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अन्य को अभी-अभी पता चला कि तीन लोगों ने उत्तर कोरिया में घुसपैठ की है और ये तीनों ही भारत से आए हैं। अन्य को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह कोई मामूली घटना नहीं होगी और साथ में कोई और दो लोग भी इस बारे में शामिल होंगे, जिनके बारे में वे फिलहाल अनजान थे। आन्या आगे आई और उसने राइट हैंड वुमन से कहा, “मैं जानती हूँ ये कौन हैं और यहाँ क्यों आए हैं?” यह कहकर उसने अपने हाथ की ओर देखा और उसे मुख्य सबूत मानते हुए बोली, “जिस लड़के के पास इस वक्त सुदर्शन चक्र है, वह बहुत होशियार है। उसने ज़रूर आने से पहले मेरे कपड़ों में ट्रैकर लगा दिया होगा। मुझे शक तो ज़रूर था और मैंने अपने कपड़ों की जाँच भी की थी, लेकिन मुझे ट्रैकर नहीं मिला। मुझे आने की जल्दी थी, इसलिए मैं अपने कपड़े भी नहीं बदल पाई और यहाँ आकर मैंने पहली बार अपने कपड़े बदले। इस वजह से ज़रूर उसके पास हमारे अंतिम स्थान की जानकारी होगी और वह मुझे पकड़ने यहाँ आया होगा।” सिक्योरिटी एडवाइज़र, सेम, अभी-अभी आए आन्या से पूछा, “तुमने उसके दो सैनिकों को यहीं आस-पास देखा है, न?” उसने घुसपैठ करने वालों को सैनिक कहकर पुकारा क्योंकि उसके लिए वे सैनिक ही थे, कुछ और नहीं, और वे भारतीय सैनिक कहलाएँगे। सामने के सैनिक ने सिर हिलाया, “हाँ, और उन्हें पकड़ने के लिए हमारे कुछ लोग गए भी थे, मगर वे उससे पहले ही फरार हो गए थे। इसमें एक लड़की है और एक मोटा-सा लड़का, और दोनों ने यहाँ के कोरियाई लोगों का रूप धारण कर रखा है।” आन्या थोड़ा सा याद करते हुए बोली, “वह मोटा-सा लड़का तो ज़रूर शंभू होगा, मगर उस लड़की के बारे में मैं नहीं जानती हूँ, जबकि एक और शख्स भी इस मामले में शामिल है। अगर उन्हें यहाँ के मेरे ठिकाने के बारे में पता है और वे यहाँ तक आ चुके हैं, तो ज़रूर वह शख्स भी इस वक्त इस होटल में ही कहीं होगा। वह होशियार है; इतना होशियार है कि आपकी नाक के नीचे से कोई भी चीज़ चुरा कर ले जाए और आपको पता भी न चले।” सिक्योरिटी एडवाइज़र, सेम, आन्या की ओर मुड़ा और अपने चेहरे पर एक तेज मुस्कान देते हुए बोला, “तुम्हें पता है ना मेरा नाम क्या है? मुझे सेम कहते हैं। किसी की इतनी औकात नहीं है कि मेरे होते हुए वह इस होटल में लहू भी बिना मेरी अनुमति के बहा सके। तुम उस लड़के की कुछ ज़्यादा ही तारीफ़ कर रही हो। यहाँ आने के लिए तीन स्तर की सुरक्षा को पार करना पड़ता है, जिसमें सबसे पहले पहचान पत्र देखा जाता है, फिर एक ख़ास अनुमति पत्र होता है, जिसे मैं ही लिखकर देता हूँ; इसके बाद उसे अपना चेहरा पहचान प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। यहाँ सिर्फ़ मेरे ही सैनिक हैं; बाहरी लोगों को तो मैं आने ही नहीं देता, और मेरे सैनिकों को भी इसी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।” आन्या कुछ नहीं बोली। वहीँ, नंबर दूर खड़ा था, और उसे अब इस बात की चिंता हो रही थी कि कहीं ऐसे ही लोगों ने पता लगाने की कोशिश की है कि क्या यहाँ सभी के पास इस तरह का पहचान सत्यापन कार्ड है या फिर जो वह कह रहा है वह है या नहीं, तो वह मुसीबत में पड़ जाएगा। अचानक सिक्योरिटी एडवाइज़र, सेम, पूरे कमरे की ओर देखा और सभी सैनिकों से कहा, “आप सबके पास अपना अनुमति पत्र है या नहीं?” सारे सैनिक एक साथ बोले, “यस सर, हमारे पास आपका दिया हुआ अनुमति पत्र है और हम उसे अपने पास ही रखे हुए हैं।” सेम एक सैनिक के पास गया और फिर उससे कहा, “चलो, दिखाओ मुझे, क्योंकि मेरे सुरक्षा पत्र में मेरा अनुमति कोड और मेरे हस्ताक्षर हैं। उस अनुमति कोड में मैंने अपनी गुप्त भाषा में लिखा है कि उसे अंदर आने की अनुमति है, ताकि अगर कोई कॉपी करने की कोशिश भी करे, तब भी वह ना कर पाए।” अभी नंबर ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और वह हल्की-गहरी साँस लेने लगा था, क्योंकि अब उसे अपने दिमाग पर ज़ोर लगाकर उसे अनुमति पत्र की कॉपी तैयार करनी थी। हालाँकि नंबर इस मामले में भाग्यशाली था क्योंकि उसे सामने वाले के दिमाग के हिसाब से ही यादें तैयार करने का मौका मिलता था, या फिर यह कहा जाए कि उसके पास जो सुदर्शन चक्र था, वह जब भ्रम उत्पन्न करता था, तो वह सामने वाले की यादों का इस्तेमाल भी करता था। सेम सभी सैनिकों के पास आते हुए उनके अनुमति पत्र देखने लगा और ऐसा करते हुए नंबर के पास भी आ गया। नंबर ने बस अपना खाली हाथ आगे किया, जिससे सेम को लगा कि उसने अपने हाथ में सुरक्षा पत्र रखा है। सेम ने उसे एक नज़र देखा और फिर आगे चला गया; उसे शक नहीं हुआ था। विनम्र मान गया कि चक्र की शक्ति किसी भी मामले में काम आती है और इसके भ्रम उत्पन्न करने वाली शक्ति का वह काफ़ी बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल कर रहा था। सेम पूरे कमरे से गुज़र कर चला गया और फिर आन्या से बोला, “यहाँ पर सब मेरे भरोसेमंद हैं। खैर, अगर वह यहाँ आ गया है, तो हमारे लिए उसे पकड़ने का एक अच्छा मौका है। जब तक हम उसे नहीं पकड़ लेते, तब तक तुम इस होटल से नहीं जाओगी और न ही इस देश को छोड़कर जाओगी। उत्तर कोरिया में घुसपैठ करने वाले को कड़ी सज़ा दी जाती है। अगर उसने यहाँ घुसपैठ करने का काम किया है, तो उसे कड़ी सज़ा मिलेगी, और मैं उसे वह कड़ी सज़ा दूँगा; उसे ऐसी सज़ा दूँगा जिसे वह जीवन भर याद रखेगा; मैं उसके शरीर के निजी अंगों को उखाड़ डालूँगा।” सेम किस तरह की नृशंसता दिखाने वाला था, यह उसके बोलने के तरीके, उसके चेहरे के भाव और उसके गुस्से से ही पता चल रहा था। उसने जनरल से कहा, “क्या आप इसे लेकर मुझे अपनी पूरी शक्ति देते हैं? क्या उसे पकड़ने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ और उसे पकड़ने के बाद उसे कड़ी से कड़ी सज़ा भी दे सकता हूँ?” जनरल ने बिना किसी झिझक के सिर हिलाते हुए कहा, “बिलकुल। उसे भी तो पता चलना चाहिए कि उत्तर कोरिया की शक्ति क्या है। यहाँ आकर उसने बहुत बड़ी गलती की है और हम इसका एहसास उसे दिलाएँगे। कोई भी उत्तर कोरिया में अनुमति लेने के बाद भी आने से पहले हज़ार बार सोचता है, और वह तो बिना अनुमति के यहाँ आ गया है, वह भी घुसपैठ करके। अब अगर हम उसे इसकी सज़ा नहीं देंगे, तो फिर हम किसको सज़ा देंगे?” सेम ने प्रेसिडेंट की राइट हैंड वुमन की ओर देखा और बोला, “आपको तो इस बात से कोई ऐतराज नहीं है? मैं यह हमारे प्रेसिडेंट की शान के लिए ही कर रहा हूँ। इसे हमारे प्रेसिडेंट का नाम होगा और भारत को भी एक संदेश जाएगा कि वे भी हमारी ओर आँख दिखाकर न देखें, वरना हम उनकी भी आँखें निकाल देंगे।” विनम्र यह सब खेल रहा था। सेम की इस क्रूरता से उसका मन कर रहा था कि वह उसे अभी के अभी सुदर्शन चक्र की बिजली गिराकर ख़त्म कर दे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकता था। किसी भी हाल में उसे एक प्रमुख लक्ष्य नहीं बनना था, और जो भी काम उसे करना था, वह उसे चोरी-छुपे करना था। एक गुप्तचर होने की भी हज़ार मुश्किलें थीं, और विनम्र इस वक्त उन्हीं का सामना कर रहा था। सेम ने दरवाज़े की ओर देखा और वहाँ खड़े सैनिक से कहा, “इस दरवाज़े को बंद कर दो। अब इस दरवाज़े से न तो यहाँ से कोई सैनिक बाहर जाएगा और न ही कोई और सैनिक अंदर आएगा।” फिर वह यहाँ से बाकी सभी लोगों को लेकर चला गया, मगर सैनिकों को अंदर ही रहने के लिए कह दिया। इस वजह से नंबर और आन्या फँस गए थे। आन्या ने परेशानी से सोफ़े पर बैठते हुए कहा, “क्या मुसीबत है यार! लगता है मैं भी इस देश में आकर गलती ही की है, मगर क्या कर सकती हूँ? इससे अच्छा विकल्प मेरे पास और कोई नहीं था। अमेरिका और दूसरे देशों से भारत की पहले से ही दोस्ती है, और कज़ाख़स्तान जैसे देशों में रॉबर्ट जूनियर का कब्ज़ा है। अगर मैं रॉबर्ट जूनियर के पास या उससे जुड़े हुए किसी देश के पास जाती, तब भी नंबर मुझे पकड़ लेता। मेरे पास यही एकमात्र देश बचा था; इसके बाद कुछ अरब देश बचेंगे, जहाँ मुझे न तो पैसा मिलेगा और न ही वह हथियार जिससे मैं विनम्र को मजबूर कर सकूँ।” वह गहरी-गहरी साँस लेते हुए अपनी परेशानी को कम करने की कोशिश कर रही थी। वहीं, अभी नंबर के चेहरे पर भी परेशानी दिखाई दे रही थी। संयोगिता और शंभू किस हाल में होंगे, हालाँकि यह तो पता चल गया था कि वे फरार हो गए थे, और फरार होने के बाद उन्हें रेस्टोरेंट जाना था; मगर नंबर जब तक यहाँ से बाहर नहीं जा सकता, तब तक वह भी रेस्टोरेंट नहीं पहुँचने वाला था। दूसरी ओर, संयोगिता और शंभू दोनों ही बाज़ार में थे। उन दोनों ने एक और नकली पहचान पत्र निकालकर अपने पास रख लिया था, जो चेहरों के लिए उन्होंने अभी धारण कर रखा था। पूरा इलाका घेर लिया गया था। तकरीबन पाँच किलोमीटर के एरिया के अंदर किसी को भी बाहर जाने की अनुमति नहीं थी और न ही किसी और को अंदर जाने की अनुमति थी। जो सैनिक तैनात थे, उनकी संख्या बढ़ गई थी और अब वे यहाँ मौजूद लोगों की जाँच कर रहे थे। शंभू और संयोगिता भी इन सैनिकों की इस हलचल को देख रहे थे। आज से पहले उन्होंने कभी भी इस तरह की जाँच का सामना नहीं किया था क्योंकि इतनी मुश्किल हालातों में वे कभी नहीं थे। यह सच में ख़तरनाक था क्योंकि जो भी उत्तर कोरियाई सैनिक जाँच कर रहे थे, वे काफ़ी बेरहमी से जाँच कर रहे थे। लोग नीचे गिर रहे थे; उनके कपड़े फाड़कर उनके शरीर को देख रहे थे। यह ज्यादातर लड़कों के साथ हो रहा था; महिलाओं के साथ नहीं। चेहरे पर मास्क न लगा हो, इसके लिए चेहरे को भी स्कैन किया जा रहा था और उन्हें उखाड़ने की कोशिश की जा रही थी ताकि अगर किसी तरह का मास्क लगा हो तो वह उखाड़कर सामने आ जाए। इस बात ने संयोगिता और शंभू दोनों की मुसीबत बढ़ा दी थी क्योंकि अगर हालात ऐसे ही रहे और वे किसी सैनिक के हाथ में आ गए, तो उनके बचने की संभावना नहीं थी। बाज़ार में अफ़रा-तफ़री मची हुई थी और लोग घबराए हुए थे। शंभू ने संयोगिता से कहा, “हमें रेस्टोरेंट जाना है, लेकिन ऐसे हालातों में हम रेस्टोरेंट की तरफ़ भी नहीं जा पाएँगे। ये सैनिक काफ़ी बेहतरीन तरीके से सबकी जाँच कर रहे हैं और उन्हें लोगों से कोई लेना-देना नहीं है; वे यहाँ पर एक कठपुतली मात्र हैं; उनकी साँस भी इन लोगों की मर्ज़ी से चल रही है, ऐसा लग रहा है।” संयोगिता ने सबकी तरफ़ देखते हुए कहा, “हाँ, क्योंकि हम उत्तर कोरिया में हैं और यहाँ पर सेना का राज है, और सेना ऐसे ही राज करती है जब उनका राष्ट्रपति क्रूर हो।” शंभू ने पूछा, “अब हम अपनी जान कैसे बचाएँगे? क्योंकि हम इस तरह से तो पकड़े जाएँगे।” संयोगिता बोली, “इसके लिए हमारे पास बस एक ही रास्ता है: हमें किसी तरह से इन सैनिकों के वेश में आना होगा। यहाँ पर सबकी जाँच हो रही है, मगर सैनिकों की जाँच नहीं हो रही, क्योंकि सैनिक ही सबकी जाँच कर रहे हैं। अगर हमने किसी तरह से किसी सैनिक के वेश को धारण कर लिया, तब शायद हमारी जान बच जाए। इन सैनिकों में लड़कियाँ भी हैं जो लड़कियों की जाँच कर रही हैं, तो हमें बस किसी तरह से यही चीज़ हासिल करनी होगी।” संयोगिता ने अपनी तरफ़ से सही विचार दिया था, मगर शंभू यह सोच रहा था कि आखिर वह कैसे दो सैनिकों के वेश में आएगा, क्योंकि इसके लिए दो सैनिकों को पकड़कर उन्हें किसी गुप्त जगह पर ले जाना होगा और फिर बेहोश करके उनके कपड़े निकालने होंगे। अचानक संयोगिता एक तरफ़ जाना शुरू कर दिया। जिस तरफ़ वह जा रही थी, उस तरफ़ दो सैनिक पहरा दे रहे थे, जिसमें से एक लड़की थी और एक लड़का था। संयोगिता उनके पास गई और बोली, “मेरे पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा है। क्या मैं यहाँ पर दवा ले सकती हूँ?” वे दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे। तभी उस लड़की ने उसके पास आकर कहा, “क्या परेशानी है तुम्हें? तुम्हारे पेट में क्या हो रहा है?” संयोगिता धीरे से उस लड़की के कान के पास गई और बोली, “पीरियड्स प्रॉब्लम।” उस लड़की ने सिर हिलाया और फिर उसे अपने साथ ले गई। शंभू को समझ में नहीं आया कि वह क्या करने गई थी। शंभू उसके आने का इंतज़ार कर रहा था। आधा घंटा बीत गया था, मगर संयोगिता वापस नहीं आई। जो सिक्योरिटी चेक करने वाले लोग थे, वे अब धीरे-धीरे सभी लोगों को एक तरफ़ कर रहे थे। अब बस कुछ लोग बचे थे, जिसके बाद वे शंभू तक पहुँच जाएँगे, क्योंकि शंभू सबसे आखिर में खड़ा था और जो लोग उसके आगे थे, उनकी अब जाँच तेज़ी से होने लगी थी। शंभू के दिल की धड़कन बढ़ गई थी और उसे डर लगने लगा था, तभी अचानक किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। शंभू पलटा, तो उसके ठीक पीछे एक लड़की थी जो उसे गुस्से से देख रही थी। उस लड़की ने कहा, “क्या तुम एक घुसपैठिये हो? चलो, अपनी जाँच करवाओ।” जो भी सैनिक खड़े थे, उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और वे भी तेज़ी से और लोगों की जाँच करने लगे। वह लड़की शंभू के पास आई और उसके कपड़ों को देखने लगी। फिर उसने उसके चेहरे को इस तरह से देखा कि उसका चेहरा ढका रहे और धीरे से उसके कान के पास आकर बोली, “यह मैं हूँ, संयोगिता। मैंने उस लड़की को निपटा दिया है। मैंने उसे बेहोश कर दिया और उसके कपड़े पहनकर मैं आ गई हूँ। उसे मैंने बिना कपड़ों के छोड़ दिया है, इसलिए अगर वह जल्दी से बाहर निकलने की कोशिश भी करेगी, तब भी बाहर नहीं आ पाएगी क्योंकि उसके पास कपड़े नहीं होंगे।” संयोगिता की आवाज़ सुनकर शंभू को सुकून महसूस हुआ। संयोगिता ने उसकी ऊपर-ऊपर से जाँच की और फिर उसे एक तरफ़ जाने के लिए कह दिया, क्योंकि जो भी सैनिक किसी की जाँच कर रहे थे, वे उसे दूसरी तरफ़ जाने के लिए कह रहे थे और वहाँ पर कोई भी रोक नहीं रहा था। कुछ देर में शंभू दूसरी तरफ़ जाकर सुरक्षित लोगों के बीच में खड़ा हो गया, जो अपने-अपने कपड़ों को संभाल रहे थे क्योंकि उनके कपड़ों की ऐसी-तैसी हो गई थी। संयोगिता ने भी जाँच करते वक़्त शंभू के कुछ कपड़ों को जानबूझकर फाड़ दिया था ताकि किसी को शक न हो कि वह जानबूझकर नकली जाँच कर रही है। शंभू भी अपने कपड़े संभालने लगा। जल्दी ही यहाँ के लोगों की जाँच निपट गई और सैनिकों ने उन लोगों को अपने कब्ज़े में ले लिया जिनकी जाँच कर ली गई थी। फिलहाल के लिए वे सब एक तरफ़ के एरिया में कर दिए गए थे और उन्हें तब तक दूसरे एरिया में जाने की अनुमति नहीं थी जब तक उन्हें इसकी अनुमति न मिले। शंभू अब अकेला था, जबकि संयोगिता बाकी के लोगों के साथ मिलकर जाँच करने में लगी हुई थी ताकि किसी को भी शक न हो। शंभू को संयोगिता के साथ किसी तरह से रेस्टोरेंट पहुँचना था ताकि वे लोग भी नंबर से मिल सकें, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे यह काफ़ी देर तक संभव नहीं हो पाएगा। वहीं दूसरी तरफ़, नंबर के लिए भी बाहर निकलना संभव नहीं था। यहाँ आकर उन्हें सच में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।