जिन्नातों की दुनिया में एक जिन्न शहज़ादी, सुबक-सुबक कर रो रही थी। उसकी आँखों में इस वक़्त लाल रंग के आँसू थे, और उसे कितनी ही सारी बाकी की जिन्नाती लड़कियाँ घेर कर खड़ी हुई थीं और उस पर हँस रही थीं। तभी उस जिन्न शहज़ादी की माँ, हुस्ना, वहाँ आई, और उस... जिन्नातों की दुनिया में एक जिन्न शहज़ादी, सुबक-सुबक कर रो रही थी। उसकी आँखों में इस वक़्त लाल रंग के आँसू थे, और उसे कितनी ही सारी बाकी की जिन्नाती लड़कियाँ घेर कर खड़ी हुई थीं और उस पर हँस रही थीं। तभी उस जिन्न शहज़ादी की माँ, हुस्ना, वहाँ आई, और उसने वहाँ आकर उन जिन्न लड़कियों को वहाँ से भगा दिया जो उनकी बेटी पर हँस रही थीं। और वो अपनी बेटी के आँसुओं को साफ कर, उसे चुप करते हुए बोली, "मेरी शहज़ादी, कब तक इस तरह से आँसू बहाती रहोगी? आख़िर तुम अपनी किस्मत को क़बूल क्यों नहीं कर लेती हो?" अपनी माँ की बात सुनने के बाद, वो शहज़ादी और ज़ोर से रोने लगी। अब रोते-रोते उसने अपना चेहरा ऊपर की ओर उठाया। एक पल को उसकी माँ भी अपनी खुद की बेटी के चेहरे को देखकर डर सी गई, क्योंकि जिन्नातों की दुनिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत शहज़ादियाँ थीं, लेकिन उसकी बेटी सबसे ज़्यादा बदसूरत शहज़ादी थी। अपनी बदसूरती को लेकर उसे हर रोज़ जिन्नातों की दुनिया में अपमान का सामना करना पड़ता था। सभी शहज़ादियाँ, उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थीं। इस वक़्त भी सभी शहज़ादियाँ मिलकर उसका मज़ाक उड़ा रही थीं, क्योंकि वो बेहद बदसूरत दिखाई दे रही थी। आज उसने अपने आप को थोड़ा सा सुंदर बनाने के लिए अलग ढंग से कपड़े पहने थे, और अपनी जादुई शक्तियों के द्वारा नए-नए तरीके से इंसानों की दुनिया में से मेकअप का सामान मंगवाए थे। लेकिन उसे मेकअप यूज़ करना नहीं आता था, जिसकी वजह से वो और भी ज़्यादा बदसूरत और एकदम भूत के जैसी दिखने लगी थी। तो सभी जिन्न शहज़ादियाँ उसकी इस हरकत पर उसका काफ़ी ज़्यादा मज़ाक उड़ा रही थीं। अब एक पल को जैसे ही उसकी माँ ने अपनी बेटी का चेहरा देखा, एक पल को वो भी सहम गई, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अपनी शक्तियों के द्वारा उसके चेहरे को पहले जैसा कर दिया था। लेकिन अभी भी वो ख़ास खूबसूरत नहीं दिखाई दे रही थी। अभी भी वो बाकी की जिन्नातों की दुनिया की शहज़ादियों के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा बदसूरत थी। तब वो अपनी माँ को गले से लगाकर सुबक-सुबक कर रोते हुए बोली, "आख़िरकार कब तक सब लोग इस तरह से मेरा मज़ाक बनाते रहेंगे? कब तक मैं इस दर्द का सामना करती रहूँगी? बस माँ, बस अब मैं थक चुकी हूँ। आप मुझे हमेशा-हमेशा के लिए अग्नि दुनिया में कैद क्यों नहीं कर देती हैं, ताकि मैं वहाँ से वापस न आऊँ? मैं नहीं जीना चाहती हूँ माँ, मैं नहीं जीना चाहती हूँ।" अग्नि दुनिया, जिन्नातों की वो दुनिया थी, जहाँ पर एक बार कैद होने के बाद हमेशा-हमेशा के लिए कोई भी जिन्न वहाँ से वापस नहीं आ सकता था। इसीलिए वह जिन्न शहज़ादी, जिसका नाम आयशा था, वो मायूसी से बोली, "मैं इस दुनिया में वापस नहीं आना चाहती हूँ जहाँ पर सब लोग मेरा इस तरह से मज़ाक उड़ाते हैं।" ये बोलकर एक बार फिर वो खून के आँसू बहाने लगती है। अब तो उसकी
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जिन्नातों की दुनिया में एक जिन्न शहज़ादी, सुबक-सुबक कर रो रही थी। उसकी आँखों में इस वक़्त लाल रंग के आँसू थे, और उसे कितनी ही सारी बाकी की जिन्नाती लड़कियाँ घेर कर खड़ी हुई थीं और उस पर हँस रही थीं।
तभी उस जिन्न शहज़ादी की माँ, हुस्ना, वहाँ आई, और उसने वहाँ आकर उन जिन्न लड़कियों को वहाँ से भगा दिया जो उनकी बेटी पर हँस रही थीं। और वो अपनी बेटी के आँसुओं को साफ कर, उसे चुप करते हुए बोली, "मेरी शहज़ादी, कब तक इस तरह से आँसू बहाती रहोगी? आख़िर तुम अपनी किस्मत को क़बूल क्यों नहीं कर लेती हो?"
अपनी माँ की बात सुनने के बाद, वो शहज़ादी और ज़ोर से रोने लगी। अब रोते-रोते उसने अपना चेहरा ऊपर की ओर उठाया। एक पल को उसकी माँ भी अपनी खुद की बेटी के चेहरे को देखकर डर सी गई, क्योंकि जिन्नातों की दुनिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत शहज़ादियाँ थीं, लेकिन उसकी बेटी सबसे ज़्यादा बदसूरत शहज़ादी थी।
अपनी बदसूरती को लेकर उसे हर रोज़ जिन्नातों की दुनिया में अपमान का सामना करना पड़ता था। सभी शहज़ादियाँ, उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थीं। इस वक़्त भी सभी शहज़ादियाँ मिलकर उसका मज़ाक उड़ा रही थीं, क्योंकि वो बेहद बदसूरत दिखाई दे रही थी।
आज उसने अपने आप को थोड़ा सा सुंदर बनाने के लिए अलग ढंग से कपड़े पहने थे, और अपनी जादुई शक्तियों के द्वारा नए-नए तरीके से इंसानों की दुनिया में से मेकअप का सामान मंगवाए थे। लेकिन उसे मेकअप यूज़ करना नहीं आता था, जिसकी वजह से वो और भी ज़्यादा बदसूरत और एकदम भूत के जैसी दिखने लगी थी।
तो सभी जिन्न शहज़ादियाँ उसकी इस हरकत पर उसका काफ़ी ज़्यादा मज़ाक उड़ा रही थीं। अब एक पल को जैसे ही उसकी माँ ने अपनी बेटी का चेहरा देखा, एक पल को वो भी सहम गई, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अपनी शक्तियों के द्वारा उसके चेहरे को पहले जैसा कर दिया था।
लेकिन अभी भी वो ख़ास खूबसूरत नहीं दिखाई दे रही थी। अभी भी वो बाकी की जिन्नातों की दुनिया की शहज़ादियों के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा बदसूरत थी।
तब वो अपनी माँ को गले से लगाकर सुबक-सुबक कर रोते हुए बोली,
"आख़िरकार कब तक सब लोग इस तरह से मेरा मज़ाक बनाते रहेंगे? कब तक मैं इस दर्द का सामना करती रहूँगी? बस माँ, बस अब मैं थक चुकी हूँ। आप मुझे हमेशा-हमेशा के लिए अग्नि दुनिया में कैद क्यों नहीं कर देती हैं, ताकि मैं वहाँ से वापस न आऊँ? मैं नहीं जीना चाहती हूँ माँ, मैं नहीं जीना चाहती हूँ।"
अग्नि दुनिया, जिन्नातों की वो दुनिया थी, जहाँ पर एक बार कैद होने के बाद हमेशा-हमेशा के लिए कोई भी जिन्न वहाँ से वापस नहीं आ सकता था। इसीलिए वह जिन्न शहज़ादी, जिसका नाम आयशा था, वो मायूसी से बोली,
"मैं इस दुनिया में वापस नहीं आना चाहती हूँ जहाँ पर सब लोग मेरा इस तरह से मज़ाक उड़ाते हैं।"
ये बोलकर एक बार फिर वो खून के आँसू बहाने लगती है।
अब तो उसकी माँ के सब्र का भी बाँध टूट गया था, और अचानक उसने भी रोना शुरू कर दिया था। और उन दोनों के दिल की चीख-पुकार सीधा जिन्नातों के जिन्न महाराज के पास जा पहुँची थी। और जिन्न महाराज ने जल्दी ही उन दोनों को अपने सामने बुला लिया।
उन दोनों माँ-बेटियों ने जब अपनी परेशानी जिन्न महाराज के सामने रखी, जिन्न महाराज कुछ पल सोचने लगे थे। और बोले,
"आप अच्छी तरह से जानती हैं, जिन्न महारानी हुस्ना..."
(जिन्न महारानी हुस्ना, जिन्न महाराज की बीवी और आयशा, जिन्न महाराज की ही बेटी थी, और जिन्न महारानी हुस्ना जिन्नातों की दुनिया की सबसे ज़्यादा खूबसूरत जिन्न थी, लेकिन उनकी बेटी सबसे ज़्यादा बदसूरत थी।)
जिन्न महाराज ने अपने सीधे हाथ के अंगूठे को अपने माथे के बीचों-बीच लगा दिया था।
कुछ देर बाद, जब अपनी लाल सुर्ख आँखों से उन्होंने आयशा की ओर देखा, और एक-एक शब्द पर ज़ोर देते हुए बोलते हैं,
"आयशा सिर्फ़ तभी खूबसूरत जिन्न शहज़ादी बन सकती है, जब उसकी ज़िंदगी में सच्ची मोहब्बत आएगी।"
अब आयशा ये सुनकर चौंक गई थी, क्योंकि उसके पिछले जन्म में कुछ ऐसा हुआ था, जिसके बदौलत उसे उसका नया जन्म जिन्नातों की दुनिया में बदसूरती के रूप में मिला है।
अब ये सुनकर आयशा भौंचक्की हो गई और उसकी आँखें अचानक चमक उठीं और वो अगले ही पल बोली,
"लेकिन जिन्न महाराज, या तो आप मुझे अग्नि दुनिया में हमेशा-हमेशा के लिए कैद कर दीजिए, या फिर मुझे बताइए, मुझे मेरी सच्ची मोहब्बत कहाँ मिलेगी जो मुझे बेहद खूबसूरत बनाएगी?"
अब ये सुनकर जिन्न महाराज ने एक बार फिर अपने सीधे हाथ का अंगूठा अपने माथे पर रखा और कुछ देर सोचने के बाद बोले,
"इंसानों की दुनिया में। तुम्हें तुम्हारी सच्ची मोहब्बत मिलेगी, जो तुम्हारा पिछले जन्म का साथी है। और उसी की मोहब्बत की वजह से तुम पिछले जन्म में बदसूरत हुई थी, जिसका असर इस जन्म में भी दिखाई दे रहा है।"
"अगर तुम हमेशा-हमेशा के लिए इस बदसूरती के दाग को अपनी ज़िंदगी से ख़त्म करना चाहती हो, तो तुम्हें इंसानों की दुनिया में जाकर अपनी सच्ची मोहब्बत के साथ पूरे चाँद की रात जिस्मानी रिश्ता बनाना होगा। और जैसे ही पूरे चाँद की रात तुम दोनों मिलोगे, तुम्हारे अंदर की बदसूरती हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी।"
अब जैसे ही जिन्न शहज़ादी आयशा ने ये सुना, उसकी आँखों में उम्मीद की एक चमक नज़र आने लगी थी, लेकिन उसकी माँ हुस्ना इस ख़याल से ही कि उसकी बेटी उससे दूर चली जाएगी, वो थोड़ा उदास हो गई थी।
लेकिन तभी जिन्न महाराज सख़्त और गहरी आवाज़ में बोले,
"तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम चाहो तो अपनी बेटी से जब चाहे बात कर सकती हो, लेकिन तुम उसकी इंसानों की दुनिया में कोई मदद नहीं कर पाओगी।"
"और एक और बात, आयशा, तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी शक्तियों का प्रयोग किसी की मदद के लिए तो कर सकती हो, लेकिन अपने लिए तुम इन शक्तियों का इस्तेमाल कभी भी नहीं कर पाओगी।"
ये सुनकर आयशा थोड़ा सी सकपका गई थी।
बिना शक्तियों के इंसानों की दुनिया में वो किस तरह से जीवन जीएगी, जबकि उसे उस शख़्स के बारे में कुछ नहीं पता है कि उसकी सच्ची मोहब्बत कौन है।
फिलहाल उसके लिए यही बहुत था कि जिन्न महाराज ने उसे इंसानों की दुनिया में जाने की इजाज़त दी थी।
और सच्ची मोहब्बत मिलने के बाद, जैसे ही वो खूबसूरत हो जाएगी, उसे वापस जिन्नातों की दुनिया में लौटने का आदेश था।
आयशा अब अपने पिता की ओर देखकर चंचलता से बोली,
"अच्छा अब्बू जान, मुझे ये तो बताइए कि जो इंसान मेरी क़िस्मत में है, वो मेरे सामने आएगा तो मैं उसे कैसे पहचानूँगी?"
तब आयशा के पिता, जिन्न महाराज, ने उसकी ओर ध्यान से देखा था, और अचानक देखते ही देखते उनकी आँखों से रंग-बिरंगी रोशनी निकलने लगी थी, और सीधा आयशा के गले में एक बड़ी ही प्यारी, खूबसूरत सी चेन आ गई थी, और उसमें एक नीले रंग का लॉकेट लटक रहा था, जो दिखने में बड़ा ही प्यारा और खूबसूरत लग रहा था।
अब आयशा हैरानी से हक्की-बक्की होकर उस लॉकेट को छूने लगी, और आयशा के छूते ही वो लॉकेट, जो थोड़ी देर पहले पूरी तरह से जगमगा रहा था, वो एकदम से फीका हो गया था।
इतना ही नहीं, उसकी चमक के साथ ही साथ उसके मोती की खूबसूरत चमक पूरी तरह से बदसूरती में बदल गई थी।
ये देखकर आयशा पूरी तरह से मायूस और उदास हो गई थी, और एक बार फिर उसका चेहरा मुरझा उठा, और वो अपनी लाल, सुर्ख आँखों से अपने माता-पिता की ओर देखने लगी थी।
तभी उसकी माँ, शहज़ादी हुस्ना, तुरंत आगे आई और अपनी बेटी को गले से लगाकर रोते हुए अपने पति की ओर देखकर एकदम से बोली,
"ये सब क्या है जिन्न महाराज? ये क्या है?"
"आप हमारी बेटी का बाकी सब की तरह मज़ाक उड़ाना चाहते हैं? अभी ये लॉकेट थोड़ी देर पहले पूरी तरह से जगमगा रहा था, लेकिन जैसे ही हमारी बेटी ने इस लॉकेट को छुआ, ये लॉकेट पूरी तरह से बदसूरती में बदल गया। आख़िर ये सब क्या हो रहा है?"
"क्या आप भी बाकी की जिन्न शहज़ादियों की तरह, जो कि जिन्नातों की दुनिया में हमारी बेटी का मज़ाक बनाती रही हैं, उनकी तरह हमारी बेटी का मज़ाक बनाना चाहते हैं?"
इस वक़्त शहज़ादी जिन्न महारानी हुस्ना काफ़ी ज़्यादा ग़ुस्से में थी और अपने पति से सवाल कर रही थी।
तभी जिन्न महाराज कोमलता से बोले,
"हमारा इरादा अपनी बेटी को ठेस पहुँचाने का नहीं था। हम सिर्फ़ और सिर्फ़ ये बताना चाहते हैं कि इंसानों की दुनिया में जिस वक़्त ये जाएँगी, और जैसे ही उसका सच्चा प्यार इनके क़रीब आएगा, ये लॉकेट कुछ समय के लिए जगमगाने लगेगा — लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ कुछ समय तक।"
"वो सिर्फ़ और सिर्फ़ शहज़ादी आयशा को ये बताने के लिए होगा कि यही वो इंसान है जिसके साथ उसकी क़िस्मत जुड़ी हुई है।"
अब ये सुनकर कहीं न कहीं जिन्न महारानी को थोड़ा सा सुकून मिला।
वहीं आयशा के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान खिल गई थी, और वो चहकती हुई बोली,
"आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अब्बा जान, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया!"
"लेकिन अगर ये मोती इंसानों की दुनिया में जगमगाने लगेगा, तो सब लोगों को तो हम पर शक हो जाएगा।"
उसके बाद तभी जिन्न महाराज हल्का सा मुस्कुराकर बेहद शांत आवाज़ में बोले,
"शायद आपने हमारी बात ध्यान से नहीं सुनी, शहज़ादी। हमने आपसे कहा, सिर्फ़ और सिर्फ़ कुछ समय के लिए ये मोती जगमगाएगा — जब वो इंसान आपके पास आएगा, तो आपको इस समय का ध्यान रखना होगा।"
अब ये सुनकर आयशा अपनी टिमटिमाती हुई आँखों से अपने पिता को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर जल्दी ही अपनी माँ और पिता, जिन्न महाराज से विदा लेकर इंसानों की दुनिया में जाने का फ़ैसला करती है।
लेकिन उसे इस बात के बारे में दूर-दूर तक कोई एहसास नहीं है कि जिस सच्ची मोहब्बत की तलाश में वो इंसानों की दुनिया में जा रही है — असल में वो इंसान कितना ज़्यादा बेरहम है, इसका कोई अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता था।
वहीं दूसरी ओर,
इंसानों की दुनिया में, इस वक्त एक लडकी बडे से ब्रिज के ऊपर खडी थी. और आत्महत्या करने की हिम्मत जुटा रही थी। क्योंकि आज उसकी बहुत बेइज्जती हुई थी, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वो यहां ब्रिज से कूदने के लिए आयी थी,
लेकिन जिस वक्त वो जान देने के लिए वहाँ खडी हुई थी, ठीक उसी वक्त जिन्नातों की दुनिया से आयशा पृथ्वीलोक पर आ गई थी। और वो सीधा इस लडकी के ऊपर जा गिरी, जिसकी वजह से ब्रिज से कूदने वाली" लडकी और जिन्न शहजादी आयशा, एक साथ नीचे जमीन पर गिर गईं।
अब जिन्न शहजादी आयशा को तो समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक से ये उसके साथ क्या हुआ? वो इस तरह से किसी लडकी के ऊपर कैसे आ गिर गई।
वहीं वो लडकी, आँखों में आँसू लिए, जिन्न शहजादी" आयशा को डबडबाई आंखों से देखने लगी और चिल्लाते हुए उठ खडी हुई और गुस्से से फट पडी और नाराज होकर बोली, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह से रोकने की? हाँ, मैं अपनी जान देना चाहती थी। तुम कौन होती हों? मुझे बचाने वाली? मेरा जीने का कोई इरादा नहीं है, मैं अपनी जान देना चाहती हूँ, समझी?
अब जिन्न शहजादी" आयशा को तो समझ में नहीं आया कि आखिरकार ये लडकी क्या कह रही है, लेकिन उसकी बातों से वो इतना अंदाजा जरूर लगा सकती थी. कि जरूर ये लडकी अपनी जान देने के लिए यहाँ आयी है।
अब आयशा आश्चर्य ये सोचने लगी, की वो ऐसे अचानक से इस लडकी के ऊपर एकदम से क्यों आ गिरी? अगर उसे इंसानों की दुनिया में आना ही था, तो वो किसी और जगह पर भी तो जा सकती थी। कहीं और भी प्रकट हो सकती थी।
कुछ पल सोचते हुए उसने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कीं, और उसने अपनी" माँ का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखा, यानी महारानी" हुस्ना का चेहरा उसकी आँखों के सामने था।
अब जिन्न शहजादी आयशा को देर नहीं लगी, ये समझने के लिए कि जरूर उसकी, माँ ने इस तरह से उसे, इस जगह पर भेजा है ताकि ये अनजान लडकी आयशा की कुछ मदद कर सकें।
तभी शहजादी आयशा तुरंत उठ खडी हुई और लडकी की ओर गौर से देखकर बेहद आहिस्ता से बोली, आप कौन हैं? और आप अपनी जान क्यों देना चाहती हैं?
अब वो लडकी, जिसका नाम" जोया था, वो अब अपने आँखों में आए आँसुओं को साफ करके अपने सामने खडी हुई बदसूरत सी लडकी" आयशा को देखने लगी थी।
हालाँकि इंसानों की दुनिया में अलग- अलग तरह के लोग, अलग- अलग रंगों के, काले, गोरे, किसी का नाक- नक्श अलग—हर तरह के लोग मौजूद थे, लेकिन" आयशा साँवली होने के साथ- साथ उसकी नाक- नक्श भी बडा अजीब था, जो उसे और भी ज्यादा बदसूरत बनाता था।
लेकिन जोया को" आयशा से किसी तरह की कोई घिन्न या बुरा एहसास कुछ भी महसूस नहीं हुआ, उसने उसे नॉर्मल इंसानों की तरह ही लिया था। और तब जोया भर आए हुए स्वर में रोती हुई बोली, क्योंकि सिचुएशन ही ऐसी थी, इसलिए हुंह हुंह
दरअसल वो अपनी जान देने के लिए इस ब्रिज पर आयी थी। उसे लगा था. कि आसानी से थोडी देर में खुद रो धोकर अपनी जान दे देगी, लेकिन इस तरह से आयशा के आने पर वो सकपका गई और हैरान भी हो गई थी।
तभी आयशा तुरंत खुदके जज्बातों को थोडा कंसोल किया और जोया की ओर देखकर मीठी सी मुस्कुराहट देते हुए बोली, देखिए, शायद आप ये समझ लीजिए, ऊपर वाले ने हमें आपको बचाने के लिए यहां भेजा है। अब आप हमें ये बता दीजिए कि आखिर आप अपनी जान क्यों लेना चाहती हैं? आखिर ऐसा क्या हुआ है आपके साथ?
क्योंकि भले ही आयशा देखने में बेहद बदसूरत थी, लेकिन उसकी आवाज शहद से भी ज्यादा मीठी थी. वो बडा ही प्यार और मीठा बोल रही थी. अब आयशा के इतने प्यार से बोलने पर एक पल को जोया भी उसकी आवाज में पूरी तरह से खो गई। उसे ऐसा लगने लगा मानो उसकी सारी परेशानी उसकी आवाज सुनते ही खत्म हो गई हो।
लेकिन फिर कुछ याद करते हुए फिलहाल उसने जोरों से रोना शुरू कर दिया और फिर खुदको शांत करके आयशा को डबडबी आंखों से देखते हुए बोलने लगी, मैं तुम्हें बताती हूँ। पिछले तीन सालों से मैं इस शहर की सबसे बडी कंपनी, सूर्यवंशी एम्पायर में काम करती हूँ, और पिछले साल मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
पिछले साल एक सेमिनार के दौरान मैंने अपनी कंपनी के बॉस को देखा, और उसे देखते ही मैं पहली नजर में ही उस पर अपना दिल हार बैठी, और मुझे अपने बॉस से गहरी मोहब्बत हो गई। पिछले पूरे एक साल भर से अपने बॉस के अलावा मैंने कभी किसी और के बारे में नहीं सोचा। और आज, आज कंपनी की एक बहुत बडी पार्टी थी, और आज मैंने जैसे- तैसे हिम्मत जुटाकर अपने बॉस को, उसे पार्टी में सबके सामने प्रपोज कर दिया।
लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरे बॉस के शरीर में दिल ही नहीं है। वो एक नंबर का हार्टलेस इंसान हैं। उसने सबके सामने मेरी इतनी बेइज्जती की, इतनी बेइज्जती की मैं तुम्हें क्या बताऊँ! और अब मेरे दोस्त, मेरे सहकर्मी, सब लोग मुझ पर हँस रहे हैं। तुम सोच भी नहीं सकती कि उस वक्त मुझे कैसा लगा! मेरे बॉस ने मेरे सहकर्मियों के सामने मेरी मोहब्बत की तो बेइज्जती कर ही दी, साथ ही साथ मुझे तीन दिन का टाइम दिया है कि अगर तीन दिनों के अंदर- अंदर मैंने, उससे माफी नहीं माँगी तो मुझे नौकरी से भी निकाल देंगे।
लेकिन मुझे नौकरी जाने की कोई परवाह नहीं है, लेकिन मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ, मैं दिल से उसे मोहब्बत करती हूँ। उसके इस तरह से, भरी महफिल में मेरी बेइज्जती करना मैं, बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ। इसीलिए मैं अपनी जान देने के लिए यहाँ आई हूँ। ये बोलकर एक बार फिर जोया फूट- फूटकर रोने लगती है।
आयशा अचानक हल्का सा मुस्कुराई और जोया की ओर देखकर प्यारी सी मुस्कान देते हुए बोली, अच्छा, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछूँ, जोया जी?
अब जैसे ही आयशा ने जोया का नाम लिया, जोया की आँखें बडी हो गईं और वो सवालिया नजरों से आयशा को घूरते हुए बोली, तुम्हें मेरा नाम कैसे पता चला? मैंने तुम्हें अपना नाम नहीं बताया।
अब ये बात सुनकर एक पल के लिए आयशा चुप हो गई, लेकिन अगले ही पल वो बात बदलते हुए फटाक से बोली, अभी आपने अपनी कहानी सुनाते वक्त हमें अपना नाम भी बताया था. बीच में शायद आपको याद नहीं रहा क्योंकि इस वक्त आप काफी ज्यादा दुखी हैं। आपको खुद नहीं पता कि आप क्या कह रही हैं।
तभी जोया एक बार फिर रोने लगी और मासूम सी शक्ल बनाकर बोली, हाँ, शायद तुम ठीक कह रही हो।
आयशा एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोली, हमें आपसे सिर्फ और सिर्फ एक सवाल करना है। क्या आप मेरे सवाल का जवाब देंगी? उसके बाद, अगर आपने मेरे सवाल का जवाब दे दिया, उसके बाद आप चाहे तो अपनी जान दे सकती हैं।
ये सुनकर जोया हैरान हो गई कि आखिरकार ये लडकी कौन है? पहले तो ये उसकी जान बचाती है, और अब उसे एक सवाल पूछने के लिए कह रही है! अगर वो इससे मना कर दे तो क्या वो अपनी जान दे सकती है?
फिलहाल, जोया ने अपनी हैरानी को साइड में रखकर उसकी ओर उलझन भरी नजरों से देखकर बोली, हाँ, बोलो, क्या सवाल है तुम्हारा?
तब आयशा बेहद शांत आवाज में बोली, आप पिछले एक साल से अपने बॉस से प्यार- मोहब्बत करती हैं, लेकिन आपके माँ- बाप का क्या? आपके माँ- बाप तो आप जब से आप पैदा हुई हैं, तब से आपसे मोहब्बत करते हैं। अपने बॉस के एक साल की मोहब्बत के लिए आप अपनी जान देने के लिए तैयार हैं, तो क्या अपने माँ- बाप की बीस साल की मोहब्बत के लिए आप, नहीं जी सकतीं?
दरअसल पहली नजर में देखते ही" आयशा जोया के बारे में सबकुछ जान गई थी. कि उसके मां- बाप के जोया अकेली औलाद है। और वो अकेले ही घर चलानेवाली है।
अब जैसे ही आयशा ने ये समझाया, जोया की आँखें हैरानी से बडी हो गई थीं, क्योंकि आज उस पार्टी से निकलकर सीधा वो अपनी जान देने के इरादे से इस ब्रिज पर ही आ गई थी। इस बीच उसे अपने माँ- बाप का तो ख्याल ही नहीं रहा।
जोया अपने माता- पिता की इकलौती औलाद थी, और उसके बूढे माता- पिता पूरी तरह से उसी के ऊपर निर्भर थे। और इस तरह से, अगर जोया भावना में बहकर अपनी जान दे देती है, तो उसके माँ- बाप का क्या होगा? ये सोचते ही जोया के शरीर में सनसनी दौड गयी थीं।
एक पल में ही वो मोहब्बत की दुनिया से बाहर, रियलिटी की दुनिया में आ गई थी। उसने तुरंत आगे बढकर आयशा को गले से लगा लिया था. और एकदम से हडबडाकर बोली, तुम कौन हो? मैं नहीं जानती, कि तुम कौन हो या कहां से आयी हो, फिर भी ऊपर वाले ने तुम्हें जरूर मेरी मदद करने के लिए भेजा है।
तुम. तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो? तुम चलो मेरे साथ चलो। ये बोलकर अब जल्दी ही जोया, आयशा को अपने साथ लेकर अपने घर की ओर रवाना हो चुकी थी।
आयशा हल्का सा मुस्कुराई और" जोया के साथ उसके घर चली गई। वो अच्छी तरह जानती थी. कि उसे जोया के साथ ही जाना है, क्योंकि ये उसकी अम्मी, जिन्न महारानी का फैसला था, और ये फैसला उसके लिए एकदम सुरक्षित होगा।
जैसे ही जोया" आयशा को लेकर अपने घर गई, और उसने डोरबेल बजाई, तो उसने देखा कि दरवाजा पहले से ही खुला हुआ है। ये देखकर उसे हैरानी हुई और वो थोडी सकपकाई। क्या इस तरह से उसके घर का दरवाजा खुला रह सकता है? क्योंकि उसकी माँ, तो हमेशा दरवाजा बंद करके रखती थीं।
फिर भी, वो हिम्मत जुटाकर आयशा का हाथ थामकर अंदर जाने लगी। जैसे ही वो दोनों अंदर गई, उसके पूरे फ्लैट में चारों तरफ अंधेरा पसरा हुआ था। अब जोया थोडी हडबडा कर घबरा गई और उसने आयशा का हाथ कसकर पकड लिया। और जोया ने आयशा के कानों में धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए बोली, मुझे लगता है कि हमारे घर में कोई चोर घुस आया है। इसीलिए तो पूरे घर में अंधेरा है। तुम बिल्कुल भी डरना या घबराना मत, मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ।
उसकी बात सुनकर आयशा थोडी दंग हो गई। फिर उसने अपनी आँखें बंद कीं और उसे, अब सारा मामला समझ आ गया। अपनी जादुई शक्तियों के द्वारा वो देख चुकी थी. कि इस वक्त घर में क्या हो रहा है, वो हल्का सा मुस्कुराई और जोया का हाथ पकडकर शांत भाव से बोली, मुझे लगता है कि तुम्हें पुलिस को फोन करने की कोई जरूरत नहीं है। हमें एक बार अंदर चलकर देख लेना चाहिए।
आयशा तो समझ चुकी थी कि वहाँ क्या हो रहा है, लेकिन जोया अभी भी तक नहीं समझी थी। फिर भी, उसने पुलिस को फोन नहीं किया, और अंदर जाकर धीरे से अपनी माँ को आवाज लगाने लगी, माँ, पापा कहाँ हैं? आप लोग कहाँ हैं? आप लोग ठीक तो हैं ना?
जैसे ही उसने थोडा जोर से आवाज लगाई, अचानक उसका पूरा फ्लैट रोशनी से जगमगा उठा। वहाँ पर बडे- बडे अक्षरों में" हैप्पी बर्थडे जोया" के स्टिकर लगे हुए थे।
ये देखकर जोया की आँखों में आँसू आ गए। अपनी जान देने के चक्कर में उसे, इस बात का एहसास ही नहीं रहा. कि आज उसका जन्मदिन है और उसके माँ- बाप ने उसके, लिए सरप्राइज प्लान किया था।
जल्दी ही जोया की माँ उसकी आँखों के सामने मौजूद थी. और उन्होंने आकर अपनी बेटी को गले से लगा लिया। और शिकायत करते हुए बोली, जोया, तुमने इतनी देर लगा दी। तुम्हें पता है हम तुम्हारा कब से इंतजार कर रहे हैं और कब से हम तुम्हें सरप्राइज देना चाहते थे?
जोया के माँ- बाप दोनों ही जोया को बारी- बारी से गले लगाकर, जन्मदिन की मुबारकबाद दिया। और फिर मुस्कुराते हुए उसके sir पर हाथ फेरकर दुआएं देने लगे।
अब जोया की आँखों से झर झर आँसू गिरने लगे और वो बुरी तरह से रो रही थी। अपनी बेटी को इस तरह रोते बिलखते हुए देखकर जोया के माँ- बाप घबरा गए और तुरंत उसे संभालने लगे और परेशान होते हुए कहने लगे, क्या बात है बेटा? तुम इतना क्यों रो रही हो? इतना क्यों घबरा रही हो? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?
उनकी बातें सुनकर जोया सिसकते हुए कहने लगी, मुझे माफ कर दीजिए मॉम, डैड। मुझे माफ कर दीजिए। ये बोलते हुए जोया बूरी तरह से रो रही थी, फिलहाल माफी मांगने के अलावा कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।
अचानक जोया की माँ की नजर सीधा आयशा पर पडी। आयशा को देखकर वो थोडी चौंक गई और फिर जब जोया ने रोने के अलावा उनकी किसी बात का कोई जवाब नहीं दे रही थी, तो वो तुरंत आयशा के सामने जाकर खडी हो गई और हडबडा कर एकदम से बोली, तुम कौन हो बेटा? और मेरी बेटी इस तरह से अचानक क्यों रो रही है? और वो हमसे Kiss बात की माफी माँग रही है? ये बताओ तुम, कौन हो?
आयशा ने तहजीब के साथ हल्का सा झुककर उन्हें सलाम किया और बेहद शांत आवाज में बोली, मेरा नाम आयशा है और जोया मुझे, अपने साथ अपने घर ले आई है। उसने जानबूझकर जोया की जान देने वाली बात नहीं बताई थी।
लेकिन तभी जोया एकदम से उठ खडी हुई और अगले ही पल बोली, वो आयशा है, इसी ने मेरी जान बचाई है, वरना आज मेरी जान चली जाती।
बस उसने इतना ही बोला था. की जोया के पिता पूरी तरह से डर गए और हडबडा कर बोले, क्या? कैसी बातें कर रही हो बेटा? तुम्हारी जान पर खतरा? क्या हुआ था तुम्हें? तुम ठीक तो होना बेटा? तुम तो जानती हो ना कि तुम हमारी" जिंदगी हो। तुम्हारे अलावा हमारे इस दुनिया में कोई नहीं है। तुम्हारी जान पर खतरा कैसे हुआ? क्या हुआ था बेटा?
और वो फिर सीधा आयशा के सामने परेशान होकर बोले, बेटा, तुमने मेरी बेटी की जान कैसे बचाई? क्या हुआ था? प्लीज कुछ बताओ, देखो मेरा दिल कितना जोरों से धडक रहा है।
अपने पिता को इतना घबराया हुआ देखकर जोया ने खुदको थोडा शांत किया, और आयशा ने भी आँखों के इशारे से जोया को चुप रहने के लिए कहा और आंखें मटकाते हुए उसे समझाने की कोशिश करने लगी कि उसे इस तरह से अपने माता- पिता को अपनी जान देनेवाली बात नहीं बतानी चाहिए।
Well जोया खुदको शांत करके, उसने अपने माँ- बाप को गले से लगाकर बोली, वो एक्चुअली ऐसा हुआ कि ऑफिस से निकलते वक्त मैं एक गाडी के सामने आ गई और" आयशा ने मुझे वक्त रहते अपनी तरफ खींच लिया।
उसने मेरी बहुत मदद की है। मैं इसकी बहुत शुक्रगुजार हूँ। इसीलिए मैं इसे अपने साथ घर ले आयी। आपको पता है मॉम, डैड, इसका इस दुनिया में कोई नहीं है। बहुत वक्त पहले ही इसके अपने सब छोडकर चले गए।
दरअसल रास्ते में जब जोया" आयशा को अपने साथ अपने घर लेकर आ रही थी, उसने उससे उसके बारे में पूछा था कि वो कहाँ रहती है, उसके माँ- बाप कहाँ रहते हैं, लेकिन बदले में" आयशा ने केवल चेहरा उदास करके जोया की ओर देखकर कहा था. कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं है।
तब से ही जोया ने मन में ये डिसीजन लिया और ये ठान लिया था. कि वो आयशा को अपने साथ ही रखेगी।
ये बात सुनकर कि" आयशा ने जोया की जान बचाई है, दोनों ही जोया के माँ- बाप आयशा के सामने खडे हो गए और बारी- बारी से उसका शुक्रिया अदा करने लगे और उसे प्यार भरी नजरों देखते हुए बोले, तुमने बेटा, एक नहीं बल्कि तीन- तीन जान बचाई। अगर आज हमारी बेटी को कुछ हो जाता, तो हम लोग भी अपनी जान दे देते। हमारी बेटी के अलावा हमारे इस दुनिया में कोई नहीं है। तुम्हारा बहुत- बहुत शुक्रिया बेटा, और तुम्हें किसने कहा कि तुम्हारा आज के बाद कोई नहीं है? हम लोग हैं ना।
जैसे ही उन्होंने ने कहा, आज के बाद आयशा बेटी भी हमारी हुई, वो सब मुस्कुरा दिए थे और जल्दी ही उन्होंने आयशा को गले से लगा लिया था।
आयशा भी इतना प्यार पाकर काफी ज्यादा खुश हो गई थी। क्योंकि उसके मन में जिन्न महारानी हुस्ना के अलावा पहली बार किसी ने उसे, इस तरह से प्यार से बात की थी।
वरना पूरी जिन्नातों की दुनिया में हर कोई उसके रंग- रूप को लेकर उसे परेशान किया करता था. और उसे उल्टी- सीधी बातें सुनाया करता था। और उसके वजूद को अनदेखा करके उसे, ठुकरा दिया करते थे।
लेकिन आज जिस तरह से उसे प्यार मिल रहा था। जोया के माँ- बाप और जोया बेहद खूबसूरत थे, और उनके सामने आयशा बडी साधारण दिखाई दे रही थी, लेकिन फिर भी उन्होंने" आयशा को इस बात का एहसास नहीं होने दिया और जोया, की तरह ही उसे प्यार किया।
फिर जल्दी ही सबने मिलकर केक काटा और उसके बाद सब एक साथ मिलकर बडे ही खुशगवार माहौल में खाना खाया।
आयशा केवल नाम के लिए खाना खा रही थी. क्योंकि उसे इस तरह से खाना खाने की आदत नहीं थी। जिन दिनों में वो शहजादी हुस्न के साथ रहा करती थी, तब वो कुछ फल वगैरा ही खाया करती थी।
जैसे ही जोया ने देखा कि आयशा खाना नहीं खा रही है, वो तुरंत उसके पास जाकर खडी होकर बोली, क्या बात है बेटा? तुम खाना क्यों नहीं खा रही हो? क्या तुम्हें खाना अच्छा नहीं लगा?
तब आयशा हल्का सा मुस्कुराकर बोली, नहीं- नहीं आंटी जी, खाना तो बहुत अच्छा है।
जैसे ही आयशा ने जोया की माँ को आंटी जी कहा, वो हल्की नाराजगी से बोली, नहीं बेटा, तुम मुझे आंटी नहीं कहोगी, बल्कि माँ कहोगी। समझी?
आयशा की आँखें भरने के लिए तैयार थीं, लेकिन आयशा ने उन आंसुओं को रोका। अगर आयशा आज यहाँ रो देती, तो पहले दिन ही उसकी सच्चाई इन लोगों के सामने आ जाती।
क्योंकि आयशा की आँखों से सामान्य नॉर्मल आँसू नहीं, बल्कि खून के आँसू नजर आते थे। जैसे- तैसे आयशा ने अपने इमोशन्स पर कंट्रोल किया, उसने जोया की अम्मी, रुखसाना जी को गले से लगा लिया।
वहीं दूसरी ओर,
अरमान( सूर्यवंशी) का चेहरा गुस्से से लाल होकर तमतमा गया था. क्योंकि आज भरी महफिल में एक लडकी ने उसे प्रपोज करने की हिम्मत की थी। इस बात को वो डाइजेस्ट नहीं कर पा रहा था। जो पार्टी रात के बारह से एक बजे तक चलने वाली थी, वो पार्टी अरमान सूर्यवंशी ने रात के ग्यारह बजे ही खत्म कर दी और सभी लोगों को वहाँ से जाने का ऑर्डर दे दिया।
वहाँ पर शहर के वीआईपी से लेकर गुंडे- माफिया मौजूद थे, लेकिन" अरमान सूर्यवंशी के सामने किसी की हिम्मत नहीं थी. कि वह उसकी किसी बात को इनकार कर सके। जल्दी ही पूरा पार्टी हॉल खाली हो गया।
पार्टी खाली होने के बाद" अरमान सूर्यवंशी सीधा ड्रिंक बार के सामने चला गया और वहाँ जाकर उसने लगातार ड्रिंक करना शुरू कर दिया।
तभी उसका दोस्त कबीर आहूजा उसके पास आया और तिरछी नजरों से उसे देखकर बडबडाने लगा, अरमान, ये क्या कर रहा है यार? बस कर। आखिरकार इतनी बडी बात क्या हो गई? अगर कोई लडकी तुझे पसंद करती है, तो इसमें इतना क्या बुरा मानना है?
authur note, (इस स्टोरी के न्यू चैप्टर वीकेंड में पोस्ट होंगे एक विक में एक चैप्टर आएगा) i हॉप आप लोग ढेर सारा प्यार देंगे और अपना साथ बनाए रखेंगे।
आखिरकार इतनी बडी बात क्या हो गई? अगर कोई लडकी तुझे पसंद करती है, तो इसमें इतना क्या बुरा मानना है?
यह सुनकर अरमान ने जोर से गिलास जमीन पटक दिया और गुस्से में अपने दोस्त का कॉलर पकडकर अपनी गहरी आंखों से उसे, गौर से देखते हुए सख्त आवाज में बोला, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह से बात करने की? हां, बोलो, जवाब दो।
मुझे नफरत है लडकियों से, सख्त नफरत। मुझे पसंद नहीं हैं लडकियां। ये बात तो तुम अच्छी तरह से जानते हो, फिर तू इस तरह की बातें मुझसे कैसे कर सकता है?
ये सुनकर अब कबीर का भी गुस्सा बढ गया और वो झुंझलाकर बोला, अरमान, तुम मुझसे कैसी बातें कर रहा है? मैं तेरा कोई नौकर- गुलाम नहीं हूँ। शायद तू भूल रहा है, मैं तेरा दोस्त हूँ। और अगर किसी लडकी ने अपनी पसंद का इजहार कर भी दिया, तो इसमें इतना बडा तमाशा बनाने की क्या जरूरत थी?
तुझे पता है तुने उस लडकी की कितनी बेइज्जती की? अरे, मुझे तो उस लडकी की फिक्र हो रही है पता नहीं वह लडकी कब तक जिंदा भी है या मर गई, क्योंकि तेरी इतनी कडवी बातें सुनने के बाद मुझे नहीं लगता कि वो लडकी अब तक जिंदा होगी।
कबीर के ये बोलने पर अरमान तिरछा सी स्माइल करके बोला, अगर ये बात सच है, तो वाकई मुझे खुशी होगी, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वो लडकी जिंदा रहे। अरमान सूर्यवंशी को उसकी बिना परमिशन देखने की इजाजत किसी को नहीं है। समझा तू?
कबीर अजीब सा मुंह बनाकर बुदबुदाता है, पता नहीं तू अपने आपको क्या समझता है? सोचता है कि तेरे लिए तो कहीं की कोई शहजादी ही आएगी। ये बात वो मन ही मन बडबडा सकता था. उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो" अरमान के सामने ये सारी बातें बोल दे, भले ही वो उसका कितना पक्का या बचपन का दोस्त क्यों ना हो।
अब कबीर को बडाबढता हुआ देखकर अरमान अपनी आईब्रो सिकोडकर उसे घूरते हुए बोला, अब इस तरह से मुझे घूर क्यों रहा है? हां, और क्या पटर पटर कर रहा है? तू मेरे बारे में अभी उससे इतना ही पूछा था कि.
तभी उसे पीछे से किसी की आवाज उन्हें सुनाई देती है। बॉस, वो लोग पकडे गए। अभी आवाज सुनकर अरमान, जो थोडी देर पहले गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था, अचानक उसके चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कुराहट आ गई। और वो मुस्कुरा कर अपने पीछे खडे हुए इंसान को तिरछी नजरों देखने लगा।
हालाँकि अरमान सूर्यवंशी मुस्कुरा रहा था, लेकिन उसके पीछे खडा हुआ इंसान उसे ऐसा लग रहा था. मानो कि उसके शरीर का खून जम गया हो। क्योंकि" अरमान सूर्यवंशी मुस्कुराता हुआ उसे बडी ही खतरनाक फीलिंग दे रहा था।
फिलहाल वो इंसान कोई और नहीं, बल्कि अरमान का बॉडीगार्ड, शेरा था. जो दिखने में एकदम बॉडीबिल्डर था। सौ लोगों से अकेले लडने की उसमें हिम्मत और ताकत दोनों ही थी, लेकिन अगर उसकी हालत किसी के सामने जाने से खराब हुआ करती थी, तो वो था. उसका बॉस, अरमान सूर्यवंशी, जो कितना खतरनाक था, इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता था।
फिलहाल, शेरा ने वहाँ जाकर" अरमान को बताया की वो तीनों लोग पकडे गए, जिन्होंने अरमान के इलीगल काम में टांग अडाने की कोशिश की थी। वो कोई और नहीं, बल्कि दो पुलिस ऑफिसर और एक पत्रकार था, जिन्हें" अरमान सूर्यवंशी के खिलाफ उसके इलीगल कामों की भनक लगी थी।
लेकिन अरमान सूर्यवंशी इसलिए मुस्कुरा रहा था. क्योंकि एक लडकी की वजह से उसका दिमाग काफी खराब हो गया था. और वो अपनी भडास किसी पर उतारना चाहता था, और फिलहाल उसे तरीका मिल गया था. कि वो अपनी झुंझलाहट Kiss पर और कैसे उतारेगा। इसीलिए वो डेविल स्माइल करते हुए कबीर, की तरफ एक आँख मारते हुए वहाँ से निकल गया।
उसके जाने के बाद कबीर ने बेबसी से अपना sir ना में हिला लिया। कहीं ना कहीं कबीर सोचने लगा था. की इस वक्त" अरमान सूर्यवंशी उन तीनों लोगों की कितनी बुरी तरीके से हत्या करेगा, इसका कोई अंदाजा भी नहीं लग सकता था, क्योंकि हर बार" अरमान सूर्यवंशी नॉर्मल मौत नहीं, बल्कि बडी ही खतरनाक और दर्दभरी मौत दिया करता था।
फिलहाल अरमान के जाने के बाद कबीर अब ड्रिंक करते हुए अरमान के बारे में सोचने लगा, लेकिन ठीक उसी वक्त वहां एक आवाज गूंजती है, अरमान भाई! अरमान भाई! कहाँ हैं आप? मैं आपको कब से ढूँढ रहा हूँ, अरमान भाई।
अब ये आवाज सुनकर कबीर दरवाजे की ओर गौर से देखने लगा। वहाँ अरमान का छोटा भाई, आहान, खडा था। आहान को देखकर कबीर उठ खडा हुआ।
तभी कबीर ने आगे बढकर आहान को गले से लगा लिया और और उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला, और क्या हुआ छोटे? इस तरह से अरमान को आवाजें क्यों लगा रहा है?
आहान नटखट अंदाज में मुंह बनाते हुए बोला, मैंने सोचा कि अरमान भाई भी आपके साथ यहाँ होंगे। मुझे पता चला कि आज रात अरमान भाई की पार्टी देर तक चलने वाली है, इसीलिए मैं अपने दोस्तों के साथ मौज- मस्ती करने के लिए वहां चला गया था, लेकिन बाद में मुझे बॉडीगार्ड का फोन आया। उसने बताया कि पार्टी कैंसिल हो गई है और केवल ग्यारह बजे में ही पार्टी खत्म हो गई। तो मैं चौंक गया और" अरमान भाई ने मुझे काम दिया था, तो बस मैं उनका काम करके फटाफट से यहाँ आ रहा हूं।
लेकिन आपको क्या हुआ? आप इस तरह से यहाँ क्यों बैठे हैं? वहां पार्टी में ऐसा क्या हंगामा हो गया? आप मुझे कुछ बताएँगे। मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।
अहान कबीर को भी अपना भाई मानता था।
तब आहान की बात सुनकर कबीर ने एक गहरी साँस ली और फिर बोलना शुरू किया, तू तो जानता है ना अपने खडूस भाई को, वो क्या किसी को चैन से जीने देता है? तुझे पता है उसने क्या किया?
फ्लैशबैक:
शहर की सबसे बडी पार्टी ऑर्गेनाइज की गई थी। दुनिया भर के वीआईपी लोग उस वक्त पार्टी में मौजूद थे।
अरमान सूर्यवंशी इस पार्टी में अपना एक न्यू ज्वेलरी design लॉन्च करने वाला था. उसका न्यू ब्रांड, जो एक डायमंड नेकलेस था। अरमान सूर्यवंशी डायमंड और गोल्ड का एक बहुत बडा बिजनेस था, और वक्त- वक्त पर वो लोग बेस्ट डिजाइन्स के डायमंड नेकलेस वगैरह नए- नए डिजाइन्स मार्केट में लाते थे।
और उस वक्त" अरमान सूर्यवंशी का इरादा इस पार्टी में अपने नए नेकलेस को लॉन्च करने का था. जो उसने, बडे ही बेहतरीन तरीके से तैयार करवाया था। उस वक्त अरमान सूर्यवंशी वो नेकलेस इंट्रोड्यूस करने वाला था, सब लोगों के सामने प्रेजेंट करने वाला था,
ठीक उसी वक्त, जोया, जो नेकलेस अपने साथ लेकर आयी थी, अचानक अरमान को देखते ही वो, उस पर फिदा हो गई और उसे, गले से लगाने की कोशिश करने लगी, और बेकाबू होकर सबके सामने अपने प्यार का इजहार कर बैठी।
अब ये सुनकर आहान का तो गला सूखने लगा, और वो इमेजिन करने लगा कि आखिरकार पार्टी में उसके बाद क्या हुआ होगा।
अरमान को तो कुछ समझ में नहीं आया, वो तो नेकलेस का वेट कर रहा था, लेकिन जिस तरह से जोया ने उसे गले से लगाया, ये देखकर अरमान का शरीर गुस्से से जलने लगा, और उसने उस वक्त जोया को बेरहमी से धक्का दे दिया।
और अपनी लाल आँखों से उसे चेतावनी देते हुए कहा, कि वो उसके आसपास भी दिखाई नहीं देनी चाहिए, और सिक्योरिटी को बुलाकर उसने जोया उसी वक्त वहाँ से बाहर फिकवा दिया। उसके बाद तो अरमान का मूड स्पॉइल हो गया और जल्दी ही उसने, पार्टी खत्म करने का ऐलान कर दिया।
अब ये सुनकर आहान भौंचक्का हो गया, और पास में ही पडी हुई पानी की बोतल उठाकर उसे, होठों से लगाकर फटाफट पीने लगा और पानी पीने के बाद गहरी साँस लेकर बडबडाया, are you सीरियस भाई! आप ठीक कह रहे हैं। किसी लडकी ने भाई को प्रपोज किया, और भाई ने उसके साथ ऐसा सलूक किया, वो भी भरी महफिल में! वो बहादुर लडकी कौन है? मैं एक बार, बस एक बार उस लडकी से मैं जरूर मिलना चाहूँगा।
तभी कबीर कुछ पल सोचते हुए बोला, पता नहीं वो बेचारी लडकी जिंदा है या मर गई, पर मुझे तो उस लडकी की काफी फिक्र हो रही है।
तब अहान एकदम से उदास होकर बोला, आखिर भाई की प्रॉब्लम क्या है? क्यों वो लडकियों से इतनी ज्यादा नफरत करते हैं? क्यों इतनी ज्यादा कडवाहट? आपको पता है, उनके ऑफिस में किसी फीमेल स्टाफ को अंदर जाने की भी इजाजत नहीं है।
और शायद उस बेचारी लडकी ने पहली बार भाई को देखा होगा, और शायद Love एट फर्स्ट साइट में वह भाई को प्रपोज भी कर बैठी, लेकिन बेचारी का क्या हाल हुआ होगा? आई विश, वो ठीक रहे। आहान ने अपना मासूम सा चेहरा बनाते हुए फिक्र जताते हुए बोला।
कबीर बेपरवाही से मुंह बनाते हुए बोला, तेरे भाई को तो लगता है कि वो एक शहजादा है, और उसके लिए कहीं से उतरकर कोई शहजादी ही आएगी। तू देखना, जल्दी इस इंसान को मोहब्बत होगी, और ये अपनी मोहब्बत में पूरी तरह से बदल जाएगा। ऐसे इंसान को मोहब्बत होगी तो क्या करेगा? ये अपनी मोहब्बत में. फिर कुछ पल रुककर चिढते हुए बोला, फिलहाल तो तेरा भाई गया है अपना फेवरेट काम करने के लिए।
अब जैसे ही कबीर बोलना बंद किया, आहान की आँखों में नमी आ गई, और वो दबी हुई आवाज में बोला, पता नहीं भाई कब ये खून- खराबा बंद करेंगे। ये बोलकर वो मायूस सा होकर कबीर के गले से लग गया।
वहीं दूसरी ओर,
इस वक्त आयशा और जोया एक साथ कमरे में मौजूद थे। जोया अभी भी रो रही थी, और साथ ही साथ आयशा का ढेर सारा शुक्रिया अदा कर रही थी. कि उसने उस वक्त उसकी जान बचा ली थी। अगर उसकी जान चली जाती, तो उसके माँ- बाप भी अपनी जान दे देते।
जोया को आज बहुत ही ज्यादा दिल दुख रहा था, और बार- बार अरमान ने उसके साथ क्या किया था, वो सारी बातें उसने आयशा को बता दी थीं। कहीं ना कहीं आयशा का दिल भी" अरमान की तरफ से गुस्से और नफरत से भर गया था।
वही दूसरी ओर जोया आयशा को अपने Boss की बेरुखी और अपनी बेइज्जती के बारे में बताती है।
आयशा को ये सब जानकर बहुत ज्यादा बुरा लग रहा था। वह सोच रही थी कि काश वो भी उसके Boss से एक बार मिल पाती। फिर उसके बाद उस इंसान को अच्छा- खासा मजा जरूर चखाती।
लेकिन फिर जोया ने ये भी बता दिया था. कि अरमान ने उसे तीन दिनों में अपना इस्तीफा देने के लिए कहा है और सारा काम अपने सुपीरियर को हैंडओवर करने के लिए कहा है। अब ये सब बताते हुए जोया की आँखों में उदासी झलक आयी।
अचानक से आयशा बेफिक्री बोली, तुम फिक्र मत करो, हम भी तुम्हारे साथ चलेंगे, और हम तुमसे वादा करते हैं कि हम तुम्हारी नौकरी नहीं जाने देंगे।
अब जैसे ही आयशा ने इतने आत्म विश्वास के साथ ये बात बोली, जोया ने उसे पहले आश्चर्य से देखा फिर हंसते हुए बोली, तुम्हें पता है, तुम्हारी बातें मुझे एक अलग लेवल का सुकून देती हैं। तुम कौन हो?
एक पल के लिए जोया की बात सुनकर आयशा सकपका कर चुप हो गई, और फिर अपने आपको आईने में देखकर उदास मन से बोली, मैं एक बदसूरत लडकी हूँ, जिसे अपनी बदसूरती की वजह से सिर्फ और सिर्फ अकेलापन और बेइज्जती ही मिली है, कभी इज्जत नहीं मिली, कभी प्यार नहीं मिला।
जैसे ही आयशा ने ऐसा बोला, तब जोया को काफी अजीब लगा, क्योंकि जिस तरह से आयशा बोल रही थी, वो बडे ही अजीब तरीके से बोल रही थी। अब आयशा की बात जोया को कुछ खास समझ में तो नहीं आयी,
लेकिन वो समझ चुकी थी. कि शायद अपने नाक- नक्शे को लेकर, और अपने शरीर की बनावट को लेकर वो इस तरह की बातें कर रही है। इसीलिए जोया उठ खडी हुई, और" आयशा को गले से लगाकर एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोली, कौन कहता है कि तुम बदसूरत हो? तुम बहुत खूबसूरत हो! और वैसे भी, इंसान का शक्ल और सूरत कुछ नहीं होता, उसकी सीरत खूबसूरत होनी चाहिए, बेशक तुम बहुत प्यारी हो। ये बोलकर उसने आयशा को गले से लगा लिया।
तब आयशा भी हल्का सा मुस्कुराई। फिलहाल, जोया ने आयशा को कुछ कपडे चेंज करने के लिए दिए और फिर बात बदलते हुए उसे बोली कि उन्हें आराम करना चाहिए। और जल्दी ही, अब हम कल ऑफिस जाएँगे, क्योंकि अभी नौकरी रहे या ना रहे, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता, लेकिन हाँ, मैं तुम्हें अपने साथ ऑफिस लेकर जरूर जाऊँगी। ये बोलकर जोया अब जल्दी ही बाथरूम में कपडे चेंज करने के लिए चली गई।
वहीं आयशा कपडे लेकर एक तरफ बैठ गई। इस वक्त उसे अपनी माँ, जिन्न महारानी, की शिद्दत से याद आ रही थी। और जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं, उसके ठीक सामने उसकी माँ प्यारी सी मुस्कान लिए खडी हुई थी।
अपनी माँ को कमरे में देखकर आयशा खुश हो गई। उसने तुरंत अपनी माँ, जिन्न महारानी, को गले से लगा लिया और चहकते हुए बोली, अम्मी जान! आप यहाँ? आप ठीक हैं ना? आप जानती हैं, हम आपको बहुत याद कर रहे थे। और वाकई, अम्मी जान, आपने हमारे लिए बहुत अच्छा परिवार चुना है।
आप जानती हैं, ये लोग हमसे कितने प्यार से पेश आ रहे हैं, और कोई भी हमारी बदसूरती को लेकर हमारे वजूद को, ठुकरा नहीं रहा है। कहीं ना कहीं ये सब कहते हुए आयशा की आँखें भर आयीं, और उसकी आँखों से लाल रंग के आँसू झर झर बहने लगे।
जिन्न महारानी हुस्ना, आयशा के आंसू देखकर तडप उठीं! और अपनी बेटी को गले से लगाकर अगले ही पल बोलीं, मुझे पूरी उम्मीद है, मेरी बच्ची, तुम्हें यहाँ इस इंसानी दुनिया में तुम्हारी खूबसूरती जरूर वापस मिलेगी, और उसके बाद हमारी बच्ची हमेशा- हमेशा के लिए खूबसूरत हो जाएगी।
और वैसे भी, मेरी बच्ची, जिन लोगों की बेरुखी की वजह से तुम आज यहाँ हो, वो सब तुम्हारे सामने झुकेंगे, क्योंकि अपने अब्बू, अपने पिता के बाद, तुम ही तो अगली जिन्न महारानी बनोगी।
अब ये सुनकर आयशा थोडा सा दंग रह गई और एकदम से हैरान होकर बोली, लेकिन पिताजी ने तो हमें जिन्न महारानी बनाने से मना कर दिया था।
तब जिन्न महारानी हुस्ना एकदम शांत आवाज में बोलीं, नहीं, मेरी बच्ची, वैसे भी तुम्हारे अलावा हमारा इस दुनिया में कोई नहीं है, और तुम ही हमारे वंशज हो, तो तुम ही हमारी जिन्न महारानी बनोगी। और उसके बाद तुम्हारे पास इतनी सारी शक्तियाँ होंगी, तुम आसानी से किसी का भी मुकाबला कर पाओगी।
और तुम जानती हो, जो लडकियाँ, जो शहजादियां, तुम्हारा मजाक उडाया करती थीं दुनिया में, वो सब तुम्हारे सामने झुकेंगी और तुम्हें सजदा करेंगी।
अब यह सुनकर कहीं ना कहीं आयशा को अच्छा भी लग रहा था, लेकिन ना जाने क्यों उसके दिल को अंदर से खुशी का एहसास नहीं हो पा रहा था।
वेल, अभी जिन्न महारानी आयशा को कुछ और बात करना चाहती थीं, तभी उन्हें बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी, और ठीक उसी वक्त जिन्न महारानी वहाँ से गायब हो गईं।
उनके जाने के बाद आयशा ने दरवाजे की ओर गौर देखा जहाँ से जोया आ रही थी, और जोया ने इधर उधर देखा और आकर सीधे आयशा से पूछा, तुम किसी से बात कर रही थी. क्योंकि अभी मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी।
तब जल्दी से आयशा बात बदलते हुए बोली, नहीं- नहीं, आपको कुछ और ही सुनाई दिया होगा, हम तो खुद से ही बातें कर रहे थे।
अब ये बोलकर आयशा हल्का सा मुस्कुरा दी। तभी जोया ने आयशा को कपडे चेंज करने के लिए कहा और नखरीले अंदाज में बोली, शायद मेरी कोई गलतफहमी होगी। और उसके बाद वो अपने फोन को स्क्रॉल करने लगी।
लेकिन जैसे ही जोया ने अपना फोन स्क्रॉल किया, तो उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गईं, क्योंकि सोशल मीडिया के टॉप ट्रेंडिंग टॉपिक पर जिस तरह से" अरमान सूर्यवंशी ने जोया को स्टेज पर धक्का दिया था. और लाल आँखों से उसे घूरते हुए उसे अपने आप से दूर रहने की चेतावनी दी थी, ये सारी बातें किसी ने शूट करके सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थीं। अब ये वीडियो देखकर जोया की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी।
तब तक जल्दी ही आयशा जोया के दिए हुए कपडे पहनकर बाहर आ गई थी। जोया ने उसे एक व्हाइट रंग की सलवार और उसके ऊपर हल्के पीले रंग की कमीज दी थी। हमेशा की तरह ही आयशा उसमें बडी ही बदसूरत एक दम भद्दी लग रही थी,
लेकिन आयशा ने अब आईना देखना बंद कर दिया था, क्योंकि वो अपनी बदसूरती को एक्सेप्ट कर चुकी थी। उसने डिसीजन ले लिया था. कि जिस दिन उसकी सच्ची मोहब्बत उसकी जिन्दगी में आएगी, उसी दिन वो आईना देखेगी और अपनी खूबसूरती को देखेगी।
फिलहाल, अब जैसे ही वो बाहर आयी, उसने जोया को देखा जो घुटनों के बल बैठे हुए रो रही थी। अब जोया को यूँ रोते बिलखते हुए देखकर आयशा हडबडा गई। और उसके sir पर हाथ फेरकर प्यारी सी आवाज में बोली, क्या हुआ जोया? तुम कुछ परेशान क्यों लग रही हो, और तुम इस तरह से रो क्यों रही हो? क्या हुआ? अभी तो सबकुछ ठीक हो गया था ना? हमने तुमसे कहा ना कि हम तुम्हारे साथ चलेंगे, और मैं पूरी कोशिश करूँगी कि तुम्हारी नौकरी ना जाए, तो फिर तुम रो क्यों रही हो? बताओ, क्या हुआ है?
अब आयशा की बात सुनकर जोया ने अपना sir उठाया और आयशा की ओर उदास नजरों से उसे देखकर सिसकियां लेती हुई बोली, तुमने मेरी जान बचाई, पर मुझे लगता है कि मेरे पास अब मरने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है, बिल्कुल भी कोई और रास्ता नहीं है। ये बोलते हुए जोया फिर से रोने लगी।
अब आयशा एकदम से हैरान गई और उसकी ओर सवालिया निगाहों देखने लगी और फिर आहिस्ता से बोली, क्या हुआ जोया? तुम इस तरह से क्यों रो रही हो, और ऐसी बातें क्यों कह रही हो? बताओ ना मुझे, क्या हुआ है?
जल्दी ही जोया ने खाली खाली नजरों से आयशा की ओर देखा और अपना फोन उसकी तरफ बढा दिया। फोन देखकर आयशा चौंक गई, क्योंकि फोन क्या होता है, ये सब तो उसे नहीं पता था।
नॉर्मली इंसानों की दुनिया में आने से पहले उसने इंसानों की तरह रहना, खाना, बोलना, ये सारी चीजें सीख ली थीं, लेकिन इंसानों की दुनिया में Kiss तरह की क्या टेक्नोलॉजी है, इसका उसे कोई खास अंदाजा नहीं था।
अब आयशा फोन को इधर उधर करके हैरानी से देखने लगी और फिर कुछ आवाजें सुनकर उस वीडियो को भी गौर से देखने लगी। वीडियो में अरमान ने जोया को धक्का दिया था। उसमें अरमान का चेहरा तो साफ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन जोया साफ- साफ दिखाई दे रही थी।
अब उस वीडियो को देखते हुए आयशा हैरानी से जोया की ओर उलझन भरी नजरों से देखकर बोली, क्या हुआ? इसमें ऐसा क्या है?
अब जोया हल्की नाराजगी से बोली, क्या तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा? किसी ने मेरी बेइज्जती का, और वीडियो सोशल मीडिया पर लाइव कर दिया है, और अब ये वीडियो मेरे माँ- बाप तक भी पहुँच जाएगी। उसके बाद मैं समाज में अपना मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी। अब मुझे लगता है कि मुझे मर ही जाना चाहिए। ये बोलकर उसने आयशा के कंधे पर sir रखकर जोरों से फूट फूटकर रोना शुरू कर दिया।
अब आयशा ने अपनी आँखें बंद कीं और फोन को उसने अपने हाथ में कसकर पकड लिया। वो जानना चाहती थी. कि आखिरकार ये फोन क्या चीज है और उसके अंदर ये सोशल मीडिया क्या होता है, क्योंकि उसे तो इस बात के बारे में कोई अंदाजा नहीं था। जल्दी ही उसने, जोया की मदद करने के लिए अपनी कुछ जादुई शक्तियों का इस्तेमाल किया, और जल्दी ही सोशल मीडिया, साथ ही साथ फोन, कंप्यूटर, हर चीज की नॉलेज उसके दिलो- दिमाग में आ चुकी थी।
क्योंकि आयशा अपनी मदद करने के लिए अपनी जादुई शक्तियों का, इस्तेमाल नहीं कर सकती थी। लेकिन जोया की मदद करने के लिए उसने, फोन और" सोशल मीडिया वगैरा कैसे हैंडल करना है, ये सब अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सीख लिया।
फिलहाल, आयशा सारी चीजें अच्छी तरह से समझने के बाद हल्का सा मुस्कुराई और जोया की ओर देखकर बोली, तुम्हारा मसला यही है ना कि ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है?
जोया रोनी सी शक्ल बनाकर बोली, हाँ,
फिर आयशा रहस्यमयी तरीके से बोली, अगर मैं इस मामले को ठीक कर दूँ तो. जैसे ही आयशा ये बात बोली, जोया अपनी आँखों में हैरानी लिए सवालिया निगाहों से आयशा की ओर देखकर बोली, लेकिन तुम इसे कैसे ठीक कर सकती हो?
आयशा ने अपनी आँखें एक पल के लिए बंद कीं और जोया की ओर बेहद शांत भाव से देखकर बोली, तुम मुझे कोई लैपटॉप लाकर दो। क्योंकि आयशा ने जल्दी ही सारी चीजों को अच्छे से सीख लिया था।
अब जैसे ही जोया ने आयशा को लैपटॉप लाकर दिया, आयशा ने गहरी साँस ली और फटाफट से उसने अपनी उँगलियों को कीबोर्ड पर चलाना शुरू कर दिया, और देखते ही देखते उसने पूरे सोशल मीडिया के अकाउंट को हैक करके, इस वीडियो को डिलीट कर दिया, और साथ ही साथ अपने जादू का इस्तेमाल करके जिन भी लोगों ने इस वीडियो को देखा होगा, उनके दिमाग से ये सारी याददाश्त को डिस्ट्रॉय कर दिया।
अब ये देखकर कि आयशा ने Kiss तरह से सोशल मीडिया को हैंडल किया है, जोया की आंखें हैरानी से फटी की फटी रह गई थी। और वो उलझन भरी नजरों से उसे देखकर एकदम से हडबडा कर बोली, ये कैसे किया तुमने? तुम तो जिनीयस् हो यार! मैं तो पहली नजर में समझ गई थी. कि तुम कोई आम लडकी नहीं हो। तुम तो एक बहुत बडी हैकर हो! मैं समझ गई।
जोया ने आयशा को एक बहुत बडी हैकर समझ लिया था, लेकिन फिलहाल आयशा ने उसकी प्रॉब्लम दूर कर दी थी, तो उसके लिए तो यही बहुत बडी बात थी, और उसने खुशी से आयशा को गले से लगा लिया और खुशी से चहकते हुए बोली, तुम तो मेरी जिन्दगी में एक फरिश्ता बनकर आयी हो। मैं तुम्हें अपनी जिन्दगी से कभी दूर नहीं जाने दूँगी। ये बोलकर जोया मुस्कुराने लगी और खुशी से उछलते हुए सोने के लिए बेड पर चली गई।
जोया के सोने के बाद आयशा उठकर बैठ गई और जोया, के कमरे की खिडकी से बाहर देखने लगी। उसके दिल में एक अजीब सा खालीपन था। ये खालीपन क्यों था, वो खुद समझ नहीं पा रही थी।
वहीं दूसरी ओर, इस वक्त अरमान सूर्यवंशी अपने फार्महाउस पर मौजूद था. और उसके ठीक सामने काले कपडे से मुंह ढके हुए तीन लोग बैठे थे। उनमें से दो पुलिस ऑफिसर थे. और एक जनरलिस्ट था। वो तीनों ही" अरमान सूर्यवंशी के काले धंधों के बारे में पता लगाने के लिए दिन- रात मेहनत कर रहे थे।
लेकिन अरमान सूर्यवंशी को इसकी भनक लग गई। उसने अपने खास आदमी शेरा को उन्हें पकडकर लाने के लिए भेजा, और आज फाइनली वे तीनों अरमान सूर्यवंशी के हाथ लग गए थे।
अरमान उन तीनों को इस तरह देख रहा था, जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है। वो बडी- बडी आंखों से तीनों को स्कैन कर रहा था. और जल्द ही एक छोटा सा शिकारी चाकू हाथ में पकडे उनके, ठीक सामने जाकर खडा हो गया। इशारे से उसने उनके चेहरों से कपडा हटवाया।
अब वे तीनों अपने सामने" अरमान सूर्यवंशी को देखकर थरथर कांपने लगे। तीनों ही हाथ जोडकर अरमान से अपनी जान बख्शने की भीख मांगने लगे, लेकिन जितना वो लोग उसके सामने तडप रहे थे और गिडगिडा रहे थे, अरमान सूर्यवंशी उतना ही जोर से हंसता जा रहा था। उसे ये सब किसी इंटरटेनमेंट की तरह लग रहा था।
जोया की वजह से आज" अरमान सूर्यवंशी का मूड पूरी तरह से खराब हो चुका था, लेकिन अब एक बार फिर अपना मूड ठीक करने के लिए वो यहां आया था. उन लोगों को अपने हाथों से सजा देने के लिए। कहीं न कहीं, उन लोगों की जान लेने के बाद वो खुदको तरोताजा महसूस करना चाहता था।
फिलहाल, अचानक पुलिस ऑफिसर, जो अरमान सूर्यवंशी की कैद में था, थोडा हिम्मत जुटाकर तेज आवाज में बोला, अरमान सूर्यवंशी! मैं कहता हूं, अभी भी वक्त है तुम्हारे पास। अपने आपको कानून के हवाले कर दो, और अपने सारे जुर्म कबूल कर लो। अगर तुमने गलती से भी हमारी जान लेने कोशिश की, तो याद रखना कानून तुम्हें नहीं छोडेगा!
हालांकि, उसकी आवाज में लडखडा रही थी. और उसके चेहरे पर" अरमान सूर्यवंशी का डर भी साफ झलक रहा था, लेकिन वो एक पुलिस ऑफिसर था। इस तरह से भला वह" अरमान सूर्यवंशी के सामने घुटने कैसे टेक सकता था?
लेकिन जैसे ही उसने अरमान को कानून का खौफ दिखाने की कोशिश की, अरमान सूर्यवंशी जोर- जोर से हंसने लगा। देखते ही देखते, उसने अपने हाथ में पकडे चाकू से पुलिस ऑफिसर की जुबान पर अचानक से हमला कर दिया।
जैसे ही उसकी जुबान कटी, बाकी का एक और ऑफिसर और जनरलिस्ट सूखे पत्ते की तरह कांपने लगे। उन्हें समझ आ चुका था कि वे किसके सामने खडे थे। और उनके साथ क्या कुछ हो सकता है।
फिलहाल पुलिस ऑफिसर की जुबान काटने के बाद, अरमान सूर्यवंशी ने अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ किया, क्योंकि उसके ठीक बराबर में उसका आदमी पानी का एक बाउल लेकर खडा था। हाथ धोने के बाद उसने एक लाल मखमली रुमाल से अपने, हाथ पोंछे और मुस्कुराकर शेरा की ओर देखा।
फिलहाल आज का उसका" एंटरटेनमेंट" पूरा हो चुका था। फिर, शेरा की ओर देखकर उसने आंखों ही आंखों में उसे कुछ ऑर्डर दिया और वहां से बाहर निकल गया।
अरमान के जाते ही, शेरा ने उन तीनों को उठाकर सीधा ब्लैकी के पिंजरे में डाल दिया। ब्लैकी, अरमान सूर्यवंशी का पालतू जानवर था. एक बडा, खतरनाक और काले रंग का एनाकोंडा कोबरा सांप। उसका नाम" ब्लैकी" था, और उसे देखकर ही लोग डर के मारे Heart अटैक से मर जाया करते थे।
लेकिन ये सांप सिर्फ और सिर्फ अरमान सूर्यवंशी की गंध को पहचानता था. और उसी के आगे शांत रहता था, चाहे वो कितना भी भूखा क्यों ना हो। बडी सावधानी से शेरा ने उन तीनों को" ब्लैकी की गुफा में डाल दिया, और कुछ ही देर में तीनों की चीखने- चिल्लाने आवाजें गूंजने के बाद हमेशा के लिए शांत हो गईं।
वहीं दूसरी ओर,
इस वक्त अरमान सूर्यवंशी अपने शानदार मेंशन में रूबाब से बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति पसरी हुई थी। अभी उसे वहां बैठे हुए कुछ ही देर हुआ था. कि तभी उसके कानों में एक जानी पहचानी आवाज गूंजी" अरमान! अरमान! कहां हो तुम?
जैसे ही उसे ये आवाज आयी, अरमान के माथे पर बल पड गए। उसके हाथ में इस वक्त एक ग्लास था। उसने उसे साइड में रखा और तुरंत उठकर उस कमरे की ओर जाने लगा, जहां से आवाज आ रही थी।
जैसे ही वह कमरे में पहुंचा, उसने देखा कि वहां एक बुजुर्ग औरत बैठी थी। उनका चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था, और उनकी कमजोर काया देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता था. कि उनकी उम्र सत्तर से पिछतत्र साल के बीच होगी।
वही बुजुर्ग औरत" अरमान को आवाज लगा रही थी। अरमान जैसे ही उनके पास गया, उसने अपना सिर उनके सामने झुका दिया।
तब बूढी औरत ने बडे प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और ममता भरी आवाज में बोली, तूने खाना खाया, बेटा? और तेरे पिताजी कहां हैं? मैं उस नालायक को कब से बुला रही हूं, लेकिन देख, वो अभी तक मेरे पास नहीं आया। बता, मेरे बच्चे कहां हैं वो? और तेरा वो बदमाश भाई. कहीं उसने फिर से कोई शरारत तो नहीं की?
तुझे पता है, कल उसने क्या किया? श्याम वर्मा का परिवार है ना, सामने वाला? उनकी खिडकी का कांच तोड दिया। कल भी मिसेज वर्मा मुझसे शिकायत कर रही थीं! यह कहते हुए बुजुर्ग अम्मा की आवाज हल्की- हल्की थरथरा रही थी।
तभी, अरमान बिना किसी भाव के उनकी ओर देखकर बेहद शांत आवाज में जवाब देते हुए बोला, सब ठीक है, दादी मां। आपको किसी के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। आपको अभी आराम करना चाहिए।
ये कहकर अरमान ने तुरंत डोरबेल बजाई, और देखते ही देखते Hospital स्टाफ कमरे में आ गया। अरमान ने गुस्से से उन पर नजर डाली और दमदार आवाज में कहा, कहां थे तुम सब? दादी कब से मुझे आवाज लगा रही थीं! क्या तुम लोगों को सुनाई नहीं दिया? कितनी बार कहा है, दादी को एक मिनट के लिए भी अकेला मत छोडा करो!
जल्दी ही एक नर्स, जो चौबीस घंटे दादी की देखभाल के लिए नियुक्त थी, घबराई हुई आगे आयी और एकदम से घबराहट में बोली, माफ कर दीजिए, सर! जब मैं कमरे से गई थी, बडी मैडम सो रही थीं। मैं सिर्फ उनके लिए लंच लेने गई थी।
ये सुनकर अरमान ने माथे पर हाथ फेरा और गुस्से में गंभीर होकर बोला, मुझे वे लोग सख्त जहर लगते हैं जो माफी मांगते हैं। समझी तुम?
फिर, उसने गुस्से में कहा, दादी मां के लिए इस घर में सौ से ज्यादा नौकर मौजूद हैं। वे भी जा सकते थे! तुम क्यों गईं? इसकी सजा तुम्हें जरूर मिलेगी! ये कहकर वह बिना किसी Emotions के वहां से बाहर निकल गया.
अपने कमरे में जाकर अंधेरे में बैठ गया। इस वक्त, अरमान की आंखों के सामने उसका बचपन घूम रहा था। क्योंकि आज भी उसकी दादी का दिमाग वहीं अटका हुआ था. जहां पंद्रह साल पहले, जब अरमान और आहान छोटे बच्चे थे. और गलियों में क्रिकेट खेला करते थे।
वेल, तभी अरमान की आंखों के सामने कुछ धुंधले- धुंधले दृश्य दिखाई देने लगे थे, और उसने अपनी आंखें खोल ली थीं। उसकी आंखें पूरी तरह से लाल हो चुकी थीं, और उसने अपने हाथ में पडा हुआ गिलास जोर से जमीन पर पटका और उठ खडा हुआ।
अब जैसे ही वह वहां से बाहर निकला, तुरंत उसे आहान और कबीर दिखे, जो घर की ओर आ रहे थे। क्योंकि अब फाइव- स्टार होटल में ऑलरेडी पार्टी खत्म हो चुकी थी, तो इसीलिए वो दोनों अब घर लौट आये।
कबीर आज आहान के साथ ही घर आ गया था। वैसे भी, कबीर अरमान का बचपन का दोस्त था. और सूर्यवंशी मेंशन में कभी भी आ- जा सकता था।
अब जैसे ही कबीर और आहान वहां आए, उन्होंने अरमान को लाल आंखों के साथ उनकी ओर आते हुए देखा, तो दोनों ही अंदर तक सहम गए थे, क्योंकि वे समझ चुके थे कि जरूर फिर से कुछ ना कुछ कांड हुआ है।
तभी कबीर ने आहान को कुछ इशारा किया, और आहान कबीर का इशारा समझकर तुरंत अरमान के सामने जाकर खडा हो गया और अपनी आंखों को टिमटिमाते हुए बोला, भाई! भाई! मुझे आपको कुछ बताना है।
अब ये सुनकर अरमान, जो गुस्से में घर से बाहर जा रहा था, आहान के रोकने पर रुक गया और उसकी ओर गौर से देखने लगा।
तब आहान जल्दी से थूक गटकते हुए अजीब सा मुंह बनाकर हंसते हुए बोला, भाई, वो मुझे आपको ये बताना है कि आज मैंने पूरी क्लास में टॉप किया है। ये देखिए!
आहान Collage में था, लेकिन पिछले कई सालों से वो एक बार भी पास नहीं हुआ था। अब जैसे ही आहान ने ये कहा, अरमान एकदम से हैरान हो गया और सवालिया नजरों से आहान की ओर घूरकर देखने लगा। क्योंकि ये वाकई खुशी की बात थी!
अरमान चाहता था. कि आहान खूब पढे, क्योंकि उनके पिता का सपना था. कि उनके बच्चे बहुत पढे- लिखे हों। लेकिन परिवार की जिम्मेदारी बहुत कम उम्र में" अरमान पर आ जाने के कारण वो खुद नहीं पढ पाया था।
फिर भी, उसने ये छोटा- सा सपना देखा था. कि वो अपने छोटे भाई आहान को खूब पढाएगा, और इतना पढाएगा कि उससे ज्यादा कोई पढा- लिखा ना हो।
लेकिन सात साल तक लगातार एक ही क्लास में फेल होने के कारण" अरमान का दिल बहुत दुखता था। अब यह सुनकर कि आहान फर्स्ट डिवीजन से पास हुआ है और उसने टॉप किया है, कहीं ना कहीं अरमान को हैरानी हो रही थी। अचानक उसकी लाल आंखें नॉर्मल होने लगीं।
तभी कबीर ने अरमान की आंखों का गुस्सा शांत होते देखा, तो तुरंत उसके पास आकर एक्साइटेड होकर बोला, अरे! यह तो बहुत अच्छी खबर है। ये खबर देने के लिए ही हम तेरे पास आ रहे थे। अब तुझे हमें फटाफट पार्टी देनी होगी। देखा ना, कितनी अच्छी खबर है! अब हम तीनों भाई एक साथ चलते हैं और फटाफट कहीं पार्टी करने चलते हैं।
अब यह सुनकर अरमान ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि वाकई ये उनके लिए काफी बडी बात थी। हालांकि, अरमान को अभी इस बात का कोई अंदाजा नहीं था. कि कबीर और आहान ने उसके गुस्से को शांत करने के लिए इस झूठ का सहारा लिया था।
वरना आहान सूर्यवंशी और पास हो जाए? ये तो इस जन्म में नामुमकिन था! आहान पढाई से उतना ही दूर था, जितना अरमान चाहता था कि वो पढाई करे।
फिलहाल, कबीर के कहने पर वे लोग रात के दो बजे सडकों पर निकल चुके थे और अपनी फेवरेट जगह जाने लगे थे।
वहीं दूसरी ओर
इस वक्त जोया के घर पर आयशा की आंखों में दूर- दूर तक नींद का कोई नामोनिशान नहीं था। उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी और खालीपन हों रहा था। इसलिए आयशा ने फैसला किया कि वो इस कमरे से बाहर जाकर इस दुनिया को देखेगी। की आखिर ये इंसानी दुनिया कैसी है?
आखिर क्यों इस दुनिया में आकर उसका दिल इतना ज्यादा बेचैन होकर अकेलापन महसूस कर रहा है? क्योंकि जिन्नातों की दुनिया में उसे कभी भी ऐसी अजीब- सी फीलिंग महसूस नहीं हुई थी। हां, वहां उसे बेइज्जती का सामना करना पडता था,
लेकिन इस दुनिया में आकर तो अभी तक किसी ने उसकी बेइज्जती भी नहीं की थी। सबने उससे प्यार से बात की थी। फिर ऐसा क्या था कि इस दुनिया में आकर उसे ये अजीब- सा खालीपन महसूस हो रहा था?
इसी खालीपन को भरने के लिए आयशा ने फैसला किया कि वो बाहर जाकर इस दुनिया को देखेगी। अचानक, देखते ही देखते, वो जोया के कमरे से गायब हो गई और सीधा उसके अपार्टमेंट से बाहर निकलकर सडकों पर आ गई।
इस वक्त रात का समय था, चारों तरफ अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी। ये शांति आयशा के दिल को सुकून दे रही थी। धीरे- धीरे पैदल चलते हुए, आयशा अपने आसपास की बडी- बडी ऊंची- ऊंची इमारतों, सडकों पर चलती हुई दो- चार गाडियों को देखने लगी।
इंसानों की दुनिया में Kiss तरह से रहना, खाना, पीना, बोलना, सोना, जागना सबकुछ वो सीख गई थी। लेकिन ये सब खुद अनुभव करने में उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था।
जल्दी ही, आयशा एक जगह जाकर खडी हो गई। सामने एक बेहद खूबसूरत, शानदार घर बना हुआ था, जो सडक के किनारे था। वहां एक बडी- सी कार खडी थी, और तीन लोग उस कार से उतरे और अंदर चले गए।
यह देखकर आयशा हैरान हो गई। वह देखना चाहती थी, कि आखिर इस जगह पर इतनी ज्यादा रोशनी क्यों है? क्यों यहां इतनी खूबसूरती है?
यह शहर का सबसे मशहूर स्टार Night क्लब था, जो पूरी रात खुला रहता था। पार्टी करने के लिए अक्सर लोग यहीं आया करते थे।
आज, अरमान, आहान और उनका खास दोस्त कबीर भी यहीं आए थे, क्योंकि अरमान को आहान और कबीर के साथ टाइम स्पेंड करना बहुत पसंद था।
वह उनके साथ नॉर्मल रहने की पूरी कोशिश करता था, लेकिन कबीर और आहान दोनों ही जानते थे कि अरमान सूर्यवंशी नॉर्मल तो कहीं से भी नहीं है।
अब आयशा ने जैसे ही वो जगमगाती जगह देखी, तो उसका दिल किया कि वो भी अंदर जाकर देखे कि वहां आखिर हो क्या रहा है।
यही सोचते हुए, आयशा अब उस Night क्लब की और कदम बढाने लगी।
आयशा धीमे कदमों से Night Club के अंदर दाखिल हुई। अंदर जाते ही रंग- बिरंगी Lights, तेज Music, और नाचते- गाते लोगों को देखकर वो एकदम से हैरान रह गई। ये माहौल उसके लिए बिल्कुल नया था। उसने जिन्नातों की दुनिया में कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था।
धीरे- धीरे वो Night Club के अंदर इधर उधर देखते हुए कदम बढाने लगी और चारों ओर गौर से देखने लगी। तभी उसकी नजर कबीर और अहान पर जा टीकी, जो Bar counter के पास खडे गपशप कर रहे थे। Club के अंदर आने के बाद" अरमान सिंघानिया का इम्पॉर्टेन्ट Call आया था, और ज्यादा म्यूजिक होने की वजह से वो Club के Top Floor के एक Room में चला गया था. और वहाँ जाकर अपने Call attend करने लगा।
लेकिन तब तक आहान और कबीर बार में रुक गए थे। कहीं न कहीं, उनके चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी क्योंकि उन्होंने अरमान से झूठ बोला था, लेकिन वे ये बात अच्छी तरह जानते थे. कि अरमान से कोई भी राज ज्यादा देर तक छुपा हुआ नहीं रह सकता है। जैसे ही अरमान को पता चलेगा कि उन्होंने उसके Exam में Pass होने का झूठ बोला है, तों अरमान उन दोनों को बिल्कुल नहीं छोडेगा।
हालाँकि, अहान जानता था. वो उसे कोई कठोर सजा भी नहीं देगा, लेकिन वो जानता है कि अरमान की जान आहान में बसती है वो अपने भाई से बहुत प्यार करता है। इसीलिए वो आहान से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह सकता।
तब कबीर ने अहान से हिचकिचाते हुए कहा, तू परेशान मत हो, मैं इसका बंदोबस्त कुछ न कुछ कर ही लूँगा, और अरमान को कुछ भी पता नहीं चलेगा। अभी, जब हम यहां आ ही गए हैं, तो पूरी तरह से इन्जॉय करते हैं।
तू अच्छी तरह से जानता है कि तेरा भाई कभी- कभी ही मूड में होता है, और आज वो तेरे Pass होने की वजह से मूड में है, तो तू भी अपना मूड चिल आउट कर ना। अरे वो देख वहाँ पर ये बोलकर, वो लगातार अपने आसपास के माहौल और साथ ही साथ ड्रिंक करते हुए, नाचती हुई खूबसूरत लडकियों को दिखाने लगा।
तभी एक खूबसूरत लडकी को देखकर, अहान उसकी ओर जाते हुए मुस्कुरा कर बोला, कबीर, भाई! मैं बस थोडा सा डांस करके आता हूँ। ये बोलकर, जल्दी ही आहान डांस फ्लोर पर पहुँच चुका था. और एक डांसर के साथ डांस करते हुए थिरकने लगा। वो अब काफी ज्यादा खुश नजर आ रहा था।
वहीं, जैसे ही आयशा की नजर उन लोगों पर पडी, तो वो हैरान हो चुकी थी। लेकिन इस तरह से डांस करते हुए, आधे- अधूरे कपडों में लडकियों को देखकर, कहीं न कहीं आयशा बहुत ज्यादा हैरान और शर्मिन्दा हो रही थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यहाँ पर क्या हो रहा है।
तभी अचानक एक बार सिक्योरिटी बाउंसर की नजर" आयशा पर पडी। वो तुरंत उसके पास चला आया और सख्त आवाज में बोला, मिस, तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुम बडी ही बदसूरत दिखाई दे रही हो, और तुम्हारे आस- पास कोई भी नहीं है।
सिक्योरिटी को देखकर आयशा थोडा सा घबरा गई, लेकिन खुदको थोडा कंट्रोल करके नॉर्मल तरीके से बोली, मैं यहाँ घूमने आयी हूँ, इन्जॉय करने के लिए आयी हूँ। आयशा ने अपनी मीठी सी आवाज में जवाब दिया था।
अब आयशा की इतनी मीठी सी आवाज सुनकर, एक पल के लिए सिक्योरिटी बाउंसर को काफी ज्यादा सुकून मिला, लेकिन अगले ही पल आयशा की शक्ल देखने के बाद, उसका रवैया फिर से बदल चुका था, और वो उसे घूरते हुए थोडे गुस्से में बोला, देखो, रात के दो बजे के बाद यहाँ पर सबसे अमीर और पहुँचे हुए लोग आते हैं।
और इस तरह से किसी ने तुम जैसी बदसूरत दिखने वाली लडकी को यहाँ देख लिया, तो इस Club को बंद होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। तो इसीलिए तुम्हारी भलाई इसी में है, कि तुम अभी और इसी वक्त यहाँ से निकल जाओ, समझी?
ये सुनकर आयशा को ज्यादा खास बुरा तो नहीं लगा था, लेकिन इंसानों की दुनिया में पहली बार कोई उसकी इस तरह से बेइज्जती कर रहा था। लेकिन फिलहाल तो वो बस यही देखना चाहती थी. कि आखिरकार ये कौन सी जगह है, और वहाँ जाकर उसे अंदाजा भी हो चुका था कि ये कौन सी जगह है।
इसीलिए उसने वहाँ से बाहर जाने का डिसीजन लिया और मुंह फुलाकर बोली, ठीक है, मैं यहाँ से चली जाती हूँ। अब जैसे ही आयशा वहाँ से वापस जाने के लिए मुडी, ठीक उसी वक्त आहान, जो कि बार डांसर के साथ डांस करके वापस आ रहा था, वो आयशा से बडी बुरी तरह से टकरा गया।
आयशा को तो हालाँकि कुछ नहीं हुआ, केवल वो लडखडाकर पीछे हट गई, लेकिन आहान उससे टकराकर नीचे गिर गया था। अब आहान गुस्से से लाल होकर अपने सामने खडी हुई लडकी यानी आयशा को देखने लगता है।
अहान को गिरता हुआ देखकर कबीर भी वहाँ आ पहुंचा, और वे दोनों ही अब सवालिया नजरों से आयशा की ओर आंखें सिकोडकर देखने लगे। क्योंकि कबीर को भी आयशा को देखकर काफी ज्यादा घृणा महसूस हो रही थी, क्योंकि उसके शरीर की बनावट, उसका नाक नक्शा कुछ ऐसा था जो उसे, बेहद बदसूरत बनाता था।
अब जैसे ही आहान और कबीर ने आयशा को देखा, और फिर एकदम से दोनों एक- दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर, हंसने लगते है। अब ये देखकर आयशा थोडा सा शर्मिंदा सा हो गई थी।
तभी कबीर हँसते हुए मजाकिया अंदाज में बोला, यार अहान, देख! ये लडकी तो इस Club में फिट ही नहीं बैठती। ये यहाँ क्या कर रही है?
अहान भी हंसकर मस्ती के मुड में बोला, सच में! इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि ये किसी और ही दुनिया से आयी है। ऐसे अजीब लोग भी Club में आने लगे क्या? मुझे तो ये कोई एलियन लगती है she is so funny
ये बोलकर दोनों हंसने लगे, और आस- पास के कुछ और लोग भी उनकी बातें सुनकर मुस्कुराने लगे।
आयशा उनकी बातें सुन रही थी। हालाँकि आयशा को इस तरह की बातें सुनने की आदत थी, लेकिन इंसानों की दुनिया में आने के बाद उसने पहली बार अपने बारे में ऐसा अपमानजनक शब्द सुने थे। उसके दिल में एक अजीब सा दर्द उठ रहा था।
लेकिन उसने गहरी साँस ली और खुदको शांत रखा। वो जानती थी कि इन दोनों को अभी ये नहीं पता कि वह कौन है। आयशा ने बदले में केवल उन्हें घूरकर देखा और फिर बडी ही धीमी आवाज में बोली, मुझे माफ कर दीजिए, मैं चलती हूँ, गलती शायद मेरी ही थी। ये बोलकर आयशा वहाँ से पलटकर जाने लगी।
वहीं कबीर और अहान, जो कि अभी थोडी देर पहले आयशा पर हंस रहे थे, वो अब अपने आप ही चुप हो गए थे, क्योंकि उनका ये स्वभाव नहीं था. वो दोनों हमेशा दूसरों की रिस्पेक्ट करते थे और सबकी हेल्प करते थे।
लेकिन आयशा का चेहरा ही कुछ ऐसा था. कि जिसे देखकर वो दोनों अपनी हँसी नहीं रोक पाए और अनजाने में आयशा की बेइज्जती कर बैठे! लेकिन जैसे ही उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उन्होंने आयशा की बेइज्जती की है, तो उन्होंने डिसीजन लिया कि वे अभी इस लडकी से माफी माँग लेंगे। ये सोचते हुए, जल्दी ही वो आयशा के ठीक पीछे- पीछे Club से बाहर जाने लगे।
वहीं आयशा जैसे ही Club से बाहर आयी, उसने सोचा कि उसे अब अपना जादू का इस्तेमाल करना चाहिए और वापस जोया के पास, उसके बेडरूम में पहुँच जाना चाहिए! आज के लिए इतना इंसानों को देखना बहुत है उसके लिए, क्योंकि उसकी अच्छी खासी बेइज्जती हो गई थी।
अब उसका बिल्कुल इरादा नहीं था कहीं और घूमने जाने का। इससे पहले कि जोया अपना जादूई- मंत्र पढकर वहाँ से गायब होती, ठीक उसी वक्त आहान और कबीर उसके पीछे- पीछे आ गए थे। और तुरंत अहान बोल पडा, सुनिए मैडम, रुकिए एक मिनट।
अब जैसे ही अहान की आवाज आयशा ने सुनी, जो कि अपना मंत्र पूरा करने वाली थी, वो रुक गई और चौंककर आहान को देखने लगी।
लेकिन इससे पहले कि अहान और कबीर कुछ कह पाते, ठीक उसी वक्त चोरी करने के इरादे से दो मोटरसाइकिल सवार उस Night Club के बाहर से गुजरे, और एक ने तुरंत आकर आहान को गन पॉइंट पर ले लिया था।
अब ये देखकर कबीर चीख पडता है। वहीं आयशा भी पूरी तरह से चौंक गई थी। अगले ही पल उसने अपनी जादूई शक्ति के द्वारा इस बात का पता लगा लिया था कि ये लोग यहाँ पर मारपीट के साथ- साथ, सामान की छीना- झपटी करने के लिए आए हैं।
अब आयशा बिना किसी डर के, तुरंत उस हमलावर के ठीक सामने जाकर खडी हो गई, और जिस गन की ट्रिगर को उसने अहान के sir पर रखा था, आयशा ने तुरंत उस गन को सीधा आगे से पकडकर आसमान की ओर कर घुमा दिया था, और गलती से तुरंत हवाई फायरिंग हो गई थी।
अब ये देखकर जो मोटरसाइकिल सवार थे, उनकी तो हैरानी बढ चुकी थी। उन्होंने तो सपने में भी नहीं सोचा था. कि कोई लडकी अचानक से आकर उनकी बंदूक की ट्रिगर को ही मोड देगी। और अब वे समझ गए कि ये लडकी कोई छुपी हुई पुलिस एजेंट है। उन्होंने अपना अनुमान लगाया और ये सोचते हुए वे लोग फटाफट से जिस मोटरसाइकिल से आए थे, उसी पर सवार होकर वहाँ से भाग निकले।
वहीं अहान के इतने पास गोली चली थी, उसकी तो साँसें ऊपर- नीचे होने लगी थीं। और वो बिना पलकें झपकाए हैरानी से खडा रहा।
अब गोली की आवाज इतनी तेज थी. कि Night Club के अंदर जो शोरगुल और म्यूजिक बज रहा था, वो सब भी अब पूरी तरह से बंद हो चुका था, क्योंकि रात के दो बजे के बाद धीमे वॉइस पर ही म्यूजिक बज रहा था, जिस पर लोग थिरक रहे थे। गन की आवाज म्यूजिक से कहीं ज्यादा तेज थी, जो उन लोगों को आसानी से सुनाई दे गई, और सब लोग हैरान हो गए, और धीरे- धीरे पूरे के पूरे Club के लोग बाहर आकर जमा होने लगे थे कि आखिरकार यहां क्या हो रहा है।
वहीं कबीर और अहान, जो कि दोनों ही अभी सदमे में थे, और एक- दूसरे को संभालकर खडे हुए थे, उन्हें होश नहीं रहा कि अब आगे क्या किया जाना चाहिए।
वहीं अब इतने सारे लोगों को वहाँ जमा होते हुए देखकर आयशा थोडा सा हडबडा गई, और उसने सोचा कि उसे अब यहाँ से फटाफट निकल जाना चाहिए। और लोगों की भीड का फायदा उठाकर, जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, आयशा वहाँ से गायब होकर सीधा, एक बार फिर" जोया के साथ उसके बेडरूम में आ पहुँची थी।
वहीं अरमान ने भी गन की आवाज जैसे ही सुनी, वो तुरंत दौडकर नीचे आया था, और यहाँ आकर जब उसे यह पता चला कि अहान पर जानलेवा हमला हुआ था, तो अब तो अरमान का खून खौलने लगा। उसे लगा कि जरूर उसके किसी दुश्मन ने, अरमान सूर्यवंशी के भाई से दुश्मनी निकालने के लिए, उस पर हमला किया है।
फिलहाल अब तक कबीर और अहान दोनों ही पूरी तरह से सदमे में थे, और अरमान सूर्यवंशी मेंशन पहुँच चुका था, और अपने बॉडीगार्ड शेरा को उसने हुक्म दे दिया था. कि पता लगाओ कि किसने उसके भाई पर हमला करने की कोशिश की है, उसे जिंदा और सलामत अरमान के सामने पेश किया जाए।
अरमान ने अपने बॉडीगार्ड्स को आदेश दिया, जिसने भी मेरे भाई पर हमला किया, उसे जिंदा पकडकर मेरे सामने लाओ!
वहीं, कबीर और अहान अब भी सदमे में थे। लेकिन वे दोनों जानते थे कि आज उनकी जान आयशा ने बचाई थी। लेकिन अब अरमान का गुस्सा देखकर उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी. कि वो उसे बता सके कि आखिर हुआ क्या था।
वहीं, कबीर और आहान अब भी सदमे में थे। लेकिन वे दोनों जानते थे कि आज उनकी जान आयशा ने बचाई थी। लेकिन अब अरमान का गुस्सा देखकर उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी. कि वो उसे बता सके कि आखिर उनके साथ हुआ क्या था।
अरमान अपने बॉडीगार्ड को हुक्म देकर सीधा आहान के पास जाकर बैठ गया था। लगातार अहान के चेहरे को फिक्र जताते हुए एकटक देखे जा रहा था।
अब अरमान को इस तरह परेशान देखकर आहान के चेहरे पर पसीने की बूँदें झलकने लगी। इस वक्त आहान को अरमान से बहुत ज्यादा डर लग रहा था. क्योंकि उसने अरमान से झूठ बोला था कि उसने क्लास फर्स्ट डिवीजन से पास कर लिया है, और साथ ही साथ उस पर हमला भी हो गया था।
वहीं कबीर भी अपना सिर झुकाकर बैठा हुआ था और सोच रहा था कि ये सब आखिर हुआ कैसे गया। और कबीर को उस वक्त क्या हो गया था? कबीर हमलावरों का मुकाबला क्यों नहीं कर पाया? उन दोनों ने जिस लडकी का मजाक उडाया था। उसी लडकी ने उन लोगों को बचाया था,
कहीं ना कहीं ये गिल्ट दोनों को अंदर ही अंदर खायें जा रहा था, और दोनों ही सोच रहे थे कि काश उन्हें उस लडकी से एक बार और मिलने का मौका मिल जाता, तो वो उससे अपने किए की माफी माँग लेते।
वहीं, अचानक अरमान की रोबदार आवाज गुंजती हैं, मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि तुमने क्लास में फर्स्ट आने का झूठ मुझसे बोला है। बचपन से पाला है तुझे, तेरी रग- रग से वाकिफ हूँ। तू कब क्या कर सकता है और क्या नहीं, मैं सब समझता हूँ। तेरा ये चेहरा है, जिसे देखकर मैं थोडा शांत हो जाता हूँ।
अब जैसे ही अरमान ने ये बम फोडा, कबीर और अहान दोनों के चेहरों का रंग एकदम से उड गया था।
अरमान कबीर की ओर सख्त नजरों से देखकर बोला, एक बात बता, इसे तो ज्यादा अक्ल नहीं है, लेकिन तुझे क्या हुआ है? तू उसके साथ रहकर बच्चा क्यों बन जाता है? हाँ, और क्यों तूने उसके झूठ में इसका साथ दिया? बोलो, जवाब दे मुझे!
अब जैसे ही कबीर ने अरमान की ये बात सुनी, कबीर तुरंत हडबडाकर बोला, नहीं- नहीं अरमान, तू गलत समझ रहा है। ऐसा कुछ नहीं है। तू उस वक्त काफी गुस्से में था और उदास भी लग रहा था, और मुझे तेरी ये उदासी अच्छी नहीं लगी। इसीलिए हमने तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए इस तरह का बहाना बना दिया। अच्छा अब सॉरी।
अरमान खुदको शांत किया फिर बोला, तू जानता है, अगर तूने आज आहान की जान नहीं बचाई होती, तो मैं अब तक तुझे ब्लैकी की गुफा में डाल चुका होता।
अब जैसे ही अरमान ने ये बोला, कबीर हडबडा कर घबराई नजरों से अरमान की ओर देखने लगा। उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था. कि आखिरकार अरमान क्या कह रहा है। अहान की जान उसने थोडी ना बचाई थी, अहान की जान तो एक बदसूरत लडकी ने बचाई थी।
लेकिन अरमान को तो यही लग रहा था, कि अहान की जान उस वक्त कबीर ने बचाई थी। तो कबीर झिझकते हुए बेहद आहिस्ता से बोला, लेकिन अरमान, तुझे शायद कोई गलतफहमी. इतना ही बोला था कि तभी अचानक अरमान का फोन बज उठा, और अरमान अपना फोन लेकर तुरंत वहाँ से बाहर की ओर निकल पडा।
वहीं अहान और कबीर मासूम सी शक्ल बनाकर एक दूसरे को देखने लगते हैं फिर कबीर अजीब सा मुंह बनाकर बोला, ये अरमान को क्या हो गया है? इसे शायद यही लग रहा है कि तुम्हारी जान मैंने बचाई है, जबकि तुम और मैं, हम दोनों ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि जिस लडकी का हमने मजाक उडाया था, उसी अनजान लडकी, ने तुम्हारी जान बचाई है।
तब अहान को जैसे एक बार फिर वो बात याद आई, वो थोडा उदास हो गया और वो हल्की आवाज में बोला, पता नहीं कबीर भाई, हम ऐसी बदतमीजी कैसे कर बैठे? वो भी किसी लडकी के साथ! पर वो लडकी देखने में काफी अजीब थी, लेकिन चाहे कोई कैसा भी हो, हमें कोई हक नहीं है किसी के बारे में कुछ भी बकवास बातें बोलने का।
जैसे ही अहान ने ये बोला, कबीर तुरंत उसके पास आया और उसका हाथ थामकर बोला, तू जो कुछ कह रहा है, बिल्कुल ठीक कह रहा है। मुझे भी अंदर ही अंदर ये गिल्ट खाए जा रहा है। लेकिन तू फिक्र मत कर, कल हम उस लडकी को ढूँढकर उससे माफी माँगेंगे।
अभी तो फिलहाल मुझे इस बात की फिक्र है कि अरमान को गलतफहमी हुई है कि मैंने तुझे बचाया है, और इसीलिए उसने मुझे जिंदा छोड दिया। और अगर उसे ये पता चलेगा कि तुझे किसी लडकी ने बचाया है, तो पता नहीं वो मेरा क्या हाल करेगा? वो तो मुझे कोबरा के आगे डाल देगा।
अहान और कबीर दोनों ही जानते थे कि अरमान ने बहुत बडे अजगर टाइप कोबरा साँप को अपना पालतू बनाया हुआ था। कोबरा का जिक्र करने पर दोनों ही सूखे पत्ते की तरह कांपने लगे। इस वक्त भी कोबरा के जिक्र करने पर दोनों के होंठ फडफडाने लगे थे, और टाँगें थरथराने लगी।
वहीं दूसरी ओर
और आयशा सीधा सोफे पर जाकर लेट गई थी। हालाँकि उसकी आँखों में कोई नींद नहीं थी, लेकिन वो सोने की कोशिश करने लगी, और साथ ही साथ उन दोनों, कबीर और अहान के बारे में सोचने लगी, जिन्होंने उसकी बेइज्जती की थी, लेकिन फिर भी आयशा ने उन दोनों की जान बचाई थी। लेकिन आयशा के मन में उन दोनों के लिए किसी तरह के गिले शिकवे या कोई नफरत, कोई गुस्सा नहीं था। वो जल्दी ही कुछ यादों में खो गई।
अगली सुबह के तीन से चार बजे का समय था। अब आयशा तुरंत उठ खडी हुई, और जल्दी ही उसने बिना जोया को पता लगे अपने रब की इबादत करना शुरू कर दिया था। इबादत करने के बाद आयशा को कुछ अलग ही लेवल का सुकून मिला, और फिर जल्दी ही वो अपनी इबादत पूरी करने के बाद जोया के पास इस तरह से आकर लेट गई की जोया को कोई एहसास नहीं हुआ।
पूरी धूप खिलने पर जैसे ही जोया उठी, आज उसका दिल काफी ज्यादा हल्का- फुल्का सा था। एक तो आयशा ने जोया के दिलो- दिमाग से अरमान सूर्यवंशी की मोहब्बत को निकालकर फेंक दिया था, और उसे जिंदगी की सच्चाई से रूबरू करवाया था।
क्योंकि पिछले साल, हालाँकि जोया को अरमान सूर्यवंशी के अंपायर में काम करते हुए पाँच साल हो चुके थे, लेकिन" अरमान सूर्यवंशी की एक झलक उसने एक साल पहले एक सेमिनार के दौरान देखी थी। उसी वक्त वो अपना दिल हार बैठी थी। सोते- जागते सिर्फ अरमान सूर्यवंशी के बारे में वो सोचने लगी थी, और वो पूरी तरह से उसके प्यार में पागल हो गई थी।
और उस दिन भी ऐसे ही हुआ जिस दिन नेकलेस की Presentation सब लोगों के सामने होनीवाली थी, और जिसे अरमान सूर्यवंशी खुद करने वाला था। लेकिन जोया, जो कि उसे नेकलेस को लेकर वहां आयी थी, अब अपने सामने अरमान सूर्यवंशी को देखकर वो खुदको रोक नहीं पायी, और उसका जिस प्यार, जिसे उसने अपने दिलो- दिमाग में एक बहुत ऊँचा मुकाम दे रखा था, उसको मद्देनजर रखते हुए उसने सीधा अरमान को सबके सामने गले से लगाकर" आई Love You बॉस" बोल दिया था।
लेकिन उसके बाद अरमान ने सब सामने जोया की बेइज्जती की, और उसके ख्वाब एक ही पल में टूट गए थे। फिलहाल वो अब कुछ और नहीं सोचना चाहती थी। अब उसने रियलिटी से सामना कर लिया था, उसने डिसीजन ले लिया था. कि वो सिर्फ अपने काम पर ध्यान देगी, और अपने माँ- बाप को एक अच्छी जिंदगी देगी।
फिलहाल जैसे ही उसकी आँख खुली, उसने देखा कि आयशा ऑलरेडी पहले से ही उठकर बैठ गई है, और आयशा भी जोया के पहने हुए कपडों में ही है। तब जोया आयशा को उलझन भरी नजरों से देखकर बोली, क्या हुआ? तुम ठीक होना? कुछ उदास लग रही है। जैसे ही जोया ने सुबह उठते ही सबसे पहले आयशा से ये सवाल पूछा, आयशा ने केवल एक फीकी सी मुस्कराहट दी और धीमी आवाज में बोली, हम बिल्कुल ठीक हैं। आप परेशान मत होइए।
तब जोया इधर उधर कुछ ढूंढते हुए बोली, अभी तो मेरे पास काफी कपडे हैं, जिन्हें तुम भी पहन सकती हो। मुझे लगता है कि मेरे कपडे तुम्हें आसानी से आ जाएँगे। ठीक है? और जो भी तुम्हारा मन हो, तुम मेरे वॉर्डरोब से वो कपडे लेकर पहन सकती हो। तुम्हारे लिए सबकुछ, सब कुछ अवेलेबल है। ओके?
अब ये सुनकर आयशा एकदम से मुस्कुरा दी थी।
तभी जोया खडी होकर आयशा के कंधे पर हाथ रखकर बोली, आप जानती हैं आयशा, मैं शुरू से ही चाहती थी कि मेरी एक बहन हो, पर लगता है ऊपरवाले ने मेरी ये बात सुन ली और आपको मेरी जिंदगी में भेज दिया। रियली, मैं आपको पाकर बहुत ही ज्यादा खुश हूँ। ये बोलकर एक बार फिर जोया ने उठकर आयशा को गले से लगा लिया था।
ठीक उसी वक्त जोया की अम्मी और अब्बू कमरे में दाखिल हुए, और अपने हाथ में चाय के ट्रे लेकर आते हुए बोले, अरे, हमारी दोनों बेटियाँ उठ गई? चलो- चलो, फटाफट से अब हम साथ मिलकर चाय पीते हैं।
जोया के अब्बू ने जैसे ही ये कहा, वैसे आयशा और जोया के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई थी। आयशा को वाकई उन लोगों के साथ रहते हुए अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानो इन लोगों से उसका, अलग ही जन्मों- जन्मों का नाता हो।
फिलहाल जल्दी ही सबने एक साथ बैठकर अच्छे माहौल में चाय पी, Breakfast किया, और तब आयशा ने जोया से कहा, मैं आपके साथ आपके ऑफिस चल रही हूँ, तो मैं चेंज करके आती हूँ, तब तक आप भी तैयार हो जाइए।
अब जोया, जिसके अंदर आयशा ने काफी हिम्मत भर दी थी, वो अब आयशा के साथ अपने ऑफिस, यानी सूर्यवंशी अंपायर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।
9) Besabra Armaan/ Aaysha Ki Office Me Entry....
फ़िलहाल, आयशा ने जोया के वॉर्डरोब से एक व्हाइट रंग का प्लेन फ़्रॉक चुना था, क्योंकि उसके अकॉर्डिंग वही एक ऐसी ड्रेस थी जो उसे फ़िट बैठ रही थी। अब उसे पहनकर जब आयशा जल्द ही बाहर आई, तो वहीं आयशा बेहद बदसूरत दिखाई दे रही थी। लेकिन उसने इसकी कोई परवाह नहीं की।
अब जैसे ही आयशा तैयार होकर बाहर आयी, एक पल के लिए जोया के अम्मी-अब्बू दोनों ही आयशा की बदसूरती देखकर थोड़ा-सा सकपका गए थे। लेकिन तभी जोया आगे आकर और एकदम से उसे देखकर बोली, "आयशा, अगर आप चाहें तो दूसरे कपड़े भी पहन सकती हैं।"
तभी कहीं ना कहीं आयशा जोया के कहने का साफ मतलब समझ गई थी। लेकिन तभी आयशा ने हल्का-सा मुस्कुराकर जवाब दिया, "हम अच्छी तरह से जानते हैं कि हम कैसे दिख रहे हैं, और हम कोई भी कपड़े पहन लें, हम उनमें बदसूरत ही दिखाई देंगे। हम अपनी बदसूरती को अच्छी तरह से समझते हैं, और जानते भी हैं कि हम कितने साधारण दिखते हैं।"
जैसे ही आयशा ने बड़ी धीमी आवाज़ में ये बातें बोली, कहीं ना कहीं ये बातें सुनकर जोया की अम्मी का गला भर आया था। उन्होंने आगे बढ़कर आयशा को गले से लगाकर बोला, "मेरी बच्ची, हमें माफ़ कर दो। तुम्हें देखकर हमारा इरादा तुम्हें इस तरह से ठेस पहुँचाने का नहीं था।
हम तो बस चाहते हैं कि तुम अपने रंग के अकॉर्डिंग कपड़े पहनो, ताकि तुम उनमें और प्यारी लगो। और बेटा, ज़्यादा रंग रूप और ख़ूबसूरती कुछ नहीं होती, दिल से तुम कितनी ख़ूबसूरत हो, ये हमें साफ़ दिखाई दे रहा है। और वैसे भी, हमारे बच्चे जोया की तुमने जान बचाई है, तो हमारे लिए तुम साधारण नहीं, बल्कि इस दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत लड़की हो।"
जैसे ही जोया की मम्मी ने उसे प्यार से निहारते हुए कहा, आयशा हल्की सी मुस्कुराई और फिर बोली, "हम इन कपड़ों में बिल्कुल ठीक हैं। आप परेशान मत होइए। और हमने अपने आपको अपनी सादगी के साथ क़बूल किया है। और मुझे लगता है जो हमसे प्यार करेंगे, वो हमें इसी सादगी के साथ क़बूल भी करेंगे।"
जैसे ही आयशा ने थोड़े से गहरी आवाज़ में ये बात कही, उस वक़्त जोया की अम्मी-अब्बू दोनों ही चुप हो गए थे, और एक दूसरे की शक्ल देखने लगे थे। तभी जोया इस बात में इंटरफ़ेयर करते हुए बोली, "अच्छा-अच्छा, चलो ठीक है, बातें बहुत हो गई हैं। अब हम लोग यहां से फ़टाफ़ट निकल रहे हैं। वैसे मुझे ऑफ़िस के लिए लेट हो रहा है।"
ये बोलकर फ़टाफ़ट से जोया अपनी स्कूटी की चाबी ली और आयशा को अपने साथ लेकर सूर्यवंशी अंपायर की ओर रवाना हो गई थी।
वहीं, आयशा स्कूटी पर बैठकर काफ़ी ज़्यादा खुश थी, क्योंकि पहली बार वो इस तरह की किसी स्कूटी की राइड पर बैठी थी। क्योंकि उसे अगर कहीं भी जाना होता था, तो वो अपनी जादूई शक्तियों का इस्तेमाल करके चली जाया करती थी। लेकिन स्कूटी पर बैठकर उसे, कुछ अलग ही लेवल की खुशी मिल रही थी।
अब जैसे ही जोया ने फ़ुल स्पीड पर स्कूटी चलाना शुरू की, कहीं ना कहीं आयशा आँखें बंद करके उस पल को एन्जॉय करने लगी थी। लेकिन जल्दी ही आयशा ने तुरंत अपनी आँखें खोल ली थीं। उसकी आँखें इस वक़्त पूरी लाल थीं, क्योंकि आगे क्या होनेवाली है उसे उस अनहोनी का अंदेशा हो गया था।
क्योंकि इस वक़्त जोया ज़्यादा तेज़ रफ़्तार पर स्कूटी चला रही थी, वहाँ पर उसका एक बड़ा भयानक एक्सीडेंट होनेवाला था। लेकिन आयशा को एक्सीडेंट होने से पहले ही इस बात का एहसास और अंदाजा हो गया, और उसने तुरंत जोया के कानों में हल्की सी फूँक मार दी थी।
अब जैसे ही आयशा ने जोया के कानों में फूँक मारी, अचानक जोया, जो कि स्कूटी चला रही थी, उसने तुरंत स्कूटी बिल्कुल किनारे पर लगाकर छोड़ दी थी, और मुड़कर आयशा की ओर उलझन भरी निगाहों से देखकर बोली, "मुझे लग रहा है कि स्कूटी में कुछ problem हो गई है। मुझे चेक करना चाहिए।"
अभी उसने इतना ही बोला था की तभी एकदम बड़ा ही भयानक, दो ट्रक आपस में बड़ी तेज़ी से टकरा गए थे। अब ये देखकर जोया की चीख निकल गई थी, और वहाँ पर फटाफट से काफ़ी सारे लोग जमा हो चुके थे।
वहीं दूसरी ओर,
इस वक़्त सूर्यवंशी अंपायर में अरमान सिंघानिया, जोया के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था, क्योंकि उसकी इगो तब तक सेटिस्फ़ाई नहीं होनेवाली थी, जब तक जोया उससे माफ़ी नहीं मांग लेती। और अरमान सूर्यवंशी की कंपनी में ठीक समय पर हर एक एम्प्लॉई का आना बहुत ज़रूरी होता था।
लेकिन अब रास्ते में एक्सीडेंट हो जाने के कारण जोया और आयशा वहाँ फँस गई थीं। लेकिन अरमान सूर्यवंशी का गुस्सा जैसे-जैसे घड़ी की सुई बढ़ रही थी, उसका पारा भी बढ़ता ही जा रहा था।
वहीं आयशा ने अब जोया को रास्ते में पानी पिलाना शुरू कर दिया था, क्योंकि इस वक़्त इस भयानक एक्सीडेंट को देखने के बाद जोया के होश खोने लगे थे, और वो घबराती हुई बोली, "आयशा, अच्छा हुआ हम बाल-बाल बच गए। वरना हमारी तो जान आज चली जाती। अगर हम 1 मिनट पहले साइड में स्कूटी नहीं रोकते, तो इस एक्सीडेंट का शिकार हम भी हो सकते थे।" ये बोलते हुए जोया के हाथ थरथरा रहे थे।
लेकिन आयशा हल्का-सा मुस्कुराते हुए उसे बोली, "डोंट वरी, जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हें कुछ नहीं होगा।" उस वक्त बड़े ही विश्वास के साथ आयशा ने ये बात बोली थी।
और तभी जोया ने आयशा को गले से लगाकर कहा, "सचमुच, तुम्हें ऊपरवाले ने मेरे लिए फरिश्ता बनाकर ही भेजा है। तुमने आज मेरी दूसरी बार जान बचाई। अगर तुम मेरे साथ नहीं होतीं, तो शायद आज मैं ज़िंदा नहीं होती।" ये कहते हुए जोया की आँखों में नमी तैर गई थी।
लेकिन आयशा ने उसे दिलासा देते हुए कहा, "अब तुम ये सारी फ़ालतू की बातें छोड़ो। हमें ऑफ़िस के लिए लेट हो रहा है ना? चलो फ़टाफ़ट से चलते हैं। कहीं ऐसा ना हो की अरमान अपनी नफ़रत में कोई अगली चाल न चल दे।"
अब जैसे ही आयशा ने अरमान के बारे में जोया को याद दिलाया, जोया के कान तुरंत खड़े हो गए थे, और वो हड़बड़ा कर एकदम से बोली, "हाँ-हाँ, तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो। वैसे भी बॉस को लेट आनेवाले लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं।" ये बोलकर जल्दी ही अब वो लोग एक बार फिर आगे बढ़ने लगी थीं।
वेल, जल्दी ही जोया और आयशा अरमान सूर्यवंशी के अंपायर के ठीक सामने खड़ी हुई थीं। एक पल के लिए आयशा इतनी ऊँची और एकदम चमकने वाली बिल्डिंग को देखकर चौंक गई थी, क्योंकि वो वाकई बहुत ही ज़्यादा ख़ूबसूरत थी।
फ़िलहाल, अब जैसे ही जोया ने एक नज़र आयशा की नजरों का पीछा किया, तो वो समझ गई थी. कि शायद आयशा ने पहली बार इतनी ख़ूबसूरत और बड़ी बिल्डिंग देख रही होगी। इसीलिए जोया ने तुरंत आयशा से कहा, "हमने कहा था ना, डोंट वरी, ये शहर है, और यहाँ पर इस तरह की तुम्हें कितनी ही बड़ी-बड़ी, हज़ारों बिल्डिंगें मिल जाएँगी।
लेकिन हाँ, ये बात अलग है कि सूर्यवंशी अंपायर जितनी ख़ूबसूरत बिल्डिंग पूरे शहर भर में कहीं नहीं मिलेगी। फ़िलहाल, चलो, तुम मेरे साथ आओ, मैं तुम्हें अपना पूरा ऑफ़िस दिखाती हूँ।" हो सकता है कि मेरा भी आज इस ऑफ़िस में आखिरी दिन हो, कहीं ना कहीं जोया ने मायूस चेहरे से उसे देखते हुए ये कहा था।
तब आयशा ने हल्की-सी मुस्कराहट के साथ कहा, "डोंट वरी, तुम फ़िक्र मत करो, मैं हूँ ना, मैं सब संभाल लूँगी।" कहीं ना कहीं आयशा की इस तरह की बातें जोया को बार-बार हैरान और परेशान कर रही थीं. कि कोई इतना ज़्यादा कॉन्फ़िडेंट आखिरकार कैसे हो सकता है?
फ़िलहाल, जैसे ही चौकीदार ने जोया और आयशा को एक साथ देखा, तो उसने अपना मुँह बना लिया था, क्योंकि आयशा बड़ी ही साधारण और बदसूरत दिखाई दे रही थीं। इतनी ज़्यादा साधारण सी लड़की आज तक वहाँ नजर नहीं आई थी।
अब जैसे ही जोया और आयशा ने उस चौकीदार का चेहरा देखा, वो समझ चुकी थीं कि वो उसे घिन्न भरी नजरों से घूर रहा है। फ़िलहाल, उसने उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और वो जोया के साथ अंदर जाने लगी।
लेकिन चौकीदार ने तुरंत उसे बाहर रोक दिया और डांटते हुए बोला, "मेडम आप अकेली जा सकती हैं, लेकिन ये लड़की आफिस के अंदर नहीं जाएगी। इसकी शक्ल देखी है इसकी? इसे देखकर तो किसी को भी उल्टी आ जाए। और मुझे लगता है कि अगर बॉस के इम्पॉर्टेन्ट क्लाइंट्स मौजूद होंगे, इसे देखकर ज़रूर वहां से भाग जाएँगे।"
अब जैसे ही चौकीदार ने खड़े-खड़े आयशा की बेइज़्ज़ती की, जोया को बहुत तेज़ गुस्सा आ गया था, और वो चौकीदार को उंगली दिखाकर थोड़ी तेज़ आवाज़ में तिलमिलाकर बोली, "जस्ट शट अप! ये मेरी बहन है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह से उसके बारे में बात करने की? मैं तुम्हारी शिकायत बॉस से करती हूँ।"
एक बार बॉस का नाम आते ही चौकीदार अंदर तक काँप गया, क्योंकि उसके ऑफ़िस में, नहीं, हर जगह ये बात फैली हुई थी कि अरमान सिंघानिया पालतू जानवरों के शौक़ीन हैं, और कोबरा साँप को पालता हैं। फ़िलहाल, वह तुरंत एक साइड हो गया था।
तब जोया ने फीकी मुस्कान करते हुए आयशा की ओर देखा और एकदम से बोली, "तुम इसकी बातों का बुरा मत मानना। तुम चलो मेरे साथ।" ये बोलकर वो आयशा को अपने साथ लेकर अंदर जाने लगी थी।
लेकिन आयशा का दिल अंदर ही अंदर बहुत ज़्यादा दुख रहा था। इस तरह की बातें हालाँकि वह बचपन से सुनती हुई आई थी, लेकिन अब इंसानी दुनिया में भी इस तरह की बातें सुनकर उसे कुछ अलग ही तरह का एहसास हो रहा था।
क्योंकि जब से वह यहाँ आई थी, आस-पास उसने जितनी भी लड़कियाँ देखी थीं, सब एक से बढ़कर एक ख़ूबसूरत थीं। भले ही किसी का रंग साँवला हो, लेकिन उसका चेहरा कमाल का ख़ूबसूरत था। लेकिन आयशा के पास तो कुछ भी नहीं था, ना तो रंगत थी और ना ही ख़ूबसूरत चेहरा।
उसके चेहरे के नक़्शे कुछ इतने अजीब से थे, ऐसा लगता था मानो वो कोई एलियन हो, कुछ अलग ही दुनिया की लड़की हो।
हालाँकि ये बात अलग थी. कि वो जिन्नों की दुनिया से आयी थी, उसके पास इतनी सारी शक्तियाँ मौजूद थीं कि वो कुछ भी आसानी से कर सकती थी। लेकिन उसके पास अपने आपको ख़ूबसूरत बनाने की शक्तियां नहीं थी।✍🏻
10) Aysha Ki Beizzati Aur Armaan Ki Narazgi...
आयशा के पास इतनी सारी शक्तियाँ मौजूद थीं कि वो कुछ भी आसानी से कर सकती थी। लेकिन उसके पास अपने आपको ख़ूबसूरत बनाने की शक्तियां नहीं थी। ऐसा नहीं था कि कभी भी आयशा ने कोशिश नहीं की थी। आयशा ने अपने आपको खूबसूरत बनाने के लिए ना जाने कितनी ही कोशिशें की थीं। एक से एक खूबसूरत लिबास, जिन्नातों की दुनिया से मँगवाकर, उसने पहने थे। लेकिन वो हर एक लिबास में वो बदसूरत ही दिखाई दे रही थी। और भी कई तरीके अपनाए थे लेकिन वो नाकामयाब रही।
लेकिन जब उसे ये पता चला की उसकी जिंदगी पर कोई श्राप असर हुआ है, और जब तक उसका श्राप नहीं टूट जाता, तब तक वो इसी तरह से बदसूरत रहेगी। वो कभी भी खूबसूरत नहीं हो पाएगी। इसीलिए अब आयशा ने ठान लिया था की, चाहे कुछ भी हो जाए, इंसानी दुनिया में जाकर वो उस शख्स को ढूंढेगी, जो उसके श्राप को तोड़ सकता है। तों उसने सोचा की वो उस शख्स से मिलकर अपने, इस बदसूरती के दाग को हमेशा के लिए मिटा देगी।
फिलहाल, उसने मन में इरादे को मजबूत किया और उसने सिक्योरिटी वाले की बात को इग्नोर करके, वो जोया के साथ अंदर जाने लगी। अब जैसे-जैसे जोया और आयशा निकल रही थीं,
वहाँ पर जो भी स्टाफ के लोग मौजूद थे, वो सब आयशा को बड़ी ही अजीब नज़रों से घूर-घूरकर देख रहे थे। सबको बड़ा ही अजीब लग रहा था, क्योंकि आयशा वहाँ सबसे अलग दिखाई दे रही थी।
लेकिन जोया को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार, आयशा ने उसकी दो बार जान बचाई थी, और वो आयशा को दिल से अपना मान चुकी थी। इसीलिए, जो कोई भी अगर कुछ भी कहने की कोशिश करता, उसके खिलाफ जोया उसे बातें सुनाते हुए, वो आगे बढ़ने लगी।
वहीं दूसरी ओर,
अरमान सूर्यवंशी के केबिन में कबीर और आहान दोनों ही सर झुकाकर बैठे हुए थे, क्योंकि अरमान सूर्यवंशी ने उन दोनों को झूठ बोलने की सजा दे दी थी। क्योंकि उन्होंने झूठ बोला था कि, इस बार आहान फर्स्ट क्लास पास हो गया हैं।
इसीलिए अरमान ने उन दोनों को सजा दी, कि आज वो सारा दिन "अरमान के ठीक नजरों के सामने बैठकर ऑफिस का काम करेंगे।
कबीर अरमान सूर्यवंशी के ऑफिस में ही मैनेजिंग डायरेक्टर काम किया करता था. जब उसका दिल करता था, वो काम करता था, वरना मौज-मस्ती करने के लिए आहान के साथ घूमने के लिए निकल जाया करता था। उसकी आहान से काफी अच्छी बनती थी।
हालाकि वो अरमान की हमउम्र का था, लेकिन आहान का साथ उसे ज़्यादा अच्छा लगता था, क्योंकि अरमान के साथ तो उसे हमेशा डरते हुए ही रहना पड़ता था।
फिलहाल, आहान अजीब सा मुँह बनाकर अब एक तरफ मेज़ पर रखे हुए फ़ाइलों के ढेर को चिढ़ते हुए गुस्से से देख रहा था, और साथ ही साथ मुंह फुलाते हुए कबीर को जानलेवा नजरों से घूर रहा था. क्योंकि आज वो इस झंझट में कबीर की वजह से ही फंसा हुआ था। अगर वो झूठ नहीं बोलता, तो शायद अरमान उसे इतना सारा काम नहीं देता।
फिलहाल, अरमान उन्हें घूरते हुए गहरी और कड़क आवाज़ में बोला, "अब तुम लोग मुँह सड़ाकर क्यों बैठे हुए हो? जो काम दिया है, फटाफट से काम खत्म करो, और आज सारा दिन तुम लोग यही से काम करोगे। आज तुम्हारा लंच भी स्किप कर दिया जाएगा।"
अब ये सुनकर तो आहान तुरंत पेट पर हाथ रखते हुए बोलने लगा, "ये क्या कर रहे हैं भाई आप? मैं काम तो कर लूँगा, लेकिन आप ही सोचिए हम इस तरह से बिना खायें कैसे काम कर सकते हैं? आप तो जानते हैं कि मैं तो खाने के लिए जीता हूँ। भाई आप कोई और सजा दे दिजिए, लेकिन खाना मिस मत करवाइए। मैं खाने के बिना नहीं रह सकता हूँ।"
तुरंत आहान ने रोने वाली शक्ल बना ली थी। वो अच्छी तरह से जानता था. कि अरमान सबकुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन उसकी आँखों में आँसू का एक भी कतरा बर्दाश्त नहीं कर सकता।
फिलहाल, अरमान ने अपनी गहरी आंखों से उसे गौर से देखा और फिर अगले ही पल बोला, "नौटंकी करने की कोई ज़रूरत नहीं है। खाना मिल जाएगा, लेकिन सिर्फ़ एक ही बार, समझे तुम? और जो मैं खाना ऑर्डर करूँगा, वही तुम्हें खाना खाना पड़ेगा।"
तब आहान और कबीर ये सुनकर दोनों एक साथ चिल्ला पड़े, "नहीं! हम तुम्हारा लाया हुआ खाना बिल्कुल नहीं खाएँगे!"
क्योंकि अरमान हमेशा खाने में सिर्फ़ और सिर्फ़ डाइट के अकॉर्डिंग लिया करता था. जिसमें उबले हुए चावल, उबले हुए आलू, उबला हुआ खाना, उबली हुई सारी वेजिटेबल सूप, और साथ ही साथ बड़ा ही बेकार सा, क्या कहते हैं उसको, पालक का सूप।
ये हुआ करता था अरमान का खाना। उन्हें ऐसा लगता था मानो कि उन्हें तिहाड़ जेल में भेज दिया गया हो।
फिलहाल, वो ये खाना किसी भी कीमत पर नहीं खाना चाहते थे. लेकिन अब अरमान के सामने वो ज़्यादा बोल भी नहीं सकते थे। दोनों के मन में कोबरा ब्लैकी का डर बैठा हुआ था।
दूसरी ओर
जैसे ही जोया अपने केबिन में गई, उसने देखा कि उसके केबिन में, उसकी सीट पर कोई और बैठा हुआ है, और वो कोई और नहीं, रोज़ी थी।
रोज़ी ने जैसे ही उसे देखा, वो जोया के आने पर उसके सामने ताली बजाते हुए नखरीले अंदाज में बोली, "अरे वाह! तुम तो यार एक नंबर की शेरनी निकली! तुमने अरमान सूर्यवंशी को सबके सामने प्रपोज़ भी कर दिया! यार, तुमने तो बड़ी हिम्मत दिखाई!
फिलहाल, तुम्हारे प्रपोज़ करने का नतीजा निकला कि तुम्हें जॉब से तो हटाया जा रहा है, और साथ ही साथ तुम्हें अरमान सूर्यवंशी से माफ़ी माँगनी होगी, और अरमान सर कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं, और आज ही तुम्हें लेट आना था। तुम अच्छी तरह से जानती हो, की सर टाइम के कितने ज़्यादा पंक्चुअल हैं!"
रोज़ी, जो हमेशा से ही जोया से चिढ़ी हुई रहती थी, जैसे ही उसने इस तरह की बातें कीं, और बातें करते-करते अचानक से उसका ध्यान आयशा पर गया, तो वो जोरों से ठहाके लगाकर हँसते हुए बोली, "अच्छा! तो तुम्हें इस कूड़े को लाने के लिए देर हो गई? अरे, तुम इसे कहाँ से उठाकर लाई हो? कौन से कूड़ेघर से इस लड़की को उठाकर लायी हो?
कितनी घटिया चीज़! सो डिस्गस्टिंग! कौन है ये? हाँ, डोंट टेल मी कि तुम इसे जानती हो, तुम इसको अपने साथ क्यों लेकर आयी हो?" रोज़ी ने बड़े ही बेहूदा तरीके से मुस्कुराते हुए ये सवाल किया।
अब रोज़ी की बात सुनकर जोया को उस पर बहुत तेज गुस्सा आया, क्योंकि वो आयशा की बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं कर सकती थी, और उसने तुरंत रोज़ी के ऊपर हाथ उठा दिया था, और चिल्लाकर ऊंची आवाज़ में भड़कते हुए बोली, "ख़बरदार! जो मेरी बहन के बारे में कुछ भी कहा, तो समझी तुम!"
अब उसके हाथ उठाने पर रोज़ी अपने दाँत पीसने लगी, और कुछ उखड़े अंदाज में फटाक से बोली, "तुम्हारी इतनी हिम्मत? तूने मुझ पर हाथ उठाया? शायद तू भूल रही है कि तेरा आज इस ऑफिस में आख़िरी दिन है, और तेरी इतनी औक़ात नहीं है कि तू मेरे पर हाथ उठा सके! और इस बदसूरत लड़की को कहाँ से लेकर आयी है? कौन है ये? सच में, मैं इसे एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकती!"
उन दोनों को देख रोज़ी गुस्से से जल रही थी, और जोया ने उस पर हाथ भी उठा दिया था. लेकिन वो अच्छी तरह से जानती थी. कि "अरमान सूर्यवंशी के ऑफिस में किसी तरह का कोई भी एरोगेंट बिहेवियर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था. इसीलिए अपने गुस्से पर कण्ट्रोल करते हुए, वो जैसे-तैसे वहाँ से बाहर निकल गई थी।
उसके जाने के बाद जोया ने तुरंत आयशा को पकड़कर उदास मन से कहा, "अपी आपको उसकी बात का बुरा मानने की कोई ज़रूरत नहीं है। वो ऐसे ही बदतमीज़ लड़की है, जो हर किसी से जलती रहती है। बहुत प्योर होने का नाटक कर रही है, जबकि वो खुद बॉस को दिल ही दिल में चाहती है, क्योंकि हमारे बॉस है ही ऐसे की कोई और एक बार देख ले, तो उनसे मोहब्बत कर बैठे।
फिलहाल, इस मोहब्बत ने मुझे सिर्फ़ दुख ही दिया है, और कुछ नहीं। इसीलिए मैं इस मोहब्बत को पूरी तरह से भूल जाना चाहती हूँ। फिलहाल, मैं बॉस से मिलकर आती हूँ।
अगर सर ने मुझे जॉब से निकाल दिया, तो मैं रिग्रेट नहीं करूंगी, मैं कहीं और नौकरी कर लूँगी। ठीक है? तो मेरा यहीं केबिन में इंतज़ार करना। मैं आती हूँ।" ये बोलकर जोया वहाँ से जाने लगी,
लेकिन आयशा ने तुरंत उसका हाथ थामकर बेहद आहिस्ता से कहा, "मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ।"
अब ये सुनकर जोया भौंचक्की रह गई, क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि अरमान "जोया की बेइज़्ज़ती आयशा के सामने करे, या फिर आयशा की बदसूरती को लेकर उसे ताना मारे, या कोई और भी आयशा की बेइज़्ज़ती करे, इसीलिए जोया चाहती थी कि वो उसके केबिन में इन्तजार करें।
लेकिन आयशा जैसे ही बोला कि वो भी उसके साथ चलेगी, अब जोया सच में परेशान हो गई और एकदम से हड़बड़ाहट में बोली, "लेकिन बॉस को ये बिल्कुल भी पसंद नहीं आएगा कि कोई उनके केबिन में इस तरह से बिना परमिशन जाए, क्योंकि मुझे ही जाने की परमिशन मिली है, और तुम्हें पता है, आज तक कोई भी फ़ीमेल स्टाफ़ बॉस के केबिन में नहीं गई है।"
अब ये सुनकर आयशा हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली, "कोई बात नहीं।" तब आयशा ने सोचा की क्यों न एक बार बॉस के केबिन को देख लिया जाए। तब आयशा ने अपनी आँखें बंद कीं, और आँखें बंद करके वो केबिन में देखने की कोशिश करने लगी थी कि आखिरकार जोया का बॉस कौन है, और आगे क्या होनेवाला है, और उसका केबिन कौन सा है?
लेकिन अरमान सूर्यवंशी के शानदार केबिन का बाहर से दरवाज़ा तो दिखाई दे रहा था, लेकिन उसके अंदर का नज़ारा कुछ भी आयशा को नज़र नहीं आ रहा था।
अब आयशा ने अपनी आँखें खोली, और जैसे ही उसने आँखें खोलीं, उसकी आँखें एकदम से लाल हो गई थीं। उसके लाल आंखें देखकर एक पल के लिए जोया भी डर गई थी।
लेकिन फिर आयशा ने तुरंत खुद पर कण्ट्रोल किया, और वो आश्चर्य से सोचने लगी, कि आखिरकार ऐसा क्या है कि वो बॉस के केबिन में उसके बॉस को नहीं देख पायी? फिर खुद से बुदबुदाई, आज तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि मैंने अपनी जादुई शक्तियों का प्रयोग किया हो, और मैं कुछ न कर पायी हो या देख न पायी हो।
कहीं न कहीं आयशा को हैरानी हुई। इसीलिए उसने अब जोया की ओर देखकर कहा, "चाहे कुछ भी हो, चाहे तो तुम मुझे अंदर लेकर मत जाना, लेकिन मैं फिर भी तुम्हारे साथ चलूँगी।"
अब आयशा के ज़िद करने पर जोया उसे मना नहीं कर पायी, हार मानकर उसने उसे अपने साथ चलने की इजाज़त दे दी थी।
वहीं दूसरी ओर,
अरमान सूर्यवंशी के बॉडीगार्ड, शेरा ने तुरंत अरमान को इस बात के बारे में इंफ़ॉर्मेशन दे दी थी कि वो लड़की, जोया आ गई है, और वो आपसे मिलना चाहती है। अब ये सुनकर अरमान के चेहरे पर एक शैतानी चमक आ गई थी।
वहीं आहान और कबीर एक-दूसरे को कंफ़्यूज़न से देखने लगे, और तभी उनकी आँखों में एक-दूसरे को क्लियर कर दिया था. कि ज़रूर आज उस लड़की की ख़ैर नहीं है।
आहान और कबीर दोनों का ही आज मूड पूरी तरह से बिगड़ा हुआ था, क्योंकि वो दोनों तो आज उस लड़की को ढूँढ़ना चाहते थे, जिस लड़की ने आहान की जान बचाई थी, और उसको ढूँढकर उसको शुक्रिया अदा करके, उसे अपने बदतमीज़ी की माफ़ी माँगना चाहते थे,
लेकिन आज अरमान ने उन्हें सख़्त सजा दी थी कि वो लोग आज सारा दिन उनके सामने बैठकर काम करेंगे। तो दोनों का मूड पूरी तरह से ख़राब था।✍🏻
11) Pehli Mulaqat Me Hua Dhamaal...
अब, ये सुनकर कि वो लड़की वहाँ आ रही है, जिस लड़के ने अरमान को भरी महफिल में प्रपोज किया था, कहीं न कहीं कबीर और आहान दोनों ही उस लड़की को देखने के लिए बेताब थे,
और जल्दी ही जोया। वहां आकर खड़ी हो गई थी। उसने एक नज़र उठाकर अरमान की ओर देखा, उसके बाद उसने अपना सर झुका लिया था।
आहान और कबीर दोनों ही जोया के चेहरे पर आयी हुई बेचैनी और डर को भाप रहे थे। लेकिन उन्हें जोया देखने में बड़ी ही प्यारी और खूबसूरत लग रही थी।
अब आहान ने मन में सोचते हुए धीरे से बुदबुदाया, "आखिर भाई को इस लड़की में क्या कमी नज़र आयी? मुझे तो अच्छे खासी ही लग रही है, और मैं तो उसे अपनी भाभी भी बना सकता हूँ। फिर भाई को क्या मसला है?" हुंह
अब, जैसे ही उसने ये बात बोलते हुए कबीर के कानों में सरगोशी की, कबीर तुरंत बोल पड़ा, "हाँ, मुझे भी ठीक लग रही है बेचारी। लेकिन पता नहीं इस मॉन्स्टर ने इसे यहाँ क्यों बुलाया होगा?"
अचानक अरमान ने उन दोनों को खुसर-पुसर करते हुए देख लिया था, और उसका चेहरा कठोर हो गया वो दोनों को घूरकर धीरे से बोला, "अगर तुम दोनों का ड्रामा हो गया हो, और तुम दोनो की विशेष टिप्पणी खत्म हो गई हों गई हो, तो तुम दोनों चुप होकर बैठ जाओ।
ये सुनकर दोनों सकपका गये, और दोनों ही मुंह बनाते हुए बिल्कुल चुपचाप बैठ गए थे। लेकिन ठीक उसी वक्त, अरमान जोया की तरफ अपना कदम आगे बढ़ाने लगा था, और जोया एक एक कदम पीछे हटने लगी थी।
लेकिन उससे पहले कि वह दीवार से लग पाती, अरमान सिंघानिया ने एकदम रोबीले अंदाज में जोया की ओर देखकर कहा, "आखिर क्या सोचकर तुमने मुझसे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया था? बोलो! किसने कहा था तुम्हें यह सब बोलने के लिए? बोलो! जवाब दो!"
कहीं न कहीं अरमान को लग रहा था कि इतनी बड़ी हिम्मत तो कोई आम लड़की इस तरह से नहीं कर पाती। ज़रूर इसे किसी न किसी ने हायर किया होगा, इसीलिए वो उससे सच को उगलवाना चाहता था।
तब, जोया लड़खड़ाती हुई जुबान मे कांपते हुए होठों से धीरे से बुदबुदाई, "मुझे माफ़ कर दीजिए सर! मैंने कोई गलती नहीं की। ये सच है कि मैं आपसे प्यार करती थी।"
अब, जैसे ही जोया ने ये बोला, अरमान एकदम से हंसते हुए बोला, "वाह प्यार करती थी? क्या हुआ? प्यार नहीं है अब? हम्म् प्यार खत्म हो गया?"
अब, जैसे ही अरमान ने मज़ाक उड़ाने वाले अंदाज़ में ये पूछा, जोया ने नम आँखों से उसकी ओर देखना शुरू कर दिया था, और मन में खुदको कोसते हुए सोचने लगी, "आखिर इस हार्टलेस इंसान से उसे प्यार कैसे हो सकता है? उसका व्यवहार तो जानवरों से भी ज़्यादा बदतर है।"
अब, जैसे ही जोया ने मन में ये बात सोची, तभी अरमान अचानक से बोला, "तुमने बिलकुल ठीक सोचा। मैं जानवर हूँ। जानवर! तो तुम मुझसे प्यार कैसे कर सकती हो? हाँ, बोलो!" ये कहते हुए, अरमान पूरी तरह से गुस्से में था।
जोया अरमान को इस तरह से चिल्लाते, गुर्राते, हुए देखकर और उसकी तीखी नज़रों तपिश और तीखे शब्दों को जोया बर्दाश्त नहीं कर पायी, और सहमते हुए अचानक से वो फूट-फूटकर जोरों से रोने लगी। वो इतनी जोर से रोने लगी कि उसके रोने की आवाज़ बाहर खड़ी आयशा के कानों तक भी पहुँच गई थी।
बाहर खड़ी आयशा अपनी जादुई शक्तियों से अंदर का नज़ारा देखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वो कुछ भी नहीं देख पा रही थी। लेकिन अब, जैसे ही उसके कानों में जोया के फूट-फूटकर रोने की आवाज़ सुनाई दी, वो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पायी, और उसने एक ही झटके से अरमान के केबिन का दरवाज़ा धड़ाम से खोल दिया था।
वहीं, अरमान अब कमरे में जोया को रोते हुए देखकर कहीं न कहीं काफ़ी ज़्यादा सेटिस्फ़ाइड हो रहा था। उसे उस लड़की के रोने से सुकून मिल रहा था।
लेकिन कबीर और आहान दोनों ही मुँह बिचकाकर खड़े हुए थे। उन्हें जोया का रोना बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा था। लेकिन जैसे ही एक झटके से दरवाज़ा खुला, तब अरमान के साथ-साथ कबीर, जोया, और आहान ने दरवाज़े की ओर घूरकर गौर से देखा।
बिजली की तेज़ गति से आयशा दरवाज़े से अंदर दाखिल हुई, और सीधा अरमान के सामने खड़ी हो गई और उसने आव देखा ना ताव और अरमान चेहरे पर जोरदार तमाचा जड़ दिया।
उसे उस वक्त काफ़ी गुस्सा आ रहा था, क्योंकि जोया के रोने की आवाज़ सुनकर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि ज़रूर उसके बॉस ने उस पर हाथ उठाया होगा, या फिर उसके साथ कोई बदतमीज़ी की होगी।
और आयशा अपनी जादुई शक्तियों के द्वारा अंदर कुछ देख भी नहीं पा रही थी, तो उसके सब्र का बांध टूट गया, और उसने बिना किसी चेतावनी के "अरमान सूर्यवंशी पर हाथ उठा दिया था।
अब, जैसे ही एकदम चटाक की आवाज़ पूरे केबिन में गूँजी, कबीर और आहान का मुँह तो हैरानी से खुला का खुला रह गया था।
वहीं, अरमान चेहरा एक तरफ़ झुक गया था। इसी बीच, आयशा को एहसास ही नहीं हुआ कि इस वक्त उसके गले में पड़ी हुई वो बेजान चैन की लॉकेट, जो कि आयशा के छूने की वजह से एकदम बदसूरत और बेरंग हो गई थी, वो एक बार फिर खूबसूरत होकर उसके गले में जगमगाने लगी थी।
वही जोया थप्पड़ की आवाज़ सुनकर थरथराने लगी थी, और उसे लगने लगा था कि शायद आज अरमान सीधा-सीधा आयशा की जान ले लेगा, क्योंकि आयशा ने बिना सोचे समझे उस पर हाथ उठा दिया था।
वहीं, कबीर और आहान अपनी आँखें मसल-मसलकर बार-बार अपने सामने खड़ी लड़की, यानी कि आयशा को घूरकर देख रहे थे। वो तो खुद आयशा को ढूँढ़कर उससे माफ़ी मांगकर उसका शुक्रिया अदा करना चाहते थे, क्योंकि उसने आहान की जान बचाई थी।
लेकिन जिस तरह से आयशा ने सीधा-सीधा अरमान सूर्यवंशी पर हाथ उठा दिया, तो अब उन्होंने भी घबराहट में अपने दाँतों तले उँगली दबा ली थी।
वहीं, अब अरमान को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. कि अचानक से उसके साथ क्या हुआ। वो तो अभी थोड़ी देर पहले जोया का रोना एन्जॉय कर रहा था, साथ ही साथ थोड़ा सा एंटरटेनमेंट भी कर रहा था। लेकिन एक अनजान लड़की ने कही से आकर उस पर अचानक से हाथ उठा दिया, और फिर उसका पूरा सर चक्रा गया था।
भले ही आयशा ने ज़्यादा जोर से उसे ना मारा हो, और ये आयशा का एक साधारण तमाचा था। लेकिन तमाचे में उसके अंदर असीमित शक्तियाँ थीं। अरमान को ऐसा लगा जैसे उसके सारे सिस्टम हिल गए हों। और वो सीधा खड़ा होकर अब आयशा को गुस्से से घूरने लगा था,
क्योंकि अरमान ने आयशा जैसी बदसूरत लड़की अपनी पूरी ज़िंदगी में कहीं नहीं देखी थी, और इतनी बदसूरत लड़की ने उस पर हाथ उठाया, उसे तो यकीन नहीं हो रहा था।
वहीं, अब जोया तुरंत आगे बढ़कर एकदम से हड़बड़ा कर खड़ी हो गई थी, और आयशा को रोकने लगी और दबी हुई आवाज़ में बोली, "आयशा, ये क्या किया तुमने? तुमने मेरे बॉस पर हाथ क्यों उठा दिया?"
तभी, आयशा जोया को उलझन भरी नजरों से घूरते हुए बोली, "तुम ठीक हो ना? तुम्हे इसने कुछ किया तो नहीं। क्योंकि तुम्हारे रोने की आवाज़ सुनकर मैं समझ गई कि ज़रूर तुम्हारे बॉस ने तुम्हें मारा है या तुम्हारे साथ कोई बदतमीज़ी की है। इसीलिए तुम्हारे इस बॉस को सबक सिखाना पड़ा।"
जैसे ही आयशा ने अपनी लाल आँखों से अरमान को घूरते हुए बेपरवाही से बोला, अरमान जो कि अभी तक इस सच में से बाहर नहीं निकला था. कि उस पर एक अनजान लड़की ने हाथ उठाया, वो अब तुरंत सीधा खड़ा हो गया। थोड़ा पीछे खड़ा होकर अपनी तिरछी गर्दन करके, अब बड़े अजीब तरीके से आयशा को घूरकर देखने लगा।
अब, जैसे ही अरमान ने अपनी गर्दन तिरछी करते हुए आयशा को जानलेवा नजरों से देखा, अब तो खड़े-खड़े आहान और कबीर दोनों के पाँव बुरी तरह से थरथराने लगे थे, क्योंकि इसका साफ़ मतलब था. कि अरमान का गुस्सा आउट ऑफ़ कंट्रोल से बाहर हो चुका है। और उस वक़्त अरमान का तिरछी गर्दन करके आयशा को देखना बहुत ही ख़तरनाक लग रहा था।
लेकिन आयशा को उसके इस तरह से देखने से इतना सा भी फ़र्क नहीं पड़ा। जबकि जोया के भी होंठ फड़फड़ाने लगे थे, उसके पाँव बुरी तरह से काँप रहे थे, और वो जल्दी से अपने हाथ जोड़कर अरमान से माफ़ी माँगने लगी थी और रोती हुई बोली, "माफ़ कर दीजिए सर! माफ़ कर दीजिए! मुझे नहीं पता था कि आयशा अपी ऐसा कुछ कर देगी सर! प्लीज़ आप उसे कुछ मत कीजिएगा!"
लेकिन अरमान को देखकर तो ऐसा लग रहा था कि जोया की बातें उसके कानों तक नहीं पहुँच रही थीं। वो तो बस अपनी गर्दन तिरछी करके आयशा को सर्द नजरों से देखे जा रहा था।
वहीं, जोया को इस तरह से माफ़ी माँगते हुए देखकर आयशा, को लगा कि शायद उसने अनजाने में कोई गलती कर दी है। इसीलिए उसने सोचा कि उसने जो अभी उसके बॉस पर हाथ उठाया है, तो वो अपनी शक्तियों के द्वारा उसकी याददाश्त मिटा देंगी, और जो भी थोड़ी देर पहले हुआ, वो सबकुछ नॉर्मल कर देती है।
वैसे भी उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी, उसके पास काफ़ी सारी शक्तियाँ थीं। तो यही सोचते हुए, जल्दी ही आयशा ने अपने मन में कुछ मंत्रों का उच्चारण किया, और जैसे ही उसने मंत्रों का उच्चारण करके अरमान की ओर देखा और एक चुटकी बजाई,
लेकिन उसके मंत्रों का कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि अरमान अभी भी अपनी गर्दन तिरछी करते हुए आयशा को ही लाल आंखों से लगातार देख रहा था।✍🏻
12) Armaan v/s Aysha
अब आयशा हैरान हो गई कि आखिर ये सब हो क्या रहा है? उसके जादू का असर इस इंसान पर क्यों नहीं हो रहा? क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले उसने उसके कमरे में अपने जादू के द्वारा झांकने की कोशिश की थी. लेकिन अंदर क्या हो रहा है, वो कुछ भी साफ नहीं देख सकी।
और अब अरमान जिस तरह से उसके सामने खड़ा होकर उसे घूरे जा रहा था, अभी भी वो उसे उसी तरह से आंखें सिकोड़कर देख रहा है। तो अब आयशा की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने मन में तीन बार अपनी माँ, जिन्न महारानी हुस्ना को, याद किया और देखते-देखते उसकी माँ अदृश्य होकर उसके साथ मौजूद थीं।
उसने मन में अपनी माँ से पूछा, की ये सब क्या हो रहा है? मैं इस इंसान पर अपने जादू का इस्तेमाल क्यों नहीं कर पा रही हूँ?
तभी जिन्न महारानी "हुस्ना एकदम से मुस्कुराते हुए बोली, "एक तो आप अपनी मदद करने के लिए अपने जादू का इस्तेमाल खुद पर नहीं कर सकतीं, मेरे बच्चे, तुम्हें इंसानी तरीकों से ही इससे निपटना होगा।" ये बोलकर जिन्न महारानी वहां से फौरन गायब हो गई थीं।
अब तो आयशा उनकी बातों से हैरान होकर असमंजस से सोचने लगी, की आखिर उसकी माँ को क्या हो गया है? क्या वो मेरी थोड़ी मदद नहीं कर सकती थी? फिर वो सोचने लगी थी, वैसे भी इस घमंडी इंसान को सबक सिखाने के लिए उसे किसी जादुई शक्ति की भी जरूरत नहीं है।
इस वक्त आयशा को अरमान पर काफी ज्यादा गुस्सा आ रहा था, लेकिन जोया को इस तरह से रोते हुए देखकर कहीं ना कहीं वो खुदके गुस्से को थोड़ा बहुत शांत भी कर रही थी।
इस वक्त आयशा अपने सामने खड़े इंसान का मुँह तोड़ने तक को तैयार थी, लेकिन उसे इस बात का कोई इल्म एहसास नहीं था. की उसके सामने खड़ा इंसान वही इंसान है जिसके लिए वो इस इन्सानी दुनिया में आयी है। और वो शख्स इस वक़्त उसके सामने मौजूद हैं। जिसका नाम है अरमान सूर्यवंशी..
Well, अरमान के बारे में ये सोचते हुए आयशा अब अजीब तरह से उसे देखने लगी थी। वहीं अब जल्दी से आहान ने कबीर की बाजू कसकर पकड़ लिया और उसे खींचते हुए उसके कान में फुसफुसाते हुए धीरे से बोला, "कबीर भाई, कबीर भाई, कुछ करो! अरमान भाई किसी भी पल उस लड़की की जान लेनेवाले है। लेकिन आप अच्छी तरह से जानते हैं, कि उस लड़की की जान नहीं ले सकते। उस लड़की ने मुझे बचाया है। प्लीज कबीर भाई, कुछ करो, प्लीज, प्लीज!"
कबीर भी वापस से उसके कानों में फुसफुसाया, "यार, ये तू क्या बेतुकी बातें कर रहा है? तू शेर के मुँह में मुझे हाथ डालने के लिए क्यों कह रहा है? अरे तू देख, तेरा भाई कितना ज्यादा गुस्से में है और अभी लगातार पिछले पाँच मिनट से वो उस लड़की को टकटकी लगाए घूर रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे उसकी आँखों से रंग-बिरंगी चिंगारी निकलेगी, और उस लड़की के टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे। वो उस लड़की को इतनी खतरनाक नजरों से घूर रहा है। और तू चाहता है कि मैं, तेरे भाई के सामने जाकर ये बोलूं कि उस लड़की की जान बख्श दे क्योंकि, उसने तेरे छोटे भाई की जान बचाई थी? नहीं, नहीं यार, मुझसे नहीं होगा। प्लीज, प्लीज!"
लेकिन अब आहान ने बिना बताए तुरंत कबीर को थोड़ा सा धक्का दे दिया, जिससे कबीर लड़खड़ाकर सीधा अरमान के सामने जाकर खड़ा हो गया था।
और अरमान, कबीर के आगे आते ही, तुरंत उसे अपनी लाल आँखों से घूरने लगा था। मानो वो कहना चाह रहा था कि "तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे और इस लड़की के बीच में आने की?"
तभी कबीर थोड़ा सा हिचकिचाया, लेकिन खुदको शांत करके हकलाते हुए बोला, "अरमान, मेरी बात ध्यान से सुनो। थोड़ा ठंडे दिमाग से काम लो। उस लड़की को गलतफहमी हो गई थी। उसे लगा की तुम उसके दोस्त को मार रहे हो, इसीलिए उसने बिना सोचे समझे तुम पर..." उसने तुम पर हाथ उठा दिया था। लेकिन ये बात बोलने की कबीर की हिम्मत तो नहीं हुई,
लेकिन अरमान समझ गया की वो क्या बोलना चाहता है। तभी अरमान ने तुरंत अपनी पॉकेट से बंदूक निकाल ली थी. और कबीर की ओर तानते हुए तुरंत उसने वो बंदूक आयशा की तरफ घुमा दी, और कड़क आवाज़ में बोला, "इस लड़की की जान मैं अपने हाथों से लूँगा!
इस लड़की ने अरमान सूर्यवंशी पर हाथ उठाया है, तो इसे इतनी आसान मौत नहीं दूँगा। इस लड़की को उठाओ और उसे ले जाकर सीधा ब्लैकी के आगे डाल दो और इसकी चीखें मैं अपने कानों से सुनना चाहता हूँ।" ये बोलकर अरमान आयशा को एक बार फिर घूरने लगा था।
लेकिन अब ये सुनकर कबीर और आहान दोनों का ही गला पूरी तरह से सूख चुका था। वहीं जोया तो उसकी बातें सुनकर लड़खड़ा गई, और एकदम से हड़बड़ाकर उससे माफ़ी मांगने लगी, और रोते हुए कहने लगी, कि आयशा की कोई गलती नहीं है। "प्लीज, उसे कुछ मत कीजिएगा। प्लीज सर, एक बार उसे माफ़ कर दीजिए!"
लेकिन अब अरमान अपना फ़रमान सुना चुका था, और एक बार अगर अरमान कुछ ऑर्डर दे दे तो वो, उसे कभी भी वापस नहीं लिया करता था।
अरमान अब जोया को इतनी बुरी तरह से रोते हुए देखकर थोड़ा इरिटेट होकर बोला, "अगर तुमने ये रोना-धोना बंद नहीं किया, तो इस लड़की के साथ-साथ मैं तुम्हें भी पिंजरे में डलवा सकता हूँ।"
ये सुनकर तो ज़ोया भौंचक्की रह गई थी. तुरंत ही उसकी हिचकियाँ बढ़ गई थीं। वो डर से काँप रही थी क्योंकि उसका बॉस ब्लैकी के बारे में बात कर रहा है।
ये बात केवल अरमान के ऑफिस में काम करनेवाले ही नहीं, बल्कि पूरा शहर जानता था, कि अरमान के पास पालतू जानवर के रूप में ब्लैकी है एक बहुत बड़ा कोबरा साँप, जो पूरे के पूरे इंसान को पलक झपकते ही निगल लेता था।
फिलहाल आयशा को तो किसी की कोई आवाज ही नहीं सुनाई दे रही थी। उस वक़्त वो तो बस अपने सामने खड़े हुए "अरमान सूर्यवंशी को गुस्से और नफरत से घूरकर देख रही थी।
लेकिन तभी जोया रोते हुए आयशा के पास आयी, उसका हाथ पकड़कर अरमान को देखते हुए बोली, "सर प्लीज, ऐसा मत कीजिए! प्लीज, फिर जोरों से चिखते हुए आयशा से बोली, आयशा एक बार माफ़ी माँग लो! प्लीज, माफ़ी माँग लो! अगर तुमने माफ़ी माँग लोगी तो हो सकता है कि, वो तुम्हें माफ़ कर दे और हमें हमारी "ज़िंदगी के साथ-साथ हमारी नौकरी, भी वापस दे दे। प्लीज आयशा, प्लीज!" ये बोलते हुए जोया रो पड़ी थी।
अब तो आयशा तुरंत ही अपनी सेंस में वापस आ गई थी. क्योंकि उसे उस वक़्त अरमान पर बहुत गुस्सा आ रहा था, क्योंकि उसे अरमान में से उन्हीं लोगों की फीलिंग आ रही थी. जो लोग जिन्नातों की दुनिया में उसका, मज़ाक उड़ाया करते थे। इसीलिए जिन्न शहजादी आयशा अरमान को भी उन्हीं लोगों के जैसा समझ रही थी, और गुस्से से उसे घूर रही थी।
लेकिन अब जोया को इस तरह रोते बिलखते हुए देखकर वो समझ गई, कि उसे इस तरह से गुस्से से नहीं, बल्कि दिमाग से काम लेना होगा। वो इंसानों की दुनिया में आयी है और यहाँ पर जादू का वो इस्तेमाल नहीं कर सकती। उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ इंसानों की तरह ही बात करके, अपनी सारी चीज़ों को हैंडल करना होगा।
वैसे भी जब तक उसे वो इंसान नहीं मिल जाता जिस इंसान के लिए वो इस दुनिया में आयी है, तब तक उसे किसी से किसी तरह का कोई मतलब नहीं रखना है, और सिर्फ़ उसे उस इंसान को ढूँढ़कर अपना काम कराना है। फिलहाल आयशा अपनी ख़ूबसूरती, अपने वजूद को वापस पाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थी।
वहीं अरमान अब अपने आपको इस तरह बेरुखी से घूरते हुए देखकर थोड़ा सा चिढ़ गया और फिर आयशा को गुस्से में देखकर इरिटेट होकर बोला, "लगता है इस लड़की को मरने की कुछ ज़्यादा ही जल्दी है। आहान, शेरा को बुलाओ, और उस लड़की को ब्लैकी की गुफा में डाल दो।"
अरमान ने अपने फ़ार्म हाउस पर ब्लैकी (कोबरा साँप) को रखने के लिए एक बड़ी सी गुफा तैयार करवाई थी। जिसमें ब्लैकी का पूरा का पूरा वजूद आया करता था। क्योंकि इस कोबरा की लंबाई 10 से 12 मीटर और चौड़ाई 5 से 6 फीट थी।
फिलहाल तुरंत ही अब आहान थोड़ी सी हिम्मत करके आगे आता है और आयशा की सामने उसकी ढाल बनकर खड़ा हो जाता है और अरमान की आँखों में आँखें डालकर बोला, "भाई, मुझे माफ़ करना, लेकिन आप इस लड़की को कुछ नहीं करेंगे।"
अब जैसे ही आहान ने थोड़ा सा अपने डर पर काबू पाकर अरमान से ये बोला, अरमान की आँखों में हैरानी और साथ ही साथ सवाल दोनों ही मौजूद थे।
आहान ने जल्दी से अपनी आंखें बंद की और फटाफट बड़बड़ाया, "भाई, ये वही लड़की है जिसने मुझे कल रात उस गुंडों से बचाया था, जब वो मेरी जान लेना चाहता था।"
अब जैसे ही आहान ने ये बोला, अरमान का चेहरा कठोर और गुस्से से लाल हो चुका था, और वो अब कबीर की ओर एकटक देखने लगा। क्योंकि उसे तो लगा था कि कबीर ने आहान की जान बचाई थी,
लेकिन जैसे ही कबीर ने अरमान को अपनी तरफ़ गुस्से में इस तरह से देखते हुए पाया, अचानक कबीर के पैर काँपने लगे थे, उसके दाँत आपस में बज़ने लगे थे। एक पल के लिए कबीर का पूरा चेहरा पसीने से तर-बतर हो चुका था, और इस वक़्त वो काफ़ी ज़्यादा फ़नी दिखाई दे रहा था।
कबीर को इतना ज़्यादा डरता हुआ देखकर कहीं ना कहीं "अरमान का गुस्सा अब थोड़ा ख़त्म हो गया था, क्योंकि वो हमेशा अपने आस-पास रहनेवाले अपने परिवार को खुश देखना चाहता था। वह नहीं चाहता था कि उसका परिवार उससे डरे, लेकिन अब फ़ॉर्च्यूनेटली अरमान के काम इस तरह के हो जाया करते थे, कि उसके परिवारवाले भी उससे डरने लग जाते थे।
फिलहाल अरमान ने एक गहरी और लंबी साँस ली थी, उसके बाद उसने कबीर और आहान की ओर नर्मी से देखा। आहान जो कि अपना सर झुकाकर खड़ा हुआ था। बारी-बारी से उन दोनों को देखकर अरमान ने एक नज़र और आयशा की ओर तिरस्कार भरी नजरों से देखा, अगले ही पल उसने अपना मुँह फेर लिया था और फिर बेमन से कुछ सोचते हुए बोला, "ठीक है, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए मैं इस लड़की की जान बख्श देता हूँ।
लेकिन इसने अरमान सूर्यवंशी पर हाथ उठाया है, तो मैं इतनी आसानी से इसे यहाँ से जाने नहीं दूँगा।"
अब जैसे ही अरमान ने ये बोला, आयशा जो कि अब सारी बातें अच्छी तरह से समझ चुकी थी, वो समझ गई कि अब ये इंसान ज़रूर किसी न किसी तरह की कोई सज़ा ज़रूर देगा, क्योंकि वो अच्छी तरह से इस दुनिया के बारे में पहले ही सर्च करके आयी थी, कि यहाँ पर कब क्या हो सकता है।
आयशा सोचने लगी की इंसानी दुनिया में सज़ा देने के लिए शायद पुलिस को बुलाया जाता है और उसके सामने खड़ा हुआ इंसान भी अब पुलिस को ही बुलाएगा। तो यही सोचते हुए आयशा जल्दी से एक बार फिर अरमान के ठीक सामने जाकर खड़ी हो गई और बेरुखी से मुस्कुराते हुए बोली, "मैं भी ये नहीं चाहती कि आप मुझे आसानी से जाने दें।"
जैसे ही आयशा ने अब ये बात बेपरवाही से बोली, अब अरमान के चेहरे पर हैरानी के भाव थे, क्योंकि वो काफ़ी देर से आयशा को नोटिस कर रहा था। जब से उसने उसे ब्लैकी के पिंजरे में डालने को बोला था, तब भी उसके चेहरे पर डर कहीं से कहीं तक नज़र नहीं आ रहा था।✍🏻
आकाश, जो पूरे रास्ते चुप था,
" फोन पर किसी से कोडवर्ड में बातचीत करने लगा।
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उसके जाने के बाद अर्जुन ने एक नज़र सबको देखा और तुरंत अपने कमरे में चला गया। वहीं तब तक राधिका ने अपने दोस्तों को भी रवाना कर दिया था, क्योंकि उसका जो प्लान था — अर्जुन को यहाँ पार्टी में अच्छी तरह से शामिल करवाने का, उस काम को सफल बनाने का — वह तो पूरी तरह से फ्लॉप हो चुका था। तो इसीलिए उसने अपनी सहेलियों को भी वहाँ से जाने के लिए बोल दिया।
अब फिलहाल हाल में वे तीनों ही मौजूद थे। अब मिस्टर सुनील, अपनी पत्नी को देखकर बोले थे, "या फिर कर, हो क्या रहा था यहाँ पर? यह लड़की कौन थी? और राहुल, तुमने इस लड़की के लिए झूठ क्यों बोला? क्या हुआ था? बोलो।"
तब राहुल जल्दी ही अपने होठों पर हाथ फिरते हुए बोला था, "आप नहीं जानते पापा कि यह लड़की आखिरकार है कौन! फिलहाल यह समझ लीजिए कि यह आपके होने वाली बहू है।"
यह बोलकर राहुल एक क्रूर हँसी हँसने लगा था।
वहीं दूसरी ओर, प्राचीन युग में इस वक्त हँसी-खुशी का माहौल था। चारों तरफ मंगल गीत गाए जा रहे थे, क्योंकि सेनापति युवान ने एक बहुत बड़ी महामारी से पूरे के पूरे राज्य को बचाया था। और इतना ही नहीं, महाराज अभिमन्यु ने सेनापति युवान को एक भावी राजा भी घोषित कर दिया था।
तो इसीलिए चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ हर्षोल्लास से मंगल गीत गाए जा रहे थे। युवान, संयोगिता के साथ, हर रोज राज्य भ्रमण के लिए निकल जाया करता था। उसे राज्य में घूमना बहुत ही ज़्यादा पसंद था — स्पेशली पालकी में बैठकर, घुड़सवारी करते हुए, पूरे राज्य में। जिधर से भी वह निकलता, उधर से ही "सेनापति युवान की जय" जाकर उसे सुनाई दिया करती थी। तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता था।
सब कुछ बड़ा ही खुशी-खुशी चल रहा था, और वह मन ही मन में सोच रहा था कि बस इसी तरह से उसकी ज़िंदगी हँसी-खुशी चलती रहे, तो उसे फिर किसी भी चीज़ की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
लेकिन, उसी वक्त पूरे के पूरे राज्य में दो चेहरे पूरी तरह से उदास थे। वह कोई और नहीं, बल्कि महागुरु ईश्वरानंद और महान तांत्रिक शंकर आर्य थे। कहीं न कहीं, उन्होंने आने वाले खतरे का पूरी तरह से एहसास कर लिया था।
दोनों ही एक-दूसरे की ओर देखकर बोले थे, "भले ही राज्य में कितना ही हर्षोल्लास मनाया जाए, लेकिन यह ज़्यादा देर तक सीमित नहीं रहेगा, और इसके गंभीर परिणाम जल्दी ही सब लोगों की आँखों के सामने आने वाले हैं।"
"समझ में नहीं आ रहा कि कैसे महाशक्तिशाली योद्धा अर्जुन — यानी के युवान — इस खतरे से निपटेगा, क्योंकि इसमें हम जाकर भी उसकी मदद नहीं कर पाएँगे। क्योंकि इस वक्त लौटकर कोई और नहीं, बल्कि सीधा-सीधा महाकाल आने वाला है।"
क्योंकि चंडालिनी कहीं और नहीं, बल्कि अपने माँ और अपने गुरु को ही प्रसन्न करने के लिए गई थी — जो महाकाल थे, जिन्होंने पर्वतों पर समाधि ले रखी थी और पूरी दुनिया से अपने एक तरह का नाता तोड़ रखा था।
लेकिन अब, चंडालिनी जिस तरह से वहाँ जाकर एक कड़ा अनुष्ठान कर रही थी और अपने महाकाल को प्रसन्न करने का पूरा-पूरा सफल प्रयास कर रही थी — ताकि उनके बलबूते पर वह आसानी से राजवंश और राज्य को ध्वस्त कर सके — यह सब एक भयानक संकेत था।
और महाकाल के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी। महाकाल चाहते तो आसानी से पूरे राज्य को नष्ट कर सकते थे।
अनुष्ठान हो रहा था... महागुरु ईश्वरानंद, अपनी दूरदर्शिता के मुताबिक, जल्दी ही एक बार फिर युवान से मिलना चाहते थे, ताकि वह आने वाले खतरे के बारे में उन्हें आगाह कर सकें।
साथ ही साथ, महागुरु शंकराचार्य को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि इस वक्त काली शक्तियाँ इस राज्य में पूरी तरह से मंडरा रही हैं। भले ही चंडालिनी उस वक्त वहाँ मौजूद न हो, लेकिन उसने अपनी काली शक्तियाँ विक्रम के अंदर और साथ ही साथ कुछ और छुपे हुए सैनिकों के अंदर डाल रखी थीं, जिससे वह महल के हर कोने की हर एक गतिविधि की खबर रख सके।
महागुरु शंकराचार्य जाकर भी उन लोगों को ढूँढ नहीं पा रहे थे, क्योंकि वे सेवकों के भेस में थे — कौन था, कौन नहीं, यह पकड़ना मुश्किल हो गया था। और जब भी महागुरु शंकराचार्य उन्हें पकड़ने के लिए जाया करते थे, वे वहाँ से गायब हो जाया करते थे।
तो इसीलिए वे काफी हद तक परेशान थे, क्योंकि युवान ने उनकी बहुत बड़ी मदद की थी। सौ वर्षों से वे चंडालिनी की वजह से कैद में थे, लेकिन युवान के कृष्ण के हृदय से किए गए मंत्रोच्चारण के बाद ही वे उस कैद से रिहा हो पाए थे।
और अब वे पूरी तरह से युवान की मदद करना चाहते थे, ताकि युवान अच्छी तरह से राज्य पर राज करता रहे — और चारों तरफ, हर साल की तरह, यही हर्षोल्लास का माहौल बना रहे।
लेकिन अब कुछ ऐसा घटित होने वाला था, जिसके बारे में उन्हें कोई अंदाज़ा भी नहीं था..
वहीं दूसरी ओर, राजकुमारी संयोगिता तो युवान का साथ पाकर पूरी तरह से भावविभोर हो चुकी थी। ऐसा लगने लगा था कि उन्हें तो अपने जीवन में और कुछ नहीं चाहिए ... और ऊपर से, युवान के अंदर एक आधुनिक व्यक्ति की आत्मा थी, जो कि अर्जुन था — और जिसे अच्छी तरह से पता था कि अपनी बीवी को कैसे खुश रखा जाता है, समय-समय पर उसे कैसे सरप्राइज़ दिए जाते हैं, कैसे उसे प्यार किया जाता है।
तो अर्जुन इस बात का फायदा पूरी तरह से उठा रहा था। वह छोटे-छोटे खेल, छोटे-छोटे की लड़ाई, राजकुमारी संयोगिता के साथ कर रहा था। पल-पल उसे हंसाता रहता, मुस्कुराता रहता। और वैसे भी अर्जुन — यानी अर्जुन की आत्मा को — तो शुरू से ही काफी ज़्यादा बातें करने की आदत थी, लेकिन आधुनिक ज़िंदगी में कभी किसी ने उससे कुछ खास बातें नहीं कीं।
लेकिन यहाँ... यहाँ तो राजकुमारी दिल खोलकर उसकी बातें सुनती थी, दिल खोलकर हँसती थी, हर कोई उसे खुश देखता था। अर्जुन जहाँ भी जाता, वहाँ अपनी बातों से ही एक तरह का समां बाँध दिया करता था, तो सब लोग उससे काफी खुश रहने लगे थे।
वहीं, महाराज की तो आँखें अर्जुन — यानी के युवान — को देखकर नम हो जाया करती थीं। उसकी हँसी का कोई ठिकाना नहीं था। वह काफी हद तक राजी-खुशी एक साथ रहा करते थे।
धीरे-धीरे ऐसे ही वक़्त गुजर रहा था। बिल्कुल धीरे-धीरे, राजवंश राज्य के सात दिन बेहद हँसी-खुशी माहौल के साथ गुज़रे थे। और इसी बीच, महाराज और महारानी गायत्री के कहने पर अर्जुन, यशस्वी, राजकुमारी संयोगिता, युवान की माँ यशस्वी, उसकी बहन, और साथ ही साथ देव को भी महल में ही रहने का आदेश दे दिया गया था, क्योंकि वह अब उन लोगों के साथ रहना चाहते थे।
युवान को महाराज अभिमन्यु ने दिल से अपना पुत्र मान लिया था, इसलिए वे उसे अपने साथ महल में ही रखना चाहते थे। सेनापति महल को छोड़कर, सीधा-सीधा राजमहल में ही आकर रहने का आदेश दे दिया गया था, ताकि सब एक साथ हँसी-खुशी एक परिवार की तरह रह सकें।
इस बीच युवान काफी खुश भी था। उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि वह एक बड़े परिवार में रह रहा है। वह हर किसी से दिल खोलकर बातें करता और सबके साथ काफी अच्छी, मज़ेदार और हँसी-खुशी भरी ज़िंदगी जी रहा था।
वहीं दूसरी ओर, सात दिन इसी तरह से गुज़र गए थे... लेकिन जिस दिन सातवीं रात थी, सभी लोग हँसी-खुशी से पूरा दिन बिताने के बाद अपने-अपने कक्ष में गहरी नींद में सोए हुए थे।
ठीक उसी वक्त, सेनापति युवान के कानों में किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी। अब युवान उस वक्त राजकुमारी संयोगिता को अपनी बाहों में लिए सोया हुआ था। वह तुरंत उठकर बैठ गया और हैरान हो गया कि इस रात के सन्नाटे में, इस तरह से रोने की आवाज़ किसकी सुनाई दे रही है।
कहीं न कहीं, उसे बेचैनी हुई। उसे लगने लगा कि कहीं उसके राज्य में कोई दुखी तो नहीं है?
यह सोचते हुए, युवान तुरंत उठ खड़ा हुआ। फिर तलवार हाथ में ली और एक-एक कक्ष से होते हुए, गलियारे में से निकलकर, राजमहल के चारों तरफ देखने की कोशिश करने लगा था।
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चारों ओर सन्नाटा था... राजमहल की दीवारें तक जैसे उस रोने की आवाज़ को पकड़ने की कोशिश कर रही थीं।
युवान ने कदम आगे बढ़ाए। उसके हाथ में तलवार थी, लेकिन मन में बेचैनी और चिंता का तूफान। हर कदम के साथ वह दरवाजों को चुपचाप खोलता और देखता कि कहीं कोई दिखाई दे... परंतु सब कुछ शांत था।
उसे लगा शायद यह सिर्फ उसका भ्रम है — लेकिन तभी वह आवाज़ फिर से सुनाई दी।
धीमी, टूटी-फूटी सिसकियाँ... एक स्त्री की रुलाई... जैसे कोई बहुत अंदर से टूटा हुआ हो।
युवान ने आवाज़ की दिशा में कदम बढ़ाए। वह अब महल की पश्चिमी दिशा की ओर था, जैसे-जैसे युवान आगे बढ़ रहा था रोने की आवाज और गहरी होती जा रही थी, वो सोचने लगा
आख़िरकार यह रोने की आवाज़ कहां से आ रही है? और जैसे ही वह थोड़ा सा आगे बढ़ा, उसे कहीं कोई आवाज़ नहीं सुनाई दी।
वहीं दूसरी ओर, महागुरु ईश्वरानंद और महान तांत्रिक शंकर आर्य, जो कि उस वक्त एक ही कक्ष में आराम कर रहे थे, अचानक से उन दोनों की भी आँखें खुल गईं और दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा।
तभी महागुरु ईश्वरानंद, शंकर आर्य की ओर देखकर बोले थे,
"जल्दी करो, कहीं अनर्थ न हो जाए! हमें युवान को जाकर रोकना होगा!"
यह सुनकर शंकर आर्य तुरंत ही हरकत में आ गया, और तुरंत ही वे दोनों अपने कक्ष से निकल गए।
वहीं दूसरी ओर, युवान... राजमहल के सातों दरवाज़ों में से एक दरवाज़े पर पहुँचा — वह एक पुराना दरवाज़ा था।
उसने वहाँ देखा — दरवाज़े के उस पार, एक काला दुपट्टा ओढ़े, एक औरत एक छोटे से बच्चे को गोद में लिए बैठी हुई थी... और बुरी तरह से रो रही थी।
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अरमान, आयशा की बात सुनकर पूरी तरह से तमतमा गया था और अगले ही पल बोला,
"बहुत जल्दी है तुम्हें मुझे किसी और लड़की के साथ देखने की?"
अब जैसे ही अरमान ने यह कहा, कबीर और आहान — दोनों के ही माथे पर बल पड़ गए।
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तब वह अरमान की ओर देखकर हुई थी, और दोनों के मुंह से एकदम से अनायास निकल पड़ा — “क्या?”
अब जैसे ही इन दोनों के मुंह से "क्या" निकला, कबीर, आहान और आयशा — तीनों ही उसे देखने लगे थे। लेकिन तभी उन्होंने बात संभाल ली थी, और दोनों ने अपने-अपने कानों पर फोन लगा लिया था और किसी से बात करने का अभिनय करने लगे थे।
वहीं, अरमान ने आयशा को फिर से उन्हें इग्नोर कर दिया। तभी आयशा अपने सीने पर हाथ बांधकर खड़ी हो गई, उसकी ओर देखकर एटीट्यूड में उसे टीज करते हुए बोली —
“अच्छा! मैं यहां आपको देखने नहीं आई हूँ। अगर आप कोई काम पूरा नहीं कर सकते थे, तो आपको चैलेंज करने की क्या ज़रूरत थी? और क्या-क्या नाम बताया था आपने उस लड़की का? ‘मिस रंधावा’? यहाँ तो मुझे कोई ‘मिस रंधावा’ नहीं दिखाई दि। यहां सिर्फ आपकी एक मीटिंग थी, वो आपने कर ली।
मुझे लगता है कि शायद अब आप घर चलने वाले हैं। चलो, चलिए… घर चलते हैं। वैसे भी दादी इंतज़ार कर रही होंगी।”
अब जैसे ही उसने थोड़ा सा एटीट्यूड दिखाते हुए यह कहा और आगे जाने के लिए बढ़ने लगी, अरमान ने झटपट उसका बाजू कसकर पकड़ लिया और उसे पीछे खींचकर एक तरफ कुर्सी पर धकेलते हुए बोला —
“इतनी भी क्या जल्दी है? वो आ ही रही है अभी!”
अरमान ने इतना ही कहा था कि तभी टक-टक, ऊँची हील्स की आवाज सुनाई दी। और एक बेहद खूबसूरत लड़की, जिसने रेड कलर की हॉट, टाइट और सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी — वह वहाँ से चलकर आ रही थी।
अब जैसे ही आयशा ने उस लड़की को देखा, तो उसके होश उड़ गए। उस लड़की का देखकर आयशा को कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि उसने इस लड़की को इससे पहले कहीं और देखा है। लेकिन वहीं, वह लड़की सीधे अरमान के पास आई और आकर उसे —— गले से लगा लिया।
यह देखकर तो आयशा का चेहरा पूरी तरह से फीका पड़ गया था। वहीं, कबीर और आहान — दोनों ही अब पूरी तरह से कंफ्यूजन का शिकार हो चुके थे, क्योंकि वे दोनों आलिया रंधावा को अच्छी तरह से जानते थे।
आलिया रंधावा — पिछले पाँच सालों से अरमान के पीछे थी। वह कोई आम लड़की नहीं थी। वह शहर के सबसे बड़े बिलेनियर बेटी थी। अरमान के बाद अगर दूसरे नंबर पर रईसों की लिस्ट में किसी का नाम आता था, तो वह रंधावा परिवार का ही होता था। और आलिया, रंधावा परिवार की इकलौती वारिस थी।
आलिया रंधावा को वहाँ देखकर उन लोगों की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था। अरमान और आलिया की जोड़ी एकदम परफेक्ट मानी जाती थी — सबसे खूबसूरत लड़की और साथ ही सबसे अमीर भी।
इन फैक्ट, आहान और कबीर — दोनों ने ही ट्राई किया था कि वे आलिया के साथ शादी कर लें, अगर मौका मिले। लेकिन अरमान ने कभी किसी को अपने आसपास भी नहीं आने दिया था। इनफैक्ट लावण्या भी पूरी तरह से अरमान पर मिटती थी लेकिन अरमान ने कभी उसे भी कोई भाव नहीं दिया।
वही जिस वक्त आलिया ने पहली बार अरमान को देखा था, उसी वक्त उसने निर्णय ले लिया था — कि अगर वह किसी से शादी करेगी, तो सिर्फ और सिर्फ अरमान से। वरना वह अपनी ज़िंदगी यूँ ही अकेली, उसी के इंतज़ार में गुजार देगी। यह बात पूरा शहर जानता था।
अब आलिया को वहाँ देखकर आहान और कबीर — दोनों ही पूरी तरह से भ्रमित हो चुके थे। लेकिन अब… अरमान ने मुस्कुराते हुए, आलिया को गले लगाने की बजाय, आयशा के चेहरे की ओर देखा। आयशा का उतरा हुआ चेहरा उसकी नज़रों से छुपा नहीं था।
तब वो आलिया पर गहरी नजर डालता हुआ बोला “रूम नंबर 602… तुम चलो, मैं आता हूँ,”
यह कहकर अरमान ने आलिया को रूम नंबर 602 में जाने का इशारा किया।
और आलिया एक सरसरी सी नज़र आयशा पर डालती हुई रूम नंबर 602 की ओर बढ़ने लगी थी। उसके चेहरे की खुशी और चमक साफ़ बता रही थी कि वह अरमान को कितना चाहती है। इतना कि वह शादी से पहले उसके साथ वन नाइट स्टैंड करने तक के लिए भी तैयार हो गई थी।
रूम नंबर 602 में आलिया के जाते ही, अरमान आयशा के क़रीब आया और धीमी, मगर चुभती आवाज़ में बोला —
"तुम्हें रूम नंबर… रूम 603 में जाना होगा। क्योंकि मैंने पहले ही ऐसा इंतज़ाम कर दिया है कि रूम नंबर 602 का नज़ारा तुम अपनी आंखों से देख सको।
और तुम्हारा जो बदसूरती का घमंड है न… वो घमंड हमेशा के लिए टूटकर चकनाचूर हो जाए!"
ऐसा लग रहा था जैसे आयशा की सांसें थम सी गई हों।
दिल कर रहा था कि वह ज़ोर-ज़ोर से रोए, अपने दिल का सारा दर्द बाहर निकाल दे।
हालांकि, दादी ने उसे समझाया था —
"अरमान कभी किसी और लड़की के करीब नहीं जाएगा…"
लेकिन जो कुछ उसकी आंखों के सामने घट रहा था —
वह उसकी, सारी उम्मीदों को तोड़ चुका था।
आलिया का सीधा आकर अरमान को गले लगाना —
आयशा के दिल को हिला गया था।
और वह, बिना किसी रोक-टोक के, चुपचाप रूम नंबर 603 की ओर जाने लगी थी।
उधर, अरमान पहले से ही बड़ी सी एलईडी स्क्रीन रूम नंबर 603 में लगवा चुका था, ताकि आयशा साफ-साफ देख सके कि आलिया और वह… कितने करीब आ सकते हैं।
यह नज़ारा… एक साज़िश थी।
वहीं, दूसरी ओर, आहान अब अपना सिर पकड़कर सोचने लगा —
"यहाँ तो मैं आयशा और अरमान भाई की शादी की प्लानिंग लेकर आया था… लेकिन यह क्या हो गया? मामला तो उल्टा पड़ गया!"
उसकी आंखों में उलझन थी।
"भाई ने तो साफ-साफ कहा था कि वह आलिया तो क्या, किसी भी लड़की से शादी नहीं करेंगे। तो फिर अब… आलिया रंधावा के साथ एक रात का खेल क्यों? लेकिन… क्यों?"
अचानक आहान के मन में एक शरारती ख्याल आया —
"चाहे कोई भी मेरी भाभी बने — आयशा या आलिया — फर्क नहीं पड़ता। मुझे तो बस भाई की रंगरेलियों की रिकॉर्डिंग करनी चाहिए, और फिर दादी को दिखानी चाहिए, ताकि कोई तो हमारे घर की बहू बने। और मैं… चाचा बन जाऊं!"
उसने यह सोचकर एक मुस्कान के साथ अपने ख्यालों को झटका, और किसी बहाने से कमरे से बाहर निकल गया।
इधर, स्वीट्स बुकिंग की आड़ में, अरमान पूरे प्लान को आगे बढ़ा रहा था।
और वहीं, कबीर…
कबीर के चेहरे पर गहरी हैरानी थी।
उसकी आंखों में सवाल थे, और दिल में हलचल।
क्योंकि वह भी आलिया को अरमान के लिए सही मानता था।
आलिया सिर्फ खूबसूरत ही नहीं, बल्कि बेहद टैलेंटेड और एक बिलियनियर भी थी।
लेकिन उसे खलिश इस बात की हो रही थी —
"अगर अरमान को आलिया के साथ फिजिकल रिलेशन बनाना ही था, तो आयशा को इनवाइट क्यों किया? क्या दिखाना चाहता है उसे?
कहीं ऐसा तो नहीं कि… वो आयशा को अब भी भुला नहीं पाया?"
कबीर अरमान को अच्छे से जानता था।
वह समझ गया था कि अरमान का अहंकार तो बहुत बड़ा है, लेकिन दिल अभी भी कहीं न कहीं आयशा के नाम पर धड़कता है।
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भले ही आयशा देखने में खूबसूरत न हो, लेकिन जब-जब वह अरमान के साथ होती है — अरमान को बस उसी को देखना अच्छा लगता है।
कबीर को यह बात अच्छी तरह से याद थी।
उसे याद आया — जिस दिन आयशा पहली बार ऑफिस आई थी और किसी ने उस पर हाथ उठाया था, उस दिन अरमान चाहकर भी उसे कुछ नहीं कह पाया था।
यह देखकर कबीर को हैरानी हुई थी।
"अरमान को कोई फर्क नहीं पड़ता? या फिर पड़ता है... बस वो दिखाना नहीं चाहता?"
फिलहाल, कबीर ने सोचा कि चाहे मामला जो भी हो, उसे खुद जाकर देखना चाहिए कि क्या अरमान सच में उस लड़की के साथ कुछ करने वाला है या नहीं।
इस सोच के साथ वह भी, चुपचाप उसी दिशा में बढ़ने लगा — वहाँ, जहाँ अरमान के स्वीट्स रूम पहले से बुक थे।
उधर, आयशा भी कमरों से होते हुए रूम नंबर 603 में मौजूद थी।
वह एलईडी स्क्रीन की ओर देख रही थी — दर्द और बेचैनी के साथ।
पहली बार उसके अंदर डर का एहसास जागा था।
"पता नहीं अंदर क्या हो रहा होगा... क्या वाकई अरमान आलिया के साथ रिश्ता बना लेगा?"
कहीं न कहीं, उसके भीतर डर गहराता जा रहा था।
लेकिन उसने दिल मजबूत किया और एलईडी स्क्रीन की ओर देखना शुरू कर दिया।
हालांकि, दादी ने कहा भी था —
"अरमान कभी किसी और के करीब नहीं जाएगा..."
मगर जिस तरह से अरमान ने खुद आलिया को लेकर उस कमरे में प्रवेश किया था — वह डर, उम्मीद और विश्वास — तीनों को तोड़ गया।
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वहीं दूसरी ओर…
स्वीट के दरवाज़े से सटी दीवार के पीछे, कबीर कान दीवार से लगाए खड़ा था, जबकि आहान उसके पीछे मोबाइल कैमरा पकड़े पूरी तरह से तैयार था।
दोनों की साँसें धीमी थीं, लेकिन उत्सुकता अपने चरम पर।
आहान धीरे से फुसफुसाया —
"अरमान भाई ने तो सीन शुरू कर दिया है। अब बस थोड़ा और नज़दीक से सुनाई दे जाए… तो फोटो के साथ ऑडियो भी मिल जाए!"
फिर वह सोचने लगा —
"क्यों न खिड़की के पास चला जाऊँ… शायद पर्दा थोड़ा खुला हो..."
कबीर ने भी सोचा —
"यहाँ से कुछ पता नहीं चल रहा। क्या वाकई अरमान उस लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन बनाएगा? मुझे खिड़की के पास जाकर देखना होगा।"
इसलिए वह भी धीरे से खिड़की की ओर बढ़ने लगा।
लेकिन जैसे ही वह वहाँ पहुँचा —
उसने देखा कि पहले से ही वहाँ मंकी कैप पहने एक आदमी, पत्थर पर बैठकर वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश कर रहा था।
यह देखकर कबीर की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
उसने चुपचाप जाकर उस आदमी के कंधे पर हाथ रखा —
जैसे ही वह व्यक्ति पीछे मुड़ा, कबीर के चेहरे के भाव बदल गए।
वो कोई और नहीं बल्कि… आहान ही था!
जो कबीर से पहले वहाँ पहुँच गया था, ताकि अंदर का नज़ारा देख सके।
जैसे ही आहान ने कबीर को सामने देखा — उसकी आंखें डर से बड़ी हो गईं।
कबीर दाँत पीसते हुए बोला —
"तू यहाँ क्या कर रहा है? तुझे मना किया था न कि इस तरह की हरकत नहीं करेगा! फिर भी तू यहाँ आया है?!"
आहान जल्दी से मासूम शक्ल बनाकर बोला —
"भाई! मैं आया तो सिर्फ आयशा और अरमान भाई को रिकॉर्ड करने… लेकिन यहाँ तो मामला ही कुछ उल्टा निकला। आलिया… अकेले… आपको पता है?"
कबीर भी गहरी साँस लेते हुए बोला —
"हाँ-हाँ… मुझे पता है कि यहाँ आयशा की जगह आलिया आई है। लेकिन तू यहाँ क्या कर रहा है? तुझे मैंने साफ मना किया था!"
तब आहान सिर खुजाते हुए बोला —
"भाई, आप मुझे हमेशा छोटा समझते हो! मैं अब बड़ा हो गया हूँ। और हाँ… मैं 18+ वीडियो भी देखता हूँ। तो अगर मैं यहाँ थोड़ी देर सीन देख लूँगा, तो क्या हो जाएगा?
और अगर आप देखेंगे… और उसके बाद मैं चाचा बन जाऊँ… आप नहीं जानते, इस वक्त मैं कितना बड़ा सोच रहा हूँ!"
कबीर झल्लाकर बोला —
"तो तू इस खिड़की के पास कर क्या रहा है? तू जानता भी है… अगर पर्दा खुलेगा, तो सीधे उनके कमरे में गिर जाएगा!"
अभी दोनों आपस में बहस ही कर रहे थे कि…
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अचानक!
पीछे से किसी की तेज़ आवाज़ आई
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"क्या चल रहा है यहाँ?"
दोनों उछल पड़े!
सिक्योरिटी गार्ड, हाथ में वॉकी-टॉकी लिए, उनके ठीक पीछे खड़ा था।
चेहरे पर गंभीरता थी, और आवाज़ में सख़्त सवाल।
तब आहान सिक्योरिटी गार्ड को देखते हुए बोला —
"अरे नहीं भाईसाहब! हम तो बस... सफाई… मतलब… दीवार की क्वालिटी चेक कर रहे थे!"
कबीर ने भी जल्दी से उसकी हां में हां मिलाई और बोला —
"हां जी! असल में मेरी इंजीनियरिंग की क्लास चल रही है…
दीवार की साउंड इंसुलेशन टेस्टिंग सिखाई जा रही है।
तो ये... एक तरह का लाइव डेमो है!"
सिक्योरिटी गार्ड ने दोनों को शक की नज़र से घूरा और बोला —
"आई-कार्ड दिखाओ!"
क्योंकि उनके हाव-भाव कुछ ज्यादा ही अजीब थे।
एक तरफ आहान ने मंकी कैप पहन रखी थी, और दूसरी ओर कबीर का सरदारी वाला गेटअप —
यह सब मिलाकर किसी न किसी गड़बड़ी का साफ़ एहसास दिला रहा था।
तभी, जैसे ही सिक्योरिटी गार्ड ने आई-कार्ड मांगा,
आहान सकपकाते हुए जेब में हाथ डालने लगा…
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आहान जेब में हाथ डालकर नाटक करने लगा जैसे कुछ ढूंढ रहा हो —
"आई-कार्ड... वो... शायद पिछली शर्ट में रह गया..."
कबीर ने उसकी बात को संभालते हुए जल्दी से कहा —
"भाईसाहब, हम यहां किसी गलत मकसद से नहीं आए हैं। आप चाहे तो हमारी तलाशी ले लीजिए। हम तो बस..."
गार्ड ने तीखी नज़र डाली —
"बस क्या? होटल के स्वीट के बाहर खिड़की के पास चुपके से दीवार से कान लगाकर खड़े हो, वीडियो कैमरा पकड़े हो, और ऊपर से मंकी कैप और सरदारी वाला गेटअप...? ये सब कोई साउंड टेस्टिंग का हिस्सा होता है क्या?"
अब दोनों की हालत पसीने-पसीने हो गई थी।
अरमान लगातार आयशा को डीप किस करने लगा था,
क्योंकि आयशा के करीब होने पर —
वह अपनी फीलिंग्स को रोक ही नहीं पा रहा था।
"किस तरह से रुखसाना, उस समय महारानी के वश में थीं...
और कैसे पूरा वंश सिर्फ एक श्राप की आग में जल गया था..."
यह सब सोचते ही,
आयशा अपने इमोशन्स पर कंट्रोल नहीं कर पाई...
और उसकी आँखें भरने के लिए तैयार थी।
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51
अर्जुन जल्दी से माफी माँग कर बोलता, मैं. माफ कीजिएगा! मैंने आपकी गाडी नहीं देखी।
लेकिन इस बार अविका के चेहरे पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं था।
अविका उसकी बात पर मुस्कुराई तो सही, लेकिन उसने चेहरा तुरंत सख्त कर लिया।
उसने हल्का सा मुस्कुराकर अर्जुन की ओर देखकर कहा था, “इट्स ओके, मैंने तुम्हें माफ किया। लेकिन एक बात बताओ—क्या तुम वाकई देखकर नहीं चल रहे थे? या जान बुझकर तुम मेरी गाड़ी से टकराए थे?”
तब अर्जुन जल्दी से हकलाकर बोला था, “नहीं-नहीं देवी जी, आप गलत समझ रही हैं। हमारा इरादा इस तरह से आपके वाहन के आगे टकराने का बिल्कुल भी नहीं था।”
अब अचानक, जैसे ही अर्जुन—यानी अर्जुन के अंदर बसे युवान की आत्मा—ने अपनी प्राचीन भाषा का वहाँ इस्तेमाल किया, अभीका पूरी तरह से हैरान हो गई थी। वह मुंह खोलकर अर्जुन की ओर देखने लगी थी। क्योंकि इस आधुनिक युग में इतनी शुद्ध भाषा या तो केवल मंदिरों में बोली जाती थी, या फिर कहीं गुरुकुलों में। लेकिन इस तरह से, इतने बड़े कॉलेज में, ऐसी भाषा कोई नहीं बोलता था। तो उसकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था।
वहीं, जल्दी ही अर्जुन ने तुरंत अपने सिर पर एक हल्की सी टपली मार ली थी और वह सोचने लगा था, “मैं पागल हो गया हूँ जो इस तरह की भाषा यहाँ बोल रहा हूँ! अगर ज़रा भी किसी को शक हो गया, तो लेने के देने पड़ सकते हैं।”
उसने फौरन खुद को झटका, और फिर अर्जुन के दिमाग और भाषा के अनुसार, जल्दी ही इंग्लिश में बात करते हुए बोला था, “I’m so sorry! मैंने आपको नहीं देखा… I hope कि आप मुझे माफ कर देंगी।”
जैसे ही अर्जुन ने इंग्लिश में ये बातें कही, थोड़ी देर पहले अविका जो अर्जुन को लेकर पूरी तरह से शॉक में थी, वह तुरंत ही थोड़ा शांत हुई। उसने कहा था, “मुझे समझ में नहीं आता कि तुम इतने अजीब क्यों लगते हो… लेकिन पता नहीं क्यों, एक अजीब सा अट्रैक्शन है तुम्हारी तरफ। I don’t know… लेकिन कुछ तो है, जो मुझे काफी ज्यादा परेशान कर रहा है।”
यह बात उसने मन ही मन सोची थी। तभी उसकी सहेलियों ने उसे आवाज लगा ली थी, और वह अर्जुन को एक नजर देखकर, उनके पास चली गई।
अर्जुन ने एक नजर अविका को देखा और फिर सीधा जाकर अपनी क्लासरूम में बैठ गया था।
इस वक्त उसके दिमाग में कितनी ही सारी उलझनें चल रही थीं। कॉलेज में उसकी जो छवि थी, वह पूरी तरह से बेकार थी।
हालांकि वह हर साल का टॉपर रहता था, लेकिन कोई उसकी खास इज्ज़त नहीं करता था।
सब लोग उसे नीची नजरों से ही देखते थे—शायद उसके पहनावे की वजह से, या फिर उस मामूली चेहरे और शरीर की वजह से।
लेकिन फिलहाल अर्जुन—या कहें अर्जुन के भीतर बसे युवान की आत्मा—इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी।
वैसे भी, महागुरुजी ने उसे एक टास्क दिया था, जिसे हर हाल में पूरा करना था।
और अभी तक, ना तो अर्जुन की ज़िंदगी को कोई समझ पाया था, और ना ही वो अर्जुन के मां-बाप के बारे में कुछ खोज पाया था।
अब उसे किसी न किसी तरीके से सुनील जी से सीधे बात करनी थी—जानना था कि कितने साल पहले और किसने उसे अर्जुन सौंपा था।
हालांकि, वह रहस्यमयी ताबीज़ अर्जुन हमेशा अपने पास रखा करता था, क्योंकि महागुरुजी ने साफ-साफ कहा था—
“इसी ताबीज के ज़रिए तुम अर्जुन के असली मां-बाप तक पहुँच पाओगे।”
तो अर्जुन की ज़िंदगी फिलहाल पूरी तरह से साफ़ नहीं थी।
इस सोच के साथ उसने गहरी सांस ली और क्लासरूम में बैठकर विचारों में डूब गया।
अविका भी आकर अपनी सीट पर बैठ चुकी थी।
राहुल अर्जुन को घूरता हुआ बैठा था, और काव्या उसके ठीक बराबर में आकर बैठ गई थी।
हालांकि, जब भी काव्या पहले अर्जुन के पास बैठा करती थी, अर्जुन का दिल टूट जाता था, और उसकी आंखों से आंसू भी बह जाते थे।
जिसकी वजह से सब लोग उसका खूब मज़ाक उड़ाया करते थे।
लेकिन आज, जब काव्या राहुल के पास जाकर बैठी—अर्जुन ने किसी भी तरह का कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया था।
उसका चेहरा इमोशनल लेस था
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वह बेपरवाही से वहाँ बैठा रहा। अब अर्जुन का सपाट चेहरा देखकर राहुल को हैरानी हुई। उसे तो लगा था कि एक बार फिर अर्जुन रो देगा और फिर सब रोज-रोज की तरह पूरी क्लास में उसे चढ़ाएंगे। लेकिन यह क्या? अर्जुन तो पूरी तरह से शांत बैठा हुआ था।
कहीं न कहीं, जिस तरह से अविका अर्जुन से बात कर रही थी, और उनके घर पर आकर अर्जुन को जिस तरह से उसने डिफेंड किया था, तो यह बात राहुल को हर्ट कर गई थी। इसीलिए वह अविका के सामने अर्जुन को रोते हुए देखना चाहता था। और किसी न किसी तरीके से राहुल अब काव्या से अपना पीछा भी छुड़ाना चाहता था, क्योंकि वह अब अविका में इंटरेस्टेड था और ऑलरेडी वह काव्या के साथ कितनी ही रातें रंगीन कर चुका था। तो इसीलिए अब सब काव्या में कुछ खास इंटरेस्ट नहीं रहा था।
फिलहाल जल्दी ही प्रोफेसर साहब क्लास में आए और उन्होंने राजवंश राज्य के बारे में आज क्लास में डिस्कस करना शुरू कर दिया था।
हालांकि अर्जुन साइंस का स्टूडेंट था, लेकिन प्रोफेसर साहब के इंसिस्ट करने पर उसने हर सब्जेक्ट को ही जानने का फैसला किया था।
और उसके पास किताबों का गहरा अध्ययन था, जिसकी बदौलत उसे सब कुछ याद रहा करता था।
इसलिए प्रोफेसर साहब अर्जुन जैसे ब्रिलिएंट स्टूडेंट को अपनी क्लास में ही रखना चाहते थे।
कॉलेज के हर एक प्रोफेसर की यही कोशिश रहा करती थी कि अर्जुन उनकी भी क्लास अटेंड करे।
फिलहाल, इसीलिए अर्जुन सभी क्लासेस अटेंड किया करता था।
जैसे ही प्रोफेसर साहब ने राजवंश राज्य के बारे में बातें करना शुरू किया, अर्जुन की हैरानी काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी।
और साथ ही साथ उसने सोचा कि उसे आखिरकार जानना चाहिए कि आधुनिक दुनिया के लोग राजवंश राज्य के बारे में कितना और क्या जानते हैं।
उसे काफी हैरानी हुई और वह उत्सुकता से जानने लगा।
और बहुत उत्सुकता से प्रोफेसर साहब को बड़े ही ध्यान से सुनने लगा था।
वहीं, अविका बार-बार नजर बचाकर अर्जुन की ओर देख रही थी।
ना जाने क्यों, लेकिन अर्जुन को देखना उसे कुछ अलग ही लग रहा था।
कुछ खिंचाव-सा था अर्जुन में, जिससे अविका उसकी ओर खिंची चली जा रही थी।
हालांकि अर्जुन की पर्सनैलिटी, उसका रहन-सहन, किसी भी लिहाज से उससे दूर-दूर तक मैच नहीं करता था, लेकिन न जाने क्यों, अविका का दिल कर रहा था कि वह बस अर्जुन को देखती रहे।
वहीं दूसरी ओर, प्रोफेसर साहब ने राजवंश राज्य, महाराज अभिमन्यु और राजकुमारी संयोगिता के बारे में बातें करना शुरू कर दी थीं।
और तभी, बीच में से एक लड़की उठ खड़ी हुई और बोली थी, “लेकिन प्रोफेसर साहब, मैंने तो सुना है कि राजकुमारी संयोगिता की शादी किसी राजा से नहीं, बल्कि एक मामूली से सेवक से हुई थी।”
अब यह सुनकर अर्जुन पूरी तरह से चौंक गया और सोचने लगा था—क्या यहाँ पर मेरे बारे में भी कुछ लिखा हुआ है?
क्योंकि वह मामूली सा सेवक कोई और नहीं, युवान ही था—जो कि अब अर्जुन की आत्मा के अंदर था।
भले ही अर्जुन की रियल आत्मा प्राचीन जिंदगी में थी और शरीर युवान का था, लेकिन आत्मा तो युवान की ही थी न।
फिलहाल अब प्रोफेसर साहब हल्का-सा मुस्कुरा कर बोले थे, “जिसे आप मामूली सा सेवक कह रही हैं, आप जानती हैं, एक समय ऐसा आया कि वह पूरी की पूरी दुनिया का महाराजा बन बैठा था।”
अब जैसे ही प्रोफेसर साहब ने यह कहा, अब तो अर्जुन की आंखें फटी की फटी रह गई थीं।
और वह खुद को रोक नहीं पाया और तुरंत खड़ा होकर बोला था, “यह आप क्या कह रहे हैं? ऐसा कैसे हो सकता है? यह असत्य है? यह बिल्कुल भी सत्य नहीं हो सकता! युवान... पूरी दुनिया का राजा कैसे बन सकता है? नहीं! नहीं, यह नहीं हो सकता...”
अर्जुन का दिमाग पूरी तरह से चकरा गया था और बिना रुके वह तुरंत ही क्लासरूम से बाहर निकल गया था।
वहीं सब लोग अर्जुन के इस तरह के बर्ताव पर पूरी तरह से शॉक्ड में थे।
अविका को भी हैरानी हुई, क्योंकि जहां तक उसने अर्जुन के बारे में सुना था, वह सबसे ज़्यादा ब्रिलिएंट स्टूडेंट था।
तो वह इस तरह की हरकत क्लासरूम में कैसे कर सकता है?
कहीं न कहीं, उन लोगों को काफी हैरानी हुई।
फिलहाल, अविका खुद को रोक नहीं पाई और तुरंत ही वह भी अर्जुन के पीछे-पीछे क्लास से बाहर निकल गई थी।
वहीं दूसरी ओर, प्राचीन युग में जल्दी ही एक नई सुबह हो चुकी थी।
युवान, जो कि रात भर सही से सो नहीं पाया था, लेकिन सुबह के वक्त वह एक गहरी नींद में सो रहा था।
राजकुमारी संयोगिता जैसे ही उठी, उसने देखा कि अर्जुन ने उसे अपनी मजबूत बाहों में थाम रखा है।
तब अचानक उसने उठकर, उसके माथे को अपने होठों से छू लिया था।
वह बड़े ही प्यार से उसके कान में बोली थी, “गुड मॉर्निंग... कैसे हो?”
अब जैसे ही राजकुमारी संयोगिता ने आधुनिक शब्द का इस्तेमाल किया, तुरंत ही अर्जुन की आंखें खुल गई थीं।
उसका चेहरा ब्लश करने लगा था और तुरंत ही आगे बढ़कर, उसने अपने होठों से राजकुमारी के होठों को कैप्चर कर लिया था।
और फिर उसे चूमते हुए बोला था, “वाह! आप तो बहुत जल्दी सब सीख गईं। आपने कुछ ही शब्दों को सीखा और अब अच्छे से बोल भी पा रही हैं, और उनका इस्तेमाल भी कर रही हैं। वाकई... आप काफी ज़्यादा टैलेंटेड हैं, मेरी राजकुमारी।”
यह बोलकर, उसने राजकुमारी को गोद में उठाकर गोल-गोल घूमाना शुरू कर दिया था।
और आज... राजकुमारी संयोगिता की हँसी की आवाजें पूरे महल में गूंजने लगी थीं।
वहीं, महाराज अभिमन्यु और महारानी गायत्री, जो कि रोज सुबह-सुबह भ्रमण के लिए महल के ही बगीचे में जाया करते थे—
जैसे ही उनके कानों में संयोगिता की हँसी की आवाजें सुनाई दीं, तो दोनों के ही चेहरे मुस्कुरा उठे थे। और तभी।
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