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Rebirth of hell king and crimson queen

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Rebirth of Hell King and Crimson Queen एक बार फिर... इतिहास खुद को दोहराने को है। सत्ता की हवस... धोखे की साज़िश... और प्रेम की एक ऐसी दास्तान, जिसे मिटा देने...

Total Chapters (83)

Page 1 of 5

  • 1. - Chapter 1 क्या वो जिंदा हो गया है ..?

    Words: 1561

    Estimated Reading Time: 10 min

    जयपुर, राजस्थान।

    मध्यम आकार का दो मंजिला घर... अंधेरे में डूबा हुआ। सामने एक छोटी-सी पार्किंग लॉट थी, और उसके बगल में फैला हुआ एक बड़ा, खूबसूरत गार्डन। गार्डन में कुछ कुर्सियाँ और टेबल रखे थे। हर दिशा से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी—फूलों की। चमेली, गुलाब, गेंदा... और उन पर मंडरा रहे थे जुगनू, जैसे रात की रानी ने अपनी सेना भेज दी हो।

    "खट्ट..."
    पार्किंग लॉट का गेट हल्के से खुला। एक लड़की—लगभग 19 साल की—धीरे-धीरे साइकिल को अंदर लाती है। सांसें तेज़ हैं। वो साइकिल को किनारे खड़ा करती है और गहरी सांस लेते हुए गेट बंद कर देती है।

    पर तभी...

    "क्लिक..."
    उसे लगा, उसके पीछे कोई है! वो झटके से मुड़ती है—पर पीछे कोई नहीं।

    "हह... बच गए," वह फुसफुसाती है। चेहरे से स्कार्फ हटाती है और गले में लपेटते हुए दबे पाँव गार्डन पार कर घर की ओर बढ़ती है।

    धीरे से चाबी निकालती है...
    "टक..."
    गेट खोलती है...

    और उसी पल—

    "टन्न्ग!"
    पूरा हॉल रोशनी से जगमगा उठता है!

    "ओह नो..." वो आंखें कसकर बंद करती है। "पकड़े गए..."

    कुर्सी पर बैठे एक व्यक्ति की आवाज़ आती है — गुस्से में डूबी हुई, लेकिन एक परिचित गर्मी के साथ।

    "मिस अंजली शर्मा! आपने क्या समझ रखा है ये घर? हॉस्टल है क्या, जहाँ जब मर्जी हो आप पूरी रात बाहर घूम आएँगी और आराम से लौट आएँगी?"

    "वेल, I know ये मेरा घर है," अंजली मुस्कुराती है। "इसलिए तो बाहर गई थी। हॉस्टल में होती, तो वार्डन जाने देती क्या?"
    "और वैसे भी — कहते हैं रात में घूमने से सेहत अच्छी रहती है!"

    "किस किताब में लिखा है ऐसा?" दिनेश जी भौंहें चढ़ाते हैं।

    "मेरी किताब में, पापा! कभी दिखा दूंगी आपको..."

    "रुको!" दिनेश जी उठते हैं, मंदिर की तरफ जाते हैं। वहाँ से गंगाजल लाते हैं, और अंजली पर छिड़कते हुए कहते हैं,
    "अब अंदर आओ। कितनी बार कहा है—रात के समय नकारात्मक शक्तियाँ ज्यादा सक्रिय रहती हैं। किसी के भी साथ... किसी के भी घर में आ सकती हैं।"

    "पापा! You and your ghosts again..." अंजली आँखें घुमाती है। "आप प्रोफेसर हैं ठीक है, लेकिन हर जगह ये भूतों वाली बातें अच्छा नहीं लगता।"

    "बेटा, अच्छा लगने या ना लगने से हकीकत नहीं बदलती..."

    "अच्छा छोड़िए, पापा! बताइए—आज खाने में क्या बनाया है? भूख लगी है!"

    "खीर," दिनेश जी मुस्कुराते हैं। "आज तुम्हारी फेवरेट खीर बनाई है।"

    "ओह येस! तभी तो घर में इतनी मीठी खुशबू है। लेकिन अगर खीर ठंडी हो गई, तो वो मुझसे नाराज़ हो जाएगी!" अंजली हँसती है और टेबल की ओर दौड़ती है।

    "रुको!" दिनेश जी फिर डाँटते हैं, "पहले जाकर हाथ धोकर आओ।"

    "अरे यार, पापा! मैंने क्या मिट्टी लगा रखी है हाथ में!"

    "जाओ, मैंने कहा ना!"

    अंजली मुँह बनाते हुए बेसिन की ओर जाती है। हाथ धोकर लौटती है और डाइनिंग टेबल पर बैठ जाती है।

    दिनेश जी उसे खीर परोसते हैं। उनकी आँखों में एक अजीब-सी गंभीरता है। वो कहते हैं—

    "बेटा, इस दुनिया में कई डाइमेंशन होते हैं। हर डाइमेंशन का एक द्वार होता है। उसे खोलने वाले भी होते हैं। लेकिन ये शक्तियाँ हर किसी को नहीं मिलतीं। सिर्फ उन्हें, जो इसके योग्य होते हैं..."

    "प्लीज़ पापा, अभी नहीं! फिलहाल खीर का आनंद लेने दीजिए। ये सब आपके स्टूडेंट्स के लिए बचाकर रखिए।"

    अंजली कटोरी उठाती है और अपने कमरे की ओर चली जाती है।

    दिनेश जी गहरी सांस लेते हैं। खुद से बुदबुदाते हैं—
    "बेटी... तू समझती क्यों नहीं? जिस नक्षत्र में तेरा जन्म हुआ... कोई माँ-बाप नहीं चाहेगा कि उसका बच्चा उस घड़ी में जन्म ले..."

    वो खीर फ्रिज में रखते हैं और अपने कमरे की ओर बढ़ जाते हैं।

    अचानक...

    "पापा!!! पापा जल्दी आइए!"

    दिनेश जी चौकते हैं। दौड़कर अंजली के कमरे में पहुँचते हैं।

    "क्या हुआ बेटा?"

    "पापा! मेरी तस्वीर—‘Moonlight’—बेस्ट अवॉर्ड के लिए सिलेक्ट हो गई है!"
    वो स्क्रीन दिखाती है। "देखिए, यह तस्वीर आज क्लिक की थी। ट्रेडिंग में आ गई है!"

    "मेरी बच्ची..." दिनेश जी की आँखें भर आती हैं। "तूने तो मेरा दिल खुश कर दिया।"

    "और पापा! आज कुछ और तस्वीरें भी क्लिक की थीं, आपको दिखाऊँ?"

    "हाँ, क्यों नहीं?"

    अंजली लैपटॉप पर स्लाइडशो चलाती है। पर एक तस्वीर पर आकर दिनेश जी का चेहरा सख्त हो जाता है।

    "रुको..." वो स्क्रीन के पास जाते हैं। एक फोटो को ज़ूम करते हैं। "ये तूने क्लिक की?"

    "हाँ पापा। पास वाली नदी के पास। देखिए, कैसा धुआँ है... जैसे चाँद को ढकने की कोशिश कर रहा हो..."

    दिनेश जी की आँखें ठहर जाती हैं।

    "बेटा, ये धुआँ नहीं है... कुछ और ही है।"
    उनका स्वर भारी हो जाता है।
    "आज के बाद तुम वहाँ नहीं जाओगी!"

    "पर पापा, क्यों? आप हर चीज़ पर रिस्ट्रिक्शन लगाते हैं!"

    "तुम नहीं समझोगी अंजली। और ना ही अभी समझने का समय है। मैंने कहा ना—अब वहाँ नहीं जाना!"

    अंजली गुस्से में मुँह बनाते हुए कमरे से चली जाती है।

    दिनेश जी अपना फोन निकालते हैं। उस तस्वीर को अपने फोन में सेव करते हैं और धीमे स्वर में कहते है

    "क्या मतलब...? क्या वो... फिर से ज़िंदा हो रहा है? मुझे... पता लगाना होगा...


    शानदार! आप कहानी को जिस दिशा में ले जा रहे हैं, वह रहस्य, डर और रोमांच से भरपूर है। चलिए, इसे एक नये अध्याय 2 के रूप में आपके विचारों को सुस्पष्ट और सिनेमाई तरीके से पेश करते हैं — ताकि आपकी कहानी एकदम थ्रिलर वेब सीरीज़ जैसी लगे।



    "अगर वो ज़िंदा हो गया तो...? नहीं... नहीं!!"

    दिनेश जी की साँसें भारी हो चली थीं। उनकी आँखों में डर था—वो डर जो किसी साधारण इंसान का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का होता है जिसने कभी उस अंधेरे को बेहद करीब से देखा हो।

    "नहीं... वो ज़िंदा नहीं होना चाहिए..."
    कहते हुए वो तेज़ी से अपनी लाइब्रेरी की ओर बढ़ते हैं। पुराने लकड़ी के फर्श पर उनके कदमों की आवाज़ गूंज रही थी—थक चुकी दीवारों से टकराकर लौटती हुई।

    वो किताबों की शेल्फ के पास रुकते हैं।

    "वो किताब... कहाँ रखी थी मैंने?"
    उनके हाथ एक-एक किताब उलटने लगते हैं।

    "बस एक बार मिल जाए..."
    बाहर अचानक तेज़ हवा चलती है—एक खिड़की "धड़ाम!" से बंद हो जाती है।
    लाइब्रेरी की बत्तियाँ थोड़ी देर के लिए फड़कती हैं।

    "कई बार ऐसी घटाएं देखी हैं... पर चांद को ढँकने वाली वो परछाई..."
    वो बड़बड़ाते हैं।
    "इतनी ताक़त किसी में नहीं हो सकती। नहीं हो सकती!"

    उनका माथा पसीने से भीग गया था।

    वो किताबें बेतहाशा पलट रहे थे, लेकिन वो एक किताब, जिसे वो ढूंढ रहे थे, गायब थी।

    "कहीं किसी ने ले तो नहीं ली...? नहीं... ये सिर्फ मेरे पास थी..."

    तभी उनकी नज़र एक कोने में पड़ी एक पुरानी, धूल से ढकी किताब पर जाती है। एक अलग-सी चमक उस पर पड़ी थी, जैसे वो खुद ध्यान खींच रही हो।

    वो धीरे-धीरे उसके पास जाते हैं।

    घुटनों के बल बैठते हैं, हाथ बढ़ाते हैं...

    "हेल किंग का रहस्य"
    नाम देखकर उनके चेहरे का रंग उड़ जाता है।

    "यही है..."

    वो किताब को झाड़ते हैं, और कांपते हाथों से पहले पन्ने को पलटते हैं।




    पहला पन्ना:

    जिस दिन चंद्रमा की रोशनी काली परछाई से ढँकेगी,
    और एक जन्मजात द्वार खुल जाएगा,
    उसी दिन वो जागेगा...
    वो, जो सैकड़ों वर्षों से नर्क के द्वार पर कैद था।
    हेल किंग..."



    दिनेश जी की आँखें तेजी से पन्ने पलटने लगती हैं। उसमें एक चित्र था—एक साया, जो धुएँ में लिपटा था, पर उसके पीछे कुछ आकृतियाँ थीं — आँखें जल रही थीं, जैसे वो घूर रहा हो...

    "ये वही तस्वीर है... जो अंजलि ने क्लिक की थी..."

    उनके होंठ काँपते हैं।

    "इसका मतलब... वो परछाई उसी की है।"

    वो तुरंत उठते हैं, किताब लेकर बाहर आते हैं।

    "मुझे यह सब किसी को बताना होगा... इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।"

    पर जैसे ही वो दरवाज़े की ओर बढ़ते हैं—

    "खड़-खड़..."
    लाइट फिर से फड़कती है।

    "टप्प..."
    एक तस्वीर दीवार से गिरती है—अंजलि की बचपन की फोटो।

    और उसमें...

    पीछे एक साया खड़ा दिखता है...
    नहीं!! कौन हो तुम...?"
    दिनेश जी की चीख पूरे हॉल में गूंजती है।

    उनकी आवाज़ सुनकर अंजलि दौड़ते हुए ड्रॉइंग रूम में आती है। पिता की हालत देखकर उसका चेहरा डर और चिंता से भर जाता है।
    "पापा...? आप ठीक हैं? ये पसीना... पापा, क्या हुआ?"

    वह उन्हें सहारा देकर सोफे पर बैठाती है, दौड़ कर रसोई से पानी लाती है।

    "लो... पानी पी लीजिए। प्लीज़ बताइए, क्या हुआ था?"

    दिनेश जी काँपते हुए गिलास पकड़ते हैं। उनके होंठ मुश्किल से हिलते हैं —
    "बेटा... आ गया है... मैंने... मैंने उसे अपनी आँखों से देखा..."

    "किसको देखा, पापा?"

    "हेल किंग!"

    अंजलि झुंझलाकर किताब की ओर देखती है और उसे दिनेश जी के हाथ से खींच लेती है।
    "पापा... प्लीज़! मैंने आपसे कितनी बार कहा है, ये किताबें आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। आप इनका इतना असर क्यों लेने लगे हैं?"

    वो किताब को टेबल पर पटकते हुए कहती है—
    "अब आप इस किताब से दूर रहेंगे। मैं प्रोजेक्ट का काम खत्म कर रही हूं, आप अपने कमरे में जाकर आराम करिए।"

    वो चली जाती है।

    दिनेश जी चुपचाप गिलास उठाते हैं। फर्श पर गिरे कांच के टुकड़ों को समेटते हुए तस्वीर को साइड में रखते हैं। एक गहरी सांस लेते हुए खुद से बुदबुदाते हैं—
    "अंजलि बेटा... ये सब इत्तेफाक नहीं हो सकता। अगर मेरा शक सही है, तो एक बहुत बड़ा संकट हमारी तरफ बढ़ रहा है।"

    तभी उन्हें एक ख्याल आता है।

    वो अपना मोबाइल निकालते हैं और किसी को कॉल करते हैं।

    "हैलो... सुनो, मैं कुछ दिनों के लिए रिसर्च पर जा रहा हूँ। तब तक के लिए अंजलि का ध्यान तुम्हें रखना होगा... प्लीज़, ये ज़रूरी है..."

  • 2. - Chapter 2 गुफा के रहस्य

    Words: 1500

    Estimated Reading Time: 9 min

    "नहीं!! कौन हो तुम...?"
    दिनेश जी की चीख पूरे हॉल में गूंजती है।

    उनकी आवाज़ सुनकर अंजलि दौड़ते हुए ड्रॉइंग रूम में आती है। पिता की हालत देखकर उसका चेहरा डर और चिंता से भर जाता है।
    "पापा...? आप ठीक हैं? ये पसीना... पापा, क्या हुआ?"

    वह उन्हें सहारा देकर सोफे पर बैठाती है, दौड़ कर रसोई से पानी लाती है।

    "लो... पानी पी लीजिए। प्लीज़ बताइए, क्या हुआ था?"

    दिनेश जी काँपते हुए गिलास पकड़ते हैं। उनके होंठ मुश्किल से हिलते हैं —
    "बेटा... आ गया है... मैंने... मैंने उसे अपनी आँखों से देखा..."

    "किसको देखा, पापा?"

    "हेल किंग!"

    अंजलि झुंझलाकर किताब की ओर देखती है और उसे दिनेश जी के हाथ से खींच लेती है।
    "पापा... प्लीज़! मैंने आपसे कितनी बार कहा है, ये किताबें आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। आप इनका इतना असर क्यों लेने लगे हैं?"

    वो किताब को टेबल पर पटकते हुए कहती है—
    "अब आप इस किताब से दूर रहेंगे। मैं प्रोजेक्ट का काम खत्म कर रही हूं, आप अपने कमरे में जाकर आराम करिए।"

    वो चली जाती है।

    दिनेश जी चुपचाप गिलास उठाते हैं। फर्श पर गिरे कांच के टुकड़ों को समेटते हुए तस्वीर को साइड में रखते हैं। एक गहरी सांस लेते हुए खुद से बुदबुदाते हैं—
    "अंजलि बेटा... ये सब इत्तेफाक नहीं हो सकता। अगर मेरा शक सही है, तो एक बहुत बड़ा संकट हमारी तरफ बढ़ रहा है।"

    तभी उन्हें एक ख्याल आता है।

    वो अपना मोबाइल निकालते हैं और किसी को कॉल करते हैं।

    "हैलो... सुनो, मैं कुछ दिनों के लिए रिसर्च पर जा रहा हूँ। तब तक के लिए अंजलि का ध्यान तुम्हें रखना होगा... प्लीज़, ये ज़रूरी है..."

    फोन कट करते हुए वो कमरे की ओर बढ़ते हैं।

    "बस आज की रात किसी भी तरह गुजर जाए... कल सुबह मैं अंजलि को यहाँ से दूर भेज दूँगा..."

    अगली सुबह।

    सूरज की पहली किरण खिड़की से झांकती है। दिनेश जी की आँख खुल जाती है।
    वो तेजी से उठते हैं, सीधे किचन की ओर जाते हैं और नाश्ता तैयार करते हैं।

    "अंजलि बेटा, उठो! हम ट्रिप पर जा रहे हैं!"

    "क्या... ट्रिप पर?"
    अंजलि चौंकती है। "सच में?"

    "हम नहीं, सिर्फ तुम। तुम्हारा सामान पैक है। ड्राइवर बाहर खड़ा है।"

    "पर क्यों, पापा? आप तो बीमार थे कल..."

    "बेटा, मुझे रिसर्च के लिए बाहर जाना है। और मुझे सुकून तब ही मिलेगा, जब तुम सुरक्षित रहोगी।"

    अंजलि धीरे-धीरे उदास होती है। वो उनके गले लग जाती है—
    "पापा, प्लीज़ मत भेजिए..."

    "गुड़िया रानी, मान जाओ ना। तुम्हारे लौटते ही हम अपनी फेवरेट जगह पर फोटो क्लिक करने जाएंगे।"

    अंजलि के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लौटती है।
    "ठीक है पापा... मैं रेडी होकर आती हूं।"

    वो वॉशरूम की ओर भागती है।

    दिनेश जी चश्मा उतारकर एक लंबी सांस लेते हैं।
    "तुम जल्दी निकलो बेटा... फिर मैं जाऊंगा वहाँ... जहाँ से इस कहानी की शुरुआत हुई थी..."

    कुछ देर बाद...

    अंजलि नाश्ता करती है।
    "पापा, पर मैं रहूँगी कहाँ?"

    "ड्राइवर अंकल तुम्हें पहुँचा देंगे। बस चुपचाप वहाँ रहना, और उन्हें परेशान मत करना।"

    "परेशान? मैं? अरे पापा, मैं तो मॉम को भी पिघलाकर पानी बना दूँ!"

    "वो पत्थर हैं, बेटा।"

    "तो क्या हुआ? मैं उन्हें पीसकर पाउडर बना दूँगी!"

    दोनों हँस पड़ते हैं।

    दिनेश जी अंजलि का सामान उठाकर गाड़ी में रखते हैं।

    "अपना ख्याल रखना। जल्दी मिलेंगे।"

    अंजलि गले लगती है, फिर गाड़ी में बैठ जाती है।

    गाड़ी जैसे ही मोड़ पर जाती है, दिनेश जी एक लंबी साँस लेते हैं।

    लेकिन तभी...

    उनके पीछे... एक परछाई।

    काला साया।

    वो मुड़ते हैं—पर वह अब वहां नहीं है।

    उनके चेहरे से पसीना टपक रहा था।

    "नहीं... ये मेरा भ्रम नहीं... ये साया अब मुझे घूर रहा है..."

    "मुझे इसके तह तक जाना होगा। अब कोई और रास्ता नहीं बचा..."




    दिनेश जी ने अंजलि को सुरक्षित भेज दिया था। अब वे अपने मिशन पर निकलने के लिए तैयार थे — उस जगह की ओर, जिसने पहली बार "हेल किंग" नाम की परछाई को जन्म दिया था।




    राजस्थान की एक सुनसान घाटी।

    पुराने पत्थरों से बनी, लगभग वीरान सी दिखने वाली जगह। वहाँ सन्नाटा इतना घना था कि किसी की सांस लेने की आवाज़ भी डर पैदा कर दे।

    दिनेश जी, अपने दो रिसर्च सहयोगियों के साथ वहाँ पहुँचे। उनके साथ वही पुरानी किताब — हेल किंग का रहस्य — और कुछ पुराने स्केचेज़ थे, जिन पर उन्होंने वर्षों तक काम किया था।

    "यही है वो जगह..."
    दिनेश जी जमीन की ओर इशारा करते हैं।
    "यहीं पर कभी एक मंदिर हुआ करता था — पर ये मंदिर देवी का नहीं, एक 'नकारात्मक देव' का था, जिसे राक्षसों का राजा कहा जाता था..."

    सहयोगी चौंकते हैं।

    "हेल किंग?"

    "हाँ। वही। यही उसका द्वार है।"

    वो किताब खोलते हैं, और एक प्राचीन चित्र दिखाते हैं — जिसमें एक द्वार दिखाया गया है, जो चंद्रग्रहण के समय ही खुल सकता है।

    "आज से दो सौ साल पहले, इसी स्थान पर एक साधक ने नर्क की शक्तियों को बुलाने की कोशिश की थी।"
    "वो असफल रहा, पर द्वार... अधखुला रह गया। और अब, जब अंजलि की तस्वीर में वो परछाई दिखी, मैं समझ गया कि वो द्वार फिर से जाग रहा है..."

    "पर सर, अंजलि का इससे क्या लेना देना?"

    दिनेश जी चुप हो जाते हैं।

    फिर धीमे से कहते हैं —
    "अंजलि का जन्म उसी नक्षत्र में हुआ था, जिसे 'रक्त वर्तुल' कहा जाता है। उसी घड़ी में, जब नर्क द्वार सबसे ज़्यादा सक्रिय होता है। वो 'द्वार' को खोलने की चाबी है — अनजाने में..."

    सहयोगियों के चेहरे सफेद पड़ जाते हैं।




    दिनेश जी एक पुरानी रेखा को मिट्टी में खोजते हैं। थोड़ी खुदाई करने के बाद उन्हें पत्थरों से बनी एक आकृति मिलती है — एक त्रिभुज, जिसके बीचोंबीच एक लाल पत्थर जड़ा हुआ था।

    "ये ही है वो प्रतीक। 'सिग्नेट ऑफ हेल किंग'..."

    पर तभी...

    "गड़गड़गड़..."

    धरती हल्की-सी कांपती है।

    सहयोगी पीछे हटते हैं।
    "सर, ये क्या हो रहा है?"

    दिनेश जी किताब को कसकर पकड़ते हैं।
    "वो जाग रहा है... पर अभी पूरा नहीं... कुछ अधूरा है।"

    तभी उन्हें कुछ दूर एक छोटी सी गुफा दिखाई देती है — जो पहले वहाँ नहीं थी।

    "ये गुफा...? ये तो पहले नहीं थी..."

    दिनेश जी धीरे-धीरे उस गुफा की ओर बढ़ते हैं...


    ---

    दूसरी ओर…

    अंजलि, अपने अस्थायी घर में एकांत में बैठी होती है। उसके कैमरे की स्क्रीन बार-बार ब्लिंक करने लगती है।

    वो चौंककर देखती है—स्क्रीन पर वही परछाई खुद-ब-खुद उभरने लगती है... जो उसने कभी क्लिक की थी।

    "ये कैसे हो सकता है...? ये तस्वीर तो... मैंने डिलीट कर दी थी..."

    और तभी…

    उसके कमरे की खिड़की अपने आप खुल जाती है।

    हवा चलती है।

    कमरे की दीवार पर परछाईं उतरती है।

    वही आँखें... वही धुआं...
    वही साया...



    क्या हेल किंग की आत्मा अब अंजलि के ज़रिए कुछ करना चाहती है?

    क्या दिनेश जी समय रहते उसका द्वार बंद कर पाएंगे?

    या फिर अंजलि की जन्म घड़ी उसे उस साये के करीब ले जा रही है, जिससे कभी कोई नहीं बचा
    गुफा के मुहाने पर खड़े दिनेश जी की साँसें तेज़ थीं। उनके पीछे दो रिसर्च सहयोगी सहमे खड़े थे। गुफा के अंदर से आती ठंडी हवा जैसे किसी और ही दुनिया का संकेत दे रही थी।

    "इस गुफा का अस्तित्व कभी किसी नक्शे में नहीं था..."
    दिनेश जी बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ते हैं।

    गुफा के भीतर घुप्प अंधेरा था। टॉर्च की रोशनी चारों ओर फैलाई... लेकिन अंदर की नमी, और उन दीवारों पर बने अजीब आकृतियाँ... कुछ अलग ही कह रही थीं।

    दीवारों पर रक्त से बने चित्र थे — एक साया, एक त्रिशूल, और बीच में एक लड़की... जिसकी आँखें पूरी तरह सफेद थीं।

    "ये चित्र... ये तो अंजलि जैसी दिखती है..."

    दिनेश जी रुकते हैं। एक बड़ी सी पत्थर की स्लैब के पास आते हैं। उस पर एक धातु की प्लेट जड़ी थी, जिस पर लिखा था:

    "एक बार द्वार पूरी तरह खुला... तो वो सब ले जाएगा जो जीवन कहलाता है।"



    तभी...

    "धड़ाम!!"
    गुफा का मुंह खुद-ब-खुद बंद हो जाता है।

    सर!"
    सहयोगी चिल्लाते हैं, पर दिनेश जी की आवाज़ नहीं आती।

    गुफा के अंदर अब गूंज रही थी सिर्फ एक धीमी, गहरी आवाज़...

    "Tu... mujhe... jaanta hai..."

    दिनेश जी टॉर्च गिरा देते हैं। उनके चेहरे पर डर नहीं... बल्कि एक डरावनी पहचान का भाव था।

    "नहीं... तुम असली हो...!"

    और फिर—

    एक तीव्र, अंधकारमय झटका।

    गुफा सन्नाटे में डूब जाती है।
    दूसरी ओर:

    स्थान: जयपुर के पास, एक छोटा-सा गांव — बुआ का घर

    अंजलि कैमरे के अजीब बर्ताव और कमरे में फैली धुंध से परेशान होकर बुआ को आवाज देती है।
    "बुआ! कमरे में कुछ अजीब हो रहा है!"

    बुआ जल्दी से आती हैं। उनकी चाल में घबराहट नहीं, बल्कि तैयारी थी।

    अंदर आते ही वो कमरे के एक कोने से कुशा, राख और एक तांबे की डिब्बी निकालती हैं।

    "हट, पीछे हट!"
    वो ज़ोर से कहती हैं।

    अंजलि हड़बड़ा जाती है।

    बुआ आंखें बंद कर के कुछ तेज़-तेज़ संस्कृत में मंत्र पढ़ती हैं —
    "ॐ कालाय स्वाहा, अग्निरूपाय नमः..."

    कमरे की हवा भारी हो जाती है।

    परछाईं अब दीवार पर काले धुएं की तरह फड़फड़ाने लगती है।
    बुआ कुशा को जला कर उसकी राख फेंकती हैं।



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  • 3. Chapter 3 अंजलि की सुरक्षा

    Words: 1585

    Estimated Reading Time: 10 min

    दिनेश जी टॉर्च गिरा देते हैं। उनके चेहरे पर डर नहीं... बल्कि एक डरावनी पहचान का भाव था।

    "नहीं... तुम असली हो...!"

    और फिर—

    एक तीव्र, अंधकारमय झटका।

    गुफा सन्नाटे में डूब जाती है।




    दूसरी ओर:

    स्थान: जयपुर के पास, एक छोटा-सा गांव — बुआ का घर

    अंजलि कैमरे के अजीब बर्ताव और कमरे में फैली धुंध से परेशान होकर बुआ को आवाज देती है।
    "बुआ! कमरे में कुछ अजीब हो रहा है!"

    बुआ जल्दी से आती हैं। उनकी चाल में घबराहट नहीं, बल्कि तैयारी थी।

    अंदर आते ही वो कमरे के एक कोने से कुशा, राख और एक तांबे की डिब्बी निकालती हैं।

    "हट, पीछे हट!"
    वो ज़ोर से कहती हैं।

    अंजलि हड़बड़ा जाती है।

    बुआ आंखें बंद कर के कुछ तेज़-तेज़ संस्कृत में मंत्र पढ़ती हैं —
    "ॐ कालाय स्वाहा, अग्निरूपाय नमः..."

    कमरे की हवा भारी हो जाती है।

    परछाईं अब दीवार पर काले धुएं की तरह फड़फड़ाने लगती है।
    बुआ कुशा को जला कर उसकी राख फेंकती हैं।

    "गुर्र्र्रर्र..."
    एक अजीब, अधूरी सी आवाज़ गूंजती है।

    और परछाईं गायब हो जाती है।

    अंजलि स्तब्ध।
    "बुआ... वो... वो क्या था?"

    बुआ गहरी सांस लेकर मुस्कुराती हैं—
    "कुछ नहीं बेटी, पास के खेतों में घास फूंकी जा रही थी... वही धुआं था। तू नर्वस थी, बस!"

    "पर बुआ... आपने मंत्र क्यों पढ़े?"

    "बचपन से आदत है बेटा, डर लगे तो भगवान का नाम लेना चाहिए ना।"

    बुआ बाहर चली जाती हैं।

    पर जाते-जाते उनकी आँखों में जो चिंता और छुपी हुई सतर्कता थी, अंजलि से छुप नहीं पाई।



    और अब...

    गुफा के बाहर रिसर्च सहयोगी गुफा के मुंह को पीट रहे हैं।

    "सर! आप अंदर हैं? आवाज़ दीजिए!"

    लेकिन कोई जवाब नहीं...

    गुफा... चुप थी। दिनेश जी... गायब हो चुके थे।





    दिनेश जी के गायब होने के बाद, उनके दो सहयोगी डर और घबराहट में गुफा से बाहर भागने की कोशिश करते हैं।

    "सर कहाँ चले गए... गुफा बंद हो गई... चलो निकलते हैं यहां से!"

    लेकिन…

    एक सन्नाटा… और फिर काली परछाई।

    वे दोनों रुक जाते हैं।

    "त… तुम्हें कुछ महसूस हुआ?"

    "हाँ... कोई हमारे पीछे है..."

    जैसे ही वे पलटते हैं, वहां एक आकृति आकार ले रही होती है—पहले धुएं की तरह, फिर मानव रूप में।

    काला, डरावना शरीर… नील-चमकती आँखें… और दो नुकीले, चमकदार दांत।

    "ह...हेल किंग?"

    वे चिल्लाने की कोशिश करते हैं… पर अब देर हो चुकी थी।

    वो परछाई दोनों को हवा में उठा लेती है, जैसे कोई कागज़ के टुकड़े हों। उनकी चीखें गूंजती हैं, पर वहां उन्हें कोई सुनने वाला नहीं।

    "चुर्रर्र..."

    उनके गले पर दांत धँसते हैं। खून नहीं, बल्कि नीला जहर बहने लगता है। उनके शरीर तुरंत नीला पड़ जाते हैं।

    फिर… एक जोरदार हंसी।

    "हा... हा... हा... अब जागरण प्रारंभ हुआ है..."

    उनके मृत शरीर को ज़ोर से ज़मीन पर फेंक दिया जाता है।

    "और अब... अगली चाबी..."

    और वो छाया धीरे-धीरे धुएं में विलीन हो जाता है।



    स्थान: बुआ नताशा का घर

    नताशा (अंजलि की बुआ) — एक साध्वी और एक छिपी हुई रक्षक — अपने कमरे में बैठी होती हैं, अंजलि की कुंडली हाथ में।

    "रक्त वर्तुल... वही नक्षत्र... और भाई ने अब तक कुछ नहीं बताया?"

    घबराहट में वो दिनेश को कॉल करती हैं, पर…

    "The number you are trying to reach is not reachable..."

    वो तुरंत अपने एक पुराने सहयोगी को कॉल करती हैं।

    "सुनो! मुझे तुरंत पता चाहिए कि दिनेश कहाँ रिसर्च के लिए गए थे।"

    उधर से आवाज़ आती है:
    "नताशा जी... वो लोकेशन तो हम ढूंढ ही रहे हैं… पर हमें दो शव मिले हैं। बहुत बुरी हालत में हैं। मैं तस्वीरें भेज रहा हूँ।"

    फोन पर दो तस्वीरें आती हैं।

    नताशा जैसे पत्थर बन जाती हैं।

    दोनों शव... नीले पड़े हुए… गर्दन पर दांतों के निशान...

    "हे देवी... ये असंभव है... वह दोबारा जाग कैसे गया...?"

    "नहीं! अब मुझे अंजलि की रक्षा करनी ही होगी..."




    स्थान: नताशा का निजी संग्रहालय

    वह एक अलमारी खोलती हैं। वहाँ रखे हैं पुराने यंत्र, दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ, तांत्रिक स्क्रॉल और तांबे के कटोरे।

    वो कुछ विशेष जड़ी-बूटियों को मिलाकर एक जल बनाती हैं।
    मंत्र पढ़ते हुए:

    "ॐ अपसर्पantu ते भूताः..."

    कटोरे में जल उबलने लगता है… और फिर धप्प!! एक तेज़ विस्फोट के साथ जल शांत हो जाता है।

    "हो गया। अब कोई बुरी शक्ति इस घर की देहरी पार नहीं कर पाएगी।"

    वो जल को घर के चारों ओर छिड़क देती हैं।




    फिर, अंजलि के पास आती हैं।

    "सुनो बेटा, अगले दो दिन तुम घर से बाहर कदम नहीं रखोगी। कल अमावस्या है। कोई बहाना नहीं चलेगा।"

    "बुआ! पापा से बात कर लो ना! वो क्यों नहीं बता रहे? ऐसा क्या कर रहे हैं?"

    "वो रिसर्च पर हैं। और ये बात तुम्हें वक्त आने पर ही समझ आएगी। अभी के लिए — जो कहा है, वो मानो।"

    अंजलि थोड़ी नाराज़ होती है, लेकिन उसकी आंखों में अब डर भी है।




    दूसरी ओर: गुफा के अंदर…

    एक छाया धीरे-धीरे दिनेश जी के बेहोश शरीर के पास आती है।

    "तेरा समय आ गया है, विद्वान... अब तू मेरी कथा समझेगा..."

    बुआ की बातें अंजलि के कानों के ऊपर से जा रही थीं। वह कुछ भी समझ नहीं रही थी, बस चुपचाप वहां सिर हिला देती। उसे अपने घर का याद आ रहा था। "अत, लीस्ट, वहाँ तो खुले में सांस ले सकती थी," वह धीरे से बदबू आती हुई कहती है। "पापा से ही कह रहे थे, ये सच में बहुत खड़ूस लगते हैं।"

    तब तक अंजलि के दरवाजे पर दस्तक होती है। अंजलि अपनी निगाहें सामने की तरफ करती है, तो वहां पर तीन लोग खड़े थे। उन्हें देखते हुए अंजलि थोड़ी सी सोच में पड़ जाती है। वह झट से अंदर आते हुए कहते हैं, "मैं आयुषी, मैं शिव, और मैं अमित।" इन तीनों की उम्र भी लगभग अंजलि की उम्र के बराबर थी।

    अंजलि: "तुम अंजलि हो, दिनेश मामू की बेटी?"

    अंजलि धीरे से सिर हिलाती है।

    आयुषी झट से उसके पास बैठते हुए कहती है, "वेल, मुझे पता है तुम परेशान हो रही हो। मां थोड़ी सी है, वह थोड़ा स्ट्रिक्ट है, पर बहुत प्यारी है। तुम्हें वक्त लगेगा, पर तुम समझ जाओगी। लेकिन तुम चिंता मत करो, हम कल रात यहां की हवेली पर चलेंगे। ऐसा माना जाता है कि वह हवेली बहुत पुरानी है, और उसमें कई राज छिपे हैं। यह सब दिखावटी बातें हैं। मैं प्रैक्टिकल चीजों में विश्वास करती हूं, और आज तक मैंने कुछ भी ऐसा नहीं देखा, जिसे मैं मानूं कि भूत-प्रेत होते हैं।"

    आयुषी की बातें सुनकर अमित घबराते हुए कहता है, "क्या बक रही हो, अगर मन को पता चला कि हम यहां से कहीं बाहर जा रहे हैं, तो हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे!"

    आयुषी गुस्से से कहती है, "तू चुप बैठ, तू कितना डरता है! पप्पू, जा जाकर दूध पी ले!"

    शिव यार, इसे समझो ना! शिव भी अंजलि की तरफ देखते हुए कहता है, "हां, नहीं तो क्या! और वैसे भी रूल्स बनते ही हैं तोड़ने के लिए, और हम बच्चे हैं, हमें अभी से तेरे रिस्ट्रिक्शन्स पसंद नहीं।"

    अंजलि हंसते हुए कहती है, "पर मां हमारे भले के लिए कह रही हैं, हमें बाहर नहीं जाना है।"

    अमित उदास होकर धीरे से कहता है, "ठीक है, मैं तुम सबके साथ चलने के लिए तैयार हूं।"

    यह सुनते ही वह तीनों खुश हो जाते हैं, और अंजलि भी मुस्कुराते हुए कहती है, "तो ठीक है, फिर कल शाम तक हम सब कैंपिंग की सारी प्लान कर लेते हैं! पर वह बताओ, हम जाएंगे कैसे? क्योंकि हुआ तो घर पर रहनी वाली है, नहीं?"

    आयुषी ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं, मां हर शुक्रवार को बाहर जाती है, और कल शुक्रवार है। तुम्हारा घर पर नहीं रहेंगे।"

    यह सुनते ही अंजलि के चेहरे पर चमक आ जाती है, और वह बस दूसरे दिन का इंतजार कर रही थी। और उसका इंतजार भी अब खत्म होने को था। रात गई और दूसरा दिन भी आ गया। पूरे दिन उसने बस इस बारे में ही सोचा। उसने अपने मन में कई सारी इमेजिनेशन बना रखी थीं, और वह मुस्कुराती हुई अपने कमरे से उठते हुए कहती है, "बस एक बार मैं इसके पिक्चर्स ले लूं, और फिर मैं एक बेस्ट फोटोग्राफर बन कर दिखाऊंगी।"

    तब तक नताशा ने इन चारों को टाइमिंग टेबल पर बुलाते हुए कहा, "बच्चों, मैं अपने काम से बाहर जा रही हूं, रमेश अंकल आ रहे हैं, उन्हें परेशान मत करना। और हां, आज के दिन कोई भी कमरे से बाहर नहीं निकलेगा, और इस घर से बाहर जाने की सोचना भी मत।"

    नताशा वहां से चली जाती है। उनके जाने के बाद, एक मोटा सा इंसान कमरे के अंदर आता है। उसे देखते हुए आयुषी मच चढ़ते हुए कहती है, "यार, यह बहुत पकाऊ है! अगर अपना जान बचाना है तो चुपचाप इसे पहले निकाल लो।"

    यह कहते हुए वह वहां से उठकर भाग जाती है। उसके जाते ही हर कोई आयुषी के पीछे-पीछे चला जाता है। उनके जाने के बाद रमेश जी मुस्कुराते हुए कुर्सी पर बैठ जाते हैं और चिल्ला कर कहते हैं, "बच्चों आओ तो, मैं तुम्हें कहानी सुनाऊंगा।"

    ऊपर खड़े अमित और शिव एक दूसरे की शक्ल देखते हुए कहते हैं, "नहीं, इनकी कहानी भाई पकाऊ होती है। नींद आने लगती है, इससे अच्छा मैं अपनी फिजिक्स की बुक में सारण मार लूं, एट लिस्ट कुछ तो पढ़ लूंगा।"

    तब तक आयुषी अपने दांत पीसते हुए कहती है, "यार, मन तो चली गई और मोटू अंकल से कैसे पीछा छुड़ाएं?"

    अंजलि मुस्कुराते हुए कहती है, "मेरे पास इसका सॉल्यूशन है!" वह अपनी जेब से दवा निकालती है और उसे दिखाते हुए कहती है, "नींद की गोली क्यों ना हम रमेश अंकल को दे दें? बहुत माइल्ड देंगे ताकि वह थोड़ी देर के लिए सो जाएं और हम वहां से वापस भी आ जाएंगे।"

  • 4. - Chapter 4 भागने का प्लान

    Words: 1503

    Estimated Reading Time: 10 min

    आयुषी की बातें सुनकर अमित घबराते हुए कहता है, "क्या बक रही हो, अगर मन को पता चला कि हम यहां से कहीं बाहर जा रहे हैं, तो हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे!"

    आयुषी गुस्से से कहती है, "तू चुप बैठ, तू कितना डरता है! पप्पू, जा जाकर दूध पी ले!"

    शिव यार, इसे समझो ना! शिव भी अंजलि की तरफ देखते हुए कहता है, "हां, नहीं तो क्या! और वैसे भी रूल्स बनते ही हैं तोड़ने के लिए, और हम बच्चे हैं, हमें अभी से तेरे रिस्ट्रिक्शन्स पसंद नहीं।"

    अंजलि हंसते हुए कहती है, "पर मां हमारे भले के लिए कह रही हैं, हमें बाहर नहीं जाना है।"

    अमित उदास होकर धीरे से कहता है, "ठीक है, मैं तुम सबके साथ चलने के लिए तैयार हूं।"

    यह सुनते ही वह तीनों खुश हो जाते हैं, और अंजलि भी मुस्कुराते हुए कहती है, "तो ठीक है, फिर कल शाम तक हम सब कैंपिंग की सारी प्लान कर लेते हैं! पर वह बताओ, हम जाएंगे कैसे? क्योंकि हुआ तो घर पर रहनी वाली है, नहीं?"

    आयुषी ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं, मां हर शुक्रवार को बाहर जाती है, और कल शुक्रवार है। तुम्हारा घर पर नहीं रहेंगे।"

    यह सुनते ही अंजलि के चेहरे पर चमक आ जाती है, और वह बस दूसरे दिन का इंतजार कर रही थी। और उसका इंतजार भी अब खत्म होने को था। रात गई और दूसरा दिन भी आ गया। पूरे दिन उसने बस इस बारे में ही सोचा। उसने अपने मन में कई सारी इमेजिनेशन बना रखी थीं, और वह मुस्कुराती हुई अपने कमरे से उठते हुए कहती है, "बस एक बार मैं इसके पिक्चर्स ले लूं, और फिर मैं एक बेस्ट फोटोग्राफर बन कर दिखाऊंगी।"

    तब तक नताशा ने इन चारों को टाइमिंग टेबल पर बुलाते हुए कहा, "बच्चों, मैं अपने काम से बाहर जा रही हूं, रमेश अंकल आ रहे हैं, उन्हें परेशान मत करना। और हां, आज के दिन कोई भी कमरे से बाहर नहीं निकलेगा, और इस घर से बाहर जाने की सोचना भी मत।"

    नताशा वहां से चली जाती है। उनके जाने के बाद, एक मोटा सा इंसान कमरे के अंदर आता है। उसे देखते हुए आयुषी मच चढ़ते हुए कहती है, "यार, यह बहुत पकाऊ है! अगर अपना जान बचाना है तो चुपचाप इसे पहले निकाल लो।"

    यह कहते हुए वह वहां से उठकर भाग जाती है। उसके जाते ही हर कोई आयुषी के पीछे-पीछे चला जाता है। उनके जाने के बाद रमेश जी मुस्कुराते हुए कुर्सी पर बैठ जाते हैं और चिल्ला कर कहते हैं, "बच्चों आओ तो, मैं तुम्हें कहानी सुनाऊंगा।"

    ऊपर खड़े अमित और शिव एक दूसरे की शक्ल देखते हुए कहते हैं, "नहीं, इनकी कहानी भाई पकाऊ होती है। नींद आने लगती है, इससे अच्छा मैं अपनी फिजिक्स की बुक में सारण मार लूं, एट लिस्ट कुछ तो पढ़ लूंगा।"

    तब तक आयुषी अपने दांत पीसते हुए कहती है, "यार, मन तो चली गई और मोटू अंकल से कैसे पीछा छुड़ाएं?"

    अंजलि मुस्कुराते हुए कहती है, "मेरे पास इसका सॉल्यूशन है!" वह अपनी जेब से दवा निकालती है और उसे दिखाते हुए कहती है, "नींद की गोली क्यों ना हम रमेश अंकल को दे दें? बहुत माइल्ड देंगे ताकि वह थोड़ी देर के लिए सो जाएं और हम वहां से वापस भी आ जाएंगे।"

    अंजलि की बात सुनकर आयुषी और शिव खुश हो जाते हैं, लेकिन फिर से अमित का मुंह चढ़ जाता है। अमित मुंह सूखते हुए कहता है, "यार, क्यों कर रहे हो ऐसा? मन हमें बहुत डांटेंगे।"

    आयुषी गुस्से में कहती है, "चुप करो अमित, कुछ नहीं होगा!"

    अंजलि खीर के कटोरे में नींद की गोली मिलाती है और मुस्कुराते हुए रमेश जी के पास लाकर कहती है, "अंकल, ये स्पेशली आपके लिए खीर बनाई है।"

    रमेश जी खाने को देखकर खुश हो जाते हैं, और वह खीर को देखते-देखते चप चप खाकर सो जाते हैं।

    इसके बाद, अंजलि खुशी से झूमते हुए वहां से भाग जाती है और थोड़ी देर बाद, रमेश जी डाइनिंग टेबल पर सो जाते हैं। उनके सोते ही, अंजलि अपना कैमरा और बैग उठाती है और हर कोई घर से बाहर निकलने के लिए तैयार था।

    तब तक आयुषी अपना फोन निकाल कर कॉल करते हुए कहती है बबलू टू गाड़ी लेकर आ हम सब घर के बाहर तेरा इंतजार कर रहे हैं हम यह कहना कॉल कट कर देती है अमित से अंजलि और आयुषी घर के बाहर खड़े होते हैं तब तक उनके सामने कर आकर खड़ी होती है वह सब कर में बैठते हुए कहते हैं बबलू यार चल जल्दी कर बबलू भी मुस्कुरा रहा होता है तब तक बबलू का ध्यान अंजलि के ऊपर जाता है और उसको देखते ही एक पल के लिए को सा गया था ..!


    बबलू एक्टर अंजलि को देखे जा रहा था, इस कदर वह अंजलि को घूर रहा था कि आयुषी उसके सिर पर टपली मारते हुए कहती है, "बहन है वह मेरी! साल, निकाह हटा ले! बना आंखें, नाचूंगी!"

    आयुषी चिड़चिड़ाते हुए कहती है, "भाई, मैं तो बस ड्यूटी निभा रहा था, और वैसे भी, बेटी नीड्स अप्रिशिएशन! सो, अंजलि, यू आर लुकिंग गॉर्जियस!"

    अंजलि मुस्कुराकर, "थैंक यू," बोलती है। वह गॉर्जियस के बच्चे! "अब तू गाड़ी चलाएगा कि नहीं?" आयुषी छेड़ते हुए बोलती है।

    यह सुनते ही बबलू कहता है, "देख, रात के 9:00 बजने वाले हैं, हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है! हमें वहां से वापस भी आना है!"

    "हां-हां, हम गाड़ी चला रहे हैं," यह कहकर बबलू गाड़ी स्टार्ट करता है और महल की तरफ गाड़ी ले जाने लगता है।

    इधर, खंडहर महल के पास गाड़ी से दो आदमी जा रहे थे। वह हल्का सा नशे में धूत थे। महल के पास पहुंचते ही उनकी गाड़ी रुक जाती है। गाड़ी पर बैठा एक लड़का उतारते हुए कहता है, "आशीष, सोनू, गाड़ी साइड में लगा! हम इस महल का एक चक्कर लगाकर आते हैं। वैसे भी लोगों ने हवा बना रखी है! आज हम यहां के भूतों को भी नोच खाएंगे!"

    उसकी बात सुनकर आशीष हंसते हुए गाड़ी को साइड में लगा देता है और वह दोनों महल के अंदर चले जाते हैं। नशे में धुत आशीष चलते हुए कहता है, "भूतों की मल्लिका कोई है क्या? सुनो, और रातें रंगीन करते हैं!"

    तब तक उसने अपने बगल में देखा और सोनू उसके पास से गायब था। वह अपने चारों तरफ देखते हुए कहता है, "सोनू, कहां है तू? देख, मजाक मत कर मेरे साथ! पहले ही बता रहा हूं, पता कहां है तू!"

    पर सोनू का कोई पता नहीं चलता। तब तक, महल में एक चोर की आवाज गूंजती है, जिसे सुनकर आशीष भी डर जाता है। डरकर, वह महल से बाहर की तरफ भागने लगता है, पर जैसे ही वह महल के दरवाजे के पास पहुंचता है, किसी ने उसके पैरों को जकड़ लिया था और खींचते हुए उसे सीढ़ियों से ऊपर ले जाने लगती है।

    वहां पर सामने देखा तो एक इंसान के रूप में हवन खड़ा था। वह अपने दांतों के पास आशीष के चेहरे को लाता है और उसके गर्दन पर जोर से काट लेता है। उसके ऐसा करते ही आशीष की आवाज पूरी महल में गूंजती है और फिर शांत हो जाती है।

    तब तक एक लड़की उसके पास आते हुए कहती है, "डार्लिंग, गुस्सा शांत करो! यह इंसान पैसे भी किसी काम के नहीं! और वैसे भी, हेल्थ किंग के जैन का वक्त हो गया है। वह अगर जाग गए तो इस महल में रहना दुश्वार हो जाएगा, और वह हमें भी जिंदा खा जाएंगे! इससे अच्छा है कि हमें यहां से चलना चाहिए!"

    सुनते ही वह आदमी एक टेबल मुस्कान के साथ कहता है, "हां, सही कह रही हो, प्रिया! हम यहां से चले तो जाएंगे, पर आई विश हेल्पिंग को जल्दी से एक इंसानी रूप मिल जाए, और हम सबको इस धरती पर राज करने का मौका!"

    इतना कहते ही वह दोनों चमगादड़ बनाकर वहां से गायब हो जाते हैं। उनके जाने के बाद महल फिर से अपने सामान्य रूप में हो जाता है। चारों तरफ धूल और मकड़ी के जाले जैसे लगे थे, जैसे वहां कोई आया ही न हो।

    थोड़ी देर बाद, बबलू की गाड़ी आकर महल के सामने रुकती है। हर कोई इस महल के सामने उतर जाता है। आयुषी, अंजलि, अमित, शिव और बबलू—हर कोई महल को देखे जा रहा था।

    अमित डरते हुए कहता है, "Are you serious? हमें इसी के अंदर चलना है? कितना डरावना लग रहा है!"

    अंजलि दांत पीसते हुए कहती है, "हमें तो कितना डरता है! चुप कर जा, कुछ नहीं होगा!"

    अंजलि के कहने पर बबलू भी उसके हां में हां मिलाते हुए कहता है, "हां, कुछ नहीं होगा! क्यों डर रहा है?"

    अंजलि अपने फोन के कैमरे को निकालकर उसकी फोटो क्लिक करते हुए कहती है, "वाह, क्या महल है! पहली बार ऐसा महल देखा है! सुनो, हमें ऊपर चलना चाहिए!"


    अगर कहानी पसन्द आ रही तो फॉलो कर लीजिए और रेटिंग देना न भूलिए है और हा कमेंट में बताइए तो कैसा लगा पढ़ के
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    to be continued

  • 5. - Chapter 5 महल में आना

    Words: 1582

    Estimated Reading Time: 10 min

    उसकी बात सुनकर आशीष हंसते हुए गाड़ी को साइड में लगा देता है और वह दोनों महल के अंदर चले जाते हैं। नशे में धुत आशीष चलते हुए कहता है, "भूतों की मल्लिका कोई है क्या? सुनो, और रातें रंगीन करते हैं!"

    तब तक उसने अपने बगल में देखा और सोनू उसके पास से गायब था। वह अपने चारों तरफ देखते हुए कहता है, "सोनू, कहां है तू? देख, मजाक मत कर मेरे साथ! पहले ही बता रहा हूं, पता कहां है तू!"

    पर सोनू का कोई पता नहीं चलता। तब तक, महल में एक चोर की आवाज गूंजती है, जिसे सुनकर आशीष भी डर जाता है। डरकर, वह महल से बाहर की तरफ भागने लगता है, पर जैसे ही वह महल के दरवाजे के पास पहुंचता है, किसी ने उसके पैरों को जकड़ लिया था और खींचते हुए उसे सीढ़ियों से ऊपर ले जाने लगती है।

    वहां पर सामने देखा तो एक इंसान के रूप में हवन खड़ा था। वह अपने दांतों के पास आशीष के चेहरे को लाता है और उसके गर्दन पर जोर से काट लेता है। उसके ऐसा करते ही आशीष की आवाज पूरी महल में गूंजती है और फिर शांत हो जाती है।

    तब तक एक लड़की उसके पास आते हुए कहती है, "डार्लिंग, गुस्सा शांत करो! यह इंसान पैसे भी किसी काम के नहीं! और वैसे भी, हेल्थ किंग के जैन का वक्त हो गया है। वह अगर जाग गए तो इस महल में रहना दुश्वार हो जाएगा, और वह हमें भी जिंदा खा जाएंगे! इससे अच्छा है कि हमें यहां से चलना चाहिए!"

    सुनते ही वह आदमी एक टेबल मुस्कान के साथ कहता है, "हां, सही कह रही हो, प्रिया! हम यहां से चले तो जाएंगे, पर आई विश हेल्पिंग को जल्दी से एक इंसानी रूप मिल जाए, और हम सबको इस धरती पर राज करने का मौका!"

    इतना कहते ही वह दोनों चमगादड़ बनाकर वहां से गायब हो जाते हैं। उनके जाने के बाद महल फिर से अपने सामान्य रूप में हो जाता है। चारों तरफ धूल और मकड़ी के जाले जैसे लगे थे, जैसे वहां कोई आया ही न हो।

    थोड़ी देर बाद, बबलू की गाड़ी आकर महल के सामने रुकती है। हर कोई इस महल के सामने उतर जाता है। आयुषी, अंजलि, अमित, शिव और बबलू—हर कोई महल को देखे जा रहा था।

    अमित डरते हुए कहता है, "Are you serious? हमें इसी के अंदर चलना है? कितना डरावना लग रहा है!"

    अंजलि दांत पीसते हुए कहती है, "हमें तो कितना डरता है! चुप कर जा, कुछ नहीं होगा!"

    अंजलि के कहने पर बबलू भी उसके हां में हां मिलाते हुए कहता है, "हां, कुछ नहीं होगा! क्यों डर रहा है?"

    अंजलि अपने फोन के कैमरे को निकालकर उसकी फोटो क्लिक करते हुए कहती है, "वाह, क्या महल है! पहली बार ऐसा महल देखा है! सुनो, हमें ऊपर चलना चाहिए!"

    इतना कहकर, हर कोई महल के अंदर चला जाता है। वहां पर पहुंचते ही सब महल के चारों तरफ चीजों को देखने में लग जाते हैं। अंजलि अपने फोन से महल की बारीकियों को समझने में लगी थी। वह उसके पेंटिंग्स और आर्ट को देखकर मुस्कुराते हुए कहती है, "काफी इंप्रेसिव! काफी फाइन आर्ट्स हैं यहां पर। मुझे जाकर कुछ पिक्चर्स क्लिक करनी हैं!"

    देखकर, आयुषी चिढ़ते हुए कहती है, "अरे यार! अच्छा, तुम पिक्चर्स क्लिक करो! हम महल के दूसरी तरफ जा रहे हैं क्योंकि मुझे इन फोटोग्राफी में कोई दिलचस्पी नहीं!"

    आयुषी को देख, अमित और शिव भी आयुषी के पीछे जाने लगते हैं। तब तक, आयुषी बबलू का हाथ पकड़ते हुए कहती है, "वह मजनू! तू भी चल रहा है ना?"

    बबलू भी धीरे से हिलता है और आयुषी के साथ चला जाता है। अंजलि अपने फोन के कैमरे से सब जगह की पिक्चर्स क्लिक कर रही थी।

    अंजलि उनके पास से निकलते हुए दीवारों की बारीकियों और पेंटिंग्स को देखकर मन ही मन खुश होती और उसकी पिक्चर्स निकालती। तब अचानक उसे ऐसा एहसास होता है कि उसके पीछे कोई है। उसने अपने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहां पर कोई नहीं था।

    तभी अचानक महल का दरवाजा बंद हो जाता है। इसे देखकर अंजलि एक पल के लिए डर जाती है, लेकिन फिर खुद से बुदबुदाती हुई कहती है, "पुराना महल है, हो सकता है गेट खराब हो। कोई नहीं।"

    एक-एक कर, वह फिर से दीवारों की बारीकी और उनकी पेंटिंग्स पर ध्यान लगाने लगती है। तब तक उसका हाथ पास के निकले खेल से छूट जाता है, और उसके हाथ से खून गिरने लगता है। यह देखकर वह चिल्ला कर कहती है, "कैसे लग गया! इतना! लगा भी नहीं है, जितना खून गिर रहा है!"

    वह घबराते हुए अपने बैग से टिशू निकालती है और अपने खून को साफ करती हुई, उसे वहीं पर फेंक देती है। खून की बूंद जमीन पर गिर चुकी थी। जैसे ही वह बंद को छूती है, अचानक कमरे में एक अजीब सी ठंडक आ जाती है, जैसे मौसम में अचानक परिवर्तन हो गया हो।

    चिल्लाते हुए, वह कहती है, "चुप करो, आयुषी! मुझे पता है तुम सब की चाल है! मैं डरने वालों में से नहीं हूं!"

    यह कहकर वह फिर से दीवार में लटकी पेंटिंग्स को देखने लग जाती है, लेकिन अब उसकी आंखों में डर की झलक थी, और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं।

    इधर नताशा एक स्टडी हॉल में बैठी हुई थी, वहां पर 15 से 20 बच्चों की टोली बैठकर उससे पहले नॉर्मल चीजों के बारे में जान रही थी। नताशा स्क्रीन पर पिक्चर्स शो करते हुए कहती है, "यह है वैंपायर... खैर, किसी ने अभी तक वैंपायर को देखा नहीं है, पर यह ऐसा माना जाता है कि वैंपायर दिखने में ऐसे ही होते हैं, जैसे अच्छाई और बुराई होते हैं, उसी प्रकार वैंपायर भी होते हैं। और ऐसा कहा जाता है कि ये अमर होते हैं, सालों-साल खुद को जिंदा रखते हैं। उनके पास कई रूहानी शक्तियां होती हैं।"

    तभी, एक लड़का बोल पड़ता है, "प्रोफेशर क्या, वैंपायर सच में इंसानी खून ही पीते हैं?" नताशा हंसते हुए जवाब देती है, "हां, खून की महक वैंपायर को आकर्षित करती है, और एक बार जिसका खून उन्हें पसंद आ जाए, तो उसके साथ पूरी जिंदगी चिपक कर रहते हैं। और उसको कुछ इस कदर खो जाते हैं कि देखते-देखते वह भी वैंपायर बन जाता है।"

    वहीं दूसरी तरफ, अंजलि घर में लाइट जलाए घूम रही थी। तभी, उसके उंगली में थोड़ा दर्द होता है। "यह दर्द क्यों हो रहा है?" उसने सोचा। इतनी तो चोट भी नहीं लगी थी। वह अपनी उंगली की तरफ देखती है, तो उसके उंगली से खून जमीन पर गिर रहा था... टपाक टपक। वह हैरानी से अपनी उंगली को देखती है और बड़बड़ाती है, "इतना तो चोट भी नहीं लगी थी, फिर यह खून इतना कैसे बह रहा है?"

    अचानक, उसकी उंगली किसी चौखट से टकराती है। धक्का। और वह एक दरवाजे के ऊपर गिर जाती है। जैसे ही वह गिरती है, दरवाजा खुद-ब-खुद खुल जाता है। अंजलि डरते-डरते उठती है और सामने देखती है, तो एक बड़ा सा बेड रखा हुआ था। एक सफेद चादर फैली हुई थी और एक आदमी पड़ा था, जिसे देख कर लगता था कि उस मानव शरीर में कोई जान ही नहीं थी।

    अंजलि धीरे से कहती है, "क... कौन हैं आप? और यहां क्या कर रहे हैं?" तभी, उस आदमी की आँखें खुल जाती हैं! अंधेरे में वह सुनहरी आँखें चमकने लगती हैं, फिर धीरे-धीरे काली हो जाती हैं। यह देखकर अंजलि चिल्लाकर पीछे देखती है। फिर वह धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलती है, तो वहां कुछ भी नहीं था! एक लंबी सांस लेकर कहती है, "यह मेरा वहम भी हो सकता है, शायद इल्यूजन है... मुझसे तो पापा की तरह लगता है।"

    तब तक, अंजलि आगे बढ़ती है और एक अजीब निशान देखती है। वह फ्लैशलाइट को ऑन करके उसे देखती है, तो उस निशान के ऊपर कई धागे लिपटे हुए थे। वह बॉक्स को उठाती है और कहते हुए, "यह कुछ अजीब नहीं है?" उसे एक खौफ सा महसूस होता है। फिर वह बॉक्स को बगल में रख देती है, लेकिन उसके मन में उस बॉक्स को खोलने की तीव्र जिज्ञासा होती है।

    "अंजलि, अगर मन है तो कर ले, वरना बाद में पछतावा होता है," वह खुद से कहती है और धीरे-धीरे बॉक्स से धागे खोलने लगती है। जैसे ही वह धागे खोलती है, मौसम में अचानक परिवर्तन होता है। आयुषी हड़बड़ा कर कहती है, "अचानक से यह मौसम क्यों बदल रहा है?"

    शिव हंसते हुए जवाब देता है, "अरे, मैं मजाक कर रहा हूं! ऐसी जगह है, और वैसे भी यहां के मौसम के बारे में तुम्हें पता है न? यह मसूरी है, यहां हमेशा मौसम चेंज होता रहता है। तो चलो, गैस वेल, हमें आगे की तरफ चलना चाहिए। मैंने सुना है कि इस इलाके में खजाने भी हैं, क्या पता हमें कुछ मिल जाए।"

    शिव की बात सुनकर, हर कोई आगे बढ़ने लगता है। लेकिन अंजलि धीरे-धीरे बॉक्स खोलने में लगी थी। जैसे ही बॉक्स खोला, उसमें एक सुनहरी अंगूठी पड़ी थी। वह अंगूठी को उठाती है, और मानो वह अंगूठी अंजलि को अपनी तरफ बुला रही हो। अंजलि उसे धीरे से अपने हाथ में पहन लेती है। कुछ पल के लिए वह गायब सी हो जाती है, लेकिन फिर से सब नॉर्मल हो जाता है।

    बॉक्स को साइड रखते हुए, वह आश्चर्य से कहती है, "ना जाने किसकी होगी यह इतनी यूनिक डिजाइन की अंगूठी? फिर मुझे क्या दूसरों का सामान हाथ क्यों लगाना चाहिए?" तभी उसे कमरे में एक और तहखाना दिखाई देता है। वह उसकी तरफ बढ़ती है और कहती है, "यह कितना अजीब डिजाइन है! इसका गेट कितना मेस्मेराइजिंग लग रहा है!"

  • 6. - Chapter 6 बंद हो जा भाई

    Words: 1615

    Estimated Reading Time: 10 min

    इधर नताशा एक स्टडी हॉल में बैठी हुई थी, वहां पर 15 से 20 बच्चों की टोली बैठकर उससे पहले नॉर्मल चीजों के बारे में जान रही थी। नताशा स्क्रीन पर पिक्चर्स शो करते हुए कहती है, "यह है वैंपायर... खैर, किसी ने अभी तक वैंपायर को देखा नहीं है, पर यह ऐसा माना जाता है कि वैंपायर दिखने में ऐसे ही होते हैं, जैसे अच्छाई और बुराई होते हैं, उसी प्रकार वैंपायर भी होते हैं। और ऐसा कहा जाता है कि ये अमर होते हैं, सालों-साल खुद को जिंदा रखते हैं। उनके पास कई रूहानी शक्तियां होती हैं।"

    तभी, एक लड़का बोल पड़ता है, "प्रोफेशर क्या, वैंपायर सच में इंसानी खून ही पीते हैं?" नताशा हंसते हुए जवाब देती है, "हां, खून की महक वैंपायर को आकर्षित करती है, और एक बार जिसका खून उन्हें पसंद आ जाए, तो उसके साथ पूरी जिंदगी चिपक कर रहते हैं। और उसको कुछ इस कदर खो जाते हैं कि देखते-देखते वह भी वैंपायर बन जाता है।"

    वहीं दूसरी तरफ, अंजलि घर में लाइट जलाए घूम रही थी। तभी, उसके उंगली में थोड़ा दर्द होता है। "यह दर्द क्यों हो रहा है?" उसने सोचा। इतनी तो चोट भी नहीं लगी थी। वह अपनी उंगली की तरफ देखती है, तो उसके उंगली से खून जमीन पर गिर रहा था... टपाक टपक। वह हैरानी से अपनी उंगली को देखती है और बड़बड़ाती है, "इतना तो चोट भी नहीं लगी थी, फिर यह खून इतना कैसे बह रहा है?"

    अचानक, उसकी उंगली किसी चौखट से टकराती है। धक्का। और वह एक दरवाजे के ऊपर गिर जाती है। जैसे ही वह गिरती है, दरवाजा खुद-ब-खुद खुल जाता है। अंजलि डरते-डरते उठती है और सामने देखती है, तो एक बड़ा सा बेड रखा हुआ था। एक सफेद चादर फैली हुई थी और एक आदमी पड़ा था, जिसे देख कर लगता था कि उस मानव शरीर में कोई जान ही नहीं थी।

    अंजलि धीरे से कहती है, "क... कौन हैं आप? और यहां क्या कर रहे हैं?" तभी, उस आदमी की आँखें खुल जाती हैं! अंधेरे में वह सुनहरी आँखें चमकने लगती हैं, फिर धीरे-धीरे काली हो जाती हैं। यह देखकर अंजलि चिल्लाकर पीछे देखती है। फिर वह धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलती है, तो वहां कुछ भी नहीं था! एक लंबी सांस लेकर कहती है, "यह मेरा वहम भी हो सकता है, शायद इल्यूजन है... मुझसे तो पापा की तरह लगता है।"

    तब तक, अंजलि आगे बढ़ती है और एक अजीब निशान देखती है। वह फ्लैशलाइट को ऑन करके उसे देखती है, तो उस निशान के ऊपर कई धागे लिपटे हुए थे। वह बॉक्स को उठाती है और कहते हुए, "यह कुछ अजीब नहीं है?" उसे एक खौफ सा महसूस होता है। फिर वह बॉक्स को बगल में रख देती है, लेकिन उसके मन में उस बॉक्स को खोलने की तीव्र जिज्ञासा होती है।

    "अंजलि, अगर मन है तो कर ले, वरना बाद में पछतावा होता है," वह खुद से कहती है और धीरे-धीरे बॉक्स से धागे खोलने लगती है। जैसे ही वह धागे खोलती है, मौसम में अचानक परिवर्तन होता है। आयुषी हड़बड़ा कर कहती है, "अचानक से यह मौसम क्यों बदल रहा है?"

    शिव हंसते हुए जवाब देता है, "अरे, मैं मजाक कर रहा हूं! ऐसी जगह है, और वैसे भी यहां के मौसम के बारे में तुम्हें पता है न? यह मसूरी है, यहां हमेशा मौसम चेंज होता रहता है। तो चलो, गैस वेल, हमें आगे की तरफ चलना चाहिए। मैंने सुना है कि इस इलाके में खजाने भी हैं, क्या पता हमें कुछ मिल जाए।"

    शिव की बात सुनकर, हर कोई आगे बढ़ने लगता है। लेकिन अंजलि धीरे-धीरे बॉक्स खोलने में लगी थी। जैसे ही बॉक्स खोला, उसमें एक सुनहरी अंगूठी पड़ी थी। वह अंगूठी को उठाती है, और मानो वह अंगूठी अंजलि को अपनी तरफ बुला रही हो। अंजलि उसे धीरे से अपने हाथ में पहन लेती है। कुछ पल के लिए वह गायब सी हो जाती है, लेकिन फिर से सब नॉर्मल हो जाता है।

    बॉक्स को साइड रखते हुए, वह आश्चर्य से कहती है, "ना जाने किसकी होगी यह इतनी यूनिक डिजाइन की अंगूठी? फिर मुझे क्या दूसरों का सामान हाथ क्यों लगाना चाहिए?" तभी उसे कमरे में एक और तहखाना दिखाई देता है। वह उसकी तरफ बढ़ती है और कहती है, "यह कितना अजीब डिजाइन है! इसका गेट कितना मेस्मेराइजिंग लग रहा है!"

    वह गेट पर लगे ताले को खोल देती है। जैसे ही ताला खुलता है, जानवरों की रोने की आवाजें आने लगती हैं। उन आवाजों को सुनकर अंजलि एक पल के लिए रुक जाती है, फिर वह कमरे के चारों ओर निगाह दौड़ाती है और धीरे से अंदर कदम रखती है।

    जैसे ही वह अंदर बढ़ती है, उसका दुपट्टा दरवाजे की कुंडी में फंस जाता है। यह देखकर वह चिढ़ते हुए कहती है, "फिर से नहीं! डीडीएलजे नहीं चल रहा, कोई मेरा दुपट्टा खींचेगा और मुझे यहां लोगों से इश्क हो जाएगा?!" वह बड़बड़ाते हुए अपना दुपट्टा हटाती है और अंदर बढ़ जाती है।

    कमरे में अंधेरा था, और वह महसूस कर रही थी कि यह कमरा बाहर के कमरे से कहीं बड़ा है। वह अपने फोन की फ्लैशलाइट ऑन करती है और धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। तभी उसे कुछ सुनाई देता है। जैसे ही वह पीछे मुड़ती है, कमरे का दरवाजा अचानक से बंद हो जाता है!

    वह डरते हुए धीरे से कहती है, "यह कैसे हो गया? दरवाजे अचानक से क्यों बंद हो रहे हैं?" वह बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ जाती है, तभी उसके पैर में ठोकर लगती है, और उसके मुंह से "ऐ!" निकल जाता है। वह धीरे-धीरे उस चीज को टच करती है, तो समझ जाती है कि यह एक टेबल है। टेबल के ऊपर कुछ रखा था। जैसे ही वह उसे टच करती है, वह बजने लगता है।

    एक पल के लिए वह डर जाती है, पर फिर उसे समझ आता है कि वह एक रेडियो है।

    वह रेडियो के ऊपर हाथ मारते हुए कहती है बंद हो जा भाई मैं डेट पर नहीं आई हूं जो इतनी रोमांटिक गाने चला रहा है और वह रेडियो थोड़ी देर में शांत हो जाता है अपना फोन जल करके फिर से आगे बढ़ रही होती है कि तब तक उसको किसी के होने का एहसास होता है वह जैसे ही पीछे घूमती है ...!


    इश्क़ की गली है... देखना तुझे भी है...
    डर का माहौल है... यहाँ रहना तुझे भी है..."

    उसकी रूह काँप उठती है। अंजलि, काँपते हाथों में फ्लैशलाइट जलाए बालकनी तक पहुँचती है। बाहर से ठंडी हवा आ रही थी, जिससे एक पल के लिए उसे थोड़ी राहत मिलती है। वह गहरी साँस लेती है... लेकिन तभी... उसकी निगाह बगल के शीशे पर पड़ती है।

    मूनलाइट में वह खुद को देख रही थी... और मुस्कुरा रही थी... पर अचानक ही उसके चेहरे से वह मुस्कान गायब हो जाती है—उसे एहसास होता है कि शीशे में वह अकेली नहीं है! कोई उसके पीछे खड़ा है!

    जैसे ही वह मुड़कर देखती है—वहाँ कोई नहीं था।

    डरते हुए वह दोबारा कमरे में आती है। उसका ध्यान सामने बिछे बेड पर जाता है... वही बेड जो उसने पहले देखा था! एक पल के लिए उसकी आँखें खुली रह जाती हैं।

    वह नजरें हटाकर दूसरी ओर देखती है। बेड के ऊपर एक प्यारा सा एंटीक पीस टंगा हुआ था। उसकी बनावट विचित्र और सम्मोहित कर देने वाली थी। वह बेड पर चढ़ती है और उसे उतार कर मूनलाइट में ले जाने लगती है।

    लेकिन... तभी... वह एंटीक पीस उसके हाथ से छूट जाता है! वह उसे पकड़ने ही वाली होती है कि फोन भी हाथ से गिर जाता है।

    कमरे में हल्की सी रोशनी भी अब खत्म हो चुकी थी।

    अंधेरा छा जाता है। अंजलि घबरा जाती है। उसका साँस लेना भारी हो रहा था। वह जमीन पर बैठ जाती है, हाथ से फोन को ढूँढने लगती है।

    तभी... उसका हाथ किसी चीज़ पर पड़ता है।
    उसका शरीर एक पल के लिए सुन्न पड़ जाता है।

    धीरे-धीरे वह उस चीज़ को छूती है... यह एक जूता था!
    वह झटके से पीछे हटती है। घबराकर कहती है,
    "मुझे पता है... यहाँ कोई है... प्लीज़! सामने आओ! कौन हो तुम?"

    कमरे में अब उसकी दिल की धड़कन इतनी तेज़ थी कि... कोई भी सुन सकता था।

    वह धीरे-धीरे पीछे हट रही होती है कि... किसी से टकरा जाती है!
    उधर रेडियो की धुन भी और भयावह हो चुकी थी—

    "दिल में है कसमकश... दिल के पास है कोई सोच...
    जिसे समझा था ख़्वाब... वो हक़ीकत बन जाए तो...?"

    अंजलि काँपती हुई कहती है,
    "कौन... कौन हो तुम...?"

    पर तब तक... वह शख्स गायब हो चुका था!

    अंजलि अब ज़ोर से चीखने ही वाली थी कि—
    किसी ने उसके मुँह पर कसकर हाथ रख दिया... और उसे दीवार से सटा दिया!

    वह डर के मारे थर-थर काँप रही थी। उस आदमी ने उसके कान के पास आकर फुसफुसाया,
    "शांत प्रिया... कुछ नहीं होगा तुम्हें..."

    अंजलि की आँखें डर से भर आई थीं... और वह बेहोश हो गई।

    कुछ देर बाद...

    अंजलि को होश आता है। वह खुद को बिस्तर पर पाती है। उसके बगल में आयुषी, बबलू, शिव और अमित बैठे हुए थे।

    आयुषी कहती है, "क्या यार! तू कहाँ चली गई थी? कब से ढूँढ रहे थे तुझे... और तू बेहोश कैसे हो गई?"

    "पता नहीं... मुझे कुछ याद नहीं है..." — अंजलि कमजोर आवाज़ में कहती है।

    वह मोबाइल में देखती है—1:00 बजने वाला था।

    "गाइस! हम बहुत लेट हो चुके हैं... बुआ घर पर आ गई होंगी! हमें अब चलना होगा वरना हमारी क्लास लग जाएगी!" — अंजलि तेजी से कहती है।

    सब उसके साथ कमरे से बाहर निकल जाते हैं।

    लेकिन जैसे ही अंजलि कमरे के बाहर कदम रखती है...
    उसे ऐसा एहसास होता है... जैसे कुछ पीछे छूट रहा हो।
    वह एक बार पलटकर कमरे की तरफ देखती है...

    ...निगाहें चारों ओर दौड़ती हैं... पर फिर वह चुपचाप चल देती है।

  • 7. Rebirth Chapter 7

    Words: 1505

    Estimated Reading Time: 10 min

    " थी—

    "दिल में है कसमकश... दिल के पास है कोई सोच...
    जिसे समझा था ख़्वाब... वो हक़ीकत बन जाए तो...?"

    अंजलि काँपती हुई कहती है,
    "कौन... कौन हो तुम...?"

    पर तब तक... वह शख्स गायब हो चुका था!

    अंजलि अब ज़ोर से चीखने ही वाली थी कि—
    किसी ने उसके मुँह पर कसकर हाथ रख दिया... और उसे दीवार से सटा दिया!

    वह डर के मारे थर-थर काँप रही थी। उस आदमी ने उसके कान के पास आकर फुसफुसाया,
    "शांत प्रिया... कुछ नहीं होगा तुम्हें..."

    अंजलि की आँखें डर से भर आई थीं... और वह बेहोश हो गई।

    कुछ देर बाद...

    अंजलि को होश आता है। वह खुद को बिस्तर पर पाती है। उसके बगल में आयुषी, बबलू, शिव और अमित बैठे हुए थे।

    आयुषी कहती है, "क्या यार! तू कहाँ चली गई थी? कब से ढूँढ रहे थे तुझे... और तू बेहोश कैसे हो गई?"

    "पता नहीं... मुझे कुछ याद नहीं है..." — अंजलि कमजोर आवाज़ में कहती है।

    वह मोबाइल में देखती है—1:00 बजने वाला था।

    "गाइस! हम बहुत लेट हो चुके हैं... बुआ घर पर आ गई होंगी! हमें अब चलना होगा वरना हमारी क्लास लग जाएगी!" — अंजलि तेजी से कहती है।

    सब उसके साथ कमरे से बाहर निकल जाते हैं।

    लेकिन जैसे ही अंजलि कमरे के बाहर कदम रखती है...
    उसे ऐसा एहसास होता है... जैसे कुछ पीछे छूट रहा हो।
    वह एक बार पलटकर कमरे की तरफ देखती है...

    ...निगाहें चारों ओर दौड़ती हैं... पर फिर वह चुपचाप चल देती है।

    अब भी वह कमरा... वह बॉक्स... वह एंटीक पीस...
    ...उसे अपनी ओर खींच रहे थे।

    वह सीढ़ियों से उतरते हुए पीछे मुड़कर देखती है।

    तभी, बबलू कहता है, "अंजलि चलो! क्या कर रही हो? हमें लेट हो रहा है।"

    और उसके हाथ को पकड़कर नीचे की ओर खींचता है।

    लेकिन... जैसे ही वे चले जाते हैं... कमरे के बाहर एक परछाईं उभरती है।

    छह फुट लंबा, काले कपड़े में लिपटा हुआ, उसकी आधी शक्ल ढकी हुई थी।
    लेकिन उसकी चमकती हुई आँखें और बड़े, चमचमाते दांत साफ़ नज़र आ रहे थे।

    वह डेविल मुस्कान के साथ कहता है:
    "प्रिया... मुझे पता है तुम वापस आना चाहती हो... पर जब तक तुम बुलाओगी नहीं..."

    इधर, बबलू अंजलि से हँसकर कहता है, "चलो, मैं तुम्हें बताशे पानी पिलाने ले चलता हूँ! इतनी रात में...?"

    "अरे भैया की दुकान रात में भी खुली होती है, तुम चलो तो सही!"

    यह सुनकर वह डेविल गुस्से में आ जाता है।

    "मेरे सिवा मेरी प्रिया को कोई छुए...?
    ...मुझे बर्दाश्त नहीं!!"

    वह छत से अपने हाथ से हवा का एक तेज़ झोंका फेंकता है!

    बबलू, सीढ़ियों से लुढ़कते हुए नीचे गिर जाता है!
    उसके पैर में गहरी चोट लगती है... खून बहने लगता है।

    अंजलि घबरा कर दौड़ती है, "बबलू! तुम ठीक तो हो?"

    हर कोई उसके पास आ जाता है।

    "पहले अंजलि बेहोश हुई, अब बबलू गिर गया... क्या हो रहा है यहाँ पर?" — शिव कहता है।

    आयुषी सहमते हुए कहती है, "हमें... जल्द से जल्द यहाँ से निकल जाना चाहिए..."

    अंजलि बैग से बैंडेज निकालती है और बबलू के पैर पर बाँधने लगती है।
    यह देख कर—वह डेविल फिर से मुस्कुराता है... और धीरे से कहता है...

    "प्रिया... अब खेल शुरू हुआ है..."



    तुम्हें उसके लिए हमदर्दी हो रही ना तुम्हें भी इसकी सजा मिलेगी यह कह करके वह फिर से अपने हाथ को आगे करता है और आयुषी भी पास के सीधी में जा लगती है और वहां निकला खिल उसके हाथों में चुभ जाता है उसके हाथ में भी चोट लग जाती है और वह दर्द से कराह उठती है कि खुद के हाथ को कस कर बंद करते हुए अपने आप को चिल्लाने से रोकते हुए मन में कहती है


    पहले से ही सब डरे हुए हैं मुझे चुपचाप अभी के लिए यह सहना होगा यह कहकर वह वहां से उठ जाती है और बबलू भी वहां से उठकर बाहर की तरफ जाने लगता है अमित और से बबलू को कंधे पर उठा लेते हैं और लड़खड़ाते हुए कर की तरफ चले जाते हैं
    कौन है वह छाया?
    क्या यह महल सिर्फ एक खंडहर है या कुछ और...?

    जैसे ही अंजलि वहाँ से निकलती है...
    वो डेविल — जो परछाई की तरह सब देख रहा था — ठंडी आवाज में मुस्कुराता है और कहता है,

    "फ्री हो... तो मुझे क्यों नहीं ले गई अपने साथ, प्रिया...?
    ...मुझे लेने आओगी — मुझे यकीन है...
    तू मुझे लेने ज़रूर आओगी..."

    उसकी आँखों में अजीब सी चमक उभरती है... और वह अचानक हवा में घुलकर गायब हो जाता है।

    इधर...

    नताशा क्लास में बच्चों को पढ़ा रही होती है, तभी अचानक से मौसम अजीब हो जाता है — बादल गरजने लगते हैं, खिड़कियाँ थरथराने लगती हैं।
    और नताशा के बैग में रखा रहस्यमयी यंत्र अपने आप चमकने लगता है—गोल्डन ग्लो के साथ!

    यह देखकर नताशा चौंक जाती है!

    वह तुरंत छत की तरफ़ देखकर गहराई से कहती है,
    "बच्चों, क्लास ओवर! हम आगे की बात कल करेंगे!"

    सब बच्चे हैरानी से एक-दूसरे को देखते हैं, लेकिन नताशा किसी को कुछ कहे बिना फोन निकालती है और सीधे अंजलि को कॉल करने लगती है...

    "The number you are trying to call is not reachable."

    — नताशा की आँखें फैल जाती हैं।

    फिर वह बारी-बारी से आयुषी, शिव, बबलू सभी को कॉल करती है...
    लेकिन... किसी का भी फोन नहीं लग रहा था!

    उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगता है।

    "नहीं... नहीं... ये वही संकेत हैं...!"

    वह तेजी से अपनी कार की चाबी उठाती है, क्लास को लॉक करती है और हवा से बात करती हुई कार की तरफ़ भागती है।

    उधर...

    कार में बैठी अंजलि, खामोशी में डूबी थी।

    उसके हाथ की चोट... जो कुछ देर पहले तक जल रही थी... अब पूरी तरह से गायब हो चुकी थी!
    उसके चेहरे पर हैरानी थी—पर वो बोल नहीं रही थी। आँखें कहीं खोई हुई थीं।

    अमित कार चला रहा था।
    जब वे घर पहुंचते हैं, तो सब अंदर की तरफ़ भागते हैं। अंदर घुसते ही आयुषी फुसफुसाकर कहती है,
    "किसी भी वक्त मम्मी आ सकती हैं... चलो, अपने-अपने कमरे में चले जाओ।"

    हर कोई अपने कमरों में चला जाता है।

    तभी—दरवाज़े पर एक जोर की दस्तक होती है!
    ठक! ठक! ठक!

    अंजलि की आँखें चौड़ी हो जाती हैं। वह चिल्लाती है,
    "बुआ आ गई! भागो!"

    सब अपने-अपने कमरों में तेजी से भाग जाते हैं।

    नताशा घर में दाखिल होती है—चेहरे पर गुस्सा लिए हुए। वह रमेश को सोते हुए देखती है, तो एक झटके में पास रखा पानी का जग उठाकर उसके मुँह पर फेंक देती है!

    रमेश हड़बड़ाकर उठ जाता है—"क्या हुआ!? क्या हुआ!? सब ठीक है न?"

    नताशा दांत पीसते हुए कहती है,
    "क्या मैं तुम्हें इसलिए यहाँ रखी थी...? तुम्हें पता है आज की रात क्या है!?
    वो... जाग गया है!"

    रमेश काँपता है।
    "बच्चे कहाँ हैं...?"
    "अभी यहीं थे... शायद अपने कमरों में होंगे..."

    नताशा सीढ़ियों की तरफ़ दौड़ पड़ती है और सीधा अंजलि के कमरे में जाती है।
    अंजलि को सोते देखती है... एक गहरी साँस लेती है।

    फिर अपने बैग में रखे यंत्र की तरफ़ देखती है—अब वह शांत था।

    "शांत...? अभी...? ये कैसे संभव है...?"
    उसके माथे पर चिंता की रेखाएं उभर आती हैं।

    रात और गहरी हो चुकी थी।

    नताशा अपने पुराने संग्रहालय में जाती है। वहाँ अंधेरे में एक अलमारी से कुछ विशेष किताबें निकालने लगती है।

    "हेल किंग का रहस्य..." — उसे वही किताब मिलती है, जो कभी उसके भाई के पास थी।

    वह कांपते हाथों से पन्ने पलटती है...

    ...पर सारे पन्ने खाली थे!!

    "नहीं... नहीं!! ये पन्ने खाली कैसे हो सकते हैं...?"

    उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं।

    "क्या वाकई... वो जाग गया है...?
    अगर ऐसा है... तो अंजलि के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी..."

    "...हमें किसी भी हाल में अंजलि की सुरक्षा बढ़ानी होगी..."

    वह फौरन दूसरी किताबें खंगालने लगती है—समय कम था... और अंधेरा अब भीतर तक घुस आया था।

    क्या सच में 'हेल किंग' लौट चुका है...?

    तब तक उसके हाथ में एक नंबर लगता है किताबों के बीच में नंबर को देखकर के नताशा एक राहत की सांस लेती है उसे नंबर को अपने फोन में डायल करते हुए उसे पर कॉल करने लगती है उधर से आवाज आती है ठीक है मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं मुझे अभी के अभी प्रथम वंशियों की ताई से बात करना है ...!




    इतनी रात को आप ने फोन किया सब ठीक तो है ...?
    नहीं कुछ ठीक नहीं है शायद हेल किंग जाग गया है ...!

    क्या आप क्या कह रही ..! हा मै सच कह रही हु शक्ति सूचक यंत्र ने यही इशारा किया वो चमक उठा था आज ...!


    रुकिए मै अभी गुरु मां को फोन देती हु ..! ये कह के वो फोन एक बुजुर्ग औरत को दे देती है
    वो औरत फोन लेते हुए जोर जोर से हंसते हुए कहते है



    अगर कहानी पसंद आ रही हो तो फॉलो कर लीजिए और कमेंट करना न भूलिए और हा अपना प्यार दिखाते रहिए


    to be continued.....
    ........ . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

  • 8. - Chapter 8 डर का माहौल

    Words: 1501

    Estimated Reading Time: 10 min

    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
    जैसे ही अंजलि वहाँ से निकलती है...
    वो डेविल — जो परछाई की तरह सब देख रहा था — ठंडी आवाज में मुस्कुराता है और कहता है,

    "फ्री हो... तो मुझे क्यों नहीं ले गई अपने साथ, प्रिया...?
    ...मुझे लेने आओगी — मुझे यकीन है...
    तू मुझे लेने ज़रूर आओगी..."

    उसकी आँखों में अजीब सी चमक उभरती है... और वह अचानक हवा में घुलकर गायब हो जाता है।

    इधर...

    नताशा क्लास में बच्चों को पढ़ा रही होती है, तभी अचानक से मौसम अजीब हो जाता है — बादल गरजने लगते हैं, खिड़कियाँ थरथराने लगती हैं।
    और नताशा के बैग में रखा रहस्यमयी यंत्र अपने आप चमकने लगता है—गोल्डन ग्लो के साथ!

    यह देखकर नताशा चौंक जाती है!

    वह तुरंत छत की तरफ़ देखकर गहराई से कहती है,
    "बच्चों, क्लास ओवर! हम आगे की बात कल करेंगे!"

    सब बच्चे हैरानी से एक-दूसरे को देखते हैं, लेकिन नताशा किसी को कुछ कहे बिना फोन निकालती है और सीधे अंजलि को कॉल करने लगती है...

    "The number you are trying to call is not reachable."

    — नताशा की आँखें फैल जाती हैं।

    फिर वह बारी-बारी से आयुषी, शिव, बबलू सभी को कॉल करती है...
    लेकिन... किसी का भी फोन नहीं लग रहा था!

    उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगता है।

    "नहीं... नहीं... ये वही संकेत हैं...!"

    वह तेजी से अपनी कार की चाबी उठाती है, क्लास को लॉक करती है और हवा से बात करती हुई कार की तरफ़ भागती है।

    उधर...

    कार में बैठी अंजलि, खामोशी में डूबी थी।

    उसके हाथ की चोट... जो कुछ देर पहले तक जल रही थी... अब पूरी तरह से गायब हो चुकी थी!
    उसके चेहरे पर हैरानी थी—पर वो बोल नहीं रही थी। आँखें कहीं खोई हुई थीं।

    अमित कार चला रहा था।
    जब वे घर पहुंचते हैं, तो सब अंदर की तरफ़ भागते हैं। अंदर घुसते ही आयुषी फुसफुसाकर कहती है,
    "किसी भी वक्त मम्मी आ सकती हैं... चलो, अपने-अपने कमरे में चले जाओ।"

    हर कोई अपने कमरों में चला जाता है।

    तभी—दरवाज़े पर एक जोर की दस्तक होती है!
    ठक! ठक! ठक!

    अंजलि की आँखें चौड़ी हो जाती हैं। वह चिल्लाती है,
    "बुआ आ गई! भागो!"

    सब अपने-अपने कमरों में तेजी से भाग जाते हैं।

    नताशा घर में दाखिल होती है—चेहरे पर गुस्सा लिए हुए। वह रमेश को सोते हुए देखती है, तो एक झटके में पास रखा पानी का जग उठाकर उसके मुँह पर फेंक देती है!

    रमेश हड़बड़ाकर उठ जाता है—"क्या हुआ!? क्या हुआ!? सब ठीक है न?"

    नताशा दांत पीसते हुए कहती है,
    "क्या मैं तुम्हें इसलिए यहाँ रखी थी...? तुम्हें पता है आज की रात क्या है!?
    वो... जाग गया है!"

    रमेश काँपता है।
    "बच्चे कहाँ हैं...?"
    "अभी यहीं थे... शायद अपने कमरों में होंगे..."

    नताशा सीढ़ियों की तरफ़ दौड़ पड़ती है और सीधा अंजलि के कमरे में जाती है।
    अंजलि को सोते देखती है... एक गहरी साँस लेती है।

    फिर अपने बैग में रखे यंत्र की तरफ़ देखती है—अब वह शांत था।

    "शांत...? अभी...? ये कैसे संभव है...?"
    उसके माथे पर चिंता की रेखाएं उभर आती हैं।

    रात और गहरी हो चुकी थी।

    नताशा अपने पुराने संग्रहालय में जाती है। वहाँ अंधेरे में एक अलमारी से कुछ विशेष किताबें निकालने लगती है।

    "हेल किंग का रहस्य..." — उसे वही किताब मिलती है, जो कभी उसके भाई के पास थी।

    वह कांपते हाथों से पन्ने पलटती है...

    ...पर सारे पन्ने खाली थे!!

    "नहीं... नहीं!! ये पन्ने खाली कैसे हो सकते हैं...?"

    उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं।

    "क्या वाकई... वो जाग गया है...?
    अगर ऐसा है... तो अंजलि के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी..."

    "...हमें किसी भी हाल में अंजलि की सुरक्षा बढ़ानी होगी..."

    वह फौरन दूसरी किताबें खंगालने लगती है—समय कम था... और अंधेरा अब भीतर तक घुस आया था।

    क्या सच में 'हेल किंग' लौट चुका है...?

    तब तक उसके हाथ में एक नंबर लगता है किताबों के बीच में नंबर को देखकर के नताशा एक राहत की सांस लेती है उसे नंबर को अपने फोन में डायल करते हुए उसे पर कॉल करने लगती है उधर से आवाज आती है ठीक है मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं मुझे अभी के अभी प्रथम वंशियों की ताई से बात करना है ...!




    इतनी रात को आप ने फोन किया सब ठीक तो है ...?
    नहीं कुछ ठीक नहीं है शायद हेल किंग जाग गया है ...!

    क्या आप क्या कह रही ..! हा मै सच कह रही हु शक्ति सूचक यंत्र ने यही इशारा किया वो चमक उठा था आज ...!


    रुकिए मै अभी गुरु मां को फोन देती हु ..! ये कह के वो फोन एक बुजुर्ग औरत को दे देती है
    वो औरत फोन लेते हुए जोर जोर से हंसते हुए कहते है
    मुझे पता था तू फोन करेगी ...!

    मां आप सब जानती है तो ये भी पता होगा कि हेल किंग वो डेमन जाग चुका है ...!


    हा जानती हु वो जाग गया है और हमारी रानी भी आ गई है और उनके आने के वजह से उसकी नींद टूटी है

    क्या मतलब मां इतिहास फिर से दोहराने वाला है ..? नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी मैं फिर से वो सब नहीं ।।।


    फोन पर बात के रही बुजुर महिला कहती है होनी को कोई ताल नहीं सकता बेटी तू भी ईटी चोटी का जोर लगा ले पर कुछ होगा नहीं सुन तेरे घर पर दो जिंदगियां खतरे में है जा उन्हें बचा ले ...।

    नताशा:– कौन मा कौन खरते में है


    पर वो फोन कट गया है नताशा को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो रहस्यों के किताबों की तरफ देखते हुए कहती है कैसे पता करु कि क्या हो रहा है किसकी जान खतरे में है ...!

    वो वहा से चली जाती है उसके जाने के बाद अचानक से हेल किंग के रहस्य की किताब के पन्ने उलट पलट होने लगते है और उसपे काली स्याही जैसे तरल द्रव्य बाहर आ रहे थे और वो इतने काले थे कि सारी चीजों को अपने अंदर समेत रहे थे तब तक किसी के आने की आहट होती है वो स्याही फिर से किताब के अंदर समा जाती है और किताब बंद हो जाती है




    इधर अंजली अपने आप से बड़बड़ाते हुए कहती है ऐसा कैसे हो सकता है मेरी हाथ में लगी चोट अचानक से उसका दर्द गायब कैसे हो गया

    मुझे ऐस क्यों लग रहा वो महल को मैने कही तो देखा है वो ये सब सोच ही रही थी कि उसका ध्यान अपने हाथ में जाता है ...!

    उसके हाथ में वही अंगूठी थी ... जो अंगूठी उसने उस महल में देखा था वो उसे देख कर चौक कर उठ जाती है और अपने आप से बडबडाते हुए कहती है ये कैसे हो सकता है मैने तो उसे वही रख दिया था फिर ये मेरे हाथ में कैसे ...?

    वो उस अंगूठी को निकालने लगती है पर वो असफल हो रही थी वो उठ कर वॉशरूम में जाती है पास में पड़े साबुन को उठा कर अपने उंगली में लगते हुए उसे निकलें कि फिर से कोशिश करती है पर वो अंगूठी टस से मस तक न हुआ वो परेशान होके कमरे में आ जाती है और बेड पर बैठे गहरी सांस लेते हुए कहती है ये क्या हो रहा ऐसा क्यों हो रहा मेरे साथ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा वो अपना फोन उठा उठा कर उसमें सर्च करती है अंगूठी को हाथ से कैसे निकाले

    वो उसमें बताए मैथर्ड को देखते हुए निकलती है पर उसके हाथ में कट लग जाता है और खून बहने लगता है दर्द के कारण उसके चेहरे पर आशु आ जाते है वो दर्द से रोने लगती है तब तक अचानक उसके दर्द का एहसास कम हो जाता है वो फिर से उंगली की तरफ देखती है उसका सारा खून अंगूठी में जा रहा था
    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . .

  • 9. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 9

    Words: 1016

    Estimated Reading Time: 7 min

    नताशा .. अपने कमरे के लाइब्रेरी में किताब धो रही थी तब तक उसको एक किताब मिलता है इस पर लिखा था अंगूठी की रहस्य और क्रिमसन क्वीन की सच्चाई नताशा किताब का पहला पन्ना खोलते हैं तो उसे पर साफ-साफ लिखा था की अंगूठी पहले एक लड़की थी शिवानी जो दो डेविल के बीच फंस गई थी करण और मोहित प्यार और तकरार के बीच फंसी शिवानी को श्राप मिला और वह अंगूठी गायब हो हो गई एक शिवानी है जो अंजलि को बचा सकती है क्योंकि शिवानी ही है उसकी असली हकदार क्रिमसन क्वीन की सच्चाई...


    चैप्टर 1 शिवानी की जिंदगी की शुरुआत पहले शिवानी भी आम लड़कियों की तरह ही थी और उसके साथ हुआ कुछ क्यों कि वह खुद को कभी समझ ही नहीं पाई और जब समझने का वक्त मिला तो वह अंगूठी बन चुकी थी लिए जानते हैं शिवानी के बारे में



    मुझे आजादी चाहिए

    लाख कोशिशों के बाद अगर सच बोलूं तो तक गया था इस उम्मीद में कि एक दिन मेरी कहानियां भी लोगो को पसंद आएगी, बहुत सी कहानियां लिखी काफी कुछ किया पर हाथ लगा तो असफलता  पुरातः असफलता तो नहीं कहूंगा गलतियां भी देखा सिखा भी और सिख ही रहा हु ...!
    आज फिर से शुरू से शुरू कर रहा उम्मीद करता हु आप को ये कहानी पसंद आएगी और आप का प्यार हमे भी मिलेगा जिसके लिए हम अपना पूरा कर्तव्य निभाए गे ताकि आप को वो दे सके जिससे हमें आप का प्यार मिले ज्यादा बाते नहीं करेंगे कहानी शुरू करते है ...!
    दादा जी आप समझते क्यों नहीं है ..??  मुझे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीनी है...( ये है रोशनी आहूजा उम्र 22 साल आहूजा कंपनी की एक लौटीं वारिस दिखने में खूबसूरत मानो बेदाग चांद का टुकड़ा हो गहरी हिरन के समान आंखें पतले नाक और प्यारे होंठ , गोरा रंग और हाइट 5'3 ...)
    बेटा तुम समझती क्यों नहीं तुम बाहर की दुनिया नहीं समझ पाओगे मैने इतने नाज़ से पाल है तुम्हें आज तक तुम्हे हर चीज से बचा के रखा इतने दुश्मन है हमारे बिना सुरक्षा के मै तुम्हें कैसे जाने दूं ..? ( रोशनी के दादा सेठ राम चंद्र उम्र अस्सी साल के आस पास पर देख कर लगता ही नहीं कि वो अस्सी के है , ....)
    रोशनी: वही तो बात है न दादा जी आप ही सोचिए ये मेरे लिए पिंजरे जैसा है मेरा दम घुटता है इसमें  मैं कैसे रह लू यहां न तो किसी ने कभी मुझे देखा है न तो मैने इंडिया के बारे में बस सुना है और कही घूमने जाऊं भी तो साथ में ढेर सारे बॉडीगार्ड ऐसा लगता है जेल में हु ऊपर से आप मेरी शादी करवाना चाहते है मै जिसे जानती नहीं उससे शादी कैसे कर लू...?
    बेटा तुम्हें दुनिया से छिपा कर बड़े नाजों से पाल है क्योंकि ये दुनिया बड़ी जालिम है जो तुम्हारे भाई के साथ हुआ तुम्हारे मां के साथ हुआ  और मेरी आंखों की तारा मेरी चांदनी के साथ जो हुआ तुम ही बताओ कैसे रहूंगा मैं अगर तुम्हें भी कुछ हो गया तो ..?
    "दादा जी इसी लिए बोल रही हु घर वालों के साथ जो भी हुआ उसका तो पता लगाना पड़ेगा न...! आप ही सोचिए सब की मौत ऐसे हुआ ये नॉर्मल तो नहीं न और उनके खूनी सरेआम घूम रहे है उनकी आत्मा को शांति कैसे मिलेगी...!
    "बेटा जो काम पुलिस और हमारे प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर नहीं कर पाए वो तुम कैसे करोगी...?
    रोशनी: दादा एक चांस देके देखिए अगर १ साल में मैने उनके खूनी को नहीं ढूंढा तो आप मेरी शादी अपने मर्जी से करवा देना ये जो एलेक्स रिश्ता मेरे लिए लाए है आप मै उससे अख बंद कर के शादी कर लूंगी
    सेठ राम जी ये सुनने के बाद एक गहरी सांस लेते हुए कहते "है ठीक है तुम्हें जो करना है करो पर १ साल बाद वहीं करेंगे जो मै कहूंगा और हा मै तुम्हें कुछ करने से रोकूंगा नहीं पर तुम्हारे ऊपर मेरे आदमियों की नजर हमेशा रहेगी ताकि तुम्हे कोई चोट न पहुंचा सक"े...!
    ये सुनते ही रौशनी खुशी से झूम उठी और आके दादा जी के गले लगते हुए" थैंक्यू दादा जी u are the best दादा in the world..."
    दादा एक और हेल्प कर दीजिए मेरा फेक डॉक्यूमेंट बनवा के मुझे भी वही कॉलेज में जाना है और उसी हॉस्टल में रहना है जहां चांदनी दी रहती थी मुझे यकीन है कुछ न कुछ जरूर हाथ लगेगा...!
    रोशनी की बात सुन कर दादा जी है में सिर हिलाते है और वह से चले जाते है ।
    अगली सुबह....!
    रोशनी दूसरे शहर जाने के लिए तैयार थी दादा जी भी उसको विदा करने के लिए स्टेशन आ रहे थे उन्हें तैयार होके नीचे आता देख रोशनी ने उन्हें रोकते हुए कहा "  रुकिए दादा जी आप कहा जा रहे ...?
    "बेटा तुम्हें छोड़ने..."
    "नहीं आप नहीं जा सकते दद्दू "
    " पर क्यों मेरे बच्चे अब तू मेरे से दूर जा रही इतना भी हक नहीं मेरा क्या ..? "
    "अरे प्यारे दद्दू बाहर आप के दुश्मनों ने डेरा डाल रखा है उन्हें झट से पता चल जाएगा कि मैं आप के रिश्ते में हु और वो मेरे पीछे आने लगे तो..? और बिना सिक्युरिटी के आप को बाहर नहीं जाने दूंगी...!  
    दद्दू ये सुन कर कहते है " हम हमने तो ये सोचा ही नहीं चलो अच्छी बात है आप समझ दर तो हो गई है , बेटा कही भी कोई भी प्रोबलेम हो तो तुरंत फोन करना "
    रोशनी: जी दादा जी देखिए अब मैं चलती हु ये कहते हुए उसकी आंखें भर आई और वो दादा के गले लग कर अपने आशुओं को। छिपते हुए कहती है " आप अपना ध्यान रखिए ग और ह शुगर लेवल बढ़ना नहीं चाहिए वरना आप सोच भी नहीं सकते मै क्या करूंगी "  
    "

    अगर कहानी पसंद आए तो लाइक जरूर किए ग शिवानी का किरदार थोड़ा लंबा चलेगा इसके बाद कहानी में दो लीड होंगी
    .... . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .v.v.v.v.v.v.v. .v. .v. . .

  • 10. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 10

    Words: 1185

    Estimated Reading Time: 8 min

    मेरी मां आप अपना ख्याल आखिये गा मै तो आप को खुश देख कर खुश हो जाऊंगा " ये कह के वो हसने लगते है और दिनों एक दूसरे के गले मिल कर कहते है मै चलती हु दद्दू ....। रोशनी ये कह कर पीछे के रास्ते से बाहर आ जाती है ...
    ( सेठ राम दास जी वर्ल्ड लेवल सबसे एक्सपर्ट और शानदार गहने बनाने के लिए प्रसिद्द थे उनके गहनों की डिजाइंस काफी यूनिक थी जिसके वजह से पूरे देश विदेश ने उनका नाम था पर कुछ वक्त पहले उनके परिवार में काफी लोग थे दुश्नमो ने सब को मार डाला और किसने किया अभी तक कोई पता नहीं )   
     
     
     
    शिवानी ट्रेन में बैठी है, और वह पहली बार ऐसे ट्रेन में बैठ रही थी। उसे इतनी एक्साइटिडमेंट हो रही थी कि वह खुद को रोक नहीं पा रही थी। विंडो से बाहर के व्यूह को देखते हुए उसे इंजॉय कर रही थी। उसे लगा था कि दुनिया बहुत सुंदर है। वह खुद से बड़े-बड़े हुए कहती है, "दादा तो फालतू में डरा रहे थे, दुनिया तो इतनी प्यारी है! कितने खूबसूरत वादियां हैं, यह मैं खुली हवा में सांस ले सकती हूं।"
    रात दिन रात अपनी गहरी काली चादर फैला रहा था, और रात में चलती कर दबाए हर किसी को ठंड का एहसास दिला रही थी। शिवानी ने भी अपने बिस्तर को समेटा और अपने ऊपर डाल लिया। थोड़ी गर्माहट ने उसे उसकी आंखों को सुख की अनुभूति दी, और वह सो गई। अगली सुबह उसके खाने में कवास पड़ी। "आपकी ट्रेन दिल्ली पहुंच चुकी है। दिल्ली में आपका स्वागत है," यह सुनते ही शिवानी की आंखें खुल जाती हैं। वह हर बढ़कर अपने सामान को समेटे है, और बैग में भरते हुए वह ट्रेन के गेट से बाहर की तरफ देखती है। बाहर की भीड़ और चीजों को देखकर उसकी हालत खराब हो जाती है, और भगवान! "इतनी भीड़, कैसे जाऊंगी मैं?"
    वह बहुत डरते हुए, धीरे-धीरे लोगों के सहारे, भीड़ में डरती हुई चल रही थी। लोग उसके बगल से निकल रहे थे, किसी को उसकी परवाह नहीं थी। देख कर वह परेशान हो रही थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे करे, इतनी भीड़ उसने पहली बार देखी थी। और वह वीडियो से होते हुए बाहर की तरफ आती है। बाहर स्टेशन के आकार की, वह अपने सामान को एक तरफ रखते हुए कहती है, "थैंक गॉड, मैं बाहर आ गई!"
    "चलो शिवानी, अब से तुम्हारा नया सफर शुरू!" मैं आ रही हूं दीदी, "आपके कातिलों को चुन-चुन के मरूंगी।" शिवानी अपना लगेज उठाती है और रोड क्रॉस करने की कोशिश कर रही होती है, पर रोड पर आ रही गाड़ियां इतनी थीं कि वह उनसे निकल नहीं पा रही थी। वह अपना लगे उठाकर तेजी से उसे साइड भागने की कोशिश करती है। तब तक एक गाड़ी वाला आकर के उसके सामने रुक जाता है, जिससे टकराते ही वह जमीन पर गिर जाती है।
    यह देख, गाड़ी से एक आदमी बाहर निकाल कर आता है। वह गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है, "अंधी हो क्या? दिखता नहीं तुम्हें? मरने के लिए मेरी गाड़ी मिली थी?" शिवानी धीरे से उठ खड़ी होती है और आगे बढ़कर कहते हुए कहती है, "वह मिस्टर, मेरे दुश्मन और तुम, तुम्हारी गाड़ी के नीचे आकर मारुंगी! शक्ल देखी अपनी! ऊपर से गलती तुम्हारी, धक्का तुमने दिया, और चिल्ला मुझ पर रहे हो!"
    शिवानी की बात सुनकर वह आदमी गुस्से में उसकी तरफ बढ़ते हुए कहता है, "लड़की, अपना सामान और साइड हटाओ, मुझे लेट हो रहा है, जाने दो! तुम जैसे पागलों के मुंह नहीं लगता!"
    "मैं?" शिवानी गुस्से में रहती है, "पागल और मैं? वह सरिया, लकड़ी खड़ूस आदमी! देखो, अगर तुमने अभी सॉरी नहीं बोला ना, तुम्हें अभी चलना स्टार्ट करूंगी, और मेरे शोर से यहां इतने पब्लिक जमा हो जाएगी ना, फिर तुम्हारा मार-मार के कचूमर निकाल देंगे!"
    वह आदमी शिवानी की तरफ देखते हुए गुस्से में अपने कर में बैठ जाता है, और कर को पीछे करके बगल से निकाल लेता है। शिवानी अपने कपड़े को झड़ते हुए बैग उठाती है, और बड़े कदमों से कहती है, "अजीब लोग हैं यहां!" वह आगे बढ़ जाती है। रोड क्रॉस करके, वह ऑटो स्टैंड में जाकर खड़ी होती है। "भैया, Valley Hills Medical College के पास चलना था।"
    "आई मैडम, बैठ के छोड़ दूंगा," यह कहकर ऑटोवाला शिवानी को ऑटो में बिठा देता है। शिवानी ऑटो में बैठकर दिल्ली की जगहें देख रही थी, वह गाड़ियां, बंगले, और सारी चीजें उसके लिए काफी इंटरेस्टिंग थीं। वह देखते ही देखते, Valley Hills के सामने पहुंच जाती है।
    ऑटोवाला कहता है, "मैं आपका डेस्टिनेशन प्वाइंट आ गया।" यह सुनकर शिवानी ऑटो से बाहर आती है, ऑटोवाले को पैसे देकर वह कॉलेज की तरफ बढ़ती है। और देखती है, उसकी निगाहें नाम हो जाती हैं। वह उदास निगाहों से कॉलेज की तरफ देखती हुई कहती है, "दीदी, मुझे पता है, आपके साथ सारी चीजें यहीं से हुई हैं। अगर आपने यहां आने की जिद ना की होती, तो हम साथ होते। दीदी, मेरा साथ देना, सभी दरिंदों के बारे में पता लगाने के लिए, जिन्होंने आपके साथ वह सारी हरकतें की। इनकी वजह से आप हमारे बीच नहीं हो।" यह कहकर उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
    तब तक उसे अपने कंधे पर किसी का एहसास होता है। क्या एहसास होते ही वह अपने आंसू को पूछ लेती है। पीछे मुड़कर देखती है तो एक लड़की खड़ी हुई थी। वह मुस्कुराते हुए कहती है, "शिवानी!"
    शिवानी आश्चर्य से उसे कुछ समझ नहीं पाती है। वह हंसते हुए कहती है, "हां, मैं शिवानी, आप कौन?"
    "मैं सनाया, तुम्हारी रूममेट।"
    "एक्चुअली, आज सुबह ही मैं यहां पर आई हूं, और मैंने सुना कि मेरी रूममेट शिवानी है। तो बस, मैंने अपनी छानबीन की और तुम्हारी प्रोफाइल ढूंढ निकाली और तुम्हें यहां पर देखा। सोचा तुम्हें साथ ले चलो।"
    शिवानी मुस्कुराते हुए कहती है, "मुझे नहीं पता था कि मुझे इतनी अच्छी रूममेट मिल जाएगी!"
    इस पर सुनाया जोर-जोर से ठहाके लगाकर हंसते हुए कहती है, "हा हा, मैं अच्छी हूं, बड़ी यार! कभी-कभी तो फील करती हूं कि मेडिकल चुनकर गलती तो नहीं की मैंने। सुना है कि आंखें प्रोफेसर बहुत खड़ूस हैं, और रैगिंग तो भाई, पूछो मत! तुम चिंता क्यों करती हो, सनाया, मैं हूं ना! मैं इन सब की बोलती बंद कर दूंगी!"
    सनाया शिवानी मुस्कुराते हुए कहती है, और दोनों धीरे-धीरे आगे हॉस्टल की तरफ बढ़ते हैं। हॉस्टल में कमरा नंबर 13 उनका कमरा होता है। सहायक कमरे में जाकर बेड पर फेल कर बैठते हुए कहती है, "भाई साहब, तुम्हें बात नहीं करनी! यहां पर कितना सुकून मिल रहा है। घर वालों से कितना झूठ बोला है यहां आने के लिए! अब बस पढ़कर एक अच्छी सी जॉब लेकर यहां से निकलना है! मेरे पापा तो मेरी शादी कर रहे थे, मैं भाग कर आई हूं!"
    यह सुनकर शिवानी मुस्कुराते हुए कहती है, "वह यार, तुम तो काफी बहादुर हो!"
    सनाया हंसकर कहती है, "वह तो मैं हूं! वेल, मैंने सुना है, यहां की वार्डन बड़ी खड़ूस है, यहां पर रूल्स बहुत स्ट्रिक्ट हैं!"
    शिवानी मुस्कुराते हुए कहती है, "रूल्स बंदे किसलिए हैं? तोड़ने के लिए ही ना! सारे रूल्स टूटे हैं, यह भी टूटेगा!"

  • 11. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 11

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    यह कहकर दोनों हंसने लगती हैं। "अच्छा, सुनो, थोड़ी देर तुम आराम कर लो और अपना सामान निकालकर वार्डरोब में रख दो। कल हम कॉलेज चलेंगे, आने के बाद भी थोड़ी सी शॉपिंग करेंगे, इसके बाद आराम से कपड़े लगाएंगे, और यहां की पानी पुरी और चार्ट बहुत पॉप्युलर है, अपने कॉलेज के साइड में लगते हैं। कल शाम में खाने चलते हैं।"
    सनाया की बातों से शिवानी मुस्कुराकर हां कहती है, और वह अपने वॉर्डरोब को सेट करने में लग जाती है। तब तक शिवानी का फोन बजता है। वह अपने फोन को देखते हुए कैमरे से बाहर आती है और फोन उठाते हुए कहती है, "जी दादा जी, कहिए।"
    "बेटा, तुम आराम से पहुंच तो गई ना?"
    "हां दादा, मैं आराम से पहुंच रही हूं और यहां पर सब बहुत अच्छे हैं, आप फालतू में परेशान हो रहे थे।"
    शिवानी की बात सुनकर उसके दादा गहरी सांस लेते हैं और शिवानी से कहते हैं, "बेटा, प्लीज अपना ख्याल रखना, तुम्हारे सिवा मेरा कोई और नहीं है।"
    शिवानी उनकी बात सुनकर, हंसी लाते हुए कहती है, "जादू, आप निश्चिंत रहो, मुझे कुछ नहीं होगा! चलिए, अभी मैं जरा आखिरी हो फोन, मुझे डिनर करने जाना है और जल्दी जाना है! कल सुबह से कॉलेज है।"
     
     
    शिवानी अगले दिन सुबह-सुबह जल्दी उठ जाती है और रेडी होकर कॉलेज के लिए निकलना चाहती है। उसके साथ सनाया भी तैयार हो रही थी। शिवानी ने व्हाइट कलर की कुर्ती पहनी हुई थी, उसने अपने बालों को पोनी किया हुआ था, और माथे में एक छोटी सी बिंदी लगाई हुई थी। बड़े-बड़े काले बाल और उसका चेहरा इतना नैचुरली ग्लो कर रहा था कि उसे मेकअप की कोई जरूरत ही नहीं थी।
     
    सनाया शिवानी की तरफ देखते हुए कहती है, "वाह, लुकिंग प्रिटी!"
     
    शिवानी हल्का सा मुस्कुरा कर कहती है, "थैंक यू! आप चले, कॉलेज लेट हो रहा है।"
     
    शिवानी की बात सुनकर सनाया धीरे से सर हिलाकर कहती है, "हां हां, चल रही हूं, रुक जा, अपना हील तो बांध लूं!" यह कहकर वह अपना हील पहनने लगती है। फिर दोनों भागते हुए कॉलेज की तरफ जाती हैं। कॉलेज से हॉस्टल की दूरी 15 मिनट की थी, पर दोनों कॉलेज पहुंच जाती हैं।
     
    सनाया इतने बड़े कॉलेज को देखते हुए शिवानी से कहती है, "यार, ये कितना बड़ा है! इसमें तो मेरा पूरा गांव समा जाए! गांव क्या, मेरा पूरा शहर आ जाए इसमें और उसके जैसे चार और गांव भी!"
     
    यह सुनकर शिवानी हंसने लगती है और सनाया की तरफ देखते हुए कहती है, "अरे भाई, शांत हो जा, लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे? किसने ऐसी चीज पहले देखी ही नहीं है! ओ मैडम, तुम ऐसे कह रही हो जैसे तुम लंदन अफ्रीका घूम कर आई हो!"
     
    शिवानी मुस्कुरा कर अपने मन में कहती है, "हां, घूम कर तो आई हूं," पर वह मुंह में कहती है, "नहीं यार, कहां मैं और लंदन अफ्रीका! पहली बार तो इस शहर आई हूं! चल, अब लेट नहीं करते हम, क्लास की तरफ चलते हैं। वैसे भी आज पहला दिन है, पहले दिन ही लेट फालतू का बवाल हो जाएगा।"
     
    वह दोनों आगे भाग रहे होते हैं कि तब तक शिवानी किसी से टकरा जाती है। उसके टकराते ही वह जमीन पर गिर जाती है, और चढ़कर उठाते हुए बोलती है, "दिखाई नहीं देता क्या?"
     
    सामने खड़ा हुआ आदमी गुस्से से कहता है, "वह मैडम, यह तुम्हारा घर नहीं है, कॉलेज है! यहां आंखें खोल कर चलो।"
     
    शिवानी गुस्से में कर उठती है। उसके सामने वही आदमी खड़ा था, जिसके गाड़ी से वह कल टकराई थी। देखते हुए गुस्से में चिल्ला कर कहती है, "तुम! तुम यहां? देखो, मेरा पीछा छोड़ दो, वरना मैं तुम्हें मार दूंगी! तुम मुझे जानते नहीं हो!"
     
    वह आदमी उसकी तरफ खुद से भरी निगाह से देखते हुए कहता है, "तुम थोड़ी पागल पागल हो क्या? सारी चीजें तुम्हारे लिए ही नहीं होती! हटो, मुझे रास्ता दो, जाने दो।"
     
    शिवानी को साइड करता है और चला जाता है। उसे इस तरह ज्यादा देख शिवानी गुस्से में सनाया से कहती है, "यार, यह कैसे लोग हैं? उन्हें कुछ समझ नहीं आता क्या? छोड़ना शिवानी, हमें क्या करना है, हम क्लास में चलते हैं।"
     
    फिर वह दोनों क्लास में चली जाती हैं। क्लास में वह दोनों अपने टैक्स पर बैठी होती हैं कि तभी वह लड़कियों की बातें सुन रही होती हैं। उसमें से एक लड़की कहती है, "यार, अपना प्रोफेसर कितना हॉट होता है ना! मन तो करता है किसके साथ में वह सब कर जाऊं जो मेरा बॉयफ्रेंड चाहता है!"
     
    दूसरी लड़की कहती है, "हां यार, बहुत ज्यादा होता है! वैसे लड़के होते कहां हैं, और प्रोफेसर इतनी हॉट क्यों होते हैं? अब तू ही बता, प्रोफेसर इतना हॉट होगा तो हम पढ़ेंगे या फिर उसके ऊपर ध्यान देंगे?"
     
    उन दोनों की बातें सुनकर शिवानी मुंह बिचकते हुए कहती है, "यहां पर पढ़ने आई है या लड़के ताड़ने?"
     
    शिवानी की बात सुनकर सनाया मुस्कुराने लगती है।
     
    तब तक क्लास में एक प्रोफेसर की एंट्री होती है। उसे देखते ही सारे लड़के खड़े हो जाते हैं और शिवानी जैसी प्रोफेसर को देखते हैं। वह झट से नीचे बैठ जाती है।
     
    आखिर उसे प्रोफेसर को देखकर शिवानी क्यों छुपा रही थी?
     
    पहले यह कहानी का इंट्रो पार्ट था। उम्मीद करती हूं कि आपको पसंद आएगा और आगे इस कहानी को और इंटरेस्टिंग बनाने की पूरी कोशिश करूंगी। एक से एक बढ़िया पार्ट ऐड करूंगी, जिससे आपको पढ़कर सुकून मिले।
     
    और हां, जान से पहले एक बात और कहना चाहूंगी: आपका लाइक और कमेंट हमारे लिए मोटिवेशन का काम होता है। आपकी छोटी सी सहारा भी हमारे लिए बहुत बड़ी बात होती है।
     
     
     
    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. .

  • 12. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 12

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे....


    प्रोफेसर जैसे ही अंदर आता है हर कोई खड़ा हो जाता है पर शिवानी उसे प्रोफेसर को देखकर के अपने बेंच के नीचे बैठ जाती है प्रोफेसर अपनी आवाज में कहता है सित डाउन सब बैठ जाता है (प्रोफेसर दिखने में लंबा चौड़ा गठीले शरीर वाला था उसकी हाइट 6 फुट थी गेहुआ रंग मर्दानी आवाज आवाज में इतना भारीपन था कि सुनकर कोई भी एक बार के लिए डर जाए उसने थ्री पीस पहन रखा था और थ्री पीस में वह काफी ज्यादा होता भी लग रहा था ब्लू कलर की थ्री पीस उसे पर सूट कर रही थी)



    प्रोफेसर अपने अप्पर लेयर के सूट को निकाल कर साइड रखता है कोर्ट को साइड रख करके वह अपने स्लीव्स को मोड़ लेता है, उसके हाथों की नसें बराबर दिख रही थी लड़कियां उसकी हाथ के उभरे नसों को देखकर के आंख भर भर रही थी एक लड़की फिर से कहती है यार इसके हाथों के नशे तो भाई मैं तो इसकी दीवानी हो चुकी हूं तब तक यह बात प्रोफेसर के कानों तक चली जाती है और गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है" अगर दोबारा मैंने ऐसी बातें सुनी तुम्हें क्लास से बाहर कर दूंगा "
    तुम सब यहां पढ़ने आते हो नयन सुख की प्राप्ति के लिए नहीं आते ...



    प्रोफेसर की बात सुनकर वह लड़की शांत बैठ गई तब तक शिवानी को नीचे बैठा देख सनाया उसे जग छोड़ते हुए कहती है "ऊपर आना ...!


    शिवानी धीरे-धीरे डिक्स पर आकर बैठी जाती है और अपने चेहरे को किताबों के बीच छुपाने की कोशिश कर रही थी सनाया उससे पूछत है क्या हुआ ..? तू इतनी घबरा क्यों रही है ...?


    शिवानी धीरे से कहती है " गड़बड़ हो गई यार प्रोफेसर यही होगा मुझे पता ही नहीं था उस दिन सड़क पर इससे लड़ाई हुई आज कॉलेज के बालकनी म भी लड़ लियाें यह सुनते ही सनाया खिसियाते हुए कहती "क्या तू पागल बगल है क्या ..?

    किसी से भी लड़की रहती है अब तो तू गई शिवानी वैसे भी यह खडूस लगता है ..

    शिवानी:– यार ऐसे बोल कर डरा मत
    तब तक सामने से आवाज आती है हम सब बोर्ड पर फोकस कर ले यहां पर हम पढ़ने आए हैं ....बातें तो क्लास के बाहर भी हो जाएगी ,

    यह सुनकर हर कोई प्रोफेसर की तरफ देखने लगता है प्रोफेसर बोर्ड्स पर कुछ क्वेश्चन बता रहा होता है तब तक उनका ध्यान शिवानी पर जात है " ओ मिस चश्मिश ...!


    प्रोफेसर फिर से आवाज लगता है मिस चश्मिश आप से ही बोल रहे है...!

    शिवानी अभी भी समझ नहीं रही थी कि उसे बुलाया जा रहा है सनाया धीरे से तुमकी लगाते हुए कहती है सर तुझे बुला रहे हैं ..!




    यह सुन कर वो झट से शिवानी छत से उसकी तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपने डक्स से खड़ी होती है

    जी सर ..!


    मिस एक बात बताइए आपका ध्यान कहां है कहीं किसी से लड़ने बाहर तो नहीं गया ..?

    यह सुनकर हर कोई हंसने लगता है तब तक प्रोफेसर जोर से डांट कर कहता है साइलेंस और फिर से शिवानी के ऊपर तंज करते हुए कहता है "साइकोलॉजी की क्लास है और आप बुक किसकी पड़ रही है ..? मोहतरमा कम से कम अपने किताबों का ख्याल तो रखा करिए और पढ़ भीरही है तो उल्टी किताब कोई नई तकनीक आई है क्या हमे भी सिखा दीजिए...!



    प्रोफेसर के इतना कहने पर शिवानी को बुरा लग जाता है वह शर्म से अपनी किताब की तरह देखने लगती है क्लास में बैठे हर कोई उसके ऊपर हंस रहा था वह गुस्से से दांत पीसते हुए उसे किताब को उठाकर साइट करती है और साइकोलॉजी की किताब निकाल कर ऊपर रख देती है यह देख प्रोफेसर उसे बैठने के लिए कहता है फिर वह बोर्ड में लिखने लग जाता है ...!



    तब तक एक लड़की उठ खड़ी होती है और वह एटीट्यूड में सर की तरफ इशारा करके धीरे से बोलताहै "सर आपका नाम क्या है ..?

    प्रोफेसर अपने लिखावट को रोक करके उस लड़की के तरफ बढ़कर आते हैं और उसके करीब जाकर जोर से डांटेते हुए कहते हैं "आर यू इडियट तुम सब छोटे बच्चे नहीं हो... इतना मैनर होना चाहिए की क्लास में ऐसी बातें अलाउड नहीं है गेट आउट ऑफ़ माय क्लास


    सॉरी सर ..! आई एम सो सॉरी प्लीज माफ कर दीजिए ..!



    आई सेड गेट आउट ऑफ़ माय क्लास वरना मैं पूरे वीक के लिए रिस्ट्रिक्टेड कर दूंगा लड़की...।






    उसकी कड़क आवाज से वह लड़की डर जाती है साइड होती और क्लास से बाहर चली जाती है उसके जाते ही वह गुस्से में फिर से चिल्ला कर बोलता है " आइंदा ऐसी गलती में किसी से टॉलरेट नहीं करूंगा आज तो मैं क्लास से बाहर निकाला और आज तक मेरे सिलेबस में एक भी बच्चा कमजोर या फिर हार मानने वालों में से नहीं रहा है आप सबको मैं पहले ही बता दूं कि जो कमजोर दिल के हैं जिनका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता वह इस क्लास से बाहर चले जाएं क्योंकि अगर मेरे प्रोजेक्ट्स टाइम पर नहीं हुई तो आप सबको बहुत महंगी पनिशमेंट मिलेगी मेरे डिक्शनरी में गलतियों के लिए कोई जगह नहीं है ...!



    यह सुनते ही शिवानी उठ खड़ी होती है "एम सॉरी सर आई नो मैं बोलते हुए बहुत अजीब साउंड करूंगी पर आप ऐसे हमें डरा नहीं सकते सर हम यहां पर सीखने आए हैं पढ़ने आए हैं अगर हमें नहीं आएगा तो हम समझेंगे आप इस कदर से अगर हमें डर आएंगे तो हम कैसे करेंग...।



    ओह सो मिस चस्मेश अब आप मुझे पढ़ना सिखाएंगे...?

    सिर पहली बात मेरा नाम शिवानी है
    मिस शिवानी...
    आप बोलिए मत आपसे ज्यादा टीचिंग एक्सपीरियंस है मेरे पास मैं यहां कई सालों से पढ़ रहा हूं और आप आज यहां इस कॉलेज में आई है अगर आपको इतनी प्रॉब्लम है तो आप मेरी क्लास छोड़कर जा सकती हैं वरना चुपचाप से अपने डक्स पर बैठी और पढ़ाई करिए...।

    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

  • 13. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 13

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    शिवानी चुपचाप अपने टैक्स पर बैठ जाती है और वह इंसान फिर से क्लास शुरू कर देता है थोड़ी देर बाद क्लास ओवर होती है तो वह वहां से चुपचाप चला जाता है।।।!



    उसके जाने के बाद क्लास में फिर से एक चहल-पहल हो गई थी हर कोई बस उसी की बातें कर रहा था शिवानी और शनाया निकलकर बाहर जा ही रहे होते हैं कि तब तक उन्हें एक लड़का और एक लड़की बाहर सीडीओ पर बैठे दिखाई देते हैं वह इन दोनों को उदास देखकर के



    "हेलो इधर आना तुम दोनों इतना कहने मात्र से ही शिवानी और सनाया उन दोनों के पास चले जाते हैं ,


    उनके पास पहुंचकर जी कहिए तुम्हें तमीज नहीं है क्या हम तुम्हारे सीनियर हैं थोड़ी रिस्पेक्ट करो हमारी यह सुनकर शिवानी धीरे से कहती है एम सॉरी सर गुड मॉर्निंग सर, मैम यह सुनकर वह दोनों हंसते हुए कहते हैं अच्छा सुनो दौड़ करके जाओ और सामने उसे लड़के से उसका सा**ज पूछ कर आओ ...!



    यह सुनते ही शिवानी और सनाया दोनों गुस्से में देखते हुए कहते हैं क्या कुछ भी..?


    जितना कहा है उतना करो वरना पनिशमेंट मिलेगी और तुम्हें पता है ना हम सीनियर्स कुछ भी कर सकते हैं ...!


    तब तक वह लड़की उठ खड़ी होती है और सनाया के बालों को पकड़ते हुए कहती है "बहुत रेशमी बाल है ना तुम्हारे अगर तुम्हारी फ्रेंड ने जाकर के उसे लड़के से उसका सा*ज नहीं पूछा तो आज तुम्हारे बालों की बलि चढ़ा देंगे .."

    यह सुनकर सनाया रोने लगती है और रोते हुए कहती है प्लीज मेरे बालों को कुछ मत करो प्लीज ..।


    तो वह लड़की हंसते हुए कहती है अपने फ्रेंड से बोल जाकर के वह उसे लड़के का सा*ज पूछ कर आए वरना तेरे बाल तो गए



    शिवानी गुस्से में दांत पीस रही थी पर सनाया को रोते देखा वह धीरे से कहती है ठीक है मैं पूछ कर आत हूं पर आप प्लीज उसके बाल मत कातिया यह कहकर वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती है एक लड़का अपने किताबों में गुम था वह किताबों के पन्ने पलट रहा था और पास में नोटमें लिखा जा रहा था उसके पास पहुंचक शिवानी धीरे से कहती है एक्सक्यूज मी आपका सा*ज क्या है ..?

    यह सुनकर वह लड़का अजीब तरह से शिवानी की तरफ देखते हुए कहता है व्हाट शिवानी फिर से बोलता है आपका सा*ज क्या है ..?





    ओ मोहतरमा ऐसे सरेआम कौन पूछता है ऐसी बातें अगर आपको हमारा साइज जानना है तो चलिए दिखाते हैं आपको..!


    यह सुनते ही शिवानी को गुस्सा आ रहा था तब तक सीनियर वाली लड़की आकर के उसके गाल पर थप्पड़ झड़ते हुए कहती है " उसने तेरे शूज साइज की बात की है वही सूज निकल कर तेरे सर पर मरने के लिए ...भाग यहां से यह कहकर उसेलड़के को भगा देती है और जोर-जोर स

    ठहाके के मर के हंसने लगती है सनाया और शिवानी को कुछ समझ नहीं आ रहा था ...!




    वो लड़की धीरे से कहती है हम सॉरी गाइस बस बड़े दिन बाद नए लोगों को देखा तो थोड़ा मस्ती करने का मन कर दिया माइसेल्फ स्माइली और यह मेरा फ्रेंड शुभम शुभम भी उन दोनों को है बोलता है हम तुम्हारे ही क्लासमेट हैं एक्चुअली आज हमने देखा तुमने बड़ी

    बेबाकी से प्रोफेसर के सामने स्टैंड लिया तो बस सोच तुम्हारी हवा टाइट कर देते हैं ...!


    यह सुनकर शिवानी और सुहानी के चेहरे पर गुस्से की आग उमड़ गई वो ह चढ़ते हुए कहती हैं क्या आर इ***यट...!


    इस पर शुभम मस्ती में कहता है चल गुस्सा होने की जरूरत नहीं है फ्रेंडशिप में इतना होता ही है ...!
    और वैसे भी अब तुम दोनों हमारे दोस्त हो इस पर सनाया आगे चढ़कर बोलता है हे " दोस्ती अभी भी हमारी तुमने जो हमारे साथ किया हमने तुम्हें अपना दोस्त क्या दुश्मन भी ना बनाएं... इस पर स्माइली मुस्कुराते हुए केहती है ठीक है नहीं बनाना ना कोई बात नहीं चलते हैं यहां का फेमस एप्पल पाई
    खायेंगे वह भी मेरे पैसों से..!


    हमारी तरफ से सॉरी के लिए छोटा सा तोहफा यह सुनकर सनाया मुस्कुराते हुए कहती है "फ्री के खाने को तो हम कभी मन नहीं करते चलो तुम खिला दो हम तुम्हें माफ कर देंगे पर शिवानी उसे रोक रही होती है पर सनाया उसकी तरफ देखकर आंख मारते हुए कहती है चल दूध चलते हैं ।।।!
    वह सब कैंटीन में आ जाते हैं कैंटीन में आकर के शुभम रामू भैया के पास ऑर्डर देने के लिए चला जाता है सनाया शिवानी और स्माइली एक साथ बैठकर के आपस में बातें कर रहे होते हैं तब तक एक लड़की वहां पर आती है उसके साथ दो और लड़कियां थी उसे लड़की ने शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी डार्क बोल्ड लिपस्टिक और छोटे-छोटे बाल थे हाथ में एक प्रिंटेड बाग लिए हुए हाई हील्स पर टुकटुक कर रही थी

    उसके पीछे खड़ी तो लड़कियां भी बिल्कुल उसी की टिकटोक कॉपी किए हुए थे वह लड़की टेबल पर अपना बैग रखते हुए कहती है तुम लोग को पता नहीं क्या यह टेबल हमारा है






    यह सुनते ही शिवानी और सनाया उसे टेबल से उठ जाती हैं पर स्माइली अभी भी उसे टेबल पर बैठकर अपने फोन में देख रही थी ... !

    तब तक वह लड़की फिर से कहती है २साल से इसी कॉलेज में पड़ी हो समझ नहीं आता क्या तुम्हें पता नहीं क्या मेरे डैड कौन है इस पर स्माइली खड़ी होकर कहती है

    "वेल डू यू नो योर डैड कौन है ..? नहीं जानती हो तो अपना आधार कार्ड देख लो पता चल जाएगा उससे भी समझ नहीं आए तो अपने मम्मी से पूछ लेना मुझे तुम्हारे डैड में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है ..!

    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . .

  • 14. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 14

    Words: 1137

    Estimated Reading Time: 7 min

    इतना कहते ही कैंटीन का हर कोई उसके ऊपर हंसते लगता है टीना इस कदर अपने ऊपर हंसते हुए लोगों को देखकर कहती है "यू ब्लडी इ***यत तुम टीनाा से ऐसी बात नहीं कर सकती मैं अभी के अभी पूरे कैंटीन खरीद सकते हो ...समझी पीछे से वह दोनों लड़कियां भी बोलते हैं हां टीना से पंगा मत लो वह पूरा कैन खरीद सकती है ...!


    यह सुनकर स्माइली मुस्कुराते हुए कहती है क्यों तुम दोनों को खरीद लिया तो इसका मतलब सबको खरीद लेगी वैसे बोलो मत कॉलेज में गवर्नमेंट का भी हाथ है और हम गवर्नमेंट साइट से हैं तो अगर पंगा लिया तो तुम्हारे लिए महंगा पड़ेगा तुम्हारे दादा भी इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं मिस टीन

    वेल तुम भूल गई चांदनी ने तुम्हारे साथ क्या किया
    था क्या सबको मैं याद दिला दूं ..?


    यह सुनते ही शिवानी की आंखें भर आई शिवानी के मन में कई सवाल आ रहे थे पर वह इस समय उनसे कुछ नहीं बोल सकती थी




    टीना चांदनी का नाम सुनते ही गुस्से में स्माइली के ऊपर थप्पड़ मारने के लिए हाथ आगे करती है शिवानी उसका हाथ रोकते हुए कसकर पकड़ लेती है और उसके हाथ को मरोड़ते हुए कहती है डॉन'टी डरे टू डू डिस मिस ऐसी गलती करोगी तो भारी पड़ जाएगा ...!


    मिस टीना यह कहकर वह उसे धक्का दे देती है टीना पीछे उन दोनों लड़कियों के सहारे पर आ जाती है

    यह देख टीना गुस्से में चिल्लाते हुए कहती है लड़की तुमने सही नहीं किया यह गलती तुम्हारे ऊपर बहुत भारी पड़ेगी यह कहकर वह वहां से चली जाती है और उसके पीछे-पीछे वह दोनों लड़कियां भी यहां से चली जाती हैं ...!



    स्माइली शिवानी की तरफ देखते हुए कहती है वह मतलब मेरे गैंग में अच्छे लोग आए हैं फ्रेंड्स ना होते हुए भी तुमने फ्रेंडशिप की मां राखी यह क्या-क्या स्माइली शिवानी के गले लगाते हुए से थैंक यू बोलता है और तभी के एक्सीडेंट के लिए सॉरी भी कहते हुए कहती है आई एम सॉरी यार मैं तुम लोग के साथ मजाक किया पर वह बस एक मजाक था प्लीज उसको दिल पर मत लेना


    शिवानी धीरे से हां मैं सर हिलाती है और मुस्कुरा कर टेबल पर बैठ जाती है तब तक शुभम भी सबके लिए एप्पल पाई लेकर आ चुका था हर कोई मजे से एप्पल पाई खा रहे थे कि तब तक शिवानी स्माइली से पूछता है यह चांदनी कौन थी और उसने क्या किया था टीना के साथ

    यह सुनते ही स्माइली की आंखों में आंसू आ गया वह पास

    पड़े टीशू को उठाकर अपनी आंखों के आंसू को रोकते हुए कहती है चांदनी हमारी बहुत अच्छी दोस्ती वह जब इस कॉलेज में आई थी आते हैं उसने इस कॉलेज के रूल और रेगुलेशन को बदल कर रख दिया था उसकी वजह से हम गवर्नमेंट वालों को इतनी रिस्पेक्ट मिलती है पर चांदनी के साथ क्या हुआ अब तक किसी को पता नहीं ऐसा कहा जाता है कि उसने सुसाइड किया था पर मैं चांदनी को जानती थी वह कभी मरने वालों में से नहीं थी वह प्रॉब्लम्स को फेस करना जानती थी उसे लड़ना जानती थी यहां तक कि उसने कॉलेज में बहुतों की हेल्प की थी


    टीना के भाई इस कॉलेज का प्रोफेसर मोहित आहूजा वह और चांदनी एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे वहीं दूसरी तरफ हमारे साइकोलॉजी के प्रोफेसर करण मल्होत्रा को चांदनी पसंद थी चांदनी की वजह से कारण और मोहित की कई बार लड़ाई हुई थी और न जाने उसे रात चांदनी और करण के बीच क्या हुआ की चांदनी ने मोहित से सारे रिश्ते खत्म कर दिए और ऐसा होने के बाद चांदनी और मोहित के वो वाले वीडियो पूरे कॉलेज में सर्कुलेट हो गए थे पर चांदनी ने कभी उसे चीज को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया वीडियो के सर्कुलेट होने के 1 महीने बाद अचानक से वह कमरे में पंखे से लटकी मिली आज तक किसी को समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ था ।



    यह सुनकर शिवानी की आंखें भर आई और वह जोर-जोर से रोना चाहती थी अब उससे यह झूठा दिखावा नहीं हो रहा था उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और वह बस गुस्से से लाल हुए जा रही थी वह बिना कुछ बोले वहां से उठ करके चली जाती है गार्डन एरिया में आकर के वह जोर-जोर से रोते हुए कहती है दीदी तुम्हारे साथ जो हुआ जिसने भी किया नाम सबको नहीं छोडूंगी की तब तक पीछे से स्माइली शुभम और सनाया आते हैं उनको आता देख शिवानी अपनी आंखों के आंसू को पूछ लेती है और वह धीरे से उसके ऊपर हाथ रखते हुए कहते हैं हम समझ सकते हैं यह सुनकर कोई भी रो देगा और यह कहकर वह शिवानी के गले लग जाते हैं विचारों आपस में गले लगे हुए थे और मुस्कुरा कर कहते हैं विल अब तुम सब आ गए हो ना हम बहुत मजा करेंगे


    तब तक शुभम कहता है सुनो इस कॉलेज के पीछे थोड़ी दूर पर एक बंद और बहुत पुरानी हवेली है वैसे वहां पर जाना अलाउड नहीं है ऐसा कहते हैं कि वहां पर भूतों का साया है वहां पर क्यों की लाश से मिल चुकी है और हर अमावस की रात को एक लड़की की लाश जरूर मिलती है और वह लड़की या तो अपने कॉलेज की होती है या फिर कहीं और की और ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी वहां पर जाता है वह जिंदा कभी वापस नहीं आता इसलिए सरकार ने उसको चारों तरफ से बैंडिट कर दिया है काफी तंत्र-मंत्र किए गए हैं तुम लोग नए हो इस बात का खास ख्याल रखना कि उसे एरिया में मत जाना काफी राज और कारनामे होते है यहां



    यह सुनते ही शिवानी शुभम की तरफ देखते हुए कहती है कुछ भी भूत और इस 21वीं सेंचुरी में तुम पागल पागल तो नहीं हो क्या मजाक कर रहे हो बात कुछ हो रही है हमें बस गुमराह करने के लिए भूतों की कहानी बनाई गई है शिवानी चुप कर जा ऐसे नहीं बोलते किसी ने सुन लिया ना तो हमारे लिए दिक्कत हो जाएगी उसे टॉपिक को कॉलेज में छेड़ना भी अलाउड नहीं है तब तक सनाया रहती है शिवानी बैक की बैक की बातें क्यों कर रही हो भूत होते हैं अरे हमारे गांव में एक पास भूतों ने पूरे गांव पर कब्जा कर लिया था वहां की औरतें अजीब तरीके से नाच रही थी और गांव में बहुत कुछ हुआ था मैं तुम्हें रूम पर सब आराम से बताऊंगी



    तुम लोग फालतू में डर रहे हो वहां पर भूत कुछ नहीं होते देखना मैं एक दिन वहां पर जाऊंगी और जाकर वापस आऊंगी यह सुनते ही स्माइली गुस्से में शिवानी की तरफ देखते हुए कहती है तुम पागल हो क्या वहां पर नहीं जाना है अगर तुम वहां से गई तो सोच लेना हम सब तुमसे दूर हो जाएंगे



    यह

  • 15. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 15

    Words: 1266

    Estimated Reading Time: 8 min

    Ab age ....


    शिवानी अपने कमरे में बैठी हुई थी वह अपने फोन में अपनी बहन के साथ की पिक्चर को देखते हुए जोर-जोर से रोने लगती है और उसको अपने सीने के पास लगाकर रहती है दीदी एक बार आप मुझसे बात कर तो देखते हम साथ मिलकर इन सब चीजों का सॉल्यूशन निकाल लेते हैं और आपने ऐसा क्यों किया हम सब कुछ छोड़ कर जाने की क्या जरूरत थी आपके बिना पता है मैं कितनी अकेली हो गई हूं ....!


    आपके जाते ही मम्मी पापा भी आपके पास चले गए सपने मुझे छोड़ दिया भाई वह भी तो आपकी पास है ना यह कहकर वह जोर-जोर से रोने लगती है उसको इस कदर रोता देख सुनाया उसके पास आती है उसे गले से लगाकर रहती है क्या हुआ शिवानी तू रो क्यों रही है किसी ने कुछ कहा शिवानी अपने आंसू को पूछते हुए कहती है नहीं बस घर की याद आ रही है



    सनाया शिवानी को कसकर गले लगा लेती है और उसे समझती हो शांत करती है उसके बाद शिवानी सनाया से कहती है सुन मुझे वह हवेली जाना है तू पागल है क्या ...?

    तूने सुना नहीं था क्या शुभम ने क्या कहा था वहां पर भूत रहते हैं कुछ हो गया तो कुछ नहीं होगा तो चल रही है साथ में या फिर मैं अकेली जाऊ...!

    ं शिवानी की बात सुनकर सनाया थोड़ी देर socht हुए बोलती है बहन मत कर जाने देना जरूरी है जाना ....


    शनाया मुझे जाना है ठीक है तू रहने दे तू यहां संभाल लेना मैं जा रही हूं ..?




    सनाया शिवानी को जाता देख रहती है "अच्छा रुक में अभी चलती हूं मैं तुझे अकेले नहीं छोड़ सकती यह कहकर वह दोनों हॉस्टल से बाहर निकालने की जुगाड़ लगाने लगते हैं ...।


    शिवानी सनाया की तरफ देखकर कहती है हम यहां से बाहर जाएंगे कैसे फिर तो अंदर से बंद है और वार्डन वह कहीं आसपास हुई त...!


    ो इस पर सनाया मुस्कुराते हुए कहती है वे रुक जा मैं कुछ करती हूं यह कहकर वह अपना सेफ्टी पिन निकलती और उसे गेट के पर लगे ताले को खोल देती है यह देखते ही शिवानी हाकी-बाकी रह जाती है वह सनाएं को बड़ी-बड़ी आंखें करके देख रही थी सनाया शिवानी को हल्की सी स्माइल देते हुए कहती है क्या हुआ मैंने तो बस ऐसे ही खोल दिया जैसे हमारे गांव में ना क्या था कि घरवाले मुझे घर में हमेशा बंद कर देते थे तो मेरी बहन मुझे खोल देती थी और मैं उसको जाकर कभी-कभी खोल देती थी तो बस खुद को बचाने के लिए सब सीखा था .....।





    शिवानी मुस्कुराते हुए कहती हैै "वह बहन तू तो बड़ी कमाल की चीज ह,ै चल अभी चलना है या फिर खड़े होकर अभी मेरी तारीफों के पुल बांधने हैं ...!



    यह कहकर सनाया शिवानी को धक्का देती है वह दोनों धीरे-धीरे हॉस्टल से निकलकर कॉलेज के रिस्ट्रिक्टेड एरिया में जाने लगते हैं सनाया अपना फोन निकलती है उसमें हनुमान चालीसा चलते हुए अपने कान में एयरपोर्ट्स डाल लेती है दूसरा इयरबड्स शिवानी के कान में लगाते हुए कहती है "यह ले इसमें हनुमान चालीसा है इससे भूत-पिचाश हमारे निकट नहीं आएंगे ,इसको सुनते रहना सनाया की हरकत को देखकर शिवानी चिढ़ते हुए कहती है " क्या यार क्या कर रही है तू ....
    पकड़ इसे रखो चल चुपचाप देख धब्बे पांव चलना किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी ।


    सनाया शिवानी धीरे-धीरे अब कॉलेज के एकदम करीब आ गए थे गेट पर खड़े दोनों गार्डों की तरफ देखते हुए सनाया रहती है " उधर देख अब क्या करेंगे कैसे जाएंगे शिवानी इधर-उधर देखने के बाद सनाया से कहती है सुन कल मैं गार्डन एरिया में गई थी तो वहां पर मैंने वॉल्स पर कुछ हैंगिंग्स देखी थी हम उसको पकड़ कर ऊपर चढ़ सकते ह...


    दोनों दबे पांव गार्डन एरिया की तरफ से आने लगते हैं वह बाउंड्री के पास पहुंचकर उसे हैंगिंग के ऊपर पैर रखकर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे पर सनाया उसे पर नहीं चढ़ पा रही थी शिवानी ने कहा रुक जा मुझे चढ़ने दे मैं ऊपर से तुझे खींच लूंगी यह कहकर वह झट से ऊपर चढ़ जाती है और फिर
    सनाया को ऊपर खींच लेती है ....दोनों चुपके से कॉलेज में उतर तो गई थी पर उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह जाए किधर तब तक उन्हें परछाई दिखाई दी जिसे देखते हो दोनों झाड़ियां के पीछे छुप गई सनाया उसे परछाई को देखते हुए कहती है "


    "मैंने कहा था ना भूत होते हैं यह देख देख भूत भी 6 फुट का मार खाएगा हमें प्लीज शिवानी चल यहां से प्लीज चल मेरी मां शिवानी सनाया का हाथ पकड़ कर उसे बिठाते हुए कहती है चुपचाप करके बैठ जा वह भूतनी को इंसान है पर वह इतना रात को कॉलेज में साल से खुद को छिपाए क्या कर रहा है। ।


    इतनी गर्मी में भी उसने शॉल ले रखी है कुछ तो लोचा है इस पर सनाया रहती है पक्का वह चोर होगा हमारे कॉलेज में चोरी करने आया होगा मैं जासूसी मूवीस में देखा है चोर ऐसे ही आते हैं ....


    "शनाया क्या यार प्लीज अब चुप कर जा सुन हम उसे फॉलो करेंगे और हां प्लीज अभी थोड़ी देर के लिए कुछ मत बोलना सनाया शिवानी दोनों उसे इंसान के पीछे-पीछे जा रहे होते हैं तब तक शिवानी को कुछ एहसास होता है शिवानी सनाएं से कहती है " तुझे वह आवाज सुनाई दे रही है...? कौन सी आवाज..? अरे एक लड़की मुझे बुला रही है क्या बोल रही है तू ...? मुझे तो कोई अभी आवाज नहीं सुनाई दे रही कहीं सच में कोई भूत तो नहीं है चुप कर यार मैंने कितनी बार बोला है कि
    २१ सेंचुरी में भूत नहीं होते ।।।
    छोड़ मेरा वहम होगा हमें यहां से जाना चाहिए उसे आदमी के पीछे पर वह आदमी गया कहां शिवानी अपनी निगाहें चारों तब दौड़ती है पर वह आदमी नहीं दिखता फिर वह दोनों धीरे-धीरे रिस्ट्रिक्टेड एरिया की तरफ जाने लगते हैं ...।



    तब तक उसे किसी की बोलने की आवाज सुनाई देती है वह दोनों तुरंत नीचे बैठ जाती है शिवानी सनाया से कहती है तू यहीं रुक मैं देख कर आता हूं कौन है वहां से निकल जाती है सनाया उसे रोक रही थी पर शिवानी उसकी एक नहीं सुनती शिवानी दबे पांव वाल के पीछे जाती है और वह आदमी को बात करते हुए सुनना चाहती थी पर उस तक उसकी आवाज नहीं आ रही थी शिवानी थोड़ा सा झुक करके देखते हैं और देखते हैं उसकी आंखें खली की खुली रह जाते हैं वह अपने निगाहें के सामने हो रही चीजों को देखकर के स्तब्ध थी

    "मुझे लगा ही था ये इसी का कम हो सकता हैं,...। शिवानी अपनी निगाहें बड़ी करके देख रही होती है वह लोग अब शिवानी के करीब आ रहे थे इसका एहसास होती वह दीवाल में और चिपकने लगती है तब तक वह आदमी कहता है "सुनो उसको जला देना और गलती से भी वह किसी के हाथ नहीं लगना चाहिए वरना हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी यह कहकर वह वहां से चला जाता है उसके जाते ही शिवानी दूसरे आदमी का पीछा करने लगती है तब तक उसके पीछे से...
    सनाया जाकर उसे के ऊपर हाथ रख देती है शिवानी जोर से चिल्लाने वाली थी कि शनाया ने उसका मुझ बंद कर दिया

    हाथों से उसके मुंह को बंद करते हुए कहा "अरे मेरी मां मैं हूं चुप कर जा सब जान जाएंगे " शिवानी उसका हाथ हटाते हुए गहरी सांस लेकर रहती है "तुझे मैं वहां रुकने के लिए कहा था ना यहां पर बहुत खतरा है तू अभी यहां से जा शनाया"

  • 16. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 16

    Words: 1128

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुनकर शिवानी मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा बाबा हम नहीं जाएंगे अब अभी घर चले बहुत लेट हो गया है हां हां चलो चलते हैं यह कहकर चारों अपने-अपने हॉस्टल की तरफ निकल जाते हैं अभी भी शिवानी के दिमाग में चांदनी से रिलेटेड बातें चल रही थी आखिर क्या हुआ कैसे हुआ और अब यह भूत बंगला शिवानी के मन में जिज्ञासा होती वह वहां पर जाना चाहती थी


    शनाया डरते हुए बोलती है "नहीं खतरा होने दे मैं तुझे ऐसे अकेले छोड़कर नहीं जाऊंगी तब तक शिवानी की निकाह दूसरी तरफ पड़ती है शिवानी और सनाया अपने सामने के दृश्य को देखकर स्तब्ध रह जाते हैं ...!



    वहां से कुछ आदमी जा रहे थे उनके हाथ में बड़े-बड़े बक्से थे और उन बक्सों से खून गिर रहा था यह देखकर शिवानी कहती है देखो अपने भूत को यह लोग हैं असली भूत न जाने इस बक्से में क्या लेकर जा रहे हैं सनाया की हालत खराब हुई पड़ी थी वह शिवानी से कहती है हमें यहां से चलना चाहिए शिवानी उसकी एक नहीं सुनती की तब तक शिवानी अपना फोन निकलती है और वह उनका फोटो क्लिक करने के लिए फोन आगे करती है वह जैसे ही फोटो क्लिक करने की कोशिश करती है उसके फोन पर कॉल आ जाता है



    कॉल उन लोगों का ध्यान उनकी तरफ खींच लेता है वह आदमी अपना सामान रखकर चिल्लाते हुए कहते हैं कौन कौन है वहां पर यह देखकर शिवानी सनाया क्या हाथ पकड़ते हुए कहती है सनाया भाग हम पकड़े गए पीछे-पीछे वह आदमी आ रहे थे आगे आगे शिवानी भाग रहे थे वह दोनों जल्दी से बाउंड्री क्रॉस करके रोड के साइड आते हैं भागते हुए दोनों अंधेरे में जा ही रहते हो किसी से टकरा जाते हैं और वह दोनों सामने खड़े इंसान को देखकर के कहते हैं दिखता नहीं क्या अंधेरे में ऐसी कौन चलता है तब तक पीछे से आवाज आती है कौन-कौन था कौन है वहां पर वह उसकी आवाज सुनते उसे आदमी के पीछे खड़े हो जाते हैं वह आदमी सामने से आ रहे लोगों को देखकर के कहता है कोई नहीं है यहां पर तुम लोग जो उसे आदमी की आवाज सुनकर वह लोग पीछे हो जाते हैं और धीरे से कहते हैं जी सर यह कहकर वह लौट जाते हैं सनाया और शिवानी आश्चर्य में थे कि उसे आदमी की एक वह कहने पर वह आदमी पीछे क्यों हो गए शनिवार शिवानी लंबी सांस लेते हुए इस आदमी का थैंक यू कहती है शिवानी रहती है थैंक यू आपने बचा लिया वरना आज हम पकड़े जाते वह आदमी मुस्कुराते पर पूछता है पर तुम लोग ऐसे अंधेरे में भाग क्यों रही थी शिवानी कहती है बड़ी लंबी कहानी है कभी आराम से बताऊंगी बाय द वे थैंक यू आपका नाम

    मोहित आहूजा क्या सुनते ही शिवानी और सनायश तब्ध रह गई सॉरी सर आप यहां हां हम और आप दोनों इतने अंधेरे में कर क्या रही थी सर वह दरअसल हम ऐसे यहां से गुजर रहे थे तो सोचा कि कॉलेज टूर ले लेते हैं और बस चुपचाप कॉलेज में घुस गए थे तो गार्डों ने देख लिया हम भागते हुए यहां पर आ गए सॉरी सर आगे से ऐसा नहीं करेंगे सनाया भी शिवानी के हम ही में हां भरते हुए कहते हैं हां सर हम आगे से ऐसा नहीं करेंगे इस पर वह आदमी मुस्कुराते हुए कहता है चल तुम लोग को डरने और परेशान होने की जरूरत नहीं है


    मैं कुछ नहीं कह रहा तुमसे वेल मैं रात को निकाला था चाय पीने अगर तुम लोग चाहे तो साथ में चाय पी सकते हैं वैसे भी मैं अकेले बोर हो रहा हूं मुझे कंपनी मिल जाएगी शनिवार शिवानी झट से चाय पीने के लिए हां कर देते हैं वह दोनों मोहित के साथ पास वाले टपरी पर चले जाते हैं वहां पर पहुंचकर मोहित उन दोनों के लिए दो चाय मांगता है



    तीनों बैठकर चाय पी रहे थे कि मोहित उनके बारे में जानने की कोशिश करता है तब तक शिवानी बताती है सर मैं एक गांव से आई हुई लड़की हूं मेरा गांव यहां से काफी दूर है और शनाया आप कहां से हैं सनाया बताती है कि मैं भागलपुर से हूं यहां पर बस अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए आ गई हूं पढ़ाई क्या पढ़ाई तक बहना है मुझे फ्रीडम चाहिए था यह सुनकर मोहितमुस्कराने लगता है


    बस चाय वाले भैया को देखकर कहता है भैया जरा लाइट तो चलाइए चाय में कुछ चला गया है तो चाय वाला अपने टपरी के दुकान का लाइट ऑन कर देता है वह लाइट ऑन कर देता है मोहित का लाइट चाय वाले के नाम पर चलाना एक बहाना था वह वास्तव में दोनों लड़कियों को देखना चाहता था जैसे ही लाइट जलती है उसके निगाह शिवानी पर जाती है शिवानी चाय का कप पड़े हुए कहीं घूम थी उसके चेहरे पर आ रहे हैं बाल और हल्की हवाओं के साथ उसके बाल लहरा रहे थे उसका नेचरली चेहरा इतना गला कर रहा था कि उसको देखकर के मोहित उसके ऊपर फिदा होजाता है तब तक शनाया धीरे से चुटकी बजाते हुए कहती है सर आप कहीं घूम गए क्या मोहित तुरंत अपने सेंस में आ जाता है और मुस्कुरा कर कहता है नहीं मैं यहीं पर हूं चलो अब तुम लोग जो कल कॉलेज में मिलता हूं



    यह कहकर मोहित वहां से उठकर चला जाता है मोहित के जाने के बाद शिवानी कुछ चांदनी की याद आ रही थी पर वह बस धीरे-धीरे खुद को रोक रही थी तब तक शिवानी बोल पड़ती है मोहित सर हॉट है ना बिल्कुल ड्रीम बॉय की तरह डार्क हैंडसम ताल मैस्क्युलिन ओर उनकी हल्की बर्ड्स हाय मैं तो उनकी दीवानी हो गई और ऊपर से उनकी मेली वाइस लड़की होते हैं और उनकी आंखों देखी तूने कितनी गहरी और कितनी प्यारी थी ऊपर से नीली आंखें आज के टाइम पर किसकी ही होती है यह सुनते ही सनाया शिवानी के हाथों पर झापड़मारते हुए कहती है शर्म कर ले वह हमारे प्रोफ़ेसर है उनके ऊपर गांधी निगाह डालते हैं लड़की बहन तो निगाह की बात कर रही है मैं तो आज रात सपने में न जाने क्या-क्या करूंगी उनके साथ चुप कर जा यह कहकर शिवानी वहां से उठ जाती है उसको उठ कर जाता देख सनाया हंसते हुए कहती है हम सॉरी मैं मजाक कर रही थी पर यह बता तू तभी तूने क्या देखा था जो तू इतनी शौक में रह गई थी सनाया के बातों को सुनकर शिवानी को फिर से वहां उसे लड़के को देखने का एहसास हुआ वह अपने मन में बडबडाते हुए कहती है मुझे पहले से शक था उसे पर वह ऐसा ही कर सकता है और यह कहकर वह सनाया से कहती है नहीं कुछ नहीं मैं बस ऐसे ही सोची थी चलो चलते हैं बहुत लेट हो गया है

  • 17. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 17

    Words: 1182

    Estimated Reading Time: 8 min

    वह दोनों वहां से चली जाती हैं दोनों अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी सनाया तो अब मन सो गई थी पर शिवानी को नींद नहीं आ रही थी कॉलेज में देखे उन चीजों को देखते हुए उसकी अजीब सा लग रहा था वह बातें उसे खटक रही थी वह अपने मन में बडबडाते हुए कहती है आखिर माजरा है क्या यह कारण सर इतने मिस्टीरियस क्यों लगाते हैं और आज वहां पर वह कर क्या रहे थे




    छोड़ शिवानी सो जा कल सुबह इसके बारे में पता करेंगे यह कहकर वह सो जाती है अगले सुबह शिवानी नींद में ही होती है कि तब तक शनाया चिल्लाते
    हुए उठती है शिवानी उठ उठ शिवानी शिवानी अपने कंबल को खींचते हुए कहती है सोने देना अभी कॉलेज जाने में टाइम है अरे मेरी मां पुलिस आई हुई है ऊंचा यह सुनते ही शिवानी के आंखों की नींद उड़ गई उठ कर बैठ जाती है और सुनाई की तरफ देखते हुए कहती है क्या पुलिस यहां क्यों अरे कल रात में एक लड़की का मर्डर हुआ है रिस्ट्रिक्टेड एरिया में और उसे लड़की की डेड बॉडी पूरी तरीके से जली हुई है पुलिस को कल रात वहां पर हमारा आईडी कार्ड मिल गया था तो बस वह उसी के छानबीन के लिए आई है नीचे वह तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं सनाया शिवानी बिस्तर से उठकर के सीधा नीचे आते हैं नीचे हर कोई उन दोनों को अजीब से निगाहों से देख रहा था सनाया आगे बढ़कर जाती है तो इंस्पेक्टर सुशील आगे बढ़कर आते हैं मिस शिवानी आप कल रात वहां क्या कर रही थी हमने आप दोनों को सीसीटीवी कैमरे में भी वहां से भागते हुए देखा है सर दरअसल कल रात हम बस ऐसे ही कैंपस घूमने के लिए गए थे हम यहां पर नए आए थे तो हमें कैंपस देखना था शिवानी की बातों में सनाया भी हां में सर हिला देती है तब तक इंस्पेक्टर कहते हैं आपने कुछ वहां पर अजीब नोटिस किया सनाया आगे बढ़कर बोलते ही वाली थी पर शिवानी ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा नहीं सर हमने कुछ अजीब नोटिस नहीं किया तब तक पीछे से आवाज आती हैएक्सक्यूज में इंस्पेक्टर यह लड़कियां निर्दोष है कि वहां पर मेरे साथ थी आपको यकीन ना हो तो आप नुक्कड़ के सीसीटीवी फुटेज को देख सकते हैं हमने साथ में बैठकर चाय भी पिया था दरअसल यह कल रात कैंपस घूमने आई थी इनको मैने ही बुलाया था आपको अगर कोई और सवाल जवाब करना है तो आप मुझे कर सकते हैं पर मेरे स्टूडेंट को मत परेशान करिए इंस्पेक्टर सामने खड़े इंसान को देखकर के कहता है सॉरी सर हमें पता नहीं था कि यह आपके साथ थी वरना हम इसे कुछ पूछने ही नहीं आते दरअसल कल साइट पर इनका आईडी कार्ड मिला था तो बस मैं वही
    अब तो आपको कंफर्म हो गया ना कि यह वह नहीं है तो आप यहां से जा सकते हैं मोहित इंस्पेक्टर को जाने के लिए कहा इंस्पेक्टर मोहित की बात सुनकर वहां से चले जाते हैं इंस्पेक्टर के जाते ही सुनाया और शिवानी एक राहत की सांस लेती हैं







    तुमने उन्हें बताया क्यों नहीं? कल बॉक्स में जो था। शिवानी सुनाए की तरफ देखते हुए कहती है, "पागल है, इसमें तू भी पकड़ी जाती है और मैं भी। हमारे पास कोई सबूत नहीं था, और यह कॉलेज के लोग बहुत बड़े-बड़े लोग हैं। कोई भी कॉलेज वाले अपने नाम को खराब होते हुए नहीं देख सकते, वो हमारी आवाज को दबा देते और कल को हम गुनहगार बन जाते।"
    शिवानी की बात सुनकर शनाया हमेशा हिलती है। शिवानी धीरे से कहती है, "शनाया, कुछ भी हो जाए, इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए।"
    शनाया मुस्कुराते हुए कहती है, "बहन, तो चिंता मत कर, यह बात मैं ऐसे हजम कर जाऊंगी, कुछ पता ही नहीं होगा।"
    वह दोनों आपस में बात कर ही रही होती हैं कि मोहित उनके पास आ जाता है। मोहित शिवानी की तरफ देखते हुए कहता है, "तुम परेशान मत हो, तुम दोनों को कुछ नहीं होगा। मैं इंस्पेक्टर से बात कर लूंगा।"
    शिवानी धीरे से कहती है, "थैंक यू सो मच, सर, आपने हमें बचा लिया।"
    मोहित मुस्कुराते हुए कहता है, "इट्स ओके। चलो, अब जल्दी से रेडी होकर कॉलेज आ जाओ।" यह कहकर मोहित वहां से चला जाता है। मोहित अपने कार में बैठते ही, उसकी नजर फिर से हॉस्टल की तरफ जाती है। बालकनी में शिवानी खड़ी होती है। वह शिवानी को एक तक देखे जा रहा था और देखकर बस मन ही मन मुस्कुराए जा रहा था।
    तब तक गाड़ी के हॉर्न की आवाज आती है। मोहित फिर से अपने सेंस में आ जाता है और वह गाड़ी में बैठकर निकल जाता है। मोहित के जाने के बाद शनाया और शिवानी भी कॉलेज के लिए निकल जाती हैं। वह दोनों जैसे ही कॉलेज पहुंचती हैं, स्माइली और शुभम उनका इंतजार कर रहे होते हैं।
    स्माइली और शुभम उनके पास जाते हुए कहते हैं, "कल तुम लोग कॉलेज आई थीं और हमें बताया नहीं। वह तो हम बस रात को कॉलेज देख रहे थे।"
    शनाया ने पट से बोल दिया, "इस पर स्माइली चिड़ते हुए बोली, 'हां, और आज जो कांड हुआ है, उसमें तुम्हारा भी नाम आ गया था। अच्छा हो कि मोहित सर ने तुम्हें बचा लिया।'"
    तुमने सुना? स्माइली ने मुस्कुराते हुए बोला।
    शनाया मुस्कुराते हुए बोली, "हां यार, आज तो सर ने बिल्कुल हीरो की तरह एंट्री मारी है। आई विश ऐसे ही एंट्री मारते रहें।"
    शिवम, शनाया को देखकर कहता है, "वह तो उनके प्यार में पड़ रही है क्या? वह बहन दूर रहना, ऐसी चीज बस फ्रिक्शन स्टोरी में होती है - प्रोफेसर से प्यार और यह सब। रियल लाइफ में कभी पॉसिबल नहीं है।"
    यह सुनकर शनाया हंसते हुए बोलती है, "वेरी फनी, पर मजा नहीं आया। तू भी तो दिखने में गया लगता है, पर यह तो है नहीं ना। तो कौन जाने, क्या पता मोहित सर मुझसे प्यार कर ले!"
    शिवम यह सुनते ही गुस्से में बोलता है, "रिएक्शन आया! ऐसे मजाक दोबारा मत करना, वरना मैं तुझसे बात नहीं कर रहा।"
    वह दोनों आपस में लड़ रहे होते हैं कि स्माइली उन दोनों को मार्केट हुए कहती है, "उधर देखो, ये महारानी किस ख्याल में गुम हैं..."
    तब तक स्माइली शिवानी की तरफ देखते हुए कहती है, "क्या हुआ मैम, कहां गुम हो? किसी पर दिल विल आ गया क्या? ब्रेकअप का चक्कर है?"
    शिवानी हल्का सा मुस्कुराते हुए कहती है, "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, बस मैं बोर हो रही हूं।"
    तब तक शिवानी को फिर से वह आवाज सुनाई देने लगती है। शिवानी सबको रोकते हुए कहती है, "तुम्हें वह आवाज सुनाई दे रही है? क्या? कौन सी आवाज? कैसी आवाज?"
    "हमें तो कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही," तब तक शिवम कहता है, "नहीं नहीं, मुझे सुनाई दे रही है, पंछियों की, पेड़ों की।"
    शिवानी शिवम के सर पर टकली मारते हुए कहती है, "पागल हो क्या?"
    एक लड़की की आवाज साफ तो नहीं है, पर जैसे वह किसी मुसीबत में है, वह रो रही है।"
    "बहन, तुझे सदमा सदमा लगा है, कल रात का, कुछ भी बोले जा रही है!"

  • 18. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 18

    Words: 1361

    Estimated Reading Time: 9 min

    तब तक शनाया मुस्कुराते हुए कहती है, "और सोचो, रात भर, कल रात की मैम सोई नहीं हैं, ना सोने की वजह से ऐसा होता ही है।"
    तब तक शिवानी का ध्यान सामने खड़े करण पर जाता है। वह रुक जाती है और कल रात के हाथ से कुछ याद करने लगती है। करण अब शिवानी की तरफ आ रहा था। शिवानी उसे देख कर दूसरे तरफ जाने लगती है, लेकिन करण आगे बढ़कर शिवानी का हाथ कसकर पकड़ लेता है।
    यह देखकर स्माइली, शनाया और शुभम आगे बढ़ते हैं, पर करण उन्हें ठंडी आंखों से देखता है। वह डरकर पीछे हो जाते हैं। करण धीरे से कहता है, "तुम लोग जाओ, यहां से।"
    करण की आवाज सुनकर वे लोग वहां से चले जाते हैं। करण शिवानी का हाथ पकड़कर एक साइड लेकर आता है। उसने शिवानी का हाथ बहुत कसकर पकड़ रखा था। शिवानी चीखते हुए कहती है, "हाथ छोड़िए! क्या बदतमीजी है! हमें दर्द हो रहा है!"
    पर करण शिवानी की एक बात नहीं सुनता। वह उसके हाथ को और कस के मरोड़ने लगता है। अब शिवानी को असहनीय पीड़ा हो रही थी। वह चिल्लाते हुए कहती है, "आप पागल हो! क्या? छोड़ो मुझे! वरना ठीक नहीं होगा!"
    करण उसे खींच कर ले जा रहा था, और शिवानी गुस्से में अपने नाखूनों से करण के हाथ को घसीटने की कोशिश करती है।


    क्या करण शिवानी को कुछ नुकसान पहुँचाएगा? क्या मोहित और बाकी लोग समय पर आ पाएंगे? यह सवाल सभी के मन में गूंज रहे थ




    ---

    हाथ-पैर रख देती है और उसे ज़ोर से दबा देती है। नाखूनों के डसने की वजह से करण चिल्लाकर शिवानी का हाथ छोड़ देता है। शिवानी अपने हाथ को सहलाते हुए कहती है, “साइको कहीं के! कल तो क्लास में बड़े लेक्चर दिए जा रहे थे! आपको पता नहीं क्या, एक स्टूडेंट के साथ कैसे बिहेव करना होता है?”

    करण गुस्से में शिवानी को घूरते हुए उसके करीब जाने लगता है। शिवानी धीरे-धीरे अपने पैरों को पीछे खींचने लगती है, लेकिन करण एक भी कदम पीछे नहीं हटता। वह उसे और करीब आ जाता है, और शिवानी दीवार से लग जाती है। करण उसके साइड पर हाथ रखते हुए गुस्से में चिल्ला कर कहता है, “तुम्हें साफ-साफ शब्दों में बताया गया था कि रिस्ट्रिक्टेड एरिया में नहीं जाना है! वहां इतने बड़े बोर्ड पर लिखा हुआ है! फिर कल रात तुम रिस्ट्रिक्टेड एरिया में क्यों गई?”

    शिवानी यह सुनते ही अपनी नज़रें इधर-उधर करने लगती है। करण जोर से दीवार पर हाथ मारते हुए कहता है, “मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूं! कल रात रिस्ट्रिक्टेड एरिया में क्यों गई?”

    शिवानी घूरकर करण को देखती हुई कहती है, “आपसे मतलब! आप भी तो कल रात वहीं थे। शो लोड करके! और आप शायद भूल रहे हैं, मैं भी सुन लिया था कि लड़की को आपने नहीं जलाया है ना आपने शादी से कहा था। ना देखिए मिस्टर, अपनी जूस इनोसेंट लड़की के साथ किया है... उसकी सजा तो मैं आपको दिल के रहूंगी! बस एक बार मेरे हाथ सबूत लगने दीजिए!”

    शिवानी का हाथ ऊपर उठता है, और करण की निगाह उसके दाएं हाथ पर जाती है। वहां एक तिल बना होता है, जिसे देखते ही करण गुस्से में उसे घूरते हुए कहता है, “तुम्हारे लिए अच्छा होगा कि तुम उसे जगह से दूर रहो! और तुम्हें जो करना है, जाकर करो! सबूत ढूंढो, या भाड़ में जाओ! अगर दोबारा मुझे तुम्हें उस जगह पर दिखी, तो तुम्हारे लिए खैर नहीं होगा!”

    करण की बात सुनकर शिवानी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। उसके हाथ में हो रहे दर्द को वह देखते हुए रोने लगती है, और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। रोने की वजह से उसका हाथ लाल हो जाता है। वह घूरते हुए कहती है, “करण, तुमने सही नहीं किया! यू हैव टू पे फॉर थिस!”

    तब तक, शिवानी और शुभम दौड़ते हुए मोहित के पास पहुंचते हैं। मोहित उन्हें देखकर शांत करते हुए कहता है, “क्या हुआ? तुम क्यों इतना तेज़ से भाग रहे हो?”

    “सर, करण सर शिवानी को लेकर कहीं पर गए हैं। आई होप कुछ तो गड़बड़ है! प्लीज़ जाकर उनकी हेल्प करिए, सर, प्लीज़!”

    यह सुनकर मोहित दौड़ते हुए गार्डन एरिया की तरफ जाता है। वहां पहुंचकर वह देखता है कि शिवानी जोर-जोर से रो रही है। वह आगे बढ़कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है, “क्या हुआ? क्यों रो रही हो?”

    शिवानी को जैसे ही एहसास होता है कि मोहित उसके बगल में बैठा है, वह अपनी आंखों से आंसू पोंछ लेती है। यह देख मोहित अपने जेब से हैंडकीचफ निकालता है और शिवानी को देते हुए कहता है, “यह लो, इससे साफ कर लो।”

    शिवानी हाथी को लेती है और अपने आंसुओं को साफ करती है। फिर मोहित उससे पूछता है, “क्या हुआ? रो क्यों रही हो? करण ने कुछ कहा क्या?”

    शिवानी सिर हिलाती है। रोने की वजह से शिवानी का पूरा चेहरा लाल हो चुका था, बिल्कुल टमाटर की तरह। मोहित उसे देख कर सोचता है, "कितनी नाजुक है यह! रोने की वजह से इसके पूरे चेहरे पर लाल निशान पड़ गए हैं!"

    तब तक मोहित का ध्यान शिवानी के हाथों पर जाता है। वह उन्हें देखते हुए कहता है, “यह कैसे हुआ? किसने किया? तुम्हारे हाथ काले कैसे पड़ गए हैं? ये उंगलियों के निशान…”

    शिवानी झट से अपना हाथ उसके पास से हटा लेती है और चुपचाप वहां से उठकर चली जाती है। मोहित को समझ आ जाता है कि क्या हुआ है। वह तुरंत उठकर सीधा करण के केबिन की तरफ चला जाता है। केबिन में करण अपनी फाइलों को चेक कर रहा होता है। मोहित उसके टेबल पर जाकर जोर से हुक्का मारते हुए कहता है, “तुझे कितनी बार कहा है, अपने गुस्से को कंट्रोल कर! तुझे समझ नहीं आता क्या? तूने उसे लड़की के साथ ऐसा क्या किया कि उसका हाथ पूरा काला पड़ गया?”

    करण गुस्से में, मोहित की ओर देखता है और कहता है, “तुझे क्या प्रॉब्लम है? कुछ भी करो, प्रॉब्लम है? मेरे गुस्से से तुझे क्या लेना-देना है?”

    “प्रॉब्लम, करण! दूसरा इको है! तेरा गुस्सा है! और तुझसे कितनी बार मैंने कहा है कि अपने गुस्से पर काबू रख! गलती से किसी को तेरे बारे में पता चला ना, तो तू जानता नहीं क्या होगा!”

    करण गुस्से में टेबल को जोर से खटखटाते हुए कहता है, “मैं समझदार हूं! तुम्हें समझने की जरूरत नहीं है! कल रात तुमने जो किया, तुम्हें अंदाजा भी है? ऐसे सरेआम लड़कियों के साथ यह सब नहीं करते! मैं कब तक तुम्हें बचाता रहूंगा?”

    वह तो अच्छा हुआ कि कल रात मैंने उन दोनों को हॉस्टल से यहां आते हुए देख लिया था। और उन्हें तुम्हारे पास से हटा दिया। मेरे भाई, अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं जी नहीं पाऊंगा! तुम सब जानते हो, फिर भी तुम ऐसा क्यों करते हो? कितनी बार समझाया है कि अपने गुस्से पर काबू रखो! हम इंसानों की दुनिया में हैं, हमारी दुनिया से बिल्कुल अलग है। यह दुनिया तुम्हें यहां के तौर-तरीके सीखने होंगे!”

    मोहित की बात सुनकर करण बिना कुछ बोले वहां से चला जाता है। करण गुस्से में उठता है और क्लास में जाकर लेक्चर लेने लगता है। हर कोई बस करण को देखकर डर रहा था, क्योंकि करण पहले से ही बहुत गुस्से में लग रहा था। वह आते ही कुछ लड़कों से झड़प कर देता है, और जब वे सवालों के जवाब नहीं दे पाते, तो उन्हें गंदे तरीके से डांटता है। उसे इस कदर डांटा देखकर, हर कोई आपस में बड़बड़ाते हुए कहता है, “आज तो हम सब नहीं बचने वाले! करण सर बहुत गुस्से में लग रहे हैं!”

    तब तक करण शिवानी की तरफ देखता है। शिवानी को देखते हुए वह उसे सवालों की झड़ी लगाने लगता है। इतने सवालों को सुनकर, शिवानी हैरान थी, और उसके पास सारे सवालों का जवाब था। वह चुपचाप उन सवालों का जवाब देती जा रही थी। यह देखकर करण अपने हाथ को मसलते हुए उसे तिरछी निगाहों से देखता है। शिवानी एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहती है, “सर, अभी और पूछना है?”

    करण चुपचाप अपनी किताबें समेटता है और वहां से बाहर चला जाता है। बाहर जाकर वह बालकनी में खड़ा होकर एक गहरी सांस लेता है। तभी उसकी नाक में कुछ खून की खुशबू महसूस होती है…

  • 19. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 19

    Words: 1157

    Estimated Reading Time: 7 min

    ---

    करन बालकनी में खड़ा था... ठंडी हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी। उसने गहरी सांस ली... तभी उसकी नाक में एक अजीब, तेज़—और बेहद जानी-पहचानी—खुशबू घुल गई।

    खून...!

    उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। रगों में सनसनी दौड़ गई।

    "ये... खून की खुशबू है!"
    वह बड़बड़ाया—"मुझे मोहित को रोकना होगा... कहीं उसने फिर से कुछ..."

    कहते ही वो लपककर सीढ़ियों से नीचे भागा। उसके कदम तेज़ हो चुके थे, पर दिल की धड़कन उससे भी तेज़... एक अनजाना डर उसे घेर रहा था।

    जैसे ही वह मोहित के कमरे में पहुँचा, दरवाज़ा जोर से खोला—
    "मोहित! तुम ठीक तो हो?!"

    पर सामने जो था, वो किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
    मोहित... एक कोने में बैठा हुआ था। उसके हाथों में मांस का टुकड़ा था... और वह उसे ऐसे खा रहा था जैसे महीनों से भूखा हो!

    "ये... ये क्या कर रहे हो तुम?!" करन चिल्लाया।
    "ये किसका मांस है, मोहित?!"

    मोहित अब भी मांस खाता जा रहा था... बेफिक्र, बेकाबू।

    करन तेजी से बढ़ा, और उस खून सने टुकड़े को उसके हाथ से छीनकर फेंक दिया।
    "बस करो!"

    मोहित ने गुस्से में उसकी ओर देखा—उसकी आंखें पूरी तरह नीली थीं, दांत बड़े-बड़े, बाहर निकले हुए... और उसकी त्वचा का रंग तक बदल गया था!

    करन कांप उठा... उसने मोहित के हाथ की तरफ देखा—ब्रेसलेट गायब था!

    "तुम कितने लापरवाह हो मोहित!" वह चीखा।
    "तुम्हें पता भी है, वो ब्रेसलेट कितना ज़रूरी है? अगर किसी ने जान लिया कि हम इंसान नहीं हैं, तो..."
    "हम कभी अपने लोग के पास नहीं लौट पाएंगे!"

    पर मोहित अब भी अपने ही अंदर गुम था।

    करन ने झट से अपना ब्रेसलेट उतारा... और मोहित के हाथ में डाल दिया।

    एक पल के लिए... जैसे सब कुछ थम गया हो।

    मोहित की आंखें फिर से सामान्य हुईं, दांत गायब... चेहरा शांत।
    सब कुछ वापस सामान्य हो गया... लेकिन करन?

    उसके लिए खून की महक अब असहनीय थी... वो खुद को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा था।

    मोहित ने उसे देखा, उसकी हालत को समझते हुए कहा—
    "तुमने ऐसा क्यों किया...? चलो, यहां से चलते हैं..."

    पर करन का ध्यान अब भी मांस की ओर खिंच रहा था।

    मोहित ने झट से उसका हाथ पकड़ा और उसे कमरे से बाहर खींच लिया।
    खुली हवा में आकर करन ने गहरी सांस ली... खुद को संभालने की कोशिश की।

    "मोहित!" करन चीखा,
    "तुम इतने गैरज़िम्मेदार कैसे हो सकते हो? ब्रेसलेट खो दिया? अगर किसी को हमारे होने का एहसास हो गया तो... हम बर्बाद हो जाएंगे!"

    "शैतानी शक्तियाँ कभी भी यहां आ सकती हैं... और अगर उन्होंने प्राणबूटी हमसे छीन ली, तो हम अपने लोक में कभी लौट नहीं पाएंगे!"

    मोहित चुप था... नज़रें झुकी हुईं।

    करन ने उसकी तरफ देखा, गहरी सांस ली और कहा—
    "तुम यहां रहो... अब सब संभालना तुम्हारा काम है। मैं... आता हूं!"

    कहते ही वह पलटा और अंधेरे में गुम हो गया।

    ...

    स्कूल के पीछे का एक रहस्यमयी रास्ता... और उसका छिपा हुआ दरवाज़ा।

    करन इधर-उधर देखता हुआ उसमें दाखिल हो गया।

    पर उसे नहीं पता था... पीछे कोई उसका पीछा कर रहा था।

    शिवानी... चुपचाप, दबे पांव... उसी के पीछे-पीछे उस पुराने घर में घुस गई।

    अंदर की हवा भारी थी। तस्वीरें, चीज़ें... धूल से जमी हुईं, मानो सालों से किसी ने उन्हें छुआ भी न हो।

    शिवानी बड़बड़ाई,
    "बाहर से तो ये जगह बड़ी लगती है... अंदर इतनी छोटी क्यों लग रही है?"

    "कल करन यहीं था... तो अब कहां गया?"

    वो दरवाज़े की ओर बढ़ी, उसे छूने ही वाली थी...

    तभी...

    पीछे से आवाज़ आई—
    "मिस चश्मिश... आप यहां क्या कर रही हैं?"










    यह सुनते ही शिवानी की आंखें चौड़ी हो जाती हैं, और माथे पर पसीना छलक आता है। वह दांतों तले उंगली दबाते हुए घबराकर बड़बड़ाती है,
    "पकड़े गए... अब तो ये खडूस मुझे नहीं छोड़ेगा!"

    "शिवानी, हम आपसे कुछ पूछ रहे हैं।"
    करन की आवाज़ सख्त हो चुकी थी।
    "आपको मना किया गया था न यहां आने के लिए? फिर भी आप आईं क्यों?"

    शिवानी की आवाज़ लड़खड़ा रही थी—
    "सर, वो... आपको भागते देखा तो मैं बस डर गई थी। और फिर... यहां पर कुछ था... मुझे डर लग रहा था..."

    "डरती हैं आप...?
    करन तीखे लहज़े में बोला—"ये बहानेबाज़ी यहां नहीं चलेगी! तुरंत यहां से जाइए... वरना इसके बहुत बुरे नतीजे हो सकते हैं!"

    शिवानी घबराकर वहां से दौड़ पड़ती है। बाहर आकर वो अपने माथे का पसीना पोंछती है और आगे बढ़ने लगती है।

    लेकिन तभी... फिर वही आवाज़।

    किसी के फुसफुसाने जैसी।

    वो रुकती है, इधर-उधर देखती है।
    "ये क्या... आवाज़ तो यहीं से आ रही थी!"

    शिवानी के कानों में कंपन तेज़ होने लगता है। वो अपनी कनपटी कस कर पकड़ती है, और आखिरकार घबरा कर चीख पड़ती है—
    "यह क्या हो रहा है मेरे साथ!"

    अचानक... उसके कंधे पर किसी का हाथ पड़ता है।

    और... वो आवाज़... शांत हो जाती है।

    शिवानी पूरी तरह पसीने से तर थी, सांसें तेज़। वो जैसे-तैसे होश में आती है और बगल में खड़े इंसान को देखती है।

    वो मुस्कुरा रहा था।
    "मैं तुम्हें जज नहीं करने वाला," उसने कहा।
    "कभी-कभी... हम सब थक जाते हैं।"

    वो अपनी जेब से एक रूमाल निकालकर शिवानी के हाथ में रखता है और फिर बोतल थमाते हुए कहता है,
    "लो, पानी पी लो... अच्छा लगेगा।"

    शिवानी कांपते हाथों से पानी पीती है, चेहरे को साफ करती है।
    पर जैसे ही वो बगल में देखती है—वो इंसान वहां से गायब था।

    कुछ पलों के लिए वो ठिठक जाती है... फिर मुस्कुराते हुए बड़बड़ाती है—
    "मोहित सर... कितने अच्छे हैं ना! बिना कुछ पूछे, मेरी मदद कर दी। थैंक यू तो बनता है... आज शाम को सर को बाहर चलने के लिए कहूंगी!"

    वो मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है।

    ...

    उधर... मोहित दौड़ते हुए घर लौटता है, जहां करन बैठा गहरी सोच में डूबा है।

    मोहित आते ही कहता है,
    "आई एम सॉरी, भाई... मेरी वजह से तुझे भी परेशानी हो रही है।"

    करन उसकी तरफ देखता है... लेकिन कुछ नहीं कहता, बस चुपचाप उठकर चलने लगता है।

    "यार प्लीज़ माफ कर दे..." मोहित पीछे से कहता है।
    "मुझे नहीं पता वो ब्रेसलेट कहां गया... लेकिन मैं ढूंढ लूंगा, वादा करता हूं!"

    करन रुकता है... गहरी सांस लेकर कहता है,
    "हमें अपने घर चलना है, मोहित... मां का फोन आया था। वो हमें बुला रही हैं।"

    मोहित की आंखें भर आती हैं। करन आगे जोड़ता है—
    "कई साल हो गए... उनसे मिले। वैसे भी तुम्हारी एक गलती ने हमारा पता उजागर कर दिया है। हमें कुछ समय के लिए यहां से दूर रहना होगा।"

    मोहित गुस्से से कहता है,
    "तो क्या हम डर जाएं उनसे? हम कौन हैं, ये मत भूलो!"

    करन गंभीर हो जाता है,
    "मुझे पता है हम कौन हैं, मोहित। लेकिन... तुम्हारे वैंपायर रूप में उस चीज़ को जिंदा कर दिया है। और अब वह... कभी भी यहां आ सकता है। अगर उसने हमसे हमारी शक्तियाँ छीन लीं तो... हम कभी नहीं लौट पाएंगे।"

    "और हमें अब तक वो लड़की भी नहीं मिली, जो हमारे लोक का द्वार खोल सकती है..."

    मोहित चुप हो जाता है।

  • 20. Rebirth of hell king and crimson queen - Chapter 20

    Words: 1096

    Estimated Reading Time: 7 min

    फिर वो अपने हाथ से एक गोल ऊर्जा उत्पन्न करता है और कहता है—
    "अगर वो हमारे आस-पास हुआ, तो ये गोला रंग बदल देगा। हम उसे मार नहीं सकते... पर हां, उसे कैद ज़रूर कर सकते हैं!"

    करन फट पड़ता है—
    "पागल मत बनो, मोहित! हमारे पास इतनी शक्ति नहीं है!"

    मोहित गुस्से से कहता है—
    "तुम मेरी सुनते ही कहां हो! 100 साल पहले भी नहीं सुनी... और आज भी नहीं। उसी वजह से हम इस समय में फंसे हैं!"

    करन अब गुस्से से दांत पीसता है—
    "फिर से शुरू मत हो! गलती तुम्हारी थी! अगर उस रात तुमने वो तलवार नहीं उठाई होती, तो हम आज यहां नहीं होते!"

    "करन! वो तलवार तुमने उठाई थी... मैं नहीं!"

    करन अब और नहीं सह पाता—
    "आज इसका भी फैसला हो जाएगा... किसने वो तलवार उठाई थी!"

    वो आंखें बंद करता है... और अपनी शक्तियों को जागृत करने लगता है। हवा में हलचल बढ़ जाती है। कमरे में कम्पन होने लगता है।

    एक युद्ध... अब तय था


    कारण अपनी शक्तियां जागृत कर रहा था मोहित को पता था कि अगर वह करण के साथ युद्ध में उतरा तो उन दोनों का सर्वनाश हो जाएगा उन दोनों की जिंदगी आपस में जुड़ी हुई है मोहित कारण को शक्तियां जागृत करने से रोकते हुए कहता है अच्छा ठीक है गलती मेरी थी पर इस बार हम भागेंगे नहीं हम उसका सामना करेंगे करण मोहित की बात सुनकर के खुद को शांत करता है और आने वाले खतरे से सामना करने के लिए हां कर देता है।



    इधर दूसरी तरफ आज मौसम बहुत ज्यादा तूफानी हो रहा था मानो कमरे में बैठी शिवानी और शनाया बाहर के मौसम को देखकर के आपस में बात करते हुए कहती हैं यह मौसम इतना डरावना क्यों हो रहा शनाया सनाया को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कड़कती बिजलियां गरजते बादलों की आवाज़  जरूरी किसी अन्याखे तूफान के आने की निशानी है अप्रैल के महीने में ऐसा तूफान आना थोड़ा सा अजीब लगता है शिवानी शनाया की बात सुनकर हमें कर हिलाते हुए बाहर की तरफ देखती हां देखो ना कि बस तूफान के आने की पहले की शांति है तूफान बहुत खतरनाक खाने वाला है


    तब तक शिवानी के सर में फिर से दर्द होने लगता है और इस बार वह आवाज और तेज हो रही थी शिवानी खुद के कान को बंद करते हुए चिल्ला कर कहती है मेरा कान फट जाएगा कोई इस आवाज को रुको यह कैसी आवाज आ रही है शनाया शिवानी को इस कदर तड़पता देख उसके पास जाकर केहती है क्या हुआ तुम इस कदर तड़प क्यों रही हो शिवानी तुम ठीक तो हो ना पर शिवानी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था पता नहीं शिवानी शनाया की तरफ देखते हुए कहती है मुझे एक लड़की के रोने की आवाज सुनाई दे रही है और वह आवाज इतनी दर्दनाक है कि मैं खुद के कानों को उसे बचा नहीं पा रही हूं  



    ऐसा लग रहा है जैसे वह किसी खतरे में है और मुझे बुला रही है मुझे जाना होगा शनाया मुझे जाना होगा शनाया मुझे जाना होगा ...!



    एक एकड़ शिवानी अपने बिस्तर से उठती हो सिद्ध कमरे से बाहर भागने लगती है सनाया भी इसके पीछे आ रही थी शिवानिया देख करके कमरे के गेट को बाहर से बंद कर देती है एम सॉरी सनाया पर मैं तुम्हें खतरे में नहीं डाल सकती यह कहकर वह जोर से बाहर भागते लगती है बाहर आते ही मौसम की रुख अब बदल रहे थे 30 डेज हवाएं बिजलियां तड़प रही थी जोर की बारिश होने वाली थी तूफानों का रुख मानो पल-पल बदल रहा था हवाएं चारों दिशाओं से आ रही थी शिवानी खुद के कान को बंद किए हुए बस उसे आवाज की दिशा में भाग रही थी शिवानी भागते भागते थक जाती है और वहीं जमीन पर बैठकर जोर से चिल्लाते हुए कहती है कि मेरे साथ क्या हो रहा है तब तक आसमान में जोर का तूफान आता है और देखते ही देखते पूरा आसमान बारिश भी पानी से भर जाता है और वह सैलाब मानो सबको बहा ले जाताशिवानी उसे बारिश के पानी में भीगते हुए आगे भागने की कोशिश कर रही थी पर ठंडी हवाएं उसको रोकने में लगी हुई थी तब तक आसमान से जोर की बिजली कड़कती है और वह सीधा शिवानी के ऊपर आकर गिर जाती है शिवानी कुछ समझ पति उससे पहले बिजली उसके ऊपर गिर जाती है वह चिल्ला कर वहीं बेहोश हो जाती है। .!


    इधर कारण और मोहित कॉलेज के बीचो-बीच खड़े हुए थे बड़ी तूफान में वह बस आसमान की तरफ देखे जा रहे थे करण ने मोहित का हाथ कस कर पकड़ लिया और उसकी तरफ देखते हुए कहा आज कुछ भी हो जाए हम एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ेंगे आज चाहे जितनी भी बुरी शैतानी शक्ति आ जाए हम उससे उसका सामना करके रहेंगे मोहित को थोड़ा सा डर लग रहा था वह परेशान होते हुए कहा पर हमें समझ तो आना चाहिए कि यह कौन सी शक्ति है बिना जाने हम उसे पर वार कैसे करेंगे करण ने मोहित की तरफ घूर कर देखते हुए कहा तुमने गुस्से में तभी शक्ति सूचक यंत्र बना दिया था वह उसे अपने जेब से निकलता है और उसे आसमान की तरफ दिखाते हुए कहता है जब कोई बुरी शक्ति हमारे आसपास होगी यह यंत्र में सूचना दे देगा




    तब तक कुछ यंत्र से जोर-जोर से आवाज आने लगते हैं और वह ग्लो करने लगता है उसकी गला करता देख मोहित और करण की आंखें फट जाती है और वह यंत्र थोड़ी देर में ब्लास्ट होकर टूट जाता है उसको टूट कर जमीन पर भी करता देख कारण मोहित को देखते हुए कहता है इस बार हमारा पाल किसी ऐसे से पढ़ने वाला है जिसके बारे में हमने ना सोचा न जाना है आखिर ऐसा कौन हो सकता है किसके पास है इतनी शक्ति जो शक्ति सूचक यंत्र को भी नष्ट कर दे इसका एक ही तरीका है हमें पुस्तकालय जाना पड़ेगा वहीं प्राचीन पुस्तकालय वही मिलेगा हमें हमारे सवालों का जवाब



    वह दोनों बारिश से बाहर निकाल कर पुस्तकालय की तरफ भागते हैं   वह दोनों रिस्ट्रिक्टेड एरिया में आकर के महल के अंदर जाकर अपने मित्रों का साथ में उच्चारण करते हैं कुछ मित्रों के उच्चारण के बाद वहां पर एक द्वार खुल जाता है उसे द्वारा से वह सीधा अंदर आ जाते हैं अंदर आते ही वह एक ऐसी जगह पहुंच जाते हैं जहां पर किताबों का संग्रहालय था अनेकों प्रकार की किताबें वहां पर पड़ी हुई थी ।




    मोहित उन किताबों को देखते हुए कहता है इतनी सारी किताबें हैं कैसे ढूंढेंगे उसे किताब को ...!