी बाजू और पीठ सहलते हुए बोला ''कमीने ने कितनी तेजी से मारा है, हाय रे मेरी पीठ", दर्द से कहराते हुए बोल अपने केबिन की तरफ बढ़ गया l

    To be continue ✍️

    Hello 👋 my lovely readers

    सब से पहले thank you, आप सबका मुझे सपोर्ट और फॉलो करने के लिए, आज का चैप्टर आप सबको कैसा लगा कमेंट और रेटिंग देकर जरूर बताएं, मैं इंतजार करूंगी कि आप लोगो के कमेंट का,

    आज के लिए इतना ही मिलते है अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें l 👋🤗

  • 10. War of the dark world - Chapter 10

    Words: 1538

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे,

    तनिका त्रयक्ष के केबिन के सामने खड़ी थी और उसके हाथ में एक फाइल थी, जो अमन ने उसको दी थी त्रयक्ष के साइन के लिये अब बेचारा त्रयक्ष के गुस्से का शिकार जो नहीं बनना चाहता था क्या पता त्रयक्ष उसको इस बार ना छोड़े इसलिए उसने तनिका को ही त्रयक्ष के पास भेज दिया था और वो अमन का ऑर्डर मान शेर की गुफा में चल दी थी इस बात से अनजान की वो कहा और किसके पास जा रही हैं l

    तनिका ने दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर से आवाज आई ''come in'' आवाज़ सुन वो केबिन का दरवाज़ा खुलकर अंदर जाती है पर सामने की कुर्सी पर उसको कोई नहीं दिखता वो अपनी नज़र इधर उधर कर देखने लगी कि उसके कानों में एक बार फिर आवाज़ पड़ी "बोलो क्या काम है", ?

    अपने पीछे से आवाज़ सुन वो मुड़कर देखती है तो त्रयक्ष सोफ़े पर बैठा हुआ था उसके सामने की टेबल पर लैपटॉप और फ़ाइलें पड़ी हुई थी, त्रयक्ष का ध्यान अभी एक फाइल पढने में था और यहां तनिका त्रयक्ष को अपने सामने देख शॉक्ड हो गई थी l

    तनिका "ये यहाँ पर कैसे, अमन सर ने तो मुझे सी.ई.ओ के पास भेजा था फिर ये डेविल यहाँ पर क्या कर रहे हैं'' वो खुद में बड़बड़ाई जा रही थी कि अचानक से उसके दिमाग में कुछ हिट किया,

    उसने अपने मुंह पर अपना एक हाथ रख खुद से कहा "इसका मतलब ये हमारे सी.ई.ओ हैं, फिर खुद को ही डांट वो खुद से ही बोली "मैं भूल कैसे गई की" राणावत इंडस्ट्रीज के c.e.o त्रयक्ष राणावत हैं'' l

    त्रयक्ष ने तनिका को अभी भी चुप देख अपनी सख्त आवाज में बोला "ऐसे ही खड़ी रहना है तो मेरे केबिन से बाहर जाकर खड़ी रहो'' उसका ध्यान अभी भी अपने लैपटॉप पर ही था l

    उसकी आवाज सुन तनिका का दिल धक सा कर गया और वो हड़बड़ा गई उसने वैसे ही कहा "सर ये फाइल अमन सर ने दी है इस पर आपके साइन चाहिए" बोल उसने फाइल त्रयक्ष की तरफ बढ़ा दी l

    तनिका की आवाज़ सुन त्रयक्ष का ध्यान खुद ब खुद उसकी तरफ चला गया जो उसके सामने फाइल बढ़ाए खड़ी थी, त्रयक्ष ने एक पल उसको गोर से देखा और उसके हाथ से फाइल ले बोला "ये फाइल तुम क्यों लेकर आई हो, अमन कहाँ हैं'' ?

    तनिका ने अपनी झुकी नज़र को उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो उसको ही देख रहा था दोनो की नज़र एक पल के लिए एक दूसरे से टकराई, और एक अजीब से एहसास ने दोनों को घेर लिया जो अभी तो दोनो के समझ से परे था l

    त्रयक्ष के लिए ये एहसास कुछ अलग था जो वो अभी सिर्फ कुछ पल के लिए महसूस किया था पर तनिका के लिए, ''नहीं'' वो जब भी त्रयक्ष को देखती तो उसे कुछ अजीब सी फीलिंग आती थी पर आज तक वो फीलिंग समझ नहीं पाईं थी और जब वो त्रयक्ष से पहली बार उसके महल में टकरायी थी, उस वक्त भी उसे वो अजीब सा एहसास महसुस हुआ था पर उस वक्त डर और घबराहट उसपर ज्यादा हावी था l

    त्रयक्ष ने सभी चीजों को इग्नोर किया और तनिका से बोला "तुम नई जॉइनिंग हो'', l

    तनिका जो अभी भी त्रयक्ष से घबरा रही थी वो घबराए हुए ही बोली "जी सर', मैं अमन सर की पर्सनल असिस्टेंट हूं और कल से ही ज्वाइन किया है''

    त्रयक्ष "हम्म" बोल फाइल उसकी तरफ बढ़ा दिया तनिका ने झट से फाइल लिया और केबिन से बाहर जाने लगी उसके लिए त्रयक्ष के सामने खड़ा होना बहुत ज्यादा डरावना था क्यू की उसने महल में कई बार वहां काम कर रहे नौकर से सुन रखा था,

    कि त्रयक्ष लोगो को गलती करने पर और उसके बनाये नियम तोड़ने पर बहुत ख़तरनाक सजा देता था और एक बार तो उसने खुद की आँखों से देखा भी था जो उसके लिए बुरे सपने से कम नहीं था l

    वो अपने कदमों को तेजी से बढ़ाते हुए केबिन के दरवाजे तक आई थी कि उसके कानों में एक बार फिर से त्रयक्ष की आवाज पड़ी "नाम क्या है तुम्हारा" उसकी आवाज अभी भी गंभीर और सख्त थी l

    तनिका के कदम अपनी जगह पर रुक गए डर उसका जो अभी थोड़ा कम हुआ ही था वो फिर से उसपर हावी हो गया वो मुड़ी और अपना सिर झुकाए हुई ही बोली "तनिका, ''तनिका साहनी''

    त्रयक्ष जो अभी भी अपने सामने खुले लैपटॉप की स्क्रीन को देख रहा था वो वैसे ही बोला "तो मिस साहनी अगली बार जब भी मेरे केबिन में आओ तो कॉन्फिडेंट होकर आओ मुझे ऐसे लोग अपने ऑफिस में बिल्कुल भी नहीं चाहिए जिनके अंदर अपनी बात बोलने और सामने वाले को फेस करने की हिम्मत ना हो'', फिर थोड़ा रोक आगे बोला ''So be ready to face me next time''.

    तनिका ने उसकी बात सुन अपना सर उठाकर उसकी तरफ देखा तो वो उसकी तरफ देख रहा था तनिका को बिल्कुल भी नहीं लगा था कि त्रयक्ष ने उसकी हरकतें और expression को नोटिस किया होगा पर वो गलत थी उसने किया था l

    तनिका ने अपनी नज़र झुका कहा "जी जी सर आगे से ध्यान रखूंगी" l

    त्रयक्ष ने उसकी बात पर कुछ नहीं कहा तनिका ने भी कुछ second इंतजार किया, फिर वो केबिन से बाहर निकल आई l

    केबिन से बाहर आ उसने एक राहत की सास ली उसका दिल तो डर और घबराहट से धड़का ही जा रहा था l

    उसने खुद से कहा ''ये ख़तरनाक तो हैं पर इनकी मौजुदगी भी उतनी ही ख़तरनाक है बिना कोई गलती के भी इनके सामने खड़ा रहना कितना डराना है''l

    रात का वक्त

    रात के 2 बज रहे थे और एक आदमी एक पहाड़ी पर खड़ा था उसने ब्लैक कलर का हुडी और ब्लैक पैंट पहन रखा था जिससे उसका चेहरा ठीक से नज़र नहीं आ रहा था उसके आस-पास से निकलने वाला औरा डराना और ख़तरनाक था, तभी पीछे से एक काली परछाई ने उस आदमी पर हमला किया पर उस आदमी ने उसके हमले को रोक लिया और झट से उसका गला पकड़ लिया l

    अगर कोई आम इंसान होता तो उसको वो परछाई नज़र भी नहीं आती, पर वो आदमी कोई आम इंसान नहीं था उस आदमी की आंखें इस वक्त हल्की चमक रही थीं उस आदमी ने उस परछाई को गले से पकड़ कर हवा में लटका दिया वो परछाई छटपटाने लगा था

    उसकी पकड़ से आज़ाद होने की कोशिश कर रहा था पर वो हो नहीं पा रहा था उसने परछाई को तेजी से जमीन में पटका तो वो परछाई जैसा दिखने वाला शक्स वो दिखने लगा वो दिखने में एक खुंखार दानव जैसा था l

    पर उस आदमी को उसे देख कोई भी फ़र्क नहीं पड़ा जैसे उसके लिए ये सब आम हो चुका हो, उसने अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाए तो वो दानव जैसा दिखने वाला शख्स पीछे की तरफ खिसकने लगा वो डर रहा था उस आदमी से, उस आदमी ने अपने एक हाथ को आगे किया तो उसके हाथ में आग की लपटे आ गई उसने उस आग की लपटों को दानव के ऊपर फेंका और वो वो दानव आग में जलाने लगा उसकी दर्द भारी चीख़ वहा गूंज गई अगर वहां आस पास कोई व्यक्ति होता तो वो ये चीखे सुन डर से काप जाता l

    धीरे धीरे वो आगे कम हो गई और वहा राख के सिवा कुछ नहीं बचा था l

    वो आदमी अभी की उस बची हुई राख हो देख रहा था कि उसकी तरफ आ रहे एक आदमी ने कहा "क्या हुआ अब क्या देख रहे हो अब तो वो मर चुका है'' l

    वो आदमी "मरना तो था ही इसे,

    दूसरा आदमी "तो अब क्या''?

    वो आदमी ''अभी तो शुरूवात है आगे और भी बहुत कुछ होना बाकी है" l

    दूसरा आदमी "जानता हूँ कि अभी बहुत कुछ होना बाकी है पर तुम तो इस सब में नहीं पड़ना चाहते थे, फिर ऐसा क्या हो गया कि आज तुम खुद ये काम कर रहे हो, तुम्हारे लिए तो ये सब मायने नहीं रखता हैं न त्रयक्ष'' l

    वो आदमी कोई और नहीं त्रयक्ष ही था जिसने उस दानव को मारा था, त्रयक्ष ''ये मेरे मकसद के लिए जरूरी है और मेरे मकसद के लिए जो जरूरी है मैं वह जरूर करूंगा, चाहे इसके लिए मुझे ''रोशनी का रक्षक'' ही क्यू ना बना पड़े मैं वो भी बनुगा, पर मेरे मकसद को पूरा करने के लिए मैं हर एक हद पार कर जाऊंगा, जो मुझे सही लगेगा मैं वो सब करूंगा, अब मुझे कोई भी नहीं रोक सकता पार्थ कोई भी नहीं'' l

    बोल वो वहा से जाने लगा

    पार्थ उसको जाता देख खुद से ही बोला "अपने मकसद के लिए ही सही तुमने रक्षक बना तो मंजूर किया, अब तुम ही हो त्रयक्ष जो इस दुनिया को बचा सकते हो , ''अंधेरों से''

    आखिर त्रयक्ष हैं कौन ? और क्या है उसका मकसद जिसके चलते वह रोशनी का रक्षक बनने के लिए भी तैयार है l

    और पार्थ ने ऐसा क्यों कहा कि इस दुनिया को अब त्रयक्ष ही बचा सकता है, ऐसा भी क्या होने वाला है ?

    To be continue ✍️

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  • 11. War of the dark world - Chapter 11

    Words: 1492

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब तक

    तनिका त्रयक्ष के केबिन में फाइल लेकर जाती है, त्रयक्ष उसका CEO निकलता है। त्रयक्ष, तनिका को कॉन्फिडेंट होने की सलाह देता है।

    रात में, त्रयक्ष एक दानव को मारता है और पार्थ से कहता है कि वह अपने मकसद के लिए 'रोशनी का रक्षक' भी बन सकता है। पार्थ कहता है कि त्रयक्ष ही दुनिया को बचा सकता है।

    Now Next

    --------

    अगली सुबह महल में,

    अभी सुबह के पाँच बजे थे और तनिका महल के पीछे वाले बगीचे में थी। उसके हाथ में एक छोटा-सा पौधा था, जिसे वह बड़ी नर्मी से मिट्टी में दबा रही थी। इस वक़्त उसके दुपट्टे ने उसके खूबसूरत चेहरे को ढका नहीं था। लंबे, घने बाल खुले हुए थे—कुछ बाल उसके चेहरे को हल्के-हल्के छू रहे थे, तो कुछ हवा में लहराते हुए सुबह की नमी को सोख रहे थे।

    उसकी आँखों में एक अजीब-सी शांति थी, जैसे यह पल किसी और ही दुनिया का हो। वो अपने काम में पूरी तरह मगन थी।

    इसी वक़्त, महल के आगे वाले बगीचे में त्रयक्ष खड़ा था। उसकी निगाहें उगते सूरज पर थीं। दूर से देखने पर उसका चेहरा शांत लगता, पर आँखों के भीतर उफनते समंदर को कोई नहीं देख पा रहा था।

    सुबह की सुनहरी किरणें उसके चेहरे पर पड़ीं, और उसी क्षण—

    कानों में एक औरत की आवाज़ गूँजी।

    "यक्ष… कहाँ जा रहे हो बेटा? रुक जाओ… ऐसे मत भागो… लग जाएगी!"

    उसका दिल अचानक तेज़ धड़कने लगा। पलकों के सामने एक पुराना, बहुत पुराना दृश्य उभर आया—

    एक नन्हा बच्चा, हँसते-हँसते दौड़ता हुआ…

    फिर अचानक गिर जाना...

    और फिर—वही मासूम बच्चे की रोने की आवाज़।

    उस औरत की आवाज़ फिर सुनाई दी, इस बार डाँट और ममता के मिले-जुले सुर में—

    "बोला था ना लग जाएगी… पर तुम सुनते कहाँ हो मेरी… अब लग गई ना!"

    वो बच्चे को अपनी गोद में उठाती है, माथे पर हाथ फेरकर उसके आँसू पोंछती है… और फिर..

    अचानक दृश्य बदल जाता है। हवा का रंग बदल जाता है।

    अब हँसी और ममता की जगह अब दर्द की चीखें थी अब वही औरत और एक आदमी…लेकिन उनके चेहरे पर दर्द और तकलीफ़ की परछाइयाँ। दोनों की दर्द से भरी चीखें हवा में गूँज रही थी। चीखों में इतना दर्द था कि लगता था, जैसे कोई पल भर में पूरी दुनिया उजाड़ रहा हो…

    त्रयक्ष को ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसका सीना भीतर से मरोड़ दिया हो।

    वो झटके से पलकें झपकाता है—और सब गायब।

    सिर्फ सामने उगता सूरज है…

    और उसके भीतर, एक पुराना ज़ख्म, फिर से ताज़ा हो चुका था।

    तनिका ने मिट्टी में पौधे को दबाकर अपने हाथ झाड़े और नज़रें ऊपर उठाईं। दूर, बगीचे के उस पार, उसने त्रयक्ष को देखा।

    वो अजीब-सा खोया हुआ खड़ा था—जैसे किसी और दुनिया में चला गया हो।

    तनिका की भौंहें हल्की-सी सिकुड़ गईं।

    उसने उसे कुछ क्षण और देखा—उसकी आँखों में जैसे कोई गहरा, अनकहा दर्द था।

    वो समझ नहीं पाई कि क्यों, लेकिन उसके मन में एक हल्की-सी चिंता की लहर दौड़ गई। पर तनिका के मन में अब एक सवाल ठहर चुका था—

    "आख़िर उसकी आँखों में ऐसा कौन-सा दर्द छुपा है…?"

    पल भर बाद, त्रयक्ष ने जैसे खुद को संभाला और महल की ओर बढ़ गया। पर अचानक ही उसके कदम रुक गए और उसकी नज़र भी दूर खड़ी तनिका पर चली गई थी, जो त्रयक्ष के बारे में मैं ही सोच रही थी। और वो अब एक साइड फेस कर खड़ी थी जिस वजह से त्रयक्ष को उसका चेहरा ठीक से नज़र नहीं आ रहा था।

    उसके बाल अब भी हवा में लहराते हुए उसके चेहरे को छू रहे थे और सुबह की खिलती सूरज की किरणों में वो बहुत हसीन लग रही थी त्रयक्ष उसको ठीक से देख नहीं पा रहा था पर वो इतना तो समझ चुका था कि वो बहुत खुबसूरत है त्रयक्ष के दिल में उसको देख अलग ही हलचल हो रही थी और वो उसी हलचल के चलते वो शायद उसकी तरफ़ बढ़ जाता,पर अपने पीछे से किसी की आवाज सुन वो रुक गया ।

    "बॉस…"

    त्रयक्ष ने पलटकर देखा—ऋषि खड़ा था।

    "तुम इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहे हो?"

    "बॉस, आपके दादाजी का कॉल आया था।"

    त्रयक्ष ने भौंह उठाई।

    ऋषि ने जल्दी से कहा, "शायद आप कॉल पिक नहीं कर रहे थे, तो उन्होंने मुझे कॉल किया।"

    त्रयक्ष "क्यों?"

    ऋषि "वो आपसे urgent मिलना चाहते हैं… और…" वो रुक गया।

    त्रयक्ष "और क्या ?"

    ऋषि ने डरते हुए ही कहा ''वो,"अगर आप नहीं गए तो… वो राणावत इंडस्ट्रीज़ आ जाएँगे। और आप जानते हैं फिर क्या हो…"

    त्रयक्ष ने उसको घूरा के देखा ।

    ऋषि हड़बड़ा गया, "बॉस, मैंने नहीं कहा… दादाजी ने कहा! मैं तो बस मेसेज पहुँचा रहा हूँ।"

    त्रयक्ष ठंडे स्वर में, "ठीक है। बोल दो, मैं मिल लूँगा। उन्हें आने की ज़रूरत नहीं।"

    "ओके बॉस," ऋषि ने राहत की साँस ली और चला गया।

    त्रयक्ष ने फिर तनिका की तरफ़ देखा
    पर वो अब वहाँ नहीं थी।
    उसने गहरी साँस ली… और महल के अंदर चला गया।

    राणावत इंडस्ट्रीज़,

    तनिका, अमन के साथ, त्रयक्ष के केबिन में खड़ी थी।

    त्रयक्ष, अपनी हेड चेयर पर बैठा, एक फाइल पलटते हुए बोला—

    "अमन, तुमसे जो कहा था… किया?"

    अमन, उलझकर, "क्या बॉस? आपने क्या कहा था? आप दिन भर में हज़ारों काम बोलते हैं, अभी कौन से काम की बात..."

    उसके शब्द अधूरे रह गए, क्योंकि त्रयक्ष की गुस्से भरी आवाज़ गूँज उठी—

    "अमन!"

    अमन घबरा गया।

    "याद आ गया, बॉस! मैं अभी वो काम पूरा करता हूँ!"

    ये कहते ही वह तेज़ी से केबिन से बाहर निकल गया।

    और वही तनिका जो कब से अमन के पीछे खड़ी थी अमन को ऐसे जाते देख उसको समझ में नहीं आया कि अब वो क्या करे ऊपर से उसे डर भी लग रहा था त्रयक्ष से क्यू की अभी अभी उसने अमन को डांट भी लगाई थी।

    तनिका ने डरते हुए ही धीरे से कहा,

    "वो… सर…"

    त्रयक्ष ने फाइल से नज़र उठाई। उसकी गहरी, सख़्त नज़र सीधे तनिका पर पड़ी।

    त्रयक्ष "हाँ बोलो ?"

    तनिका ने पल भर सोचा क्या ये इंसान थोडा सॉफ्ट बिहेव नहीं कर सकता जब देखो तब बस गुस्से में ही रहता है ।

    और फिर अचानक से उसके आँखों के समाने आज सुबह का सीन आ गया जब त्रयक्ष कहीं खोया हुआ था और उसके चेहरे पर दर्द की लकीर खिंची हुई थी जो वो समझ नहीं पाई थी।, वो अभी ये सोच ही रही थी कि त्रयक्ष की आवाज़ सुन वो अपने होश में वापस आई।

    त्रयक्ष "अगर सोच लिया है तो आगे भी बोलो मेरे पास इतना वक़्त नहीं है, तुम्हारी बातें सुनने के लिए !"

    तनिका त्रयक्ष से घबराते हुई बोली वो मैं… अमन सर के साथ रिपोर्ट देने आई थी।"

    त्रयक्ष "तो?"

    तनिका "तो… वो चले गए।" उसकी आवाज़ में हल्की घबराहट थी।

    त्रयक्ष ने कुर्सी पर सीधा बैठते हुए फाइल बंद की।

    "मतलब, अब तुम यहाँ खड़ी हो… और तुम्हें नहीं पता कि क्या करना है?"

    तनिका ने होंठ भींच लिए।

    "जी… नहीं।"

    त्रयक्ष ने हल्का-सा सिर झुकाकर कहा,

    "फिर पता कर लो।"

    उसके लहजे में न चिल्लाहट थी, न नरमी—बस एक ठंडापन, जो तनिका के रोंगटे खड़े करने के लिए काफी था।

    तनिका "क्या पता करु सर''? उसने काफ़ी मासूमियत से कहा कि उसकी बात पर त्रयक्ष कुछ कह ही नहीं सका, त्रयक्ष को पता नहीं क्यों पर तनिका के पास होने पर एक अलग सी फीलिंग आती थी एक अलग सा कनेक्शन फील होता था पर जो समझ नहीं पता था या फिर ये बोले कि वो समझना नहीं चाहता था ।

    त्रयक्ष ने तनिका को देखा जो अपना सिर झुकाए खड़ी थी और घबराहट कि वजह से अपने हाथों को एक दूसरे में उलझा रही थी त्रयक्ष ने उसकी तरफ फाइल बढ़ते हुई कहा "ये फाइल लो और इसे पूरा करो"।

    तनिका ने आगे बढ कर त्रयक्ष से फाइल ली और उसे देखने लगी तभी त्रयक्ष ने कुछ सोच उसकी तरफ एक और फाइल बढ़ दी और बोला "इस प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन तुम दोगी तुम्हारे पास आज का दिन है इसकी तैयारी के लिए तो अच्छे से तैयारी करना, मुझे कोई भी गड़बड़ी नहीं चाहिए"।, नहीं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा''।

    बोल उसको जाने का इशारा किया ।

    तो वही तनिका अपनी आँखें फ़ड़े त्रयक्ष को हैरान हुए देख रही थी एक तो त्रयक्ष ने उसको इतना बड़ा काम दे दिया और साथ में धमकी भी, कि वो इस प्रोजेक्ट को लेकर कोई भी गड़बड़ ना करे, एक तरफ वह खुश भी थी कि त्रयक्ष ने उसे इतनी अच्छी opportunity दि हैं, तो एक तरफ वो डर रही थी त्रयक्ष से, उसकी तो हालत खराब हो गई थी उसकी धमकी सुनकर

    त्रयक्ष उसको अभी भी खड़ा देख बोला "क्या हुआ कोई समस्या है तुम्हें !'' तनिका जल्दी से ना में सर हिला बोली ''नहीं सर कोई समस्या नहीं है'' बोल वो त्रयक्ष के टेबल से फाइल उठा उसके केबिन से निकल गई ।

    To be continue ✍️

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  • 12. War of the dark world - Chapter 12

    Words: 1537

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब तक,

    तनिका त्रयक्ष के केबिन में जाती है, त्रयक्ष उसका CEO निकलता है और उसे कॉन्फिडेंट होने की सलाह देता है। रात में, त्रयक्ष एक दानव को मारता है और पार्थ से कहता है कि वह अपने मकसद को पूरा करने के लिए 'रोशनी का रक्षक' बने को भी तैयार है। पार्थ कहता है कि त्रयक्ष ही दुनिया को बचा सकता है।

    अगली सुबह तनिका बगीचे में पौधा लगा रही थी और त्रयक्ष उगते सूरज को देख रहा था, तभी उसे एक पुराने दृश्य की याद आती है जिससे उसका ज़ख्म ताज़ा हो जाता है। तनिका उसे खोया हुआ देखती है। ऋषि आकर बताता है कि त्रयक्ष के दादाजी उससे मिलना चाहते हैं। बाद में, त्रयक्ष, तनिका को एक प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन देने के लिए कहता है।

    Now Next

    राणावत इंडस्ट्रीज में,

    त्रयक्ष अपने केबिन से बहार निकला ही था कि उसके सामने अमन और ऋषि आकर खड़े हो गए त्रयक्ष ने दोनो को देख अपनी आइब्रो सिकुड़ ली ।

    त्रयक्ष ठंडे भाव से कहा "तुम दोनो यहाँ क्या कर रहे हो" ?

    ऋषि "बॉस आपने जो कहा था वो हो गया'',और मैंने दादा जी से बोल दिया है कि आप उनसे मिलने के लिए आज शाम को जा रहे हैं'',।

    त्रयक्ष "ठीक हैं'', और फिर अमन की तरफ देखा जैसे कह रहा हो तुम क्या कहना चाहते हो, अमन उसके देखने का मतलब समझ के बोला "बॉस'', ''मुझे ये पूछना था कि क्या आप सच में तनिका को मिस्टर ओबेरॉय का प्रोजेक्ट हैंडल करने के लिए दे रहे हैं'',क्या आप सच में चाहते हैं कि तनिका इस प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन दे आपको पता है ना वो अभी न्यू है उसका इतने बड़े प्रोजेक्ट को हैंडल करना सही होगा''।

    त्रयक्ष ने अमन की आँखों में सीधे देखा, उसकी निगाहों में वो कठोरता थी जो किसी को भी असहज कर दे।

    त्रयक्ष बिना भाव बदले कहा "हाँ, मैंने ही कहा है। और जब मैंने कहा है तो मतलब सोच समझकर ही कहा है।"

    अमन ने थोड़ा घबराकर कहा "लेकिन बॉस, अगर उसने प्रेजेंटेशन बिगाड़ दिया तो…?"

    त्रयक्ष आँखें सिकोड़ते हुए, बेहद ठंडे स्वर में बोला "तो उसकी गलती होगी। और अगर उसने सही किया… तो ये उसकी जीत होगी।"

    ऋषि त्रयक्ष की बात से थोड़ा चौंक गया, उसे यकिन नहीं हो रहा था कि त्रयक्ष इतनी जल्दी किसी पर भरोसा कर रहा हैं,। पर अभी तक उसने भी तनिका को जितना समझा है वो सच में काफ़ी टैलेंटेड थी और शायद ये बात त्रयक्ष ने भी नोटिस किया था इसलिए तो वह इतने बड़े प्रोजेक्ट को लेकर उसपर भरोसा कर रहा था ।

    त्रयक्ष थोड़ा रुककर, धीमी आवाज़ में आगे बोला "कभी-कभी लोगों को उनके काबिलियत परखने का मौका देना पड़ता है… और मैंने बस उसे वो मौका दिया है अब वो उस पर है कि वो इस मौके को कैसे इस्तेमाल करती है।"

    अमन उसकी बात सुनकर चुप हो गया, लेकिन उसकी आँखों में अब भी डर और घबराहट था उसे तनिका पर भरोसा तो हो गया था क्योंकि उसने उसका काम देखा था वो काफी dedication के साथ काम करती थी, जो इम्प्रेसिव होता था, पर मिस्टर ओबेरॉय और त्रयक्ष को इंप्रेस करना इतना भी आसान नहीं था।

    त्रयक्ष ने अपनी घड़ी देखी और कहा "अब बहस का समय नहीं है। ऋषि क्या मिस्टर मेहरा आ चुके हैं ?

    ऋषि "हां बॉस, वो कॉन्फ्रेंस रूम में आपका ही इंतजार कर रहे हैं।

    त्रयक्ष ने हा में अपना सिर हिलाया और आगे को बढ़ा गया एक दो कदम चल वो रुका और बिना पीछे मुड़े ही बोला ''और हाँ… उस लड़की को कोई डिस्टर्ब न करे।"

    उसकी आवाज़ में ऐसा आदेश था, जिससे दोनों को समझ आ गया कि आगे कोई सवाल नहीं करना चाहिए। वैसे भी ये त्रयक्ष का फैसला था जो कोई भी बदल नहीं सकता हैं।

    अमन को अभी भी टेंशन में देख ऋषि बोला "ये तूने इतनी सड़ी हुई शकल क्यों बना रखी है, अब क्या हो गया है।

    अमन "मुझे तनिका की फ़िक्र हो रही है", तू तो जानता है ना बॉस का गुस्सा अगर उसने कुछ गड़बड़ कर दिया तो बॉस उसे कंपनी से निकालने में एक पल की भी देर नहीं करेंगे ।

    ऋषि ''यार अमन'' ''तू इतना टेंशन क्यों ले रहा है ये बॉस का फैसला है unhone कुछ सोच समझकर ही फैसला लिया होगा, तू फ़िक्र मत कर तनिका सब संभल लेगी क्या तुझे उसपर भरोसा नहीं है।,

    अमन "ऐसा नहीं है, की मुझे उसपर भरोसा नहीं है, बस वो अभी नई हैं और उसे त्रयक्ष सर के गुस्से के बारे में भी ठीक से पता नहीं है, तो थोड़ी फ़िक्र हो रही है

    ऋषि ''फ़िक्र मत कर, ''अभी तक मैं उससे एक ही बार मिला हूं उसने जिस तरह से हमारी गैर मौजुदगी में मिस्टर शुक्ला के साथ डील किया है वो काफी इम्प्रेसिव रहा है तू भी तो ये बात जानता है।

    अमन भी ऋषि की बात सुन कुछ देर सोच बोला “हा तू सही बोल रहा है मुझे इतनी फ़िक्र नहीं करनी चाहिए।

    ऋषि "अब अगर तुझे बात समझ आ गई है तो अब चल इस पहले कि बॉस गुस्से हो जाए।"

    अमन डर से बोला ''हां हां चल नहीं तो बॉस आग का गोला बनकर हम पर बरस पड़ेंगे''। बोल तेज कदमो से कॉन्फ्रेंस रुम कि तरफ बढ़ गया। ऋषि ने उसकी हरकत पर अपना सर पकड़ा लिया और फिर वो भी उसके पीछे चल दिया।

    इधर दूसरी तरफ़ कॉन्फ्रेंस रूम में,

    त्रयक्ष मिस्टर मेहरा के साथ अपनी मीटिंग ख़तम करता है, और ऋषि को डील साइन करवाने का बोल अमन से साथ कॉन्फ्रेंस रूम से बाहर निकल जाता है त्रयक्ष चलते हुए ही बोला "कार निकालो" !

    अमन कन्फ्यूज्ड होकर बोला "क्यू बॉस आपकी तो आज बाहर कोई भी मीटिंग नहीं है फिर कार क्यों निकालना" ?

    त्रयक्ष दांत पिस्ते हुए "अमन जितना कहा है उतना करो ! ''त्रयक्ष ने उसे अपनी तिखी आँखों से घूरा तो,

    अमन घबराते हुए "जी जी बॉस' बोल वहा से भाग निकला ।

    त्रयक्ष ने अपने कदम आगे को बढ़ा दिये वो कंपनी से बाहर निकल ही रहा था कि उसकी नज़र इरा पर पड़ी, जो एक ऑफिस के कर्मचारी से बात कर रही थी।

    उसकी आँखों में एक अजीब-सा भाव चमका—ना पहचान का, ना पसंदगी का, ना नापसंदगी का, पर कुछ तो ऐसा था जो वह खुद भी समझ नहीं पाया। बिना कुछ कहे, उसने नज़र फेर ली और बाहर निकल गया, पर उसके दिमाग में कुछ जरूर चल रहा था।

    बाहर जाते-जाते, इरा ने भी तिरछी नज़र से उसे देखा। उसके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी—एक ऐसी मुस्कान जो मासूमियत से ज़्यादा रहस्य को बयां कर रही थी।

    उस मुस्कान में कुछ तो छुपा था, कुछ ऐसा जो किसी को तुरंत समझ नहीं आ सकता था।

    त्रयक्ष के जाने के बाद भी इरा की निगाहें उसी दरवाज़े पर टिकी रहीं। उसके दिमाग़ में जैसे कोई योजना चल रही हो—एक ऐसी योजना, जो आने वाले समय में सबके सामने खुलने वाली थी।

    तभी वो कर्मचारी इरा को एंट्रेंस की तरफ देखता देख बोला "इरा क्या हुआ ? वहां क्या देख रही हो !"

    इरा ने तुरंत अपनी अभिव्यक्ति को बदला और उस कर्मचारी की तरफ एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए कहा "कुछ नहीं।"

    इधर त्रयक्ष की कार में,

    वो पीछे की सीट पर पीठ टका कर बैठा था, आँखें बंद। लेकिन उसकी बंद आँखों के भीतर कोई अजीब सी तस्वीर बार-बार उभर रही थी।

    एक लड़की... घूँघट में ढकी हुई।

    चारों तरफ भीड़ का शोर, धक्का-मुक्की और अफरातफरी। लड़की की चाल, उसका काँपना, उसकी बेचैनी साफ बयां कर रही थी कि वो डरी हुई है... किसी से बचकर भाग रही है।

    वो भीड़ को चीरते हुए बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रही थी। आखिरकार, ज़ोर लगाकर जैसे ही उसने भीड़ से बाहर कदम रखा कि एक तेज़ धक्का लगा और उसका संतुलन बिगड़ गया। वो गिरने ही वाली थी कि पीछे से किसी ने उसके बाएँ हाथ को पकड़ लिया।

    लड़की गिरते-गिरते बची, उसने खुद को सँभाल लिया। लेकिन उस अजनबी की पकड़ उसके हाथ पर अब भी मज़बूत थी। घूँघट के नीचे चेहरा छुपाए वो लड़की, अपने हाथ पर बंधी उस पकड़ को महसूस कर रही थी। उसने पलटकर अपने हाथ की तरफ देखा तो

    उसके हाथ को पकड़े खड़ा लड़का उसे बिना पलक झपकाए देख रहा था। लड़की ने झटके से हाथ छुड़ाने की कोशिश की, पर पकड़ ढीली न हुई। तभी लड़के की नज़र उसके चेहरे से हटकर उसके हाथ पर पड़ी...

    और उसकी साँस थम गई।

    उस हाथ पर वही निशान था—जिसकी तलाश में वो न जाने कब से भटक रहा था।

    वो यक़ीन और हैरत में डूबकर उसी निशान को घूरता रह गया।

    उधर लड़की ने झटके से अपना हाथ खींचा और तेजी से भीड़ में गुम हो गई। लड़का वहीं ठिठक कर रह गया, बस उसे जाते हुए देखता रहा। वो कुछ पल में होश में आया और आपने कदम आगे बढ़ाने ही वाला था कि अचानक से,

    उसकी पीठ पर किसी का हाथ पड़ा।

    एक भारी, गूंजती हुई आवाज़ आई,

    “त्रयक्ष…”

    उसी पल कार झटके से रुक गई।

    सामने एक विशाल महल जैसा घर खड़ा था।

    ड्राइवर सीट पर बैठे अमन ने पलटकर कहा “बॉस, हम पहुँच गए।”

    त्रयक्ष ने झट से अपनी आँखें खोल दीं,

    To be continue ✍️

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  • 13. War of the dark world - Chapter 13

    Words: 845

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब तक,

    अगली सुबह तनिका बगीचे में पौधा लगा रही थी और त्रयक्ष उगते सूरज को देख रहा था, तभी उसे एक पुराने दृश्य की याद आती है जिससे उसका ज़ख्म ताज़ा हो जाता है। तनिका उसे खोया हुआ देखती है। ऋषि आकर बताता है कि त्रयक्ष के दादाजी उससे मिलना चाहते हैं। बाद में, त्रयक्ष, तनिका को एक प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन देने के लिए कहता है।

    राणावत इंडस्ट्रीज में त्रयक्ष, अमन और ऋषि से बात करता है। वह तनिका को मिस्टर ओबेरॉय का प्रोजेक्ट हैंडल करने के लिए देता है और कहता है कि यह उसका फैसला है। फिर वह मिस्टर मेहरा से मिलता है और इरा को देखता है। कार में, उसे एक पुराने दृश्य की याद आती है। वह अपने दादाजी के घर पहुँचता है।

    Now Next

    त्रयक्ष ने झट से अपनी आँखें खोल दीं,

    महल के ऊँचे फाटक अपने-आप खुल गए और कार भीतर जाने लगी। कार के शीशे से बाहर महल नज़र आ रहा था, मगर त्रयक्ष की आँखों में अब भी वही पल घूम रहा था।

    उसके दिमाग में वही पल दोहराता जा रहा था—भीड़, घूँघट, और वो निशान।

    धीरे-धीरे उसके होंठ खुले और गहरी, भारी आवाज़ कार के सन्नाटे में गूँज उठी,

    “हर भीड़ में ढूँढा है तुम्हें'',“हर परछाईं में तलाशा है…” “और आज… तुम सामने हो।”

    उसकी साँस गहरी हुई, आवाज़ और भी ठंडी।

    “वो निशान… मेरी तक़दीर की मुहर है।”,“तुम मेरी तलाश नहीं… मेरी कसौटी हो।”,

    फिर अपनी आँखें वापस से बंद कर आगे बोला,

    “उस निशान को खोजने में मैंने सालो बिताये … और आज वह मेरी मुट्ठी से होकर गुज़रा है।”,

    “भाग्य ने अपनी चाबी दिखा दी है… अब दरवाज़ा खुलना बाकी है।”

    उसके होंठों पर एक ठंडी, ख़तरनाक मुस्कान उभरी। उसकी उँगलियाँ मुट्ठी में भींच गईं।

    “भाग सकती हो… पर बच नहीं सकती।”

    “अब खेल शुरू हो चुका है… और अंत सिर्फ़ मेरी शर्तों पर लिखा जाएगा।”

    उसने आँखें खोलीं।

    महल का साया शीशे से झलक रहा था, मगर उसकी नज़रें अब भी कहीं और अटकी थीं—उस लड़की पर, जिसने उसके मक़सद को आकार दे दिया था।

    उसकी उँगलियाँ धीरे-धीरे सीट की आर्मरेस्ट पर थाप देने लगीं, मानो कोई धुन हो… मौत की।

    थोड़ी ही देर में कार महल के बड़े से दरवाज़े के पास जा रुकी

    अमन ने झटके से ब्रेक लगाया।
    कार रुकते ही दरवाज़ा खोला गया, और बाहर खड़े नौकर झुककर आदर से खड़े हो गए।

    त्रयक्ष ने बिना किसी भाव के बाहर कदम रखा। उसकी चाल में वही सख़्ती थी, मगर आँखों के पीछे अब भी उस निशान की परछाईं चमक रही थी।

    महल की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उसकी नज़रें पुरे महल को देख रही थी और उसके चेहरे पर एक evil smile थी

    अमन और ऋषि उसके पीछे-पीछे चलते हुए नज़रें मिला तक नहीं पाए।
    दोनो जानते थे, जब त्रयक्ष यूँ चुपचाप मुस्कुराता है… तो कोई बड़ी चाल चलने वाला होता है।

    भीतर से एक सेवक दौड़कर आया और झुकते हुए बोला—
    “बड़े मलिक आपका इंतज़ार कर रहे हैं।”

    त्रयक्ष ने बिना कुछ कहे आगे को बढ़ गया , महल के भीतर भारी झूमरों की रोशनी फैली हुई थी। संगमरमर की फर्श पर त्रयक्ष के कदमों की आवाज़ गूँज रही थी।
    वो बड़े से हॉल से होते हुए एक लंबे गलियारे को पार करता हुआ एक बड़े से कमरे में पहुँचा, जहाँ उसके दादाजी, राजवीर राणावत, विराजमान थे।

    सफ़ेद बाल, कठोर निगाहें और चेहरे पर जीवनभर के अनुभवों की रेखाएँ साफ नजर आ रही थी उसका चेहरा भी गंभीर और सख्त था ।

    राजवीर अब भी वैसा ही दबदबा रखते थे जैसा सालो पहले रखा करते थे।

    त्रयक्ष ने भीतर प्रवेश किया।
    राजवीर ने अपनी छड़ी ज़मीन पर टिका कर कहा, “आ ही गया तुम”। मुझे तो लगा इस बार भी तुम नहीं आने वाले !

    त्रयक्ष ने उनकी आँखों में आँखें डाले हुए कहा , “आपने बुलाया था… और मैं आ गया।” पर उसकी आँखों में वही कठोरता और सख्त थी।

    राजवीर ने उसकी तरफ़ लंबे समय तक देखा।
    “तेरी आँखों में वही आग है… लेकिन वो आग तुझे जला भी सकती है, त्रयक्ष।”

    त्रयक्ष हल्का-सा मुस्कुराया, पर उस मुस्कान में कोई नर्मी नहीं थी।
    “आग अगर जलाए नहीं… तो रोशनी भी नहीं देती, दादाजी।”

    राजवीर ने साँस छोड़ी।

    एक पल के लिए त्रयक्ष का चेहरा कस गया।
    उसकी आँखों में दर्द की परछाईं चमकी, लेकिन अगले ही क्षण वो फिर सख़्त हो गया।

    “मैं वही करूँगा… जो मेरा भाग्य कहता है।
    और आज… भाग्य ने अपनी निशानी मुझे दिखा दी है।”

    राजवीर की भौंहें तन गईं।
    “निशानी? किसकी?”

    त्रयक्ष ने हल्का सा सिर झुकाया, मानो राज़ खोलने से इंकार कर रहा हो।
    “जब समय आएगा… आप सबसे पहले जानेंगे।”

    उसकी आवाज़ धीमी और खतरनाक थी।
    कक्ष का सन्नाटा और भारी हो गया।

    राजवीर ने आँखें बंद कर लीं, मानो अंदर ही अंदर किसी अज्ञात भय से जूझ रहे हों।
    “त्रयक्ष… तेरे रास्ते पर सिर्फ़ अंधेरा है।”

    त्रयक्ष ने दृढ़ स्वर में उत्तर दिया—
    “कभी-कभी… अंधेरे में ही रोशनी की चाबी छुपी होती है।”

    यह कहकर उसने पलटकर दरवाज़े की ओर कदम बढ़ाए।
    उसकी परछाईं झूमर की रोशनी में और भी लंबी और गहरी लग रही थी—मानो कोई काली परछाईं महल की दीवारों से चिपक गई हो।