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Jaanleva mohabbat

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moni sharma

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यह कहानी एक अठारह साल की लड़की आरजू की हैं, जिसकी तक़दीर में न ही मां बाप का प्यार लिखा था और न बाकियों की तरह ज़िंदगी थीं, लेकिन फिर भी वो लोगों को खुश रखती थीं। वो बेहद खूबसूरत, मासूम, चंचल और खुशमिजाज स्वभाव की थीं। दुसरी तरफ़ एक गैंगस्टर जिस...

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Page 1 of 1

  • 1. Jaanleva mohabbat - Chapter 1

    Words: 889

    Estimated Reading Time: 6 min

    कोलकाता पश्चिम बंगाल..

    रात का वक्त था एक बड़े से हॉल में प्राइवेट पार्टी चल रहीं थीं, वहां का वातावरण संगीत की तीव्र धुनों से गूंज रहा था और साथ ही पूरा हॉल मध्यमा रोशनी से जगमगा रहा था। हॉल में लगभग कुछ पचास व्यक्ति मौजूद थें, जिनमें ख़ास तौर पर मर्द जोकि बड़े व्यापारी तो कुछ पॉलिटीशियन शामिल थें। उनके चेहरों पर सफलता की छाप थी और आंखों में विलास का रंग नज़र आ रहा था।

    जितनी भी युवतियां शामिल थीं, वे सब पेशे से एक कॉल गर्ल्स थें जिन्हें वहां के रहीसमंद के द्वारा बुलाया गया था, वे सब जवान, खूबसूरत और काम उम्र की थीं। हॉल में वेटर्स मेहमानों की खिदमत में लगे हुए थें, लेकिन उस समय किसी को न खाने की सुध थीं और ना पीने की, हॉल में मौजूद लोग की वासनापूर्ण निगाहें सामने प्लेटफार्म पर गढ़ी हुई थीं,

    जहां संगीत की धुन पर एक खूबसूरत युवती नाच रहीं थीं। युवती के जिस्म पर सिर्फ़ एक छोटा सा अंडरवियर और न के होने जैसा चोली था। उसकी लंबे घने रेशमी जुल्फें पीठ पर बिखरे हुए थें, कभी कभी वो अपने सिर को ज़ोर से झटक दे देती तो उसके जुल्फें चेहरे और लगभग नंग वक्ष पर बिखर जाते थे।

    जगमगाती रोशनी में उसका जिस्म संगमरमर की तरह चमक रहा था। वो न सिर्फ़ झूम झूम कर नाच रहीं थीं बल्कि अपनी अदाओं और हाथों के बेढंग एक्शन से शामिल लोगों को अश्लील इशारे कर रहीं थीं। उस डांसर के एक एक एक्शन से अधेड़ उम्र के व्यापारी तड़प उठते थें।

    उसी क्षण उस युवती ने अपने हांथ को लचकाते हुए अपनी पीठ पीछे ले जाकर चोली का हुक खोल दिया, और लोग आंखें फाड़े सांसें थामे लार टपकाने लगे, चोली खुल जाने के बाद भी उसके वक्ष पर अटकी रहीं लेकिन जैसे उसने पैरों को थिरकाया वो हल्की ढीली पड़ गई,

    बूढ़े क्या और जवान क्या सब शोर शराबे करने लगे और उसने अपनी चोली को खींच कर जिस्म से अलग किया और घुमा कर दूर एक कोने पर लगे टेबल के क़रीब बैठा एक अधेड़ उम्र के शख़्स की जांघों पर फेंक दिया।

    बस गिरने की देरी थीं और पूरे हॉल में तहलका मचा गया, उस आदमी ने उस चोली को उठा कर होंठों से लगा लिया फिर नाक के नज़दीक ला कर उसकी सुगंध लेने लगा। वो डांसर युवती बेहया की तरह हंसती हुई अपने उरोजो को हाथों से थामे गोल गोल संगीत की ताल पर ठुमकने लगी।

    वहां मौजुद लोगों के दिल की धड़कने तेज रफ्तार से भाग रहीं थीं, क्योंकि उसके ऐसे थिरकने से उसके उरोज उछल रहें थें। अब उस युवती ने अपने एक हांथ से अंडरवियर की ओर गंदे इशारे करते हुए छुने लगी।

    सभी दर्शक इसी आस में थें कि वो उसे भी उतार दे लेकिन उसने ऐसा नहीं किया वो बस अश्लील हरकतें करती और लोगों को रिझाती रहीं। रात की रंगबिरंगी लाइट्स वहां के माहौल को और खुशनामा बना रहीं थीं।

    वहां हॉल में न सिर्फ़ महंगी नशे, शराब, ड्रग्स से झुम रहें थें बल्कि और भी गैर कानूनी तरीके से काम को अंजाम दिया जा रहा था। वो डांसर युवती अब स्टेज से नीचे उतर आई और भीड़ में शामिल होकर ताल से ताल मिलाने लगी, कभी वो लोगों को छूती तो कभी खुद उनके हाथों को मदहोशी से अपने पूरे जिस्म पर फेरती। जितनी भी कॉल गर्ल्स आई थीं वे सब अपने कस्टमर को खुश करने में मशगूल थें।

    उस डांसर युवती की नज़र कोने में ख़ामोशी से सर झुकाए खड़ी एक अठारह साल की लड़की पर पड़ी जोकि उनमें से एक थीं, वो उसे खीच कर अपने साथ नाचने पर ज़ोर देने लगी, लेकिन उस मासूम ने अपनी नाज़ुक हथेलियों को खींचते हुए भोलेपन से न में सिर हिलाने लगी,

    लेकिन अब कोई फ़ायदा नहीं था क्योंकि जिस्मफरोशी के बाज़ार में वो कब तब छिप पाती, लोग की नज़र पड़नी थीं, जैसे वो लाइट्स की चकौंध में आई सब आंखें बड़ी किए उसे ऊपर से नीचे ताड़ने लगे।

    वो मासूम अपने थरथराते बदन को ढकने की मशक्कत करने लगी, उसके सफ़ेद मक्खन जैसी जिस्म पर सिर्फ़ एक लाल रंग की छोटी सी कसी हुई चोली और नीचे लहंगा था, वो शर्म और लज्जा की मारी इल्तिज़ा करने लगी, मगर वहशी दरिंदे आदमी कहां रुकने वाले थे। भीड़ में कुछ लोग भद्दी तब्सिरा (कमेंट) करने लगे

    "अरे चिकनी चमेली क्या बन रहीं हैं अपना जलवा तो दिखा बहुत दिन गुज़र गए ऐसी माल नहीं देखी"..

    फिर किसी दूसरे ने कहा "अब शर्मा का लिबास गिरा भी दे इस महफ़िल में सब तेरे चाहने वाले हैं, नज़रें उठा कर तो देख"....

    लोगों की भद्दी और गंदे इशारे को देख कर वो लड़की डर से सहम गई और वहां से जाने को हुई लेकिन उसी दौरान एक रहीस आदमी जो लगभग पचास की उम्र का लग रहा था।

    उसने उस लड़की की कलाई पकड़ ली और होंठों को बेढंग तरीके से घुमाते हुए कहा"अरे मेरी रसमलाई!! इतने नखरे क्यों दिखा रहीं हैं, तू कहे तो मैं और पैसे दे दूंगा, बस आज रात मेरी थकान दूर कर दे" ये कह कर वो उस लड़की को अपने प्राइवेट कमरे में ले जाने लगा।

    वो लड़की रोती बिलखती अपने हाथों को उस आदमी की गिरफ्त से आज़ाद करती हुई " म म मुझे छोड़ दीजिए साहब प्लीज़ छोड़ दीजिए, मैं वैसी नहीं हूं!!

    I hope you like this story ♥️ please stay tuned for next chapter...

  • 2. Jaanleva mohabbat - Chapter 2

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min