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Shaadi ek saja

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Nehal

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एक झूठ किसी की भी जिंदगी बर्बाद कर सकता है ।। और ऐसा ही कुछ हुआ है प्रियांशी राजपूत, धानी रायसिंहनिया, अगस्त्य रायसिंहनिया और रुद्र राजपूत की जिंदगी में ।। मजबूरी में बोले गए धानी के एक झूठ की वजह से बदल जाती है इन चारों की जिंदगियां ।। अगस्त्य नफरत...

Characters

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Dhani Raysinghania

Heroine

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Priyanshi Rajput

Heroine

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Agastya Raisinghania

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Rudra Rajput

Hero

Total Chapters (73)

Page 1 of 4

  • 1. Shaadi ek saja - Chapter 1

    Words: 1073

    Estimated Reading Time: 7 min

    hi guys ये नॉवेल मै पहले भी इस आप पर डाल चुकी हु ।। लेकिन सिर्फ 3 चैप्टर्स ।। कुछ प्रॉब्लम की वजह से मेरी वो id चली गई है ।। एंड हा मै ही नेहाल हु ।। सो प्लीज अगर आपने पहले पढ़ी है तो गलतफहमी के चलते कॉपीराइट मत दे देना ।। ये मेरी ही नॉवेल है ।।

    ।। ।। ।। ।।

    ये कहानी है भाई और बहन के प्यार की। सजा देने के लिए की गई शादी की। और मोहब्बत की वजह से मिली सजा की और बाद में बेहिंतीहा मोहब्बत की। 

    कहानी की शुरुआत करने से पहले में आपको हमारे कुछ  कैरेक्टर्स का इंट्रोडक्शन दे देती हु। पहले मिलते हैं उन चार भाई और उनकी इकलौती बहन से और उनके परिवार से। यानी राजपूत परिवार से। राजपूत परिवार के दो बेटे हैं प्रताप सिंग राजपूत और आनंद सिंग राजपूत।। 

    प्रताप सिंग राजपूत : जिनकी शादी अंशिका जी से हुई थी। और इनके तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी। प्रियांशी को जन्म देते हुए अंशिका जी की मौत हो गई थी। 
    आनंद सिंग राजपूत : जिनकी शादी अंजली जी से हुई थी। और इनके दो बेटे हैं। एक कार एक्सीडेंट में आनंद जी और अंजली जी की मौत हो गई।

    प्रियांशी प्रताप सिंग राजपूत। राजपूत परिवार की प्रिंसेस और अपने भाइयों कि जान। नटखट, चुलबुली और शहतान। हमेशा कुछ ना कुछ शेतानिया करती रहती है। दिखने में बोहोत ज्यादा खूबसूरत और मासूम। इसके भाईयो ने इसे दुनिया से दूर रखा था। क्युकी इसे दुनिया दारी की उतनी समझ नही है। अब आप सोच रहे होंगे कि इसके लिए एक प्रिंस आयेगा जो इसे अपनी क्वीन बना कर हमेशा अपने साथ रखेगा। लेकिन आप गलत है। प्रिशा कि जिंदगी में उसका soul mate तो आया था। लेकिन प्रिंस बन कर नहीं बीस्ट बन कर। अब आगे इसके बारे में आपको कहानी में बताऊंगी।

    प्रिशा : उम्र 2 1 साल। हाइट 5 फूट, 4 इंच। गोरा रंग। बड़ी बड़ी आंखें। मीडियम साइज के गुलाबी मुलायम होठ। होठों के ऊपर लेफ्ट साइड में छोटा सा तिल। तीखी नाक। हल्के कर्ल किए हुए कमर तक आते हुए ब्लाकिश ब्राउन कलर के बाल। परफेक्ट बॉडी शेप। ओवर ऑल बोहोत खूबसूरत। ये राजपूत परिवार की सबसे छोटी और इकलौती बेटी है। प्रिशा अपने कॉलेज के लास्ट ईयर में है। और ये बिजनेस की पढ़ाई कर रही है।

    नील आनंद सिंग राजपूत : ये राजपूत परिवार का चौथा बेटा है। ये मस्त मौला और जिंदा दिल बंदा है। ये अपने कॉलेज का फेमस प्लेबॉय है। लेकिन कभी भी अपनी लिमिट क्रॉस नही की। ये अपने भाईयो और अपनी छोटी बहन पर जान छिड़कता है। मां पापा के जाने के बाद इसके भाईयो और बड़े पापा ने ही इसे संभाला था। 

    नील : उम्र 2 3 साल। हाइट 5 फूट, 9 इंच। मस्कुलर बॉडी। 6 पैक एब्स। दिखने में किसी हीरो से भी ज्यादा हैंडसम। और इसके इसी हैंडसम चेहरे पर ही तो कॉलेज की सारी लड़कियां मरती है। बिजनेस से 1 0 0 कोस दूर रहता है।
    ईशान प्रताप सिंग राजपूत : ये राजपूत परिवार का तीसरा बेटा है। ये भी नील की तरह ही मस्त मौला और जिंदा दिल है। लेकिन इसका गुस्सा बोहोत खराब है। इसकी भी जान प्रिशा में ही बस्ती है। ये और नील दोनो ही हम उम्र ही है और दोनो में बस एक महीने का ही फर्क है। 

    ईशान : उम्र 2 3 साल। हाइट 6 फूट। मस्कुलर बॉडी। और बेहद हैंडसम। ये एक कॉलेज स्टूडेंट है लेकिन नील की तरह प्ले बॉय नही तो कॉलेज का टॉपर है। लड़किया इसकी दीवानी है। ये भले ही पढ़ाई में टॉपर हो लेकिन साथ साथ इसका फैशन सेंस भी अच्छा है। इस लिए ये कोई चश्मिश बोरिंग सा पढ़ाकू नही लगता बल्कि काफी स्मार्ट दिखता है। और इसे सबसे स्मार्ट और cute बनाते है इसके चश्मे। हा ये भी चश्मा पहनता है। लेकिन चश्मे में ये बोहोत हैंडसम दिखता है। 

    अभय आनंद सिंग राजपूत : ये राजपूत परिवार का दूसरा बेटा है। और नील, ईशान और प्रिशा का फेवरेट भाई। क्युकी ये उन तीनो की शहतानियो को प्रताप जी और इस घर के बड़े बेटे से छुपाता है। ये अपने परिवार और खास कर प्रिशा से बोहोत प्यार करता है। इसका बिहेवियर इसके मूड पर डिपेंड होता है।

    अभय : उम्र 2 5 साल। हाइट 6 फूट। हल्का गेहुआ रंग। हल्की बियर्ड। और दिखने में काफी स्मार्ट और हैंडसम। 8 एब्स। मस्कुलर बॉडी। ये एक डॉक्टर है। न्यूरोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट। ये एक सर्जन है। 
    रुद्र प्रताप सिंग राजपूत : राजपूत परिवार का सबसे बड़ा बेटा। हमेशा शांत और सीरियस रहता है। इसका गुस्सा बिलकुल महादेव की तरह है। इसकी जान सबसे ज्यादा अपनी छोटी बहन प्रिशा में बस्ती है। और बाद में अपने परिवार में। अब यही तो है वो जिसकी वजह से ये कहानी सुरु हुई। 

    रुद्र : उम्र 2 5 साल। हाइट 6 फूट, 1 इंच। हल्का गेहुआ रंग। किसी मॉडल की तरह फिगर। मस्कुलर बॉडी और 8 एब्स। इतना हैंडसम की इसे एक बार देखते ही लड़किया पागल हो जाती हैं। हर लड़की का सपना है इससे शादी करना। खैर। ये राजस्थान का no 1 बिजनेस मैन है। और उससे जरूरी ये है राजस्थान का होने वाला हुकुम सा। 
    अभय और रुद्र की उम्र सेम ही है। अभय रुद्र से 3 महीने छोटा है। इसलिए ये दोनो भाई से ज्यादा दोस्त की तरह रहते हैं। और इनका एक और दोस्त है। लेकिन पहले मिलिए काव्या से।

    काव्या लूथरा : काव्या एक अनाथ है। ये अंशिका जी की दोस्त की बेटी हैं। काव्या जब 2 साल की थी तभी काव्या के mom dad की मौत हो गई थी। वजह कार का एक्सीडेंट होना बताया गया था। लेकिन असल वजह प्रताप जी और अंशिका जी को ही पता थी। मरते वक्त अंशिका जी ने काव्या की मां को प्रोमिस किया था। की वो काव्या को अपनी बेटी की तरह संभालेगी और वक्त आने पर उसे सब कुछ बताएगी।। अब ये कौनसी बात बताने के बारे मैं बात हो रही थी। ये तो आपको आगे स्टोरी में पता चलेगा। और अंशिका जी और उनके जाने के बाद प्रताप जी ने भी इस प्रोमिस को बखूबी निभाया था। काव्या की जान भी प्रिशा और बाकी सब में ही बस्ती थी। वो प्रिशा का ख्याल बिलकुल एक बड़ी बहन की तरह रखती थीं। 

    काव्या : उम्र 2 4 साल। हाइट 5 फूट, 6 इंच। गोरा रंग। ये भी दिखने में बोहोत खूबसूरत है। स्लिम फिगर। तीखे नैन नक्श। शांत स्वभाव। ये काफी समझदार है। और सिंपल तारीखे से रहना इसे काफी अच्छा लगता है।

  • 2. Shaadi ek saja - Chapter 2

    Words: 1132

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।। 
     
    ( काव्या : उम्र 2 4 साल ।। हाइट 5 फूट, 6 इंच ।। गोरा रंग ।। ये भी दिखने में बोहोत खूबसूरत है ।। स्लिम फिगर ।। तीखे नैन नक्श ।। शांत स्वभाव ।। ये काफी समझदार है ।। और सिंपल तारीखे से रहना इसे काफी अच्छा लगता है ।। )
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    अब मिलते हैं युवान से ।। 
     
    युवान सिंग रायजादा : ये रुद्र और अभय का दोस्त है ।। ये अपने मां बाप की इकलौती संतान है ।। इसका कोई भाई या बहन नही है ।। इसलिए ये रुद्र, अभय, ईशान और नील को अपने भाई की तरह समझता है ।। और प्रिशा में तो इसकी जान बस्ती है ।। ये प्रिशा के लिए अपनी जान भी दे सकता है ।। और ये काव्या को पसंद करता है ।। या ये कहूं की काव्या इसका चाइल्डहुड लव है ।। इसका होटल का बिजनेस है ।। और राजस्थान का जाना माना बिजनेस मैन है ।। 
     
    ( युवान : उम्र 2 5 साल ।। हाइट 6 फूट, 1 इंच ।। दिखने में किसी हीरो की तरह है ।। स्वभाव से एक दम फ्रेंडली ।। मस्कुलर बॉडी ।। 8 एब्स ।। समझदार ।। )
     
    Guys अब बाकी के carecters से आपकी मुलाकात स्टोरी में होगी ।। 
     
    ,.......... जैसलमेर, राजस्थान..........,
     
    राजस्थान, जहा पर न जाने कितनी मोहब्बतो की दास्तान लिखी गई हैं ।। ऐसी जगह जहा मोहब्बत की हवाएं बहती है ।। और इसी शहर में आज फिर से एक मोहब्बत की दास्तान की शुरुआत होने वाली है ।। एक झूठ एक गलतफहमी की वजह से चार जिंदगिया बर्बाद होने वाली है ।। या सिर्फ उन्हें मिलने के लिए ये महादेव की चाल थी ।। ये तो आगे ही पता चलेगा ।। वो कहते हैं ना जिनका साथ किस्मत में लिखा होता है वो किसी ना किसी बहाने मिल ही जाते । 
     
            ।। ।। ।। ।। ।। राजपूत महल ।। ।। ।। ।। ।।
     
    एक बदामी कलर का बड़ा सा महल ।। जो रात के अंधेरे में भी अपना अस्तित्व जता रहा था ।। रात होने की वजह से हर तरफ गहरी शांति पसरी हुई थी ।। चांद अपनी रोशनी चारो तरफ बिखेर रहा था ।। 
     
    चांद की रोशनी की एक किरण महल के एक कमरे में जाती है ।। ये कमरा पूरा गुलाबी रंग से सजाया गया था ।। यहां की हर चीज काफी मुलायम थी ।। वो कमरा देख कर ऐसा लग रहा था कि वो कमरा किसी प्रिंसेस का हो ।।
     
    और हां ये सच था ।। ये कमरा एक प्रिंसेस का ही था ।। राजस्थान के हुकुम सा की बेटी और जैसलमेर की कुंवारी सा ।। प्रियांशी प्रताप सिंग राजपूत का ।। 
     
    उस बड़े से कमरे में एक बड़ा सा ओवल शेप का मुलायम और बड़ा सा बेड था ।। उस बेड पर एक खूबसूरत सी परी के जैसी लड़की लेटी हुई थी ।। वो लड़की बोहोत खूबसूरत थी ।। और साथ ही उसके चेहरे पर इस वक्त दुनिया जहान की मासूमियत थी ।। लेकिन साथ ही उसके उस खूबसूरत चेहरे पर इस वक्त दर्द की सिकन साफ नजर आ रही थीं ।। 
     
    उसके माथे पर और होठों के पास कट्स के निशान थे ।। जो अब हल्के नीले पड़ चुके थे ।। वो लड़की अपनी मधुर सी आवाज में धीरे से कुछ बुदबुदाने लगती हैं : " नही ।। प्लीज नही ।। अ आ ।। आप कोन हो ।। और ये सब क्यों कर रहे हो ।। में भाई से आपकी शिकायत कर दूंगी ।। "
     
    ये कहते कहते नींद में ही उस लड़की के आखों के कोनो से एक आसू की धारा निकल जाती है ।। 2 दिन पहले जिस लड़की को आसू का मतलब नहीं पता था ।। आज उसका हर दिन आसू बहते निकल रहा था ।। वो तो हमेशा से अपने प्रिंस का इंतजार करती थी ।। की उसका प्रिंस आयेगा और उसे अपने साथ ले जायेगा और फिर ये पूरी दुनिया घुमाएगा ।। उसे उसके भाईयो की तरह हमेशा खुश रखेगा और उसकी हर जिद पूरी करेगा ।। 
     
    और दो दिन पहले उसकी जिंदगी में उसका प्रिंस आ भी गया था ।। लेकिन उसे खुशियां देने नही तो उसे दर्द देने ।। उसे ले जाने के लिए नहीं तो उसकी खुशियां ले जाने ।। उसका प्रिंस उसके लिए बीस्ट बन कर आया था ।।
     
    तभी वो लड़की चीखते हुए उठ कर बैठ जाती है ।। उसकी सासे बोहोत तेज चल रही थी ।। उसकी आखों में इस वक्त बेहिसाब आसू थे ।। इसके उठते ही उसे अपने लोअर में और लोअर बैक में बोहोत ही तेज दर्द महसूस होता है ।। जिस वजह से उसकी फिर एक बार चीख निकल जाती है ।।
     
    उस शांत मोहौल में उसकी चीख पूरे राजपूत महल में गूंज उठती हैं ।। उसकी आवाज सुन कर पूरा राजपूत परिवार उसके रूम में आ जाता है ।। अपनी प्रिंसेस की आखों में आसू और उसकी ऐसी हालत देख कर उन सब को अपने सीने में बोहोत तेज दर्द होने लगता है ।। 
     
    उसे ऐसे टूटता देख कर वो लोग भी अंदर से टूट रहे थे ।। तभी रुद्र आगे बड़ कर उसे गले लगाने को होता है ।। तो प्रिशा जल्दी से खुद को ब्लैंकेट से कवर करते हुए कहती हैं : " नही भाई ।। प्लीज मेरे पास मत आओ ।। में गंदी हो चुकी हु ।। मुझे हाथ मत लगाओ ।। "
     
    उसकी ये हरकत और उसकी बाते सुन कर सबकी आखों में आसू आ जाते हैं ।। काव्या रोते हुए प्रिशा के पास जाते हुए कहती हैं : " प्रिंसेस ।। देखो अपनी दी को तो अपने पास आने दो ।। "
     
    उसकी बात सुन प्रिशा उसे गले लगा कर कहती हैं : " i am sorry दी ।। मुझे माफ कर दो ।। मैने आपकी बात नही मानी ।। "
     
    इस पर काव्या उसके सर को प्यार से सहलाते हुए कहती हैं : " नही प्रिंसेस आपकी कोई गलती नही है ।। आप ये सब छोड़ो ( फिर उससे अलग हो कर उसके चेहरे को अपने हाथो में भर कर कहती हैं ) आप ठीक तो हो ना ।। आपको कही दर्द तो नहीं हो रहा है ना ।। "
     
    वही बाकी सब से और प्रिशा की ऐसी हालत देखी नही जा रही थी ।। इसलिए वो सब रूम से बाहर आ जाते हैं ।। वही प्रिशा काव्या की बात सुन उसे कहती हैं : " दी मेरी कमर में बोहोत दर्द हो रहा है ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। 
     
    आगे का कल ।। 
     
    Guy's अगर आपको नॉवेल पसंद आ रही है ।। तो इस लाइक, शेयर और कमेंट करना ना भूलें ।। और साथ ही इसे अपने प्यारे प्यारे रिव्यू भी दे ।।
     
    Don't worry आप जो सोच रहे हो वो आधा सही और आधा गलत है ।। इसलिए पहले नॉवेल पढ़िए ।।

  • 3. Shaadi ek saja - Chapter 3

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।

    वही बाकी सब से और प्रिशा की ऐसी हालत देखी नही जा रही थी ।। इसलिए वो सब रूम से बाहर आ जाते हैं ।। वही प्रिशा काव्या की बात सुन उसे कहती हैं : " दी मेरी कमर में बोहोत दर्द हो रहा है ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    काव्या कुछ देर तक प्रिशा से बात करती है ।। लेकिन कमजोरी की वजह से प्रिशा जल्द ही वापस नींद की आगोश में चली जाती है ।। 
     
    प्रिशा के रूम में दो दिन तक सिर्फ डॉक्टर ही गए थे ।। क्युकी प्रिशा की कंडीशन उस वक्त ऐसी नही थी ।। की कोई भी प्रिशा से मिल सके ।। लेकिन रात को ही dr वर्मा ने प्रिशा से मिलने की परमिशन दे दी थी ।। 
     
    सबके मन में बोहोत से सवाल थे ।। जो वो लोग प्रिशा से पूछना चाहते थे ।। लेकिन प्रिशा की हालत देख उन्हे समझ आ गया था कि प्रिशा से कुछ भी पूछना मतलब उसे और hurt करना था ।। 
     
    और भला कोई भी प्रिशा को hurt कैसे कर सकता था ।। प्रिशा के सोते ही ।। काव्या उसे ठीक से ब्लैंकेट ओढ़ा कर रूम से बाहर आ जाती है ।। जैसे ही वो बाहर निकलती है ।। उसकी नजर सबसे पहले रुद्र पर पड़ती है ।। 
     
    तो वो जल्दी से उसे गले लगा कर रोते हुए कहती हैं : " भाई सा वो प्रिंसेस ।। "
     
    वो इससे आगे कुछ भी कह ही नही पा रही थी ।। रुद्र भी उसकी हालत समझ रहा था ।। तभी प्रताप जी काव्या के पास आकर उसके सर पर हाथ रख देते हैं ।। तो काव्या जल्दी से उनके गले लग जाती है ।। काव्या के अलग होते ही ।। रुद्र जल्दी से वहा से निकल जाता है ।। 
     
    ये वक्त यहां खड़े किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं था ।। प्रिशा की ऐसी हालत देखना उनके लिए जीते जी नर्क देखने के बराबर था ।। वही रुद्र भी राजपूत महल से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठ जाता है ।।
     
    और कृणाल ( रुद्र का असिस्टेंट ) को कॉल लगाता है ।। वही जब कृणाल इतनी रात को रुद्र का कॉल देखता है ।। तो जल्दी से कॉल उठा कर कहता है : " hello boss ।। "
     
    उसकी आवाज सुनते ही रुद्र अपनी रौबदार और गुस्से से भरी आवाज में कहता है : " मुझे वो लड़की चाहिए ।। में मैरेज रजिस्ट्रार ऑफिस आ रहा हूं ।। उससे पहले सारे इंतजाम करो ।। "
     
    इस वक्त रुद्र की कार आगे चल रही थी ।। और उसके पीछे उसके बॉडी गार्ड्स की कार्स चल रही थी ।। जब वो आधे रास्ते में होते हैं ।। तभी रुद्र की कार के सामने एक लड़की आ जाती है ।। ये देख रुद्र जल्दी से ब्रेक दबा देता है ।।
     
    लेकिन फिर भी उस लड़की की हल्की टकर कार के साथ हो जाती है ।। वो लड़की गाड़ी के बोनट पर आधी लेटी हुई थी ।। तभी वो लड़की धीरे से अपना सर ऊपर करती हैं ।। वही रुद्र जब उस लड़की को देखता है ।। तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगता है ।। वही उस लड़की का भी कुछ ऐसा ही हाल था ।।
     
    उस लड़की ने इस वक्त गहरे लाल रंग का शादी का जोड़ा पहना हुआ था ।। वो पूरी तरह से दुलहन की तरह सजी हुई थीं ।। वो इस वक्त बोहोत घबराई लग रही थी और साथ ही बेहिंतीह खूबसूरत ।। वो दोनो एक दुसरे को आखों में खोए हुए ही थे ।। की तभी उस लड़की को कुछ याद आता है और वो तुरंत वहा से भाग जाति है ।।
     
    जब रुद्र देखता है कि वो लड़की वहा से जा चुकी है तभी उसकी अंदर से एक आवाज आती है ।। जो उस पर हस रही थी और उससे कह रही थी : " तुझे एक लड़की पसंद भी आई ।। और वो भी तब जब तू किसी और को बर्बाद करने के लिए बंधने जा रहा है ।। "
     
    तभी रुद्र खुद से कहता है : " नही रुद्र ये तेरी मंजिल नहीं है ।। "
     
    ये कह कर रुद्र अपने दिमाक को झटक कर फिर से कार स्टार्ट कर देता है ।। वही जैसे ही वो वहा से निकल ता है ।। तो कुछ दूसरी कार्स उसके अपोजिट डायरेशन से आकर उसके साइड से निकल जाते हैं ।।
     
    और रुद्र भी अपनी मंजिल की तरफ निकल पड़ता है ।। जब वो लड़की थोड़ी आगे जाति है ।। तो कोई दूसरी कार वाले आदमी उसे अंदर खींच लेते हैं ।। 
     
    दोनो ही इस बात से अनजान थे ।। की वो लोग जो अपनी मंजिल को अलग समझ कर दूर हो गए थे ।। लेकिन उन्हें क्या पता महादेव ने उनकी मंजिल ही नही तो उन्हे एक दूसरे के लिए बनाया है ।। 
     
    तभी वो दुलहन के जोड़े वाली लड़की जब कार में बैठती हैं ।। तब कुछ लोग मिल कर उसके हाथ बांध देते हैं ।। और उसके मुंह पर टेप लगा कर उसके मुंह पर काला कपड़ा डाल देते हैं ।। 
     
    वो लड़की जिसकी आखों में थोड़ी सी नमी आ गई थी ।। वो अपनी आखें बंद कर अपने मन में कहती हैं : " हे महादेव ।। और कितनी परीक्षा लोगे आप मेरी ।। बचपन से मैंने इतना कुछ सहा लेकिन कभी आप से सिखायत नही की ।। लेकिन महादेव आज में आपसे कुछ मांगती हूं ।। प्लीज ये शादी रोक दीजिए ।। महादेव मां कहती थी कि जब हालत अपने हाथ में ना हो ना तो सब महादेव पर छोड़ देना ।। तो आज में सब आप पर छोड़ रही हू ।। कुछ कीजिए महादेव ।। आप जानते हो में मरने से नही डरती लेकिन एक बार मरने से पहले अपने भाई से मिलना चाहती हूं ।। उन्हें सब सच सच बताना चाहती हू ।। "
     
    फिर उसे कुछ याद आता है ।। तो वो अपने मन में कहती हैं : " कही भाई ने उनकी बातो को सच मान कर कुछ कर तो नही दिया होगा ना ।। नही नही ।। भाई ऐसे ही किसी भी झूठ पर भरोसा नहीं करेंगे ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो कैसे हो आप सब ।।
    कल आपकी मुलाकात रुद्र की हीरोइन से होगी ।।

  • 4. Shaadi ek saja - Chapter 4

    Words: 1214

    Estimated Reading Time: 8 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    फिर उसे कुछ याद आता है ।। तो वो अपने मन में कहती हैं : " कही भाई ने उनकी बातो को सच मान कर कुछ कर तो नही दिया होगा ना ।। नही नही ।। भाई ऐसे ही किसी भी झूठ पर भरोसा नहीं करेंगे ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    वो लड़की मन में यही सब सोच रही थी ।। इस बात से अनजान की आज उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदलने वाली है ।। 
     
    तभी वो गाड़ी रुकती हैं ।। और बॉडी गार्ड्स उसे कार में से बाहर निकालते हैं ।। उस लड़की के चेहरे पर अभी भी वो काला कपड़ा डाला हुआ था ।।
     
    वही दूसरी तरफ रुद्र अपनी कार रोकता है ।। वो इस वक्त मैरेज रजिस्ट्रार ऑफिस के बाहर खड़ा था ।। तभी कुणाल जल्दी से उसके पास आता है ।।
     
    कुणाल को देख रुद्र अपने गुस्से को बरकरार रखते हुए कहता है : " सारी तयारिया हो गई ।। "
     
    उसकी बात सुन कुणाल जल्दी से कहता है : " yes boss ।। "
     
    फिर वो दोनो मैरेज रजिस्ट्रार ऑफिस के अंदर जाते हैं ।। अंदर रुद्र के बॉडी गार्ड्स ने एक लड़की को पकड़ कर रखा हुआ था ।। लड़की के चेहरे पर इस वक्त एक काला कपड़ा डाला हुआ था ।।
     
    वही वहा बैठा लॉयर जब रुद्र सिंग राजपूत को अपने सामने देखता है ।। तो उसकी सिटी बीटी गुल हो जाती है ।। वो डर कर अपना सलायवा गटक ता है ।। 
     
    और कुछ पेपर्स और एक रजिस्टर उसके सामने करता है ।। वही रुद्र के और कुछ बॉडी गार्ड्स अपने हाथो में 2 फूलो की मालाएं और एक के हाथ में सिंदूर और एक बड़ा सा मंगलसूत्र था ।।
     
    रुद्र बिना किसी एक्सप्रेशन के साथ उन पेपर्स और रजिस्टर पर साइन कर देता है ।। फिर अपने बॉडी गार्ड्स को देखता है ।। तो एक बॉडी गार्ड उस लड़की को वहा पर खड़ा करता है और उसके सर से काला कपड़ा हटा देता है ।। और उसके हाथ खोल कर उसके हाथ में पेन दे देता है ।। 
     
    तो वही दूसरा बॉडी गार्ड उस लड़की के सर पर गन पॉइंट करता है ।। रुद्र को उस लड़की का चेहरा नहीं दिख रहा था ।। या उसे उस लड़की का चेहरा देखने में बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नही था ।।
     
    उस लड़की के पास अब कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था ।। तो वो भी चुप चाप उन पेपर्स और रजिस्टर पर साइन कर देती है ।। लेकिन जब उसकी नजर उस पेपर पर उसके होने वाले पति के नाम पर जाती है तो वो उस नाम को अपने मन में दोहराते हुए कहती हैं : " रुद्र सिंग राजपूत ।। ये कैसे हो सकता है ।। "
     
    उसके साइन करते ही वो लॉयर आगे की कुछ फोरमलेटी करता है ।। तभी एक बॉडी गार्ड अपने साथ जबरदस्ती एक पंडित को लेकर आता है ।।
     
    और वही पर हवन कुंड लगा कर उसमे आग लगा देते हैं ।। ये सब देख वो लॉयर अपने मन में कहता है : " ये भगवान ।। ये क्या हो रहा है ।। इन लोगो ने तो मैरेज रजिस्ट्रार ऑफिस को मंदिर बना दिया ।। "
     
    फिर रुद्र बिना उस लड़की को देखे उसका हाथ पकड़ कर अपने साथ हवन कुंड के पास बैठ जाता है ।। उस लड़की के मुंह पर अभी भी टेप थी ।। और जब से उसने रुद्र का नाम देखा था ।। तो उसके दिमाक ने काम करना ही बंद कर दिया था ।। 
     
    पंडित जी भी मंत्र पढ़ने लगते हैं ।। उन दोनो ने एक दूसरे को माला पहनाई ।। उन दोनो का गठबंधन और उस लड़की का कन्यादान कृणाल ने ही कर दिया था ।। फिर उनके सात फेरे होते हैं ।। फिर पंडित जी रुद्र को उस लड़की के गले में मंगलसूत्र पहनाने के लिए कहते हैं ।। 
     
    तो एक बॉडी गार्ड उसके सामने थाल कर देता है ।। उसमे मंगल सूत्र था ।। ये मंगलसूत्र कम और लोहे की जंजीर ज्यादा लग रही थी ।। क्युकी मंगल सूत्र के सामने वाला हिस्सा बड़ा था ।। आज कल जो छोटे मंगल सूत्र मिलते हैं ये वैसा नही था ।। ये पुराने टाइम में जो औरते बड़े वाले मंगल सूत्र पहनती थी ये वैसा था ।।
     
    लेकिन इस पर बोहोत ही खूबसूरती और बारीकी से काम किया हुआ था ।। जिस वजह से ये बोहोत खूबसूरत था ।। और साथ ही थोड़ा सा भारी भी ।। रुद्र वो मंगल सूत्र उठा ता है और उस लड़की को पहना देता है ।। लेकिन अभी भी उसने उस लड़की पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था ।।
     
    उस लड़की को मंगल सूत्र पहनाते वक्त रुद्र को अचानक से वो कार के टकराने वाली लड़की का चेहरा याद आ रहा था ।। उसका दिमाक उसे ये करने से मना कर रहा था ।। तो उसका दिल खुशी से झूम रहा था ।।
     
    मंगल सूत्र पहनाने के बाद पंडित जी कहते हैं : " अब वर वधु की मांग में सिंदूर भरेगा ।। "
     
    उनकी बात सुन रुद्र अपनी मुट्ठी में सिंदूर भर ता है ।। और उस लड़की की तरफ अपना हाथ बड़ा देता है ।। अब जाकर उसकी नजर उस लड़की के चेहरे पर पड़ती है ।। तो एक पल के लिए उसके हाथ रुख से जाते हैं ।। उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है ।।
     
    उसे प्रिशा का चेहरा याद आता है ।। तो वो अपना सर झटक कर उसकी मांग में सिंदूर भर देता है ।। उसने उसकी पूरी मांग को सिंदूर से नहला दिया था ।। उसके सिंदूर भरते समय थोड़ा सा सिंदूर उसकी नाक पर भी गिरता है ।। 
     
    वही वो लड़की तो न जाने कब से बस रुद्र को ही देख रही थी ।। अब रुद्र भी बस उसे ही देख रहा था ।। वो लड़की इस वक्त बोहोत खूबसूरत लग रही थी ।। वो फूलो का हार ।। मंगलसूत्र और माथे पर सिंदूर ।। और थोड़ा सिंदूर जो उसकी नाक पर गिरा हुआ था ।। उसकी आंखे जो जिनमें आसू भरे थे ।। लेकिन उन्हें बाहर आने की इजाजत नहीं थी ।। वो तो उसे ओर खूबसूरत बना रहे थे ।। वो इस वक्त इतनी मासूम, प्यारी और खूबसूरत लग रही थी ।। की वहा खड़े किसी भी इंसान की नजर उस पर से हठ ही नही रही थी ।। 
     
    वही सब लोग पंडित जी की बात सुन कर होश में आते हैं ।। पंडित जी : " आज से आप दोनो पति पत्नी है ।। आपका रिश्ता अगले सात जन्मों के लिए एक दूसरे से बंध चुका है ।। " 
     
    वही वो लड़की अपने मन में कहती हैं : " महादेव ।। ये सब क्या हो रहा है ।। अपने मेरी शादी mr रुद्र सिंग राजपूत से करवा दी ।। ( फिर मन में खुद पर ही हस्ते हुए कहती हैं ) समझ नहीं आ रहा हसू या रोऊ ।। में जिससे प्यार करती हूं ।। आज मेरी शादी उसी इंसान के साथ हो गई ।। लेकिन हालात ऐसे है ।। की मुझे सबसे बड़ा डर इसी बात का था की कभी में mr रुद्र से ना मिलु ।। और आज उनकी ही बीवी बन गई ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। 

    हेलो दोस्तो तो कैसे हो आप सब ।।
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  • 5. Shaadi ek saja - Chapter 5

    Words: 1118

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।

    वही वो लड़की अपने मन में कहती हैं : " महादेव ।। ये सब क्या हो रहा है ।। अपने मेरी शादी mr रुद्र सिंग राजपूत से करवा दी ।। ( फिर मन में खुद पर ही हस्ते हुए कहती हैं ) समझ नहीं आ रहा हसू या रोऊ ।। में जिससे प्यार करती हूं ।। आज मेरी शादी उसी इंसान के साथ हो गई ।। लेकिन हालात ऐसे है ।। की मुझे सबसे बड़ा डर इसी बात का था की कभी में mr रुद्र से ना मिलु ।। और आज उनकी ही बीवी बन गई ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    तभी वो लड़की अपने मुंह पर से टेप हटा देती है ।। वो कुछ कहती इससे पहले ही रुद्र कस कर उसका हाथ पकड़ लेता है ।। और उसे लग भग खींचते हुए कार के पास ले जाता है ।। और कार के अंदर धका दे कर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है ।।
     
    और कार स्टार्ट कर देता है ।। तभी वो लड़की अपने मन में कहती हैं : " ये सब हो क्या रहा है ।। नही में इस तरह शांत नहीं बैठ सकती ।। में यूं ही एक झूठ को सच होता हुआ नही देख सकती ।। और सबसे बड़ी बात राजा साहब ने मुझसे शादी क्यों की है ।। आज तक तो हम कभी एक दूसरे से मिले ही नही ।। "
     
    ये सब सोच कर वो लड़की रुद्र से कहती हैं : " ये सब क्या हो रहा है राजा साहब ।। आप मुझे कहा ले कर जा रहे हैं ।। और आपने मुझसे शादी क्यों की ।। और आपकी हिम्मत कैसे हुई मुझे किडनैप करने की ।। "
     
    उसकी बात सुन रुद्र गुस्से में उसे देखते हुए कहता है : " मुझमें क्या क्या करने की हिम्मत है ।। ये तुम्हे थोड़ी ही देर में पता चल जाएगा ।। और रही बात तुम्हारे सवालों की तो उसके जवाब भी तुम्हे दूंगा ।। लेकिन तब तक चुप चाप बैठी रहो ।। और जो हो रहा है उसे होने दो ।। "
     
             ।। ।। ।। ।। ।। राजपूत महल ।। ।। ।। ।। ।।
     
    महल में सबकी आखों से नींद सो कोसो दूर थी ।। इस लिए सब लोग हॉल में ही बैठे हुए थे ।। इस वक्त रात के 1 बज रहे थे ।। लेकिन फिर भी कोई रूम में नहीं जा रहा था ।।
     
    तभी सबके कानो में गाडियों की रुखने की आवाज जाती है ।। सब लोग एक नजर सामने एंट्रेंस पर देखते हैं ।। तो सबकी आखें हैरानी से बड़ी हो जाती है ।।
     
    रुद्र अपने गले में हार पहने और किसी लड़की का हाथ पकड़ कर अंदर आ रहा था ।। तभी सबके कानो में प्रताप जी की जोरदार आवाज जाति है ।।
     
    प्रताप जी : " वही रुको ।। "
     
    सबकी नजर बस उस अनजान लड़की पर ही टिकी हुई थीं ।। तो चलिए में आपको इस अनजान लड़की का इंट्रोडक्शन देती हु ।। 
     
    धानी रायसिंघानिया : ये लड़की कोई और नहीं धानी है ।। जिससे अभी अभी रुद्र ने शादी की है ।। धानी रुद्र से बोहोत प्यार करती है ।। हालाकि वो दोनो कभी एक दूसरे से मिले नही थे ।। लेकिन बस रुद्र का नाम और मैगजीन में उसकी तस्वीर देख कर ही धानी उससे प्यार करने लगी थी ।। हालाकि उसे पता था ।। उन दोनो की शादी होना ना मुमकिन है ।। लेकिन फिर भी दिल आखिर किसकी सुनता है ।। धानी रायसिंघानिया मैंशन में रहती थी ।। और इसे पेंटिंग बोहोत अच्छी आती है ।। और साथ ही ये गाती भी अच्छा है ।।
     
    ( धानी रायसिंघानिया : उम्र 2 5 साल ।। हाइट 5 फूट 6 इंच ।। दूध से भी गोरा रंग ।। कमर तक आते गहरे काले सिल्की बाल ।। हार्ट शेप के गुलाबी मुलायम होठ ।। छोटी तीखी नाक ।। और सबसे ज्यादा खूबसूरत थी ।। इसकी गजरारि आखें ।। और उसपर घनी पलके ।। छोटा ओवल शेप चेहरा ।। ये दिखने में बोहोत खूबसूरत थी ।। साथ ही इसकी स्लिम बॉडी किसी को भी अपनी तरफ अट्रैक्ट कर सकती थीं ।। धानी समझदार, निडर, बहादुर, दयालु और इंटेलिजेंट भी है ।। ये सारी खूबियां उसके अंदर आने की वजह थी ।। बचपन से उसके साथ हुआ वेवहार ।। )
     
    सब लोग अभी भी उन्हें ही देख रहे थे ।। तभी प्रताप जी आगे आकर रुद्र से कहते हैं : " ये सब क्या है रुद्र ।। आपने शादी कर ली ।। और हमे बताना भी जरूरी नहीं समझा ।। और ये बच्ची कोन है ।। "
     
    उनकी बातो पर रुद्र ने अपने गुस्से को छुपाते हुए शांत आवाज में कहा : " बाबा सा ।। इसका नाम धानी है ।। और ये एक अनाथ है ।। और आप ही कह रहे थे ना ।। की मुझे शादी कर लेनी चाहिए ।। तो मैंने कर ली ।। बस हालत कुछ ऐसे थे ।। की आप सब को बताने का वक्त नहीं मिला ।। "
     
    वही उसकी बात सुन कर ईशान नील से कहता है : " वैसे कुछ भी कहो ।। भाभी सा उस चुड़ेल से तो 1 0 0 0 गुना ज्यादा खूबसूरत है ।। "
     
    उसकी बात सुन नील कहता है : " अरे तू भी किसके साथ भाभी सा का कंपेरिजन कर रहा है ।। कहा भाभी सा हूर की परी और कहा वो चुडेल मेकअप से भरी ।। "
     
    उसकी बात सुन वो दोनो भी हल्का हस देते हैं ।। वही प्रताप जी जब धानी की तरफ देखते हैं ।। तो उन्हे अपनी अंशिका जी ( प्रताप जी की पत्नी और रुद्र, ईशान और प्रियांशी की मां ) की याद आ जाती है ।। धानी की मासूमियत देख उन्हे लगता है ।। जैसे सालो बाद कोई अंशिका जी की तरह इस महल को संभालने वाली आई है ।। 
     
    फिर वो नौकरों को कुछ इशारा करते हैं ।। थोड़ी ही देर में नोकर आपने हाथो में चावल से भरा कलश, अल्टे की थाल और बाकी का कुछ सामान ले कर आते हैं ।। 
     
    वैसे अगर प्रिशा ठीक होती ।। तो वही अपनी भाभी सा का स्वागत करती लेकिन जब वो नही थी ।। तो प्रताप जी काव्या को आरती करने के लिए कहते हैं ।। काव्या भी आरती करती है ।। फिर धानी चावल के कलश को गिरा कर ।। आल्टे की थाल में पैर रख कर ।। अपने पैरो की छाप छोड़ते हुए अंदर आ जाति है ।। फिर हल्दी की थाल में हाथ रख महल की दीवार पर अपने हाथो के निशान छोड़ देती है ।।
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो कैसे हो आप सब ।।
     
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  • 6. Shaadi ek saja - Chapter 6

    Words: 1163

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    वैसे अगर प्रिशा ठीक होती ।। तो वही अपनी भाभी सा का स्वागत करती लेकिन जब वो नही थी ।। तो प्रताप जी काव्या को आरती करने के लिए कहते हैं ।। काव्या भी आरती करती है ।। फिर धानी चावल के कलश को गिरा कर ।। आल्टे की थाल में पैर रख कर ।। अपने पैरो की छाप छोड़ते हुए अंदर आ जाति है ।। फिर हल्दी की थाल में हाथ रख महल की दीवार पर अपने हाथो के निशान छोड़ देती है ।।
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    सब लोग उन्हें अंदर ले जाते हैं ।। इस वक्त सबकी आखों में बोहोत से सवाल थे ।। इस लिए रुद्र सपाट लहजे में सब से कहता है : " आज से ये तुम्हारी भाभी सा और इस घर की बहु है ।। बस इतना ही जान लीजिए ।। बाकी की बाते आपको में सही वक्त आने पर बताऊंगा ।। "
     
    उसकी बात सब मान जाते हैं ।। फिर वो धानी का हाथ कस कर पकड़ते हुए कहता है : " में एक बार धानी को प्रिंसेस से मिलाकर लाता हू ।। "
     
    ये सुन ईशान और नील खुश हो जाते हैं ।। क्युकी उन्हें रुद्र का कमरा डेकोरेट करना था ।। वो जैसे ही जाता है ।। तो वो दोनो भी 1 0 - 1 2 नौकरों को आपने साथ ले कर रुद्र के रूम में जाते हैं ।।
     
    रुद्र धानी का हाथ कस कर पकड़ उसे लगभग खींचते हुए प्रिशा के रूम की तरफ बढ़ता है ।।
     
    वही धानी को रुद्र के ऐसे पकड़ने की वजह से बोहोत दर्द हो रहा था ।। वो रुद्र से गुस्से में और बेबसी में पूछती है : " ये सब क्या है राजा साहब ।। छोड़िए मेरा हाथ ।। क्यू कर रहे हैं ।। आप ये सब ।। मैने क्या बिगाड़ा है आपका ।। किस बात की सजा दे रहे हैं आप ।। "
     
    तो रुद्र जो अब प्रिशा के रूम के बहार आ चुका था ।। वो डोर को खोलता है ।। प्रिशा इस वक्त दवाइयों की वजह से गहरी नींद में सोई हुई थी ।।
     
    रुद्र धानी को अपने सामने कर उसकी दोनो बाजुओं को मजबूती से पकड़ कर उससे दात पिसते हुए कहता है : " तुमने क्या बिगाड़ा है मेरा ।। आ ।। तुम्हे किस बात की सजा मिल रही है ।। तुम्हे नही पता ।। आ ।। "
     
    वो उस पर लगभग चिला ते हुए कहता है ।। जिससे धानी की आखों में हैरानी और कन्फ्यूजन के साथ साथ एक डर भी उतर आता है ।। 
     
    वो अपने मन में कहती हैं : " महादेव ।। प्लीज भाई ने कुछ ना किया हो ।। "
     
    वो इतना ही कहती हैं कि तभी उसके कानो में फिर से रुद्र की आवाज पड़ती है ।। और उसकी बात सुन जैसे उसके लिए ये दुनिया रूक सी गई थी ।। 
     
    रुद्र उसे झटक ते हुए प्रिशा की तरफ पॉइंट कर के कहता है : " उसे देख रही हो ।। वो मेरी बहन है ।। मेरी मां की आखरी निशानी ।। इस घर की इकलौती बेटी ।। हमने उसे प्रिंसेस की तरह रखा था ।। उस पर एक खरोच भी हमारी जान ले लेती हैं ।। उसकी एक आह सुन कर हम इस दुनिया को बर्बाद कर सकते हैं ।। लेकिन ( वो थोड़ी देर चुप हो कर खुद को कंट्रोल करते हुए कहता है ) लेकिन आज  ।। "
     
    उसे आगे कहने की हिम्मत ही नही हो रही थी ।। वही जब धानी की नजर प्रिशा पर जाती है ।। तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।। एक फूल सी नाजुक और खूबसूरत लड़की के चेहरे को देख और रुद्र की बात सुन धानी को उस लड़की के साथ क्या हुआ है ।। ये तो समझ आता है ।। लेकिन अभी भी उसे पूरी बात समझ नहीं आई थी ।।
     
    तभी रुद्र उसके एक बाजु को कस कर पकड़ कर अपने दात पिसते हुए कहता है : " लेकिन आज उसकी ऐसी हालत सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे भाई की वजह से है ।। तुम्हारे एक झूठ को सच मान कर तुम्हारे भाई ने मेरी बहन से जबरदस्ती शादी कर के उसके साथ ........ ।। ( उसमे इससे आगे बताने की हिम्मत नहीं थी ।। आखिर एक भाई अपनी जान से प्यारी बहन के साथ क्या हुआ था ।। ये कैसे ही बता सकता था ।। लेकिन फिर से अपने गुस्से को 4 गुना बड़ा कर रुद्र उससे कहता है ) में अब तक तुम्हारे भाई की जान ले लेता ।। लेकिन अपनी बहन को दिए वादे की वजह से उसे कुछ नही कर सकता ।। लेकिन मैंने उसे ये वादा नही दिया की में तुम्हे कुछ नही करूंगा ।। बोहोत शोक है ना तुम्हे झूठ बोलने का चलो आज में तुम्हारा झूठ सच कर देता हूं ।। "
     
    ये कह कर वो उसे फिर से खींचते हुए रूम से बाहर ले जाता है ।। और अपने रूम की तरफ बड़ जाता है ।। वही धानी ये सब सुन कर जैसे बे जान सी हो गई थी ।। और चुप चाप उसके साथ चल रही थी ।।
     
    धानी अपने मन में खुद से कहती हैं : " नही भाई ।। आप ऐसा कैसे कर सकते हो ।। भले ही बात कुछ भी हो लेकिन फिर भी आप एक लड़की के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ।। भाई आपने क्यू एक झूठ को सच माना ।। आपने क्यू एक लड़की की जिंदगी बर्बाद की ।। क्यू भाई ।। "
     
    ये कहते हुए उसकी आखों के कोने से एक आसू की धारा बह गई ।। फिर अपनी आखों में बेहिसाब गुस्सा और नफरत लिए खुद से ही कहती हैं : " में उन सब को नही छोडूंगी ।। ये सब सिर्फ और सिर्फ उनकी वजह से हों रहा है ।। उन्होंने मेरी जिंदगी तो अब तक जहानुम बनाई ही थी ।। लेकिन अब उनकी वजह से मेरे भाई , राजा साहब और तो और सबसे ज्यादा उनकी बहन की जिंदगी बर्बाद कर दी ।। इन सब की जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ में हू ।। काश में पहले ही थोड़ी सी हिम्मत करती तो आज ये सब नहीं होता ।। लेकिन आज में वादा करती हूं खुद से ।। इसमें कही न कही मेरी गलती है ।। इसलिए अब इसे ठीक भी मैं ही करूंगी और उन्हे सजा भी मैं ही दूंगी ।। "
     
    रुद्र उसे खींचते हुए रूम में ले आता है ।। ईशान और नील रूम को डेकोरेट कर चले गए थे ।। ( धानी को ये नहीं पता था ।। की आज उसकी जिंदगी में क्या होने वाला है ।। आज की रात उसके लिए कितनी दर्द नाक होने वाली थी ।। उसे आज उस गलती की सजा मिलने वाली थी ।। जो उसने की ही नही थी ।। )
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    Hello guys to kaise ho AAP sab ।।।।।।
     
    Guys aapko Aaj ka chapter kaisa laga ।।
     
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  • 7. Shaadi ek saja - Chapter 7

    Words: 1173

    Estimated Reading Time: 8 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    रुद्र उसे खींचते हुए रूम में ले आता है ।। ईशान और पियूष रूम को डेकोरेट कर चले गए थे ।। ( धानी को ये नहीं पता था ।। की आज उसकी जिंदगी में क्या होने वाला है ।। आज की रात उसके लिए कितनी दर्द नाक होने वाली थी ।। उसे आज उस गलती की सजा मिलने वाली थी ।। जो उसने की ही नही थी ।। )
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    रुद्र का कमरा बोहोत बड़ा था ।। वहा पर हर चीज बड़े सलीके से रखी हुई थी ।। और इस वक्त उस रूम को सुहागरात के लिए सजाया गया था ।। वहा पर रखे किंग साइज बेड पर गुलाब की पंखोडिओ से दिल बनाया हुआ था ।। उस बेड के साइड में लाल पर्दो और सफेद फूलो की मालाओं से सजावट की गई थी ।।
     
    हर तरफ कैंडल्स जलाए गए थे ।। उस रूम में गुलाब की मीठी मीठी खुशबू आ रही थी ।। वहा की लाइट्स को डीम रखा हुआ था ।।
     
    रुद्र धानी को लाकर दरवाजा बंद कर धानी को उस बेड पर धक्का दे देता है ।।
     
    ( घर वालो को शक न हो इसलिए रुद्र ने पहले ही एक बिजनेस सूट पहन कर शादी की थी ।। उसने धानी से मिलने से पहले ही मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस में ही ड्रेस चेंज की थी ।। )
     
    वो अपना ट्राउजर निकल कर फेक देता है ।। फिर धानी को देखते हुए अपनी टाई को ढीला कर निकलते हुए कहता है : " तुम्हे बोहोत शॉक है ना झूठ बोलने का ।। ( फिर टाई को फेक कर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगता है ।। वही धानी उसके इस एक्शन बोहोत डर रही थी ।। ) क्या कहा था तुमने अपने भाई से ।। हा ।। मैने तुमसे शादी की है ।। और तुम्हारे साथ जबरदस्ती की है ।। "
     
    ये कह कर वो अपनी शर्ट निकाल कर फेकता हैं ।। और धानी के ऊपर आकर उसके चेहरे के करीब होते हुए कहता है : " तो ठीक है ।। अब जब तुमने मुझे रेपिस्ट कह ही दिया है ।। तो में तुम्हारा रे_प भी कर ही देता हु ।। " 
     
    ये कह कर वो उसकी घोंघट और उस लहंगे का दुपट्टा एक साथ पकड़ कर खींच कर निकलता है और फेक देता है ।।उसकी बात सुन और उसका एक्शन देख धानी डरते हुए उससे कहती हैं : " न न नही ।। प्लीज मुझे छोड़ दीजिए ।। "
     
    उसकी बात सुन रुद्र गुस्से में सर्कास्टिकली मुस्कुराते हुए कहता है : " क्यू क्या हुआ ।। में तो तुम्हारा पति हू ना ।। और इसी गलती की सजा मिली है ना मेरी बहन को ।। ( फिर कुछ देर रुख कर ) तुम्हे क्या लगा मेरी बहन के साथ इतना गलत करने वाले को में छोड़ दूंगा ।। मेरी बहन ने मुझसे वादा लिया था ।। की में तुम्हारे भाई को कुछ न करू और नही उसे हाथ लगाऊं ।। इसलिए में तुम्हारे भाई को तो कुछ नही कर सकता ।। लेकिन जो सजा मेरी बहन ने भुगती है ना ।। उसे तुम भी भुगतोगी ।। हर रोज भुगतोगी ।। में तुम्हारे भाई की तरह कायर नहीं हु जो तुम्हे यू ही छोड़ दूंगा ।। So be ready for your punishment ।। और अब ये पनिशमेंट तुम्हे हर रोज मिलेगी ।। "
     
    ये कह कर वो उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख उसे forcefully किस करने लगता है ।। इस किस में जेंटेलनेस और प्यार दूर दूर तक नहीं था ।। वो उसे किस कम और उसके लिप्स को बाइट ज्यादा कर रहा था ।। उसकी नजरो के सामने बार बार प्रिशा की हालत आ रही थी ।। जिस वजह से वो उसे और भी hurt कर रहा था ।।
     
    वही धानी को उसकी किस की वजह से बोहोत दर्द हो रहा था ।। उसकी आखों से आसू बह रहे थे ।। वो रुद्र को खुद से अलग करने की कोशिश कर रही थी ।। लेकिन वो रुद्र को एक इंच भी नही हिला पा रही थी ।।
     
    और जब जब वो रुद्र को खुद से अलग करने की कोशिश करती तब तब रुद्र उसे और बुरी तरह से बाइट करता ।। धानी अब समझ चुकी थी कि आज रात उसे रुद्र से कोई नहीं बचा सकता था ।। लेकिन वो फिर भी कोशिश कर रही थी ।। उसे अब प्रिशा का दर्द महसूस हो रहा था ।। वो अब खुद को डीला छोड़ देती है ।। अब वो खुद को रुद्र को सौप देती है ।। क्युकी वो जान चुकी थी की आज उसे रुद्र से कोई नहीं बचा सकता था ।। और वो जितना उसे रोकने की कोशिश करेगी उतना ज्यादा रुद्र उसे hurt करेगा ।।
     
    रुद्र उसे 2 0 min किस करने की बाद उसकी गर्दन पर किस कम बाइट ज्यादा करने लगता है ।। फिर उसकी ज्वेलरी को उससे जबरदस्ती अलग करता है ।। और उसके दोनो हाथो को अपने एक हाथ में लेता है ।। और दूसरा हाथ उसके पूरे बॉडी पर फिराने लगता है ।। 
     
    वो जब जब बाइट करता तब तब धानी की हल्की चीख निकल जाती ।। फिर रुद्र उसे पलटता है ।। और उसकी ब्लाउज की डोरी को खोलता है ।। और उसकी पूरी पीट पर किस ओर बाइट करने लगता है ।।
     
    उसकी गोरी पिट अब लाल हो चुकी थी ।। फिर रुद्र उसे पलटता है ।। और एक झटके में उसका ब्लाउज निकाल कर फेक देता है ।। उसने ब्लाउज के नीचे कुछ भी नही पहना था ।। जैसे ही रुद्र ब्लाउज निकलता है ।। धानी अपने दोनो हाथो से खुद को कवर कर लेती है ।। तो रुद्र उसके दोनो हाथो को अपने एक हाथ से पकड़ कर उसके सर के ऊपर बेड पर दबाता है ।।
     
    और उसकी चेस्ट को स_क करने लगता है ।। तो धानी अपनी आखें कस कर बंद कर लेती हैं ।। उसकी आखों से बस बेशुमार आसू गिर रहे थे ।। कुछ देर बाद उन दोनो के कपड़े जमीन पर बिखरे हुए थे ।। रुद्र और धानी एक ब्लैंकेट के अंदर थे ।। रुद्र धानी को देखते हुए एक झटके में धानी के अंदर इंटर करता है ।। जिससे धानी की जोरदार चीख निकल जाती हैं ।। लेकिन जल्दी ही रुद्र उसके होठों पर अपने होंठ रख उसकी आवाज उसके मुंह में ही बंद कर देता है ।।
     
    धानी का फर्स्ट टाइम था ।। इसलिए ये दर्द सहना उसके लिए बोहोत मुस्किल था ।। वो उसके नीचे दर्द से तड़प रही थी ।। उसके आसू और तेज़ हो जाते हैं ।। जब रुद्र उसके लिप्स को छोड़ उसके कॉलर बोन पर आ जाता है ।। तो धानी दर्द से बिलगते हुए रुद्र से रिक्वेस्ट करते हुए कहती हैं : " प्लीज दूर हो जाइए ।। मुझे बोहोत दर्द हो रहा है ।। प्लीज ।। में मर जाऊंगी ।। प्लीज ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    Hello guys to kaise ho AAP sab log ।।
     
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  • 8. Shaadi ek saja - Chapter 8

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    धानी का फर्स्ट टाइम था ।। इसलिए ये दर्द सहना उसके लिए बोहोत मुस्किल था ।। वो उसके नीचे दर्द से तड़प रही थी ।। उसके आसू और तेज़ हो जाते हैं ।। जब रुद्र उसके लिप्स को छोड़ उसके कॉलर बोन पर आ जाता है ।। तो धानी दर्द से बिलगते हुए रुद्र से रिक्वेस्ट करते हुए कहती हैं : " प्लीज दूर हो जाइए ।। मुझे बोहोत दर्द हो रहा है ।। प्लीज ।। में मर जाऊंगी ।। प्लीज ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।। 
     
    लेकिन रुद्र के कानो में तो जैसे जू तक नहीं रेंगती ।। वो अपनी स्पीड और बढ़ा देता है ।। उसके दीमाक में बस धानी को दर्द पहुंचाना ही चल रहा था ।। अपनी बहन के दर्द का बदला लेना यही सब चल रहा था ।। उसे धानी के दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ।।
     
    …….. सुबह के 4: 3 0 बजे ........
     
    रुद्र के रूम में अभी तक यही सिलसिला चल रहा था ।। धानी अब तक बेजान सी हो गई थी ।। वो बेहोश होने के कगार पर थी ।। तभी वो अपनी बेजान सी आवाज में कहती हैं : " ज जब अ आ आपको स सचाई पता च चलेगी ।। तो आप खुद को मा माफ नही क कर पाओगे ।। "
     
    ये कह कर वो बेहोश हो जाती है ।। उसकी बात सुन कर रुद्र भी एक पल के लिए रुक जाता है ।। लेकिन अपना सर झटक देता है ।। फिर उससे दूर हो कर वाशरूम में चला जाता है ।। 
     
    ....... वाशरूम में ........
     
    रुद्र शावर के नीचे खड़ा था ।। उसके दिमाक में धानी की कही बात गूंज रही थी ।।
     
    धानी : " ज जब अ आ आपको स सचाई पता च चलेगी ।। तो आप खुद को मा माफ नही क कर पाओगे ।। "
     
    वो खुद से ही कहता है : " क्या मैने कोई गलती की है ।। कही मैने इसे पहचाने में गलती तो नही की ।। नही ।। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ।। धानी ही तो उसकी बहन है ।। नही में ज्यादा ही सोच रहा हूं ।। मुझे इसके बारे में नही इसे दर्द देने के बारे में सोचना है ।। "
     
    ये कह कर वो फ्रेश हो कर रूम से बाहर आता है ।। फिर अपनी एक शर्ट उठा कर धानी को पहना देता है ।। 
     
    ....... कुछ देर बाद ......
     
    धानी जो दर्द और थकान की वजह से गहरी नींद में सो रही थी ।। अचानक अपने ऊपर ढंडा पानी गिरने की वजह से हड़बड़ा कर उठ जाती है ।।
     
    लेकिन वो जैसे ही उठ कर बैठती हैं ।। उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकल जाती है ।। जिस वजह से वो अपनी आंखे कस कर बंद कर लेती है ।। 
     
    तभी उसके कानो में एक रौबदार आवाज सुनाई पड़ती है : " tch tch tch बस इतने में ही आह निकल गई ।। अब तो ये दर्द तुम्हे रोज मिलने वाला है ।। तुम्हारी आखरी सास तक ।। और अभी तो बोहोत कुछ बाकी है ।। इसलिए ये नाटक बंद करो और उठ जाओ ।। "
     
    ये कह कर रुद्र मुड़ता ही है ।। की उसके कानो में धानी की मधुर सी आवाज पड़ती है : " क्या दर्द देने का यही एक तरीका होता है ।। "
     
    उसकी बात सुन रुद्र मुड़ता है ।। पानी की वजह से रुद्र ने धानी को जो शर्ट पहनाया था ।। वो गिला हो कर उसकी बॉडी से चिपक गया था ।। और धानी की बॉडी उसमे से हल्की हल्की दिख रही थी ।। रुद्र उसकी बॉडी को देख तिरछा मुस्कुरा कर कहता है : " नहीं ।। लेकिन ये तरीका तुम्हारे भाई ने अपनाया था ।। "
     
    फिर वो उसके पास जाकर उसकी काली जुल्फे जो उसके चेहरे से चिपकी हुई थी ।। उन्हें कान के पीछे करते हुए ।। कान के पास जाकर अपनी दिलकश आवाज में कहता है : " वैसे इस तरीके में बोहोत मजा आता है ।। और अब ये तुम्हारी पनिशमेंट के साथ साथ मेरी एंजॉयमेंट भी है ।। लेकिन अफसोस तुम्हारे लिए ये सिर्फ और सिर्फ दर्द ही है ।। "
     
    ये कह कर वो उसके कान को बाइट करता है ।। और उससे दूर हो कर कहता है : " अब जाओ और जाकर तयार हो जाओ ।। क्युकी तुम्हे अब इस महल की जिम्मेदारियां भी संभाल नी है ।। "
     
    ये कह कर वो रूम से अटैच स्टडी रूम में चला जाता है ।। वही धानी जो उसकी बाते सुन भूत बने वैसे ही बैठी थी ।। वो खुद से ही कहती है : " ये मेरे राक्षस कितने बेशरम है ।। पता नही में इनसे प्यार क्यों करती हूं ।। अ ह मुझे इन राक्षस से ही प्यार होना था क्या ।। "
     
    तभी उसे प्रियांशी की याद आती हैं ।। तो वो एक गहरी सांस लेकर खुद से ही कहती हैं : " धानी ये सब छोड़ ।। तुझे कुछ भी कर के उसे ठीक करना होगा ।। भाई की एक गलती की वजह से एक हस्ता खेलता परिवार बिखर गया है ।। मुझे इस परिवार की खुशियां वापस लानी होगी ।। इसलिए मुझे उसे ठीक करना होगा ।। "
     
    ये कह कर वो उठने को होती है ।। तो उसके मुंह से चीख निकल जाती है ।। जो ज्यादा जोर की नहीं थी ।। वो दर्द में ही फिर एक बार खुद से ही कहती हैं : " मेरे राक्षस की तो ।। माना पनिशमेंट देनी थी ।। लेकिन फिर भी थोड़ा आराम से नहीं कर सकते थे ।। "
     
    तभी रूद्र रूम में आता है ।। और बिना कुछ बोले धानी को अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले जाकर बाथटब में फेक देता है ।। फिर बाथटब के दोनो साइड हाथ रख उसके ऊपर छुकते हुए कहता है : " 1 0 min में बाहर आ जाना ।। "
     
    ये कह कर वो वहा से निकल जाता है ।। उसके जाते ही धानी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है ।। वो खुद से ही कहती हैं : " इतने भी बुरे नहीं है ।। " ये कह कर वो गर्म पानी का टाप ऑन कर के नहाने लगती है ।।
     
    ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
     
    हेलो दोस्तो तो कैसे हो आप सब एंड आप सब को आज का चैप्टर कैसा लगा ।।
     
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  • 9. Shaadi ek saja - Chapter 9

    Words: 1076

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ये कह कर वो वहा से निकल जाता है ।। उसके जाते ही धानी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है ।। वो खुद से ही कहती हैं : " इतने भी बुरे नहीं है ।। " ये कह कर वो गर्म पानी का टाप ऑन कर के नहाने लगती है ।।
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    गर्म पानी की वजह से उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी ।। और अब वो काफी हद तक ठीक थी ।। वो बाथरूम से निकल कर एक बाथरोब पहन कर बाहर आती है ।।
     
    क्युकी उसके पास इस वक्त कोई भी कपड़े नही थे ।। उसने एक व्हाइट कलर का बाथरोब पहना हुआ था ।। और एक व्हाइट कलर का towel अपने बालो पर लपेटा हुआ था ।। 
     
    नहाने की वजह से उसकी बॉडी हल्की गुलाबी दिख रही थी ।। और वो काफी फ्रेश लग रही थी ।। जब वो रूम में आती है ।। तो उसकी नजर सोफे पर बैठ कर लैपटॉप में काम कर रहे रुद्र पर जाती है ।।
     
    रुद्र का पूरा ध्यान लैपटॉप में था ।। उसके बाल बिखरे हुए थे ।। जिस वजह से वो काफी हॉट एंड हैंडसम लग रहा था ।। उसे देख धानी को अपना गला सूखता हुआ महसूस होता है ।। 
     
    तो वो खुद से ही कहती हैं : " ये मुझे क्या हो रहा है ।। में इस राक्षस को ऐसे क्यू देख रही हूं ।। नही धानी कनसंट्रेट ।। अगर राक्षस ने देख लिया तो फिर से अपने राक्षस वाले रूप में आ जाएंगे ।। और अभी मुझमें इन्हे झेलने की ताकत नहीं है ।। "
     
    ये कह कर वो अपना सर झटक देती है ।। फिर थोड़ा हीच कीचाते हुए रुद्र से कहती हैं : " राजा साहब ।। "
     
    उसकी आवाज सुन रुद्र अपना चेहरा ऊपर कर उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है ।। धानी उसे अभी अभी खिले कोमल गुलाब के फूल की तरह लग रही थी ।। रुद्र का मन उसे छूने का कर रहा था ।। लेकिन उसे प्रिशा की हालत याद आती है ।। और धानी के भाई से बदला लेना सब याद आता है ।। 
     
    तो वो अपने इमोशंस पर काबू करता है ।। फिर धानी को घूरते हुए रुडली कहता है : " अब बोलो गी भी ।। या यू ही मूर्ति बने खड़े रहने का इरादा है ।। "
     
    उसकी बात सुन धानी एक नजर उस शादी के जोड़े को देखती है ।। जो रुद्र ने कल रात बोहोत बुरी तरह से फाड़ दिया था ।। फिर रुद्र को देख कर कहती हैं : " वो कपड़े ।। "
     
    उसकी बात सुन रुद्र वापस लैपटॉप पर काम करते हुए कहता है ।। अंदर क्लोसेट में रखे हैं ।। ये सुन धानी जाकर जल्दी से क्लोसेट ओपन करती है ।। तो वहा पर राजस्थानी ड्रेस और साडिया रखी हुई थीं ।। साथ ही राजस्थानी जेवर और भी बोहोत सारी चीज़े रखी हुई थीं ।। 
     
    तो धानी उसमे से एक साड़ी निकाल कर चेंजिंग रूम की तरफ जाने को होती है ।। तभी उसके कानो में रुद्र की आवाज पड़ती है ।। रुद्र सक्त आवाज में उसे घूरते हुए कहता है : " वो साड़ी वापस रखो ।। "
     
    उसकी बात सुन धानी कन्फ्यूजन और बेबसी में रुद्र से कहती हैं : " इसे रखूंगी तो पहनूंगी क्या ।। "
     
    तो रुद्र उसे एक तरफ इशारा करता है ।। वहा साइड में रखे एक बड़े से टेबल पर एक बड़े से थाल को लाल रंग के कपड़े से ढक कर रखा गया था ।। 
     
    उसका इशारा समझ कर धानी वो साड़ी वापस रख कर उस तरफ जा कर वो कपड़ा हटती है ।। तो उसकी आखें खुली की खुली रह जाति है ।।
     
    उस ढाल में हरे, केशरी और गुलाबी रंग से बना हुआ ।। भारी सा लहंगा रखा हुआ था ।। साथ में हरे, केशरी और गुलाबी रंग से बना हुआ ब्लाउज और गुलाबी रंग से बना हुई दुप्पटा रखा हुआ था ।। वो राजस्थानी कपड़े थे ।। जिस पर बेहद खूबसूरत कारीगरी की हुई थी ।। उसे देख कर ही पता चल रहा था की वो लहंगा कितना भारी होगा ।।
     
    वही उसके साथ बड़े बड़े खानदानी राजस्थानी जेवर भी रखे हुए थे ।। उसे देख धानी रुद्र को देखते हुए मन में कहती हैं : " एक तो कल रात की वजह से ठीक से चला नही जा रहा ।। और इन्होंने जान बुच कर मेरे लिए ऐसे कपड़े चूस किए है ।। सच में एक no के राक्षस है ।। "
     
    फिर उम्मीद भरी नजरो से रुद्र को देखते हुए कहती हैं : " राजा साहब सच में ये कपड़े पहनने है ।। "
     
    तो उसकी बात सुन रुद्र गुस्से में कहता है : " मुझे अपनी बात दोहराना पसंद नही है ।। इसलिए चुप चाप इसे पहन कर नीचे आओ ।। "
     
    ये कह कर रुद्र वहा से चला जाता हैं ।। फिर धानी बेबसी में उस ड्रेस को देख कर उसे ले कर चेंजिंग रूम में चली जाती हैं ।। धानी पूरे वक्त रुद्र को कोस रही थी ।।
     
    ............. प्रियांशी के रूम में ............
     
    प्रियांशी को अब धीरे धीरे होश आ रहा था ।। प्रिशा को अब पहले से थोड़ा अच्छा लग रहा था ।। तो प्रिशा नर्स की मदद से खिड़की के पास बैठ जाति है ।।
     
    खिड़की में बैठने के लिए गदा लगाया गया था ।। और प्रिशा उसी पर बैठी हुई थीं ।। उस खिड़की को लाइट्स, सॉफ्ट टॉय, सॉफ्ट कुशन और कुछ फोटोज से डेकोरेट किया गया था ।। 
     
    प्रिशा राइट वाली वॉल से टिक कर बैठी हुई थीं ।। लेफ्ट वाली वॉल पर बोहोत सारी फोटो फ्रेम्स थी ।। उन सब की बीच में एक थोड़ी साइज में बड़ी फोटो थी ।। वो तस्वीर अंशिका जी की थी ।। उस फोटो में अंशिका जी ने एक सिंपल साड़ी पहनी हुई थीं ।। जिसमे वो बोहोत खूबसूरत लग रही थी ।।
     
    प्रिशा का पूरा कमरा किसी बार्बी की तरह डेकोरेट था ।। हर तरफ पिंक कलर की चीज़े थी ।। उसके रूम में एक और खास चीज थी ।। जो इस कमरे को और खूबसूरत करती थी ।। वो थी फोटो फ्रेम्स और उन्हे लाइट से डेकोरेट करने का तरीका ।। उस रूम के एक वॉल पर बस फैमिली कि ही तस्वीर थी ।। 
     
    ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
     
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    काफी जल्दी में प्रिशा को धानी से मिलाऊंगी ।। लेकिन उनकी मुलाकात थोड़ी स्पेशल होगी ।।

  • 10. Shaadi ek saja - Chapter 10

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    प्रिशा का पूरा कमरा किसी बार्बी की तरह डेकोरेट था ।। हर तरफ पिंक कलर की चीज़े थी ।। उसके रूम में एक और खास चीज थी ।। जो इस कमरे को और खूबसूरत करती थी ।। वो थी फोटो फ्रेम्स और उन्हे लाइट से डेकोरेट करने का तरीका ।। उस रूम के एक वॉल पर बस फैमिली कि ही तस्वीर थी ।। 
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    और उन तस्वीरों के बीच में एक बड़ी सी तस्वीर थी ।। जिसमे अंशिका जी और प्रताप जी थे ।। उस तस्वीर में अंशिका जी राजस्थानी लहंगा पहने एक बड़ी सी रॉयल चेयर पर बैठी हुई थी ।। और प्रताप जी भी किसी राजा के जैसे कपड़े पहन कर उनके पीछे खड़े थे ।। उन दोनो के चेहरे पर एक रॉब था ।। उन्हे देख कर कोई भी कह सकता था ।। ये दोनो कही के राजा रानी है ।।
     
    और वो लोग है भी ।। राजस्थान के हुकुम सा और हुकुम रानी सा ।। वही प्रिशा जो खिड़की के बाहर देख रही थी ।। तभी उसकी नजर अपनी मां की तस्वीर पर जाति है ।। अपनी मां की तस्वीर देख प्रिशा की आखों से एक बार फिर आसू निकल आते हैं ।।
     
    प्रिशा के अंदर एक गुस्सा बस गया था ।। इसलिए प्रिशा अपने गुस्से को निकलने के लिए अपने साइड रखा हुआ vase उठा कर एक तरफ फेखती है ।। जो ठीक एक टेबल पर रखे रिकॉर्डर पर जाकर लगता है ।। और उसमे से एक गाना जो आधे से सुरु होता है ।।
     
    ये एक लोरी थी ।। जो अंशिका जी ने रिकॉर्ड कर के रखी थी ।। जब प्रियांशी उनके पेट में थी ।।
     
    .......। लोरी ।......
     
    मेरी मुनिया रानी बने
    महलों का राजा मिले
    देखे खुशियों के मेले
    दर्द कभी ना झेले
     
    ।।।। ।।।। ।।।। ।।।। ।।।।
     
    ये चल ही रहा था ।। की ये बोल सुन कर प्रिशा गुस्से उस पर एक और vase उठा कर फेख्ती है ।। जिससे वो नीचे गिर कर टूट जाता है ।। फिर प्रिशा भी दर्द को सहते हुए ही उठ कर सारा सामान तोड़ने लगती है ।। इसी बीच एक कांच के टुकड़े से उसे कट लगता है ।।
     
    वही बाकी सब भी तोड़ फोड़ और लोरी की आवाज सुन प्रिशा के कमरे की तरफ जाते हैं ।। लेकिन प्रिशा किसी को अंदर नही आने देती ।। और एक कांच का टुकड़ा अपने कलाई पर रख कर सबको वही रहने के लिए कहती है ।।
     
    वही धानी भी तयार हो चुकी थी ।। वो लहंगा सच में बोहोत भारी था ।। उसे पहन कर चलना धानी के लिए बोहोत मुस्कील लग रहा था ।। और उसे दर्द भी हो रहा था ।। लेकिन वो उस रूप में बोहोत खूबसूरत लग रही थी ।। अगर कोई भी उसे देखता तो अपनी नजरे हटाना भूल जाता ।।
     
    अभी वो रूम के डोर के पास ही आई थी की उसे भी लोरी और तोड़ फोड़ की आवाज सुनाई देती है ।। लेकिन उसे चलने में प्रॉबलम हो रही थी जिस वजह से वो धीरे धीरे चल कर वहा तक जा रही थी ।।
     
    जब वो वहा का नजारा देखती है तो हैरान हो जाति है ।। प्रिशा को वो नजर नहीं आ रही थी लेकिन धानी को प्रिशा साफ साफ नजर आ रही थी ।।
     
    रुद्र और बाकी सब भी उसे समझा रहे थे ।। लेकिन प्रिशा शांत ही नहीं हो रही थी ।। तभी धानी को एक आइडिया आता है ।। वो एक सर्वेंट को फर्स्ट एड बॉक्स और दूध लाने को कहती है ।।
     
    फिर अपनी मधुर आवाज में कुछ गाने लगती हैं ।।
     
    .......। लोरी ।......
     
    लोरी-लोरी-लोरी
     
    आवाज सुन कर सब उसकी तरफ देखने लगते है ।। और धानी सबको साइड कर अंदर जाने लगती है ।। वही प्रिशा भी धानी को ही देख रही थी ।। धानी राजस्थानी पोशाक में अंशिका जी की तरह ही लग रही थी ।। वो आवाज भी बिलकुल उन्हीं की तरह थी ।। प्रिशा बस उसे एक टक देख रही थी ।। जैसे वो हिप्नोटाइज हो गई हो ।।
     
    चंदनिया छुप जाना रे
    छण भर को लुक जाना रे
     
    फिर धानी प्रिशा के पास जाकर उसके हाथ से कांच कर टुकड़ा लेकर दूर फेक देती है ।। उसके बाद प्रिशा को सहारे से उठा कर बेड पर बैठती है ।। तभी वो सर्वेंट उसे फर्स्ट एड बॉक्स देता है और दूध को लेके साइड में खड़ा हो जाता है  ।। तो धानी प्रिशा की छोट पर पटी करने लगती है ।। वही प्रिशा की हल्की आह निकलती है तो धानी उसके घाव पर फुख मार कर इस पर दावा लगाने लगती है ।।
     
    निंदिया आँखों में आये
    बिटिया मेरी सो जाये
    ले के गोद में सुलाऊँ
    गाऊँ रात भर सुनाऊँ
    मैं लोरी-लोरी...
     
    फिर पटी करने के बाद धानी वो दूध कर ग्लास अपने हाथ में पकड़ कर अपने हाथ से ही प्रिशा के मुंह के पास ग्लास ले जाकर उसे दूध पिला देती हैं ।। प्रिशा जिसे दूध बिलकुल पसंद नहीं था ।। लेकिन फिर भी धानी के हाथ से वो दूध पी लेती है ।। प्रिशा को धानी से एक मां की ममता महसूस हो रही थी ।। आखिर भाभी को मां की तरह ही तो कहा जाता है ।।
     
    कर्धनिया छुम-छुम बाजे
    पलकन में सपना साजे
    धीमे-धीमे, हौले-हौले
    पवन बसंती डोले
    ले के गोद में सुलाऊँ
    गाऊँ रात भर सुनाऊँ
    मैं लोरी-लोरी...
     
    फिर धानी प्रिशा को लेटा कर उसे ब्लैंकेट से कवर करती है ।। वही प्रिशा धानी की गोद में सर रखती है ।। तो धानी भी प्यार से उसका सर सहलाते हुए ।। लोरी गाने लगती है ।।
     
    मेरी मुनिया रानी बने
    महलों का राजा मिले
    देखे खुशियों के मेले
    दर्द कभी ना झेले
    ले के गोद में सुलाऊँ
    गाऊँ रात भर सुनाऊँ
    मैं लोरी-लोरी...
     
    ।।।। ।।।। ।।।। ।।।। ।।।। ।।।।
     
    ये कहते कहते धानी की आखों में भी प्रिशा की हालत देख कर आसू आ जाते है ।। लेकिन वो खुद को शांत करती है ।। और उसका सर सहलाते हुए ।। उसके माथे को प्यार से चूम लेती है ।।
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे कमेंट में जरूर बताना ।। और लाइक शेयर और रिव्यू देना न भूले ।।
     
    कैसी लगी धानी और प्रिशा की मुलाकात

  • 11. Shaadi ek saja - Chapter 11

    Words: 1064

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    ये कहते कहते धानी की आखों में भी प्रिशा की हालत देख कर आसू आ जाते है ।। लेकिन वो खुद को शांत करती है ।। और उसका सर सहलाते हुए ।। उसके माथे को प्यार से चूम लेती है ।।
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    वही बाकी सब ये देख कर हैरान थे ।। और खुश भी ।। अब उन्हें धानी से कोई प्रॉबलम नही थी ।। वही प्रिशा भी सुकून से धानी की गोद में सर रख कर सो रही थी ।।
     
    तो वही रुद्र ये सब देख कर गुस्सा था ।। क्युकी प्रिशा की ऐसी हालत धानी के भाई की वजह से ही हुई थी ।। और कही ना कही इन सब में सबसे बड़ा हाथ धानी का ही तो था ।। रुद्र के हिसाब से ।। रुद्र गुस्से में वहा से निकल जाता है ।। 
     
    फिर प्रिशा के सोने के बाद धानी उसे ठीक से लेटा कर सबके साथ लिविंग रूम में आ जाति है ।। तभी प्रताप जी धानी से माफी मांगते हुए कहते है : " माफ करना बेटा लेकिन आज आपका इस घर ने पहला दिन है ।। और आपको ये सब देखना पड़ा ।। "
     
    तो धानी जल्दी से उनके हाथ पर हाथ रख प्यार से कहती है : " नही बाबा सा ।। आप माफी क्यू मांग रहे है ।। अब में इस घर का हिस्सा हू ।। इस घर की सारी परेशानियां अब मेरी भी है ।। और अब आप फिक्र मत करो ।। में आपसे वादा करती हु ।। प्रिशा को में फिर से पहले जैसा कर दूंगी ।। इस घर की खुशियां फिर से लौट आएंगे ।। "
     
    तभी काव्या भी जल्दी से धानी को गले लगा लेती हैं ।। और कहती है : " थैंक यू भाभी सा ।। "
     
    उसकी बात सुन धानी प्यार से उसकी पीट सहलाने लगती है ।। तभी उसकी नजर पीछे खड़े नील और ईशान पर जाति है ।। जो उन्हे ही देख रहे थे ।। उन्हे देख कर लग रहा था की उन्हे भी अपनी भाभी सा के गले लगना है ।।
     
    उनकी अनकही बात समझते हुए धानी अपना एक हाथ आगे बड़ा कर उन्हे आने का इशारा करती है ।। तो नील और ईशान एक बार एक दूसरे को देखते है फिर भागते हुए जा कर धानी के गले लग जाते है ।।
     
    उनके आचनक गले लगने से धानी पीछे गिरने को होती है की अभय और युवान उसे पीछे से पकड़ लेते है ।। वही उन्हे गिरता देख प्रताप जी भी आगे बढ़ते है लेकिन फिर ये नजारा देख कर उन्हे भी बोहोत खुशी होती है ।।
     
    2 पल शांति के बाद वो सब लोग जोर जोर से हंसने लगते है ।। इस घर में सबके चेहरे पर मुस्कान सिर्फ प्रिशा की वजह से ही आती थी ।। लेकिन अंशिका जी के जाने के बाद आज फिर से इतने सालो बाद कोई और भी था जो इस घर को संभाल रहा था ।। 
     
    तभी वहा पर रुद्र आ जाता है ।। वो गुस्से में था ।। लेकिन फिर भी वो अपना गुस्सा छुपाते हुए धानी से कहता है : " अगर हसी मजाक हो गया हो तो कुछ काम भी कर लो ।। आज तुम्हारा इस घर में पहला दिन है ।। और रस्मों के हिसाब से आज तुम्हारी पहली रसोई की रसम है ।। तो तुम्हे सबके लिए खाना बनाना होगा ।। "
     
    उसकी बात सुन धानी मुस्कुराते हुए कहती है : " जी राजा साहब ।। हम इस रसम के बारे में अच्छे से जानते है ।। "
     
    उसकी मुस्कान और बात सुन रुद्र और चीड़ जाता है ।। और वो अपने दात पिसते हुए कहता है : " तो ये भी जानती होगी की एक राजा के लिए उसकी प्रजा उसके परिवार की तरह होती है ।। जिस हिसाब से तुम्हे सबके लिए खाना बनाना होगा ।। "
     
    उसकी बात सुन प्रताप जी उससे कहते है : " ये क्या बोल रहे हो रुद्र ।। अकेली बच्ची इतने लोगो का खाना कैसे बना पाएगी ।। "
     
    उनकी बात सुन रुद्र प्रताप जी से कहता है : " बाबा सा ।। आप जिसे बच्ची कह रहे हो वो राजस्थान की होने वाली हुकुम रानी सा है ।। खैर आप कह रहे हो तो ठीक है ।। भले ही सबके लिए नही लेकिन कम से कम ये हमारे लिए और इस महल में काम कर रहे लोगो के लिए तो खाना बना ही सकती है ना ।। "
     
    उसकी बात सुन प्रताप जी कुछ कहने को होते है की धानी कहती है : " कोई बात नही बाबा सा ।। इस महल में काम कर रहे लोग हमारे लिए परिवार जैसे ही है ना ।। और इतने लोगो का खाना हम बना लेंगे आप फिक्र मत करो ।। "
     
    उसकी बात सुन रुद्र तिरछा मुस्कुरा कर कहता है : " आईए हम आपको खाना बनाने की जगह दिखा देते है ।। "
     
    धानी को छोड़ कर किसी को भी रुद्र की बातो का असली मतलब समझ नही आ रहा था ।। वही रुद्र जब धानी को बाहर की तरफ ले जाने लगता है तो काव्या कहती है : " भाई सा आप भाभी सा को लेकर बाहर क्यू जा रहे हो ।। महल का किचन इतना बड़ा है की इतने लोगो का खाना आराम से उसमे बनाया जा सकता है ।। "
     
    उसकी बात सुन रुद्र उसे एक नजर देखता है ।। तो काव्या चुप हो जाति है ।। किसी को कुछ समझ नही आ रहा था ।। लेकिन रुद्र से पूछने की हिम्मत भी किसी में नहीं थी ।।
     
    रुद्र धानी को लेकर महल के पिछले हिस्से में आता है ।। वहा पर एक बड़ा सा गार्डन था ।। ( इसे छोड़ कर और भी एक गार्डन है महल में ।। ) जहा पर खाना बनाने की तयारी की गई थी ।। लेकिन वहा पर रखा सामान काफी दूर दूर रखा था ।। एक सामान लेने के लिए कम से कम 2 0 कदम तो चलने ही पड़ते ।। वहा की तयारी देख धानी की आखें बड़ी हो जाति है ।।
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
    आपको धानी और रुद्र कैसे लगे ।। और अगस्त्य के लिए थोड़ा wait कर लो ।।
     
    मेरी insta id : author_nehal

  • 12. Shaadi ek saja - Chapter 12

    Words: 1126

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    रुद्र धानी को लेकर महल के पिछले हिस्से में आता है ।। वहा पर एक बड़ा सा गार्डन था ।। ( इसे छोड़ कर और भी एक गार्डन है महल में ।। ) जहा पर खाना बनाने की तयारी की गई थी ।। लेकिन वहा पर रखा सामान काफी दूर दूर रखा था ।। एक सामान लेने के लिए कम से कम 2 0 कदम तो चलने ही पड़ते ।। वहा की तयारी देख धानी की आखें बड़ी हो जाति है ।।
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।। 
     
    धानी मुस्कील से दो कदम चल पा रही थी ।। एक तो कल उसका फर्स्ट टाइम था ।। और ऊपर से रुद्र बिलकुल भी जेंटल नही था ।। वही उनके साथ साथ घर के बाकी लोग भी बाहर आ गए थे ।। बाहर का नजारा देख कर सब कंफ्यूज थे ।। क्युकी महल मैं इतना बड़ा किचन होने के बावजूद ये बाहर खाना बनाने की तयारी करने की वजह उन्हे समझ नही आ रही थी ।।
     
    लेकिन धानी तो जानती थी ।। ये सब उसे टॉर्चर करने के लिए किया जा रहा है ।। रुद्र धीरे से उसके कान के पास छुक कर कहता है : " कैसी लगी यहां की तयारी रानी साहिबा ।। "
     
    फिर रुद्र उससे दूर हो कर तेज आवाज मैं कहता है : " महल मैं कितने लोग काम करते है ।। और आपको खाने मैं क्या क्या बनाना है ।। ये आपको दाई मां बता देगी ।। "
     
    तभी वहा पर एक 4 0 - 4 5 साल की औरत आती है ।। उन्होंने सिंपल सा राजस्थानी लहंगा पहना हुआ था ।। और माथे पर राजस्थानी मांग टिका था ।। माथे पर बड़ी सी बिंदी लगाई हुई थी ।। वो धानी और रुद्र के पास आती है ।। रुद्र ने उन्हें पहले ही सब समझा दिया था ।। 
     
    तो वो मुस्कुरा कर धानी से कहती है : " चलिए रानी सा ।। हम आपको का का बनाना है बता देते है ।। और अगर आपको मदद की जरूरत होगी तो हम यही है ।। "
     
    तभी रुद्र कहता है : " नहीं दाई मां ।। ये अकेले सब संभाल सकती है ।। आप बस इन्हें क्या क्या बनाना है ।। वो बता दीजिए ।। "
     
    फिर रुद्र वहां से जाते हुए घर वालो से कहता है : " आप सब अंदर चलिए ।। यहां क्यों खड़े है ।। "
     
    तभी काव्या कहती है : " मैं यही रुक जाती हु ।। भाभी सा को मदद की जरूरत होगी ।। "
     
    तभी रुद्र उसके कंधे पर हाथ रख उसे अंदर ले जाते हुए कहता है : " काव्या आपकी भाभी सा को राजस्थान की भाग दौड़ संभालनी है ।। तो उन्हें अभी से ये सब संभालने के आदत डालनी होगी ।। "
     
    रुद्र की बात एक तरीके से सही थी ।। इस लिए कोई भी आगे कुछ नहीं कहता ।। वही गार्डन मैं दाई मां धानी को क्या क्या बनाना है ।। और कितनो के लिए बनाना है ।। ये बता देती है ।। ये सब सुन कर तो धानी मन मैं एक बार महादेव को याद करती है ।। और कहती है : " महादेव ।। आपको इतनी स्वादिष्ट खीर खिलाई इसका बदला ऐसे ले रहे हो ।। अरे जानती हु मै ही कहती थी कि मुझे आप जैसा पति चाहिए ।। लेकिन आपने तो बस उसमें अपना गुस्सा ही डाला है ।। देखना मै भी आपकी शिकायत गौरी मैय्या से करूंगी ।। "
     
    ये कह कर वो मुंह बना कर खाना बनाना शुरू कर देती है ।। धानी जिस तरह से खाना बना रही थी ।। उसे देख कोई नहीं कह सकता था ।। की उसे खाना बनाना नहीं आता होगा ।। वहां बन रहे खाने की महक पूरे गार्डन को महका रही थी ।। वहां खड़े गार्ड्स और सर्वेंट्स के मुंह मैं खुद से ही पानी आ रहा था ।। देखते ही देखते धानी ने 2 घंटे में ही पूरा खाना बना दिया था ।। 
     
    दाई मां भी बस उसे देखती ही रह गई ।। थोड़ी ही देर में सब खाना खाने के लिए बैठे हुए थे ।। जैसे ही सबने खाना खाया ।। उनकी आंखे मै चमक दिखने लगी ।। वही रुद्र अपने मन मैं कहता है : " ये इतना अच्छा खाना बनाना कैसे जानती है ।। "
     
    वही धानी बेसब्री से किसी के कुछ बोलने का इंतजार कर रही थी ।। तभी काव्या बोलती है : " भाभी सा प्लीज आप मुझे भी ऐसा खाना बनाना सिखा दीजिए ना ।। "
     
    तो नील कहता है : " भाभी सा आपने खाना बहुत टेस्टी बनाना है ।। जी करता है आपके हाथ चूम लू ।। "
     
    ये सुन कर रुद्र गुस्से मैं उसे घूरने लगता है ।। आचनक हवा में आया बदलाव महसूस कर जब ईशान आस पास देखता है ।। तो रुद्र को देख कर उसकी सांसे अटक जाती है ।। वो जोर जोर से खांसने लगता है ।। ये देख धानी जल्दी से आगे बढ़ कर ईशान को पानी पिलाते हुए उसकी पीठ को रब करते हुए कहती है : " आराम से ।। "
     
    तो ईशान शांत हो कर कहता है : " जी भाभी सा ।। "
     
    वो धीरे से अपना पैर नील के पैर पर मारता है ।। तो नील गुस्से मैं धीरे से कहता है : " आह ।। क्या कर रहा है ।। "
     
    तो ईशान उसे रुद्र की तरफ देखने का इशारा करता है ।। जब वो रुद्र को खुद को घूरता पाता है ।। तो बेचारा वो भी अपनी सांस लेना भूल जाता है ।। और खाना उसके गले मैं अटक जाता है ।। वो भी जोर जोर से खांसने लगता है ।। 
     
    तो धानी उसकी भी पीट सहला उसे पानी पिला कर कहती है : " क्या हुआ है ।। खाना तीखा बना है क्या ।। "
     
    तो नील कहता है : " नहीं भाभी सा ।। खाना तो बहुत अच्छा बना है ।। इनफैक्ट ये मेरा आज तक का सबसे बेस्ट खाना था ।। "
     
    तो ईशान भी कहता है : " हां भाभी सा ।। आपके हाथों में तो जादू है ।। "
     
    तो प्रताप जी भी मुस्कुरा कर कहते है : " हां बेटा ।। आपने बहुत ही अच्छा खाना बनाया है ।। "
     
    तो युवान कहता है : " हां ।। आपके हाथ मैं तो मां अन्नपूर्णा का वास है ।। ( फिर अभय को कोहनी मार कर कहता है ) अबे तू भी कुछ बोल दे ।। कब से देख रहा हु बस ठुसा ही जा रहा है ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 13. Shaadi ek saja - Chapter 13

    Words: 1171

    Estimated Reading Time: 8 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    तो प्रताप जी भी मुस्कुरा कर कहते है : " हां बेटा ।। आपने बहुत ही अच्छा खाना बनाया है ।। "
    तो युवान कहता है : " हां ।। आपके हाथ मैं तो मां अन्नपूर्णा का वास है ।। ( फिर अभय को कोहनी मार कर कहता है ) अबे तू भी कुछ बोल दे ।। कब से देख रहा हु बस ठुसा ही जा रहा है ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।। 
     
    तो अभय अपने मुंह का खाना खा कर कहता है : " अबे चैन से खाने तो दिया कर ।। वैसे भाभी सा खाना बहुत ही टेस्टी बना है ।। "
     
    तभी वहा कुणाल एक फाइल लेकर आता है ।। तो धानी उसे देख कर कहती है : " अरे कुणाल जी आप भी आइए खाना खाने ।। "
     
    तो कुणाल कहता है : " mam ।। मैं आपसे छोटा हु ।। प्लीज मुझे जी कह कर मत बुलाइए ।। "
     
    तो धानी भी मुस्कुरा कर कहती है : " लेकिन एक शर्त पर ।। मुझे mam नहीं ।। भाभी सा कहना होगा ।। "
     
    तभी प्रताप जी भी कुणाल से कहते है : " अब कुणाल आ भी जाओ ।। अपनी भाभी सा की पहली रसोई तो खा कर बताओ कैसी बनी है ।। "
     
    तो कुणाल भी सबके साथ खाने बैठ जाता है ।। सब खाना खा कर धानी की तारीफ किए जा रहे थे ।। रुद्र को छोड़ कर ।। वो तो बस अपना सर नीचे किए खाना खा रहा था ।। तभी प्रताप जी सबसे कहते है : " बस तारीफ करने से कुछ नहीं होगा ।। सबको धानी को पहली रसोई का नेग देना होगा ।। "
     
    फिर वो एक नौकर को अपने पास बुलाते है ।। वो अपने हाथो मैं एक लाल जेवर का डिब्बा लेकर आता है ।। प्रताप जी वो डिब्बा धानी को देते हुए कहते है : " ये हमारे खानदानी कंगन है ।। आज अगर आपकी मां सा जिंदा होती ।। तो वो ये आपको अपने हाथो से देती ।। "
     
    धानी माना करने को होती है ।। की तभी प्रताप जी कहते है : " ले लो बेटा ।। ये रिवाज होता है ।। "
     
    ये सुन धानी वो ले लेती है ।। फिर वो झुक कर प्रताप जी के पैर छुने को होती है ।। लेकिन प्रताप जी उसे रोकते हुए कहते है : " बेटियां पैर नहीं छूती ।। "
     
    ये कह कर वो उसे गले लगा लेते है ।। फिर उसके सर पर हाथ रख कर कहते है : " हमेशा खुश रहो ।। खाना बहुत अच्छा बनाया था बेटा ।। "
     
    उनकी बात सुन धानी मुस्कुरा देती है ।। उसकी मुस्कुराहट में किसी ने उसकी हल्की गीली आंखे देखी ही नहीं ।। प्रताप जी वहा से जाते हुए कहते है : " हम आश्रम जा रहे है ।। अब शाम को ही वापस आएंगे ।। "
     
    ये कह कर प्रताप जी अपनी शॉल लेकर वहा से चले जाते है ।। उसके बाद रुद्र भी खाना खा कर उठता है ।। फिर धानी को देख उसके पास जाकर कहता है : " आज शाम को मुंह दिखाई के लिए कुछ खास मेहमान आने वाले है ।। इस लिए पूरे महल को आप खुद साफ करके सजाएगी ।। आपको कोई प्रॉबलम तो नहीं है ना रानी साहिबा ।। "
     
    रुद्र की बात सुन कर धानी उसे मन मैं जो भर कर किस रही थी ।। उसकी अखरी बात सुन कर वो हड़बड़ा कर कहती है : " न नहीं ।। कोई प्रॉबलम नहीं है ।। "
     
    तो रुद्र कहता है : " good ।। "
     
    ये कह कर वो वहा से चला जाता है ।। वही वह बैठे लोगों ने बस शाम को मेहमान आएंगे और आपको कोई प्रॉबलम तो नहीं है ।। ये दो ही लाइन सुनी थी ।। क्योंकि बीच वाली लाइन रुद्र ने बहुत ही धीरे से कही थी ।। 
     
    तभी धानी अपने मन मैं कहती है : " खडूस मक्की चूस ।। राक्षस कही के ।। एक तो इतना खाना बनवाया ।। अब चाहते है कि ये पूरा महल साफ करके डेकोरेट करूं ।। चलने लायक तो छोड़ा नहीं है ।। ऊपर से काम पर काम बताए जा रहे है ।। आपको भी देख लूंगी राजा साहब ।। "
     
    फिर वो डाइनिंग टेबल पर आकर एक प्लेट में खाना निकालते हुए वहा खड़ी सर्वेंट्स से कहती है : " आप सब भी खाना खा लीजिए ।। "
     
    धानी प्लेट लेकर प्रिशा के रूम मैं जाने को होती है ।। की तभी काव्या कहती है : " भाभी सा कोई फायदा नहीं है ।। उसने दो दिन से कुछ नहीं खाया है ।। दो दिन बाद आज सुबह ही बस उसने वो दूध पिया था ।। "
     
    ये सुन धानी कहती है : " अगर वो खाना नहीं खाएगी ।। तो ठीक कैसे होगी ।। "
     
    ये कह कर धानी प्रिशा के रूम मैं चली जाती है ।। काव्या भी जाने को होती है ।। की ईशान उसे रोक कर कहता है : " नहीं दी ।। प्रिशा भाभी सा ही शांत कर सकती है ।। आप उन्हें अकेला छोड़ दो ।। हो सकता है भाभी सा उसे खाना खिला दे ।। "
     
    तो काव्य भी अपना सर हां मै हिला देती है ।। और मन मैं कहती है : " बस प्रिंसेस भाभी सा को हार्म ना पहुंचा दे ।। "
     
    ।। ।। प्रिशा का कमरा ।। ।।
     
    प्रिशा शायद अभी अभी उठी थी ।। वो लेटे हुए ही सेलिंग को घूर रही थी ।। तभी उसके रूम मैं एक आहट होती है ।। जिससे प्रिशा डर कर बैठ जाति है ।। लेकिन जैसे ही उसकी नजर धानी पर जाति है ।। वो थोड़ी शांत होती है ।। 
     
    धानी उसे डरते देख कर उसके पास जाते हुए कहती है : " क्या हुआ लाडो ।। आप बस आहट सुन कर ही डर गई ।। मैने तो सुना था ।। राजकुमारियां बोहोत strong होती है ।। आप तो डरपोक निकली ।। "
     
    ये सुन कर प्रिशा थोड़े एटीट्यूड के साथ कहती है : " प्रियांशी राजपूत डरपोक नहीं है ।। "
     
    तो धानी उसके साइड मैं आकर बेड पर बैठ कर कहती है : " अच्छा ।। लेकिन क्या फायदा ।। अब आप खाना नहीं खाओगी ।। तो स्ट्रांग कैसे रहोगी ।। "
     
    फिर वो अपने हाथो से एक बाइट बना कर प्रिशा के मुंह के पास ले जाकर कहती है : " अगर तुम चाहती हो कि कोई भी तुम्हे डरपोक ना बुलाए ।। तो जल्दी से अपना मुंह खोलो ।। "
     
    प्रिशा उसे ही देख रही थी ।। वो उसके खूबसूरत से चेहरे को बारीकी से देख रही थी ।। वो अपना मुंह खोल वो बाइट खा लेती है ।। फिर धानी को देख कर कहती है : " आप कोन हो ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 14. Shaadi ek saja - Chapter 14

    Words: 1163

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    फिर वो अपने हाथो से एक बाइट बना कर प्रिशा के मुंह के पास ले जाकर कहती है : " अगर तुम चाहती हो कि कोई भी तुम्हे डरपोक ना बुलाए ।। तो जल्दी से अपना मुंह खोलो ।। " प्रिशा उसे ही देख रही थी ।। वो उसके खूबसूरत से चेहरे को बारीकी से देख रही थी ।। वो अपना मुंह खोल वो बाइट खा लेती है ।। फिर धानी को देख कर कहती है : " आप कोन हो ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    ये सुन धानी के हाथ रुक जाते है ।। वो कुछ पल के लिए खामोश हो जाती है ।। फिर अपना हाथ बढ़ा कर उसे एक ओर बाइट खिलाते हुए कहती है : " तुम्हे क्या लगता है ।। मैं कौन हु ।। "
     
    तो प्रिशा अपने चेहरे पर क्यूट से सोचने वाले एक्सप्रेशंस बना कर कहती है : " आपका पोशाक किसी रानी की तरह है ।। और आप के चेहरे की चमक भी पहले की रानियों की तरह है ।। पक्का आप किसी सिहासत की रानी है ।। लेकिन आप इस महल में क्या कर रही है ।। "
     
    उसकी बात सुन धानी के चेहरे पर मुस्कान आ जाति है ।। वो प्रिशा की तरह ही अपने चेहरे पर पाउट बना कर कहती है : " वो मेरे पति मुझे यहां लेकर आए है ।। "
     
    तो प्रिशा थोड़ी उदास हो कर कहती है : " ohh ।। आपकी शादी हो गई है ।। वैसे आपके पति कैसे है ।। अगर वो आपके साथ अच्छा बिहेव ना करे ना ।। तो मुझे बताना ।। मैं उनकी शिकायत भाई सा से कर दूंगी ।। फिर वो उन्हें बहुत मरेंगे ।। "
     
    तो धानी हस देती है ।। और प्रिशा से कहती है : " जो हुकुम राजकुमारी ।। मैं आपको पक्का बता दूंगी ।। लेकिन आप उदास क्यों हो गई ।। "
     
    तो प्रिशा उदास एक्सप्रेशंस बना कर कहती है : " वो क्युकी आप मुझे मेरे भाई सा के लिए पसंद आ गई थी ।। लेकिन bad luck ।। आपकी तो शादी हो गई है ना ।। "
     
    धानी एक बार खुद को देखती है ।। उसने बहुत सारे जेवर पहन रखे थे ।। जिस वजह से उसका मंगल सूत्र छुप गया था ।। और खाना बनाते वक्त उसके बाल थोड़े से बिखर गए थे ।। जिस वजह से मांग टीके के नीचे पहना सिंदूर भी जल्दी से दिख नहीं रहा था ।। 
     
    धानी ने प्रिशा से बात करते करते लगभग आधे से ज्यादा खाना खिला दिया था ।। तभी धानी कहती है : " वैसे लाडो तुम्हे खाना कैसा लगा ।। "
     
    तो प्रिशा आंखे बढ़ी करके कहती है : " खाना तो बहुत ही टेस्टी है ।। आपने बनाया है ।। "
     
    तो धानी हा मैं सिर हिला देती है ।। तभी वहा पर रुद्र गुस्से मैं आता है ।। उसे लगा था कि प्रिशा सो रही होगी ।। वो बिना देखे धानी से कहता है : " तुम अभी तक यहां क्या कर रही हो ।। मैने तुमसे जो करने के लिए कहा था ।। वो तुमने .... ।। "
     
    वो कहते कहते रुक जाता है ।। प्रिशा उसे देख मुस्कुरा कर धानी से कहती है : " ये मेरे भाई सा है ।। जिनके बारे मैं आपको बता रही थी ।। "
     
    फिर रुद्र को देख कर उसे अपने पास बुला कर ।। उसके कान मैं धीरे से कहती है : " भाई सा ये ना मुझे आपके लिए पसन्द आई थी ।। लेकिन इनकी तो शादी हो चुकी है ।। पता है ये बहुत टेस्टी खाना बनाती है ।। आपका bad luck भाई सा ।। आपने इनसे पहले शादी क्यू नहीं की ।। मुझे ये मेरी भाभी सा के रूप में चाहिए थी ।। "
     
    उनकी बाते धानी को भी सुनाई दे रही थी ।। रुद्र तो प्रिशा को नॉर्मली बात करता देख कर हैरान था ।। दो दिन से प्रिशा किसी को भी अपने पास भी नहीं आने दे रही थी ।। और आज वो पहले की तरह नॉर्मली बाते कर रही थी ।। 
     
    तभी धानी कहती है : " वैसे लाडो ।। आपकी ओर आपके भाई सा की पसंद काफी मिलती है ।। "
     
    प्रिशा को उसकी बात समझ नहीं आती ।। लेकिन रुद्र समझ गया था ।। धानी प्रिशा को आखिरी बाइट खिला कर पानी पिला देती है ।। फिर उसका मुंह साफ कर वहा से जाने को होती है ।। की तभी प्रिशा कहती है : " अरे आपने अपना नाम तो बताया ही नहीं ।। "
     
    तो धानी मुड़ कर कहती है : " आपने भाई सा से पूछ लीजिए ।। "
     
    ये कह कर वो वहा से चली जाती है ।। उसके जाने के बाद प्रिशा रुद्र की तरफ देखती है ।। तो रुद्र सपाट लहजे में कहता है : " धानी रुद्र सिंग राजपूत ।। वो आपकी भाभी सा है ।। "
     
    ये सुन प्रिशा की आंखे खुली की खुली रह जाति है ।। तभी धानी वापस रूम मैं आकर प्रिशा को उसकी मेडिसिंस देकर कहती है : " तो आपकी उदासी कम हुई ।। "
     
    प्रिशा भी खुशी खुशी मेडिसिन ले लेती है ।। और मुस्कुरा देती है ।। प्रिशा को वापस मुस्कुराता देख रुद्र तो देखता ही रह जाता है ।। वो जानता था ।। जो भी प्रिशा के साथ हुआ था ।। उसके बाद वो इतनी जल्दी तो नॉर्मल होने वाली नहीं थी ।। 
     
    धानी भी उसे सुला कर बाहर चली जाती है ।। रुद्र भी उसके पीछे चला जाता है ।। रुद्र धानी से कहता है : " ये तुमने मेरी बहन पर कौनसा जादू किया है ।। "
     
    तो धानी मुस्कुरा कर कहती है : " प्यार का ।। वैसे आप तो चले गए थे ना ।। "
     
    तो रुद्र दांत पिस्ते हुए कहता है : " अगर तुमने मेरी बहन को हर्ट करने की कोशिश की ना ।। तो मैं तुम्हारी जिंदगी नर्क से बतर कर दूंगा ।। "
     
    तो धानी धीरे से बूटबूटाती है : " अभी कौनसी स्वर्ग बना रखी है ।। "
     
    तो रुद्र उसे गुस्से से घूरते हुए कहता है : " क्या कहा ।। "
     
    तो धानी अपना सर ना मैं हिला कर कहती है : " कुछ भी तो नहीं ।। आप जाइए ।। मैं आपकी बात समझ गई ।। "
     
    ये कह कर वो वहा से निकल जाति है ।। रुद्र कुणाल के साथ ऑफिस के लिए निकल जाता है ।। अभय भी हॉस्पिटल के लिए चला जाता है ।। युवान भी अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है ।। बाकी उन तीनो की छूटी थी ।। तो वो घर मैं ही थे ।। 
     
    धानी खुद को देख कर कहती है : " इन कपड़ों में तो सफाई करना ना मुमकिन है ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 15. Shaadi ek saja - Chapter 15

    Words: 1129

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
     
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
    ये कह कर वो वहा से निकल जाति है ।। रुद्र कुणाल के साथ ऑफिस के लिए निकल जाता है ।। अभय भी हॉस्पिटल के लिए चला जाता है ।। युवान भी अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है ।। बाकी उन तीनो की छूटी थी ।। तो वो घर मैं ही थे ।। धानी खुद को देख कर कहती है : " इन कपड़ों में तो सफाई करना ना मुमकिन है ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    ये कह कर वो अपने रूम मैं जाती है ।। फिर वहा से एक पिंक कलर की सिंपल नेट की साड़ी निकालती है ।। उसके साथ व्हाइट स्मॉल स्लीव्स ब्लाउज ।। फिर वो जाकर चेंज करती है ।। उसके गोरे बदन पर वो हल्की गुलाबी साड़ी बहुत जज रही थी ।। 
     
    वही जब काव्या, ईशान और नील को पता चलता है कि प्रिशा ने धानी के हाथ से खाना खा लिए ।। तो वो तीनो काफी खुश होते है ।। आखिर उनकी जान तो उसी मैं अटकी हुई थी ना ।। 
     
    धानी जब साड़ी पहन कर नीचे आती है ।। तो नील उसे देख कर कहता है : " भाभी सा आप तो सिंपल साड़ी में भी बोहोत खूबसूरत लग रही हो ।। "
     
    तो उसकी बात सुन धानी मुस्कुरा देती है ।। तभी धानी वहां खड़ी दाई मां से कहती है : " दाई मां ।। महल मैं साफ सफाई करने का सामान कहा रखा जाता है ।। "
     
    तो दाई मां पहले तो हैरान होती है ।। लेकिन फिर कहती है : " बेटा इसी फ्लोर के सबसे आखिर में क्लीनिंग रूम है ।। उसी मैं सारा सामान रखा जाता है ।। "
     
    तभी काव्या कहती है : " लेकिन भाभी सा आप क्यों पूछ रही है ।। "
     
    ये सुन धानी एक पल के लिए रुक जाते है ।। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे ।। सच वो बता नहीं सकती थी ।। और झूठ क्या बोले उसे समझ नहीं आ रहा था ।। 
     
    तभी वो कुछ सोच कर कहती है : " वो आज रात को मुंह दिखाई है ना इस लिए ।। "
     
    तो ईशान कहता है : " लेकिन मुंह दिखाई ओर साफ सफाई के समान का क्या लेना देना ।। "
     
    तो धानी अपने चेहरे पर नकली मुस्कान लाते हुए कहती है : " वो वो हमारे यहां पर ये रस्म है ।। की मुंह दिखाई मै सिर्फ बहु की सुंदरता ही नहीं ।। तो उसके बाकी के काम भी देखते है ।। तो उस दिन नई नवेली बहु घर की साफ सफाई करती है ।। "
     
    ये सुन किसी को भी शक नहीं होता ।। तभी नील कहता है : " भाभी सा घर की सफाई करना ठीक है ।। लेकिन ये घर नहीं महल है ।। इतने बड़े महल की सफाई आप अकेली कैसे करोगी ।। और आप अभी शुरू करेंगी तो दो दिन लग जाएंगे आपको ।। "
     
    नील की बात एक दम सच थी ।। वो पूरा महल काफी बड़ा था ।। तभी ईशान कहता है : " एक आइडिया है मेरे पास ।। भाभी सा आप बस हॉल को ही साफ करो ।। बाकी की सफाई सर्वेंट्स कर देंगे ।। "
     
    तो काव्य कहती है : " लेकिन ये हॉल भी छोटा कहा है ।। भाभी सा इतना बड़ा हॉल अकेले कैसे साफ करेंगी ।। "
     
    तो नील कहता है : " तो हम भी मदद करते है ना ।। वैसे भी रस्म में घर वाले तो मदद कर ही सकते है ।। "
     
    ये सुन धानी कहती है : " अरे नहीं ।। आप तीनो रहने दो मै कर लूंगी ।। "
     
    तो ईशान कहता है : " भाभी सा हर दिन 1 0 सर्वेंट्स मिल कर इसे साफ करते है ।। और आप कह रही हो कि आप अकेली करोगी ।। बिल्कुल नहीं ।। हम सब आपकी मदद करेंगे ।। "
     
    धानी उनकी जिद सुन कर कुछ नहीं कहती ।। फिर वो अपना पल्लू कमर में टक करके कहती है : " तो सुरु हो जाओ ।। "
     
    फिर सब लोग अपने हाथ मैं कुछ ना कुछ ले लेते है ।। धानी और ईशान brooming कर रह थे ।। तो काव्य और नील डस्टिंग ।। दाई मां भी ये देख कर हैरान थी ।। आज तक उन्होंने कभी खुद से पानी का ग्लास नहीं भरा था ।। वो अपनी भाभी सा के साथ हस्ते हस्ते काम कर रहे थे ।। 
     
    वो चारों आपस में बात करते हुए खिलखिला रहे थे ।। तभी नील कहता है : " वैसे भाभी सा ।। आपकी ओर भाई सा की लव स्टोरी बताइए ना ।। आप दोनो पहली बार कब मिले थे ।। "
     
    ये सुन धानी के दीमक मै कुछ सीन्स घूमने लगते है ।। तभी वो उनसे कहती है : " ये तो बहुत लंबी कहानी है ।। फिर कभी बताऊंगी ।। लेकिन मुझे आप तीनो बताओ ।। आपके कितने गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड है ।। "
     
    तभी ईशान झाड़ू मारते हुए कहता है : " क्या भाभी सा ।। अगर भाई सा को पता चला कि हमारी कोई गर्लफ्रेंड है ।। तो अगले दिन वो हमारी बीवी बनी मिलेगी ।। "
     
    ये सुन धानी को हसी आ जाती है ।। वो हस्ते हुए कहती है : " ये तो अच्छी बात है ना ।। सबको घर वाले नहीं मानेंगे इस बात का डर होता है ।। और तुम लोगों को अगले ही दिन शादी हो जाएगी इस बात का डर है ।। "
     
    ये सुन वो तीनो भी हस देते है ।। तभी ईशान फिर कहता है : " भाभी सा आप नील से पूछ लो ।। पता है ये कॉलेज का प्ले बॉय no 1 है ।। "
     
    तभी नील अपने हाथ मैं पकड़ा पोछा ईशान पर फेक कर मारते हुए कहता है : " तू मेरी चुगली कर रहा है भाभी सा से ।। और भाभी सा आपको पता है ये कॉलेज का सबसे संत महात्मा है ।। एक बार एक लड़की ने इसे प्रपोज किया था ।। और पता है इसने क्या कहा ।। "
     
    तो धानी भी एक्साइटमेंट मै कहती है : " क्या कहा ।। "
     
    तो नील हस्ते हुए कहता है : " सॉरी sister ।। तुम मेरे लिए बहन की तरह हो ।। इसकी बात सुन कर उस लड़की ने फूल इसके मुंह पर फेक कर मारा था ।। "
     
    ये सुन धानी और काव्या भी जोर जोर से हस देते है ।। तो ईशान मुंह बना कर कहता है : " यार मैं उस वक्त 1 0 क्लास में था ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 16. Shaadi ek saja - Chapter 16

    Words: 1117

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।। 
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    तो नील हस्ते हुए कहता है : " सॉरी sister ।। तुम मेरे लिए बहन की तरह हो ।। इसकी बात सुन कर उस लड़की ने फूल इसके मुंह पर फेक कर मारा था ।। "
    ये सुन धानी और काव्या भी जोर जोर से हस देते है ।। तो ईशान मुंह बना कर कहता है : " यार मैं उस वक्त 1 0 क्लास में था ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    वो लोग बाते करते करते साफ सफाई कर रहे थे ।। इस वक्त सभी लोग फर्श पर पानी डाल कर वाइपर से साफ कर रहे थे ।। उनके खिल खिला कर हसने की आवाज पूरे महल में गूंज रही थी ।।
     
    आवाज सुन कर प्रिशा की भी नींद खुल जाती है ।। वैसे भी उसकी नींद पूरी हो गई थी ।। वो महल मैं हसने की आवाज सुन कर ।। खुद को कमरे से बाहर निकालने से रोक ही नहीं पाती ।।
     
    3 दिन बाद आज जाकर प्रिशा अपने कमरे से बाहर आई थी ।। ऊपर के फ्लोर की सफाई कर रहे सर्वेंट्स भी उन्हें देख कर हैरान थे ।। प्रिशा इस घर के हर सर्वेंट की प्यारी थी ।। उसके मस्त मौला अंदाज की वजह से सब उसे बहुत पसंद करते थे ।।
     
    प्रिशा को चलने में दिक्कत तो हो रही थी ।। लेकिन गर्भ वो धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी ।।जब वो रेलिंग से नीचे देखती है ।। तो उसे हसी आ जाती है ।। वो अपनी हसी रोक नहीं पाती और जोर जोर से हसने लगती है ।।
     
    3 दिन बाद उसकी हसी की आवाज इस घर मैं गूंज रही थी ।। सब उसकी तरफ ही देख रहे थे ।। प्रिशा खुल कर जोर जोर से हस रही थी ।। उसे ऐसा करने में दर्द तो हो रहा था ।। लेकिन उसने उसे इग्नोर कर दिया ।। 
     
    प्रिशा अपनी हसी को रोकते हुए कहती है : " ये क्या हो रहा है ।। अगर ये बात बाहर है ना ।। तो कल की हेड लाइन होगी ।। राजस्थान की होने वाली हुकुम रानी सा ओर कुंवर कुंवारी सा कर रहे थे अपने ही महल की सफाई ।। ये रही उनकी झाड़ू पोछा मारते हुए तस्वीरें ।। "
     
    ये कह कर वो फिर से हसने लगी ।। सब जो मंत्र मुक्त होकर उसे हस्ते हुए देख रहे थे ।। वो उसकी बात सुन कर खुद भी हसने से रुक नहीं पाते ।। वो सब हसने लगते है ।। थोड़ी देर बाद प्रियांशी आपने हाथ में जूस का ग्लास लिए वहां के सोफे पर बैठी हुई थी ।। और उसके सामने वो सब सफाई कर रह थे ।। 
     
    प्रियांशी कहती है : " ईशान भाई सा आपके पीछे वहा पानी रह गया ।। दी आपके साइड मैं भी पानी है ।। "
     
    तो काव्या अपने हाथ जोड़ कर उससे कहती है : " जी देवी मां ।। हम साफ कर रहे है ।। "
     
    लगभग शाम होने को थी ।। और नीचे की सजावट भी पूरी हो गई थी ।। वो फर्श पर ही बैठ जाते है ।। वही प्रिशा सेब खाते हुए उन्हें देख रही थी ।। नील तो फर्श पर लग भग लेटते हुए कहता है : " बस अब मुझमें कुछ भी करने की हिम्मत नहीं बची ।। आज पता चला हमारा महल कितना बड़ा है ।। "
     
    तभी एक सर्वेंट आकर धानी को फोन देते हुए कहती है : " रानी सा ।। राजा सा का फोन आया है ।। "
     
    ये सुन धानी वो कॉल लेकर कान से लगाती है ।। तो दूसरी तरफ से एक रौबदार आवाज आती है : " थोड़ी देर मैं मेहमान आने शुरू हो जाएंगे ।। अगर गलती से भी तुमने कोई गलती की ना ।। तो इसकी सजा भुगतने के लिए तैयार रहना ।। और याद रहे तुम उनकी नजर में राजस्थान की होने वाली हुकुम रानी सा हो ।। तो इस बात को याद रख कर ही तैयार होना ।। "
     
    उसकी बात सुन धानी मुंह बना कर अपने मन मैं कहती है : " ये जो गले मैं इतना भरी मंगलसूत्र पहनाया है ।। ये भूलने देगा ।। "
     
    फिर रुद्र से कहती है : " जी ।। "
     
    फिर रुद्र कॉल रख देता है ।। तो धानी सब को देख कर कहती हैं : " चलो आप सब भी जाकर तैयार हो जाओ ।। थोड़ी देर मैं ही मेहमान आने वाले है ।। "
     
    ।। ।। शाम का वक्त ।। ।।
     
    5 - 6 औरते जिन मै से कुछ ने महंगी साडिया ।। तो कुछ ने राजस्थानी लहंगे पहने हुए थे ।। वो सब हॉल मैं बैठी हुई थी ।। उनके चेहरे पर राजशाही रॉब साफ दिख रहा था ।। वो सभी सोफे पर बैठी हुई थी ।। 
     
    तभी वहा प्रताप जी आते है ।। उन्हें देख कर वो औरते उठ कर उनसे कहती है : " खंबा घड़ी हुकुम सा ।। "
     
    तो प्रताप जी रॉब के साथ वहां आकर बैठते हुए कहते है : " बैठिए ।। "
     
    तभी वहा ईशान और नील भी आ जाते है ।। और उनके पीछे ही युवान और अभय भी आते है ।। 
     
    तभी वहा बैठी औरतों मै से एक औरत कहती है : " जी सब आ गए लेकिन होने वाले हुकुम सा नहीं दिख रहे ।। "
     
    तभी वहा पर रुद्र भी आता है ।। उसने एक बिजनेस शूट ही पहना हुआ था ।। वो उसमें काफी हैंडसम लग रहा था ।। उसके चेहरे का तेज अभी भी बरकरार था ।। 
     
    ये सारी औरते आंशिक जी ओर अंजलि जी की दोस्त थी ।। प्रताप जी के कहने पर मुंह दिखाई की रस्म करने के लिए रुद्र ने इन्हें ही बुला लिया था ।।
     
    तभी उनमें से एक औरत मुस्कुराते हुए कहती है : " अब बहुरानी को भी बुला लीजिए ।। "
     
    तो दूसरी औरत भी जरा मुंह बना कर कहती है : " हा ।। हम भी तो देखे आखिर किसे पसंद किया है आपने होने वाली हुकुम रानी सा के लिए ।। "
     
    तभी एक नौकरानी ऊपर जाती है ।। और थोड़ी देर बाद ही पायल की छानकर वहा गूंजने लगती है ।। एक लड़की गहरे हरे रंग का भारी कढ़ाई किया हुआ राजस्थानी लहंगा पहने नीचे आ रही थी ।। उसने राजस्थानी जेवर भी पहने हुए थे ।। लेकिन उसके मुंह पर एक नेट का घूंघट था ।। लेकिन उससे झलकता हल्का हल्का चेहरा देख कर ही कोई भी बता सकता था ।। की ये लड़की कितनी खूबसूरत है ।। 
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 17. Shaadi ek saja - Chapter 17

    Words: 1124

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    तभी एक नौकरानी ऊपर जाती है ।। और थोड़ी देर बाद ही पायल की छानकर वहा गूंजने लगती है ।। एक लड़की गहरे हरे रंग का भारी कढ़ाई किया हुआ राजस्थानी लहंगा पहने नीचे आ रही थी ।। उसने राजस्थानी जेवर भी पहने हुए थे ।। लेकिन उसके मुंह पर एक नेट का घूंघट था ।। लेकिन उससे झलकता हल्का हल्का चेहरा देख कर ही कोई भी बता सकता था ।। की ये लड़की कितनी खूबसूरत है ।। 
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।। 
     
    उसके साथ ही काव्या भी एक सिंपल सा राजस्थानी लहंगा पहने नीचे आ रही थी ।। काव्या को देख कर तो युवान की नजरे उसी पर टिक जाती है ।। वही बाकी सारी औरते तो धानी को ही देख रही थी ।। हालांकि उसका चहरा साफ साफ नहीं दिख रहा था ।। लेकिन उसकी खूबसूरती का अंदाजा हर कोई लगा सकता था ।। 
     
    काव्या धानी को फूलों से सजाए गए जगह पर बैठाती है ।। तभी प्रताप जी रुद्र से कहते है : " रुद्र ।। आइए धानी का घूंघट उठाइए ।। "
     
    उनकी बात सुन रुद्र धानी के पास आता है ।। और उसके चेहरे से घुंघट उठाता है ।। तो सब धानी को ही देखने लगते है ।। धानी इस वक्त इतनी खूबसूरत लग रही थी ।। की शब्दों में उसकी खूबसूरती बया नहीं हो सकती थी ।। वो सच मैं कही कि महा रानी लग रही थी ।। 
     
    तभी सब का ध्यान प्रताप जी की बातों से हटता है ।। प्रताप जी अपने चेहरे पर एक प्राउड लिए कहते है : " हम इन्हें क्या पसंद करते ।। इनका जन्म ही हुआ है ।। हुकुम रानी सा बनने के लिए ।। "
     
    रुद्र तो चाह कर भी धानी से नजरे नहीं हटा पा रहा था ।। तभी एक एक औरत आगे आकर धानी को तोफे देने लगती है ।। और उसकी तारीफे करने लगती है ।। तभी वो औरत जो पहले मुंह बना कर बोल रही थी ।। वो फिर से कहती है : " बुरा मत मानिए हुकुम सा ।। लेकिन बस खूबसूरत होने का ये मतलब नहीं होता कि वो लड़की हुकुम रानी सा बनने लायक है ।। एक हुकुम रानी सा मै बाकी के भी गुण होने चाहिए ।। "
     
    तभी नील कहता है : " वैसे आंटी ।। लगता है आप ये बात तब भूल गई थी ।। जब आप अपनी बेटी का रिश्ता भाई सा के लिए लेकर आई थी ।। "
     
    तभी ईशान कहता है : " अरे नहीं ।। उसमें तो खूबसूरती वाला गुण भी नहीं था ।। वो तो मेक अप का कमाल था ।। "
     
    उनकी बाते सुन अभय उन्हें आंखे दिखा कर चुप रहने को कहता है ।। वही काव्या, युवान और धानी को उनकी बाते सुन कर हसी आ रही थी ।। लेकिन बेचारे इस वक्त हस नहीं सकते थे ।।
     
    तभी वो औरत गुस्से मैं कहती है : " लेकिन वो एक राजकुमारी है ।। उसे हमारी संस्कृति, सभ्यता के बारे मैं पता है ।। लेकिन आपकी बहू को देख कर लगता नहीं है ।। की वो हमारी संस्कृति, सभ्यता को जानती या समझती है ।। "
     
    उनकी बात सही थी ।। धानी का जन्म ना राजस्थान में हुआ था ।। और नाही वो कही कि राजकुमारी थी ।। वो बात अलग थी कि वो भी एक अमीर घर से बिलॉन्ग करती थी ।। 
     
    तभी प्रताप जी मुस्कुराते हुए कहते है : " हमे उस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता ।। जो भी हो लेकिन हुकुम रानी सा तो मेरी बेटी ही बनेगी ।। और मुझे पूरा भरोसा है ।। वो अपनी मां सा से भी अच्छी हुकुम रानी सा बन कर दिखाएगी ।। "
     
    ये सुन कर उस औरत का मुंह बन गया ।। धानी वहां चुप चाप बैठी हुई थी ।। उसे इन सब मैं कुछ भी बोलना ठीक नहीं लगा ।। थोड़ी देर बाद सभी औरते वहां से चली गई ।। ये देख धानी ने चैन की सांस ली ।। क्योंकि ये सब उसके लिए बहुत भारी हो गया था ।। 
     
    ।। ।। प्रिशा का कमरा ।। ।।
     
    प्रिशा अपने कमरे की खिड़की मैं बैठी ये सब सुन रही थी ।। प्रिशा के साथ क्या हुआ था ।। ये घर वालो को छोड़ कर किसी को नहीं पता था ।। प्रिशा के गले मैं एक पतली सी बेहद खूबसूरत चैन थी ।। असल मै वो एक मंगलसूत्र था ।। जिस मै बड़ी ही खूबसूरती से A R लिखा हुआ था ।। 
     
    वो उसे अपने हाथ से छुते हुए आंखे बंद कर लेती है ।। तभी वहा पायल और कंगन की आवाज गूंजती है ।। प्रिशा आंखे खोल कर पीछे मुड़ती है ।। तो सामने धानी हाथ मैं खाने की धाल लिए खड़ी थी ।। उसे देख प्रिशा हल्का सा मुस्कुरा कर कहती है : " भाभी सा ।। आइए ना ।। "
     
    तो धानी अंदर आते हुए कहती है : " क्या सोच रही थी ।। "
     
    इस पर प्रिशा ठीक से बैठते हुए कहती है : " कुछ नहीं ।। वैसे आप इस लहंगे में बेहद खूबसूरत लग रही है ।। "
     
    तो धानी उसके पास आकर बैठते हुए मुस्कुरा कर कहती है : " thank you ।। ये लहंगा बाबा सा ने दिया है ।। "
     
    तो प्रिशा मुस्कुरा कर कहती है : " आपको पता है ।। ये लहंगा मां का है ।। "
     
    ये कह कर वो एक दीवार पर लगी तस्वीर की तरफ इशारा करती है ।। उसमें भी आंशिक जी ने यही लहंगा पहना हुआ था ।। तभी प्रिशा मुस्कुरा कर फिर कहती है : " लेकिन मानना पड़ेगा ।। आप इस लहंगे में मां से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है ।। "
     
    तो धानी हल्की मुस्कान के साथ कहती है : " नहीं ।। मैं कभी भी उनसे ज्यादा अच्छी नहीं लग सकती ।। "
     
    धानी प्रिशा को अभी भी अपने हाथो से खिलाने लगती है ।। प्रिशा धानी से कहती है : " आपने नीचे उस औरत को जवाब क्यों नहीं दिया ।। "
     
    तो धानी मुस्कुराते हुए कहती है : " वहा पर इतने लोग तो थे मेरे लिए बोलने के लिए ।। मुझे जरूरत ही नहीं लगी ।। वैसे लाडो तुम नीचे क्यों नहीं आई ।। "
     
    तो प्रिशा थोड़ी देर के लिए चुप हो जाती है ।। फिर एक गहरी सांस लेकर कहती है : " बस मन नहीं था ।। "
     
    तभी धानी कहती है : " जब हमारी गलती ना हो ।। तो हमे लोगो से नजरे मिलाने में कतराना नहीं चाहिए ।। "
     
    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 18. Shaadi ek saja - Chapter 18

    Words: 1133

    Estimated Reading Time: 7 min

     ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    तो प्रिशा थोड़ी देर के लिए चुप हो जाती है ।। फिर एक गहरी सांस लेकर कहती है : " बस मन नहीं था ।। "
    तभी धानी कहती है : " जब हमारी गलती ना हो ।। तो हमे लोगो से नजरे मिलाने में कतराना नहीं चाहिए ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    धानी उसकी आखों मैं देखते हुए कहती है : " वैसे एक बात पूछू ।। "
     
    उसकी बात सुन प्रिशा कहती है : " आपको जो पूछना है पूछिए भाभी सा ।। आपको इजाजत लेने की जरूरत नहीं है ।। "
     
    तो धानी कहती है : " तुमने अपने भाई सा से उस आदमी को कुछ ना करने का वादा क्यों लिया ।। क्या तुम नहीं चाहती थी ।। उसे सजा मिले ।। "
     
    तो प्रिशा एकदम चुप हो जाती है ।। फिर कहती है : " उससे कुछ पूछना चाहती हु ।। और वैसे भी गलत मेरे साथ हुआ है ।। तो उसे सजा देने का भी हक मुझे ही है ।। और मैं इसमें भाई सा की मदद नहीं लेना चाहती थी ।। "
     
    धानी उसे उसके दवाई देकर कहती है : " चलो अब आराम करो ।। "
     
    ये कह कर वो वहा से निकल जाति है ।। 
     
    ।। ।। कॉरिडोर मैं ।। ।।
     
    धानी रूम से बाहर आकर खुद से कहती है : " सही कहा ।। गलत किया है तो सजा तो मिलेगी ही ।। "
     
    ये कह कर धानी वहां से चली जाती है ।। 
     
    ।। ।। रुद्र और धानी का कमरा ।। ।।
     
    धानी डरते हुए रूम मैं आ रही थी ।। वो मन ही मन मैं कहती है : " प्लीज महादेव उस राक्षस से बचा लीजिए ।। "
     
    धानी रुद्र से बचने के लिए 1 1: 3 0 बजे रूम मैं आई थी ।। वो नीचे दाई मां से बाते कर रही थी ।। धानी धीरे धीरे रूम मैं आती है ।। पूरे रूम मैं अंधेरा था ।। ये देख कर धानी को लगता है कि रुद्र सो गया होगा ।। 
     
    तो वो चांद की हल्की रोशनी मैं ड्रेसिंग टेबल के पास जाकर अपने गहने उतारने लगती है ।। फिर वॉर्डरोब में जाकर चेंज कर लेती है ।। उसके पास बस साड़ी और लहंगे ही थे ।। तो वो एक साड़ी ही पहन कर बाहर आती है ।। 
     
    वो जैसे ही बाहर आती है ।। कोई उसे कंधे पर उठा कर बेड पर पटक देता है ।। ये सुन धानी की चीख निकल जाती है ।। लेकिन रूम साउंड प्रुफ होने की वजह से उसकी आवाज बाहर नहीं जाती ।। 
     
    धानी जब चंद की रोशनी मैं रुद्र का सख्त और हैंडसम चेहरा देखती है ।। तो थोड़ी शांत होती है ।। लेकिन अब उसे रुद्र को देख कर डर लग रहा था ।। 
     
    वो कुछ कहती की रुद्र अपनी रौबदार आवाज में कहता है : " तुम्हे क्या लगा ।। कमरे मैं देर से आओगी तो अपनी पनिशमेंट से बच जाओगी ।। "
     
    रुद्र की बात सुन कर धानी का पूरा शरीर कांप जाता है ।। रुद्र पूरे टाइम सोफे पर बैठ कर उसे ही देखे जा रहा था ।। सोफा अंधेरे मैं होने के कारण धानी का ध्यान नहीं गया था ।। 
     
    रुद्र धानी के दोनों हाथ पकड़ कर उसके सर के ऊपर करता है ।। फिर उसके होठों पर अपने होठ रख कर उसे roughly and passionately kiss करने लगता है ।। धानी तो उसके नीचे हिल भी नहीं पा रही थी ।। रुद्र उसकी साड़ी को कब उसके बदन से अलग करता है ।। ये बात धानी को भी पता नहीं चलती ।। 
     
    देखते ही देखते उन दोनो के कपड़े वहा फर्श पर पढ़े हुए थे ।। रुद्र धानी के गले पर किस ओर बाइट कर रहा था ।। थोड़ी ही देर में वहा धानी की सिसकियों की आवाज आने लगती है ।। 
     
    सुबह 4 बजे रुद्र उससे छोड़ता है ।। वो अभी भी उसके ऊपर ही था ।। रुद्र उसे घूरते हुए कहता है : " आइंदा मुझसे बचने की कोशिश की ।। तो इससे भी ज्यादा सजा मिलेगी ।। "
     
    धानी जिसकी आंखों में इस वक्त आसू थे ।। वो कुछ नहीं कह पाती ।। उसकी आंखे इस वक्त नींद ओर थकान से भरी हुई थी ।। वही रुद्र के चेहरे पर तो अलग ही चमक थी ।। वो भी उसके साइड मैं लेट जाता है ।। 
     
    ।। ।। सुबह 6 बजे ।। ।।
     
    इश्वर सत्य है
    सत्य ही शिव है
    शिव ही सुन्दर है
    जागो उठ कर देखो
    जीवन ज्योत उजागर है
     
    सत्यम शिवम सुन्दरम - २
    इश्वर सत्य है
    सत्य ही शिव है
    शिव ही सुन्दर है
    सत्यम शिवम सुन्दरम - २
     
    राम अवध में काशी में शिव कांहा व्ऱिन्दवन में
    दया करो प्रभू देखूँ इन को - २
    हर घर के आँगन में
    राधा मोहन शरणम
    सत्यम शिवम सुन्दरम - २
     
    एक सूर्या है एक गगन है एक ही धरती माता
    दया करो प्रभू एक बनें सब
    सब का एक से नाता
    राधा मोहन शरणम
    सत्यम शिवम सुन्दरम - २
     
    घर मैं आरती की आवाज सुन कर सभी की आंखे खुल जाती है ।। सब लोग हैरानी से मंदिर की तरफ आते है ।। मंदिर फूलों से सजा हुआ था ।। वही धानी येलो कलर की साड़ी ।। के साथ व्हाइट कलर का ब्लाउज पहने ।। गले मैं मंगलसूत्र और मांग मैं सिंदूर लगाए ।। हाथों में पीली चूड़ियां और पैरो में पायल पहने आरती कर रही थी ।। उसके गिले बाल खुले थे ।। 
     
    धानी जब आरती करके मुड़ती है ।। तो सभी को वहा मौजूद देख मुस्कुरा देती है ।। वहां पर सिर्फ प्रताप जी ही ऐसे थे ।। जो नहा चुके थे ।। तो धानी उनके पास आकर उन्हें आरती देती है ।। तो प्रताप जी आरती पर हाथ फेर कर धानी के सर पर फेरते है ।। 
     
    फिर धानी सब को देख कर कहती है : " अरे शर्म करो ।। सुबह के 6 बज गए है ।। और आप मै से कोई नहाया भी नहीं है ।। "
     
    तो प्रिशा मुंह बना कर कहती है : " भाभी सा ।। सुबह सुबह कौन उठाता है ।। वैसे आपको पता है ।। जब से मैं पैदा हुई हु तब से मैने पहली बार इस घर मैं आरती सुनी है ।। आप बहुत अच्छा गाती है ।। "
     
    वही रुद्र ऊपर के फ्लोर पर रेलिंग पर हाथ रखे धानी को ही देख रहा था ।। वो खुद के मन मैं कहता है : " मैने इसे रात भर सोने नहीं दिया ।। लेकिन ये फिर भी इतनी फ्रेश कैसे लग रही है ।। "

    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
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  • 19. Shaadi ek saja - Chapter 19

    Words: 1125

    Estimated Reading Time: 7 min

     ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    तो प्रिशा मुंह बना कर कहती है : " भाभी सा ।। सुबह सुबह कौन उठाता है ।। वैसे आपको पता है ।। जब से मैं पैदा हुई हु तब से मैने पहली बार इस घर मैं आरती सुनी है ।। आप बहुत अच्छा गाती है ।। " वही रुद्र ऊपर के फ्लोर पर रेलिंग पर हाथ रखे धानी को ही देख रहा था ।। वो खुद के मन मैं कहता है : " मैने इसे रात भर सोने नहीं दिया ।। लेकिन ये फिर भी इतनी फ्रेश कैसे लग रही है ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।
     
    रुद्र का सोचना सही था ।। क्योंकि धानी कि खूबसूरती मैं कोई कमी नहीं आई थी ।। उसके चेहरे का तेज बिल्कुल वैसा का वैसा ही था ।। 
     
    वही धानी सब को डाट कर फ्रेश होने भेज रही थी ।। तभी युवान अभय से कहता है : " ये सही है ।। ये 8 बजे उठने वाले प्राणी भाभी सा की वजह से 6 बजे ही नहाने जा रहे है ।। "
     
    तभी धानी कहती है : " और हा ।। कल आप सब इस वक्त नहा कर मंदिर मैं मिलने चाहिए ।। "
     
    वो ये बात ईशान, नील, काव्या और प्रिशा के लिए कह रही थी ।। वो चारों भी मुंह बना कर वहा से चले जाते है ।। उसके बाद धानी किचेन में चली जाती है ।। 
     
    ।। ।। किचेन में ।। ।।
     
    किचेन में इस वक्त chef's खाना बनाने की तैयारी कर रहे थे ।। क्योंकि प्रताप जी, रुद्र, अभय और युवान को छोड़ कर बाकी के वो चारों 8 के बाद उठते थे ।। 
     
    धानी को किचेन में देख कर सब उसे ग्रिट करते हुए कहते है : " खंभा घनी रानी सा ।। "
     
    उनकी बात सुन धानी बस उन्हें एक मुस्कान पास करती है ।। फिर उन्हें देख कर कहती है : " आप सब रहने दीजिए ।। नाश्ता मैं बना दूंगी ।। "
     
    वो उसे मना करना चाहते थे ।। लेकिन वो उनकी रानी सा थी ।। और उनकी बात काटने की इजाजत उन्हें नहीं थी ।। तो वो साइड हो जाते है ।। वही दाई मां भी किचेन में आ जाती है ।। 
     
    वो धानी को किचेन में देख कर कहती है : " रानी सा आप यहां क्या कर रही है ।। आप डाइनिंग टेबल पर जाइए ये लोग खाना बना लेंगे ।। "
     
    तो धानी सब्जियां काटते हुए उन्हें देख मुस्कुराते हुए कहती है : " दाई मां ।। ये मेरा परिवार है ।। और मैं अपने परिवार को अपने हाथो से बना कर खिलाना चाहती हु ।। "
     
    उसकी बातों दाई मां मुस्कुरा कर उसके सर पर हाथ फेरती है ।। और कहती है : " सच काहू ।। हमे बड़ी चिंता होती थी ।। की राजा सा की जीवन मै ना जाने कैसी लड़की आएगी ।। वो इस घर को राजा सा को संभाल पाएगी या नहीं ।। लेकिन आपको देख कर हमारी सारी चिंता दूर हो गई ।। आप बिल्कुल हुकुम रानी सा की तरह है ।। जिस तरह उन्होंने अपना परिवार संभाला था ।। हमे पूरा यकीन है ।। आप भी अपने परिवार को संभाल कर रखेंगी ।। "
     
    तभी धानी कहती है : " दाई मां आपसे कुछ पूछें ।। "
     
    तो दाई मां मुस्कुरा कर उसकी मदद करते हुए कहती है : " हां ।। बिल्कुल ।। आप बिना इजाजत लिए हमसे कुछ भी पूछ सकती है ।। "
     
    तो धानी कहती है : " आप कल रात अपनी बात पूरी करते करते रुक क्यों गई थी ।। "
     
    ।। ।। फ्लैश बैक ।। ।।
     
    धानी कमरे मैं जल्दी नहीं जाना चाहती थी ।। इसलिए वो नीचे ही भटक रही थी ।। जब वो गार्डन मैं आती है ।। तो उसकी नजर वहां सोफे पर बैठी दाई मां पर जाति है ।। तो वो उनके पास जाकर कहती है : " दाई मां ।। आप अब तक सोई नहीं ।। "
     
    तो ये सुन दाई मां धानी की ओर दिखती है ।। उनकी आंखे हल्की नम थी ।। उनके हाथ मैं एक तस्वीर थी ।। जिसमें प्रताप जी, आंशिक जी, आनंद जी और अंजलि जी थे ।। उनकी आंखे नम देख कर धानी उनके पास आकर बैठती है ।।
     
    और उनका हाथ अपने हाथो मैं लिए फिक्र से कहती है : " दाई मां ।। क्या हुआ ।। आप रो क्यों रही है ।। "
     
    तो दाई मां अपने आसू पूछते हुए कहती है : " नहीं बेटा ।। वो तो बस ।। "
     
    धानी समझ गई थी ।। की उन्हें आंशिक जी, आनंद जी और अंजलि जी की याद आ रही थी ।। तो वो उनसे कहती है : " आप मां सा, चाची सा ओर चाचा सा को याद कर रही है ।। "
     
    तो दाई मां चेहरे पर छोटी सी मुस्कान लाते हुए कहती है : " कहने के लिए हम इस घर मैं नौकर थे ।। लेकिन उन्होंने हमे अपने परिवार का हिस्सा समझा था ।। "
     
    तो धानी अपने दोनो हाथों के सहारे अपने चेहरे को रख उनसे कहती है : " आप मुझे बताए ना ।। आप तो सब को जानती है ना यहां पर ।। और आप कैसे आई यहां पर ।। "
     
    तो दाई मां कहती है : " मैं तो एक बांझ थी ।। शादी के कुछ सालो बाद मेरे पति भी एक एक्सीडेंट में मुझे छोड़ कर चले गए ।। अपना पेट पालने के लिए काम की तलाश में थी ।। एक दिन हमने एक गर्भवती औरत को रस्ते पर पड़े देखा ।। तो हम जल्दी से उनके पास गए ।। हमने उन्हें हॉस्पिटल मैं एडमिट करवाया ।। वो कोई और नहीं हुकुम रानी सा थी ।। उसके बाद उन्होंने हमे राजा सा की दाई मां बना दिया ।। राजा सा ही नहीं तो अभय कुंवर सा ।। ईशान कुंवर सा, नील कुंवर सा ओर हमारी प्यारी कुंवारी सा की दाई मां बन गए ।। "
     
    तो धानी उनकी बात सुन कर मुस्कुरा देती है ।। फिर उनसे कहती है : " दाई मां ।। मां सा, चाचा सा ओर चाची सा की मौत कैसे हुई थी ।। "
     
    ये सुन दाई मां रुक सी जाती है ।। वो पल उनकी जिंदगी के कड़वे पलो में से थे ।। वो एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहती है : " इस घर मैं 4 लड़के ही हुए थे ।। सबको एक बेटी चाहिए थी ।। चारो भाइयों को भी एक बहन चाहिए थी ।। हर कोई एक लड़की के लिए भगवान से प्राथना करता था ।। "

    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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  • 20. Shaadi ek saja - Chapter 20

    Words: 1128

    Estimated Reading Time: 7 min

    ।। ।। हर हर महादेव ।। ।।
     
     
    ।। ।। अब तक ।। ।।
     
    ये सुन दाई मां रुक सी जाती है ।। वो पल उनकी जिंदगी के कड़वे पलो में से थे ।। वो एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहती है : " इस घर मैं 4 लड़के ही हुए थे ।। सबको एक बेटी चाहिए थी ।। चारो भाइयों को भी एक बहन चाहिए थी ।। हर कोई एक लड़की के लिए भगवान से प्राथना करता था ।। "
     
    ।। ।। अब आगे ।। ।।  
     
    आखिर कार ढेरों मन्नतों के बाद घर मैं खुश खबरी आई ।। हुकुम रानी सा फिर से मां बनने वाली थी ।। सब उनका बहुत खयाल रख रहे थे ।। और आखिर कार वो दिन भी आ ही गया जब बच्चा इस दुनिया मैं आने वाला था ।। वो कहते है ना हर खुशी की एक कीमत होती है ।। जब सब ने सुना की बेटी हुई है ।। तो सब की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा ।। लेकिन हमारी खुशियों को नजर लग गई ।। कुंवारी सा को जन्म देते हुए हुकुम रानी सा हमे छोड़ कर चली गई ।। कुंवारी सा के आने की जितनी खुशी थी उतना ही दुख हुकुम रानी सा के जाने का था ।। उस वक्त तो जैसे हुकुम सा जीना भूल गए थे ।। उस वक्त छोटी रानी सा ( अंजलि जी ) ने कुंवारी सा का ध्यान रखा ।। वो उनके लिए उनकी मां बन गई ।। 
     
    लेकिन शायद भगवान को ये भी मंजूर नहीं रहा ।। शायद कुंवारी सा के जीवन मै मां की ममता लिखी ही नहीं थी ।। कुछ महीनों बाद ही छोटे राजा सा और छोटी रानी सा का एक्सीडेंट हो गया ।। और उसमें वो भी हमें छोड़ गए ।। आखिर मैं हुकुम सा ने खुद को मजबूत बनाया ।। उनके ऊपर 6 बच्चों की ओर अपनी रियासत की जिम्मेदारी थी ।। "
     
    धानी को पहले लग रहा था कि काव्या भी प्रताप जी या आनंद जी की बेटी है ।। लेकिन जब उसनेे सुना कि सबको एक बेटी की चाहता थी ।। और वो प्रियांशी के आने से पूरी हुई ।। तो उसने मन मैं कहा : " काव्या तो 2 4 साल की है ।। और लाडो 2 1 की ।। क्या काव्या बाबा सा या चाचा सा की बेटी नहीं है ।। "
     
    तो वो दाई मां से कहती है : " दाई मां ।। आपने कहा लाडो के आने से उनकी बेटी की चाह पूरी हो गई ।। लेकिन लाडो से पहले तो काव्या का जन्म हो चुका था ना ।। "
     
    तो दाई मां मुस्कुरा कर कहती है : " काव्या कुंवारी सा राजपूत नहीं लूथरा है ।। वो हुकुम रानी सा की दोस्त की बेटी है ।। हमे तो पहले पता भी नहीं था ।। की वो यहां कब तक रहने वाली है ।। सब  काव्या कुंवारी सा को कुंवारी सा की तरह ही प्यार करते है ।। चारो भाई अपनी दोनो बहनों से एक सा प्यार करते है ।। चारो ही दोनों के ऊपर एक खरोच बर्दास्त नहीं कर सकते ।।  चलिए में आप को सबके बारे मैं बताती हु ।। अभय कुंवर सा ओर नील कुंवर सा छोटे राजा सा के बेटे है ।। और हुकुम सा ओर हुकुम रानी सा के तीन बच्चे है ।। युवान कुंवर सा राजा सा ओर अभय कुंवर सा के दोस्त है ।। वो भी बचपन के ।। "
     
    तभी धानी कहती है : " क्या युवान ओर काव्या भी राजकुमार और राजकुमारी है ।। "
     
    तो दाई मां हां मै सर हिला कर कहती है : " हा ।। "
     
    तभी धानी फिर से कहती है : " क्या घर मैं इतने ही लोग है ।। मतलब बाबा सा की कोई बहन नहीं है ।। उनके परिवार मैं इतने ही लोग है ।। "
     
    ये सुन दाई मां जल्दी से कहती है : " नहीं है ना ।। ..( बात बदलते हुए )... हमे नींद आ रही है ।। मेरे खयाल से आपको भी जाकर सो जाना चाहिए ।। "
     
    ये कह कर दाई मां बात टाल कर वहा से चली जाती है ।। 
     
    ।। ।। फ्लैश बैक ऐंड ।। ।।
     
    ये सुन दाई मां कहती है : " कुछ सवालों के जवाब वक्त आने पर मिले तो अच्छा होता है ।। और इस बारे में आपको राजा सा या हुकुम सा बताए तो ज्यादा अच्छा है बेटा ।। "
     
    धानी समझ जाती है कि इस बारे में दाई मां उसे कुछ बताना नहीं चाहती ।। या हिचकिचा रही है ।। तो वो भी आगे कुछ नहीं पूछती ।। लेकिन वो इतना तो जान गई थी ।। की बस इतना ही उनका परिवार नहीं है ।। 
     
    थोड़ी देर बाद धानी दाई मां और सर्वेंट्स की हेल्प से खाना डाइनिंग टेबल पर लगाती है ।। फिर सर्वेंट्स को सब को बुलाने के लिए कहती है : " जाइए सबको नाश्ते के लिए बुला कर लाइए ।। "
     
    तभी काव्या वहा आती है ।। वो मुस्कुराते हुए कहती है : " आपने नाश्ते में क्या बनाया है भाभी सा ।। खुशबू यहां तक आ रही है ।। "
     
    तो धानी उसे चेयर पर बैठा कर कहती है : " बस खुशबू से पेट भरने का इरादा है क्या ।। चलो बैठो और खा कर बताओ कैसा बना है ।। "
     
    वो खुद काव्या की प्लेट में खाना सर्व करती है ।। फिर प्रताप जी भी वहा आकर बैठते है ।। वो काव्या को देख कर कहते है : " क्या बात है ।। अपनी नन्द को खाना परोसा जा रहा है ।। और हमें कोई पूछ भी नहीं रहा ।। "
     
    तो धानी उन्हें भी खाना परोसते हुए कहती है : " अरे आपको कैसे भूलेंगे बाबा सा ।। "
     
    तभी वहा अभय ओर युवान भी आ जाते है ।। युवान तो काव्या के साइड वाली चेयर पर बैठ जाता है ।। काव्या भी तिरछी नजरों से उसे देखती है ।। तभी वहा पर उछलते कूदते ईशान और नील भी आते है ।। उनकी बक बक नॉन स्टॉप चल रही थी ।। तभी एक सर्वेंट आकर कहती है : " रानी सा ।। कुंवारी सा ने नाश्ते के लिए मना किया है ।। वो कह रही है कि उनका मन नहीं है ।। "
     
    तो धानी कहती है : " ठीक है लाडो को मै बुला कर लाती हु ।। वैसे आपने राजा साहब को बता दिया ।। "
     
    तो नील हस्ते हुए कहता है : " अरे भाभी सा ।। भाई सा के कमरे मैं जाकर उन्हें बुलाने की हिम्मत किसी मै नहीं है ।। पक्का उन्हें बुलाने कोई नहीं गया होगा ।। "

    ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।। ।।
     
    हेलो दोस्तो तो आपको आज का चैप्टर कैसा लगा मुझे बताना ना भूले ।। और लाइक, शेयर और रिव्यू भी जरूर दे ।। 
     
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