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Cruel love

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Aman Aj

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Page 1 of 1

  • 1. Cruel love - Chapter 1

    Words: 2477

    Estimated Reading Time: 15 min

    पिछले भाग में आपने देखा कि विनम्र उस जगह पर पहुँच जाता है जहाँ उसे आन्या की अंतिम लोकेशन मिली थी, लेकिन पहुँचने पर उसे पता चलता है कि यहाँ काफी उच्च सुरक्षा है। थोड़ी पूछताछ के बाद उसे पता चलता है कि जेंग नाम की एक लड़की आने वाली है, जो राष्ट्रपति की दाहिनी हाथ वाली है। इतनी सुरक्षा में भी, विनम्र के लिए अंदर जाना आसान नहीं है और यह बात वह बाकी सबको बताता है। थोड़ी बातचीत के बाद यह फैसला होता है कि विनम्र अकेला जाएगा और बाकी सब बाहर रहेंगे। दिन में संयोगिता और शंभू दोनों ही थे। संयोगिता अपनी बहन से बात करने जाती है ताकि उसे वहाँ से कुछ मदद मिल जाए, और उसकी बहन उससे एक घंटे का समय माँगती है। अब कहानी आगे बढ़ती है। संयोगिता वापस आकर बोली, “मैंने अपनी बहन से बात कर ली है, मगर उसने कहा है कि कम से कम एक घंटे तक इंतज़ार करना होगा। उसके बाद ही वह कुछ बता सकती है। मुझे पूरी उम्मीद है कि जब वह एक घंटे बाद कुछ बताएगी, तो वह हमारी मदद करने के लिए ही होगा।” विनम्र ने उससे पूछा, “मगर मुझे समझ में नहीं आ रहा कि तुम्हारी बहन हमारी मदद कैसे करेगी?” संयोगिता ने थोड़ा सोचा और फिर कहा, “वह यहाँ पर हमारे ठहरने का इंतज़ाम कर सकती है। यह हमारे लिए काफी होगा। अगर हम भरोसेमंद लोगों के बीच में रहेंगे, तो हमें दूसरे खतरों से डरने की ज़रूरत नहीं होगी।” विनम्र इस बात पर कुछ नहीं कहा और एक घंटे के खत्म होने का इंतज़ार करने लगा। जब एक घंटे का समय खत्म हुआ, तब संयोगिता की बहन ने उसे फोन किया और बोली, “ठीक है, मैंने बात कर ली है। एक आदमी जल्दी तुम लोगों के पास पहुँच जाएगा। मैं आस-पास ही रहूँगी। उसने एक जगह का नाम बताया है, जो ‘द सेवंथ प्रिंस होटल’ है। अगर तुम लोग वहाँ पर हो, तो वहीं पर उसके आने का इंतज़ार करो। उसके गले में लाल रंग का एक मफलर होगा, जिससे तुम उसे पहचान सकते हो।” संयोगिता इस बात पर सहमति जताती है और फिर विनम्र से कहती है। इसके बाद तीनों खड़े होकर उस आदमी के आने का इंतज़ार करने लगते हैं। थोड़ी देर में उन्हें एक टैक्सी वहाँ आकर खड़ी होती दिखाई देती है, जिसका ड्राइवर वही आदमी था जिसका सभी को इंतज़ार था। उसने आस-पास देखा, तो संयोगिता ने उसे कुछ इशारा किया, जिसे उस आदमी ने समझ लिया और सामने से उसके इशारे का जवाब दिया। संयोगिता उसके पास पहुँची, “रोबोट जूनियर?” इतना ही बोली थी कि सामने वाले आदमी ने जवाब देते हुए कहा, “तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं उसका एक भरोसेमंद आदमी हूँ। तुम वनिला की बहन ही होगी, क्योंकि तुम ही यहाँ पर मुझे एकमात्र लड़की दिखाई दे रही हो। चलो आओ, सबसे पहले मुझे तुम लोगों के रहने का इंतज़ाम करने के लिए कहा गया है, मैं वही करता हूँ।” बाकी सब उसके साथ चलने लगे। थोड़ी ही देर बाद वह टैक्सी ड्राइवर उन्हें एक पुराने मोहल्ले जैसी दिखने वाली जगह पर ले आया। उसने गाड़ी को एक पतली सी गली में रोका और फिर बाहर निकलते हुए कहा, “चलो सभी बाहर आ जाओ। मैंने तुम लोगों के रहने का इंतज़ाम यहीं पर किया है। तुम्हारी बहन ने मुझे नहीं बताया कि तुम लोग कितने दिन रहने वाले हो, लेकिन मैं यही मानकर चल रहा हूँ कि तुम लोग कम से कम पाँच दिनों के लिए तो यहाँ आए ही हो।” विनम्र कुछ भी नहीं बोल रहा था, वह बस चुपचाप उस आदमी की हरकतों पर नज़र रख रहा था। वह उन्हें ऊपर एक कमरे में ले आया और कमरे का दरवाज़ा खोला। यह कमरा किसी कबाड़खाने से कम नहीं था और उसमें ढेर सारा सामान भी रखा हुआ था। विनम्र इस कमरे को घूरने लगा, तो वह आदमी बोला, “माफ़ करना, मैं जानता हूँ कि यह कमरा तुम लोगों के बिल्कुल भी लायक नहीं है, लेकिन यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर तुम लोगों पर कोई ध्यान नहीं देगा। खुशकिस्मती से, अगर कोई आ भी जाता है, तो यहाँ पर एक गुप्त दरवाज़ा है, जिससे तुम लोग गायब हो सकते हो। इसलिए मैंने इस जगह का चयन किया है। अगर मैं इस कमरे को खाली कर देता हूँ, तो यह गुप्त दरवाज़ा सबको दिखाई दे जाएगा।” संयोगिता ने जवाब दिया, “ठीक है, कोई बात नहीं। हम एडजस्ट करने की कोशिश करेंगे।” वह आदमी बोला, “मैं तुम लोगों के खाने-पीने का इंतज़ाम करता हूँ, तब तक तुम सब यहाँ पर बैठो।” संयोगिता ने कहा, “हमने खाना खा लिया है। आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।” उस आदमी ने तीनों के चेहरों की तरफ़ बारी-बारी से देखा और बोला, “ठीक है, फिर मैं तुम लोगों के लिए कुछ और इंतज़ाम कर देता हूँ; कुछ हथियार और एक गाड़ी का इंतज़ाम, क्योंकि तुम्हारी बहन ने मुझे बताया है कि तुम लोगों को हथियारों की ज़रूरत पड़ेगी।” यह कहकर वह वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद विनम्र ने संयोगिता से कहा, “क्या यह आदमी विश्वास के लायक है? उसके व्यवहार को देखकर मुझे नहीं लग रहा कि इस आदमी पर विश्वास किया जा सकता है। यह हमें धोखा देने की कोशिश करेगा।” शंभू ने कहा, “और तुम्हें यह कैसे पता चल गया? क्या तुमने उसके चेहरे पर लिखा हुआ पढ़ लिया? चेहरा पढ़ने की काबिलियत सिर्फ़ तुम्हारे पास ही है, जबकि मैं जिसके चेहरे पढ़ता हूँ, उसे तो तुम्हें यकीन ही नहीं हो रहा।” शंभू यह कहकर तिरछी नज़रों से संयोगिता की तरफ़ देख रहा था, जिस पर संयोगिता ने ध्यान नहीं दिया। संयोगिता बोली, “इस आदमी को मैं पर्सनली नहीं जानती हूँ। इसे बस मेरी बहन ने भेजा है, इसलिए यकीन तो मैं भी इस पर नहीं कर सकती हूँ। लेकिन फिलहाल हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है। तुम जाकर अपने काम को आगे बढ़ा सकते हो, जबकि हम दोनों यहाँ पर तुम्हारा इंतज़ार करेंगे।” विनम्र ने कमरे की जाँच की और उस गुप्त दरवाज़े को भी देखा जो वहाँ बना हुआ था। फिर वह उस दरवाज़े से गया और देखा कि दरवाज़ा कहाँ जाता है। यह दरवाज़ा एक छोटे से गलियारे से होते हुए एक बाज़ार में जाकर खुल गया। यह एक ऐसा बाज़ार था जो किसी फैक्ट्री की दीवार के पीछे खुला हुआ था और इसके आगे चलकर बाज़ार में कैसे भी जाया जा सकता था। यानी कि अगर कोई स्कूटर रास्ते से गायब होने की कोशिश करे, तो वह इस बाज़ार में आने के बाद में सभी लोगों की नज़रों से गायब हो सकता है। विनम्र वापस आया और दोनों से कहा, “ठीक है। मैंने गुप्त दरवाज़ा देख लिया है। अगर तुम लोगों को कोई खतरा लगे, तो इस रास्ते से पीछे के बाज़ार में चले जाना। अगर तुम लोग मुझे यहाँ पर नहीं मिलते हो और किसी वजह से तुम लोगों को यहाँ से जाना पड़े, तो हमारी अगली मुलाक़ात ‘द सेवंथ प्रिंस होटल’ के रेस्टोरेंट में होगी जहाँ से हम अभी आए हैं। वहाँ पर तुम लोग इंतज़ार कर सकते हो और अगर मैं वहाँ पहले पहुँचूँ, तो मैं तुम लोगों का इंतज़ार करूँगा। लेकिन हमें मिलना वहीं पर है।” संयोगिता और शंभू दोनों ने इस बात पर हामी भर दी। विनम्र ने इसके बाद शंभू को कुछ हथियार दिए ताकि अगर किसी तरह का खतरा आए, तो वह उसका सामना कर सके, और ऐसे ही कुछ हथियार उसने संयोगिता को भी दे दिए। संयोगिता ने एक शॉर्टकट पढ़ते हुए कहा, “इन सब की ज़रूरत नहीं है। अगर खतरा आता है, तो हम बिना हथियारों के भी उसका सामना कर सकते हैं।” विनम्र ने कहा, “मैं जानता हूँ कि तुम बिना हथियारों के भी खतरों का सामना कर सकती हो, लेकिन फिर भी इन्हें अपने पास रख लो। ज़रूरत के वक़्त यह तुम्हारे काम आएंगे ही।” फिर विनम्र शंभू के पास आकर बोला, “मैं जानता हूँ कि तुम संयोगिता के बारे में क्या सोचते हो, मगर मेरे जाने के बाद प्लीज़ कुछ भी ऐसा-वैसा मत करना जिससे तुम दोनों के बीच में लड़ाई हो जाए और तुम इन हथियारों का इस्तेमाल एक-दूसरे पर कर लो। हम इस वक़्त दुश्मन देश में हैं और यहाँ हम आपस में लड़ाई नहीं कर सकते हैं। हमें जितना ज़्यादा हो सके उतना एक-दूसरे के साथ रहना होगा।” शंभू ने जवाब देते हुए तुरंत ही कहा, “क्या तुमने मुझे बेवकूफ़ समझा है कि मैं ऐसा पागलपन करूँगा? बिल्कुल नहीं। जब तक मैं यहाँ पर हूँ, तब तक तो क्या, यहाँ से बाहर जाने के बाद भी मैं उस लड़की से सम्बंधित कुछ भी नहीं करने वाला। इस चीज़ का फैसला तुम्हें ही करना है। मैं बस इतना कह सकता हूँ कि अगर मुझे कुछ कहना भी हुआ, तो वह मैं सिर्फ़ तुम्हें ही कहूँगा, ना कि किसी और को।” विनम्र ने शंभू के कंधे पर हाथ रखा और कहा, “मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी मेरे दोस्त। तुम मेरे सबसे भरोसेमंद साथी हो और मैं तुम पर अपनी आँखें बंद करके भी विश्वास कर सकता हूँ। बाकियों पर मैं विश्वास करूँ या ना करूँ, मगर मेरा तुम पर जो विश्वास है, वह कभी नहीं टूटेगा।” यह कहकर विनम्र बाहर आ गया और फिर बाहर आकर उसने एक टैक्सी पकड़ी और दोबारा ‘द सेवंथ प्रिंस होटल’ की तरफ़ निकल गया। होटल पहुँचकर उसने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया और एक भ्रम पैदा कर दिया, जिसमें वह सड़क पर ऐसे चल रहा था जैसे मानो उसे किसी चीज़ का डर ही ना हो। जो भी लोग विनम्र को देख रहे थे, उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे यहाँ पर कोई जनरल खुद आया हो, क्योंकि विनम्र ने जो रूप लिया था, वह किसी जनरल का ही था। सब लोग विनम्र के पास आकर उसे सैल्यूट कर रहे थे। विनम्र ने सबके जवाब को नज़रअंदाज़ किया और एक जनरल की तरह ही व्यवहार करते हुए वहाँ की सुरक्षा संभालने वाले आदमी के पास पहुँचा। उसके पास पहुँचकर विनम्र ने रोकदार आवाज़ में कहा, “सुरक्षा में किसी तरह की कोई कमी तो नहीं है? तुम्हें पता है ना यहाँ पर कौन आ रहा है? अगर थोड़ी सी भी कमी रही, तो हम सबकी लगेगी।” सामने वाले आदमी ने जवाब दिया, “नहीं सर, मैंने पूरी तरह से चेकअप कर लिया है। यहाँ पर किसी तरह की कोई कमी नहीं है और सुरक्षा भी काफी उच्च है। दो घंटे के करीब में राष्ट्रपति की दाहिनी हाथ वाली यहाँ पर आ जाएगी और फिर अपनी बात को खत्म करने के बाद वापस चली जाएगी।” विनम्र पूछने वाला था कि किस बात करने के बाद वापस चली जाएगी, मगर एक जनरल के तौर पर वह इस सवाल को नहीं कर सकता था। विनम्र ने सिर हिलाया और फिर आगे जाते हुए ‘द सेवंथ प्रिंस होटल’ के अंदर चला गया। अभी भी उसने जनरल का रूप लिया हुआ था। जो भी विनम्र को देख रहा था, वह उसे सैल्यूट कर रहा था। अंदर जाकर रिसेप्शनिस्ट के पास पहुँचकर उसने कहा, “मुझे एक बार लिस्ट दिखाओ। मुझे डर है कि यहाँ पर कहीं कुछ गड़बड़ हुआ है। मुझे दो दिन पहले जो भी मेहमान यहाँ पर आए थे, उन सभी को एक बार चेक करना है।” रिसेप्शनिस्ट टेबल पर एक लड़का था, जिसने जल्दी-जल्दी से एक फ़ाइल को उठाकर आगे रख दिया, जिसे विनम्र ने उठाया और वह उस पर लिखे नाम को पढ़ने लगा। जो भी लोग यहाँ पर आए हुए थे, उन सभी से जबरदस्ती कमरे खाली करवा लिए गए थे और जब कमरा खाली करवाया गया था, तब की तारीख भी लिखी हुई थी। विनम्र ने देखा कि सारे के सारे कमरे उसी दिन खाली हुए थे जिस दिन आन्या यहाँ पर पहुँची थी। तक़रीबन 125 कमरों वाले इस होटल में अब केवल कुछ ही कमरों के गेस्ट थे जिन्हें नहीं निकाला गया था, जबकि बाकी सभी कमरों के गेस्ट को निकाल दिया गया था। विनम्र ने देखा कि ये कमरे विनम्र थे 70, 98, 111 और 120। इन कमरों को देखने के बाद विनम्र ने फ़ाइल को बंद किया और उसे दोबारा दे दिया, “ठीक है, सब कुछ सही है। मेहमान जल्दी आने वाली है, उनका स्वागत अच्छे से होना चाहिए।” यह कहकर विनम्र होटल की लिफ़्ट की तरफ़ जाने लगा और वहाँ पहुँचकर उसने उस फ़्लोर का बटन दबा दिया जहाँ पर रूम विनम्र 70 था। हर एक फ़्लोर पर 10 कमरे थे, इस हिसाब से विनम्र आठवें फ़्लोर पर जा रहा था। लिफ़्ट के अंदर ही उसने अपना पूरा चेहरा बदल दिया और वह रिसेप्शनिस्ट टेबल पर बैठे लड़के में बदल गया। सुदर्शन चक्र का भ्रम जाल पैदा करने वाला जादू यहाँ पर उसके काफी काम आ रहा था। विनम्र यह भी समझ गया था कि इस जादू की कितनी अहमियत है और किस तरीके से सुदर्शन चक्र के इस कौशल का इस्तेमाल किया जा सकता था। जल्दी ही वह ऊपर आ गया और ऊपर आने के बाद अब वह रूम विनम्र 70 की तरफ़ जाने लगा। वहाँ पहुँचने में उसे देर नहीं लगी। वहाँ पहुँचकर विनम्र ने कमरे के दरवाज़े को खटखटाया ताकि जो भी कमरे में है, वह आकर दरवाज़ा खोल सके। कमरे का दरवाज़ा खुला तो दूसरी ओर एक ऐसा शख्स था जिसने काले रंग की एक ऐसी ड्रेस पहन रखी थी जो काफी खास तरह की थी। वह गुस्से से बोला, “क्या है? क्यों आए हो? जब मैंने कहा था कि मुझे कोई भी डिस्टर्ब नहीं करेगा, तो फिर तुमने दरवाज़ा खटखटाने की हिम्मत कैसे की? तुम्हें पता है ना मैं कौन हूँ? सिक्योरिटी एडवाइज़र। सीधे राष्ट्रपति से कनेक्शन है मेरा। आखिर तुम मेरे कमरे का दरवाज़ा खटखटाने के बारे में सोच भी कैसे सकते हो?” विनम्र ने रिसेप्शनिस्ट टेबल के लड़के के तौर पर नाटक करते हुए कहा, “माफ़ करना सर, मगर मैं एक ज़रूरी जानकारी देने के लिए आपके पास आया था। मुझे कहा गया है कि यह जानकारी मैं सिर्फ़ चलकर ही आपको दे सकता हूँ। मेहमान जल्दी आने वाले हैं, मुझे बस आपको यह बताना था।” वह रिसेप्शनिस्ट लड़के को शक की नज़रों से देखने लगा, “मगर इसमें बताने लायक कौन सी बात है? यह तो मुझे पता ही है और मैं ही हूँ जिसे यहाँ पर उसके आने की खबर सबसे पहले मिल रही है। यहाँ तक कि मुझे यह भी पता है कि वह इस वक़्त कहाँ पर है, मगर तुम आकर मुझे यह क्यों बता रहे हो?” विनम्र को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे, क्या नहीं, क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपने लिए मुसीबत मोल ले ली है। यह झूठ उसके काम नहीं आया। उसे कुछ और सोचना चाहिए था या फिर कुछ और बोलना चाहिए था, जैसे कि वह कमरे को चेक करने के लिए आया था या फिर किसी चीज़ की कमी तो नहीं है, यह देखने के लिए आया था। विनम्र को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या जवाब दे और अगर उसने जवाब नहीं दिया तो शायद वह बहुत बड़े खतरे में भी फँस जाएगा, क्योंकि सामने वाला आदमी अब उसे काफी अजीब नज़रों से देख रहा था और यह अजीब नज़रें सिर्फ़ और सिर्फ़ शक की नज़रें ही थीं।

  • 2. Cruel love - Chapter 2

    Words: 0

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  • 3. Cruel love - Chapter 3

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