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Tera Ishq me marjawan

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priya Pandey pandey

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ye kahani hai viraansh ray singhaniya aur sukun Kapur ki . viraansh jo hai ek famous businessman . jise agar ek baar gussa aa Jaye to vo saamne Wale ko nark ke darshan Kara de . dikhne me jitna handsome utna hi cold hearted person hai . vhi dusri tar...

Total Chapters (6)

Page 1 of 1

  • 1. Tera Ishq me marjawan - ujjain , viraansh ray shinghaniya

    Words: 1150

    Estimated Reading Time: 7 min

    उज्जैन
    एक बड़े से विला में, जो कम से कम 20 एकड़ की जमीन पर बना हुआ था, हर तरफ हरियाली और एक बड़ा सा गार्डन था। विला बेहद ही सुंदर लग रहा था। विला के चारों ओर कई बॉडीगार्ड्स अपने हाथों में गन लिए तैनात थे।
    विला के अंदर काफी चहल-पहल मची हुई थी, जैसे कोई बड़ा फंक्शन होने वाला हो। वहीं हॉल में पांच लोग बैठे थे—तीन महिलाएं और दो पुरुष। उन पुरुषों में से एक, जिनकी उम्र करीब 60 साल थी, ने कहा, "क्या बात है, माँ जी? आप इतनी परेशान क्यों लग रही हैं?"
    उनकी बात सुनकर वह बुजुर्ग महिला, जिनका नाम कुसुम राय सिंघानिया था, और जिनकी उम्र लगभग 80 से 85 साल होगी, बोलीं, "कुछ नहीं, आकाश बेटा। अपने दोनों नालायकों के बारे में सोच रही हूं। दो दिन बाद नालायक की सगाई है और ये दोनों अभी तक नहीं आए। वीर का तो पता है कि वह हमेशा अपनी मनमर्जी करता है, लेकिन आव्यांश! आव्यांश का तो यहाँ टाइम पर होना जरूरी है।"
    कुसुम जी की बात सुनकर आकाश जी, जिन्होंने सवाल पूछा था, बस मुस्कुरा देते हैं। ये हैं आकाश कपूर, कपूर इंडस्ट्रीज के CEO। वहीं, उनके बगल में बैठे व्यक्ति, जो लगभग आकाश जी की ही उम्र के थे, बोले, "माँ जी, आप चिंता मत कीजिए। हमारे दोनों बच्चे आते ही होंगे।"
    उनकी बात सुनकर कुसुम जी मुँह बनाकर बोलीं, "हाँ, अभिराज। हमें पता है कि दोनों नालायक मेरे एक लौते नालायक पर ही गए हैं।" कुसुम जी की बात सुनकर अभिराज जी अपना मुँह खोले, बस अपनी माँ को ही देखते रह गए। वहीं बाकी सभी जोर-जोर से हँसने लगे।
    अब बात करते हैं उन दो महिलाओं की, जो कुसुम जी के बगल में बैठी थीं। कुसुम जी के बाईं तरफ बैठी महिला, जिनकी उम्र लगभग 50 से 55 साल होगी, दिखने में बेहद सुंदर थीं। ये हैं सुनैना राय सिंघानिया, कुसुम जी की बहू और अभिराज जी की पत्नी।
    कुसुम जी के दाईं तरफ बैठी महिला, जो सुनैना जी की ही उम्र की थीं और उन्हीं की तरह बेहद सुंदर थीं, ये हैं अंजली कपूर, आकाश कपूर की पत्नी। ये दोनों परिवार अपने बच्चों की शादी के लिए यहाँ आए थे। अभिराज जी और आकाश जी बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे और अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना चाहते थे। इसलिए आकाश जी की बड़ी बेटी की शादी अभिराज जी के छोटे बेटे से कराई जा रही थी।
    वैसे तो यह शादी लव मैरिज थी, लेकिन घरवालों को लगता था कि उनके बच्चे उनकी पसंद से शादी कर रहे हैं।
    सभी को खुश देखकर, अंजली जी ने आकाश जी से कहा, "आकाश, क्या आपने उन दोनों से बात की?"
    अंजली जी की बात सुनकर, जहाँ अभी तक खुशी का माहौल था, वहाँ थोड़ी गंभीरता छा गई। आकाश जी ने गहरी सांस लेते हुए कुछ कहने की कोशिश की, तभी सबके कानों में एक प्यारी और मधुर आवाज गूंजी, "वो आ रही है, मॉम।"
    इस आवाज को सुनते ही वहाँ मौजूद सभी के चेहरों पर मुस्कान आ गई, सिवाय आकाश जी और अभिराज जी के।
    यह थीं कविका कपूर, आकाश और अंजली जी की बड़ी बेटी। उन्होंने क्रॉप टॉप के साथ ब्लैक जीन्स पहनी हुई थी। उनके कानों में छोटे-छोटे डायमंड ईयररिंग्स थे। चेहरे पर कोई मेकअप नहीं था, लेकिन उनकी गहरी काली आँखें और होठों पर कातिलाना मुस्कान उन्हें बेहद खूबसूरत बना रही थी।
    कविका की उम्र 25 साल थी। वह आकाश जी के साथ उनका बिज़नेस संभालती थीं। आकाश जी और कविका की मेहनत का ही नतीजा था कि उनकी कंपनी आज पूरे एशिया के टॉप 10 में से एक थी।
    कविका भी आकर अब तक सभी के पास बैठ चुकी थी। कुछ देर तक सबने बातें कीं, फिर सब लोग अपने-अपने कामों में लग गए, क्योंकि दो दिन बाद सगाई थी। इसी तरह शाम कब हो गई, किसी को पता ही नहीं चला।
    शाम के समय, एक बार फिर सभी लिविंग हॉल में बैठे चाय पी रहे थे कि तभी बाहर कई गाड़ियों के रुकने की आवाज सुनाई दी।
    इस आवाज ने सबका ध्यान मेन डोर की तरफ खींच लिया। गाड़ियाँ रुकते ही, बीच वाली गाड़ी को छोड़कर बाकी सभी गाड़ियों से ब्लैक कपड़े पहने बॉडीगार्ड्स बाहर निकल आए। उनमें से एक, जो बॉडीगार्ड्स का हेड लग रहा था, ने एक इशारा किया। इशारा समझते ही, एक बॉडीगार्ड ने बीच वाली गाड़ी का दरवाजा खोला।
    गाड़ी से दो हैंडसम लड़के बाहर निकले। ये दोनों और कोई नहीं, बल्कि अभिराज जी के बेटे और कुसुम जी के नालायक पोते थे। उनमें से एक लड़का, जिसकी उम्र करीब 30 साल थी, सभी को देखकर मुस्कुराया। ये हैं आव्यांश राय सिंघानिया, अभिराज जी के छोटे बेटे।
    आव्यांश की हाइट 6.5 फीट थी। गोरा रंग, काली गहरी आँखें, चेहरे पर हल्की दाढ़ी और एक प्यारी सी मुस्कान। काले घने बाल, जो जेल से सेट किए हुए थे। उन्होंने ग्रे कलर का बिजनेस सूट पहना था, हाथों में एक एक्सपेंसिव घड़ी और पैरों में ब्रांडेड शूज थे। इस लुक में वे बिल्कुल किसी हीरो की तरह लग रहे थे।
    आव्यांश सीधा आकर सब बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगा।
    आव्यांश के पीछे खड़ा दूसरा लड़का, जिसकी उम्र करीब 32 साल थी, अपनी खतरनाक और दमदार आभा से माहौल को थोड़ा गर्म कर रहा था। ये और कोई नहीं, बल्कि अभिराज जी का बड़ा बेटा वीरांश राय सिंघानिया था।
    वीरांश दिखने में बेहद हैंडसम था। उसकी हाइट 6.6 फीट थी, गोरा रंग, काली गहरी आँखें। जो भी उसकी आँखों में एक बार देखता, उसके पसीने छूट जाते। चेहरे पर हल्की दाढ़ी, बाल जेल से सेट किए हुए। चेहरे पर कोई भाव नहीं।
    उसने ब्लैक कलर का बिजनेस सूट पहना था। हाथों में एक एक्सपेंसिव घड़ी और पैरों में ब्रांडेड शूज। इस लुक में वह कमाल लग रहा था।
    वीरांश आगे आकर अपनी दादी से गले मिलता है और बिना किसी से बात किए सीधे अंदर की तरफ निकल जाता है। उसकी इस हरकत पर सभी का मुँह बन जाता है।
    थोड़ी देर बाद, सभी फिर से लिविंग हॉल में बैठकर बातें करने लगते हैं। कुछ समय बाद, आकाश जी वीरांश और आव्यांश से फ्रेश होने के लिए अपने-अपने रूम में जाने को कहते हैं।
    यह विला चार मंजिला था। तीसरी मंजिल पर आव्यांश का रूम था, और चौथी मंजिल पर सिर्फ दो रूम थे—एक वीरांश का और दूसरा जिसका था, वह बाद में पता चलेगा।
    आव्यांश जैसे ही अपने फ्लोर पर पहुँचता है, सर्वेंट को जाने के लिए कहता है। तभी कोई उसे अचानक रूम के अंदर खींचकर दरवाजा अंदर से बंद कर देता है।
    आव्यांश अपने सामने खड़े इंसान को देखकर एक छू लेने वाली मुस्कान देता है। सामने कोई और नहीं, बल्कि कविका खड़ी थी, जो गुस्से से आव्यांश को घूर रही थी।
    कविका कुछ कहने ही वाली थी कि उससे पहले आव्यांश ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया, जिससे वे दोनों सीधे बेड पर गिर गए।
    कविका अभी कुछ समझ पाती, उससे पहले ही आव्यांश ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे किस करने लगा।

  • 2. Tera Ishq me marjawan - Chapter 2

    Words: 1683

    Estimated Reading Time: 11 min

    उज्जैन ।
    रात का वक्त ।
    रात के 8 बाज रहे थे और सभी लोग डिनर कर के वही  लिविंग हॉल में बैठे बाते कर रहे थे । कुछ देर बात करने के बाद सभी लोग अपने अपने रूम सोने के लिए चले गये । आव्यांश जैसे हि अपने रूम में पहोंचा की तभी उसका फोन रिंग करने लगा । जिस पर फ़्लैश हो रहे नाम को देख कर उसका मुँह हि बन गया । 
    आव्यांश ने बेमन से अपना फोन उठाया , की तभी दूसरी तरफ से एक भारी भरकम आवाज़ सुनाई दी आव्यांश टेरेस पर मिलो । आव्यांश जैसे ही कुछ कहने को हुआ की तभी दूसरे तरफ के इंसान ने फोन काट दिया । आव्यांश अपना मुँह बना कर बोला , ये भाई भी ना , ना हि खुद सोते हैं और ना ही किसी को सोने देते हैं ।
    इतना कह कर वो अपने पैर पटकते हुएँ  टेरेस की तरफ चला गया ।
    रात ।
    2 बजे ।।।।
    कविका परेशान हो कर बहार गार्डन में चककर लगा रही थी और बार बार मेन डोर की तरफ देख रही थी । उसे देख कर ऐसा लग रहा था की जैसे बेसब्री से  वो किसी का इंतजार कर रही हो । वो अपने फोन से किसी को फोन करती है लेकिन उधर से कोई भी उसका फोन पिक नही करता । 
    किसी को फोन ना उठता देख कर कविका और भी ज्यादा परेशान लग रही थी । कि तभी आकाश जी उसके पास आ कर प्यार से हाथ उसके सिर पर फेर के कहते हैं  , बच्चा सो जाओ बहोत रात हो गई है । फिर एक गहरी सांस ले कर कहते हैं , मुझे नही लगता की वो आएगी । उनकी बात सुन कर कविका एक प्यारी सी मुस्कान के साथ , कहती है  , dad  वो जरूर आएगी ।
    उसकी बात सुन कर आकाश जी भी एक फीकी सी मुस्कान दे कर अंदर चले जाते हैं  । 
    वही कविका अपना उदास सा फेस बना कर वही गार्डन में ही बैठ जाती है । अभी उसे बैठे 10 मिनट ही हुआ होगा कि तभी वीला के बाहर एक साथ 7 से 8 कार्स  आ कर रूकती हैं ।जिन्हे देख कर कवि के फेस पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है । जिनमे से बींच वाली कार को छोड़ कर , बाकि की कार्स में से ब्लैक कलर के कपड़े पहने बॉडीगार्ड निकल कर आते हैं  ।
    जिन्हे देख कर ही लग रहा था कि ये बॉडीगार्ड काफी खतरनाक हैं  और हो भी क्यू ना । क्युकी ये बॉडीगार्ड एशिया के no 1 एजेंसी के गार्ड हैं  । जिसे सभी ब्लैक फोर्स के नाम से जानते है । जिन्हे हायर करना सब के बस की बात नही है । ये एजेंसी किसकी है आज तक किसी को भी नही पता चला । क्युकी इस एजेंसी का वोनर आज तक कभी भी किसी के सामने नहीं आया है ।
    उन गार्ड में से  एक गार्ड जा कर बींच वाली कार का डोर ओपन करता है । जिसमें से दो लड़कियां  निकल कर बाहर आती है । दिखने में  दोनों की उम्र लगभग 23 साल लग रही थी । उन दोनों में से एक लड़की जिसने पिंक क्रॉप टॉप के साथ ब्लैक डेनिम जिन्स पहना हुआ था । उसके बाल हवा में लहरा रहे थे । काली गहरी आँखे , फेस पर एक क्यूट सी स्माइल , दिखने मे बलाखी खूबसूरत । 
    हाथों में एक्सपेंसीव वॉच , कानों में छोटे से डाइमंड ईयरिंग , पैर में  हाई हिल्स । वो दौड़ कर तुरंत कवि के पास आ कर उसके गले लग जाती है । जिसे देख कर कवि भी प्यार से उसे गले लगा कर कहती है ऋषि कैसी है मेरी सैतान । ये है ऋषिका कपूर कविका की छोटी बहन । वो कवि की बात सुन कर अपना मासूम सा फेस बना कर कहती है क्या दीदू  , मै थोड़ी ना सैतान हूं । 
    फिर धीरे से कवि के कान मे कहती है शैतान तो वो है जो मेरे पीछे आ रही है , वो भी खुन पीने वाली । कवि जब ऋषि की बात सुनती है तो जोर से  हंस देती है । अब तक वो दूसरी लड़की भी उन दोनों के पास आ गई थी । उसने ब्लाक टॉप के साथ ब्लैक जिन्स पहना हुआ था और ऊपर से हुडी पहन कर उसमे की कैप से अपने सिर को ढाका हुआ था । साथ में अपने फेस पर एक ब्लैक कलर का मास्क , हाथों में  वॉच जिसमे छोटे छोटे डाइमंड लगे हुए थे । पैरो में ब्लैक कलर के सुज ।
    उस लड़की को देख कर कवि।की आँखे नम हो जाती है । वो प्यार से उसके गालो को छू कर कहती है सुकून ,। इतना कह कर वो उसे अपने तरफ खींच कर गले लगा लेती है । सुकून भी बड़े हि प्यार से कवि को गले लगा कर अपनी आँखे बंद कर लेती है ।
    कवि रोते हुए कहती है, कैसा है मेरा बच्चा । उसकी बात सुन कर सुकून उससे अलग हो कर उसके आँखों के आंसु पोछ कर कहती है , मै ठीक। हूं दीदू । आप कैसे हो । उसकी बात सुन कर कवि भी उसे गोल गोल घुमा कर कहती है , अब तक ठीक नहीं थी लेकिन जब मेरी दोनो बहने मेरे साथा है तो मै आज बहोत खुश हूं ।
    कविका के ऐसे गोल घूमने के करण , सुकून के।सिर पर जो कैप लगी थी वो हट जाती है  और उसके कले घने लम्बे बाल हवा में  लहराने लगते है । वही चार जोड़ी आंखे और भी थी जो ये सारा नजारा देख रही थी । जो कोई और नही बल्कि आव्यांश और वीरांश थे । जो की काफी देर से तेरेस पर हि खड़े थे ।
    आव्यांश अपने मुंह पर हाथ रख कर ड्रामा करते हुए कहता है । ओ तो ये था ससुर जी का कीमती खजाना , जिसके लिए उन्होंने यहाँ की सिकुरैटी इतनी बढ़ा दी । वाव कितना सुन्दर खजाना है ।
    उसने अभी इतना हि कहा था की तभी उसे महसुस होता है कि  कोई उसे अपने खा जाने वाली नजरों से घूर रहा है । तभी उसका ध्यान अपने पास में हि खड़े वीर पर जाता है जिसे देख कर वो अपनी बत्तीसी दिखा देता है । 
     
    वही वीर उसे फुल इग्नोर करते हुए सामने देखने लगता है । तभी उसका ध्यान सुकून के फेस पर जाता है जो मास्क होने के करण दिखाई तो नही दे रहा था लेकिन उसकी वो खूबसूरत नीली आंखे साफ दिखाई दे रही थी । जिसे देख कर ना जाने क्यू वीर के दिल में एक अजीब सी फिलिंग होने लगी । वो बस अपनी काली गहरी आँखों से एक तक सुकुन को और उसकी हर मूवमेंट को देख रहा था ।
    कवि , ऋषि और सुकून को ले कर अंदर चली जाती है । क्युकी वो दोनों काफी थकी हुई थी । क्यूईकी आज हि सुकून और ऋषि न्यूयॉर्क से आई थी । वो भी 7 सालो बाद । किसी पर्सन रीजन के करण ऋषि और सुकून सात साल पहले हि इंडिया से दूर न्यूयॉर्क चली गई थी।
     
     
     
     
    सुकून सीधा थर्ड फ्लोर पर चली जाती है  जहाँ पर सिर्फ दो हि रूम बने थे । एक जिसमें  वीर रहता था । और दूसरा रूम वो सुकून का था । दोनों  के रूम पास पास ना हो कर एक दूसरे के अपोजिट में थे। 
    सुकून जैसे हि अपने रूम में आती है उस रूम को देख कर उसकी आँखे बंद हो जाती है क्युकी वो रूम बिल्कुल  वैसा हि था जैसा वो सालो पहले छोड़ कर गई थी । वैसे तो सिंघानिया फैमिली और कापुर फैमिली मुंबई में हि रहते हैं लेकिन आकाश जी अपनी बेटी की शादी अपनी उज्जैन से हि करना चाहते थे और यहाँ पर उनके काफी सारे रिलेटिव्स भी थे ।
    जिस करण यहाँ इन सभी का आना जाना होता हि रहता है ।सुकून अपनी आंखे खोल कर एक गहरी सांस लेती है और उसके बाद वाशरूम में  फ्रेश होने चली जाति है ।सुकून के वाशरूम के अंदर ही क्लोजेट रूम बनवाया गया था । कवि ने उसके आने के पहले ही उसकी सारी जरूरतों का समान ला कर उसके रूम में रख दिया था । 
    सुकून का रूम बहुत बड़ा था । रूम के बीचो बिच एक किंग साइज बेड , साइड में  कॉफी टेबल पिंक और वाइट कलर का रूम । उसके बेड के पास खूबसूरत सा night lamp । रूम से अटैचेड बालकनी जहां  पर खूब सारे फूलों के पौधे लगाए गये थे । बालकनी में  एक बड़ा सा झूला था और उसके सामने एक और कॉफी टेबल । सुकून का रूम बिल्कुल princec टाइप था । जो एक बार देख ले देखता ही रहे ।
    लगभग 20 मिनट बाद सुकून वॉशरूम से बाहर आती है और सीधा अपने  बेड पर जा कर लेट जाती है और थके होने के करण उसे जल्दी हि नींद भी आ जाती है ।
    वही कुछ हि देर बाद वीर भी अपने रूम में आ गया था और बेड पर लेट कर सोने की कोशिश कर रहा था । लेकिन बार बार उसकी आँखों के आगे सुकून की ब्लू अइज़ ही आ रही थी । वो एक झटके में अपनी आँखे खोल कर कहता है क्या हो तुम जो आज मेरी नींद उड़ा कर रखी है । कल सुबह तो तुमसे मिलना हि पड़ेगा my blue eyes । इतना कह कर वो एक मिस्टीरियस स्माइल करने लगाता है ।
    इस समय उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा था ये तो सिर्फ उसे ही पता था । उसके बाद वो वापस से अपने बेड पर लेट जाता है । कुछ हि देर में उसकी भी आंखे लग जाती है और वो सो जाता है ।
    अगली सुबह ।
    वीर का रूम ।
    वीर की सुबह जल्दी उठने की आदत थी । वो हमेशा हि सुबह 5 बजे उठ जाता था । उठने के बाद वो वॉशरूम जा कर फ्रेश होता है और अपना ट्रक सुत पहने नीचे  चला जाता है जॉगिंग के लिए । क्युकी वीर हमेशा जॉगिंग करता था और उसके बाद जिम । 
    सुकून का रूम ।
    सुकून इस वक्त किसी मासूम से बच्चे की तरह कम्बल में लिपट कर सो रही थी ।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     

  • 3. Tera Ishq me marjawan - veer aur sukun ki pahli mulakat

    Words: 1138

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह का वक्त ।
    सुकून का रूम ।
    सुकून अपने बिस्तर पर फैल कर किसी छोटे बच्चे की तरह लग रही थी । इस वक्त उसके फेस पर उसके नाम की ही तरह सुकून नजर आ रहा था । सुकून दुनियाँ से बेखबर , अपने सपनों की दुनियां में सो रही थी की तभी किसी ने उसके रूम का डोर ओपन किया । जो की खुला हुआ था,  क्युकी सुकून की ये बचपन से ही आदत थी की वो कभी भी अपना रूम लॉक करके नही सोती थी ।
    वही वो शख्स जब सुकून को सोता हुआ देखता है तो उसे देख कर मुस्कुराते हुए उसके पास चला आता है । और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर कर उसे उठाते हुए कहता है । बच्चा उठ ना सुबह हो गई , देख सब तेरा वेट कर रहे हैं । उस इंसान की बात सुन कर सुकून अपनी आंखे मसलते हुए  उस इंसान की तरफ देखती है जो कोई और नही बल्कि कवि थी ।
    सुकून एक प्यारी सी स्माइल के साथ कवि को हग कर के good morning विश करती है । फिर कवि भी उसे विश करती है । उसके बाद प्यार से उसके गालो पर हाथ रख के कहती है । बच्चा जाओ फ्रेश हो जाओ और फिर नास्ते के लिए नीचे आ जाओ । कवि की।बात सुन कर सुकून भी हाँ में अपना सिर हिला कर वॉशरूम में चली जाती है । 
    वही नीचे सभी लोग बैठे सुकून और वीर का ही इंतजार कर रहे थे । अब तक सभी को पता चल गया था की सुकून और ऋषि दोनों  हि आ गये हैं । क्युकी ऋषि ने सुबह 6 बजे हि सभी को  उठा दिया था क्युकी उसे सब से मिलना जो था । आज घर का माहौल हि कुछ अलग था । 
    वही सुकून भी अब तक फ्रेश हो गई थी । मिरर के सामने अपना बाल बना रही थी ।  आज उसने पिंक कलर का फुल स्लिव्स टॉप पहना हुआ था साथ में ब्लैक जींस और ब्लैक ओवरकोट । अपने बालो का मैसी बन बनाया हुआ था होठों पर  हल्का सा लिपबाम और कानों में छोटे से ईयरिंग । हाथों में वॉच और पैरों में हील वाले बूट । वो  एक हाथ मे अपना मास्क लेती है और दूसरे हाथ में  अपना फोन ।
    वो अपना सारा ध्यान अपने फोन में किये अपने रूम से बाहर निकल कर नीचे के तरफ जा ही रही थी की तभी वो अचानक किसी से टकरा जाती है । ऐस किसी से अचानक टकराने के करण सुकून संभाल नही पाती और उस इंसान के ऊपर गिर जाती है ।
    वही वो इंसान भी अपने फोन में बिज़ी होने के करण , वो भी सुकून को सामने से आता हुआ नही देख पता । जिस करण उसका भी बैलेंस बिगड़ जाता है । 
    सुकून ने ऐसे अचानक गिरने के करण अपनी आँखे बंद कर कर ली थी । और बिना सामने वाले को देखे हि सुकून बेहद ही गुस्से से उसके ऊपर से उठ कर अपनी आँखे खोलती है । जो की गुस्से के कारण बेहद ही लाल हो गई थी ।  वो जैसे ही अपने सामने वाले इंसान को देखती है उसका गुस्सा कंट्रोल के बाहर चला जाता है ,और वो फट पड़ती है ।
    सुकून बेहद ही गुस्से से अपने सामने वाले इंसान को देखती है  जो कि अब उठ गया था और कहती है कौन हैं आप और आप की हिम्मत कैसे हुई मेरे फ्लोर पर आने की । लगता है आप को अपनी जिंदगी प्यारी नही है । वही वो इंसान जो कोई और नही बल्कि वीरांश था , वो एक टक बस सुकून को ही देख रहा था । 
    वही उसकी नजर जैसे ही सुकून की ब्लू आईज पर जाती है तो उसके फेस पर एक डेविल स्माइल आ जाती है । और वो अपने कदम सुकून की तरफ बढ़ाते हुए कहता है ये तो मै भी तुमसे पूछ सकता हूं  । तुम कौन हो और यहाँ मेरे फ्लोर पर क्या कर रही हो ।
    वही सुकून जब उसे खुद से सवाल करता देखती है तो गुस्से मे अपनी एक ऊँगली दिखाते हुए कहती है । हे मिस्टर माइंड योर लंगवेज । नही तो अपने पैरो से चल कर जाने लायक नही रहोगे। सुकून आगे बढ़ कर जैसे हि वीर को कुछ और कहने वाली होती है कि तभी उसे कोई आवाज़ देता है ।
    बच्चा आप वहाँ क्या कर रही हो चलो नीचे । सुकून जब आवाज़ सुनती है तो वो अपने हाथों की  मुट्ठी बना कर अपने आँखे बंद कर के एक गहरी सास लेकर । वीर को एक वार्निंग लुक देकर उस तरफ चली जाती है जहां कवि खड़ी उसी का इंतजार कर रही थी ।
    वही वीर जिसकी नजरें सिर्फ सुकून पर थी वो उसे देख कर एक डेविल स्माइल कर के कहता है । आई लाइक योर कॉन्फिडेंस , जहाँ लोगों की मेरे सामने नजर उठाने की हिम्मत नही होती वहाँ तुमने मुझे ही सुना दिया । इंट्रेस्टिंग वैरी इंट्रेस्टिंग माय , माय प्रसियास ब्लू डाइमंड । इतना कह कर वो उन दोनों के  पीछे ,नीचे आ जाता है ।
    सुकून जैसे ही  नीचे  आती है , तो वहाँ मौजूद सभी लोगो के फेस पर स्माइल आ जाती है । सुकून भी सब को देख कर एक छोटी सी स्माइल कर देती है । अंजली जी  आ कर सुकून को अपने गले से लगा देती हैं । उनके गले लगाने से सुकून की आंखे अपने आप बंद हो जाती है । और वो भी उन्हे अपने गले लगा लेती है ।
    कुछ देर बाद अंजली जी सुकून से अलग होती है । उसके बाद  बाकी  सभी लोग भी सुकून से  मिलते हैं । आव्यांश सुकून के आगे आ कर अपना हाथ आगे कर के कहता है Hay i am avyansh ray singhaniya । सुकून एक नजर उसे देख कर वो भी अपना हाथ आगे कर के फॉर्मेलिटी के लिए कहती है Hallo i am सुकून , सुकून कपूर ।
    वही सुकून एक नजर आव्यांश को देख कर फिर एक नजर कवि को देखती है ।और एक डेविल स्माइल करती है जैसे कह रही हो की क्या आप को यही नमूना मिला है । वही जब कवि उसकी स्माइल का मतलब समझती है तो वो घूर कर सुकून की तरफ देखती है । वही कोई और भी था जो सुकून की सभी हरकतो को नोटिस कर रहा था । जो कोई और नही बल्कि वीर था । 
    तभी आव्यांश की आवाज़ सुनाई देती है जिससे सभी का ध्यान उसकी तरफ चला जाता है । जो वीर को आगे कर के उसे सुकून से इंट्रोडूज करावाते हुए कहता है । सुकून meet my brother veeransh ray singhaniya । वही वीर भी अपना हाथ आगे कर देता है । सुकून एक नजर उसे देखती है और फिर उसके हाथ को । फिर एक गहरी सांस ले कर सुकून भी अपना हाथ आगे कर के sekhand करती है ।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     

  • 4. Tera Ishq me marjawan - mere batane ka tarika kisi ko pasand nahi aata

    Words: 1318

    Estimated Reading Time: 8 min

    ऐसे हि सभी लोग सुकून से मिलने के बाद वही लिविंग हॉल में बैठे बाते करने लगते हैं  । कुछ देर बाद एक सर्वेंट अंजली जी के पास आता है और अपना सिर झुका कर कहता है , मैम नाश्ता तैयार है । उस सर्वेंट की बात सुनने के बाद अंजली जी सभी को नाश्ता करने के लिए कहती है । उनकी बात सुन कर सभी लोग दैनिंग टेबल पर आ जाते हैं । उन सभी के बैठने के बाद 6 से 7 सर्वेंट आ कर उन सभी को नास्ता सर्व करते हैं ।
    सभी लोग एक दूसरे से बाते करने में लगे थे , वही सुकून का ध्यान सिर्फ अपने फोन पर था और वीर का ध्यान सिर्फ सुकून और उसकी हरकतों पर था । कुछ ही मिनटो में  सर्वेंट्स सभी को नास्ता सर्व कर देते हैं । सुकून एक नजर अपने सामने नास्ते से सजी थाली को देख कर अपनी आँखे बंद कर लेती है । 
    सभी लोग अपना अपना नास्ता करने लगे थे किसी का भी ध्यान इस वक्त सुकून पर नही था । वही सुकून अपनी आंखे खोल कर वही थाली के बगल में चम्मच से नौक नौक करने लगती है और दूसरे हाथ की मुट्ठी कस लेती है । कवि जैसे ही सब्जी को पराठे में लगा कर पहला निवाला खाती है की तभी उसकी आंखे बड़ी बड़ी हो जाती है  । वो खाते हि रुक जाती है , उसे देख कर ऐसा लग रहा था की जैसे अचानक से उसे कुछ याद आ गया हो ।
     
    कवि अपना निवाला चबा कर तुरंत सुकून को देखती है जिसने अपनी आँखे बंद कर के रखी हुई थी और अपने एक हाथ की मुट्ठी बना।रखी थी । कवि उसे देख कर तुरंत रामू काका को आवाज़ लगाती है । उसकी आवाज़ सुन कर सभी का ध्यान कवि की तरफ चला जाता है । वही रामू काका जैसे हि कवि की अवाज सुनते हैं वो दौड़ कर किचेन से बाहर आते है और कहते हैं क्या हुआ बिटिया आप को कुछ चाहिए ।
    उनकी बात सुन कर।कवि , सुकून की तरफ इशारा कर के कहती है काका आप को पता है ना की सुकून को कोरियेंडर बिल्कुल भी नही पसंद । उसकी बात सुन कर रामु काका के माथे से पसीना झलकने लगता है और वो अपनी डरी हुई आवाज़ में कहते हैं,  सुकून बिटिया हमे माफ़ कर दो । आप कई सालो बाद यहाँ आई हैं इस लिए जो यहाँ नये हैं उन्हे आप की पसंद नही पता है ।
    इतना कह कर वो सुकून की प्लेट ले कर किचेन में चले जाते हैं ।उनके जाने के बाद कवि अपनी आंखे छोटी कर के सुकून की तरफ देखती है । वही सुकून कवि को अपनी तरफ देखता पा कर चिढ़ते हुए कहती है क्या । आप मुझे ऐसे क्यू देख रही हो । उसकी बात सुन कवि । चिढ़ते हुए कहती है तेरे पास मुँह नही है तु बोल नही सकती की तुझे दूसरा नास्ता ला कर दें ।
    कवि की बात सुन कर सुकून एक डेविल स्माइल के साथ कहती है दीदू आप ही ने कहा था की नीचे सांती से बैठ कर नास्ता करना और अपना मुँह सिर्फ खाने के लिए खोलना । इसी लिए मैने आप की बात मानी और कुछ नही कहा । और वैसे भी अगर मै अपने तरीके से बताती तो यहाँ पर वो किसी को पसंद नही आता । इतना कह कर वो कवि को एक और डेविल स्माइल कर के अपनी एक आई विंग कर देती है । 
    अब तक रामू काका सुकून के लिए दूसरी प्लेट भी ले आये थे । वैसे सुकून ने अपनी बात बोली तो बहुत धीरे से लेकिन  उसकी बाते वही बैठे तीन लोगो को काफी अच्छे से सुनाई दे दी थी ।
    जो कोई और नही आव्यांश , ऋषि और वीरांश थे । आव्यांश कवि के सामने वाली चेयर पर बैठा था और वीर सुकून के सामने वाली चेयर पर । वही ऋषि सुकून के बगल में  बैठी थी । इस लिए उसकी बात उन तीनों के आलावा किसी और ने नही सुनी । वही आव्यांश अपने मन में सुकून को देख कर कहता है क्या लड़की है , मुझे तो इसके अंदर अपने मॉन्स्टर भाई की झलक दिख रही है ।
    वही वीर अपनी इंटेंस नज़रों से  सुकून को हि देख रहा था । ऐसे की सभी का नाश्ता भी ख़त्म हो जाता है । सभी लोग अपना नास्ता कर के वही लिविंग हॉल में आ कर बैठ जाते है । सुकून एक नजर सब को देख कर अपने रूम की तरफ चली जाती है । 
    सुकून 20 मिनट बाद रेडी हो कर नीचे आती है । तो सभी लोग उसकी तरफ देखने लगते हैं । सुकून ने वाइट टॉप के साथ ब्लैक जींस और उसके ऊपर ब्लैक हुडी जिसमें एक कैप भी लगी थी । जो उसके लगा रखी थी जिस कारण उसके बाल इस वक्त नही दिखाई दे रहे थे । वो अपने फेस पर मास्क लगाते हुए बिना किसी पर ध्यान दिये बाहर की तरफ जाने लगती है की तभी सभी सभी के कानों में आकाश जी की आवाज़ सुनाई देती है ।
    जो अंजली जी की तरफ देख कर कहते है ,अंजली घर में मौजूद सभी से कह दो की आज शाम  5 बजे  काली माँ के मंदिर में पूजा है । तो वहाँ सभी का होना जरूरी है । उनकी बात सुन कर सभी समझ जाते हैं की आकाश जी ये किसे सुना रहे है जिस करण सभी का ध्यान अपने आप हि सुकून की तरफ चला जाता है ।
     
    सुकून बिना किसी की तरफ देखे सीधा बाहर की तरफ निकल जाती है । वही उसको जाता देख कर आकाश जी गुस्से से अभिराज जी की तरफ देखते हुए कहते है । देखा अभी तूने । ये कितनी बिगड़ गई है इसे किसी से कोई मतलब नही है जब देखो तब बस अपने मन की हि करनी होती है । वही अंजली जी अपनी नम आँखों से सुकून को जाता देख कर धीरे से कहती है , आप गलत हो आकाश उसे सब से फर्क पड़ता है सिवाय आप के इतना कह कर वो किचेन की तरफ चली जाती है ।
    वही उनके पीछे वीर की मोम भी चली जाती है । वही वीर जिसने अंजली जी की सारी बात सुन ली थी वो किसी सोच में गुम हो जाता है की तभी अभिराज जी कहते हैं । आकाश क्यू चिंता करता है अभी बच्ची है वो । इनकी बात सुन कर आकाश जी कहते हैं बच्ची नही है वो 23 की हो गई है । इतना कह कर वो अपने रूम में चले जाते हैं ।
    ऐसे ही शाम भी हो जाती है और सभी लोग मंदिर भी चले जाते हैं  । मंदिर में इस वक्त सभी लोग मौजूद थे  सिर्फ सुकून को छोड़ कर वही दो लोगों की आँखे इस वक्त सिर्फ एक ही इंसान को ढूंढ रही थी जो कोई और नही बल्कि आकाश जी और वीरांश था । जो अपनी इंटेंस नजरों से सिर्फ सुकून को ढूंढ रहा था । लेकिन सुकून नही आती । 
    ऐसे हि पूजा भी हो जाती है और सभी लोग विला के लिए निकल जाते हैं  वही वीर इस वक्त।अपनी कार खुद ड्राइव कर रहा था । इस वक्त उसकी आँखो में बेहिसाब गुस्सा था उसे सुकून पर बहुत गुस्सा आ रहा था की वो मंदिर क्यू नही आई । और उसे गुस्सा क्यू आ रहा था ये तो उसे भी समझ में नहीं आ रहा था ।
    कुछ ही देर में सभी लोग विला पहोंच जाते हैं । कुछ देर वही लिविंग हॉल में बैठने के बाद सभी लोग अपने रूम में फ्रेश होने के लिए चले जाते हैं । सभी लोग कुछ देर में फ्रेश हो कर नीचे डिनर करने के लिए आ जाते हैं  । सभी लोग इस वक्त वहां पर मौजूद थे सिर्फ सुकून को छोड़ कर जो अभी तक घर नही आई थी ।
    so फ्रेंड्स aaj ke liye bas itna hi ab  milte hai  next episod me । ।
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  • 5. Tera Ishq me marjawan - Chapter 5

    Words: 1318

    Estimated Reading Time: 8 min

    ऐसे हि सभी लोग सुकून से मिलने के बाद वही लिविंग हॉल में बैठे बाते करने लगते हैं  । कुछ देर बाद एक सर्वेंट अंजली जी के पास आता है और अपना सिर झुका कर कहता है , मैम नाश्ता तैयार है । उस सर्वेंट की बात सुनने के बाद अंजली जी सभी को नाश्ता करने के लिए कहती है । उनकी बात सुन कर सभी लोग दैनिंग टेबल पर आ जाते हैं । उन सभी के बैठने के बाद 6 से 7 सर्वेंट आ कर उन सभी को नास्ता सर्व करते हैं ।
    सभी लोग एक दूसरे से बाते करने में लगे थे , वही सुकून का ध्यान सिर्फ अपने फोन पर था और वीर का ध्यान सिर्फ सुकून और उसकी हरकतों पर था । कुछ ही मिनटो में  सर्वेंट्स सभी को नास्ता सर्व कर देते हैं । सुकून एक नजर अपने सामने नास्ते से सजी थाली को देख कर अपनी आँखे बंद कर लेती है । 
    सभी लोग अपना अपना नास्ता करने लगे थे किसी का भी ध्यान इस वक्त सुकून पर नही था । वही सुकून अपनी आंखे खोल कर वही थाली के बगल में चम्मच से नौक नौक करने लगती है और दूसरे हाथ की मुट्ठी कस लेती है । कवि जैसे ही सब्जी को पराठे में लगा कर पहला निवाला खाती है की तभी उसकी आंखे बड़ी बड़ी हो जाती है  । वो खाते हि रुक जाती है , उसे देख कर ऐसा लग रहा था की जैसे अचानक से उसे कुछ याद आ गया हो ।
     
    कवि अपना निवाला चबा कर तुरंत सुकून को देखती है जिसने अपनी आँखे बंद कर के रखी हुई थी और अपने एक हाथ की मुट्ठी बना।रखी थी । कवि उसे देख कर तुरंत रामू काका को आवाज़ लगाती है । उसकी आवाज़ सुन कर सभी का ध्यान कवि की तरफ चला जाता है । वही रामू काका जैसे हि कवि की अवाज सुनते हैं वो दौड़ कर किचेन से बाहर आते है और कहते हैं क्या हुआ बिटिया आप को कुछ चाहिए ।
    उनकी बात सुन कर।कवि , सुकून की तरफ इशारा कर के कहती है काका आप को पता है ना की सुकून को कोरियेंडर बिल्कुल भी नही पसंद । उसकी बात सुन कर रामु काका के माथे से पसीना झलकने लगता है और वो अपनी डरी हुई आवाज़ में कहते हैं,  सुकून बिटिया हमे माफ़ कर दो । आप कई सालो बाद यहाँ आई हैं इस लिए जो यहाँ नये हैं उन्हे आप की पसंद नही पता है ।
    इतना कह कर वो सुकून की प्लेट ले कर किचेन में चले जाते हैं ।उनके जाने के बाद कवि अपनी आंखे छोटी कर के सुकून की तरफ देखती है । वही सुकून कवि को अपनी तरफ देखता पा कर चिढ़ते हुए कहती है क्या । आप मुझे ऐसे क्यू देख रही हो । उसकी बात सुन कवि । चिढ़ते हुए कहती है तेरे पास मुँह नही है तु बोल नही सकती की तुझे दूसरा नास्ता ला कर दें ।
    कवि की बात सुन कर सुकून एक डेविल स्माइल के साथ कहती है दीदू आप ही ने कहा था की नीचे सांती से बैठ कर नास्ता करना और अपना मुँह सिर्फ खाने के लिए खोलना । इसी लिए मैने आप की बात मानी और कुछ नही कहा । और वैसे भी अगर मै अपने तरीके से बताती तो यहाँ पर वो किसी को पसंद नही आता । इतना कह कर वो कवि को एक और डेविल स्माइल कर के अपनी एक आई विंग कर देती है । 
    अब तक रामू काका सुकून के लिए दूसरी प्लेट भी ले आये थे । वैसे सुकून ने अपनी बात बोली तो बहुत धीरे से लेकिन  उसकी बाते वही बैठे तीन लोगो को काफी अच्छे से सुनाई दे दी थी ।
    जो कोई और नही आव्यांश , ऋषि और वीरांश थे । आव्यांश कवि के सामने वाली चेयर पर बैठा था और वीर सुकून के सामने वाली चेयर पर । वही ऋषि सुकून के बगल में  बैठी थी । इस लिए उसकी बात उन तीनों के आलावा किसी और ने नही सुनी । वही आव्यांश अपने मन में सुकून को देख कर कहता है क्या लड़की है , मुझे तो इसके अंदर अपने मॉन्स्टर भाई की झलक दिख रही है ।
    वही वीर अपनी इंटेंस नज़रों से  सुकून को हि देख रहा था । ऐसे की सभी का नाश्ता भी ख़त्म हो जाता है । सभी लोग अपना नास्ता कर के वही लिविंग हॉल में आ कर बैठ जाते है । सुकून एक नजर सब को देख कर अपने रूम की तरफ चली जाती है । 
    सुकून 20 मिनट बाद रेडी हो कर नीचे आती है । तो सभी लोग उसकी तरफ देखने लगते हैं । सुकून ने वाइट टॉप के साथ ब्लैक जींस और उसके ऊपर ब्लैक हुडी जिसमें एक कैप भी लगी थी । जो उसके लगा रखी थी जिस कारण उसके बाल इस वक्त नही दिखाई दे रहे थे । वो अपने फेस पर मास्क लगाते हुए बिना किसी पर ध्यान दिये बाहर की तरफ जाने लगती है की तभी सभी सभी के कानों में आकाश जी की आवाज़ सुनाई देती है ।
    जो अंजली जी की तरफ देख कर कहते है ,अंजली घर में मौजूद सभी से कह दो की आज शाम  5 बजे  काली माँ के मंदिर में पूजा है । तो वहाँ सभी का होना जरूरी है । उनकी बात सुन कर सभी समझ जाते हैं की आकाश जी ये किसे सुना रहे है जिस करण सभी का ध्यान अपने आप हि सुकून की तरफ चला जाता है ।
     
    सुकून बिना किसी की तरफ देखे सीधा बाहर की तरफ निकल जाती है । वही उसको जाता देख कर आकाश जी गुस्से से अभिराज जी की तरफ देखते हुए कहते है । देखा अभी तूने । ये कितनी बिगड़ गई है इसे किसी से कोई मतलब नही है जब देखो तब बस अपने मन की हि करनी होती है । वही अंजली जी अपनी नम आँखों से सुकून को जाता देख कर धीरे से कहती है , आप गलत हो आकाश उसे सब से फर्क पड़ता है सिवाय आप के इतना कह कर वो किचेन की तरफ चली जाती है ।
    वही उनके पीछे वीर की मोम भी चली जाती है । वही वीर जिसने अंजली जी की सारी बात सुन ली थी वो किसी सोच में गुम हो जाता है की तभी अभिराज जी कहते हैं । आकाश क्यू चिंता करता है अभी बच्ची है वो । इनकी बात सुन कर आकाश जी कहते हैं बच्ची नही है वो 23 की हो गई है । इतना कह कर वो अपने रूम में चले जाते हैं ।
    ऐसे ही शाम भी हो जाती है और सभी लोग मंदिर भी चले जाते हैं  । मंदिर में इस वक्त सभी लोग मौजूद थे  सिर्फ सुकून को छोड़ कर वही दो लोगों की आँखे इस वक्त सिर्फ एक ही इंसान को ढूंढ रही थी जो कोई और नही बल्कि आकाश जी और वीरांश था । जो अपनी इंटेंस नजरों से सिर्फ सुकून को ढूंढ रहा था । लेकिन सुकून नही आती । 
    ऐसे हि पूजा भी हो जाती है और सभी लोग विला के लिए निकल जाते हैं  वही वीर इस वक्त।अपनी कार खुद ड्राइव कर रहा था । इस वक्त उसकी आँखो में बेहिसाब गुस्सा था उसे सुकून पर बहुत गुस्सा आ रहा था की वो मंदिर क्यू नही आई । और उसे गुस्सा क्यू आ रहा था ये तो उसे भी समझ में नहीं आ रहा था ।
    कुछ ही देर में सभी लोग विला पहोंच जाते हैं । कुछ देर वही लिविंग हॉल में बैठने के बाद सभी लोग अपने रूम में फ्रेश होने के लिए चले जाते हैं । सभी लोग कुछ देर में फ्रेश हो कर नीचे डिनर करने के लिए आ जाते हैं  । सभी लोग इस वक्त वहां पर मौजूद थे सिर्फ सुकून को छोड़ कर जो अभी तक घर नही आई थी ।
    so फ्रेंड्स aaj ke liye bas itna hi ab  milte hai  next episod me । ।
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  • 6. Tera Ishq me marjawan - Chapter 6

    Words: 1524

    Estimated Reading Time: 10 min

    उज्जैन ।
     रात का वक्त 
    सभी लोग डिनर कर के वही लिविंग हॉल में  बैठे बाते कर रहे थे । सुकून अभी तक घर नही आई थी । आकाश जी  ऋषि के तरफ देख कर कहते हैं । ऋषि बेटा क्या हम जान सकते हैं की 9 सुकून अभी तक घर क्यो नही आई और वो कहाँ है । आकाश जी की बात सुन के ऋषि जैसे हि कुछ कहने को होती है की तभी वहाँ पर कई सारी गाड़ियों के रुकने की आवाज़ सुनाई देती है । जिसे सुन कर ऋषि अपना मुँह बना कर कहती है । 
    आ गई dad सुकून । फिर धीरे से खुद से हि कहती है शैतान का नाम लिया शैतान हाजिर । वही उसी के बगल में बैठा आव्यांश उसकी बात सुन कर हँसने लगता है । उसे ऐसे हँसता देख कर ऋषि उसका हाथ पकड़ के धीरे से कहती है , क्या जीजू मरवाना चाहते हो क्या आप मुझे । वही उसकी बात सुन कर आव्यंश ना मे अपनी गर्दन हिला देता है ।
    ऋषि और आव्याश  अब तक काफी अच्छे दोस्त बन गये थे क्युकी ऋषि सुकून की चुंगली आव्यांश से करती और आव्यांश , वीर की चुंगली ऋषि से । एक प्रकार से कहे तो आव्याश और ऋषि एक दूसरे के चुंगली पार्टनर बन गये थे ।
    वही सुकून अब तक उन सब के पास आ गई थी । वो सीधा जा कर वही लिविंग हॉल के सोफे पर बैठ कर अपनी आँखों को बंद कर के कहती है ,, coffee  । वही सब की नजर सिर्फ सुकून पर हि थी ।  उसकी आवाज़ से हि अंदाजा हो जाता हैं की वो काफी थकी हुई है । अंजलि जी सुकून से कहती हैं बेटा आप कहाँ थी । 
    सुकून जिसने अपनी आंखे बंद की हुई थी । वो अंजली जी की आवाज़ सुन कर अपनी आँखे खोलती है । अंजली जी फिर से कहती है , बेटा आप को आप के डैडा ने बोला था ना की आज सभी को मंदिर जाना है ।लेकिन आप आई हि नही । उनकी बात सुन कर सुकून बिना किसी भाव के बोली मै bizi थी मम्मा ।
    अब तक रामू काका भी सुकून के लिए coffee ले कर आ गये थे । सुकून जैसे हि कॉफ़ी का एक जिप लेती है वैसे ही  उसके कानों में आकाश जी की तंज भरी आवाज़ सुनाई देती है जो कहते हैं । यंहा पर बड़ी बहन की शादी है और यहाँ पर किसी के पास time नही है उसकी खुशियों में शामिल होने के लिए । फिर थोड़ा रुक कर कहते हैं  होगा भी कैसे जब दिन भर अइयाशियां की जाएगी तो परिवार और बहन के लिए time कहां होगा । 
    उनकी बात सुन कर वहाँ बैठे सभी लोगो को सुकून के लिए बुरा लगता है लेकिन वहां पर कोई और भी था जिसके फेस पर आकाश जी की बात सुन कर गुस्सा आ गया , और उसके हाथों की मुट्ठियां कस गई थी । ये कोई और नही बल्कि वीरांश था । वही आकाश जी की बात सुन कर सभी का ध्यान सुकून की तरफ चला जाता है ।
    जिसके हाथों की पकड़ उसके coffee मग पर कस गई थी । वो एक नजर आकाश जी को देखती है और एक devil smail कर के अपने हाथों में पकड़ा coffee मग जमीन पर छोड़ देती है । जिस करण एक चटाक की आवाज़ के साथ वो कप टूट जाता है । 
    कप के टूटते ही सुकून एक मासूम सा फेस बना कर सभी की तरफ देखती है और अपने दोनों कंधों को उचका कर पपी फेस बना कर कहती है ऊप्स sorry  । इतना कह कर वो वहां से  अपने रूम में चली जाती है । उसके रूम में जाते हि आकाश जी गुस्से से अपनी मुट्ठी कस कर अभिराज जी की तरफ देख कर कहते है , देखा अभी तूने , कितनी बत्तमीज़ हो गई है ये लड़की sorry बोलने के बजाय । ये coffee cup तोड़ कर रूम में भाग गई । 
    उनकी बात सुन कर  अभिराज जी , आकाश जी के मजे लेते हुए कहते हैं । चलो कोई नही यार , कोई तो है जिसकी जुबान तेरे सामने चलती है और चले भी क्यू ना है तो तेरी ही बेटी । इतना कह कर अभिराज जी हँसने लगते है और उनकी बात सुन कर वहाँ मौजूद बाकी सब भी । अब तक जो माहौल खराब , तनाव भरा हो गया था वो अब हंसी मज़ाक में बदल गया । कुछ और बाते करने के बाद सभी लोग अपने अपने रूम में चले जाते हैं ।
    वही सुकून रात के 11 बजे अपने रूम से बाहर निकल कर नीचे लिविंग हॉल में आ कर बैठ जाती है । उसके हाथों में उसका लैपटॉप था । दरअसल सुकून को अक्सर नींद नही आती थी तो वो रात भर अपना काम करती थी । वो जैसे हि लिविंग हॉल में आती है तो रामू काका उसके पास आ कर कहते है , बिटिया आप को कुछ चाहिए । उनकी बात सुन कर सुकून कहती है जी काका एक कप coffee  । 
    उसकी बात सुन कर  रामू हाँ में अपना सिर हिला कर केचैन की तरफ चले जाते हैं  । 10 मिनट बाद रामू काका अपने हाथों में  एक कप coffee ले कर आते हैं । वो सुकून को coffee देकर जाने लगते हैं कि तभी सुकून उन्हे रोक कर कहती है काका वो लेडी क्यू रो रही थी । उसकी बात सुन कर काका कहते हैं । बिटिया उसका नाम सोना है । उसके 5 साल के बेटे के दिल में छेड़ है । उसके पति की भी मौत हो गई है।
    डॉक्टर ने कहा है की अगर उसका जल्दी से इलाज नही हुआ तो वो भी मर सकता है । उसके पास इतने पैसे नही हैं की वो अपने बेटे का इलाज़ करा सके । काका की बात सुन कर सुकून उन्हे एक कार्ड दे कर कहती है आप उन्हे ये दे देना । उनके बेटे का इलाज़ हो जायेगा । और हाँ किसी से कहियेगा मत की ये कार्ड मैने उन्हे दिया है ।
    रामू काका सुकून को देख कर थोड़ा सा स्माइल कर ले कहते हैं । बिटिया आप अभी भी बिल्कुल वैसे हि हैं  हमारी छोटी सी सुकून । उनकी बात सुन कर सुकून बिना किसी भाव के कहती है , काका आप की सुकून बदल गई है वो अब पहले जैसे नही है । फिर एक गहरी सांस ले कर कहती है काका रात बहुत हो गई है आप सो जाओ किसी और को मेरे लिए coffee बनाने को कह दीजिये । उसकी बात सुन कर रामू अपना सिर हिला कर चले जाते हैं ।
    वही कोई था जो ये सब अपनी काली गहरी आँखों से देख रहा था , ये कोई और नही बल्कि वीर था । जो वही अपने रूम के बहार से हि ये सब देख रहा था । उसे भी नींद नही आ रही थी इस लिए वो गार्डन में जाने वाला था । की तभी उसे सुकून दिखाई देती है तो वो वही रूम के बाहर हि खड़ा हो जाता है । ऐसे हि वो वही खड़ा सुकून को घंटो तक देखता रहता है और सुकून इस बात से बेखबर अपने काम में लगी रहती है । ऐसे हि दोनों को हि नही पता चलता की रात से सुबह कब हो गई । सुकून को जब एहसास होता है की सुबह हो गई है तो वो अपने रूम में चली जाती है । उसके बाद वीर भी किसी गहरी सोच में गुम अपने रूम में  चला जाता है ।
     
     
    आज सभी लोग जल्दी ही उठ गये थे क्युकी आज शाम को ही कवि और आव्यांश की सगाई थी । सभी लोग नास्ते के लिए दैनिंग एरिया में बैठे थे लेकिन वहाँ पर कोई था जिसकी नजरें बार बार सीढ़ियों की तरफ जा रही थी । ये कोई और नही वीरांश था जो सुकून को देख रहा था क्युकी सुकून अभी तक नास्ते के लिए नही आई थी ।
    अंजली जी जैसे हि कवि और ऋषि से सुकून के बारे में पूछने को होती है की तभी उनकी नजर सीढ़ियों से नीचे आती सुकून पर जाती है । जिसने हमेशा की।तरफ हि ऑटफिट पहने हुए था । जिसमे वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी । वही वीर भी उसे अपनी इंटेनेस नज़रों से सुकून को । देख रहा था ।
    वही सुकून जो अपने में ही मस्त फोन चलाते हुए नीचे आ रही थी । सुकून बिना किसी पर ध्यान दिये सीधा बाहर की तरफ जाने लगती है । वही अंजली जी जब उसे बिना ब्रेकफास्ट किये बाहर जाते देखती हैं तो उसे रोकते हुए कहती है , सुकून बेटा कहाँ जा रही हो । पहले ब्रेकफास्ट तो कर लो । उनकी बात सुन कर सुकून के पैर अपनी जगह पर हि रुक जाते हैं  । 
    सुकून एक गहरी सांस ले कर बिना पीछे देखे कहती है Sorry मम्मा मुझे लेट हो रहा है , मै बाहर ही कुछ खा लूंगी । इतना कह कर वो दुबारा से अपने कदम बाहर निकाल पाती की उससे पहले ही उसे अपने हाथों पर किसी की पकड़ महसूस होती है वो जब उस इंसान की तरफ देखती है तो , चिढ़ते हुए कहती है अब आप को क्या हुआ दीदू ।